वर्ष 9 अंक 3 n 1-15 फरवरी 2016 n ~ 20
‘आप’ चली पंजाब
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वर्ष9 अंक 3 n 1 से 15 फरवरी 2016 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प््काशक क््मता सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल राजनीसतक िंपादक वववेक सक्सेना फोटो िंपादक पवन कुमार िंपादकीय िहयोगी
सववता वम्ाा अंजना वसंह सुनीता शाही (लखनऊ) अिनल चौबे (रायपुर) पूजा िसंह (भोपाल) अिवनाश िसंह (िदल्ली) अिनल अंशुमन (रांची) कुमार प््तीक मनोज वतवारी
कला
प््वीण अिभषेक
महाप््बंधक
एस के वसंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm.shukrawaar@gmail.com
आवरण कथा
6 | ियी मुनहम पर केजरीवाल
अरसवंद केजरीवाि ने अब पंजाब की ओर र्ख सकया है. अभी िे मुसहम शुर्करने का िंकेत यह है सक वे वहां भी सदल्िी को दोहराना चाहते है्. िेसकन मुख्यमंत्ी के सिए योग्य चेहरे िमेत कई ऐिे िवाि है्सजनके जवाब पाट््ी को तिाश करने हो्गे.
14 | एक मौत से कई सवाल
रोसहत वेमुिा की मौत देश के वंसचत िमूहो्पर एक ऐिी सवचारधारा द््ारा सकये जा रहे है िूक्म हमिो्का ही नतीजा है जो कुिीनता और वच्भस्वाद की पोषक है.
20 | बच््े हमारे आतंकवादी
िबजनेि हेड
ये िारे िड्के और िड्सकयां, जो आतंक की फौज बनाते-बढ्ाते जा रहे है्. वे हमिे बदिा िे रहे है्. हमने उनके जीने के रास््ेबंद कर सदये है् तो वे मौत का रास््ा पकड्रहे है्.
शरद कुमार शुकल ्ा +91. 9651882222
ब््ांिडंग
कॉमडेज कम्युिनकेशन प््ा़ िल़
प््िार प््बंधक
यती्द्कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024 yatendra.3984@gmail.com
सिसध िलाहकार शुभांशु वसंह
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+91. 9971286429 सुयश मंजुल
िंपादकीय काय्ाालय
एमडी-4/304, सहारा ग््ेस, जानकीपुरम लखनऊ, उत््र प््देश-226021 टेलीफैक्स : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com www.shukrawaar.com DELHIN/2008/24781 स्वत्वािधकारी, प्क ् ाशक और मुदक ् क्म् ता सिंह के सिए अमर उजािा पब्लिकेशि ं सिसमटेड, िी-21, 22, िेकट् र-59, नोएडा, उत्र् प्द् श े िे मुस्दत एवं दूिरी मंसजि, ल्ाी-146, हसरनगर आश्म् , नयी सदल्िी-110014 िे प्क ् ासशत. िंपादक : अंबरीश कुमार (पीआरल्ाी अिधसनयम के तहत िमाचारो्के चयन के ििए िजम्मेदार) िभी कानूनी िववादो्के ििए न्याय क््ेत्िदल्िी होगा.
26 | ख्ुदकुशी की खेती
30 | उपजाऊ ज्मीि पर अमरावती
42 | गढ्ाकोला मे् उदास निराला
46 | जहां नमले थे मूमल-महे ्द्
सवदभ्भमे्खेती अब खुदकुशी का पय्ाभय बनती जा रही है. इिके सिए जीएम बीज िे िेकर बहुराष््ीय कंपसनयां, िरकारी उपेक्ा और अंतरराष््ीय करार सजम्मेदार है्.
सनरािा के पैतक ृ गांव मे्उनकी प्स्तमा और पुसक ् ािय जर्र है,् िेसकन उनकी हाित बतिाती है सक हम अपनी सवभूसतयो्की स्मसृ त के प्स्त सकतने उदािीन है.्
आंध्की राजधानी बनाने के सिए राज्य िरकार सकिानो्िे जमीन िे रही है. यानी यह उपजाऊ और बहुफििी जमीन सवकाि की भे्ट चढ्ने जा रही है.
मूमि और महे्द् की प््ेम कहानी िोगो् की जुबान पर बनी हुई है िेसकन उनके समिन का गवाह िोध््ुवा पुरातत्व सवभाग की उपेक्ा का सशकार है. शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
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आपकी मास्ट हेडाक ड
सवालों से घिरी सुरकंंा
जेल की दीवारो् पर रंग
बीते अंक मे्वस्तभका नंदा के कॉिम िे बेहतरीन और रोचक िेख पढने को समिा, जो वास््व मे् सदि को छू िा गया. इि िेख िे हमे्पता चिा सक जेि मे् भी िोगो् को अपनी स््कएसटसवटी सदखाने का अच्छा मौका समि िकता है. जो सतनका सतनका डािना पहि िे िंभव हो रहा है. गासजयाबाद मे्ब्सथत इि जेि मे्बहुत िे ऐिे कैदी इि काय्भक्म मे् शासमि हुए और उन्हो्ने अपनी किाकारी सदखायी वह वाकई कासबिेगौर है. ऐिे मे्ये अपराधी िजा के बाद अपने जीवन मे् दोबारा अपराध करने की कोसशश नही्करे्गे. क्यो्सक उन्हे्जेि मे्अच्छे िोगो् का िासनध्य जो समि रहा है. ये एक िमाज के प्स्त उत्कष ृ ्पहि है. सजििे अपराध की दुसनया मे्चिे गये िोग खुद अपने आप पर पछतावा करके दोबारा िे नवजीवन जीने को िेकर प्य् ाि करेग् .े िेसखका की इि पहि िे ये िोग दोबारा िे उि िमाज िे जुड पाएंगे जो इनकी प््सतभा िे इन्हे्पहचानना शुर्करेगा. तैय्यबा खातून, गो्डा (उत््र प््देश)
इनतहास संजोिा ज्र्री
सवश्् के िबिे प््ाचीन िंस्कृसतयो् के हम गढ रहे है् िेसकन हम भारतवासियो् को इसतहाि िंजोना नही्आता है. यायावरी कािम के तहत बीते अंक मे् प््कासशत रीता सतवारी का यात््ा वृतांत बडा ही आनंदमयी रहा. दीव के बारे मे् रोचक जानकासरयां समिी. हमारे देश मे् दीव पय्भटको्के आकष्भण का हब रहा है. दीव िमुद् के सकनारे बिा एक ऐिा िांस्कृसतक शहर जो कासठयावाड घोडो्के सिए एक ज़माने मे्काफी प्स्िद््हुआ करता था. आज भी घोडे के शौक़ीन िोग यहां िे अपना िगाव रखते है्. हािांसक भारतीय िोग अपने इसतहाि को िंजोना नही् 4
शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
शुकव् ार ने बीते अंक मे्पठानकोट के हमिे पर सवस््ार िे सरपोट्भप्स ् त्ु की. इि हमिे को हम सकिी मजबूत सकिे को भेदने जैिा मान िकते है.् क्यो्सक ये हमिा िीधे हमारे िबिे िुरस््कत मानी जाने वािी जगह पर हुआ है. ये हमिा वहां हुआ है जहां िे हम देश की िुरक््ा करने का िाजोिामान रखे हुए है.् ऐिे मे्िवाि ये उठता है सक हमारे िाजो िामान सकतने िुरस््कत है्. खाि बात ये है, जब यही नही्िुरस््कत हो्गे तो आम जगह पर आतंकी इििे बडा हमिा कर िकते है्. इि हमिे मे् बहुत िे अनिुिझे
िवाि भी पनप गये है.् िाथ ही इिके जवाब मे् सकये गये ऑपरेशन के प्ब् धं न पर भी िवाि उठे है्. जो बेहद ही िंवेदनशीि है्. इि घटना मे् एनएिए की भूसमका पर िोगो्ने कई िवाि दागे है.् सजि तरह िे उन्हो्ने पूरा चाज्भअपने हाथ िे रखा था. उििे ये देश के गृहमंत्ी और रक््ामंत्ी के कामो् पर बुरा अिर सदखा है. उन्हो्ने सजि तरह िे इि घटना पर बाहर िूचनाओ् का आदान प्द् ान सकया है. उििे ऑपरेशन के िंबे िमय तक चिने का दोषी उन्हे्ही माना गया है.
जानते है्. सजििे हम अपनी पुरानी िभ्यताओ् को खो रहे होते है्. हमारे यहां ऐसतहासिक इमारतो्को िेकर िोगो्का नजसरया अच्छा नही् है. जो बेहद सचंता का सवषय है.
मे्सहट के चक््र मे्सवषय या कहानी का टोटा पड गया है. जो हर कोई कॉमेडी के नाम पर फूहडता का िहारा िे रहा है. इिमे्एकता कपूर और भूषण कुमार िबिे ज्यादा बढ चढकर पैिा िगा रहे है्. इिके िाथ ही इन सफल्मो्का एक खाि दश्भक वग्भ भी तैयार हो गया है. जो ऐिी सफल्मो्को देखने हाि तक जाता है. ये अब एक दौड िी बन गयी है, जो भेसडयाधिान बनती जा रही है.
सजीते्द् पाल, रीिा (मध्य प््देश)
कश्मीरी मनहलाओ् की पहल
देश मे् आजकि नशाखोरी मे् भारी इजाफा देखने को समिा है. युवा पीढी नशे की िती होती जा रही है. ऐिे मे् इिके सखिाफ कश्मीर की मसहिाओ् की पहि के बारे मे् बीते अंक मे् प््कासशत मासजद जहांगीर की खबर ने नयी जागर्कता िे र्बर्करवाया है. इि पहि मे् ये कश्मीरी मसहिाओ्ने अपने नशेडी पसतयो्को तिाक देना शुर्कर सदया है. िुनने मे्भिे ही अटपटा िगे, िेसकन ये नारी उत्थान और मसहिाओ् का अपने हक़ के सिए िडने वािी एक अनोखी जंग की तरह है. इििे मसहिाओ् पर बढते अत्याचारो् पर रोक िगेगी. क्यो्सक नशा करने वािे पसत अक्िर अपनी पब्तनयो्पर घर मे्ही जुलम् ढहाते है.् ऐिे मे्ये पहि कश्मीर मे् ही सिमटकर न रहे बब्लक पूरे देश मे् क््ांसत कर िकती है. नशाखोरी सकिी िमाज के पतन का कारण बन िकता है. जैिासक पंजाब मे् ये जीवंत उदहारण की तरह है. घर का मुसखया अगर नशीिे पदाथ्भका िेवन करता है, तो भावी पीढी को एक बडे िंकट का िामना करना पड िकता है. देि वसंह, जयपुर (राजस्थान)
फूहड़ होता बॉलीवुड
सफल्म पेज पर प््कासशत बीते अंक मे्हसर मृदुि की बॉिीवुड पर सरपोट्भ ने इंडस्ट्ी की फूहडता का सजक््करते हुए बहुत िारे िवाि खडे सकये. इिमे्िबिे अहम िवाि ये है सक क्या इंडस्ट्ी
वििेक कुमार, नैनीताल (उत्र् ाखंड)
मोहम्मद अनस, रायबरेली (उत््रप््देश)
भूल सुधार
‘शुक्वार’ के 16-31 जनवरी अंक मे्प्ाृष्41 पर तकनीकी गिती के कारण राजेश िकिानी की कसवताओ् के िाथ रवी्द् वम्ाभ की दो कसवताएं प््कासशत हो गयी. प्ाृष्24 पर ‘एक उदाि दीवार’ शीष्भक सरपोट्भ के िाथ उिकी िेसखका वस्तक भ ा नंदा का नाम भी प्क ् ासशत होने िे रह गया. इन भूिो्के सिए हमे्खेद है. - िंपादक
पाठको् से निवेदि
शुक्वार मे्प््कािशत सरपोट््ो्और रचनाओ्पर पाठको्की प््सतसक््या का स्वागत है़ आप अपने पत््नीचे िदए गए पते पर या ई-मेि िे भेज िकते है् एमडी-4/304, िहारा ग््ेि, जानकीपुरम, िखनऊ उत््र प््देश-226021 टेिीफैक्ि : +91.522.2735504 ईमेि : shukrawaardelhi@gmail.com
संमास् पादकीय ट हेड
रोनहत की खुदकुशी भा
अंबरीश कुमार
रोहित के समर्षन मे् हिस तरि स्वतः स्फूत्ष आंदोलन खड़ा िुआ िै वि के्द्की भािपा गठबंधन सरकार के हलए शुभ संकेत निी् िै. किी्यि पार््ी हफर विी्न पिुंच िाये ििां आि कांग्ेस पिुंच गयी िै.
रतीय जनता पाट््ी और उिकी िरकार दोनो्पर रोसहत वेमि ु ा की ख़ुदकुशी भारी पडेगी. पाट््ी के नेता हो्या िरकार के नािमझ मंत्ी वे यह नही्िमझ पा रहे है्सक इि देश मे् िभी वग््ो्और िभी जासतयो्को िाथ सिये सबना राष््ीय राजनीसत मे् आप ज्यादा दूरी तक नही् चि िकते. सबहार चुनाव िे पहिे िंघ प््मुख मोहन भागवत ने आरक््ण की िमीक््ा का जो मुद्ा उठाया था उिकी कीमत सबहार ने विूि िी है.अब हैदराबाद मे्जो हुआ उिकी भरपायी पाट््ी और िरकार के सिये बहुत आिान नही्है. िखनऊ मे्सजि तरह प्ध् ानमंत्ी नरेद् ्मोदी के सखिाफ दसित छात््ो्ने वापि जाओ के नारे िगाये वह तो दसितो् की नाराजगी की एक बानगी भर है. देश और िमाज मे्भाजपा की यह छसव बनती जा रही है सक यह सहंदू िमाज की िवण्भजासतयो्के सहत का ज्यादा ध्यान रखती है और मौका पडने पर दसित सपछडो्के सखिाफ अगडो्को गोिबंद करती है. यह बात अिग है सक सपछिे िोकिभा चुनाव मे् दसित और सपछडी जासतयो्ने नरेद् ्मोदी का जमकर िमथ्नभ सकया था क्यो्सक उन्हे्बदिाव की बडी उम्मीद थी. यही वजह है सक उत््र प््देश मे् मायावती पहिी बार शून्य पर सिमट गयी् तो मुिायम सिफ्फपसरवार बचा पाये पाट््ी हार गयी. सबहार मे् भी िोशि इंजीसनयसरंग के महारथी माने जाने वािे िािू नीतीश हासशये पर चिे गये थे. इिके बावजूद िंघ ने अपनी प््ाथसमकता पर सहंदू िमाज के अगडो्को रखा और उिके िंगठनो् ने इिी एजंडे पर काम सकया. जो हैदराबाद मे्हुआ वह उत्र् भारत मे्भी कभी भी घट िकता है. इिाहाबाद सवश्स्वद््ािय छात््िंघ की अध्यक््ऋ चा सिंह आये सदन इन कट्र् पंथी ताकतो् िे जूझ रही है् तो बीएचयू मे्आईआईटी िे सनकिे िंदीप पांडये को हटाया जा चुका है. िखनऊ मे्भाकपा मािे के छात््िंगठन िे जुडे छात््छात््ाओ्पर हमिा हो चुका है. इि िारे मामिे मे् सवश््सवद््ािय प्श ् ािन अप्त्य् क््र्प िे कट्र् पंथी ताकतो्का िाथ दे चुका है. उत्र् प्द् श े के राज्यपाि राम नाईक वैिे भी पाट््ी एजंडा को िेकर गंभीर रहते है् इिसिये उनके अधीन आने वािे ये सवश्स्वद््ािय कैिे अिग सदशा मे्जा िकते है.् दुभा्गभ य् की बात यह है इन कट्र् पंथी ताकतो्के िमाज सवरोधी एजंडे िे मुकाबिा करने की जो उम्मीद धम्सभ नरपेक्दिो्िे हो िकती है वे छात्-् युवा राजनीसत िे ही बाहर नजर नजर आ रहे है.्
वाम दि हो्या िमाजवादी धारा के राजनैसतक दि, सकिी की भी छात्् शाखा िकारात्मक िामासजक राजनैसतक मुद्ो् पर कोई गसतसवसध करती नजर नही्आती. कांगि ्े के छात््िंगठन तो शुर्िे ही अगंभीर और अराजनैसतक रहे है.् यह उदाहरण भिे ही उत््र प््देश का था पर िमूचे देश मे्कमोबेश ऐिे ही हािात है.् ऐिे मे् दस््कण भारत के हैदराबाद सवश््सवद््ािय के दसित छात्,् पसरिर मे् अगडी जासतयो् के जोर जुल्म के सखिाफ अगर अंबेडकर के नाम पर बने छात््िंगठन के मंच पर िस््कय हो् तो यह स्वभासवक ही है. यही्िे उनका टकराव िंघ की छात््शाखा सवद््ाथ््ी पसरषद िे शुर्हुआ. केद् ् िरकार के दो मंस्तयो् ने इिमे् दखि देकर ऐिे हािात पैदा कर सदये सजििे एक छात्् को ख़ुदकुशी करने पर मजबूर होना पडा. इिमे् सवश्स्वद््ािय प्श ् ािन की भूसमका आपरासधक थी. ध्यान रहे यह अपराध ज्यादातर सवश्स्वद््ाियो्और कािेजो्मे्हो रहा है. इनमे् आईआईटी िे िेकर सनजी क््ेत् के सवश्स्वद््ािय तक शासमि है.् इन िंसथ ् ानो्मे् बडी जासतयो् के सशक््क, जातीय आधार पर छात््ो्का उत्पीडन करते है.् हर वष्भइिके बहुत िे उदाहरण िामने आ रहे है् दसित अल्पिंखय् क और सपछडे छात््बहुत मुबश् कि िे उच्् सशक््ा के इन िंस्थानो् मे् पहुंचते है् और सफर वहां के हािात िे हार जाते है.् ऐिे ही हािात मे्रोसहत वेमि ु ा ने ख़ुदकुशी की. पर रोसहत के िमथ्भन मे् सजि तरह स्वतः स्फतू भ्आंदोिन खडा हुआ है वह केद् ्की भाजपा गठबंधन िरकार के सिये शुभ िंकेत नही् है. सबना दसित सपछडो्के िमथ्नभ के यह पाट््ी सफर वही्न पहुच ं जाये जहां आज कांगि ्े पहुच ं गयी है. बंगाि, पंजाब और सफर उत्र् प्द् श े मे् चुनाव होने वािे है.् यहां के दसित िमाज ने वह फोटो भी देखी सजिमे मोदी के सखिाफ नारे िगाने वािे छात््का मुहं दबोच कर बाहर सकया गया था. कोई िमाज इन बातो्को जल्दी भूिता नही् है. यह ध्यान रखना चासहये. िंघ ने अगर अपनी अगडा राजनीसत की रणनीसत नही्बदिी तो मोदी के सिये आगे का रास््ा बहुत आिान नही्होगा. और वे राजनैसतक दि जो इि िमाज के मुद्े पर खामोश है् उनके सिये भी इनका िमथ्नभ समिना आिान नही्है. सफिहाि रोसहत वेमि ु ा ने राजनीसत का फौरी एजंडा तो बदि ही n सदया है. ambrish2000kumar@gmail.com शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
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आवरण मास्ट हेकथा ड शरद गुपंता
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पंजाब मे् अरविंद केजरीिाल: अभी से आश््स्
नयी मुवहम पर केजरीिाल
‘आप’ के नेता अरहवंद केिरीवाल ने अब पंिाब की ओर र्ख हकया िै. विां हवधान सभा चुनाव सन्ा 2017 मे्िो्गे. लेहकन अभी से मुहिम शुर्करने का संकेत यि िै हक वे पंिाब मे्भी हदल्ली को दोिराना चािते िै्. लेहकन मुख्यमंत्ी के हलए योग्य चेिरे समेत कुछ मुश्ककल सवाल भी िै्हिनके िवाब पार््ी को तलाश करने िो्गे.
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शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
या अब अरसवंद केजरीवाि अब सदल्िी के मुख्यमंत्ी की गद््ी छोड् कर पंजाब का मुख्यमंत्ी बनने की कोसशश करे्गे? सजि आत्मसवश््ाि िे उन्हो्ने मुक्तिर िासहब मे् पंजाब की िभी 117 िीटे्जीतने का दावा सकया, उििे उनकी योजनाओ् की झिक सदखती है. यही नही्, वे पंजाब की भाषा, िंस्कृसत और पसरवेश मे्रमने का सनश््य भी कर चुके है्. िेसकन यह आिान काम नही्है. न तो 117 िीटे् जीतना. और न ही पंजाब का मुख्यमंत्ी बनना. उि पंजाब िूबे का सजिकी नी्व ही पंथ के नाम पर रखी गयी थी. आजादी के िमय िे ही मास्टर तारा सिंह जैिे िोग सिखो् के सिये अिग खासिस््ान की बात िगातार करते रहे. सजि खासिस््ान की मांग को िेकर देश मे् दशको् तक उग्् आंदोिन चिे और सवदेशो् मे् अभी भी चि रहे है्. ऐिा पंजाब क्या एक ग्ैरसिख को मुख्यमंत्ी के र्प मे्स्वीकार करेगा? प््देश कांग्ेि अध्यक्् िेसकन केजरीवाि ने आिान काम करना कभी पिंद नही्सकया. सवधानिभा चुनाव िड्ा तो 15 िाि िे सदल्िी की मुख्यमंत्ी रही शीिा दीस््कत के सखिाफ. िोकिभा चुनाव िड्ा तो प््धानमंत्ी पद के उम्मीदवार नरे्द् मोदी का सखिाफ. पहिी बार जीते चार िांिदो्मे्िे दो को बाहर की रास््ा सदखाना भी कोई आिान काम नही् था और न ही आप के िंस्थापक िदस्यो् मे् रहे प््शांत भूषण और योगेन्द् यादव को पाट््ी िे सनकािना. वैिे भी केजरीवाि कभी सकिी चीज़् िे िंतुष्नही्रहे. वे िगातार एक काम छोडक़र दूिरा पकड्ते रहे है्. हर काम पहिे िे ज्यादा मुब्शकि. उनके सपता अरसवंद को इंजीसनयर बनना चाहते थे. अरसवंद इंजीसनयर तो बनना चाहते थे िेसकन सिफ्फ आईआईटी िे सजिमे् चयन बहुत कसठन होता है. वे आईआईटी खड्गपुर मे् चुने गये. उनके िहपासठयो् के अनुिार, वहां वे अपने अस््सत्व के मायने तिाशते हुए िमाज और देश बदिने के बारे मे् िोचते रहे. यही वजह थी सक मैकेसनकि इंजीसनयर बनने के बाद आयकर सवभाग मे् ज्वाइंट कसमश्नर रहे केजरीवाि के सिए नौकरी कभी सवकल्प ही नही्था. वे िगातार भ््ष्ाचार के सखिाफ कुछ करने का िोच रहे थे. मै्1998 मे्िखनऊ छोडक़र जब सदल्िी आया तो ऑटो के पीछे सिखे एक सवज््ापन को देखकर हैरान रह गया. पसरवत्नभ नाम की िंसथ ्ा की ओर िे सदये इि सवज््ापन मे् सिखा था सक अगर आपिे कोई सरश््त मांगे तो आप इि िंस्था को बताये्. सजि िमाज मे् सरश््त को िुसवधा शुल्क जैिे नाम देकर असनवाय्भ बनाने
की कोसशश हो रही हो, यह सवज््ापन जर्र हैरान करने वािा था. बाद मे् मािूम चिा सक यह िंस्था अरसवंद केजरीवाि ने बनायी थी. वे िोगो् मे् भ््ष्ाचार के सखिाफ जागर्कता जगाने के सिये िडक़ो् के सकनारे खड्े होकर पसरवत्भन के पच््े बाँटते थे. एक बार तो हद ही हो गयी. उनके एक िाथी आयकर आयुक्त ने उन्हे्अपने ऑसि्ि के नीचे पै्फिेट बाँटते देखा तो बुिाकर पूछा सक आसखर उन्हे्हुआ क्या है? क्या पैिो् की कमी है, नौकरी िे सनिंसबत कर सदये गये है्या सदमाग्ी हाित ठीक नही्है? िेसकन अरसवंद को इि तरह की बातो् िे फक्फनही्पड्रहा था. दो बच््ेहो चुके थे. पत्नी िुनीता खुद आयकर आयुकत् है्. उनिे ििाह िेकर अरसवंद ने नौकरी िे इस््ीफा दे सदया. पसरवार चिाने की सजम्मेदारी पत्नी को देकर अरसवंद खुद िमाज को िमस्पभत हो गये. िूचना के असधकार (आरटीआई) के क््ेत्मे्की गयी कोसशशो्के सिय उनको रमन मैगिेिे पुरस्कार समिा. इि बीच उन्हो्ने िोकपाि को कानून बनाने को िेकर एक और असभयान चिाया. इिमे्महाराष््के अन्ना हज़्ारे, उत््र प््देश के िंजय सिंह, सदल्िी के कुमार सवश््ाि और सकरण बेदी जैिे िोगो्को जोड्ा. कानून बनाने के सिए मंस्तयो् के िाथ िसमसत मे् रहे. सफर आंदोिन, आमरण अनशन सकये. जब तत्कािीन कांग्ेि िरकार ने चुनौती दी सक बाहर िे कहना आिान है, सहम्मत है तो चुनाव जीत कर सदखाओ, तो अरसवंद ने आम आदमी पाट््ी बनायी. सदल्िी मे्चुनाव िडक़र 15 िाि
िे राज कर रही शीिा दीस््कत को सनकाि बाहर सकया. िेसकन उिी कांग्ेि का बाहर िे िमथ्भन िेकर िरकार बनायी और 47 सदन बाद िोकपाि के मुद्ेपर इस््ीफा दे सदया. देशभर मे् उनके सवपक््ी उन पर असतमहत्वाकांक्ी होने का आरोप िगाते है्. वे कहते है् सक अरसवंद ने सदल्िी के मुख्यमंत्ी की कुि्ी छोडक़र प््धानमंत्ी की कुि्ी पर बैठने का ख्वाब देखा. यही वजह है सक वे खुद भाजपा के प््धानमंत्ी
अमरिंदि रिंह ने पहले ही केजिीवाल को हरियाणवी कऱाि देकि िंदेह जता रदया रक केजिीवाल पंजाब के रहतों की िकंंा कैिे किेंगे? पद के उम्मीदवार नरे्द् मोदी के सखिाफ वाराणिी िे चुनाव िड्ा. भिे ही वे मोदी िे तीन िाख िे ज्यादा वोटो्िे हारे िेसकन उन्हो्ने दो िक््य हासिि सकये. पहिा पूरे देश ही नही् सवश््मीसडया की सनगाहे्इिी बहाने वाराणिी पर रही्और प््धानमंत्ी पद की रेसटंग मे वे मोदी के बाद िगातार दूिरे नंबर पर रहे. आप नेता आशुतोष कहते है्, 'मोदी िहर के बावजूद वाराणिी मे् मोदी के सखिाफ डेढ् िाख िे ज्यादा वोट पाना कोई छोटा काम नही् है. केजरीवाि को समिे वोट वहां कांग्ेि, िपा और बिपा तीनो् को समिे कुि वोटो् िे कही् ज्यादा थे. वह भी केवि 15 सदन के प््चार िे.'
केजरीवाि केवि वाराणिी मे्चुनाव नही्हारे, पूरे देश मे्हारे. आप ने 430 उम्मीदवार उतारे थे, केवि पंजाब मे् उिके चार प््त्याशी जीत पाये. िभी पंजाब मे्. सदल्िी की िरकार की 'कुब्ाभनी' के बावजूद आप वहां िभी िात िीटो् पर हार गयी. क्या पूरे देश मे्चुनाव िडऩा एक भूि थी? केजरीवाि ने माना सक यह पाट््ी की भूि थी. उन्हो्ने कहा, 'अगर हमने पूरे देश मे् िडऩे की जगह केवि तीन या चार राज्यो् पर ि्ोकि सकिा होता तो 30-35 िीटे्जीत िकते थे.' िेसकन उन्हो्ने इि गित आकिन के सिए योगेनद् ्यादव को सज़्मम् दे ार ठहराया. कहा, 'हम योगे्न्द्को कहने मे्आ गये. उन्हो्ने मेरी रेसटंग की वजह िे पूरे देश मे चुनाव िडऩे की सिि्ासरश की! दबाव बनाया.' एि िमय जब पाट््ी का मनोबि िबिे कम था तभी पाट््ी मे बग्ावत की िुगबुगाहट शुर् हुई. योगेन्द् यादव, शांसत भूषण, प््शांत भूषण जैिे िोगो् ने तीखे आरोप िगाये. केजरीवाि के कामकाज की शैिी की आिोचना की. यहां तक सक िोकिभा चुनाव मे्हार की िमीक््ा बैठक उि िमय बुिायी गयी जब केजरीवाि मानहासन के एक मामिे मे् मुचिका नही् भरने के कारण जेि मे् थे. इि आपधापी के बीच सदल्िी मे्सफर चुनाव हुए और आप ने 70 मे् 67 िीटो् पर जबरदस्् जीत हासिि की. पाट््ी मे्सववाद बढऩे िगा. योगेन्द् यादव चाहते थे सक सदल्िी का मुख्यमंत्ी बनने के बाद केजरीवाि पाट््ी िंयोजक का पद छोड् दे् और योगेन्द् खुद इि पद पर आ जाये्. इिी ‘आप’ का जुलूस: लोकवप््यता की लहर
शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
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आवरण मास्ट हेकथा ड
जीतने के दलए पूरा पंजाब
हदल्ली के मुख्यमंत्ी और आम आदमी पार््ी प््मुख अरहवंद केिरीवाल से शरद गुप्ता की बातचीत. क्या आप पंजाब के अलावा अगले साल होने वाले दहमाचल प्ि् श े , उत््राखंड, उत््र प््िेश, असम, पद््िम बंगाल या तदमलनाडु मे्भी चुनाव लड्ेगी? नही्. एक बार मे्केवल एक राज्य. अभी हमारा पूरा ध्यान केवल पंजाब पर केद््ित है. इसके बाि हम दहमाचल पर ध्यान िेग ् े क्यो्दक वहां चुनाव पंजाब के छह महीने बाि होना है. हमने वहां काम शुर् कर दिया है लेदकन तेजी पंजाब चुनाव के बाि आयेगी. उसके बाि ही उत््र प््िेश तथा अन्य राज्यो् पर ध्यान िे्गे. ऐसा क्यो्?
दिल्ली मे्इतनी बड्ी जीत के बाि आगे की राजनीदतक योजना क्या है? दकसी भी राज्य मे् राजनीदतक प््वेश से पहले वहां सांगठदनक ढांचा तैयार करना जर्री है. लोकसभा चुनाव मे्हमन पंजाब मे्चार सीटे्जीती थी् वह भी दबना दकसी संगठन के. हमे् लोगो् का खूब प्यार दमला. अगले साल जनवरी मे्दवधानसभा चुनाव होने है्, उसकी तैयादरयां चल रही है्. तो क्या पंजाब मे्पाट््ी ने संगठन बना दलया है? हां, यहां हमारा संगठन केवल दवधानसभा सीट पर नही्बल्लक पोदलंग बूथ के स््र पर तैयार हो गया है. लोहड्ी के अगले दिन मुक्तसर साहब मे् माघी मेले पर सभी िल रैली करते है्. इस साल हमारी रैली अकाली और कांग्ेस की रैली को दमला दिया जाये तो भी उनकी तुलना मे्कई गुना बड्ी थी. ऐसा हमारे जमीनी संगठन की वजह से ही हो सका है. यह काम केवल चार महीने मे्पूरा दकया गया है. पंजाब मे्आप को दमल रहे समथ्थन की क्या वजह है? प््िेश मे्नौ साल से अकाली िल और भाजपा की सरकार चल रही है. इससे ज्यािा दनकम्मी सरकार मै्ने नही् िेखी. काम तो इसने कुछ दकया नही्, बस जनता को लूटा है. हर काम मे्कमीशन, हर जगह भ्ष ् ्ाचार, लोग उकता गये है्. लोग एक ईमानिार और काम करने वाली सरकार चाहते है्. यहां के लोग बहुत मेहनती है् लेदकन प््काश दसंह बािल ने केवल अपना और अपने कुनबे का ही दवकास दकया है. पूरे सूबे को नशे की लत मे्डुबो दिया गया है. तादक वे हकीकत से बेखबर रहे्और सरकार की नाकामी पर परिा पड्ा रहे. आज आधा पंजाब नशा करता है. हर चौथा आिमी नशे की लत का दशकार है. कभी हदरत क््ांदत के अगुआ रहे पंजाब मे्आज दकसान आत्महत्या कर रहे है्.
बात पर सववाद बढ्ा और पाट््ी की शीष्भ राजनीसतक मामिो् की िसमसत ने योगेन्द् और प््शांत को पाट््ी ने सनकाि सदया. उनका िाथ देने की वजह िे पंजाब के चार मे्िे दो िांिदो् को भी सनष्कासित कर सदया गया. िंजय सिंह कहते है्, 'एक सवषय पर सकिी भी पाट््ी मे्एक ही मत होना चासहये. हमारे यहां उि िमय एक सवषय पर दो-तीन मत थे और पाट््ी ि्ोरम के बाहर भी व्यक्त हो रहे थे. इिसिए हमे् कड्े क़्दम उठाने पर मजबूर होना पड्ा.' 8
शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
हमने लोकसभा चुनाव से बहुत कुछ सीखा है. अगर हम पूरे िेश मे् लडऩे की जगह केवल िो या तीन राज्यो् मे् चुनाव लड्ते तो आम आिमी पाट््ी दसर्फ चार नही् बल्लक 30-35 सीटे् जीत जाती. हमने योगेन्ि् यािव के कहने मे्आकर दबना संगठन और संसाधनो्के सवा चार सौ से ज्यािा सीटो् पर चुनाव लड्ा और बुरी तरह हारे. पंजाब मे्आपको क्या संभावनाये्दिख रही है्? आज चुनाव हो जाएं तो हम कुल 117 मे् से 100 सीटे् जीते्गे. और यह हालत तो तब है जब मै्यहां नही्था. मुझे के्ि्सरकार ने दिल्ली मे् रंसा रखा है. रोज् ही कुछ न कुछ बखेड्ा खड्ा कर िेती है. दिल्ली सरकार का बजट पेश करने के बाि मै् पूरी तरह पंजाब चुनाव मे् लग जाऊंगा. कम से कम छह महीने यही् रहूंगा. यहां की भाषा, संस्कृदत आदि से अच्छी तरह वादकर होना चाहता हूं. हम यहां सारी सीटे् जीते्गे. अकाली िल तो अपनी साख पूरी तरह खो चुका है. वही् िो बार लगातार हारने के कारण कांग्ेस का मनोबल ध्वस्् है. कांग्ेस के पास िूसरा नेता है ही नही्इसदलए उसने िो बार हारे हुए अमदरंिर के नेतृत्व मे् दरर चुनाव लडऩे का रैसला दकया है. वे तीसरी बार हारने के दलए तैयार हो रहे है्. अमदरंिर दसंह कह रहे है् दक आम आिमी पाट््ी हमेशा पैसे न होने की दशकायत करती है, तो दरर उसके पास इतनी बड्ी रैली करने, सैकड्ो्बसे् लाने के पैसे कहाँ से आये? यह सच है हमारे पास पैसे नही्है. लेदकन हमारे वॉलंदटयर न दसर्फकाम कर रहे है्बल्लक खुि अपनी जेब से पैसा लगाकर काम कर रहे है्क्यो्दक उन्हे्मालूम है दक वे िेश के दनम्ाथण मे्योगिान कर रहे है्. हम धन जुटाने के दलये दडनर आयोदजत कर रहे है्. दविेशो्मे्रहने वाले पंजाब के लोग भी हमे्पैसे से मिि कर रहे है्. ईमानिारी से चंिा जुटाने के सैकड्ो्तरीके हमे् आते है्. आप दचंता न करे्. चुनाव लडऩे के दलए जर्री पैसे हमे् दमल ही जाएंग.े इसीदलए अमदरंिर हो्या बािल, सबको दरक््सता रही है दक वे एक भी सीट जीते्गे या नही्? n
पाट््ी मे्व्याप्त अिंतोष पर काबू पाने और सदल्िी मे् छह महीने िरकार चिने के बाद केजरीवाि ने सदल्िी िे बाहर पाट््ी के सवस््ार का फैििा सकया. जनवरी 2017 मे्होने वािे सवधानिभा चुनाव की वजह िे पंजाब पहिी पिंद बना. यहां िोकिभा चुनाव मे्भी पाट््ी का प््दश्भन अच्छा रहा था. पाट््ी ने िंजय सिंह को पंजाब प््भारी और दुग्ेश पाठक को िह प््भारी बनाया. पाठक ने पहिा काम पंजाब को अच्छी तरह जानेन का सकया. उत्र् प्द् श े के िंत कबीर
नगर के सनवािी िंजय सिंह के माग्दभ श्नभ मे्चार महीने तक पंजाक के हर गांव, गिी, कूचे की यात््ा की. उन्हो्ने पाट््ी के वािंसटयि्भ िे मुिाकात की और जमीनी िंगठन खड्ा सकया. दोनो् नेताओ की कड्ी मेहनत का नतीजा सदखा 15 जनवरी को भसटंडा िे 60 सकमी दूर मुक्तिर िाहब मे् आयोसजत आप की रैिी मे्. इि सदन आयोसजत माघी मेिे मे्िभी दि कुछकुछ सकिोमीटर की दूरी पर रैिी करते है्. यहां आप ने बाजी मार िी. अकािी दि और कांग्ेि
की रैिी मे् समिाकर सजतने िोग आये, उििे कई गुना ज्यादा िोग आप की रैिी मे्देखे गये. यह रैिी गेहूं के खेतो् मे् होती है सजिके सिये सकिानो् िे जमीन सकराये पर िी जाती है. अकािी दि और कांग्ेि ने 40-40 एकड् जमीन सकराये पर िी थी जबसक आप ने 60 एकड् जमीन सकराये पर िी थी. कांग् ेरि की रैिी मे्दोपहर दो बजे तक आधा मैदान भी नही् भरा था. यही नजारा अकािी दि की रैिी मे्भी था. िेसकन आप की रैिी मे् मैदान खचाखच भरा था. जगह की कमी के चिते आप के िमथ्भक अगि-बगि के खेतो्मे्फैि गये. कांगि ्े और अकािी दि के उिट आप की रैिी मे् युवाओ् की भीड् थी और जोश छिक रहा था. घबराये अकासियो् ने सनशाना िाधा. मुख्यमंत्ी प््काश सिंह बादि ने कहा सक केजरीवाि हसरयाणवी है और पंजाब के असधकतर मामिो् मे् हसरयाणा टकराव की ब्सथसत मे्रहता है. उनका इशारा था सक ित््ा मे् आने पर आप हसरयाणा के सहतो् का पोषण करेगी. उधर, कांगि ्े के प्द् श े अध्यक््अमसरंदर सिंह ने कहा सक इनके पाि पैिा नही्था तो सफर ये इतनी िारी बिे्कहां िे िाये, इिका सकराया कहां िे आया? केजरीवाि ने अपने भाषण मे्सकिानो्की आत्महत्या और नशे की िमस्या उठाते हुए अकासियो् के नौ िाि के भ््ष्ाचार का सजक्् सकया और वादा सकया सक उनकी िरकार के आने पर अकािी िरकार के कामकाज की जांच होगी और दोसषयो् को जेि भेजा जायेगा. वही्सपछिे दो चुनावो्हार चुकी कांग्ेि आपिी फूट की सशकार हो चुकी है. हाि ही मे्पाट््ी ने उन्ही्अमसरंदर सिंह को दोबारा अध्यक््बनाया है जो दो बार पाट््ी को हरवा चुके है्. कांग्ेि उपाध्यक््और प््देश प््वक्ता िुखदेव सिंह खैरा आम आदमी पाट््ी मे् शासमि हो चुके है्, पूव्भ मुख्यमंत्ी राजे्द् कौर भट््ि िसहत कई और नेताओ्के आप मे्जाने की चच्ाभ जोरो्पर है. पंजाब के िोग अकािी दि की िरकार िे बेहद नाराज है्. भसटंडा, मांिा के इिो भूजि िंक्मण िे त््स्है्. कै्िर की बीमारी बहुत बुरी तरह फैि चुकी है. भसटंडा िे रोज एक ट््ेन बीकानेर के सिये चिती है सजिे कैि ् र एक्िप्ि ्े कहकर पुकारा जाता है. खेती की हाित ऐिी है सक सकिान आत्महत्याये्कर रहे है्. बेरोजगारी चरम पर है. कई गांवो्मे्बैनर टांगे जा चुके है् सक यहां अकासियो् का घुिना मना है. पकड्े जाने पर जूतो्िे सपटाई होगी. भाजपा िोकिभा मे् यहां हुई हार िे उबर नही् पायी है, ऊपर िे नवजोत सिंह सिद्् के आप मे् जाने की चच्ाभ िगातार चि रही है. न तो सिद्् इिका खंडन कर रहे है्और न ही भाजपा कर पा रही है. एक बात आप के सखिाफ जाती है. उिके
भगिंत मान और सुच्ा वसंह छोटेपुर: सत््ा के दो दािेदार आप नेतृत्व के पाि दूिरी पास्टियो् के बड्े पाि पंजाब मे् बतौर मुख्यमंत्ी पेश करने के सिये कोई चेहरा नही् है. िंगर्र के िांिद नेता रोज़्िंपक्फकर रहे है्. कोई खुद कर रहा है भगवंत मान िोकस््पय अवश्य है्. वे टेिीसवजन तो कोई अपने दोस््ो्सरश्तदे ारो्के ज़्सरए. वे िभी के स्टै्डअप कॉमेसडयन रहे है्. आज भी िंभावनाये् तिाश कर रहे है्. िभी की एक ही केजरीवाि के बाद िबिे ज्यादा तासियां वही बात -हम तुरंत आप मे्शासमि हो िकते है्बि बटोरते है्िेसकन उनके सिये अपनी हंिोड्छसव अपने क़्द िायक पद चासहये. कोई मुख्यमंत्ी िे बाहर सनकिना मुब्शकि होगा. उनके भाषणो् के र्प मे्पेश सकये जाने की शत्भरख रहा है तो मे्चुटकुिे असनवाय्भर्प िे शासमि होते है.् एक कोई मंत्ी बनाने की. यानी आप की िरकार िमस्या शराब पीने की उनकी आदत है. सवपक््ी बनने की आशा िभी को है. यही वजह है सक इि पर सनशाना िाधने िगे है् क्यो्सक नशे को अरसवंद केजरीवाि को सदल्िी की सवशाि सवजय के बाद अब पंजाब मे् मजबूत िंभावना केजरीवाि ने पंजाब मे्बड्ा मुद्ा बनाया है. मान के अिावा दूिरे िोकस््पय नेता है् नजर आ रही है. उनके एक ओर कुअंा है तो पाट््ी के प््देश िंयोजक िुच्ा सिंह छोटेपुर. दूिरी ओर खाई्. अगर वे सकिी स्थानीय िेसकन िोकिभा चुनाव मे् गुरदािपुर िे बीजेपी के कम िोकस््पय व्यब्कत को मुख्यमंत्ी के र्प मे् सवनोद खन्ना के हाथो्सशकस््खाने वािे िुच्ा पेश करते है् तो चुनावी जीत धमाकेदार होगी सिंह कभी एक मज़्बतू अकािी नेता थे. िुरजीत इिमे्िंदेह है. अगर वह खुद को मुख्यमंत्ी के सिंह बरनािा के मंस्तमंडि मे् भी रहे. िेसकन र्प मे् पेश करते है् तो पंजाब उन्हे् सकतना अब उम््उनके िाथ नही्है. आप जैिी युवाओ् स्वीकार करेगा इिमे्िंशय है. उन्हो्ने शुकव् ार की पाट््ी मे् छोटेपुर की इज््ज़्त तो बहुत है, वे िे कहा सक सदल्िी का बजट पेश करने के बाद मेहनतीभी बहुत है्िेसकन मुख्यमंत्ी के र्प मे् वह पंजाब को कम िे कम छह माह का िमय दे्गे. वह वहां घर िेकर रहे्गे और स्थानीय उनकी स्वीकाय्भता होगी, इिमे्िंदेह है. ् सृ त को िमझेग् .े केजरीवाि का दावा है सक वही् सबना मुख्यमंत्ी के नाम की घोषणा िंसक सकये चुनाव िडऩे के नतीजे भाजपा को सबहार उनकी पाट््ी वहां िभी 117 िीटो् पर जीत मे् सदख चुके है्, इिसिए आप यह ख़्तरा नही् हासिि करेगी. केजरीवाि बार बार कहते है्सक सदल्िी मे् उठाना चाहती. इिी तरह बाहर िे िाये गये नेता को मुख्यमंत्ी का उम्मीदवार बनाने के नतीजे के्द् िरकार ने उनके हाथ बांध रखे है्. हर सदल्िी मे् सकरण बेदी के र्प मे् िाि् सदखे. फैििे मे्अड्ंगा िगाया जाता है. ऐिे मे पंजाब बाहरी व्यब्कत को पाट््ी का काडर स्वीकार नही् मे मुख्यमंत्ी बनने के बाद उन्हे्सकिी रोकटोक करेगा भिे ही वह नवजोत सिंह सिद््ही क्यो्न का डर नही् रहेगा. वे जैिे चाहे् िरकार चिा हो् सजनके आप मे् शासमि होने के बारे मे् िके्गे. उनके ताजे बयान कोई िंकेत है् तो हो अटकिे् बंद होने का नाम ही नही् िे रही् िकता है केजरीवाि खुद ही पंजाब के है्.हािाँसक, एक वसरष्् नौकरशाह ने शुक्वार मुख्यमंत्ी बनना पिंद करे्. उनके जीवन के ् ती दौर िे अब तक की घटनाओ्पर नजर िे कहा सक अगर आप सिद््को बतौर मुखय् मंत्ी शुरआ पेश कर चुनाव िड्े तो सनस््शत मासनये सक डािी जाये तो कहा जा िकता है सक खतरो्के सवपक््ी पास्टियाँ िाइसकि पर बैठ जाये्गी यानी इि सखिाड्ी का अगिा जुआ पंजाब का n मुख्यमंत्ी पद भी हो िकता है. उनको दो या तीन िीट ही समि पायेगी. शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
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आवरण कथा घववेक सकंसेना
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जाब की राजनीसत ऐसतहासिक मोड्पर आ पहुंची है. आजादी के बाद पहिी बार वहां िही अथ््ो् मे् स््तकोणीय मुकाबिे वािे सवधानिभा चुनाव हो रहे है्. अब तक यहां कांग्ेि और अकािी दि-भाजपा गठजोड् आमने िामने हुआ करते थे. अकािी दि के कुछ धड्े और यदाकदा बिपा और वाम दि छोटीमोटी भूसमका सनभाते थे िेसकन अिि मुकाबिा कांग्ेि और अकासियो् के बीच ही होता था. वष्भ 2012 मे् अकािी दि ने िगातार दूिरी बार चुनाव जीतकर इसतहाि रचा था. िेसकन अगिे िाि होने वािे चुनाव मे् कांग्ेि और अकािी दि दोनो् की राह मुब्शकि नजर आ रही है. खाितौर पर आम
आदमी पाट््ी (आप) की मौजूदगी इन दोनो्िे सकिी का भसवष्य बना या सबगाड् िकती है. िचाई यह है सक ऊपर िे भिे ही राज्य के प््मुख राजनीसतक सखिाड्ी जीत के दावे कर रहे हो्िेसकन दोनो्ही खेमो्मे्घबराहट िाफ महिूि की जा रही है. दोनो्को पता है सक इि स््तकोणीय मुकाबिे मे् फायदा सकिका होने वािा है. कांग्ेि आप को अपना मुख्य प््सतद््ंद्ी मान रही है वही्अकािी दि कांग्ेि को. अकािी-भाजपा गठबंधन वष्भ 2007 िे ित््ा मे् है. सपछिे सवधानिभा चुनाव मे् ित््ा सवरोध माहौि होने के बावजूद प््काश सिंह बादि वहां के िोगो्को यह कहकर सरझाने मे् कामयाब हो गये थे सक यह उनका आसखरी चुनाव है. उि वक्त उनकी उम्् 79 वष्भ थी और 2017 मे्वह 84 वष्भके हो जाये्गे. पंजाब
बड़े दलो़ की नी़द हराम
10 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
की अकािी िरकार के प््सत जनता के र्झान का पता तो मई 2014 के िोकिभा चुनाव मे् ही िग गया था. भाजपा के अर्ण जेटिी अमृतिर जैिी िुरस््कत िीट िे 1 िाख िे असधक वोट िे हार गये थे. बादि सपता-पुत् की जोड्ी ने उनको वहां िे िडऩे पर बाध्य सकया था. उनिे कहा गया था सक आप पच्ाभ भर कर चिे जाइये बाकी हम देख िे्गे. िेसकन हुआ एकदम उिटा. उनके चुनाव प््चार प््भारी िुखबीर सिंह बादि के िािे सवक््म सिंह मजीसठया थे. तब वहां दबे स्वरो् मे् िोग यही कहते थे सक दीवार सबगाड्े आिा और चुनाव सबगाड्े िािा. अगर जेटिी ने मजीसठया को अपना चुनाव प््भारी न बनाया होता तो शायद वे जीत जाते िेसकन आम जनता मे्अकासियो् खाितौर पर मजीसठया के प््सत नाराजगी का
पारंपहरक र्प से अकाली दल और कांग्ेस का गढ् रिे पंिाब मे्आगामी हवधानसभा चुनाव मे्आम आदमी पार््ी हनर्ाषयक भूहमका हनभायेगी हिसके कारर दोनो् दलो्की नी्द उड़्गयी िै. नरे्द् मोदी और प््काश वसंह बादल: स्िर्ण मंवदर मे् अरदास
हमारा मुक्ाबला ‘आप’ से
कांग्ेस की ओर से मुख्यमंत्ी पद के उम्मीदवार कैप्रन अमहरंदर हसंि से बातचीत. केजरीवाल की घोषणाये्लोगो्को लुभा रही है? वह लोगो् को मूख्थ बनाने मे् मादहर है्. ये आज शहीिो् को एक करोड् िेने की बात कर रहे है्, मै्ने तो मुख्यमंत्ी रहते िो करोड् की रादश िी थी. परममीर चक्् दवजेताओ् और अदभनव दबंि्ा सरीखे दखलादडय़ो् को िो-िो करोड्र्पये दिये थे. आप अपनी जीत को लेकर दकतने आशाल्नवत है्? सौ रीसि. दपछली बार हम महज 0.1 रीसिी वोट से हारे थे जबदक पीपीपी ने छह रीसिी वोट हादसल दकये थे. इस बार वे हमारे साथ है्. मगर आपके करीबी कांग्ेसी तक आप मे्जा रहे है्? पंजाब दवधानसभा चुनाव मे्कांग्ेस का मुकाबला दकससे है? अकादलयो्और भाजपा के गठबंधन को यहां की जनता पहले ही नकार चुकी है. ले िेकर आप ही इधर उधर नजर आ रही है. यहां की राजनीदत हमेशा िो ध््ुवीय रही है. पहले हमारा मुकाबला अकादलयो्से होता था, इस बार आप से होगा लेदकन वह भी प््तीकात्मक ही रहेगा. क्या माघी मेले मे् आप की जनसभा मे् आयी भीड् व लोकसभा चुनाव मे् उन्हे्दमली सरलता के कारण आप ऐसा कहने पर मजबूर है्? भीड् इकट््ी कर लेने का मतलब यह नही् है दक कोई चुनाव जीत जायेगा. मेले मे्भीड्आना स्वाभादवक है. लोग हर िुकान पर झांक लेते है्. जनता जानती है दक सरकार चलाना 'आप के बस की बात नही्है. यह लोग तो अराजकतावािी है.
खसमयाजा उनको िीट हारकर चुकाना पड्ा. इि िीट िे िगातार जीतते आ रहे नवजोतसिंह सिद्् की नाराजगी ने आग मे् घी का काम सकया. पंजाब मे् अकासियो् के सखिाफ जबरदस्् ित््ा सवरोधी माहौि है. भ््ष्ाचार और बेरोजगारी चरम पर है्. वही् दूिरी ओर युवा पीढ्ी नशे की ित का सशकार बन रही है. नशे के तस्करो् को समिने वािे िरकारी िंरक््ण के आरोप नये नही्है्. गत वष्भ पंजाब पुसिि के सडप्टी एिपी जगदीश सिंह भोिा को इि सििसििे मे्सगरफ्तार सकया गया था. तब पता चिा था सक वह मजीसठया के सिये काम करते थे. मामिे की जांच प््वत्भन सनदेशािय को िौ्पी गयी. यह सवत्् मंत्ािय के अधीन है सजिके प््भारी अर्ण जेटिी है्. प््वत्भन सनदेशािय के अफिरो्ने सवक््म मजीसठया िे पूछताछ की िेसकन मामिा आगे नही् बढ् िका. राज्य मे् शायद ही कोई ऐिा क््ेत् होगा जहां बादि पसरवार अपना कारोबार न चिा रहा हो. ट््ांिपोट्भ, शराब, ई्ट, रोड्ी िे िेकर केबि और चैनि तक के कारोबार मे् यह
कांगस ्े तो समुि्है. एकाध बूिं के इधर उधर हो जाने से कोई रक्फनही् पड्ता. बािल का आरोप है दक कांग्ेस के हाथ नवंबर 1984 के दसख दवरोधी िंगो्से रंगे है्? यह बेहूिा आरोप है. वे असली मुद्ो् से ध्यान हटाने के दलये इस तरह की बाते्कर रहे है्. उनसे पूछो दक वे खादलस््ान आंिोलन का समथ्थन क्यो् कर रहे थे? उन्हो्ने तो संदवधान जलाया था. इस चुनाव मे्आपके मुद्े क्या हो्गे? सबसे बड्ा मुद्ा बािल सरकार का भ््ष्ाचार व ड््ग्स की समस्या है. दकसान त््ादह-त््ादह कर रहे है्. मै्सत््ा मे्आने के चार हफ्ते के अंिर ड््ग्स की समस्या समाप्त कर िूंगा. दकसानो्को इंसार दमलेगा व भ््ष्ाचार पर पूरी तरह से रोक लगेगी.
पसरवार िगा हुआ है. अर्ण जेटिी को भी अपने चुनाव मे् यह वादा करना पड्ा था सक जीतने के बाद वह नशे िे मुब्कत और पुनव्ाभि के सिये िंस्थान स्थासपत करे्गे. अकािी दि का जाट सिखो् व सकिानो् के बीच तगड्ा जनाधार रहता था िेसकन वह कम हो रहा है. खाितौर पर डेरा िच््ा िौदा के गुरमीत सिंह राम रहीम को अकाि तख्त िे माफ करवाने मे्अकािी िरकार की भूसमका के कारण सिख कट््ïरपंसथयो् का एक बड्ा वग्भ उनिे िख्त नाराज है. इि नाराजगी का अंदाजा िगाते हुए ही सशरोमसण गुर्द्ारा प््बंधक कमेटी के इसतहाि मे्पहिी बार अकाि तख्त के फैििे पर पुनस्वभचार िसमसत गसठत करनी पड्ी. एक िमस्या यह भी है सक सजि भाजपा िे उनका शुर् िे गठबंधन रहा, उिी िे वे अब सनजात पाना चाहते है्. भाजपा मे् आम धारणा है सक अर्ण जेटिी ने अकासियो्िे दोस््ी के चिते पंजाब मे्पाट््ी का भट््ा सबठा सदया. कहने को अकािी िरकार मे्भाजपा के चार मंत्ी है् िेसकन रत््ी भर भी नही्चिती. कई बार तो ये मंत्ी मंच िे अपना दुखड्ा रो चुके है्. पाट््ी पर
अकासियो् के प््भाव का अंदाजा इि बात िे िगाया जा िकता है सक गत वष्भ सजि कमि शम्ाभ को पंजाब मे् पाट््ी का प््देश अध्यक्् बनाया गया वह इििे पहिे प््काश सिंह बादि के राजनीसतक ििाहकार थे. सवधानिभा मे् मुख्य िंिदीय िसचव और अमृतिर (पूव्भ) की भाजपा सवधायक नवजोत कौर सिद््कहती है्सक डीएम व एिपी हमिे िाफ कहते है्सक ऊपर िे आदेश है सक अन्य िोगो् का कोई काम न सकया जाये. अकासियो्ने हमारे पाष्भदो् को हराया. हम िोगो्ने भाजपा अध्यक््असमत शाह के िाथ अपनी बैठक मे् कहा सक हमारे िाथ धोखा हुआ है िेसकन उन्हो्ने कहा सक हम मीसडया मे्अपनी बात न कहे्. वह कहती है्सक इनका एक ही उद््ेश्य है नवजोत सिंह सिद््को कमजोर करना. उनके आरोपो्मे्दम है. भाजपा के तमाम नेता यह मानते है् सक अकािी भाजपा के जनाधार को मजबूत होने देना नही्चाहते. यही वजह है सक उन्हो्ने अमृतिर िे िगातार जीतने वािे नवजोत सिंह सिद्घू का सटकट कटवा कर वहां िे जेटिी को िड्वाया. उनकी शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 11
आवरण कथा
हम पहले से ज़्यादा मज्ब़ूत पंिाब के उपमुख्यमंत्ी सुखबीर हसंि बादल से बातचीत.
का नुकसान नही्होगा? यह आरोप कांग्ेस व आप सरीखे िल लग रहे है् जो आम जनता के प््दतदनदध है्ही नही्. इनके िुष्प्चार पर जनता ध्यान नही्िेगी. हमने 10 साल मे्इतना काम दकया है दक हम िोबारा सत््ा मे्अवश्य आये्गे. आरोप है दक सत््ा पर कादबज आपका पदरवार हर कारोबार मे्शादमल है. यह कहां तक उदचत है? संदवधान मे् कहां दलखा है दक नेता व्यापार नही् कर सकते है्. अगर मेरा पदरवार व्यापार धंधा नही् करेगा तो क्या हम अपना खच्थ भीख मांग कर चलाये्गे? हम एक नंबर का काम करते है्. सरकार को टैक्स अिा करते है्. इसमे्क्या गलत है? अगले साल होने वाले दवधानसभा चुनाव मे् अकाली िल का मुकाबला दकससे है? कांग्ेस से, आप से या भाजपा से? भाजपा हमारे गठबंधन का अटूट दहस्सा है. उसके साथ मतभेिो् की अरवाहे् िुश्मन उड्ाते रहते है्. आप की पंजाब मे् बहुत िुग्थदत हुई है. उसे चार मे्से िो सांसि पाट््ी से बाहर दनकालने पड्े. पाट््ी दवधानसभा उपचुनाव मे्बुरी तरह से हारी. दिल्ली मे्केजरीवाल को अपनी सरकार बचाने के दलये 22 संसिीय सदचव दनुयक्त करने पड्े. कांग्ेसी आपस मे्ही लड्रहे है्. इस बार अकाली िल पहले से भी ज्यािा सीटे्जीतेगा. पंजाब मे्अकाली िल के दवरोध मे्माहौल है. क्या इस सत््ादवरोधी माहौल
कोसशश सिंह को राजनीसत िे बाहर करने की थी. दरअिि अकािी जाट सिख सिद्् के बढ्ते राजनीसतक प््भाव को िेकर सचंसतत थे. सपछिे सदनो् जब भाजपा ने गांवो् मे् अपना आधार बढ्ाने की कोसशश की तो अकासियो्के दबंगो् ने उिके नेताओ् को दूर ही रहने की चेतावनी दे डािी. सदल्िी िे सकिी तरह का िमथ्भन न समिने के बाद ये नेता मन मिोि कर रह गये. पंजाब मे्भाजपा का एक बड्ा वग्भ मान रहा है सक अगिा सवधानिभा चुनाव अपने बूते िड्ा जाना चासहये. अगर अकािी दि के िाथ गठबंधन सकया गया तो िूपड्ा िाफ होना तय है. कांग्ेि को यह सचंता िता रही है सक एक दशक िे ित््ा िे बाहर होने के बाद अगर वह इि बार भी हार गयी तो पंजाब कही् उिके सिये उत््र प््देश या सबहार न िासबत हो. गत सवधानिभा चुनाव मे्कांगेि व अकािी भाजपा के वोटो् का अंतर महज 0.10 प््सतशत था िेसकन इििे िारा खेि खराब हो गया. वष्भ 2012 के चुनाव मे् प््काश सिंह बादि के भतीजे मनप््ीत बादि की पंजाब पीपुल्ि पाट््ी ने 6 फीिदी वोट िेकर, कैप्टन अमसरंदर सिंह को मुख्यमंत्ी बनने िे रोक सदया था. इि बार वे उनके दि का सविय कांग्ेि मे् करवाने मे् 12 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
राज्य मे्ड््ग्स की समस्या बहुत बड्ा मुद्ा बन गयी है. इसमे् आपके साले दवक््म दसंह मजीदठया तक के शादमल होने के आरोप है्. इस बारे मे्आपका क्या कहना है? पंजाब की सीमा से ड््ग्स की तस्करी होती है. दजसे गोवा, बे्गलुर्, तदमलनाडु, उत््प्िेश आदि भेजा जाता है. जहां इसकी खपत करने वाले राज्यो्मे्10-20 लोग ही पकड्ेगये वही्हमने 20 हजार लोगो्को पकड्ा है. सीमा पर बीएसएर तैनात है. एक अरसर इस दसलदसले मे् पकड्ा गया, छह माह बाि उसने दवक््म का नाम ले दलया. मामला अिालत मे्है तो कुछ कहना ठीक नही्. ड््ग्स का प््योग िेश के िूसरे दहस्सो्मे्हो रहा है, बिनामी हमारी हो रही है. इसे रोकने का हर संभव प््यास दकया जा रहा है.
कामयाब रहे है्. कांग्ेि को मजबूरी मे् कैप्टन अमसरंदर सिंह को मुख्यमंत्ी पद का उम्मीदवार घोसषत करना पड्ा. राज्य मे् पाट््ी बुरी तरह सवभासजत रही. प््ताप सिंह बाजवा की अध्यक््ता को कैप्टन ने कभी स्वीकार ही नही् सकया. दोनो् िाव्भजसनक र्प िे एक दूिरे को नीचा सदखाने की कोसशश करते रहे. िचाई तो यह है सक बाजवा ने सिंह को अमृतिर िे चुनाव िडाऩे के सिये हाईकमान को इिसिए मनाया था सक जेटिी िे हारकर कैप्टन सठकाने िग जाये्गे िेसकन वह जीत गये और दाव उिटा पड्गया. जब पूरे देश मे्कांग्ेि को केवि 44 िीटे् समिी् उि वक्त अमसरंदर सिंह अर्ण जेटिी को एक िाख िे असधक मतो् िे हराने मे् कामयाब रहे. उनका कद बढऩा िासजमी था. िोकिभा मे् कांग्ेि िंिदीय दि का उपनेता बनाये जाने के बावजूद वह िंिद मे्नही्गये. उनके करीबी हाईकमान को िगातार यह िंदेश देते रहे सक अगर पंजाब की कमान उनको नही् िौ्पी गई तो वे अिग क््ेत्ीय दि बना िे्गे. वह पहिे भी ऐिा कर चुके है्. दबाव काम आया और उनको पंजाब का प््देश अध्यक्् बना सदया गया. िाथ ही उनको मुख्यमंत्ी पद का उम्मीदवार भी घोसषत कर
सदया गया. अब वह पूरे दमखम िे प््चार काय्भ मे् जुट गये है्. पहिे मोदी और उिके बाद नीतीश कुमार की चुनावी रणनीसत बनाने वािे प््शांत सकशोर िे वह दो बार मुिाकात कर चुके है्. प््शांत सकशोर की टीम पंजाब के हािात का जायजा िे आयी है. परंतु यह तथ्य भी सकिी िे सछपा नही्है सक वे आप के उद््व िे वह खािे आशंसकत है्. वह कहते सफर रहे है् सक उनका मुकाबिा आप िे है. हाि ही मे् उनके करीबी कांग्ेिी नेता तक आप मे् चिे गये है्. िोकिभा चुनाव मे्जब पूरे देश मे्आप का िफाया हो गया तो भी पंजाब मे्उिके चार िांिद जीते. माना जा रहा है सजन नेताओ् को कांग्ेि िे सटकट नही्समिेगा वे िीधे आप का र्ख करे्गे. माघी मेिे मे् आप की जनिभा मे् आयी जबरदस्् भीड् िे भी कैप्टन परेशान है्. उन्हे् िग रहा है सक गत सवधानिभा चुनाव मे् जैिे पीपीपी ने अकािी सवरोधी वोट बांट कर कांग्ेि का खेि खराब सकया था कही् इि बार वही काम आप न सनभाये. हािांसक आप की अििी हैसियत तो वष्भ2017 मे्चुनाव के बाद ही तय होगी, िेसकन यह तय है सक अकािी-भाजपा जहां हार की आशंका िे भयभीत है्वही्कांग्ेि n की नी्द भी आप ने उड्ा रखी है.
मास् देशकाल ट हेड
रोवहत िेमुला: एक शानदार भविष्य का अंत
एक मौत से कई सवाल रोहित वेमुला की मौत देश के वंहचत समूिो्और मुह्ककल से िाहसल हकये गये उनके संसाधनो् पर एक ऐसी हवचारधारा द््ारा हकये िा रिे िै सूक्म िमलो्का िी नतीिा िै िो कुलीनता और वच्षस्वाद की पोरक िै. अघनल चमघिंया
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दराबाद सवश््सवद््ािय मे् रोसहत सवमुिा की घटना को महज अपवाद नही् िमझा जा िकता. सवचारधारा के हमिे को सकिी घटना िे जुड्ी तकनीकी बातो् या तथ्यो् के आिोक मात््मे्नही्िमझा जा िकता. पहिे हमे् इि दौर मे् हो रहे प््त्यक्् और अप््त्यक्् हमिो् को देखना होगा. िमाज के तमाम वंसचत वग्भ, चाहे वे जासत िे दसित और सपछड्े हो्, आसदवािी िमुदाय के हो्, िै्सगक स््र पर मसहिाएं हो्या धासमक स््र पर मुब्सिम, सिख अथवा ईिाई हो्- इन िभी पर हमिे को िाथ रखकर देखे् तो पता चिेगा सक हमिावर 14 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
सवचारधारा एक ही है. इन वंसचत नागसरक िमूहो्के आस्थभक, िामासजक और राजनीसतक सवकाि के हर िंिाधन पर हमिे हो रहे है्. सशक््ा िे िेकर खेती और उनके बीच के िामासजक भाईचारे िे िेकर रोजी-रोटी के तमाम िंिाधनो् को ऐिे िमूहो् ने बहुत मुब्शकि िे हासिि सकया है और अब उन पर िगातार हमिे हो रहे है्. यसद इि हमिो् को िमझना हो तो िंसवधान िभा मे् डाॅ आंबेडकर के अंसतम भाषण की कुछ पंब्कतयो् को चश्मे के र्प मे् इस््ेमाि सकया जा िकता है. उन्होने कहा था सक यह िंिदीय िोकतंत् अपनी यात््ा राजनीसतक र्प िे िमान, िेसकन आस्थभक और िामासजक स््र पर गहरी अिमानता की ब्सथसत मे् शुर् कर रहा है. यसद राजनीसतक िमानता का इस््ेमाि आस्थभक और िामासजक िमानता के सिए नही् हो पाया तो यह राजनीसतक स्वतंत्ता भी खतरे मे् होगी. आंबेडकर सजि िामासजक आस्थभक अिमानता का सजक्् कर रहे है्, जासहर है सक दूिरे शल्दो् मे् वे िामासजक और आस्थभक तौर पर वच्भस्व के एक ढांचे को तोड्ने की वकाित कर रहे है्. इि वच्भस्व के ढांचे की सवचारधारा का वाहक कौन है?
हाि मे् वंसचत िमूहो् के सखिाफ जो प््त्यक््और सहंिक हमिे हुए है्, उनके िमूचे पसरदृश्य पर नजर डािे् तो पता चिता है सक यह वंसचत िमूहो् के बीच सवकाि प््स्कया की वह कड्ी है सजिमे् उन्हो्ने अपने श््म, अपनी कासबसियत और ताकत िे पढ्कर, रोजगार हासिि करके िामासजक और आस्थभक स््र पर खड्ा होने की एक जमीन तैयार की है. दसितो् के पढ्े-सिखे पसरवारो् और युवाओ् के िाथ रोजी-रोटी कमाते मुब्सिम पसरवारो् पर हमिे की तमाम घटनाओ् को हम यहां याद कर िकते है्. िंसवधान के िागू होने के बाद यह िरकारो् की सजम्मेदारी रही है सक वे आस्थभक और िामासजक स््र पर िमानता की ब्सथसत बनाने की व्यवस्था करे्. उदाहरण के सिए देश मे्िभी बच््ो्के सिये िमानता आधासरत सशक््ा की व्यवस्था करे् और दूिरे तरह के िंिाधन सवकसित करे्. िेसकन सजि तरह की आस्थभक और िामासजक अिमानताएं रही है् उनमे् िमाज का बड्ा सहस्िा सशस््कत होने के मानदंडो्को पूरा करने िे या तो दूर रखा गया या सफर आस्थभक और िामासजक अिमानता इिके आड्ेआयी. कमजोर वग्भके बच््ेस्कूि मे् जाने की बजाय खेतो् और िड्को् पर
आत्महत्याओ् के कै्पस देश के कॉिेजो्-सवश््सवद््ाियो्मे्दसित और आसदवािी छात््ाे्की आत्महत्याओ्की िूची l l l
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एम श््ीकांत, बी टेक, आईआईटी मुंबई, 1 जनवरी, 2007. अजय चंद्ा, पीएचडी, आईआईएििी बंगिुर्, 26 अगस््, 2007. जिप््ीत सिंह, एमबीबीएि गवन्भमे्ट मेसडकि कॉिेज चंड्ीगढ्, 27 जनवरी, 2008. िे्सथि कुमार, पीएचडी, स्कूि ऑफ सफसजक्ि, हैदराबाद सवश््सवद््ािय, 23 फरवरी, 2008. प््शांत कुरीि, बी टेक, आईआईटी कानपुर 19 अप््ैि, 2008. जी िुमन, एम टेक, आईआईटी कानपुर, 2 जनवरी, 2009.
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अंसकता वेघदा, बीएििी, अहमदाबाद, 20 अप््ैि, 2009. डी श्याम कुमारप्पा, बी टेक, िरोसजनी इंस्टीट््ूट सवजयवाड्ा, 13 अगस््, 2009. एि अमरावती, स्पोट्भि ऑथोसरटी ऑफ आंध्प्देश. हैदराबाद, 4 नवंबर, 2009. बंदी अनुशा, बी कॉम, सवल्िा मेरी कॉिेज हैदराबाद, 5 नवंबर, 2009. पुष्पांजसि पूस्तभ, एमबीए, सवश््ेश्र टेक्नॉिॉजी यूसनवस्िभटी बंग्ािुर् 30 जनवरी, 2010. िुशीि कुमार चौधरी, एमबीबीएि, छत््पसत िाहूजी महाराज मेसडकि यूसनवस्िभटी, िखनऊ, 31 जनवरी, 2010. बाि मुकुंद भारती, एमबीबीएि, एम्ि, नयी सदल्िी, 3 माच्भ2010. जी के रमेश, बीएििी, यूसनवस्िभटी ऑफ एग््ीकल्चर िाइंि, बंगिुर्, 1 जुिाई, 2010.
मजदूरी करने के सिए बाध्य होते है्. यानी पर अिमानता के सशकार रहा है? यह गौर करे् िरकार ने सशस््कत होने के जो मानदंड तय सक कैिे वोट देने और चुनाव मे् वंसचत िमूहो् सकये अपने िभी नागसरको् के सिए उन को खड्ा होने िे सकन-सकन तरीको् िे दूर मानदंडो् के अनुर्प व्यवस्था सवकसित करने सकया जाता रहा है. पहिे िमाज के कमजोर वग््ो् को वोट नही् देने सदया जाता था. बाद के मे्वह सवफि रही. आस्थभक और िामासजक स््र पर िमानता दौर मे्कमजोर वग्भके िोग चुनाव मे्खड्ेनही् की ब्सथसत बहाि नही् कर पाने के हािात मे् हो िके. इिकी व्यवस्था आस्थभक स््र पर राजनीसतक ढांचे के पाि क्या सवकल्प रह चुनाव की प््स्कया को महंगी दर महंगी करके जाता है? क्या उिे राजनीसतक िमानता की कर दी गयी. दूिरी तरफ, राजस्थान और ब्सथसत को ही खत्म कर देने की तरफ जाना हसरयाणा मे् सजन कारणो् िे चुनाव मे् चासहए? गौर करे् तो राजनीसतक िमानता मे् उम्मीदवार नही् हो पाने की व्यवस्था की गयी कटौती सकिे प््भासवत करती है? क्या उिी है उिके सनशाने पर यही वंसचत िमूह है्. इिके वग्भको नही्, जो आस्थभक और िामासजक स््र अिावा राजनीसतक िमानता की िड्ाई को िेमुला की मां राविका के साथ राहुल गांिी: हादसा और हमदद््ी
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माधुरी िािे, बी टेक आई आई टी, कानपुर, 17 नवंबर, 2010. जी वरिक््मी, बी टेक सवगनान इंजीसनयसरंग कॉिेज, 30 जनवरी, 2011. मनीश कुमार, बी टेक, आईआईटी र्ड्की, 13 फरवरी, 2011. सिनेश मोहन गाविे, पीएचडी, नेशनि इंसट् ीच्यटू ऑफ इम्यनु ोिॉजी, नयी सदल्िी 16 अप््ैि, 2011.
वोट देने और िेने िे इतर स्वतंत्ता िंग्ाम के दौरान हासिि पूण्भ राजनीसतक असधकारो् िे जोडक़र देखा जाना चासहए. क्या राजनीसतक िमानता और असधकारो्मे्कटौती उिी दौर मे् नही् होती है जब आस्थभक और िामासजक अिमानता की नीसतयो् पर जोर सदया जाता है और यह महिूि सकया जाता है सक राजनीसतक िमानता वािी िंस्थाएं इन नीसतयो् के आड्े आती है्? रोसहत के मारे जाने की घटना को इिी पसरप््ेक्य मे् देखे जाने की आवश्यकता है. सशक््ण िंस्थानो्को सवकाि की मौजूदा प््स्कया मे् िमानता हासिि करने का एक माध्यम माना जाता है. परंतु उन िंस्थानो्मे्अिमानता के सशकार रहे िोगो् पर हमिे की घटनाएं बढ्ती चिी गयी्. ये हमिे प््त्यक्् भी है् और अप््त्यक््भी. यहां हमिो्की पहचान करने के पहिे उिकी वजह को स्पष््करने वािे पहिू के बारे मे्िोचना आवश्यक है. देश के तमाम सशक््ण िंस्थानो्मे्वंसचत िमूहो्के दासखिे िे िेकर सडग््ी समिने के बाद िरकारी नौकरी मे् अविर मुहैया कराने तक के हर फैििे के सवरोध का के्द् यही सशक््ण िंस्थान रहे है्. आसखर इन सशक््ण िंस्थानो् मे् िंवैधासनक असधकारो् व व्यवस्था के सवर्द् हमिो् की अगुआई कौन िोग करते है्? सवचारधारा के स््र पर उिकी सशनाख्त उिी र्प मे् होती है जो धम्भ, जासत और सिंग के आधार पर िमाज मे् अपना वच्भस्व बनाये हुए है्. ये वही िोग है् जो िभी आस्थभक िंिाधनो् के ढांचो् पर कासबज है्. यसद उि शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 15
मास् देशकाल ट हेड
सवचारधारा के िांगठसनक प््सतसनसधत्व की पहचान करनी हो तो वह सहंदुत्व की शाखओ् के र्प मे् हमारे िामने आती है. इि बात को िमझना भी आवश्यक है सक जब जब िमानता के सिए िंवैधासनक व्यवस्थाओ्को िागू करने का अविर आया है, तब-तब िांप्दासयक हमिे तेज हुए है्. गुजरात मे् आरक््ण िागू करने के फैििे िे िेकर के्द् िरकार के मंडि आयोग की सिफासरशो् को िागू करने तक की घटनाओ्पर नजर डािी जा िकती है. सशक््ण िंस्थाओ् िे बाहर करने िे िेकर आत्महत्या की पसरब्सथसतयां तैयार करना तक इि हमिे का ही एक र्प है्. रोसहत के मारे जाने की घटना कोई नयी नही् है. उपिल्ध िूची के मुतासबक हाि के वष््ो् मे् सशक््ण िंस्थानो् मे् िोगो् के मारे जाने की घटनाएंं आत्महत्या के र्प मे् दज्भ है् िेसकन इन
16 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
करते है् और अपनी ताकत को गैरिोकतांस्तक तरीके िे बढ्ाने के सिए िंसवधान के ढांचे का इस््ेमाि भी करते है्. िरकारी मशीनरी का दुर्पयोग वे छत््ीिगढ्, झारखंड मे्और दूिरी जगहो्पर उिी तरह करते है्जैिे सशक््ण िंस्थानो् मे् करते है. यही सवचारधारा है सजिका र्प जगह के मुतासबक बदि जाता है. रोसहत जैिे छात््ो्को छात््ावाि िे सनकािा जाना सकिी िामान्य छात्् को सनकािने जैिा नही् है. उिे बेघर करने और देश-सनकािे के र्प मे् देखा जाना चासहए. िमाज का जो िदस्य खाने-पीने िे िेकर रहने को मोहताज रहा हो, उिकी सशक््ण िंस्थान तक पहुंचने की सौजन्य: बीबीसी वहंदी पूरी दुग्भम यात््ा के बाद अचानक उिे छात््ावाि घटनाओ्को महज आंकड्ेमे्पसरवस्तभत करके िे सनकािा जाना उिे 'पासकस््ान' भेजने जैिा नही् देखा जा िकता है. इन घटनाओ् मे् उि ही है. रोसहत को कै्पि मे् मुजफ्फरनगर पर सवचारधारा के चसरत्् मौजूद है् जो रोज होने आधासरत सफल्म प््दस्शभत करवाने और याकूब वािी ऐिी हजारो्घटनाओ्मे्िस््कय रहती है. मेनन की फांिी का सवरोध करने के सिए बेघर फक्फकेवि इतना है सक आत्महत्याओ्के र्प सकया गया था. उिके सिये िंघ की शाखा की ताकत नाकाफी िगी इिसिए सदल्िी की मे्उनको कही्दज्भनही्सकया गया. इिकी क्या वजह हो िकती है सक दसितो् िल्तनत ने सचठ््ी के र्प मे् हसथयार भेजे. के सखिाफ होने वािे हमिो् मे् असखि हमिो् के इन नये र्पो् को पुराने िंदभ््ो् के भारतीय सवद््ाथ््ी पसरषद (अभासवप) िाथ िमझना आवश्यक है. द््ोणाचाय्भ ने एकिव्य िे जो अंगूठा मांगा आक््ामक नजर आती है? मुब्सिमो् के सखिाफ उिकी आक््ामकता का भी यही था, वह िमय के िाथ नयी शक्ि अब्खतयार आिम है. सशक््ण िंस्थानो् मे् हमिो् की कर िेता है. आज छात््ावाि और छात््वृस्त ही घटनाओ् का िेखाजोखा तैयार सकया जाये तो वह अंगूठा है सजिे काटने की कोसशश की जाती यह देखा जा िकता है सक िंघ की इि शाखा है. अपनी भाषा को िादना भी इिी कवायद का ने इिमे्सकि कदर भूसमका सनभायी. हैदराबाद सहस्िा है. एम्ि मे् असनि मीणा के मारे जाने की घटना को इि तरह िे भी देखा जाना चासहए की घटना के पीछे यह वजह नही् थी सक वह सक वे िंसवधान की व्यवस्थाओ् का सवरोध भी पढ्ना नही् जानता था या िमझदार नही् था. विश््विद््ालय हॉस्टल से वनष्कासन के समय िेमुला और उनके साथी: भेदभाि के वशकार
छाया से नसतारो् तक आत्मित्या से पिले हलखा गया रोहित वेमुला का अंहतम पत््.
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प जब ये पत्् पढ् रहे हो्गे, तब मै् नही् होऊंगा. मुझ पर नाराज़् मत होना. मै्जानता हूं सक आप मे्िे कई िोगो्को मेरी परवाह थी, आप िोग मुझिे प्यार करते थे और आपने मेरा बहुत ख्ायाि भी रखा. मुझे सकिी िे कोई सशकायत नही्है. मुझे हमेशा िे ख़्ुद िे ही िमस्या रही है. मै् अपनी आत्मा और अपनी देह के बीच की खाई को बढ्ता हुआ महिूि करता रहा हूं. मै् एक दानव बन गया हूं. मै् हमेशा एक िेखक बनना चाहता था. सवज््ान पर सिखने वािा, काि्भिागां की तरह. िेसकन अंत मे्मै्सििफ्यह पत््सिख पा रहा हूं. मुझे सवज््ान िे प्यार था, सितारो् िे, प््कृसत िे, िेसकन मै्ने िोगो् िे प्यार सकया और यह नही् जान पाया सक वे कब के प््कृसत को तिाक़् दे चुके है्. हमारी भावनाएं दोयम दज््ेकी हो गयी है्. हमारा प््ेम बनावटी है. हमारी मान्यताएं झूठी है्. हमारी मौसिकता वैध है बि कृस्तम किा के ज़्सरये. यह बेहद कसठन हो गया है सक हम प््ेम करे्और दुखी न हो्. एक आदमी की क़्ीमत उिकी तात्कासिक पहचान और नज़्दीकी िंभावना तक िीसमत कर दी गयी है. एक वोट तक. आदमी एक आंकड्ा बन कर रह गया है. एक वस््ुमात््. कभी भी एक आदमी को उिके सदमाग् िे नही्आंका गया. एक ऐिी चीज़्जो स्टारडस्ट िे बनी थी. हर क््ेत्मे्, अध्ययन मे्, गसियो्मे्, राजनीसत मे्, मरने मे्और जीने मे्. मै् पहिी बार इि तरह का पत्् सिख रहा हूं. पहिी बार मै् आस्ख़री पत््सिख रहा हूं. मुझे माि्करना अगर इिका कोई मतिब न सनकिे तो. हो िकता है सक मै् ग्ित हूं अब तक दुसनया को िमझने मे्. प््ेम, दद्भ, जीवन और मृत्यु को िमझने मे्. ऐिी कोई हड्बड्ी भी नही्थी िेसकन मै् हमेशा जल्दी मे्था. बेचनै था एक जीवन शुर्करने के सिए. इि पूरे िमय मे्मेरे जैिे िोगो्के सिए जीवन असभशाप ही रहा. मेरा जन्म एक भयंकर दुघटभ् ना थी. मै्अपने बचपन के अकेिपे न िे कभी उबर नही्पाया. बचपन मे्मुझे सकिी का प्यार नही्समिा. इि क््ण मै्आहत नही्हूं. दुखी नही्हूं. मै्बि ख़्ािी हूं. मुझे अपनी भी सचंता नही्है. यह दयनीय है और यही कारण है सक मै्ऐिा कर रहा हूं. िोग मुझे कायर क़्रार दे्गे. स्वाथ््ी भी, मूख्भभी. जब मै्चिा जाऊंगा, मुझे कोई ि्क़फ् नही् पड्ता सक िोग मुझे क्या कहे्गे. मै् मरने के बाद की कहासनयो्, भूत-प्त्े मे्यक़्ीन नही्करता. अगर सकिी चीज़्पर मेरा यक़्ीन है तो वह यह सक मै्सितारो्तक यात््ा कर पाऊंगा और जान पाऊंगा सक वह अपनी िमझ को सवकसित करके उिे िमाज मे्इस््ेमाि करने की क््मता रखता था और वह अपनी भाषा मे् यह िब कर िकता था. िेसकन उिे कहा गया सक वह अपनी क््मताओ्का इस््ेमाि अपनी भाषा मे्नही्कर िकता. उिे इिकी इजाजत नही्है. उिे कहा गया सक वह अंग्ेजी जाने. अगर नही्जानता है तो वह िक््म नही् है. वच्भस्ववादी सवचारधारा ने अंग्ेजी को अंगूठा बना सदया. सजि िूची की चच्ाभ की गयी, उिमे् मारे जाने की एक वजह फेि कर देना भी है. सशक््ण िंस्थानो्मे्वंसचत वग्भ के िदस्यो् को बार-बार फेि कर देना भी अंगूठा मांगना
दूिरी दुसनया कैिी है. आप जो मेरा पत््पढ्रहे है्, अगर कुछ कर िकते है्तो मुझे अपनी िात महीने की िे्िोसशप समिनी बाक़्ी है. एक िाख 75 हज़्ार र्पये. कृपया यह िुसनस््शत कर दे्सक यह पैिा मेरे पसरवार को समि जाये. मुझे रामजी को चािीि हज़्ार र्पये देने थे. उन्हो्ने कभी पैिे वापि नही्मांगे. िेसकन प्िीज़्िे्िोसशप के पैिे िे रामजी को पैिे दे दे्. मै् चाहूंगा सक मेरी शवयात््ा शांसत िे और चुपचाप हो. िोग ऐिा व्यवहार करे्सक मै्आया था और चिा गया. मेरे सिए आंिू न बहाए जाएं. आप जान जाये्सक मै्मर कर ख़्ुश हूं. जीने िे असधक. 'छाया िे सितारो्तक'. उमा अन्ना, यह काम आपके कमरे मे्करने के सिए माि्ी चाहता हूं. अंबेडकर स्टूडे्ट्ि एिोसिएशन पसरवार, आप िब को सनराश करने के सिए माि्ी. आप िबने मुझे बहुत प्यार सकया. िबको भसवष्य के सिए शुभकामना. आस्ख़री बार जय भीम मै्औपचासरकताएं सिखना भूि गया. ख़्ुद को मारने के मेरे इि कृत्य के सिए कोई स्ज़म्मेदार नही्है. सकिी ने मुझे ऐिा करने के सिए भड्काया नही्, न तो अपने कृत्य िे और न ही अपने शल्दो् िे. यह मेरा िै्ििा है और मै्इिके सिए स्ज़म्मेदार हूं. मेरे जाने के बाद मेरे दोस््ो्और दुश्मनो् को परेशान न सकया जाये. n
ही तो है. यह सवचारधारा की ही नजर है सक एक छात्् सिसखत परीक््ा मे् सनध्ाभसरत मानक अंको्िे कही्ज्यादा प््ाप्त कर िेता है, िेसकन जब वह मौसखक परीक््ा के सिए आधुसनक द््ोणाचाय््ो् के िामने आता है तो उिे अयोग्य मान सिया जाता है. सदल्िी मे् जवाहर िाि नेहर् सवश््सवद््ािय मे् दासखिे के सिए मौसखक परीक््ा मे् दसित, सपछड्ो् और आसदवािी सवद््ास्थभयो् के िाथ भेदभाव की एक िूची तैयार की. ग्यारह सवद््ास्थभयो् की िूची मे् नौ दसित, सपछड्े और आसदवािी समिे सजनको सिसखत परीक््ा मे् तो 35 िे िेकर 53 अंक
समिेे, िेसकन मौसखक परीक््ा मे् एक िे आठ तक अंक ही सदये गये जबसक जो देा सवद््ाथ््ी अनारस््कत वग्भ िे थे उनको सिसखत परीक््ा मे्45 तथा मौसखक परीक््ा मे्26 अंक सदये गये. वंसचत वग्भ को मारने के सिए बेहद िूक्म और िचीिे हसथयार प््योग सकये जाते है्. वष्भ 2011 मे्तैयार की गयी एक िूची मे्चार िाि मे् 18 ऐिी घटनाएं दज्भ की गयी् सजनमे् आत्महत्या के बाद दसित सवद््ास्थभयो् के पसरजनो् ने आवाज उठायी. ये आत्महत्याएं मेसडकि कॉिेजो् के अिावा आईआईटी, आईआईएििी के अिावा कई तकनीकी n िंस्थानो्मे्की गयी्. शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 17
मास् देशकाल ट हेड उघंमिलेश
नशक््ा िही्, नहंसा के संस्थाि िमारे उच््हशक््ा संसर् ान प्ह्तभाओ्से इस कदर नफरत क्यो्करते िै?् इस ित्यारी प्व् हृ ्ि के ज्यादातर हशकार दहलत और उत्पीहड़्त समाि के बच््ेिी क्यो्बन रिे िै्?
है
दराबाद मे्रोसहत वेमुिा के िाथ जो हुआ, वह हमारे सवश््सवद््ाियो् और अन्य उच््सशक्ण ् िंसथ ् ानो्मे्िंबे िमय िे हो रहा है. और हमारे िमाज मे् िसदयो् िे. भारतीय वण्भव्यवस्था की कू्रता हमारे िामासजक जीवन का सहस्िा बन चुकी है. रोसहत जैिे िोग हर क््ण इिके सशकार होते रहे है.् िेसकन इि बार मामिा अिग था. रोसहत की आत्महत्या और उििे जुड्ेअन्य पहिुओ्की िूचना को िोशि मीसडया और आंध्-तेिंगाना के छात्् युवा आक््ोश ने राष््व्यापी बना सदया. इि बात ने मुख्य धारा के मीसडया पर भी कवरेज का दबाव बनाया. दसित और उत्पीसड्त िमाज के छात््युवाओ्के तीखे प््सतरोध के चिते इि 'कत्ि ' पर राष््व्यापी बहि सछड्ी तो 'कासति' चौकन्ने हो गये. उन्हो्ने बचाव का एक िंकरा रास््ा तिाश सकया और खुशी मे्कहने िगे, 'रोसहत ने स्युिाइड नोट मे्अपनी मौत के सिये सकिी को सजम्मेदार नही्ठहराया.' कैिा जुगुप्िा भरा आह््द है यह. कहां रोसहत वेमुिा जैिा सवराट मानवीय व्यब्कतत््व और कहां प््सतभाओ्के कत्ि के पुराने शौकीन ये वण्ाभश्मी कट््रपंथी. हैदराबाद के्द्ीय सवश््सवद््ािय के दो छात्् िमूहो् के सववाद मे् सवश््सवद््ािय प््शािन, स्थानीय िांिद और देश का मानव िंिाधन सवकाि मंत्ािय, िब एक िमूह के िाथ पुख्ता ढंग िे खड्ेहो गये. रोसहत को जुिाई 2015 या शायद कुछ और पहिे िे ही सनजी तौर पर उत्पीडऩ झेिना पड् रहा था. उिकी सरिच्भ फेिोसशप रोक दी गयी थी. एक शोध छात्् सजिकी मां गांव कस्बे मे् कपड्े सििकर अपना पसरवार चिाती हो, वह फेिोसशप के सबना भिा अपना शोध कैिे पूरा करता? िेसकन सवश््सवद््ािय अथवा उिके सवभाग को इिकी कोई सचंता नही्थी. उिे और उिके दोस््ो्को फंिाने की कोसशश िगातार होती रही. अब यह तथ्य िाव्भजसनक हो चुके है् सक कैिे के्द्ीय राज्य मंत्ी और स्थानीय भाजपा िांिद बंडार् दत््ात््ेय के कहने पर मानव िंिाधन मंत्ािय हरकत मे् आया और सवश््सवद््ािय प््शािन पर रोसहत िसहत अन्य दसित छात््ो्के सवर्द्घ शीघ््कार्भवाई का दबाव बनाना शुर् सकया गया. एक बड्े कैसबनेट मंत्ी की कृपा िे हाि ही मे् सनयुक्त कुिपसत ने इिमे् कोई देरी नही् की. वीिी बनते ही उन्हो्ने रोसहत और उिके िासथयो् के सखिाफ िख्त कार्भवाई का ऐिान कर सदया. सनिंबन के अिावा उनके िर पर िे छत भी सछन गयी. इिके अिावा िामासजक बसहष्कार कराया गया. ित्याग््ह और िंघष्भ के अिावा अब उनके पाि कोई रास््ा न था. िेसकन प्श ् ािन इन दसित युवाओ्के आंदोिन पर कान न देने के सिये कसटबद्घ था. इि बीच सनतांत गरीब पसरवार िे आने वािे रोसहत के सदिोसदमाग मे्क्या चि रहा होगा इिे िमझ पाना एक खातेपीते िमाज के सिये कसठन है. अपने आसखरी पत््मे,् जो रोसहत की पहिी रचना भी है, उिने अपने अंतद्््वदं ,् अपने िपनो्और िामासजक िंदभ्भकी जसटि 18 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
वास््सवकता को िशक्त दाश्भसनक अंदाज मे् व्यक्त सकया है. यह आत्महत्या जो कई मायनो्मे्हत्या िे भी असधक जघन्य प््तीत होती है, िे उठते मुद्ो् को िमझे बगैर यह तय कर पाना मुब्शकि होगा सक रोसहत वेमुिा को कैिे मौत की घाटी मे्धकेि सदया गया. उिके अिि गुनहगार कौन है्? एक सवश््सवद््ािय अपने शैक्सणक और प््शािसनक कामकाज मे् स्वायत््िंस्थान है. ऐिे मे्सकिी के्द्ीय राज्यमंत्ी का दो छात््-िमूहो्के सववाद मे् एक का भरपूर पक्् िेना और दूिरे को राष््-सवरोधी और जासतवादी बताते हुए के्द्ीय मंत्ािय िे तत्काि हस््क्ेप और कार्भवाई की मांग करना क्या सवश््सवद््ाियीय स्वायत््ता का गिा घो्टना नही् है? के्द्ीय मानव िंिाधन मंत्ी द््ारा असतशय र्सच सदखाते हुए 'इि मामिे मे् हुई प्ग् सत' िे उन्हे्अवगत कराने का पत््और मेि सवश्स्वद््ािय प्श ् ािन को सभजवाना क्या रोसहत की आत्महत्या की पृष्भूसम बनाने की कार्भवाई नही् है? क्या यह एक तरह िे सवश््सवद््ािय को सनद््ेश देना नही् है? राजग िरकार के आगमन के बाद िे ही सवश्स्वद््ाियो्और उच््सशक्ण ् िंस्थानो्मे्एक खाि एजे्डे के तहत दसित और सपछड्ेवग्भके छात््ो्को चुनचुन कर सनशाना बनाया जा रहा है. खाितौर पर उन िोगो् को जो सहंदुत्ववादी मानसिकता िे अिग िमावेशी और िमाजोन्मुखी िोच िे प््भासवत है्. कुछ ही महीने पहिे की बात है, मद््ाि आईआईटी मे् अंबेडकर-पेसरयार स्टडी िस्कफि के सखिाफ कुछ अज््ात िोगो् ने मानव िंिाधन सवकाि मंत्ी को सशकायती खत सिखा था. इिके बाद उि िस्कफि पर प््सतबंध िगा सदया गया. आईआईटी िंस्थानो् की कै्टीनो् मे् मांिाहार को सनसषद्घ कर सदया गया. हैदराबाद मे् ऐिा ही भगवा एजे्डा थोड्ा ज्यादा सहंिक और भौड्े अंदाजा मे् िागू सकया गया. यह पूरा प्क ् रण अभासवप के नेता िुशीि कुमार की झूठी सशकायत और दत््ात््ेय की सचट््ी के बाद शुर्हुआ. प््श्न यह है सक हमारे उच्् सशक््ा िंस्थान प््सतभाओ् िे इि कदर नफरत क्यो्करते है्? इि हत्यारी प््वृस्त के ज्यादातर सशकार दसित और उत्पीसड्त िमाज के बच््े ही क्यो् बन रहे है्? आसखर, जेएनयू के माक््िवादी हो् या बीएचयू के ब््ाह्मणवादी-कम्भकांडी, दसित उत्पीसड्त िमाज के छात््ो् को िेकर उनका नजसरया प््ाय: एक िा क्यो् रहता है? इि प्श् न् का उत्र् सकिी न्यासयक आयोग के पाि नही्है. इिके सिये उच्् सशक््ा िंस्थानो्और उनकी सनयामक िंस्थाओ्मे्िकारात्मक कार्भवाई के सिये ठोि कदम उठाने हो्गे. सवश््सवद््ािय और मंत्ािय चिाने वािो् के सदिोसदमाग मे्जगह बनाये 'वण्ाश भ म् ी कीड्'े को बाहर करना होगा. क्या यह सकिी प््धानमंत्ी के र्आंिा होकर भाषण देने या एक आयोग बनाने n अथवा सकिी नये पसरपत््को जारी करने मात््िे हो जायेगा?
मास् मीडडया ट हेड वघंतिका नंदा
ग्लती के नलए खेद िही्
यि कोई पिला मौका निी्िै िब मीहिया, खास तौर पर रेलीहविन न्यूि चैनल पर सिी पिचान को न देने या हफर पिचान को हछपाने को लेकर गलहतयां िुई्िो्.
अ
रसवंद अरसवंद केजरीवाि पर सकिी ने स्याही फे्क दी. िभा सदल्िी के मुख्यमंत्ी की थी. इिसिए कैमरो्की भीड्िगी हुई थी. टीवी के कैमरे ने देखा, इिसिए िारी दुसनया ने भी देखा सक एक युवती थी सजिके पाि स्याही थी और उिी ने यह काम सकया. कैमरे दूरी पर थे, उनकी अपनी िीमा थी. कुछ देर मे् नाम िामने आया – भावना अरोड्ा. अब जर्रत थी उि चेहरे को जरा करीब िे सदखाने की तासक जनता उिे पहचान िके. एक टीवी चैनि ने इि काम मे् खािी फुत्ी सदखायी. उिने भावना अरोड्ा का चेहरा फेिबुक पर तिाशा. जासहर है वहां कई भावना सदखी्. जल्दी मे्सजिका चेहरा स्याही फे्कने वािी िे समिता-जुिता सदखा, उिी का फोटो टीवी के स्क्ीन पर सदखा सदया. चैनि िे शोर उठा, यही है वह भावना अरोड्ा सजिने भरी िभा मे् सदल्िी के मुख्यमंत्ी के ऊपर स्याही फे्कने का काम सकया. जनता की सजज््ािा शांत हुई. एक तरफ वीसडयो फुटेज और दूिरी तरफ भावना अरोड्ा का ब्सटि शॉट तासक उिे करीब देखा जा िके. इिके बाद जो हुआ वह गौर करने िायक है. टीवी के ब्सटि शॉट मे् सदखायी जा रही भावना अरोड्ा वह थी ही नही् सजिने अिि मे् स्याही फे्की थी. यह भावना अरोड्ा इि देश के िबिे प््सतस््षत माने जाने वािे एक कॉिेज मे् पढ्ाती है् और इि पूरे मामिे िे उनका कही् कोई िेनादेना नही्था. टीवी पर फोटो आते ही इि अध्यासपका की सजंदगी बदि गयी. सरश्तेदारो् और दोस््ो् के फोन आने िगे. िब यही जानने को उताविे थे सक भावना की नाराजगी की वजह क्या है. उिने सदल्िी के मुखय् मंत्ी पर स्याही क्यो् फे्की. िेसकन बात यही् खत्म नही् हुई. कुछ ही समनटो् के अंदर इि भावनाकी फेिबुक पर दुसनया भर के िंदश े और अनुरोध आने िगे. िोग शादी की पेशकश करने िगे और उिके इि कसथत कारनामे पर अपनी बेबाकसटप्पसणयां सिखने िगे. िभी के पाि कहने के सिए कुछ न कुछ था. अब यह भावना अरोड्ा क्या करे. उिने अपने दोस््ो्िे िंपक्फसकया और दोस््ो्के जसरये चैनि िे. कुछ देर बाद चैनि ने एक छोटे िे एंकर सिंक मे्यह कह सदया सक तकनीकी गिती िे ऐिा हो गया. दो अिग-अिग पहचाने्एकदूिरे िे गुत्थमगुत्था हो गयी्, इिसिए यह चूक हो गयी. िेसकन इिके बावजूद करीब 24 घंटे तक इिी भावना की तस्वीर नेट पर झूिती रही और कुछेक और बुिेसटन उिी की तस्वीर सदखाते रहे. इिका अिर यह हुआ सक वह और उनका पसरवार जबरदस्् मानसिक दबाव मे् आ गया. भावना अरोड्ा सदल्िी मसहिा आयोग गयी्और चैनि िे सिसखत माफीनामे की मांग की. कॉिम के सिखे जाने तक चैनि की तरफ िे मेि पर तो माफीनामा आ गया िेसकन उिने
अपने टीवी स्क्ीन पर इि गिती की सिसखत माफी प््िासरत नही्की. यह कोई पहिा मौका नही्है जब मीसडया, खाि तौर पर टेिीसवजन न्यूज चैनि पर िही पहचान को न देने, उिमे्समिावट हो जाने या सफर पहचान को छुपाने को िेकर गिसतयां हुई् हो्. यहां िाि 2008 की उि घटना को याद करना होगा जब टाइम्ि नाउ चैनि पर जब्सटि पी के िामंत की जगह जल्दबाजी मे्जब्सटि पी बी िावंत की तस्वीर को िगा सदया गया था. 15 िेके्ड तक सदखाई गयी यह तस्वीर प््ोसवडे्ट फंड के घोटािे के एक मामिे मे्थी. इि 15 िेकड े् की गिती के सिये बाद मे्जब्सटि िावंत ने टाइम्ि नाउ पर 100 करोड्र्पये का मानहासन का मामिा दज्भसकया था. उनका कहना था सक गिती की तरफ तुरंत ध्यान सदिाये जाने के बावजूद चैनि उतना गंभीर नही् हुआ था, सजतनी उििे अपेक्ा थी. हािांसक चैनि ने बाद मे्यह माना था सक इिके पीछे कोई गित मंशा नही् थी और यह पूरी तरह िे तकनीकी गिती थी िेसकन इिके बावजूद मामिा अदाित तक गया और यह देश मे्सकिी भी चैनि पर मानहासन का अब तक का िबिे बड्ा मामिा बना. 24 घंटे चिने वािे खबसरया चैनिो् के दबाव और प््सतयोसगता के माहौि मे्गिसतयां होना स्वाभासवक है िेसकन क्या इन गिसतयो्की बड्ी वजह जल्दबाजी और िबिे आगे सदखने की अंतहीन िाििा नही् है. टेिीसवजन की दुसनया को अब यह जान िेना चासहये सक सवकल्पो् िे िबािब िंिार मे्जी रहे दश्भक को अब इि बात िे ज्यादा फक्फ नही् पड्ता सक सकि खबर को सकिने पहिे सदखाया. दश्भक को अक्िर यह याद भी नही् रहता सक सकि चैनि ने िबिे पहिे सकि खबर को ब््ेक सकया था िेसकन हां, इि बात िे फक्फजर्र पड्ता है सक सकिने कब, कहां, क्या गित कहा और सदखाया और उिका अिर क्या पड्ा. जनता अब सिफ्फदेखती ही नही्बब्लक सववेचना भी करती है. उिका मानि उिे खबर की अिग-अिग परतो् और अिगअिग स््रो्की िमझ तक िे जाने मे्िक््म हो चिा है. मीसडया िाक््रता के बढ्ते इि युग मे्दश्भक मीसडया के बाजार और मीसडया के व्यापार पर भी अपनी स्वतंत्िोच रखने िगा है. ऐिे मे् इि बात को याद रखना फायदे का िौदा हो िकता है सक गिसतयां इंिानी सजंदगी मे्घुि-समि कर ही आती है्िेसकन क्या गिती होने पर माफी मांग िेना ज्यादा उसचत नही्होता. कम िे कम दश्भक अब उि बड्प्पन पर पहुंचने िगा है जब वह दबावो् और इिकी वजहो् को िमझ िके. िेसकन िगता है सक चैनिो् को इि बड्प्पन को अपनाने मे् अभी और िमय िगेगा. ऐिे मे् दूरदश्भन पर र्कावट के सिए खेद है की तख्ती को आधा कुतर कर खड्ा वह चूहा बहुत याद आ रहा है सजिकी n गैर-मौजूदगी कई बार बहुत अखरती है. शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 19
मास्मुटद्ाहेड कुमार पंंशांत
हमारे बचंंे हमारे आतंकवादी ि
वाि पुराने भिे हो्, नयी पसरब्सथसतयां उन्हे्नया िंदभ्भदे देती है.् सफर हमे्नयी तरह िे उनके जवाब तिाशने पड्ते है्. पठानकोट मे्हुई आतंकी वारदात ऐिा ही मामिा है. वहां हमारी वायु िेना के अड््ेपर हुये आतंकी हमिे के पीछे पासकस््ान है. यह बात आईने की तरह िाफ है. िेसकन भारत िरकार उिके ऐिे िबूत िा िकती है. सजििे पासकस््ान भी यह मान िे सक इिके पीछे उिका ही हाथ है? अगर ऐिा होता सक हमारे कहने-बताने िे पासकस््ान इि आतंकी हमिे मे्अपना हाथ कबूि कर िेता तो क्या यह घटना हो िकती थी? यह घटना हुई ही इिसिए सक पासकस््ान ईमानदारी के िाथ उन आतंकी कार्भवाइयो्को मदद कर रहा है. सजनिे भारत मे्भी और दुसनया के दूिरे मुल्को्मे्भी नागसरक जीवन कसठनतर होता जा रहा है. अमरीकी राष््पसत के र्प मे् अपने काय्भकाि की िमाब्पत बेिा मे्, बराक ओबामा ने अभी-अभी अंतर्ाभष्ीय पसरब्सथसत का सवश्िेषण करते हुए जो कहा है. वह भी पासकस््ान को आतंकवादी गसतसवसधयो् का अभी का भी और भसवष्य का भी केद् ्बताता है. पासकस््ान इन िबिे इंकार करता है. िाथ ही ठोि िबूत की मांग करता है. अगर उिकी धरती पर, उिकी व्यवस्था की देखरेख मे्रह रहे ओिामा सबन िादेन को, उिकी िीमा मे् घुि कर सजि तरह अमरीका ने मारा उिे भी पासकस््ान ठोि िबूत नही् मानता है. तो आप दूिरा क्या और कैिा ही प््माण िा िकते है्? सफर तो यही कहना शेष रह जाता है. आतंकी िंगठनो् और उनके आकाओ् को अपने देश मे् यहांवहां शरण देना, उनकी अनदेखी करना या अपने फायदे मे् उनका जब-तब इस््ेमाि करना. उन्हे् मजबूत बनाना ही वह अपराध है. सजिका आरोप पासकस््ान पर चस्पा होता है. पासकस््ान ऐिे आतंकवासदयो् के अपने यहां होने िे इंकार नही् कर िकता है. क्यो्सक वह अपनी फौज के िहारे ऐिे ही आतंकवासदयो् और उनके िंगठनो् िे िड् रहा है. सजििे आप िड् रहे है्. वह है ही नही्, ऐिा तो आप चाह कर भी नही्कह िके्गे न! िेसकन िवाि इतने िे भी खत्म नही् होता है. िवाि अगर यह है सक पासकस््ान
20 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
ये सारे लड़्के और लड़्हकयां, िो आतंक की फौि बनाते-बढ्ाते िा रिे िै्. वे िमसे बदला ले रिे िै्. िमने उनके िीने के रास््े बंद कर हदये िै्तो वे मौत का रास््ा पकड़्रिे िै्.
आतंकवासदयो्को प््श्य क्यो्दे रहा है? तो सफर यह िवाि ही पिट कर आपिे पूछ बैठेगा सक क्या केवि पासकस््ान है. जो ऐिा कर रहा है? क्या यह भी उतना ही िच नही्है सक अि-कायदा या ऐिे ही दूिरे िभी आतंकी िंगठनो् की जन्मकुंडिी अमरीका िमेत दुसनया की तथाकसथत महाशब्कतयो्ने ही सिखी है? इसतहाि के पन्ने पिटे्तो हम पायेग् े सक दूिरे सवश््युद्के बाद, जब सवजयी समत््राष््ो्ने परासजत मुल्को्का मनमाना बंटवारा सकया. इजरायि नाम के देश के वे जन्मदाता बने और ईिाई मान्यता वािे देशो् ने एकजुट हो कर, इस्िामी मान्यता वािे मुल्को् को हर तरह िे नुकिान पहुंचाया. तबिे ही िंगसठत आतंकवाद की शुर्आत होती है. सछटफुट आतंकी कार्वभ ाइयां पहिे भी होती थी्. िेसकन उनका ऐिा िंगसठत स्वर्प पहिे नही्था. यहां आकर िवाि एकदम दूिरा ही र्प िे िेता है. जब हम देखते है्सक अब आतंकी िेना मे्भत््ी होने वािे सकिी एक मुल्क तक महदूद नही्रह गये है्. अब तो यह एक पेशा बन गया है. सजिमे्िभी जासत-धम्-भ िंपद् ाय-भाषा के युवा शासमि हो रहे है.् क्या भारत िरकार ने ही बीते सदनो् ऐिे भारतीय युवको् की धर-पकड् नही् की. जो आईएिआईएि मे्शासमि होने जा रहे थे? इनमे्िड्सकयां भी थी्. सजन देशो्पर िगातार ही आतंकी हमिे होते रहे है्, अब बात उनिे आगे चिी गयी है. अब िवाि यह नही् है सक कौन सकिके सनशाने पर है. बब्लक बच््े के हाथ मे् बंदूक: वजम्मेदार कौन िवाि यह खड्ा हो गया है सक कौन है जो सनशाने पर नही्है और कौन है जो सनशाना नही् िगा रहा है! पसरब्सथसत ने चेहरा एकदम ही बदि सिया है. अब हमिा कही् िीसमत नही् है और न यही है सक भारत या अमरीका ही इनके सनशाने पर है्. अभी हमिा पेसरि मे्हुआ, जम्भनी मे्हुआ और अब तो दुसनया के िबिे बड्े इस्िामी देश की राजधानी जकात्ाभ भी रक्तरंसजत हो गयी है. आतंकी फौज मे् अब न देशो् का फक्फ बचा है और न धम्भ का, न रंग का और न भाषा का. अब इिे इस्िामी राज्य का नाम देना खुद को भुिावे मे् रखना है. अब हमारे-आपके बच््े भी है् सक जो हर आतंकी की बंदूक की गोिी भी बन रहे है् और हर बंदूक के घोड्े पर सजनकी ऊंगिी भी है. इिसिए अब इि खतरे को दूिरी
नजर िे पहचानने की जर्रत है. यह दौर, सजिमे्हमने एक सदशाहीन सवकाि को अपना भगवान बना सिया है. िभी उिी की एक-िी आराधना मे्िगे है्, हमारे बच््ो्के सिए िबिे अंधेरा दौर है. आज हमारे बच््ेभटकाव की िबिे गहरी मन:ब्सथसत मे्है्. पुराने मूल्य ध्वस््हो चुके है्. नये इि तरह गढ्ेही नही्जा िके्है् जो उन पर जीवन आधासरत सकया जा िके. मानक वे बच््े बन रहे है्, सजनको कोई कंपनी करोड्ो् र्पये िािाना की पगार पर, उनके िंस्थानो् िे ही उठा िे जाती है. उनकी खबरे्हमारे अखबारो्-टीवी मे्प््मुखता िे आती है्. कोई यह नही् बताता है सक ऐिे बच््े दुसनया के कुि बच््ो् के सकतने फीिदी है्. खबर ऐिे बनती है मानो अब प््सतभाओ् के सिए िारा आकाश खुिा है. जब सक िच तो इििे एकदम उिट है सक यह आिमान खुिा ही इि वजह िे है सक यह बहुत थोड्ो्के सिए जगह बना िकता है और असधकांश के सिए िारे दरवाजे बंद कर देता है. यह गहरी सनराशा और हीन भावना फैिाता है. िमृस्द की िीमा स््कसतज के पार जाती है (स्काई इज द सिसमट!). कभी पूंजीवाद ने यह ककहरा हमे् सिखाया था और इि सिखावन का नतीजा यह हुआ सक कुछ स््कसतज छू आये तो बाकी िारे पाताि मे्जा धंि!े जो बड्ा मानव-िमाज पाताि मे् जा धंिा उिका वत्भमान ही नही् खत्म हुआ, भसवष्य भी अष््ावक््बन गया! सजि िमाज का वत्मभ ान और भसवष्य दोनो् सवनष्् हो चुका है. उिकी मन:ब्सथसत कैिे बनती है? िासहर िुसधयानवी ने काफी पहिे इि आती हुई दुसनया को पहचाना था और सिखा था: ये दुसनया जहां आदमी कुछ नही्है/ वफा कुछ नही्, दोस््ी कुछ नही् है... ये दुसनया अगर समि भी जाये तो क्या है... जिा दो, जिा दो, जिा दो ये दुसनया, मेरे िामने िे हटा िो ये दुसनया/तुम्हारी है तुम ही िंभािो ये दुसनया... युवा को जीवन मे्दो ही चीजो्का अदम्य आकष्भण होता है- उिे वैभव दो या उिे भैरव दो! अिीम वैभव- जहां वह िब कुछ उपिल्ध हो सजिकी इंिान चाह करता है. िबके सिए ऐिा वैभव न पूंजीवाद दे िका न िाम्यवाद! िबको ऐिा वैभव देने की क््मता िमस््प््कृसत मे्भी नही् है. वह तो बांट कर जीने की िंस्कृसत पर चिती है. जबसक वैभव का दश्भन
वकशोरो् को प््वशक््र देता आईएस: खतरनाक संकेत िूट कर जीने का पाठ पढ्ाता है. तो आज का हमारा युवा असधकांशत: पहचान गया है सक तुम उिे उिका अपेस्कत वैभव दे नही् िकते. भैरव का, िाहि का, उमंग का आिमान सनरंतर सिकुड्ता जा रहा है. जीने मे् अब कोई चुनौती बची ही नही्है. अब तो िड्ाई मे्िे भी बहादुरी सनकि चुकी है. एके 47 का घोड्ा कोई फौजी दबाये या आतंकवादी सक कोई सकशोर, कोई बच््ा, आदमी की जान जानी ही है. मौत का गसणत एकदम िरि और सबना कीमत का हो गया है. ऐिे मे्सनरथ्क भ ता का गहरा अहिाि भरता जा रहा है. जब जीवन िे आशा खत्म हो जाती है. तब नकारात्मकता अपना घर बनाती है, जो चीख-चीख कर हाहाकार करती है सक जिा दो, जिा दो, जिा दो ये दुसनया, मेरे िामने िे हटा िो ये दुसनया/तुम्हारी है तुम ही िंभािो ये दुसनया... हमारे बच््ेआतंकवादी नही्बन रहे है्. बब्लक हम उन्हे्उनकी तरफ धकेिते जा रहे है्. कहूं तो ये िारे युवा, िड्के भी और िड्सकयां भी, जो आतंक की फौज बनाते-बढ्ाते जा रहे है्. वे हमिे बदिा िे रहे है्. हमने उनके जीने के रास््े बंद कर सदये है्. तो वे मौत का रास््ा पकड् रहे है्. इिसिए आतंकवाद की फौज कम करने और कमजोर करने का एक ही रास््ा बचा है सक हम सवकाि के अपने मानक भी बदिे्और योजना भी! प््कृसत मे् उपिल्ध िंिाधन िारी मानवता की धरोहर है्. सजनका िमत्वबुस्द िे बंटवारा हो, यह जर्री है. यह सिद््ांत स्वीकार सकया जाये सक जो िबके सिए िंभव नही्है. वह सवकाि हमे्स्वीकार नही्है. सवकाि की किौटी यह है सक वह इंिान और प््कृसत का नुकिान न पहुंचाती हो. अगर हमने इिे ईमानदारी िे स्वीकार कर सिया. तो मिािा यूिुफजई को हमे्अपना दाश्सभ नक मान कर चिना िीखना होगा जो कहती है सक िबको स्कूि और घर समिे तो दुसनया िे जंग खत्म हो जाये! घर और स्कूि समिे िबको और दुसनया मे्जंग न हो तो कोई आतंकवादी बनेगा क्यो्और कैि?े कभी अपने उि बच््े की आंखो् मे् झांक कर देसखये सक जो अंधेरे भसवष्य के िामने खड्ा आपिे अपने भसवष्य की तस्वीर मांग रहा है. वह आतंकवादी होने की िीमा रेखा पर खड्ा है. उिका हाथ थासमये और उिे n वहां िे वापि िे आइये. आप कर िके्गे? हम िब कर िके्गे? (िेखक गांधी शांसत प््सतष््ान के अध्यक््है्.)
शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 21
मास् बातचीत ट हेड
संविधान के विरुदु राजुयपाल
उत््र प््देश विधान सभा के अध्यक्् माताप््साद पांडे से अर्ण कुमार व््िपाठी की बातचीत.
स
माजवािी आंिोलन से दनकलकर उत््र प््िेश दवधानसभा के अध्यक््पि तक पहुंचे माताप््साि पांडे प््िेश के उन दगने चुने नेताओ् मे्है्. दजनमे्संघष्थऔर चुनावी राजनीदत और ज््ान का अद््त समन्वय है. डा राममनोहर लोदहया, चौधरी चरण दसंह से लेकर मुलायम दसंह तक के साथ काम करने का उनका व्यापक अनुभव है. पहली बार 1980 मे् दवधायक बने पांडे 2012 मे् छठी बार उत््र प््िेश दवधानसभा के दलए चुने गये और िूसरी बार स्पीकर बने है्. उनके नेतृत्व मे् उत््र प््िेश दवधानसभा ने अपनी 125 वी् गौरवशाली जयंती मनायी है. हालांदक इस बार प््िेश मे् द््तशंकु दवधानसभा नही् है और सत््ार्ढ् समाजवािी पाट््ी को पूण्थबहुमत हादसल है. लेदकन के्ि्मे्भाजपा की सरकार आने के बाि प््िेश के राज्यपाल ने सरकार और दवधायी काय््ो्मे्दजस तरह से अड्ंगा लगाना शुर्दकया है. उससे स्पीकर महोिय भी िुखी है्. दरर उत््र प््िेश जैसा राज्य जहां पर कानून तोड्ने की प््वृद्त आम मानी जाती है. वहां कानून बनाने और उसका शासन कायम करने की क्या अहदमयत है. यह दवषय भी स्पीकर होने के नाते उन्हे्मथता है. आप भारत के उस समाजवािी आंिोलन के दहस्से रहे है्, जो मानता है दक क््ांदत दवधायी काय््ो् के माध्यम से शांदतपूण्थ तरीके से हो सकती है. उत््र प््िेश दवधानसभा के अध्यक्् के र्प मे् आप उन समाजवािी उद््ेश्यो् को दकतना पूरा होता िेख रहे है्? क्या धीमी गदत से काम करने वाली लोकतांद्तक प््णाली उस काम को कर पा रही है?
उत््र प््िेश की छदव एक ऐसे राज्य के र्प मे्है जहां कानून और व्यवस्था तोड्ने की होड् लगी रहती है. न दसर्फ आपरादधक पृष्भूदम के लोग जनप््दतदनदध चुने जाते है्. बल्लक जनता भी हर समय 1857 वाली मनःल्सथदत मे् रहती है. यानी उसमे् कानून का पालन न करने की एक प््वृद्त है. यहां कानून का पालन करने वाले नागदरक कम है्.
िेदखये मानव समाज हमेशा बंधन से मुक्त रहना चाहता है. इसदलए िुदनया मे् लोकतांद्तक प््णाली आज के िौर मे् सबसे बेहतर शासन वह कानून को िरदकनार करने की दरराक मे् रहता है. इसके बावजूि प््णाली है. िुदनया मे् जहां भी तानाशाही और अदधनायकवाि है, जनता यह नही् कहा जा सकता दक सभी लोग कानून नही् मानते. लोग सड्को् उससे बेचैन है और लोकतंत् लाने मे् लगी है. साम्यवािी िेशो् मे् पर बायी् ओर चलते है्. ज्यािातर लोग सड्क पर उसी दिशा मे् चलते है् अदधनायकवाि ध्वस्् हुआ और खाड्ी िेशो् की जनता तानाशाही के दजस दिशा मे् दनि््ेदशत दकया गया होता है. यह तमाम काम दबना पुदलस दवर्द् संघष्थरत है. मध्य एदशया के िेशो् मे् अभी और प््शासन के होता है. हालांदक समाज मे्कुछ भी तानाशाही है और वह अलग-अलग र्पो् मे् लोग होते है्, जो दकन्ही् कारणो् से दनयमो् को रवधानिभा जनता का अपने को सद््कय दकये हुए है. बीते कुछ दिनो् मे् उतनी सख्ती से नही् मानते. हम समझते है् दक पंंरतरनरधतंव किती है औि वह वहां ही जनांिोलन तेज हुये है् और तानाशाही को बहुसंख्यक समाज कानून का पालन करता है पीछे हटना पड्ा है. बम्ाथ (म्यांमार) मे् भी ऐसा ही कोई भी कानून बहुमत िे पारित और जो नही् करता समाज और न्याय प््शासन हुआ और लंबे संघष्थ के बाि वहां पर चुनाव हुए किती है. ऐिे में उिे िोकने का उसे पालन करवाने का प््यास करता है. उत््र और अब लोकतांद्तक सरकार कायम करने की प््िेश की जनसंख्या अदधक है और इस नाते भीड् कंया औरितंय बनता है. तैयारी है. इस िौरान बहुत सी क््ांदतयां हुई है्. बढ्ती है और कानून टूटता भी है. लेदकन उसका दजनसे लोकतांद्तक मूल्य प््भादवत हुए है्. इसके अथ्थ यह नही् है दक यहां कानून का पालन नही् बावजूि लोकतांद्तक प््णाली दनरंतर स्वीकाय्थ बनी हुई है. जहां तक होता. बच््ेस्कूल जाते है्. क्लास मे्पढ्ते है्. गांव का आिमी जो पढ्ा दलखा दवधानसभा और संसि से कानून पादरत होने की बात है. तो उस पर नही्है वह भी दनयम का पालन करता है. प््जातांद्तक िबाव हमेशा बना रहता है. वहां से जो भी कानून बनता है वह दपछली सरकार और दवदभन्न राजनीदतक िलो्और नीदतकारो्का मानना बहुमत के आधार पर बनता है. इसदलए सरकार के स््र पर प््जातांद्तक है दक तकरीबन 22 करोड् की इस आबािी वाले प््िेश को दनयंद्तत और मूल्यो् मे्कमी आने के बावजूि यह व्यवस्था चलती रहती है. 22 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
है? असल मे् बड्े होने और तमाम तरह के मानव संसाधन के बावजूि हमारे पास प््ाकृदतक संसाधनो् की कमी भी है. जैसे दक हमारे पास कोयला खिान नही् है. हमारे पास समुि् तट नही् है. हम लै्डलाक प््िेश है्. यानी चारो्तरर से भूदम से दघरे है्. गुजरात के पास समुि्तट है, आंध् के पास समुि् तट है, तदमलनाडु के पास समुि् तट है. हकीकत यह है दक दबना औद््ोदगक क््ांदत और अंतरराष््ीय व्यापार के कोई क््ेत्संपन्न नही् हो सकता. अगर छत््ीसगढ् मे् 24 घंटे दबजली आती है, तो इसकी वजह यह है दक वहां कोयला है. कोयले की खिाने् है्. गोवा जैसे छोटे राज्य मे् भी खदनज बहुत है्. वहां से कच््ा लोहा दनकलता है. यही वजह है दक इन प््ांतो् को दवकास की गदत प््ाप्त हुई है. उत््र प््िेश के पास खेती लायक जमीन है और नदियो्के कारण दसंचाई की व्यवस्था है. इसदलए हम अन्न और िूध के मामले मे्तमाम प््िेशो्से आगे है्. उत््राखंड बनने से हमारे यहां दबजली का उत्पािन भी प््भादवत हुआ है. हमे् कोयले के दलए भारत सरकार पर दनभ्थर रहना पड्ता है. खाली खेती से दवकास नही् हो सकता. अगर वैसा होना होता तो हम बहुत आगे चले गये होते. दवकास के रास््े मे् तमाम प््कार की सामादजक मान्य ताएं भी बाधा डालती है्. उन्हे् िूर करने के दलए सामादजक क््ांदत जर्री है. क्या सामादजक क््ांदत दवधायी काय््ो् से होती दिख रही है्? सामादजक क््ांदत िो प््कार से होती है. एक सरकार और दवधानसभाये्करती है्तो िूसरी क््ांदत समाज स्वयं करता है. लेदकन बहुत से कानून जो सरकार बनाती है. उसे समाज स्वीकार नही् करता. उिाहरण के दलए शारिा कानून बना, दजसमे् िहेज लेन िेन संबंधी बाते् है्. पर समाज उन्हे् नही् मानता. इसी तरह छुआछूत दवरोधी कानून है दजन्हे् समाज पूरी तरह से स्वीकार नही् करता. गांवो् मे् छूआछूत अभी भी है. ऐसे मामलो् मे् समाज मे् जागर्कता लाकर क््ांदत की जा सकती है. लोगो् के बीच मे् बैठने उठने और उन्हे् समझाने से वह संभव होगी. लेदकन आरक््ण के माध्यम से जो सामादजक क््ांदत आयी है. वह दवधायी काय््ो्के से संपन्न हुई है. इस कानून के माध्यम से समाज के िबे कुचले तबको्उच््पिो्पर जाने का मौका दमला है. दवधायी काय््ो् मे् जनप््दतदनदधयो् के दगरते चदरत्् के अलावा वे कौन सी ल्सथदतयां है्जो चुनौती प््स्ुत करती है्? दवकदसत करना असंभव है. इसदलए इसे चार दहस्सो् मे् बांट िेना चादहए. क्या आप को लगता है दक दजस दवधानसभा ने इसे बांटने का प््स्ाव पास दकया, अब वह अपने को इसे चलाने मे् सक््म पाती है? दवधानसभा ही उत््र प््िेश को जोड्े रख सकती है. क्यो्दक वहां सम्यक र्प मे्उस पर दवचार होता है. यहां असमान दवकास की समस्या को संबोदधत दकया जाता है. पूव्ाा्चल और बुंिेलखंड जैसे दपछड्े इलाको् के दवकास के दलए दवशेष पैकेज इस सरकार ने दिये. दवधायको् को एक करोड् र्पये की धनरादश हर साल दमलती है. उससे वे सड्के बनवाते है्. पुल पुदलया बनवाते है् और दवद््ुत का काम करते है्. प््िेश मे् उतना अलगाव नही्है. दजतना कहा जाता है. हमारी भाषा एक है हमारी संस्कृदत एक है. बड्े होने से इस प््िेश को एक महत््व हादसल होता है. बंटवारा समस्या का हल नही् है. हमे् सोचना चादहए दक अलग होकर झारखंड ने क्या कर दलया. उत््राखंड ने क्या कर दलया. वे छोटे राज्य भी तमाम समस्याओ् से ग््दसत है्. बड्ा या छोटा होना समस्या नही् है, समस्या है दवकास की सम्यक नीदत का न होना. इस प््िेश के लोग िुदनया के तमाम िेशो्मे्गये है्. वे वहां के शासनाध्यक््या राष्् प््मुख है्. दरजी, द््िनीडाड, गयाना, सूरीनाम, तमाम िेशो् के लोग इस प््िेश से अनुराग महसूस करते है्. आप आगरा के प््वासी सम्मेलन मे्िेदखये दकस तरह लोग जुट रहे है्. समाजवािी नेता जनेश्र दमश््कहा करते थे दक इस प््िेश को बािशाहत की बीमारी लग गयी है. िेश को नौ प््धानमंत्ी िेने के बाि वह मस््रहता है और अपने दवकास के बारे मे्सोचता ही नही्है. जबदक िद््कण के तमाम राज्य अपनी तीव्् प््गदत पर जोर िेते है्. इस बारे मे् आप का क्या कहना
दवधायी काय््ो् मे् राज्यपाल जैसी संस्था के माध्यम से बड्ी अड्चने् पैिा हो रही है्. आप को मालूम होगा दक तमाम दवधेयक दकस तरह राज्यपाल की तरर से रोक दलए जाते है्या लटकाये जाते है्. लोकायुक्त अदधदनयम उसका ताजा उिाहरण है. इस तरह के तमाम अदधदनयम है्, दजन पर राज्यपाल ने अड्ंगा लगाया है. यह ल्सथदतयां जहां से भी पैिा की जाती है्, वे प््िेश के दवकास को रोकती है्. संदवधान दनम्ाथताओ् ने ऐसा सोचा भी नही् होगा दक राज्यपाल दवधेयको् को रोककर बैठ जाये्गे. दवधानसभा जनता का प््दतदनदधत्व करती है और वह कोई भी कानून बहुमत से पादरत करती है. ऐसे मे्उसे रोकने का क्या औदचत्य बनता है. पर कानूनो् को रोकने या दनरस्् करने का काम तो अिालते् भी करती है्. अिालत तो उसका दवदधवत परीक््ण करने के बाि संदवधान सम्मत न होने के बाि कानून को दनरस््करती है. लेदकन राज्यपाल के स््र पर तो उसका परीक््ण भी नही्होता है. आजकल राष््ीय स््र पर संसि को न चलने िेने की बड्ी समस्या खड्ी हुई है. उस बारे मे्आप का क्या कहना है? संसि और दवधानसभाओ् को चलने िेना चादहए. उसकी बहस मे् दहस्सा लेना चादहए और दवधायी काय््ो् को होने िेना चादहए. कभी कभार उसकी कार्थवाई को रोकना जनदहत मे् है और लोकतांद्तक राजनीदत इसकी इजाजत भी िेती है. वैसा तब करना चादहए जब सरकारे् जनभावनाओ्की उपेक्ा करती हो्. लेदकन दवधायी संस्थाओ्को पंगु बना िेना ठीक नही्है. n
शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 23
उत््र प््देश
एक अदद मुद्े की जंग
करीब िेढ्साल बाद चुनावी िंग मे्उतरने वाले उि््र प््देश मे्सभी पाह्रषयां मुद्ा खोि रिी िै्. हिसके सिारे िीत िािसल िो सके्. रंजीव
उ
त््र प््देश मे् सवधानिभा चुनावो् को डेढ् िाि िे भी कम वक्त बचा है. सिहाजा िूबे मे्इन सदनो्चुनावी मुद्ा बनाने की जंग तेज है. अपने मुद्ो्को केद् ी्य चुनावी मुद्ा बनाने की यह होड् बहुत सदिचस्प है. बीते डेढ् दशक के सवधानिभा चुनाव के अनुभव बताते है् सक चुनावी जंग मुख्य र्प िे िमाजवादी पाट््ी और बहुजन िमाज पाट््ी के बीच सिमटी रही है. भारतीय जनता पाट््ी और कांग्ेि अपने पारंपसरक वोट बै्क के बूते तीिरे और चौथे स्थान के सिए िंघष्भकरती रही है्. िेसकन इि बार तस्वीर मे्बदिाव नजर आ रहा है. वजह, िोकिभा चुनाव मे्भाजपा को समिी अभूतपूव्भ कामयाबी. उत्िासहत भाजपा इि बार सवधानिभा चुनाव मे् मुख्य िड्ाई मे् आने की हर िंभव कोसशश कर रही है. मुद्ा तैयार करने का िंघष्भ सफिहाि ित््ाधारी िपा, मुख्य सवपक््ी दि बिपा और भाजपा के बीच असधक है. कांगि ्े सफिहाि इि मुसहम मे् बहुत िस्क ् य नही् है. पाट््ी के प््देश प््भारी मधुिूदन समस््ी ने प््देश इकाई िे 250 िीटो् का िक््य हासिि कर यहां पाट््ी की िरकार बनवाने की अपीि अवश्य की है िेसकन राजनीसतक सवश्िषे क इिे हकीकत कम और काय्भकत्ाभओ् मे् जोश पैदा करने की कोसशश असधक मान रहे है.् हां, यह जर्र है सक राहुि गांधी के बुंदेिखंड दौरे के बाद अब िंभवत: कांगि ्े सकिी एक मुद्ेको थामकर तीन दिो् की इि िड्ाई मे् चौथा कोण बनाने की कोसशश कर िकती है. ित््ार्ढ्िपा और राज्य 24 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
के मुख्यमंत्ी असखिेश यादव सवकाि के मुद्े को अगिे चुनाव की धुरी बनाने की कोसशश मे् है्. िाि 2012 के चुनावी घोषणा पत्् मे् सकए गये असधकांश वादो्को पूरा करना और सवकाि के मॉडि के र्प मे्िखनऊ-आगरा एक्िप््ेि वे और िखनऊ मेट्ो जैिी पसरयोजनाओ् के अिावा मेसडकि और पे्शन क््ेत् मे् सकए गये काय््ो् को िरकार जोरशोर िे पेश कर रही है. िरकार का प््चार तंत्भी असखिेश राज मे्हुए सवकाि काय्भ के व्यापक प््चार प््िार मे् कोई कमी नही्छोड रहा. चुनाव करीब आने तक बड्े पैमाने पर िोकाप्भण, सबजिी की उपिल्धता बढ्ाने की घोषणाये,् सजिा मुखय् ाियो्को िड्क िे जोडऩे आसद का िंबा सििसििा चिेगा. इिमे्दो राय नही् सक सवत्् वष्भ 2016-17 के बजट को भी मुख्यमंत्ी चुनाव के सिहाज िे ज्यादा िे ज्यादा िोकिुभावन बनाने की कोसशश करे्गे. जबसक बिपा कानून व्यवस्था को िबिे बड्ा चुनावी मुद्ा बनाने की कोसशश कर रही है. बिपा इिे अपने हक मे्िबिे बड्ा तुरप् का इक््ा मानती है. वष्भ 2007 के चुनाव मे् बिपा प््मुख मायावती ने कानून व्यवस्था को ही मुद्ा बनाया था और िपा को हार का िामना करना पड्ा था. मायावती इिसिए भी कानून व्यवस्था को मुद्ा बनाना चाहेग् ी क्यो्सक वष्भ2012 के चुनाव मे् िामासजक न्याय और प््देश के सवकाि के उनके दावे जनता ने खासरज कर सदये थे. माया राज मे्िख्त प्श ् ािन का बिपा का प्च ् ार पाक््ो् और स्मारको् के सनम्ाभण पर उठे िवािो् के िामने कमजोर पड्गया था और िपा ने बाजी मार िी थी.
अवखलेश यादि और मायािती: मुकाबले की तैयारी
दसित सहत के नाम पर सकये गये सनम्ाभण काय््ो् के अपयश के अतीत िे उबरने के सिये ही मायावती अब खुिकर कह रही है्सक अगर दोबारा उनकी िरकार बनी तो कोई सनम्ाण भ नही् होगा बब्लक कानून व्यवस्था ही उनकी प््ाथसमकता रहेगी. अपने 60वे्जन्मसदन पर भी उन्हो्ने िादगी बरती जो उनकी बदिी छसव की चाहत को ही सदखाता है. वह नही् चाहती् सक सवकाि को मुद्ा बना रही िपा उन्हे् अतीत के पािे मे्घेर िे. हािांसक बिपा की रणनीसत को भांपते हुए ही िपा के एक तबके िे यह मांग उठ रही है सक स्मारको्के सनम्ाभण को न दोहराने की घोषणाओ् िे पहिे बिपा प््मुख िरकारी खजाने िे सकये गये सपछिे सनम्ाभणो् के सिये िाव्भजसनक र्प िे क््मा प््ाथ्भना करे्. भाजपा उत्र् प्द् श े चुनावो्के सिये नल्बे के दशक के राम मंसदर मुद्े को िबिे बड्ा चुनावी मुद्ा बनाना चाहती है. अयोध्या मे्मंसदर सनम्ाभण के सिये सशिाओ् के पहुंचने और उिके बाद भाजपा और िंघ पसरवार के कुछ नेताओ् के बयानो्का िंदेश कुछ ऐिा ही है. मोदी िरकार के कामकाज को बजाय इन नेताओ् के बयान राम मंसदर पर ज्यादा केस््दत है.् दरअिि 2014 के िोकिभा चुनाव मे् उत््र प््देश मे् धास्मभक ध्व्ु ीकरण ने भाजपा की िहर चिा दी थी. पाट््ी राम मंसदर का मामिा उछािकर िन 2017 मे् भी वैिी ही िहर चिाना चाहती है. यह केवि िंयोग नही् है सक पस््शमी उत््र प््देश मे् एक बार पुन: िांप्दासयक माहौि गम्भहोने की खबरे् िगातार आ रही है्. सबहार चुनाव मे्पराजय के बाद स्वाभासवक र्प िे भाजपा राजनीसतक पैमाने पर सहंदी पट््ी के िबिे महत्वपूण्भराज्य उत््र प््देश मे्उिका दोहराव होने देने का जोसखम नही्उठाना चाहती है. पाट््ी के रणनीसतकार भी जानते है् सक िाि 2017 मे्जब उत््र प््देश मे्सवधानिभा चुनाव हो्गे तब के्द् की राजग िरकार तीन िाि पूरे कर चुकी होगी. उि वक्त मोदी का जादू शायद उतना नही्चिेगा जैिा 2014 मे्चिा. n
संकट में जंरंराही ज्र्ाषि सहदयो्से आम िनता का कारगर इलाि करते आये िै्लेहकन सरकारी बेर्खी और हनयम कायदो्की िांक के चलते आि वे अपना िी अह््सत््व बचाने के हलये िूझ रिे िै्. आलोक घसंह एक नश्तर की तरह सदि मे्उतर जाती है, फज््े-जर्भाह सनभाती है्अदम की गज़्िे्. र्ाभह का पेशा िैकड्ो्िािो्िे चिन मे्है और तब िे ही चिी आ रही ् है् उनिे जुड्ी शेरो-शायरी, सकस्िे कहासनयां और उनकी िोकस््पयता की तमाम अन्य सनशासनयां. आज भिे ही वे गहरे िंकट मे्डूबे हो् िेसकन उनकी कासबसियत और िोकस््पयता उनको राष््ीय और अंतरराष््ीय स््र पर ख्यासत सदिा चुके है्. हैदराबाद के जर्भाह का 40 िाख मरीजो्को ठीक करने का दावा तो आज एक सकवदंती ही प््तीत होता है. गांव िे शहर, उत््र िे दस््कण, िखनऊ िे हैदराबाद...यहां िे वहां तक हजारो्की िंखय् ा मे्ये ज़्रा्हभ फैिे हुए है्. इनके कांधे पर िोक सवद््ा और ज््ान की एक परंपरा है सजिे िादे हुए ये िमय की कसठनाइयो् िे र्बर् हो रहे है्. इिमे् दो राय नही् सक िमाज का एक बड्ा तबका आज भी इन पर यकीन करता है. वह अच्छे और स्वस्थ्य जीवन के सिये इनकी जासनब ही र्ख करता है. अंगज ्े ो्के आगमन िे पहिे तक सकिी भी बीमारी का इिाज या शल्य सचसकत्िा ज़्र्ाभह जैिे देिी सचसकत्िक ही सकया करते थे. इनके पाि सकिी तरह की कोई औपचासरक सडग््ी नही्है. अगर कुछ है तो वह िामान्य िमझ है. ये अपने आिपाि मौजूद जड्ीबूसटयो् और आिान सकस्म की शल्य सचसकत्िा िे गंभीर बीमासरयो् का इिाज सकया करते है्. सचसकत्िक और मरीज के सरश्ते िे अिग िमाज मे् इनको खाि अपनापन और िम्मान हासिि है. यही वजह है सक कई जगहो्पर इनको पंच का दज्ाभ हासिि है. अंग्ेजो् के आगमन के बाद जैिे-जैिे स्वास्थ्य िेवा कारोबारी िूट का सशकार हुई, इन देिी सचसकत्िको्को कई तरह िे बदनाम सकया जाने िगा. अफिोि की आजाद सहंदुस्ान की िरकारे्भी इिमे्पीछे नही्रही्. अंग्ेजो् ने कानून और डंडे के जोर पर अंग्ेजी दवा कारोबासरयो् की िूट का रास््ा िाफ करने की कोसशश मे्इनको अवैज्ासनक और सपछड्ा बताकर गैरकानूनी करार दे सदया. िखनऊ के नामी जर्ाभह ताज मुमताज कहते है् सक हम िोगो् पर झोिा छाप का ठप्पा िगा सदया गया. यह अपमासनत करने और मनोबि तोडऩे वािी हरकत थी. आज भी हािात बदिे नही्है्. वह कहते है्सक अंग्ेजी दवा और िज्भरी मे्रोज कुछ न कुछ गड्बड्ी होती है िेसकन कानून के दायरे मे् सचसकत्िक िुरस््कत रहता है. िेसकन ज़्र्ाभह ने गिती की नही्सक पुसिि हाथ धोकर पीछे पड्जाती है. पुसिि और कानून का इस््ेमाि अंग्ेजी सचसकत्िको्को बचाने और जर्ाभह को डराने मे्होता है. यह सििसििा अंग्ेजो्के दौर मे्शुर्हुआ और आज तक कायम है. आधुसनक सवज््ान की वैज्ासनकता का तमाशा तो और भी बुरा है. रोज एक नयी दवाई िामने आती है जो पुरानी दवा की जगह िे िेती है. तब यह िच िामने आता है सक पुरानी दवा तो बहुत नुकिानदेह थी. इि बीच िोगो्के स्वास्थ्य को जो भी नुकिान पहुंचता है उिे िेकर कही्कोई खेद
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जर्ाणह ताज मुमताज: बदले नही् हालात नही् जताया जाता. न ही उिे िेकर कोई शम्भ का भाव होता है, हां नयी खोज को िेकर अहंकार जर्र झिक जाता है. इन िारी बातो्का अिर यह हुआ सक ज़्र्ाभह के नश्तर पर जंग चढऩे िगी और हड््ïी जोडऩे का जो काम हाथ मे्रह गया वह भी बहुत मामूिी पैमाने पर. शल्य सचसकत्िा के नाम पर इनके हाथ जो कुछ रह गया उिके धास्मभक कारण ज्यादा थे. समिाि के तौर पर खतने का काम सजि नाजुकी की मांग करता है उिे देखकर इनकी कासबसियत का अंदाजा बहुत आिानी िे िगाया जा िकता है. आजाद सहंदुस्ान की िरकारे्भी उनकी इि बुरी हाित के सिये कम सजम्मेदार नही्. इन िरकारो्मे्देश की िोकसवद््ा और पारंपसरक ज््ान को िंभािे और िंवारने की न तो िमझ है और न ही इच्छाशब्कत. बब्लक इिके उिट उनमे्इिके प्स्त उपेक्ा ही भाव है. हां, आजादी के तत्काि बाद कुछ कोसशशे् जर्र हुई् और िन 1949 मे् अमरोहा मे् नेहर् की मौजूदगी मे् ज़्र्ाभह सबरादरी के सिये 'ििमानी सवश््सवद््ािय' बनाने की घोषणा की गयी थी. िेसकन इिके आगे कुछ नही्हुआ. आधुसनक सशक््ा व्यवस्था के सहमायसतयो्मे्अपने ही िमाज को कमतर िमझने की जो भावना सवकसित होती रही, उिने भी इिके पतन मे्अहम भूसमका सनभायी. गोरो्के पाि वजह थी. उन्हो्ने िाम््ाज्यवादी िूट को जारी रखने के सिये, स्वास्थ्य को िमाज के हाथो्िे छीनकर कानून, बाजार और िुटेरी कंपसनयो् के हवािे कर सदया. पूरे देश के पाि इिे स्वीकार करने के अिावा दूिरा कोई चारा नही् था. स्वास्थ्य के कारोबासरयो् की यह िूट आज भी जारी है. इिका स्वर्प और असधक खराब होता जा रहा है जबसक ज़्र्ाभह जैिा देिज ज््ान हासशये पर पड्ा हुआ है. वजह चाहे जो भी हो िेसकन कभी िोगो् की जान बचाने वािा यह पेशा और इििे जुड्े िोग आज खुद अपने अस््सत्व् की िड्ाई िड्रही है.् अगर जल्दी ही कोई ठोि पहि नही्की गयी तो िैकड्ो्वष््ो्िे िोगो्की िेवा करने वािा यह पेशा और इिके पेशेवर दोनो् इसतहाि के पन्नो् मे् सविुप्त हो जाये्गे. इििे उबरने की कोसशश मे्ििमानी सवश्स्वद््ािय का सनम्ाण भ एक बड्ी छिांग n िासबत हो िकती है. शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 25
महाराष््
ख़ुदकुशी की खेती हवदभ्षऔर उसके आसपास के इलाके मे्खेती अब खुदकुशी का पय्ाषय बनती िा रिी िै. इसके हलए िीएम बीि से लेकर बिुराष््ीय कंपहनयां, सरकारी उपेक्ा और अंतरराष््ीय करार िैसी वििे्हिम्मेदार िै्. अंबरीश कुमार
ना
गपुर िे रामटेक की सदशा मे् बीि सकिोमीटर आगे बढ्ते ही िड्क के दोनो् ओर कपाि के खेत नजर आने िगे थे. यह सवदभ्भ का ही एक सहस्िा है. इििे पहिे अमरावती, वध्ाभ िे िेकर यवतमाि तक के दौरे मे्कपाि सकिानो्की बदहािी को करीब िे देखने का अविर समिा. कपाि के िफेद फूि वािे बहुत िे खेत देखे जहां िे कई सकिान कभी घर नही् िौटे. सकिानो् की खुदकुशी का आंकड्ा हर िप्ताह बढ्जाता है. 26 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
देश मे् िबिे ज्यादा यानी करीब 42 िाख हेक्टेयर मे्कपाि की खेती होती है. दुभ्ाभग्यवश िबिे असधक सकिानो् की आत्महत्या का आंकड्ा भी इिी महाराष््प््ांत का है. यहां कई ऐिे गांव समिे्गे सजनमे् सवधवा स््सयो्, बच््ो्और बुजुग्ो्की िंख्या ज्यादा है. कपाि की खेती ने हजारो् पसरवार तबाह कर सदये. एक सकिान खुदकुशी करता है तो उिका पूरा पसरवार कज्भके जाि मे्ऐिा फंि जाता है सक उििे वह उबर ही नही्पाता. सवदभ्भमे्जहां हर िाि बड्ी िंख्या मे्सकिान खुदकुशी कर रहे है्, वहां की हाित का तो केवि अंदाजा ही िगाया जा िकता है. खुदकुशी करने वािे सकिानो् की व्यथा तो कई गांवो् मे् उनके पसरजन िे िुनी िेसकन इिकी वजह िमझने के सिये इि बार सवदभ्भ मे्कई सवशेषज््ो्िे भी बातचीत की. सकिान मंच के प््ताप गोस्वामी ने पहिे कृसष क््ेत्के जानकार िोगो्िे बातचीत करायी सफर वे कपाि के खेतो् तक िे गये .बीज बचाओ आंदोिन की प््मुख काय्भकत्ाभ श्यामिा िान्याि कपाि सकिानो् को करीब िे देखती िमझती रही्है. श्यामिा का कहना है सक यह
विदभ्ण मे् कपास की फसल: तबाही के खेत
पूरी िमस्या कृसष क््ेत् के अंतरराष््ीय करार के चिते और गंभीर होती जा रही है .भारत वष्भ 1991 मे् डल्िूटीओ का िदस्य बना और वष्भ 1994- 95 मे् पहिी बार बीटी कॉटन को इजाजत समिी. इििे पहिे तक देश मे्कपाि के परंपरागत बीज प््योग मे्िाये जाते थे. बीटी यानी जीन िंवद्््सघत (जेनेसटकिी मॉसडफाइड) फिि। ऐिी फििे् सजनके गुणिूत्मे्कुछ मामूिी िे पसरवत्भन कर उनके आकार-प््कार और गुणवत््ा मे् मनवांसछत बदिाव िा सदया जाता है. यह गुणवत््ा कीटाणुओ् िे िडऩे की क््मता मे् िुधार के र्प मे् हो िकती है और पौस््षïकता मे् वृब्दघ के र्प मे् भी. बीटी कॉटन के बीच मोनिे्टो नामक बहुराष््ीय कंपनी करती है. कंपनी ने सजन भारी भरकम दावो् के िाथ इि बीज को बाजार मे्उतारा था वे कुछ ही िािो्मे्हवा हो गये. यहां पर एक तथ्य रेखांसकत करने िायक है. बीटी कॉटन को अपने देश मे् इजाजत वष्भ 1994- 95 मे् समिी और कपाि सकिान की पहिी ख़्ुदकुशी का मामिा 1997 मे् िामने आया. वध्ाभ के एक सकिान रामदाि बोरानवार
ने 1997 मे् खुदकुशी कर िी. यह सवदभ्भ की पहिी खुदकुशी थी. इिके बाद िे तो खुदकुशी का सििसििा ही चि सनकिा. दरअिि ये नये बीज अपने िाथ कई तरह के िंकट िेकर आये थे. वध्ाभ के सचंचौिी गांव मे्कई सकिानो् िे बात हुई तो यह िाफ हुआ. एक सकिान नारायण उइके के मुतासबक बीटी बीज की पहिी सदक््त यह थी सक अब हर बार नये सिरे िे बीज खरीदना पड्ता क्यो्सक परंपरागत बीजो् िे होने वािी कपाि की फिि िे बीज सनकाि सिये जाते थे जो इििे िंभव नही्था. बीज भी बहुराष््ीय कंपनी िे समिेगा यह भी तय हो चुका था. यानी सकिान को अब कंपनी द््ारा तय कीमत पर ही बीज खरीदना था. जब खेतो्मे्इिका प््योग शुर्सकया गया तो नयी सकस्म की मुब्शकिो् ने िर उठाया. पता चिा सक फिि पर कीटनाशको् का प््योग करना आवश्यक है क्यो्सक इन बीजो्मे्कीट न िगने का दावा गित था. दूिरी बड्ी िमस्या पानी की थी. सकिानो् की माने्तो इन बीजो्िे होने वािी फिि को पहिे की तुिना मे् कही् असधक पानी की आवश्यकता होती है. िंपन्न सकिानो् ने तो पानी का इंतजाम कर सिया जबसक जो नही् कर पाये उनकी फिि पूरी तरह चौपट हो गयी. खेती सकिानी मे् छोटे सकिानो् का िाहूकार िे कज्भ िेकर बीज खरीदना आम बात है. बाद मे् इिी तरह वे उव्भरक और कीटनाशक भी िेते है्. यानी पहिे िे कज्भ िे चुका सकिान फिि खराब होते ही जबरदस्् दबाव मे् आ जाता है. असधकांश मामिो् मे् खुदकुशी की यही वजह िामने आयी. कुछ जगहो् पर कपाि की फिि भी
अच्छी नजर आयी और अरहर तथा अन्य फिि भी देखने को समिी्. प््ताप गोस्वामी कहते है्, इििे आप आम कपाि सकिान की सदक््त का अंदाजा नही् िगा िकते. यह सिंसचत इिाके की फिि है जबसक कपाि के असधकांश सकिान पूरी तरह बासरश पर ही सनभ्भर है्. अगर ढंग की बासरश न हो तो उनकी कपाि की फिि चौपट हो जाती है. यह पूछे जाने पर सक अगर कपाि िे इतनी सदक््त है
खेती रकिानी में छोटे रकिानों का िाहूकाि िे कजंज लेकि बीज खिीदना आम बात है. बाद में इिी तिह वे उवंजिक औि कीटनाशक भी लेते हैं. तो सकिान दूिरी फिि क्यो् नही् िेते? गोस्वामी कहते है् सक दरअिि कपाि नकदी फिि है. सजन खेतो् मे् िािो् िे कपाि हो रही है, वहां अचानक दूिरी फिि िेना मुब्शकि होता है. अििी िमस्या यह है सक अंतरराष््ीय बाजार मे् दूिरे देशो् के कपाि सकिानो् को जो नुकिान होता है उिकी भरपायी वहां की िरकार िब्लिडी देकर कर देती है. अमेसरका का उदाहरण हमारे िामने है. वह अपने कपाि सकिानो् को अिग-अिग मद मे् 50 िे 100 फीिदी तक िब्लिडी देता है. इिके चिते कपाि की कीमत िागत िे भी कम हो जाती है और वे उिे आिानी िे बचे िकते है्. नागपुर मे् सकिान प््सतसनसधयो् की बैठक मे् कहा गया सक यही वह वजह है सजिके चिते अंतरराष््ीय बाजार मे् कपाि वछंदिाड्ा मे् वकसान सम्मेलन: बदहाली का हाल
की कीमत सगरती है और भारतीय सकिान जो एक पैिे की िब्लिडी नही् पाता, वह तबाह हो जाता है. अमेसरका की इि हरकत को िेकर ब््ाजीि ने सवश्् व्यापार िंगठन की अदाित मे् मुकदमा भी दज्भ कराया था. इि मामिे मे् अफ््ीकी मुल्को्, चाड, िेनेगि, मािी और बुस्कफनाफािो के िाथ भारत भी पक््कार बना. नतीजा यह हुआ सक अमेसरका को िन 2014 मे् ब््ाजीि के िाथ बाहर िमझौता करना पड्ा. उिने उिे 30 करोड् डॉिर का भारी भरकम मुआवजा चुकाया. इतना ही नही् मुंह बंद रखने के सिये सरश््त भी दी गयी. फोकि ऑन द ग्िोबि िाउथ के िंयोजक अफिर जाफरी कहते है्, 'सरश््त की यह रकम 80 करोड्डॉिर की है. खािबात है सक डल्ल्यूटीओ के इि खेि पर कही् सवस््ार िे चच्ाभ नही्होती.' यह मुद्ा अंतरराष््ीय करार िे हुए नुकिान का था. अब दूिरे मुद्ो् पर गौर करे्. हम पे्च राष््ीय उद््ान की तरफ जाती हुई िड्क के िाथ िगे कपाि के खेतो् की तरफ मुड्ेतो देखा सक कपाि के िाथ दिहन भी थी. बगि मे् दूिरी फिि भी. िाि् है कपाि सकिानो को बचाने के सिये कृसष सवभाग को दूिरी फिि और दूिरे सवकल्प पर ध्यान देना होगा. सिंचाई और बीज के चिते कपाि सकिान ज्यादा परेशान होता है. रामटेक मे्ग््ाम पंचायत वांडाबा मे् िरपंच तारा चंद ििामे और कसवता गंबारे ने आिपाि के करीब बीि गांवो्के सकिानो्की एक बैठक बुिायी थी .ये गांव जंगि िे सघरे है् िेसकन जो पे्च नदी गुजरती है उिका पानी ये अपने खेत मे् नही् डाि िकते. वह पानी एक सनजी सबजिी घर को भेजा जाता है. यह बात िरकार की प््ाथसमकताओ्को उजागर करती है. इधर महाराष्् था तो करीब 150 सकमी आगे बढऩे पर हम मध्य प््देश के सछंदवाड्ा पहुंचे. वहां सकिान िंघष्भ िसमसत ने राष््ï् रीय िम्मेिन बुिा रखा था. यहां भी मुद्ा सकिान था जो कॉरपोरेट िूट का सशकार हो रहा है. मेधा पाटकर, डा िुनीिम, सवजयप््ताप, अर्ण श््ीवास््व, डॉ. योगे्द् यादव, प््ताप गोस्वामी सवनोद सिंह िे िेकर देश के सवसभन्न सहस्िो् िे िोग यहां पहुंचे थे. कपाि िे िेकर िोयाबीन सकिान तक की बदहािी पर चच्ाभ हुई. बताया गया सक वष्भ 1995 िे अब तक कुि समिाकर पांच िाख सकिान खुदकुशी कर चुके है्. इनमे् बहुत बड्ी िंख्या सवदभ्भ के सकिानो् की है. मध्य प््देश मे् सपछिे चार महीनो् मे् दो िौ िे असधक सकिान आत्महत्या कर चुके है्. इि पूरे अंचि मे्खेती अब खुदकुशी की राह पर चिती नजर आ रही है. n शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 27
मास् झारखं ट हेडड
आहदवासी महिलाओ्की तस्करी से झारखंि के कई हिले बुरी तरि ग््स्िै्. इसके दलालो्की संख्या लगातार बढ्रिी िै, िो महिलाओ्को घरेलू कामकाि से लेकर यौन शोरर और हकिनी बेचने िैसे कामो्मे्ढकेल देते िै्. हरे राम घमशंं
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िे महज एक दुय्ोग मात््नही्िमझा जाना चासहए सक सजि इिाके की जमीन प््ाकृसतक िंिाधनो् और बहुमूल्य खसनजो् िे िबा-िब भरी हो. उि इिाके की नाबासिग और मािूम िड्सकयां महज तीन हजार र्पये महीने पर हैदराबाद, केरि, सदल्िी, एनिीआर और मुंबई जैिे शहरो् के मध्यम वग््ीय पसरवारो् मे् घरेिू काम-काज करने के सिए बेच दी जाती हो्. मध्यम वग््ीय पसरवारो् की िुख िुसवधाओ् के सिए उनिे बधुंआ मजदूरी करवायी जाती हो. यह िामान्य नही् है सक इि इिाके की मािूम िड्सकयां स्थानीय राजनैसतक िंरक््ण मे् पि बढ्रहे कुख्यात मानव तस्करो्की भे्ट चढ्कर हैदराबाद, सदल्िी और मेरठ के कोठो्की शोभा बढ्ाती हो्. यही नही् इन मािूम िड्सकयो् को ब्किसनकि ट््ायि की सगनीसपग की तरह इस््ेमाि सकया जाता है. िेरोगेिी के सिए अंडाणु उत्पन्न करवाने के औजार के बतौर धड्ल्िे िे प््योग सकया जाता है. झारखंड के गुमिा सजिे मे् पहुंचते ही आपके पाि दिािो् की एक बड्ी फौज तमाम तरह के आफर िेकर स्वयं मौजूद हो जाती है. प््त्यक्् या अप््त्यक््. सजिकी सजतनी पहुंच है. वह उिी भाषा मे्आपिे बात करता है. चाहे बूढे़ हो चुके हसरयाणवी युवक के सिए नाबासिग दुल्हन खरीदना हो या सफर कोठे के सिए िड्सकयो्का इंतजाम. सकडनी चासहए तो वो भी समि जायेगी, बेहद ही िस््ेदाम पर. दिाि इि दावे िे बात करते है्. जैिे सक उन्हे् सकिी का भय ही नही्हो. बि शत्भयही है सक उन्हे्यकीन हो जाये सक आपको वास््वमे्इिकी ही तिाश है और इिीसिए आप यहां आये है्. एक ओर तस्करो् का जाि है, तो दूिरी ओर गरीबीभुखमरी का दंश झेि रही झारखंड की जनता का महािमुद्, सजिके पाि केवि सववशता है. 28 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
मानि तसुकर कुदम-कुदम पर
खूंटी वजले मे् छुड्ाई गयी एक आिदिासी मवहला: मानि तस्करो् का महाजाल
राजनीसत प््ायोसजत इि नंगे नाच को बद्ाभश्त करने की और उिका चारा बनने की. राज्य का गठन हुए पंद्ह िाि भिे ही बीत चुके हो् िेसकन आज भी यहां के मूि सनवािी और आसदवािी कुछ खाि नही्पा िके. सवकाि और रोजगार का उनका िपना बड्े पैमाने पर तबाह हो गया. इन पंद्ह िािो् मे् राज्य के सपछड्ेऔर आसदवािी िमुदाय को न तो पय्ापभ त् सशक््ा ही समि पायी और न ही रोजगार के अविर. हां यह जर्र हुआ सक नया राज्य अस््सत्व मे्आने के बाद पूंजी का पिायन कुछ हद तक र्का. सजििे सक एक नया मध्यवग्भ काफी तेजी िे यहां सवकसित हुआ. रांची मे् उिकी दमदार उपब्सथसत िाफ देखी जा िकती है. िेसकन उि भीड् मे् आसदवािी नदारद है्. राज्य के गठन के बाद आम आसदवािी िमाज के सिए कुछ भी उत्िाहजनक अब तक नही् हुआ. भिे ही पिायन यहां िे काफी पुराना है और औपसनवेसशक काि मे्यहां के आसदवािी आिाम के बागानो् मे् चाय की पस््तयां चुनने जाते थे. अिग राज्य बनने के पहिे यहां सवकाि, पिायन और भुखमरी एक बड्ा िवाि
था. िेसकन वह िवाि आज भी जि का ति है. अगर कुछ बदिा तो तस्करी का स्वर्प सजिने पिायन के र्प मे् अपने को औसचत्यपूण्भ ठहराने की कोशश की. उदारीकरण ने पिायन को स्वाभासवक मानने का हास्यास्पद िुझाव सदया और सफर रोजगार सदिाने के नाम पर कई प्िेिमे्ट एजंसियो्ने व्यापक स््र पर झारखंड मे्अपना नेटवक्फफैिाया. पिायन को सवकाि के र्प मे्पासरभासषत करते हुए इिकी आड्मे् ग््ामीण आसदवािी बहुि इिाको् मे् मानव तस्करी भयावह र्प िे शुर् हो चुकी थी. असशस््कत और कम पढ्ी सिखी सकशोर युवसतयो् और छोटे बच््ो् को बड्े शहरो् और महानगरो् की ओर धकेिने का मैराथन चि सनकिा. प््िोभन और गरीबी की मार झेि रही इन युवसतयो् को दिािो् ने फंिा कर बेचा और करोड्ो् कमाये. वत्भमान िमय मे् पूरे झारखंड मे्प्िेिमे्ट की आड्मे्मानव तस्करी का पांव बड्े स््र तक पिरा हुआ है. पुसिि थानो् मे् तस्करी के दज्भमामिे इिके गवाह है्. दरअिि मानव तस्करी और सवस्थापन आपि मे्इतना घुिसमि गया है सक इिे अिग करना िंभव ही नही्है. इि प््कार के काय््ो मे्
असधकांशतः िोकि एजे्ट िंसिप्त होते है्. िेसकन वे अपना काम अपने आिपाि न करके थोड्ी दूर या सफर दूिरे ल्िाक मे्करते है्. यही् नही्, ऐिी युवसतयां भी इि तरह के काय्भ मे् शासमि होती है्. जो पहिे खुद मानव तस्करी का सशकार हो चुकी होती है्और दिाि के र्प मे्काम करती है.् ये बाहर िे आने के बाद अपने रहन-िहन और पहनावे िे दूिरो्को आकस्षभत करती है्और उन्हे्भी अमीरो्जैिी जीवन जीने के सिए बाहर महानगरो्की ओर जाने के सिए प््ेसरत करती है्और उकिाती है्. वास््व मे्पूरा झारखंड मानव तस्करो्का स्वग्भहै. गुमिा, चाईबािा, गढ्वा, खूंटी, रांची, सिमडेगा, िाहेबगंज, िोहरदगा, गोड््ा और िातेहार सजिे की युवसतयां झांिे मे् आकर एजे्टो् के चंगुि मे् फंिती रही है्. सदल्िी के िाकेत नगर, नोएडा जैिे कई अन्य बड्ेइिाके, पंजाब के मानिा, िंगर्र, मिेर कोटिा, नवांशहर और िुसधयाना, मानिा सजिे का गांव मघासनया ऐिे काय््ो का के्द् सबंदु बन गया है. हसरयाणा के िाथ अब इि तस्करी का जाि मुंबई, बे्गिुर्, राजस्थान िसहत केरि तक पहुंच गया है. दरअिि िच तो यह है सक बड्ी
िंखय् ा मे्ऐिे मामिे तो उजागर ही नही्हो पाते. अगर ट््ैसफसकंग िे जुड्े और दज्भ मामिो् की बात करे् तो 2015 मे् 2013 की अपेक्ा 50 प््सतशत की वृस्द देखी गयी. पुसिि सरकॉड्भ मे् 2013 मे् कुि 96 मामिे ही झारखंड् मे् दज्भ सकये गये. जबसक िाि 2014 मे् यह बढकर 147 हो गया. िव्ासभ धक 42 मामिे गुमिा सजिे मे्दज्भसकये गये. तेईि मामिे खूंटी मे्दज्भहुए. िबिे अहम बात यह है सक हर िाि इिमे् बढोत््री देखने को समि रही है. िाि 2004 मे् पूरे झारखंड मे् सिफ्फ दो मामिे दज्भ सकये गये थे. जबसक िाि 2012 मे् 83, 2013 मे् 96 और 2014 मे्147 तक मामिा पहुंच गया. हिांसक सजि तरह िे मामिे बढ्ते जा रहे है्. उििे यह िाफ हो चुका है सक स्थानीय राजनीसत इि पूरे मििे मे् िंसिप्त है. सवधानिभा ित््माच्भ2015 मे्सवधायक प््दीप यादव ने तस्करी की िमस्या की ओर िरकार का ध्यान आकृष्कराया था. बच््ो्की तस्करी पर िरकार की ओर िे तब नीिकंठ सिंह मुंडा ने कहा था सक िाि 2005 िे 2014 तक कुि 3829 बच््े िापता हुए. सजिमे् िे 2548 का पता िगा सिया गया है और सवसभन्न थानो् मे् 675 प््ाथसमकी दज्भ है. िामासजक काय्भकत्ाभ बैजनाथ कुमार के मुतासबक 2010 मे्थानो्मे् मानव तस्करी की दज्भिंख्या मात््25 थी. वही् 2015 के पहिे तीन माह मे्ही यह िंख्या 70 पर पहुंच गयी. मानव तस्करी रोकने के प््याि के तहत िरकार ने थानो्को सवशेष सजम्मेदारी िौ्पी है. कुछ थानो् का सवशेष र्प िे चयन भिे ही सकया है, िेसकन हािात बताते है् सक ब्सथसतयां भयावह होती जा रही है्. प््थम चरण के आठ चयसनत थाने कोतवािी रांची, िोहरदगा िदर, सिमडेगा नगर, खूटं ी नगर, दुमका नगर, गुमिा नगर, चाईबािा िदर थाना है. िेसकन इन इिाको् के थानेदार केवि िेवी और अवैध खनन मे्अपनी सहस्िेदारी तय करने को िेकर ही परेशान रहते है्. ऐिे वासकये बहुत ही कम है्. जब पुसिि ने अपने स्वयं का खुसफया तंत् का इस््ेमाि करते हुए कभी प््भावी काय्भवाही की हो. उिकी काय्भवाही केवि तस्करी सवरोधी असभयान मे् िगे कुछ गैरिरकारी िंगठनो् की िूचना पर होती है. झारखंड का यह कड्वा िच है सक अवैध खनन और विूिी का अपना एक अिग मजबूत नेटवक्फहै. जो सक स्थानीय राजनीसतक िंरक््ण मे् फिता फूिता है. उिमे् पुसिि भी शासमि होती है. मानव तस्करी भी इिी नेटवक्फ मे्समिकर फिफूि रही है. अगर इिकी कोई पड्ताि शुर् हो तो अवैध विूिी मे् िगे िंगठन िोगो् को धमकाना शुर् कर देते है्. क्यो्सक उन्हे् डर है सक तस्करी का खेि अगर
बेनकाब होगा. तो कई राजनेता भी बेनकाब हो जाये्गे. इिसिए तस्करी के नेटवक्फको बेनकाब कर पाना बहुत खतरनाक है. मानव तस्करी के सखिाफ अब तक िागू कानूनो् िे कोई खाि प््भाव इि क््ेत् मे् देखने को नही् समिा है. यौन सहंिा और िेक्ि के अवैध धंधो् मे् िगाम िगाने हेतु पहिे के कानूनो् मे् बदिाव के सिए सदिंबर 2012 मे् िंिद ने सवधेयक पासरत सकया. िेसकन उिका कोई िाभ नही् समिा. भ््ष्ाचार और स्थानीय राजनैसतक िंसिप्तता के कारण एजे्टो का कारोबार इि क््ेत्मे्िगातार फि-फूि रहा है. अनुमासनत पूरे झारखंड्मे्50 िे ज्यादा मानव तस्करी के िरगना काय्भरत है्. वही्करीब 250 प्िेिमे्ट एजे्सियां रांची िे िेकर सदल्िी तक िस््कय है्. जो हर िाि 30 िे 40 हजार युवसतयो् की खरीद फरोख्त करती है्. एक िड्की पर औित बीि हजार र्पये िबिे सनचिे स्र् का दिाि विूिता है. इि तरह यह रासश करोड्ो्मे्जाती है. झारखंड के आसदवािी मंत्ी िाइमन मरांडी कहते है् सक पिायन के पीछे गरीबी एक बड्ा कारण है. िेसकन िंगसठत सगरोह आसदवासियो् की मजबूरी का फायदा उठाते है्. झारखंड के पूव्भ मुख्यमंत्ी हेमंत िोरेन ब्सथसत को भयावह मानते है् और कहते है् सक मानव तस्करी के मामिे मे् झारखंड की ब्सथसत अच्छी नही् है. अगर कोई बरगिाकर झारखंड की बेसटयो् को बाहर िे जाता है. तो जवाबदेही हमारी भी है. वही् इि शम्भनाक ब्सथसत के सिए राज्य और के्द् िरकार को सजम्मेदार ठहराते हुए अथ्भशास््ी ज्यां द््ेज पूछते है् सक िरकार तो उल्टे आसदवासियो् की जमीन जंगि और िंिाधन छीन रही है. ऐिे मे्उनके पाि सवकल्प क्या है? सक वह शहरो् मे् आकर पांच सितारा जीवन शैिी मे्मजदूर बन जाये्. वैिे बीते दि िािो्मे्आसदवासियो्की िंखय् ा मे्0.1 प्स्तशत की सगरावट आयी है. जबसक झारखंड की जनिंख्या 24 प््सतशत बढ्ी है. यूनाइटेड नेशंि ऑसफि ऑन ड््ग्ि एंड क््ाइम ने हाि ही मे् झारखंड मे् होने वािी तस्करी पर अपनी सरपोट्भजारी की है. 2013 की इि सरपोट्भके मुतासबक गुमिा सजिा तस्करी का िबिे बड्ा अड््ा है. इिके अिावा दुमका, पाकुड्, सिंहभूसम, सिमडेगा, पिामू, बोकारो, सगरीडीह, कोडरमा और िोहरदगा िे हर िाि िैकडो्की िंखय् ा मे्गरीब आसदवािी िड्सकयो् की देश के महानगरो्मे्तस्करी की जा रही है. ये िड्सकयां उरांव, मुंडा, िंथाि और गो्ड जनजासत की है्. कुि समिाकर पूरी ब्सथसत भयावह है और अगर ऐिा ही चिता रहा तो आसदवासियो् का वजूद एक न एक सदन खत्म n हो जायेगा. शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 29
आं मास्ध् टप््दहेेश ड
राजिानी की नी्ि: आंध् के सभी गांिो् की वमट््ी और देश की सभी पवित्् नवदयो् का जल
उपजाऊ ज्मीन पर अमरािती अघिषेक रंजन घसंह
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सद देश की िव्ाभसधक उपजाऊ जमीन की बात की जाये तो आंध्प््देश के गुंटूर सजिे का सजक्् अवश्य होगा. यहां कृष्णा नदी के तट पर बिा एक गांव है उद््ानदरायुसनपेिम. जमीन इतनी उपजाऊ की सकिान तीन-तीन फििे्िेते है्. कािी कपािी समट््ी वािे इन खेतो् मे् धान, चना, अरहर, मूंग, िरिो्, कपाि, समच्भ, गन्ना और केिा आसद की फिि उपजाई जाती है. सपछिे सदनो् यहां प््देश की नयी राजधानी की आधारसशिा रख दी गयी. आगामी माच्भ-अप््ैि के बाद उद््ानदरायुसनपेिम और अमरावती िमेत आिपाि के 29 गांवो् मे् खेती इसतहाि का सहस्िा हो जायेगी. आंध् प््देश िरकार ने असधिूचना जारी कर दी है. कुछ महीने बाद यहां खेतो्मे्हि-बैि की जगह जेिीबी, फं्ट िोडर 30 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
मशीन, िीमे्ट और िोहे िे िदे ट््क नजर आये्गे. ऐसतहासिक तौर पर िातवाहन युग मे् अमरावती नदी सकनारे ब्सथत अन्य नगरो् की तरह ही कारोबारी गसतसवसधयो्का के्द्था. अब िूबे के मुख्यमंत्ी एन चंद्बाबू नायडू सिंगापुर और जापान की मदद िे हरेभरे अमरावती को कंक्ीट का जंगि बनाने पर आमादा है्. जहां खेती सकिानी बीते सदनो्की बात होगी. सचकनीचौड्ी िडक़ो्पर फर्ाभटा भरती कारे्, क्िब और मल्टीप्िेक्ि नजर आयेगे्. मुख्यमंत्ी नायडू ने नयी राजधानी का मॉडि भी जारी कर सदया है. हैदराबाद के िामासजक काय्भकत्ाभ पीजे िूरी बताते है् सक इि राजधानी मे् तमाम आधुसनक िुख-िुसवधाये् हो्गी, िेसकन मुख्यमंत्ी को यहां एक िंग्हािय भी बनाना चासहये सजिमे् सकिानो् की मूस्तभयां और खेती िे जुड्े उनके औजार रखे जाये्. कम िे कम आने वािी
अमरावती मे्आंध्की रािधानी बनाने के हलए राज्य सरकार लै्ि पूहलंग कर हकसानो्से िमीन ले रिी िै. यानी यि उपिाऊ और बिुफसली िमीन हवकास की भे्र चढऩे िा रिी िै. पीसढय़ो्को पता तो चिे सक एक वक्त यहां खेती भी होती थी. जून 2014 मे्तेिंगाना राज्य बनने के बाद आंध् प््देश को नयी राजधानी की जर्रत थी. पहिे िे सवकसित गुंटूर और सवशाखापत््नम मे् आिानी िे नयी राजधानी बनायी जा िकती थी िेसकन मुख्यमंत्ी चंद्बाबू नायडू ने इिके सिये अमरावती को चुना. इि फैििे पर अब िवाि भी उठने िगे है्. िै्ड पूसिंग का सवरोधी कर रहे माकपा नेताओ् का कहना है सक अमरावती मे् कम्मा जासत की िंख्या असधक है. मुख्यमंत्ी नायडू का िंबंध भी इिी जासत िे है. नयी राजधानी बनाने की घोषणा डेढ्िाि पहिे हुई, िेसकन िरकार के कई मंस्तयो्एवं सवधायको को पहिे ही इिकी भनक िग चुकी थी. यही वजह है सक टीडीपी िे जुड्ेनेताओ्, बड्ेअसधकासरयो् और प््ापट््ी डीिरो् ने यहां की जमीने् खरीदनी शुर् कर दी थी्. बाजार भाव िे असधक कीमत
समिने की वजह िे असधकांश सकिानो्ने अपनी जमीने् बेच दी्. िरकार की घोषणा के बाद उनको एहिाि हुआ सक वे सरयि एस्टेट की िांगठसनक ठगी के सशकार हो चुके है्. सवजयादशमी के सदन प््धानमंत्ी नरे्द्मोदी ने नयी राजधानी की नी्व रखी. भूसम पूजन मे् आंध् प््देश के िभी गांवो् की समस््टयां और देशभर की पसवत्् नसदयो् िे पानी िाया गया. नायडू को आशा है सक इि वास््ु आधासरत राजधानी के बनने िे राज्य मे् िुख-शांसत और िम़स्द बढ्गे ी. गौरतिब है सक नई राजधानी के सिए उद््ानदरायुसनपेिम िमेत कुि 29 गांवो् की 33,692 हजार एकड्जमीन िै्ड पूसिंग के जसरए असधग््हीत की जा रही है. इनमे् क़्ष्णापेल्यम, रायापुडी, सिंगायापेिम, मिकापुरम, तुल्िुर्, वै्केटापेिम, नेिापेडू, अनंतवरम ऐिे प््मुख गांव है्, जहां भूजि स्र् महज दि फीट नीचे है. इि िमय यहां खेतो् मे् अरहर, कपाि, चना और समच्भ की फििे् खड्ी है्. इि इिाके सक बड्े सकिान हैदराबाद और सवजयवाड्ा आसद शहरो्मे्रहते है्. वे खुद खेती नही् करते और वे बटाई पर अपनी जमीने् देते है्.बदिे मे्बटाईदार सकिान जमीन मासिक को 10 िे 15 हजार र्पये िािाना देता है. गुंटूर सजिासधकारी काय्ाभिय के अनुिार, अमरावती मे् ऐिे भूसमहीन छोटे सकिानो् की िंख्या करीब 28 हजार है, जो दूिरो्की जमीन पर खेती करते है्. नयी राजधानी का सशिान्याि होने के बाद अब ऐिे सकिानो्के िामने बेरोजगारी का िंकट
पूसिंग का कोई सवरोध नही्हो रहा है.हाित यह है सक कैसपटि रीजन डेविपमे्ट अथॉसरटी (िीआरडीए) के काय्ाभिय मे् सकिान जमीन l यह पहिा शहर होगा जहां सवकाि काय्भ देने के सिये कतार बांधे खड्ेहै्. के बाद जमीन मासिको्को शेयर समिेगा. वाईएिआर कांगि ्े अमरावती मे्िैड् पूसिंग l अमरावती सवजयवाड्ा और गुंटूर के का सवरोध कर रही है.जगनमोहन रेड्ी इिके बीचो्बीच ब्सथत है. यह शहर नयी सखिाफ अनशन भी कर चुके है्. उनका कहना राजधानी के सिहाज िे बहुत महत्चपूणभ्है.् है सक कई सकिान डर की वजह िे भी जमीन दे l नये सडजाइन के तहत इि शहर को पूव्ी रहे है्. उन्हे् िगता है सक जमीन नही् देने पर तट पर गेटवे ऑफ इंसडया की तरह िरकार उिे छीन िेगी. सफिहाि अमरावती मे् स्थासपत सकया जायेगा. िै्ड पूसिंग का उतना सवरोध नही् हो रहा है, िेसकन इि मुद्े पर यहां एक बड्े आंदोिन की पैदा हो गया है. जमीन जर्र तैयार हो रही है.आंध्प्द् श े सकिान िरकार ने यहां सकिानो् के आक््ोश आत्महत्या िे प््भासवत राज्य है. सपछिे डेढ् को दबाने के सिये अनूठा तरीका सनकािा दशको् के दौरान कज्भ और गरीबी मे् डूबे है. िरकार ने यहां भूसम असधग््हण िे इतर हजारो् सकिानो् ने यहां आत्महत्या की. इि िै्ड पूसिंग स्कीम का िहारा सिया है. इिके िच््ाई को जानते हुए भी तेिुगू देशम पाट््ी तहत कोई सकिान अगर अपनी एक एकड् िरकार अमरावती के सकिानो् िे उनकी खेती सिंसचत जमीन देता है, तो बदिे मे्राज्य िरकार छीन रही है. उिे नयी राजधानी मे्1400 गज आविीय और गुंटूर की असतसरक्त िंयुक्त कृसष सनदेशक 450 गज व्याविासयक भूखंड देगी. इिके एि. िुनीता बताती है् सक अमरावती कैसपटि अिावा राजधानी बनने यानी दि वष््ो् तक रीजन के िभी 29 गांवो् मे् रबी और खरीफ िरकार 50 हजार र्पये प््सत एकड् मुआवजा फििो् की अच्छी पैदावार होती है. बेहतरीन देगी. गुणवत््ा वािा बािमती चावि यहां की मुख्य शहरो् मे् रहने वािे बड्े सकिानो् को जहां फिि है. िंबे रेशे वािे कपाि, समच्भ और एक एकड् पर िािाना 10 िे 15 हजार र्पये दिहन का उत्पादन भी यहां प््चुर मात््ा मे् समिते थे, वही् िै्ड पूसिंग िे उन्हे् 35 िे 40 होता है. हजार र्पये का फायदा हो रहा है.इतना ही नही्, अमरावती मे् िै्ड पूसिंग का िव्ाभसधक उन्हे्अमरावती मे्सवकसित भूखंड भी समि रहे सवरोध ताडेपल्िी, उंडावल्िी, बोर्पेिम, है्. शायद यही वजह है सक सकिानो् द््ारा िै्ड मिकापुरम, उद््ानदरायुसनपेिम व रायापुडी स्माट्ण वसटी अमरािती का मॉडल: लोगो् के वलए वकतनी जगह
कुछ प््मुख वबंदु
शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 31
आं मास्ध् टप््दहेेश ड
राजिानी का वशलान्यास स्थलः हवरयाली पर खतरा
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पय्ाणिरर को खतरा
पनी हसरयािी और उव्भर भूसम के सिय प््ख्यात अमरावती का गौरव अब िमाप्त हो जायेगा. नयी राजधानी सिंगापुर के तज्भ पर बनेगी िेसकन उिमे्वह अमरावती नदारद होगा सजिकी िुदं रता की तारीफ कभी चीनी यात््ी ह््ेनिांग ने की थी. नये फैििे िे पय्ाभवरणसवद भी नाखुश है्. आशंका है सक नयी राजधानी के नाम पर न केवि िंरस््कत वनो् को नुकिान पहुंचेगा बब्लक कृष्णा नदी के प््वाह मे्भीबाधा उत्पन्न होगी. देश की दस््कण िे उत््र की ओर बहने वािी इकिौती नदी बुरी तरह प््दूसषत हो जायेगी. राजधानी क््ेत्के को्डावेडू, वे्कटापेिम, मंगिसगसर और ताडेपल्िी गांव मे्वन सवभाग की िव्ाभसधक ज़्मीने्है्. नयी राजधानी की जद मे्वन सवभाग की 10,200 एकड् जमीन है. एक अनुमान के मुतासबक, अमरावती मे् िाखो् की िंख्या मे् पेड् काटे जाये्गे. पय्ाभवरण िे जुड्े िंगठनो् मे् इिे िेकर काफी सचंता है. गुंटूर के िामासजक काय्भकत्ाभ राजशेखर राव बताते है्, 'पेड्-पौधो्को सवकाि की बड्ी कीमत चुकानी पड्ती है. हर जगह शुर्आत मे्यही भरोिा सदया जाता है सक सजतने पेड् काटे जायेग् े उििे तीन गुना नये िगेग् े िेसकन हकीकत मे्कुछ नही्होता.' गुंटूर के सजिा वन असधकारी (डीएफओ) के. िोसहतिायुडू का गांव मे्हो रहा है. माकपा के सडसवजनि िेके्टी दुंती वे्कट रेड्ी बताते है्, 'आंध् प््देश िरकार सकिानो् को डराकर और झांिा देकर उनिे जमीने्िे रही है.् राजधानी बनाने के सिये 5000 एकड्भूसम काफी थी, इिके सिये हजारो्एकड् जमीन िेने का कोई मतिब नही्है.' िीआरडीए यानी कैसपटि रीजन डेविपमे्ट अथॉसरटी को ताडेपल्िी गांव मे्कुि 800 एकड्जमीन िेनी है.यहां माकपा का काफी प््भाव है.यहां के ज्यादातर सकिान जमीन देने के मूड मे् नही् है. उिी तरह पेनूमाका गांव मे्3000 एकड्जमीन िी जानी है.सफिहाि यहां िीआरडीए को 2000 एकड् जमीन समि चुकी है. िरकार ने इि बाबत 34,000 एकड्भूसम अस्जतभ करने का िक््य रखा है. नक्ििवादी िंघष्भ के प््वक्ता और मशहूर 32 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
बहुफसली जमीन : राजिानी की भे्ट कहना है सक अमरावती राजधानी मे्वन सवभाग की जमीने्तो जा रही है्, िेसकन उििे पेड्-पौधो् को कोई नुकिान नही् पहुंचेगा. यह पूरी तरह गित और हास्यास्पद है सक नयी राजधानी के सिये पेड्नही्काटे जाये्गे. दरअिि, राजधानी की राह मे् कोई बाधा पैदा न हो, इिसिए िरकारी सवभाग गितबयानी कर रहे है.् आज जबसक पूरी दुसनया जिवायु पसरवत्नभ को िेकर सचंसतत है. खुद प््धानमंत्ी नरे्द्मोदी अपने भाषणो्मे्पय्ाभवरण को िेकर सचंता जताते रहते है्िेसकन इिके बावजूद अमरावती के ग््ामीण इिाके को शहरीकरण की आग मे्झो्कने की पूरी तैयारी कर िी गयी है. अमरावती को राजधानी बनाने के सनण्यभ पर राष््ीय हसरत पंचाट यानी एनजीटी भी सचंता जता चुका है. उिके मुतासबक इि पसरयोजना के सिये असनवाय्भ पय्ाभवरणीय आकिन भी पूरा नही् हुआ है और न ही इििे िंबंसधत सरपोट्भ को मंजूरी समिी है. पय्ाभवरणसवदो् का कहना है सक अमरावती के सिये आंध्प्द् श े िरकार पय्ावभ रण कानूनो्की अनदेखी कर रही है. वही् आंध् प््देश िरकार पय्ाभवरण िे जुड्ी सचंताओ् को भ््ामक प््चार करार दे रही है. िरकार का कहना है सक राजधानी बनने िे कोई पय्ाभवरणीय िंकट पैदा नही्होगा.अमरावती के सिये तैयार मास्टर प्िान मे् इन जर्री बातो् का पूरा ख्याि रखा गया है. हािांसक, िरकार ऐिा तक्फ सकि आधार पर दे रही है, यह िमझ िे परे है. आंध् प््देश की राजधानी अमरावती अगिे कुछ वष््ो् मे् पूरी तरह सवकसित हो जाएगी, िेसकन पय्ाभवरण िे जुड्ेिवाि कभी खत्म नही्हो्गे.
तेिुगू जनकसव वरवर राव अमरावती को राजधानी बनाने जाने को दुभ्ाभग्यपूण्भ मानते है्.इनके मुतासबक, 'अमरावती सकिानो् के दुख और आंिुओ्िे बनी राजधानी होगी. बहुफििी जमीन पर स्माट्भसिटी बनाना सकिानो्के सहत मे् नही्है.' तुल्िूर् सनवािी ित्यनारायण बताते है्, राजधानी बनने िे अमरावती के िोग खुश तो है,् िेसकन उन्हे् इिाके की खेती चौपट होने का अफिोि भी है. िै्ड पूसिंग स्कीम मे्अपनी ढाई एकड् जमीन दे चुके वे्केटेश्र कहते है्, 'िरकार ने सकिानो्िे जो वादा सकया है, उिमे् कोई फेरबदि नही्होना चासहये.अगर ऐिा होता है, तो सकिान आंदोिन का रास््ा भी चुन िकते है्. ' के्द् िरकार िगातार खाद्् िुरक््ा कानून
पर जोर देती आयी है. अमरावती को नयी राजधानी बनाने के नाम पर सजि तरह हजारो् एकड्बहुफििी जमीन सकिानो्िे िी जा रही है उििे न केवि सकिानो् का नुकिान होगा बब्लक आने वािे सदनो्मे्गंभीर खाद््िंकट भी पैदा हो िकता है. अमरावती क््ेत् मे् बड्े पैमाने पर दिहन की फििो् की खेती होती है. नयी राजधानी बनने के बाद यहां खेती का काम पूरी तरह ठप हो जायेगा. ऐिे मे् जर्री खाद््ान्न के िंकट िे गुजर रहे देश को काफी नुकिान भी उठाना पड् िकता है. एक तरफ िरकार खाद्् िुरक््ा सवधेयक को अमि मे्िाती है वही्दूिरी ओर वह उपजाऊ कृसष भूसम का असधग््हण कर वहां सवकाि काय्भकरने जा रही है. ऐिे मे्खाद्् िुरक््ा को पैदा होने वािी चुनौती एक अहम िवाि होगी. n
बतकही चंचल
लकीर को छोटी करो
यि रािनीहत का एक खेल िै िो सन चौदि से लागू िुआ िै, ठीक वैसे िैसे सन पचास की छब्बीस िनवरी को देश के आिादी हदलानेवाली कांग्ेस ने संहवधान लागू हकया रा.
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ई, कीन उपासधया फंि गये है्, जन्तुिा, रामदेई, फेफना की माई िब घेरे है्कीन को. एक बात बताओ पंसडत जी चुनाव के बख्त तो बडी िंबी हांके रहे, कौन धन रहा, जौने को कािा ििेद बोिे रहा सक ऊ आयी त िब के खाते मे्डेढ डेढ िाख डाि दीन जायी. इही चक््र मे्फंि के बबुल्वा कन्ाभटक क नौकरी छोड के पगिान घूमत बाय. उहो मुआ पागि भाया रहा तोहरे पीछे सक र्सपया समिी तो एक खोखा बनवाके उिमे िल्जी की दूकान खोिूंगा. नद््ी क गाडू बब्भख्त कागज किम सिए आिू सपयाज क भाव सिखत सिखत पगिे गयि मुिा न पैिा आवा न भाव सगरा. देख दाि क कीमत. कौन चीज िस््ी हुयी? रामिाि की दूकान पर मिािा खरीदने आये कीन उपासधया ऐिे फंि जाये्गे उन्हे्उम्मीद नही्थी, िेसकन अब तो फंि ही गये है्, मन ही मन िरकार को घुब्नियाते हुए बुदबुदाये- अगर ई ििुरा ऐिे ही चिता रहा तो गांव छोड के परदेि भागना पडेगा मुह छुपाने की कोई जगह तक नही्बची है. कीन को सघरता देख ििीम ने चुटकी िी- पंसडत जी सजिके सिए वोट मांगा उििे क्यो्नही्कहते ई िब? कीन को थोडी राहत समिीसमिे रहे भाई, िेसकन नतीजा वही गोि रहा, अब पूछोतो बोिता है सक हमारी िुनता कौन है, िूबे मे् असखिेश की िरकार है, िमाजवादी है, िमाजवासदयो् को िंघी िोग एक आंख नही् िुहाते, उनकी बात िुने्गे? औ के्द्जहां अपनी िरकार है. वहां और भी पतिी हाि है, जब घोर मंत्ी को नही् िुना जाता तो हमारी कौन िुनेगा? जन्तूिा गसरआते हुए चिी गयी. अपनी बकरी को देखने, नवि उपासधया नमूदार हुए, उन्हे्देखते ही कीन जि भून जाते है्. दोनो् मे् छतीि का आंकडा है आते ही आते नवि ने गुगिी मारा- का हो जुमिा भाय! का हाि बाय? कीन के सिए इतना काफी था, -जुमिा का मतिब भी जानते हो सक चिे आये मुह उठाये? िफंगा कही् का. नवि ने सफस्ि िे हंि सदया. उमर दरजी ने मशीन रोक दी. ई जुमिा कौन है् भाई? अब बात नवि और उमर के बीच जा कर फंि गयी और कीन िमझ गये सक अब इ दोनो्समि कर पूरी राजनीसत की भद््पीटेग् े इििे अच्छा है चुपे रहा जाय. नवि ने आंखे् गोि की्- जुमिा नही्बूझते? इिे िमझो. यह राजनीसत का
एक खेि है जो िन चौदह िे िागू हुआ है, ठीक वैिे जैिे िन पचाि की छल्बीि जनवरी को देश के आजादी सदिानेवािी कांग्ेि ने िंसवधान िागू सकया था. उिी तज्भपर िन चौदह मे्एक ऐिी िरकार आयी सजिने जुमिा िागू सकया. अब यह देश के पैमाने पर चिाया जायेगा. बि िीखने की देर है. कहो कीन भाई! उमर! िुनो हम बताते है्. जैिे हमने उमर को कुसतया छाप मारकीन सदया पूरे दो गज, और कहा सक उमर भाय अगर तुम कि तक इिको चड््ी बना कर दे दो तो हम तुम्हे डेढ मन मकई, खांची भर भूिा, और चूल्हा मे् िगाये वास््े बबूि की एक पूरी थाह देगे्. तुमने पूरे मन िे मारकीन की चड््ी सिि सदया, समयानी िमेत. और हम चड््ी िेकर चिते बने. अब तुम क्या करोगे? तगादा करं्गा और क्या करं्गा. अगर हम तब भी नही्मकई, भूिा और िकडी नही्स््दये तो? जनता जनाद्भन को बुिाऊंगा, और मामिे को पंचायत मे्रखूंगा. तो इििे क्या होगा? तुमह् ारी इज्त् जायेगी, चारो्ओर थू थू होगा और क्या, काठ की हांडी एक ही बार चढती है. एक बात बताओ उमर, इज््त महंगी है सक मकई और भूिा? इज््त जाये भाड मे् मकई तो बच गयी, रही बात हांडी सक तो एक बार तो चढ गयी न. सफर देखा जायेगा. अगर पकड कर जिीि करना शुर्करं्तो? बच््ेइि नये सनजाम िे हम बच सनकिे्गे और बोि दे्गे गंगा मे्खडे होकर सक यह तो जुमिा था. इिे कहते है् जुमिा. नये सनजाम का नया नुस्खा वायदा करो और सफर बोि दो वह वायदा नही्था, जुमिा था. नवि अब कीन िे मुखासतब हुए- पंसडत परिू के पुत् कीन कान खोि कर िुन िो, तुम्हारे जैिे जमीनी काय्भकत्ाभओ् के सिए ही िरकार ने यह जुमिा सदया है. जब भी कोई वायदे की याद सदिाये एक िाइन बोि सदया करो, वह तो जुमिा था. िमझे? कीन कुछ जवाब देते उिके पहिे ही उमर दरजी ने कहा पंचो िुन िो, यह जुमिा जनता जनाद्भन भी जानती है अगिी दफा उिी जुमिे िे िैि होकर जनता भी n स्वागत करेगी. शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 33
घवजंंापन अंघकता जैन
क
मि बाबू टहि कर वापि आये तो िीधे नजर घड्ी पर गयी, आठ बज गये थे. आज रोज िे कुछ ज्यादा ही घूम सिए थे, िमय जो काटना था. उन्हे्इंतजार था अपने बेटे-बहू का. उनकी पत्नी रमा ने उन्हे्घड्ी को सनहारते देखा तो बोिी्‘आपको शत्भहारने मे्बि कुछ ही घंटे बाकी रह गये है्.’ पत्नी की बात पर कमि बाबू मुस्कुरा सदए और बोिे ‘अभी बाकी है्ना’ कमि बाबू आगे कुछ कहते उििे पहिे ही घर के बाहर कार र्कने की आवाज आयी सफर आंगन मे् बंधी उनकी गाय श्यामा भी रंभाने िगी तो कमि बाबू एक िंबी िुकून की िांि िेकर अपनी आराम कुि्ी पर बैठ गये, कुि्ी चर्भ-मर्भ करके सहिने िगी. उनकी पत्नी ने आकर उनके हाथ पर एक 100 का नोट रखा सफर दोनो्मुसक ् ुरा सदये. दरअिि कमि बाबू ने अपनी पत्नी िे शत्भ िगायी थी सक प््ॉपट््ी बेचने की खबर
घर वापसी
िुनकर उनकी बहू सनसध उनके इकिौते बेटे आकाश को गांव आने िे कभी नही् रोकेगी. आकाश िखीमपुर सजिे के अधा-चात गांव का रहने वािा था, जो िखीमपुर िे छह सकिोमीर की दूरी पर बिा एक छोटा िा गांव है. सनसध और आकाश की शादी को पांच िाि हो गये थे. कॉिेज मे्हुई मोहल्बत िे शादी तक का िफर दोनो् का बहुत अच्छा था. िेसकन उिके बाद जैिे आकाश के सिए सनसध सबल्कुि अजनबी िगने िगी. सदल्िी मे्पढ्ाई के बाद सदल्िी मे् ही नौकरी करने वािे आकाश का मन उिके गांव मे् ही बिता है और वो शादी के बाद दो तीन िाि नौकरी करके हमेशा के सिए अपने गांव वापि िौट जायेगा, ये बात उिने सनसध को न जाने सकतनी बार कही होगी. वो वापि जाकर अपने बाऊजी के उन गन्ने के खेतो् को िंभािना चाहता था सजन्हे् देखते हुए , सजनमे् खेिते हुए, उिकी सजंदगी बीती. आकाश हमेशा िे शांसत पिंद इंिान था, उिे शहरो् की भागदौड्भरी सजंदगी कभी राि नही्आयी, वो बि पढ्ना चाहता था और बाहरी दुसनया का भी थोड्ा एक्िपीसरयंि िेना चाहता था इिसिए नौकरी की. उिे वापि जाना ही है ये बात उिने बहुत
34 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
अच्छे िे सनसध को िमझायी थी, उि वक्त सनसध ने भी हां कहा था, िेसकन धीरे-धीरे ‘गांव मे् रहकर क्या समिेगा’ की उिकी सजद ने कभी आकाश को वापि नही् िौटने सदया. अब तो सनसध को इतना डर था सक वो तीज-त्योहार पर भी आकाश को गांव नही् जाने देती थी. उिे िगता सक आकाश अगर एक बार गांव गया तो कभी वापि नही्आयेगा, आकाश वहां जाने के सिए तरिता रहता. अपनी शादी और प्यार बचाये रखने के सिए वो न जाने कैिे अम्माबाऊजी िे दूर रहा, उनकी नाराजगी िही, ये उिके अिावा और कोई नही् िमझता. पहिे पहि कमि बाबू और उनकी पत्नी अपने बेटा बहू के पाि रहने सदल्िी जाते रहते थे, सनसध भी सदि की बुरी नही् थी. अपने िाि-ििुर का बहुत खयाि रखती थी, अच्छे िे रहती थी, बि उिे गांव के नाम िे ही घबराहट होने िगती थी. जब कमि बाबू को िमझ आ गया सक उनकी बहू उनके बेटे को उनिे सिफ्फ इिसिए दूर रखना चाहती है क्यो्सक वो गांव मे्नही्रहना चाहती, कमि बाबू ने भी आकाश के पाि सदल्िी जाना छोड् सदया था. वो बि सदन रात यही उम्मीद िगाये रहते थे सक सकिी सदन
उनका बेटा यहां आकर उनके कंधो् का बोझ हल्का कर दे. आकाश ने सनसध को कई बार ये कहकर मनाने की कोसशश की भी थी सक ‘तुम्हारा मन िगे तो तुम अधा-चात न रहकर िखीमपुर रह िेना. वो तो बड्ी जगह है, मै्डेिी अप-डाउन कर िूगं ा’ िेसकन सनसध को वो भी मंजरू नही्था. उिने आकाश िे कह सदया सक अगर उिे वापि जाना ही है तो वो चिा जाये सनसध अकेिे अपने बेटे आरव के िाथ सदल्िी मे्ही रहेगी. धीरे-धीरे आकाश की कोसशशे् भी सनसध के िामने हार गयी्. कार िे उतरते ही आरव श्यामा के छोटे िे बछड्े के पाि जाकर उिे छूने की कोसशश करने िगा तो सनसध ने डांट कर उिे अंदर चिने काे कहा. सनसध्ा नही्चाहती थी सक आरव अधाचात की सकिी भी चीज िे जुड्े. हािांसक िहिहाते खेत, प््दूषण मुक्त िुख्भ आकाश, शांत िुकून भरी सजंदगी, ये िब सनसध का मन तो ििचाते थे, िेसकन एक सकिान की पत्नी कहिाने का डर सनसध को वहां बिने िे रोकता था. सनसध को िगा था जब वो पहुंचेगी तब गांव
मे्िाइट नही्होगी, गम््ी मे्रात गुजारनी पड्गे ी, िेसकन जब पहुंची तो उिे उिके कमरे का नया र्प सदखा, जो िगता था सकिी अच्छे इंटीसरयर सडजाईनर िे मदद िेकर सडजाईन करवाया गया है. उिने आते ही सबना सकिी िे बात सकये अपने कमरे का एिी चिाया और नौकर िे स््फज का ठंडा पानी मंगाने के सिए आवाज िगायी. अगिे सदन भी घर मे्शांसत पिरी रही.
रात को खामोशी तोड्ते हुए सडनर के वक्त अम्मा बोिी् ‘हम आधी प््ॉपट््ी बेचकर दान मे् दे रहे है्, सफर तीरथ पर सनकिे्गे, बाकी तुम जानाे’. ‘दान मे्?’ सनसध ने चौ्कते हुए पूछा. ‘जमीन कचरा घर बनने के सिए तो नही् छोड्े्गे न बहू बाऊजी िे अब िंभिता नही् अकेिे’ अम्मा ने कहा, ‘और तुम सचंता मत करो, तुम्हे्तुम्हारा आधा सहस्िा तो समि ही रहा है न, बाकी आधे का हम कुछ भी करे्.’ ‘तो क्या अच्छी-खािी नौकरी छोड्के हम यहां सकिानी करे्?’ सनसध ने कहा. ‘बेटा पस्शचमी उत््र प््देश की जान है ये गन्ने के खेत. अगर हर सकिान का बेटा इिी तरह शहरो् की ओर पिायन कर जायेगा तो तुम्हारी चाय मे्समठाि कहां िे आयेगी? और सफर यहां सपछिे िाि जबिे िरकार ने स्टेट एडवाइिड प््ाइि अनाउंि सकया है हमे् सगरे हािात मे्भी समसनमम िागत तो समि ही जाती है’ बाऊजी ने मुस्कुराकर कहा. ‘अभी-आधी जमीन पर खेती होती है अगर पूरी पर मै् ठीक तरह िे करं्गा तो शहर की सजंदगी िे बेहतर सजंदगी हम यहां जी िकते है्,’ गहरी िांि के िाथ आकाश ने अपने मन की बात कही. ‘कोई आरव के बारे मे्िोचेगा, इि गांव मे् है ही क्या, उिकी एजुकेशन, फ्यूचर. िब इि सकिानी के सिए बब्ाभद कर दे्?’ सनसध ने गुस्िे िे कहा तो िब चुप हो गये. अम्मा ने टेबि िे उठते हुए कहा, ‘कि िुबह जल्दी तैयार हो जाना बहू, कही्जाना है.’ ‘अधा-चात मे् स्कूि बि,’ िुबह-िुबह अम्मा पता नही् सनसध को कहां िे जा रही थी्. वॉक पर सनकिी सनसध रास््े मे् समिी एक स्कूि बि को देखकर थोड्ा हैरान हुई, ‘आकाश ने तो तुमह् े्बताया ही होगा बहू सक उिे स्कि ू पढ्ने 45 सकिोमीटर जाना पड्ा था.’
उिके िमय मे्फतेहपु र मे् उतनी िुसवधाएं नही् थी. िेिकन शायद तुम्हे् पता न हो अब अधाचाज उत््र-प््देश का एक ऐिा िबिे सवकसित गांव है जहां सपछिे पांच िािो् मे् सशक््ा का प््सतशत बहुत असधक बढ्ा है.’ अम्मा सनसध को िेकर कही् जा रही थी्, थोड्ी देर बाद अम्मा और सनसध मेन रोड के सकनारे दूर तक फैिे गन्ने के खेत के िामने थे, ‘ये जो िड्क तुम देख रही हो न, ये अधा-चात को िखीमपुर िे जोड्ती है, िखीमपुर यहां िे सिफ्फछह सकिोमीटर है, अब आि-पाि के गांवो् के काफी बच््े वही् पढ्ने जाते है्. बिो् िे, अब वहां न सिफ्फ एक िीबीएिई स्कूि है बस्लक कॉिेज भी है’ अम्मा बोिी्. सफर सनसध की तरफ देखकर बोिी् ‘तुम्हारे बड्े शहरो् मे् भी तो बच््े इतनी ही दूर बिो्िे पढ्ने जाते है्न बहू?’ सनसध को भी उि छोटे िे गांव मे् सदखता सवकाि सदल्िी की सकिी कॉिोनी िे कम नही् िग रहा था. उिे यकीन नही् हो रहा था सक मात््दो िे तीन हजार की आबादी वािे इि गांव के बच््ेसकिी िीबीएिई स्कि ू मे्भी पढ्ते हो्गे. ‘आरव के भसवष्य की सचंता हमे्भी है बेटा, छोटे गांवो्का सवकाि बड्ेअखबारो्या इंटरनेट पर जल्दी हाई-िाइट नही् हो पाता, उन्हे् पाि आकर ही देखना पड्ता है.’ अम्मा ने कहा और सनसध के िाथ घर वापि आ गयी्. घर आकर आज भी सनसध चुप रही, िेसकन उिके रवैये मे् आज कुछ बदिाव िभी को िदख रहे थे, आज खाने की तैयारी के सिए सकचन मे् रिोइया अकेिा नही्था, सनसध भी थी. खाने के वक्त भी उिने कोई बहि या तकिीफ देने वािी बात नही् कही. दोपहर मे् अपने हाथो् िे चाय बनाकर अम्मा-बाऊजी को दी. उिकी खामोशी और उिमे्सदख रहा ये छोटा िा बदिाव अम्मा को िमझ आ गया था, उन्हे्महिूि हो गया था सक उनकी कोसशश कामयाब हो िकती है. अम्मा और बाऊजी मे् सफर िे शत्भ िग चुकी थी, बाऊजी मुस्कुराकर अपनी आराम कुि्ी पर चर्भ-चूं करके सहि रहे थे तभी सनसध की आवाज आयी ‘सडनर तैयार है अम्मा, आज रिाई मे्ही आिन सबछाये है,् िभी आिती-पािती माढकर बैसठये और गरमा-गरम दाि-भात का मजा िीसजये’ बाऊजी ने आवाज िगाकर सनसध को बुिाया और पूछा, ‘तो आज के बाद सकतने सदनो् तक हमे्अपने बच््ो्के िाथ सडनर निीब नही् होगा.’ सनसध मुसक ् रु ाई ‘अब हर रोज हाेगा बाऊजी, अब आर शस्मि्दा मत कीसजये.’ इि बार 100 का नोट देने की बारी बाऊजी की थी, अम्मा ने शत्भजीत िी थी. (सूचना एवं जनसमंपकंक घविाग उतंंार पंंदेश दंंारा जारी)
शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 35
घवजंंापन
जमदेश कंमर घसदंंकी
‘
नेहा और ननगार
और अब हम चाहे्गे सक मंच पर आएं वो दो छात््ाएं सजन्हो्ने बदांयू का नाम रोशन सकया है. इन दोनो् ने ये िासबत कर सदया है सक भापाओ् का काम बांटना नही्, जोड्ना है्. तासियो्िे स्वागत कीसजए, नेहा बाजपेयी और सनगार सिद््ीकी का.’ िभागार मे् तासियो् की गड्गड्ाहट गूंज गयी, उि चमचमाती रोशनी मे् 10वी् मे् पढ्ने वािी नेहा और सनगार एक दूिरे का हाथ थामे मंच की तरफ बढ्गयी्. िामने की िीट पर बैठे सनगार के बासिद और दूिरी रो मे् बैठे नेहा के सपता एक दूिरे को कनसखयो् िे देखने की कोसशश तो कर रहे थे िेसकन नजर समिाने की सहम्मत कहां थी. ये और बात है सक कभी दोनो् मे्पक््ी दोस््ी थी. उन दोनो् के बीच ये फाििे क्यो् आ गये थे, ये जानने के सिए हमे्कुछ िाि पीछे चिना होगा. दरअिि, ये बात काफी पुरानी है, तब
36 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
नेहा के सपता कृपा शंकर वाजपेयी बदायूं के दातागंज मे् रहते थे और सनगार के अल्बा अनवार सिद््ीकी शेखपुर मे्. बचपन की दोस््ी थी उनकी, िाथ-िाथ स्कि ू मे्पढ्,े िाथ-िाथ कॉिेज गये िाथ-िाथ काम शुर्सकया बब्लक दोनो्की शासदयां भी एक-आध िाि के फक्फमे् हुई्. सनगार और नेहा ने जबिे होश िंभािा तब िे एक दूिरे को जानती थी्, पसरवारो् मे् इतना मेि-जोि जो था. ‘अरे सकिने कहा हम दोस्् है्, हम तो भाई है्, बि मै् जरा सदखता अच्छा हूं इसििए भाई नही् िगता.’ अनवार जब ये बात कहते तो पूरे घर मे् ठहाके गूंज जाते थे. वैिे कुछ हद तक ये बात िही भी िगती थी क्याे्सक दोनो् घरो् मे् इतना मेि-जोि था सक ईद के रोज सिवाइयो्की महक दोनो्घरो्िे उठती थी और होिी की गुसझया भी दोनो् घरो् मे् बनाई जाती. अनवार िाहब की बीवी िुल्ताना और कृपा शंकर की पत्नी नीरजा भी दोनो् पसरवारो् की िाझा िंस्कृसत पर खुश होती थी्. दोनो्घरो्की
िंस्कृसतयां स््कसतज पर समिते जमीन-आिमान की तरह िगती थी. यही वजह थी सक 8 िाि की उम््तक सनगार सिद््ीकी को कई श्िोक और नेहा वाजपेयी को उद्भू के कई शेर जुबानी याद थे. नेहा और सनगार भी बेस्ट फै्ड्ि थी. दोनो् सदमाग की बहुत तेज थी और दोनो्अपने-अपने स्कूि की टाॅपर थी. वक्त के िाथ-िाथ कृपा शंकर आैर अनवार िाहब की दोस््ी के चच््े अब पुराने हाे गये थे, अब तो हर तरफ नेहा और िनगार की दोस््ी की किमे् खाई जाती थी्. िेसकन ये तो सिफ्फ वक्त जानता था सक दोस््ी के इि खूबिूरत अफिाने मे्एक बदिूरत मोड् उनका इंतजार कर रहा था. कौन जानता था सक दोस््ी का ये खूबिूरत िरश्ता एक हल्की िी दरार िे खत्म हो जायेगा वो भी हमेशा के सिए, दोनो् पसरवारे् के बीच कभी ना भर पाने वािी दरारे् आ जायेगी. िब कुछ अच्छा ही रहा था सक एक सदन इि सरश्ते मे् दरार आने की शुर्आत हुई, दरार की वजह
बेहद नामुनासिब थी, िेसकन धीरे-धीरे करके बात जाने कैिे बढ् गयी. दरअिि, बदायूं शहर के बीच मे्बने घंटाघर के पाि जमीन का एक छोटा िा टुकड्ा था. ये जमीन कृपा शंकर और अनवार िाहब ने कॉिेज के जमाने मे् समिकर िी थी, सजिकी कीमत अब काफी बढ् गयी थी. अनवार का कहना था सक इि जमीन पर उनका भी हक है जबसक कृपा शंकर की दिीि थी सक जमीन उन्हो्ने खरीदी थ्ाी और जो पैिा अनवार ने सदया था वो तो उन्हो्ने उििे उधार के तौर पर सिया था, जो बाद मे् चुका भी सदया था. जबसक अनवार को ऐिा कुछ याद नही्था. बहरहाि, मामिा जो भी था, हाििि ये हुआ सक 35 िाि की दाेस्ी जैिे उिी जमीन के नीचे दफन हो गयी. रंसजश की खाई धीरे-धीरे इतनी बढ्ी की कोट्भकचहरी की नौबत आ गयी, और एक रोज ये भी हुआ सक दोनो् पसरवारो् के ताल्िुक हमेशा के सिए टूट गये. इि अिगाव के दद्भ को कृपा शंकर और अनवार तो सकिी तरह िह भी गये िेसकन नेहा और सनगार को तो एक दूिरे के बगैर जीने की आदत ही नही्थी. कहां तो वो िोग हर िंडे को समिती थी, घूमने जाती थी, िेसकन अब बड्ो् की इि दुश्मनी के चिते उनकाे दोस््ी भी एक अजीब मोड् पर आ खड्ी हुई थी. वो अक्िर एक दूिरे िे समिने का इरादा करती थी्, िेसकन सफर उनका हौििा टूट जाता था. दरअिि, घर मे्सहदायत िख्त थी. ‘खबरदार जो सकिी ने उन िोगो् िे कोई ताल्िुक रखने की कोसशश की, अब उि घर िे हमारा कोई सरश्ता नही् है.’ अनवार घर मे् चीखते हुए कहते तो माहौि उदािी िे भर जाता था. ऐिी ही सहदायते् कृपा शंकर के घर मे् भी थी. बहरहाि, वक्त गुजरता गया, नेहा याद
करती सक कैिे अंकि उिको और सनगार को बड्े िरकार की मजार पर िे जाते थे और सनगाहर को भी गंगा के तट पर िगने वािा वो ककोड्ा मेिा बहुत याद आता. रंसजशो्की जड्े्वक्त के िाथ बढ्ती जाती है्. ईद और होिी पर गुिजार रहने वािे उन घरो् मे् अब उदािी पिरी रहती. दोनो् तरफ फैिी खामोशी िांप की तरह डंिने िगी थी. गुर् मे् तो िुल्ताना और नीरजा को िगा था सक ये वक्ती गुस्िा है और कुछ ही सदनो् मे् िब ठीक हो जाएगा, िेसकन ऐिा हुआ नही्, रंसजशो् के बीज जो दो घरो्के बीच बो सदये गये थे वो वक्त के िाथ -िाथ आकार िेने िगे. दुशम् नी बढ्ती चिी गयी. कृपा शंकर और अनवार, एक दूिरे को भूि जाना चाहते थे, उन्हे् िगने िगा था सक इतनी िंबी दोस््ी जैिे एक छिावा थी, गित कौन था, िही कौन इिका फैििा कहां हो पाया था. दोनांे की नजरो्िे दूिरा शख्ि गित था. िेसकन सरश्तो्के इि बदिाव मे्एक चीज और बदिाव मे्एक चीज और बदि गयी थी, अौर वाे थी दोनो् घरो् की िाझा िंस्कृसत. शायद इिीसिए अब उनके घरो्का माहौि कुछ-कुछ बदिने िगा था. अब ना कभी िनगार के घर पर श्िोक गूज ं ते ना नेहा के घर मे् उद्भू की बात होती, िब बदिने िगा था. जब हम सकिी िे नफरत करते है् तो उि शख्ि िे जुड्ी चीजे भी भुिा देना चाहते है,् शायद यही वजह थी सक अब घरो्का माहौि बदिने िगा था. िेसकन वो कहते है्ना सक जब बड्ेिही रास््ेिे भटकने िगते है्तो बच््ो्को चासहए सक वो उन्हे्िही रास््ा सदखाएं, ऐिा ही नही्और सनगार ने भी िोचा. उन्हो्ने इिे िाझा िंस्कृसत को बचाए रखने के सिए एक फैििा सिया. फैििा ये था सक सनगार सिद््ीकी
अब स्कूि मे् ऑप्शनि िल्जेक्ट के ताैर पर िंस्कृत पढ्ेगी और नेहा वाजपेयी उद्भू. दोनो्की माताओ्ने भी इि फैििे का िपोट्भसकया. कृपा शंकर और अनवार ने शुर्-शुर् मे् इिका सवरोध सकया, िेसकन बस््चयो्की सजद के आगे उनकी एक ना चिी. अब, जब शाम को सनगार सिद््की की आंगन मे् बैठकर िंस्कृत के श्िोक पढ्ती तो अनवार िाहब को मंसदर मे् पूजा करते कृपा शंकर याद आते और जब वो याद आते तो जािहर है सक मन के काेने मे् दबे वो पुराने अहिाि भी िांि िेने िगते जो वक्त की परतो् के नीचे कही् दब गये थे, इिी तरह जब नेहा अपने बरामदे मे् बैठकर उद्भू पढ्ती तो कृपा शंकर को अनवार की वो बात याद आती, ‘शंकर पता है तुझ,े उद्भूकी मशहूर राइटर इस्मत चुग्ताई बंदायूं की थी, और शकीि बदायुनी का नाम तो िुना ही होगा.’ याद करके कृपा शंकर की आंखे्नम हो जाती्. दुश्मनी भिे दो दोस््ो् को दूर कर दे िेसकन पुराने वक्त की यादे्और उनमे् जज्ब एहिाि इतनी जल्दी पीछा कहां छोड्ते है्. वक्त गुजरता रहा. नेहा और सनगार ने बोड्भ इक्जाम्ि के सिए जमकर मेहनत की. एक दूिरे की कमी को महिूि करते हुए दोनो्ने सदन-रात पढ्ाई की. िेसकन इक्जाम्ि क बाद जब सरजल्ट आया तो दोनो् की खुशी का सठकाना नही् था. शायद उनकी नेक ख्वासहश को देखते हुए ऊपर वािा भी उनकी मदद कर रहा था. सनगार के िंसक ् तृ मे्95 माक्िभ्आये थे और नेहा ने तो पूरे जनपद मे् उद्भू मे् टॉप सकया था. इतना ही नही् प््देश िरकार ने एक िम्मान िमारोह मे् असभभावको् को िम्मासनत करने और दोनो् बस््चयो्को इनामी रािश और प््शस््स पत््देने की घोषणा भी कर दी. बि, आज उिी िमाराेह मे् कृपा शंकर और अनवार बैठे थे, आंखो्मे्सरिती हुई पुरानी यादे् सिये. राज्य िरकार के उि िम्मान िमारोह मे्जब दोनो्बस््चयो्का नाम तासियो् की गड्गड्ाहट के बीच पुकारा गया तो नेहा और सनगार एक दूिरे का हाथ थामे मंच की तरफ बढ्गयी्. अनवार उन दोनो्को गौर िे देखते रहे और कुछ देर बाद, जब असभभावको्की मंच पर जाने की बारी आयी तो कुछ िोचने के बाद वो अपनी िीट िे उठे और कृपा शंकर के पाि पहुंचे और हाथ बढ्ाकर बोिे, ‘चिो, िाथिाथ चिते है्.’ िािो् की खामोशी उि एक पि मे् टूट गयी थी. कृपा शंकर कुछ देर तक अनवार की आंखो्मे्एकटक देखते रहे, सफर वो िीट िे उठे और अनवार को गिे िगा सिया. (सूचना एवं जनसमंपकंक घविाग उतंंार पंंदेश दंंारा जारी)
शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 37
साडहत्यमास् /कथा ट हेडरपोत् ड ााज
सुशांत सुघंपय िुपसरसचत कथाकार और कसव. प््कासशत कृसतयां: ‘हत्यारे’, ‘हे राम’ और ‘दिदि.’ एक कसवता िंग्ह: ‘गुजरात िे अयोध्या तक इि र्ट की िभी िाइने्व्यस््है्’. कमिेश्र-कथासबंब कहानी प््सतयोसगता मे्िगातार दो वष्भ प््थम पुरस्कार. कई रचनाओ्का अंग्ेजी मे्अनुवाद.
स्मृसत की पपड्ी को मत कुरेदो घावो्िे ख़्ून सनकि आयेगा.
ए
क सदन पत्नी स्ज़द करने िगी, ‘अपने पहिे प्यार के बारे मे्बताइए न. आपके जीवन मे् मेरे आने िे पहिे कोई तो रही होगी. स्टूडे्ट िाइि्मे्आपने सकिी िे तो इश्क़्सकया होगा.’ मै्ने मुस्करा कर उिे टािना चाहा. िेसकन वह अड् गयी, ‘आज तो आपको बताना ही होगा. मै्आपके बारे मे्िब कुछ जानना चाहती हूं. देसखए, यह आपके जीवन मे् मेरे आने िे पहिे की बात है. मै्सबल्कुि बुरा नही्मानूंगी. मेरी ओर िे सनस््शंत रसहए बताइए न, प्िीज़्.’ यह स्मृसत की जमी हुई झीि की ितह पर स्केसटंग करने जैिा था. ख़्तरा यह था सक न जाने कहां बिफ् की ितह पतिी रह गयी हो. आपने वहां पैर रखा नही्सक ितह चटक जाये
38 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
और आप उि झीि मे्डूबने िग जाये्. मै्ने पत्नी को टािना चाहा, पर वह नही् मानी. हार कर मै्ने जोस्ख़म उठाने का सनश््य सकया. ‘आज मै्तुम्हे्झाड््की कहानी िुनाऊंगा.’ मै्ने कहा. मेरी स्मृसत मे्कही्एक ििोनी छसव अटकी थी. अधसमटे अक्र् -िी बची हुई थी कोई अब भी मेरी स्मृसत के पन्ने पर. अस्फुट स्वरिी बजती थी कोई अब भी मेरे ब्ह् म् ांड के सननाद मे्. ‘मै् झाड्् की नही्, आपके पहिे प्यार की कहानी िुनना चाहती हू.ं ’ पत्नी ने ज़्रा खीझकर कहा. ‘िुन िकोगी?’ मै्ने पूछा. ‘हां, मै्तैयार हूं.’ जवाब आया. ‘मै्जब भी झाड््देखता हूं, मुझे सकिी की याद आ जाती है.’ मै्ने कहा.
झाडुु ‘सकिकी?’ ‘उिकी, जो कहती थी, यातनाओ् के िैकड्ो्-हज़्ारो्वष्भस्ज़ंदा है्झाड््मे्.’ कुछ शल्द आपको सफर िे पीछे िे जाते है्. उि अतीत की ओर, जो सकिी मरी हुई सततिीिी बंद पड्ा होता है बच््ेकी सकताब के सकिी भूिे हुए पन्ने मे्. जब भी काम वािी बाई नही्आती, मै्झाड्् उठा कर िारा घर ख़्ुद ही िाि्कर देता. पत्नी रोकती भी. कहती, ‘िाइए, मै्झाड््मार देती हूं. आप क्यो्तकिीि्कर रहे है्?’ िेसकन मै् नही् र्कता, हािांसक बेटा यह देखकर नाक-भौ्सिकोड्ता. वह कॉनवेट् स्कि ू मे्पढ्ता था. एक सदन वह कहने िगा, ‘पापा, ये तो गंदा काम है. मेड्ि का काम है. व्हाइ डु यू डू सदि डट््ी वक्फ?’ तब मैन् े उिे िमझाया, ‘बेटा, अपने घर का
िारा काम ख़्ुद करना आना चासहए, कोई काम गंदा नही् होता. अगर एक हफ््ता मेड नही् आयेगी तो क्या तुम गंदगी मे्ही पड्ेरहोगे? सफर जो काम पिीना बहा कर सकया जाता है, जो काम मेहनत िे सकया जाता है, वह काम कभी डट््ी नही्होता.’ धीरे-धीरे बेटा भी यह बात िमझ गया. अब कभी-कभी काम वािी बाई के नही्आने पर वह भी घर मे्झाड््िगा देता है. ‘पहेसियां मत बुझाइए. अब िाि्-िाि् बताइए सक सकिकी याद आ जाती है आपको झाड््देखकर?’ पत्नी पूछ रही थी. ‘वह कॉिेज मे् मेरी िहपाठी थी. उिकी मां िोगो्के घरो्मे्झाड््-पो्छा मारती थी. उि इिाक़े् के एक मास्टर िाहब ने उिे मुंहबोिी बेटी बना कर पढ्ाया-सिखाया था. उिका नाम कुछ भी हो िकता था, धसनया, झुसनया.... िेसकन अिि मे्उिका नाम कमिा था.’ मै्ने कहा. ‘तो आपको एक काम वािी बाई की बेटी िे इश्क़्हो गया!’ पत्नी ने व्यंग्य िे कहा. ‘क्यो्? काम वािी बाई की बेटी इंिान नही् होती? उििे इश्क़् करना गुनाह है क्या?’ मै् बोिा. इि पर पत्नी चुप रही. मै्ने सफर कहना शुर् सकया, ‘सजतनी मेधावी छात््ा थी वह, उतना ही ख़्बू िूरत उिका व्यब्कतत्व था.’ ‘सफर क्या हुआ? आपने उिी िे शादी क्यो् नही् कर िी?’ पत्नी ने पूछा. उिके स्वर मे् थोड्ी जिन थी. ‘हािांसक वह मेरे िाथ पढ्ती थी, हंितीबोिती थी, िेसकन उिके चेहरे पर उिका दद्भ भरा इसतहाि हमेशा स्ज़ंदा रहता था. हमारे बीच जासतयो्के जंजाि का बाल्डभ-् वायर िे्ंि मौजूद था. मै्इि कंटीिी तारो्के िे्ंि को पार करना चाहता था. िेि ्ं के उि पार वह थी. िेि ्ं के इि पार मै्था. ‘कमिा की मां की झुग्गी सजि जे. जे. क्िस्टर मे् थी. उि जगह को एक सबल्डर ने ख़्रीद सिया था. सबल्डर के गुंडे झुग्गी वािो्को वहां िे खदेड्ने के सिए उन्हे् डरा-धमका रहे थे. हािांसक कमिा मास्टरजी के घर रहती थी िेसकन वह हफ््ते मे्एकाध बार अपनी मां और भाई-बहनो् िे समिने के सिए मां की झुग्गी मे् ज़्र्र जाती थी.’ ‘कमिा के सपता नही्थे क्या?’ यह पत्नी की आवाज़्थी. ‘तुमने खैरिांजी और समच्पभ रु की घटनाओ् के बारे मे्पढ्ा-िुना है न. कमिा के सपता अपने गांव मे् उि ज़्माने के खैरिांजी-समच्भपुर की बसि चढ् गये. ऊंची जासत वािो् के हमिे मे् कमिा के चाचा, ताया, दादा वग्रै ह भी मारे गये
िुबह मैं जलंदी-जलंदी कॉलेज के रलए भाग रलया था. िािा कमिा बेतितीब पडंा था. मेिा गीला तौरलया रिलवट भिी िादि वाले रबसंंि पि मुिडंा पडंा था. थे. तब कमिा की मां सकिी तरह जान बचा कर, कमिा और उिके दो छोटे भाई-बहनो्को िे कर इि शहर मे्भाग आयी थी.’ मै्ने कहा. ‘ओह!’ पत्नी के मुहं िे सनकिा. ‘सफर क्या हुआ?’ ‘सबल्डर के गुंडे िगातार झुग्गी वािो् को डरा-धमका रहे थे. एक रात कमिा अपनी डरी-िहमी मां और भाई-बहनो्िे समिने गयी. देर हो जाने की वजह िे उि रात वह अपनी मां की झुगग् ी मे्ही र्क गयी. वह रात उिकी अंसतम रात बन गयी.’ बाहर झुटपुटा ढह रहा था. ‘क्या?’ पत्नी को जैिे झटका िगा. ‘हां! बीच रात मे् सबल्डर के गुंडो् ने पूरी झुग्गी मे्जगह-जगह आग िगा दी. झुग्गी वािे नी्द मे् ही जि कर मर गये. उनमे् कमिा, उिकी मां, और उिके भाई-बहन भी थे.’ मै्ने र्ध ं ी आवाज़्मे्कहा. गिे मे्कुछ फंि गया था. आंखे्नम हो गयी थी्. पत्नी ने मेरा हाथ पकड् कर मेरा सिर अपनी गोद मे् रख सिया. मुझ पर झुकते हुए उिने धीरे िे पूछा, ‘आप बहुत प्यार करते थे उििे?’ बाहर अब ििेटी अंधरे ा चूर-े िा झरने िगा था. एक थरथराहट िमूची सशिा-िी बह रही
थी मेरी धमसनयो् मे्. वह थरथराहट चुप थी. पत्नी के वक््मे्मुंह सछपाये. ‘सबल्डर के स्ख़िाि् कार्भवाई नही् हुई?’ पत्नी ने पूछा. ‘उिकी एप््ोच ऊपर तक थी. उिके पाि र्पया था. कांटैक्ट्ि थे. इि मामिे को शॉट्भिस्कफट िे हुई दुघ्भटना बता कर रि्ा-दि्ा कर सदया गया. कहा गया सक झुगग् ी वािो्ने पोि पर कांटे डाि कर सबजिी के दज्भनो् अवैध कनेक्शन िे रखे थे. उन्ही्मे्स्पास्कि्ग की वजह िे यह हादिा हुआ. जानती हो, अब उि जगह पर क्या है? ‘मै्ने पत्नी की गोद मे्िे सिर उठा कर कहा. ‘क्या?’ ‘वहां अब शहर का मशहूर अटिांसटक मॉि है जहां िभी मल्टीनेशनि कंपसनयो् की चमचमाती दुकाने् है्. शो-सवंडोज़् मे् िजे-धजे मैनेब्कवंि है्. एस्केिेटि्भ है्. शीशे वािी सिफ््ट है. िारे चस्चभत ब््ांड है्, जहां रोज़्ाना बाज़्ार को ख़्रीद कर घर िे आने के सिए अपार भीड् जुटती है. वही् मरी थी कमिा, उिकी मां, उिके भाई-बहन और उन जैिे दज्भनो् बदसकस्मत ग्रीब झुग्गीवािे.’ ‘अब आप उधर िे गुज़्रते है् तो आपको कैिा िगता है?’ ‘कही् पढ्ा था, जगहे् अपने-आप मे् कुछ नही् होती्. जगहो् की अहसमयत उन िोगो् िे होती है जो एक सनस््शत काि-अवसध मे् वहां मौजूद होते है्. आपके जीवन मे् उपब्सथत होते है्. उिे भरा-पूरा बना रहे होते है्. मै् जब-जब उि माॅि को देखता हूं, मुझे कमिा और दूिरे झुग्गीवािो्की दद्भनाक मौत याद आती है. यह मॉि उनकी िाशो्पर खड्ा है.’ मै्ने कहा. एक पुराना दद्भजैिे ठंड के मौिम मे्सफर िे उखड् आया था. ‘एक बात पूछूं? क्या आपके कमिा िे अंतरंग िंबंध थे?’ यह पत्नी थी. अपने असधकार-क्त्े ्की िीमा पर खड्ी मुसद्ै प्ह् रीिी. और मुझे वह शाम याद आ गयी जब कॉिेज के बाद कमिा मेरे िाथ मेरे सकराये के मकान पर आ गयी थी. िुबह मै्जल्दी-जल्दी कॉिेज के सिए भाग सिया था. िारा कमरा बेतरतीब पड्ा था. मेरा गीिा तौसिया सििवट भरी चादर वािे सबस््र पर मुचड्ा पड्ा था. कुि्ी पर िुबह उतारे हुए अधोवस््पड्ेहुए थे. ऐश-ट््ेबना दी गयी एक कटोरी मे्ढेर िारी राख जमा थी और जल्दी मे् आधी पी कर बुझा दी गयी एक सिगरेट भी वही् पड्ी थी. कमरे मे्िुबह झाड््िगाना भूि गया था. ि्श्भगंदा था. मेज़्पर चाय की जूठी प्यािी और एक तश्तरी पड्ी थी सजिमे्िुबह हड्बड्ी मे् बनाकर खाये ब््ेड-ऑमिेट के कुछ टुकड्े शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 39
साडहत्यमास् /कथा ट हेडरपोत् ड ााज
भी बचे हुए थे. कोने मे् मकड्ी के जािे थे. दीवार पर मधुबािा का पोस्टर था सजि पर गद्भ की एक परत कपड्ेिे िाि्कर सदये जाने की अनंत प््तीक््ा मे्बूढ्ी हो रही थी. तो यह था मेरा कमरा जहां कमिा को बुिाने िे पहिे मै्ने इि िब के बारे मे्िोचा ही नही्था. मै्ने जल्दी िे कमरे की बेतरतीबी को कुछ ठीक सकया. कमिा कुछ िकुचाई-िी कुि्ी पर बैठ गयी. पिंग के नीचे िे झाड््सनकाि कर मै् ि्श्भबुहारने िगा. और तब कमिा ने कहा था, ‘प््शांत, यातनाओ् के िैकड्ो्-हज़्ारो् वष्भ स्ज़ंदा है् झाड्् मे्.’ उिका आधा चेहरा रोशनी मे्, आधा अंधेरे मे् था. उिका कथन सबना प््श्नवाचक-सचह्न का एक िुिगता हुआ िवाि था सजिे अभी हि होना था. िसदयो्की पीड्ा जैिे उिके चेहरे पर जम गयी थी. मै्झाड््सबस््र के नीचे रखकर उिके पाि चिा आया था. कंटीिी तारो्के िे्ंि के दूिरी तरि्. स्वेच्छा िे. हौिे िे उिका हाथ पकड्कर मै्ने प्यार िे कहा था, ‘स्मसृ त की पपड्ी को मत कुरदे ो. घावो् िे ख़्ून सनकि आयेगा.’ यह कहकर मैन् े उिके चेहरे पर सगर आयी बािो् की िटो् को पीछे हटाकर उिका माथा चूम सिया था. कमिा का सखंचा हुआ चेहरा मेरा स्पश्भपा कर धीरे-धीरे नरम पड्ने िगा था. सफर उिके चेहरे पर एक ििोनी मुस्कान आ गयी थी सजिका मै्दीवाना था. हमारे भीतर इच्छाओ् के सनशाचर पंछी पंख फैिाने िगे थे. सफर कमरे की ट््ूब-िाइट बुझ गयी थी और ज़्ीरो वॉट का बल्ब जि गया था. एक चाहत भरी फुिफुिाहट उभरी थी. सफर एक मादक हंिी गूंजी थी. सखड्की के बाहर एक ििेटी रात रोशनी के बचे-खुचे क़्तरे बीनकर िे जा रही थी. िेसकन कमरे के भीतर हमारे अंतम्भन रोशन थे. धीरे-धीरे हवा किाव िे भर गयी थी. दीवार पर दो सछपकसियां आसिंगन-बद्् पड्ी
संंी की छठी इंरंिय िब जान जाती है. लेरकन वह इतनी बडंी बात भी झेल गयी. बहुत बडंा कलेजा है उिका. मैं इिके रलए उिे िलाम किता हूं. थी्. मै् अपनी स््पया के स्नेह-पाश मे् था, जैिे िबिे ज््यादा चमकता हुआ नक््त् मेरे आकाश मे् था. उिके भीतर िे िम्मोहक ख़्ुशबुएं फूट रही थी्. ज़्ीरो वॉट के तांबई उजािे मे् मांिि िुख अपने पैर फैिा रहा था. मेरी धानी-परी मेरी बांहो्मे्थी. मेरी मरमेड मेरी सनगाहो्मे्थी. ऊपर गे्हुआ शंख-िे उिके उत्िुक वक्् थे सजनकी जामुनी गोिाइयो्मे्अपार गुरत्व् ाकष्ण भ था. नीचे ठंडी िुराही-िी उिकी कमनीय कमर थी जहां पाि ही महुआ के फूिो् िे भरा एक आसदम जंगि महक रहा था. बीच िमुद् मे् भटकता जहाज़्एक हरे-भरे द््ीप पर पहुंच गया था.
एक ऐिा िमय होता है जब तन और मन के घाव भरने िगते है्, जब िपने िच होने िगते है्, जब िुख अपनी मुट्ी मे्होता है और मुंदी आंखे् सफर िे नही् खुिना चाहती्. जब िारी चाहते् ख़्ुशबूदार फूिो् मे् बदि जाती है् और जीभ पर शहद का स्वाद आ जाता है. वह एक ऐिा ही पि था- घनत्व मे् भारी, सफर भी बेहद हल्का. िमय का रथ एक उत्िव की राह पर िे गुज़्र रहा था. अब हम दोनो् कंटीिी तारो् के िें्ि के एक ही ओर थे. मन मे् उजािा सिये हुए. उि रात सबस््र पर एक-दूिरे िे सिपटे हुए हमने ढेर िारी बाते् की थी्. िपने िंजोये थे. मुझे क्या पता था सक उन िपनो्की तह मे्मौत थी. मुझे क्या पता था सक मै्फूटने िे ठीक पहिे एक पारदश््ी बुिबुिे को देख रहा था. ठीक दो सदन बाद कमिा अतीत बन गयी थी. इसतहाि बन गयी थी. मेरी उड्ान का आकाश खो गया था... ‘बताइए न, क्या आपके उििे अंतरंग िंबंध भी थे?’ पत्नी दूरबीन िे कर मेरी अतीत की सदशा मे्दूर तक देखना चाह रही थी. मै्ने अपने पैरो्के नीचे स्मृसत की जमी हुई झीि की पतिी परत को चटखते हुए िुना. डूबने का ख़्तरा मंडराने िगा था. जवाब मे्मै्ने कुछ नही्कहा. केवि पत्नी का माथा चूम सिया. मै्अपनी पत्नी िे भी प्यार करता था. वह मेरे बच््ो्की मां थी. पता नही्, पत्नी ने मेरी इि हरकत का क्या अथ्भ सनकािा. शायद वह िब कुछ भांप गयी. स््ी की छठी इंस्दय िब जान जाती है. िेसकन वह इतनी बड्ी बात भी झेि गयी. बहुत बड्ा किेजा है उिका. मै् इिके सिए उिे ििाम करता हूं. इि घटना के बाद हमारे जीवन मे् केवि एक बदिाव आया. अब काम वािी बाई के नही् आने पर जब कभी मै्पूरे घर मे्झाड््िगा रहा होता हूं तो मेरी पत्नी मुझिे झाड्् िे िेने का n प््याि नही्करती है.
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www.shukrawaar.com 40 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
साडहत् मास्यट/कडवता हेड रवींदं वमंाि वसरष््उपन्यािकार और कसव. प््मुख कृसतयां: ‘आिखरी मंसजि,’ ‘दि बरि का भंवर’, ‘क््ांसत काका की जन्म शताल्दी’, ‘मै्अपनी झांिी नही् दूंगा’, ‘सकस्िा तोता सिफ्फतोता’. िघु कथाओ्के सिए सवशेष र्प िे चस्चभत.
िये घर मोहल्िे मे्मोहल्िे की तरह िुबह होती है जब बूढ्ेऔर बच््े चबूतरो्पर सनकि आते है् और गाये्और कुत्े गिी मे् िुबह की हिचि होती है कुछ आवाजे्गूंजती है् नयी भव्य बस््सयो्मे् हिचि भीतर होती है जैिे शरमा रही हो िुबह कोई घर के बाहर नही्आता कोई आवाज भी नही् सिवाय कुत्ो्के भो्कने के
सब कुछ क्या िुबह है जैिे पृथ्वी पैदा हो रही हो यह वही िमय है जब कि बाग मे्ऊपर देखते हुए मै्अपने को भूि गया था जैिे िब कुछ भीतर रच गया हो इिी क््ण रिोई मे्बत्भन गूंजे
जहां बांग्िादेशी रेहाना जूठे बत्भन मांज रही है सििकते हुए बत्भनो्िे रोने की आवाज आ रही है
शम्ष
(एक यू.एन. रपट: बांग्िादेश मे्सवश््के बेहद गरीब 5 फीिद है् जबसक भारत मे्एक सतहाई) काश मै्बांग्िादेशी होता तो उि शम्भिे बच जाता जो खुद भरे पेट धरती पर हर तीिरे आदमी को भूखा देखने िे पैदा होती है
जिता जनता एक मुहावरा है अपनी बात कहने के सिए जनता एक बहाना है अपना उल्िू िीधा करने के सिए जनता एक परदा है अपने कपड्ेबदिने के सिए जनता एक बांि है
ऊंची कूद के सिए जो कूद के बाद पीछे बेिहारा सगरता है
छत््ीस का आंकड़्ा
(वैज्ासनक स्टीफेन हॉसकंग के सिए) िोग पूरे शरीर िे आधा-अधूरा जीवन जीते है् कुछ आधे-अधूरे शरीर िे पूरा जीवन जीते है् जैिे शरीर और पूण्भता मे् छत््ीि का आंकड्ा हो
छूटिे का दद्ष जब िे पैदा हुआ सकराये के मकानो्मे्रहा पहिे सपता के िाथ सफर सजंदगी भर नौकरी के िाथ हर बार मकान छोड्ता तो कुछ दद्भहोता छूटने का दद्भ जो इि बार भी हो रहा है देह की देहरी पर
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शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 41
मास् साडहत् ट हेयड
घनराला जयंती (वसंत पंचमी) पर घवशेष
गढ़ाकोला मे़ उदास निराला
मिाकहव हनराला के पैतृक गांव मे्उनकी प््हतमा और पुस्कालय िर्र िै्, लेहकन उनकी बदिाली यि बतलाती िै हक िम अपनी साहिश्तयक हवभूहतयो्की स्मृहत के प््हत हकतने उदासीन िै्. वैिव घसंह
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गढ्ाकोला मे् वनराला की प््वतमा: याद वकसे अब आती है 42 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
ग्िै्ड मे् एक शहर है- स्ट्ेटफोड्भ अपानएवन. यह वह शहर है जहां प््सिद्् अंग्ेजी नाटककार शेक्िपीयर का जन्म हुआ था. शेक्िपीयर के मरणोपरांत कुछ िाि बाद उनका पैतृक आवाि खंडहर मे्बदि गया था, िेसकन डेढ् िौ िाि पहिे उिका जीण््ोद््ार सकया गया. इिे भव्य स्मारक के र्प मे् सवकसित सकया गया. इमारत की मरम्मत कर उिे चटख रंगो् मे् िजाया गया तासक देशसवदेश िे आने वािे िोग इि स्थि को देख िके्. एक सरपोट्भ के अनुिार, अब िाढ्े िात िाख िोग प््सत वष्भ इि जगह को देखने आते है्. इिी तरह, है्पशायर मे् जेन आॅब्सटन के आवाि और चाल्ि्भसडके्ि के िंदन ब्सथत घर मे्आने वािी िैिासनयो्की िंख्या भी िाखो्मे् है. प््सिद््फ््ांिीिी िेखक सवक्टर ह््ूगो ने सजि अपाट्भमे्ट मे्पहिी बार अपनी प््ेसमका को देखा था या दूिरे महायुद् मे् ज्यां पाि िात्भ् अपने दोस््ो् के िाथ पेसरि के बाहर सजि िराय मे् सछपे थे, वे जगहे् आज भी िासहत्य और सवचारप्स्ेमयो्की भावसवभोर यादो्का जसरया है.् यूरोप मे् ‘सिटरेरी टूसरज्म’ को सवशेष तौर पर प््ोत्िासहत सकया जाता है. पय्भटन क््ेत् की कई कंपसनयां अपने यात््ा पैकेज मे् इिे प््मुखता िे स्थान देती है्. िेसकन खुद को सवकसित और यूरोप की तरह िमृद् बनाने की आकांक्ा पािने वािा अपना देश यूरोप के िासहत्य-प््ेम और िासहत्यकारो् की धरोहर िजोने की परंपरा िे कुछ नही् िीखना चाहता. भारत मे् किा और िेखन िे जुड्े मनीसषयो् के बारे मे् जो अजीबोगरीब सकस्म की सनम्भम उपेक्ा का भाव
मास्ट हेड
है, वह सवदेशी िैिासनयो्को भी हैरानी मे्डाि देता है. ऐिा प््तीत होता है जैिे सहंदी जगत को अपनी िासहब्तयक धरोहर की सबिकुि परवाह नही् है. इिका िंबंध सहंदी क््ेत् मे् िंबे िमय तक फैिी असशक््ा िे है, तो दूिरी ओर िेखको् के प््सत िरकारी उदािीनता िे है. एक कारण यह भी है सक िंबे िमय तक सहंदी िमाज को अपने िांसक ् सृ तक पुनर्द्ार की सचंता नही्करनी पड्ी. अतीत की काल्पसनक महानता िे उिकी चेतना सनयंस्तत होती रही. सहंदी िमाज ने इि बात पर कम ध्यान सदया सक िंस्कृसत ब्सथर या जड् नही्, बब्लक िचेत र्प िे सवकसित होने वािी चीज होती है. इिे सवकसित करने के सिए नये सवचार, दृस्ष, कल्पनाएं और िौ्दय्बभ ोध को अपनाना जर्री होता है. अपनी िंस्कृसत को सवकसित करने की सचंता के अभाव ने उिके मन मे् भसवष्यदृष्ा िेखको् और सचंतको् के महत्व को िमझने के रास्े् मे् शम्भनाक बाधा खड्ी कर दी. हाि ही मे्महान छायावादी कसव िूय्भकांत स््तपाठी सनरािा के पैतृक गांव गढ्ाकोिा की यात््ा करने पर िेखको्िे जुड्ी स्मृसतयो्के बारे मे् सहंदी िमाज की उपेक्ा का बड्ा तीखा एहिाि हुआ. गढ्ाकोिा गांव उत््र प््देश के शहर उन्नाव िे िगभग 40 सकिोमीटर दूर
बीघापुर तहिीि मे् पड्ता है. बीघापुर मे् अच्छा-खािा रेिवे स्टेशन भी है. यह गांव उि स्टेशन िे करीब पांच सकिोमीटर आगे है. सनरािा पर अपनी पुस्क मे् डॉ रामसविाि शम्ाभ ने इि गांव के बारे मे् सिखा: ‘कानपुररायबरेिी िाइन पर बीघापुर स्टेशन िे िगभग दो कोि पर गढ्ाकोिा गांव बिा हुआ है. िोन नदी को पार करने पर गांव के कच््ेघर सदखाई पड्ने िगते है्. घरो् की तरह चौपाि, छप्पर,
रनिाला के घि पहुंिकि जहां एक ओि भावनातंमक िुकून रमलता है वहीं घि की हालत देखकि मायूिी के रिवाय मन में कोई दूििा भाव नहीं पैदा होता. दहिीज, आंगन, खमिार और अटारी के नक्शे पर पंसडत रामिहाय का मकान भी बना हुआ है.’ सनरािा के सपता का नाम रामिहाय स््तपाठी था जो बंगाि के मेसदनीपुर सजिे की सरयाित मे् काम करते थे. वही्विंत पंचमी के सदन सनरािा का जन्म हुआ था, जो इकिौते पुत्थे. उन्नाव ब्सथत अपने पैतृक गांव मे् सनरािा िगातार आते-जाते रहे. वत्भमान मे् सनरािा के गांव जाने तक की
वनराला की स्मृवत मे् पुस्कालय: जज्णर होती हालत पक््ी िड्क बनी हुई है, सनरािा के घर पहुंचकर जहां एक ओर भावनात्मक िुकून समिता है वही्घर की हाित देखकर मायूिी के सिवाय मन मे्कोई दूिरा भाव नही्पैदा होता. गत िदी के िबिे महान सहंदी कसव का टूटाफूटा घर सनराशा पैदा करता है. जहां सनरािा का घर था, वहां उनकी मूस्तभ िगी है. वह मूस्तभ पसरवेश मे् सबखरी बेचारगी को मूक भाव िे सनहारती हुई प््तीत होती है. मूस्तभ की खुिी हुई आंखो् मे् िंत्ाि का भाव झांकता िगता है. सनरािा का उदाि चेहरा जैिे कही् दूर िे हमे् देख रहा था. उन्ही् की कसवता ‘िरोज स्मृसत’ की पंब्कतयां गूंज रही थी्: ‘दुःख ही जीवन की कथा रही/ क्या कहूं आज जो नही्कही? ’ आिपाि खासिि ई्टो्वािे गंवई मकान है् और गांव के स्थानीय जीवन के अनुर्प भै्िे् और गायो्के तबेिे. खाकी स्कूि ड््ेि पहनकर िाइसकि पर भागते बच््ेभी सदख जाते है्. उि घर मे् उनके वंशजो् के नाम पर राजकुमार स््तपाठी का पसरवार रहता है जो सनरािा के चचेरे भाई के प््पौत््है्. उनके पसरवार िे ही जानकारी समिी सक गांव मे् विंत पंचमी के सदन यानी सनरािाजी के जन्म सदन कुछ असधकारी या िासहत्य प््शंिक आते है्और वे सनरािा जी के नाम पर कुछ सवशेष स्मारक या भ््मणयोग्य शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 43
मास् साडहत् ट हेयड स्थि के सनम्ाभण का वादा करते है्, पर बाद मे् कुछ नही्होता. सनरािा जी सजि कमरे मे्बैठते थे, वह या तो बंद रहता है या स््तपाठी जी की मां का िामान उिमे्रखा होने के कारण वह कभीकभी खुिता है. गांव मे् सनरािा जी के नाम पर स्कूि, काॅिेज और पुस्कािय है्, पर वे सनरािा के केवि नाम को ढोते प््तीत होते है्. राजकुमार स््तपाठी के पसरवार ने अपने डेढ् एकड् जमीन सनरािा के नाम पर पाक्फबनाने के सिए स्वेच्छा िे प्द् ान की थी, पर उन्हे्आज अपने इि सनण्यभ पर थोड्ा पछतावा होता है. कारण यह है सक वह पाक्फसकिी उजाड्, अिमति मैदान मे्तल्दीि हो गया है. पाक्फके चारो्ओर िगी िोहे की बाड् टूटी-फूटी है. घाि की हसरयािी जगह समट््ी-
िस्दभयो्की धूप मे्कुछ जुआरी एकत््होते है्जो ताश के पत््े फे्टते रहते है्. जब उनकी फोटो िेने की कोसशश की गयी तो वे डर के भागने िगे. कुछ ने तो मुंह पर र्माि रख सिया. पाक्फ िे िटे सनरािा वाचनािय की हाित पर तो कुछ सिखना ही बेकार िगता है. टूटे दरवाजे और उखड्ेप्िास्टर वािे उि वाचनािय िे सकताबे् गायब है्. गांव मे् प््ायः िोग सनरािा मूस्तभ का पता तो बता देते है्, पर सनरािा के बारे मे्उन्हे् ज्यादा पता नही् है. उनके मन मे् सनरािा की छसव सकिी देवता जैिी है सजिकी मूस्तभयां गढ्ी जा रही है्और सजिे िोग मािाएं चढ्ाने कभीकभार आ जाते है्. गांव मे्एक युवक िे पूछा सक ‘कसव’ सकिे कहते है्तो वह िकपका गया. उिे यह नही्पता
गढ्ाकोला की एक गली: र्का हुआ जीिन
धूि का भूरापन चारो् ओर फैिा है. सनरािा की कुछ कसवताएं पाक्फ मे् िगे कािे चमकते पत्थरो् पर अंसकत की गयी है्. उन्ही् मे् उनकी अमर िंबी कसवता ‘राम की शब्कतपूजा’ की ये पंब्कतयां भी अंसकत है्: ‘हे पुर्ष सिंह तुम भी करो यह शब्कत धारण/ आराधन का दृढ् आराधन िे दो उत्र् /तुम वरो सवजय िंयत प््ाणो् िे प््ाणो् पर’. सवडंबना यह है सक ‘शब्कत की मौसिक कल्पना’ का आह््ान करने वािे कसव का पैतृक-स्थि बड्ा सनस््ेज और शब्कतहीन प््तीत हो रहा था. एक िुखद बात यह िगी सक सनरािा की कसवताओ् के िाथ ही सनरािा के समत्् और उनके ऊपर ‘सनरािा की िासहत्य िाधना’ जैिी चस्चभत पुस्क सिखने वािे रामसविाि शम्ाभ की काव्य पंब्कतयां भी पत्थरो् पर अंसकत है्. सनरािा के नाम पर स्थासपत पाक्फमे्सदन मे् 44 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
था सक कसव होना क्या होता है. यह उिे शल्द ज््ान की परीक््ा िेने वािा प््श्न िगा सजिका सनरािा िे कोई िंबंध नही्था. गांव मे्भारत के िामान्य गांवो् जैिी ही स्वाभासवक ढंग की जीवंतता और उतनी ही स्वाभासवक ढंग की पस््हािी भी सदखी. वहां िरकारी कृसष मंडी है और ल्यूटी पाि्भर भी. ल्यूटी पाि्भर के बाहर िड्सकयो्को फैशन और ल्यूटी कोि्भकराने के सवज््ापन िगे थे. जासहर है सक देश मे्ल्यटू ीपाि्रभ ईश््र की तरह अनासद भिे न हो, पर उन्ही्की तरह िव्भव्यापी हो चुके है्. गढ्ाकोिा िे ही करीब तीन सकिोमीटर दूर सनरािा के नाम पर एक सडग््ी कॉिेज स्थासपत है. स्थानीय िोगो् का मानना है सक सनरािा के नाम पर अनुदान िेन,े स्थानीय िोगो्की जमीने् हड्पने या ख्यासत बटोरने के िािच िे कुछ िंस्थान खोिे गये है् जो वास््व मे् सनरािा या
उनके िेखन िे िोगो् के मन मे् िगाव पैदा करने के स्थान पर उनके नाम का प््योग करने वािो्की जेबे्भरने का काम कर रहे है्. सनरािा के पैतृक घर मे् रहने वािे राजकुमार स््तपाठी सनरािा के नाम पर बने सडग््ी काॅिज े मे्चपरािी की नौकरी करते है्. उन्हे् िात हजार र्पये समिते है्. यह भी सकंसचत सवडंबना बोध पैदा करने वािी खबर थी सक सनरािा के वंशज सनरािा के नाम पर स्थासपत िाभप््द व्यविायो् मे्चपरािी की नौकरी कर रहे है.् यह यथाथ्भका असतयथाथ्वभ ाद मे्बदि जाना है. जैिे अवचेतन मे्मनुष्य की बहुत िारी गहन भावनाएं परस्पर सकिी तक्फिे बंधी हुई नही्होती है्, वैिे ही यह बाहरी जीवन भी है सजिमे्दृश्य, स्वप्न, सवचार सकिी तास्कफक शैिी मे् बंधने िे इनकार कर चुके है्. इि काॅिेज के प््बंधक कमिाशंकर अवस्थी ने कहा सक िरकार िे हम सनरािाजी के पैतृक सनवाि स्थि के सिए सवशेष अनुदान जारी कराने मे्कभी-कभी िफि हो जाते है,् पर वह इतना कम होता है सक उतने पैिे िे िाि भर के सिए एक िफाईकम््ी या चौकीदार तक नही् रखा जा िकता है. कुछ िाि पहिे एक शािकीय आदेश िे सनरािा के कमरो्को पक््ा कर सदया गया था, िेसकन वे पके् कमरे बि बाहरी दीवार की तरह है्क्यो्सक भौगोसिक र्प िे एक देहाती क््ेत् होने के कारण कमरे या उनकी शैया को स्थायी ढंग िे दश्भनीय र्प प््दान करना मुब्शकि हो जाता है. सनरािाजी के घर मे् रसजस्टर भी रखा है सजिमे् हर आगंतुक का नाम, पता तथा फोन नंबर दज्भसकया जाता है, पर सनरािा के पैतक ृ आवाि की तरह ही वह रसजस्टर भी था, सजिके पन्ने और कवर जीण्भशीण्भथे. िगता था, जैिे पसरवेश िे िंगसत स्थासपत करने के सिए उि रसजस्टर को भी थोड्ा दयनीय बना सदया गया है. सनरािा के गांव िे वापि चिते हुए उनकी धम्भपत्नी मनोहरा देवी के नाम पर भी एक काॅिेज सदखा सजि पर मोटा िा तािा िगा हुआ था. देश मे्िेखको्और सवचारको्की धरोहरो् की उपेक्ा ही यथाथ्भनही्है, बब्लक उि उपेक्ा को जारी रखने के सिए गढ्ेजाने वािे बहाने भी उतना ही बड्ा यथाथ्भहै्. सकिी देश के सवकाि का िूचकांक केवि भौसतक िमृस्द िे नही् सनध्ाभसरत होता, बब्लक वह अपनी िंस्कृसत, किा और परंपरा के प््सत सकतना िचेत है, इििे भी सनस्मभत होता है. इिसिए असनवाय्भ है सक सनरािा जैिे िेखको् के आवाि और जन्मस्थिो् िे भी हम नयी पीढ्ी को पसरसचत कराये्. इिके सिए उन स्थिो् के िंरक््ण का प्य् ाि केवि िरकारी िीपापोती के ढंग िे नही्, n बब्लक पूरी ईमानदारी िे करे्. (िेखक सहंदी के युवा आिोचक है्.)
सािहत् मास्यट/स्हेामीक् ड ्ा
लोक से लाेकतंि् तक
ह्रीकेश सुलभ की किाहनयाे्मे्भारतीय ग््ामीर यरार्षबोध और लोक-मन की हितनी साफ समझ हमलती िै, उतनी िी मध्यवग््ीय शिरी यरार्षकी भी. आशुतोष
‘वह‘ हो, िुिभ की इन स््ी पात््ो् के व्यब्कतत्व और इनकी मानसिक बुनावट को बद्् या र्ढ् पासरभासषकी मे् नही् िमझ िकते. ये स् वातंत्यचेता स््सयां है्, जो अपने जीवन के वास््सवक िंघष््ो् के बीज िे ह कहानी की के्द्ीयता का दौर है. इि दौर को िंवादी बनाने मे् या बीच िे सनस्मभत हुई है्. कहासनयो् के स््ी-पात्् सपतृित््ा के दमन और बहुतेरे युवा कथाकारो् की भूसमका महत्वपूण्भ है. यह ऐिा िमय भी ् ो्को सजजीसवषा के छंद मे्बदिने है जब पुराने महारथी धीरे-धीरे अपनी स्वाभासवक चाि िे वापि जा रहे धोखे िे टूटते नही्, बब्लक हताशा के क्ण है्, ऐिे मे् ह्षीकेश िुिभ का अपने िद््ःप््कासशत कहानी िंग्ह ‘हिंत’ का सनण्यभ िेते है.् िुिभ अपने पात््ो्को कही्ऊपर िे थोपते नही्है,् बब्लक के िाथ आना कथा के कद््दानो् के सिए िुखद तो है ही, यह एक तरह पात््ो्को कहानी की कथा-भूसम मे्सवकसित होने देते है्. जैिे-जैिे कथा िे सहंदी के एक िंपूण्भकथाकार का तरक््ीयाफ्ता िफर भी है. ‘हिंत’ मे् बढ्ती है, पात््सवकसित होते जाते है्. इि िंग्ह की कहासनयो्मे्न सिफ्फ छह कहासनयां िंकसित है्. िारी कहासनयां हाि के सदनो् की है्, जैिा पात््, बब्लक सवचारधारा भी कथा-तत्व के िाथ एकाकार हो कर आती है. सक िंग्ह मे् उल्िेख है. ‘काजर आंजत नयन गये’, ‘द््ुत सविंसबत’, िुिभ ने अपनी वैचासरक प््सतबद््ता को अपनी अनुभूसतयो्मे्घुिा सिया है. ‘हिंत’, ‘उदासियो्का विंत’ और ‘हसव डास्िगि् ’ ‘हिंत’ शीष्भक कहानी हमारे िमय के कू्र शीष्भक कहासनयां हमारे िमय के बदिते हुए और हत्यारे यथाथ्भकी कहानी है. ित््ाएं सकतनी यथाथ्भको िटीक ढंग िे पकड्ती है.् कथाकार की अमानवीय और मनुष्य सवरोधी हो िकती है्, यह चेतना सजि हद तक अपने िमय की चेतना िे ‘हिं त’ कहानी मे् दज्भ है. एक स््ल्ध कर देने िंयोसजत होती है्, उिी के अनुर्प सकिी वािी कहानी है, सजिकी तुिना महाश््ेता देवी किाकृसत का जन्म होता है. इि सिहाज िे की ‘हजार चैरािी की मां’ िे की जाये तो कोई ह्षीकेश िुिभ की कहासनयां उल्िेखनीय है्. वे असतशयोब् क त नही्होगी. ‘द््ुत सविंसबत’ शुभ्ा के िमृद्किा-चेतना के कथाकार है.् उनमे्भारतीय माध्यम िे एक िंवेदनषीि युवती के वैयब्कतक ग््ामीण यथाथ्भबोध और िोक-मन की सजतनी द््ंद्और अपनी िंवेदनषीिता के कारण ठगे जाने िाफ िमझ है, उतनी ही मध्यवग््ीय शहरी यथाथ्भ की कहानी है. जो अंत तक आते-आते एक िंबी की भी. ग््ामीण यथाथ्भऔर शहरी यथाथ्भमे्कोई हूक मे् बदि जाती है. ‘हसब डास्िि्ग’ मे् प््सतस्पध्ाभ न होकर एक स्वाभासवक िंतुिन है. सपतृित््ात्मक बंसदशो्और पसत के कुसं ठत अहं की िुिभ की कहासनयो्मे्व्यक्त ग््ामीण यथाथ्भवही प््सतस््कया मे् मुब्कत की नयी पसरभाषा सनस्मभत नही् है जो रेणु के यहां था. यह सबल्कुि बदिा करती स््ी है तो ‘उदासियो्का विंत’ स्मृसत और हुआ, बब्लक बदिता हुआ यथाथ्भ है. िुिभ उि वत्भमान के गसझन िंवेगो् की कहानी है. असधक बदिते हुए यथाथ्भको, उि प््स्कया को पकड्ते उम््के पुर्ष िे कम उम््की स््ी के िगाव और है्, जबसक यह काफी मुब्शकि काय्भहै. बदिे हुए प््ेम जैिे सवषय पर अनेक कहासनयां मौजूद है्, यथाथ्भको िमझने और सवश्िेसषत करने का काय्भ िेसकन ‘उदासियो्का विंत’ को ह्षीकेश िुिभ िमाजशास््ी करता है, िेसकन बदिाव की उि ने िेखकीय तटस्थता और िंवेदना की धीमी प््स्कया को पकड्ने का काय्भ िासहत्यकार करता ‘हलं त ’, ह् ष ीके ष सु ल भ, आं च मे्उदािी और विंत के एक समस््शत पाग की है और यह काय्भिुिभ बखूबी करते है्. ‘बेरॉल्ट राजकमल प् क ् ाषन, नई वदल् ल ी, 2015, तरह उतारा है. थोड्ी िी चूक िे यह कहानी औित ब््ेरट’ कहते थे सक ‘यथाथ्भ सनरंतर पसरवत्भनशीि दज््ेिे भी नीचे सगर िकती थी. है और चूंसक यह मनुष्यो् द््ारा सनस्मभत सकया जाता पृष् संख्या: 107, इि िंग्ह की कहासनयो् मे् ह्षीकेश िुिभ है इिसिए मनुष्यो् द््ारा बदिा भी जा िकता है.’ मूल्य: र्. 250/मनुष्यो् द््ारा बदिे जा रहे इि यथाथ्भ को इि िंग्ह की पहिी कहानी का रंगकम््ी व्यब्कतत्व ‘अंडरटोन’ की तरह मौजूद है. वे केवि िंवादो् ‘असगन जो िागी नीर मे्’ मे् देखा जा िकता है. यह कहानी गांव के िे नही् घटनाओ् िे कथा को सवकसित करते है्. िंग्ह की िगभग बदिते यथाथ्भको सवश््िनीयता िे िामने िाती है. िुिभ के यहां यथाथ्भ िभी कहासनयां घटना-प््धान है्. घटनाओ् का प््वाह भी तेज है. ‘द््ुत एकायामी न होकर बहुस्रीय है. यथाथ्भ की यह बहुस्रीयता ‘काजर सविंिबत’ और ‘उदासियो्का विंत’ जैिी कहासनयो्मे्घटनाओ्का प्व् ाह आंजत नयन गये्’ कहानी मे् अिग ढंग िे खुिती है. इि कहानी के थोड्ा कम है, सफर भी कुछ भी कभी घसटत हो िकता है, इिकी अिावा ‘द्त्ु सविंसबत’, ‘हिंत’, ‘उदासियो्का विंत’ और ‘हसव डास्िगि् ’ अनुगूंज मस््दम नही् पड्ती. इि िंग्ह की कहासनयो् मे् मौजूद यह जैिी कहासनयो्मे्भी यथाथ्भकी यह बहुसर् ीयता सवद्म् ान है. िुिभ अपनी नाट््धस्मभता इनके मंचन के सिए भी नई जमीन उपिल्ध कराती है. िोक कहासनयो् के स््ी पात््ो् के माध्यम िे आधुसनक स््ी सवमश्भ का एक की गहरी िमझ और उिमे्प््त्यक््भागीदार जीवन ने ह्षीकेश िुिभ को नया पाठ प््स्ुत करते है्. चाहे वह ‘असगन जो िागी नीर मे्’ की माधुरी िृजनात्मक िंवादी भाषा उपिल्ध करायी, सजिके बि पर वे हमारे िमय भ , िामासजक और राजनीसतक यथाथ्भको सकिी िोक-कथा देवी हो्, ‘काजर आंजत नयन गये’ की िुधा सिंह यादव, ‘द््ुत सविंसबत’ के ठोि आस्थक n की शुभ्ा या ‘उदासियो् का विंत’ की सबन्नी या सफर ‘हसव डास्िि्ग’ की की तरह कहते है्.
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शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 45
मास् यायावरी ट हेड
बलुआ पत्थरो् का स््ंभ: प््ेम का स्मारक
ऑस्ट्ेसियाई मसहिा जैनेट िांग भी थी्. उन्हो्ने पूछा सक दुसनया मे्हर जगह प्म्े कहासनयां दुखांत क्यो् होती है्? जैनेट अब मेरे िाथ नही् है. मुझे यह भी नही्पता सक वह कहां और सकि हाि मे् होगी. िेसकन यहां थार के रेतीिे आंचि मे्आज भी आपको कोई भी मांगण्यार या समरािी, 'कमाइचा' या िारंगी की धुन पर मूमि और महे्द्की कहानी िुनाता समि जायेगा. मूमि थार की िोक नासयका जो है. िहारा के बाद दुसनया का िबिे बड्ा रेसगस््ान थार. इिका एक सहस्िा इधर राजस्थान मे् तो दूिरा िरहद पार पासकस््ान के सिंध प््ांत मे्. िेसकन मूमि और महे्द् का बंटवारा नही् हुआ है. इन पर दोनो् की दावेदारी है. शाह अल्दुि ितीफ सभट््ाई के मशहूर शाह जो सरिािे मे् मूमि के िौ्दय्भका बखूबी वण्भन है. मूमि काक महि मे्रहती थी और उिके चाहने वािो्की एक पूरी कतार थी. िेसकन उमर कोट सिंध का राणा महे्द् ही उि तक पहुंच
िका. जो उि तक पहुंचा, मूमि उिी की हो गयी. अब उमरकोट का राणा महे्द्िोढ्ा रातो्मे् अपनी िांढऩी पर िवार होकर मूमि िे समिने िोध््ुवा आता और िुबह वापि उमरकोट चिा जाता. सफर कुछ ऐिी बात हुई सक महे्द्मूमि िे सवमुख हो गया. मूमि उिे मनाने के सिये खुद उमरकोट गयी िेसकन दोनो् का समिन नही् हो पाया. सवयोग मे्सवरसहणी मूमि ने खुद को आग मे्झो्ककर प््ाण त्याग सदये. पासकस््ान के सिंध प््ांत के माथेिो शहर मे् आज भी मूमि की मजार मौजूद है. मै् भी उिके दीदार को गया हूं. जब मै् वहां पहुंचा, तब शाम होने को थी िेसकन सदन अभी पूरी तरह डूबा नही् था. वहां िोगो् ने मुझ एक टीिा सदखाया और कहा सक यहां मूमि का सकिा है. वहां खेि रहे बच््ो् ने बताया सक िोग वहां खजाने की तिाश मे्आते है्. मेरे बारे मे् भी उनको यही िगा था. टीिे िे नीचे एक महि है सजिके एक सहस्िे मे् मूमि की मजार
जहां मिलते थे िूिल और िैसलमेर मे्मूमल और मिे्द् की प््ेम किानी भले िी लोगो् की िुबान पर बनी िुई िै लेहकन उनके हमलन का गवाि लोध््ुवा पय्षरन और पुरातत्व हवभाग की उपेक्ा और उदासीनता का हशकार िै. सतीश जायसवाल
ग
त सदिंबर की उि रात शीतिहर शुर् हो चुकी थी. मै् जैििमेर की 'नाचना हवेिी' मे्था सजिे क््ेत्के बेहतरीन 'हैसरटेज होटिो्' मे् शुमार सकया जा िकता है. हवेिी की छत पर बने डायसनंग हॉि िे सदख रहे िुनहरे सकिे पर पीिी रौशसनयां पड्रही थी्. वहां खाना खा रहे पय्टभ को् के मनोरंजन के सिये एक िोक गायक ित््ार खान मूमि और महेद् ्के प्म्े की दास््ान गा कर िुना रहा था. वह पीिी रोशनी उदािी की शोकधुन िुन मानो कांप-कांप जा रही थी. दुसनया की तमाम प््ेम गाथाओ् की तरह मूमि और महे्द्की प््ेम कहानी भी दुखांत ही है. मै् इििे पहिे यहां करीब 22-23 िाि पहिे आया था. उि वक्त मेरे िाथ एक 46 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
ब्सथत है. वहां करीब ही पासकस््ान के पुरातत्व सवभाग की तख्ती िगी है. एक बुजुग्भ चौकीदार बराबर मजार की देखरेख करते है्. उन्हो्ने आसहस््ा िे एक सदया मूमि की मजार पर रखा और उििे भी आसहस््ा िे वह बोिे, 'वह िो रही है्.' मानो जोर िे बोिने िे कही्मूमि की नी्द न खुि जाये. काक महि का सजक््उि सरिािे मे्भी है सजिका सजक्् हमने ऊपर सकया. वह महि आठवी्िदी की पुरानी राजधानी िोध्व्ु ा मे्काक नदी के तट पर ही मौजूद था. उि वक्त यहां की राजधानी िोध््ुवा ही थी. यहां के िोक गायक बताते है्सक काक नदी मे्तब पानी था और उि पानी मे्ऐिी कसरश्माई ताकत थी सक वह सकिी अंधे को भी रौशनी दे देता था. िेसकन अचानक काक नदी ने अपने बहाव की धारा बदि दी. इि बीच 1152 मे् महमूद गजनवी ने िोध््ुवा पर आक््मण कर उिे ध्वस्् कर सदया. िेसकन इिके बावजूद यह शहर अपनी प््ाचीन सवराित
िहेदं ं
वकले के भीतर एक मंवदर: उपेक्ा का वशकार
लोध््ुिा का टीला: दबी हुई राजिानी
को बचाये रखने मे् कामयाब रहा. बाद मे् यह भाटी राजपूतो्के आसधपत्य मे्रहा िेसकन उन्हो्ने 1156 ईस्वी मे् इिे खािी कर जैििमेर को अपनी नयी राजधानी बना सिया. िेसकन सफर भी यहां िोध्व्ु ा के अवशेष बचे रहे. ये अवशेष एक ऐिी राजधानी का पता दे रहे थे जो 15-16 सकमी क््ेत् मे् फैिी थी और 10 प््वेश द््ारो्िे िुरस््कत थी. िन 1992 मे्जब मै् जैनटे िांग के िाथ यहां आया था तो वे पुरावशेष हमारे िामने थे और इिके पुराने वैभव की गवाही दे रहे थे. दूर-दूर तक खंसडत प््सतमाये् और छतसरयां फैिी हुई थी्. हमने यहां इसतहाि का स्पंदन महिूि सकया था और कई तस्वीरे्भी िी थी्. वहां एक खुिा हुआ सवशाि चौराहा था जहां कीकर और खेजड्ी जैिे मर्स्थिी वृक्थे. उनकी छाया मे्ऊंटो्के झुंड िुस्ा रहे थे. ऊंटो् की थकान बता रही थी सक दूर िे कोई कारवां आकर वहां र्का है. कारवे्के िवार शायद खाने पानी की तिाश मे्सनकिे थे. पता नही्, शायद अतीत मे्भी वहां कोई िराय रही हो जहां दूर देश के कारोबारी र्कते हो्. दरअिि िोध््ुवा उि प््ाचीन व्यापासरक माग्भ पर ब्सथत है सजि पर होकर समस््और अरब तक कारोबारी आया जाया करते थे. िेसकन सदिंबर 2015 मे्मुझे यहां कुछ भी नही् समिा. महज दो दशक के वक्त ने इसतहाि की एक िंबी छाया को पूरी तरह समटा
सदया था. खुद को भरोिा सदिाने के सिये मै्ने अपने फोटो खंगािे और मुझे िन 1992 मे् खी्ची दो तस्वीरे्िुरस््कत समि गयी्. शायद अब वे अतीत का प््मासणक िाक््य और दस््ावेज बन चुकी है्. िेसकन इि बीच िोध््ुवा मे् मूमि की कोई सनशानी नही् बची. यह ब्सथसत तब है जबसक उिकी प््ेम गाथा िमूचे थार मे् गायी जाती है. वही मूमि सजि पर दावेदारी ने िरहद को बेमानी कर सदया है. सजि जगह पर काक महि ब्सथत था उिे अब मेढ्ी कहा जाता है. अब उिकी एक प््ाचीर भर रह गयी है. भीतर एक भव्य जैन मंसदर है. राजस्थान का पय्ाभटन सवभाग इि मंसदर को देखने के सिये पय्भटको्को बुिाता है. वहां एक तख्ती िगी है जो उिे िंरस््कत स्थि बताती है िेसकन उि पर कोई सववरण दज्भनही्है. स्थानीय टैक्िी वािे, जैििमेर घूमने आये पय्भटको् को िाकर इि मंसदर के िामने खड्ा कर देते है्. इिके अिावा न उनके पाि कोई जानकारी है और न वे देते है्. हमारे टैक्िी वािे ने भी यही सकया िेसकन मै्कैिे मान िकता था? वैिे भी उिे क्या मािूम की मै् यहां आ चुका हूं. मै्सनराश हुआ, अब वहां एक गांव बि चुका है. मै्ने गांव वािो् िे मूमि की मेढ्ी का पता पूछा तो उन िोगो् ने काक नदी का रास््ा शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 47
मास् यायावरी ट हेड
कमायचा के साथ मांगण्यार लोक गायक: मूमल के स्िर
48 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
बता सदया. काक नदी मे् अब पानी नही् है िेसकन दूर तक फैिी घाटी मे् पुरानी नदी के सनशान अभी तक वैिे के वैिे बने है्. यह घाटी कुछ और नही् बब्लक सिंधु घाटी का ही सवस््ार है जो पासकस््ान के सिंध तक फैिी है. हां, सिंधु नदी ने भी इिी तरह अपनी धार बदिी है. उिकी पुरानी धार के सनशान भी यहां अरोड् मे् उिी तरह बने हुए है्. सिंध की पुरानी राजधानी अरोड्मे्है. ठीक वैिे ही जैिे यहां िोध््ुवा. िोध््ुवा एक ऊंचे पहाड्ी टीिे पर बिा हुआ है. यहां काक नदी की िूखी हुई धार सदखायी देती है. नीचे उतर कर देखने पर िमझ मे् आता है सक एक प््ाचीन राजधानी अपने अवशेषो् के िाथ इि टीिे के नीचे दबी हुई है. सकिी भी अन्य पुरास्थि की तरह यहां भी खुदायी करते ही वह प््ाचीन राजधानी सनकि आयेगी. मूमि का काक महि भी यहां समि जायेगा. ऊपर पूरे पठार पर खंसडत पुरा िामस््गयां यूं ही सबखरी हुई है्. पीिे बिुआ पत्थरो् िे सनस्मभत कुछ मंसदर भी िुरस््कत है्. एक मंसदर के अिावा कही् कोई देव प््सतमा नही् है इिसिये िमझ मे् नही् आता है सक यहां सकि देवता के मंसदर रहे हो्गे. इन्ही् पीिे बिुआ पत्थरो् के उत्कीण्भ स््ंभ भी वहां है् सजन पर गणेश की आकृसतयां उकेरी गयी है्. पुरातत्व सवभाग की उदािीनता हैरान करने वािी है. जानकारी जुटाने पर पता चिा सक भारतीय पुरातत्व िव््ेक्ण सवभाग ने वष्भ 2005 मे् यहां खुदायी का काम शुर्सकया था िेसकन आिपाि के गांवो्िे हुए िख्त सवरोध ने इि काम को अिमय ही बंद करवा सदया. िोगो् को आशंका थी सक यहां अतृप्त आत्माओ्का वाि है जो र्ठ गयी्तो पूरे गांव को नुकिान पहुंचा िकती है्. आशंकाये्तो अब तक बरकरार है् िेसकन उि काम को दोबारा शुर्करने की योजना बनायी जा रही है. उम्मीद की जा रही है सक कुछ िमय मे्िोध््ुवा अब एक सवकसित पय्टभ न स्थि के र्प मे्हमारे n िामने होगा.
खानपान मास् ट हेड अरंण कुमार ‘पानीबाबा’ िेखक िंस्कार िे राजनीितक व्यब्कत और पानी,भोजन और पोषाहार के िवशेषज््है्. हिवाई होने का दावा भी करते है्. e-mail.: akpanibaba@gmail.com
भोजन और प््साद
अन्न-िल की व्यवस्रा को हवरमुकत् बनाना िै तो भोिन के स्रान पर ‘प्स ् ाद’ की व्यवस्रा को हफर से िीहवत करना िोगा. मात््नुस्खेबािी से न स्वाद बचेगा न सेित बचेगी.
व
त्भमान िमय को 'स्वादहीन’ युग भी कह िकते है्. आधुसनक िाइंि के प््भाव मे्भारतीय कृसष ने िाहनीय प््गसत की है, िेसकन कृसष मे्जो भी तरक््ी हुई है, उिकी जो कीमत भारत देश ने चुकायी है, उिका हािसफिहाि तक कोई मूल्यांकन करने का प््याि ही नही्सकया गया. हम वत्भमान को ‘बेस्वाद’ मात्् इिसिए नही् कह रहे सक आिू िे अदरक तक तमाम खाद्् पदाथ्भ अपना चरचरापन गंवा चुके है्. वत्भमान सनहायत बोदा िमय इिसिए है सक ‘बेस्वादी’ के सवषय पर न कोई िमझ बची है न ही कोई िंवाद शुर् हो िका है. इि िंदभ्भ मे् सवशेष सचंता का सवषय यह है सक इि बात की िंभावना भी सदखाई नही्पड्ती सक िुप्त हो रहे ‘स्वाद’ और स्वाद तंतुओ् की सनरंतर सवकसित हो रही सनब्षक््यता के िंदभ्भमे्कोई सवश्िेषण प््सक््या या वाद-िंवाद आरंभ हो िकेगा. कहना मुब्शकि है सक खानपान के सवषय मे्जो व्यविासयक प््सशक््ण बीते ित््र-अस्िी वष््ो्मे्प््चसित हुआ उिमे्कुछ िैद्ांसतक चच्ाभ का पक्् होता है या नही्. सवश््मे्िैकड्ो्या हजारो्सकस्म की डबि रोटी यानी वह रोटी जो आटे मे् खमीर उठा कर तंदूरी भट््ी मे् पकाई जाती है, बनाने का सरवाज है. हर घर के, हर नानबाई के, हर िराय और होटि के अपने नुस्खे है्. नुस्खो्की सकताबे्है्- सजनमे्बताया गया है: खमीर कौन िा, कैिे और सकतना िगाना है, सफर सकि तपामान पर रोटी िेक ् नी है. अब कुछ भी पकने और पकाने के िंदभ्भमे्एक शाश््त सिद््ांत बताया गया है: िहज पके िो मीठा होय. हमने सनज अनुभव िे जाना है सक सिद््ांत सजतना अचूक है, उतना ही अटपटा. और यह भी प््याि िे िीखा है सक इि मुहावरे मे्‘मीठे’ का अथ्भ मात््गुड्-गन्ने के समठाि के अथ्भमे्नही्है. जैिे आंविा चाहे सजतना अि्ाभ पेड् पर पका हो, वह अपनी तीखी किैिी चरचराहट को यथावत बनाये रखता है. बेि नाम फि भी िंबे अि््ेमे्पक कर तैयार होता है पर जर्री नही्सक िब बेि मीठी ही हो्. हम वास्व् मे्यह शास््प्स्तपासदत करना चाह रहे है् सक पाक किा कोई सकताबी शास्् नही् हैयसद पाक किा बचेगी और सवकसित होगी तो उिका वही माग्भ है जो िंगीत सवद््ा का है. जैिे िंगीत की सवद््ा के सिए गुर्और श््ोता असनवाय्भहै, वैिे ही पाक किा भी तभी बचेगी और चिेगी जब गुर्परंपरा और कद््दां हो्गे. िेसकन पाक किा का मििा कुछ ज्यादा ही उिझ गया है. खाद्् पदाथ्भ को पकाने िे पहिे उगाना होता है. और कृसष सवद््ा के िंदभ्भमे्िाइंि का बड्ा दखि हो गया है. बीते दो ढाई िौ बरि मे् सजि ‘िाइंि’ का सवकाि हुआ है उिकी नैसतकता और ज््ान मीमांिा की पद््सत पर गंभीर चच्ाभ करीब अनुपब्सथत है. और स्वाद तंतुओ्का पसरष्करण तो ऐिा अनोखा सवषय है् सक उिे आिानी िे िाइंि
सवद््ा की पसरसध मे् िमेटा ही नही् जा िकता. स्वाद की शास््ीय व्याख्या भी िहज िंभव नही्. िन 1960 और 70 के दशको्मे्अकेिे आचाय्भश्याम चरण दूबे ऐिे िमाजशास््ी सदखाई पड्ते् है् सजन्हो्ने िंकर गेहूं के उत्पादन के िंदभ्भ मे् स्वाद और स्वास्थ्य के िंबंध की चच्ाभ की शुर्आत करने का प््याि तो अवश्य सकया था, िेसकन हमारा राजनीसतक नेतृत्व जवाहरिाि नेहर्िे िेकर िमाजवादी सवचारक डॉ राममनोहर िोसहया और िोकनायक जयप््काश नारायण तक इि कदर िाइंिसनष््, प््गसतवान और तरक््ी पिंद था सक स्वाद और िेहत के िंदभ्भ मे् सकिी भी तरह की दसकयानूिी चच्ाभ चि ही नही् िकती थी. तथाकसथत नेहर् सवरोधी दस््कणपंथी राजनीसतक शस्कतयो् का मूि चसरत्् वास््व मे् कृस्तम पंरपरावादी ही था, करीब उिी तरह का िाइंिवादी और प््गसतवादी सवकािसनष्् जैिा सक नेहर्वादी, िोसहयावादी, अन्य िमाजवासदयो्का था और आज भी है. उनिे तो यह अपेक्ा ही नही् की जा िकती सक वह ‘स्वाद’ जैिी दसकयानूिी अवधारणा िे पसरसचत भी हो्गे. ‘स्वाद और िेहत’ की परस्परता का मििा अत्यंत िूक्म आधार पर सटका है. बड्ा भरोिा तो देश की भाग्यरेखा पर ही करना होगा. आशा का एक स््ोत मंसदर प्ि ् ाद और आश्म् भोजन की परंपराओ्मे्भी सदखाई पड्ता है. िेसकन उि सदशा मे् भी िचेत प््याि तो असनवाय्भ जैिा ही है. आश््म भोजन और ठाकुर प््िाद के नेम-सनयमो्का कड्ाई िे पािन करना होगा. ऐिी कड्ाई का एक प््मुख उदाहरण जगन्नाथ जी का मंसदर है. वहां प््िाद आज भी समट््ी के बत्भनो्मे्पकाया और परोिा जाता है. िंभवत: जगन्नाथ मंसदर मे्आज भी पूण्भतया सवषमुक्त अन्न-जि का ही उपयोग होता होगा. दस््कण भारत मे्अनेक मंसदर और आश््म ऐिे देखाई पड्ते है जहां प््िाद परंपरा आज भी अक््ुण्ण है. स्वाद, िेहत और िंस्कृसत मे् प््कृसतवादी परस्परता है. भारत देश मे् अन्न-जि की व्यवस्था को सवषमुक्त बनाना है तो भोजन के स्थान पर प््िाद’ की व्यवस्था को सफर िे स्थासपत करना होगा. अत: हमारी िमझ िे प््िाद परंपरा पर गंभीर सवमश्भ की शुर्आत करनी होगी. मात््नुस्खेबाजी िे न स्वाद बचेगा न िेहत बचेगी. इि िंदभ्भमे्हमारा स्ाुझाव है सक गेहूं की तुिना मे् जौ भी प््ाकृसतक कृसष सवसध िे उपजाया जा रहा है. आज िे करीब 60 बरि पहिे िेखक की दादी जौ का आटा घर की चक््ी मे्स्वयं पीिती थी्अपने ठाकुर भोग के सिए, उिने कभी भी गेहूं िे बने व्यज ं न का प्ि ् ाद अपने ठाकुर को अस्पतभ नही्सकया. उिकी स्मृसत मे्गेहूं पराया अन्न था और जौ पूण्भत: देशज. जगन्नाथ मंसदर मे्यह सिद््ांत आज भी िागू है. जौ के ित््ू िे बना मोदक गणेश जी को अत्यंत स््पय हुआ करता था. पूण्भसवसध अगिी बार. n शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016 49
अंितम पन्ना संदीप पांडेय
हमारे तािेबािे के नवर्द्
राष््ीय स्वयंसेवक संघ की हवचारधारा मे् हिंसा के बीि िै्. िो भारत को दीघ्षकाहलक समस्याग््स्राष््मे्तब्दील कर देगा.
का
शी सहंदू सवश््सवद््ािय के भारतीय प््ौद््ोसगकी िंस्थान मे् ढाई िाि पढ्ाने के पश््ात मेरा अनुबंध िमय िे पूव्भही िमाप्त कर सदया गया है. इक््ीि सदिंबर 2016 को भारतीय प््ौद््ोसगकी िंस्थान के बोड्भ ऑि गवन्भर की बैठक मे् मेरा अनुबंध िमाप्त करने का सनण्भय कुिपसत प््ोफेिर सगरीश चंद् स््तपाठी ने सिया. यह फैििा भारतीय प््ौद््ोसगकी िंस्थान के फैकल्टी मामिो् के डीन प््ो धनंजय स््तपाठी के दबाव मे्सिया गया. प््ोफेिर स््तपाठी इिाहाबाद सवश््सवद््ािय िे पहिे तनख्वाह तो िेते थे. िेसकन न वहां पढाते थे और न ही उन्हो्ने वहां कोई शोधपत्् प््कासशत सकया था. सफर भी वे एक के्द्ीय सवश््सवद््ािय के कुिपसत बनाये गये, यह आश््य्भका सवषय है. मेरे सखिाफ आरोप था सक मै्ने िरकार प््सतबंसधत सनभ्भया कांड िे जुड्ी एक सफल्म अपनी कक््ा मे् सदखाने का सनण्भय सिया, सक मै् नक्ििवादी हूं और राष््-सवरोधी गसतसवसधयो्मे्िंसिप्त हूं. छह जनवरी, 2016 के एक आदेश मे्सनदेशक, भारतीय प््ौद््ोसगकी िंस्थान ने कोई कारण बताये सबना कहा सक पत्् िे एक माह की अवसध मे्मेरा अनुबध ं िमाप्त हो जायेगा. मै्यह स्पष््करना चाहता हूं सक मै्कोई नक्ििवादी नही् हूं. मै् अपने आप को गांधीवादी सवचारधारा के िबिे नजदीक पाता हूं. नक्ििवादी जो मुद्े उठाते है्, उनका मै् िमथ्भन करता हूं, िेसकन मै्उनके सहंिात्मक तरीको्िे िहमत नही्हूं. मै्यह भी मानता हूं सक नक्ििी होने के सिए बहुत िाहि और त्याग की जर्रत पड्ती है, जो मुझमे्नही्है. राष््ीय स्वयंिेवक िंघ की ब््ाह्मणवादी सवचारधारा, सजिके िाथ जासत प््था जुड्ी ही हुई है. कभी भी िमतामूिक न्यायपूण्भिमाज के सिए िंघष्भको िमझ नही्िकती. सनभ्भया पर बीबीिी ने जो डाक्यूमे्ट्ी बनायी थी, उिे भारत िरकार ने प््सतबंसधत सकया था, सजिे मै्अपनी कक््ा मे्11 माच्भ2015 को सदखाने वािा था. िेसकन कक््ा िे पहिे मुख्य प््ाॅक्टर और िंका के थानाध्यक््के आ जाने िे और उनके मना करने पर मै्ने उि सफल्म का प््दश्भन नही् सकया. मुख्य प््ाॅक्टर तो मुझिे कक््ा ही रद््करने को कह रहे थे, िेसकन चूसं क चच्ाभ पर भारत िरकार ने कोई रोक नही्िगायी थी. अतः मैन् े मसहिा सहंिा के मुद्े पर एक अन्य सफल्म सदखा कर चच्ाभ करवायी. अभी कुछ महीनो्पहिे न्यूयाॅक्फके कोिंसबया सवश््सवद््ािय की एक छात््ा ने, सजिके िाथ उिी के एक िहपाठी ने बिात्कार सकया था, अपने एक प््ोफेिर की राय पर पसरिर मे्एक गद््ा िेकर घूमना शुर्सकया. यह गद््ा उिके बोझ का प््तीक था. छात््ा ने यह भूसमका िी सक जब तक दोषी छात््सनिंसबत नही्सकया जाता. तब तक वह यो्ही गद््ा िेकर िब जगह जायेगी. यहां तक सक छात््ा गद््ेको सवश््सवद््ािय के दीक््ांत िमारोह मे् 50 शुक्वार | 1 िे 15 फरवरी 2016
भी िेकर चिी गयी. चार अन्य छात््ाओ्ने उिका गद््ा मंच पर चढ्ाने मे् मदद की. उिी दीक््ांत िमारोह मे् दोषी छात्् को भी सडग््ी समिी, सजिने सवश्स्वद््ािय के सखिाफ मानहासन का मुकदमा दायर सकया है. एक तरफ कोिंसबया सवश््सवद््ािय का प््शािन है, जो एक कीमत चुका कर भी पीसड्ता के िाथ खड्ा रहा और दूिरी तरफ काशी सहंदू सवश््सवद््ािय है, जो मसहिा सहंिा पर चच्ाभ भी नही् होने देना चाहता और सकिी पुर्ष प््ोफेिर के सकिी छात््ा और मसहिाकम््ी के िाथ यौन शोषण की घटनाओ् मे्अपने पुर्ष प््ोफेिर को ही बचाने की कोसशश करता है. मै्राष््की अवधारणा या राष््की िीमाओ्को नही्मानता. मनुष्य को धम्भऔर जासत कृस्तम श््ेसणयो्मे्बांटती है्. अतः मै्राष््के सवरोध मे् या राष््के पक््मे्तो हो ही नही्िकता. मै्राष््वादी नही्, अंतरराष््वादी या उििे भी बेहतर ब््ह्मांडवादी सजिमे्प््कृसत भी शासमि है. वैिे भी ऐिे िोगो्के राष््द्ोही होने के आरोप िगाने िे जो उि सवचारधारा को मानते है्, सजिने अपने आप को भारत के स्वतंत्ता आंदोिन िे अिग रखा, जो महात्मा गांधी की हत्या के सिए सजम्मेदार है्, सजिने बाबरी मब्सजद ध्वंि कर भारत मे् आतंकवाद नामक िमस्या को न्यौता सदया, जो देश मे् कम-िे-कम पांच बम सवस्फोट की घटनाओ् ‘दो मािेगांव मे्, हैदराबाद, अजमेर और िमझौता एक्िप्ि ्े ’ को अंजाम देने के सिए सजम्मेदार है्. राष््ीय स्वयंिेवक िंघ की सवचारधारा मे् सहंिा के बीज है्, जो भारत को दीघ्भकासिक िमस्याग््स् राष्् मे् तल्दीि कर देगा. राष््ीय स्वयंिेवक िंघ की िोच भारत के िामासजक ताने-बाने को क््सतग््स् कर देगी. हमारे स्वतंत्ता िेनासनयो् के देखे गये िपनो् और िंसवधान मे्सदये गये मूल्यो्के आधार पर प््त्येक पसरवार को सबना भेदभाव के िम्मानजनक ढंग िे जीने और आजीसवका के असधकार प््दान है्, िेसकन आरएिएि आधुसनक भारत के सनम्ाभण मे्बाधा बना हुआ है. मुझे इि बात का कोई अफिोि नही् सक मेरा अनुबंध िमाप्त कर सदया गया है. क्यो्सक यह फैििा मेरी अकादसमक योग्यता मे्सकिी कमी के आधार पर नही् बब्लक मेरी राजनीसतक सवचारधारा मे् सनष््ा और िामासजक कामो्को िेकर सिया गया है. मेरे छात््ो्, कम्भचासरयो्, प््ोफेिरो् और पसरिर के आिपाि रहने वािे िमुदायो् के िाथ सबताये गये क््ण यादगार रहे्गे. मै्भारतीय प््ौद््ोसगकी िंस्थान के सनदेशक प््ोफेिर राजीव िंगि के प््सत कृतज््हूं. उन्हो्ने मुझे इि बात की छूट दी सक मै्परीक््ा न िेकर एक प््सतस्पध्ाभ-रसहत माहौि मे्हरेक छात््िे व्यब्कतगत िाक््ात्कार के आधार पर उिका मूल्यांकन कर िकूं, सजिमे्छात््को अपनी िमझ n सवकसित करने के मौके समिते रहे्. (िेखक मैगिायिाय पुरस्कार िे िम्मासनत,पय्ाभवरण वैज्ासनक है.)