वर्ष9 अंक 9 n 1-15 मई 2016 n ~ 20
आखि़र क़या ह ै राष़़वाद
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वर्ष 9 अंक 9 n 1 से 15 मई 2016 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प््काशक क््मता सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल राजनीसतक िंपादक वववेक सक्सेना फोटो िंपादक पवन कुमार िंपादकीय िहयोगी
सववता वम्ाा अंजना वसंह सुनीता शाही (लखनऊ) अिनल चौबे (रायपुर) पूजा िसंह (भोपाल) अिवनाश िसंह (िदल्ली) अिनल अंशुमन (रांची) कुमार प््तीक
कला
प््वीण अिभषेक
महाप््बंधक
एस के वसंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm.shukrawaar@gmail.com
आवरण कथा
6 | बीच बहस मेंराषंंवाद
हमारे देश मे्आज राष््-प््ेम और देशभब्कत की पसरभाषाएं बहुत िंकीण्यबना दी गयी है्और ित््ाधारी दि उनका मनमाना इस््ेमाि करने िे नही्चूक रहा है. जेएनयू की घटनाओ्के िंदभ्यमे्भी यह िाि है.
20 | धम्षऔर संज्कृदत का दसंहज्थ मध्य प््देश की धम्यनगरी उज््ैन मे् सिंहस्थ कुंभ अपना आधा पड्ाव पार कर चुका है. व्यापक प््चार के बावजूद अपेस्कत श््द्ािु न जुटने िे सनराशा तो है.
26 | मंदिर मस्जजि और मदहलाएं
िबजनेि हेड
शरद कुमार शुकल ्ा +91. 9651882222
देश के कुछ सहस्िो्मे्इि िमय आंदोिन चि रहे है्सजनमे्मसहिाये् मंसदरो्, दरगाहो्मे्प््वेश की इजाजत चाह रही है्. िवाि यह है सक क्या यह नारीमुब्कत आंदोिन है.
ब््ांिडंग
कॉमडेज कम्युिनकेशन प््ा़ िल़
प््िार प््बंधक
यती्द्कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024 yatendra.3984@gmail.com
सिज््ापन प््बंधक वजते्द्वमश््
सिसध िलाहकार शुभांशु वसंह
shubhanshusingh@gmail.com
+91. 9971286429 सुयश मंजुल
िंपादकीय काय्ाालय
एमडी-10/503, सहारा ग््ेस, जानकीपुरम लखनऊ, उत््र प््देश-226021 टेलीफैक्स : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com www.shukrawaar.com DELHIN/2008/24781 स्वत्वािधकारी, प्क ् ाशक और मुदक ् क्म् ता सिंह के सिए अमर उजािा पब्लिकेशि ं सिसमटेड, िी-21, 22, िेकट् र-59, नोएडा, उत्र् प्द् श े िे मुस्दत एवं दूिरी मंसजि, ल्ाी-146, हसरनगर आश्म् , नयी सदल्िी-110014 िे प्क ् ासशत. िंपादक : अंबरीश कुमार (पीआरल्ाी अिधसनयम के तहत िमाचारो्के चयन के ििए िजम्मेदार) िभी कानूनी िववादो्के ििए न्याय क््ेत्िदल्िी होगा.
32 | जलते जंगल व्याुकल लोग
36 | कम-अकली से अकाल
46 | इस बंजर मंे पानी है
48 | नयी डगर पर ऐश््य्ष
उत््राखंड के वनो्मे्िगने वािी आग के सिए तकनीकी प््सशक््ण की कमी और आबादी का जंगिो्िे िगातार कटते जाना सजम्मेदार है.
सकिी जंगि िे सनकिने वािी कोई िुदं र नदी जब सकिी गांव िे होकर गुजरती है. तो उिके िाथ कोई न कोई कहानी जुड्जाती है. बंजर एक सचत्म् य नदी है.ै
आज जब ज्यादा बासरश वािे क्त्े ् भीषण िूखे की चपेट मे्हं,ै जैििमेर के रामगढ्जैिे कम बासरश के इिाके मे्भरपूर पानी है, िेसकन जहां असधक वष्ाय होती है वहां िूखा पड्ा है.
ऐश्य् य्राय की सपछिी सिल्म ‘जज्बा’ को दश्क य ो्ने बहुत पिंद नही् सकया, िेसकन ऐश्य् य् को अपनी आने वािी सिल्म ‘िरबजीत’ िे कािी उम्मीद है. शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
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आपकी डाक
पानी बनेगा बड़ा संकट
कैसे बचायंे पानी
सबन पानी िब िून, जि ही जीवन है. िािो्िे हमने न तो जि-िंरक्ण ् की नीसतयां बनाने मे् गंभीरता सदखाया है. पानी का दुर्पयोग करने वािो् के कानो् मे् जूं तक नही् रे्गी और चारपांच सकमी पैदि चिकर सिर पर हंडा सिए घूमने वािी मसहिाओ्की ब्सथसत ज़रा भी बेहतर नही्हुई. जो िोग आशंका जताते है्सक तीिरा सवश््युद्पानी के सिए होगा ये ग़ित नही्है.् जि-बंटवारे को िेकर भारत-पाक और भारतबांगि ् ादेश के बीच की तनातनी िुिझने का नाम नही्िे रही. बीते सदनो् देश के भीतर ही पंजाब और हसरयाणा मे् ितिुज-यमुना सिंक नहर को िेकर जीसवत हो उठे सववाद के बाद िव््ोच्् न्यायािय को बीच-बचाव करना पडा था. यानी पानी को िेकर देश के प््देशो् मे् ही युद् की ब्सथसत सनस्मतय हो गयी है. अंतर्ाष य ्ीय कंपसनयां पय्ावय रण के सनयमो्को ताक पर रखकर भूसमगत पानी का अंधाधुंध दोहन करती है् और इिके ख़ासमयाजे मे्जनता प्यािी मरती है. प्म ्े कुमार, भोपाल (मध्य प्द् श े )
भाजपा के तारणहार
शुकव् ार के बीते अंक मे्मायावती िे बीजेपी की परेशानी के बारे मे्सजक््सकया गया. सजि तरह मायावती को िगता है सक दसित वोट तो उनका ही है, उिी तरह बीजेपी भी ब््ाह्मण और बसनया िसहत िवण्य वोटो् के प््सत आश््स् रहती है. बीजेपी की मजबूरी ये है सक मायावती और मुिायम के राजनीसतक कद के आगे सटक िके. ऐिा कोई चेहरा नही्है. मौय्ाय को िाकर बीजेपी की कोसशश है सक सजतना भी हो िके माया और मुिायम को कमजोर सकया जा िके. यूपी मे् इि तरह मौय्ाय को िाकर बीजेपी ने नीतीश को 4
शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
वत्यमान मे् पूरा सवश्् जि िंकट के भंयकर दौर िे गुजर रहा है. सवश्् के सवचारको् का मानना है सक आने वािे िमय मे् वत्यमान िमय िे भी बडा िंकट बनकर दुसनया के िामने प््स्ुत होने वािा है. यसद हम भारत के िंदभ्यमे्बात करे्तो भी हािात सचंताजनक है. हमारे देश मे्जि िंकट की भयावह ब्सथसत है और इिके बावजूद हम िोगो् मे् जि के प््सत चेतना जागृत नही्हुई है. हम छोटी-छोटी बातो् पर गौर करे्और सवचार करे्तो हम जि िंकट की इि ब्सथसत िे सनपट िकते है्. भारत मे्जि
सरिाव 20 िे 25 िीिदी तक होता है. इिका िीधा मतिब यह है सक अगर मोसनटसरंग उसचत तरीके िे हो और जनता की सशकायतो्पर तुरंत काय्यवाही होनी चासहए. िाथ ही उपिल्ध िंिाधनो् का िमुसचत प््कार िे प््बंधन और उपयोग सकया जाये, तो हम बडी मात््ा मे् होने वािे जि सरिाव को रोक िकते है्. िाथ ही िंस्थागत स््र पर प््खर और प््बि प््याि हो तो भी इि ब्सथसत पर सनयंत्ण प््ाप्त सकया जा िकता है.
भी झटका देने की कोसशश की है. कभी वीएचपी नेता अशोक सिंघि के बेहद करीबी रहे मौय्ाय का राम मंसदर पर बयान तो यही जता रहा है सक बीजेपी बदि रही है. राम मंसदर और घर वापिी जैिे मामिे नये जमाने मे्सिट नही्हो पा रहे है.् वैिे भी अब तो िारी िड्ाई 'भारत माता की जय' बोिने को िेकर है. िाब्धवयो्और िाक््ी की बाते्बेअिर होने और बाकी नेताओ्के ऊिजिूि बयानो्िे मुिीबत खड्ी होने की वजह िे बीजेपी को शायद मौय्ाय की ही जर्रत रही होगी. मौय्ाय के िाथ एक खाि बात ये भी है सक वीएचपी बैकग््ाउंड होने के नाते वो आजम खां और अिदुद्ीन ओवैिी को बातो् बातो् मे् ही है्डि कर िेग् .े अंबडे कर िॉम्ि यू े मे्वह पूरी तरह सिट बैठते है्. िबिे खाि बात यह है सक वह भी बचपन मे्चाय बेचते थे.
िोगो्ने उिकी आिोचना की. कभी-कभी सकिी सवचारधारा को बदनाम करने के सिए ऐिे हथकंडे अपनाये जाते है.् मै् यह मानता हूं सक जो िोग आरएिएि के सखिाि जहर उगिते है,् अनग्ि य बाते्करते है,् क्या वह असभव्यब्कत पर हमिा नही्है? िेसकन सिर भी मेरा मानना है की राष््वाद सकिी पर थोपने वािी चीज नही्है.
सोहेल खान, कानपुर (उत्र् प्द् श े )
आता हुआ आपातकाल
बीते अंक मे्नीिाभ समश््के िेख आपातकाि की आहट िे पहिे जहां तक भारत मे्िािीवाद की आहट का िवाि है, तो िािीवाद कोई अनऑग््ेनाइज्ड सवचार नही् है. िािीवाद का मतिब होता है सक राज्य के प्श ् य् मे्राज्य की िहमसत िे िंगसठत पाट््ी के सकिी असभव्यब्कत के सवचार पर हमिा करना और उिे सहंिा िे शांत करना. वकीिो्ने पत्क ् ारो्पर हमिा सकया और पूरे भारतीय िमाज ने उिकी आिोचना की. ऐिी घटनाएं यदा-कदा इि देश मे् घसटत होती है.् ग्वासियर मे्सववेक कुमार की िभा मे् हमिे को िेकर एबीवीपी पर आरोप िगे. उिमे् एबीवीपी के कोई िोग नही्थे और यह जांच का सवषय है सक कभी-कभी सकिी िंसथ् ा को बदनाम करने के सिए ऐिी हरकते् की जाती है्. िभी
हर्ष शुक्ल, इलाहाबाद(उत््र प््देश)
जीतेद् ् राय, गांधीनगर (गुजरात)
प्क ् दृ त और उसकी धरोहर
सपछिे अंक मे् पय्यटन िे िंबंसधत स्टोरी एक कसरश्मा नदी और घाटी का मे् अमेसरका और उिकी प्क ् सृ तक धरोहर को सजि अनोखे ढंग िे सदखाया गया है, उिे पढ्ने के बाद िचमुच जो अमेसरका कभी नही्गये उनके मन मे्भी वहां का सचत्ण ् चिने िगेगा: नसदयो्, पव्तय ो्और पठारो् का वण्नय िेख के माध्यम िे पढ्कर पृथव् ी और उिकी िंरचनाओ्का ज््ान और भी बढ्ा. मनोज कुमार, भोपाल (मध्य प्द् श े )
पाठको्से दनवेिन
शुक्वार मे्प््कािशत सरपोट््ो्और रचनाओ्पर पाठको्की प््सतसक््या का स्वागत है़ आप अपने पत््नीचे िदए गए पते पर या ई-मेि िे भेज िकते है् एमडी-4/304, िहारा ग््ेि, जानकीपुरम, िखनऊ उत््र प््देश-226021 टेिीिैक्ि : +91.522.2735504 ईमेि : shukrawaardelhi@gmail.com
संपादकीय
गम््ी, आग और आमजन उ
अंबरीश कुमार
जलवायु परिवर्षन का सबसे बुिा असि हारिये के समाज औि रकसान पि ही पड़ िहा है. गंगा का मैदानी इलाका हो या रहमालय की रिाई का इलाका, सभी पि बढ़रे रापमान का असि रदखने लगा है.
त्र् भारत मे्अप्ि ्ै के दूिरे हफ्ते िे ही पारा चािीि िे पैतािीि सडग््ी िेबल् ियि तक जा पहुच ं ा है. यह अभी और बढेगा. तटीय अंचि मे् कोिकाता जैिे महानगर मे्अप्ि ्ै मे्दो हफ्ते िे ज्यादा िमय तक िू चि रही थी और कोिकाता मे्पारा 41 तो बंगाि के कई सजिो्मे् 45 सडग््ी तक पहुच ं गया है. पहिे इि अंचि मे् दो तीन सदन ही िू चिती थी पर बदिते मौिम ने िोगो् को परेशान कर सदया है. यह एक उदाहरण है. देश के ज्यादातर सहस्िो् मे् यही हाि है. जिवायु पसरवत्नय िे मौिम चक््तो बदि ही गया है गम््ी भी बढ्ती जा रही है. हािांसक जिवायु पसरवत्नय दोनो् वजह िे हो रहा है प््ाकृसतक और मानव सनस्मतय . अब इिका खसमयाजा भी भुगतना पड रहा है. इि भीषण गम््ी के बीच ही उतराखंड, सहमाचि और जम्मू के पहाडी इिाको्मे्भीषण आग भी िगी सजििे न सिि्फबडे पैमाने पर जंगि राख हो गये बब्लक पय्ावय रण को जो नुकिान पहुच ं ा उिकी भरपायी िैकडो्िािो्मे्होगी. िबिे ज्यादा प्भ् ासवत उतराखंड हुआ है जहां 2500 हेकट् ये र मे्जंगि राख हो गये है.् यह आग इतनी भीषण थी सक हेिीकाप्टरो्िे पानी छोडने का भी ज्यादा अिर नही् पडा. अत्याधुसनक तकनीक की कमी और जंगिात सवभाग मे्पय्ापय त् कम्च य ारी न होने की वजह िे आग पर काबू पाने मे् सदक्त् आयी. दरअिि प्क ् सृ त को िेकर हमारी दृस्ि अभी भी िाफ़ नही हुई है. जंगिो्के बीच बडी और चौडी िडक बनाये जाने िे िाि भर काम चिता रहता है और कोितार को गम्य करने के सिये जंगि के बगि मे् ही आग का इस्म्े ाि होता है. दूिरी तरि स्थानीय मजदूर सकिान और िैिासनयो् की िापरवाही िे भी जंगि मे्आग िगती है. इिे िेकर जागर्कता असभयान चिाने की जर्रत है. इि भीषण गम््ी मे्एक तरि जंगि खत्म हो रहे्है्तो अनाज की पैदावार भी घट रही है. हाि ही मे्खबर आयी थी सक उत्र् प्द् श े मे् गम््ी और िूखे की वजह िे दूध का उत्पादन 35 िे 40 िीिद सगर गया. यह सपछिे दो महीने का िंकट है.यह िंकट दूध का ही नही् है बब्लक ज्यादातर कृसष पैदावार मे्होने िगा है जो और बढ्गे ा. देश को जिवायु के आधार पर छह क्त्े ्ो् मे्बांटा गया है और हर क्त्े ्मे्जिवायु पसरवत्नय के अिर का आकिन भी सकया गया है. इिमे् गंगा का मैदानी इिाका, सहमाियी इिाका, गम्य इिाका और तटीय इिाका भी शासमि है जहां बदिते मौिम ने सकिान, बागवान और मजदूरो्
को प्भ् ासवत करना शुर्कर सदया है. गंगा का मैदानी इिाका हो या सहमािय की तराई का इिाका िभी पर बढते तापमान का अिर सदखने िगा है. गंगा का मैदानी इिाका भी पूरी तरह सिंसचत रहा है तो तराई का भी. गेह् ू की ििि कट चुकी है और तराई के इिाके मे्करीब चािीि िीिद की सगरावट दज्यकी गयी है. यही हाि अरहर और मिूर आसद का है. इििे पहिे कम नमी की वजह िे धान की ििि मे्चािीि िीिद की सगरावट आयी थी. सहमािय के नीचे तराई का इिाका हमेशा पानी िे भरा रहता था और इिे धान का कटोरा भी कहा जाता रहा है पर यहां धान की ििि ही बुरी तरह प्भ् ासवत हुई है. गंगा के मैदानी इिाको् मे् दज्नय ो् छोटी-बडी नसदयां बहती है.् इि अंचि मे्अच्छी खेती होती थी जो अब बदिते मौिम के िाथ कीटनाशको् और रािायसनक खाद के अंधाधुधं इस्म्े ाि िे ख़राब हुई और पैदावार भी प्भ् ासवत हुई. अब बढते तापमान की वजह िे पानी का भी िंकट बढा सजिकी वजह िे पैदावार घट रही है. कृसष वैज्ासनको के मुतासबक तापमान मे् एक सडग््ी िेबल् ियि की बढोतरी होने पर देश मे् गेह् ूं की ििि के उत्पादन मे्िाठ िाख टन की सगरावट आयेगी. इिका िबिे ज्यादा अिर उत्र् प्द् श े , हसरयाणा और पंजाब मे्देखने को समिेगा. वष्य 2003-04 मे् हसरयाणा मे् रात का तापमान दो िे तीन सडग््ी बढ गया था सजिका नतीजा यह हुआ सक गेह् ू का उत्पादन 4106 सकिो प्स्त हेकट् ये र िे घटकर 3937 सकिो प्स्त हेकट् ये र हो गया. इिी तरह एक सडग््ी तापमान बढने पर धान की ििि मे् दि िीिद की सगरावट आ िकती है. गम््ी की वजह िे नमी कम होने का यह अिर तराई अंचि मे्धान की ििि पर पड चुका है. इिी तरह पहाडी और रेसगस््ानी इिाको्मे्मक््ा की ििि पर बढती गम््ी का अिर सदखने िगा है. हािांसक जिवायु पसरवत्नय का अिर खेती बागवानी के िाथ मछिी पािन जैिे व्यविाय पर भी पड रहा है तो पानी पर आधासरत अन्य व्यविाय भी प्भ् ासवत हो रहे है. पर खेती पर अिर ज्यादा पडा तो गरीब सकिान के सिए जीना मुबश् कि हो जायेगा तो शहरी आम आदमी भी इििे नही् बच पायेगा. ऐिे मे् कृसष वैज्ासनको को बढती गम््ी को देखते हुए ऐिे बीज तैयार करने हो्गे ऐिे तरीके बताने हो्गे जो बदिते मौिम की वजह िे खेती सकिानी को होने वािे n नुकिान को कम कर िके.् ambrish2000kumar@gmail.com शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
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आवरण मास्ट हेकथा ड
हमािे देि मे् आज िाष््-प््ेम औि देिभक्तर की परिभाराएं बहुर संकीर्ष बना दी गयी है् औि सत््ाधािी दल उनका मनमाना इस््ेमाल किने से नही् चूक िहा है. जेएनयू की घटनाओ् के संदभ्ष मे् भी यह साफ है. सवाल यह है रक आरखि देिभक्तर औि देिद््ोह को परिभाररर किने वाले रत्व त्या है् औि भािर के संदभ्ष मे् िाष््वाद का त्या अर्ष है. 6
शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
शंभूनाथ शुक़ल
आ
जकि सकिी भी एब्कटसवस्ट को राष््द्ोही या देशद््ोही घोसषत सकया जा िकता है. िरकार के सवर्द्कुछ भी कहने पर यह तमगा दे सदया जाता है. कई नामचीन िेखको्, किाकारो्, बुस्दजीसवयो् को आरएिएि-परस््ो् ने यह िंज्ा दे रखी है. ित््ार्ढ् दि की बड्बोिी िांिद और मंत्ी स्मृसत ईरानी ने तो िंिद मे् मायावती तक को आड्े हाथो् िे सिया. वैिे भी दसित िांिद उनके सनशाने पर रहते ही है.् बात चाहे हैदराबाद के्द्ीय सवश््सवद््ािय मे् दसित छात्् रोसहत वेमुिा की खुदकुशी की हो या जवाहर िाि नेहर् सवश््सवद््ािय के छात््िंघ अध्यक्् कन्हयै ा कुमार की, िरकारी नेता उन िारे िोगो् को देशद््ोह के दायरे मे्िा देने को उताविे है् जो िोकतंत् का नाम भी िेते है्. िगता है सक
िरकारी पक्् इतना भयभीत है सक अपनी िरकार चिाने के सिए वह इि प््कार की भाषाई िफ्िाजी िे सवरोसधयो् का मुंह बंद कराना चाहता है. देशद््ोह एक ऐिा आरोप है सजि पर िब मौन हो जाते है्. यह राष््ीय अब्समता िे जुड्ी भावनाओ् का मामिा है, इिसिए हर जुबान पर तािा िग जाना स्वाभासवक है. जब राज्यिभा मे् मानव िंिाधन मंत्ी स्मृसत ईरानी मायावती के िवाि पर रोसहत वेमि ु ा प्क ् रण पर जमकर बरिी्थी्तो िगा था सक अब िंिद मे्भी िंपूण्यसवपक््को देशद््ोही घोसषत सकया जा िकता है. पहिे सदन स्मृसत ईरानी हावी रही् और उन्हो्ने ताकतवर दसित नेता मायावती के छके् छुड्ा ही सदये. वह तो अगिे रोज जब मायावती ने कम्युसनस्ट िांिदो् द््ारा हौििा आिजाई करने पर जवाब सदया तब स्मृसत ईरानी के तेवर ढीिे पड्े. इि पूरे
बीच बहस में राषंंवाद
प््करण पर कांग्ेि का र्ख बहुत कमजोर रहा है. कांग्ेि स्वयं भी राष््द्ोह और देशद््ोह की पसरभाषा को िेकर स्पि्् नही् है. उिने अभी तक ऐिा कुछ नही्सकया सजििे पता चिता सक इि मुद्े पर उिका स्टै्ड क्या है. प््श्न यह उठता है सक एक बहुमत प््ाप्त िरकार के िोग देशद््ोह को िेकर इतने िंवेदनशीि क्यो्है्. दरअिि यह वह अस््है जो तब चिाया जाता है जब िरकारे् सकिी न सकिी वजह िे अिोकस््पयता की सशकार हो्. उि िमय के्द् की िरकारे् अचानक िीमाओ् के खतरे को सनशाना बनाकर िोगो् को ल्िैकमेि करने का खेि खेिा करती रही है्. मगर अभी तो के्द् िरकार के िमक्् कोई चुनौती नही् है. सवपक्् बेहद कमजोर है और इतना ज्यादा सक कोई नेता प्स्तपक््तक नही्बन पा रहा. सिर क्यो् िरकार अचानक राष््द्ोह और राष््भब्कत की पसरभाषाएं गढ्ने मे्िगी है?
राष््वाद की अभभव्यक्कत: भकतनी शांत भकतनी उग्् दरअिि इि िरकार के पाि सकिी भी मुददे का कोई ठोि और िकारात्मक हि नही्है और शायद पहिी बार ऐिा हुआ है सक के्द्िरकार मे् िारे के िारे मंत्ी अपसरपक्व और के्द्ीय राजनीसत के चौिर िे अनजान है्. यहां तक सक भाजपा के राष््ीय अध्यक््भी राजनीसत के िधे हुए सखिाड्ी नही् है्. उन्हे् सकिी िमस्या का तास्कफक हि नही् पता इिसिए यह िरकार राष््वाद जैिे खोखिे नारो् के बूते चिायी जा रही है. स्वयं भाजपा के पुराने नेता इि िरकार के अनाड्ीपन िे वासकि है्, पर वे िाचार है् क्यो्सक महत्वाकांक्ी प््धानमंत्ी नरे्द् मोदी ने उन्हे् सकनारे कर रखा है. नतीजा यह है सक सवचार के मामिे मे् बेहद कमजोर िंस्था आरएिएि के बि पर यह िरकार चिाई जा रही है. दूिरी बात, यह िरकार सजि मोदी-िहर पर िवार होकर ित््ा मे्आयी थी उिकी किई
भी बहुत जल्द उतरनी शुर् हो गयी. नतीजा, िरकार धैय्य प््दस्शयत करने की बजाय हड्बड्ी मे्ऐिे िैििे िेने शुर्कर सदये जो कुछ िोगो् को िाभ पहुंचाते सदखने िगे थे. महाराष््और जम्मू-कश्मीर मे् भाजपा को िरकार बनाने के सिए सजनिे िमझौता करना पड्ा, उनके िमक्् एकदम घुटने टेकने पड्े और सिर सबहार मे् भाजपा िगभग िाि हो गयी. इिके अिावा अल्पिंखय् को्और दसितो्की एकता ने िरकार के सिए िांि िेना दूभर कर सदया. अब सजन राज्यो् मे् चुनाव हुए है् वहां पर अिम मे् भी भाजपा की िरकार बन जायेगी ऐिा नही् कहा जा िकता. पस््िम बंगाि मे्वह बहुत कमजोर है और बाकी के दस््कणी राज्यो् मे् उिका कोई आधार नही् है. िरकार ने अर्णाचि और उत््राखंड मे् सजि अिोकतांस्तक तरीके िे के्द्ीय शािन थोपा, उििे बड्ी सकरसकरी हुई. यहां तक सक नैनीताि हाईकोट्यने मोदी िरकार को कठघरे मे्खड्ा कर सदया. आने वािे सदनो् मे्उत््र प््देश मे्चुनाव है्. अगिे वष्यमाच्यतक वहां सवधानिभा चुनाव हो जाये्गे. भाजपा के िमक्् बड्ी चुनौती यूपी ही है और अभी तक वहां पर जो राजनीसतक हािात है्, उनिे नही् िगता सक भाजपा अपनी सपछिी ब्सथसत को भी िुधार पायेगी या नही्. इिीसिए वह अब राष््भब्कत और राष््द्ोह का खेि खेि रही है. सकिी देश की जनता को िमझने मे् दो तरह की शब्कतयो् की अहम भूसमका होती है. एक तो वे जो उि िमाज को सगनीसपग िमझते है्और खुद को सनस्वयकार और सनस्वयवाद मानते हुए एक परायी मानसिकता िे उिके मूड को जान िेने का असभनय करते है्. दूिरे वे, जो उिी िमाज िे आते है् और आधुसनक िमझ का उनमे् घोर अभाव होता है और वे उिी िमाज की कूपमंडूकता का सशकार होकर कोई सनष्कष्यसनकाि कर खुद के स््तकािज््होने का भ््म पैदा करते है्. सदक््त यह है सक भारतीय िमाज मे्राष््और राज्य की अवधारणा इन्ही् दो तरह के िोगो्मे्सिमटी हुई है. इिसिए यहां िदैव भ््म की ब्सथसत बनी ही रहती है सक भारतीय िामासजक तानेबाने मे्राष््और राज्य दरअिि है् क्या! इन्हे् अगर मोटे र्प मे् बाटे् तो कह िकते है्सक पहिी तरह की िमझ वािे िोग मसतभ््म का सशकार है्. ये असधकतर कम्युसनस्ट सचंतन वािे िोग है् जो परंपरा िे कटकर िमाज को िमझने का प््याि करते है्. सनि्य् ही उनमे्आधुसनकता बोध असधक होता है पर यह बोध इतना ज्यादा होता है सक धराति, पर वे आते ही नही्. और अक्िर िमाज के एिीट क्िाि के आचरण को ही मुखय् धारा मान िेने की भूि कर बैठते है.् दूिरी तरह की जानकारी होने का दावा करने वािे कट््र और दस््कणपंथी सवचारधारा वािे शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
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आवरण मास्ट हेकथा ड
राष््भदि्त की पदरभारा तय हो
मात्स्षवादी कम्युरनस्ट पाट््ी के महासरचव सीरािाम येचुिी से बारचीर.
कुछ समय पहले पी चिदंबरम ने कहा था चक आज देश के हालत बंटवारे व बाबरी चवध्वंस के समय जैसे हो गये है्. क्या आप इस बात से सहमत है? मेरा मानना है सक उििे भी ज्यादा खतरनाक है. बंटवारा हुआ उि िमय हमारा िंसवधान नही् बना था. हम धम्यसनरपेक् िोकतंत् बनाने की प््स्कया मे् थे. आज िंसवधान का उल्िंघन सकया जा रहा है. सजन मूल्यो् को िंसवधान मे्स्थान सदया गया उन्हे्िमाप्त सकया जा रहा है. देश मे् राष्व ् ाद के मुद्े पर जो टकराव देखने को चमल रहा है, उसकी वजह क्या है? यह िरकार िोगो्को िुनहरे िपने सदखा कर ित््ा मे्आयी थी. यह उन्हे्पूरा करने मे्नाकाम रही है. इिसिये अििी मुद्ो्िे जनता का ध्यान हटाने के सिये देश को राष््वाद के सववाद मे् उिझाया जा रहा है. अगर आप उनके िाथ है्तो ठीक है. अगर िरकार के सखिाि है्तो देशद््ोही है. मानव संसाधन चवकास मंत्ालय के बारे मे् आपकी क्या राय है? कूपमंडूक है्जो हमारी प््ाचीन िोक परंपरा को आधुसनकता िे जोड्ने के चक््र मे् िारा गुड् गोबर कर डािते है्. िेसकन इन दोनो्के बीच का एक रास््ा भी है सजिे मध्यमाग््ी कह िकते है्. जो जनता के पक्् के िाथ जुड्ते है्. बुद् के शल्दो् मे्, इिे मब्जझम सनकाय भी कहा जा िकता है. आधुसनक काि मे् गांधी इि रास््े पर चिते प््तीत होते है्. हर एक िमस्या का हि उनके पाि है जो िव्मय ान्य है और सजिमे्िब िमासहत है्. गांधी की भी एक परंपरा रही है और इि परंपरा मे् बुद् और कबीर थे जबसक वामपंथी और दस््कणपंथी बुस्दवासदयो् के रास््े पर अनसगनत नाम समि जाये्गे. आधुसनक काि मे् रवी्द् नाथ ठाकुर यसद पहिी परंपरा के बुस्दवादी है्तो दूिरी परंपरा के िावरकर और गोिविकर. गुर्देव ठाकुर भिे गांधी के करीब रहे हो्मगर उनका सचंतन या तो अंग्ेजीदां िोगो् 8
शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
हयूमन शल्द सहंदू मे् बदि चुका है. यह मंत्ािय सहंदू सवकाि मंत्ािय की तरह काम कर रहा है. वह तय करेगा सक सकि देवी देवता को सकतना िम्मान सदया जाये. जो िोग मसहषािुर या रावण की पूजा करते आये है् उन्हे् भी इि देश मे् इज््त के िाथ रहने का असधकार है. मै् जीवन के अंसतम िमय तक उन िोगो् के इि असधकार की रक््ा कर्ंगा. अब राष््वाद का मुद्ा क्यो् गरमाया जा रहा है? यह गंदी वोट राजनीसत का पसरणाम है. सपछिे िोकिभा चुनाव मे् जीतने के बाद सदल्िी और सबहार की हार को भाजपा पचा नही्पा रही है. इिसिये धािम्यक आधार पर धु्रसवकरण की तैयारी शुर्कर दी गयी है. पर चजस तरह से जेएनयू मे् राष््चवरोधी नारे लगाये गये, क्या उनका समथ्थन करते है्? सबल्कुि नही्. देश की एकता अखंडता के नाम पर कोई िमझौता नही्सकया जा िकता है. पर इिकी आड्मे्एक सवश््सवद््ािय पर कल्जा करने की कोसशश की जा रही है. जो काम सहटिर ने जम्यनी मे्िासिज्म के जसरए सकया वही भाजपा भारत मे्राष््वाद की आड्मे्करना चाहती है. आप पर देशद््ोह का मुकदमा दज्थ चकया गया है. कैसे लग रहा है? अब िमय आ गया है जब देश को राष््भब्कत की पसरभाषा तय करनी होगी. िुप्ीम कोट्यपहिे ही इि आशय की राय जता चुका है. भारतीय दंड िंसहता की सजि धारा 124बी के तहत मेरे सखिाि मामिा दज्य हुआ है उिी धारा मे्महात्मा गांधी व भगतसिंह के सखिाि भी अंग्ेज शािको्ने मामिे दज्य सकए थे. मुझे गव्य है सक िरकार ने यह धाराये् मुझ पर िगा कर मेरी हैसियत बढ्ा दी. भाजपा खुद को देश की सबसे बड्ी राष््वादी, देशभक्त पाट््ी मानती है. आपकी क्या राय है? इि पाट््ी को राष््वाद व देशभब्कत की पसरभाषाये्एकदम अिग है. वे िंदभ्यके सहिाब िे बदिती रहती है. नाथूराम गोडिे के िंदभ्यमे्कुछ और हो जाती है व मंसदर के मामिे मे्कुछ और.
की परंपरा का था और इिी वजह िे वे जब भी आधुसनक भारत का भाष्य सिखते, उनके िमक्् िंस्कृत भाषी कुिीन िंस्कृतसनष््परपंरा वािा भारत समिता. रवी्द्नाथ जनभाषा और जनपक््धरता को उि तरह नही् स्वीकार कर पाते थे सजि तरह गांधी कर िेते थे. उनकी कुिीनता मे्और परंपरा मे्दसित, सपछड्ेऔर आसदवािी नही्थे. दूिरी परंपरा मे्दामोदर वीर िावरकर, केशव बसिराम हेडगेवार और एमएि गोिविकर थे. यह परंपरा सिि्फउतना ही देखती है सजतना सक प््ाचीन ब््ाह्मणवादी उन्हे् सदखाते है्. इिमे् आधुसनकता सिि्फ इिी िंदभ्यमे्है जहां तक वे अपनी परंपरा को आज िे जोड् िके्. इिीसिए यह परंपरा एक ऐिे भारतवष्यकी रचना करती है सजिमे्िंस्कृत के कूपमंडूक ग््ंथ है् और अपने धम्य के अंधसवश््ािो्को िही िासबत करने मे्वे िमथ्य है्. इिमे् वैज्ासनकता नही् है न ही जनता को
िमझने की उनमे्शब्कत. इि परंपरा मे्बुस्द के सिये कोई स्थान नही् है क्यो्सक यह परंपरा मानती है सक उिके पूव्यज इतना कुछ कर गये है्सक अब उन्हे्कुछ नया करने की जर्रत ही नही्है. मगर जैिे-जैिे दूिरी परंपरा तीव्् हुई, स्वयं रवी्द्नाथ को भी िगने िगा सक राष््वाद एक दुमुंही छुरी है और वे इििे दूर होने िगे. तब राष््वाद उि दौर मे् सिि्फ तीव्् दस््कणपंथी परंपरा को समि गया सजिने आधुसनक राष््वाद की पसरभाषा मुिोसिनी और सहटिर िे िीखी और उनके सदमाग मे् भी सवशुद् आय्य नस्िीय राष््वाद सहंदू राष््वाद के र्प मे् ध्वसनत होने िगा. तब पस््िमी उदारवादी परंपरा मे्राष्व् ाद दो और राष््ीय नेताओ् के सदमाग मे् पनपा. वे थे जवाहर िाि नेहर्और नेताजी िुभाष चंद् बोि. ये दोनो्पहिी परंपरा के थे. उनके सदमाग मे् राष््वाद स््बटेन का राष््वाद था जहां
राष््दवरोदधयो्से ऐसे ही दनपटे्गे
भािरीय जनरा पाट््ी के नेरा सुधांिु रमत््ल से रववेक सत्सेना की बारचीर.
लगता है चक भाजपा चवरोचधयो् का मुंह बंद करने के चलए राष्व ् ाद की आड् मे् उनको राष्च् वरोधी साचबत करने पर तुली है. हम अपने सवरोसधयो्िे राजनीसतक तौर पर सनपटना जानते है्पर जो राष्स्वरोधी काम करेगा उििे उिी तरह तरह िे सनपटा जायेगा. जो िोग इि देश की एकता व अखंडता पर हमिे करने वािे दुशम् नो्के हक मे्नारे िगायेग् ,े उनिे सनपटना ही होगा. राहुल गांधी को राष्च् वरोधी करार देना कहां तक उचित है? वे जेएनयू जाते है्जहां कुछ िोगो्ने राष्स्वरोधी हरकते्की्. नारेबाजी की. अििी नेता वो होता है जो सक अच्छाई व बुराई मे्अंतर करना जानता हो. उन्हो्ने इन देशद््ोसहयो्के सखिाि एक शल्द भी नही्कहा. उनके पक््मे् भाषण सदया. यह िब क्या है? क्या आप लोग अचभव्यक्कत की आजादी की हत्या नही् कर रहे है?् असभव्यब्कत की आजादी की आड् मे् राष््सवरोधी गसतसवसधयो् को स्वीकार नही्सकया जा िकता है. मजेदार बात यह है सक माओ और स्टासिन आधुसनक कही जाने वािी तमाम उपराष््ीयताएं थी्. नेहर्और िुभाष बोि की यह नजर उन्हे्दस््कणपंसथयो्िे अिग करती थी. वे राष््और राज्य को सकिी धम्यसवशेष िे जोड्ने के पक््पाती नही् थे. जबसक बंगाि के पुनज्ायगरण के वक्त िे जो परंपरा चिी आ रही थी उिमे् राष्् कही् न कही् सहंदू कट््रवाद की तरि जा रहा था. एक तरह िे कहा जाये तो बंगाि का पुनज्ायगरण कुिीन और असभजात्य सहंदू पुनज्ायगरण था. उिमे् मुििमान म्िेच्छ और हमिावर थे. बंसकमचंद्चटज््ी इि कुिीन सहंदू पुनज्ायगरण के जनक थे और इिके पीछे कही् न कही् अंग्ेजो् की सवस््ारवादी कूटनीसत थी. बंसकमचंद् जब अपना ‘आनंदमठ’ सिखकर एक नये सकस्म का कुिीन सहंदू भद््िोक तैयार कर रहे थे, तब वष्य 1857 की आजादी की पहिी िड्ाई को गुजरे ज्यादा वक्त नही्हुआ था और अंगज ्े चाहते थे सक अगर सहंदू
के िमथ्क य ो्को अब अचानक असभव्यब्कत की आजादी की याद आ गयी है. कांगि ्े भूि गयी सक उिने आपातकाि के दौरान क्या सकया था. मतलब यह है चक चजस तरह से कांगस ्े ने सरकार पर व्यक्कत के चवरोध को राष्च् वरोध माना था वैसा ही आप लोग भी कर रहे है?् ऐिा नही्है. हम व्यब्कत, िरकार, पाट््ी की आिोचना सकये जाने के सखिाि नही् है. िोकतंत् मे् यह जर्री है व हम इिका स्वागत करते है.् मगर हम देश की आिोचना को िहन नही्कर िकते है.् जो िोग भारत को बरबाद करने, टुकड्ेकरने के नारे िगाते है,् उनके इि कदम को िरकार की आिोचना नही् माना जा िकता है. इि देश के टुकड्े करने की बात स्वीकार व िहन नही्की जा िकती है. जम्मू कश्मीर मे् चजस पीडीपी के साथ चमलकर आप सरकार िला रहे है् उसने भी अफजल गुर् को फांसी पर लटकाये जाने का चवरोध चकया था. क्या वे लोग राष्च् वरोधी नही् है? इि घटना का राष््सवरोधी होने िे कुछ िेना देना नही् था. उन्हो्ने अिजि गुर्के प्स्त अपना िमथ्नय नही्जताया था. उिकी सजंदाबाद के नारे नही्िगाये थे. आपकी राष्व ् ाद की पचरभाषा क्या है? यही तो दुभा्गय य् है सक हमिे राष्व् ाद की पसरभाषा पूछी जा रही है. आज इि देश के नेता भारत माता की जय तक के नारे िगाने के सिए तैयार नही् है. देश की एकता अखंडता को बब्ादय करने की बात करने वािो्के पक््मे् दिीिे्दी जा रही है. कम िे कम एक बात तो अच्छी हुई सक राष्व् ाद पर बहि तो शुर्हुई और हम उिकी पहिी पारी जीत गये. कांगस ्े का आरोप है चक भाजपा तो ऐसे लोगो् को भी देशभक्त मानती है चजन्हो्ने बड्े अपराध चकये? यह िोग तो वीर िावरकर तक के राष््वाद पर िवाि उठाते है् सजन्हो्ने इि देश के िाखो्करोड्ो्िोगो्को प्स्ेरत सकया. इि तरह की बाते् करने वािे िोग वही है्जो सक देश तोड्ने वािी ताकतो्के िम्मेिनो्मे् जाते है्.
और मुब्सिम भद््िोक अिग होकर अपने सिए अिग राष््ीयता का सनम्ायण कर िे् तो अंग्ेजो् को भारतीय बाजार मे् कल्जा करने मे् ज्यादा परेशानी नही्होगी. िर िैयद अहमद खां और बंसकम चंद्चटज््ी इिी असभयान के अगुआ बने. दोनो्की पृषभ् सू म भी िमान थी: दोनो्ही अंगज ्े ो् के मुिासजम थे और दोनो् ही अंग्ेजी राज मे् सडप्टी किेक्टर थे. दोनो् ही मुििमान और सहंदुओ्की असभजात्य कही जाने वािी जासतयो् िे आते थे और अंग्ेजीदां थे. परंतु यह एक ऐिी िंकुसचत राष््ीयता थी सजिका परंपरागत भारतीय अब्समताओ्िे कोई वास््ा नही्था. अपने स्वस्णयम िामंती काि मे् भी भारत कोई एक राष््नही्रहा. यहां तक सक नंद वंश, मौय्य वंश और शुंग वंश के िमय भी भारत कोई एक राष्् या राज्य नही्, बि एक क््ेत् सवशेष तक सिमटा था सजिे असधक िे असधक गंगा घाटी की िभ्यताओ् वािा भूभाग
कह िकते थे. तब भी दस््कणापथ अिग था और उत््रापथ इि पाटसिपुत् िाम््ाज्य मे् नही् आते थे. जब भारत मे्इस्िाम को मानने वािे सवदेशी आये, तब भी भारत मे्कोई ऐिी शब्कत नही्थी जो उनका मुकाबिा कर िके. दिवी् शताल्दी मे् सिंध के राजा दासहर ने अकेिे िड्ाई िड्ी और हारे. इिके बाद महमूद गजनवी ने जब िोमनाथ मंसदर िूटा, तब उिका मुकाबिा करने के सिए कोई िंगसठत राज्य शब्कत नही् थी और पृथ्वीराज चौहान का जब पतन हुआ, तब वह सदल्िी के पाि सपथौरा सकिे मे्रहने वािा एक छोटा राजा था और कान्यकुल्ज िाम््ाज्य के जयचंद िे उिके तीन और छह के सरश्ते थे. इिीसिए मुहम्मद गोरी को सहंदस ु ्ान ितेह करने मे् ज्यादा शब्कत नही् जाया करनी पड्ी. यही नही्, पृथ्वीराज के पतन के मात्् चार िाि के भीतर ही तुक्ो्ने बंगाि पर भी कल्जा कर सिया. शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
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आवरण कथा अगर इसतहाि को िच माने्तो जब तुक्फबंगाि पहुंचे तब मात्् 75 िोग थे और बंगाि का शब्कतशािी िेन वंशीय िाम््ाज्य का शािक िक््मण िेन अपने अंत:पुर के रास््े गंगा नदी की ओर सनकि गया. जासहर है, भारत तब अपनी अंतक्फिह मे् जूझ रहा था और कोई भी शब्कत उिे एक नही् करती थी. सहंदू धम्य कभी एक िमुदाय के र्प मे् नही् उभरा. यहां अनसगनत िंप्दाय और िमुदाय है्. िेसकन अंग्ेजो्ने इि ऐसतहासिक ित्य को झुठिा कर सहंदू राष््वाद पनपाने की कोसशश की. इिके सिए भाषा और धम्य को अिग सकया गया. बंसकम चंद्के ‘आनंद मठ’ के बाद ही सहंदुओ् के सिए सहंदी और मुििमानो् के सिए उद्यू का बोिबािा पनपाया गया. मुब्सिम शािन भी कोई एकछत््राज्य नही् बना िका. अिाउद््ीन सखिजी ने जर्र एक शब्कतशािी िल्तनत की कल्पना की थी. उिने सकिानो् िे िगान विूिी के कुछ कायदे
मगर इिके बनने मे्सजतना वक्त िगा, उििे भी कम वक्त इिके सबखरने मे् िगा. इिकी वजह थी सक सहंदुस्ान मे् इि तरह की एकता की कोई वासजब वजह नही्थी. न तो भौगोसिक एकता थी, न भाषाई और न ही िांस्कृसतक या धास्मयक. इिसिए यह एकता सदखावटी ही रही और औरंगजेब के अंसतम िमय तक मुगि बादशाह नाम को ही सहंदुस्ान का बादशाह रह गया था. इिमे् दो राय नही् सक भारत मे् राष्् की पसरकल्पना अंग्ेजो्के आने के बाद िे सवकसित हुई, इिसिए जातीय अब्समताएं कमजोर पड् गयी्. पहिे तो तीन प््ेिीडे्िी स्थासपत की गयी् और उत््र भारत का कामकाज देखने के सिए (सजिे अंग्ेजो्ने नाथ्यवेस्टन्यप््ासवंि बताया), उन्हो्ने आगरा मे् मुख्यािय बनाया जहां एक िेफ्टीने्ट गवन्यर बैठता था. इि तरह उन्हो्ने भारत मे् ऐिी अब्समताएं सवकसित की् सजनमे् परस्पर कोई तािमेि नही् था. इिसिए यहां
गणतंत् भदवस की एक झलक: लोक और तंत् के बीच
बनाये, पर वे ध्वस्् हो गये. जब बाबर भारत आया तो उिने देखा सक यहां मुब्सिम शािक भी है्, सहंदू शािक भी. वे आपि मे्िड्ते रहते थे. उि िमय पूरे भारत मे् छह िल्तनते् थी्. सदल्िी िल्तनत पर इब््ाहीम िोदी िुल्तान था. दूिरी बंगाि िल्तनत, तीिरा राजपूताना और चौथा गुजरात का िुल्तान, दक््न अिग था और मािवा अिग. इनमे् िे राजपूताना और मािवा मे् सहंदू थे और बाकी की िल्तनते् मुििमानो्के पाि थी्. बाबर ने यहां आकर पूरे भारत मे् एक िल्तनत का िपना देखा. बाबर और हुमायूं तो खैर इि िपने को पूरा नही्कर पाये, मगर बाबर के पोते अकबर ने इिे कािी हद तक पूरा सकया और एक सहंदुस्ान बनाया. 10 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
कोई ऐिी अब्समता बन ही नही्िकी जो िबको िमान र्प िे मान्य हो. राष््ीयता का सनम्ायण ही अंग्ेजो् ने सकया ित््ा का के्द्ीकरण कर. सकिी भी मामिे की पैरवी सिि्फ किकत््ा मे् होती थी जहां गवन्यर जनरि बैठा करता था सजिे बड्ा िाट भी कहते थे. छोटी-छोटी िी बात के सिए सहंदस ु ्ासनयो्को किकत््ा जाकर पैरवी करनी पड्ती थी. हमारे सिए राष्् का मतिब किकत््ा का बड्ा िाट और उिके स्थानीय गोरे प््सतसनसध थे सजन्हो्ने हर शहर मे् अपने सिसवि िाइंि बना रखे थे. यही कारण था सक राष्् िे हमारे देश के आम नागसरक को कोई िगाव नही्हुआ. िन 1857 के बाद अंग्ेजो् ने कुछ प््ांत
बनाये और प््ेिीडे्िी की ताकत कम की, िेसकन चूंसक खुद उनका इि देश िे कोई भावनात्मक िगाव नही् था और न ही वे यहां बिने के इच्छुक थे इिसिए इन प््ांतो्के अंग्ेज िाट और उनके मातहत किेक्टरो् के प््सत भी देशी आदमी को कोई िहानुभूसत नही् हुई. अंग्ेजो् के भारत छोड्कर जाने के बाद की िरकारो्ने न तो नौकरशाही का चक््व्यूह भेदा, न ही राष्् और राज्य की अवधारणा की कोई व्यापक िमझ जनता के बीच सबठायी. िोकतंत् कभी िोक और तंत् दोनो् के िामंजस्य के सबना नही्चि पाता. िामंजस्य के सिए िोकतंत्एक तरि तो कुछ असधकार देता है और दूिरी तरि कुछ दासयत्व भी. पर हम पाते है् सक भारत मे् असधकार और दासयत्वो् के बटवारे को िेकर रस्िाकशी मचती है. यह रस्िाकशी िोकतंत्को उि र्प मे्नही्पनपने देती सजि र्प मे् कभी िंसवधान सनम्ायताओ् ने िोचा था. नतीजा यह होता है सक एक िक््म और िबि िोकतांस्तक व्यवस्था के बावजूद यहां आम आदमी न तो अपने क््त्यव्यो् को जानता है और न ही अपने दासयत्वो् को. और वह इि व्यवस्था के प्स्त उदािीन बना रहता है. इिका िाभ वे तत्व उठाते है् जो िंसवधान के प््ावधानो् को अपने स्वाथ्य के सिए तोड्तेमरोड्ते रहते है्. िोकतंत् और राष्् दोनो् ही पूंजीवादी औद््ोसगक िभ्यता की देन है्. अगर भारत मे् औद््ोसगक पूंजीवाद स्वतंत् र्प िे पनपा होता तो न तो राष्् को पहचानने और राष््ीय अब्समताओ्को िेकर यह अंति््ंघष्यहोता और न ही देश को िेकर कोई अस्पि््नीसत बनती. इििे हमारा िोक भी मजबूत होता और िोकतंत् भी. शायद यही कारण है सक हम राष््द्ोह या देशद््ोह के िवािो् पर भावुक तो हो जाते है्, पर कभी भी उन्हे्िमझने का प््याि नही् करते. राष्् को िेकर हमारा यह अज््ान ही हमे् अपने राष्् के प््सत सकिी मजबूत सचंतनशीि डोर िे नही् बांधता. राष्् की पसरभाषा आज भी वही है जो अंग्ेज बना गये थे. अगर यूरोप और अमेसरका मे् हम आज आधुसनक राष्् देखते है् तो भिे ही हमे् वहां ईिाई िमुदाय के िोग बहुतायत मे्सदखाई देते हो्, पर सकिी भी देश मे् यह बहुिंख्या वािो् की सनजी धास्मयकता हावी नही् होती. सपछिे सदनो् िीसरयाई शरणास्थययो् के सिए सजि तरह यूरोपीय देशो्ने दरवाजे खोिे वह उनकी इिी सवशाि ह्दयता का द््ोतक है. इिसिए आधुसनक राष्् और राज्य की कल्पना करते वक्त यह ख्ायाि रखना चासहए सक हमे् धम्य आधासरत राष््की कल्पना नही्, वरन एक ऐिी राष््ीय अब्समता गढ्नी है सजिमे् उदारता और n उदात््ता हो.
एक दसयासी राष््वाि
िाष्व् ाद एक सांसक ् रृ रक भावना न िहकि अब एक िाजनीरर मुद्ा बन चुका है रजसमे् असहमर या रविोरधयो् को िाष्द् ्ोही किाि देना आसान हो गया है. वििेक सक़सेना
क
रीब दो दशक पहिे जब अंतरराष््ीय जगत मे् ‘राष््वाद’ शल्द बहुत तेजी िे उभरा था तब उिे बेहद िम्मान देने वािे िोगो् ने भी यह कल्पना भी नही्की होगी सक भसवष्य के हुकम् रान इिे राजनीसत िे जोड्कर अपने सहत िाधने के सिए इिका इतना दुरप् योग करेग् े सक इि शल्द की िाथ्क य ता पर ही िवासिया सनशान िग जायेग् .े कभी इि शल्द का इस्म्े ाि िमाज या देश के प्स्त व्यब्कतगत सनष््ा, प्स्तबद्त् ा और िमप्ण य हुआ करता था. तब िोग अपने जमीन, अपनी परंपराओ्, रीसत-सरवाजो् और िरोकारो् को िेकर सनजी और िाव्ज य सनक जीवन मे्इिके जसरये एकजुटता प्द् स्शतय सकया करते थे. भारत मे् 1925 मे् राजनीसत िे वहां सहंदू राष्व् ाद की सियाित शुर्हुई. एक ओर िंघ के िंस्थापक केशव बसिराम हेडगेवार थे जो सक सहंदू राष्व् ाद की बात कर रहे थे तो दूिरी ओर सवनायक दामोदर िावरकर िरीखे नेता थे सजन्हो्ने देश को ‘सहंदुत्व’ शल्द सदया, सिर राष््वाद के िाथ सहंदुत्व शल्द जुड्ा और यहां कहा जाने िगा सक इिका मतिब िादरिै्ड (मातृभसू म) और होिीिैड् (पसवत््स्थि) का एक ही जगह होना जर्री है. मतिब िाि था सक सहंद,ू सिख और जैन के अिावा िभी के पसवत्् स्थि भारत के बाहर थे. मुििमान व ईिाई राष्व् ाद की पसरभाषा मे्सहंदतु व् शल्द जुड्जाने के कारण उिकी किौटी पर खरे नही् उतर िकते थे. शहीद भगतसिंह ने जो सक खुद को नास््सक मानते थे, इि तरह के देश प्म्े के सिए ‘छद््राष्व् ाद’ का इस्म्े ाि सकया था. राष््वाद को सहंदुत्व िे जोड्ने वािे िोगो् की सदक्त् े्तब और भी बढ्गयी जब सक देश की आजादी के बाद 70 के दशक तक ित््ा कांगि ्े के हाथो्मे्रही. तब कांगि ्े को सहंदओ ु ्मे्िवण्,य
धम्ष का राजनीितक इस््ेमाल: बनारस मे् गंगा आरती करते मोदी, राजनाथ और शाह दसित िे िेकर मुििमानो् तक का िमथ्यन उन्ह्े मौत का िौदागर कहा तो कभी कुछ और. समिता रहा. आपातकाि के बाद यह िमीकरण िगता है सक इि पाट््ी ने सहटिर का बहुत खराब हो गया. इिकी एक वजह िंजय गांधी गहराई िे अध्ययन सकया था. जम्नय ी पर कासबज द््ारा ब््ाह्मणो् की तुिना मे् राजपूतो् को ज्यादा होने के सिए उिने इिी असत राष््वाद का अहसमयत देना था. भाजपा अपने सहंदतु व् के मुद्े िहारा सिया था. इिके द््ारा नस्िय आधार पर के कारण बहुत ज्यादा िििता हासिि नही्कर जम्यनी को सवभासजत सकया और राष््वाद की पा रही थी. इिसिए पहिे उिने इि सहंदतु व् के एक नयी पसरभाषा दी. उिने खुद को राष्् मुद्े को राष्व् ाद िे जोड् पूरे देश मे् यह िंदश े घोसषत कर सदया, सजिका िीधा मतिब था सक सदया सक अगर सहंदू देश मे् भी राम मंसदर नही् जो उिके सखिाि है वह राष्् के सखिाि है. बनेगा तो कहां बनेगा? वैिे भी वह िांसक ् सृ तक व्यब्कत देश बन गया. यही प््योग 2014 के राष््वाद की पैरवी करती आयी थी. यह वही िोकिभा चुनाव मे् सकया गया और आज तक राष््वाद था सजिमे् नस्िी, िांस्कृसतक या जारी है. अगर कोई व्यब्कत ित््ार्ढ् दि, जातीय आधार पर राजनीसतक ताकते्उभरी थी. िरकार या उिके सकिी नेता के सवचार िे इनमे् तसमिनाडु का उदाहरण िामने था जहां िहमत नही् है तो उिे देशद््ोही िासबत सकया द्स्वण अब्समता के नाम पर जो द्स्वड् कझगम जाना तय है. इिकी किौटी मे् खानपान, बना उिने िारी राजनीसत बदिकर रख दी. आज पहनावा तक शासमि कर सिया गया है. भी सकिी न सकिी द्स्वड् पाट््ी का ही ित््ा पर आज देश मे्राष्व् ाद की नयी पसरभाषा गढ्ी असधकार रहता है. चाहे वह डीएमके हो या जा चुकी है. जो ित््ार्ढ् दि या िरकार िे एआइडीएमके, पीएमके या एमडीएमके. अिम िहमत नही्है, वह राष्भ् क्त नही्है. हर चीज मे् उल्िा, पंजाब मे् अकािी व महाराष्् मे् को धम्यिे जोड्ा जा रहा है क्यो्सक ऐिा करके सशविेना का उभरना इिी राष्व् ाद का पसरणाम सबना सकिी तक्फ के िोगो् को भरमाना आिान है. इिका िभी दिो् ने िायदा उठाया और होता है. िभ्य िमाज मे् सवचारो् की सभन्नता, राष््वाद को जासतयो् िे जोड् सदया. पसरणाम धास्मयक सभन्नता के बावजूद भी िोगो् पर स्वर्प िपा, बिपा, राजद िरीखे दि अस््सत्व असवश््ाि नही्सकया जाता है, पर अब ऐिा नही् मे्आए जो सक कांगि ्े का वोट बैक ् चटकर गये. है. अगर आप िहमत नही्है तो िड्क िे िंिद नरे्द् मोदी इिी सहंदू राष््वाद व क््ेत्ीय पर आप पर हमिा सकया जायेगा. सकिी भी अब्समता का प््योग 2002 िे करते आ रहे थे. सवरोध को राष्स्वरोधी करार देना बहुत आिान उन्हो्ने यह तय कर रखा था सक अगर हो गया है. इि िरकार के िांिदो् िे िेकर बहुिंख्यक के नाम पर ही ित््ा होने के सिद््ांत केद् ्ीय मंत्ी तक चाहे वे सगसरराज सिंह हो्, योगी को अमि िाया जाये और उिे राष््वाद के मुद्े आसदत्य नाथ, वीके सिंह या महेश शम्ा,य िबमे् िे जोड्सदया जाये तो इिका चुनावी िाभ समि यह होड्िगी है सक कैिे अिहमसत को देशद््ोह िकता है. उन्हो्ने राष्व् ाद को िंकीण्यजासतवाद करार दे सदया जाये. इसतहाि पर नये सिरे िे शोध और धम्यवाद िे जोड् सदया. इिमे् कांग्ेि ने शुर्हो चुका है. यह सहंदू राष्व् ाद का ही अिर उनकी पूरी मदद की. यह जानते हुए भी सक सहंदू है सक मािेगांव व िमझौता एक्िप्ि ्े बम कांड अब्समता का प््तीक बन रहे नरे्द् मोदी पर वह के िरकारी गवाह व असभयुक्त इि बयान िे सजतने हमिे करेगी, उनका वोट बै्क उतना ही मुकरने िगे है सक इन घटनाओ् के पीछे n मजबूत होगा, वह यह गिती दोहराती रही. कभी सहंदतु व् वादी िंगठन का हाथ था. शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 11
आवरण कथा प़़मोद कुमार
आ
धुसनक राष््के र्प मे्भारत के जन्म को अभी 70 िाि भी नही् हुए है् िेसकन भारतीय राष्् के अथ्य और अवधारणा को िेकर एक बडी बहि आरंभ हो गयी है. यही बहि आजादी के पहिे भी चिी थी, सजिमे्एक धम्यके अनुयासययो्को राष््बताने का प््याि सकया गया था. उि बहि ने 1947 मे्भारत-सवभाजन के र्प मे्एक धम्य-आधासरत राष््को जन्म सदया था, सजिके सनम्ायण की प््स्कया मे्धम्यके आधार पर िाखो् सनद््ोष नागसरको् को जमीन-जायदाद के िाथ-िाथ अपनी जान िे भी हाथ धोना पड्ा था. िेसकन धम्य के आधार पर सनस्मयत वही राष्् पासकस््ान जब 1971 मे्भाषा के नाम पर दो राष््ो्मे्सवभासजत हो गया और एक बार सिर िाखो् सनद््ोष नागसरको् को अपनी ज़र, जोर् और जमीन के िाथ-िाथ अपनी जान िे भी हाथ धोना पडा, तब यह बात तो पूरी तरह स्पि््हो गयी सक राष्् का िंबंध धम्यिे नही्है. शाब्लदक अथ्यकी बात करे्तो अिग-अिग िोगो्ने इिकी अिगअिग पसरभाषा दी है. डा. हरदेव बाहरी तथा कासमि बुल्के के अनुिार, नेशन का तात्पय्य जासत, राष्् और कौम िे है और कासिका प््िाद इिे देश, राज्य और जासत िे पसरभासषत करते है्. इिके सवपरीत ऑक्ििोड्य तथा वेबस्टर शल्दकोशो् मे् इिकी पहचान िमान वंश, भाषा, िंस्कृसत और ऐसतहासिक परंपरा वािे िोगो्िे की गयी है, जबसक रै्डमहाउि मे्
इिका िंबंध एक सनस््ित िीमा मे् रहने वािे उन िोगो् िे की गयी है जो अपनी एकता तथा अपनी अिग िरकार के प््सत चेतनाशीि होते है्. सनिंदेह, शाब्लदक पसरभाषाओ्िे सकिी भी प््कार की सनस््ित चेतना का जन्म नही्होता, बब्लक चेतनाओ्के जन्म के बाद सवद््तजन सनस्ि ् त पसरभाषाओ् को गढने का प््याि करते है्. इि आधार पर सवचार सकया जाये तो राष्् को िमझने के सिए उिके जन्म का इसतहाि जानना आवश्यक हो जाता है. सवश्् इसतहाि मे् नेशन स्टेट अथवा राष््-राज्य की अवधारणा िबिे पहिे िामंतवाद के पतन के िाथ िामने आती है, सजिके अनुिार पंद्हवी् िदी मे् िामंती इंगिै्ड और िामंती फ््ांि के मध्य 100 िाि तक चिने वािे युद् के बाद इंगिै्ड और फ््ांि जैिे राष््-राज्यो् का जन्म हुआ. इंगिै्ड मे् ट््ूडर वंश तथा फ््ांि मे् बूरबन वंश के शािनकाि मे् राष््-राज्यो् की अवधारणा पसरपक्व होने िगी तथा िामंतवाद पूरी तरह िमाप्त होने िगा. इिके बाद पुत्यगाि, स्पेन और हॉिै्ड मे् भी राष््-राज्यो् की अवधारणा का जन्म हो गया. धीरेधीरे इि राष््ीय चेतना का सवकाि पूरब की तरि होने िगा और उन्नीिवी् िदी मे् इटिी और जम्यनी जैिे राष्् राज्यो् का जन्म हो गया. यही राष््ीय चेतना उन्नीिवी् िदी मे् जब और असधक पूरब की तरि बढी तब इिका स्वर्प पूरी तरह बदि चुका था.
केंदंीकृत सतंंा के संकट
12 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
कोई भी िाष्् अपनी समस्् िाष््ीयरा, नस्लो्, जाररयो्, संप्दायो् औि संस्कृररयो् के प््रर समावेिी नीरर अपनाये रबना अपने िाजनैररक अर््सत्व को बचाये नही् िख सकरा है. यही इररहास का सच है.
अब तक सजन और उत््रासधकार का राष््-राज्यो्का जन्म हो िवाि भी िंदन की चुका था, उन िभी की स््पवी कौ्सिि के द््ारा नी्व िामंतवाद के तय सकया जाता था, खंडहरो् पर रखी गयी सजिे स्वीकार न कर थी. िेसकन अब सजन पाने भर का राष््-राज्यो् का जन्म परमासधकार भी उनके हुआ, उनकी नी्व पाि नही्था. पतनशीि िाम््ाज्यवाद आजाद भारत के के खंडहरो् पर रखी सनयंताओ् ने भी स््बसटश गयी थी. उस्मानी प््भुित््ा के उिी िाम््ाज्य के यूरोपीय के्द्ीकृत व्यवस्था को क््ेत्ो् मे् सजि प््कार की स्वीकार कर सिया था, राष््ीय चेतना सवकसित सजिे अपने भारत र्पी हुई उिमे् अत्यंत छोटेउपसनवेश के सिए छोटे भाषाई और नस्िी बनाया गया था और भनयभत से साक््ात्कार: पहले स्वाधीनता भदवस पर भारण करते नेहर् सजिमे् वायिराय के राष््ो् जैिे िस्बयया, बुल्गासरया, मांटेसनग््ो, बोब्सनया, हंगरी, और तुक्ी जैिे देशो् का जन्म स्थान पर प््धानमंत्ी होता, जो जनता के द््ारा िीधे सनव्ायसचत न होने के हुआ. इन्ही् राष््ीय चेतनाओ् का पसरणाम प््थम सवश््युद् का सवस्िोट बाद भी वायिराय की ही भांसत िमस्् परमासधकार का स्वामी होता. था. िामंतवाद के पतन िे सनकिने वािे राष््-राज्यो्और िाम््ाज्यवाद अपने औपसनवेसशक स्वासमयो्िे वायिराय की प््भुित््ा वािी बात तो िे के पतन िे सनकिने वािे राष््-राज्यो्के स्वर्प मे्िबिे बडा अंतर यही िी गयी, िेसकन उनकी ित््ा के सवके्द्ीकरण की व्यवस्था को सकनारे था सक पहिे का चसरत्् जहां िामंती खंडनात्मकता के स्थान पर रख सदया गया. सकिी ने भी नही्िोचा सक स््बटेन मे्किक्टर और गवन्यर िमावेशीय िकारात्मकता थी वही् दूिरे का चसरत्् खंडनात्मक और नही्होता और रक््ा और सवदेश नीसत के असतसरक्त िभी मामिे स्थानीय नकारात्मकता थी. इंगिै्ड, फ््ांि, पुत्यगाि, स्पेन, हािै्ड, इटिी और सनकायो्के सनव्ायसचत मेयरो्पाि ही िुरस््कत होते है्. िभी मे्आजाद भारत जम्यनी का सनम्ायण जहां अपने अपने िामंती, नस्िी, भाषाई और धास्मयक का वायिराय बन जाने की ििक इतनी उन्मादी हो चुकी थी सक उन्हो्ने सवसभन्नताओ् को िमानता के आधार पर स्वीकार कर एक िकारात्मक सबना सकिी सववाद के स्थानीय सनकायो् को नीसत-सनद््ेशक भाग मे् रख राष््-राज्य सनस्मयत करने की रही वही्पूव्ी यूरोप और पस््िमी एसशया मे् सदया था. आि््य्यनही्सक इिे देखकर गांधी ने कहा था सक ‘यह तो मेरी नस्िी, भाषाई और धास्मयक सवसभन्नताओ्को अस्वीकार कर नकारात्मक मौत हो गयी’. इिका पसरणाम भी वही हुआ जो िाम््ाज्यवादी पूव्ी यूरोप आधार पर नवीन नकारात्मक राष््-राज्यो्को सनस्मयत करने की रही. इन मे् हुआ था. आजाद भारत की िमस्् राष््ीयताएं , नस्िे्, जासतयां, दोनो् राष््-राज्यो् मे् एक महत्वपूण्य अंतर यह भी था सक िामंती राष््- िंप्दाय और िंस्कृसतयां स्वयं को गुिाम मानने िगी् और तमाम प््कार राज्यो् का चसरत्् िमावेशी होने के कारण वहां िसहष्णुता और धम्य- के सवघटनकारी आंदोिन शुर् हो गये. इसतहाि गवाह है सक इि प््कार सनरपेक्ता की चेतना का सवकाि एक अपसरहाय्य आवश्यकता के र्प मे् के सवघटनकारी आंदोिनो्का िमाधान तिवार और बंदूक िे कभी नही् हुआ. इि प््कार के िभी राष््-राज्यो् मे् प््ांत अनुपब्सथत थे और के्द् समि िका. ित््ा का सवके्द्ीकरण ही इिका एकमात्् िमाधान सिद्् हो िरकार ने कम िे कम रक््ा और सवदेश नीसत जैिे उत््रदासयत्व को अपने िका. पाि रखा था. आि््य्य नही् सक उि सवके्स्दत राजव्यवस्था मे् िगभग भारत की आजादी के बाद िंसवधान के स्वर्प के िवाि ने ही भारत िमस्् असधकारो् को स्थानीय सनकायो् के पाि रखा गया था. इिके सवभाजन को अपसरहाय्यबना सदया था. एक पक््यसद ित््ा के सवके्द्ीकरण सवपरीत िाम््ाज्यवादी राष््-राज्यो्का चसरत््नकारात्मक होने के कारण का पक््धर था तो दूिरा ित््ा के के्द्ीकरण का. यद््सप सवभाजन के वहां िसहष्णुता और धम्य-सनरपेक्ता की चेतना का सवकाि अपसरहाय्य उपरांत दोनो्पक््ो्ने ित््ा के के्द्ीकरण का रास््ा ही अपनाया, सजिका आवश्यकता के र्प मे् सवकसित नही् हुआ. िेसकन यहां भी स्थानीय पसरणाम एक और राष््-राज्य अथ्ायत बांग्िादेश का जन्म था. केवि धम्य सनकायो्के पाि पय्ायप्त असधकार रखे गये थे. के नाम पर राष्् को पसरभासषत करने वािे भारतीय और पासकस््ानी उपरोक्त आधार पर यसद वत्यमान भारतीय राष््-राज्य को िमझने मानि दोनो्आज भी ित््ा के के्द्ीकरण को ही उत््म राज व्यवस्था का का प््याि सकया जाये तो इिका जन्म सजि औपसनवेसशक भारत िे हुआ, अंसतम उपाय मानते है्और दोनो्अपनी-अपनी िमस्याओ्के सिए एक उिमे् िगभग 583 स्वायत्् राजशासहयां और सवशाि स््बसटश भारत दूिरे को सजम्मेदार बताकर सचंतामुक्त भी हो जाते है्. केवि नारा िगाकर िब्ममसित था. इि औपसनवेसशक भारत मे् िमस्् असधकार स््बसटश या िगवा कर कोई भी राष््अपनी आस्थयक, िामासजक और िांस्कृसतक वायिराय के पाि िुरस््कत थे. औपसनवेसशक काि मे् भारत का िमस्याओ्का िमाधान नही कर िकता है. कोई भी राष््अपनी िमस्् वायिराय एक ऐिे चक््वत््ी िम््ाट के िमान था, जो स्वयं िागर पार राष््ीयता, नस्िो्, जासतयो्, िंप्दायो् और िंस्कृसतयो् के प््सत िमावेशी िंदन मे्बैठने वािी िंिद िे नामांसकत सकया जाता था. वह न युद्जीत नीसत अपनाये सबना अपने राजनैसतक अस््सत्व को बचाये नही्रख िकता कर भारत का चक््वत््ी िम्ा्ट बनता था न अपनी प््जा के द््ारा सनव्ायसचत है. यह इसतहाि का एक ऐिा िच है, सजिे एक न एक सदन प््त्येक राष्् होकर. वह वंशानुगत शािक भी नही् होता था. सिर भी वह सकिी भी को स्वीकार करना ही पडता है. जो सजतनी जल्दी इिे स्वीकार कर िेता अशोक, अकबर या औरंगजेब िे कम चक््वत््ी नही् होता था. िाि है, वह उतनी ही जल्दी अपने स्वस्णयम इसतहाि का सनम्ायता बन जाता है 1858 िे 1947 तक 583 स्वायत्् राजशासहयो् और सवशाि स््बसटश अन्यथा अनंत काि तक इसतहाि के कूडेदान मे्िडने के सिए असभशप्त n भारत पर उिी का िाम््ाज्य स्थासपत रहा. सबना उिकी मज््ी के कोई होता है. (िेखक िखनऊ सवस््शद््ािय के इसतहाि सवभाग के पूव्यसवभागाध्यक््है्.) राजा-महाराजा अपना जन्मसदन तक न मना िकता था. उिके सववाह शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 13
आवरण कथा
आजादी की लड्ाई के दौर का एक भचत््: वैचाभरक जड्े्
अबनी्द्नाथ द््ारा रभचत भारत माता: स्वदेशी का र्पक
संघ पभरवार द््ारा कक्पपत भारत माता: भहंदू राष््वाद का र्पक
भारत माता कला-वासिनी स्वाधीनरा संघर्ष के दौिान भािर मारा की छरव कई र्पो् मे् उकेिी गयी, लेरकन उसका संघ परिवाि द््ािा परिकक्पपर आक््मक छरव से दूि का भी संबंध नही् है. मंगलेश डबराल
छा
यावाद के प््मुख कसव िुसमत््ानंदन पंत ने िन 1940 मे्सिखी गयी एक कसवता मे् ‘भारत माता’ की छसव को इि तरह सचस््तत सकया था:’ भारत माता ग््ामवासिनी/खेतो् मे् िैिा है श्यामि/धूि–भरा मैिा िा आंचि/ गंगा जमुना मे् आंिू जि/समट््ी की प््सतमा उदासिनी.’ कुछ वष्य बाद यह छसव ग््ामीण पृषभ् सू म मे्स्वाधीनता िंघष्यकी महागाथा मानी 14 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
जाने वािी, िणीश्र् नाथ रेणु की औपन्यासिक कृसत ‘मैिा आचि’ का िूत्वाक्य बनी. करीब पचहत््र वष्य पहिे सिखी गयी पंत की कसवता मे्भारत की छसव उि सबंब िे बहुत अिग और िगभग उिट थी सजिकी पसरकल्पना िन 1882 मे् बंसकमचंद् चट््ोपाध्याय ने अपने उपन्याि ‘आनंदमठ’ के गीत ‘बंदे मातरम्ा’ मे् की थी. बंसकम की छसव ‘िुजिाम, िुििाम मियज शीतिाम, शस्य श्यामिाम’ थी जबसक पंत की कसवता मे् वह ‘तीि करोड नग्न,
अधभूखे, शोसषत और सनरस््’ िोगो्की मां के र्प मे्आयी थी. वंदेमातरम के आरंसभक अंश को छोड्दे्तो उिमे्भारत का िंकीण्यधास्मयक, उग््और आक््ामक स्वर्प भी सचस््तत हुआ था. उि पर िंबी बहि चिी, स्वाधीनता िंघष्य मे् शासमि मुब्सिम नेताओ् को उििे आपस््त थी क्यो्सक उपन्याि मे्इि गीत के िारे िंदभ्यसहंदू राष््वादी और िांप्दासयक थे और कई तथ्यात्मक गिसतयां भी थी. इि बहि के बीच िन 1937 मे्गुरद् वे रवी्दन् ाथ ठाकुर ने िुभाष
चंद् बोि को सिखा था सक ‘बंदे मातरम’ का के्द्ीय भाव दुग्ाय की स््ुसत है और इिमे् िंदेह नही् सक बंसकम की दुग्ाय असखि भारतीय न होकर बंगाि िे असभन्न र्प िे जुडी हुई है. हमे् मुििमानो्िे यह अपेक्ा नही्रखनी चासहए सक वे दि हाथो्वािी इि छसव को ‘स्वदेश’ के र्प मे्स्वीकार करे्गे. ‘आनंद मठ’ एक िासहब्तयक कृसत है िेसकन िंिद िभी धास्मयक िमुदायो्की एकता का मच है, इिसिए िंिद मे्उिका गाया जाना उसचत नही् होगा.’ इिके बाद रवी्द्नाथ की रचना ‘जन गण मन’ को राष््गीत के र्प मे्अपनाया गया और ‘बंदे मातरम’ के आरंसभक अंश को राष््गान का दज्ाय समिा. आज़ादी के िंघष्यमे्भारत माता का सचत््ण कई र्पो् मे् हुआ. स्वदेशी आंदोिन के दौरान बंगाि स्कूि के सचत््कार अबनी्द्नाथ ठाकुर (जो रबी्द्नाथ के भतीजे थे) ने िन 1905 मे् भारत माता का प््भावशािी अंकन सकया. सजन कृसतयो् ने स्वदेशी आंदोिन किा के स््र पर पसरभासषत सकया, उनमे् अबनी्द्नाथ की यह रचना महत्वपूण्य मानी जाती है. इििे पहिे पस््िमी शैिी और तकनीक के ज़सरये भारतीय समथको्और देवी-देवताओ्के सचत््बनाने वािे पहिे किाकार रजा रसव वम्ाय ने भी देश को एक देवी के र्प मे् सचस््तत सकया था, िेसकन वह स्वाधीनता िंघष्यका सहस्िा नही्बन िका क्यो्सक उिके िभी अिंकरण सवदेशी ढंग के थे (इिकी तुिना मे् उनकी िौम्य–शांत और िफ़ेद वस््धारण करनेवािी ‘िरस्वती’ कही् असधक स्वीकाय्यहुई). अबनी्द्नाथ की ‘भारत माता’ बंसकम के ‘बंदे मातरम’ िे इि अथ्यमे्अिग थी की वह न तो दि हाथो् वािी थी और न शत््ुओ् का दमन करनेवािी ताक़तवर मसहिा, जैिा सक बंसकम ने उिे सचस््तत सकया था. उिका र्प आध्याब्तमक और कािी कुछ वैष्णव था: कपड्े की प््चार साम््गी मे् भहंद देवी
जोसगया वस््ो् मे् सिपटी हुई एक बंग मसहिा, जो अपने चार हाथो्मे्धान का गुच्छा, पुस्क, मािा और िफ़ेद वस्् सिये हुए है, उिके िौम्य और सवरागपूण्य मुख और िर के पीछे नीिे और पीिे रंग के दो आभामंडि है्और हरी रंगत की जमीन पर पैरो्के आिपाि िफ़ेद िूि सबखरे हुए है्. अबनी्द्नाथ ने इिे पहिे ‘बंगमाता ‘ के र्प मे् पसरकब्लपत सकया था, िेसकन बंग –भंग की त््ािदी के बाद इिे ‘ भारत माता’ की िंज्ा दी गयी. कहा जाता है सक सिस्टर सनवेसदता इि कृसत की गहरी प्श ्ि ं क थी् और चार हाथो् की िामग््ी को ‘अन्न–वस््सशक््ा-दीक््ा’ का प््तीक मानती थी्. बहुत िे िोगो् को इिे देखकर स्वदेशी आंदोिन मे् शासमि होने की प््ेरणा समिी. वाश तकनीक िे सनस्मयत यह कृसत आज भी िुकून देती है, बंगाि की ‘रांगा माटी’ की याद सदिाती है और बंगाि शैिी की एक महत्वपूण्यधरोहर मानी जाती है. गौरतिब यह है सक उि दौर मे् जो भी कृसतयां बनी् उनमे् कही् न कही् स्वाधीनता के प््तीक तीन रंगो्-केिसरया, िफ़ेद और हरा-की मौजूदगी समिती है. िन 1937 मे्ए रामचंद् राव के एक ऑििेट स््पंट मे् एक स््ी मसव को तीन रंगो् की िाड्ी पहने हुए दश्ायया गया है, सजिके चारो् ओर कांग्ेि के िंस्थापक ए ओ ह्म्ू , बािगंगाधर सतिक, गांधी और कस्र्ू बा, चंद्शेखर आज़ाद, रवी्द्नाथ ठाकुर, िरोसजनी नायडू , अल्दुि गफ्िार खान आसद के सचत््है्. एक और अनाम कृसत मे् वह िाि िाड्ी पहने हुए भारत के नक्शे पर खड्ी हाथ मे्सतरंगा झंडा सिये हुए है और उिके चारो्तरि ऊपरी सहस्िे मे् ईिा मिीह, गौतम बुद् और महात्मा गांधी है्, बीच मे् िुभाष चंद् बोि और सववेकनंद है् और सनचिे भाग मे् िरदार पटेि, राजगोपािाचारी, नेहर्और राजेद् ्प्ि ् ाद. किा के सिहाज िे उत्कृि् न होने के बावजूद यह गांधी की हत्या: भारत माता की गोद
रचना हमारी स्वाधीनता के वैचासरक और व्यावहासरक दोनो्पक््ो्को असभव्यक्त करती है. उि दौर के वे सचत्् भी उल्िेखनीय है् सजनमे् भारत माता के िाथ भगत सिंह की शहादत और िुभाष बोि के शौय्यको सदखिाया गया था. ये ज्यादातर श््ेत-श्याम थे और वह सचत्् खािा िोकस््पय था सजिमे् िौजी पोशाक पहने भगत सिंह को अपना िर काट कर भारत माता को िमस्पयत करते हुए सदखाया गया है. यहां भी भारत माता के हाथ मे् सतरंगा झंडा है. बाद की कुछ कृसतयो् मे् िौजी ििाम करते िुभाष बोि को भी जोडा गया. आज़ादी के बाद भारत माता की छसव ने व्यापासरक कैिे्डरो्, कपड्ो्, मोमबस््तयो् आिद की सवज््ापन िामग््ी मे् प््वेश सकया और ज्यादातर तस्वीरो् मे् वह सतरंगे के िाथ सदखाई दी हािांसक कुछ कैिड े् रो् और प््चार िामग््ी मे् वह िाि धास्मयक झंडा सिये हुए भी सदखती है. किा की दृस्ि िे इन सचत््ो्का कोई बहुत महत्व नही्है, िेसकन उनमे् एक ऐसतहासिक दौर की िंवदे नाएं सचस््तत हुई है. िन 1948 मे्गांधी की हत्या पर बनी एक कृसत कन्याकुमारी मे् प््भतमा: भव्यता का मोह
शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 15
आवरण कथा
हल मंे जुती हुई मां
महबूब की ‘मदि इंरिया’ को देखने के बाद स्पष्् हो जारा है रक ‘भािर मारा’ कैसी हो सकरी है.
हवर मृदुल
‘मदर इंभिया’ मे् नभ्गषस: यादगार भकरदार
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धर अपने देश मे् ‘भारत माता की जय’ जैिे उद्घोष को िेकर सजि तरह की उन्मादपूणय्बाते्हो रही है.् भगवाधारी स््बगेड इि मुद्ेको हवा देकर सजि अंदाज मे्राजनीसतक रोसटयां िेक ् ने की कोसशश मे्िगा हुआ है. ऐिे मे्महबूब खान की सिल्म ‘मदर इंसडया’ बड्ी प््ािंसगक हो जाती है. इि सिल्म को देखने के बाद स्पि््हो जाता है सक ‘भारत माता’ अिि मे्कैिी हो िकती है.् उिमे्कौन िी सवशेषताये्िंभव हो िकती है.् भारत माता को शेर की िवारी सकए हुए सचस््तत करना तो असतरंजना की हद है. इि दैवीयता मे्एक अिग ही सकस्म का भाविोक िामने आ जाता है. जो अवैज्ासनक
मे् भारत माता आकाश मे् बादिो् और सतरंगे झंडे की पृष्भूसम के िाथ अपनी गोद मे् गांधी के शव को सिये हुए है सजिमे् गांधी के शरीर पर तीन गोसियो् के सनशान प््मुखता िे सदखते है्. ज़ासहर है सक िंघ और सवश्् सहंदू पसरषद् की भारत माता की पसरकल्पना का उि छसव िे कोई सरश्ता नही् है, जो अबनी्द्नाथ िे िेकर गांधी की हत्या तक गंभीर और िोकस््पय, दोनो् तरह की किा मे् असभव्यक्त हुई. िंघ की कल्पना मे् आज़ादी या स्वदेशी की िांंस्कृसतक सवराित की कोई स्मृसत नही् सदखती, वह उन कैिे्डरो और प््चार िामग््ी ज्यादा प््ेसरत िगती है सजन्हे् व्यापारी िोग छपवाया करते थे. ऐिी ज्यादातर िामग््ी मे् भारत माता एक अखंड भारत की पृष्भूसम के िाथ आक््ामक मुद्ा मे् नज़र आती है सजिके हाथ मे्भगवे रंग का झंडा पकडा सदया गया है. िंघ पसरवार की भारत माता की कल्पना कोई पुरानी घटना नही्है. हो भी नही्िकती थी क्यो्सक स्वाधीनता के उि िंघष्यमे्िंघ पसरवार 16 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
और अतास्कक फ है. भारत माता का स्वर्प तो एकदम स्पि््है. अभावग्स ् ् होने के बावजूद िंघष्यका माद््ा रखना और श्म् के बि पर जीवन जीने की िोच रखना. सकिी भी हाित मे्हार न मानने वािी सजसजसवषा होना. यानी भारत माता उि नारी की पय्ायय है, जो हर हाित का मुकाबिा करती है और सवजयी होती है. ऐिे मे्भारत माता की छसव यथाथ्वय ादी ही होनी चासहए. यह छसव मंद-मंद मुस्कराती और अभयदान देती देवी की न होकर एक कत्वय य् सनष््नारी की होनी चासहए. हर िंकट का धैयपय् वू क य् िामना करती और अपने उदात््चसरत््को िामने रखती नारी ही अिि मे्भारत माता है. वही र्प जो ‘मदर इंसडया’ मे्नस्गि य का है. राधा के सकरदार मे्नस्गि य ने भारतीय मसहिा का प्स्तसनसध सकरदार अदा सकया है. राधा का चसरत््सचत्ण ् अनूठा है. तमाम अभावो्के बीच भी वह नैसतकता की प्स्तमूसत् य है. इि सिल्म का अिि िौ्दय्य उिके तमाम सकरदारो् के िंघष्य मे् है. खेत-खसिहान और हि-बैि तक सकरदारो्के िाथ खड्ेनजर आते है.् राधा के अिावा चाची, िुकख ् ी िािा, श्यामू, रामू और सबरजू जैिे तमाम सकरदार यथाथ्यके धराति पर खड्ेहै.् िम-िामसयक भारतीय जीवन का प्स्तसनसधत्व करते नजर आते है.् देखने वािी बात यह है सक नस्गि य के अिावा कन्हयै ा िाि, राजेद् ्कुमार, िुनीि दत््और राज कुमार ने भी अपने सकरदारो्के िाथ पूरा न्याय सकया है. सिल्म मे् गरीबी, भूख, असशक््ा, शोषण और अमानवीयता का जैिा सचत््ण है, वह पूरी तरह प््ामासणक है. देसखए सक सिल्म सरिीज हुए िाठ िाि हो चुके है,् िेसकन हािात मे्ज्यादा िुधार नही् हो पाया है. खाि तौर पर आज के सकिानो्की हािात जि की ति है. वे आत्महत्या कर रहे है.् िरकारी ऋण सकिी िाहूकार के कज्य की तरह ही उनके िर पर चढ्ेहुए है.् क्या वह अमर दृशय् कोई भूि िकता है, सजिमे् नस्गि य बैिो्की जगह खुद हि के िाथ जुत जाती है.् तब िगता है सक वह अपने दोनो् बेटो् रामू और सबरजू की ही मां नही् है, बब्लक िमूचे ग््ामीण भारत के युवाओ्की मां है. मां का ऐिा सवराट स्वर्प न इििे पहिे िामने आया और न ही इि सिल्म की सरिीज के इतने िािो्बाद ही ऐिा िंभव हो पाया. राधा का सकरदार वाकई दुिभय् है. अन्याय का प्स्तकार करने के सिए वह कोई भी कदम उठा िकती है. यहां तक सक वह अपने िाड्िे बेटे को गोिी मार देती है. कहने की जर्रत नही् है सक ऐिा दृढ् चसरत््ही भारत माता का पय्ायय हो िकता है.
की कोई भूसमका नही्रही सजिके िैनासनयो्के िामने एक पराधीन भारत माता का सबंब था. सवश्् सहंदू पसरषद ने िन 1983 के आिपाि हुसेन द््ारा रभचत भारत माता: व्यथा-कथा
भारत माता की उग्् छसव को गढ्ा और हसरद््ार मे्भारत माता के मंसदर का सनम्ायण सकया गया. इििे पहिे िन 1936 मे्बाबू सशव प्ि ् ाद गुपत् और दुग्ाय प््िाद खत््ी जैिे सहंदी िेसवयो् ने बनारि मे्भारत माता मंसदर की स्थापना जर्र की थी, िेसकन उिका उद््ेश्य राजनीसतक नही् था. कन्याकुमारी िमुद् तट पर स्थासपत भारत माता की एक सवशाि प््सतमा भी इिी तरह धास्मक य न होकर एक िांसक ् सृ तक असभव्यब्कत है. छसवयो् की इि यात््ा मे् एक महत्वपूण्य और िाथ्क य छसव का अंकन प्स्िद््सचत्क ् ार मकबूि सिदा हुिेन ने सकया था. आजादी की पचािवी् वष्यगाठ पर िन 1998 मे्टाइम्ि ऑि इंसडया के एक सवशेषांक के सिए उन्हो्ने कैनवि पर भारत माता को बनाया. िाि रंग की एक आकृसत, जो पीिड्त सदखाई देती है. उिके पैरो् तिे िमुद्है, सजिमे्एक नाव है और योग की मुद्ा मे्बैठा एक व्यब्कत है, उिके िर के ऊपर सहमािय है जहां िे िूरज उग रहा है. शायद यह भारत माता के दुख और िुख की एक आधुसनक n छसव है.
आशीष नंदी
राष्् और देश की दूरी
इन रदनो् जो कुछ हो िहा है, वह कही् से देिभक्तर नही् है औि न ही िाष््वाद है, बक्पक इसे अंधिाष््वाद कह सकरे है् औि ऐसी सोच बदमािो् की ििरस्रली बनरी है.
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ह हमे् िमझने की जर्रत है सक राष््वाद देशभब्कत नही् है. दरअिि, राष््वाद एक सवचारधारा है, जो मानवीय व्यब्कतत्व मे् दूिरी सवचारधाराओ्की तरह ही शासमि है. देखा जाये, तो औपसनवेसशक काि मे्यह अफ््ो-एसशयाई क््ेत्मे्मजबूत हुई, क्यो्सक उि िमय ये क््ेत् गुिाम थे. गुिामी की जंजीरे्तोड्ने के सिए इि िोच को बि सदया गया और राष््-राज्य अवधारणा के िहायक के र्प मे्यह बढ्ता गया. दूिरी तरि, देशभब्कत की कोई सनस्ि ् त िंवदे ना नही्होती. यह सकिी खाि क्त्े ् और क््ेत्ीयता के र्प मे् िोगो् के जेहन मे् बिी होती है और इिे इंिान दूिरो्िे िाझा भी करता है. इिसिए राष््वाद और देशभब्कत के अंतर को िमझना चासहए. जब गांधी और रवी्द्नाथ टैगोर के बीच बहि हुई थी, तो वहां भी यह अंतर सदखा था. राष््वाद मे्शासमि है िोगो्के एक िमूह की मजबूत पहचान, सजिका राष््ीय िंदभ््ो्मे्एक राजनीसतक अस््सत्व होता है. इिमे् अक्िर ऐिा देखा गया है सक एक खाि जातीय िमूह के पाि राज्य और शािन के तमाम असधकार होते है्. या सिर उि राष्् मे् नागसरकता एक खाि जातीय िमूह तक ही िीसमत होती है. अगर उि राष्् मे्एक िे असधक जातीय िमूहो्के पाि नागसरकता है, तो यह जर्री माना जाता है सक वे िब, यहां तक सक अल्पिंख्यक भी, राष््ीय अस््सत्व को अपनाये्और इिे बार-बार असभव्यक्त करते रहे्. राष्व् ाद मे्यह मान्यता भी शासमि हो िकती है सक राष््ही िव््ोपसर, राष््ही अंसतम है. इिका इस््ेमाि मातृभूसम की रक््ा या उिकी स्थापना के सिए एक आंदोिन खड्ा करने मे्हो िकता है. कुछ मामिो्मे्यही्पर राष््ीय िंस्कृसत भी खड्ी की जाती है, सजिमे्दूिरी नस्िो्या िंस्कृसतयो् के प््सत नकारात्मक सवचार होते है्. इिसिए भी राष््वाद और देशभब्कत के इि िक्फको िमझना जर्री है. इन सदनो्जो कुछ हो रहा है, वह कही्िे देशभब्कत नही्है और न ही राष्व् ाद है, बब्लक इिे अंधराष्व् ाद कह िकते है्और ज्यादा कहूं तो ऐिी िोच बदमाशो्की शरणस्थिी बनती है.
दरअिि, इि तरह की भावना सक ‘यह’ कहो, तभी तुम देश मे्रहोगे, वरना तुम गद््ार हो और देश िे बाहर सनकािे जाओगे’ वास््व मे्िमाज मे्गुंडागद््ी िैिाने की इजाजत देती है. जब यही बात बार-बार कही जाती और सवसभन्न स््रो्िे कही है, तो इिके दो नतीजे िामने आते है्. पहिा, अपराधी मानसिकता वािे िोगो्को िगता है सक इिमे्उनके िारे पुराने पाप धुि जायेगे और इि अंध-राष्व् ाद के नाम पर वे अपनी मनमानी कर िकते है्और सिर इििे िमाज मे्आपरासधक घटनाएं बढ्जाती है्, दंगेििाद होने िगते है्. दूिरा, इििे सवरोध की भावना भी मजबूत होती है. अगर सकिी भी वयस्क िमाज को बार-बार कहा जाये सक तुम ‘यही’ बोिो, तुम ‘यही’ करो, तो वह िमाज मना कर देगा क्यो्सक उिे यह अपनी िोच पर हमिा िगता है. इिी तरह, अल्पिंख्यक तबके को िगता है सक यह िब कुछ उिकी आजादी पर हमिा है. इििे िमाज मे्दो िमूहो्के बीच अनादर और घृणा की भावना बढ्ती है, सजिका िायदा दूिरे सकस्म के आपरासधक तत्व उठाते है्. कहने का मतिब यह है सक सजि कसथत राष््वाद या सजि कसथत देशभब्कत के दम पर िामासजक उत्थान की बात की जाती है, उिका अििी िायदा गैर-िामासजक तत्वो्को समिता है, उििे उल्टे िमाज को नुकिान होता है और अंतत: उििे िामासजक पतन ही होता है. नेता जब इि तरह की बाते् करते है् तो उिका मकिद िोगो् को बुसनयादी चीजो् िे ध्यान हटाना होता है और ऐिी भावनाओ् को मजबूत कर एक बड्े वग्य को आंदोसित करना होता है. इि बार ऐिा िग रहा है सक यह िब बोिकर नेता मध्यवग्यके िमथ्यन को आंदोसित करना चाहते है,् सजििे यह जनाधार और बढ्.े यह वोट बैक ् की राजनीसत है, जो अक्िर चुनाव िे पहिे सदख जाती है. n (िेखक जाने-माने िमाजशास््ी और मनोवैज्ासनक है्. आिेख श््ुसत समत््ि िे बातचीत पर आधासरत)
शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 17
आवरण कथा
इस व्यथ की व्यथा
पय्टष न के इस मौसम मे् कश्मीि घाटी का हाल सैलारनयो् से रछपा हुआ ही िहरा है, लेरकन लोगो् को कुिदे ने पि उस दूिी का एहसास होरा है जो इस घाटी औि िेर भािर के बीच है. अंबरीश कुमार
अ
प््ैि के अंसतम सदन श््ीनगर के मैिूमा इिाके िे गुजर रहे थे तभी ड््ाइवर इमरान ने बताया सक यह डाउन टाउन यानी श््ीनगर के पुराने इिाके का िबिे अशांत मोहल्िा है. झेिम के दोनो् ओर बिा यह इिाका आज भी आजादी का नारा िगा रहा है. सवतस््ा यानी झेिम को कश्मीरी िोग व्यथ कहते है. पर इि व्यथ के दोनो् सकनारो् को िात पुि िे जोडने वािे इि इिाके की व्यथा िमझना आिान नही् है यहां तनाव भी जल्दी होता है और पथराव भी. नारे भी िगते है आजादी भी मांगी जाती है. यह हुसर् यय त के प्भ् ाव वािा इिाका है. जबसक एक सदन पहिे नौहट््ा मे्जामा मब्सजद मे्हमेशा की तरह वही िब दोहराया गया जो हर शुकव् ार को होता है. जुमे की नमाज के बाद अिगाववासदयो् के एिान पर भारत सवरोधी नारे और कई बार पथराव भी. पर अब यह िब उतार पर है. इिमे् वह आग नजर नही्आती जो पहिे थी. वैिे भी 18 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
यह सचनार िे सघरा शहर है और माना जाता है सक सचनार की आग जल्द ठंढी नही् पडती, पर कश्मीर मे् अिगाववाद का दायरा सििहाि सिमटता नजर आता है सजिकी कई वजहे्भी है. अप्ि ्ै के अंसतम हफ्ते िे ही यहां के पय्टय न का िीजन शुर् हो चुका है और िैिासनयो् की भीड बढने िगी है. सकिी भी जगह चिे जाये् पहिगाम, िोनमग्यया गुिमग्यिभी जगह उत्र् िे िेकर दस््कण भारत के िैिानी बडी िंखय् ा मे् समिे्गे. पय्यटन उद््ोग िे जुडे कश्मीरी इनका स्वागत भी गम्ज य ोशी िे करते है. आसखर वादी मे् कई िािो्बाद िैिासनयो्की िंखय् ा बढी है और स्थानीय िोगो् का कारोबार भी. चाहे सशकारा चिाने वािे हो् या हाउि बोट वािे या सिर होटि रेसर् ां और टैकि ् ी चिाने वािे िभी के सिये मई और जून का मसहना ज्यादा कमाई का िमय होता है. जुिाई अगस््के बाद िैिासनयो् की आवाजाही बहुत कम हो जाती है और सितंबर अक्टबू र िे माच्यतक तो बहुत ही कम िैिानी इधर आते है.् इिसिये पय्टय न िे जुडा कोई भी कश्मीरी इि दौर मे्शांसत बनी रहे यही दुआ करता है तासक िाि भर के सिये उनकी रोजीरोटी का इंतजाम बना रहे. ठीक उिी तरह जैिे वे ठंढ के सदनो्के खानपान का इंतजाम भी गस्मययो् के इन्ही महीनो् मे् करते है्. िल्जी िे िेकर मछिी तक िुखा कर रखा जाता है. िीजन मे्जो आमदनी होती है उििे ही िाि भर उनका खच्यचिता है. करीब तीन दशक तक उग्व् ाद का िंबा दौर
श््ीनगर मे् लाल चौक: अमन-चैन के कुछ क््ण देखने के बाद अब कश्मीर दूिरे दौर िे गुजर रहा है. पसकस््ान और अन्य देशो् की तरि िे जो रिद पानी यहां के और बाहर के अिगाववासदयो् को समि रहा था उिमे कािी कटौती हो चुकी है सजिके चिते बाहर िे आये आतंकवासदयो्का घाटी िे पिायन भी हुआ है. जानकारी के मुतासबक करीब दो िौ प््सशस््कत आतंकवादी ही अब कश्मीर मे् बचे हुये है. पर कश्मीर की बडी आबादी आज भी अपनी आजादी की मांग कर रही है. कुछ मुखर है् तो कुछ खामोश. हर शुक्वार को कश्मीरी नौजवानो्का प्स्तरोध पुराने श््ीनगर के सवसभन्न इिाको्मििन नौहट््ा, मैिमू ा, राजौरी कदि, बोहरी कदि, हल्बा कदि िे िेकर जैना कदि जैिे इिाको्मे्सदख िकता है. नौहट््ा की जामा मब्सजद मे्जुमे की नमाज के बाद यह हर हफ्ते की कवायद बन चुकी है. वैिे भी कश्मीरी इि इिाके की तुिना गाजा पट््ी िे करते है. वे अपने प्स्तरोध के सिये हरा झंडा िामने रखते है सजििे कई िोगो्को पासकस््ानी झंडा होने का भ््म होता है. मैिूमा मे् एक नौजवान मोहम्मद इमरान ने कहा, यह हमारे सवरोध का तरीका है. नारेबाजी और पथराव. पथराव िे सकिी को बहुत गंभीर चोट भी नही् िगती खािकर हेिमेट और पत्थर िे बचने वािी मजबूत पोशाक पहने िुरक््ा बि के िोगो् को इििे कोई खाि िक्फ नही् पडता. इि पथराव मे्स्कि ू ी बच््ेभी होते है जो िुरक््ा बािो् की गोिी िे मारे गये नौजवानो् की मौत का
बदिा िेने का प्त् ीकात्मक तरीका इिे मानते है और कश्मीर की आजादी की मांग का प््दश्यन भी. दरअिि नमाज के बाद बडी िंखय् ा मे्िोग रहते है तभी यह प्द् श्नय , नारेबाजी और पथराव होता है. एक रोचक तथ्य यह भी नजर आया सक कश्मीर की आजादी की यह िडाई बेहद गरीब िोग िड रहे है्सजनके पाि पहनने के सिये ढंग का गम्यकपडा भी नही्है आजादी की िडाई का सजम्मा उन्ही के कंधो्पर है. घाटी मे् एक तरि वे पय्यटन स्थि और बाजार है जहां सकिी िैिानी को महिूि भी नही् होगा सक कश्मीर की आजादी की एक िडाई बगि मे् ही चि रही है. चाहे डि झीि का इिाका हो या सिर भीडभाड वािा िाि चौक या सिर श््ीनगर के बाहर के इिाके पहिगाम, गुिमग्यिे िेकर िोनमग्यतक. कुछ वष््ो्मे्यह बदिाव तो आया है सक सकिी िैिानी को यह महिूि भी नही हो िकता सक यहां सकिी देश की आजादी की िडाई भी चि रही है. िैिासनयो् िे वे इि बारे मे्ज्यादा बात भी नही्करते. पर जब आप झेिम पर िात पुिो् वािे पुराने श््ीनगर के सकिी सहस्िे मे् सकिी बुजुग्य िे देर तक बात करे तो बहुत कुछ िमझ मे्आता है. ऐिे ही एक बुजुग्य शल्बीर िे बात हुयी ह्ल्बाकदि इिाके मे्. वे बीते तीन दशक के अिगाववादी आंदोिन िे दुखी थे. हजारो् नौजवानो् की जान इि दौर मे् गयी. वे देश की आजादी के िमय कश्मीर और भारत के बीच हुये करार की याद सदिाते है. पंसडत नेहर् का वह वादा भी सक कश्मीर को रायशुमारी का असधकार होगा. सिर इि वादासखिािी पर नाराजगी भी जताते है. उनिे जो बात हुयी उििे िाफ़ था सक कांगि ्े ने बीते िाठ िाि मे्कश्मीर मे्मजबूत क्त्े ्ीय नेततृ व् पनपने न देने की जो कोसशश की उििे ही हािात ज्यादा ख़राब हुये. सशक््ा स्वास्थय् और सवकाि पर जो कुछ होना चासहये था वह नही्हुआ. सवकाि के पैिे की िूट ज्यादा हुयी. इि िबिे घाटी मे्ज्यादा हताशा पैदा हुयी.
अगर मजबूत क्त्े ्ीय नेततृ व् होता तो कश्मीर मे् ये हािात तो न होते. रही िही किर राज्यपाि जगमोहन ने पूरी कर दी सजन्हो्ने जो्सकया उििे अिगाववासदयो्का रास््ा जर्र िाफ़ हुआ. नल्बे के दशक मे्वीपी सिंह की िरकार थी तो उि िमय छात््युवा िंघष्यवासहनी का एक प्स्तसनसधमंडि श््ीनगर गया. राजीव हेम केशव भी इिमे् थे सजन्हो्ने श््ीनगर मे् सवसभन्न अिगाववादी गुटो् के नेताओ् िे बात की और वजह िमझने की कोसशश की. राजीव हेम केशव ने कहा, कश्मीर मे्जनता पाट््ी के दौर मे् जो चुनाव हुये वे तो सनष्पक्् रहे पर कांग्ेि ने अपने िोगो् को सजतवाने के सिये हर हथकंडा अपनाया. वष्य1987 का चुनाव आधार बना जब कांग्ेि ने िार्क अल्दुल्िा के िाथ गठबंधन सकया और उन्हे्सजतवाने के सिये बडे पैमाने पर धांधिी हुयी. इि बीच कश्मीर मे्नौजवानो्की नयी पीढी राजनीसत मे् दखि दे चुकी थी. कािेज सवश्स्वद््ािय िे सनकिे इन नौजवानो् मे्चुनाव मे्दखि सदया और धांधिी के चिते हार गये. मामिा यही् तक िीसमत नही् रहा बब्लक सवरोध करने पर उन्हे्जेि मे्डाि सदया गया. नौजवानो् का उत्पीड्न भी हुआ सजििे िोगो्मे्नाराजगी बडी. इि तरह जब िोकतंत् का गिा घोटा गया तो इन नौजवानो् ने अपना रास््ा भी बदिा.' कश्मीर मे्इिी के बाद अिगाववाद तेज भी हुआ सजिे मौके की तिाश मे्बैठे पासकस््ान ने हवा भी दी. अिगाववाद को पासकस््ान की शह समिी और बाहर िे प््सशस््कत आतंकवादी भी भेजने शुर् हुये. घाटी के नौजवान भी आजाद कश्मीर मे्प्स्शक्ण ् िेने जाने िगे. इिी के िाथ कश्मीरी पंसडतो् पर हमिे शुर् हुये. मकिद िाफ़ था कश्मीरी पंसडतो्को घाटी िे बाहर कर बदिा सिया जाये. इि प््स्कया को बाद मे् राज्यपाि बने जगमोहन ने भी अपनी नीसतयो्िे तेज सकया. कश्मीर के जानकार मानते है सक उनकी रणनीसत थी कश्मीरी पंसडत को बाहर कर व्यथ, भवतस््ा, झेलम: शहर के बीच एक दुख
अिगाववासदयो्िे आर पार की िडाई िडना. सजन पुराने इिाको् मे् कश्मीरी पंसडत रहते थे वहां सकिी भी काय्वय ाई का अथ्यपंसडतो्का भी नुकिान होना सजिकी प््सतस््कया ज्यादा होती खािकर जम्मू और अन्य जगहो् पर. इिसिये कश्मीरी पंसडतो्को घाटी िे बाहर भेजने मे्दोनो् तरि की भूसमका रही. दरअिि अिगाववादी भी नही् चाहते थे सक उनके इस्िामीकरण के असभयान मे्कोई स्थानीय बाधा पडे. इिी वजह िे कश्मीरी पंसडतो्को सनशाना बनाया गया और उन्हे्बाहर भेजने पर मजबूर सकया गया. इि बात को िेकर आज भी बहुिखं य् क कश्मीरी सबरादरी को कोई अफ़िोि भी नही्है. वे इिे भी आजादी की िडाई के एक हसथयार के र्प मे्देखते है. अिगाववादी मानते है्सक आज भी वे अपने देश के सिये िड रहे है. हुस्रययत कांफे्ि के अध्यक्् मीरवाइज उमर िार्क के मुतासबक कश्मीरी तो 29 अप््ैि 1865 िे दमन और उत्पीड्न के सखिाि िड रहे है्यह वही सदन था जब डोगरा िेना ने 28 कश्मीसरयो्को मार डािा था. मीरवाइज बीते 29 अप्ि ्ै को नौहट््ा मे्जुमे की नमाज के बाद जामा मब्सजद पसरिर मे् इकठ््ा िोगो् को िंबोसधत कर रहे थे. उन्हो्ने आगे कहा सक यह 29 अप्ि ्ै का सदन हमारे सिये बहुत महत्वपूणय् है. इिी सदन िे हमने दमन के सखिाि िंघष्य की शुरआ ् त की थी. मीरवाइज के सनशाने पर पीडीपी भी रही तो नेशनि कांफि ्े भी. उन्हो्ने आगे कहा सक जो हमारे अपने होने का दावा करते थे वे भी दमन करने वािो् के िाथ खडे हो गये. पर उन्हे् यह िमझ िेना चासहये सक िेना िे हमारे आंदोिन को दबाया नही् जा िकता. मीरवाइज के इि वक्तव्य िे बहुत कुछ िमझा जा िकता है. कश्मीर आज अगर इि तरि है तो सिि्फ िेना की वजह िे. आज आजाद कश्मीर हो या पासकस््ान दोनो्िे घाटी के िोगो्का रोटी और बेटी का सरश्ता बना हुआ है. मुजफ्िराबाद िे मसहिाओ् के कपडे आते है्तो पासकस््ान िे शहद िे िेकर अंजीर तक आपको श््ीनगर मे्समि जायेगा. बहरहाि पीडीपी और भाजपा गठबंधन िरकार अगर कुछ बेहतर कर िके और कश्मीरी िोगो्का भरोिा जीत िके तो शायद नयी पहि हो. मुफ्ती मोहम्मद िईद की छसव कश्मीर मे् एक बहुत ईमानदार नेता के र्प मे्रही है और महबूबा मुफत् ी को इिका िायदा भी समि िकता है. दरअिि सशक््ा, स्वास्थ्य, रोजगार और सवकाि का मुद्ा हासशये पर रहा है .शहर के बीच बन रहे एक फ्िाई ओवर स््बज को िेकर िडक जाम होने पर एक ड््ाइवर सचल्िा कर बोिा, यह तीन िाि िे बन रहा है पैिा नही्आ रहा. जम्मू मे् होता तो िाि भर मे् बन जाता. सिर भी वे िोग बोिते है कश्मीर हमारा है. क्या यही हमारा होता है. n शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 19
देशकाल
धमंमऔर संसंकृति का
भसंहस्थ मे् भशप््ा के तट पर: आस्था का महापव्ष
मध्य प्द् ि े की धम्ष नगिी उज्न्ै मे् रसंहस्र कुभं अपना आधा पड़्ाव पाि कि चुका है. व्यापक प्च् ाि के बावजूद अपेर्िर श्द ् ्ालु न जुटने से रनिािा रो है, लेरकन जो आये है् वे रनिाि नही् है् त्यो्रक उनकी आस्रा मे् कोई कमी नही् है. 20 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
उज़़ैन से पूजा वसंह
उ
ज््ैन शहर शुर् होने िे पहिे ही भगवा झंडो् की कतार आपको बता देती है सक महाकाि की नगरी करीब है. सिंहस्थ कुंभ अपना िगभग आधा ििर तय कर चुका है िेसकन इिके बावजूद शहर मे्झंडे ज्यादा, िोग कम नजर आ रहे है्. तकरीबन 3500 करोड् र्पये के इि सवशाि आयोजन को िेकर प््देश िरकार ने सजि अंदाज मे् प््चार प््िार सकया उिकी तुिना मे् भीड् जर्र कम है िेसकन जोश कोई कम नही् है. पहिे शाही स्नान के सदन जहां एक करोड् िोगो् के आगमन की उम्मीद जतायी जा रही थी वहां उि सदन बमुब्शकि 10 िाख िोग ही जुट िके. तब िे अब तक सिंहस्थ मे्बाहरी िोगो्के आगमन का
सििसििा तो कमजोर ही है स्थानीय िोग भी तमाम प््सतबंधो्के चिते आयोजन मे्सशरकत नही् कर पा रहे है्. हािांसक इि प््शािसनक कमी का ठीकरा भीषण गम््ी के िर िोड्ा जा रहा है. बहरहाि वजह चाहे जो भी हो यह िच है सक इि सिंहस्थ मे् श््द्ािु उतने नही् जुटे सजतनी सक तैयासरयां की गई्थी्. बहरहाि, श््द्ािुओ्की कमी िे प््शािन और कारोबारी जगत भिे ही परेशान हो िेसकन िाधु-िंतो् को इि गुणा गसणत िे भिा क्या िेना देना. यही वजह है सक िंत िमाज पूरे जोशखरोश िे अपनी धाक कायम करने मे्िगा हुआ है. सिंहस्थ दरअिि समनी भारत बना हुआ है. भारतीय िमाज की तमाम सवसचत््ताएं यहां मौजूद है्. कंप्यूटर बाबा, पायिट बाबा, एन्वॉयरनमे्ट बाबा जैिेा सवसचत्् नामधारी सहंदू
तसंहसंथ
एक भकशोर साधु: फूलो् का श््ृंगार
िंत तो है् ही मुब्सिम, सिख, ईिाइयो् िमेत तमाम अल्पिंख्यक मौजूद है्. सिंहस्थ मे् घूमते हुए बार-बार मन मे् यह सवचार आता है सक रहा होगा कभी यह सहंदुओ् का िबिे बड्ा धास्मयक मेिा िेसकन आज यह पूरी तरह एक िांस्कृसतक आयोजन मे् तल्दीि हो गया है. पंसडत जिराज, मुरारी बापू, पंसडत हसरप््िाद चौरसिया, िोनि मान सिंह िे िेकर राजन-िाजन समश्् और तीजन बाई जैिे प्स्तस््षत किाकार इि कुभं मे्अपनी प्स ् स्ुतयो् िे िमां बांध रहे है्. रामघाट पर मौिाना मौज तैराकी िंघ के मुब्सिम नौजवान सदन रात िोगो् को डूबने िे बचाने मे्िगे है्तो महामंडिेश्र अवधेशानंद सगसर के पंडाि मे् बोहरा िमुदाय के िोग भोजन की व्यवस्था मे् िगे है्. इतनी खूबिूरत सवसवधता हो तो भिा कौन इिे धम्य
केशो् का करतब: भसंहस्थ की एक छभव शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 21
देशकाल
फोटो: पूजा भसंह
सवशेष तक िीसमत रखने की जुर्यत कर िकेगा. बहरहाि, पय्यटको् की कम आवक ने प््शािन को सचंता मे् डाि सदया है. बहुत जोरशोर िे यह प््चार प््िार सकया गया था सक कुंभ मे् पांच करोड् िे असधक श््द्ािु पहुंचे्गे. देश के सवसभन्न इिाको् िे कई ट््ेन भी कुंभ के सिये शुर्की गयी्और बिो्के सकराये मे्भारी कमी की गयी िेसकन पहिे शाही स्नान के दौरान श््द्ािुओ् की कमी देखकर प््शािन िकते मे् आ गया. आनन िानन मे् बैठक बुिाकर इि िमस्या पर सवचार सवमश्य आरंभ सकया गया. बैठक मे् प््मुख र्प िे यह सवचार
22 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
रात मे् भसंहस्थ: आस्था की जगमगाहट सकया गया सक िुरक््ा जांच और पसरवहन प््बंधन मे् कौन िे बदिाव सकये जाये् तासक िोगो्को यहां आने मे्कम िे कम अिुसवधा हो. सिंहस्थ कुंभ के प््शािसनक काम िे जुड्े एक वसरष्् नौकरशाह ने कहा सक िरकार का असतरंसजत अनुमान और भीषण गम््ी दोनो्िोगो् की िंख्या मे्कमी की वजह हो िकते है्. शाही स्नान के सदनो्मे्िोगो्को अपने वाहन घाट िे मीिो् दूर छोडऩे पड्ते है्. इतनी गम््ी मे् मीिो् पैदि चि पाना िबके बि की बात नही् है इिसिये भी िोग नही्आ रहे है.् वही्इिाहाबाद मे्जाड्ो्के सदनो्मे्होने वािे कुंभ मे्भारी भीड् भसंहस्थ मे् साधु: धूनी यही् रमेगी
इिसिये उमड्ती है क्यो्सक ठंड के मौिम मे् ज्यादा चिने मे् कोई तकिीि नही् होती है. अरिे िे सिंहस्थ को ििि बनाने मे् जुटे उज््ैन आयुक्त रवी्द् पस््ोर ने कहा सक आने वािे सदनो्मे्पय्यटको्की िंख्या बढ्ेगी. शहर के होटि कारोबारी प््ताप गोयि बताते है् सक महंगे िस््े िभी होटिो् मे् 40 िे 50 प््सतशत कमरे खािी रह रहे है्. असधक पय्यटको् के आगमन की आशा मे् होटिो् ने पहिे ही सकराये दो िे तीन गुने तक बढ्ा सदये थे िेसकन अब वे दोबारा सकराया कम करने पर मजबूर हो गये है्. इिके बावजूद पय्यटक कम ही आ रहे है्. पय्यटको की कमी मेिा क््ेत् मे् होने वािे कारोबार पर भी बुरा अिर डाि रही है. नगर के कारोबारी भी श््द्ािुओ की कमी िे सनराश है्. माना जा रहा था सक सिंहस्थ मे् आने वािे पय्यटक शहर की अथ्यव्यवस्था मे्नकदी बढ्ाने मे्जबरदस््योगदान दे्गे िेसकन यह बात िच होती नही्प्त् ीत हो रही है. स्थानीय कारोबासरयो् की सशकायत है सक प््देश शािन ने सिंहस्थ के प््चार पर सजतना ध्यान सदया उिका एक अंश भी मेिे और हस्् सशल्प आसद के प््मोशन पर नही्सदया गया. बहरहाि, िंपूण्य मेिा क््ेत् मे् भिे ही श््द्ािुओ् की कमी दज्य की जा रही है िेसकन इिके उिट काि भैरव मंसदर के आिपाि िोगो् का जमावड्ा देखने को समि रहा है. दरअिि प््देश शािन ने सिंहस्थ अवसध के दौरान शहर मे्शराब की सबक््ी पर प्स्तबंध िगा सदया है. इि घोषणा ने शराब पीने वािे शहरवासियो् और बाहर िे आने वािे पय्यटको् की मुब्शकिे् बढ्ा दी्. शहर का ही काि भैरव मंसदर ऐिे िोगो् के सिये राहत बनकर उभरा क्यो्सक उिे इि सनयम िे छूट प््दान की गयी है. दरअिि पारंपसरक तौर पर काि भैरव को प््िाद के र्प मे्शराब ही चढ्ायी जाती है. यही वजह है सक सजिा प््शािन ने काि भैरव मंसदर के िामने शराब की दो दुकानो्को अपनी सबक््ी जारी रखने की इजाजत दे दी है. इिके अिावा पूजा अच्नय ा करने वािे िूि और प्ि ् ाद के िाथ भी शराब की बोति आिानी िे खरीद िकते है.् जानकारी के मुतासबक उज्न्ै मे्शराबबंदी िागू होते ही उक्त दोनो्दुकानो्की सबक््ी दो गुनी बढ् गयी है. इिके अिावा भी सिंहस्थ के कई रंग है्. शहर को सवकाि की िौगात तो समिी ही है. सपछिे सिंहस्थ के मुकाबिे इि बार बजट मे् 80 प््सतशत का इजािा सकया गया. सशप््ा नदी पर अनेक पुि बने, घाटो्का िौ्दय््ीकरण सकया गया, फ्िायओवि्यबने, नये अस्पताि बने. ये िब शहर का स्थायी र्प िे िमृद्करने वािी बाते्है्. n
सक
िी भी बड्ेआयोजन के तज्यपर सिंहस्थ कुभं भी सववादो् िे अछूता नही् रहा. सिंहस्थ के शुरआ ् ती िप्ताह मे् ही सकन्नर अखाड्ा और मसहिाओ् के परी अखाड्ा की मान्यता को िेकर जबरदस््तनाव पैदा हो गया. 13 अखाड्ो् वािी असखि भारतीय अखाड्ा पसरषद ने इन दोनो्अखाड्ो्को मान्यता देने िे स्पि््तौर पर इनकार कर सदया. िेसकन इििे बेपरवाह सकन्नर अखाड्े ने बकायदा अपनी पेशवाई सनकािी. सकन्नर अखाड्ेके िंयोजक गुर्अजय दाि ने कहा सक महाकाि की नगरी मे् आयोसजत सिंहस्थ मे् शासमि होने के सिये सकन्नरो् को सकिी के आमंतण ् या मंजरू ी की आवश्यकता नही् है. सकन्नरो् ने बाकायदा अपनी पेशवाई भी गुर् अजय दास: भकन्नरो् के खैरख्वाह
भसंहस्थ मे् भकन्नर: धाभ्मषक बराबरी की मांग
कुंभ के दकन्नर-प््श्न पिी औि रकन्नि अखाड़्ो् का रववाद इस महाकुंभ मे् काफी छाया िहा रो र््िकाल भवंरा भी आकर्षर का के्द् बनी िही्.
सनकािी. सजिे देखने और सकन्नरो्का आश््ीवाद िेने के सिये बहुत बड्ी िंखय् ा मे्िोग धूप मे्खड्े रहे. अजय दाि इि बात पर खेद जताते है्सक सकन्नर अखाड्े के िाथ शािन ने िौतेिा व्यवहार सकया. प्त्य् क े अखाड्े को जहां दो दो करोड् र्पये आवंसटत सकये गये वही् सकन्नर अखाड्ेको कोई धनरासश नही्दी गयी. यहां तक सक उनकी पेशवाई सनकिने के दौरान भी सकिी तरह की पुसिि प्श ् ािन का बंदोबस््नही्सकया गया. उधर, देश मे्मसहिाओ्के एकमात््अखाड्,े परी अखाड्ेकी प्म् ख ु और मसहिा िंत स््तकाि भवंता ने उनके अखाड्े को अन्य अखाड्ो् के िमान िुसवधाये्न सदये जाने को िेकर िमासध िेने की कोसशश की. वह एक सवशाि गड््े मे् िमासध िेने बैठ गयी् थी् तब पुसिि ने उनको शांसत भंग करने की आशंका मे् सगरफ्तार कर सिया. पुसिि महासनरीक्क ् मधु कुमार के मुतासबक मेिा स्थि मे् शांसत व्यवस्था कायम रखने के सिये मजबूरन यह कार्वय ाई करनी पड्ी. उल्िख े नीय है सक स््तकाि भवंता गत 16 अप्ि ्ै िे ही िमान िुसवधाओ्की मांग को िेकर अनशन पर बैठी हुई थी्. प्श ् ािन के तमाम मानमनौव्वि के बाद भी जब वह नही् मानी् और अपने ऊपर समट््ी डिवाने िगी् तो उनको सगरफ्तार कर सिया गया. वह पेशवाई और शाही
भ््तकाल भवंता: गड््े मे् अनशन स्नान की इजाजत चाहती थी्जो उनको नही्दी गयी. उधर असखि भारतीय अखाड्ा पसरषद के अध्यक्् नरेद् स्गसर ने कहा सक परी अखाड्े के अस््सत्व के बारे मे्कोई ठोि जानकारी नही्है इि तरह अचानक सकिी को भी पेशवाई सनकािने या शाही स्नान की इजाजत नही्दी जा िकती है. शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 23
देशकाल
बाबा भकभसम-भकभसम के
रसंहस्र मे् बाबाओ् का वर्षक्म रदखाई देरा है जहां कुछ बाबा अपनी िंगीरनयर के रलए जाने जा िहे है् रो कुछ अपने सामारजक सािोकािो् के रलए भी सोिल मीरिया मे् चच्ाष पा िहे है्.
फोटो: पूजा भसंह
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क तरि सनत्यानंद स्वामी जैिे बाबा है्जो सिंहस्थ मे्अपनी रंगीसनयत, सवदेशी सशष्यसशष्याओ्और वैभव प््दश्यन के सिये चच्ाय मे्है् तो वही् तमाम ऐिे बाबा भी आये है् जो अपनी िामासजक प््सतबद््ताओ् के कारण न केवि स्थानीय मीसडया मे् चच्ाय मे् है् बब्लक पय्यटको् और श््द्ािुओ्का सदि भी जीत रहे है्. गोल़डन बाबा तकरीबन 11 सकिो िोना पहनने वािे गोल्डन बाबा अपने शरीर पर िदे करोड्ो्र्पये मूल्य के गहनो्के सिये हमेशा िुस्खययो्मे्रहते है्. यह बात और है सक उनके अनुयाइयो् मे् असधकांश गरीब तबके के िोग है.् गोल्डन बाबा इििे पहिे तब िुस्खययो्मे्आये थे जब उनकी एक तस्वीर सदल्िी के मुख्यमंत्ी अरसवंद केजरीवाि के िाथ िामने आयी थी. हािांसक कुंभ की औपचासरक शुर्आत के पहिे ही स्थानीय मीसडया ने गोल्डन बाबा को उि िमय सनशाने पर िे सिया जब यह िच िामने आया सक गोल्डन बाबा का अििी नाम दरअिि सबट्् भगत उि्फ िुधीर है और वह एक सहस्ट्ीशीटर अपराधी है. सदल्िी पुसिि के हवािे िे कहा गया सक बाबा के सखिाि अपहरण और सिरौती के एक दो नही्बब्लक 34 मामिे दज्यहै्. खबर िामने आते ही बाबा मेिे िे नदारद हो गये और 24 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
गोप्िन बाबा और एनवॉयरनमे्ट बाबा: भचत््-भवभचत्् बाबाशाही
उनकी सगरफ्तारी की खबरे्चिने िगी्. हािांसक बाबा पहिे शाही स्नान के सदन मेिे मे् सिर नजर आया और इिके िाथ ही उिकी सगरफ्तारी की अिवाहो्पर सवराम िग गया. एनिॉयरनमे़ट बाबा अवधूत बाबा उि्फएन्वॉयरनमेट् बाबा यूं तो तमाम अन्य िाधू-िंतो्की तरह भगवा धजधारी है् िेसकन उनका सदि हसरयािी के सिए धड्कता है. तकरीबन माह भर पहिे उज्न्ै आ चुके एन्वॉयरनमे्ट बाबा और उनके सशष्य यहां हजारो् की तादाद मे् वृक् िगा चुके है्. बाबा कहते है,् 'हसरयािी को िेकर मेरा यह असभयान केवि सिंहस्थ तब िीसमत नही् है. मै्ने इि सवषय पर जागर्कता पैदा करने के सिये वैष्णोदेवी िे कन्याकुमारी तक पदयात््ा करने का बीड्ा भी उठाया है.' इि दौरान वह पूरे माग्य पर िाखो्पौधे िगाये्गे. हाथो्मे्िोने के भारी भारी कंगन पहने अवधूत बाबा दावा करते है्सक उन्हो्ने सकिानो् के सिये कई यज्् आयोसजत सकये है्. ईश््र की अवधारणा को वह प््कृसत िे जोड्ते है् और कहते है् सक सकिान प््कृसत पुत् है्. सकिान रहे्गे तो हम िब रहे्गे. उन्हो्ने यह भी कहा सक अगर स्थानीय प््शािन इजाजत दे तो वह उज््ैन मे्सरंगरोड के सकनारे वृक्ारोपण करना चाहते है्. बाबा ने सवश््पृथ्वी सदवि के
सदन भी अपने सशष्यो्के िाथ बड्ी िंखय् ा मे्वृक् िगाये. उज्न्ै की भीषण गम््ी िे सनपटने मे्यह मददगार िासबत हो रहा है. बाबा के सशष्यो् मे् तमाम यूरोपीय और अमेसरकी नागसरक शासमि है्. गुऱ अजय दास सिंहस्थ मे्गुर्अजयदाि का नाम इिसिए चच्ाय मे् है क्यो्सक वह सकन्नर अखाड्े के िंस्थापक और िंयोजक है्. असखि भारतीय अखाड्ा पसरषद ने सकन्नर अखाड्े को मान्यता देने िे िाि इनकार कर सदया िेसकन गुर् अजयदाि के नेतृत्व मे् सकन्नर अखाड्ा पूरे जोशोखरोश िे इि आयोजन मे्शासमि हो रहा है. उिने न केवि अपनी पेशवाई सनकािी बब्लक वह अन्य िांस्कृसतक आयोजनो् मे् भी शरीक है. अजयदाि खुद को आध्याब्तमक गुर् बताते है् और सवश्् एवं िमाज मे् िमता के सिये काय्य करते है्. अजयदाि बताते है् सक वे देश और दुसनया के तमाम शहरो् मे् अध्यात्म और धम्यकी कक््ाये्िेते है्. अजय दाि इििे पहिे वष्य2009 मे्उि िमय िुस्खययो्मे्आये थे जब उनकी पुस्क सववाह एक नैसतक बिात्कार का सवमोचन हुआ था. उिके बाद िे अपेक्ाकृत गुमनाम रहे बाबा अब सकन्नर अखाड्ेके मे्टर के र्प मे्िामने आये है्.
दाती महाराज जब हम राजस्थान के महासनव्ायणी अखाड्े के महामंडिेश्र परमहंि दाती महाराज के आश््म मे्पहुंचे बस््चयो्के िाथ दाती महाराज की सवशािकाय तस्वीरो् ने हमारा स्वागत सकया. बातचीत मे्दाती महाराज िमाज के उि भसवष्य को िेकर सचंसतत सदखे सजिमे् बेसटयां नदारद हो्गी. दाती महाराज ने कहा सक वह वष्य 1999 िे ही सनध्नय बेसटयो्के सिये आश्म् चिा रहे है् और अब तक 7,000 िे असधक बेसटयो् का सववाह करा चुके है्. दाती महाराज सिंहस्थ कुंभ के इि मंच का प््योग िमाज मे्बेटी बचाने और कन्या भ््ूण हत्या को रोकने का िंदेश देने के सिये कर रहे है्. उन्हो्ने कहा सक उनका िंस्थान उज््ैन मे् भी बेसटयो् की रक््ा के सिये एक सवशािकाय बािगृह बनाने की सदशा मे् काम कर रहा है. दाती महाराज ने शसन सशंगणापुर मंसदर मे् मसहिाओ् के प््वेश को िेकर चि रहे हासिया सववाद पर भी अपनी राय स्पि््की. उन्हो्ने कहा सक मसहिाओ्को सकिी भी अवस्था मे्देव पूजन िे रोकना अपराध है. स़िामी वनत़यानंद कई वष्यपहिे िेक्ि स्कै्डि मे्िंि चुके स्वामी सनत्यानंद सिंहस्थ कुभं के दौरान एक नये सववाद मे् िंि गये. उन्हो्ने अपने सशसवर मे् भगवान सशव और पाव्यती की प््सतमा के िमक्् अपनी प््सतमा स्थासपत करवायी है. अन्य अखाड्ो्के िाधू िंतो्ने इि पर तीखी प्स्तस््कया देते हुए कहा है सक सनत्यानंद को खुद को भगवान बताने िे बाज आना चासहये. वही्उनके अनुयाइयो्का कहना है सक इिमे्कुछ भी गित नही् है क्यो्सक उनके सिये तो सनत्यानंद ही भगवान है.् उल्िख े नीय है सक सनत्यानंद सिंहस्थ
दसंहज्थ और सत््ा
र्द्ाक्् बाबा: ध्यान खी्चने की कला के िबिे बड्ेिेसिस््बटी बनकर उभरे है्. उनके सशसवर मे् देिी सवदेशी भक्त-भब्कतसनयो् का तांता िगा रहता है. सशव-पाव्यती की 12 िीट की प््सतमा के ठीक िामने सनत्यानंद की चार िीट ऊंची प््सतमा रखी गयी है. जानकारी के मुतासबक यह प््सतमा सनत्यानंद के एक भक्त ने िाि एंजसिि िे मंगवा कर दी है. सनत्यानंद का सशसवर बच््ो्को थड्यआई नामक एक कोि्यभी करा रहा है सजिके बाद वे आंख बंद करके रंग पहचान िके्गे व कुछ चीजे्देख िके्गे. इिकी िीि दो िाख र्पये रखी गयी है. जबसक तक्वफ ाद िे जुड्ेिोगो्का कहना है सक ये सवज््ान की िामान्य स््टक है् सजन्हे् वैज्ासनक प््सशक््ण िंस्थानो्िे सनशुल्क िीखा जा िकता है. अिधेशानंद वगवर जूना अखाड्े के महामंडिेश्र अवधेशानंद सगसर की मेिे मे्अिग ही धाक है.
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ध्य प््देश मे् यह बहुत बड्ा समथक है सक जो मुख्यमंत्ी सिंहस्थ का आयोजन करवाता है या उिकी तैयासरयो् मे् िगता है, उिकी कुि्ी 6 माह के भीतर हर हाि मे् चिी जाती है. प््देश के कई मुख्यमंत्ी उदाहरण के सिये गोसवंद नारायण सिंह, वीरे्द् कुमार िकिेचा, िुंदरिाि पटवा और उमा भारती भशराज भसंह चौहान: भसंहस्थ मे् सपभरवार सिंहस्थ समथक के सशकार हो चुके है्. अप््ैि-मई 2004 मे् सिंहस्थ हुआ. पूण्य बहुमत के
दाती महाराज: बेभटयो् की भफक्् एक तरि उनके आश््म की िाज िज््ा है जो दूर िे ही सकिी सकिे के होने का आभाि कराती है तो दूिरी तरि खुद उनका मोहक व्यब्कतत्व है. जो िोगो्को बरबि अपनी तरि खी्च िेता है. स्वामी सनत्यानंद के दश्यन को जहां सवदेशी िैिानी भीड् िगाये हुए है् तो वही् िंत अवधेशानंद सगसर िे समिने वािो्ं मे् िरकारी असधकासरयो्, नेतागण का तांता है. पुसिि असधकारी तथा अन्य प््शािसनक असधकासरयो् को अक्िर उनके चरणो्मे्बैठे देखा जा िकता है.यह हो भी क्यो्न? जब पंसडत जिराज जैिे गायक उनको देखकर सवह्वि हो रहे हो् तो आम िोगो्की भिा सबिात ही क्या है? स्वामी अवधेशानंद ने इि कुंभ मे् आम िोगो् को भी बहुत बड्ी िंखय् ा मे्दीक््ा देने की घोषणा की है. यह अपने आप मे् एक नयी घोषणा है सजिने िोगो्को खूब आकृि्सकया है.
िाथ 8 सदिंबर 2003 को मुख्यमंत्ी बनी्भाजपा उमा भारती एक िाि भी पद पर कासबज नही्रह िकी्. अप््ैि-मई 1992 मे्सिंहस्थ हुआ. िुंदरिाि पटवा (5 माच्य1990 िे 15 सदिंबर 1992 तक) मुख्यमंत्ी थे. बाबरी मब्सजद ढहने के कारण बीजेपी शासित प््देशो्मे्16 सदिंबर 1992 को रातो्-रात िरकार बख्ायस् कर राष््पसत शािन िगा सदया गया. माच्-य अप्ि ्ै 1980 मे्सिंहस्थ हुआ. जनता पाट््ी की िरकार थी, वीरेद् ् िकिेचा 18 जनवरी 1978 िे 19 जनवरी 1980 तक िीएम रहे. इनके बाद 20 जनवरी 1980 िे 17 िरवरी 1980 तक िुंदरिाि पटवा िीएम रहे. इमरजेि ् ी के बाद प्द् श े मे्18 िरवरी 1980 को राष्प् सत शािन िगा सदया. 8 जून 1980 तक राष््पसत शािन रहा. अप््ैि-मई 1968 और अप््ैि-मई 1969 मे्सिंहस्थ हुआ. उि वक्त गोसवंद नारायण सिंह को जाना पड्ा जो 30 जुिाई 1967 िे 12 माच्य1969 तक मुख्यमंत्ी थे. नोट: अप्ि ्ै -मई 1968 और अप्ि ्ै -मई 1969 तथा अप्ि ्ै -मई 1956 और अप््ैि-मई 1957 के र्प मे् एक-एक वष्य के अंतराि पर सिंहस्थ का योग बना. इन दोनो्ही वष््ो्मे्शैव एवं वैषण ् व िंपद् ायो्ने अिग अिग िाि मे्स्नान सकया. शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 25
मास् देशकाल ट हेड
नाभशक मे् शभन भशंगणापुर: भववाद के बीच
मंदिर मस्जिि और मदिलाएं
देि के अलग अलग रहस्सो् मे् इस समय कुछ आंदोलन चल िहे है् रजनमे् मरहलाये् मंरदिो्, दिगाहो् मे् प््वेि की इजाजर चाह िही है्. सवाल यह है रक त्या यह नािीमुक्तर आंदोलन का कोई पड़्ाव है या रफि एक रदिाहीन याि््ा भि. पूजा वसंह
इ
ि िमय देश एक अिग सकस्म के 'मंसदर आंदोिन' का िाक््ी बन रहा है. वष्य2015 के आसखर मे् िुदूर केरि के िबरीमिा मंसदर िे शुर् हुआ यह सििसििा महाराष्् के अहमदपुर नगर के शसन सशंगनापुर मंसदर के रास््े त््यंबकेश्र होता हुआ अब मुंबई की हाजी अिी दरगाह तक आ पहुंचा है. मुद्ा है मसहिाओ् के धास्मयक स्थिो् पर प््वेश का, खािकर उन पूजा स्थिो्पर जहां उनका प््वेश अन्यथा वस्जयत सकया जाता रहा है. िबरीमिा मंसदर मामिे मे्जहां िव््ोच््न्यायािय ने कहा
26 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
सक िै्सगक िमानता िंवैधासनक िंदेश है और एक खाि उम््की मसहिाओ्के मंसदर मे्प््वेश पर पाबंदी को उसचत नही् माना जा िकता है वही्, शसन सशंगनापुर मामिे मे् बांबे उच्् न्यायािय ने मसहिाओ् के पक्् मे् िैििा िुनाया. सजिके बाद मंसदर की 400 िाि पुरानी परंपरा को तोड्ते हुए मसहिाओ्ने मंसदर के पसवत्् चबूतरे तक जाकर पूजा अच्यना की. सशंगनापुर मे्मामिा उि िमय गरमा गया था जब गत वष्य नवंबर मे् एक मसहिा पुर्षो् िे आंख बचाकर मंसदर मे्शसन मूस्तय पर तेि चढ्ा आयी थी, उिके बाद वहां िगातार सववाद की ब्सथसत बनी हुई थी. भूमाता स््बगेड की तृब्पत देिाई के नेतृत्व मे् सशंगनापुर मे् मसहिाओ् को समिी इि िििता ने मुबस् िम मसहिाओ्को भी उत्िासहत सकया और उन्हो्ने भी मुंबई की हाजी अिी दरगाह मे्प््वेश को िेकर प््दश्यन करना शुर्कर सदया. इन िभी मामिो् मे् मसहिाओ् को रोकने के सिए परंपरा का हवािा सदया जा रहा है. कही् 500 तो कही् 400 िाि पुरानी परंपरा की दुहाई दी जा रही है. वही्राज्य िरकार के पाि खुद को इि मििे िे दूर रखने की एक दिीि यह है सक वह धास्मयक मामिो् मे् दखिंदाजी नही् करना चाहती है. सशंगनापुर मे् हाि ही मे्
यह परंपरा टूटी और मसहिाओ् ने मंसदर मे् जाकर पूजा की. यह बात जमकर िुस्खययो्ंमे्भी आयी. इि बीच देश के 12 ज्योसतस्िं्गो मे् िे एक त््यंबकेश्र मे् भी कई मसहिाओ् ने स्थानीय िोगो् के सवरोध के बावजूद न केवि प््वेश सकया बब्लक पूजा अच्यना भी कर डािी. इनमे्िे तीन मसहिाएं तो मंसदर के गभ्यगृह तक जा पहुंची्. अब मंसदर प््शािन ने खुद िुबह 6 िे 7 बजे तक का िमय मसहिाओ् की पूजा अच्यना के सिये सनध्ायसरत कर सदया है. ऐिे असभयान मे्िगी मसहिाओ्का कहना है सक भिा स््सयो्िे धम्यको क्या खतरा है जो वह उन्हे् मंसदरो् मे् प््वेश तक करने देने िे रोकता है? उनका कहना है सक जब मसहिाएं नौकरी कर िकती है्, िेना मे् भत््ी हो िकती है्, िंिद और सवधानिभाओ् मे् जा िकती है्, जीवन के हर क््ेत् मे् पुर्षो् के कंधे िे कंधा समिाकर काम कर िकती है् तो भिा पूजा स्थि मसहिाओ् के प््वेश करने मात्् िे अपसवत््कैिे हो जाते है्? मंसदरो्, मब्सजदो् और सगरजाघरो् मे् मसहिाओ् के प््वेश िे जुड्े प््तीकात्मक िाभ और हासन पर चच्ाय िे पहिे यह जानना भी आवश्यक है आसखर इन स्थानो् पर मसहिाओ् के प््वेश िे सकिे क्या िमस्या है? िबरीमिा
तृक्तत देसाई: हक की जीत मंसदर के पुजासरयो् की दिीि है सक उनके देवता ब््ह्मचारी है् और प््जनन के कासबि मसहिाओ् के करीब जाने िे देवता का ध्यान भंग होगा. शसन सशंगनापुर मे् कहा गया सक मसहिाये् अगर चबूतरे पर चढ्ी् तो उन्हे् शसन देव की बुरी नजर िग जायेगी? यहां तक सक इि मामिे मे् आध्याब्तमक गुर् श््ी श््ी रसवशंकर भी कूद पड्ेऔर उन्हो्ने मंसदर प्ब् ध ं न और तृब्पत देिाई के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश कर डािी. हाजी अिी दरगाह मामिे मे् भारतीय मुब्सिम मसहिा आंदोिन नामक िंगठन ने उच्् न्यायािय मे् यासचका दायर
करके वहां प््वेश िुसनस््ित करवाने की मांग की है. दरगाह मे् पहिे मसहिाये् जाती थी् िेसकन वष्य 2012 मे् वहां उनका प््वेश प््सतबंसधत कर सदया गया. ईिाई धम्य की बात की जाये तो मसहिाओ्को चच्यमे्प््वेश भिे ही समिता हो िेसकन वहां भी उनको पादसरयो् के उच््क््म मे्कोई स्थान नही्समिता. िामासजक मुद्ो्पर गहरी पकड्रखने वािे दसित िेखक एवं सवचारक िंजीव खुदशाह कहते है्सक शसन सशंगणापुर मामिे की शुरआ ् त तब हुई जब एक मसहिा ने 28 नवंबर 2015 को शसन चबूतरे पर चढकर शसन की पूजा अच्नय ा की थी. िीिीटीवी के िुटज े िे ये मामिा िामने आया और सववाद बढने िगा. मंसदर ट्स् ट् ने अपने िेवादारो् को सनिंसबत कर सदया और ये माना की शसन सशिा अशुध्द हो गयी. दूिरे सदन कई टन दूध िे उि मंसदर को धोकर पुन: असभषेक सकया गया. वह कहते है्सक यह भारत की सहंदू मसहिा के सिए शम्य का सदन था. गौरतिब है सक 28 नवंबर को ही महात्मा िुिे की पुण्यसतसथ भी है. प््श्न उठना िज़मी है सक क्या वह मसहिा महात्मा िुिे के सवचार िे प्स्ेरत थी. या ये सिि्फएक इत््ेफ़ाक है! भूमाता स््बगेड की तृब्पत देिाई कहती है्सक िंसवधान मसहिाओ्और पुरष् ो्को िमानता की गारंटी देता है. ऐिे मे् मसहिाओ् को मंसदर मे् प््वेश िे रोकने का कोई तुक ही नही्है. जासहर है ऐिा वही िोग कर रहे है् जो िमाज के हर क््ेत् मे् पुर्षो् का वच्यस्व कायम रखना चाहते है्. वे नही् चाहते सक औरते् सकिी भी क््ेत् मे्ं उनके एकासधकार को चुनौती दे्. रोजगार आसद क््ेत्ो् मे् तो उन्हे् मजबूरी मे् मसहिाओ् को इजाजत देनी पड्ी है िेसकन धम्यके मोच््ेपर वे उन्हे्बराबरी देने िे जीजान िे रोक रहे है्. मुंबई मे् हाजीअली दरगाह: भवरोध बरकरार
वसरष्् िेसखका और दसित एब्कटसवस्ट अनीता भारती इि मामिे पर एक अिग दृस्ि रखती है्. भारती कहती है्, 'इिका एक प््तीकात्मक महत्व है. यानी जहां पर पुर्ष जा िकते है् वहां आसखर औरते् क्यो् नही् जा िकती्. िेसकन मेरा मानना यह है सक मसहिा आंदोिन के िामने अनेक मुद्े है्. दसित मसहिा आंदोिन इि मुद्े पर बहुत पहिे काम कर चुका है. मै् मानती हूं सक यह हक की िड्ाई है िेसकन इििे कही् ज्यादा जर्री मुद्े भी है्. मसहिाएं आसखर मंसदर जाना ही क्यो् चाहती है्. धम्य िे आसखर क्या िाभ होना है. मंसदर जाने, पूजा करने, सिंदूर िगाने िे मसहिाओ् की मुब्कत नही् होगी. उनकी मुब्कत सशक््ा िे होगी यह बात उनको िमझनी होगी.' भारती कहती है् सक मसहिाओ् को यह िमझना होगा सक मंसदर प््वेश का असधकार उनके िामासजक आस्थयक सवकाि मे् कोई योगदान करने वािा नही् है. उनको िमानता के असधकार, सशक््ा के असधकार और इज््त िे गुजर बिर करने का असधकार हासिि करना होगा जो सकिी मंसदर मे् जाने िे समिने वािा नही्है. महात्मा ज्योसतबा के सवचार िे अवगत िोग यह भिीभांसत जानते है् सक ज्योसतबा ने िमानता के हक के सिए कभी भी मंसदर जाने की बात नही् कही, वे िमानता के सिए स्कूि जाने की बात कहते थे. शसन सशंगणापुर मंसदर प््वेश को िेकर आंदोिन कर रही भूमाता स््बगेड की मुसखया तृब्पत देिाई के बारे मे् यह चच्ाय आम है सक वह अन्ना हजारे की सशष्या है और अन्ना के सवसभन्न आंदोिनो् मे् उनके िाथ देखी जाती रही है्. उनकी मंशा पर िवाि उठाते हुए खुदशाह कहते है् सक ऐिे वक्त, जब छत््ीिगढ मे् िी आर पी एि के जवानो् द््ारा आसदवािी मसहिाओ् के स््न सनचोडकर यह देखा जा रहा है की वे शादीशुदा है या नही्, जब हर घंटे एक दसित मसहिा के िाथ बिात्कार हो रहा हो, द््ोणाचाय्य र्पी व्यवस्था द््ारा छात््रोसहत का गिा घोटा जा रहा हो, ऐिे िमय इन मुद्ो्पर मौन रहते हुए कुछक े मसहिाओ् का मंसदर मजार प््वेश हास्यास्पद िगता है. उि पर भी इिेक्ट्ासनक मीसडया द््ारा इन्हे् हाथो्- हाथ िेना प््ायोसजत जैिा प््तीत होता है. ऐिा िगता है सक मंसदर प््वेश का आंदोिन दरअिि मुख्य मुद्े िे ध्यान हटाने की कोसशश मात्् है. तासक रोसहत वेमुिा, आसदवािी मसहिाओ्, दसितो्, अल्पिंख्यको् के मुद्ो् िे ध्यान भटकाया जा िके. क्यो्सक मंसदर आंदोिन इििे पहिे भी हो चुके है, खुद डॉ अंबेडकर ने दसितो्, शूद्ो्के सिए मंसदर मे् प््वेश करने का आंदोिन सकया था. िेसकन मकिद पूजा नही्, िमानता का था. n शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 27
बातचीत
अिंिदीय भाषा के िवाल
उत््र प््देश सरकार से अपने संबंधो् और संवैधाननक मसलो् पर राज्यपाल राम नाईक से नववेक न््िपाठी की बातचीत.
जर्री हो जाता है. इसटलए मै्ने टवधानसभा अध्यक्् को पत्् टलखा. भाषण की टलटखत प््टत मांगी. अध्यक्् के द््ारा भेजी गयी प््टतयो् और सीडी की 60 पंख्ततयो् मे् से 20 पंख्ततयां टनकाल दी गयी्. त्यो्? त्यो्टक वे असंसदीय थी्. ऐसे मे् संसदीय काय्न मंत्ी का व्यवहार उटचत नही् है. संवैधाटनक दृट्ि से यहां की सरकार मेरी है. अटखलेश यादव उसके मुत्यमंत्ी है्. टफर मेरी सरकार का एक मंत्ी मुझ पर असंवैधटनक ढंग से टिप्पणी करे, टकतना सही है? इसका संज्ाान तो खुद मुत्यमंत्ी को लेना चाटहए. फोटो: जीते्द् पांिेय
राम नाईक: सरकार मेरी है
उ
त्र् प्द् श े के राज्यपाल राम नाईक अपनी बेबाक टिप्पणी के टलए जाने जाते है.् सूबे के कद््ावर मंत्ी आजम खान के टवधानसभा मे् अख्ततयार टकए असंसदीय भाषा को लेकर गवन्नर ने सवाल खड्े टकये है्. अब राज्यपाल और आजम आमने-सामने है्. पेश है उनसे बातचीत के प््मुख अंश: भारत माता की जय बोलने पर टववाद हो रहा है. आप इसे टकस र्प मे् देख रहे है्? भारत माता की जय कहने से राष््भख्तत झलकती है. वंदेमातरम और भारतमाता की जय के उद्घोष के साथ ही आजादी की लड्ाई लड्ी गयी थी. देश भत्तो् ने भी इसी नारे के सहारे आजादी की लड्ाई मे् र्टच टदखायी थी. यहां तक टक फांसी का फंदा चूमने से पहले भी यही नारा लगाते रहे. जो इन नारो् से परहेज कर रहे है्, वे बहुत ही अल्प मात््ा मे् है्. धीरे-धीरे उन्हे् भी बाते् समझ मे् आ जाये्गी्. सत््ार्ढ् दल के कुछ नेताओ् का आरोप है टक आप उत््र प््देश मे् भाजपा नेता के र्प मे् काम कर रहे् है्? राज्यपाल का पद संवैधाटनक होता है. वह राष््पटत का प््टतटनटध होता है. संटवधान के दायरे मे् उसे काम करना होता है. मै् भी सटवधान से टमले कत्नव्यो् और दाटयत्वो् को पूरा कर रहा हूं. राज्यपाल पद की शपथ लेने के पूव्न मै्ने भाजपा की सदस्यता का त्याग कर टदया था. यह बात अलग है टक मै् भाजपा से स्थपना के टदनो् से ही जुड्ा रहा. अब मै् टकसी भी राजनैटतक टिप्पणी का उत््र नही् देता हूं और न ही करता हूं. इसटलए राजनैटतक लोगो् को भी इसका त्याल रखना चाटहए. उन्हे् अपनी टजम्मदे ारी समझनी चाटहए. आजम खान से आपका िकराव साव्नजटनक है. इसका असर राजभवन की गटरमा पर भी पड् रहा है. आपको ऐसा नही् लगता? आपको ऐसा लगता होगा. मुझे नही् लगता है. आजम खां राजकीय नेता है्. इसटलए ऐसी टिप्पटणयां करनी उनकी मजबूरी है. बावजूद इसके मै्ने उनकी टिप्पटणयो् का उत््र नही् टदया है, त्यो्टक टिप्पटणयां राजनीटतक थी्. लेटकन जब एक संसदीय मंत्ी टवधानसभा के संवैधाटनक टनयमो् को ध्यान मे् न रखे तो त्या टकया जाये? असंवैधाटनक बयानो् का संज्ाान लेना
कई मुद्ो् पर आपका िकराव सरकार से भी हो चुका है. त्या इससे गलत राजनैटतक संदेश नही् जा रहा है? सरकार से मेरे संबध ं मधुर है.् कोई िकराव नही् है. सरकार को सलाह देना मेरा संवैधाटनक दाटयत्व है. वह मै् कर रहा हूं. सलाह मे् भी संवैधाटनक टनयमो् और जनटहत का टवचार समाटहत होता है. प्द् श े का टवकास और जन समुदाय का टहत ही मेरी अपेक्ा है. यह काम मै् करता रहूंगा. आरोप है टक राज्यपाल बनने के बाद यूपी के अटधकांश टवश््टवद््ालयो् मे् एबीवीपी का मनोबल बढ्ा है. त्या आपको भी ऐसा ही लगता है? मै् 25 टवश््टवद््ालयो् का कुलाटधपटत हूं. अपने काय्नकाल मे् इनमे् सुधार की कोटशश कर रहा हूं. पूरी तरह से नही्, लेटकन कुछ हद तक सफलता भी टमली है्. टवश््टवद््ालयो् मे् हर साल होने वाले दीक््ांत समारोह समय से नही् होते थे. टकन्ही्-टकन्ही् टवश्ट् वद््ालयो् मे् तो दीक््ातं होता ही नही् था. जबटक यह टवद््ाट्थनयो् के जीवन मे् काफी महत्वपूण्न होता है. अब कुछ सूरत बदली है. 25 मे् केवल 3 टवश्ट् वद््ालय ऐसे है,् टजनके पास छात्् उपाटध नही् पहुंची है. 22 मे् 21 का दीक््ांत इस साल पूरा हुआ है. एक की तैयारी पूरी हो चुकी है. उसमे् प््धानमंत्ी या राष््पटत के आने की संभावना है. इसटलए देर हो रही है. दीक््ांत समारोह मे् पहने जाने वाली ड््ेस बहुत पुरानी थी. अंग्ेजी शासनकाल से चली आ रही थी. मै्ने उसे खत्म टकया है. अब भारतीय पटरधान मे् दीक््ांत समारोह हो रहे है्. परीक््ाएं समय से हो रही् है्. पटरणाम भी समय पर आने लगे है.् पहले की तुलना मे् नकल भी कम हुई है. हां, अभी टवश््टवद््ालय मे् होने वाली पढ्ाई की गुणवत््ा मे् सुधार लाना एक चुनौती बनी हुई है. मै् कुलपटतयो् के साथ टमलकर सुधार का प््यास कर रहा हूं. अयोध्या मे् राम मंटदर टनम्ानण के बारे मे् आप के त्या टवचार है्? त्या इस समले को हल करने मे् देर नही् हो रही है? इसका समाधान सव््ोच्् न्यायालय के हाथ मे् है. टनण्नय के मुताटबक सरकार को इस पर टनण्नय लेना है. प््धानमंत्ी मोदी का कामकाज पहले के प््धानमंत्ी के मुकाबला कैसा है? आप कैसा महसूस कर रहे है्? प््धानमंत्ी की समीक््ा करना मेरा काम नही्. इस बारे मे् कुछ भी नही् बोलूंगा. n शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 29
उत् मास््रटप््दहेडेश
एक सफ़र राहत के लिए
काभलंजर भकले मे् अभखलेश यादव: भवरासत का एहसास वैिे सपछिे चार िािो् मे् िमाजवादी िरकार राजे़द़ चौधरी द््ारा सिंचाई की िुसवधा पाकर हमीरपुर िसहत कई जनपदो्के खेतो्मे्िििे िहिहाती नजर जाने कई िािो्िे गरीबी की मार झेि रहे आई है. एक महीने मे् दूिरी बार मुख्यमंत्ी वीरो् बुंदेिखंड के बेरोजगारी िे त््स्नौजवानो् के चेहरो् पर अचानक मुस्कान सदखी.क््ेत् के की धरती बुंदेिखंड की यात््ा पर थे वे सचंसतत युवा ऐिा मानते है मुख्यमंत्ी असखिेश यादव है सक िूखे कंठो् और अकड्ी आंतो् मे् कैिे जब भी उनके बीच जाते है,् भरोिा और उम्मीदो् जीवन का िंचार हो. िखनऊ िे िसितपुर की चमक उनके जहन मे्सदखाई देने िगती है, 425 सकमी की दूरी है, जहां दूर-दूर तक बंजर
न
30 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
सूखे से ग्स ् ् बुदं ल े खंि मे् अरखलेि यादव की याि््ा स्रानीय लोगो् के रलए बड़्ी िाहर सारबर हुई. उन्हो्ने कई परियोजनाओ् की िुरआ ् र की औि नयी पीढ़्ी से एक संवाद भी स्रारपर रकया है. खेतो् मे् सिर पर हाथ धरे भसवष्य की सचंता मे्घुिते सकिानो्के दयनीय हािात पर प््देश के मुख्यमंत्ी बराबर िोचते है् सक यहां की अनुपजाऊ होती भूसम को उपजाऊ बनाने के सिए क्या सकया जाए. आग््ेसनक खेती का भी िुझाव आता है. दीघ्यकािीन योजनाओ् के कई रेखासचत्् उनके मस््सष्क मे् बन और सबगड्रहे है्. मुख्यमंत्ी असखिेश यादव के इि क््ेत् मे् पहुंचते ही उनके िाथ उम्मीदो् और राहत का एहिाि भी छिकता है. िसितपुर के सगन्नौर बाग बाबा शाह मैदान मे्सचिसचिाती धूप मे्भी हजारो् िोग मौजूद है्. ये िोग बड्ी उम्मीदे् िेकर आए है् सक असखिेश जी पर उनका भरोिा है. सबजिी प्िांट का िसितपुर मे् िमाजवादी िरकार के िमय ही मुख्यमंत्ी ने उद्घाटन सकया था. असखिेश यादव सकिान पसरवार िे है्और ििि खराब होने पर सकिानो्की मुिीबत को बखूबी िमझते है्. सपछिी िरकारो् ने बुंदेिखंड की उपेक्ा की िितः आज यहां भयंकर िूखा है. िंवेदनशीि मुख्यमंत्ी ने पहिे भी राहत िामग््ी बांटी थी इि बार उिमे् 10 सकिो चावि, 200 ग््ाम हल्दी और एक सकिो नमक और एक सकिो चीनी भी बढ्ाकर दी जा रही है. इििे पहिे 25 सकिो आिू, 10 सकिो आटा, 05 सकिो चावि, 05 िीटर िरिो् का तेि, 01 सकिो शुद् देशी घी तथा बच््ो् के सिए प््सत पसरवार एक सकिो समल्क पाउडर का पैकेट सदया. इिके असतसरक्त यहां दो र्पये सकिो गेहूं और तीन र्पये सकिो चावि सदया जा रहा है. प््देश िरकार ने चार महीने के सिए खाद्् िामग््ी मुफ्त उपिल्ध कराने का भी िैििा सकया है. जर्रतमंदो् को िाइसकिे भी बांटी गयी है. मुख्यमंत्ी असखिेश यादव ने जनिभाओ् के िाथ जनिंपक्फ कर िीधे िंवाद भी सकये. िाभास्थययो्मे्एक मसहिा ने कहा सक वह िुबह िे सबना कुछ खाए आयी है तो दूिरे ने कहा सक वह सिि्फचाय पीकर आयी है मुख्यमंत्ी दुसखत थे उन्हो्ने कहा सक अब घर जाकर खाना जर्र बनाना, आपकी पूरी व्यवस्था की है. जब तक िूखा रहेगा प््त्येक माह राशन समिेगा, कोई
चूल्हा ठंडा नही् रहेगा. िू के थपेड्ो् के बीच िसितपुर िे 30 सकमी दूर तहिीि तािबेहट मे् पशुओ् के सिए चारा-पानी की व्यवस्था का भरोिा सदिाया. पेयजि की व्यवस्था होगी, आरओ वाटर भी समिेगा. असखिेश यादव ने इि बात पर खेद जताया सक बड्ेिोग िोन पर िोन िे िेते है् जबसक सकिानो् को कोई मदद नही्समिती है. िड्वारी मे्हंिवारी और उनके पसत परमा ने ऐिी बात बताई सजििे पता चिता है सक िमाजवादी िरकार के सखिाि सकि हद तक दुष्प्चार सकया जा रहा है. स्थानीय मसहिाओ् का कहना है सक बथुवा भाजी को घाि की रोटी बताकर गरीबो् का मजाक उड्ाया गया और उन्हे्अपमासनत सकया गया. िसितपुर मे्देवगढ् के रास््ेमे्जाखिोन कस्बा है यहां िैपुरा गांव गढ्ौिी मे्गांववासियो्िे मुख्यमंत्ी ने भे्ट की. उन्हो्ने जाखिौन बंदर गुडा डैम का भी सनरीक््ण सकया. देवगढ् मे् यूपी टसरज्म के गेस्ट हाउि के ठीक िामने बिराम यादव का घर है, वहां पसरवारी जन टीवी देख रहे थे. मुख्यमंत्ी ने अपनी कार मे्बैठे-बैठे यह देखा और सिर पूछ ही सिया सक कौन िी सिल्म देख रहे हो. िसितपुर ब्सथत देवगढ् जैन तीथ्यस्थि के र्प मे्सवख्यात है. यह जगह बेतवा नदी के तट पर ब्सथत है. यहां गुप्त, गुज्यर, प््सतहार, गो्ड, मुगि, चन्देि और मराठो् के वंश के कई ऐसतहासिक स्मारक और सकिे्आज भी मौजूद है. देवगढ्सकिे मे्31 जैन मब्नदर है. 8वी्और 9वी्िदी मे्इनका सनम्ाण य हुआ था. िबिे िुदं र मंसदर जैन तीथ््ंकर शांसतनाथ का है. मुख्यमंत्ी ने जैन तीथ््ंकरो्के दश्यन सकये और इि स्थि को पय्यटन स्थि के र्प मे्सवकसित करने का भरोिा सदिाया. वहां पुराने िमाजवादी मुरारी िाि जैन ने उनका स्वागत सकया. मुख्यमंत्ी जहां भी गये वहां उनके स्वागत मे् बच््े, बूढ्े, मसहिाएं, सकिान िभी बड्ी िंख्या मे्आये थे. घंटो्उनके इंतजार मे्िोगो्
लभलतपुर मे् भवकास पभरयोजनाओ् का भशलान्यास: युवा पीढ्ी से संवाद ने धूप की परवाह भी नही्की. जहां-जहां िे भी िमस्याओ् के सनदान मे् गहरी र्सच िी है. मुख्यमंत्ी गुजरे दज्यनो् स्थानो् पर गांव-गांव गांव-गांव तक सशक््ा, स्वास्थ्य, रोजगार, वहां की मसहिाओ्, गरीब, सकिानो् एवं उनके सबजिी-पानी की िुचार् व्यवस्था हो इिके बेसटयां स्वागत मे् सिर पर किश रखे हुए सिए वे बराबर िोचते ही नही् योजनाओ् के कतारबद्् खड्ी थी. िसदयो् िे गरीबी की मार काय्ायन्वयन पर पूरी नजर भी रखते है्. झेि रहे बेकारी िे पस््नौजवानो्के चेहरो्पर, बुंदेिखंड मे् िूखा पड्ा तो सकिानो् की मदद जब भी मुख्यमंत्ी असखिेश यादव उनके बीच मे् उन्हो्ने एक पि की देर नही् की. के्द् जाते है्. भरोिा और उम्मीदो्की चमक सदखाई िरकार िे मदद की मांग की पर वहां िे उपेक्ा देने िगती है. वैिे सपछिे चार िािो् मे् का व्यवहार ही जारी है. मुख्यमंत्ी असखिेश िमाजवादी िरकार िे सिंचाई की िुसवधा यादव ने प््देश के सवकाि मे् जासत धम्य के पाकर हमीरपुर िसहत कई जनपदो् मे् खेतो् मे् भेदभाव के सबना जनसहत को ध्यान मे् रखकर ििि भी िहिहाती नजर आयी है. ऐिे ही कई योजनांएं िागू की है. जनता का सवश््ाि िसितपुर िे वापिी मे् जब अंधेरा हो गया था है सक िमाजवादी िरकार ने प््देश का सवकाि तो हेिीकाप्टर िे नीचे गांवो्मे्रोशनी देखकर सकया है. बहरहाि बुंदेिखंड के िोगो्का यह उन्हो्ने कहा सक सबजिी िे अब गांव रोशन हो भी कहना है सक असखिेश यादव के काय््ो को रहे है्. िमाजवादी िरकार के वायदा के देखते हुए उन्हे् एक और मौका समि जाए तो मुतासबक गांवो् मे् 14 घंटे सवद््ुत आपूस्तय क््ेत् की िमस्याओ् का स्थायी िमाधान हो िुसनस््ित की गयी है. िकता है. n मुख्यमंत्ी असखिेश यादव ने जबिे प््देश (िेखक उत््र प््देश िरकार की बागडोर िंभािी है बुंदेिखंड की मे्कैसबनेट मंत्ी है्)
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www.shukrawaar.com शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 31
मास् नैनीताल ट हेड
जलते जंगल व्याकुल लोग
पहाड् मे् दावानल: इस बार सबसे भीरण
उत््िाखंि के वनो् मे् लगने वाली आग के रलए रकनीकी प््रिि््र की कमी औि आबादी का जंगलो् से लगाराि कटरे जाना रजम्मेदाि है. प़य ़ ाग पांडे
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द््देव की कृपा हुई और उत्र् ाखंड मे्जंगिो् को भष्म कर देनी वािी भीषण आग कुछ शांत हो गयी. बासरश नही् हुई होती तो इि दावानि को बुझाना उत््राखंड के राष््पसत शािन के बि मे्नही्था. सपछिे एक पखवारे िे पहाड् के ज्यादातर जंगि जबरदस्् आग मे् धधक रहे थे. कई इिाको्मे्यह आग जंगि की िीमाये्िांघकर आबादी तक पहुच ं गयी. करीब 32 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
दो हजार हेकट् र जंगि इि आग के चपेट मे्आया और जो नुकिान हुआ उिका अभी तक आकिन ही नही्हो पाया है. इि िाि अप्ि ्ै के महीने मे्ही कुमाऊं के जंगिो्मे्अगिगी की 300 िे असधक घटनाये् घट चुकी है.् इिकी वजह िे करीब पौने िात िौ हेक्टेयर वन क््ेत् नि्् हो गया. जंगि मे् िगी आग न केवि बेशकीमती वन िंपदा और जैव सवसवधता को नुकिान पहुच ं ा रही है बब्लक वन्य जीव भी अपनी जान बचाने के सिये यहां िे वहां
भागते नजर आ रहे है.् जंगिो्मे्चारो्ओर आग िगी होने की वजह िे इन सदनो्पहाड्मे्धुधं िी छायी हुई है. हर तरि िे उठते कािे धुएं के गुबार िे आिमान भी धुधं िा नजर आ रहा है. वनाब्गन के चिते पहाड्का तापमान चार िे पांच सडग््ी तक बढ् गया है. इि िबके बीच उत्र् ाखंड मे् मौजूद जंगिो् के एवज मे् 'ग््ीन बोनि' मांगने वािे सियाितदां कुिीज़्र् छीनने ् और कुि्ी बचाने की रस्िाकशी मे्मशगूि है.् आग िगने की घटनाओ् िे अब तक तीन िोगो्के मरने और आग बुझाने की कोसशशो्मे् दज्नय ो्िोगो्के घायि होने की खबर है. वन क्त्े ्ो् मे्मौजूद अनेक पौधािय जि गये है.् इि भीषण आग मे् अनेक प््जासत के जीव-जंतुओ् और वनस्पसतयो्की सवसभन्न प्ज ् ासतयो्के सविुपत् होने की आशंका जतायी जा रही है. सजििे भसवष्य मे् पासरब्सथसतकी िंकट उत्पन्न हो िकता है. कई इिाको्मे्जंगिो्िे गुजर रही बीएिएनएि की केबिे् भी आग मे् जिकर स्वाहा हो गयी है्. जंगिात महकमा स्थानीय ग््ामीणो्की मदद िे आग मे्काबू पाने के सिए जूझ रहा है. नैनीताि के सजिा मसजस्ट्ेट दीपक रावत ने वनाब्गन के मद्न्े जर िभी अििरो्की छुस्टयां रद््कर दी है.् उन्हो्ने सजिे की 30 न्याय पंचायतो्के सिये इतने ही नोडि असधकारी तैनात कर सदये है.् पहाड्के जंगिो्मे्आग िगना एक स्थायी िमस्या है. 2005 िे 2015 के दरसमयान कुमाऊं मे्वनो्मे्आग िगने की करीब 2238 घटनये् दज्यहुई.् इिमे्तकरीबन 5356. 77 हेकट् ये र वन आग की भेट् चढ्गये थे. आग की इन घटनाओ्
मे् करोड्ो् र्पये मूल्य की वन िंपदा जिकर स्वाहा हो गयी. अनेक प्ज ् ासत के नवजात पौधे, दुिभय् जड्ी-बूटी और वनस्पसत आग मे्भस्म हो गयी थी. अनसगनत वन्य जीव और पशु-पक््ी जि मर गये. आग बुझाने की कोसशशो्मे्अनेक िोग गंभीर र्प िे जख्मी हुए थे. पर इि िाि िंबे वक्त िे बासरश नही् होने िे मौिम बेहद शुषक ् है. तेज हवाये्चि रही्है.्इििे आग की मारक
आग बुझाने की कवायद: असफल प््यास क्म् ता बढ्गयी है. सजिके चिते जंगि बार्द की ढेर की तरह आग मे्धधक रहे है.् उत्र् ाखंड का भौगोसिक क्त्े ि ् ि 53483 वग्य सकिोमीटर है. इिमे् 64.79 िीिद यासन 34651.014 वग्य सकिोमीटर वन क््ेत् है. 24414.408 वग्यसकिोमीटर वन क्त्े ्जंगिात सवभाग के सनयंतण ् मे्है. वन सवभाग के सनयंतण ् वािे वन क््ेत् मे् िे करीब 24260.783 वग्य
सकिोमीटर आरस््कत वन क््ेत् है. बाकी 139.653 वग्यसकिोमीटर जंगि वन पंचायतो् के सनयंतण ् मे् है.् जंगिात महकमे के सनयंतण ् वािे वनो्मे्िे 394383.84 हेकट् ये र मे्चीड् के जंगि है.् 383088.12 हेकट् ये र मे् बांज के वन है.् 614361 हेकट् ये र मे् समस््शत जंगि है.् जबसक तकरीबन 22.17 िीिद क्त्े ् वन सरक्त है. यही चीड्के जंगि ही वनाब्गन के सिए आग मे्घी का काम करते है.् प््देश के राजस्व का एक बड्ा सहस्िा उत््राखंड की वनोपज िे आता है. पर दुभ्ायग्य िे यहां के वनो्की आमदनी का एक छोटा िा सहस्िा ही वनो्की सहिाजत मे्खच्यसकया जाता है. वन महकमे्के सहस्िे आने वािी रकम का एक बड्ा सहस्िा सवभाग के अििरो् और कासरंदो्की तनख्वाह वगैरह मे्खच्यहो जाता है. वनो् की सहिाजत और पौधरोपण के काम मे् नाम मात््की रकम खच्यकी जाती है. हर िाि पहाड् के जंगिो् मे् आग िगती है. पर जंगि की आग को आस्थयक एवं पासरब्सथसतकी के नजसरये िे नही्देखा जाता. वनाब्गन के प्ब् धं का तकनीकी प््सशक््ण की पुख्ता व्यवस्था नही् है. अव्यवहासरक वन कानूनो् ने वनोपज पर स्थानीय सनवासियो् के नैिस्गयक असधकारो् को खत्म कर सदया है. नतीजतन ग््ामीणो्और वनो् के बीच की दूरी बढ्ी है. जंगिो्िे आम आदमी का िसदयो् पुरान सरश्ता कायम सकये सबना जंगिो्को आग और इििे होने वािे नुकिान िे बचाना िरकार और वन सवभाग के बूते िे बाहर हो गया है.िेसकन इि जमीनी हकीकत को स्वीकारने का िाहि सकिी मे्नही्है. n
शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 33
मध्य प््देश
पानी को तरसता प््ेमवन साठ हजाि वृि्ो् वाला दीनानार औि ननकी के प््ेमवन का गला प्यास के कािर सूख िहा है. अगि सिकाि नही् चेरी, रो इस दंपरी की मेहनर से बना यह जंगल भी नेराओ् औि नौकििाहो् की आंख के पानी की रिह सूख जायेगा. सवचन कुमार जैन
अ
ब वे बि पानी चाहते है्. अपनी सजंदगी के 26 िाि उन्हो्ने एक मकिद के सिये होम कर सदये. 60,000 वृक् रोपे िेसकन कोई पुरस्कार नही्, कोई भाषण भी नही्. शायद यही वजह है सक उनको कोई पय्ायवरणसवद नही् मानेगा. सजिे मे्यदाकदा जर्र िम्मासनत हुए है् िेसकन कभी यह अििोि नही् रहा सक दुसनया ने उनके काम को पहचाना नही्. िेसकन अब पहिी बार उनके माथे पर सचंता की िकीरे् नजर आ रही है्. उन्हे् िग रहा है सक उनका काम उनके बाद बचेगा या उनके िामने ही प्याि के मारे दम तोड्देगा? मध्य प््देश के रीवा सजिे के जवा ल्िॉक के धुरकुच गांव के रहने वािे दीनानाथ कोि और उनकी पत्नी ननकी देवी ने गत 26 िािो् मे्60,000 वृक्िगाये है्. उन्हे्पेड्ो्िे प््ेम है और यही उनके जीवन का मकिद है. जंगि के इि सहस्िे को उन्हो्ने प््ेमवन का नाम सदया है. वे रोज जंगि जाते है्. अपने िगाये पेड्ो्को 34 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
छूते है्, िहिाते है् और पुचकारते है्. िेसकन इंिान तो इि भीषण गम््ी मे् इन वृक्ो् का भी गिा िूख रहा है. िेसकन वे नाउम्मीद नही् है्. भिा 105 एकड् बंजर पथरीिी जमीन को हसरयािी मे् बदिने वािे नाउम्मीद हो् भी तो कैिे? िेसकन सपछिे तीन िािो् के िूखे ने प््ेमवन के 6,000 बासशंदो् की जान िे िी है. कई पेड्ो् पर दीमक िग गये है्.पानी की कमी इन पेड्ो्को बीमार कर रही है. वनसवहार िे उनकी यह गुहार सनरथ्यक रही है सक यहां बने प््ाकृसतक पोखर को व्यवब्सथत करने और इिका जिग््हण क््ेत् बढ्ाने की इजाजत दे दी जाये. हवा पानी की िमस्याओ् पर चच्ाय करने के सिये भोपाि-सदल्िी के रास््े पेसरि और िंयुक्त राष्् तक बैठके् होती है् िेसकन इि बीच दीनानाथ और ननकी के गांव खोते जा रहे है्. स्थानीय कोटा पंचायत की पहिी िरपंच ममता कोि (1993-1998) बताती है् सक जब वह िरपंच थी् तब जवाहर रोजगार योजना के सिये 5,000 र्पये समिते थे. वनग््ाम होने के कारण वनसवभाग की मज््ी के सबना कुछ नही् हो पाता था. ऐिे मे् प््ेमवन हमारी मुिीबते्कम करता था. दीनानाथ को अपनी जवानी मे्इि गांव मे् कोई काम नही्समि पा रहा था. वन ग््ाम होने के कारण िंभावनाये् िीसमत थी्. आसखरकार िन 1989 मे् वह पत्नी ननकी देवी के िाथ करीब ही ब्सथत शंकरगढ्(उप््) मे्पत्थर की खदानो् मे् मजदूरी करने चिे गये. इि खदान मे् पत्थर तोड्ते हुए वह गरीबी और बीमारी के उि जाि के बारे मे्िोचा करते जो यहां सबछा हुआ था. एक सदन इि सनिंतान दंपती ने िोचा सक ऐिा क्या करे्सक जीवन को कोई अथ्यसमि
सूखा पड्ा प््ेमवन: हभरयाली को भी चाभहए पानी जाये. जवाब हासजर था-अपनी बंजर जमीन पर पेड्िगाये्गे, उन्हे्ही पािे्गे, पोिे्गे. िोगो्को औषसधयां, िि और छांव समिेगी और इन वृक्ो्िे हमारा वंश ताउम््बना रहेगा. दीनानाथ के सपता गांव मे् ही रहकर खेती सकया करते थे. िेसकन पानी की कमी इिमे्भी आड्े आती थी. दीनानाथ गांव वापि आ गये और अपने सपता और पत्नी के िाथ समिकर घर के करीब ही कुंआ खोदना शुर् सकया. इि पथरीिे इिाके मे् 10 िीट नीचे ठोि चट््ान थी. तीन िाि िगे िेसकन तीनो् ने समिकर इनको िमाप्त कर सदया. आसखरकार वे पानी की धार तक पहुंच ही गये. इि कुंए मे्आज भी पानी है. जंगि िगाने के सिये गांव-िमाज िे िहयोग मांगा िेसकन जवाब मे् न ही समिी. गांव के िोगो् का यह कहना िही ही था सक यहां रोटी के िािे है्, पेड्िगाने का वक्त कहां िे समिेगा. दीनानाथ की कोसशश उनको पागिपन िगी. िामासजक काय्यकत्ाय सिया दुिारी कहती है् सक दीनानाथ और ननकी की कोसशशो् का अिर अब आिपाि नजर आने िगा है. तीन गांवो्, कैिाशपुरी, चौसकहा और सटकेतन पुरवा के िोगो् को भी प््ेमवन मे् िाथ्क य ता नजर आयी है. इन जगहो्पर भी 400 िे असधक वृक् िगाये गये है्. धुरकुच मे् ग््ाम वन िसमसत ने पौधशािा बनायी है और 15 िाख र्पये िे असधक के पौधे तैयार सकये है्. सजि जमीन पर इि दंपती ने वन िगाया है वह पूरी तरह पथरीिी और बंजर थी. कागजो् पर दज्य वन भूसम को उन्हो्ने वास््सवक वन बनाने की ठानी. दीनानाथ कहते है,् 'हम जमीन पर कल्ज़्ा करने की नही्िोच रहे थे. िोचा तो यही था सक इििे प््कृसत, िमाज और िरकार
को प््िन्नता होगी. इिीसिए पहिे इि जमीन पर िे पत्थर बीन कर सकनारे िगाने शुर्सकये. बाड् बनाने की कोसशश िे शुर्आत की. गाय भै्िो् के सिये भूिा खरीदने कोटा (स्थानीय पंचायत) जाते थे. वहां हम एक शादी मे्देखा सक िभी को आम का पना यानी रि सपिाया गया. मेजबान िे कहा सक क्या इन आमो् की गुठिी हम िे जा िकते है्? मेजबान भी थोड्े चसकत िे थे और उन्हो्ने हमे्आम की गुठसियां िे जाने के कह सदया. सिर पर भूिे का गट््र और गमछे के दोनो् तरि आम की गुठसियां बांधकर हमने गिे मे् िटकायी् और दो सकिोमीटर चिकर गांव आ गये. इि तरह प््ेमवन की शुर्आत हुई.' काम कसठन था. पसरब्सथसतयां दीनानाथ और ननकी के अनुकूि नही् थी. पथरीिी जमीन और पानी का कोई सठकाना नही्. एक सदन मे्वे दि पौधे ही िगा पाते थे. गड््ेखोदना बहुत कसठन काम तो था ही. पानी भी कुछ सकमी दूर ब्सथत जमी्दारो् के कुंए िे िाना पड्ता था. कुछ महीनो् बाद जमी्दारो् ने पानी देना बंद कर सदया. िेसकन दीनानाथ और ननकी का जोश और जीजीसवषा नही्र्की. वह दूर ब्सथत एक प््ाकृसतक जि स््ोत िे पानी िाने िगे. दीनानाथ कहते है् सक जमी्दारो् के रोके जाने के बाद उनके कुंए का पानी ही िूख गया. शायद प््कृसत को भी भावना और दुभ्ायवना का अहिाि होता होगा. िेसकन िड्ाई केवि इतनी नही् थी. एक िाि बाद वन सवभाग जागा और उिे िगा सक जमीन पर कल्जा सकया जा रहा है. नतीजा, पुसिि मे् मामिा दज्य और दीनानाथ को तीन सदन हवािात मे्काटने पड्.े इि बीच यह दंपती
सूखे के बाद: आंखो् मे् है उम्मीद की भकरन प््ेमवन के भीतर 14 हाथ गहरा कुंआ खोद चुका था िेसकन वन सवभाग ने उिे भाठ सदया. िेसकन इनका मन तो रम चुका था इिसिए कोई डर या भय भी मन मे् नही् रह गया था. तय सकया सक पेड्ो्का िाथ नही्छोड्े्गे चाहे जो हो जाये. आम के 500 वृक्ो्िे शुर्हुई यह यात््ा आसखरकार 60,000 वृक्ो् तक पहुंची. िबिे पहिे आम के पेड् इिसिए िगाये क्यो्सक मंगि काय््ो्मे्आम की टहनी की आवश्यकता होती थी िेसकन गांव मे् एक भी आम का पेड् नही्था. दोनो् ने बार-बार गांव वािो् िे अनुरोध सकया सक प्म्े वन को बचाने मे्मदद करे्िेसकन हर बार यही टका िा जवाब समिा सक तुमने िगाया है तुम ही िंभािो. ननकी देवी कहती है् सूखां और इंसान
सक उन्हो्ने यह वन केवि अपने सिये नही् िगाया था िेसकन गांव ने कोई मदद नही् की. हां, वन सवभाग ने उनको टोकना जर्र बंद कर सदया. इि बीच ननकी देवी शीिा आसदवािी के िंपक्फमे्आयी्जो अकेिे रहती थी्. ननकी देवी की पहि पर वष्य 2007 मे् दीनानाथ ने शीिा िे सववाह कर सिया. जब कोई मदद करने वािा नही् था तो दोनो् को अपनी िंतान की जर्रत महिूि हो रही थी. अब तीनो् िे समिकर एक पसरवार बनता है सजिमे्तीन बच््ेप््ेमानंद, प््ेम प््काश और प््ेमवती भी है्. इन बच््ो् की परवसरश भी ननकी देवी ने ही की तासक वे प््ेमवन िे अपने सरश्ते को महिूि कर िके्. इि पूरे इिाके मे्पेड्ो्को सगनना िंभव तो नही् था, परंतु वष्य 2013 मे् उनका नाम बिामन मामा स्मृसत वन और वन्य प््ाणी िंरक््ण पुरस्कार के सिए वन सवभाग ने ही अनुशंसित सकया. हािांसक उन्हे् पुरस्कार के िायक नही् माना गया िेसकन अनुशंिा के कागजात के मुतासबक प््ेमवन मे् 10,000 आंविे, 500 नीम, 20,000 बांि, 1,000 िागौन, 100 अमर्द, 2,000 ते्दू, 1,000 शीशम, 1,000 पिाश, 1,000 पेटमुर्ी, 500 अमिताि, 25 गूिर, 100 बहेड्, 30,000 घेटहर, 20 कटहि, 100 करंज, 15 बरगद, 15 पीपि, 50 ढेरा, 50 कैथा, 50 बेि और तमाम िुबबूि, महुआ, काजू, अनार भी िगाये है्. इिके अिावा यहां ितावर, गुडमार, िैनी, गुरच ् जैिे औषधीय पेड्पौधे भी िगाये गये है.् इिकी सवसवधता बताती है सक यही िही मायनो् मे्जंगि है. कई िािो् तक ये पेड् दीनानाथ और ननकी देवी के पिीने और प््ेम िे ििते-िूिते रहे, सकंतु धरती की गम््ी और बादिो् की बेर्खी के िामने दीनानाथ और ननकी की परवसरश कमज़्ोर पड्ती गयी...पेड् िूखने िगे. दीनानाथ कहते है् सक उन्हो्ने िरकार िे यह सनवेदन सकया सक उन्हे् वनभूसम पर बने पोखर का जिग््हण क््ेत्बढ्ाने की अनुमसत दे दी जाये. उन्हो्ने कभी कोई पैिा नही् मांगा. बि जैिे पत्थरो् को काटकर कुंआ बना सिया था वैिे ही इि पोखर तक पानी भी िे आते. गांव मे् वष्ाय जि िंरक््ण का भी कोई उपाय नही् है तो यह तािाब वह काम भी करता िेसकन ऐिा नही् हो िका. नये पौधो् के सिये प््ेमवन को एक कुंआ और एक ट््ूबवेि चासहये तभी वह बच िकेगा. दीनानाथ ने उम्मीद नही्छोड्ी है. हो िकता है इंतजार िंबा सखंचे िेसकन प््ेमवन िरकार को जर्र प््ेसरत करेगा. इि पूरे सकस्िे मे् एक पहिू यह भी है सक वन सवभाग दीनानाथ को चौकीदार मानता है और उनको पेड्ो्की िुरक््ा के सिये मासिक n 1500 र्पये भी देता है. शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 35
राजस् मास्टथहेानड
कम-अकली से अकाल
रामगढ् का तालाब: गम््ी मे् भरपूर पानी
आज जब ज्यादा बारिि वाले ि््ेि् भीरर सूखे की चपेट मे् हंै, जैसलमेि के िामगढ़् जैसे कम बारिि के इलाके मे् भिपूि पानी है. त्या इसके रलए हमािे रवकास का अदूिदि््ी मॉिल रजम्मेदाि नही् है? चतरवसंह जाम
रा
जस्थान के जैििमेर सजिे के रामगढ्क््ेत् मे्बीते िाि कुि 48 सममी के करीब पानी बरिा और वहां अकाि नही्पड्ा. भारत मे्इतनी कम बासरश कही् और नही् होती है. असधक बासरश वािे तमाम क््ेत्िूखाग््स्क्यो्है्? यह एक सवचारणीय प््शन् है. हमारी कमअकिी और अदूरदस्शतय ा ने सवकाि का जो मॉडि खड्ा सकया है. वह सवनाश की ओर िे जा रहा है. क्या हम 36 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
अब भी आंख खोिकर नही्देखे्गे? इि सवशाि देश के सकिी भी कृसष सवशेषज्् िे पूछ िे् सक दो-चार िे्टीमीटर की बरिात मे् क्या गेहूं, िरिो्, तारामीरा, चना जैिी िििे् पैदा हो िकती है्. उन िभी सवशेषज््ो्का पक््ा उत््र ‘ना’ मे्होगा. पर रामगढ्आये्तो यहां के खड्ीनो्मे्ये िब िििे्इतने कम पानी मे्खूब अच्छे िे पैदा हुई है.् अब यह ििि िभी िदस्यो् के खसियानो् मे् रखी जा रही है्. तो धुत् रेसगस््ान मे्, िबिे कम वष्ाय के क््ेत्मे्आज भी भरपूर पानी है. अनाज है और पशुओ् के सिये खूब मात््ा मे् चारा भी है. टेसिसवजन कहां नही् है? हमारे यहां भी है. जैििमेर िे कोई िौ सकमी पस््िम मे्पासकस््ान की िीमा पर भी है. यह भी बता दे् सक यहां पूरे देश का िबिे कम पानी सगरता है. कभी-कभी तो सगरता ही नही् है. आबादी कम जर्र है, पर पानी तो कम िोगो्को भी जर्रत के मुतासबक चासहए. सिर यहां खेती कम, पशुपािन ज्यादा है. िाखो् भेड्, बकरी, गाय और ऊंटो् के सिये भी पानी चासहए. टेसिसवजन के कारण हम बीते न जाने सकतने
सदनो् िे देश के कुछ राज्यो् मे् िैि रहे अकाि की भयानक खबरे्देख रहे है्. अब इिमे्स््ककेट का भी नया सववाद जुड्गया है. बीते दो िाि मे् कुि हुई बरिात की जानकारी हम आपको बताना चाहते है्. िाि 2014 जुिाई मे्चार सममी और सिर अगस््मे् िात सममी यानी कुि 11 सममी पानी सगरा था. तब भी रामगढ्क््ेत्अकाि की खबरो्मे्नही्आयी. सिर बीते िाि 2015 मे् 23 जुिाई को 35 सममी, 11 अगस्् को िात सममी और सिर 21 सितंबर को छह सममी बरिात हुई. इतनी कम बरिात मे्भी पांच िौ बरि पुराने सवप््ािर नाम के तािाब को भर सिया गया. यह बहुत सवशेष तािाब है. िाखो् वष्यपहिे प््कृसत मे्हुई भारी उथिपुथि के कारण इि तािाब के नीचे खस्डया समट््ी की, मेट की या सजप्िम की एक तह जम गयी थी. इि पट््ी के कारण वष्ायजि सरिकर रेसगस््ान मे्नीचे बह रहे खारे पानी मे्समि नही् पाता है. वह रेत मे्नमी की तरह िुरस््कत रहता है. इि नमी को हम रेजवानी पानी कहते है्.
तािाब मे्ऊपर भरा पानी कुछ माह तो गांव के काम आता है. इिे हम पािर पानी कहते है्. उि पूरे सवज््ान मे्अभी नही्जायेग् े पर तािाब ऊपर िे िूख जाने के बाद रेत मे्िमा गयी. इि नमी को पुरखो्न जाने कब िे बेरी, कुई्नाम का एक िुंदर ढांचा बनाकर उपयोग मे् िाते थे. अभी अप्ि ्ै के तीिरे हफ्ते मे्भी हमारे तािाब मे्ऊपर तक पानी भरा है. जब यह िूखेगा तब रेजवानी पानी इिकी बेसरयो् मे् आ जायेगा और अगिी बरिात तक पानी के मामिे मे् एकदम स्वाविंबी बने रहे्गे. इि सवशेष तािाब सवप््ािर की तरह ही जैििमेर क््ेत्मे्कुछ सवशेष खेत भी है्. वैिे ये पूरा क््ेत्अकाि का है. पानी सगरे तो एक ििि हाथ िगती है. पर कही्-कही्खस्डया या सजप्िम की पट््ी खेतो्मे्भी समिती है. िमाज ने िसदयो् िे इन सवशेष खेतो् को सनजी या सकिी एक पसरवार के हाथ मे् नही् जाने सदया. इन सवशेष खेतो्को िमाज ने िबका बना सदया. जो बाते्िोग शायद नारो्मे्िुनते है,् वे बाते् और सिद््ांत यहां जमीन पर उतार सदये गये है्. िमझदार पुरखो् ने इन सवशेष खेतो् मे् आज के इि गिाकाट जमाने मे्भी िामूसहक खेती होती है. इन सवशेष खेतो्मे्अकाि के बीच भी िुंदर ििि पैदा की जाती है. अब यह ििि िभी िदस्यो्के खसियानो्मे्रखी जा रही है. यह बताते हुए भी बहुत िंकोच हो रहा है सक इतने कम पानी के बीच पैदा की गयी यह ििि न सिि्फयहां के िोगो्के काम आ रही है, बब्लक दूर-दूर िे इिे काटने के सिये दूिरे िोग भी आ जुटे है्. इनमे् सबहार, पंजाब, मध्य प््देश के मािवा िे भी िोग पहिी बार आये है.् यानी जहां बहुत ज्यादा वष्ाय होती है, वहां के िोगो् को भी यहां काम समिा है. इिके बीच मराठवाड्ा, िातूर की खबरे् टीवी पर देख मन बहुत दुखी होता है. किेक्टर ने जिस््ोतो् पर धारा 144 िगायी है. िोग पानी को िेकर झगड्ते है्. यहां हमारे गांवो् मे् इतनी कम मात््ा मे्वष्ाय होने के बाद भी पानी को
लबालब तलाब: गम््ी के बावजूद िेकर िमाज मे्परस्पर प््ेम का सरश्ता बना हुआ है. आपने भोजन मे् मनुहार िुना है. आपके यहां भी मेहमान आ जाये्, तो उिे सवशेष आग््ह िे भोजन परोिा जाता है. हमारे यहां तािाब, कुएं और कुई्पर आज भी पानी सनकािने को िेकर ‘मनुहार’ चिती है. पहिे आप पानी िे्, पीछे हम िे्गे. पानी ने िामासजक िंबंध जोड्कर रखे है.् इिसिए जब पानी के कारण िामासजक िंबध ं टूटते सदखते है्. देश के अन्य भागो् मे् तो हमे् बहुत ही बुरा िगता है. इिके पीछे एक बड्ा कारण तो है. अपनी चादर देख पैर तानना चासहए. मराठवाड्ा ने कुदरत िे पानी थोड्ा कम पाया पर गन्ने की खेती अपना कर भूजि का बहुत िारा दोहन कर सिया. अब एक ही कुएं मे् ति पर सचपका पानी और उिमे्िैकड्ो्बाब्लटयां ऊपर िे िटकी समिती है्. वह इिाका ऐिी आपाधापी मे्पड्गया है.
कभी पूरे देश मे् पानी को िेकर िमाज के मन मे् एक-िा भाव रहा था. आज नयी खेती, नयी-नयी प्याि वािी िििे्, कारखानो्, तािाबो् को पूर कर बने और बढ्ते जा रहे है्. शहरो् मे् वह िंयम का भाव कब का खत्म हो चुका है. तभी हमे् या तो चेन्नई जैिी भयानक बाढ्सदखती है या िातूर जैिा भयानक अकाि. चेन्नई का हवाई अड््ा डूब जाता है बाढ्मे्और िातूर मे्रेि िे पानी िदकर आता है. पानी कहां सकतना बरिता है, यह प््कृसत ने हजारो्िािो्िे तय कर रखा है. को्कण मे्, चेरापूंजी मे् खूब ज्यादा तो जैििमेर मे्बहुत ही कम बरिता है. पर जो जहां है, वहां प््कृसत का स्वभाव देखकर उिने यसद िमाज चिाने की योजना बनायी है. सिर उिने िरकारो्की बाते्िुनी नही्है.् िािच नही् सकया है, तो वह िमाज पानी कम हो या ज्यादा, रमा रहता है. यह रमना हमने छोड्ा नही् है. कुछ गांवो्मे्हमारे यहां भी वातावरण सबगड्ा था. पर अब बीते 10-15 वष््ो् िे सिर िुधरने िगा है. इि दौर मे्हमारे िमाज ने कोई 200 नयी बेसरयां, 100 नये खड्ीन, 5 कुएं पातािी मीठे पानी के, कोई 200-150 तिाई, नास्डयां, टोपे अपनी सहम्मत िे, अपने िाधनो्िे बनाये है्. इन पर िरकारी या सकिी स्वयंिेवी िंस्था का नाम, बोड्य, पटरा टंगा नही् समिेगा. ये हम िोगो् ने अपने सिये बनाये है्. इिसिये ये िब पानी िे िबािब भरे है्. देश मे् कोई भी इिाका ऐिा नही् है, जहां जैििमेर िे कम पानी सगरता हो. इिसिए वहां पानी का कि्् देख हमे् बहुत कि्् होता है. हमारा कि््तभी कम होगा, जब हम अपना इिाका ठीक कर िेने के िाथ-िाथ देश के इन इिाको् मे् भी ऐिी बाते्, ऐिे काम पहुंचा िके्. अकाि अकेिे नही्आता है. उििे पहिे अच्छे कामो् का, अच्छे सवचारो् का भी अकाि हो जाता है. n (िेखक रेसगस््ान मे्खेती करने वािे सकिान है्.)
शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 37
मास् साहहत् ट हेयड
आलोचक की चुपंपी
िॉ. नामवर भसंह: भवचार बनाम रणनीभत
रविभूषण
आ
िोचना’ पस््तका का िंपादक होने के बाद नामवर सिंह ने िंपादकीय (अिोचना, पूणा्क ं् 38, अप्ि ्ै -जून 1967) के आंरभ मे्सिखा था. ‘चौथे आम चुनाव के बाद भारत एक नये ऐसतहासिक दौर मे् प््वेश कर रहा है सजिमे् जनतंत् के सवकाि की िंभावनाओ् के िाथ िासिस्ट तानाशाही के खतरे भी मौजूद है’् . उि िमय िासिस्ट खतरे की ओर रामसविाि शम्ाय ने दो टूक बाते्कही थी्. चौथा िोकिभा चुनाव 17 िे 21 िरवरी 1967 तक िंपन्न हुआ था. इंसदरा गांधी प्ध ् ानमंत्ी बन चुकी थी्(24 जनवरी 1966). िाठ के दशक के आरंभ िे ही नेहर्का जादू उतरने िगा था. नेहर्युग की राजनीसत और उनके (िािबहादुर शास््ी के बाद) बाद की राजनीसत मे् सभन्नता थी. नेहर् युग की राजनीसत को मियज ने ‘आदश्वय ादी राजनीसत’, ‘आशावाद िे ग्स ् ’् कहा है, ‘सजिके पैर यथाथ्यपर कम स्वस्णमय मानव भसवष्य के स्वप्न पर असधक सटके थे’. आधुसनक भारत और नेहर् युग की ‘आधुसनकता’ पर सवचार करने वािे सवद््ान इि तथ्य की अनदेखी करते है् सक इि आधुसनकता मे् परंपरा के िाथ एक िमझौता भी था. भाखड्ा नंगि को नेहर्ने ‘आधुसनक युग का तीथ्’य कहा था. नामवर ने ‘आिोचना’ के इि अंक मे्‘चुनाव के बाद का भारत’ पर एक ‘िंवाद’ आयोसजत सकया था, सजिमे् रामसविाि शम्ाय िसहत बारह व्यब्कतयो्ने अपने सवचार रखे थे. अब उनमे्िे केवि एक रमेशकुतं ि मेध हमारे बीच है्. चौथे िोकिभा और सवधान िभा चुनाव के पसरणाम अप्त्य् ासशत थे. कांगि ्े िे अिग होकर सजि ‘स्वतंत्पाट््ी’ की स्थापना िी. राजगोपािचारी ने 4 जून 1959 को की थी, उिे चौथे चुनाव मे् 8.67 प्स्तशत वोट प््ाप्त हुए थे और चौवािीि िांिदो्के िाथ िोकिभा मे्वह दूिरी िबिे बड्ी पाट््ी थी. यह पाट््ी बाजार-आधासरत अथ्वय य् व्िथा के पक्् मे् थी, सजिे कुछ व्यापासरयो्, उद््ोगपसतयो् के िाथ िामंती जमी्दारो् का िमथ्नय था. प्थ ् म िोकिभा चुनाव (1952) के पहिे गुर्गोिविंकर िे परामश्यके बाद श्यामा प्ि ् ाद मुखज््ी ने 21 अक्तबू र 1951 को कांगि ्े के राष््ीय सवकल्प के र्प मे् भारतीय जनिंघ की स्थापना की. पहिी (1952), दूिरी (1957) और तीिरी (1962) िोकिभा मे् उिके िांिदो् की िंख्या क््मश: 3, 4 और 14 थी्. चौथे िोकिभा चुनाव मे् उिका वोट प्स्तशत बढ्ा (9.31) और िांिदो्की िंखय् ा बढ्कर 35 हो गयी. नेहर्के सनधन (27 मई 1964) और भारतीय कम्यसु नस्ट पाट््ी के 38 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
सहस््ाब्दी अंक औि उसके पहले भी आलोचना के संपादक नामवि रसंह फासीवाद के खरिे की आहट से रहंदी समाज को आगाह किरे िहे है्. लेरकन फासीवाद की दस््क के इस दौि मे् उनकी चुप्पी रवरचि्् लगरी है.
सवभाजन के बाद (माकपा का जन्म: 7 नवंबर 1964) कांग्ेि और कम्यसु नस्ट पाट््ी की ब्सथसत पूववय् त नही्रही थी. चौथे िोकिभा चुनाव मे् को्गि ्े की 78 िीटे्घट गयी्. 361 िे िीटे्घटकर 283 हो गयी्, भाकपा को 23 िीटे्समिी थी्(वोट प्स्तशत 5.11) और माकपा के 19 िांिद थे (वोट प्स्तशत 4.28). चौथे िोकिभा चुनाव मे्दस््कणपंसथयो्-स्वतंत्पाट््ी और भारतीय जनिंघ का िंिद मे्दूिरा और तीिरा स्थान था. नामवर सिंह ने ‘चुनाव के बाद का भारत’ पर ‘िंवाद’ के आरंभ मे् सिखा, ‘भारतीय जनमत की इि अप्त्य् ासशत असभव्यब्कत ने सनतांत उदािीन मस््सष्क को भी झकझोर कर िोचने के सिए मजबूर कर सदया है’. धम्वय ीर भारती ही नही्, उि िमय सहंदी के कई िेखक भारतीय जनतंत्के ‘पुखत् ा’ होने की बात कर रहे थे. राज्यो्मे्िंसवद िरकारो्का गठन और कांगि ्े के एकासधपत्य के टूटने को पसरपक्व िोकतंत् का प््माण माना जा रहा था. नामवर ने इिे ‘भारतीय जनतंत्का महान प्य् ोग’ कहा था. मियज ने बाद के अपने एक िेख ‘सपछिे दशक के युवा िेखन के बारे मे्कुछ मूिभूत बाते’् (1970) मे् 1967 के आम चुनाव के बाद ‘राजनीसतक आशावाद और कुठं ा का भी जन्म’ सिखी्. नामवर ने िाि शल्दो् मे् तब सिखा था, ‘स्वतंत,् जनिंघ आसद की बहुिखं य् क जीत और राजाओ्-जागीरदारो् के राजनीसत मे् एकबारगी प्व् श े िे खतरा पैदा हुआ है’. िासिस्ट तानाशाही कायम होने मे्अभी देरी थी, पर उिके खतरे भांप सिये गये थे. िन 67 के चुनाव मे् ‘जनतंत् की िंभावनाओ्’ के िाथ ‘िासिस्ट तानाशाही’ की िंभावना कसवयो्, िेखको्, आिोचको्ने व्यक्त की थी. रामसविाि शम्ाय ने सिखा था’, भारत मे्यसद िासिस्ट तानाशाही कायम होती है तो इिकी सजम्मदे ारी िबिे पहिे वामपंथी पास्टयि ो्पर होगी और इन वामपंथी पास्टयि ो् मे्िबिे ज्यादा कम्यसु नस्ट पाट््ी पर’. उि िमय िंिद मे्कम्यसु नस्ट िांिदो् की िंखय् ा 42 थी. और आज? भाकपा- माकपा समिाकर कुि दि. िाि 1967 के चुनाव पसरणाम के बाद सजि ‘िासिस्ट तानाशाही’ की आशंका व्यक्त की गयी थी, वह िगभग तीन दशक तक कही्सकिी कोने मे् पड्ी रही. उि िमय (1967) खतरा कही्असधक सदखाई दे रहा था. इि चुनाव के दो वष्यबाद ही 1969 मे्यूसनवस्िटय ी ऑि पेस्ििवेसनया प्ि ्े िे केग् वैकस् ट् र की पुसक ् प्क ् ासशत हुई थी ‘सद जनिंघ; ए बायोग््ािी ऑि ऐन डंसडयन पॉसिसटकि पाट््ी’. जनिंघ ने देश के बाहर भी िोगो्का ध्यान अपनी ओर खी्चा था. पांचवे्िोकिभा चुनाव (1971) मे्भारतीय जनिंघ कमजोर हुआ. उिके सनव्ासय चत िांिदो्की िंखय् ा 35 िे घटकर 22 हुई. वोट प्स्तशत 9.31 िे घटकर 7.35 हो गया. िन 67 िे 70 के चार वष्यमे् इंसदरा गांधी की कई नीसतयां और बांगि ् ादेश के अभ्यदु य ने कांगि ्े की हाित
सपछिे चुनाव की तुिना मे्बेहतर कर दी. बिराज मधोक ने कांगि ्े पाट््ी के सवभाजन (1969) काे एक अविर के र्प मे् िेना चाहा था. चौथे िोकिभा चुनाव मे्उनकी नेततृ व् कारी भूसमका थी. वे भारतीय जनिंघ के अध्यक््थे. उनके िामने अटि-आडवाणी प्म् ख ु नही्थे. बिराज मधोक भारतीय जनिंघ पर राष््ीय स्वयं िेवक िंघ के प्भ् ाव के पक््मे्नही्थे. वे भारतीय जनिंघ मे्जनता पाट््ी के सविय के भी पक््मं नही्थे. भारतीय जनिंघ 1951 िे 1976 तक जीसवत रहा. िन 1977 मे्उिने जनता पाट््ी मे्अपने को सविीन कर सदया. जनता पाट््ी अपना काय्क य ाि पूरा नही्कर िकी. वह टूटी और िातवे् िोकिभा चुनाव (1980) के बाद 6 अप्ि ्ै 1980 को भाजपा का जन्म हुआ. भारतीय जनिंघ इसतहाि बना. अस्िी के दशक के आरंभ मे्सवश््आस्थक य ी की एक नयी दस्क ् भारत पर पड्ने िगी थी. िातवे्िोकिभा चुनाव मे्पहिे िभी चुनावो्की तुिना मे्िंिद मे्कांगि ्े की ताकत असधक थी. आठवे्िोकिभा चुनाव मे्इंसदरा गांधी की हत्या के बाद जहां उिे 404 िीटे्प््ाप्त हुई थी्, वहां भाजपा को मात््दो समिी्. भाजपा के जन्म िे 1986 तक अटि सबहारी वाजपेयी भाजपा के अध्यक्् थे. उनके िमय मे् भाजपा हासशये पर थी. अस्िी के मध्य िे सवश््मे्कई नयी ब्सथसतयां उत्पन्न होने िगी्. अस्िी का दशक भाजपा के जन्म के िाथ उिके उछाि मारने का दशक है. आडवाणी और मुरिी मनोहर जोशी ने ‘रथ यात््ा’ और ‘एकता यात््ा’ के जसरये भाजपा मे् एक नयी ऊज्ाय भर दी. िाि 1986 िे 1998 तक आडवाणी और जोशी भाजपा के अध्यक्् रहे. आडवाणी 1986 िे 91 और 1993 िे 98 तक. मुरिी मनोहर जोशी 1991 िे 1998 तक. नौवी्, दिवी्, ग्यारहवी्और बारहवी् िोकिभा (1989, 1991, 1996, 1998) मे्भाजपा की िांिद िंख्या बढ्ती गयी (85, 120, 161, 182), और वोट प््सतशत भी बढ्ा (11.36, 20.11, 20.29, 25.59). अटि सबहारी वाजपेयी पहिी बार 1996 मे् तेरह सदन के सिए प््धानमंत्ी बने थे. बाद मे् िंयुक्त मोच्ाय की दो िरकारे्बनी्- एच.डी. देवगे ौड्ा (1 जून 96 - 21 अप््ैि 97) और इंद् कुमार गुजराि (21 अप्ि ्ै 97 - 19 माच्य98). दोनो्324 और 332 सदन प्ध ् ानमंत्ी रहे. ‘आिोचना’ पस््तका बीिवी्िदी के अंसतम दशक मे्बंद रही. भारत मे् यह दशक दुशज ् यी सवश््बैक ् , अंतरराष््ीय मुद्ा कोश और सवश््व्यापार िंगठन की नीसतयो् को स्वीकारने का दशक है. नव उदारवादी सवश्् अथ्वय य् वस्था मे् शासमि होने का दशक है. यह दशक एक और दुित् य् ी (सनजीकरण, उदारीकरण, भूमंडिीकरण) के मायाजाि-महाजाि मे् सघरने का दशक है. इिी दशक के आरंभ मे्बाबरी मब्सजद का ध्वि ं हुआ. यह तीन ‘एम’-मंसदर, मंडि और माक्ट्े -का दशक भी है. यह ‘सहंदतु व् ’ के उभार का दशक है. सवश्् के िाथ भारत मे् भी आस्थक य -राजनीसतक पसरदृशय् बदि गया था. बारहवी्और तेरहवी्िोकिभा (1998, 1999) मे् भाजपा ने अन्य दिो् के िाथ समिकर िरकार बनायी. मई 1998 मे् चुनाव िड्ने के सिए राष््ीय जनतांस्तक गठबंधन (राजग) का गठन सकया गया. भाजपा के िाथ ‘िमाजवादी’ भी जुड्गये. छह वष्य64 सदन (19 माच्य 98 - 22 मई 2004) अटि सबहारी वाजपेयी प्ध ् ानमंत्ी रहे. अब केद् ्मे्दस््कणपंथी ताकतो्का वच्सय व् था. सजि िािीवाद का खतरा नामवर सिंह ने 1967 मे्देखा था, अब वह िबके िामने खड्ा था. ‘आिोचना’ पस््तका अप्ि ै् -जून 1990 के बाद पुन: अप्ि ्ै -जून 2000 िे प्क ् ासशत होने िगी. नामवर के िमक््िारा पसरदृशय् था. केद् ्मे्राजग
की िरकार थी. नामवर ने अपनी प्ग् सतशीि और माक्िवय् ादी भूसमका का सनव्ाहय सकया. िहस््ाल्दी के आरंभ मे्उनकी किम की नोक पर िािीवाद था. ‘आिोचना’ का िहस््ाल्दी अंक 1 (अप््ैि-जून 2000) िािीवाद और िांसक ् सृ तक िंकट पर केस््दत था. स्वाभासवक था अप्ि ्ै -जून 1967 की ‘आिोचना’ का स्मरण, सजिमे्पहिी बार उन्हो्ने ‘िािीवादी खतरे’ की बात कही थी. तैत् ीि वष्यबाद नामवर ने 2000 मे्िािीवाद के ‘िचमुच आ पहुच ं ने’ की बात कही. यह सिखा, ‘हर दरवाजे पर दस्क ् देना हमारा िज्यबनता है.’ उि िमय उन्हो्ने यह िज्यपूरा सकया. िहस््ाल्दी के अंसतम दशक (1990-1999) को ‘एक युगांतर’ कहा. इि दशक की ‘सवध्वि ं क िीिाओ्’ की चच्ाय की. अथ्तय तं ,् राजतंत् और िमाज तंत् के ढांचे मे् हुई तोड्-िोड् की ओर हमारा ध्यान सदिाया, ‘सहंदू िािीवाद की जो ताकते् अभी तक हासशये पर थी्, ित््ा के केद् ् पर कासबज हो गयी्’. िाि-िाि शल्दो्मे्कहा सक यह ‘िीधे-िीधे चुनौती देने का वक्त’ है. नामवर ने इि ित््ा के आ जाने िे ‘उल्िसित िोगो्’ मे् ‘िासहत्यिाधना मे्िीन’, ‘पढ्-े सिखे गंभीर सवचारक और िेखक’ भी देखे थे 2000 मे.् नाम सकिी का नही्सिया. िमझदारो्के सिए इशारा कािी था. उन्हो्ने िंघ पसरवार को सनशाने पर सिया, सजिका ‘एकमात्् िक्य् है ‘सहंदू राज अथवा सहंदू पदपादशाही की स्थापना’. वे इसतहाि मे्गये और ‘सहंदतु व् वादी िंघ पसरवार के मुिोसिनी और सहटिर की पास्टयि ो्िे िीधे िंपक्’फ की याद सदिायी. मई 2000 मे्िािकृषण ् आडवाणी ने िोमनाथ मंसदर को िरकारी खजाने िे पांच करोड् र्पये अनुदान देने की जो घोषणा की थी, उि पर नामवर ने सिखा, ‘कहां है िंसवधान और क्या है उिका मूि ढांचा कांगि ्े ी िरदार पटेि जहां पांव रखते सहचके थे, िंघ पसरवारी आडवाणी ने वहां बेसहचक छिांग िगा दी.’ उि िमय (2000) उन्हो्ने ‘आिोचना धम्यके सनव्ाहय करते रहने’ की ‘आलोचना’ के इस ‘संपादकीय’ बात की थी. िंपादकीय के चौदह वर्ष बाद सारा दृश्य मे्29 अप्ि ्ै 2000 की बदल गया. सन 1967 मे् नामवर रात को जेएनयू मे् हुए द््ारा की गयी भववष्यवाणी के बाद भारत-पाक मुशायरे का सजक्् भी सकया, चीजे् कही् अविक बदतर हुई्. ‘मुशायरे की मारपीट’ को हकीकत बताया. िहमीदा सरयाज और उनकी शायरी ‘तुम सबल्कि ु हम जैिे सनकिे’ याद की. बहिो् के सिए मशहूर जेएनयू की चच्ाय करते हुए यह िवाि भी सकया, ‘अब यसद एक सवश्स्वद््ािय की िंसक ् सृ त रणांगन बनता है, तो उिके सिए सजम्मदे ार कौन है?’ सिर यह भी सिखा, ‘िंसक ् सृ त की रणभूसम को रणांगनो्मे्बदिने वािे आज ित््ा मे्है’् . नामवर ने तब ‘कूर् ता की िंसक ् सृ त’ िािीवाद नया िौ्दय्श य ास्,् बाबरी मब्सजद का सवध्वि ं और कारसगि युद्के भव्य प्द् श्नय ो्की बात कही थी. आज िे िोिह वष्यपहिे तब नामवर ने सिखा था, ‘सकिी प्क ् ार का सवरोध देशद््ोह’ कहिायेगा. देशभब्कत की ऐिी हवा चिेगी सक अल्पिंखय् क अपने आप काबू मे्रहेग् .े ’ उि िमय उनकी आवाज स्पि्,् दो टूक और सनभ््ीक थी, ‘इि सहंदू िािीवाद की ताकत को कम करके आंकना ठीक न होगा. पुसिि, प्श ् ािन, न्यायपासिका आसद राजतंत’् के सवसवध अंगो्के अिावा इि बीच िेना के अंदर भी इि चेतना ने िेध ् िगा िी है’ और इिके बाद ‘सवश््की िबिे बड्ी शब्कत अमेसरका का वरदहस्?् ’ ‘आिोचना’ के इि ‘िंपादकीय’ के चौदह वष्यबाद िारा दृशय् बदि गया. िाि 1967 मे् नामवर द््ारा की गयी भसवष्यवाणी और 2000 मे् उनके िम्यक सवश्िषे ण के बाद चीजे्कही्असधक बदतर हुई.् िािीवाद मचिने िगा. उिने िबको अपनी मौजूदगी का एहिाि करा सदया. िाि 2004 के बाद दि वष्यका एक अंतराि आया. चौदहवी्–पंदह् वी्िोकिभा मे्कांगि ्े ित््ा मे्रही. राजग की तज्यपर उिने भी एक गठबंधन बनाया– िंपग् (िंयकु त् प्ग् सतशीि गठबंधन). मनमोहन सिंह दि वष्यिे असधक प्ध् ानमंत्ी (22 मई 2004 - 26 मई 2014) रहे. इि दौर मे्भाजपा प्म् ख ु शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 39
साहहत्य सवपक््ी दि रही. नामवर ने 2000 मे्‘सहंदतु व् की िंसक ् सृ त’ की बात करते आिोचको्, बुस्दजीसवयो्को सहंदी प्द् श े मे्दस््कणपंची ताकतो्को कम करने हुए बूदं -बूदं पानी के सिए तड्पते हुए गुजरात के आम िोगो्की सचंता भी के असधक प्य् त्न नही्सकये. की थी. उि िमय नरेद् ्मोदी गुजरात के मुखय् मंत्ी नही्बने थे. गुजरात मे् 16 मई 2014 को चुनाव पसरणाम को देख िमझकर सहंदी के एक ही नही्, पूरे देश मे्भी कॉरपोरेटो्का आज जैिा बोिबािा नही्था. देश मे् अल्प-चस्चयत कसव रंजीत वम्ाय ने ‘कसवता 16 मई के बाद’ मुसहम की नसदयां नही् सबकी थी. पहाड् भी नही् सबके थे. सगद्् मंडराने िगे थे. शुरआ ् त की. प्स्तरोध मे् िदैव कसवता खड्ी रही है. अक्टबू र 2014 िे छत््ीिगढ् अशांत नही् था. ‘माओवाद’ का जन्म नही् हुआ था. भारतीय शुर् हुई इि मुसहम के असहंदी भाषी राज्यो् िसहत कई राज्यो् मे् काय्क य म् िंसवधान और िोकतंत्पर हमिे सनरंतर नही्हो रहे थे. आिमान मे्बादि हुए और जनवरी 2016 के सदल्िी के सवश््पुसक ् मेिे मे्इन कसवताओ् छा चुके थे. उनका घोर गज्नय नही्था. न िोशि मीसडया था आज की तरह का िंगह् ‘प्स्तरोध का पक्’् प्क ् ासशत हुआ. अब तक आिोचको्का ध्यान और न िेिबुक था. चेक बुक और पाि बुक भी कम िोगो् के पाि थे. इि ओर नही्गया है. नामवर सिंह की चुपप् ी अखरती है. उनिे यह अपेक्ा ‘िासिज्म’ का पहिा प्य् ोग इटिी मे्मुिोसिनी के िमय 1921 मे्हुआ. स्वाभासवक है सक वे िािीवाद के सखिाि खड्ेहो्. अपनी आवाज बुि ं द िन 2000 मे्असभव्यब्कत की स्वतंतत् ा पर कम प्ह् ार था. िोकतंत्िहू- करे.् िाि 2000 की आिोचना के िंपादकीय के अंत मे्उन्हो्ने कहा था, िुहान और घायि नही्हुआ था. आज की तरह ििंगो्की जमात कम थी. ‘पुनन्वय ा आिोचना को आिोचना धम्यका सनव्ाहय करते रहना है, अथ्ातय सवश््बाजार के िाथ िंसक ् सृ त की िंिग्नता नामवर ने देखी थी, पर बाजार देखना, देखना और देखना’. उि िमय आज की तरह एक िाथ आक््ामक-आकष्क य नही्था. उिका उि िमय उन्हो्ने ‘सहंदू िािीवाद’ को ‘एक प््कार का िांस्कृसतक ‘िौ्दय्श य ास्’् (अपराधशास््भी) सवकसित होने की प्स््कया मे्था. छि’ कहा था. भाजपा के ित््ािीन होने के बाद सपछिे दो वष्यमे्सजतनी िोिहवे् िोकिभा चुनाव (2014) के पसरणामो् की सकिी ने घटनाएं घटी है्, उनकी अपनी एक सनरंतरता है. भारतीय िंसवधान और कल्पना तक नही्की थी. सजिमे्282 िीटो्के िाथ भाजपा पूण्यबहुमत िंिदीय िोकतंत्पर सनरंतर हो रहे हमिे िािीवादी ताकतो्के बढ्ते प्म् ाण मे् आ गयी. वोट प््सतशत 31 हो गया. कांग्ेि 44 पर सिमट गयी. सजन है.् असभव्यब्कत की स्वतंतत् ा पर िगातार प्ह् ार हो रहा है. जेएनयू पर हुए क््ेत्ीय दिो् का अपने राज्यो् मे् दबदबा था, उनमे् िे कई शून्य पर आ हमिे सवचारो्परह हुए हमिे है.् सजि जेएनयू मे्नामवर सिंह थे, क्या वह गये. यह एक भूचाि की तरह था. नरे्द्मोदी का कसरश्मा था. भाजपा को राष््द्ोसहयो्, नक्िसियो् और माओवासदयो् का अड्डा है? देशद््ोह िंघ इिके पहिे िव्ासय धक िीटे्बारहवी्-तेरहवी्िोकिभा मे्आयी थी्- 182, पसरवार और भाजपा का एक नया िुसवचासरत एजेड ् ा है सजििे वह अपने सजिमे् 100 िंख्या असधक जुड् गयी. भाजपा को यहां तक पहुंचाने मे् मुखर, िस््कय सवरोसधयो् को राष््द्ोही घोसषत कर रही है. जेएनयू को पहिे िािकृष्ण आडवाणी की भूसमका रही. बाद मे् नरे्द् मोदी आये. ‘आतंकवाद की मैनय् ि ु कै च ् सरंग िैकट् ्ी’ घोसषत कर रही है. नामवर ने वष््ो् सपछिे पंद्ह वष्यमे्कॉरपोरेट जगत ताकतवर हो रहा था. मनमोहन सिंह पहिे सहंदू िािीवाद की िही पहचान की थी. आज जेएनयू इि िािीवाद उिकी अपेक्ाएं पूरी नही्कर िकते थे. नरे्द्मोदी को प््धानमंत्ी बनने- का सवरोध कर रहा है. अब िािीवाद आ चुका है. सहंदू िािीवाद की अपनी बनाने की बात 2014 के तीन-चार वष्य पहिे शक्ि होगी. अमेसरका मे् िािीवाद के झंडे मे् असवहष्णुता के विलाफ कुछ भारतीय कॉरपोरट करने िगे थे. ढंककर आने का कथन सिंक्िेयर िेसवि का समय पहले कवव, लेिक, िन 2000 के बाद का िमय भूमड ं िीकरण प्म् ासणक तौर पर हो या न हो, पर यह कथन बारके दूिरे चरण का िमय है. गुजरात के 14वे् बार दोहराया जाता रहा है. क्या भारत मे्िािीवाद वफल्मकार, वैज्ावनक एकजुट मुख्यमंत्ी (5 अक्टूबर 2001-22 मई 2014) हुए थे. प््वतरोि अब भी है. कही् सतरंगे मे्िपेटकर नही्आ िकता? बनने के बाद मोदी भारत के 15वे्प्ध ् ानमंत्ी (26 आज जब भारतीय िोकतंत्क्त् -सवक्त् हो रहा अविक साथ्षक और सशक्त. मई 2014) बने. उनका राजनीसतक जीवन बहुत है, िंसवधान की धस््जयां उड्ाई जा रही है्, पुराना नही् था. आपातकाि मे् वे असखि भारतीय सवद््ाथ््ी पसरषद के असभव्यब्कत की स्वतंतत् ा की िीमा अपने मनोनुकि ू सनस््ित की जा रही है, प्च ् ारक प्भ् ारी थे और 1985 मे्राष््ीय स्वयंिवे क िंघ िे भाजपा मे्आये. तक्फ बहि-मुबाइिे की बजाय भयग्स ् ् करने के तरीके बढ्ाये जा रहे है,् िन 1988 मे्भाजपा की गुजरात इकाई के िंगठन िसचव बने. आडवाणी धमकाया जा रहा है. सवरासधयो्को सनशाना बनाया जा रहा है, िंसथ् ाओ्मे् की अयोध्या रथ यात््ा (1990 ) और जोशी की एकता यात््ा (1991-92) आयोग्यो्को सबठाकर उन्हे्कमजोर सकया जा रहा है. भय-आतंक का माहौि के वे िंगठक थे. सिर 1995 के गुजरात सवधानिभा चुनाव मे्भाजपा को बनाया जा रहा है, तब कसवयो्, िेखको्, आिोचको्, िंपादको्की एक बड्ी सवजयी बनाने मे्उनकी बड्ी भूसमका थी. िन 2001 मे्केशभु ाई पटेि की भूसमका बनती है. अिसहष्णतु ा के सखिाि कुछ िमय पहिे कसव, िेखक, अस्वस्थता और उपचुनाव मे्भाजपा की हार के बाद जब भाजपा के राष््ीय सिल्मकार, वैज्ासनक िभी एकजुट हुए थे. पुरस्कार वापिी ने ित््ा पक््की नेतृत्व ने नये मुख्यमंत्ी की तिाश की, तो उनकी ओर ध्यान गया. उप नी्द हराम कर दी थी. प्स्तरोध अब भी है. कही्असधक िाथ्क य और िशक्त. मुख्यमंत्ी बनने के पक्् मे् वे नही् थे. िात अक्तूबर 2001 को उन्हो्ने आिोचना िहस््ाल्दी अंक 1 िे पहिे 22 जनवरी 2000 के मुखय् मंत्ी की शपथ िी और अगिे वष्यगुजरात का जनिंहार हुआ. भारत ‘इकोनॉसमक एंड पॉसिसटकि वीकिी’ मे्मास्जयय ा केिोिैरी ने अपने िेख मे्िािीवाद र्क-र्क कर, अपनी शब्कत अस्जतय कर आगे बढ्ता रहा है. ‘सहंदुत्वाज िॉरेन टाई अप इन द नाइंटीन थट््ीज- आक्ायइवि इसवडेि’ मे् सिर 16 मई 2014 के बाद, भाजपा की अप्त्य् ासशत जीत के बाद िब कुछ 1931 मे्इटिी मे्मुंजे की मुिोसिनी िे भे्ट आसद पर सवस््ारपूव्यक सवचार बदि गया. सकया है. इटिी िे िौटने के बाद ही बी एि मुज ं े ने सहंदू िमाज को िासिस्ट िोिहवी्िोकिभा चुनाव मे्दि सहंदी राज्यो्की कुि 225 िीटो्मे् बनाने के प््यत्न सकये. मुिोसिनी ने िािीवाद को राज्य और कॉरपोरेशन िे भाजपा 191 िीटो् पर सवजयी हुई थी. राजस्थान, सहमाचि प््देश, के सववाह के र्प मे्देखा था. आज भारत मे्कॉरपोरेट और राज्य के बीच उत्र् ाखंड और सदल्िी की िभी िीटे्उिके पाि थी्. सबहार और उत्र् प्द् श े के सरश्ते कही्असधक िघन है. ऐिे िमय नामवर जैिे सशखर आिोचक की कुि 120 िीटो्मे्उिने 93 िीटो्पर कल्जा सकया था. 282 िीटो्मे् की भूसमका असधक बड्ी बन जाती है. कसवयो्, िेखको्, बुस्दजीसवयो् के िे अगर इन 93 िीटो्को घटा दे,् तो आज भाजपा कहां रहती? िािीवादी िाथ यह िमय आिोचको्और िंपादको्के भी मुखर होने का िमय है. नामवर ने िोिह वष्यपहिे 2000 मे्सिखा था, ‘पुनन्वय ा आिोचना आज ताकतो् को यहां तक पहुच ं ाने मे् सहंदी राज्यो् (सवशेषत: सबहार और उत्र् इिी प््सतरोध की आवाज है- एक अकेिी आवाज नही्, बब्लक िमवेत प्द् श े ) की सवशेष भूसमका रही है. (िेखक सहंदी के जाने-माने आिोचक और स्भ्ं कार है.्) सहंदी के प््गसतशीि माक्ि्यवासदयो्, कसवयो्, िेखको्, िंपादको्, आवाज.’n 40 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
साहहत्य/समीक््ा
समय और मनुष्य के बदलाव ऐसे समय मे् जब िचना संसाि िोि-ििाबो् से भिा हुआ है, दानी का संयर स्वि रवक्समर भी किरा है. संजय कुंदन
सनकि गया है और हम िोग सपछड्गये है्.’ दरअिि हमारे िामासजक मूल्यो् पर दबाव बढ्ा है. न सिि्फ सरष््कथाकार राजे्द्दानी बदिावो्को सचब्हनत करते है्, पर उन्हे् महानगरो् बब्लक छोटे शहरो्, कस्बो् और गांवो् तक मे् िोगो् की नही्, जो एकदम िे िामने सदख जाये्, जैिे शहर के पूरे ढांचे का मानसिकता बदिी है सजििे सरश्तो् का िमीकरण प््भासवत हुआ है. इिसिए प््काश अपनी स्मृसत िे मुक्त हो गया है तो यह आि््य्यजनक बदिना, राजनीसत की भाषा का बदि जाना. इनिे परे नही् िगता. कहानी ‘आईना’ मे् पीस्ढयो् की िोच का राजे्द्दानी उि पसरवत्यन को देख िेते है्, जो हमे्प््ाय: सदिचस्प ताना-बाना बुना गया है. तीन पीस्ढयां इिमे् सदखाई नही्देते. वे बड्ेिूक्म है्. चुपचाप हो रहे है्, सबना टकरा रही है्. नैरेटर अधेड्है, सजिे िगता है सक बूढ्ी सकिी आवाज के. जैिे हमारी आत्मा पर खरो्चे्पड्ना. मां की देखभाि का सजम्मा उिके ऊपर है. िेसकन मां जैिे हमारे मन मे्एक गांठ का बनना. जैिे हमारी नीयत तो मां है, वह अपने अधेड्बेटे को नादान िमझती है. का खोटा होना. ये चीजे्एक कसव की तरह राजे्द् दानी नैरेटर को न सिि्फ अपनी मां िे सझड्की िुनने को ने दज्यकी है्. समिती है, बब्लक नौजवान बेटे की डांट भी खानी ऐिे िमय मे्जब िमाज ही नही्, रचना िंिार भी पड्ती है. शोर-शराबो् िे भरा हुआ है, दानी का िंयत स्वर कुछ ‘गनीमत नही्’ मे् पूंजीवादी सवकाि का एक हद तक सवब्समत भी करता है. ‘पारगमन’ उनकी र् प क पेश सकया गया है. देश मे् पूंजीवादी सवकाि ने प््सतसनसध कहासनयो् का िंग्ह है. उनके पात्् ज्यादातर गै र -बराबरी बढ्ायी है सजिके कारण कुछ िोगो् के मध्यवग््ीय है्. उनकी कहासनयां बताती है् सक समडि सहस्िे मे् िमृस्द की चमक आयी है तो एक बड्े वग्य क्िाि मे् िमृस्द आयी है, पर सरश्ते छीजते गये है्. के जीवन मे् नाकामी, हताशा और गरीबी का अंधेरा अकेिापन और गहराया है. िंग्ह की पहिी कहानी और गाढ्ा हुआ है. नयी अथ्यव्यवस्था दरअिि िपने ‘मे्डोसिन’ उिी मध्यवग््ीय चसरत्् की झिक पेश बेचने का काम करती है. हर सकिी को िगता है जैिे करती है. आदमी का वग्यबदिते ही उिका व्यवहार भी पारगमन: राजेद् ् दानी; साभहत्य भंिार, 50, उिके जीवन मे् रातो्रात कोई चमत्कार होगा और िब बदि जाता है और वह अपनी जमीन भूि जाता है. चाहचंद (जीरो रोि), इलाहाबाद- 211003, कुछ बदि जायेगा. पर ऐिा चमत्कार सगने-चुने िोगो् श््ेष्ता-बोध के नशे मे्वह उन्हे्ही भूि जाता है जो उिे मूपय् : 100 र्पये के जीवन मे् ही घसटत होता है. बाकी के हाथ कुछ नही् आगे बढ्ाते है्. इि कहानी मे्एि.एि सकशोर एक ऐिा ही चसरत््है, जो दोस््ो्की िगता. बाकी िोग एक मृगतृष्णा मे्भटकते रहते है्. इि कहानी मे्चंकी भी ििि होने की दौड्मे्शासमि होना चाहता िहायता िे िंगीत के क््ेत् मे् कािी आगे बढ् जाता है. िेसकन िििता है . वह ििि िोगो्को दुसनया मे्पहुंचता है, पर वहां अपनी जगह बनाने समिते ही उिकी नजर बदि जाती है. वह अपने को उच््वग्यका िमझने के सिए जो रास््ा बताया जाता है, वह उिे बेहद खतरनाक िगता है. िगता है. वह नही्चाहता सक उिे उन दोस््ो्के िाथ जोड्कर देखा जाये गनीमत है सक यह िब उिके िपने मे् घसटत होता है, यथाथ्य मे् नही्. जो उिकी राय मे् अब उिके स््र के नही् रह गये थे. यहां तक सक िपना उिके सिए एक िबक है. वह एक चमकदार दुसनया के अंधेरे को सकशोर को अपने उि दोस्् के पुकारने का िहजा भी सपछड्ा िगने िगता है, सजिने उिे आगे बढ्ाने मे्िबिे ज्यादा योगदान सदया होता है. पहचान कर अपनी दुसनया मे् चिा आता है. कथाकार की सटप्पणी है: कहानी बड्ी बारीकी िे िमाज के िच का बयान कर जाती है. इिमे् ‘उि भयानक, पर उिके मुतासबक पूरी िंभावनाओ्िे भरे िपने िे वह नैरेटर दो छोरो्को एक िाथ िेकर चिता है. वह अपने दो दोस््ो्के बारे बाहर आ गया था.’ ‘ठंडी तेज रफ्तार’ की रीमा आज की नयी पीढ्ी का प््सतसनसधत्व मे् बताता है. एक तरि सकशोर है तो दूिरी तरि िु्रफ जो बेहद िहज व्यब्कत है. वह दूिरो् को आगे बढ्ाने मे् खुशी महिूि करता है, पर करती है. वह अपने अंदाज मे् पूरे आत्मसवश््ाि के िाथ जीना चाहती सकशोर आगे बढ्ने के सिए दोस््ो्को ही िीढ्ी की तरह इस््ेमाि करता है. वह प््ेम और यौन िंबंधी बंसदशो् को नही् मानती. िेसकन जब रीमा को िगता है सक इन मामिो् मे् उिका प््ेमी अंसकत कही् न कही् है. ‘पतंग’ मे् नैरेटर अपनी बूढ्ी मां और भाई-बहनो् के िाथ चािीि दसकयानूि है, तो वह उिे छोड्ने का िैििा करती है और अपनी प््ेग्ने्िी िाि बाद अपने गृहनगर पहुंचता है. उनके भीतर छोटे शहर को िेकर की िमस्या िे अकेिे ही सनपटती है. दानी ने व्यब्कत के मन के जसटि कोनो् की भी पड़्ताि करने की वही नॉस्टैब्लजया है, जो आम तौर पर िोगो् मे् होता है. उन्हे् िगता है, कोसशश की है. वे अकेिेपन की टोह िेते हुए एक अकेिे शख्ि के भीतर शहर मे् िब कुछ वैिा ही होगा. वहां के िोग पहिे की तरह स्नेह और के उखाड् -पछाड् को पकड्ने की कोसशश करते है्. ‘कछुए की तरह’ आत्मीयता िे समिे्गे. नैरेटर अपने बचपन के दोस््प््काश को याद करता ऐिी ही कहानी है. कह िकते है सक यह एक पठनीय िंग्ह है, जो न है. उििे जुड्ेप््िंग उिे अपने बचपन मे्िे जाते है्. वे िोग िबिे पहिे प््काश के घर पहुंचते है्. िेसकन प््काश उन्हे् नही् पहचान पाता. याद सिि्फ अपने िमय, बब्लक मनुष्य के चसरत्् के सवसवध स््रो् को जाननेसदिाने पर भी वह उन िोगो् को पहचान नही् पाता. इि पर िेखक की िमझने की एक दृस्ि देता है. कम मूल्य मे् एक िाथ इतनी कहासनयां n सटप्पणी है, ‘मै्सिि्फइतना िमझ पाया सक वह नयी दुसनया मे्बहुत आगे प््स्ुत करने के सिए प््काशक भी िाधुवाद के पात््है्.
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शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 41
मास् साहहत् ट हेयड
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व््ोच्् न्यायािय की अदाित नंबर एक के पीछे की बे्च पर बैठा हैिी िोच रहा था सक मुक्ता भी उिके िाथ होती तो सकतना अच्छा होता. भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक््ता मे् चिती अदाित नंबर एक मे् महीनो् िे वह रोज़् िुबह आकर जम जाता है. कमरे मे् भीड् का आभाि हो रहा था हािांसक इिमे्िोग ज््यादा नही्थे. ज््यादातर तो वकीि ही थे. कुछ तो केि िे जुड्े थे और कुछ और भी इि मशहूर मुकदमे मे् वसरष्् वकीिो् की दिीिे् िुनने और उनिे िीखने आये थे. काब्ायइड की तरि िे कािे गाउनो् की पूरी कतार खड्ी थी सजिकी अगुवाई कर रहे थे वयोवृद्िोहराब दार्वािा. सदल्िी मे्वकीिो् की दुसनया मे्प््सिद््थे, बाहर के िोगो्मे्कम ही ने इनका नाम िुना था. पत््कारो् िे बचने, अपनी ज़्बान बंद रखने और अत्यसधक ऊंची िीि िेने के सिए जाने जाते थे दार्वािा. गैि-पीसड्तो्के वकीिो्का दि छोटा था, मगर इिकी भी अगुवाई वकीिी गगन के एक सितारे चांद काविजी, कर रहे थे. वे अदाित मे्प्व् श े करते तो िब-के-िब मुडक ् र एक बार उन्हे् ज़्र्र देखते थे. न्यायाधीश भी सिर सहिाकर उनका असभवादन कर देते थे. अपना गाउन िंभािते हुए जब वे खड्े हुए और न्यायाधीशो् की सदशा मे् सिर को हल्के िे झुकाकर उन्हे् िम्मान सदया तो कमरे मे् खामोशी छा गयी. िोग आदर भाव िे उनकी दिीि िुनने िगे. हैिी भी उनके तेज़् सदमाग की दाद देता था, मगर कभी भी उनके कमरे मे् जाकर उनिे हर दिीि की बारीकी या उिके महत््व को िमझाने के सिए कहा नही् जा िकता था. यह काम तो मुक्ता ही करती थी. कानून की भाषा का िरि भाषा मे् अनुवाद करके उन्हे्बताती थी सक केि अब कहां पहुंचा है. िेसकन सनचिी अदाितो्मे्उिके कई केि थे, वह बहुत व्यस्् थी. हैिी अब रोज़्-रोज़् वकीिो्के तीन दिो्—काब्ायइड, िरकार और पीसड्तो्—की अंतहीन दिीिो्को िुनते-िुनते थक चुका था. उिे िगता था, बात घूमसिरकर सिि्फएक ही सबंदु पर सटक जाती थी सक भोपाि की सनचिी अदाित को अंतसरम मुआवज़्े का आदेश देने का असधकार था या नही्. काविजी ने जल्दी िैििा करने पर बहुत ज़्ोर सदया, तो अब रोज़् िुनवाई हो रही थी. मगर िैििे का अभी तक कुछ पता नही्था. हैिी ने अदाित मे्चि रही काय्यवाही पर ध्यान देना ही बंद कर सदया. वह अजीत के बारे मे्िोचने िगा सक वह आजकि इतना गुमिुम क्यो् है. कुछ सदन तो ऑसिि ही नही् आया. कोट्यमे्भी नही्आया. आज आया है तो अपने मे्खोया और सचड्सचड्ा-िा है. जाने क्या बात है! हैिी को भूख िगने िगी थी. आजकि 42 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
महाभियोग उपऩयास अंश
अंजली देशपांडे
भोपाल गैस त््ासदी पर मकबूल भफदा हुसेन की कलाकृभत
उिका पेट उिे बता देता है सक एक बजने वािा है. महीनो्िे न्यायाधीशो्के िाथ ठीक एक बजे खाने की छुट्ी पाकर उिका पाविोसवयन सरफ्िेक्ि भी हरकत मे् आ गया है. अब ठीक एक बजे पेट मे्गड््ा-िा खुि जाता है. पाँचो्जज िाि मखमिी गद््ो्वािी ऊंची कुसि ् यय ो्पर बैठ,े भृकसु टयां ताने तक्-फ सवतक्फिुन रहे थे. कुि्ी की पीठ पर मखमि मे्अशोक के शेरो् की िुनहरी कढ्ाई हैिी को बहुत िुभाती थी. जैिे ही घड्ी ने एक बजने का घंटा बजाया, हैिी िंभिकर बे्च पर िीधा हो गया. चुस् िाि वस्दयय ो्मे्अद्सय ियो्ने न्यायाधीशो्के पीछे अदाित के दरवाज़्े पर टंगे भारी-भरकम पद््े हटाये और मुस्ैदी िे आकर कुस्िययो् के पीछे खड्ेहो गए. न्यायाधीशो्के उठते ही हर कुि्ी को एक अद्यिी ने पीछे खी्च सिया सक वे आराम िे सनकिकर दरवाज़्ेिे बाहर जा िके्. एक बजे के घंटे के िाथ ही रोज़्यह जो छोटािा तमाशा देखने को समिता था, हैिी को उि पर अब भी हंिी आया करती थी. िाइब््ेरी िे िटी कोट्य की कै्टीन हैिी को बहुत पिंद थी जहां खाना खाते हुए वह शीशे की अिमासरयो्मे्रखी सकताबो्के शीष्यक पढ्पढ्कर हैरान होता था सक एक-एक धारा पर दो-दो िौ सकताबे् सिखी गयी है्. आदत के अनुिार हैिी ने आज भी कहा, 'यह जल्दी
खत्म हो जाये तो अच्छा हो.’ 'जल्दी क्या है?’ एक युवा वकीि ने हंिकर पूछा. 'यह तो केि का छोटा-िा सहस्िा है. जब पूरे केि पर िैििा िुनाया जायेगा न, तब अपने नाती-पोतो्को िाथ िेकर आना.’ 'हमे् तो बि इतनी िांत्वना है सक इि सविंब के सिए काब्ायइड ऊंची कीमत चुका रहा है,’ काविजी ने कहा. 'मेरा पुराना दोस्् िोहराब केि खत्म होने तक और भी ज््यादा अमीर हो जायेगा.’ हैिी सशि््ाचारवश हंि सदया. अजीत ने 'हँह’ जैिा कुछ कहा. हैिी ने अजीत िे पूछ ही सिया सक उिका मूड इतना सबगड्ा हुआ क्यो् है. 'स्पांसडिाइसटि सबगड्ा है.’ अजीत ने कहा. खाना खा चुकने के बाद अजीत ने हैिी िे कहा सक वह जाना चाहता है, मगर हैिी ने बहुत इिरार करके उिे आधा घंटा और र्कने के सिए मना सिया. कोट्य मे् गैि-पीसड्त कोई नही् आता था, वही उनके प््सतसनसध थे और काविजी को ऐिा तो िगने नही् देना चासहए सक हैिी के अिावा कोई श््ोता ही नही्. हैिी का स्वाथ्यभी था, अजीत र्कता तो उिकी कार मे्वह दफ्तर तक आराम िे चिा जाता, वरना बि मे् धक््ामुक्ी करनी पड्ती. वे
था.
न्यायाधीशो् के प््वेश िे कुछ ही समनट पहिे अदाित मे्पहुंचे और सिर एक बार अद्यसियो् को चुस्ी िे पद्ाय हटाने, मेज़्के पाि िे कुसि ् यय ां पीछे खी्चने और न्यायाधीशो् के बैठने पर उनके आराम िायक कुस्िययां आगे-पीछे करने का छोटा-िा खेि हैिी ने देखा और मुस्कुरा सदया. न्यायाधीशो्के प््वेश पर िब खड्ेहो गये थे, उनके बैठने के बाद िब बैठ गये. वकीिो् ने सिर िे न्यायाधीशो् को शीश नवाया और अपनी िाइिे्खोिकर कागज़्सनकािने िगे. हैिी िोच ही रहा था सक अब सकि पक््का वकीि दिीि आगे बढ्ायेगा सक एक न्यायाधीश ने कहा, 'हमे्एक घोषणा करनी है.’ इिके बाद उन्हो्ने एक कागज़्उठाया और पढऩे िगे. िब-के-िब स््ल्ध होकर िुन रहे थे. न्यायाधीश बता रहे थे सक गैि-पीसड्तो्को अंसतम मुआवज़्ा दे सदया जायेगा. काब्ायइड के सखिाि सजतने भी आपरासधक मुकदमे है्, िब खासरज कर सदये गए है्. 'द केि इज़् िुल्िी एंड िाइनिी सडिाइडेड.’ अपने हाथ मे्पकड्ा कागज़्मेज़् पर रखते हुए न्यायाधीश ने कहा. दि समनट मे् पूरा केि सनपट गया. दार्वािा ने अदब िे झुककर कहा, 'थै्क यू समिॉड्,य ’ वे बहुत ही मय्ासय दत पुरष् थे. उनके चेहरे पर सवजय की मुसक ् ान का सचह्न तक नही्
हैिी को अपने कानो् पर यकीन नही् हो रहा था. काविजी ने मुड्कर उन्हे्देखा, उनकी आंखे् िटी-िटी-िी िग रही थी्. सिर न्यायाधीशो् की सदशा मे् सिर को हल्के िे झुकाकर उन्हो्ने कहा, 'योर िॉड्यसशप्ि,’ और िौरन ही बगि के एक दरवाज़्ेिे कोट्यके िाथ िगे वकीिो्के एंटी चे्बर मे्चिे गये. अजीत और हैिी कोट्यर्म िे सनकिे और बाहर बरामदे मे् एंटी चे्बर िे सनकिते काविजी िे समिे. 'क्या िंच-ब््ेक के दौरान वे ऐिा ऑड्यर सिखकर तैयार कर िकते थे?’ हैिी ने पूछा. काविजी गुस्िे मे्थे सक उन्हे्मामूिी-िा भी अंदेशा नही् था सक ऐिा कुछ होने जा रहा है. बार एिोसिएशन की गप आम तौर िे आगत का सवश््िनीय िंकेत दे सदया करती है, मगर वहां िे भी उन्हे् इशारा तक नही् समिा था सक इि तरह का कुछ करने की तैयारी चि रही है. काब्ाइय ड के वकीि मुवस््कि िे विादारी और उिके राज़्दार होने की अपनी िाख के पूरी तरह कासबि िासबत हुए. उन्हो्ने अपनी विादारी खूब सनभायी. काविजी को यह बात खिने िगी सक इि केि मे् वे भी एक महत््वपूण्यभागीदार थे, उनका महत््व काब्ायइड सजतना ही था क्यो्सक वही पीसड्तो् के वकीि थे, उनके ही मुवस््किो् का केि था यह, उनका पक्् ही अकेिा पक्् था जो िचमुच मे् काब्ायइड िे िड् रहा था. वे हज़्ारो् पीसड्तो् के वकीि थे, मगर अदाित ने उनकी राय तक नही्मांगी, पीसड्तो्के प््सतसनसध िे मशसवरा भी नही्सकया. हैिी का िवाि ठीक था. खाने की छुट्ी के दौरान ऐिा आदेश तैयार नही् सकया जा िकता था. हो िकता है, यह िुबह सिखा गया हो! यह भी िंभव है सक यह कही् और ही
चस्चयत कहानीकार और पत््कार. िामासजक िरोकारो्और िै्सगक सवमश्यपर सनयसमत सरपोस्टं्ग. भोपाि गैि त््ािदी पर अंग्ेजी मे्भी एक उपन्याि प््कासशत.
सिखा गया हो और न्यायमूस्तययो् ने सिि्फ इि पर दस््खत कर सदये हो् िंच टाइम मे्! वे अपमासनत महिूि करने िगे. 'ऐिी धोखाधड्ी!’ वे बुदबुदाए. तभी दार्वािा एंटी चे्बर िे सनकिकर उनके पाि िे गुज़्रते िीसढय़ां उतरने िगे और उनके पीछे वकीिो् का एक झुंड अदाित के पसरिर के िॉन की तरि चिा. अपने प््सतद््ंद्ी के सिए काविजी के मन मे्जो इज््ज़्त थी, वह घट गयी. वे उनकी जगह होते तो कहते, पीसड्तो् िे बात करो, इि तरह उनकी पीठ-पीछे िमझौता मत करो. उन्हे्दार्वािा का आचरण न्याय और सनरपेकत् ा के अपने ऊंचे सि़द्ातं ो्की किौटी पर अमान्य िगा. सकिी अमेसरकी अदाित मे् क्या यह आदमी ऐिा काम कर िकता था? भारत मे् भी अगर पीसड्त ऊंची
गैस-पीवि्तो् के वकीलो् का दल छोटा था मगर इसकी भी अगुवाई चांद कावसजी, कर रहे थे. वे अदालत मे् प््वेश करते तो सब मुि्कर एक बार उन्हे् देिते थे. अट््ासिकाओ् के वािी होते, उनके नाम के आगे-पीछे कई उपनाम होते, उनके ऊंचे पद होते तो क्या ऐिा िमझौता करा पाता यह शख्ि? 'ऐिा क्यो्सकया इन िोगो्ने?’ अजीत ने पूछा. वह अभी तक हत्प्भ था. 'मुझिे क्या पूछते हो! वह आदमी जानता है, क्यो्हुआ,’ काविजी ने काब्ाइय ड के वकीि की पीठ की ओर इशारा करते हुए कहा और मुड्कर चि सदये. उनकी टीम के कसनष्् वकीिो् ने अजीत और हैिी को बताया सक िमझौते मे्क्या कहा गया था. अजीत ने हैिी िे कहा, 'हमे् कुछ तो करना होगा. प््ेि को िोन करो, अपने िमथ्यको्को िोन करो. बयान भी तैयार करना पड्ेगा.’ इि िमझौते के सखिाि पहिा सवरोधप््दश्यन उिी सदन दोपहर चार बजे के आिपाि िुप्ीम कोट्य के बाहर सकया गया जब िरकारी रेसडयो इि िमझौते की खबर प््िासरत कर रहा था. प््दश्यन छोटा ही था, मुट्ी भर िोग थे, मगर यह आनेवािे तूिान का िंकेत दे रहा था. इि प््दश्यन के बाद ही हैिी को भोपाि मे् अिी को िोन करने का मौका समिा. अिी ने भी खबर िुनकर एक वक्तव्य तैयार कर सिया था और प््ेि को जारी करने ही जा रहा था जब िोन बजा. अरशद अिी भोपाि गैि-पीसड्त मसहिा मोच्ाय का अध्यक्् था जो पीसड्तो् मे् िव्ायसधक सवरोधी तेवर रखता था और ितत शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 43
साहहत्य िंघष्यसकये चिे जा रहा था. िोन पर हैिी की आवाज़् िुनते ही अिी चहका, 'हैिी भाई, मुबारक हो! सकतना बसढ्य़ा िैििा आया है! आसखर हमे् मुआवज़्ा समिेगा. इि देश के जज महान है्. नही्तो जाने सकतने िाि मुकदमा चिता ही रहता.’ हैिी स््ंसभत रह गया. उिने अिी िे कहा सक अगर इिी आशय की प््ेि-सवज््ब्पत उिने तैयार की है तो उिे िाड्कर िे्क दे. एक गहरी िांि भरकर हैिी ने खुद को िंभािा और उििे पूछा सक सजिे वह 'िैििा’ कह रहा है, वह जानता भी है, उिमे्क्या सिखा है? 'यह काब्ायइड और भारत िरकार के बीच िमझौता है. यह िैििा नही्है. इिका मतिब यह है सक जो िोग इि कांड के सज़्म्मेदार थे, उनको कोई िज़्ा नही् समिेगी. अगर कि तुम्हारे बच््े सवकिांग पैदा हुए तो वे काब्ायइड पर मुकदमा नही् ठो्क िकते. इिका मतिब है सक तुम्हे् चना-चबेना देकर तुम्हारे िारे हक खरीद सिये गये है्, खत्म कर सदये गये है्. क्या तुम यही चाहते थे? क्या एक भारतीय की सज््ंादगी इतनी िस्ी् है?’ 'िेसकन अब अपन कर भी क्या िकते है्?’ अिी ने बात जज््ब करने के बाद पूछा. 'बहुत कुछ,’ हैिी ने कहा. 'बहुत कुछ.’ वह खुद नही्जानता था, क्या सकया जा िकता है. 'ज़्रा िोचना पड्ेगा. इि आदेश को ठीक िे पढऩा पढ्ेगा. क्या करे्, यह तय करने के सिए मीसटंग करे्गे,’ उिने कहा तासक उिे भी कुछ िमझने-िोचने का वक्त समिे. हैिी ने जो िवाि पूछे थे, अिी को िूझे नही्थे. उिने प्ि ्े नोट िाड्कर िेक ् सदया और अपने िंगठन को बताने िगा सक अदाित ने उनके िाथ धोखा सकया है और िंघष्य जारी रखने के उपायो् पर जल्दी ही बैठक बुिाई जायेगी. उििे जो गिती हो गयी थी, उिकी वह सकिी को कानो्कान खबर नही् होने देगा, खाि तौर िे उि मैड को, जो खुद को बड्ा सवद््ान िमझता है. इिसिए जब मैड उििे कुछ ही देर बाद समिने आया और एक िंयुक्त बयान जारी करने की बात करने िगा तो अिी ने उिे एक िंस्कप्त िा बयान सदखा सदया. 'हमने िमझौते की सनंदा की है. कहा है सक आगे की िड्ाई के रास््ेखोजने के सिए आपि मे्सडस्कि करे्गे.’ उिने मैड िे कहा. वह नही् जानता था सक मैड उिकी पहिी प््सतस््कया के बारे मे्जान चुका है. हैिी ने अिी िे बातचीत के बाद उिे, महादेव महापात्् उि्फ मैड को िोन सकया था और उिे अिी की प््सतस््कया बता दी थी. 'उि मौकापरस््िे तुम्हे्और क्या उम्मीद थी?’ मैड ने ज़्ोर िे हंिने के बाद कहा. सिर 44 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
उसे लगा, अब अजीत के इस घर मे् आने का कोई कारण नही् बचेगा. पूरा एक हफ्ता वह बीमार रही थी. रह-रहकर उसे उबकाई आती रहती थी. आश््ािन सदया था सक वह जाकर अिी को िमझायेगा. उि सदन कोट्य मे् क्या हुआ, इिका ल्यौरा जानने के सिए शाम को मुक्ता अजीत के घर पहुंची. 'तो आदेश मे्'िुल्िी एंड िाइनिी’ शल्द इस््ेमाि सकये गये? बहुत ज़्र्री है, यह जानना बहुत ही ज़्र्री है.’ मुक्ता ने कहा. अजीत और हैिी उिे िवासिया सनगाहो्िे देखने िगे. 'इिसिए सक जब अमेसरका की अदाित ने यूसनयन काब्ायइड कॉप््ोरेशन को हमारी अदाितो् का आदेश-पािन का आदेश सदया था तब उिने िाि कहा था सक उिे तब तक भारतीय अदाितो् के अधीन रहना होगा जब तक सक िैििा 'िुल्िी एंड िाइनिी’ हो नही् जाता. यह उि अमेसरकी अदाित के शल्द है्.’ िबने एक दूिरे को खामोशी िे देखा. अब जाकर इि आदेश का महत््व, इिका पूरा मतिब उनके िामने िाि होने िगा. हैिी ने िोचा, कैिे महीनो्वह िुप्ीम कोट्य मे् हासज़्र होता रहा था. जब वह अदाित मे् बैठा होता था, उन पद््ो् के पीछे कही् पर गुप्त वात्ायएं चि रही होती थी्, िौदेबाजी हो रही होती थी. काब्ायइड के वकीि और भारत िरकार के महासधवक्ता िब बदस््ूर अदाित मे् तक्फ करते रहे जबसक उन्हे् खबर रही होगी
सक पीछे क्या चि रहा है....वे ऐिे मुकदमा िड्ते रहे मानो इन िुनवाइयो्का िचमुच कोई मतिब हो. हैिी ने मन-ही-मन िोचा. उिकी हस््डयां कांप उठी्. सवनीता कभी-कभी ही अखबार पढ्ती थी, मगर रेसडयो की उिे ित थी. वह घर का काम कर रही होती तो रेसडयो पर रिी और आशा उिे गीत िुनाते रहते थे. खबरे्वह कभी-कभार िुन िेती, अक्िर ध्यान नही् देती. उि सदन भोपाि का नाम िुनकर वह रेसडयो के पाि दौड् गयी और आवाज़् ऊंची कर दी और इि तरह उिे िमझौते की खबर समिी. उिने िौरन मुकत् ा के चेब् र का नंबर िगाया मगर वह सकिी मुवस््कि के िाथ बाहर गयी थी. सवनीता की उम्मीद जागी. उिे िगा, अब अजीत के इि घर मे्आने का कोई कारण नही् बचेगा. पूरा एक हफ्ता वह बीमार रही थी. रहरहकर उिे उबकाई आती रहती थी. इतने िंबे िमय तक तकिीि झेिने के कारण उिे अजीत के िाथ की वह घटना अब िुदूर अतीत मे् घटी मािूम होती थी. मुक्ता उिे अगिे ही सदन डॉक्टर के पाि िे गयी थी सजिने वाइरि फ्िू बताकर सवटासमन िी और एंसटबायोसटक्ि खाने को कह सदया था. मुक्ता ने बहुत ज़्ोर सदया था सक वह सबस््र िे न उठे, घर के िारे काम वह खुद ही कर िेती थी. उिके एक केि मे् अंसतम िुनवाई होनी थी, काम का बोझ बहुत था मगर वह घर मे् ही िाइिे् उठा िाई थी. अजीत सिर नही् आया था और अब उिे आने की ज़्र्रत भी नही्पड्ेगी. िुप्ीम कोट्यने इतना तो तय कर ही सदया था. सवनीता बहुत हल्का महिूि करने िगी. आज तो दावत होनी चासहए, उिने िोचा. झटपट दाि-चावि पकाकर रख सदये सक मुक्ता बहुत देर िे िौटी तो कुछ तो खाने को हो. सिर उिने बाि धोये, जूड्ा बांध सिया, नाखून रंगे, रेशमी िाड्ी पहनकर जामदानी शॉि सनकाि िी. मुक्ता के घर मे् घुिते ही उिने कहा, 'तुमने खबर िुनी? भोपाि केि की? चिो, कही्बाहर खाना खाने चिते है्.’ मुक्ता ने उिे अजीब सनगाहो् िे देखा. 'इिीसिए इतना श्ंगार करके बैठी हो? और तुमिे उम्मीद भी क्या की जा िकती थी?’ मुक्ता ने सवतृष्णा िे कहा. 'यह बताओ, तुम्हे् कुछ िमझ मे्भी आया है सक कोट्यने क्या सकया है?’ िच््ी, कोट्य ने क्या सकया था? सवनीता ने तो िोचा था सक कोट्य ने जो सकया, बहुत ही n अच्छा सकया. (राजकमि प््काशन िे शीष्यप््काश्य उपन्याि का एक अंश.)
साहहत्य/कहवता
रेखा चमोली की कनवताएं मुझे उम्मीि है मुझे उम्मीद है एक सदन तुम जर्र ऊब जाओगे मुझे उम्मीद है एक सदन तुम जर्र थक जाओगे इि खून-खराबे िे इन डंडो्, झंडो्और गूंजते नारांे िे इन ितवो्, धमसकयो्, िुपासरयो्िे बेशम्यझूठो्और अिवाहो्िे
उि िमय तुम खूब छटपटाओगे किमिाओगे िौट जाना चाहोगे सपछिे िमय मे् िे्क दोगे अपने छुरे और तिवारे् बंद कर दोगे उन आवाज़्ांे के रास््े जो तुम्हे्भीड्बनने को उकिाते है् अपनी आत्मा मे्िगे घावो्को भरना चाहोगे तुम जर्र िौटोगे कुदाि और हि की तरि नमक और प््ेम अभी इतना भी दुि्यभ नही् हुआ.
जब तुम्हे्अपने हाथो्मे्िगे खून के धल्बे अपनी थािी मे्रखी रोटी पर सदखे्गे उठाते ही एक कौर उि पर िगा खून देखकर उल्टी हो जायेगी तुम्हे् िाथ बैठे तुम्हारे घरवािे घबराकर तुम्हारी ओर देखे्गे एक पछतावे का भाव उनके चेहरे को िुखा देगा
हत्या
अपने खून िने कपड्ेधोने िे सनकिे गाढ्ेभूरे पानी मे् अपने बच््ो्को उंगसियां डुबाता देख तुम चीख पड्ोगे जल्दी िे उनका हाथ िाि करोगे तब कोई भी है्डवाश उनके हाथो्के धल्बे नही्छुड्ा पायेगा
सकिी नन्हे िूि की तरि खुश होकर हाथ बढ्ाती हूं तो उिे मििा हुआ देख िहम जाती हूं
रात मे्िोते हुए नी्द मे्बड्बड्ाओगे मुझे जाने दो प्िीज मै्ने तुम्हारा क्या सबगाड्ा है प्िीज, मुझे जाने दो तुम पिीना-पिीना होकर उठ बैठोगे तुम्हारी पत्नी जल्दी िे िाइट जिायेगी िपना देखा होगा कह हाथ थामेगी तुम्हे्दुुबारा िुिाने की अििि कोसशश करेगी उि िमय तुम्हारी आंखो्को चुभे्गे वे खूनी दृश्य जब तुम भीड्थे उन्मादी जहर उगिते शल्द तनी हुई बंदूक खूब नुकीिा छुरा तिवार या ई्ट
इन सदनो्मुझे चारो्ओर सिि्फखून सदखता है घाि के नन्हे पौधो्को देखने को झुकती हूं तो उन पर मजबूत बूटो्िे कुचिे जाने के सनशान देखकर डर िे सिहर जाती हूूं
अगर हत्या सिि्फशरीर की हो रही होती तो मरना सकतना आिान होता मेरे दुश्मनो मुझे मारने िे पहिे तुम मारना चाहते हो मेरे स्वप्नो्को मेरी इच्छाओ्को मेरी खुसशयो्को मेरी उमंगांे को मेरे सवचारो्को तुम सिि्फमुझे नही्मारना चाहते अपने िमय के िच को भी मारना चाहते हो और मै्इिे दज्यकरना चाहती हूं.
चस्चयत युवा कसव. एक कसवता िंग्ह ‘पेड्बनती स््ी’ प््कासशत. बच््ो्के सिए सिखने मे् गहरी र्सच और बच््ो् की एक दीवाि पस््तका का िंपादन. दूिरा िंग्ह शीघ््प््काश्य.
यहां आवाजे्नही्है्शोर है मारो-मारो का आिाप है कुब्तित इशारे है्सवध्वंिक हाथ है् ओजस्वी वक्तव्यो्िे गूंजती सदशाएं है् चापिूिी बातचीत है् कुसटि मुस्कानो्मे्सछपे नरभक््ी दांत है् इनिे बचकर सनकि जाने िे कुछ नही्होगा जब तक जिता रहेगा मांि गंधाती रहेगी हवा पानी बनता रहेगा जहर अब और अनदेखा न करो अब और चुप न रहो अब और गित न िहो कही्अगिा सनशाना तुम न बनो.
अकड्-जकड् िाथी ऐिी भी क्या अकड् जरा िी िचक िे टूट जाओ घायि ही कर दो उिे जो सकिी िे टकराओ ऐिी भी क्या जकड् ल्ंादी बना िो खुद को अपनी आत्मा को सगरवी रख कठपुतिी बन जाओ
दनशाना
तुम्हारी िुसवधा पर कोई प््श्न उठाये भौ्-भौ्कर काटने दौडो दूिरे का सहस्िा मारने को िी्ग ताने रखो
इि हवा मे्मनुष्य के जिने की गंध है चीखे्है्बेगुनाहो्की इि समट््ी पर पड्ा खून चप्पिो्-जूतो्पर िग िैि रहा है चारो्ओर
िोेकतंत्का गाना गाओ तानाशाही बजाओ कोई तुम्हे्कुछ कह न िके तुम्हारा खेि सबगाड्न िके इिी जुगाड्मे्जीवन सबताओ. n शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 45
मास् यायावरी ट हेड
इस बंजर मे् पानी है
रकसी जंगल से रनकलने वाली कोई सुंदि नदी जब रकसी गांव से होकि गुजिरी है. रो उसके सार कोई न कोई कहानी जुड़् जारी है. बंजि एक रचि््मय नदी है औि रचि््ांकन के रलए खुला आह््ान किरी हुई रमलरी है. सतीश जायसिाल
मं
चट््ानो् के बीच बंजर: जंगल मे् मंगल 46 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
सदरो् के िाथ एक मान्यता जुडी हुई है सक देव-दश्नय के बाद वहां प््ागं ण मे् थोडी देर बैठकर ही िौटना चासहए. ऐिा नही्करने िे दश्नय अधूरा रह जायेगा. वहां सिर िे िौटकर आना होगा. जंगिो् के िाथ भी ऐिा कुछ हो तो वहां बार-बार िौटने का बहाना हो जाये. सिवाय बंजर नदी के कान्हा मे्ऐिी कोई जगह भी नही्है. बंजर एक जंगिी नदी है. क्या, कोई नदी जंगिी या शहरी हो िकती है? यह मेरी उिझन है. िेसकन बंजर नदी तो मुझे जंगि मे्ही समिी. एक नदी, जो बीच जंगि मे्समिी उिे जंगिी ना कहूं तो क्या कहू?ं ये हैरानी जर्र है सक इििे पहिे सकिी ने कैिे नही्बताया था सक कान्हा के जंगिो मे्एक नदी भी है. और वह एक िुदं र नदी है. यह िरि िा िवाि सिर भी अपनी जगह बना रहेगा सक आसखर जंगि मे्शेर रहता है या शेर मे् जंगि रहता है? िेसकन इतना तो िमझ मे्आता है सक सजनके पाि जंगि का पता ही नही्होता, उनके पाि जंगि मे्एक िुदं र िी नदी का पता कैिे हो िकता है. कान्हा का एक रास््ा बइहर िे होकर सनकिता है. यह कान्हा के जंगिो् का एक पता भी है. जो बािाघाट और मंडिा सजिो्के िाझे मे् िैिे हुए है.् यह उि गांव का पता है, जो मंडिा और सडंडोरी के िाझे मे्बहने वािी एक िुदं र नदी के सकनारे बिा है. यह बंजर नदी, बइहर के िोगो् की अपनी नदी है. और गांव, नदी का है. इि नदी के िाथ गांव के रोजाना के सरश्ते है.् नदी अपने इि गांव को पोिती है. बंजर नदी कान्हा के बीच बहती है और जंगि के जानवरो्की प्याि बुझाती है. कई बार प्यािे शेर भी इिके पाि आते है्और प्याि बुझाते है.् अब इिे क्या कहा जाये- गांव की गंवार्नदी या जंगि की जंगिी नदी? बंजर दोनो् की नदी है. सपछिी बार हम अगहन के महीने मे् यहां आये थे. तब हमने नदी को पुि पर िे देखा था. और पुि पर िे गांव को भी देखा था. गांव तक पहुंचने का एक रास््ा पुि पर िे सनकिता है.
नीचे नदी और ऊपर रास््ा. पहिे यह पुि कच््ा था. अब पक््ा हो गया है. हम दोपहर तक वहां रहे और सकनारे की घाि मे्सखिे हुए जंगिी िूिो् पर रंगीन सततसियो् का मंडराना देखते रहे. सततसियां अनसगनत थी्. शायद वह उनका 'परागण-काि' था. उनके इि िमय मे्िब कुछ वैिा ही हो रहा था. जैिा सकन्ही्भी अन्य वन्यप््ासणयो्के रसत-आह््ान िे सदशाओ्के उन्मत््हो उठने पर होता है. वह पंचम मे् होता है. िेसकन उि धूप मे्सततसियो्की प्ण ् य-िीिा िृस्ि राग रच रही थी. नदी के पुि पर, अगहन माह के दूिरे पहर की धूप कुछ ऐिे पड्रही थी सक तट पर िे देखने प़र उिके हर पाए पर स््तकोणो् की ज्यासमसतक सचत्क ् ारी नजर आ रही थी. धूप और छाया के उि मेि मे्पुि खुद ज्यासमसतक हुआ जा रहा था. नदी मे्बि इतना पानी बचा था सक वहां आने वािे वन्य-प््ाणी अपनी प्याि बुझा िके्. पुि पर पर ऐिा िुनिान था. जैिे बहुत सदन िे उि पर िे कोई आना-जाना नही् हुआ हो. नदी
सकनारे इनकी घनी बिाहट है. इन िोगो्के केश िुदं र होते है.् और ये िोग अपने केशो् को खूब अच्छे िे िजाकर रखते है.् बी प्भ् ा के सचत््ो् मे् आने वािे आसदवासियो् के िंबे चेहरे अमृता शेरसगि के सचत््ो्मे्उपब्सथत चेहरो्की तरह िंबे सदखते है.् सिर भी अिग होते है.् अगहन महीने की उि खूबिूरत िुबह मे् सखिी-सखिी धूप थी. और धूप, नदी की तरि खुि रही थी. िेसकन नदी जंगिी पेडो्की घनेरी छायाओ्मे्सछपी हुई समिी. िस्दयय ो्की िुबह, नदी को छावो् िे बाहर, खुिी धूप मे् बुिा रही थी. िेसकन, नदी पर पड्ने वािी धूप को पेडो्ने रोक रखा था. पेडो्की छाया नदी के जि पर उतरा रही थी्. तब धूप, पेडो् की छायाओ् िे बाहर सनकि कर िामने की तरि दूर पर, गीिी रेत पर आ गयी. धूप अभी कच््ी थी और उिका रंग हरा था. कच््ी-हरी धूप के पीछे-पीछे, आिमान भी नीचे चिा आया और बेसझझक नदी के जि मे् उतर गया. आिमान गीिा हो गया. नदी नीिी हो गयी.
बंजर की पतली धारा: दुख की रेखा
पार करने के सिये अभी पुि की जर्रत नही् पड्ती होगी. सकिी जंगि िे सनकिने वािी कोई िुंदर नदी जब सकिी गांव िे होकर गुजरती है. तो उिके िाथ कोई ना कोई कहानी जुड् जाती है. बहुधा वह कोई प्म्े कहानी होती है. वह अपने िाथ एक गहरी उदािी भी सिये हुए होती है. क्या, इि बंजर नदी के िाथ भी कोई वैिी उदाि प्म्े - कथा है? िेसकन बंजर एक सचत्म् य नदी है और सचत््ाक ं न के सिये खुिा आह््ान करती हुई समिती है. पता नही्, प्ख् य् ात सचत्क ् ार बी प्भ् ा ने कभी इि नदी को देखा या नही्? कान्हा का यह जंगि बािाघाट- मंडिा और सडंडोरी के िाझे मे्िैिा हुआ है. बी प्भ् ा ने मंडिा और सडंडोरी के जंगिो् मे् रहने वािी बैगा जन-जासत को खूब अच्छे िे देखा और उनिे अपने सचत््ो्का आसदवािी िंिार रचा. यह एक िुदं र जन-जासत है. बंजर नदी के
िुदं र नदी उि िुनिान मे्अभी तक अकेिी धूप ताप रही थी. अब अकेिी नही्रही. सिर भी कही्, कोई िुनिानपन था. अकेिे ही चि रहा था. रास््ेमे्तनवीर समि गये. उन्हो्ने रब्शम को वहां बुिा सिया. रब्शम उनकी पत्नी है.् दोनो्ने अंतज्ातय ीय सववाह सकया है. दोनो्भारतीय रेि के बड्ेअसधकारी है.् रब्शम के आने िे नदी को िाथ समि गया और दोनो्के आपि मे्िंवाद होने िगा. ऐिा िहज िंवाद जैिे दोनो् की एक दूिरी िे, मािूम नही्, कब की जान-पहचान है? नदी की गीिी रेत पर एक पुराना पेड, पता नही्, कब िे पडा धूप मे्िूख रहा था. रब्शम उि पर बैठ गयी् और हवा मे् कान देकर, धूप की बात िुनने िगी्. धूप, नदी की ही कोई बात कर रही होगी. क्यो्सक वह नदी का जि छूकर आ रही थी. अब वहां एक आईना चमक रहा था और रब्शम के चेहरे पर पड्रहा था. आईने
की चमक मे्नदी िहरा रही थी. इि बार पतझड का भरपूर मौिम है. नदी के पाि तक पहुंचने का रास््ा पतझड की धुन बांधकर बज रहा है. िूखे पत््ो्पर पैर पडने िे वह धुन बजती है. एक सज़द बांधकर िाथ चिती है. पत््ो्का िूखना एक सचत््की रचना करता है. सिर जीवन की आध्याब्तमक व्याख्या करने िगता है. पत््े डाि छोडते है्, तब उनका रंग धूिर-भूरा होता है. पत््ो्का हरा रंग धीरे-धीरे िूखता है. और क्म् शः सनस्ज ्े होता जाता है. पीिा पडता है. सिर कत्थई िाि और तब धूिर-भूरा, जो भूसम का रंग होता है. डाि छोडने िे िेकर पृथ्वी पर पडने तक, िूखा पत््ा देर तक हवा मे्िहराता है. और अपना गंतव्य ढूढं ता है. पतझड के इन सदनो् मे् हमारे जंगि नव किेवर धारण करते है.् सपछिी बार अगहन का हरा-भरा जंगि था. इि बार रंगो् िे भरा-भरा िागुन का जंगि है. जंगि मे् यह रंगो् का परकाया-प््वेश-काि है. पृथ्वी पर पडे हुए
नदी के भकनारे रास््ा: सुंदर एकांत
सनष्प्ाण पत््ो्के धूिर-भूरे रंग िे कोपिो्मे्रंगो् की प््ाण प्स्तष््ा होती है. जो इच्छाओ् की तरह जाग उठते है.् यह अिौसकक होता है. नव-कोपिे् अभी शहद मे्डूबी हुई थी्. वही नदी के जि पर टपक रहा था. शहद का रंग हल्का पडकर कोमि पीताभ हो जायेगा. कपडो्के रंग नदी के जि मे्सझिसमिा रहे थे. जो अपनी तरि बुिा रहे थे. सकिी रंगीन बुिावे की अनदेखी कैिे की जा िकती थी? दूर िे जो रंग नदी के जि पर सझिसमि करते सदख रहे थे. पाि मे्पहुच ं ने पर वह रंग जि के ति मे् डूबे हुए समिे. अब उन पर पेडो्की छाया पडने िगी. पेडो् के रंग नदी के जि पर उतराने िगे. जि के ति मे्डूबे हुए रंगो्के िाथ घुि-समिकर भीगने िगे. भीगे रंगो्ने आवाज़ देकर पाि बुिाया. बुिाने वािी सकिी आवाज़ की अनिुनी कैिे की जा िकती थी? हम िब भी नदी मे्उतर गये. n शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 47
हिल् मास्मट/इंहेटडरव्यू
नयी िगर पर ऐश््य्ष
ऐश््य्ष िाय की रपछली रफप्म ‘जज्बा’ को दि्षको् ने बहुर पसंद नही् रकया, लेरकन ऐश््य्ष को अपनी आने वाली रफप्म ‘सिबजीर’ से काफी उम्मीद है. इस रफप्म मे् उनका रकिदाि भी नया औि चुनौरी-भिा है. हवर मृदल ु
उ
मंग कुमार के सनद््ेशन मे् बनी सिल्म िरबजीत िे ऐश्य् य्राय बच्न् बड्ी उम्मीदे् िगाये हुये है्. इि सिल्म मे् उनकी भूसमका िरबजीत की बड्ी बहन दिबीर कौर की है, जो अपने भाई को पासकस््ान की जेि िे छुडव् ाने के सिए तेइि िाि तक िंघष्यकरती है. जेि मे्भाई की हत्या हो जाने के बाद भी वह थमती नही्है. बब्लक उिके भाई जैिे सनरपराध िोगो्को न्याय सदिवाने के सिए िगातार कोसशश जारी रखती है. कहने की जर्रत नही् है सक यह एक बेहद 48 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
चुनौतीपूण्य सकरदार है. ऐश््य्य की बीती सिल्म जज्बा को दश्क य ो्ने स्वीकार नही्सकया. िेसकन इि सिल्म िे उन्हे् पूरी आशा है. उनिे हुई एक बातचीत: सरबजीत काफी संवदे नशील चफल्म है. आप इस चफल्म मे् अपनी भूचमका को चकस तरह देख रही है?् यह सिल्म एक िच््ी घटना पर आधासरत है. िरबजीत के बारे मे्िब जानते है्सक वे गिती िे िरहद क््ॉि कर गये थे और पासकस््ान पहुच ं गये थे. पासकस््ान मे्उन्हे्आतंकवादी करार दे सदया गया और उन पर जािूि होने का आरोप भी िगा सदया गया. बीते तेइि िाि िे उनकी बड्ी बहन दिबीर कौर उन्हे् छुड्वाने के सिए जी-तोड् कोसशश कर रही थी्. िेसकन अििोि सक ऐिा हो नही् पाया. जेि मे् ही िरबजीत की हत्या हो जाती है और दिबीर की िारी कोसशश सनरथ्क य िासबत होती है. तो इि सिल्म मे्दिबीर के अपने भाई को छुड्वाने के सिए सकये गये िंघष्य को सदखाया गया है. बेहतरीन स्स्कप्ट है और इनकेस्टबि टीम है. उमंग कुमार ने अपनी छसव के अनुरप् ही यह सिल्म भी बनायी है. इि सिल्म के सिए मैन् े कािी मेहनत की है.
एेश्य्ष राय: नयी भूभमकाओ् की राह पर आपकी छचव एक ग्लैमरस हीरोइन की है, लेचकन इस चफल्म मे् आपने बहन की भूचमका स्वीकार कर ली? यह सिल्म बहन के एंगि िे ही है. दिबीर कौर के कहे मुतासबक ही सिल्म मे् तमाम घटनाक्म् है.् िेसकन यह रोि र्टीन सकस्म का कतई नही्है. जहां तक बहन की भूसमका की बात है, तो मै्सिल्म जोश मे्शाहर्ख खान की बहन बन चुकी हू.ं िेसकन इि सिल्म की बहन एकदम अिग है. इिमे्मैन् े अपनी भूसमका सरयसिब्सटक तरीके िे सनभायी है. इसमे् अचभनय की चकतनी गुज ं ाइश थी और आपको चकतनी िुनौचतयां पेश आयी्? इि रोि के सिए कभी मुझे अपना वजन कम करना पड्ा, तो कभी बढ्ाना पड्ा. जैिा सक िब जानते है्सक यह कतई ग्िमै रि सकरदार नही्है. िेसकन इिमे्असभनय का पूरा स्कोप है. जब मुझे यह भूसमका ऑिर हुयी, तो मैन् े इिे िाइन करने मे्जरा भी देर नही्िगायी. इिकी शूसटंग भी सबना सकिी र्कावट के बड्ी तेजी िे हुई. यह मेरे असभनय कैसरयर की िबिे िास्टेस्ट सिल्म है. एक बार जो शूसटंग शुर् हुई, तो सिर चिती ही रही. इिकी िोकेशने्भी कािी हद तक सरयि है.्
उमंग कुमार के चनद्श ्े न पर क्या कहना है? उमंग कुमार अपनी पहिी ही सिल्म मैरी कॉम िे िासबत कर चुके है् सक वे सकतने अच्छे डायरेकट् र है.् वे नेशनि अवाड्यसवनर है.् वे बड्े ही सरिैकि ् तरीके िे काम करते है.् उन्हे् सकिी सकस्म की कोई हड्बड्ी नही् होती. अगर सकिी िीन मे् मै् कंफ्यूज हो जाती थी, तो वे हौ्ििा बढ्ाते हुए कहते थे सक कोई टेश ् न नही्. आराम िे काम कीसजये. क्या आपको डर नही् था चक सच््ी घटना पर आधाचरत चफल्म कई बार डॉक्यूमे्ट्ी मे् तब्दील हो जाती है? उमंग कुमार को जैिा दिबीर कौर ने बताया था. वैिा ही सिल्म मे्रखा गया है. एक-एक िीन वैिे ही है्, जैिी जानकारी दी गयी. उमंग और उनकी टीम ने िंबे िमय तक दिवीर के िाथ रहकर तमाम बाते्मािूम की थी्. इिकी ब्सक्प्ट् पर कािी मेहनत की गयी है. इिमे् सदि को छू जाने वािे डायिॉग है.् मानवता की बात है, तो देशभब्कत का जज्बा भी है. अपना चकरदार चनभाने से पहले दलबीर कौर से चकतनी बार मुलाकात की थी? उमंग जी ने कई बार मेरी मुिाकात दिबीर
जज्बा और सरबजीत मे् एेश्य्ष: ग्लैमर से हट कर जी िे करवायी थी. जब भी मै्उनिे समिी, कुछ न कुछ उनिे जर्र िीखा. उन्हे्बड्ी खुशी थी सक मै्उन्हे्बड्ेपरदे पर सनभाने जा रही हू.ं भाई को याद कर वे कई बार रोई भी्. अक्िर ही वे अपनी बातो्िे मुझे भी र्िा जाती थी्. जहां तक सकरदार सनभाने वािी बात है, तो मै्ने हर मुिाकात मे् उनके बोिने का िहजा पकड्ा. पंजाबी बोिने का अंदाज एकदम अिग होता है. इि ओर मैन् े कािी ध्यान सदया. िबिे ज्यादा तो मै्ने उनकी बॉडी िै्ग्वेज को िमझा. मै्ने उनके उि दद्य को भी महिूि सकया. जो वे िंबे िमय तक िीने मे्रखे हुए थी्. क्या इस चफल्म के बाद करण जौहर चनद्च्े शत ऐ चदल है मुकश् कल चरलीज होगी? हां, उिकी शूसटंग तकरीबन पूरी हो चुकी है. एकाध अहम दृश्यो् की शूसटंग रह गयी है. मुझे िगता है सक जल्द ही वे भी पूरे हो जायेग् .े यह एक मल्टीस्टारर सिल्म है. करण ने मुझे बहुत स्पश े ि रोि सदया है. आपके पास काम की कोई कमी नही् है. खुद आप भी अब घर पर नही् बैठना िाहती है.् मन मे् सवश््ाि होना चासहए, िारी चीजे् मैनज े हो जाती है.् यह िच है सक मेरे पाि काम
की कोई कमी नही्है. इि िमय मै्कई सिल्मो्मे् काम कर रही हूं. दश्यको् का मुझे अथाह प्यार समिा है. मेरे सिए इििे बड्ी बात कुछ और नही् हो िकती है. मुझे िगता है सक दश्क य ो्के इि प्यार की वजह िे ही मै्इतना काम कर पा रही हू.ं क्या आप भाग्य को मानती है?् हां, मुझे भाग्य पर भरोिा है. मै् आज जहां तक पहुच ं ी हू,ं उिमे्सकस्मत का बहुत बड्ा हाथ है. हाड्यवक्फतो िभी करते है.् िेसकन िििता सकस्मत वािो् को ही समिती है. िेसकन मै् सकस्मत के िहारे बैठने वािो्मे्नही्हू.ं मै्कम्य मे्भी पूरा यकीन रखती हू.ं अगर हम कम्यही नही् करेग् ,े तो भिा िक कैिे हमारा िाथ देगा. चपछली चफल्म जज्बा तो नही् िल पायी थी. क्या अब आप सरबजीत को अपनी कमबैक चफल्म कह सकती है?् मै् सकिी भी सिल्म को कमबैक क्यो् कहूं, जबसक िच यही है सक मै्कही्गयी नही्थी. इि बीच मैन् े मां बनने का गौरव हासिि सकया. िोगो् को यह जानकर आि्य् य्होगा सक मैन् े मां बनने के िाढ्ेतीन महीने के बाद ही एंडोि्मय टे् शुर्कर सदये थे. ये तय था सक जब आराध्या थोड्ी बड्ी हो जायेगी, तो सिल्मो्मे्काम शुर्कर दूगं ी. अब मै् अपनी प्िासनंग को ही िॉिो कर रही हू.ं मै्बुढ्ापे तक काम करना चाहती हूं. मेरे घर मे् भी कोई रोक टोक नही्है. िभी का पूरा िपोट्यहै. िबिे बड्ी बात यह है सक मुझे अब भी कई िुनहरे मौके समि रहे है.् आप महसूस कर रही है् चक बदलते वक्त के साथ बॉलीवुड भी बदल िुका है. अब हीरोइन का शादीशुदा होना या एक बच््ी की मां होना कोई इश्यू नही् रहा. हां, बॉिीवुड का स्वर्प कािी हद तक बदि चुका है. इिकी वजह यह है सक अब सिल्म की कहासनयो्और ब्सक्प्ट् मे्नये प्य् ोग होने िगे है.् इिी कारण हीरोइन का शादीशुदा होना या एक बच््ी की मां होना कोई मायने नही् रखता. हािांसक मेरा मानना है सक सिि्फएक्िपेसरमेट् िे भी कुछ नही्होता. दश्क य ो्को ऐिी सिल्मे्पिंद भी आनी चासहए. अहम बात यही है सक इन सिल्मो् मे् अपनी िागत विूिने की क्म् ता जर्र होनी चासहए. दरअिि सिल्म एक महंगा माध्यम है. आप सोशल मीचडया पर ज्यादा सच््िय क्यो् नही् है?् मेरी प््ाथसमकताएं कुछ और है्. कई बार िोशि मीसडया की वजह िे बड्े सववाद भी हो जाते है्. िोशि मीसडया मे् असत िस््कयता एक नशे की तरह होती है. मुझे शुर् िे ही िोशि मीसडया का कोई के्ज नही् रहा है. िेसकन इिका मतिब यह नही् है सक मै् इि माध्यम के महत्व को नकार रही हू.ं आज िोशि मीसडया की वजह िे कई िकारात्मक काय्यभी हो रहे है.् n शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016 49
अंितम पन्ना यशपाल
दशक््ा, बाज्ार और दसयासत
यह वह समय भी है, खास रौि पि रिि््ा के ि््ेि् मे्, जब हमे् ज््ान औि सूचना के फक्क को समझना होगा. हमे् एक कारबल औि समझदाि समाज चारहए, िटा-िटाया समाज नही्.
ह
मारी सशक््ा को नैसतकता, िमाज और स्वाविंबन िे जुड्ा होना चासहए था, िेसकन उिे बाजार और राजनीसत के हवािे कर सदया गया. बेशक आज ब्सथसत बेहद खराब हो चुकी है, िेसकन सगरावट कोई एक सदन मे्नही्आयी, बब्लक दशको्मे्आती गयी. कहां तो यह तय हुआ था सक ज््ान के मंसदर को हम धम्य, जासत, नस्ि के हाथो् िे नही् छुये्गे, उिे िेकर सकिी तरह की राजनीसत नही्करे्गे, उिका बाजार नही्बनने दे्गे, िेसकन कहां उिे ही हमने पतन का सशकार बना सदया. इन सदनो् मीसडया मे् यह चच्ाय खूब िुस्खययां बटोर रही है् सक सकि शैक्सणक प््सतष््ान के िव््ोच््पद पर कौन है और उिका राष््ीय स्वयंिेवक िंघ और भाजपा िे क्या सरश्ता है. जो हमारे िंसवधान की आत्मा मे् है और जो हमारी सशक््ा के मूि मे् है, वह है स्वायत््ता. जब हम बच््ो्के सिए भी सशक््ा की बात करते है्, तो हम इि पर जोर डािते है्सक उन्हे्कुछ िीखने को समिे, रटने को नही्. हम एक कासबि िमाज की अपेक्ा करते है्, रटे-रटाये िमाज की नही्. इन िबका मतिब यह हुआ सक हम स्वतः िीखने की प्व् सृ ्त को अपनाना चाहते है,् थोपे हुए ज््ान को नही्. ऐिी अच्छी िोच के बावजूद कैिे सशक््ा पर िरकार अपनी मनमानी थोप िकती है? िेसकन ऐिा हुआ है. हमे्अपनी आजादी और उिके तुरंत बाद के िमय को देखना चासहए, जब इि तरह की राजनीसतक प््वृस्त नही् थी. यह हमारी खुशसकस्मती रही सक आजाद भारत के पाि दो कमाि के इंिान थे- महात्मा गांधी और पंसडत जवाहरिाि नेहर्. गांधी जीवन मे्प््योग पर बि देते थे, जो मेरे अनुिार वैज्ासनक िमझ की बुसनयाद ही है. देश के पहिे प््धानमंत्ी पंसडत जवाहरिाि नेहर् एक गहरे वैज्ासनक दृस्िकोण के मासिक थे. आजाद और नये भारत को तब यही वैज्ासनक िमझ और कुछ बेहतरीन िपने चासहए थे, जो नेहर् ने सदये. ‘द सडस्कवरी ऑि इंसडया’ मे् उन्हो्ने सिखा हैः ‘िबिे असधक आवश्यकता वैज्ासनक दृस्िकोण, वैज्ासनक िाहि और वैज्ासनक उपिब्लधयो् की है. िबिे असधक जर्रत िच को जानने की और नये ज््ान हासिि करने की है, जांच-े परखे बगैर सकिी को मान्यता देने िे इनकार करने की है, नये िबूतो् की बुसनयाद पर पुराने नतीजो् को बदि देने की क््मता की है, मानी हुई बातो्पर िे भरोिे को खत्म करने की है.... यह िब सिि्फसवज््ान के सिए नही्, बब्लक सजंदगी और इििे जुड्ी िमस्याओ् के सिए भी जर्री है.’ 50 शुक्वार | 1 िे 15 मई 2016
नेहर्बांधो्को आधुसनक मंसदर कहा करते थे (हािांसक आज के िमय मे् इि िोच पर प््श्न उठ िकता है), िेसकन आजाद भारत को सजि िाइंसटसिक टे्पर की जर्रत थी, उिे देने वािे वे पहिे व्यब्कत थे. िन 1950 के दशक मे्मै्जब टाटा इंस्टीट््ूट ऑि िंडामे्टि सरिच्य, मुंबई िे जुड्ा, तो वहां होमी जहांगीर भाभा और राजा रमन्ना हमारे िाथ थे और हम अक्िर यह देखते थे सक पंसडत जी यहां आया करते और घंटो्िमय गुजारते थे. यह हो िकता था सक पंसडत जी अपने सनजी ख्ायाि हम वैज्ासनको्पर थोपते, िेसकन उन्हो्ने कभी ऐिा नही् सकया, बब्लक हमारे वैज्ासनक ख्ायािो्को बि देने का काम सकया. हम सजि वैज्ासनक क््ेत्मे्जो करना चाहते थे, उिके सिए उन्हो्ने हमे्आजादी दी. आज जब शैकस्णक िंसथ ् ानो् के अंदर िे आजादी की बात उठती है, तो जासहर है सक वे अपनी िमझ पर सकिी तरह की बेस्डयां नही्चाहते है.् आम जन की िमझ पर शािन करने की राजनीसत हमे्दूर तक नही्िे जाती है. इिी तरह, सनजी सवश्स्वद््ाियो्का सवकाि इिसिए सकया गया सक िरकार और िरकारी क्त्े ्की भी अपनी एक िीमा है और इि िीमा िे परे जो िोग है,् उन तक भी सशक््ा पहुच ं .े आसखर कब तक हम उन्हे् यह भरोिा सदिाते रहेग् े सक आपके इिाके मे्िरकार सशक््ा का प्च ् ार-प्ि ् ार करेगी? िेसकन क्या ऐिा हुआ? नही्. देश भर मे् कुकुरमुत्े की तरह वैिे सनजी सवश्स्वद््ािय खुि आये, सजनका मुखय् उद््ेश्य सिि्फ पैिे कमाना रहा और इन सवश्स्वद््ाियो्मे्सशक््ा का स्र् और भी खराब है. अपवाद हो िकते है्, िेसकन एक बड्े िमूह की ब्सथसत कमोबेश यही है. इन सवश्स्वद््ाियो्को मनमाने तरीके िे काम करने की आजादी समिी और िरकार की तरि िे मान्यता भी. आज ब्सथसत यह है सक ये सवश्स्वद््ािय देश को पेशेवर बच््े नही् दे पा रहे है्. इनिे पढ्े बच््ेनौकरी के सिए इधर-उधर भाग रहे है.् िचमुच बाजार और राजनीसत िे हमे् अपनी ज््ान-िंपदा को बचाना होगा. िेसकन यह वह िमय भी है, खाि तौर पर सशक््ा के क््ेत्मे्, जब हमे् ज््ान और िूचना के िक्फ को िमझना होगा. हकीकत यह है सक आज िमाज मे् िूचनाओ् की असधकता हो गयी है. हमे् एक कासबि और n िमझदार िमाज चासहए, रटा-रटाया िमाज नही्. (िेखक प््सिद््सशक््ासवद्और सवज््ान सवचारक है्. आिेख श््ुसत समत््ि िे बातचीत पर आधासरत.)