Shukarwaar 16 31 october 2015 medium quality

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वर्ष8 अंक 20 n 16-31 अक्तूबर 2015 n ~ 25

बदलता बॉलीवुड



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वर्ष8 अंक 20 n 16 से 31 अक्तबू र 2015 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प्​्काशक क्​्मता सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल फोटो िंपादक पवन कुमार

आवरण कथा

िंपादकीय िहयोगी

सववता वम्ा​ा अंजना वसंह अिनल चौबे (रायपुर) पूजा िसंह (भोपाल) अिवनाश िसंह (िदल्ली) अिनल अंशुमन (रांची) कुमार प्​्तीक अजय कुमार पांडे

कला

प्​्वीण अिभषेक

महाप्​्बंधक

एस के वसंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm@shukrawaar.com

िबजनेि हेड

शरद कुमार शुक्ला +91. 9651882222

ब्​्ांिडंग

कॉमडेज कम्युिनकेशन प्​्ा़ िल़

8 | बदली दुननया बॉलीवुड की

बॉिीवुड के नये दौर की सफल्मो्मे्सवियो्की सवसवधता है, जीवन की धड़्कन है, किात्मक ऊंचाई है और दश्सक उन्हे्पिंद कर रहे है्. अनेक नये सफल्मकार और सितारे उभरकर आ गये है्और इनमे्युवा असभनेस्तयो्की तादाद काफी है्.

22 | इस अकाल वेला मंे

उव्सरको्और बदिते पय्ासवरण ने सफर िे सकिान की राह मुब्ककि कर दी है. आज मौिम की मार िे सकिान बेहाि है.

34 | नाकेबंदी के नननहतार्ष

प्​्िार प्​्बंधक

यती्द् कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024

िंसवधान के मुद्े पर नेपाि की अघोसित नाकेबंदी करना भारत की सवदेश नीसत की अपसरपक्वता ही दश्ासता है.

yatendra.3984@gmail.com

सिसध िलाहकार शुभांशु वसंह

shubhanshusingh@gmail.com

+91. 9971286429 सुयश मंजुल

िंपादकीय काय्ा​ालय

एमडी-4/304, सहारा ग्​्ेस, जानकीपुरम लखनऊ, उत्​्र प्​्देश-226021 टेलीफैक्स : +91.522.2735504 ईमेल : editor@shukrawaar.com www.shukrawaar.com

DELHIN/2008/24781 स्वत्वािधकारी, प्क ् ाशक और मुदक ् क्म् ता सिंह के सिए नोवा पब्लिकेशन एंड िप्ट्ं ि्,स प्िॉट 9-10, िेकट् र-59, फेज-2, फरीदाबाद, हसरयाणा िे मुस्दत एवं दूिरी मंसजि, ल्ाी-146, हसरनगर आश्म् , नयी सदल्िी-110014 िे प्क ् ासशत. िंपादक : अंबरीश कुमार (पीआरल्ाी अिधसनयम के तहत िमाचारो्के चयन के ि​िए िजम्मेदार) िभी कानूनी िववादो्के ि​िए न्याय क्​्ेत्िदल्िी होगा.

40 | कांटे का है मुक्ाबला

44 | कीट की काट नही्

56 | पूजा पर हावी बाज्ार

58 | अंगकोरवाट के देश मंे

सबहार सवधान िभा चुनाव मे्अभी तक सकिी की कोई िहर नही्है, हािांसक बहुमत के दावे दोनो्पक्​्ो् की ओर िे सकये जा रहे है्.

बंगाि का िबिे बड़ा उत्िव दुग्ास पूजा कॉप्​्ोरेट और हाई टेक पूजा बन गया है सजिमे्बॉिीवुड के किाकारो्की पैठ भी हो चुकी है.

पंजाब और हसरयाणा मे्बीटी कपाि की फि​ि पर िफेद मक्खी के आक्​्मण िे बड़्ेपैमाने पर फि​ि बब्ासद हो गयी है.

अंगकोरवाट मंसदर िैकड़ो्वग्समीि मे् फैिा है. आकार मे् दुसनया के इि िबिे बड़े धम्सस्थि को देखना एक अनूठा और भव्य अनुभव है.

शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

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आपकी डाक

जाति की राजनीति

दगा दे गये बादल

िंपादकीय ‘मॉनिून और सकिान’ मे् सकिानो् की व्यथा िोचकर मन र्आंिा हो गया. आसखरकार सकिानो् की हाित कब िुधरेगी. सकिान हमारे उत्पादक है्, उनके उपजाए अन्न िे हम िभी का पोिण होता है. आजादी के करीब 68 िािो् के बाद भी क्यो् हम उनकी दशा बदिने मे् नाकामयाब रहे है्. देश के हर राज्य के सकिान क्यो् बदहाि है्. बासरश और मौिम के उतार चढ्ाव का सजम्मा वह अपने सिर िेकर खेती करते है्. िरकारे्केवि नाम मात्​् का मुआवजे देकर अपना काम खत्म िमझ िेती है्. सकिानो्की हाित सदन प्​्सतसदन बद िे बदतर होती जा रही है. नये युवा खेतीसकिानी को अपनाना नही्चाहते है.् तमाम नयी तकनीको् के आने के बाद भी हमारे सकिान पुराने ही हाित मे्है. ऐिे मे्मॉनिून की आंख समचौिी िे वह हर बार ठगे रह जाते है.् िरकारो् को सकिानो्को महाजनो्के कज्सिे बचाने के िाथ उनके सिए बेहतर योजनाएं बनानी हो्गी, तासक सकिान खुशहािी के िाथ अन्न उत्पादन कर देश का पेट भर िके. नीलू रंजन, गाबजयािाद (उत्​्र प्​्देश)

गाय पर नसमटा नवकास

दादरी मे् बीफ की अफवाह पर इखिाख की जान भीड़्ने िे िी. मुद्ा कॉिम मे्अक्टूबर के पहिे अंक मे् ‘गाय को पूजे या इंिान को’ अर्ण कुमार स्​्तपाठी का िेख पढ् बहुत िारे िवाि मन मे् उठे. सजि सवकाि की नाव पर िवार हो भाजपा ित्​्ा मे्आयी वह अब सवकाि की जगह गाय, भै्ि, बकरी और तमाम दूिरे सदशाहीन मुद्ो्की राजनीसत करे्तो जनता अपने 4

शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

अक्टूबर के प्​्थम अंक मे् सबहार चुनावो् को िेकर ‘शुक्वार’ पस्​्तका मे्‘जंग सिड़्ी है जासत की’ पढ्कर िगा सक सवकाि तो पीिे चिा गया है. सबहार चुनावो् को िेकर पस्​्तका का सवक्िेिण ज्यादा ही िटीक सदखता है. चुनावी मौिम मे्िभी पास्टियां जासत पर ही जोर दे रही है्. कोई दि यह नही् बताता सदख रहा है सक हमने कौन िे सवकाि काय्स बीते िमय मे् कराया. पूरा चुनाव ही जासत के भे्ट चढ्ता सदख रहा है. सबहार चुनावो् मे् हािांसक मुख्य मुकाबिा एनडीए और िािू-नीतीश के महागठबंधन िे है. ऐिे मे्िभी पास्टयि ां जासत की

ही गोसटयां िेट करती सदखायी दी्. इन पास्टियो् के िंबे काय्सकाि के बाद चुनावो् मे् इि तरह की जासत पर मारामारी की बात िमझ मे् नही् आती. आसखर एक तय िमय के काय्सके बाद जनप्​्सतसनसधयो् को अपने काय्स का ही बखान करना चासहए. जनता को भी चुनावो् को जासत की भे्ट चढ्ने िे रोकना चासहए. िोगो्को अपने नेताओ्िे पहिे के काय्सकाि का ल्यौरा मांगना चासहए. जासत की बात करने वािो् नेताओ् िे सकनारा करने का िमय आ गया है क्यो्सक जासत के जाि मे्उिझ कर सवकाि र्क जाता है.

आप को ठगा महिूि करती है. इंिान प्​्मुख है िारे चीजे् इंिान के सिए कुदरत ने बनायी है्. मंसदर-मब्सजद की राजनीसत और भड़्काऊ बयानो् िे राजनीसतक स्वाथ्स सिद्​् करना अब गुजरे जमाने की बात हो गयी है. प्​्ाची, आसदत्यनाथ और िाक्​्ी जैिे नेता सजन इिाको् िे आते है् वहां सवकाि का भारी आभाव है. जासत और धम्स के नाम पर बांटकर राजनीसत करने का काम अंगज ्े सकया करते थे. ऐिे मे्देश के िोगो्को सवकाि चासहए न सक गाय और भैि ् और बकरी की राजनीसत.

राजनीसत’ पढ्कर नेताजी के बारे मे् बहुत िी जानकासरयां समिी्. नेताजी भारतीय राजनीसत और आजादी के एक वीर सिपाही थे. अपने कुशि अगुवाई मे्उन्हो्ने आजाद सहंद फौज का गठन सकया. िेसकन कांग्ेि िरकार का यह रवैया िमझ मे्नही्आता सक वह उनके पसरवार और तमाम दूिरी उनिे जुड़्ी चीजो्की जािूिी कराती रही. यह वाकई मे्एक शम्सनाक ब्सथसत है सक एक िरकार अपने देश के आजादी के सिपाही के िाथ इि तरह का ि​िूक करती रही. यह नेहर् के ित्​्ा का दुर्पयोग ही था सक उनहो्ने नेताजी की कभी कोई पुख्ता जानकारी नही् रखी. इतना ही नही् उनिे जुड़्े अहम दस्​्ावेज भी देश िे िाझा नही्सकये गये. बहुत बार मन मे्ख्याि आता था सक आजादी के बाद नेताजी कहां गये और सकन पसरब्सथसतयो्मे्रहे हो्गे.आसखर िरकारे्इि तरह का िासजशे्क्यो् रचती है्. प्​्णि िनज्​्ी, दाब्जि्बलग (पब्​्िम िंगाल)

अबनमेष शुक्ला, जिलपुर(मध्य प्​्देश)

अब नबकते है्नटकट

राजनीसत का यह चेहरा पूरी तरह िे िाफ हो गया है. कुि सदनो् तक जब बिपा िुप्ीमो मायावती के सटकट बेचने की खबरे आती थी्तो यकीन नही् होता था. िेसकन अक्टूबर 1-15 अंक मे्सबहार चुनावो्की रपट मे्‘सटकट बेचने का खेि’ पढ्कर आंखो् िे परदा हटा. हमारे भ्​्ष्नेता जो सटकटो्के सिए करोड़्ो्र्पये खच्स करे्गे. वे कि ित्​्ा मे् आने के बाद पैिो् की विूिी भी तो करे्गे. जासत-पासत के चक्​्र मे् पड़्कर हम इन्हे्सजता देते है्. पर क्या यह िही है सक जनप्​्सतसनसध बनने के सिए करोड़्ो् और िाखो् के सटकट खरीदे् जाये्. यह राजनीसत के पतन की तरफ जाने का इशारा करता है. श्​्ीश सक्सेना, चंपारण (बिहार)

कहां गये नेताजी

देश के वीर िपूतो्मे्नेताजी िुभाि चंद्बोि का नाम बड़्े िम्मान के िाथ सिया जाता है. रीता सतवारी की सिखी रपट ‘सकतना राज सकतनी

नमो नारायण, सीवान (बिहार)

पाठको्से ननवेदन

शुक्वार मे्प्​्कािशत सरपोट्​्ो्और रचनाओ्पर पाठको्की प्​्सतसक्​्या का स्वागत है़ आप अपने पत्​्नीचे िदए गए पते पर या ई-मेि िे भेज िकते है् एमडी-4/304, िहारा ग्​्ेि, जानकीपुरम, िखनऊ उत्​्र प्​्देश-226021 टेिीफैक्ि : +91.522.2735504 ईमेि : shukrawaardelhi@gmail.com



मास् राजपाट ट हेड

पलटवार

व्यंग्यबचत्​्: इरफान

भाजपा का आंबेडकर प्​्ेम

है. चाहती हािांसक इिे ्े भी िेकर कांगि तरह पूरी िस्​्कय हो रही है. राहुि गांधी पहिे ही गांव मे् मत्था टेक आये है् और कांग्ेि भी इिे िेकर दे श व् या पी काय्सक्म तैयार कर रही है. भाजपा का मानना है सक सिफ्किवण्स वोटो् िे उत्​्र प्​्देश का चुनाव नही् जीता जा िकता है. इिकी वजह है सक मुब्सिम और यादव वोट पूरी तरह िे िपा के िाथ है. ऐिे मे् भाजपा की नजर दसित वोटो् पर है्. सबहार मे् जीतनराम मांझी िे भी भाजपा यही िंदेश देना चाहती है.

मीनडया से नाराज है शाह

सदया है सक असतसरक्त पैिा देने की क्या जर्रत जब मीसडया हमारे प्​्सत असतसरक्त झुकाव नही् सदखा रहा है. शायद यही वजह है सक िभी चुनाव िव्​्ेक्ण हार-जीत के आंकड़्े बराबर सदखा रहे है्. बताते है् सक मीसडया को यह आशंका है सक सबहार चुनाव के बाद मोदी िरकार अपना अि​िी रंग सदखायेगी. अगर मोदी जीत गये तो सबहार के अच्िे सदन आ जायेग् ,े पर देश मे्भाजपा िे िेकर मीसडया तक के बुरे सदन शुर्हो जाये्गे.

ित्​्ाधारी भाजपा का बड़्ा िंकट है इिके पाि स्वतंत्ता िंग्ाम िे जुड़्ेनेता नही्है्. इिी वजह िे तो कांग्ेि के उपेस्कत नेताओ् को भाजपा धड़्ल्िे िे अपना रही है. पहिे नरे्द् मोदी ने िरदार पटेि को अपनाया. सफर िुभाि चंद्बोि के पसरवार को खाने पर बुिाया. अब पाट्​्ी की नजर उत्​्र प्​्देश के दसित वोटो् पर है. जहां 2017 मे् सवधानिभा चुनाव होने है्. भाजपा ने इिकी पूरी रणनीसत बना िी है. पाट्​्ी की इि नीसत िे दसित वोट भिे ही समिे या न समिे,् पर मायावती का बौखिाना तय है. भाजपा का िारा प्यार बाबा िाहेब भीमराव आंबेडकर पर उमड़् पड़्ा है. प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी वाराणिी के े कर की दो प्स्तमाएं िगाई जयापुर गांव मे्आंबड गयी्है्. यह पहिा मौका है जब भाजपा ने यह काम सकया है वरना इि​िे पहिे तो यह े कर की एकासधकार बिपा के ही पाि था. आंबड 125वी् जयंती को भाजपा पूरी तरह िे भुनाना

आमतौर पर हर सवधान िभा या आम चुनाव, अखबारो् और चैनिो् के सिए वरदान िासबत होते आये है्. पर सबहार चुनाव मे् ऐिा कुि भी नही् हो रहा है. िािू-नीतीश के पाि चुनाव खच्स के सिए पैिे का अभाव है तो एनडीए की ओर िे जो सवज्​्ापन सदये जा रहे है् वह भी डीएवीपी की दर िे है्. भाजपा अध्यक्​् असमत शाह ने पहिे ही कह 6

शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

उम्​्रमती नही्

सबहार चुनाव नतीजो् को िेकर िबिे ज्यादा सचंसतत के्द्ीय अल्पिंख्यक मामिो् की मंत्ी नजमा हेपतुल्िा है्. उन्हे् यह डर िता रहा है सक नतीजे चाहे कुि भी रहे्, मोदी िरकार मे् व्यापक फेरबदि होगा. इिसिए उन्हो्ने अपनी िसव िुधारो असभयान शुर् कर सदया है. हाि ही मे्शेखर गुपत् ा के िाथ ‘चितेचिते’ मे् अपना िाक्​्ात्कार करवाया. उनकी दो बड़्ी सदक्​्ते्है्. पहिी यह सक वे 14 अप्​्ैि को 75 िाि पूरे कर चुकी है् जो सक मंस्तमंडि मे् रहने के सिए नरे्द् मोदी द्​्ारा तय की गयी आयु िीमा है. बेचारी आपा के शुभसचंतक उनके 75 वे जन्मसदन को बहुत जोरदार तरीके िे मनाना चाहते थे. पर उन्हो्ने िबको रोक सदया. उन्हे् िग रहा था इि​िे उनकी उम्​् का खुिािा हो जायेगा और प्​्धानमंत्ी का ध्यान इि ओर जाते देर नही् िगेगी. अपने जीवन मे् वे पहिी बार कैसबनेट मंत्ी बनी थी्. इिमे् सदक्​्त यह है सक इस्िामी देशो् िे बहुत अच्िे िंबंध होने के बावजूद प्​्धानमंत्ी ने वहां अपने जनिंपक्ककी सजम्मदे ारी मुखत् ार अल्बाि नकवी को िौ्प दी है. ऐिे मे् उनका परेशान होना स्वाभासवक है.


संमास् पादकीय ट हेड

दादरी और नबहार सब

अंबरीश कुमार

बबहार चुनाव मे्उत्​्र प्​्देश की सांप्दाबिक घटना को बिस तरह मुद्ा बनािा गिा है वह प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी के बवकास के एिेडे की धार भी भोथरी कर देगा.

हार चुनाव मे् कांटे के मुकाबिे के बावजूद भारतीय जनता पाट्​्ी को पुराने रास्​्ेपर िौटना पड़ रहा है जो बहुत दुभ्ासग्यपूण्स है. सबहार चुनाव मे्उत्​्र प्​्देश की िांप्दासयक घटना को सजि तरह मुद्ा बनाया गया है वह प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी के सवकाि के एजेडे की धार भी भोथरी कर देगा. चुनाव सबहार मे्हो रहा है और प्​्चार उत्​्र प्​्देश के दादरी मे्चि रहा है. सवश्​्सहंदू पसरिद की नेता िाध्वी प्​्ाची को दादरी के सबिाहड़्ा गांव मे् जबरन प्​्वेश की कोसशश के बाद सहराित मे्िेना पड़ा. प्​्शािन ने िाध्वी प्​्ाची के नोएडा के दादरी इिाके मे् प्​्वेश पर रोक िगा दी थी. बावजूद इिके िाध्वी प्​्ाची ने वहां प्​्वेश की कोसशश की. यह तब जब अख़िाक़ का पसरवार गांव िोड़कर जाने की तैयारी मे्था. इि​िे पहिे के्द्ीय मंत्ी महेश शम्ास और भाजपा के सहंदतु व् के नये क्त्े ्ीय चेहरे िंगीत िोम के सखिाफ धारा 144 तोड़ने के आरोप मे्कार्सवाई की सिफासरश की गयी. ये वही िंगीत िोम है् सजनपर खुद बूचड़खाना चिाने का आरोप िामने आया है. मांि सनय्ासत करने वािी कंपनी चिाने वािे गोमांि के मुद्े पर िोगो् की भावनाओ् को भड़काये् इि​िे ज्यादा सवरोधाभाि क्या हो िकता है, पर िमूची भाजपा इि िमय सबहार चुनाव के दबाव मे्इि तरह के सवरोधाभाि िे सघरी हुई है. रोचक यह है सक उिके इि तरह के प्​्योग उत्​्र प्​्देश िे िेकर देश के कई सहस्िो्मे्हो रहे है्. महाराष्​् मे् सजि तरह सशव िेना की धमकी के बाद गुिाम अिी का काय्सक्म रद्​् सकया गया और एक पुस्क के सवमोचन को िेकर िुधी्द् कुिकण्​्ी पर स्याही फे्की गयी वह इन प्​्योगो् की एक बानगी है. वाराणिी मे् मूस्तस सविज्सन को िेकर िगातार िाधू-िंतो् और प्​्शािन का टकराव चि रहा है. हाई कोट्स के आदेश पर गंगा मे् सविज्सन पर रोक िगायी गई है. इिके सिए अिग िरोवर का सवकल्प भी सदया गया है. इिके सिए वाराणिी मे् सवश्​् िुंदरी पुि के नीचे िामने घाट पर ित्​्र मीटर िंबा, पचाि मीटर चौड़ा और तीन मीटर गहरा तािाब बनाया गया है. दूिरा तािाब सखड़्सकया घाट पर बनाया गया है. इिमे्गंगा का ही पानी है. पर इि िबके बावजूद िंत िमाज इिमे् सविज्सन को तैयार नही् है. वह गंगा सजिे िाफ़ रखने की िबिे ज्यादा सजम्मेदारी िमाज और िाधू-िंतो् की होनी चासहए. इिे वे मूस्तसयो्के सविज्सन िे और मैिा करने की सजद कर रहे है्. जबसक दूिरी

तरफ ये ही सनम्सि गंगा की बात करते है्. दादरी और बनारि मे्टकराव बढ रहा है. दोनो्जगह जो ताकते्टकराव पर आमादा है उनका राष्​्ीय नेतृत्व नरे्द् मोदी कर रहे है्. वे राजनीसत मे् सवकाि का एजंडा िेकर आये. पर उनके िमथ्सक इि सवकाि मे्पिीता िगा सवनाश की ओर जा रहे है्. सवकाि बनाम सवनाश की यह राजनीसत सिफ्क इिसिए क्यो्सक िामने सबहार और सफर बंगाि चुनाव है्. इिके बाद सफर देश का िबिे बड़ा िूबा उत्​्र प्​्देश है. सफर सबहार तो िोशि इंजीसनयसरंग की पुरानी प्य् ोगशािा है सजिमे् मोदी के राजनैसतक कौशि की भी परीक्​्ा होनी है. वे अपने काय्सकाि का चौथाई िमय सबता चुके है.् अब इनके भी कामकाज की िमीक्​्ा शुर् होनी है. पर सबहार मे् भागवत के आरक्​्ण वािी सटप्पणी के बाद माहौि बदि चुका था. सबहार मे्आरक्​्ण का मुद्ा वैिा नही् है जैिा सकिी चैनि मे् िवण्स नौजवानो् को िेकर बहि करा दी जाये और आरक्​्ण को िमाज के सिए घातक मान सिया जाये. यह सबहार की राजनीसत का िबिे बड़ा जमीनी मुद्ा है. यह भाजपा को जब तक िमझ मे्आता तब तक भागवत का िंदेश िािू जमीन तक पहुंचा चुके थे. दुभ्ासग्य िे इिी िमय पस्​्िम मे् बोये जहर का एक पसरणाम आ गया. गोमांि के नाम पर एक को पीट-पीट कर मार डािा गया तो दूिरे को अधमरा मानकर िोड़ सदया गया. यह घटना बता रही थी सक कई दशक िे जो असभयान िेड़ा गया था वह अब रंग िाने िगा है. िमाज मे्इतना जहर फ़ैि चुका है सक िोगो् ने खुद मोच्ास िंभाि सिया है. िोशि इंजीसनयसरंग मे्फेि होने की आशंका ने भाजपा को ऐिा मुद्ा दे सदया सजि​िे मजहबी गोिबंदी हो िकती है. मजहबी गोिबंदी का िाफ़ अथ्सहै जातीय खेि सबगड़ जायेगा. इिके बाद भाजपा को जो ऊज्ास समिी उिने सबहार के चुनाव मे् उत्​्र प्​्देश को डाि सदया. हािांसक अभी तक यही रपट थी सक कांटे के मुकाबिे मे्भाजपा बीि पड़ रही है. पर सफर भी भाजपा कही न कही िे डरी हुई है. इिीसिए मोदी को गांव-गांव पहुंचाने की कोसशश हो रही है. यह वही डर है जो सदल्िी के चुनाव िे पैदा हुआ है. इिी का मुकाबिा करने के सिए भाजपा अब गाय के िहारे है. भाजपा एक अंसतम रास्​्ा उि दादरी िे बना रही है जहां के सकिान कुि िाि पहिे ही वीपी सिंह के नेतृत्व मे् बड़े कॉरपोरेट घराने को बेदखि कर चुके है्. n ambrish2000kumar@gmail.com शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

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आवरण मास्ट हेकथा ड

बदली बॉलीवुड के निे दौर की बिल्मो् मे्बवरिो् की बवबवधता है, िीवन की धड्कन है, कलात्मक ऊंचाई है और दश्षक उन्हे्पसंद कर रहे है्. अनेक निे बिल्मकार और बसतारे उभरकर आ गिे है् और इनमे्िुवा अबभनेब्तिो्की तादाद कािी है्. हतर मृदुल

ह बॉिीवुड का बेहतरीन दौर है. सवसवध सवियो् पर सफल्मे् बन रही है् और बड़्ा सबजनेि भी कर रही है्. सविय के स्​्र पर ऐिी वैसवध्यता पहिे कभी नही् देखी गयी. वाकई बॉिीवुड के सिनेमा ने एक नयी करवट िी है. अब ऐिी सफल्मो् का सनम्ासण शुर् हो चुका है, सजनमे् जीवन धडक़ता है और जो किात्मक उत्कृष्ता भी सिये हुए है्. इन सफल्मो्को आम दश्सको् ने भी पिंद करना शुर् कर सदया है. बदिते सिनेमा ने दश्सको् की र्सच का भी पसरष्कार सकया है. भिे ही बॉिीवुड सफल्मो्की अपनी िीमाएं है्, िेसकन दश्सको्के बीच उनका अिीसमत सवस्​्ार हो चुका है. ऐिी कहासनयो्का सफल्मांकन शुर् हो चुका है, सजनमे् चसकत करने वािी कथावस्​्ुएं है्. दरअि​ि ये गांवो्कस्बो्की कहासनयां है.् इनका एक सवसचत्​्िोक है. िबिे महत्व की बात यह है सक बड़्ी प्​्ोडक्शन कंपसनयो् ने ऐिी सफल्मो् पर भरोिा करना शुर् कर सदया है. इनकी मेसकंग और माक्​्ेसटंग मे्ये कंपसनयां सदिचस्पी िेने िगी है्. दरअि​ि, अब बॉिीवुड मे्कुि भी वस्जसत नही्है. वूमन ओसरएंटेड सफल्मे्बन रही है्, तो बायोसपक सफल्मो् पर भरोिा सकया जा रहा है. बोल्ड सविय सचस्​्तत हो रहे है्, तो ऑफबीट कथ्य सनरािे अंदाज मे्िामने आ रहे है्. देश के िुदूर इिाको् के गांवो् और कस्बो् के युवक अपने प्​्सतभा के बूते बड़्ी पहचान बना रहे है्. पहिे िे स्थासपत सफल्मकारो् ने भी इि नये ‘रज्​्ो’ मे् कंगना रनोट: अबिनय िी ग्लैमर िी 8

शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015


दुनिया बॉलीवुड की

आज के प्स्तभावान सफल्मकारो्ने स्टारडम सकस्म के सिनेमा मे्इजाफा सकया है. एक तरफ अनुराग कक्यप, सवशाि भारद्​्ाज, अनुराग बिु, को जबद्सस् चुनौती दी है. इन सफल्मकारो् ने सतग्मांशु धूसिया, आशुतोि गोवासरकर, सदबाकर बता सदया है सक सबना सकिी बड़्े स्टार के भी सफल्मे् चि िकती है्, बि थोड़्े िे िाहि की बनज्​्ी, िुजॉय घोि, मधुर भंडारकर, गौरी सशंद,े नीरज पांडेय, सवक्​्मासदत्य मोटवाने, हंि​ि बात है. इि आत्मसवश्​्ाि का नतीजा यह ्े को् मेहता, रजत कपूर, श्​्ीराम राघवन, शूसजत सनकिा है सक तमाम बड़्ेस्टारो्ने ऐिे सनद्श िरकार, होमी अदजासनया और आनंद राय है्, के िाथ काम करने मे्सदिचस्पी सदखायी है, जो जो सनत नयी कथावस्​्ु को सफल्मांसकत करने िीक िे हटकर सफल्मे्बनाते है.् गौर कीसजए सक की िोचते है्. दूिरी तरफ असभिेक चौबे, शाहर्ख खान जैिे िुपरस्टार ने सफल्म ‘रईि’ अमोि गुप्ते, अजय बहि, हबीब फैजि, मे्काम करना मंजूर सकया है, सजिका सनद्​्ेशन सनसतन कक्​्ड़्, िंजय पूरन सिंह, राहुि ‘परजासनया’ फेम राहुि ढोिसकया कर रहे है्. ढोिसकया, अनंत महादेवन, नीरज घेवन, राहुि ने उक्त पहिी सफल्म दंगो्की सवभीसिका मेघना गुिजार, सवकाि बहि, सनतेश सतवारी, पर बनायी थी. इि सफल्म मे् िासरका ने एक सरतेश बत्​्ा, शोनािी बोि, नूपुर अस्थाना, अहम सकरदार सनभाया था, सजिके सिए उन्हे् देसवका भगत, राजेश मापुस्कर, सगरीश मसिक, नेशनि अवॉड्स हासि​ि हुआ था. शाहर्ख की िमीर शम्ास और असमत मािुरकर जैिे िमझ मे्आ चुका है सक अब बेहतरीन कहानी सफल्मकार है्, जो अपने बेहतरीन काम िे और सस्क्प्ट वािी सफल्म ही उनके स्टारडम को पहचान बनाने का िंकल्प सिये हुए है्. इन बचाये रख िकती है, वरना सशखर िे सफि​िने सफल्मकारो्के अिावा िुधीर समश्​्, प्​्काश झा, बदलते बॉलीवुड में इरफान राजकुमार सहरानी, आर बाब्लक और कबीर और नवाजुदंीन सिदं​ंीकी जैिे खान जैिे िोग भी है्, जो एक अरिे िे कॉमस्शसयि और िाथ्सक सिनेमा के बीच पुि एकंटरों का एक अलग ही का काम कर रहे है्. जब इतनी बड़्ी िंख्या मे् संटारडम बन चुका है. ऐिा िोग कुि नया देने के सिए काम कर रहे हो्, तो पहले िंभव नहीं था. बदिाव की बयार बहना िासजमी है. ‘हाइवे’ मे् आबलया िट्​्, इम्तियाज अली और रणदीप हुड्ा: अच्छी पटकथा

मे्देर नही्िगेगी. आसमर खान तो इि बात को काफी पहिे ही िमझ चुके थे. उन्हो्ने हमेशा ही नये िे नये प्​्सतभावान सनद्​्ेशको्के िाथ सफल्म करने का िाहि सदखाया. इन सदनो् भी वे ‘दंगि’ जैिी सफल्म मे्काम कर रहे है्, सजिके सनद्श ्े न की कमान सनतेश सतवारी के हाथो्मे्है. सफल्म ‘सचल्िर पाट्​्ी’ और ‘भूतनाथ सरटन्ि’स् िे चच्ास मे्आये सनतेश का बड़्ा पोट्सफोसियो नही् है, िेसकन उनके टेिे्ट को ‘सम. परफेक्शसनस्ट’ जान चुके है्. एक और िुपरस्टार ‘सखिाड़्ी कुमार’ अक्​्य ने एक्शन और कॉमेडी सफल्मो् के अिावा नीरज पांडेय के सनद्​्ेशन मे् बनी सफल्म ‘स्पेशि िल्बीि’ और ‘बेबी’ जैिी सफल्मो्मे्काम कर अपने को बेहतर असभनेता िासबत सकया. इन दोनो्सफल्मो्मे्काम करने िे पहिे उन्हे्औित एक्टर िमझा जाता था. बदिते बॉिीवुड मे्इरफान और नवाजुद्ीन सिद्​्ीकी जैिे एक्टरो्का एक अिग ही स्टारडम बन चुका है. ऐिा पहिे िंभव नही्था. पहिे के असभनेता स्टारडम हासि​ि करने के सिए मेनस्ट्ीम सफल्मो् की शरण मे् जाते थे. चाहे निीर्द्ीन शाह हो् या ओम पुरी, नाना पाटेकर हो्या परेश रावि, इन िभी एक्टरो्को स्टारडम पाने के सिए िोकस्​्पय सफल्मे्करनी पड़्ी्. परंतु इरफान और नवाज जैिे एक्टरो् को ऑफबीट सिनेमा ने ही िोकस्​्पयता प्​्दान की. इि िोकस्​्पयता िे प्​्भासवत होकर उन्हे् सवशुद् बॉसिवुसडया सफल्मो् के सिए याद सकया गया. यहां तक सक िुपर स्टार भी इन एक्टरो् को अपनी सफल्मो् मे् िेकर िुरस्​्कत महिूि करने िगे सक इनके होने िे दश्सको्का एक वग्सउनिे आिानी िे जुड़् जायेगा. उनका िोभ है सक अगर िामने अच्िा एक्टर होगा, तो उनका असभनय भी सनखर कर िामने आ जायेगा. िोसचए सक सफल्म ‘पीकू’ मे्असमताभ बच्​्न के अपोसजट इरफान न होते, तो क्या इतना अच्िा पसरणाम समि पाता? सफल्म ‘सकक’ मे्ि​िमान खान के अपोसजट नवाजुद्ीन के कुि ही िीन थे, िेसकन उन्हो्ने इन दृक्यो् मे् जान डाि दी. सफल्म ‘बजरंगी भाईजान’ मे् भी नवाज ने ऐिा ही कमाि कर सदया. बड़्ेबजट की सफल्मे्पाने के सिए इन दोनो्एक्टरो्को ज्यादा कोसशश नही् करनी पड़्ी है. ऐिा ही मनोज बाजपेयी और राजकुमार राव जैिे अदाकारो्के िाथ हुआ है. शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

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आवरण कथा ऑफबीट सफल्मो् मे् पहचान बनाने के बाद ही इन्हे्स्टारडम समि गया था. बाद मे्कॉमस्शयस ि सफल्मो् ने इि स्टारडम मे् इजाफा सकया. इि पसरदृक्य के बारे मे्महेश भट्​्कहते है्, ‘ऐिा तो होना ही था. बड़्ा बुरा िगता था, जब सरयि टैिे्ट को महत्व नही्समिता था और बुरे एक्टर चांदी काटते थे. हमारे प्​्ोडक्शन हाउि की सफल्मो् मे् यह परंपरा काफी पहिे िे है सक सरयि एक्टर का िम्मान सकया जाये और उन्हे् आगे बढऩे का मौका सदया जाये. मै्बॉिीवुड को बदिते देखकर बहुत खुश हूं.’ यह बदिते सिनेमा का ही एक रंग है सक इरफान को ऐश्​्यस् राय और दीसपका पादुकोण के अपोसजट बतौर हीरो िाइन सकया जाता है. नवाजुद्ीन जैिे औित कद काठी के एक्टर को कुिाण नंदी की सफल्म ‘बाबू मोशाय बंदक ू बाज’ मे्सचत्​्ागं दा सिंह के िाथ रोमांि करने का मौका समिता है. निीर और ओम पुरी जैिे धुरंधर एक्टरो्को टॉप की हीरोइनो्का हीरो बनने का मौका कभी नही् समिा. अब एक्टर ही नही्, एक्ट्ेि को भी बड़्े मौके समिने िगे है्. आज

कंगना रनोट टॉप की हीरोइन बन चुकी है्. कंगना ने हमेशा ही अिग थीम की सफल्मो् मे् काम करने की राह चुनी. सफल्म ‘क्वीन’, ‘तनु बेड्ि मनु’ और ‘तनु वेड्ि मनु सरटन्ि्स’ करने के बाद उन्हे्कई बड़्ी सफल्मो्मे्बड़्ेएक्टरो्के िाथ असभनय के ऑफर समि रहे है्. एक नयी सफल्म मे् आसमर खान के िाथ उनकी जोड़्ी बनने की िंभावना है. ‘ओए िकी िकी ओए’, ‘गैग् ि ् ऑफ वािेपरु ’ और ‘मिान’ जैिी सफल्मो् मे् काम कर चुकी सरचा चड्​्ा को रीमा कागती अपनी नयी सफल्म ‘सम. चािू’ मे् िैफ अिी खान के अपोसजट िेने की प्िासनंग कर रही है्. यह बॉिीवुड मे् आये बदिाव का ही पसरणाम है. पहिे ऐिा िंभव नही्था. इधर करीना कपूर, दीसपका पादुकोण, स्​्पयंका चोपड़्ा और आसिया भट्​् जैिी ग्िैमरि हीरोइनो् ने भी ऐिे सरयसिब्सटक सकरदार करने शुर्कर सदये है्सक ऑफबीट सफल्मो् की हीरोइने् भी इष्य्ास करने िगे्. करीना कपूर अपनी आगामी सफल्मो् ‘उड़्ता पंजाब’ और ‘का और की’ मे् एकदम अिग ढंग की भूसमकाएं सनभाती सदखायी दे्गी. ‘जज्िा’ मे् ऐश्​्य्य राय: सशक्ि वापसी

‘क्वीन’ का एक दृश्य: अलग मुहावरा

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दीसपका पादुकोण ‘बाजीराव मस्​्ानी’ मे् मस्​्ानी के सकरदार मे्इसतहाि को सजंदा करने की कोसशश कर रही है्. इि​िे पहिे वे होमी अदजासनया की सफल्म ‘फाइंसडंग फैनी’ और शूसजत िरकार ‘पीकू’ मे्अपनी इमेज िे हटकर रोि कर चुकी है.् स्​्पयंका चोपड़्ा ने सफल्म ‘मेरी

बायोसपक सफलंमों ने अपनी जगह बना ली है. इन सदनों सजि भी सफलंमकार को देखो, सकिी न सकिी बायोसपक को परदे पर उतारने की कोसि​ि में है. कॉम’ मे्पूव्ोत्र् की बॉक्िर मेरी कोम को सजि अंदाज मे् परदे पर उकेरा, उिका कोई जवाब नही्. आसिया भट्​्की सफल्म ‘हाइवे’ एक अिग ही जॉनर की सफल्म थी. यह उनकी िमझ और िोच को स्पष्​् तौर पर िामने रखती है, सजिे देखते हुए कहा जा िकता है सक वे काफी आगे जाये्गी. इि िमय बॉिीवुड मे् जो सफल्मे् बन रही है्, उनमे् नये सवियो् की भरमार है. अब ऑफबीट सफल्मो्को दश्सको्की स्वीकृसत समि चुकी है. इधर िोटे बजट की नई सविय वस्​्ु वािी सफल्मो् ‘दम िगा के हइिा’, ‘सफल्मीस्​्ान’, ‘सवकी डोनर’, ‘एनएच 10’, ‘द िंच बॉक्ि’, ‘उड़्ान’, ‘शासहद’, ‘द सिटी िाइट’, ‘मांझी-द माउंटेनमैन’, ‘मिान’ और ‘तिवार’ जैिी बीसियो् सफल्मो् को बॉक्ि ऑसफि पर भी िफिता समिी. इन सफल्मो्की िफिता िे अब बड़्ेबैनर भी ऐिी िोटी सफल्मे् बनाने के सिए उत्िुक नजर आ रहे है्. कुि समिाकर यही सक िोटे बजट की सफल्मो्के सिए एक पॉसजसटव माहौि बना है. यही वजह है सक पचािो्सफल्मकार अपने पूरे पैशन के िाथ नये तरह का सिनेमा देने के सिए कमर किे हुए सदखाई दे रहे है्. इिका फायदा यह हो रहा है सक िोटे शहरो् के सनम्ासता भी बॉिीवुड मे् आिानी िे एंट्ी कर पा रहे है्. इि तरह बॉिीवुड का सवस्​्ार हो रहा है. उिे नये प्​्ोड्​्ूिर समि रहे है्. वैिे भी अब पहिे की तुिना मे् सफल्मे् बनाना आिान हो चुका है. सडसजटि तकनीक िे सफल्म सनम्ासण की िागत कम हुई है, बशत्​्े सक दूिरे खच्​्ो् मे् सनयंत्ण िंभव हो. दीगर यह भी है सक िेखको्को मुंशी की तरह इस्​्ेमाि करनेवािी इि इंडस्ट्ी मे् अब राइटि्सकी अहसमयत बढ्ती जा रही है. यह बढ्ते हुए बॉिीवुड के सिए अच्िा िंकेत है. इधर कोई भी स्टार ऐिा नही्है, सजिे नयी थीम वािी ब्सक्​्प्ट की खोज न हो. चूंसक यह ग्िोबि दौर है. अब पहिे की तरह सकिी सवदेशी सफल्म की नकि नही् की जा िकती है. फौरन


कॉपीराइट का मामिा िामने आ जाता है, सजिके सिए करोड़्ो्र्पये पेमे्ट करने पड़्जाते है्. ऐिे मे् ओसरजनि कहानी और ब्सक्​्प्ट को महत्व समिना अपसरहाय्स हो जाता है. अब कल्पनाशीि िेखको्के सिए बॉिीवुड मे्पहिे की तुिना मे् ज्यादा मौके है्. िेखक कमिेश पांडे कहते है्, ‘एक अरिे बाद िेखको् का महत्व समिना शुर्हुआ है. बीच मे्तो िेखको् की अहसमयत काफी कम हो गयी थी.’ इधर सफल्म सनम्ासण मे् तकनीकी स्​्र पर तो बदिाव आये ही है्, बोल्ड सवियो्पर सफल्मे् बननी शुर्हो चुकी है्. ‘अगिी’, ‘बीए पाि’, ‘सवकी डोनर’, ‘हंटर’ या ‘सततिी’ जैिी सफल्मे् ताजा उदाहरण है्. अब बॉिीवुड का सिनेमा वज्सनामुक्त हो रहा है. अक्िीिता और किा मे् फक्क करने की िमझ भी दश्सको् को आ चुकी है. कुि िमय िे बायोसपक सफल्मो् ने अपनी बड़्ी जगह बना िी है. यही वजह है सक इन सदनो् सजि भी सफल्मकार को देखो, सकिी न सकिी बायोसपक को परदे पर उतारने की कोसशश मे्है. आसमर खान, इमरान हाक्मी, रणदीप हुड्ा, िुशांत सिंह राजपूत, ऐश्​्यस्राय, कंगना रनोट और िोनम कपूर जैिे स्टार कुि सदिचस्प बायोसपक चसरत्​् सनभाते सदखायी दे्गे. िबिे ज्यादा महत्व की बात यह है सक अब बॉिीवुड मे्वूमन ओसरएंटेड सफल्मे्भी सनस्मसत हो रही है्. इिकी वजह यह है सक अब अच्िी ब्सक्​्प्ट हो, तो हीरोइन भी सकिी हीरो की तरह अपने कंधो् पर अकेिी सफल्म खी्च िे जा रही है्. चाहे ‘द डट्​्ी सपक्चर’ हो या सफर ‘क्वीन’, ‘कहानी’, ‘मेरी कोम’ और ‘तनु वेड्ि मनु सरटन्ि्स’, ये

‘मैरी कॉम’ मे् ब्​्पयंका चोपड्ा: प्​्ामाबणक िस्व्ाीर

िभी सफल्मे् हीरोइनो् के दम पर ही बड़्ी सहट िासबत हुई है्. गौरतिब है सक इन सफल्मो् को समिी बड़्ी व्याविासयक िफिता के बाद हीरोइनो्ने अपने दाम दुगनु े कर सिये. बॉिीवुड मे्एक और महत्वपूण्सबदिाव यह आया है सक अब शादीशुदा हीरोइनो्को पूरा महत्व समि रहा है. एक िमय धारणा थी सक शादी हुई और हीरोइन गयी, िेसकन अब ऐिा नही्है. श्​्ीदेवी, माधुरी दीस्​्कत, काजोि, जूही चाविा, करीना कपूर, िारा दत्​्ा, सवद्​्ा बािन और ऐश्​्य्सराय बच्न् का अब भी स्टारडम बना हुआ है. श्​्ीदेवी

‘िजरंगी िाईजान’ का एक दृश्य: संदेश और सफलिा की सफल्म ‘इंब्गि​ि सवंब्गि​ि’ की िफिता ने बॉिीवुड की दूिरी शादीशुदा हीरोइनो् को आश्​्स्सकया है सक अच्िी ब्सक्​्प्ट का चुनाव होगा, तो उनके सिए इंडस्ट्ी मे्पहिे सजतनी ही जगह है. इि बारे मे् ऐश्​्य्स राय बच्​्न कहती है्, ‘मेरी सफल्म ‘जज्बा’ का मेरे प्​्शंिको् ने सजतना इंतजार सकया, मै्चसकत हू.ं िचमुच अब बॉिीवुड बदि रहा है. अब न उम्​् की कोई िीमा है और न ही सकरदारो् के स्​्र पर कोई बंधन नजर आ रहा है. इंडस्ट्ी की यह तल्दीिी n वाकई गौर करने िायक है.’ शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 11


आवरण कथा

नि्ल्मंे बदली् दश्षक बदले हाबलिा बिल्मो्के चब्चषत अबभनेता इरिान से हबर मृदुल की बातचीत:

रफान अपने कररयर के एक नये मुकाम पर है.ं एक तरफ उनकी छरि इंटरनेशनल एकंटर की बन चुकी है, तो दूसरी तरफ िे बॉलीिुड के भी चहेते हैं. रनरं​ंित रंप से यह एक बडंी उपलबंधि है. हॉलीिुड और बॉलीिुड की रफलंमों में संतुलन बैठाना आसान नहीं होता, लेरकन इरफान ने यह कमाल कर रदखाया है. इसी हफंते ररलीज हुई रफलंम ‘जजंबा’ में िे ऐशं​ंयंय राय बचं​ंन के साथ नजर आ रहे हैं. दो हफंते पहले ररलीज हुई रफलंम ‘तलिार’ में भी उनके अरभनय को काफी सराहा गया है. आपकी रफलंमों का एक दशंयक िगंय बन चुका है. यही िजह है रक ‘रसंह इज बंधलंग’ जैसी रिशुदं कॉमरंशययल रफलंम के साथ आपकी ररयरलबंटटक एपं​ंोच िाली रफलंम ‘तलिार’ को भी पयंायपंत दशंयक रमले. इस सफलता को आप कैसे ले रहे हैं? मुझे साफ रदखाई दे रहा है रक अब इंडटंटंी तेजी से बदल रही है. दशंयकों को हर तरह का मनोरंजन चारहए. िे रडमांड कर रहे है.ं यही िजह है रक लोग दोनों तरह की रफलंमें देखने जा रहे हैं. पहले ऐसा नहीं होता था. बडंी कॉमरंशययल रफलंम के सामने छोटी रफलंम रपट जाती थी. लेरकन अब लोग रफलंमों में िैराइटी खोज रहे हैं, जो उनंहें रमल भी रही है. दरअसल, हमारे यहां रसनेमा देखने की कैपेरसटी बढंी है. दशंयक इंडटंटंी को चेंज कर रहे हैं. यही िजह है रक एक छोटी सी रफलंम भी बडंे लेबल पर ररलीज हो पा रही है. रफलंम ‘जजंबा’ में आप ऐशं​ंयंय राय के अपोरजट हैं. इस रफलंम के बाद कंया आप मेनटंटंीम रसनेमा में खुद के रलए बडंी जगह देखते हैंे? इसके रलए आपकी कंया पंलारनंग है?

‘शराफत की दुरनया का रकटंसा खतंम, जैसी दुरनया िैसे ही हम...’ जैसे डायलॉग कभी अरमताभ बचं​ंन बोला करते थे. ‘जजंबा’ में आपने इस रकटंम के डायलॉग बोले हैं... मैं बचं​ंन साहब के जॉनर में नहीं घुसा हूं. मैं अपना टंटाइल रं​ंिएट कर रहा हूं. िैसे भी ‘जजंबा’ में मेरा रोल बचं​ंन साहब की तरह का नहीं है. यह संजय गुपंता की मेहरबानी है रक उनंहोंने मुझे इस तरह के डायलॉग रदये हैं. सब जानते हैं रक संजय एक टंटाइरलश रफलंममेकर हैं. आपके खाते में ‘हारसल’, ‘मकबूल’, ‘रबलंलू’, ‘साहब,बीिी और गैंगटंटर ररटनंसंय’, ‘पान रसंह तोमर’, ‘सात खून माफ’, ‘द लंच बॉकंस’, ‘हैदर’ और ‘पीकू’ जैसी रहंदी रफलंमें हैं, तो ‘द िाररयर’, ‘द अमेरजंग टंपाइडर मैन’, ‘द नेमसेक’, ‘अ माइटी हाटंय’, ‘टंलमडॉग रमलेरनयर’ और ‘लाइफ ऑफ पाइ’ जैसी हॉलीिुड की रफलंमों में भी आपने साथंयक उपबंटथरत दजंय करिाई है. इस तरह का संतुलन आप कैसे साि पाये?

आपने ‘थैंक यू’, ‘डी डे’ और ‘गुंडे’ जैसी रफलंमों का नाम नहीं रलया. कहना यह चाहता हूं रक मैंने ऐसी रफलंमों में भी काम रकया है, जो रिशुदं रंप से कॉमरंशययल हैं. मेरे मन में नये सफलंम मेकिंस के आने के आटं य और कॉमरंशययल िाला कोई भेद नहीं है. अब हर बाद सिनेमा का नेरेसटव बदल तरह का रसनेमा चल रहा है. इसका शं​ंेय दशंयकों को जाता है. िे कुछ नया खोज रहे है,ं लेरकन इंडटंटंी दे नहीं रहा है. वैिे भी हर दि-पंदंह पा रही है. हां, नये रफलंम मेकसंय के आने के बाद िाल में सफलंम का नेरेसटव रसनेमा का नेरेरटि बदल रहा है. िैसे भी हर दस-पंदंह साल में रफलंम का नेरेरटि बदल जाता है. बदल जाता है.

पंलारनंग से कुछ नहीं होता. कुदरत का अपना रडजाइन होता है आपको लेकर. बॉलीिुड में आने से पहले मैन ं े कई रिश रलटंट बनायी थीं, लेरकन मैं इस रलटंट के रकसी भी रनदंश ंे क के साथ काम नहीं कर पाया. मैंने कभी सोचा भी नहीं था रक एंग ली, डैनी बॉयल, रॉन हािडंय जैसे इंटरनेशनल डायरेकटं संय की रफलंमों में अरभनय करूग ं ा, परंतु ऐसा हो गया. मैं बॉलीिुड की मेनटंटंीम रफलंमों को देखकर बडंा हुआ हूं. उसका अपना 12 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

जादू है. इन रफलंमों के पं​ंरत मेरा आज भी आकरंयण है. मुझे ऐसी रफलंमों में काम रमल भी रहा है. कुल रमलाकर यही रक काम में मजा आ रहा है. मैं रबना रकसी कामना के काम कर रहा हूं.

अकंसर देखा गया है रक बडंी सफलता पाने के बाद कलाकार का रदमाग सातिें आसमान पर होता है. िह इस सफलता को पचा नहीं पाता. इस बारे में आपका कंया कहना है?


सफलता को पचाने की कं​ंमता बहुत जरंरी है. िरना आपको रकटंसा कहानी बनने में टाइम नहीं लगता. मैं अपने साथ ऐसा नहीं होने दूंगा. मैं अपने आपको अपनी तरह की कहारनयों िाली रफलंमें चुनकर संभालूंगा. इंडटंटंी में िे ही लोग लंबे समय तक रटक पाते हैं, जो अपनी अलग जगह बनाना चाहते हैं. पहले भी ऐसे लोग आये हैं, रजनंहोंने अपने रलए नयी राह चुनी और उनकी जगह भी बनी. सफल होने के बाद असफल होनेिालों की भी बडंी संखंया है. िे जलंदी अपनी सफलता कैश कर लेना चाहते थे, इसरलए अपने पांि जमा नहीं पाये. आपको यहां तक पहुंचने के रलए रकतना संघरंय करना पडंा है? मुझे आसानी से कोई चीज नहीं रमली. मेरे बहुत इबंततहान हुए हैं. मुझे कई झटके रमले हैं. लेरकन इससे मुझे फायदा ही हुआ. मैं रकसी गलतफहमी का रशकार नहीं हुआ. मैंने हमेशा लीक से हटकर काम करने की सोची. आज भी मैं परंपराएं तोडंना चाहता हूं. रफलंमों में भी और रनजी जीिन में भी. आपने अचानक अपने नाम के आगे से ‘खान’ सरनेम कंयों रनकाल रदया? इसरलए रक लोग मुझे बॉलीिुड की पं​ंरसदं​ं ‘खान रतकडंी’ से जोडं रहे थे. लोगों का अंदाज कुछ इस तरह था रक लो जी, आ गया चौथा खान. मैंने सोचा रक यह सब बडंे ही पचडंे की चीज है, इसरलए नाम छोटा कर लो. आप अपनी रफलंमों का चुनाि रकस तरह करते हैं? मैं अपने रदल की सुनता हूं. मैं डायरेकंटर और पं​ंोडं​ंूसर को देखता हूं. कई बार लगता है रक आपको यह रफलंम इसरलए करनी चारहए कंयोंरक िह नायाब कहानी है, भले ही पं​ंोडं​ंूसर कडंका हो. ररशंतों का भी खयाल रखना पडंता है. एक एकंटर के तौर पर कुछ नया करने को नहीं हो, रफर भी उसे करना पडंता है. हर साल भारत से कोई एक रफलंम ऑटंकर के रलए भेजी जाती है, लेरकन

इस चयन पर रि​िाद हो जाता है. इस बंटथरत पर आप कंया सोचते हैं? हमारे यहां चयन कमेटी का टंिरंप टेढंा मेढंा है. इस कमेटी में सही लोग होने चारहए. इस बार भी रि​िाद हुआ. मेरा मानना है रक ‘कोटंय’ का चुनाि एकदम सही है. यह एक जेनुइन रफलंम है. हमारी इंडटंटंी के रलए बहुत जरंरी है रक ऑटंकर के रलए सोच-समझ कर रफलंमें भेजें. ऑटंकर में दुरनया भर की रफलंमों से मुकाबला होता है. कंया आप मानते हैं रक भारतीय रसनेमा अभी उतना मैचंयोर नहीं हुआ है, रजतना रक रिशं​ं रसनेमा? यह सही है रक अभी भारतीय रफलंमें उस ऊूचाई पर नहीं पहुंची हैं, जहां अंतरराषं​ंीय सं​ंर पर आपकी रफलंमों का इंतजार होता है. रबजनेस के सं​ंर पर भी हम काफी पीछे हैं. तकनीक के सं​ंर में सुिार आया है, लेरकन अभी बहुत कुछ पाना है. लेरकन अचंछी बात यह है रक हम सही राह पर चल रहे हैं. हमारे यहां भी ऐसी रफलंमें बनायी जा रही हैं, रजनमें मौरलक कहारनयां हैं. हॉलीिुड की नकल करके हमें तारीफ नहीं रमल सकती. आपकी रगनती बडंे एकंटरों में होती है, लेरकन आपको अभी तक टंटारडम नहीं रमल पाया है? मैंने अपने आपको कभी भी टंटारडम के घेरे में नहीं रखा. मैं इस बारे में सोचता ही नहीं हूं. अगर कोई सुपर टंटार है, तो मुझे उससे रदकं​ंत भी नहीं है. मेरी शुरं से ही खंिारहश थी रक एक एकंटर के रंप में पहचान बने और िह पहचान बन चुकी है. मुझे इससे जंयादा कुछ नहीं चारहए. मैं अपने रहसाब से काम करता हूं और मसं​ं रहने की कोरशश करता हूं. आप रफलंम बाजार को रकतना समझ पाये हैं? मुझे बाजार की कोई समझ नहीं है. अगर बाजार की समझ होती, तो अचंछा वंयापारी बन जाता. मैं तो रसफंफ ओरडएंस को समझता हू.ं उनंहीं के पंयार की िजह से यहां तक पहुंचा हूं. n

‘जज्िा’ मे् ऐश्​्य्य राय और इरफान: शानदार जोड्ी

शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 13


आवरण कथा

नयी उमर के नये बफल्मकार: बदिाकर िनज्​्ी, अनुराग कश्यप और मेघना गुलजार

बनद्​्ेशको्की एक पूरी पीढ्ी बसनेमा मे्कुछ निा देने के बलए कृतसंकल्प बदखाई दे रही है. िह पीढ्ी साहस और आत्मबवश्​्ास से भरी हुई है और अपनी एक अलग छाप छोड् रही है्.

एक ऊंची उडंान हतर मृदुल

यी पीढ्ी के सनद्श ्े को्की िफिता का राज यही है सक वे िीक िे हटकर चिे है्. नये कथ्य, सशल्प और िंवेदनशीिता वािी इनकी सफल्मो्को दश्सको्की भी भरपूर स्वीकृसत समिी है. इिका नतीजा यह सनकिा है सक आज पहिे जैिा सिनेमा नही् रहा. अब सविय वस्​्ु और ट्​्ीटमे्ट के स्​्र पर एक ऐिा खुिापन आया है, सजि​िे बॉिीवुड आगे बढ्ता प्​्तीत हो रहा है. सनद्​्ेशको्की एक पूरी पीढ्ी सिनेमा मे्कुि नया देने के सिए कृतिंकल्प सदखाई दे रही है. यह पीढ्ी िाहि और आत्मसवश्​्ाि िे भरी हुई है. मेनस्ट्ीम िे िेकर एक्िपेसरमे्टि थीम वािी सफल्मो् तक युवा सनद्​्ेशको् ने अपनी एक िाप िोड़्ने मे् कामयाबी पायी है. चस्चसत सफल्म ‘तिवार’ की सनद्े्शक मेघना गुिजार को ही िीसजए. मेघना ने िंबे िमय के बाद सनद्श ्े न के मैदान मे्िौटने का मन बनाया और ‘तिवार’ 14 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

जैिी सफल्म दे दी. इि सफल्म का सनद्​्ेशन तिवार की धार पर चिने जैिा ही था. एक बहुचस्चसत हत्याकांड को मेघना ने बड़्ेपरदे पर ऐिे सनरािे अंदाज मे् उकेरा सक टोरंटो जैिे अंतरराष्​्ीय सफल्म फेब्सटवि मे्उिकी भरपूर िराहना हुई. सवदेशी मीसडया ने इि सफल्म की काफी तारीफ की. मेघना कहती है्, ‘काफी िमय िे मन मे् तड़्प थी सक कोई सफल्म सनद्​्ेसशत करं्. एक ऐिी सफल्म, जो िीक िे हटकर हो. इि बारे मे्मै्ने सवशाि भारद्​्ाज िे बात की. इिी बीच आर्सि हत्याकांड ने हमारा ध्यान अपनी ओर खी्चा. थोड़्ेसवचार सवमश्सके बाद तय हो गया सक इि रहस्यमय हत्याकांड के कथानक को पूरी िंवेदनशीिता के िाथ सचस्​्तत सकया जाये. ब्सक्​्प्ट की सजम्मेदारी सवशाि ने उठायी और इिे यथाथ्सपरक ढंग िे सनद्​्ेसशत करने का मौका मुझे समि गया.’ कुि िमय पहिे कान सफल्म फेब्सटवि मे् दो प्​्सतस्​्ित अवॉड्सजीत चुकी सफल्म ‘मिान’

इम्तियाज अली और बवशाल िारद्​्ाज: नया मुहावरा ने भी जता सदया है सक बॉिीवुड की सफल्मो् मे् भी अब कथानक के स्र् पर बहुत बड़्ा बदिाव आ चुका है. नीरज घेवन के सनद्श ्े न मे्बनी यह पहिी सफल्म है, िेसकन उन्हो्ने एक कसठन सविय को अपने सवसशष्​्अंदाज मे्सचस्​्तत करने मे् िफिता पायी है. इि पहिी सफल्म िे ही घेवन ने बता सदया है सक उन जैिे नये सफल्मकार सिनेमा मे् सकतना कुि नया जोड़्ने का हौ्ि​िा रखते है्. नीरज बताते है्, ‘मै् बॉिीवुड की धूमधड़्ाके वािी सफल्मे्देखते हुए ही बड़्ा हुआ हू,ं परंतु एक सफल्मकार के तौर पर मै् िीक िे हटकर काम करना चाहता हूं. मुझे आज के सफल्मकारो्मे्अनुराग कक्यप, सवशाि भारद्​्ाज और सदबाकर बनज्​्ी का सिनेमा पिंद है. ये िभी कहानी, असभनय, स्क्ीन प्िे, डायिॉग और िंगीत के स्​्र पर कुि नया करने की िगातार कोसशश करते है.् मेरा मानना है सक आज सिनेमा की जो नयी शक्ि देखने को समि रही है, उिके पीिे इन तीनो्सनद्​्ेशको्का बहुत बड़्ा योगदान है. ये िोग िफिता या अिफिता के बारे मे्जरा भी नही्िोचते. इनके सिए सिनेमा एक पैशन है. इिी पैशन की वजह िे ये कुि न कुि ऐिा कर जाते है्सक बॉिीवुड का सिनेमा बेहद िंभावनाशीि िगने िगता है.’ नीरज घेवन का कहना िही है सक सिनेमा


के प्​्सत पैशन की वजह िे बॉिीवुड को कई नायाब सनद्​्ेशक समि चुके है्. ऐिे सनद्​्ेशको्मे् सवशाि भारद्​्ाज की सगनती होना िुसनस्​्ित है. ‘मकबूि’, ‘ओमकारा’, ‘िात खून माफ’ और ‘हैदर’ जैिी सफल्मे् सनद्​्ेसशत कर चुके सवशाि ने शुर्िे ही एक अिग राह अपनायी. इि राह पर वे आज भी पूरे आत्मसवश्​्ाि के िाथ चि रहे है.् सवशाि की सवशेिता है सक वे कॉमस्शयस ि फॉरमेट मे् भी एक नये अंदाज का सिनेमा दे जाते है्. उनका सिनेमा हमेशा ही बॉिीवुड मे् कुि न कुि नया जोड़्ता है. ऐिे दौर मे् जब बॉिीवुड के सनद्​्ेशक िासहब्तयक कृसतयो् को सफल्माने की बात िपने मे्भी नही्िोच पाते थे, तब सवशाि भारद्​्ाज ने शेक्िसपयर की शरण मे् जाने की िोची. सवशाि ने मैकबेथ, ओथेिो और हेमिेट जैिे कािजयी नाटको्को एडॉप्ट कर चस्चसत और िफि सफल्मे् बनायी्. रब्सकन बांड जैिे प्​्सिद्​्अंग्ेजी के िेखक की रचनाओ् पर आधासरत ‘िात खून माफ’ और ‘ल्िू अंबि ्े ा’ सफल्मो्का सनम्ाण स और सनद्श ्े न सकया. सवशाि अपने सनद्​्ेशन के बारे मे्बताते है्, ‘मै् बॉक्ि ऑसफि को ध्यान मे्रखकर सफल्मे्नही् बनाता हू.ं यह बात असतशयोब्कतपूणस्िग िकती है, परंतु यह शत प्​्सतशत िही है. मुझे यह भी पता है सक सफल्म बनाना कोई हंिी खेि नही्. एक सफल्म को बनाने मे्करोड़्ो्र्पये िगते है्, बावजूद इिके मै् सकिी सकस्म का कंप्ोमाइज नही् कर पाता. हां, अपनी ओर िे दश्सको् का पूरा खयाि रखता हूं. मेरी कोसशश रहती है सक दश्सको्का भरपूर मनोरंजन हो. मै्सकिी सकस्म की महानता का मुगािता नही्पािता. मेरी नयी सफल्म ‘रंगून’ है, सजिमे्एक सवशेि कािखंड को सफल्माया जायेगा.’ दश्सको् को मनोरंजन देने की बात का िमथ्सन अनुराग कक्यप भी करते है्. वे ऐिे सिनेमा के पक्​्धर है्, जो तकनीकी तौर पर उत्कष ृ ्हो और सजिमे्नयी जीवन ब्सथसतयां हो्.

ऐिा सिनेमा भिे ही सकिी सनष्कि्सपर न पहुंचे, परंतु किात्मक र्प िे कुि नया पेश करे. जर्री नही् है सक सिनेमा जीवन के ल्िैक या ह्​्ाइट पक्​्ही सदखाए, ग्​्ेकिर की मौजूदगी को भिा कैिे इग्नोर सकया जा िकता है. अनुराग का कहना है, ‘दश्सको्का मनोरंजन अब सघटीसपटी चीजो् िे िंभव नही् है. हमारे सिनेमा को जीवन के िापेक् चिना चासहए. हमारे िमाज मे्कुि और घट रहा होता है और हमारी सफल्मे् कुि और कह रही होती है्. अब इि तरह की फे्टेिी वािा सिनेमा नही् चिनेवािा. हम यथाथ्सके करीब जाकर भी दश्क स ो्का मनोरंजन कर िकते है्. वैिे भी मनोरंजन की पुरानी तरकीबे्फेि हो रही है्. बहुत कुि नया िामने आ रहा है. देशभर के नये सनद्श ्े क इि काम को पूरी सशद्​्त के िाथ अंजाम दे रहे है्.’ सदबाकर बनज्​्ी की भी सिनेमा के बारे मे् अनुराग जैिी ही राय है. सिनेमा के मामिे मे्वे खुद भी िीधी राह चिने के आदी नही् रहे है्. उनकी ‘िकी ओए ओए िकी’ हो या ‘एिएिडी’ अथवा ‘शंघाई’, िभी मे् उन्हो्ने एक नयी नाटकीयता के िाथ सवसभन्न जीवन ब्सथसतयां प्​्स्ुत की है्. सदबाकर भी अपनी सफल्म के सिए कथ्य और सशल्प के स्​्र पर तमाम तरह के जोसखम उठाने के सिए हरदम तैयार रहते है.् उनकी सपि​िी सफल्म ‘व्योमकेश बक्शी’ को दश्सको् ने अपनी स्वीकृसत नही् दी, िेसकन इि​िे उन्हे् कोई सदक्​्त महिूि नही् हुई. उन्हो्ने इि बंगािी जािूि को पूरी प्​्ामासणकता के िाथ सदखाने की कोसशश की, परंतु यह सकरदार िोगो् को िुभा नही् पाया. इधर वे अपने प्​्ोडक्शन हाउि की सफल्म ‘सततिी’ को िेकर प्​्स्ुत होने वािे है्. इि सफल्म के सनद्​्ेशन की सजम्मेदारी उन्हो्ने युवा सनद्​्ेशक कनु को िौ्पी है. यह सफल्म पासरवासरक सरक्तो् को हमे् एक नये कोण िे सदखाती है. एक सदिचस्प कथानक वािी इि ‘मसान’ का एक दृश्य: प्​्योगशीलिा की बमसाल

सफल्म को कान सफल्म फेब्सटवि मे् काफी िराहा गया है. सदबाकर बताते है,् ‘मै्र्सढ्य़ो्पर चिने का कभी कायि नही् रहा. मै्ने हमेशा कोसशश की सक कुि नया करं्. जैिा सिनेमा िब दे रहे है्, मै्भी वैिा ही क्यो्दूं? कह िकते है्सक मेरी इिी सजद ने मुझे कुि अिहदा करने का मौका सदया. मै्आम दश्सको्के सिए सफल्मे् बनाना चाहता हूं, िेसकन बदिते दौर को उनमे् सचस्​्तत करने की इच्िा भी रखता हूं.’ इब्मतयाज अिी की आगामी सफल्म ‘तमाशा’ मे्र्टीन प्म्े कहानी नही्है. इिमे्नये स्​्र पर प्​्ेम की व्याख्या की गयी है. ‘िव आजकि’, ‘रॉकस्टार’ और ‘हाईवे’ जैिी अिग अंदाज की सफल्मे् बनानेवािे इब्मतयाज बतौर सनद्​्ेशक अपने आपको पसरमास्जसत करते रहे है्. सफिम ‘हाईवे’ मे्उनकी िंवेदनशीिता एक नये स्र् पर सदखाई देती है. एक नये यथाथ्स िे मुठभेड़्सदखती है इि सफल्म के कथानक मे्. इब्मतयाज का सिनेमा भी कुि नया देने की कोसशश करता है. अच्िी बात यह है सक उनके सिनेमा को दश्सको्का हमेशा ही प्यार समिा है. इिकी वजह यह है सक उनकी सफल्मे् जसटि नही्होती्. वे कहते है्, ‘मुझे शुर्िे ही मौसिक तरीके िे काम करने की चाह रही है. जब भी आप कोई काम मौसिक तरीके िे करते है्, तो उि सवधा मे्अनजाने ही कुि न कुि जोड़्ते है्. मुझे नही्पता सक मै्सहंदी सिनेमा मे्सकतना कुि जोड़्पाया, िेसकन यह जर्र है सक मेरी सफल्मे् सकिी की नकि नही् कही जा िकती्. मै् इिे अपनी उपिब्लध मानने मे् कोई िंकोच नही् करता.’ सफल्म ‘क्वीन’ िे िबका ध्यान यकायक अपनी ओर आकस्िसत कर िेने वािे सवकाि बहि की आगामी सफल्म है ‘शानदार’. इि सफल्म मे् दश्सक एक अिग ही सवकाि को पाये्गे. यह सफल्म सवकाि ने बड़्े ही सखिंदड़्े अंदाज मे्बनाई है. शायद इिीसिए वे अपने बारे मे्कहते है्सक वे अभी िस्नि्ग प्​्ोिेि मे्है्. भिे ही िोग ‘क्वीन’ के डायरेक्टर िे बहुत ज्यादा उम्मीदे्रख रहे हो्, िेसकन वे एक सनद्​्ेशक के र्प मे्अपने आपको िीसरयिी नही्िेते है्. वे कहते है्, ‘मेरा मानना है सक जब हम अपने आपको िीसरयि​िी िेते है,् तो वही्हमारी गाड़्ी र्क जाती है. हम िमझने िगते है्सक कोई तोप चीज हो गये है्. इि िोच की वजह िे अगिी सफल्म पर नकारात्मक अिर पड़्ने िगता है. िच यह है सक सकिी भी सफल्मकार की अगिी सफल्म का सपि​िी सफल्म िे कुि भी कनेक्शन नही्होता.’ कह िकते है्सक सवकाि बहि के जैिी िोच ही बॉिीवुड को आगे बढ्ा रही है और एक नयी राह सदखा रही है. सनस्​्ित र्प िे तमाम प्​्सतभाशािी सफल्मकार चुपचाप बॉिीवुड को बदिने मे्िगे हुए है्. n शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 15


आवरण कथा

सुरों का नया दौर अब ऐसे गाने ज्िादा तैिार बकिे िाते है,् बिनके मुखड्ेकैची हो्. गहराई भले ही न हो, लेबकन वे िुबान पर चढ्ने की क्​्मता रखते हो्. अतमि त्​्िवेदी

ि दौर के नये सफल्मकारो् ने सहंदी सिनेमा के स्वर्प को काफी हद तक बदि सदया है. सिनेमा बदिा, तो उिका अिर िंगीत पर भी पडऩा ही था. तो अब यह बदिाव िंगीत के स्​्र पर भी िाफ सदखायी दे रहा है. कहानी और पटकथा मे्नयेपन की वजह िे िंगीत भी एक अिग स्​्र पर पहुंच चुका है. कुि िोगो्का मानना है सक आज का िंगीत सिफ्क शोर है. उिमे्मेिोडी नही्है, िेसकन यह पूरा िच नही्है. आज के िंगीत मे् कई प्​्योग हो रहे है्. ये प्​्योग कई बार िफि िासबत होते है्, तो कई बार अिफिता भी हाथ िगती है. हािांसक कोसशश यही रहती है सक िंगीत शोर मे् न बदि जाये. इिी कोसशश की वजह िे आज भी ‘िंवार िूं...’ (सफल्म िुटेरा), ‘मनवा िागे... (सफल्म हैप्पी न्यू इयर)’, ‘तेरी गसियां...’ (सफल्म एक सविेन) और ‘िुन िासथया...’(सफल्म एबीिीडी2) जैिे कई मधुर गीतो् का जन्म हो जाता है. ये गाने नयी पीढ्ी के िंगीतकारो्ने ही तैयार सकये है्. चूंसक सफल्म िंगीत का दायरा काफी बढ् चुका है, इिसिए सबना िंगीत िीखे हुए कई महत्वाकांक्ी िोग भी इि क्​्ेत् मे् उतर आये है्. िेसकन िंगीत एक िाधना है, यहां जल्दबाजी मे् कोई अपनी जगह नही्बना िकता है. हां, अगर सकिी िंगीतकार को अच्िे सफल्मकार का िाथ समि जाता है तो इिके बहुत की िकारात्मक पसरणाम आते है्. अपनी बात कहूं, तो मै् इि मामिे मे् िौभाग्यशािी रहा हूं सक मुझे अनुराग कक्यप जैिे सफल्मकार का िाथ समिा. अगर वे मुझे नही्समिते, तो मेरा स्ट्गि कई गुना बढ् जाता. इधर काफी नयी प्स्तभाएं िंगीत के क्त्े ्मे्पांव जमाने की कोसशश कर रही है्. ये िोटे शहरो्या कस्बो्िे आये प्​्सतभाशािी िोग है्.नये टेिटे् के सिए यह िुनहरा दौर है. नये िोगो् को पहिे िे कई गुना ज्यादा मौके समि रहे है्. हां, यह जर्र है सक आज के सफल्म िंगीत मे् ‘पस्​्िमी िंगीत’ हावी होता सदख रहा है. परंपरागत वाद्​्यंत्गायब हो रहे है.् इिकी वजह आज की सफल्मे्है.् दरअि​ि सफल्मो् का िंगीत उिके कथानक िे तय होता है. अगर सफल्मो्का कथानक अब्नस है, तो उिमे् आज के ही वाद्​् यंत् इस्​्ेमाि सकये जाये्गे, िेसकन अगर ‘बांबे वेिवेट’ जैिी एक सवशेि कािखंड की सफल्म बनायी जाये्गी, तो 16 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

सफर एक सवशेि िंगीत का िृजन आवक्यक हो जायेगा. इधर िंगीत मे्जो बड़्ा बदिाव आया है, उिकी वजह यह है सक हम एक बेहद फास्ट दौर मे्काम कर रहे है.् िब कुि तेजी िे घट रहा है. िभी को सरजल्ट की जल्दी है. अब ठहर कर काम करने की प्​्वृस्त खत्म हो चुकी है. ऐिे मे्हम जैिे नये िंगीतकारो्को वक्त के िाथ कदमताि करना पड़्ता है. इि दौर मे्िंगीत के क्त्े ्मे्सवसचत्​्सकस्म के बदिाव आये है.् म्यसू जक बै्क िे गाने चुने जाने िगे है्. यानी सक आपने जो पहिे िे गाने तैयार सकये है्, वे सकिी भी सफल्म मे् सफट हो िकते है्. यही वजह है सक आज एक सफल्म मे्कई िंगीतकार सदखने िगे है्. सहट नंबर का प्​्चिन बढ्ा है. अब एक सफल्म मे्िह गाने जाने है् तो उिके एिबम मे्िह िंगीतकारो्की मौजूदगी िंभव है. इि तरह एक सफल्म के िंगीतकार आपि मे्ही प्स्तयोगी की मुद्ा मे् सदख जाते है्. अब एक ही सफल्म के गीतो् का आपि मे् मुकाबिा हो जाता है. एक सफल्म मे्िह िंगीतकार होते है्, तो इतनी ही िंख्या गीतकारो् की भी होती है. ऐिे मे् िमझ मे् नही् आता सक कौन िा गीत सकिका सिखा हुआ है. ऐिा नही्है सक दश्क स ऐिे गानो्को पिंद नही् करते. ये गाने सहट भी हो जाते है्, िेसकन बड़्ा दायरा नही्बना पाते. सकिी भी िीन मे् ये गाने भत्​्ी के ही िगते है्. आज की ज्यादातर सफल्मो्मे्ऐिा ही नजारा सदखता है, िेसकन हर सफल्म के िाथ ऐिा नही् है. आज भी बहुत िे सनम्ासता एक ही िंगीतकार और एक ही गीतकार की िेवाएं िेते है् और उनकी सफल्मो् का िंगीत खूब पिंद सकया जाता है. नये िंगीतकारो् ने अपनी काय्सकुशिता िे अपने िे वसरि्​्िंगीतकारो् को घर बैठने को मजबूर कर सदया है. जो वक्त के िाथ चि रहे है्, सिफ्क वे ही सटके सदख रहे है्. चूंसक अब गानो् के कैिेट या ‘िांिे वेल्ावेट’ का एक दृश्य: नया संगीि िीडी की सबक्​्ी नही् के बराबर है. िोग इंटरनेट िे डाउनिोड कर अपने मन का िंगीत िुनते है्, इिसिए सरंग टोन आसद कमायी का नया जसरया बन चुके है्. यही वजह है सक अब ऐिे गाने ज्यादा तैयार सकये जाते है्, सजनके मुखड़्ेकैची सकस्म के हो्. गहराई भिे ही न हो, िेसकन वे जुबान मे्चढऩे की क्​्मता रखते हो्. नये िंगीतकार सफल्म म्यूसजक सबजनेि की इि जर्रत को अच्िी तरह n िमझ चुके है्, इिसिए वे इि बारे मे्ितक्कनजर आते है्. ( िेखक राष्​्ीय सफल्म पुरस्कार प्​्ाप्त युवा िंगीतकार है्)


कहानी की अहमियत

आि का पटकथाकार बसि्फ बिल्म दश्षको् के टेस्ट का ध्िान नही् रखता, बल्लक उन्हे्एक निे आस्वाद से पबरबचत करवाता है. संजय चौहान

धर के स्सक्​्प्ट राइटि्स का सफल्मो् की तस्वीर बदिने मे् बहुत बड़्ा हाथ है. आज की स्सक्​्प्ट सजतनी मनोरंजक है्, उतनी ही यथाथ्सपरक. पहिे सफल्म सनम्ासण के सिए एक परंपरागत कहानी चुनी जाती थी, सजिमे् हीरो, हीरोइन और सविेन होते थे. एक ‘रामायण’ या ‘महाभारत’ वािा तय शुदा फॉम्सूिा प्​्योग सकया जाता था, िेसकन इधर के िेखक अिग जगहो्िे अनुभव िेकर आये है्. वे िासहत्य के पाठक है्. वे सवश्​्सिनेमा भी देखते है्. वे सशल्प को िेकर सिफ्कबॉिीवुड की सफल्मो्तक ही सनभ्सर नही् है्. वे ऐिे िेखक नही् है्, सजनके बाप या दादा भी राइसटंग का काम करते रहे हो्. इधर जब इन नये अनुभवो्िे िंपन्न िेखको्ने सफल्मो्की पटकथाएं सिखी्, तो जासहर है सक उनके बयान करने का तरीका एकदम अिग हो गया. ऐिे िेखको्की सफल्मे्िफि होने िगी्, तो उनकी स्सक्​्प्ट राइसटंग पर बॉिीवुड को भी भरोिा हो गया. जब नयी कहासनयो् वािी सफल्मो्को यशराज या धम्ास प्​्ोडक्शन ने प्​्ोड्​्ूि करना शुर्कर सदया, तो सफर तमाम कॉरपोरेट सफल्म प्​्ोडक्शन हाउि भी आत्मसवश्​्ाि िे भर गये. इन्हो्ने भी नयी तरह की स्सक्​्प्ट पर यकीन सकया. इिके बाद एक िे बढक़र एक नये तरह की स्सक्​्प्ट वािी सफल्मे् बननी शुर्हो गयी्. इन सफल्मो्को िफिता भी समिने िगी. दरअि​ि इनकी िफिता की एक वजह यह भी थी सक ये स्सक्प्ट् राइटर सफल्म सबजनेि की भी िमझ रखते थे. इि बात को अच्िी तरह िमझते थे सक दश्सक सकि तरह की कहासनयां पिंद करे्गे. उन्हे् इि बात का ज्​्ान था सक सिनेमा एक महंगा माध्यम है, सजिे खुद की ‘खुजिी’ समटाने के सिए नही् बनाया जा िकता है. इधर बायोसपक सफल्मो् का दौर चि रहा है. यह दौर ‘पान सिंह तोमर’ की िफिता िे शुर् हुआ था. इि सफल्म िे पहिे बॉिीवुड को बायोसपक सफल्मे् बनाने का आज के जैिा आत्मसवश्​्ाि नही् था. यह सफल्म वड्स ऑफ माउथ िे चिी थी. इि सफल्म को देखने के सिए िोगो्ने एक दूिरे को प्​्ेसरत सकया था. इि सफल्म के प्​्चार पर कोई र्पया खच्ास नही्सकया गया था. खैर, आज तो बड़्ी िंख्या मे् बायोसपक सफल्मे् बन रही है् और उन्हे्िफिता भी समि रही है. बायोसपक सफल्म ‘भाग समल्खा भाग’ और ‘मेरी कॉम’ की िफिता ने इिे और ज्यादा पुख्ता सकया है. अि​ि मे्अब देश के कोने-कोने की कहासनयां बड़्े परदे पर देखी जा िकती है्. िोटे

शहरो् और कस्बो् की कहासनयो् को एक बेहतरीन स्सक्​्प्ट मे् ढािकर ‘दम िगा के हइिा’ और ‘गै्ग्ि ऑफ वािेपुर’ जैिी सफल्मे्बनी्, सजन्हे्दश्सको्और आिोचको्ने िमान र्प िे पिंद सकया. स्​्ि​िर सफल्मे् भी बनी्, तो वे सवजय आनंद और अल्बाि मस्​्ान के सनद्​्ेशन मे् बनी सफल्मो् जैिी नही् थी्. इनमे् ‘कहानी’ और ‘बदिापुर’ का स्​्ि​ि एकदम अिग है. इन सफल्मो्की िफिता िे िबिे बड़्ा पसरवत्सन यह आया सक अब सनम्ासता नये तरह की कहासनयां िुनने िे इनकार नही्करते है्. सनम्ासता की व्यब्कतगत पिंद या नापिंद हो िकती है, िेसकन वह सकिी भी स्सक्​्प्ट को एकदम सरजेक्ट करने की ब्सथसत मे् नही्होता. इि िमय ‘बजरंगी भाईजान’ जैिी सफल्म बनती है, तो ‘मिान’ और ‘तिवार’ भी अपनी उपब्सथसत दज्सकरती है्. इि दौर मे्स्सक्​्प्ट राइटर की पूि बढ्ी है. अब पहिे की तरह कहानी चोरी नही्की जा िकती है. कुि िाि पहिे तक नामी सफल्म सनम्ासता भी यह काम धड़्ल्िे िे करते थे. चूंसक अब सफल्मो्का एक ग्िोबि बाजार हो चुका है और इंटरनेट के माध्यम िे कोई भी सफल्म कुि ही िमय मे् उपिल्ध हो जाती है, इिसिए सबना राइट्ि खरीदे सकिी भी हॉिीवुड सफल्म की रीमेक नही् की जा िकती है. सकिी हॉिीवुड सफल्म की रीमेक बनाई जाती है, तो बाकायदा राइट्ि िेने पड़्ते है्. इि रीमेक मे्मूि स्सक्​्प्ट राइटर के अिावा सहंदी के पटकथाकार का भी नाम सदया ‘गै्ग्स ऑफ वासेपुर’ का एक दृश्य: सशक्ि पटकथा जाता है. यह बहुत बड़्ा पसरवत्सन है. वैिे सनम्ासता यह भी िोचने िगे है् सक सकिी हॉिीवुड स्सक्​्प्ट की रीमेक के सिए पांच या िात करोड़्देने िे बेहतर है, कुि िाख र्पयो्मे्एक ओसरजनि स्सक्​्प्ट ही सिखवा िी जाये. इि​िे स्सक्​्प्ट राइटर का भिा हुआ है. आज पटकथाकार को पूरी िूट समिती है सक कहानी को नया मोड़्दे. आज का पटकथाकार दश्सको्के टेस्ट का ध्यान नही्रखता, n बब्लक उन्हे्एक नये आस्वाद िे पसरसचत करवाता है. (िेखक ‘पान सिंह तोमर’, ‘आई एम किाम’, ‘मै्ने गांधी को नही्मारा’ और ‘िाहब, बीवी और गै्गस्टर’ जैिी सफल्मो्के पटकथाकार है्)

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आवरण मास्ट हेकथा ड

क़ैद मेै मुसैलिम किरदार

बहंदी बसनेमा मे्मुल्सलम बकरदार छह दशक मे्नवाब साहब से आतंकवादी तक की दूरी ही ति कर सके है्. बॉलीवुड ने मुल्सलम समुदाि के बवर्द्िबद्षस् पूव्षग्ह बदखािा है.

‘कुि्ायन’ मे् करीना कपूर और सैफ अली खान: जबटल िूबमकाएं

पूजा तसंह

सहं

दी सिनेमा के शुरआ ् ती िफर िे अब तक पर नजर डािी जाये तो परदे पर मुब्सिम सकरदारो् की मौजूदगी मे् एक सदिचस्प चढ्ाव और उतार नजर आता है. शुर्आती दौर मे् आजादी के बाद के कुि वक्त तक जहां परदे पर मुबस् िम नायक िगातार देखने को समिे वही् बाद के दशक मे्वे नायक के वफादार दोस्​्या मोहल्िे के चाचा के सकरदार मे्बदिते सदखायी देने िगे. वक्त थोड़्ा और बदिा तो पाक प्​्ायोसजत आतंकवाद और अमेसरका के 9/11 की घटना ने बॉिीवुड के मुब्सिम सकरदारो्को पूरी तरह खिनायक के खांचे मे्कैद कर सदया. इि​िे मुब्सिम सकरदार एक िसव की सगरफ्त मे् सघरते गये. यह िच है सक मुब्सिम किाकारो्को हटा सदया जाये तो बॉिीवुड मे्एक बहुत बड़्ा शून्य पैदा होता है, िेसकन यह भी उतना ही बड़्ा िच है सक इन किाकारो् के सिनेमाई परदे पर सनभाये गये पात्​् अक्िर न केवि सहंदू होते है् िाथ ही ये उत्र् भारत के िवण्ससहंदू की भूसमका ही सनभाते है्. आसमर, शाहर्ख और ि​िमान तीनो् खान के सनभाये पात्​् सकिी इकबाि, रहमान या िासदक के नही् बब्लक िंजय सिंहासनया, राहुि या राज मल्होत्​्ा और सकिी प्​्ेम या पवन के ही रहे है्. 18 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

सहंदी सिनेमा के अग्​्णी व्यब्कतत्​्वो् ने सिनेमा मे् मुब्सिमो् का सजि तरह का सचत्​्ण सकया उि​िे यह िाफ जासहर होता है सक देश की िामासजक सवसवधता को सिनेमा के परदे पर जगह देने मे् उनकी कोई र्सच नही् थी. यह िवाि उठना ही चासहए सक धम्स िे मुि​िमान होने के बावजूद िभी बड़्े मुब्सिम किाकारो् को परदे पर केवि सहंदू चसरत्​्ही क्यो्सनभाने पड़्ते है्? सहंदी सिनेमा के शुर्आती दौर पर पारिी सथयेटर और अरेसबयन नाइट्ि का प्भ् ाव था. इि दौर मे् बड़्े पैमाने पर ऐिी सफल्मे् बन रही थी् सजनमे् मुब्सिम पसरवार और उनकी िंसक ् सृ त केद् ्ीय भूसमका मे्थी. जासहर है उि दौर मे् सफल्मी परदे पर मुब्सिम नायको् की कोई कमी नही्थी. सफर चाहे वह 'चौदहवी्का चांद' के अि​िम की भूसमका मे् गुर्दत्​् हो् या 'मेरे महबूब' मे्अनवर बने राजे्द्कुमार, 'पाकीजा' की िासहबजान की भूसमका मे्मीनाकुमारी हो्या ि​िीम बने राजकुमार. ऐिे अनेक पात्​् िामने आते है्. यह आजादी के बाद के दो-तीन दशक का वक्त था, िेसकन इन मुब्सिम प्​्धान सफल्मो् मे् भी मध्यम वग्​्ीय मुब्सिम पसरवार हमेशा नदारद रहा. तमाम सफल्मो् मे् मुब्सिमो् को नवाब िाहब या जमी्दार के र्प मे् पेशकर उनकी िामंती िसव को ही भुनाने की कोसशश की गयी. अगर मुब्सिम नायक-नासयका वािी सफल्मे्बनी भी है्तो उिके असधकांश किाकार

और पसरवेश मुब्सिम ही होता है. ऐिी सफल्मे् मुब्सिमो् की िांस्कृसतक पहचान को िेकर अपनी नैया पार िगाती है.् मुबस् िम मध्य वग्सके सफल्मो्नही्नजर आने की यह एक अहम वजह है. जबसक यह बात सहंदू नायको् पर िागू नही् होती. सहंदू नायको्मे्बहुत पहिे मध्यम वग्​्ीय पसरवेश आ चुका था. ित्​्र के दशक मे् असमताभ बच्​्न एंग्ी यंगमैन बनकर हमारे िामने आ चुके थे. जबसक मुब्सिम नायक िन 60 के दशक मे्'मेरे महबूब' और 'चौदहवी्का चांद' िे िेकर 80 के दशक मे् 'सनकाह' और िन 1990 के दशक मे् 'िनम बेवफा' सफल्म तक नवाबी और कबीिाई सजंदगी जी रहे थे. हािात इतने बुरे थे सक अगर कोई केवि बॉिीवुड की सफल्मे्देखकर मुब्सिमो्के बारे मे् राय कायम करता तो वह यही िमझता सक सहंदुस्ान मे्आम मध्यमवग्​्ीय मुब्सिम पसरवार होते ही नही्. ऐिा हो भी क्यो्नही्? सहंदी सफल्मो् मे् सदखने वािे मुि​िमान आज भी िर पर स्कि कैप िगाते है्और वे शट्सपै्ट की जगह ि​िवार कमीज और गिे मे् मोटा िा ताबीज पहनकर चिते है्. सफर वह दौर आया जब सहंदी सिनेमा मे् मुब्सिम नायको् का दायरा सिमटने िगा. ‘कुिी’ के इकबाि असमताभ बच्​्न और ‘उमराव जान’ और ‘सनकाह’ जैिी पूरी मुबस् िम िंस्कृसत पर आधासरत सफल्मो् को िोड़् सदया जाये तो मुबस् िम सकरदार िहायक किाकार की


भूसमका मे्आने िगे थे. अक्िर सहंदी सफल्मो्के नायक और नासयका परेशानी की ब्सथसत मे् सकिी फकीर दरवेश की दरगाह पर जा पहुंचते है,् जहां कोई मुबस् िम कव्वािी गाता नजर आता है. वे या तो नायक के दोस्​् होते थे या सफर हास्य किाकार. िंति ु न बनाने के सिए उि दौर मे् अक्िर सहंदू नायक का वफादार िाथी एक मुि​िमान होता था. 'जंजीर' सफल्म मे्असमताभ के वफादार पठान दोस्​्की भूसमका मे्प्​्ाण हो् या 'शोिे' मे् नेत्हीन इमाम िासहब बने एके हंगि. अक्िर यह देखने को समिता था सक मुब्सिम पात्​्ो् को अपने सहंदू दोस्​्ो् के प्​्सत वफादारी मे्अपनी जान गवांनी पड़्ती थी. यह उि सवचारधारा को शुर्आती खाद-पानी था सजि पर आज सहंदुत्ववादी िंगठन चि रहे है्यानी, देखो हमे्ऐिे मुि​िमान चासहए! सहंदुओ् िे भी असधक देशभक्त और वफादार. िन 8090 और 2000 के दौर मे् ऐिी सफल्मे् इक्​्ा दुक्ा ही बनी् सजनमे् मुब्सिमो् ने नायक की भूसमका सनभायी हो. ये सफल्मे्भी या तो पीसरयड सफल्मे् थी् या सफर पूरी तरह मुब्सिम िंस्कृसत को पेश करने वािी सफल्मे्. 'इकबाि' जैिी सफल्मे् देखने को न के बराबर समिी्. सजनके मुि​िमान चसरत्​्एकदम आम थे सबल्कुि सहंदू पात्​्ो्की तरह.

आये. उिके बाद तो भेड़्चाि के सशकार बॉिीवुड मे् ऐिी सफल्मो् का तांता िग गया. मुंबई दंगो् और बाबरी मब्सजद ढहाये जाने की घटना ने इि िोच को और पुष्सकया. बॉिीवुड सफल्मो् को थोड़्ा गहराई िे देखे् तो तकरीबन िारे मुि​िमानो्की िसव सवपरीत ही गढ्ी जाती रही है्. इि बीच पासकस्​्ान सहंदी सिनेमा का िबिे स्​्पय खिनायक बन चुका था. इिी का र्प असनि शम्ास की 'गदर' मे्सदखा. इिमे्एक नायक पूरी तरह िे अकेिे ही पासकस्​्ान को धूि चटाता सदखता है. सिनेमा की दिीि यही रही है सक वे वही सदखाते है् जो दरअि​ि िोग देखना चाहते है्. ऐिे मे् जासहर है इि अवसध मे् हुए िांप्दासयक ध्व्ु ीकरण ने उनको मुबस् िमो्को खिनायक के तौर पर पेश करने के सिए उकिाया. ऐिी सफल्मो् को समिी जबरदस्​् कामयाबी भी इि बात को िासबत करती है. अि कायदा के हमिे मे्अमेसरकी ब्टवन टॉवर ध्वस्​्होने के बाद पूरा सवश्​् सिनेमा मे् मुब्सिमो् को खुिकर आतंकवादी के तौर पर सदखाने िगा. इि​िे जुड़्ी मामूिी सहचक भी अब िमाप्त हो चुकी थी और सहंदी सिनेमा भी इि​िे पीिे नही्रहा. 'कुब्ासन', 'कांधार', 'एजे्ट सवनोद', 'द अटैक ऑफ 26/11', 'एक था टाइगर', 'बेबी', 'आसमर',

‘सरफरोश’ मे् नसीर्द्ीन शाह: संगीि और आिंक

इि बीच िन 1970 और 80 के दशक मे् सहंदी सफल्मो् मे् एक और अवधारणा ने जन्म सिया. यह था मुंबई के अंडरवल्ड्स चसरत्​्ो् का सचत्​्ण जो आमतौर पर मुि​िमान थे. यह बॉिीवुड की सफल्मो्मे्मुबस् िमो्के नकारात्मक सचत्ण ् की शुरआ ् त थी. इिने बाद मे्जोर पकड़् सिया. 'रोजा' िंभवत: वह पहिी सफल्म थी सजिमे् कक्मीर, पासकस्ा्न और मुब्सिम आतंकवादी पहिी बार स्पष्​् र्प िे िामने

'समशन कक्मीर', 'शासहद', 'मुंबई मेरी जान', 'फै्टम' जैिी सफल्मो् मे् इिकी िाप िाफ सदखती है. सफल्म 'कुब्ासन' मे् िैफ अिी खान एक मुब्सिम आतंकवादी एहिान खान की प्​्मुख भूसमका मे्है्जो अमेसरका पर हमिा करने की सफराक मे् है. सफल्म 'िरफरोश' मे् तो गजि गायक बने निीर्द्ीन शाह ही आतंकी सनकिते है.् हाि के दौर मे्आतंकवासदयो्को पासकस्​्ानी

के िाथ-िाथ अफगान मूि का सदखाये जाने की भी शुर्आत हुई है. अगर आपको िगता है सक सहंदी सिनेमा यह ज्यादती केवि पुर्ि पात्​्ो्के िाथ करता है तो आप गित है.् मुबस् िम मसहिाओ्के िाथ भी वह कोई खाि भि मनिाहत नही् सदखाता. वे या तो िैिा-मजनूं, शीरी्-फरहाद की सफल्मो् की नासयकाएं है् या सफर हीरोइन की मुब्सिम िहेिी सजिके बहाने सफल्मे् मुब्सिम िंस्कृसत का तड़्का डािना है. सहंदी सफल्मो् मे् मुब्सिम मसहिाओ् के चसरत्​् एकदम स्टीसरयो टाइप ही रखे गये है.् वे अम्मी, आपा, खािा, बाजी, बीवी या माशूक िे इतर अपनी कोई अिहदा पहचान नही् कायम कर िकी्. वे कही् भी आजादखयाि तरक्​्ीपिंद और आत्मसनभ्सर मसहिा के र्प मे्देखने को नही्समिती है. हां ‘सदि िे’ और ‘धोखा’ जैिी चुसनंदा सफल्मो्मे् उनको आत्मघाती हमिावर के र्प मे् जर्र सचस्​्तत सकया गया है. इन तमाम सनराश करती सफल्मो् के बीच कुि सफल्मे्ऐिी भी बनी है्सजनमे्आम मुबस् िम पसरवार िामने आता है या सफर सजनमे् सहंदूमुब्सिम िंबंधो् की नाजुकी को बहुत करीने िे िंभािा और पेश सकया गया है. ‘इकबाि’, ‘देव’, ‘परजासनया’ आसद कुि ऐिी ही सफल्मे्

‘पाकीजा’ मे् मीना कुमारी: सामंिी दौर के अवशेष

है्. उम्मीद है सक भसवष्य मे् ऐिी सफल्मे् ज्यादा देखने को समिे्गी और मुब्सिम सकरदारो् को एक तय खांचे मे्कैद करना बंद सकया जायेगा. यह िच है सक बॉिीवुड का मुख्य उद्​्ेक्य पैिे कमाना है. इि क्​्म मे् वह बहुिंख्यक भावनाओ्का ही दोहन करना चाहता है, िेसकन अगर वह चाहे तो हॉिीवुड की सफल्मो्िे िीख िे िकता है जहां अश्​्ेत किाकारो् की भूसमकाएं िमय के िाथ बदि चुकी है्. n शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 19


आवरण कथा

बहंदी बसनेमा के सौ साल के इस इबतहास मे् पचास और साठ के दशक को स्वब्णषम काल कहा िाता है. बदलीप-राि-देव इस काल के महानािक थे. मनोहर नायक

क एफ़्एम रेसडयो स्टेशन िे पुराने गानो् का एक काय्सक्म आता है'गाने जो सहट थे, सहट रहे्गे.’ स्फ़ल्मो्के िम्मोहन के सिए भी हम कह िकते है्सक यह सहट था, सहट है और सहट रहेगा. बचपन िे कॉिेजी जवानी तक स्फ़ल्मो् का जो के्ज बनता है वह बना रहता है चाहे आम सिंदगी मे् सकतने भी पापड़ बेिे जा रहे हो्. वह िम्मोहन रहता पर शायद बदिता हुआ. आपकी स्फ़ल्मो् की पिंद बदि जाये. आप िेिेब्कटव या चूिी हो जाये्, सजिके मौके अब कम ही है क्यो्सक टीवी पर स्फ़ल्मो्का अप्​्सतहत प्​्वाह है, सफर भी स्फ़ल्मो्का यह िम्मोहन आपका पीिा करता रहता है. स्फ़ल्मो्का िुनहरा अध्याय िौ बरि िे भी दो िाि पहिे शुर्हुआ, 17 मई 1913 मे्. तब िगातार रंगारंग िपने र्पहिे पद्​्ेपर िोगो्को मुग्ध करते रहे. हीरो, सहरोइने,् खिनायक, खिनासयकाएं िृसजत सकये जाते रहे. कथाओ्के िाथ ये सितारे भी अपने को दुहराते रहे पर सिनेमा का आकि्ण स तेि होता रहा. शुरआ ् ती दौर मे्मास्टर सवनायक, मंदासकनी, गौहर, िुबेदा थे सजन्हे्अब कोई नही्जानता. वे अब एक ख़ाि सिनेमाई युग को इंसगत करने वािे पात्​्है्. सिंसगंग स्टार कुंदनिाि िहगि, नूरजहां और िुरैया, फस्​्ट िेडी ऑफ़्द स्क्ीन देसवका रानी, दुग्ासखोटे, अशोक कुमार स्फ़ल्मो् की कसशश को बढाने वािे स्टार थे. पृथ्वीराज कपूर, िोहराब मोदी, शांताराम आदमकद के सिनेपुर्ि थे. मोतीिाि, बिराज िाहनी के पाि आकर असभनय िहज हुआ. सदिीप कुमार, राजकपूर और देवआनंद की अमर त्​्यी बनी. मीनाकुमारी, गीताबािी, मधुबािा, नरसगि, वैजयंतीमािा, नूतन, वहीदा रहमान पचाि के दशक की पहचान बनी्. ित्यसजत राय वहीदा को इंटेिीजे्ट कहते है्. बांग्िा सिनेमा की मसिका िुसचत्​्ा िेन भी चमक के िाथ यही बौस्​्दक आभा िायी्. अपने युग के प्​्सतसनसध के र्प मे् किाकार उभरते रहे. गुर्दत्​्, िंजीव कुमार जैिी िंजीदा स्फ़ल्मी हस्​्सयो्, असभनेताओ्और असभनेस्तयो् का आना अबाध जारी रहा. पर आमतौर पर त्​्यी का ही बोिबािा रहा. सदिीप-राज-देव के बाद िुनीि दत्-् राजेद् ्कुमार-शम्मी कपूर का िमाना रहा तो सफर धम्​्ेद्-मनोज-शसश और सफर राजेश खन्ना आये. असमताभसवनोद-शत्​्ुघ्न िे िेकर आसमर-शाहर्ख-ि​िमान तक यह सि​िसि​िा अटूट है. प्​्ाण, जीवन, मदनपुरी, कन्हैयािाि िे िेकर प्​्ेम चोपड़ा, अजीत, डैनी, अमरीश पुरी िे िेकर गल्बर अमजद ख़ान जैिे खिनायक. स्फ़ल्मो् मे् नायक-नासयका-खिनायक यही मुख्य पात्​् होते है्, बाकी िर्रत के मुतासबक. सदिचस्प यह है सक इन स्टारो्और एक्टरो्के बीच भी बहुतेरे आते-जाते िफि रहते है्. स्फ़ल्मो्का आकि्सण देश के कोने-कोने िे िोगो्को खी्चकर िाता रहा है. औित दज्​्े की भीड़ के बीच िासहर, कैफ़्ी, मिर्ह, शंकरजयसकशन या सदिीप कुमार, गुर्दत्​्, देवआनंद जैिी प्​्सतभाएं भी होती है्. पर सबल्िीमोरा िे आने वािे महबूब ख़ान को क्या कहा जाये, वे सनपट सनरक्र् थे, दस्ख़ ् त भी नही्कर िकते थे िेसकन उन्हो्ने 'आन’ और 'मदर इंसडया’ जैिी नायाब स्फ़ल्मे् दी्. राज खोि​िा गायक बनने आए थे बने सनद्​्ेशक और 'िीआईडी’, 'िोिहवां िाि’, 'कािा पानी’, 'दो रास्​्े’ जैिी सकतनी स्फ़ल्मे्दी्. अनेकानेक जॉय मुकज्​्ी, सवश्ज ् ीत, असनि धवन, कुमार गौरव और रेहाना, रामेश्री, सवद्​्ा सिन्हा, िरीना के बीच िे कोई एक सदिीप एक धम्​्ेद्, एक राजेश खन्ना, एक बच्​्न उभरता है और इिी 20 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

यह कसक

तरह एक वहीदा, एक रेखा और एक माधुरी. सहंदी सिनेमा के िौ िाि के इि इसतहाि मे्पचाि और िाठ के दशक को स्वस्णसम काि कहा जाता है. इिकी गूंज ित्​्र के दशक तक िुनायी देती है. यह वह िमय था जब स्फ़ल्मी राजधानी बंबई मे्देश के कोने-कोने िे प्​्खर प्​्सतभाएं आकर जमा हो गयी थी्. सदिीप-राज-देव इि काि के महानायक थे. उन्हो्ने स्फ़ल्मो् का कायाकल्प कर सदया. सवमि राय, महबूब ख़ान, के आसिफ़्, राजकपूर, गुरद् त्,् बीआर चोपड़ा, चेतन आनंद, शब्कत िामंत, राज खोि​िा, सवजय आनंद, यश चोपड़ा जैिे सनद्​्ेशकसनम्ातस ा थे तो िसचन देव, नौशाद, िी रामचंद,् रोशन, मदनमोहन, शंकरजयसकशन, िसि​ि चौधरी, हेमंत कुमार, रसव, कल्याणजी-आनंदजी, िक्​्मीकांत-प्यारेिाि िे राहुि देव बम्सन जैिे िंगीतकार और शैिे्द्िासहर-शकीि, मिर्ह के िाथ हिरत जयपुरी, राजे्द्कृष्ण, राजा मेहंदी अिी ख़ान, नीरज, आनंद बख्शी जैिे गीतकार और िता, आशा, गीतादत्,् िुमन, शमशाद, तित, रफ़्ी, मन्नाडे, मुकेश, हेमंत, सकशोर कुमार और महे्द् कपूर जैिे गायक थे. िंगीतकारो् मे् पंसडत रसवशंकर भी थे तो गीतकारो्मे्पंसडत नरे्द्शम्ास और प्​्ेम धवन भी. देश अभी स्वतंत् हुआ ही था. वह नवसनम्ासण के रास्​्े पर था. जवाहरिाि नेहर्के िाथ वह खुशहािी और बदिाव के िपने देख रहा था. उि िमय भी दुसनया मे्भारत का स्फ़ल्म सनम्ासण मे्दूिरा स्थान था. फाम्सूिा उनका मंत् था और बॉक्ि आस्फ़ि उिकी किौटी. शसशधर मुखज्​्ी जैिे िोग उि िमय 'बॉक्ि आस्फ़ि के जादूगर’ कहे जाते थे. िासहर है उि दौर की ज्​्यादातर स्फ़ल्मो्मे्मनोरंजन तत्व की प्​्धानता ही रही जोसक सटकट सखड़की पर कमाई िे असभप्​्ेत थी. िेसकन वे सिफ़क्इतनी भर नही्थी. नेहर्के िपनो्को भी वे र्पहिे पद्​्ेपर आकार दे रही थी्. इि बात का अंदािा इिी िे िगाया जा िकता है सक देश मे् जो िबिे महत्वपूण्सचुनाव माने गये उनमे्एक िाउथ मुंबई िे कांग्ेि के कृष्णमेनन और आचाय्सकृपिानी के बीच हुआ सजिमे्स्फ़ल्मी दुसनया मेनन के पीिे खड़ी हो गयी. उनके मंच पर सदिीप-राज-देव मौिूद होते थे. अिूत िमस्या पर चेतन की 'नीचा नगर’ हो, सवमि राय की 'िुजाता’ हो, मिदूरो्की िमस्या पर केए अल्बाि की 'धरती के िाि’ हो या 'पैग्ाम’ हो िामासजक िरोकारो् पर एक िे एक िुमधुर स्फ़ल्मे् बनती रही्. बंबई ही नही्दस्​्कण मे्अदूर गोपाि कृषण ् न हो्या बंगाि मे्ित्यजीत राय वे नये ढंग के िामासजक सिनेमा को िंभव करते रहे. राय ने भारतीय सिनेमा के सिए सवश्​् की सखड़की खोिी. 'प्यािा’, 'काग्ज के फूि’,


‘मदर इंिडया’ और ‘दो वीघा जमीन’: बसनेमाई दस्​्ावेज

वह दशक

'िाहब बीबी और ग्ुिाम’ जैिी शानदार स्फ़ल्मे्बनाने वािे गुर्दत्​्की तो इच्िा थी ित्यजीत राय बनने की. भिे राय की पहिी और अस्​्ितीय स्फ़ल्म 'पाथेर पांचािी’ का मिाक डाक्यमू टे् री स्फ़ल्म कहकर उड़ाया गया हो और नरसगि ने उन पर देश की ग्रीबी को सवदेशो्मे्बेचने का आरोप िगाया हो, राय और 'पांचािी’ का िोहा दुसनया मानती है. इि िमय देश का सकिान आत्महत्या कर रहा है. भूसम असधग्​्हण सबि उिके यहां डाका डािने जैिा मंिूबा था. तथ्य यह है सक इि देश का सिनेमा िह दशको्िे िरकारो् को चेताते आ रहे है् सक गांवो् और सकिानो् को तबाह करना राष्​्ीय सवपदा िासबत होगा. िाि 1953 मे्बनी सबमि राय की 'दो बीघा िमीन’ मे्िमी्दार जब सकिान बिराज िाहनी िे फैक्टरी िगाने के सिए उि​िे अपनी दो बीघा िमीन बेचने को कहता है तो वह जवाब देता है, 'मै् आपका क़्ि्सचुका दूंगा. िमीन तो मेरी मां है, इिे मै्कैिे बेच िकता हूं.’ इि स्फ़ल्म को देखकर एक सवदेशी पत्​्कार ने सिखा था, 'भारत सकिी अन्य प्​्कार िे न िही, िेसकन राजनीसतक दृस्ष िे एक नवस्वतंत्देश है. इि देश का एक स्फ़ल्मकार अपने देश के आस्थसक सवकाि को इि कू्र सनराश दृस्ष िे देखता है यह बड़ी अिीब बात है.’ राय की अपू त्​्यी: पाथेर पांचािी, अपरासजतो और अपूर िंिार, भारतीय गांवो् को िटीक दृक्यांकन करती है. एक बड़ी उम्मीद के िाथ िमानांतर सिनेमा आया, जो अपने अंतस्वसरोधो्िे ख़त्म हो गया. इिे बेहद सनराशा िे 'आशा का गभ्सपात’ कहा गया, उिमे् िामासजक-राजनीसतक यथाथ्स िे र्बर् करने वािी स्फ़ल्मे् बनी्. क्याम बेनेगि की पहिी तीनो् स्फ़ल्मे्- 'अंकरु ’, 'सनशांत’ और 'मंथन’ ग्​्ामीण पसरवेश पर थी्. यही 'पार’ मे्भी ग्​्ामीण पसरवेश है. मुखय् धारा के सहंदी सिनेमा मे्जेपी दत्​्ा की स्फ़ल्मे् 'यतीम’, 'बंटवारा’ और 'हसथयार’ और प्​्काश झा की 'दामुि’ हमे्गी्वो् की बदहािी के बीच खड़ा कर देती है. सफल्म 'मदर इंसडया’ मे्गांव के कूर् आस्थक स तंत्के बीच एक भारतीय नारी की सजजीसविा और जीवट के दश्सन होते है्, तो 'गंगा जमना’ भी नये और अिरदार ढंग िे यह कहानी कहती है. नारी को िेकर भी स्फ़ल्मकार िचेत रहे है्. वैिे आमतौर पर वह ग्िैमर गि्सया खूबिूरती के अहिाि के तौर पर वहां रही है िेसकन 'बंदनी’ या 'गाइड’ उिके दूिरे पक्​्ो् को उभारती है्. िमांतर स्फ़ल्मकारो् की अनेक स्फ़ल्मे् नासयका प्​्धान रही है्. मसणकौि की 'उिकी रोटी’, 'अिाढ का एक सदन’ और 'दुसवधा’, बेनेगि की 'अंकुर’, कुमार शहानी की 'माया दप्सण’, सशवे्द्सिन्हा की 'सफर भी’ ऐिी स्फ़ल्मो् मे् सजनमे् सरक्तो् की तिाश के िाथ स्​्ी के मनोभावो्,

प्​्ेरणाओ्, इच्िाओ् का िूक्म सचत्​्ण सकया गया है. वैिे 'मै् चुप रहूंगी’, 'कैिे कहूं’ जैिी स्फ़ल्मे्उि िमय की भारतीय स्​्ी का यथाथ्सहै िेसकन स्फ़ल्मो्के िसरए हम उिके िशक्तीकरण पर निर डाि िकते है्. आगे स्फ़ल्मो्मे्वह बाकायदा 'र्प को अपने न सिपाऊंगी’, 'गोरी नाचेगी ित टुटती है तो टुट जाये’ का ऐिान करती हुए 'कानो् मे् मेरे चाहे कुि भी कसहए’ गाने िगती है. स्फ़ल्मो्मे्एक िामासजक सनरंतरता होती है जो आज हमे् मुख्यधारा की नारी के्स्दत 'मैरी कॉम’, 'कहानी’, 'मद्ासनी’ आसद स्फ़ल्मो्मे्सदखायी देती है. अमीर-ग्रीब का द्​्ंद्, गांव-शहर का अिगाव, स्​्ी-पुर्ि िंबंधो्, स्मगसिंग और तमाम िामासजक राजनीसतक कुर्पताओ् पर अनेक उम्दा स्फ़ल्मे्बनी है्. 'बूट पासिश’ मे्हम 'न भूखो्की भीड़ होगी, न दुखो् का राज होगा, सितारो्पर सिखा है’ की उम्मीद पाते है्तो 'जागते रहो’ मे् 'िच्​्ेफांिी चढते देखे, झूठा मौि उड़ाये’ की िच्​्ाई इि मास्मसक बयान के िाथ देखते है् सक, 'िब कह दे इिे रब दी माया, मै् कहता अन्याय.’ गरि यह सक एक िे एक स्फ़ल्मे्िामासजक उद्​्ेक्यो्िे प्​्ेसरत होकर बनी्. सफल्म 'सजि देश मे्गंगा बहती है’ डाकुओ्के आत्मिमप्सण को िेकर थी तो 'कािा बािार’ मे्भी सबगड़े हुए को िुधारने की बात थी. सफल्म 'जाि’ मे्हीरो ही सविेन था- टोनी. िेसकन वह िड़की की जान िेने की सहम्मत नही्कर पाता. धास्मसक भेदभाव पर चोट करने वािी अनेक स्फ़ल्मे्है्. इन स्फ़ल्मो्का बीज गीत यही है, 'तू सहंदू बनेगा न मुि​िमान बनेगा.’ िेसकन कई बार स्फ़ल्मो्मे्ये िब िंदेश गीत-िंगीत की चपेट मे्भी आ जाते है्. कई बार गीत-िंगीत उिे उभार देता है तो बाि वक्​्त डुबो भी देता है. ऐिा मानने वािे बहुतेरे है्सक गीत हमारी स्फ़ल्मो्के स्थायी अंतस्वसरोध है्. इनके असत उपयोग ने स्फ़ल्मो्को कुि िर्री उपिब्लधयो्िे वंसचत कर सदया है. िेसकन सहंदी स्फ़ल्मो्के गीत-िंगीत जैिा दुसनया मे्कुि है ही नही्. हर मौक़े्के सिए एक नायाब गीत मौजूद है. आज भी स्फ़ल्मे्गीत के सबना अधूरी मानी जाती है् या ऐिा हो तो यह उनकी सवशेिता बन जाती है. पचाि-िाठ का वह दौर असतशय रोमानी था. सदिीप-राज-देव दरअि​ि प्​्ेम की तीन धाराएं थी्. देवदाि, आवारा और बंबई का बाबू धाराएं. सफल्म 'बािी’ नवकेतन की थी. गुर्दत्​्डायरेक्टर थे. कहानी बिराज िाहनी ने सिखी थी. उन्हो्ने उिमे्िह गानो्की गुंजाइश रखी थी. गुर्दत्​्ने नौ गाने डाि सदये. बिराज िाहनी नाराि भी हो गये. गुरद् त्,् राज खोि​िा, सवजय आनंद ये एक ही स्कूि के डायरेक्टर थे. गानो् को स्फ़ल्माने मे् बेहद कल्पनाशीि. राजकपूर को भी इिमे्महारत थी. देव-सदिीप-राज के िाथ मधुबािा, वहीदा, नूतन, नरसगि आसद का स्टारडम उि दौर के गीतकारो्, िंगीतकारो्और गायको्-गासयकाओ्ने समिकर बनाया. नेहर्भी 'िास्ट ऑफ़्द रोमांसटक्ि’ थे. ये स्फ़ल्मी और राजनीसतक रोमान दोनो्बहुत घुि-े समिे निर आते है्और उि िमय की स्फ़ल्मो्मे्एक बड़ी र्मासनयत पैदा करते है्, सजिका िम्मोहन टूटता नही्. यह दौर तीव्​् प्​्ेम के िाथ अचूक भोिापन सिए है. प्​्ेम की पुकारे् है् कही् मस्​्ी भरी 'यहां वहां स्फ़िा मे् आवारा, ये सदि अब तिक है बेचारा’ तो कही् आ्​्त्स 'ये मेरा दीवानापन है, या मोहल्बत का क़्िूर’ तो कही् प्यार का आवेग है 'प्यार हुआ इक़्रार हुआ है प्यार िे सफर क्यूं डरता है सदि’. प्​्ेम िव्​्ोपसर है. अनारकिी पर एक इिी नामिे और एक मुग्ि-ए-आिम के नाम िे स्फ़ल्म बनी सजनमे् प्​्ेम का िंदेश था - 'ये सिंदगी उिी की है जो सकिी का हो गया’ और 'प्यार सकया तो डरना क्या.’ स्फ़ल्मे् बच्​्ो् को 'इंिाफ़् की डगर’ पर चिने का िंदेश देती है् तो बाक़्ी को 'सकिी की मुस्कुराहटो्पर हो सनिार’ का. इि दौर के िफ़्र मे् िरोकारो्की बेदारी है तो प्​्ेम की मदहोशी भी. प्यार मे्िुधबुध खोने का निारा ज्यादा आम सदखता है - 'चिते चिते मै्खो गयी/ जागते-जागते मै्िो गयी/ अब कभी मै्जागना न चाहूं रे/ नैन समिे नैन हुए बावरे/ ओरे n िजन िांवरे!’ शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 21


देशकाल

उव्षरको्और बदलते पि्ाषवरण ने बिर से बकसान की राह मुल्ककल कर दी है. आि मौसम की मार से बकसान बेहाल है. मॉनसून मे्बदलाव अब हर साल की बात होती बदखािी दे रही है. तचन्मय िमश्​्

हं

गर इज वेरी मच ए मैटर ऑफ हैसबट’. इि सरपोट्सके आने के बाद करीब 50 िाि तक आजादी का िंघि्सचिा. हमे्आजाद हुए भी 68 िाि बीत गये, िेसकन सकिान की हाित बद िे बदतर होती चिी गयी. जैसवक खेती के बाद रािायसनक और औद्​्ोसगक खेती का युग आया. उव्सरको् और बदिते पय्ासवरण ने सफर िे सकिान की राह मुब्ककि कर दी. आज मौिम की मार िे सकिान बेहाि है. मॉनिून मे् बदिाव अब हर िाि की बात होती सदखायी दे रही है. अकाि, कृसि और सकिान तीनो् एक दूिरे िे जुड़्े है्. ऐिे मे् देश को खाद्​्ान्न पैदा कर दे रहे सकिानो्के सिए नये सिरे िे िोचना जर्री होता जा रहा है. अकाि और उि​िे सनपटने के तरीको् को िेकर भी एक बार आजादी के पहिे के दौर यानी िाि 1877 की एक गसतसवसध पर गौर करते है्. ‘िाि 1877 मे् मद्​्ाि प्​्देश मे् घोर अकाि पड़्ा. प्​्जा के कष्​् का सठकाना नही् रहा. अकाि िे िोगो्की रक्​्ा करने के उद्​्ेक्य िे भारत िरकार के तत्कािीन अथ्सिसचव िर जान स्ट्ाची ने ‘दसरद्​्भारतवासियो्’ पर ‘दुस्भसक् सनवारक कर’ नाम िे एक और कर िगा सदया. तय हुआ सक इि​िे हर िाि डेढ् करोड़् र्पये जमा हो्गे. इनिे ‘दुस्भसक् सनवारक कोश’ की स्थापना की जायेगी. सफर जहां कही् अकाि पड़्ेगा वहां के िोगो्की इि​िे मदद होगी. सजि िाि अकाि सबल्कुि नही् पड़्ेगा, उि िाि इि धन मे् िे िरकारी कज्स कुि-कुि करके चुकाया जायेगा.’ आज करीब 140 िाि बाद कर और विूिी तो बदस्​्ूर जारी है और फि​ि बीमा नाम के नये जंतु ने आकार िे सिया है. सजिे सक फि​ि नष्​् होने पर बीसमत रासश न चुकाने के हजारो् तरीके मािूम है्. यसद सकिी को स्वीकृसत समि भी जाती है तो वह वास्​्सवक 22 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

इस अकाल वेला में िागत की महज 6 िे 10 फीिद बैठती है. इतना ही नही्मध्यप्​्देश जैिे राज्यो्मे्जहां िगातार चौथे कृसि मौिम मे् फि​िे् बब्ासद हो गयी है्, वहां पर अभी तक सपि​िे दो िािो्मे्हुई फि​ि हासन की भरपाई असधकांश सकिानो्को नही्हो पायी है. देश मे्सकिानो्को राहत की रासश कही एक र्पये चािीि पैिे तो कही् 11 र्पये बांटी जा रही है. भारत िाि 2009 के बाद का िबिे भीिण अकाि का िामना कर रहा है. देश का करीब 50 फीिद क्​्ेत् कम वि्ास िे प्​्भासवत है. िव्ासस धक प्भ् ासवत राज्यो्मे्कन्ाटस क, महाराष्,् आंध्प्देश, तेिंगाना, ित्​्ीिगढ्, मध्यप्​्देश और सबहार शासमि है्. पूरा देश इि िमय गोमांि के खाने या न खाने की चच्ास मे्तल्िीन है और सपि​िे 17-18 िािो् मे् तीन िाख िे ज्यादा सकिानो्की आत्महत्या सकिी को मायने ही नही्रखती. क्या यही है हमारी राजनीसत का वास्​्सवक ध्येय? राष्​् और राज्य दोनो् के स्​्र पर सकिान

सकिी की सचंता का सविय नही् है. अकाि की भयावहता और सकिानो् की बदहािी के बीच प्​्धानमंत्ी 10 सदन का अमेसरका दौरा करने को अपनी बड़्ी उपिब्लध बताते है्. वही्मध्यप्​्देश के मुख्यमंत्ी प्​्देश मे् सपि​िे एक महीने िे प्​्सतसदन करीब 4-5 सकिानो् की आत्महत्या और अिामसयक मौतो् के बीच जापान और दस्​्कण कोसरया के िंबे दौरे पर चिे जाते है.् पूरा मंस्तमंडि सकिानो्को तात्कासिक िहायता देने के सिए मुख्यमंत्ी का इंतजार करता है. प्​्धानमंत्ी िौटते है्और सबहार के चुनावी दौरे पर चिे जाते है्और वहां पर सकिानो्के सिए या कृसि के सिए कुि नही्बोिते. देश मे्हर घंटे एक दज्सन िे ज्यादा सकिान आत्महत्या कर रहे है्. इि हािात को िेकर सकिी भी तरह की गंभीरता नजर नही् आती. के्द्ीय सवज्​्ान एवं तकनीक तथा भूसवज्​्ान मंत्ी हि्वस ध्नस कहते है,् ‘भगवान िे प्​्ाथ्नस ा कसरए सक िंशोसधत (मौिम) भसवष्यवाणी िच िासबत न हो.’ िेसकन एक पुरानी कहावत है ईश्​्र भी


सूखी धरिी िेहाल बकसान: बकसी को बफक्​् नही् उिी की मदद करते है् जो खुद अपनी मदद करने को तत्पर है. हमारे यहां ब्सथसतयां एकाएक नही् सबगड़्ी. देश के िबिे बीच मे् बुंदेिखंड (मध्यप्​्देश और उत्​्रप्​्देश) सपि​िे 15 वि्​्ो िे मौिमी असनयसमतताओ्िे ग्​्स्है. पर वहां कोई भी स्थायी हि सनकािने के स्थान पर ‘पैकेज’ दे सदया जाता है. ऐिे प्​्योग महाराष्​् के सवदभ्स मे् भी िगातार सकया जा चुके है्. इनका नतीजा हमारे िामने है. एक दूिरा तथ्य यह है सक अब फि​िो्को नुकिान सिफ्कअकाि नही्पहुच ं ाता बब्लक ओिे और आिामसयक, वि्ा,स असतवृस्ष, पािा सगरना, बहुत तेज गम्​्ी या ठंड जैिे तमाम कारको् का आम हो जाना है. िाि 2014-15 यानी दो वि्स िगातार अकाि पड़्ा है. इिके पहिे िाि 1965-66 मे् िगातार मॉनिून अिफि रहा था. इि दौरान सबहार मे्पड़्ेअकाि िे करीब 6 करोड़्िोग प्भ् ासवत हुए थे. िैकड़्ो्िोग भूख िे मरे भी थे. िाि 1986-87 मे् भी दो िाि

िगातार मानिून अिफि रहा. करीब 30 करोड़् िोग प्​्भासवत रहे. मौजूदा दौर मे् यानी 2014-15 मे् इिकी भयावहता और भी बढ्ी. इिने खाद्​्ान्न उत्पादन के 60 फीिद को प्​्भासवत सकया. इतना ही नही्सपि​िे तीन िािो् मे्सवपरीत पसरब्सथसतयो्के चिते हािात बदतर हो रहे है.् िाि 2013 मे्करीब 5 राज्य प्भ् ासवत हुए थे. इिमे्3.5 िाख हेक्टेयर क्​्ेत्मे करीब 500 करोड़् की फि​ि नष्​् हुई थी. िाि 2014 मे् 6 राज्यो् के कुि प्​्भासवत क्​्ेत्फि बढ्कर 55 िाख हेक्टेयर हो गया. आस्थसक नुकि ् ान भी बढ्कर 5000 करोड़्र्पये पर पहुच ं गया. पर िाि 2015 मे तो ब्सथसतयां कमोबेश बेकाबू हो गयी है.् प्भ् ासवत राज्यो्की िंखय् ा इि िाि 15 तक पहुंच गयी है. करीब 1 करोड़्23 िाख हेक्टेयर मे् ब्सथत 20,000 करोड़् र्पये की फि​िे् नष्​् हो गयी है. परंतु न तो राजनीसतक तंत्और न ही प्​्शािसनक तंत्चेत रहा है. सकिानो् की बढ्ती आत्महत्याएं अब हमे् सवचसित भी नही् करती्. महाराष्​् के पूव्स मुख्यमंत्ी सविािराव देशमुख की इि सटप्पणी पर गौर कसरए, ‘आत्महत्या भारतीय दंड िंसहता (आईपीिी) के तहत एक अपराध है, िेसकन क्या हमने एक भी सकिान को इि अपराध मे् पकड़्ा? पर क्या आपने कभी इिकी खबर दी.’ (सहंदुस्ान टाइम्ि 31 अक्टूबर 2007) यानी िरकार सकतनी िंवेदनशीि है. िरकारे् सकिानो् की सकतनी ‘आउट आफ वे’ जाकर मदद कर रही है्. यह िोचने का सविय है. िूखे िे प्​्भासवत होकर अब आत्महत्या करने वािे सकिानो्के पसरवार सजिमे्मसहिाएं भी शासमि है, कह रहे है्सक हम तो इि त्​्ािदी का िामना नही् कर पा रहे है. सपि​िे िाि उनके पसत ने आत्महत्या कर िी थी, इि वि्स हम उिी राह पर चिेग् .े बहुत बरि पहिे फैज अहमद ‘फैज’ ने सिखा था, खेती के कोनो, खुदरो्मे् सफर अपने िहु की खाद भरो, सफर समट्​्ी िीचो्अक्को िे सफर अगिी र्त की सफक्​्करो िेसकन िहू और पिीने िे िी्चने के बावजूद ब्सथसतयां नही् बदि रही. महाराष्​् के सदिािा जनसवकाि प्​्सति्​्ान के अध्ययन िे पता चिता है सक सपि​िे िाि सजन सकिानो्ने आत्महत्या की उनमे् िे 95 फीिद सकिान

भारत िाल 2009 के बाद िबिे भीषण अकाल का िामना कर रहा है. आज देि का करीब 50 फीिद कं​ंेतं कम वषंास िे पं​ंभासवत है.

कपाि उगाते थे. इि वि्सपंजाब, राजस्थान और हसरयाणा मे्भी बीटी कपाि की फि​ि पर िफेद िूिी िगने िे फि​ि नष्​् हो गयी. मध्यप्​्देश की बात करे् तो यहां बड़्े पैमाने पर िोयाबीन की खेती होने िगी है. सपि​िे 10 िािो्िे इिके उत्पादन मे् ठहराव आ गया है. इि िाि तो आधे िे ज्यादा इिाके की खड़्ी फि​ि नष्​्हो गयी है. मध्यप्द् श े का मािवा व सनमाड़्का क्त्े ् अपनी िमृस्द के प्​्सिद्​्था और यह कहा जाता था सक मािव धरती गहन गंभीर/ घर घर रोटी पग पग नीर. िेसकन यहां पर भी बड़्ी िंख्या मे्सकिान आत्महत्या कर रहे है्. वही पंजाब का मािवा भी कपाि की बब्ासदी और रािायसनक खेती की वजह िे फैिे कै्िर और अन्य तमाम बीमासरयो् िे हैरान-परेशान है्. गौरतिब है सक भारत मे् अपने क्​्ेत् के िव्ाससधक िमृद् क्​्ेत्ो् मे् मािवा का नाम था. आज देश भर के मािवा िंकट मे् है्. इन िबके बीच सकिानो् और खेसतहर मजदूरो् को िंकट िे सनकािने के िरकारी उपायो् की वास्​्सवकता मनरेगा के घटते सदनो् िे िामने आ रही है. वि्स 2012-13 मे् व 2013-14 मे् 100 मे् िे मात्​् 46 सदन. अत्यसधक िंकट के वि्स 2014-15 मे् तो यह घटकर मात्​्40 सदन रह गया. कृसि का िंकट आंकड़्ो िे नही् िुिझाया जा िकता. हम िगातार देख रहे है् सक बीटी कपाि और हाइब्​्ीड खाद्​्ान्न बीजो् की वजह िे कृसि मंहगी और असवश्​्िनीय होती जा रही है. अनासदकाि िे भारतीय कृसि परंपरा एकि फि​ि (मोनोकल्चर) के दोि बताती आयी है. आज हम पूरी तरह िे इिी प्​्णािी को अपनाते जा रहे है्, सजिकी वजह फि​िी बीमारी पूरे इिाके की फि​िे एक िाथ नष्​् कर देती है. इिके अिावा पानी की घटती उपिल्धता के चिते हमे् अपनी कृसि प्​्णािी पर नये सिरे िे सवचार करना चासहए. इिके सिए आवक्यकता इि बात की है सक हमारे कृसि िंस्थान खािकर सशक्​्ण िंस्थाएं अपनी मनोवृस्त बदिे् और भारत की जैवसवसवधता व सकिान का िम्मान करना भी िीखे्. हमारे यहां कृसि को काफी सहकारत िे देखने की आदत बनती जा रही है. इिी वजह िे यह जीडीपी मे् महज 15 फीिद योगदान देती है्. पर भारत की असधकांश आबादी और पूरी अथ्सव्यवस्था सिफ्क कृसि पर सनभ्सर है. कृसि पर सपि​िे दो िािो् मे् आये िंकट िे पूरी उपभोक्तावादी अथ्वस य् वस्था िंकट मे्पड़्गयी है. बदहाि सकिान िभी का अन्नदाता है. पूरे देश के पोिण का सजम्मा कृसि के जसरये सकिान ही करते है.् ऐिे मे्िमय रहते नयी नीसतयां नही् बनायी गयी तो आने वािे सदनो् मे् देश को बुरे n दौर िे गुजरना पड़्िकता है. शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 23


देशकाल

पानी की िलाश: िुंदेलखंड का हाल

बिन पानी सि सून

बुंदेलखंड क्​्ेत् के 32 लाख लोग अपना घर-पबरवार, पशु, खेती-बाड्ी छोड्कर दो वक्त की रोटी की िुगाड्मे्महानगरो्की ओर पलािन कर गिे है्. इसमे्पेि​िल संकट की बड्ी भूबमका है. हतरशचंद्

बुं

देिखंड क्​्ेत् के उत्​्र प्​्देश और मध्य प्​्देश राज्य के असधकांश सहस्िो् के तािाब, कुएं और नसदयां िूख गयी्है्, यहां के सनवािी पानी के सिए बेहाि है्. चंदेिकािीन ऐसतहासिक िरोवरो् मे् पानी तिहटी मे् है्, नसदयो् की धारा टूट चुकी है्. बेतवा-केनउस्मसि-धिान जैिी िोटी बड़्ी नसदयां िंकट मे् है्. पानी के इि िंकट की मुख्य वजह इि िाि बहुत कम बासरश का होना है. बुंदेिखंड के पानी िे हो रही भारी सदक्​्तो् के सिए िोग राजनेताओ् और अफिरो् के गठजोड़् को 24 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

सजम्मेदार मानते है्, जो प्​्ाकृसतक िंिाधनो्की िूट के सिए ठेकेदारो्को िूट सदये है्. के्द् िरकार ने बुंदेिखंड इिाके के तािाबो्की सिल्ट िफाई के सिए करोड़्ो र्पये सदये, िेसकन इन जि स्​्ोतो्की िफाई का काम कागजो्तक सिमटा रह गया. बुदं ि े खंड के िभी जनपदो् मे् िभी प्​्ाचीन जिस्​्ोत िूखते नजर आ रहे है्पय्ासवरण िे सखिवाड़्की खुिी िूट ने जंगिो् और पहाड़्ो् पर अवैध खनन को बढ्ावा सदया. अब नसदयो् िे वैध और अवैध तरीको् िे बािू, मोरंग खोदी जा रही है. इिमे् असधकांश िांिद, सवधायक और पूव्स माननीय शासमि है्, सजनके इशारो् पर प्​्शािन

नतमस्​्क रहता है. इनका चसरत्​् भी ित्​्ा के िाथ बदिता है. यादव ट्​्ाि ं पोट्सकंसट् क् श ् न नाम िे कोई िमूह कई सजिो् िे सबना ठेके के ही बािू सनकाि रहा है. इि तरह सदन रात एक नदी िे 500 िे हजार ट्​्क बािू सनकािा जा रही है. इि​िे नसदयो् पर सवपरीत प्​्भाव पड़् रहा है. इिके बाद भी प्​्शािन का इि पय्ासवरण की िूट पर सकिी का कोई ध्यान नही् है. क्​्ेत् की नसदयो्पर प्​्शािन आजादी के बाद िे अब तक पुिो्का सनम्ासण नही्करा िका है, िेसकन इि धंधे मे्िगे मासफया रातो्रात पुिो्का सनम्ासण कराकर अवैध खनन कर रहे है.् और नसदयां की धारा भी तोड़्रहे है.् प्श ् ािन इन अवैध पुिो्को तोड़्ने के सिए भी महीनो्सहम्मत नही्जुटा पाता है्. पय्ावस रण सवशेिज्​्ो्की राय मे्बुदं ि े खंड के तािाबो्-नसदयो्मे्पानी न होने पर एक राय यह है सक जब तक नसदयो्की तिहटी को खोदकर खनन सकया जायेगा तो इि क्​्ेत् मे् पानी की िमस्या सदनो्-सदन गहराती ही जायेगी. सपि​िे एक दशक मे् सजतनी भी पेयजि और दूिरी योजनाएं बुंदेिखंड क्​्ेत् मे् चिाई गयी है् वह िभी अफिरो् और क्​्ेत्ीय जनप्स्तसनसधयो्के गठजोड़्के भ्ष ् ्ाचार की भेट् चढ् गयी्. आज पूरे क्​्ेत् मे् पानी के सिए हाहाकार मचा हुआ है. बीते एक दशक मे् 3261 सकिानो् ने आत्म हत्याएं की इनका राष्​्ीयकृत और क्​्ेत्ीय बै्को्का करीब 9095 करोड़् र्पया कज्स है. अक्िर िभी पास्टियां चुनावो्मे्सकिानो्के कज्समाफी की घोिणा की बात करती है्और यही कारण है सक सकिान न कज्स नही् चुकाते और इिके जाि मे् अपनी जान गवां देते है्. महोबा सजिे मे् पेयजि के सिए िाि 1978 मे् उत्​्र प्​्देश और मध्य प्​्देश की िरकारो् के बीच करार के बाद महोबा(उत्​्र प्​्देश) और ितरपुर (मध्य प्​्देश) जनपदो्के तहिीि मे्उस्मि स बांध का सनम्ाण स हुआ था. यह िाि 1995 मे्33.22 करोड़्र्पये की िागत िे पूरा हुआ. करार के मुतासबक 40.60 फीिद जि बटवारे और बांध के रखरखाव पर होने वािे खच्स का मानक भी तय सकया गया था, िेसकन बांध सनम्ासण के बाद िे मध्य प्​्देश िरकार ने आज तक फूटी कौड़्ी उत्​्र प्​्देश िरकार को नही्दी. जबसक पेयजि मध्य प्​्देश को भी जाता है. िाि 1995 िे अब तक इि मुद्े पर कई बार बात हो चुकी है, िेसकन इिका कोई नतीजा नही्सनकिा. बुंदेिखंड क्​्ेत्के िातो्सजिो्िे 32 िाख िोग अपना घर पसरवार पशु खेती-बाड़्ी िोड़्कर दो वक्त की रोटी की जुगाड़् मे् महानगरो् की ओर पिायन कर गये है्. इिमे् n पेयजि िंकट की भी बड़्ी भूसमका है.


बेहाि किसान

मध्ि प्​्देश मे्बहुत कम बाबरश के कारण दालो्की िसल को कािी नुकसान पंहुचा है. सरकार ने बत्​्ीस तहसीलो्को सूखाग्​्स्घोबरत बकिा है, लेबकन दूसरी िगहो्से भी ऐसी मांग उठ रही है.

पूजा तसंह

ध्य प्​्देश िरकार ने 23 सजिो् की 114 तहिीिो् को िूखाग्​्स् घोसित कर सदया है. िरकार ने सवसभन्न सजिो् को िूखाग्​्स् घोसित करने के सिए सजिासधकासरयो्िे जमीनी सरपोट्समांगी थी. उिी को आधार बनाकर रीवा, िीधी, शहडोि, उमसरया, अनुपपुर, कटनी, ितरपुर, पन्ना, दमोह िमेत कुि 23 सजिो्की 114 तहिीिो्को िूखाग्​्स्घोसित सकया गया है. पहिे राज्य के पांच सजिो्की 32 तहिीिो् को िूखाग्​्स्बताया गया था िेसकन मुख्यमंत्ी सशवराज सिंह चौहान के सवदेश प्​्वाि िे िौटने के बाद आंकड़्ो् मे् िंशोधन सकया गया है. प्​्भासवत सजिो्मे्िे असधकांश पूव्ी मध्य प्​्देश के है् जहां वि्ास िामान्य िे करीब 30 फीिदी कम रही है. इि बीच िरकार ने कज्स विूिी स्थसगत कर सकिानो् को राहत देने का प्​्याि सकया है. कई सजिो्मे्िूखे की ब्सथसत नही्है िेसकन िामान्य िे कम बासरश होने की वजह िे फि​ि बुरी तरह प्​्भासवत हुई है. िूखे और अल्प वि्ास ने प्​्देश के कई सजिो् मे् िोयाबीन, अरहर, धान, उड़्द और मूंग आसद फि​िो्को नुकिान पहुच ं ाया है. इतना ही नही्कम बासरश का अिर धान की खेती पर असधक पडऩे की आशंका है.

मध्यप्​्देश: दालो् की फसल ि​ि्ायद प्​्देश मे्पहिे ही धान का रकबा इि बार 1.25 िाख हेक्टेयर कम है. बाकी बचे 20 िाख हेक्टेयर के रकबे मे्िे िगभग 8 िाख हेक्टेयर फि​ि को िूखे की सशकार बताया जा रहा है. जासर है इिका अिर चावि की कीमतो्पर भी पड़्ेगा. बुवाई की बात करे् तो इि बार खरीफ की बुवाई सपि​िे िाि की तुिना मे्असधक की गयी है. इिसिए उत्पादन पर िूखे का बहुत असधक प्​्भाव नजर आने की आशंका नही्है. िोयाबीन की फि​ि भी इि वि्सअवि्ास और कीटो् के प्​्कोप िे बुरी तरह प्​्भासवत है. िोयाबीन प्​्ोिेि​ि्स एिोसिएशन ऑफ इंसडया (िोपा) के मुतासबक प्​्देश मे् करीब50 िाख सकिानो् ने 59.06 िाख हेक्टेयर मे् िोयाबीन बोया था. इिके नुकिान का अब तक पूरा आकिन नही्हो िका है. इि​िे पहिे प्​्देश के पूव्स मुख्यमंत्ी अज्सुन सिंह के बेटे और पूव्स नेता प्​्सतपक्​् अजय सिंह ने तो सवंध्य प्​्देश को िूखग्​्स् नही् घोसित करने को िेकर सवरोध प्​्दश्सन करने की चेतावनी भी दी थी. उल्िेखनीय है सक सपि​िे कुि सदनो् मे् प्​्देश के कई सकिान आत्महत्या करके या िदमे के कारण अपनी जान गंवा बैठे है्. खरीफ की फि​ि खराब होने और कज्सकी वजह िे अिीराजपुर, धार और देवाि सजिो्मे् एक-एक सकिान आत्महत्या कर चुका है.

खेतो् मे् हसरयािी नजर आ रही है िेसकन फि​ि न के बराबर हुई है. सकिान नेता रामकुमार कहते है् सक कई इिाको् मे् तो पैदावार इतनी कमजोर है सक सकिानो्ने खड़्ी फि​ि काटने िे इनकार कर सदया क्यो्सक यह उनके सिये घाटे का िौदा होता. वह आरोप िगाते है् सक अपने आपको सकिान का बेटा कहने वािे मुख्यमंत्ी इतने अहम वक्त मे् सकिानो्की मदद करने के बजाय सवदेश यात्​्ा पर सनकि गये. वही् माकपा के प्​्देश िसचव बादि िरोज की मांग है सक हािात को देखते हुए िरकार को सकिानो् को प्​्सत एकड़् के सहिाब िे कम िे कम 10000 र्पये का भुगतान करना चासहए, िाथ ही उनको िाि मे्कम िे कम 200 सदन मनरेगा के तहत काम भी समिना चासहए. इि बीच िरकार की ओर िे सकिानो् के सिये एक राहत भरी खबर भी आयी है. िरकार ने कज्सविूिी का काम सफिहाि स्थसगत करने का फैि​िा सकया है. हािांसक इिका फायदा केवि उन्ही्सकिानो्को समिेगा जो िूखाग्​्स् घोसित सजिो् की तहिीिो् मे् रहते है्. वहां सकिानो् को अब िहकारी िसमसतयो् को कज्स चुकाने के सिये तीन िाि का िमय सदया गया है. इि प्​्स्कया को आगे बढ्ाने के सिये राज्य के िहकासरता सवभाग ने सजिासधकासरयो्िे फि​ि उत्पादन की सरपोट्स भी तिब की है. इतना ही नही्सजन सकिानो्की कज्सविूिी स्थसगत की जा रही है उनको रबी की फि​ि के सिये नया कज्स देने मे् भी सकिी तरह की अड़्चन नही् आयेगी. जहां तक कज्सकी बात है तो प्​्देश के 38 सजिा िहकारी बै्को् ने चार हजार िे असधक िसमसतयो् की मदद िे 16 िाख िे असधक सकिानो् को 7,000करोड़् र्पये तक का कज्स केवि खरीफ फि​ि के सिया सदया था. इिकी विूिी आगामी 28 माच्सतक होनी थी. उल्िेखनीय है सक पूव्ी मध्य प्​्देश मे् वि्ास िामान्य िे करीब 31 फीिदी कम रही है. हािांसक पस्​्िमी मध्य प्​्देश मे् िामान्य िे दो फीिदी असधक वि्ास हुई है िेसकन उि​िे कोई िाभ होता नजर नही् आ रहा है. हािात को देखते हुए मुख्यमंत्ी सशवराज सिंह चौहान ने सवदेश जाने िे पहिे जि िंिाधन सवभाग और ऊज्ास सवभाग को सनद्​्ेश सदया था सक खरीफ फि​िो् को बचाने के सिये पानी और सबजिी की आपूस्तस मे् सकिी तरह की कमी नही् आनी चासहए. उन्हो्ने यह भी कहा था सक सजन क्​्ेत्ो्मे् बांध नही्है्वहां सबजिी मांग मे्तेज बढ्ोतरी हो िकती है. वापिी के बाद 9 अक्टबू र को उन्हो्ने एक बार पुन: सजिा किेक्टरो्िे कहा है सक वे जमीनी िव्​्ेकर 20 अक्टूबर तक अपनी रपट n पेश करे्. शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 25


मास् देशकाल ट हेड मनोरमा

िरा शुर् होने के काफी पहिे िे बंगिूर् िे िौ सकिोमीटर दूर मैिूर शहर का तैयार होना शुर् हो जाता है, मैिूर कन्ासटक की िांस्कृसतक राजधानी है और यहां का 'दिरा' राज्य की िांस्कृसतक पहचान. हर िाि देशसवदेश िे बड़्ी िंख्या मे् िोग इि जुिूि को देखने और उिमे्शासमि होने आते है्. िेसकन 78 िाि के सकिान नेता काडीडि शामन्ना जो बांिूरी भी बजाते है्, मुख्यमंत्ी सिद्​्ारम्मैया के आमंत्ण के बावजूद जुिूि मे्शासमि नही्हो्गे हािांसक इि िाि जुिूि की थीम 'सकिान' है. दिरा िमारोह मे्िरकार का बुिावा सकिी के सिए भी बहुत िम्मान की बात है कोई और मौका होता तो काडीडि कभी न नही् कहते िेसकन वो ये जानते है् सक कन्ासटक मे् सपि​िे कुि महीनो् िे चार-पांच सकिान रोज आत्महत्या कर रहे है्. वे िवाि करते है्ये िब जानते देखते हुए मै् कैिे दिरा िमारोह मे् शासमि हो िकता हूं? राज्य के ताजे िूरते हाि मे् काडीडि का िवाि बहुत मौजू है. राज्य सपि​िे चािीि िाि के िबिे ज्यादा िूखे मौिम का िामना कर रहा है, उत्​्री कन्ासटक के कई सजिे इि कदर िूखे की चपेट मे्है्सक खेती तो दूर पशुओ् के खाने िायक चारा भी नही्हो पा रहा है. कई गांवो् मे् आठ सदनो् मे् एक बार पीने का पानी

26 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

मुहैया कराया जा रहा है. इि िाि इन इिाको् मे्औित िे 34 फीिद कम बासरश हुई है और सितंबर तकराज्य के 30 सजिो् मे् िे 12 सजिे मे्बहुत कम बासरश दज्सहुई है. कुि समिाकर 177 ताल्िुके मे् िे 136 िूखे की चपेट मे् है. कन्ासटक िरकार ने सपि​िे महीने राज्य के कुि 30 सजिो्मे्िे 27 सजिो्के 127 ताल्िुको्को िूखा प्​्भासवत घोसित कर सदया है. हािांसक पूरे देश मे्इि िाि अब तक मॉनिून औित िे 15 फीिद कम रहा है और कन्ासटक िमेत देश के कई और राज्यो् को समिाकर कुि 40 फीिद इिाके इि​िे बहुत प्​्भासवत हुए है्. उत्​्र कन्ासटक भी उन्ही्इिाको्मे्शासमि है. राज्य िरकार आंकड़्ो्के मुतासबक 3,600 करोड़्की खड़्ी फि​ि िूखे के कारण बरबाद हो चुकी है, जबसक वास्​्सवक नुकिान िोिह हजार करोड़्िे भी ज्यादा का माना जा रहा है, क्यो्सक पानी की कमी का अिर अगिी फि​ि पर भी पड़्गे ा. कुि समिाकर वि्स2015-2016 मे् कन्ासटक मे् खाद्​्ान्नो् की पैदावार मे् 45 फीिद की कमी आ िकती है. जासहर है मुख्यमंत्ी सिद्​्ारम्मैया के सिए आने वािे सदन

बहुत मुब्ककिो् वािे है्, के्द् िरकार सकिानो् के सिए राहतरासश जारी नही् कर रही केवि यही दोहराने िे न तो सकिानो्की मुब्ककिे्हि हो्गी और ना ही खुद मुख्यमंत्ी की. इि तरह मुख्यमंत्ी की िोकस्​्पयता का ग्​्ाफ तेजी िे कम हो रहा है. चाहे तटीय कन्ासटक मे् िगातार धास्मक स िामासजक अिसहष्णतु ा के मामिे हो्या दस्​्कणपंथ का उभार और किबुग्ी जैिे प्​्गसतशीि िेखको्, सवचारको्, किाकारो् की हत्या और उन्हे् समिने वािी धमसकयां इन मामिो् मे् सजि तरह की िख्त प्​्सतस्​्कया और कार्सवाई की उनिे उम्मीद की जा रही थी वो नही् कर पा रहे है्. और अब सकिानो् की रोज कीआत्महत्याएं. गौरतिब है सक हाि ही मे्हुए एक िव्​्ेक्ण के नतीजे मे्पूव्समुख्यमंत्ी बीएि येदुरप्पा िोकस्​्पयता मे् उनिे काफी आगे चि रहे है्. कुि और किर हाि के राहुि गांधी के कन्ासटक दौरे िे भी पूरी हुई सजिमे्वो खाितौर पर सकिानो् िे समिे. िेसकन उनकी िभा के सिए रास्​्ा बनाने के सिए तीन फुटबॉि के मैदान के बराबर की खड़्ी फि​ि काट दी गयी. चारो ओर िे आिोचना होने पर कहा गया सक

कन्ाषटक मे्बपछले कुछ महीनो्से चार-पांच बकसान रोि आत्महत्िा कर रहे है्. आंकड्ो्के मुताबबक 3,600 करोड्की खड्ी िसल सूखे के कारण बब्ाषद हो चुकी है.

सूखे िें तंयौहार


सकिान ने खुद राहुि गांधी के सिए अपनी फि​ि काट देने का अनुरोध सकया और वैिे भी अगिे 15 सदनो्मे्उिे काट सिया जाना था. बहरहाि, जो भी हो िेसकन इि प्​्करण िे सकिानो्की आत्महत्याओ्िे रोज जूझ रहे राज्य के मुख्यमंत्ी और उनकी पाट्​्ी के राष्​्ीय उपाध्यक्​् की खेती और सकिानो् के मि​िो् के प्​्सत िंजीदगी नही्बब्लक िापरवाही सदखती है. जबसक एक सरपोट्सके मुतासबक कन्ासटक मे्इि िाि अब तक 400 िे ज्यादा सकिान आत्महत्या कर चुके है्, गुिबग्ास, बीदर,रायचूर और यादसगर सजिे के सकिानो् मे् ये दर िबिे ज्यादा है.केवि गुिबग्ास मे्ही सपि​िे 2 महीने मे् 16 सकिानो् ने आत्महत्या की और सिफ्क जुिाई महीने मे्राज्य के कुि 158 सकिानो्ने आत्महत्या कर िी. िाि 2003 के बाद िे यह िंखय् ा िबिे ज्यादा है. काडीडि िामन्ना कहते है्सक कन्ासटक मे्इतनी बड़्ी िंख्या मे्सकिानो् की आत्महत्या एक नया चिन है, िेसकन इिकी वजह िरकार और सकिान दोनो् को मािूम है. सपि​िे 45 िाि िे उनका िंगठन सकिानो्के सिए िंघि्सकर रहा है िेसकन आज तक उनकी एक भी मांग पूरी नही् की गयी है. सकिान फि​ि बोने िे पहिे जानते है् सक वो अपनी िागत और मेहनत के सहिाब िे अपनी उपज की कीमत नही् तय कर पाये्गे उन्हे् असधकार ही नही् है. िरकार के सनध्ाससरत िमथ्सन मूल्य उन्हे् तबाही के रास्​्े पर ही िे जाने वािे होते है्. कन्ासटक राज्य कृसि सवभाग की हाि की एक सरपोट्स मे् भी कहा गया है सक राज्य का कोई भी सजिा ऐिा नही् है जहां सकिानो् ने आत्महत्याएं नही् की है्. सरपोट्स के मुतासबक केवि एक अप्​्ैि िे तीन अक्टूबर के बीच 516 सकिानो्ने आत्महत्या की है,् मांड्ा, हवेरी, तुमकूर और मैिूर सजिे मे्िबिे ज्यादा आत्महत्याएं दज्स हुई है्. ये भी िामने आया है सक गन्ना, मक्​्ा और कपाि की खेती

करनेवािे सकिानो्मे्आत्महत्या की दर िबिे ज्यादा रही है् और मक्​्ा िोड़्कर इन दोनो् फि​िो्को बहुत ज्यादा सिंचाई की जर्रत होती है. ऐिे मे्सजन सकिानो्के पाि कम कम जमीन है या सजन्हो्ने िीज पर जमीन िेकर खेती की थी िबिे ज्यादा प्​्भासवत वही है्. दूिरी ओर ओर मुख्यमंत्ी के तमाम आश्​्ािनो् के बावजूद िच्​्ाई ये है सक कज्स िेने वािे सजन सकिानो् ने िरकारी मदद का अनुरोध सकया उनमे् िे 42 फीिद दावो् को स्थानीय िसमसत ने खासरज कर सदया. स्थानीय अखबारो् की सरपोट्स के मुतासबक सपि​िे कुि महीनो्मे्हज्ासने के कुि 233 मामिो् मे्राज्य िरकार ने केवि 134 दावो्को ही हज्ासना देने िायक माना, जासहर है सफर बचे 99 सकिानो् के पाि आत्महत्या या अविाद मे्चिे जाने के अिावा और क्या सवकल्प बचेगा? खैर, ये तो उन सकिानो्की बात है जो पहिे मदद िेने की कोसशश करते है् िेसकन उन सकिानो् का क्या जो िरकारी मदद के सिए सकिी तक पहुंचना भी नही्जानते? िेसकन सजनकी िंख्या काफी बड़्ी है. इिके अिावा परेशानी केवि कज्समाफी और सिंचाई के पानी की ही नही्है पीने का पानी उि​िे बड़्ी जर्रत है रायचूर सजिे की ही बात करे्सजिके पांच ताल्िुको्को अगस्​्मे्राज्य िरकार ने िूखा प्​्भासवत घोसित सकया था, वहां के प्​्शािसनक असधकारी के मुतासबक पीने की पानी की कमी इतनी गंभीर है सक सकिानो् को राहत देने िे पहिे पीने के पानी की व्यवस्था करना ज्यादा जर्री है इिसिए प्​्त्येक ताल्िुके मे् मुख्यमंत्ी िे हासि​ि त्वसरत आपदा राहत रासश मे्िे पचाि िाख र्पये तुरंत पीने के पानी की पसरयोजना मे्िगा सदये गये. राहत रासश की दूिरी सकस्​्45 िाख र्पये भी पीने के पानीकी पसरयेजना मे् ही खच्स हो्गे. जासहर है ऐिे मे् सकिानो् को मदद पहुंचाने के सिए अिग िे

मैसूर का प्​्बसद्​् दसरा: इस िार वह रौनक नही् और तुरंत बड़्ी रासश की जर्रत है सजिपर राजनीसत जारी है. मुख्यमंत्ी सिद्​्ारम्मैया ने हािात की गंभीरता को देखते हुए िूखे िे सनपटने के सिए प्​्धानमंत्ी िे राष्​्ीय आपदा कोि िे 3,050.7 करोड़् की राहत रासश की मांग की है. िेसकन वो ये भी कह रहे है्सक के्द् िरकार िे उन्हे् अपेस्कत िहयोग नही् समि रहा है. उन्हो्ने 24 अगस्​्को प्​्धानमंत्ी को मदद के अनुरोध की सचट्​्ी सिखी थी, सजिके जवाब मे्के्द्िरकार की ओर िे अफिरो्की टीम को िूखे का आकिन करने को भेजा गया. टीम के िव्​्ेक्ण कर िेने और सरपोट्स िौ्प देने के बाद भी अभी तक मदद की कोई रासश प्​्ाप्त नही्हुई है. कन्ासटक के कृसि राज्य मंत्ी कृष्णा बायरे गौड़्ा कहते भी कह रहे है्के्द्िे जल्द ही िूखा राहत के पैिे नही्समिे तो बहुत मुबक् कि ब्सथसत हो िकती है, सकिान पहिे िे ही कज्स और अविाद मे् डूबकर आत्महत्या कर रहे है्. हािांसक मुख्यमंत्ी सिद्​्ारम्मैया ने फौरी राहत के सिए सकिानो् के मध्यम और दीघ्स अवसध िोन पर 296 करोड़्के िूद माफी की घोिणा की है, सजि​िे राज्य के ढ्ाई िाख सकिानो्को फायदा होगा,िेसकन ये भी वो जानते है् सक ये नाकाफी है. इिके अिावा सकिानो् को तुरंत मदद पहुंचाने के सिए राज्य िरकार की ओर िे हर एक सजिे को 2 करोड़् र्पये की रासश भी जारी की गयी है, िेसकन अस्िी फीिद िे ज्यादा सकिानो्ने राष्​्ीय बै्को्िे कज्सिेकर खेती की है. केद् ्िरकार की पहि िे ही इन बैक ् ो िे कज्स माफी का अनुरोध सकया जा िकता है. इिके अिावा बहुत िे सकिानो्ने स्थानीय िाहूकारो् या महाजनो् िे पैिे उधार िेकर खेती की है िबिे ज्यादा परेशानी इन्हे्ही है. इन िाहूकारो् के विूिी के तौर-तरीको् के कारण अंतत: उनके पाि कज्सचुकाने या आत्महत्या करने का n ही सवकल्प बचता है. शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 27


देशकाल ति्रदौस ़खान

भा

रत मे्गाय एक सियािी पशु बनकर रह गयी है. यहां गौ हत्या को एक िमुदाय सवशेि के सख़िाफ़ एक हसथयार की तरह इस्​्ेमाि सकया जाता रहा है. बीते 30 सितंबर को राजधानी सदल्िी के िाथ िगते उत्​्र प्​्देश के गांव सबिाहड़्ा मे् भीड़ ने 50 िाि के अख़िाक का बेरहमी िे क़त्ि कर सदया यह इि बात का िबूत है सक जो िोग आस्था की बात करते है्, वे िरािर झूठ बोिते है्. क्यो्सक आस्थावान िोग सकिी का क़त्ि नही् करते. अगर बात आस्था की ही होती, तो इि देश मे् एक भी गाय िड़को् पर कूड़ा-कक्कट खाती हुई सदखाई नही्देती्. इतना ही नही्गौ हत्या पर पूरी तरह पाबंदी होती, तो देश मे् गौ हत्या पर पूरी तरह पाबंदी होती. िरकार गौ हत्या के सिए िाइिे्ि जारी न करती. देश मे् गाय को पूजा जाता है. इिके बावजूद यहां गौ हत्या पर पूरी तरह पाबंदी नही् है. हािांसक देश मे् गौ हत्या को िेकर कई आंदोिन हुए है्. कई आज भी जारी है्, िेसकन सकिी मे् भी कोई ख़ाि कामयाबी हासि​ि नही् हो िकी. इिकी िबिे बड़ी वजह यह है सक उन्हे् जन आंदोिन का र्प नही् सदया गया. ज्यादातर आंदोिन सिफ़्क अपनी सियाित चमकाने या चंदा उगाही तक िीसमत रहे. अि कबीर स्िॉस्टर हाउि मे्रोि हिारो्पशु काटे जाते है्. कुि िाि पहिे सहंदुत्ववादी िंगठनो्ने इिके सख़िाफ़ मुसहम भी िेड़ी थी, िेसकन जैिे ही यह बात िामने आयी सक इिका मासिक गैर मुि​िमान है, तो असभयान को ठंडे बस्​्ेमे्डाि सदया गया. ख़ाि बात यह भी है सक भारत मे् प्​्मुख गोक्त कारोबारी सहंदू ही है्. अिकबीर एक्िपोट्स के ितीश और अतुि िभरवाि, अरेसबयन एक्िपोट्सके िुनीि करण, एमकेआर फ्​्ोजन फूड्ि के मदन एबट और पीएमएि इंडस्ट्ीि के एएि सबंद्ा, अि नूर एक्िपोट्स के अजय िूद है्. इनके सख़िाफ़ बोिने की सकिी के सहम्मत नही्होती. दरअि​ि गौ हत्या िे िबिे बड़ा फ़ायदा तस्करो्और गाय के चमड़े का कारोबार करने वािो्को होता है. इनके दबाव की वजह िे ही िरकार गौ हत्या पर पाबंदी नही्िगाती. वरना क्या वजह है सक सजि देश मे्गाय को माता के र्प मे् पूजा जाता हो, वहां िरकार गौ हत्या रोकने मे् नाकाम है. देश मे् बड़े पैमाने पर गौ हत्या होती है. यह िब गौमांि और उिके अवशेिो् के सिए सकया जाता है, सजि​िे भारी मुनाफ़ा होता है. गोक्त के सिए गायो्को तस्करी के िसरये पड़ोिी देशो् मे् भेजा जाता है. इंटरनेशनि मीट िेके्टेसरयट के मुतासबक़ िाि 2014 दुसनयाभर मे्5.783 करोड़्मीस्​्टक टन 28 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

कसयासत िे किए गाय

बीफ़ का उत्पादन हुआ. इि दौरान अमेसरका मे् 1.12 करोड़् मीस्​्टक टन, चीन मे् 69.7 िाख मीस्​्टक टन और भारत मे् िबिे ि्यादा 22.5 िाख मीस्​्टक टन बीफ़ का उत्पादन हुआ. आंकड़ो् के मुतासबक़ सवत्​् वि्स 2014-15 मे् भारत ने 24 िाख टन बीफ़ सनय्ासत सकया था. वही् ब्​्ािीि ने इि दौरान 20 िाख टन और ऑस्ट्ेसिया ने 15 िाख टन बीफ़ सनय्ासत सकया था. दुसनया मे् सनय्ासत होने वािे कुि बीफ़ मे् 58.7 फ़ीिद की सहस्िेदारी इन्ही्तीन देशो्की है, सजिमे् अकेिा भारत 23.5 फ़ीिद बीफ़

सनय्ासत करता है. सपि​िे सवत्​्वि्स2013-14 मे् भारत की सहस्िेदारी 20.8 फ़ीिद थी. यानी भाजपा शािन मे्बीफ़ सनय्ासत मे्भारत ने ख़ािी तरक्क़ी कर िी. िाि 2013-14 मे् भारत िे 26,457.79 करोड़् र्पये के बीफ़् का सनय्ासत हुआ, जबसक भेड़् और बकरी के गोक्त का सनय्ासत 694.10 करोड़् र्पये रहा. भारत पूरे सवश्​्मे्भै्ि के गोक्त का िबिे बड़्ा सनय्ासतक है, जबसक भारत मे्बीफ़ की खपत 3.89 फ़ीिद है. अमेसरका, ब्​्ाि्ीि, यूरोपीय िंघ और चीन मे् पूरे सवश्​् का क़्रीब 58 फ़ीिद बीफ़् खाया


कचरा खािी गाय: संवेदनहीनिा का सिूि

हमारे देश मे्गाि एक बसिासी पशु बनकर रह गिी है. िहां गौहत्िा को एक समुदाि बवशेर के बिलाफ़ एक हबथिार की तरह इस्​्ेमाल बकिा िाता रहा है. जाता है. िे्टर फ़ोर मॉसनटसरंग इंसडयन इकॉनमी (िीएमआईई) के आंकड़ो् के मुतासबक़ भारत िे बीफ़ िबिे ज्यादा एसशयाई देशो्मे्ही जाता है. इन देशो् मे् भारत 80 फ़ीिद बीफ़ सनय्ासत करता है, जबसक अफ्​्ीकी देशो् मे् 15 फ़ीिद बीफ़ भेजता है. एसशयाई देशो् मे् भी ख़ािकर सवयतनाम मे्भारत िे 45 फ़ीिद बीफ़ जाता है. भारत के बीफ़ के सनय्ासत मे्िाि 2011 िे हर िाि औितन 14 फ़ीिद का इिाफ़ा हुआ है. िाि 2014 मे्तो भारत को बीफ़ सनय्ासत िे 48 िाख डॉिर यानी तक़रीबन 30 करोड़् र्पये की आमदनी हुई. यूनाइटेड नेशंि फूड एंड

एग्​्ीकल्चर आउटिुक िमेत कुि आंकड़ो् की माने्, तो भारत मे् गोक्त की खपत बढ् रही है. हािांसक आंकड़्ेयह भी बताते है्सक देश मे्बीफ़ की खपत िाि दर िाि घट रही है. िाि 2000 के मुक़ाबिे िाि 2014 मे् 44.5 फ़ीिद की सगरावट आयी. इि दौरान देश मे् सचकन की खपत मे्31 फ़ीिद की बढ्ोतरी दज्स की गयी. इिकी एक वजह यह भी है सक पहिे बीफ़ बकरे, मुग्से और मि​िी िे िस्​्ा हुआ करता था, िेसकन जबिे इिके दाम बढ गये तो िोगो्ने मुगा्स और मि​िी ज्यादा खाना शुर्कर सदया. िनद रहे सक गुजरात मे् भाजपा शािनकाि मे् बीफ़ का सनय्ासत 2001-02 मे् 10600 टन िे 2010-11 तक बढकर यह 22000 टन हो गया. भाजपा िरकार ने िाि 2014-15 मे् स्िॉटर हाउिो् के आधुसनकीकरण के सिए 15 करोड़ का अनुदान स्वीकृत सकया है. देश के 10 राज्य ऐिे है्, जहां गौ हत्या पर पर कोई पाबंदी नही् है. इनमे् पस्​्िम बंगाि, अिम, अर्णाचि प्​्देश, मसणपुर, मेघािय, समि्ोरम, नगािै्ड, स्​्तपुरा, सिस्​्कम, केरि और एक के्द् शासित राज्य िक्​्द्ीप शासमि है. जबसक सबहार, झारखंड, ओसडशा, तेिंगाना, आंध् प्​्देश, तसमिनाडु, कन्ासटक, गोवा और चार के्द् शासित राज्यो् दमन और दीव, दादर और नागर हवेिी, पांसडचेरी, अंडमान और सनकोबार द्​्ीप िमूह मे् आंसशक प्​्सतबंध है. िेसकन जम्मू कक्मीर, सहमाचि प्​्देश, पंजाब, हसरयाणा, उत्​्राखंड, उत्​्र प्​्देश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्​्देश, महराष्​्, ित्​्ीिगढ्, और दो के्द् प्​्शासित सदल्िी और चंडीगढ्मे्गौ हत्या पर पाबंदी है. गौ हत्या की वजह िे िवा अरब िे ज्यादा की आबादी वािे इि देश मे्दुधार्पशुओ्की तादाद महि 16 करोड़ है. के्द् िरकार के सडपाट्मस टे् ऑफ़ एसनमि हिबेड ् री के मुतासबक़, 1951 मे्40 करोड़ की आबादी पर 15 करोड़ 53 िाख पशु थे. इिी तरह 1962 मे्93 करोड़ की आबादी पर 20 करोड़ 45 िाख, 1977 मे् 19 करोड़ 47 िाख, 2003 मे् 18 करोड़ 51 िाख 80 हिार पशु बचे और 2009 मे् यह तादाद घटकर महि 16 करोड़ रह गयी. पशुधन सवभाग के मुतासबक़, उत्र् प्द् श े मे्314 बूचड़ख़ाने है्. इनकी वजह िे हर िाि िाखो् पशु कम हो रहे है.् केरि मे्2002 मे्एक िाख 11 हिार 665 दुधार् पशु थे, जो 2003 मे् घटकर 64 हिार 618 रह गये. राजधानी सदल्िी मे्19.13 फ़ीिद दुधार्पशु कम हुए है,् जबसक गायो्की दर 38.63 फ़ीिद घटी है. यहां महि िह हिार 539 गाय है्, जबसक दो िाख तीन हिार भै्िे्है्. समिोरम मे्34 हिार 988 गाय और िांड है्, जो सपि​िे िाि के मुक़ाबिे 1.60 फ़ीिदी कम है्. तसमिनाडु मे् 55 िाख

93 हिार 485 भै्िे् और 16 िाख 58 हिार 415 गाय है्. िाि 2012 मे् हुई पशुओ् की गणना के मुतासबक़ भारत मे् गौवंश की तादाद 1951 मे्िबिे ज्यादा 53.04 फ़ीिद थी. िाि 2012 मे् ये घटकर 37.28 फ़ीिद पर आ पहुच ं ी है. हािांसक 1951 मे्जहां भैि ् ो्की तादाद िभी जानवरो् मे् िे 14.82 फ़ीिद थी, वह 2012 मे् बढ्कर 21.23 फ़ीिद हो गयी. बीबीिी की एक सरपोट्स के मुतासबक़ भारत मे् कुि 3600 बूचड़्ख़ाने सिफ़्कनगरपासिकाओ्िे चिाए जाते है्. इनके अिावा 42 बूचड़्ख़ाने ‘ऑि इंसडया मीट एंड िाइवस्टॉक एक्िपोट्सि्स एिोसिएशन' चिा रही है, जहां िे सिफ़्कसनय्ासत सकया जाता है. करीब 32 ऐिे बूचड़्खाने है्, जो भारत िरकार के एक सवभाग के अधीन है्. महाराष्​्, पंजाब और उत्​्र प्​्देश तीन ऐिे प्म् ख ु राज्य है्जहां िे िबिे ज्य् ादा भैि ् के मांि का सनय्ासत होता है. अकेिे उत्​्र प्​्देश मे्317 पंजीकृत बूचड़्ख़ाने है्. हैरत की बात यह है सक गौ हत्या पर पाबंदी िगाने की मांग िंबे अरिे िे चिी आ रही है. इिके बावजूद अभी तक इि पर कोई अमि नही्सकया गया. अपने शािनकाि के आसख़री िाि मे् जब मुगि बादशाह बाबर बीमार हो गए, तो उनके प्​्धान ख़िीफ़ा सनिामुद्ीन के हुक्म पर सिपहिािार मीर बक़ी ने अवाम को परेशान करना शुर्कर सदया. जब इिकी ख़बर बाबर तक पहुंची, तो उन्हो्ने क़ाबुि मे्रह रहे अपने बेटे हुमायूं को एक पत्​्सिखा. बाबरनामे मे्दज्सइि पत्​्के मुतासबक़, बाबर ने अपने बेटे हुमायूं को निीहत करते हुए सिखा-हमारी बीमारी के दौरान मंस्तयो् ने शािन व्यवस्था सबगाड़ दी है, सजिे बयान नही्सकया जा िकता. हमारे चेहरे पर कासिख पोत दी गयी है, सजिे पत्​्मे्नही्सिखा जा िकता. तुम यहां आओगे और अल्िाह को मंिूर होगा, तब र्बर्होकर कुि बता पाऊंगा. अगर हमारी मुिाक़ात अल्िाह को मंिूर न हुई, तो कुि तजुब्े सिख देता हूं, जो हमे्शािन व्यवस्था की बदहािी िे हासि​ि हुए है,् जो तुमह् ारे काम आएंग.े मि​िन, तुम्हारी सिंदगी मे्धास्मसक भेदभाव के सिए कोई जगह नही् होनी चासहए. तुम्हे् सनष्पक्​् होकर इंिाफ़ करना चासहए. जनता के िभी वग्​्ो् की धास्मसक भावना का हमेशा ख़्याि रखना चासहए. तुम्हे्गौ हत्या िे दूर रहना चासहए. ऐिा करने िे तुम सहंदुस्ान की जनता मे्स्​्पय रहोगे. इि देश के िोग तुम्हारे आभारी रहे्गे और तुमह् ारे िाथ उनका सरक्ता भी मिबूत हो जायेगा. तुम सकिी िमुदाय के धास्मसक स्थि को न सगराना. हमेशा इंिाफ़ करना, सजि​िे बादशाह और प्​्जा का िंबंध बेहतर बना रहे और देश मे् भी चैन-अमन क़ायम रहे. हदीिो् मे् भी गाय के दूध को फ़ायदेमंद शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 29


देशकाल

मोहत्मद इकलाख: अफवाह का बशकार और मांि को नुक़िानदेह बताया गया है. उम्मुि मोसमनीन (हिरत मुहम्मद िाहब की पत्नी) फ़रमाती है् सक हिरत मुहम्मद (िल्ि.) फ़रमाते है् सक गाय का दूध व घी फ़ायदेमंद है और गोक्त बीमारी पैदा करता है. भारत मे्गौ हत्या को बढावा देने मे्अंग्ेिो् ने अहम भूसमका सनभाई. जब 1700 ई. मे्अंगि ्े भारत आये थे, उि वक़्त यहां गाय और िुअर का वध नही् सकया जाता था. सहंदू गाय को पूजनीय मानते थे और मुि​िमान िुअर का नाम तक िेना पिंद नही् करते थे, िेसकन अंग्ेिो् को इन दोनो् ही पशुओ् के मांि की िर्रत थी. इिके अिावा वे भारत पर क़ल्िा करना चाहते थे. उन्हो्ने मुि​िमानो् को भड़काया सक क़ुरआन मे्कही्भी नही्सिखा है सक गाय की क़ुब्ासनी हराम है. इिसिए उन्हे्गाय की क़ुब्ासनी करनी चासहए. उन्हो्ने मुि​िमानो् को िािच भी सदया और कुि िोग उनके झांिे मे्आ गये. इिी तरह उन्हो्ने दसित सहंदुओ्को िुअर के मांि की सबक्​्ी कर मोटी रक़म कमाने का झांिा सदया. दीगर है सक यूरोप दो हिार बरिो् िे गाय के मांि का प्​्मुख उपभोक्ता रहा है. भारत मे् अपने आगमन के िाथ ही अंग्ेिो् ने यहां गौ हत्या शुर्करा दी. करीब 18वी्िदी के आसख़र तक बड़े पैमाने पर गौ हत्या होने िगी. अंग्ेिो् की बंगाि, मद्​्ाि और बंबई प्​्ेिीडे्िी िेना के रिद सवभागो्ने देश भर मे्बूचड़ख़ाने बनवाये. जैिे-जैिे यहां अंग्ेिी िेना और असधकासरयो् की तादाद बढने िगी, वैिे-वैिे गौ हत्या मे्भी बढोतरी होती गयी. इिकी आड़ मे् अंग्ेिो् को सहंदू और मुि​िमानो्मे्फूट डािने का भी मौक़ा समि गया. इि दौरान सहंदू िंगठनो्ने गौ हत्या 30 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

के सख़िा़फ मुसहम िेड़ दी. आसख़रकार महारानी सवक्टोसरया ने वायिराय िै्ि डाउन को पत्​् सिखा. महारानी ने कहा, हािांसक मुि​िमानो् द्​्ारा की जा रही गौ हत्या आंदोिन का कारण बनी है, िेसकन हक़ीक़त मे्यह हमारे सख़िाफ़ है, क्यो्सक मुि​िमानो् िे कही् ज्यादा गौ वध हम कराते है्. इिके िसरये ही हमारे िैसनको्को गौ मांि मुहैया हो पाता है. आसख़री मुगि बादशाह बहादुर शाह िफ़र ने भी 28 जुिाई, 1857 को बकरीद के मौक़े पर गाय की क़ुब्ासनी न करने का फ़रमान जारी सकया था. िाथ ही चेतावनी दी थी सक जो भी गौ हत्या करने या कराने का दोिी पाया जायेगा, उिे मौत की ि​िा दी जायेगी. इिके बाद 1892 मे्देश के सवसभन्न सहस्िो्िे िरकार को हस्​्ाक्र् युकत् पत्​्भेजकर गौ हत्या पर रोक िगाने की मांग की जाने िगी. इन पत्​्ो् पर सहंदुओ् के िाथ मुि​िमानो् के भी हस्​्ाक्​्र होते थे. ऐिा नही् है सक बीफ़ सिफ़्क मुि​िमान ही खाते है्. गैर मुब्सिम भी बीफ़ खाते है्. सपि​िे सदनो् जाने माने असभनेता ऋ सि कपूर ने अपने ब्टवटर अकाउंट पर सिखा था सक मै्सहंदू हूं और बीफ़्खाता हू,ं क्या ऐिा करने िे मै्कम धास्मक स हो जाता हूं? यह बात भी गौर करने िायक़ है सक भारत मे्गाय और भै्ि दोनो्के ही गोक्त को बीफ़ कहा जाता है. बीफ़्सनय्ासतको्का कहना है सक भारत िे सनय्ासत होने वािा 'बीफ' गोमांि नही्, बब्लक भै्ि का गोक्त है. सपि​िे काफ़ी अरिे िे एक देशव्यापी असभयान चिाया जा रहा है, सजिमे् के्द् िरकार िे गाय को राष्​्ीय पशु घोसित करने और भारतीय गौवंश की रक्​्ा के सिए िख्त क़ानून बनाये जाने की मांग की जा रही है. गाय

इकलाख के पबरजन: कौन कसूरवार की रक्​्ा के सिए अपनी जान देने मे् भारतीय मुि​िमान सकिी िे पीिे नही्है्. उत्​्र प्​्देश के िहारनपुर सि​िे के गांव नंगिा झंडा सनवािी डॉ रासशद अिी ने गौ तस्करो् के सख़िाफ़ मुसहम िेड़ रखी थी, सजिकी वजह िे 20 अक्टूबर, 2003 को उन पर जानिेवा हमिा सकया गया और उनकी मौत हो गयी. उन्हो्ने 1998 मे् गौ रक्​्ा का िंकल्प सिया था और तभी िे डॉक्टरी का पेशा िोड़कर वह अपनी मुसहम मे्जुट गये थे. गौ वध को रोकने के सिए सवसभन्न मुबस् िम िंगठन भी िामने आये है्. दार्ि उिूम देवबंद ने एक फ़तवा जारी करके मुि​िमानो् िे गौ हत्या न करने की अपीि की थी. दार्ि उिूम देवबंद के फ़तवा सवभाग के अध्यक्​् मुती हबीबुर्सहमान का कहना है सक भारत मे्गाय को माता के र्प मे् पूजा जाता है. इिसिए मुि​िमानो् को उनकी धास्मसक भावनाओ् का िम्मान करते हुए गौ हत्या िे ख़ुद को दूर रखना चासहए. उन्हो्ने कहा सक शरीयत सकिी देश के क़ानून को तोड़ने का िमथ्सन नही् करती. क़ासबिे-गौर है सक इि फ़तवे की पासकस्​्ान मे् कड़ी आिोचना की गयी थी. इिके बाद भारत मे् भी इि फ़तवे को िेकर ख़ामोशी अब्खतयार कर िी गयी. दरअि​ि, भारत मे्गौ वध रोकने के सिए ईमानदारी िे कोसशश करने की िर्रत है. मुि​िमान गौ हत्या पर पाबंदी के िमथ्सन मे् आगे आएंग,े िेसकन गाय के चमड़े का कारोबार करने वािे क्या इि​िे हो रही मोटी कमाई िोड़ने के सिए तैयार है.् इि बात मे्कोई दो राय नही् सक गौ हत्या िे िबिे ज्यादा फ़ायदा गैर मुि​िमानो्को है और उन्ही्के दबाव मे्िरकार गौ हत्या पर पाबंदी नही्िगाना चाहती. n



मास् ट हेड देशकाल

वरैचलैव िी राह पर भाजपा

तशवानंद िद्​्वेदी

रतीय जनता पाट्​्ी की वेबिाइट पर ‘पाट्​्ी सवद ा ए सडफ़रे्ि’ का स्िोगन है. राजनीसत मे्खुद को औरो्िे अिग बताता भाजपा का यह स्िोगन वास्​्सवकता की किौटी पर सकतना खरा है, इिका मूल्यांकन जर्री है. आमतौर पर ित्​्ा की एकमात्​् सवचारधारा यही होती है सक उिकी कोई सवचारधारा नही्होती. क्या ऐिा ही कुि भाजपा के िाथ भी हो रहा है? क्या पूण्स बहुमत िे पहिी बार ित्​्ा मे् आने के बाद भाजपा का दिीय चसरत्​् बदि गया है? ये तमाम िवाि यू ही नही्उठ रहे बब्लक सपि​िे िाि भर मे्पाट्​्ी का चाि और चसरत्​्सजि तरह िे बदिा है. इि​िे इि तरह के िवाि उठने िासजमी है्सकि क्या पाट्​्ी सकिी नये मॉडि पर चिना शुर्कर दी है. 32 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

भाजपा अध्यक्​् असमत शाह के कुि बयानो् और भाजपा के अंदर चि रहे कुि प्​्सशक्​्ण असभयानो्के आधार पर अगर िमझने की कोसशश करे्तो वे तमाम बाते्िामने आती है् जो न सिफ्क इन िवािो् को पुख्ता करती है्, वरन पाट्​्ी के स्िोगन को भी झुठिा देती है्. अगर सपि​िे एक िाि मे् हुए भाजपा के घटनाक्​्मो् पर नजर डािे् तो राष्​्ीय अध्यक्​् बनते ही असमत शाह का पहिा बयान यही था सक उनका िक्​्य भाजपा को दुसनया की िबिे बड़ी पाट्​्ी बनाना है. बाकायदे इिकी शुर्आत उन्हो्ने प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी िे करायी थी. अध्यक्​्बनने के कुि महीने बाद ही यह घोिणा होती है सक भाजपा चीन की कम्युसनस्ट पाट्​्ी को पीिे िोड़ते हुए दुसनया की िबिे बड़ी पॉसिसटकि पाट्​्ी बन चुकी है. चीन की कम्युसनस्ट पाट्​्ी के कुि 8 करो्ड 4 िाख

बपछले साल भर मे्भािपा का चाल और चबरत्​्बिस तरह से बदला है, उससे इस तरह के सवाल उठने लाबिमी है बक क्िा पाट्​्ी ने वच्षस्ववादी मॉडल पर चलना शुर्कर बदिा है.

अबमि शाह: बवश्​् गुर् िनने का सपना िदस्यो् की तुिना मे् भाजपा के पाि सपि​िे माच्समहीने तक 8 करो्ड़ 79 िाख िदस्यो्होने का दावा सकया गया था. अब इि िंख्या को दि करो्ड़ के पार बताया जा रहा है. गौरतिब है सक ठीक इिी दौरान चीन मे्भी जोर-शोर िे पाट्​्ी िदस्यता असभयान चिाया जा रहा था. कही्न कही्भाजपा की यह दिीय सवकाि की रणनीसत चीन के कम्युसनस्ट मॉडि िे प्​्भासवत नजर आती है. इिी दरम्यान जुिाई 2015 मे्भाजपा अध्यक्​्असमत शाह ने भोपाि मे् आयोसजत एक काय्सकत्ास बैठक मे् कहा था सक भारत को सवश्​्गुर्का दज्ास सदिाने के सिए जर्री है सक अगिे पच्​्ीि िाि तक हर स्​्र के चुनाव मे्भाजपा को ही जीत समिे. इि बयान को भी अगर देखे् तो काफी हद तक वही चीन का कम्यसु नस्ट मॉडि नजर आता है जो चीन की कम्युसनस्ट पाट्​्ी की दिगत तानाशाही का


मॉडि है. यह अपने आप मे् एकदिीय प्​्भुत्व वािी चीनी कम्युसनस्ट मॉडि वािी िोच है सक भारत को सवश्​् गुर् तभी बनाया जा िकता है जब हर स्​्र(पंचायत िे प्​्धानमंत्ी तक) पर भाजपा की ही ित्​्ा हो! इि िोच को पूण्सतया िोकतांस्तक िोच तो कम िे कम नही् ही कहा जा िकता है. चूंसक यह एक वच्सस व् वादी प्व् सृ त होती है. इिके जसरये यह माहौि बनाया जा रहा सक वे जो कह रहे है् बि उिी मे्जनता का कल्याण है जबसक इिके इतर िोचने वािे जनता के सखिाफ है्. कुि ऐिी ही िोच ित्​्र के दशक मे्इंसदरा गांधी की थी. खैर, भाजपा का बदिता आचरण यो् ही क्​्समक सवकाि की स्वाभासवक पसरसणसत है, ऐिा कहना गित होगा. चीन के कम्युसनस्ट मॉडि िे प्​्भासवत होती सदख रही भाजपा की दिीय रणनीसत काफी हद तक िुसनयोसजत िगती है. अगर थोड़ा पीिे जाये्तो नवंबर 2014 मे् भाजपा नेता भगत सिंह कोक्यारी के नेततृ व् मे्13 िदस्यीय प्​्सतसनसध मंडि चीन गया था. इिमे् भाजपा के सथंक टै्क माने जाने वािे तर्ण सवजय आसद नेता भी थे. इि यात्​्ा मे्सवशेि जोर वहां के दिीय मॉडि को िमझने पर सदया गया. इिके बाद अभी हाि ही मे्भाजपा राष्​्ीय काय्सकासरणी की राष्​्ीय महािसचव(मोच्ास) िरोज पांडेय के नेतृत्व मे् भाजपा की मसहिा सवंग का एक दि चीन यात्​्ा पर गया था. अब तक के इसतहाि मे् शायद यह पहिी बार ही हुआ है सक फरवरी 2015 मे् चीन की कम्युसनस्ट पाट्​्ी के बड़े नेता वांग सजयार्ई भाजपा काय्ासिय आये और भाजपा अध्यक्​् असमत शाह िे मुिाकात की. उि चच्ास मे् भी

पाट्​्ी स्र् पर कई अहम बाते्एक दूिरे िे िाझा की गयी्. चीन की कम्युसनस्ट पाट्​्ी और भारत की भारतीय जनता पाट्​्ी के बीच सपि​िे एक िाि मे्तेजी िे बढ रहे पाट्​्ी स्​्र के िमन्वय और तमाम मुिाकातो्का िंबंध असमत शाह के तमाम बयानो् मे् िाफ़ नजर आ रहा है. चाहे् ‘कांग्ेि-मुक्त भारत’ की बात हो या हर स्​्र पर भाजपा की िरकार वािी बात हो, मामिा उिी एकदिीय व्यवस्था की तरफ इशारा करता सदख रहा है जो आज चीन मे्कायम है. कही्न कही् भाजपा अपने दिीय नीसत को चीन की कम्युसनस्ट पाट्​्ी की नीसतयो् पर िे जाती सदख रही है. चूसं क नीचे िे ऊपर तक हर स्र् पर एक ही पाट्​्ी की िरकार वािा मॉडि तो चीन की कम्युसनस्ट पाट्​्ी का ही मॉडि है! अगर आज भाजपा के राष्​्ीय अध्यक्​्इि मॉडि मे् भारत का सवकाि देख रहे है् तो यह कही् न कही् भारत के िोकतांस्तक मूल्यो् के सिहाज िे सचंताजनक है. इिमे्कोई शक नही सक भाजपा अब उि मॉडि की तरफ बढ रही है और बढने का मंिूबा बना चुकी है जो चीन की कम्युसनस्ट तानाशाही के करीब उिे िे जाता है. असमत शाह के इि रवैये िे भाजपा मे्िभी खुश है्ऐिा सबिकुि भी नही है. िोग नाराज भी है्, िेसकन जो नाराज है् वे हासशये पर भी है्. इि बाबत भाजपा के िबिे वसरि्​्तम िस्​्कय नेता िािकृष्ण अडवानी की ‘आपातकाि’ वािी सचंता को इिी दिीय व्यवस्था के िंदभ्स मे् िमझा जा िकता है. एक बयान मे् िािकृष्ण आडवाणी ने हाि ही मे् कहा था, ‘देश मे् राजनीसतक नेतृत्व पसरपक्व है, िेसकन इिमे् कुि कसमयो् के कारण वे आक्वस्त नही् है सक देश मे्आपातकाि दोबारा नही्िग िकता.’

हर हाि मे् िभी स्​्रो् पर ित्​्ा हासि​ि करने की होड़ मे् देश सिफ्क और सिफ्क चुनावी प्​्बंधन के मकड़जाि मे् फंिता जा रहा है. चुनावी प्​्बंधन की मजबूरी और हर चुनाव जीत िेने की सजजीविा ने कही् न कही् के्द् की िरकार को भी प्​्भासवत सकया है. के्द् मे् पूण्स बहुमत की िरकार होने के बावजूद कभी सबहार चुनाव तो कभी बंगाि चुनाव तो कभी यूपी चुनाव के दबाव मे् रहने की वजह वही मानसिकता है सक हम हर चुनाव जीत िे्! इि िोच को बदिना होगा. यह िोच और इि िोच का स्​्ोत भाजपा को चीन की कम्युसनस्ट पाट्​्ी मॉडि के करीब िे जाता है. भारत का िोकतांस्तक जनमानि इि दिीय नीसत को आज नही् तो कि जर्र खासरज कर देगा. अगर भारत के िोकतांस्तक मानि को इंसदरा का असतवादी चेहरा पिंद नही् आया तो वो मोदी को भी नकार िकता है. सजि कम्यसु नस्ट मॉडि िे आज भाजपा प्भ् ासवत सदख रही है उि मॉडि को भारत का बहुदिीय िोकतंत्कभी स्वीकार नही्करेगा. दूिरी ओर, वसरि्​् पत्​्कार राम बहादुर राय का कहना है, ‘असमत शाह के बयान को चीन के कम्युसनस्ट मॉडि िे जोड़ना ठीक नही्है. भारत मे्िंिदीय िोकतंत्है और ऐिे मे्ऐिा अंदेशा िगाना सक अगर हर स्​्र पर एक ही दि की िरकार हो तो यह चीन की कम्युसनस्ट तानाशाही जैिा है, उसचत नही् है. हर राजनीसतक दि की यह महत्वाकांक्ा हो िकती है सक वो अपना कैडर और जनाधार बढ्ाये, इि सिहाज िे अगर असमत शाह भी कोसशश करते है्तो इिमे्कोई बुराई नही्है.’ n

तुलना चीनी मॉडल से नही्

भािपा के राष्​्ीि महासबचव पी मुरलीधर राव से बातचीत: भाजपा के राषं​ंीय अधंयकं​ं अरमत शाह पाटं​ंी के कायंयकतंाय सतंमेलनों में कहते रहे हैं रक जब तक केंदं से लेकर पंचायत तक भाजपा नहीं आ जाती, तबतक भारत रिशं​ंगुरं नहीं बन सकेगा. कंया पाटं​ंी चीन की कतंयुरनटंट पाटं​ंी के मॉडल पर जा रही है ? देरखए, ये सिाल पूरी तरह से गलत और बेबुरनयाद है. भारत में संसदीय वंयिटंथा है. अरमत शाह जी का बयान पाटं​ंी के राषं​ंीय अधंयकं​ं का बयान है जो रक रसफंफ अपनी पाटं​ंी के रिसं​ंार से संबंरित है. इसकी तुलना चीन के कतंयुरनटंट पाटं​ंी के मॉडल से नहीं की जा सकती. रपछले साल भर में चीन की कतंयुरनटंट पाटं​ंी से कई नेता भाजपा कायंायलय आये और भाजपा के नेता भी गये. अचानक आयी इस नजदीकी की कंया िजह है ? पहली बात तो ये रक ऐसा कोई पहली बार नहीं हो रहा है. चीन की कतंयुरनटंट पाटं​ंी के लोग या हम रमलते हैं तो कई रिरयों पर बात होती है.

हम अपने लोकतांरंिक मूलंयों, वंयिटंथाओं के बारे में उनंहें बताते हैं. इसके अरतररकंत कैडर आरद से संबंरित बातें भी होती है. लेरकन इन मुलाकातों का यह कतं​ंई अथंय नहीं रक भाजपा कतंयुरनटंट पाटं​ंी के मॉडल को अपनाने जा रही है. तो रफर ‘कांगंेस मुकंत भारत’ कंया है ? इसका तो यही अथंय हुआ रक पूरे देश में केिल भाजपा का शासन हो. नहीं..‘कांगंेस मुकंत भारत’ का मतलब केिल भाजपा नहीं है. इसका अथंय उस राजनीरतक रिचारिारा से मुबंकत है जो आज भं​ंषंाचार का पं​ंतीक बन चुकी है. इसको एक दलीय सीमा में रखकर नहीं देखा जाना चारहए. शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 33


मास् नेपटालहेड उद्​्व प्याकुरेल

भू

कंप की त्​्ािदी िे सनपटने की कोसशश कर रहे नेपाि को अब भारत की ओर िे 'अघोसित नाकेबंदी' के चिते ई्धन, पसरवहन और कई अन्य असनवाय्स वस्​्ुओ् की सकल्ित का िामना करना पड़्रहा है. सवसभन्न प्क ् ार की वस्​्ुएं िेकर भारत िे नेपाि जाने वािे वाहनो् की कतार िीमा पर िगी रही क्यो्सक भारतीय िीमा के असधकासरयो्ने उनको नेपाि मे्प्​्वेश के सिए जर्री मंजूरी नही् दी गयी. इिके अिावा भारत िमय-िमय पर यह दोहराता रहा है सक िीमा पर वस्​्ुओ् और माि की नेपाि आपूसत् स मे्बाधा इिसिए हो रही है क्यो्सक मधेि पास्टियो्ने उग्​्प्​्दश्सन िेड़्रखा है. भारत इिके सिए खुद को सजम्मेदार नही् मानता. नेपािी और खाितौर पर िीमावत्​्ी क्​्ेत्ो्मे्रहने वािे नेपािी जो पसरब्सथसतयो् को प्​्त्यक्​् देख िकते है् उनके मन मे् भारत िरकार के औपचासरक बयान को िेकर पय्ासप्त शंका है. आसखर क्या वजह हो िकती है सक सवसभन्न वस्​्ुओ्िे िदे ट्​्को् को ककरसवत्​्ा, िोनौिी, नेपािगंज और महे्द्नगर मे् नेपाि िे िगने वािी िीमा पर रोक कर रखा गया जबसक इन जगहो्पर कही् कोई प्​्दश्सन नही्हो रहा. पसरवहन की अनावक्यक देरी और उनको सबना वजह रोकने की शुर्आत भारतीय िीमा प्​्बंधन असधकासरयो्ने उि वक्त शुर्की जब भारतीय सवदेश मंत्ािय ने 21 सितंबर को एक वक्तव्य जारी करके कहा, 'हमारी माि ढुिाई कंपसनयो् और पसरवहन कारोबासरयो् ने उन कसठनाइयो् को िेकर सशकायत दज्स करायी है जो उन्हे्नेपाि की िीमा मे्उठानी पड़्रही है्.' हकीकत मे्सकिी ट्​्क, टै्कर या अन्य पसरवहन कारोबासरयो् ने नेपाि की िीमा मे् सकिी तरह की कसठनाई की सशकायत नही् दज्स करायी. बब्लक ई्धन और अन्य वस्​्ुएं िादकर नेपाि की िीमा मे् पहुंचने की प्​्तीक्​्ा कर रहे ट्​्को् और टै्करो् को इंतजार मे् ही डर िगा हुआ है क्यो्सक उनमे् िे असधकांश नेपािी पसरवहन कंपसनयो् के है्. असधकांश भारतीय 'नेपाि सवशेिज्​्ो्' ने भी अपने समत्​् राष्​् के प्​्सत भारत िरकार के रवैये पर प्​्क्न सचह्न िगाने के बजाय नेपाि मे्बढ्ती भारत सवरोधी भावना को िेकर ही सचंता जतानी शुर्कर दी. उन्हो्ने यह िमझने की जहमत नही् उठाई सक एक बार िाव्सजसनक जीवन अस्​्व्यस्​् हो जाने के बाद नेपाि के पाि परदे के पीिे िे काम कर रहे देश की आिोचना करने के अिावा कोई और रास्​्ा नही्था. न केवि िंसवधान िागू होने के बाद मधेिी दिो् के सवरोध प्​्दश्सन मे् भारत का प्​्त्यक्​्अप्​्त्यक्​् िंबंध था बब्लक िीमा पर पसरवहन 34 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

नाकेबंदी के नननितारंथ रोककर नेपाि के िोगो् के दैसनक जीवन को कसठन बनाने मे् भी उिकी अहम भूसमका थी. यही वजह है सक नेपाि के िोग मांग कर रहे थे सक या तो भारत अघोसित नाकेबदं ी खत्म करे या िन 1989 की तौर पर घोसित नाकेबंदी करे. इि बीच कहा यह भी जाता है सक 4 अक्टूबर को भारत िरकार ने अपनी एजेसियो् को यह िुसनस्​्ित करने को कहा सक नेपाि को होने वािे सनय्ातस और वहां िे आने वािे आयात को िुगम बनाया जाये. पेट्ोसियम पदाथ्​्ो की आपूस्तस पहिे ही यानी 2 अक्टूबर िे ही िुगम कर दी गयी थी और 4 अक्टूबर तक उिे और आिान ही होना था. नेपाि की राष्​्ीय िमाचार िेवा आरएिएि ने यह बात भारतीय राजदूत रंजीत राय के हवािे िे िापी थी. भारत ने 'अनासधकासरक नाकेबंदी' खत्म करने का जो फैि​िा सकया है वह स्वागत योग्य है क्यो्सक अगर ऐिा कुि सदन और चिता रहता तो दोनो् ही मुल्को् के सिए अच्िा नही् होता. बहरहाि जो िोग भारत को एक समत्​् राष्​् के र्प मे् देखना चाहते है् उन्हे् इि पूरे वाकये का दोि मोदी िरकार की नीसत को देना होगा. सदल्िी मे् अनेक िोगो् का मानना है सक

भारत और खाितौर पर प्​्धानमंत्ी मोदी नेपािी नेतृत्व की धोखाधड़्ी िे नाराज थे. सदल्िी और काठमांडो मे् मोदी िे मुिाकात के दौरान यह वादा सकया गया था सक िंसवधान के व्यापक मासिकाने और स्वीकाय्सता की व्यवस्था की जाएगी. अगर ऐिा है तो यह प्ध ् ानमंत्ी मोदी की भावनात्मक प्​्सतस्​्कया है सजिमे् राजनीसतक जसटिताओ्की अनदेखी की गयी है. मुझे िगता है सक बड़्ेराजनीसतक दिो्के नेताओ् के पाि सबना सकिी देरी के िंसवधान घोसित करने की वजह रही होगी. इिके पीिे दिीि यह थी सक नेपाि के नेतृत्व िे राष्​्ीय और अंतरराष्​्ीय मंच पर िगातार यह िवाि पूिा जा रहा था सक क्या उिकी दूिरी िंसवधान िभा नया िंसवधान िाने मे् कामयाब हो िकेगी? नेतागण जनता के दबाव मे्थे क्यो्सक अतीत मे् भी अपनी जुबान पर कायम नही् रह िके थे. एक बार जब उनको उसचत प्​्स्कया के जसरये िंसवधान को पासरत करने की िंभावना नजर आयी तो उन्हो्ने इिे नया िंसवधान िागू करने के सिये स्वस्णसम अविर माना. वास्​्व मे् मुख्य धारा के नेता भारत और देश के अन्य सहस्िो् िे िगातार बढ्ते दबाव के चिते इि


िारि-नेपाल सीमा: र्के हुए ट्​्क

संबवधान के मुद्े पर नेपाल की अघोबरत नाकेबंदी करना भारत की बवदेश नीबत की अपबरपक्वता ही दश्ाषता है और इससे नरे्द् मोदी के नेपाल मे्अलोकब्​्पि होने की आशंका है. प्​्स्कया को दो सदन और टािने के सिए राजी हो गये थे तासक सवरोध प्​्दश्सन कर रहे मधेिी नेताओ् िे बातचीत की जा िके िेसकन जब कोई मधेिी नेता बातचीत के सिए तैयार ही नही् हुआ तो इि प्​्स्कया को आगे बढ्ा सदया गया. इिके अिावा भी मुख्य धारा के दिो् िे इतर ऐिी कुि नयी पहि नजर आ रही थी्सजनका मकिद िंसवधान सनम्ाण स की प्स्​्कया को िीसमत करना था. अब अगर इिमे् आगे और देरी की जाती तो नेताओ् को अपने ही अनुयासययो् का सवरोध िहन करना पड़् िकता था. इिके अिावा उनको िंसवधान को पासरत करने के सिये असनवाय्समत भी हासि​ि नही्हो पाते. 15 मई 2012 का उदाहरण िेते है्जब 11 प्​्ांतो्के िंघीय मॉडि पर िहमसत बनी थी िेसकन 27 मई 2012 को सबना इिके पासरत हुए िंसवधान िभा ही भंग करनी पड़्ी. वास्​्व मे्चीजे्हमेशा नेपाि के कुि शीि्स नेताओ के हाथ मे् नही् रहे्गी क्यो्सक िंसवधान िभा मे् कुि 601 िदस्य है् सजनमे् कई िमूह और राजनीसतक सवचारधाराएं शासमि है्. कुि और सदन की प्​्तीक्​्ा और 100 फीिदी मांग पूरी करने वािे के िाथ होने की कामना िंसवधान िभा के पुराने

सवफि इसतहाि को ही दोहराती. प्​्धानमंत्ी मोदी को इि बात की अनदेखी नही् करनी चासहये सक राजनीसत एकदम िरि और हमेशा नेतृत्व के सनयंत्ण मे्नही्रहती. ऐिी खबरे्भी आयी् सजनके मुतासबक भारत ने नेपाि के िंसवधान के सिए िात सबंदुओ् वािी अनुशंिा की थी. उनमे् िे एक का िंबंध आबादी के आधार पर िंिदीय क्​्ेत्के सनध्ासरण िे था. मुझे अभी भी िंदेह है क्या भारत, सजिके यहां आंध् प्​्देश के मिकानसगरी मे् 29.53 िाख मतदाताओ्वािा िबिे बड़्ा िंिदीय क्​्ेत्और िक्​्द्ीप मे् 47,972 मतदाताओ्, दमन और दीव मे् 1.02 िाख मतदाताओ् और िद्​्ाख मे् 1.59 िाख मतदाताओ्जैिे िोटे िंिदीय क्​्ेत् मे् है्, ऐिे मे् वह नेपाि को सवकाि के भौगोसिक अिंति ु न की अनदेखी करते हुए इि मॉडि को अपनाने का िुझाव भिा कैिे दे िकता है? यह दिीि दी जा िकती है सक इि िंसवधान की कई िीमाएं है्. बहरहाि इिके बावजूद इिमे् बहुपाट्​्ी व्यवस्था, सवके्द्ीकरण और िमावेशन के सिए िंघीय ढांचा आसद कई िोकतांस्तक सिद्​्ांतो् का पूरा ध्यान रखा गया है. कई मायनो् मे् यह दस्​्कण एसशया के प्​्गसतशीि िंसवधानो्मे्िे एक है क्यो्सक इिमे् हासशये के िभी वग्​्ो् को आनुपासतक प्स्तसनसधत्व सदया गया है. िव्​्ोच्​्सवधायी िंसथ ्ा मे् मसहिाओ् के सिये 33 फीिदी आरक्​्ण की व्यवस्था की गयी है. अब यह नेपािी नेतृत्व का उत्​्रदासयत्व है सक वह पहि करके मधेिी िोगो् को बातचीत के सिए और नये िंसवधान को स्वीकार करन के सिए तैयार करे. उन मांगो् को स्वीकार सकया जाना चासहये सजनमे् कहा गया है सक िंिारी और मोरांग की ग्​्ाम सवकाि िसमसतयो् को मधेि प्​्ांत मे् शासमि सकया जाये. इिके अिावा अंसतम फैि​िे के पहिे उच्​् स्​्रीय िंघीय पसरिीमन आयोग को भी इि पर सवचार करना होगा. जहां तक िंिदीय क्​्ेत्ो् के पसरिीमन का िवाि है तो िरकार ने कहा है सक वह पहिे ही एक िंशोधन प्स ् ्ाव तैयार कर चुकी है तासक 2007 के अंतसरम िंसवधान के अनुर्प आबादी को िंिदीय सनव्ासचन क्​्ेत् के सनध्ासरण मे्अहम आधार बनाया जा िके. ऐिी िगता है सक आम मधेिी िोगो्को भडक़ाने के सिये उन्हे् िंिदीय प्​्ावधान के बारे मे्ं भ्​्समत सकया गया है तासक उनको नये िंसवधान के सखिाफ सवरोध प्​्दश्सन के सिए तैयार सकया जा िके. मै्ने खुद राउतहाट, बारा और िरिाही मे् कुि मधेिी युवाओ् िे बात की और पाया सक अनेक मधेिी सवरोध प्​्दश्सन मे्तब शासमि हुए जब उनिे कहा गया सक एक नेपािी सपता और सवदेशी माता की िंतान को नेपाि का नागसरक

नही् माना जायेगा. चूंसक िांस्कृसतक और भौगोसिक नजदीकी के चिते नेपासियो् और भारतीयो् के बीच सववाह आम है इिसिये यह मि​िा काफी िंवेदनशीि हो गया. यह प्​्मुख राजनीसतक दिो्और िरकार की जवाबदेही है सक वे िोगो् तक जाये् और नागसरकता के बारे मे् िंवैधासनक प्​्ावधानो् को स्पष्​् करे्. अगर नये िंसवधान की बात करे् तो अनुच्िेद 11 (2बी) कहता है सक कोई भी व्यब्कत सजिकी माता अथवा सजिका सपता उिके जन्म के िमय नेपाि का नागसरक है वही् अनुच्िेद 11.4 कहता है सक नेपाि मे् समिने वािा हर बच्​्ा, अगर उिके माता-सपता का पता नही्है उिे तब तक नेपाि का नागसरक माना जायेगा जब तक सक उिके मां-बाप का पता नही्चि जाता. िाफ कहा जाये तो िंबे िमय िे नेपाि के उच्​् वग्स ने यह प्​्वृस्त पाि रखी है सक वह सकिी भी दुभ्ासग्यपूण्स घटना के अविर पर आरोसपत करने के सिये कोई न कोई बहाना तिाश करता है और भारत का इस्​्ेमाि इि काम के सिये बहुत िंबे िमय िे सकया जा रहा है. बहरहाि, एक धड़्ा और भी है जो यह मानता रहा है सक अगर हम अपनी व्यवस्था दुर्स् रखे् तो कोई सवदेशी ताकत, प्​्भाव या घुिपैठ नही्होगी. हािांसक हासिया घटनाओ्ने सजिमे् भारत द्​्ारा अघोसित आस्थसक नाकेबंदी भी शासमि है, ने नेपािी सवद्​्ानो्और काठमांडो के बुज्सुआ वग्सके ऐिे ध्​्ुवीकरण को कम करने मे्मदद की है. दूिरे शल्दो्मे्कहा जाये तो मोदी िरकार ने नेपाि के नये िंसवधान मे्अपनी राय शासमि करवा पाने मे् सवफिता के बाद जो अघोसित नाकेबंदी के र्प मे् जो अपसरपक्वता सदखायी उिने इि िहज नजसरये को कमजोर सकया है सक 1800 सकमी की खुिी िीमा के िाथ भारत नेपाि का सनकटस्थ पड़्ोिी है और उिे पूरा असधकार है सक वह नेपाि की िंप्भुता,उिकी भावनाओ्और मानसिकता का ध्यान रखते हुए अपनी िुरक्​्ा िंबध ं ी सचंताओ्िे उिे अवगत कराये. भारत को अगर नेपाि के नये िंसवधान िे िुरक्​्ा िंबंधी कोई खतरा महिूि हो रहा है तो उिे यह बात स्पष्​्करनी चासहये. इि मामिे मे्नेपाि को भी समत्​्पड़्ोिी राज्य की सचंताओ् को अनदेखा नही् करना चासहये. िेसकन जैिा सक भारतीय मीसडया और सवद्​्ान कह रहे है्, अगर मामिा केवि प्ध् ानमंत्ी मोदी की भावनाओ्के आहत होने का है तो उन्हे् खुद यह आत्माविोकन करना चासहए सक वह इि अपसरपक्व नीसत के चिते नेपाि मे्अपनी नायक की िसव को ध्वस्​्कर िकते है्. अभी भी भारत और प्​्धानमंत्ी मोदी n के सिए बहुत देर नही्हुई है. (िेखक काठमांडो सवश्​्सवद्​्ािय मे्राजनीसतक िमाजशास्​्पढ्ाते है्.)

शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 35


उत् मास्​्रटप्​्दहेडेश

संगीि सोम उमा िारिी के साथ: िाहर कुछ िीिर कुछ

नफंरत के िुरों का िंगीत संगीत सोम ने प्​्बतबदन पांच हिार पशु रोि काटने की अनुमबत मांगी थी. िह मामला सामने आने के बाद से भािपा बैकिुट पर है तो संगीत सोम इस मामले पर सिाई देते नही्थक रहे. संजय शम्ा​ा

दा

दरी मे्अखिाक की मौत के बाद सहंदुत्व और गोमांि पर सि​िायत करने वािे भाजपा सवधायक िंगीत िोम पर आरोप है सक कभी वह खुद मांि का व्यापार करने के इच्िुक थे. इिके सिए िोम ने बकायदा अिदुआ कंपनी बनाकर स्िॉटर हाउि बनाने की अनुमसत मांगी थी. िंगीत िोम ने प्​्सतसदन पांच हजार पशु रोज काटने की अनुमसत मांगी थी. यह मामिा िामने आने के बाद िे भाजपा बैकफुट पर है तो िंगीत िोम इि मामिे पर िफाई देते नही् थक रहे. कुि भी हो इि मामिे ने िमाजवादी पाट्​्ी को बैठे-सबठाया एक मुद्ा दे सदया है. िंगीत िोम के मामिे पर िपा का कहना है सक भाजपा के नेताओ्के दोहरे चसरत्​्है्. एक तरफ वह पशु काटने को िेकर पूरे देश मे् िांप्दासयक तनाव फैिाना चाहते है् तो दूिरी ओर खुद पशुओ् को काटने के कारोबार िे 36 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

जुड़न् ा चाहते है.् ऐिा नही्है सक िंगीम िोम पर पहिी बार कोई आरोप नही् िगा है. मुजफ्फरनगर मे् हुए दंगे मे् िंगीत िोम पर आरोप था सक उन्हो्ने दंगा भड़्काने का काम सकया था. इिी दंगे के बाद ही िंगीत िोम का कद बढ्ा. िोम के सखिाफ फज्​्ी वीसडयो अपिोड करने और दंगा भड़्काने के आरोप मे् राष्​्ीय िुरक्​्ा असधसनयम के तहत मामिा दज्स हुआ था. हािांसक बाद मे् एडवाइजरी बोड्स के आदेश के बाद रािुका हटा िी गयी थी. मगर उन्हे् िंबा िमय जेि मे् गुजारना पड़्ा. इिके अिावा िोम पर फज्​्ी सडग्​्ी रखने का भी आरोप है. गौतमबुद्नगर सनवािी देवे्द्ने कहा था सक िंगीत िोम दिवी् मे् फेि हो गये थे, जबसक चुनाव िड़्ने को सदये गये हिफनामे मे्उन्हो्ने खुद को स्नातक बताया है. इन िोटे-मोटे आरोपो् िे िंगीत िोम का कुि नही् सबगड़्ा, िेसकन इि बार के िगे आरोपो् ने भाजपा के कई बड़्े नेताओ् की नी्द उड़्ा दी है. िोम पर


यह आरोप िमाजवादी िात्​् िभा के प्​्देश अध्यक्​्अतुि प्ध ् ान ने िगाया है. अतुि प्ध ् ान ने इि व्यविाय को शुर् करने िे िंबंसधत कागजात िीएम असखिेश यादव को िौ्प सदया है. दस्​्ावेज के मुतासबक िंगीत िोम ने स्िॉटर हाउि खोिने के सिए अिीगढ्मे्िाि 2005 मे् करोड़्ो् र्पये की जमीन खरीदी थी. इनकी खिौनी मे् अल-दुआ और संगीि सोम का उल्लेख

अल-दुआ कंपनी से संिंबधि दस्​्ावेज कंपनी अि-दुआ फूड प्​्ोिेसिंग प्​्ाइवेट सिसमटेड के डायरेक्टर की हैसियत िे 23 जून 2013 को उनके नाम एक जमीन का दासखिखासरज भी हुआ है. िोम के कुि जमीन िौदो् की जांच िरकार करा रही है. यह बात और है सक जब िरकार ने िंगीत िोम को यह स्िॉटर हाउि खोिने की अनुमसत नही् दी तो उन्हो्ने यह जमीन बेच दी. इि मामिे के िामने आने के बाद िे िंगीत िोम के िाथ भाजपा की भी मुिीबत बढ् गयी है. िंगीत िोम आज सहंदुत्व के मुद्े के बि पर राष्​्ीय स्​्र के नेता बने बैठे है्. मुजफ्फरनगर दंगो्मे्सहंदुओ्की पैरवी करने के बाद ही चच्ास मे्आये और उिी के बाद वह खुद को सहंदुओ्का बड़्ा नेता स्थासपत करने मे् जुट गये. प्द् श े मे्जहां भी िांपद् ासयक तनाव की ब्सथसत पैदा हुई वहां िंगीत िोम ने जाकर आग मे् घी डािने का काम सकया. उनका यह फॉम्सूिा सहट भी रहा. इि​िे िोम का कद बढ्ता गया, तभी तो प्​्धानमंत्ी नरे्द्मोदी भी िोम पर मेहरबान हो गये. प्​्धानमंत्ी बनने के बाद नरे्द् मोदी को भी िंगीत िोम का यह उग्​्र्प पिंद आया, सिहाजा उन्हे्जेड श्ण ्े ी की िुरक्​्ा मुहयै ा करा दी गयी. अब िंगीत िोम तीन दज्सन िुरक्​्ा कस्मसयो्के िाथ रहते है्. भड़्काऊ भािण और सहंदुत्व की वकाित करने वािे िोम सवगत सदनो् दादरी के गांव सबिाहड़्ा भी पहुंच गये जहां गोमांि रखने के शक मे् अखिाक की पीट-पीट कर हत्या कर

दी गयी थी. इि गांव मे् उन्हो्ने सफर भड़्काऊ भािण देते हुए यूपी िरकार पर आरोप िगाया सक जानवरो्को काटने वािो्को िरकार हवाई जहाज िे िखनऊ बुिाती है. अब जब खुद पर मीट फैक्ट्ी िगाने का आरोप िगा है तो िोम िफाई देते सफर रहे है. िंगीत िोम पर िगे इन आरोपो् िे राजनैसतक हिको् मे् तापमान बढ् गया है, क्यो्सक इि िमय भाजपा पशु काटने को िेकर खािा हंगामा मचा रही है. िमाजवादी िात्​् िभा के प्​्देश अध्यक्​् अतुि प्​्धान ने स्िॉटर हाउि िे िंबंसधत कागज सदखाते हुए दावा सकया सक िंगीत िोम ने अिीगढ् मे् स्िॉटर हाउि खोिने के सिए भारी पैरवी की थी और करोड़्ो् की जमीन खरीदी थी. वह पांच हजार जानवर रोज काटना चाहते थे. उन्हो्ने आरोप िगाया सक दिवी्फेि िोम ने चुनाव आयोग को भी झूठा प्​्माण पत्​् सदया था. भाजपा सवधायक िंगीत िोम ने अपने ऊपर िगे आरोपो् का खंडन करते हुए कहा है सक उन्हो्ने कभी भी स्िॉटर हाऊि की अनुमसत नही्मांगी थी. िोम ने कहा सक उन्हो्ने अिदुआ कंपनी िे अिीगढ् मे् जमीन खरीदी थी और िह महीने बाद बेच दी थी. इिके बाद अिदुआ कंपनी ने इि जमीन पर क्या सकया n उन्हे्नही्पता.

कई कंपननयो्के ननदेशक सोम वासणज्य मंत्ािय के दस्​्ावेजो् के मुतासबक िंगीत िोम अिदुआ फूड प्​्ोिेसिंग प्​्ाइवेट सिसमटेड के सनदेशक पद पर 22 सदिंबर 2005 िे 27 माच्स 2008 तक रहे. इिके अिावा तेजि ऑयि कंपनी प्​्ाइवेट सिसमटेड के सनदेशक के तौर पर 5 सदिंबर 2006 िे बतौर सनदेशक है्. वह तेज सफल्म प्​्ोडक्शन प्​्ाइवेट सिसमटेड के सनदेशक का सजम्मा 12 फरवरी 2008 िे उठा रहे है्. अि-अनम फूड प्​्ाइवेट सिसमटेड के वह असतसरक्त सनदेशक है्. ल्िूसमंग सबल्डटेक प्​्ाइवेट सिसमटेड के भी सनदेशक पद पर तीन जून 2009 िे है्. तेजरसिता सबल्डि्स प्​्ाइवेट सिसमटेड के भी वह डायरेक्टर रहे है्. इनके अिावा वह 27 सदिंबर 2010 िे बाबा फे्स्बकेटि्स प्​्ाइवेट सिसमटेड िसहत यमुना ब्​्ेवरेज प्​्ाइवेट सिसमटेड के 18 फरवरी 2011 िे सनदेशक पद का सजम्मा िंभाि रहे है्. शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 37


बिहार

एक दूरगामी चुनाव

पटना मे् िाजपा और महागठिंधन का चुनावी प्​्चार: जाबि िनाम बवकास बनाम पीएम’ की धुरी पर होनेवािे आगामी बबहार मे्हो रहे बवधानसभा चुनावबसि्फबबहार नही्, बल्लक चुनावी िंघि्स का िंकेत यह है सक इिमे् देश के रािनैबतक भबवष्ि और सत्​्ा-रािनीबत की दृब्ि ‘सवकािवाद’ चुनावी मुद्ा बनेगा. इिमे् ‘सवकािवाद’ की दो अवधारणाएं आमनेऔर बदशा के बलए ‘टब्नि्ग पॉइंट’ साबबत हो्गे. िामने हो्गी. यह टक्​्र गत िोकिभा चुनाव इक् ी ् िवी् िदी का तीिरा चु न ाव है . इि िदी मे्कांग्ेि नीत यूपीए गठंबधन और भाजपानीत हेमंि के सपि​िे एक दशक मे् हुए दो चुनावो् (िाि राजग गठबंधन के बीच एक ही तरह के आस्थक स ह दोहराने की जर्रत नही्सक 20वी्िदी 2005 और 2010) िे यह िंकेत समि चुका सवकाि की ‘नीसत’ (आवारा पूंजी पर आधासरत मे् भारतीय िोकतंत् और िोकतांस्तक है सक ‘बीमार्’ िेसकन ‘जुझार्’ सबहार एक पूंजीवाद की उदारनीसत) पर दो खेमो् के बीच व्यवस्था के तहत ित्​्ा-राजनीसत मे् पसरवत्सन और मामिे मे् भी देश का िबिे बड़्ा की टक्​्र िे अिग होगी. इिे िमझना हो, तो इन नारो्िे िमझा जा और सवकाि के मद्​्ेनजर सबहार िबिे बड़्ी ‘प्​्योगस्थि’ बन चुका है. यह ‘राजनीसत का ‘प्​्योगशािा’ रहा है. िोकतंत् की ऐिी सवकाि’ नही्, बब्लक ‘सवकाि की राजनीसत’ िकता है. यूं यह आम अनुभव है सक चुनावी प्​्योगशािा जहां ‘ट्​्ायि एंड एरर मेथड’ का मामिा है. अब आगामी चुनाव के मद्​्ेनजर िोकतंत्मे्कई दावे या वादे सिफ्क‘जुमिे’ होते (जांच-परख की परीक्​्ण प्​्णािी) मे् गिती मुख्य प्​्सतद्​्ंस्दयो् यानी नीतीश-िािू के है्, िेसकन यह नही्भूिना चासहए सक चुनाव मे् करने की स्वतंत्ता पर कोई बंसदश नही्, जहां महागठबंधन और मोदी नीत एनडीए के जो सकिी भी पाट्​्ी या गठबंधन की नीसत नारो् मे् ् ट हो रहे है,् उि​िे यह िंकते व्यक्त होती है. इि चुनाव मे् यह स्पष्​् है सक गिती करने की िजा भुगतने िसहत खुद को रणनीसतक िूत्प्क समि रहा है सक सबहार सवधानिभा चु न ावएनडीए गठबंधन सबहार का चुनाव पीएम नरे्द् सनरंतर बदिने की स्वतंत्ता है. और, जहां कोई 2015 ‘सवकाि की राजनीसत’ के सिए ‘टस् न ् ि ग मोदी की ‘िसव’ के िहारे िड़्ेगा. इि िसव का पसरणाम ‘अंसतम ित्य’ नही्होता. बीिवी्िदी पॉइं ट ’ िासबत होगा. मुखय् नारा है – ‘िबका िाथ, िबका सवकाि’. के अंसतम तीन दशक मे् देश मे् हुए ‘राजनीसत सपि​िे दो चु न ावो् की तरह इि बार के दूिरी तरफ ‘महागठबंधन’ िीएम नीतीश के सवकाि’ का इसतहाि इि बात का भी गवाह है सक सबहार मे् हुए चुनाव सिफ्क सबहार नही्, चुनाव मे्भी सकिी गठबंधन के सिए ‘सवकाि’ कुमार की ‘िसव’ के िहारे िड़्ेगा, सजिका बब्लक देश के राजनैसतक भसवष्य और ित्​्ा- चुनावी मुद्ा नही्है, यह कहना गित नही्, तो मुख्य नारा है ‘िामासजक न्याय के िाथ राजनीसत की दृस्ष और सदशा के सिए ‘टस्नि्ग िही भी नही् है, क्यो्सक मुख्य प्​्सतद्​्ंद्ी सवकाि.’ गठबंधन- नीतीश-िािू के महागठबंधन और पांच चरण मे्होने वािे चुनाव की घोिणा पॉइंट’ िासबत हुए. आगामी सबहार सवधानिभा चुनाव-2015 मोदी नीत राजग (एनडीए) - के बीच ‘िीएम होते ही यह नजारा आम हो चुका है सक कई

38 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015


गठबंधनो् मे् शासमि होने के बावजूद िभी पास्टियां अपनी हैसियत और मुद्ो् का आकिन जासतगत आधार पर तािमेि के िाथ अपने वोट बै्क के सहिाब-सकताब िे करने िगी है्. आस्थसक-िामासजक और िांस्कृसतक सवसवधताओ्के आधार पर उत्​्र और दस्​्कण मे् बंटे सबहार के सिए पाट्​्ी नेताओ् की व्यब्कतगत िसव इन चुनावो् मे् ज्यादा अिरदार रहेगी. इिके सिए जासतगत ध्​्ुवीकरण के नये फाम्सूिे बनाने और कई पुराने समथको् को तोड़्ने की कोसशश हो रही है. इन नये-पुराने फाम्सूिो् के तहत अगड़्ा-सपिड़्ा भी बड़्ा मुद्ा है. भाजपा नीत एनडीए गठबंधऩ मे् रामसविाि पािवान की िोक जनशब्कत पाट्​्ी तीन दिो् मे् िबिे बड़्ा घटक है्. रामसविाि का राजनीसत मे्कदम अगड़्ावाद के सवरोध के तौर पर हुआ, िेसकन उनकी पाट्​्ी का सवकाि सपिड़्ावाद की चुनावी रणनीसत िे हुआ. िमाजवादी कप्सूरी ठाकुर और उनके अगड़्ेसपिड़्ेिहयोगी नेताओ्ने रामसविाि को दसित चेहरा बनाकर राजनीसत मे् पोसित सकया. िाि 1977 मे् हाजीपुर िुरस्​्कत िीट िे िोकिभा िीट िे सरकाड्स मतो् िे जीते, तो रामसविाि पािवान अगड़्ा-सपिड़्ा वच्सस व् की राजनीसत मे् नये दसित नेता बनकर उभरे. बहरहाि, सबहार की चुनावी राजनीसत के िंदभ्स मे् दो तथ्य ऐिी वास्​्सवकताएं बन चुके है्, सजन्हे् अब नजरअंदाज नही् सकया जा िकता. एक यह सक ‘अगड़्ा वच्सस्व’ की िसव िेकर कोई पाट्​्ी या गठबंधन सबहार मे्अब ित्​्ा पर कल्जा की कल्पना नही् कर िकता. दूिरा तथ्य यह सक सबहार के 243 मे्ऐिे सवधानिभा क्त्े ्ो्की िंखय् ा कम है, जहां कोई प्त्य् ाशी सिफ्क अगड़्ा या सिफ्क सपिड़्ा वोट िे अपनी जीत पक्​्ी कर िके. सिफ्कभूसमहार या सिफ्कराजपूत, सिफ्क यादव या कुम्ी-कोइरी या सफर सिफ्क

अल्पिंख्यक के वोट पर सनण्ासयक मानी जा िकनेवािे सवधानिभा क्​्ेत्ो्की िंख्या 5 िे 15 होते-होते दम तोड़्ती नजर आती है्. और, सिफ्क इतनी िीटो्की िंख्या के बि पर जासत सवशेि पर आधासरत या सनभ्सर पाट्​्ी, गठबंधनीय ित्​्ाराजनीसत मे्सनण्ायस क भूसमका नही्सनभा िकती. सबहार की चुनावी राजनीसत मे् चुनावी रणनीसत के तौर पर कभी ‘ब्​्ाह्मण-मुब्सिमदसित’ तो कभी ‘भूसमहार-राजपूत-ब्​्ाह्मणिािा’, कभी ‘सपिड़्ा-अल्पिंखय् क-दसित’ तो कभी ‘माइनासरटी-यादव’ (माय) और कभी ‘गैरयादव सपिड़्ा-असतसपिड़्ा-अगड़्ा’ के फाम्ि सू े आजमाये जाते रहे है.् सफर भी दसितो्के वोट आरस्​्कत क्​्ेत्ो् मे् सनण्ासयक माने जाते रहे है्, िेसकन इनका सकिी के पािे मे् जाना जीत पक्​्ी करना माना जाता है. इि चुनाव मे् जीतनराम मांझी ने ‘हम’ की स्थापना िे इन तबको्को और बि समिा है. भिे ही मांझी कोई बड़्ा बदिाव नही्िाये िेसकन वह दसित चेहरे के तौर िाख को जर्र मजबूत करते है्. वैिे, सबहार मे् मतदाताओ् की जासतगत िीमाओ् मे् सवभासजत मानसिकता के आकिन का अथ्स अब यह नही् रहा सक उन जासतयो् के एकमुक्त वोट प्​्सतशत का सहिाब िगाकर कोई पाट्​्ी अपनी जीत का पक्​्ा अनुमान कर िकती है. सकिी एक जासत को पाट्​्ी का ‘वोट बै्क’ मानकर उिके िारे वोट उिी की झोिी मे् पहुंचने की कल्पना करना अब आिान नही्है. सपि​िे दो चुनावो् के पसरणामो् ने इि कल्पना को ही बेमानी करार सदया. सपि​िे चुनावो्के पसरणामो्िे िाफ है सक सिफ्कसबहार जैिे ‘सपिड़्’े प्द् श े के ित्​्ा-केद् ्मे् नही्, बब्लक गुजरात जैिे सवकसित राज्य िसहत देश के के्द्ीय ित्​्ा-के्द् मे् कई ऐिे आस्थसक और िामासजक-राजनीसतक तत्व सवकसित हो चुके है्, जो न सिफ्क चुनाव पर गहरा अिर िाजपा का चुनाव अबियान: प्​्चार पर जोर

डािते है्, बब्लक देश के ‘िोकतंत्’ पर िवासिया सनशान िगा देते है.् ‘इमरजेि ् ी’ जैिी दुघ्सटना इिका प्​्माण है. ‘इमरजे्िी’ इि ित्य का असमट िंकेत है सक हमारे देश की िोकतांस्तक राजनीसतक व्यवस्था मे्तानाशाही के बीज पनपने के सिए ‘स्पेि’ 1975 के पूव्स मौजूद था. वह कैिा स्पेि था? क्या वह स्पेि अब िमाप्त हो गया? इिके सिए यह याद सदिाना प्​्ािंसगक होगा सक 1947 मे्देश ने स्​्बसटश गुिामी िे मुबक् त को अपनी आजादी की प्​्थम किौटी मानी, और उि आजादी को ‘िोकतंत्’ के र्प मे् बरतने का िंकल्प व्यक्त सकया. इिके सिए वोट िे बहुमत की िरकार कायम करने को पहिी आवक्यकता और जर्री शत्समानी गयी. उिमे् िोकतंत् की िुरक्​्ा और स्थासयत्व के सिए ‘राज्य’ िंस्था िे असधक बहुमत की ‘िरकार’ का मान था. िेसकन आजादी के 15-20 िाि बाद ही गांधी, िोसहया और जयप्​्काश जैिे नेताओ्के िपने और राजनीसतक-सचंतन के सवपरीत ित्​्ाराजनीसत पर कासबज राजनीसतज्​्ो्मे्यह धारणा मजबूत होने िगी सक ‘िोकतंत्की िुरक्​्ा और स्थासयत्व के सिए ‘राज्य’ िंस्था को मुख्य गारंटीकत्ास होना होगा. स्टेट होगा तो िरकार बनेगी. सिफ्क िरकार बनाना न राज्य के स्थासयत्व और न ही िोकतंत् की ब्सथरता की गारंटी है. स्थायी और ब्सथर राज्य िंस्थागत िोकतंत् का िबिे प्​्ामासणक और वस्​्ुसनष्​् र्प होगा.’ हािांसक आजादी के िंघि्समे्अपना िव्सस्व न्यौिावर करनेवािे िोसहया और जयप्​्काश नारयण और उनके िहयोगी इि धारणा को सनरंतर चुनौती देते रहे. वे ‘िोकतंत’् के सिए ऐिे सकिी भी ‘तंत्’ की भूसमका को िीसमत मानते थे जो ‘िोक’ की िुरक्​्ा के नाम पर खुद को स्थायी और ब्सथर बनाने के असधकारो् िे िैि करता है. वे सकिी भी ‘तंत्’ को ऐिी अबाध ताकत िे िैि करने की राजनीसतक प्​्स्कया के सवरोधी रहे जो अपनी ब्सथरता और स्थासयत्व के एवज मे्‘िोक’ को प्​्त्यक्​् या अप्​्त्यक्​् ढंग िे कमजोर मानने या बनाने की प्​्वृस्त को पुख्ता करे. ऐिे मे् ‘िीएम नीतीश कुमार बनाम पीएम नरे्द् मोदी’ की धुरी पर होने वािे इि सबहार चुनाव मे् तय मासनए सक यह िवाि गूंजेगा ही गूंजेगा सक क्या इसतहाि के उि आईने मे्वत्समान कांग्ेि के परासजत ‘इंसदरावाद’ और भाजपा के सवजयी ‘मोदीवाद’ मे्कोई फक्कनजर आता है? अगर नही्, तो यह कैिे माना जा िकता है सक हमारे देश के िोकतंत्की जमीन पर तानाशाही के बीज कभी नही्पनप िकते या सक आइंदा इमरजे्िी जैिी कोई दुघ्सटना नही् होगी? n शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 39


बिहार

चुनाव प्​्चार करिे नीिीश कुमार: लहर उठाने की कोिशश

िांटे िा है मुकैाबिा

बबहार बवधान सभा चुनाव मे्अभी तक बकसी की कोई लहर नही्है, हालांबक बहुमत हाबसल करने के दावे रािग और महागठबंधन दोनो्की ओर से लगातार बकिे िा रहे है्. धीरे्द् श्​्ीवास्​्व

िो

कनायक जयप्​्काश के नेतृत्व मे् पूरे देश को झकझोर देने वािे सबहार के सवधानिभा चुनाव मे् इि बार सकिी की िहर नही् है. इि बार गिाकाट चुनावी मुकाबिे मे् जदयू-राजद महागठबंधन और भाजपा नीत रागज गठबंधन आमने िामने है्. इिमे् कौन उन्नीि है, कौन बीि, सफिहाि कहना मुबक् कि है. इि िड़्ाई मे्तीिरे-चौथे मोच्​्ेऔर दूिरे दिो्को बड़्ा झटका िगना तय है. राज्य के दि सजिो् के 49 सवधानिभा क्​्ेत्ो् मे् 12 अक्टूबर को हुए मतदान के र्झान िे तो यही िग रहा है. आगे भी यही ब्सथसत रही तो इि बार सकिी गठबंधन को बहुमत के सिए जर्री 122 का आंकड़्ा पार करना मुब्ककि होगा. वैिे दावे दोनो् गठबंधनो् की ओर िे सकये जा रहे है् सक उनके पक्​् मे् अंडर करंट है. ये गठबंधन 40 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

जबरदस्​्बहुमत समिने का दम भी भर रहे है्. बारह अक्टूबर को सबहार के भागिपुर, बांका, मुंगेर, खगस्ड़या, शेखपुरा, िखीिराय, िमस्​्सपुर, बेगूिराय, जमुई और नवादा के 49 सवधानिभा क्​्ेत्ो्मे्मतदान हुआ. इि चुनाव मे् िहर का िव्ाससधक दावा करने वािी भाजपा के वसरि्​्नेता अस्​्शनी कुमार चौबे के पुत्अस्जसत शाश्​्त भागिपुर िे मैदान मे्है्. भाजपा िहर के िवाि पर जवाब मे्एक िामसजक काय्क स त्ास ने हंिते हुए कहा सक अस्​्शनी चौबे जी यहां के पुराने िोकस्​्पय नेताओ् मे् है्. भाजपाई खेमे मे् मुख्यमंत्ी पद के जबरदस्त दावेदार िुशीि मोदी और शाहनवाज हुिैन यहां िे िांिद रह चुके है्. आमतौर पर माना जा रहा है सक इि िमय व्यविायी भाजपा के िाथ है. इिके बावजूद भाजपा के राष्​्ीय अध्यक्​्असमत शाह को यहां के व्यिासययो्िे अपीि करनी पड़्ी सक वे िोग सनद्सि उम्मीदवारो् को वोट न दे्. यहां

सनद्सि उम्मीदवार भाजपा के बागी है्और शहर की राजनीसत मे् अहम भूसमका सनभाने वािे व्यविायी िमुदाय िे है. िहर के िवाि पर काय्सकत्ास ने कहा सक कोई िहर होती तो भारतीय जनता पाट्​्ी के राष्ट्​्ीय अध्यक्​्को इि स्तर तक नही्उतरना पड़्ता? िोजपा के पशुपसत पारि और हम के प्द् श े अध्यक्​्शकुसन चौधरी भी नामांकन िे मतदान तक अपने क्​्ेत् मे् त्​्ासह-त्​्ासह करते देखे गये. कांग्ेि के सदग्गज नेता िदानंद सिंह और राज्य के जि​िंिाधन मंत्ी सवजय चौधरी भी अपने क्​्ेत् मे् बने रहे. िूबे की सियाित मे् मजबूत दखि रखने वािे अब हम के नेता नरे्द् सिंह भी अपने दोनो् पुत्ो् के जीत के सिए सदन रात एक सकये है्. इिी तरह भागिपुर मे् भी सकिी पाट्​्ी को िेकर कोई खाि िहर नही् सदखी. बावजूद इिके मतदान के्द्ो्पर भारी भीड़्रही. वोट देने के सिए मारामारी की ब्सथसत और मेिे


भाजपा प्​्वक्ता शाहनवाज हुिैन की जैिा उत्िाह रहा. सबहार िे प्​्कासशत एक प्​्मुख अखबार के पत्​्कार ने कहा सक िूबे मे् पहचान पाट्​्ी मे् मुद्ो् को िोचकर िमझकर दिो् या गठबंधनो् को िेकर िहर भिे न हो, बोिने वािो् मे् है. वह प्​्ेम कुमार का नाम िेसकन मसहिाओ् मे् खाितौर पर वोट देने के मुख्यमंत्ी के र्प मे् अनायाि नही् उिािे है्. प्​्सत िहर है. पसरणाम हुआ 57 फीिद मतदान उन्हे्पता है सक सपिड़्ेऔर असत सपिड़्ेमतदाता जो पूव्स सवधानिभा चुनाव की तुिना मे् कही् गोिबंद रहे् तो वह सबहार मे् सकिी को टक्कर असधक है. िव्ाससधक 61 फीिदी मतदान दे िकते है्. इनके िाथ मुि​िमान और अन्य खगस्ड़या मे् हुआ. मतदान को िेकर दोनो् वोट जुटने के बाद तो यह िमीकरण चुनावी गठबंधनो्की िेनाएं और िेनापसत उत्िासहत है्. हसथयार के तौर पर काफी मजबूत हो जाता है. इि क्​्ेत्के 33 सवधानिभा क्​्ेत्ो्पर जदयू और इिमे् दो राय नही् है सक िािू और राबड़्ी के राजद का कल्जा है. इिसिए बढ्े हुए वोट को शािन काि मे्सबहार की कानून व्यवस्था तारअपना मानकर महागंठबंधन के िोग थोड़्े तार रही, िेसकन यह भी िच है सक िािू-राबड़्ी ज्यादा खुश है्. इिे मतदान फीिद को िेकर के 15 िाि के शािन मे् सपिड़्ी जासतयो् को उत्िाह भाजपाइयो् मे् भी है िेसकन िोकिभा राजनीसत मे् भागीदारी समिी. इिी आंदोिन िे चुनाव जैिा नही् है. इि वजह िे राजनीसतक सनकिने वािे नीतीश कुमार ने इि भागीदारी को अपने काय्सकाि मे्बहाि रखने के िाथ ही दि ज्यादा चुप्पी मे्है्. बहरहाि, इिी वोट के आधार पर ज्यादा सपिड़्ो को भी अिग िे अविर सदया. राजनीसत मे् मौिम वैज्ासनक के नाम िे उन्हे् मुख्यधारा मे् िाने का प्​्याि सकया. इि िोकस्​्पय के्द्ीय मंत्ी रामसविाि पािवान ने चुनाव मे्िािू और नीतीश दोनो्एक िाथ है्. कहा है सक नीतीश और िािू अपना सबस्​्र इनके िाथ ये मतदाता भी िामबंद होकर बांध िे. जनता ने उन्हे्हटाने का िंदेश दे सदया मतदान सकये तो इि चुनावी युद् मे् इन्हे् नही् है. राजद प्​्मुख िािू प्​्िाद ने कहा है सक हम हराया जा िकता है. प्​्ेम कुमार गया िे आठ 180 िीट जीतने जा रहे है्. मुख्यमंत्ी नीतीश बार सवधायक रह चुके है्. नीतीश और िािू के कुमार ही रहे्गे. होगा क्या? यह तो मतगणना िाथ िामबंद सपिड़्ी और असत सपिड़्ी जासतयो् के बाद पता चिेगा. सफिहाि कैमूर, रोहताि, मे्िम्मानजनक नजर िे देखे जाते है्. खाितौर अरवि, जहानाबाद, औरंगाबाद और गया मे् िे गया और उिके आिपाि के क्​्ेत्ो् मे् जहां अपने अपने गठबंधनो्की जीत िुसनस्​्ित करने 16 अक्टबू र को मतदान होना है. भाजपा प्व् क्ता के सिए जुबानी जंग तेज हो गयी है. यहां 16 ने प्​्ेम कुमार का नाम होने वािे मुख्यमंत्ी के अक्टूबर को मतदान है. इिके सिए 458 तौर पर िोच िमझ कर उिािा है. केवि शाहनवाज हुिैन नही्, िािू और उम्मीदवार मैदान मे् है्. इिमे् पूव्स मुख्यमंत्ी जीतनराम मांझी भी है और भाजपा के प्म्े कुमार नीतीश की एकता िे उपजी इि ताकत को भी सजन्हे् सबहार का अगिा मुख्यमंत्ी बताकर प्​्धानमंत्ी नरे्द्मोदी भी िमझ रहे है. इिी दांव भाजपा प्​्वक्ता शाहनवाज हुिैन ने िभी को को तोड़्ने के सिए वह सबहार के हर सजिे मे् दौड़् रहे है्. भारत के इसतहाि मे् यह पहिा चौ्का सदया है. चुनावी सिा मे् नरे्द् मोदी और दूसरे नेिा: प्​्बिष्​्ा का प्​्श्न

मैदान मंे नही्नबहारी बाबू सबहार का चुनाव प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी के सिए प्​्सतष्ठा का प्​्क्न बन गया है. इिे िेकर भाजपा के राष्ट्​्ीय अध्यक्​्असमत शाह बोि रहे है् सक सबहार का चुनाव पसरणाम केवि नीतीश और िािू के भाग्य का फैि​िा नही्करे्गा, यह भारत की राजनीसत की सदशा और दशा भी तय करेगा. उत्तर प्​्देश मे्होने वािे सवधानिभा चुनाव पर भी यह चुनाव अिर डािेगा. इिके बाद भी सबहारी बाबू की पहचान रखने वािे शत्​्ुघ्न सिन्हा अभी तक प्​्चार के मैदान मे्नही्उतरे है्. मौका है जब देश के प्​्धानमंत्ी सकिी राज्य सवधानिभा चुनाव मे् अपने दि को सवजयी बनाने के सिए 40 िे असधक िभाएं और रैसियां कर रहे है्. इनके िाथ दज्सनो्के्द्ीय मंत्ी और चार मुख्यमंत्ी भी िगे है्. खुद प्​्धानमंत्ी अपनी िभाओ् मे् िीधे मुख्यमंत्ी नीतीश कुमार और िािू प्​्िाद पर हमिा बोि रहे है्. खाितौर िे सवकाि, जंगिराज, गोकशी, सबजिी, सशक्​्ा और िड़्क के िवाि पर नीतीश और िािू को घेरने की कोसशश मे्है्. जवाब मे्नीतीश कुमार भी कम नही्है. वह ि​िीके िे िोगो्को बता रहे है्सक प्​्धानमंत्ी बाहरी आदमी है्, उन्हे् सबहार की जमीनी हकीकत का पता नही् है. िािू प्​्िाद तो भाजपा के अंदाज मे्ही जवाब दे रहे है्. एक दूिरे पर हुई सनशानेबाजी मे्राजनीसत को शैतान और ब्ह् म् सपचाश जैिे शल्द सदये जा रहे है.् चारा चोर, तड़्ीपार और नरभक्​्ी जैिे िंबोधन भी हो रहे है्. इिके बाद भी मुख्यमंत्ी के र्प मे् नीतीश कुमार िोगो् की पहिी पिंद है्. अभी हाि मे् हुए एक िव्​्े मे् सबहार के 53 फीिद िोग उन्हे्मुखय् मंत्ी के र्प मे्चाहते है,् जबसक भाजपा के िुशीि मोदी को केवि 18 फीिदी ने पिंद सकया. सवधानिभा चुनाव को िेकर आयी रायशुमासरयो् मे् भी कोई सकिी को बीि बता रहा है तो कोई सकिी को. इिसिए यह कहना मुब्ककि है सक 243 िदस्यो् वािी सबहार सवधानिभा मे् बहुमत के सिए जर्री 122 के आंकड़्ेको कौन पार करेगा. सबहार मे् दूिरे चरण का मतदान 16 अक्टूबर, तीिरे चरण का 28 अक्टूबर, चौथे चरण का एक नवंबर और अंसतम चरण का 5 नवंबर को है. ये मतदान सकिी भी गठबंधन को आगे-पीिे करने मे् िक्​्म है्. इन इिाको् मे् अपनी-अपनी बढ्त बनाने के सिए दोनो् गठबंधन अपनी पूरी ताकत झो्के हुए है्. दोनो् गठबंधनो् की मारामारी िे िव्ाससधक नुकिान तीिरे और चौथे मोच्​्ेको हो रहा है. n शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 41


छत् मास्​्ीटसगढ् हेड

जोगी िनाम संगठन

आउटसोब्सि्ग का मुद्ा छत्​्ीसगढ प्​्देश कांग्ेस और अबमत िोगी के बीच होड् का बवरि बन गिा है. दूसरी तरि सत्​्ाधारी दल मुद्े पर कांग्ेस के साथ होने की बात कह रहा है. संजीि त्​्िपाठी

सश

क्​्को् की आउटिोस्ि​ि्ग का मुद्ा ित्​्ीिगढ प्​्देश कांग्ेि और असमत जोगी के बीच होड़्का सविय बन गया है. असमत जोगी के मुद्े को कांग्ेि िंगठन ने जोर-शोर िे उठाकर उिे ठेकेदारी का नया नाम दे सदया है. इि तरह असमत जोगी और िंगठन मे् इि मामिे को िेकर खी्चातानी शुर् हो गयी है. दूिरी तरफ ित्​्ाधारी दि मुद्े पर कांग्ेि के िाथ होने की बात कह रहा है. ऐिे मे् आउटिोस्ि​ि्ग को िेकर असमत जोगी और कांग्ेि िंगठन मे्भुनाने की जंग तेज हो गयी है. दरअि​ि, राज्य सवधानिभा के मानिून ित्​्के दौरान राज्य की रमन सिंह िरकार ने अनुपूरक बजट पेश सकया था. इिमे्शािकीय शािाओ् मे् आउटिोस्ि​ि्ग िे अध्यापन काय्स कराने के सिए राज्य िरकार ने 15 करोड़्र्पये

42 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

खच्सकरने की बात कही थी. तब इि पर िवाि उठाते हुए असमत जोगी ने िरकार िे पूिा था सक क्या राज्य के िभी बेरोजगार को रोजगार समि गया जो हमे् बाहर िे सशक्​्क िाने की जर्रत पड़्गयी. उनके इि प्क् न् का जवाब देते हुए सशक्​्ा मंत्ी केदार कक्यप ने कहा था सक राज्य मे् बेरोजगार है् तो उपिल्ध कराइए. असमत जोगी ने इिके बाद प्​्देश मे् असभयान चिा कर योग्य सशस्​्कत बेरोजगारो् की तिाशी का असभयान िेड़ा. जोगी इन बेरोजगारो् की िूची तैयार कर सशक्​्ा मंत्ी को दे्गे और इनके सिए रोजगार की मांग करे्गे. असमत जोगी ने इिके सिए बाकायदा अपनी वेबिाइट पर बेरोजगारो् के सिए फॉम्स सनकािा है. उन्हो्ने इि आउटिोस्ि​ि्ग के सवरोध मे् एक रथयात्​्ा सनकािने का भी सनण्सय सिया जो िभी 90 सवधानिभा क्​्ेत्ो् मे् भ्​्मण कर बेरोजगारो् िे हस्​्ाक्​्र िेने का काम कर रहा

है. मुद्ा यही् िे शुर् हुआ. रथयात्​्ा को सजि सदन हरी झंडी सदखायी गयी, उि सदन प्​्देश कांग्ेि अध्यक्​् ने अपने बयान मे् कहा सक मरवाही िे कांगि ्े सवधायक असमत जोगी के रथ के बारे मे् उन्हे् सकिी तरह की कोई जानकारी नही्है. न ही पाट्​्ी को इि असभयान के बारे मे् कोई जानकारी समिी है. वही् पूव्स मुख्यमंत्ी अजीत जोगी का कहना था सक आउटिोस्ि​ि्ग के सखिाफ असमत जोगी का यह आंदोिन पाट्​्ी िाइन िे ऊपर है. यह बेरोजगारो्के िाथ रमन सिंह िरकार के सकये गये अन्याय के सखिाफ आंदोिन है. इिमे् पाट्​्ी के िाथ होने का कोई खाि महत्व नही् है. इधर सवधानिभा मे् नेता प्​्सतपक्​् टीएि सिंहदेव ने कहा है सक प्​्देश मे् 42 हजार सशक्​्को् की कमी है. मंत्ी और असधकासरयो् के एक सदन स्कूि जाकर पढ्ाने की औपचासरकता िे सशक्​्ा के गुणवत्​्ा मे्िुधार नही् आयेगा. सिंहदेव ने आरोप िगाया सक अबमि जोगी: आउटसोब्सि्ग का बवरोध


आउट िोस्ि​ि्ग के जसरये िरकार सपि​िे दरवाजे िे आरएिएि िमथ्सको् को सनयुक्त करना चाहती है. वही् पूव्स नेता प्​्सतपक्​् रसवंद् चौबे ने ‘शुक्वार’ के िाथ बातचीत मे् कहा सक जब सवधायक दि की बैठक हुई थी तब यह मुद्ा िभी के िामने आया था और इि पर असभयान चिाने की बात हुई थी. राज्य के सशक्​्ा मंत्ी केदार कक्यप का कहना है सक असमत जोगी सशक्​्को् की आउटिोस्ि​ि्ग के मि​िे पर राजनीसत कर रहे है्. वे प्​्देश के बेरोजगारो्को बरगिाने मे् िगे हुए है्. इि​िे िमाधान नही् सनकि पायेगा. कक्यप ने कहा सक असमत इि सविय को िमझ ही नही् पाये है्. सजि वग्स के सशक्​्को् की जर्रत है, वे नही् समि पा रहे है्. इिसिए एजे्िी की मदद िी जा रही है. बस्​्र और िरगुजा के इिाको्मे्काम करने के सिए तैयार िात्​्ो् को एजे्िी के माध्यम िे आवेदन करना होगा. इिमे्ित्​्ीिगढ्के िाथ ही बाहर के िात्​्भी आवेदन दे िके्गे. आउटिोस्ि​ि्ग के सवरोध मे् रथयात्​्ा शुर् करने के बाद असमत बस्​्र और िरगुजा मे् पढ्ाने के इच्िुक युवाओ् का डाटा बेि तैयार करने मे्जुट गये. जोगी ने इिके सिए वेबिाइट के अिावा वाट्ि-एप और जनप्​्सतसनसधयो्की भी मदद िी. बताया जाता है सक इि वेबिाइट के जसरये 50 हजार िे ज्यादा तो वाट्ि-एप िे 27 हजार िे असधक युवाओ्के आवेदन समिे. इि मुद्े पर िंगठन खेमा शुर् मे् शांत रहा, िेसकन जब िंगठन को िगा सक इि मामिे को िोटे जोगी पूरी तरह कैश करने जा रहे है्, तब उिने भी एनएियूआई को आगे कर मोच्ास खोि सदया. जानकारो् के मुतासबक असमत ने िंगठन िे इि मामिे मे् शांत नही् रहने के सिए पत्​् सिखा था और राष्​्ीय उपाध्यक्​्राहुि गांधी िे इिे िेकर चच्ास भी की थी. इिके बाद ही प्​्देश कांग्ेि अध्यक्​् ने असमत के पैरि​ि एनएियूआई के प्द् श े अध्यक्​्आकाश शम्ास को आउटिोस्ि​ि्ग के सखिाफ असभयान चिाने का सजम्मा िौ्पा. पहिे चरण मे्रायपुर मे्िंगोि्​्ी आयोसजत की गयी. इिमे् आसदवािी वक्ताओ् को आमंस्तत सकया गया. इि मुद्े पर िरकार का देर िे सवरोध करने वािा िंगठन खेमा मरवाही सवधायक असमत जोगी के पहिे िे िेड़े गये असभयान को व्यब्कतगत बता रहा है, जबसक िंगठन के मोच्ास खोिने के बावजूद असमत अपनी कमान िंभािे हुए है्. चूंसक आउटिोस्ि​ि्ग शल्द का इस्​्ेमाि िोटे जोगी कर चुके है्. इिसिए िंगठन सशक्​्ा का ठेकाकरण नाम िे इिका सवरोध कर रहा है. रायपुर की िंगोि्​्ी मे् आउटिोस्ि​ि्ग को इिी नाम िे पुकारा गया. वही् अब रायपुर के िाथ ही अन्य सजिो् मे् भी िंगठन खेमा नेताओ् को आउटिोस्ि​ि्ग को सशक्​्ा का ठेका कहने पर जोर

दे रहा है. िंगठन ने पहिे सजिकी जानकारी न होने की बात कही थी उिी मि​िे पर एनएियूआई को आगे बढाया िाथ ही आंदोिन और तेज करने के सनद्​्ेश भी सदये. इिके चिते एनएियूआई सजिो्मे्उग्​्प्​्दश्सन पर उतार्हो गयी है. नतीजतन प्​्देश एनएियूआई अध्यक्​् आकाश शम्ास अपने िासथयो् िसहत सगरफ्तार होकर जमानत पर सरहा हुए. बहरहाि, ित्​्ीिगढ मे्इन सदनो्राजनीसत मे्आउटिोस्ि​ि्ग का मुद्ा िाया हुआ है. ब्सथसत यह है सक इि मि​िे पर गितबयानी का आरोप िगाते हुए नेता प्​्सतपक्​्टीएि सिंहदेव ने स्कूि सशक्​्ा मंत्ी केदार कक्यप और पंचायत मंत्ी अजय चंद्ाकर को मानहासन का नोसटि भेजा है. सिंहदेव का आरोप है सक दोनो् मंस्तयो् ने आउटिोस्ि​ि्ग के मि​िे पर गित बयानबाजी की है. इन मंस्तयो्ने प्​्ेि कांफे्ि मे्कहा था सक आउटिोस्ि​ि्ग का कांग्ेि सवधायको् ने भी िमथ्सन सकया था, जबसक ऐिा नही् है. नेता प्​्सतपक्​्ने मंस्तयो्के खेद प्​्कट नही्करने की ब्सथसत मे्कानूनी कार्सवाई की चेतावनी दी है. राज्य मे् आउटिोस्ि​ि्ग के मि​िे पर राज्य िरकार का पक्​् रखने के सिए मंत्ी अजय चंद्ाकर और केदार कक्यप ने 4 अक्टूबर को प्​्ेि कांफे्ि की थी, सजिमे्उन्हो्ने कहा था सक िरगुजा और बस्​्र सवकाि प्​्ासधकरण की बैठको् मे् कांग्ेि सवधायको् ने सनजी प्िेिमे्ट एजंसियो् िे सशक्​्को् की भत्​्ी आउटिोस्ि​ि्ग करने के िरकारी प्​्स्ाव का िमथ्सन सकया है. इि आशय की खबर मंस्तयो् के हवािे िे कई िमाचार पत्​्ो्मे्प्​्कासशत भी हुई थी. नेता प्​्सतपक्​् ने मंस्तयो् के इि बयान पर आपस्​्त जताते हुए मानहासन का नोसटि भेजा है. उन्हो्ने नोसटि मे् कहा है सक वे खुद दोनो् प्​्ासधकरण की बैठको् मे् मौजूद थे. बैठक मे्

आउटसोब्सि्ग के बलए जनमि संग्ह: पक्​् या बवपक्​् आउटिोस्ि​ि्ग सविय िूची मे्शासमि था ही नही् था और न ही चच्ास के दौरान सकिी कांग्ेि सवधायक ने इिका िमथ्सन सकया. बस्​्र और िरगुजा के कांग्ेि सवधायको् के िाथ-िाथ उन्हो्ने खुद सशक्​्को् की भत्​्ी के बजाय आउट िोस्ि​ि्ग का िगातार सवरोध सकया है. उन्हो्ने मंस्तयो् के बयानो् को पूरी तरह िे झूठा करार देते हुए कहा है सक दोनो् मंत्ी अपने बयान पर खेद प्​्कट करे्, अन्यथा वे कानूनी कार्सवाई करने के सिए बाध्य हो्गे. आउटिोस्िगि् के मि​िे पर िंगठन के िभी नेता इि मि​िे पर अब पहिी कही गयी बात को याद नही्करना चाहते और िभी यही कहते है्सक यह पाट्​्ी का ही असभयान है. िेसकन यह पहिा मौका नही् है जब ‘जोगी’ सपता-पुत् के चिते िंगठन को अपना र्ख बदिना पड़ा हो. इि​िे पहिे भी ऐिे कई अविर आये है्. कांग्ेि के अंदर्नी िूत्ो्के मुतासबक जोगी खेमा राज्य मे् अपना वजूद अिग बनाये रखना चाहता है इिसिए वह िंगठन िे इतर इि तरह का अपना अिग असभयान चिाता है. इि​िे पहिे िदस्यता असभयान के दौरान भी प्​्देश कांग्ेि िसमसत अध्यक्​्भूपेश बघेि और पूव्समुख्यमंत्ी अजीत जोगी आमने-िामने हो गये थे. वही्इिी वि्सजून महीने मे्चांपा जांजगीर दौरे के िमय कांग्ेि उपाध्यक्​्राहुि गांधी के िामने ही मंच िंचािन को िेकर भूपेश और जोगी मे्जमकर बहि हुई थी. तो भूपेश को प्​्देश कांग्ेि िसमसत अध्यक्​् बनाये जाने को जोगी शुर् िे सवरोध करते आ रहे है्. राज्य मे्सशक्क ् ो्के 45 हजार पद सरक्त है,् िेसकन प्​्देश िरकार 2169 पदो् को आउटिोस्ि​ि्ग िे भरने जा रही है. बस्​्र और िरगुजा मे् सशक्​्को् के खािी पदो् मे् सवद्​्ा समतान की िंसवदा सनयुब्कत की जायेगी. इिके n सिए टे्डर भी सनकािे जा चुके है्. शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 43


पंजाि-हबरयाणा

पंिाब और हबरिाणा मे्बीटी कपास की िसल पर सिेद मक्खी के आक्​्मण से बड्ेपैमाने पर िसल बब्ाषद हो गिी है. िह वही बीटी कपास है बिसके बलए कीड्ो्के प्​्कोप से मुक्त होने की गारंटी दी गिी थी.

मनोज ठाकुर

दे

श की राजधानी सदल्िी िे करीब 213 सकिोमीटर दूर हसरयाणा का सजिा है फतेहाबाद, इिी सजिे के गांव माजरा सनवािी रामपाि इि बार काफी उत्िासहत थे. बेटी की शादी पक्​्ी कर दी. बीटी काटन के पांच एकड़ सबजाई हो चुके थे. उम्मीद क्या यकीन था अच्िी फि​ि होगी, और बेटी की शादी अच्िी तरह िे कर पाये्गे. िब कुि ठीक चि रहा था. िेसकन सितंबर के पहिे िप्ताह मे् अचानक ही एक िफेद मक्खी रामपाि के खेत मे्पता नही्कहा िे आ गयी. रामपाि सनस्​्ित था, बीटी काटन है. मक्खी का क्या सबगाड़ेगी. बि यही् सनस्​्ितता उिे भारी पड़्गई. एक िप्ताह बाद खेत मे्गया तो पाया सक पूरा खेत िफेद हो गया. तुरंत बाजार गया, कीटनाशक खरीद कर िाया. एक बार दो बार पांच बार स्प्े सकया. िेसकन कुि नही् हुआ. सफर एक सदन खुद ही स्प्े पी सिया. सजि घर मे् पखवाड़ा भर पहिे चहकती खुसशयो्के बीच िपने बुने जा रहे थे. आज उि घर मे्मनहूि िन्नाटा िाया हुआ है. अब इि घर का िन्नाटा एक िवाि कर रहा है, एक िोटी िी िफेद मक्खी के आगे बीटी काट पस्​्कैिे हुई? क्यो्सक दावा तो यह सकया जा रहा था सक इि पर कोई कीट आयेगा ही नही्. सफर क्यो्? अब कौन इिकी सजम्मेदारी 44 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

िीट िी िाट

िेगा. रामपाि की मौत क्या महज एक सकिान की आत्महत्या है, या उिे यह कदम उठाने के सिए मजबूर सकया गया. बीटी काटन यानी जीएम िीड. जैनेसटकिी मौसडफाइयड िीड, सजिमे् ऐिा कुि समिा सदया सक कीट खाएगा और मर जाएगा. इिी झूठ के िाथ हसरयाणा और पंजाब मे्बीटी काटन का प्म् ोट सकया गया. सवदेशी कंपसनयो्के नुमाइंदे कृसि वैज्ासनको्के माफ्तक यहां आते थे. िेसमनार िगते. सकिान को बताया जाता सक काटन का ऐिा बीज िेकर आए सजि पर कीट नही् आएगा. खुशी के मारे सकिान तासियां बजाते. और इिी उत्िाह िे सबजाई करते. कंपनी का धंधा खूब चमका. िेसकन करीब चार िाि पहिे ही बीटी काटन पर परेशानी आनी शुर् हो गई. पर इि ओर सकिी ने ध्यान नही् सदया. उिटा सकिान को सजम्मेदार ठहरा कर कृसि वैज्ासनको् और कंपनी के बीज सवकेत् ाओ्ने सजम्मदे ारी िे पल्िा झाड़ सिया. नतीजा अब िामने है्. अकेिे

फतेहाबाद मे् 500 एकड़् िे ज्यादा फि​ि कपाि की बब्ादस हो चुकी है. कृसि जानकारो्का मानना है सक इि मक्खी के प्​्कोप का अिर हसरयाणा और पंजाब िे िटे उत्​्र प्​्देश के इिाको्मे्दूिरी फि​िो्पर भी हो िकता है. हसरयाणा के फतेहाबाद के करीब दो िौ गांवो् मे् कपाि की खेती हो रही है. यहां पर करीब 80 हजार हेक्टेयर मे् कपाि की बुवाई की गयी है. िेसकन खड़्ी फि​ि पर कपाि खाउ मक्खी का प्​्कोप हो गया है. फि​ि बद्ासद होने के बाद कई सकिानो् ने खुद अपनी फि​ि उजाड़् दी है तासक िमय रहते दूिरे फि​ि बो िके्. पंजाब मे् कुि भागो्मे्िफेद मक्खी के प्​्कोप िे अभी तक िगभग 12000 एकड़्भूसम पर खड़्ी कपाि की फि​ि के पूण्सत: नष्​् हो जाने का अनुमान है. कपाि को हुई क्​्सत का िमुसचत मुआवजा न समिने के कारण सकिान िंघि्सरत है्. फतेहाबाद मे्गोदपुर गांव के सकिान राजेद् ्


ि

नहीै

िीटी कपास पर सफेद मक्ख्ाी का प्​्कोप: फफूंद से ि​ि्ायदी

सिंह (40 वि्स) बताते है्, ‘िफेद मक्खी ने नरमा (कपाि) की पूरी फि​ि चौपट कर दी है. कई बार दवाओ् का सिड़्काव भी सकया, िेसकन, कोई फक्कनही्पड़्ा. ‘वही्गोरखपुर के सकिान फूि सिंह (50 वि्स) ने खुद अपनी फि​ि पर ट्​्ैक्टर चिवा कर जुतवा सदया है. वो कहते है,्’ ‘अपणे तो करम ही फूट गये है,् पहिे मौिम ने मारा अब िफेद मक्खी मार रही है.’ फूि सिंह ने तीि हजार र्पये एकड़्के सहिाब िे खेत बटाई पर सिया है. वो आगे बताते है्, ‘बीज और दवाओ् को समिाकर एक एकड़् फि​ि मे् कपाि की बुआई पर करीब िात िे आठ हजार र्पये का खच्स आता है. ऐिे मे् मुनाफा तो दूर हम तो कज्समे्डूबते जा रहे है्.’ पंजाब के िीएम प्​्काश सिंह बादि ने इिे मौिम का प्​्कोप बताते हुए प्​्भासवत सकिानो् को 8000 र्पये प्​्सत एकड़्की दर िे क्​्सतपूस्तस देने की घोिणा की है. पंजाब िरकार के राजस्व सवभाग द्​्ारा की गयी सगरदावरी के आधार पर

क्या है सफेद मक्खी का प्​्कोप

फेद मक्खी िामान्यतौर पर िगने वािे कीटो् मे् िे एक कीट नही् है. हुआ यह है सक बीटी काटन आने के बाद कीटो्ने भी खुद को नए माहौि के अनुिार ढािना शुर् कर सदया. जीव वैज्ासनक डाक्टर अमर सिंह ने बताया सक कीटो्का अपना जीवन चक्​् और अपनी िरंचना होती है. सकिी भी कीट पर जब कीटनाशक या बीटी िीड अिर करता है तो कीट खूद अपने अंदर प्स्तरोधक क्म् ता सवकसित कर िेता है. कीटनाशक भी एक िमय के बाद इिसिए अिर करना बंद कर देते है.् जीएम िीड िे भी यही् िमस्य रही है. िफेद सफेद मक्ख्ाी: कपास की दुश्मन मक्खी ऐिा कीट है सजि पर िामान्य कीटनाशक अिर ही नही्कर पा रहा है. जीएम िीड जो पहिे कीटो्को मार देता था अब इि मक्खी को और ज्यादा मजबूत कर रहा है. ये मक्खी बरिात के मौिम मे्ही पनपती है. इिका जीवन चक्​् 35 िे 30 सदन काहोता है. मक्खी एक बार मे्िौ िे िवा िौ तक अंडे देती है. िफेद मक्खी एक शाकाहारी कीट है. िफेद मक्खी का आकार पेन की नौक के आकार सजतना होता है. यह पौधे के पत्​्ो्िे रि चूिकर अपना गुजारा करती है. िफेद मक्खी कपाि की फि​ि मे् िीपकरि (मरोसडया) के फैिाने मे्िहायक का काम करती है. िीपकरि का वायरि िफेद मक्खी के थूक मे्समिकर एक पौधे िे दूिरे पौधे तक पहुंचता है. यसद खेत मे्एक भी पौधे मे्िीपकरि है तो 10 िफेद भी उि िीपकरि के वायरि को पूरे खेत मे्फैिा िकती है्. िफेद मक्खी के पेशाब मे्शुगर होता है. सजि भी पत्​्ेपर िफेद मक्खी का पेशाब पड़्ता है उि पत्​्ेपर फफूंद िग जाती है और वह पत्​्ा भोजन बनाना बंद कर देता है. सिफ्क उन्ही् सकिानो् को क्​्सतपूस्तस दी जा रही है सजन्हो्ने िफेद मक्खी के हमिे िे बुरी तरह प्​्भासवत अपनी िारी फि​ि उजड़्डािी है. पंजाब िरकार ने क्​्सतपूस्तस के र्प मे् सकिानो् को क्​्मश: 80 र्पये,149 र्पए व 162 र्पए तक के चैक दे कर उनके घावो्पर नमक सिड़्का है. भसटंडा सजिे मे् अनेक सकिानो् को िरकार ने उक्त रासशयो् के चैक सवतसरत सकये. सकिानो् को राहत रासश के जो चैक सदए गए है्वे मुख्यमंत्ी का दावा झुठिाते है्. तिवंडी िाबो के शेरगढ् गांव के हरपाि सिंह को 80 र्पये तथा मानक खेड़्ा गांव के जिौर सिंह तथा िाहब सिंह को 149-149 र्पये के चैक सदये गये है्. हरपाि सिह के अनुिार उनकी 1.25 एकड़्जमीन है और यसद राजस्व सवभाग यह जमीन 3 मासिक भाइयो्मे् बांट कर भी क्​्सतपूस्तस देता तब भी उिे 2000 र्पये तो समिने ही चासहए थे परंतु केवि 80

सिफंफ उनंहीं सकिानों को कं​ंसतपूसंतस दी जा रही है सजनंहोंने िफेद मकंखी के हमले िे बुरी तरह पं​ंभासवत अपनी िारी फिल उजडं डाली है.

र्पये समिे है्. उिके भाइयो् को भी 800 व 1000 र्पये तक क्​्सतपूस्तस समिी है. सकिान अमरजीत सिंह बताते है्सक उिने अपने तीन अन्य भाइयो् के िाथ समिकर 3 एकड़् भूसम पर कपाि बोई थी. इि सहिाब िे उिे 6000 र्पये समिने चासहए थे, िेसकन समिे है्सिफ्क862 र्प्ाये. चंद अन्य सकिानो्को इि​िे कुि असधक परंतु अनाप-शनाप ढंग िे ही क्स्तपूसत् स दी गयी है. उदाहरणाथ्स2 एकड़्फि​ि के बदिे मे् एक सकिान को 2900 र्पये, 5 एकड़्के बदिे मे्2512 र्पये, 1 एकड़्फि​ि के बदिे मे् 800 र्पये क्​्सतपूस्तस दी गयी. गांव कािझरानी मे्12 कनाि भूसम पर कपाि बोने वािे एक सकिान ने 909 र्पये क्​्सतपूस्तस िेने िे इंकार कर सदया. तिवंडी िाबो के तहिीिदार कुिदीप सिंह इि िंबंध मे् कोई िंतोिजनक उत्​्र नही् दे िके तथा भसटंडा के सडप्टी कसमक्नर बिंत गग्स का कहना है सक ‘कपाि उत्पादक सकिानो् को क्​्सतपूस्तस उनके भू-स्वासमत्व के आधार पर ही दी गयी है. हम पता िगाएंगे सक सकिानो्को कम रासश के चैक कैिे सदए गये है्.’ कपाि उत्पादको्को प्​्सत एकड़्40,000 र्पये की दर िे क्​्सतपूस्तस की मांग पर बि देने के सिए िप्ताह िे सवरोध करते आ रहे 8 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 45


पंजाि-हबरयाणा सकिान िंगठनो् ने िरकार के इि रवैये की कड़्ी आिोचना की है. सकिान नेताओ् के अनुिार िरकार द्​्ारा सनध्ाससरत क्​्सतपूस्तस देने का पैमाना उनकी िमझ िे बाहर और सकिानो्के िाथ भद्​्ा मजाक है. िात अक्टूबर िे पंजाब के सकिानो् ने रेि यातायात जाम कर रखा है. असधकारी सकिानो् को मनाने की कोसशश मे् है्. िेसकन मानने को तैयार नही्है. सकिानो्का कहना है सक िरकार को उनकी सचंता ही नही् है. हम बब्ासद हो गये, िेसकन हमारी िुनवाई नही् हो रही है. सकिानो् को गुस्िा इि बात को िेकर भी है सक िमय रहते िरकार ने पुख्ता कदम नही्उठाये. बीि िाि पहिे यहां देशी कपाि की खेती होती थी. तब िब कुि नेचुरि था. इिी बीच कृसि वैज्ासनक यहां पहुंचे. पहिे कीटनाशको् का प्​्मोट सकया. धीरे धीरे सकिान इिके आसद हो गये. पहिे जहां खेती पर बि बुआई और सबजाई का खच्सआता था अब कीटनाशक और रिायसनक खादो् का खच्स भी आने िगा. बात यही् खत्म नही् हुई. जैिे जैिे कीटनाशको् की मांग बढी कीटो् का प्​्कोप उतना ही तेजी िे बढ्ता चिा गया. दि िाि पहिे कपाि के कीटो् पर कीटनाशक बेअिर हो गये. तभी जीएम कपाि ने भारत मे्प्​्वेश सकया. हसरयाणा और पंजाब मे्इिके ट्​्ायि सदये. जो कामयाब रहे. सकिानो् को िगा सक बीटी काटन उनके सिए कमाई काबड़ा जसरया बन िकता है. कृसि वैज्ासनको्ने इिकी खेती को प्म् ोट सकया. आज हसरयाणा और पंजाब मे्90 प्स्तशत कपाि बीटी काटन है. बीज बचाओ आंदोिन िे जुड़्ेस्वयं िेवक रामकुमार ने बताया सक यह भारत के देशी बीजो् के प्​्सत िड़यंत्है. वे बताते है्सक जी्द मे्कैिे कपाि ठीक है. क्यो्सक वह कपाि देशी है और वहां के सकिान कीट नाशक रिायन का प्​्योग नही् करते है्. कीटनाशको् का प्​्याग या सफर जीएम िीड नेचुरि सिस्टम को तोड़ते है्. कुि िमय के सिए जर्र इि​िे उत्पादन अच्िा समिता है. िेसकन अंत सकिान की आत्महत्या n या सफर बदहािी िे ही होता है.

कपास के पत्​्ो् पर सफेद मक्ख्ाी

कीट ज्​्ान से काबू मक्खी जी्

द सजिे मे्एक हजार एकड़्कपाि की फि​ि मे्नही्िफेद मक्खी का प्​्कोप जी्द सजिे के कीट ज्​्ान की मुसहम िे जुड़्े कीटाचाय्स सकिानो् ने ड्​्ेगनफ्िाई (तुि​िामक्खी) व अन्य मांिाहारी कीटो्की मदद िे िफेद मक्खी की इि रफ्तार पर ब्​्ेक िगा सदये और पसरणाम यह रहे सक इन सकिानो् की फि​िो् को िफेद मक्खी िे सकिी प्​्कार का कोई नुकिान नही् हुआ. एक हजार एकड़्ऐिा रकबा है जहां पर िफेद मक्खी िे कपाि की फि​ि मे्कोई नुकिान नही्हुआ है. सपि​िे िात-आठ वि्​्ो्िे यहां के सकिान सबना सकिी कीटनाशक का प्​्योग सकए िभी फि​िो् की अच्िी पैदावार िे रहे है्. कपाि की फि​ि को नुकिान पहुंचाने मे्मेजर कीट मानी जाने वािी िफेद मक्खी को सनयंस्तत करने के सिए इन सकिानो्को सकिी प्​्कार के कीटनाशको्के प्​्योग की भी जर्रत नही्पड़्ती है. फि​ि मे्मौजूद मांिाहारी कीट अपने आप ही शाकाहारी कीटो्को सनयंस्तत कर िेते है्. वि्स2008 मे्कृसि सवकाि असधकारी डॉ. िुरे्द्दिाि के नेतृत्व मे्यहां के सकिानो्ने कीटो्पर शोध शुर्सकया था और इिके बाद िे ही यह सकिान इि मुसहम िे जुड़्ेहुए है्. यह कीट है्िफेद मक्खी के कुदरती कीटनाशी ड्ग्े नफ्िाई (तुि​िा मक्खी) तथा िैि मक्खी उड़्ते हुए िफेद मक्खी के प्​्ौढ्का सशकार करती है्. इनो, इरो नामक मांिाहारी कीट िफेद मक्खी के िबिे बड़्ेदुक्मन है्और यह िफेद मक्खी को सनयंस्तत करने मे् अहम भूसमका सनभाते है्. इनो और इरो दोनो् ही परपेसटये कीट है् और यह िफेद मक्खी के बच्​्ो्के पेट मे्अपने अंडे देते है्. इनो व इरो के बच्​्ेिफेद मक्खी को अंदर ही अंदर िे खाकर खत्म कर देते है्. िफेद मक्खी के बच्​्ेपंख सवसहन होते है्. इिसिए बीटि क्​्ाइिोपा के बच्​्े तथा मकसडय़ां इनके बच्​्ो्का आिानी िे भक्​्ण कर देती है्.

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ख्बरो् के पीछे की ख्बर के िलए लॉिगन करे्

46 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015


मुद्ा वत्िाका नंदा

टूटते मानवीय सरोकार

मीबडिा स्पेस मे्खबरो्की रािनीबत मे्मानवीि र्बच की खबरे्बकसी हद तक हाबशए पर आ गिी्है्. मीबडिा की माने्तो ऐसी खबरे्बबकती नही्िा िह बक इनके बलए समि और िगह नही्है.

भी हाि ही मे्एक तेद् एु का सिर एक बत्नस मे्फंि गया. तेद् आ ु बहुत तड़्पा. उिने उि बत्सन िे बाहर सनकिने के सिए बहुत मशक्​्त की. कुि ही देर मे्आि-पाि के गांव के िोग भी जमा हो गये. एक तरफ ते्दुए का डर था और दूिरी तरफ उिकी तड़्प. इि तड़्प ने िोगो् को बहुत तड़्पाया. वन सवभाग के कम्सचासरयो् को बुिाया गया. आसखरकार ते्दुए को बेहोशी का इंजेक्शन सदया गया और उिके सिर को बत्सन िे सनकािा गया. करीब 7 घंटे की मशक्​्त के बाद जब तक वह बाहर सनकािा गया, वह एक राष्​्ीय खबर बन चुका था. इि खबर मे्वे चेहरे भी थे जो उिे इि बेचैनी िे सकिी भी तरह िे आजाद करना चाहते थे. रात को कई टीवी चैनि इि ते्दुए की िंबी बेचैनी और बाद मे्उिकी मुब्कत की खबर सदखाने िगे. राधा जयपुर वालों के सदल की तब जाकर शायद ते्दुए धडंकन थी. राधा के कमरे में को भी कुि िमझ मे् कूलर या एयर कंसडिन लगता आया होगा सक उि​िे डरने वािा इंिान तो खबर बनती, कीटनािक उिके सिए सकि कदर सिडंके जाते तो खबर बनती. सचंसतत था. इि बेचैनी को देखते हुए एकाएक मुझे राधा याद आ गयी. यह राधा जयपुर वािो् के सदि की धड़्कन थी. राधा के कमरे मे् कूिर या एयर कंसडशन िगता तो खबर बनती, कीटनाशक सिड़्के जाते तो खबर बनती. राधा सजि सदन ज्यादा मचिती तो खबर बनती. राधा िे जुड़्ी कुि भी बात बि झट िे खबर बन जाती. ऐिा कई िाि तक चिा. स्थानीय मीसडया के सिए राधा एक िदाबहार खबर बनी रही. शसनवार या रसववार को जब पूरे राज्य मे् कोई खाि खबर न समिती तो फीचर सिखने वािे राधा के पाि आकर खड़्े हो जाते और राधा भी इन्हे् खािी हाथ कभी न भेजती. यह राधा िबकी दुिारी थी. जयपुर के जाने-माने काट्सूसनस्ट असभिेक सतवारी कुि िाि पहिे मुझे जब यह िब बता रहे थे तो उनकी आंखे् ि​िक िी आ रहा थी्. उनके िाथ बैठे उनके दोस्​्रामकुमार भी बता रहे थे सक कुि अरिे पहिे खुद असभिेक ने राधा पर एक कहानी सिखी थी, ‘मेरी बेटी राधा’ और वह कहानी आज भी िोगो्को याद है. िेसकन मकर िंक्ांसत के सदन जब पूरा जयपुर िाि, हरी,नीिी पतंगो् के रेिे मे्बह रहा था, त्योहार की खुशबू मे्िराबोर था, राधा मायूिी के दौर िे गुजर रही थी. हर बात पर राधा मे्खबर खोजने वािा मीसडया भी उि सदन जैिे ित पर ही टंगा िा रह गया. सकिी को पता भी नही्चिा सक उिी सदन राधा ने अपनी आसखरी िांिे्िी्. राम कुमार जी बता रहे थे सक िुबह जब उनकी नन्ही्िी बेटी को यह बात पता चिी तो वब खूब रोयी. बोिी सक उिे मकर िंक्ांसत पर राधा िे समिने का ख्याि क्यो्और कैिे नही्आया. राधा कहने को सिफ्कएक सचंपाजी थी. एक बुजगु स्सचंपाजी. उिका कोई जोड़्ीदार नही्था. इिसिए शायद एक अदद बच्​्ेकी चाह मे्वह िमय िे पहिे ही काफी गुमिुम भी रहने िगी थी िेसकन उिे अपने सपंजड़्ेके पाि

जब भी बच्​्े सदखते तो वह खुशी िे झूम उठती. ऐिी थी राधा. राधा की देखभाि जयपुर सचस्ड़याघर का केयरटेकर प्​्तापा करता था. प्​्तापा भी उिे अपनी बेटी ही मानता था. एक सदन प्​्तापा सरटायर हो गया तो राधा ने खाना-पीना ही िोड़्सदया. सफर राधा की खासतर प्​्तापा को दोबारा बुिाया गया. प्​्तापा खुशी-खुशी िौट आया और अपनी बेटी के िाथ मजे िे रहने िगा. राधा और प्​्तापा दोनो्ही बूढ्ेथे. इिसिए दोनो्ही सबन कहे आपि मे् बहुत िा िंवाद कर सिया करते. दोनो् ही एक-दूिरे को कभी तंग न करते और एक-दूिरे की बात भी मानते. राधा प्​्तापा की दुिारी थी. वह राधा को बुिाता तो वह धीरे-धीरे िे प्​्तापा के पाि आती और सफर अपनी जगह पर िौट जाती. इि राधा को देखने हर रोज सचस्ड़याघर मे्भारी भीड़् उमड़्ती. िोग अपनी-अपनी गद्सने्ऊंची कर अंदर झांकते िे सदखते. यह देखने सक राधा जाग रही है या िो रही है ,क्या खा रही है,क्या पी रही है, कैिे बैठी है और इि िारे हंगामे के बीच प्​्तापा यह ध्यान रखता सक सबसटया रानी को कोई तकिीफ न हो. एक राधा सकिी एक शहर के सिए क्या मायने रख िकती है, यह बात मैने्इन दो पत्​्कारो्के िाथ बातचीत मे्जानी. खैर, राधा गयी तो अगिे सदन कई जयपुरवािी सचस्ड़याघर गये. एक बार सफर वह जगह देखने जो राधा का घर था. इि बार वहां राधा तो नही् सदखी िेसकन सदखा-एक कोने मे् रोता हुआ प्​्तापा.चाहे पानी के सिए तरिता एक बंदर हो, पुचकार के सिए तरिती एक सचस्ड़या या एक पसरवार के सिए मचिती सचंपाजी, मीसडया के सिए यह दुसनया महज एक िॉफ्ट स्टोरी हो िकती है, िेसकन हकीकत यही है सक यह दुसनया राजनीसत, सफल्म, स्​्ककेट और सववादो्की िारी भीड़्पर तब भी हावी पड़्ती है क्यो्सक यहां सवजुअि और शल्द, दोनो्सकिी जनिंपक्कया आपिी रंसजशो्िे नही्, मानवीय िंवेदनाओ्िे उपजे है्. मीसडया स्पेि मे् कई जयपुरवािी सचसंडयाघर खबरो् की राजनीसत मे् गये. वह जगह देखने जो राधा मानवीय र्सच की खबरे् का घर था. इि बार वहां राधा सकिी हद तक हासशए तो नहीं सदखी लेसकन सदखा-एक पर आ गयी्है्. मीसडया की माने् तो ऐिी खबरे् कोने में रोता हुआ पं​ंतापा. सबकती नही्या यह सक इनके सिए िमय और जगह नही् है. वैिे इि बात को िासबत करने के सिए कोई अंकड़्ा तो है नही्िेसकन इतना जर्र है सक आज भी जब कभी ऐिी कोई खबर मुख्यधारा का सहस्िा बनती है तो बहुत सदनो् तक याद रहती है. पत्​्कासरता के सशक्​्क भी 5 डल्ल्यू और 1 एच के मापदंडो् पर खबरो्को किना बता कर अपने दासयत्व की इसतश्​्ी िमझ िेते है.् पर क्या खबरे् बि इिी मानदंड पर किी जाती है्. सचंपाजी का खबर नही् बनना इन मापदंडो्पर शायद खरा नही्उतरना है. ऐिे मे्खबर बनाते कारखानो् मे्एक बार यह िवाि भी उिािा जाना चासहए सक राजनीसत और स्​्ककेट n के बीच मानवीय िरोकार क्या वाकई इतना िूखते जा रहे है्? शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 47


मीबडया सुधा सदानंद

मीडिया में घूमते चेहरे

आि के टीवी चैनल्स मे्िह ति है बक स्टबू डिो मे्होनेवाली प्​्ाइम टाइम चच्ाष मे्कैसे चुन-चुन के बसि्फउन्ही् लोगो्को बुलािा िािे िो हर शुक्वार को चैनल की रेबटंग्स बढा सके्.

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वी चैनिो् के स्टूसडयो् मे् टीआरपी बढ्ाने वािे चेहरो् की भीड़् ने मीसडया पर टीआरपी बटोर् ठप्पा िगा सदया है. प्​्ाइम टाइम की चच्ासओ्मे्इि तरह के रेसटंग बढ्ाने वािे चेहरो्की भरमार आपको्रोज सदखायी देती है. इन चेहरो् िे मीसडया सकनारा भी कर िकता है, िेसकन रेसटंग बढ्ाने को फेर ने इन चेहरो्को चमकदार बना सदया है. सपि​िे कुि हफ्तो्िे दादरी कांड िुस्ख़सयो्मे्रहा. िोशि मीसडया मे् इि मुद्े को िेकर भारी उबाि रहा. शीना बोरा और इंद्ाणी मुख़ज्​्ी की मड्रस समस्ट्ी सदखाने के बाद मीसडया चैनिो्को एक बड़्ा मिािा हाथ िग गया था. इन चैनिो्पर हर शाम राजनीसतक पास्टयि ो्के एक ही चेहरे अपनी पास्टियो्की िफाई पेश करते नजर आते रहे. इिका बेहतरीन उद्​्रण था सपि​िे हफ्ते जब डॉ िुब्मण्यम स्वामी ने दादरी कांड की चच्ास पर िाफ़ तौर पर कहा सक भारत एक सहंदू राष्​्है. हॉवस्ड मे् पढते वक़्त युवा िुब्मण्यम स्वामी जब अपनी उि वक़्त की गि्सफे्ड रोक्िेन िे समिते िमय शायद सहंदू होना याद नही्रहा होगा. उनकी पत्नी रॉक्िेन पारिी है् और पेशे िे वकीि है्. अक्िर नेता सहंदुत्व के िाये मे् खूब भड़्काऊ बयानबाजी करते है्. स्वामी भी इिी तरह की बयानबाजी करते रहे, िेसकन ये नेता चैनि के परदे पर बने रहते है. मीसडया चैनि भी इन भड़्काऊ बयानबाजी वािे नेताओ् को तरजीह देकर टीआरपी बटोरने के चक्​्र मे्पड़्ेरहते है्. उग्​् और तीखे बयानबाज नेताओ् की िूची भी काफी िंबी है. इनमे् योगी आसदत्यनाथ, िाध्वी प्​्ाची, प्​्वीण तोगसड़या, िंगीत िोम जैिे नाम चैनिो्पर चमकते रहते है. मीसडया अपने प्​्ोफेिन के नाम पर इन चेहरो् को पूरी तरजीह भी देता है. एक बयान देकर िाध्वी प्​्ाची जैिे नेता कई सदनो् तक चैनिो् की िुस्खसयो् मे् िाये रहते है्. इन बयानो् के बाद िे प्​्सतस्​्कयाओ्का सि​िसि​िा शुर्हो जाता है. अक्िर इि तरह के बयानो् िे यह नेता अपनी राजनीसत चमकाते रहते है्. धम्स के यह ठेकेदार नेता िंसवधान और िरकार िे बढ्कर हो जाते है्. आज गाय को िेकर सियािी राजनीसत तेज हो गयी है, िेसकन बदहाि गायो्की हाित सकिी िे सिपी नही्है. कूड़्ा और कचरा खा रही शहरी गायो्की ब्सथसत पर यह धम्सके ठेकेदार अक्िर चुप्पी िाध जाते है. यह वह िोग है्जो भयभीत सहंदुओ्को 48 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

आश्​्स्करते है्सक भारत जैिे सहंदू राष्​्की कमान न सिफ्कउनके हाथो् मे्है पर उनके रहते इि देश मे्सकिी भी सहंदू का कोई बाि भी बंका नही् कर पायेगा. यह स्वाभासवक है सक सदन मे्हिारो्बार ऐिे नेता टीवी एकंरो् और चैनि मासिको्को कोसट-कोसट प्ण ् ाम करते हो्ग.े कसव, िासहत्यकार, पशु प्​्ेमी, शायर, पय्ासवरणसवद, और भारत की एकता के कई पहिुओ्को अपना मुद्ा बनाने वािे टीवी एंकर और िंपादक भिे ही अपने ड्​्ाइंग र्म मे्िुब्मण्यम स्वामी और िंगीत िोम की घोर सनंदा करते हो्, िेसकन यसद टीवी की सहंदुत्व चच्ास मे्इन्ही चेहरो्को शासमि करना जर्री िमझते है्. इन चेहरो्को वह इि तरह की चच्ासओ्के सिए जर्री बना देते है्. ऐिा िगता है सक वह इन नामो्को चच्ास मे्शासमि नही्करते तो चच्ास पूरी नही् होती. हर चैनि पर फेरी िगाते हुए इन चेहरो्को टीवी कैमरो्का िामना करना भी बखूबी आ गया है. टीवी चैनिो् पर यह अपनी तीखी बयानबाजी को और धार देते सदखाई देते है्. सफर शुर् होती है एक झूठ-मूठ की िड़ाई. एक तरफ एंकर सियाचीन पर खड़े िैसनक का काम करता है तो सहंदुत्व के नुमाइंदे अपनी भारत माता को ‘कसथत दुक्मनो्’ िे बचाते सफरते है्. हर चैनि पर वही चेहरे, वही मुद्ा और वही चच्ास. इिी िंदभ्स मे् एक प्​्िंग उन्नीिवी् शताल्दी के यूरोप का है. एक िव्​्े मे् जब यूरोप की मसहिाओ्िे यह पूिा गया सक क्या उन्हे् अपने घर और शरीर पर असधकार है या सफर यह उनके पसतयो्पर सनभ्रस है सक उनके सकतने बच्​्ेहो िकते है्, तो बहुतो्ने यह जवाब सदया की उनके पसत यह तय करते है्की वे कब मां बन िकती है्. तब उन्हे्एक िरि और िोटे िा शल्द सिखाया गया नही्! इन मसहिाओ्को न कहने की आदत डािने की ि​िाह दी गयी. भारतीय मीसडया को भी कुि इिी तरह के शल्द की जर्रत सदखायी पड़्ती है. सजि​िे की भड़्काऊ बयान वािे चेहरो् को मीसडया चैनिो्पर तरजीह ही नही्समिे. इि मामिे मे् यसद हमारे टीवी एंकर और िंपादक भी भड़्काऊ सवचारो्वािे चेहरो्िे परहेज कर िे्तो इन्हे्बेहतर िबक समि िकेगा. इिके सिए मीसडया चैनिो् और एंकरो् को िोचना होगा. टीआरपी और रेसटंग का चक्​्र क्या इन्हे् ऐिा करने िे रोक पायेगा, ये तो बि खुदा n ही जानता है!


ितकही चंचल

पढ्कर का करे्गे

गांव मे्लोगो्को पढने के बलए और अपने पुरखो्के बारे मे्िानने के बलए ' दस्​्ावेि ' बनािा िा रहा है .

राजे्द् चौधरी कौन है? िच्​्ी बोिे्? तोर बाप है. चोर, बनडोि, डकैत, चमचोर, बिात्कारी और िुटेरो्क इसतहाि तुम्हरी जबान पर है, और पूसि रहा है राजे्द्चौधरी कौन है? तुम्हारी गिती नही्है, सपि​िे कुि िािो्िे बयार ही ऐिी चिी है सक जो सजतना बड़ा अपराधी, उतना ही बड़ा उिका िावासजमा और उतनी ही बड़ी पूजा. कि तक रहा सक अगर कोई अपराध मे्पकड़ा गया तो क़ानून बाद मे्िजा देता रहा, िमाज पहिे ही टाट बाहर कर देता रहा औ हुक्ा पानी िब बंद. रासजंदर के िवाि पर िम्मरदार का इि तरह भड़्कना िोगो्को अजीब िगा, क्यो्सक िम्मरदार जल्दी उबिते नही्. िेसकन िगता है कही्और िे बौखिाए हुए आये है्. िाि िाहेब ने िंभािा- बैसठए िम्मरदार! आज अदरख की चाय बना रहा हूं. का बात है आज िुबहे उखड़्गये? िम्मरदार ने िाठी बगि दीवार पर सटकाया और तख्त पे जमकर बैठ गये. िंबी िांि िी और बोिना शुर् सकये. पूरे गांव मे् का अगि बगि हर जगह चच्ास है सक एक ठेठ गांव मे्िोगो्को पढने के सिए, उठने बैठने के सिए, और अपने पुरखो्के बारे मे्जानने के सिए ' दस्​्ावेज ' बनाया जा रहा है ...बात पूरी हो इिके पहिे ही उमर दरजी ने टोका- काका! आज वाकई बहकी-बहकी बात कर रहो हो कुिो, कुिो ना िमझ मे् आय रहा बा, एंटीना िे ऊपर सनकि जा रहा है? िम्मरदार मुस्कुराए. बताता हूं. परधान क िसडका पढ सिख के गांव आवा. कुि सदन तो यूं ही गांव-गांव घूमता रहा. पता नही् का िनक िवार हुई सक बोिा- अब गांव मे्एक पुस्कािय की जर्रत है, एक बाजार की जर्रत है जहां गांव मे्बनने वािे पुक्तैनी रोजगार को सफर िे स्थासपत सकया जा िके, इि िमय िमूचे देश को इन दो चीजो् की बहुत जर्रत है वरना आगे आने वािी पीढी तो और भी सनकम्मी सनकिेगी. अपनी कुि पूंजी िगा कर उिने पुस्कािय तो खोि सदया, अब उिे और आगे बढाना था. जहां एक जगह वे िारे दस्​्ावेज मुहैया हो िके् सजन्हे् हमारी पीढी नही्जानती. गांधी, नेहर्, डॉ िोसहया, जेपी. आज की पीढी के सिए यह जर्री है सक इन पुरखो् के बारे मे् गंभीरता िे जाने. उि सहस्िे का नाम रखा गया है दस्​्ावेज. इिी के बगि मे् एक कतार िे िोटी-िोटी दुकाने्बनाने का इरादा है जहां िोहार, कुम्हार, धसरकार, रंगरेज. धुसनया वगैरह अपने पुक्तैनी पेशे के िाथ इज्​्त के िाथ, अपना काम करे और उिे देश दुसनया देखे. इि आयोजन के सिए राजे्द्चौधरी ने अपने सनसध िे मदद सकये. और इिकी चच्ास चारो्ओर है. क्यो्सक अब तक जो होता रहा सक िांिद और सवधायक अपने सनधी िे जो भी मदद करते रहे, पहिे

उिका कमीशन िे िेते रहे. यहां एक भी पैिे का िेनदेन नही्हुआ है. इिकी वजह जान िो चौधरी राजे्द् सनहायत ईमानदार नेता है और खांटी िमाजवादी. औ ई बकिोि पूि रहा है सक कौन है्राजे्द्चौधरी? अजीब हाित मे्िमाज पहुंच चुका है. न नेक काम की चच्ास, न नेक नाम की जानकारी. इिसिए गुस्िा आ गया. कि का सकस्िा िुने? बनारि हवाई अड्​्ेपर कुि देर के सिए मुिायम सिंह यादव र्के. सबहार िे वापि आ रहे थे. गणेशी परंपरा के िमाजवादी वहां पहुंच गये. मुिायम सिंह िे कहा गया सक बनारि मे् डॉ िोसहया की एक प्​्सतमा िगवा दीसजए .मुिायम सिंह ने बहुत माकूि जवाब सदया. डॉ िोसहया पर िेसमनार भी सकये हो कभी? जेपी और आचाय्सनरे्द्देव को पढे हो? िमाजवासदयो्मे् आपि मे् ही तू तू मै् मै शुर् हो गयी. मुिायम सिंह बगैर सवश्​्ाम सकये अपनी यात्​्ा पर चिे गये. िेसकन एक िवाि तो िोड़ ही गये- मूस्तस पूजा और सवचार मे्सकिको पकड़्ना है? और सकिके सवचार? तो इि दस्​्ावेज मे् कौन कौन िे िोग आये्गे? कीन उपासधया ने कुसटि हंिी के िाथ पूिा क्यो्सक जब िे यह पुसक ् ािय शुर्हुआ है कुि नौजवान गांधी, िोसहया, आचाय्स, पंसडत नेहर् के बारे मे् जानने िगे है् और िंसघयो् के झूठ का जवाब भी देने िगे है्, कीन उपासधया को यह खटकता है क्यो्सक ये पुराने िंघी है् और अब तक जो कुि भी झूठ फूर बोिते थे पब्लिक मुंह बाए िुनती थी. उनके प्​्चार को धक्​्ा िगा है. िम्मरदार, कीन को देख कर हंिे- बकिोि! एक िाि िे भी ज्यादा हुए के्द् मे् तुम्हारी िरकार है. चुनाव हुए और हो रहे है्. कही्एक भी जगह अपने सकिी नेता का नाम िुना सक उनके नाम पर वोट मांग रहे हो्? हेडगवार, गोिवरकर, अटि या अडवानी सकिी का नाम आया? कभी गांधी, कभी पटेि, अब डॉ िोसहया, जेपी..? बोि! िच है न . और जब गांधी, िोसहया,जेपी के सवचार िे मुठभेड़ होगी तब क्या करोगे अब भी वक्त है तू ' दस्​्ावेज मे्बैठना शुर्कर. वहां तुम्हारी भी सकताबे्समिे्गी सजिमे्तुमने नफरत के पाठ पढाएं है्, उन्हे् पढ कर तुम्हे शम्स आयेगी. पूिो्न अपने नेता िे सक बंच आफ थाट कहां है/ बच्​्ूकोइ न कोइ िमाजवादी सिंदा रहेगा और वह ठोि धराति बनाएगा ही. परंपरा समटनेवािी नही्है. राजे्द्चौधरी उिकी एक मजबूत कड़ी है्.उनके पाि न मकान है, न बख्तर बंद गासड़यो् का कासफिा, न बंदूक है न िंदूक िेसकन आज वह उत्​्र प्​्देश का एक मजबूत शख्ि है सजिके पाि उिकी िबिे बड़ी सतजारत है ईमानदारी और वैचासरक प्​्सतबद्​्ता.चि वक्त हो n तो दस्​्ावेज चिो. शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 49


मास् साबहत् ट हेयड मुकेश नौतटयाल

खैतरा

नकी कई पुक्ते् पीढ्ी-दर-पीढ्ी, मखमि जैिे इि ढिुवा मैदान मे् आबाद रही है्. बैशाख िे िेकर कास्तसक तक, पूरे िह महीने उनका डेरा इन्ही् बुग्यािो् मे् होता है. जैिे ही जाड़्ो्की पहिी बफ्कसगरती है वैिे ही वो अपने मूि गांवो्को वापि िौट जाते है्. बफीि्​्े सहमािय की जड़् िे िटकर पिरे इन बुग्यािो्को वो देवथि कहते है्. देवस्थि ही है् उनके सिए िपिपी घाि के यह मैदान. यहां के औिसधय पादपो् और नम्स घाि को खाकर उनके मवेशी पट्​्ेबन जाते है्. पशुओ्के खुरो्िे इन ढाि मैदानो्की शानदार गुड़्ाई होती है और पौधो्को गोबर की खाद भी इन्ही्पशुओ् िे समिती है. मनुष्य, पशु और प्​्कृसत के

50 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

युवा कसव और कथाकार. प्​्कािशत कृसतयां: चमकता रहेगा स्वीिी घाम, सहमािय की कहासनयां, दुल्िी चूड़्ीयासरन और िफेद ऊन का गोिा. सवसभन्न प्ात्​्-पस्​्तकाओ्मे्रचनाएं प्​्कािशत.

िामंजस्य के चिते युगो्िे यह बुगय् ाि िुरस्​्कत बने हुए है्. अमूमन यहां तक उनके अिावा कोई नही् आता. कभी गस्मसयो् मे् कुि िाहिी पय्सटक जर्र यहां िे गुजरते है्, िेसकन उनकी उपब्सथसत बुगय् ािो्िे होकर गुजरने भर तक की होती है. पाि ही समिटरी जवानो् की कुि चौसकयां है् और फौसजयो् िे इनके पुराने सरक्ते है्. यही िोग है्जो फौज को िीमा पर उि पार िे होने वािी हिचिो् की िटीक जानकारी मुहैया कराते है्. सहमािय िे िटा और दुसनया िे कटा यह इिाका उनका अपना अंचि है. यहां कोई नही् जो उनकी खुदमुख्तारी मे् अड़्ंगा डाि िके,

िेसकन अबकी पहिी बार एक हासकम ने आकर उनकी नी्द उड़्ा दी. उिने कहा सक वो िोग िप्ताह भर के सिए कही्चिे जाये्. ‘कहां जाये्िाहब! हमारा दूिरा ठौर कहां है?’ मुसखया भाग सिंह सवनती करते हुए बोिा. ‘कही् भी चिे जाओ’ हासकम ने िापरवाही िे कहा. ‘हम उजड़्जायेग् ,े मासिक हमारे गांव यहां िे िैकड़्ो्मीि दूर है.’ ‘एक शत्सपर रहने दूंगा’ हासकम ने कहा. ‘ मंजूर है, हुजूर’ भाग सिंह ने हाथ जोड़् सदये. देर तक भाग सिंह हासकम के सनद्श ्े िुनकर स्वीकृसत मे्सिर सहिाता रहा और उिका भरोिा जीतने की कोसशश करता रहा. हासकम अपने अनुचरो्के िाथ वापि िौट आया. ठीक उिी सदन िे भाग सिंह के कुनबे की स्​्सयां बाड़्ो् मे् घाि के गट्​्र जमा करने िगी. डंगरो् के सिए पूरे िप्ताह भर की खुराक जमा


करनी थी. हासकम की सहदायत थी सक गाय, भैि ् और घोड़्े बाड़्ो् िे बाहर न सनकिे्. भेड़्ो् को चराने की इजाजत भी इि शत्सके िाथ दी गयी थी सक उनको ढिान के नीचे िे िे जाया जाये तासक ऊपर कोई व्यवधान पैदा न हो. िप्ताह भर बाद बुग्याि मे्िरगस्मसयां बढ् गयी्. उनकी बस्​्ी िे काफी ऊपर वन सवभाग के बंगिे को रंग-रोगन िे िजाया जाने िगा. भाग सिंह ने अपने सपता िे िुना था सक कभी एक अंग्ेज अफिर यहां आया था. तब वह बंगिा उिके सिए बनाया गया था, िेसकन भाग सिंह ने पचाि िािो्मे्सिवाय पतरोि के वहां सकिी को आते-जाते नही् देखा. बनने के बाद पहिी बार इि बंगिे को िजाया जा रहा था. वहां कौन आ रहा है, भाग सिंह नही् जानता, िेसकन तैयासरयो् िे वह िमझ गया सक जो भी आ रहा है वह िव्सश्ेि्ही होगा. नंदा पव्सत िे िूरज झांकने िगा था. होहल्िे और हंिी ठट्​्ेिे गुजिार रहने वािी भाग सिंह की बस्​्ी मे् उि िुबह क्मशान िी शांसत िायी थी. बूढ्े खुिकर खांि नही् रहे थे और रोते बच्​्ो्के मुंह माएं हथेसियो्िे दबा रही थी्. सवस्​्ीण्सचरागाहो्मे्उन्मुक्त सवचरने वािे पशु धमाचौकड़्ी मचा रहे थे और उनको सनयंस्तत करने मे्भाग सिंह के जांबाजो्के पिीने िूट रहे थे. िूरज चढ्ने के िाथ ही बंगिे के आिपाि हिचि बढ्ने िगी. बुग्याि की नीरवता को तोड़्ता एक उड़्नखटोिा वहां उतरा. इिमे् बैठकर आये स्​्ी-पुर्ि जब बंगिे की तरफ जाने िगे तो भाग सिंह की बस्​्ी के िोग मनाही के बावजूद उचक-उचक कर उनको देखने िगे. इतनी दूर िे उनके चेहरे िाफ नही् सदख रहे थे. िेसकन कद-काठी और चाि िे भाग सिंह के कुनबे को यह पिा चि गया सक वो आगंतुक भिे खाि हो् िेसकन उनिे ज्यादा अिग नही्है.् इि रहस्योद्घाटन ने उनको कुि हल्का कर सदया था. अब उनके अंति मे्िमाया डर कुि कम हो गया था. हासकम ने कहा था, ‘िाहब तीन सदन तक वहां ठहरे्गे और चौथे सदन वापि िौट जाये्गे.’ तीन सदन की कैद कम नही्होती, खािकर उि घूमंतू िमुदाय के सिए जो िमूचे जंगि को अपने देवताओ् की भूसम िमझकर उन्मुक्त सवचरण का अभ्यस्​् हो गया हो. तीिरी रात प्​्तीक्​्ा की रात थी. अगिी रात पूरा कुनबा मुब्कत का उत्िव मनायेगा. अनाज िे बनी िंग पीकर रात भर नाच गाना होगा. भाग सिंह देर रात तक िो नही् पाया. पौ फट रही थी सक उिकी आंख िग गयी. अचानक दरवाजे पर सकिी ने दस्​्क दी. अंदर स्​्सयां भी िो रही थी्, िो भाग सिंह आंखे् मीचते हुए स्वयं बाहर की ओर िपका.

उिके उडंनखटोले को लौटे तीन महीने बीत गये. जाडंों की पहली बफंफ अभी नहीं सगरी थी, लेसकन खानाबदोिों ने पोटसलयां बांध ली थीं. ‘तुमको िाहब ने बुिाया है’ पुसि​िवािो्ने कहा. ‘कोई गिती हो गयी, िरकार’ भाग सिंह घबरा गया. ‘अरे! तुम्हारी सकस्मत खुि गयी है. िाहब तुमिे समिना चाहते है्’ यह बात एक मुिासजम ने कही जो खाकी पोशाक मे्नही्था. ‘अभी आया, िाब जरा कुल्िा-सपचकारी कर िूं कपड़्े बदि िूं.’ भाग सिंह ने िमय मांगा. ‘नही् जैिे हो, वैिे चिो िाहब तुमको ट्​्ाइवि फॉम्समे्देखना ज्यादा पिंद करे्गे’ एक अफिर ने भाग सिंह का हाथ पकड़्ा और अपने िाथ बंगिे की ओर िे गया. इि बीच बाहर आवाजे् िुनकर कुनबे के िोग उठ गये थे. कोई नही्जानता था सक उनके मुसखया को कहां और क्यो्िे जाया जा रहा है. िभी िोग िांिे्थामकर बंगिे की ओर देख रहे थे. अचानक भागसिंह पगडंडी िे उतरता नजर आया. उिकी चाि मे् गजब की ठिक थी, मानो कोई युद् जीतकर िौट रही हो. जैिे ही वह बस्​्ी मे्पहुंचा, िोगो्ने उिको घेर सिया. ‘क्या हुआ?’ नल्बे पार कर चुके बूढ्ेिौ्ण सिंह ने पूिा. ‘अरे! कुि नही् हुआ, काका िाहब ने बुिाया था’ भाग सिंह ने कुि इि अंदाज मे्कहा जैिे िाहब भी उिके कुनबे के िदस्य हो्. ‘कैिा सदखता है िाहब? तूने शक्ि तो देखी होगी’ उम्​्दराज बौरा देवी ने उत्िुकता िे पूिा. उिकी बात का कोई जवाब भाग सिंह ने नही् सदया, अिबत्​्ा उिकी हंिी ने िवाि के व्यथ्सहोने के िंकेत दे सदये थे.

‘इतनी देर क्या करता रहा हूं वहां?’ भाग सिंह के हमउम्​्िोबन सिंह ने पूिा. ‘करना क्या था. बातचीत की िाब के िाथ. सफर फोटो खी्ची’ ‘फोटू भी खी्ची!’ िौण सिंह ने पूिा. ‘हां पहिे िाब के िाथ, सफर मेमिाब के िाथ बच्​्ो्के िाथ और उनके कुत्ेके िाथ भी’ िभी की हंिी एक िाथ िूटी तो भाग सिंह को अपनी गिती का एहिाि हुआ. तत्काि स्पष्​्ीकरण देते हुए उिने कहा, ‘उनके कुत्े हमारे पहाड़्ी कुत्ो्जैिे नही्होते कद काठी मे् सबल्िी के मासफक िोटे और िाफ-िुथरे होते है.् उनमे्आदमी जैिी िमझ होती है और जानते हो, वह खाते क्या है्?’ ‘क्या खाते है्!’ एक िाथ कइयो्ने पूिा. ‘जिेबी और दूध’ ‘चाय तो तूने भी पी होगी वहां!’ िोबन सिंह ने दूध-जिेबी िे नीचे की बात पूिी. भाग सिंह चुप रहा. यकीनन यह िवाि भी बेमानी था. ‘बातचीत क्या हुई.?’ िौ्ण सिंह ने वजनी िवाि दागा. ‘कई मि​िो्पर बात हुई. िाब को इि बात का बड़्ा दु:ख हुआ सक इतनी मेहनत िे इन ऊंचे इिाको्िे हम जो जड़्ी-बूटी बटोरते है्, उनको बेहद िस्​्े दाम पर बेचते है्. उन्हो्ने कहा सक कीड़्ाजड़्ी तो हम एक तरह िे मुफ्त दे रहे है्. सवदेशो्मे्यह बहुत महंगी सबकती है. यही हाि हत्थाजड़्ी का भी है.’ भाग सिंह की बात िे यह तय हो गया सक बुग्याि मे् आने वािा वह भद्​् पुर्ि भिा आदमी है. उिके उड़्नखटोिे को िौटे तीन महीने बीत गये. जाड़्ो्की पहिी बफ्कअभी नही् सगरी थी, िेसकन खानाबदोशो्ने पोटसियां बांध िी थी्. अचानक एक िुबह जंगिात के कासरंदे वहां आ गये. उन्हो्ने कहा सक अगिी गस्मसयो्के सिए उनको नया ठौर तिाशना होगा. अब बुग्याि आरस्​्कत क्​्ेत् घोसित हो गया है. जंगिात को पता चिा है सक भाग सिंह के कुनबे और डंगरो् के वहां रहने िे बुग्याि पर खतरा मंडरा िकता है. उनके वहां रहने िे कई दुि्सभ पादप िंकट मे् आ गये है्. कस्​्ूरा जैिे िुप्त प्​्ाय जीवो्को वहां बनाये रखने के सिए जर्री है सक भाग सिंह के कुनबे को वहां जाने िे रोका जाये. इि फरमान ने बुग्याि के वासशदो् को परेशान कर िोड़्ा था. कुनबा भाग सिंह की झोपड़्ी पर जुट गया. भाग सिंह मुंह िटकाए बैठा था. बूढ्ेिौ्ण सिंह ने जीवन भर के अनुभवो् िे उपजी िमझ को माथे पर िमेटकर पूिा, ‘जरा ठीक िे याद कर बता, भाग सिंह उि सदन िाब िे तेरी क्या बातचीत हुई थी?’ भाग सिंह ने फटी नजरो् िे िौ्ण को देखा और मुहं सि​िकर झोपड़्ी के अंदर चिा गया.n शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 51


मास् साबहत् ट हेयड

प्​्बिरोध के स्वर: (ऊपर िाये् से) कृष्णा सोि​िी, अशोक वाजपेयी, के. सब्​्िदानंदन, सारा जोसेफ, शबश देशपांडे और उदय प्​्काश

एक सारंथक पं​ंमतरोध

इन सभी लेखको्की केद् ्ीि बचंता एक ही है- समाि मे्बढ्ती वह अलोकतांब्तकता और कट्र् ता बिसमे् कभी कलबुग्ी िैसे लेखक मारे िा रहे है्और कभी दादरी िैसी वीभत्स घटनाएं हो रही है्. त्​्ियदश्ान

शु

र्आत उदय प्​्काश ने की और सफर नयनतारा िहगि और अशोक वाजपेयी ने इिे आगे बढ्ाया. अब यह िूची 31 िेखको् तक पहुंच चुकी है. कृष्णा िोबती जैिी बड़्ी िेसखका ने अपना िासहत्य अकादेमी िम्मान िौटाने की घोिणा की है. अंग्ेजी िेसखका िारा जोिेफ़्और पंजाब मे् िुरजीत पाठक िमेत कई प्​्मुख िेखक भी इि कतार मे् आ चुके है्. मियािम कसव िस्​्चदानंदन अकादेमी की िदस्यता िोड़्चुके है्. इिके पहिे अंग्ेजी िेसखका शसश देशपांडे ने िासहत्य अकादेमी की िामान्य पसरिद की िदस्यता िोड़्ने की घोिणा की. उद्सूके िेखक रहमान अल्बाि ने महाराष्​्िरकार िे समिा िम्मान वापि सकया है तो पांच कन्नड़्िेखको् ने अपने राज्यो्की अकादसमयो्के िम्मान िौटा सदए है्. केकी दार्वािा ने िासहत्य अकादेमी िे पत्​्सिखकर मांग की है सक वह किबुग्ी की हत्या के सवरोध मे्एक काय्सक्म करे. इन िभी िेखको् की के्द्ीय सचंता एक ही है- िमाज मे् बढ्ती वह अिोकतांस्तकता और कट्​्रता सजिमे् कभी किबुग्ी जैिे िेखक मारे जा रहे है् और कभी दादरी जैिी वीभत्ि घटनाएं हो रही है्. उनकी यह भी सशकायत है सक िेखको्पर बढ्रहे हमिो्को िेकर िासहत्य अकादेमी चुप है तो िमाज मे् बढ्ती कट्​्रता को प्​्धानमंत्ी की चुप्पी िंरक्​्ण दे रही है. िेसकन इि िेखकीय प्​्सतरोध की तरह-तरह की व्याख्याएं की जा रही है् सजनका वास्​्ा इन िेखको्के अपने व्यब्कतत्व और कृसतत्व िे िेकर दूिरे 52 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

िेखको् और िेखक-िंगठनो् तक फैिे उनके राग द्​्ेि के अिावा दूिरे िेखको्की अपनी िामासजक-राजनीसतक िमझ और चेतना तक िे है. कुि को िेखको्की नीयत पर िंदेह है तो कुि को पुरस्कारो्के िमूचे औसचत्य पर- उनको स्वीकार सकए जाने िे िेकर उनके िौटाए जाने तक पर. इि पूरे मामिे मे् िासहत्य अकादेमी का रवैया पूरी तरह गैरस्िम्मेदार और िेखको् के प्​्सत अिसहष्णुता भरा सदखाई पड़् रहा है. िेखक एमएम किबुग्ी की हत्या की भत्ि्सना और उन पर श्​्द्ांजसि काय्सक्म करने की योजना तो दूर, उिे यह देखना भी गवारा नही्हो रहा सक एमएम किबुग्ी की हत्या िेखन पर एक बड़्ा हमिा है. वह बता रही है सक िासहत्य अकादेमी एक स्वायत्​्िंस्था है, इन घटनाओ्िे उिका िेना-देना नही्है और ऐिे सवरोध की वहां परंपरा नही् है. िासहत्य अकादेमी के अध्यक्​् सवश्​्नाथ सतवारी यह िी्टाकशी तक कर चुके है्सक इन िेखको्ने आम चूि सिया, अब गुठिी िौटाने की बात कर रहे है्. इिमे्िंदेह नही्सक सजन िेखको्ने अपनी-अपनी वजहो्िे िासहत्य अकादेमी के िम्मान नही्िौटाए, वे अब अपने को दुसवधा के कठघरे मे्पा रहे है्. अगर वे अब अपना िम्मान वापि करते है्तो इनके सपि​िग्गू माने जाएंगे और अगर नही्करते तो िरकार की नीसतयो्या अकादेमी की चुप्पी के िमथ्क स . इिी मे्सनसहत एक प्क् न् यह भी है सक क्या यह बेहतर नही्होता सक पुरस्कार वापि करने की जगह समिजुि कर प्स्तरोध की कोई िामूसहक नीसत तैयार की जाती- सफर भिे ही िब अपने पुरस्कार वापि करते. एक िवाि यह भी है सक सजन िेखको्को अकादेमी या दूिरे िरकारी


नही्कर िकती्, न उन्हे्करना चासहए, क्यो्सक ऐिा बोिना भी उन्हे्अंततः पुरस्कार नही्समिे, वे क्या वापि करे्. वे अपना प्​्सतरोध सकि तरह दज्स व्यथ्स कर देता है. िेसकन जब िेखकीय स्वतंत्ता िंकट मे् हो, जब तक्क कराएं. और िबिे बड़्ा िवाि यह है सक आसखर यह प्​्सतरोध सकतना वास्​्सवक है, उदय प्​्काश के मामिे मे्वह किबुग्ी की हत्या के बाद क्यो् और सवचार पर िगातार हमिे बढ् रहे हो्, जब िेखक अपने माहौि िे हताश हो्, तब भी िेखको्की के्द्ीय अकादेमी चुप रहे, कुि न कहे, यह उपजा, बाकी िेखको् के मामिे मे् दादरी के बाद क्यो्- और सहंिा और अफ़्िोि की बात है. और यह शम्सकी सक जब उिके िेखक अपने िम्मानो् अन्याय िे भरे एक िमाज मे्सिफ्कयही घटनाएं क्यो्, सजनका प्​्सतरोध हो, बाकी का क्यो्नही्? इतने िारे िवािो्को उठाने का मक़्िद इन िेखको् की वापिी का िाव्सजसनक एिान कर रहे हो् तो वह िरकारी दफ्​्तरशाही की परंपरा का पािन करते हुए बताए सक उिके पाि ऐिी कोई िूचना नही् पर आक्​्मण करने या इनका बचाव करने की कोई भूसमका तैयार करना है. कायदे िे उिे अपने िेखको्िे बात करनी चासहए, प्​्ोफेिर किबुग्ी की नही्, बब्लक इि प्​्क्न पर सवचार करना है सक आसखर सकिी िेखक के हत्या के सवरोध मे् अगर उिकी भूसमका सकिी को अपय्ासप्त िगती हो तो िासहब्तयक प्​्सतरोध की रणनीसत क्या हो? क्यो्सक अंतत: हमारा िेखन ही उिका उसचत िमाधान करना चासहए और यह माहौि नही्बनने देना चासहए हमारा प्स्तरोध है, मगर ऐिे क्ण ् ो्मे,् जब वह िेखन अपय्ापस त् मािूम पड़्ने सक अपनी ही अकादेमी िे जुड़्ने मे्कोई िेखक िकुचाए. मगर अकादेमी िगे या कोई तात्कासिक दबाव बनाने की ि्रर् त महिूि हो तो िेखक क्या यह बड़्प्पन सदखाने की जगह िेखको्को अविरवादी बताती रही. करे. क्या अगर सकिी िंस्था की चुप्पी उिे सखन्न करती है तो वह इि डर अब वह िबिे महत्​्वपूण्सबात सजिका वास्​्ा पुरस्कार वापिी की इि िे कुि न कहे सक िंस्था का तो उिने िाभ िे सिया और अब उि िाभ की मुसहम और इि​िे जुड़्ेसववाद िे है. क्या इि बात मे्भी सकिी को िंदेह है वापिी को भी उिकी रणनीसत के तौर पर देखा जाएगा? या वह इि तक्कके सक सपि​िे कुि सदनो् िे िारी उदारवादी परंपराएं सनशाने पर है्? नरे्द् आगे घुटने टेक दे सक अपराध तो सकिी और ने सकया है- उि िंसथ ् ा ने नही्, दभोिकर, गोसवंद पानिरे और एमएम किबुग्ी की हत्या के पहिे और बाद सजिने उिे पुरस्कृत सकया था? सजि तरह के हािात है्, उनमे्कोई भी िेखक, बुस्दजीवी या पत्​्कार ख़्ुद जासहर है, उदय प्​्काश, अशोक वाजपेयी, नयनतारा िहगि या शसश को िुरस्​्कत महिूि नही्कर िकता. और क्या इिमे्भी शक है सक स्वतंत् देशपांडे को बतौर िेखक यह िूट तो होनी ही चासहए सक अगर वे महिूि तक्क और सवचार पर हमिे की इि मुसहम मे् वह बीजेपी और िंघ पसरवार करते है् सक िासहत्य अकादेमी का िम्मान अपने पाि रखने का कोई िबिे आगे है जो सफिहाि इि देश का नेतृत्व कर रहा है? और क्या यह औसचत्य नही् रह गया है तो वे उिे वापि कर दे्. यह उनकी िेखकीय बात भी अिस्​्कत की जा िकती है सक िगभग हर सखिाड़्ी और असभनेता स्वतंत्ता का सहस्िा है. हािांसक अगर उन्हो्ने अतीत मे्कुि ऐिा सकया हो के जन्मसदन िे िेकर उिके कोई पुरस्कार प्​्ाप्त करने या कोई प्​्सतयोसगता जो आिोचना योग्य है तो वह तब भी आिोचना योग्य बना ही रहेगा- मगर जीतने पर सबना देरी सकए बधाई देने वािे, चौबीि घंटे ट्वीट पर रहने वािे, सिफ्कउि अतीत की याद सदिा कर उनके इि फ़ै्ि​िे को ख़्ासरज नही्सकया हमारे प्​्धानमंत्ी ऐिी तमाम घटनाओ्पर एक िुसचंसतत चुप्पी ओढ्िेते है्? जा िकता. और इि​िे यह सनष्कि्स भी नही् सनकािा जा िकता सक सजन जब वे बोिते भी है् तो बि यह याद सदिाते है् सक िेखको् ने अपने िम्मान वापि नही् सकए, वे ऐिी घटनाओ् िे माहौि सबगड़्ेगा और देश की िासहत्य अकादेमी या िरकार के िाथ खड़्े है्. हो आस्थसक प्​्गसत र्केगी. वे उि मूि िामासजक तंतु िकता है, वे अपने-अपने ढंग िे इिका प्स्तरोध करे् की सचंता नही्करते सजिे िगातार तोड़्ा जा रहा है. और कर रहे हो्. इिी तरह सजन िेखको् के पाि जो िोग पढ्ने-सिखने की िाव्सजसनक दुसनया मे्है्, कोई िम्मान वापि करने को नही् है, उनके पाि वे जानते है्सक सकि तरह उनके िेखन और पठनअपनी असभव्यब्कत तो है- वे सिखकर, बोिकर, पाठन पर िगातार दबाव बढ् रहे है्- कुि अदृक्य सकिी धरने-जुिूि मे्शासमि होकर, या आने वािे सकस्म के और कई बेहद प्​्त्यक्​् सजनमे् िोशि सदनो्मे्इन िंस्थाओ्िे अिग रहने का फ़ै्ि​िा कर मीसडया पर दी जाने वािी गासियो् के अिावा अपना सवरोध जता िकते है्, जता रहे है्. सदल्िी के मोटरिाइसकि िे घर आकर मारी जाने वािी जंतर-मंतर िसहत देश के अिग-अिग शहरो् के गोसियां भी है. नुक्ड़्ो् और चौराहो् पर िेखको् और ऐिे मे्िेखक क्या करे? क्या वह यह जानािंस्कृसतकस्मसयो् के सवरोध-प्​्दश्सन ने सपि​िे सदनो् एमएम कलिुग्ी: एक बवचार की हत्या पहचाना राग दोहराता रहे सक हत्या सिफ्कशरीर की िुस्खसयां बनाई थी्. दरअि​ि यह पूरी बहि याद सदिाती है सक एक िोकतांस्तक िमाज मे् होती है, सवचार की नही्, और किबुग्ी मर कर भी स्िंदा है्? िच यह है सक किबुग्ी अब कुि नही्सिखे्गे और उनकी तरह के बहुत िारे िोग सिखने िासहत्य अपनी िारी अराजनीसतक पहचान के बावजूद मूितः एक िे डरे्गे. अंततः इन िबकी क़्ीमत सिफ़क्िेखक को नही्िमाज को चुकानी राजनीसतक कार्सवाई ही है. इिके सवरोध के अिग-अिग रास्​्े हो िकते पड़्ेगी, चुकानी पड़् रही है. दादरी मे् जो कुि हुआ, वह सिफ्क इिसिए है्, हर सवरोध की अपनी राजनीसत हो िकती है और उिका अपना भयावह नही्है सक बि गोमांि रखने के शक मे्एक शख्​्ि को उिके घर अविरवाद भी हो िकता है. िेसकन इि तक्कपर िेखको्के पुरस्कार िौटाने िे सनकाि कर मार सदया गया, बब्लक इिसिए कही्ज्​्यादा डरावना है सक की कार्वस ाई को हम अवैध या गित घोसित नही्कर िकते. जो दूिरे िेखक अगर आप िेखक है्तो देख-िमझ िकते है्सक उि भीड़्को न जाने कब अन्य तरीको् िे अपना प्​्सतरोध दज्स करा रहे है्, वह भी उनकी वैचासरक िे तैयार सकया जा रहा था, सक रघुवीर िहाय के रामदाि की तरह (हािांसक स्वतंत्ता का सहस्िा है और इिे भेड़्चाि मे्बदिने की ि्र्रत नही्सक हर यह पंब्कत भी इतनी बार दुहराई जा चुकी है सक अपनी चमक खोने िगी है) कोई अपना िम्मान िौटा दे. िेखक को अपने सवरोध का तरीका चुनने की अखिाक को भी मारा जाना था और हम िब मूकदश्सक बने रहने को िुसवधा देनी होगी. असभशप्त थे. अगर कुि िेखक हमारे बीच ऐिे है्जो अपने गुस्िे मे्, अपनी कहने को िासहत्य अकादेमी एक स्वायत्​् िंस्था है सजि पर िरकार बेबि कातरता मे्इिका सवरोध करते हुए अपना एक िम्मान िौटाते है्तो का कोई सनयंत्ण नही् है. िेसकन िंस्थाएं सकिसिए होती है्? क्या सिफ्क हमारी नि्र मे्उनका िम्मान बढ्ना चासहए. जो िोग यह याद सदिा रहे है् िािाना पुरस्कार बांटने के सिए? या पुरस्कृत िेखको्की सकताबे्िाप देने सक उन्हो्ने तब-तब वह नही्सकया जो उन्हे्करना चासहए था, वे दरअि​ि के सिए? िंस्थाएं दरअि​ि अपनी स्वायत्​्ता अपनी जीवंत उपब्सथसत िे ही इि बड़्ेिंकट को भूि कर, यह ि्र्री युद्िड़्ने की जगह अपने िोटेबचा िकती है्, िामासजक-िासहब्तयक माहौि मे्अपने उसचत हस्​्क्ेप िे ही वे िम्मान हासि​ि करती रहती है्. बेशक, वे हर सविय पर वक्तव्य जारी िोटे झगड़्ेसनबटाने मे्िगे हुए है्. n शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 53


मास् कबवता ट हेड मृदुला शुक्ला युवा कसव. एक कसवता िंग्ह ‘उम्मीद के पांव भारी है्’ और फेिबुक कसवता िंकिन ‘शतदि’ मे्कुि कसवताएं प्​्कािशत.

बेमियां सचिुच डरी हुई हैं नवरात्​्ो्मे्पूजी जाने वािी कन्याएं पैदा होती है् उन्हे्मार देने के प्​्यािो्को सनष्फि कर तोड़ कर चक्​्व्यूह के िातो्द्​्ार वे अवांसित औिादे् चैत और कुआर मे् अष्​्मी-नवमी को मनाती है्जक्न मार कर तुम्हारे मुंह पर तमाचा धोना उनके पैर, पूजना सतिक िगा कर ये तुम्हारा प्​्ायस्​्ित है या मैनेजमे्ट प्​्क्न अनुत्सरत है तुम जब भी पूजने, चाहने या िराहने का प्​्दश्सन करते हो कोख मे्भी कांप कांप जाता है कन्या भ्​्ूण अब जबसक तुम िब आभािी दुसनया की दीवार पर सचपका रहे हो बेटी िे प्​्ेम का इक्तहार बेसटयां िचमुच डरी हुई है्.

एक औरत एक औरत सिये हुए मे्िेनी-हथौड़ी बनाती रहती है हर दीवार मे्झरोखा वह अक्िर ढूंढती है िबिे मिबूत दीवार उिकी िबिे ऊंची जगह वह सिफ्कपंजो पर नही्उचकती िहूिुहान करते हुए अपने घुटने रे्गकर चढती है वहां जहां रौशनदान बनते है सगरते हुए कई कई बार सगर जाता है उिका आंचि घुटनो्तक िरक आई िाड़्ी िे कई बार झांक जाती है्उिकी जांघे् खुिते ही एक बड़ा िा झरोखा भीतर िे आते है्तमाम स्​्ी स्वर बेशरम ! भीतर आती दूसधया िी रोशनी मे् दीवार मे्चुनवाई गयी औरतो्को जो िबिे 54 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

पहिे सदखा व्ाह झरोखा बना रही स्​्ी की िासतयां और जांघ थे.

हंसने का वकंत कई सदनो्िे हंिने का वक्त नही्समिा सनभाते हुए बेहद जर्री सजम्मेदासरयां मै्अक्िर भूि जाती हूं यह गैर जर्री काम िोचती हूं अच्िा होता हंिी भी िगती हमे्भूख या की प्याि की तरह हम सदन भर जुगाड़ करते खुद के और अपने आत्मीयो्को हंिाने का तमाम दंद-फंद रचे जाते, दो जून की हंिी के सिए तब हंिी का भी असभजात्य होता ठठा कर हंिी जाती गंवई हंिी और बंद होठो्के बीच मुस्की मारना होता शानो-शौकत का प्​्तीक शायद व्यापारी भी चुप बैठते क्या भिा बाकायदा बाजार िगवाते हंिी के ऊंचे दामो्पर सबकती असभजात्य हंिी चौक-चौराहो्पर ठेिो्पर नीिाम होती ठेठ हंिी खािी पतीिी मे्अदहन को कि​िुि िे सहिाती मां जब सदन भर की मशक्​्त के बाद भी न जुगाड़ पाती शाम की हंिी तो गुदगुदा के दोनो्हाथो्िे िुिा देती अपने बच्​्ेको अपने मुंह की हंिी बच्​्ो्के होठो्पर िे आ पाना शायद ही हो पाता अब आती हूं मुद्े पर दरअि​ि मुझे आप िब की मदद चासहए महीने या िप्ताह मे्एक सदन मुक़र्सर करने को हंिी के सिए रसव ,िोम, मंगि या सक शसन की तरह सजि सदन न हंिने-हंिाने पर िगाया जाये जुम्ासना ठीक वैिे ही जैिे ऑसफि मे्िेट होने पर उपब्सथसत रसजस्टर पर िगा सदया जाता है एक िाि सनशान िोग कई सदनो्पहिे िे करे् उि सदन की तैयारी व्यापारी भी इन सदनो्की ताक मे्

जारी करे्नए ऑफर आपको बि इतना करना है आप एक बसढया िा नाम िुझाये् इि हंिी सदन के सिए दायर करे्कुि यासचकाएं जनसहत मे् करे्कुि धरने-प्​्दश्सन अगर काश सक कर पाते आप.

घूिती पृथंवी अपने अक्​्पर घूमती पृथ्वी को कहां असधकार क्​्ण ठहर कर िुस्ाने का हहराता िमुन्दर बंध जाता है िोटी-िोटी मेड़ो्िे नमक की क्यासरयो्मे् सबना सकिी प्​्सतरोध के नसदयां िोचती भी नही्अपनी प्याि के बारे मे् िूरज िहां नही्िकता सकिी ितनार पेड़ के िांह मे् ई्ट कभी तय नही्करती खुद का कंगूरे या नीव मे्गढा जाना या सक इसतहाि मे्सकिी अनारकिी का खुद मे्चुन सदया जाना आग ने खुद तय नही्सकया होगा अनंतकाि तक जिना फिदार पेड़ो्ने पत्थर खाना पुरवाई को बाध्यता है, पुरानी चोटो्को टीिने वािी नमी के िाथ बहने की पिुआ नमी को तरिती रहेगी मर्स्थिो्के हरे-भरे जंगिो्मे्बदि जाने तक िोचती हूं सक माघ-पूि की सठठुरती रातो्ने कभी कम्बि मांगे हो्गे कुदरत िे या जेठ की तपती दुपहसरया ने बादिो्की ओर हाथ उठा, कहा होगा त्​्ासहमाम िंध्या और भोर ने क्या कभी मचि कर हाथ पकड़्रोका होगा की होगी िूरज िे क्​्ण भर ठहरने की स्​्सयो्एक तुम ही नही्हो जो नही्जी पाती सजंदगी अपने मन मुआसफक

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खानपान अर्ण कुमार ‘पानीबाबा’ िेखक िंस्कार िे राजनीितक व्यब्कत और पानी,भोजन और पोिाहार के िवशेिज्​्है्. हिवाई होने का दावा भी करते है्. e-mail.: akpanibaba@gmail.com

सेहत, स्वाद और संस्कृतत

सरकारी संस्थाएं अब िह प्​्चाबरत भी करने लगी है्बक सुंदर बदखने वाली सब्िी बवर-िुक्त हो सकती है.

त्समान की पसरभािा िरि सविय नही्. आजादी के 68 बरिो्के दौर मे् कुपोिण, बीमारी का िगातार सवस्​्ार हुआ है. राहत की सकरण सदखाई तो नही्देती. कुपोिण, िंभवतः उतना गंभीर सविय नही् सजतना सक इि िंबंध मे् सचंतन का अभाव. आकड़्ो् िे असतसरक्त, कही् कोई सवमश्स नही्. अचरजकारी सविय है सक खाद्​् पदाथ्​्ो् की मंहगाई चुनाव िंवाद तक मे् महत्वहीन मुद्ा है. गंभीर आकब्समक अनुिंधान का सविय है सक इतनी तीव्​् गसत िे बढ्ती मंहगाई पर जन आक्​्ोश अनुपब्सथत क्यो् है? दािो् और सवसवध शाक भाजी के भाव वत्समान ऊंचाई पर बने रहे तो िंतुसित भोजन असत दुि्सभ होने ही वािा है. मंहगाई अिाध्य नही्दो चार दि बरि मे्कोई न कोई िमाधान हो ही जायेगा. मंहगाई की तुिना मे,् सविाक्त अन्न जि असधक सवकराि िमस्या है. भारत जैिा कुराज दुसनया मे्अन्य कही्नही्. जो कुि खेतो्मे्पैदा कर रहे हे्उिमे्तो सवि पय्ासप्त मात्​्ा मे्डाि ही रहे्है्, जो अपने आप उग रहा है जैिे आम, पपीता आसद उिे कृस्तम ऊज्ास. गम्​्ी िे पका कर सविैिा बना रहे है्. शाक भाजी के िंदभ्समे्तो िरकारी िंस्थाएं अब यह प्​्चासरत भी करने िगी है् सक िुंदर सदखने वािी िल्जी सवियुक्त हो िकती है, अत: थोड़्ा िावधानी िे उिका उपयोग करे्. िल्जी को सवि मुक्त बनाने के सिए िाधारण ि​िाह भी दे रहे्है्. जैिे हरी िब्लजयो्को कुि देर के सिए नमक के पानी मे्डाि िे्. इि कृपा के सिए आम जन को कृतज्​्होना चासहए. भारत पुराण को जंगि राज कहना, वास्​्व मे् जंगि की िुव्यवस्था के िाथ अन्याय है. हमारे राजा अज्​्ानी िंप्दाय के िस्​्कयतावादी िदस्य है्. पहिी बात तो यह सक कही्कोई कानून, सनयम, या आचरण का प्​्क्न ही नही्है. और यसद कही्कोई कानून हो भी तो वह बेचारे गरीब कम्च स ासरयो् की आय का िाधन है, और नेताओ्के चुनाव खच्सका स्​्ोत है. अब सजि पैमाने पर चुनाव खच्सहोने िगा है, वह िाधारण चंदे िे तो नही्जुटाया जा िकता. वत्समान मे्तुअर की दाि दो िौ र्पये प्​्सत सकिो सबक रही है, मूंग की िवा िौ. बेचारी नयी िरकार को के्द्ीय ित्​्ा प्​्ाप्त करते ही सदल्िी, हसरयाणा, महाराष्​् मे् चुनाव िंपन्न कराने पड़्े और उिके तत्काि बाद सबहार िंग्ाम शुर्हो गया. अब मैनय् फ ु कै च ् सरंग उद्​्ोग मे्तो कही्कोई कोटा परसमट, खदान बांटने की गुंजाइश थी नही्, दाि ही ऐिा क्​्ेत्बचा था जहां नव धनाढ्​्वग्सको मनमानी की िूट देकर दिािी उगाही जा िकती थी. सविाक्त खाद्​्पदाथ्सऔर मंहगाई के पसरप्क्े य् मे्कोई भी, नुसख ् ा व्यज ं न सवसध सिखने मे्हाथ कांपते है्, िंकोच होता है, और मन को िज्​्ा िगती है. इन हािात मे् जो कुि िंभव है, वह परोिने का प्​्याि तो अवक्य ही करना होगा. उत्​्र भारत मे्बरिात का अंत होने िगता है तो एक स्वयं भू िल्जी का आगमन होता है हसरयाणा, राजस्थान के खेतो्मे्काचर नाम की िोटी गोि मटोि ककड़्ी स्वत: फिने िगती है. इन्ही्सदनो्गुवार, मूगं , मोठ, िोसभया की फसियां भी तैयार होती है्. हमने सजन चार फसियो् का सजक्​् सकया ये

बरिाती फि​िे्है्. आज कि के मौिम मे्, अब िे िेकर कास्तसक पूस्णसमा तक काचर गुवार की िल्जी का प्​्योग अवक्य करे्. बनाने की सवसध बहुत कसठन नही् िेसकन आधुसनक मां बहन हमे् क्​्मा करे्, क्यो्सक थोड़्ी मशक्​्त तो अवक्य करनी पड़्ेगी. चार पांच िदस्यो् के पसरवार के सिए आधा सकिो गुवार मे् पाव भर काचर का समश्​्ण पय्ासप्त होता. काचर बोई नही् जाती और इिकी अनेक प्​्जासतयां होती है्. उत्​्र प्​्देश मे् जो काचर की तरह की ककड़्ी होती है उिे फूट कहते है्, और फि की तरह उिका उपयोग करते है्, यसद कुि कच्​्ी उपिल्ध हो जाये तो सवसभन्न फसियो्के िाथ समिा कर िल्जी बना िकते है्. काचर को धोकर पीिर िे िीि िे्. गुवार यसद देिी नि​ि की है और अभी कसचया है तो मात्​्सतनका तोड़्िकते है. धागा पड़्चुका है तो सतनका तोड़्ने के िाथ िाथ िूत भी सनकािना है. बाजार मे्सबकने वािी गुवार के सिए यह सनण्सय आिान नही् सक उिमे् रािायसनक खाद और अन्य कीटनाशक, खरपतवार नाशक सविो् का प्​्योग हुआ है या नही्? अत: बनाने की सवसध मे्एक िावधानी कर िकते है्. जो वास्​्व मे्गुवार पकाने की सवसध का पुराना सनयम भी है. अभी हाि के गुजरे जमाने मे्गुवार का िाि भर सनयसमत प्​्योग हुआ करता था. ग्​्ामीण मसहिाएं इि भाजी को िुखा कर आिानी िे िंरक्ण ् कर सिया करती थी्. काचर तो िुखाई ही जाती है. अभी हाि तक उत्​्र भार के हिवाई, चाट वािे सजि मीटी िौ्ठ (अमचूर या इमिी की चटनी) का प्​्योग करते थे, उिमे्काचर का मोटा चूरा असनवाय्स मिािा होती है. गुबार हरी हो या िुखी उिे अच्िी तरह गम्सपानी मे्धोकर उबाि िे्. अच्िी तरह पकी गुवार को एक थािी या परांत मे्हाथ िे मथ िे्और उिमे् जो भी सतनका, धागा और महीन सि​िका है वह अिग कर सनकाि दे्. इि तरह तैयार की गई गुवार अत्यंत गुणकारी होती है. इि प्​्स्कया िे इिकी बाय की प्​्वृस्त पूण्सतया नष्​्हो जाती है. सवशुद्प्​्ोटीन बचता है. ताजे काचर उपिल्ध है् तो िीि कर िोटा िोटा काट िे्, और यसद िूखे काचर का प्​्योग कर रहे है्तो उन्हे्तोड़्कर पानी मे्सभगो्दे्. जहां तक िंभव हो अब िे िेकर होिी तक नये सति का ताजा तेि ही खाना चासहए. िेसकन आधुसनक िमाज नये सति के ताजा तेि को ‘चीि का दूध’ बता देगा. अत: जो भी औद्​्ोसगक तेि आप खा रहे है, उिका उपयोग करे्िेसकन इि व्यज ं न के सिए िरिो्के कड़्वे तेि का प्य् ोग नही् सकया जाता चूंसक गवार के रि को कड़्वा और सतक्त माना गया है. आधा िेर गुवार के सिए 75 िे 100 समिीग्​्ाम तेि असनवाय्सहै. तेि गम्स हो जाये तो उिमे् िाबूत िाि समच्स के सि​िके (यासन बीज रसहत समच्स) स्वादानुिार िेसकन अजवायन पय्ासप्त मात्​्ा मे्(तीन चार चाय के चम्मच) पय्ासप्त मात्​्ा मे् ही्ग का प्​्योग अवक्य करे्. बि इिमे् मथी हुई गुवार, कटी काचर डाि दे्. स्वादानुिार नमक, िौ्फ, धसनए का पॉउडर डािकर िल्जी को अच्िी तरह पकाये्यासन िल्जी मे्तेि सदखना चासहए. यह ऐिा िािन है जो एक िमय बना कर अगिे तीन चार िमय िहज n उपयोग मे्िाया जा िकता है. शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 55


उत्सव

पूजा पर हावी बाजंार

बंगाल का सबसे बडा उत्सव दुग्ाष पूिा पहले आस्था और सादगी का समारोह होता था, लेबकन अब वह कॉप्​्ोरेट और हाई टेक पूिा बन गिा है बिसमे्बॉलीवुड के कलाकारो्की पैठ भी हो चुकी है.

रीिा तिवारी

दु

ग्ासपूजा यानी पस्​्िम बंगाि िमेत पूरी दुसनया मे् रहने वािे बांग्िाभािी िोगो् का राष्​्ीय त्योहार. बचपन मे्हमारे मोहल्िे मे्एक ही पूजा होती थी. बच्​्ेिे बूढ्ो्तक तमाम िोग पूजा के चार सदनो् तक वही् दुग्ास की प्​्सतमा देखने और प्​्िाद िेने जाते थे. यूं तो बदिाव प्क ् सृ त का शाश्त् सनयम है, िेसकन दुगा्पस ज ू ा के आयोजन मे् बीते खािकर एक-डेढ् दशक के दौरान जो बदिाव हुए है् उनको देखकर तो पहिे वािी पूजा सकिी धुंधिे िपने जैिी ही िगती है. प्​्सतमा िे िेकर पंडािो्और सबजिी बस्​्तयो् की िजावट तक, पहिे और अब की पूजा मे्दूर तक कोई िमानता नही्नजर आती. इि िाि तो कोिकाता की एक आयोजन िसमसत ने सवश्​् की िबिे बड़्ी दुग्ास प्​्सतमा बनाने का दावा सकया है. ऐिे मे् अब आस्था और आध्यात्म पर आधुसनकता भारी पड़्रही है. वैश्ीकरण और बदिाव के इि दौर मे्जब आधुसनकता और कॉप्​्ोरेटाइजेशन ही मूि मंत् हो तो दुग्ासपूजा का आयोजन भिा इिमे् पीिे कैिे रह िकता है? इिका स्वर्प भी तेजी िे बदि रहा है. अब यह सिफ्कआस्था का प्​्तीक नही् रहा. हाि के कुि िािो् िे यह कॉप्​्ोरेट और हाईटेक पूजा बन गयी है. यह प्​्स्कया िगातार जारी है. िगातार बढ्ती महंगाई और प्​्सतकूि आस्थसक पसरब्सथसतयो् के िाथ यह उत्िव हर िाि भव्य होता जा रहा है. इि िाि इि आयोजन का कुि खच्स सपि​िे िाि के मुकाबिे 35 फीिद तक बढ्गया है. िड़्खड़्ाती अथ्सव्यवस्था, आस्थसक खस्​्ाहािी और आिमान िूती महंगाई के बावजूद दुग्ासपूजा के बजट पर कोई अिर नही् पड़्ता. हर िाि इन आयोजनो् की भव्यता िगातार बढ् रही है. इिके िाथ ही बढ् रहा है इनका बजट. पूजा के दौरान आयोजको्मे्एकदूिरे को पिाड़्ने की अघोसित होड़् रहती है. 56 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

कई िंगठनो् की ओर िे िव्सश्ेि् पूजा को समिने वािे अवॉड्​्ो् ने भी इि प्​्सतयोसगता को बढ्ावा सदया है. इि िाि कई ऐिी पूजा िसमसतयां है्सजनका बजट एक करोड़्के पार है. इनमे्िबिे ज्यादा खच्सपंडािो्के सनम्ासण और िाज-िज्​्ा पर है. इनके अिावा सबजिी की िजावट पर भी भारी रकम खच्सहोती है, िेसकन इन िसमसतयो् को मंदी के इि दौर मे् भी आयोजक तिाशने मे् कोई खाि सदक्​्त नही् होती. एिोसिएटेड चै्बर ऑफ कॉमि्स (एिोचैम) की ओर िे सकये गये एक िव्​्ेक्ण के मुतासबक, बंगाि मे्दुगा्पस ज ू ा के आयोजन पर बीते िाि 25 हजार करोड़् र्पये खच्स हुए थे,

जो कई राज्यो्के िािाना बजट िे भी ज्यादा है. अगिे िाि तक इि उद्​्ोग के बढ्कर 40 हजार करोड़्र्पये तक पहुंचने का अनुमान है, िेसकन तेजी िे बढ्ते बजट के बावजूद आयोजको्के चेहरो्पर कही्कोई सशकन नही् है. बंगाि के इि िोक उत्िव मे् अब बीते कुि वि्​्ो् िे ग्िैमर का पहिू भी जुड़् गया है. ज्यादातर बड़्ी पूजा िसमसतयां उद्घाटन के सिए बॉिीवुड के किाकारो्को बुिाती है्. यह अब एक परंपरा बन गयी है. आयोजको्मे्इि बात की होड़् रहती है सक कौन सकिे बुिाता है. बॉिीवुड के ऐिे िोगो् मे् हेमामासिनी, जयाप्​्दा, पूनम सढल्िो, शत्​्ुघ्न सिन्हा, िंजय दुग्ाय पूजा के पंडाल की सजावट: िढ्िा जािा खच्य


दत्,् िुबष् मता िेन, रानी मुखज्​्ी, काजोि, सवद्​्ा बािन और अजय देवगन िमेत दज्सनो् नाम शासमि है्. कई कंपसनयां पूजा के इि मौके को भुनाने के सिए तमाम तरह के इनामो्का पहिे िे ही एिान कर देती है्. कोई बेहतर िाजिज्​्ा पर िाखो् र्पये के इनाम देता है. कोई बेहतर प्​्सतमा पर तो कोई िुरक्​्ा व्यवस्था पर. इनामो्की इि होड़्ने भी हाि के कुि िािो्िे थीम आधासरत पूजा का प्​्चिन तेजी िे बढ्ा है. दुसनया की तमाम प्​्मुख घटनाओ् पर पूजा के पंडाि बनाये जाते है्. इन घटनाओ् को कही् पंडािो् मे् उकेरा जाता है तो कही् सबजिी की िजावट िे. खािकर बंगाि की राजधानी कोिकाता और इि​िे िटे इिाको् मे् तो हर िाि इिका स्वर्प बदि रहा है. पहिे जहां कुि हजार र्पये मे् ही पूजा हो जाती थी, वही् अब बड़े पंडािो्की सबजिी का सबि ही िाखो्मे्आता है. पहिे पूजा िप्तमी िे नवमी तक ही सिमटी रहती थी. िेसकन प्​्ायोजको्की ओर िे समिने वािी मोटी रकम के दबाव ने दुग्ासपूजा को एक िप्ताहव्यापी उत्िव मे् बदि सदया है. अब पंचमी के सदन िे ही महानगर की िड़को् पर िोगो् की भीड़ उमड़ने िगती है. यह भीड़ दशमी और कही्-कही् एकादशी तक िगातार बढती रहती है. कई पंडािो्मे्तो सबजिी की िजावट का बजट िाखो् मे् होता है. तमाम पंडािो् मे् यह काम इन कारीगरो्के ही सजम्मे होता है. कारीगर

परेश पाि कहते है्, ‘हम माच्स िे ही पूजा पंडािो् मे् सबजिी की िजावट की थीम पर काम शुर् कर देते है्.’ वे कहते है् सक कई घटनाओ्और सवश्​्प्सिद्​्इमारतो्को सबजिी के िोटे-िोटे रंगीन बल्बो् के जसरये जीवंत बनाने का काम काफी मेहनत भरा है. इिके सिए िंबी तैयारी की जर्रत पड़्ती है. एक कारीगर शुभदे् ु पाि बताते है,् ‘अब तकनीक की िहायता िे उनको बेहतर काम करने मे्काफी मदद समि जाती है. पहिे िजावट का जो खाका हाथ िे कागज और पे्सि​ि जसरये बनाया जाता था, वही अब कंप्यूटर िे और िटीक बन जाता है.’ राज्य िरकार के िेवासनवृत् कम्सचारी हसरिाधन घोि कहते है्सक नल्बे की दशक की शुर्आत तक दुग्ासपूजा का आयोजन सिफ्कतीन सदनो्तक बहुत िादगी के िाथ होता था. िेसकन अब तो पंडािो्की भव्यता देख कर आंखे्खुिी रह जाती है्. अब राज्य मे् पूजा के दौरान हफ्ते भर तक दूिरा कोई काम ही नही्होता. अब दुग्ासपूजा प्​्ायोजको् की तिाश का तरीका भी काफी बदिा है. पहिे जहां पत्​् भेजकर िंभासवत प्​्ायोजको् को पूजा की र्परेखा की जानकारी दी जाती थी, वही् अब यह िब कुि एक िीडी मे्सरकाड्सकर उिकी कापी ही प्​्ायोजको् को भेज दी जाती है्. यही नही्, इंटरनेट के जसरये यह जानकारी सवदेशो्तक भी भेजी जाती है. सवदेशो्मे्बिे बंगासियो्को ध्यान मे् रखते हुए ज्यादातर बड़ी पूजा इंटरनेट पर पंडाल मे् दुग्ाय की झांकी: लोक जीवन का उत्सव

िाइव सदखायी जाती है्. इनकी अपनी वेबिाइट है्जहां ब्किक कर पूजा देखने के अिावा उि​िे िंबंसधत तमाम जानकासरयां हासि​ि की जा िकती है्. कोिकाता नगर सनगम इिाके मे् िोटीबड़ी आठ िौ पूजाएं आयोसजत की जाती है्. इनमे्िे बासकयो्को िोड़ भी दे्तो कम िे कम िौ पूजा िसमसतयां ऐिी है् सजनका बजट तीि िाख िे एक करोड़ के बीच होता है. आसखर यह रकम आती कहां िे है ? आम िोगो् िे विूिे जानो वािे चंदे िे तो इतनी रकम नही् जुट िकती. ऐिे मे् िसमसतयां बड़े व्यापासरक घरानो् िे िाखो् मे् चंदा िेती है्. कई घराने अपनी मज्​्ी िे भी ऐिा करते है् क्यो्सक उनके सिए यह अपने व्यापार के प्​्चार का िबिे बड़ा मौका होता है. अब ज्यादातर बड़्ेआयोजको्ने अपनी वेबिाइट खोि कर आनिाइन चंदा भी जुटाना शुर् कर सदया है. इि​िे उनको सवदेशो् मे्बिे आप्व् ािी बंगासियो्िे खािी रकम समि जाती है. महानगर मे्कई पूजा िसमसतयां अपनी भव्यता और सवसशष्त् ा के सिए मशहूर है.् उनके पंडािो्मे्प्स्तमा के दश्नस के सिए आम तौर पर तीन िे चार घंटे तक कतार मे्खड़ा रहना पड़ता है. यह सि​िसि​िा ि​ि्​्ी िे दशमी तक िगातार चिता रहता है. पूजा मे् नेताओ् के शासमि होने िे िसमसतयो् की धाक और बढ जाती है. तृणमूि कांग्ेि के प्​्मुख नेता िुब्त मुखज्​्ी बरिो् िे अपने घर के िामने तमाम सनयमो्की धस्​्जयां उड़ाते हुए पूजा का आयोजन करते है्. इि पूजा का शुमार महानगर के िबिे भव्य आयोजनो्मे् होता है. इिी तरह तृणमूि कांग्ेि प्​्मुख ममता बनज्​्ी एक अन्य पूजा िसमसत की प्ध् ान िंरक्क ् है्. मूस्तसपूजा मे् सवश्​्ाि नही् करने वािे वामपंथी नेता भी पूजा करवाने और इनके उद्घाटन मे्सकिी िे पीिे नही्है्. सजि पूजा मे् ऐिे नेता शासमि हो्, उनके सखिाफ कार्सवाई का िाहि पुसि​ि मे्तो नही्ही होगा. दुग्ासपूजा के रंगो् मे् हाि के कुि िािो् िे सियािी रंग भी घुिने िगा है. राज्य के तमाम प्​्मुख राजनीसतक दिो् ने राज्य के इि िबिे बड़े त्योहार को अपनी नीसतयो्और उपिब्लधयो् के प्​्चार का जसरया बनाया है. इि​िे ये पास्टसयां सवपक्​्के सखिाफ जोरदार तरीके िे अपने को खड़्ा करती है्. अकेिे कोिकाता मे्ही माकपा के दो िौ िे ज्यादा स्टॉि िगे है्. इि​िे दोगुने स्टाि ित्​्ार्ढ् तृणमूि कांग्ेि के है्. पूजा के मौके पर कई पास्टसयो्की ओर िे िगाये गये ऐिे स्टािो् को पुस्क सबक्​्ी के्द् कहा जाता है. सदखावे के सिए तो वहां पाट्​्ी की सवचारधारा िे जुड़ी पुस्को् का ढेर होता है, िेसकन इनमे् िे सबकती सकतनी है्, इिका पक्​्ा ल्योरा देने को कोई भी तैयार नही्है. n शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 57


यायावरी

कंबोबडिा का अंगकोरवाट मंबदर सैकडो् वग्षमील मे्िैला है. आकार मे्दुबनिा के इस सबसे बडे धम्षस्थल को देखना एक अनूठा और भव्ि अनुभव है. . िह कंबोबडिा के राष्​्ीि ध्वि पर भी अंबकत है.

अंगकोरवाट के देश में

अंगकोरवाट का मंबदर पबरसर: एक बवशाल उपम्सथबि

संिोष श्​्ीवास्​्व

ि

ना था कंबोसडया सहंदू मंसदरो् का प्​्ाचीन देु श है. प्​्ाचीन काि मे्जब िंस्कृत वहां की राजभािा हुआ करती थी तब कंबोसडया को कंबोज कहते थे. वैिे इिे कंपसू चया भी कहते है.् ऐिा िगता है जैिे एक भव्य नाम के कई िाडिे नाम है्. कंबोसडया के सिआमसरप शहर मे् ित्​्ीिगढ िृजन गाथा डॉट कॉम के आयोसजत एक सदविीय अंतरराष्​्ीय सहंदी िम्मि े न मे्भाग िेने के सिए मै्ने जब बै्कॉक के िुवण्स भूसम अंतरराष्​्ीय हवाई अड्​्े पर क़दम रखा तो सबल्कुि भी गुमान नही्था सक मै्एक ऐिे देश मे् जा रही हूं जहां भारतीय धम्स, िभ्यता, िंस्कृसत, िासहब्तयक परंपराएं, वास्​्ुकिा और भािा तक मे्भारतीयता की गहरी िाप देखने को समिेगी. चूंसक हम बै्कॉक िे जा रहे थे इिसिए पोईपेट बॉड्सर पर हमे् वीिा और इमीग्​्ेशन के सिए काफ़ी वक़्त गुिारना पड़ा. उि वक़्त को 58 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

हमने वहां के अजीबोगरीब शक्ि वािे फिो्को चख कर गुिारा. एक फि गोि चीकू जैिा िेसकन ऊपर िे िेही के कांटो् (नम्स) का जाि...िीिने पर िीचीनुमा मीठा फि सनकिा. एक अनन्नाि की शक्ि का गहरे बै्गनी रंग का फि...िीिने पर मीठे ताड़ के गोिनुमा चार फि सनकिे. एक फि डंडी िसहत सबक रहा था. िंबी डंडी मे्बेर बराबर भूरे फि िगे थे सजन्हे् सबना िीिे खाना था...इतने मीठे जैिे शक्​्र की पोटिी... इमीग्​्ेशन के बाद हमारी बि कच्​्े पके् धूि उड़ाते रास्​्ो् िे गुिरने िगी. आिपाि भारतीय गांव जैिा दृकय् था. िोटे-िोटे फूि और खपरैि और कुि टीन के शेड वािे मकान सजनके बाहर आंगन मे्कंबोसडयाई औरते्घरेिू कामकाज मे्व्यस्​् थी्. मद्सआराम िे बैठे तंबाकू खाते हुए बसतया रहे थे. कंबोसडया दस्​्कण पूवस्एसशया का प्म् ख ु देश है. इिकी आबादी करीब एक करोड़ बयािीि िाख, तै्तािीि हिार है. यहां की मुद्ा राइि है. यहां िंवैधासनक राजशाही और िंिदीय

प्​्सतसनसधत्व िोकतंत् है. नोरोदम सशहामोनी राजशाही परंपरा के वाहक है.् राजधानी नामपेह् है. सिआमसरप के बाद हम नामपे्ह भी घूमे्गे. कंबोसडया का असवभ्ासव शब्कतशािी सहंदू और बौद्​्खमेर िाम्​्ाज्य िे हुआ सजिने ग्यारहवी्िे चौदहवी् िदी के बीच इंडोचाइना पर शािन सकया था. खमेर िाम्​्ाज्य के की वजह िे ही यहां की भािा खमेर कहिाती है. हम सजन रास्​्ो् िे गुिर रहे थे असधकतर औरते् काम करती समिी्... मद्ससिफ़्कपैट् या जी्ि पहने सबना शट्सके... बाइक या स्कूटर पर सदखे... शट्सभिे नही्थी पर हेल्मेट िर्र िगाये थे. और पैरो्मे् जूतो्की जगह रबर की चप्पिे्. मुझे कंबोसडया गरीब देश िगा जहां की अथ्स व्यवस्था वस्​् उद्​्ोग, पय्सटन और सनम्ासण उद्​्ोग पर आधासरत है. यहां चावि, तंबाकू,कहवा, नीि और रबर की खेती होती है. हािांसक भूसम उपजाऊ है पर श्​्म नही् के बराबर. कुि ही खेत सदखे बाकी सवस्​्ृत उपजाऊ िमीन सबना खेती के ख़ािी पड़ी है क्यो्सक उि पर खेती करने के सिए श्​्समक नही् समिते. ऐिा क्यो् है मेरी िमझ िे


परे था. यह भी िमझ िे परे रहा सक यहां स्​्सयां ही श्​्म करती है् पुर्ि नही्. जबसक सवधाता ने कंबोसडया को प्​्ाकृसतक खूबिूरती और उपजाऊ भूसम प्​्दान की है. कंबोसडया को हेसिकॉप्टर िे देखो तो तक्तरी के आकार की एक खूबिूरत घाटी सदखता है. घाटी मे् मीकांग नदी (प्​्मुख नदी) उदांग नदी और शीशे िी चमकती तांगिे झीि है. गसझन हसरयािी िे भरे घने और गहरे जंगि है्. चावि यहां बहुतायत मे्पैदा होता है. चावि और मि​िी यहां िे सनय्ासत भी की जाती है. कंबोसडया को अंडमान िागर और दस्​्कण चीन िागर घेरे है सजन पर बड़े जियान चिते है्. यह तय र्प िे व्यापारी जहाज हो्गे. एक देश िे दूिरे देश की िरहद पार कर हम थके मांदे जब सिआमसरप पहुंचे तो शाम हो चुकी थी. पर िूरज चमक रहा था. रास्​्ेिे ही सडनर िेते हुए हम होटि पेसिसफ़क पहुंचे जो सिआमसरप मे्हमारा सठकाना था. िुबह दि बजे िम्मेिन का उद्घाटन ित्​् था सजिकी अध्यक्​्ता मुझे करनी थी. हॉि मे् िेखक कम िासहत्य के रसिक असधक थे जो मेरे

सिए बड़ा प्यारा तजुब्ास था. इिकी वजह थी सक अब तक के मेरे ि्यादातर िम्मेिनो्मे्िेखक ही मंच पर होते है् और िेखक ही श्​्ोता भी. िंगोि्​्ी के कई ित्​्के बीच चाय और अल्पाहार का भी इंतिाम था. िम्मेिन की अवसध िुबह दि िे रात के नौ बजे तक की थी. बावजूद इिके िंगोि्​्ी के िभी ित्​् िफि रहे. अंसतम ित्​् काव्य सवधा पर था. अभी मै्ने अपनी कसवता की शुर्आत ही की थी सक हॉि मे् हिचि िी शुर्हो गई. अप्िरा शो का िमय सनकिा जा रहा था सजिका प्​्वेश सटकट िभी ने पहिे िे ख़रीद सिया था. आयोजक िासहत्य का गंभीरता वश ित्​्कैिे बीच मे्ख़त्म करते, सिहािा तय हुआ पहिे अप्िरा शो देख सिया जाये सफर िौटकर अंसतम ित्​् होगा सजिमे् प्​्सतभासगयो् को प्​्तीक सचह्न और प्​्माण पत्​् सदया जायेगा. एक बहुत बड़े कंपाउंड मे् काफी बड़ी िंख्या मे्सवदेशी पय्सटको्के बैठने की व्यवस्था थी. आिपाि बुफ़े सडनर की भी. अप्िरा शो जैिा सक मेरा अनुमान था भारतीय आध्यात्म पर

मंबदर मे् िरगद की जड्े्: एक प्​्ाचीन अनुिव आधासरत स्वग्सिोक और पृथ्वीिोक पर तैयार नृतय् नासटका थी सजिकी िाज िज्​्ा, पसरधान, श्​्ृंगार, नृत्य मुद्ाएं िब पर भारतीय नृत्य किा की िाप थी. नृत्य अनवरत चि रहा था. बीच मे् दश्सक सडनर भी परोि िाते. जब मै् सडनर टेबि के पाि पहुंची तो मेरे खाने िायक वहां कुि भी न था. कंबोसडयाई जुगनू, सटड्​्ी, मच्िर, मकड़ी, कॉकरोच, मे्ढक, िांप आसद िब तरह के कीड़े मकोड़े खाते है्. यही िब कुि बड़े बड़े बत्सनो्मे्चावि के िाथ रखा था. उफ़... मै्तो उबक़्ाई दबाकर चुपचाप अपनी कुि्ी पर आकर बैठ गयी. सकिी ने कहा था सक दासहनी तरफ़ के स्टॉि मे्प्याि, आिू के पकौड़े है्पर मेरा मन खाने िे उचट गया था, क्या पता पकौड़ो् के िाथ परोिी जाने वािी चटनी इन्ही् कीड़े-मकोड़ो् िे बनी हो. वैिे िाि चीटी की चटनी तो मेरे भारत के बस्​्र जनपद और बुंदेिखंड के आसदवािी भी खाते है्. अप्िरा शो िे िौटने के तुरंत बाद अंसतम ित्​्िंपन्न हुआ. िुबह हमे्सिटी टूर करना था सजिमे् प्​्मुख अंगकोरवाट है जो वल्ड्स हेसरटेि शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 59


यायावरी मे्सगना जाता है. सिहािा हम शुभरास्​्त कहकर अपने कमरो् मे् िोने चिे गये. कमरे मे् मेरी पाट्सनर प्​्ख्यात िेसखका डॉ प्​्समिा वम्ास थी्. मै्ने उनके िाथ समिकर एक उपन्याि सिखा है ‘हवा मे्बंद मुस्ियां’ सजिके आठ चेप्टर मै्ने और आठ प्स्मिाजी ने सिखे है.् मसहिा िेखको् के इि िहयोगी िेखन को राजे्द् यादव जी ने असभनव प्​्योग कहा है. टूर की शुर्आत मे् ही हमे् सहदायत दे दी गयी थी सक अपना पि्स, कीमती िामान िंभािकर रखना है. पता भी नही् चिेगा कब जेब कट गयी. िेसकन इि सहदायत के बावजूद भी और पूरी ितक्कता के रहते एक पि्सवािे ने मेरे िौ डॉिर पार कर सिये और मेरी िावधानी कुि काम नही्आयी. काफ़ी देर मै्उदाि रही. िौ डॉिर यानी िह हजार र्पये का नुकिान. िेसकन जब हम अंगकोरवाट के सिए रवाना हुए

िायादार है. झीि के उि पार सकनारे िे िगा अंगकोरवाट असत प्​्ाचीन सहंदू मंसदर है और आकार मे् दुसनया का िबिे बड़ा धम्सस्थि है. इिका सनम्ाण स िम्​्ाट िूयवस् म्नस स्​्दतीय के शािन मे् (1112 िे 53 ई) हुआ. मीकांग नदी के सकनारे बिे सिआमसरप शहर मे् यह मंसदर िै्कड़ो् वग्समीि मे् फैिा है. कंबोसडया ने इि मंसदर को राष्​्ीय िम्मान देते हुए राष्​्ीय ध्वज मे्अंसकत सकया है. हमारे सतरंगे के िमान तीन धासरयो्वािा पहिे स्िेटी सफर िाि और सफर स्िेटी रंग ध्वज के बीचो्बीच यह िफेद रंग िे अंसकत है. यूनेस्को के सवश्​् धरोहर स्थिो् मे् िे अंगकोरवाट एक है. झीि के इि पार िड़क है सजिके सकनारे पर बरगद आसद के दरख़्त कतार मे् िगे है्. सजिकी ितनारी डासियो्ने रास्​्ेपर मंडप िा तान सदया है. डासियो् पर बंदर धमाचौकड़ी

बसआमबरप की एक सड्क: आधुबनक अंदाज

तो खुशगवार मौिम ने मुझे उदाि नही् रहने सदया. आिमान मे्बादि िाये थे और देर शाम तक चमकने वािा िूरज िापता था. ठंडी हवाएं चि रही थी्. मौिम के इि खुशनुमा समजाज ने अंगकोरवाट देखने की दुगनी ि​िक जगा दी. रास्​्े मे् प्​्वेश सटकट सनकिवाना था तभी बि आगे बढ िकती है. काउंटर पर हमारे सडसजटि फोटो सिये गये जो सटकट मे् स्​्पंट होकर आये. सटकट िुंदर और िंग्हणीय था. बि जहां खड़्ी हुई वहां िे अंगकोरवाट के भव्य गेट तक पैदि जाना था. िामने दप्सण िी चमकती झीि थी. यह झीि पहिे कभी नहर ही थी सजिे राजा इंद् वम्सन ने एक झरने के पानी को तािाब जैिी जगह मे् एकस्​्तत कर झीि बनवायी थी. झरने िे झीि तक का करीब पंद्ह फुट चौड़ा और पांच मीि िंबा पानी का िफ़र मानो नहर बनकर आिपाि हसरयािी के दृक्य उकेरता चिा गया. इिीसिए दरख्त़ ो्का घना रास्​्ा बेहद 60 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

मचाए थे. अंदर प्​्वेश करते ही सवशाि प्​्ांगण मे्मंसदर ही मंसदर... एक सदन मे्क्या इतने िारे मंसदर देखे जा िकते है्? अिंभव. सफर भी असधक िे असधक देखने के प्​्याि मे् हमारे क़दमो् मे् गसत आ गयी. प्​्िात क्​्ान, नीक सपएन, प्​्ाहा खान और ता प्​्ोम मंसदरो्को देखते हुए पत्थरो्पर की गयी कारीगरी ने हमे्सवब्समत कर सदया. ता प्​्ोम और प्​्ाहा खान मंसदर बारहवी् शताल्दी मे् राजा जयवध्सन ने अपने माता सपता की स्मसृ त मे्बनवाये थे. ता प्​्ोम की शायद ठीक िे देखभाि नही्की गयी. बरगद की मोटी मोटी जड़े् अजगर की तरह मंसदर को िपेटे हुए थी्. मंसदर की दीवारो्पर भी जहां जगह समिी बरगद उग आया था. बेयोन मंसदर जयवम्सन िप्तम ने 1181 िे 1220 के दरम्यान बनवाया. इि मंसदर की ढेर िारी मीनारो् (करीब 54 मै्ने सगनी) पर राजा जयवम्नस का चेहरा बुद्की कई मुद्ाओ्मे्चारो्

ओर बना है जैिे चारो् सदशाओ् को एक िाथ सनहार रहा हो. अंगकोरवाट मंसदर सहंदू पौरासणक कथाओ् पर आधासरत है. इिके पांच सशखर है्. बीच का सशखर काफी ऊंचा पूरे ब्​्ह्मांड के मध्य मे् ब्सथत िुमेर् पव्सत का प्​्सतसनसधत्व करता है. सशखर मे्देवता स्​्कया किाप करते निर आते है्. यह पांच सशखर वािा मंसदर ब्​्ह्मा की नगरी कहिाता है. वैिे ब्​्ह्मा के मंसदर अजमेर के पुष्कर को िोड़कर मै्ने कही् नही् देखे. इन सशखरो् पर खुदी हुई िागर मंथन की िुंदर कृसतयां रोमांसचत कर रही थी्. इिके पस्​्िम मे् महाभारत के कुर्क्ेत् के दृक्य अंसकत है्. श्​्ीकृषण ् चक्​्धारण सकये है,् भीष्म शरशैयय् ा पर मृतय् ु की प्त् ीक्​्ा कर रहे है.् इन्हे्देखते ऐिा िगा मानो हम त्​्ेतायुग मे् पहुंच गये हो्. िंका मे् श्​्ीराम, रावण और वानरो्का िंग्ाम और राम िे जुड़े उि काि के तमाम दृक्य उकेरे गये है्. ऐिा िगता था जैिे अंगकोरवाट देवी देवताओ् का सवशाि मॉि है जहां हर एक देवी-देवता सवराजमान है्. सशव शंकर भी है्, सवष्णु िक्​्मी भी... इि मंसदर का िंपूण्स आकार िुमेर् पव्सत जैिा है. चारो् ओर की दीवारो् पर क्​्ीर िागर उकेरा है. इि मंसदर की सवशेिता है सक यह पस्​्िममुखी है जबसक सवश्​् के िभी मंसदर पूव्समुखी होते है्. खमेर भािा मे् वाट का अथ्स मंसदर है और अंगकोर... नगर... यानी मंसदरो्का नगर. अंगकोरवाट समिी जुिी िंस्कृसतयो्, िभ्यताओ् और आध्यात्म के एक दूिरे मे् िमासहत हो जाने का िबूत है. पहिे इिका नाम वराह सवष्णुिोक था. पूरा महाभारत, रामचसरतमानि, िमुदम् थ ं न के दृकय् पत्थरो्पर उकेरे गये है्. बौद्​् मंसदरो् का सवशाि िमूह है अंगकोरवाट. यह िचमुच सवश्​् धरोहर है. मंसदर के गेट िे बाहर आते ही पहिे बूंदाबांदी और सफर तेज बासरश शुर्हो गयी. पहिे तो हम िोग पेड़ के नीचे खड़े होकर बासरश के र्कने का इंतिार करते रहे. िेसकन बासरश नही्र्की और हमे्टुकटुक िेनी पड़ी. टुकटुक एक ऐिा सरक्शानुमा वाहन है सजिमे् आगे िाईकि की जगह बाइक होती है और टुकटुक का ड्​्ाइवर बाकायदा हेिमेट पहने बाइक चिाता है. टुकटुक ने हमे् पास्कि्ग प्िेि पहुंचा सदया. सफर भी थोड़े बहुत तो हम भीग ही गये थे. अगिी िुबह हम सवयतनाम के सिए रवाना हो्गे. सडनर के दौरान चच्ास का सविय कंबोसडया ही था. सवश्​् धरोहर के नाम िे पूरी दुसनया मे् चस्चसत कंबोसडया के सनवािी अगर मेहनती होते तो इिकी उपजाऊ धरती िोना उगिती. िुबह बि िे सवयतनाम की ओर रवाना होते हुए मीिो् फैिी िूनी उदाि धरती देर तक मेरी आंखो् मे् n चुभती रही.


पबरक्​्मा

अनिलेश के कृनतत्व पर राष्​्ीय सेनमनार

बी

ते तीन और चार अक्टूबर को सहन्दी के कथाकार असखिेश के कृसतत्व पर िेसमनार का आयोजन सकया गया. सचत्​्ौड़गढ मे् आयोसजत राष्​्ीय िेसमनार का सविय ‘िमकािीन पसरदृक्य और असखिेश का िासहत्य’ रहा. िेसमनार के उद्घाटन ित्​् मे् िुखास्ड़या सवश्​्सवद्​्ािय के सहंदी सवभागाध्यक्​् प्​्ो माधव हाड़ा ने कहा सक सकिी भी रचना की िफिता का िाक्​्य है सक पाठक महिूि करने िगे सक

बी

यह मेरी रचना है. प्​्ो हाड़ा ने कहा सक सशल्प और यथाथ्स को दो ध्​्ुव मानने की पसरपाटी के बीच असखिेश ही ऐिे रचनाकार है सजनके पाि ऐिा दुि्सभ िंयम है सक रचना का यथाथ्स का सनम्मस र्प आए और आख्यान की किा भी पूरी सदखाई दे. इि मौके पर िेसमनार के उद्घाटन ित्​् बोिते हुए कथाकार असखिेश ने कहा सक सशल्प और भािा फंदे की तरह है. िेखक के पाि भी यथाथ्स, िंवेदना, सवचार, भावो्इत्यासद

के गोिे के िच्िे होते है और वह फन्दा डािता है. इि मौके पर उन्हो्ने अपने चस्चसत उपन्याि ‘सनव्ासिन‘ और आत्मकथ्य 'भूगोि की किा‘ के कुि अंशो्का पाठ भी सकया. िेसमनार मे् मौजूद रहे सजिा पुसि​ि अधीक्​्क प्​्िन्न खमेिरा ने नयी पीढ्ी को िासहत्य िे जोड़ने की आवक्यकता बताते हुए अपनी अध्ययनशीिता के प्​्िंग िुनाए. िंयोजन कर रहे िेमीनार के सनदेशक डाॅ. कनक जैन ने असतसथयो् का पसरचय सदया. चन्देसरया िेड सजंक स्मेल्टर के यूसनट हेड राजेश कुंडु एवं पुसि​ि अधीक्​्क खमेिरा ने प्​्सतभागी िासहत्यकारो् को स्मृसत सचन्ह भे्ट सकये. उद्घाटन ित्​् मे् आभार देते हुए ‘िंभावना’ के अध्यक्​्डॉ केिी शम्ास ने िासहत्य, िंसक ् सृ त के सिए िंसथ ् ान की प्स्तबद्त् ा जतायी. आयोजन स्थि पर िगी िघु पस्​्तका प्​्दश्सनी का उदघाटन कसव-सवचारक िदासशव श्​्ोस्​्तय ने सकया और प्​्दश्सनी मे् सहंदी की िगभग दो िौ िघु पस्​्तकाएं प्​्दस्शसत की गयी थी्. दो सदन के इि आयोजन मे् पत्​्कार जेपी दशोरा, नटवर स्​्तपाठी, िन्तोि शम्ास, गोपाि जाट,ित्ये्द्िनाढ्​्, जीएनएि चैहान, डा असखिेश चाष्​्ा आसद कई िासहत्य प्​्ेमी मौजूद रहे.

वीरेन डंगवाल की स्मृनत मंे सभा

ते पांच अक्टूबर को नयी सदल्िी के गांधी शांसत प्​्सति्​्ान मे् सदवंगत कसव वीरेन डंगवाि की स्मृसत िभा जन िंस्कृसत मंच द्​्ारा आयोसजत की गयी. पीपुल्ि आस्टिस्ट ग्​्ुप के बनाये गये वीरेन डंगवाि की कसवताओ् के पोस्टरो् िे िजे िभागार मे् ढेर िारे िासहत्यकम्​्ी, काय्सकत्ास, पत्​्कार और युवा मौजूद थे. स्मृसत िभा मे्वसरि्​्आिोचक सवश्​्नाथ स्​्तपाठी ने वीरेन डंगवाि को, उनकी जीवंतता को जोश मिीहाबादी की एक र्बाई के िहारे याद सकया और कहा सक वीरेन का व्यब्कतत्व पाखंडो् के सखिाफ था. वसरि्​् आिोचक मैनेजर पांडेय ने वीरेन जी की शब्खियत को याद करते हुए कहा सक मानो वे ऐिा आइना िेकर चिते थे, सजिमे्िामने वािे आदमी को अपनी िही शक्ि नजर आ जाये. उन्हो्ने वीरेन जी की कसवता ‘ऐिी सजन्दगी सजए’ का पाठ भी सकया. जनवादी िेखक िंघ के महािसचव मुरिी मनोहर प्​्िाद सिंह ने बताया सक उनिे तआ्​्रकफ़ कानपुर मे् हुआ था. उन्हो्ने कहा सक वीरेन सजतने फक्​्ड़ थे, उतने ही दृढ् भी. उनकी ‘िमता के सिए’ और ‘इतने भिे नही् बन जाना िाथी’ कसवताओ् का पाठ करते हुए

हुए उन्हो्ने कहा सक वे अनुपब्सथत रहते हुए भी भसवष्य तक पहुंचने वािे कसव है्. तीनो् आिोचको् ने उनकी वैचासरक प्​्सतबद्​्ता और वाम आन्दोिन के प्स्त सनि्​्ा को भी याद सकया. वीरेन डंगवाि के गहरे दोस्​्और वसरि्​्कसव मंगिेश डबराि ने उन्हे्याद करते हुए कहा सक वीरेन जैिा नायाब और दुि्सभ मनुष्य समिना मुब्ककि है. उन्हो्ने स्मृसतयो् के गसियारे िे गुजरते हुए बताया सक वे सजतने ही अराजक और िापरवाह थे, उतने ही गंभीर और दासयत्वबोध िे भरे हुए. दोस्​्ो्के बगैर वीरेन की दुसनया की कल्पना भी अिंभव थी. वसरि्​्कसव अिद जैदी ने कहा सक वीरेन की रिाई इतनी जगहो्, इतने िोगो्, और इतनी तरह की िंवेदनाओ् िे थी, सजतनी सकिी भी अन्य िमकािीन कसव मे्नही् है. उन्हो्ने कहा सक घोर िांस्कृसतक िंकट के दौर मे्उनकी अिमय मृत्यु उतनी ही त्​्ािद है सजतनी अपने िमय मे्रघुवीर िहाय की. सजि गसरमा के िाथ वे बीमारी िे जूझे, वह अपनी समिाि खुद है. इि मौके पर स्मृसत-िभा मे् पत्​्कार उस्मसिेश, िमयांतर पस्​्तका के िम्पादक पंकज सबष्​्, उद्​्ावना पस्​्तका के िम्पादक अजेय कुमार, िेखक प्​्ेमपाि शम्ास, कृष्ण सिंह, कथाकार योगेन्द्आहूजा, नैनीताि

सवश्​्सवद्​्ािय के पूव्सिात्​्िंघ अध्यक्​्सगसरजा पाठक, श्​्ी हसरयश राय, भाकपा-मािे िे अवधेश कुमार और रासधका मेनन, जासमया सवसव के प्​्ो दुग्ास प्​्िाद गुप्त, आंबेडकर सवसव िे गोपाि प्​्धान, सदल्िी सवसव के प्​्ो सवनोद सतवारी, पत्​्कार महे्द् समश्​्, अरसवंद कुमार सिंह, मनीिा पांडेय, युवा आिोचक उदय शंकर, रसव प्​्काश, बृजेश, अंजनी, रामनरेश, अनुपम िसहत ढेर िारे िोगो् ने भागीदारी की. िभा का िंचािन जन िंस्कृसत मंच के महािसचव प्​्णय कृष्ण ने सकया. शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015 61


अंितम पन्ना ई श्​्ीधरन

धम्षराजनीनत नही्

धम्षका कारोबार नही्हो सकता, लेबकन आि इसी का कारोबार हो रहा है.

ि आिेख मे्मै्तीन चीजो्पर ध्यान आकृष्करना चाहूंगा. पहिी, धम्स. चौरािी िाि की उम्​्मे्अब भी कामकाजी व्यस्​्ता रहती है, तो यह मेरे सिए अच्िा ही है. मै्मानता हूं सक अवकाश की एक उम्​्होती है. इिके बाद आपको अपना ध्यान धम्-स अध्यात्म मे्िगाना चासहए. इन सदनो् मै्ज्यादा व्यस्​्हुआ हूं. पर इिका जर्र ख्याि रखता हूं सक आध्यात्म मे् मन िगा रहे. भगवद्​्ीता और श्​्ीमद् भागवत का मै्ने सरटायरमे्ट के बाद िंपूण्सअध्ययन सकया. खाि तौर पर सदल्िी मेट्ो कॉरपोरेशन के मैनेसजंग डायरेक्टर के पद िे हटने के बाद. खुद को मै्ने योग िे जोड़्ा है. यह जो सवजडम ऑफ ईस्ट है, उिका मै्िम्मान करता हूं. बेशक, एक टेक्नोके्ट के मुंह िे यह िुनना कुि को नागवार िगे, िेसकन यह अपना-अपना दृस्षकोण है. मेरा मानना है सक धम्सऔर अध्यात्म एकदम सनजी सविय है. ये ऐिे नही्है्, जैिे आज सदखाये जाते है्या सदखते है्. धम्सका कारोबार नही् हो िकता, िेसकन आज इिी का कारोबार हो रहा है. धम्स राजनीसत की चीज नही्है, िेसकन राजनीसत हो रही है. धम्ससहंिा का कारण नही्बन िकता है, िेसकन आज बताया यही जा रहा है सक धम्सके कारण ऐिा हो गया है. इन िबका एक ही मतिब है सक जो धम्स बवाि का कारण बने, वह इंिानो् का धम्स नही् है, बब्लक उि धम्स के नाम पर कुि अराजक तत्व बवाि कर रहे है्. इिसिए धम्स के ऐिे ठेकेदारो् िे हमे् बचना होगा. देश मे् राजनीसत िे िेकर िमाज तक मे् ऐिे ठेकेदारो्की कमी नही्है. दूिरी चीज, नौकरशाही और िरकारी कामकाज िे जर्री है. दरअि​ि, मै्आप िभी का ध्यान उन ठेकेदारो् की तरह सदिाना चाहता हूं, सजनके ऊपर देश के सवकाि की सजम्मेदारी है. ये है् नौकरशाह. सपि​िे सदनो् मे् नौकरशाहो् पर तमाम तरह के आरोप िगे. जैिे, भ्​्ष्ाचार, िािफीताशाही, कामो् के पूरे होने मे् िापरवाही और िुस्ी. नौकरशाही मे्ये तमाम ब्सथसतयां अच्िी नही्मानी जा िकती्. िेसकन ये ब्सथसतयां आती कहां िे है्. दरअि​ि, ये ब्सथसतयां राजनीसतक हस्क ् प्े िे आती है.् अक्िर यह देखा गया है सक जो नौकरशाह अच्िा काम करता है, उिका तबादिा कर सदया जाता है. कई बार उिकी पोब्सटंग ऐिी होती है सक नौकरशाही के गसियारे मे्उिे पसनस्मे्ट पोब्सटंग कहा जाता है. राजनीसतक हस्​्क्ेप का जब िव्सप्थम सवचार आया होगा, तो इिके पीिे यह िोच रही होगी सक एक िोकतांस्तक प्​्स्कया मे् िबिे बड़्ी सजम्मेदारी जन-प्​्सतसनसधयो्की होती है, और वे यह सनगरानी रखे्सक 62 शुक्वार | 16 िे 31 अक्तूबर 2015

िरकारी बाबू सकि तरह िे काम कर रहे है्और क्या वाकई उनके काम के फायदे जन-जन तक पहुंचते है्. िेसकन आगे चिकर जब राजनीसत िे िेवा-भाव जाता रहा और पद, िाि​िा व व्यविाय की महत्वाकांक्ा घर कर गयी, तब यही राजनीसतक हस्क ् प्े कामकाज के सनपटारे मे्बड़्ी बाधा बन गया. इिसिए ऐिा कहा जाता है सक अपने यहां नेताओ् और नौकरशाहो् की वजह िे काम िमय पर पूरे नही् होते या नही् सकये जा िकते. इि कथन को झुठिाना होगा. इिके सिए िबिे अच्िा यही होगा सक जो सजि काम मे् मासहर है, उिे उिी के हवािे िोड़् सदया जाना चासहए. जहां टेक्नोके्ट की जर्रत है, वहां टेक्नोके्ट हो्. जहां नौकरशाहो् की जर्रत है्, वहां असधकारी-मुिासजम हो्. जो प्​्ोजेक्ट िफि हुए है्, उनको उदाहरण के तौर पर रखा जाना चासहए. जैिे, मै्चाहूंगा सक मेट्ो प्​्ोजेक्ट को स्कूिी पाठ्​्क्मो् मे् शासमि सकया जाये सक कैिे यह िाकार हुआ. इि​िे िात्​्ो्को काफी कुि िीखने को समिेगा. व्यवस्था मे्िुधार के सिए कामकाज की एक िंस्कृसत अपनानी होगी. इिके सिए कम्स के प्​्सत सनि्​्ा और िगाव को बनाये रखने की जर्रत है. गीता का यही िार है. अगर हम बेवजह की िािफीताशाही और िमारोहो्, उद्घाटनो् मे् सरबन काटने िे दूर रहे्, तो यह पढ्ने को नही्समिेगा सक देश मे् इतने फीिद काय्सपसरयोजनाएं अटकी हुई है्या तय िमय पर खत्म नही्हो पायी्. तीिरी चीज शहर और गांव के अंतर िे जुड़्ी है. मै्मानता हूं सक गांवो् को तमाम िुसवधाएं समिनी चासहए, िेसकन गांव िे उनका अपना पसरवेश नही् िीना जाये. िुसवधाओ्के नाम पर उिे प्​्योगशािा न बनाया जाये, क्यो्सक भारत की पहचान उिके गांव ही है.् अगर ग्​्ामीण िमाज टूट-सबखर गया, तो पूरे िामासजक तानेबाने को टूटने मे् देर नही् िगेगी. सफर चाहे आप शहर की बात करे्, या गांव की, िब जगह गड़्बस्ड़यां आएंगी. अगर शहर को मेट्ो चासहए, तो उन्हे् मेट्ो दे्, िेसकन इिका मतिब यह नही् सक गांवो् को भी मेट्ो दे् और उन्हे् अनावक्यक खच्​्ो् िे िाद दे्. गांवो् को देना है, तो अच्िी िड़्क यातायात दे्, रेिवे की बेहतरीन n िुसवधा दे्. (िेखक सदल्िी मेट्ो के प्​्बंध सनदेशक रहे है्. आिेख श्​्ुसत समत्​्ि िे बातचीत पर आधािरत.)




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