Shukrawaar 1 15 march 2016 medium resolution

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वर्ष 9 अंक 5 n 1-15 मार्ष 2016 n ~ 20

हमें चाहहए आजंादी



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वर्ष9 अंक 5 n 1 से 15 मार्ष2016 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प्​्काशक क्​्मता सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल राजनीसतक िंपादक वववेक सक्सेना फोटो िंपादक पवन कुमार िंपादकीय िहयोगी

सववता वम्ा​ा अंजना वसंह सुनीता शाही (लखनऊ) अिनल चौबे (रायपुर) पूजा िसंह (भोपाल) अिवनाश िसंह (िदल्ली) अिनल अंशुमन (रांची) कुमार प्​्तीक मनोज वतवारी

कला

प्​्वीण अिभषेक

महाप्​्बंधक

एस के वसंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm.shukrawaar@gmail.com

आवरण कथा

6 | िमन के भवर्द् युवा

सिल्म और टेिीसवजन िंस्थान, रोसहत वेमुिा और कन्हैया कुमार के प्​्करणो्िे िाि है सक देश के उच्​्सशक्​्ा िंस्थान िरकार के सनशाने पर है्, िेसकन िाशीवादी खतरे की आशंका के बरक्ि छात्​्ाे्का िंघष्ाजन-उभार के र्प मे्िामने आ रहा है.

16 | सुभ्ख्षयो् की सरिार

सशक्​्ा िंस्थानो्मे्खिबिी मचाने के कारण स्मृसत ईरानी सिर िे सववादो्मे्है्. सबना सकिी खाि मुद्े के िुस्खायो्मे्छाये रहना उनका जाना-पहचाना शगि है.

18 | नफ्रत की बढ्ती इबारत

िबजनेि हेड

अमेसरकी राष्​्पसत चुनाव के िंभासवत उम्मीदवार डोनाल्ड ट्​्ंप के निरत-भरे बयान और मुब्सिमो्के प्​्सत बदिता िामासजक व्यवहार एक गंभीर रोग का िंकेत है्.

शरद कुमार शुकल ्ा +91. 9651882222

ब्​्ांिडंग

कॉमडेज कम्युिनकेशन प्​्ा़ िल़

प्​्िार प्​्बंधक

यती्द्कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024 yatendra.3984@gmail.com

सिसध िलाहकार शुभांशु वसंह

shubhanshusingh@gmail.com

+91. 9971286429 सुयश मंजुल

िंपादकीय काय्ा​ालय

एमडी-4/304, सहारा ग्​्ेस, जानकीपुरम लखनऊ, उत्​्र प्​्देश-226021 टेलीफैक्स : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com www.shukrawaar.com DELHIN/2008/24781 स्वत्वािधकारी, प्क ् ाशक और मुदक ् क्म् ता सिंह के सिए अमर उजािा पब्लिकेशि ं सिसमटेड, िी-21, 22, िेकट् र-59, नोएडा, उत्र् प्द् श े िे मुस्दत एवं दूिरी मंसजि, ल्ाी-146, हसरनगर आश्म् , नयी सदल्िी-110014 िे प्क ् ासशत. िंपादक : अंबरीश कुमार (पीआरल्ाी अिधसनयम के तहत िमाचारो्के चयन के ि​िए िजम्मेदार) िभी कानूनी िववादो्के ि​िए न्याय क्​्ेत्िदल्िी होगा.

28 | भिन बहुरे कड्कनाथ के

42 | मंभिरो् मंे कला का वैिव

44 | अभिशप्त नही् कुलधरा

48 | अभिनय की वापसी

अपनी पोषण क्​्मताओ्के चिते कड्कनाथ मुग्ा​ा अब और सवसशष्​् होने जा रहा है. इिे बहुत जल्द ज्योग्​्ासिकि इंसडकेशन टैग समि िकता है.

सिंधु घाटी के व्यापार माग्ापर बिा कुिधरा दो िौ िाि पहिे वीरान हुआ था. िेसकन उिकी असभशप्त कहानी धीरे-धीरे समट रही है.

इि िाि के खजुराहो नृत्य िमारोह मे्सवसवध नृत्य शैसियो्की प्​्स्ुसतयो्के अिावा किावात्ा​ा और चिसचत्​्के जसरये एक नयी पहि की गयी.

शबाना आजमी इि बार सिल्मो्और रंगमंच मे्िमान र्प िे असभनय करती सदख रही है्. अब उन्हो्ने ‘नीरजा’ मे् अपने असभनय की गहरी छाप छोड्ी है. शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

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आपकी मास्ट हेडाक ड

वापसी के असमंजस

सरकार या तकरार

‘सियाित के अगर मगर’ नाम के शीष्ाक िे प्​्कासशत िेख मे् जम्मू मे् िरकार बनने को िेकर बहुत िारे आयाम िमझ मे् आये है्. 2016 मे् मुफ्ती का अकस्मात सनधन हो गया. आम धारणा थी सक महबूबा मुफ्ती सपता की गद्​्ी पर कासबज हो जाये्गी और पीडीपी-बीजेपी िमझौता बदस्​्ूर जारी रहेगा. िेसकन ऐिा नही् हुआ. बीते एक महीने िे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्ी का पद खािी पड्ा है. महबूबा मुफ्ती कुि्ी पर बैठने िे कतरा रही है्. जबसक नेशनि कांफ्​्ि और कांग्ेि का सवपक्​् राज्य मे् चुनाव का मूड बना रही है और बीजेपी कुि्ी पर आंख गड्ाये बैठी है. महबूबा का मानना है सक राज्य मे् नयी िरकार के गठन के सिए सकिी खाि माहौि की जर्रत है और उि माहौि के सिए क्​्द् िरकार को कुछ अहम कदम उठाने हो्गे. सजि​िे िरकार बनाने का िैि​िा करने के पहिे उन्हे् िाि-िाि अंदाजा िग िके सक सपता की नामौजूदगी मे् उनकी राजनीसतक जमीन की हकीकत क्या है. वसीम खान, बरेली (उत्​्र प्​्िेश)

मांझी के बाि उरांव

बीते अंक मे् प्​्कासशत िेख मे् झारखंड के सिमोन उरांव की कहानी कुछ हद तक सबहार के दशरथ मांझी िे समिती जुिती है. उन्हो्ने प्म्े और दूिरो्को वही दद्ान झेिना पडे उिके सिए पहाड काटकर रास्​्ा बना सदया था. उिको िेकर एक सिल्म भी बनी. सजिकी कािी तारीि भी हुई. िेसकन सिमोन के बारे मे् जो जानकारी इि िेख को पढ़कर समिा है उि​िे पहिे हम उनके बारे मे् कुछ नही् जानते थे. आसखर ऐिे िोगो्को िरकार की तरि िे मदद 4

शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

बीते अंक मे् कश्मीर मे् सहंदुओ् की वापिी पर जो सवशेष आवरण कथा पढ़ने को समिी. उि​िे बहुत कुछ जानकारी समिी. हम ऐिे दौर मे् है् जहां सवस्थासपत होना िामान्य और एक आस्थक ा प्​्सकया है. िाखो् िोग रोजगार और बेहतर सजंदगी की तिाश मे्शहर-दर-शहर भटक रहे है्. यह प्​्वािी सजंदगी हमने अपनी इच्छा के मुतासबक अपनायी. िेसकन कश्मीरी पंसडत जो आज सदल्िी िसहत सहंदस ु ्ान या धरती के सकिी और कोने मे् बिे है्, उन्हे् सिर िे बिाने को िेकर कई योजनाये् बनी्. तमाम िरकारे् दावे

करती रही्, पैकेज सदये गये िेसकन नतीजा क्या सनकिा. इिकी किई खुि गयी है. दरअि​ि करोड्ो र्पये, कई िरकारी स्कीम और 25 िािो्का िंबे अि्​्ेके बावजूद आजाद भारत के िबिे बड्ेसवस्थापन का दाग हमारे माथे िे नही् समटा िका है. 90 के दशक मे्जब आतंकवाद घाटी मे् तेजी िे उभरा तो 4 िाख िे ऊपर कश्मीरी पंसडतो को अपना घर-बार छोड्भागना पड्ा था. तमाम कोसशशो् के बीच इन िािो् मे् केवि एक पसरवार घाटी मे्िौटा है.

या पुर्स्कार तब सदया जाता है. जब ये िोग अपना पूरा जीवन इिी एक काम मे्खपा देते है.् मांझी और सिमोन की तकरीबन एक जैिी है. इन दोनो्नायको्ने अपने जीवन को जीवंत कर सदया. जहां मांझी ने िोगो् को रास्​्ा सदया था. वही् उरांव ने िबको पेट भरने के सिए अन्न. इनकी कहासनयो्िे हम युवाओ्को कािी प्र्े णा भी समिती है. पद्​्श्ी का िम्मान ऐिे ही िोगो् पर िबता भी है. हमारे ये अि​िी नायक है्.

के स्कूि िे मात खा जाते है्.

दिनेश कुमार, रायपुर (छत्​्ीसगढ़)

सरकार क्यो् नही् भिम्मेिार

बीते अंक मे् प्​्कासशत कसवता कृष्णन के िेख को पढ़कर मन मे् कई िारे िवाि पैदा हुए. सजिमे् िे एक ये िवाि भी है सक हमारी मंत्ी महोदया स्मृसत ईरानी ने सरिच्ा स्कॉिर रोसहत वेमुिा की आत्महत्या के बाद प्​्ेि कांफ्​्ि मे् कहा था सक यह मुद्ा दसित बनाम गैर दसित का नही् है और हमे् इिे इि आइने मे् नही् देखना चासहए. सिर उन्हो्ने हर उि व्यब्कत की जासत भी सगनवायी जो रोसहत की मौत िे जुड्ा हुआ था. ऐिा करके स्मृसत ने यह िासबत कर सदया सक बातो् को मोड्ने पर और तोड्ने मे् उनका कोई िानी नही्है. मामिा नॉननेट िेिोसशप खत्म करने का हो या एिटीआईआई का उन्हो्ने हर मुद्े पर अपने आप को िही िासबत करने की भरपूर कोसशश की है. दरअि​ि उनकी इि कामयाबी के पीछे की बड्ी वजह एकता कपूर का वह ट्​्ेसनंग स्कूि हो िकता है. जहां हर कदम पर चािबाजी और ड्​्ामेबाजी सिखायी जाती है. स्मृसत ने उन बासरसकयो् को वहां गौर िे िीखा होगा और उिका िायदा उन्हे्यहां राजनीसत मे् हो रहा है. बीजेपी मंत्ीमंडि के जो िोग िंघ के पॉसिसटकि स्कि ू िे पाि है्वो भी एकता कपूर

लक्​्मीकांत शम्ा​ा, नयी दिल्ली

आदित्य जाटव, लखनऊ (उत्​्र प्​्िेश)

क्यो् न िायंे मंभिर मंे मभहलायंे

परंपरावादी कहते है् सक मसहिाओ् के सिए भगवान के पाि खड्े होना खराब शगुन है. क्यो्सक वह उन पर खराब दृस्ष डाि िकते है्. तृबप्त देिाई और उनकी भूमाता स्​्िगेड इन िबमे् मे्यकीन नही्करती है. वह शसन के गभ्ागृह मे् मसहिाओ् के प्​्वेश पर िगी पारंपसरक पाबंदी को धता बताने के सिए एक आंदोिन का नेतृत्व कर रही है्. मुंबई मे् भारतीय मुब्सिम मसहिा आंदोिन हाजी अिी दरगाह के गभ्ा गृह मे् प्​्वेश करने और मजार को छूने के मसहिाओ् के असधकारो् के सिए िड् रही है. एक बैसरकेड मसहिाओ् को पुर्षो् िे अिग करता है और यही उन्हे्उि िूिी िंत के करीब जाने िे भी रोकता है सजिके िामने वह दुआ मांगने आयी है्. रदवंिर कौर, चंडीगढ़(पंजाब)

पाठको् से भनवेिन

शुक्वार मे्प्​्कािशत सरपोट्​्ो्और रचनाओ्पर पाठको्की प्​्सतसक्​्या का स्वागत है़ आप अपने पत्​्नीचे िदए गए पते पर या ई-मेि िे भेज िकते है् एमडी-4/304, िहारा ग्​्ेि, जानकीपुरम, िखनऊ उत्​्र प्​्देश-226021 टेिीिैक्ि : +91.522.2735504 ईमेि : shukrawaardelhi@gmail.com


संमास् पादकीय ट हेड

कठघरे मंे मीभिया ज

अंबरीश कुमार

कन्हैया कुमार का मामला सुप्ीम कोर्षतक रला गया, इसललए दूसरी अदालत भी इस मुद्े को लेकर संवेदनशील थी. पर जो कुछ हुआ उससे न्यायपाललका से लेकर मीलिया तक पर सवाल उठ रहे है्.

वाहर िाि नेहर्सवश्स्वद्​्ािय छात्ि ् घं के अध्यक्​् कन्हैया कुमार देशद्​्ोह के आरोप िे जमानत पर सरहा हो गये है.् गौर करे् सक छतीिगढ़्मे्सवनायक िेन और उत्र् प्द् श े मे्िीमा आजाद भी इिी तरह के आरोपो्मे्सघरे तो उन्हे्सकतने सदन जेि मे्रहना पड्ा और सकि तरह जमानत समिी. कन्हैया को जमानत देने वािी जज ने जो सटप्पणी की है उि पर िोशि मीसडया मे्कािी कुछ सिखा जा रहा है. िगता है उन पर भी राष्व् ाद का अिर है. यह अच्छी बात है. राष्​् की सचंता िभी को करनी चासहये. पर िाथ ही िमाज पर भी नजर डािनी चासहये. देश के सवसभन्न सहस्िो्मे्िड्सकयो्के िाथ आये सदन गैग् रेप की घटनाये्होती है. सकिी का खून नही खौिता. कई मामिो् मे् तो पुसि​ि प्​्ाथसमकी तक दज्ानही्करती. अखबारो्मे्यह खबरे् आती है् पर बहुत कम ऐिा होता है सक अदाित स्वयं िंज्ान िेकर ऐिे मामिो्मे्पहि करे. देश के सवसभन्न सहस्िो्मे्आये सदन सकिान ख्दु कुशी करते है्पर मीसडया मे्भी खानापूरी की जाती है तो ऐिे सकिान पसरवारो्को कोई न्याय सदिाने के बारे मे्नही्िोचता. देश मे्दसितो्के िाथ सकि तरह भेदभाव हो रहा है यह सकिी िे छुपा नही् है. रोसहत वेमुिा उदाहरण है. कोई अदाित उिे न्याय नही सदिा िकी. ये िब देशभक्त ही थे. पर िगता है अदाित भी अपने सहिाब िे चिती है और उिकी प्​्ाथसमकता मे् यह िब नही्है. कन्हयै ा कुमार का मामिा बड्ा हो गया था. िुप्ीम कोट्ा तक चिा गया इिसिये दूिरी अदाित भी इि मुद्े को िेकर कािी िंवेदनशीि थी. पर जो कुछ हुआ उि​िे न्यायपासिका िे िेकर मीसडया तक पर िवाि उठ रहे है.् अदाित पसरिर मे्कन्हयै ा कुमार ही नही पत्क ् ारो्पर हमिा होता है. िुप्ीम कोट्ाकी तरि िे बनायी गयी सवशेष टीम के िदस्यो्पर हमिा होता है. दूिरी बात, अदाित जो िैि​िे करती है उिकी िमीक्​्ा क्यो् नही् हो िकती. मजीसठया वेज बोड्ाकी सि​िासरशो्को िेकर कई मीसडया िंस्थान िुप्ीम कोट्ा का सनद्​्ेश नही् मानते है.् पर इिपर कोई चच्ा​ा नही्होती. मंसदर मुद्ेपर इिाहाबाद हाई कोट्ाकी िखनऊ बेच ् ने जो िैि​िा सदया उिे िेकर िौरन प्स्तस्​्कया हुई थी. बाद मे्िुप्ीम कोट्ाने उिपर रोक िगा दी. इिसिये यह कहना सक अदाित के िैि​िे की िमीक्​्ा नही की जा िकती, उसचत नही्है. कई बार ऐिे िैि​िे हुये सजन्हे् बदिा भी गया.

कन्हयै ा कुमार को जमानत देते िमय जो सटप्पणी की गयी उिे िेकर बहि शुर् हो चुकी है. कन्हयै ा कुमार को िेकर देश भर मे्जो माहौि बनाया गया उिमे् मीसडया के एक सहस्िे की नकारात्मक भूसमका िामने आ चुकी है. इिी माहौि का अिर था सक कन्हयै ा कुमार को देश का हर आदमी निीहत देता नजर आ रहा था. ज्यादातर यही कह रहे थे की उिने देश सवरोधी नारे क्यो्िगाये जबसक कोई ऐिी सरपोट्ा िामने नही् आयी सक उिने इि तरह के नारे िगाये. चैनि पर आसडयो ब्किप मे् छेड्छाड् कर यह िब सदखाया गया और कन्हयै ा कुमार को देशद्​्ोही के र्प मे्पेश सकया गया. यह िारा मामिा राजनैसतक था और मीसडया के एक सहस्िे ने ने इिमे् आग िगाने का काम सकया. बगैर सकिी तथ्य के सकिी छोटे िे मामिे को तूि देकर सति का ताड्बना देना इिी मीसडया का काम है. इि​िे मीसडया की िाख बुरी तरह प्भ् ासवत हुई है. ताजा मामिा उत्​्र प्​्देश सवधान िभा मे् कुछ वसरष्​्पत्क ् ारो्को तिब सकये जाने का है. सवधान िभा की जांच िसमसत ने इन्हे् मुजफ्िरनगर दंगो्िे िंबसं धत िज्​्ी ब्सटंग करने का दोषी पाया और कई गंभीर धाराओ् मे् काय्वा ाही करने की सि​िासरश की है. इिमे्धम्ा और सवसभन्न िमूहो्के बीच िौहाद्ासबगाडऩे िे िेकर गित तथ्यो्का प्ि ् ारण आसद भी शासमि है. िसमसत ने िोिह िरवरी को सवधान िभा मे् िाढ़्े तीन िौ पेज की रपट दी थी. यह मामिा उत्र् प्द् श े के कैसबनेट मंत्ी आजम खान िे जुड्ा है. भाजपा को छोड्बाकी िभी दिो्ने इि िज्​्ी ब्सटंग मामिे की सनंदा की है. िाफ् है जब भी मीसडया िे जुड्ा कोई मुद्ा आयेगा इि रपट का हवािा सदया जाएगा. मीसडया के एक छोटे िे सहस्िे की वजह िे िमूचे मीसडया पर िोग िवाि उठा रहे है.् यह िमय मीसडया के मंथन का भी है. कन्हैया कुमार का मामिा उदाहरण है. उिके पहिे के भाषण देखे्और सरहा होने के बाद उिने छात्​्ो् को िंबोसधत करते हुए जो कहा उिे भी िुन.े् क्या यह सकिी देशद्​्ोही का भाषण िगता है? दुभा्गा य् पूणा्यह है सक जो चैनि उिे देशद्​्ोही बता रहे थे उन्हो्ने वह भाषण नही् सदखाया सजिमे् उिने सिर कहा, हमे् आजादी चासहये भूख िे , गरीबी िे जासतवाद िे और भारत को िूटने वािो्िे. n ambrish2000kumar@gmail.com शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

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आवरण मास्ट हेकथा ड

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शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016


दमन के विरुदु युिा लिल्म और रेलीलवजन संस्थान, रोलहत वेमुला और कन्हैया कुमार के प्​्करणो्से यह साि है लक देश के उच्​्लशक्​्ा संस्थान सरकार के लनशाने पर है्, लेलकन यह भी सर है लक िाशीवादी खतरे की आशंका के बरक्स छात्​्ाे्का संघर्षएक जन-उभार के र्प मे्सामने आ रहा है. जेएनयू छात्​्संघ के अध्यक्​्कन्हैया कुमार की जमानत पर लरहाई के बाद युवाशल्कत के एक नये आंदोलन की आहर साि सुनाई दे रही है. शरद गुप्ता

स्​्कण सदल्िी की िाि ई्टो् वािी एक इमारत आज देश की राजनीसत का िबिे महत्वपूण्ाअखाड्ा बन गयी है. एक हज्ार वग्ा सकिोमीटर मे् बिे जवाहर िाि नेहर् यूसनवस्िाटी को राष्​्ीय मूल्यांकन और प्​्त्यायन पसरषद (एनएिीिी) ने 4 मे्िे 3.9 ग्​्ेड देकर देश का िबिे अच्छा सवश्​्सवद्​्ािय माना था. 1969 मे् इिे देश मे् किा, िंस्कृसत, इसतहाि आसद सवषयो् पर सरिच्ा के सिए बनाया गया. यहां िबिे ज्यादा महत्वपूण्ा आजादखयािी और बहि माना गया. इतना ज्यादा सक अपने सपता के नाम पर बने इि िंस्थान मे् िाख चाहने के बाद भी इंसदरा गांधी को घुिने नही् सदया गया. छात्​् चाहते थे सक वे आपातकाि िगाने के सिए माफ्ी मांग,े् िेसकन वे इिके सिए तैयार नही्थी्. इि सवश्​्सवद्​्ािय की छात्​् राजनीसत पूरे देश के सिए उत्िुकता और ईष्य्ा​ा का सवषय रही है. यहां होने वािी प्ि ्े ीडेस्शयि सडबेट अमेसरकी राष्​्पसत के चुनाव के सिए होने वािी प्​्ेिीडे्सशयि सडबेट की तजा् पर होती है. यह बात और है सक सपछिे 46 िाि मे् असधकतर बार यहाँ वामपंथी छात्​् िंगठन ही हावी रहे. कांगि ्े के एनएियूआई और बीजेपी के एबीवीपी को कभी-क्भार ही मौक्ा समिा है. यहां के असधकतर सशक्क ् और कुिपसत भी वाम झुकाव वािे रहे है्. यही वजह है सक जेएनयू को ‘िाि गढ़्' भी कहा जाता है. इि बार जेएनयू पर देश भर मे्होने वािे बवाि के पीछे िंभव है सक यह भी एक वजह रही हो. आस्खर देश मे् आज भगवा ध्वजाधारी बीजेपी की िरकार जो है. बवाि शुर् हुआ नौ फ्रवरी की रात िंिद भवन पर हमिे के दोषी अफ्ज्ि गुर्की याद मे्हुए एक काय्क ा म् िे. गुर्को िांिी की िजा दी जा चुकी है, िेसकन कश्मीर घाटी मे् उिे (बाये्) संघर्ाकी राह पर जेएनयू के छात्​्: युवा शद्ित का नया अध्याय

शहीद का दज्ा​ा प्​्ाप्त है. वैिे ही जैिे एक और आतंकी मक्बूि बट को सजिे िांिी पर चढ़्ाया गया. काय्ाक्म शुर् होने ही वािा था सक एबीवीपी के कुछ छात्​्ो् ने इिे देशद्​्ोह की हरकत क्रार देकर कुिपसत िे इिे रोकने की मांग की. आईआईटी सदल्िी मे्प्​्ोिेिर रहे रहे एम जगदीश कुमार ने बीि सदन पहिे ही

कुछ िमय बाद अंधेरे मे्चेहरा र्माि िे ढंके कुछ युवाओ्ने देश सवरोधी मारे िगाने शुर्कर सदये: कश्मीर की आजादी तक जंग रहेगी, भारत की बब्ादा ी तक जंग रहेगी; भारत तेरे टुकड्ेहो्ग,े इंशा अल्िाह, इंशा अल्िाह; अिजि हम शस्मि्दा है्, तेरे क्ासति स्जंदा है. िेसकन उि िमय न तो कुिपसत ने कोई आदेश सदया, न

प्​्ेस से कन्हैया कुमार का संवाि: िो टूक और कल्पनाशील

कुिपसत का काय्ाभार िंभािा था. उन्हे्राष्​्ीय स्वयंिेवक िंघ िे िंबंधो् के सिए जाना जाता है. जगदीश कुमार ने इि काय्ाक्म के सिए दी गयी अनुमसत वापि िे िी. इि बीच एबीवीपी के काय्ाकत्ा​ाओ् ने काय्ाक्म को रोकने की कोसशश की. दोनो् ओर िे नारेबाज्ी शुर् हो गयी. जेएनयू छात्​्िंघ का अध्यक्​् कन्हैया कुमार इि दौरान हॉस्टि के अपने कमरे मे्िो रहा था. शाम पांच बजे उठकर वह चाय पी रहा था सक सकिी ने आकर उिे कै्पि मे् हो रही गम्ा​ागम्​्ी के बारे मे्बताया तो वह भागकर वहां पहुंचा. इतनी जल्दबाज्ी मे् सक हाथ मे् पकड्ा परांठा भी हाथ मे्ही रह गया. इि बीच मे्वहां पुसि​ि भी पहुंच गयी. दोनो् गुट अिग हो गये.

पुसि​ि ने कोई कार्ावाई की. दो सदन तक िब ठीक था. तभी तक जब तक कुछ टीवी चैनिो् ने मोबाइि फ्ोन िे खी्चे गये कुछ वीसडयो सदखाने िगे. इनमे्अंधेरे मे्िगा रहे नारे सदख रहे थे. चेहरे सकिी के नही्सदख रहे थे. िेसकन इन वीसडयो्के आधार पर कन्हैया कुमार के सखिाि देशद्​्ोह का केि दज्ा कर सिया गया. एक सदिंबर की रात को पुसि​ि ने कैप् ि मे्आकर कन्हयै ा को सगरफ्तार कर सिया. जेएनयू ही नही् बब्लक पूरा देश उबि पड्ा. दो सदन बाद कुछ टीवी चैनिो्ने एक और वीसडयो सदखाया. इिमे्कन्हैया और उमर ख्ासिद जैिे जेएनयू के कुछ और छात्​्ो्को देश सवरोधी नारे िगाते सदखाया गया था. उिी रात को मािूम शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

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आवरण मास्ट हेकथा ड चि गया सक यह झूठा वीसडयो है- ऑसडयो कही् का, वीसडयो कही् का. िेसकन तब तक जनता मे् िंदेश चिा गया था सक जेएनयू देशद्​्ोसहयो् का अड्​्ा है. बीजेपी नेताओ्ने हर चैनि पर इि बात को पूरा ज्ोर देकर कहा. दूिरे पैनसिस्टो् को बोिने ही नही् सदया गया. चैनि के एंकर चीख-चीख्कर छात्​्ो्िे कह रहे थे - मान िो, आप देशद्​्ोही हो. मान िो, आपने अपराध सकया है. टीवी चैनिो् के बीच ऐिी होड् की वजह जासहर है, टीआरपी की रेि थी. इि बीच बीजेपी के कुछ वकीिो् ने फे्िबुक के माध्यम िे मुसहम चिायी और अगिे सदन जब कन्हैया को पसटयािा हाउि कोट्ा मे् पेश सकया जा रहा था, वकीिो् ने उि पर हमिा बोि सदया. उन्हो्ने कोट्ा पसरिर मे् मौजूद पत्क ् ारो्का भी सपटाई की. सदल्िी बीजेपी के एक सवधायक ओम प्​्काश शम्ा​ा ने टीवी कैमरो् के िामने एक िीबीआई नेता अभीक जमई को जमीन पर सगरा कर िात घूंिो् िे मारा. बाद मे् आज तक द्​्ारा सकये एक ब्सटंग ऑपरेशन मे्िभी आरोपी वकीिो्ने िाफ्कहा सक उन्हो्ने बीजेपी के वसरष्​् नेताओ् के कहने पर ही मारपीट की थी, िेसकन सदल्िी पुसि​ि ने उनिे िाधारण पूछताछ के बाद जमानत पर छोड्सदया जबसक वे िाफ्कह रहे थे सक उनकी

जमानत पर कन्हैया की दरहाई का स्वागत: एक छोटी सी फतह योजना तो कन्हैया पर पेट्ोि बम िे हमिा सदया. क्​्द्ीय गृहमंत्ी राजनाथ सिंह ने कहा‘पासकस्​्ान मे्बैठा िश्कर-ऐ- तैयबा का चीफ् करने की थी. इि दौरान देश दो सहस्िो्मे्बंट चुका था. हास्फज् िईद जेएनयू की घटना के पीछे है.’ ‘देशद्​्ोसहयो्’ का सशकार करने वािो्और छात्​्ो् कुछ और नेताओ् और टीवी एंकरो् ने कहा, मे् आजाद िोच की सहमायत करने वािो् मे्. ‘उमर ख्ासिद कश्मीर का रहने वािा है. उिकी मीसडया के एक भाग ने िबको देशद्​्ोसहयो् का योजना देश के 17-18 सवश्स्वद्​्ाियो्मे्भारत िमथ्क ा बता देशद्​्ोसहयो्की जमात मे्ख्ड्ा कर सवरोधी जि​िे आयोसजत करने की थी. वह दो

मभहला का अध्यक्​् होना सहन नही्

इलाहाबाद लवल्​्िद्​्ालय की अध्यक्​्ऋरा लसंह से रामे्द्जनवार की बातरीत.

ऋचा दसंह: उत्पीड्न के दखलाफ इलाहाबाद विश्व् िद्​्ालय पविसि मे्छात्​्ो्के सामने विलहाल क्या चुनौवियां है्? सवसव प्​्शािन और िरकार, दोनो् चाहते है् सक छात्​् चुपचाप सकताबे् िेकर सवसव आये्, कक्​्ा मे् बैठे् और वापि घर चिे जाये्. सकिी तरह के िवाि उठाना चाहे वह सशक्​्ा नीसत को िेकर हो्या देश अथवा िमाज की ज्विंत िमस्याओ्को िेकर हो्, यह िरकार और प्​्शािन को गवारा नही्हो पा रहा है. आज सवसव पसरिर मे्यही िबिे बड्ी िमस्या है. 8

शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

मवहला छात्​्संघ अध्यक्​्होने के नािे क्या वकसी ि​िह की वदक्​्िो् का सामना किना पड्ा? सवसव के इसतहाि मे्मै्पहिी मसहिा अध्यक्​्हूं. यह बात भी प्​्शािन के गिे नही् उतर रही है. वह चाहते है् सक मै् भी हजारो् िािो् िे तमाम प्स्तबंध झेि रही मसहिा की तरह ही रहू.ं उनको मेरा जोर िे बोिना, धरना प्​्दश्ान करना, नारे िगाना आसद पिंद नही्. इतना ही नही्उनको तो मेरे छात्​्ावाि मे्आने, वहां िे जाने आसद के िमय का भी पूरा सहिाब चासहये. मेरा योगी आसदत्यनाथ के काय्ाक्म का सवरोध करना भी प्​्शािन को राि नही् आया. उन्हे् यह स्​्ियोसचत गसरमा के प्​्सतकूि िग रहा है. उनको िगता है सक मुझे सवरोध करने के बजाय िर पर दुपट्​्ा रखकर जाना चासहये था. योगी िे आशीव्ा​ाद िेना चासहये था. पविसि मे्प्​्गविशील छात्​्संगठनो्की सव्​्ियिा कम क्यो्है? दरअि​ि आम छात्​्पाट्​्ी िे इनकी िंबद्​्ता के चिते िंशय करते है्. उनको िगता है सक ये िंगठन खाि एजे्डे पर काम कर रहे है्. मि​िन रोसहत वेमुिा के मामिे पर तो िभी छात्​्िंगठन झंडा उठा िेते है्िेसकन सवसव पसरिर मे् सकिी दसित छात्​् या छात्​्ा का उत्पीड्न होता है तो इि तरह की िस्​्कयता नही्सदखाते. एबीिीपी की पविसि मे्क्या स्थिवि है? एबीवीपी ने पसरिरो्को अपनी बपौती िमझ सिया है और वह इनको बब्ा​ादी की तरि िे जा रहे है्.कुिासधपसत िे िेकर कुिपसत और प्​्शािन तक का उनके ऊपर हाथ है .


अब पूरे देश के नायक

लरहाई के बाद कन्हैया के भारण से आम जनमत मे्जेएनयू को लेकर एक समांतर सोर पैदा होगी.

‘'

बार पासकस्​्ान हो आया है.’ िेसकन उनमे् िे सकिी ने कोई िबूत पेश नही् सकये. िोशि मीसडया ने पूरे जेएनयू को आतंसकयो् के गढ़्के र्प मे्बदि सदया गया. बुस्दजीसवयो् का गढ़्माना जाने वािा यह कै्पि पूरे राष्​्की नजर मे्आतंकी सठकाना की तरह िगने िगा. इि बीच उमर ख्ासिद अपने चार-पांच िासथयो्के िाथ अंडरग्​्ाउंड हो गया. उिे िगा

दरहाई के बाि छात्​्ो्के बीच कन्हैया: पहला भारण कभी हमको खाना सखिाने तो कभी मेसडकि कराने िे जाती थी. मै्उनिे बात करने िगा. वह आदमी (पुसि​ि) भी ऐिा सनकिा जैिा मै्. इि देश मे् पुसि​ि मे् कौन नौकरी करता है? सजिके सपताजी कमजोर वग्ा के हो्. वही पुसि​ि पर नौकरी करता है. मै्भी गरीब सकिान पसरवार और सपछड्े राज्य िे आता हूं. सिपाही ने पूछा सक िाि ि​िाम क्या है तो मै्ने कहा िाि मतिब क्​्ांसत, ि​िाम मतिब क्​्ांसत को ि​िाम. उन्हो्ने कहा सक आपको िब िस्​्ा समिता है. हमने पूछा सक आपको ओवरटाइम समिता है. उन्हो्ने कहा सक नही्समिता है. मै्ने पूछा, कैिे कमाते है्, तो बोिे वैिे ही सजिे आप करप्शन कहते है्. सिपाही भी मेरी तरह पढ़्ना चाहता था, िेसकन उिे जेएनयू नही्समिा. ‘एबीवीपी िे कोई निरत नही् है. कै्पि का एबीवीपी बाहर के एबीवीपी िे ज्यादा तास्किक है. जब हमने जेएनयू के एबीवीपी को पानीपानी कर सदया तो िोसचए बाकी एबीवीपी का क्या हाि होगा. एबीवीपी को हम दुश्मन नही्, सवपक्​् की तरह देखते है्. उनका सवज्​्ान िे िेना-देना नही्. सवज्​्ान मे् कहा गया सक सजतना दबाओगे, उतना प्​्ेशर पैदा होगा. िेसकन उनका सवज्​्ान िे िेना-देना नही्है. ‘हम िंसवधान मे् भरोिा करते है्. िंसवधान की िभी धाराओ् के सिए खड्े है्. प्​्स्ावना मे् जो सिखा है, उिपर खड्े है्. िमानता, धम्ासनरपेक्ता पर भरोिा करते है्. मै्भी कहता हूं ित्यमेव जयते. ित्य की जय होगी. जेि मे् दो रंग की कटोरी समिी: एक िाि रंग की और एक नीिे रंग की. एक क्​्ांसत के सिए और दूिरी बाबा िाहेब के िामासजक n िमरिता के सिए.

न्हयै ा कुमार ने तीन माच्ाकी शाम जमानत पर छूटने के बाद जेएनयू मे् जो भाषण सदया वह कई मायनो् मे् ऐसतहासिक रहा. देश के इसतहाि मे् शायद यह पहिा ही मौका था जब देश के प्​्मुख िमाचार चैनिो् ने सकिी छात्​् नेता के भाषण को इि तरह िाइव सदखाया होगा. उन्हो्ने भावुक िेसकन राजनीसतक पसरपक्वता िे पसरपूणा्भाषण सदया. उनके भाषण मे् ित्​्ा पक्​् यानी भारतीय जनता पाट्​्ी और उिकी छात्​् शाखा असखि भारतीय सवद्​्ाथ्​्ी पसरषद और कुछ टेिीसवजन चैनिो् पर िमान र्प िे तंज सकया गया था. राजद्​्ोह के मामिे को जोरशोर िे उछािने वािे कुछ चैनिो्पर यह स्पीच नदारद सदखी. कन्हैया ने सजि िादगी िे और स्थानीय उदाहरणो्के िाथ अपनी बात कही, उिे देखकर िगता है सक यह बात िोगो्को िमझ मे्भी आयी होगी. इि पूरे मामिे ने छात्​्नेता कन्हैया कुमार को भी एक देशव्यापी छसव प्​्दान की है. कन्हैया कुमाि के भाषण के कुछ अंश: मोदी जी जब बोि रहे थे, मेरा मन सकया सक मै्टीवी मे्घुि जाऊं. मोदी जी का िूट पकड् कर कहूं, जरा सहटिर की बात कर दीसजए. छोड् दीसजए सहटिर को, मुिोसिनी की बात कर दीसजए, सजि​िे आपके गुर् गोिविकर जी समिने गये थे. मन की बात करते है्, िुनते नही्. ‘कुछ को आपने हर-हर कहकर ठग सिया, कुछ आज अरहर िे परेशान है्. ‘जादूगर सदखाएगा जादू’ बेचेगा अंगूठी. इि देश के भी कुछ नीसत सनम्ा​ाता है्, जो कहते है् सक कािा धन कम होगा, हर-हर मोदी. महंगाई कम होगी. िबका िाथ िबका सवकाि. वे िारे जुमिे िोगो्के जेहन मे् है्. हािांसक हम भारतीय िोग भूिते है्, िेसकन इि बार तमाशा इतना बड्ा है सक भूि नही्पा रहे है्. िेसकन वे चाहते है्सक उन जुमिो्को भुिा सदया जाये. जनसवरोधी िरकार के सखिाि बोिे्गे तो िाइबर िेि झूठा वीसडयो भेजेगा. आपको गासियां देगा. ‘जेएनयू पर हमिा एक सनयोसजत हमिा है. यह सनयोसजत है तासक रोसहत वेमुिा की िड्ाई खत्म हो. आप जेएनयू का मुद्ा इिसिए चिा रहे है् तासक िोग भुिा दे् सक मौजूदा पीएम ने अकाउंट मे् 15 िाख देने की बात कही थी. िेसकन जेएनयू को भुिाना आिान नही्. ‘इि देश की ित्​्ा ने जब-जब अत्याचार सकया है, जेएनयू िे बुिंद आवाज आयी है. िीमा पर जवानो्को मै्िल्यूट करता हूं. जेि मे्िीखा है सक जब िड्ाई सवचारधारा की है, तो व्यब्कत को प्​्ाथसमकता नही्देना चासहए. मै् बीजेपी के नेताओ् िे पूछना चाहता हूं सक वह जवान आपका क्या है. मेरा बाप सकिान है, वह खुदकुशी करता है. उिी का बेटा िीमा पर ही शहीद होता है. हम, भारत िे आजादी नही्, भारत मे्आजादी मांग रहे है्. अंग्ेजो्िे आजादी नही्मांग रहे. ‘पुसि​ि ने पूछा सक िाि ि​िाम िाि ि​िाम क्या करते है्? पुसि​ि

सक कन्हैया की तरह उिे भी देशद्​्ोही क्रार दे मारपीटा जायेगा.उिके िासथयो् मे् आशुतोष कुमार, असनब्ान भट्​्ाचाय्ा, राम नागा, अनंत प्​्काश के नाम शासमि थे. िेसकन जब िरकार को इनमे्िे सकिी भी छात्​्का कोई अपराधीयो् इसतहाि नही् समिा, सकिी अिगाववादी िंगठन के िाथ जुड्ाव नही् समिा, तो उिके किबि ढीिे पड् गये. तब के पुसि​ि

कसमश्नर बीएि बस्िी ने कहा- अगर कन्हैया ज्मानत के सिए अज्​्ी िगायेगा तो पुसि​ि उिकी सवरोध नही्करेगी. इि बीच िरकार ने पूरी ब्सथसत की िमीक्​्ा की. उिे िगा सक पैर खी्चने िे ज्यादा नुकिान होगा. जब देश मे् देशप्​्ेम की माहौि बना है तो उिे इिका िाभ उठाना चासहए. सिर बस्िी ने तीन बार बयान बदिे. आस्खर कन्हैया के सखिाि वक्ीि शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

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आवरण कथा बदि सदया और उिकी जमानत का जमकर सवरोध सकया गया. पुसि​ि ने कन्हैया के सखिाि देशद्​्ोह की धारा आईपीिी 124ए और आपरासधक िास्जश रचने की धारा 120 बी के तहत मामिा दज्ा सकया है. देशद्​्ोह का यह कानून 1860 मे् बनाया गया था और 1870 मे्इिे आईपीिी मे् शासमि कर सदया गया. गौरतिब है सक 124ए के तहत सिसखत या मौसखक शल्दो्, सचह्नो् प्​्त्यक्​् या अप्​्त्यक्​् तौर पर निरत िैिाने या अिंतोष जासहर करने पर देशद्​्ोह का मामिा दज्ासकया जाता है. धारा 124ए के तहत केि दज्ाहोने पर दोषी को उम्​्कैद की िजा होती है. इि पूरा मामिे मे् सबहार के केदारनाथ सिंह केि मे्िुप्ीम कोट्ाका िैि​िा कािी महत्वपूणा् माना जा रहा है. 1962 मे् केदारनाथ सिंह पर राज्य िरकार द्​्ारा िगाये गये देशद्​्ोह के मामिे पर कोट्ा ने रोक िगा दी थी. िुप्ीम कोट्ा की पांच जजो् के एक बे्च की ओर िे सदये गये आदेश मे् कहा गया सक देशद्​्ोही भाषणो् और असभव्यब्कत को सि​ि्ि तभी दंसडत सकया जा िकता है जब उनकी वजह िे सकिी तरह की सहंिा या अिंतोष बढ़्े. जेएनयू के नेताओ्का कहना है सक यूजीिी िेिोसशप पर पहिे िे चि रहे आंदोिन और हैदराबाद यूनवस्िाटी के छात्​् रोसहत वेमुिा की आत्महत्या िे उपजे आंदोिन को कमजोर करने के सिए भी कन्हैया को आनन-िानन मे् सगरफ्तार कर सिया गया. अगर कन्हैया की सगरफ्तारी के पीछे बीजेपी और एबीवीपी की कोई भूसमका है तो यह कदम बीजेपी के सिए आत्मघाती हो िकता है. बीजेपी नेताओ् का मानना है सक सजि तरह के नारे जेएनयू मे्िगे, उिका सवरोध कर वह देश मे्देशप्​्ेम का ज्वार

और िी ‘िेशद्​्ोही’ क

न्हैया कुमार के अिावा अभी हाि ही मे् गुजरात मे्पाटीदारो्के सिए आरक्​्ण की मांग करते हुए सहंिक आंदोिन शुर्करने वािे हास्दाक पटेि को भी अक्टूबर 2015 मे्गुजरात पुसि​ि की ओर िे देशद्​्ोह के मामिे के तहत सगरफ्तार सकया गया था. िेसकन देशद्​्ोह के केि मे्सगरफ्तार होने वािे िो्गो्की िेहसरस्​्िंबी है. सितंबर 2012 मे् काटूस्नास्ट अिीम स्​्तवेदी को भ्​्ष्ाचार सवरोधी आंदोिन के िमय िाइट पर िंसवधान िे जुडे तस्वीरे् पोस्ट करने की वजह िे, 24 सदिंबर 2010 को सबनायक िेन को नक्ि​ि सवचारधारा को िैिाने के आरोप मे् और 2010 मे् अर्ंधसत रॉय पर कश्मीरमाओवासदयो् पर एक बयान देने की वजह िे देशद्​्ोह के तहत मुकदमा दज्ासकया गया था. 10 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

उमर खादलि और अदनब्ा​ान: आरोप-मुक्ित का संघर्ा उठा िकती है. अदाित िे सकिी भी केि का असभन्न अंग है, और इि बात को न मानना िैि​िा होने मे्िािो्िगे्गे, िेसकन राजनीसतक भारत के िंसवधान का सवरोध करना है. िेसकन िायदा तो तुरंत समिेगा. अगर इिकी वजह िे जहां तक कन्हैया की सगरफ्तारी का िवाि है, जेएनयू के िोग नाराज होते है्तो हो्. वैिे भी वे सबना सकिी िबूत के छात्​्नेता की सगरफ्तारी पर बीजेपी के वोटर नही् है्. वही् सवपक्​्ी दिो् का िवाि उठ रहे है्. भिे ही िरकार के पाि मानना है सक कन्हैया और उिके जैिे दूिरे कन्हैया या उमर के नारो्/भाषणो्का वीसडयो न छात्​्ो्को जेि भेज कर बीजेपी जेएनयू के मुट्ी हो, िेसकन उिके सखिाि जेएनयू के िुरक्​्ा भर िोगो्की नाराजगी मोि िेते हुए देश के एक गाड्ा आसद िसहत कुछ िोगो् की गवाही जुटा बड्ेतबके को देशभब्कत के नाम पर अपने पक्​् िी गयी है, हािांसक उनकी सवश्​्िनीयता मे् िाना चाहती है. िेसकन इि​िे वह युवा वग्ा सनस्शचत नही् है. बीजेपी ने अब अपना र्ख् उि​िे नाराज हो जायेगा सजिके बि पर उिने बदिते हुए जेएनयू को आतंकवासदयो् का गढ़् क्रार देने िे बचने की कोसशश की है. िंिद मे् िोकिभा की 282 िीटे्जीती थी्. इि पूरी बहि मे्दो अिग अिग पहिू है.ं चच्ा​ा का जवाब देते हुए गृहमंत्ी राजनाथ सिंह एक है कुछ छात्​्ो्द्​्ारा देश सवरोधी नारे िगाना ने कहा सक उन्हे्जेएनयू के छात्​्ो्की देशभब्कत तो दूिरा है कन्हैया की सगरफ्तारी. जासहर है, पर कोई शक नही् है. जबसक भाजपा के एक देश का कोई नागसरक देश सवरोधी गसतसवसधयो् सवधायक ज्​्ानदेव आहूजा ने कहा था सक ‘दो का िमथ्ान नही्कर िकता, कश्मीर भारत का हजार भारतीय और सवदेशी शराब की बोतिे् एक सदन मे् जेएनयू िे बरामद हुई है और 10 हजार िे ज्यादा सिगरेट के जिे हुए टुकड्ेऔर चार हजार िे ज्यादा जिी हुई बीस्डयां समिी है. हस्​्डयो्के 50 हजार टुकड्ेआैर 500 इस्​्ेमाि सकये गये अबॉश्ान इंजेक्शन समिे है्.’ िेसकन अपनी ऊिजिूि बातो्के पक्​्मे्आहूजा कोई िबूत नही्दे पाये. कन्हैया के सपता सकिान है् और पैरािाइसि​ि िे पीस्डत है्. कन्हैया की मां आंगनबाड्ी वक्िर के र्प मे्हजार र्पये महीने दवनायक सेन और हाद्िाक पटेल कमाती है.् मगध यूसनवस्िटा ी िे स्नातक कन्हयै ा के पसरवार वािो् का कहना है सक सबहार सवधानिभा चुनाव के दौरान कन्हैया ने िेफ्ट उम्मीदवार के सिए प्च ् ार सकया था और इिसिए कन्हैया के सखिाि िासजश रची गयी. कन्हैया हाई स्कूि िे ही िीपीआई की स्टूडे्ट सवंग ऑि इंसडया स्टूडे्ट िेडरेशन िे जुड्े रहे है्. िेसकन अब जमानत पर छूटने के बाद वे एक नये िंघष्ा के नायक बन चुके है्. n



आवरण कथा

अंधेरगि्​्ी के सूत्धार: (ऊपर से नीचे) अर्ण जेटली, राजनाथ दसंह, नजीब जंग और बीएस बस्सी

भद से भाजपा

जेएनयू और कन्हैया कुमार प्​्करण मे्सत्​्ाधारी भाजपा ने बदहवासी मे्जो कदम उठाये, उनका नतीजा उलर रहा और पार्​्ी को ऐसी दुग्षलत झेलनी पड्ी लजसकी कल्पना भी लकसी को नही्थी. वववेक सक्सेना

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िार के िबिे बड्े िोकतंत् की िबिे बड्ी ित्​्ार्ढ़् पाट्​्ी की ऐिी दुद्ाशा होगी. इिकी शायद सकिी ने कल्पना भी नही् की होगी. वह भी तब जब िरकार के ि​िाहकार पाट्​्ी के िबिे सवद्​्ान नेता सवत्​् मंत्ी अर्ण जेटिी हो्. सजनके हवािे न केवि सवत्​् और िूचना और प्​्िारण मंत्ािय है. बब्लक सदल्िी की सनयुब्कतयां उन्ही्के कहने पर होती है्. सहंदी तो क्या अंग्ेजी मीसडया को उनका बेहद करीबी

12 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

माना जाता है. भाजपायी तो यहां तक कहते है् सक अगर अर्ण जेटिी नेता न होकर डाग ट्​्ेनर होते तो बड्े-बड्ेल्िड हाउंड और अल्िेसशयन तक उनके कदमो्को चूमते दुम सहिा रहे होते. सिर भी िमाज और राजनीसत के ‘वाचडाग’ ने जेएनयू प्​्करण पर िरकार को इतनी बुरी तरह िे घेर कर नोच डािा सक वह अब बुरी तरह सबिसबिा रही है. पाट्​्ी और िरकार मे् सकिी को यह िमझ मे् नही् आ रहा है सक इि काटे का इिाज कहां करवाये्. कौन िा इंजेक्शन िगवाये् और अंत्ाराष्​्ीय स्​्र पर धूसमि हुई

छसव को कैिे िुधारे? भाजपा के अंदर अब यह िवाि पूछा जाने िगा है सक आसखर जेएनयू के प्​्करण मे् जहां हमे् एक अच्छा खािा मुद्ा समि िकता था. सकिने पाट्​्ी और िरकार की िजीहत करवायी. यह कहा जा रहा है सक छात्​् िंघ के अध्यक्​् कन्हैया को सगरफ्तार करना बहुत बड्ी भूि रही और उिके बाद गिसतयां होती चिी गयी. आसखर पुसि​ि ने िबिे पहिे सि​ि्िकन्हैया को क्यो् सगरफ्तार सकया? पुसि​ि आयुक्त ने सकिकी ि​िाह पर वीसडयो िुटेज का सववाद खड्ा सकया. सजि​िे चैनिो् पर यह बहि शुर् हो गयी सक कानून मे् वीसडया िुटेज कही् ठहरती भी है या नही्. पुसि​ि यह प्​्माण भी नही् जुटा िकी सक क्या कन्हयै ा ने यह काय्क ा म् होने िे रोकने की कोसशश की थी. या क्या उिकी मौजूदगी मे् भारत सवरोधी, पाक िमथ्ाक नारे िगाये गये थे या नही्? सबना चश्मदीद गवाह और दस्​्ावेज जुटाये, सजि तरह िे सदल्िी पुसि​ि ने उिके सखिाि देशद्​्ोह का मामिा बना सदया. उि​िे िरकार की ब्सथसत हास्यास्पद हो गयी है.


पसटयािा हाउि मे् कन्हैया की पेशी के पर बहुत भरोिा करते है्. सकरण बेदी को उन्ही् दौरान सजि तरह िे वकीिो् ने छात्​्ो् और की ि​िाह पर मुख्यमंत्ी पद के उम्मीदवार के मीसडया के िाथ मारपीट की उि​िे भी यह र्प मे् पेश सकया गया था. इिके अिावा िवाि पुछा जाने िगा है सक नवंबर 1984 के राजधानी तथाकसथत अंग्ेजी िेक्यूिर मीसडया सिख सवरोधी दंगो् के दौरान सजि तरह सदल्िी और न्यायपासिका को िंभािने की सजम्मेदारी पुसि​ि हाथ पर हाथ धरे बैठी रही थी. आज सिर भी जेटिी के ही पाि है. पाट्​्ी नेता अब यह पूछने िगे है् सक सजन उिकी पुनरावृस्त क्यो्हो रही है. बस्िी को तेज तर्ा​ार पुसि​ि आयुक्त माना जाता है. इिके िोगो्पर िरकार की छसव बनाने की सजम्मेदारी बावजूद उन्हो्ने यह िब हो जाने सदया. और तो थी. सजन्हो्ने मीसडया का ठेका िे रखा था. और इि घटना के हफ्ते भर बाद भी वे उन िोगो् उनके रहते ऐिी खबरे् क्यो् चिी सजि​िे को सगरफ्तार नही् कर पाये. सजनके सखिाि प्​्धानमे्त्ी नरे्द् मोदी की बदनामी हुई. तमाम देशद्​्ोह का मामिा दज्ा सकया गया था. इिके चैनिो् पर कहा गया सक उपराज्यपाि सवपरीत पुसि​ि को धता बताते हुए वे तमाम नजीबजंग प्​्धानमंत्ी और गृहमंत्ी िे समिकर ्े िेकर छात्​्जेएनयू पसरिर तक पहुच ं ने मे्कामयाब हो आ रहे है.् मतिब यह सक वे उनिे सनद्श आये है्. मािूम हो सक सदल्िी का पुसि​ि गये. भाजपा के ही वकीि नेता कह रहे है्सक 9 िरवरी के भारत सवरोधी मामिो् के आरोसपयो् पूछा जा रहा है कि राष्​्द्ोह िे मे्उमर खासिद और उनके कई िासथयो्के नाम मामले मे्ओपी शम्ा​ा ने पहलवानी पहिे ही सदन आ गये थे. सिर इन्हे् छोड्कर क्यो्किखायी. पार्​्ी ने िार्ावाई कन्हैया की सगरफ्तारी क्यो् की गयी. उन्हे् भी िरिे मामले िो वही्खत्म क्यो् उिके िाथ क्यो्नही्पकड्ा गया. अब यह कहा नही्िर किया. जाने िगा है सक पाट्​्ी की अंदर्नी राजनीसत के चिते यह रायता िैि रहा है. अि​िी िवाि यह है सक सदल्िी पुसि​ि सकिके अधीन है? आयुक्त िीधे उपराज्यपाि के प्​्सत जवाबदेह जवाब सदल्िी के उपराज्यपाि नजीब जंग का होता है. वही् िे उिे आदेश सदये जाते है्. जब सदल्िी मे्गाड िादर कौन है. सजिने इि कट्​्र कानून व्यवस्था सबगड्ी तो न तो केजरीवाि ने कांग्ेिी को इि पद पर बनाये रखा. तो िीधे उपराज्यपाि को सनशाना बनाया न ही राहुि अर्ण जेटिी का नाम उभर कर आ जाता है. गांधी ने. िबके सनशाने पर िीधे क्​्द् की मोदी जब भाजपा क्​्द्मे्ित्​्ा मे्आयी. तो सदल्िी पर िरकार आ गयी. सकिी भी चैनि या अखबार मे् शैस्कक अपनी पकड् बनाने के सिए प्​्धानमंत्ी उपराज्यपाि को बदिना चाहते थे. बताते है्सक आजादी, पत्​्कारो् की आजादी जैिे मुद्ो् पर उि िमय अर्ण जेटिी ने उन्हे् िमझाया था नजीब जंग को नही्घेरा गया. सदल्िी की दुद्ाशा सक नजीब जंग के मुि​िमान होने के कारण का उनके सिर पर ठीकरा नही्िूटा. अहम बात हमारे पाि एक ‘धम्ासनरपेक्’ चेहरा होगा. जो तो यह रही सक कही् यह खबर नही् देखने को सक राजनीसत मे् बहुत काम आयेगा. मोदी उन समिी सक गृह मंत्ािय ने नजीबजंग को तिब भारतीय कम्युदनस्ट पाट्​्ी के काय्ाकत्ा​ा पर ओपी शम्ा​ा का हमला: कार्ावाई की मांग

कर उनिे यह िवाि पूछा हो सक सदल्िी मे्यह िब क्यो् हो रहा है. ध्यान रहे सक सदल्िी का प्​्शािसनक सनयंत्ण, पुसि​ि िब उपराज्यपाि के अधीन ही है. इि पूरे प्​्करण पर भाजपा ने जैिा रक्​्ात्मक रवैया अपनाया और उिके तेज तर्ारा , तास्किक बयान देने वािे प्​्वक्ता सजि तरह िे नदारद हो गये. वह भी अपने आप मे्समिाि है. एमजे अकबर और स्वपनदाि गुप्ता जैिे उिके स्टार प्व् क्ता नदारद हो गये. प्व् क्ताओ्मे्चीनी माि माने जाने वािे िंसबत पात्​्ा, श्​्ीकांत शम्ा​ा िरीखे ही पाट्​्ी का िचर बचाव करते नजर आये. खाि बात तो यह रही सक अर्ण जेटिी के खाि भाजपा सवधायक ओपी शम्ा​ा ने जो कुछ सकया और सिर उिके बाद सजि तरह िे मीसडया मे् उनकी ठुकाई हुई उिे रोकने मे् जेटिी के ही खाि दरबारी पत्​्कारो्बरखा दत्​् िे िेकर राजदीप िरदेिाई तक ने कोई मदद नही्की. ध्यान रहे सक जब तक मोदी प्ध ् ानमंत्ी नही्बने थे. तब तक आईबीएन-7 पर राजदीप िरदेिाई उन्हे् सनद्​्ोष मुि​िमानो् का हत्यारा करार देते थे. उनके जीतते ही राजदीप का ह्दय पसरवत्ान हो गया और उन्हो्ने प्​्शंिा मे्सकताब सिख डािी सजिका सवमोचन अर्ण जेटिी ने सकया. इि मामिे मे् िरकार और पाट्​्ी दोनो् को ही जमकर िजीहत हुई. पाट्​्ी िे पूछा जा रहा है सक राष्​्द्ोह के मामिे मे् ओपी शम्ा​ा ने पहिवानी क्यो्सदखायी. अगर उन्हो्ने गिती की थी तो पाट्​्ी ने उनके सखिाि अनुशािनात्मक कार्ावाई करके मामिे को वही् खत्म क्यो् नही् कर सदया. कम िे कम िीपापोती करने के सिए कारण बताओ नोसटि तो सदया ही जा िकता था. तीन सदन बाद पुसि​ि ने उन्हे् सगरफ्तार करने के बाद सजि तरह िे हाथोहाथ जमानत पर सरहा सकया गया उि​िे और भद्​् उड्ी. हफ्ते भर तक पाट्​्ी और िरकार दोनो् के मीसडया प्​्बंधन पूरी तरह नाकाम रहा. भाजपा की तरि िे जेएनयू के एबीवीपी के तीन पदासधकासरयो् का इस्​्ीिा सदया जाना तो मानो िंगठन के मुद्े पर तमाचा मारने जैिा रहा. राहुि गांधी और सवपक्​् के इि पचड्े मे् उिझ जाने के बाद भी भाजपा और िरकार उिका कोई िाभ नही् उठा िकी. इि िंबंध मे् िरकार के एक वसरष्​् मंत्ी का कहना था सक हमे् तो िगता है सक जैिे इि िरकार की यूपीए िरकार िे मूख्ाता के मामिे मे्प्​्सतस्पध्ा​ा चि रही है. जैिे बाबा रामदेव के मामिे मे् यूपीए के वसरष्​् खाितौर िे वकीि मंत्ी बने नेताओ्ने मनमोहन सिंह की िजीहत करवायी थी. ठीक वैिा ही हमारे वकीि मंत्ी करवाने पर आमादा है. n शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 13


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रोदहत वेमुला की आत्महत्या के बाि छात्​्ो्का प्​्िश्ान: युवा संघर्ाकी शुर्आत

त्​्ासदी के साये मे् शिक्​्ा

रोलहत वेमुला की आत्महत्या के दो महीने बाद हैदराबाद के्द्ीय लवि्​्लवद्​्ालय लिलहाल शांत लदखाई देता है, लेलकन इस शांलत के नीरे एक बेरैनी और असामान्य हालत की आहत साि सुनाई देती है. मनोरमा

सित छात्​् रोसहत वेमुिा की मौत को दो महीने होने जा रहे है्ै. हैदराबाद क्​्द्ीय सवश्​्सवद्​्ािय मे् िब कुछ िामान्य सदख रहा है. छात्​् पहिे की तरह कॉिेज आ रहे है्. सशक्​्क उन्हे् पढ़्ा रहे है्. परीक्​्ाओ् की तारीखे् सनकि रही है्. छात्​्परीक्​्ाएं दे रहे है्या तैयारी मे्िगे है्. सजनका शोध पूरा हो चुका है वो उन्हे् जमा कर रहे है्और नये छात्​्भसवष्य के बारे मे् िोच रहे है्िेसकन हकीकत यह है सक भीतर ही भीतर बहुत कुछ बदि गया है. िबिे बड्ा बदिाव तो यह आया है सक िगभग 5000 छात्​् िंखय् ा वािे इि सवश्स्वद्​्ािय के बहुत िे छात्​् जो सकिी राजनीसतक सवचारधारा िे कभी नही् जुड्े थे और अभी भी नही् जुड्े है्, रोसहत की 14 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

मौत के बाद उन्हे् भी उिके िवािो् ने बेचैन सकया है और वो उिके िाथ खड्ेहै्. गत 30 जनवरी को रोसहत के जन्मसदन के सदन सवश्​्सवद्​्ािय पसरिर मे् रात मे् उिकी याद मे् कै्डि माच्ा सनकािा गया सजिमे् डेढ़् हजार िे ज्यादा छात्​्ो् ने सहस्िा सिया, ज्वाई्ट एक्शन कसमटी िॉर िोशि जब्सटि के एक िदस्य छात्​्कहते है्सक एचिीयू के पांच हजार छात्​्ो्मे्करीब िाढ़्ेतीन हजार सवश्​्सवद्​्ािय पसरिर मे्रहते है.् उनमे्िे रात को सकिी मि​िे पर डेढ़् हजार िे ज्यादा छात्​्ो् का एक होना यकीनन खाि बात है. बब्लक रोसहत के बाद जेएनयू के घटनाक्​्मो्कन्हैया कुमार और बाद मे् उमर खासिद की सगरफ्तारी ने राजनीसतक र्झान नही्रखने वािे छात्​्ो्को भी गंभीरता िे िोचने पर सववश सकया है, उन्हे्िग रहा है सक

कही् कुछ है जो िामान्य और पहिे जैिा नही् है. असभव्यब्कत की आजादी और प्​्सतरोध का असधकार िबके सिये बड्ा िवाि है. एिएिआई िे जुड्े और िाई् ि​िाई्ि के ही छात्​् दीपक कुमार सिंह जो रोसहत के दोस्​् भी रहे है् कहते है् इि सवश्​्सवद्​्ािय पसरिर मे् करीब 15 छात्​् िंगठन है् रोसहत के मि​िे पर सवद्​्ाथ्​्ी पसरषद को छोड्कर िभी एक िाथ है् और ज्वाई्ट एक्शन कसमटी िॉर िोशि जब्सटि की अगुवायी मे् रोसहत के मामिे मे् न्याय के सिये िंघष्ाकरने को तैयार है.् वैचासरक मतभेद होने के बावजूद वामपंथी िंगठन, आंबेडकर िंघ, एनएियूआई और अल्पिंख्यक िमुदायो् की राजनीसत करने वािे िंगठन भी एक मंच पर आ गये है्, जो बहुत अच्छी बात है. सपछिे हफ्ते ही रोसहत का भाई और उिकी मां सदल्िी मे्थे,


जहां उन्हो्ने रोसहत के सिये सनकािी गयी राष्​्ीय रैिी मे्सहस्िा सिया, उनके िाथ ज्वाई्ट एक्शन कसमटी िॉर िोशि जब्सटि के िदस्य और एचिीयू िे कुि समिाकर दो िौ छात्​्गये थे. दरअि​ि, ज्वाई्ट एक्शन कसमटी िॉर िोशि जब्सटि सवश्​्सवद्​्ाियो् मे् अनुिूसचत जासत जनजासत और सपछड्े िमुदाय िे आने वािे छात्​्ो् के सखिाि होने वािे भेदभाव के सिये सनभ्ाया कानून की तज्ा पर रोसहत असधसनयम की मांग कर रहा है िाथ ही इनकी ये मांग भी है सक सवश्​्सवद्​्ािय रोसहत के पसरवार को पचाि िाख की मदद रासश और उनके पसरवार के सकिी िदस्य को नौकरी भी प्​्दान करे्. हािांसक यूजीिी के सनद्​्ेशो् के मुतासबक िभी सवश्​्सवद्​्ाियो् मे् अनुिूसचत जासत, जनजासत अत्याचार सनरोधक िेि होना चासहये और उिके प्​्भावी तरीके िे काम करने पर सपछड्े िमुदायो् या अनुिूसचत जासत, जनजासत के छात्​्ो्की िमस्याओ्का सनराकरण हो जाना चासहये था या परेशानी होने पर उन्हे् िमय पर मदद या िहयोग समिना चासहये था. दीपक बताते है् एचिीयू मे् जनजासत अत्याचार सनरोधक िेि नही्है इिसिये इनकी एक मांग एचिीयू मे्ऐिे ही सकिी प्​्भावी िेि

हैिराबाि के्द्ीय दवश्​्दवद्​्ालय: असहज शांदत के तुरतं गठन की भी है. सवश्स्वद्​्ािय के बहुत िे छात्​्ो्का मानना है अगर जनजासत अत्याचार सनरोधक िेि होता और वो प्​्भावी तरीके िे काम करता तो रोसहत जैिे मामिे नही् होते. रोसहत के िाथ ही सनष्कासित हुए पांच छात्​्ो्मे् िे एक सवजय भी कहते है् दसित छात्​्ो्के िाथ होने वािे जासतगत भेदभाव के मामिो्की तुरंत िुनवायी के सिये सवश्​्सवद्​्ाियो् मे् अिग िे कोई प्​्शािसनक ढ़्ांचा होना चासहए. 2008 के बाद िे रोसहत तक आठ दसित छात्​्ो् ने आत्महत्या की और उन आत्महत्याओ् के कारणो्मे्िे एक वजह उनकी िैिोसशप के पैिे रोक सदया जाना था. यहां ये सजक्​् जर्री है सक 2013 मे् हैदराबाद सवश्​्सवद्​्ािय के सवसभन्न कॉिेजो्मे् एक िाि की अवसध मे्नौ छात्​्ो्की आत्महत्या की खबर पर आन्ध् प्​्देश उच्​् न्यायािय ने िंज्ान िेते हुए सवश्​्सवद्​्ाियो् मे् प्​्शािसनक और िुरक्​्ा के उपाय सकए जाने का सनद्​्ेश सदया था, सजिके तहत काउंसिसिंग िेट् र बनाने के भी सनद्श ्े थे और इि िंदभ्ामे्क्या सकया गया राज्य िरकार, सवश्​्सवद्​्ाियो् और यूजीिी को चार सदन के भीतर उच्​्न्यायािय को यह जानकारी देने का भी सनद्​्ेश सदया. िेसकन सवश्​्सवद्​्ािय और यूजीिी कोई भी इि सनद्श ्े को िेकर गंभीर

नही्हुआ. दीपक बताते है्रोसहत की मौत ने इन छात्​्ो् की तकिीिो्को पूरे देश के िामने रखा जबसक ऐिे ही कारणो्िे पहिे भी आत्महत्याएं हुई थी्. रोसहत के िाथ सनष्कासित चार छात्​्ो्मे्िे अब एक की पीएचडी पूरी हो गयी है. उनके हॉस्टि जाने और रहने पर िगा प्​्सतबंध हट गया गया है और िेिोसशप के पैिे भी समिने शुर्हो गये है्यही्अगर पहिे हुआ होता तो रोसहत की जान नही् जाती. एचिीयू िे ही सथयेटर आर्ि्ा मे् पीएचडी कर रहे शेख जोश बशीर जो एिएिआई िे भी जुड्े है् कहते है्, आज जो जेएनयू मे्हो रहा है रोसहत का मामिा भी पहिे यही था. रोसहत बदिाव के सिये िड्ाई कर रहा था, सवश्​्द्ािय प्​्शािन ने उिे और उिके दोस्​्ो् को एक सिल्म मुज्फ्िरनगर अभी बाकी है के प्​्दश्ान का िमथ्ान और याकूब मेमन की िांिी का सवरोध करने के सिये सनिंसबत सकया था, उिके इि िोच को राष्​्सवरोधी कहा गया था हािांसक उिपर देशद्​्ोह का मामिा अभी नही्चिाया गया था, रोसहत ने आत्महत्या कर िी तो उिके दसित होने अंबेडकर स्टुडे्र्ि एिोसिएशन िे जुड्े होने की बाते िामने आयी. हकीकत ये है सक रोसहत और उिके दोस्​्ो्को प्​्तास्डत करने की शुर्आत भी उनकी असभव्यब्कत की आजादी और सवरोध के असधकार के दमन के िाथ हुई, जेएनयू मे्बाद मे्जो हुआ या अभी हो रहा है ये एचिीयू मे्जो हुआ उिी का सवस्​्ार है. शेख जोश बशीर बताते है्जेएनयू मे्उमर खासिद के प्​्करण के बाद बहुत िे िोग उन्हे् अपनी दाढ़्ी हटा देने की ि​िाह देते है् उन्हे् िगता है कही् दाढ़्ी और अपने पहनावे के कारण मुझे भी देशद्​्ोही ना िमझ सिया जाए. यकीनन ये बहुत भयावह िमय है, एचिीयू के दो मुि​िमान छ़ात्​् िंगठन और िाथ मे् ईिाई िमुदाय के छात्​् भी जो अभी सकिी छात्​् राजनीसतक िंगठन के तौर औपचासरक र्प िे िंगसठत नही्है वो भी इिी डर िे ज्वाई्ट एक्शन कसमटी िॉर िोशि जब्सटि के िाथ समिकर रोसहत की िड्ाई िड् रहे है् उन्हे् मािूम चि गया है सक दसितो्, सपछड्ो् और अल्पिंख्यको् िभी की िड्ाई एक ही है और उनके मि​िे भी एक ही है्. रोसहत सजि आन्ध् प्​्देश का है वहां का प्​्शािन उिके पसरवार के िोगो् पर सनगरानी रखने, रोसहत की दसित पहचान को खासरज करने िे ज्यादा कुछ नही् कर रहा जबसक तेिंगाना के ित्​्ाधारी दि टीआरएि को केन्द् की राजनीसत मे् कोई परेशानी नही् चासहये इिसिये एचिीयू का मामिा उिके सिये उिका n है ही नही्. शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 15


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स्मृदत ईरानी और नरे्द्मोिी: अच्छे संबंधो्का सवाल

सुरख ् य ्ि ो् की सरदार

लशक्​्ा संस्थानो्मे्खलबली मराने के कारण स्मृलत ईरानी लिर से लववादो्मे्है्, हालांलक लबना लकसी खास मुद्े के सुल्खषयो्मे्छाये रहना उनका जाना-पहराना शगल है. वववेक सक्सने ा

हज कुछ सदन हुए जब देश के िबिे तेज चैनि होने का दावा करने वािे आजतक के पत्​्कार अशोक सिंघि ने एक प्​्ायोसजत काय्क ा म् मे् क्द् ्ीय मानव िंिाधन मंत्ी स्मसृ त ईरानी िे पूछा, 'मैडम आप िबिे कम उम्​्की मंत्ी है्. आपको एचआरडी िरीखा बड्ा पोट्ि ा ोसियो सदया गया. आपकी सडग्​्ी को िेकर भी सववाद चि रहा है सक आप ग्​्ेजुएट है् या अंडर ग्ज ्े एु ट. आसखर नरेद् ्मोदी ने आप मे्ऐिी क्या खूबी देखी? यह िुनते ही वे सबिर उठी्. उन्हो्ने दश्क ा ो्की ओर मुखासतब होते हुए कहा सक अशोक जी मुझिे पूछ रहे है् सक मोदी को आप मे्क्या खूबी नजर आयी, आप िोग िमझ गये ना. बि, हंगामा शुर्हो गया. एंकर ि​िायी 16 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

देता रह गया िेसकन िोशि मीसडया पर इि सिंगभेदी सटप्पणी को िेकर चच्ा​ा शुर्हो गयी. िंिद के बजट ित्​् के दौरान कांग्ेि महािसचव सदब्गवजय सिंह ने राज्यिभा मे् यह प्​्श्न उठाया था सक क्या प्​्धानमंत्ी बताये् सक स्मसृ त ईरानी की सशक्​्ा क्या है? सजि मंत्ािय के प्​्भारी कभी मुरिी मनोहर जोशी िरीखे सवद्​्ान नेता रहे हो् जो सक िबिे कम उम्​् मे् इिाहाबाद सवश्स्वद्​्ािय के प्​्ाध्यापक बन गये थे, उनकी जगह स्मसृ त ईरानी को मानव िंिाधन मंत्ी बनाये जाने की क्या वजह रही? इिके पहिे अिम के कांग्ेिी नेता व पूव्ा कृसष मंत्ी सिमोनी िेन डेका ने उन्हे्नरेद् ्मोदी की दूिरी पत्नी कहा था. राम माधव ने उनके बयान को शम्ानाक बताया और अब उनके सखिाि मानहासन का मुकदमा दायर करने की तैयारी चि रही है. कांगि ्े नेता व मुबं ई प्द् श े अध्यक्​् िंजय सनर्पम ने एबीपी के एक काय्क ा म् मे्उन्हे् ठुमके िगाने वािी कहकर िंबोसधत सकया और हाि ही मे्रोसहत वेमि ु ा व जेएनयू को प्क ् रण के बाद दुगा्ा के बारे मे्बांटे गये परचे को िंिद मे् पढ़्े जाने के बाद उनके सखिाि सवशेषासधकार हनन का प्​्स्ाव िाने तक की नौबत आ गयी. वह कौन िी बात है जो ईरानी को हर वक्त िुसख ् या ो्मे्बनाये रखती है.

सदल्िी मे् 23 माच्ा 1976 को एक मध्यमवग्​्ीय पसरवार मे्जन्मी्40 वष्​्ीय स्मसृ त ईरानी के सपता अजय मल्होत्​्ा पंजाबी व मां सशवानी बंगािी है.् उनकी प्​्ारंसभक सशक्​्ा होिी चाइल्ड आक्जीसियम स्कूि मे् हुई् जहां कुछ माह पहिे चंद हजार र्पये की चोरी हो जाने के कारण वे खुद वहां जांच पड्ताि के सिए पहुच ं गयी थी्. उन्हे्बचपन िे ही कुछ कर सदखाने का शौक था इिसिये समि इंसडया बनने की कोसशश की िेसकन वह अंसतम पांच तक पहुंचने मे् नाकाम रही्. इिके बाद उन्हो्ने मुंबई का र्ख सकया. उन्हो्ने अपने सपता िे एक िाख र्पये उधार सिये व उिे चुकाने के सिये मैकडॉनल्डि ् के रेसर् ां मे्काम सकया. िंघष्ा के इि दौर मे् वह मुंबई मे् अपनी दोस्​्के यहां रही्जो शादीशुदा थी. सकवदंती है सक दोस्​् के घर मे् रहते हुए वह उिके पसत जुबीन ईरानी के करीब आ गयी् और उन्हो्ने िहेिी का घर उजाड्कर अपना घर बिा सिया. हािांसक उनके करीसबयो् की माने् तो जुबीन उनके बचपन के दोस्​्है.् उनकी मां और जुबीन की मां पुरानी िहेसियां थी्. जुबीन पारिी व्यापारी है्. मुंबई मे् उन्हो्ने मीका सिंह के एिबम 'िावन मे् िग गयी आग' के एक गीत मे्भी काम सकया. उन्हो्ने कई टीवी धारावासहको्


मे्काम सकया िेसकन उनको अि​िी चच्ा​ा समिी 'क्यो्सक िाि भी कभी बहू थी' मे्सनभाये तुि​िी वीरानी के सकरदार िे. मुंबई मे् ही वह राजनीसतक रत्न पारखी प्म् ोद महाजन के िंपक्ि मे्आयी्. वह उन्हे्भाजपा मे्िे आये और 2003 मे्उनको भाजपा की युवा इकाई का अध्यक्​्बना सदया. उनकी प्स्तभा को देखते हुए उनको 2004 मे् चांदनी चौक मे् कसपि सिल्बि के िमक्​् चुनाव मे्उतार सदया गया. हािांसक वे हार गयी्. वे अपनी हार िे इतनी बौखिा गयी्सक उन्हो्ने इिके सिये गुजरात के तत्कािीन मुखय् मंत्ी नरेद् ् मोदी को सजम्मदे ार ठहराते हुए उनके इस्​्ीिे की मांग की और आमरण अनशन पर बैठ गयी्. पाट्​्ी आिाकमान की नाराजगी के बाद उन्हो्ने बयान वापि सिया और अनशन खत्म सकया. इि दौरान वह िािकृषण ् आडवाणी के करीब आ गयी्. पहिे राष्​्ीय िसचव और सिर मसहिा मोच्ा​ा की अध्यक्​्भी बनी्. आडवाणी ने अपने घर पर उनकी और मोदी की समत्​्ता करवायी और मोदी उनिे इतने असधक प्भ् ासवत हुए सक अगस्​्2011 मे्उनको राज्यिभा मे्भेज सदया. उनकी प्​्सतभा का मूल्यांकन करते हुए उन्हो्ने उन्हे् राहुि गांधी के सखिाि अमेठी िे सटकट सदिवाया. चुनाव प्च ् ार के दौरान उनको अपनी छोटी बहन बताया. स्मसृ त ईरानी ने कािी मेहनत की िेसकन वह एक िाख िे असधक मतो् िे हार गयी्. मोदी ने चुनावी हार के बावजूद उन्हे् कैसबनेट मंत्ी बनाया. वह उनके मंस्तमंडि की िबिे युवा मंत्ी है् िेसकन उन्हे् वह मंत्ािय सदया गया जो कभी मौिाना आजाद, हुमायूं कबीर, पीवी नरसिम्हा राव, अज्नाु सिंह, मुरिी मनोहर जोशी और कसपि सिल्बि के पाि था. उन्हो्ने पद िंभािा ही था सक सवरोसधयो्के तनबदन मे आग िग गयी. वैिे यह कह पाना मुब्शकि है सक पाट्​्ी के भीतर उनके सवरोधी ज्यादा है् या सवपक्​्मे.् उनकी सशक्​्ा को िेकर नये-नये खुिािे होने िगे. तमाम दस्​्ावेज िाव्ाजसनक सकये जाने िगे. 2004 मे् चुनाव

रघुनाथ दशवगांवकर: असहमदत मे्इस्​्ीफा िड्ते िमय सदये गये हि​िनामे मे् उन्हो्ने अपनी सशक्​्ा बताते हुए कहा था सक उन्हो्ने 1996 मे् पत्​्ाचार िे बीए सकया था, जबसक 2014 मे् नामांकन भरते िमय अपनी सशक्​्ा बी.काम पाट्ा वन बतायी. सिर कहा गया सक उन्हो्ने अमेसरका की येि युनीवस्िटा ी िे सडग्​्ी िे रखी है. बाद मे्खुिािा हुआ सक सजिे वे सडग्​्ी बता रही थी वह तो छह िप्ताह की काय्श ा िा का प्​्माणपत्​् था सजिमे् सहस्िा िेने के सिये भारतीय िांिद गये थे. हािांसक इि बारे मे्पूछे जाने पर वह कहती है्सक मेरी िबिे बड्ी सशक्​्ा मेरी सजंदगी है. उनके सवरोधी कहते है् सक इि​िे बड्ा मजाक और क्या हो िकता है सक जो व्यब्कत स्नातक भी न हो वह 40 क्द् ्ीय सवश्स्वद्​्ाियो् के उपकुिपसत, 16 आईआईटी, 13 आइआइएम व 30 राष्​्ीय सशक्​्ा िंस्थानो् के प्​्मुखो् व उनका पाठ्क ् म् तय करेगा. मधु सकश्र् उनके बारे मे्कहती है्सक उनकी िबिे बड्ी खूबी यह है सक वे सबना कुछ िंदेश सदये या तथ्यात्मक बात कहे घंटो्बोि िकती है.् वे खुद को सकिी िे कम नही्मानती है्और उन्हे्िुसख ् या ो्मे्बने रहना बहुत अच्छा िगता है. जब भाजपा की राष्​्ीय काय्क ा ासरणी की बैठक चि रही थी तो वे शासपंग करने गोवा के िैब इंसडया शो र्म मे् संसि मे्स्मृदत ईरानी: रौद्​्मुद्ा

पहुच ं गयी्. वहां उन्हो्ने पाया सक ट्​्ायि र्म मे् तो कैमरे िगे हुए है.् बि सिर तो हंगामा होना स्वाभासवक था. काय्ाकासरणी की कवरेज तो नेपथ्य मे्चिी गयी और स्मसृ त ईरानी िारा सदन चैनिो् पर छायी रही्. वह िंिद मे् खुद को अल्पिंखय् क पारिी बताती है्जबसक बायोडाटा मे्सहंदू बताती है.् कुछ िोगो् का दावा है सक उन्हे् िंघ का एजेड ् ा िागू करने के सिए वहां बैठाया गया है. इिमे्कुछ िच्​्ाई भी नजर आती है. िबिे पहिे उन्हो्ने सवश्​्ाम जामदार को सवश्​्ेश्रैया इंसट् ीट्ट्ू ऑि टेकन् ािॉजी का अध्यक्​्सनयुकत् सकया. वे नागपुर के बहुत करीबी है्. अटि सबहारी वाजपेयी के जन्मसदन 25 सदिंबर को जब स्​्किमि भी होता है िभी क्द् ्ीय स्कि ू ो्मे् िुशािन सदवि मनाया. अब िभी सवश्स्वद्​्ाियो्मे्सतरंगा झंडा िहराने के आदेश सदये है.् बिदेव शम्ा​ा की नेशनि बुक ट्स् ट् का अध्यक्​् बनाया है तो प्​्ोि​िर वाई िुदश्ना राव को इंसडयन काउंसि​ि ऑि सहस्टोसरकि सरिच्ा की सजम्मदे ारी िौ्पी है. सशक्​्क सदवि को गुर् उत्िव घोसषत कर इि मौके पर प्​्धानमंत्ी िे बच्​्ो् की बात करवाने की िोच उनकी ही थी. उनके काम काज के तरीके िे परेशान होकर उनके अपने मंत्ािय के तमाम आिा अि​िरो् ने अपने तबादिे करवा सिये. वे सवश्​्सवद्​्ािय के उपकुिपसतयो्को िटकार िगा देती है.् गृहमंत्ी राजनाथ सिंह तक के आने पर वे खड्ी नही्होती है्. भाजपा िांिदो् का आरोप है सक वह उन्हे् आिानी िे समिने का िमय नही्देती है.् उन्हो्ने आईआईटी की कैट् ीनो् मे् मांिाहारी भोजन बंद करवा सदया. आईआईटी सदल्िी के डायरेक्टर रघुनाथ सशवगांवकर ने अपने पद िे इस्​्ीिा दे सदया तो असनि काकोदकर ने मुबं ई आईआईटी िे अिग हो जाने की धमकी दे डािी. क्​्द्ीय सवद्​्ािय िे जम्ान को तीिरी भाषा के र्प मे् हटाने के सिये असभयान छेड्सदया. कुछ िोग कहते है् सक वे तकदीर की सिकंदर है.् उनका ज्योसतष मे्बहुत सवश्​्ाि है. िोकिभा चुनाव िडऩे के पहिे भीिवाड्ा के चस्चता ज्योसतषी पंसडत नाथूिाि व्याि ने उनके मंत्ी बनने की भसवष्वाणी की थी. वे चुनाव हार गयी्सिर भी मंत्ी बनी्. चुनाव जीतने के बाद वे जब दोबारा अपने पसत के िाथ उन्हे्हाथ सदखाने गयी्. तो उन्हो्ने उनके राष्प् सत बनने का ऐिान कर सदया. पूवा्राष्प् सत, प्स्तभा पासटि व अमर सिंह भी इन पर कािी सवश्​्ाि करते आये है.् वैिे भी वह तो प्​्धानमंत्ी की छोटी बहन है् हािांसक जब रक्​्ाबंधन पर नजमा हैपतुल्िा, प्ध ् ानमंत्ी को राखी बांधने गयी्तो सकिी ने धीरे िे पूछा सक आज छोटी बहन कही्नजर नही्आ रही है. n शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 17


आवरण कथा

दबहार मे्युवा आंिोलन का नेतृत्व करते जयप्​्काश नारायण: इदतहास की बड्ी करवट

युवा शक्ति और इतिहास के मोड् अर्ण कुमार व्​्िपाठी

वाहरिाि नेहर् सवश्​्सवद्​्ािय (जनेसव) के छात्​् िंघ अध्यक्​् कन्हैया कुमार और अन्य छात्​्ो् पर देशद्​्ोह का आरोप व उनकी सगरफ्तारी के िाथ उठे सववाद और आंदोिन ने 1967 के छात्​् युवा आंदोिन, नक्ि​ि आंदोिन, 1974 के जेपी आंदोिन, अिम आंदोिन, 1989 के वीपी आंदोिन, नम्​्िदा आंदोिन और 2011 के अन्ना हजारे आंदोिन की यादे्ताजा कर दी है्. जब भी छात्​् युवा आंदोिन खड्ा होता है तो अक्िर यह पंब्कतयां याद की जाती है्, 'िंघष्​्ो्के िाये मे्ही अि​िी आजादी पिती है, इसतहाि उधर मुड् जाता है सजि ओर जवानी चिती है.' इि नारे के िाथ आंदोिन कुछ िमय तक चिता भी है.

18 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

उिी के िाथ ही ऐिे गीत भी आते है्. 'जयप्​्काश का सबगुि बजा तो जाग उठी तर्णाई है, सतिक िगाने तुम्हे् जवानो् क्​्ांसत द्​्ार पर आई है.' जयप्क ् ाश की जगह पर ऐिे सकिी नेता का नाम आ िकता है जो उि आंदोिन का नेतृत्व कर रहा हो. अिग-अिग िमय पर खड्े हुए इि देश के छात्​् युवा आंदोिनो् का नेतृत्व अिग-अिग िंगठनो्और नेताओ्के हाथो्मे् रहा है और उनके तात्कासिक उद्श्े य् भी अिगअिग रहे है.् इिके बावजूद उनके आंदोिन का िबिे बेहतर र्प तब सदखाई पड्ता है जब वे व्यवस्था पसरवत्ना की मांग करते है.् अपने चरम पर पहुंच कर हर छात्​्युवा आंदोिन व्यवस्था मे् आमूिचूि पसरवत्ान की मांग करता है और यही बात हर आंदोिन को सपछिे िे जोड्ती है.

युवाओ्के शानदार पलरवत्नष कारी संघर्षइलतहास की लदशा बदलने की कोिशश करते रहे है,् लेलकन लविंबना यह है लक इलतहास ज्यादातर लकसी दूसरी लदशा मे् मुड्जाता है. िेसकन सवडंबना यह है सक छात्​् युवा शब्कत इसतहाि को जो मोड्देना चाहती है, इसतहाि या तो उिके अिावा सकिी और सदशा मे्मुड्जाता है या सिर छात्​् युवा आंदोिन की मांग तात्कासिक मुद्ो् पर सिमट कर ऐिे िमझौते करती है सजिकी बेदी पर िंपूण्ा क्​्ांसतकासरता नतमस्​्क हो जाती है. व्यवस्था की पोषक यथाब्सथसतवादी ताकतो् का प्​्याि होता है सक वे पूरे आंदोिन के िामने ऐिा चक्​्व्यूह रचे् सक वह बेहद स्वाथ्​्ी और सनजी आजादी की मांगो्तक सिमट जाये. कुि समिाकर आसखर मे् यही बचता है सक युवाओ् पर िगे मुकदमे वापि हो्, उन्हे् जेि िे सरहा सकया जाये और उनका सनष्कािन रद्​् करके दासखिा बहाि हो और उनकी छात्​्वृस्त सिर िे चािू की जाये. इिके बावजूद इि बात िे


इनकार नही्सकया जा िकता सक छात्​्युवाओ् वहां के उग्​्वाद का परोक्​् या प्​्त्यक्​् र्प िे का हर आंदोिन व्यवस्था को कुछ नयी िीख, िमथ्ान करते है्. जवाहर िाि नेहर् नयी राजनीसतक ऊज्ा​ा और नए राजनीसतक सवश्​्सवद्​्ािय चूंसक िोच और सवमश्ा के स्​्र िमीकरण देकर जाता है. ये व्यवस्था मे् मे्देश के तमाम सवश्​्सवद्​्ाियो्िे मीिो्आगे िकारात्मक बदिाव भी िा िकते है् या उिे है और अगर कहा जाये सक वह इि जमाने िे भी आगे है इिसिये वह उन तमाम िोगो् की प्​्सतगामी भी बना िकते है्. यही वजह है सक कोई प्​्गसतशीि आंदोिन आंख की सकरसकरी है जो िमाज को आगे नही् कब प्​्सतस्​्कयावादी बन जाये कहा नही् जा पीछे िे जाना चाहते है्. इिके बावजूद अगर िकता है. न ही इि बात की गारंटी िी जा जनेसव के आंदोिन के दौरान सनकिे इि नारे िकती है सक प्​्गसतशीि और क्​्ांसतकारी पर गौर सकया जाये- कामरेड कन्हैया को िाि आंदोिन को व्यवस्था एक प्​्सतगामी आंदोिन ि​िाम, जय भीम- तो यह सनष्कष्ासनकािा जा िकता है सक इि देश का वामपंथी आंदोिन मे्नही्बदि देगी. यह खतरा पहिे भी रहा है और जनेसव के अपने िाथ आंबेडकरवादी दसित आंदोिन को छात्​्आंदोिन मे्भी है. आज िे 30 िाि पहिे जोडऩा चाहता है. भिे ही चूक या िासजश के इि स्भ्ं कार ने िखनऊ सवश्स्वद्​्ािय मे्एक तहत इिमे् अिगाववादी घुि गये. यह पच्ा​ा सिखा था- सशक्​्क छात्​् आंदोिनो् का िंश्िेषण का वही प्​्याि है जो कभी नेतृत्व करे्. वह पच्ा​ा िोगो् को बहुत पिंद ित्यशोधक िमाज के शरद पासटि ने करने की आया. िेसकन सकिी भी सशक्​्क ने आगे बढ़्कर कोसशश की थी या मंडि आयोग की रपट िागू न तो छात्​्ो् िे िंवाद कायम सकया और न ही होने के बाद देश के तमाम नक्ि​ि आंदोिनो्ने छात्​्ो् ने उि परचे की बात को बढ़्ाने मे् र्सच करना चाहा था. सदक्​्त यह है सक यही काम िंघ पसरवार सदखायी िेसकन सपछिे एक महीने िे जनेसव मे् जो कुछ हो रहा है वह िचमुच सशक्​्को् के के सहंदवू ादी िंगठन भी कर रहे है.् इिसिये आने नेतृत्व मे्होने वाि छात्​्युवा आंदोिन है. पूरा वािे िमय मे् यह खी्चतान प्​्बि होगी और जनेसव अपनी असभव्यब्कत की आजादी , टकराव बढ़्े्गे. अंबेडकर का सहंदूकरण 80 के िोकतांस्तक असधकार और एक सवश्​्सवद्​्ािय दशक िे ही चि रहा है और ित्​्ा मे् आने के की स्वायत्​्ता के िवाि पर खड्ा हो गया है बाद सहंदूवादी िंगठन उि काम मे्और तेजी िे और अनुदार राष्​्वाद मे् यकीन करने वािी िग गये है.् अब देखना है सक क्या ित्​्ा िे बाहर क्​्द् िरकार अपनी पुसि​ि और सहंदूवादी बैठी कांग्ेि और कम्युसनस्ट रोसहत वेमुिा की िंगठनो् की ताकत िे उिे सनयंस्तत करने की आत्महत्या और कन्हयै ा कुमार की सगरफ्तारी के कोसशश कर रही है. इि दौरान राष्​्वाद के बहाने दसितो् को रेसडकि और िेक्यूिर बना स्वर्प पर बेहद उच्​्स्रीय और घसटया स्​्र िक्​्गे. भारत के छात्​् युवा आंदोिन की िबिे की बहिे् भी हो रही है्. यह िही है सक क्​्द् िरकार ने राजद्​्ोह जैिी गंभीर धारा का प्​्योग बड्ी िमस्या यह है सक उनके िोकतांस्तक और कर राजनीसतक अिसहष्णुता का प्​्योग सकया है जनवादी सवचार अक्िर जासत और धम्ाकी खाई िेसकन उिी के िाथ यह भी िही है सक कश्मीर मे्सगरकर अपनी पहचान खो देते है्. यह मानते ् ार की वग्​्ीय घाटी के बाहर अिजि गुर्की शहादत मनाने हुए सक यहां की जासतयो्मे्एक प्क वािे कश्मीर के आत्मसनण्ाय के असधकार और िंरचना सवद्​्मान है, उनकी अब्समताये् और पद्​्िम बंगाल मे्नि्सल बाड्ी स्टेशन: वसंत गज्ाना का स्थल

सिर धम्ा की राष्​्ीय और अंतरराष्​्ीय िंकीण्ाताये् जासत तोडऩे के आंदोिनो् को जासतवादी और िांप्दासयक बनाकर छोड् देती है्. यही वजह है सक जेपी आंदोिन के बाद जनिंघ ज्यादा ताकतवर होकर उभरता है िोकदि और जनता पाट्​्ी जासतवादी हो जाती है. अिम आंदोिन के बाद वहां िंघ मजबूत होता है, वीपी सिंह के भ्​्ष्ाचार सवरोधी आंदोिन के बाद खड्ेहुए मंडि आंदोिन की काट के सिये अयोध्या आंदोिन खड्ा होता है और बाबरी मब्सजद सगरायी जाती है. देश दोबारा िांप्दासयक सहंिा मे् जि उठता है. उिके बाद भिे देश मे्धम्ासनरपेक्ता की गोिबंदी होती है िेसकन अटि सबहारी वाजपेयी का उदार चेहरा िेकर सहंदूवादी िंगठन भाजपा िरकार बना िेती है. िाि 2011 मे् भ्​्ष्ाचार के सवर्द् अन्ना हजारे का आंदोिन खड्ा होने पर यह पद्ा​ा पूरी तरह हट गया. इिके प्​्भाव मे्जहां कांग्ेिनीत िंप्ग िरकार का पतन हुआ और तकरीबन दो दशक बाद ित्​्ा पर जबरदस्​्पकड्रखने का गुर जानने वािे एक क्​्ेत्ीय नेता के नाम पर सकिी दि को राष्​्ीय बहुमत समि गया. दुभा्गा य् देसखये सक यह बहुमत उि दि को समिता है सजिकी सवचारधारा भारतीय िोकतंत् और िंसवधान के िाथ िहज नही्है. ऐिे मे्छात्​्युवा आंदोिन के तीन िूत्ो्पर गौर करना जर्री है. एक तो हर छात्​् युवा आंदोिन का एक सिरा देश की प्​्गसतशीि ताकतो्िे जुड्ा होता है क्यो्सक इि आंदोिन मे् कुछ न कुछ क्​्ांसतकारी और अन्याय सवरोधी बाते् होती है्. इिी के िाथ इिका दूिरा सिरा सकिी न सकिी अंतरराष्​्ीय आंदोिन िे भी जुड्ा होता है और उिे उि​िे प्​्ेरणा और ताकत समिती है. जबसक छात्​् युवा आंदोिन का तीिरा सिरा सकिी प्स्तस्​्कयावादी ताकत के हाथ मे् होता है और वह या तो उि आंदोिन को बदनाम करके िमाप्त करना चाहती है और अगर नही्कर िकती तो उिके भीतर घुिकर उिके चसरत्​् को बदिने का प्​्याि करती है. अगर यह काम भी पूरी तरह िे नही्हो पाता तो आंदोिन का िाभ उठाकर प्​्सतस्​्कयावादी ताकते्अपने को मजबूत कर िेती है्. िोगो्को याद होगा सक अन्ना आंदोिन के दौरान छात्​्ो् और युवाओ् की बड्ी शब्कत शासमि थी. उिमे् जनेसव के आइिा के छात्​् नेता भी शासमि थे. तब नारे िगते थे- िरकारी िोकपाि धोखा है, देश को बदिो मौका है, अन्ना नही्यह आंधी है, देश का दूिरा गांधी है, िेसकन उि आंदोिन िे अन्ना हजारे उिी तरह बाहर हो गये सजि तरह जेपी आंदोिन िे जयप्​्काश नारायण बाहर हुए थे. क्यो्सक उि आंदोिन के पीछे िंघ की ताकत भी िगी थी शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 19


आवरण कथा

असम मे्गण संग्ाम पदररि का आंिोलन:युवाशक्ित का उद्घाेर और उि पर बाबा रामदेव भी कल्जा करना राजीव गांधी िरकार के िाथ एक िमझौता चाहते थे. जेपी के िमय भी नारे िगते थे- िंपण ू ा् हुआ िेसकन शरणास्थया ो्को पहचानने और उन्हे् क्​्ांसत अब नारा है, भावी इसतहाि तुम्हारा है. बांग्िादेश भेजने की िमस्या जि की ति है. भ्​्ष्ाचार समटाना है, नया सबहार बनाना है. िच नम्ादा आंदोिन, आईआईटी बंबई, टाटा कहना अगर बगावत है, तो िमझो हम भी बागी इंस्टीट्​्ूट आि िोशि िाइंिेज व ग्​्ामीण है्. सिंहािन खािी करो सक जनता आती है. प्​्बंधन िंस्थान आणंद के छात्​्ो् व एल्यूसमनाई िेसकन कांग्ेि के सिंहािन खािी करने के नेतृत्व मे्हुआ. िेसकन िरदार िरोवर बांध के बाद उि पर जनता के बजाय सवपक्​्ी नम्ािा आंिोलन कवश्​्बै्ि िी दिो् के नेता कासबज हो गये और उन्हो्ने जेपी योजनाओ्िे कवर्द्मूल के िपनो्को भुिा सदया. जेपी को िगा था सक वे माओ की तरह एक प्​्कार की िांस्कृसतक कनवाकियो्िे पय्ा​ावरण आंिोलन क्​्ासं त करने जा रहे है्और इिीसिए उन्हो्ने छात्​्ो् िे प्​्ेकरत था, जो उिारीिरण िे और युवाओ् को सवश्​्सवद्​्ाियो् िे बाहर तेज होने िे िाथ तेज हुआ. सनकिने का आह्​्ान भी सकया और उनके आह्​्ान पर तमाम युवाओ् ने अपनी पढ़्ाई र्कने के बजाय िगातार ऊंचा होता जा रहा है. सिखाई छोड् दी. िेसकन जेपी ने राष्​्ीय स्वयं आंदोिन ने सवस्थासपतो्के मुआवजे भिे बेहतर िेवक िंघ को राष्व् ादी बताकर उन्हे्जो वैधता करवा सदये हो् िेसकन वह राजनीसतक और और ताकत दी वह उनकी पूरी िंपूण्ाक्​्ांसत पर कानूनी िड्ायी दोनो् हार गया. इिी तरह भारी पड्ा. नक्ि​ि आंदोिन जो सक िाठ के दशक मे्विंत इि तरह का आह्​्ान नक्ि​ि आंदोिन मे् के वज्​्नाद के र्प मे् शुर् हुआ और उिका हुआ, अिम आंदोिन मे्हुआ , नम्दा ा आंदोिन आरंसभक चसरत्​् शहरी था, बाद मे् जंगि के मे्हुआ और बाद मे्अन्ना आंदोिन मे्भी हुआ. आसदवासियो् और दसितो् तक सिमट कर रह िेसकन इन तमाम आंदोिनो् मे् सकिी गया. आज उिका शहरी चसरत्​्एकदम िमाप्त िोकतांस्तक या िमाजवादी काय्ाक्म के छिे हो चुका है और यही कारण है सक शहर मे् जाने और आंदोिन को हड्प सिये जाने का उिका िमथ्ान करने वािे आिानी िे सचब्हनत उदाहरण भी िामने है. सदल्िी राज्य मे् आम हो जाते है् और देशद्​्ोह के आरोप मे् धर सिए आदमी पाट्​्ी की िरकार जर्र बन गयी िेसकन जाते है्. क्​्द्ीय स्​्र पर जनिोकपाि आज तक नही् यह भी िच है सक जब भी दुसनया मे् छात्​् बना. जबसक वह सबि िंिद िे पाि हो चुका है. युवाओ् का आंदोिन होता है तो दुसनया की इिी तरह अिम आंदोिन के बाद क्​्द् की राजनीसतक प्​्णािी मे् या तो कोई बड्ी करवट 20 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

हो रही होती है या उि आंदोिन के कारण राजनीसतक प्​्णािी करवट िेती है. इिसिए छात्​्युवा आंदोिन के प्स्त एकदम नकारात्मक नजसरया अपनाना और उिके योगदान को सबल्कुि कम करके आकना भी ठीक नही्है. अगर िाठ का दशक पूरी दुसनया मे्गरीबी, बेरोजगारी और मंदी का दौर था और फ्ा्ंि िे िेकर अमेसरका, चीन व भारत मे् युवाओ् मे् जबरदस्​् अिंतोष था और वह अिंतोष कही् सवयतनाम युद्के सवरोध के र्प मे्िूट रहा था तो चीन मे् िांस्कृसतक क्​्ांसत हो रही थी. जेपी आंदोिन उिी अिंतोष का सवस्​्ार था. अगर 1989 का िमय सवश्​्नाथ प्​्ताप सिंह के िाथ खड्े हुए भ्​्ष्ाचार सवरोधी आंदोिनका िमय था, सजिने कांग्ेि की चूिे् सहिाकर रख दी् और सिर उिे कभी बहुमत प्​्ाप्त नही् हुआ तो वह िमय िोसवयत िंघ के सवघटन और सथयेनआनमन चौक पर हुए छात्​्आंदोिन का भी था. इिी तरह नम्दा ा आंदोिन भी पूरी दुसनया मे् सवश्ब् क ै् प्स्ेरत और पोसषत योजनाओ्के सवर्द् मूि सनवासियो्के पय्ा​ावरण आंदोिन िे प्​्ेसरत था. जो उदारीकरण के तेज होने के िाथ तेज हुआ और उदारीकरण के ताकतवर होने के िाथ परासजत भी हुआ. अन्ना आंदोिन का दौर भी ट्न्ू ीसशया, समस्,् यमन और िीसरया मे्युवाओ् के आंदोिन का दौर था और उिी िमय वाि स्ट्ीट पर कल्जा करने का आंदोिन जोर पकड् रहा था. हमे् यह नही् भूिना चासहये सक यह उदारीकरण के सवि​ि होने और मंदी के छाने का दौर था. इि सि​िसि​िे मे् यही कहा जा िकता है सक जनेसव का यह आंदोिन जो सक िोकतांस्तक असधकारो् की सहिाजत के सिए खड्ा हुआ है अगर वह एक सवश्​्सवद्​्ािय के छात्ो्​् का प्​्सतरोध बनकर रह गया तो तानाशाही का सवरोध करने वािे असभजात वग्ाके ही दायरे मे् सिमट जायेगा. िेसकन अगर वह िचमुच कन्हैया कुमार के शल्दो्मे्भूख और बेरोजगारी िे आजादी का आंदोिन बनना चाहता है तो उिकी पसरसध बड्ी करनी होगी और जासहर िी बात है सक वह एक सवश्​्सवद्​्ािय की चारदीवारी िे बाहर जायेगी. तभी मद्​्ाि आईआईटी, हैदराबाद सवश्​्सवद्​्ािय और जनेसव के बहाने उठी जवानी की यह गसत इसतहाि को मोड्िकेगी. यानी उिे इसतहाि की अन्य ताकतो् िे हाथ समिाना होगा, अपने व्यापक िहयोगी खोजने हो्गे, सकिानो् और मजदूरो्की बांह थामनी होगी और पकडऩा होगा उन देशभक्तो् का दामन जो िंकीण्ा नही् है्. िाथ मे्यह देखना होगा सक वे ताकते्पसरवत्ान िे िासजश करने वािी या उिका मखौि उड्ाने n वािी न हो्.



अंतरराष्​्ीय

द्​्िटेन मे्इस्लामोफोदबया के दवरोध मे्प्​्िश्ान: व्यापक दचंता की अदभव्यक्ित

नफ़रत की बढ़ती इबारत

अमेलरका और यूरोप मुस्सलम लवरोधी लहर की रपेर मे्है. अमेलरकी राष्​्पलत रुनाव के संभालवत उम्मीदवार िोनाल्ि ट्​्ंप के निरत-भरे बयान और मुस्सलमो्के प्​्लत बदलता सामालजक व्यवहार इसे जालहर करते है्. अजेय कुमार

मेसरका के अरबपसत कारोबारी डोनल्ड टंप सपछिे कुछ सदनो्िे अपने मुबस् िम सवरोधी बयानो्के सिए चच्ा​ा मे्है.् ट्प्ं ने मुि​िमानो्के अमेसरका मे् प्​्वेश पर पाबंदी िगाने की बात करने के िाथ यह भी कहा सक जो मुि​िमान पहिे िे अमेसरका मे्है,् उन्हे्वे ‘मुबस् िम’ देशो् को भेजना चाहेग् .े प्​्ायः इि तरह के बयान हमे् यहां भारत मे् िंघ-पसरवार के छुटभैये नेताओ्, तथाकसथत िंतो्और िाब्धवयो्के मुख िे िुनने को समिते है् िेसकन एक बडे देश के उि नेता द्​्ारा, जो अमेसरका के राष्​्पसत पद के सिए आगामी चुनावो्मे्एक प्त्य् ाशी भी हो िकता है, इि तरह की बयानबाजी बहुत खतरनाक है. ट्प्ं के बाद सरपब्लिकन पाट्​्ी के कुछ अन्य िंभासवत प्​्त्यासशयो् मे् भी मुब्सिम-घृणा को भुनाने की प्​्वृस्त सदखाई देने िगी है. जासहर है, ऐिे वातावरण मे् जब चार िरवरी को अमेसरकी राष्​्पसत बराक ओबामा ने बाल्टीमोर मे् इस्िासमक िोिायटी की मब्सजद जाकर िाधारण मुि​िमानो्की ओर िसहष्णु रवैया अपनाने और 22 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

धास्माक स्वतंत्ता की रक्​्ा करने की बात कही और यह भी जोडा सक सिखो्को भी मुि​िमानो् की तरह सनशाना बनाया जा रहा है, तो सरपब्लिकन पाट्​्ी ने और सवशेषकर ट्प्ं ने इि पर अपनी आपस्​्त दज्ाकी. ट्प्े ने कहा सक ‘शायद ओबामा एक मुब्सिम पूजा-स्थि मे् िहज महिूि करते है्.’ यह महज िंयोग है सक अमेसरकी राष्प् सत ने अपने काय्क ा ाि मे्पहिी बार सकिी मब्सजद मे् अपने कदम रखे और भाषण सदया. एक िव्क ्े ण ् के अनुिार, आज हर पांच मे् एक अमेसरकी िोचने िगा है सक प्​्ायः मुि​िमान अमेसरका-सवरोधी गसतसवसधयो् मे् िंसिप्त है और एक सतहाई यह िोचते है् सक ओबामा इिसिए मब्सजद गये वे खुद एक मुि​िमान है्. जब ओबामा ने यह कहा सक ‘मुबस् िम धम्ापर हमिा िभी धम्​्ो्पर हमिा है’ तो इि​िे आगामी राष्​्पसत चुनाव के कारण अमेसरका मे् राष्​्वादी भावनाएं भडकाने का प्य् ाि तेज हो गया है. ट्प्ं के बाद अब स्​्िटेन मे्इंगसिश सडि्ि ् िीग के भूतपूवा्नेता टॉमी रॉसबंिन ने घोषणा की है सक वे एक अंतरराष्​्ीय दस्​्कणपंथी िमूह

‘पेसगडा’ की यूके ि्​्ाच ं खोि रहे है.् उनका उद्श्े य् कम िे कम पांच िाि तक मुि​िमानो्को स्​्िटेन मे्आने िे रोकना, नयी मब्सजदो्के सनम्ाण ा पर रोक िगाना और वत्मा ान मब्सजदो्को सवदेश िे समिने वािे िंड पर पाबंदी िगाना है. फ्ा्ि ं मे् ऐिे बयान प्​्ायः िुनने को समि रहे है्सजनमे्कुछ इि प्क ् ार है:् ‘फ्​्ाि ं मे् मुबस् िम धम्ापर पाबंदी िगाओ’, ‘िाि 2005 के धम्सा नरपेकत् ा कानून को हटाओ’, और ‘मुि​िमानो्को उन देशो्को भेजने का माश्ि ा प्िान बनाओ जहां उनके धम्ा के मानने वािे है’् . ऐिे बयान हमे् अंतरराष्​्ीय राजनीसतक पसरदृश्य मे् पहिे बहुत कम िुनाई पडते थे, िेसकन अब अचानक इनकी मानो बाढ़-िी आ गयी है. इिका मुखय् कारण आम िोगो् मे् इन बयानो् की बढ़ रही स्वीकृसत है. पूरा पस्​्िमी मीसडया ‘इस्िामोिोसबया’ के प्​्चार-प्​्िार मे् जुटा है सजि​िे िाधारण जनता खौि और डर के सशकंजे मे्िंिा महिूि कर रही है. मुबस् िम और गैर-मुबस् िम के बीच और सवदेशी और स्थानीय िोगो्के बीच शक की खाई असधक गहरी हो रही है. 13 नवंबर, 2015 को पेसरि मे्हुए आत्मघाती


डोनाल्ड ट्​्ंप: उन्माि से उम्मीि हमिे के बाद एक खबर यह भी थी सक पेसरि के एक मुबस् िम टैकि ् ी ड्​्ाइवर को तीन घंटे तक कोई िवारी नही् समिी. िंदन के एक ग्​्ुप, जो इस्िामोिोसबया को माॅनीटर करता है, के अनुिार पेसरि हमिे के बाद पूरे यूरोप मे् मुि​िमानो्के सवर्द्घृणा-अपराधो्की िंखय् ा मे् 275 प्स्तशत की वृस्द हुई है. िबिे असधक प्​्भासवत 14 िे 45 िाि की उम्​् की मुब्सिम मसहिाएं हुई है् सजन्हे् मोहल्िे की गसियो् मे् गुजरते हुए भद्​्ी गासियो् का िामना करना पड रहा है. फ्​्ाि ं के एक िमूह ‘दी किेबक् टव अगेस् ट् इस्िामोिोसबया’ के प्​्वक्ता के अनुिार, 13 नवंबर के हमिे के बाद उन्हे् हजारो् सशकायते्

समि रही है्. एक मुब्सिम मसहिा ने कहा सक शॉसपंग मॉि के बाहर जब वह खडी थी तो एक युवक ने जानबूझकर ट्​्ॉिी िे उिे चोट पहुच ं ायी. एक अन्य औरत को एक अजनबी पुरष् ने घूि ं ा मारा और वह भाग गया. अठारह नवंबर को माि्ाइा (फ्​्ाि ं ) मे्एक औरत को मैट्ो स्टश े न के बाहर एक बीि वष्​्ीय नौजवान ने आतंकवादी कह कर उिकी गद्ना पर जोर िे मारा और रेजर िे उिके एक स्न् को काट डािा. छोटी बस्​्चयो् पर भी हमिे तेज हो रहे है्. औरते् इिसिए भी असधक सशकार हो रही है्उनकी वेशभूषा िे उनके धम्ाका िाि पता चि जाता है. फ्​्ाि ं मे् सहजाब पहनने पर रोक के पीछे सदये गये िरकारी तक्​्ो् मे् एक यह भी था सक चेहरे ढकने िे वे ‘कुछ छुपा िकती है्’ और इि तरह कुछ गैर-कानूनी काय्ाकर िकती है.् जासहर है, उिके इि कदम िे गैर-मुब्सिम बहुिंख्यको् का व्यापक िमथ्ान िरकार को समिा. कई मुि​िमानो् ने अपनी बस्​्चयो् को स्कि ू भेजना बंद कर सदया है. जब भी और जहां भी आतंकवादी अपनी सघनौनी करतूतो् िे मािूम नागसरको् की हत्याएं करते है,् मुि​िमानो्के सखिाि घृणा-अपराधो् मे्तेजी िे वृस्द होती है. िन 2005 मे्िंदन मे् जब बम-सवस्िोट हुए थे, मुि​िमानो्के सवर्द् घृणा-अपराधो्मे्6 गुना वृस्द हुई थी. इिी तरह 9/11 के बाद अमेसरका मे् मुब्सिम-सवरोधी अपराधो् मे् 1600 प्​्सतशत की वृस्द हुई थी. जम्ना ी मे् मब्सजदो् पर आग के गोिे ि्क ् ने की वारदाते्बढ़ रही है.् उनकी दुकानो्पर भी हमिे हो रहे है्. एक िाधारण मुि​िमान, सजिका इस्िासमक स्टटे या अि-कायदा िे कोई िरोकार नही्है, आज यूरोप मे्अिुरस्​्कत महिूि कर रहा है. ये वे मुि​िमान है् जो अपने बाप-दादा के जमाने िे यूरोप मे्बिे हुए है.् खुदगज्ाराजनेता और प्ि ्े िाधारण यूरोपवासियो्को यह नही्बता बाल्टीमोर की मक्सजि मे्ओबामा: िेर से आयी याि

रहे सक आतंकवाद के पीछे अि​िी कारण अमेसरका और पस्​्िमी देशो् की िरकारे् है् सजन्हो्ने मध्य-पूव्ा क्​्ेत् मे् चुने हुए िोकस्​्पय धम्सा नरपेक्सनजामो्का तख्तापिट करके अपनी कठपुतिी िरकारो्को ित्​्ािीन सकया. सपछिे कई िािो्िे उनके देशो्की िरकारे् बगदाद, बिरा, रामादी, ि​िूजा, दसमश्क, राका, काबुि, स्​्तपोिी, बेनगाजी इत्यासद शहरो् पर बमबारी करती रही है् सजनमे् िाखो् िोग अपनी जाने्गवा चुके है.् पेसरि मे्129 िोगो्की मृतय् ु पर, वे क्​्ोध िे प्स्तस्​्कया व्यक्त करते है् और यह वासजब है सक वे ऐिी प्स्तस्​्कया व्यक्त करे्, िेसकन पेसरि हमिे के एक सदन पहिे, यानी 12 नवंबर को जब बेरत् मे् आतंकवादी हमिे मे्43 मािूम िोग मारे जाते है्तो कोई भी प्​्सतस्​्कया नही् होती. पस्​्िमी मीसडया ने यह खबर दी सक मरने वािे सहजबुलि ् ा िमथ्क ा थे, इिसिए मारे गये. इिी तरह 31 अक्तूबर को र्िी एयरबि मे् यात्​्ा कर रहे 224 यास्​्तयो्, सजनमे्25 बच्​्ेभी शासमि थे, की मौत पर वह हमदद्​्ी नही् सदखाई गयी सजिके वे हकदार थे. अमेसरका और पस्​्िमी देशो्की वायु-िेना द्​्ारा मध्य-पूवा्क्त्े ्मे्जो तबाही मचाई गयी, सजनमे् िाखो् िोग मारे गये, उनके िाथ कही् कोई िहानुभसू त नही्बरती गयी. अस्पतािो्और नि्रा ी स्कूिो् तक को नही् छोडा गया. इि​िे एक िाधारण युवक - और अगर वह भुकत् भोगी हो तो - िहज ही आतंकवाद की राह पकड िेता है. इन तमाम िच्​्ाइयो्िे यूरोपवासियो्को दूर रखा जाता है सजिकी वजह िे वे इस्िामोिोसबया के सशकार हो रहे है.् िेसकन इस्िामोिोसबया पैदा करने िे कोई हि नही्सनकिेगा. आतंकवाद के पीछे मुि​िमान नौजवानो्की जो यह भावना काम कर रही है सक उनके िाथ और उनके देशो् के िाथ अन्याय हुआ है, उिको खत्म करना होगा. सपछिे िगभग 20 िािो् मे् 55 स्​्िसटश पुसि​ि अि​िरो् ने िाधारण मुि​िमानो् को अपनी गोिी का सनशाना बनाया, िेसकन आज तक सकिी पर भी कोई मुकद्​्मा नही् चिाया गया. दो मामिो् मे् केवि उनके नामो्की िूचना दी गयी. दूिरे, यह जगजासहर है सक िऊदी अरब जैिी प्स्तस्​्कयावादी ताकत को, जो हर देश मे्वहाबी सवचारधारा के प्च ् ार-प्ि ् ार मे्अंधाधुधं खच्ाकर रही है, अमेसरका व अन्य यूरोपीय देशो् का िमथ्ान प्​्ाप्त है. क्या उि पर कभी मानवासधकारो् के हनन के सिए कभी प्​्सतबंध िगाया गया? ऐिे मे् अमेसरका और पस्​्िमी देशो्की आतंकवाद के सवर्द्िडाई के अि​िी मकिद िंसदग्ध है. इस्िामोिोसबया के िैिाव िे मजदूरो्की आपिी एकता भी टूट रही है. यह भी एक कारण है सक िाम्​्ाज्यवादी मीसडया इिे बढ़ाने मे्सदिचस्पी िे रहा है. n शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 23


मास् बातचीत ट हेड

हरीश रावत: दवकास की गुहार

प्​्दीप श्​्ीवास्​्व

बहस हुई िी. यतद तटहरी बांध नही् होता तो 2013 की आपदा मे् हतरद्ा्र या उसके आगे तक तबाही फैल गयी होती. तटहरी बांध की वजह से काफी पानी आगे जाने से र्क गया. वैसे हम वैकस्पपक ऊज्ाि के तलये लगातार कह रहे है्. हमने कहा है तक पहाड्ो्के तलये सस्​्ी सीएनजी दीतजये. हमारे पास सैकड्ो् एकड् गैर उपजाऊ जमीन है. के्द् को हमने प्​्स्ाव भेजा है तक सोलर पैनल को पहाड्ो् पर ले जाने का जो अतततरक्त खच्ि आयेगा उसके तलये सस्ससडी दीतजये.

राज्य के गठन के 16 साल बाद भी उत्​्राखंड अपनी नयी राजधानी नही् बना पाया? गैरसै्ण को राज्य की राजधानी बनाने की बात िी.

प्​्ाकृततक आपदा हो, पय्ािव रण या पतरस्थिततक संतुलन का मामला हो सबकी तनगाह पहाड्ो् और जंगलो् पर ही जाती है. जंगलो्की कटाई और पहाड्ो् का नष्​् होना मौसम मे् आये बदलाव का एक बड्ा कारण माना जाता है. ऐसे मे्पहाड्ी राज्यो्का कत्िव्य कुछ अतधक नही्है?

त्​्राखंड ज्यादा पुराना राज्य नही् है. पहाड्ी राज्य होने की वजह से संसाधनो् की कमी है. हरीश रावत को मुख्यमंत्ी बने ज्यादा समय नही् हुआ. जब वे मुख्यमंत्ी बने तो प्​्ाकृततक तवपदा ने राज्य को तहसनहस कर तदया. बहरहाल राज्य अब इस तवभीतिका से उबर रहा है. हरीश रावत से राज्य की मौजूदा स्थितत, समथ्याओ् और उनकी सरकार की प्​्ाितमकताओ्को लेकर तवस्​्ार से बात हुई. बातचीत के अंशः

हम गैरसै्ण को राजधानी बनाना चाहते है्. यतद ऐसा नही्होता तो हाल ही मे् तवधानसभा की बैठक वहां क्यो् रखते? तकरीबन 20 फीसदी काम अजीब बात है. आप उस राज्य पर आरोप लगा रहे है् तजसने तपछले वहां हो भी गया है. पर राजधानी के र्प मे् वहां तवधानसभा भवन, साल देश के 6 फीसदी वन क्​्ेत्को बढ्ाया. उत्​्राखंड का 70 फीसदी तहथ्सा सतचवालय, गैरसै्ण को चारो्तरफ से जोड्ने वाली सड्को्, थ्िायी तबजली वन क्​्ेत् मे्आता है. पर पय्ािवरण के नाम पर सारे तनयम हम पर ही क्यो् और पानी की आपूत्ति इन सब मे्कम से कम 1000 करोड्र्पये का खच्ि लागू तकये जा रहे है्. पहाड्ो्पर पानी की बोतल, प्लास्थटक लेकर जाने पर है. हमने के्द् सरकार से तकस्​्ो्मे्यह पैसा देने की मांग कई बार की है. रोक लगा दी गयी. अब पहाड्ो्पर चढ्ायी करने वाला अपने साि पानी नही् हाल मे्मै्ने प्​्धानमंत्ी को पत्​्भी तलखा है. के्द्मे्भाजपा की ही सरकार ले जायेगा तो क्या ले जायेगा? पहाड्ो् पर बोतल की रोक है तो तदप्ली मे् है. अगर भाजपा वास्​्व मे् नयी राजधानी बनाना क्यो् नही्? मै् दावे के साि कहता हूं तक जब तक चाहती तो के्द् मे् उसकी सरकार ने पैसा दे तदया गंगा के बहाव को दो प्​्ततशत नही् बढ्ाया जायेगा आं ध ् प् ि ् श े िी नयी होता. सवाल यह है तक आंध् प्​्देश के बंटवारे के तब गंगा सफायी अतभयान का कोई मतलब पूरा बाद अमरावती को आंध् प्​्देश की नयी राजधानी राजधानी बनाने िे कलए नही् होगा. तकसाऊ मे् यमुना पर बांध नही् बनाये बनाने के तलये केन्द्आत्ि​िक सहायता दे सकता है िे्द्आक्थाि िहायता िे गये तो तदप्ली तक यमुना का पानी पहुंचेगा ही नही्. तो तफर गैरसै्ण के तलये क्यो् नही्? वे आज पैसा हम पय्ािवरण के तलये कुब्ािनी देने को तैयार है्, पर ि​िता है तो किर गैरिै्ण िे दे् हम उत्​्राखंड की राजधानी को देहरादून से उसकी वजह से हमारा जो नुकसान हो रहा है, क्या गैरसै्ण ले जाने का ऐलान कर देते है्. कलए क्यो्नही्? उसके तलये केन्द्को सहायता नही्करनी चातहये? उत्​्राखंड मे् प्​्ाकृततक आपदा आने के बाद कहा कैसी सहायता चाहते है् आप राज्य के तलये? गया इसका एक बड्ा कारण तनजी क्​्ेत्द्​्ारा लगाए जा रहे पावर प्​्ोजेक्ट है. काफी बहस चली िी िी. उनका क्या हुआ? उत्​्राखंड को ग्​्ीन बोनस तदया जाये, वाटर बोनस तदया जाये. संप्ग सरकार मे् 12 पहाड्ी राज्यो् को 1200 करोड् र्पये का ग्​्ीन बोनस तदया यह गलत कहा गया तक पावर प्​्ोजेक्ट की वजह से प्​्ाकृततक आपदा गया िा. उत् ्राखंड को भी तमलना चातहये. आई िी. अब तो यह सातबत भी हो गया है. वातडया इंथ्टीट्​्ूट की रपट आ चुकी है, उसमे् भी यह कहा गया है तक यह आपदा मौसम मे् पतरवत्िन, जलवायु पतरवत्िन की वजह से आई िी. तटहारी बांध को लेकर भी काफी

24 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

आप जब उत्​्राखंड के मुख्य मंत्ी बने िे तो वहां के लोगो् को आपसे काफी उम्मीद िी तवकास को लेकर. क्या आपको लगता है तपछले दो सालो्


विकास की राह में केंदं का रोडंा राज्य की मौजूदा स्थिति और तिकास के मुद्ो् पर उत्​्राखंड के मुख्यमंत्ी हरीश राि​ि से तिशेष बािचीि. मे्आप उनकी उम्मीदो् पर खरे उतरे है्? पहाड्के लोगो्का रोजगार की तलाश मे्पलायन अभी भी जारी है? इसमे्संदेह नही्तक हमारे यहां के लोग रोजगार के अभाव मे्अपनी जमीन, घर छोड्कर दूसरे राज्यो् मे् जाते रहे है्. मेरा मानना है तक तकसी राज्य से लोगो्का दूसरे राज्यो्मे्दो वजहो्से जाना होता है. एक तवकप्प के अभाव मे् बेबसी और मजबूरी की वजह से और दूसरे बेहतर तवकप्प और बेहतर अवसर की तलाश मे्. जो लोग तरक्​्ी, बेहतर जीवन के तलये बाहर जाते है्उन पर हमारा ध्यान नही्है. हर राज्य मे्ऐसा होता है. हमारा फोकस उस आबादी पर है तजन्हे् तवकप्प के अभाव मे् मजबूरी मे् अपनी जगह छोड्नी पड्ती है. इसे ध्यान मे् कर हमने कई योजनाएं बनायी है्. हमने ‘तहट पहाड्’ का नारा तदया है. हमने अपना लक्​्य तनध्ाितरत तकया है तक हम ऐसा माहौल बनाये्, आत्ि​िक संसाधानो् को तवकतसत करे् तजससे 2019 तक ‘बेबसी मे् तकए गये पलायन’ को रोक तदया जाये. ‘तहट पहाड्’ के नारे के तहत हमारा उद्​्ेश्य यह भी है तक बेहतर जीवन और तरक्​्ी के तलये भी जो बाहर गये है्वह केरल के लोगो्की तरह कम से कम अपनी जमीन से संपक्कबनाये रखे्. ‘तहट पहाड्’ के तहत या ‘बेब सी पलायन’ को रोकने के तलये कुछ

योजनाये् हो्गी. कुछ काय्िक्म हो्गे? अगर इन्हे् लागू तकया गया है तो उनके क्या नतीजे आये है्? उत्​्राखंड की तुलना आप अन्य राज्यो्से नही्कर सकते. यह ‘तहल थ्टेट’ है. पहाड्ी इलाके मे्अभी तक खेती नाम मात्​्की होती िी. हतरद्​्ार, उधम तसंह जैसे मैदानी इलाके है् जहां कृति उत्पाद होते है्. उत्​्राखंड की तुलना आप दूसरे तहल थ्टेटो् से भी नही् कर सकते. तहमाचल प्​्देश जैसे तहल थ्टेट काफी पहले राज्य बन गये िे और उन्हो्ने इतने सालो्मे्अपनी बुतनयादी ढांचे तैयार कर तलये है्. आज पावर क्​्ेत्को तहमाचल से तनकाल दीतजये तफर उनकी हालत देतखये क्या हो जाती है? इसका मतलब यह नही् तक मै् दूसरे राज्यो् से मुकाबला कर रहा हूं या तुलना कर रहा हूं. जो वास्​्तवकता है उसे बता रहा हूं. इस स्थितत को बदलने के तलये हमने अभी तक कई कदम उठाये है् और उन्हो्ने काम करना शुर् भी कर तदया है. जैसे पहाड् पर खेती के तलये हम उन पैदावार पर जोर दे रहे है् तजनके उत्पादन के तलये अनूकुल पतरस्थिततयां है्. इन थ्िानो् पर बागवानी और खेती दोनो्को बढ्ावा तदया जा रहा है. कम से कम दो सौ ऐसे कदम उठाये गए है्. कुछ कदम ऐसे भी उठाये तजन्हे् लेकर मेरा मजाक उड्ा. जैसे मै्ने भांग की खेती को प्​्ोत्साहन तदया तो लोगो्ने हंसी उड्ाई. सच्​्ाई यह है तक चीन ने काफी पहले कई ऐसे इलाको् की भांग की खेती कर कृति सुधार मे्सफलता पायी. इसी तरह हमारे यहां ‘कंडारी’ नाम का एक पौधा होता है. इसके रेशे से गम्ि टोपी और दूसरी चीजे् बनायी जाती है्. मै्ने जो अभी टोपी पहली है वह ‘कंडारी’ के रेशे से ही बनी है. इसके उत्पादन को बढ्ावा देने के तलये हमारी सरकार ‘कंडारी’ के रेशो्की तकसानो्से सीधे खरीद कर रही है. पहाड्ो् पर बागवानी और कृति को बढ्ावा देने की एक वजह पातरस्थितततक और पय्ािवरण संतुलन को बनाये रखना भी है. पहाड्ो् के पुराने झरने, तालाब सूखने लगे िे. नये झरने बन नही्रहे है्. पानी का स्​्र जमीन के भीतर कम हो रहा है. हम खेत मे् बाड् बनाकर पानी को नीचे जाने से रोकने की भी कोतशश कर रहे है्. गांवो् मे् पशुपालन को आत्ि​िक स्​्ोत का जतरया बनाने के तलये हमने इसे बढ्ावा देना शुर्तकया है. इसके तलये प्​्देश सरकार दूध पर चार र्पए प्​्तत लीटर सस्ससडी दे रही है. इन सब के नतीजे भी सामने आ रहे है्. दुग्ध उत्पादन मे् करीब दो गुनी बढ्ोत्​्री हुई है. पहाड्ी राज्यो् की मुख्य आमदनी पय्िटन से होती है. उत्​्राखंड मे् अभी तक पय्िटक मसूरी, नैनीताल, कौसानी जैसी पुरानी जगहो् पर प्​्ाकृततक सौ्दय्ि देखने आते िे. हम जोशीमठ, मुतशयारी जैसे कई थ्िानो् तक पय्िटन को ले जा रहे है्. एंडवे्चर टूतरज्म को बढ्ावा दे रहे है्. पय्िटन को बढ्ावा देने के तलये और पय्िटको् को आकत्ि​ित करने के तलये ‘शीतकालीन पय्िटन’ शुर् तकया गया है. इसके तलये ‘शीतकालीन चार धाम’ यात्​्ा का इस बार एलान तकया गया. इसका एक मकसद यह भी है तक 2013 के प्​्ाकृततक आपदा से लोगो् मे् जो डर बैठा है वह दूर हो लोगो् मे् राज्य सरकार के इस एलान से n तवश्​्ास पैदा हो.

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www.shukrawaar.com शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 25


उत् मास्​्रटाखंहेड

िेहरािून मे्खली: न खेल न मनोरंजन

खली सेखलबली

भारी भीड्के बावजूद खली के काय्षक्म की लजतनी हवा बांधी गयी थी, उसे देखते हुए इस आयोजन का मकसद समझना कलठन था. धनंजय वसंह

त्​्राखंड के मुख्यमंत्ी के आमंत्ण पर राज्य मे् मनोरंजन की दुसनया के बडे सितारे सदिीप सिंह राणा उफ्िग्​्ेट खिी ने अपने दो काय्ाक्म सकये. आयोजको् की माने् तो काय्ाक्म पूरी तरह ि​ि​ि रहा. िेसकन इि दश्ाको् की समिीजुिी प्​्सतस्​्कया रही. कई अखबारो्मे्इिे खूब वाहवाही समिी तो कई मे् इिे एक िाइन की खबर मे्ही िमेट सदया गया. दश्क ा अब यह िोच रहे है्की इि आयोजन का मकिद क्या था. न ही इिमे् खेि सदखा न ही मनोरंजन भी हो पाया. िेसकन जैिी हवा बनायी गयी थी. उिके मुतासबक भारी भीड उमडी और आयोजन मे्बडी सजम्मदे ारी सनभाने वािी िंसथ ्ा ‘िीएम िॉर यूथ’ अपनी पीठ ठो्कने मे् िगी. देहरादून मे्सरंग िे मुख्यमंत्ी ने भीड के िामने घोषणा कर दी की आगामी सवधान िभा चुनाव के िमय महाबिी खिी सिर िे प्​्ोग्​्ाम करे्गे. मुख्यमंत्ी और खेि मंत्ी की तरि िे कहा गया सक इि आयोजन मे्िरकार केवि ‘िासजब्सटक िपोट्ा’ ही कर रही है. िेसकन हकीकत मे् जो सदखा उिके सहिाब िे यह पूरी तरह िरकारी 26 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

आयोजन रहा. सजिके सिए हर सवभाग अपनी िेवा देने मे् मुस्ैद था. शािन-प्​्शािन सजि तरह िे इि आयोजन मे्शासमि रहा. वह िमय पूव्ा चुनाव की तैयारी के सिए आयोसजत इवे्ट की ही तरह िगता है. आयोजकगण अब मुख्यमंत्ी की इमेज ि्​्ांसडंग के सिए सकये गए मुन्ना दसंह चौहान: आलोचना का समय

इि आयोजन का मूल्यांकन कर रहे है्. वही् ित्​्ाधारी दि के भीतर का खेि भी इि​िे ितह पर सदखने िगा जब हल्द्ानी वािे शो िे पहिे स्थानीय कांग्ेि काय्ाकत्ा​ाओ् ने अपने प्​्देश अध्यक्​् िे धक्​्ामुक्ी की और मुख्यमंत्ी के सखिाि भी नारे िगाये. हल्द्ानी का सनम्ा​ाणाधीन इंसदरा गांधी स्टसे डयम वहां की स्थानीय सवधायक और िूबे की कद्​्ावर मंत्ी इंसदरा ह्दयेश का िपना बताया जाता है. िेसकन जब खेि मंत्ी सदनेश अग्व् ाि खिी के िाथ वहां िमारोह स्थि का मुआयना करने पहुच ं े थे. तब इंसदरा ह्दयेश िाथ नही्थी्. जासहर है स्वयं उन्हो्ने और उनके स्थानीय िमथ्ाको् ने इिे उपेक्ा के तौर पर सिया और िुगबुगाहट उिी िमय शुर् हो गयी. कई भारी भरकम मंत्ािय िंभािने वािी इंसदरा को इि आयोजन िे पूरी तरह अिग रखा गया. सजिे पाट्​्ी मे्कद सनध्ारा ण करने की कवायद के र्प मे् देखा गया. िेसकन शो िे ठीक पहिे जब उनके िमथ्ाक स्थानीय काय्ाकत्ा​ा खुिकर िडक पर आ गये. तब िंगठन और िरकार को जनता के िामने िुिह की कवायद करनी पडी. अब भिे ही ऊपरी तौर पर िब कुछ ठीक सदख रहा हो िेसकन अगिे िाि चुनाव के सिए जा रहे राज्य मे् ऐिी खटपट मतदाताओ् के बीच कोई अच्छा िंकते नही् छोडती. जब सवत्​्मंत्ी इंसदरा ह्दयेश के काय्ाि ा य िे िंपक्िकरके इि आयोजन िे समिने वािे राजस्व के बारे मे् जानकारी मांगी गयी. तब वहां िे जवाब समिा की खेि मंत्ी को पता होगा. अगर यह मनोरंजन भी था तो इंसदरा के पाि ही मनोरंजन कर सवभाग भी है. खेि मंत्ी के काय्ाि ा य िोन करने पर वहां िे बात िसचव और स्पोर्िा्कािेज के स्​्पसं िपि की तरि उछाि दी गयी. यानी यह स्पष्​्नही्है की इि​िे राज्य को समिा क्या? देहरादून के काय्ाक्म मे् भारी पुसि​ि बि की तैनाती थी. नगर के एक इिाके का ट्स्ैिक र्ट बदि सदया गया था. बच्​्ो् को िाने के सिए असधकारी िगाये गये थे. इि आयोजन के सिए िरकार का पूरा स्वास्थय् महकमा वहां तैनात था. इि आयोजन िे खेिो् का भिा होने और राज्य का दुसनया भर मे्नाम होने की बात करने वािे आयोजक सरंग मे् हजारो् दश्ाको् के बीच कुशत् ी की किई खुि जाने िे अब बैकिुट पर आ चुके है्. भारतीय जनता पाट्​्ी को एक बडा मुद्ा समि चुका है. पाट्​्ी के प्​्वक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने िाफ कहा है की केवि मुख्यमंत्ी की छसव चमकाने के सिए इि आयोजन मे् िरकार ने अवैध र्प िे बीि करोड िे असधक खच्ा सकया है. चूंसक इि धन की कोई सिसखत जवाबदेही नही् है. इि नाते कािा धन िगा कर चेहरा चमकाने की एक n भद्​्ी कवायद की गयी.


उत्​्र प्​्देश

तालाब में डाॅकंटर

लसंघाड्े की खेती से आजीलवका रलाने वाले हलरदास देसी पद्​्लत से इलाज करते है्और उन्हे्देखकर बीमारो्के रेहरे रमक उठते है्. आलोक वसंह

म्​् करीब 60 िाि, िहज मुस्कान और िामान्य पोशाक, हसरदाि को अपनी डसिया (छोटी नाव) िे आते देखकर महोबा के कल्याण िागर (यहां बडे तािाब को िागर कहा जाता है) के सकनारे बैठे िोगो् की आंखे चमक जाती है्. सिंघाडे की खेती िे जीसवका चिाने वािे हसरदाि इनके अपने देशी डाक्टर है.् आते ही हसरदाि एक-दो घंटे िे इंतजार करते इन िोगो् िे बातचीत मे् मशगूि हो जाते है्. एक-एक करके उनका हाि पूछते है्. सकिी के पैर की हड्​्ी टूटी है, सकिी के कमर मे्पीडा है. तो सकिी को गैि की िमस्या. थोडी देर मे्एकएक कर दद्ा िे छुटकारा पाकर खुशी-खुशी वापि चिे जाते है्. तीन दशको् िे असधक िमय िे हजारो् िोगो् को खुशी देने वािे हसरदाि, कल्याण िागर की ओर चिे जाते है्.

हसरदाि सहंदुस्ान के आबो-हवा मे् बिी िोक सवद्​्ा और ज्​्ान के आधार पर इिाज करने वािे हजारो्-िाखो् देशज डाक्टर मे् िे एक है्. िेसकन कुछ खाि ऐिी बात है. जो उनको औरो् िे अिग करती है. इि तरह की कासबसियत रखने वािे िोगो् के बारे मे् आम मान्यता है सक इनका ज्​्ान खानदानी होता है. इि ज्​्ान को अमूमन खानदान िे बाहर के िोगो् को सिखाया नही् जाता. िेसकन हसरदाि जहां इि धारणा को तोडते है्. तो वही् इिके पीछे एक सपता की िंवेदनशीि कहानी भी है. इनकी बेटी को बचपन मे्पैर मे्िकवा मार गया. कुछ िमय तक एिोपैसथक इिाज करवाया. िेसकन उि​िे कोई फायदा नही्हुआ और िाथ ही इि महंगे इिाज को झेि िकना िंभव नही्था. तय सकया सक इिाज अपने देशज डाक्टरो् िे कराये्गे. इिी सि​िसि​िे मे् हड्​्ी, निो्-नासडयो् की िमझ बनती गयी. केवि आठवी्कक्​्ा पाि हदरिास: लाेक दवद्​्ा का प्​्सार

हसरदाि ने कुछ िमय बाद ही चाट्​्ो्िे शरीर की बनावट देखकर अपनी िमझ को और गहरा और मजबूत करते गये. इनके इिाज पर खाि भरोिा रखने वािो् मे्स्थानीय सनवािी िंदीप सरछासरया कहते है्सक कुछ सदन पहिे ही उनकी बहन की िािू मां कमर की गहरी पीडा िे गुजर रही थी. अंग्ेजी डाक्टरो्ने आपरेशन के सिए 45000 र्पये की मांग की. मेरी ि​िाह पर सहचकते हुए बहन हसरदाि िे इिाज कराने को तैयार हुई. दो-तीन बार मे्ही पूरा दद्ाकािूर हो गया. अब सबल्कुि ठीक है और खच्ा​ा कुछ नही्. हसरदाि इिाज के पैिे क्यो्नही्िेत,े पूछने पर कहते सक यह हुनर ईश्​्र का आशीव्ा​ाद है और काम िेवा का, इिके सिए पैिा कैिे िे िकते है्. मेरा काम तो सिंघाडे के खेती िे चि जाता है. सिर भी कुछ िोग जबरदस्​्ी कुछ दे जाते है्. आज के आधुसनक पढ़े-सिखे पीढ़ी को यह बात सकिी र्प मे्नही्पचेगी और ना ही इि तरह की बडी बातो्की कल्पना भी िंभव है. सहंदुस्ान के कई इिाको्मे्आज भी स्वास्थय् , िेवा का ही मि​िा है. पीछे मुडकर देखे्तो 150-200 िाि पहिे अंग्ेजी दवाखानो् के पहिे तो स्वास्थ्य को कारोबार बनाने के बारे मे् िोचना भी पाप की तरह माना जाता रहा. हसरदाि जीसवका चिाने के सिए कुछ िाि पंजाब मे्बोरा सि​िने का काम करते रहे. वहां भी इि िेवा का काम करते रहे. एक बार अमेसरका मे् रहने वािे नौजवान िरदार घुटने की बडी सदक्​्त को दो-तीन िाि िे झेि रहे थे. सजनको उन्हो्ने कुछ सदन मे् ही चंगा कर सदया. िरदार और उनकी पत्नी ने उनको अमेसरका मे्इि काम को बढ़ाने को कहा और िाथ चिने की सजद करने िगे. हसरदाि जोर िे ठहाका िगाते हुए कहते है्सक पत्नी ने जाने िे रोक सदया नही् तो मै् आज अमेसरका मे् होता. अगिे पि ही चेहरा गंभीर हो जाता है, मुझे कही् नही्जाना यही्रहना है कहकर कदम कल्याण िागर की ओर बढ़ा िेते है्. हसरदाि का यह फैि​िा, यही् रहना है, अपनो्की िेवा करना है. यह आज के ऊंचे कहे जाने वािे िंस्थानो्और उनिे पढ़े-सिखे िोगो् को आइना सदखाता है. जो अपनी सजंदगी का उद्​्ेश्य ही अमेसरका जाने को मानते है्और इि पर इतराते भी है.् िाथ ही यह इि ओर भी इशारा करता है सक सहंदुस्ान के िामान्य िोग आज भी अपने िोक सवद्​्ा और ज्​्ान पर भरोिा करते है् और यह ज्​्ान कि भी जीवंत रहेगा. बहुत िारी िासजशो्के बाद भी अपने िमाज का एक बडा तबका, आधुसनकता और बाजार की पकड िे बाहर है. अगर थोडी िी भी कोसशश की जाये, तो स्वस्थ देश-िमाज बनते देर नही् िगेगी. n शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 27


मध् मास्यटप्हे्दडेश

ददन बहुरे कड़कनाथ के

अपनी पोरण क्​्मताओ्के रलते कड्कनाथ मुग्ाष अब और लवलशष्​्होने जा रहा है. इसे बहुत जल्द ज्योग्​्ालिकल इंलिकेशन रैग लमल सकता है लजसका लाभ उसे पालने वाले आलदवालसयो्को होगा.

कड्कनाथ: आदिवादसयो्का पसंिीिा आहार

पूजा वसंह

झा

बुआ का मशहूर कड्कनाथ मुग्ा एक बार सिर िुस्खायो्मे्है िेसकन इि बार इिकी वजह िकारात्मक है. उच्​्प्​्ोटीन िंपन्न और यौनशब्कतवध्ाक माना जाने वािा कड्कनाथ मुग्ा एक िमय सविुप्त होने के कगार पर पहुंच गया था िेसकन स्वयंिेवी िंस्थाओ् और िरकार के प्​्यािो् िे यह न केवि बढ़् रहा है बब्लक इिे ज्योग्​्ासिकि इंसडकेशन (टैग) समिने की प्​्स्कया भी अंसतम चरण मे् है. एक बार भौगोसिक पहचान समि जाने के बाद कड्कनाथ आसधकासरक तौर पर इि क्​्ेत्सवशेष का उत्पाद बन जायेगा. 28 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

पूरी तरह कािे शरीर वािे इि मुग्े की किगी, पंजे, नाखून और यहां तक सक इिका मांि भी कािा होता है. यही वजह है सक स्थानीय आसदवािी कािी मािी के नाम िे बुिाते है् और यह केवि मध्य प्​्देश के धारझाबुआ सजिो् मे् ही पाया जाता है. झाबुआ के कृसष सवज्​्ान क्​्द्और स्वयंिेवी िंगठन ग्​्ामीण सवकाि ट्​्स्ट ने इि मुग्ाके सिये जीआई टैग का आवेदन सकया है. उिके इि काम को मध्य प्​्देश िरकार का िमथ्ान हासि​ि है. ग्​्ामीण सवकाि ट्स् ट् के पसरयोजना प्ब् ध ं क यश कानूनगो के मुतासबक, 'हम चाहते है् सक स्थानीय आसदवासियो्को इि प्ज ् ासत को पािने का असधक िे असधक िाभ समिे. जीआई टैग

समि जाने िे इि प्​्जासत का उच्​्बाजार मूल्य बरकरार रखने तथा उिका िीधा िायदा इिे पािने वािो् को पहुंचाने मे् मदद समिेगी.' गौरतिब है सक कड्कनाथ का एक सदन का चूजा 50 िे 100 र्पये मे्समिता है. एक महीने पुराने चूजे का दाम 200 िे 300 र्पये है जबसक तकरीबन छह माह की अवसध मे्तैयार होने वािे मुगा्की कीमत 1500 र्पये तक होती है. जानकारो् का मानना है सक अगर कड्कनाथ को जीआई टैग समिता है तो इिका िीधा िायदा इिे पािने वािे आसदवासियो्को समिेगा क्यो्सक तब आसधकासरक तौर पर झाबुआ इिाके का नाम कड्कनाथ के िाथ


हमेशा के सिये जुड् जायेगा. कड्कनाथ को पािने का काम पशुपािन के सकिी भी अन्य काम की तुिना मे्असधक िाभदायक है क्यो्सक इिकी कीमत िामान्य पोल्ट्ी मुग्ो्की तुिना मे् कई गुना ज्यादा है. ग्​्ामीण सवकाि ट्​्स्ट द्​्ारा आवेदन सकये जाने के बाद चेन्नई ब्सथत ज्योग्​्ासिकि इंसडकेशन पंजीयक ने कड्कनाथ के उत्पादको् की िूची मांगी थी और कहा था सक इि बात के प्​्माण पेश सकये जाये्सक मुग्ाकी यह सवसशष्​् प्​्जासत केवि इिी क्​्ेत्मे्पायी जाती है. सवभाग ने इि मुग्ाके जैसवक घटको्की िूची भी मांगी है. इि िंबंध मे्िारी जर्री जानकारी पंजीयक को उपिल्ध करायी जा रही है. राज्य िरकार भी अपने स्​्र पर इि काम मे्जीवीटी की मदद करने मे्जुटी हुई है. पशुपािन सवभाग के प्​्मुख िसचव प्​्भांशु कमि ने बताया सक कड्कनाथ को जी आई टैग सदिाने की प्​्स्कया मे् िरकार हर िंभव िहायता प्​्दान करेगी. बहरहाि दुिभा् कड्कनाथ के सिये उिकी खासियत ही मुिीबत बनती रही है. एक िमय अस्​्सत्​्व की िड्ायी िड्रहा कड्कनाथ आये सदन असधकासरयो् के िोभ िािच का सशकार बनता रहता है. ग्वासियर ब्सथत सवजयाराजे सिंसधया कृसष सवश्स्वद्​्ािय मे्सपछिे सदनो्उि िमय हड्कंप मच गया जब यह खबर िामने आयी सक नये िाि के अविर पर सवश्​्सवद्​्ािय के असधकासरयो् ने कसथत तौर पर 17 कड्कनाथ मुग्ो्की बसि िे िी. ये मुग्े

कृसष सवज्​्ान क्द् ्झाबुआ िे सकिानो्को सदखाने के सिये िाये गये थे. अब मामिे का खुिािा होने के बाद चोरी की बात कहकर िीपापोती की जा रही है. कृसष सवज्​्ान क्​्द् झाबुआ के प्​्भारी इंदर सिंह ने बताया सक मुग्ेप्द् श्ना के सिये भेजे गये थे िेसकन अब उनके चोरी होने की बात कही जा रही है. मामिे मे् प्​्ाथसमकी दज्ा करा दी गयी है. उल्िेखनीय है सक गत वष्ा भी इिी तरह 22 कड्कनाथ मुग्े रहस्यमय र्प िे गायब हो गये थे. गुणो्की खान है कड्कनाथ सचसकत्िको्और सवशेषज्​्ो्का मानना है सक अपने िजीज स्वाद के अिावा भी कड्कनाथ कई खासियते् अपने आप मे् िमेटे है. कड्कनाथ के मांि मे् प्​्ोटीन की मात्​्ा बहुत असधक होती है. दूिरे मुग्ो्के उिट इिके मांि मे् विा और कोिेस्ट्ॉि न के बराबर होते है्. वही् पारंपसरक ज्​्ान की जानकारी का दावा करने वािे िोग कड्कनाथ की यौन शब्कतवध्ाक क्​्मताओ् के चिते इिे देिी सवयाग्​्ा का दज्ा​ा भी देते है्. ज्योग्​्ासिकि इंसडकेशन (जीआई) का िायदा अगर सकिी उत्पाद को ज्योग्​्ासिकि इंसडकेशन ऑि गुड्ि 1999 के तहत जीआई टैग समि जाता है तो इिका अथ्ायह है सक वह उत्पाद सकिी खाि क्​्ेत् मे् सकिी खाि वग्ा या िमूह द्​्ारा उत्पासदत होता है. इिके अिावा जीआई टैग उिकी गुणवत्​्ा और उिकी

सवशेषताओ्का श्​्ेय भी उि क्​्ेत्सवशेष को ही देता है. जीआई टैग यह िुसनस्​्ित करता है सक पंजीकृत एवं असधकृत उपयोगकत्ा​ा के अिावा कोई उि उत्पाद का उत्पादन नही्करे. यहां तक सक कोई व्यब्कत उिके नाम का प्​्योग तक नही् कर िकता. भारत मे्दाज्​्ीसिंग चाय जीआई टैग पाने वािा पहिा उत्पाद थी. सि​िहाि ऐिे उत्पादो्की िंख्या 200 िे असधक हो चुकी है. सविुब्पत के कगार पर था कड्कनाथ िन 1990 के दशक मे् कड्कनाथ मुग्ा उि िमय िुस्खायो् मे् आया था जब अत्यसधक सशकार और खपत के कारण उिके सविुपत् होने के कगार पर पहुंच जाने की बात िामने आयी थी. िेसकन िरकार के प्य् ािो्िे इिका िंरक्ण ् शुर् सकया गया. राष्​्ीय कृसष नवाचार पसरयोजना के तहत इि दुिभा् प्ज ् ासत को बचाने की कवायद शुर् की गयी. िरकार ने इि पसरयोजना को धार एवं झाबुआ सजिो्मे्स्थायी ग्​्ामीण रोजगार के सिए एकीकृत कृसष योजना का नाम सदया. राज्य िरकार ने गरीबी रेखा के नीचे रहने वािे 500 भीि-सभिािा पसरवारो्की मदद िे इिकी पोल्ट्ी शुर् की थी सजिका िकारात्मक प्​्भाव िामने आया. अब कड्कनाथ न केवि आसदवािी अंचि मे्बच्​्ो् का कुपोषण दूर करने मे्मदद कर रहा है बब्लक यह बड्ेपैमाने पर उनकी आजीसवका का िाधन बना हुआ है. कड्कनाथ की यूं तो तीन प्ज ् ासतयां पायी जाती है् िेसकन सनपट कािा कड्कनाथ िबिे असधक िोकस्​्पय है. n

खटाई मेु बासमती

धर बािमती धान के सिए जीआई टैग हासि​ि करने का मध्य प्​्देश का दावा उि िमय खटाई मे् पड्ता नजर आया जब सपछिे सदनो् बौब्घघक िंपदा अपीिीय बोड्ा (आईपीएबी) ने बािमती उगाने वािे कई सकिानो् और मध्य प्​्देश िरकार के दावे पर अपना िैि​िा कुछ िमय के सिये िुरस्​्कत कर सिया. गौरतिब है सक िरकार और सकिानो् ने जीआई टैग हासि​ि करने के सिये बोड्ाके िमक्​्तगड्ी दिीिे्और प्​्माण पेश सकये थे. प्​्देश के सकिान कल्याण एवं कृसष सवकाि सवभाग के िसचव राजेश राजौरा के मुतासबक िरकार के पाि िन 1908, 1928 और 1937 के स्​्िसटश शािन के गजट और भोपाि तथा ग्वासियर राज्यो् के ऐिे कागजात मौजूद है् सजनिे यह पता चिता है सक मध्य प्​्देश पारंपसरक र्प िे बािमती धान उगाने वािा क्​्ेत्रहा है. गौरतिब है सक मध्य प्​्देश के सकिानो् और िरकार की ओर िे जीआई टैग का आवेदन सकये जाने के बाद क्​्द्ीय वासणज्य मंत्ािय के अधीन आने वािे एग्​्ीकल्चर ऐ्ड प्​्ोिेस्ड िूड प्​्ोडक्ट एक्िपोट्ा डेविपमे्ट अथॉसरटी (एपीडा) ने इिका सवरोध सकया था. एपीडा की दिीि है सक मध्य प्​्देश पारंपसरक र्प िे बािमती धान उगाने वािा क्​्ेत् नही् है. एपीडा का कहना है सक इि टैग के सिये सदल्िी, पंजाब, हसरयाणा, उत्​्राखंड और जम्मू कश्मीर के कुछ इिाके उपयुक्त दावेदार है्. मध्य प्​्देश वष्ा2009 िे ही इिके सिये िंघष्ाकर रहा है. प्​्देश ने मुरैना, सभंड, सशवपुरी, दसतया, सवसदशा, रायिेन,

होशंगाबाद, जबिपुर और नरसिंहपुर आसद सजिो्मे्उत्पासदत होने वािे बािमती धान और िीहोर, सवसदशा, होशंगाबाद सजिो् मे् उत्पन्न होने वािे शरबती गेहूं के सिये जीआई टैग का आवेदन सकया था. उच्​्पदस्थ िूत्ो्के मुतासबक शरबती गेहूं को जीआई टैग समिने मे्तो कोई अड्चन नही् है िेसकन बािमती धान का मामिा खटाई मे् पड्ता सदख रहा है. उल्िेखनीय है सक मध्य प्​्देश मे् करीब 250,000 हेक्टेयर क्​्ेत् मे् बािमती धान उगाया जाता है और करीब 2 िाख िे असधक सकिान इि काम मे्िगे हुए है्. शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 29


छत्​्ीसगढ्

बस्​्र के दंतेवाड्ा मे् हुए सव्ष आलदवासी समाज के एक जलसे मे्सभी की लरंता यह थी लक नक्सललयो्से बातरीत कर उन्हे्लोकतांल्तक मुख्य धारा मे् शालमल होने के ललए क्यो्राजी नही्लकया जाता. पंकज चतुव्ेदी

हा

ि ही मे्दस्​्कण बस्​्र के दंतेवाड्ा मे्िव्ा आसदवािी िमाज का एक जि​िा हुआ. सजिमे्पूव्ाक्​्द्ीय मंत्ी अरसवंद नेताम, सरटायड्ा आईपीएि एिपी शोरी और नवि सिंह मंडावी, पूव्ा िांिद गंगा पोटाई िसहत इिाके के कई प्स्तब्शठत आसदवािी शासमि हुय.े िभी की सचंता यही थी सक अरण्य मे्िगातार हो रहे खूनखराबे िे आसदवासियो् मे् पिायन बढ़्ा है. इिकी कारण है सक आसदवासियो् की बोिी, िंस्कार, त्योहार, भोजन िभी कुछ खतरे मे्है.् बात आयी सक सकिी भी स्​्र पर नक्िसियो् िे बातचीत कर उन्हे्हसथयार डिवाकर िोकतांस्तक मुख्य धारा मे् शासमि होने के सिए क्यो् राजी नही् सकया जा िकता. दूिरी तरि बीते दो महीनो् िे बस्​्र के अखबारो्मे्ऐिी खबरे खूब आ रही है्. अमुक दुद्ाि्त नक्ि​िवादी ने आत्मिमप्ाण कर सदया. िाथ मे्यह भी होता है सक नक्ि​िवादी शोषण करते है्. उनकी ताकत कम हो गयी है. वे इिसिए अपने हसथयार डाि रहे है्. सकिी नक्ि​िी का सववाह भी करवाया जा रहा है. ठीक यही हाि झारखंड मे्भी है. तकरीबन हर सदन सकिी ग्​्ामीण के िाथ पुसि​ि िोटो सखंचवाती है और उिे एसरया कमांडर बताया जाता है. इिके बावजूद नक्ि​िी यहां वहां खून खराबा कर रहे है.् दंतवे ाड्ा मे्नक्िसियो्ने बाकायदा एक िूची जारी की सजिमे् बताया गया सक सकि गांव िे पुसि​ि वािो् ने सकन आसदवासियो् को कब उठाया और बाद मे् उन्हे् नक्ि​िी बता कर आत्मिमप्ाण करवा सदया. पुनव्ा​ाि की रासश दे दी. सजन गांवो्मे्कोई भी िरकारी या सियािती दि नही् पहुंच पाता है. वहां नक्ि​िी जुिूि सनकाि रहे है्. आम िभा कर रहे है्और जनता को बता रहे है्सक िरकार और पुसि​ि उन पर अत्याचार करती है. नक्ि​िी इिाको् मे िुरक्​्ा बिो्को खुिे हाथ सदये गये है.् बंदक ू ो्के िामने बंदूक्​्गरज रही है्, िेसकन कोई मांग नही्कर रहा है सक स्थायी शांसत के सिए कही् िे पहि हो. इिके बीच सपि रहे है्, आसदवािी, उनकी 30 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

आि​िवादसयो्की एक सभा मे्सोनी सोरी: खून-खराबा मुख्य दचंता

बंिूक्के दवर्द्

िंस्कृसत, िभ्यता, बोिी और मानवता. यसद अरण्य मे् नक्ि​िी िमस्या को िमझना है. तो बस्​्र अंचि की चार जेिो् मे् सनर्द्बंसदयो्के बारे मे्‘िूचना के असधकार’ के तरह मांगी गयी जानकारी पर भी गौर करना जर्री होगा. दंतेवाड्ा जेि की क्​्मता 150 बंसदयो्की है और यहां माओवादी आतंकी होने के आरोपो् के िाथ 377 बंदी है. जो िभी आसदवािी है्. कुि 629 क्​्मता की जगदिपुर जेि मे्नक्ि​िी होने के आरोप मे्546 िोग बंद है्. इनमे् िे 512 आसदवािी है्. इनमे् मसहिाएं 53 है्, नौ िोग पांच िाि िे ज्यादा िे बंदी है् और आठ िोगो् को बीते एक िाि मे् कोई भी अदाित मे्पेशी नही्हुई. कांकेर मे्144 िोग आतंकवादी होने के आरोप मे्सवचाराधीन बंदी है्. इनमे्िे 134 आसदवािी और छह औरते है्. इिकी कुि बंदी क्म् ता 85 है. दुगा्जेि मे्396 बंदी रखे जा िकते है् और यहां चार औरतो् िसहत 57 ‘नक्ि​िी’ बंदी है्. इनमे् िे 51 आसदवािी है्.िामने है सक केवि चार जेिो् मे् हजार िे ज्यादा आसदवासियो्को बंद सकया गया है. यसद पूरे राज्य मे् यह गणना करे् तो पांच हजार िे पार पहुंचेगी.

ताजा जनगणना बताती है सक बस्र् अंचि मे्आसदवासियो्की जनिंखय् ा ना केवि कम हो रही है. बब्लक उनकी प्​्जनन क्​्मता भी कम हो रही है. िनद 2001 की जनगणना मे् यहां आबादी वृस्द की दर 19.30 िीिद थी. िन 2011 मे् यह घट कर 8.76 रह गयी है. चूंसक जनजासत िमुदाय मे् कन्या भ्​्ूण हत्या जैिी कुरीसतयां है् ही नही्, िो बस्​्र, दंतेवाडा, कांकेर आसद मे् शेष देश के सवपरीत मसहिापुर्श का अनुपात बेहतर है. यह भी कहा जाता है सक आबादी मे्कमी का कारण सहंिा िे ग्​्स् इिाको्िे िोगो्का बड्ी िंख्या मे्पिायन है. ये आंकडे चीख-चीख कर कह रहे है् सक आसदवासियां के नाम पर बने राज्य मे्आसदवािी की िामासजक हाित क्या है. यसद िरकार की िभी चाज्ाशीटो् को िही भी मान सिया जाये. तो यह हमारे सिस्टम के सिए शोचनीय नही् है सक आसदवासियो् का हमारी व्यवस्था पर भरोिा नही् है. वे हसथयार के बि पर अपना अस्​्सत्व बनाये रखने के सिए मजबूर है्. इतने दमन पर िभी दि मौन है्और यही नक्ि​िवाद के सिए खाद-पानी है. यह दुखद है सक सजन अि​िरो् के बदौित


हदथयारबंि सलवा जुडुम: यह समस्या का हल नही्

कब तक बंिूक्? आसदवािी इिाको् के सवकाि की योजनाये् बनायी जाती है्. वे जनजासतयो् की परंपराओ्, मान्यताओ्, मानसिकता को िमझते ही नही्है. उनके नजसरये मे् कोई दोरिी, गो्डी, अिुरी बोिी छोड्कर खड्ी सहंदी बोिने िगे या शट्ा पैट् पहन िे या सिर अपना जंगि छोड्कर शहर मे्सरक्शा चिाने िगे तो उिका सवकाि हो गया. आसदवासियो् मे् धन यासन करे्िी का ज्यादा महत्व नही् हुआ करता था. िेसकन कसथत सवकाि योजनओ् ने उन्हे् ‘गांधीछाप’ की ओर ढकेि सदया. अब उिी मे्गड्बड्झािे के सिए आसदवािी क्​्ेत्ो्मे्बवाि होते है्. अब भारत िरकार के गृहमंत्ािय की आठ िाि पुरानी एक रपट की धूि हम ही झाड्देते है्. िाि 2006 की ‘आंतसरक िुरक्​्ा की ब्सथसत’ सवषय पर सरपोट्ा मे् स्पष्​् बताया गया था सक देश का कोई भी सहस्िा नक्ि​ि गसतसवसधयो्िे अछूता नही्है. क्यो्सक यह एक जसटि प्स्​्कया है. राजनीसतक गसतसवसधयां, आम िोगो्को प्​्ेसरत करना, शि्​्ो्का प्​्सशक्​्ण और काय्ावासहयां. िरकार ने उि सरपोट्ामे्स्वीकारा था सक देश के दो-सतहाई सहस्िे पर नक्िसियो् की पकड् है. गुजरात, राजस्थान, सहमाचि

प्​्देश, जम्मू-कश्मीर मे् भी कुछ गसतसवसधयां सदखायी दी है्. दो प्​्मुख औद्​्ोसगक बेल्टो्‘सभिाई-रांची, धनबाद-कोिकाता’ और ‘मुंबई-पुणे-िूरत-अहमदाबाद’ मे् इन सदनो् नक्ि​िी िोगो्को जागर्क करने का असभयान चिाये हुए है्. इि रपट पर काय्ावाही, खुसिया िूचना, दूरगामी काय्ायोजना का कही्अता पता नही्है. बि जब कोई हादिा होता है तो िशत्​् बिो्को खूनखराबे के सिए जंगि मे्उतार सदया जाता है. िेसकन इि बात पर कोई सजम्मेदारी नही् तय की जाती है सक एक हजार नक्ि​िी हसथयार िे कर तीन घंटो् तक गोसियां चिाते है्. िड्को्पर िै्ड माइंि िगायी जाती है और मुख्य माग्ापर हुई इतनी बड्ी योजना की खबर सकिी को नही्िगती है. भारत िरकार समजोरम और नगािै्ड जैिे छोटे राज्यो्मे्शांसत के सिए हाथ मे्क्िाशनेव रायि​ि िे कर िरेआम बैठे उग्​्वासदयो् िे ना केवि बातचीत करती है. बब्लक सिसखत मे्युद् सवराम जैिे िमझौते करती है. कश्मीर का उग्​्वाद िरेआम अिगाववाद का है और िरकार गाहे-बगाहे हुस्रायत और कई बार पासकस्​्ान मे्बैठे आतंकी आकाओ्िे शांसतपूणा्

हि की गुफ्तगु करती रहती है. सिर नक्िसियो् मे्ऐिी कौन िी सदक्​्त है सक उनिे टेबि पर बैठ कर बात नही्की जा िकती. वे ना तो मुलक ् िे अिग होने की बात करते है् और ना ही वे सकिी दूिरे देश िे आये हुए है.् कभी सवचार करे् सक िरकार और प्​्शािन मे् बैठे वे कौन िोग है्. जो हर हाि मे् जंगि मे् माओवासदयो् को िस्​्कय रखना चाहते है्. जब नेपाि मे्वात्ा​ा के जसरये उनके हसथयार रखवाये जा िकते थे. तो हमारे यहां इिकी कोसशशे्क्यो्नही्की गयी्. याद करे् 1 जुिाई 2010 की रात को आंध्प्देश के आसदिाबाद सजिे के जंगिो् मे् महाराष्​्की िीमा के पाि िीपीआई माओवादी की क्द् ्ीय कमेटी के िदस्य चेरक ् रु ी राजकुमार उि्ि आजाद और देहरादून के एक पत्​्कार हेमचंद्पांडे को पुसि​ि ने गोसियो्िे भून सदया था. पुसि​ि का दावा था सक यह मौते्मुठभेड मे् हुई. जबसक तथ्य चीख-चीख कर कह रहे थे सक इन दोनो् को 30 जून को नागपुर िे पुसि​ि ने उठाया था. उि मामिे मे् िीबीआई जांच के जसरये भिे ही मुठभेड्को अि​िी करार दे सदया गया हो. िेसकन यह बात बड्ी िासजश के िाथ छुपा दी गयी सक अि​ि मे्वे दोनो्िोग स्वामी अब्गनवेश का एक खत िे कर जा रहे थे. सजिके तहत शीष्ानक्ि​िी नेताओ्को क्​्द्िरकार िे शांसत वात्ा​ा करना था. याद करे् उन सदनो् तत्कािीन गृहमंत्ी सचदंबरम ने अपना िैक्ि नंबर दे कर खुिी अपीि की थी सक माओवादी हमिे बात कर िकते है.् उि धोखे्के बाद नक्ि​िी अब सकिी भी स्​्र पर बातचीत िे डरने िगे है्. इि पर सनहायत चुप्पी बड्ी िासजश की ओर इशारा करती है सक वे कौन िोग है्. जो नक्िसियो्िे शांसत वात्ा​ा मे् अपना घाटा देखते है्. यसद आंकड्ो् को देखे् तो िामने आता है सक सजन इिाको् मे् िाि-आतंक ज्यादा है. वहां वही राजनीसतक दि जीतता है जो वैचासरक र्प िे माओ-िेसनन का िबिे मुखर सवरोधी है. नक्ि​ि आंदोिन के जवाब मे् ‘ि​िवा जुड्म’ का स्वर्प सकतना बदरंग हुआ और इिकी पसरणसत दरभा घाटी मे्सकि नृषंिता िे हुई. िबके िामने है. बंदूको् को अपनो् पर ही दागकर खून तो बहाया जा िकता है, निरत तो उगायी जा िकती है. िेसकन देश नही् बनाया जा िकता. तसनक बंदुको् को नीचे करे्, बातचीत के रास्​्ेसनकािे्, िमस्या की जड्मे् जा कर उिके सनरापद हि की कोसशश करे्. वरना िुकमा की दरभा घाटी या बीजापुर के आि्ापेटा मे् खून के दसरया ऐिे ही बहते रहे्गे. अब यह िाि होता जा रहा है सक नक्ि​िवाद िभी के सिए वोट उगाहने या बजट उडाने का जसरया मात्​् है. वरना हजारो् िोगो् के पिायन n पर इतनी बेपरवाही नही्होती. शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 31


पररक्​्मा

तदल भरा है, पर तदमाग खाली है: नामिर तसंह िा सहत्य और िंस्कृसत की पस्​्तका ‘रेवांत’ की ओर िे 2015 का मुब्कतबोध िासहत्य िम्मान जाने माने कसव और गद्​्कार उमेश चौहान को सदया गया. िम्मान िमारोह िासहत्य अकादमी के रवी्द् भवन, सदल्िी मे् बीते शसनवार को आयोसजत हुआ. सजिमे्प्स्िद्​् आिोचक नामवर सिंह ने उमेश चौहान को िम्मान के र्प मे्अंग वि्​्, स्मृसत सचन्ह और ग्यारह हजार का चेक प्​्दान सकया गया. नामवर सिंह ने कहा सक मान्यता है सक जो गद्​्मे्अि​ि​ि हो जाते है्. वे कसवता के क्​्ेत्मे् आ जाते है्. उिी तरह जो कसवता मे्ि​ि​ि नही् हो पाते है्. वे गद्​् की ओर मुड्ते है्. िेसकन उमेश चौहान गद्​्और पद्​्दोनो्मे्िमान र्प मे्िमभ्यस्​्है. सनरािा, प्​्िाद, पंतजी आसद ने गद्​्और पद्​्दोनो्मे्सिखा. इिसिए इि तरह का बंटवारा ठीक नही्है. नामवर सिंह ने कहा सक उमेश चौहान के िंदभ्ामे्अच्छी बात है सक ये खड्ी बोिी के िाथ अवधी मे् भी कसवताये् सिखते है्. इनकी अवधी बैिवारे की अवधी है. अवधी के भी कई र्प है्. हमिोग शहरो् मे् आकर अपनी बोसियो् को भूिते जा रहे है्. नामवर जी ने उमेश चौहान की कसवता ‘चेहरा हमार मुरझावा’ का पाठ करते हुए कहा सक उमेश चौहान अपनी खड्ी बोिी की कसवताओ् मे् जो बोसियो् की छौ्क देते है्. वह इनकी कसवता की शब्कत है. मंच भरा-पूरा है. इिी तरह मेरा सदि भी भरा है और सदमाग खािी है. मुबक् तबोध िम्मान िे िम्मासनत कसव उमेश

चौहान ने ‘रेवांत’ तथा िभी का आभार व्यक्त सकया और प्​्शािसनक िेवा मे्रहते हुए अपनी िासहत्य यात्​्ा के सिए कैिे राह बनायी, इिकी चच्ा​ा की. काय्ाक्म की अध्यक्​्ता वसरष्​्कसव नरेश िक्िेना ने की. उनका कहना था सक ‘रेवांत’ छोटी पस्​्तका है. यह व्यापासरक नही् है. पर इिके हौि​िे बड्े है्. यह दौर है जब बड्े पुरस्कार असवश्​्िनीय हो गये है्. ऐिे मे् छोटे पुरस्कारो् का महत्व है. इन्हे् बचाये रखना है. आज िबिे ज्यादा झूठ खड्ी बोिी मे्बोिा जा रहा है. िेसकन बोसियो्मे्झूठ कम है. इिसिए बोिी की आवाज िच्​्ी िगती है. उमेश चौहान बोसियो्के कसव है्. कहरवा ताि मे्सिखते है्. ये अपने छंद के आसखरी अक्​्र पर जोर देते है्. ‘चमाचम’ जैिे शल्दो्का जो इस्म्े ाि करते है,् वह बोसियो् मे् ही समिेगा. आज बोसियां छीन िी गयी है्. उमेश उिे कसवता मे् वापि दे रहे

कैमरे मे् कैद जंगल का सौ्दय्य

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इल्ड िाइि िोटोग्​्ािर असभिाषा यादव की सपछिे सदनो्िखनऊ के ताज होटि मे् िगी िोटो प्​्दश्ानी को देखने बडी िंख्या मे् िोग पहुंचे. मुख्यमंत्ी असखिेश यादव, रामगोपाि यादव, कैसबनेट मंत्ी राजे्द् चौधरी, िांिद सडंपि यादव ने भी असभिाषा 32 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

यादव की िोटो प्​्दश्ानी देखी और कहा सक ये िोटो प्​्कृसत के पाि िे जाते है. इि मौके पर उत्र् प्द् श े के मुखय् मंत्ी असखिेश यादव ने इि प्​्दश्ानी को देख कर कहा, उत्​्र प्​्देश मे्वन्य जीव अभ्यारण्य को सवकसित करना बहुत जर्री है. गौरतिब है सक असभिाषा कािी िमय िे

है्. इन्हे्देखकर मुझे िगता है सक मै्ने बुंदेिी मे् कसवता क्यो्नही्सिखी. मै्जर्र सिखूंगा, भिे अच्छी न हो सिर भी मै् कोसशश कर्ंगा. नरेश िक्िेना ने िासहत्य पर सिखी पुस्क के बारे मे् कहा सक इि​िे पता चिता है सक उमेश चौहान अच्छे गद्​्कार है्. उन्हो्ने िासहत्य पर ही नही् बच्​्ो् के स्वास्थ्य और कुपोषण जैिी िमस्या पर सिखा सजि पर ‘िबका िाथ, िबका सवकाि’ की बात करने वािी हमारी िरकार के बजट मे्कटौती हो रही है. काय्ाक्म का िंचािन कसव आिोचक सजते्द् श्​्ीवास्​्व ने सकया. उन्हो्ने कहा सक उमेश चौहान नरेश िक्िेना की तरह गीतो् िे कसवता की ओर आये. समत कथन और बहिधस्माता इनके काव्य की सवशेषता है. इि काय्ाक्म मे्सदल्िी के अिावा िखनऊ िे कई िासहत्यकार आये. इंदु सिंह ने िभी का धन्यवाद ज्​्ापन सकया.

िोटोग्​्ािी कर रही है. उन्हो्ने उत्​्र प्​्देश के सवसभन्न जंगि, नदी नािे और तरह के पक्​्ी और जंगिी जानवरो् को अपने कैमरे मे् कैद सकया है. असभिाषा ने शुक्वार िे कहा, उत्​्र प्​्देश मे् अभी भी बहुत खूबिूरत जंगि और वन्य जीव है.् मेरा स्कि ू के दौर िे जंगि िे एक आकष्ाण रहा है और तभी िे पक्​्ी और जंगिी जानवरो्की िोटो खी्च रही हूं. इिका मकिद जंगि और वन्य जीव के प्​्सत आम िोगो् मे् जागर्कता पैदा करना है. जल्द ही और वन्य जीव िोटो् की एक बडी प्​्दश्ानी िगाने का सवचार है. बीती 27 िरवरी को सदल्िी की िासहत्य अकादमी मे् अनीता श्​्ीवास्​्व के िंपादन मे् प्​्कासशत ‘रेवान्त’ िासहब्तयक पस्​्तका द्​्ारा आयोसजत मुब्कतबोध िम्मान उमेश चौहान को नामवर सिंह एवं नरेश िक्िेना द्​्ारा सदया गया.


यथाकथा शंभूनाथ शुक्ल

मेरठ के बांके

मेरठ की पहरान कुरेशी,अंसारी, तगा मुसलमान, जैन, अग्गरवाले बलनये, ब्​्ाह्मणो्मे्गौड्, गौतम और मेरठ शहर मे्उनकी ही धाक रही है.

रा

जधानी सदल्िी िे कुि िाठ सकमी दूर है मेरठ. पर सदल्िी का तसनक भी अिर नही्है. मै्करीब डेढ़्िाि मेरठ रहा और इि दौरान मुझे कही्भी वहां टो्ड दूध नही्समिा न ही सबना चीनी की चाय. कहने को वहां सजम भी है्और िंबे-चौड्ेपाक्िभी जहां िुबह-िुबह वाक करने वािो्की भीड्उमड्पड्ती है. पर सजम वािे पाि के िब वे का नाश्ता दबाये सजम करते है्और वाक करने वािे वाक के िौरन बाद शाि्​्ी नगर मे्रामचंद् िहाय की दूकान मे् जाकर रेवड्ी गटकने िगते है् या रोसहताश के यहां पनीर पकौड्ा. यहां िकरी गसियां और उनिे भी ज्यादा िकरे घर है्. िेसकन रहने वािो् के सदि िकरे तो नही् ही है्. िबिे मजेदार बात जो मुझे यहां िगी सक इि शहर के बीच मे्एक िुकुि चौपाि है. बताया गया सक यहां के ज्यासतषी और पूजा-पाठ कराने वािे गौड्िोग िुकुि कहिाते थे और वे बि या तो पुरोसहताई करते अथवा पहिवानी. इि चौपाि मे्उनकी बैठक्​्होती्और िुकि ु िोग कुशत् ी िड्ा करते. मगर इि​िे भी बड्ी मजेदार बात यह पता चिी सक 1947 के बंटवारे के बाद जब पंजाबी सरफ्यूजी यहां आये तो मेरठ के अंिासरयो् और कुरेसशयो् की िंपस्​्त देखकर उनका मन ि​िचाने िगा और उन्हो्ने नारा िगा सदया सक सहंदुस्ान सहंदुओ्का, मुल्िो पासकस्​्ान जाओ. तब ये िुकुि िोग पहाड् की तरह अड् गये नही् यहां के मुि​िमान पासकस्​्ान नही् जाये्गे. देखे् कौन माई का िाि उन्हे् पासकस्​्ान भेजता है. उनकी बहादुरी का ही कमाि था सक पंजाबी सरफ्यूजी यहां बिे तो पर शहर िे दूर रहे और एक भी मेरठी पासकस्​्ान नही्गया. मेरठ के नासदर अिी बै्ड वािे और इस्माइि मेरठी यहां की मुख्य हस्​्सयां रही है्. अंग्ेजो्के वक्त मे्नासदर अिी बै्ड वािो्का बड्ा नाम था और कहा जाता था सक अंगज ्े िाट भी नासदर अिी को याद करते थे. मेरठ शहर के बीच मे् सदल्िी रोड पर बनी उनकी जिी कोठी बेसमिाि है. इस्माइि मेरठी की सगनती यहां के बड्ेशायरो्मे्होती थी. प्यारेिाि शम्ा​ा के नाम पर आज भिे महज एक अस्पताि बना हो पर प्यारेिाि शम्ा​ा कांग्ेि के बड्ेनेता थे और फ्​्ीडम िाइटर भी. सशखरचंद जैन की समिो् की टूटी इमारते् आज भी जैसनयो् के वैभव की याद सदिाती है्. मेरठ मे् जैसनयो् का मोहल्िा जैन नगर बेसमिाि है. घंटाघर, िुभाष बाजार, बुढ़्ाना गेट और सिहानी गेट मे्पान की दूकानो् और हेयर कसटंग िैिून पर आपको घंटो् इंतजार करना पड् िकता है. इिसिए नही्सक उिके पाि ग्​्ाहक बहुत थे. बब्लक इिसिए क्यो्सक पनवाड्ी और नाई दोनो् पोिेसटकि चच्ा​ा मे् मशगूि थे. मेरठ शहर और मेरठ सजिा दोनो् अिग-अिग है्.

शहर का गांव िे िंबंध बि इतना ही रहा है सक गांव वािे अपने सजन्ि िेकर शहर आते. गुड्, गन्ना, गन्ने का रि, िरिो्, गेहूं और मक्​्ा. मेरठ शहर जाना जाता रहा है्डिूम और िीजि्ाइंडस्ट्ी के सिए और इन दोनो् ही चीजो्का यहां के गांव वािो्का कोई िंबंध नही्. कपाि यहां पैदा नही् की जाती और िीजि्ाका गांव मे्माक्​्ेट नही्. बाद मे्पंजासबयो्के आने के बाद पेशावर और िाहौर का स्पोर्ि्ा उद्​्ोग यहां आया पर उिका भी स्थानीय गांवो्िे कोई ताल्िुक नही्. जो िोग मेरठ को चौधरी चरण सिंह के जाट िाम्​्ाज्य का सहस्िा िमझते है् वे मुंह धो रखे्. मेरठ की पहचान कुरेशी,अंिारी, तगा मुि​िमान, जैन, अग्गरवािे बसनये, ि्​्ाह्मणो् मे् गौड्, गौतम और मेरठ शहर मे् उनकी ही धाक रही है. िैजेआम इंटर कािेज यहां का िबिे पुराना कािेज है. इिके बाद मेरठ कािेज खुिा और सिर देवनागरी कािेज. गद्​्ी, िैिी और उस्मानी है्. िबके अपने-अपने टैबू और अपनेअपने सठकाने है्. इिसिए मेरठ राजधानी का िबिे करीबी बड्ा शहर होने के बावजूद सदल्िी नही् बन पाया. पैिा यहां खूब है पर पैिे के इन्वेस्टर नही्है्. यह मेरठ का ही कमाि है सक हमारे समत्​्असनि बंि​ि ने नौकरी तो की जनित्​्ा सदल्िी की िेसकन रहे िदैव मेरठ मे्. चाहे रात के दो बज जाये.् असनि बंि​ि ने िुबह सदल्िी की नही्गुजारी. तब भी जब मेरठ जाने का अकेिा िाधन बिे्थी्और आज भी जब वे इनोवा कार िे आते-जाते है.् मेरठ की बोिी ही खड्ी बोिी सहंदी का मानक है. हािांसक यहां की सहंदी मे्उद्ाूकी कड्क है और पारिी की समठाि भी. मेरठ मे्आदमी एक िाथ आपका पूरा िम्मान करते हुए ‘िरजी’ बोिेगा मगर िंबोधन तुम का ही देगा. यहां मां को भी तू कहा जाता है और बाप िे कड्क कर पूछा जाता है ‘के गया था?’ मेरठ की समठाि शायद यहां के गन्ने िे जुड्ी हुई है. मेरठ मे् गन्ना कि कर होता है. जरा-िा भी दूर सनकिे तो बि गन्ने के खेत नजर आने िगे्गे. गन्ना पूरे िाि की खबर है इिसिए गन्ना बोने के बाद कटने तक सकिान बि बैठक करता है, राजनीसत करता है और चौपाि िजाता है. यही कारण है सक यहां के सकिानो् का आवाहन कर दो वे िौरन सदल्िी घेर िे्गे मगर जैिे ही कटाई का वक्त आया उिे िौटते देर नही् िगेगी. यह मेरठ की सि​ित है. खािी हो तो चौपाि करो और वक्त पर सिर खेतो् मे् िौट आओ. इिीसिए यहां के बारे मे् कहा जाता है सक मेरठ मे्राजनीसत पर बसतया तो िकते हो मगर मेरठ के बूते राजनीसत कर नही्िकते. यही कारण है सक सदल्िी के इतना करीब होते हुए भी मेरठ मेरठ ही बना रहा वह सदल्िी नही्बन िका.n शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 33


मास् कहानी ट हेड कहानी वंदना देव शुक्ल

स्टैचू ह

म दौनो् यानी मै् और शेखर एक ही मुहल्िे मे् रहते थे. वह कस्बाई पसरवेश और घर आज भी बेहद याद आता है. एक दूिरे िे िटे चौतरिा मकान. बीच मे् बडा और िाफ-िुथरा मैदान. कॉिोनी का एक प्​्वेश द्​्ार. उि प्​्वेश द्​्ार िे बाहर सनकि कर पहिे एक बडा मंसदर आता था सजिमे्िगभग िभी िोकस्​्पय देवी-देवताओ् की मूस्तायां थी्,

जहां तीज-त्योहारो्, परीक्​्ा, मेिे-ठेिो् या प्​्वचनो् के वक्त खूब रौनक होती थी. चूंसक मंसदर हमारे स्कूि जाने के रास्​्े मे् पडता था अतः हम बच्​्ेयो्तो रोज उिके िामने िे िर झुकाकर आते जाते थे, िेसकन पसरक्​्ा के सदनो् मे्कुछ देर पहिे ही घर िे सनकि पडते तासक मंसदर के बाहर जूते खोिकर मंसदर मे् हर भगवान्के िामने पाि हो जाने की भोिी भािी मनौती मांग पुनः िौटते वक्त जूते पहनने का िमय समि जाए. उिके बाद एक िंबी िड्क पार करके स्कूि आ जाता था. उिी मुहल्िे के िुजीत. कल्पना, शेखर, बंटू, मै् और भी बच्​्े अपना बस्​्ा कंधे पर टांगे एक िाथ स्कूि जाते. बीच मे् कभी सकिी बात पर िड् भी पडते. कट्​्ी हो जाती, िेसकन स्कूि िे िौटते वक्त िब भूि जाते. शायद कक्​्ा पांच या छठवी् थी. मै् और शेखर एक ही िेक्शन मे् थे और क्िाि मे् एक ही बे्च पर अगिबगि बैठते. कभी सकिी टुच्ी िी बात पर िड बैठते तो एक दूिरे िे मुहं िुिाकर सतरछे िे

होकर बैठ जाते और िंबी टेबि पर अपनीअपनी हद चौक िे खी्च िेते. मजाि थी सक एक दूिरे के ‘पािे’ मे् उंगिी भी आ जाये. शेखर हम िबमे् होसशयार था. हमेशा िस्ट्ा आता. न सि​ि्ि पढ़ाई, बब्लक खेिकूद, पे्सटंग, वाद-सववाद िबमे नंबर वन. वह तीिरी कक्​्ा िे िेकर अब छठवी् कक्​्ा तक क्िाि का मॉनीटर भी था. हर माह की तीि तारीख िीि की तारीख होती थी. उि सदन शेखर क्िाि टीचर के िाथ उनकी मेज की बगि मे् एक कुि्ी डािकर ही बैठता और िीि जमा करने मे् उनकी मदद करता. वह गसणत मे् बहुत होसशयार था. यह वजह तो थी ही, िेसकन इमानदार भी बहुत था इिसिए मास्टर िाब उि​िे ही िीि का काम करवाना चाहते. स्कूि िे घर िौटकर हम बच्​्े खाना खाकर मैदान मे् खेिने आ जाते, जो हमारे घरो् के ऐन िामने दूर तक िैिा था. पूरे मैदान मे् सबंदाि दौडते-भागते, तरह-तरह के खेि खेिते. खो-खो, सितोसिया, कबड्​्ी, दौड. सकतने ही बच्​्े और सकतने प्​्कार के खेि. अब तो िबके नाम भी याद नही्. मै् और शेखर दौड मे् अग्​्णी रहते. चाहे स्कूि का िंक्शन हो या सिर मुहल्िे मे् बाि सदवि पर होने वािी प्​्सतयोसगताएं. हम मे् िे जो भी प्​्थम आ जाता, दोनो् को खुशी होती, िेसकन उि बार कुछ ऐिा घटा जो मेरे मन को छू गया. उिके बाद मै्ने किम खायी सक अब कभी शेखर िे आगे नही्आऊंगी. हुआ यह सक पांचवी् कक्​्ा की छमाही परीक्​्ा मे् मेरे चार अंक शेखर िे असधक आ गये और शेखर स्​्दतीय श्​्ेणी मे्आ गया. शेखर िे ज्यादा अंक प्​्ाप्त कर िेना सकिी भी िहपाठी के सिए अपने आप मे् एक बडी उपिब्लध थी और मै् पहिी बार ही पढाई मे् उिे पछाड पायी थी. जासहर है सक मेरी खुशी का पारावार नही् था.

वाक्षाि परीक्​्ा आने वाली थी. तभी मुझे बुखार आ गया और पंद्ह किन ति नही्रूरा. जब मै् स्वस्थ होिर स्िूल लौरी तब िुब्ाल भी हो गयी थी.

नतीजा घोसषत होने के पि्​्ात मै् उिे ढूंढती रही. मुझे िग रहा था सक वह मेरे प्​्थम आने िे बहुत खुश होगा और हमेशा की तरह मेरी चोटी खी्चकर कहेगा ‘अरे वाह, तूने तो गजब कर सदया ‘िेसकन उि सदन वह मुझे कही्नही् समिा. मै्उिे पूरे स्कूि मे्ढूंढ़्ती रही, तब एक िड्की ने बताया सक वो िायि्​्ेरी मे् बैठा रो रहा है. मै्वहां गयी तो वो िचमुच उदाि था. अरे क्या हुआ तुझे? मै्ने आि्​्य्ािे पूछा. तू क्यो्आई है यहां. जा अपना काम कर. 34 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016


उिने मुझे बुरी तरह सझड्क सदया अरे, िेसकन हुआ क्या ? सबल्िी कही्की... उिने कहा और गुस्िे मे्पैर पटकता हुआ बस्​्ा उठाकर बाहर चिा गया. (मेरा घर का नाम बबिी था और वो मुझे कभी-कभी गुस्िे या मजाक मे् सबल्िी कहता था.) दो सदन तक वह मुझिे बोिा भी नही्. मै् िमझ गयी सक मेरे चार नंबर उि​िे ज्यादा आये है् इिसिए वह दुखी है. अगिे सदन मै्ने उि​िे अपना अपराध स्वीकार करते हुआ कहा, ‘अब कभी िस्ट्ा नही् आऊंगी किम िे... अब तो बात कर िे. ... ‘ उिने कहा तो कुछ नही्, िेसकन उिका व्यवहार सिर िामान्य हो गया. अपने िंकल्प और उिके सवशवाि को मै्ने बखूबी सनव्ा​ाह भी सकया. वह इि तरह सक उिके बाद दौड मे् भी कभी जब मै् उि​िे आगे सनकिने को होती जानबूझकर उि​िे पीछे रह जाती और वह िस्ट्ाआ जाता. मुझे तब िबिे ज्यादा खुशी होती. िेसकन िच यह भी है सक िडाई और अबोिा भी हम दोनो् मे्ही िबिे ज्यादा होता था. वह थोडा सवसचत्​् था. कभी-कभी छोटी बातो् पर ही गुस्िा हो जाता और कभी बडी घटनाओ्पर शांत रहता. अब िोचती हूं तो महिूि होता है सक बचपन मे् सजिे मै् उिकी सजद या अहंकार िमझती थी, वास्​्व मे् वह उिकी असत िंवेदनशीिता थी. उिे खेिो् मे् र्सच थी. उि वक्त तमाम खेिो् के िाथ एक और खेि हुआ करता था. जब दो समत्​् समिते थे तो सजिको मौका समि जाता, िटािट ‘स्टेचू’ बोि देता. दूिरा समत्​् सजि मुद्ा मे् होता वैिे ही स्टेचू बनकर रह जाता और तब तक रहता जब तक बोिने वािा उि​िे ‘ओवर’ नही् कह देता. मै् और शेखर भी एक दूिरे को स्टेचू बोिते थे और जान-बूझकर तंग करते थे. देर तक उिी मुद्ा मे्रहने देते जब तक िामने वािा सगडसगडाने नही्िगता. िच कहूं तो मै्ही उिे ज्यादा तंग करती थी. यह उम्​् का वह दौर था सजिे सनखासि​ि बचपन कहते है्. तब हमारे भीतर बेईमानी ,झूठ ,चािाकी जैिे ‘दुग्ाुणो्’ की घुिपैठ नही् हुई थी, सिहाजा बत्ा​ाव िे िेकर खेिो् तक मे् हम पूण्ा सनष्​्ां और सवश्​्ाि बरतते. वास्षाक परीक्​्ा आने वािी थी्. तभी मुझे बुखार आ गया और पंद्ह सदन तक नही् टूटा. जब मै् स्वस्थय होकर स्कूि िौटी तब दुब्ाि भी हो गयी थी और पढाई मे् कािी सपछड भी गयी थी. गसणत के मास्टर जी रवी्द् बाबू पांडे बहुत कडक और खडूि थे. स्केि पर स्केि मारते हथेिी पर. चाहे िडकी हो या िडका. िो उनकी कक्​्ा मे् िबको खूब ितक्ि रहना

युवा कहानीकार और कसव. सवसभन्न पत्​्-पस्​्तकाओ् मे्और ल्िॉग पर रचनाएं प्​्कासशत. एक उपन्याि ‘मगहर की िुबह’. शाि्​्ीय िंगीत मे्सवशेष र्सच. िंगीत िमीक्​्ा और ल्िॉग िेखन भी करती है्. ईमेि:

पडता. जरा भी कम नंबर आते तो कॉपी मे् नोट िगा देते सक ‘अपने बच्​्े पर ध्यान दो. गसणत मे् कमजोर है ‘. उि ‘नोट’ पर हमे् सपताजी के िाइन करवाकर िाने पडते. नही् करवाते तो मास्टर िाब की स्केि खानी पडती और करवाने को सपताजी को देते तो सपताजी की सपटाई. हािासक मेरे िामने अब तक ऐिी ब्सथसत नही् आयी थी. मास्टर जी ने अगिे सदन गसणत की कॉपी चेक करने को कहा था. मेरे पाि सपछिा कुछ भी काम नही् था िो मै् उि सदन खेि के पीसरयड मे् नही् गयी और अकेिी क्िाि मे्बैठकर रोने िगी. शेखर क्िाि मॉनीटर था. उिने मुझे खेि के मैदान मे्नही्देखा तो आया और मेरी चोटी खी्चते हुए बोिा, ‘क्यो् री सबल्िी... यहां सछपकर बैठी है सक खेिना न पडे. चि ग्​्ाउंड मे्’. मै् और जोर िे रोने िगी. अरे क्या हुआ बता तो ?उिने थोड्ा घबराकर कहा मेरा गसणत का काम पूरा नही् है और मास्टर जी कि कॉपी चैक करने वािे है्, मै्ने िुबकते हुए कहा. अरे, तो इिमे् रोने की क्या बात है. . पागि कही्की ? मेरी पूरी कॉपी जांच चुके है् मास्टर जी, कहकर उिने अपने बस्​्े मे् िे कॉपी सनकािी और मुझे दे दी. मै्उिकी कॉपी उिटने-पुिटने िगी. महारानी, मेरी कॉपी घर िे जाओ. आराम िे करना. अब ग्​्ाउंड मे्चिो, उपब्सथसत िेनी है. उिने कहा. रात मे् बैठकर मै्ने शेखर की कॉपी मे् िे काम पूरा सकया और अगिे सदन सनस्​्िंत होकर क्िाि मे् आ गयी. मै्ने अपनी कॉपी मास्टर जी की टेबि पर चैक करने के सिए रख दी, िेसकन जब शेखर की कॉपी देखी तो वह मै् घर पर ही भूि आयी थी. नतीजा वही... . मॉनीटर यानी शेखर की हथेिी पर तड्ातड् स्केि पडी् और मास्टर जी उि​िे

इतने नाराज हो गये सक उिे दि समसनट तक मुग्ा​ा भी बनाये रखा. यह असतसरक्त िजा उिे ‘मॉनीटर होते हुए िापरवाही करने’ पर समिी थी. मुझे िग रहा था सक शेखर िच बता देगा, िेसकन वह सपटता रहा, उिने एक शल्द भी नही् कहा. जासहर है उिके बाद मै् अपराध बोध िे कांप रही थी और शेखर अपमासनत और दुखी होकर टेबि पर िर कोहनी मे् सछपाकर बैठ गया था. मॉनीटर को िजा! ये हम बच्​्ो् के बीच एक अिंभव द्​्श्य होता था क्यो्सक क्िाि का मॉनीटर बनाया ही उिको जाता जो स्वयं खूब अनुिासशत, होसशयार और अच्छे बत्ा​ाव का हो. शेखर मुझिे गिती हो गयी. मै्ने डरते हुए कहा. मै्उिका गुस्िा जानती थी. देख, मुझिे बात मत करना अब नही् तो... कहकर वह सिर िे गद्ान नीची कर मुहं ढंककर बैठ गया. उिकी आंखे् क्​्ोध और अपमान िे जि रही थी्. उि पूरे सदन मेरा मन सकिी क्िाि मे् नही् िगा. जब छुट्ी हो गयी और बच्​्े क्िाि मे् िे जाने िगे, मै्ने शेखर िे कहा ‘देख ,कह रही हूं न गिती हो गयी. कोई जान-बूझकर थोडे ही घर छोडकर आयी थी तेरी कॉपी... िच्​्ी कह रही हूं. . सवद्​्ा किम. उिका मुहं अब भी िूिा हुआ था. उिने मेज पर फैिी कॉपी-सकताबे्अपने बैग मे्भरी और जाने िगा िुन. . तेरे को जो िजा देनी हो दे दे... िच्​्ी. ‘. मै्ने उिे मनाने की अंसतम कोसशश की. वह र्क गया. कुछ िोचने िगा. सिर अचानक बोिा, ठीक है. चि स्टेचू हो जा और जब तक ‘ओवर’ न कहूं सहिना मत, िमझी ? मै्िजा िुनकर खुश हो गयी. चिो गुस्िा तो खत्म होगा इिका िोचकर स्टेचू बनकर जहां की तहां खडी हो गयी. अब मै्पानी पीकर आता हूं तब तक स्टेचू रहना... उिने तज्ानी सदखाकर आदेश के स्वर मे्कहा और कहकर वाटर टेक की तरि चिा गया. उिके बाद पांच ,दि, पंद्ह और कम िे कम बीि पच्​्ीि समनट हो गये शेखर नही् िौटा. कुछ देर तो मुझे िगा सक मेरी गिती वाकई इिी िजा के िायक थी, िेसकन जब िमय बीतता ही गया और वह नही् आया तो मै्रोने िगी. ब्सथर मुद्ा मे्स्टेचू बने मेरे अधर मे् िटके हाथ दुखने िगे. स्कूि बच्​्ो् िे खािी होने िगा. तभी अचानक ि​िाई करने और क्िािो् मे् तािा िगाने वािी मोल्करनी अम्मा आ गयी. का है सबसटया... घरे काहे नही्गयी? मै्वैिे ही स्टेचू बनी खडी रही. शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 35


मास् कहानी ट हेड

अरे का भया. मोह ते कछु िूटेगी के नाय? अम्मा उिने ओवर नही् बोिा. अम्मा मेरा मुहं देखती रही. सबसटया. िंजा होने को है, अब घरे जाओ. . मोहे िपाई कन्नी हते. मै्ने जल्दी िे अपना बस्​्ा उठाया और घर की तरि दौड िगायी. बि अब हमेशा के सिए कट्​्ी. जाने क्या िमझता है अपने आप को. कि मास्टर जी िे कहकर पक्​्ा िे अपनी िीट बदिवानी है’. मै् मन ही मन बडबडा रही थी. कॉिोनी के गेट मे् घुिते ही देखा सक शेखर के घर के िामने भीड िगी है पता पडा सक उिके सपताजी का हाट्ा िेि हो गया है. दरअि​ि जब वह मुझे स्टेचू बोिकर पानी पीने गया था तभी सकिी ने दौडकर आकर उिे खबर दी थी सक ‘तेरे सपताजी खतम हो गये ‘और वह अपने घर दौड गया था. उिके बाद उिकी शक्ि नही्सदखी. पंद्ह-बीि सदन बाद वह अपने दादा-दादी के िाथ िपसरवार कही् चिा गया. उन्हो्ने शहर छोड सदया था. मुझे बहुत सदनो् तक शेखर की याद आती रही. सवशेष तौर पर जब स्कूि का सरजल्ट खुिता. अब उिका स्थान िुजीत ने िे सिया था. वे या मै्ही प्​्थम आते. बचपन मे्बहुत छोटेमोटे व्यवधान भी बडी िमस्याएं िगते है्. जैिे होम वक्ि पूरा न हो पाना या स्कूि िमय पर न पहुंचने की डांट का भय , कोई िवाि िमझ मे्न आना ‘ िेसकन मुझे मािूम था सक घर मे्मां और घर िे बाहर शेखर ही है्जो मेरी िब िमस्याओ् को हि करने की कुव्वत रखते है्. अब शेखर मेरी सजंदगी िे दूर जा चूका था. न जाने क्यो् जैिे-जैिे मै् बडी होती जा रही थी मुझे िग रहा था जैिे मै् शेखर िे प्​्ेम करने िगी हूं... एक अदृश्य प्​्ेम. शायद ये महिूसियत इिसिए थी सक शेखर ही मेरी सजंदगी का पहिा दोस्​् था सजि​िे मै् इतनी सनकटता महिूि करती थी. उिे खोने के बाद उिे पाने की सशद्​्त एक अजीब िे रहस्य के िाथ और बढ़ती जा रही थी. िेसकन िमय के आगे सकिकी चिी है ? उन सदनो् मै्ने िबिे सछपाकर पहिी कसवता सिखी थी. कुछ पंब्कतयां अब भी याद है्उिकी. ‘क्यो्नही्होता कोई ऐिा सजंदगी मे् जो कही्नही्होता पर होता है हमारी यादो्मे्िबिे ज्यादा भटकता रहता है गसियारो्मे्आत्मा की और हम यह दावा भी नही्कर पाते सक देखो प्यार का चेहरा ऐिा होता है. वह बचपना था और अब मै् इक्​्ीिबाईि बरि की युवती. सववाह होते ही स्कूि, 36 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

िुकनया और जीवन ने एि अलग शक्ल अख्ततयार िर ली. करश्ते और िरोिार बिल गये पुरानी स्मृकतयो्िे ऊपर नयी स्मृकतयो् िी तहे्जमती गयी्. दोस्​्ो् की यादे्, बचपन के आकष्ाण, खेिकूद िब मेरी स्मृसत िे पुंछने िगे. उम्​्, हािात, ब्सथसतयां िब अपनी रफ्तार िे गुजरने िगे. नतीजतन दुसनयां और जीवन ने एक अिग शक्ि अब्खतयार कर िी. सरश्ते और िरोकार बदि गये ,प्​्ाथसमकताएं बदि गयी्, युग बदि गया. पुरानी स्मृसतयो्के ऊपर नई स्मृसतयो् की तहे् जमती गई्. हां मगर स्मृसत का एक जख्म जो गाहे-बगाहे हरा हो उठता मेरे जेहन मे्कौ्धता -धुंधिाता रहा. वष्​्ो् बाद... एक सदन अचानक बचपन के िहपाठी िुजीत ने मुझे िेिबुक पर फ्​्ड्ि सरक्वेस्ट भेजी. िुखद आि्​्य्ाहुआ. िेसकन उिके बाद मै्ने उिे खूब मेिेज सकये. शेखर और अन्य बचपन के दोस्​्ो् के सवषय मे् पूछा, िेसकन उिका कोई जवाब नही् आया. वह िेिबुक पर नही्रहता था. बि इतना पता चिा था सक िुजीत मुंबई के टाटा मेमोसरयि हॉस्पीटि मे् डॉक्टर है उि सदन अचानक िुजीत का मैिेज आया. रासधका, अपना िोन नंबर दे िकती हो? तुमिे कोई बात करना चाहता है. कौन? मै्ने पूछा. तुम खुद देख िेना... उिने कहा.

मै्ने अपना मोबाइि नंबर उिे मेिेज सकया. उिी वक्त िुजीत ने मुझे िोन िगाया. उिने बताया सक उिके एक बेटी है जो डॉक्टर है चेन्नई मे्. मै्ने भी बताया सक मेरे दो बेटे है्एक ग्​्ेज्युएशन मे्और दूिरा बारहवी्मे्. इिी तरह की कुछ औपचासरक बाते्पूछने बताने के बाद उिने कहा, िो बात करो. अब िोन सकिी अन्य पुर्ष ने उठाया था. रासधका? उि और िे एक बुजुग्ा, कमजोर और आत्मीय िी आवाज िुनाई दी. जी कौन? मै्ने पूछा. आवाज कुछ देर मौन रही. सिर उिने कहा ‘याद है बचपन मे्जब टॉकीज मे्सिल्म देखने जाया करते थे तो क्िाइमेक्ि के ठीक पहिे पद्​्े पर इंटरवि सिखा आ जाता था. एक अधूरेपन की किक िी मन मे् उठती. एक गंभीर कहानी के बीच होने वािे इि इंटरवि मे्जो सनस्िंदेह एक जर्री व्यवधान था, सकिी दूिरी सिल्म के चौ्काऊ या आकष्ाक द्​्श्य, नाच गाने आसद सदखाये जाने िगते थे. जब सिल्म का दूिरा सहस्िा शुर् होता दश्ाको् को ‘इंटरवि’ िे सनजात पाने मे् कुछ वक्त िगता था. हमारी सजंदगी का इंटरवि कुछ ज्यादा िंबा हो गया है् न ? (आवाज हौिे िे हंिी)... एनी वे... दरअि​ि िुजीत यहां मेरा इिाज कर रहा है. जब इिे देखा तो बचपन याद आ गया. हम िोगो् ने खूब पुरानी बाते् याद की्. इि बीच तेरा पता या िोन नंबर सकतने िोगो् िे पूछा था. सकिी के पाि नही्था. ‘तेरा’. िुनकर मै्कुछ चौ्की... हां, हम िोग भी बाद मे् आगरा छोडकर चिे गये थे िेसकन आप कौन है्? कुछ तो बताइए . मै्पसरचय जानने को िािासयत थी. कुछ देर सिर मौन रहा. रासधका... नाम क्या करोगी अब पूछकर. बि एक शल्द बोिना था जो जर्री था और बोि नही् पाया था तुमिे. िािो्िे अटका हुआ है मन मे्. अब तक आत्म-ग्िासन मे्जि रहा था िेसकन अब आराम िे मर िकूंगा. क्​्िर की अंसतम स्टेज मे् हूं... िुजीत बता रहा है... कहकर आवाज की िीकी िी दुब्ाि हंिी िुनाई दी. ‘तुम पहेसियां ही बुझाते रहोगे या कुछ बताओगे भी... यसद नही् बताना चाहते तो रखती हूं िोन... मै् िगभग चीखी. उि चीख मे् िे न जाने सकतनी सचंगासरयां प्​्स्िुसटत हुई्. पहचान की, स्मृसतयो् की, नाराजगी की,प्यार की, अफिोि और सफक्​्की... ‘ओवर’ वहां िे अचानक एक थकी हुई िी आवाज आयी जैिे सकिी सि​िाई मे्अंसतम और मजबूत गांठ िगा दी गयी हो. स्टेचू. मै्ने उिके शल्द के एन पीछे अपना n शल्द जोड सदया.


सारहत् मास्यट/करवता हेड

तनदा फ्ाज्ली की कुछ नज्​्मे् आठ ि​ि​ि​िी 2016 को वहंदी औि उद्दूमे्समान र्प से लोकव्​्पय शायि वनदा फ्ाज्ली का वनधन हो गया. उन्हो्ने उद्दूशायिी को आमिहम जबान का वहथ्सा बनाने औि उसे विद्​्ोही संि पिंपिा औि लोक जीिन से जोड्ने का अहम काम वकया िा. दो अक्टूबि 1938 को जन्मे वनदा के प्​्मुख संग्ह है्: ‘खोया हुआ सा कुछ’, ‘मोि नाच’, म’ौसम आिे-जािे है’ औि ‘आंखो्भि आकाश’. उनके आत्मकिा के दो खंड ‘दीिािो्के भीि​ि’ औि ‘दीिािो्के बाहि’ भी बहुि चव्चदि िहे है्. उन्हो्ने कई विल्मो्के वलए गीि औि संिाद भी वलखे, वजनमे्प्​्मुख है्‘िवजया सुल्िान’, ‘नाखुदा’, ‘सि​ि​िोश’ औि ‘इस िाि की सुबह’. वहंदी उद्दूके इस महत्िपूण्दशायि की याद मे्उनकी कुछ कवि​िाएं यहां दी जा िही है.

लफ्​्ज्ो् का पुल मब्सजद का गुंबद िूना है मंसदर की घंटी खामोश जुज्दानो मे सिपटे िारे आदश्​्ो्को दीमक कब की चाट चुकी है रंग गुिाबी नीिे पीिे कही्नही्है् तुम उि जासनब मै्इि जासनब बीच मे्मीिो्गहरा गार िफ्​्ज्ो्का पुि टूट चुका है तुम भी तनहा मै्भी तनहा.

उठके कपड्े बिल उठके कपड्ेबदि, घर िे बाहर सनकि जो हुआ िो हुआ रात के बाद सदन, आज के बाद कि जो हुआ िो हुआ जब तिक िांि है, भूख है प्याि है ये ही इसतहाि है रख के कांधे पे हि, खेत की ओर चि जो हुआ िो हुआ खून िे तर-ब-तर, करके हर रहगुज्र थक चुके जानवर िकस्डयो्की तरह सिर िे चूल्हे मे्जि जो हुआ िो हुआ

जो मरा क्यो्मरा, जो जिा क्यो्जिा जो िुटा क्यो्िुटा मुद्तो्िे है्गुम इन िवािो्के हि जो हुआ िो हुआ मंसदरो्मे्भजन मब्सजदो्मे्अज्ां आदमी है कहां? आदमी के सिए एक ताज्ा ग्ज्ि जो हुआ िो हुआ

तुम्हारी कब्​् पर तुम्हारी कि्​्पर मै् फ्ातेहा पढ़्ने नही आया, मुझे मािूम था, तुम मर नही िकते तुम्हारी मौत की िच्​्ी खबर सजिने उड्ायी थी, वो झूठा था, वो तुम कब थे? कोई िूखा हुआ पत्​्ा हवा मे सगर के टूटा था मेरी आंखे् तुम्हारी मंज्रो मे कैद है्अब तक मै्जो भी देखता हूं, िोचता हूं वो वही है जो तुम्हारी नेक-नामी और बद-नामी की दुसनया थी कही्कुछ भी नही्बदिा तुम्हारे हाथ मेरी उंगसियो्मे्िांि िेते है्, मै्सिखने के सिए जब भी कागज किम उठाता हूं, तुम्हे बैठा हुआ मै्अपनी कुि्ी मे्पाता हूं. बदन मे्मेरे सजतना भी िहू है, वो तुम्हारी िगसजशो्नाकासमयो्के िाथ बहता है मेरी आवाज मे्छुपकर तुम्हारा जेहन रहता है, मेरी बीमासरयो्मे्तुम मेरी िाचासरयो्मे्तुम तुम्हारी कि्​्पर सजिने तुम्हारा नाम सिखा है,

वो झूठा है, वो झूठा है, वो झूठा है, तुम्हारी कि्​्मे्मै्दिन तुम मुझमे्सजंदा हो, कभी िुरित समिे तो िातहा पढने चिे आना.

नही् यह िी नही् नही्यह भी नही् यह भी नही् यह भी नही्, वो तो न जाने कौन थे यह िब के िब तो मेरे जैिे है् िभी की धड्कनो्मे्नन्हे-नन्हे चांद रोशन है् िभी मेरी तरह वक्​्त की भट्​्ी के ई्धन है् सजन्हो्ने मेरी कुसटया मे्अंधेरी रात मे्घुि कर मेरी आंखो्के आगे मेरे बच्​्ो्को जिाया था वो तो कोई और थे वो चेहरे तो कहां अब ज्ेहन मे्महिूज्जज िाहब मगर हां पाि हो तो िूंघ कर पहचान िकती हूं वो उि जंगि िे आये थे जहां की औरतो्की गोद मे् बच्​्ेनही्हंिते.

मुंह की बात सदि के दद्ाको जाने कौन आवाज्ो्के बाज्ारो्मे् ख्ामोशी पहचाने कौन. िसदयो्-िसदयो्वही तमाशा रस्​्ा-रस्​्ा िंबी खोज िेसकन जब हम समि जाते है् खो जाता है जाने कौन जाने क्या-क्या बोि रहा था िरहद, प्यार, सकताबे्, ख्ून कि मेरी नी्दो्मे्छुपकर जाग रहा था जाने कौन मै्उिकी परछाई हूं या वो मेरा आईना है मेरे ही घर मे्रहता है मेरे जैिा जाने कौन सकरन-सकरन अि​िाता िूरज पिक-पिक खुिती नी्दे् धीमे-धीमे सबखर रहा है ज्र्ा​ा-ज्र्ा​ा जाने कौन.

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शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 37


मास् सारहत् ट हेयड

कैसे कहें कथा

श्याम मनोहर

थात्म िासहत्य के िंदभ्ा मे् सपछिे कुछ वष्​्ो् िे मै् िभ्यता और िंस्कृसत की अवधारणाओ्को काम मे्िाते हुए िोच-सवचार कर रहा हूं. मनुष्य की दो प्​्धान चाहते्होती है्: िही ढंग िे जीना और जानना. िही ढंग िे जीने के सिए िमाज मे् जो व्यवस्था होती है, उिे िभ्यता कहा जा िकता है. िभ्यता मे् स्कूि, महासवद्​्ािय, ग्​्ंथािय, ग्​्ंथ आसद जानने की व्यवस्था होती है. वहां मानव जासत पूव-ा् ज्​्ात को ही जान िकती है. ज्​्ात को जान िेने मे्मनुष्य की कािी सजंदगी खच्ा हो जाती है. मनुष्य की यह भी चाहत होती है सक मानव को जो ज्​्ात ही नही्हुआ है, अज्​्ात है, उिे जान िे. अज्​्ात मे् जो है, उिे खोजना पड्ता है. अज्​्ात को खोजने की मनुष्य की चाहत को िंस्कृसत कह िकते है्.

कथात्म िासहत्य मे्िभ्यता होती है. ग्​्ामीण िभ्यता होगी, नागरी िभ्यता होगी, आस्थाकता िे िंबंसधत िभ्यता होगी, सवचारधारा की िभ्यता होगी, धम्ाकी िभ्यता होगी, सवकृसत की िभ्यता होगी, मध्ययुगीन प्​्ाचीन िभ्यताएं हो्गी. पूरी तरह िे काल्पसनक िैट् बे स् टक िभ्यता भी हो िकती है. कथात्म िासहत्य का एक आयाम िंसक ् सृ त का भी होता है. कथात्म िासहत्य मे् खोज करना, पाना भी होता है. कथात्म िासहत्य के पात्​्खोज करते या पाते है्, या सिर िेखक ही पात्​्ो्के जसरये खोज करता या पाता है. कथात्म िासहत्य का खोज करने, पाने या उिे सिद्​्करने का अपना एक प्​्णािी-सवज्​्ान होता है. कथात्म िासहत्य मनुषय् जीवन की दशा अथ्ा​ात्िभ्यता की खोज प्​्स्ुत करता है. मनुष्य को मात्​् जीना पय्ा​ाप्त नही् िगता. मनुष्य को अनेक कुतूहि होते है्. इनमे् अहम मराठी के िुप्सिद्​्िासहत्यकार. प्​्मुख कृसतयां: ‘खूप िोक आहेत’, ‘शीतयुद्िदानंद’, ‘प्​्ेमाची गोष्​्’, ‘हे ईश्​्र राव हे पुर्षोत्​्म राव’, ‘िन्मान हौि’, ‘उत्िुकतेने मी झोपिो’. अनेक कृसतयो्का सवसभन्न भाषाओ्मे् अनुवाद. हाि ही मे्कुवे्पु पुस्कार िे िम्मासनत. देवी असहल्या बाई पर एक सिल्म का सनम्ा​ाण.

38 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

कुतूहि है्: (1) सवश्​् क्या है? (2) मनुष्य क्या है? (3) जीवन का अथ्ाक्या है? कथात्म िासहत्य िभ्यता की खोज के िाथ िाथ इन प्​्श्नो् की भी छानबीन करता है, इिसिए कथात्म िासहत्य ज्​्ान शाखा है. इन तीन प्​्श्नो् का कुतूहि आम आदमी को भी होता है. आम आदमी भी इन प्​्श्नो्का िंधान करता है, उत्​्रो् को प्​्स्ुत करना चाहता है. इि प्​्मेय पर आधुसनक कथात्मिासहत्य खड्ा है. मनुष्य सववेकी होता है तो असववेकी भी. बहुत िारी ज्​्ान शाखाएं सववेक के आधार पर काम करती है्. कथात्म िासहत्य मे्सववेक और असववेक, इन दोनो् मानवीय गुण-धम्​्ो् का उपयोग कर खोजने और सिद्​् करने का काम होता है. कुछ पात्​्ो्के जीने को प्​्स्ुत करते हुए मनुष्य के बारे मे्ही कुछ सनयमो्तक पहुंचना, जीने को प्​्स्ुत करते हुए जीवन तक पहुंचना, जीने को छोटे-िे अंतराि िे सवश्​्के अंतराि तक पहुंचना सशव धनुष को उठाने जैिा है. सिखने की प्​्स्कया मे् यह िबिे जानिेवा किौटी का सहस्िा होता है. यहां िज्ानता होती है. िज्ानता का पूण्ामेकैसनक्ि अभी तक मानव जासत को समिा नही् है. िज्ान के शाि्​् मे् ‘अंत:प्​्ज्ा’ का योगदान होता है. खोजो् के इसतहाि मे्दज्ाहै सक िभी महत्वपूण्ाखोजो्मे्


अंत:प्ज् ्ा का योगदान होता है. अंत:प्ज् ्ा को कैिे अमि मे् िाये्? इिका मेकैसनक्ि अभी तक समिा नही्है. अंत:प्​्ज्ा की एक शत्ाहै अंतम्ान का जागना, पूरी तरह िे जागना, बाहरी व्यावहासरक मन का दोयम हो जाना, िेसकन यह एकमात्​्शत्ानही्है. िेखक इतना कर िकता है सक अंत:प्​्ज्ा िे कूट िुिझ गया तो कल्पना के प्​्योग िे प्​्िंगो्को सनम्ा​ाण सकया जा िकता है. यथाथ्ाया अनुभव के प्ि ् गं ो्को कथात्म र्प मे् र्पांतसरत सकया जा िकता है. तब कथात्म िासहत्य को ऊंचाई प्​्ाप्त होती है, अन्यथा काव्यमय भाषा मे् सचंतन को घोिकर िेखक सकिी तरह काम चिा िेता है. कल्पनाशीिता के िहारे कथात्म िासहत्य मे्प्​्धानमंत्ी को भी पात्​्बनाया जा िकता है. अनुभव को ही पकड्कर रहेग् े तो प्​्धानमंत्ी को ही प्​्धानमंत्ी पर कथात्म िासहत्य सिखना पड्ेगा. कथात्म िासहत्य के सिए कल्पना की िैकल्टी को पोिना जर्री है. कल्पना िे ही कथात्म िासहत्य सिद्​्होता है. कहानी, उपन्याि, कसवता, नाटक, िसित सनबंध पारंपसरक िासहत्य के भेद है.् खुिे िमाज मे् स्वीकार होना चासहए सक िासहत्य भेद अपारंपसरक भी हो िकते है.् अपारंपसरक िासहत्य के टैकनीक के आधार पर भेद करने ही हो तो मजमून की िंबाई के आधार पर छोटा िेख और बड्ा िेख जैिे सकये जा िकते है्. सजन्हे् पारंपसरक र्पभेद के अनुिार सिखना है, वे कैि सिखे, सजन्हे् अपारंपसरक र्पभेद के अनुिार सिखना है वे वैिा सिखे्. बात इतनी िरि है. अन्यथा तीन हजार ईस्वी मे्िासहत्य के र्पभेद दूिरे ही हो्गे्तो सिर पहिे ही बदि रहे हो्तो बदिने दे.् यो् उदाहरण देना हो तो, सजद न हो सक भारत मे् बुिटै ट्न्े आनी ही चासहए. बुिटै ट्​्ेन के आगे की ट्​्ेन भी भारत मे् आने मे् क्या हज्,ा है? प्ध ् ान मुद्ा है: नये की खोज. इि तरह िे बननेवािे िेखन के बारे मे् कुछ मुद्ो् को प्​्स्ुत करना चाहता हूं: (1) पठनीयता: पाठक को िगना चासहए सक ‘पढ़्ते’ रहना चासहए. भाषा का आनंद होना चासहए. र्पाकार का आनंद होना चासहए, पठनीयता मे् एक महत्व का मुद्ा है ‘जानने’ की प्​्स्कया का जारी रहना. िभ्यता मे् पठनीयता पर अनुिंधान होना चासहए. (2) सनवेदन के सिए प्​्मासणत भाषा का प्​्योग होना चासहए. आंचसिक भाषा-बोसियो्के शल्दो्, शैसियो्को स्वीकार कर प्​्मासणत भाषा की बनावट होनी चासहए. इि​िे अन्य ज्​्ान शाखाओ् के सिए भी प्​्मासणत भाषा बन िकती है. आम जीवन के सिए भी प्​्मासणत भाषा के बनने के जर्रत है. िंवाद के सिए बोिी-भाषा उसचत होगी. (3) कथात्म िासहत्य मे्सवशेषण, स्​्कयासवशेषणो्का सवशेष महत्व होता है. (4) कथात्म िासहत्य के

सिए अिग िे प्​्सशस्​्कत िंपादक होने चासहए. सवश्​्सवद्​्ाियो् मे् ऐिे पाठयक्​्म बन जाने चासहए. (5) कथात्म िासहत्य की रचना, उद्श्े य् और भाषा के बारे मे्अनेक सिद्​्ांत होने चासहए. अब कथात्म िासहत्य के िेखको्के बारे मे:् (1) िेखक ठेठ दाश्ासनक नही् होता िेसकन उिे दाश्ासनक मन का होना चासहए. उिका मन व्यावहासरक न हो. मतिब ‘रास्​्ा’ सनकािनेवािा न हो तो ज्​्ान की खोज करनेवािा हो. (2) िेखक की एक शत्ाहोती है: पहिे िे सजिकी सनस्मासत हुई है, उिका सबल्कुि ही इस्​्ेमाि न करे्. नये की ही खोज करे्. (3) िेखक पूरे िमय का हो. स्वतंत्ता प्​्ाब्पत को अड्िठ िाि हो गये. अगर अब भी िेखक पूरे िमय का होना िंभव नही्हुआ हो तो यह अपनी िभ्यता की कमी है. िेखक जासत की यह कमी है सक िेखक पूरे िमय का िेखक होने का िाहि नही्सदखाते है.् (4) िेखक पर

यथाथ्ाया अनुभव िे प्​्िंगो् िो िथात्म र्प मे्र्पांतकरत किया जा ि​िता है. तब िथात्म िाकहत्य िो ऊंचाई प्​्ाप्त होती है. बाहर के िे्िर बहुत है्. सिर उि पर उिके अपने भीतरी िे्ि​ि्ा भी होते है्. खोज करने, सिद्​्करने के सिए िेखक स्वतंत्नही्है. इि पर सवद्​्ोह का माग्ाहस्बमामूि है. जो होगा िो होगा. मुझे दूिरा मजेदार माग्ािूझता है. िेखक दो प्​्कार का िेखन करे्: (1) िे्िर को मानकर िेखन करे.् वह प्क ् ासशत हो िकता है. (2) पूरी आजादी का िेखन करे् और उिे िंभािकर रखे्. वह सिर कभी प्​्कासशत होगा.

मरणोत्र् कीस्ता िासहत्य के इसतहाि मे्नयी बात नही् और मरणोत्​्र कीस्ता िभ्यता मे् सकंवदंती बन जाती है. मरने के बाद नामवरी मे्अिग ही मजा है. कथात्म िासहत्य का जानकार जीते जी इि मजे को जान िकता है. िेखक की रोजमर्ा​ा की सजंदगी कैिी होती है, इिकी जानकारी िमाज को नही्होती. एक ही िवाि पूछा जाता है सक कैिे िूझता है? िमाज यह मानकर चिता है सक िेखक को सिखने के दौरान, सिखे जाने के बाद आतंक होता है. िमाज को इि बात की भी जानकारी होनी चासहए सक सिखना वेदना देनवे ािा, रोजमर्ा​ा की सजंदगी को सबगाड्नवे ािा, स्वास्थय् पर अिर करनेवािा भी होता है. िमाज को इि बात की जानकारी भी होनी चासहए सक कथात्म िासहत्य अन्य ज्​्ान शाखाओ् के िमान मुब्शकि होता है. कथात्म िासहत्य सिखने का मतिब है, कइयो् को उम्मीदवारी करनी पड्ती है. उनमे्िे कोई एकदो श्​्ेष्बन पाते है्. पढ़्ने के बारे मे्: (1) कथात्म िासहत्य को पढ़्ने मे् तक्ि, कल्पनाशब्कत और कुछ अन्य जानकारी को काम मे्िाना पड्ता है. पाठक को आग्​्ह नही्रखना चासहए सक पढ़्ते-पढ़्ते अपने आप िमझ मे् आ जाये.(2) पाठक को इि बात का मासनिक आग्​्ह भी नही्करना चासहए सक कथात्म िासहत्य की रचना, भाषा, सवषय, अंतव्ास्ु सवसशष्​् या पसरसचत ही हो.(3) इि नजसरये िे पढ़्ने के कौशिो्का अनुिधं ान होना चासहए और उन्हे् पाठको् तक पहुंचाना चासहए.(4) र्पाकार, भाषा शैिी, सशल्प जैिी अवधारणाओ् की जान-पहचान पाठको् तक पहुंचानी चासहए और उि दृस्ष िे पाठको् के सिए रिग्​्हण कक्​्ाएं आयोसजत की जानी चासहए. (5) हर गांव मे्बेहतर वाचनािय हो् जो पाठक वाचनािय मे् दो घंटे सबतायेगा, उिके सिए चाय-सबस्कटु का प्ब् धं सकया जाये. राजनीसतक दिो्के घोषणापत्​्ो्मे्यह क्यो्नही् होता?(6) िमाज मे् यह बात भी िैिनी चासहए सक कथात्म िासहत्य जीने, जीवन, मनुषय् और सवश्​्के बारे मे्होता है और इिे जानने मे् भी मनोरंजन होता है. ऐिा होने पर पाठको्का सरश्ता कथािासहत्य िे कायम हो जायेगा. दो व्यावहासरक मुद्े: (1) पुरस्कारो्को या तो टैक्ि फ्​्ी सकया जाये या पुरस्कारकत्ा​ाओ्को टैक्ि चुकाना चासहए. या सिर टैक्ि को काटकर ही पुरस्कार रासश को घोसषत सकया जाये. (2) कथात्म िासहत्य के िेखक को पुस्क्​्खरीदनी पड्ती है्, यात्​्ाएं करनी पड्ती है्, कुछ िंधान-अनुिंधान करना पड्ता है. इि व्यय को करमुक्त सकया जाये. मिाठी से अनुिाद : वनवशकांि ठकाि (सनसशकांत ठकार िुपसरसचत अनुवादक है् उन्हो्ने मराठी की कई कृसतयो्का सहंदी मे्अनुवाद सकया है.) n

शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 39


सारहत् मास्यट/समीक् हेड ्ा

नये आशयो् का आतशयाना राजेश जोशी ने कलवता को बोलराल के लनकर रखा है और नयी प्​्तीलतयो्से उसे संपन्न बनाया है. ओम वनश्चल

कसवताएं इिी उम्मीद िे भरी है्. िेखक होना क्या होता है? कबीर ने कहा था, ‘दुसखया दाि कबीर है पनी पीढ़्ी मे् राजेश जोशी ऐिे कसवयो् मे् है् सजनका गद्​्-पद्​् िब जागै अर् रोवै.’ इि िमाज मे् बुस्दजीसवयो् और िेखको् की यही हाित िांचे और िंयम मे् ढिा सदखता है. कथ्य, अनुभव, िंवेदना और है. पर वे अपने अंत:करण िे मजबूर है्. वे िदैव िमाज की बेहतरी का अंदाजे-बयां का जो िहमेि उनके यहां सदखता है, वह उनके िमकािीनो् स्वप्न देखते है्. उनकी इन कार्ावाइयो् का क्या हश्​् होता है, इिका उन मे् सवरि है. एक दौर था जब प्​्तीको् की भाषा मे् कसवता िे राजनीसतक पर कोई िक्ि नही् पड्ता. ऐिे िेखको् को ही िक्​्य कर सिखी कसवता आशय व्यक्त सकये जाते थे. ज्​्ाने्द्पसत ने सजि दौर मे्सिखा, ‘पेड्है्इि ‘सजद’ के कुछ अंश देखे्: कई बार उदािी उन्हे्भी घेर िेती है: पृथ्वी के प्​्थम नागसरक’, उिी दौर मे्राजेश जोशी ने इिी बात को आगे ‘उन्हे्भी िगता है सक उनकी कोई आवाज नही्इि िमाज मे्./घर मे् बढ़्ाते हुए सिखा था: ‘एक सदन बोिे्गे पेड्.’ पर धीरे-धीरे आठवे्दशक भी अक्िर सझडसकयां िुननी पडती है्उन्हे/् सक दुसनया के कसव प्​्तीकात्मकता िे मुक्त होते गये और अपनी भर की सिक्​् वे ही क्यो् अपने सिर पर सिए घूमते कसवताओ् को िधे और बेध्य मुहावरे मे् िंगत रहते है्/सक उनके करने िे क्या बदि जाएगा इि सनष्कष्​्ो् तक िे जाने के सिए प्​्सतश्​्ुत होते गये. िमाज मे्?/वे जो दुसनया की हर घटना के बारे मे् कमीज पर सजनके दाग नही् हो्गे, मारे जाएंगे जैिी बोिते है्/इि िवाि पर अक्िर चुप रह जाते है्.’ कसवता ने जनांदोिनो् मे् ताकत पैदा की तो बच्चे ऐिा िगता है जैिे कसव कहना चाहता हो, काम पर जा रहे है्जैिी कसवता ने भाषाई िादगी के कसवता क्या कर िकती है िमाज मे,् इिके िसिताथ्ा बावजूद कसवता मे् सवस्िोटक का काम सकया. पर मत जाओ. कसव हो तो अपने शल्दो् पर भरोिा सवडंबनाओ् और आत्महीनता को िेकर उनकी रखो. अपनी नैसतक कार्ावाइयो् पर यकीन करो. कसवता कर्णा की जड्ो् तक जाती है. ‘नेपथ्य मे् राजेश की कसवता के बारे मे् यह राय मानीखेज् है: हंिी’, ‘दो पंक्सतयो्के बीच’ और ‘चांद की वत्ानी’ ‘िूनी िड्को् पर भटकती हुई हमारी आवाज्/रहने जैिे िंग्हो् ने के बाद ‘सजद’ भी इिी सि​िसि​िे का के सिए शल्दो्का कोई नया घर ढूढ़्रही है.’ नया पड्ाव है. राजेश जोशी ने अपनी कसवता को हमेशा कहना न होगा सक इधर के दशक मे् आये ये बोिचाि के सनकट रखा है तथा नई प्​्तीसतयो् की सचंताएं िगभग एक-िी है्. इन कसवयो्ने जहां अपने आमद िे उिे िंपन्न बनाया है. उनके यहां िोकस्​्पय जीवनानुभवो् को िपाटबयानी मे् सरड्​्ूि होने िे दजि: राजे श जोशी. राजकमल प् ् क ाशन, 1 बी, कसवता के िांचे और किौसटयां है् सजन पर हम बचाया है, वही्राजनीसत, िांपद् ासयकता, िांसकृ ् सतक ने त ाजी सु भ ार माग् ा , िदरयागं ज , नयी दिल् लीिमकािीन कसवता की िोकस्​्पयता का ग्​्ाि आंक राष्ट्​्वाद, बाजारवाद, सवस्थापन, सकिानो् की 110002, मू ल य ् 300 र् प ये . िकते है . ् उन् हो्ने परंपरा िे हमारी पाठ्​्चय्ा​ा मे्चिी आत्महत्या, उजाड्होते जंगिो्और सनरंकश ु पूज ं ीवाद आ रही कृ स षप् ध ् ान देश की अवधारणा की भी यह कह को िेकर कसवता मे्उनका मुखर प्​्सतरोध भी देखा जा िकता है. राजेश जोशी अपने आत्मकथ्य मे् सिखते है्, 'िाधारण जन के पाि जो िबिे कर धज्सजयां उड्ायी है् सक: ‘इि आत्महत्या को अब कहां जोड्​्ं. भारत बडी ताकत है और सजिे कोई बडी िे बडी वच्ास्वशािी शक्सत और बडी एक कृसष प्​्धान देश है/ दुबारा उिे पढने को जैिे ही आंखे्झुकाता हूं/तो िे बडी अि​ि​िता भी उि​िे छीन नही िकती, वह है उिकी सजद. शायद सिखा हुआ पाता हूं सक/ सपछिे कुछ बरिो्मे्डेढ िाख िे असधक सकिानो् यह सजद ही है जो इि बाजार्िमय मे्भी कसव को धुंध और सवभ्​्मो्के ने आत्महत्या की है इि देश मे्. ‘इिी के िाथ वे देश मे् छाते जा रहे बीच िगातार अपनी जमीन िे सवस्थासपत सकए जा रहे मनुष्य की सनरंतर कॉरपोरेट घरानो्और मल्टीनेशनल्ि के आने की आहट भी दज्ाकरते है् सजिके सिए िरकार खुद ही िाि कािीन सबछा रही है: ‘िंकट बढ रहा चिती िडा़ई के पक्​्मे्रचने की ताकत दे रही है.' इन सदनो्देश का जैिा पसरदृश्य है, िसहष्णुता-अिसहष्णुता को िेकर है/छोटे छोटे खेत अब नही्सदखे्गे इि धरती पर/कारपोरेट आ रहे है्.’ ‘नदी का रास्ता’ के बहाने वे कहते है्सक पानी स्मृसत के स्वप्न मे्ही चच्ा​ा का माहौि गरम रहा है. बार-बार (एक कसव के शल्दो् मे्) ऐिा िगता है सक ‘एक िमूचा वाक्य कही् टूट कर सबखर गया है.’ कसव को कही्बचा होगा. नसदयां सजि तरह िूखती जा रही है्, कभी सकिी सकताब ऐिी िंसदग्ध और राजनीसतक शक्सतयो्के दुरप् योग के इि दौर मे्यह प्त् ीत मे् भूिे िे कोई पढ़्ेगा उि नदी का नाम, जो अब िूख गयी. एक अन्य होता है सक जनता मे्सवरोध की ताकत सदनो्सदन क्​्ीण हो रही है, इिसिए कसवता मे् वे कहते है् सक इि धरती पर हंिी भी खत्म होती जा रही है. वह रघुवीर िहाय के मुहावरे मे्जरा उिटिेर करते हुए कहता है: 'हंिो गुर्त्वाकष्ाण खत्म हो रहा है, शहर के भीतर िे शहर गायब हो रहा है, सक सवरोध करने की ताकत कम हो रही है/हमारे िमाज मे्/हंिो सक स्वप्न सिर सछपाने की जगहे्खत्म होती जा रही है. इि दौर मे्भी एक कसव ही है देखने का रोमान चुक रहा है.' अच्छे सदनो्का रोमांच तो कब का खत्म हो सजि​िे उम्मीद बची है. राजेश जोशी की इन कसवताओ् मे् भी अंधेरे की चुका है. बाजा़र ने जीवन के िुख दुख तक को सवज्​्ापन के उत्पाद मे्बदि आशंकाओ् के बावजूद इि धरती के सिए हास्दाक शुभाशा सछपी है: ‘ओ सदया है. बल्सक कहे्सक इि चकाचौ्ध मे्गरीब आदमी की सि​िसकयां नही् मेरी धरती. मै्तुझे हमेशा िुंदर और खुश देखना चाहता हूं/पर अंतर के िुनाई देती्. पर राजेश जोशी रोशनी की सहम्मत पहचानते है्. उनका कहना तिघर मे्कोई सचल्िाता है. कहां है, कहां है मेरा वह सदन/यह कैिा अंधरे ा n है, 'िबिे कमजोर रोशनी भी िघन अंधेरे का दंभ तोड् देती है.' उनकी है जो मेरे िाि-िुथरे आिमान पर हर पि बढ़्ता ही जाता है?’

40 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016


सारहत् मास्यट स्हेमड ृरत

बची रहेगी किताब

उंबेत्ो एको कोे पढ्ने पर लगता है लक उन्हो्ने लकसी ज्माने मे्लकसी और देश के ललए नही्, बस्लक अभी ही, भारत के मौजूदा समय को ध्यान मे् रखकर ललखा है.

व्​्पयदश्शन

मारे िमय मे्, जब शल्दाडंबर ही िारी पसरभाषाएं तय करने पर तुिा है, िारे िंकटो्को ढंक िे रहा है, जब बोिने की आज्ादी का िबिे ज्​्यादा इस्​्ेमाि झूठ बोिने वािे कर रहे है् और िच बोिने वािे मारे जा रहे है्, तब उंबेत्ो एको का यह कथन बड्ी सशद्​्त िे याद आता है सक ‘असभव्यब्कत की आजादी का मतिब शल्दाडंबरो्िे भी आज्ादी है’. यह बात एको ने फ्ािीवाद पर क्​्स्दत अपने एक िेख मे्सिखी थी और याद सकया था सक मुिोसिनी के बहुत भारी-भरकम शल्दो् िे भरे जोशीिे राष्​्वादी भाषणो्के मुक्ाबिे मीमो के बेहद िादा और िंस्कप्त वक्तव्य ने कैिे उन्हे्यह िमझ दी थी. िगता है, उंबेत्ो एको ने उिे सकिी ज्माने मे्सकिी और देश के सिए नही्, बब्लक अभी ही, भारत के मौजूदा िमय को ध्यान मे् रखकर सिखा था. एको बीिवी्िदी के िंभवतः िबिे नफ्ीि िेखको्मे्रहे- नफ्ीि सकिी किात्मक पच्​्ीकारी के कौशि की वजह िे नही्, बब्लक अपने अध्ययन की सवपुिता, अपने बोध की गहनता और अपनी भासषक िंवेदनशीिता के मेि िे एक ऐिा सविक्​्ण गद्​्और गल्प तैयार करने की वजह िे, जो अपने पाठको् को अचानक एक नये िामासजकिांस्कृसतक िंिार मे् छोड् जाता है. उनका उपन्याि ‘द नेम ऑि द रोज्’ बहुत िारे जसटि िैसटन, इतािवी और समथकीय िंदभ्​्ो् िे भरी एक गहन-गसझन कृसत है जो एक मठ मे् हो रही हत्याओ् की जांचपड्ताि के बीच धम्ा और अध्यात्म, भावना और सववेक, रहस्य और बोध के बहुत िारे आवरणो् िे हमारा पसरचय कराती है. यह चौदहवी् िदी की कहानी है जो ित्​्हवी्िदी की एक पांडुसिसप के हवािे िे कही गयी है. दो िसदयो्की असभव्यब्कतगत जसटिता के बीच बीिवी्िदी की िमकािीनता को व्यक्त करने वािा आख्यान अगर वहां चुपचाप चिा आता है तो इिसिए सक िेखक उंबेत्ो इको है्. उपन्याि मे्धम्ा, समथक और ित्​्ा का बेहद रहस्यमय, डरावना और िंब्शिष्​्सकस्म का द्​्ंद् है सजिे सकिी उसचत शल्द के अभाव मे्हम एक सवराट िांस्कृसतक सवमश्ा कह िकते है्.

उंबेत्ो एको के िेखन का दायरा तो वैिे और सवपुि है, िेसकन कुछ बरि पहिे आयी उनकी एक सकताब- ‘सदि इज् नॉट सद एंड ऑि द बुक’ का स्जक्​् यहां ज्र्री है जो उंबेत्ो एको और महान फ्​्च िेखक और पटकथाकार ज्यां क्िाेद कासरये के बीच की बातचीत िे बनी है. एको और कासरये दोनो्भयानक पुस्क प्​्ेमी और िंग्हकत्ा​ा रहे है्. एको के पाि पचाि हज्ार सकताबे् थी्, तो कासरये के पाि शायद तीि या चािीि हज्ार- और दोनो् इि सकताब मे् दुसनया के तमाम सवषयो् पर बात करते है्. बेशक इि बातचीत मे्वे सकताब को ओझि नही्होने देते. वे मानते है् सक बहुत िारी सकताबे् नष्​् की गयी्, जिाई गयी्, िेसकन िसदयो्के इसतहाि मे्सकताबे्सकिी भी दूिरे माध्यम के मुक्ाबिे ज्​्यादा सटकाऊ िासबत हुई है्. बड्ी ऊष्मा िे भरी यह बातचीत अंततः मनुष्य की उि मेधा की बातचीत हो जाती है सजिमे्अनंत िंभावनाएं है्. िेसकन सजि िमय हम सकताबो् के बारे मे् सकताबे् पढ़्ना चाहते है, जब हम िभ्यता और इसतहाि को गढ़्ने वािे रिायनो् को िमझना चाहते है् तब हमारे चारो् तरि कािी कुछ ऐिा घट रहा होता है सक उि​िे आंख चुराना मुब्शकि होता है. हमारा िमय भी ऐिा ही िमय है, जब शल्दो् का बहुत बुरी तरह अवमूल्यन जारी है, उि​िे कही् ज्​्यादा सवचारो्का और इन िबकी वजह िे उि िहज मनुष्यता का जो इि पूरी िभ्यता का िक्​्य कही जा िकती है. आज हम धम्ा और राष्​् िे जुड्ी पहचानो् की ऐिी नकिी राजनीसत के सशकार बनाये जा रहे है् सजिमे् मनुष्य के तौर पर हमारी पहचान खतरे मे् है, हमारा सववेक ख्तरे मे् है और इिको बचाने की िड्ाई जानिेवा हद तक ख्तरनाक हो चुकी है. ऐिे मे्वह िेखक उठ कर चि दे, सजिकी उंगिी पकड्कर आपने सवचार की चंद गसियां पार की हो् तो अपने भीतर एक अिहायता का बोध होता है- िेसकन इिी िे िंबि भी समिता है- सक शल्द और िंस्कृसत, सवचार और असभनवता की िड्ाई बची रहेगी, क्यो्सक कोई न कोई स्जद्​्ी, पागि या िनकी होगा जो उंबेत्ो इको की सकताब िे उठेगा और िब कुछ दांव पर िगाकर भी जिते हुए पुस्काियो् के बीच िे n कुछ सकताबे्चुन कर, छुपा कर बचा िेगा. शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 41


मास् सारहत् ट हेयड

इस साल के खजुराहो नृत्य समारोह मे्मंर की सजावर मे् लशल्प कला की कारीगरी थी. लवलवध नृत्य शैललयो्की प्​्स्ुलतयो् के अलावा कलावात्ाष और रललरत्​्के जलरये एक नयी पहल की गयी. रवीन्द्वमश्​्

का

मना, श्​्ृंगार और किा की िाधना मे् खजुराहो जैिे मंसदर कही्नही्समिते. खजुराहो भारतीय इसतहाि मे् िंस्कृसत के प्​्स्थान सबंदु की तरह भी आता है. वह एक ऐिा पसरिर है जहां किाएं खुद को सनत नवीन कर िकती है, शायद इिी को ध्यान मे् रखते हुए मध्य प्​्देश िरकार ने खजुराहो मे् वास्षाक नृत्य िमारोह की पसरकल्पना की होगी. एक बड्ी िीमा तक यह पसरकल्पना सकिी गंतव्य तक पहुंची भी है. सवगत 41 वष्​्ो् िे एक सवसशष्​् आयोजन के र्प मे् प्​्सतस्​्षत खजुराहो महोत्िव सनरंतर आयोसजत सकया जा रहा है. यह िमारोह का 42वां वष्ाहै. शुरआ ् ती वष्​्ो् मे् यहां सवसवध नृत्य शैसियो् के प्​्मुख किाकार शासमि सकये जाते थे िेसकन अब नृत्य के क्​्ेत् मे् उभरती नयी प्​्सतभाओ् को शासमि करने को ज्यादा तरजीह दी जा रही है. आज की प्​्ायोसजत िंस्कृसत मे्हमारे िमाज की मूि िंस्कृसत के सिये अवकाश और स्थान घटता जा रहा है जो सनस्​्ित तौर पर सचंता की बात है. ऐिे मे्खुजराहो जैिे आयोजनो्की चुनौती बढ़्ी है. यह एक मात्​् बड्ा िमारोह है सजिमे् उत्​्र और दस्​्कण भारतीय नृत्य शैसियां एकदूिरे के नजदीक आ रही है् और एक नया भूगोि हासि​ि कर रही है्. सवगत कुछ िािो्िे नृतय् प्द् श्ना के क्त्े ्मे्प्य् ोग के माध्यम िे कुछ नया कर सदखाने का सि​िसि​िा जोर-शोर िे शुर् हुआ है, इन प्​्योगो् की प्​्स्ुसत खजुराहो िमारोह मे् भी खूब सदखती है. इि तरह के प्​्योगो् मे्कुछ ऐिे जर्र होते है्जो दश्ाको्को भावनात्मक अनुभूसत के स्​्र तक िे जाने के प्​्याि मे् नजर आते है्. मध्य प्​्देश के उत्​्रमध्य क्​्ेत्मे्ब्सथत खुजराहो मे्सहंदू, बौद्​्और जैन मंसदरो् की अस्​्दतीय सशल्प किा देश का गौरव है. यहां की किात्मक मूस्तायो् ने इिे अंतराष्​्ीय ख्यासत प्​्दान की है. खजुराहो के मंसदरो् के िाये मे् आयोसजत होने वािा यह प्​्सतस्​्षत नृत्य िमारोह देिी और सवदेशी पय्ाटको् को आकृष् करता रहा है. देश मे् 42 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

खजुराहो नृत्य समारोह की िो प्​्स्ुदतयां: नृत्य का दवसतार

मंददरो़ की छाया

आयोसजत होने वािे िमारोहो् मे् िव्ा​ासधक िोकस्​्पय खुजराहो नृत्य िमारोह मे् शासमि होना किाकार अपने किा जीवन के गौरव का क्ण ् मानते है.् अपनी भव्यता और सवसशष्त् ा के कारण यह िमारोह अब भारत िरकार द्​्ारा सवश्​्श्​्ृंखिा काय्ाक्म मे्िब्ममसित कर सिया गया है. इि िाि के िमारोह मे् िबिे बड्ी बात थी सक मंच के िजावट मे् सशल्प किा की कारीगरी थी. सवसवध नृतय् शैसियो्की प्स ् स्ुतयो् के अिावा आट्ामाट्ा, हुनर, नेपथ्य, किावात्ा​ा और चिसचत्​् के जसरये भारतीय और वैस्शक किा रसिक िांस्कृसतक किा परंपरा को एक -दूिरे िे जोड्ने मे् एक नयी पहि की गयी. िमारोह मे् िभी की भागीदारी िुसनस्​्ित करने की सदशा मे्भी महत्वपूणा्काय्ा सकया गया है. इि वष्ापुन: र्पंकर किाओ्का मेिा, आट्ा माट्ा मे् मसणपुर के किा वैभव की प्​्दश्ानी, नेपथ्य मे् देिज जनोपयोगी किा परंपरा िे िाक्​्ात्कार हुनर-किाकरो् और किासवदो् का िंवाद. किावात्ा​ा के िाथ ही किा परंपराओ् एवं किाकारो् पर सनस्मात िघु एवं वृत्सचत्​्ो्पर क्​्स्दत चिसचत्​्का िंयोजन

भी सकया गया. किावात्ा​ा की िंगोष्​्ी मे् किा मम्ाज् नम्ादा प्​्िाद उपाध्याय द्​्ारा भारत के िघु सचत्​्ो् की िमृद्किा धरोहर पर िारगस्मता व्याख्यान और 12वी शताल्दी िे मुगि काि तक के िघुसचत्​्ो्की जो परंपरा रही है उिको ढूढ़ं न् े और उि पर शोध करने मे्उन्हो्ने एक उल्िेखनीय काय्ासकया. उन्हो्ने सिल्म के जसरये दुि्ाभ िघु सचत्​्ो्की प्​्दस्शात करके यह अहिाि करवाया सक इि किा की सवराित सकतनी अद्​्त और वैभवपूण्ाहै. एक िप्ताह के इि नृतय् िमारोह को देखने िे िगा सक कई किाकारो्ने किात्मकता और िौ्दय्ानुभूसत के आधार पर नृत्य िंरचनाओ्को नये उपांग देने के प्​्याि सकये है्. उनमे् कुसचपुड्ी मे्दीसपका रेड्ी, भरतनाट्​्मे्शरण्या चंदन् -अमृता श्स्ुत राधाकृषण ् न, कथक मे्राजेद् ् गंगानी िे िेकर कई थे. मूित: फ्​्ांि मे् बिी देवयानी का नाम भरतनाट्​्म मे् एक कुशि नृत्यागना के र्प मे् दज्ा है. एकि नृत्य मे् उन्हो्ने बाहर के तमाम मुल्को मे् तमाम प्​्स्ुसतयां भिे ही दी हो् िेसकन नृत्य मे् अपनी मौसिक पहचान बनाने और किानुरासगयो् की


कला का वैभव िराहना अस्जात करने मे्उनका प्​्याि क्या रहा इिकी जानकारी भी िामने आनी चासहये. अिबत्​्ा उनके नृत्य मे् कोई तकनीकी खोट नही्है. कथक मे्सनशी सिंह और ओसडिी नृत्य मे् वाणी माधव की जुगिबंदी मे् प्​्स्ुसत दश्ानीय और मोहक थी. मंगिाचरण मे् राधा कृष्ण के प्​्ेम प्​्िंग की प्​्स्ुसत राग कल्याण र्पक ताि मे् सनबद्​् थी. श्​्ृंगासरक रचना ‘चंचि नयन सनरािे’ मे्राधा के प्​्ेम के रिभाव को दोनो्ने असभनय मे् िुंदरता िे उभारा. सनशी द्​्ारा परंपरागत कथक मे् थाट उठान तोड्े टुकड्े, उठान, सतहाई चक्​्र आसद की प्​्स्ुसत के आधार पर ओसडिी मे्बराबर की िय और गसत देने मे् अच्छी िूझबूझ सदखायी. उस्डया मे् वनमािी दाि की श्​्ृंगासरक रचना पर नासयका के स्थायी और िंचारी भाव को वाणी ने मास्माकता िे उभरा. आसखर मे् पल्िवी और तराना की जुगिबंदी मे् िमापन मोहकता िे हुआ. रायगढ़् घराने की अल्पना वाजपेयी और उनके िहयोगी नृत्यांगानाओ्ने जटाजूट धारण सकये महादेव की मसहमा का आह्​्ान नृत्य भाव मे्असभव्यक्त सकया.

अल्पना द्​्ारा ताि धमार मे्शुद्के सवसवध चिनो् को उन्हो्ने और िहयोगी किाकारो् ने िही िीक पर प्​्स्ुत सकया. अल्पना की पंढ़्त पर उनकी सशष्याओ् के समिेजुिे नृत्य मे्बोि बांट सतहाई तोड् टुकड्े ियकारी मे् अच्छा िंतुिन था. ओसडिी मे् नंद सकशोर समश्​् के पांरपसरक नृत्य मे्अच्छी गसत नजर आयी. नृत्य का आरंभ अब्गन देवता की अराधना मे् उन्हो्ने प्​्भावी ढंग िे सकया. कसव उपे्द्भंज की रचना केवट कथा मे्यह प्​्िंग तुि​िी की रामायण िे थोड्ा अिग था. इिमे्असहल्या उद्​्ार, राम के आश्​्ािन िे केवट का उन्हे् नदी को पार करवाने के सिये राजी हो जाने के बीच राम केवट िंवाद का मोहक दृश्य था. भरतनाट्​्म मे् सशजीत नासबंयार और पाव्ाती के युगि नृत्य मे्भी रिानुभसू त थी. पारंपसरक िीमाओ्के अंदर नृत्य के आकारो्िे प्​्स्ुसत को आिोसकत करने मे्एक गहरी कल्पनाशीिता नजर आयी. शुद् नृत्य अिासरपु मे् नटुवांगम पर सवसवध जासतयो् की सनकाि, अठुव की न्याि, पद सवन्याि ियात्मक गसत मे् चिन आसद मे् अच्छा प्​्वाह था. भब्कत पूण्ा िंकीत्ान की प्​्स्ुसत भी िमूह नृत्य मे्िरि थी.

दीसपका रेड्ी और िासथयो् द्​्ारा कुसचपुड्ी नृत्य मे्राग मासिका और आसद ताि मे्सनबद्​् भगवान गणेश की स्​्ुसत भब्कत भाव को जगाने वािी थी. दीसपका ने गुर्देव रसवंद् नाथ टैगोर द्​्ारा रसचत तीन स्​्ियां- सचत्​्ागंदा, चंडासिका और श्यामा के चसरत्​्ो्का नृत्य और असभनय िे दश्ा​ाने मे् एक बड्ी िीमा तक गुर्देव की िंकल्पना को िाकार सकया. जयपुर घराने के मशहूर और प्​्सतस्​्षत नत्ाक राजे्द् गंगानी ने एकि नृत्य मे्अच्छा िमा बांधा. भरतनाट्​्म की िुपसरसचत नृत्यांगना और गुर्गीता चंदन् की होनहार िुपसु ्त शरण्या चंदन् और सशष्या अमृता श्​्ुसत राधाकृष्णन का युगि नृत्य पंरामपसरक चिन और भावासभव्यब्कत मे् बहुत िुभावना था. परंपरागत अिासरपु के शुद् नृत्य के गसत मे् खजुराहो के सशल्पी मूस्तायो् के आकार भी झिक रहे थे. राग हंि ध्वसन पर सशव स्​्ुसत मे् पंचभूत के दाश्ासनक भाव की व्याख्या मे्अच्छा प्​्याि था. मैसथिी कसव सवद्​्ापसत की रचना कतनावेदन मे्िजीधजी राधा अपने स्​्पयतम की प्स्तष्​्ा कर रही है उि िमय उिका िाक्​्ात्कार कामदेव िे होता. वह कहता है सशव उनकी जटाये्है. गिे मे्िप्ाहै नग. पर अपने िौ्दय्ा मे् पूण राधा अपनी तुिना मे् सकिी को िुंदर नही् मानती. इिमे् सनंदा स्​्ुसत का जो भाव है उिे शरण्या ने अत्यंत िंवेदनशीि और जीवंत n ढंग िे प्​्स्ुत सकया है. शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 43


मास् यायावरी ट हेड

अब नहीं अकिशपंत िुलधरा

लसंधु घारी के व्यापार माग्षपर बसा कुलधरा दो सौ साल पहले वीरान हुआ था. उसकी यह अलभशप्त कहानी पय्षरको्की आवाजाही और लवकास की योजना के कारण धीरे-धीरे लमर रही है. सतीश जायसवाल

स्​्िमी राजस्थान का जनसवहीन ग्​्ामकुिधरा अपनी असभशप्त कहानी के सिए प्​्सिद्​् है. वह कुिधरा शाखा के िमृद् पािीवाि ि्​्ाह्मणो् के िामूसहक पिायन की असभशप्त कहानी है. एक मनुष्य जासत के िामूसहक पिायन की वह कहानी अब 200 िाि पुरानी होने जा रही है. सिंधु घाटी के प्​्ाचीन व्यापासरक माग्ा पर बिा हुआ कुिधरा 200 िाि पहिे एक िमृद् गांव होता था.

44 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

िेसकन अब ये सनज्ान है. उिकी असभशप्त कहानी अब तक कुिधरा की सनज्ानता मे् िुरस्​्कत थी. और कुिधरा दुसनया भर के पय्ाटको्के आकष्ाण का क्​्द् रहा है. अब यहां उि कहानी के सविोपन की तैयासरयां चि रही है्. उि असभशप्त कहानी की सविोपन योजना करोडो् की होगी. और इि योजना का दुखद अंतस्वारोध यह होगा सक यह पािीवाि जासत िमुदाय के िमृद् इसतहाि, स्थापत्य और प्​्ाचीन धरोहरो्के िंरक्​्ण के नाम पर तैयार की जा रही है. जैि​िमेर िे कोई 18 िे 20 सकमी दूर पर बिा कुिधरा 600 घरो् की एक िमृद् बस्​्ी थी. यह एक अकेिा नही्बब्लक 84 गांवो्और ढांसढ़यो् के िमूह का एक प्​्मुख गांव था. इन गांवो् मे् कुिधरा शाखा के पािीवाि ि्​्ाह्मणो् की आबादी थी. िेसकन कुछ ऐिा हुआ सक इन पािीवाि ि्​्ाह्मणो् ने एक ही रात मे् कुिधरा िसहत िभी 84 गांवो्को खािी कर सदया. और तत्कािीन जैि​िमेर सरयाित की िीमा िे बाहर हो गये. यह िंवत 1861 ईिवी की बात है. वह मूिराज स्​्दतीय का शािन-काि था. और

कुलधरा मे्पय्ाटक: घटती दबयाबानी िासिम सिंह उनका दीवान था. जैि​िमेर अपने िुनहरे सकिे के िाथ-िाथ अपनी किात्मक हवेसियो् के सिए भी प्​्सिद्​् है. उनमे् िे एक, िासिम सिंह की हवेिी भी है. वह एक अत्याचारी और दुि्सरत्​् दीवान था. हवेिी के िाथ उिके अत्याचार और व्यसभचार की कहानी जुडी हुई है. सिंधु घाटी के प्​्ाचीन व्यापासरक माग्ा पर बिा हुआ कुिधरा और उिके िाथ के गांव कृसष-प्​्धान थे. तब यहां काक नदी मे् पानी बहता था. उिके पानी िे यहां अच्छी खेती होती थी. काक, सिंधु की एक िहायक नदी थी. और सिंधु घाटी के इि प्​्ाचीन व्यापासरक माग्ा िे होकर मध्य-पूव्ा के देशो् तक व्यापासरयो् के कासि​िे चिा करते थे. इन गांवो् मे् व्यापसरक और कृसष, दोनो् तरह की िमृस्द सदखती थी. इि दोहरी िमृस्द पर दीवान िासिम सिंह की बुरी नजर पड गयी. उिने भारी िगान िगा सदया. िाथ ही िगान विूिी के सिए तरह-तरह के अत्याचार शुर् कर सदये. इन अत्याचारो् िे िोगो् का जीना दूभर हो गया. िासिम सिंह दुि्सरत्​्भी था. िासिम सिंह ने ग्​्ाम-प्​्मुख के


के िूनेपन को अब तक िुरस्​्कत रखा था. िेसकन इधर के 2 िे 3 बरिो् मे् कुछ िाहिी िोगो्ने यहां रात मे्रहकर, उि असभशाप और उिके असनष्​्कारी प्​्भाव को िमझने की कोसशश की. उनकी कोसशशो् ने कुिधरा को अचानक ही मीसडया तंत् के क्​्द् मे् िा सदया. यह िमझना अभी बाकी होगा सक उन िाहिी िोगो् की इि कोसशश ने कुिधरा को मीसडया तंत् के क्​्द् मे् िाया अथवा मीसडया तंत् ने ही कुछ िाहिी वैज्ासनको् की एक रहस्य-कथा रची और उिे प्​्चासरत-प्​्िासरत सकया? कुिधरा की असभशप्त कथा को तथ्यो् और तक्​्ो् िे िमझने और िुिझाने की कोसशशे् पहिे भी होती रही है्. काक नदी के िूख जाने को भी इिका एक कारण माना गया. नदी के िूख जाने के ि​िस्वर्प यहां जीवन जीने योग्य पसरब्सथसतयां नही्बची. सजि​िे यहां के िोगो्को पिायन करना पडा. िेसकन अब 200 बरि पुरानी होने आयी असभशप्त कथा यथावत बनी रही. इिके बरक्ि, मीसडया तंत्के जसरये, एक अिग तरह की रहस्य कथा रची गयी. उिे

िुलधरा पय्ारिो्िे कलए किन भर खुला रहता है. पय्ारिो्िे आने-जाने िे इि िुनिान गांव मे्हलचल होती है, लेकिन रात मे् यहां िोई नही्रहता. पाि उनकी िुंदर बेटी के सिए अशोभनीय प्​्स्ाव भेज सदया. इि पर िभी 84 गांवो् के प्​्मुखो् ने, एक गांव-काठोडी मे् अपनी जातीय पंचायत बुिायी. जहां अपने मान-िम्मान के सिए िामूसहक पिायन का सनण्ाय सिया. रात ही रात मे् वे िब जैि​िमेर सरयाित की िीमा िे बाहर हो गये. वे िबके िब कहां गये? इिका पता नही्. िेसकन पिायन िे पहिे वे असभशाप देते गये सक ये गांव अब कभी आबाद नही् हो्गे. तब िे अब तक कुिधरा जनशून्य रहा आया. कुिधरा 84 गांवो् के िमूह का िबिे प्​्मुख और िुंदर गांव था. पािीवाि ि्​्ाह्मणो्ने 1291 ईिवी मे् इिे बिाया था. पीिे बिुआ पत्थरो् िे बने 600 घरो् की यह एक िुव्यवब्सथत बस्​्ी थी. इिका स्थापत्य कुछ ऐिा है सक इन घरो् के भीतर तक हवा पहुंचती थी. और मर्स्थि मे् होने के बावजूद घरो् के भीतर ठंडक बनी रहती थी. खूबिूरत झरोखो् के जसरये गांव के घर एक दूिरे के िाथ जुडे हुए थे. और तब की बनायी हुयी इिकी िडक्​् यहां आज भी वैिी की वैिी बची हुयी है्. डोर

एक आदिवासी घर: बचा-खुचा जीवन बांधकर खी्ची गयी. जैिी िीधी िडक्​् और खुिे हुए चौराहे ऐिे सक एक सिरे िे दूिरे सिरे तक पूरा गांव एक नजर मे् आ जाये. िेसकन अब एक भी आदमी यहां नजर नही् आता. ना कोई अन्य प्​्ाणी. कुछ सदनो्पहिे तक यहां घरो् की दीवारे् और कमरे वैिे के वैिे बचे हुए थे जैिे तब रहे हो्गे. जब यहां के िोगो् ने इि बस्​्ी को िुनिान मे्छोडा और रात की रात मे् कही्सनकि गये थे. िेसकन इन दीवारो्पर अब छते्नही्बची्. मर्स्थिी हवाओ्के िाथ भीतर आने वािी रेत ने खािी कमरो् के भीतर बिेरा कर सिया. अब, इधर के 20 िे 25 बरिो्मे्मे् वो दीवारे्भी जगह-जगह िे सगरने िगी है्. सिर भी एक जनसवहीन बस्​्ी का रोमांच पय्ाटको्के आकष्ाण का क्​्द् बना हुआ है. कुिधरा पय्ाटको् के सिए सदन भर खुिा रहता है. पय्ाटको् के आने-जाने िे इि िुनिान गांव मे् हिचि होती है. िेसकन रात मे् यहां कोई नही् रहता. क्यो्सक सकिी को रहने की इजाजत नही् है. कहा जाता है सक जो भी यहां रात मे्रहने की कोसशश करेगा, उिका असनष्​्हो जायेगा. असनष्​् के इि भय ने इि असभशप्त गांव

वैज्ासनक खोज बताकर प्​्चासरत सकया गया. कुछ िाहिी और युवा वैज्ासनको् के एक दि की वह कहानी अचानक ही िामने आयी. उिे खूब प्​्चासरत-प्​्िासरत सकया गया. िाहिी युवा वैज्ासनको् के उि दि ने कुिधरा मे्रात सबताया. परीक्​्ण सकया सक क्या यहां सकन्ही् ऐिी आत्माओ् का वाि है जो यहां रात मे् रहने वािे का असनष्​् कर िकती है्? उनके ऐिा करने के क्या कारण हो िकते है्? कई तरह के वैज्ासनक उपकरणो् िे िुिस्​्जत युवक-युवसतयो् के उि दि ने अपने को अिग-अिग िमूह मे् बांट सिया. अिगअिग तरह िे इि रहस्य को िमझने-िुिझाने की कोसशश की. इनमे् िे कुछ ने वहां सकन्ही् आत्माओ्के होने का अनुभव सकया. कुछ ने तो उन आत्माओ् को सवश्​्ाि मे् िेकर, अपने उपकरणो् पर उनिे बात भी की. सिर सबना सकिी असनष्​् के वहां िे िकुशि सनकि भी आये. उन्हो्ने सवसभन्न टीवी चैनिो् के जसरये, वहां के अपने अनुभव, एक बडे दश्ाक-िमूह के िाथ िाझा भी सकये. सिर भी यह िमझना अभी बाकी है सक उनके इि असभयान का उद्​्ेश्य क्या था और अपने परीक्​्णो् के िहारे उनके दि ने क्या सनष्कष्ा हासि​ि सकये? अिबत्​्ा शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 45


मास् यायावरी ट हेड

दवरासत होटल का दवज्​्ापन: रेदगस्​्ान का आकर्ाण

अब कुिधरा के प्ा्चीन धरोहरो्को िहेजने की योजना अचानक ही िामने आ रही है. इन दोनो् के आपि मे् काय्ा-कारण िंबंध ढूढ़े जा िकते है्. वहां रात सबताकर एक वैज्ासनक दि की िकुशि वापिी यह सवश्​्ाि करा िकती है सक कुिधरा का 200 िाि पुराना असभशाप अब सनष्प्भावी हो चुका. अब वहां रहने-बिने मे् सकिी असनष्​्की आशंका सनम्ाूि है. राजस्थान का यह पस्​्िमी अंचि सिंधु घाटी मे् आता है. जो िमूचे थार मर्स्थि मे् िैिा हुआ है. िहारा के बाद, थार दुसनया का िबिे बडा मर्स्थि है. इिका एक छोटा िा सहस्िा पासकस्​्ान के सिंध प्​्ांत तक चिा गया है. जैि​िमेर का िुनहरा सकिा और थार का यह सवस्​्ृत िैिाव इन सदनो् राजस्थान आने वािे देशी-सवदेशी पय्ाटको् की पहिी पिंद मे् है. यह िुसवधाभोगी पय्ाटको्का िमूह होता है.

46 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

िेसकन जैि​िमेर मे् उपिल्ध िुसवधाये् इि िुसवधाभोगी पय्ाटक िमूह के सिए अपय्ा​ाप्त पडने िगी है्. िाथ ही अनुपयुक्त भी हो चुकी है्. राजस्थान के पय्ाटन उद्​्ोग पर अब बडे काप्​्ोरेट घरानो् की दृस्ष है. यह िुसवधाभोगी पय्ाटक िमूह उिके क्​्द् मे् है्, जो जैि​िमेर की पुरानी और घनी बिाहट िे दूर खुिे मे् ठहरना पिंद करता है. जो मर्स्थि को नजदीक िे महिूि करना चाहता है. बीते डेढ़दो दशको्की अवसध मे्जैि​िमेर िे 15 िे 20 सकमी की दूरी पर िक्जरी श्​्ेसणयो् के अच्छे सरिॉट्ा सवकसित हुए है्. िाथ ही नयी जर्रते् सिर भी बनी हुयी है्. कुिधरा के सवकसित होने िे पय्ाटन गसतसवसधयो्के सिए एक िंकुि तैयार हो िकेगा. कुिधरा के सवकाि के सिए राज्य िरकार का पुरातत्व और िंग्हािय सवभाग पहिे ही,

िीवार पर कला: पारंपदरक वेशभूरा मे्एक मदहला करीब िाढ़े चार करोड की एक योजना को मंजूर कर चुका है. इिमे् दो तरह के काम शासमि है्- प्​्ाचीन सवराित का िंरक्​्ण और देशी-सवदेशी पय्ाटको् के सिए िुसवधाओ् का सवकाि. इन दोनो् कामो् के सिए एक बडे काप्​्ोरेट घराने ने अपनी सदिचस्पी जतायी है. कुिधरा को देशी-सवदेशी पय्ाटको्के सिए एक आधुसनक गंतव्य की तरह सवकसित करने के काम मे् राज्य िरकार का हाथ बंटाने के सिए सजंदि उद्​्ोग िमूह िामने आया है. सजंदि िमूह अपने काप्​्ोरेट-िामसजक दासयत्व के मद िे इि काम को पूरा करेगा. इि​िे वहां पय्ाटन गसतसवसधयो् को जबरदस्​् बढ़ावा समिेगा और हिचि बनी रहेगी. उिमे् कुिधरा की 200 बरि पुरानी सकिी असभशप्त कथा के सिए कही् कोई जगह नही्होगी. तब वहां कुिधरा तो होगा n िेसकन उिका असभशाप नही्.


खानपान मास् ट हेड अर्ण कुमार ‘पानीबाबा’ िेखक िंस्कार िे राजनीितक व्यब्कत और पानी,भोजन और पोषाहार के िवशेषज्​्है्. हिवाई होने का दावा भी करते है्. e-mail.: akpanibaba@gmail.com

सब्ज्ी-सलाद मे् ज्हर का डर

कृलर लवभाग के अलधकारी स्वयं यह सलाह दे रहे है् लक उपयोग से पहले सस्जजयो् को नमक के पानी मे्िालकर जहर मुक्त करने प्​्यास अवश्य करे्.

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रत कौम का वजूद आज खतरे मे्है,् क्यो्सक िमस्​्अन्न-जि गंभीर र्प िे सवषयुकत् हो गया है. अन्न -जि को सवषमुकत् बनाने के िंदभ्ा मे् कही् कोई असभयान जन्मता अभी तक सदखायी नही् दे रहा है. शािन प्​्शािन इि िंदभ्ामे्पूरी तरह िे सनष्स्कय है्, बब्लक उल्टी सदशा मे्िस्​्कय सदखायी पड्ते है.् केवि वण्ािंकर बीज नही्, अब तो जेनसे टकिी पसरवस्तना बीजो् का प्​्चार-प्​्िार और उपयोग तकरीबन िव्ाव्यापी है. इि तरह के कृसष उत्पादन का मानव स्वास्थय पर क्या प्​्भाव पड् रहा है, उि सवषय पर शोध अनुिंधान सिरे िे नदारद है. यह अत्यंत खतरनाक पसरब्सथसत है. मि​िा केवि ित्​्ा-िंपन्न वग्ाकी अयोग्यता और सनठल्िपे न का नही् है. वास्​्व मे् िमस्​् िंभ्ांत िमाज तकरीबन असशष्​् और अकम्ाव्य है. शहरी मध्यमवग्ा मे् ‘दादी’ नाम की िंस्था सविुप्त हो चुकी है और ‘मां’ की ममता का अजीबो-गरीब आधुसनकीकरण हो गया है. नतीजा िामने है, देश के 60 िीिद बािक कुपोसषत है् और नौजवान िामान्यत: उत्िाहसवहीन. िाठ-पैिठ करोड् युवजन आबादी के देश मे् िाठ िाख नौजवान भी ऐिे नही् जो खेि-कूद या अन्य िाहसिक गसतसवसधयो् िे सनयसमत भागीदारी करते सदखायी पड्ते हो्. िमस्​्मातृवग्ाको िंकल्प करना होगा सक न तो वह अपने बच्​्ो्को भै्ि का दूध सपिायेगी और न ही डेरी का ‘रािायसनक-पसरष्कृत’ दूध. सजि सदन यह िंकल्प िाकार होगा उिी सदन भारत का िच्​्ा राष्​्वाद उदय होने िगेगा. कृसष और उद्​्ोग का चसरत्​् ही बदि जायेगा. आधुसनकता की बुसनयाद और पसरभाषा मे् आमूि चूि पसरवत्ान होने िगेगा. देश शुद् गौरि, गौघृत और छाछ-दही का उपयोग करने िगेगा तो भारत मे् आम जन के स्वाद तंतु उसचत सदशा मे् पसरष्कृत होने िगे्गे. षड रि सिद्​्ांत का प्​्कृसत और मानव प्​्वृसत िे जो िहज िंबंध है वह स्वत: ही स्पष्​्होने िगेगा. इि एसतहासिक तथ्य को कदासप नही् भुिाया जा िकता सक देश मे् जब तक गोआधासरत कृसष का प्​्चिन था. तब तक रिायसनक यूसरया और अन्य कृस्तम खाद की आवश्यकता ही नही्थी. पुन: जब कभी परती खेत मे् पय्ा​ाप्त िंख्या मे् गाय चरेगी तो रािायसनक यूसरया की आवश्यकता ही नही् होगी. यह तो प्​्मासणक ित्य है सक कृस्तम यूसरया सवष होता है. जो अन्न-जि दोनो् को सवषयुक्त बना देता है और गौ मूत् वह औषसध है जो समट्​्ी िे कृसष उत्पाद तक को सवषमुक्त बनाती है. गो मूत्के प्​्वाहिे नदीनािो्का जि भी स्वच्छ और पसवत्​्बनता है. िेखक सजि मोहल्िे मे् रहता है उिमे् सनरंतर यह िुनने मे् आया है सक खूब अच्छे मिािे और तेि डाि कर गोभी की िल्जी बनायी थी. िेसकन िाग इि कदर वे स्वाद बना सक बच्​्ो्िे भी खाया नही्गया. हो िकता है सक आपके नगर मोहल्िे मे् अभी िब्लजयां पूरी तरह बेस्वाद न बनी हो्. िेसकन एक तथ्य तो सनस्​्ित है सक आजकि िभी िब्लजयां कृस्तम खाद

और पेस्टीिाइड, इिेक्टीिाइड, वीसडिाइड नाम के जहरो् का पय्ा​ाप्त अवशेष रह जाता है. अब तो कृसष सवभाग के असधकारी स्वयं यह ि​िाह दे रहे है् सक उपयोग िे पहिे िब्लजयो् को नमक के पानी मे् डािकर जहर मुक्त करने प्​्याि अवश्य करे्. िेसकन अन्न-जि की उपयोग प्​्स्कया के बारे मे् कही् कोई ि​िाह उपिल्ध नही् है. जबसक अन्न–जि का जहरी करण अत्यंत गंभीर है. आज हम एक ऐिे ि​िाद की सवसध सिख रहे है् सजिमे् टमाटर और सशमिा समच्ाको इि तरह पसरष्कृत कर िक्​्गे सक वह बाहरी सवष िे मुक्त हो जायेग् े और मूिी, शिजम, गाजर को भी उसचत तरह िे सवषमुकत् बनाने का प्​्याि सकया जा िकेगा. बीते 40 बरिो्िे टमाटर और सशमिा समच्ाकी प्​्कृसत मे्अनेक तरह के पसरवत्ना का प्य् ाि जारी है तासक उिकी शैलि ् िाइि दीघ्ाकासिक बन िके. इि प्​्याि मे्टमाटर और सशमिा समच्ाकी चमड्ी को ऐिे पशुओ्की चमड्ी िे प्​्भासवत सकया गया है. सजनकी खाि वास्​्व मे् सचकनी और अत्यंत मजबूत होती है. इि तरह अनेक खाद्​्पदाथ्​्ो्की प्​्कृसत और प्​्वृसत मे्बुसनयादी पसरवत्ान हो रहा है्. टमाटर तो तकरीबन बेस्वाद हो चुका है, सशमिा समच्ाका जायका भी कमजोर पड्चुका है. हमारे व्यंजन की सवसध मे्टमाटर और सशमिा समच्ा की खाि का आंच पर जिा कर खुरच देना चासहए और इन दोनो् िब्लजयो् के बीज और आंतसरक रि को नमक के गरम पानी िे धो कर अिग कर दे्. गाजर, शिजम और मूिी मे् बहुत असधक पसरवत्ान नही् हुआ है. िेसकन इन्हे् भी सछिका उतार कर बारीक टुकड्े काटने चासहए. इि तरह पांच िब्लजयो्को ठीक िे नमक के उबिते पानी मे्पसरष्कृत कर हल्का िा िरहरा कर िेना चासहए. इिके बाद कड्ाही मे् िरिो् या सति के तेि मे् राई और िाि समच्ा के सछिके तड्का कर हल्का िा छौ्क िेना चासहए. इतनी आंच िगाये सक िब्लजयो्का कचाि िुरस्​्कत बना रहे. ि​िाद मे्स्वादानुिार नमक, कािी समच्ा, सिरका या नी्बू का रि और देिी बुरा डािकर अच्छी तरह उछािे. हरे धसनये की पत्​्ी और मूिी की कच्​्ी कोपि बारीक काट कर डािनी चासहए. जब तक देश प्​्ाकृसतक यासन गो आधासरत कृसष पर वासपि नही् िौटता तब तक हरा धसनया, पोदीना छोड्कर सकिी भी तरह की कच्​्ी िल्जी का प्​्योग न करे्. गेहूं का आटा भी अन्न को नमक के पानी मे्पसरष्कृत करके ही सपिवाये्. िमाज को स्वयं अत्यंत गंभीर सवमश्ाशुर्करना होगा सक अन्न जि को सवषमुक्त बनाने के सिए चेतना असभयान और प्​्योग िे िे कर कानून मे् क्या प्​्स्कयाएं शुर् की जाये्. इि िंदभ्ा मे् राजनीसतक या प्​्शािसनक पहि की उम्मीद करे्गे तो आवश्यक कदम उठाने मे्देर हो जायेगी. n शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 47


रिल् मास्मट/इंहेटडरव्यू

अदभनय की वापसी शबाना आजमी इस बार लिल्मो्, रीवी धारावालहको् और रंगमंर मे्समान र्प से अलभनय करती लदख रही है्. अब उन्हो्ने बायोलपक लिल्म ‘नीरजा’ मे्अपने अलभनय की गहरी छाप छोड्ी है. हवर मृदुल

बाना आजमी के प्​्शंिको् के सिए खुशखबरी है सक वे एक बार सिर असभनय के क्​्ेत् मे् एक नयी ऊज्ा​ा के िाथ िस्​्कय हो चुकी है्. खाि बात यह भी है सक इि बार वे सिल्मो्, टीवी धारावासहको्और रंगमंच मे्िमान र्प िे असभनय करती सदख रही है्. इधर सिल्म ‘जज्बा’ और ‘चॉक-एन-डस्टर’ मे्िंवदे नशीि भूसमका सनभाने के बाद अब उन्हो्ने बायोसपक सिल्म ‘नीरजा’ मे्अपने असभनय की छाप छोड्ी है. सवशेष बातचीत: ‘नीिजा’ मे् आपके वकिदाि को कािी प्​्शंसा वमल िही है. इस बायोवपक विल्म के बािे मे् खुद आपको भी जबद्दस् िीडबैक वमल िहा होगा? जब इि सिल्म के सनद्​्ेशक राम माधवानी स्स्कप्ट िेकर मेरे पाि आये थे, तभी िमझ मे् आ गया था सक यह बहुत िंवेदनशीि सिल्म है. बाउंड स्स्कप्ट का यही िायदा होता है सक आपकी आंखो्के िामने एक पूरी सिल्म होती है. हमारे दौर मे्बाउंड स्स्कप्ट का प्​्चिन नही्था. ज्यादातर डायिॉग िेट पर ही सिखे जाते थे. खैर, बात ‘नीरजा’ की हो रही है. इिमे्एक ऐिी िाहिी िडकी की कहानी है, जो दूिरो्की जान बचाने के सिए खुद समट जाती है. नीरजा भनोट 48 शुक्वार | 16 िे 29 िरवरी 2016

पूरी दुसनया मे् अकेिी ऐिी िडकी है, सजिे भारत, पासकस्​्ान और अमेसरका तीनो् देशो् ने मरणोपरांत िम्मासनत सकया है. भारत िरकार ने उिे अदम्य वीरता के सिए अशोक चक्​् प्​्दान सकया था. जब उिने अपने जीवन को उत्िग्ा करने का सनण्ाय सिया. वह मात्​्तेईि िाि की थी. मै् इि सिल्म के ऑिर होने के िाि भर पहिे नीरजा की मां रमा जी िे समिी थी. तब मुझे क्या पता था सक एक सदन मै्रमा जी को परदे पर उतारं्गी. इि सिल्म मे् बेटी के िाथ हुए हादिे के बाद मां की भी एक अिग यात्​्ा है. यह क्​्ाइम स्​्ि​िर ही नही्है, इिमे्मां और बेटी का बहुत स्नेसहि सरश्ता भी सिल्माया गया है. नीिजा का वकिदाि सोनम कपूि ने वनभाया है. एक अवभनेत्ी के िौि पि आप उन्हे्वकस ि​िह देखिी है्? िोनम तो मेरे िामने ही पैदा हुई है. उिने पूरे आत्मसवश्​्ाि के िाथ अपनी जगह बनायी है. जब िोनम के मन मे्हीरोइन बनने की बात आयी थी तो असनि कपूर डर गये थे. उन्हे्िगता था सक िोनम को क्िासिकि डांि मे् अपना कैसरयर तिाश करना चासहए. वह पढऩे मे् भी बहुत अच्छी रही है, इिसिए उिे एकेडसमक स्र् पर कुछ बड्ा काम करने की िोचनी चासहए. िेसकन िोनम ने जैिे सजद पकड्िी थी सक उिे हीरोइन ही बनना है. तब असनि ने मुझ िे

शबाना आजमी: दफर से पि्​्ेपर अनुरोध सकया सक मै् िोनम को िमझाऊं. मै्ने िोनम को बुिाया और उिके मन की थाह िी. मै्िमझ गयी थी सक इि िडकी मे्असभनय की गहरी िमझ है. मै्ने उि​िे कहा सक अपने बाप की कतई नही्िुनना. मै्ने असनि को िोन कर धमका सदया सक इि िडकी को ऐब्कटंग करने िे रोका, तो ठीक नही् होगा. असनि सिर पीट कर रह गये सक मामिा तो एकदम ही उिट गया! बॉलीिुड िेजी से बदल िहा है. क्या इसवलए आप भी अब नयी ऊज्ाद के साि सव्​्िय हो उठी है्? यह िच है सक अब बॉिीवुड का स्वर्प बदि चुका है. इि बीच बेहतरीन ऐक्टर और डायरेक्टर िामने आये है्. ज्यादातर ऐिी सिल्मे् सिखी जा रही है्, सजनमे् एक्टि्ा को चुनौतीपूण्ा रोि समि रहे है्. ‘मिान’, ‘सकस्िा’, ‘द िंच बॉक्ि’, ‘शासहद’ और ‘अिीगढ़्’ जैिी दसियो् सिल्मे् बन रही है्. कािी उत्िाहजनक माहौि है. ‘नीरजा’ िे पहिे सरिीज हुई मेरी सिल्म ‘चॉक-एन-डस्टर’ भी अच्छी थी. इि सिल्म को उत्​्र प्​्देश, सबहार, राजस्थान, सदल्िी, गुजरात मे् टैक्ि फ्​्ी सकया गया. इिकी सरिीज के बाद तमाम अध्यापको्की ओर िे मुझे िंदेश समिे है् सक मै्ने उनकी तकिीिो्को पद्​्ेपर उतारने मे् कामयाबी पायी है. मै्इि तरह के िीडबैक की


कोई उम्मीद नही्कर रही थी. यह सिाल आपके प्​्शंसको्के मन मे्है वक आवखि आप बीच के दौि मे्गायब कहां हो गयी िी? मै् कही् गायब नही् हुई थी. मै्ने कोई पीआरओ नही्रखा है, इिसिए मै्खबरो्मे्नही् रहती. हाि ही मे् मै्ने ‘बीबीिी वन’ का एक िीसरयि ‘कैसपटि’ मे् असभनय सकया है. मै् इिके तीन एपीिोड मे्सदखाई दूगं ी, जो सक एकएक घंटे के हो्गे. इि िीसरयि मे्मैने एक ऐिी पासकस्​्ानी मां का रोि सकया है, सजिके बेटे को आतंकवादी घोसषत सकया गया है. वह िंदन जाती है और सिस्टम िे िड्ती है. मै् बीते चार महीने िे सवदेश मे् ही थी. तीन महीने तक एक अंग्ेजी प्िे ‘हैप्पी बथ्ा डे िुनीता’ के शो करती रही. इिी बीच एक अंग्ेजी सिल्म भी की- ‘द ल्िैक स्​्पंि’. इि तरह मै्िगातार काम कर रही हूं. सि​ि्ि असभनय करना ही मेरा काम नही् है, तमाम िामासजक काय्​्ो् मे् मेरी भागीदारी रहती है. समांि​ि वसनेमा के वदनो्को आप वकस ि​िह याद कि​िी है्? ‘अंकुि’, ‘वनशांि’, ‘शि​िंज के वखलाड्ी’, ‘थ्पश्द’, ‘अल्बट्द वपंटो को गुथ्सा क्यो् आिा है’, ‘अि्द, ‘मासूम’, ‘मंडी’, ‘पाि’ जैसी विल्मो् ने िब वहंदी वसनेमा की शक्ल ही बदल दी िी. सनस्​्ित र्प िे वे अनूठे सदन थे. िेखक, सनद्​्ेशक, सनम्ा​ाता और किाकार एक जुनून के तहत ऐिी सिल्मे्बनाते थे. इन सिल्मो् िे पैिा कािी कम समिता था, िेसकन रचनात्मक िंतसु ्ष के िामने पैिे का कोई महत्व नही्था. हािांसक बाद मे् भी मै्ने ‘गॉडमदर’, ‘िायर’ और ‘समडनाइर्ि सचल्डन् ’ जैिी किात्मक सिल्मो्मे् काम सकया. अब एक बार सिर गजब का माहौि बनता सदख रहा है. मुझे िगता है सक मै् कुछ बेहतरीन सकरदार अब भी सनभा िकती हू.ं

उस दौि मे् आपने मेनथ्ट्ीम वसनेमा की भी कई चव्चदि विल्मे् की है्. ‘िकीिा’, ‘अमि अकबि एंिनी’, ‘पि​िविश’, ‘थ्िग्द निक’, ‘िोड्ी सी बेि​िाई’, ‘एक ही भूल’, ‘नमकीन’ औि ‘अि​िाि’ जैसी विल्मे्. मेरे सिए अच्छी मनोरंजक मेनस्ट्ीम सिल्मो् का भी उतना ही महत्व है, सजतना सक पैरि​ि सिनेमा का. इधर भी मै्ने ‘मटर्की सबजिी का मंडोिा’ और ‘हनीमून ट्​्ैवल्ि प्​्ासि’ जैिी कई कॉमस्शायि सिल्मे्की है्. कॉिपोिेट के आने से बॉलीिुड पि वकस ि​िह का असि वदख िहा है आपको? मुझे िगता है सक हम कॉरपोरेट के आने के बाद बहुत ज्यादा सिस्टमेसटक हो चुके है्. पहिे पता ही नही् चिता था सक सिल्म मे् सकिका पैिा िग रहा है और कौन हमे्दे रहा है. जेनुइन प्​्ोड्​्ूिर को पैिा इकट्​्ा करने मे्ही पूरा िमय िग जाता था. अब पूरा बजट बनता है. किाकार आश्​्स्होता है सक सजि सिल्म मे्वे काम कर रहे है्, वह न केवि िमय पर बन जायेगी, बब्लक धूमधाम के िाथ सरिीज भी होगी. हां, यह जर्र है सक जो प्​्ोड्​्ूिर खुद अपने पैिे िगाकर सिल्म बनाता था. उिका एक अिग अनुभव होता है. समांि​ि वसनेमा को वकन बािो् से नुकसान हुआ? दश्दक िग्दका उसे समि्दन क्यो्नही् वमल पाया? पैरि​ि सिनेमा का उद्​्ेश्य सवशुद्मनोरंजन नही्था. आम दश्ाक इन सिल्मो्को िमझ नही् पाते थे. उदाहरण के सिए, मसण कौि की सिल्मे् इंटरनेशनि स्​्र पर कािी िराही जाती थी्, िेसकन हमारे देश मे् उनका महत्व कािी कम िोगो् ने िमझा. ‘उिकी रोटी’ जैिी उनकी सिल्म आज भी उल्िेखनीय है. यह सिल्म अब भी ज्यादा िोगो् की िमझ मे् नही् आयेगी, िेसकन किा मे् जर्री नही् है सक हर चीज 'पार’ का एक िृश्य: अदभनय के आयाम

'अंकुर’ मे्शबाना: यािगार दकरिार आपकी िमझ मे् आ ही जाये. मै् सपकािो की पे्सटग के िामने खड्ी होती हूं. तो वह मुझे िमझ मे् नही् आती. िेसकन उिे देखकर एक नयी अनुभूसत होती है. आट्ा का काम सि​ि्ि िमझाना ही नही् है, बब्लक प्​्ोकोग करना भी है. बड्ा सिनेमा वही है, सजिे देखकर हम कािी कुछ िोचने पर मजबूर हो जाये्. आपकी सबसे व्​्पय विल्म कौन सी है? ‘अंकुर’ मेरी पहिी सिल्म थी, तो उिे मै् छोड्नही्िकती. ‘अथ्’ा मे्असभनय के बाद मैन् े औरतो् के सिए िामासजक काम शुर् सकया, इिसिए यह मेरे सिए कािी प्​्ेरणादायी रही. सिल्म ‘पार’ के बाद मै् आंदोिनकम्​्ी ही बन गयी थी. मै्ने अन्याय के सखिाि भूख हड्ताि करनी शुर्कर दी थी. मेनथ्ट्ीम की कोई विल्म पसंद है? ‘असभमान’ बहुत पिंद है मुझे, सजिमे्मै्ने असभनय नही् सकया है. इिमे् असमत जी और जया जी दोनो्ने बहुत अद्​्त काम सकया है. वकसी दूसिे कलाकाि की िह कलात्मक विल्म, जो आपके वदल के बेहद किीब है? मेरी िबिे िेवरेट सिल्म है ‘गरम हवा’. यह बहुत अच्छी तरह सिखी हुई सिल्म है. बिराज िाहनी ने बहुत अच्छा काम सकया था. उन्हे्इि सिल्म के सिए नेशनि अवाड्ा समिना चासहए था. कोई ऐसा विल्मकाि, वजसके साि आप हि हाल मे्काम किना चाहिी िी्? मुझे इि बात का मिाि है सक मै्बग्ामैन के िाथ काम नही्कर पायी. वे मुझे सकिी फे्म मे् झाड्​् िगाने का रोि भी देते, तो मै् जर्र कर n देती. शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016 49


अंितम पन्ना जयवत घोष

बजट के अंतर्विरोध

ज्यादातर उपायो्के बारे मे्यही कहा जा सकता है लक पुराने उपायो्के लसि्फनाम बदले जा रहे है्या मौजूदा योजनाओ्के बारे मे्बाते्हो रही है्.

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गता है सक अपने यहां सवत्​्मंत्ी बजटीय भाषण मे्सजि सवषय पर ज्यादा देर तक बोिते है्, उिी मद मे्पूंजी आवंटन कम करते है्. पूव्ा सवत्​् मंत्ी पी. सचदंबरम के बजटीय भाषणो् मे् भी यही सदखा था. िेसकन मौजूदा सवत्​् मंत्ी इि मामिे मे् तो कािी आगे सनकि गए. उन्हो्ने सकिानो् के बारे मे् कािी िोक-िुभावन बाते् बोिी्, िेसकन उन्हो्ने खुद माना सक पूंजी कम आवंसटत की जा रही है. वैिे अच्छी बात यह है सक मौजूदा राजग िरकार खेती-सकिानी िंकट को िेकर जागती हुई सदखाई पड्ती है. यही नही्, सकिानो् की बदतर सवत्​्ीय ब्सथसत के प्​्सत भी वह गंभीर नजर आ रही है. हािांसक, एक िाि िे असधक िमय तक ित्​्ा मे् रहने के बाद उिने ऐिा र्प अब्खतयार सकया है. िेसकन जब िरकार िंजीदगी सदखा रही है, तो जासहर तौर पर कई मंचो्िे, यहां तक सक िंिद के अंदर भी कई उपायो् पर चच्ा​ा हुई. वैिे, ज्यादातर उपायो् के बारे मे् यही कहा जा िकता है सक पुराने उपायो् के सि​ि्ि नाम बदिे जा रहे है् या मौजूदा योजनाओ् के बारे मे् बाते् हो रही है्. यह ब्सथसत उसचत नही् कही जा िकती. सकिानो् के सहत मे् काम होने चासहए, िेसकन इि बजट िे ऐिा कुछ होता नजर नही् आ रहा है. अगर सकिानो् के बजट को देखे्, तो ऐिा कहा गया सक इिे 22,959 करोड् र्पये िे बढ़्ाकर 44,486 करोड्र्पये कर सदया गया है. िरकार के मुतासबक, यह बड्ी वृस्द है. िेसकन इिमे् बड्ी रासश वह जुड् जाती है, जो पहिे सवत्​्मंत्ािय के पाि थी. कहने का मतिब है सक सकिानो् के िोन मे् समिने वािी िब्लिडी का 15,000 करोड् र्पये भी इिमे् शासमि है, जो रासश पहिे कृसष मंत्ािय के पाि न होकर सवत्​्मंत्ािय के पाि थी. अगर इिे घटा दे्, तो सकिान-बजट मे् बढ़्ोतरी बेहद मामूिी हो जाती है. इिे ऐिे िमझा जा िकता है सक आवंटन िकि घरेिू उत्पाद का 0.17 प्​्सतशत िे बढ़्ाकर 0.19 प्​्सतशत कर सदया गया है. िवाि उठता है सक इि मामूिी वृस्द िे कृसष-िंकट और सकिानो् की ब्सथसत मे् क्या बदिाव आएगा? जासहर है, सकिानो्की वास्​्सवक ब्सथसत बदिने वािी नही्है. इिी तरह मनरेगा को देखा जा िकता है. सपछिी िरकार का यह महत्वाकांक्ी िक्​्य था. िेसकन राजग िरकार ने इिे ताक पर रख सदया था. इिे िेकर सपछिी िंप्ग िरकार का मजाक उड्ाने का काम सकया 50 शुक्वार | 1 िे 15 माच्ा2016

जाता था. िेसकन इि बजट मे्ऐिा िगा सक मनरेगा के प्​्सत िरकार का प्यार जागा है. सवत्​् मंत्ी अर्ण जेटिी ने कहा सक िाि 2016-17 के सिए मनरेगा के मद मे्38,500 करोड्र्पये आवंसटत हुए है् और अगर यह रासश खच्ा होती है, तो यह मनरेगा पर िबिे बड्ा खच्ा कहिाएगी. िेसकन यह दावा मुख्य र्प िे तीन तथ्यो्को दरसकनार करता है. पहिा, मनरेगा एक असधसनयम है, सजिकी बुसनयाद मे् मांग-आपूस्ता है. यानी काम के सिए जो भी पूंजी जर्री होगी, िरकार उिे पूरा करने के सिए बाध्य है. इि​िे इतर िरकार ने मनरेगा के सिए िबिे असधक आवंटन की बात कह दी. इि​िे वह अपनी उदारता जासहर करना चाहती है, जो सक मनरेगा असधसनयम के कथन िे सबल्कुि सवपरीत है. दूिरा, कई राज्य िरकार यह कह रही है सक उनके पाि मनरेगा के सिए पूंजी की कमी है. 14 िे असधक राज्य इि मामिे मे् सवत्​्ीय कमी िे जूझ रहे है्, यानी कई हजार करोड् र्पये की कमी है. काम हो चुके है्, पर पैिे नही् सदए गए. अब अगर इन कमी को जोड् िे्, तो िाि है सक आवंटन की वास्​्सवक रासश जर्रत के सहिाब िे कािी कम है. तीिरा, तमाम दावो् के बीच सपछिी िंप्ग िरकार ने मनरेगा के अंतग्ात सजि स्​्र को छुआ था, उि​िे यह आवंटन कम ही है. अभी िकि घरेिू उत्पाद का 0.25 प्​्सतशत मनरेगा को समिा है, जबसक िाि 2009-10 मे् िकि घरेिू उत्पाद का 0.59 प्​्सतशत मनरेगा को समिा था. भाजपा के चुनावी घोषणा-पत्​् मे् इिका सजक्​् था सक िबको स्वास्थ्यिाभ का िक्​्य हासि​ि सकया जाएगा. िेसकन इि बजट मे् जो प्​्याि हुए है्, उनिे यही िगता है सक िरकार उि घोषणा-पत्​्के आिपाि भी नही्पहुंच पाई है. अि​ि मे्, कुि िाव्ाजसनक स्वास्थ्य खच्ा के सिए आवंटन मे् कोई वृस्द नही् हुई है. ऐिी और भी कसमयां उजागर होती है्. यह तो िाि है सक खेती-सकिानी के क्​्ेत्मे्रोजगार की िंभावनाओ् को बढ़्ाने की जर्रत है. इिके अिावा, कृसष के क्​्ेत् मे् वास्​्व मे् असधक आवंटन और खच्ा की आवश्यकता है. इिी तरह िामासजक कल्याण काय्​्ो्और रोजगार योजनाओ्को ज्यादा िे ज्यादा बढ़्ाया जाना चासहए. िेसकन अभी ऐिे कामो्का इंतजार ही है. n (िेसखका जानी-मानी अथ्ाशाि्​्ी और जेएनयू मे्प्​्ोिेिर है्. आिेख श्​्ुसत समत्​्ि िे बातचीत पर आधािरत.)




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