Shukrawaar 1 15 august 2016 medium resolution

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वर्ष 9 अंक 15 n 1-15 अगस्​् 2016 n ~ 20

प्​्श्नो् का उत्​्र प्​्देश



www.shukrawaar.com

वर्ष9 अंक 15 n 1 से 15 अगस्​्2016 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प्​्काशक क्​्मता सिंह प्​्बंध िंपादक आशुतोष सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल राजनीसतक िंपादक सववेक िक्िेना फोटो िंपादक पवन कुमार िंपादकीय िहयोगी

िसवता वम्ा​ा अंजना सिंह िुनीता शाही (लखनऊ) अिनल चौबे (रायपुर) पूजा ि​िंह (भोपाल) अिवनाश ि​िंह (िदल्ली) अिनल अंशुमन (रांची) कुमार प्​्तीक

कला

प्​्वीण अिभषेक

महाप्​्बंधक

एि के सिंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm.shukrawaar@gmail.com

आवरण कथा

6 | उपलबि्ध और चुनौती के बीच

उत्र् प्द् श े मे्अतिलेश यादव सरकार ने तपछले चार साल मे्कई मंतजले्िय की है.् युवा वग्षमे्अपनी लोकत्​्पय छतव के साथ अतिलेश आधुतनक तवकास और समाजवाद के बीच एक संिल ु न साधे हुए है.् शायद इसीतलए सभी की तनगाहे्उनकी ओर लगी हुई है.्

16 | ‘करो या मरो’ की याद

अगस्​्क्​्ातं ि के हीरक जंयिी वर्षमे् देश के समाजवादी वैचातरकी वाले लोग नौ अगस्​्को क्​्ातं िकातरयो्की नीतियो्और तसद्​्ािं ो्को जनिा िक पहुच ं ाने के उद्श्े य् से एकजुट हो रहे है.्

26 | नाम के बिए ‘राष्​् बनम्ातष ा'

िबजनेि हेड

तशक्क ् ो्को राष्​्तनम्ािष ा नाम देने का जुमला उछाला गया है, लेतकन आंकड़्े बिािे है्तक ऐसी प्ि् ीकात्मक कसरिो् से दूर तशक्क ् ो्और िुद तशक्​्ा की ब्सथति दयनीय बनी हुई है.

शरद कुमार शुक्ला +91. 9651882222

ब्​्ांिडंग

कॉमडेज कम्युिनकेशन प्​्ा़ िल़

प्​्िार प्​्बंधक

यती्द्कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024 yatendra.3984@gmail.com

सिज्​्ापन प्​्बंधक सजते्द्समश्​्

सिसध िलाहकार शुभांशु सिंह

shubhanshusingh@gmail.com

+91. 9971286429 सुयश मंजुल

िंपादकीय काय्ा​ालय

एमडी-10/503, िहारा ग्​्ेि, जानकीपुरम लखनऊ, उत्​्र प्​्देश-226021 टेलीफैक्ि : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com www.shukrawaar.com आिरण फोटो: पवन कुमार DELHIN/2008/24781 स्वत्वािधकारी, प्क ् ाशक और मुदक ् क्म् िा तसंह के तलए अमर उजाला पब्ललकेशस ं तलतमटेड, सी-21, 22, सेकट् र-59, नोएडा, उत्र् प्द् श े से मुत्दि एवं दूसरी मंतजल, ल्ाी-146, हतरनगर आश्म् , नयी तदल्ली-110014 से प्क ् ातशि. संपादक : अंबरीश कुमार (पीआरल्ाी अिधतनयम के िहि समाचारो्के चयन के िलए िजम्मेदार) सभी कानूनी िववादो्के िलए न्याय क्​्ेत्िदल्ली होगा.

28 | ऊना के भीरण संकेत

34 | महाश्​्ेता का महाप्​्स्थान

42 | एक बिंदु मंे अनेक रंग

44 | चोबियो् और वाबदयो् के िीच

गुजराि मे्दबंग गौरक्​्को्ने राज्य मशीनरी के कवच के साथ दतलिो् पर बब्षर अत्याचार तकये. यह देश भर मे्इस प्​्कार के बढ्िे हमलो्के तसलतसले की अगली कड़्ी है.

नल्बे साल के एक अन्य बुजगु ष्बड़्े कलाकार कृषण ् िन्ना ने कुछ साल पहले कहा था तक अब रजा और उनके तबंदु मे् कोई फक्कनही्रह गया है.

लेतिका महाश्​्ेिा देवी जी के तनधन के साथ ही वह आवाज हमेशा के तलए मौन हो गयी जो देश के आतदवातसयो्के तलए िनरंिर उठा करिी थी.

लगिा है तक अगर पहाड़ो्पर रहनेवाले लोगो् की तजंदगी पहाड़ जैसी होिी है िो उनका हौसला भी पहाड़ो्जैसा ही होिा है. शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

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आपकी डाक

कश्मीर का जि्दं ा सच

सतह से उठती कांग्ेस

यह तरपोट्ष पढ्कर लगा तक क्या वाकई कांग्ेस उत्​्र प्​्देश मे्तकसी िरह की वापसी करने की ब्सथति मे् है? इसमे् दो राय नही् है तक राज बल्बर को प्​्देश अध्यक्​्और शीला दीत्​्कि को मुख्यमंत्ी पद का उम्मीदवार घोतरि तकए जाने के बाद हालाि तदन पर तदन बदल रहे है् और यह बदलाव सकारात्मक ही है. प्​्शांि तकशोर फैक्टर से इनकार नही् तकया जा सकिा है क्यो्तक साल भर पहले िक प्​्देश मे्कांग्ेस का कोई नाम लेवा नही् था. प्​्शांि तकशोर उत्​्र प्​्देश मे्कांग्ेस को सत्​्ा मे्नही्ला सकिे यह िय है लेतकन अगर वह उसे िड़्ेहोने के तलए ठोस जमीन भी मुहैया करा पाये िो यह उनके और पाट्​्ी दोनो्के तलए बड़्ी उपलब्लध होगी. प्​्त्यक्​्ा शर्ा​ा, वाराणिी

दजित होने की सि्ा

मध्य प्द् श े मे्आईएएस अतधकारी रमेश थेटे के साथ प्श ् ासतनक दुवय् वहार कोई आज की घटना नही् है. यह तसलतसला लंबे समय से चल रहा है. प्​्देश मे् शायद ही कोई ऐसा वतरष्​् नौकरशाह होगा तजसके तिलाफ जांच का

सोशल मीडिया

अपने पैर कुल्हाड्ी

शीला दीत्​्कि ने 15 साल मे् तदल्ली की कायापलट नही्की क्या? आप पूव्ी तदल्ली को अच्छे से जानिे है्. 15 साल मे् वहां काफी बदलाव आया है. आज बेशक उत्​्र प्​्देश मे् मायाविी सबसे मजबूि ब्सथति मे्नजर आ रही हो् लेतकन कांग्ेस को कमिर नही् आंका जा 4

शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

शुक्वार 16-31 जुलाई की आवरण कथा पढ्कर मन तवचतलि हो गया. यह सच है तक कश्मीर के जमीनी हालाि को, वहां के लोगो् की मानतसकिा को बगैर वहां रहे नही् समझा जा सकिा है. आिंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद सरकार की प्​्तित्​्कया भी राजनीतिक र्प से अपतरपक्व थी तजसने संकट को बढ्ाने का काम तकया. सरकार ने वहां के मीतडया पर तजस िरह के प्​्तिबंध लगाये वह भी आपािकाल की याद तदलािा है. स्थानीय नागतरको् के आंि कान छीन लेने से िो भ्​्म

कम होने के बजाय और बढ्ेगा ही. कश्मीर को लेकर तजिनी सामग्​्ी दी गयी है वह इस संकट के अिीि और मौजूदा हालाि को समझने मे् काफी हद िक मददगार है. तवभूति नारायण राय का कश्मीर को लेकर स्मृति लेि शैली मे् तलिा गया हमे् कश्मीर संकट की पृषभ् तू म से अवगि करािा है. देश के अलग-अलग तहस्सो् मे् बैठकर कश्मीर भारि का अतभन्न अंग है का जाप करिे रहने वालो्को कश्मीर की जमीनी हकीकि एक बार अवश्य देिनी चातहए. राजेश्र सिंह, नयी सिल्ली

मामला नही्बनिा हो. लेतकन जांच शुर्करने और आरोप िय करने की बारी आिी है िो रमेश थेटे और शतश कण्ाषवि जैसे दतलि अतधकारी आसान तशकार नजर आिे है.् यह प्द् श े सरकार के सवण्षवादी सोच को ही दश्ाषिा है. बािे्चाहे तजिनी कर ली जाये् लेतकन जब हकीकि मे् कदम उठाने की बारी आिी है िो सरकार अपना असली चेहरा सामने कर देिी है. थेटे को िो एक बार बि्ाषस् भी तकया जा चुका है लेतकन वह उच्​् न्यायालय से मामला जीि कर दोबारा अपनी नौकरी पा सके. क्या सातजशो् के तलए इसके अलावा भी तकसी सबूि की आवश्यकिा है?

तदल दुिाने वाला अनुभव होिा है. लेतकन बदलाव िो प्​्कृति का तनयम है ही. इन िमाम बािो् के बीच इलाहाबाद अपने तबंदासपन मे् एक तजंदा शहर है. शहर का भतवष्य देिना है िो उसके युवाओ् मे् देतिये, उनके प्​्तिरोध मे् देतिये, इलाहाबाद तवश्​्तवद्​्ालय पतरसर मे् देतिये. उदासी अवश्य दूर हो जायेगी.

िुरेश वानखेड्े, इंिौर

राजलक्​्री शर्ा​ा, इलाहाबाि

पाठको् से बनवेदन

शुक्वार मे्प्​्कािशि तरपोट्​्ो्और रचनाओ्पर पाठको्की प्​्तितक्​्या का स्वागि है़ आप अपने पत्​्नीचे िदए गए पिे पर या ई-मेल से भेज सकिे है्

इिाहाबाद का वत्तमान

इलाहाबाद पर सिीश जायसवाल का संस्मरण वाकई उदास करिा है. तकसी समय तहंदी सातहत्य का गढ्रहे एक शहर मे्ऐसे व्यब्कि का जाना वाकई उसे बहुि कष्​् देगा तजसने दोनो् जमाने देिे हो्. अिीि की याद िो तवचतलि करने वाली होिी ही है. उस पर भी पुराने लोगो् को िोजना, पुराने तठकानो् पर जाना यकीनन सकिा है. सपा ने अपने पैरो्पर िुद कुल्हाड़्ी मारी है. अलग-अलग सत्​्ा के्द्ो् के चलिे. अगर केवल अतिलेश यादव की चलिी िो उत्​्र प्​्देश मे्काफी बदलाव आ जािा. असिषेक शुक्ला, फेिबुक िे

सार्तक पहि

एमडी-10/503, सहारा ग्​्ेस, जानकीपुरम, लिनऊ उत्​्र प्​्देश-226021 टेलीफैक्स : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com कोई िस्वीर कभी नही् देिी. 'शुक्वार' ने एकदम सही व्यब्कि के साथ इस नये कॉलम की शुर्आि की है. गंिीर श्​्ीवास्​्व, फेिबुक िे

ताज्किक नही्

शुक्वार का 16 से 31 जुलाई का अंक देिा. देश के चत्चषि संपादको्पर के्त्दि कॉलम शुर् इस अंक के आवरण पृष् पर बनी िस्वीर. करना एक बहुि अच्छी पहल है. वर्​्ो् से पत्​्तका के िात्ककक और तनरपेक् दृत्षकोण से इंतडयन एक्सप्​्ेस का पाठक हूं लेतकन राज मेल नही्िािी है. कमल झा के बारे मे्कुछ तलिा हुआ या उनकी िंजय खरे, फेिबुक िे


संपादकीय

गोरक्​्क बगरोह इ

अंबरीश कुमार

अगड्ी जातियो्के आपरातिक तकस्म के लोगो्ने भी कति​ि गोरक्​्ा सतमतियां बनायी्है जो दतलिो्पर हमला कर रही है्. परंिु अब दतलिो् मे्इन घटनाओ्को लेकर आक्​्ोश बढ्रहा है और वे लामबंद हो रहे है्.

स समय देश के तवतभन्न तहस्सो् से फज्​्ी गोभक्िो् के आिंक की िबरे् लगािार आ रही है.् ये गाय के नाम पर तकसी की भी िाल उधेड़्सकिे है्और जान भी ले सकिे है.् गुजराि मे्तजस िरह चंद लंपटो्ने मरी हुई गाय को ले जा रहे दतलि युवको्की बब्रष िा से तपटाई की वह तकसी भी सभ्य समाज के तलये कलंक है. देश के तवतभन्न तहस्सो्से इस िरह की िबर आ रही है.् हतरयाणा, गुजराि, कन्ाटष क, मध्य प्द् श े , उत्र् प्द् श े से लेकर राजस्थान िक से गाय के नाम पर दतलिो्के दमन और उत्पीडन की िबरे आ रही् है.् गुजराि के ऊना मे्गाय मारने के शक मे्उन नौजवानो्की चमड़्ी उधेड़्दी गयी जो मरी हुई गाय की िाल तनकालने जा रहे थे. तजस बब्रष िा से इन दतलि नौजवानो्को मारा गया वह सोशल मीतडया पर वायरल हुये वीतडयो मे्सभी ने देिा. इस मामले मे्गतठि जांच दल ने जो रपट दी है उसमे् कहा गया है तक ऊना कस्बे के पास ब्सथि मोटा समतधया गांव की आबादी 3000 है, इसमे् 26 -27 दतलि पतरवार रहिे है.् ये सभी िेि मजदूर है,् नौजवानो् का एक छोटा तहस्सा पढ्ा तलिा बेरोजगार है. इन दतलि पतरवारो् मे् तसफ्क एक पतरवार (बालू भाई वीरा भाई समतदया) मरे हुए घरेलू जानवरो् का चमड़्ा उिारने का काम करिा है. यह हमला इसी पतरवार के नौजवानो् पर तकया गया. दतलि नौजवानो् की तपटाई का वीतडयो भी इन फज्​्ी तकस्म के गोभक्िो् ने ही जारी तकया जो अगड़्ी जातियो्के है. गुजराि मे्उन्हो्ने तजस िरह का दुस्साहस तदिाया है उससे साफ् है तक उन्हे् सरकार का कोई डर नही्है. यह वही राज्य है तजसके तवकास मॉडल की माक्​्ेतटंग कर नरे्द् मोदी ने देशभर मे् हवा बनायी् थी. लगिा है तवकास के उनके इस मॉडल मे्दतलि और अल्पसंखय् क शातमल नही् है. बीिे कुछ समय मे् इन दोनो् पर हमले लगािार बढ्रहे है.भाजपा जो पहले इन िाकिो् को पीछे से शह तदया करिी थी अब िुलकर आगे आ रही है. िेलंगाना के गोशामहल (हैदराबाद) सीट से भाजपा तवधायक टी राजा तसंह ने िो ऊना कांड मे् दतलिो् की तपटाई को सही बिाया और उन दतलिो् को मारने का भी ऐलान तकया जो गोमांस िािे हो्. हालांतक समूचे पूव्ोत्​्र भारि मे् बहुि से लोग गोमांस िािे है्यह एक अलग िथ्य है. दरअसल गाय का मुद्ा हाल मे् उमड़्ी राष्​्भब्कि की भावना से जुड़् गया है. अब

राष्भ् ब्कि, गाय, गोरक्​्ा सब एक हो गये है.् अंध राष्भ् ब्कि का नमूना जेएनयू की घटना के बाद कई जगह सामने आ चुका है. जो कट्​्रपंथी िाकिे्िब तहंसा पर उिार्थी्वही िाकिे्गाय के नाम पर आदमी की िाल िी्च रही है.् दुभा्गष य् यह है तक इन्हे्न राष्​्से कोई लेना देना है न गाय से. हर शहर मे्चौराहे-चौराहे कचरा िािी गाय नजर आ जायेगी िब कोई गोभक्ि नजर नही् आयेगा. कोई गाय मर जाये िो भी अगड़्ी जातियो् का कोई गोभक्ि नजर नही्आयेगा. दतलि ही इन गाय को ले जािे है्और उसकी िाल तनकालिे है. यह काम वे सतदयो्से करिे आ रहे है.् इस िाल से बने सभी उत्पादो्का इस्म्े ाल अगड़्ी जातियो् के लोग करिे है् पर मरी हुयी गाय की िाल अपने हाथ से तनकालने का काम दतलि करिे है.् हां, बड़्ा मुनाफा देिकर मशीन से िाल तनकालकर बेचने का धंधा जर्र अगड़्ी जातियो्के कुछ लोगो्ने शुर्तकया है. गुजराि मे् जब मरी हुयी गाय की िाल तनकालने पर दतलि नौजवानो्की तपटाई हुई िो दतलिो्ने मरी हुयी गाये्इकठ्​्ा कर नगर तनगम दफ्िर के सामने डाल दी्. साथ यह भी कहा तक जो लोग गाय को अपनी मािा मानिे है् वे इन गायो् का अंतिम संस्कार करे्. लेतकन कोई गोभक्ि नजर नही्आया. गुजराि से तमली जानकारी के मुिातबक जगह जगह अगड़्ी जातियो्के आपरातधक तकस्म के लोगो्ने भी कतथि गोरक्​्ा सतमतियां बनायी्है जो दतलिो् पर हमला कर रही है्. परंिु अब दतलिो् मे् इन घटनाओ् को लेकर आक्​्ोश बढ् रहा है और वे लामबंद हो रहे है.् जुलाई महीने के अंतिम तदन अमदाबाद की सड़्को्पर ऊना की घटना के तवरोध मे् हजारो् की संखय् ा मे् दतलि सड़्क पर उिरे. इसमे् मुखय् धारा के तकसी भी राजनैतिक दल को बुलाया नही्गया था. तफर भी बड़्ी संख्या मे् लोग अगर आये िो राजनैतिक दलो् को दतलिो् के इस आक्​्ोश को समझना चातहये. वैसे भी उत्र् प्द् श े और पंजाब का चुनाव सामने है्जहां तपछले लोकसभा चुनाव मे्दतलिो् की बड़्ी आबादी ने मोदी को वोट तदया था और मायाविी की बसपा का कोई भी सदस्य लोकसभा नही् पहुच ं पाया था. पर अब हालाि बदल रहे है् तजसका ज्यादा श्​्ेय गोभक्िो् और दतलि तवरोधी िाकिो्को भी जािा है और इसकी शुरआ ् ि गुजराि से हो चुकी है आनंदी बेन पटेल n के इस्​्ीफे के साथ. ambrish2000kumar@gmail.com शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

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आवरण मास्ट हेकथा ड

उत्​्र प्​्देश मे्अतिलेश यादव सरकार ने तपछले चार साल मे् कई मंतजले्िय की है्. युवा वग्ष मे्अपनी लोकत्​्पय छतव के साि अतिलेश आिुतनक तवकास और समाजवाद के बीच एक संिुलन सािे हुए है्. शायद इसीतलए सभी की तनगाहे्उनकी ओर लगी हुई है्.

अर्ण कुमार ज्​्िपाठी

ि​िी फोटो: पवन कुरार

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शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

असखलेश यािव: चार िाल का िफर

त्​्र प्​्देश मे् तवधानसभा चुनाव से पहले ही माहौल गम्ष है. बसपा-भाजपा टकराव ने प्​्देश की राजनीति को अचानक देश भर सुत्िषयो् मे् ला तदया. जातहर है, मुख्यमंत्ी अतिलेश यादव की भूतमका पर सबकी नजर है. उनसे अब उनके धुर तवरोधी भी उनसे उम्मीद लगा रहे है्. बसपा प्​्मुि मायाविी ने कहा तक मुख्यमंत्ी अतिलेश यादव मुझे बुआ कहिे है िो इस तरश्िे का मान रि​िे हुए दयाशंकर तसंह के तिलाफ कार्षवाई करे्. यह सपा-बसपा के तबगड़े हुए पुराने तरश्िो् मे्नया मोड़ है. चार बार मुख्यमंत्ी रही्मायाविी का सपा से छत्​्ीस का आंकड़ा रहा है. इसके बावजूद उन्हे्अतिलेश यादव से कुछ उम्मीद है िो यह अतिलेश यादव की उस राजनीति पर भी तटप्पणी है जो उन्हे् प्​्देश के अन्य नेिाओ् से अलग करिी है. वे आम नौजवान की िरह व्यवहार करिे है. मुख्यमंत्ी जैसे पद पर होने के बावजूद पतरवार के साथ समय तबिािे है् और अवकाश पर घूमने जािे है. तपछले दो दशक मे् प्​्देश मे् पहली बार ऐसा मुख्यमंत्ी बना है, तजसने तवकास को एजे्डा बनाया. तशक्​्ा, स्वास्थ्य, पय्ाषवरण से लेकर कृतर क्​्ेत् मे् कुछ नया होने की उम्मीद जग रही है. अतिलेश यादव ने सत्​्ा मे् चार साल पूरे कर तलये है्. स्पष्​् है तक इस अवतध की अपनी उपलब्लधयो् और सकारात्मक पहलो् के साथ ही वे चुनावी समर मे्जाये्गे. वे कहिे भी है् तक अगले तवजेिा (सन 2017 के तवधानसभा चुनाव मे्) का फैसला


उपलसि्ध और चुनौती के बीच

मेट्ो की रफ्िार से होगा, न तक माया के प्​्स्र युग से. जातहर है तक उनमे् अपनी पूव्षवि्​्ी मुख्यमंत्ी की शैली से काफी आगे तनकल जाने का आत्मतवश्​्ास है. शायद इसी के चलिे वे प्​्देश के तवधानसभा चुनाव मे् भी ितमलनाडु और पत्​्िम बंगाल के पतरणाम के दोहराये जाने की उम्मीद करिे है्. वे कहिे है्, ‘कभीकभी राजनीतिक चक्​् इस प्​्कार से घूमिा है तक सरकारो् की पहली बार वापसी होिी है. ितमलनाडु मे् 32 सालो् मे् पहली बार कोई सरकार लगािार दोबारा चुनी गयी. पत्​्िम बंगाल मे् भी सरकार दोबारा चुनी गयी. ऐसा तबहार मे्भी हुआ. उत्​्र प्​्देश से सटे राज्यो्मे् सरकारे् दोबारा चुनी जा रही है्. इसतलए मुझे लगिा है तक उत्​्र प्​्देश मे् भी यह होगा और समाजवादी पाट्​्ी सत्​्ा मे् तफर आयेगी. मै् मानिा हूं तक ऐसा इसतलए होगा तक समाजवादी पाट्​्ी ने अपने घोरणा-पत्​् मे् जो वादे तकये थे वे पूरे कर तदये. हमने उत्​्र प्​्देश मे् संिुतलि तवकास तकया है. एक्सप्​्ेस-वे की िरफ देतिए या प्​्देश की सुधरी हुई तबजली व्यवस्था पर गौर करे्. उत्​्र प्​्देश मे् बहुि सारे तवरोध प्​्दश्षन होिे थे. हमने इस बाि की गारंटी कर

दी है तक जो तवरोध कर रहे है्उन्हे्अब ज्यादा समय गम्​्ी मे्नही्तबिाना होगा.’ अपनी सबसे बड़्ी उपलब्लधयो् के बारे मे् पूछे जाने पर अतिलेश कहिे है्, ‘चार साल के बाद मै् सुरत्​्कि िरीके से कह सकिा हूं तक हमने उत्​्र प्​्देश को वृत्द और तवकास के रास्​्े पर डाल तदया है. पुरस्कारो् को छोड़् दीतजए, अब हम जोर देकर कह सकिे है् तक तकसी भी शहर के मुकाबले सबसे िीव्​्गति से मेट्ो तनम्ाषण लिनऊ मे् हुआ है. कही् भी बनाये गये एक्सप्​्ेस वे की िुलना मे् एक्सप्​्ेस वे का सबसे िीव्​् तनम्ाषण यहां हुआ है. हम तसफ्कनौ महीनो्के तरकॉड्षसमय मे्चीनी तमल लगा रहे है्. पहले एक चीनी तमल लगाने मे्दो साल लग जािा था.’ उसके बाद मुख्यमंत्ी भाजपा और बसपा पर समान र्प से िंज कसिे हुए कहिे है्, `मै्यह नही्कहूंगा तक यह सब मै्ने इसतलए तकया तक पूव्षवि्​्ी सरकार ने कुछ नही्तकया था. वे िो पत्थर के ऊपर पत्थर रि रही थी्. वे प्​्स्र युग का तरकाड्ष बनाने वाली है्. जबतक हमने मील का पत्थर कायम तकया है.’ दतलि राज और प्​्स्र युग के बीच झूलने लखनऊ-आगरा एक्िप्​्ेि-वे: सवकाि की राह

वाली मायाविी ने भी उत्​्र प्​्देश के तवकास का एजे्डा पकड़्ा लेतकन 2012 िक आिेआिे वे प्​्देश के मौजूदा ढांचे को नकारने लगी्. उन्हो्ने न तसफ्क दतलि अब्समिा के एजे्डे को ढीला छोड़्ा, बब्लक समूचे प्​्देश के तवकास संकल्प से भी कदम पीछे िी्च तलया. मायाविी के शासन काल से अतिलेश के शासन काल की िुलना करने के साथ यह भी देिना जर्री है तक प्​्देश के बाकी 18 मुख्यमंत्तयो् ने (अतिलेश यादव बीसवे् मुख्यमंत्ी है्) तकस िरह प्​्देश को आगे बढ्ाने मे्योगदान तदया. प्​्देश के मुख्यमंत्तयो्पर एक सरसरी तटप्पणी करिे हुए अस्सी के दशक मे् पत्​्कार तगरधारी लाल पाहवा तलि​िे है्, `देश को पांच प्​्धानमंत्ी (अब नौ) देने के बावजूद आज भी उत्​्र प्​्देश तपछड़्ा है, क्यो्तक उस के नेिाओ् ने तवकास की बजाय अपने गुटो् की मजबूिी पर अतधक ध्यान तदया, तजसका पतरणाम प्​्शासन को भुगिना पड़्ा. गोतवंद बल्लभ पंि (और अब मायाविी और अतिलेश) के बाद तकसी भी मुख्यमंत्ी को काय्षकाल पूरा करने नही्तदया गया.’ तपछले ढाई दशक से प्​्देश के मुख्यमंत्ी के नाम पर मुलायम तसंह, मायाविी, कल्याण तसंह और राजनाथ तसंह के नाम से ही लोगो्का पतरचय है. उनकी काय्षशैली लोगो्की स्मृति मे् िाजा है. यहां अतिलेश यादव से पहले प्​्देश की बागडोर संभालने वाले मुख्यमंत्तयो्, तवशेर कर कांग्ेसी मुख्यमंत्तयो्पर ध्यान देने से एक बाि साफ हो जािी है तक प्​्देश को मुख्यमंत्ी के र्प मे्न िो कोई आदश्षशासक तमला और न ही अतिलेश यादव से पहले कोई स्वण्षकाल था. अगर हम अतिलेश यादव के काय्षकाल को कांग्ेसी मुख्यमंत्तयो् के साथ रिकर िुलना करे्गे िो अतिलेश ज्यादा सशक्ि, समथ्षऔर सफल मुख्यमंत्ी माने जाये्गे. उन्हे् कल्याण तसंह, मुलायम तसंह यादव, राजनाथ तसंह और मायाविी के आरंतभक काय्षकालो्के मुकाबले पहले ही काय्षकाल मे्ज्यादा शांिपूण्ष िरीके से काम करने का मौका तमला. जब उनसे पूछा गया तक क्या आपके आलोचको् की यह बाि सही है तक तसफ्क तपछले दो सालो मे् उत्​्र प्​्देश मे् काम ने रफ्िार पकड़्ी है, िो उनका कहना था तक `यह स्वाभातवक है. उदाहरण के तलए, एक्सप्​्ेस वे बनाने के तलए हमे् पहले जमीन अतधग्​्हीि करनी पड़्िी है. अगर हमे् तनवेश लाना है िो पहले नीतियो्को मजबूि करना होगा. और मै् िो पहली बार मुख्यमंत्ी बना था.’ प्​्देश के मौजूदा नेिृत्व की तवकासोन्मुिी सोच को िस्दीक करिे हुए जाने-माने अथ्षशास्​्ी और लिनऊ के तगतर इंस्टीट्​्ूट के पूव्षतनदेशक प्​्ोफेसर एके तसंह कहिे है्,`प्​्देश शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

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आवरण मास्ट हेकथा ड

रुलायर ि​िंह, असखलेश और िूिरे िपा नेता: नये-पुराने का िंतुलन िरक्​्ी की राह पर है और िमाम नकारात्मक आदश्षआचाय्षनरे्द्देव के थे. उन आदश्​्ो्की िबरो्के बावजूद बुंदेलिंड मे्भी प्​्ति व्यब्कि आज तसफ्क याद की जा सकिी है, लेतकन आय बढ्ी है और वहां की तवकास दर ने भी उनका पालन करना लगभग असंभव तदि​िा रफ्िार पकड़्ी है. इसके पीछे एक िो है. राजनीतिक लोग और उनके प्​्भाव मे् उदारीकरण का प्​्भाव है िो दूसरी िरफ मौजूदा सरकारे् अपरातधयो् को संरक्​्ण देने से लेकर नेिृत्व की कुशलिा भी. हालांतक मै् इस प्​्देश अवैध िनन जैसे िमाम िरह के आपत्​्तजनक के मौजूदा ढांचे को बदले जाने के पक्​् मे् हूं. कामो् मे् लगी रहिी है् तजससे समाजवादी इसके बावजूद सच्​्ाई यही है तक नारायण दत्​् आदश्षकलंतकि होिा है. तिवारी के बाद प्​्देश को पहली बार कोई डाॅ राम मनोहर लोतहया के आदश्ष मुख्यमंत्ी तमला है जो टकराव से अलग प्​्देश उदारीकरण के इस दौर मे्अपना पाना आसान के तवकास के बारे मे्सोचिा है.’ नही् है. लोतहया सारे बड़्े उद्​्ोगो् के कानून और व्यवस्था के मोच्​्ेपर पूरी िरह राष्​्ीयकरण की बाि करिे थे. हर व्यब्कि के संिुष्न कर पाने वाले अतिलेश यादव ने एक िच्ष की सीमा तनध्ाषतरि करने (यानी िच्ष काम जर्र तकया है तक प्​्देश को चार तहस्सो् बांधो) की बाि करिे थे. वे िाद्​् पदाथ्​्ो् के मे् बांटने की जो चच्ाष मायाविी के काय्षकाल दामो् मे् सीतमि उिार-चढ्ाव के पक्​् मे् थे. वे के अंि मे् िेज हो गयी थी, वह अब िामोश चाहिे थे तक तकसी के पास एक से ज्यादा है. हो सकिा है तक इस तवशाल प्​्देश से 73 मकान न हो. तनजी कारो् के उत्पादन पर रोक सीटे् (और दो सहयोगी दल की) पाने वाली लगे. शहरी जमीन की कीमि तनयंत्ति रहे और भाजपा को अब इसके तवभाजन मे् र्तच न हो कृतर उत्पादन बढ्ाने के तलए िाद्​्सेना बनाई और वह इसे तहंदुत्व की सबसे बड़्ी प्​्योगशाला जाए. इसके अलावा जातिगि भेदभाव तमटाने बनाना चाहिी हो. प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी स्वयं के साथ ही उनका जो सांप्दातयक सद्​्ाव वाराणसी से सांसद है्और अब अपने को उत्​्र कायम करने और भारिीय भाराओ्के तवकास प्​्देश का ही कहने लगे है्. इसकी यह भी वजह पर था. लोतहया भारी उद्​्ोग के तवर्द् थे और हो सकिी है तक जो पूव्ा​ा्चल तवकास के वे जहां िक हो सके उसका मानवीयकरण पायदान पर लड़्िड़्ा रहा था, उसकी िरफ भी चाहिे थे. वे लघु उद्​्ोगो्को बढ्ावा देने के पक्​् ध्यान गया है. शायद हतरि प्​्देश की मांग करने मे्थे. वाले अजीि तसंह को भी समझ मे् आ गया है समाजवाद के तपिामह आचाय्ष नरे्द् तक अगर पत्​्िम उत्​्र प्​्देश अलग प्​्ांि बना देव की 125 वी् जयंिी सन 2014 मे् तजस िो वहां पहली बार भले जाट मुख्यमंत्ी बने, िरह से उपेत्कि तनकल गयी, उिनी उपेक्ा अगली बार तकसी अल्पसंख्यक की ही दावेदारी लायक उनका समाजवादी तसद्​्ांि और होगी. नैतिकिा का दश्षन नही्था. 29 तदसंबर 1955 लेतकन समाजवादी पाट्​्ी के नेिृत्व मे् मे्गया अतधवेशन मे्आचाय्षजी ने जो मशहूर चलने वाली और बार-बार समाजवादी भारण तदया उसे ‘गया थीतसस’ के नाम से तवरासि का तजक्​् करने वाली अतिलेश जाना जािा है. इस दौरान उन्हो्ने समाजवादी सरकार उन आदश्​्ो्पर दृढ्िापूव्षक काम नही् नीति के बारे मे् जो कहा, वह यहां उद्​्ृि कर रही है तजन पर डा राम मनोहर लोतहया करने लायक है क्यो्तक कोई भी समाजवादी तकसी सरकार को चलाना चाहिे थे या जो राज्य या सरकार उस कसौटी पर कसी जानी 8

शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

चातहए. वे कहिे है्, ‘प्​्जािांत्तक समाजवाद युगो् से मनुष्य मे् हो रहे नैतिक तवकास पर भरोसा करिा है और समाजवादी नैतिकिा को इसकी अंतिम पतरणति मानिा है... वह अतनवाय्षिः मानवीय स्वर्प के नैतिक तसद्​्ांिो् की रक्​्ा करिा है और ऐसे परंपरागि स्वर्पो् की रक्​्ा करिा है जो समाजवाद से बेमेल नही् है्.’ समाजवादी नैतिकिा पर अटूट आस्था रिने वाले आचाय्ष के तलए उस आदश्ष को प्​्ाप्ि करना परम लक्​्य था. िभी वे इस बाि पर जोर देकर कहिे है्, ‘समाजवादी नैतिकिा ही वास्​्तवक मानवीय नैतिकिा है, क्यो्तक यह अहम्मन्यिा भरे समझौिावादी दृत्षकोण, वग्​्ीय प्​्तिरोध, शोरण और दमन से मुक्ि होिी है... यह इस तवश्​्ास पर आधातरि है तक मानवीय संवेदनाओ् के तलए मुक्ि सहयोग, समानिा और बेहिर सांस्कृतिक जीवन की सुतवधाओ् की आवश्यकिा होिी है.’ वे कहिे है्, ‘समाजवातदयो् के तलए व्यब्कित्व की नैतिकिा, व्यब्कि की इस क्​्मिा मे्अंित्नषतहि है तक वे सामातजक भलाई को तकस िरह अपना समझिा है. उनके तलए नैतिक काय्षसामातजक भलाई के काय्ष मे् एक स्विंत् कार्षवाई है. नैतिक स्विंत्िा सामातजक भलाई के तलए मनुष्य की समस्​् शब्कियो् की तनब्​्ाधिा (बंधनहीनिा) है. नैतिक जीवन एक ऐसे समाज मे् ही संभव है तजसमे् मनुष्य अपनी वास्​्तवक िुशी दूसरो्के साथ ही ग्​्हण करिा है और अपनी बेहिरी सामातजक बेहिरी के तहस्से के र्प मे्ही करिा है.’ आचाय्ष नरे्द् देव के इन्ही् तसद्​्ांिो् पर समाजवादी व्यवस्था और समाजवादी व्यब्कि को कसा जाना चातहए. उस पर नीिीश कुमार की सरकार भी कसी जायेगी और अतिलेश की भी. अतिलेश यादव समाजवादी नैतिकिा की तफसलन भरी ऊंचाई भले न पा सके हो्, लेतकन इिना जर्र है तक वे समाजवादी तसद्​्ांिो् मे् आस्था जिािे है् और उसे इस घनघोर पूंजीवादी युग मे् अपनी नीतियो् मे् समातहि करने की कोतशश करिे है्. अतिलेश यादव कहिे है्, ‘तवकास का रास्​्ा समाजवादी तवचारधारा, नीतियो् और तसद्​्ांिो् से ही तनकलेगा. तकसी भी िरह की असमानिा समाज मे्समस्याओ्को जन्म देिी है. आत्थषक असमानिा अगर है िो तवकास का वि्षमान मॉडल देश और समाज के तहि मे् नही् होगा. ऐसे मे्डा लोतहया की बहस (िीन आने बनाम िेरह आने वाली) आज भी प्​्ासंतगक है. आय की असमानिा एक से दस नही् होनी चातहए. देश को आत्थषक, सामातजक और लै्तगक समानिा की ओर समाजवादी तवचारधारा ही ले n जा सकिी है.’


सपने और सरोकार

जो उत्​्र प्​्देश तपछले िीन दशको्से मंडल-कमंडल राजनीति के चलिे तपछड्िा जा रहा िा, वह आज तवकास की दौड्मे्अव्वल आने की किार मे्है. शंभूनार शुक्ि

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करीबन चार साल पहले 15 माच्ष को जब अतिलेश यादव नेउत्र् प्द् श े के 20वे्मुखय् मंत्ी के र्प मे्शपथ ली थी िब कोई नही्जानिा था तक देश के सबसे बड़्े सूबे का यह युवा मुख्यमंत्ी क्या कुछ कर पायेगा. उसकी पहचान बस इिनी ही थी वह राजनीति के महारथी मुलायम तसंह यादव का बेटा था और कन्नौज सीट से िीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीिा था. उसकी अपनी राजनीतिक पहचान नही्थी. सब लोग आशंतकि थे तक समाजवादी पाट्​्ी की फौज को यह युवा नेिा मैनेज कर भी पायेगा अथवा नही्. क्यो्तक िब िक समाजवादी पाट्​्ी को न तसफ्ककांग्ेस और भाजपा बब्लक बसपा भी यूं प्​्चातरि करिी थी तक सपा का मिलब गुंडा दल. बसपा का िो बाकायदा नारा होिा था तक ‘चढ् गुंडन की छािी पर मोहर लगेगी हाथी पर’. लेतकन अतिलेश यादव ने समाजवादी पाट्​्ी के इस कलंक को धो डाला. आज शायद ही कोई यह मानने को राजी हो तक अतिलेश यादव के राज मे्गुड ं ो् को िुली छूट रहिी है. यह उनकी सबसे बड़्ी उपलब्लध है. अब जो छतव अतिलेश सरकार की बन रही है वह तवकास की है. उत्​्र प्​्देश मे् तपछले चार सालो् मे् तजस िरह िमाम लोक कल्याणकारी योजनाएं शुर् हुई् और जनतहिकारी काम हुए वे अपने आप मे्एक अलग कहानी कहिे है्. यह शायद बहुि वर्​्ो् बाद हुआ तक उत्​्र प्​्देश मे्अब तबजली नही्जािी और सड़्के् गड्​्ो् से भरी हुई नही् तमलिी है्. आप बेतझझक व तबना र्के तदल्ली से तनकल कर प्​्देश को पार करिे हुए कही् भी आ-जा सकिे है्. राज्य के तलए यह बहुि बड़्ी सफलिा है. एक ऐसा राज्य जो बीमार् बन चुका था अचानक वहां तबजली, सड़्क व पानी ही नही्बब्लक अपराध पर भी काबू पाना आसान नही्था. मगर अतिलेश यादव ने वह सब कुछ तकया. धारणा बदलने मे् वक्ि लगिा है पर लोग अब यह िो मानने ही लगे है् तक कुछ भी हो अतिलेश यादव प्​्देश के तलए बेहिर सीएम है्. मैने उत्​्र प्​्देश की राजनीति को काफी करीब से देिा और महसूस तकया है. िासकर मध्य उत्​्र प्​्देश मे्तपछड़्ी जातियो्के उभार पर. मुझे यह कहने मे्कोई संकोच नही्तक उत्​्र प्​्देश मे्तपछड़्ी जाति का जो भी नेिा उभरा उसे या िो सवण्​्ो्ने अपनी हां मे्हां तमलाने वाला बना तलया अथवा उसे राजनीति से बाहर करवा तदया. चाहे वह मीतडया मे्छाये सवण्ष वच्षस्व के बूिे हो अथवा नौकरशाही के बूिे. मगर मुलायम तसंह पहले

असवण्षनेिा थे जो डटे रहे और सफल रहे. उन्हे्समाप्ि करने के िमाम प्​्यास तकये गये. पर सबनाकाम रहे. वे उस फीतनक्स पक्​्ी की िरह है्जो बार-बार नष्​्होिा है पर तफर अपनी ही राि से अपना नया र्प धारण करिा है. मुलायम तसंह यादव उफ्कनेिा जी की यही तसफि रही तक लाि तवरोध के बावजूद वे हार कर थकिे नही्रहे और सपा को एक नही्अनेक बार उन्हो्ने सत्​्ा िक पहुंचाया. इसकी एक वजह यह भी रही तक नेिा जी ने कभी अपनी पाट्​्ी की धुरी रही तपछड़्ी जातियो् की अनदेिी नही् की. इस मामले मे्वे पके्लोतहयावादी रहे. तपछड़्ी जातियो्को उनकी संख्या के मुिातबक अवसर देने के कारण उन पर आरोप लगा तक वे जातिवाद बढ्ा रहे है्अथवा पतरवारवाद चला रहे है्. मगर यह भी एक सत्य है तक मुलायम तसंह यादव ने कभी अपने बेटे को आगे बढ्ाने की कोतशश नही् की थी. उलटे जब िक अतिलेश यादव पढ्िे रहे न िो उनके टीचर न उनके सहपाठी यह जान पाये तक वे उत्​्र प्​्देश के सबसे बड़्े नेिा मुलायम तसंह के बेटे है्. भले वह धौलपुर का सैतनक स्कूल रहा हो अथवा मैसूर का इंजीतनयतरंग कालेज.पय्ाषवरण तवज्​्ान मे् तसडनी आस्ट्ेतलया से जब अतिलेश मास्टर तडग्​्ी लेकर आये िो अपनी र्तच के कारण ही उन्हो्ने राजनीति को बिौर कतरयर चुना और तबना तकसी िामझाम के कन्नौज सीट से सन 2000 मे् लोकसभा का उपचुनाव जीिे.इसके बाद वे 2004 और 2009 का लोकसभा चुनाव भी जीिे और लोकसभा मे् उनके प्द् श्नष के चलिे ही उन्हे्2012 के उप्​् तवधानसभा चुनाव मे्सपा ने अपना मुखय् मंत्ी का चेहरा बनाया. उनकी अगुआई मे्सपा ने बहुमि पाया और उन्हे्मुखय् मंत्ी बनाया गया. मुलायम तसंह ने 2012 मे् मुख्यमंत्ी बनने से मना कर तदया था और िब सपा मे् नेिाओ् की भीड़् के बावजूद उन्हे् चुना गया िो उसकी वजह युवाओ् मे् उनकी लोकत्​्पयिा और सामान्य जनिा का उनके प्​्ति आकर्षण रहा. सपा मे्नेिा िो िब भी िूब थे पर पाट्​्ी के अंदर एक गैर तववादास्पद चेहरा अतिलेश यादव ही थे. एक ऐसा चेहरा तजसके अंदर अपने तपिा के िामझाम और ग्लमै र का किई असर नही्था. कहना चातहये तक मुलायम तसंह यादव जी ने अपने बेटे की परवतरश एक सामान्य बच्​्े की िरह ही की थी और इसीतलए वे अपनी प्​्तिभा से सबका तदल जीिने मे् कामयाब रहे. और इसमे् कोई शक नही् तक इस सामान्य बच्​्े ने असामान्य काम कर तदिाये. जो उत्​्र प्​्देश तपछले िीन दशको् की मंडल-कमंडल राजनीति के चलिे तपछड़्िा जा रहा था वह आज तवकास की दौड़् मे् अव्वल आने की किार मे् है. यकीनन इस सबका श्​्ेय n अतिलेश यादव को िो जािा ही है. (लेिक ‘अमर उजाला’ के पूव्षसंपादक है्.) शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

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आवरण कथा

छात्​्ो्के बीच लैपटाॅप का सवतरण करते हुए असखलेश यािव, और (िाये्) लखनऊ रे्सनर्ा​ाणाधीन रेट्ो: सवकाि के िरोकार

नये वोट बैक ं से उमंमीद

मुख्यमंत्ी अतिलेश यादव ने बड्े जिन से सपा के परंपरागि मिदािाओ्से अलग एक नया वोट बै्क तवकतसि तकया है. देिना होगा तक आगामी तविानसभा चुनाव मे्वह उनका साि तकस हद िक देिा है. रंजीव

हुजन समाज पाट्​्ी् (बसपा) प्​्मुि मायाविी जब भी उत्​्र प्​्देश मे् सत्​्ार्ढ् समाजवादी पाट्​्ी को तनशाने पर लेिी है् िो उनके िरकश का प्​्मुि िीर होिा है सपा को गुंडो्-बदमाशो्की पाट्​्ी बिाना. भारिीय जनिा पाट्​्ी (भाजपा) भी यह आरोप लगाने मे् पीछे नही् रहिी. ऐसे मे् भाजपा और बसपा के बीच गातलयो्की होड़्से जो तसयासी घमासान मचा है उस बीच मुख्यमंत्ी अतिलेश यादव की तटप्पणी सुिद है. उन्हो्ने दोनो्पक्​्ो्की हरकिो् पर अफसोस जिािे हुए कहा तक राजनीति का यह िरीका ठीक नही्. यह अदब की राजनीति नही्है. जब प्द् श े के दो बड़्ेदल भारायी मय्ादष ा भूल बैठे हो्िब युवा मुख्यमंत्ी की यह तटप्पणी 10 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

उम्मीद और राहि का अहसास करािी है. बीिे साढ्े चार साल मे् अतिलेश यादव अपनी शि्​्ो्पर राजनीति करिे रहे है.् इस प्क ् ार उन्हो्ने समाजवादी पाट्​्ी (सपा) के परंपरागि वोट बै्क से आगे एक नया वोट बै्क तवकतसि करने का प्य् ास भी तकया है. उन्हो्ने कई मायनो् मे्िुद को औरो्से अलग भी सातबि तकया है. शायद यही वजह है तक समाजवादी पाट्​्ी पर िमाम आरोप लगाने वाले राजनीतिक तवरोधी भी मुख्यमंत्ी को तनशाने पर लेने का अवसर िलाश नही् पाये है्. तवधानसभा के अगले चुनाव मे् समाजवादी पाट्​्ी को तकसी हालि मे् वोट न देने का ऐलान करने वाले भी दबी जुबान से यह स्वीकार करिे है् तक अतिलेश यादव औरो्से अलग है्. उनमे्बहुि कुछ अच्छा है. लोगो् की यही मुहर अतिलेश यादव को यह दावा करने का दम देिी है तक वह तफर सरकार मे् लौटे्गे. बीिे एक साल मे् कई राज्यो्मे्हुए चुनाव मे्सत्​्ार्ढ्दलो्की वापसी ने उनके भरोसे को पुख्िा तकया है. अतिलेश यादव ने अपनी अलहदा राजनीति की झलक 2012 के तवधानसभा चुनाव मे् ही पेश कर दी थी जब उन्हो्ने तववातदि छतव के नेिा डीपी यादव का सपा मे् प्​्वेश रोक तदया था. उन्हो्ने साव्षजतनक र्प से कहा था तक सपा मे्ऐसे लोगो्की आवश्यकिा नही्. उस चुनाव मे्सपा को तमले प्​्चंड बहुमि

के तलये उनके इस कदम को भी वजह माना गया. उस बार पाट्​्ी को उसके पारंपतरक समथ्षको् के अलावा अन्य िबको् का वोट भी तमला था. वह अतिलेश यादव के नाम पर नया वोट बै्क बनने की शुर्आि थी. मुख्यमंत्ी अतिलेश यादव ने अपने काय्षकाल के दौरान उस वोट बैक ् को तवस्​्ार देने मे्कोई कसर नही् छोड़्ी है. हालांतक वह अब भी उनके साथ है या नही्इसका िुलासा िो अगले चुनाव के बाद ही हो सकेगा. वह प्​्देश के मौजूदा दौर के नेिाओ् से अलग है्. युवा छतव, तवकास का एजे्डा, तवनम्​् मुस्कान, मय्ाषतदि भारा शैली और आधुतनक काय्ष शैली उनकी अलहदा पहचान कायम करिे है्. नये तमजाज की इस तसयासि मे्अतिलेश अपने तिलाफ बोले गये जुमलो् को भी अपने हक मे्करने की पहल कर बैठिे है्. तवरोतधयो् के प्​्देश मे् साढ्े िीन या साढ्े चार मुख्यमंत्ी होने के जुमले का प्​्योग वह उन्ही्के तिलाफ पलटवार मे् कर रहे है्. उन्हो्ने अपनी सभाओ् मे्कहा है तक उनको लत्ना्ग सीएम कहने वालो् को अगली पारी मे्मुख्यमंत्ी का असली चेहरा देिने को तमलेगा. वह कहिे है्तक लत्नगा् सीएम ने इिना काम करके तदिाया है ऐसे मे् 2017 मे्सत्​्ा मे्वापसी करके तवपत्​्कयो्का यह भ्​्म दूर करना होगा. वह सरकारी अफसरो् को आगाह करना नही् भूलिे तक कैसे मायाविी


सरकार मे्उन्हे्अपने जूिे उिार कर ित्कालीन मुख्यमंत्ी के सामने जाना होिा था. यह उनकी सोची समझी रणनीति है तजसके जतरये वह जनिा को और अपने वोट बै्क को यह संदश े दे रहे है्तक युवा मुखय् मंत्ी को दोबारा अवसर तमलना चातहये. वर्ष 2012 मे् उनको युवा होने का लाभ तमला था. युवाओ्के अलावा िमाम उम्​् के लोगो् ने उनको वोट तदया था. 2017 मे् भी अतिलेश उम्​् के मामले मे् मुख्यमंत्ी पद के बाकी दावेदारो् पर भारी है्. बसपा प्​्मुि मायाविी हो्या कांग्ेस की शीला दीत्​्कि, सभी उम्​्के मामले मे्बहुि बड़्ेहै्. यही वजह है तक पाट्​्ी उनके नाम के साथ 'युवा सोच' अवश्य जोड़्िी है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव मे्युवा वोटरो्का बड़्ा तहस्सा मोदी लहर मे् भाजपा के साथ िड़्ा हुआ था. 2017 मे् उस िबके को अपने साथ लाने की सपा की कोतशश मे् अतिलेश यादव का युवा होना िुर्प का इक्​्ा सातबि होगा. इसतलए इस छतव को बनाये और बचाये रिने का हर जिन अतिलेश यादव िुद करिे है्. वर्ष 2012 के चुनाव मे्अगर उन्हो्ने डीपी यादव को सपा मे् शातमल होने से रोका था िो 2017 मे् उन्हो्ने मुख्िार अंसारी और उनके भाइयो् की पाट्​्ी पूव्ा​ा्चल के कौमी एकिा दल का सपा मे्तवलय नही्होने तदया. वोटरो्द्​्ारा तकसी दल और नेिा को परिने मे्ऐसे फैसले िासा असर डालिे है.् अतधकांश मिदािा राजनीति को अपरातधयो्से मुक्ि रिना चाहिे है्. अतिलेश यादव ने इस वोट बैक ् की प्​्ाथतमकिाओ्मे्िुद को भी शातमल रिा है. यही वजह है तक वह साफ सुथरी राजनीति के इस कदर तहमायिी है्.

पाट्​्ी के तवधायक रामपाल यादव के लिनऊ और सीिापुर मे् बने अवैध तनम्ाषण को ढहाने और उन्हे्जेल तभजवाने, पहली पत्नी को धोिा देकर दूसरी शादी करने वाले पाट्​्ी के एक युवा नेिा को तगरफ्िार करवाने और आगरा मे् ससुराल मे्प्​्वेश के तलए धरने पर बैठी तवदेशी बहू को न्याय तदलाने जैसे फैसलो् ने उनकी प्​्गतिशील छतव बनाने मे् मदद की है. उनका यह िरीका सपा के पारंपतरक तसयासी तमजाज और व्यवहार से अलग है. यह नया वोट बै्क बनाने की उनकी कोतशश का तहस्सा है. समाजवादी पाट्​्ी के कई नेिा व्यब्किगि बािचीि मे् मानिे है् तक मुजफ्फरनगर के दंगो् की छाया मे् हुए 2014 के लोकसभा चुनाव मे् सपा और सूबे की सरकार की छतव अल्पसंख्यक परस्​् वाली बनी थी. चुनावी सभाओ् मे् सपा नेिाओ् के भारणो् ने वोटरो् के मन मे् उस सोच को और पुख्िा तकया था. निीजिन भारिीय जनिा पाट्​्ी को बहुसंख्यक िबके के वोटरो्को अपने पक्​्मे्लामबंद करने मे् सहूतलयि हुई थी. 2017 के तलए कौमी एकिा दल से हाथ तमलाने मे्समाजवादी पाट्​्ी के तलए अल्पसंखय् क परस्​्के िांचे मे्घेर तलए जाने का तफर ि​िरा था लेतकन बहुसंख्यक िबके के वोटर पाट्​्ी से मुंह मोड़् सकिे थे. जानकार मानिे है्तक मुख्िार की पाट्​्ी से कोई वास्​्ा न रिने के अतिलेश यादव के फैसले से वह ि​िरा टला है. पाट्​्ी की अल्पसंखय् क परस्​्छतव िोड़्कर वोट बै्क का दायरा बढ्ाने की यह कोतशश मुखय् मंत्ी अतिलेश यादव के कई अन्य फैसलो् मे् भी तदि​िी है. तजसमे् सबसे प्​्मुि है समाजवादी श्​्वण यात्​्ा. तजसके िहि राज्य सरकार बुजुग्ो् को तहन्दू िीथ्ष स्थलो् की मुफ्ि मे् यात्​्ा करवािी है. हज यात्​्तयो् को राज्य सरकार की ओर से पहले से तमलिी आ रही् सहूतलयिो् के कारण इसकी सांप्दातयक व्याख्या भी हुआ करिी थी. समाजवादी श्​्वण यात्​्ा के जतरये अतिलेश ने उस बहस को समाप्ि कर तदया है. कैराना से तहंदुओ् के कतथि पलायन की जांच के तलए सरकार की ओर से संिो्की टोली भेजने की पहल भी पाट्​्ी को अब िक उसकी बनी छतव से बाहर तनकाल कर बहुसंख्यक वोटरो्मे्भी स्वीकाय्षकरने की ही रणनीति का तहस्सा है. इसी रणनीति के िहि ही शहीद जवानो् के पतरजनो् को ित्काल आत्थषक मदद की घोरणा कर शहादि मे् राष्​्वाद की छौ्क डालने की कोतशशो् को भी अतिलेश यादव अंजाम िक पहुंचने न देने मे् कामयाब रहे है्. यह नया वोट बै्क जोडऩे का जिन ही है. नया जोड़् कर आधार को बढ्ाने की इसी सोच के िहि अतिलेश यादव ने प्​्देश मे्एक

ही तदन मे् पांच करोड़् पौधरोपण करवाने के अतभयान की िुद तनगरानी की. प्​्देश मे् पहले भी पौधरोपण हुआ है लेतकन उसे एक अतभयान मे् बदलकर तरकॉड्ष कायम करने का काम अतिलेश यादव ने ही तकया है. बदलिी राजनीति मे्पय्ावष रण भी एक मुद्ा है. यह िबका मिदान करिे समय पांच करोड़्पौधो्की रोपाई को चाहकर भी भुला नही्पायेगा. अतिलेश यादव आगामी तवधानसभा चुनाव मे्तवकास के मुद्े पर ध्यान देने वाले है्. मेट्ो रेल, एक्सप्​्ेस वे, लैपटॉप तविरण, समाजवादी पे्शन, तजला मुख्यालयो् को फोर लेन से जोडऩे जैसे जो काम उनके काय्षकाल मे् हुए है्, वह उनको वोटरो् के तलए मिदान का पैमाना बनाना चाहिे है्. इसतलए रायबरेली हो या गोरिपुर, एम्स बनाने के तलए के्द्सरकार को जमीन देने मे् उनकी सरकार ने गुरेज नही् तकया. अतिलेश यही्नही्र्किे. वह कहिे है् तक है् तक के्द् और जमीन मांगे िो उनकी सरकार और देगी िातक सूबे के तवकास मे् अड़्चन न आये. उत्​्र प्​्देश मे्जाति, धम्षऔर क्​्ेत्वाद वाली तसयासि मे् एक युवा मुख्यमंत्ी द्​्ारा तवकास को ककहरा बनाकर सामने करना वोटरो् के वोट व्यवहार पर असर डाल ही सकिा है. यही वजह है तक सपा मे् अतिलेश यादव की इस शैली को पसंद करने वाले कई युवा नेिा मानिे है्तक मुखय् मंत्ी ने पाट्​्ी के तलए एक नया वोट बै्क बनाने मे्कामयाबी हातसल की है. इस वोट बै्क को लगािार िुद से जोड़्े रिने के तलए अतिलेश यादव तजस िरह सूचना प्​्ौद्​्ोतगकी का इस्​्ेमाल करिे है् वह भी उन्हे् प्द् श े मे्सोशल मीतडया के मंच पर आज के दौर का सबसे सत्​्कय नेिा बनािी है. जनमि गढऩे मे्सोशल मीतडया के बढ्िे प्​्भाव वाले इस दौर मे् ऑनलाइन दुतनया की सूचनाओ् से तनण्षय प्​्त्कया िय करने वालो्का भी अलग वोट बै्क तवकतसि हो रहा है. अतिलेश यादव ने बीिे साढ्ेचार साल मे् जो आधार तवकतसि करने की है क्या वह वाकई 2017 मे् वोट मे् भी िल्दील होगा? यह काफी हद िक इस बाि पर तनभ्रष करेगा तक चुनावो्के संदभ्ष मे् उनकी पाट्​्ी, जमीन पर कुछ जर्री फैसले ले पािी है या नही्. तजसमे्सबसे जर्री तपछले तवधानसभा चुनाव मे् पाट्​्ी के िािे मे् गयी सीटो्के तलए इस बार प्​्त्यातशयो्के चयन से जुड़्ा है. अतिलेश ने यादव ने बदलाव की झलक तदिाने मे्कोई कसर नही्छोड़्ी है. क्या प्द् श े अध्यक्​्अतिलेश यादव तवधानसभा क्त्े ्ो् मे्प्​्त्यातशयो्के मामले मे्जर्री बदलाव कर पाये्गे. जो नया वोट बै्क उन्हो्ने बेहद जिन से बनाया है उसे पाले मे् ही बनाये रिने के तलए n यह बड़्ी और जर्री शि्षहोगी. शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 11


आवरण कथा

बेचेहरा है भाजपा हाल ही मे्सपा मे्घर-वापसी करने वाले नेिा अमर तसंह अतिलेश के नेिृत्व से लेकर उप्​्तविानसभा चुनाव िक सभी मुद्ो्पर बेबाकी से बाि करने के हामी है्. उनसे हुई बािचीि के कुछ अंश. अरर ि​िंह: बेबाक बातचीत

शरद गुप्ता

कंया उपलबंधियां हैंअनिलेश सिकाि की? अपने आप मे् ये दोनो् उपलब्लध भी कम नही् है्. हम समझिे है् प की निगाह में नपछले पांच वरं​ंों में अनिलेश यादव में अतिलेश भी उसी ग्लिी के तशकार है् तजसके मोदी ि्ी है्, राजा भैया को साथ लेकर चल रहे है्. कंया पनिवरंति आया है? मै्ने अतिलेशजी को बचपन से देिा है. उनके बचपन या जवानी लेनकि कंया कंौमी एकरा दल के साथ सपा को गठबंि​ि रो उनंहीं के दबाव में िहीं रोडंिा पडंा? वे रो अपिानियों के निलाफ हैं. का त्िक्​् करने लायक अब मै् नही्हूं. क्यो्तक अब वह मुख्यमंत्ी है्. सवाल यही है नक बरौि मुखंयमंतंी, बरौि िाजिेरा वे नकरिे हाल ही में मंच पि अचािक पहुंच गये अरीक अहमद से भी वह दूिी बिारे हुए नदिे. पनिपकंव हुए हैं? मै् तशवपालजी के बयान का पूरी िरह समथ्षन करिा हूं तक सभी उनके अंदर वाकपटुिा है. जनिा के साथ संप्ेरण की अद्​्ि क्​्मिा अपरातधयो् को पाट्​्ी से तनकाल देना चातहये. एक मुख्िार अंसारी को है लेतकन मै्समझिा हूं तक अतिलेश जी और मुलायम तसंह जी के बीच पाट् ी ् मे ् आने से रोक देने से छतव साफ्नही्होगी. हमे्एक-एक व्यब्कि पूरी िरह समन्वय होना चातहये. को जां च ना होगा और तजनके तिलाफ राजनीतिक मामले न हो् बब्लक रो कंया अभी समनंवय िहींहै या कम है? हत् य ा, बलात् क ार, रंगदारी वसूली जैसे गंभीर अपराध हो्, उन्हे् पाट्​्ी से यह मै्नही्कह रहा हूं तक कम है. मै्तसफ्कयह कह रहा हूं तक होना तनकाल देना चातहये. अगले चुनाव मे् सभी ऐसे उम्मीदवारो् को तजनके चातहये. तजिना है उससे ज्यादा अच्छा होना चातहये. तिलाफ गंभीर अपराधो् के मामले है्, तटकट नही् देना चातहये. उनकी मुखंयमंतंी का नवजि कैसा है? अच्छा है. प्​्देश मे् बहुि काम कर रहे है्. लेतकन उनका अनुभव जीि की संभावनाये्तकिनी ही क्यो्न हो्. इस नीति के कुछ दुष्पतरणाम हो्गे लेतकन उनके तलये हमे्िैयार रहना होगा. मुलायम तसंह जैसा नही् हो सकिा. मुख्िार अंसारी का नाम आने के बाद मुख्यमंत्ी ने जो तकया वह अिुभव रो समय के साथ आयेगा? वो िो ठीक है. समय के साथ ही आयेगा. लेतकन अभी िो जो ठीक था. राहुल गांधी की िरह बीच प्​्ेस कांफे्स मे्मसौदा िो नही्फाड़्ा. उन्हो्ने संसदीय बोड्ष मे् जाकर अपनी बाि रिी अनुभव प्​्ाप्ि है उसका यानी मुलायम तसंह और राष्​्ीय अध्यक्​् को मनाया तक वह क्ौमी हमेंएक-एक वंयकंति को जी के अनुभव का लाभ लेना चातहये. एकिा दल का तवलय ित्म करे्. अब इसके बाद कंया नपछले रीस सालों में पहली बाि जांचना होगा. ऐसे उमंमीदवारों अगर तशवपाल तसंह दृढ्िा से यह तनण्षय लेिे है्तक उतं​ंि पं​ंदेश का चुिाव नवकास के मुदंे पि को जजनके जिलाफ गंभीर कोई भी अपराधी तकसी भी सूरि मे् पाट्​्ी मे् नही् लडंा जायेगा? अपराधों के मामले है , ं जिकि तलया जाये गा भले ही उसकी जीि की संभावना कुछ अगर तवकास के मुद्े पर चुनाव होगा िो नहीं दे न ा चाजहए. भी क् य ो् न हो्, िो उसके दुष्पतरणाम िो हो्गे लेतकन अतिलेश सरकार के आगे मोदी जी कही् तसद्​्ांि बचे्गे. तटकिे ही नही् है्. उन्हो्ने बनारस को क्योटो भले ही वह पाट्​्ी मुख्िार ने बनायी हो लेतकन तवलय के समय ही बनाने का वादा तकया था. लेतकन क्योटो का अभी िक दूर दूर िक पिा ही नही्है. वहां का नागतरक कह रहा है- अरे क्योटो िू छुपा है कहां, मै् स्पष्​्कर तदया गया था तक मुख्िार को सपा मे्नही्तलया गया है. क्ौमी िड़्पिा यहां. वे्कैया नायडू ने स्माट्षतसटी योजना के िहि लिनऊ को एकिा दल के दो तवधायक है् - अफजाल और तसग्बिुल्लाह अंसारी. तलया है. भले ही यह प्​्देश की राजधानी है लेतकन यहां मेट्ो लगाने का दोनो् के तिलाफ कोई आपरातधक मामला नही् है. दोनो् का क्सूर था तक वे मुख्िार अंसारी के भाई है्. लेतकन मुख्िार के अपराधो् के तलए श्​्ेय िो अतिलेश यादव को ही तमलेगा. मेटंो औि लि​िऊ-आगिा एकंसपं​ंेस वे के अलावा औि उनके तरश्िेदार या भाई तजम्मेदार कैसे ठहराये जा सकिे है्? अमेतरकी

12 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016


प्​्ेतसडे्ट तबल ब्कलंटन के सगे भाई भी सजायाफ्िा मुजतरम थे तजन्हे् या सीबीआई से राजनीति का तनण्षय नही्होिा. मोदी जी अकेले है्जो कतटबद्​्, प्​्तिबद्​्, संकब्लपि तदि रहे है्जो उन्हो्ने अपना काय्षकाल के अंतिम तदन माफ्ी दी थी. मेरी जानकारी के अनुसार देश के उपराष्​्पति हातमद अंसारी भी मुख्िार के तरश्िेदार है्. सुतनयोतजि िरीके से काम करना चाहिे है्लेतकन प्​्धानमंत्ी सतचवालय के मुट्ी भर गुजराि काडर के आईएएस लोगो्के बल पर वे देश को नही् िो क्या उन्हे् भी उपराष्​्पति पद से इसतलए हटा दे्गे. कहा जारा है सपा की सिकाि बि​िे पि ही सबसे जंयादा दंगे होरे चला सकिे. भारि गुजराि नही्है. रो नफि कंया लडंाई बसपा से होगी? हैं? इस बाि भी कािूि वंयवसंथा एक बडंा मुदंा बि​िे जा िहा है. तनत्​्ि​ि र्प से. लेतकन अगर मोदी जी ने तबहार की िरह िुद को कैिािा, मुजफंफि​िगि हो, बदायूं, बिािस या मथुिा, बार कंया है? ही चेहरा बनाया, प्​्धानमंत्ी होिे हुए भी िुद को लालूजी के स्​्र पर हालार काबू में कंयों िहींआरे? देतिये, वो कत्ल भी करिे है्िो चच्ाष नही्होिा, हम आह भी भरिे उिारा िो िो मोदी बनाम अतिलेश हो जाये, योगी बनाम अमर तसंह हो है् िो हो जािे है् बदनाम. कोई मध्य प्​्देश की बाि नही् करिा जहां जाये या मोदी बनाम मुलायम हो जाये, मोदी बनाम रामगोपाल हो जाये व्यापम के चलिे सैकड़्ो् लोग मारे जा चुके है्. इनमे् सीबीआई के या मोदी बनाम तशवपाल हो जाये इसका लाभ सपा को ही तमलेगा. तवनय कतटयार, लालजी टंडन, कलराज तमश्​्, तदनेश अतधकारी भी है्. मथुरा मे् तजस िरह से शम्ाष क्या कोई भी व्यब्कि मुलायम तसंह का अतिलेशजी ने हालाि पर काबू पाया वह पंध ं ानमंतंी सजचवालय के मुटंी क्ातबले िारीफ् है. उन लोगो् ने वहां पर मानव भर गुजराि काडर के आईएएस मुक्ाबला कर सकिा है? अगि कांगंेस गठबंि​ि कि​िा चाहेगी रो सपा श्​्ंिला बना ली थी. अगर ज्यादा फ्ोस्षलगािे िो लोगोंके बल पर मोदी देश कंया किेगी? बहुि लोग मारे जािे. बदायूं मे् मीतडया मे् इिना को नहींचला सकिे. भारि तकसके साथ गठबंधन होगा? पीके (प्​्शांि हल्ला मचा तक यादवो् ने दतलिो् का बलात्कार गुजराि नहींहै. तकशोर) के साथ? पीके कभी मोदी के साथ है्, करने के बाद लाशे् पेड़् पर टांग दी है्. लेतकन कभी नीिीश के साथ है् िो कभी राहुल के साथ जब सीबीआई ने, मोदीजी की सीबीआई ने हमारी है्. कहिे है् ना, मानो िो शंकर नही् िो कंकड़्. जो हर जगह घूमिा सरकार को क्लीन तचट दी िो उसकी कही् चच्ाष िक नही् हुई. आगामी नविािसभा चुिाव में समाजवादी की मुखंय लडंाई तफरिा है वह कंकड़्रहिा है और जो एक जगह स्थातपि हो जािा है वह शंकर बन जािा है. पीके को कंकड़्नही्कह रहा हूँ बब्लक यह कह रहा नकससे होगी? भाजपा के पास कोई चेहरा नही् है. मोदी जी के शल्दो् की लड़्ी जो हूं तक आतमर िान की पीके इस पीके से ज्यादा प्​्तसद्​्है. जादू की छड़्ी बन गयी थी और लोकसभा चुनाव मे् इस छड़्ी का जादू लेनकि भाजपा सिकाि कांगंेस िेरृतंव पि जो केस कि िही चला. ऐसा चला तक पत्​्िम बंगाल मे्बीजेपी का कोई आधार नही्था, है, उससे कंया उसका कांगंेस मुकंर भािर बिािे का सपिा पूिा वहां से लड़्े बाबुल सुत्पयो कोई राजनीतिक व्यब्कि नही् थे, वे भी इस हो पाएगा? देतिए, सोतनया गांधी जी के ऊपर तजिने मुकदमे हो्गे, त्​्पयंका और छड़्ी के जादू से चुनाव जीि गये और के्द्मे्मंत्ी बन गये. वही्, बंगाल मे् एक चैनल ने ब्सटंग कर सभी िृणमूल नेिाओ् को धन लेिे हुए राहुल पर तजिने आरोप लगे्गे, भले ही वे गलि न हो्लेतकन उनके साथ तदिाया. एक मंत्ी को सीबीआई ने सारदा तचटफंड स्कैम मे्जेल भी भेज जनिा की हमदद्​्ी बढ्िी जायेगी. जैसे जो इंतदरा गांधी 1977 मे् तदया. उसके बाद भी उनकी पाट्​्ी न तसफ्क चुनाव जीिी बब्लक प्​्चंड िलनातयका तदि रही थी्वही 1980 आिे आिे नातयका बन गयी्. वही बहुमि से जीिी. िो जातहर है तक अब ये ब्सटंग या भ्​्ष्ाचार के आरोपो् ब्सथति हमे्अभी तदि रही है. n

शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 13


मुद्ा संदीप पांडेय

दांव पर नौबनहािो् की बिक्​्ा

तनजी तशक्​्ा मातिया शासकीय आदेश के बावजूद गरीब िबके के बच्​्ो्को तनजी स्कूलो् मे्पढ्ने देना नही्चाहिा.

त्​्र प्​्देश सरकार उच्​् न्यायालय के 18 अगस्​् 2015 के उस फैसले को नजरअंदाज कर रही है तक सरकारी वेिन पाने वालो् के बच्​्ो्को सरकारी तवद्​्ालय मे्पढ्ाया जाना चातहए. दूसरी िरफ, वह उस आदेश का पालन कराने मे् भी अक्​्म नजर आ रही है तजसमे् तशक्​्ा के अतधकार अतधतनयम के िहि गरीब और अलातभि समूह के बच्​्ो् को तवतभन्न तवद्​्ालयो् की शुर्आिी कक्​्ाओ् मे् 25 प्​्तिशि आरक्​्ण तदया जाना है. पूरी शासन-प्​्शासन व्यवस्था गरीब बच्​्ो् के तहिो् के तिलाफ िड़ी नजर आ रही है. इलाहाबाद उच्​् न्यायालय के न्यायमूत्िष सुधीर अग्​्वाल ने अपने फैसले मे् कहा था तक पतररदीय तवद्​्ालयो् को चलाने के तलए तजम्मेदार लोग िुद अपने बच्​्ो् को तनजी तवद्​्ालयो् मे् पढा रहे है्, इसतलए उन्हे् पतररदीय तवद्​्ालयो् की कोई तचंिा नही्. सरकारी तवद्​्ालयो् की ब्सथति इिनी िराब है तक कोई मजबूरी मे्ही अपने बच्​्ेको वहां पढायेगा. मािातपिा को भी मालूम है तक सरकारी तवद्​्ालय मे्पढने के बाद बच्​्ेका कोई भतवष्य नही् है, इसतलए जैसे ही अतभभावको्को यह तवकल्प नजर आया तक तशक्​्ा के अतधकार अतधतनयम के िहि वे अपने बच्​्ो्को तनजी तवद्​्ालयो् मे्कक्​्ा एक से आठ िक तनःशुल्क पढा सकिे है्, उन्हो्ने यह चुनने का तनण्षय तलया. इस प्​्तकया मे् बेतसक तशक्​्ा अतधकारी के यहां आवेदन कर उन तवद्​्ालयो् के तवकल्प तदये जािे है् जहां अतभभावक अपने बच्​्ो् को पढाना चाहिे है्. बेतसक तशक्​्ा अतधकारी िय करिा है तक बच्ा् कहां पढेगा. लेतकन तनजी तवद्​्ालय इस प्​्ावधान से बचने के तलए रास्​्ेिोज रहे है्. जो बड़े मठाधीश है्, वे िुल्लम-िुल्ला इसका तवरोध कर रहे है्. उदाहरण के तलए, लिनऊ के सबसे बड़े तव़द्ालय तसटी मांटेसरी स्कूल ने न्यायालय जाकर उन 31 बच्​्ो् को दातिला देने मे् असमथ्षिा जिायी तजनको दातिला देने का आदेश बेतसक तशक्​्ा अतधकारी ने तदया था. न्यायालय के आदेश से अंि​िः इस तवद्​्ालय के मातलक जगदीश गांधी को उन 13 बच्​्ो्को दातिला देना पड़ा तजनके घर स्कूल की इंतदरा नगर शािा से एक तकलोमीटर के अंदर थे. तकंिु एक साल पढाने के बाद भी जगदीश गांधी न्यायालय मे्कह रहे है्तक जब अन्य तवद्​्ालय जो बच्​्ो् के घरो्से नजदीक है्, बच्​्ो्को दातिला देने को िैयार है्िो बच्​्ेतसटी मांटेसरी जैसे महंगे तवद्​्ालय मे् क्यो् पढना चाहिे है्? उन्हो्ने अन्य तवद्​्ालयो्से न्यायालय मे्यह शपथ पत्​्भी दातिल करवा तदये है्तक वे इन बच्​्ो्को अपने यहां दातिला दे सकिे है्. सौभाग्य से जगदीश गांधी अभी सव्​्ोच्​् न्यायालय के न्यायाधीशो् को प्​्भातवि करने की ब्सथति मे् नही्है्. सव्​्ोच्​्न्यायालय ने कठोर तटप्पणी करिे हुए कहा तक बच्​्ेक्या 14 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

फुटबाल है्तजन्हे्इधर से अधर फे्का जाये? इस वर्षभी तसटी मांटेसरी स्कूल उन 18 बच्​्ो्को लेने को िैयार नही् है तजनको कक्​्ा एक मे् दातिल करने का आदेश हुआ है. वह नस्षरी मे् दातिले संबंधी आदेश मानने को भी िैयार नही्. नस्षरी और कक्​्ा एक से पूव्षअन्य कक्​्ाओ्की तकसी भी पतररद से कोई मान्यिा नही्होिी. स्कूल इस बाि का फायदा उठाना चाहिा है. कुछ ही महीनो्पहले मतहला तदवस पर जगदीश गांधी की पत्नी भारिी गांधी को रानी लक्​्मी बाई वीरिा पुरस्कार तदया गया है. क्या के्द्ीय कानून और राज्य सरकार के आदेश का िुलेआम उल्लंघन करने वाले और सरकार को तबना वजह न्यायालय मे्घसीटने वाले व्यब्कि या उनकी पत्नी को क्या सरकार द्​्ारा पुरस्कृि तकया जाना चातहए? एक और मठाधीश है्सुधीर शंकर हलवातसया. वे भी अपने तवद्​्ालय नवयुग रेतडयंस मे्बेतसक तशक्​्ा अतधकारी के आदेश वाले 15 बच्​्ो्को दातिला देने को िैयार नही्. इसके अलावा एक्सान इंटर कालेज, तवक्टोतरया गंज, ग्​्ीन वैली पब्ललक स्कूल, बंगला बाजार और कुछ अन्य तवद्​्ालय भी तशक्​्ा के अतधकार के िहि तनःशुल्क तशक्​्ा के प्​्ावधान के िहि बच्​्ो् को दातिला देने को िैयार नही् और सरकार को ठे्गा तदिा रहे है्. यतद तनजी तवद्​्ालय सरकार की व्यवस्था की िुले आम अवहेलना कर रहे है्िो उत्​्र प्​्देश सरकार को तदल्ली सरकार से सीि लेकर इन तनजी तवद्​्ालयो् का सरकारीकरण कर देना चातहए. तशक्​्ा की व्यवस्था 1968 के कोठारी आयोग की तसफातरश के िहि समान तशक्​्ा प्​्णाली के माध्यम से ही होनी चातहए. इस तदशा मे्न्यायमूत्िष सुधीर अग्​्वाल का फैसला महत्वपूण्षहै. जब अतधकातरयो्, नेिाओ्, न्यायाधीशो् के बच्​्े पतररदीय तवद्​्ालयो् मे् पढे्गे और इन तवद्​्ालयो् की गुणवत्​्ा सुधर जायेगी िो लोग अपने आप बच्​्ो् को सरकारी तवद्​्ालय मे्पढाना शुर्कर दे्गे. जब सरकारी तवद्​्ालयो्मे् भी अच्छी तशक्​्ा तमलेगी िो अतभभावक क्यो् तनजी तवद्​्ालयो् मे् अपने बच्​्ो्को पढाने मे्पैसा िच्षकरे्गे? अच्छा होिा यतद उत्​्र प्​्देश मे् आगामी तवधान सभा चुनाव मे् तवतभन्न राजनीतिक दल इस मुद्े को उठािे और अपने घोरणा पत्​् मे् शातमल करिे. इस मुद्े मे्पूरी तशक्​्ा व्यवस्था मे्आमूलचूल पतरवि्षन के बीज तछपे है्. यह ऐसा मुद्ा है तजसका समथ्षन आरक्​्ण समथ्षको् और तवरोतधयो् दोनो् को करना चातहए. जब समान तशक्​्ा प्​्णाली लागू होगी िो सभी को गुणवत्​्ापूण्ष तशक्​्ा तमलेगी और आरक्​्ण का लाभ पाने वाले धीरे-धीरे योग्यिा के आधार पर सामान्य वग्षके साथ प्​्तिस्पध्ाष भी करने (लेिक मैगसेसे पुरस्कार से सम्मातनि काय्षकि्ाष है्.) लगे्गे.n



देशकाल

अगस्​् क्​्ांति: हीरक वर्ष

ज्र्री है ‘करो या ररो’ की याि अगस्​्क्​्ांति के हीरक जंयिी वर्षमे्यह याद रिना जर्री है तक वह एेतिहातसक संघर्षअभी अिूरा है. देश के समाजवादी वैचातरकी वाले लोग नौ अगस्​्को क्​्ांतिकातरयो्की नीतियो्और तसद्​्ांिो्को जनिा िक पहुंचाने के उद्​्ेश्य से एकजुट हो रहे है्. डाॅ सुनीिम

पातरि तकया था. उस राि कांगस ्े के लगभग सभी प्म् ि ु नेिा तगरफ्िार कर तलये गये थे. नौ अगस्​्को प्त्िबंध के बावजूद बंबई मे् माजवादी तवचारधारा से जुड़्े लोग 9 अगस्​्2016 को अगस्​्क्​्ातं ि की हीरक हजारो्देशभक्िो्ने राष्​्ध्वज फहराने का प्य् ास जयंिी के अवसर पर लिनऊ मे्एक सम्मल े न तकया तजसमे्लाठी-गोली चली. इसके बावजूद आयोतजि कर रहे है.् नौ अगस्​्1942 को 1857 अर्णा आसफ अली ने तिरंगा फहराया. अगस्​् ्े ो् ने की क्​्ातं ि के बाद आजादी के आंदोलन का सबसे क्​्ातं ि आंदोलन को कुचलने के तलए अंगज लाठी, गोली, तगरफ् ि ारी, जे ल , सजा, हर िरीका अहम तदन कहा जा सकिा है. आठ अगस्​्को अतिल भारिीय कांगस ्े कमेटी की महासतमति ने आजमाया. जवाहर लाल नेहर्ने 'तद तडस्कवरी बंबई (अब मुबं ई) मे्‘करो या मरो’ का प्स ् ्ाव ऑफ इंतडया' मे्तलिा है तक सरकार कहिी है रुंबई का गवासलया चौक रैिान: अगस्​्क्​्ांसत का गवाह

16 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

तक पुतलस या फौज की गोली से एक हजार 20 लोगो् की जान गयी िथा 3200 जख्मी हुए. लेतकन जनिा का अंदाजा है तक करीब 25 हजार लोग मारे गये. शायद 44 हजार की िादाद कुछ सही है. क्यो्तक सरकारी आंकड़्ो् के मुिातबक 538 स्थानो् पर गोतलयां चलायी गयी्. वही् डॉ राम मनोहर लोतहया के मुिातबक शहीद होने वालो्की संखय् ा 50,000 से अतधक थी. अंगज ्े ो्के इस व्यापक दमन का एक प्म् ि ु कारण बड़्ी संखय् ा मे् आम नागतरको् द्​्ारा आंदोलन मे् सत्​्कय भागीदारी करिे हुए थानो्, सतचवालयो्, सरकारी काय्ाल ष यो् पर कल्जा करना और तिरंगा फहराने का प्य् ास करना था. अंगज ्े इसे हर कीमि पर तवफल करना चाहिे थे. उन्हो्ने समझ तलया था तक कांगस्े द्​्ारा साि-आठ अगस्​्1942 को पातरि प्स ् ्ाव के बाद भारि पर हुकमू ि कायम रिने की गुज ं ाइश सीतमि रह गयी है. प्स ् ्ाव मे्कहा गया था तक अतिल भारिीय कांगस ्े कमेटी पूरे आग्ह् के साथ भारि से त्ि् तटश सत्​्ा को हटाने की मांग दोहरािी है. भारि की आजादी की घोरणा के बाद एक अस्थायी सरकार स्थातपि की जायेगी और स्विंत्भारि तमत्​्राष्​्ो् का तमत्​् बन जायेगा. अस्थायी सरकार देश के मुखय् दलो्और वग्​्ो्के सहयोग से ही बनायी जा सकिी है. इस प्क ् ार यह एक तमलीजुली सरकार होगी तजसमे्भारिीयो्के समस्​्महत्व् पूणष्वग्​्ो् का प्त्ितनतधत्व् होगा. उनका प्थ् म कि्वष य् अपनी समस्​्सशस्​्और अतहंसात्मक शब्कियो्द्​्ारा


करो या ररो का रंत्: (बाये्िे) सगरफ्तारी िे पहले रहात्रा गांधी का िाषण, और अगस्​्क्​्ांसत के िेनासनयो्का रूस्तासशल्प अगस्​् क्​्ातं ि को समझने के तलए सर 1942 को भूतमगि कांगस ्े रेतडयो का संचालन तमत्​् राष्​्ो् से तमलकर भारि की रक्​्ा करना, स् ट फ ै ोड् ष त् क ् प् स तमशन को जानना आवश् य क है . तकया. बाद मे ् कलकत् ा ् (अब कोलकािा) मे् आक्म् णो्का तवरोध करना और िेिो्, कारिानो् डॉ. लोतहया के मु ि ातबक त् क ् प् स तमशन का उद् श े ् य ् कां ग स े ् रे त डयो स् ट श े न की स्थापना की गयी. और अन्य जगह काम करने वाले श्म् जीतवयो्का त् ि ् तटश साम् ा ् ज् य वाद की योजना को अं ज ाम िक उन् ह ो् न े एक भू त मगि बु ल त े टन और फाइटस्षऔर कल्याण और उन्नति के तलए काम करना होगा. पहु च ं ाना था. इसके िहि भारि का टु क ड़् ो ् मे ् माच् ष फॉरवड् ष जै स े पच् े ् भी तनकाले . नेपाल जािे ये वे लोग है्जो िमाम शब्कि और अतधकार के बं ट वारा, रजवाड़् ो ् को स् व िं त ् करना, प् ा ् ि ं ो् को समय जय प् क ् ाश नारायण के साथ उनको प्​्ाप्ि है.् भारि से अलग होने का अतधकार दे न ा, तगरफ् ि ार कर तलया गया. तगरफ् ि ारी के कुछ ही जवाहर लाल नेहर्द्​्ारा पेश इस प्स ् ्ाव का सां प द ् ातयक और व् य ब् क िगि द् र े ् के आधार पर दे श माह बाद जयप् क ् ाश नारायण हजारीबाग जेल से सरदार पटेल ने समथ्नष तकया. प्स ् ्ाव पातरि होने भागन तनकले. लोतहया को 20 मई 1944 को के बाद गांधीजी ने कहा तक हमने तजस काम का की एकिा को िंतडि करना उसका लक्य् था. त्​्दिीय तवश्​् युद् के दौरान जब जापान बंबई मे्पुतलस ने तगरफ्िार कर तलया. एक महीने बीड़्ा उठाया है, उसे पूरी लगन से पूरा करे्िातक न केवल भारि बब्लक समस्​्तवश्​्मे्शांति और भारि के सीमाओ्िक पहुचं गया, िब डॉ लोतहया बाद उनको लाहौर तकले मे्स्थानांितरि कर तदया ु ् त्​्िटेन ' गया. जहां उनको प्ि् ातड़्ि तकया गया. त्​्िटेन की न्याय की स्थापना हो सके. उन्हो्ने हर एक ने 'कपटी जापान और आत्म-संिष ु प्​्ोफेसर हेराल्ड लास्की को तहंदस ु ्ानी से कहा तक वह अपने आप को आजाद नामक लेि तलिा था. इस लेि को गांधीजी ने लेबर पाट्​्ी के प्म् ि समझे. उन्हो्ने कहा तक मै्इस लड़्ाई मे्आपका अपनी संपादकीय तटप्पणी के साथ ‘हतरजन’ तलिे ि​ि मे्उन्हो्ने कहा तक चार माह से अतधक प्क ् ातशि तकया था. उन्हो्ने तलिा था तक मेरी समय िक उनके साथ दुवय् वहार तकया गया. एक नेितृ व् करने की तजम्मदे ारी अपने ऊपर लेिा हू.ं नजर मे्िोजो उिना ही दुष्है तजिना तक तहटलर बार िो उनको लगािार 10 तदन िक जगाये रिा सेनापति अथवा तनयंतक ् के र्प मे्नही्, अतपिु या चत् चल ष . क्यो्तक यतद इस दद्नष ाक नरसंहार का गया. तवरोध करने पर जमीन पर तगरा तदया गया. आपके िुचछ ् सेवक के र्प मे.् और जो कोई अं ि इनमे ्से तकसी की तवजय के र्प मे्होिा है अक्टबू र 1945 मे्उनके तपिा हीरालाल लोतहया सव्ातष धक सेवा करेगा वही मुखय् सेवक माना िो उससे बे हिर तवश्​्की मेरी आशाएं ध्वस्​्हो का तनधन हो गया (वह स्विंति् ा सेनानी और जायेगा. मै्िो राष्​्का मुखय् सेवक हू.ं जाये ग ् ी. गां ध ीजी भी दोनो्को ि​िरनाक मानिे थे. गांधी जी के करीबी थे). तपिा की इकलौिी संिान अपना भारण समाप्ि करिे हुए गांधीजी ने उनका मानना था तक भारि पूरी आजादी के साथ होने के बाद भी उन्हो्ने कृपा पैरोल पर तरहा होने कहा, 'मैन् े कांगस ्े को बाजी पर लगा तदया है, वह करेगी या मरेगी.' उन्हो्ने कहा था तक मै्आपको ही फासीवाद के तिलाफ लड़्ाई मे् योगदान दे से इंकार कर तदया. जेल से उनके छूटने के बाद नेहर्ने उनको पत्​्तलिा, 'क्या िुम अभी अपने एक संत्कप्ि मंत्देिा हू.ं इसे आप ह्दयस्थ कर सकिा है. वतरष्​्कांगस ्े ी नेिाओ्की तगरफ्िारी के बाद पुराने र्प मे्हो, िीक्ण ् बुत्दमान, थोड़्ा चंचल सकिे है्िथा अपनी हर सांस मे्इसे प्क ् ट होने दे और स्वचे छ ् ाचारी? क्या जीवन ने िुमह् े्कठोर बना सकिे है.् यह मंत्है, 'करो या मरो'. हम या िो डॉ. लोतहया भूतमगि हो गये. अच्यिु पटवध्नष भारि को आजाद करायेग् े या ऐसा करिे हुए मर और अर्णा आसफ अली जैसे नेिा उनके साथ तदया है? तकन्िु ये केवल प्श् न् है, तजनका िुम जायेग् ,े अपनी दासिा को भुगिने के तलए जीतवि थे. उन्हो्ने भूतमगि रहिे हुए एक केद् ्ीय उत्र् नही् दे सकिे और मुझे उत्र् िोज कर तनदेशालय बनाया और बंबई से 13-14 अगस्​् तनकालने के तलए िुमसे तमलना होगा. मै्आशा नही्रहेग् .े शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 17


देशकाल करिा हूं तक जब भी हम तमलेग् ,े िुम मेरी ओर नही्देिोगे. जैसा तक िुम करिे हो, एक िोल के माध्यम से मुझे देि रहे होगे.' जेल से छूटने के बाद स्वास्थय् लाभ हेिु लोतहया गोवा गये, जहां पुिगष् ाली सरकार की दमनकारी नीतियो् की जानकारी तमलने पर उन्हो्ने गोवा मुबक् ि आंदोलन की शुरआ ् ि की और जल्द ही गोवा आजाद भी हुआ. अगस्​्क्​्ातं ि मे्मतहलाओ्की अहम भूतमका रही. अर्णा आसफ अली को िो उसकी नातयका माना जािा है. नौ अगस्​् को उन्हो्ने सरकारी इमारिो्पर तिरंगा फहराने मे्कामयाबी पायी. वह भूतमगि होकर आंदोलनरि रही्. अंगज ्े ो्ने उन पर पांच हजार का इनाम घोतरि तकया था. गांधी जी ने उनसे कहा तक भूतमगि रहकर मरने के बजाय आत्मसमप्ण ष कर दो और पांच हजार र्पये की रातश लेकर हतरजन के फंड मे् जमा कर दो. लेतकन वह भूतमगि ही रही्. उनकी संपत्​्त जल्ि कर ली गयी. 26 जनवरी 1946 को जब सभी नेिाओ् को छोड़्ा गया िो अर्णा आसफ अली का तगरफ्िारी वारंट भी रद्​्तकया गया. अिबारो् ने उन्हे् सन 41 की झांसी की रानी कहकर संबोतधि तकया. उन्हो्ने नमक सत्याग्ह् और व्यब्किगि सत्याग्ह् मे्भी अहम भूतमका तनभायी. सुचिे ा कृपलानी ने भी उस दौर मे्भूतमगि आंदोलन चलाया. उन्हो्ने भूतमगि स्वयंसवे क दल की स्थापना की. उन्हो्ने राष्​्ीय मतहला कांगस ्े की स्थापना भी की. सन 1944 मे् तगरफ्िारी के एक साल बाद वे तरहा हुई.् इसी प्क ् ार उरा मेहिा ने अगस्​्क्​्ातं ि के दौरान नौ अगस्​् से सत्​्कय भूतमका तनभायी. 14 अगस्​् 1942 को उन्हो्ने भी रेतडयो प्स ् ारण तकया. नवंबर 42 मे् उनको तगरफ्िार तकया गया और यािनाये् दी गयी्. आतिरकार रेतडयो रडयंत् मामले मे्उनको साि साल की सजा सुनायी गयी हालांतक अप्ल ्ै 1946 मे्उनको तरहा कर तदया गया. वनलिा सेन भी 1942 के आंदोलन मे् लाठीचाज्षमे्घायल हुई.् उनको भी तगरफ्िार कर यािनाये्दी गयी्.ं वे सन 1945 मे्तरहा हुई.् 1930 से ही वह अनुशीलन दल की सदस्या बनकर तवप्लवी काय्​्ो्मे्भाग लेिी थी्. अनुशीलन दल से जुड़्ा एक और नाम तकरण चक्व् ि्​्ी का है. उन्हो्ने भी भूतमगि रहकर आंदोलन मे् तहस्सा तलया. वह तदनाजपुर और ढाका प्त्ेसडेस ् ी जेलो् मे् रही्. वह सन 1945 मे् तरहा हुई.् इसी िरह माया घोर ने 31 अगस्​्1942 को तसतवल कोट्ष मे्झंडा फहराने का प्य् ास तकया. पुतलस ने उन पर गोली भी चलायी लेतकन उन्हो्ने ध्वज नही् छोड़्ा. वह दो साल जेल मे्रही्. अगस्​् क्​्ातं ि आंदोलन मे् जयप्क ् ाश नारायण की भूतमका अग्ण् ्ी थी. हजारीबाग जेल से भागने के बाद उनको पकड़्ा गया. सभी कांगत्ेसयो्की तरहाई हो गयी लेतकन लोतहया और 18 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

अर्णा आिफ अली : िूसरगत जीवन

उषा रेहता: क्​्ांसत की अलख जयप्क ् ाश को नही् छोड़्ा गया. िब दो अप्ल ्ै 1946 को गांधीजी ने लॉड्षएतथक लॉरेस ् को पत्​् तलिकर कहा तक जयप्क ् ाश नारायण और डॉ. लोतहया जैसे लोगो्को जेल मे्रिना हास्यास्पद है. दोनो्तवद्​्ान और सुससं क ् िृ व्यब्कि है्तजन पर कोई भी व्यब्कि गव्रष कर सकिा है. 13 अप्ल ्ै 1946 को प्​्ाथ्नष ा सभा मे्गांधी जी ने कहा तक आप लोग श्​्ी जयप्क ् ाश नारायण और डॉ लोतहया को जानिे है् ये दोनो् व्यब्कि साहसी, कम्ठष और तवद्​्ान है.् उनकी प्ब् ल इच्छा देश सेवा थी, वे गुलामी की जंजीरो्को िोडऩा चाहिे थे. स्वाभातवक ही था तक तवदेशी सरकार ने उन्हे् ि​िरनाक मानकर उन्हे्जेल मे्डाल तदया. हमारे पास योग्यिा को मापने का अलग पैमाना है और हम उन्हे्देशभक्ि मानिे है.् सन 1942 मे् देश के तवतभन्न इलाको् मे् समांिर सरकार बनी्. त्​्ितटश सेना ने बड़्ेपैमाने पर हतथयारो्का इस्म्े ाल तकया. नरसंहार तकये, गोतलयां चलायी्,ं हजारो् देशभक्िो् पर मुकदमे् कायमकर उन्हे्जेल पहुच ं ा तदया गया. सजा दी गयी. क्​्ातं िकातरयो्के पास ना िो मजबूि संगठन था और न ही अंगज ्े ो् का मुकाबला करने वाले हतथयार. नेिा पहले ही जेल मे्थे, जो बाहर थे वे तहंसा िथा गुपि् कार्वष ाई पर गांधीजी की नीतिगि रोक की आड़् मे् सामने नही् आये. हालांतक देशभर मे् बड़्े पैमाने पर सामूतहक प्त्िरोध भी

हुय.े लेतकन केद् ्ीय नेितृ व् तशतथल हो जाने के कारण सन 42 का आंदोलन अंगज ्े ो् के सामने तटक नही्सका. इस कारण कई इतिहासकार इसे असफल आंदोलन भी कहिे है.् लेतकन अगस्​् क्​्ातं ि के चलिे देशभर मे्अंगज ्े ो्के तिलाफ जो भावना पैदा हुई िथा जो वािावरण बना िथा बाद मे्आईएनए के तवद्​्ोह िथा सेना के भीिर तवद्​्ोह की पतरब्सथति बनने के बाद त्​्दिीय तवश्​्युद्के दौरान पैदा हुई पतरब्सथति और त्​्िटेन मे् आये राजनीतिक बदलावो्के चलिे अंगज ्े ो्को भारि छोडऩे के तलए मजबूर होना पड़्ा. आतिरकार अंगज ्े ो् ने तवभाजन के साथ देश को आजाद तकया. सन 1942 के आंदोलन मे्जनिा के बीच बनी एकजुटिा यतद कायम रहिी िो देश का तवभाजन संभव नही् था. लेतकन देश की कई पात्टयि ां और नेिा अंगज ्े ो् के हतथयार बने और उन्हो्ने गांधीजी िथा समाजवातदयो्के तवभाजन का तवरोध करने के बावजूद देश के तवभाजन को स्वीकार कर तलया. तवभाजन के दौरान 50 लाि भारिीय या िो मारे गये या तवस्थातपि हुए. सन 1942 का आंदोलन यतद संगतठि होिा िो इस त्​्ासदी से बचा जा सकिा था. डॉ लोतहया ने अगस्​् क्​्ातं ि को तकिना अहम माना है यह उनके द्​्ारा 2 अगस्​्1967 को डॉ. जीजी पातरि को तलिे ि​ि से जातहर होिा है. वह तलि​िे है,् 'भारि छोड़्ो के लोगो्को आप इकट्​्ा कर रहे हो यह बहुि अच्छा काम है, इस बार मै्इिना सौभाग्यशाली नही्हूं तक मै्बंबई आपके उत्सव मे्आ सकू.ं जरा धूमधाम से उत्सव मनाइये. हो सके िो कुछ आगे भी बतढये. 15 अगस्​्राज्य तदवस है, नौ अगस्​्जन्म तदवस है. कोई एक ऐसा तदन जर्र आयेगा जब नौ अगस्​् के सामने 15 अगस्​्फीका पड़्गे ा और तहंदस ु ्ानी अमरीका और फ्​्ास ं के चार और 14 जुलाई, जो जन तदवस है, की िरह नौ अगस्​्मनायेग् .े यह भी हो सकिा है तक तहंदस ु ्ानी कभी अपना बंटवारा ित्म करे्और उसी के साथ या उससे पहले 15 अगस्​्को भूल जाने की कोतशश करे.्' समाजवातदयो् को डॉ राममनोहर लोतहया का यह सपना पूरा करने का प्य् ास करना चातहये. बंटवारा ित्म करना ित्काल संभव नही् तदि​िा लेतकन भारि, पातकस्​्ान और बांगल ् ादेश के बीच तरश्िे सुधार का वीजा पासपोट्ष ित्म करने की तदशा मे् बढ्ा जा सकिा है. यतद 28 यूरोपीय देश तमलकर संघ बना सकिे है् िो दत्​्कण एतशया का महासंघ क्यो् नही् बन सकिा? अब यह आवश्यक हो गया है तक समाजवादी अगस्​् क्​्ातं ि तदवस, भारि छोड़्ो तदवस, करो या मरो तदवस मनाने का मन बनाये् और नौ अगस्​् के क्​्ातं िकातरयो् की नीतियो्, तसद्​्ािं ो्और काय्क ष म् ो्को जनिा िक पहुच ं ाने n के तलए एकजुट हो्. (लेिक जाने-माने समाजवादी काय्क ष ि्ाष है.्)


ख्बरदार जववेक सक्सेना

मान न मान सियाितदान

जब भी कोई 'मान' राजनीति मे्आया िो उसने अपना सम्मान िोने मे्देर नही्लगायी.

मिौर पर सम्मान के पहले 'मान' आिा है. मगर इसे तवडंबना ही मे् चत्चषि है्. उनके कैसेट व वीतडयो 20 देशो् मे् तबकिे है्. लोग उनको कहा जायेगा तक जब भी कोई 'मान' राजनीति मे्आया िो उसने सुनने के तलए दीवाने हुए रहिे है्. अपना सम्मान िोने मे् देर नही् लगायी. एक समय था जब तसमरनजीि पंजाब के संगर्र इलाके के सिौज गांव मे्पैदा जन्मे इस 43 वर्​्ीय तसंह मान पंजाब ही नही् बब्लक देश की राजनीति मे् छा गये थे. उन्हो्ने जट्​् तसि को बचपन से ही हास्य कलाकार बनने का शौक था. उन्हो्ने तरकॉड्ष मिो् से चुनाव जीि था. संसद भवन के मुख्य द्​्ार िक पहुंचे पर स्कूल मे्पढ्िे हुए अनेक प्​्तियोतगिाये्जीिी्. उनकी तकस्मि स्टार चैनल अंदर नही्गये क्यो्तक िलवार समेि सदन मे्जाना चाहिे थे. इस मुद्े पर के 'द ग्​्ेट इंतडया लाफ्टर' से िुली. हालांतक बारहवी्क्लास मे्ही उनका न सरकार झुकी और न ही मान. इतिहास मे् उनका नाम ऐसे सांसद के एलबम कुल्फी नरम गरम आ गया था. पहले वे जगिार जग्गी के साथ र्प मे्दज्षहो गया जो चुनाव जीिने के बाद भी लोकसभा मे्प्​्वेश न कर एल्फा पीटीसी चैनल पर 'जुगनू कै्दा है' हास्य शो करिे थे. बाद मे्उनसे सका. वह के्द्सरकार द्​्ारा बुलायी गयी राष्​्ीय एकिा पतररद की बैठक अलग होकर उन्हो्ने राना रनबीर के साथ 'जुगनू मस्​् मस्​्' शो िैयार मे्तहस्सा लेने गये. वहां भी िलवार ले जाने पर अड़्गये. सुरक्​्ाकत्मषयो्ने तकया. उन्हो्ने पंजाब मे्'कामेडी तकंग' व 'जुगुनू' नाम से भी पुकारा जािा उन्हे्जाने से रोक तदया. िभी देवीलाल को वहां आया देिकर मान उनके है. पहली बार उन्हो्ने प्​्काश तसंह बादल से अलग हुए उनके भिीजे पास पहुंचे. बोले, 'चौधरी साहब आप भी जाट हो और मै् भी जाट हूं. ये मनप्​्ीि तसंह बादल की पंजाब पीपुल्स पाट्​्ी के तटकट पर लहरदगा से लोग मुझे िलवार लेकर अंदर नही्जाने दे रहे.' देवीलाल ने उनको ऊपर कांग्ेस की रतजंदर कौर भट्​्ल के सामने चुनाव लड़्ा और हार गये. से नीचे िक घूरने के बाद लिाड़्िे हुए कहा तक अगर जाट हो िो हल लेकर लोकसभा चुनाव के पहले वे आप मे्शातमल हुए और उन्हो्ने संगर्र से आिे, िलवार लेकर क्यो्आये हो? इिना कहकर देवीलाल िो आगे बढ् अकाली दल के वतरष्​् नेिा सुिदेव तसंह ढी्ढसा को दो लाि से ज्यादा गये लेतकन मान हमेशा के तलए सड़्क पर ही रह गये. वोटो्से हराया. दूसरे मान है्सांसद भगवंि मान. वह आजकल इसतलए सुत्िषयो्मे्है् उनके तपिा सरकारी स्कूल के तशक्​्क रह चुके है्. इसके बावजूद क्यो्तक उन्हो्ने अपनी मनमौजी ितबयि के चलिे संसद भवन का ऐसा उन्हो्ने एक बार तकसी काय्षक्म मे्कहा तक मै्ने अपने तपिा से पूछा तक वीतडयो बना तदया जो उसकी सुरक्​्ा के तलए ि​िरा हो सकिा है. ि​िरा न तकिने सरकारी तशक्​्क अपने बच्​्ो् को सरकारी स्कूलो् मे् पढ्ािे है्? भी पैदा करे िो भी यह एक सांसद की गतरमा के उन्हो्ने कहा एक भी नही्. इस पर उन्हो्ने कहा तक तिलाफ है क्यो्तक संसद पर हुए आिंकी हमले के मै्ने उनसे कहा तक आप लोग बच्​्ो्को पढ्ािे नही् बाद वहां की सुरक्​्ा को लेकर कुछ तनयम वा और िनख्वाह बढ्ाने के तलए हड़्िाल करिे है्. आचार संतहिा िैयार की गयी थी. उन्हो्ने उसका ऐसा करिे हुए आप को शम्ष नही् आिी? यह उल्लघं न तकया है. उनका दावा है तक उन्हो्ने अपने वीतडयो वायरल हो गया और उनको माफी मांगनी सेलफोन से यह वीतडयो अपने इलाके के पड़्ी. तपछले साल पुतलस की गोली मे्मारे गये दो मिदािाओ् को जागर्क बनाने के तलए बनाया. तसिो्के भोग मे्जब वे तहस्सा लेने गये िो शराब अब वह तबना शि्षमाफी मांग चुके है्लेतकन पूरा के नशे मे् डगमगाने लगे. इसकी भी काफी सदन उन पर तपल पड़्ा है. दलगि राजनीति से परे आलोचना हुई. यही्नही्जब आप की पंजाब इकाई जाकर सभी दलो् ने उनके तिलाफ कार्षवाई की मे्असंिोर पनप रहा था िो उनका वह वीतडयो भी मांग की है. पंजाब मे् अगले साल तवधानसभा चच्ाष मे् आया तक यह लोग (आप हाईकमान) चुनाव होने है् व कांग्ेस, भाजपा-अकाली दल से हमारे तिलाफ सातजश कर रहे है्. हालांतक यह िगवंत रान: सववािो्िे पहचान मामला बाद मे्दबा तदया गया. वे अपने काय्षक्मो् लेकर बसपा िक सबको लग रहा है तक आम आदमी पाट्​्ी उनका िेल िराब कर सकिी है. इिना ही नही्आप के ही मे्नैतिकिा की बािे्करिे है्. पतरवार को साथ रिने की तशक्​्ा देिे है्पर बागी सांसद हरतजंदर तसंह िालसा ने इस घटना के बाद लोकसभा अध्यक्​् िुद उनकी पत्नी इंदज ् ीि कौर उनसे िलाक लेना चाहिी है.् दोनो्ने आपसी से तशकायि की है तक मान जो सदन मे्उनके पड़्ोसी है.् वह अक्सर शराब सहमति से िलाक का मामला दायर कर तदया है. उनका एक बेटा और पीकर आिे है्. उनके मुंह से शराब की बदबू का भभका उठिा है तक उनके एक बेटी है जो मां के साथ तसएटल मे् रहिे है्. अगले साल पंजाब जैसे बुजुग्षऔर धात्मषक व्यब्कि को उलटी आने लगिी है. तवधानसभा चुनाव मे्वह आप के तलए तकिने भाग्यशाली हो्गे यह देिने पंजाब की राजनीति मे्जट्​्ï तसिो्का शराब से पुराना नािा है. वहां वाली बाि है. के लोकगायको्के गानो्मे्शराब का तजक्​्जर्र होिा है. तबना शराब के लोकसभा अध्यक्​्ने तकरीट सोमैया की अध्यक्​्िा मे्इस मामले की वहां कोई िुशी मनायी ही नही् जािी. संसद िक पहुंचना भी कोई कम जांच के तलए नौ सदस्यीय सतमति बनायी है. मान उसके समक्​्पेश हो्गे। िुशी की बाि नही्है. ऐसे मे्िालसा जी को भगवंि मान से यह अपेक्ा तफलहाल उनके लोकसभा मे्आने पर प्​्तिबंध लगा तदया गया है. उनका नही्करनी चातहये तक उनके मुहं से इलायची की िुशबू आयेगी. अगर चंद 'आप' डीएनए जोर मार रहा है. इसीतलए अब वे कह रहे है्तक मोदी को भी िलब करो क्यो्तक उन्हो्ने आइएसआई के लोगो्को पठानकोट वायुसने ा लफ्जो्मे्भगवंि मान का पतरचय देना हो िो उन्हे्पंजाब का राजू श्​्ीवास्व् n का जािा है जो अपनी हास्य अदाकारी के कारण पंजाब ही नही्देश दुतनया अड्​्ा जाने देने की अनुमति देकर कही्बड़्ा अपराध तकया था. शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 19


मणणपुर

लड़ाई वही शैली नयी

आम जनिा और सरकार की बेर्िी से िंग इरोम शत्मषला ने एएिएसपीए के तिलाि अपनी सोलह साल लंबी और ऐतिहातसक भूि हड्िाल ित्म कर दी है. अब वे चुनावी राजनीति के जतरये अपने लक्​्य को हातसल करने की कोतशश करे्गी.

इरोर शस्राला: हरारे िरय के िंघष्ाकी प्​्सतरान

कुमार प्​्तीक

तणपुर की लौह मतहला इरोम शत्मषला ने 16 साल के लंबे इंिजार के बाद आतिरकार अपनी भूि हड़्िाल ित्म करने का फैसला कर तलया. इरोम ने मतणपुर मे्लागू सशस्​् बल तवशेरातधकार अतधतनयम (एएफएसपीए) को ित्म करने की मांग के साथ वर्ष2000 मे्भूि हड़्िाल शुर्की थी. इस आंदोलन के प्​्ति आम लोगो् की लगािार बेर्िी और सरकार के रवैये ने उनके धैय्षका बांध िोड़् तदया. जो काम पतरजन, तमत्​् और शुभतचंिको्की मनुहार नही्कर सकी, उसे इस बेर्िी ने कर तदिाया. इरोम ने अपने फैसले का एलान करिे हुए कहा तक वे अपने संघर्षमे् अकेली पड़्गयी थी्. यह कथन उनकी हिाशा उजागर करिा है. उन्हो्ने अब तवधानसभा का चुनाव लड़्ने और शादी कर घर बसाने का फैसला तकया है. उन्हो्ने कहा तक वे आंदोलन का िरीका बदल रही है्, लक्​्य नही्. इरोम के फैसले से जहां उनके घरवाले, तमत्​् और शुभतचंिक हैरि मे् है् वही् सरकार, राजधानी इंफाल के सरकारी अस्पिाल के डाक्टरो् व सुरक्​्ा एजंतसयो् ने राहि की सांस ली है. इरोम ने तकसी से इस फैसले के बारे मे् सलाह-मशतवरा नही्तकया था. एएफएसपीए कानून के िहि सुरक्​्ा बलो् को संदेह के आधार पर तकसी को भी तगरफ्िार 20 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

करने और उसे गोली मारने जैसे असीतमि अतधकार हातसल है्. लेतकन अक्सर इसके दुर्पयोग के मामले सुत्िषयां बटोरिे रहे है्. नवबंर, 2000 मे् इसी कानून की आड़् मे् असम राइफल्स के जवानो् ने उग्​्वातदयो् से कतथि मुठभेड़्के दौरान 10 बेकसूर लोगो्को मौि के घाट उिार तदया था. उस घटना के तवरोध मे् ही इरोम ने अनशन शुर् तकया था. सोलह साल लंबी उनकी भूि हड़्िाल दुतनया मे् अपने तकस्म की सबसे लंबी हड़्िाल है. लेतकन यह आंदोलन एक छोटी-सी मांग भी पूरी नही् कर सका. इसबीच, के्द् से लेकर राज्य िक ना जाने तकिनी सरकारे्बदल गयी् लेतकन न िो इरोम की मांग पूरी हुई और न ही उन्हो्ने अपना अनशन िोड़्ा. इस साल माच्षमे् भी उन्हो्ने तदल्ली की पतटयाला हाउस अदालि मे् दो-टूक शल्दो् मे् कहा था तक उक्ि अतधतनयम वापस लेिे ही वे अपनी भूि हड़्िाल ित्म कर दे्गी. शत्मषला कहिी रही है्, ‘मुझे अपने जीवन से बेहद प्यार है. मै् अपना लक्​्य हातसल करने के भूि हड़्िाल को एक हतथयार के िौर पर इस्​्ेमाल कर रही हूं, जो कोई गुनाह नही् है.’ इस लंबी हड़्िाल के दौरान उनको दज्षनो् बार तगरफ्िार व तरहा तकया गया. लेतकन वह अपनी मांग से पीछे हटने को िैयार नही्हुई्. िमाम पतरतचिो्, तमत्​्ो्, तरश्िेदारो् और शुभतचंिको् के बार-बार समझाने के बावजूद

इरोम ने कभी अपना आंदोलन ित्म करने की हामी नही् भरी थी. िो तफर आतिर अचानक ऐसा क्या हुआ तक उन्हो्ने इसे ित्म करने का फैसला कर तलया ? जानकारो्का कहना है तक इरोम अब धीरे-धीरे हिाश हो चुकी थी्. उनको समझ मे्आ गया था तक भूि हड़्िाल से भले उनकी जान चली जाये, राज्य या के्द् सरकार के कानो्पर जूं नही्रे्गने वाली है. वह यह भी समझ गयी थी् तक दुतनया के सबसे बड़्े लोकिंत् मे् लोकिांत्तक आंदोलनो् की कीमि दो कौड़्ी की है और यहां राजनीति ही सबसे बड़्ा हतथयार है. इसतलए उन्हो्ने अपनी मांग पूरी करने के तलए राजनीतिक को हतथयार बनाने का फैसला तकया है. इरोम को भरोसा हो गया था तक उनके आंदोलन से लक्​्य हातसल कर पाना असंभव है. वह कहिी है्, ‘इिने लंबे अरसे िक सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल नही् हुई है. इसतलए अपना लक्​्य हातसल करने के तलए मै् राजनीति का रास्​्ा चुन रही हूं.’ इरोम अगले साल होने वाले तवधानसभा चुनावो् मे् तहस्सा ले्गी. इरोम ने माना तक उनके आंदोलन को आम लोगो् की ओर से तमलने वाला समथ्षन घटिा जा रहा है. वह कहिी है्, ‘मै् अपने संघर्ष मे् अकेली पड़् गयी थी.’ इस कथन से उनकी हिाशा का सबूि तमलिा है. इरोम मालोम तवधानसभा सीट से तनद्षलीय उम्मीदवार के िौर पर मैदान मे्उिरे्गी. उनका


कहना है तक चुनावी प्​्त्कया ही बदलाव का एकमात्​्िरीका है. इसतलए उन्हो्ने राजनीति मे् उिरने का फैसला तकया. वैसे, इससे पहले भी कई अलग-अलग राजनीतिक पात्टियो्ने उनको चुनाव लड़्ने का प्​्स्ाव तदया था. लेतकन उन्हो्ने हर बार उसे ठुकरा तदया. इसी साल माच्ष मे् तदल्ली की एक अदालि के फैसले ने इरोम के डेढ् दशक से भी लंबे आंदोलन को एक बार तफर सुत्िषयो्मे् ला तदया था. मतणपुर मे् लागू सशस्​् बल तवशेरातधकार अतधतनयम को ित्म करने की मांग को लेकर वर्ष2006 मे्तदल्ली के जंिरमंिर मे् उनकी भूि हड़्िाल के बाद उन पर आत्महत्या की कोतशश का मामला दज्ष हुआ था. लेतकन इस मामले मे् उनको बरी कर अदालि ने एक िरह से इरोम के आंदोलन पर कानूनी मुहर लगा दी थी. वह लंबे अरसे से प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी से मुलाकाि करने की इच्छा जिा रही है्. लेतकन मोदी ने अब िक उनसे मुलाकाि नही्की है. उससे पहले इसी साल जनवरी मे् सुप्ीम कोट्षने पूव्ोत्​्र राज्य मतणपुर मे्बीिे 35 वर्​्ो् से लागू सशस्​्बल तवशेरातधकार अतधतनयम पर सवाल उठािे हुए पूछा था तक क्या यह अनंिकाल िक लागू रहेगा? क्या 35 साल मे् इसका कोई असर नही् हुआ है? अदालि ने इन आरोपो्की जांच के तलए एक उच्​्-स्​्रीय सतमति का गठन तकया था तक सुरक्​्ा बलो् ने बीिे 30 वर्​्ो् के दौरान राज्य मे् 1500 से ज्यादा लोगो् को तबना तकसी वजह के इस कानून की आड़् मे् मार डाला. ऐसे ज्यादािर मामलो्मे्पुतलस ने भी प्​्ाथतमकी दज्षकरने से इंकार कर तदया. वर्ष1958 मे्पूव्ोत्​्र मे्नगा आंदोलन के

तसर उठाने पर के्द् सरकार ने सशस्​् बल तवशेरातधकार कानून का प्​्योग तकया. यह कानून ऐसा है तक सेना के तकसी नॉन कमीशंड अतधकारी को भी तसफ्क शक के आधार पर तकसी को भी तगरफ्िार या टॉच्षर करने या अतनत्​्ि​िकाल िक तहरासि मे्रिने की छूट तमल जािी है. इस कानून की आड़्मे्तबना सच्ष वारंट के तकसी के घर की िलाशी ली जा सकिी है. इसमे् यह भी प्​्ावधान है तक के्द् सरकार की मंजूरी के बगैर तकसी भी अतधकारी या जवान को सजा नही् दी जा सकिी. बीि​िे समय के साथ मतणपुर के अलग-अलग तजले इस कानून के दायरे मे् शातमल होिे रहे और वर्ष 1980 िक इसे पूरे मतणपुर मे् लागू कर तदया गया. अदालि का सवाल था तक क्या बीिे 35 वर्​्ो् से राज्य मे् सेना की मौजूदगी से कानून व व्यवस्था की हालि मे् कुछ सुधार आया है? सुप्ीम कोट्ष के एक िंडपीठ ने मतणपुर सरकार से कहा तक यह अतधतनयम अस्थायी उपाय के िौर पर लागू तकया गया था. लेतकन यह 35 वर्​्ो् से लागू है. िब राज्य सरकार के वकील की दलील थीतक राज्य मे् कानून व व्यवस्था बहाल रिने के तलए यह कानून जर्री है. सरकार का कहना है तक 35 साल पहले जब यह कानून लागू तकया गया था िब राज्य मे् चार प्​्मुि उग्​्वादी गुट थे. लेतकन अब उनकी िादाद बढ् कर एक दज्षन से ज्यादा हो चुकी है. हालांतक सरकार ने भी माना था तक इस कानून की आड़् मे् होने वाली कतथि ज्यादातियो्के मामले मे्राज्य मे् ज्यादा पुतलस तरपोट्ष दज्ष नही् हुई है. अदालि ने हैरि जिािे हुए सवाल तकया था तक जब इिने लंबे अरसे से सुरक्​्ा बलो् और सेना की कारागार िे बाहर इरोर: कैि और सरहाई का सिलसिला

मौजूदगी के बावजूद हालाि मे्कोई सुधार नही् आया है िो इस कानून की आतिर जर्रि ही क्या है? दरअसल, राज्य सरकार ने सुप्ीम कोट्षमे् जो दलील दी थी वह काफी हद िक सही है. लंबे अरसे से सेना की मौजूदगी ने राज्य मे् पुतलस बल को नाकारा बना तदया है. राज्य मे् पुतलस बल के प्​्तशक्​्ण और आधुतनकीकरण की तदशा मे् भी अब िक कोई ठोस पहल नही् हुई है. निीजिन कानून व व्यवस्था सेना या कहे्िो असम राइफल्स के ही तजम्मे है. पुतलस के एक बड़्ेअतधकारी कहिे है्, ‘हम हाथ पर हाथ रिकर बैठे रहने के अलावा कुछ नही् कर सकिे. हमारे पास न िो पय्ाषप्ि जवान है् और न ही आधुतनक हतथयार व गोला-बार्द. पुतलस के जवान भी हमेशा िनाव मे्रहिे है्.’ उक्ि अतधकारी मानिे है् तक राज्य के िमाम पुतलस स्टेशनो् मे् सुधार की जर्रि है. वह कहिे है्, ‘तफलहाल राज्य के हर थाने मे्तसफ्क 10-15 लोग है् जबतक हर पुतलस स्टेशन मे् यह आंकड़्ा कम से कम 58 का होना चातहये. हमे् और जवानो् व अत्याधुतनक हतथयारो् की जर्रि है.’ चुनावो् के समय लगभग हर राजनीतिक दल मतणपुर से इस अतधतनयम को हटाने का भरोसा देिा है. लेतकन सत्​्ा मे्आने के बाद वे कानून व व्यवस्था की आड़्मे्सेना को बनाये रिने की दलील देने लगिे है्. पुतलस के मुकाबले उग्​्वातदयो् के पास आधुतनकिम हतथयारो्का जिीरा होिा है. इसतलए जान के डर से पुतलस वाले हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने पर मजबूर है्. पय्षवेक्को् का कहना है तक उग्​्वाद के िात्मे के नाम पर के्द्से तमलने वाली सरकारी सहायिा की रकम पुतलस बल के आधुतनकीकरण पर िच्ष करने की बजाय िमाम सत्​्ार्ढ् दल अपनी झोली भरिे रहे है्. राजनेिाओ् से लेकर पुतलस अतधकातरयो् िक मे् यह बाि घर कर गयी है तक सेना के तबना राज्य मे् हालाि काबू मे् नही् रहे्गे. इस मानतसकिा के साथ तफलहाल िो राज्य की ब्सथति मे् कोई सुधार होिा नजर नही् आिा. इस मामले मे् शायद अदालि भी कुछ िास नही्कर सकिी. ऐसे मे्मतणपुर के आम लोग उग्​्वातदयो्और तवशेरातधकारो्से लैस सेना के जवानो् की दोहरी चक्​्ी के िले तपसने पर मजबूर ही रहे्गे. अब क्या इरोम का आंदोलन ित्म होने से इस मामले मे् कोई ठोस पहल होगी? मौजूदा हालाि मे् िो इसकी कोई गुंजाइश नही् नजर आिी. पूव्ोत्​्र के बाकी आंदोलनो् की िरह इरोम का यह आंदोलन भी शायद इतिहास के पन्नो्िक ही तसमट कर रह जायेगा. n शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 21


णदल्ली

जेल िेजने का खेल

एक के बाद एक आप तविायको् की तगरफ्िारी एक सोची-समझी रणनीति का तहस्सा लगिी है.

आप सवधायक अरानुल्लाह खान, िुरे्द्सिंह और नरेश यािव : आरोप बनार िासजश

शरद गुप्ता

क साल के दौरान तदल्ली मे् आम आदमी पाट्​्ी (आप) के 12 तवधायको्को तगरफ्िार तकया जा चुका है. दो और पर तगरफ्िारी की िलवार लटक रही है. एक सांसद की सदस्यिा ख्िरे मे्है. आतिर माजरा क्या है? क्या आप ने सभी अपरातधयो् को तटकट तदया था या इिना बड़्ा बहुमि तमलने के बाद उनका तदमाग्िऱाब हो गया या तफर भाजपा तदल्ली की जबरदस्​्हार से िीझकर केद् ् सरकार के जतरये आप तक तवधायको्को झूठे मामलो्मे्फंसा रही है? अतधकांश तवधायको्को मतहलाओ्के साथ अभद्ि् ा, सरकारी कम्च ष ातरयो्के साथ मारपीट या दंगा भड़्काने की कोतशश करने जैसे मामलो् मे् पकड़्ा गया है. सभी मामले तकसी न तकसी बयान के आधार पर दज्षतकये गये है.् चूतं क यहां कोई भी आरोप गंभीर अपराध की श्ण ्े ी का नही् था इसतलए तगरफ्िार तकये गये सभी तवधायक दो से चार तदनो्के भीिर जमानि पर तरहा हो गये. त्​्पटं मीतडया और समाचार चैनलो्ने भी उनकी तगरफ्िारी की िबरे्िूब जोरशोर से छापी्और तदिायी्लेतकन तरहाई की िबर मानो कही्िो सी गयी. यहां िक तक तदल्ली पुतलस पर की गयी अदालि की िीिी तटप्पतणयो्िक का कही्कोई तजक्​्देिने को नही्तमला. जहां एक ओर 28 जुलाई को आप के एक तवधायक अमानुलल ् ाह िान जमानि पर तरहा हुए वही्आप के नेिा आशुिोर ने आशंका जिायी तक पुतलस आप के दो अन्य तवधायको्को तगरफ्िार कर सकिी है. ये तवधायक है्शरद चौहान और रािी तबड़्लान. आशुिोर ने कहा तक नरेला से तवधायक शरद चौहान से पुतलस ने पाट्​्ी 22 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

काय्क ष ि्ाष सोनी की कतथि आत्महत्या के मामले मे्नौ घंटे से अतधक वक्ि िक पूछिाछ की और उनसे कहा तक वे पाट्​्ी के तकसी वतरष्​्नेिा का नाम ले.् उन्हे्चेिावनी दी गयी तक ऐसा न करने की ब्सथति मे्पतरणाम भुगिने को िैयार रहे.् सोनी ने 19 जुलाई को आत्महत्या कर ली थी. उसने पाट्​्ी के एक अन्य काय्क ष ि्ाष रमेश वाधवा पर प्ि् ाडऩा का आरोप लगाया था लेतकन तवधायक से कोई संबधं नही्होने पर भी उनसे नौ घंटे से अतधक समय िक पूछिाछ का तसलतसला चला. भाजपा नेिाओ् का कहना है तक आप के लोग तिल का िाड़्बना रहे है.् वे इस संबधं मे् मुखय् मंत्ी अरतवंद केजरीवाल के प्ध् ानमंत्ी नरेद् ् मोदी पर हत्या करवाने के आरोप का हवाला दे रहे है.् भाजपा सतचव आर पी तसंह कहिे है्तक तबना सबूि कोई भी आरोप लगाया जा सकिा है. यह आप की राजनीति का तहस्सा बन चुका है. वही् आप प्व् क्िा राघव चड्​्ा का कहना है तक मोदी तदल्ली की हार नही्पचा पा रहे है.् इसीतलए कभी तवधायको्को तगरफ्िार करवािे है्िो कभी मुखय् मंत्ी काय्ाल ष य पर छापा डलवािे है.् दरअसल तदल्ली की सरकार मोदी और केजरीवाल के अहम की लड़्ाई और राजनीतिक महत्वाकांक्ाओ्के बीच फंस गयी है. तदल्ली मे् बैठे केजरीवाल तकसी भी िरह हर रोि्मीतडया मे्बने रहना िाहिे है्िो वही्मोदी चाहिे है्तकसी िरह सातबि कर दे्तक केजरीवाल को प्श ् ासन की समझ नही्है. मोदी चाहिे है्तक केजरीवाल को केवल तदल्ली मे्ही समेट कर रिा जाये, वही् केजरीवाल की राजनीतिक आकांक्ाओ् को पर लग गये है.् तदल्ली के बाद पंजाब, तफर गोवा, तफर तहमाचल और अब उनकी तनगाह मोदी के गृह प्द् श े गुजराि पर लगी है. सबसे पहले जाने

वालो्के केजरीवाल शातमल थे. इसीतलए बीजेपी के नेिा कहने लगे है्तक केजरीवाल से तदल्ली िो संभल नही्रही है, लेतकन ख्वाब पूरे जहां पर राज करने का है. अब िो केजरीवाल के जबरदस्​्आलोचक भी मानने लगे है्तक आप तवधायको्को तगरफ्िार करना बदले की कार्वष ाई हो या नही् लेतकन जर्रि से ज्यादा कड़्ा कदम अवश्य है. केजरीवाल द्​्ारा आप से तनकाले गये स्वराज अतभयान के नेिा प्​्ोफेसर आनंद कुमार कहिे है,् 'तकसी भी तवधायक पर आरोप इिने गंभीर नही् है्तक जेल भेज तदया जाये'. सबसे पहले तपछले साल जून मे्तगरफ्िार होने वाले आप तवधायक थे त्​्तनगर से तजिेद् ् तसंह िोमर. तफर जुलाई मे् को्डली से मनोज कुमार, अगस्​्मे्कैट् से सुरदे् ् तसंह, तसिंबर मे् मालवीय नगर से सोमनाथ भारिी , नवंबर मे्मॉडल टाउन से अतिलेशपति त्​्तपाठी , तफर इस साल जनवरी मे्तवकासपुरी से तवधायक महेद् ्यादव, मई मे्हतरनगर से जगदीप तसंह, जून मे् संगम तवहार से तदनेश मोहतनया, जुलाई मे्देवली तवधायक प्क ् ाश जरवाल जुलाई मे्ही ओिला के अमानुलल ् ाह िान और जुलाई मे्ही महरौली से नरेश यादव को पंजाब पुतलस द्​्ारा मलेरकोचला मे्कुरान फाडऩे की सातजश रचने के आरोप मे्पकड़्ेगये. नरेश को छोड़्कर बाकी सभी जमानि पर बाहर है.् रोि् रोि् की तचकतचक से नाराज हो आप नेिा शीिल प्स् ाद तसंह कहिे है,् 'हम तवचार रहे है् तक सभी तवधायक या िो एकसाथ उपराज्यपाल से आग्ह् करेग् े तक उन सभी को शांतिभंग के आरोप मे्जेल तभजवा दे्या तफर सभी अपनी अपनी अत्​्गम जमानि की अज्​्ी कोट्षमे् n डाल दे.्'


उत्​्र प्​्देश

सम्मान की बसयासत और सांसत बसपा और भाजपा मतहला सम्मान की राजनीति कर रहे है.् लेतकन इस राजनीति के अपने तवरोिाभास भी है्तजनसे बचने की कवायद दोनो्कर रहे है.् रंजीव

भी बहुजन समाज पाट्​्ी और भारिीय जनिा पाट्​्ी ने तमल कर उत्​्र प्​्देश मे् िीन बार सरकार बनायी थी. तसयासी दोस्​्ी का रंग इिना चोिा हुआ था तक नये तरश्िे बनने लगे थे. बहनजी के नाम से मशहूर बसपा प्म् ि ु मायाविी और भाजपा के कुछ नेिा रािीबंध भाई बहन बने थे. लेतकन राजनीति रंग बदलिी है. इसमे्तरश्िे भी दरतकनार हो जािे है्. तलहाजा कभी भाई-बहन का तरश्िा तनभाने वाले आज एक-दूसरे पर बहन-बेटी का सम्मान नष्​्करने के आरोप लगा रहे है्. दयाशंकर तसंह ने मायाविी को लेकर जो अभद्​्तटप्पणी की उसके जवाब मे्बसपाइयो्के प्​्दश्षन मे्दयाशंकर के पतरवार की मतहलाएं नारेबाजी की जद मे् आ गयी्. दयाशंकर भाजपा से तनष्कातसि तकए जाने के बाद अब तगरफ्िार भी हो चुके है्लेतकन पूरा प्क ् रण भाजपा और बसपा के बीच बड़्ेतसयासी टकराव मे्िल्दील हो चुका है. इस िेल मे्दोनो्पक्​्2017 के तवधानसभा चुनाव के मद्​्ेनजर जािीय गोलबंदी का पूरा ध्यान रि​िे हुए अपना दांव चल रहे है्. िातक सत्​्ार्ढ् समाजवादी पाट्​्ी के तिलाफ मुख्य प्​्तिद्​्ंदी बन कर उभरने के उनके दावो् को मजबूिी तमले लेतकन तदलचस्प यह है तक इस संघर्ष मे् कुछ पा लेने की ललक मे् दोनो दलो् को नुकसान भी कम नही् हो रहा. इस पूरे प्​्करण ने दोनो्दलो्को इस मायने मे्सांसि मे् डाल तदया है तक उत्​्र प्​्देश मे्तजस अतितरक्ि वोट को जोड़्कर दोनो्पात्टयि ां राजनीतिक बढ्ि पािी रही्है्उसमे्ही िलल पड़्िा लग रहा है.

मायाविी पर दयाशंकर की तटप्पणी को मुद्ा बनाकर हमलावर हुई बसपा को उम्मीद है तक इससे उसका दतलि वोट आधार भाजपा के प्​्भाव मे् आकर भटकेगा नही्. मुब्शकल उस अगड़्ेसमाज को साथ रिने की है तजसके साथ के बगैर सत्​्ा के करीब नही्पहुंचा जा सकिा. यह िबका दयाशंकर के पतरवार की मतहलाओ् पर बसपाइयो् की नारेबाजी से िफा है. दयाशंकर की पत्नी स्वाति तसंह इस िबके की नाराजगी का प्​्िीक बन कर उभरी है् तजन्हो्ने मायाविी के तलए मतहला सम्मान पर दोहरे मानक अपनाने का सवाल उछाला है. सन 2007 मे् सवज्षन तहिाय-सवज्षन सुिाय का नारा देकर मायाविी ने अपने दतलि वोट बै्क के साथ अगड़्ो् के बड़्े िबके को भी जोड़्कर बहुमि की सरकार बनाने मे्कामयाबी पाई थी. मूल वोट आधार के साथ अतितरक्ि जुड़्ेतबना सरकार नही्बन सकिी यह मायाविी बिूबी जानिी है्. इसतलए स्वाति तसंह के मुिर होने और भाजपा के भी उनके सम्मान मे्मैदान मे्उिरने के बाद मायाविी को रणनीति बदलनी पड़्ी है. दतलि स्वातभमान के साथ वह सवज्षन की बािे्भी जोर-शोर से करने लगी्है्. इस हद िक तक दयाशंकर की तगरफ्िारी न होने पर उत्​्र प्​्देश के तजला मुख्यालयो् पर पाट्​्ी के प्​्स्ातवि प्​्दश्षन को भी उन्हो्ने स्थतगि कर तदया. प्​्दश्षन के बजाय अब वह अगले महीने से सवज्षन तहिाय-सवज्षन सुिाय रैतलयां करे्गी. दतलि-अगड़्ा वोट संिुलन को साधने की इस जद्​्ोजहद मे्मायाविी के तलए पाट्​्ी के अंदर से उठ रही् मुब्शकले् भी थमने का नाम नही् ले रही्. स्वामी प्​्साद मौय्ष और आर.के. चौधरी के बाद अब बसपा के दो तवधायको् ने भी मायाविी पर तटकट बेचने का आरोप लगािे हुए पाट्​्ी छोड़् दी है. बार-बार यह आरोप मायाविी की छतव को नुकसान पहुंचा रहा है. दयाशंकर प्​्करण ने अगर बसपा का तसयासी असमंजस बढ्ाया है िो भाजपा भी कम पशोपेश मे्नही्. दयाशंकर को तटप्पणी के तलए पाट्​्ी से तनकालने के बाद भाजपा ने अपनी पूरी

ियाशंकर सिंह और रायावती: आरोप और आरोप राजनीति स्वाति तसंह के इद्ष-तगद्ष रिी है. हालांतक स्वाति तसंह भाजपा का नाम नही्ले रही् और उन्हो्ने अपनी बयानबाजी मायाविी के तिलाफ और अपने पति की वकालि िक सीतमि रिा है लेतकन भाजपा उनके साथ गोलबंद तदि रही. ‘बेटी के सम्मान मे् भाजपा मैदान मे’् नारे के साथ मामले को गरमाये रिने की भरसक कोतशश हो रही है. हालांतक इसका तवरोधाभास िब उभर गया जब यह सच सामने आया तक स्वाति तसंह की भाभी आशा तसंह ने उनके तिलाफ दहेज उत्पीड़्न का मामला दज्ष कराया था. भाजपा का लक्​्य यह है तक इस पूरे प्​्करण के बहाने 2017 के चुनाव मे् यूपी का अगड़्ा वोट बै्क भाजपा को ही अपनी स्वाभातवक पसंद माने्. यह आसान नही् क्यो्तक इस कोतशश मे् भाजपा के तलए बड़्ी चुनौिी अपनी छतव दतलि तवरोधी पाट्​्ी के र्प मे् न बनने देने की है. रोतहि वेमुला प्​्करण से लेकर गुजराि मे् दतलिो् की तपटाई जैसी घटनाये् दतलिो् को साधने की भाजपायी कोतशश को झटका सातबि हुई्. बसपा को अगर सरकार बनाने के तलए दतलि वोटो्के साथ अगड़्ो्का भी वोट चातहये िो भाजपा को अपने मूल अगड़्ा आधार के साथ दतलिो्-तपछड़्ो्का साथ चातहये. इस िबके को साधने की हर संभव कोतशश िुद भाजपा अध्यक्​्अतमि शाह कर रहे है्. इसतलए दयाशंकर प्​्करण मे् स्वाति तसंह के साथ िड़्ी तदि रही भाजपा इस तवरोध पर दतलि तवरोधी का ठप्पा लगने देने से बच रही है. बसपाइयो् की आपत्​्तजनक नारेबाजी के मामले मे्भाजपा ने मायाविी व पाट्​्ी के अन्य दतलि चेहरो् को तनशाने पर लेने के बजाय नसीमुद्ीन तसद्​्ीकी पर हमला बोला. िातक प्क ् रण को अगड़्ो्की गोलबंदी के साथ धात्मक ष ध्​्ुवीकरण का र्प भी तदया जा सके. मायाविी पर दयाशंकर की तटप्पणी, जवाब मे्बसपाइयो् की स्वाति तसंह और उनकी बेटी के तिलाफ नारेबाजी के बहाने वोट बैक ् साधने की कवायद n आने वाले तदनो मे्और िेज होगी. शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 23


उत्​्रािंड

बदलती धार के जोणिम उत्​्रािंड मे्सन 2013 की त्​्ासदी के बाद कई नतदयो्ने अपनी िारा बदल दी है. इसकी वजह से कई नयी तकस्म के ि​िरे उत्पन्न हो गये है्. फ्ि​ि ् इमाम मल्लिक

लग राज्य बनने के बाद तवकास के नाम पर उत्र् ािंड मे्तनजी कंपतनयो्ने प्क ् तृ ि से तजस िरह छेड़छ ् ाड़्की है उसका ितमयाजा प्द् श े को भुगिना पड़् रहा है. िीन साल पहले प्द् श े मे्आयी आपदा की एक वजह प्क ् तृ ि से बड़्े पैमाने पर की गयी छेड़छ ् ाड़्भी थी. तबना तवशेरज्​्ो् की राय तलए तनजी कंपतनयो्ने प्द् श े का बेिरह दोहन तकया. तवकास के नाम पर पहाड़्ो,् नतदयो् और जंगलो्को उजाड़्ा गया और इसका निीजा सामने है. बद्​्ीनाथ केदारनाथ मे्2013 मे्आयी िबाही ने हजारो् जाने् लील ली्, करोड़्ो का नुकसान हुआ लेतकन सरकार नही् चेिी. दरअसल नये राज्य के गठन के बाद राज्य की कांगस ्े व भाजपा सरकारो्ने तवकास के नाम पर िूब िमाशे तकये और तनजी कंपतनयो् को ठेके तदये. इन कंपतनयो्को सड़्क बनाना िो आिा था लेतकन पहाड़्ी इलाको्मे्तजस संवदे नशीलिा की जर्रि होिी है, उससे उन कंपतनयो् का कोई लेना देना नही् था. स्थानीय पय्ावष रतणवदो् या 24 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

तवशेरज्​्ो् की मदद लेने की जर्रि भी महसूस नही्की गयी और मनमाने िरीके से पहाड़्ो्को उड़्ाया, जंगलो्को उजाड़्ा और नतदयो्की धारा को मोड़्ा गया. राज्य एक नये ि​िरे से जूझ रहा है. आसमानी आफि राज्य मे् िबाही मचा रही है और लोग इससे परेशान है.् हैरि इस बाि पर है तक सरकार इस नये ि​िरे से आंिे्मूदं े है. बाढ् और बातरश ने लोगो्का जीना मुहाल कर रिा है लेतकन सरकार इसे लेकर गंभीर नही्तदि रही. औपचातरकिा जर्र पूरी की जा रही है, अिबारो् मे्बयान भी छप रहे है्लेतकन इससे तनपटने के तलए सरकार कोई ठोस योजना नही्बना रही है. प्​्ाकृतिक आपदा से बचाव के तलए स्थायी हल की िलाश न िो सरकार करना चाहिी है और न ही उसकी नीयि है. सूत्ो्की माने्िो नौकरशाही से लेकर तसयासिदां िक नही् चाहिे तक इस मसले का स्थायी हल तनकले क्यो्तक आपदा के नाम पर सरकारी लूट तफर नही्हो पायेगी. लेतकन जो संकट अभी सामने है सरकार उस पर ध्यान नही् दे रही है. 2013 की आपदा ने प्द् श े की भौगौतलक ब्सथति को भी बदल कर रि डाला है. इससे कई नतदयो्ने अपनी धारा बदल दी है. मुखय् धारा पर बजरी, तमट्​्ी और पत्थर के जमाव की वजह से नतदयो्का र्ि बदल गया है. इसके अलावा तमट्​्ी की ऊपरी सिह बह जाने की वजह से मंदाकनी घाटी मे्भूसि ् लन के ि​िरे बढ् गये है.् नतदयो्के र्ि बदलने से ि​िरा बढ्ा है और निीजे भी तदिायी दे रहे है.् राज्य मे्बातरश

उत्​्राखंड रे्रंिासकनी: िोहरा प्​्वाह की वजह से भूसि ् लन का ि​िरा बढ्ा है. वैज्ातनको्का कहना है तक आपदा की वजह से भूसि ् लन के नये क्त्े ्बन गये है्और िेज बातरश की वजह से भूसि ् लन जल्दी और ज्यादा आ सकिा है. मंदातकनी घाटी मे्यह बदलाव ज्यादा आया है. मंदातकनी और उसकी सहायक नतदयो् मे् आये बदलाव की पुत्ष भी की जा चुकी है. सोनप्य् ाग से लेकर तवजयनगर िक मंदातकनी नदी की धारा अपने स्थान से तिसकी है. मंदातकनी नदी ने सोनप्य् ाग मे्पांच से छह मीटर, सीिापुर मे्साि मीटर, बांसवाड़्ा मे्करीब 10 मीटर, तसयालगौड़् मे् पांच से आठ मीटर, तवजयनगर मे्10 से 15 मीटर, तिलवाड़्ा मे्पांच मीटर, गंगानगर मे्पांच मीटर व चंदप् रु ी मे्10 से 15 मीटर िक रास्​्ा बदल डाला है. इसके अलावा कई और जगहो् पर भी नदी की धारा बदल गयी है. लेतकन न िो सरकार जाग रही है और न ही दूसरी तसयासी दल इस मुद्े पर शोर मचा रहे है.् वातडया तहमालय भू तवज्​्ान संसथ ् ान के वैज्ातनको् और आपदा न्यनू ीकरण व प्ब् ध ं न तवभाग ने भी नतदयो्के इस बदलाव को देिा है. वैज्ातनको् का मानना है तक आपदा के दौरान तरवरबेड पर तमट्​्ी, रेि, चूना और बजरी जमा होने की वजह से नतदयो्के तकनारे कट गये है.् नतदयो् के तकनारे तसमटने की वजह से ि​िरा बढ्ा है. वातडया संसथ् ान के वैज्ातनक डा. संिोर राय का कहना है तक तरवरबेड पर सेतडमेट् श े न बढ्ने से धारा बदल जािी है. इसके अलावा पहाड़्ो् की ऊपरी सिह को बांधे रिने वाली वनस्पतियां भी बह गयी है.् इससे तमट्​्ी तिसक जािी है और इससे भूसि ् लन का ि​िरा बढ्जािा है. डा राय मानिे है्तक नतदयो्की धारा बदलने की वजह से n ि​िरा बढ्ा है.


छत्​्ीसगढ् सतीश जायसवाि

त्​्ीसगढ् के तबलासपुर शहर से 10-12 तकलोमीटर दूर, अरपा और िार्न नतदयो्के संगम की दोमुहानी पर बसा छोटा सा गांव कर्ाष. यहां कभी कर्ाष वृक्ो् की भरमार थी लेतकन अब यह गांव 'सीिाफल ग्​्ाम' के नाम से जाना जायेगा. यह 500 घरो् की एक छोटी सी बस्​्ी है लेतकन इसके लोगो्ने बहुि बड़्ा संकल्प तलया है. यह संकल्प है बस्​्ी को सीिाफल ग्​्ाम के र्प मे् तवकतसि करने का. तपछले तदनो् तबलासपुर के कृतर महातवद्​्ालय के डीन डॉ. एस आर पटेल ने सीिाफल का पौधा रोपकर अतभयान की शुर्आि की. अब गांव के प्​्त्येक घर मे्जहां आंगन है, सीिाफल का कम से कम एक पौधा अवश्य है. तफलहाल 500 घरो् की इस बस्​्ी मे्700 से अतधक सीिाफल रोपे जा चुके है्. इस मॉनसून मे् यह िादाद 1,000 से अतधक पहुंचाने का लक्​्य है. तजले का सामातजक वातनकी तवभाग लोगो्को पौधे मुहयै ा करा रहा है. कृतर महातवद्​्ालय के डीन डॉ. आर एस पटेल ने बिाया तक सीिाफल एक जंगली प्ज ् ाति का वृक् है लेतकन इसका फल पौत्​्षïक ित्​्वो् से भरपूर होिा है. मवेशी इसके फल और पत्​्तयो् को नही्िािे इसतलए इसे िूब बाढ्तमलिी है. तकसी तवशेर देिभाल या रिरिाव की आवश्यकिा भी इसे नही्पड़्िी. इसकी उत्पादन लागि शून्य होिी है. यह वृक्एक वर्षमे्िैयार होिा है और दूसरे वर्षसे फल देने लगिा है. छत्​्ीसगढ्का यह मैदानी क्​्ेत्तजन छोटीबड़्ी नतदयो्से तसंतचि है वे सभी जाकर महानदी मे् तमलिी है्. इसतलए भौगोतलक र्प से इसे रंडी रे्िीताफल: अनुकूल जलवायु

सीताफल का गांव

छत्​्ीसगढ्का एक छोटा सा गांव सीिािल के पौिरोपण के तलए चच्ाष मे्है. सीिािल ग्​्ाम के नाम से चत्चषि हो चुके इस गांव के लोग अब इसके व्यावसातयक उत्पादन के तलए प्​्यासरि है्. महानदी घाटी का क्​्ेत्माना जा सकिा है. यहां का वािावरण सीिाफल के तलए अनुकूल है. केवल दो दशक पहले यहां सीिाफल की सघन पैदावार होिी थी. लेतकन बीिे समय मे् जमीन की जबरदस्​् िरीद तबक्​्ी और इसके गैर फसली उपयोग ने बाग बगीचो् को ित्म कर तदया. इिना ही नही् नतदयो् और इनसे तसंतचि भूतम से अपनी आजीतवका कमाने वाली जातियां भी अपने पुशि् नै ी रोजगार धंधे छोड़्कर यहां वहां तवस्थातपि हो गयी्. कर्ाष केवट बहुल गांव है. यह समुदाय परंपरागि र्प से अपनी आजीतवका के तलए नतदयो् पर आत्​्शि रहा है. इसतलए इनकी बसाहट भी नतदयो्के आसपास ही होिी है. प्​्थम पंचवर्​्ीय योजना मे्महानदी पर बने तवशाल हीराकुंड बांध की की वजह से इसकी सहायक नतदयो् पर आत्​्शि समुदाय भी अपने पैिृक रोजगार धंधे छोड़्कर यहां वहां चले गये. कर्ाष का तनराद समुदाय भी उन्ही्तवस्थातपिो्मे् से एक है. अब ये लोग िेिी पर आत्​्शि है्. अपने गांव और उसके लोगो् को सीिाफल के संकल्प से जोडऩे मे् स्थानीय तनवासी बद्​्ी प्​्साद केवट की अहम भूतमका रही है. वह इस गांव के उपसरपंच रह चुके है् और यहां एक इंिु िाहू: बड्ा असियान

तवद्​्ालय चलािे है्. कर्ाष का यह सीिाफल पूरी िरह स्थानीय और स्वि:स्फूि्ष है. सामातजक वातनकी तवभाग से तमले पौधो्के अलावा इसमे्तकसी िरह का कोई सरकारी सहयोग या कोई हस्​्क्ेप अब िक नही्है, न ही इसकी कोई गुंजाइश है. गांव के लोगो्ने भी इसे लेकर कोई आग्​्ह नही्तकया है. इस जज्बे को देिकर सामातजक तवकास के क्​्ेत् मे् सत्​्कय संस्थाये् भी आकृष्ï हुई है्. तबलासपुर की ही एक संस्था तशिर युवा मंच और रायपुर की संस्था चेिना इस तदशा मे् प्त्िबद्घिा के साथ सामने आये है.् तशिर युवा मंच के प्​्मुि भूपेश वैष्णव मानिे है् तक वृक्ारोपण इसका पहला चरण है. फसल आने पर फलो् को ठीक समय पर िोड़्कर उनकी पैतकंग दूसरा अहम काम है. यह बहुि कौशल की मांग करिा है. सीिाफल जल्दी िराब होने वाला फल है. उसे तटकाऊ और हराभरा बनाये रिना बहुि सलीके का काम है. इसके तलए जर्री कौशल हातसल होने पर ही इसे बड़्े बाजारो् िक पहुंचाया जा सकेगा और अच्छा दाम तमल सकेगा. पड़्ोसी राज्य मध्यप्​्देश के पत्​्िमी छोर पर साजनपुर और मांडू अंचल सीिाफल की तवपुल पैदावार वाले क्​्ेत् है्. उनके पास यह कौशल है इतसलए वहां बहुि बड़्ी फल मंडी तवकतसि हो सकी. वहां का सीिाफल तदल्ली, कोलकािा, अहमदाबाद और मुंबई िक जािा है. भूपेश वैष्णव ने इसी मौसम मे्अपने यहां से कुछ लोगो्का दल मांडू भेजने का सुझाव रिा है. वही्चेिना की प्​्मुि इंदू साहू इस अतभयान को बस्र् िक ले जाना चाहिी है.् उनकी संसथ ्ा वहां काफी सत्​्कय है. कर्ाष के इस अतभयान से पहले भी यहां सीिाफल के तलए पहल की गयी थी लेतकन वह घोरणापत्​् से आगे नही् बढ् सकी. ित्कालीन कलेक्टर सोनमतण बोरा ने भी तबलासपुर को सीिाफल तजला घोतरि तकया था. लेतकन कई अन्य घोरणाओ् की िरह सरकारी फाइलो् मे् दबकर रह गयी. कर्ाष के इस अतभयान को भरोसेमंद बनाने वाली बाि भी यही है तक अब िक तकसी िरह के सरकारी प्​्लोभन से मुक्ि एक स्वि:स्फूि्षहै. n शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 25


मध्यप्​्देश

प्​्देश मे्तशक्​्को्को राष्​्तनम्ाषिा नाम देने का जुमला उछाला गया है, लेतकन आंकड्ेबिािे है्तक ऐसी प्​्िीकात्मक कसरिो्से दूर तशक्​्को्और िुद तशक्​्ा की स्सिति दयनीय बनी हुई है. पूजा जसंह

ध्य प्​्देश सरकार की तवरोधाभासी कवायदो् का तसलतसला जारी है. पहले सरकार ने तकसान आत्महत्या के मामलो्और घोटालो् की आंच के बीच आनंद मंत्ालय का गठन तकया और अब तशक्​्को्को राष्​्तनम्ाषिा का नाम देने का फैसला तकया गया है. प्​्देश के तशक्​्ा मंत्ी तवजय शाह ने तपछले तदनो् नई तदल्ली मे् के्द्ीय मानव संसाधन तवकास मंत्ी प्​्काश जावड़्ेकर से मुलाकाि के दौरान तशक्​्को्ने तगरिे सम्मान पर तचंिा जातहर करिे हुए कहा था तक प्​्देश के तशक्​्को्को अब राष्​् तनम्ाषिा के नाम से जाना जायेगा. तशक्​्को् का न केवल गणवेश तनध्ाषतरि तकया जायेगा बब्लक वे एक नेमप्लेट लगाये्गे तजसमे्उनके नाम के आगे राष्​्तनम्ाषिा अंतकि होगा. मंत्ी महोदय का कहना है तक यह काम समाज मे्तशक्​्को्की गतरमा बरकरार रिने के तलए तकया जा रहा है. यह बाि और है तक सरकारी आदेशो् से बार-बार तशक्​्को् की गतरमा सरकार िुद ही िार-िार करिी रही है. ज्यादा वक्ि नही् हुआ जब तसंहस्थ कुंभ के दौरान प्​्देश के प्​्तसद्​् िीथ्षस्थल ओ्कारेश्र मे् िंडवा के तजलातधकारी महेश अग्​्वाल ने तशक्​्को्को जूिे चप्पल की रिवाली पर िैनाि करने का आदेश तदया था. आदेश मे्तलिा था, 'तसंहस्थ मे्आने वाले श्​्द्ालुओ्की भारी भीड़् ओ्कारेश्र पहुंच रही है. श्​्द्ालुओ् के जूिेचप्पल की देिभाल के तलए अतधकातरयो् की ड्​्ूटी पुराना बस स्टै्ड ओ्कारेश्र के जूिाचप्पल स्टै्ड पर लगायी जा रही है. यह नौ से 31 मई िक रहेगी. सभी अतधकारी तनयतमि र्प से तनध्ाषतरि स्थान पर ड्​्ूटी करे्गे. वे श्​्द्ालुओ् के जूिे-चप्पल की देिभाल करे्गे. साथ ही सुतनत्​्ि​ि करे्गे तक श्​्द्ालुओ् को तकसी भी प्​्कार की असुतवधा न हो.' आदेश की प्​्ति सोशल मीतडया पर ित्काल वायरल हो गयी. तशक्​्को् के जबरदस्​् तवरोध और सोशल मीतडया पर उनको तमल रहे समथ्षन के बीच जब मामले की जानकारी प्​्देश के तशक्​्ा राज्यमंत्ी दीपक जोशी को हुई िो आनन26 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

रध्य प्​्िेश रे्एक सवद्​्ालय: िुसवधाओ्का अिाव

नार के सलए 'राष्​्

फानन मे्यह आदेश वापस तलया गया. मानो इिना ही काफी नही् था िो कुछ अरसा पहले प्​्देश के सिना तजले के तपपरीकला गांव को शौचमुक्ि घोतरि करने के तलए स्थानीय प्​्शासन ने कुछ ऐसे कदम उठाये तक पूरा गांव सकिे मे्ंआ गया. तशक्​्को् को बकायदा आदेश तदया गया तक वे िुले मे् शौच करने जाने वाले लोगो् की चौकसी करे्. अगर कोई गांववासी िुले मे्शौच करिा नजर आये िो उसकी फोटो िी्चकर मौके पर ही पंचनामा िैयार करे्. इस मामले मे् भी बवाल बढ्िा देिकर ल्लॉक तशक्​्ा अतधकारी आरपी तमश्​् ने आदेश वापस ले तलया. अपने बचाव मे्उन्हो्ने कहा तक वह एसडीएम के आदेश को सही ढंग से समझ नही्पाये थे इसतलए भूलवश गलि आदेश जा​ारी हो गया. प्​्देश मे्संतवदा तशक्​्को्समेि िमाम िरह के तशक्​्को्की हालि बहुि बुरी है. हालाि यह है तक उनसे तशक्​्ण के अलावा हर िरह का काम तलया जा रहा है. प्​्देश के िृिीय वग्ष

कम्षचारी संगठन के अध्यापक प्​्कोष्​् के संयोजक मुकेश तसंह कहिे है्, 'प्​्देश मे् संतवदा तशक्​्को् के साि तपछले 18 साल से सौिेला व्यवहार तकया जा रहा है. प्​्देश मे् फसल का बीमा हो रहा है लेतकन अध्यापक संवग्ष का बीमा िक नही् तकया गया है. छठवे् वेिनमान के तलए गणनापत्​्क जारी करने की मांग हम अरसे से कर रहे है्. जबतक सािवां वेिनमान लागू करने की प्​्त्कया आरंभ हो चुकी है. अध्यापको्को स्थानांिरण की सुतवधा नही् है न ही लगािार मांगो् के बावजूद उनका तशक्​्ा तवभाग मे्संतवलयन तकया जा रहा है.' हालाि यह है् तक प्​्देश की 95 हजार मतहला अध्यापको् को 730 तदन की चाइल्ड केयर लीव िक नही् तमल सकेगी. स्कूली तशक्​्ा तवभाग के प्​्स्ाव पर तवत्​् तवभाग ने असहमति जिािी है. तवत्​्तवभाग का कहना है तक स्कूली तशक्​्ा तवभाग मे् 50 प्​्तिशि मतहलाये् है् ऐसे मे् उनको चाइल्ड केयर लीव देने से समस्या उत्पन्न हो सकिी है. स्कूली


सनर्ा​ाता'

तशक्​्ा तवभाग के अतितरक्ि मुख्य सतचव एस आर मोहंिी के मुिातबक िमाम चच्ाष के बावजूद तवत्​् तवभाग इसके तलए राजी नही् है. मतहला अध्यापको् को महज 180 तदन का मािृत्व अवकाश ही तमलेगा. इन िमाम बािो् के बीच प्​्देश मे् स्कूली तशक्​्ा के भगवाकरण की कोतशशो् के आरोप भी िेज होने लगे है्. राष्​्ीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस द्​्ारा चलाये जाने वाले सरस्विी तशशु/तवद्​्ा मंतदरो्ं के तशक्​्को् को प्​्देश मे् जल्दी ही सरकारी प्​्ाथतमक शालाओ् मे्ं अवैितनक तशक्​्को् के र्प मे् िैनाि तकया जा सकिा है. इन तवद्​्ालयो् को संचातलि करने वाले आरएसएस से संबद्​्संगठन तवद्​्ा भारिी ने एक प्​्स्ाव िैयार तकया है तजसके मुिातबक इन तशक्​्को् को सरकारी तवद्​्ालयो् मे् भेजा जायेगा. राज्य के तशक्​्ा तवभाग ने भी इस तवचार का स्वागि तकया है. उसका कहना है तक ग्​्ामीण क्​्ेत्ो्मे्इन तवद्​्ालयो्का प्​्दश्षन बहुि अच्छा रहा है. तवद्​्ा भारिी के मध्य भारि प्​्मुि रामकुमार भावासर ने तपछले तदनो् एक साक्​्ात्कार मे् कहा था तक उनकी योजना सरकारी तवद्​्ालयो् मे् गतणि और भारा की तशक्​्ा देने का है. इस काम को सरकार की इजाजि से ही अंजाम तदया जायेगा. उन्हो्ने कहा तक इजाजि तमलने पर संगठन कुछ सांस्कृतिक गतितवतधयो्ं का आयोजन भी करेगा. इस तवरय पर स्कूली तशक्​्ा राज्य मंत्ी दीपक जोशी का कहना है तक सरस्विी तशशु मंतदरो्का प्​्दश्षन िासिौर पर ग्​्ामीण इलाको् मे् शानदार रहा है और उनको ऐसा कोई सवजय शाह: खोखले िावे

प्​्स्ाव स्वीकार करने मे्कोई समस्या नही्है. हालांतक उन्हो्ने कहा तक अभी उन िक ऐसा कोई प्​्स्ाव पहुंचा नही्है. उधर, तशक्​्ा तवभाग एक अलग तकस्म की समस्या से दो चार है. हाल ही मे्तकये गये एक अध्ययन से पिा चला है तक प्​्देश के तवद्​्ालयो् मे् आधे से अतधक तशक्​्क अपनी सेवा अवतध मे् तवद्​्ालय से नदारद रहिे है्. प्​्देश मे्ं 20,000 से अतधक तवद्​्ालय है् तजनमे् साढ्े चार लाि अध्यापक रोजगारशुदा है्. वतरष्​् पत्​्कार शमशेर तसंह कहिे है्, 'संतवदा प्​्णाली मे्िो यह चलन आम है. बहुि बड़्ा आंकड़्ा ऐसे तशक्​्को् का भी है जो कभी स्कूल नही्जािे. वे दूसरे शहरो्मे्रहकर दूसरे कामकाज करिे है्. उन्हो्ने अपनी जगह भाड़्े के तशक्​्क तनयुक्ि कर रिे है्. भाड़्े के ये तशक्​्क करीब 5,000 र्पये महीना लेिे है् जबतक वेिन का शेर तहस्सा उस तशक्​्क के नाम जािा है तजसका नाम पेरोल पर है.' प्​्देश सरकार ने ऐसी घटनाये्सामने आने के बाद कड़्ा र्ि अपनाया है. तशक्​्को् को चेिावनी दी गयी है तक बीिे कुछ समय मे्हुए औचक तनरीक्​्ण मे् 55 प्​्तिशि से अतधक तशक्​्क तवद्​्ालयो् से नदारद नजर आये है्. जबतक वे हर माह पूरा वेिन ले रहे है्. स्कूली तशक्​्ा तवभाग के अतितरक्ि मुख्य सतचव एस आर मोहंिी कहिे है् तक यह ब्सथति बरदाश्ि नही्की जायेगी. उन्हो्ने इस ब्सथति से तनपटने के तलए वृहद योजना बनायी है. इसके िहि तजला स्​्र से लेकर नीचे िक सघन जांच अतभयान चलाया जायेगा. यह तनरीक्​्ण पूरी िरह औचक होगा. जो तशक्​्क तबना पूव्ष सूचना के गायब पाये जाये्गे उनका वेिन ित्काल काटा जायेगा. प्​्त्येक स्कूल मे् तनयुक्ि तशक्​्को् की िस्वीर और उनका मोबाइल फोन नंबर अवश्य होना चातहये. अगर तकसी तशक्​्क की जगह कोई अन्य व्यब्कि पढ्ािा पाया गया िो दोनो् व्यब्कियो् के तिलाफ इसकी एफआईआर भी की जायेगी. तशक्​्ा के क्​्ेत् मे् स्वायत्​् आकलन करने वाली संस्था एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन तरपोट्ष (एएसईआर) के मुिातबक प्​्देश मे् तवद्​्ात्थषयो् की ब्सथति भी बहुि अच्छी नही् है यहां हर रोज कुल नातमि तवद्​्ात्थषयो् मे्ं से बमुब्शकल 50 प्​्तिशि ही स्कूल आिे है्. यह तरपोट्ष प्​्देश मे् तशक्​्ा की दयनीय ब्सथति के और उदाहरण पेश करिी है. वर्ष 2014 मे् कक्​्ा पांच मे् पढऩे वाले केवल 30 प्​्तिशि बच्​्ेही ठीक से तहंदी और अंग्ेजी पढ् पा रहे थे. जबतक गतणि के सवाल हल करने वाले बच्​्ो् का प्​्तिशि भी करीब इिना ही था. n शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 27


गुजरात

अरिाबाि रे्िसलतो्का सवरोध प्​्िश्ान: जुझार्चेतना

ऊना केभीषण संकेत गुजराि मे्दबंग गौ रक्​्को्ने राज्य मशीनरी पुतलस के कवच के साि दतलिो्पर बब्षर अत्याचार तकये. यह देश भर मे्इस प्​्कार के बढ्िे हमलो्के तसलतसले की अगली कड्ी है.

प्​्भात कुमार

भा

जपा के के्द् मे् कातजब होने के बाद तपछले दो वर्​्ो् से समाज मे् अल्पसंख्यको्, दतलिो्, आतदवातसयो् और वंतचि िबको्पर लगािार हमलो्की घटनाओ् मे् िेजी आयी है. उत्​्र प्​्देश के दादरी (नोएडा), तहमाचल प्​्देश के नहान, कन्ाषटक के तचकमंगलूर व तिर्नेलवेली से लेकर अब गुजराि के ऊना मे् इसका बब्षर र्प सामने आया है. साफ है तक आरएसएस और भाजपा से जुड़े तवतभन्न संगठनो्के कि्ाषधि्ाष ही हर जगह जगह इन कृत्यो् को अंजाम दे रहे है् और सरकारी मशीनरी और पुतलस प्​्शासन इन मामलो् मे् हमलावरो् को प्​्श्य देने का काम करिा है. भाकपा माले के पोतलि ल्यूरो सदस्य कामरेड प्​्भाि कुमार, अतिल भारिीय िेि मजदूर सभा के राष्​्ीय अध्यक्​्और पूव्षसांसद रामेश्र प्​्साद तसंह, आल इंतडया पीपुल्स फोरम के िुरार परमार, इंकलाबी नौजवान सभा के राष्​्ीय सतचव अतमि पटनवातडया और ल्लैक पै्थर के अतभरेक परमार की एक जांच टीम ने 24 जुलाई को ऊना के पास मोटा समतदया गांव का दौरा तकया और ऊना मे् िथाकतथि गौ रक्​्को् द्​्ारा हमले मे् बुरी िरह मारे और अपमातनि तकये गये दतलि नौजवानो् 28 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

के पतरवारो्से मुलाकाि की. ऊना कस्बे के पास ब्सथि मोटा समतधया गांव की आबादी 3000 है, इसमे् 26 -27 दतलि पतरवार रहिे है्. ये सभी िेि मजदूर है्, नौजवानो् का एक छोटा तहस्सा पढा तलिा बेरोजगार है. इन दतलि पतरवारो् मे् तसफ्क एक पतरवार (बालू भाई वीरा भाई समतदया) मरे हुए घरेलू जानवरो् का चमड़ा उिारने का काम करिा है. यह हमला इसी पतरवार के नौजवानो्पर तकया गया. पूरी घटना मे् यह साफ िौर पर तदि​िा है तक तकस िरह राज्य प्​्शासन और पुतलस और तहंदू तहिो्की रक्​्ा के नाम पर समाज मे्मौजूद तवतभन्न लंपट-गुंडा ित्वो्का संगतठि गठजोड़ आरएसएस-भाजपा के ऐजे्डे को लागू कर रहा है. ऊना के आसपास के गांवो् मे् भी अपराधी ित्वो्ने अपने आप को गौ रक्​्क बिािे हुए गौ रक्​्ा दल बनाये है्. इन्ही्लोगो्ने पहले इस बाि की अफवाह फैलायी तक ‘तजंदा गाय मारी गयी है’ और बालू भाई समतदया भाई के पतरवार पर हमला कर तदया. जबतक सच्​्ायी यह थी तक गाय को बाघ ने मारा था और मरी गाय के मातलक ने ही इन्हे् गाय को उठाने के तलए बुलाया था. 7-8 नौजवानो् को बुरी िरह लोहे की रोड से मारा-पीटा गया. घटना की वीभत्सिा का अंदाज इसी बाि से लगाया जा सकिा है तक मारने वाले गौरक्​्क गुंडो् की संख्या 40 के आसपास थी. तनरीह दतलि नौजवानो्की बब्षर

तपटाई का िांडव 3-4 घंटे िक चलिा रहा. यह कमोबेश दादरी वाला िरीका था. स्थानीय लोगो् ने कहा तक उन्हो्ने घटना की सूचना हमले के चंद तमनटो् के बाद ही पुतलस को दे दी थी लेतकन पुतलस का कही्अिा पिा नही्था. यही नही्हमलावर गुंडे जब नौजवानो् को उठाकर करीब 18 तकमी दूर ऊना कस्बे की ओर ले गये िो रास्​्े मे् ही पुतलस तमल गयी. पुतलस वालो्ने घटना से अंजान बनिे हुए हंसिे हुए हमलावरो् से हाथ तमलाया और हालचाल पूछा. पुतलस लंपट गौ रक्​्को् से तमली हुई थी और दतलि पतरवार को सबक तसिाना चाहिी थी. गांव मे्दतलि नौजवानो्को मारने के बाद उनको दोबारा थाने के सामने मतहंद्ा की जाइलो गाड़ी से बांधा और उसके बाद उनके साथ पुनः जो बब्षर कृत्य तकया उसको वीतडयो के जतरये दुतनया देि चुकी है. इस घटना ने वहां दतलि समाज को भी इिना उद्त्ेलि तकया तक पूरे राज्य मे्उन्हो्ने घटना का अभूिपूव्षिरीके से प्​्तिरोध तकया. प्​्धानमंत्ी के गृह तजले मे् समाज के तवतभन्न िबको् तवशेर र्प से मतहलाओ् ने तधक्​्ार रैली आयोतजि की और कहा तक मोदी को घटना की तनंदा करनी चातहये. िथाकतथि गौरक्​्को् को सत्​्ाधातरयो् का राजनैतिक वरदहस्​् प्​्ाप्ि था, यह बाि इससे भी स्पष्​्होिी है तक राज्य की मुखय् मंत्ी आनंदी बेन पटेल घटना के 10 तदन बीि जाने के बाद घटनास्थल पर गयी्. औपचातरकिा मे्प्भ् ातविो् को 4 लाि र्पये मुआवजा देने की घोरणा की गयी लेतकन 24 जुलाई िक प्​्भातविो्को एकएक लाि र्पया ही तमला था. पतरवार के मुतिया वालू भाई वीरा भाई समतदया, तजनका माथा लोहे की पाइप से हमल मे्फट गया था, वह तकसी िरह हमले मे्गंभीर र्प से चोट लगने से बच गये और माथे पर मरहम पट्​्ी लगाये हमे् घर पर तमले. शेर चार नौजवानो्-वसराम भाई, रमेश भाई, अशोक भाई, वैजल भाई को इिनी बुरी िरह पीटा गया तक उनका 200 तकमी से भी दूर राजकोट के अस्पिाल मे्गंभीर ब्सथति मे्इलाज चल रहा है. सभी दतलि पतरवारो् की माली हालि बेहद कमजोर है्. जो लोग िेि मजदूरी का भी काम करिे है् उन्हे् भी मात्​् 100 से 150 र्पये के बीच मजदूरी तमलिी है, और इस पतरवार को चमड़ा छीलने के एवज मे् तसफ्क 150 से 200 र्पये तमलिे है्. हम जब इस घटना के 15 तदन बीि जाने के बाद इस गांव मे्पहुंचे िो िब िक पूरी घटना मे् शातमल 40 से ज्यादा लोगो् मे् से तसफ्क 17 लोगो्की तगरफ्िारी हुई थी. ग्​्ामीण इस बाि का तजक्​् स्पष्​् िौर पर करिे है् तक पूरी घटना पुतलस की शह पर हुई लेतकन मात्​्िीन पुतलस n वालो्को तनलंतबि तकया गया है.


चेहरा शरद गुप्ता

कई अख़बार कई बार

श्​्वण गग्षउन पत्​्कारो्मे्से है्जो संपादक की बदलिी भूतमका के दौर के साक्​्ी और सहयात्​्ी है्.

ज अनुबंध प्​्णाली लागू होने वैवातहक वर्षगांठ पर सपतरवार के चलिे देश मे्पत्​्कारो्की भोजन के तलए आमंत्ति तकया और सेवातनवृत्त की अघोतरि उम्​् अगले ही तदन काय्ाषलय मे्उन्हे्सेवा बमुब्शकल 40-42 वर्ष रह गयी है. समाब्पि का पत्​् थमा तदया गया. लेतकन श्​्वण गग्ष 70 की उम्​् मे् भी तनराशा से तघरे वे एक्सप्​्ेस दफ्िर से सत्​्कय संपादक है्. अपने जीवन के बाहर तनकल रहे थे तक सीतढयो् पर 19 वर्ष दैतनक भास्कर समूह को देने एक दत्​्कण भारिीय तमत्​् तमल गये. के बाद वह माच्ष 2012 मे् 67 वर्ष वे फाइनै्तशयल एक्सप्​्ेस यानी एफई की उम्​् मे् समूह संपादक के पद से मे् काम करिे थे. उनके कहने पर सेवातनवृत् हुए. उसके ित्काल बाद श्​्वणजी ने भारिीय तवद्​्ा भवन से वह दैतनक नई दुतनया मे् समूह एक महीने मे् अंग्ेि्ी सुधारी और संपादक बन गये. दो वर्ष उपरांि एफई मे्काम शुर्कर तदया. उन्हो्ने फ्​्ी प्​्ेस जन्षल के मुख्य श्​्वण जी के व्यब्कित्​्व का एक संपादक के र्प मे् काम संभाला. और पहलू है. उन्हे् बहुि ही सख्ि तफलहाल वह तबजनेस वल्ड्ष पत्​्तका और बदतमि्ाज संपादक के र्प मे् के सलाहकार संपादक है्. जाना जािा है. वह कब तकसको तकस दैतनक भास्कर मे् उन्हो्ने इिने बाि पर क्या कह दे्, यह तकसी को लंबे समय िक काम तकया तक वह पिा नही् होिा था. वे इिने और भास्कर एक दूसरे के पय्ाषय बन परफे्क्शतनस्ट थे तक छोटी सी ग्लिी गये थे. वहां उन्हो्ने पत्​्कारो्की कम श्​्वण गग्ा: बाहर िख्त िीतर कोरल पर भी वे देर िक डांटिे रहिे तजससे से कम दो पीतढय़ां िैयार की्. भास्कर तक दोबारा उस व्यब्कि से वही ग्लिी को मध्य प्​्देश के दो-िीन संस्करणो् से बढ्ाकर चौदह राज्यो्, चार न हो. उनकी प्​्िाडऩा से सहयोगी इिना घबरािे थे तक उनके दातिल भाराओ् और 67 संस्करणो् वाले मीतडया समूह मे् िल्दील करने मे् होिे ही दफ्िर मे्सन्नाटा छा जािा था. उनकी अहम भूतमका मानी जािी है. भास्कर मे् काम करने वाले उनके उनके स्वभाव की वजह से कुछ सहयोतगयो् से उनकी अनबन रही एक पूव्षसहयोगी श्​्वण गग्षको भास्कर का 'अश्​्मेध का अश्​्' कहिे हो लेतकन वही् उन्हे् अंदर से नातरयल की िरह मुलायम माना जािा है. है्. मध्य प्​्देश से तनकल कर भास्कर जहां भी गया, श्​्वण जी उसकी पुराने सहयोगी बिािे है् तक एक सहयोगी से नाराज होकर उन्हो्ने कहा नी्व रिने से लेकर सुचार् संचालन करने िक अपनी भूतमका तनभािे कल से दफ्िर मि आना. लेतकन िीन तदन बाद दूसरे सहयोतगयो् से रहे. चाहे वह जयपुर हो या अहमदाबाद या तफर रायपुर सभी जगह उसके हाल-चाल पूछे तक वह कही् काम कर रहा है या नही्. मालूम भास्कर को अग्​्णी अिबार बनाने मे्उनकी बड़्ा योगदान है. ख्बरो्के चलने पर तक वह घर बैठा है उसे अगले तदन बुलाया, तफर डांटा तक चयन से लेकर हेडलाइन देना, संपादकीय तलिना, लेआउट बनवाना काम नही्करोगे िो पतरवार कैसे चलाओगे. चलो काम शुर्करो. और और तफर तरव्यू िक वे सभी जगहो् पर सौ फीसदी योगदान देिे थे. अब ग्लिी मि करना, नही्िो दूसरा मौका नही्दूंगा. भास्कर मे्जब िक वे थे, उन्ही्का तसक्​्ा चलिा था. मध्यप्​्देश के जाने माने पत्​्कार प्​्काश तहंदुस्ानी कहिे है्, 'श्​्वण अिबार मे्प्​्बंधन का दिल उनको समूह संपादक बनाकर तदल्ली गग्षके तहंदी पत्​्कातरिा मे्दो योगदान है्. एक िो उन्हो्ने संपादक नामक भेजने के बाद शुर्हुआ. अपनी लेिनी की वजह से तहंदी ही नही्बब्लक प्​्जाति को बचाने मे्अहम भूतमका तनभायी और दूसरा इसकी काय्षशैली दूसरी भाराओ् मे् उनका बड़्ा सम्मान है. इिना तक 2009 मे् जब मै्ने मे् आमूलचूल बदलाव की व्यवस्था की.' अिबार के संपादक को अपने पुराने बॉस भारि भूरण को बिाया तक मै् भास्कर मे् काम शुर् उन्हो्ने लाइि्​्ेरी से बाहर तनकालकर न्यूज डेस्क की मुख्यधारा मे् करने वाला हूं िो उन्हो्ने झट से कहा, 'हां, वहां श्​्वण गग्षहै्. उन्हे्मेरी पहुंचाया और उसका दायरा अग्​्लेि और संपादकीय पृष् से बाहर शुभकामनाये् देना.' 14 साल अंग्ेजी, चार साल गुजरािी और लगभग फैलाया. 28 वर्ष तहंदी मीतडया मे् काम करने वाले श्​्वण गग्ष एक अनुभवी और इलेक्त्टकल इंजीतनयतरंग मे्तडप्लोमाधारी करने के बाद उनकी र्तच सशक्ि हस्​्ाक्​्र है्. तरपोत्टि्ग से कतरयर शुर् करने वाले गग्ष साहब ने पत्​्कातरिा मे् जगी. तफर क्या था. गांधीवाद मे् तवश्​्ास था िो सव्ो्दय कई तवधाओ्मे्महारि हातसल की. से काम शुर् तकया. तफर तदल्ली मे् प्​्जानीति, आसपास, एफई से होिे मूल र्प से इंदौर के रहने वाले श्​्वण गग्षका जीवन संघर्​्ो्से भरा हुए इंदौर के नई दुतनया, फ्​्ी प्​्ेस जन्षल, एमपी क्​्ॉतनकल आतद से होिे रहा. मसलन वह प्​्भार जोशी के साथ इंतडयन एक्सप्​्ेस के साप्िातहक हुए दैतनक भास्कर िक का सफऱ िय तकया. बब्लक उनका सफर अभी n प्​्जानीति मे्काम करने तदल्ली आये. कुछ साल बाद प्​्भार जी ने उनके भी जारी है. शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 29


जवज्​्ापन

कानपुर जिंदाबाद

जमशेद क्मर जसद्​्ीक्ी

इं

सान कही्भी जाये, लौट घर घर ही आिा है. रेहान भी घर आ रहा था. कानपुर के बेकनगंज इलाके से होिी हुई टैकस ् ी अनवरगंज की िरफ बढ्ी जा रही थी. रेहान कार की तिड़्की से शहर की वो बुजगु ष्इमारिे्देि रहा था, जो अब भी वैसे िड़्ी थी, जैसी आज से पंदह् साल पहले थी, जब वो नौकरी के तलए पहली बार साऊदी अरब गया था. हालांतक िीन साल पहले, जब वा फुकी के बेटी कुलसुम की शादी मे्आया था, िब और अब के कानपुर मे् कुछ-कुछ फक्किो था. रेहान शहर को एक नयी नजर से देि रहा था. एक बदलाव था जो साफ देिा जा सकिा था, वो साकारात्मक बदलाव, तजसने यकीनन कानपुर की शक्ल मे​े्बदलाव लाये थे. रेहान इसी बदलाव को महसूस करिा हुआ कार की

30 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

तिड़्की से बाहर झांक रहा था. घर लौटना वैसे भी हमेशा िुशनुमा ही होिा है. हलीम-तबरयानी के िोमचो् से पटी हसरि मोहानी स्ट्ीट पर कबाब पराठे की महक से उसका ध्यान टूटा. नजर बाबा स्वीट हाउस पर पड़्ी िो वो बचपन की यादो् मे् िो गया. इसी रेस्ट्ां मे् कभी वो साइतकल-तरक्शा की तपछली सीट पर बैठ कर बड़्ी बहन फरजाना और अफशा के साथ लस्सी पीने आिा था. लेतकन अब शहर कुछ बदल गया था, जहां िक नजर जािी थी साइतकल तरक्शा की जगह बैटरी से चलने वाले ऑटोमैतटक तरक्शे सड़्क पर दौड़्िे तदि​िे थे. शहर मे् होत्डिग्स वगैरह भी करीने से सजी थी, कुल तमलाकर रेहान को अच्छा लग रहा था. अनवरगंज चौराहे से कार घर की िरफ मुड़्ी िो उसका तदल िुशी से धड़्कने लगा. ‘वाह, ये सड़्क िो अच्छी बन गयी. बस-

बस यही्, ये पीले वाले मकान के पास.’ उसने टैकस ् ी ड्​्ाइवर से कहा. िडग्गी से सामान तनकाल कर वो उसी ड्​्ाढे ्ी पर िड़्ा था, तजसकी कुड ं ी बचपन मे्वो उछलकर बजाया करिा था. एक आहट से दरवजा िुला, सामने अम्मी थी. वो चेहरा जो उसके तलए गम ओ िुशी का बाइस था, वो तजसे वो साऊदी अरब मे् याद करके चुपके-चुपके रोिा था, वो चेहरा जो उसे ख्वाब मे्तदि​िा था अम्मी का चेहरा. अम्मी को सामने देिकर रेहान बहुि िुश था. उसने महसूस तकया तक चेहरे पर झुत्रषयां कुछ बढ् गयी थी. इससे पहले की रेहान कुछ कह पािा उन्हो्ने आगे बढ्कर रेहान को गले लगा तलया और र्ध ं ी आवाज मे्पीछे मुड़क ् र चीि​िे हुए कहा, ‘अरे देिो, आ गया रेहान.’ और कुछ ही देर मे्पूरा घर गैलरी के पास जमा था. अल्बा, अफशा, फरजाना सब. पूरा घर जैसे िुतशयो् से महक


रहा था. पतरवार का लाडला बेटा घर जो लौट आया था. कहिे है्इंसान कही्भी चला जाये लेतकन जो सुकनू अपने घर मे्तमलिा है वो कही्और नही् नसीब होिा. अपना मुलक ् अपना प्द् श े अपनी छि िो बस अपनी ही होिी है. गैर मुलक ् की चमक-दमक, ऐश ओ आराम िोिला होिा है. वहां िुशी िो तमलिी है, सुकनू नही्. रेहान अपनी छि के नीचे बहुि सुकनू महसूस कर रहा था. एक अस्े्बाद रेहान ने अम्मी के हाथ का बना कोरमा िाया था. घर के दीवारे् देिकर उसकी यादे्िाजी हो गयी थी्. वक्ि गुजर जािा है लेतकन दीवारो् पर बने तनशान नही् बदलिे, वो िो वैसे ही रहिे है, और उन तनशानो् मे्कई यादे्जज्ब होिी है, घर की दीवारो्पर बने हर तनशान की एक कहानी होिी है. रेहान भी घर की तनशातनयो्मे्यादे्ढूढं रहा था. रेहान के लौट आने से घर मे्सभी लोग बेहद िुश थे. लेतकन घर लौटने वाले हर शख्स के तदल मे् एक सवाल िो आिा ही आिा है, वही सवाल रेहान के मन मे्भी आया, क्या हमेशा के तलए यही् नही् रहा जा सकिा? तकिना अच्छा होिा तक वो हमेशा यही्रह पािा, अपनो्के बीच. रेहान ने िुद से ये सवाल जर्र तकया लेतकन जवाब उसके पास नही् था. वैसे भी, वो कब चाहिा था तक साऊदी अरब की रेि मे् अपना मुकद्र् ढूढं .े इिनी दूर, दूसरे मुलक ् मे्सेलस ् मैन की जॉब उसका ख्वाब थोड़्ी था, मजबूरी थी. और वैसे भी िब ना नौकरी थी, ना रोजगार और रास्​्ा ही क्या था. बहरहाल, शाम को िुली छि पर चाय का कप लेकर टहलिे हुए रेहान ने दूर िक नजर दौड़्ाई. ये अपना शहर था, जो दूर िक तदिाई दे रहा था, तकिना सुकनू तमल रहा था. उस देिकर, अपना शहर वो होिे है, तजसे आपने पूरा ना भी देिा हो लेतकन तफर भी उससे एक तरश्िा सा होिा है, एक अपने पन का तरश्िा. रेहान भी उसी तरश्िे से उस शहर का देि रहा था. उसने एक और

चीज गौर की, शहर कारोबारी िौर पर बहुि बदल गया था. नजर की हद िक तसफ्ककारिाने और फैबक् ट्य् ां तदि रही थी्. लािो्लाेगो्के तलए वहां रोजगार था. जािहर है रेहान को ये ख्याल आना लाजमी था तक काश, कोई छोटा-मोटा कारोबार वो भी कर सकिा था, काश उसे वापस ना जाना होिा उस सऊदी अरब की रेि मे,् अजनबी दुतनया मे.् लेिकन ये इिना आसान कहां था. 15 साल अरब मे्काम करने के बाद पूज ं ी िो थी लेतकन हुनर भी िो कोई चीज है. तबना हुनर को वो क्या कर सकिा था. ‘अम्मी मै्छि पर ही सोउंगा, यही्तबस्​्र लगवा दो.’ रेहान ने छि से आंगन मे्झांकिे हुए कहा. ‘अरे परदेसी बाबू, घबराइये मि, अब लाइट-वाइट नही्जािी यहां, आराम मे्िलल नही्पड़्गे ा.’ बरामदे मे्बैठी अफशा ने शरारि से कहा िो रेहान मुसक ् रु ा तदया. िैर, रेहान का तबस्र् छि पर लगा तदया. पर लेटे े हुए रेहान के तजस्म को , हवा छू रही थी. अपने विन की ठंडी हवा और आतहस्​्ाआतहस्​्ा उसकी पंदह् साल की थकान उिर रही थी. काश, ये हवा भी वो अपनी उस नीली अटैची मे्रि कर, साथ ले जा सकिा. वो पूरा हफ्िा दोस्​्ो,् दाविो्और महतफलो् मे् गुजर गया. िमाम तबछड़्े हुए दोस्-् यारो् से रेहान की मुलाकाि हुई. पुराने तदनो्की यादो्को िाजा करना तकिना मजेदार होिा है. उसे बहुि अच्छा लग रहा था. सभी दोस्​्ाे्के ना तसफ्कचेहरे थोड़्-े थोड़्ेबदल गये थे बब्लक नसीब भी. रेहान को याद आ रहा था तक जो उसके साऊदी अरब जािे वक्ि नौकरी की िलाश मे्थे, बेरोजगार थे, अब वो अपने-अपने पैरो्पर िड़्ेथे. मेराज ने िो अपना साइबर कैफे िोल तलया था जो िूब चलिा था और अरशद की बेकरी िो इलाके मे​े् धूम मचा रही थी. उसने जाने कहां-कहां से बेतकंग के नये-नये िरीके सीि तलये थे. उसकी बेक री के आइटम इलाके मंे बहुि मशहूर हो गये

थे, लोग दूर-दूर से िरीदारी करने आिे थे. रेहान के तलए ये सब बड़्ा हैरान करने वाला था. िैर रेहान लौट आया. तवदेश मे् रहने वाले यूं िो अपने घरो् की िमाम चीजे याद करिे है् लेतकन उन चीजो् मे् सबसे िास होिी है, मां के हाथो् की मातलश. इिने तदनो् बाद घर लौटा रेहान जब जमीन पर िख्ि से लगकर बैठा और अम्मी सरसो्का िेल से उसके सर की मातलश कर रही थी, िब रेहान को इिना ज्यादा सुकनू तमल रहा था तक तदल के एक कोने से ये भी आवाज आ रही थी तक काश वो यही् रह सकिा. लेतकन तफर यही सवाल उसके सामने आ जािा तक वाे करेगा क्या. अम्मी, ये अरशद बेकरी आइटम बनाना कैसे सीि गया, मारा-मारा तफरिा था, अब सेठ बना बैठा है. आंि बंद तकये रेहान ने पूछा िो अम्मी बोली. ‘उसकी अम्मी बिा रही थी तक शायद उसने कोई तडप्लोमा-तवप्लोमा कर तलया.’ ‘ओह्हो, तडप्लोमा? पैस-े वैसे थे उसके पास?’ ‘अरे सरकारी तडप्लोमा, फ्​्ी मे,् यही् चमनगंज मे्िो ट्त्ेनंग कैप् लगा था.’ रेहान िुश भी था और मायूस भी, मायूस इसतलए तक उसने विन मे् ही अपनी रोटी की जद्​्ोजहद क्यो्नही्की. काश वो भी यही् र्किा और इस बदलाव का गवाह बनिा. आज िो सब कुछ था, चातहए थे िो बस मेहनिकश हाथ. वक्ि की रफ्िार भी िेज हो गयी थी शायद, एक महीना कब गुजरा पिा ही नही्चला. रेहान वापसी के तलए िैयार था. दरवाजे पर टैकस ् ी िड़्ी थी. लेतकन मन कुछ उदास था. वो वहां जा रहा था जहां ना कोई हमदद्ष था, ना हमजुबां. उसने अम्मी की गीली आंि,े् दुपट्​्ेसे मुहं छुपा कर सुबकिी फरजाना-अफशा और आंि मे्कंकड़्तगर जाने के बहाने, आंसू पोछिे अल्बा को देिा िो उसमे्जैसे कुछ टूट गया था. वो कार की िरफ बढ्ने लगा. कार मे्बैग रिा, तफर ठहर गया. ‘अगर मै् ना जाऊं िो?’ उसने पलटकर कहा. चारो्िरफ हैरानी आंिे्थी्. ‘यहां इिना कुछ बदल सकिा है, िो मेरा मुकद्र् क्यो्नही्? मैन् े सोच तलया, आप लोगो्के पास रहूगं ा, नही् जाना साऊदी, कानपुर तजंदाबाद.’ कहिे हुए उसने मुसक ् रु ाकर कार का दरवाजा बंद कर तदया. अल्बा की आंिो्मे्आंसू अब भी थे लेतकन िुशी के. उन्हो्ने रेहान को गले लगा तलया. अनवरगंज के उस छोटे से मकान मे्जैसे िुतशयां तफर से चहकने लगी थी्. रेहान घर लौट आया था. हमेशा के तलए. (सूचना एवं जनसम्पक्िजवभाग उत्​्ार प्​्देश द्​्ारा प्​्काजशत) शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 31


साणहत्य

नारवर की सनयसत

नब्बे वर्षकी उम्​्मे्नामवर तसंह कई अि्​्ो्मे्अकेले नजर आिे है्. उनकी वातचक परंपरा मे्कई झोल है्और वे अपना वैचातरक र्ि हमेशा बदलिे रहे है्. इसके बावजूद वे तहंदी आलोचना के प्​्तिमान बने हुए है्. डॉ. नारवर सिंह: सशखर का िन्नाटा

जवभूजत नारायण राय

र्​्ो्पहले सत्यप्​्काश तमश्​्ने नामवर तसंह के आचरण और लेिन के अंित्वषरोधो् पर एक िीिा और मारक लेि तलिा था- ‘महाबली का पिन’. दोनो् अकादतमक दुतनया मे् थे और उनका एक दूसरे से िरहिरह का वास्​्ा पड़िा रहिा था. इसतलए इिने कठोर हमले के बाद भी कोई अबोला नही्हुआ और दोनो् एक दूसरे को चयन या पुरस्कार सतमतियो्और सातहब्तयक गोत्​्षयो्मे्मदद ही करिे रहे. अगर भदेस भारा मे् कहा जाये िो नामवर बहुि मोटी चमड़ी के बने है्और तनंदाआलोचना उन्हे् व्यापिी नही्. ऐसा भी नही् है तक वे इिने बड़े तदल के है् तक सबको माफ करिे चले्. बच्​्न तसंह और तवजे्द् नारायण तसंह के उदाहरण हमारे सामने है्. सभासोसायटी मे् अपने ऊपर होने वाले हमलो् को वे तनत्वषकार भाव से मुस्कुरािे हुए सुनिे रहिे है् और अंदर ही अंदर कही् दज्ष करिे रहिे है्. मौका पाने पर चूकिे नही. नामवर कई अथ्​्ो्मे्अकेले है्– अंग्ेजी मे् 32 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

कहे्िो ‘वन ऐ्ड द ओनली वन’. क्या यह कम अजूबा है तक तवकीपीतडया के अनुसार दुतनया की चौथी सबसे बड़ी भारा तहंदी के जीतवि आलोचको् मे् शीर्षस्थ नामवर ने सालो्-साल कुछ नही्तलिा और शीर्षपर बने रहे? वे तसफ्क बोलिे रहे और बोलने की ही फसल काटिे रहे. वातचक परंपरा का उन जैसा उदाहरण दुल्षभ है. बाबा नागाज्षुन ने उन्हे वातचक परंपरा का कोहनूर यो्ही नही कहा था. मंच लूटने के तलए जर्री है तक आप वक्िृिा और स्मृति के धनी हो्और नामवर के पास दोनो्है्बब्लक यो्कहे् तक अद्​्ि वक्िृिा और असाधारण स्मृति उनकी शब्कि है िो गलि नही् होगा. इन दोनो् के बल पर वे तपछले 50 वर्​्ो् से मजमे लूटिे रहे है्. वातचक परंपरा मे् एक बड़ा झोल होिा है और नामवर भी इसके तशकार रहे है्. बोलिे समय यह स्वाभातवक इच्छा हो सकिी है तक आपको िातलयां तमले्. तलिे पर भी हम प्​्शंसा चाहिे है्, पर पाठक से, समय–काल की दूरी होने के कारण, उसकी अच्छी-बुरी प्श ्स ं ा थोड़ी देर से तमलेगी, पर यहां िो प्​्तित्​्कया ित्काल तमलिी है. श्​्ोिा मुग्ध होकर िातलयो् की गड़्गड़्ाहट से आपकी हौसला अफ्ि्ाई कर सकिे है्, आप हूट हो सकिे है् या तफर

ऊबग्स ् ्तनत्वक ष ार श्​्ोिा समुदाय की जमुहाइयो् के बीच बोलने की िानापूरी कर अपनी बाि ित्म कर सकिे है्. आम िौर से नामवर को िातलयां तमलिी रही है्, पर एक बड़ी कीमि चुका कर. वैचातरक प्​्तिबद्​्िा को लेकर वे कभी बहुि ईमानदार आग्​्ही नही् थे, लेतकन बोलिे समय िो अकसर बहुि दयनीय अवसरवातदिा का पतरचय देिे रहे है्. एक सभा-चिुर व्यब्कि की िरह सामने बैठे श्​्ोिाओ् को िुश करने के तलए बोलिे वक्ि आपको तजिने फरेब करने पड़ सकिे है्, वे सभी कुछ करिे है्. मुझे एक सप्िाह चार तवमोचन काय्षक्मो्मे्भाग लेने का अवसर तमला. इनमे् दो कतविा संग्ह थे और दो कहानी संग्ह. चारो मे् मुख्य अतितथ नामवर थे. नामवर ने एक कतव को लोक्ाष और दूसरे को मायकोवस्की घोतरि तकया. पहले कतव के बारे मे्िो उन्हो्ने यहां िक कहा तक उसकी रचनाएं तहंदी कतविा का प्​्स्थान तबंदु है्. इसी िरह कथाकारो् मे से एक उनके अनुसार, प्​्ेमचंद की परंपरा का असली वातरस है िो दूसरे की कहातनयां पढ्कर वे चतकि थे. इन चारो् के बारे मे् उन्हो्ने कभी नही् तलिा और तकसी गंभीर पाठक को याद नही्होगा की ये चारो्कहां तबला गये. बोलने और तसफ्कबोलने का एक फायदा है


तक आप हमेशा अपना र्ि बदल सकिे है् नामवर तसंह यही करिे रहे है्. तलिने पर आप पकड़े जा सकिे है्, पर बोलने को कौन याद रि​िा है? खास िौर से सन 2010 के पहले िक जब तहंदी समाज मे् अभी व्हाट्स एप या वीतडयो् तफब्लमंग की िमीि पैदा नही हुई थी. इसतलए वे हमेशा बोलिे रहे और बचिे रहे. इस आरोप का जवाब देने के तलए तक उन्हो्ने काफी कम तलिा है, हाल मे् उनके भारणो् को आठ िंडो्मे्प्क ् ातशि तकया गया है. आशीर त्​्तपाठी ने बड़ी मेहनि से इन्हे् इकट्​्ा और संपातदि तकया है, पर स्वाभातवक ही था तक मूति् -ष तनम्ाण ष की प्​्त्कया मूत्िष-भंजक की नही हो सकिी थी. इसतलए बहुि ढूंढ्ने पर भी मुझे काफी कुछ नही् तमला. मसलन, मेरी उत्सुकिा थी तक मै् देिूं तक कैसे 1986–87 मे्कुछ ही महीनो्के भीिर अज्​्ेय हजारी प्​्साद त्​्दवेदी, रामतवलास शम्ाष या मुब्किबोध के पाये के आलोचक/गद्​्कार की कोतट से उिर कर गद्​् के पिन के कारण और ‘तचंपै्जी के समान गंभीर और मनहूस बन जािे है्.’ जातहर है यह प्​्शत्​्स अज्​्ेय की उपब्सथति और तनंदा उनकी अनुपब्सथति मे्हुई थी. मै्यह भी जानना चाहिा था तक तबहार के अपराधी राजनेिाओ्आनंद मोहन तसंह और पप्पू यादव की पुस्को् का तवमोचन करिे समय उन्हो्ने अतिशयोब्कियो् मे् जो तवर्दावली गायी थी, अब उसे याद करना चाहे्गे भी या नही? मै् अगस्​् 1995 मे् इंतडया इंटरनेशनल से्टर मे् तदये गये उनके उद्षूतवरोधी भारण को एक बार

पढ कर समझना चाहिा था. इसी िरह मै् लिनऊ मे् प्​्गतिशील लेिक संघ के आयोजन मे्तदये गये उनके भारण को तलति​ि मे् देिकर यह तवश्​्ास करना चाहिा था तक सचमुच उन्हो्ने आरक्​्ण का तवरोध तकया था. पर मुझे तनराशा ही हाथ लगी. काश, हमारे समाज मे्सच को सच और झूठ को झूठ कहने की परंपरा होिी! मै्ने ऊपर तलिा है तक नामवर ‘वन एंड द ओनली वन’ है. ऐसा क्या है तक तदन-राि कोसने वाले भी चाहिे है् तक वे उन पर कुछ तलि दे्, तकसी काय्षक्म मे्उन पर कुछ बोल दे् या फ्लैप पर उनकी कोई सम्मति ही छप जाये. हर आयोजक की ख्वातहश रही है तक वे उनके काय्षक्म मे् अध्यक्​्, मुख्य अतितथ या ऐसी ही तकसी हैतसयि से कुछ देर के तलए ही सही आ जाये्. उनकी सुतवधा की िातिर काय्षक्मो् की िारीखे् बदल जािी है्. आतिर कुछ िो है तक अशोक वाजपेयी इस कसक का इजहार करिे रहे है्तक नामवर ने कभी भी उन्हे् कतव होने का प्​्माण पत्​् नही् तदया. इस िरह के िमाम उदाहरण है.् हाल मे्मन्नू भंडारी जैसी बड़ी रचनाकार ने एक इंटरव्यू मे अपने दद्षका बयान तकया है तक नामवर तक नजर उन पर नही्पड़ी. मै्एक दज्षन से अतधक लेिको्को जानिा हूं तजनके जीवन की सबसे बड़ी िमन्ना यही रही है तक नामवर उन पर कुछ तलि दे् और तजनकी उनसे तशकायि भी यही रही है तक उन्हो्ने उन पर कुछ तलिा नही है. नामवर के अलावा तहंदी का कौन लेिक

ऐसा है तजसके 75 साल के होने पर तहंदी का सबसे महत्वपूण्ष संपादक प्​्भार जोशी पूरे देश मे् घूम-घूम कर उसके तनतमत्​् काय्षक्म आयोतजि करिा रहे और इनमे् महत्वपूण्ष समाज शास्​्ी, राजनेिा, िमाम भारिीय भाराओ् के लेिक, पत्​्कार और एब्कटतवस्ट बढ-चढ कर देश-दुतनया के मसलो् पर तवमश्ष करे्? आज 90 के करीब पहुंचने पर भी उन पर तजिने काय्षक्म प्​्स्ातवि है्, वे तकसी भी तहंदी लेिक के तलए सपना है्. अब अगर इन काय्षक्मो्की शुर्आि संघ पतरवार कर रहा है िो हमे्परेशान होने की जर्रि नही् है, मै् ऊपर तनवेदन कर ही चुका हूं तक नामवर तवचारधारा को लेकर बहुि आग्​्ही नही्है्. नामवर अपनी प्​्तिभा और अवसरवातदिा के कारण तकसी ग्​्ीक त्​्ासदी के महानायक की िरह अकेले है्. वे एक कार्तणक उपब्सथति मे् अलग-थलग तदि​िे है्. मै् उनके पातरवातरक जीवन के बारे मे् ज्यादा कुछ नही् जानिा, पर तजिना कुछ सुना, पढा और उनसे बाि करके जाना है, उससे हमेशा लगिा है तक उनका जीवन तकसी अवसाद भरी तसंफनी जैसा है. इसमे् वादक, गायक और श्​्ोिा एक साथ भीगिे रहिे है्. आज 90 साल के नामवर अकेले रहिे है. शेर बचे जीवन मे् यह अकेलापन बढ्ने वाला ही है. यह तनयति उन्हो्ने िुद ही िो चुनी है. n (लेिक पूव्षपुतलस अतधकारी और उपन्यासकार है्.)

सत्​्ा और िूढ़े िैि

ि 28 जुलाई को नयी तदल्ली के इंतदरा गांधी कला केन्द् मे् नामवर तसंह के 90 वे्जन्म तदन पर आयोतजि काय्षक्म दो कारणो्से चत्चषि रहा. पहला िो यह तक नामवर की पहले की छपी सभी पुस्को्पर उनकी जन्म तितथ 28 जुलाई 1917 अंतकि है, इस िरह वे 90 के नही् 89 के हुए. इस अवसर पर सुरेश शम्ाष के संपादन मे्उन पर जो मोनोग्​्ाफ छपा है, उसमे् जर्र जन्म तितथ 28 जुलाई 1916 तलिी है. शायद यह आयोजन को प्​्ासंतगक बनाने का प्य् ास हो. दूसरा कारण गृहमंत्ी राजनाथ तसंह के हाथो्नामवर का तकया गया साव्षजतनक अपमान था, तजस पर वे अपने स्वभाव के मुिातबक मंद-मंद मुस्करािे रहे. राजनाथ तसंह ने कहा तक उन्हो्ने सुना है तक नामवर जी पहले कुछ तलि​िे थे, बाद मे् तसफ्क बोलिे रहे और अब िो बोलिे भी नही्. उनके अनुसार यह स्वाभातवक ही है क्यो्तक सोतवयि र्स के पिन के बाद िो बड़े-बड़ो्की बोलिी बंद हो गयी. राजनाथ तसंह ने यह भी कहा तक वे िो इस काय्षक्म मे्इसतलए भी आये है्तक लोग उन्हे्इनटालरे्ट न कहे्. यह वाक्य दो-िीन बार दोहराया गया. संस्कृति मंत्ी महेश शम्ाष िो अपने असांस्कृतिक उद्​्ारो्के तलए मशहूर ही है्, अि: उनके इस दावे पर लोग मुस्करा कर रह गये तक उनके मंत्ालय का काम ही नामवर जैसे बूढे बैलो् की देिभाल है. - शुकंवाि धंयूिो

राजनाथ सिंह और नारवर सिंह: जन्रसिन का जश्न शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 33


साणहत्य

महाश्ेत ् ा का महाप्​्स्थान

महाश्​्ेिा देवी के तनिन के साि वह आवाज मौन हो गयी जो देश के आतदवातसयो्के तलए उठा करिी िी. उनकी कृतियां पढकर रचना कम्षके महत्व और लेिक के सामातजक सरोकार को समझा जा सकिा है. कृपाशंकर चौबे

रहाश्​्ेता िेवी : 14 जनवरी 1926-28 जुलाई 2016 34 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

पने जीवन मे्तकंवदंिी बन चुकी्लेतिका महाश्ि्े ा देवी के तनधन के साथ ही भारिीय भाराओ्के सातहत्य मे्एक युग का अवसान हो गया है. वह आवाज मौन हो गयी जो देश के आतदवातसयो्के तलए उठा करिी थी. तपछले कुछ वर्​्ो्से महाश्ि्े ा देवी के जीवन मे्उथल-पुथल मची थी. दो साल पहले उन्हो्ने अपनी इकलौिी संिान नबार्ण भट्​्ाचाय्षको िोया था और िभी टूट गयी थी्. िबसे ही अपनी पुतव् धू प्ण ् ति भट्​्ाचाय्ष के साथ कोलकािा के गोल्फग्​्ीन ब्सथि घर मे्रह रही थी्. वह घर हमेशा सांसक ् तृ िक व्यब्कित्वो्से भरा रहिा था. कोलकािा मे् महाश्ि्े ा देवी का पतरवार उसी िरह का सांसक ् तृ िक पतरवार रहा है, जैसा रवी्दन् ाथ टैगोर और सत्यतजि राय का पतरवार. महाश्ि्े ा देवी के तपिा मनीर घटक (1902-1979) बांगल ् ा के प्त्ित्​्षि सातहत्यकार थे. उनकी कतविा पुसक ् -े् ‘तशलातलतप’, ‘जतदउ संधय् ा’, ‘एका चक्​्ा’, ‘भुवनेशर् रे नेरद् ा’, ‘तवदुरी वाक्’ और ‘रक्िाक्ि परीक्​्ा’ िथा कहानी संगह् -‘पटल डांगार पांचाली’, उपन्यास ‘कनिल’ और संसम् रण ‘मांधािार बाबर आमल’ का बांगल ् ा सातहत्य मे् पय्ापष ि् सम्मान है. मनीर घटक रचनावली भी दो िंडो् मे् डेज पब्ललतशंग से प्क ् ातशि हुई है. वे ‘वत्िक ष ा’ नामक बांगल ् ा पत्​्तका तनकालिे थे जो उनके तनधन के बाद बेटी महाश्ि्े ा देवी तनकालिी रही्. महाश्ि्े ा देवी के चाचा ऋब्तवक घटक बीसवी् सदी के तकंवदंिी तफल्मकार थे. ऋब्तवक ने ‘नागतरक’, ‘अजांत्तक’, ‘मेघे ढका िारा’, ‘कोमल गांधार’, ‘सुवण्रष ि े ा’, ‘ति​िाश एब्कट नोदीर नाम’, ‘जुबक् ि िोक्​्ो आर गोप्पो’ जैसी तफल्मे्बनायी्, जो तसनेमा के इतिहास मे् मील का पत्थर मानी जािी है.् महाश्ि्े ा देवी के पति तबजन भट्​्ाचाय्षने अनेक तफल्मो्और नाटको्मे्अतभनय तकया. वे मशहूर अतभनेिा के अलावा लेिक भी थे. उन्हो्ने ‘नवान्न’, ‘मरा चांद’, ‘देवी गज्नष ’, ‘गोत्​्ािं र’, ‘चलो सागरे’, ‘आज बसंि’ जैसे बीतसयो्नाटक तलिे. उनकी कहातनयो्का संगह् ‘जलसा’ और उपन्यास ‘रानी पालक’ िथा ‘सोनाली माछ’ भी पय्ापष ि् समादृि कृतियां रही है.् िीन सौ से ज्यादा तकिाबो् की लेतिका महाश्ि्े ा देवी को ज्​्ानपीठ, पद्त्वभूरण और मैगसेसे समेि अनेक पुरस्कारो्से तवभूतरि तकया गया है. उनके पुत्नबार्ण भट्​्ाचाय्षको ‘हरबट्’ष उपन्यास के तलए सातहत्य अकादमी पुरस्कार तमला था. नबार्ण की कतविा पुसक ् ‘ऐई मृतय् ु उपत्यका आमार देश नय’ (यह मृतय् ु उपत्यका नही्है मेरा देश) संपण ू ष्भारि मे्प्त्सद्​्है. नबार्ण की पत्नी प्ण ् ति भट्​्ाचाय्ष कोलकािा के तवजयगढ् कालेज मे् राजनीति तवज्​्ान की प्​्ाध्यातपका रही्. नवार्ण-प्ण ् ति की एक मात्​्संिान िथागि भट्​्ाचाय्षने कोलकािा के प्स ्े ीडेस ् ी कालेज से ऑनस्षसे स्नािक करने के बाद तदल्ली के जेएनयू से समाज शास्​्मे्एमए तकया और अंगज ्े ी पत्क ् ातरिा को वृत्त के र्प मे्चुना. िथागि के तपिा िथा महाश्ि्े ा के पुत्नबार्ण भट्​्ाचाय्षके तनधन के बाद महाश्ि्े ा देवी टूट गयी थी्. लेतकन उसके पहले िक तजस िरह उन्हो्ने नंदीग्​्ाम मे् डा. ज्योतित्​्पय मब्ललक के साथ तकसान आंदोलन का नेितृ व् तकया या तसंगरु मे्मेधा पाटकर के साथ, वही उनके तलए स्वाभातवक पतरणति


ु आतदवासी मुकि् हो थी. तपछले चार दशको्से महाश्ि्े ा देवी पुरत्लया, मेतदनीपुर, छोटा नागपुर, के तहि मे्कानून बने, पर लागू तकिने हुए? क्या बंधआ महाराष्,् गुजराि के आतदवासी अंचलो्मे्संग्ाम कर रही थी्और सेवा भी. गये? बेगी प्थ् ा समाप्ि हुई? ‘आपरेशन बसाईटुड’ु , जगमोहन की मृतय् ु मे् फील्ड वक्ककरने की शुरआ ् ि 1943 मे्हुई थी जब बंगाल मे्अकाल पड़ा. महाश्ि्े ा की वेदना और संघर्षकी स्मतृ ि भी संतचि है. महाश्ि्े ा इतिहास, िब मतहला आत्मरक्​्ा सतमति के नेितृ व् मे्महाश्ि्े ा ने राहि और सेवा काय्​्ो् तमथक और वि्मष ान राजनैतिक यथाथ्षके िाने-बाने को संजोिे हुए सामातजक पतरवेश की मानवीय पीड़ा को स्वर देिी है.् ‘अब्गनगभ्’ष मे्महाश्ि्े ा देवी मे्बढ-चढकर तहस्सा तलया था. अकाल राहि और सेवा काय्​्ो्मे्महाश्ि्े ा की संतगनी थी्िृबप्ि भादुड़ी पूछिी है्– ‘जब बटाईदारी-अतधया जैसी घृतणि प्थ् ा मे्तकसान तपस रहे हो्, (तमत्)् . दोनो्सहपाठी थी्. दोनो्एक तदन काली घाट मे्तशरीर के एक पेड़ िेतिहर मजदूरो्को न्यनू िम मजदूरी न तमले, बीज-िाद-पानी-तबजली के के नीचे लगे राहि तशतवर मे्गयी्. वहां लोगो्को मरिे हुए देिा. ऐसी कई लाले पड़े हो्, उनका अत्​्सत्व दांव पर हो, ऐसे मे्वह सामंिी तहंसा के तवर्द् मौिो्की वे प्त्य् क्द् श्​्ी थी्. इसका महाश्ि्े ा के जीवन और तचंिन पर काफी तहंसा को चुन ले िो क्या आि्य् ?ष् ‘अब्गनगभ्’ष का संथाल तकसान बसाई टुडू प्भ् ाव पड़ा. एक सुतशत्​्कि पतरवार की लड़की होने के बावजूद स्वचे छ ् ा से तकसान-संघर्षमे्मरिा है. लाश जलने के बावजूद उसके तफर सत्​्कय होने की ख्बर आिी है. बसाई तफर मारा जािा उन्हो्ने संग्ामी जीवन का रास्​्ा चुना. है. वह अब्गनबीज है और अब्गनगभ्ष है संघर्षके उन तदनो्ने ही लेतिका महाश्ि्े ा सामंिी कृतर व्यवस्था. को भी िैयार तकया. महाश्ि्े ा की पहली ‘अक्लांि कौरव’ मे्महाश्ि्े ा देवी तकिाब ‘झांसीर रानी’ 1956 मे् आयी. बिािी है-् चुनाव मे् जब जनपक्​्ीय दूसरी पुसक ् ‘नटी’ 1957 मे्आयी. उसी राजनीति की तवजय होिी है और वे सत्​्ा कड़्ी मे्‘जली थी अब्गनतशिा’ आयी. ये मे्भी आिे है्िो वंतचिो्की यह आकांक्ा िीनो् तकिाबे् 1857 के महासंग्ाम पर जोर मारिी है तक अब तदन तफरेग् .े लेतकन केत्​्दि है.् साठ का दशक महाश्ि्े ा के सत्​्ासीन वामपंथी काय्क ष ि्ाओ ष ्के तलए जीवन के तलए बड़्ा उथल-पुथल वाला क्​्ातं ि-पतरवि्नष का अथ्षबदल जािा है. रहा. सन 1962 मे् तबजन भट्​्ाचाय्ष से जनकांक्ाएं धूल िािी है्और जन-जन उनका तववाह-तवच्छदे हो गया. असीि मे्असली पतरवि्नष कामी काय्क ष ि्ाओ ष ्की गुपि् से दूसरा तववाह हुआ. लेतकन उनसे सहंिी अनुवाि रे्रहाश्​्ेता जी की कुछ रचनाएं पहचान की प्त्​्कया शुर् होिी है. भी 1975 मे्तववाह-तवच्छदे हो गया. तफर उन्हो्ने लेिन और आतदवातसयो्के बीच काय्षकर हमेशा सृजनात्मक काय्​्ो् ‘अक्लांि कौरव’ की कथा छोटी है, लेतकन अपने गभ्षमे्तवस्फोटक िथ्य तछपाये है. शोरण और उत्पीड़न के तिलाफ तनरंिर संघर्षकरने वाले गरीब मे्अपने को व्यस्​्रिा. ू मास्टर की कथा के जतरये साठ-सत्र् के दशक मे्अपने महाश्ि्े ा ने करीब िीन सौ तकिाबे्तलिी्. उनकी अतधकिर रचनाएं और समत्पिष स्कल अन्याय के तवर्द्इंसान के संघर्षकी महत्वपूणष्दस्​्ावेज है.् अपने उपन्यास नक्सल आंदोलन के वैचातरक सरोकारो् और लोगो् मे् आिी प्त्िरोध की ‘अरण्यरे अतधकार’ (जंगल के दावेदार) मे् महाश्ि्े ा समाज मे् व्याप्ि चेिना को लेतिका ने ‘मास्टर साब’ उपन्यास मे्दश्ायष ा है. महाश्ि्े ा ने ‘हजार चौरासी की मां’ मे्नक्सल आंदोलन को मां की नजर मानवीय शोरण और उसके तवर्द् उबलिे तवद्​्ोह को उम्दा िरीके से रिांतकि करिी है.् महाश्ि्े ा ने मुखय् मुद्ेपर उंगली रिी है. मसलन तबरसा से देिा. नक्सल आंदोलन की वे साक्​्ी रही थी्. जनसंघर्​्ो्ने उनके जीवन भगवान का तवद्​्ोह तसफ्कअंगज ्े ी शासन के तवर्द्नही्था, अतपिु समकालीन को भी पतरवत्ि​िष तकया और लेिन को भी. ‘हजार चौरासी की मां’ उस मां सामंिी व्यवस्था के तवर्द् भी था. तबरसा मुड ं ा के इन पक्​्ो् को सहेजकर की मम्सष प् श्​्ी कहानी है तजसने जान तलया है तक उसके पुत्का शव पुतलस सातहत्य और इतिहास मे् प्क ् ातशि करने का श्य्े महाश्ि्े ा को ही है. तहरासि मे्कैसे और क्यो्है. महाश्ि्े ा देवी ने मनुषय् होने के कारण नही्, आतदवातसयो्और दतलिो्को आजादी के इिने साल बाद भी न्याय नही्तमलने लेिक होने के नािे भी सतदयो्से उत्पीतड़ि आतदवातसयो्की व्यथा-कथा को के प्श् न् को महाश्ि्े ा ने ‘टेरोडेबक् टल’ उपन्यास मे्उम्दा िरीके से उठाया. अपने उपन्यासो्का कथ्य बनाया. महाश्ि्े ा की कृतियां पढकर ही रचना संथाल जीवन और गोरो् के तवर्द् उनके ऐतिहातसक संग्ाम की गाथा कम्षके महत्व और लेिक के सामातजक सरोकार को समझा जा सकिा है.n ‘शालतगरह की पुकार’ पर मे् मात्मक ष िरीके से व्यक्ि हुई. यह न केवल (लेिक महात्मा गांधी अंिरराष्​्ीय तहंदी तवश्त्वद्​्ालय, वध्ाष मे् इतिहास है, बब्लक हर भारिीय के तलए गौरव-स्मतृ ि भी है. प्​्ोफेसर और महाश्ि्े ा देवी पर कुछ पुसक ् ो्के लेिक है.् ‘चोत्​्ट मुडं ा और उसका िीर’ मे्महाश्ि्े ा देवी पूछिी है-् आतदवातसयो् अगले पृष्ो्पर महाश्ि्े ा देवी का एक भारण.)

शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 35


साणहत्य

िपने िेखने का असधकार

हमारे युग की एक महान लेतिका का एक मात्मषक भारण, जाे उन्हो्ने जयपुर सातहत्य समारोह मे्तदया िा. इससे उनकी गहरी जीवनदृत्ि का पिा चलिा है.

ल्द. मै्नही्जानिी तक कहां से है.् एक लेतिका जो वेदना मे्है? शायद. इस अवस्था मे्पुनः जीने की इच्छा एक शरारि-भरी इच्छा है. अपने नल्बवे े्वर्षसे बस थोड़्ी ही दूर पहुच ं कर मुझे मानना पड़्गे ा तक यह इच्छा एक संितु ्ष देिी है, एक गाना है न- ‘आि्य् ष्के जाल से ति​ितलयां पकड़्ना’. इसके अतितरक्ि उस ‘नुकसान’ पर नजर दौड़्ाइए, जो मै्आशा से अतधक जीकर पहुच ं ा चुकी हू!ं अट्​्ासी या सत्​्ासी साल की अवस्था मे्मै्प्​्ायः छायाओ्मे्लौटिे हुए आगे बढ्िी हू.ं कभी-कभी मुझमे्इिना साहस भी होिा है तक तफर से प्क ् ाश मे्चली जाऊं. जब मै्युविी थी, एक मां थी, िब मै्प्​्ायः अपनी वृद्ावस्था मे्चली जािी थी. अपने बेटे को बहलािी थी यह बहाना बनािी थी तक मुझे कुछ सुनाई या तदिाई नही्दे रहा है. अपने हाथो्से ऐसे टटोलिी थी, जैसा अंधो्के िेल मे्होिा है या याददाश्ि का मजाक उड़्ािी थी. महत्व् पूणष्बािे् भूल जाना, वे बािे्जो एक ही क्ण ् पहले घटी थी्. ये िेल मजेदार थे. लेतकन अब ये मजेदार नही्है.् मेरा जीवन आगे बढ् चुका है और अपने को दुहरा रहा है. मै्स्वयं को दुहरा रही हू.ं जो हो चुका है, उसे आपके तलए तफर से याद कर रही हू.ं जो है, जो हो सकिा था, हुआ होगा. अब स्मतृ ि की बारी है तक वह मेरी तिल्ली उड़्ाये. मेरी मुलाकाि कई लेिको्, मेरी कहातनयो्के चतरत्​्ो,् उन लोगो्के प्ि्े ो् से होिी है तजन्हे्मैन् े ‘तजया’ है, प्यार तकया है और िोया है. कभी-कभी मुझे लगिा है तक मै्एक ऐसा पुराना घर हूं जो अपने वातसयो्की समवेि बािचीि का सहभागी है. लेतकन हमेशा यह कोई वरदान जैसा नही्होिा है! लेतकन यतद कोई व्यब्कि अपनी शब्कि के अंि पर पहुच ं जाये िब क्या होगा? शब्कि का अंि कोई पूणतष्वराम नही्है. न ही यह वह अंतिम पड़्ाव है जहां आप की यात्​्ा समाप्ि होिी है. यह केवल धीमा पड़्ना है, जीवनशब्कि का ह्​्ास. वह सोच, तजससे मैन् े प्​्ारंभ तकया था वह यह है तक आप अकेले है्. उस पतरवेश मे,् जहां से मै्आयी हू,ं मेरा ऐसा बन जाना अप्त्य् ातशि था. मै्घर मे्सबसे बड़्ी थी. मै्नही्जानिी तक आपके भी वही अनुभव है्तक नही्, लेतकन उस समय प्त्य् क े स्​्ी का पहला यौन अनुभव पतरवार से ही आिा था. और युवावस्था से ही मुझ मे्प्ब् ल शारीतरक आकर्ण ष था, मै्इसे जानिी थी, इसे अनुभव करिी थी और ऐसा ही मुझे कहा गया था. उस समय हम सभी टैगोर से काफी प्भ् ातवि थे. मै्शांतितनकेिन मे्थी, प्म्े मे्पड़्ी, जो कुछ भी तकया, बड़्ेउत्साह से तकया. िेरह से अठारह वर्षकी अवस्था िक 36 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

रारसकंकर बैज की एक कृसत

महाश्त्े ा देवी

मै्अपने एक दूर के भाई से बहुि प्म्े करिी थी. उसके पतरवार मे्आत्मघाि की प्व् तृ ्त थी, और उसने भी आत्महत्या कर ली. सभी मुझे दोर देने लगे, कहने लगे तक वह मुझे प्यार करिा था और मुझे न पा सका इसीतलए उसने आत्मघाि कर तलया. यह सही नही्था. उस समय िक मै्कम्यतु नस्ट पाट्​्ी के तनकट आ चुकी थी और सोचिी थी तक ऐसी छोटी अवस्था मे्यह तकिना घतटया काम है. मुझे लगिा था तक उसने ऐसा क्यो्तकया. मै्टूट गयी थी. पूरा पतरवार मुझे दोर देिा था. जब मै्सोलह साल की हुई, िभी से मेरे मािा-तपिा, तवशेरकर मेरे संबधं ी मुझे कोसिे थे तक इस लड़्की का क्या तकया जाये. यह इिना ज्यादा बाहर घूमिी है, अपने शारीतरक आकर्ण ष को नही्समझिी है. िब इसे अश्लील समझा जािा था. मध्यवग्​्ीय नैतिकिा से मुझे घृणा है. यह तकिना बड़्ा पािंड है. सब कुछ दबा रहिा है. लेिन मेरा वास्त्वक संसार हो गया, वह संसार तजसमे्मै्जीिी थी और संघर्षकरिी थी. समग्ि् ः.


मेरी लेिन प्त्​्कया पूरी िरह तबिरी हुई है. तलिने से पहले मै्बहुि सोचिी हू,ं तवचार करिी हू,ं जब िक तक मेरे मत्​्सष्क मे्एक स्पष्​्प्​्ार्प न बन जाये. जो कुछ मेरे तलए जर्री है, वह पहले करिी हू.ं लोगो्से बाि करिी हू,ं पिा लगािी हू.ं िब मै्उसे फैलाना आरंभ करिी हू.ं इसके बाद मुझे कोई कतठनाई नही्होिी है, कहानी मेरी पकड़्मे्आ चुकी होिी है. जब मै्तलि​िी हू,ं मेरा सारा पढ्ा हुआ, स्मतृ ि, प्त्य् क्​्अनुभव, संगह् ीि जानकातरयां सभी इसमे्आ जािे है.् जहां भी मै्जािी हू,ं मै्चीजो्को तलि लेिी हू.ं मन जगा रहिा है पर मै् भूल भी जािी हू.ं मै्वस्ि्ु ः जीवन से बहुि िुश हू.ं मै्तकसी के प्त्ि देनदार नही्हू,ं मै्समाज के तनयमो्का पालन नही्करिी, मै्जो चाहिी हूं करिी हू,ं जहां चाहिी हूं जािी हू,ं जो चाहिी हूं तलि​िी हू.ं वह हवा तजसमे्मै्सांस लेिी है, शल्दो्से भरी हुई है. जैसे तक पण्-ष नर. पलाश के पत्​्ो्से बना हुआ. इस का संबधं एक तवतचत्​् प्थ ् ा से है. मान लीतजए तक एक आदमी गाड़्ी की दुघटष् ना मे् मर गया है. उसका शरीर घर नही्लाया जा सका है. िब उसके संबधं ी पुआल या तकसी दूसरी चीज से आदमी बनािे है.् मै्तजस जगह की बाि कर रही हू,ं वह पलाश से भरी हुई है. इसतलए वे इसके पत्​्ो्का उपयोग करिे है्एक आदमी बनाने के तलए. पाप-पुरर् . लोक तवश्​्ास की उपज. शाश्ि् जीवन के तलए तनयुकि् . वह दूसरे लोगो्के पापो्पर नजर रि​िा है. वह कभी प्क ् ट होिा है, कभी नही्. उसने स्वयं पाप नही्तकया है. वह अन्य सभी के अतिचारो्का लेिाजोिा रि​िा है. उनके पापो्का. अनवरि. और इसीतलए वह धरिी पर आिा है. छोटी-से-छोटी बािो्को तलतपबद्​्करिे हुए. एक बकरा. दंतडि. दहकिे सूरज के नीचे अपने िूंटे से बंधा हुआ. पानी या छाया िक पहुंचने मे् असमथ्.ष िब पाप-पुरर् बोलिा है, ‘यह एक पाप है. िुम ने जो तकया है वह गलि है.’ वस्ि्ु ः यह एक मनुषय् नही्है. केवल एक तवचार की अतभव्यब्कि है. यह एक दंड हो सकिा है. उसने कोई भीरण अपराध तकया होगा. ‘शे होयिो कोनो पाप कोरेतछलो.’ कोई अक्म् य् पाप. और अब वह कल्पांि िक पाप-पुरर् बनने के तलए अतभशप्ि है. वस्ि्ु ः केवल एक ही पाप-पुरर् नही् है, कई है.् उसी िरह जैसे तक इस कथा को मानने वाले प्द् श े भी कई है.् इससे भी सुदं र कई शल्द है.् बंगाली शल्द. चोरट अथ्ािष िख्िा. और तफर डाक संक्ातं ि. इसका संबधं चैत्संक्ातं ि से है. ‘डाक माने डेके डेके जाय.’

जो आत्माएं अत्यिं जागर्क और चैिन्य है,् वे ही इस पुकार को सुन सकिी है.् पुराने साल की पुकार, जो जा रहा है, प्श् न् करिे हुए. पुराना साल आज समाप्ि हो रहा है. और नया साल कल प्​्ारंभ हो रहा है. क्या है जो िुमने नही् तकया है ? क्या है, जो अभी िुमह् े्करना है ? उसे अभी पूरा कर दो. गभ्दष ान. यह बड़्ा रोचक है. एक स्​्ी गभ्वष िी है. कोई उसे वचन देिा है तक यतद बेटी का जन्म होिा है, िो उसे यह-वह तमलेगा. यतद बेटा होिा है िो कुछ और तमलेगा. ‘गभ्षथाकिे दान कोरछे.’ दान हो चुका है जब तक बच्​्ा अभी गभ्षमे्ही है. इस कथा का कहना है तक अजाि तशशु इस वचन को सुन सकिा है, इसे याद कर सकिा है, और इसे अपनी स्मतृ ि मे्सहेज सकिा है. बाद मे्वह तशशु उस व्यब्कि से उस वचन के बारे मे्उस गभ्दष ान के बारे मे् पूछ सकिा है, जो अभी हुआ नही्है. हमारा भारि बड़्ा तवतचत्​् है. उदाहरण के तलए, महाराष्​् के पारधी समुदाय को ले.् एक तवमुकि् समुदाय. चूतं क वे आतदवासी समुदाय है,् बत्​्चयो् की बड़्ी मांग है. तकसी गभ्वष िी स्​्ी का पति आसानी से अजन्मे बच्​्ेकी नीलामी कर सकिा है या बेच सकिा है. पेट की भाजी, पेटे जा आछे. जो अभी गभ्षमे्ही है. गभ्षके फल को नीलाम कर देिा है. नरक के कई नाम है.् एक नाम जो मुझे तवशेर पसंद है, वह है ओतश पत्व् न. नरक के कई प्क ् ार है.् ओतश का अथ्षिलवार है. और पत्​्अथ्ािष एक पौधा तजस के िलवार सरीिे पत्​्ेहो्. ऐसे पौधो्से भरा हुआ जंगल. और आपकी आत्मा को इस जंगल से गुजरना होिा है. िलवार सरीिे पत्​्ेउस मे् तबंध जािे है.् आतिर आप नरक मे्अपने पापो्के कारण ही िो है.् इसतलए आप की आत्मा को इस कष्​्को सहना ही है. जब भी मुझे कोई रोचक शल्द तमलिा है, मै्उसे तलि लेिी हू.ं ये सारी कातपयां. इिने सारे शल्द, इिनी सारी ध्वतनयां. जब भी उन से तमलिी हू,ं मै् उन्हे्बटोर लेिी हू.ं सपिे देि​िे का अनिकाि अंि मे्मै्उस तवचार के बारे मे्बिाऊंगी तजस पर मै्आराम से समय तमलने पर तलिूगं ी. मै्अरसे से इस पर सोचिी रही हू.ं वैशवीकरण ् को रोकने का एक ही माग्षहै. तकसी जगह पर जमीन का एक टुकड़्ा है. उसे घास से पूरी िरह ढंक जाने दे.् और उस पर केवल एक पेड़्लगाइए, भले ही वह जंगली पेड़्हो. अपने बच्​्ेकी तिपतहया साइतकल वहां छोड़्दीतजए. तकसी गरीब बच्​्ेको वहां आकर उससे िेलने दीतजए, तकसी तचत्ड़या को उस पेड़् पर रहने दीतजए. छोटी बािे,् छोटे सपने. आतिर आपके भी िो अपने छोटेछोटे सपने है.् कही्पर मैन् े ‘दतमिो्की संसक ् तृ ि’ पर तलिने का दावा तकया है. यह दावा तकिना बड़्ा या छोटा, सच्​्ा या झूठा है ? तजिना अतधक मै्सोचिी और तलि​िी हू,ं तकसी तनष्कर्षपर पहुच ं ना उिना ही कतठन होिा जािा है. मै् तझझकिी हू,ं तहचतकचािी हू.ं मै्इस तवश्वास पर अतडग हूं तक समय के पार जीनेवाली हमारे जैसी तकसी प्​्ाचीन संसक ् तृ ि के तलए एक ही स्वीकाय्षमौतलक तवश्वास हो सकिा है. वह है सह्दयिा. सम्मान के साथ मनुषय् की िरह जीने के सभी के अतधकार को स्वीकार करना. लोगो्के पास देिनेवाली आंिे्नही्है.् अपने पूरे जीवन मे्मैन् े छोटे लोगो्और उनके छोटे सपनो्को ही देिा है. मुझे लगिा है तक वे अपने सारे सपनो्को िालो्मे्बंद कर देना चाहिे थे, लेतकन तकसी िरह कुछ सपने बच गये. सपनो्की कैद से मुबक् ि. जैसे गाड़्ी को देि​िी दुगा्ष (‘पथेर पांचाली’ उपन्यास मे)् , एक बूढ्ी औरि, जो नी्द के तलए िरसिी है, एक बूढ्ा आदमी जो तकसी िरह अपनी पेश ् न पा सका. जंगल से बेदिल तकये गये लोग. वे कहां जायेग् ?े साधारण आदमी और उनके छोटे-छोटे सपने. जैसे तक नक्सली. उनका अपराध यही था तक उन्हो्ने सपने देिने का साहस तकया. उन्हे्सपने देिने की भी अनुमति क्यो्नही्है? जैसा तक मै्सालो्से बार-बार कहिी आ रही हू,ं सपने देिने का अतधकार पहला मौतलक अतधकार होना चातहए. हां, सपने देिने का अतधकार.यही मेरी लड़्ाई है, मेरा स्वप्न है. मेरे जीवन और मेरे सातहत्य मे.् n शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 37


साणहत्य/समीक्​्ा

भावुकता से हटकर तवनोद की कतविाओ्मे्भावुकिा नही्है. वह त्सिरतचत्​्कतव की कतविा है. ओम जनश्चि

रंभ' की ऐतिहातसकिा के तलए पहचाने जाने वाले और धूतमल, कुवं र नारायण, रघुवीर सहाय, सव्शे् वर, ् नरेश सक्सेना आतद के सान्तनध्य मे्रहे तवनोद भारद्​्ाज कब कतविा के गतलयारे से ओझल होकर कलाकारो्और कला दीघ्ाषओ् की सोहबि मे् िो गये, पिा ही नही चला. आज बनारस है्, कल कोलकािा; परसो् तवदेश की तकसी कला दीघ्ाष मे्. लेतकन इस कला-यायावर की प्यास केवल कलाकृतियो्से बुझने वाली नही थी. बार-बार वे कतविाओ्की अपनी पुरानी दुतनया मे्लौट आिे रहे. ‘जलिा मकान’ और ‘होतशयारपुर’ दो संगह् ो्के बाद भी उनका कतविा लेिन जारी रहा. इस बीच दो उपन्यास भी आये. ‘सेपपकू ् ’ कला की दुतनया के ऐश्वय्षऔर तछछलेपन दोनो्की कहानी कहिा है िो ‘सच्चा झूठ’ एक अलग-सी लीक रचिा हुआ आख्यान. अब पुन: दो संग्हो् ‘जलिा मकान’ और होतशयारपुर के साथ िमाम नयी कतविाओ् के इस समग्​्चयन से तवनोद भारद्​्ाज की कतविा की दुतनया मे् जैसे वापसी हुई है. कला संग्हालयो् मे् िोया यह शख्स़ इस बहाने कतविा के नाजुक संिुलन को साधिा हुआ तदि​िा है. तवनोद भारद्​्ाज की कतविाओ् मे् दुतनया की देिी-भाली िस्वीर के पीछे का हालचाल दज्षहोिा है. कभी वे िस्वीरे्देि कर, कभी तस्त्​्यो्, पुर्रो्, कलाकारो्, कतवयो्, लड़्तकयो्, बच्चो्, जूिो्, हवा, बातरश, सुबह, मौसम को देि कर कतविाएं तलि​िे है्, कभी थकान, प्​्ाथ्नष ा, प्म्े , सच्चाई आतद पर. वे दृशयो् ् के बीच ऐसे टहलिे हुए कतव तदि​िे है् जैसे कैमरे से लैस छायाकार. वे कला के तहमायिी है्, पर कलावादी प्​्त्ययो् से अपनी कतविा को एक सम्मातनि दूरी पर भी रि​िे है्. कतविाओ् मे्अतधकांश मे्उनका ‘मै्’ तकसी तकस्सागो की िरह दृश्य और घटनाओ्के हवाले से बतियािा नजर आिा है और तकसी न तकसी ऐसे मात्मषक तबंदु पर आकर वह कतविा की तवरल अनुभूति के बीच हमे् छोड़् जैसे तनस्संग हो उठिा है. तवनोद की कतविा मे् डायरी की िुशबू भी है, आत्मचतरि भी, मनुष्य के र्प मे् िमाम अतकंचन इच्छाएं भी है्तजन्हे्कह देने मे्तवनोद कोई गुरेज नही करिे, जैसे कतविा ही एकमात्​् 38 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

सचाई का ठीहा हो. वे कतविा की मुखय् धारा से जरा-से तछटके हुए कतव भले प्​्िीि होिे हो्, लेतकन ‘जलिा मकान’ से लेकर अब िक की प्​्कातशि कतविाओ् के संसार मे् तवनोद भारद्​्ाज को अनदेिा कर तनकल जाना सहज संभव नही है. उनकी कतविा मानवीय आशयो्, कुिूहल और यथाथ्ष के मेल से बने पतरदृश्य और प्​्िीतियो्

होसशयारपुर और अन्य कसवताएं: सवनोि िारद्​्ाज; कॉपर क्वाइन, एल 5/903, गुलरोहर गाड्ना , राजनगर एक्ि, गासजयाबाि-201003, रूलय् 325, पृषठ् 230, िंसकरण ् : 2016

का रोजनामचा है. -और भारा उनके यहां सदैव बोलचाल की िरह बरिी हुई प्​्िीि होिी है. तवनोद की कतविाओ् मे् मुहावरे या उद्​्रणीयिा नही है, उनके यहां न जगूड़्ी जैसा चुस्ि कथन है न नरेश सक्सेना जैसा लोकोक्तिजन्य तिंचाव; न तवष्णु िरे जैसा अगाध नैरेतटव, न आलोकधन्वा सरीिी संवेदना-भीगी चमकदार उक्तियां, न नैतिक आग्​्हो् पर कंधा तटकािी आस्था, न रघुवीर सहाय की- सी राजनीतिक कचोट व्यक्ि करने की बेचैनी. न सव्​्ेश्वर जैसा िीिापन. तवनोद भारद्​्ाज के यहां कर्णा उपजाने का कोई प्​्यत्नसाध्य उद्​्म भी नही तमलिा, बल्तक उजले-मटमैले जीवन की रोजमर्ाष की स्तथतियां ही उनकी कतविा का उपजीव्य है्.

तवनोद भारद्​्ाज की कतविाओ् का एजे्डा कभी राजनीतिक नही् रहा. वह जीवन के सादे और रोजमर्ाष के देिे जाने दृश्यो्, प्​्िीतियो्को अपने काव्य का तवरय बनािी रही है. मसलन, ‘जलिा मकान’ की वापस, लड़्की, टाइप करने वाली, फैसला, ठंड, प्​्ेम, चंद्मा की कहातनयां, सेवक, मेहमान, पीछा, प्​्ाथ्षना, तचल्लर, तकिाब, सुबह और जख़्म -ऐसी ही कतविाएं है्. जैसे चंद्मा की कहातनयां चंद्मा के बहाने नाना जी की कहानी है. नाना जी के बहाने जैसे तकसी पुरिे-पुरतनया की याद. यह प्​्कारांिर से नाना और नानी के स्वभाव का आकलन भी है. इसी िरह ‘प्​्ेम कतविा’ मे्प्​्ेम ही अमूि्षहै बाकी, बुिार और उजाड़्गुंबद के तसवा इसका अलत्​्कि आशय समझ मे् नही् आिा. पर अमूिनष् तवनोद की कतविा के स्वभाव मे् नही् है. वह कतव की इच्छा का अतकंचन इि्हार भी है जब वह कहिा है: ‘इस बार की ठंड मे् एक इच्छा है/शकरकंदी िाने की/आग मे् उसे िपिा हुआ देिने की/घर जाने की.’ आजादी पर बाि करिे हुए वे कही्भी आजादी का िज्तकरा नही् पेश करिे, न मोहभंग वाली शल्दावली मे्अफसोस जिािे है्. तवनोद की कतविाओ् मे् चाक्​्ुर दृश्यो् की सघनिा है. उनकी कतविा यो्िो पढ्िे हुए ल्यौरो् की वीतथयो्मे्ले जािी हुई तदि​िी है, पर कही् कही्चेिना पर जलिी बूंदो्के आभास भी नजर आिे है्जब वे चुपचाप एक िीिा चुभिा हुआसा वाक्य सिह पर छोड़्जािे है्. वे कहिे है्: ‘दुतनया शायद ज्यादा नही्बदली एक बस्िी कुछ मकान जल रहे है्.’ जैसा तक मैने कहा, वे सायास कर्णा उपजाने की कोतशश नही् करिे. पर जो घटना अंि:करण के आर-पार हो जाये, उसे कह देने का सलीका वे बिूबी जानिे है्. टाइप करने वाली लड़्की के बारे मे् छोटी सी ही कतविा जैसे कहानी के एक बड़्ेप्लाट पर िड़्ी लगिी है. औरिो्के प्​्ति अन्याय और दुससाध् ् य हालाि के बारे मे् अक्सर टाइप करने वाली लड़्की ‘प्​्ेम’ शल्द से इिना तबदकिी है तक उसे टाइप करने से भरसक बचना चाहिी है. पर क्या तवडंबना है तक जब वह िुद हादसे का तशकार होकर संज्ाहीन हो जािी है िो उसकी कहानी कोई टाइप नही् करिा. इसी िरह लोटे की इच्छा का तनर्पण तवनोद ने तवनोदभाव से


तकया है. तनज्​्ीविा मे्सजीविा का आभास देने की कोतशश. तवनोद मे् तवनोदत्​्पयिा भी िूब है. सेवक कतविा पढिे हुए िो वे ‘पतढए गीिा बतनए सीिा’ और तहंदी को दुहाजू की बीबी कहने वाले रघुवीर सहाय की याद ही तदला देिे है्. ‘तनज भारा की उन्नति को ि्​्ीफकेस मे् बांधे हुए अक्सर कर काफी दूर तनकल जािा हूं. तहंदी वाला हूं तहंदी की िािा हूं’- उनके पुरलुत्फ व्यंग्य की एक बानगी है. भागी हुई लड़्तकयो्पर आलोकधन्वा की कतविा िासा चत्चषि है, पर यहां तवनोद ने शीला कामवाली के भागने की कहानी तलिी है. तदल्ली के कतव मे्तदल्ली जैसा कुछ न हो िो अटपटा लगिा है. ‘मदनगीर’ अपने लोकेल की कतविा है तजसका एक वाक्य पूरी तदल्ली का वाकया कह देिा है: ‘इस शहर की सभी बसे् आदमी को थोड़्ा दौड़्ाकर रस लेिी है्.’ तवनोद की कतविाओ् मे् भावुकिा नही् है. वह त्सथरतचत्ि कतव की कतविा है, यद्​्तप रागअनुराग के कुछ छी्टे उनकी कतविाओ् मे् बेशक है्. ‘लेतननग्​्ाद की लीना’, ‘इंिजार’, ‘ितकया’, ‘उदास आंिे्’ ऐसी ही कतविाएं है्. आतिरकार तवनोद जब यह कहिे है् तक ‘इन उदास आंिो् को देि​िा हूं िो लगिा है तक ईश्वर को तकसी ने गहरी नी्द से जगाया है’- या ‘िुम मुझे अपना यह ितकया दे दो/ राि भर तजसे िुम सीने से लगाये/एक जादुई सुि की नी्द ले रही थी.’ इन कतविाओ् के बारे मे् तवष्णु िरे कहिे है् तक ये उनकी भारा-शैली और कू्रकोमल-काव्यतवश्व के प्​्ौढ्तवकास की प्​्माण है् िो आलोकधन्वा इन्हे् तहंदी मे् मात्मषक मनोभाव की कतविा की संज्ा देिे है्. मंगलेश को इनमे् तसनेमाई दृश्य-तवधान की िूतबयां नजर आिी है्. इस चयन की कई कतविाएं तदलचस्प है्. तफर भी ‘रि्ा के रंग’, ‘अरे’, ‘ओ कतव!’, ‘हाथ’, ‘काम करने वाली’, ‘इच्छा’, ‘ठंड’, ‘शीला’, ‘प्​्ाथ्षना’ और ‘गालीबाि्’ को पढ्िे हुए लगिा है, हम कतविा के तकसी नये गतलयारे मे्आ गए है्जहां वह रि्ा के रंगो्की िरह शांि और स्तथरतचत्ि है. िभी िो कलाओ्, रंगो्, संगीि और रागो् की दुतनया मे् िोया रहने वाला यह कतव सहसा प्लेटफाम्ष पर आ धमकी स्वागिोत्सुक राजनीतिक भीड़् को देि कर अपनी आत्मा को कुचला हुआ और असंख्य फूलमालाओ्के बीच सहमा हुआ महसूस करिा है और कहिा है: ‘ओ कला की समस्ि सुदं रिाओ्. इस वहशी भीड़्से मुझे बचाओ. मुझे शम्ष आिी है यह कहिे हुए तक. वे मेरे देश के लोग है्. िुम मुझे रंगो् के और करीब लाओ.’ कापर क्वाइन की सुलतलि छपाई ने तकिाब को n और भी सुकोमल बना तदया है.

शेखर जोशी की कसिता ‘कोसी का घटवार’, ‘दाज्यू’, ‘ डांगरी वाले’, ‘एक पेड़्की याद’ और ‘मेरा पहाड़्’ जैसी कृतियो्के यशस्वी लेिक शेिर जोशी कतविाएं भी तलि​िे रहे है्और उनका एक संग्ह प्​्कातशि है. हाल मे्तलिी हुई एक कतविा उन्हो्ने ‘शुक्वार’ के तलए तवशेर र्प से भेजी है.

बमतवा चैि की भरी दुपहर चीड़ वन की सत्पषल डगर पर मै्अकेला बटोही एक मारक अकेलापन कर रहा राह दूभर भेदने को यह असहज एकांि मै्ने अलापा: 'सुन मेरे तमिवाsss' मुझे आयी मौन को चीरिी अपनी ही गुहार मै्ने तफर अलापा: 'सुन मेरे तमिवाsss' कुछ क्​्णो्िक छाया रहा वही पतरतचि मौन तफर सहसा हवा मे्िैरिा आया एक कोमल कंठ स्वर: 'सुणा म्यारा तमिवा’

मै्चलिा रहा सोचिा रहा शायद यह मेरे स्वरो्की अनुगूंज हो पर वह सुकोमल स्वर मेरा िो नही्था उस सत्पषल डगर पर कई पल बीिे अगले मोड़ तदिी वह सुहातगन रोली से माथा सजाये बड़ी सी नथ झुलािी 1 सर पर भेटौई की डतलया सभांले मायके से मुतदि मन घर लौटिी वह ितनक मुस्करायी तसर झुकाया शायद नमन की मुद्ा रही हो तफर अपनी राह चल दी तकस जनम की रही मेरी िुम मीिा? सहसा इिना नेह देकर मेरा अकेलापन तिरोतहि कर गयी!

(1भेटौई : उत्​्रािंड के चैि माह मे्बेटी को तदया जाने वाला पकवानो्का उपहार)n

शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 39


साणहत्य

एक कवि के कई आयाम बहुमुिी प्​्तिभा के िनी नीलाभ प्​्तिबद्​्कतव, अनुवादक, संस्कृतिकम्​्ी और पत्​्कार िे और चारो्ही र्पो्मे्उन्हो्ने अपनी छाप छोड्ी. नीलाि : 16 अगस्​्1945 - 23 जुलाई 2016

प्​्णय कृष्ण

मुं

बई मे् 16 अगस्​् 1945 को जन्मे और इलाहाबाद मे् पले-बढ कतव-अनुवादक नीलाभ का जाना एक बड़ा िालीपन छोड़ गया है. कतव, पत्​्कार, नाटककार, आलोचक, प्​्काशक, संगठक और लड़ाकू सांस्कृतिक काय्षकि्ाष के र्प मे् क्​्ांतिकारी वामपंथी सांस्कृतिक धारा को उनका योगदान हरदम याद तकया जायेगा. सन 1985 मे्जन संस्कृति मंच की स्थापना के बाद से लेकर लगभग एक दशक िक वे संगठन मे् सत्​्कय नेिृत्वकारी भूतमकाओ् मे् रहे. कतव गोरि पांडेय की मृत्यु के बाद जसम द्​्ारा उनकी कतविाओ् और लेिो् के पहले संग्ह 'लोहा गरम हो गया है' के प्​्काशन, संकलन, संपादन मे् प्​्मुि भूतमका नीलाभ की ही थी. सन 1991 मे्उन्हो्ने क्​्ांतिकारी वाम धारा के दो महत्वपूण्ष कतवयो् वीरेन डंगवाल और बल्ली तसंह चीमा के प्​्थम कतविा संग्ह बड़ी मेहनि से प्​्कातशि तकये. इलाहाबाद मे् उनके रहिे हुए नीलाभ प्​्काशन और उनका आवास देश भर के सातहत्यकारो्का उसी िरह अड्​्ा बना रहा जैसा तक उनके तपिा उपेन्द्नाथ अश्क के समय था. इलाहाबाद तहंदी-उद्षू का भी संगम है और नीलाभ शहर की इस शब्खसयि का भी प्​्तितनतधत्व करिे थे. सन 1988-1889 मे् इलाहाबाद ब्सथि उत्​्र मध्य क्​्ेत् सांस्कृतिक के्द् को लेकर संस्कृति की दुतनया मे् सरकारी-नौकरशाहाना 40 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

िानाशाही और भ्​्ष्ाचार के तिलाफ संस्था की स्वायत्​्िा के तलए उनके नेिृत्व मे् चले यादगार आंदोलन को देशव्यापी समथ्षन तमला. इस दौर मे्उन्हो्ने सड़क पर उिरकर कई बड़े सांस्कृतिक आंदोलनो् का नेिृत्व तकया. प्​्गतिशील छात्​् संगठन और मजदूर और मानवातधकार आंदोलनो्से उनका गहरा तरश्िा रहा. हाल-हाल िक भी उन्हो्ने तदल्ली की सडको् पर छात्​्ो् और दूसरे आंदोलनकातरयो् के साथ माच्षतकया. सन 1986 मे्इलाहाबाद मे्दंगो्के तिलाफ उनके तलिे नुक्ड़ नाटक 'शहर िामोश नही्' का 'दस्​्ा' नाट्​् मंच ने पचास से ज्यादा इलाको् मे् मंचन तकया. सांप्दातयकिा तवरोधी मुतहम मे्वे सदैव अगुवा रहे. ि्​्ेख्ि के नाटक 'एक्सेप्शन एंड र्ल' का अनुवाद उन्हो्ने 'तनयम का रंदा, अपवाद का फंदा' शीर्षक से तकया और िुद ही उसे 'दस्​्ा' की टीम के तलए तनद्​्ेतशि तकया. पाल्लो नेर्दा की कतविा का 'माचू-तपच्​्ू के तशिर' नाम से तकया गया उनका अनुवाद िथा लेरमे्िोव के उपन्यास 'हीरो ऑफ आवर टाइम्स' का 'हमारे युग का नायक' शीर्षक से उनका अनुवाद आज भी अनुवाद सातहत्य की श्​्ेष्िम उपलब्लधयां है्. 'तकंग तलयर' का अनुवाद उन्हो्ने 'पगला राजा' शीर्षक से तकया तजसका तनद्​्ेशन इि्​्ातहम अल्काजी ने तकया। ि्​्ेख्ि के 'मदर करेज' का अनुवाद उन्हो्ने 'तहम्मि माई' नाम से तकया तजसे उरा गांगुली ने तनद्​्ेतशि तकया. जब साि आठ साल पहले अनुवाद के तलए सातहत्य अकादमी सम्मान के तलए उन्हे्

नातमि तकया गया िो सरकार की दमनकारी नीतियो् के तवरोध मे् उन्हो्ने उसे लेने से मना कर तदया. नीलाभ जी ने अनुवादो् के ितरये पाल्लो नेर्दा, नातजम तहकमि, िाद्​्ूश र्जेिवच्​्, अन्​्ेस्ो काद्​्ेनाल, तनकानोर पार्ाष और एिरा पाउंड जैसे तवश्​्प्तसद्​्कतवयो्से तहंदी पाठको्का पतरचय कराया. उन्हो्ने बांग्ला कतव जीवनानंद दास और सुकांि भट्​्ाचाय्षकी कतविाओ्का भी तहंदी मे्अनुवाद तकया. नीलाभ चार साल िक बीबीसी तहंदी सेवा मे्प्​्ोड्​्ूसर रहे. मशहूर लेतिका अर्ंधति राय के उपन्यास ‘गॉड आफ स्माल तथंग्स’ का अनुवाद भी उन्हो्ने तकया. उन्हो्ने ‘तहंदी सातहत्य का मौतिक इतिहास’ नामक अपने ढंग की एक अनूठी तकिाब तलिी. ‘संस्मरणारंभ’, ‘अपने आप से लंबी, बहुि लंबी बािचीि’, ‘जंगल िामोश है’, ‘उत्​्रातधकार’, ‘चीजे्उपब्सथि है्’, ‘शल्दो्से नािा अटूट है’, ‘शोक का सुि’, ‘ि​िरा अगले मोड़ की उस िरफ है’ और ‘ईश्​्र को मोक्​्’ उनके प्​्मुि कतविा संग्ह है्. ‘प्​्तिमानो् की पुरोतहिी’ और ‘पूरा घर है कतविा’ शीर्षक से उनके गद्​्संकलन भी प्​्कातशि है्. नीलाभ ने टेतलतवजन, तफल्म, रेतडयो और रंगमंच के तलए भी लेिन-काय्ष तकया. इन तदनो् मे् वे राष्​्ीय नाट्​् तवद्​्ालय की पत्​्तका ‘रंग प्​्संग’ के संपादन का काय्ष कर रहे थे. नीलाभ जी दमदार और बहु-आयामी व्यब्कित्व रि​िे थे. कोई उन्हे् प्यार कर सकिा था या उनसे नाराि हो सकिा था, लेतकन उनकी n अवहेलना नही्कर सकिा था.


िेल

डोप के िांवपेच

फ्ि्ि इमाम मल्लिक

गामी तरयो ओलंतपक मे् भारिीय तिलातडय़ो् के प्​्दश्षन को लेकर कयास के दौर चल रहे थे. फेडरेशन, भारिीय ओलंतपक संघ और सरकार सीना चौड़्ा कर कह रहे थे तक इस बार पदको्की िादाद बढ्ेगी. सरकार के दावे को थोड़्ी देर के तलए सही भी माना जा सकिा है क्यो्तक इस बार ओलंतपक मे् भारि का सबसे बड़्ा दल तहस्सा ले रहा है. 120 सदस्यीय दल के ओलंतपक मे्तहस्सा लेने की वजह से भारिीय ओलंतपक संघ के साथसाथ लोगो्को भी उम्मीदे्है्तक भारि इस बार ओलंतपक मे् बेहिर प्​्दश्षन करेगा और लंदन ओलंतपक से ज्यादा पदक जीिेगा. लेतकन दल की रवानगी से पहले एक बड़ा झटका िब लगा जब लगािार दो तदनो् मे् डोप के दो मामले सामने आये. पहले पहलवान नरतसंह यादव का डोप टेस्ट पॉतजटव आया और अगले तदन शाट पुटर इंदरजीि तसंह भी डोप के आरोप मे्फंसे. नरतसंह यादव का मामला ज्यादा सुत्िषयो् मे् रहा. इसकी बड़्ी वजह उनके और दो बार के ओलंतपक पदक तवजेिा सुशील कुमार के बीच ओलंतपक मे् जाने को लेकर मची िी्चिान रही. हालांतक नेशनल एंटी डोतपंग एसोतसएशन (नाडा) ने उनको क्लीनतचट दे दी है. नाडा के डीजी नवीन अग्​्वाल ने कहा तक नरतसंह ने न कोई गलिी की न ही कोई लापरवाही बरिी. वह एक प्​्तिस्पध्​्ी की सातजश के तशकार हुए. दरअसल भारि के तलए ओलंतपक मे्कोटा नरतसंह ने हातसल तकया था लेतकन 74 तकलो भार वग्षमे्नरतसंह के साथ-साथ सुशील कुमार भी इसके दावेदार थे. भारिीय कुशि् ी महासंघ ने सुशील की दावेदारी को िातरज कर तदया और एकिरफा फैसला कर नरतसंह को तरयो भेजने का फैसला तकया. तववाद इसके बाद ही शुर् हुआ. सुशील ने पहले महासंघ से दोनो्के बीच ट्​्ायल कराने की गुजातरश की. लेतकन महासंघ के अध्यक्​् बृजभूरण शरण तसंह ने सुशील की गुजातरश को िातरज कर तदया. आहि सुशील िब तदल्ली हाई कोट्षचले गये और अदालि से कहा तक उनके और नरतसंह के बीच ट्​्ायल कराया जाये और जो बेहिर हो उसे तरयो भेजा जाये. लेतकन सुशील यह कानूनी लड़्ाई हार गये. अदालि ने सुशील की अज्​्ी्पर साफ तकया तक इससे पहले चूतं क सुशील भी इसी आधार पर ओलंतपक मे् तहस्सा ले चुके है् इसतलए उनकी गुजातरश को माना नही्जा सकिा. यह सही है तक कोटा नरतसंह ने हातसल तकया था लेतकन कोटा तिलाड़्ी को नही्देश को तमलिा है. इसी ओलंतपक मे्शूतटंग मे्भारि के तलए कोटा संजीव राजपूि ने हातसल तकया था

नरतसंह यादव को क्लीन तचट के साि डोतपंग संकट से राहि तमल गयी है, लेतकन देश मे् िेलो्के प्​्शासन मे्कोई बुतनयादी गड्बड्है. लेतकन भारिीय शूतटंग संघ ने उन्हे् दल मे् शातमल नही् तकया और उनकी जगह मानवे्द् संधू को दल मे् शातमल तकया. यह भी कम तदलचस्प नही् है तक तवश्​् चैतपयनतशप मे् संजीव राजपूि ने संघ की चयन प्​्त्कया पर अपने प्​्दश्षन से सवाल उठाये. भारि के वे इकलौिे शूटर रहे तजन्हो्ने भारि के तलए पदक जीिे. बाकी के शूटर पदक जीिने मे्नाकाम रहे. इसी िरह िीरंदाजी मे्भारि के तलए कोटा देवदे् ् चंतपया ने हातसल तकया था लेतकन भारिीय टीम मे्उनको जगह नही्तमली और तरयो की टीम मे् उनकी जगह अिनु को जगह तमल गयी. ऐसे मे् सुशील कुमार का दावा गलि नही् था, लेतकन भारिीय कुशि् ी महासंघ इस मामले मे्पाट्​्ी बन गया और वह नरतसंह के साथ िो िड़्ा तदिा लेतकन सुशील के साथ नही्. इसी को लेकर तववाद पनपा और अब इस नये तववाद ने भारिीय िेल को कलंतकि तकया. डोतपंग का मामला कोई नया नही्है. भारि इंिरजीत सिंह: िोहरा झटका

नरसिंह यािव: आसखरकार राहत के ढेरो् एथलीट डोतपंग के मामले मे् पहले भी पकड़्े गये थे, लेतकन नरतसंह का मामला अलग िरह का था. डोतपंग मे् पॉतजतटव पाये जाने के बाद उन्हो्ने अपने िाने मे् प्​्तिबंतधि दवा तमलाने का अरोप लगाया था. हालांतक उन्हो्ने नाम िो नही्तलया लेतकन शक सुशील िेमे पर जिाया. बाद मे् उन्हो्ने इस मामले मे् पुतलस मे्मुकदमा भी दज्षकराया. लेतकन इस मामले मे्साई कामकाज, सरकार और कुश्िी महासंघ भी सवालो्के घेरे मे्है.् कुशि् ी महासंघ ने नरतसंह के तलए सुरक्​्ा की व्यवस्था की मांग िो की लेतकन पहलवानो्के साथ जो सहायक स्टाफ होने चातहये उसकी जर्रि महसूस नही् की. यह घटना हमारे पूरे तसस्टम पर सवाल िड़्ा करिी है. साई के मेस मे्अगर इस िरह की घटना होिी है िो यह मामला गंभीर है. जातहर सी बाि है तक अगर ऐसे मामलो् को गंभीरिा से नही् तलया गया िो आने वाले तदनो् मे् और भी मामले सामने आ सकिे है्. नरतसंह के बरी होने के बाद मामले की जांच िेजी से करायी जाये और जो भी दोरी हो उसे सजा दी जाये नही् िो िेलो् मे् तकसी के कतरयर से कोई भी तिलवाड़् कर सकिा है. सवाल यह है तक आतिर चूक तकस से हुई है, दोरी कौन है और इससे तकस िरह तनपटा जाये. मामला अभी पेचीदा है. सुलझेगा कब िक कहा नही्जा सकिा. लेतकन इिना िय है तक इससे भारि मे् ओलंतपक मे् पदक के दावो् पर भी सवाल िड़्ा हो गया है. सही है तक इस बार बड़्ा दल गया है. एथलीटो्की िादाद ज्यादा है लेतकन सच यह भी है तक हम भरोसे के साथ कह नही् सकिे है् तक तकिने पदक तमले्गे. डोतपंग के दांव पे्च ने इस दावे को और भी n कमजोर तकया है. शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 41


साणहत्य

एक बिंदु में अनेक रंग जवनोद भारद्​्ाज

क महीने से भी कम समय मे् हमने दो बड़्े भारिीय आधुतनक कलाकारो् को िो तदया. उनिीस जून को बडोदरा मे् के.जी. सु्ि्​्मण्यन का तनधन हुआ और अब 23 जुलाई को तदल्ली मे्सैयद हैदर रजा का तनधन हो गया. रजा दो महीने से तदल्ली के मैक्स अस्पिाल मे् मौि से लड़्रहे थे. सुि्मण्यन 92 साल के थे, रजा 94 के. सन 1947 मे्आधुतनक भारिीय कला के सबसे बड़्ेकला आंदोलन प्​्ोग्​्ेतसव आत्टिस्ट्स ग्​्ुप (पैग) का जन्म हुआ था. इस ग्​्ुप के संस्थापक सदस्य अलग-अलग दुतनयाओ्से आये छह कलाकार थे- सूजा, हुसेन, रजा, आरा, गादे और बाकरे. सन 1911 मे्लंदन मे्मकबूल तफदा हुसेन के तनधन (वे करीब 96 साल के थे) के बाद इस ऐतिहातसक महत्व के ग्​्ुप के मूल छह सदस्यो् मे् से तसफ्क रजा ही जीतवि बचे थे. पैग ने िीन बड़्ेभारिीय कलाकारो्- सूजा, हुसेन और रजा को एक बड़्ा मंच तदया. सूजा बौत्​्दक दृत्ष से भी बहुि सजग और तववादत्​्पय थे और वे इस ग्​्ुप के मुख्य प्​्वक्िा थे. हुसेन को वही इस ग्​्ुप मे् लाये थे. हुसेन उन तदनो् बहुि कम बोलिे थे. सन 2010 मे् लंदन मे् एक बािचीि मे् हुसेन ने िैयि हैिर रजा और उनकी एक कृसत: एक सबंिु के कई आयार मुझे

42 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

नब्बे साल के एक अन्य बुजग ु ष् बड्ेकलाकार कृषण ् िन्ना ने कुछ साल पहले कहा िा तक अब रजा और उनके तबंदु मे्कोई िक्कनही्रह गया है. वे अपनी कला को ही जी रहे है.् बिाया था- मै्शुर्मे्बहुि कम बोलिा था, बैठको्मे्चुप रहा था चूंतक मेरी अंग्ेजी भी कमजोर थी. सूजा िूब बोलिे थे, तलि​िे थे और अपनी जीवनशैली के चलिे तववादो्को लगभग िुला आमंत्ण देिे रहिे थे. उनका तनधन सन 2002 मे् मुंबई मे् हुआ हालांतक वे रहिे न्यूयॉक्क मे् ही थे. पैग की ब्सथति प्​्गतिशील लेिको्, रंगकत्मषयो् (इप्टा) आतद से अलग थी. इस ग्​्ुप ने झोपड़्पत्​्टयो् के बीच भी कला प्​्दश्षतनयां आयोतजि करने की कोतशश की, पर सूजा जानिे थे तक आधुतनक कला आंदोलन के तलए वामपंथी र्झान बहुि फलदायी नही्है. सोतवयि कला के समाजवादी प्​्तिमान भी इन आधुतनक कलाकारो्के तलए उत्साहजनक नही्थे. पैग ने बंगाल स्कूल के ‘से्टीमे्टल’ नजतरये का िुल कर तवरोध तकया था. शांति तनकेिन से प्​्तशत्​्कि अनेक कलाकार पूरे देश के कला महातवद्​्ालयो्मे्जाकर वाश पे्तटंग और से्टीमे्टल नजतरये को प्​्चतलि कर रहे थे. जहां िक कला तवद्​्ा का सवाल है, उसको क्​्ांतिकारी और समझदार ढंग से बदला के.जी. सुि्मण्यन ने वडोदरा कला महातवद्​्ालय मे्जाकर. वे शांति तनकेिन के कलाकारो्के साथ एक साथ्षक संवाद भी कर पाये और बंगाल स्कूल के बेहिर पक्​्ो्पर फोकस भी कर सके.


रजा की िो और कृसतयां: िूिृश्यो्िे अरूत्ान तक यहां यह भी उल्लेिनीय है तक रजा पैग के शुर्आिी दौर मे् तनजी ही तजनका तनधन हुआ) भी पेतरस मे्रह रहे थे. मै्और पंकज तसंह रजा र्प से बंगाल स्कूल की तचत्​्शैली के तवरोधी नही् थे. सूजा और हुसेन से तमलने गये. उनका स्टूतडयो एक पुरानी ऐतिहातसक इमारि मे् थाका रास्​्ा दूसरा था. पैग की स्थापना के दो-िीन साल बाद ही सूजा लंदन शारो् मैट्ो स्टेशन के नजदीक. रजा के स्टूतडयो मे् दो घत्ड़यां रिी होिी की ओर रवाना हो गये और सन 1950 मे् सैयद हैदर रजा पेतरस चले थी्. एक मे्पेतरस का समय तदि​िा था, दूसरी मे्भारि का. रजा के नये गये. शुर्मे्उनके पास पेतरस की ठंड मे्पहनने के तलए ठीकठाक गम्ष तचत्​् देिे, तबंदु सीरीज की शुर्आि के बारे मे् उन्हो्ने बिाया और जब कोट भी नही् था, पर वे मध्यप्​्देश का अपना गांव ककैया, बाबतरया मैट्ो स्टेशन के दरवाजे िक छोड़्ने आये, िो हंस कर बोले, ‘न्यूयॉक्क (मंडला), वहां की वन सुरमा, अपने कला अध्यापक नंदलाल झातरया और पेतरस जीिना आसान है, तदल्ली नही्.’ यानी दुतनया भार मे् नाम द्​्ारा एक तदन सफेद दीवार पर तदिाये तबंदु को देर िक देि​िे रहने की कमा लो पर अपने देश मे्ठीक से नही्जाने गये, िो सब व्यथ्षहै. तजद, देवनागरी तहंदी के सुलेिन, कतविा, समृद्रंग संसार- सब अपने पेतरस मे्56 साल रहने के बाद रजा 2010 मे्भारि वापस आ गये साथ लेकर पेतरस उिरे थे. रंगो्के वे जादुई तचिेरे शुर्से ही थे. कश्मीर अपने अंतिम तदन यही्तदल्ली मे्तबिाने के तलए. उन्हो्ने फ्​्ांसीसी तचिेरी मे् उनके छात्​् जीवन के तचत्​् देिकर अंिरराष्​्ीय ख्याति के फोटोकार जानीन मो्जीला से 1959 मे्तववाह कर तलया था. सन 2002 मे्जानीन आंरी कात्िषए ि्​्ेसो्ने कहा था िुम मे्प्​्तिभा िो है पर ढंग की मजबूि नी्व का तनधन होने के बाद उन्हो्ने फ्​्ांस छोड़्तदया. पर इमारि बनाना सीिो. रजा के तलए एक मजबूि नी्व पर अपनी सन 2004 मे् रजा पर राजकमल प्​्काशन मे् अशोक वाजपेयी की कल्पना की इमारि बनाना एक बड़्ी चुनौिी सातबि हुई. तकिाब ‘आत्मा का िाप’ छपी थी. इंतडया इंटरनेशनल से्टर की एनेक्सी उनकी आरंतभक तशक्​्ा नागपुर मे् हुई, तफर ककैया गांव को रजा हमेशा सीने मे् रजा ठहरे हुए थे. जब मै् उनसे तमलने गया, ित्कालीन बंबई के प्​्तसद्​् जे.जे. स्कूल ऑफ िो वे अपनी देिभाल कर रही एक प्​्ौढ् सेतवका से लगाये रहे. मरने के बाद वे आट्षसे वे जुड़्े. लेतकन तजस ‘तबंदु’ से वे बचपन से अमीर िुसरो की पंब्कियो् मे् ‘पनघट की मंडला के कजं​ंिसं​ंान मेंजपिा से ही आंदोतलि हो गये थे उसे सचमुच पाने के डगर’ और जमुना से मटकी भर कर लाने के तलए उन्हे् लंबा संघर्ष करना पड़्ा. सन 1980 मे् सैयद मोहमंमद की किं​ंके बगल रहस्य को समझा रहे थे. मुझे तकिाब भे्ट करिे उन्हो्ने तबंदु को पाना शुर्तकया और बाद के 36 हुए उन्हो्ने यह भी तलि तदया, ‘बहुि कतठन है, मेंसुपदु ंेिाक होने चाहिे थे. वर्​्ो् मे् इसी तबंदु को जानिे-जांचिे-िोजिे रहे. डगर पनघट की.’ बुढ्ापे मे् उंगतलयां कांपने लगी थी्, पर वे आिीर िक रोज उठकर ककैया गांव, बाबतरया (मंडला, मध्यप्​्देश) को रजा हमेशा अपने कैनवस के सामने बैठ जािे थे. वे काम आिीर िक करिे रहे और हुसेन सीने से लगाये रहे. मरने के बाद वे मंडला के कत्​्िस्​्ान मे्तपिा जनाब की िरह आिीर िक सत्​्कय रहे हालांतक हुसेन को 95 साल की उम्​्मे् सैयद मोहम्मद रजा की कि्​् के बगल मे् सुपुद्े िाक होने चाहिे थे. मै्ने अकेले घंटो् बैठ कर चुस्-दुर्स् हालि मे् पे्ट करिे हुए देिा है, उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार मध्यप्​्देश के अनेक चत्चषि कलाकारो् बब्लक उसका एक वीतडयो भी बनाया था. और उनके गहरे तमत्​्अशोक वाजपेयी के बीच रजा साहब को भावभीनी नल्बे साल के एक अन्य बुजुग्षबड़्ेकलाकार कृष्ण िन्ना (जो रजा तवदाई दी गयी. के पुराने तमत्​्थे) ने कुछ साल पहले कहा था, अब रजा और उनके तबंदु ‘आत्मा का िाप’ मे् रजा की सुंदर तलिावट मे् तहंदी मे् तलिा हुआ मे्कोई फक्कनही्रह गया है. वे अपनी कला को ही जी रहे है्. है, ‘कला कम्ष एक तवतचत्​् उन्माद है. इसे तवश्​्ास से सहेजना है, संयोग से तजस साल रजा ने तबंदु सीरीज को अपनी कला का मुख्य संपूण्षिा से, पहाड़्ो् के धैय्ष के समान, मौन प्​्िीक्​्ा मे्, अकेले ही. जो लक्​्य बनाया- यानी 1980 मे्- उसी साल अप्​्ैल महीने मे्मै्पहली बार कुछ सामने है, प्​्त्यक्​्है, पर केवल आंिे्नही्देि पािी.’ रजा को उनके पेतरस के स्टूतडयो जाकर तमला था. कतव- आलोचक रजा ने देिने का यह ढंग– वे ऑफ सीइंग– कतठन साधना के बाद अशोक वाजपेयी ने एक पत्​्मे्मेरा पतरचय उन्हे्तदया था. मै्ने उन्हे्फोन पा तलया था. n तकया. उन तदनो्कतव और मेरे समकालीन पंकज तसंह (कुछ महीने पहले (लेिक जाने-माने तहंदी कतव और कला समीक्​्क है्.) शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 43


मास् यायावरी ट हेड

चोसटयो्और वासियो्के बीच

नालिेहरा रे्गोल्फ का रैिान: पुराना िौ्िय्ा

तहमाचल के उन तदलकश नजारो् और लोगो्को अपनी आिो्मे् भरकर लौटिे हुए याद रहिा है तक अगर पहाडो्पर रहनेवाले लोगो्की तजंदगी पहाड जैसी होिी है िो उनका हौसला भी पहाडो्जैसा ही होिा है. सुिोचना वम्ात ‘यात्​्ा पहले िो आपको तनःशल्द कर देिी है और तफर आपको कथाकार बना देिी है’-इल्न बिूिा (अरब यात्​्ी, तवद्​्ान और लेिक)

ब जब मै् अपनी तहमाचल यात्​्ा का संसम् रण तलिने बैठी हू,ं सोच रही हू,ं तकिना सही कह गये बिूिा साहब. पत्थर और फन्-ष दो ऐसी चीजे् है् तजनसे मुझे अगाध प्​्ेम है. शायद यही वजह है तक पहाड़ो्पर जाने भर के ख्याल से मै् रोमांतचि हो उठिी हू.ं वह जून महीने की एक िूबसूरि सुबह थी जब हम शोघी पहुच ं .े मौसम अपेक्ा के अनुरप् 44 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

िुशगवार था. हर िरफ सैलातनयो्की उपब्सथति के बावजूद एक अजीब सी शांति पसरी हुई थी. लग रहा था जैसे पेड़-पहाड़ और पूरी वादी आपसे कुछ कहना चाह रही हो. होटल के कमरे मे् सामान व्यवब्सथि तकया और तफर जलपान करने के बाद राि की यात्​्ा की थकान को तमटाने के तलए हम िीन-चार घंटे िक नी्द की आगोश मे्रहे. नी्द से उठकर टैकस ् ी लेकर चल पड़े. जब यह तनण्यष लेने की बारी आयी तक सबसे पहले कहां जाना है, िो मैन् े तबना एक पल भी गंवाये ‘िारादेवी मंतदर’ जाने का तनण्यष सुना तदया. जब तनम्ल ष वम्ाष का उपन्यास ‘अंतिम अरण्य’ पढा थी, िो उस कहानी के तकरदार जेहन मे्इस कदर घर कर गये तक मुझे लगिा रहा तक तजस तदन शोघी जाऊंगी, िो वह तकरदार ठीक वैसे ही उस मंतदर मे्तमलेगी. लगभग 45 तमनट बाद हम िारादेवी के प्​्ागं ण मे्थे. आसमान मे्काले-काले बादल तघर आये थे. िारादेवी की सीतढयो्पर चढिे हुए लगा तक थकान अभी पूरी िरह गयी नही्थी; पर उस समय वहां मौजूद होने भर के ियाल से रोमांतचि हो रही थी. िारा देवी मंतदर शोघी मे् तशमलाकालका रोड पर समुद् िट से 6070 फुट की ऊंचाई पर ब्सथि है. देवी िारा को समत्पषि यह मंतदर िारा पव्िष पर बना हुआ है. अगर इतिहास की बाि करे्िो यह लगभग 250 वर्षपुराना है. इसकी स्थापना पत्​्िम बंगाल के सेन वंश के एक राजा भूपे्द् सेन ने करवाई थी. देवी िारा सेन वंशीय राजाओ्की कुलदेवी है.् मूल मंतदर कभी

जुगग् र गांव मे्था और कालांिर मे्इस मंतदर का तनम्ाषण काय्ष जयतशव तसंह चंदेल और अन्य श्द ् ्ालुओ्ने तमलकर करवाया. मंतदर के अंदर देवी िारा के अतितरक्ि लक्म् ी और सरस्विी की मूत्िषयां तवद्​्मान थी्. अगर धात्मक ष अनुष्ानो्मे्आपकी अतभर्तच नही्है, िो वहां करने लायक कुछ तवशेर नही् है. मंतदर से शोघी का ख्बू सूरि नजारा देिने लायक था. कुछ देर मंतदर के प्​्ागं ण मे्बैठकर हमने सुदं र नजारो् का लुतफ ् उठाया और तफर माल रोड की िरफ तनकल पड़े. लौटिे हुए थोड़ी तनराश थी. तनम्ल ष वम्ाष के वे तकरदार जो नही्तदिे! जब हम अपनी यात्​्ा की िैयारी कर रहे थे, िो हमे्तकसी पतरतचि ने बिाया था तक तदल्ली और तशमला के िापमान मे् कुछ ज्यादा फक्क नही् है और हम उसी तहसाब से सूटकेस का बोझ ऊनी कपड़ो् से तबना बढाये तनकल पड़े. पर प्क ् तृ ि तकसी की गुलाम नही्, अपनी मज्​्ी से चलिी है. माल रोड पर पहुच ं िे ही बातरश की बूदं ो्ने हमारा स्वागि तकया. मौसम का िकािा था िो सबसे पहले छािे के साथ पश्मीना शाल की िरीदारी की गयी. तफर उसी छािे को िान आगे की िरीदारी की और सैर-सपाटा भी तकया. बलूि, देवदार और बुरश ं् के वृक्ो् से आच्छातदि, ठंडी हवा और मनमोहक प्​्ाकृतिक दृशय् ो् का शहर तशमला समुदि् ल से 2,130 मीटर की ऊंचाई पर ब्सथि है. वर्ष1846 से 1857 के बीच बने क्​्ाइस्ट चच्षको माल रोड पर सबसे प्म् ि ु भवन माना जािा है. तरज से देिने पर चच्षबेहद सुदं र नजर आिा है


ि​िी फोटो: िुलोचना वर्ा​ा

और कई तकलोमीटर दूर से एक िाज की िरह तदिाई देिा है. तरज तशमला के बीचोबीच एक बड़्ा और िुला स्थान है जहां से पव्िष श्ि ्ृं लाओ्का भव्य नजारा तदि​िा है. जब हम चच्षके अंदर गये िो थोड़ा आि्य् ष्हुआ. बाहर का िापमान बातरश की विह से काफी कम हो चुका था. इसतलए मै् थोड़ी सी गम्ाहष ट पाने के तलए ठीक वहां जाकर िड़ी हो गयी जहां मोमबत्​्तयां जल रही्थी्. पीछे के कमरे से िेज आवाज मे्एक पंजाबी गाने की आवाज आ रही थी. सैलातनयो्मे्सेलफ ् ी लेने की होड़ लगी थी. कुल तमलाकर वह सुकनू और शांति नदारद थी जो आम िौर पर तकसी चच्षमे् पायी जािी है. वहां से तनकलकर हम ‘स्कणै ड् ल प्वाइंट’ गये. कहा जािा है तक स्कणै ड् ल प्वाइंट से पतटयाला के महाराजा भूतपन्दर तसंह ने अंगज ्े वायसरॉय की बेटी को उठाया था और बदले मे् वायसरॉय ने उनके तशमला आने पर प्त्िबंध लगा तदया था. महाराजा ने भी अपनी आन-बान और शान का प्द् श्नष करिे हुए चैल बसा डाला जो तशमला से भी ऊंचा नगर है. इस घटना के कारण माल रोड पर ब्सथि इस जगह का नाम स्कणै ड् ल प्वाइंट पड़्ा. कुछ समय हम यहां के मनोरम दृशय् ो्मे्िोये रहे और तफर लक्ड़् बािार की ओर चल पड़े. लक्ड़् ्बाजार के दोनो्ओर दुकाने्है्तजनमे् तहमाचल प्​्देश के तवतभन्न क्​्ेत्ो् मे् बनने वाली चीजे्तबक रही थी्. लक्ड़् ्बाि्ार अपने लकड़्ी के सामान के तलए प्त्सद्​्है. तबक रही चीजो्मे् पश्मीना शॉल, लकड़ी की बनी हुई छोटी-बड़ी चीजे् और तहमाचली टोपी प्म् ि ु थे. ऐसी जगहो् की िातसयि यह होिी है तक आपको दोनो्आंिो्

से तदिनेवाली हर वस्​्ुत्​्पय लगिी है और आप िब िक िरीदारी करिे रहिे है्जब िक महसूस न हो तक आपके दोनो्हाथ सामान से लद गये है.् माल रोड के एक रेसर् ां मे् हल्का नाश्िा करने के बाद हम शोघी की ओर तनकल पड़े. तकसी अन्य पहाड़ी शहर की ही िरह राि मे् तशमला का नजारा देिने लायक होिा है. राि के लगभग दस बजे हम शोघी पहुच गये. आधी राि तबजली के कौ्धने से हमारी नी्द िुल गयी. बादलो् की गरज के साथ मूसलाधार बातरश हो रही थी. हमारा अनुमान था तक सुबह होने िक बातरश र्क जायेगी और हम अपने तदन की शुरआ ् ि कर सकेग् .े पर बातरश थी तक र्कने का नाम ही नही् ले रही थी. तहमाचल प्द् श े पय्टष न तवकास तनगम से 12 बजे के करीब फोन आया. फोनकि्ाष ने बिाया तक बातरश की वजह से काय्क ष म् मे्तवलंब है और सुबह की बजाय साढे बारह बजे हमे् तशमला पहुच ं जाना होगा. उन्हो्ने यह भी बिाया तक बुतकंग न िो कैत्सल हो सकिी है और न ही उसे दूसरे तदन के तलए तनध्ातष रि ही तकया जा सकिा है. उस मूसलाधार बातरश मे्आधे घंटे मे् तशमला पहुच ं ना मुमतकन न था. रास्​्ेमे्गातड़यो् की लंबी किार िड़ी थी. हमने्बातरश र्कने िक होटल मे्ही रहने का तनण्यष तलया. बातरश तदन के 2 बजे के करीब र्की. हमने होटल मे् तदन का िाना िाया और तशमला की ओर तनकल पड़े. सबसे पहले हम वायसरीगल लॉज गये तजसे अब इंतडयन इंसट् ीट्ट्ू ऑफ एडवांस स्टडीि्के नाम से जाना जािा है. मुखय् द्​्ार से लगभग एकडेढ तकलोमीटर चलने के बाद आपको तटकट

उच्​्अध्ययन िंस्थान: अब बुस्िजीसवयो्का घर काउंटर से तटकट लेकर मुख्य भवन मे् प्​्वेश करने के तलए तटकट मे्टंतकि समय का इंिजार करना पड़िा है. एक बार मे्15-20 लोगो्को ही मुखय् इमारि मे्प्व् श े करने तदया जािा है. अभी हमारे पास लगभग 40 तमनट का समय था. इस भव्य इमारि का तनम्ाण ष वायसराय लॉड्षडफतरन के आवास के तलए तकया गया था. त्​्ितटश हुकमू ि ने इसी भवन से सम्पूण्ष भारि पर अपनी सत्​्ा चलायी और तशमला को भारि की ग्​्ीष्मकालीन राजधानी भी बनाया. वायसरीगल लॉज को आजादी के बाद राष्प् ति तनवास मे्िल्दील तकया गया. वर्ष 1964 िक यही राष्​्पति का ग्​्ीष्मकालीन तनवास था. भवन के चारो् ओर िरह-िरह के फूलो्के बेले्है्और देवदार के घने पेड़ो् के बीच तवशाल समिल, हरा-भरा लॉन इसकी सुनद् रिा को कई गुना बढा देिा है. पेड़ो्के चारो्ओर वृत्बनािे िूबसूरि पत्थर और प्​्ागं ण की दीवारो् मे् बेिरह उग आये फन्षऔर शैवाल मेरा ध्यान आकत्रिष करिे है.् भारि की पूवष्प्ध् ानमंत्ी श्​्ीमिी इब्नदरा गांधी और पातकस्​्ान के ित्कालीन प्​्धानमन्त्ी जुलफ ् ीकार अली भुट्ो के बीच यही्हुआ था 1972 का ‘तशमला समझौिा’, तजसके साक्य् आज भी इस भवन मे्मौजूद है.् इस भवन मे्वह मेज अब भी मौजूद है तजस पर समझौिे के कागि रिकर दस्​्खि तकया गया था. भवन की लगभग हर दीवार पर भवन से जुड़ी घटनाओ्और उनसे जुड़े राजनीतिज्​्ो्की िस्वीरे्है.् मुखय् भवन िीनमंतजला है तजसमे सागौन या टीकवुड का भरपूर इस्म्े ाल हुआ है. हमे्बिाया गया तक भवन मे्इस्म्े ाल हुई शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 45


यायावरी

लकतड़यो्को उस समय बम्ाष से मंगवाया गया था. सीतलंग मे्कश्मीर से मंगवायी गयी अिरोट की लकतड़यो्पर की गयी नक्​्ाशी देिने लायक थी. यहां का पुसक ् ालय देश के बेहिरीन पुसक ् ालयो् मे्से एक है. इस पुसक ् ालय मे्1 लाि 80 हजार से अतधक पुसक ् े् है.् भवन के अन्दर अंगज ्े ो् के जमाने का फन्​्ीचर, टेलीफोन और गुलदान उस भवन की भव्यिा को और बढा रहे थे. तहमालयन बड्षपाक्क इंतडयन इंसट् ीट्ट्ू ऑफ एडवांस स्टडीि्के ठीक सामने ब्सथि है. सत्दयष ो् मे्बफ्बक ारी के कारण यह पाक्ककेवल गत्मयष ो्के मौसम मे्ही दश्क ष ो्के तलए िुला होिा है. यहां मोर, मोनाल और हंस सतहि अन्य दुलभष् पत्​्कयो् की कई प्ज ् ातियां देिने को तमली्. अंधरे ा होने ही वाला था. लौटिे हुए हम पास ही ‘वम्ाष टी स्टाल’ पर चाय के तलए र्क.े इसी बहाने थोड़ी देर और उस सुनद् र वािावरण मे्रहने का मौका तमला. पास ही के देवदार पर लाल रंग की एक तचतड़या कुछ समय िक हमारा मनोरंजन करिी रही. अगली सुबह मशोबरा और संजौली को तनहारिे हुए हम कुफरी पहुच ं .े कुफरी पहुच ं िे हुए लगभग डेढ बज गये. इसके पहले हम सत्दयष ो्के मौसम मे्यहां आये थे जब पूरी वादी बफ्कके सफेद चादर से ढंकी थी. बफ्कमे्तफसलिे हुए ट्त्ैकंग का लुतफ ् भी तलया था. पर इस बार धूप िेज थी और िाने के बाद ट्त्ैकंग के बारे मे्सोचना भी दुषक ्र लग रहा था इसतलए हम 222 एकड़ मे्फैले ग्ट्े तहमालयन नेचर पाक्कगये. वर्ष2014 मे्यूनसे क ्ो द्​्ारा इसे तवश्​्तवरासि स्थल के र्प मे्घोतरि तकया गया है.यहां बंदर, याक, नील गाय, तहरण, शेर और चीिे के अतितरक्ि काले और भूरे रंग के भालू भी तदिे. पहाड़ी बकतरयो् की प्ज ् ातियो् (भारल, गोरल और सीरो) को भी देिने का मौका तमला. पत्​्कयो्मे्मोर, मोनाल, तगद्​्और िीिर की कई िूबसूरि प्ज ् ातियां को देिा. अभी हम नालदेहरा पहुच ं े ही थे तक मालूम हुआ, यहां तबना घोड़े पर सवार हुए आप पहाड़ के 46 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

सशरला का प्​्सि​ि्​्चच्ा: अंग्ेजी राज की याि उत्ग्ुं तशिर पर नही्जा सकिे जो तक लगभग 6 तकलोमीटर की चढाई है. यह भी बिाया गया तक यहां जो कुछ भी है, वह सभी कुछ उस उत्ग्ुं तशिर पर ही है. मै्कोई महान जीव-प्म्े ी िो नही् हू,ं पर अत्यतधक संवदे नशील होना भी परेशानी का सबब हो सकिा है. कई बार सोचिी हूं संवदे ना को टोपी जैसा कुछ होना चातहए था; मिलब तक हम संवदे ना को सुतवधा के अनुसार इस्म्े ाल कर पािे. अपने मनोरंजन के तलए तकसी दूसरे जीव को कष्​् पहुच ं ाने भर के ियाल से तदल बैठ गया. अचानक एक वाकया याद आ गया. इसी साल तकसी पतरतचि ने मुझे मछली िाकर बांगल ् ा नव वर्षमनाने का सुझाव तदया. मेरे यह बिाने पर तक मेरे घर पर एक्वते रयम है और मै्मछली नही्िािी; उसने तचढािे हुए कहा था ‘बंगाली भद्ल ् ोक समाज से िुमह् े्बाहर कर तदया जाना चातहये’. उस वक्ि जेहन मे्आ रहा था तक भद्ल ् ोक समाज िो क्या, इिनी अतधक संवदे ना के साथ इस धरिी पर रहना भी मुबश् कल ही है. तदल को मजबूि करिे हुए और उसूलो्को सामातजकिा की िाई मे्डालकर घोड़े पर सवार हो गयी. गाइड उमर असहजिा को महसूस करिे हुए मुझसे कहने लगा ‘आपलोग नही्आयेग् ,े िो घास िाकर कब िक तजंदा रहेगा. आप लोग आिे है्िो इसे चना नसीब होिा है. इसे भी अपने तलए कमाना पड़िा है.’ नालदेहरा समुद् स्​्र से 2044 मीटर की ऊंचाई पर ब्सथि एक िूबसूरि पहाड़्ी शहर है. यह नाम दो शल्दो्'नाग' और 'डेहरा' से तमलकर बना है, तजसका अथ्षहै- ‘सांपो्के राजा का डेरा’. 'महूनाग मंतदर', नाग भगवान को समत्पिष है जो यहां का एक महत्व् पूणष्धात्मक ष स्थल है. मंतदर के कपाट बंद थे, िो बाहर से ही जायजा तलया. ऐतिहातसक तरकॉड्षके अनुसार अंगि ्े ्वायसराय लॉड्ष कज्षन ने इस ख्ूबसूरि पहाड़्ी स्थान की िोज की थी. यह पहाड़्ी स्थान अपने गोल्फ्के मैदान के तलए सारे भारि मे्प्त्सद्​्है. लॉड्षकज्नष यहां के ख्बू सूरि पतरवेश से इिना चतकि था तक

तारा िेवी रे्सवशाल घंटा: धर्ाकी आवाज उसने इस क्त्े ्मे्सन 1920 मे्एक गोल्फ्कोस्ष बनाने का फैसला तकया. नालदेहरा गोल्फ कोस्ष दुतनया मे्सबसे पुराने गोल्फ क्लबो्मे्से एक है. उमर ने एक कॉटेज की िरफ इशारा करिे हुए बिाया तक वहां ‘मातचस’ तफल्म के प्त्सद्​्गाने ‘चप्पा-चप्पा चरिा चले’ की शूतटंग हुई थी. तफर गोल्फ कोस्षके दूसरी िरफ तदिािे हुए बिाया तक देवदार के उन पेड़ो्के बीच तफल्म ‘प्यार झुकिा नही्’ की शूतटंग हुई थी. अंि​िः हम पहाड़ के उस उत्​्ुंग तशिर पर पहुंच ही गये तजसका नाम है लवस्षपॉइंट. यह नाम क्यो्पड़ा, इस बाबि कोई जानकारी नही्तमल पायी. थोड़ी दूरी पर एक छोटा सा रेसर् ां तदिा, िो र्ककर कॉफी और पकौड़ो्का आनंद तलया. उस वक्ि मे्हमारे अतितरक्ि और कोई सैलानी नही् था, िो कॉफी और पकौड़ो् के साथ-साथ हम रेसर् ां के मैनज े र से बाि करने लगे. पिा चला तक वह रेसर् ां तकसी स्थानीय व्यब्कि का नही्बब्लक बाहर के एक व्यापारी का है. मैनज े र ने बिाया तक वे वहां तपछले 25 साल से काम कर रहे है्और अब उनकी िनख्वाह पांच हिार र्पये है. चेहरे पर सौम्य मुसक ् ान तलए बड़े गव्षसे बिा रहे थे तक इसी जगह पर काम करिे हुए उन्हो्ने अपनी दो बेतटयो्का ल्याह तकया और दो लड़को्को पढाया. उन तदलकश नजारो् को अपनी आंिो् मे् भरकर यह सोचिे हुए लौट आयी तक अगर पहाड़ो् पर रहनेवाले लोगो्की तजंदगी पहाड़ जैसी होिी है िो उनका हौसला भी पहाड़ो्जैसा ही होिा है. कुछ समय के तलए पलको्को बंद कर नालदेहरा की वातदयो्को याद करिी हूं िो उस दुगमष् पहाड़ी पर पैदल चढिे स्कूल जािे बच्​्े और ग्​्ामीण तदि​िे है् तजनसे मै् कभी नही् तमली. पकौतड़यां िािे हुए मुझे तमस्टर बीन से तदिनेवाले रेसर् ां के मैनज े र याद आयेग् े और तफर मै् मन ही मन उनकी िनख्वाह के तहसाब से उनके घर के िच्​्े का अनुमान लगाऊंगी. n

(लेतिका तहंदी की युवा कतव है.्)


िानपान अर्ण कुमार ‘पानीबाबा’ (पानी बाबा नही्रहे. पानी बाबा अमर रहे्. समाज के तलए जीने वाला लेिक और काय्षकि्ाष कभी मरिा नही्. अर्ण कुमार पानीबाबा ने मौसम के अनूकूल बनने वाले भारिीय व्यंजनो्पर तलिकर स्वाद और सेहि संबंधी समाज की समझ को तजंदा रिा है. उनके कालम को बंद करना संवाद के अतवरल प्​्वाह को बंद करना है. इसतलए शुक्वार के सुधी पाठक बाबा की रसोई मे्तकतसम-तकतसम के स्वाद आगे भी पािे रहे्गे.)

जन्माष्​्मी का प्​्साद

कृष्णाि्​्मी के नुस्िो्के साि इस उत्सव की मूल भावना िक लौटना जर्री है.

कृ

ष्णाष्​्मी प्​्साद के नुस्िो् की चच्ाष से पहले यह स्पष्​् कर देना अतनवाय्षलगिा है तक न िो हम सुधारवादी है्, और न बुत्दवादी या िक्कवादी. जो समस्​् परंपरा, देशज तववेक, ज्​्ान तवज्​्ान आतद को ‘साइंतटतफक’ जैसा कहने-बिाने की अवांछनीय हरकि करे.् हम तसफ्कयह कह रहे है्तक हममे्र्त्ढ, रीि जैसे साथ्षक मुहावरो्का अथ्षभूल गया है. लेतकन कृष्णाष्​्मी की लकीर पीट रहे है्- गभ्षविी, जच्​्ा, बच्​्ा, दूध तपलाने वाली मां (यशोदा) और बाल गोपाल का कोई सम्मान हमारे व्यवहार-आचरण मे्दृत्षगोचर नही्है्. कृष्णाष्​्मी के नुस्िो्के साथ इस उत्सव की मूल भावना िक लौटना जर्री है, िभी देश के भतवष्य की सुरक्​्ा और नवरचना संभव हो सकेगी. 1. सव्पष थ ् म चौलाई/रामदाने की िीर (यह एक ही पदाथ्षहै दो नही्) रामदाना धोकर तनथार ले्. दो घंटे पानी मे्तभगो दे्. शाम को गाय का िाजा दूध कड़्ाही मे्चढ्ा दे्, थोड़्ी देर उबल जाये्िो पानी तनचोड़्कर सौ ग्​्ाम रामदाना प्​्ति लीटर दूध डाल दे्. मंद आंच पर चलािे रहे्. िीर गाढ्ी होने लगे िो नीचे उिार कर स्वादानुसार बूरा डाल ले्. सुपाच्य, पौत्​्षक िीर मे् कोई मेवा, इलायची, केसर, जायफल वगैरह नही् डाला जािा. इस िीर का सो्धापन अपने आप मे्पय्ाषप्ि है. 2. घी, गो्द, अजवायन का हतररा और पंजीरी. िीिी धूप मे् सुिायी गो्द को बारीक कूट ले्. कड़्ाही मे् पय्ाषप्ि घी िेज गम्ष करे्. गो्द थोड़्ीथोड़्ी कड़्ाही मे् डाल कर फुला ले्. आंच बंद कर दे्, सौ ग्​्ाम गो्द के तलए एकएक बड़्ा चम्मच जीरा, अजवायन कड़्ाही मे् डाल दे्. तछलके सतहि कुटा बादाम और कद्​्कस तकया सूिा नातरयल डाल दे्. तजिना गो्द, बादाम, नातरयल, अन्य मेवा हो, उससे पौना बूरा डाल कर चाहे लड्​् बांध ले्, चाहे् पंजीरी जमा दे्. पानी डालकर पिला हतररा बनाना हो िो बादाम बारीक पीस ले् और नातरयल न डाले्. 3. पोस्​् की पंजीरी बादामयुक्ि भी बन सकिी है और केवल पोस्​् की भी. सभी पंजीतरयां दो या िीन िार की चाशनी मे्जमायी जािी है्. पोस्​्धोकर तनथारना होिा है. बादाम केवल धोकर तभगोया जािा है. कम से कम राि भर. तछलका उिारकर बादाम की महीन तपट्​्ी घी डालकर भूनी जािी है. लेतकन िसिस सूिी भूनकर भी कूट सकिे है्. बादाम और िसिस की

पंजीरी चाहे तमलाकर बनाये्चाहे अलग-अलग इस अति तवतशष्​्पंजीरी मे् सारा िेल मंदी आंच पर देर िक की गयी तसंकाई का है. इसके मीठे का अनुपाि छह छटांक का पय्ाषप्ि होिा है. (यानी एक तकलो तपठ्​्ी हो िो 350 ग्​्ाम तमठास पय्ाषप्ि होिा है) चाशनी वही दो िार की. 4. सेर भर िरबूजे की तगरी के तलए घर मे् बना पाव भर मावा हो िो इसके मुकाबले की दूसरी पंजीरी नही्. तगरी गुलाबी भूनकर अलग रि ले्. तफर मावा अच्छी िरह भूने्, वरना एक पिवाड़्ा तटक नही् सकेगी. सवा सेर माल मे्कम से कम िीन पाव मीठे की चाशनी आवश्यक है. शेर तवतध वही. 5. लौकी की लॉज के तलए लौकी कस ले्. आधा वजन मीठा डालकर उबाले्, पानी सूि जाये्, लौकी के बराबर वजन का भुना मावा डाल कर तफर भूने्. माल कड़्ाही से तचपकने लगे िो घी का हाथ लगी थाली मे् जमा दे्. अब आतिरी काम बचा कूट्की पूत्ड़यां. सूिी, घुइयां, लौकी का रसा और रायिा. जन्माष्​्मी का तदव्य भोज िो यही है. 6. पूत्ड़यो्के तलए समय रहिे अच्छा वजनी कूट्िरीद ले्. एक सेर कूट्के आटे मे्आधा-आधा पाव चौलाई दाना व सूिा तसंघाड़्ा भी अवश्य तमला ले्. पूतडयां आसानी से बेल सके्गे और स्वातदष्​्बने्गी. सलूनो (रक्​्ाबंधन) के ित्काल बाद िीनो् चीजे् धोकर सूिा ले्. तमक्सी मे् ‘चैतफंग’ चलाकर कूट् का तछलका तनकल जायेगा. आटा माड़्िे समय पाव भर उबली अरबी का गूदा तमलाकर आटा सख्ि गूंथ ले्. थोड़्ा आटा पलोथन के तलए अवश्य रिे्. पिली पूड़्ी बेलना आसान होगा बेलिे समय चकले बेलन पर घी अवश्य लगाये्, पूरी पिली बेलने मे् आसानी होगी. पूड़्ी डालिे समय आंच िेज कर दे्. दो-िीन पूड़्ी एक साथ से्के िातक आटा अंदर िक तसंक जाये्. कड़्ाही का िापमान स्वि: सामान्य हो जायेगा. 9. सूिी अरबी पय्ाषप्ि घी, काफी अजवायन का छौ्क लगाकर लाल भून.े् मसाले मे्तसफ्कसेध ् ा नमक, िाजी कुटी सौ्फ और धतनया-उपवास के प्​्साद मे्हल्दी का प्​्योग वत्जषि है. लेतकन िटास के तलए ऊपर से नीबू तनचोड़्े्और चरपराहट के तलए काली तमच्षका उपयोग n कर सकिे है्. प्​्साद के मौके पर सादी अरवी ही उतचि स्वाद है. शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 47


मास् णिल् ट महेड हजर मृदि ु

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कई तफल्मी पतरदृशय् िेजी से बदल रहा है. हॉलीवुड ने तहंदस ु ्ान मे्अपने तलए बड़्ी संभावनाये् िलाश करनी शुर् कर दी है.् उसे शुरआ ् ि मे्कामयाबी तमलनी भी शुर्हो गयी है. इस वर्ष के आरंभ मे् हॉलीवुड की 'कैपट् न अमेतरका', 'तसतवल वॉर', 'द एंग्ी बड्स ्​् मूवी', 'द कंजय् तू रंग 2', 'कुगं फू पांडा 3', 'द अवेज ् स्'ष और 'द जंगल बुक' आतद तफल्मो्ने भारि मे्न केवल अच्छा िासा कारोबार तकया बब्लक अपने साथ तरलीज हुई बॉलीवुड तफल्मो् के बॉक्स ऑतफस प्द् श्नष को भी प्भ् ातवि तकया. िासिौर पर द जंगल बुक ने िो 180 करोड़् र्पये का तरकॉड्ष कारेाबार कर सफलिा का नया इतिहास रच तदया. इस तफल्म ने अपने आसपास तरलीज हुई िमाम तफल्मो्के कारोबार को बुरी िरह प्भ् ातवि तकया. हालांतक हॉलीवुड तफल्मो् की सफलिा की

शुरआ ् ि गि वर्षही फ्यतू रयस 7 तफल्म से हो चुकी थी. उस तफल्म ने भी 100 करोड़्क्लब मे्प्व् श े तकया था. इस तफल्म की सफलिा ने जैसे हॉलीवुड को एक नयी राह तदिा दी. हॉलीवुड की तफल्म तनम्ाण ष कंपतनयो् को समझ मे् आ गया है तक तहंदस ु ्ान भी उनकी तफल्मो् का बहुि बड़्ा बाजार है. इस बाजार मे् अपनी बड़्ी जगह बनाने के तलए थोड़्ी कोतशश और की जाये िो चतकि करनेवाले पतरणाम तनकल सकिे है.् यही वजह है तक अब हॉलीवुड की तफल्मे्डब करवा कर भी तरलीज हो रही है.् इन डब तफल्मो् मे् भारि के बड़्े अतभनेिाओ् की आवाज उधार ली जा रही है. हातलया तरलीज तफल्म 'बीएफजी’ इसका उदाहरण है. स्टीवन स्पीलबग्ष की इस तफल्म के मुखय् तकरदार को अतमिाभ बच्न् ने अपनी आवाज दी है. अतमिाभ के अलावा पतरणीति चोपड़्ा और गुलशन ग्​्ोवर ने भी दूसरे अहम चतरत्​्ो्की डतबंग की है. इससे पहले

'द जंगल बुक ' मे् इरफान िान और त्​्पयंका चोपड़्ा ने अपनी आवाज दी थी. कह सकिे है्तक 'द जंगल बुक ' की सफलिा मे् इन लोकत्​्पय कलाकारो्की आवाज का भी योगदान रहा. हॉलीवुड की तफल्मे् हमारे देश मे् पहले भी तरलीज होिी रही है्लेतकन बहुि सीतमि संखय् ा मे.् तनत्​्ि​ि र्प से 'टाईटैतनक', 'जुरातसक पाक्'क , 'अविार', 'सुपरमैन' या 'बैटमैन' जैसी तफल्मे् हमारे यहां बहुि सफल हुई है् लेतकन इन्हे् व्यावसातयक महत्व् ाकांक्ा के साथ तरलीज नही् तकया गया था. परंिु अब तबजनेस की एक तवशेर रणनीति के िहि बॉलीवुड हमारे यहां पांव पसार रहा है. तजससे बॉलीवुड की तफल्म तनम्ाण ष कंपतनयो्मे्घबराहट का माहौल पैदा हो रहा है. बॉलीवुड के तनम्ािष ा यह बाि अच्छी िरह समझ गये है्तक हॉलीवुड दूरगामी रणनीति के िहि ही भारि मे्अपने पांव पसार रहा है. यही वजह है तक हॉलीवुड की कंपतनयो्ने अपनी तफल्मो्की डतबंग

बॉलीवुड के िरवाज्े पर हॉलीवुड

हॉलीवुड तिल्मो्को भारि मे्तमल रही जबरदस्​्सिलिा ने तहंदुस्ानी तसनेमा के तलए ि​िरे की घंटी बजा दी है. डर यही है तक कही्ये तिल्मे्दश्षको्का र्ि न मोड्दे्.

(ऊपर)'ि कंज्यूसरंग 2' और (नीचे)'ि अवे्जि्ा' के िृश्य: हॉलीवुड की चुनौती

48 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016


तहंदी के अलावा प्​्ादेतशक भाराओ्मे्भी करवानी शुर्कर दी है. वे अपनी तफल्मो्के तहंदी, ितमल, िेलगु ,ू कन्नड़्और मलयालम डब वज्नष लेकर आ रहे है.् इससे स्थानीय तसनेमा पर असर पडऩा लातजमी है. िमाम ट्ड्े तवशेरज्​्ो्का भी आकलन है तक इस बारे मे्जल्द गौर नही्तकया गया िो वह तदन दूर नही्, जब हॉलीवुड की तफल्मे् हमारे तसनेमाघरो् मे् लगी हो्गी और बॉलीवुड अपनी तफल्मो् की तरलीज के तलए तगड़्तगड़्ािा नजर आयेगा. बॉक्स ऑतफस के आंकड़्ो् पर गहरी नजर रिनेवाले ट्ड्े तवशेरज्​्कोमल नाहटा का कहना है, 'तनत्​्ि​ि र्प से हॉलीवुड की तफल्मे् बॉलीवुड की तफल्मो्के तलए बड़्ी चुनौिी सातबि हो सकिी है.् इसकी वजह यह है तक हॉलीवुड की तफल्मो्की गुणवत्​्ा के सामने हम कही्नही्ठहरिे है.् उनकी तफल्मो्की तनम्ाण ष प्त्​्कया बहुि उन्नि होिी है बब्लक कंटटे् के मामले मे्भी वे हमसे बहुि बेहिर होिे है.् उच्​्स्र् ीय िकनीक के इस्म्े ाल मे्वे अब भी हमसे बहुि आगे है.् उनकी तफल्मो् का बजट हमारी तफल्मो्से 20 गुना ज्यादा होिा है. अगर बॉलीवुड के तनम्ािष ाओ्को हॉलीवुड का मुकाबला करना है, िो उसका एक ही िरीका है तक अपनी जमीन को पकड़्ेरहो और देसी कहानी पर अंिरराष्​्ीय स्र् की तफल्म बनाओ. परंिु हमारे यहां ज्यादािर तफल्मकार भेड़च ् ाल का अनुसरण करनेवाले है.् उनका तवश्​्ास मसाला तफल्मो् मे् रहिा है और वे स्टारडम पर अतधक भरोसा करिे है.्' इसमे् कोई शक नही् तक देश मे् हॉलीवुड तफल्मो् की लोकत्​्पयिा और उनके दश्क ष ो् की संखय् ा बहुि िेजी से बढ् रही है. इंटरनेट उपभोक्िाओ्की बढ्ि से हॉलीवुड तफल्मो्की प्त्ि लोगो् की तजज्​्ासा बढ्िी जा रही है. अब आम दश्क ष भी स्र् ीय मनोरंजन चाहिा है. सोशल मीतडया प्लटे फॉम्ष मसलन फेसबुक व्हाट्स एप और ब्टवटर आतद की वजह से बहुि जल्दी इस

बाि का पिा चल जािा है तक कौन सी तफल्म देिने लायक है और तकस पर पैसा िच्षकरना पैसे की बरबादी है. यही वजह है तक बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहर्ि िान की तफल्म 'फैन' दश्क ष ो् ने पूरी िरह नकार दी. यही हाल कैटरीना कैफ की तफल्म 'तफिूर' का हुआ. ऐश्य् ष्राय जैसी स्टार की तफल्म 'सरबजीि' भी बॉक्स ऑतफस पर कोई जादू नही्जगा सकी. जबतक इन्ही्तदनो्तरलीज हुई कई हॉलीवुड तफल्मो् ने उम्मीद से कई गुना अतधक व्यवसाय तकया. दश्क ष ो् का यह तनण्यष हिप्भ् कर देनवे ाला था, लेतकन इसका तवश्लरे ण सही िरह से हुआ नही्. इसकी वजह यह रही तक दश्क ष ो्ने मनोरंजन के साथ नये कंटटे् वाली तफल्मो् को वरीयिा दी. उनके पास तफल्म देिने के तवकल्प मौजूद थे और उन्हो्ने इस मौके का सटीक इस्म्े ाल तकया. यह सही है तक उपरोक्ि िीनो्ही तफल्मो मे्दश्क ष ो्का तदल जीिने की क्म् िा नही्थी. हालांतक इनसे ऐसी अपेक्ा अवश्य थी. दश्क ष ो्ने अपना तनण्यष सुना तदया. 'सुलि् ान' जैसी ल्लॉक बस्टर तफल्म दे चुके सलमान िान हॉलीवुड की तफल्मो्की सफलिा पर अपनी राय कुछ इस प्क ् ार प्क ् ट करिे है,् 'हॉलीवुड वालो्ने हमारे माक्ट्े को अच्छी िरह समझ तलया है.उन्हे्पिा चल चुका है तक भारिीय दश्क ष तकस िरह की तफल्मे् चाह रहे है.् उनकी तफल्मो्के सामने हमारी तफल्मो्के फ्लॉप होने की वजह यह है तक हम अपनी जमीन को छोड़्रहे है् और अपने इमोशंस से दूर हो गये है.् जाने माने अतभनेिा इरफान िान भी हॉलीवुड तफल्मो्के तहंदस ु ्ान मे्छा जाने को लेकर तचंति​ि नजर आिे है.् बावजूद इसके तक वे इस समय तहंदस ु ्ान के ऐसे इकलौि अदाकार है,् जो हॉलीवुड की तफल्मो्मे्अपनी अहम मौजूदगी दज्ष करवा रहे है.् जल्द ही उनकी हॉलीवुड तफल्म 'इनफेन्ो' भी तरलीज होगी, तजसमे्वे हॉलीवुड के शीर्षअतभनेिा टॉम हैक् स ् के साथ नजर आयेग् .े चूतं क इरफान दूसरे अतभनेिाओ् के मुकाबले

'ि जंगल बुक': लोकस्​्पयता की लहर हॉलीवुड की प्व् तृ ्तयो् से ज्यादा पतरतचि है,् इसतलए उनके कहे को अवश्य महत्व तदया जाना चातहये. दरअसल वे हॉलीवुड की उस बाजार् मानतसकिा को भांप चुके है,् तजसके िहि वह दुतनया की कई देशो्की तफल्म इंडस्ट्ी को िहसनहस कर चुका है. इरफान कहिे है,् 'हॉलीवुड िेजी से अपने पांव बॉलीवुड मे् पसार रहा है, यह तचंिा का तवरय है. हॉलीवुड काफी आक्​्ामक व्यावसातयक िरीके अपनािा है. उसके पास िाकि है और तबजनेस की कुशल रणनीति भी है. कह सकिे है् तक हॉलीवुड की तफल्मो् से हमारे तफल्म तनम्ािष ाओ्को जबद्स ष ्चुनौिी तमलने जा रही है. हालांतक इस चुनौिी के तसफ्क नकारात्मक पक्​्ही नही्है.् इस चुनौिी की वजह से ही बॉलीवुड के तनम्ािष ा ऐसी तफल्मे्बनाने के तलए प्त्ेरि हो्गे तजनमे्एक्टरो्को काम करिे हुए संितु ्ष तमलिी है और तजनके कलात्मक मानदंड ऊंचे होिे है.् तफल्म तनम्ाषिा वासु भगनानी का कहना है तक हॉलीवुड तफल्मो् से इिना ज्यादा डरने की जर्रि नही्है. वे कहिे है,् 'हमे्चीन की िज्षपर ही हॉलीवुड तसनेमा का मुकाबला करना होगा. हमे्तसनेमाघरो्की की संखय् ा बढ्ानी होगी. हमारे यहां जनसंखय् ा को देि​िे हुए अब भी काफी कम तसनेमाघर है्. तसनेमाघर बढ्े्गे, िो हम अपनी तफल्मो्के ज्यादा त्​्पटं तरलीज कर सकिे है.्' िैर, यथाथ्षिो यही है तक आगामी तदनो् मे् बॉलीवुड की 'मनमत्जयष ां', 'बेज ् ो', 'तमत्जयष ा', 'फोस्ष2' और 'दंगल' जैसी कई बड़्ी तफल्मो् को हॉलीवुड तफल्मो् की जबद्षस् चुनौिी तमलने जा रही है. वजह यह है तक इन तफल्मो्के साथ हॉलीवुड की 'क्वीन ऑफ केटवे', 'मैगन् ीतफसेट् सेवन', 'तमस पेरेग्ीन्स होम फॉर पेक्युतलयर तचल्ड्ेन', 'फेट् ाब्सटक बीस्टस ् एंड ह्अ ्े र टू फाइंड दैम' और 'असातसंस क्​्ीड' जैसी बहुपि् ीत्​्कि तफल्मे्तरलीज हो्गी. डर यही है तक कही् ये तफल्मे् दश्क ष ो् का र्ि न मोड़्दे.् n शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016 49


अंितम पन्ना वाई पी जसंह

आरपार निे के तार

ड्​्ग्स के िंिे ने पंजाब की अि्षव्यवस्िा को लगभग ध्वस्​्करके रि तदया है.

शा एक सामातजक रोग है. इसका पहला आक्म् ण भले ही तकसी व्यब्कि पर होिा है, तकंिु यह पूरे पतरवार और अंि​िः पूरे समाज को प्त्य् क्​्या परोक्​्र्प से जकड़्लेिा है. एक सीमा के बाद यह गांव या शहर और तफर राज्य का दुशम् न बन जािा है. दुतनया भर मे्ऐसे उदाहरण तमलिे है,् जहां नशे के रोग और उसकी अथ्षव्यवस्था ने देश को िबाह तकया हो. कई अफ्​्ीकी देशो् मे् यह हुआ है. आज मेब्कसको इससे त्​्स् है. जब हम अफगातनस्​्ान को आिंक से त्स ् ् बिािे है,् िो हम शायद इस बाि की अनदेिी कर देिे है्तक यह देश नशीले पदाथ्​्ो्का बड़्ा उत्पादक है और िातलबान-युग मे्यह बुरी िरह नशीले पदाथ्​्ो्की तगरफ्ि मे्था. इसी िरह, आज पातकस्​्ान आिंकवाद और नशे की तगरफ्ि मे्है, जबतक इन दोनो्का इस्म्े ाल वह भारि के तिलाफ करिा था और कर रहा है. नशे के दो र्प है.् पहला शराबिोरी है और दूसरा मादक पदाथ्​्ो्या नशीली दवाओ् का सेवन यानी ड्ग् स ् लेना. भारि मे् यह दोनो् र्प बड़्ी समस्या है. लेतकन जहां पहले का प्भ् ाव दूसरे के अपेक्ाकृि कम है, वही् दूसरा र्प अन्य गैर-कानूनी ित्वो्और धंधो्को अपने यहां कारोबार फैलाने की इजाजि देिा है. यह कारोबार तकसी भी िरह का हो सकिा है, यहां िक तक आिंकवाद का. िाजा उदाहरण पंजाब का है. ऐसे अध्ययन सामने आ रहे है् तक पंजाब की सरहद जानलेवा और गैरकानूनी ड्ग् स ् की आपूति् ष की राह बनिी जा रही है. यह नारकोतटक्स कंट्ोल ल्यूरो के सव्​्े से उजागर हुआ है, तजसमे्पंजाब के आठ शहरो्का सव्​्ेतकया गया है. इसी िरह, एक और अध्ययन बिािा है तक इस राज्य मे्हर दस मे्से चार लोग ड्ग् स ् का सेवन करिे है्और हर चार मे्दो लोग जवान और तकसान है.् यह ब्सथति बिािी है तक कैसे ड्ग् स ् के धंधे ने पंजाब की उस अथ्वष य् वस्था को लगभग ध्वस्​्कर तदया है, जो तकसानो्और जवानो्के दम पर देश को तवकास प्द् ान करिी थी. यहां यह देिा गया है तक हेरोइन तसफ्कसाि प्त्िशि उपभोक्िाओ्िक पहुच ं िा है और 15 प्त्िशि उपभोक्िाओ्के पास भुक्ी पहुंचिा है, जो दरअसल अफीम की भूसी है और 20 प्त्िशि के पास तसंथते टक ड्ग् स ् आिे है,् जो तहमाचल प्द् श े की कुछ दवा कंपतनयो्मे्बनिे है.् यह भी सीमावि्​्ी राज्य है. ऐ्टी-नारकोतटक एजेत्सयां बिािी है्तक पंजाब मे्नशे की लि के पीछे के मुख्य कारण हैः तकसानो् द्​्ारा अफीमो का पारंपतरक इस्​्ेमाल, अल्कोहल के बढ्िे दाम, तहमाचल प्​्देश से नारकोतटक्स की सरल उपलल्धिा और िस्कर-पुतलस-नेिाओ्के बीच नापाक गठजोड़्. सवाल उठिा है तक अफीम को नशे के िौर पर इस्म्े ाल करना कैसे संभव हो पा रहा है? क्या पंजाब या भारि मे्अफीम की िेिी बढ्ी है, तजस पर कानून-व्यवस्था की नजर नही्पहुच ं ी है? महाराष्​्मे्अपनी सेवा के दौरान मैन् े पाया तक स्थानीय स्र् को तजिना भी बड़्ा कारण बिाया जाये, तबना सीमा-पार करिूि के इस कारोबार को नही्बढ्ाया जा सकिा, क्यो्तक 50 शुक्वार | 1 से 15 अगस्​्2016

भारि मे्इस संबध ं मे्कानून बड़्ेकड़्ेहै.् एनडीपीएस एेकट् के िहि तकसी भी नारकोतटक ड्ग् या साइकोट्​्ॉतपक ित्व का उत्पादन या तनम्ाण ष करना या उसकी िेिी करना, उसको रिना, बेचना और उसका भंडारण या प्य् ोग पूरी िरह अवैधातनक है. दो-दो बार इस कानून मे्सुधार हो चुका है1998 मे्और 2001 मे.् ऐसा नही्तक यह कानून तकसी राज्य तवशेर के तलए है, बब्लक यह पूरे भारि पर लागू है. दोतरयो्के तिलाफ सख्ि सजा और जुमा्नष े का भी प्​्ावधान है. ऐसी ब्सथति मे् स्थानीय ित्व बेहद अहम नही्रह जािे. अफीम का जो पारंपतरक प्य् ोग बढ्ा है, वह सीधा इस ओर इशारा करिा है तक सीमा-पार से इसकी िेप आ रही है. यह भी ध्यान देने वाली बाि है तक िातलबान की पूरी अथ्षव्यवस्था अफीम की िेिी पर आधातरि है, जो पातकस्​्ान और अफगातनस्​्ान मे्सत्​्कय है. िास िौर पर अफ-पाक सीमा पर और वे घुसपैतठयो्के जतरये या अवैध िरीके से भारि मे्अफीम पहुच ं ािे है,् तजससे हमारे सीमावि्​्ी राज्य प्भ् ातवि हो रहे है.् अफगातनस्​्ान मे् हेरोइन का उत्पादन तरकॉड्ष स्​्र पर यानी 550600 टन िक पहुच ं गया है. शुद्हेरोइन की कीमि पातकस्​्ान मे्एक-दो लाि र्पये प्त्ि तकलोग्​्ाम है. गैर-कानूनी िरीके से सीमा-पार कराने के एवज मे् इसकी कीमि बढ् जािी है और महानगरो् िक आिे-आिे यह 10 से 20 लाि र्पये प्​्ति तकलोग्​्ाम हो जािी है. भारि मे् नशीले पदाथ्​्ो् की िेप बढ्ाने मे् सीमा-पार िस्करो् की भूतमका अहम है. आिंकवाद और दूसरे अपराधो्, जैसे तक ड्​्ग िस्करी के बीच िार जुड़ि् े है.् इसे संयकु ि् राष्​्सुरक्​्ा पतररद भी मानिी है, हालांतक दुतनया भर के देश इसे रोकने और ित्म करने को लेकर कोई स्पष्​्रणनीति नही्बना पाये है.् वही्भारि मे्नारकोतटक कंट्ोल ल्यूरो के तवशेरज्​् भी मानिे है् तक देश मे् नेशनल एंटी-नारकोतटक टास्क फोस्षका गठन होना चातहए, िातक तवस्ि्ृ स्र् पर लड़्ाई छेड़्ी जाये. यह सोच अपनी जगह सही है, क्यो्तक देश के अंदर मौजूद कृत्तम नशीले पदाथ्षबनाने वाले ित्वो् से भी मुकाबला करना है. तकंिु हेरोइन, कोकीन, एफेडरीन, मेथांपटाइमीन, आईसीई और एलएसडी के सेवन की िरफ बढ्िे युवाओ्को रोकने के तलए कानूनी कार्षवाई के अलावा सामातजक प्​्यास बढ्ाने की जर्रि है. इन सबके तलए सरकारो् को उतचि इच्छाशब्कि तदिानी होगी. नारकोतटक तवभाग को लाभकारी संस्था माना जािा है, लेतकन इस िरफ शासन और लोगो् की नजर नही् पड़्िी. इससे यहां गड़्बड़्ी की आशंका िो रहिी है, साथ ही, जवाबदेही को लेकर टालमटोल रवैया भी होिा है. इस िरफ भी ध्यान देने की आवश्यकिा है. संस्थानो् के साथ n जवाबदेही का जुड़न् ा जर्री है. ( लेिक पूवष्पुतलस अतधकारी, वकील और सामातजक काय्क ष ि्ाष है.् आलेि श्त्ुि तमत्ल ् से बािचीि पर आधातरि.)




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