Pravin abhishek medium resolution

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वर्ष 8 अंक 22 n 16-30 नवंबर 2015 n ~ 20

भाजपा में घमासान



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वर्ष 8 अंक 22 n 16 से 30 नवंबर 2015 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प्​्काशक क्​्मता सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल फोटो िंपादक पवन कुमार िंपादकीय िहयोगी

सववता वम्ा​ा अंजना वसंह सुनीता शाही (लखनऊ) अिनल चौबे (रायपुर) पूजा िसंह (भोपाल) अिवनाश िसंह (िदल्ली) अिनल अंशुमन (रांची) कुमार प्​्तीक अजय कुमार पांडे

कला

प्​्वीण अिभषेक

महाप्​्बंधक

एस के वसंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm@shukrawaar.com

आवरण कथा

6 | कोपभवन मंे बुज्ुग्ष

सबहार सवधानिभा चुनाव मे्भारतीय जनता पाट्​्ी की ऐसतहासिक हार के बाद उिके कई नेताओ्ने पाट्​्ी आिाकमान पर सनशाना िाधा है. और अब कई बुज्सुग नेता भी इि मुसहम मे्शासमि हो गये है्जो वच्सस्ववादी नेतृत्व को चुनौती दे रहे है्.

16 | क्यो्तक तबहार है कुछ ख्ास पहिे गणराज्य की स्थापना िे िेकर अब तक सबहार का इसतहाि ऐिी घटनाओ्िे भरपूर है सजन्हो्ने इसतहाि को बदिने और नया मोड् देने मे्सविक्​्ण भूसमका सनभायी है.

िबजनेि हेड

20 | लोकतंत् की नयी इबारत

शरद कुमार शुक्ला +91. 9651882222

म्यांमा मे्िू ची की सवजय मे् िोकतंत्की एक सकरण सदखाई देती है, िेसकन वह हल्की इिसिए है सक देश का फौजी वच्सस्व िे पूरी तरह मुक्त होना काफी मुस्िकि है.

ब्​्ांिडंग

कॉमडेज कम्युिनकेशन प्​्ा़ िल़

प्​्िार प्​्बंधक

यती्द् कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024 yatendra.3984@gmail.com

सिसध िलाहकार शुभांशु वसंह

shubhanshusingh@gmail.com

+91. 9971286429 सुयश मंजुल

िंपादकीय काय्ा​ालय

एमडी-4/304, सहारा ग्​्ेस, जानकीपुरम लखनऊ, उत्​्र प्​्देश-226021 टेलीफैक्स : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com www.shukrawaar.com

DELHIN/2008/24781 स्वत्वािधकारी, प्क ् ाशक और मुदक ् क्म् ता सिंह के सिए नोवा पब्लिकेशन एंड िप्ट्ं ि्,स प्िॉट 9-10, िेकट् र-59, फेज-2, फरीदाबाद, हसरयाणा िे मुस्दत एवं दूिरी मंसजि, ल्ाी-146, हसरनगर आश्म् , नयी सदल्िी-110014 िे प्क ् ासशत. िंपादक : अंबरीश कुमार (पीआरल्ाी अिधसनयम के तहत िमाचारो्के चयन के ि​िए िजम्मेदार) िभी कानूनी िववादो्के ि​िए न्याय क्​्ेत्िदल्िी होगा.

24 | गुमनामी मे् तकराई का घर

34 | सुल्तान पर घमासान

44 | सांस लेता इततहास

48 | सुख-दुख बांटता प्​्ेम

मधेपुरा के मुरहो गांव का ऐसतहासिक महत्व है जहां बीपी मंडि की भव्य िमासध बनी है, िेसकन एक और सवभूसत सकराई मुिहर की कोई सनशानी नही्है.

मांडवी महज एक शहर नही्, बब्लक इसतहाि है. र्क्मावती नदी के तट पर बिे इि शहर का आकर्सण सवजय सविाि पैिेि है.

कन्ासटक मे्सहंदुत्ववादी िंगठन छोटी-बड्ी घटनाओ्पर िांप्दाियक उपद्​्व मचाने की कोसशश कर रहे है्. टीपू िुल्तान िे िेकर सगरीश कान्ासड तक उनके सनशाने पर है्.

ि​िमान खान इि दौर के िबिे बड्े स्टार है्. िोकस्​्पयता मे्वे शाहर्ख खान और आसमर खान को काफी पीछे छोड् चुके है्.

शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

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आपकी डाक

संग्हणीय अंक

थाली से बाहर दाल

नवंबर प्​्थम अंक मे् िंपादकीय मे् थािी िे बाहर दाि पढ्कर महंगाई का अिर िाफ सदखाई देने िगा. दािे्प्​्ोटीन का मुख्य स्​्ोत है्. गरीब आदमी पहिे िे ही चावि के िे िाथ दाि हफ्ते मे्कभी कभार खा िेता था. िेसकन िरकार ने तो जैिे दाि को थािी िे बाहर कर सदया हो. िंपादकीय का शीर्सक बहुत ही अच्छा िगा. िरकार का िबके सिए पौस्​्िक भोजन देने के िपने को पि भर मे्तार-तार करने की रोचक जानकारी समिी. इि​िे पता चिता है सक सकिान के अनाज की कीमत बाजार मे्आते ही िोने जैिे हो जाती है. सजिे रोका जाना चासहए. िरकार को इि महंगी दाि की कीमत सकिानो् तक भी पहुच ं ना चासहए. दाि की बढ्ी कीमत का फायदा सबचौसियो्िे इतर सकिानो्को समिे तो बेहतर होगा. नम्​्ता किरोही, आगरा (उत्​्र प्​्देि)

धुएं का त्यौहार

बीते सदनो्िोग दीपाविी के जि्न मे्ये भूि गये सक जो धुआं हम पटाखा दागने मे् छोड रहे है् उिका अि​ि मे्प्भ् ाव क्या पडने वािा है. िोग जि्न मे्मदहोश होकर रात मे्खूब भारी पटाखे छोड्ते है्. आसतशबाजी िे केवि वायु प्​्दूरण ही नही्ध्वसन प्​्दूरण भी होता है. पय्ासवरण को यह दोनो्हासन पहुंचाते है्. पटाखो्िे दूर रहकर हम पय्ासवरण और आस्थसक र्प िे भी िशक्त रह िकते है्. नये तकनीकी मे् हमे् पटाखो् का सवकल्प भी खोजना होगा. तासक जि्न कायम रहे और पय्ासवरण प्​्दूसरत न हो. फाकतमा खान, लखनऊ, (उत्​्र प्​्देि)

तवलुप्त होता कुम्हार

दीवािी सवशेरांक मे्कुम्हार की किा और दीये की खरीदारी पर सचंता देखकर मन मे्दुख हुआ. अवनीश कुमार के िेख िे कुम्हारो्के आस्थसक 4

शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

दीवािी सवशेरांक शल्दो् का िमय पढ्कर मन मे् िासहत्य का बोध बढ् गया. अंक मे् छपी कहासनयां, कसवताएं , िंसम् रण, यात्​्ा के कॉिम सदि को छू गये. खािकर कहासनयो्का िंिार हफ्तो् तक मन मे् सहिोरे िेता रहा. कहानी के आगे की घटनाओ् को िोच कर र्सच और बढ् गयी. नया सिखने का मन भी करता रहा. फणीश्​्र नाथ रेणु के िंस्मरण भी रोचक िगे.

परिाई का व्यंग्य िमिामसयक पसरब्सथसत को भेदता सदखा. शल्दो्का िमय मानो्िुर को िाधता सदखा. कहा भी गया है सक शल्द ब्​्ह्म है. िुंदर शल्द और भारा सकिी भी रचना को र्सचकर कर देती है. वाकई यह अंक िंग्हणीय बन पड्ा है. पूरी टीम को इिके सिए बधाई और दीपाविी की शुभकामनाएं.

पक्​् को जानने का मौका समिा. िोगो् ने मोमबत्​्ी और सबजिी वािी झािरो्के आ जाने िे परंपरागत समट्​्ी के दीये बनाने वािे कुम्हार कही्न कही्खोते जा रहे है्. ऐिे मे्एक िंपूण्स किा का सवनाश होता जा रहा है. इि िेख िे हमे् तमाम जानकासरयां समिी सजनका हम सनकट भसवष्य मे्पािन भी करे्गे. फैशन के इि दौर मे् िोग सकि कद्​् अपने स्वास्थ्य और िमाज की सचंता नही् कर रहे है्. िमाज को नुकिान के िाथ-िाथ ऊज्ास का भी दुर्पयोग हो रहा है, सजिे रोकना बहुत जर्री है.

वास्​्व मे् युवा बेहतर सजंदगी और वास्​्सवक रोमांि चाहते है्. उन्हे् अपने सनण्सय खुद िेना ज्यादा पिंद है. हम आप उनपर रोक न िगाये् तो ज्यादा बेहतर होगा. क्यो्सक भसवष्य मे् इन्हे् अपने जीवन िे जुडे हर सनण्सय खुद िेना है. हम इन्हे्आजाद वातावरण उपिल्ध कराये्जहां ये खुिकर अपनी बात रखे.

कनभ्भय कसंह, झकरया(झारखंड)

अपराध की ओर बचपन

नवंबर प्​्थम अंक मे्वस्तसका नंदा का छपा िेख हमे् बच्​्ो् के अपराध की दुसनया मे् जाने की कहानी को बहुत अच्छे िे बताता है. बचपन मे् गायब हुए अनाथ बच्​्े अक्िर अपराध की दुसनया मे् धकेि सदये जाते है्. जो बाद मे् बडे और शासतर अपराधी बनकर अपराध की दुसनया मे् शासमि हो जाते है्. िरकार को ऐिे मािूमो् को िही सदशा देने की जर्रत है. सतहाड जेि का सजक्​् बहुत िही ढंग िे सकया गया सजिमे् बहुत िे शासतर अपराधी खुद को मािूम बताकर जेि िे बाहर सनकि िेते है्. ऐिे मे्िरकार को इिका भी ध्यान देना चासहए. इिमे् सदये गये आंकडे बडे ही ज्​्ानवध्सक है्. मोहम्मद नजीर, कदल्ली

युवा बेहतर तिंदगी चाहते है्

आसखरी पन्ना मे् चेतन भगत के िेख को पढ् युवा भारत की नल्ज थामने जैिा िगा. चेतन युवाओ् को िबिे अच्छे तरीके िे िमझते है् और उनका सिखा िेख युवा आंखो के िपने युवाओ्की इच्छाओ्को िही तरह िे रेखांसकत करता है. िेखक ने युवाओ्के िपने के बारे मे् बात करते हुए सिखा है सक अि​ि मे् भारतीय युवा चाहते क्या है् वह कैिा जीवन चाहते है्.

अंकिता भल्ला, रायपुर (छत्​्ीसगढ्)

िकि​ि डंगिाल, देहरादून(उत्​्राखंड)

सेल्फी तवद गाय

बीते अंक मे् कहानीकार हसरशंकर परिाई जी की कहानी काफी मनोरंजक और ज्​्ानवध्क स थी. सजिमे्उन्हो्ने गोभक्तो्पर व्यगं य् के िहारे तीखा कटाक्​् सकया है. ये आज के गोमांि बैन को िेकर पनप रहे सववादो्पर काफी िटीक बैठता है. िोग दोहरी मानसिकता सजि सदन त्याग दे्गे देश और िमाज का कल्याण हो जायेगा. ये गाय के िाथ िेल्फी िेने और िोशि मीसडया पर गाय को बचाने की मुसहम चिाने भर गौरक्ा् नही् हो िकती है. िोगो्को अि​ि मे्अगर गाय िे िगाव है, तो उन्हे्जमीन पर उतरना चासहए और गायो्का पािन करना चासहए. नाकसरा खान, िोलिाता (पक्​्िम बंगाल)

पाठको् से तनवेदन

शुक्वार मे्प्​्कािशत सरपोट्​्ो्और रचनाओ्पर पाठको्की प्​्सतसक्​्या का स्वागत है़ आप अपने पत्​्नीचे िदए गए पते पर या ई-मेि िे भेज िकते है् एमडी-4/304, िहारा ग्​्ेि, जानकीपुरम, िखनऊ उत्​्र प्​्देश-226021 टेिीफैक्ि : +91.522.2735504 ईमेि : shukrawaardelhi@gmail.com


संमास् पादकीय ट हेड

तबहार का संदेश सब

अंबरीश कुमार

अब जीत के बाद महागठबंधन की जजम्मेदारी और ज्यादा हो जाती है. वे जनता के सवालो् पर नयी पहल करे् और बड़ी भूजमका को गंभीरता से जनभाये्.

हार चुनाव ने राजनैसतक माक्​्ेसटंग के िारे अस्​्- शस्​्नाकाम कर सदये और नीतीश और िािू को ित्​्ा िौ्प दी है. महागठबंधन के इि प्​्योग के िाथ ही राष्​्ीय फिक पर भी भारतीय जनता पाट्​्ी िरकार के सखिाफ एक मोच्ास आकार िे िकता है. पर कुछ बातो् का ध्यान रखना होगा. सबहार मे् भाजपा गठबंधन ने आम िोगो्को िबिे ज्यादा डर िािू यादव के जंगि राज का सदखाया था. पर िािू को िोगो् ने सपछडो् की अब्समता के नाम पर सफर वोट सदया. उन्हे् चारा घोटािे के मामिे मे् िजा समि चुकी है बावजूद इिके जनता ने उन्हे्सजताया. यह िमाज का फैि​िा था. दूिरी तरफ नीतीश कुमार पहिे िे ही िुशािन के प्​्तीक माने जाते रहे है्. इि तरह दसित और सपछडी जासतयो् की आस्थसक िामासजक िुरक्​्ा के िाथ ही िुशािन के नाम पर यह वोट समिा है. अब महागठबंधन की िरकार की सजम्मेदारी बनती है सक वह िोगो् की अपेक्ाओ् पर खरी उतरे, क्यो्सक इि िरकार के कामकाज और छसव िे ही िमाजवासदयो् का आगे का रास्​्ा बनेगा. िमाजवासदयो् की जब भी िरकार बनती है तो पहिा आरोप उन पर अराजकता का िगता है. माना जाता है सक कानून व्यवस्था की ब्सथसत इनके राज मे् सबगड जाती है. हािांसक नीतीश कुमार ने ही सबहार मे्बाहुबसियो्की राजनीसत पर िबिे ज्यादा अंकश ु िगाया था. पर ये िोगो् को भूि जाता है. और अब जब िािू यादव िाथ हो् तो िबकी नजर इिी मुद्े पर है्. यह िािू यादव की भी सजम्मेदारी बनती है सक वे इि छसव को भी उिी तरह तोडे जैिे सबहार मे् उन्हो्ने जंगि राज के आरोपो् का जवाब सदया है. तभी राष्​्ीय राजनीसत मे्उनकी बडी भूसमका बन िकती है. यही मौका मुिायम सिंह यादव के सिए भी है सजिे उन्हो्ने सबहार चुनाव मे् गंवा सदया था. सजि िामासजक आस्थसक िवािो् को िेकर िमाजवादी और वामपंथी िाथ आते रहे है् वे िवाि अब ज्यादा गंभीर हो चुके है्. ऐिे मे् राष्​्ीय स्​्र पर इनकी महत्वपूण्स भूसमका एक बार सफर बन िकती है. याद रहे जब भी ये िाथ आते है जनता पसरवार की एकता और टूटफूट के िवाि जमकर उठाये जाते है्. जब यह महागठबंधन बन रहा था तो िगातार उिकी सवफिता के तक्कगढे जा रहे थे. इिके बावजूद

महागठबंधन ने नरे्द् मोदी के राजनैसतक कसरि्मे को तोड सदया. यह िच्​्ाई है सजिे ध्यान रखना चासहए. मोदी ने िोकिभा चुनाव मे् जो वादे सकये थे उिपर कुछ कहने की बजाए वे नीतीश कुमार के राज का सहिाब मांग रहे थे. वे सबहार पर एहिान करते हुये इि अंदाज मे् आस्थसक मदद देने सक बात कह रहे थे मानो वे कोई सनजी एहिान कर रहे हो्. इन्ही्िब बातो् ने िोगो् को आहत भी सकया. इिके अिावा सकिी को प्याज, टमाटर और दाि के दाम बताने की जर्रत भी नही् थी. िबिे ज्यादा नकारात्मक प्​्चार तो दाि खुद ही कर रही थी. उि पर िे के्द् के बड्बोिे नेताओ् ने यह भी आरोप जड सदया सक दाि सक कीमत बढने के सिए नीतीश कुमार सजम्मेदार है्. ऐिे बेतुके बयानो् का नतीजा िामने है. अब जीत के बाद महागठबंधन की सजम्मेदारी और ज्यादा हो जाती है. वे जनता के िवािो्पर नयी पहि करे्और बडी भूसमका को गंभीरता िे सनभाये्. के्द्की भाजपा िरकार के बारे मे्खुद उनके करीबी सवचारक अर्ण शौरी ने जो सटप्पणी की थी उिे ध्यान मे् रखना चासहए. कांग्ेि और भाजपा िरकार की नीसतयो्मे्सिफ्क गाय का ही फक्कहै. यह इन दोनो्राष्​्ीय दिो् को भी िोचना चासहए. भाजपा भी अब कांग्ेि के ही रास्​्ेपर चि रही है. खािकर आस्थसक नीसतयो् के िंदभ्स मे्. चाहे प्​्त्यक्​्सवदेशी सनवेश हो या खेती-सकिानी का िवाि वह सकिी भी मामिे मे्पीछे नही्है बब्लक दो कदम आगे ही बढ गयी है. भूसम असधग्​्हण सबि पर के्द् की भाजपा गठबंधन िरकार के र्ख िे यह िाफ हो चुका है. यह िरकार कॉरपोरेट घरानो्की मदद के मामिे मे् भी कांग्ेि िे आगे है. सजि िरकार िे दाि का दाम छह महीने तक सनयंस्तत न हो िका हो वह आम िोगो् के सहत को िेकर सकतनी गंभीर है यह आिानी िे िमझा जा िकता है. सबहार के चुनाव मे्भाजपा गठबंधन की जो करारी हार हुई है उिके पीछे महंगाई और सकिान सवरोधी नीसतयो्की भी बडी भूसमका है. अब महागठबंधन अगर अपनी राष्​्ीय भूसमका पर सवचार कर रहा है तो उिे अपनी आस्थसक नीसतयो् को भी िाफ़ कर देना चासहए. देश के सकिान मजदूर िे िेकर नौजवान तक को के्द् मे् रख कर उिे अपना एजंडा िामने n रखना चासहए. ambrish2000kumar@gmail.com


अावरण मास्ट हेकथा ड

कोपभवन में बुजंुरंग जबहार जवधानसभा चुनाव मे् भारतीय जनता पार्​्ी की ऐजतहाजसक हार के बाद उसके कई नेताओ् ने पार्​्ी आलाकमान पर जनशाना साधा है. और अब कई बुज्ुग्ष नेता भी इस मुजहम मे् शाजमल हो गये है् जो भाजपा के वच्षस्ववादी नेतृत्व को चुनौती दे रहे है्. प्​्दीप श्​्ीवास्​्व

हा

ि के सबहार चुनाव के नतीजो्िे भाजपा मे् घमािान शुर् हो गया है. इि​िे पाट्​्ी की भीतरी किह पूरी तरह खुिकर बाहर आ गयी है. यह अचानक नही् हुआ है. प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी और भाजपा अध्यक्​् असमत शाह के सखिाफ अिंतोर का िावा पहिे िे इकट्​्ा हो रहा था. सबहार चुनाव के नतीजो् ने इिे बाहर आने का रास्​्ा दे सदया. 6

शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

मई 2014 मे् भाजपा की के्द् मे् िरकार बनने के बाद यह पहिा मौका है जब प्ध ् ानमंत्ी नरे्द् मोदी और पाट्​्ी अध्यक्​् असमत शाह के सखिाफ कई स्​्रो् पर िाव्सजसनक र्प िे मुखािफत हो रही है. न केवि पाट्​्ी के वसरष्​् और बुजुग्स नेता बब्लक कई मौजूदा िांिदो् ने भी पाट्​्ी की काय्पस ण ् ािी और चुनावी रणनीसत के आड् मे् पाट्​्ी नेतृत्व को चुनौती दी है. अिंतोर के व्यापक धराति ने नरे्द् मोदी के पीठ पर अभी तक हाथ रखे िंघ के नेताओ् को भी अब मुब्िकि मे् डाि रखा है. वे सफिहाि न तो अभी मोदी को छूना चाहते है् और न ही इि अिंतोर को नजरंदाज कर रहे है्. क्यो्सक हार के बाद िामने आये अिंतोर का सनशाना िंघ भी बना है. िर िंघचािक मोहन भागवत के सखिाफ बयान देने मे् कुछ िांिदो् ने िंकोच नही् सकया. सजि तरह चुनाव के काफी पहिे िे प्​्देश के बाहर िे आये िंघ के काय्सकत्ासओ् को बूथ स्​्र पर िगाया गया था, पाट्​्ी काय्सकत्ास उिे भी रणनीसतक हार की वजह बता रहे है्. मोदी की ही तरह िंघ के सखिाफ भी भाजपा मे् पहिी बार िाव्सजसनक सवरोध का स्वर िामने आया है. पाट्​्ी के कुछ नेताओ् का मानना है सक सवरोध की गाज असमत शाह पर सगर िकती है. जनवरी मे्वैिे भी पाट्​्ी अध्यक्​्पद का चुनाव

होना है. भाजपा मे्अिंति ु ्ो्के िक्य् नरेद् ्मोदी को अभी छेड्ने की चुनौती नही्िी जायेगी,पर उनकी सनरकुश ं ता पर अकुश ं िगाने की कोसशश जर्र की जायेगी. िोकिभा चुनावो् मे् भारी जीत के बाद महाराष्​्, हसरयाणा की शुर्आती चुनावी िीस्ढयो् पार करने िे नरे्द् मोदी और भाजपा अध्यक्​् के हौि​िे बुिंद थे. पर सदल्िी और सबहार की हार ने एक बार सफर पाट्​्ी मे्खिबिी मचाने का काम शुर्कर सदया है. उनकी खुद की पाट्​्ी मे् अब आवाज मुखर होती सदख रही है. आम जनता के बीच अब प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी की छसव धराशायी हुई है. अगिे िाि सजन पांच राज्यो्के चुनाव होने जा रहे है्उनमे्अिम मे्ही भाजपा की थोड्ी बहुत मौजूदगी है. भाजपा मे् पाट्​्ी के नेताओ् मे् ज्यादा गुस्िा इिसिए भी है सक सबहार चुनाव मे् मोदी और शाह की जोड्ी ने पाट्​्ी के नैसतक, वैचासरक खोखिेपन को उधेड् सदया. िाथ ही पाट्​्ी मे्केद् ्ीय नेताओ्िे िेकर स्थानीय नेताओ् की जो कतार थी उन्हे् ध्वस्​् करने मे् कोई कोरकिर नही् छोड्ी थी. पूरे चुनाव मे् केवि मोदी और शाह छाये थे. पोस्टर, होस्डि्ग या प्​्चार के दूिरे माध्यम केवि यही दोनो् नजर आये. भाजपा के एक िांिद के मुतासबक इन दोनो् नेताओ् को िोकिभा चुनाव, और सफर एकाध प्​्देशो्मे्समिी जीत िे यह मुगािता हो


भाजपा िे िकरष्​्नेताओ्मे्बढ्ता असंतोष : (बाये्से) लालिृष्ष्ण आडिाणी, मुरली मनोहर जोिी, यि​िंत कसन्हा, और िांता िुमार

गया था सक ये देश के िव्ाससधक िोकस्​्पय नेता है्. िोकिभा चुनावो् मे् जीत की दूिरी वजहे् रही्. इनमे् कांग्ेि का नकारापन िबिे ज्यादा िोगो्को िाि रहा था. सबहार नतीजो्पर कांगि ्े नेता और पूव्सके्द्ीय राज्य मंत्ी आरपीएन सिंह कहते है् सक भाजपा ने जो प्​्धानमंत्ी की महानता और िोकस्​्पयता को िे कर सवज्​्ापन पैकेसजंग आम जनता के सिए जो तैयार की है् उि​िे जनता िे ज्यादा मोदी जी को ही प्​्भासवत कर सदया. मोदी को अपनी ऊंचाई िे दूिरे िभी बौने िगने िगे थे. भाजपा सकि एजंडे पर चुनाव िड्रही है, पूरे चुनाव मे् भाजपा काय्सकत्ासओ् या आम जनता को इिका पता नही् चिा. खुद अपनी रैसियो् मे् मोदी या तो िािू-नीतीश पर हमिा करते नजर आये या सफर उनके उठाए िवािो् का जबाब देत.े इि हमिे मे्वे अपनी प्ध् ानमंत्ी पद को भूि गये. चुनाव के दौरान भाजपा की सवचारधारा के र्प मे्केवि िांप्दासयकता का मुद्ा ही गोमांि के र्प मे्िामने आया. पाट्​्ी के स्थानीय और वसरष्​्नेता यह िमझ रहे थे सक बात सबगड्रही है, पर मोदी और शाह के खौफ िे वे चुप्पी िाधे रहे. इिीसिए चुनाव नतीजो्के तत्काि बाद सकिी दूिरे ने नही् बब्लक उनकी पाट्​्ी के वसरष्​्नेता और िांिदो्ने न केवि इन मुद्ो्को िामने रखा बब्लक िीधे प्​्धानमंत्ी पर हमिा करने मे्भी परहेज नही्सकया.

सबहार के बेगूिराय के िांिद भोिा सिंह ने मीसडया के िामने जो कुछ बोिा वह सबहार के ज्यादातर नेताओ् की मन की बात थी. उन्हो्ने कहा सक यह पाट्​्ी की हार नही् बब्लक आत्महत्या है. िीधे प्​्धानमंत्ी पर भारणो् मे् अमय्ाससदत भारा इस्​्मोि करने का आरोप िगाया. प्​्धानमंत्ी ने अपने भारणो्मे्िािू की बेटी मीिा का नाम िेने और सववासदत नीतीश के डीएनए के मुद्े के औसचत्य को िेकर िवासिया सनशान उठाये. भोिा सिंह ने कहा सक चुनाव मे् पाट्​्ी के स्थानीय काय्क स त्ाओ स ्और नेताओ्की उपेक्ा की गयी. हवाई माक्ास नेता आये और प्​्चार सकये. भोिा सिंह यही्नही्र्के यह भी कहा सक जीत का िेहरा िेनापसत का होता है तो हार भी उिी का माथे जाती है. इि बयान िे भाजपा के बड्े नेताओ् के होश उड् गये. भाजपा अध्यक्​् शाह और उनके ि​िाहकारो् के िमझ मे् नही् आ रहा था सक भोिा सिंह के सखिाफ क्या कार्वस ाई की जाये. अभी तक पाट्​्ी िांिद शत्घ्ु न् सिन्हा के बयानो्ने पाट्​्ी को िकते मे्डािा था. पर भोिा सिंह के बयान िे पाट्​्ी अध्यक्​् शाह िमझ चुके थे सक कोई कार्सवाई सबहार इकाई मे् सवस्फोट कर िकती है. बहरहाि भोिा सिंह िे सनपटने की रणनीसत बनती इिके पहिे पाट्​्ी मे् अिंतोर के स्वर एक के बाद एक फूटने िगे. सबहार एक दूिरे वसरष्​् िांिद हुक्मदेव नारायण यादव ने िंघ प्​्मुख भागवत के आरक्​्ण िंबंधी बयान को हार की वजह बता सदया. एक िाि पहिे पाट्​्ी मे्शासमि हुए पूव्स गृह िसचव और िांिद आर के सिंह ने एक बार सफर आपरासधक तत्वो्को सटकट देने का नेतृत्व पर आरोप िगाया. एक बड्ा धमाका सदल्िी मे् पाट्​्ी के चार बुजुग्सनेताओ्के िाझा बयान िे हुआ. िंघ की तरफ िे हािांसक अंसतम मौके तक इि बयान

को रोकने की कोसशश की गयी. िािकृष्ण आडवाणी, मुरिीमनोहर जोशी, यशवंत सिंह और शांता कुमार ने िंघ नेतृत्व िे िीधे िवाि सकया सक क्या वे अभी भी चुप रहे. सहमाचि प्​्देश के मुख्यमंत्ी रह चुके शांता कुमार िांिद है्. पाट्​्ी के माग्सदश्सक मंडि के इन नेताओ् ने अपने िाझा बयान मे्मोदी और शाह का सबना उल्िख े सकये परोक्​्तौर पर उनको ही सजम्मदे ार ठहराया. गौरतिब यह है सक यह बयान सबहार चुनाव की िमीक्​्ा को िे कर पाट्​्ी िंिदीय बोड्स की बैठक के अर्ण जेटिी के मीसडया को सदये

नतीजों के बाद पारं​ंी के वरिषं​ं नेताओं औि सांसदों ने न केवल इन मुदंों को सामने िखा बलंकक पं​ंधानमंतंी पि हमला किने में भी पिहेज नहीं रकया. गये बयान के बाद आया. जेटिी ने पाट्​्ी के हार का सजम्मा मीसडया मे् िाव्सजसनक र्प िे िभी का कहा था. इिमे् मोदी और शाह को बचा सदया गया था. भाजपा के नेताओ् मे् जेटिी के अिावा राजनाथ सिंह,नीसतन गडकरी ने बयान दे कर मोदी, शाह और िंघ के बचाव की कोसशश की. पाट्​्ी प्​्वक्ता शाहनवाज हुिैन ने कहा सबहार के िांिदो्का बयान दुभ्ासग्य पूण्सहै. प्​्धानमंत्ी के नेतृत्व पर िवाि नही्उठाये जा िकते है. श्​्ीकांत शम्ास ने भी पाट्​्ी की तरफ िे बयान सदया ‘ पाट्​्ी िांिद भोिा सिंह के आरोपो् को खासरज करती है. हम पाट्​्ी के िभी नेताओ् िे िंयंम बरतने की अपीि करते है्. ‘ यशवंत सिंहा को छोड् कर माग्स दश्सक मंडि के नेताओ् ने हार के सिए िबको सजम्मेदार बताने को खुद का बचाव करने की रणनीसत बताया. मंडि ने जीत का िेहरा अपने नरे्द्मोदी और अकमत िाह: हार से हैरान

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अावरण कथा

ित्​्ुघ्न कसन्हा: िुर्से नाराज

आर िे कसंह: भ्​्ष्ाचार िा आरोप सिर बांधने वािो्को हार की सजम्मदे ारी िेने की ि​िाह भी दी. इिमे्सबहार चुनाव की सवस्​्ार िे िमीक्​्ा और चुनाव की बागडोर िंभािने वािो् को इि िमीक्​्ा िे दूर रखने की बात भी कही. वसरष्​्नेताओ्ने कहा िाि भर मे्पाट्​्ी िगातार कमजोर हुई है और सदल्िी हार िे कोई िबक नही्सिया गया. भोिा सिंह, शत्​्ुघ्न सिंह, कसरया मुंडा हो या आडवाणी, जोशी जैिे पाट्​्ी के वसरष्​्नेता, िभी ने मोदी, शाह और उनके िमथ्सको् पर िीधे उंगिी उठाई है. इि बार िंघ भी परोक्​्तौर पर फंि गया है. भाजपा मे् यह सकिी िे छुपा नही्है सक मोदी को िंघ का पूरा िमथ्सन समि रहा है. िंघ नेतृत्व यह मान रहा है सक िरकार के नजसरये िे उिके पाि मोदी का कोई सवकल्प नही्है. िंघ की योजनाओ्के अमि मे्मोदी ने अभी तक िकारात्मक नजसरया अपनाया है. भाजपा मे्िंघ के िोगो्की अच्छी िंखय् ा है. 12 िदस्यीय िंिदीय बोड्स मे् राजनाथ सिंह, गडकरी,राममाधव,रामिाि यह िभी िंघ के इशारे पर ही चिते है. इिके अिावा िंघ के दूिरे कई िंगठन है. यसद मोदी का सवरोध होता 8

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मोहन भागित: मोदी िी पीठ पर हाथ

तो न तो बोड्समे्िामूसहक सजम्मदे ारी का फैि​िा िे कर मोदी और शाह को बचाया जाता और न ही िंघ के दज्नस भर िंगठन अभी तक चुप रहते. यह भी माना जा रहा है सक सबहार चुनाव नतीजो् के बाद और िंदन के सिए रवाना होने पहिे सवदेशी पूंजी सनवेश को िेकर मोदी ने जो बड्ा फैि​िा सकया वह िंघ के नेताओ् को सवश्​्ाि मे् िे कर ही सकया गया है. वरना स्वदेशी जागरण मंच, सकिान िंगठन, भारतीय आसदवािी कल्याण िंघ जैिे िंगठनो् िे अभी तक आवाज उठनी शुर् हो जाती. भारतीय मजदूर िंघ हल्का िा सवरोध करने के बाद चुप नही्हो जाता. पर िंघ और भाजपा नेतृत्व यह जानता है सक यह सवरोध िामान्य नही् है. यह सवरोध केवि सबहार चुनाव के नतीजो् को िेकर नही् है. काफी िमय िे भाजपा नेतृत्व के कामकाज और तौर तरीको िे पैदा हो रही नाराजगी का यह नतीजा है. मई 2014 मे्प्ध् ानमंत्ी बनने के बाद नरे्द् मोदी भाजपा के िव्​्ोच्​् नेता बन गये. उन्हो्ने गुजरात के अपने करीबी असमत शाह को पाट्​्ी का अध्यक्​्बनवा सदया. एक झटके मे्पाट्​्ी

के पुराने और दूिरे प्​्भावशािी नेताओ् को हासशए पर सबठा सदया गया. आडवाणी और यशवंत सिंह सजन्हो्ने मोदी को कभी उबारा और आगे बढ्ाया था. इन िब फैि​िो्मे्िंघ ने मोदी को अपना पूरा िमथ्नस सदया. सदल्िी सवधानिभा चुनाव नतीजो्ने यह िंदेश दे सदया था सक मोदी फैक्टरी िारे तामझाम के बावजूद उतार की सदशा मे्है. पर िंघ या तो इिे िमझ नही्पाया या सफर उिके िामने मजबूरी थी. सबहार चुनाव के बाद ऐिे िोगो् के सवद्​्ोह का िामने आना िासजमी है. न केवि पाट्​्ी को खड्ा करने वािे नेता बब्लक िाि भर पहिे पाट्​्ी मे् शासमि हुए नेताओ् ने मोदी के एकासधकार को खुिी चुनौती दी है. सबहार िे िेकर दूिरे सहंदी प्​्देशो् के िांिद इि मुखािफत मे् खुिे र्प िे िामने आ गये है्. इनमे् िंघ िे जुड्े नेता अभी शासमि नही् है. भाजपा के कुछ नेताओ् का मानना है सक जो माहौि बना है वह आिानी िे शांत होने वािा नही्है. देखना यह है सक िंघ अब सकतने िमय तक अपना िहारा मौजूदा नेतृत्व को n देता है.


संवाद और ववश्​्ास की कमी

संघ के पूर्व वरचारक केएन गोवरंदाचार्व से वररेक व्​्िपाठी की बातचीत

रा

ष्​्ीय स्वयं सेवक संघ के पूव्व ववचारक केएन गोववंदाचाय्व वाराणसी मे् पढ्ाई के दौरान वे आरएसएस से सव्​्िय र्प से जुड्े. साल 1974 के जयप्​्काश आंदोलन मे् उनकी मुख्य भूवमका रही. बाद मे् वे भारतीय जनता पार्​्ी के साथ जुड.्े नब्बे के दशक मे वह भारतीय जनता पार्​्ी के मुख्य ववचारक और वदशा वनद्​्ेशक रहे. साल 1988 से 2000 तक भाजपा के राष्​्ीय संगठन मंत्ी रहे. बाद मे्कुछ वववादो्के कारण उनका भाजपा से मोह भंग हो गया. इस समय गोववंदाचाय्व राष्​्ीय स्वावभमान आंदोलन के र्प मे्ग्​्ामीण ववकास के वलए काम कर रहे है्. भाजपा मे् क्या ववरष्​्नेताओ् की उपेक्ा हो रही है ? ववधानसभा चुनाव के बाद ववरष्​्नेताओ्के साझा बयान से लगता है वक पार्​्ी मे्संवाद और ववश्​्ास बढ्ाने की सख्त जर्रत है. ववरष्​्नेता बुझे मन से साझा बयान देने को वववश हुए. राष्​्ीय स्वयंसेवक संघ को इस मसले को सुलझाने के वलए आगे आना चावहए. मौजूदा समय मे्पार्​्ी मे्संवाद की कमी है. आरएसएस को इस मुद्ो् को सुलझाने के वलए क्या करना पड्ेगा ? कोई भी संगठन खासकर ववचारधारा वाली पार्​्ी केवल अनुशासन से नही्, संवाद और ववश्​्ास से ही चलती है. संगठन को अच्छा चलाने के वलए जर्री है वक बड्े छोरो् को स्नेह दे् और छोरे बड्ो् का आदर करे्. इसमे् कमी होती है तो स्वाभाववक तौर पर समस्याएं आती है्, इसवलए जर्री है वक ववरष्​् लोग भी इसका समाधान करे्. राष्​्ीय स्वयं सेवक संघ के लोगो्को पार्​्ी के नेताओ्के साथ बैठकर संवाद करना बहुत जर्री है. क्यो्वक संघ का मानना है वक सत्​्ा मे्लगभग सभी स्वयं सेवक है तो वह उनकी बात जर्र सुनेगे्. संघ पवरवार के बाकी लोगो् का भी यह काम है वक अगर बात अंदर से नही् सुलझ पा रही तो वे दखल दे.् सभी लोगो्को इकट्​्ा बैठाकर समस्या का समाधान करना होगा. के्द् सरकार को जनता वजस उम्मीद से सत्​्ा मे् लायी है. उसे

संगठन को अचंछा चलाने के रलए जरंिी है रक बडंे छोरों को संनेह दें औि छोरे बडंों का आदि किें. इसमें कमी होती है तो संवाभारवक तौि पि समसंयाएं आती हैं.

ध्यान मे् रखते हुए काम करना चावहए. सब वमलकर रहे्, कोई न छूरे, सब वमलकर आगे बढ्े्. यही ध्येय होना चावहये. हार से वहम्मत हारने की जर्रत नही्है. वबहार चुनाव भाजपा वकसकी वजह से हारी ? मै्ने वबहार चुनाव को नजदीक से नही्देखा न मै्मौके पर था इसवलए वरप्पणी करना उवचत नही् है. वबना सो्चे समझे वकसी को वजम्मे्दार बनाना भी ठीक नही्है. एफडीआई का राजनीवत मे्क्या असर पड्ेगा ? खुदरा कारोबार मे् प्​्त्यक्​् ववदेशी वनवेश (एफडीआई) अमीर परस्​् नीवतयो् को बढ्ावा देना है. भारत मे्रोजगार सृजन के वलए इसका उपयोग नही्हो सकता है. एफडीआई से ववदेशी घराने मक्खन ले जायेगे्और छाछ यही्पर छोड् जायेगे्. खुदरा क्​्ेत् मे् ववदेशी वनवेश को मंजूरी देने से यहां के सूक्म, लघु एवं मझोले उद्​्मो्का भी बहुत नुकसान होगा. इस क्​्ेत् की ववकास दर

अभी अच्छी है लेवकन एक बार खुदरा क्​्ेत् मे् ववदेशी कॉरपोरेर घरानो् के आ जाने के बाद इनके वलए अपना अव्​्सत्व बचाये रखना मुश्ककल हो जायेगा. ये बड्ी कॉरपोरेर घरानो्से दी जा रही चुनौवतयो् से वनपरने मे् घरेलू उद्​्ोग परेशान है. इसमे् नौकवरयो् की क्लास वसफ्फ एबीसीडी ही होगी. ए माने अदल्​्ी, बी बैरा, सी चौकीदार, और डी ड्​्ाइवर जैसी ही नौकरीयां वमल जाए तो बड्ी बात होगी. इससे भारतीय उद्​्ोग को तो लाभ नही् वमल पायेगा. हां ववदेवशयो् के लूर-पार का बेहतर महौल जर्र बनेगा. संघ घराने मे्हर क्​्ेत्मे्एफडीआई लागू करने से नाराजगी है क्या? राष्​्ीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के मजदूर संघ और स्वदेशी जागरण मंच इसके अनुषांवगक संगठन है्. संघ को इन्हे् समझाना होगा. हलांवक यह दोनो् संगठन पहले से के्द् सरकार की इस नीवत का खुलकर ववरोध कर चुके है्. अब ऐसे मे् कोई और बयान आता तो जानकारी नही्है. n शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

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अावरण कथा अर्ण कुमार त्​्िपाठी

भा

रत जैिे सवसवधतापूण्स िमाज मे् जहां, धम्स, जासत और पसरवार(सनसहत स्वाथ्स) िपक कर िभी सिद्​्ांतो् पर हावी हो जाते है् वहां सकिी भी पाट्​्ी के सिए आंतसरक िोकतंत् कायम कर पाना कसठन रहा है. कुछ पास्टियां एक दो बयानो् पर ही सनिंबन और सनष्कािन की तैयारी कर िेती है् और कुछ िंगठनो् मे् अगर वह बयान शीर्सनेतृत्व को बचाकर सदया जाता है तो उि पर थोड्े िमय के सिए बहि और चच्ास की छूट दे दी जाती है. इि मायने मे् भारतीय जनता पाट्​्ी दूिरे दिो् सवशेरकर कांग्ेि पाट्​्ी की पसरवारवादी और चाटुकासरता वािी िंस्कृसत िे अिग सदखने के सिए कुछ बहिो्की छूट देती रही है, िेसकन वहां भी एक िीमा िे ज्यादा सवरोध और अिंतोर को नही् िहा जाता रहा है. यही वजह है सक िमयिमय पर कई तेज तर्ासर नेता पाट्​्ी मे् ही दरसकनार सकए गए तो कई सनकािे गए. इनमे् िे कुछ का तो कसरयर ही िमाप्त हो गया तो और कुछ माफी मांग कर और तमाम तरह की पाबंसदयां िगवाकर सकिी प्​्कार पाट्​्ी मे् बचे रहे. ऐिे नेताओ् मे् बिराज मधोक, गोसवंदाचाय्स, कल्याण सिंह, उमा भारती, बंगार् िक्​्मण, िािकृष्ण आडवाणी, जिवंत सिंह, शांताकुमार, बाघेिा, केशुभाई पटेि, शांताकुमार, िंजय जोशी जैिे कई नेताओ् की िंबी फेहसरस्​् है. राष्​्ीय स्वयं िेवक िंघ के राजनीसतक िंगठन के तौर पर 1951 मे्जन्मा भारतीय जनिंघ जब 1977 मे् जनता पाट्​्ी मे् सविीन हुआ तो िगा सक िंघ के इि राजनीसतक िंगठन का अंत हो गया. िभी िोगो् ने हिफनामा सदया सक वे दोहरी िदस्यता मे् सवश्​्ाि नही् करते. िेसकन 1980 मे् जब इिका जन्म भारतीय जनता पाट्​्ी के र्प मे् हुआ तो उिने एक तरफ िंघ िे अपने सरि्ते बहाि सकए और दूिरी तरफ सहंदुत्व िे अिग गांधीवाद िमाजवाद की सवचारधारा अपनाई. पर एक दशक के भीतर ही उिके भीतर ित्​्ा की ऐिी महत्​्वाकांक्ा जगी सक उिने सहंदुत्व के आक्​्ामक स्वर्प को अपनाया और उिे पाट्​्ी के िवण्सआधार के िाथ सपछड्ी जासतयो्यानी मंडि के आधार िे जोड् सदया. भाजपा और सवशेरकर िंघ पसरवार के सिए वैश्ीकरण के इि दौर मे् भारतीयता और सहंदुत्व के मूि सिद्​्ांत को बचाना और पाट्​्ी के भीतर ज्यादा िे ज्यादा सहंदू िमूहो्को जोड्ते हुए उिके आधार को सवस्​्ार देने की चुनौती हमेशा रही है. इिसिए कभी वहां सपछड्े और दसित नेताओ् को उपेक्ा का अहिाि होता रहा तो कभी स्​्सयो् को. कभी वही्िंघ के मूि सिद्​्ांतो्िे िमझौता 10 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

उमा भारती और िल्याण कसंह: एि हद ति पुनि्ाभस

भीतर से कितना लोितंत्

भाजपा का इजतहास बताता है जक पार्​्ी से असंतुष् लोगो् को भले ही जनकाला न जाता हो, उन्हे् कई तरह के उपायो् से इस तरह जकनारे कर जदया जाता है जक उनका राजनीजतक भजवष्य समाप्त हो जाये. होता सदखता रहा तो पाट्​्ी और िंघ के नेताओ् मे्अहम का टकराव. इिी खी्चतान मे्भाजपा के भीतर िोकतंत्का सवकाि हुआ है. िंघ और भाजपा के सवसचत्​् सकस्म के सरि्ते के कारण सजिे सक िािकृष्ण आडवाणी महात्मा गांधी और कांग्ेि के बीच के सरि्ते िे उपमा देते थे और उिी को थोड्ा और सवस्​्ार सदया जाए तो कहा जा िकता है सक यह सरि्ता ब्​्ह्म और जगत का है. सजिमे् कुछ िोग ब्​्ह्म को ित्य मानते है्और कुछ िोग जगत को. आज सबहार चुनाव के बाद भारतीय जनता पाट्​्ी के वसरष्​् नेताओ् की तरफ िे अगर बगावत के िुर िुनाई पड् रहे है् और िंघ व पाट्​्ी की तरफ िे उनकी बात को िुनने और उन पर कोई कार्सवाई न करने का आदेश हुआ है तो इिे आंतसरक िोकतंत् मानकर इिकी तारीफ ही की जानी चासहए. हािांसक इिे कुछ

माक्ि्सवादी आिोचक िोसवयत िंघ की तरह िे पस्जि्ग की िंज्ा देते है्सजिके तहत बूढ्ेनेताओँ को या तो पाट्​्ी िे सनकाि सदया जाता है या उन्हे् दरसकनार करके और शब्कतहीन बनाकर सबठा सदया जाता है. भाजपा ने ऐिे नेताओ्को सठकाने िगाने के सिए माग्सदश्सक मंडि जैिी िंरचना तैयार कर रखी है. िंघ ने अपने राजनीसतक िंगठन मे्नेतृत्व की स्वीकाय्सता के सिए जो दो सिद्​्ांत गढ्रखे है्उनमे्पहिा सिद्​्ांत है िाव्सजसनक जीवन मे् ईमानदारी और दूिरा है सहंदू िमाज की िेवा. हािांसक िमय िमय पर इन सिद्​्ांतो् का एक हसथयार के र्प मे् भी इस्​्ेमाि होता रहा है. जैिे सक हाि मे्िसित गेट और व्यापम घोटािे मे् िारा हल्िा शांत हो गया और िाव्सजसनक जीवन मे् ईमानदारी के िवाि पर सकिी मुख्यमंत्ी या मंत्ी को हटाया नही्गया और न


येकदयुरप्पा और जसंित कसंह: दरकिनार

ही पाट्​्ी ने उन्हे् सकिी तरह सक सहदायत दी. जबसक सजन्ना की तारीफ करने के कारण आडवाणी का पूरा कसरयर ही िमाप्त हो गया. इि​िे िगता है सक सहंदू िमाज की िेवा वािा सिद्​्ांत ज्यादा अहम है. आइए देखे्सक िसहष्णु और िचीिा सदखने वािी भाजपा और उिके सपतृ िंगठन का आंतसरक िोकतंत्सकतना कू्र और सनष्​्ुर रहा है. िबिे पहिे भारतीय जनिंघ के िंस्थापक रहे बिराज मधोक के प्​्िंग को ही िे्. वे िाठ के दशक मे् जनिंघ के बड्े नेता थे िेसकन आज कोई उनका नामिेवा नही् है. दो िाि पहिे उनका नाम और उनके होने की खबर तब आई जब भारतीय जनता पाट्​्ी के प्म् ख ु प्च ् ारक बनाए जाने पर नरे्द्मोदी उनिे आशीव्ासद िेने गए. वरना सदल्िी सवश्​्सवद्​्ािय मे्इसतहाि के प्​्ोफेिर रहे 95 वर्​्ीय बिराज मधोक आज

बंगार्लक्​्मण और बलराज मधोि: किस्मृकत िे गभ्भमे् जनिंघ के गुमनामी बाबा का जीवन जी रहे है्. वे कभी जनिंघ के होनहार नेता थे. बि उनका दोर यही था सक वे पाट्​्ी के ताकतवर नेता अटि सबहारी वाजपेयी, िािकृष्ण आडवाणी और नानाजी देशमुख िे सभड् गए और िंघ िे बनाकर नही् रख पाए. जबसक सवडंबना यह है सक वे अपनी पाट्​्ी की नीसतयो् को कांग्ेि िे अिग पारंपसरक सहंदू सवचारो् और पूंजीवाद के अनुदार सिद्​्ातं ो्के आधार पर खड्ा कर रहे थे. बिराज मधोक 1966 मे् भारतीय जनिंघ के अध्यक्​्थे और 1967 मे्पाट्​्ी ने उन्ही्के नेततृ व् मे्िोकिभा का चुनाव िड्ा और उिे 35 िीटे् प्​्ाप्त हुई्. कहा जाता है सक मधोक अपनी इि िफिता िे अहंकारी हो गए तो दूिरी तरफ यह आरोप है सक उनकी इि कामयाबी को आडवाणी और वाजपेयी पचा नही् िके. वाजपेयी चाहते थे सक जनिंघ इंसदरा गांधी और

कांग्ेि पाट्​्ी की उन नीसतयो् का अनावि्यक सवरोध न करे जो सक उिे िोकस्​्पय बनाती है्. जैिे सक गरीबी हटाओ का नारा, बै्को् का राष्​्ीयकरण या 1971 का युद्जीतने के बहाने नए सकस्म का राष्​्वाद. वाजपेयी यह भी चाहते थे सक पाट्​्ी दूिरे दिो् िे गठबंधन करे तासक उिके प्​्सत चि रहा अस्पृि्यता का भाव खत्म हो. जबसक मधोक इंसदरा गांधी की तारीफ सकए जाने और सिद्​्ांतो् मे् समिावट करते हुए ऐिे सकिी गठबंधन के सवर्द्थे सजिमे्कम्युसनस्ट शासमि हो्. उनके इिी रवैए को देखते हुए 1967 मे् ही िंघ ने उन्हे् हटवाकर दीन दयाि उपाध्याय को जनिंघ का अध्यक्​् बना सदया. मधोक का यह भी कहना था सक कांग्ेि मे्टूट के बाद जो दो िमूह बने है्उनमे्िे एक पटेि के सवचारो् का प्​्सतसनसध है तो दूिरा नेहर् के. जनिंघ को पटेि के सवचारो्का िमथ्सन करने वािे गुट िे तािमेि करना चासहए. वे स्वतंत् पाट्​्ी िे भी तािमेि के पक्​्मे्थे. िेसकन सकिी तरह की हड्ताि वगैरह के सवर्द् थे. जबसक वाजपेयी ने न सिफ्कवेतन बढ्ाने की मांग करने वािी कम्च स ासरयो्की हड्ताि का िमथ्नस सकया बब्लक 1971 की िड्ाई जीतने के बाद इंसदरा गांधी को दुग्ास तक कह डािा. यह िारे मतभेद मधोक पर भारी पड्े. सजन मधोक ने 1948 मे् जम्मू मे्सहंदुओ्को िंगसठत कर पासकस्​्ासनयो् घुिपैसठयो् िे मोच्ास सिया और 1949 मे् प्​्जा पसररद बनाई, दो बार जनिंघ के िांिद रहे उन्हे्1973 मे्िंघ पसरवार ने इि तरह सतरस्कतृ सकया सक वे सफर नही् उठ िके. भिे ही वे आपातकाि मे्जेि मे्रहने के बाद जनता पाट्​्ी मे्शासमि हुए और उिके टूटने के बाद असखि भारतीय जनिंघ का गठन भी सकया. यहां यह देखना सदिचस्प है सक िाठ और ित्​्र के जनिंघ की तरह आज भी भारतीय जनता पाट्​्ी कांग्ेि की ही उदारीकरण की नीसतयो् पर चि रही है और यही कारण है सक अर्ण शौरी जैिे अिंतुि् नेताओ् को कहना पड्रहा है सक कांग्ेि िे गाय सनकाि दीसजए तो भाजपा की नीसतयां तैयार हो जाएंगी. िेसकन िंघ पसरवार ने मधोक िे कुछ कम िेसकन िगभग बराबर की दुग्ससत िािकृष्ण आडवाणी की उि िमय की जब वे अटि सबहारी वाजपेयी बनने की कोसशश मे्पासकस्​्ान के िंस्थापक मोहम्मद अिी सजन्ना की तारीफ कर बैठ.े आडवाणी ने िंभवतः यह िोचकर सक सजि तरह अटि सबहारी वाजपेयी ने अयोध्या, अनुचछ ् दे 370 और िमान नागसरक िंसहता जैिे सववासदत मुद्ो्को छोड्कर उदारता सदखाते हुए शािन सकया उिी तरह वे पासकस्​्ान के प्​्सत एक नरम र्ख अपनाकर भाजपा और उिके बाहर एक उदार नेता के र्प मे् स्वीकृत हो जाएंगे. िेसकन िंघ पसरवार और पाट्​्ी के िोग शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015 11


अावरण कथा

उन पर चढ्बैठे. जून 2005 मे्पासकस्​्ान की छह सदविीय यात्​्ा पर गए आडवाणी ने सजन्ना के मकबरे पर कहा सक बहुत कम िोग होते है् जो इसतहाि बनाते है् और सजन्ना उनमे् िे एक थे. इिके अिावा उन्हो्ने कहा सक वे एक धम्ससनरपेक् राज्य के जबरदस्​् िमथ्सक थे सजिमे्िभी धम्​्ो्के िोग आजादी के िाथ रह िकते है्. उनका यह बयान उनका दुि्मन बन गया. पाट्​्ी के काय्सकत्ास सवश्​् सहंदू पसररद के िोगो् के िाथ उनके चुनाव क्​्ेत् गांधीनगर मे् तारकोि िेकर सनकि पड्े. उनका कहना था सक सजन िड्को् और भवनो् का उद्घाटन आडवाणी ने सकिी है उन पर कासिख पोत दे्गे. उन काय्सकत्ासओँ को सवसहप नेता प्​्वीण तोगस्डया िंचासित कर रहे थे. आडवाणी को िफाई देने नागपुर जाना पड्ा और उन्हो्ने तत्काि अपना इस्​्ीफा िौ्प सदया. हािांसक काफी मान मनौव्वि के बाद उन्हो्ने इस्​्ीफा वापि सिया िेसकन अब वे िंघ की नजरो् िे उतर चुके थे. आसखरकार 31 सदिंबर 2005 को उन्हे् हटाकर राजनाथ सिंह को पाट्​्ी का अध्यक्​् बना सदया गया. उिके बाद आडवाणी ने राष्​्ीय काय्सकासरणी, चुनाव िसमसत और िंिदीय बोड्सके िभी पदो्िे त्यागपत्​्दे सदया. यह वही आडवाणी है्सजन्हो्ने अपनी पूरी छसव दांव पर िगाकर 26 सितंबर 1990 को िोमनाथ िे अयोध्या तक रथयात्​्ा सनकािी और सजिके िारसथ नरे्द् भाई मोदी थे. आडवाणी जब रथ िेकर चिे तो अटि सबहारी वाजपेयी ने सटप्पणी भी की सक रथ अयोध्या नही् िंका की ओर िेकर जाया जाता है. वही आडवाणी 1992 मे्बाबरी मब्सजद सवध्वंि के िाक्​्ी बने और अपनी िंसवधान पािक की छसव नि्​् कराकर कट्​्र सहंदू की श्​्ेणी मे् आ गए. उन्ही्की िस्​्कयता के कारण भाजपा 1984 की दो िोकिभा िीटो्िे बढ्कर 1989 मे्85 और 1991 मे्121 िीटो्तक पहुंची. िेसकन आडवाणी को क्यो् इसतहाि के कूड्ेदान मे् डाि सदया गया इिका उत्​्र नरे्द् मोदी को पाट्​्ी का मुख्य प्​्चारक बनाए जाने के बारे मे् की गई िरंिंघचािक की उि सटप्पणी मे् छुपा है सजिमे् कहा गया था सक---मोदी अकेिे ऐिे व्यब्कत है् सजनकी जड्े् हमेशा िंघ की सवचारधारा मे् रही्. आडवाणी मोदी को मुख्य प्​्चारक और प्​्धानमंत्ी पद का उम्मीदवार बनाए जाने िे नाराज थे िेसकन उनकी बात सकिी ने िुनी ही नही्और जो िोग उनकी उंगिी पकड्कर राजनीसत के सशखर पर पहुंचे थे वे ही उन्हे् बुढ्ापे का वास्​्ा देकर खामोश रहने की निीहत देने िगे. मोदी के कामयाब होने िे पहिे भारतीय जनता पाट्​्ी के भीतर सपछड्ेऔर दसित नेताओ् का एक िीमा िे आगे बढ्ना काफी मुब्िकि 12 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

भरा रहा है. या तो िंघ पसरवार का ब्​्ाह्मणवादी ढांचा उन्हे् आगे बढ्ने नही् देता था या सफर वे अपनी जल्दबाजी मे्कोई न कोई ऐिी भूि कर बैठते थे सक उन्हे्पुनम्ि सू को भव होना पड्ता था. इि बारे मे्कल्याण सिंह का उदाहरण एकदम क्िासिक है. छह सदिंबर 1992 को जब अयोध्या मे् िुप्ीम कोट्स मे् सदए गए हिफनामे को तोड्ते हुए िंघ पसरवार ने बाबरी मब्सजद सगराई तो कल्याण सिंह उत्र् प्द् श े के मुखय् मंत्ी थे. उन्हो्ने िंघ के आदेश पर अपनी िरकार कुब्ासन कर दी. मुख्यमंत्ी पद गंवा सदया. उन्हे् सहंदू ह्दय िम्​्ाट घोसरत सकया गया और िंभावना जताई गई सक जल्दी ही वे भाजपा के अध्यक्​् बने्गे और राष्​्ीय राजनीसत मे् अपना बड् कद बनाएंगे. वे आडवाणी और केएन गोसवंदाचाय्सकी िोशि इंजीसनयसरंग थीसि​ि के प्​्मुख उदाहरण थे. िेसकन अटि सबहारी वाजपेयी िे उनकी बन नही् िकी. उनके और कुिुम राय के िंबंधो् के चिते जब पाट्​्ी की बदनामी बढ्ी तो वाजपेयी ने कोई सटप्पणी कर दी सजि पर कल्याण सिंह भी वाजपेयी के सनजी िंबध ं ो्तक उतर गए. इि​िे पहिे कल्याण सिंह भाजपा की तरफ िे मायावती को मुख्यमंत्ी बनाए जाने के प्​्योग िे भी खफा थे. कल्याण सिंह को 1999 मे्भाजपा छोड्नी पड्ा. भाजपा छोड्कर उन्हो्ने राष्​्ीय क्​्ासं त पाट्​्ी बनाई सजिने 2002 के सवधानिभा चुनाव मे्अपनी सकस्मत आजमाई और धराशाई हो गई. कल्याण सिंह की पाट्​्ी 335 िीटो् पर चुनाव िड्ी िेसकन सिफ्क

3.36 प्स्तशत वोटो्के िाथ उिे कुि जमा चार िीटे् समिी्. भाजपा को भी बारी नुकिान हुआ और उिकी 174 सवधानिभा िीटे् घटकर 88 पर आ गई्. कल्याण सिंह सफर भाजपा मे् िौटे िेसकन 2004 के चुनाव मे् उनका कोई जादू नही्चिा. उन्हे्2007 मे्मुख्यमंत्ी के तौर पर पेश करके चुनाव िड्ा गया िेसकन सवजय बिपा को समिी. 2009 के चुनावो् मे् अशोक प्​्धान को बुिंदशहर िे सटकट सदए जाने को मुद्ा बनाकर कल्याण सिंह ने एक बार सफर पाट्​्ी छोड् दी. वे जाकर मुिायम सिंह िे जुड् गए. िेसकन मुिायम सिंह के सिए भी वे भार बन गए. मुिायम सिंह ने उन्हे् सकनारे सकया और तब कल्याण सिंह ने जनक्​्ांसत पाट्​्ी बना डािी. वे भाजपा के प्​्सत नफरत िे भरे हुए थे. 2012 सवधानिभा चुनाव िे पूव्स जब उनिे पूछा गया सक क्या वे भाजपा मे्जाएंगे तो उनका कहना था सक भाजपा तो एक मरा हुआ िांप है उिे कौन गिे मे् डािेगा. इि दौरान भाजपा नेता उन्हे् मानसिक र्प िे अिंतुसित बताने िगे. आसखरकार 2103 मे् जब तत्कािीन भाजपा अध्यक्​् सनसतन गडकरी ने उन्हे् सफर भाजपा मे् शासमि करवाया तो उनका कहना था सक मेरी आसखरी इच्छा है सक मरने के बाद मेरा शव भाजपा के झंडे मे्जाए. इिी प्​्कार का उदाहरण सपछड्ा वग्स की फायरब्​्ांड नेता उमा भारती का भी है. उमा भारती अयोध्या आंदोिन की अग्​्णी नेताओ्मे् रही है्. अपने भारणो्और जुझार्पन के कारण


भाजपा िी रैली: पराजय से पहले उन्हे् काफी ख्यासत समिी और पाट्​्ी के तमाम शीर्सनेताओ्की सनकटस्थ बन गई्. उमा भारती वाजपेयी िरकार मे् मुरिी मनोहर जोशी की जूसनयर मंत्ी भी रही्. उनके नेतृत्व मे् पाट्​्ी ने मध्य प्द् श े सवधानिभा का चुनाव भी जीता और वे मुख्यमंत्ी बनी्. िेसकन 1994 मे् हुबिी मे् हुए एक दंगे के मामिे मे् उनके सवर्द् वारंट जारी हुआ तो उन्हे् मुख्यमंत्ी पद िे इस्​्ीफा देना पड्ा. इिे उन्हो्ने अपने सखिाफ पाट्​्ी के िवण्स और सदल्िी मे् बैठने वािे कुछ नेताओ् की िासजश के तौर पर सिया. उमा भारती पाट्​्ी मुख्यािय मे्इिेक्ट्ासनक मीसडया के कैमरो्के िामने आडवाणी िे िीधे झगड् गई्. इि व्यवहार के सिए उन्हे् पाट्​्ी िे सनिंसबत सकया गया. कुछ िमय बाद जब उनका सनिंबन वापि हुआ तो वे कहने िगी्सक अब सशवराज सिंह चौहान को हटाकर उन्हे् मध्यप्​्देश का मुख्यमंत्ी बनाया जाए क्यो्सक पाट्​्ी उनकी के नेतृत्व मे् चुनाव जीती थी. इि रवैए पर उन्हे् पाट्​्ी िे सनकाि सदया गया. उन्हो्ने भारतीय जनशब्कत पाट्​्ी बनाई िेसकन 2008 के मध्य प्​्देश सवधानिभा चुनाव मे्उन्हे्सिफ्कछह िीटे् समिी्. बाद मे्2013 मे्वे भाजपा मे्वापि आई् िेसकन उन पर शत्स िगाई गई सक वे अपनी राजनीसत उत्​्र प्​्देश मे्करे्गी और मध्य प्​्देश मे् सशवराज सिंह चौहान को सकिी तरह नही् छे्ड्ेगी यानी उि राज्य मे्हस्​्क्ेप नही्करे्गी. इि तरह की कहानी कभी वाजपेयी िरकार मे् मंत्ी और सफर योजना आयोग के उपाध्यक्​्

व राज्यिभा मे्नेता सवपक्​्रहे जिवंत सिंह की भी रही. सजन्ना पर सकताब सिखकर वे िंघ के धम्सिे भ्​्ि्हो गए. सजन्नाःइंसडया पाट्​्ीशन एंड इंसडपे्डे्ि- सिखने के बाद उन्हे् िंिद की िोकिेखा िसमसत के अध्यक्​्पद और पाट्​्ी िे हटाया गया. आडवाणी उन्हे्पाट्​्ी मे्वापि िाए िेसकन वे 2014 मे्सटकट न समिने के कारण बाड्मेर-जैि​िमेर िे सनद्सिीय चुनाव िड्कर पाट्​्ी के सिए बेगाने हो गए. कभी भाजपा के चाणक्य कहे जाने वािे और आडवाणी के करीबी केएन गोसवंदाचाय्सकी भी शीर्स नेतृत्व के सवर्द् प्​्सतकूि सटप्पणी के कारण दुग्ससत हुई जो आज तक दूर नही्हो िकी है. आसखर कार वे बागी हो चिे है्और देश मे् स्वतंत् क्​्ांसत की र्परेखा बना रहे है्. अटि सबहारी वाजपेयी जब प्​्धानमंत्ी थे तो गोसवंदाचाय्स ने कही् कह सदया सक वाजपेयी तो मुखौटा है् और अि​िी नेता तो आडवाणी है्. वाजपेयी उनके इि बयान को िह नही् िके और उि िमय(2000) भाजपा के महािसचव रहे गोसवंदाचाय्सइि तरह िे सनष्कासित सकए गए सक सफर कभी पाट्​्ी मे्वापि नही्आ पाए. आज वे यही कहते घूमते रहते है् सक मोदी िरकार मूल्यहीन िरकार है. वह ित्​्ा के्स्दत है न सक जनके्स्दत. प्​्खर वकीि और स्पि्​्वादी राम जेठमिानी भी मोदी की आिोचना करके पाट्​्ी िे सनष्कासित है्. उन्हो्ने न सिफ्क एनएजेिी(राष्​्ीय न्यासयक सनयुब्कत आयोग) पर िरकार का सवरोध करके एक गंभीर मतभेद जासहर सकया बब्लक यह भी कहा सक मोदी ने इि देश की जनता को धोखा सदया है. वे सबहार मे् भाजपा के सवर्द्प्​्चार भी करने गए. सहमाचि प्​्देश के पूव्स मुख्यमंत्ी और कांगड्ा िे भाजपा के िांिद शांताकुमार पाट्​्ी की स्वच्छ छसव सक सचंता करके अपनी छसव

भाजपा के चाणकंय कहे जाने वाले केएन गोरवंदाचायंय की भी शीरंय नेतृतंव के रवरंदं पं​ंरतकूल ररपंपणी के कािण दुगंयरत हुई जो आज तक दूि नहीं हो सकी है. गंवा चुके है.् उन्हो्ने व्यापम घोटािे और िसित मोदी कांड के मौके पर असमत शाह को पत्​् सिखकर कहा था सक पाट्​्ी भ्​्ि्ाचार समटाने के नाम पर ित्​्ा मे् आई थी िेसकन जब उिी के िोगो् पर आरोप िग रहा है तो जनता कैिे यकीन करेगी. अपने इि बयान के बाद उनकी तमाम तरह की आिोचनाएं की गई है्. हां कभी भ्​्ि्ाचार के आरोप मे् सघरे और दस्​्कण भारतीय राज्य कन्ासटक मे् भाजपा के

पहिे मुख्यमंत्ी रहे बीएि येसदयुरप्पा सजन्हो्ने आडवाणी के दबाव के चिते पाट्​्ी िे सनकिकर जनपक्​् नामक िंगठन बनाया था आज मोदी जी की कृपा िे सशमोगा िे भाजपा िांिद है्और पाट्​्ी के राष्​्ीय उपाध्यक्​्भी है्. िंभवतः उन्हो्ने िीख सिया है सक भ्​्ि्होते हुए भी अगर आप के शीर्सनेतृत्व िे मधुर िंबंध है् तो आप की राजनीसत को कोई खतरा नही्है्. भाजपा के आंतसरक िोकतंत् और उिमे् आने वािे इि मोड् की कथा िंबी है. उिमे् बंगार्िक्म् ण, केशभु ाई पटेि और बाघेिा जैिे पात्​्ो् का सवस्​्ृत वण्सन यहां भिे न सकया जा िके िेसकन वे िब इि बात के प्​्तीक है् सक पाट्​्ी की जम्हूसरयत के सिद्​्ांत जहां चुनावी कामयाबी िे तय होते है् वही् िंघ के मूि सिद्​्ातं ो्िे भी सनध्ासस रत होते है.् इिीसिए भाजपा के बारे मे्कहा भी जाता है सक िूचना आई और िोचना बंद. यानी नागपुर का आदेश ही िोकतंत्को पसरभासरत करता है. हािांसक िंघ ने जब महात्मा गांधी की हत्या के बाद िगी पाबंदी उठवाने के सिए िरदार पटेि िे आवेदन सकया तो यह हिफनामा सदया था सक वह एक िांस्कृसतक िंगठन है और उिका राजनीसत िे कोई िेना देना नही्है. िेसकन िंघ प्म् ख ु मोहन भागवत स्पि्​्र्प िे स्वीकार करते है्सक िंघ और उिके िंगठनो् ने चुनावो् मे् जनिंघ और भाजपा के सिए काम सकया है. 2014 के चुनाव मे्तो उन्हो्ने िाफ कह सदया था सक—अगर हम यह चुनाव जीते तो भाजपा 25 िाि तक ित्​्ा मे् रह िकती है अगर नही् तो कोई सकतना भी कर िे अगिे िौ िािो्तक उिका उद्​्ार नही् हो िकता. मोहन भागवत ने भाजपा को जो आसखरी मौका सदया था उि पर उिने गोि करके सदखा सदया है. अब उिके िामने अयोध्या मे् राम मंसदर बनाने िे िेकर , अनुचछ ् दे 370 को खत्म करने िमान आचार िंसहता िागू करने और आसखरकार भारत को सहंदू राष्​् घोसरत करने जैिे कई काम है्. क्या यह िब भारतीय िोकतंत्के रहते िंभव है? क्या यह िब भाजपा के आंतसरक िोकतंत्के रहते िंभव है? अगर नही् तो क्या भाजपा के आंतसरक िोकतंत् पर अंकुश िगाने के सिए सहंदू िमाज की िेवा के िक्​्य के बहाने कोई नई िूचना आएगी? हमे् ध्यान रखना होगा सक िंघ पसरवार अभी नल्बे िाि का हुआ है. िंघ के िफितम िरिंघचािक मोहन भागवत जब 2025 मे् पचहत्​्र िाि के होकर सरटायर होने वािे हो्गे तब िंघ िौ िाि का होगा. क्या इि बीच िंघ पसरवार कोई बड्ा कमाि करेगा या भारत सफर अपने सवसवधतापूण्स और बहुबचनीय िोकतांस्तक िमाज िे कोई नया सवकल्प प्स ् त्ु n करेगा और उनकी राह बदि देगा?


आवरण कथा कल्याणी शंकर

कलह की परकथा

क्या भाजपा भी कांग्ेस का रास्​्ा अपना रही है, जहां बचने का तरीका है जक हार की सामूजहक जजम्मेदारी बनती है और जीत का सेहरा शीर्ष नेता के जसर बंधता है?

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जनीसत मे्कुछ ब्सथर नही्होता. भारतीय राजनीसत मे्तो दो पीस्ढयो् का अंतर िदैव और बढ्ता सदखता रहा है. सपछिे सदनो्जब वसरष्​् कांग्ेिी नेता और गांधी पसरवार के पुराने वफादार एमएि फोतेदार की सकताब ‘द सचनार िीव्ि’ आयी, तो यही िगा सक कांग्ेि के पुराने सदग्गज राहुि गांधी मे्प्​्ेरक नेतृत्व की छसव नही्देखते. इिसिए राहुि गांधी की राह मे् कई अगर-मगर है्. जब राजनीसतक सवि्िेरक अपनी इि धारणा को बि दे रहे थे, तो उिी िमय मे्उनकी नजर सबहार सवधानिभा चुनाव पर भी थी, जहां भारतीय जनता पाट्​्ी का राष्​्ीय जनतांस्तक गठबंधन राजद और जद (यू) के महागठबंधन िे टक्​्र िे रहा था. भाजपा का सबहार मे् बहुत कुछ दांव पर िगा हुआ था. यह तो िब जानते थे सक सबहार जीतना सकिी के सिए भी आिान नही्है, िेसकन बुरी सशकस्​्के बारे मे्भी सकिी ने नही्िोचा था? राजनीसतक सवि्िेरको्ने यह जर्र िोचा था सक इि कड्ेमुकाबिे मे्सजिकी हार होगी, उि नेततृ व् पर िवाि उठेग् े ही. नीतीश कुमार-िािू प्​्िाद यादव की िुनामी मे् भाजपा बह गयी. जब उिके वसरष्​्तम नेताओ्ने नेतृत्व पर िवाि उठाये तो भरोिे का िंकट वैिा ही सदखा, जैिा कांग्ेि के अंदर कुछ िमय पहिे सदखा था. अिबत्​्ा सबहार जीतने के बाद महागठबंधन के एक घटक कांगि ्े को बड्ी राहत समि गयी है. िेसकन भाजपा अभी इि हार िे उबरी नही्है. िाफ है, नेततृ व् को भरपाई का रास्​्ा सनकािना होगा, सजिमे्वक्त िग िकता है, क्यो्सक यहां भी दो पीस्ढयां का अंतर िाफ हो चुका है. भाजपा के पाि भरपाई के सिए ज्यादा िमय भी नही्है. अचानक िे िाि 2019 नजदीक सदखने िगा है. इि बीच पाट्​्ी को कई और चुनावी मैदानो्मे्जाना है, जैिे 2017 के शुर्मे्उत्​्र प्​्देश सवधानिभा चुनाव है, जहां पाट्​्ी अपने सिए आशाब्नवत है. ऐिे मे्, िवाि उठता है सक चार वसरष्त् म नेताओ्- आडवाणी, जोशी, शांता कुमार और यशवंत सिन्हा की सिसखत प्​्सतस्​्कया पर अमि करते हुए क्या पाट्​्ी तेजी िे कदम बढ्ाएगी. सबहार मे्समिी हार की वासजब वजह ढूंढ्ेगी और िबिे महत्वपूण्सयह सक इि तरह की गिती दोबारा न हो, क्या इिे िुसनस्​्ित करने की कार्सवाई करेगी? भाजपा के पाि सवकल्प हैः या तो वह आने वािे सवधानिभा चुनावो्को के्द्की ित्​्ा मे्बने रहने का रास्​्ा बनाये या सफर यह कहकर पल्िा झाड्िे सक प्​्देशो्के चुनाव राष्​्ीय पसरदृि्य मे्अिर नही्डािते. प्​्सिद्​्प्​्ेरक िेखक नेपोसियन सहि ने कहा है, ‘जब हार समिती है, तो उिे इि िंकेत के र्प मे्स्वीकारे्सक आपकी योजनाएं िही नही्थी्. उन योजनाओ् को सफर िे बनाये् और सफर िक्​्य की तरफ बढ्े्.’ अभी प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी और भाजपा अध्यक्​् असमत शाह का िारा ध्यान सनवेश और सवकाि, यानी आस्थसक िमृस्द की ओर है. िेसकन इिके अिावा एक और धन है- जनता के भरोिे का धन. मई, 2014 मे्जनता ने अपने भरोिे की यही पूंजी भाजपा को िौ्पी थी. क्या भाजपा यह सदखाना चाहती है सक उिे इि हार का कोई दद्सनही् हुआ? या सफर वह इि दद्सको इिसिए पािे रहना चाहती है सक कुछ नेता परेशान हो् और कोई इि हार की प्​्ायस्​्ित के सिए आगे आये? जब भाजपा िोकस्​्पयता के रथ पर िवार थी, तब उिने मैदान मे्ऐिे िोगो्को उतार सदया, सजन्हो्ने अपनी अनग्सि और सनंदनीय सटप्पसणयो् िे सदल्िी 14 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

चुनाव मे्कड्वाहट बढ्ाई. सदल्िी की जनता की आवाज पाट्​्ी ने अनिुनी की और भाजपा वह अविर गवां बैठी. कुछ ऐिा ही सबहार चुनाव मे्हुआ. जैिा सक भाजपा के प्​्सतद्​्ंद्ी इिे राष्​्ीय हार के बराबर मान रहे है्कहते है् सक भाजपा खत्म हो चुकी है, वैिा नही् है. िेसकन पाट्​्ी को बड्ा झटका जर्र िगा है, पाट्​्ी के अंदर्नी मतभेद उभर आये है्, कसमयां अचानक िे सदखने िगी है्. यहां एक िवाि है सक क्या भाजपा भी कांग्ेि का रास्​्ा अपना रही है, जहां बचने का तरीका है सक हार की िामूसहक सजम्मेदारी बनती है और जीत का िेहरा शीर्सनेता के सिर बंधता है? दूिरो् के अच्छे काम और िही फैि​िो् ने भी भाजपा को हराने का काम सकया है. पहचान की राजनीसत, सबहारी बनाम बाहरी जैिी चीजो्िे ऊपर भी उठे,् तो यह सदखता है सक कागज पर जबद्स स ्जासतगत िमीकरण के बावजूद भाजपा के िहयोगी बुरी तरह सपटे. इिसिए उनके नेतृत्व पर भी िवाि उठता है, िेसकन चूंसक भाजपा का भी जनाधार घटा, इिसिए उनके नेता गठबंधन की मुख्य पाट्​्ी के सखिाफ मुखर होकर बोि रहे है्. इिी तरह के सनण्ासयक त्​्ािसदयो्को पाट्​्ी नही्पहचानती है, तो उिे उत्​्र प्​्देश मे्भी शस्मि्दगी झेिनी पड्िकती है. वैिे उत्र् प्द् श े की राजनीसत सबहार िे कई मायनो्मे्अिग है, िेसकन भाजपा के सिए कुछ ब्सथसतयां िमान हो्गी. जैिे, उत्​्र प्​्देश मे्भी भाजपा को मजबूत क्​्ेत्ीय ताकतो्- िमाजवादी पाट्​्ी और बहुजन िमाज पाट्​्ी िे टकराना होगा. हां, यह काफी हद तक िंभव है सक यहां ये दो क्त्े ्ीय पास्टयि ां एकिाथ नही् आये्गी, जबसक सबहार की दो क्​्ेत्ीय पास्टियां एक िाथ आ गयी थी्. िेसकन इिका मतिब यह नही्सक उत्​्र प्​्देश मे्पाट्​्ी के सिए जीतने जैिी ब्सथसत है, बब्लक उिे दोनो्तरफ िे चुनौती समिेगी. सबहार की तरह ही उत्​्र प्​्देश मे्भी जासत और धम्सकी राजनीसत बड्ी भूसमका सनभा िकती है, इिसिए पाट्​्ी को इिका तोड्ढूंढ्ना होगा. इिमे् भी यह महत्वपूण्सहै सक पाट्​्ी के कुछ नेता अपने जहर बुझे बयानो्के सिए चस्चसत है्, उन्हे्चुप रखना पाट्​्ी की सजम्मेदारी रहेगी, क्यो्सक वैिे बयानो् का हश्​्हम सबहार सवधानिभा चुनाव मे्देख चुके है्. और अंसतम मे्, भाजपा को उन नेताओ् का भरोिा जीतना होगा, जो कई कारणो्िे हाि के महीनो्मे्पाट्​्ी िे नाराज हुए है्. वसरष्​्नेताओ्को िाथ िेकर चिना होगा. क्​्ेत्ीय नेताओ् को िम्मान और राजनीसतक स्थान, दोनो्समिने चासहए. प्​्धानमंत्ी के आक्​्ामक प्​्चार असभयानो्पर िवाि उठाना िही नही्होगा, क्यो्सक यह करना प्​्धानमंत्ी की मजबूरी है. दरअि​ि, पाट्​्ी ने क्​्ेत्ीय नेताओ्को बढ्ाने के सिए अभी तक ज्यादा कुछ नही्सकया है. अब जबसक मतभेद उभर आये है्, तो वसरष्​्तम नेताओ् के िवािो् का मय्ाससदत जवाब देना पाट्​्ी का कत्सव्य है, न सक अिग-अिग मंचो्िे इि मुद्ेपर वैिी सटप्पसणयां हो्, जो टि िकती थी्. मै्सफर दोहराना चाहूगं ी सक राजनीसत मे्कुछ ब्सथर नही्होता, इिसिए अच्छा होगा सक पाट्​्ी अपनी हाि-सफिहाि की गिसतयो्िे िबक िे, न सक उिके नेता एक-दूिरे पर n आरोप-प्​्त्यारोप शुर्करे्. (िेसखका जानी-मानी राजनीसतक सवि्िेरक है्. आिेख श्​्ुसत समत्​्ि िे बातचीत पर आधािरत)



देशकाल

अरतवंद मोहन

सतयो गंवइनी, इजसतयो गंवइनी, चुनावो न सजतनी ए मोदीजी’. िोक गसयका मंती मौय्ास के चुनाव बाद आये एल्बम की अभी सबहार मे् धूम है. जासहर तौर पर चुनाव के बाद सिखे और िंगीतबद्​् इि गीत मे् मोदी के हार का सवि्िेरण है. इिमे् हल्का तंज भी है. इिमे् मोदी-असमत शाह की रणनीसत को जबाब भी सदया गया है. यह सवि्िेरण कई धुरंधर राजनैसतक पंसडतो्िे बेहतर है. वजह यह है सक इिमे्स्वाथ्सका तत्व कम िे कम है. एक आम सबहारी िडकी या मसहिा का वह आक्​्ोश भी झिकता है सजि​िे उि जैिी मसहिाओ् िमेत आम सबहारी मतदाताओ् ने न सिफ्क भाजपा को हराया बब्लक चुनाव जीतने के उिके िारे हथकंडो्का जबाब दे सदया. सबहार ने चुनाव नही् जीता है, नरे्द्मोदी और असमत शाह को जबाब सदया है. अब आगे िे भाजपा न सिफ्क अपनी चुनाव रणनीसत बदिेगी बब्लक सकिी भी राज्य

या इिाके मे्जाने के पहिे अपनी ित्​्ा के गुर्र मे् वहां के िोगो् के स्वासभमान को चोट नही् पहुंचाएगी. उि सबहार ने यह काम सकया है जो आज भी िमृस्द और सवकाि के हर मौजूद पैमाने पर िबिे कमजोर और पीछे आता है. िारा चुनावी मैनेजमे्ट पढ्-जानकर, 1.65 िाख करोड् का पैकेज चुनाव पूव्स देकर, िारे िाधन झो्ककर और करीब छह िाख बाहरी काय्सकत्ासओ् को सबहार मे्महीनो्रखकर भी मोदी-शाह की टोिी अगर सबहार मे्तीिरे नंबर रही और अब अपने नेतृत्व तक को िंकट मे्डाि गयी है तो िाफ है सक उिे सबहार और सबहारी िमाज िमझ मे् ही नही्आया. चापिूिी कसहए या खौफ इि जोड्ी के नीचे आने वािे सबहारी नेताओ् की फौज भी उिे िही बात बताने की सहम्मत न कर पायी. ित्​्ा मे् छोटे िाभ पाने के िोभ मे् पाट्​्ी और नेतृत्व का ये नेता बड्ा नुकिान करा गये. भोिा प्​्िाद सिंह की तरह बीमार और चुनाव िे दूर रहा सबहारी नेता अगर मोगी की ‘अमय्ाससदत’

भारा’ को हार का कारण बता िकता है तो राधामोहन सिंह, सगसरराज सिंह, राजीव र्डी, रसवशंकर प्​्िाद, िुशीि मोदी यह बात पहिे क्यो् नही् कह िकते थे. अब तो मोदी-शाह को सिखाने-पढ्ाने के सिए भाजपा और िंघ पसरवार के अपने ही काफी िारे (सवक्​्ुल्ध) िोग िामने आ गये है्. पर पहिा और सनण्ासयक पाठ तो सबहार ने ही पढ्ाया है. यह काम अगड्ा बनाम सपछड्ा के बंटवारे िे हुआ, िंघ प्​्मुख मोहन भागवत के बयान िे हुआ. मोदी-असमत शाह की काय्सशैिी िे हुआ और िािू-नीतीश के िाथ िे हुआ. ओवैिीमुिायम-पप्पू यादव-जीतन मांझी जैिे ‘तुर्प’ के पत्​्ो् के जोकर िासबत हो जाने िे हुआ. मसहिाओ्-नौजवानो् की ज्यादा वोसटंग िे हुआ जैिी िारी व्याख्याओ् का अपना महत्व है और रहेगा. पर सबहार का चुनाव इिसिए ऐिा जबरदस्​्जबाब दे िका क्यो्सक वह सबहार का चुनाव था.उि सबहार का जो ज्​्ान और िंघर्सकी हजारो् िाि की जीवंत परंपरा वािा सबहार है.

क्यो्कि कबहार है िुछ ख्ास

पहले गणराज्य की स्थापना से लेकर हाल ही मे् भाजपा को मात देने तक जबहार का इजतहास ऐसी कई घरनाओ् से भरपूर है जजन्हो्ने इजतहास को बदलने और नया मोड़् देने मे् जवलक्​्ण भूजमका जनभायी है.

(ऊपर) कलच्छिी गणराज्य िा एि कसक्​्ा (नीचे) िैिाली मे्अिोि​िालीन अि​िेष: इकतहास िा ित्भमान

16 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

जहां महावीर और बुद्िे िेकर गांधी-िोसहयाजयप्​्काश तक अपना िबिे िफि प्​्योग कर पाये, जहां वाम आंदोिन ने िबिे िंबा िंघर्स चिाया जो आज भी अदिे-बदिे र्प मे्जीसवत है. जहां के ज्​्ान की धूम जब िारी दुसनया मे् पहुंची तभी भारत इसतहाि चक्​् मे् िबिे ऊंची जगह हासि​ि कर पाया था. जहां अशोक,चंदग् पु त् िे िेकर शेरशाह तक और कप्सूरी िे िेकर नीतीश कुमार तक अच्छे और िोकस्​्पय शािको् की परंपरा रही है. जहां आज भी समसथिा के गांव न्याय िमेत सहंदस ु ्ानी दश्नस की धारा को िैकडो् िाि िे चिाते आ रहे है्. जहां िे शंकराचाय्सभी सबना चुनौती और एक हार के सबना आगे नही्बढ् पाये. अगर आप ज्​्ान और िंघर्सकी इि परंपरा को भूि जायेग् े तो आपको इि चुनावी जवाब का ही नही् बहुत बातो् का मतिब ही िमझ नही्


आयेगा. आपको यह बात रहस्य ही िगेगी सक िबिे कम िाक्​्रता और प्​्सत व्यब्कत िबिे कम आय वािा प्द् श े होकर भी सबहार मे्िबिे ज्यादा पत्​्-पस्​्तकाएं क्यो्पढ्ी जाती है्. सबहार मे्िबिे ज्यादा राजनैसतक चेतना क्यो्है. सफर आपको हर प्​्सतयोसगता परीक्​्ा मे्सबहारी िड्को्के अनुपात िे ज्यादा िफिता भी िमझ मे्आयेगी, क्यो्सक सबहार मे् उच्​् सशक्​्ा की हाित अभी भी बहुत खराब है. सबहारी िोग आस्थसक र्प िे कमजोर होने के चिते ज्यादा खच्सकरके बच्​्ो्को पढ्ा नही्िकते. तब भी आप पाये्गे सक पेट काटकर बच्​्ो्को पढ्ाने मे्सबहारी मां-बाप सकिी िे पीछे नही्है. अभी भी सबहारी िमाज ज्यादा पैिे कमाने और िमृस्द को शक की सनगाह िे और ‘बहुत सवद्​्ान’ सशक्​्क और अपने िमाज के िामान्य व्यब्कत को भी आदर की दृस्ि िे देखता है. स्व सकशन पटनायक कहा करते थे सक ज्​्ान और सवद्त् ा के आदर का िंसक ् ार ही सबहार को सहंिक होने िे रोकता है, वरना आस्थसक और राजनैसतक ब्सथसतयां तो सहंिा के सिए उकिाती ही है्. सबहार मे् िंघर्स की परंपरा भी छोटी नही् है.पर वह न तो ज्यादा सहंिक रही है न ज्यादा भौसतक िंिाधनो् की िूट वािी. अगर चाणक्य ने महापद्​्नंद के हाथो्अपमान का बदिा अपने सशष्य चंद्गुप्त मौय्स के हाथो् सिया तो कसिंग युद्मे्ज्यादा खून खराबा होने के बाद उिी के पौत्​् अशोक ने ऐिा कारनामा सकया सजिकी समिाि दुसनया मे् नही् है. 1857 मे् बाबू कुंअर सिंह और पीर अिी की िड्ाई की िजा अंगरेजो्

जयप्​्िाि नारायण: कसंहासन खाली िरो कि जनता आती है व्यापार िे अपना खजाना भरे रहता था. इिकी ने सबहार को दी तो अंगरेजी हुकुमत खत्म करने जमीन की उव्सरता और नसदयो्के पानी के िाथ की िड्ाई शुर् करने का उपयुक्त स्थान गांधी िूरज की मौजूदगी ऐिी रही है सक इिे कभी को चंपारण ही िगा. सफर वही कांग्ेिी िरकार दूिरो् के आगे हाथ पिारने की कौन कहे आगे सनरंकुश होने िगी तो जयप्​्काश नारायण और के सिए बचा कर रखने की जर्रत नही्रही. यह राज्य के नौजवान दूिरी आजादी की िड्ाई के सिफ्कहैरानी की बात नही्एक वास्स्वकता है सक िाथ जुटे. इिी आंदोिन िे सनकिे िािू प्​्िाद अभी हाि मे्िहारा, िुिभ वगैरह के उभरने के ने देश मे् िांप्दासयक आग फैिा रहे भाजपाई पहिे सबहार िमेत िारे गंगा पार क्​्ेत् िे कोई नेता िाि कृषण ् आडवाणी का नकिी रथ रोकने करोड्पसत-अरबपसत नजर नही्आता. िोगो्को का काम सकया. सबहार ही िमाजवादी, बचाकर रखने की जर्रत न थी क्यो्सक हर िाि िाम्यवादी आंदोिन की असहंिक िड्ाई का पैदावार का भरोिा था. एक फि​ि गयी भी तो िबिे बड्ा सठकाना रहा है. आज के ग्​्ामीण और दूिरी भी पय्ासप्त हो जाती थी. जनिंख्या सवज्​्ान सपछड्ेसबहार मे्िंघर्सका जो जज्बा सदखता है, की बुसनयादी िमझ रखने वािा भी जानता है सक वह िीधे-िीधे इन्ही्आंदोिनो्की देन है. आबादी के घनत्व और जमीन की उव्सरता का यह िही है सक सबहार मे् ज्​्ान और िंघर्स िीधा सरि्ता होता है. आज अगर सबहार मे् (सजिमे्वैचासरक मत सभन्नता और टकराव का आबादी का घनत्व देश के औित िे पांच गुना है भी पय्ासप्त बड्ा सहस्िा है) की काफी िंबी और तो इिका िीधा िा मतिब है सक यहां की जमीन स्थासपत परंपरा रही है. पर उिकी िमृस्द और पांच गुना उपजाऊ है. स्वायत्​्ा का भी कोई छोटा और खराब इसतहाि अपनी िमझ िे भाजपा के िोगो्ने इि बार नही्रहा है. यह काम 1857 मे्अंगरेजी हूकुमत बहुत चािासकयां की्. अपने िहयोसगयो्को िाथ के सवरोध मे्उठ खड्ेहोने िे हुआ. सफर िजा के रखने के िाथ बाजाप्ता तीिरा मोच्ास बनवाने मे् तौर पर अंगरेजी राज ने सबहार को ऊपर उठने ही िस्​्कयता सदखायी. िक्ण ् ो्पर जाये्तो िगेगा सक नही् सदया. आजाद भारत की िरकारे् भी वही इिमे् िाधनो् िे मदद भी की. उधर वाम दि नीसतयां चिाती रही् और सबहार एक आंतसरक अिग िड्ने की राह पर रहे और उन्हे्समिा चार उपसनवेश जैिा बनकर रह गया. जो कभी खसनज फीिद वोट मोटे तौर पर भाजपा सवरोधी ही था. और कृसर उत्पाद देता था, आज बाजार और श्​्म भाजपा ने सबहार को जासतवाद का अखाड्ा िमझ का आपूस्तसकत्ास बन कर रह गया है. इसतहाि के सकिी दौर मे्सबहार दसरद्​्नही्रहा है. यह नमक खूब पहिवानी की. िैकड्ो्की िंखय् ा मे्जासतयो् और मेवो्के अिावा बाहर िे कुछ भी नही्िेता के िम्मेिन हुए. सदनकर जी को भूसमहार तो था जबसक शोरा, बंदूक, कपड्ा और रेशम के िम्​्ाट चंद्गुप्त को कुशवाहा बनाया गया. प्​्धान


देशकाल

मंत्ी खुद तीन जासतयो्िे अपना जुड्ाव सदखाते रहे. चाय के पेशे मे् ज्यादा िंख्या रखने वािे चंद्वंशी भी उन्हे् अपनी सबरादरी का बताएं यह प्​्याि हुआ. यादव वोट बांटने, मुि​िमान वोट मे् सबखराव करने, और तीिरे दौर िे स्थानीय असत सपछड्ा और दसित नेताओ्को ज्यादा भाव देने जैिे जासतवाद के उदाहरण भरे है्. पर वहां भी यह छुपा नही्रह िका सक उनकी पक्​्धरता कहां थी. सबहार िे बडी िंख्या मे् मजदूर बाहर गये है्. गुजरात जाने वािो् को पेड-िीव पर सबहार भेजा गया तो गुजराती कपड्ा व्यापासरयो् ने मोदी की तस्वीर वािी पैसकंग मे्िास्डयां भेजी्. प्​्भात झा जैिे नेता के सजम्मे पंजाब गये मजदूरो् को उनके सठकानो् पर जाकर ही एकजुट करने और िमझाने का सजम्मा था. पर शायद वे अि​िी सबहार को नही्िमझ िके. एक िंभासवत कारण सपछड्े सबहार के इसतहाि के िाथ अपनी बनावट भी है. वहां अभी भी मात्​्11 फीिद शहरीकरण है. इिके भी एक बहुत छोटे सहस्िे को छोड्दे्तो ज्यादातर शहरी सबहासरयो् के सिए उनका शहरी आवाि उनका ‘डेरा’ ही है. गांव िे अनाज, भाजी, दूध-घी, आम-अमर्द का ही नही् हर पव्स-त्यौहार और िामासजक आयोजन मे् भागीदारी का सरि्ता है. भाजपा शायद सबहार के डीएनए को भी नही् िमझ िकी जो अभी भी काफी हद तक शहरी मूल्य बोध और कॉरपोरेट िंस्कृसत िे मुक्त है. सदल्िी, महाराष्​्, कन्ासटक, पंजाब और दूिरे राज्यो् के चुनाव मे् सजि तरह िे िरकार, कॉरपोरेट व सिसवि िोिायटी की जुगिबंदी सदखाई देती रही है, उनका अिर सबहार चुनावो् मे् नही् सदखा. यहां जो कुछ है िरकार है और हजारो्िाि पुरानी जासतयां, स्वस्थ परंपरा और िंस्कार है्. उिी के सिए िड्ाई थी और उिी का िहयोग तो सदखा िेसकन सिसवि िोिाइटी और 18 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

आडिाणी िी यात्​्ा: कबहार ने रोिा रथ कॉरपोरेट का अिर नही्सदखा. मोदी और उनकी मंडिी के सिए यह शायद नया अनुभव रहा. सजि तरह उन्हो्ने और असमत शाह ने कभी सबहार की गरीबी तो कभी डीएनए का मि​िा छेड्कर जाने-अनजाने सबहारी िोगो् को आहत करके चुनावी हवा अपने सखिाफ कर िी, वैिे ही पैि,े िंिाधन और िोशि मीसडया पर भरोिा करके भी अपना नुकिान कर सिया. िाधन और मैनज े मेट् िे अमेसरका का चुनाव जीता जा िकता है सबहार जैिे पारंपसरक और एक िाफ मूलय् बोध जीने वािे िमाज मे् नही्. उिके सिए तो प्​्धानमंत्ी का इतनी बार जाना और हल्की बाते् करना ‘अमय्ाससदत’ आचरण ही है जो बात अब उिके एक िांिद ने कही भी है. इि मामिे मे् रणनीसत बदिने या कोि्स करेक्शन करने की जगह वे मीसडया पर सवरोसधयो्के एजंडे िे काम करने का आरोप िगा रहे थे. अब मीसडया मैनेजमे्ट की िीमा भी िामने आ गयी. चुनाव के मतिब और बड्ेहै्.वे सकिी एक सपछड्ेराज्य भर के नतीजे नही्है.् िचमुच सबहार के चुनाव को राष्​्ीय स्र् पर िे जाना ही भाजपा के रणनीसतकारो् की भूि थी. सबहार की राजनैसतक चेतना आगे की सदशा सदखाती है यह बात भी उनके जेहन मे् न थी िो सपछिे िोक िभा चुनाव मे्अकेिे दम पर भाजपा को बहुमत मे्िाने और दो दशक िे असधक िमय िे जड्े जमाकर बैठी गठबंधन और राज्यो्की प्​्मुखता की राजनीसत को सकनारे करने वािे नरेद् ्मोदी ने जब िरकार और िामूसहक नेतृत्व मे् भरोिा करने वािी भाजपा को अपने और सिफ्क अपने नेतृत्व मे् चिाने का फैि​िा सकया तो उनको बहुत कम सवरोध का िामना करना पडा. अपने दम पर भाजपा को ित्​्मे्िा देने की सविक्​्ण उपिब्लध के चिते अगर राष्​्ीय स्वयंिवे क िंघ ने भी आगे बढ्कर उनके हर काम को िमथ्सन

सदया तो यह तब सकिी को अजीब नही् िगा क्यो्सक पहिी बार कोई पुराना स्वंयिेवक अपने बि पर सदल्िी की गद्​्ी पर बैठ रहा था. स्वदेशी को बढ्ाने का दावा करने वािा िंघ मोदी की कॉरपोरेट पूंजीवादी नीसतयो्पर भी सबछा जा रहा था. मनरेगा िमेत िामासजक िुरक्​्ा की िारी नीसतयो्का बजट आधा हुआ तब भी सिफ्कमेनका जैिे एकाध िोग ही बोिे. िंघ के काय्क स त्ास मोदी की िभाओ्के सिए हाफ पै्ट पहनकर यातायात िंचासित करने िे िेकर हर काम करने को तैयार थे. िो अब सबहार चुनाव के नतीजे आने के बाद अगर भाजपा बनाम िंघ की राजनीसत, गठबंधन की राजनीसत, राज्योँ की राजनीसत, िामासजक ध्​्ुवीकरण की राजनीसत, भाजपा मे् आंतसरक िोकतंत् िौटाने की मांग, िंघ प्​्मुख का अचानक सदल्िी मे् िस्​्कय होने जैिी चीजे् सदखाई देती है्तो हैरान होने की जर्रत नही्है. यह िही है सक िािू और नीतीश, उनके रणनीसतकार प्​्शांत सकशोर और एक हद तक कांग्ेिी राजकुमार ( सजन्हे् अब िौ-िौ-और चिीि का फाम्सूिा देने और सटकट का अंसतम फैि​िा करने का हक िािू-नीतीश को िौ्पने का श्​्ेय सदया जाने िगा है) इि जीत के नायक है्. पर उि​िे भी बड्ी बात यह है सक यह काम बहुिंख्यक सबहासरयो् ने सकया है, गरीबीअसशक्​्ा-बाड-िुखाड् झेिने वािे सबहासरयो् ने सकया है. अब आने वािे चुनावो् मे् भाजपा सवरोधी दिो्पर सबहार का अनुिरण करने और आगे िे सकिी के पप्पू-मांझी-ओवैिी न बनने का दबाव रहेगा. अच्छे भिे मुख्यमंत्ी का पद छोड्कर भाजपा की तरफ आए जीतन राम मांझी अगर अकेिे सवधायक भर बन पाये तो आगे िे भाजपा के भरोिे अपनी नैया कौन जोसखम मे् डािेगा. ओवैिी, पप्पू यादव और मुिायम सिंह यादव ने अपनी राजनैसतक प्​्सतष्​्ा गंवाकर क्या हासि​ि सकया यह तो वही बताएंगे पर आगे िे िोग भाजपा या शािक जमात की कठपुतिी बनने िे बचे्गे. ये बाते् िामने न भी सदखे् पर भाजपा के अंदर घमािान तो होगा ही. अिम, पस्​्िम बंगाि, पंजाब, तसमिनाडु सवधान िभा चुनावो् पर इिका अिर होगा जहां दो िाि के अंदर चुनाव होने है्. भाजपा शत्​्ुघ्न सिन्हा, राजकुमार सिंह और भोिा प्​्िाद सिंह जैिो् को िजा देने की सहम्मत सदखाए न सदखाए मोदी और असमत शाह सवरोधी आवाजे्प्ब् ि होती जायेग् ी. कौन िे प्स ् ्ाव पाि हो्गे या नही्, कांगि ्े को कैिे जीवन दान समिेगा, िािू प्​्िाद वनवाि िे िौटकर क्या करते है्और हाि-सफिहाि इिी सबहार का सजम्मा एक बार और िंभािने वािे नीतीश कुमार अपने सबहार के सिए क्या करते है्, अब दुसनया की नजर इि रहेगी. पर सबहार ने िासबत सकया सक उिमे्कुछ खाि है. n


अस्समता वत्तिका नंदा

उम्मीद की मलाला

पंदह् साल की उम्​् मे् मलाला फंड की स्थापना कर चुकी मलाला पूरी दुजनया मे् बच्​्ो् की जशक्​्ा के अजधकार को लेकर सज्​्िय है्, लेजकन उन्हे् अपने देश मे् वह तवज्​्ो नही् जमली जजसकी वे हकदार है्.

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र िे पांव तक ढकी हुई, नपे-तुिे अंदाज्मे्बोिने वािी एक बेहद सहम्मती युवती इि दुसनया मे् सशक्​्ा की अिख जिाने सनकिी है. तमाम सवरोधो् के बीच दुसनया का एक बड्ा सहस्िा उिकी आवाज् को स्वीकार कर रहा है. ऊज्ास िे िबरेज् यह युवती मिािा युिुफजई है. सजिका एक पसरचय यह है सक वह िबिे कम उम्​् की नोबेि पुरस्कार सवजेता है. पर इि​िे कही बड्ा पसरचय उनके सशक्​्ा िे जुड्ेकाम है्. दीवािी और पटाखो् के शोर के बीच खबर आयी सक बस्मि्घम सवश्​्सवद्​्ािय ने 30 नवंबर को मिािा पर बनाये गये एक सवशेर पोट्​्ेट को िोकास्पसत करेगा. इिे जाने-माने पासकस्​्ानी किाकार नासिर आजम ने बनाया है. इतनी कम उम्​् मे् मिािा की उपिब्लधयां प्​्ेसरत और प्​्ोत्िासहत करती्है्. ऐिे मे्एक िवाि भी मन मे्पैदा होता है सक भारत मे् सशक्​्ा को िेकर ऐिी बड्ी अिख जगाने मे्क्या कमी रही है. पंद्ह िाि की उम्​्मे्मिािा फंड की स्थापना कर चुकी मिािा पूरी दुसनया मे् बच्​्ो् की सशक्​्ा के असधकार को िेकर िस्​्कय है्. पर यह भी खाि है सक उिे खुद अपने देश मे् आज तक वह तवज्​्ो नही् समिी. सजिकी वह हकदार है्. िाि 2012 मे् तासिबान के हमिे के बाद िे मिािा इंग्िै्ड मे् है्. हाि मे् सदये गये एक इंटरव्यू मे् मिािा ने अपनी राजनीसतक इच्छा खुिकर जासहर की. इिमे्वे अपने देश के आवाम की भिाई के सिए पासकस्​्ान का प्​्धानमंत्ी बनने िे गुरेज्नही्करने की बात कही. बेशक मिािा के इन शल्दो् को इंग्िै्ड या पासकस्​्ान ही नही्, बब्लक भारत मे्भी बहुत गौर और गंभीरता िे िुना गया था. मिािा उम्मीद जगाती है्. ऐिी ही उम्मीद की जर्रत भारत को भी है. आजादी के िमय भारत की 86 फीिद आबादी सनरक्​्र थी. बीते िािो्मे्सशक्​्ा को िेकर भारत ने कई िोपान तय कर सिये है.् िाक्र् भारत इि देश की बड्ी उम्मीदो्को िाकार करने की कोसशश मे् है. आज देश मे् चार िौ िे ज्यादा सवश्स्वद्​्ािय और 20 हजार िे ज्यादा कॉिेज है्. पर दुसनया के 200 टॉप सवश्​्सवद्​्ाियो् मे् देश के एक या दो ही िंस्थान आ पाते है्. देश का मानव िंिाधन मंत्ािय अपने स्​्र पर सशक्​्ा को िेकर कई असभयान चिाता रहा है. पर िरकारो् के पाि यह जानने की फुिसत् नही्रहती सक उनके असभयान अि​ि मे्सकतने कारगर है्और कमी कहां पर है. आओ, स्कूि चिे्हम, स्वच्छ भारत, स्वच्छ सवद्​्ािय तक के तमाम असभयानो् के बीच देश मे् सशक्​्ा के ब्​्ांड एंबेिडर अब तक सदखायी नही् पड्े है् जो सशक्​्ा को िेकर एक दमदार आवाज बन िके्. अब जबसक मिािा को भारत और पासकस्​्ान के बीच शांसत वात्ास को िेकर एक दूत बनाने की बात की जा चुकी है, भारत का ध्यान अब भी इि तरफ नही्गया

है. भारत को पूरी तरह िे िाक्​्र बनाने के सिए मिािा जैिी ताकत और जीसजसवरा की भी जर्रत है. िरकारो्की अपनी िीमाएं होती है्. मंत्ािय और िरकार इमारते्खड्ी कर िकते है,् िंिाधन जुटा िकते है.् पर सशक्​्ा को िेकर मानसिक जागर्कता को स्थायी तौर पर स्थासपत करना अकेिे िरकार के बूते का हो ही नही् िकता. मिािा भी अपने पांव पर सकिी िरकारी प्​्ोत्िाहन िे नही्बब्लक अपने पसरवार के िमथ्नस और अपनी खुद की इच्छा िे खड्ी हो िकी है्. इि बार भी बाि सदवि चुटकी भर औपचासरकता के िाथ गुजर गया. िगता है अभी भारत को यह िमझने मे्कुछ और िमय िगेगा सक समड डे मीि और करोड्ो् के बजट के बावजूद अगर गांवो् तक पूण्स िाक्​्रता के िपने को िाकार नही्सकया जा िका है. तो कही्न कही्कोई कमी तो है ही. भारत मे्45 फीिदी िड्सकयो्की शादी 18 िाि िे कम उम्​्मे्कर दी जाती है. 63.3 फीिदी िड्सकयां अपनी पढ्ाई कभी पूरी नही्कर पाती्. आंकड्ो्की िंबी फेहसरस्​्के बावजूद हम उम्मीद करते है्सक इि देश का भसवष्य िुरस्​्कत होगा. यहां मिािा का एक बयान गौर करने िायक है. उिने एक िाक्​्ात्कार मे् कहा सक जब मै् अमरीका के राष्​्पसत बराक ओबामा िे समिी तो मैने्कहा सक अफगासनस्​्ान मे्बंदूक और बम भेजने के बजाय आप कॉपी, किम और सशक्​्क क्यो् नही् भेजते. मैने् उनिे कहा सक दहशतगद्​्ी िे िड्ने का यही िबिे कागगर तरीका है. एक ऐिे दौर मे्, जबसक दुसनया मे् करीब 18 करोड् बाि श्​्समक है् और करीब 3 िाख बाि िैसनक-मिािा और कैिाश ित्याथ्​्ी उन िबके हको् की बात कर रहे है्सजन पर राजनीसत तो खूब हुई पर हकीकत उि​िे परे रही. िाि 1947 के बाद आजाद भारत ने सजन बुसनयादी मुद्ो्को अपने के्द्मे्रखा, उनमे् बच्​्े नही् थे. यह बात अिग है सक भारत के पहिे प्​्धानमंत्ी जवाहर िाि नेहर् हमेशा ही बच्​्ो् के स्​्पय रहे. बाि सदवि उन्ही् की वजह िे वजूद मे् आया, िेसकन इिके बावजूद इि देश का बचपन कभी भी खुशहाि हो न िका. मलाला िा व्यक्कतकचत्​् दरअि​ि हमारी व्यवस्था के मूि ढांचे मे्बच्​्ो्की िमस्याओ्को कभी भी गंभीर बहि िे जोड्ा नही्गया. चूंसक बच्​्ा अपने हर फैि​िे के सिए बड्ो् पर सनभ्सर रहता है, इिसिए अक्िर िुधार की चच्ास भी बड्ो्की िुसवधाओ्के अनुिार ढाि दी जाती है्. बच्​्ो् के नाम पर जो योजनाएं बनती है्, उनका प्​्चार और प्​्िार भी बड्ेशहरो् की चारदीवारी मे्सिमट कर रह जाता है. इिके अिावा बनाई जाने वािी योजनाओ्पर पैनी नजर भी नही्रखी जाती. इन हािात मे्जब तक सशक्​्ा की पहुंच हर आंगन तक नही् हो जाती तब तक अच्छे सदनो् की उम्मीद n बेमानी होगी. शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015 19


मास् ववदेटशहेड

लोकतंत् की नयी इबारत

म्यांमा मे् सू ची की जवजय मे् लोकतंत् की एक जकरण जदखाई देती है, लेजकन वह हल्की इसजलए है जक देश का फौजी वच्षस्व से पूरी तरह मुक्त होना काफी मुज्िकल है. अजेय कुमार

ज म्यांमा अकेिा ऐिा मुल्क है जो सपछिे करीब 50 िािो् िे िैन्य शािन की पीड्ा झेि रहा है, िेसकन इि 8 नवंबर को हुए चुनाव के नतीजो्िे बदिाव की एक सकरण सदखिाई देने िगी है. यह सकरण हल्की इिसिए है सक म्यांमा मे्दोनो्िदनो्की िंख्या के कुि 664 िांिदो् मे् 25 फीिद यानी 166 स्थायी िदस्य िेना के है्. इनके पाि वीटो का असधकार है. 8 नवंबर के चुनाव मे् आंग िान िू ची की पाट्​्ी नेशनि िीग फॉर डेमोके्िी (एनएिडी) को हािांसक 364 िीटे् समिी है्. िेना िमस्थसत पाट्​्ी यूसनयन िॉसिडेसरटी एंड डेविपमे्ट पाट्​्ी (यूएिडीपी) को मात्​् 40 िीटो् िे िंतोर करना पड्ा है, सफर भी िोकतंत् को बहाि करने की डगर मे् 20 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

ढेरो् मुब्िकिो् का िामना िू ची को करना पड् िकता है. वत्समान िंसवधान मे् कोई िंशोधन िेना की मदद के सबना नही् हो िकता. िंसवधान के अनुिार िू ची राष्​्पसत नही् बन िकती् क्यो्सक उिने इंग्िै्ड के एक नागसरक िे शादी की है. उनके दोनो् बच्​्ो् (एिेक्जे्डर और सकम) के पाि यूनाइटेड सकंगडम के पािपोट्स है्. नवंबर के तीिरे िप्ताह मे् िू की मुिाकात वत्समान राष्​्पसत थीन िेन और आम्​्ी कमांडर इन चीफ समन आंन िै्ग िे होने वािी है सजिमे् म्यांमा की भावी सदशा तय होने का अनुमान है. अि​ि िवाि यह है सक सजि िेना के मुंह ित्​्ा का खून िगा है और सजिने 53 वर्​्ो् िे ित्​्ा के कई के्द्ो् पर कल्ज्ा सकया हुआ है, क्या वह इतनी आिानी िे ित्​्ा का मोह त्याग देगी? िंयुक्त राष्​् िंघ के मनोनीत सरपोट्सर यांगी िी ने हाि ही के चुनावो् के बारे मे् कहा है सक िैन्य शािन ने असभव्यब्कत की स्वतंत्ता और बैठके् करने पर ढेरो् अंकुश िगा रखे थे. प्​्दश्सनकासरयो्पर जु़ल्म और उन्हे्सगरफ्तार करना आम बात थी. िी ने कहा है सक 60 उम्मीदवारो् को, सजनमे् असधकांश मुि​िमान थे, जानबूझकर चुनाव िड्ने के अयोग्य करार दे सदया गया. उन 76 हजार िोगो् को वोट

आंग सान सू ची: लोितंत्िी किजय देने नही् सदया गया सजनके पाि अस्थायी पंजीकरण काड्स थे. इनमे् चीनी और भारतीय मूि के िोगो् के िाथ रोसहंग्या मुि​िमान थे. इन एक िाख 40 हजार मुि​िमानो्को िैन्य शािन ने नागसरकता प्​्दान नही्की, जबसक वे कई दशको् िे म्यांमा मे् है्. इन्हे् वोट देने का असधकार नही्है. इनके अपने देश मे्आने-जाने पर कई बंसदशे्है्. सपछिे तीन वर्​्ो्मे्एक िाख 20 हजार मुि​िमानो् ने नौकाओ् के ज्सरये म्यांमा छोड्कर मिेसशया और इंडोनेसशया भागने की कोसशश की, जहां मुि​िमान बहुिंख्यक है्. बौद्​् धम्स वािे बहुिंख्यक देश मे् अल्पिंखय् को्के िाथ धास्मक स सहंिा का माहौि चसकत करता है. िैन्य शािन ने जुझार् बौद्​् िमूहो् को प्​्ोत्िासहत सकया है सक वे देखे् सक मुि​िमान िमाज मे्ऊंचा दज्ास न पा िके.् िेना िमस्थसत पाट्​्ी ने इि चुनाव मे् धास्मसक पच्​्े भी बांटे. आम िोगो् मे् यह प्​्चार सकया सक िू ची अगर ित्​्ा मे् आयी तो मुि​िमानो् को बढ्ावा समिेगा. बम्ास मे्स्वतंत्चुनाव आयोग का गठन कभी नही्सकया गया. िरकारी मीसडया पर िेना का पूण्स सनयंत्ण है. यहां कई सवरोधी मत के िोगो् को, सवशेरकर अल्पिंख्यको् को, वोट देने के असधकार नही् समिा है. राजनीसत िे प्​्ेसरत कई सगरफ्तासरयां की गयी्है्. आम जनता


मे्िेना के प्च ् ार-प्ि ् ार अिर इि​िे पता चिता है सक िू ची की पाट्​्ी ने भी एक भी मुब्सिम उम्मीदवार को मैदान मे्नही्उतारा. मौजूदा माहौि मे् िू ची चुनौसतयो् को िमझने के सिए एक नज्र म्यांमा के राजनीसतक अतीत पर डािना ज्रर् ी है. म्यांमा मे्अन्य कई देशो्की तरह अंगज ्े ्ो्का राज था. िू ची के सपता आंग िान ने स्​्बसटश िाम्​्ाज्य के सवर्द् क्​्ांसतकारी िंघर्स का नेतृत्व सकया था. उन्हे् अपार जन-िमथ्सन प्​्ाप्त था, िेसकन 32 वर्स की उम्​्मे्ही जुिाई 1947 मे्उनकी राजनैसतक प्​्सतद्​्ंस्दयो्ने हत्या कर दी. आंग िान की हत्या तब की गयी जब वे आजाद म्यांमा के सिए नये िंसवधान का मिौदा तैयार कर रहे थे. िाथ ही िाथ वे देश के िभी अल्पिंख्यको्और उनके िमूहो् के िाथ िंवाद िे एक िशक्त राष्​् सनम्ासण की प्​्स्कया मे्जुटे थे. चार जनवरी, 1948 को म्यांमा स्वतंत्हुआ और ऊ नू इिके प्​्धानमंत्ी बने. इन्हो्ने 1961 मे्बौद्​्धम्सको राजधम्सघोसरत कर सदया. इि सनण्सय िे बम्ास मे् कई अल्पिंख्यको् के बीच सवद्​्ोही िमूहो् को पैदा सकया. बौद्​् धम्स मानने वािो् मे् भी आतंकी िमूहो् ने जन्म सिया. इन िब अराजक तत्वो् का बहाना बनाकर माच्स, 1962 मे् िेना प्​्मुख जनरि ने सवन ने ित्​्ा हड्प िी. भारत की तरह म्यांमा को भी 1974 मे् ‘िमाजवादी’ घोसरत सकया गया, िेसकन देश की आस्थसक ब्सथसत मे् कोई बदिाव न हुआ. िाि 1987 मे् हाित इतनी सबगड् गयी सक बम्ास को अपना सवदेशी ऋण चुकाने िे मुक्त होने के सिए ‘िबिे कम सवकसित देश’ का दज्ास पाने के सिए िंयुक्त राष्​् िंघ को सनवेदन करना पड्ा. इि बीच पूरे बम्ास मे् सवरोध-प्​्दश्सनो् की िहर चि पड्ी. इिमे्

सवद्​्ास्थसयो्ने बढ्-चढ्कर सहस्िा सिया. जुिाई 1988 मे् जनरि सवन ने अपनी िरकार की गिसतयो् को मानते हुए इस्​्ीफा दे सदया. 8 अगस्​् 1988 को आम हड्ताि के सदन रंगून मे् िेना ने िोकतंत् बहाि करने के सिए िंघर्सरत प्​्दश्सनकासरयो्पर बब्सर हमिा सकया. इिमे्िैकड्ो्िोगो्को अपनी जान गवांनी पड्ी. यह एक महज िंयोग था सक यही वह अगस्​् का महीना था जब िू ची अपनी बीमार मां को देखने इंग्िै्ड िे म्यांमा आयी्थी्. आंग िान की बेटी होने के नाते उि पर िामासजक दबाव था सक वह िोकतंत् की बहािी के सिए अपना योगदान दे. मूितः िू ची एक पढ्ाकू िड्की थी. उिमे् राजनैसतक प्​्सशक्​्ण प्​्ाप्त करने की न कोई इच्छाशब्कत थी और न ही इिके सिए पय्ासप्त िमय था. म्यांमा िे बाहर कभी सदल्िी या सशमिा मे्, तो कभी ऑक्िफोड्सयूनीवस्िसटी मे् उिने दश्सनशास्​् और राजनीसत की सशक्​्ा प्​्ाप्त की थी. अपने देश की भयंकर राजनीसतक पसरब्सथसतयो् को देखते हुए िू ने अपने सपता की परंपरा को सनभाने का फैि​िा सकया. 26 अगस्​्, 1988 को िाव्सजसनक र्प िे वह िोकतंत् के सिए आंदोिन को अपने िमथ्सन की घोरणा की और इिे ‘आजादी की दूिरी िड्ाई’ कहा. 27 सितंबर 1988 को उिने अन्य नेताओ् िे समिकर ‘नेशनि िीग फार डेमोके्िी (एनएिडी) बनाया. िू ची इिकी महािसचव बनी्. िैन्य िरकार ने इि पाट्​्ी के िमथ्सको् और नेताओ् पर हमिे शुर् कर सदये. 5 अप्​्ैि, 1989 को एक जनअसभयान रैिी के दौरान एक िेना के अफिर ने अपने िैसनको् को िू ची को गोिी मारने का आदेश सदया. पर एक दूिरे अफिर ने ऐन मौके पर हस्​्क्ेप सकया और यह दुघ्सटना टि गयी. समथ्भिो्िे बीच सू ची: नयी राह पर म्यांमा

20 जुिाई 1989 को िैन्य शािन ने उन्हे् नज्रबंद कर सदया. िाि 1990 के चुनाव मे् एनएिडी को िंिद मे्80 फीिद िीटे्समिी्. पर िेना ने इि चुनाव को ही रद्​्घोसरत कर सदया. सफर एक बार िू को रंगून मे्नजरबंद कर सदया. तब िे करीब 21 वर्​्ो्की अवसध मे्‘िू की’ 15 वर्सनजरबंद रही्. एक बार िेना ने उन्हे्प्​्स्ाव सदया सक वह म्यांमा इि शत्सपर छोड्िकती है्सक वह कभी वापि स्वदेश नही्िौटेगी. पर िू ची ने मना कर सदया. वह चाहती्तो इंग्िै्ड मे्अपने पसत और दो बच्​्ो् के िाथ िुखमय जी िकती थी्. पर उिने अपने देशवासियो्के बीच िंघर्सको चुना. िेना की पाट्​्ी (यूएिडीपी) के िदस्यो्ने िू के िमथ्सको् और उिकी पाट्​्ी के नेताओ् पर िगातार हमिे सकये. उन्हे् जेिो् मे् बंद कर यातनाएं दी गयी्. नज्रबंदी मे् िू ची ने बौद्​् धम्स और गांधीवाद का अध्ययन सकया था. एक चस्चसत िाक्​्ात्कार मे् िू ची ने कहा सक मै्ने िैन्य असधकासरयो् िे नफरत नही् की और आप उन िोगो् िे कभी नही् डर िकते सजनिे आप नफरत नही् करते. घृणा और डर एक िाथ चिते है्. गांधी की तरह िू ची आध्याब्तमक भारा का प्​्योग करती है्. अपने मशहूर िेख, ‘िोकतंत्की चाहत मे्’ उन्हो्ने असहंिा को एक ‘िकारात्मक काय्सवाही’ कहा है. िाि 1990 मे् ‘सवचारो् की स्वतंत्ता के सिए िखरोव पुरस्कार’ िेने िू ची को यूरोसपयन िंिद को िंबोसधत करना था, िेसकन नज्रबंदी िे वह जा न िकी्. जो भारण उन्हो्ने वहां देना था, उिमे् एक वाक्य महत्​्वपूण्स है,‘ित्​्ा भ्​्ि् नही् करती, डर करता है, ित्​्ा खोने का डर ित्​्ािीनो् को भ्​्ि् करता है.’ सकिी भी व्यवस्था मे्न्याय का पैमाना इि बात िे तय होता है सक वह िबिे कमजोर तबको्को िुरक्​्ा की सकतनी गारंटी देता है. जहां न्याय नही् है, वहां शांसत नही्हो िकती. इन महान सवचारो् को िू ची म्यांमा के मौजूदा राजनैसतक माहौि मे् कैिे िागू कर पाये्गी, यह तो िमय ही बताएगा. िाम्​्ाज्यवादी देशो् की आस्थसक नीसतयो्, उनकी अंतर्ासष्ीय िूट, सवत्​्ीय पूंजी, पूंजीवादी शोरण, मजदूरो् और सकिानो्की िमस्याओ्पर िू ची के सवचार अभी सवश्​् के िामने आने है्. एनएिडी पाट्​्ी के झंडे का रंग िाि है. उि पर नीचे एक िंघर्सरत िुनहरा मोर है. यह जनता का प्​्तीक है. यह मोर ऊपर एक िफेद तारे की ओर देख रहा है और उिे पकड्ने की सफराक मे्है. िफेद तारा बदिाव का प्​्तीक है. उम्मीद है सक मोर िफेद तारे को देर तक पकड्े रखेगा तासक बदिाव का अिर आम जनता के जीवन मे् सदखिाई दे. n शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015 21


उत्​्र प्​्देश

कजथत तौर पर बीफ खाने की अफवाह के चलते मोहम्मद अखलाक को पीर-पीरकर मार जदये जाने के बाद से जहां बीफ का मुद्ा उबाल मार रहा है वही् कुशीनगर मे् बीमारी से मर रही गायो् और भै्सो् की जफि्​् जकसी को नही् है.

सुनीता शाही

त्​्र प्​्देश मे् सपछिे कुछ सदनो् मे् घटी दो घटनाएं यह िासबत करने के सिये पय्ासप्त है् सक आसखर क्यो् गोमांि यानी बीफ का मुद्ा भावनात्मक या धास्मसेक कम और राजनीसतक असधक है. एक ओर जहां राजधानी सदल्िी के करीब ब्सथत गौतमबुद्नगर के सबिहरा गांव मे् एक व्यब्कत की केवि इि अफवाह मे् पीटपीटकर हत्या कर दी जाती है सक उिके घर मे् बीफ रखा था वही् प्​्देश के सबहार िे िटे कुशीनगर इिाके मे्गायो्और भै्िो्का बीमारी िे मरना जारी है िेसकन सकिी को उनकी परवाह नही्है. अखिाक की मौत को ज्यादा सदन नही्हुए थे जब मैनपुरी के करहि इिाके मे् कुछ िोगो् ने एक पुसि​ि वाहन और मोटर िाइसकि को फूंक सदया और मोहम्मद इसियाि व मोहम्मद रफीक नामक व्यब्कतयो्को गोवध के जुमस्मे्पीट डािा. हकीकत यह थी सक वह घनि्याम नामक व्यब्कत की मृत गाय थी सजिने इसियाि और रफीक को पैिे देकर उिे सठकाने िगाने को कहा था. अक्टूबर के पहिे िप्ताह मे् अंबेडककर नगर के मािीपुर थाना क्​्ेत् के िल्िाहपुर गांव मे्बहुिंख्यक जमात ने एक ट्​्क मे्िे एक गाय िमेत 11 जानवरो् को छुड्ाने के बाद ट्​्क को आग के हवािे कर सदया. आजमगढ् सनवािी मोहम्मद अरबाज इन जानवरो्को बेचने के सिये िुल्तानपुर िे जा रहे थे. इन दोनो्ही मामिो मे्एकस्​्तत हुई भीड्एक खाि राजनीसतक दि के काय्सकत्ासओ् और उिके स्थानीय नेताओ्िे समिकर बनी थी. वही् कुशीनगर मे्गत 28 सितंबर िे अब तक दज्सन भर गाय और भै्ि मर चुके है् जबसक दो दज्सन अन्य मौत के कगार पर है्. इन घटनाओ् को 22 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

धर्म की गाय बनार

िेकर सकिी नेता के कान पर जूं तक नही् रे्गी है. इि बात िे िहज ही अंदाजा िगाया जा िकता है सक यह मामिा सकतना धास्मसक है और सकतना राजनैसतक. कहा जा िकता है सक बीफ नयी राजनीसत का के्द् है. वर्स 2014 के आम चुनाव की बात करे् तो उत्​्र प्​्देश मे् मुजफ्फरनगर के दंगो ने चुनाव को बहुत हद तक प्​्भासवत सकया था. हासिया घटनाओ् िे यह अंदाजा िगाया जा िकता है सक वर्स 2017 के सवधानिभा चुनावो् मे् बीफ एक अहम मुद्े के र्प मे् िामने आने वािा है. आि्​्य्स नही् सक गोवध के मि​िे पर अखिाक को जान िे मार सदये जाने की घटना ने कई नेताओ्के चेहरे पर चमक सबखेर दी हो. िेसकन इिकी पृष्भूसम कई महीनो्िे तैयार हो रही थी. जून 2015 िे अिग-अिग थानो् मे् गाय या भै्ि को अवैध तरीके िे काटने के 330 िे असधक मामिे दज्सहुए इनमे्गोवध के मामिे बमुब्िकि 12 है्. िेसकन राजनीसतक कारणो्िे गाय का सजक्​्िुस्खसयो्मे्रहा.

िमाजवादी पाट्​्ी के मुसखया मुिायम सिंह यादव ने ऐिी असधकांश िमस्याओ् के सिए भारतीय जनता पाट्​्ी को उत्​्रदायी ठहराया है. वह मोटे तौर पर दो बाते् कहते है्. एक, 'एक प्​्मुख राजनीसतक दि के जो तीन िोग मुजफ्फरनगर दंगो् मे् शासमि थे वही् सबिहरा मामिे मे् भी शासमि है्. हम ऐिी ताकतो् को कुचि दे्गे. प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी को भी यह िुसनस्​्ित करना चासहये सक ऐिे िोग दंसडत हो्.' दो, 'मै्इि बात को िेकर सनस्​्ित नही्हूं सक ये तीन िोग सबिहरा मामिे मे्शासमि थे या नही्. जांच चि रही है और मै्पुस्ि होने पर इनके नाम उजागर करं्गा.' पय्सवेक्को्का मानना है सक मुिायम अपने वोट बै्क यानी मुब्सिम िमुदाय को यह िंदेश देना चाहते थे सक वह सबिहारा के दोसरयो् को नही्छोड्गे् .े बहरहाि, उनको या सकिी भी अन्य राजनेता को बोिने के सिये तो राजनीसत ही मजबूर करती है. ऐिे मे् अगर प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी हसरयाणा के मुख्यमंत्ी मनोहर िाि खट्​्र को बीफ खाने वािे मुि​िमानो् को भारत मे् न


मनोहर लाल खट्​्र: गाय िे भरोसे

भारतीय गाय: दूध से ज्यादा कसयासत

कुशीनगि के रजलारधकािी का कहना है रक पं​ंशासन हिसंभव कोरशश कि िहा है. रीकाकिण में कमी पाये जाने पि दोररयों को बखंशा नहीं जायेगा.

ग्रीब की गाय

रहने देने का सवरोध नही्करते तो वह भी इिके अपवाद नही्है. बीफ मे् अक्िर भै्िे का मांि ही आता है और देखा जाये तो यह गरीबो् का मांिाहार है. िखनऊ को मांिाहारी भोजन के सिए जाना जाता है, वहां एक प्िटे बीफ कबाब केवि 50 र्पये मे् समि जाता है जबसक बकरे के मांि के कबाब के सिए 150 र्पये खच्स करने पड् िकते है्. रामपुर के एक पत्​्कार ने गोपनीयता की शत्स पर कहा, 'रामपुर मे् कुछ अत्यंत गरीब गैर मुब्सिम बूचडख़ानो् िे बचाखुचा सहस्िा िे जाते है्. अगर उनके पाि बकरे का मांि खरीदने का पैिा होता तो वे ऐिा नही् करते. मध्य वग्​्ीय मुि​िमान बीफ नही् खाते वे मटन खाते है्.' बिपा सवधायक ित्यवीर सिंह के बयान िे भी िाफ पता चिता है सक यह राजनीसत के सिवा कुछ नही् है. वह कहते है्, ' मै् हत्या के अगिे सदन दो घंटे तक अखिाक के पसरवार के िाथ था. मुझे गांव मे् एक िफ्ज भी ऐिा नही् िुनने को समिा सजि​िे िगे सक यह राजनीसत थी.

िेसकन अचानक भाजपा और िपा के नेताओ्का आना शुर्हुआ और हमे्िगा सक यह एक बड्ा धास्मसक मुद्ा बनने वािा है.यह न केवि सबहार सवधानिभा चुनाव को प्​्भासवत करने वािा था बब्लक जम्मू कि्मीर सवधानिभा मे् भी इिकी वजह िे सदक्​्त पैदा हो गयी.' उत्​्र प्​्देश के कांग्ेि प्​्वक्ता स्​्दजे्द् स्​्तपाठी कहते है्, 'खराब कानून व्यवस्था के चिते मानवासधकार का उल्िंघन अखिाक की हत्या की िबिे बड्ी वजह बना. कुछ नेताओ् ने इि मि​िे को अंतरराष्​्ीय स्​्र तक पहुंचाया और अब वे सकिी भी तरह इिे 2017 के सवधानिभा चुनाव तक सजंदा रखना चाहते है्.' उनकी आशंका अनुसचत नही्है क्यो्सक िपा के कुछ नेताओ् ने अपने इरादे जासहर कर सदये है्. उन्हो्ने दावा सकया है सक उत्​्र प्​्देश के 80 फीिदी बूचडख़ाने गैर मुब्सिम चिाते है्. इि बीच यह तथ्य भी िामने आया है सक िरधाना के भाजपा सवधायक िंगीत िोम बूचड् खानो् मे् सहस्िेदार है्. हािांसक िोम ने इि​िे इनकार सकया है और इन आरोपो् को राजनीसत प्​्ेसरत

बताया है. कुशीनगर की सजि घटना का सजक्​् हमने ऊपर सकया उिकी शुर्आत खड्​्ा इिाके िे हुई जहां तीन भै्िो्और एक गाय की क्​्मश: 28 सितंबर और 2 अक्टूबर को मौत हो गयी. गांव वािो् ने पशु सचसकत्िा सवभाग के असधकासरयो्को बीमारी के बारे मे्िूसचत सकया िेसकन इिाज के पहिे ही ये जीव मर गये. अभी िरकारी अमिा हरकत मे्आता उि​िे पहिे ही िेवराही प्​्खंड के हसरहरपुर गांव मे् तीन और भै्िे्मारी गयी्. हसरहरपुर के रहने वािे छोटेिाि कहते है्, 'मै्ने अपनी दो भै्िे गवां दी्. बची हुई चार भै्िे् और दो गाये्भी उिी बीमारी िे ग्स ् ्है.् मुझे नही् पता सक इनको इिाज के सिये कहां िे जाऊं? मै्ने पशु सचसकत्िा सवभाग को िूसचत कर सदया है. कुछ सचसकत्िको् ने जांच की है और कुछ दवाये् सिखी है्. िेसकन जानवरो् की हाित िगातार सबगड्ती जा रही है. ये िभी दुधार्पशु है.्' एक और गांववािी बल्बन यादव कहते है्सक उनकी एक भै्ि और दो गाये् इिी बीमारी िे पीसड्त है्. अतीत मे्इनका टीकाकरण होता रहा है िेसकन इि िाि पशु सचसकत्िा सवभाग ने ऐिा कुछ नही् सकया. गंाव के ज्यादातर बीमार पशु दूध देने वािे है्. कृष्णा यादव और बच्​्ा यादव की भी यही कहानी है. सवशेरज्​्े ने गांव वािो् िे कहा है सक ये पशु गि घोटू की बीमारी िे पीसड्त है्. इि बीमारी मे् सवराणु पशुओ् के रक्त मे् घुि जाता है और उनको सनमोसनया हो जाता है. ऐिा ज्यादातर टीकाकरण िही न होने, खराब मौिम और कुपोरण के चिते होता है. जासहर है इन घटनाओ् ने टीकाकरण के नाम पर आने वािे फंड के दुर्पयोग की आशंका पैदा की है. स्थानीय पत्​्कार स्​्बजेश राव कहते है् सक राज्य िरकार ने इि िीजन मे् टीकाकरण के सिए दो िाख र्पये का कोर आवंसटत सकया था उिका क्या हुआ? राव बताते है् सक चूंसक कुशीनगर सबहार िे िगने वािा इिाका है जहां चुनावो्का दौर जारी है.इिसिए राजनेता बीफ के मि​िे पर पूरा शोर मचाकर वहां के मतो् का ध्​्ुवीकरण करने की मंशा पािे है्. वही् उत्​्र प्द् श े के नेता इि मि​िे को वर्स2017 तक जारी रखना चाहते है् क्यो्सक उि वर्स सवधानिभा चुनाव होने है्. हािांसक कुशीनगर के सजिासधकारी िोकेश एम का कहना है सक प्​्शिन इि मि​िे िे सनपटने की हरिंभव कोसशश कर रहा है. उन्हो्ने यह भी कहा सक टीकाकरण मे् कमी पाये जाने पर दोसरयो् को बख्शा नही् जायेगा. िेसकन नेताओ्की बात की जाये तो उनके मन मे्मरते जानवरो् को िेकर न कोई सचंता है न हमदद्​्ी. गाय के मुद्े पर नेताओ् के चयसनत कदम की वजह आगामी चुनावो्मे्सनसहत है. n शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015 23


मास् विहार ट हेड

पूि्भसांसद किराई मुसहर िे बेटे अपने पकरिार िे साथ: गरीबी और गुमनामी

गुमनामी में किराई िा घर

मधेपुरा के मुरहो गांव का ऐजतहाजसक महत्व है जहां बीपी मंडल की भव्य समाजध बनी है, लेजकन एक और जवभूजत जकराई मुसहर की कोई जनशानी नही् है. उनका घर भ्ाी गुमनामी मे् है और पजरवार गरीबी मे्. अतिषेक रंजन तसंह

ि गांव का नाम मुरहो है. मधेपुरा िे 17 सकिोमीटर दूर नेशनि हाईवे 107 के दासहने ओर बीपी मंडि के नाम पर कंक्ीट का एक तोरणद्​्ार बना है. इि​िे चार सकिोमीटर आगे चिने पर मुरहो पड्ता है. गांव के सतराहे पर माब्सि और टाइल्ि िे बनी बीपी मंडि की भव्य िमासध है. ढाई दशक पहिे मुरहो की पहचान प्​्जा िोशसिस्ट पाट्​्ी के िांिद सकराई मुिहर िे होती थी, िेसकन 1990 मे्तत्कािीन प्​्धानमंत्ी सवश्​्नाथ प्​्ताप सिंह ने मंडि आयोग की सिफासरशे् िागू कर न सिफ्क उत्​्र भारत की राजनीसत, बब्लक मुरहो की पहचान भी बदि डािी. 24 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

मंडि कमीशन के अगुआ सबंदेश्री प्​्िाद मंडि यानी बीपी मंडि इिी गांव के थे. अगर आरक्​्ण की बात हो तो बीपी मंडि का सजक्​् िासजमी है. िोग मंडि कमीशन के बारे मे् जर्र जानते है्, िेसकन सकराई मुिहर और बीपी मंडि के गांव मुरहो के बारे मे् शायद ही कोई जानता होगा. कभी िमाजवाद का मजबूत गढ् रहा कोिी इिाका पूव्स िांिद सकराई मुिहर, पूव्स मुख्यमंत्ी बीपी मंडि और भूपे्द् नारायण मंडि की जन्मभूसम है. सजतनी रोचक कहानी बीपी मंडि िे जुड्ी है, उि​िे ज्यादा सदिचस्प सकस्िा सकराई मुिहर िे जुड्ा है. भागिपुर िह पूस्णसया िोकिभा क्​्ेत् िे पहिी बार 1952 मे् प्​्जा िोशसिस्ट पाट्​्ी के उम्मीदवार सकराई मुिहर िांिद चुने गये.

सकराई एक भूसमहीन मजदूर थे. वे दूिरो्के खेतो् मे्काम करते थे. हािांसक अब उनकी यादो्को मुरहो के िोगो् ने करीब भुिा सदया है. इिाके के िोगो् को बीपी मंडि के बारे मे् पता है, क्यो्सक उनका पसरवार गांव के बड्ेजमी्दारो्मे् था. वही्, नयी पीढ्ी के िोगो्को सकराई के बारे मे्जानकारी नही्है. आज हर गांव मे्िड्के्बन रही है्, िेसकन ऐिा कोई रास्​्ा नही्है जो िीधे सकराई मुिहर के घर तक जाये. उनके घर तक पहुंचने के सिए आपको कई महादसित पसरवारो् के आंगन को पार करते जाना होगा. मुरहो के बुजुग्सबताते है्, ‘ िाि 1952 मे् सकराई मुिहर के िांिद बनने के बाद गांव मे् िड्के् तो बनी्, िेसकन मुिहर टोिे को आज भी िड्क, सबजिी और पानी मयस्िर नही् है.


महादसितो्की इि बस्​्ी मे्आज भी ज्यादातर िोग भूसमहीन है्. उनकी झोपस्डयो्सजन जमीनो् पर बनी है्, वे ऐिी िरकारी भूसम है्, सजिे गैर मजर्आ कहा जाता है. िाठ िाि के छट्​् ऋसरदेव सकराई मुिहर के बेटे है्. इनके पाि महज दो बीघा जमीन है. इतनी कम जमीन िे िाि भर का अनाज भी पैदा नही्होता. दो बार िांिद रहे सकराई मुिहर और उनके पसरवार की िादगी और ईमानदारी का इि​िे अंदाजा िग िकता है. छट्​्ऋसरदेव कहते है्, ‘मौजूदा िमय मे् नेता इतने भ्​्ि् हो गये है् सक पंचायत का मुसखया बनने पर िाखो् र्पये कमा िेते है्. िांिद और मंस्तयो् की बात तो अिग है. गौरतिब है सक आस्थसक तंगी िे जूझते हुए सकराई मुिहर की िाि 1965 मे्मौत हो गयी. िोकिभा मे् उनकी मौत की खबर डॉ राममनोहर िोसहया ने कुछ इि तरह िे दी थी,‘ मै्इि िदन को केवि इतना ही बताऊं सक जब सकराई मुिहर िांिद चुने गये थे, तो पहिी मत्सबे रेि के सडल्बे मे् अपनी जगह पर नही्, बब्लक फश्स पर बैठे थे. मै् िमझता हूं सक ऐिा जानदार िमाजवादी, सजिे हम जन्मजात िमाजवादी कहते है्. अब बहुत कम देखने को समिते है्.”’ अपने सपता िे जुड्ी यादो् का सजक्​् करते हुए ऋसरदेव कहते है् सक “एक बार िंिद मे् बहि के दौरान प्​्धानमंत्ी जवाहरिाि नेहर् ने बाबू जी (सकराई मुिहर) िे पूछा था, आपके गांव मे्कोई परेशानी हो तो बताइए. इि पर बाबू जी ने कहा, ‘पंसडतजी, हमारे गांव मे् दसित िमुदाय के िोग उिी गड्​्ेका पानी पीते है,् जहां

किराई मुसहर: सादगी िा चेहरा

मधेपुिा में बीपी मंडल औि बीएन मंडल के नाम पि कई मूरंतययां औि रशकं​ंा संसंथान हैं, लेरकन पहले सांसद रकिाई मुसहि की कोई रनशानी नहीं है. कुत्े और िुअर पानी सपया करते है्. सकराई की ये बाते्िुनकर नेहर्ही नही्, बब्लक पूरा िदन स्​्ल्ध रह गया.’ ऋसरदेव राजनीसत मे्सदनो्-सदन बढ्ते धनबि और जासतबि िे बेहद सनराश सदखते है्. बकौि ऋसरदेव, उनके सपता इि इिाके मे्दो बार िांिद रहे, िेसकन वह िंपस्​्त बनाना तो दूर अपने सिए घर भी नही्बना िके. ऋसरदेव राज्य िरकार की आिोचना भी कुछ इि तरह करते है्, “महादसितो् को पांच किराई मुसहर िा घर: छत भी नसीब नही्

संसद मे्लोकहया िे भाषण िी प्​्कत: किराई मुसहर िे कनधन िी जानिारी

सडिसमि जमीन देने की योजना बनी थी, िेसकन इि योजना का िाभ अब तक यहां के मुिहर पसरवारो् को नही् समिा है. िड्क के िाथ मुिहर बस्​्ी मे् अब भी जर्री िुसवधाएं नही्है. बस्​्ी का ट्​्ांिफाम्सर सपछिे कई महीनो् िे खराब है, जबसक गांव के दूिरे सहस्िो् मे् सबजिी है. टोिे के सकिी भी घर मे् शौचािय नही्है, जबसक देशभर मे्स्वच्छता असभयान का डंका बज रहा है. सकराई मुिहर की बहू राजिक्​्मी मुिहर टोिे की बदहािी िे सनराश है्. वे कहती है्, ‘ यहां शौचािय नही्होने की वजह िे मसहिाओ् को शौच के सिए खुिे मे्जाना पड्ता है.’ इिके सिए वे नेताओ्और असधकासरयो्को सजम्मेदार मानती है्. राजिक्​्मी कहती है् बीपी मंडि की जयंती पर कई बड्ेनेता मुरहो आते है्, िेसकन सकराई मुिहर के घर कोई नही् आता. इिकी वजह वह गरीबी और महादसित होना मानती है.् शायद यही वजह है सक गांव मे्बीपी बाबू की िमासध है, िेसकन सकराई मुिहर के नाम पर छोटा चबूतरा भी नही्है. राजिक्​्मी की बातो्िे इनकार भी नही् सकया जा िकता, क्यो्सक मधेपरु ा मे्बीपी मंडि और बीएन मंडि के नाम पर कई मूस्तसयां और सशक्​्ा िंस्थान है्, िेसकन पहिे िांिद सकराई मुिहर की कोई सनशानी नही् है. वह भी ऐिे राज्य मे् जहां िमाजवादी प़ष्भूसम की िरकार सपछिे 25 िािो् िे है. भारतीय राजनीसत मे्सकराई मुिहर जैिे िादगी पिंद और ईमानदार नेताओ्की िंख्या कम है, िेसकन उनिे जुड्ी यादो् को िहेजने की सफक्​् भी कोई नही्करता. n शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015 25




मास् विहार ट हेड

दीपंिर भट्​्ाचाय्भ: मोच्​्ेपर मुस्ैद

मत कहो कोहरा घना है

वामपंथी दलो् के प्​्योग ने संसाधनो् की भारी कमी के बावजूद कुछ सफलता हािसल की है जो भजवष्य की उम्मीदो् को जगाती है. अरतवंद मोहन

सब

हार चुनाव की चच्ास चारो् ओर है और जैिे नतीजे आये है्उि​िे आि्य् च स् सकत होने की जर्रत नही् है. चच्ास नतीजे आने के पहिे भी ज्यादा ही थी पर उिमे् सबहार चुनाव के महत्व िे ज्यादा भाजपाई मीसडया मैनेजमे्ट का योगदान था. पर इिी चुनाव की एक िमांतर कथा की चच्ास न पहिे थी न अब है. यह कथा है वामपंथी दिो्के प्​्योग की सजिकी पटकथा काफी िमय िे सिखी जा रही थी. जो सिफ्क नतीजो् के सहिाब िे ही नही् िड्ाई के सहिाब िे भी आधी-अधूरी ही रही, िेसकन यह कथा भी ध्यान देने योग्य है और उिमे् भी काफी िंभावनाएं है्. पर िड्ाई और नतीजो् पर दूिरे सजतना ध्यान दे्उि​िे ज्यादा जर्री है सक वाम दिो्के िोग ही इि पर गौर करे्और अब आये नतीजो्िे िबक िेकर आगे की रणनीसत दुरस ् ् करे्. नयी पसरब्सथसतयो् मे्, जब वाम दिो् को अपने अस्​्सत्व पर िवाि नजर आ रहा है और अपनी वैचासरक सदशा पर खुद शक हो रहा है. तब सबहार के नतीजे उनको न सिफ्क बि दे िकते है् बब्लक अगर वे सपछिी और इि बार की गिसतयां न दोहराये् तो उनके सिए आगे काफी िंभावनाएं बन िकती है्. 28 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

पुरानी गिसतयां सगनवाने का िाभ नही् है पर सजि िमय नीतीश कुमार ने िािू प्​्िाद यादव का िाथ छोड्ा और मात्​् छह िीटे् ही जीत पाये थे, उि िमय भी अगर वाम दिो्ने िािू का िाथ छोड्ा होता तो आज ब्सथसत अिग होती. तब भी कम्युसनि्​् पास्टियो्, खािकर भाकपा मे् इतना दम था सक वह खुद को एक सवकल्प के र्प मे्सवकसित कर िकती थी. िेसकन तब दोनो् प्​्मुख वाम दि िािू प्ि ् ाद के िाथ सचपके रहे. इि तरह उनके िहारे अपने-अपने कुछ स्​्पयपात्​्ो् को सवधान िभा और िोक िभा पहुंचवाने का आिान रास्​्ा अपनाये रहे. तब सिफ्क भाकपा-मािे ने, जो पहिे इंसडयन पीपुल्ि फं्ट नाम िे काम करती थी, िािू की राजनीसत िे अिग रही और उनके जासतवादी सवस्​्ार मे्अपने सवधायक भी गंवाती रही. सबहार मे् कम्युसनि्​् आंदोिन शुर् िे मजबूत रहा है. मजदूरो्का मोच्ास हो या सकिानो् का उिका काम उिकी राजनैसतक और िंिदीय रणनीसत की िफिताओ्िे बड्ा ही रहा है. कभी उिे आठ फीिद िे ज्यादा वोट और दि फीिद िे ज्यादा िीटे् बड्े आराम िे समि जाती थी्. िाि 1967 की िंसवद िरकार मे्गये उिके मंस्तयो्की उपिब्लधयां भी कमजोर नही् है्. पर बाद मे् कही् िंिदवाद का चक्​्र भी

फंिा और भूसमहार-यादव के आधार पर वोट मे् टकराव भी चिा. तब िंघर्स का मुख्य सजम्मा मािे के िोगो्ने िंभािा. इि बार वामपंथी चाहते तो उनको् महागठबंधन मे्छोटी जगह समि जाती पर िभी रंग के वामपंथी समिकर िडे़ यह फैि​िा काफी पहिे हो चुका था. कई िोग इिे दोनो् कम्युसनि्​्पास्टियो्के सविय की पहिी कडी के र्प मे् देखते है्. बाकी िोगो् के हासशये की शब्कत मानने के बावजूद कम्युसनि्​्ो् मे् इतना उत्िाह रहा सक सबहार की 243 िीटे्उन्हे्कम पड्गयी्. करीब दज्सन भर िे ज्यादा जगहो्पर उनके बीच दोस्​्ाना िंघर्स हुआ. यह बात शुर् मे् मजाक और चुटकुिे िी िगती थी. पूरी चुनावी चच्ास मे् कम्युसनि्​् उम्मीदवारो् की खोज-खबर ‘पूज ं ीवादी’ मीसडया ने नही्िी और कोई वैकब्लपक मीसडया रहा नही्. िोशि मीसडया की चच्ास मे्भी वामपंथी नही्आये. पर जब नतीजे आये तो मीसडया मे् छाये रहे पप्पू यादव, मुिायम यादव, ओवैिी, तासरक अनवर जैिे िोग कही् नही् सदखे. वाम दिो् के उम्मीदवार न सिफ्क तीन जगहो् िे जीते बब्लक डेढ दज्सन जगहो् पर उन्हो्ने एकदम िीधी िडाई को सतकोना-चौकोना बनाने मे्िफिता हासि​ि की थी. कुि पचहत्​्र जगह, मतिब करीब एक सतहाई जगहो्पर वाम उम्मीदवारो्ने 45 हजार िे ज्यादा वोट हासि​ि सकये. इनमे् आठ जगह 20 हजार िे ज्यादा और 19 जगह दि हजार िे ज्यादा वोट हासि​ि करने वािे मे् भी शासमि है्. अब िाढ्े चार कोई पसवत्​् िीमा नही् है िेसकन जब यह िाफ हो जाये सक उम्मीदवार मुकाबिे मे् नही् है् और वह पैिे िुटाने, जासत और िंप्दाय के नाम पर ध्​्ुवीकरण कराने के खेि मे्न हो और बूथ कल्जा की होड न िे िके ( बीच के दौर मे् अन्य दिो् की तरह कुछ कम्युसनि्​् उम्मीदवार भी यह खेि खेिने िगे थे) तब एक चुनाव क्​्ेत्मे्चार-पांच हजार ऐिे िोगो्का होना बहुत मतिब रखता है. जो िब कुछ जानकर भी आपको वोट देने को तैयार हो्. आम तौर पर ऐिा मत देना अपना मत बेकार करना कहिाता है, पर राजनैसतक शल्दाविी मे् इिे ही ‘कसमटेड’ वोटर कहा जाता है. एक छोटे सवधान िभा क्त्े ्मे्इतने िोगो्की मौजूदगी इि बात के सिए आश्स ् ्कर िकती है सक जरा भी माहौि अनुकि ू हो तो ऐिी िीटे्सनकिने मे्देर नही्िगती. इि हाित मे्भी पूरे प्​्देश मे्वाम दिो्को चार फीिदी िे कुछ असधक वोट आना यह भरोिा सदिाता है सक अगर वे अपना मेिजोि बढ्ाये्, दूिरो् पर सनभ्सरता छोडकर आम िोगो्के मुद्ो्पर िंघर्सका रास्​्ा िे्और िबिे बढ्कर अपनी सनराशा छोड्े् तो िमाज n उनको नही्छोड्े्गा.


राजस्थान

एि बंजारा मकहला : अस्थायी कठिाना

दर-ब-दर पीढ़ियां

घुमंतू कबीले अब भी जकसी िठकाने के तलाश मे् दर-ब-दर भरकने के जलए मजबूर है्. फुरपाथो् पर उनके बसेरे भी अक्सर तोड़् जदये जाते है्. अवनीश कुमार

क मसहिा गीत के िाथ ढोि बजाती है और िामने एक पुर्र अपने आपको कोड्ो् िे िहूिुहान करता है. जैिे ही तमाशा खत्म होता है, िोग हंिने िगते है्. पैिे मांगने पर कोई गािी, कोई धमकी तो कोई चंद सिके्दे देता है. ये अमूमन 40 िे 70 र्पये प्​्सतसदन कमा पाते है्. अपने हाथो् मे् सदखाने के सिए ये िोहे के कीि भी घो्प िेते है,् खून सनकिता देख कर िोग खूब आनंद िेते है्. बंजारा या घुमंतू कह कर बुिाये जाने वािे ये िोग एक अदद सठकाने की तिाश मे् िािो् िे भटकने को मजबूर है्. कहने के सिए िरकार के पाि कल्याणकारी योजनाएं है्, पर इन योजनाओ् का िाभ इन घुमतं ू जनजासतयो्को नही्समिा. इनके सिए जो कुछ भी हुआ है, वह कागजो् तक िीसमत रहा है. आपको िड्को्पर, बाजारो्मे्कई जगहो्पर ये बंजारे िोग समि जाये्गे. इन्हे्िोगो्की भीड् घेरे रहती है. पर िमाज मे् अपने सिए जगह तिाशते सफर रहे है्. पेट की आग शांत करने के सिए राजस्थान के िाखो् ग्​्ामीण रेसगस्​्ान िे नाता तोड्कर

उत्​्र प्​्देश के सहस्िो् मे् बि गये है्. िड्क सकनारे इनके बिेरे को िोग देखकर बंजारा और घुमंतू जासत का कहते है्. कोई जड्ी-बूटी बेचता है, तो तमाम िोग िोहारी का काम करते है्. मसहिाएं कई मेिो्मे्चूड्ी और मोती की मािा बेचकर पसरवार का गुजारा करती है्. पानी और अनाज नही्होने पर पुरखो्ने घर छोड्ा तो आज तक उनके वंशजो्को अपना घरौ्दा निीब नही् हो िका है. िात पीस्ढयां गुजर गयी्, िेसकन जीवन अब भी फुटपाथ पर गुजर बिर कर कर रहे है्. रहने का सठकाना नही्इिसिए बच्​्ो्के हाथ मे्पेस्ि​ि के नही्, बब्लक हथौड्ेके िंसक ् ार पड्ते है्. शादी ल्याह के बाद िड्क का सकनारा ही मसहिाओ्का मायका और ि​िुराि होता है. घुमतं ू कबीिे वािो्की सजंदगानी भी अजीब है. जहां इनकी तादाद असधक हुई वहां तो िरकार िे कई िाभ और आसशयाने निीब हो चुके है्.पर कानपुर देहात के कई सहस्िो्मे्डेरा डािे राजस्थान के वासशंदो्को पचाि िाि बाद भी कोई िाभ नही्समि िका है. कानपुर देहात के अकबरपुर कस्बे मे् िड्क की फुटपाथ पर भरा पूरा पसरवार िेकर बिे गोरेिाि की उम्​् 83 िाि हो चुकी है. उनके पुरखे जयपुर िे

पिायन कर आज तक घुमंतू िमुदाय बनकर रह गये है्. गोरेिाि बताते है् सक उनकी िात पीस्ढयां िड्क पर ही जीवन सबताते बीत गयी्. बमुब्िकि िे दो िौ र्पये आमदनी हो जाती है. उनके दूिरे भाइयो् िाि, हजारी और रामसिंह का पसरवार भी यहां-वहां बिा है. बताते है् सक अकबरपुर मे् रहते हुए पचाि बरि बीत गये, िेसकन कोई एक सठकाना नही् है. कभी आिपाि के िोग हटा देते है् तो डेरा तंबू उखाड्कर कुछ दूर एकांत वािे स्थान पर चिे जाते है्. आिपाि बस्​्सयां बि गयी् तो सफर हटना पड्ता है. हािात यह है सक ऐिी पसरब्सथसत मे्उनके बच्​्े स्कूि का मुंह नही् देख पा रहे है्. अपने पीछे तीन चार पीस्ढयो् की बात करते हुए गोरेिाि ने कहा सक बच्​्ो्मे्जन्म िे ही हथौड्े चिाने का िंस्कार पड्ता है. नौसनहािो्ने कभी हाथ मे् पे्सि​ि नही् पकड्ी पसरवार यह नही् जानता की बै्क का खाता क्या होता है. तमाम अज्​्ात िोग उनके पाि पहुंचे और राशन कॉड्स, फोटो पहचान पत्​्बनवाने और िरकारी आवाि सदिाने के नाम पर धन ऐ्ठ िे गये, सफर दोबारा हािचाि िेने नही्पहुंचे. प्​्देश की बंजारा और घुमंतू जासतयो्को न तो मूिभूत िुसवधाएं समि रही है्और न ही उनकी पहचान स्थासपत हो रही है. राम कुमार बताते है्सक आज मेरी उम्​्७० िाि है. पर जब हमे् कोई बीमारी होती है तो हमरे पाि इतने पैिे नही्होते है्सक अपना और अपने घरवािो का उपचार करा िकू. पैिे के अभाव मे् हम िोगो् की सशक्​्ा शून्य है. इनकी कमाई इतनी भी नही्हो पाती है सक ये िाि मे् अपने तन ढंकने के सिए दो जोड्ी कपड्ेसि​िवा िके्. ये अपने बच्​्ो्को स्कूि भेजने िे परहेज करते है्. जब अन्य बंजारो्िे जब इि िंबंध मे् बात की गयी तो वे िीधे तौर पर कहते है् क्या करे्? हम कोई दूिरा काम नही् कर िकते है्. िोग काम देने िे भी कतराते है् और छुआछूत भी करते है्. िमाज िेवक मोहत कुमार का कहना है की इन बंजारे को दो जून की रोटी और चंद सिक्​्ो्के सिए कोड्ो्िे अपने आपको तब तक पीटना पड्ता है, जब तक देखने वािे की आंखे् गीिी न हो जाये्. इन िबके बाद भी इनकी मूि जर्रते् भी पूरी नही् होती्. दूिरी जर्रतो् की कोई बात ही नही्करता. िािो् िे घुमंतू की सजंदगी गुजार रहे इन िोगो्को अब बदिते िमाज के िाथ एक अदद ठौर और पके्सठकाने की जर्रत महिूि होने िगी है. आंखो् मे् अपने बच्​्ो् को किम पकड्ाने का ख्वाब पािे इन िोगो्के िपने कब पूरे हो्गे, इिके जवाब िमाज और नीसत n सनम्ासताओ् को िोचना होगा.


मध्य प्​्देश

दस साल मंे असंभव को संभव

प्​्देश के मुख्रमंि्ी के र्प मे् वशरराज वसंह चौहान के कार्वकाल के 10 साल 29 नरंबर को पूरे हो रहे है्. उनसे पूजा वसंह की बातचीत बीते दस सालो् की उपलश्बधयो् की बात करे् तो आपकी नजर मे् प्​्देश मे् सबसे बड्ा काम क्या हुआ है? इन दस सालो्की सबसे बड्ी उपलश्बध मै्यह मानता हूं वक इस अववध मे्प्द् श े की प्​्ोफाइल पूरी तरह बदल गयी है. एक समय वपछड्पे न का पय्ाय व माना जाने वाला प्​्देश आज देश के सबसे तेज ववकवसत होते राज्यो् मे् से एक बन गया है. हमने ववकास और प्​्शासन के मोच्​्े पर राज्य को एक वकस्म की जड्ता से बाहर वनकाला है. एक दशक पहले हालात ऐसे थे वक आम जनता को लगता था अब कुछ हो ही नही् सकता. लेवकन हमने उपलब्ध संसाधनो्से ही प्द् श े को बीमार्राज्यो्की श्ण ्े ी से बाहर वनकाला. कृवष और आव्थवक ववकास दर के मामले मे् हम देश मे् नंबर एक पर है्. दस साल पहले प्​्देश मे्24 घंरे वबजली की बात कोई सोच भी नही्सकता था. लेवकन हमने इसे हकीकत मे् बदला. जहां 10 साल पहले केवल साढ्े सात लाख हेक्रेयर भूवम मे् वसंचाई होती थी अब वह आंकड्ा 46 लाख हेक्रेयर तक पहुंच गया है. कुल वमलाकर कहे् तो हमने अनेक असंभव कामो्को संभव कर वदखाया है. आपने प्​्शासवनक जड्ता तोडऩे की बात की? जी हां, हमने नागवरको्को तय समय सीमा के भीतर लोक सेवाएं प्द् ान करने के वलए लोक सेवा प्​्दाय गारंरी जैसा अनूठा कानून बनाया वजसे संयुक्त राष्​्ने भी पुरस्कृत वकया. सीएम हेल्पलाइन और शासन व्यवस्था मे्सूचना प्​्ौद्​्ोवगकी का श्ष ्े त् म इस्म ्े ाल करने वाले राज्यो्मे्मप्​्अव्वल है. भ्​्ष्ाचार के मामलो्की त्ववरत सुनवाई के वलए हमने ववशेष न्यायालय अवधवनयम लागू वकया. इसमे् भ्​्ष्ाचार से अव्जवत संपव्​्त को राज्याधीन करने का प्​्ावधान भी रखा गया है. ई-पेमे्र, ई-मेजरमे्र, ई-रे्डवरंग ने अवनयवमतताओ्को काफी हद तक दूर वकया है. इन सारे प्य ् ासो्की बदौलत लोगो् को लोक सेवाएं बेहतर ढंग से और आसानी से वमल रही है्. मै् इसे बहुत बड्ी उपलश्बध के र्प मे्देखता हूं. ‘मेक इन इंवडया’ की पहल के बाद ‘मेक इन मध्य प्​्देश’ की घोषणा की गयी थी. इस वदशा मे्क्या प्​्गवत है ? मध्य प्द् श े मे्वववनम्ाण व क्त ्े ्को बढ्ावा देने के वलए अनेक कदम उठाये गये है्. हाल ही मे् ववश्​् बै्क से जारी कारोबारी सुगमता रै्वकंग मे् मध्य प्​्देश को देश के प्​्थम पांच राज्यो्मे्शावमल वकया गया. वजन श्​्म कानूनो् मे् संशोधन के वलए के्द् का अनुमोदन जर्री है उन्हे् के्द् के पास भेजा गया है. इन पर राष्​्पवत की मंजूरी वमलने की प्​्तीक्​्ा है. हमने श्​्म कानूनो् मे्सुधार के वलए प्​्भावी कदम उठाये है्. इन्हे्सरल बनाया जा रहा है, स्व घोषणापत्​्योजना लागू की गयी है. अब फैक्रवरयो्का साल मे्केवल एक बार वनरीक्​्ण पय्ावप्त होगा. इसके अलावा 17 श्​्म कानूनो् मे् संशोधन प्​्स्ाववत है्. कई उद्​्मो्को अब 61 की जगह केवल एक पंजीकरण रखना होगा तथा 13 वाव्षवक वववरवणयो् की जगह केवल दो वववरवणयां पेश करने की सुववधा उनको दी गयी है. देश की पहली सेमीकंडक्रर फैब नीवत मध्य प्द् श े ने ही बनायी. उसी तरह रक्​्ा उत्पादन इकाइयो्को बढ्ावा देने की नीवत भी प्​्देश ने बनायी. बाहर से कारोबारी आकर प्​्देश मे्वनम्ावण करे्, इसका हर संभव प्य ् ास वकया जा रहा है. आप कह सकते है्वक मेक इन मध्य प्द् श े का काम जोरो्पर है. यह तो हुई वववनम्ावण की बात. सेवा क्​्ेत्का अथ्वव्यवस्था मे्अहम योगदान है. उसे गवत देने के वलए क्या योजनाएं है्? 30 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

कि​िराज कसंह चौहान: उपलब्धध िा एहसास यह सच है वक वत्म व ान मे्देश की अथ्वव य ् वस्था मे्सेवा क्त ्े ्का योगदान लगातार बढ्ता जा रहा है. आज फुरकर व्यवसाय, बै्क, होरल, वरयल एस्रेर, वशक्​्ा, स्वास्थ्य, समाज सेवा, कंप्यूरर सेवा, मनोरंजन, मीवडया, संचार और ज्​्ा​ान आधावरत व्यवसायो् का महत्व लगातार बढ् रहा है. इसे देखते हुए हमारी सरकार ने सेवा क्​्ेत्को बढ्ावा देने के वलए अनेक कदम उठाये है.् मुखय ् मंत्ी युवा स्वरोजगार योजना और अन्य योजनाओ्की मदद से इन क्​्ेत्ो्मे्व्यवसाय और उद्​्म अपनाने वाले छात्​्ो्को राज्य सरकार आव्थवक सहायता दे रही है. साथ ही उद्​्वमयो् को बै्क ऋण वदलवाने मे् आसानी के वलए राज्य सरकार उनकी गारंरी ले रही है. हमारे युवा लगातार इन क्​्ेत्ो्मे्र्वच ले रहे है्. यह एक वनरंतर प्​्व्िया है. हमारा प्​्यास यही है वक इसे और अवधक ववस्​्ार और गवत वमले. प्​्देश मे्स्मार्ववसरीज को लेकर क्या कोई वववशष्​्पहल की जा रही है ? स्मार्व वसरी मूलत: भारत सरकार की योजना है. प्​्देश के सात शहरो् को स्मार्व वसरी के र्प मे् ववकवसत करने के वलए चुना गया है. इनमे् भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वावलयर, सागर, सतना और उज्​्ैन शावमल है्. अभी इन नगरो् के नगर वनकाय और दूसरे संबंवधत एजंवसयो्


से ववचार ववमश्व और काय्वशालाएं करके स्मार्व वसरी के स्वर्प को वनध्ाववरत करने की वदशा मे्काम हो रहा है्. इसके वलए ववस्​्ृत पवरयोजना वरपोर्व बनायी जा रही है्. ववशेषज्​्ाो् के साथ-साथ आम लोगो् के भी सुझाव वलये जा रहे है्. आगे इस काय्वमे्वकन एजंवसयो्की मदद ली जानी है उस पर काम चल रहा है. वसंहस्थ कुंभ नजदीक आ चुका है. प्​्देश इस ववरार वैव्शक आयोजन से वकस तरह लाभाश्नवत होगा? सरकार ने इसे लेकर क्या काय्वयोजना तैयार की है? वसंहस्थ कुभ ं समस्​्देशवावसयो्की आध्याश्तमक खोज का प्व्तवनवधत्व करता है. इस अवसर पर उज्​्ैन मे्एक महीने के भीतर 5 करोड्लोगो्के आने की संभावना है. इनकी सुरक्​्ा, पवरवहन, वनवास, अधोसंरचना, पूजाअच्वना, आवद के संबंध मे्व्यापक व्यवस्थाएं की जा रही है्. इस वसंहस्थ को वैचावरक पृषभ ् वू म प्द् ान करने के वलए अवभनव पहल की गयी है. एक समय था जब कुभ ं मे्ववश्​्और समाज की ज्वलंत समस्याओ्पर वैचावरक मंथन की परंपरा थी जो कालांतर मे् लुप्त हो गयी. हमने इस परंपरा को दोबारा आरंभ वकया है. वसंहस्थ के पहले कई समसामावयक ववषयो् पर चार बड्ी गोव्​्षयां आयोवजत की जा रही है्. मूल्य आधावरत जीवन पर एक गोष्​्ी भोपाल मे्आयोवजत की जा चुकी है. मानव कल्याण के वलए धम्वववषय पर गोष्​्ी वपछले वदनो्इंदौर मे्हुई. दो गोव्​्षयां और होनी है्. इनके वनष्कष्​्ो्के आधार पर ववश्​्शांवत और सद्​्ाव के वलए उज्​्ैन घोषणा पत्​्जारी वकया जायेगा. इस बार के वसंहस्थ को ग्​्ीन वसंहस्थ के र्प मे्मनाये जाने की भी योजना है.

औद्​्ोवगक ववकास के मोच्​्ेपर वपछड्ा रहा. हमने बहुत सुववचावरत तरीके से देश और देश के बाहर मध्य प्​्देश की संभावनाओ् को वनवेशको् और उद्​्ोगपवतयो् के सामने रखा. मध्य प्​्देश देश के मध्य मे् श्सथत है और आवागमन की दृव्ष से अत्यंत सुववधाजनक है. हमने ऐसी नीवतयां बनायी् वजससे उद्​्ोगपवतयो्को कम से कम असुववधा हो. हमने अलग-अलग क्त ्े ्ो के वलए अलग-अलग नीवतयां बनायी्. इनके चलते उद्​्ोगपवत लगातार प्द् श े की ओर आकव्षवत हो रहे है् और वनवेश के मामले मे् हमे् तवज्​्ो दे रहे है्. कॉरपोरेर जगत भी इसीवलए हमे् महत्व दे रहा है. आप उद्​्ोग जगत मे् हमारी सफलता का अंदाजा इस बात से लगा सकते है् वक बीते 10 साल मे्2 लाख करोड्र्पये मूल्य के समझौता ज्​्ापन पर हस्​्ाक्​्र हुए है् वजनमे्से 1 लाख 15 हजार करोड्र्पये के समझौते हकीकत मे्उतर चुके है्. मुझे आपको यह बताने मे्बहुत खुशी हो रही है वक गत वष्वअक्रूबर मे् इंदौर मे् हुऐ वैव्शक वनवेश सम्मेलन के बाद प्​्देश मे् 22 बड्ी औद्​्ोवगक इकाइयो्ने उत्पादन शुर्भी वकया है. करीब 20 हजार करोड्र्पये के पूज ं ी वनवेश की इन पवरयोजनाओ् से प्​्देश मे् करीब 50 हजार लोगो् को सीधे रोजगार वमला है. राज्य मे्दस साल के शासन के बाद भववष्य मे्आप कौन सी चुनौवतयां अपने समक्​्देखते है्?

भववष्य के वलए हमने ववजन डॉक्युमे्र-2018 बनाया है वजस पर तेजी से काम चल रहा है. मेरा उद्​्ेक्य प्​्देश के ग्​्ामीण क्​्ेत्ो् मे् लघु और कुरीर उद्​्ोगो् का जाल वबछाना है. इससे युवाओ् को स्थानीय र्प से स्वरोजगार तो वमलेगा ही साथ ही प्​्देश की अथ्वव्यवस्था भी और मजबूत होगी. हम आने वाले समय मे् अपनी 10 साल की उपलश्बधयो् प्​्देश के बड्ेशहरो्को छोड्वदया जाये तो ग्​्ामीण अंचल मे्अभी भी संपक्फ को और आगे ले जाये्गे. हमारे सामने चुनौवतयां यह है्वक समय की मांग समेत तमाम कवमयां साफ नजर आती है्. के मुतावबक अपने उपलब्ध संसाधनो् का समुवचत दोहन कर सके्. हम एक जमाना था, ज्यादा नही् 10-12 साल पहले की बात है जब सड्को् अपने युवाओ् को नये जमाने के उद्​्ोग-व्यवसायो् के मुतावबक जर्री कौशल से युकत् कर सके.् इसके अलावा हमे्प्द् श े का अता-पता नही्था. गड्​्ो्मे्सड्क है या सड्क मे् की वसं च ाई क् म ् ता को इतना अवधक बढ् ा ना है वक गड्​्ेयह भी नही्जाना जा सकता था. मुझे यह कहते हमने 95 हजाि रकमी से अरधक एक दो साल कम बावरश होने पर भी कृवष उत्पादन हुए गव्व है वक आज अलग-अलग योजनाओ् की सडंकों का रनमंायण औि सुधाि पर कोई ववपरीत प्​्भाव न हो. वशक्​्ा की व्यवस्था मदद से हमने एक लाख वकलोमीरर लंबी सड्के् को अंतरराष्​्ीय मानको् के अनुर्प ववकवसत बनाकर प्​्देश की जनता को दे दी्है्. हमारा संकल्प रकया है. पं​ंधानमंतंी गं​ंामीण करना और वशक्​्ा को नये आयाम देना भी हमारे है वक आने वाले समय मे्कोई भी गांव वबना सड्क सडंक योजना में 62 हजाि रकमी वलये चुनौती है. मुझे उम्मीद है वक ववजन डॉक्यमु रे् का नही्रहेगा. हर छोरे गांव-रोले को पक्​्ी सड्क से अरधक सडंकें बनायी गयी हैं. 2018 सभी चुनौवतयो् से वनपरने मे् हमारी मदद से जोड्ने का काम पूरा वकया जायेगा. करेगा. आपके शासन काल मे्इस वदशा मे्क्या प्​्गवत हुई है? कृवष ववकास दर के मामले मे्मध्य प्​्देश वनत नये प्​्वतमान गढ्रहा है. यह बीते 10 साल मे् हमने 95 हजार वकलोमीरर से अवधक सड्को् का प्​्देश के वलए कैसे लाभदायक सावबत हुआ है. वनम्ावण और सुधार वकया है. प्​्धानमंत्ी ग्​्ामीण सड्क योजना के तहत 62 मध्य प्​्देश का कृवष उत्पादन जो वष्व 2002-03 मे् मात्​् 1.74 करोड् हजार वकलोमीरर से अवधक सड्के् बनायी गई् है्. मुख्यमंत्ी ग्​्ाम सड्क मीव्​्िक रन था वह आज बढ्कर 4.5 करोड् मीव्​्िक रन हो गया है. हमने योजना मे्6 हजार वकलोमीरर लंबी सड्को्का वनम्ावण काय्वजारी है. इस उद्​्ावनकी को भरपूर बढ्ावा वदया है. इसके फलस्वर्प उद्​्ावनकी का रकबा योजना के तहत 9 हजार से अवधक ऐसे गांवो्को बारहमासी सड्को्से जोड्ा 5 लाख हेक्रेयर से बढ्कर 15 लाख हेक्रेयर हो गया है. इसे कृवष प्​्धान जा रहा है जो प्​्धानमंत्ी ग्​्ाम सड्क योजना के दायरे मे्नही्आते. प्​्देश के अथ्वव्यवस्था वाले हमारे प्​्देश की श्सथवत मे्बड्ा सुधार आया है. मध्य प्​्देश 52 हजार से अवधक गांवो्मे्पंच परमेश्र योजना के तहत सीमे्र-कंि्ीर की जीडीपी दर बीते 10 सालो्मे्पांच गुना बढ्चुकी है. प्​्देश का औद्​्ोवगक के पके्अंदर्नी माग्वऔर नावलयां बनने से इन गांवो्मे्स्वच्छता का नया ववकास भी अत्यंत तेजी से हो रहा है. माहौल बना है. योजना मे् अब तक 9 हजार वकलोमीरर सीसी रोड का वनम्ावण हो चुका है. सड्क वनम्ावण के क्​्ेत्मे वनजी-साव्वजवनक भागीदारी ने लेवकन खेती को लेकर प्​्देश मे्कोई नवाचार शायद ही देखने को वमला हो? अग्​्णी भूवमका वनभायी है. वत्वमान मे् 33 हजार करोड् र्पये की सड्क क्या खेती को और आधुवनक बनाने की योजना है? वनम्ाण व योजनाये्व्​्ियान्वयन के कई चरण मे्है.् एडीबी पवरयोजना के तहत प्थ ् म और व्​्ितीय चरण मे्3304 वकलोमीरर लंबी सड्क का उन्नयन वकया नही्यह कहना सही नही्है वक मध्य प्​्देश मे्कृवष को लेकर नवचार गया है. नही्हो रहे. हम वकसानो्को लगातार नयी तकनीको्से अवगत करा रहे है्. हम हर साल 15 वदन का कृवष महोत्सव मनाते है्. इस साल भी यह मनाया वनवेश सम्मेलनो्के जवरये राज्य मे्वजस वनवेश की प्​्वतबद्​्ता जतायी गई गया. इस दौरान ववशेषज्​्ाो् और वकसानो् के बीच संवाद और नयी कृवष उसे हकीकत मे्बदलने के वलए क्या वकया जा रहा है? तकनीको् के वलए प्​्दश्वनी भी आयोवजत की जाती है्. मुझे इस बात की हाव्दवक प्​्सन्नता है वक वकसान भी नयी तकनीको्को सीखने मे्खूब र्वच पहली बात तो यह वक 10 साल पहले तक प्​्देश मे् अधोसंरचना की लेते है्. हम वकसानो्के वलए ववदेश अध्ययन यात्​्ाओ्का भी आयोजन कर वजतनी घोर उपेक्ा की गयी थी उसके चलते देश-ववदेश के उद्​्ोगपवत मध्य रहे है्. खेती के क्​्ेत् मे् नवाचार इस कदर बढ् गया है वक वकसान अब प्द् श े मे्वनवेश के बारे मे्सोचते तक नही्थे. दूसरी बात, मध्य प्द् श े मे्वनवेश परंपरागत उपजो्की खेती के साथ-साथ फूलो्, सश्बजयो्और औषधीय पौधो् और ववकास की संभावनाओ् को देश और और दुवनया के सामने रखा ही की खेती मे्भी अपनी मेहनत लगा रहे है्. n नही्गया. इन्ही्दो वजहो्से प्​्चुर प्​्ाकृवतक संसाधन होने के बावजूद राज्य शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015 31


महाराष्​् पीपी वाल्यान

च्त् म न्यायािय ने होटिो्, रेसर् ाओ्और बीयर बारो् मे् डांि को प्​्सतबंसधत करने वािे महाराष्​्िरकार के कानून पर रोक िगाते हुए, राज्य मे् डांि बारो् के सफर िे खुिने का रास्​्ा िाफ कर सदया है. शीर्स अदाित ने महाराष्​्पुसि​ि िंशोधन कानून 2014 पर रोक िगा सदया है, सजिमे्राज्य मे्बीयर बार िसहत कई स्थानो् पर डांि को प्​्सतबंसधत सकया गया था. िेसकन महाराष्​् की राज्य सवधान िभा ने 13 जून 2014 को महाराष्​् पुसि​ि स्​्दतीय िंशोधन सवधेयक पासरत कर सदया था. इिके तहत तीन सितारा और पांच सितारा होटिो् मे् डांि प्​्दश्सन के सिए िाइिे्ि देने पर प्​्सतबंध िगा सदया गया. यह प्​्सतबंध अन्य क्िबो्पर भी िागू था सजिे िव्ो्च्​् न्यायािय ने अपने 15 अक्टूबर 2015 के आदेश मे् सनरस्​् कर सदया है. ऐिे मे्सफर िे डांि बार गुिजार हो जाये्गे. मुंबई मे् डांि बार की शुर्आत 1970 मे् हुई थी. जब बार मासिको् ने ग्​्ामीण क्​्ेत् िे

आयी युवसतयो्को अपने बार मे्शराब परोिने के सिए रखना शुर् सकया था. जब सफल्मो् मे् कैबरे डांि शुर् हुआ तो बार मासिको् ने गासयकाओ्के िाथ ऐिी युवसतयां भी रख िी्जो उत्​्ेजक कपड्े पहनकर डांि कर िके्. िाि 1984 मे् महाराष्​् मे् पंजीकृत बारो् की िंख्या मात्​् 24 थी, िेसकन 2005 मे् इनकी िंख्या बढ्कर 1500 के करीब पहुंच गयी थी. इनमे्िे आधे अकेिे मुंबई मे् थे. बदहवािी के िाथ दौड्ती भागती मुंबई के डांि बारो् के इि आकर्सण पर 2005 मे्महाराष्​्िरकार ने यह कहते हुए रोक िगा दी थी सक इि​िे सजस्म फरोशी और मानव तस्करी को बढ्ावा समिता है. उि िमय मुंबई के डांि बारो्मे्50 हजार डांिर, 25 हजार वेटि्स और 500 िे 1,000 गायक डांि बारो् मे् थे. इनमे् ज्यादातर उत्​्री भारत सदल्िी, आगरा और मेरठ और कुछ पंजाब के छोटे कस्बो्िे थे. भारतीय बार गि्सयूसनयन की अध्यक्​्वर्ास कािे बताती है् सक बार गि्स के तीन वग्स ए,बी और िी थे. इिमे्‘ए’ मे्वो डांिर आती थी्जो

तत्कािीन िमय मे्महीने मे्50 हजार र्पये िे भी ज्यादा और ‘बी’ श्​्ेणी की डांिर 15 हजार र्पये और वग्स ‘िी’ की डांिर 5 हजार िे 6 हजार तक हर माह कमा िेती थी्. एक बार के मासिक मंजीत अंब्ोि बताते है्सक यहां िेक्िुअि स्​्ि​ि, िेक्ि उत्​्ेजना िब कुछ होता था िेसकन ये िब होने के बावजूद यहां िुरक्​्ा का पूरा इंतजाम रखा जाता था, क्यो्सक यहां कभी भी कुछ भी हो िकता था. प्​्सतबंध हटने के बाद इि मुद्े पर बार डांिरो् िे भी बात की गयी. मेरठ की बीना कहती है् सक मुझे अपनी मां और अपनी बहन के बच्​्ेकी देखभाि करनी पड्ती थी. मैन् े 13 िाि की उम्​् मे् घर छोड् सदया था सजि​िे मै् खुद अपने सिये जी िकूं. िेसकन अकेिी और अनपढ्होने िे कोई भी नौकरी िगना मुबि् कि था. एक दोस्​्ने मुझे डांि बार का िुझाव सदया. मै् डांि बार मे् काम पाने मे् िफि रही थी. िाि 2005 मे् प्​्सतबंध के िमय मुझे पूरे 15 िाि हो चुके थे. प्​्सतबंध िगने तक मै् अपनी सजंदगी गुजर करने के सिए बहुत िा पैिा कमा

फिर गूंजे्गे डांस बार

अदालती जन द्​्ेश पर महाराष्​् मे् डांस बार जफर से खुल गये है्, लेजकन बार बालाओ् का पुनव्ाषस आधा ही हुआ है. और राज्य सरकार अब भी इन पर प्​्जतबंध लगाने की कोिशश मे् है.

मुंबई मे्एि डांस बार: आधा-अधूरा पुनि्ाभस

32 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015


िेती थी, जो सक 500 िे हजार र्पये रोज था. डांि बार बंद होना एक बड्ा झटका था. इि​िे हमे्खाने के भी िािे पड्चुके थे. भगवान का शुक्है सक अब सजंदगी दुबारा पटरी पर आ चुकी है. िुसधयाना की रजनी(40) बताती है् सक जब मै् िुसधयाना िे मुंबई आयी तो मुझे पैिा कमाना था. एक छोटे शहर िे आने की वजह िे मुंबई शहर की चकाचौ्ध ने मुझे आकस्रसत सकया. मै् एक क्िासिकि डांिर थी इिसिए मै्ने डांि बार चुना. शुर् मे् िोगो् की हरकतो् िे अजीब िा िगता था. िेसकन धीरे-धीरे मैने उनके िाथ िमझौता कर सिया. जो िोग हमारा नाच देखने आते थे. उनके पाि बहुत पैिा होता था और वे मजा िेने और आराम करने के सिये आते थे. चांदनी जो अपनी सजंदगी के 42 विंत देख चुकी है, सदल्िी की रहने वािी है इनका कहना है सक, ‘बार मे्डांि करना बेहद कसठन है’. मै् उि िमय प्​्सतसदन 2000 र्पये कमा िेती थी. ज्यादातर हमारा काम शाम के 3 बजे िे देर रात तक चिता था. िप्ताह के अंत मे्बार पूरा भरा रहता था. क्यो्सक उि सदन िबिे ज्यादा िोग आते थे. िेसकन कभी कभी कुछ िोग परेशानी पैदा कर देते थे. िेसकन यहां िुरक्​्ा का पूरा ध्यान रखा जाता था. यहां पर तैनात िुरक्​्ा गाड्​्ो् को पता होता है सक सकि पर कैिे सनयंत्ण करना है. कोई भी व्यब्कत िीमा िे असधक छेड्छाड्नही्कर िकता था. िेसकन इन्ही्डांि बारो्िे तराशी गयी कई युवसतयां िफिता की बुिंसदयां चूम रही है्. मुंबई और दुबई के बारो्मे्काम करने िे िेकर

डांस बारो्िे बंद होने पर प्​्दि्भन: रोजी-रोटी पर चोट सफल्मी पटकथा सिखने तक का िफर तय करने वािी शगुफ्ता रफीक इिका जीता जागता उदाहरण है्. जो इि िमय महेश भट्​्की सवशेर सफल्म की प्​्मुख स्स्कप्ट राइटर है्. वे िम्हे् (2006) िे िेकर हाि मे् आई आसशकी-2 तक करीब एक दज्सन सफल्मे् सिख चुकी है्. जानी मानी नासयका पूनम पांडे ने अपने फेिबुक पर सिखा है सक िोग ‘बार बािाओ्’ को अच्छी नजरो् िे नही् देखते, िेसकन वे तो उिी तरह मेहनत िे अपनी रोजी रोटी कमाती है्जैिे बाकी िोग. इिसिए मै्इि जीत पर बार बािाओ्को बधाई देती हूं. 35 वर्​्ीय वर्ास कािे जो सक, िामासजक काय्सकत्ास भी है्इनका कहना है सक 10 िाि के बाद हमे् व्यविाय समिने की उम्मीद बधी्है. देह व्यापार िे छुटकारा पाने के सिए कई िड्सकयां इि काम मे् िौट आये्गी. मोसनका बार की पूव्सडांिर और आगरा सनवािी िंगीता सिंह (38) का कहना है सक, ‘ज्यादातर िोग वहां िंगीत जवान और औरतो् को देखने के सिए आते थे, िेसकन मै् ठुमरी और गजि पर डांि करती थी तो कुछ दश्सक भाव सवभोर होकर बैठे रहते. िेसकन अब किा मर चुकी है. महाराष्​् िरकार न्यायािय के सनण्सय िे अब भी खुश नही्है. इि पर रोक िगाने के सिए पूरी गंभीरता िे सवचार कर रही है. इिसिए अभी यह नही्कहा जा िकता की बार मासिको्और बार बािाओ्की मुिीबते्पूरी तरह खत्म हो गयी्है्. िेसकन दूिरी तरफ फैि​िे के चंद रोज पहिे ही आरटीआई काय्सकत्ास असनि गिगिी की यासचका िे यह खुिािा हुआ सक महराष्​् के मुख्यमंत्ी देवे्द्फड्नवीि ने सदिंबर 2014 मे् बै्काक मे् आयोसजत किचरि ओिंसपयाड

मे् भाग िेने के सिए डांि ग्​्ुप के 15 किाकारो् को मुख्यमंत्ी राहत कोर िे 8 िाख र्पये जारी सकये थे. ‘जीना यहां मरना यहां’ की जानी मानी गासयका अनवरी बेगम की दत्​्क पुत्ी और कई सहंदी सफल्मो्की स्स्कप्ट सिखने वािी 50 वर्​्ीय शगुफ्ता रफीक िेक्ि वक्कर और बार डांिर भी रह चुकी है्. शगुफ्ता बताती है्सक जब वे महज 12 िाि की थी तभी मैन् े अपने पािक सपता को खो सदया था. एक कमाऊ िदस्य के अभाव मे् घर की आस्थसक ब्सथसत दयनीय होती चिी गयी क्यो्सक आय के स्​्ोत कम हो गये थे. पैिे की िािच ने इिमे्मेरी र्सच और भी बढ्ा दी. नृत्य करते िमय अपनी भाव भंसगमाओ्िे मुझे पुर्र वग्स को प्​्भासवत करना था सजि​िे वे अपना बटुआ ढीिा कर िके्. आसखरकार मै्इि काय्स मे् सनपुण हो गयी. तब मै् 17 िाि की थी. मेरे असभनेत्ी बनने का िपना पूरा नही् हो पा रहा था. मै्ने भी एक असभनेत्ी बनने की तुिना मे् एक नत्सकी बने रहना ज्यादा उसचत िमझा. क्यो्सक ग्यारहवी् कक्​्ा के बाद मेरी पढ्ाई बंद कर दी गयी थी. मै् एक दिाि के माध्यम िे कुछ अच्छे पुर्रो् िे िंबंध बनाने मे् कामयाब हो गयी थी. इि प्​्कार मै्ने िेक्ि वक्कर के र्प मे्काम करना शुर्कर सदया था. मुझे यह ज्​्ात हो चुका था सक मेरी जैिी मसहिाओ् के सिए डांि बार ज्यादा िुरस्​्कत है्. आसखरकार दुबई पहुच ं कर मैन् े एक डांि बार मे्काम करना शुर् कर सदया. मेरे काम की काफी प्​्शंिा होती, मै् 50 हजार र्पये प्​्सतमाह कमा रही थी. उिी िमय मुंबई के बार मासिको् को कुछ गायको् और नत्ससकयो् की जर्रत थी. िेसकन मै् दुबई छोड्ने के सिए स्वतंत्नही्थी. जब मेरा अनुबधं िमाप्त हो गया तो मै्ने भारत वापि आकर अपनी बूढ्ी मां की िेवा करना ज्यादा उसचत िमझा. यह पेशा 1990 के दशक मे् काफी िम्मान जनक बन चुका था. पहिे्मै्ने बै्गिोर मे् एक बार मे् काम करना शुर् सकया उिके बाद मै्मुंबई आ गयी. जहां मै्ने एक गासयका के र्प मे्असधक और नत्सकी के र्प मे्बहुत कम काम सकया. 2002 मे्मेरी दोस्​्ी एक पुर्र िे हो गयी सजिकी िहायता िे मै्ने सफल्म स्स्कप्ट सिखना शुर्सकया िेसकन दुभ्ासग्य िे इिी िाि मेरी मां की मृत्यु कै्िर िे हो गयी. िेसकन मेरा काम कई िोगो्को पिंद था िाथ ही महेश भट्​् ने भी मेरे काम को पिंद सकया और इि प्​्कार मै्स्स्कप्ट राइटर बन गयी. शगुफ्ता और कई बार बािाओ्की सजंदगी डांि बार िे चिती तो है िेसकन डांि बार की दुदश स् ा सकिी िे सछपी नही्है. उच्त् म न्यायािय के फैि​िे के बाद िे डांि बार तो गुिजार हो रहे है.् पर इिमे्पि रही सजंदसगयो्के कई ि्याम और िफेद पहिू अक्िर सदखते रहते है्. n शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015 33


कन्ा​ाटक

टीपू सुल्तान जयंती समारोह: ि​ि​िाद कितना जर्री

सुलंतान पर घमासान

कन्ाषरक मे् जपछले कुछ समय से जहंदुत्व वादी संगठन छोरी-बड़्ी घरनाओ् पर सांप्दाियक उपद्​्व मचाने की कोजशश कर रहे है्. रीपू सुल्तान से लेकर जगरीश कान्ाषड तक उनके जनशाने पर है्. मनोरमा

न्ासटक मे्बीते कुछ महीनो्िे एक अिग ही आग मे् िुिग रहा है. ताजा सववाद टीपू िुल्तान की जयंती मनाने को िेकर है. मुख्यमंत्ी सिद्​्ारम्मैया के 10 नवंबर को टीपू िुल्तान की जंयती मनाने की घोरणा के िाथ मैिूर, कुग्स, मंगिोर मे्प्​्दश्सन, तनाव शुर्हो गये. दूिरी ओर जाने माने असभनेता, िासहत्यकार सगसरश कन्ाड स के केवि यह िुझाव देने पर सक बंगिूर्अंतरराष्​्ीय हवाई अड्​्ेका नाम शेरे मैिूर टीपू िुल्तान के नाम पर रखा जा िकता है. उनके सखिाफ मोच्ास खोि सदया गया. आसखरकार उन्हो्ने अपना िुझाव वापि िे सिया जो उन्हो्ने उि मतिब िे सदया ही नही् था. हािांसक बीते कुछ महीनो्या िािो्मे्उग्​् दस्​्कणपंथ का पूरे देश मे्मजबूत उभार हुआ है. िेसकन कन्ाटस क मे्ये अचानक नही्है खाितौर पर तटीय इिाको् मे् बीते कुछ िािो् िे िमासजक तानाबाना बहुत िामान्य नही् है. हर छोटी िी घटना पिक झपकते बड्ेसववादो्का िबब बनने को तैयार है. मि​िन, हाि ही मे् 34 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

मंगिोर मे् एक मुब्सिम युवक के कपड्े उतार कर भरे बाजार मे्उिे एक घंटे तक खंभे िे बांध कर रखा और 30 िे ज्यादा िोगो्ने पीटा. सिफ्क इिसिए सक वह एक सहंदू मसहिा िे बात कर रहा था. बाद मे् पुसि​ि ने बजरंग दि के 14 िंसदग्ध काय्क स त्ाओ स ्को इि मामिे मे्सगरफ्तार सकया. इि घटना िे कुछ सदन पहिे दस्​्कण टीपू सुल्तान: पेचीदा व्यब्कतत्ि

कन्नाडा सजिे के िुसिया तािुके के कुके् िब्ह् मन्यश े र् ा कॉिेज की बीबीएम िेकड े् ईयर की दो िड्सकयो्को इिसिए सनिंसबत कर सदया गया. क्यो्सक सकिी पय्टस न स्थि पर वाईन और बीयर की बोतिो् के िाथ उनकी तस्वीरे् वायरि हो गयी् थी्. हािांसक फोटो दो िाि पुरानी और कॉिेज कै्पि िे बाहर की थी. इिी तरह सदिंबर 2014 मे् भी तीन घटनाये् हुयी्, एक बंतवाि सजिे के सवट्ि ् मे्और दो पुतर्ु मे.् पहिी घटना मे् सहंदू िड्की िे बात करने के सिए मुब्सिम िड्के को कॉिेज के छ़ात्​्ो् ने चेतावनी दी. िड्के के सवरोध करने पर उिके िाथ मारपीट की गयी. पुतर्ु मे्बुका्स पहने सकिी िड्की के सहंदू िड्के के िाथ सिनेमा हॉि मे् होने की खबर पर हॉि के बाहर िैकड्ो् िोग एकत्​् हो गये थे. पुसि​ि को िही िमय पर िूचना समि जाने िे कुछ अस्​्पय घसटत होने िे रह गया. 2009 और 2012 की घटनाये् िभी को याद ही हो्गी जब मंगिोर के पब मे्पाट्​्ी कर रही िड्सकयो् के िाथ श्​्ीराम िेना के 40 काय्सकत्ासओ् ने मारपीट की थी. 2012 मे् मंगिोर के सकिी होमस्टे मे्जन्मसदन पाट्​्ी मना


टीपू िी जंयती मे्किरोध मे्प्​्दि्भन: इकतहास िी गलत समझ

रहे 12 िड्के िड्सकयो् के िमूह की पांच िड्सकयो् के िाथ सहंदू जागरण वेसदके के काय्सकताओ्ने मारपीट की. उनके कपड्ेफाड् सदये और उनका शोरण करने की कोसशश की. गौरतिब है सक इिी िाि 30 अगस्​् को बंगिौर िे 430 सकमी दूर ब्सथत धाड्वाड् मे् जाने माने 77 िाि के तक्वक ादी और प्ग् सतशीि कन्नड् सवद्​्ान किबुग्ी की हत्या कर दी गयी थी. इि घटना ने पूरे देश मे् घटते िांप्दासयक िौहाद्स और बढती अिसहष्णूता पर बहि और प्​्सतरोध का माहौि बनाने मे्उत्प्ेरक की तरह काम सकया. पहिे िेखको् ने के्द् और राज्य िरकारो् िे समिे िम्मान को िौटा कर अपना सवरोध दज्सकराया. इि बीच गोमांि के अफवाह पर दादरी मे् हुई अखिाक की हत्या ने अिसहष्णूता के सखिाफ खड्े होने के औसचत्य को ज्यादा जर्री िासबत सकया. इिसिये कई इसतहािकारो्, वैज्ासनको्, सफल्मकारो्और देश के जाने माने उद्​्ोगपसतयो्ने भी देश के मौजूदा माहौि पर िामने आकर सचंता जतायी. िेसकन कन्ासटक मे् धम्ससनरपेक् और उदारवादी सवचारधारा पर चिने का दावा करने वािी कांग्ेि की िरकार होने िे उम्मीद की जा रही थी. यहां की िरकार िख्ती िे ऐिे मामिो् िे सनपटेगी और आगे ऐिी कोई घटना नही् होगी. जबसक, किबुग्ी की हत्या के बाद केएि भगवान को धमसकयां समिी, सफर दावनगेरे मे् युवा दसित िेखक और पत्​्कासरता के छात्​् हुचगं ी प्ि ् ाद पर कुछ िोगो्ने हमिा सकया और उनकी अंगुसियां काट देने की धमकी दी. इि​िे पहिे बागिकोट के मुडहोि मे्गणेश सविज्सन के बाद िे िंप्दासयक तनाव शुर्हो गये. सकिी

ने जुिूि पर पत्थर फे्का और जवाब मे् दूिरे िमुदाय के िोगो् की करोड्ो् की िंपस्​्त स्वाहा कर दी गयी. बिागवी के मुंडा तािुके मे् भी छोटी बात पर तनाव भड्क गया, एहसतयात के तौर पर प्​्शािन ने बिागवी मे्30 अक्तूबर िे श्​्ी राम िेना के नेता प्​्मोद मुथासिक के प्​्वेश पर रोक िगा दी. इिी तरह अक्टूबर के आसखर मे् मंगिोर के सनल्ियडी मे् एक मुि​िमान हजाम की दुकान मंगिवार को खुिी होने पर उि​िे ये कहा गया सक सहंदू मंगिवार को बाि नही् कटाते, अपनी दुकान आज बंद कर िो, उिके मना करने पर माहौि तनावपूण्स होने िगा. हािांसक िमय पर पुसि​ि को खबर समि जाने िे कछ अस्​्पय होते होते रह गया. तटीय कन्ासटक मे् इन सदनो् एक तनाव सवश्​् सहन्दु पसररद के धम्ासतंरण मुसहम की घोरणा िे भी है. सजिकी तारीख नही् बतायी गयी है. जासहर है कगरीि िान्ाभड: जान िी धमिी

इन िब घटनाओ् िे ये िंकेत समि रहे है् सक कन्ाटस क मे्िामासजक, धास्मक स िौहाद्सको खत्म करने की बुसनयाद रोज रखी जा रही है. उग्​् सहंदतु व् अल्पिंखय् क िमुदाय और िड्सकयो्के िंवध ै ासनक असधकारो्को खुिे आम चुनौती देने मे् िगा है. उनके डर िे िड्के, िड्सकयां अपनी मज्​्ी िे,अपनी पिंद के दोस्​्ो्या िाथी के िाथ ना तो सिनेमा हॉि जा िकते है्और ना पाक्कमे्बैठ िकते है्. ऐिे मे्वह न तो ऑटो मे् चि िकते है्और ना ही पब या रेसट् ोरेट् मे्िाथ खा-पी िकते है्. इिसिए ये अनायाि नही् है सक अिसहष्णतू ा का मि​िा यहां के बुस्दजीसवयो् की भी पहिी सचंता बन गया है. िेसकन राज्य के मुख्यमंत्ी सिद्​्ारम्मैया प्​्शािन को चुस् करने के बजाए अपनी राजनीसत चमकाने मे् िग गये है्. अभी तक किबुग्ी की हत्या के मामिे मे् कोई उल्िख े नीय प्ग् सत नही्हुई है और ना ही अशांसत फैिा रहे तत्वो्िे वो बहुत गंभीरता और िख्ती िे सनपट रहे है्. बतौर मुख्यमंत्ी भी वह कई मोच्​्ेपर अिफि िासबत हो रहे है्चाहे राज्य मे् सनवेश िाने और बुसनयादी ढांचा ठीक करने की बात हो या सकिानो् की आत्महत्या रोकने की. इिसिए ये भी चच्ास है सक कांग्ेि हाईकमान सिद्​्ारम्मैया के सवकल्प पर सवचार करने िगा है्, शायद यही वजह है सक सिद्​्ारम्मैया धम्ससनरपेक्ता के मूल्य को अपनी प्​्सतबद्​्ता िे ज्यादा अपनी राजनीसत बनाने मे् िगे हुए है्. चाहे वह िाव्सजसनक गौमांि खाने का बयान हो या टीपू िुल्तान की जन्मसतसथ 20 नवंबर होने के बावजूद उिे 10 नवंबर को ही मनाये जाने की घोरणा कर देना. कुग्स मे् टीपू िुल्तान की जयंती मनाये जाने के सखिाफ हुये सवरोधप्​्दश्सन मे्पुसि​ि िे बचने के क्​्म मे्दीवार िे सगरकर सवश्​् सहंदू पसररद के एक िदस्य की मौत हो गयी. इि​िे सफिहाि एक अिग सकस्म का तनाव है. दरअि​ि, कन्ाटस क िरकार बढ्ते कट्​्रपंथ और सहंदुत्ववादी उग्​् ताकतो् पर िगाम किने मे्पूरी तरह िे अक्​्म िासबत हो रही है. वैिे मि​िे भी िांप्दासयक रंग िे रहे है्. सजिकी कुछ िाि पहिे तक कोई कल्पना भी नही् कर िकता था. मि​िन, टीपू िुल्तान की ही बात करे् पूरे देश की इसतहाि की सकताबो्मे्टीपू नायक रहे है.् कन्ाटस क का बच्​्ा बच्​्ा स्कूि के सदनो् िे टीपू की सवराित और बहादूरी को अपनी पहचान िे जोड्ता रहा है. मैिूर और श्​्ीरंगपट्​्नम पर गव्स करता रहा है िेसकन अब वह और उनकी जयंती भी सववाद का सवरय है. जासहर है ऐिे हािात अगर िंबे िमय तक रहे तो कन्ासटक की आम जनता का नुकिान तो होगा ही मुख्यमंत्ी सिद्​्ारम्मैया को भी शायद अपनी कुि्ी देकर इिकी कीमत n चुकानी पडे. शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015 35


सावहत्य

घास की सुगंध और मैं डायरी लीलाधर मंडलोई

ब मै्9-10 िाि का था तब मुझे पढ्ाया जाता था सकक मुसन कुश घाि पर अपनी तपस्या करते थे. इि बात को िुनकर मै्6-7 िाि की उम्​्की स्मृसत मे्िौट गया था. खेत मे्मां का फि​ि काटने के काम का दृि्य. एक बोरे के टुकड्े पर मुझे सिटा सदया जाता घाि पर. मुझे उिकी िुगंध खी्चती और बोरे के टुकड्ेिे घाि पर सखिक जाता. कहते है् सक मै् घाि की नमी और िुगंध मे् खुश रहता . मां डरती कही् कोई कीड्ा न काट िे. वो मुझे सफर बोरे पर डांटकर सिटा जाती और मै्सफर घाि की िुगंध मे् िौटता. मै् बोरे के उि टुकड्े की जगह घाि मे् िो जाता. आज भी घाि पर िेटने मे्मुझे नी्द तो नही्झपकी जर्र आ जाती है. ितपुड्ा की तिहटी मे्जब घाि की कटाई आसदवािी करते तो उिकी िुगंध जंगि के उि टुकड्े को घेर िेती. मै् वहां देर तक उि िुगंध मे् खोया रहता. कई बार पेड्पर चढ्कर यह पता िगाता सक वह िुगंध ऊपर तक फैिी है या नही्. मै् पाता सक हवा पर िवार उिने अच्छी-खािी ऊंचाई तक आिमान को घेर सिया है. दूर घूमती गायो्को मै्ने िुगंध की सिम्त िौटते देखा है. उिके दूध का घाि की िुगंध िे मै्सरि्ता खोजने 36 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

की कोसशश करता. दूध का रंग िफेद की जगह हरा क्यूं नही् होता, मै् िोचता. हां, गाय के मूत्मे्वह गंध मे्जर्र अनुभव करता. जब घर आते तो वह िुगंध चिी आती पाहुना िी. मां के कपड्ो्मे् वह अक्िर होती और मै् उनिे सिपटा रहता. मां की िाड्ी पर िोने पर मुझे झट िे नी्द आ जाती. मां के िाथ वह िुगधं भी जाती रही. वह अपने िाथ नी्द भी िेती गयी. मै्बेकि िा उि घाि के पाि िौटता हूं सक कभी िुकून भर नी्द पा िकूं.

राग शहद

जब पांचवी्कक्​्ा मे्था, तब की एक यद है िवाि की तरह. हमारे गांव मे् शहद बेचने वािे आसदवािी चक्​्र िगाते थे- ‘शहद िे िो शहद’ पुकारते हुए. हम उनको घेर िेते थे. िोहे की बाब्लटयो् मे् ताजे शहद के िबूत मे्वे उिका छत्​्ा डािकर िाते थे. िाथ मे्शहद मे्कुछ मब्कखयां भी. शायद उनके शहद को िच्​्ा न मानने के भीतरी भय िे. वे हमे्कुछ बूंदे्चखने के सिए जर्र देते तासक हम सजद करके उनकी शहद सबकवा िके्. कोई न कोई बच्​्ा सजद्​्ी होता सक मां-बाप को शहद खरीदना पड्ता. वह औरसध भी थी, समष्​्ान्न भी और प्​्कृसत िे जुड्ाव का एक बहाना भी. हमने बाब्लटयो्मे्मब्कखयां देखी्. ज्यादा बड्ा तो उनका आकार नही्. हम िोचते, शहद मे् डूबे छत्​्े की रचना के बारे मे्. शहद के अप्​्सतम


सारस-सा एक िीवन

स्वाद के बारे मे्. मक्​्ख ् ी यानी मधुमक्खी के जादू के बारे मे्. सिफ्कउनमे् ही ऐिा क्या सवशेर सक शहद बनाने मे् अन्य अनेक मब्कखयां नाकाम. उनके आक्म् ण के अनेक सकस्ि.े सफर आसदवािी सकि तरह उनके दोस्?् या सफर उनके पाि कोई जादू मब्कखयो् को वश मे् करने का. अनेक वह िभी पस्​्कयो्मे्िबिे बड्ा, िबिे ऊंचा. उिका ि​िेटी रंग मेरी िवाि थे सजन्हे्िेकर अगिे कई िािो्तक उिझे रहे. कक्​्ा के गुर्जी आंखो्मे्उतरकर जाग उठा. उिकी टांगो्का रंग िाि है. जैिे िंबी टांगो् के उत्​्र अधूरे थे या सफर िंतुि्करने वािे कम. पर बहती िाि रेखा. कुदरत का कसरि्मा तो देसखए यही िाि रंग टांगो्के एक िवाि यसद अटक जाये सदमाग मे् तो आिानी िे पीछा कहां बाद गद्नस और सिर पर िोहता. मानो सकिी ईश्र् की अनोखी रचना. नीचे छोड्ता है. कभी-कभार समि ही जाता है कोई गुर्सजिके पाि िंति ु ्करने और ऊपरी तरफ िाि और बीच मे्ि​िेटी. रंग योजना का आि्​्य्स. वािे उत्​्र होते है्. परासिया (सज. सछंदवाड्ा) मे्वन सवभाग मे्एक उइके पानी के पाि जब खड्ा होता है तो मानो अन्य पस्​्कयो्के बीच उिका जी थे. ितपुड्ा के जंगिो् मे् सजंदगी भर काम सकया. वे हमारे सिए ठाठ अिग िे दृि्य मे्. और इतना धैय्सवान सक उिका पुकारना बमुब्िकि जानकारी यानी ज्​्ान के मास्टर थे. उनके पाि हर िुनाई देता हौिे-हौिे. कोई चीख नही्. कानंहा के बनवासी इनंहें पंयाि चीज का जवाब होता. उनके दफ्तर मे् हमे् पानी के पाि उिका मन असधक िुकनू पाता. चौरसिया मास्िाब िे गये. मास्िाब तब ऐिे हुआ किते हैं. वे इनंहें दामंपतंय जीवन ऐिा नही् सक वह हरदम वही् डेरा डािकर पड्ा करते थे. ज्​्ान के सिए उन्हे् सवद्​्ान की शरण मे् रहता. जब उड्ता तो जंगि के रनवे पर पहिे दौड् के रलए शुभ मानते हैं. पं​ंेम का जाने की सझझक न थी. उइके जी प्​्िन्न हुए. िगाता दूर तक और सफर अपने पंखो्को एक गसत सगुन इनंहीं को जोडंे में देखकि उन्हो्ने अपने एक कम्सचारी को बुिाया और कान मे् खोिता, सफर फड्फड्ाता. गरदन ब्सथर हो रवचाि किते हैं. मे् कुछ कहा. इि बीच वे मास्िाब िे गुसठयाने जाती और टांगे् एक सनस्​्ित गसत मे्. वह चूंसक (बात करने) िगे. बहुत ऊपर नही्उड्ता तो आप उिकी गसतसवसधयो्को पढ्िकते है्. मै्ने कुछ देर बाद एक परात मे्मधुछत्​्ा था. शहद थी. मुधमब्कखयां. और कई बार उिके करतब देखे. एक चाट्सके िहारे उन्हो्ने शहद बनाने की प्स्​्कया, मब्कखयो्का काम और कान्हा के बनवािी इन्हे्प्यार करते है्. वे इन्हे्दाम्पत्य जीवन के सिए स्वभाव, उनका शहद के सिए प्​्ेम और आक्​्मण, मनुष्य का िोभ आसद शुभ मानते है्. प्​्ेम का िगुन इन्ही्को जोड्ेमे्देखकर सवचार करते है्. वह के बारे मे्बताया. बि दो बाते्याद रही्थोड्ेसवस्​्ार के िाथ. सदशा शुभ होती है जहां जोड्ा सदखाई दे. इिकी पुकार को अच्छा िगुन मधुमक्खी िाधारण मक्खी नही्. वह अकारण हमिा नही् करती. माना जाता है. कान्हा मे्िोग अपने को भाग्यशािी मानते है्जब कोई जोड्ा फूिो्िे उिका प्​्ेम अनूठा है. वह फूिो्के पराग और मकरंद पर आस्​्शत, एक िाथ बोि उठे. ये आवाज िुरीिी होती है और जंगि मे इिकी अनुगज ूं इिसिए सबना उन्हे् प्​्ेम सकये वह पराग और मकरंद हड्प िेती हो, ऐिा कुछ िमय तक बनी रहती है. जैिे इि िमय वह मेरी चेतना पर सवराजी नही्. उिका एक राग है. वह अकेिी पराग और मकरंद िे शहद र्प की है. पुनर्सचना कर िकती है, इिे फूि जर्र जानते हो्गे. यह भी सक शहद प्​्ेम के सदनो् मे् इनका नृत्य काममय होता है. ये अपनी िाथी को आसदवासियो्के जीवन मे्अकेिा उत्िव के सदन का मीठा आस्वाद िुख आकस्रसत करने के सिए नृत्य करते है्. इनके बड्ेपंख अनोखी आकृसतयो् है. वे अपने िाथ जो मकरंद िाती है्उिमे्िे एक सहस्िा छत्​्ो्मे्जमा मे्डोिते है्. एक वृत्मे्िाथी के आि-पाि डोिना. पांवो्और गद्सन का करती है्. शहद बनने मे्िंबा िमय िगता है. वे छत्​्ेमे्बनते शहद की तािबद्​् झूमना. ऐिा िगता है मानो प्​्ेम प्​्िंगो् की सवशेर कोसरयोग्​्ाफी रक्​्ा करती्वात्िल्य भाव की प्​्गाढ्ता मे्होती है्. कोई इिे छीने तोड्े, उन्हे् की परंपरा का इन्हे्ज्​्ान हो. शायद उि​िे असधक सक नृत्य मे्नवाचार भी कैिे मंजूर हो. क्या हम अपनी िंपस्​्त के सिए मार सपटाई, हमिा-हत्या होता होगा स्​्पय के स्वभाव के अनुिार. मै्रोज िबुह 9 बजे जिाशय पहुच ं तक नही्उतर जाते. ये उनकी कमायी पूंजी है. सफर भी वे उिे छोड्कर जाता. इंतजार करता प्​्कृसत की इन अनुपम रचनाओ्की. पक्​्ी सवज्​्ान िे नयी शहद के िृजन मे्िग जाती है्. यसद छत्​्ेकी शहद ठीक िे पकी न दूर-दूर का नाता न होते हुए उनके देखने का सवज्​्ान भीतर कही्होगा सक हो और कोई तोड्ने पर आमादा हो तो वे आक्​्मण करे्गी. उनकी किा इतने ध्यान िे देखने को मन सवकि. अधूरी रहे, उन्हे्मंजूर नही्. तक्किे परे होकर भी यह तक्ासकीत न था... मै् उनके िाथ रहने का स्वप्न पािता हूं. मै् उन िा िरि प्​्ेमी होने हमने उनके मृत शरीर शहद की बाल्टी मे्देखे थे जो बब्रस ता िे ही मुमसकन की कल्पना करता हूं. मै् पुनज्सन्म सवश्​्ाि नही् करता. सकंतु िारि का था. शहद के छत्​्ेतोड्ने वािो्की सन म्सतता िे. यह सनम्समता, िूट-खिोट एक जीवन जीने की कामना करता हूं. मनुष्य जीवन मे्िंदेह और धोखो् सिफ्कमनुष्य के खाते मे्ही होते है्. के बीच इतना सनि्छि सनष्किुर प्​्ेम कहां?

वरिष्​् करव औि गद्​्काि. प्​्मुख कृरियां: िाि-रि​िाि, घि-घि घूमा, मगि एक आवाज, रिक्खे मे् दुख, रदि का रकस्सा, कािा पानी, काि िांका रि​िछा. डायिी औि रनजी गद्​् के रिए चर्चि​ि . कई पुिस्कािो् से सम्मारनि. इन रदनो् नया ज्​्ानोदय के संपादक.

सपने के भीतर सपना

िपने के भीतर एक और िपना है ितपुड्ा का. जहां छूट गयी ध्वसनयो्का वाद्​्वृंद बजता रहता है मस्​्दम मस्​्दम. सकरनो्की िांझा ढिे की कुनमुन र्नझुन करती एक बच्​्ी की िी पाजेब. पौधो्िे जि मे्टपकती बूंदो्की सटप-सटप, सबछड् के सफर िे समिे पांसखयो् की सकिक सकि. िुबह अिस्िुवह बहती हवा की िुरीिी धुन अब तक िो रहे िोगो्के नथुनो्िे सनकिती सनद्​्ाि​ि आवाजे्और सबब्समल्िाह खां की शहनाई की भैरवी के िुर. सकिी पसनहासरन के गिे िे फूटता कासतक गीत जाने सकतने बीते पिो् की झांझन मे्िन-िन करता गुजरता एक झो्का सक कंविो्की अनोखी सिरहन और यह सहचकी जो उिकी िाद मे्उठी. उि छब मे्डूबा तो शीरी् आह-अहा वो एक भंवर थी, सजिमे्डूबने की कोमि याद भर. जेिे देह मे् गुनगुनाती िल्ज बहार, जैिे दसरया मे् उठती बेताब िहर. कोई बात नही् शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015 37


सावहत्य

सफर भी अहम बात तो है. पत्​्े-पत्​्े हरे मचिकर रास्​्ेकी दुकान िे मुंगोड्ो्की िुगंध ऐिी थी उन पर ठहरी बूंदो् को सकि अदा िे नचाते छम सक आप उिे खा िकते थे. एकाएक झटके िे पेडं पि रचरंडयों का गान था छम. मानो वो उनके पिीने के कीमती कण, गाड्ी मुंगोड्ो्के आकर्सण मे्र्क गयी थी. सुहाना. भावपूणंय तानों में मानो सजनका समिन हुआ धूप की शरारत िे और पेड्ो् के बीच एक छोटी िी दुकान. और बागेशंी की रवलंरबत एक ताल. गरम-गरम मुंगोड्े पुकारता एक िड्का िामने टहसनयो्की किाइयां हल्दी हुई्. एक अबूझ िाग फूल िस के साथ हासजर. हरी तीखी चटनी की गंध ने 5 िोगो्के मै् हूं सक ख्वाब की उंगिी थामे एक दुआ मे् उठाये हाथ अपने, बुदबुदाता हूं ये आिम सिए 10 प्िेट मुंगोड्ो्के ऑड्सर को मजबूर सकया. भीति आकाि ले िहा था. सजंदगी है. इिे थामो, इिे गह िो, इिे बि गोि-गोि भूरे मुंगोड्ो् ने कढ्ाई मे् नाचना शुर् प्यार करो. ये जो सदिकश आवाजे् है्, नेमत है बहोत कीमती. हम िब सकया. और भूख ने कमसिन अंगड्ाई िी. पानी के बोतिो् मे् िे एक मे् है्इनके कज्सदार. सबन इिके तनहाई का तिव्वुर करो. तुम अजाने खौफ फूि रि था. न न फूि आग थी. दूर–दूर तक कोई खाकी वद्​्ी वािा न के दसरया मे् चीख-चीख रह जाओगे. पुकारोगे बादिो् को और वे न था. मुंगोड्ेथे, हरी चटनी थी और फूि आग. बरिेग् .े न मुिाकात होगी तुमह् ारी रंगो्िे. महर्म हो जाओगे अनेक िुगध ं ो् पेड् पर सचस्डयो् का गान था िुहाना. भावपूण्स तानो् मे् मानो बागेश्ी िे. गद्समे्डूब जायेगा िूरज. चांद रातो्मे्खो जायेगा. दम ब दम ये तब की सविंसबत एक ताि. एक अबूझ राग फूि रि के िाथ भीतर आकार िे उट्​्ी थी. िुनते हुए दरख्तो् की बांिुरी. और वो उजािा, वो फूि, वो रहा था जो तीन ताि मे्िफर करने को था. हम चार आवारा बातचीत मे् पासनयो्की चमक. कैिे बदि रही है कांटो्की चुभन मे् यकिां, और ये बचपन को मेज पर हाथ िे ताि देते गने की बेिुरी कोसशश मे्थे. िुनिान फजां. ये तेज गम्सहवा. ये बेनरू गुजर गाह िी. ये गुि िे जुदा होती मै्इि चच्ास मे्कम शरीक था. मै्शाम के धुध ं िके मे्गाती सचस्डयाओ् खुशबुएं एकाएक. ये सदन की बेकिी. सक हादिा कोई घटने को है. मै् को खोज रहा था. उि एक को खािकर, जो उनमे् िबिे असधक मधुर चौ्ककर िपने िे बाहर आता हूं. देखता हूं तो आिम रंग मे्है. इतना जो थी. मै्उिे ढूंढ्रहा था या सक कुछ और... मै्कुछ याद कर रहा था और खुशनुमा-िा मंजर था. चेतावनी देता बोि रहा. इन प्यारी कूजो् के पीछे दोस्​्ो्के बीच िे गायब हो गया था. दुख का एक िमंदर भी है. दुख मे् एक सदन डूब न जाये िब. रोने की मुझे याद हो आयी बड्ेगुिाम अिी की ठुमरी जैिे उिने इिी िमय आवाज िुनो कुछ. हंिता-हंिाता िपना था वो. रोता-रोता ये राग िुनो. िगाई हो घर मे्‘याद सपया की आये’. मै्उिे घर पर छोड्आने पर खुद बचा िको तो बचा िो धरती. कौन समटा रहा उिके गीत. कोई तो है सक को कोि रहा हूं. यह जानते हुए सक वह उिके सगरधर का घर नही्. मै्उिे जंगि इि कदर हिकान. िपने का दूिरा सहस्िा सबिावजह तो इतना खट्​्ी इमिी खाते घर छोड्आया था. खौफनाक नही्... िहरो्का वेग नीचे उतरकर भंवर की तरह अपने मद मे्वृत्ाकार घूम गम्​्ी की शाम. जीप पर िवार चार बचपन के दोस्​्. एक उम्​्के बाद रहा है. उिमे्िे सछटकते कणो्को िहवाि के दृि्यो्की तरह याद करता िाथ. मै्िामने वािी िीट पर. मै्ने अनुभव सकया जीप नही्, िड्क दौड् हूं. जैिा एक सखिा वह र्प स्​्ी का तब हो उठता है, वह यहां मानो जि रही थी. िंग िाथ पेड्सजनकी अंतहीन कतार थी गसत मे्. हवा की िुगंध मे्िक्​्ात है... मै्जि िुहाग की छसवयो्को कैद करने मे्चूक रहा हूं. एक का इि तरह नथुनो् मे् दौड्ना सवरि था जीवन मे्. पीछे दोस्​्ो् की हंिी अधूरे प्​्यत्न मे्, मै् जो सिखने की चेि्ा मे् हूं वो इतना नाकाफी है सक ितीफो्पर िवार थी. पुरानी जीप डीजि की गंध को फे्कती बीच-बीच मे् िगभग सिफर. िुगंध िे हाथापाई कर रही थी. इि शाश्​्त िफेद कंवि की हया को, मौज को, काम-मद को रोशनी कम हो रही थी. शाम के माहौि मे्खुनक का कोमि एहिाि सिखना नामुमसकन. एक कसव के िीने मे्इतना ख्वाब भी िपना मुबि् कि बादि के टुकड्ो्पर िवार था. प्​्कृसत का रंग सदन भर दौड्ते ट्​्को्, बिो् सक इि रिीिे मंजर को बयान कर िके. इि धुआं-धुआं चांदी के जि और जीपो् िे उठी गद्स िे कुछ मटमैिा हो उठा था. खेत भागती जीप िे हुस्न के सकिी एक िम्हे को पकड्कर रोशन करने वािे अल्फाज कहां. मै्तो नीम बेहोशी मे्बढ्ती बेखुदी के बीच कुछ ितरे्यहां के आिम कुछ धुध ं िे सदखाई दे रहे थे. यात्​्ा के बीच पड्ते गांवो्मे्बस्​्तयां सटमसटमाने ए हुस्न पर सिखने की अब भी अजनबी सहमाकत कर रहा हूं...n िगी थी्. हम मटकुिी पहुंच गये थे. 38 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015


कववता तशवप्​्साद जोशी युवा कसव, अनुवादक और मीिडयाकम्​्ी. ज्ी न्यूज्, िहारा टीवी िमाचार चैनिो्और बीबीिी वल्ड्सिस्वसि और जम्सन रेसडयो (डॉयचे वेिे) मे्काम करते रहे. नये मीसडया सवमश्सपर पे्गुइन और राजकमि िे प्​्कासशत दो सकताबो्के िह िेखक. एक गद्​्िंग्ह और एक कसवता िंग्ह शीघ्​्प्​्काि्य.

आि

सकतनी िुनहरी िुबह है ज्रा भी धूि और चोट नही् सहंिा कैिी रक्त बह रहा है धीरे-धीरे ये सखिी हुई धूप है जनाब िस्दसयो्की इिे अंत्सनाद मत कसहए.

तनराशा खूब हरी-भरी टहनी चटखती रहती है कही्िे हम सिफ़क्हरापन और पत्​्ेखूब िारे देखते है् छांव सदखती है िस्दसयो्मे्थोड्ा सदक्​्क्त िगती है िेसकन अि​िी सनराशा यह नही् वह तो दरार मे्बैठी है कुरेदती हुई टहनी को सकिी भी वक्​्त पेड्िे अिग करने को तत्पर. नयी टहनी का रास्​्ा भी वही्िे सनकिता है जहां िे अभी-अभी सगरी है सनराशा.

कोतशश

जिते हुए बल्ब का स्फ़िामे्ट सगरता है कांच के भीतर मै्अपने भीतर ऐिे सगरा कोई तो िूत्होता होगा सजि​िे हम पीछे के अनुभवो्मे्िौट िके् और वहां उन्हे्सफर िे अंजाम दे् इि बार सबल्कुि ठीक-ठीक हम जो ढहाते जाते है्रोज् कुछ ऐिा होता सक वह जुड्ता जाता सफर अयोध्या मे्ही रहती बाबरी मब्सजद और विी का मजार गुजरात मे् हम जो आगे-आगे जाते है् और खून और धूि िे भर देते है्िारी जगह पीछे भी िौटते और िाफ़्करते िारी जगह सफर आते मै्ने एक दावत मे्जाना तय नही्सकया था मै्गया तो मुझे तय करने मे्िौट आना था मुझे बार-बार नही्करनी थी एक बात पीछे पड्ता हुआ सदखने के बजाय मुझे आगे जाता हुआ सदखना था गिती के रास्​्ेपर अफिोि की तरह नही्िौटना था पहिे ही िौटना था सववेक के िाथ

सकतना मुब्िकि है दूिरो्के अन्यायो्को भूिकर िौटना िोग कहते है्घर जाओ मत डरो पर ऐिा िौटते सक जैिे पाि-पड्ोि िे खेत िे तो कोई बात थी सशसवरो्िे िौटना सफर वही्पहुंचना है कोई ऐिा िूत्होता सक वास्​्व मे्मानवता का पक्​्ा घेरा सखंच जाता उिको तोड्ने िे पहिे ही टूट जाती बुरी हवा अतीत के अंधेरो्िे न कूद आते आततायी मै्ने चैन का िूत्चाहा सक तभी सगरा अपने भीतर जैिे खी्चा गया हूं वहां.

करवटे्

एक करवट िेते ही आ गया फ़्ािीवाद क्या इतना आिानी िे प्​्वेश करती है दुि्ता या तरीक्ा ही गड्बड्है िोने का दो चिा मै्िुरक्​्ा की ओर चिा मै्ऊब की ओर चिा मै्अपनी ओर पहुंचा गिी मे् फ़्ािीवाद की तीन अपने िे हो रही है िहानुभूसत करवट िेते हुए पिट जाते है्िपने नी्द मे्सदखता है मिबा अपने पैिे टटोिते है्आप बै्क मे् ख़्ुद को कोिते ही जाते है बेइंतहा आप पर िपकता हुआ आता है फ़्ािीवाद चार सफर कैिे िड्ते रहे्गे आप दवाएं कहां तक चिे्गी आपका मन क्या कहता है

वह क्या ढेर हुआ क्यो्कैिे पूछे. पांच सचत्​्तो िब शानदार है् उनमे्वेदनाएं है्मैिेज है्बारीकी िे उकेरे प्​्सतरोध सदखाते है् इनकी भरपूर वाह-वाह होती है सचत्​्कार अपनी गदगद को एक भंसगमा मे् सछपाता है और भिा ये टंगते कहां है् एक महान देखा मै्ने एक दृि्य मे् प्​्धानमंत्ी काय्ासिय मे् दूिरा भी कुछ दूरी पर था प्​्धानमंत्ी सनवाि मे् छह फ़्ािीवाद जब आता है तब िेफ्ट सचतेरो्की राह को कुछ ऐिा जादुई बनाता है सक कुछ ठगी मे्िग जाते है्कुछ जोड्मे् कुछ कहते है्इतना तो चिता है कुछ हो जाते है्मध्यमाग्​्ी कुछ फ़ै्क्ट फ़्ाइंसडग टीम मे्जाते है् और वहां िे प्​्ोफ़े्िर की नौकरी मे् सात मुझे वहां फ़्ाशीवाद ने मारा जहां वह बहुत पहिे मारा जा चुका था वह हर स्कस्म की कुिीनता मे्जा घुिता है मि​िन बौस्​्दक कुिीनता मे् वहां पनपता है आठ सजन्हे्हम छटाएं कहते है् वे सवपदाएं होती है् फ़्ाशीवाद की. नौ सजतना सवरोध मे्सिखो उतना ही सहंिक होता है िमय घड्ी की िुइयां तक छुसरयां बन जाती है मौक्ा िगते ही पीठ पर करती है्वार दस प्​्ेम न छोड्ना सकिी भी कीमत पर क्यो्सक जहां समिेगी खािी जगह n वहां आयेगा फ़्ािीवाद. शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015 39


सािहत् मास्यट/स्हेामीक् ड ्ा

कुमारजीर का जीरन काव्र जहंदी के जाने-माने कजव कुंवर नारायण अपने जीवन की उत्​्रशती मे् शताब्ददयो् पूव्ष जन्मे बौद्​् दाश्षजनक कुमारजीव के जीवन मे् लौरे है्.

ओम तनश्​्ल

ध्य एसशया को अपनी दाश्ससनक प्​्त्यसभज्​्ा िे आप्िासवत करने वािे कुमारजीव बौद्​् िासहत्य और सचंतन की के्द्ीय धुरी रहे है्. कूछा और कि्मीर मे् दीस्​्कत कुमारजीव ने भारतीय बौद्ग् थ ्ं ो्का चीनी मे्अनुवाद कर बौद्​्िासहत्य के प्​्िार मे् अहम भूसमका सनभायी है. कूछा, कि्मीर, काि्गरे , ल्यांगचओ और छांग-आन मे् फैिी अपनी जीवन काि मे्कुमारजीव ने तीन हजार िे ज्यादा सशष्य बनाये पर बौद्​् िासहत्य के अनुवादक होने के अिावा वे स्वयं मे् एक दाश्ससनक स्​्ंभ थे. कुंवर नारायण अपनी कसवताओ् को सजन नैसतक प्​्त्ययो् िे रचते है्, कुमारजीव के जीवन और कृसतत्व मे्वे नैसतक आयाम दृढ्ता िे मौजूद है्. कुंवर नारायण ने अपने नये काव्य कुमारजीव मे् इिी शब्खियत को के्द्मे्रखा है. िोग जीवसनयां पढ्ते है.् वे सवस्मृत हो जाती है् या अवचेतन मे् रच बि जाती है्. कुंवर नारायण ने अवचेतन मे् बिे कुमारजीव को इसतहाि के पन्नो् िे सनकािकर कसव-कल्पना िे एक ऐिे उदात्त, दाश्ससनक सचंतन िे मंसडत चसरत्​्के र्प मे्रखा है जो 344 ई मे्कूछा मे् पैदा हुआ, कि्मीर मे् सपता कुमारायण की देखरेख मे्प्​्ारंसभक सशक्​्ा पायी. अध्ययनोपरांत कूछा और काि्गर िौट कर महायानी सवद्​्ान िूयि स् ोम के सवचारो्िे गहरे प्भ् ासवत हुआ. कूछा मे् आचाय्स सवमिाक्​् की देखरेख मे् िंस्कृत वाड्.मय का गहन अध्ययन सकया. श्​्मण परंपरा मे् यायावरी करते हुए वह ख्यासत पायी सक हर शािक उिे अपने दरबार की शोभा बनाना चाहता. इिी प्​्स्कया मे् कुमारजीव को छांग-आन के शािक फू-च्येन ने बंदी बनाया. पर फू-च्येन की आकस्समक हत्या के बाद कुमारजीव ने ित्​्ह वर्स ल्यांगचओ मे् ल्वी कुआगं की सहराित मे्गुजारे िेसकन सफर छांग– आन मे् तख्ता पिटने और फू-च्येन के पुत् याओ-सशंग के िम्​्ाट बनने के बाद कुमारजीव ने छांग-आन मे्िौट कर अपने जीवन के तेरह वर्स िम्मान के िाथ व्यतीत सकये. जीवन मे् सवपदाएं आयी् पर वे कुमारजीव की बौस्​्दक अंत:शक्सत को सडगा न िकी्, इन तमाम मोड्ो् िे गुजरते हुए उन्हो्ने बौद्​्सचंतको्मे्एक अिग स्थान बनाया. 40 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

सहंदी के जाने माने कसव कुंवर नारायण ने अपना जीवनारंभ नसचकेता-वाजश्​्वा प्​्िंग के काव्यात्मक आख्यान 'आत्मजयी' िे सकया था, उिका िमाहार ‘वाजश्​्वा के बहाने’ िे सकया. अब अपने जीवन की उत्​्रशती मे्वे शताब्लदयो् पूव्स जन्मे कुमारजीव के जीवन मे् िौटे है्. 'कुमारजीव' उनका नया काव्य है, जहां उन्हो्ने इि बौद्​् सचंतक की जीवनाभा को अपनी काव्यानुभूसत और िंवेदना की छुवन िे एक जीवन-िंदेश मे् बदि सदया है. अपनी कृसतयो् मे् एक प्​्सत-िमय जीता रचता हुआ यह दाश्ससनक कुंवर जी को कई अथ्​्ो् मे् िम्मोसहत और िमासवि्​् करता है. कहते है्, ऐिे दाश्ससनको्की यात्​्ाएं कभी खत्म नही्होती्. वह

िुमारजीि (िाव्य). िुंिर नारायण. भारतीय ज्​्ानपीठ, 18, इंस्टीट्​्ूिनल एकरया, लोदी रोड, नयी कदल्ली. पृष्ठ 187 . मूल्य 250 र्पये.

महायात्​्ा पर सनकिता है िसदयो् को फिांगता हुआ और अंतत: एक अक्​्ुण्ण सवचार-यात्​्ा मे् पय्सवसित हो उठता है. इि काव्य का प्​्योजन कुंवर जी के ही शल्दो् मे् : ‘मै्, कुमारजीव---बुद् के उपदेशो् का वाहक/अनुवादक मात्​्नही्/उनके माध्यम िे अपना भी एक िंदेश हूं/उनके िंदेशो् मे् शासमि./तथागत की सशक्​्ाओ् के िाथ/उनमे् मेरी िाधनाएं भी शासमि है्./मै् अपनी कृसतयो् मे् सनबद्​्/अपना वह प्​्सत-िमय भी हूं/सजिमे् मै् जीसवत रहूंगा/अपने बाद भी-तथागत के िाथ’ और कुमारजीव का जीवन इि तरह तथागतमय हो उठता है सक वह जेतवन की उदात्​्कल्पना मे्खो जाता है:

मेरा मन है -जेतवन/वहां कही् एक श्​्ावस्​्ी है, कही् अमरावती/और तथागत का जीता जागता िाब्ननध्य/उनकी सशक्​्ाओ् को िुनते श्​्मण/जहां िारनाथ, िांची और पाटसिपुत्है.्/सिच्छसवयो्के रथो्के धुरो्िे धुरा समिाकर /अपना रथ दौड्ाती अंबपासिकागसणका/िगव्सकहती सक ' आज मेरे आम्व् न मे् तथागत मेरे असतसथ है्'/'हजार कार्ासपण िे िे गसणका यह आसतथ्य हमे्दे दे'/' हजार जनपद दे दो तो भी नही्.' सिच्छसवयो् ने िुना/और िबिे आगे बढ्गया उिका रथ. एक अनूठे काव्यात्मक पय्ासवरण मे् कुंवर नारायण कुमारजीव के जीवन और कम्स को टटोिते है.् कुमारजीव की यात्​्ाओ्के िाथ िाथ यानी कूछा िे कि्मीर, कि्मीर िे कूछा िौटते हुए क्ाि्गर मे्एक वर्स, कूछा वापिी, कूछा िे ल्यांगचओ और छांग-आन शीर्सक खंडो् के अंतग्सत कुमारजीव के व्यक्सतत्व को आकसित करते है्. कुंवर नारायण का काव्य नैसतक आग्​्हो् का काव्य है. वे कसवता को भी अंतत: अकाट्​्जीवन-सववेक की किौटी पर रख कर देखते है्. उनका काव्य िुभासरतो् िे भरा है. वे सिखते है्: ‘हर व्यक्सत का यह जन्मसिद्​् असधकार है सक वह अपने सिए जीवन का क्या ध्येय चुनता है.‘ यह भी सक बच्चे के ‘पृथ्वी पर पांव रखते ही पूरी पृथ्वी उिकी मां हो जाती है.’ उनके इि कहे को गुनने के सिवाय भिा क्या सवकल्प हो िकता है सक कुशि तैराक िहरो्िे िड्ता नही्, उन पर िे तैरता है. कुमारजीव का िूय्सिोम िे समिना उिके जीवन की अनूठी घटना है. यही वे सदन थे जब कुमारजीव का मन िोचता: ‘ िुिह क्यो्नही्/ क्​्मा क्यो्नही्/ दो असतयो्के बीच िे सनकिता/एक तीिरा मध्यम माग्स क्यो् नही्?’ यह वही मध्यम माग्स या मज्सझम सनकाय है सजिकी बात बुद्सकया करते थे. वह मात्​् बौद्​् धम्​्ोपदेशक होकर जीवन सबता िकता था. पर उिने बौद्​् ग्​्ंथो् के अनुवादक, ज्​्ाता और व्याख्याता होने का िंकल्प सिया. वह अदृि्य का ऐिा मधुिंचयी था सजिने िंस्कृत भारा की माधुरी को चीनी भारा मे्िंजोने का काम सकया. कहना न होगा सक सभक्खु कुमारजीव के पसरव्​्ाजक सचत्त को यायावरी और बंदी जीवन के बावजूद सहमािय की उपत्यकाओ् िे हजार िािो्पहिे उठी सवचारो्की िहर मथती रही.


उिकी आंखे् गेर्ए िबादे मे् बुद् को अपने िामने खड्ा हुआ पाती्, वही िंगीत, प्​्भा, प्​्तीसत, प्​्ज्ा पारसमता-िंस्कृत, पािी, तुरारी, चीनी और सतल्बती मे् आती हुई अस्फुट शल्दध्वसनयां. वह इि अहं को सधक्कारता सजिमे् सिप्त शािक एक भयभीत बच्चे-िी हंिती खेिती एक सनरीह िभ्यता को धूि मे्समिा कर गव्स िे फूिे नही् िमाते और चीख-चीख कर घोसरत करते, ‘पूरी दुसनया मेरा िाम्​्ाज्य है.’ कुमारजीव की स्मृसत मे् िेनापसत ल्वी-कुआंग की कू्रताएं है्जो जबद्सस्ती मुंह मे्शराब उड्ेि सदये जाने और उपभोग के सिए युवती मुहैया कराये जाने पर भी उिके माथे पर आि्वस्​्स िे हाथ फेरता हुआ यही कहता है, ‘डरो नही्-तुम नही्. केवि तुम्हारा िाहि टूटा है.’ कुंवर नारायण कुमारजीव के बहाने रेशम माग्स के बीहड् रास्तो् के बीच मर्थि और रेत की खूंखार आंसधयो् िे गुजरते हुए इि सनष्कर्स पर पहुंचते है् सक आसखकार जीवन है तो इन्ही् छोटे छोटे मर्द्ानो्मे्. बंदी कुमारजीव को यह अनुभव होता है सक ‘एक कारागार मे्भी िंभव है प्​्सतसदन एक नया जीवन.’ वह दीवािो् को पुस्तको्िे ढंक देता है जहां सवचार, कल्पनाएं, भाराएं, ज्​्ान-सवज्​्ान िब मुक्सत के उन्मुक्त अिीम मे् मौजूद है्, और जब याओ-सशंग की आवाज िुनाई देती है, उठो कुमारजीव तुम अब मुक्त हो, वह यही िोचता है सक वह तो पहिे िे ही सकिी भी कैद िे आजाद है. उिे प्​्ाचीरे् भिा कब तक कैद रख िकती है्. िम्​्ाट उिे िुखोपभोग के युवसतयो् का उपहार देते है् पर वह तो उन्हे्िमग्​्जीवनबोध की तरह स्वीकार करता है. वह कहता है, ‘जीवन सजतना दीखता है/ उि​िे कही् असधक अदृि्य है. ...मेरे पाि जब भी आना तो शरीर िे असधक अनि्वर कुछ पाने के सिए... िंभोग िे कही् असधक स्थायी और आत्समक.’ तथासप यह िंदेश देना नही् भूिता सक प्​्ेम अपने दैसहक और आत्समक दोनो् र्पो्मे्एक उदात्त अनुभव है.’ कुमारजीव एक जीवन सवशेर का आख्यान ही नही्, िमूची मानवता को अपने िंदेश िे सवरसचत करने वािे सचंतक का आख्यान है. इिकी व्यतीत िरसणयो् मे् सनयसत और भसवतव्यता के सकतने ही िंदश े िमासहत है.् इिे पढ्ते हुए िगता है कुंवर नारायण ने सकिी पुराने भोजपत्​् मे् सिखी सिसपयो् को पढ्ने की पुनच्​्ेि्ा की है और इि नतीजे पर पहुंचे है्, ‘िमय पढ्ता है केवि शल्दो्को नही्/ आंिू की उि बूंद को भी/ जो कभी कभी टपक जाया करती है/ अक्​्रो् के बीच...’ वाजश्​्वा के बहाने’ मे् कसव कहता है, ‘िमय हमे् कुछ भी अपने िाथ िे जाने की अनुमसत नही् देता, पर अपने बाद अमूल्य कुछ छोड् जाने का पूरा n अविर देता है.’

राजनीति का ऑस्कर अंजुम शम्ाि

तथ्यात्मक र्प िे इि पुस्क मे् समिते है्. सवयतनाम युद्मे्एकपक्​्ीय नजसरया पेश करने वािी सफल्मो् को पुरस्कृत कर, ‘अित्य’ को स्कर सवसजत सफल्मो् को िेकर हमारे भीतर एक अिग उत्िाह रहता है. आम अपने सहतो् के सिए हॉिीवुड सकि प्​्कार दश्सक की जबान पर ‘ऑस्कर नासमनेशन’, िंचासित करता है इिकी पुस्ि के सिए रामजी ‘ऑस्कर सवसनंग’, ‘अकेडमी सवनर’ जैिे शल्द सतवारी युद्की पृष्भूसम िे पाठको्को पसरसचत सवश्​्िनीयता और िोकस्​्पयता का नया पैमाना कराते है. िेखक ने सिनेमा को मनोरंजन की ‘आम बन चुके है्. यही कारण है सक हर सनद्​्ेशक, हर असभनेता एक न एक बार खुद को उि मंच पर पसरभारा’ िे कही् आगे की चीज मानते हुए, जर्र देखना चाहता है. भारत भी अन्य देशो्की स्वर्प और उद्​्ेि्य के अनुिार उिके तीन तरह प्​्सतवर्स सवदेशी भारा की श्​्ेणी के सिए प्​्ार्पो्का सजक्​्सकया है. इिमे्िेसनन मॉडि सफल्म का मनोनयन करता रहा है, िेसकन क्या जहां सिनेमा का उपयोग िमाज के सवकाि के कारण है सक सवश्​् मे् बन रही अच्छी सफल्मे् सिए सकये जाने की वकाित करता है वही् ऑस्कर जीतने मे्नाकामयाब रहती है्? इिका तानाशाहो्के मॉडि मे्व्यब्कत, जासत, धम्सऔर उत्​्र जानने के सिए िभी सफल्मे्देख पाना सिने नस्ि का बखान होता है. सिनेमा का तीिरा आिोचक के सिए तो िंभव हो िकता है, प्​्ार्प हॉिीवुड ने सवकसित सकया है जहां िेसकन आम दश्सक के सिए शायद ही िंभव हो. सिनेमा का उपयोग असधकासधक पूंजी कमाने इिके सिए रामजी सतवारी की पुस्क ‘ऑस्कर: हेतु वासणब्जयक और औद्​्ोसगक घरानो्के जसरये यह कठपुतिी कौन नचावे’ एक बेहतर िमझ सकया जाता है. यही िे ‘प्​्सतरोध का सिनेमा’ जन्म िेता है जो पूंजी की ित्​्ा पैदा करने मे्िक्​्म है. पर चोट करता है. यूं तो सिनेमा पर इि​िे पुस्क सिनेमा की भांसत ही पहिे कई पुस्के्प्​्कासशत हो िाइट, कैमरा और एक्शन िे चुकी है्, िेसकन द ग्​्ुप, जन शुर् होती है और अंसतम पाठ िंस्कृसत मंच िे प्​्कासशत यह तक आते आते ‘ऑस्कर चस्पा पुस्क अपने आकार, सवचार, सफल्मे्’ देखने वािो् को शोध, िूचना, सवि्िेरण आसद हॉिीवु ड के कुएं िे सनकािकर कई मायनो्मे्अिग है. पुसक ् वै स ् श क सिनेमा के अि​ि के शीर्सक िे ही ‘ऑस्कर धराति पर खडा कर देती है. पुरस्कार’ एक कठपुतिी के िे ख क ने असधकां श अध्याय के र्प मे् पसरभासरत हो जाता है ऑस्िर अिार्स्भ: यह िठपुतली शीर्सक सफ़ल्मीनुमा रखे है् जो सजिे पूंजीवादी राष्​् अपने िौन नचािे, रामजी कतिारी अिग अंदाज मे् पूरे पाठ को अनुिार अपने ही हाथो्मे्नचाने द ग्​्ुप, जन संस्िृकत मंच, सी-303 अपने भीतर िमेट िेते है्. ‘सदि का खेि खेिते है्. सवश्​्भर के जनसत्​्ा अपाट्भमे्ट्स, सेक्टर-9 क्यो् पागि है’, ‘इतनी भी क्या सिने सितारो्मे्अमरीकी सफल्म िसुंधरा, गाकियाबाद 201012 दूरी थी’, ‘सितारो् के आगे जहां जगत ‘हॉिीवुड’ के इि िम्मान मूल्य: 40 र्पये और भी है’ कुछ ऐिे ही शीर्सक को पाने की ि​िक रहती है. है. पसरसशि्​् के चार भागो् मे् िेखक के अनुिार सवदेशी भारा की सजि श्​्ेणी के कारण इि पुरस्कार के ऑस्कर सवजेता सफल्मो् की िूची, ऑस्कर मे् वैस्शक होने का भ्म् बना हुआ है, दरअि​ि वह भेजी गयी्भारतीय सफल्मे्, सवदेशी भारा श्​्ेणी मे् कुछ और नही्, वच्सस्व की राजनीसत का रड्​्ंत् ऑस्कर प्​्ाप्त सफल्मो् की िूची के असतसरक्त मात्​् है. यही कारण है सक िाि 2011 तक सवश्​्के श्​्ेष्सफल्मकारो्की िूची भी िेखक (पुस्क के आंकडो्के अनुिार) 62 िािो्मे् ने उपिल्ध करायी है. सफल्मकारो्की यह िूची 51 बार यह पुरस्कार यूरोपीय सफल्मो्को सदया िेखक की पिंद की है सजिमे् ित्यजीत रे को गया. क्या यूरोप के असतसरक्त सकिी देश की पहिा स्थान पर रखा गया है. इि िूचना प्​्दत्​् सफल्मे् इि पुरस्कार के िायक नही् थी्? क्या पुस्क की भारा अपने उद्​्ेि्य को कही् छूटने भारतीय और दूिरी एसशयाई सफल्मे् उत्कृि्ता नही् देती. सवरय की मांग कही्-कही् एक ही के क्​्म मे् वाकई नीचे है्? या ऑस्कर की बात का दोहराव जर्र कराती है, िेसकन सनण्ासयक िसमसत ही पूव्ासग्ह िे ग्​्सित है? िमग्त् ा मे्देखे्तो इि िराहनीय प्य् ाि के सिए n पाठको् को ऐिे तमाम िवािो् के जवाब िेखक की प्​्शंिा की जानी चासहए.

शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015 41


मास् ितकही ट हेड चंचल

मेरी खूबसूरती का राज्

हर गांव के पड़ोस मे् एक चौराहा बन गया है जहां चाय की दूकान एकाध सैलून, मोबाइल की दूकान कपड़ा प्​्ेस करने का खोखा आजद आजद सज गये है्.

तु

न्नी बंमई कमा के िौटा है. बीबी बच्​्ा िमेत आया है. दीवािी मनाने. पूरे घर मे्और गांव मे्हर कमािुत पूत की कद्​्होती है. तुन्नी अपने पूरे पसरवार की इज्त् बढ्ाने मे्िगा रहता है. ...तुनन् ी की बीवी जब सबआह के आयी तो उिका नाम उिके गांव के िाथ जोड कर गोहराया जाने िगा. आठवी् तक पढी रामरत्​्ी यहां 'परानपुर वािी' हो गयी, िेसकन वही परानपुर वािी जब कमाऊ भतार के िाठ बंमई िे वापि आयी तो उिका नाम भी बदिा हुआ समिा, अब वह सपंकी है. एक एक िाि के अंतर पर पैदा हए तीनो बच्​्ेबंटी, िनी और स्वीटी बोिे जाते है्. एक सदन तुन्नी के घर कोहराम मच गया क्यो्सक बंटी छसरया गया है सक वह सचप्ि खायेगा. तुन्नी के बाप िंमरदार जो अभी सजंदा है्ने जब सचप्ि िुना तो उिनाता खा गये. ई सचप्ि का होता है भाई? खदेरन कहांर ने बताया- ये भी नही्जानते ये एक तरह का नमकीन है सजिे िेफ अिी खाता है टीवी पे नही्देखे है्? बगि मे् िड्सकयां रहती है्, बहुते कम कपडे मे्. हम खाए तो नही् है् िेसकन टीवी पे देखा है. राम िाि की दूकान पे जर्र समि जायेगा. िंमरदार! अब जमाना बदि गया है शहर का कोई भी िमान हो गांव तक आ गया है. जाओ और खरीदो. नकद. और वही िंमरदार राम िाि की दूकान िे िौट रहे है्,एक हाथ मे् बांि का डंडा दूिरे हाथ मे् सचप्ि का पॉकेट सिए, िफारकदमो्िे घर की ररफ भागे जा रहे है्.काहे िे सक बंटी रो रहा होगा. िेसकन बीच डगर मे्उमर दरजी टकरा गये- ि​िाम िाहेब! कही्दूर तक गये रहे का? िंमरदार र्के, तरेर कर उमर दरजी को देखा - िुन बे उमर! हम बीि बारे बोिे है् सक टोका टोकी मत सकया कर िेसकन तै अपनी आदत िे बाज नही् आयेगा. तेरी मां की... उमर ने सफस्ि िे हंि सदया- ऐिा तौवा रहे हो जैिे नाती की बरात िेकर जा रहे हो, िीधे िीधे जवाब भी देते नही् बनता. ई का िाबुन खरीदे हो का? अबे ई िाबुन सदख रहा है का? ई सचप्ि है. उमर ने पाकेट हाथ मे्िे सिया - ई सचप्ि का होता है? िंमरदार जानते है् उमर उन्हे् छेडने की गरज िे बसतया रहा है. िो िंमरदार ने उमर के हाथ िे पैकेट खी्च सिया और भद्​्ी िी गािी देते हुए आगे बढ गये. यहां गािी गांव की रवायत का एक सहस्िा है. जासत , मजहब, उंच नीच, औरत मद्स िब अपनी जगह िेसकन गांव मे् हर कोइ हर सकिी का कुछ न कुछ िगता है. इि रवायत मे् िंमरदार उमर दरजी के बाप िगते है् इिसिए धड्लि ् े िे उमर की मां के िाथ सरि्ता जोड िेते है.् िंमरदार सचप्ि िेकर अपने घर चिे गए िेसकन उमर ने सचप्ि की कहानी को चौराहे पर सबखेर सदया - िुनो हो पंचो! िंमरदार अब सचप्ि का नाि्ता करते है्. सवकाि के नाम पर जब िे गांव मे्िडक आयी है, हर गांव के पडोि मे् एक चौराहा बन गया है जहां चाय की दूकान एकाध िैिून, मोबाइि की दूकान कपडा प्​्ेि करने का खोखा आसद आसद िज गये है्और इिी

42 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

चौराहे पर आिपाि के गांव के िोग आ जुटते है्और चाय के िाथ जर्री और गैर जर्री बातो् के सकस्िे खुिते है्. आज िंमरदार का सचप्ि जेरे बहि है. बात की शुर्आत सभखई मास्टर ने की- भाई बहुत सदन हुए थे अरहर की डाि खाए हुए. कि पे्शन समिी तो िबिे पहिे अरहर की डाि खरीदा. दो िौ र्पया सकिो... पचाि र्पये का पाव भर सिए . जमाना कहां िे कहां गया. ई महंगाई तो जीते जी मार देगी . िरिो्का तेि, गुड, का चीज िस्​्ी है? उमर ने टुकडा जोडा- सकिने कहा डाि खाओ, सचप्ि खाओ. पांच र्पये मे्एक पैकेट. यह बात उमर ने िंमरदार को देख कर कहा जो सचप्ि पहुंचा कर वापि चौराहे पर आ गये रहे. िाि िाहेब के चाय की दूकान पर पैर ऊपर सकये बेच ् पर बैठे रहे. सचप्ि िुनते ही िंमादार जामा के बाहर हो गये- देख उमर! मुरप्पन मत कर. अबे हम्मे का मािूम सक सचप्ि का होता है उतो तुन्नी के िस्डका वास्​्े िे गये रहे. आज के जमाने मे् पांच र्पये की कीमत ही का? बात के बीच मे् राहुि आ गये. राहुि परधान क िस्डका है, बनारि िे पढी के वापि गांव आया है, कह रहा है नौकरी नही्करे्गे , गांव मे्ही काम करे्गे. खादी पहनता है और हर बात को उिटता रहता है. इिीसिए िोग उिे पगिेट बोिते रहे, िेसकन जब िे उिने गांव मे्आये छोटे सजिासधकारी को हड्का के उिकी बोिती बंद कर डी है तब िे उिकी बात िुनी जाने िगी है. राहुि ने कहना शुर् सकया- एक बात जान िो िडक और सबजिी गांव के सवकाि का मापदंड नही्है. उिकी उपयोसगता िे सवकाि नापा जाता है. गांधी की मंशा थी गांव को मजबूत करो उिका सवकाि करो, इिके तहत िडक और सबजिी आयी िेसकन नतीजा देखो. सजि िडक िे गांव का िामान मंडी तक जाना था वो तो हो नही् पाया, अिबत्​्ा शहर का कूडा इि िडक िे गांव मे् आ सगरा. सबजिी आयी थी सक गांव मे् खेती के िाठ कुटीर उद्​्ोग िगे. छोटे मोटे कारखाने िे्गे. िेसकन गांव मे् सबजिी का उपयोग का हो रहा है? घर घर मे्टीवी िग गयी. टीवी ने क्या सदया? तुम्हारी आदत बदि सदया. भांसत भांसत के कचडे टीवी पर सबकने िगे. गांव का उत्पाद मरा. गांव का पुि्तैनी पेशा मरा. प्िाब्सटक के दोनापत्​्ि चिे , प्िाब्सटक की सगिाि और पुरवा चिन मे् आ गये. सकिका हाथ कटा? िोहार कुम्हार िब मारे गये. राहुि और बोिता िेसकन इिी बीच एक मोटर िाइसकि आ गयी और राहुि उठ कर उधर बढ गया. िेसकन जाते जाते सचप्ि के बारे मे्खडे खडे बोिता रहा. िात ग्​्ाम सचप्ि की कीमत पांच र्पया है, सहिाब िगाओ एक सकिो सचप्ि सकतने का होगा? िात िौ चौदह र्पये अट्​्ाईि पैिा. िेसकन उि पर चच्ास नही्होगी सक कारखाने के माि पर सकतना मुनाफा आ रहा है? कि बात होगी इिके आगे, अब वक्त है सक इनका बसहष्कार करो n और...



मास् यायावरी ट हेड

मांडवी महज एक शहर नही्, बब्लक इजतहास है. र्क्मावती नदी के तर पर बसे इस शहर का प्​्मुख आकर्षण जवजय जवलास पैलेस है जो एक समय कच्छ राजाओ् का आवास था. कुछ लाेकज्​्पय जफल्मो् के जहस्से भी यहां शूर जकये गये. मांडिी मे्नदी िे तट पर कनम्ाभणाधीन एि नाि: इकतहास से ित्भमान ति

सांस लेता इततहास

रीता ततवारी

गु

जरात मे् अरब िागर और र्क्मावती नदी के मुहाने पर बिा मांडवी एक शहर नही्, बब्लक इसतहाि है. जब गुजरात दौरे का काय्क स म् बनाया था तब उिमे् इि शहर की जगह नही् थी. िेसकन बाद मे्नक्शो्िे जूझते हुए जब देखा सक यह खूबिूरत िमुदत् टीय शहर भुज िे महज घंटे भर की दूरी पर है, तो इिे भी िूची मे् शासमि कर सिया. भुज मे् दो सदनो् तक िफेद रेसगस्​्ान और कािा डूंगर की िंबी यात्​्ाओ्के बाद यह तय हुआ सक अगिे सदन मांडवी होते हुए द्​्ारका के सिए सनकि पड्े्गे. िेसकन इिमे् व्यावधान पैदा कर सदया आईना महि ने. दरअि​ि, हम बुधवार शाम को भुज पहुंचे थे. तो, उि सदन शहर के चक्​्र िगा कर उिकी नल्ज को िमझने की हल्की-फुल्की कोसशश हुई. सफर होटि मे् पहुंच कर आराम सकया. अगिे सदन िुबह सनकि कर िफेद रेसगस्​्ान और कािा डूंगर. रास्​्ेमे्कुछ गांवो् मे्ठहर कर भुज की हस्​्किाओ्िे भी र्बर् हुए. गुर्वार को िुबह जाकर प्​्ाग महि तो देख सिया, िेसकन आईना महि उि सदन बंद रहता 44 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

था. इिसिए तय हुआ सक अगिे सदन िुबह आईना महि देखते हुए मांडवी के सिए सनकिे्गे. इि चक्​्र मे् शहर िे सनकिते हुए कोई पौने दि बज गये. अहमदाबाद िे आठ सदनो्के सिए जो कार सकराये पर िी थी उिका ड्​्ाइवर हीरािाि कुछ अस्डयि और सजद्​्ी सकस्म का इंिान था. भिे उिे रास्​्ो् के बारे मे् खाि जानकारी नही् हो, िेसकन फे्कता यूं था मानो वह पूरे इिाके िे पसरसचत है. इि चक्​्र मे्शहर िे सनकि कर नेशनि हाइवे तक पहुंचने मे् कुछ िमय खच्स हुआ. िेसकन एक बार जो हाइवे पकड्ी तो मांडवी पहुंचने मे्बमुब्िकि घंटे भर िगे. हाइवे िे उतर कर शहर मे्घुिने पर पहिी नजर मे् यह बेहद शांत और उनी्दा-िा िगा. शहर मे्हमारी पहिी मंसजि थी सवजय सविाि पैिेि. बेटी ने पहिे िे ही इंटरनेट पर देख कर तय कर सिया था सक िबिे पहिे महि ही देखना है. वह जान चुकी थी सक हम सदि दे चुके िनम और िगान जैिी सफल्मे्इिी महि और इिके इद्स-सगद्स शूट की गयी् है्. इिसिए उिकी उत्िुकता बार-बार छिक रही थी. ड्​्ाइवर को महि के बारे मे् पता नही् था. िो, पूछते-पूछते वहां पहुंचे. शहर िे कोई तीन

सकिोमीटर दूर जंगि िे सघरे हरेभरे इिाके मे् शान िे सिर उठाये खड्ेइि महि को देख कर यात्​्ा की थकान और ड्​्ाइवर की अज्​्ानता पर पैदा हुयी खीझ पि भर मे्न जाने कहां काफूर हो गयी. मांडवी को कच्छ के राजा खे्गरजी ने िाि 1574 मे् बिाया था. धीरे-धीरे यह तटवत्​्ी शहर गम्​्ी के सदनो् मे् राजाओ् की तफरीह का पिंदीदा स्थान बन गया. मांडवी गुजरात के सगने चुने िमुद्तटो्मे्िे एक है. िागरतटीय िौ्दय्स के अिावा मांडवी की िंस्कृसत भी यहां का एक प्​्मुख आकर्सण है. यह िंस्कृसत गुजरात के बाकी सहस्िो् िे एकदम अिग है. स्थानीय जनजीवन पर कच्छ िंस्कृसत का अिर िाफ देखा जा िकता है. यही कारण है सक मांडवी की यात्​्ा कच्छ की यात्​्ा के सबना अधूरी मानी जाती है. सवजय सविाि पैिेि मांडवी का िबिे बड्ा आकर्सण है. एक िमय यह कच्छ के महाराजाओ्का महि था. राव सवजयराज जी ने गरमी के दौरान रहने के सिए इिे बनवाया था. ओरछा और दसतया के महिो् की शैिी मे् बने इि महि मे्राजपूत शैिी का भी पूरा प्​्भाव है. िाि 1929 मे्बना यह महि बॉिीवुड को भी


किजय किलास पैलेस: सबसे बड़ा आिष्भण

िुभाता रहा है. िाि 1999 की सहट सफल्म हम सदि दे चुके िनम और उिके बाद िाि 2001 मे् आसमर खान की िगान के कई सहस्िे इिी महि मे्सफल्माये गये थे. महि मे्उन सफल्मो् की शूसटंग के दौर की तस्वीरे् भी िगी है्. असमताभ बच्​्न के अिावा नरसगि भी इि महि मे्आ चुकी है्. हम जब वहां पहुंचे तो राजस्थान के पय्सटको्िे भरी एक बि बाहर पास्कि्ग मे्खड्ी थी. वही्दोपहर का खाना बन रहा था और िोग खाने-पीने मे्जुटे थे. पास्कगि् मे्कार खड्ी करने के बाद सटकट िेकर एक सवशाि बगीचे के भीतर बने घुमावदार रास्​्ेिे होते हुए जब महि के नजदीक पहुंचे तो कुछ देर के सिए आंखे् खुिी रह गयी्. इि महि मे्शूट की गयी सफल्मो् के दृि्य िहिा आंखो् के िामने सकिी अदृि्य परदे पर चिने िगे. शुर्आती फोटोग्​्ाफी के बाद अब बारी भीतर जाने की थी. जूते बाहर ही खोिने थे. वही्एक बोड्सपर सिखा था सक भीतर फोटो खी्चना या वीसडयोग्​्ाफी करना मना है. यह देख कर बेटी कुछ सनराश हो गयी. िेसकन अपने िाथ महि घुमा कर उिका इसतहाि बता रहे केयरटेकर िे पूछा तो उिने कहा सक आपको सजतनी फोटो खी्चनी हो्, शौक िे

खी्सचए. सफर क्या था ? बैग मे्रखा एिएिआर िेसकन अब वे भुज मे् ही रहते है् और कभीकैमरा और िोनी का हैड ् ीकैम पिक झपकते ही कभार यहां आते रहते है्. महि िे कुछ दूर बने हाथो्मे्. केयरटेकर िाथ-िाथ चिते हुए बता एक और भवन को अब हेसरटेज होटि मे्बदि रहा था सक कहां ि​िमान ने गाना गाया था और सदया गया है. उिका अपना सनजी बीच है. छत की चारदीवारी मे्जगह-जगह जासियां कहां ऐश्​्य्ास राय ने अपने हाथो् की नि काटी थी. खािकर मेरी बेटी यह िब देख-िुन कर बनी है्. केयरटेकर बताता है सक रासनयां इिी झरोखे िे बाहर देखती थी्. उनको बेपद्ास होने बेहद रोमांसचत थी. महि की छत पर बने कंगूरे िे नजदीक ही की इजाजत नही् थी. महि के पीछे दूर तक बह रहे अरब िागर का नीिा पानी िाफ नजर फैिे फव्वारे इि इिाके के स्वण्सकाि की यादे् आता है. महि और िमुद्तट के बीच फैिी ताजा कर देते है्. केयरटेकर ने बताया सक आप हसरयािी कड्ी धूप मे् आंखो् को काफी िुकून सजतनी दूर तक देख िकते है्, वह िब राजा की पहुंचा रही थी. महि के ऊपरी सहस्िे मे् एक ही िंपस्​्त है. महि मे्घंटे भर िे ज्यादा का िमय सबताने कमरा राजपसरवार के सिए िुरस्​्कत है. वहां तक पहुंचने के सिए एक अिग िीढ्ी भी बनी है. के बाद अब हमारी अगिी मंसजि थी मांडवी कच्छ राजा के वंशज पहिे मुंबई मे् रहते थे. का िमुद्तट. दो-तीन जगह रास्​्ा पूछते हुए पैलेस िे भीतर: सुंदर रखरखाि जब वहां पहुंचे तो िूरज सिर पर चमक रहा था. रेत इतनी गरम थी सक उिकी तसपश चप्पि के तिे को बेधती हुई पैर की त्वचा तक पहुंच रही थी. मांडवी बीच अरिे िे देशी-सवदेशी िैिासनयो् को आकस्रसत करता रहा है. यहां अरब िागर का नीिा पानी बरबि ही उनको अपनी ओर खी्चता है. शांत और िाफिुथरे िमुद् तटो् के सिए मशहूर मांडवी मे् फ्िेसमंगो जैिे प्​्वािी पक्​्ी भी अपनी यात्​्ा के बीच मे् ठहरते है्. तटीय इिाके मे्जगह-जगह शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015 45


मास् यायावरी ट हेड

पवनचस्​्कयां िगी है्. दोपहर का िमय होने की वजह िे बीच पर ज्यादा भीड्भाड्नही्थी. कुछ देिी और कुछ सवदेशी िैिानी वहां नहाने और ऊंट की िवारी का िुत्फ उठा रहे थे. अब चूंसक हमे् सदन मे् िंबा रास्​्ा तय करना था. इिसिए नहाने का इरादा तो छोड्सदया. िेसकन पानी मे्उतरे और ऊंट की िवारी का भी मजा सिया. बीच िे िौटते िमय देखा सक राजस्थानी िैिासनयो्िे िदी वही बि बीच पर पहुंच रही है सजिे पीछे सवजय सविाि पैिेि मे्छोड्आये थे. इि शहर की ज्यादातर प्​्मुख इमारते्और मंसदर-मब्सजद शहर के बिने के शुर्आती 50 िािो् के दौरान बने है्. उिी िे पता चिता है सक कच्छ के सिए मांडवी की सकतनी अहसमयत थी. भुज ब्सथत स्​्बसटश पॉसिसटकि एजंट ने भी मांडवी को अपना गस्मसयो् का सठकाना बनाया था. शहर मे् ब्सथत स्​्बसटश कस्​्बस्​्ान को देख कर कर िगता है सक अंग्ेजो्के सिए भी मांडवी का महत्व कम नही्था. हां, मांडवी मे्है्तो यहां की मशहूर डबि रोटी का स्वाद िेना मत भूिे्. स्थानीय भारा मे्इनको डाबेिी कहा जाता है. हमारे पाि िमय कम था और देखने को बहुत कुछ. इिसिए न चाहते हुए भी मन मिोि कर र्कम् ावती के मुहाने की ओर चि पड्.े कभी कच्छ इिाके की रीढ् रहे नौका सनम्ासण उद्​्ोग को देखने. अब एंटी-पाइरेिी कानून के तहत िागू पाबंसदयो् के चिते यह उद्​्ोग आसखरी िांिे्सगन रहा है. पांच िाि पहिे एंटी पाइरेिी कानून के तहत इन नावो् पर कई तरह की 46 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

अरब सागर िे तट पर ऊंट यात्​्ा: पयट्भिो्मे् लोिक्​्पय पाबंसदयां िग गयी है्. यहां सबना मास्ट के बनी बनाने मे् जुटे रहते थे. िेसकन अब उद्​्ोग की नावो्को स्थानीय भारा मे्ढौ कहा जाता है. रफ्तार िुस् हो गयी है. पांच िाि पहिे िगी करीब चार िौ िािो्िे ढौ या नौका उद्​्ोग पाबंदी के चिते अब ऐिी नावो्को अरब िागर मांडवी की रीढ् रहा है. सकिी जमाने मे् यह मे् ओमान िे आगे जाने की अनुमसत नही् है. गुजरात का प्​्मुख बंदरगाह था. यहां िे सजतनी इि​िे व्यापार और नौका सनम्ासण दोनो्बदहािी चीजो् का आयात होता था, उिके मुकाबिे के सशकार हो गये है्. मांडवी सशपसबल्डि्स कही् चार गुना सनय्ासत होता था. दस्​्कण-पूव्स एिोसिएशन के शैिेश मासडयार बताते है् सक एसशया िे िेकर िुदूर पूव्ी अफ्​्ीका तक िे पांच िाि पहिे पाबंदी िगाने तक एक िाथ जहाज इि बंदरगाह पर आते थे. िाि 1760 मे् 20 या उि​िे ज्यादा नावो् को बनाने का काम राव गोडीजी के शानकाि के दौरान तो यहां चार चिता रहता था. िेसकन सफिहाि दो नावो्पर िौ जहाजो् का बेड्ा था, जो इंग्िै्ड तक जाता ही काम चि रहा है. वे बताते है्सक अब िाि रहता था. िमय के िाथ बड्े जहाजो् के मुंबई मे्पांच या छह नावे्ही बन पाती है्. यहां िे कई िोग अपना कारोबार िमेट खाड्ी देशो्मे्चिे मांडवी की सुिकं​ंा के रलए कचंछ गये है्. िाजाओं ने शहि में एक रकला मांडवी को देखना एक इसतहाि िे गुजरने बनवाया था रजसकी दीवािें 8 की तरह है. यह छोटा-िा शहर सकतना इसतहाि िमेटे है, पहिी नजर मे् इिका अहिाि तक मीरि ऊंची थी. इसमें कई नही्होता. शहर के प्म् ख ु इिाको्िे गुजरते हुए दिवाज़े औि 25 बुजंय थे. िगता है सक आप इसतहाि की पुस्क के पन्ने का र्ख करने की वजह िे इि बंदरगाह का पिट रहे है्. अनजाने ही आप खुद को उिका महत्व िगातार घटता गया. िेसकन नौका सहस्िा महिूि करने िगते है्. सनम्ासण उद्​्ोग पांच िाि पहिे तक र्क्मावती तमाम इिाको् को देखने और स्थानीय नदी के सकनारे पूरे शबाव पर था. मांडवी की िोगो् िे बातचीत करने के बाद मांडवी िुरक्​्ा के सिए कच्छ राजाओ् ने शहर मे् एक के स्वण्सकाि की काल्पसनक तस्वीरे् बनाते सकिा बनवाया था सजिकी दीवारे्8 मीटर ऊंची हुए हम शहर िे सनकि पड्ेअपनी मंसजि की थी. इिमे्कई दरवाजे और 25बुजस्थे. अब यह ओर. मंसडि यानी द्​्ारका. शहर िे बाहर सनकि दीवार िगभग ढह चुकी चुकी है, िेसकन कर नेशनि हाइवे पर पहुंचते ही िगा सक हम दस्​्कण-पस्​्िम मे् ब्सथत िबिे बडा बुज्स एक झटके िे सकिी टाइम मशीन िे बाहर सनकिने की तज्सपर अतीत िे वत्समान मे्िौट सफिहाि िाईट हाउि का काम कर रहा है. n कभी यहां िैकड्ो् कारीगर सदन-रात नावे् आये्हो्.


खानपान अर्ण कुमार ‘पानीबाबा’ िेखक िंस्कार िे राजनीितक व्यब्कत और पानी,भोजन और पोराहार के िवशेरज्​्है्. हिवाई होने का दावा भी करते है्. e-mail.: akpanibaba@gmail.com

नक्ली सब्जि्यो् से सावधान

जरशु कल्चर से उगाये गये फल सब्दजयां तो अपने देश मे् भी आम हो चुके और लौकी, तोरी, तरबूज, खरबूजे आजद मे् हाम्​्ोनल इंजेक्शन का जरवाज तो पच्ा​ास बरस पुराना है.

क डरावनी खबर िुनने को समिी है. एक सजम्मेदार सवज्​्ान अध्यापक ने िूसचत सकया है सक चीन मे्प्िाब्सटक मैसटसरयि िे खूबिूरत िब्लजयो् यानी आिू, गोभी, मटर इत्यासद का फैकट् री उत्पादन (मैनय् फ ु कै च ् सरंग) शुर् हो चुका है. ऐिी चीनी िब्लजयां भारतीय बाजार मे्पहुंचने िगी है्. सटशु कल्चर िे उगाये गये फि िब्लजयां तो अपने देश मे्भी आम हो चुके और िौकी, तोरी, तरबूज, खरबूजे आसद मे् हाम्​्ोनि इंजेक्शन का सरवाज तो 50 बरि पुराना है. एक उच्​् कोसट के वैज्ासनक ने जिगांव मे् एक फैक्टरी मे् 15 िे 20 करोड् की िंख्या मे् केिे की पोध तैयार होते देखी तो वह आि्​्य्सिे चसकत रह गया, िमझ ही नही्िका सक आधुसनक सवज्​्ान का ऐिा आत्मघाती प्​्योग िहज भाव िे िंपन्न हो रहा है. सकिी को पता नही्सक अपने देश मे्खाद्​्पदाथ्​्ो के सवज्​्ान िे जुड्ी कोई राष्​्ीय नीसत है या नही्? और यसद कोई नीसत है तो इजरायिी केिे के अनुबंध के सिए कौन सजम्मेदार है. अब तो िरेआम आम ‘मेक इन इंसडया’ का नारा िगा कर िमूचा देश गौरवासवंत है. ‘रामभरोिे’ सहंदू ढाबे की परंपरा के देश मे्और हो भी क्या िकता है?व्यापक स्​्र पर इजरायिी केिे का प्​्योग इि तथ्य का प्​्माण है. इि िंदभ्समे्िुरस्​्कत शाक भाजी व्यज ं न की बात िोचने िगे तो जयपुर की एकादश समस्​्शत का ध्यान आया स्थानीय भारा मे् इिे गड्​्े की िल्जी कहा जाता है. इिमे् सनम्नसिसखत ग्यारह शाक का प्​्योग होता है: िेम, िी्गरा, मूिी, बै्गन, आिू, गोभी प्याज, टमाटर, अदरक, हसर समच्सऔर धसनयां. हमारा िुझाव है सक एकादश समश्​्ण मे् िे आिू, बै्गन और गोभी को सनकाि दे्. आिू बैग् न की जगह सजसमकंद (िूरन) शकरकंद का प्​्योग कर िकते है्. गोभी का उपयोग उिी दशा मे् करे् जब आश्​्स् हो् सक गोभी फैक्टरी उत्पासदत नही्है. िल्जी बनाने की सवसध बताने िे पहिे हम यह िुझाना चाहते है् सक उपभोक्ता वग्स को सकिान के िाथ िीधा िंपक्कऔर िहयोग की व्यवस्था आयोसजत करने के बारे मे् सवमश्स शुर् कर देना चासहए. शुभस्थ शीघ्​्म, यह ध्यान रखना होगा सक आधुसनक सवज्​्ान की सदशा और गसत का हमे्कतई अनुमान नही् है. अपने देश मे्िरकारी नेततृ व् केवि असवश्स् न् ीय ही नही्बब्लक अनसभज्​् भी है. समस्​्शत शाक की सवसध इि प्​्कार है: सजसमकंद को सवसधवत धो छीिकर छोटे टुकड्ो्मे्काट िे्. इन्हे्एक घंटे के सिए आमचूर या इमिी के पानी मे्सभगो दे्. िी्गरे चूनकर छोटे टुकड्ो्मे्काट िे्, िेम भी, मूिी के िाथ कोमि पत्​्ी का उपयोग अवि्य करे्. कच्​्ेकाचर उपिल्ध हो तो छीि कर छोटे टुकड्ेकाट िे्. िभी िब्लजयो्को नमक के पानी मे्अवि्य धो िे्. िोहे या कच्​्ेिोहे (कांसत समट्​्ी) की चांदी की तरह चमकती कड्ाही

आंच पर चढ्ाये यसद प्त्य् क े िल्जी 200-200 ग्​्ाम भी िेग् े तो कुि वजन डेढ् सकिो के आिपाि हो जायेगा. इिसिए 100 ग्​्ाम िरिो् का तेि अवि्य उपयोग करे्. तेि पक जाये तो उिमे् राई और बीज सनकिी हसर समच्स का बघार िगा कर िबिे पहिे सजसमकंद उिमे्अच्छी तरह ति िे्. सजसमकंद सिका हुआ सदखाई देने िगे तो उिमे् िकरकंदी के टुकड्े, उिके ऊपर िेम, उिके बाद मूिी, उिके ऊपर िी्गरा, ऊपर िे स्वादानुिार नमक डाि कर ढक दे्. ध्यान रखे् सक ऊपर की िब्लजयां थोड्ी कच्​्ी रहे. िल्जी की िुगंध आने िगे तो कचरी डाि कर थोड्ा और भून िे्. यसद प्याज खाते है् तो इिमे्प्याज का प्​्योग कर िकते है्. वरना प्याज का प्​्योग आवि्यक नही्है. यह शाक व्यंजन केवि पौस्​्िक नही्अभी तक सवश्​्िनीय भी है. अन्न के िंदभ्समे्हमारा िूझाव है सक गेहूं की तुिना मे्बाजरा असधक िुरस्​्कत और िहज पाचक भी है. बाजरे की रोटी गुड्के िाथ भी खाई जा िकती है. या दही की कढ्ी मे् हरा प्याज डाि कर उिके िाथ उपयोग करने पर तो बाजरे की रोटी अत्यंत पौस्​्िक भोजन है. अगिे दो तीन महीने मूिी और हरे प्याज, हरे ि​िन का मौिम हे, मूिी के कोमि पत्​्े, प्याज, िहिन के हरे पत्​्ो्का समश्​्ण औरसध भी है और टॉसनक भी. जब भी िंभव हो, कच्​्ेि​िाद की तरह अवि्य प्य् ोग करे.् यूं िमसझए सक देव उठान एकादशी (सदवािी िे दि सदन बाद) शादी ल्याह का मौिम शुर् हो जाता है. हमारा सनवेदन है सक दावत मे्भागीदारी असनवाय्स हो तो िावधानी िे चुने् सक बच्​्ो् को क्या खाने दे्. सवसधवत सवि्िेरण करे्सक कड्ाही के उबिते तेि-घी मे् नहाई –धोई पूड्ी िुरस्​्कत है या तंदूर िे सनकिा नान, समस्िी, मके्की रोटी? हमारा सवनम्​्िुझाव है सक ल्याह-उत्िव मे् तंदूर िगवाना बंद कर दीसजए. कच्​्ा-पक्​्ा ि​िाद भी. परंपरा के अनुर्प दो-चार पांच सकस्म की पतिी पूस्डयां, मोटी आटे की बेडम् ी (उड्द दाि सपट्​्ी भरी) आिू, कद्​्की परंपरागत िब्लजयां, राई युक्त िौकी/बूंदी का रायता, मेथी की चटनी ही ठीक है. बेशक तंदूर की रोटी मटर-पनीर की िल्जी िे असधक िुरस्​्कत है. सकंतु यह कोई नही् जानता सक पनीर के नाम पर परोिा जाने वािा पदाथ्स क्या है और मटर सकि रािायसनक पद्​्सत िे िंरस्​्कत सकये थे. बड्ी आकर्सक वैरायटी चासहए – हरे, िाि, परांठे (बथुए व चुकंदर की) बनवा दीसजए, कमि ककड्ी, िौकी की नरसगिी कोप्ते, बेिन के गट्​्े, गेहूं का पनीर शाही दस्​्रखान के नुस्खे है्. िेम, सिंगरा, मूिी, आिू, गोभी, प्याज, टमाटर, अदरक, हरी समच्,स हरा धसनया (सबिकुि सबना मिािा) की गड्​्ा िल्जी भी. खासतरदारी के मीनू को िंस्कप्त कीसजए. कुि प्​्याि व्यंजन की गुणवत्​्ा पर के्स्दत n कीसजए. शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015 47


विल्म/िातचीत

सुख-दुख बांटता प्​्ेम अविनेता सलमान खान से हवर मृदुल की बातचीत

लमान खान इस दौर के सबसे बड्े स्रार है्. लोकव्​्पयता मे् वे शाहर्ख खान और आवमर खान को काफी पीछे छोड् चुके है्. अब दश्वक सलमान की हर वफल्म का बेसब्​्ी से इंतजार करते है्. उनकी वपछली वफल्म ‘बजरंगी भाईजान’ ने भी सफलता का एक नया वरकॉड्व बनाया है. नयी वफल्म ‘प्​्ेम रतन धन पायो’ से भी ऐसी ही उम्मीद की जा रही है. एक तो ‘राजश्​्ी बैनर’, दूसरा आकष्वण सूरज बड्जात्या का वनद्​्ेशन और सबसे बड्ी बात वक सुपर स्रार सलमान खान की बतौर हीरो मौजूदगी, ऐसी वफल्म को सफलता की नयी ऊंचाई तक पहुंचने से भला कौन रोक सकता है? खुद सलमान भी कहते है्, ‘यह मेरे एश्करंग कवरयर की महत्वाकांक्ी वफल्म है’. एक बार वफर आप प्​्ेम नाम का वकरदार वनभा रहे है्. इस बार तो वफल्म का राइरल ही आपके वकरदार पर आधावरत है. प्​्ेम नाम के आपके वलए क्या मायने है्? प्​्ेम नाम से बढ्कर कोई पॉवजवरव शब्द हो ही नही्सकता. लेवकन जब सूरज ने अपनी वफल्म के वकरदार का नाम प्म ्े रखा था, तब श्सथवत एकदम अलग थी. लोग इस नाम से दूर भागते थे. इसकी वजह यह थी वक प्​्ेम चोपड्ा और प्​्ेम नाथ अंकल ने अपनी जबद्वस्खलनायकी से इस नाम को एक अलग ही शक्ल दे दी थी. प्​्ेम नाम बोलते ही प्​्ेम चोपड्ा और प्​्ेम नाथ का चेहरा सामने आ जाता था. वफल्म इवतहास के सफलतम ववलेन प्​्ाण साहब के साथ भी ऐसा ही था. उनके जमाने मे् कोई भी माता-वपता अपने बच्​्ो्का नाम प्​्ाण नही्रखते थे. लेवकन सूरज को ववश्​्ास था वक उनका नायक प्​्ेम नाम का ही होगा. सूरज का तक्फ था वक आवखर प्​्ेम नाम नकारात्मक कैसे हो सकता है? आवखरकार सूरज सही सावबत हुए. इस तरह ‘मै्ने प्यार वकया’ का ‘प्​्ेम’ हर वदल अजीज हो गया. यानी आप यह कहना चाहते है्वक काम से नाम के मायने बदल जाते है्? जी हां, काम से ही आदमी के नाम को पहचाना जाता है. मुझे ववश्​्ास है वक ‘मै्ने प्यार वकया’ के बाद लाखो्बच्​्ो्का नाम ‘प्​्ेम’ रखा गया होगा. आपने इतने सारे प्​्ेम परदे पर अदा वकये है्, आप कौन से प्​्ेम से सबसे ज्यादा जुड्ाव महसूस करते है्? प्​्ेम का पहला वकरदार यानी वफल्म ‘मै्ने प्यार वकया’ का ‘प्​्ेम’ मेरे वदल के सबसे ज्यादा करीब है. उस प्​्ेम की वजह से ही मुझे इतना कुछ 48 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

सलमान खान: एि बार कफर प्​्ेम

वमला है. नही्मालूम वक अब ‘प्​्ेम रतन धन पायो’ का ‘प्​्ेम’ मुझे कहां ले जायेगा और दश्वको्के बीच वकतनी लोकव्​्पयता पायेगा. लेवकन शुर् मे्तो आप इस राइरल से सहमत नही्थे. आपको लगता था वक नयी पीढ्ी के दश्वक इस नाम से जुड्नही्पाये्गे? हां, ऐसा तो है वक मै् इस राइरल से आशंवकत था. एक तो यह बहुत लंबा है और दूसरा यह मॉडन्व नाम नही् है. यह मीरा बाई के एक मशहूर भजन से प्​्ेवरत है. हालांवक वनजी तौर पर मुझे इस राइरल से कोई वदक्​्त नही्थी. मै्ने अपने मन की बात जब सूरज बडज़ात्या को बताई वक मॉडन्व जेनरेशन इसे समझ नही्पायेगी, तो उन्हो्ने पूरे आत्मववश्​्ास के साथ कहा वक लोग इस नाम से जर्र जुडग ्े .े असल मे्उन्हे्अपने बैनर की ब्​्ाडं वैलय ्ू


पर पूरा भरोसा था. आज लगता है वक वे सही थे. यूथ के बीच वफल्म की काफी चच्ाव है. नयी पीढ्ी ने अपनी सुववधा के वहसाब से इसे शॉर्वकर वदया है ‘पीआरडीपी’. ‘पीआरडीपी’ के प्​्ेम की जन्​्ी क्या है? इसमे्तो आपका डबल रोल है? इस वफल्म का प्म ्े सबकी खुशी मे्शावमल रहता है. रोते हुए को हंसाता है और सबका दुख दद्वबांरता है. यह वफल्म एंरररेन करने के साथ भारतीय संस्कारो् की बात भी करती है, जो अब धीरे-धीरे गायब हो रहे है्. हमारी अपनी सभ्यता है. प्​्ेम वहंदुस्ानी सभ्यता की लाइन को पार नही्करता है. वह बहुत ज्यादा संस्कारवान है. वह कुछ भी गलत नही् करता है. उसकी सोच इस तरह की नही्है वक कौन देख रहा है और क्या फक्फपड्ता है? कोई देखे या न देखे, वह नैवतक बना रहता है. वफल्म मे्लव स्रोरी तो है ही, भाई और बहन का एंगल भी है. राजा-रजवाड्ो् का झगड्ा है, वजसे वह बखूबी वनपराता है. एक वकरदार मे्वह व्​्पंस बना है और दूसरा वकरदार ववजय का है. दूसरे वकरदार ववजय के बारे मे्भी थोड्ा बताइए? इस दूसरे वकरदार की जानकारी के वलए लोगो् को वफल्म देखनी पड्ेगी. ववजय के बारे मे् मै् कुछ भी बताऊंगा, तो वफल्म देखने का मजा वकरवकरा हो जायेगा. ‘प्​्ेम रतन धन पायो’ की शूवरंग कहां-कहां हुई है? राजस्थान की कई लोकेशनो्पर हुई है. खास तौर पर उदयपुर मे्इसे वफल्माया गया है. बहुत सारे पैलेस मे् हम गये. कई वकले भी शूर वकये. गुजरात मे्राजकोर के कई वहस्से कैप्चर वकये है्. यूपी मे्भी थोड्ी शूवरंग हुई है, हालांवक मै्इस शूवरंग मे्नही्गया था. वफल्म की शुर्आत ही यूपी मे्गंगा के एक सीन से शुर्होती है. हालांवक बाद मे्भीड्भाड्से बचने के वलए मुंबई के करीब श्सथत एनडी स्रूवडयो मे् पैलेस का एक भव्य सेर लगाया गया और वही् शूवरंग पूरी की गयी. यहां एक शीश महल बनवाया गया था, वजसके वलए राजस्थान से कारीगर बुलाये गये थे. इसका वशल्प गजब का है. आपने एक से बढ्कर एक वनद्​्ेशको्के साथ काम वकया है, लेवकन सूरज आपके वलए स्पेशल है्. सूरज बड्जात्या के वनद्​्ेशन के बारे मे्आपकी क्या धारणा है? सूरज वही वफल्माते है्, जो उन्हो्ने अपने या अपने वरक्तेदारो्के घरो्मे्

प्​्ेम रतन धन पायो मे्सलमान और सोनम: कमच्भमसाला

बजरंगी भाईजान िा एि दृश्य: िामयाबी िी िहानी देखा है. उनका कोई भी सीन नकली नही् होता. कई बार वे कहते है् वक उनके घर मे्ऐसा हुआ था, तो यह वरजल्र आया था. आपसी वरक्तो्की वजन छोरी चीजो् को हम नजरअंदाज कर जाते है्, वे उसी को महत्व देते है्. वे हमेशा ही वहंदुस्ानी संस्कार की बात अपनी कहानी के जवरये करते है्. वफल्म ‘बजरंगी भाईजान’ ने सफलता का एक नया वरकॉड्व बनाया. बड्ी उपलश्बध यह रही वक इसकी वजह से पावकस्​्ान मे्रह रही एक भारतीय गूंगी और बहरी लड्की गीता का पता चला. इस घरना पर आप क्या कहे्गे? मै्इबवलस बीबी को सलाम करता हूं वक उन्हो्ने गीता को चौदह साल तक अपनी बच्​्ी की तरह पाला. यह मानवता का बहुत बड्ा उदाहरण है. हमारे एनजीओ ‘बीइंग ह्​्ूमन’ ने भी यह बीड्ा उठाया है. हमने अब तक खोये हुए तीस बच्​्ो्को उनके पवरवारवालो्से वमलाया है. कुछ बच्​्ेऐसे भी है्, वजनके मां बाप है् ही नही्. ऐसे मे् हमने उनके लालन-पालन की भी व्यवस्था की है. क्या आप मानते है्वक वफल्मो्का समाज पर व्यापक असर पड्ता है? वनव्​्ित र्प से पड्ता है असर. आज वफल्म और रीवी से बेहतर कोई माध्यम है ही नही्. लेवकन इसका दुखद पक्​्यह है वक इन दोनो्माध्यमो्का दुर्पयोग कुछ ज्यादा ही होता वदख रहा है. मै् तो सोचता हूं वक इन दोनो् माध्यमो्के जवरये कोवशश होनी चावहए वक इंसावनयत का लेबल थोड्ा बढ्े. सोशल मीवडया को आप वकस तरह से लेते है्. कई जानकारो्का कहना है वक इस नये माध्यम ने अपनी बात रखने के वलए वफल्म और रीवी को बहुत पीछे छोड्वदया है? अब मै् सोशल मीवडया का प्​्शंसक नही् रहा. इसने आंखो् की शरम खत्म कर दी है. कुछ लोग इसे महज अफवाहे् फैलाने के वलए उपयोग करते है.् इसमे्उनकी फाल्स आइडेव्ररी होती है. यह तो कोई ‘फ्​्ीडम ऑफ स्पीच’ नही्हुई. इस समय देश का माहौल एक अलग शक्ल मे् है. गुलाम अली जैसे कलाकार को परफॉम्व नही् करने वदया जाता. इधर मोदी सरकार पर असवहष्णुता का आरोप लगाते हुए तमाम कलाकारो् ने अपने पुरस्कार वापस कर वदये है्. एक आव्रिस्र के तौर पर आपका स्रै्ड क्या है? देवखए, यह पॉवलवरकल मामला है. मै्इसमे्पड्ना नही्चाहता. लेवकन एक कलाकार होने के नाते मे् यही कहूंगा वक वसनेमा और खेल मे् कोई बाउंड्ी नही्होनी चावहए. देवखए वक चैनल ‘वजंदगी’ हमारे यहां वहर हो चुका है, जब वक इसमे्तमाम पावकस्​्ानी सीवरयल वदखाये जाते है्. वहंदुस्ावनयो् ने इन्हे्खूब पंसद वकया है. इससे पहले भी ‘अनकही’ और ‘बकरा वकस्​्ो् मे्’ हमारे यहां काफी चच्ाव पा चुके है्. ‘बजरंगी भाईजान’ को पावकस्​्ान के लोगो् ने काफी पसंद वकया है. इससे सावबत होता है वक यह आम आदमी का झगड्ा नही्है. n शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015 49


अंितम पन्ना पवन दुग्गल

आभासी दुतनया मंे हम अदृश्य नही्

कई सारे मोबाइल ऐप्स आपकी कई जानकाजरयां ले लेते है् और जफर उनके दुर्पयोग की आशंका बनी रहती है्, इसजलए जजतनी जर्रत हो, उतनी ही जानकारी इंररनेर को दे्.

मारा जीवन काफी हद तक गजेट्ि पर सनभ्सर हो गया है, खाि तौर पर मोबाइि फोन पर. यूं तो यह कनेक्ट करने का िाधन है, िेसकन जब आप मोबाइि फोन रखते है्, तो उिी क्​्ण िे आप एक खाि सकस्म के कानून के अधीन हो जाते है्. इि कानून का नाम है- िूचना प्​्ौद्​्ोसगकी कानून. अन्य कानूनो् की तरह ही यह, आप इिे जाने् या न जाने्, आप पर िागू हो जाता है, क्यो्सक एक तो आप मोबाइि फोन का इस्​्ेमाि कर रहे है्और दूिरा आप भारत के नागसरक है्. िाइबर कानून कंप्यूटर, कंप्यूटर सिस्टम, कंप्यूटर कम्युसनकेशन, इिेक्ट्ॉसनक सडवाइि, सडसजटि सडवाइि, कंप्यूटर नेटवक्क, इन िब पर िागू होता है. इिसिए बतौर नागसरक इनके इस्​्ेमाि के दौरान सवशेर िावधानी की जर्रत है, िेसकन कुछ िमय िे िाइबर िंिार पर आपस्​्तजनक सटप्पसणयां चस्पां हो रही है्. तमाम तरह के अपराध भी यहां हो रहे है्. यह भी िच है सक िूचनाओ्और सवचारो्के तेज प्​्वाह मे्कुछ िोग आधी-अधूरी जानकारी के कारण कानूनी िमस्याओ्की दिदि मे्चिे जाते है,् तो वही्कुछ िोग अज्​्ानता के कारण अपराध कर बैठते है्. अगर आप अि्िीि एिएमएि भेजते है्, तो िाइबर कानून के तहत आप दंडनीय अपराध कर रहे है्. इिी तरह आप सकिी की पहचान चुराकर फज्​्ी अकाउंट बनाते है् या िाइबर जािूिी के जसरये सकिी की सनजता का हनन करते है,् तो आपने जुमस्सकया है. आपने सकिी के के्सडट काड्सका दुर्पयोग सकया है, तो आपने अपराध सकया है. यह िमझने की जर्रत है सक आभािी दुसनया तो है, पर आप इि पर अदृि्य नही् होते. आपकी पहचान और आपका पता, जब चाहे्, तब िरकारी एजे्सियां जुटा िकती है्. मोबाइि फोन, इंटरनेट वगैरह की िगातार सनगरानी िंभव है. अगर िामने वािे को िगता है सक वह गडबडी करके बच िकता है, तो उिकी यह िोच गित है. वही्, मोबाइि फोन पर बातचीत या िंदेश देते वक्त, िोशि मीसडया और अन्य वेबिाइट पर कोई भी अपनी गोपनीय िूचना नही् डािे्. अपने कंप्यूटर को िुरस्​्कत रखने की सजम्मेदारी भी हमारी है. बहुत िे िोग इंटरनेट युक्त स्माट्स फोन मे् ऐ्टी-वायरि नही् डिवाते है्, सजनके अपने जोसखम है्. कई िारे मोबाइि ऐप्ि आपकी कई जानकासरयां िे िेते है्, और सफर उनके दुर्पयोग की आशंका बनी रहती है. इिसिए सजतनी जर्रत हो, उतनी ही जानकारी इंटरनेट को दे्, क्यो्सक इंटरनेट डाटा के सिए एक अथाह िागर है और अगर सकिी तरह की भावना मे् बहकर या अनचाहे मे् ही आपने कोई गिती कर दी, तो यह आपकी वास्​्सवक सजंदगी का र्ख बदि िकती है. जो दुसनया हमारी बदि रही है, वह खूबिूरत बनी रहे, तो इिी मे्िबकी भिाई है, वरना बदरंग दुसनया की सशकायते्तो हमारे पाि पहिे िे ही ढेरो्है्. इि बन रही दुसनया की गडबसडयो्का खासमयाजा हमे्भुगतना नही्पडे, यह भी तो देखना होगा. िाइबर कानून के अंदर ही मोबाइि िॉ है्. पहिे िाइबर कानून 50 शुक्वार | 16 िे 30 नवंबर 2015

सिफ्क इंटरनेट के सिए हुआ करता था, िेसकन आज इिका दायरा काफी बडा हो चुका है. भारत मे् इिेक्ट्ॉसनक फॉम्​्ेट को कानूनी र्प िे िाि 2000 मे्िूचना-प्​्ौद्​्ोसगकी कानून के तहत वैधता प्​्दान की गयी. गैजेट की दुसनया और िोगो् को इिका एक फायदा यह हुआ सक इिेक्ट्ॉसनक कॉट्​्ेक्ट िंभव हो पाया. इिके बाद िे सकिी अनुबंध को इिेक्ट्ॉसनक माध्यम के जसरये अनुमसत दी जाने िगी. जैिे, एिएमएि या व्हाट्ि ऐप्ि पर आप कोई िूचना देते है् और िामने वािा उिको स्वीकारता है, तो आप उिको कानूनी र्प दे िकते है्. इिी तरह, जर्री नही्सक स्टांप पेपर पर दस्ख ् त हो्, तभी अनुबधं हुआ, बब्लक यह मोबाइि फोन के जसरये भी मुमसकन है. यहां तक सक सडसजटि सिग्नेचर की भी शुरआ ् त हुई है. जैि,े इनकम टैकि ् मामिे मे्कई कंपसनयो्मे्इिेकट् ॉ्सनक िाइन ही होते है्. बीते पांच वर्​्ो्मे्कुछ गैजेट ने, सवशेरकर स्माट्सफोन ने एम-कॉमि्सऔर ई-कॉमि्सको भी बढावा सदया है. अब ई-गवन्​्ेि की बात हो रही है. यह बहुत जर्री है सक टेक्नोिॉजी की रफ्तार के िाथ हमारा कानून भी चिे. पर दुभ्ासग्य िे िाि 2000 मे् बने िूचना प्​्ौद्​्ोसगकी कानून मे् सिफ्क2008 मे्िंशोधन हो पाया. 2015 मे्जमीनी हकीकत काफी बदि चुकी है. आज मोबाइि िभी प्​्ािंसगक सवरयो्, मुद्ो्और िवािो्के के्द् मे् है. ऐिे मे्, इि कानून के िामने भी कई िारी चुनौसतयां है्. एक बडी चुनौती तो यही है सक मोबाइि मे् मौजूद िोशि मीसडया को कानून नही् मानता. वही्मोबाइि-कॉमि्सऔर मोबाइि िाइबर सिक्युसरटी का मि​िा भी बेहद गंभीर है. इिसिए आवि्यकता है सक िूचना-प्​्ौद्​्ोसगकी कानून मे् नये प्​्ावधान शासमि सकये जाये्. सडसजटि इंसडया, मेक इन इंसडया और स्माट्स सिटी के्द् िरकार की महत्वाकांक्ी पसरयोजनाएं है्. सनजता पर भी िोगो् का जोर है और यह बार-बार कहा जा रहा है सक गैजेट इनमे् िे्ध िगाती है्. इिसिए इि बारे मे् कानून मे् अिग िे सदशा-सनद्​्ेश और व्याख्याएं जर्री है्. आतंकवाद का एक और सघनौना र्प आ चुका है िाइबर टेरसरज्म. िाथ ही, कंप्यूटर ऐप्िीकेशंि का इस्​्ेमाि उनकी आतंकी हरकतो् के दुष्प्चार के सिए भी हो रहा है. िाइबर टेरसरज्म के मद्​्ेनजर, िाि 2000 मे् एक प्​्ावधान डािा गया था, िेसकन इिकी भयावहता को देखते हुए और भी बहुत कुछ सकया जाने चासहए. इिके अिावा, िाि 2008 मे् एक ऐसतहासिक गिती यह हुई सक असधकांश िाइबर क्​्ाइम को जमानती अपराध बना सदया गया. इिका मतिब होता है सक इि तरह के अपराध मे्कडा र्ख अब्खतयार नही्सकया जायेगा. िेसकन वही्सचंता की बात यह है सक िाइबर अपराध के मामिे भारत मे्बढते जा रहे है्. िोग मोबाइि और अन्य गैजेट िे अपराध करते है्, सजनकी सरपोट्स n दज्सकम होती है और आरोप िासबत होना तो और भी कम है. (िेखक िुप्ीम कोट्सके वकीि और िाइबर कानून के िवशेरज्​्है्. आिेख श्​्ुसत समत्​्ि िे बातचीत पर आधासरत.)




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