Shukrawaar 1 15 december 2015 medium resolution (1)

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वर्ष 8 अंक 23 n 1-15 दिसंबर 2015 n ~ 20

विकल्प की तलाश?



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वर्ष 8 अंक 23 n 1 से 15 दिसंबर 2015 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प्​्काशक क्​्मता सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल फोटो िंपादक पवन कुमार िंपादकीय िहयोगी

सववता वम्ा​ा अंजना वसंह सुनीता शाही (लखनऊ) अिनल चौबे (रायपुर) पूजा िसंह (भोपाल) अिवनाश िसंह (िदल्ली) अिनल अंशुमन (रांची) कुमार प्​्तीक अजय कुमार पांडे

कला

प्​्वीण अिभषेक

महाप्​्बंधक

एस के वसंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm@shukrawaar.com

आवरण कथा

6 | क्या दबहार से दनकलेगी राह?

महागठबंधन की सवजय न सिफ्फसबहार के सिए, बब्लक िमूचे देश के सिए महत्वपूण्स है. उिमे्भसवष्य की राजनीसत के िंकेत भी सनसहत है्. क्या उिमे्राष्​्ीय राजनीसत मे् एक नया सवकल्प उभरने की िंभावनाएं है्?

14 | साहस का दिल्प

राजनीसत और पत्​्कासरता के मौजूदा माहौि मे्प्​्भाष जोशी की पत्​्कािरता िहज ही याद आती है, सजिमे्िाहि, जोसखम और िसहष्णुता के तत्व रचे-बिे थे.

िबजनेि हेड

24 | हीरे पर जंगल क़्ब्ाषन

शरद कुमार शुक्ला +91. 9651882222

छतरपुर सजिे मे्सरयो सटंटो कंपनी के हीरे की खुदाई पर उच्​्न्यायािय ने रोक िगा दी है, िेसकन हीरे की तिाश मे्पय्ासवरण को हुए नुकिान की दास्​्ान भी उजागर हो रही है.

ब्​्ांिडंग

कॉमडेज कम्युिनकेशन प्​्ा़ िल़

प्​्िार प्​्बंधक

यती्द् कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024 yatendra.3984@gmail.com

सिसध िलाहकार शुभांशु वसंह

shubhanshusingh@gmail.com

+91. 9971286429 सुयश मंजुल

िंपादकीय काय्ा​ालय

एमडी-4/304, सहारा ग्​्ेस, जानकीपुरम लखनऊ, उत्​्र प्​्देश-226021 टेलीफैक्स : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com www.shukrawaar.com

DELHIN/2008/24781 स्वत्वािधकारी, प्क ् ाशक और मुदक ् क्म् ता सिंह के सिए नोवा पब्लिकेशन एंड िप्ट्ं ि्,स प्िॉट 9-10, िेकट् र-59, फेज-2, फरीदाबाद, हसरयाणा िे मुस्दत एवं दूिरी मंसजि, ल्ाी-146, हसरनगर आश्म् , नयी सदल्िी-110014 िे प्क ् ासशत. िंपादक : अंबरीश कुमार (पीआरल्ाी अिधसनयम के तहत िमाचारो्के चयन के ि​िए िजम्मेदार) िभी कानूनी िववादो्के ि​िए न्याय क्​्ेत्िदल्िी होगा.

32 | महंगे होते िेवता

34 | एक मेला बाली की याि मंे

44 | बाघो्-हादियो् का अरण्य

48 | नयी उम्ार बिले तेवर

सहमाचि प्​्देश के देवताओ्को नजराना देने की पुरानी परंपरा मे् अब यह भी शासमि हो गया है सक उन्हे्बढ्ी हुई महंगाई के सहिाब िे धन सदया जाये.

सजम काब्​्ेट मे्रात को आप अपने कमरे िे बाहर आते है्तो रेस्ट हाउि की बाड् की तरफ िाि चमकती हुई आंखे् घूर रही होती है्.

ओसडशा का बािी मेिा िुदूर पूव्स के देशो्के िाथ हमारे प्​्ाचीन व्यापासरक-िांस्कृसतक िंबंधो् की स्मृसतयो्का उत्िव है जो ईस्वीपूव्समे्ही शुर्हो गये थे.

टॉप हीरो अपनी िे आधी उम्​्की हीरोइन के अपोसजट सदखते है्, तो हीरोइनो्ने भी इि मामिे मे्सि​िक महिूि नही्की है.

शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

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आपकी डाक

घमासान जरूरी है

बाहरी बनाम दबहार

सबहार की राजनीसत ने ये िाफ़ कर सदया है सक सबहार मे् सिफ्फ सबहारी की ही जीत होती है. चुनाव मे् राजनीसतक माक्​्ेसटंग करने वािो् की िाफ़ हार हुई है. नवंबर के दूिरे अंक मे्पस्​्तका के िेख को पढ्कर ऐिा ही िगा. िेसकन सबहार मे् जीत के बाद िे जो कद िािू का बढा है. इि​िे वह पहिे के मुकाबिे अब राजनीसत मे् ज्यादा मुखर रहे्गे. िािू महागठबंधन के हीरो िासबत हुए है्. राजनीसत की उनकी ये नयी पारी है. ऐिे मे् आशा है सक वह अपनी पुरानी पारी का दोहराव नही्करे्गे. देश मे्बढ रहे मोदी की िोकस्​्पयता को आसखरकार िािू ने अपने कसरश्मे िे रोक सदया. िािू ने ऐिे ही िािकृषण ् अडवाणी सक रथयात्​्ा को भी सबहार मे् रोक सदया था. अब देश मे्एक अच्छा सवपक्​्बनकर उभर िकता है. इिकी वजह है सक सबना अच्छे सवपक्​् के देश के शािन मे् एकासधकार की िंभावना पनपती है. इिसिए एक मजबूत सवपक्​् भी होना चासहए. जहां तक सबहार के फैि​िे की बात है, तो इिमे्सबहारी को जीत और बाहरी को हार समिी है. स्वधा पांडेय, गाजियाबाद (उत्​्र प्​्देश)

िेि को चादहए मलाला

पासकस्​्ान की गुिमकई को कौन जानता था. शायद कोई नही्. पर सशक्​्ा की अिख ने गुिमकई को मिािा मे् बदि सदया. वस्तसका नंदा के सिखे िेख मे्मिािा के सशक्​्ा के क्​्ेत् मे् सकये गये प्​्यािो् की जानकारी समिी. िेख िे उठता िवाि बहुत वासजब िगा सक भारत मे् मिािा जैिा कोई क्यो्नही्उभरा. मिािा और कैिाश ित्याथ्​्ी को शांसत का नोबि पुरस्कार समिा. देश मे्सशक्​्ा के क्​्ेत्मे्सवस्​्ार की बहुत जर्रत है. आज मिािा दुसनया मे्सशक्​्ा के प्स्त 4

शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

आपकी पस्​्तका के नवंबर दूिरे अंक मे् ‘कोपभवन मे् बुजुग्स’ प्​्दीप श्​्ीवास्​्व के सिखे िेख पर िहिा पत्​् भेजने का मन बना. बहुत ही िही सवश्िेषण सकया गया है. भाजपा की सबहार मे् हार उिके तथाकसथत सवकाि के एजंडे िे हटने िे हुई. इिमे् बुजुग्स नेताओ् की अनदेखी भी शासमि है. आप महज बुढ्ापे के नाम पर अनुभव को नकार नही्िकते. इिमे् असमत शाह की खोखिी रणनीसत और जुमिेबाजी भी खूब कारगर रही. बची किर िंघ प्​्मुख मोहन भागवत ने पूरी कर दी.

आरक्​्ण की छौ्क ने पूरे चुनाव मे् तड्का िगा सदया. इि मुद्े पर प्​्धानमंत्ी मोदी ने िीपापोती की तो गाय माता ने भाजपा की नैया डूबो दी. इि तरह भाजपा को महागठबंधन के हाथो् पराजय समिी. पर हार अपने िाथ िबक िाती है. आशा है भाजपा इि​िे कुछ िीख िकेगी. इि घमािान को िमिेगी और अपने मे् मंथन कर नये सिरे िे खड्े हो जाये तो बेहतर है नही् तो यह घमािान बड्ा र्प िे िकता है.

िोगो्को जागर्क करने का काम कर रही है्. ऐिे मे्मिािा उम्मीद जगाती है्.

सरवाज. पर बदिते िमय मे्इनकी जसटिाएं भी बढ्ती जा रही है्. इनके प्​्सत िरकार की सजम्मेदारी है सक इनका स्थाई घर हो. पर इि तरफ कोई ध्यान नही्सदया जा रहा है.

नीजलमा अिीम, बोकारो (झारखंड)

दबहार मंे वामपंि

नवंबर के दूिरे अंक मे् वामपंथ के सबहार मे् उभरने िे जुडे िेख मे् अरसवंद मोहन के िेख मत कहो कोहरा घना है िे वामपंथ सवचारधारा को िमिने मे् मदद समिी है. सजि तरह िे वामपंथ ने इि बार के सबहार चुनावो्मे्मीसडया की तडक भडक िे दूर कम िंिाधनो्मे्चुनाव प्​्चार सकया. और उन्हे्बीजेपी के िहयोगी दिो् िे ज्यादा िीटे् भी हासि​ि हुई्. उि​िे उनके अस्​्सत्व और िफिता की कहानी ने उनमे्एक बार सफर उज्ास का िंचार कर सदया है. अब उन्हे् पुरानी गिसतयो्िे सकनारा करके मजदूरो्और सकिानो्की िमस्याओ्को आगे बढाते हुए देश की राजनीसत मे्अपने मद मे्आशा भरे वोटो्को तैयार करने की जर्रत है. इन्हे् अब एकजुट होकर पूरे देश के गरीबो् के सिए काम करना चासहए. िािू और नीतीश िे सचपककर वामदिो्ने देख सिया है. फायदा जो हुआ वह उिे भुिा नही्पाये्गे. अजवनाश कन्नौजिया, कोलकाता (पज्​्िम बंगाल)

घुमंतू कबीले

नवंबर दूिरे अंक मे्कबीिो्पर एक उम्दा िेख ‘दर-ब-दर पीस्ढयां’ पढ्ने को समिा. इिके जसरये जीवन के अिग ही पहिू िे र्बर्होने का मौका समिा. िोग मंगि पर बिने की तैयारी कर रहे है्. पर कुछ िोग दुसनया मे्ऐिे भी है्जो हर हफ्ते नया बिेरा बदिते है. ये िोग आम भाषा मे्बंजारे बुिाये जाते है्. बंजारो्का जीवन आज भी वैिे ही है, जैिे आज िे 100 िाि पहिे. नये सठकाने की तिाश और छोड्ने का

सुधा भारती, भोपाल (मध्य प्​्देश)

अंजकत िायसवाल, उन्नाव (उत्​्र प्​्देश)

नकली सब्जजयां

खानपान कॉिम मे् पानीबाबा की जानकारी बहुत खाि िगी. इिमे्भसवष्य और वत्समान के खतरे िे आगाह सकया गया है. आज देश मे् िब्लजयो् की खेती मे् रािायसनक पदाथ्​्ो् के इस्​्ेमाि का चिन बढ गया है. इि​िे िोगो्की िेहत पर बुरा अिर भी पड रहा है्. इि िंकट िे अभी हम उबर नही् पा रहे थे सक चीन ने प्िाब्सटक की िल्जी बनाकर िोगो्को परोिना शुर् कर सदया है. ये एक नया खतरा बनकर िोगो् के िामने खडा हो गया है. इि िेख ने अचानक हमे् खाने-पीने की चीजो् को िेकर िोचने पर मजबूर कर सदया है. अक्​्य गौतम, रायपुर (छत्​्ीसगढ्)

पाठको् से दनवेिन

शुक्वार मे्प्​्कािशत सरपोट्​्ो्और रचनाओ्पर पाठको्की प्​्सतसक्​्या का स्वागत है़ आप अपने पत्​्नीचे िदए गए पते पर या ई-मेि िे भेज िकते है् एमडी-4/304, िहारा ग्​्ेि, जानकीपुरम, िखनऊ उत्​्र प्​्देश-226021 टेिीफैक्ि : +91.522.2735504 ईमेि : shukrawaardelhi@gmail.com


संमास् पादकीय ट हेड

और अब नेपाल ने

अंबरीश कुमार

नेपाल का गृहयुद् अगर लंबा चला तो एक मोच्ाष उस सीमा पर भी खुलेगा दिस सीमा पर हमने कभी सेना को नही् रखा.

पाि मे् गृह युद् चि रहा है. इिमे् भारत भी अप्​्त्यक्​् र्प िे भागीदार बन रहा है. यह बहुत ही िंवेदनशीि मुद्ा है, सजिके प्​्सत हम अिंवेदनशीि बने हुए है्. नेपाि िे अपना हजारो् िाि का िामासजक िांस्कृसतक िंबंध रहा है, जो अब तार-तार होता नजर आ रहा है. नेपाि मे् 42 भारतीय चैनिो्का प्​्िारण रोक सदया गया है. भारत के एिएिबी के करीब दज्नस भर जवानो्को बीते सदनो्बंधक बना सिया गया. हािांसक उन्हे्बाद मे्छोड सदया गया. पर इिके जसरये नेपाि के िाथ भारत के सबगडते िंबंधो् को आिानी िे िमिा जा िकता है. देश मे्जब मोदी िरकार ित्​्ा मे्आयी तो िगा िबिे अच्छा िंबंध नेपाि िे बनेगा, क्यो्सक कुछ िमय पहिे तक वह सहंदू राष्​्था. वैिे भी भारत िे नेपाि का िंबंध रोटी-बेटी का रहा है. पर मोदी िरकार के ित्​्ा मे्आने के बाद ही नेपाि िे आज ऐिे िंबंध हो गये है्सक वहां भारतीय मीसडया के प्​्िारण पर रोक िग गयी है. भारत नेपाि िीमा िे िेकर नेपाि के भीतरी इिाको् मे् सहंिक मुठभेड हो रही है्. ऐिे मे् श्​्ीिंका की याद सफर ताजा हो गयी है्, जहां पहिे भारत िरकार ने तासमि मुब्कत चीतो्की जमकर मदद की और बाद मे्उन्ही्िे ऐिे िंबधं ख़राब हुए सक श्​्ीिंका िरकार की मदद के सिए शांसत िेना भेजी गयी. इि कवायद मे् राष्​्ीय-अंतरराष्​्ीय स्​्र पर िाख भी खराब हुई और पूवस्प्ध ् ानमंत्ी राजीव गांधी की जान भी गयी. श्​्ीिंका िे परे नेपाि िे तो भारत की हजारो्सकिोमीटर िंबी, खुिी िीमा िगी है. नेपाि की अथ्सव्यवस्था का बडा सहस्िा भारतीय नागसरको्या सफर भारतीय मूि के िोगो् के सनयंत्ण मे् है. काठमांडू की गसियो् मे् हर चार कदम पर दो मंसदर समि जाये्गे तो भारतीय मूि के मधेशी नामो्मे्िगे समश्​्, दूबे, सिन्हा, सिंह या यादव जैिे उपनाम मे्भी हम अंतर नही् िमि िकते. कुछ िमय पहिे तत्कािीन राष्​्पसत राम बरन यादव िे बातचीत करते हुए यह िगा ही नही्सक ये नेपाि के राष्​्पसत हो्गे. ऐिी िािा िंस्कृसत के बावजूद आज नेपाि और भारत मे् टकराव चि रहा है. नेपाि के बुस्दजीसवयो् का आरोप है सक िाि 1989 मे् जब भारत ने नेपाि की आस्थसक नाकेबंदी की थी तब वे कष्​्िहकर भी खुश थे. यह नाकेबदं ी माच्स1989 मे्राजीव गांधी के प्​्धानमंत्ी रहते हुए दोनो्देशो्के बीच नवीनीकरण पर िहमसत न बन पाने की वजह िे िंसध िमाप्त होने िे हुई

थी. भारत पारगमन और व्यापार के सिए एक ही िंसध चाहता था. पर नेपाि तैयार नही्था. इिके बाद भारत ने िभी 21 िंपक्फमाग्सबंद कर सदये. तब नेपाि मे् इतना िंकट गहराया सक बांगि ् ादेश िे समट्​्ी का तेि हवाई माग्सिे मंगाना पडा तो शंघाई िे पेट्ोि. यह बहुत महंगा भी पडा था. अब सफर वैिी ही नाकेबंदी नजर आ रही है. पर नया आयाम यह है सक भारत नेपाि िीमा पर मधेशी आंदोिन सहंिक होता जा रहा है. मधेशी आंदोिन को िेकर भी िवाि उठ रहे है्. मूि नेपासियो् का आरोप है सक 105 मधेशी िभािदो् के िमथ्सन िे ही नेपािी िंसवधान नल्बे फीिद बहुमत िे पाि हुआ था. सफर इतना सवरोध क्यो्? और िंसवधान मे् तो िंशोधन होता ही है. बहरहाि, मधेशी आंदोिन के िाथ ही भारत की भूसमका पर िवाि खडे होने िगे है्. ऐिे मे्के्द्िरकार को गंभीरता िे सवचार करना चासहए. यह वही नेपाि है सजिका दावा है सक उिने 1814 िे 1816 तक दो िाि की िंबी अवसध तक स्​्िसटश भारत के िाथ शानदार िडाई िडी है. सजिमे् मुकाबिा भिे ही बराबर का रहा हो, पर जो िंसध हुई उिके चिते ही उत्​्राखंड, अवध, सहमाचि, सिस्​्िम, दास्जसस िंग और कांगडा आज भारत मे् है्. वैिे भी कौन िा पड्ोिी अब बचा है, सजि​िे हमारे मधुर िंबंध बचे हुए है्. ऐिे मे् अगर नेपाि िे भी िंबंध ख़राब हुए तो वह चीन के िाथ जायेगा. सफर हम उन देशो् िे सघरे हो्गे सजनपर चीन का दबदबा बढता जा रहा है. दूिरे, नेपाि का गृहयुद्अगर िंबा चिा तो एक मोच्ास उि िीमा पर भी खुिेगा सजि िीमा पर हमने कभी िेना को नही्रखा. भारत की नाकेबंदी के चिते नेपाि का िंकट गहराता जा रहा है. नून, तेि, िकडी, राशन, दवा िे िेकर ई्धन तक की कमी हो गयी है. इन िभी की तस्करी नेपाि मे्बढ गयी है. पहिे रोजमर्ास का िामान नेपाि मे्आिानी िे समि जाता था और िीमा की िुरक्​्ा वािे जवान भी ऐिे िामान िे जाने पर कोई रोक टोक नही् करते. पर नाकेबंदी हुई तो िीमा पर कमाई का असतसरक्त िाधन भी बढा. जो जवान अपने हसथयार िमेत नेपाि की िीमा मे्गये वे इिी तस्करी के चिते गये. भारत को इि तरह की नाकेबंदी को िेकर कम िे कम मानवीय n आधार पर भी िोचना चासहए. ambrish2000kumar@gmail.com शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

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आवरण कथा

क्या बिहार से बिकलेगी राह?

नयी सरकार के शपथ ग्​्हण पर लालू यादव, ममता बनि्​्ी, राहुल गांधी, अरजवंद केिरीवाल और नीतीश कुमार: नयी ताकत के संकेत

महागठबंधन की दविय न दसर्फ दबहार के दलए, बल्कक समूचे िेश के दलए महत्वपूर्ष है. उसमे् भदवष्य की रािनीदत के संकेत भी दनदहत है्. क्या उसमे् राष्​्ीय रािनीदत मे् एक नया दवकक्प उभरने की संभावनाएं है्? 6

शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

अरविंद मोहन

र िमाजवादी नेता की बरिी-जन्मसदन या शोक िभा मे्जुटने वािे िमाजवासदयो्की बातचीत मे्अक्िर िमाजवादी एकता या गैरभाजपा, गैर-कांग्ेिी दिो् की एकता की चच्ास के बगैर िभा िमाप्त नही्होती है. सबहार चुनाव के पसरणामो् और नयी िरकार के शपथ ग्​्हण के अविर पर भाजपा सवरोधी नेताओ् के जमावडे के बाद की चच्ास मे्कई नये पक्​्जुड् गये है्. पहिा तो यही सक अभी इि मुसहम मे् ममता और वाम दि, िािू और केजरीवाि, अिम गण पसरषद और बदर्द्ीन अजमि की एआईडीएिएफ, द्​्मुक और अन्नाद्​्मुक जैिे

कई ऐिे परस्पर सवरोधी खेमे सदख रहे है.् सजनमे् मेि-समिाप मुब्शकि िगता है. सफर इिमे् कांग्ेि एक भागीदार रही है. उिके बगैर सबहार मे् न तो पूरा मुि​िमान वोट पाना िंभव था, भाजपा के अगडा वोट बै्क मे् िे्ध िगा पाना. सफर अभी तक सजि मुिायम सिंह यादव को िमाजवाद और कसथत तीिरा मोच्ास राजनीसत का के्द्माना जा रहा था. वह सबहार चुनाव मे् ही अनेक ज्​्ात-अज्​्ात कारणो् िे भाजपा सजताओ का आह्​्ान भी कर चुके है्. पूरे कुनबे के िाथ शपथ ग्​्हण िमारोह िे बाहर रहे तो िािू प्​्िाद भी उनके जन्मसदन पर िैफई नही् गये. हािांसक उनके छोटे भाई सशवपाि यादव अब सफर िमाजवादी एकता की बात करने िगे


है.् वही्दूिरी तरफ रामगोपाि यादव भी सवरोधी बयान देते रहे. िेसकन चौथा और ज्यादा महत्वपूणस्मामिा यह है सक न तो िािू-नीतीश की राजनैसतक पहुंच देश के असधकांश राज्यो्मे् है. न ही सिफ्फ भाजपा सवरोध के नाम पर हर राज्य या पूरे देश की राजनीसत को आज उिी तरह चिाया जा िकता है जैिा डॉ िोसहया के गैर-कांग्ेिवाद असभयान के िमय था. सबहार िे बाहर सनकिते ही कांगि ्े ी बैिाखी के बगैर काम नही्चिने वािा है. कई जगह तो कांग्ेि सवरोधी स्थानीय ताकत ही ज्यादा अनुकूि राजनीसत करती िगे्गी. यह खतरा िगातार रहेगा सक यह भाजपा सवरोधी मुसहम कांग्ेि वापिी का असभयान न बन जाये. पर िािू-नीतीश की िफिता को अगर बडे सवकल्प के र्प मे्देखा जा रहा है. तो यह कही् न कही्भाजपा और नरे्द्मोदी की राजनीसत िे बहुत कम िमय मे्मन भर जाने का प्​्माण है. काफी िारे िोग सबहार के नतीजो् को िािूनीतीश की जीत की जगह मोदी-असमत शाह की पराजय के र्प मे्देखते है्. खुद िािू भिे ही इिे मंडि राज दो कहते हो् िेसकन महागठबंधन के रणनीसतकार इिे िामासजक न्याय और ‘इनक्िुसिव ग्​्ोथ’ के सबहार मॉडि ‘िबका िाथ, िबका सवकाि’ के नारे के र्प मे् देखते है्. नीतीश ने पहिी बार सबहारी अब्समता के िाथ-िाथ सबहार बनाम गुजरात मॉडि के सवकाि को भी मुद्ा बनाया था. वैिे भी जब नीतीश ने िािू को परासजत सकया था. तब यह आम व्याख्या थी सक अब सिफ्फ िामासजक न्याय िे काम नही् चिेगा. अब िामासजक न्याय के िाथ सवकाि और िुिाशन भी चासहए. इि क्​्म मे्देवराज अि्सऔर कप्सूरी ठाकुर को उदाहरण के तौर पर पेश सकया जाता था. िो अब यह भी कहा जा रहा है. अच्छा शािन देने के िाथ वैकब्लपक मॉडि भी पेश करना होगा. भाजपा अभी भी िािू का नाम िेकर जंगि राज की वापिी और िािू-नीतीश मे्टकराव का डर सदखा रही है. तो कांग्ेि और मध्यमाग्​्ी िोच के काफी िारे िोग मनरेगा िमेत यूपीए शािन के िामासजक िुरक्​्ा काय्सक्मो् का बजट आधा करने िे सचंसतत है्. यह भाजपा सवरोधी ही नही्नीसतगत मामिो्मे् भी नयी पहि करने का अविर हो िकता है. जो मोदी अभी तीन-चार महीना पहिे तक हर तरफ िे अजेय और चुनौतीसवहीन सदख रहे थे, अचानक कमजोर और सघरते नजर आ रहे है्. जो आस्थसक नीसतयां ढाई दशक िे बेरोकटोक चि रही थी्. सजन्हे्तेज करने के नाम पर मोदी को देिी-सवदेशी कॉरपोरेट जगत का िमथ्सन समि रहा था. खुद वे भी उि​िी िगती है्. ये भी कहा जा रहा है सक अब मोदी िरकार के सिए कोई बडा सबि पाि कराना मुब्शकि हो गया है.

सबहार के नतीजे आने के बाद िे सबहार भाजपा और एनडीए के असधकांश नेता अपने खेमे की कमजोसरयो्को बता और नेततृ व् की कमजोसरयो् को सगनवा चुके है्. भाजपा की अभी की राजनीसत के चिते दरसकनार हुए सबहारी बाबू शत्​्ुघ्न सिंहा िमेत बुजुग्स राजनेताओ् की प्स्तस्​्कया भी आ चुकी है. राम सविाि पािवान, जीतनराम मांिी और उपे्द् कुशवाहा िमेत वे नेता तो गुस्िा सदखा ही रहे है्. जो भाजपा के िाथ सबहार चुनाव मे् उतरे थे. और बुरी तरह हारे. सशव िेना और अकािी दि जैिे पुराने िहयोगी भी भाजपा के मौजूदा नेतृत्व पर हमिे करने मे् पीछे नही् रहा. िंघ भी अपने ढंग िे कुछ ज्यादा िस्​्कय हुआ, िेसकन बात रनणीसत और नेतृत्व के बदिाव की तरफ जाती नजर नही् आयी. कोि्स करेक्शन और दोसषयो् को सकिी सकस्म की िजा देने का तो अभी कोई िक्​्ण भी नही् सदखता. असमत शाह चुप भर हो गये है्. प्​्धानमंत्ी िदा की तरह सवदेश यात्​्ाओ् और वहां सदख रहे भारतीय मूि के िोगो्के िमथ्सन िे देशी राजनीसत के िंकटो्िे पार पाने का प्​्याि कर रहे है्. यह देखना होगा सक रेत मे् मुंह छुपाने िे जान बचती है या कमजोरी बढ्ती है. पर सबहार मे्िरकार गठन का काम सजि तरह हुआ. उिने भी नतीजो्िे बनी उम्मीदो्को फीका सकया है. शराबबंदी की घोषणा के अिावा नयी िरकार ने अभी तक कोई बडी नीसतगत घोषणा नही् की है. पर सजि तरह िे िािू प्​्िाद यादव ने अपने दोनो् कमजोर, करीब अनपढ और अनुभवहीन बेटो् को उपमुख्यमंत्ी िमेत कई बडे मंत्ािय सदिवा सदये. नीतीश खेमे के भी कई कासबि िोगो्को िरकार मे् न आने सदया या उनके सवभाग बदिवाये, इि​िे खुद िािू का कद तो कम कर ही गया जीत की खुशी पर पानी फेरने वािा भी िीत के बाद: खुशी की लहर

िासबत हुआ. सिफ्फ इन दो बेटो् की ही पढ्ाई कम नही् है. आधे िे ज्यादा मंत्ी स्नातक भी नही् है्. नीसतयो् को िमिना और सदशा देने मे् पढाई और प्श ् ािसनक-राजनैसतक अनुभव काम आता है. जो नयी नीतीश िरकार के आधे मंस्तयो् के पाि नही् सदखता. इनमे् िे कुछ तो िािू की सजद िे आये है्, तो कई िामासजक िमूहो् को प्​्सतसनसधत्व देने के चि्​्र मे् मंत्ी बनाये गये है्. कुछ वैिे िोग भी बहुत पढे हुए नही् िगते जो चौहत्​्र के जेपी आंदोिन मे् सहस्िा िेने के चिते तब पढ्ाई जारी नही् रख पाये. िेसकन उनके अनुभव, राजनैसतक पढाई और िमि पर िवाि नही् उठाया जा िकता. सिफ्फ नेताजी की पिंद या सकिी फॉम्सूिे के चिते अनपढ और अनुभवहीन िोगो् को महत्वपूणस्पद देने का मतिब राज्य के िोगो्का नुकिान करा देना है. यह िही है सक सबहार चुनाव मे्िबिे बड्े स्टार के तौर पर उभरे िािू प्​्िाद ने अपने बेटो् और पसरवार के चि्र् मे्अपना कद घटा सिया है. यह भी िही है सक जब तक नीतीश कुमार िरकार के अगुआ है्. तब तक कामकाज बहुत नीचे नही् आ िकता. िेसकन उन्हो्ने सकिी भी स्टेज पर यह गडबड रोकने का प्​्याि न करके भी कुछ सनराश सकया है. िंभव है इिमे्भी कोई राजनीसत हो क्यो्सक िािू का कद बढना आगे की राजनीसत मे् उनके सिये परेशानी का िबब बनता. तीिरी पारी शुर् होते ही कानून और व्यवस्था सबगडने और िरकार मे् अनपढ और अनुभवहीन िोगो्का भरा जाना ऐिा मि​िा है, जो सिफ्फिोशि मीसडया और मोदी िमथ्क स ो्का आरोप या दुष्प्चार भर नही्है. इिमे्ित्यता है. सजि तरह िे नवसनव्ाससचत सवधायको्ने सवधान िभा की शपथ िेने के पहिे ही बंगिो् पर कल्जा जमाना शुर्सकया उिने भी नयी िरकार की छसव को नुकिान पहुंचाया है. िािू और नीतीश दोनो् का कद अभी इतना बडा हो गया था सक उनकी नजर तरेरने भर िे ऐिी गडबसडयां र्क जाती्. इि​िे जीत की चमक कुछ जल्द ही धुंधिी होनी शुर्हो गयी है. अभी सपछिे सदनो्ही जनता दि पसरवार की एकता का एक दौर सवफि हो चुका है. सजिमे् अध्यक्​्और नाम िमेत िब कुछ तय हो चुका था. खुद अध्यक्​्जी ही थोडे धीरज और सहम्मत का प्​्माण देते तो यह मुसहम तो आगे बढती. प्​्णव मुखज्​्ी के राष्​्पसत चुने जाने के वक्त िे ही जनता पसरवार या गैरिांप्दासयक, गैरकांग्ेिी दिो्की एकता पर गंभीर बातचीत दो-तीन बार हो चुकी थी. िेसकन आम चुनाव िामने होने के बावजूद इि एकता पर सकिी को भरोिा न हुआ. और अब अगर पुराने िामाजवासदयो्की एकता पर या सबहार की चुनावी जीत के मॉडि को अन्य राज्यो्मे्िे जाने की ज्यादा चच्ास हो रही शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

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आवरण कथा

है. तो इिका कारण सिफ्फ नरे्द् मोदी के हाथो् िबकी धुनाई ही है. यह भी एक बडा कारण है सक अब अिम,बंगाि, पंजाब और उत्​्र प्​्देश मे् चुनाव ज्यादा दूर नही् है्. यहां कांग्ेि को अिग करके या सिफ्फउिी के भरोिे मोदी-शाह िे िडाई िंभव नही्िगती. यसद िािू-नीतीश यह बात कह रहे है्. तो उि पर भरोिा जमता है क्यो्सक चुनावी पराजय के बाद िबिे पहिे और िबिे मजबूती िे गिती िुधार का प्​्याि नीतीश कुमार,िािू यादव और कांग्ेि ने ही सकया. िेसकन अभी तक अगर असवश्​्ाि है, तो उिका कारण भी यही नेता है्. सजन्हे् पसरवार और ित्​्ा-िुख भोगने के अिावा कुछ नही िूिता था. िािूजी ने अपने बेटो् को िब पर िाद कर इिी धारणा को पुष्सकया है. हािांसक सिद्​्ांत और िंगठन के सबना चिने वािी राजनीसत मे् भरोिे का िंकट रहता ही है. मुिायम तो असवश्​्िनीयता और यू-टन्स मे् मासहर माने जाते है.् तो मायावती और िािू के सिए पसरवार और ित्​्ा ही िब कुछ रहा है. यहां कुछ नये िंकेत आने िगे है्, और सबहार की िफिता ने ऐिे क्​्ेत्ीय नेताओ् की िोच के िाथ कांग्ेि के नजसरये मे्भी बदिाव सकया है. जो अभी तक अपने जूसनयर पाट्सनरो् िे पािकी ढुिवाने का ही काम कराती थी. मुिायम के खेमे मे्अगर बाजी हाथ िे सनकिने का पछतावा है, तो चािाक शरद पवार सबहार मे्महागठबंधन के सखिाफ चुनाव प्​्चार करने नही्करने का नया मौका भी है. जबसक उनकी पाट्​्ी ने वहा तीिरा मोच्ास बनाने और सफर तोडने का काम सकया. ममता और केजरीवाि अपना िमथ्सन सदखा चुके है्. शपथ ग्​्हण िमारोह मे् िारे गैर-भाजपा दिो् को न्यौता था. वहां की मौजूदगी ने भी िंकेत सदया सक डेढ िाि के मोदी राज िे सकतनी बेचैनी है. अब तो माकपा और उिके नेता भी िुगबुगाहट सदखा रहे है्. 8

शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

लालू प्​्साद और नीतीश: गठबंधन के जशल्पी िंयोग िे वहां भी नेतृत्व मे् प्​्काश करात की जगह िीताराम येचरु ी आ गये है.् सजन्हे्गठबंधन की राजनीसत मे्उस्​्ाद िुरजीत का सशष्य माना जाता है. अब नरेद् ्मोदी ने गठबंधन और क्त्े ्ीय दिो्की राजनीसत का भिे ही अंत न सकया हो. िेसकन इधर के बीि-पच्​्ीि िाि िे बह रही हवा के बदिने के िक्​्ण िोक िभा चुनाव मे् जर्र सदख रहे थे. बाद मे् तो असमत शाह खुिकर कहने िगे थे. कोई चाहे तो कांग्ेि को वोट दे पर क्​्ेत्ीय दिो्को वोट देना अपराध है. िेसकन सबहार मे् भी उन्हे् एक सतहाई िीटे् एनडीए के िहयोसगयो् को देनी पडी्. ऐिे मे् उनिे मुकाबिे की राजनीसत भी एकजुट होकर हो िकेगी-सबखराव िे नही्. अभी भी राजनीसत दो ध्​्ुवीय या अमेसरका-यूरोप की तरफ दो व्यब्कतत्वो्की टकराहट तक आने जैिी ब्सथसत मे् न आ पाई है. अभी भी आम चुनाव दो गठबंधनो् के बीच ही हुआ है. हार-जीत के बावजूद एनडीए और यूपीए का वजूद है. अि​ि मे् मंसदर और मंडि जैिी दो बडी राजनैसतक पसरयोजनाओ् ने मुल्क की राजनैसतक तस्वीर को उिट-पिट सदया. मोदी की जीत के पहिे नल्बे के बाद के दौर की िबिे प्भ् ावी राजनैसतक पसरघटना राज्यो्की राजनीसत का प्भ् ावी हो जाना ही है. गठबंधन मजबूरी नही् धम्सबन गया है. पर इि बदिाव ने और चीजो् पर भी अिर डािा है. वैचासरक स्पष्​्ता गायब हो रही है. एक ही नीसतयां चिती आ रही है्. सवदेश नीसत तो कब िे एक ही िाइन पर है. आस्थसक नीसतयो् मे् भी पच्​्ीि िाि िे कोई बदिाव नही् है. इि िबके चि्​्र मे तीिरे मोच्​्े के एकीकरण के िारे िूत् सबखर गये. मुख्यत: दो ही िूत्ो् पर यह जुटान हुआ करता है. गैर कांगि ्े वाद और िंपद् ासयकता का सवरोध. डॉ िोसहया ने गैर कांगि ्े वाद का िूत्बरगद बन बैठी. घसटया िंसक़ ् सृ त का प्त् ीक बन गयी कांगि ्े

को ित्​्ा िे हटाने के मंत्के तौर पर सदया था. िाथ ही यह भी कहा था सक यह तय िमय की ही रणनीसत है. अब तक इि िूत्का बहुत दोहन हो चुका है. यह अपना आकष्सण खो चुकी है. दूिरी ओर िांप्दासयकता सवरोध के खेि का भी अत्यसधक दोहन हुआ है. इिमे् भी बहुत दम नही् बचा है. इिका दम यही रह गया है सक गुजरात दंगो्के सिए अभी भी अफिोि न करने वािे और अिसहष्णुता का माहौि बनाने वािे िंघी फौज पर िगाम न किने वािे नरे्द्मोदी के आगे होने िे मुि​िमान भाजपा िे सबदक ही रहे है्. वे मोदी को हरा िकने वािी ताकत पर एकजुट हो्गे यह तय है. सकि क्त्े ्ीय दि ने कब कांग्ेि या भाजपा का प्​्त्यक्​्या परोक्​्मदद की यह िूची बेमानी हो चुकी है. यह जोड-घटाव चिा भी है. तो मुि​िमान या अगडा-सपछडा वोट के गसणत िे. अब सवपक्​्ी एकता बनाने वािे इन्ही् िूत्ो् और हसथयारो् िे काम हो जायेगा. यह िोचना गित होगा. िेसकन यह भी स्वीकार करना होगा सक वोट की राजनीसत मे् िंख्या के अंकगसणत को भी नजरंदाज नही् सकया जा िकता. सफर पच्​्ीि िाि िे सपछडो् की ऊज्ास को अपने सनजी और पासरवासरक िाभ के सिये इस्​्ेमाि करने की माफी मांगने के िाथ प्​्ायस्​्ित का काम भी करना होगा. सफर यह काम करना होगा सक पहिे एकता के कुछ बुसनयादी और नये िूत्तिाशे जाये.् इि िेखक जैिे िोगो् का मानना है सक यह िूत् मुलक ् मे्पच्​्ीि िाि िे चि रही अथ्नस ीसत की िही आिोचना और सवकल्प पेश करने िे सनकिे्गे. यह िही है सक िपा, राजद, जद (िे), जदयू ,भाकपा, बीजद, द्​्मुकअन्नाद्​्मुक जैिी िभी पास्टसया इि नयी अथ्सनीसत को िाने मे्कुछ न कुछ सजम्मेवार है्. िेसकन मुख्य भूसमका कांग्ेि और भाजपा या सवश्​् बै्क, आईएमएफ िे जुडे अथ्सशास्​्ियो् की ही थी. कारण कई हो्गे पर अटि जी के राज के बाद शािन मे्आयी कांग्ेि ने मनरेगा िमेत कई िामासजक िाभ वािे काय्सक्म चिाये. हािांसक उिने मुख्य आस्थसक नीसतयो् मे् बदिाव की सहम्मत नही् सदखायी. िेसकन यह भी िच है सक हम भी अपने कसथत िमाजवादी नीसत और िाि फीताशाही िे त्​्स् थे. अब अगर गरीबो्-आसदवासियो्-दसितो्, अकसियतो् और सपछडो् की, गांव की खेती-सकिानी की जर्रतो् को आगे करके कोई वैकब्लपक िूत् सवकसित सकये जाये्. तो मजे िे मंडि नाम िे सनकिी शब्कत-ऊज्ास को और कमजोरो्-गरीबो् के िंघष्स िे जुडी ताकतो् को एकताबद्​् सकया जा िकता है. इिके सबना राहुि, मुिायम, शरद, िािू और नीतीश ही नही्िारे नेता सदनरात समिते रहे.् शीष्ाि स न भी करे्तो भी कुछ नही् n हो िकता.


नीरजा चौधरी

दबहार के बाि क्या

आने वाले दवधानसभा चुनावो् मे्, खासकर असम, पद्​्िम बंगाल और उत्​्र प्​्िेश मे् भी क्या इस तरह की रािनीदत हो पायेगी िैसी दिक्ली और दरर दबहार मे् हुई?

सब

हार चुनाव िे पहिे जहां जानकार इि िड्ाई को कांटे का मुकाबिे बता रहे थे, वही्सबहार की जनता ने स्पष्​्जनादेश सदया और तमाम कयािो्के बीच महागठबंधन को एक तरह िे एकतरफा जीत समिी. यह वह महागठबंधन है, सजिके बारे मे्कहा जा रहा था सक राजद और जदयू के मतदाता अिग-अिग है.् वे एक-दूिरे के पक्​्मे्वोट नही्डाि िकते. यह वही महागठबंधन था, सजिके बारे मे् कहा जा रहा था सक नीतीश कुमार सकि तरह िािू के िाथ खड्े हो िकते है्. जबसक उनका पूरा राजनीसतक कसरयर उनके सवरोध पर सटका हुआ है. यह वही महागठबंधन था, सजिके बारे मे्कहा जाता था सक िािू प्​्िाद यादव सवश्​्स्िहयोगी नही्बन िकते और अगर महागठबंधन जीतता है. तो वह इिकी कीमत विूिे्गे. िेसकन कहा जाता है सक राजनीसत मे्नतीजो्को ध्यान मे्रखकर िमीकरण बनाये जाते है्. इिका भी ख्याि रखा जाता है सक आपका बड्ा सवरोधी कौन है. ऐिे िमीकरण मे् िफिता समिती है. सबहार मे् महागठबंधन को समिी जीत इिी का िुबूत है. जब मै् चुनाव िे पहिे सबहार दौरे पर गयी थी. तो िोग उि िमय नीतीश िरकार मे्बुसनयादी िुसवधाओ्के समिने की बात करते थे. इि​िे यह तो िग गया था सक सजि तरह िोकिभा चुनाव मे्मोदी िोकस्​्पय थे. ठीक उिी तरह सबहार सवधानिभा चुनाव मे्नीतीश िोकस्​्पय है्. िेसकन क्या यह िोकस्​्पयता एक बड्ेअंतर की जीत सदिा पायेगी, यह िवाि गहराई तक मन मे्धंिा हुआ था. जब अपने परंपरागत वोटो् िे अिग हटकर भी नीतीश और िािू को मत समिे. तो यह बात जासहर हुई सक िच मे्िािू प्​्िाद जनता की नल्ज को अच्छी तरह िमिते है्. ध्यान रहे सक गठबंधन बनने के दौरान उन्हो्ने कोई मांग नही् रखी. नीतीश कुमार जैिे िक्​्म प्​्शािक की छसव को िािू प्​्िाद की देशज राजनीसत ने मुहर िगाने का काम सकया. उन्हो्ने चुनाव पूवस्ही कहा सक नीतीश ही महागठबंधन के मुख्यमंत्ी हो्गे. चाहे िीटो् का आंकड्ा कुछ भी हो और सबना हीिहुज्त के यही हुआ. इि तरह की पसरपक्व राजनीसत सवरिे ही देखने को समिती है. चुनाव मे्मुद्ो्का चयन भी महत्वपूण्ससकरदार सनभाता है. इि मामिे मे्महागठबंधन िे कोई गिती नही्हुई. देखा जाये तो िांपद् ासयकता बनाम धम्ससनरपेक्ता वहां एक बड्ा मुद्ा था. िेसकन बड्ी िमिदारी िे नीतीश और िािू इि पचड्े मे् नही् पड्े्. यहां तक सक नीतीश कुमार ने तो इिे टच भी नही्सकया. वह सवकाि कामो्का ही हवािा देते रहे. दूिरी तरफ, िािू प्​्िाद ने िीधे इि मुद्े को उछािने की बजाय मोहन भागवत के

आरक्​्ण वािे बयान को तूि सदया. गोमांि वािे मि​िे पर उनके बयान िे नुकिान हो रहा था. उिकी भरपाई भी उन्हो्ने जल्दी की. यह कहा जा रहा था सक भाजपा ध्​्ुवीकरण की राजनीसत को सबहार मे् भी अपनाने जा रही है. िेसकन सबहार ने यह बता सदया सक वहां िांप्दासयक ध्​्ुवीकरण काम नही् आने वािा. अगर कोई यह पूछे सक सबहार चुनाव का िबिे बड्ा िबक राजनेताओ्को क्या समिा? तो उिका जवाब होगा सक अब नेता इि तरह की राजनीसत िे बाज आयेग् े और इिकी वैकब्लपक राजनीसत के जसरये भाजपा को टि्​्र दी जा िकती है. सदल्िी मे् हमने देखा सक केजरीवाि ने एक वैकब्लपक राजनीसत पेश की. वही् सबहार मे्नीतीश और िािू ने अिग तरह की वैकब्लपक राजनीसत पेश की. आने वािे सवधानिभा चुनावो्खािकर अिम, पस्​्िम बंगाि और उत्​्र प्​्देश मे् भी क्या इि तरह की राजनीसत हो पायेगी? उत्​्र प्​्देश मे् िमाजवादी पाट्​्ी और बहुजन िमाज पाट्​्ी को सबहार ने रास्​्ा सदखाने का काम सकया है. चुनाव मे्समिी जीत के बाद जब िािू प्​्िाद ने यह कहा सक नीतीश सबहार की गद्​्ी िंभािे्गे और वह देश के दौरे पर सनकिे्गे. तो इिका एक मतिब यह भी सनकिता है सक वह अन्य राज्यो् मे् भी इिी तरह के वैकब्लपक गठबंधन के सिए जोर आजमाइश करे्गे. चुनावी राजनीसत मे् ित्​्ा का असभमान हार का कारण बनता है. सबहार चुनाव के दौरान भाजपा मे्यह असभमान सदखा. खािकर पूरे चुनाव प्​्चार के दौरान. अपने िारे िंिाधन िो्कने के अिावा, प्​्धानमंत्ी की िाख तक दांव पर िगने की बात हुई. इिसिए जासहर है सक इि हार का िीधा अिर प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी को िगा है. यह इिसिए भी महत्वपूण्स है सक पहिे िािू और सफर नीतीश शािन िे सबहार की जनता का मन सखन्न हो जाना चासहए था. सफर ित्​्ा सवरोधी िहर के र्प मे् भाजपा के पाि गद्​्ी आनी चासहए थी. िेसकन ऐिा कुछ भी नही्हुआ. सबहार चुनाव ने अमीर बनाम गरीब की िड्ाई को भी िामने रखा है. सजिमे् गरीबो् की जीत सदखाई देती है. दरअि​ि, यह धारणा बनी है सक कोटपै्ट वािे भाजपाई है्और इनका हारना जर्री है. एक बात यह भी िाफ हो गई है सक देश भर मे्जो मोदी िहर चिी थी. वह सदल्िी के बाद अब सबहार सवधानिभा मे्भी डगमगायी है. अब इि िहर के सिए भाजपा को नये सिरे n िे प्​्याि करना होगा. (िेसखका वसरष्​्राजनीसतक सवश्िेषक है्. आिेख श्​्ुसत समत्​्ि िे बातचीत पर आधािरत) शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

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आवरण कथा उवूमिलेश

महागठबंधन की ि​िा-दि​िा

क्या नीतीश सरकार राष्​्ीय स्​्र पर ‘दहंिुत्व और कॉरपोरेट के्द्ित दवकास’ की पैरोकार मोिी सरकार के दखलार वह बेहतर रािनीदतक-प्​्शासदनक दवकक्प का चेहरा पेश कर सकेगी?

रा

जद-जदयू-कांग्ेि गठबंधन की शानदार चुनावी जीत के बाद इिके राजनीसतक भसवष्य को िेकर दो बड्ेिवाि उभरते है्. पहिा-सबहार मे्महागठबंधन िरकार को िेकर मतदाताओ्की बहुत िारी अपेक्ा और आशा है. क्या यह िरकार उन जनाकांक्ाओ्के अनुरप् काम कर िकेगी? दूिरा िवाि- क्या गठबंधन के तीनो् घटक िूबाई स्​्र पर समिी बड्ी कामयाबी को राष्​्ीय स्​्र तक िे जा िके्गे? वस्​्ुतः सबहार मे् राजद अध्यक्​् िािू प्​्िाद यादव और मुख्यमंत्ी नीतीश कुमार ने समिकर प्​्धानमंत्ी नरे्द्मोदी-असमत शाह की जोड्ी की चुनौती का िफितापूव्सक िामना सकया. सबहार मे्भाजपा के चुनावी असभयान की मुख्य ध्वजवाहक मोदी-शाह की जोड्ी ही थी. इिसिए िािू-नीतीश की िफिता और मोदी-शाह की सवफिता के राष्​्ीय मायने भी है्. क्या सनकट भसवष्य मे् नीतीश राष्​्ीय स्​्र पर नरे्द्मोदी को चुनौती दे िके्गे? क्या इि मुसहम मे्िािू प्​्िाद यादव उनके िाथ खड्ा रहे्गे? क्या कांग्ेि एक िंभासवत राष्​्ीय गठबंधन मे्नीतीश को नेता मानेगी? यह महज िंयोग नही् सक पटना के ऐसतहासिक गांधी मैदान मे् 20 नवंबर को हुए भव्य शपथ ग्​्हण िमारोह मे्देश की सवपक्​्ी राजनीसत िे जुड्े अनेक प्​्मुख महारथी मौजूद थे. जो नही् आ िके, उनकी नजरे् भी उि सदन पटना पर ही थी्. अपवाद सिफ्फ उत्​्र प्​्देश की दोनो् प्​्मुख पास्टियां, िपा-बिपा थी्. दोनो् के शीष्स नेता शपथ ग्​्हण िमारोह मे् नही् शासमि हुए. िपा ने शुर् मे् िंकेत सदया सक उिके तमाम बड्े नेता पटना जाये्गे. पर बाद मे्पता चिा सक कोई नही्जा रहा है! चुनावी जीत और सफर सवपक्​्ी नेताओ् के बड्े जमावड्े िे उत्िासहत िािू प्​्िाद यादव ने ऐिान सकया सक वह अब देश भर मे् घूमे्गे और मोदी िरकार के सखिाफ िंघष्स का सबगुि बजाये्गे. वे इिकी वजह मोदी िरकार को तबाही की तरफ िे जाने वािी बताते है्. बकौि िािू, जब िे यह िरकार आयी है, महंगाई बेतहाशा बढ् रही है, नौकसरयां कम हो रही है्. भाजपा और के्द्िरकार को सनयंस्तत करने वािे आरएिएि ने दसित-सपछड्ो्के आरक्​्ण की िमीक्​्ा कराने का मन बना रखा है. िमाज मे्अिसहष्णुता बढ्रही है, कभी िव-सजहाद के नाम पर तो कभी गोमांि के नाम पर िोगो्को भड्काया जा रहा है. नीतीश ने भी कहा सक सबहार की जीत ने रास्​्ा सदखाया है. हम िब समिकर राष्​्ीय सवकल्प बनने की कोसशश करेग् .े िबिे सदिचस्प प्स्तस्​्कया कांगि ्े उपाध्यक्​्राहुि गांधी की रही. महागठबंधन मे्कांग्ेि भिे ही िबिे जूसनयर पाट्सनर हो, पर सबहार मे्पच्​्ीि िाि बाद ित्​्ा मे्आने िे उिके हौि​िे बुिंद है्. िाि 2016 मे्पांच राज्यो्अिम, पस्​्िम बंगाि, तसमिनाडु, पुडुचेरी और केरि मे् चुनाव होने है्. अिम और केरि मे्कांग्ेि ित्​्ा मे्है. यहां पाट्​्ी को एंटीइनकंबे्िी िे सनबटना है. तसमिनाडु, पुडुचेरी और बंगाि मे् उिे अपनी भूसमका को नये सिरे िे पसरभासषत करना होगा सक वह इन राज्यो् मे् स्वतंत् र्प िे अपनी ताकत आजमायेगी या सकिी गठबंधन का सहस्िा बनेगी? महागठबंधन के राष्​्ीय सवकल्प बनने की िंभावना इि बात पर सनभ्रस करेगी सक वह राज्य स्​्र पर कैिा प्​्दश्सन करती है! क्या उिके पाि गवन्​्ेि का ज्यादा कारगर और जनपक्​्ीय मॉडि है? अगिे दो िािो्मे् 10 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

अगर नीतीश-िािू की जोड्ी ने सबहार मे् शािन और िमावेशी सवकाि का बेहतर मॉडि पेश सकया तो तय है सक राष्​्ीय स्​्र पर महागठबंधन का आकष्सण बढ्ेगा. इि वक्त कुछ एक अपवादो्को छोड्दे्तो केद् ्की भाजपा नीत मोदी िरकार हो या ज्यादातर प्​्देशो्की गैर-भाजपा िरकारे् हो्, िभी एक जैिे गवन्​्ेि मॉडि को अमिीजामा पहना रही है्. इनके पाि सवकाि या शािन का कोई नया मॉडि नही्है. उत्र् प्द् श े , ओसडशा, कन्ासटक और बंगाि की गैर-भाजपा िरकारो्का सवकाि िंबंधी नजसरया के्द्की मोदी िरकार या महाराष्​्-गुजरात की भाजपा िरकारो्िे अिग नही्है. सबहार मे् महागठबंधन की जीत सपछड्ो्, दसितो् के व्यापक सहस्िे, अल्पिंख्यको्और अन्य िमुदायो्के िमथ्सन िे िंभव हुई. नीतीश-िािू ने नरे्द्मोदी के कॉरपोरेट-के्स्दत सवकाि और ‘आधुसनक सहंदुत्व’ मॉडि के सखिाफ ‘िमावेशी सवकाि और मंडि राज-2’ के नारो्के आधार पर चुनाव िड्ा. बड्े सनयोसजत ढंग िे नीतीश अपनी हर िभा मे् िमावेशी सवकाि की बात करते थे तो िािू ‘मंडि राज-2’ की. दोनो्ने माना सक सबहार का सवकाि दसित,सपछड्ो्,अल्पिंख्यको् और अन्य गरीब व


उत्पीस्डत िमुदायो्के उत्थान के बगैर िंभव नही्होगा. इन िमुदायो्के बड्ेिवाि या मि​िे महंगाई-बेरोजगारी, स्वास्थ्य और सशक्​्ा जैिे िव्सजनीय़-िरोकारो् के अिावा भूसम के मि​िे, िामंती उत्पीड्न और आरक्​्ण प्​्ावधानो्के सनजी क्​्ेत्मे्सवस्​्ार िे जुड्ेहै्. ऐिे मे् िवाि यह उठता है सक क्या नीतीश िरकार भूसम िुधार के सिए डी बंदोपाध्याय कमेटी की सिफासरशो् को िसचवािय की बंद आिमारी िे बाहर सनकािेगी? इि कमेटी का गठन खुद नीतीश ने ही जदयू-भाजपा गठबंधन िरकार के िमय सकया था. बाद मे् कमेटी की सरपोट्स को ठंडे बस्​्ेमे्डाि सदया गया. मंडि आयोग ने भी आरक्​्ण के िाथ भूसम िुधार िागू करने की सिफासरश की थी. दूिरा िवाि यह है सक क्या िरकार

पटना मे् महागठबंधन की िीत का िश्न: जवकल्प का उत्साह

िक्​्मणपुर बाथे, बथानी टोिा और शंकर सबगहा जैिे अिंख्य दसित हत्याकांडो् को अंजाम देने वािी भूस्वासमयो् की रणवीर िेना के िहयोसगयो्-िंरक्क ् ो्सजनमे्नौकरशाह-राजनेताओ्के नाम भी शासमि है,् इनकी जांच के सिए गसठत अमीर दाि आयोग को पुनज्​्ीसवत करेगी. इि आयोग को नीतीश िरकार ने ही अपने तत्कािीन गठबंधन िहयोगी भाजपा के दबाव मे्आकर भंग कर सदया था. इिका गठन पूव्सवत्​्ी राबड्ी देवी िरकार ने भारी दबाव के बीच सकया था. बात यही खत्म नही्होती. बड्ा िवाि सबहार मे्सशक्​्ा का भी है. क्या सशक्​्ा के क्​्ेत्मे्िुधार के सिए गसठत मुचकुंद दुबे कमेटी की सिफासरशो्को िरकार िागू करेगी? क्या जन-स्वास्थ्य के क्​्ेत् मे् सनजीकरण-कॉरपोरेट घरानो् का िाथ छोड्कर िरकार स्वास्थ्य के सिए नयी नीसत अपनायेगी. सपछिे सदनो्सदल्िी-मुंबई के कुछ बड्े सनजी पंचसितारा अस्पतािो् के मासिको् को राज्य मे् सनजी अस्पतािो्के सिए आिान शत्​्ो्पर जमीन दे दी गयी. ऐिे मे्िवाि है सक क्या िरकार प्​्ाथसमक स्वास्थ्य के्द्ो्, सजिा अस्पतािो्, रेफरि सचसकत्िा के्द्ो् और क्​्ेत्ीय-प्​्ांतीय स्​्र के बड्े अस्पतािो्-मेसडकि कािेजो् के

नेटवक्फ का िुदृढ्ीकरण करेगी? या सफर इन्हे् बदहाि ही रखेगी. इि​िे इतर प्​्ाकृसतक जि िंिाधन के क्​्ेत्मे्सबहार बहुत िमृद्है. िेसकन जि िंचयन और प्ब् धं न उतना ही िचर है. इि​िे सिंचाई व्यवस्था और सबजिी उत्पादन, दोनो्क्​्ेत्मे्अपेस्कत कामयाबी नही्समिी. क्या िरकार सिंचाई और सबजिी उत्पादन क्​्ेत् मे् नयी पहि करेगी? इिके सिए भी नयी िरकार पर िोगो्की नजर गड्ी रहेगी. कृसष क्​्ेत्मे्जर्री िुधार के िाथ बड्ेस्​्र पर औद्​्ोसगक सवकाि जर्री है. इि​िे न केवि रोजगार के नये अविर पैदा करने हो्गे असपतु सबहारी िमाज की िामंती जकड्बंदी भी टूटेगी. इतना ही नही् क्या िरकार सशक्​्ा, प्​्शािन और सनजी क्​्ेत् मे् आरक्​्ण-प्​्ावधानो् का िही और िक्​्म ढंग िे स्​्कयान्वयन करेगी? इन तमाम चुनौसतयो्पर िोग िरकार िे आि िगाये है्. महागठबंधन के सिए ये चुनौसतयां बड्ेयक्​्प्​्श्न जैिी है्. अगर वह इन्हे्हि करने की ईमानदार कोसशश करे तो उिकी िोकस्​्पयता मे्भारी इजाफा होगा. इि​िे िोगो्मे्मोहभंग की ब्सथसत नही्पैदा होगी. िाि 2019 अभी दूर है. गठबंधन के पाि काम करने के सिए तीन िाि िे ज्यादा है्. तसमिनाडु मे्अन्नादुरै या एमजी रामचंदन् , केरि मे्इएमएि नंबदू रीपाद, कन्ासटक मे् देवराज अि्स, सबहार मे् कप्सूरी ठाकुर, कश्मीर मे शेख मो.अल्दुल्िा अपने पहिे काय्सकाि मे्अपने बेहतरीन कामो्के सिए याद सकये जाते रहे. मौजूदा िमय मे्स्​्तपुरा के मासनक िरकार ने कम िमय मे ही कुछ अच्छे काम कर सदखाये. इन्हे्या इनकी राजनीसतक धारा को इिका उन राज्यो्मे्आगे फायदा समिता रहा. आम जन ने इन्हे्कभी भुिाया नही्. िमावेशी सवकाि के मॉडि पर काम करने के सिए नीतीश इि बार ज्यादा आजाद है्. भाजपा के िाथ गठबंधन मे् िमावेशी सवकाि के मामिे मे् उनके हाथ बंधे होते थे. य़ही कारण है सक भूसम िुधार और सशक्​्ा-िुधार जैिे मामिो् मे् उन्हे् कई बार िमिौते करने पड्े. िेसकन उनके िामने आज ऐिी कोई बाधा नही्है. बहुमत भी पय्ासप्त है. सबहार को बदिने के सिए क्या नीतीश इि बार बड्ी पहि करे्गे? जहां तक िािू का प्​्श्न है, वे ऐिे मुद्ो्पर बाधा बनने का जोसखम नही्िे िकते. अपने काय्सकाि मे् वह स्वयं ये काम नही् कर िके िेसकन उनमे् नीतीश जैिी व्यवब्सथत प्​्शािसनक क्​्मता नही्थी और न ही ि​िाहकारो्-असधकासरयो्की आज जैिी टीम थी. शुर्आत बहुत शानदार नही्सदख रही है. नीतीश ने अपने पहिे बड्े फैि​िे मे्शराबबंदी का ऐिान सकया है. यह एक नुमाइशी और ढकोि​िे वािा एिान है. इि​िे आम जन की पीड्ा कम नही् होगी, हो िकता है, और बढ्जाय. अब तक गुजरात, हसरयाणा या पूव्ोत्​्र के सजन कुछ राज्यो् मे्शराबबंदी की गयी, िबके अनुभव बहुत बुरे रहे है्. हसरयाणा को एिान वापि िेना पड्ा. गुजरात मे्बंदी तो है पर शराब गिी-गिी समिती है और उि व्यापार को िंचासित करने वािा भूसमगत मासफया काम करता है. सबहार मे्जर्रत थी, शराब की िरकारी-गैरिरकारी दुकानो्-ठेको्आसद को सनयंस्तत और िंख्या िीसमत करने की. शराबबंदी िे राज्य मे् कानून व्यवस्था के िंकट मे् नया आयाम जुड्ेगा. शराब के अवैध कारोबार को सनयंस्तत करने के सिए असतसरक्त पुसि​ि तैनाती की दरकार होगी. सफर उि​िे पैदा होने वािे भ्​्ष्ाचार के सनयंत्ण के सिए नया तंत्चासहए. कुि समिाकर यह एक गित फैि​िा है. ऊपर िे देखने मे्यह िुभावना है पर अंदर िे पूरी तरह फाितू और सवफि होने के सिए असभशप्त है. वैिे भी खान-पान की चीजो् पर पाबंदी का िमाजशाि्​् अंततः िमाज के सिए मुब्शकिे्ही पैदा करता रहा है. अगर नीतीश िरकार ऐिी सववेकहीनता िे बचे और जनता के सिए ज्यादा जर्री मि​िो् पर िाहि के िाथ बड्े फैि​िे िे तो उिके सिए दोहरी कामयाबी का रास्​्ा खुिेगा. राज्य स्​्र पर उिे िोकस्​्पयता समिेगी और राष्​्ीय स्​्र पर ‘सहंदुत्व और कॉरपोरेट के्स्दत सवकाि’ की पैरोकार मोदी िरकार के सखिाफ वह बेहतर राजनीसतक-प्​्शािसनक सवकल्प का n चेहरा पेश कर िकेगी. क्या नीतीश-िािू ऐिा कर िके्गे? शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 11


आवरण कथा

नीतीश कुमार का शपथ ग्​्हण: खरे उतरने की चुनौती

पांचवीं पारी की कठिन ठपच

नीतीश ने अपनी पांचवी् पारी बड्ी ही कमिोर टीम के साथ शुर् की है. यह कप्तान और टीम की परीक्​्ा का काल है. सारा िेश यह िेख रहा है दक नीतीश यहां से आगे कैसे चलते है्. कुमार पू​ूशांत

टना के गांधी मैदान िे होकर भारतीय राजनीसत के कई बडे सदग्गज गुजरे है्. जयप्क ् ाश नारायण भी भई यही्िे केद् ्िरकार के सखिाफ मोच्ास खोिते हुए िरकार को सिंहािन खािी करने और जनता के आने के िंकेत सदये थे. एक बार सफर 20 नवंबर 2015 को नीतीश कुमार के मुख्यमंत्ी पद के शपथ ग्​्हण के िाथ सबहार के ित्​्ा का िाक्​्ी बना. इि िमारोह मे् कई सदग्गज नेता मौजूद थे. नीतीश की इि जीत का श्​्ेय प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी के सवकाि भटकाऊ बयानो् को जाता है. सजि​िे जनता ने नीतीश-िािू के गठजोड् पर मुहर िगायी. पर नीतीश कुमार जैिे अनुभव िंपन्न राजनेता को सबहार को सवकाि के राह पर िे जाना अब एक बड्ी चुनौती है, सजिके सिए जनता ने उन्हे्चुना है. सबहार की चुनावी जीत सकतनी गहरी है या सकतनी उथिी है. वक्त ने इिकी पड्ताि शुर् 12 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

कर दी है. कोई भी िरकार उतनी ही अच्छी या उतनी ही बुरी होती है, सजतना अच्छा या बुरा उिका मुसखया होता है. पर यह भी िच है सक इिमे्उिके िहयोगी भी िहभागी होते है्. के्द् की नरे्द् मोदी िरकार भी इिी त्​्ािदी की सशकार हुई है्. पटना मे् नीतीश कुमार ने भी अपनी यह पांचवी्पारी बड्ी ही कमजोर टीम के िाथ, बड्ी ही कसठन सपच पर शुर्की है. यह कप्तान की भी और टीम की भी परीक्​्ा का काि है. सबहार ही नही्, िारा देश यह देख रहा है सक नीतीश यहां िे आगे कैिे चिते है्. गांधी मैदान के मंच पर वह िभी िोग मौजूद थे, जो भारतीय राजनीसत के आिमान पर छा जाना चाहते है्. इनमे्वामपंथ िे दस्​्कणपंथ तक, बार-बार दि बदिने वािो् िे िेकर राजनीसत का ककहरा िीखने वािो् तक का िमावेश था. वहां यसद कोई नही् था तो सबहार नही्था. िंपण ू स्क्​्ासं त नही्थी, इिी मैदान िे देश की सकस्मत बदिने की आवाज उठाने वािे जयप्​्काश नारायण का कोई तत्व नही् था. न

ही उन िोगो् का कोई प्​्सतसनसध था सजनकी ताकत िे जयप्​्काश नारायण ने पसरवत्सन की वह हवा उठायी थी. यह बात नीतीश कुमार के ध्यान मे्क्यो्नही्आयी ? उन्हे्इिका अहिाि क्यो् नही् हुआ सक उनके शपथ ग्​्हण िमारोह मे् देश की बौस्​्दक सबरादरी का एक भी आदमी शासमि नही्सकया जा रहा है? देश की बौस्द ् किांस्कृसतक-वैज्ासनक सबरादरी के बारे मे् जैिी सहकारत का भाव मोदी िरकार ने सपछिे सदनो् मे् प्​्कट सकया, उि​िे अिग यहां क्या था? िोच और िमि की यह दसरद्​्ता इि िरकार को भारी न पड्े, यह िावधानी आने वािे सदनो् मे्रखने की जर्रत है. क्यो्सक सबहार मे्नीतीश कुमार ने सजि हवा को पिटा है, उिने राष्​्ीय राजनीसत मे् बहुत िारी नयी िंभावनाओ् को हवा दे दी है. इि जीत के िाथ राष्​्ीय राजनीसत मे् सवपक्​् की वापिी हुई है. सबहार मे् िरकार के मंच पर जो िाथ आये है्. उनमे्नीतीश-िािूराहुि यसद िंिद के मंच पर अिग-अिग रहे


तो ये िभी अपना अिर खो दे्गे. अरसवंद केजरीवाि ने अपनी िारी राजनीसत सदल्िी की गसियो्मे्सजि कदर बंद कर िी है, नीतीश के मंच पर आने िे उन्हे् भी राष्​्ीय राजनीसत मे् नयी भूसमका िे उतरना होगा. फैि​िा मुिायम सिंह और असखिेश यादव को भी करना होगा सक इि मंच पर न आकर क्या उन्हो्ने देश को अंसतम र्प िे यह बता सदया है सक उत्​्रप्​्देश की चुनावी जंग मे् वे सकिी दूिरे मंच के िाथ रहे्गे? सफर उन्हे्यह िोचना ही होगा सक अगर ऐिा कुछ हुआ तो क्या उनके सिए कोई मंच बचेगा भी? सबहार ने देश मे् दो ही मंच की िंभावना करीब-करीब िाकार कर दी है. नीतीश कुमार भारतीय राजनीसत की वह धुरी बन गये है्, सजनिे दूर सछटक कर अभी कोई िाथ्सक भूसमका नही्सनभायी जा िकती है. यह भी देखना होगा सक नीतीश-िािू-राहुि की सतकड्ी इि धुरी को मजबूत और व्यापक करने मे्सकतनी कामयाब होती है. यह सतकड्ी ही इि धुरी को सबखेर भी दे िकती है, यह हमे्भूिना नही्चासहए. िोकिभा मे् सवपक्​् नही् के बराबर है. राज्यिभा मे् वह मजबूत ब्सथसत मे् है्. िेसकन हमारी िंिदीय रणनीसत मे्राज्यिभा अब तक कभी सकिी सनण्ासयक भूसमका मे्रही नही्है. पर िोकिभा मे् अपनी कमजोर ब्सथसत और राज्यिभा मे्अपनी मजबूत उपब्सथसत का जैिा प्​्भावी इस्​्ेमाि सवपक्​् ने मोदी िरकार बनने के िाथ ही सकया है, वह एकदम नयी बात है. कांगि ्े को और राहुि गांधी को इिका श्य्े देना

चासहए सक उन्हो्ने िंख्याबि की कमी को कमजोरी मे्बदिने नही्सदया. राहुि की ‘िूटबूट की िरकार’ वािी तल्ख सटप्पणी इि िरकार िे कुछ वैिे ही सचपक गई जैिे मोदी की ‘मां-बेटे की िरकार’ सचपकी थी. िेसकन अब बात इि​िे आगे जानी चासहए. देश सवकल्प खोज रहा है. मोदी भी हमे्ऐिी ही खोज मे्समिे थे िेसकन त्​्ािदी यह होती जा

नीतीश ने जिस हवा को पलटा है, उसने राष्​्ीय रािनीजत मे् नयी संभावनाओ् को हवा दे दी है. इसके साथ राष्​्ीय रािनीजत मे् जवपक्​् की भी वापसी हुई है. रही है सक समिने के बाद िे ही वे खो गये. अब वे हमे्हमारे िाथ नही्, हमेशा सवदेशो्मे्दूिरो् के िाथ समिते है्. इिसिए िवाि यह है सक क्या गांधी मैदान सवकल्प का मैदान बन िकता है? क्या गांधी मैदान के जयप्क ् ाश की कोई गूज ं भारतीय िंिद और भारतीय िमाज मे्उठाई जा िकती है? भारतीय राजनीसतक सवमश्स सगरतेसगरते ऐिी जगह पहुंच गया है जहां जयप्​्काशजवाहरिाि का अंतर समट गया है. इिसिए िोसनया-राहुि अपने जवाहरिाि की बात करे,् नीतीश-िािू जयप्​्काश की बात करे् तो भी कि्​्ो्िे सनकाि-सनकाि कर, धो्-पो्छ कर जो नये राष्​्ीय प्​्ेरणापुर्ष खड्ेसकये जा रहे है्, वे िब धराशाई हो जाये्गे. अपनी मुट्ी मे् आज

सजतने जवाहरिाि-जयप्​्काश िमाते है्, बि उतने की ही बात करे्तो भी बहुत होगा. इि सवमश्स मे् वामपंथी, दसितपंथी और पंथसवहीन िभी िमा जाये्गे क्यो्सक आज तो िबके घोसषत देवता अपनी-अपनी जगहो् िे कूच कर गये है्. िभी आभाहीन हो चिे है्. यह दौर ही राजनीसत की राख मे्गुम हो जाने का या सवकल्प की खोज की तरफ िौटने का दौर है. यह दौर है जो िारे रामसविाि पािवानो्, मांसियो्और कुशवाहाओ्को िावधान कर रहा है. यह दौर नागपुर को भी िावधान कर रहा है और मायावसतयो् को भी. भारतीय राजनीसत अपनी नयी जमीन खोज रही है. हो िकता है, उिे अभी ये जमीन न समिे िेसकन सबहार की जीत और सबहार मे् बनी यह िरकार अपनी िंभावनाओ् को छू भर िकेगी तो भी राष्​्ीय राजनीसत की सदशा, दशा और गसत बदि जायेगी. इसतहाि ऐिे कारनामे करता ही रहता है. उिने 1977 मे् उन कंधो् पर िोकतंत् की वापिी का भार डाि सदया था, सजनकी िोकतंत् की िमि बहुत उथिी थी. उिने पसरवारवादी राजनीसत का खात्मा करने का बोि िंघ पसरवार पर डाि सदया. आज उिने ही नीतीश-िािूराहुि को िाथ िा खड्ा सकया है. सवकल्प की सदशा तिाशो या गुमनामी के अंधेरे मे् खो जाओ. यह बात नीतीश-िािू-राहुि को हमेशा याद रखनी चासहए सक आप इसतहाि के िाथ चि कर, उिे मोड् और बदि िकते है्. िेसकन उि​िे िड् कर आज तक न कोई जीता है, न ही जीतेगा. n

शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 13


देशकाल

रािनीदत और पत्​्कादरता के मौिूिा माहौल मे् प्​्भार िोशी की पत्​्कािरता सहि ही याि आती है, दिसमे् साहस, िोदखम और सदहष्रुता के तत्व रचे-बसे थे. उनके द्​्ारा स्थादपत िैदनक िनसत्​्ा के बत्​्ीस साल पूरे होने पर दवशेर सामग्​्ी. अरूण कुमार वू​ूिपाठी

ज जब देश मे् िसहष्णुता बनाम अिसहष्णुता और उदारता बनाम कट्​्रता की बहि सछड्ी हो तो प्​्भाष जोशी की पत्​्कासरता बहुत याद आती है. कहने की जर्रत नही् सक आज अगर वे होते तो सकि तरफ खड्ेहोते. वे स्वभाव िे व्यवस्था सवरोधी और जनिमथ्सक थे इिसिए उनका िुकाव सनस्​्ित तौर पर उन िेखको्, कसवयो् और सफल्मकारो् की तरफ होता जो आज के अिसहष्णु माहौि मे् अपना पुरस्कार िौटा रहे है्, क्यो्सक शायद वे मानने िगे है् सक अब िेखन का वैिा अिर नही्पड्गे ा. िेसकन प्भ् ाष जोशी यही्पर उनिे अिग सदखते और अपनी िेखनी िे सदखा देते सक भाजपा और िंघ पसरवार की आत्मा को सकि तरह शल्दो् िे िकिोरा जा िकता है. वे उन्हे्ऐिा जख्म देते जो तमाम वामपंथी िेखक, कसव और आिोचक शायद नही्दे पा रहे है्. वे तानाशाहो् िे सभड्ते और उन्हे्ध्वस्​्भी करते थे. इिसिए आज अगर वे होते तो िंभव है सक वे तमाम पत्क ् ार और िेखक बेनकाब हो जाते जो उनकी सवराित ढोते हुए मोदी का गुणगान कर रहे है् और सजन्हो्ने िमाज, िंसवधान और इि देश को देखने के सिए िंघ का चश्मा पहन सिया है. प्​्भाष जी की पत्​्कासरता की तीन प्​्मुख बाते् थी्. एक, देशज और अनौपचासरक भाषा और उिमे्नवीन प्​्योग, दो, सवषय और सवचार की सवसवधता, तीन, शब्कतशािी िे शब्कतशािी व्यब्कत के सवरोध का िाहि और सकिी भी दबाव को िेिने की िामथ्य्स. हािांसक यह जो तीिरा तत्व है उिके सिए रामनाथ गोयनका जैिे मासिक का होना भी जर्री है. प्भ् ाष जोशी अंग्ेजी िे आये थे इिसिए उन्हे् मािूम था सक अंगज ्े ी पत्क ् ासरता की राह क्या है, िेसकन उि​िे पहिे वे नयी दुसनया जैिे सहंदी अखबार मे्काम कर चुके थे इिसिए उन्हे् मािूम था सक सहंदी की मौसिकता क्या है. इिसिए उन्हो्ने 17 नवंबर 1983 को शुर्हुए अखबार –जनित्​्ाके सिए जहां खबरो्के स्​्र पर अंग्ेजी िे िरि 14 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

प्​्भाष िोशी: एक प्​्योग एक परंपरा और रचनात्मक अनुवाद की परंपरा शुर् की, वही् िंपादकीय, फीचर और िेखो् के सिए एकदम देशी िेखन को अपनाया. जनित्​्ा मे् अंगज ्े ी िे अनूसदत िेख बहुत कम छपते थे और अगर छपते भी थे तो उनका अनुवाद ऐिा होता था जैिे वे मूितः सहंदी मे् ही सिखे गये हो्. हािांसक यह भाषा वे इंदौर के नयी दुसनया घराने िे िेकर आये थे िेसकन उिमे्मािवी के शल्दो् के िाथ पंजाबी और उद्सू के शल्दो् की धड्ल्िे िे इंट्ी थी. इंट्ी जैिे अंग्ेजी के शल्दो्की इंट्ी भी उनके यहां प्​्सतबंसधत नही् थी और यही वजह थी उनकी पत्​्कासरता अपने िमय के तमाम सहंदी अखबारो् की औपचासरक और सवज्​्ब्पतयो् की भाषा को एक िटके मे्उतार कर शुद्देशी ठाट के िाथ ऐिी खड्ी हुई जैिे रोज िुबह भारत के सकिी िुिंसक ् ृत कस्बेिे उठती है और शाम तक अपना काम करके िौट जाती है.

उनकी पत्​्कासरता को देखकर नही् िगता सक वह सदल्िी मे् सवश्​्ाम करती है, बब्लक िगता था सक वह सक िूबा, िूबा, कस्बा, कस्बा और गांव गांव घूमती रहती है. सजच दो फाड्, िूपड्ा िाफ, िबब, अपन, तुपन जैिे तमाम शल्द खड्ी बोिी को समिे और उन्हो्ने बता सदया सक सहंदी की बोसियो् का क्या जादू है, सजिका इस्​्ेमाि करने िे खड्ी बोिी के तमाम िेखक पत्​्कार सि​िकते रहे है्. वे राजनीसतक तौर पर िोसहयावादी नही्िव्​्ोदयी थे. हो िकता है भाषा के कुछ िंस्कार उन्हो्ने सवनोबा और दादा धम्ाससधकारी िे िीखे हो्, िेसकन पंजाब के आतंकवाद िे िेकर कांग्ेि के भ्​्ष्ाचार और बाद मे् बाबरी मब्सजद सवध्वंि और भूमंडिीकरण के सवरोध तक प्​्भाष जोशी की भाषा का जो तेवर सदखा उिमे् िोसहया की राजनीसतक सहंदी का स्पष्​्अिर सदखा. शायद


प्​्भाष पत्​्कारिता

साहस का रिल्प

यह सदनमान का भी अिर था. उनकी कल्पना मे्नयी दुसनया और सदनमान को समिाकर एक अखबार सनकािना था और उन्हो्ने इन दोनो्के िमन्वय िे ऐिा अखबार सनकािा जो उनके िमय िे आगे और बाकी दो प्​्काशनो्िे ज्यादा चस्चसत सनकिा. सदिीप सचंचािकर द्​्ारा तैयार सकये गये मास्टहेड पर छह कािम और अक्​्रो् को थोड्ा सपचकाते हुए ठुड्ा बनाकर उन्हो्ने जो अखबार सनकािा उिने सहंदी जगत को चौ्का कर रख सदया और उिने उिे हाथो्-हाथ सिया. छोटे, िीधे, िरि वाक्य, द्​्ारा, तथा, यद्​्सप, सकंतु, परंतु जैिे शल्दो्के प्​्योग िे परहेज करते हुए और बहुत अिरदार ढंग िे बात कही जा िकती है यह िाहि सहंदी के तमाम पत्​्कारो्मे् उन्हो्ने भर सदया. बोि चाि की भाषा मे्तो जैिे शल्दो् िे शुर् होकर िगने वािे शीष्सको् ने तो तमाम अखबारो् को अपनी भाषा शैिी को

बदिने को मजबूर कर सदया. सवषयो् की सवसवधता और उनकी भावी प्​्ािंसगकता िदैव उनके िोच मे्रहती थी. यही वजह थी सक उन्हो्ने खोज खबर, खाि खबर, किा-िंस्कृसत, सफल्म, धम्स जैिे सवषयो् को हफ्ते मे्पूरा एक पृष्सदया और फीचर के चार पृष्ो्के िाथ पुस्क िमीिा को भी एक भरपूर पेज सदया. िेसकन खेि और सवशेषकर स्​्ककेट प्​्ेमी होने के नाते उन्हो्ने सकके्ट को जो महत्​्व अस्िी के दशक मे् मुखपृष्ो् पर देना शुर् सकया उिे उनके कई मुख्य उपिंपादक पचा नही् पाते थे. िेसकन बाद मे् यह उनकी ऐिी दूरदृस्ष िासबत हुई सक िारे अखबारो् और चैनिो्मे्स्​्ककेट सबक्​्ी और टीआरपी बढ्ाने का िव्ाससधक िहज सवषय बन गया. स्​्ककेट पर प्​्भाष जोशी का िेखन राष्​्वादी था और उि दौर मे् राष्​्वादी सवमश्स मे् स्​्ककेट का खूब इस्​्ेमाि सकया जाता था. यह भी एक वजह थी उनके िेखन के िोकस्​्पय होने की. बहुत िोग जो उनके राजनीसतक िेखन को कम पिंद करते थे वे उनके स्​्ककेट िेखन के िपेटे मे्आ ही जाते थे. िेसकन यह सवसवधता कायम न रह पाती अगर प्​्भाष जोशी अपने िासथयो् को सवभागीय स्वायत्​्ता न देते. चाहे सरपोस्टि्ग हो, डेस्क हो या फीचर िब अपने- अपने काम मे् स्वतंत्और उिके सिए जवाबदेह थे. प्​्भाष जी की पत्​्कासरता की अि​िी धार तो उनके राजनीसतक िेखन मे् थी. हािांसक इंदौर के तमाम पत्​्कार उनके भावुक और कभी जय-जयकार तो कभी हाहाकार करने वािे िेखन को राजे्द् माथुर के िेखन के िामने बहुत कमजोर मानते है् और प्​्भाष जोशी की तारीफ करते ही माथुर िाहब को िामने खड्ा कर िगड्ा करने िगते है्. इिके बावजूद सहंदी जगत मे् पंजाब के आतंकवाद, मंडि, मंसदर और वैश्ीकरण के आंदोिन के दौरान अगर सकिी अखबार ने िबिे ज्यादा पठनीय और सवमश्क स ारी िामग्​्ी पेश की तो वह जनित्​्ा ही था. जनित्​्ा ने अगर पंजाब मे् आपरेशन ल्िू स्टार का िमथ्सन करके सिखो् के सदि मे् थोड्ी अिहज छसव बनायी थी तो 1984 के दंगो् की िाहसिक सरपोस्टि्ग करके सिख िमुदाय का सदि जीत सिया. सिख िोग जनित्​्ा को अपना अखबार और जनित्​्ा के िोगो् को अपने घर का िदस्य मानने िगे थे. यह जनित्​्ा की पत्​्कासरता का अिर था सक कई सिख आटोवािे जनित्​्ा के पत्​्कारो् िे सकराया नही् िेते थे और कुछ मेकेसनक जनित्​्ाइयो्की गास्डयां मुफत् मे्ठीक करते थे. पंजाब के सहंिक दौर के असतराष्​्वादी और कभी िती प्​्था के िमथ्सन मे् सिखे गये िंपादकीय के सिए खड्े होने वािे प्​्भाष जोशी ने उि िमय उदार और िोकतांस्तक

मूल्यो् के एक रक्​्क की भूसमका सनभाई जब मंसदर आंदोिन बाबरी मब्सजद तोड्ने तक पहुंच गया. उन्हो्ने सहंदू धम्सके उदार मूल्यो्के हवािे िे भाजपा और िंघ पसरवार के नेताओ् को वह िब कुछ कह सदया सजि​िे वे धम्सभ्ष् होते हुए िगने िगे. उन्हो्ने िांपद् ासयक होते सहंदू िमाज िे सवद्​्ोह सकया और उिे उिकी उदार परंपराओ्की याद सदिाई. अगर ऐिा न होता तो बाबरी मब्सजद सगरने के बाद- राम की अब्गनपरीक्​्ा- जैिा िेख न सिखते. वे िगातार िंघ पसरवार को चुनौती दे रहे थे सक आप वामपंसथयो को तो नास्​्सक कह कर खासरज कर िकते हो, िेसकन मेरे जैिे एक आस्थावान सहंदू को कैिे खासरज करोगे जो तुमिे ज्यादा पूजा पाठ करता है, सहंदू देवी देवताओ्को जानता है और यह भी जानता है सक सहंदू धम्स का मूि िंदेश िसहष्णुता है. हािांसक वे िंघ को दूिरे िेखको्और पत्​्कारो्की तरह फािीवादी नही् कहते थे, क्यो्सक उनका मानना था सक हमारे सहंदी के मानि मे्यह शल्द िहज र्प िे ग्​्ाह्​् नही् होता. िाथ ही वे यह भी मानते थे सक मुि​िमानो् के प्​्सत सहंदुओ् के मन मे् जो आक्​्ामकता है उिके पीछे कई अत्याचारी शािको् का भी योगदान है, िेसकन वे अपने िेखन मे्िंघ को अखाड्ा परंपरा और इटिी के िंगठनो् िे िीख िेने की बात कहने िे नही् सि​िकते थे. यहां उनका िेखन उिी प्​्कार का था जैिे सक कैफी आजमी ने अयोध्या मे्बाबरी मब्सजद सगरने के बाद राम का दूिरा वनवाि जैिी नज्म सिखी थी. िेसकन प्​्भाष जोशी सिफ्फिंघ पसरवार की आिोचना मे् ही नही् उि​िे रहते थे, बब्लक उनका िक्​्य उि िािी सवराित और शहादत के ित्व को पकड्ना था जो 1857 के स्वतंत्ता िंग्ाम मे् िबिे प्​्चंड र्प िे प्​्कट हुई थी. उन्हो्ने 1857 के िमारोह को िांप्दासयकता और उदारीकरण के िाम्​्ाज्यवादी सवरोध िे जोड् सदया था. उनकी पत्​्कासरता स्वाधीनता िंग्ाम के मूल्यो् की पत्​्कासरता थी, सजिमे् स्वतंत्ता, िमता और भाईचारे का मूल्य तो था ही राष्​्सनम्ासण के प्​्तीक पुर्षो् के प्​्सत स्​्ुत्य भाव भी था. वे अपने पुरखो् का सनरादर नही् करते थे और न ही दो पुरखो् को एक दूिरे िे कुशत् ी िड्ाते थे. इिी भाव िे वे आज के नेताओ् को फटकारते और उनकी देश बेचने और उिे सवखंसडत करने की नीसत की आिोचना करते. िेसकन प्​्भाष जोशी जैिे िुसवज्​् और िुिंस्कृत पत्​्कार सजतना अच्छा सिखते थे उतना ही अच्छा बोिते थे. वे मूितः एक कम्युसनकेटर थे. इिसिए यह तय करना कसठन है सक वे अगर आज होते तो िारा सदन बोिते हुए चैनि चिाते या खूब िमाचार और सवचार n सिखकर अखबार सनकािते. शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 15


देशकाल

एक्सप्​्ेस पबरवार से उिका िाता अंबरीश कुमार

िे िंयोग ही कहे्गे सक चार नवंबर 2009 यानी सनधन िे ठीक एक सदन पहिे प्​्भाष जी ने िखनऊ मे्एक्िप्​्ेि की िहयोगी मौिश्​्ी की तरफ घूमकर हाथ आिमान की तरफ उठाते हुए कहा- मेरा तो ऊपर भी इंसडयन एक्िप्​्ेि पसरवार ही घर बनेगा. इंसडयन एक्िप्​्ेि िे उनका िंबंध कैिा था इिी िे पता चि जाता है. प्​्भाष जोशी करीब 30 घंटे पहिे चार नवंबर की शाम िखनऊ मे् इंसडयन एक्िप्​्ेि के दफ्तर मे् जनित्​्ा और इंसडयन एक्िप्​्ेि के पत्​्कारो् के बीच थे. करीब ढाई घंटे िाथ रहे. एक्िप्​्ेि िमूह िे जुड्ी कई महत्​्वपूण्स घटनाओ् के बारे मे् बताया. रामनाथ गोयनका और अपने िंबंधो् 16 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

िनसत्​्ा काय्ा​ालय मे् प्​्भाष िोशी: साहस की पत्​्काजरता

के बारे मे्बताया. यह भी बताया सक िंपादकीय मामिे मे् दखि देने पर सकि तरह उन्हो्ने हसरयाणा के मुख्यमंत्ी देवीिाि िे सकनारा कर सिया था. देवीिाि सजनिे वे हर दो चार सदन बाद समिते थे, उन्हे् पोस्टकाड्स सिख कर कहा था -देवीिाि जी हसरयाणा की िरकार आप चिाये् जनित्​्ा हमे् चिाने दे्. ऐिे कई सकस्िे उन्हो्ने एक्िप्​्ेि के पत्​्कारो् के िाथ िािा सकये. यह उनकी अंसतम बैठक िासबत हुई सजिमे् एक्िप्​्ेि,फाइने्सशयि और जनित्​्ा के पत्​्कार शासमि थे. सपछिे सदनो् एक पुस्क के सि​िसि​िे मे् िारा सदन एक्िप्​्ेि की िाइि्​्ेरी मे् गुजरा अस्िी के दशक मे् जो सिखा उिमे् बहुत कुछ समिा तो काफी कुछ छूट भी गया. पर अस्िी के अंसतम दौर और नल्बे की शुर्आत मे् जनित्​्ा मे् जो

दनधन से एक दिन पहले प्​्भार िी ने एक्सप्​्ेस की सहयोगी मौलश्​्ी की तरर घूमकर हाथ आसमान की तरर उठाते हुए कहा -मेरा तो ऊपर भी इंदियन एक्सप्​्ेस पदरवार ही घर बनेगा. सिखा गया सफर देख कर इसतहाि मे् िौटा. राजे्द् माथुर, रघुवीर िहाय, शरद जोशी िे िेकर नूतन का जाना और राजनैसतक घटनाक्म् पर प्​्भाष जोशी का सिखा सफर पढा. कुछ हैसडंग देखे. प्​्भाष जोशी ने दिबदि पर सिखा 'चूहे के हाथ सचंदी है' सफर एक हैसडंगचौबीि कहारो् की पािकी, जय कंहैया िाि की' और एक की हेसडंग थी- नंगे खडे बाजार मे्. यह भाषा, यह शैिी प्​्भाष जोशी को अमर कर गयी. एक ही सदन बाद पांच नवंबर की देर रात सदल्िी िे अर्ण स्​्तपाठी का फोन आयाप्​्भाष जी नही् रहे. मुिे िगा चि्​्र आ जायेगा और सगर पडूंगा. चार नवंबर को वे िखनऊ मे् एक काय्सक्म मे् सहस्िा िेने आये थे. मुिे काय्सक्म मे्न देख उन्हो्ने मेरे िहयोगी


तारा पाटकर िे कहा- अंबरीश कुमार कहां है्. यह पता चिने पर की तसबयत ठीक नही् है उन्हो्ने पाटकर िे कहा दफ्तर जाकर मेरी बात कराओ. मेरे दफ्तर पहुंचने पर उनका फोन आया. प्भ् ाष जी ने पूछा- क्या बात है, मेरा जवाब था- तसबयत ठीक नही् है. एिज्​्ी की वजह िे िांि फूि रही है. प्​्भाष जी का जवाब था- पंसडत मै् खुद वहां आ रहा हूं और वही्िे एअरपोट्सचिा जाऊंगा. चार नवंबर 2009 की शाम थी. मै् िखनऊ मे् इंसडयन एक्िप्​्ेि और जनित्​्ा के दफ्तर मे् पहिी मंसजि पर सकिी खबर को भेज रहा था तभी रामसमिन ने आकर कहा, िाहब कोई प्​्भाष जोशी जी िीढ्ी चढकर ऊपर आ रहे है. मै् खडा हुआ और उि​िे कहा पहिे क्यो् नही् बताया उन्हे् ऊपर आने िे रोकना चासहए था हम िोग नीचे ही जाकर समिते. तब तक प्​्भाष जी िामने थे. रोबदार आवाज मे् बोिे, क्यो् पंसडत क्या हो गया तसबयत को. उन्हे् बैठाया और तब तक इंसडयन एक्िप्​्ेि और फाइने्सशयि एक्िप्​्ेि के ज्यादातर पत्​्कार उनके आिपाि आ चुके थे. अचानक बहुत िारी घटनाएं याद आ गयी करीब डेढ् घंटा वे िाथ रहे और रामनाथ गोयनका, आपातकाि और इंसदरा गांधी आसद के बारे मे् बात कर पुराने याद ताजा कर रहे थे. तभी इंसडयन एक्िप्​्ेि के िखनऊ िंस्करण के िंपादक वीरे्दर कुमार भी आ गये जो उनके करीब 5 िाि पराने िहयोगी रहे है. प्​्भाष जी तब चंडीगढ् मे् इंसडयन एक्िप्​्ेि के िंपादक थे. एक्िप्​्ेि के वीरे्दर नाथ भट्​्, िंजय सिंह, मौिश्​्ी िेठ, दीपा आसद भी मौजूद थी्. प्​्भाष जी िे इि अंसतम मुिाकात के िाथ यह भी याद आया सक मेरी प्​्भाष जी िे पहिी मुिाकात सकतनी कसठन रही और वह इंसडयन एक्िप्ि ्े के मासिक रामनाथ गोयनका के कहने के बावजूद नही्हो पाई थी. िाि 1987 की बात है जब इंसडयन एक्िप्​्ेि िमूह के तत्कािीन चेयरमैन रामनाथ गोयनका िे मुिाकात हुई नई सदल्िी के िुंदर नगर ब्सथत एक्िप्​्ेि के उि गेस्ट हाउि मे्जो उनका सदल्िी मे्सठकाना था. गोयनका को िोग आरएनजी कहते थे और मुिे भेजा था चेन्नई मे् जयप्क ् ाश नारायण के िहयोगी शोभाकांत दाि ने. तब बंगिूर के एक अख़बार मे् थे और आमतौर पर हर दूिरे रसववार चेनन् ई चिा जाता था शोभाकांत जी के घर. उनके पुत्प्द् ीप कुमार िे हम उम्​् होने के नाते बनती थी िाथ ही वे जेपी की बनायी छात्​् युवा िंघष्स वासहनी के तसमिनाडु के िंयोजक भी थे. सबहार िे आकर दस्​्कण के तबके मद्​्ाि मे् बिे इि पसरवार िे अपना िंबंध भी अस्िी के दशक के शुर्आती

दौर का है. छात्​्युवा िंघष्सवासहनी िे जुडा होने के नाते मद्​्ाि के गुडवान्चरी ब्सथत प्​्भावती देवी ट्​्स्ट के आश्​्म मे् वासहनी के एक सशसवर मे्बुिाया गया था. तभी िे इि पसरवार िे िंबध ं बना. मद्​्ाि िे्ट्ि के ठीक बगि मे् 59 गोसवन्दप्पा नायकन स्ट्ीट पहुंचा था और बगि मे् ठहरने का इंतजाम था. बहुत ही अिग अनुभव था. उनका जड्ी बूसटयो् का बड्ा कारोबार स्थासपत हो चुका था. शोभाकांत दाि खुद तेरह िाि की उम्​्मे् वे आजादी की िड्ाई िे जुड गये थे और जवान होते-होते आंदोिन और जेि के बहुत िे अनुभव िे गुजर चुके थे. हजारीबाग जेि मे्जेपी को क्​्ांसतकासरयो् का पत्​् पहुंचाते और उनका िंदश े बाहर िेकर आते थे. बाद मे्िरगुजा जेि मे्खुद रहना पड्ा जयप्​्काश नारायण की पत्नी प्​्भावती देवी के नाम उन्हो्ने गुडवंचारी मे् आश्​्म बनवाया सजिके ट्​्स्ट मे्तसमिनाडु के िभी महत्वपूण्सिोग शासमि थे और आिपाि के तीि गांवो्मे्इिका काम फैिा हुआ था. तब सबहार के िभी वसरष्​् नेता जो मद्​्ाि आते थे शोभाकांत जी के ही मेहमान होते थे. एम कर्णासनसध िमेत तसमिनाडु के शीष्स राजनीसतक भी उनके समत्​् ही थे. रामनाथ गोयनका का घर उनके घर के बगि मे् ही था और उनिे उनके पासरवासरक िंबंध थे. शोभाकांत जी चाहते थे सक मद्​्ाि िे सहंदी की पास्​्कक पस्​्तका शुर्करं्. पर अपना मन बना नही् .सफर उन्हो्ने कहा अगर दस्​्कण मे् काम करने की इच्छा नही् है तो रामनाथ जी के अख़बार िे जुडना चासहए जो बहुत अच्छा प्​्भाष िोशी: एक और छजव

अख़बार है. मै्ने जवाब सदया सक इतनी दूर िे सदल्िी जाऊं और वहा कोई पहचाने नही् तो सफर बैरंग िौटना पडेगा. शोभाकांत जी ने कहा सक रामनाथ गोयनका महीने कम िे कम एक हफ्ते सदल्िी रहते है. उनिे मै बात करता हूं वे जैिा बताये्गे सफर वैिा करना. खैर सदल्िी पहुंचा पर इतने बडे व्यब्कतत्व िे अकेिे समिने मे् कुछ सि​िक हुई तो पुराने िाथी आिोक जोशी जो अब िीएनबीिी आवाज के काय्सकारी िंपादक है उन्हे् िाथ िे गया. िुंदर नगर के गेस्ट हाउि मे् जब मैनेजर के जसरये िूचना सभजवाई तो खुद गोयनका बाहर सनकिे. पाि आये और गिे मे्हाथ डािकर कमरे मे्िे गये. बैठाया और बोिे, `देखो एक्िप्​्ेि मे् सकतना बेिी स्टाफ हो गया है. दो मैनज े र हो गये है. कुछ देर बात करने के बाद आरएनजी ने कहा- ऐिा करो प्​्भाष जोशी िे जाकर समि िो. जनित्​्ा मे्िभी का इम्तहान होता है, तुम्हारा भी होगा.’ दूिरे सदन बहादुर शाह जफ़र माग्स ब्सथत इंसडयन एक्िप्​्ेि सबब्लडंग मे्जनित्​्ा के दफ्तर गया. प्​्भाष जोशी के िसचव राम बाबू िे मै्ने कहा- रामनाथ गोयनका जी ने भेजा है प्भ् ाष जी िे समिना चाहता हूं. राम बाबू ने इंटरकाम पर प्​्भाष जोशी िे बात की, बताया सक रामनाथ गोयनका ने सकिी को भेजा है. सफर जवाब सदया- प्​्भाष जी के पाि तीन महीने तक समिने का कोई िमय नही् है इिके बाद िंपक्फ करे. खैर यह घटना याद आयी और यह भी सक तीन महीने बाद प्​्भाष जी का पत्​्समिा. परीक्​्ा हुई आठ घंटे की. इंटरव्यू हुआ और मै इंसडयन एक्िप्​्ेि पसरवार का सहस्िा बना. उनके िाथ तकरीबन बीि िाि का जुड्ाव रहा. उनिे बहुत कुछ िीखा. भाषा, िाहि, ईमानदारी और पत्क ् ार होने के िाथ राजनीसतक काय्क स त्ास होने का जज्बा. उन्हो्ने मेरे जैिे सकतने ही िोगो् मे् यह जज्बा पैदा सकया और सकतनो्को बड्ेकाम करने िायक बनाया. वे िब उनके ऋ णी है्. उन्हो्ने पत्​्कासरता के माध्यम िे िोकतांस्तक मूल्यो् की रक्​्ा का दासयत्व सनभाया और यही वजह है सक पत्​्कारो् को िोकतंत् का पहर्आ कहा भी जाता है. वही प्​्भाष जोशी चार नवंबर 2009 को िामने थे. हमे्िगता था अभी सफर समिेग् े और बहुत कुछ िीखेग् े और उनके नेततृ व् मे् कुछ नया िामासजक काम भी करे्गे. वे सहंद स्वराज पर असभयान भी चिा रहे थे. उि सदन वे करीब ढाई घंटे िाथ रहे और जब एअरपोट्स के सिए रवाना होने िे पहिे पैर छूने के सिए िुका तो बोिे कंधे पर हाथ रखकर बोिे, िेहत का ध्यान रखो पंसडत बहुत कुछ करना है. िेसकन सकिे पता था सक यह आसखरी मुिाकात होगी. और दूिरे ही सदन देर रात वे हम िबको छोड चि सदये. शायद ऊपर इंसडयन एक्िप्​्ेि n पसरवार का अपना घर बनाने. शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 17


देशकाल

बड्े दबाव झेलने का दम

अगर सबूत पुख्ता है् और संवाि​िाता का आशय ईमानिार है तो प्​्भार िी कभी भी खबर नही् रोकते थे. शंभूनाथ शुकूल

िा

ि 1994 के गहमा-गहमी वािे सदन थे. यूपी मे्तब िपा-बिपा की िरकार थी. उि िमय वहां पर एक गैरआईएएि नौकरशाह शशांक शेखर सिंह की तूती बोिती थी. िुना जाता था सक वे अखबारो् को सनद्​्ेश देते सक अमुक खबर नही् जायेगी तो िपा-बिपा िरकार िे डरे-िहमे अखबार वािे मशीन पर चि रहा अखबार र्कवाते और खबर रोक िी जाती. ऐिे ही सदनो् मे् एक रात कोई दि बजे मुिे फोन आया. पीबीएक्ि िे बताया गया सक िखनऊ िे कोई शशांक शेखर बोि रहे है्. उन्हो्ने कहा है सक शंभूनाथ शुक्िा को फोन दो. मेरे फोन उठाते ही उधर िे आवाज आयी देसखए आपके यहां िखनऊ िे अमुक खबर आयी है. इिे जाना नही् है. मै्ने कहा सक पहिी बात तो मै् आपको जानता नही् दूिरे खबर रोकने का असधकार आपको नही् सिफ्फ हमारे िंपादक प्​्भाष जोशी को है. तब उन्हो्ने अपना नाम बताया और कहा सक अगर खबर आप नही् रोके्गे तो आपके पाि अभी नुस्िी वासडया का फोन आयेगा. आपको पता ही होगा सक वे आपके अखबार के बोड्सऑफ डायरेक्टि्समे्है्. मै्ने सवनम्​्तापूव्सक कहा सक आप खबर र्कवाने के सिए मुिे क्यो् धमका रहे है्. आप स्वयं क्यो् नही् प्​्भाष जी िे बात करते? और श्​्ीमान जी मै्अखबार के सकिी डायरेक्टर को नही् जानता बि िंपादक को जानता हूं या मैनेसजंग डायरेक्टर सववेक गोयनका को. खबर रोकने का आदेश ये दोनो् िज्​्न दे िकते है्. प्​्भाष जी को फोन कर यह बात बता दी. प्​्भाष जी ने बि हां-हूं कहा. यह भी नही् बताया सक अगर नुस्िी वासडया का फोन आये तो मुिे क्या जवाब देना है. न उन्हो्ने बताया और न मै्ने पूछा. तीन-चार सदनो् बाद प्​्भाष जी िॉबी मे् सदखे तो दूर िे ही आवाज दी- र्कना पंसडत. वे मेरे करीब आये और बोिे सक नुस्िी का फोन आया था. अपन ने कह सदया सक हमारे यहां खबर रोकने का असधकार डेस्क प्​्भारी को है. अगर वह िंतुष् है तो खबर नही् रोकी जा िकती. प्भ् ाष जी की यह बात िुनकर मै्भावुक हो गया. तब मै्एक िामान्य सडप्टी न्यज ू एसडटर था. जनित्​्ा के प्ध ् ान िंपादक प्भ् ाष जोशी का मेरे ऊपर ऐिा भरोिा रहा. 18 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

प्​्भाष िोशी: दमखम का व्यक्ततत्व अगिी घटना इिके तीन या चार िाि बाद की है. बरेिी के मंडिायुक्त की पत्नी ने एक एनजीओ बनाकर सवकिांग कल्याण के नाम पर कई िाख के अनुदान सिये थे. काम थोड्ा भी नही्सकया. वे एक और अनुदान िेने के चि्​्र मे्थी्. तब उत्​्र प्​्देश िरकार के प्​्मुख िसचव सवकिांग कल्याण मेरे समत्​् थे. उन्हो्ने मंडिायुक्त की पत्नी का िारा सचट्​्ा मेरे पाि भेज सदया इि अनुरोध के िाथ सक बॉि मेरा नाम नही्आना चासहए. यह स्टोरी पुख्ता िबूतो् के िाथ बड्ेजगह मे्छपी. नतीजतन तत्कािीन के्द्ीय िामासजक न्याय मंत्ी मेनका गांधी ने मंडिायुक्त की पत्नी के एनजीओ की ग्​्ांट रोक दी. तब जनित्​्ा मे् िंपादक प्​्भाष जोशी नही् थे. जो थे वे ऊपर िे तो प्​्भाष जोशी िे प्​्गाढ्ता सदखाया करते थे िेसकन अंदर िे उतना ही मनमुटाव रखते. वे प्​्भाष जी के करीबी िोगो् िे भी खार खाते. मंडिायुक्त महोदय यूपी के ताकतवर नौकरशाह थे. उन्हो्ने उन िंपादक महोदय को फोन कर कहा सक शंभूनाथ शुक्ि िे कहे् सक खबर का स्​्ोत बताये्. िंपादक महोदय ने कह सदया सक मै् शंभूनाथ शुक्ि िे यह बात नही्कह िकता आप इिके सिए प्भ् ाष जोशी िे कहे्. मंडिायुक्त प्​्भाष जी को भी अच्छी तरह िे जानते थे. इिसिए उन्हे्फोन कर सदया. पर प्​्भाष जी ने िाफ मना कर सदया और कह सदया सक यह शंभूनाथ शुक्ि का सवशेषासधकार है, आप उनिे ही बात करे्. उनका फोन मेरे पाि आया और एकदम िे रौबीिे अंदाज मे् बोिे सक मै् अमुक असधकारी बोि रहा हू,ं आपको स्टोरी सिखने के पूवस्मुि​िे

पूछना था. मै्ने कहा क्यो्आप मेरे िंपादक तो है् नही्. मेरे इि र्खे व्यवहार िे वे नरम पड्े और बोिे शुक्िा जी आप तो बड्े िीसनयर पत्​्कार है्, आप एक बार मुि​िे पूछ तो िेते. मैन् े कहा सक मेरे पाि िारे िबूत सरटेन मे्मौजूद थे और पुख्ता भी. सफर आप असधकारी तो है् और यह भी िही है सक सजि एनजीओ की ग्​्ांट र्की वह आपकी पत्नी का था. पर इिमे् आपकी िफाई सकि असधकार िे छापी जाती. प्​्भाष जी का अपने िासथयो् और अपने अधीन काम करने वािो्पर पूरा भरोिा था. हर सकिी के सवर्द्खबर छापने का उनका हक भी. अगर िबूत पुखत् ा है्और िंवाददाता का आशय ईमानदारी का है तो प्​्भाष जी कभी भी खबर नही्रोकते थे. कोई भी दबाव उन पर काम नही् करता था. जनित्​्ा का िूत् वाक्य, ‘िबकी खबर, िबको खबर’ उि पर जनित्​्ा और इिके िंपादक प्​्भाष जोशी िदैव खरे उतरे. प्भ् ाष जी अपने अधीनस्थो्के िम्मान और सहतो् की रक्​्ा के सिए प्​्बंधन िे भी िड् िेते थे. अक्िर अपनी जेब िे धन देकर उनकी आस्थसक मदद भी करते. िाि 1986 मे्मेरी छोटी बहन की शादी थी. मुिे तब इंसडयन एक्िप्​्ेि िमूह मे्आये महज तीन िाि ही हुए थे. तब वेतन था मात्​्दो हजार. टीएंडिी वगैरह िे भी कज्सिेने के बाद दो हजार र्पये कम पड्रहे थे. प्​्बंधन ने कज्स देने िे हाथ खड्े कर सदये क्यो्सक सनयमत: ऐिा हो नही्िकता था. सजि सदन मुिे कानपुर जाना था उि सदन दोपहर को मुिे प्​्भाष जी ने बुिाया और पूछा सक कंपनी िे िोन समि गया? मै्ने कहानही् मुिे िोन समि नही् िकता. पूछा सकतने र्पये कम पड्रहे है्? मै्ने कहा सक दो हजार. उन्हो्ने तत्काि अपने पीए राम बाबू को बुिाया और कहा सक जरा मेरा एकाउंट देखकर बताओ सक उिमे् सकतने र्पये है्? रामबाबू ने बताया सक कुि पांच िौ. प्​्भाष जी ने उन्हे् कहा सक मेरे सिए एकाउंट को कहो जाकर सक प्​्भाष जोशी को अपने वेतन का एडवांि चासहए दो हजार. रामबाबू के जाने के कुछ ही क्​्ण बाद इंसडयन एक्िप्​्ेि के सवशेष काय्ाससधकारी पीिी जैन प्​्भाष जोशी के पाि आये और बोिे- िो जी तुम्हारे बंदे को मै्ने अपनी सरस्क पर िोन सदिवा सदया. मुिे तत्क्ण दो हजार र्पये n समि गये.


संस्कृबत का कैिवस

प्​्भार िोशी गहरी लोक-संपृल्कत और सांस्कृदतक समझ के व्यल्कत थे इसदलए भी सादहत्य और संस्कृदत को ‘िनसत्​्ा’ मे् एक बडा कैनवस दमल पाया. मंगलेश डबराल

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न 1983 मे् जब ‘जनित्​्ा’ की पसरकल्पना की गयी तो यह तय सकया गया सक हम जीवन के िभी पक्​्ो् के बारे मे् भरपूर िामग्​्ी दे्गे. ‘जनित्​्ा’ मे् रसववारी पसरसशष्​् तो था ही, एक पृष् पुस्क िमीक्​्ा, एक पृष् रंगमच, किा, िंगीत-नृत्य पर था, और एक पृष् सिनेमा पर भी. यह उि िमय एक िाहि का काम था क्यो्सक सहंदी अखबारो् मे्तब िासहत्य-िंस्कृसत को इतनी जगह देने का चिन नही् था, बब्लक िासहत्य िे एक दूरी ही बरती जाती थी. उिके िंस्थापक-िंपादक प्​्भाष जोशी गहरी िोक-िंपृब्कत और िांस्कृसतक िमि के व्यब्कत थे इिसिए भी िंस्कृसत को ‘जनित्​्ा’ मे् एक बडा कैनवि समि पाया. प्​्भाष-जी खुद पर व्यंग्य करते हुए कभी-कभी कहते थे: ‘आये थे हसरभजन को, ओटन िगे कपाि’. यानी मै् तो िेखक बनने चिा था, िेसकन पत्​्कार बन गया. उन्हो्ने ‘नयी दुसनया’ जैिे िंस्कृसत-िंपन्न दैसनक मे् राहुि बारपुते और राजे्द् माथुर िरीखे बडे पत्​्कारो् के िाथ काम सकया था और नयी कसवता के प्​्मुख कसव भवानी प्​्िाद समश्​्, प्​्योगधम्​्ी शाि्​्ीय गायक कुमार गंधव्स और िोकधम्​्ी सचत्​्कार सवष्णु सचंचािकर िे उनकी घसनष्​्ता थी. आज यह याद करके कुछ आि्​्य्सहोता है सक कई रचनाकारो् की ऐिी कसवताएं– कहासनयां ‘जनित्​्ा’ मे्प्क ् ासशत हुई्जो बाद मे् उनकी प्​्सतसनसध रचनाएं मानी गयी् और कई िेखक ऐिे थे सजनके िेखन की शुर्आत ही ‘जनित्​्ा’ िे हुई. अखबार के दूिरे पक्​्ो् की तरह िासहत्य मे् भी हम हमेशा सकिी नयेपन की, सकिी अवांगाद्स की खोज करते थे और कोसशश यह थी सक स्​्रीय रचनाएं ही छपे्. ‘जनिता’ मे् कई बार आधा पेज या उि​िे भी ज्यादा िंबी कसवताएं प्​्कासशत हुई्, िेसकन हमने गीतो् को कोई जगह नही् दी क्यो्सक मेरा मानना था सक सहंदी गीतो् के सिए कई दूिरी जगहे् उपिल्ध है्. इि सजद के कारण कई गीतकार ‘जनित्​्ा’ िे नाखुश रहे. ‘जनित्​्ा’ ने यह परंपरा भी शुर् की सक महत्वपूण्स िेखाको्-किाकारो्-सफल्मकारो् के

िाठ वष्सपूरे होने पर उनके बारे मे्एक पूरा पृष् सनकािा जाये. पचहत्​्र वष्स का होने पर बाबा नागाज्सुन और अज्​्ेय पर रसववारी के दो पन्ने सदये गये. नागाज्सुन-जी िे बात करने कण्ससिंह चौहान और मै्जैहरीखाि नामक पहाडी कस्बे मे् गये और उनिे िंबी बातचीत करके आये. इिी तरह अज्य्े िे िंबी बातचीत दी गयी. उनिे मुिाक़ात मे् प्​्भाष-जी भी शासमि थे. उन्हो्ने कहा था: यार, मै्भी चिना चाहता हूं. मै्अज्​्ेय जी के मौन के रहस्य को भेदना चाहता हूं. जब सवष्णु सचंचािकर 75 वष्सके हुए तो प्​्भाष-जी ने कहा: िंपादक-जी (वे मुिे िंपादक ही कहते थे) आप इंदौर चिे जाइए और सवष्णु-जी िे बात करके आइए. मै्उनिे एक िंबी बातचीत करके आया. डॉ रामसविाि शम्ास, डॉ नामवर सिंह आसद के भी िंबे इंटरव्यू इिी कडी मे् प्​्कासशत हुए. उि दौर मे् जब कंप्यूटर और इंटरनेट वगैरह नही् थे, ‘जनित्​्ा’ ने सवसभन्न क्​्ेत्ो् की बडी प्​्सतभाओ् के सनधन पर तत्काि एक पूरे पेज की िामग्​्ी का प्​्काशन भी िंभव सकया. प्​्भाष जोशी अपनी टीम के िोगो् को िगभग पूण्सस्वायत्​्ता देते थे. यह आज के दौर मे् जब िंपादक नामक िंस्था की वास्​्सवक गसरमा िे वंसचत कर सदये गये िोग अपने अखबार की हर िस्​्कयता को सनयंस्तत सकये रहते है्, ऐिी स्वाधीनता की कल्पना करना मुब्शकि है. मै्िगभग िोिह वष्​्ो्तक प्​्भाष-

जी के िंपादन मे्रसववारी और िासहत्य-िंसक ् सृ त के पृष्देखता रहा, िेसकन याद नही्आता सक उन्हो्ने कभी मुि​िे सकिी रचना को प्​्कासशत करने के सिए कहा होगा. िासहत्य पर वे कोई राय नही् देते थे और न चाहते थे सक उनिे राय िी जाये. उिकी रचनाओ् की तीखी िे तीखी आिोचना मे्भी अगर पत्​्आते तो वे उन्हे् ऊपर ‘एमडी’ सिखकर मेरे पाि भेज देते. अकिर छपने के बाद ही उन्हे् रसववारी की िामग्​्ी का पता चिता था. यह स्वायत्​्ता एक दुि्सभ बात थी. तब हम िोग यह नही् िोचते थे सक कोई महत्वपूण्स काम कर रहे है्. हमारा खयाि यह था सक यह एक अखबार की िामान्य सिम्मेदारी है और अगर अखबार यह काम नही्करेगा तो कौन करेगा. ऐिा भी नही्था सक ‘जनित्​्ा’ िे पहिे यह प्​्योग नही् हुआ. िाप्तासहक ‘सदनमान’ मे् पहिे अज्​्ेय और सफर रघुवीर िहाय पत्​्कासरता मे् िासहत्य और िसहत्य मे् पत्​्कासरता का अनूठा उपयोग कर चुके थे. ‘सदनमान’ ने हमारी पीढ्ी की िांस्कृसतक िमि और िंवेदना को सवकसित करने मे्बहुत मदद की थी और मै्यह िोचता था सक मै्उिी परपरा को सनभा रहा हूं. यह भी एक िंयोग है सक ‘सदनमान’ िे हटने के बाद रघुवीर िहाय ‘जनिता’ मे् एक िाप्तासहक स्​्ंभ ‘अथ्ासत’ सिखते थे जो उनके जीवन के अंत तक जारी रहा. ‘जनित्​्ा’ इि मानी मे् एक अनूठा प्​्योग था सक उिने सहंदी पत्​्कासरता की तत्कािीन र्सढयो्और िरहदो्को तोड्ा और एक नवाचार पैदा सकया. सवषय वस्​्ु के स्​्र पर उिने ‘इंसडयन एक्िप्​्ेि’ की दस्​्कणपंथी सरवायत मे् ही अपने पैर डािे और बहुत िोगो् की उि​िे अिहमसत रही, िेसकन उिका व्यवस्था सवरोधी तेवर इि क़दर आकष्क स था सक िोग एकबारगी उिकी राजनीसत को भुिा देते थे. िेसकन खबरो् की भाषा, उन्हे्सिखने के तरीके और सवषयो्की सवसवधता के मामिे मे् ‘जनित्​्ा’ ने एक बडी तोडफोड करते हुए नया इसतहाि सनस्मसत सकया. इि तोडफोड की शुर्आत उिमे् आठ की बजाय छह कॉिम िे-आउट और चाणक्य फांट को थोडा सठगना बनाकर इस्​्ेमाि करने िे ही n हो गयी थी. शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 19


देशकाल

सुनो सबकी कहो अपनी

दो दशक तक प्​्भाष जोशी के निजी सनिव रहे राम बाबू से उिकी कार्यशैली के बारे मे् अर्ण कुमार न्​्िपाठी की बातिीत

छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जि​ि तोड्े िाने की घटना ने प्​्भाष िोशी को बहुत दिचदित दकया था. उसके बाि एक प्​्कार से उनकी पत्​्कादरता का नया अितार हुआ. उस दिन(तब) प्​्भाष िी का मानस कैसा था. उस िक्त प्​्भाष िी कांग्ेस के संपक्क मे् थे. हािांदक िे भािपा, कांग्ेस, कम्युदनज्ट सभी पाद्टियो् के िोगो् से संपक्क रखते थे, िेदकन उस समय ज्यािा कांग्ेस की तरफ झुकाि था. िहां तक मस्जि​ि की बात है तो उनका मानना था दक झगड्ा नही् होना चादहए था. यह इदतहास है. इस पर िेखक अिग-अिग ढंग से सोच सकते है्, दिख सकते है्. रािनेता अिग तरह से प्​्दतद्​्िया िे सकते है्. िेदकन एक बात िर्र सोचनी चादहए दक अगर बाबरी मस्जि​ि दहंिू धम्म को तोड्ने के दिए बनायी गई थी तो क्या दहंिू धम्म टूट गया. इसी तरह मंदिर तोड्कर मस्जि​ि बनाने से न तो दकसी धम्म की समास्तत होगी और न ही दकसी धम्म को फायिा होगा. अपने महत्िपूर्म सहयोदगयो् को िे दकस तरह समझाते थे और उनका क्या र्ख था ? ज्टाफ मे् िो िोग महत्​्िपूर्म थे एक व्यास िी(हदरशंकर) और िूसरे बनिारी िी. बनिारी िी को िो कुछ कहा िाता था िे उसे संिेिनशीि तरीके से समझते थे और उस पर चिने की कोदशश करते थे. पर व्यास िी को यह गंिारा नही् था. उनका कहना था दक मंदिर के अंिर मस्जि​ि बनायी गई थी इसदिए इसे तोड् िेना चादहए. उस समय राम बहािुर राय भी अखबार मे् थे िेदकन िे प्​्भाष िी के उतने करीबी नही् थे. प्​्भाष िी सभी िेखको् और अपने सहयोगी पत्​्कारो् से कहते थे दक भैया यह इदतहास है दितना पिटोगे नयी चीि दनकिेगी. इसदिए उसे रहने िो. िब भी कुछ होता है तो दहंिू-मुस्जिम िंगे की बात आती है. िे ऐसा कुछ नही् चाहते थे. िे सभी से कहते थे दक हमे् अपने अखबार मे् ऐसा कुछ नही् िेना चादहए दिससे दहंिू-मुस्जिम िंगा भड्के. िे सभी की रपट िेखने की कोदशश करते थे दक दकसे दकतना करना चादहए था और दकसने दकतना दकया है. व्यास िी का बहुत सारे िोगो् से दमिना िुिना था इसदिए उनकी रपट और संपािकीय मे् अंिर की बाते् ज्यािा होती थी्. िबदक बनिारी िी ज्यािा िोगो् से नही् दमिते थे. िो उनसे दमिने आ गया उसी से चच्ाम करते रहते थे. छह दिसंबर 1992 से पहिे भी गरम माहौि बन रहा था. उसके बारे मे् प्​्भाष िी अखबार मे् कैसी दहिायते् िे रहे थे?

दबहारी िािपेयी ने िनसत्​्ा अखबार िेना बंि कर दिया. िे अपने सादथयो् से कहते थे दक पत्​्कार दकसी से भी दमिे िेदकन दिचार समाि को भड्काने िािे नही् होने चादहए. प्​्भाष िी से कौन-कौन नेता िफ्तर दमिने आते थे और िे दकस-दकस के पास िाते थे? मुिायम दसंह आते थे दमिने. कल्यार दसंह िो तीन बार दमिने आये. नि​ि दकशोर शम्ाम आये. िेिीिाि और प्म ् ोि महािन आये. पर िब भािपा से उनकी िूरी बनी तो भािपा के नेता कम हो गये. प्​्भाष िी मुरिी मनोहर िोशी से दमिने उनके घर िाते थे. सीताराम येचुरी से दमिने उनके िफ्तर िाते थे. िीपी दसंह से दमिने तो बार-बार िाते थे. एक बार चंद्शेखर िी भी आये थे. िबदक अटि दबहारी िािपेयी उनके दचत्​् दिहार िािे घर पर आये थे. िे मध्यप्​्िेश िािा दरश्ता मानते थे. इंदियन एक्सप्​्ेस के संपािक अर्र शौरी से दकस तरह दमिना-िुिना था?

िेदखए अर्र शौरी तो शुर् से भािपा समथ्क म थे. कुछ िोग तो कहते थे दक प्​्भाष िी भी भािपा बाबरी मस्जिद टूटने के बाद समथ्मक है् और कुछ कहते थे दक नही् है्. अर्र िे छह दिसंबर से पहिे ही अखबार को कसने प्​्भाष िी अजतजरक्त सज्​्िय हो शौरी प्​्भाष िी से भािपा िािी खबरो् पर चच्ाम की कोदशश कर रहे थे. उनका सादथयो् से कहना था दक आप िोग िो न्यूि िेते हो िह िैसे ही चिी गये और खूब जलखने लगे. इसके करते थे. प्​्भाष िी के पास शौरी आ िाते थे. प्​्भाष िी कम िाते थे. अर्र शौरी के अिािा इंदियन िाती है. िो न्यूि हम िे् उसकी गहराई मे् िाना बाद प्​्भाष िी से कांग्ेस के लोग एक्सप्​्ेस के िदरष्​् पत्​्कार नीरिा चौधरी, चादहए. हमे् आपस मे् बैठकर चच्ाम करनी चादहए. दहरण्यमय काि्​्ेकर, दनदखि चि्​्ित्​्ी िगैरह उस पर ध्यान िेने की िर्रत है. छह दिसंबर को ज्यादा जमलने आने लगे. उनसे अक्सर दमिने आते थे. िीिी िग्​्ीि भी आते भी उन्हो्ने दिशेष बैठक की थी. इस बैठक मे् थे िो बहुत ही सहि थे. िे हम सभी से बाते् कर िेते थे. रािे्द् माथुर भी बनिारी, व्यास िी सदहत श्​्ीशचंि दमश्​् और सत्यप्​्काश द्​्तपाठी थे. राय एक िो बार दमिने आये प्​्भाष िी से. साहब थोड्ा िेर से आये थे. उन्हो्ने कहा दक हमारे अखबार पर दकसी की उंगिी नही् उठनी चादहए. क्यो्दक एक िो खबरे् ऐसी गयी थी् दिससे क्या रामनाथ गोयनका भी दमिने आते थे? अखबार की बिनामी हुई थी. उसमे् एक खबर हेमतं शम्ाम की थी तो आिोक तोमर की भी खबरे् थी्. पर छह दिसंबर को बाबरी मस्जि​ि टूटने के बाि हां आते थे. अगर िे दिख रहे हो् तो थोड्ी िेर भीतर बैठने के बाि बाहर प्भ ् ाष िी अदतदरक्त सद्​्िय हो गये और खूब दिखने िगे. इसके बाि प्भ ् ाष आ िाते थे. िे बहुत मिादकया थे और चाहते थे दक आिमी हमेशा हंसता िी से कांग्ेस के िोग ज्यािा दमिने आने िगे और भािपा के िोग कम रहे. िब िे िाते थे तो िोशी िी उन्हे् बाहर तक छोड्ने िाते थे. प्​्भाष िी से हो गये. इस घटना के बाि प्​्भाष िोशी ने िो िेखन शुर् दकया तो अटि दमिने दि​िेक गोयनका भी आते थे और िेर तक बैठे रहते थे. n 20 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015


मीडडया वशलूपी झा

ख्बरो् के बाज्ार मंे मदहलाएं

न्यूज् चैनलो् मे् ख्बर बनने वाली ज्यािातर मदहलाएं या तो पीद्डत है् या ग्लैमरस और अगर वे ग्लैमरस और पीद्डता िोनो् है, तब तो हफ्ते भर का मसाला तैयार हो िाता है.

मारे देश के तकरीबन िाढ्े तीन िौ खबसरया चैनि मसहिाओ् के सवषय मे्सकि तरह की ख़्बरे्सदखाते है.् इिे िमिने का प्य् ाि काफी कम होता है. इिकी चयन प्​्स्कया और मापदंड की भी अनदेखी की जाती है. पर यह चच्ास तब तक पूरी नही्हो िकती जब तक हम यह न िमि िे् सक ये ख़्बरे् बनायी् सकिके सिए जाती है्. यह भी िमिना होगा सक मसहिाएं दश्सक के तौर पर सकि तरह का बाि्ार न्यूि्चैनिो्के सिए है्. इि​िे मसहिाओ्के प्​्सत खबर के नजसरये को भी िमिा जा िकता है, जो अक्िर मीसडया की मसहिाओ्के खबरो्मे्उदािीनता सिये होती्है्. खबसरया चैनिो्मे्गिाकाट प्​्सतस्पध्ास है. इि व्यापार मे्ख़्बरे्और काय्क स म् प्​्ोडक्ट है.् सजन्हे्बनाने और सदखाने का फैि​िा पूरी तरह िे मांग और पूस्तस के सनयमो्के तहत सकया जाता है्. देश मे्करीब 750 चैनि है्. सजनमे् आधे ख़्बसरया है्, िेसकन इन्हे् देखने वािे दश्सक टीवी के कुि दश्सको्के मुकाबिे करीब 8 फीिद ही है्. ऐिे मे्क्या सदखाया जाये और क्या नही् ये तय करने का दारोमदार केवि सवचारधारा िे तय नही् हो िकता. इिे तय करने का सजम्मा बाि्ारधारा का है. जैिे-जैिे प्​्सतयोसगता बढ्ी है, बाि्ारवाद बढ्ा है, ख़्बरो् िे जुड्े फैि​िो् पर सवचारधारा की दावेदारी और पीछे छूटती जा रही है. इिी बाि्ारधारा के िंडाबद्ारस ो्ने टीआरपी तंत्और बाि्ार सवश्िषे णो् के आधार पर ये तय सकया सक टीवी पर ख़्बर देखने का काम ज्यादातर 25 िे 45 िाि की उम्​्के, शहरो्मे्रहने वािे पुर्ष करते है्. सिहाि्ा ख़्बरे्उनके सिए बनायी जाये्गी. इन चैनिो्पर सवज्​्ापन भी वही सदखाये जाये्गे जो इन दश्सको्के मतिब के हो्. सवज्​्ापन भी इिी तरह के आते है्, चैनिो्पर, कार, बाईक, ट्​्ैक्टर और िनी सियोनी आसद के आते है्. गहनो् के सवज्​्ापन भी नि्र आते है्, िेसकन इि बाबत सवज्​्ापन कंपसनयो् का कहना है सक ये क़्ीमती चीि्े् है्. सजन्हे् मसहिाओ् के सिए ख़्रीदने का फैि​िा मद्​्ो्का होता है. इिसिए इन्हे्न्यूि्चैनिो्पर भी बेचा जाता है. टीवी चैनिो् पर सदखाई जाने वािी ख़्बरे् होती भिे मसहिाओ् की हो् िेसकन उिका टाग्​्ेट ऑसडएंि मसहिाएं नही्है्. यानी मसहिाएं टीवी न्यूि् चैिनो्के सिए बाजार तो है्, पर उनके सिए टाग्​्ेट आसडएंि नही्. ि्ासहर है जब टाग्​्ेट ऑसडएंि पुर्ष है् तो ख़्बरे् उन्ही् की मांग के आधार पर बनायी जायेग् ी. ग्िमै र और उत्पीड्न वािी मसहिाओ्की ख़्बरे् अच्छी रेसटंग देती है्. यही् िे चैनिो् की कल्टीवेशन और एजंडा िेसटंग थ्योरी शुर्होती है. इिसिए न्यूि्चैनिो्मे्ख़्बर बनने वािी ज्यादातर मसहिाएं या तो पीस्डत है्या ग्िैमरि. अगर वे ग्िैमरि और पीस्डता दोनो् है तब तो हफ्ते भर का मिािा तैयार हो जाता है. अगर उिी मसहिा ने उत्पीड्न के बाद अपनी िड्ाई िड्ी और जीती तो वह न्यि ू ्मैटसे रयि नही् है. ऐिी ख़्बरे् अगर प्​्ोडक्ट है्, तो उनका उत्पादन होते रहना चासहए. सिहाि्ा, उत्पीस्डत मसहिाओ् को ढूंढ-ढूंढकर सनकािने का काम जारी रहेगा. पूरी कहानी का वेसरसफकेशन बाद मे्करे्गे पहिे ख़्बर बनाते है्. जैिा कुछ िमय पहिे सदल्िी सवश्​्सवद्​्ािय मे् जि​िीन कौर और िव्सजीत सिंह के मामिे मे् हुआ. जि​िीन ने फेिबुक पर िव्सजीत हुई िड्प को तस्वीर के िाथ पोस्ट सकया. अगिे ही पि सबना घटना का दूिरा पहिू जाने, ये ख़्बर िुस्खसयो्मे्थी. सजिे बाद मे्तमाम चैनिो्को चुपके

िे हटाना पडा. इिी तरह की एक दूिरी घटना मे् ट्​्ैसफक पुसि​ि के एक सिपाही और एक मसहिा स्कूटर िवार के बीच मारपीट की घटना िे िनिनी फ़ैि गयी. मामिा एक नागसरक का एक ऑन ड्​्ूटी िरकारी असधकारी िे िड्प का था. िेसकन ख़्बर एक मसहिा पर हुए अत्याचार की बनी. जबसक वीसडयो मे् ये िाफ नि्र आ रहा था सक उि मसहिा ने पुसि​िवािे पर ई्टो्िे हमिा सकया. मसहिा िशक्तीकरण और उत्पीड्न को िेकर टीवी चैिनो्का यह दोहरा रवैया अतीत मे्हमे्दहेज उत्पीस्डत सनशा शम्ास जैिी छद्​्िेिीस्​्िटी दे चुका है. इि िाि की शुर्आत मे्सवंग कमांडर पूजा ठाकुर िुस्खसयो्मे्आयी्. जब वह अमेसरकी राष्​्पसत बराक ओबामा की आगवानी करने वािी िेना की टुकड्ी का नेतृत्व करने वािी पहिी मसहिा बनी्. हम मे्िे कोई इि बात िे अनजान नही्है सक िेना मे्काम करने वािे असधकासरयो्िे सजि कुशिता की उम्मीद की जाती है. उनके मुकाबिे ये ि​िामी छोटी स्िम्मेदारी थी. इिके पहिे ये स्िम्मेदारी उठाने वािा कोई भी पुर्ष असधकारी इिकी शतांश िुस्खसयां नही् बटोर पाया. बावजूद इिके सक पूजा ठाकुर ने बार-बार अपने इंटरव्यू मे्ये कहा सक वह एक िैन्य असधकारी पहिे है् और एक ि्​्ी बाद मे् है्. ये भी सक ट्स्ेनंग के दौरान िेना मे्स्​्ियो्और पुरष् ो्मे्कोई भेदभाव नही्सकया जाता है. इिके पहिे जब िासनया समज्ास ने सवंबिडन मे्डबि का स्ख़ताब जीता तो पहिी मसहिा के रंग मे् इिे मसहमामंसडत सकया गया. कुछ चैनि ये तक कह गये सक मसहिाएं अब सकिी िे कम नही्. खबर के रौ मे्शायद वो ये भूि गये सक यह प्​्सतयोसगता ही मसहिाओ्की थी. इि तरह की खबरे् प्​्िासरत कर मीसडया अपने बचकाने िोच का पसरचय भी देता है. इि​िे दो तरह के िंदेश जाते है्. पहिा, अगर कोई मसहिा कही्शीष्सपर पहुंची है तो उि​िे केवि मसहिाएं ही प्​्ेरणा िे िके् ये कहां का सनयम है? िासनया समज्ास के एग्​्ेसिव एटैक िे पुर्ष टेसनि सखिाड्ी नही्िीख िकते या सफर इंद्ा नुई के माक्​्ेसटंग या मैनेजमे्ट की स्ट्ेटजी िे मैनेजमे्ट ग्​्ेजुएट पुर्ष वग्सके सिए भी कारगर हो िकती है? दूिरा, इिेक्ट्ॉसनक मीसडया मौको्की बात नही्करता. अपवादो्का पहिा सनयम ये है सक वो कभी भी सनयम मे्नही्होते. अमेसरका मे्एक भी मसहिा राष्​्पसत नही्समिी िवा दो िौ िाि मे्, भारत को बीि िाि मे्ही समि गयी पहिी मसहिा प्​्धानमंत्ी, बंग्िादेश मे् तो चािीि िाि मे् दो है्. इिका ये मतिब यह नही् है सक अमेसरका के मुकाबिे मसहिाओ् के आगे बढ्ने के मौके भारत और बांगिादेश मे्ज्यादा है्. आप कह िकते है् सक इि तरह की ख़्बरो्िे मसहिा िशक्तीकरण का िंदश े जाता है. जबसक िमाचार का सनयम कहता है सक भई जब आदमी ने कुत्े को काटा तब ख़्बर कही जाती है. ऐिे मे्यह दोनो्बाते्कैिे िही बैठती है्. पर जब ख़्बरो्को बाि्ार चिा रहा है तो िोचने, सवचारने्का िमय कहां है िोगो्के पाि. पूरा इिेक्ट्ॉसनक मीसडया समि भी जाये तो भी उनके पाि सवज्​्ापन कंपसनयो् के िमक्​् ये कहकर मोच्ासबंदी करने की सहम्मत नही्है सक मसहिाएं भी हमारा टाग्ट्े ऑसडएंि है.् हर हफ्ते रेसटंग के नतीजो् िे अगिे हफ्ते की रणनीसत तय करने वािे चैनिो् को अपने कंटे्ट को n बदिने के सिए थोड्ा ि्ोसखम उठाना चासहए. (सशल्पी िा टेिीसवजन पत्​्कार रही है ंऔर मीसडया पर शोध काय्ससकया है.)

शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 21


मुद्ा

दम तोड्ता जकसान महाराष्​् मे् एक जकसान: जवफल प्​्ाथ्ाना

िेश के कई राज्यो् मे् भयंकर सूखा है दिनमे् ज्यािातर भािपा-शादसत राज्य है्. के्ि् मे् भी भािपा सरकार है, लेदकन इसके बाविूि बिहाल दकसानो् की सुध लेने वाला कोई नही् है. विूरदौस खूान

ई प्​्देशो् मे् िूखे का क़हर बरपा है, िेसकन अब तक के्द् िरकार ने उनकी कोई िुध नही् िी है. िूखे की मार िेि रहे ज्यादातर प्​्देश भाजपा शासित है् और के्द् मे् भी भाजपा की िरकार है, इिके बावजूद इन प्​्देशो्के सकिानो्के िाथ िौतेिा बत्ासव सकया जा रहा है. राज्य िरकारे्भी िूखे को िेकर देर िे फ़ैि​िा िे रही है्. महि पांच प्​्देशो् आंध् प्​्देश, कन्ासटक, महाराष्​्, मध्य प्​्देश और ओसडशा ने ही अपने कुछ सि​िो् के िूखाग्​्स्त घोसषत सकया है. इन राज्यो् के कुि 160 मे् िे 105 सि​िे ही िूखाग्​्स् घोसषत सकये गये है्, सजनमे्आंध्प्​्देश के 7 सि​िे, कन्ासटक के 27, महाराष्​् के 20, मध्य प्​्देश के 35, ओसडशा के 16 सि​िे शासमि है्. भारतीय मौिम सवभाग के मुतासबक़ देश के 302 सि​िो् मे् िामान्य िे 20 फ़ीिद कम बासरश हुई है. उत्​्र प्​्देश के 31 सि​िो् मे् 50 फ़ीिद िे भी कम बासरश हुई है. हसरयाणा, राजस्थान, मध्य प्​्देश, सबहार, िारखंड, उडीिा, गुजरात, महाराष्​्, आंध् प्​्देश, कन्ासटक और तेिंगाना मे् भी कमोबेश यही हाित है. िूखाग्​्स् घोसषत राज्यो् ने के्द् 22 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

िरकार िे आस्थसक िहायता मांगी है, उि पर भी अब तक कोई फ़ैि​िा नही्सिया गया है. देश मे् पहिे बेमौिम बासरश िे सकिानो् की फ़ि​िे् तबाह हुई थी् और बाद मे् िूखे के क़हर ने खेतो् मे् खडी धान, मि्​्ा, बाजरा, सति, उडद, िोयाबीन और दूिरी फि​िो् को बब्ासद कर सदया. सकिान क़्िस् िेकर फ़ि​िे् उगाते है्, िेसकन जब प्​्ाकृसतक आपदाओ् की वजह िे पूरी फ़ि​ि तबाह हो जाती है, तो उनके िामने अंधेरा छा जाता है. फ़ि​ि बब्ासद होने के िदमे िे िैकडो् सकिानो् ने ख़ुदकुशी कर िी. देश भर िे सकिानो् के मौत को गिे िगाने के मामिे िामने आये है्. िूखे की सरपोट्सआने के बाद राहत मे् देर होने की वजह िे सपछिे दो महीने मे् अकेिे कन्ासटक मे् 200 िे ज्यादा सकिान आत्महत्या कर चुके है्. सजन सकिानो्ने ख़ुदकुशी की है,् उनके घर दोहरा मातम पिरा पडा है. पहिा फ़ि​ि तबाह होने का और दूिरा अपने पसरजन को खो देने का. फ़ि​ि तो अगिे मौिम मे् सफर िे उगायी जा िकती है, िेसकन जो मर गया है, उिे कैिे सिंदा करे्. यह िवाि यक्​् प्​्श्न की तरह मुंह बाये खड्ा है. अफ़िोि है सक प्​्शािन इि बात िे

इनकार कर रहा है सक सकिानो्ने फ़ि​ि बब्ासद होने की वजह िे आत्महत्या की है. उत्​्र प्​्देश के प्​्तापगढ के गांव समयां कुंभीआइमा मे् धान की िूखी फ़ि​ि देखकर िदमे िे सकिान रामअधार पाि की मौत हो गयी. रामअधार पाि ने दो बीघे खेत मे्धान की फ़ि​ि बोई थी. बासरश नही्होने िे फ़ि​ि िूख रही थी. सिंचाई का एकमात्​् िाधन नहर थी, िेसकन उिमे् भी पानी नही्आया, सजि​िे सक सिंचाई की जा िके. पाि के पसरजनो्का कहना है सक वह रोि खेत मे् जाता और िूखी फ़ि​ि देखकर परेशान हो जाता. एक सदन फ़ि​ि देखकर वह वही् सगर पडा. उिे इिाज के सिए अस्पताि िे जाते िमय रास्​्े मे् ही मौत ने अपने आगोश मे् िे सिया. गांव के प्​्धान मुश्ताक अहमद बताते है् सक इिकी िूचना तहिीि प्​्शािन को दी गयी थी, िेसकन कोई मौक़े पर नही् पहुंचा. दूिरी तरफ तहिीि प्​्शािन ने जानकारी िे ही इनकार कर सदया. िूखे की देर िे घोषणा और राहत रासश मे् देरी भी सकिानो्की मौत की वजह बन रही है. जब तक राज्य िरकार िूखे की घोषणा नही् करती, तब तक के्द्िरकार राहत रासश बांटने के सिए ब्सथसत की िमीक्​्ा नही् करती. राज्य


िरकारे्भी िूखे की घोषणा करने मे्काफ़ी देर करती है्, क्यो्सक उन्हे् अपने ख़िाने मे् िे सकिानो् को आस्थसक मदद देनी पडती है. िूखे के मामिे मे् के्द् और राज्य िरकार की टीमे् अिग-अिग सनरीक्​्ण करती है्. अगर उनके आकिन मे्फ़क़्फआ जाये, तो इि​िे राज्यो्को नुक़िान होता है. मि​िन राज्य ने तो अपने इिाक़े को िूखाग्​्स्घोसषत कर सदया, िेसकन के्द् की सरपोट्स मे् राज्य की हाित बेहतर पाई गयी, तो फ़ौरन उिे के्द्िे समिने वािी राहत की रक़म मे् कटौती कर िी जायेगी. ऐिे मे् राज्य को सकिानो् को अपने पाि िे आस्थसक मदद देनी होगी. िूखे के सनरीक्​्ण मे् देरी की वजह िे सकिानो् को िबिे ि्यादा नुक़िान होता है. उन्हे् वक़्त पर मदद नही् समि पाती, सजि​िे वे अगिी फ़ि​ि की बुआई की तैयारी नही् कर पाते. इि तरह उन्हे् एक िाथ दो फ़ि​िो्का नुक़िान होता है. फ़ि​ि नुक़िान मामिे को िेकर भी िरकार और सकिान आमने-िामने होते है्. सकिानो् के पूरे के पूरे खेत तबाह हो जाते है्, िेसकन सनरीक्​्क इिे मानने को तैयार नही्होते. वे अपने सहिाब िे सरपोट्सबनाते है्और सकिानो् को मनमाने तरीक़े िे मुआविा सदया जाता है. इि बार भी ऐिा ही हुआ है. सकिानो्का आरोप है सक िरकारी असधकारी फ़ि​िो् के हुए नुक़्िान को बहुत कम आंक रहे है्. सकिान िूखे की मार िे पहिे ही परेशान है् और अब फ़ि​ि बीमा कंपसनयां उनकी बब्ासदी का मिाक़ उडा रही है्. मध्य प्​्देश के सवसदशा सि​िे मे्

सकिानो्को फ़ि​ि बीमे के नाम पर तीन, पांच और तेरह र्पये का मुआविा सदया जा रहा है. यह इिाक़ा सवदेश मंत्ी िुषमा स्वराज का िंिदीय क्​्ेत् और मुख्यमंत्ी सशवराज सिंह चौहान का गृह क्त्े ्है. गांव िाकिखेड्ा मे्िूखे िे िोयाबीन और उड्द की फ़ि​ि ख़राब हो गयी. गांव को फ़ि​ि बीमा के मुआविे के सिए सिफ़्फ 68 हिार र्पये समिे, जो 259 सकिानो् को सदये जाने है्. मुआविे के तौर पर 13 र्पये पाने वािे सकिान जािम सिंह बताते है् सक उिकी पूरी फ़ि​ि तबाह हो गयी और इन तेरह र्पये मे् तो िहर भी नही् समिेगा. गांव की िहकारी िसमसत के अध्यक्​् िौदान सिंह के मुतासबक़ मुख्यमंत्ी सजि खेत मे्ख़राब फ़ि​ि देखने गये थे, उिे भी कोई मुआविे की रकम नही्दी गयी है. जब मुख्यमंत्ी के गृह क्​्ेत् का ये हाि है, तो बाक़ी इिाक़े की हाित क्या होगी, कहने की िर्रत नही् है. राज्य मे् िूखे िे फ़ि​ि बब्ासद होने के बाद सकिान आत्महत्या करने पर मजबूर हो गये. सपछिे कुछ महीनो् मे् यहां तकरीबन 35 सकिान ख़ुदकुशी कर चुके है्, िेसकन िरकार इि बात िे िाफ़ इंकार करती रही सक सकिान क़ि्सऔर फ़ि​ि तबाह होने िे परेशान होकर आत्महत्या कर रहे है्. नवंबर मे् आमतौर पर धान की फ़ि​ि बािार मे्आने िगती है, िेसकन पानी की कमी िे फ़ि​ि का बुरा हाि है. बासरश न होने की वजह िे नहरे् िूखी पडी है्. अगर नहरो् मे् पय्ापस त् पानी आया, तो सकिानो्को िूखे की मार पानी का अकाल: फसल का बुरा हाल

न िेिनी पडे. कुछ िूखा प्​्ाकृसतक होता है और कुछ इंिानो्का ख़ुद पैदा सकया हुआ है. सबजिी के सबना ट्​्ूबवेि भी िूखे पडे है्. सकिानो्का कहना है सक सबजिी भी नही् आती सक वे ट्​्ूबवेि या दूिरे िाधनो् िे अपने खेतो् की सिंचाई पाने दे िके्. सिंचाई के सिए सकिान महंगे डीि​ि का इस्​्ेमाि करने को मजबूर है्. यसद सकिी वजह िे उनकी फ़ि​ि ख़राब हो जाये, तो वे क़ि्स के बोि तिे दब जाते है्. सकिानो् का कहना है सक अगर वक्त पर मुआविा समि जाये, तो सकिानो्को आत्महत्या करने पर मजबूर न होना पडे. उनका कहना िही भी है. सकिान उधार-क़्ि्स करके बुआई करते है्. वे न सदन देखते है्, न रात. न िद्​्ी देखते है्, न गम्​्ी. बि सदन-रात कडी मेहनत करके फ़ि​ि उगाते है्. अनाज के हर दाने मे् उनकी मेहनत की महक होती है. सकिान अपने ज्यादातर बडे काम फ़ि​ि कटने के बाद ही करते है्, जैिे सकिी की शादी, घर बनवाना, कोई िर्री महंगी चीि ख़रीदना आसद. पर जब सकिी वजह िे उनकी फ़ि​ि बब्ासद हो जाती है, तो वो क़ि्सके बोि तिे और भी ज्यादा दब जाते है्. सकिानो्की हाित इतनी बदतर है सक उन्हे् क़ि्सके सिए अपने बच्​्ो्तक को सगरवी रखना पड रहा है. इिी माच्स मे् मध्यप्​्देश के गांव मोहनपुरा के सकिान िाि सिंह ने िूखे िे फ़ि​ि बचाने के सिए अपने तीन बच्​्ो् को िाहूकार के पाि सगरवी रख सदया था, तासक वह क़ि्स िेकर उि​िे ट्​्ूबवेि िगवा िके. बेमौिम बासरश और ओिो् िे उिकी फ़ि​ि तबाह हो गयी. वह अपने बच्​्ो्को नही्छुडवा पाया. िाहूकार ने पैिे विूिने के सिए बच्​्ो्को राजस्थान िे गाडर चराने आये भूरा गड्सरया को बेच सदया. ग़ौरतिब है सक िाखो्करोड र्पये के कृसष क़िस् के बजटीय िक्​्य के बावजूद आधे िे ि्यादा सकिानो्को िाहूकारो्और आढ्सतयो्िे क़िस् िेने को मजबूर है्. सकिानो् को घर या िमीन सगरवी रखकर मोटी ल्याि दर पर ये क़ि्स समिता है. उनकी हाित यह हो जाती है सक अि​ि तो दूर, वे ल्याि भी नही् चुका पाते. अकिर यही क़ि्सउनके सिए जानिेवा िासबत हो जाता है. सकिान सहतैषी िंगठन और सियािी दि क़ि्स माफ़ी की मांग तो अकिर उठाते है्, िेसकन सकिानो् के अि​ि मुद्ो् पर ख़ामोशी अब्खतयार कर जाते है्. सकिान सहत मे् कृसष िागत को कम करने के तरीक़े तिाशने हो्गे. सकिानो् को उनकी फ़ि​ि की िही क़ीमत समिे, इिकी व्यवस्था करनी होगी. प्​्ाकृसतक आपदाओ्आसद िे फ़ि​िो्को हुए नुक़िान की भरपाई के सिए देश के हर सकिान तक को बीमा योजना के दायरे मे्िाना होगा. n शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 23


मध्य प्​्देश

जरयो जटंटो का कारखाना: रात मे् िगमग

हीरे पर जंगल क़ुरुबान

छतरपुर दिले मे् दरयो दटंटो कंपनी के हीरे की खुिाई पर उच्​् न्यायालय ने रोक लगा िी है, लेदकन दपछले करीब एक िशक से हीरे की तलाश मे् पय्ाषवरर को हुए नुकसान की िास्​्ान भी उिागर हो रही है. धीरज चतुिूेदी

च्​् न्यायािय ने छतरपुर सजिे के बकस्वाहा मे्हीरा कंपनी सरयो सटंटो के पेड्ो् की कटाई पर रोक िगा दी है. पहि िंस्था की यासचका पर उच्​् न्यायािय ने इिे पय्ासवरण और जीव जंतुओ् के सिए नुकिानदायक बताया. हीरा कंपनी सरयो सटंटो को मई 2006 मे्बकस्वाहा के जंगिो्को काटकर हीरा ढूंढने का िाइिे्ि सदया था. ये जंगि करीब 2329 हेक्टेयर मे्फैिा हुआ है. बुंदेिखंड िे जुडा ये पूरा इिाका िूखे की मार िेिता रहता है. पर यहां जंगिो् की कोख मे् बेशकीमती हीरे के समिने के आिार है्. ऐिे मे्गरीबी की मार िेि रहे इि क्​्ेत् पर िरकार की नजर यहां के बेशकीमती हीरे पर गड् गयी है. इिसिए इि जंगि को उजाड्ने की भी तैयारी हो रही है. मध्य प्​्देश मे्आने वािे बुंदेिखंड इिाके के 24 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

छतरपुर के िोगो् को सवकाि का िपना सदखाकर अब िरकार तबाह करने का खाका तैयार कर चुकी है. इिका सजम्मा िरकार ने सरयो सटंटो कंपनी को सदया है. मुख्यमंत्ी सशवराज सिंह चौहान कंपनी के प्​्ोिेसिंग प्िांट का उद्घाटन भी कर गये है्. कंपनी के िाथ मुख्यमंत्ी भी बुंदेिखंड के असत सपछडे़ छतरपुर सजिे के बक्िवाहा इिाके मे् सवकाि की गंगा बहा देने का िपना भी सदखा गये है.् िेसकन उि तबाही की अनदेखी हो रही है. जो दशको्तक गरीबी, भुखमरी और बंजर के र्प मे् इि क्​्ेत् को िेिनी पडे़गी. मुख्यमंत्ी की आंखे हीरे की चमक िे चौ्सधया गयी है्. तभी तो माइसनंग िीज के सिए हीरा कंपनी 954 हेक्टेयर जमीन के सिए आवेदन देती है और उिे करीब 1200 हेक्टेयर जमीन देने की तैयारी पूरी कर िी गयी है. मध्यप्​्देश िरकार इि कदर मेहरबान है सक सरयो सटंटो के

कारनामो् पर रोक िगाने वािे छतरपुर के दो किेक्टरो् के तबादिे सकये जा चुके है्. अब प्​्शािसनक असधकारी न चाहते हुए भी इि बदनाम हीरा कंपनी के प्स्तसनसध के र्प मे्काम करते सदख रहे है्. गौरतिब है सक पहिे यह कंपनी अपने काय्​्ो् को िेकर िंसदग्ध रही है. वही्दूिरी तरफ कई िोगो्की आवाजे्दबा दी जा रही है्. जो िड्को् पर उतरकर जंगिो् की कटाई और दूिरे खतरो्िे आगाह कर रहे है्. छतरपुर सजिे के बकस्वाहा के जंगिो्मे् ऑस्ट्ेसिया की ल्िैक सिस्टेड कंपनी की मौजूदगी बीते कुछ िािो्िे सववादो्को जन्म दे रही है. वन भूसम मे्अवैध उत्खनन को िेकर 5 िाि पहिे किेक्टर उमाकांत उमराव ने कार्सवाई करते हुए कंपनी के उत्खनन पर रोक िगा दी थी. सरयो सटंटो की प्​्देश िरकार मे् घुिपैठ का ही नतीजा था सक किेक्टर का तत्काि तबादिा कर सदया गया. इन चच्ासओ्


हीरा पाने के जलए पेड्ो् का कटान: पय्ा​ावरण का नुकसान

को बि समिने के कई कारण है्. सजनमे्िे एक किेक्टर ई रमेश कुमार के सजिे का प्​्भार िंभािते ही सरयो सटंटो को दोबारा उत्खनन की अनुमसत देना भी है. दूिरा अक्टूबर 2009 को कंपनी के हीरा प्​्ोिेसिंग प्िांट का खुद मुख्यमंत्ी ने आकर उद्घाटन कर सदया. सरयो सटंटो पर प्​्देश िरकार की मेहरबानी सदखाती है सक िरकार क्​्ेत्सवकाि की आड्मे् बुंदेिखंड की धरोहर को िूटने का काम कर रही है. इि खेि मे् िरकार के उच्​् स्​्र की िहभासगता िे भी इंकार नही् सकया जा िकता. वन सवभाग छतरपुर िे हासि​ि जानकारी के मुतासबक िाि 2000 मे् हीरा खोजने के सिए के्द् िरकार ने सरयो सटंटो को अनुमसत दी थी. िाि 2009 मे्इि अनुमसत को सफर बढा़ सदया गया. यह वैधता िाि 2011 मे् िमाप्त हो चुकी है. सरयो सटंटो ने हीरा खोजने के दौरान ही जमीन मे्कई फुट तक स्​्िसिंग करके जिस्​्र को रिाति मे्पहुच ं ा सदया है. सजि​िे जंगिो्का िूखना शुर् हो गया है. वही् िंरस्​्कत वन प्​्जासतयो्िसहत जीव-जंतु भी िमाप्त होने िगे है्. सपछिी िोकिभा मे्खजुराहो िे भाजपा के िांिद सजते्द् सिंह बुंदेिा ने इि मामिे को िंिद मे् उठाया था. िेसकन मामिा आगे न बढ्ता देख िांिद ने पहिे ही चुप्पी िाध िी. के्द्िरकार ने इि शत्सके िाथ अनुमसत दी है सक आंवसटत भूसम के जो पेड्काटे जाये्गे उिके बदिे मे् राजस्व की उतनी ही भूसम पर वृक्ारोपण करना होगा.

सरयो सटंटो ने छतरपुर किेक्टर और चीफ कंजरवेटर को इि शत्सको पूरा कराने के आधार पर आवेदन सदया है. जो सफिहाि जांच के सिए िंसबत है. इि पूरे मामिे मे् सजन जंगिो् को काटने की अनुमसत दी जा रही है. वह िघन जंगिी क्त्े ्है.् महुआ, अचरवा, शीशम, िागौन जैिे बेशकीमती वन धरोहर िे यह इिाका सघरा हुआ है. िवाि यह उठता है सक कोई भी पेड् िगाते ही फि देने िायक नही्होता. सरयो सटंटो के राजस्व भूसम पर वृक्ारोपण के बीि िािो् बाद ही पेड्तैयार हो्गे. इि दौरान क्​्ेत्के 48 गांवो् के हजारो् आसदवािी और अन्य जासतयो् के िोगो् का जीवन प्​्भासवत होगा. सजिकी परवाह सकिी को नही् है. एक पहिू यह भी है सक सरयो सटंटो को 1200 हेक्टेयर वन भूसम आंवसटत की जा रही है. जो खनन के बाद बंजर

हो जायेगी. सजि​िे क्​्ेत्वासियो् की सनभ्सरता ही िमाप्त हो जायेगी. वैिे भी िरकार के प्​्ोजेक्ट के तहत सरयो सटंटो को 2014 िे अगिे 30 िािो्तक खनन की अनुमसत प्​्दान की जा रही है. कंपनी का दावा है सक वह अगिे तीन िािो्मे्क्​्ेत्सवकाि के सिए काय्सकरेगी. िाि 2017 िे खनन शुर् कर िाि 2028 तक पूरा कर िेगी. इि दौरान सरयो सटंटो धरती को छिनी कर हीरे का उत्खनन करेगा. िीज िमाप्ती के बाद बंजर ईिाके को त्​्ाि भोगने के सिए छोड् सदया जायेगा. आरोप यह भी है् सक िव्​्े के दौरान सरयो सटंटो ने कई कैरट हीरे सनकािकर प्​्देश िरकार को गुमराह सकया है. सनयमानुिार तो िव्​्े के दौरान सनकिने वािे हीरे की रॅायल्टी जमा होनी चासहए थी. पर इि पूरे मामिे के तार िरकार िे जुड्े िेागो् िे है्. यही कारण है सक प्​्शािन भी खामोश बैठा है. बताया जाता है सक किेक्टर उमाकांत उमराव की तरह ही एक और किेक्टर राजेश बहुगुणा का तबादिा भी सरयो सटंटो के इशारे पर सकया गया था. राजेश बहुगण ु ा ने सरयो सटंटो की फाइिो् पर रोक िगा दी थी. गौरतिब है सक प्द् श े िरकार का आईएएि असधकासरयो् पर दबाब रहता है. इि िच को खुद भाजपा की पूव्समुख्यमंत्ी उमा भारती ने भी कहा था सक असधकासरयो्पर दबाव की राजनीसत रहती है. उमा भारती ने बकायदा 13 अगस्​् 2013 को छतरपुर सजिा मुखय् ािय पर मीसडया िे कंपनी के बारे मे् जानकारी दी. भारती का कहना था सक जब वे के्द्ीय कोयिा एंव खनन मंत्ी थी तब यह कंपनी कािी िूची मे्थी. मध्य प्​्देश कांग्ेि के उपाध्यक्​् राजा पटैसरया का आरोप है सक बकस्वाहा इिाके मे् काय्सरत हीरा कंपनी सरयो सटंटो और मुख्यमंत्ी सशवराज सिंह चौहान के गहरे सरश्ते है्. तभी तो िव्​्े की आड् मे् करोड्ो् र्पये के हीरे सनकाि सिये गये. पर मुख्यमंत्ी चुप्पी िाधे बैठे रहे. उनका आरोप है सक अगर सरयो सटंटो और मुख्यमंत्ी के िंबंधो्की जांच होनी चासहए. n

उत्पािन से पहले आभूरण मध्यप्​्देश िरकार ने सरयो सटंटो को बकस्वाहा इिाके मे्हीरा िव्​्ेक्ण की अनुमसत दी थी. पर 27 अक्टूबर 2009 को मुख्यमंत्ी ने गुपचुप तरीके िे सरयो सटंटो के प्​्ोिेसिंग प्िांट का उद्घाटन कर सदया. तब भी िवाि उठा था सक िव्​्ेमे्प्​्ो्िेसिंग प्िांट के क्या मायने है्. बि सरयो सटंटो ने िरकार की मौन िहमसत िे हीरे का अवैध उत्खनन शुर्कर सदया था. पर िच तब िामने आया जब बकस्वाहा इिाके िे उत्खसनत हीरे के आभूषणो की मुंबई मे्24 अगस्​्2012 को प्​्दश्सनी िगायी गई. पर िवाि यह है सक सरयो सटंटो का उत्पादन काय्सही शुर्नही्हुआ है तो हीरे सकिके इशारे पर सनकािे गये. दूिरा िवाि यह भी है सक िव्​्ेके दौरान हीरे सनकािे गये तो िरकार को सकतना राजस्व समिा और सकतने हीरे सनकािे गये. इिे िेकर मुख्यमंत्ी भी िवािो्िे सघर गये है्. शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 25




मास्यटप्हे्दडेश मध्

यूजनयन काब्ा​ाइड का रासायजनक कचरा (दाये्) कचरा िलाये िाने के बाद प्​्दूषण जनयंत्ण बोड्ा को पेश दस्​्ावेि

जले तो कहां जले

यूदनयन काब्ाषइि के िहरीले कचरे को इंिौर के दनकट पीथमपुर मे् करीब 100 करोड् र्पये की लागत से नष्​् दकया िा रहा है. इस िौरान होने वाले प्​्िूरर की आशंका से भी इनकार नही् दकया िा रहा है. पूजा वसंह

ध्य प्​्देश की राजधानी भोपाि ब्सथत यूसनयन काब्ासइड कारखाने मे् मौजूद करीब 346 टन जहरीिा रािायसनक कचरा जमा है. तीन दशक िे ज्यादा िमय बीत जाने के बाद भी देश के सिए यह एक बड्ी िमस्या बना हुआ है. भारी सवरोध के बावजूद उच्​्तम न्यायािय के सनद्​्ेश पर इिे मध्य प्​्देश के पीथमपुर मे्जिाने की तैयारी हो रही है. इि पूरी कवायद पर करीब 100 करोड्र्पये खच्सहोने का अनुमान है. जबसक यह कचरा इि​िे चार गुना कम िागत मे्देश के बाहर नष्​् सकया जा िकता था. जहरीिे कचरे को नष्​् सकये जाने का मामिा उच्​्तम न्यायािय की सनगरानी मे्चि रहा है. िाि 2012 मे्केद् ्ीय पय्ावस रण और वन मंत्ािय (एमओईएफ) और मध्य प्द् श े प्द् षू ण सनयंत्ण बोड्स मे् एक प्​्स्ाव रखा गया था. सजिमे्यह कचरा जम्सन एजे्िी (जीआईजेड) को नष्​्करने के सिए िौ्पा जाना था. एजे्िी ने कचरे को जम्नस ी िे जाकर नष्​्करने पर अपनी िहमसत प्​्दान कर दी थी. इि प्​्स्ताव पर 28 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

उच्​्तम न्यायािय ने भी अपनी मुहर िगा दी थी. जीआईजेड ने कचरे को भोपाि िे जम्सनी िे जाकर नष्​् करने तक की पूरी प्​्स्कया पर केवि 25 करोड् र्पये का खच्स बताया था. िेसकन बाद मे्एमओईएफ खुद अपने ही प्स ् ्ाव िे पीछे हट गया. इिके सिए जम्सनी के स्थानीय गैर िरकारी िंगठनो्के सवरोध को वजह बताया गया. हािांसक यह बात पूरी तरह िच नही् है क्यो्सक जीआईजेड इन िब बातो् के बावजूद कचरा िे जाकर नष्​् करने को तैयार थी. जीआईजेड इि तरह के कचरे को नष्​्करने के सिए सवशेषज्​् कंपनी मानी जाती है. यह सवश्व के कई देशो्िे ऐिा ही हासनकारक रािायसनक कचरा िे जाकर जम्सनी के हैम्बग्स ब्सथत एक िंयंत्मे्नष्​्करती है. एमओईएफ ने जम्सनी का सवकल्प खत्म कर कचरे को मध्य प्​्देश मे्ही इंदौर के सनकट पीथमपुर मे्जिाने का प्स ् ्ाव सफर िे सदया था. उिके बाद ही पीथमपुर ब्सथत रामके िमूह के िंयंत् मे् कचरा नष्​् करने के सिए उच्​्तम न्यायािय ने सनद्​्ेश सदया. शुर्आत मे् 10 टन कचरा वहां भेजा गया. उच्​्तम न्यायािय का कहना था सक पहिे 10 टन कचरे को सनपटाने

के बाद उिके िमक्​्सरपोट्सपेश की जाये. अगर वह सनपटान की प्स्​्कया िे िंतष ु ्होगा तभी शेष कचरा सनपटाने की अनुमसत दी जायेगी. रामके ने इि िाि जुिाई मे् प्​्ायोसगक तौर पर कचरे को जिाने की शुर्आत की. कंपनी की ओर िे पीथमपुर िंयंत् मे् 10 टन कचरे को जिाकर उिकी सवस्​्ृत सरपोट्स के्द्ीय प्​्दूषण सनयंत्ण बोड्स को िौ्पी जा चुकी है. कंपनी ने अपने प्स ् ्ाव मे्कचरा जिाने के सिए जो खच्सबताया है वह करीब 100 करोड्र्पये का है. िाि 2012 के पहिे भी पीथमपुर मे्कचरे को जिाने का फैि​िा उच्​्तम न्यायािय ने सकया था. िेसकन स्थानीय सवरोध के बाद िरकार इि​िे पीछे हट गयी थी. स्थानीय सवरोध के अिावा कई सवशेषज्​्ो्ने इि कचरे िे सनपटने के िंबंध मे् पीथमपुर के िंयंत् की तकनीकी क्​्मता पर भी िवासिया सनशान िगाये थे. यही वजह थी सक शुर्आत मे् प्​्ायोग के तौर पर केवि 10 टन कचरा जिाने की इजाजत दी गयी थी. सजि​िे उनकी तकनीकी क्​्मता को परखा जा िके. पीथमपुर औद्​्ोसगक िंगठन के अध्यक्​् गौतम कोठारी का कहना है सक सकिी भी िंयंत्


की तकनीकी क्​्मता का आकिन केवि तभी हो िकता है. जब उिे उिकी पूरी क्​्मता के िाथ चिाया जाये. रामके के पीथमपुर िंयंत् की कचरा जिाने की वास्​्सवक क्​्मता करीब 15,000 सकिो प्​्सत घंटे की है. िेसकन प्​्योग मे् कंपनी ने केवि 90 सकिोग्​्ाम कचरा ही प्​्सत घंटा जिाया. जासहर है इि आधार पर ही उिने वह सरपोट्स तैयार की है. सजिे देश की ऊपरी अदाित के िमक्​् पेश सकया जाना है. िेसकन कचरे को वास्​्सवक क्​्मता िे अत्यंत धीमी गसत िे जिाया गया इिसिए सरपोट्स मे् जहरीिे रिायनो् के उत्िज्सन के जो पसरणाम िामने आये है्. उनको सकिी भी ब्सथसत मे् सवश्​्िनीय नही्माना जा िकता. कोठारी आगे कहते है्सक वे इि मामिे को आगे वन और पय्ासवरण मंत्ािय के िमक्​् उठाने की तैयारी कर रहे है.् यसद वहां पर इि मामिे को गंभीरता िे नही् सिया जाता है. तो उच्​्तम न्यायािय मे्अपीि भी की जा िकती है. कोठारी की इि दिीि का िमथ्नस तकनीकी जानकार िोग भी करते है्. मध्य प्​्देश प्​्दूषण सनयंत्ण बोड्स के उच्​् पदस्थ असधकारी का कहना है सक क्​्मता के अनुिार न जिाने पर वास्​्सवक पसरणाम िामने नही्आ िकते. ऐिे मे्पूरी सरपोट्ससमथ्या मानी जानी चासहए. कचरा जम्सनी िे जाकर सनपटाने को तैयार कंपनी जीआईजेड के एक वसरष्​्असधकारी ने नाम न जासहर करने की शत्सपर बताया सक कंपनी हर स्​्र पर भारत िरकार के िाथ िहयोग करने को तैयार थी. इि िंबध ं मे्बातचीत काफी आगे बढ् गयी थी. िेसकन सफर अज्​्ात कारणो् िे भारत का एमओईएफ इि​िे पीछे हट गया. गैि पीस्डतो् के सिए काम करने वािे भोपाि ग्​्ुप फॉर इनफाम्​्ेशन एंड एक्शन के ितीनाथ षडंगी कहते है,् ‘जीआईजेड’ भारत मे् तकनीकी सवकाि के सिए 20 िाि िे काम कर रही है. वह हैम्बग्सकी कंपनी के जसरये इिे सनपटाना चाहती थी. पय्ासवरण की दृस्ष िे इिे गौतम कोठारी: प्​्दूषण के गंभीर सवाल

सतीनाथ षडंगी: लंबा संघष्ा जम्सनी भेजना बहुत अच्छा होता. उनके पाि प्िाज्मा टेक्नािॉजी है. सजि​िे डायऑब्किन बनने का खतरा नही्होता. भोपाि के कचरे मे् ऐिे पदाथ्सहै्जो जिाने पर डायऑब्किन बनाते है.् दूिरी बात हैब् ग्सका िंयतं ्क्िोज्ड िूप िंयतं ् है. सजिमे् िे हवा मे् कुछ भी नही् समिता. िबकुछ िंयंत् मे् ही िोख सिया जाता. इिकी आस्थसक वजह एकदम स्पष्​् है. सहंदुस्ान का कोई िंयंत् डायऑब्किन को िोखने मे् िक्​्म नही्है. के्द्ीय प्​्दूषण सनयंत्ण बोड्समान चुका है सक पीथमपुर के आिपाि परीक्​्ण मे् काफी मात्​्ा मे् डायऑब्किन बरामद हुआ है. दबी जुबान मे् इि पूरे बदिाव के सिए सरश्​्त को एक वजह बताया जाता है. िूत्ो् के मुतासबक जीआईजेड के महज 25 करोड्र्पये मे्कचरा सनपटाने की बात को िुनकर अफिरो् की भृकुसटयां तन गयी्. एजे्िी िे कहा गया सक वह अपने आकिन मे् इि रासश मे् इजाफा करे. जीआईजेड ने इि​िे इनकार कर सदया और अज्​्ात कारणो् िे कचरा सनपटाने िे पीछे हट गयी. पीथमपुर िंयंत्के 200 मीटर के दायरे मे् घनी बिावट है. जबसक खतरनाक कचरा सनपटाने के मानको्पर बात करे्तो आबादी के 500 मीटर के दायरे मे् ऐिा नही् सकया जाना चासहए. पीथमपुमर मे् इि कचरे को सनपटाये जाने के दुष्प्भावो् की बात करे्. तो खुद राज्य शािन के तत्कािीन पय्ासवरण मंत्ी जयंत मिैया ने 2012 मे् यह माना था सक कचरा सनपटाने की जगह यशवंत िागर बांध के बहुत करीब है. इिकी वजह िे उिका पानी प्​्दूसषत हो िकता है. इि पानी की आपूस्तस इंदौर शहर मे्पेयजि के र्प मे्की जाती है. भोपाि ब्सथत यूसनयन काब्ासइड कारखाने के आिपाि की समट्​्ी और पानी का प्​्दूषण भी अिग सचंता का सवषय बना हुआ है. इि जहरीिे कचरे का स्​्र भी मानक िे कई गुना ज्यादा है. िािो्िे तमाम बीमासरयो्की वजह बनता रहा

है. इि कचरे िे सनपटने मे् िरकार की िापरवाही की ओर इशारा करते हुए षडंगी कहते है् िािो् तक कचरा नही् सनपटाने का नतीजा बहुत खराब है. इतना ही नही् िाि 1990 िे िेकर 2013 के बीच िरकारी और गैर िरकारी िंस्थाओ् ने इिे िेकर 17 िे असधक शोध कराये है.् सजि​िे पता चिा सक इि िंयंत्िे करीब िाढ्ेतीन सकिोमीटर की पसरसध मे् 100 फुट की गहरायी तक पानी प्​्दूसषत हो चुका है. इिके अिावा यहां की समट्​्ी मे् भी कीटनाशको्और भारी धातुओ्का प्​्भाव है. जो इंिानी जान के सिए बहुत घातक हो िकती है. षडंगी ने बताया सक गैि पीसडतो्के हक की िड्ाई िड्रहे पांच िंगठनो्ने केद् ्ीय पय्ावस रण मंत्ी प्​्काश जावड्ेकर को इिी िाि जनवरी मे् पत्​्सिखकर िारे हािात िे अवगत कराया था. यूईएनपी िे पय्ासवरण नुकिान के वैज्ासनक आकिन का अनुरोध सकया था. उन्हो्ने कहा सक उिके तीन माह बाद उनकी जाव़डेकर िे मुिाकात भी हुई. यूईएनपी िे वैज्ासनक आकिन कराने िे इंकार कर सदया गया. षडंगी के मुतासबक पय्ासवरणीय नुकिान के वैज्ासनक आकिन िे यह पता िगाना आिान होगा सक घातक रिायनो् का अिर सकतनी गहराई तक है. िेसकन िरकार इिमे्र्सच नही्िे रही. गैि पीसडतो्की 22 बस्​्सयो्का भूजि प्​्दूसषत होने के बाद वहां के 10 हजार पसरवारो्के सिए अब जिापूस्तस की जा रही है. िेसकन जहरीिे कचरे के चिते सकतने दायरे तक भूजि प्​्दूसषत हो चुका है यह कोई नही्जानता. दो और तीन सदिंबर 1984 के दरसमयान रात मे्भोपाि ब्सथत यूसनयन काब्ाइस ड कारखाने िे हुए गैि सरिाव के कारण भीषण तबाही मची थी. आसधकासरक तौर पर 5295 िोगो्की मौत हुई थी. जबसक स्वयंिेवी िंगठनो्के मुतासबक बाद मे् मरने वािो् को शासमि सकया जाये तो इि त्​्ािदी ने करीब 25,000 िोगो् की जान िी थी. इिके अिावा हजारो्िोग सवकिांग भी हुए थे. कीटनाशक बनाने वािा यह कारखाना िन 1969 मे्स्थासपत सकया गया था. कारखाने की शुर्आत की िमय ही इि​िे सनकिने वािे घातक कचरे को सनपटाने के सिए पसरिर मे्ही 21 गड्​्े बनाये गये थे. िाि 1969 िे 77 तक इन गड्​्ो्मे्ही वह कचरा डािा गया. जब कचरा बहुत असधक बढ् गया तो 32 एकड् क्​्ेत् मे् एक िौर वाष्पीकरण तािाब बनाया गया और िारा घातक रिायन इिमे् डाि सदया गया. पानी तो वाष्पीकृत होकर उड गया जबसक रिायन समट्​्ी मे्समि गया. इिके बाद ऐिे दो और तािाब बनाये गये. हादिे के बाद इनको समट्​्ी िे ढक सदया गया. इि कचरे को सनपटाने के सिए भी अभी कोई अंसतम सनण्यस n नही्सिया जा िका है. शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 29


मध्य प्​्देश

बचपन से ही िभख के भरोसे: समाि की जचंता से बाहर

भीख मांगता बचपन

राष्​्ीय मानव अदधकार आयोग की दरपोट्ष के अनुसार भारत मे् हर साल बच्​्ो् के गुमशुिा होने के 40 हजार से ज्यािा मामले ि​ि्ष होते है्. आयोग के मुतादबक बच्​्ो् का इस्​्ेमाल सस्​्े श्​्म के दलए कारखानो्, खिानो्, बाल-यौन कम्ष, अंगो् के व्यापार और भीख मांगने के दलए उपयोग मे् लाया िाता है. सवचन कुमार जैन

भो

पाि की श्याम नगर बस्​्ी मे्रहने वािी 15 िाि की मीना (नाम पसरवस्तसत) 8 िािो्िे भीख मांगने का काम करती है. आस्थक स र्प िे कमजोर होने िे उिके माता-सपता भी यह काम करते थे. जब वह 6 िाि की थी तब, उिका नाम स्कूि मे्भी दज्सहुआ, िेसकन तीन सदन बाद ही उिका स्कि ू जाना बंद करवा सदया गया. उि​िे कहा गया सक वह घर पर रह कर छोटे भाई-बहनो्की देखभाि करे और घर का कामकाज करे. एक सदन उिके सपता ने भीख मांगने का फरमान िुना सदया तासक घर चि िके. इिके बाद मीना ने 14 िे 15 घंटे भीख मांगने का सि​िसि​िा शुर्सकया. वह करीब 60 र्पये कमाती है. सफर भी उिे होटिो्की जूठन खाकर पेट भरना होता है. इि दीवािी यानी 11 नवंबर 2015 के सदन 30 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

भोपाि के ग्यारह िौ क्वाट्सर इिाके के हनुमान मंसदर के दो िौ मीटर के दायरे मे् 88 बच्​्े मौजूद थे. 18 सदन िे िेकर 16 िे 17 िाि की उम्​्तक के ये बच्​्ेअपने सहस्िे की सजंदगी के सिए भीख मांग रहे थे. अब बात कानून की आती है. सकशोर न्याय असधसनयम के तहत सकिी िामासजक काय्सकत्ास ने मीना की िुरक्​्ा की खासतर पहि की. कानूनी प्​्ावधानो्िे बाि कल्याण िसमसत ने उिे बाि िंरक्​्ण के्द् मे् िंरक्​्ण देने का आदेश सदया. मीना वहां रह रही है. यह उिके िंरक्​्ण की पहिी िीढी है. पर िवाि उठता है सक क्या वह हमेशा के सिए इिी तरह की िंस्था मे् रहेगी? या उिकी कोई िामासजक पहचान होगी? स्​्तवे्द्म (केरि) के चाइल्ड िाइन नंबर 1098 पर एक िूचना आयी सक स्​्तवे्द्म रेिवे स्टेशन पर करीब 40 िाि का एक व्यब्कत ढाई िाि के बच्​्ेको िेकर भीख मांग रहा है. बच्​्े

के शरीर पर जिती हुई सिगरेट िे जिाये जाने के सनशान थे. उिके पैर की हड्​्ी टूटी हुई थी. वह बदहवाि तरीके िे रो रहा था. जब उि​िे पूछताछ हुई तो पहिे उिने कहा सक यह उिी का बच्​्ा है, पर बाद मे् उिने बताया सक वह अपने पड्ोिी के बच्​्े को चुराकर सबहार िे आया है. िक्​्मी (11) मंसदर के पाि भीख मांगती है. उिका नाम िरकारी स्कि ू मे्सिख गया था. वह दूिरी कक्​्ा मे् पढ रही थी. वह तब मंगिवार और शसनवार को ‘काम’ पर जाती थी. एक सदन उिकी स्कि ू की ि्ि ्े गुम हो गयी. स्कूि की सशस्​्कका ने कहा सक ि्​्ेि पहन कर आना, वरना स्कूि मत आना. उिे दूिरी ि्​्ेि नही् समि पायी. सफर उिने स्कूि जाना छोड सदया. िक्​्मी बताती है सक िामान्य कपड्ेपहन कर यसद उिे स्कूि मे्आने सदया जाये, तो वह आज भी स्कूि जाना चाहेगी.


आगरा की फरीदा (14) कहती है भीख मांगती हूं, तासक चोरी नही् करना पडे, कुछ गित न करना पडे, इिसिए बुरा नही् िगता है. राष्​्ीय मानव असधकार आयोग की सरपोट्स के अनुिार भारत मे्हर िाि बच्​्ो्के गुमशुदा होने के 40 हिार िे ज्यादा मामिे दज्सहोते है्. इनमे्िे करीब 11 हिार की खोज नही्हो पाती है. आयोग के मुतासबक बच्​्ो्का इस्म्े ाि िस्​्े श्​्म के सिए, गैर-कानूनी उपक्​्मो्, कारखानो्, खदानो्, घरो्, बाि-यौन कम्स, गैर-कानूनी दत्​्कग्​्हण, अंगो् के व्यापार, कामोत्​्ेजक सचत्​्ण-सफल्मांकन और भीख मांगने के सिए उपयोग मे्िाया जाता है. जनगणना िाि 2011 की सरपोट्स के मुतासबक भारत मे्करीब चार िाख िोग भीख मांगने का काम करते है्. इनमे् िे 49045 की उम्​् 14 िाि िे कम थी. इिके िाथ ही यह जानकारी भी िामने आयी सक भारत मे्17.73 िाख िोग बेघर है्. इिमे् िे 2.70 िाख की उम्​्छह िाि िे कम है. वास्​्व इि िंख्या का जोड यह बताता है सक सकतने िोग भीख मांगने के काम पर सनभ्सर है्. बाि िंरक्​्ण पर मध्यप्​्देश मे् िस्​्कय र्प िे काम कर रहे िमूह ‘सहफाित’ की िमन्वयक रेखा श्​्ीधर इन आंकडो् िे इत्​्ेफाक नही् रखती है्. वे कहती है् सक हमने भोपाि के पांच धास्मसक स्थानो् पर एक महीने तक गहन अध्ययन सकया. केवि इन पांच के्द्ो् पर 187 बच्​्े सभक्​्ावृस्त करते पाये गये. सवस्​्ृत अध्ययन िे यह पता चिा सक भोपाि मे् ही 1900 बच्​्े भीख मांगने का काम करते है.् जबसक जनगणना 2011 के मुतासबक महाराष्​्के थाणे मे्330, मुंबई मे्122, हैदराबाद मे्92 और भोपाि मे्

79 बच्​्े (14 िाि िे कम) भीख मांगने का काम करते है्. धास्मसक स्थानो् पर भीख मांगने का चिन िबिे ज्यादा है. इिकी वजह पुण्य कमाना की मंशा है. मध्यप्​्देश के उज्​्ैन मे्बडी िंख्या मे् बच्​्ेभीख मांगते है्. इनके पीछे इन पसरवारो्की दिीि है सक स्कूि जाकर क्या होगा, वहां की पढ्ाई तो काम आती नही्है. हम तो भीख मांग कर 200 र्पये कमा िेते है्. इि िमूह को एहिाि हो गया है सक व्यापक िमाज और िरकारी व्यवस्था मे्उनके सिए कोई स्थान नही् है. इन्हे् जनकल्याणकारी योजनाओ् का िाभ भी नही् समि पाता. इनमे् ज्यादातर के पाि सनवाि प्​्माण पत्​्और पहचान पत्​्भी नही्है्. सदल्िी स्कूि आफ िोशि वक्फ के अध्ययन के मुतासबक सदल्िी मे् िगभग 60 हिार िोग भीख मांगने के रोजगार मे् है्. एक्शनएड के अध्ययन के मुतासबक मुंबई मे्3 िाख िोग है्. इिी तरह िे कोिकाता मे् 75 हिार, बेग् िुर्मे्पुसि​ि दस्​्ावेजो्िे 56 हिार िोग भीख मांगने िे जुडे है्. हैदराबाद मे् कौ्सि​ि आफ ह्​्ूमन वेिफेयर के मुतासबक हर 354 व्यब्कतयो्पर 1 भीख मांगने वािा है. हमारे देश मे् इि मुद्े को उन िोगो् की निर िे देखने की कोई कोसशश ही नही्हुई है, जो इि काम मे् िगे हुए है्. यही कारण है सक उनके पक्​् को िमिते हुए, उनके अभाव को खत्म करते हुए उनके पुनव्ासि की पहि नही् होती है. कभी कभार धर-पकड करके उन पर कानूनी काय्सवाही का सदखावा भर सकया जाता है. एक अध्ययन (स्ट्ीट सचल्िन् , होटि बॉयज एंड सचल्ि्न डेविेपमे्ट द्​्ेिाि्सएंड कंस्ट्क्शन वक्फि्सइन बांबे) के मुतासबक गिी-िडको्पर रहने वािे 26.4 फीिद बच्​्ेिडक सकनारे या कुछ तो है खाने के जलए: बच्​्े का हमदद्ा बच्​्ा

रेि की पटसरयो्को शौचािय के सिए इस्​्ेमाि करते है्. करीब 69.1 फीिद बच्​्े होटिो् या खाने की दुकानो् िे पानी मांग कर पीते है्. अध्ययन के ठीक तीन महीने पहिे की अवसध मे् 34.9 फीिद बच्​्ो् को कोई न कोई चोट िगी थी और करीब 19 फीिद बच्​्ो्को बुखार हुआ था. कोिकाता मे् हुए एक अध्ययन (स्ट्ीट सचल्ि्न एंड ए पब्लिक हेल्थ सफयास्को) के मुतासबक गिी-िडको् पर रहने वािे पांच िे चौदह िाि की उम्​्के हर 554 बच्​्ो्मे्िे 6 बच्​्े एचआइवी-पासजसटव थे. ज्यादातर बच्​्ो् के पाि पहनने के सिए कपड्ेभी नही्थे. भीख मांगने और िडको् पर रहने वािे बच्​्े बार-बार शारीसरक-मानसिक-आस्थसक शोषण के सशकार होते है्. चूंसक उनकी कोई िामसजक अब्समता नही् होती है. कोई उनकी तरफ िे बोिने वािा नही् होता है, इिसिए वे शोषण के सिए आिान सशकार होते है. कचरा बीनने वािे, िडक पर रहने वािे, चौराहो् पर फुटकर िामान बेचने वािे और भीख मांगने वािे करीब िौ मे् िे 93 बच्​्े बताते है्सक पुसि​ि उन्हे्अक्िर प्​्तासडत सकया करती है. वसरष्​् पत्​्कार सचन्मय समश्​् कहते है् सक सवकाि के नाम पर सजि तरह की आस्थसक नीसतयां हमने अपना िी है्, उिका स्वाभासवक पसरणाम है गैर बराबरी का स्​्र बढते जाना है. जब िंिाधन नही्बचते है्, तब िमाज के एक बडे तबके को भीख मांगने का सवकल्प अपनाना ही पडता है. इि पर भी दुखद यह है सक बाि असधकार के सिए बने ताने बाने रणनीसत पर काम करते है्. वे बच्​्ो्को एक बदिे हुए नाम ‘रेस्क्यू’ का उपयोग करके सगरफ्तार करते है्. ‘काउंिसिंग-परामश्स’ के नाम पर आतंसकत करते है्, और उनका काम खत्म हो जाता है. हमे्यह मानना होगा सक बच्​्ो्के भीख मंगवाने का काम ‘िंगसठत सगरोहो्’ के माध्यम िे भी करवाया जा रहा है. इंदौर मे्इिी तरह के एक सगरोह ने 50 हिार र्पये मे् एक होटि सिया. जहां 20 िे 25 बच्​्ो्का िमूह रखा गया था. ये बच्​्े स्कूि के यूसनफाम्स पहन कर शहर के चौराहे पर जाते और िोगो्िे कहते सक उनकी मां बीमार है, स्कूि की फीि जमा नही्होने िे उनका दासखिा रद्​्हो रहा है. भारतीय िमाज मे्वंसचत और िबिे गरीब को िहारा देने की नैसतक परंपरा रही है, िेसकन अंगज ्े ी उपसनवेश बन कर भारत ने सभखासरयो्के बारे मे् उिी िोच को अपनाया, जो स्​्िसटश सवक्टोसरयन िोच िे उभरी. इिके मुतासबक आि​िी और नैसतक र्प िे सवपन्न िोग भीख मांगने का काम करते है्. वे इिके िामासजक, आस्थसक पहिुओ्को खासरज करते है्. n शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 31


डहमाचल मास्ट हेप्ड्देश

महंगे होते देवता

जहमाचल मे् म्हासू का मंजदर: निराना मांगते देवता

दहमाचल के िेवताओ् को निराना िेने की परंपरा मे् अब यह भी शादमल हो गया है दक बढ्ी हुई महंगाई के दहसाब से धन दिया िाये. मनोज ठाकुर

हाड्ी राज्य सहमाचि मे् देवताओ् को भी नजराना समिता है. यह तय सकया जाता है सक सकतना नजराना सदया जायेगा. यह िुनने मे् थोडा अटपटा िग िकता है. िेसकन सहमाचि इिे िसदयो्िे सनभा रहा है. प्​्देश मे्यह परंपरा बहुत पुरानी है. जो आज भी जारी है. यह नजराना सकतना होगा, यह िरकार तय करती है. िेसकन इिके सिए मापदंड यह है सक महंगाई सकतनी है. खच्सक्या क्या है? इिी को ध्यान मे् रखकर नजराने की रासश तय की जाती है. इि बार बढती महंगाई को देखते हुए िरकार ने प्​्देश के देवताओ् का नजराना भी 15 फीिदी बढा सदया. महंगाई िे सिफ्फआम आदमी का बजट ही नही् गडबड्ाया है. देवताओ् का खच्स भी प्​्भासवत हो रहा है. बढते खच्​्ो्को पूरा करने के सिए सहमाचि िरकार ने देवताओ् के नजराने मे् बढोतरी की है. यानी की अब देवताओ् को सपछिे िािो्की तुिना मे्ज्यादा नजराना सदया जायेगा. हािांसक यह बढोतरी दो िाि के बाद ही बढाई गयी है. सपछिे िाि राज्य िरकार ने 32 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

नजराने मे् कोई बढ्ोतरी नही् की थी. इि बार के धास्मसक उत्िवो् मे् शासमि होने वािे देवताओ्को बढा हुआ नजराना सदया जायेगा. दरअि​ि राजा महाराजाओ् के िमय मे् मंसदरो् और धास्मसक स्थिो् के खच्स को पूरा करने के सिए यह परंपरा शुर्हुई थी. इि रासश िे मंसदर का रखरखाव होता था. वहां सवकाि के काम होते थे. इिके िाथ ही मंसदर के पुजारी के पसरवार का खच्सभी यही्िे चिता था. यही वजह रही सक बाद मे् इिे नजराना कहा जाने िगा. सहमाचि के इसतहािकार डॉ मनोहर नेगी कहते है् सक बहुत ही पुराने िमय िे चिी आ रही इि परंपरा को आज भी सहमाचिवािी पूरी सशद्​्त िे सनभा रहे है्. वे बताते है् सक यहां की मान्यता और सवश्​्ाि मे्िोगो्की गहरी आस्था है. यही वजह है सक हमारी आस्था को िरकार भी अनदेखा नही् कर िकती. हािांसक आजकि मंसदरो् मे् चढावा भी आ जाता है. िेसकन िरकार के नजराने की प्​्था आज भी जारी है. िरकार यह तभी देती है जब सकिी िरकारी धास्मसक काय्सक्म मे् देवताओ् को आमंस्तत सकया जाता है. क्यो्सक वे आते है्. इिसिए उनके आने पर खच्स होता है. उनके

िाथ पुजारी और अन्य िोग भी आते है्. क्यो्सक जब भी देवता यात्​्ा करते है् तो इिकी खािी तैयारी करनी पडती है. गाजेबाजे के िाथ ही देवता यात्​्ा करते है्. इि यात्​्ा पर काफी खच्स होता है. इि िाि देव महाकुंभ मे् 224 देवीदेवताओ्ने हासजरी िगायी. सजन्हे्राज्य िरकार िे बढ्ा हुआ नजराना समिेगा. सपछिे िाि अंतरराष्​्ीय दशहरा उत्िव मे् 228 देवीदेवताओ्ने सशरकत की थी. िेसकन इि िाि चार देवताओ्की िंख्या कम हो गयी. हािांसक इि िाि सजिा कुल्िू के तीन आराध्य देवीदेवता ऐिे थे. सजन्हो्ने चार दशक बाद देव महाकुभं मे्सशरकत की. नेगी के मुतासबक देवता कई बार व्यस्​्होते है्या सकिी अन्य वजह िे काय्सक्म मे् भाग नही् िे पाते. इि वजह िे उनकी िंख्या कम या ज्यादा होती रहती है. सपछिे िाि िरकार ने 60 िाख र्पये की रासश को नजराने पर खच्स सकया था. इि बार िरकार ने गैर माफीदार देवी-देवताओ् को भी नजराना रासश देने का आश्​्ािन सदया है. गैर मुआफीदार देवता वह होते है्सजनके पाि अपनी जमीन होती है. इि जमीन िे उनका कामकाज


चि जाता है. क्यो्सक जमीन िे आमदनी हो रही है, ऐिे मे् उन्हे् िरकार के नजराने की ज्यादा जर्रत नही् होती. सफर भी िरकार ने इन देवताओ्के भी नजराना शुर्करने की परंपरा शुर्कर एक नयी पहि की है. सहमाचि मे् कुछ देवताओ् की आमदनी इतनी ज्यादा है सक िारे खच्सपूरा करने के बाद वे कज्सदेने की ब्सथसत मे्भी होते है्. यसद सकिी को पैिे की जर्रत पड जाती है तो देवता िे कज्सिे िेता है. सहमाचि के चार सजिे सकन्नौर, सशमिा, िाहौि स्पीसत और सिरमोर के कई छोटे और बड्ेमंसदर मे्िसदयो्िे जर्रतमंद को िोन समिता रहा है. बै्को्मे्जहां कज्सदेने का सिस्टम है. इिके सिए सिखाई-पढाई और गारंटर भी सिया जाता है. कज्सवापि कैिे होगा यह भी देखा जाता है. िेसकन मंसदरो्िे सदए जाने

वािे कज्सके सिए ऐिा कुछ भी नही्होता. यहां एक आवेदन देकर ही कज्स िे सिया जाता है. यह अिग बात है सक कज्सकी रासश एक िाि के भीतर वापि करनी होती है. िेसकन सवशेष हािात मे् जब कज्स िेने वािे व्यब्कत की आस्थसक ब्सथसत अच्छी न हो तो उिका कज्स माफ भी कर सदया जाता है. ल्याज भी दो या तीन फीिद िािाना रहता है. सिरमौर के गत्​्ाधारा मे् सशरगुि महाराज देवता और सशिाई ल्िॉक के खडकांह मे्महािू देवता सबना औपचासरकता के कज्सदेते है्. यहां एक सदन सनस्​्ित है. जब कोई भी कज्सके सिए आवेदन कर िकता है. सफर मंसदर कमेटी इि पर सवचार कर कज्सदे देती है. सशरगुि महाराज देवता के भंडारी जीत सिंह ने बताया सक कज्स देते वक्त यह देखा जाता है. जो व्यब्कत मांग रहा

मंजदर से मेले मे् उतरे देवता: लोक आस्था का सवाल है क्या उिकी जर्रत वास्वत मे्है या नही्. यह नही् देखा जाता सक वह वापि करेगा या नही्. क्यो्सक अि​िी मंशा तो मदद करने की है. मंसदरो् के पाि इतनी रासश है. वह अगर जर्रतमंदो्के काम न आये तो इिका फायदा ही क्या? वह िवाि करते है.् यहां कज्समे्सिफ्फ पैिा ही नही् समिता बब्लक अनाज भी सदया जाता है. िेसकन कज्सउिे ही सदया जाता है जो देवता के प्​्भाव वािे क्​्ेत्का सनवािी होता है. कज्स देने िे जुड्े जीत सिंह बताते है् सक हम इिसिए गारंटी या सिसखत मे् कुछ नही् िेते क्यो्सक कोई भी व्यब्कत देवता के िाथ सवश्​्ािघात नही् कर िकता. यह आस्था का मामिा है. हमारी आस्था धम्समे्है्. हम यकीन मान कर चिते है्सक दूिरा भी इिमे्उतना ही n यकीन रखता है सजतना हम.

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शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 33


उड्ीसा

एक मेला बाली की याद में

ओदिशा का बाली मेला सुिूर पूव्ष के िेशो् के साथ हमारे प्​्ाचीन व्यापादरक-सांस्कृदतक संबंधो् की स्मृदतयो् का उत्सव है िो ईस्वी-पूव्ष मे् ही शुर् हो गये थे. सतीश जायसिाल

मारे िंस्कारो् मे् कास्तसक माि पसवत्​् भावो् के िाथ जुडा है. यह देवताओ् के जागने का िमय होता है. इिे उत्िव के र्प मे्मनाया जाता है. यह हमारे यहां के धास्मसक-पारंपसरक मेिो् को भी सदखता है. कास्तसक माि के िाथ इन मेिो्की शुर्आत भी हो जाती है. इन मेिो् मे् कास्तसक पूस्णसमा िे शुर् होने वािा ओसडशा का प्​्सिद्​् बािी मेिा कुछ खाि है. इिकी वजह यह है सक यह रास्​्तकािीन मेिा िुदरू पूवस् के देशो् के िाथ हमारे प्​्ाचीन व्यापासरकिांस्कृसतक िंबंधो् की स्मृसतयो् का उत्िव है. हमारे ये िंबंध बािी, जावा, िुमात्​्ा, बोस्नसओ द्​्ीप िमूह तक फैिे हुए थे. इन िंबंधो् के ऐसतहासिक सववरण 350 वष्स ईिा पूव्स तक समिते है्. बािीद्ी्प िुदूर पूव्स के िाथ हमारे प्​्ाचीन िमुद्पार के व्यापासरक िंबंधो्के के्द् मे् था. इिसिए यह उत्िव' बािी जात्​्ा महोत्िव' है. माना जाता है सक बािीद्​्ीप िमूह के इन देशो् के सिए हमारे व्यापासरक जहाज कास्तसक पूस्णसमा पव्सिे अपनी िमुद्ी यात्​्ाएं शुर्करते थे. उन सदनो् पाि वािे बडे जहाजो् िे जि पसरवहन होता था. सजन्हे्िमुद्ी हवाओ्िे गसत समिती थी. हमारे पूव्ी िमुद् तट िे नौका पसरवहन के सिए कास्तसक पूस्णसमा िे िेकर 4 महीनो्तक हवा की सदशाएं अनुकूि होती थी्. इि 'बािी जात्​्ा महोत्िव' का आयोजन एक िाथ दो स्थानो् पर होता है. कटक मे् महानदी के सकनारे और पारादीप मे्िमुद्तट पर. महानदी हमारे प्​्ाचीन िमुद्पार व्यापार के

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सिए एक ऐसतहासिक जि-माग्सथी. यह वत्मस ान छत्​्ीिगढ मे् सिहावा के पाि के एक गांव फरसियां, िे सनकिकर पारादीप मे्अपने िमुद् िे समिती है. इि पर रासजम, सिरपुर और सशवरीनारायण प्​्मुख नदी पत्​्न थे. इन नदी पत्​्नो् िे िमुद् पार व्यापासरक िामान िेकर सनकिे हुए जहाजो्को कटक िे आगे पारादीप मे् िमुद्-माग्स समि जाता था. बीच मे् कटक बहुत बडा नदी-पत्​्न के्द् रहा है. ओसडशा मे् िंबिपुर के पाि महानदी पर 'हीराकुंड बांध' बन जाने के बाद वह ऐसतहासिक नौ पसरवहन माग्स अवर्द् हो गया. और उिके नदी पत्​्न के्द्ो्का वह महत्​्व भी नही्रहा. िेसकन कटक मे्'बािी जात्​्ा महोत्िव' का आयोजन महानदी के्स्दत होता है. महानदी के जि-पथ पर दीप प्​्वासहत बाली िात्​्ा मे् शास्​्ीय नृत्य: िीवंत परंपरा

मेले का प्​्वेश द्​्ार: लोक संस्कृजत की छजवयां करके महोत्िव की शुर्आत की जाती है. पुराने सदनो् मे् यहां की िदगृहसणयां कास्तसक पूस्णसमा की भोर मे्महानदी के जिपथ पर दीप प्​्वासहत करती थी्. इिके िाथ सवश्​्ाि जुडा हुआ था सक ये प्व् ासहत दीप जाकर िमुद्िे समिेग् .े और व्यापार के सिए दूर देशो्को जाने वािे, उनके स्वजनो् को िकुशि घर िौटा िाये्गे. इि अविर पर कटक के 'बाराबटी' पसरिर मे्बहुत बडा भरता है. कटक का यह बािी-मेिा अपनी भव्यता और िांस्कृसतक काय्सक्मो् के सिए प्​्सिद्​्है. पर यह एक शहरी मेिा िगता है. कटक मे्'बािी जात्​्ा' नदी का उत्िव है. िेसकन पारादीप पहुंचकर यह िमुद्का उत्िव हो जाता है. उत्िव का स्वर्प भी कटक और पारादीप मे्अिग सदखता है. यहां िमुद्की पूजा के िाथ इिकी शुर्आत होती है. िमुद्तट मेिे िे भर जाता है. दूर िे देखने पर ऐिा िगता है जैिे िमुद्की रेत पर रंग-सबरंगी रोशसनयो्का कोई द्​्ीप सनकि आया है. यह ग्​्ामीणो्का मेिा है. इिने अपनी िोक परंपराओ्को िंभाि कर रखा है. वह इि मेिे मे् सदखता है. यहां 'गोटपुआ' नत्ससकयां आती है्. उनका नृत्य मंडप पारादीप के बािी मेिा का के्द्ीय आकष्सण होता है. भारतीय नृत्य पद्​्सत के सवकाि का अध्ययन करने वािे देशी-सवदेशी शोधाथ्​्ी उनके सिए यहां आने िगे है्. ओसडशा का 'गोटीपुआ' प्​्ाचीन िोकनृत्य है. आज का प्​्सिद्​् शाि्​्ीय नृत्य 'ओसडशी' इिी िोकनृत्य n का सवकाि है.


जन-जीवन मेु गतिशीलिब के पु​ुति संकलुपपि


मास् असम ट हेड राजीि कुमार

अिी ने अपना जीवन खत्म कर देने का फैि​िा कर सिया. पांच सितबंर की रात वह नी्द िे उठा और बाहर के पुआि रखे घर मे् आकर फांिी िगा िी. तरप अिी की तरह ही दासतरबोड्ी के अन्य सकिान बेहाि है्. वे कहते है्, सिफ्फतरप अिी ही नही्, अन्य सकिानो्की ब्सथसत बेहतर नही् होगी तो तरफ अिी की तरह अन्य कई सकिान आत्महत्या को मजबूर हो्गे. बाढ् ने इि इिाके के सकिानो् की कमर तोड् दी है. सिफ्फ इि इिाके के ही नही् पूरे अिम के सकिानो् की कमर बाढ् तोड् देती है. हर िाि आने वािी बाढ् िे अिम मे् काफी नुकिान होता है, िेसकन नुकिान का िरकार पूरा भरपाई नही् करती. नदी के कटाव िे भी िोगो्की जमीन चिी जाती है. सकिान िदर अिी ने कहा सक इि बार की बाढ्ने हमारा िब कुछ स्वाहा कर सदया. सकि तरह हम अपना गुजर बिर करे्गे. यह िोच भी नही्िकते है.् नेशनि क्​्ॉइम सरकार्िस्ल्यरू ो के अनुिार 2014 मे् अिम मे् 14 सकिानो् ने आत्महत्या की है. सकिान अल्दुि बारेक कहते

है् सक यसद िरकार हमे् इि भंवर िे नही् सनकािती और िाि-दर-िाि हमारी खेती इिी तरह नष्​्होती रही और फि​ि का उसचत मूलय् नही् समिा तो हमारे पाि भी मरने के सिवाय और कोई चारा नही्रहेगा. खेती बरबाद होने के चिते सकिानो् की आत्महत्या को िरकार और प्​्शािन स्वीकारने िे कतराते है.् बरपेटा की उपायुकत् वन्ाि स ी डेका का कहना था सक तरप अिी के आत्महत्या के कारणो्की जांच की जा रही है. जांच सरपोट्सआने पर ही मुआवजे की बात कही जा िकेगी. मुखय् मंत्ी तर्ण गोगोई ने कहा सक आपदा राहत कोष के सनयमो्मे्इि तरह के मुआवजे की बात नही् है, िेसकन हमे् इि पर िह्दयता के िाथ सवचार करना होगा. पर वे मानते है्सक सकिानो् का नुकिान तो हुआ है. कृषक मुब्कत िंग्ाम िसमसत के नेता कमि कुमार मेधी कहते है्सक िरकार सकिानो् की आत्महत्या की बात सछपाना चाहती है. आत्महत्या खेती के नष्​्होने िे नही् हुई है यह कहकर वे मुख्य मुद्े िे हट जाना चाहते है्. सकिानो् की िमस्या के सिए

रिक्​्क औि रकसान: ख्ुदकुिी की िाह

असम के कई इलाको् मे् आयी बाढ् ने दकसानो् की कमर तोड् िी है और वे आत्महत्या कर रहे है्. स्कूलो् का प्​्ािेदशकीकरर न होने से कई दशक्​्क भी आत्महत्या की राह पर चल पड्े है्.

िम मे्सकिान और सशक्​्क बदहािी के दौर मे् जी रहे है्. सकिान जहां अपने फि​ि की बरबादी के बाद आत्महत्या को मजबूर है् तो सशक्​्क तनख्वाह नही् समिने की वजह िे आस्थक स तंगी के सशकार है.् सकिानो् की आत्महत्या इि तरह इि​िे पहिे नही्देखी गयी थी, िेसकन अब आस्थसक तंगी और खेती चौपट होने के चिते सकिान और सशक्​्क मरने को मजबूर होने िगे है्. अगिे िाि अप्​्ैि मे् राज्य मे् सवधानिभा चुनाव होने है्. मौजूदा िमय मे् कांग्ेि राज्य की ित्​्ा मे् है. ऐिे मे् सवपक्​्अगिे सवधानिभा चुनाव मे्इिे एक मुद्ा बना िकता है. राज्य मे् बरपेटा के दासतरबोड्ी के सकिान तरप अिी ने आत्महत्या कर िी. बाढ्के कारण उिकी िात बीघा धान की खेती नष्​् होने के िाथ ही पहुमोरा नदी की बांध टूटने िे दो तािाबो्की मछसियां भी सनकिकर बाहर चिी गयी. एक के बाद एक नुकिान होने िे तरफ

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असम मे् बाढ्: बेहाल जकसान


सकिी भी िरकार की कोई सदिचस्पी नही्है. तरप की तरह ही दरंग के सकिान होतुर् बसनया (50) ने आत्महत्या की. बीते 19 सितबंर को होतर्खराब खेती िे हताश होकर काम की खोज मे् घर िे सनकिा. करीब 16 सदनो् तक उिका कोई अता-पता नही् चिा. चार अक्तूबर को जंगि मे् एक नरकंकाि सदखा. गांववािो्ने जाकर देखा तो पाया सक एक पेड् मे् गमछा िटका हुआ है और नीचे नरकंकाि है. होतर् की पहचान उिके थैिे और दाव िे की गयी है, जो वही्समिे. सकिान होतर्दूिरे की जमीन बटाई पर िेकर खेती कर अपने चार िंतानो्का पेट भरता था. इि बार भी उिने सवपुि शम्ास की िात बीघा जमीन बटाई पर िेकर खेती की थी, िेसकन बाढ् मे् तीन बीघा जमीन की खेती नष्​् हो गयी. इि​िे वह हताश हो गया. इिी वजह िे उिने आत्महत्या कर िी. निबाड्ी सजिे के सटहू के नखरा गांव के सकिान सदवाकर कसिता (53) ने 17 अक्तबू र को आस्थक स तंगी के चिते ल्िड े िे गिा रेत कर आत्महत्या की. सपछिे िाि के िूखे मे्उिकी खेती नष्​्हो गयी थी. कज्सिेकर इि बार खेती की तो भादो महीने मे्आई बाढ्ने उिको बरबाद कर सदया. दो िाि िगातार खेती नष्​्होने और कज्स के बोि िे परेशान हो कसिता ने आत्महत्या कर िी. सचरांग सजिे के सबजनी मे् युवा सकिान िखेशर् राय (28) ने भी खेती मे्हुए नुकिान के बाद 24 अक्तूबर को आत्महत्या कर िी. खेती के नुकिान के चिते वह इि बार पूजा मे् पसरवार को कपड्ेनही्दे िका. िखेश्र ने भी दूिरे की जमीन िेकर खेती की थी, िेसकन फि​ि नष्​् होने िे वह परेशान था. मोबाइि टावर िे िटककर उिने आत्महत्या की. दरंग के पाथसरघाट राजस्व प्​्खंड के तहत के्दुगुड्ी गांव सनवािी सकिान िोसहत कसिता (55) ने 28 अक्तूबर की रात को अपने घर के सपछवाड्े फांिी िगाकर आत्महत्या की. दूिरे की जमीन मे् खेती कर गुजर बिर करने वािे कसिता की पत्नी बीमार थी. पर आस्थसक तंगी के चिते पत्नी का इिाज न करा पा कसिता ने आत्महत्या कर िी. िगातार मीसडया मे् सकिानो् की हत्या की खबरे्आने के बाद िे राज्य िरकार अब मामिे मे् हरकत मे् आयी है. गौरतिब है सक कांग्ेि शािन के सपछिे चौदह िािो् मे् करीब चार हजार सकिानो् ने आत्महत्या की है. इि तरह की खबरे् आने के बाद मुख्यमंत्ी तर्ण गोगोई ने इिे गंभीरता िे िेते हुए राजस्व सवभाग के असतसरक्त मुख्य िसचव िुभाष दाि को इिकी जांच का सजम्मा िौ्पा है. दाि को इि तरह की हत्याओ्के बारे मे्पता करने और इनकी वजह

जवरोध प्​्दश्ान करते अध्यापक: असमानता के जखलाफ

मािूम करने िसहत इिके रोकने के उपाय िुिाने को कहा गया है. राज्य मे्सकिान ही नही्, सशक्​्क भी वेतन न पाने के चिते आत्महत्या कर रहे है.् मोसरगांव सजिे के चराईबाड्ी मे् आस्थसक तंगी के चिते हेमंत बरदिै ने आत्महत्या कर िी. वह बरदिै नभेटी मध्य अंग्ेजी सवद्​्ािय मे् 1996 िे सशक्​्क के तौर पर पढ्ा रहे थे. सवद्​्ािय का प्​्ादेसशकरण होगा, इिी आशा मे्बरदिै ने 19 िािो् तक सबना वेतन पढ्ाया. अपने बच्​्ो् को पढ्ाने और घर के कज्सिे वे परेशान हो गये थे. तनाव के चिते 23 सितबंर को बरदिै घर िे सनकिे और िापता हो गये. बीते 25 सितबंर को स्थानीय िोगो्ने एक तािाब मे्बरदिै का शव देखा. पुसि​ि और स्थानीय िोगो् ने कहा सक बरदिै ने आत्महत्या की है. गैर प्​्ादेसशकृत अनेक स्कूिो् का प्​्ादेसशकीकरण न होने के चिते िािो्िे सबना वेतन काम कर रहे सशक्क ् ो्की हाित खस्​्ा है. अपने इिाज का खच्सउठा पाने मे्अिमथ्सहोने िे कई सशक्​्क सबना इिाज के मर रहे है्. मोसरगांव के सदपुि बरदिै और गोहपुर के मृदि ु कुमार बोरा इिाज के अभाव मे् मारे गये. मोसरगांव के सिधाबारी मध्य अंगज ्े ी सवद्​्ािय के सशक्क ् सदपुि बरदिै(45) कैि ् र िे पीस्डत थे. सदपुि को आशा थी सक ित्​्ार्ढ् कांग्ेि िरकार उनके सवद्​्ािय का प्​्ादेसशकीकरण करेगी और उन्हे्सनयसमत र्प िे वेतन समिेगा.

सालो् से जबना वेतन जशक्​्को् की हालत खस्​्ा है. इलाि का खर्च उठा पाने मे् असमथ्च होने से कई जशक्​्क जबना इलाि के मर रहे है्.

वेतन समिने िे वे अपना इिाज करा िकेग् .े पर हजारो् गैर प्​्ादेसशकृत सशक्​्को् की तरह ही सदपुि की आशा पर पानी सफर गया. घर की गाये् और खेती की पांच बीघा जमीन सबक्​्ी कर गुवाहाटी और मुंबई मे् इिाज कराया, िेसकन खच्​्ीिा इिाज न करा पा अधूरा छोड् िौट आये. अंततः वे मौत के चपेट मे्आ गये. यही हाि गोहपुर के छयदुवार प्​्ाथसमक सशक्​्ा प्​्खंड के अंतगत्समध्य अंग्ेजी सवद्​्ािय के िहायक सशक्​्क मृदुि कुमार बोरा का हुआ. सबना इिाज के मौत हो गयी. िाि 1983 िे वे सबना वेतन के अपने गैर प्​्ादेसशकृत स्कूि के सिए काम कर रहे थे. वे मधुमेह िे पीस्डत थे. पैिो् के िंकट के चिते वे इिाज नही्करा िके. राज्य मे् इि तरह हाहाकार मचा है. खुद एक कांग्ेिी नेता भी आस्थसक तंगी के चिते अपने पूरे पसरवार को खत्म कर चुका है. बरपेटा के िथ्​्ेबाड्ी के प्​्वीण बम्सन(50) ने अपने दो बच्​्ो् सजतकेश(12) और असभिेश को जहरीिा पदाथ्स सखिाकर मारने के बाद पत्नी िुपण्ास देवी (42) और खुद के गिे मे् फंदा िगाकर आत्महत्या कर िी. आस्थसक तंगी के चिते दोनो्बच्​्ो्की स्कि ू की फीि बम्ण स नही् दे पाया. स्थानीय िोगो्का कहना है सक प्​्वीण ने िरकारी ठेका सकया था, िेसकन उिे पैि नही् समिे. इिसिए वह आस्थसक तंगी मे्जी रहा था. आसखरकार थक हार कर उिने पूरे पसरवार को ही खत्म कर देने की ठान िी. अिम सवकाि की रफ्तार देख रहा है, िेसकन इिके िाथ ही िमाज के कुछ तबके पीछे छूटे जा रहे है्. इिसिए आत्महत्या की घटनाएं भी बढ्ी है्. राज्य िरकार इन्हे्दूर करने मे् सवफि रही है. सफिहाि राज्य के सिए यह n एक गंभीर सचंता का सवषय बन गया है. शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 37


मास् साडहत् ट हेयड

अपनी कजवताओ् की जरकॉजडंग करते कुंवर नारायण: जहंदी मे् एक नया प्​्योग

करवता का रसनेमाई रवधान

कदवता और दसनेमा के संयोग का एक अनूठा प्​्योग है साधो दरक्म महोत्सव, दिसमे् प्​्िद्शषत दरक्मे् िेखकर पता चलता है दक एक िृश्य माध्यम दकस तरह कदवता के अथ्​्ो् का दवस्​्ार कर सकता है. पू​ूमोद कौूसिाल

िा

धो सफल्म महोत्िव कसवता ओर सिनेमा के िंयोग का एक अनूठा प्​्योग है. पांचवे् िाधो काव्य स्फ़ल्मोत्िव मे् नोबेि पुरस्कार िे िम्मासनत कसव पाल्िो नेर्दा, तोमाि त्​्ाित्​्ोमर, सवस्गग, सशंबोस्क्ास की रचनाओ् पर आधासरत सफल्मो् ने अच्छा िमां बांधा. ऐन उि उक्त जबसक पेसरि पर िबिे बड्ा और भयावह आतंकी हमिा हुआ, नयी सदल्िी मे् िोधी स्टेट ब्सथत एसियांि फ्​्ांिे ने सफल्मोत्िव की इजाजत देकर न सिफ्फ कसवता और सफल्म के प्​्िंशको्की उम्मीदो्को कायम रखा बब्लक यह भी िासबत सकया सक फ्​्ांि दुसनया का िबिे प्​्मुख िांस्कृसतक के्द्क्यो्है. सदल्िी मे् दो सदन तक चिे इि िमारोह मे् िोिह देशो् की बीि िघु स्फ़ल्मे् सदखाई गयी. इि मौके पर प्​्सिद्​् सहंदी कसव कुंवर नारायण की आवाि् मे् एक उनकी कसवताओ् की

38 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

आसडयो िीडी भी सरिीि् की गयी. इि िीडी के िाथ कुंवर नारायण की तीि िे ज्यादा कसवताओ्की अग्​्ेि्ी मे्अनूसदत कसवताओ्की पुस्सका भी जारी हुई. िाधो सफल्म महोत्िव इि माती मे्अनोखा है सक इि तरह का एसशया मे् कोई सफल्म िमारोह नही् होता. इिके आयोजक ऐिी सफल्मो् को चुनते है् जो बड्े फिक पर सदखने या प्​्चार-प्​्िार की दुसनया मे् दूर रहती है. कसवता और सिनेमा के चाहने वािे इि महोत्िव के जसरये यह भी जान पाये है्सक सकि तरह आज अनेक देशो् की राजनीसतक व्यवस्थाओ् ने मानवीय मूल्यो् को नष्​् करने का काम सकया है- और वह सि​िसि​िा जारी है. बात चाहे मानवीय िंवेदना की हो, हमारी बोिी और भाषा की हो या सफर रहन-िहन की. ये सफल्मे् िमय की भुिा दी गयी घटनाओ् का बयान है्. ‘िाधो’ की सफल्मो्का नजसरया और तरीका काफी अिग है तो पारंपसरक सिनेमा

जैिा है, न ही िमानांतर सिनेमा और न ही मध्य सिनेमा जैिा. िाधो सफल्मोत्वि की शुर्आत 2007 हुई थी. तब िे िेकर अब तक करीब दो िौ सफल्मो् को प्​्दस्शसत सकया जा चुका है. इि िाि सजन देशो् की सफल्मो् को जगह समिी, उनमे् बेबल् जयम, ि्​्ाजीि, कनाडा, जम्नस ी आयरिैड ्, हॉिै्ड, पुत्सगाि, र्ि, यूके्न, स्​्िटेन और अमेसरका की सफल्मे्थी्. ये सफल्मे्एक समनट िे िेकर 17 समनट तक की है्सजनको एनीमेशन, मल्टीमीसडया और दृश्यांकन के सभन्न-सभन्न माध्यमो्िे पद्​्ेपर िाया गया है. िंकेत भाषा मे् कही गयी बातो् को भी कसवताओ् के जसरये िमिने की कोसशश इन सफल्मो्मे्सदखती थी. र्ि की ‘वी ऑि कैप्चड्स बीस्ट्ि,’ ‘क्वेशन ऑफ ट्​्ेवि’ (स्​्िटेन) खो्िेिे (अमेसरका) सफल्म 48 भाषाओ् मे् बनी सफल्म है. इिके अिावा यूके्न की सफल्म ‘काफ्का’ ने भी सफल्मोत्िव मे्अपनी छाप छोड्ी. सजन िोगो्ने


सपछिे िाधो महोत्िवो् मे् सशरकत नही् की, उनके सिए सपछिे सफल्मोत्िवो् की कई बेहतरीन प्​्स्ुसतयो्को सदखाया गया. सरवांड िेक्शन की एक िघु सफल्म िाधो महोत्िव मे्िबको बेहतरीन िगी. एक मािूम िी िाइसकि चिाती िड्की का सदि इिमे् इतना तेज धड्कता है सक उिकी आवाज सदि िे बाहर खुिे मे् भी िुनी जा िकती है. िोग हैरान रह जाते है्और अपनी-अपनी जगह र्क जाते है्. बाद मे्वह िड्की कहती है सक वह तो अि​ि मे्एक सचस्डया है और कई बार वह िोगो् के डर िे खुद भी छुप जाती है. िेसकन िमय बीतने के िाथ-िाथ तेज धड्कन वािी इि मािूम बच्​्ी के िाथ िोग आम सदनो्की तरह जीने के अभ्यस्​्हो जाते है्. एक सदन यकायक एक सचस्डया इि िड्की के पाि दाना िेने के सिए बैठती है. वह उिे दाना सखिाती है और खुद भी पंछी बन जाती है. इिके फौरन बाद वह उड् जाती है. अब िामान्य जगत परेशान है सक वह धड्कता सदि, तेज आवाि्े् करता सदि कहां चिा गया होगा. कसवताओ् मे् अक्िर ‘बाहर िब शांत है’ की तरह िब कुछ शांत हो जाता है. र्िी कहानी ‘वी ऑि आर कैप्चड्सबीस्ट्ि’ मे्एक तरह िे मानव आत्माएं अपने को सकिी कैद मे् पाती है्. वह कैद िे सनकिने की कोसशश करती है् और बार-बार ऐिा करने की कोसशश करती है्. उन्हे्िग रहा है सक दरवाजे बुरी तरह िे बंद हो चुके है्और उनके मुकत् होने की कोई िंभावना नही्बची है. वह आजादी चाहती है् जो उन्हे् सकिी भी तरह िे निीब नही् हो पा रही है. ये मानव किाकृसतयां अब कैद मे् पड्े रहने की इतनी अभ्यस्​्हो गयी है्सक जैिे उनकी सनयसत मे्ही कैद होना सिखा है. इन रोती-चीखती आकृसतयो्

के सिए सकवाड् बंद हो चुके है्. मुमसकन है ये आकृसतयां ऐिी जगह पर है्जो सकिी जू के पाि है और वहां इिसिए कौओ्की भी आवाज िुन पड्ती है. इिमे् शक़् नही् सक कसवता की तरह ही कुछ-कुछ बंद सकवाड्ो्िे िांकता हुआ यह सिनेमा भी है. फज्सकीसजए सक आपने कही्सकिी कागज या गत्​्े पर एक सचत्​् है जहां एक पुि िा बना है, नीचे पानी है और पुि पर कुछ िोग आतेजाते है्. इिका क्या अथ्सहो िकता है, हर एक के सिए क्या-क्या अथ्सहो िकते है्, इिकी ही एक कहानी है ‘पीपि ऑन द स्​्िज’. यह एक प्​्ाचीन और प्​्सिद्​् जापानी किाकृसत है, सजिके रचनाकार उतागावा सहर्सशगे थे. नोबेि पुरस्कार सवजेता पोसिश कवसयत्​्ी सवस्वाग सशंबोस्का्स की एक कसवता इिी सचत्​्का सववरण है. इिी सचत्​् पर महान किाकार वैन गॉग ने

जिल्म मे् संवाद कायम करते लोग भी इतने पुराने और दूर के लगते है् जक िैसे कोई भाषा बोलने वाले वे संसार के अंजतम रेहरे हो्गे. अपनी अपनी किाकृसत सनस्मसत की थी. इि कड्ी को आगे बढ्ाते हुए पोिै्ड के सफल्मकार सबएत पोि्नेक ने नये अथ्सही भर सदये है्. सचत्​् को देखकर कुछ िोग इि​िे शरीर मे् ठंड का एहिाि कर िकते है्, पानी िे गिा तर हुआ महिूि कर िकते है.् पुि की पेस्टग तमाम िोग अपनी तरह िे देखते है. सशंबोस्क्ास का कहना है सक इिको हर शख्ि का देखने का फक्फजुदा है. पहिे ये िग िकता है सक खाि कुछ भी जिते्द् रामप्​्काश: दो जवधाओ् की आवािाही

नही्, पानी है, नाव है, पुि पर बि कुछ िोग सिफ्फ चि रहे है्. बादि रंग नही् बदि रहे है् और िब र्का हुआ है, आसद. कुछ िोग यह महिूि कर िकते है्सक नाव चि रही है, पुि पर जो सचत्​् है उिमे् िोग चि रहे है्- िब गसतशीि है. िेसकन कुि समिाकर सचत्​् को देखने के सजतने भेद है्वे इतने िहज और गैरमामूिी नही् सक उनको अनदेखा कर सदया जाये. सशंबोस्क्ास की कसवता की ताकत कसहए या सफल्मकार का नजसरया सक हम सफल्म को देखते रह जाते है्. िमारोह मे्शासमि ‘खुिे’ 48 भाषाओ्मे् बनी सफल्म है. जो खत्म होती भाषाओ् के प्​्सत सचंता जासहर करती है. अमेसरकी सफल्मकार जॉन स्​्पस्ट की इि सफल्म को िेकर िाधो महोत्िव के मुखय् आयोजक सजतेद् ्रामप्क ् ाश का कहना था सक यह कुछ वष्​्ो्के अंतराि मे्कई भाषा खत्म हो रही है्, इिसिए इि सफल्म की प्​्ािंसगक्ता बढ्जाती है. सफल्म मे्िंवाद कायम करते िोग भी इतने पुराने और दूर के िगते है् सक जैिे कोई भाषा बोिने वािे वे िंिार के अंसतम चेहरे हो्गे. यह सफल्म भाषाओ् पर अिमय मार की गवाह है. िमारोह मे् एिेक्जे्डर श्पारतोवा की ‘स्माइि एक्​्ाि ए टी कप’ (बेिार्ि) िैम ऑकिैड् की कसवता पर आधासरत थी. यूके्न िे एंि्ेिा बोगाशॉको, ि्​्ाजीि की ‘कैिसियो वाय बागा’, स्​्िटेन की ‘एंड यू हेिने ’, स्​्िटेन की ‘क्वश े न आफ़्ट्व्ै ि’ और ‘पल्ि्स’ चौिर कैमर्न की कसवता पर आधासरत थी. सफल्म ‘1962’ स्​्िटेन िे है. डायना टेिर की यह सफल्म रोसबन सकडिन की कसवता पर बनाई गयी जबसक ‘ऑमिेट एंड एक्वेसरयम’ सफ़ओना िैम की कसवता पर थी जो उन्हो्ने खुद बनायी है. दुसनया के कई बड्े कसवयो्मे्इबा रोि्की कसवता पर एिीफे्ट इन कंटेसजयि, पेिेन स्टीवंि की रचना पर ‘इकोिाइड,’ जम्सनी के िांगिूजैन वाग्नर की कसवता पर बनी कैस्पर हौिर शासमि इि िाि के िमारोह मे्शासमि की गयी. सजते्द् रामप्​्काश का कहना है सक िाधो कोर टीम ने 2007 िे बाद िे िगातार ऐिे सफल्मकारो् िे िंपक्फ रखा है जो कसवता की आंख िे िे िंिार को देखते है्. खुद िाधो के प्​्ोजेक्ट के तहत अब तक आठ सफल्मे्बनी है्. इिके अिावा िाधो ने किा के महत्व को नयी ऊंचाइयां देने के सिए कसवता पोस्टर, कंप्यूटर वाि पेपि्स, काव्य पुस्सकाओ् के प्​्काशन का काम भी सकया है. इि बार के सफल्म महोत्िव मे्सजतेद् ्रामप्क ् ाश के अिावा उनकी टीम के िीपी तोमर, पासरजात कौि, प्​्ताप िोमवंशी, मंजरी राठी, मोना समश्​्ा, असनंदो चक्व् त्​्ी, अच्नस ा िा और सवशाख प्म् ख ु र्प िे िस्​्कय सदखे. n शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 39


साडहत्य

पहचान-चचह्न

व्यंग्य कथा सुनील भटू​ू

ब एक हीरो की सफल्म सपटती है तो वह सपटता है, िेसकन जब बडे नेता की रैिी सपटती है, तो उि प्द् श े का पाट्​्ी-अध्यक्​्सपटता है. यह ठीक वैिा ही है सक शाहर्ख खान की सफल्म देखने िोग न आये् और गिती सिनेमा हाि के मासिक की मानी जाये. िेसकन िाहब, अगर आप राजनीसत मे्र्सच रखते है्तो माने्गे सक यहां तो ऐिे ही चिता है. गिती के्द्ीय नेता की नही्मानी जाती. कोई नही्कहता सक सदल्िी के नेता को जनता िुनना नही्चाहती या िुनने िायक नही्िमिती. कोई कह भी नही्िकता. जो कहेगा, अपने पद िे हाथ धोयेगा और पद िबको प्यारा होता है. यह नौकरी करने वािो् का देश है. यहां अफिर, बाबू, नेता, यहां तक सक उद्​्ोगपसत भी अपनी कुि्ी बचाने के चि्​्र मे् रहते है्. यहां सवरोध करने या न करने का फैि​िा िामने वािे का कद देखकर तय सकया जाता है. ऐिे मे् यह स्वाभासवक था सक जब हमारे पडोि वािे सजिे मे्सदल्िी के नये नेताजी की रैिी सपटी, तो हमारे प्​्देश अध्यक्​् रामरतनजी की बडी सखंचाई हुई. उनकी स्वामीभब्कत पर 40 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

प्​्श्नसचह्न िगाये गये और उनकी िफाई भी नही्िुनी गयी. ऊपर िे उन्हे्हफ्ते भर बाद ही सदल्िी बुिा सिया गया और बताया गया सक नेताजी आपको एक मौका और देना चाहते है्, इिसिए अगिे महीने आपके यहां एक और रैिी रखवाई जा रही है. यह िुनकर उनकी हाित ‘काटो तो खून नही्’ वािी हो गयी, पर बेचारे कुछ कह नही् पाये. ‘जी हां! िब इंतजाम हो जायेगा’, ‘आप सचंता न करे्, इि बार आप सनराश नही् हो्गे’, जैिी फीकी बाते् कहकर सखसियाते हुए आ गये. ‘अब तो मै् गया काम िे!’ रामरतनजी जानते थे सक इतने कम िमय मे् दूिरी रैिी उनके यहां जान-बूिकर रखवाई जा रही है. ‘अभी कौन िे चुनाव होने वािे है,् जो ये रैसियां कर रहे है्.’ पर कहे कौन? वे देख रहे थे, सदल्िी मे्बैठे उनके सवरोधी उनकी जडो्मे्मट्​्ा दाि रहे है,् अपना बदिा चुका रहे है,् पर वे कर क्या िकते थे? गिे का िांप, चाहे फुफकारे या काटे, उतारा नही्जा िकता था. रैिी मे्तो भीड जुटवानी पडेगी, चाहे कुछ भी हो. यह रैिी हमारे सजिे मे्होनी थी और हमारे यहां पाट्​्ी की हाित खराब थी. रामरतनजी सदल्िी िे िीधे हमारे यहां आ गये. तुरत-फुरत मे्िभी सवश्​्ािपात्​्ो्की मीसटंग बुिाई गयी, पर ठोि नतीजा सिफ्फ इतना सनकिा सक रैिी के

सिए मैदान, मंच, कुि्ी, पुसि​ि आसद की व्यवस्था का काम बंट गया. जो अि​िी िमस्या थी, यानी भीड जुटाने की, उि पर बातचीत अगिे सदन के सिए टाि दी गयी. रात भर मे्ही पाट्​्ी के िभी काय्सकत्ासओ्मे् खबर फैि गयी सक सदल्िी के नये नेता की रैिी मे्भीड जुटाने के सिए मीसटंग हो रही है. खबर यह भी फैिी सक रामरतनजी की बहुत परेशान है् और वे कुछ भी करके रैिी िफि करवाना चाहते है्. इि खबर के फैिते ही छह महीने िे िोई पाट्​्ी जाग गयी िोई उम्मीदे्जाग गयी्. छह महीने पहिे ही वह मनहूि घडी आयी थी, जब रामरतनजी ने सदल्िी के इन्ही् नये नेताजी के सनद्​्ेश हमारे सजिे मे् िागू सकये थे. नतीजा यह सनकिा सक हसरभाई जैिा ठेठ अव्यावहासरक व्यब्कत ईमानदार माने जाने के कारण सजिा अध्यक्​् बनाया गया और सजिा इकाई का िाइि घटाकर एक-दहाई कर सदया गया. सदल्िी के नये नेताजी का मानना था सक पाट्​्ी के अंदर अनाप-शनाप िोगो्की भीड जमा हो रखी है, सजनका एकमात्​् काम घूिखोर अफिरो् को ल्िैकमेि करना है. हर ऐरे-गैरे, नत्थू-खैरे को पाट्​्ी-पद देकर पदो् की गसरमा खत्म कर दी गयी है. मोटे-तो्सदि नेताओ् की पाट्​्ी का िाइि भी तो्सदि हो गया है. उनका पहिा वार हमारे प्​्देश पर ही हुआ. हमारे सजिे मे्चार-छः पुराने िोगो्को छोडकर िगभग िभी पदासधकासरयो् की छुट्ी कर दी गयी. यही हाि बाकी सजिो् मे् भी हुआ. चारो् तरफ हाहाकार मच गया, पर कोई कुछ नही् बोिा क्यो्सक िमाचार पत्​्ो् और पस्​्तकाओ् मे् नये नेता के इि काम की भूसर-भूसर प्​्शंिा हो रही थी. ‘प्​्ॉपट्​्ी डीिरो्और दिािो्िे पाट्​्ी को मुबक् त कराने की मुसहम शुर’् , ‘पाट्​्ी को ब्सिमस्​्टम बनाने की कवायद रंग िायी’ जैिी हैर्िाइंि जब छप रही हो्, तो चुप्पी िगाना ही बुस्दमानी रहती है. एक राजनीसतक दि के नेताओ्और काय्सकत्ासओ्मे्यह खासियत होती है सक वे जर्रत पडने पर अपना बडे-िे-बडा घाव सछपा िेते है्, दद्स पी िेते है्. राजनीसत मे् सटके रहने और तरि्​्ी करने के सिए यह जर्री गुण है. यहां िमय देखकर ज्यादा को कम या कम को ज्यादा बताना किा माना जाता है. मूखस् िोग इिे ‘अविरवासदता’ और ियाने इिे ‘िमय देखकर चिना’ कहते है्. हमारे सजिे मे् िभी ियाने थे, िो वे उि वक्त कुछ नही्बोिे.


बि उसचत िमय का इंतिार करने िगे. छह महीने बाद उसचत िमय अब आया था. नये नेता की रैिी और रामरतनजी की परेशानी एक शुभ िंकेत थी. अगिे ही सदन रामरतनजी के होटि के बाहर गासडयो् की भीड िग गयी. िभी नेता-काय्सकत्ास अपने नये-पुराने कुरतो् पर किफ िगाकर पहुंच गये. नेता िोग रामरतनजी ओर िपके तो काय्सकत्ास होटि के रैस्टौरे्ट की ओर. राजनीसत मे् फ्​्ी का माि उडाना भी एक सकस्म का िुख है, सजि​िे कोई भी काय्सकत्ास अपने आप को वंसचत नही् कर पाता है. उधर समिने वािो् ने रामरतनजी का समिने के नाम पर घेराव कर सिया. कुशि-क्​्ेम के दौर-पर-दौर चिने िगे और ‘आप तो हमिे नाराज हो गये’, ‘आपने तो हमे् पूछना बंद कर सदया’ जैिे ताने िुनािुनाकर उन्हे् बैचेन कर सदया गया. कई घंटो् तक यह सि​िसि​िा चिा और सशष्​्ाचार के हर िंभव ि​िीके िे उन्हे्जता सदया गया सक ‘आप तो गए काम िे...!’ रैिी का क्या हाि होगा, यह रामरतनजी को स्पष्​्हो गया. ‘मामिा इतना आिान नही् है, कुछ तो करना पडेगा...’ िंच टाइम तक तय हो गया सक कि एक बडी मीसटंग बुिाई जायेगी, सजिमे्पाट्​्ी के िभी नये-पुराने, छोटेबडे नेताओ् और काय्सकत्ासओ् को बुिाया जाएगा. रामरतनजी खुद यह मीसटंग िे्गे और इिमे्हर नेता-काय्क स त्ास को खुिकर बोिने की आजादी होगी. पत्क ् ारो्और िोकि टीवी वािो् को इि​िे दूर रखा जायेगा. घर की बाते् बाहर वािो्को क्यो् बताये्? अगिे सदन होटि के सववाह-हाि मे्पाट्​्ी की मैराथन मीसटंग हुई और रामरतनजी को िमि आ गया सक अि​िी गडबड कहां हुई. उन्हे्बार-बार याद सदिाया गया सक पहिे हमारे यहां एक सजिा-अध्यक्​् के अिावा चार उपाध्यक्​्, चार महािसचव, बीि ियुंक्त िसचव और िोिह िंगठन मंत्ी थे, जो अब घटकर एक-एक रह गये है्. बाकी चािीि खुद को बेरोजगार महिूि करते है्, अनाथ महिूि करते है्. ‘आप ये बताइए, सकिी को पद देने मे्पाट्​्ी का क्या सघि जायेगा? अगर चार की बजाय चौदह या चािीि िंगठन मंत्ी भी हो गये, तो क्या हि्सहै?” ‘हमने यह तो नही् कहा सक पद के िाथ हमे् सिम्मेदारी भी दो. हमे् पद पाट्​्ी के अंदर अपनी भूसमका बढाने के सिए नही्चासहए. वह हमे्इिसिए चासहए तासक पब्लिक मे्अपने बारे मे् एक इंप्ैशन बना िके, िोगो् को िूठ बोि िके् सक हम पाट्​्ी के सिए सकतने महत्वपूण्सहै्.’ ‘जब एक काय्सकत्ास के पाि पद होता है तो

उिके सिए पब्लिक मे्काम करना आिान होता है. वह सवसजसटंग काड्ससदखाकर सकिी भी दफ्तर मे् बेधडक घुि िकता है, अपनी गाडी पर अपना पदनाम सिखकर पुसि​ि वािे िे चािान बचा िकता है, टोि और पास्कि्ग के दि र्पये बचा िकता है, िेटर पैड् पर सकिी की सिफासरशी सचट्​्ी सिखकर अपना सदनभर का खच्ास सनकाि िकता है. और ये िारे काम वह पूरी अकड और धौ्ि के िाथ कर िकता है.’ ‘आप बडे नेता नही्िमिते हो, पाट्​्ी-पद हमारे सिए िंजीवनी बूटी है. यह हमारी रोजीरोटी है. और जरा िोसचए ! उिके बदिे मे्हम पाट्​्ी के सिए सकतना कुछ करते है्. आप बडे िोग सटकट िेकर सवधायक, िांिद बनते हो, मंत्ी बनते हो, पर हमे्क्या समिता है - पाट्​्ी का एक िूखा िा पद, और वह भी अहिान के तौर पर... मत भूसिए, हर काय्सकत्ास अपने क्​्ेत् का छोटा-मोटा नेता होता है, उिके आगे-पीछे दोचार िमथ्सको् की टीम होती है. वे बेचारे भी इतराते सफरते है् सक हमारे भैयाजी फिां-फिां

हफ्ते भर मे् ही रेवजडयो् की तरह पद बांटे गये. पंद्ह उपाध्यक्​्, आठ महासजरव, तीस संयुक्त सजरव और बीस संगठन मंत्ी बनाये गये.

है्. अब अगर पाट्​्ी उिे ये िूखा िम्मान भी नही् देगी, तो वह कैिे काम करेगा?’ ‘हम कौन िा सवधायक का सटकट मांग रहे है्? अरे! हम तो वाड्स-मे्बर के सिए भी नही् कह रहे है्. क्या हमे् अपनी औकात नही् मािूम? चुनाव िडने िायक पैिा है सकिके पाि?’ एक ने अपना दुखडा िुनाया, ‘मेरे मुहल्िे के दरोगा ने मुिे िुना सदया - पहिे तो आप पाट्​्ी के उपाध्यक्​् थे, अब सनकाि क्यो् सदया? उि सदन के बाद उिने मुिे पूछना बंद कर सदया. मेरी तो अपने इिाके मे्पहचान खत्म हो गयी. आप बताइए, मेरे कहने िे कौन आयेगा रैिी

मे्?’ ‘आप सदल्िी वािो् को बता दीसजए, दोचार रैसियां फ्िॉप होने तक तो वह आपको डांट िकते है्, पर उिके बाद बदनामी उन्ही् की होगी. अपनी पाट्​्ी के काय्सकत्ासओ् को उपेस्कत करके कोई नेता चि नही्िकता.’ िुल्बो-िुआब यह सक िबने तबीयत िे अपनी भडाि सनकािी और जमकर सखंचाई की. रामरतनजी को अच्छे िे िमिा सदया गया सक अगर रैिी िफि करवानी है तो उन्हे् क्या करना होगा. शाम को ही रामरतनजी ने सदल्िी के नये नेताजी के सवशेष ि​िाहकार िे बातचीत की. तय हुआ सक अभी जो करना है, रामरतनजी अपने स्​्र पर कर िे्. नेताजी को रैिी तक सवशेष ि​िाहकार िंभाि िे्गे, पर अगर सफर भी भीड नही् जुट पायी तो रामरतनजी मामिे को खुद सनपटाये्गे. उन्हो्ने सरस्क िेना कबूि सकया. उनके पाि कोई चारा नही् था. रैिी के फ्िॉप होने की गारंटी थी. सरस्क िेने िे शायद कुछ बात बन जाये. हफ्ते भर के अंदर ही पाट्​्ी की सजिा इकाई मे् सवस्​्ार सकया गया. रेवसडयो् की तरह पद बांटे गये. पंदह् उपाध्यक्,् आठ महािसचव, तीि िंयुक्त िसचव और बीि िंगठन मंत्ी बनाये गये. तीन बूढे खांटी नेता, सजनको सठकाने िगाना था पर िगाया नही्जा िका था, उनको समिाकर एक माग्सदश्सक मंडि बनाया गया. कुछ पद खािी रखे गये तासक िमय पडने पर उन्हे् भरा जा िका. उम्मीद की गयी सक कुछ िोग इन पदो्के िािच मे्भी वफादार बने रह िकते है्. पाट्​्ी की तरफ िे िभी पदासधकासरयो् को उनके नाम और पदनाम वािे िेटरपैड और सवसजसटंग काड्ससदये गये. आठो्महािसचवो्के इिाको्मे्उनके चंगू-मंगू िमथ्सको्के नाम िे बधाई देते बडे-बडे होस्डि्ग िटकाए गए. फ्​्ी के प्​्चार िे चंगू-मंगू भी खुश हुए. उन्हो्ने भी इि तरह जताया मानो ये होस्डि्ग उन्ही् की िेब के पैिे िे िगे हो्. िब खुश हो गये. िब की पहचान का िंकट खतम हो गया. पाट्​्ी मे्नयी जान आ गयी. तीन हफ्ते बाद नेताजी की रैिी हुई और खूब िफि हुई. मैदान के भीतर-बाहर िोगो्का हुजूम उमड पडा. बिो्, ट्​्को्, ट्​्ैक्टरो् मे्िोग भर-भरकर िाये गये. नेताजी प्ि ् न्न हुए और रामरतनजी ने चैन की िांि िी. और इि प्​्कार यह सिद्​् हो गया सक नये नेता की नयी नीसतयो् को नकारने और पुराने पासपयो् के पनपने के पि्​्ात ही पाट्​्ी की प्​्सतष्​्ा िमाज मे् पुनः प्​्सतस्​्षत हो पाती है. अब रामरतनजी बाकी सजिो् मे् भी यही काम करना चाहते है्, बि सवशेष ि​िाहकार के आदेश की प्​्तीक्​्ा है, जो इन सदनो्नये नेता का मन बदिने के प्​्याि n मे्िगे है्. शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 41


सािहत् मास्यट/स्हेामीक् ड ्ा

दहशत के दौर मे् स्वप्ि कदव को यकीन है दक एक दिन ल्सथदतयां बिले्गी. कश्मीर उन्ही् दिनो् की ओर िर्र लौटेगा, िब वहां दहंिू-मुसलमान दमलकर सुख और सौहाि्ष के साथ रहते थे. सं​ंजय कुंदन

ह सनदा नवाज का दूिरा कसवता िंग्ह है. उनका पहिा कसवता िंग्ह ‘अक्​्र अक्​्र रक्त भरा’ पंद्ह िाि पहिे प्​्कासशत हुआ था. सनदा कहते है्, ‘मै्कश्मीर घाटी मे्, सकिी िुरक्​्ा घेरे मे्रहे सबना, आम िोगो् के बीच रहकर भयावह पसरब्सथसतयो्मे्सहंदी मे्िासहत्य िृजन करता आ रहा हूं.’ इिे कोई गव्​्ोब्कत िमिना ठीक नही्है. सनदा की बातो्या उनकी कसवता के मम्स को िमिने के सिए उिी तरह एक अिग नजसरये की दरकार है, सजि तरह सहंदी के दसित-आसदवािी या ि्​्ी िेखन को िमिने के सिए होती है. इन कसवताओ्की भाषा मे्जो आवेग है, जो रेटॉसरक है, वह वत्समान सहंदी कसवता के समजाज िे मेि नही्खाता. इन कसवताओ्के भीतर उतरने के सिए हमे् कश्मीर के हािात को ध्यान मे् रखना होगा. प्​्कारांतर िे सनदा की ये कसवताएं इि िवाि का जवाब भी है्सक आसखर क्यो् सहंदी की मुख्यधारा की काव्यभाषा मे् अक्िर दोहराव समिता है? करीब शांत और सनस्​्िंत मध्यवग्​्ीय िमाज और जबद्सस् उथि-पुथि और हर पि खतरे मे्रहकर सिखी गयी कसवता मे्क्या फक्फहो िकता है, यह सनदा की कसवताओ्को देखते हुए िमि मे्आता है. यहां जो कुछ भी है, वह प्​्त्यक्​्देखा-भोगा हुआ है. वह सकिी सवचार या टेक्स्ट िे हासि​ि सकया हुआ अनुभव नही् है. यह उि आम कश्मीरी की कश्मकश है, जो एक िाथ कई िवािो्िे सघरा हुआ है, जो अपनी अब्समता, अपनी पहचान को िेकर उि​िन मे् है. उिे िमि मे् नही् आता सक वह कुछ नजरो् मे् िंसदग्ध क्यो्है? सनदा कश्मीर के जसटि राजनीसतक प्श् न् ो्िे नही्टकराते, वे वहां के हािात के सचत्​्खी्चते है्और आम जन के आहत मन की पुकार को शल्द देते है्. जम्मू-कश्मीर मे् फौजी तैनात है्. िोगो् की सहफाजत करते हुए कई बार उनिे ज्यादती होती है. िेना के सिए वह महज एक चूक होती है, िेसकन उि​िे एक पसरवार तबाह हो जाता है और वह दुख पीस्ढयो् तक पीछा करता है. सनदा सिखते है्. ‘मै् पूछ िेता हूं/क्​्ॉि फायसरंग मे् मारे गये/सनद्​्ोष िड्के का/पाप/मै् आंक िेता हूं/फज्​्ी िड्प िे प्​्ाप्त/िेना मेडि का/मूल्य’. एक आम कश्मीरी मुि​िमान की मुिीबत यह है सक वह आतंकवादी और िुरक्​्ा बिो् दोनो् िे प्​्तास्डत होता है. उिे सिफ्फ उिके मजहब के कारण आतंकवाद का िमथ्सक मान सिया जाता है. जबसक के्द्ीय राज ित्​्ा के सनण्सयो्पर िवाि उठाने के कारण राष्​्सवरोधी िमिा जाता है. अब वह अपने सदि की बात सकि​िे कहे, सकि​िे िचाई बयान करे. जब उिे शक के कठघरे मे् खड्ा करके राष्​् के प्​्सत सनष्​्ा जताने को कहा जाता है तो वह अंदर ही अंदर टूट जाता है. सनदा ने इि पीड्ा को इन शल्दो् मे् व्यक्त सकया है: ‘वे कहिवाते है् हमिे/भारतमाता की जय/सकतना कठोर िगता है/उि िमय/नंगी गासियो् के बदिे/अपने ही देश का यह/प्यारा िा नाम/और सकतना कम फक्फसदखता है/उि िमय/एक रक्क ् और आतंकवादी के बीच’. आसखरी पंब्कत मे्कश्मीर की सवडंबना सछपी है. पूरे भारत के सिए यह पहेिी है सक आसखर कश्मीर के िोग क्यो्और सकि​िे नाराज है्? वे क्यो् नही्पूरे भारत िे अपनी नजदीकी महिूि करते है्? इनका काफी हद तक जवाब ऊपर की पंब्कतयो् मे् है. कसव स्पष्​् करता है सक कश्मीर िमस्या 42 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

राष्​्ीय राजनीसत की सविंगसत की ही देन है. इन पंब्कतयो्को देसखए: ‘मुिे याद आती है/मासफया मंत्ी की गािी/फौजी का चांटा/आतंकवादी की सहट सिस्ट/मेरे देश के िोकतंत् पर िे/जैिे गुजर जाते है् हजारो् हाथी/िंसवधान के पन्नो् पर/मुिे सदखते है्रे्गते दीमक’. सनदा एक कसवता मे् आशंका जताते है् सक कही् हरेक गांव को वंदहामा, बीजसबहारा और मडुवा न बना सदया जाये. वंदहामा कश्मीर घाटी का वह गांव है, जहां बफ्फ और आग: जनदा नवाज्, अजतका उग्​्वासदयो् ने कश्मीरी सहंदुओ् का प्​्काशन, कत्िेआम सकया. जबसक बीजसबहारा सी-56/यूिीएफ-4, शालीमार गाड्ान, और मडुवा वे गांव है,्जहां फौसजयो्ने एत्सटे्सन-2, गाजियाबाद-201005, नमासजयो् और आम िोगो् को (उप्​्), फयसरंग करके मारा. कश्मीर मे् मूल्य: 235 र्पये, पृष् संख्या- 112 आतंसकयो् और राजित्​्ा के बीच के िंघष्स मे् एक आम कश्मीरी मारा जा रहा है, सजनमे् सहंदू भी है् और मुि​िमान भी. िेसकन इन भयावह ब्सथसतयो् के बीच भी कसव मे् सनराशा नही् है. वह अपना सववेक नही् खोता. वह मानता है सक दहशतगद्​्ी के जसरये सकिी िमस्या का िमधान िंभव नही्. ल्िैक होि शीष्सक कसवता मे् वह एक आतंकवादी िे कहता है: ‘तुम अब एक ल्िैक होि बन चुके हो/इि िुंदर िे ि्​्ह्मांड मे्/और वह िमय दूर नही्/जब तुम समट जाओगे/अपने ही शून्यता के अंधकार मे्’. कसव ने तमाम कसठनाइयो्के बीच स्वप्न देखना नही्छोड्ा. वह अपने िपने िंजोना चाहता है, उिे बांटना चाहता है: ‘मै् अपना िपना परोि िूंगा/शरणाथ्​्ी सशसवर मे् जन्म िेने वािे/उन िभी बच्​्ो् की आंखो् के थािो्मे्/सजनकी माएं/अपने िूखे खेतो्को खुिा छोड्ने पर मजबूर है्’. उिे यकीन है सक एक सदन ब्सथसतयां बदिे्गी. कश्मीर उन्ही्सदनो्की ओर जर्र िौटेगा, जब वहां सहंद-ू मुि​िमान समिकर िुख और िौहाद्सके िाथ रहते थे. वह उन सदनो् की कल्पना इि तरह करता है: ‘एक बार सफर/धरती पर उतरेगा पूनम/अधपके िपने सचनार छांव मे्/िाकार हो जाये्गे’. कसव इिी क्​्म मे् दीपाविी के मौके पर उि महान आदमी को याद करना चाहता है सजिने िबिे पहिे मशाि जिाया. उि व्यब्कत के बारे मे् कसव कहता है: ‘और एक सदन/उिने ढूंढ ही िी/पत्थरो् के िीने मे् छुपी/एक अल्हड्सचंगारी/और उिने जिाई/िंिार की पहिी मशाि’. सनि्​्य ही वह समथकीय व्यब्कत कसव के भीतर सजजीसवषा का िंचार करता है. कश्मीर के जीवन मे् प्​्कृसत की उपब्सथसत असभन्न र्प िे है. इिसिए सनदा की कसवताओ् का वह एक अहम सहस्िा है. कसव उनिे एकाकार है. वह अपना दुख और पीड्ा प्​्कृसत मे् भी देखता है. सनि्​्य ही सनदा नवाज की कसवताओ् िे गुजरना एक सवसशष्​् n अनुभव हासि​ि करना है.


कडवता रशूमम भारदू​ूाज युवा कसव. कुछ प्​्मुख िमाचार पत्​्ो्मे्चार वष्​्ो्तक काय्स. इन सदनो्अंग्ेजी का अध्यापन. अनेक पत्​्-पस्​्तकाओ् मे्आिेख एवं कसवताएं प्​्कासशत . ‘शतदि‘ नामक िंकिन मे्कसवताएं प्​्कािशत.वेब पस्​्तका ‘मेराकी’ का िंपादन.

एक अदतदरक्त अ

वे जो िय मे्नही् उनके िुर मे्नही्समिा पाते अपनी आवाि, उनमे्भी दफ़न होता रहता है एक इसतहाि सजिे पढने वािा बसहष्कृत हो जाता है देवताओ्के बनाये इि िोक िे, देवता जो खडी नाक और भव्य ि​िाट के होते है् देवता जो सवजेता है्, जीतने के सिए भूि जाते है् देवत्व के िारे सनयम अपने यशगान मे्उन्हे्नही्चासहए कोई गित आिाप एक उपिग्समात्​्िे बदिती है भूसमकाएं िाि दर िाि सजंदा जिाया जाने की तय हो जाती है ि​िा बि एक असतसरक्त अ की ख़ासतर वे जो िुर नही्रहते है् इसतहाि मे्.

एक झूठ बनाम हैप्पी एंदिंग

बचपन मे्हमे्ठगने के सिए िुनाई जाने वािी कहानी मे् हुआ करते थे एक राजा-रानी भी दोनो्समिे िो ख़त्म हुई कहानी इन काल्पसनक कहासनयो्के नकिी राजा-रानी अब अक्िर राह चिते टकराते है् रानी के पैरो्की फटी है सबवाई राजा के जूते सघिे हुए है् खािी कनस्​्रो्िा अक्िर ढनमनाता है उनका प्​्ेम दीवारो्की िरती परतो्िे सगरते है्िपने हम समिने को अक्िर मरने िे बदिकर सखिसखिाते थे आि अख़बारो्के िाि पन्ने देख िहम जाते है् नी्द के मीठे देश मे्िे जाने वािी वे कहासनयां आज नी्दे्ही िे गयी है्अपने िाथ तब िो पाते थे बेसफ़क्​्हम जब तक नही्था पता सक राजा-रानी के समिने के बाद कहानी ख़त्म नही् बब्लक शुर्ही हुआ करती है बीच के कई गुम पन्ने बाद मे्हमे्समिते नजरे्छुपाते है्

उनका अंत सिखता कथाकार ठीक अंसतम पंब्कत िे पहिे ही भूि गया है अपनी कहानी यह िब हमने बहुत बाद मे्जाना हम तो कहानी मे्जीते-जागते-िोते है् जब तक नही्जानते सक दरअि​ि कहासनयां हमे्जी रही्होती है्

एनस्िीदसया

नीिी चादर नीिी दीवारे् नीिी आकृसतयां आि-पाि फैिता है नीिा रंग धीरे-धीरे भारी होती है्पिके् एक िुरंग है एक रोशनी है कही्दूर मै्बहती हूं रोशनी की तरफ मेरी देह देखती है मुिे ठंडी , बेजान रे्गती है्मुि पर कुछ अजनबी उंगसियां एक टुकडा मौत और एक सजंदगी कुछ याद नही् और कुछ भूिता भी नही् याद करने और भूिने के बीच की िंसध-रेखा िा समिता है जीवन सफर एक बार हम िौटते रहे्है्बार-बार एक मृत्यु-नी्द के बाद एक मृत्यु -नी्द के सिए.

दजद्​्ी है ईश्​्र

गढे गये स्वाथ्​्ी नारो् और जहर उगिते शल्दो्के सखिाफ़ िडक़ो्पर बांटी जा रही मौतो् और अथ्सहीन हो रही सजंदगी के सख़िाफ़ बचपन को रचते रहना सिद है ईश्​्र की अपनी उि िृस्ष के सखिाफ़ जो बनाई गयी थी प्​्ेम और इंिासनयत के सिए िेसकन सजिने चुन सिया है घृणा का रास्​्ा बचपन को रचना प्​्सतरोध है ईश्​्र का सक तमाम इंिानी िासजशो्के बाद भी बचा रहेगा जीवन हंिता रहेगा जीवन एक बच्​्ेके मािूम चेहरे मे् और तब जब सक एक अिहाय चुप्पी के िाथ इसतहाि िाक्​्ी होता रहता है नासियो्के देश िे िीसरया, पेशावर, तुक्ी या सक सफिस्​्ीन, अफगासनस्​्ान और कश्मीर तक फैिे वहशीपन का मै्िडक पर पडे एक टूटे सखिौने को चुपचाप िहेज िेती हूं वहां एक धडकता बचपन होगा

असमि्ष रही भारा

नाम देना जर्री था जर्री था तय कर देना एक पहचान गढ िेना एक पसरभाषा िेसकन चीिे्छूटती रही्नामो्की क़ैद िे अिमथ्सरही भाषा अिीसमत हो गये अथ्स खुिा आकाश निर आना बंद हो गया हरी धरती एक सवशेषण ज्यादा रह गयी केिसरया और िाि सिफ़्फरंग नही्रहे धम्स, ित्​्ा, शब्कत, प्​्ेम हर सकिी ने ख़ुद को ख़ासरि कर सिया तय सकये गये शल्दकोश िे अब जबसक इंिान भी थोडे िे कम इंिान रह गये है् और जानवर तब भी जानवर ही कहिाते है् हमे्जर्रत है कुछ नये नामो्की. n शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 43


यायावरी

जिम कॉबेट पाक्फ मे् सफारी: बाघ के दश्ान

बाघोू-हावथयोू का अरणूय शंभूनाथ शुकूल

दिम काब्​्ेट मे् रात को िब आप अपने कमरे से बाहर आते है् तो रेस्ट हाउस की कटीली बाड् की परली तरर असंख्य लाल चमकती हुई आंखे् आपको घूर रही होती है्. ये िरअसल वे िानवर है्, िो रेस्ट हाउस के अंिर आने को आतुर होते है्. 44 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

धुं

धिका होने िगा था. हम बीते दो घंटे िे जंगि के अंदर धूि फांक रहे थे. पर बाघ तो दूर हमे् अभी तक सकिी टस्कर (बडे दांत वािी हाथी) के भी दश्सन नही्हुए थे. बेचैनी के उिी क्​्ण मे् मै्ने एक नदी के पाट पर गाड्ी र्कवाई और िघुशंका के उद्​्ेश्य िे एक िाड्ी की तरफ बढ्सिया. अचानक मेरे मन मे्ख्याि आया सक अब मै्जंगि मे्अकेिा हूं. िाथी और गाड्ी दूर छूट चुके है्. अगर ऐिे मे्कोई जानवर समि जाये तो भागना भी मुब्शकि होगा. यह िोचते हुए बदन सिहर गया. तभी अचानक गाड्ी मे् बैठी मेरी बेटी सचल्िाई हाथी. जल्दी िे सनपटकर मै्ने िाड्ी के बाहर आकर देखा तो

पाया करीब आधा सकमी की दूरी पर कुछ हाथी सकल्िोि कर रहे है्. चूंसक उि बरिाती नदी मे् कही्-कही् पानी भरा था इिसिए उन्हे् शायद कही् पानी समि गया था. हासथयो् की िंख्या बढ्ती जा रही थी और यकायक एक टस्कर हमारी ओर बढ्ता सदखा. हम घबरा कर अपनीअपनी गासडय़्ो् मे् बैठ गये. वहां िे सखिकने मे् ही भिाई िमिी. हमारी दोनो्गासडय़्ां अभी एक फि्ागा् ही आगे बढ्ी थी सक हमारे िाथ बैठे हमारे कािागढ्के िंवाददाता अतहर सिद्​्ीकी ने कहा िर जो मांगना हो मांग िीसजए, दुग्ास मां की िवारी जा रही है. गास्डयो्की हेडिाइट मे्देखा सक दो बाघ आगे पीछे चिे जा रहे है्. हम भी उनके पीछे-पीछे अपनी गास्डयो् को धीमी गसत िे चिाते रहे थे. बाघ की कमर पतिी होती है


और आगे का सहस्िा भारी. उिकी चाि मे्न तो हड्बड्ाहट होती है, न सकिी तरह की कोताही. वे एकदम मस्​्और सबंदाि अंदाज मे्चिते है्. उन्हे्अच्छी तरह पता होता है सक िृस्ष मे्उनको परासजत करना आिान नही् है. यह इतना िुंदर और मनभावन दृश्य था सक कई बार मेरा मन सकया सक मै् गाड्ी िे उतर जाऊं. िेसकन मेरी पत्नी और बेसटयो् के बच्​्े मुि​िे सचपटे हुए थे. मानो् मै् ही उनको बचा रहा हूं. आगे चि रही गाड्ी मे् हमारे समत्​् और सबजनौर मे् अमर उजािा के ल्यूरो चीफ अशोक मधुप और मेरे दामाद जी थे. करीब आधा सकमी चिने के बाद अचानक वे दोनो्बाघ अमानगढ्की िीमा पर ब्सथत नािे मे् उतर गये और कहां चिे गये पता ही नही् चिा. मै्ने तत्काि उत्​्राखंड मे् वन और पय्ासवरण ि​िाहकार असनि बिूनी को फोन सकया और कहा सक भाई मेरी तो सजम काब्​्ेट यात्​्ा िमाप्त अब आगे की योजना रद्​्. सजि मकिद िे आया था वह पूरा हो गया है. िेसकन आप के िूबे मे् नही् अपने यूपी मे् ही मैने बाघ देख सिया है. पहिे तो बिूनी जी कुछ नही् िमिे. िेसकन जब िमि मे्आया तो मानने को राजी ही नही् हुए सक मैने बाघ यूपी के सरजब्स फारेस्ट अमानगढ् मे् देखा है. उन्हो्ने िफाई दी सक बाघ है् तो सजम काब्​्ेट के ही पर यूपी की तरफ कूद गये हो्गे. दरअि​ि सजम काब्​्ेट की दस्​्कणी िीमा यूपी के अमानगढ् िे िटी हुई है और अक्िर बाघ या हाथी इधर भी घुि आते है्. कुछ भी हो बाघ अगर देखने हो्तो सजम काब्​्ेट और अमानगढ्िबिे उम्दा अभ्यारण्य है.् सदल्िी िे सजम काब्​्ेट जाने का िबिे िुगम रास्​्ा है जिम कॉबेट मे् गेस्ट हाउस: िंगल के बीचो्बीच

वाया गजरौिा, मुरादाबाद और राम नगर होकर. रामनगर मे्रात सबताकर िुबह आप सजम काब्​्ेट मे्प्​्वेश िे िकते है्. सजम काब्​्ेट के अंदर वन सवभाग के रेस्ट हाउिेज है्. िेसकन उनमे्बुसकंग पहिे िे करानी पड्ती है. क्यो्सक आम तौर पर वे फुि ही रहते है्. धनगढ्ी गेट िे प्​्वेश िेकर आप सढकािा पहुंच िकते है्. वहां पर फारेस्ट के रेस्ट हाउिेज के अिावा एक गेस्ट हाउि भी है. उिमे् कई र्म समि जाते है्. इिके अिावा रामनगरधनगढ्ी र्ट मे् रामगंगा के सकनारे बहुत िारे प्​्ाइवेट होटि और सरजॉट्स भी है्. रामनगर मे् भी होटि बेहतर है्. अभ्यारण्य के भीतर सिफ्फ फारेस्ट के गेस्ट हाउि है्. वहां पर सनजी होटि खोिने की अनुमसत नही् है. सदल्िी िे सजम काब्​्ेट की दूरी 245 सकमी और िखनऊ िे 450 सकमी की है. दोनो् ही राजधासनयो् िे रेि और बि िेवा का इंतजाम है. सनजी गासडय़्ो् िे भी पहुंचा जा िकता है. िेसकन दोनो् ही स्थान िे हाईवे की िड्के् कामचिाऊ है्. िखनऊ िे एनएच-24 के जसरये आप बरेिी आ िकते है्. वहां िे पंत नगर होते हुए सजम काब्​्ेट पहुंचा जा िकता है. यह एनएच-24 बि िीतापुर तक ही बेहतर है और फोर िाइन है. जबसक सदल्िी िे मुरादाबाद तक एनएच-24 फोर िेन का है. आगे का रास्​्ा आप िामान्य और स्टेट हाईवे पर चिते हुए पूरी करते है्. गजरौिा के सिवाय खाने का रास्​्ेमे्कुछ नही् समिेगा. इिसिए बेहतर रहे सक गजरौिा के समडवे पर ही कुछ खा िे्. मुरादाबाद शहर मे् जाने की कोई जर्रत नही्है. इिी तरह िखनऊ िे आने वािो् के सिए बेहतर स्थान ‘हाई वे’ होटि है्या सफर बरेिी के होटि ‘रेि्ां’. सजम काब्​्ेट मे्आप अपनी गाड्ी नही्िे जा िकते इिसिए आपको जंगि िफारी ही बुक करानी पड्ेगी. जंगि िफारी के सिए जो जीप समिती है. वह आमतौर पर सजप्िी होती है. जो सक खुिी हुई और पेट्ोि िे चिने वािी होती है. जंगि के अंदर डीि्ि गास्डयो्का प्​्वेश सनषेध है. जंगि िफारी के सिए आप शेयर टैक्िी भी िे िकते है्. चाहे् तो पूरी सजप्िी भी बुक करा िकते है्. यह िब कुछ वन सवभाग के सनयंत्ण मे्ही है. यहां पर हाथी िफारी का आनंद भी िे िकते है्. िुबह हाते ही सढकािा िे आप हाथी बुक करा िकते है्. तड्के चार बजे िे ही हाथी अपनी िवासरयो् को िेकर सनकि जाते है्. आमतौर पर मृग के समिने की िंभावना हाथी िे ही असधक होती है. हाथी िे बाघ भी दूर िे ही नमस्कार पिंद करता है और हाथी भी अपने प्​्सतद्​्ंदी का उतना ही आदर करता है. िेसकन यसद टस्कर टकरा जाये तो न तो आपको िेकर जाने वािी हसथनी की खैर और न ही बाघ की. ऐिे मौको् को महावत आमतौर पर टािने का शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 45


यायावरी

प्​्याि करते है्. िेसकन हािात बेकाबू होने पर फारेस्ट गाड्स को आवाज देकर टस्कर को ट्​्ैब्कविाइजर िे बेिुध करवाते है्. आमतौर पर सजप्िी के शोर िे जानवर ही भागते है्. मै् सनजी तौर पर एनएच-24 के जसरये मुरादाबाद, काशीपुर, रामनगर के रास्​्े की बजाय मेरठ, मवाना,सबजनौर का रास्​्ा पकडऩा पिंद करता हूं. इिके जसरये हम कािागढ् गेट िे सजम काब्​्ेट मे् प्​्वेश करते है्. यूपी के अमानगढ् फारेस्ट रेस्ट हाउि मे् रात सबताकर अगिे सदन सजम काब्​्ेट मे् पहुंच जाते है्. अमानगढ् के जसरये जाने पर उत्​्र प्​्देश वन सवभाग आपके सिये उत्​्राखंड वन सवभाग िे सवशेष अनुमसत िेता है. इि रास्​्ेके दो िाभ है्. एक तो इिके जसरये हम उि भीड् और प्​्दूषण िे बच जाते है् जो सदल्िी के शौसकया पय्सटक फैिाया करते है्. दूिरे इिी बहाने एसशया के िबिे ऊंचे बांध को भी देख िेते है्. जो कािगढ् िे िात सकमी ऊपर है. अि​िी फायदा तब होता है जब इि रास्ते जाते हुए कािगढ् और अमानगढ्के िघन जंगिो्मे्वनराज सदखने को समि जाये्. अब सजम काब्​्ेट का नाम भिे हो मगर वनराज पय्सटको्की हायतौबा िे घबराकर यूपी के जंगिो् की तरफ सखिक सिये है्. कािागढ्का जंगिी वन भी यूपी मे्ही पड्ता है. मै्आमतौर पर िुबह छह बजे सनकिता हूं. िाठ सकमी मेरठ और वहां िे 85 सकमी सबजनौर का रास्​्ा तय कर बाद मे् 75 सकमी और गाड्ी भगाता हू.ं 12 बजे दोपहर तक अफजिगढ्पहुच ं जाता हूं. वहां पर द्​्ासरकेश चीनी समि है. सजिके कास्मसक प्​्बंधक है्असनि कुमार सिंह पवार. वे 46 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

इि कदर के मेहमाननवाज है् सक आगंतुक असतसथ को एक सदन तो अपने यहां रोकेग् े ही और समि सदखाते िमय अपनी बड्ेदाने की िुस्वादु चीनी का स्वाद अवश्य चखाये्गे. हम यहां िे दो रास्​्ो् पर जा िकते है्. एक तो िीधे कािागढ् चिा गया है. जो यहां िे दि सकमी दूर है. दूिरा िीधे यूपी के अमानगढ् फारेस्ट मे् प्​्वेश कर सिया जाये. अमानगढ्जाने के सिए द्​्ासरकेश चीनी समि िे सनकिते ही जंगि का कच्​्ा रास्​्ा पकड् िेना पड्ता है. वहां पर अपनी गाड्ी िे जा िकते है् इिसिए बेहतर रहे सक वन सवभाग के दो बंदक ू धारी गाड्सभी िाथ मे्िे िे.् जंगि का कोई भरोिा नही् कब कौन-िा जानवर समि जाये. तब ये गाड्स उन्हे् हवाई फायर िे डरा िकते है्. ट्​्ैब्कविाइजर के चिते कुछ क्​्णो् के सिए उन्हे् बेिुध कर िकते है्. सकिी भी सरजव्स फारेस्ट मे् आप कोई भी हसथयार िेकर नही् प्​्वेश कर िकते है्. यहां तक सक अपना िाइिे्िी हसथयार भी वन सवभाग मे् जमा कराना होगा. अमानगढ् मे्यूपी फारेस्ट का एक गेस्ट हाउि है. और यहां र्कने की बेहतर व्यवस्था. वहां पर स्थानीय रेज ् र के जसरये आप िुइट बुक करा िकते है.् पर दो सदि्​्ते्है्, एक तो भोजन का इंतजार करना होगा. वहां का चौकीदार भोजन बना तो देगा मगर आटा, दाि, चावि, िल्जी िानी होगा. दूिरा यसद रात को िाइट चिी जाये तो जेनिेट के सिए डीजि का प्​्बंध भी आपको ही करना पड्ेगा. बहरहाि यहां जंगि घना है और मृगराज या गजराज के दश्सनो् की िंभावना खूब है. अफजिगढ् िे दूिरा रास्​्ा वाया कािागढ् है.

अभयारण्य मे् जहरन: एक आम दृश्य कािागढ्का मशहूर डैम और हाईसडि का पावर हाउि देखने के बाद आप सजम काब्​्ेट मे् उत्​्राखंड फारेस्ट सडपाट्समे्ट िे अनुमसत िेकर और सनध्ाससरत मूल्य चुका कर आप प्​्वेश िे िकते है्. वैिे कािागढ्के जंगि मे्भी हाथी या बाघ आपको समि ही जाये्गे. सजम काब्​्ेट के अंदर सढकािा के अिावा िुल्तान, ि्​्जरानी और मनािी िव्​्ोत्​्म गेस्ट हाउि है्. इिमे् िे सिफ्फ सढकािा और ि्​्जरानी ही पय्सटको् के सिए उपिल्ध है्. मनािी मे् आमजन के प्​्वेश की मनाही है. वहां जाने के सिए आपको वन सवभाग िे सवशेष अनुमसत िेनी होगी. आपको बताना होगा सक आप मात्​् घुमि्​्ड्ी का शौक नही्रखते िाथ ही आपको वाइल्ड िाइफ मे् र्सच भी है. िुल्तान मे् ते्दुये बहुतायत मे् है् और अक्िर वे यहां के फारेस्ट रेसट् हाउि तक चिे आते है.् बािकनी मे्आराम फरमाते इन्हे् देखा जा िकता है. मनािी रे्ज िबिे दुग्सम है और यहां भािू, हाथी और बाघ सनद्​्​्वन्द घूमा करते है्. इिीसिए इि रे्ज मे् टूसरस्ट िफारी पर रोक िगी है. हमने तो मनािी मे् कई बार पै्थर, टाइगर और भािू तो देखे ही है्. यहां का रेस्ट हाउि 1929 का बना हुआ है और यहां सबजिी नही्है. रात को जब आप अपने कमरे िे बाहर आये्तो देखे्सक रेस्ट हाउि की कटीिी बाड् की परिी तरफ अिंख्य िाि चमकती हुई, आंखे आपको घूर रही होती है्. ये दरअि​ि वे जानवर है्, जो रेस्ट हाउि के अंदर आने को आतुर होते है्. िेसकन बाड् पर दौड्ता िोिर पावर का करंट उन्हे्बाड्के भीतर घुिने िे रोकता है. n


खानपान अरूण कुमार ‘पानीबाबा’ िेखक िंस्कार िे राजनीितक व्यब्कत और पानी,भोजन और पोषाहार के िवशेषज्​्है्. हिवाई होने का दावा भी करते है्. e-mail.: akpanibaba@gmail.com

सर्​्ी के मौसम मे् हरे शाक

हरे शाक अत्यंत स्वादिष्​् और दवशेर गुरकारी भी होते है्. आि के मौसम मे् मेथी, बथुवा, चने की कदचया कोपल, मूली के कोमल पत्​्े और सरसो् का साग को दवशेर व्यंिनाे् की श्​्ेरी मे् दगना िाता है.

त्समान िमय को िाई्िवाद की आयसडयोिॉजी का युग कहना ही नही् मानना भी असनवाय्स है. िाई्िवाद ने मानव की जीवनशैिी को हर स्​्र और हर क्​्ेत्मे्प्​्भासवत सकया है. िाई्िवाद मे्अंधसवश्​्ाि के चिते अन्न-जि की राजनीसत मे् क्या-क्या नही् हो गया इिका न तो िाधारण जन को अनुमान है न कोई िूचना का माध्यम है, िूचना प्​्ोद्​्ासे गकी मे्क्​्ातं ी के बावजूद आम जन को इि तथ्य की कोई जानकारी नही् है सक गेहूं िे िेकर केिे तक तमाम खाद्​्ान पदाथ्​्ो्के चसरत्,् स्वभाव और प्भ् ाव मे्क्या बुसनयादी आमूि धूि पसरवत्सन िंपन्न हो गया है? आजकि जो िुंदर िुडौि केिा उत्​्र भारत के बाजार मे् उपिल्ध है उिके उपयोग िे क्या हासन िाभ हो िकता है, इिकी कोई जानकारी उपिल्ध नही्है. अन्न-जि की राजनीसत ऐिा गूढ सवषय बन गया है सक उिके भेद को जानना िगभग ि्​्ह्म रहस्य को िमिने के बराबर है. सपछिे िप्ताह का वासकया है सक बाजार मे् चमकदार बड्े बै्गन देख कर मन मे् चोखा भत्ास खाने का िािच जग गया. अच्छे वजनी देख कर दो बै्गन पिंद कर सिये. दोनो् बै्गनो् को एक िाथ ओवन मे् बेक कर सिया, गैि के स्टोव पर सछिका जिा कर उतार सदया, तब बै्गन के भीतर देखा तो पाया सक बड्े आकार के बीज बड्ी मात्​्ा मे् मौजूद है्. िाठ ित्​्र बरि पहिे जब भत्ास बनाना खाना िीखा था तब िे यही जाना था सक बड्ेआकार के भारी बै्गन मे्बीज सदखाई तो अवश्य देता है, उिकी दो तीन िकीर होती है जो बै्गन को भुनने मे् स्वत: ही गि कर घुि जाती है्. सकिी तरह बीज के भारी गुच्छे सनकाि कर शेष गुदे का भत्ास बना सिया. अत्यंत खेद िे आपको िूसचत कर रहे है् सक जो कुछ खाया वह सिफ्फ कहने को बैग् न का भत्ास था उिमे्न तो बैग् न का जायका था न भत्​्ेकी िहक. आज के िेख मे्हमारा पहिा िूिाव है सक बै्गन का भत्ास खाने को मन करे तो जर्री है सक आप एक बड्े गमिे मे् बै्गन स्वयं उगाए और जैिे भी िंभव हो होशंगाबादी बै्गन का बीज प्​्याि करके जुटाएं. गमिे मे् बै्गन उगाना शुर् करे्गे तो अन्न जि की राजनीसत और स्वाद की मसहमा िे स्वत: ही आवगत हो जाये्गे. कास्तसक पूस्णसमा िे फाल्गुन पूस्णसमा तक तरह-तरह के हरे शाक के उपभोग का िमय है. हरे शाक के िंदभ्स मे् गहरी िमि असनवाय्स है. आयुव्ेसदक प्​्णािी मे् वनस्पसत शाि्​् को सनघंटु कहते है्. यह एक ऐिा शाि्​् है सजिकी एक अत्यंत वृहत्ा सवशाि ज्​्ान कोष (एनिाईक्िोपीसडया) िे तुिना की जा िकती है. आयुव्ेसदक सचसकत्िा पद्​्सत मे्िमस्​्औषसध सवज्​्ान सनघटु आधासरत होता है. कुछ हरे शाक तो अत्यंत स्वासदष्​् और सवशेष गुणकारी भी होते है्. आज के मौिम मे्मेथी, बथुवा, चने की कसचया कोपि, मूिी के कोमि पत्​्ेऔर िरिो्का िाग तो सवशेष व्यंजनाे्की श्​्ेणी मे्सगना जाता है. हरे शाक के िंदभ्स मे् पहिा असनवाय्स सनयम तो यह मान िे् सक कोई भी हरा

शाक अकेिा नही्पकाया जाता. जैिे िरिो्या चने के िाग मे्थोड्ी मेथी, बथवा, मूिी के पत्​्ेसमिा कर ही पकाना चासहए. पकाते िमय उिमे्बेिन या मि्​्ा के आटे का पय्ासप्त मात्​्ा मे्उपयोग करना चासहए. पचाि िाठ बरि पहिे जब पतीर का आम प्​्योग प्​्चसित नही् था तब पािक िाग या तो उड्द चने की दाि या मूंग की दाि के िाथ पकाया जाता था. एक सवसध खट्​्ा पािक बनाने की भी थी. उिमे्खट्​्ी छाछ/दही और पय्ासप्त मात्​्ा मे्बेिन का प्​्योग होता था. हरे शाक का प्​्योग करते िमय यह तथ्य िव्सदा याद रखे्सक हरे को पचाने के सिए जो अंग प्​्कृसत ने मानव को उपिल्ध कराया था, वह मानव जासत मे् पूण्सतया सनष्क्ीय हो चुका है और एसपसडक्ि कहिाता है. अत: िामान्यत: हरे शाक को प्य् ोग िे पहिे काट कर उबाि िेना चासहये. िूखी मेथी का उपयोग तो िाि भर कर िकते है. अनेक व्यंजनो्मे्जैिे छोिे, मटर-पनीर या उड्द, चने की दाि मे् थोड्ी िूखी मेथी खुशबू के सिए आवश्यक मानी गयी है क्यो्सक मेथी के उपयोग िे इन व्यंजनो्मे्वायु की प्​्वृस्त और प्​्कृसत सनयंस्तत हो जाती है. आज कि शाम को दही खानी हो तो बथवे का रायता बनाकर ही उपयोग मे्िे.् सवसध सबल्कि ु िरि है. बथवे के पत्​्ेचूंट कर डंसडयां सबल्कुि अिग कर दे्. पत्​्ेअच्छी तरह िे धो कर उबाि िे्. इन उबिे पत्​्ो्को पुन: धो कर सनचोड्िे्. चाहे समक्िी मे्चाहे सि​ि पर बारीक पीि िे.् तब चाहे दही मे्समिाकर रायता बना िे्और चाहे आटे मे्मांड कर हरे परांठे बना िे्. हरे शाको्के समश्​्ण की भूजी खानी हो तो उिमे्पय्ासप्त मात्​्ा मे् तेि और अदरक का उपयोग अवश्य करे्. सछिके िसहत नया आिू डािे्गे तो वह भी उपयोगी होगा. चना उिी क्​्ेत्मे्पैदा होता है जहां मंगसिर, माघ, पौष के मसहनो् मे् ठंड का मौिम होता है रातो्मे्अंतसरक्​्जि (ओि) का अच्छा प्​्भाव होता है. चने के पौधो्मे्कोमि कोपि िगातार फूटती रहती है, इन पत्​्ो्मे्एक सवशेष तरह का खटाि होता है. चने का िाग तभी पकाएं जबसक सबल्कुि ताजी कोमि कोपि उपिल्ध हो्. आधा िेर कोपि मे् 25 ग्​्ाम पािक, मूिी के पत्​्े, मेथी और बथवा समिा कर ही प्​्योग करे्. िहज उपिल्ध हो तो िोया भी डािना चासहए. िमस्​्िाग को दरांती या चौपर की मदद िे बहुत बारीक काटना चासहए. ग्​्ामीण पसरवारो्मे्हरे शाक आज भी समट्​्ी की हांडी मे्ही पकाए जाते है्. जो भी करे्चने का िाग देर तक पकाना असनवाय्सहै. पकने पर िाग मे्थोड्ा, बेिन या मि्​्ा या बाजरे का आंटा डाि कर घोटा जाता है. इि िाग मे्घी मक्खन भी पय्ासप्त मात्​्ा मे्प्​्युक्त करे्. सनषेध न हो तो प्याज िहिुन का छौ्क िगाये, वरना ही्ग जीरे का छौ्क िगाना चासहए. मि्​्ा के आटे की रोटी के िाथ इि िाग का सवशेष महत्व माना जाता है. िद्​्ी के मौिम मे् पसरवार मे् कोई गभ्सवती मसहिा है तो एक माह मे् n न्यूनतम दो तीन बार चने के िाग का प्​्योग अवश्य करे्. शुक्वार | 1 िे 15 सदिम्बर 2015 47


डिल्म

ियी उम्ार िदले तेवर

अगर आि टॉप हीरो अपनी से आधी उम्​् की हीरोइन के अपोदिट दिखते है्, तो टॉप की हीरोइनो् ने भी कुछ ऐसा ही किम उठाने मे् कोई दझझक महसूस नही् की है.

कैटरीना कैफ: उम्​् का फासला बेकार 48 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

हवर मृदुल

बॉ

िीवुड मे्ये दौर बदिाव का चि रहा है. इि​िे सफल्मो् की हीरोइने् भी तेजी िे बदि रही है्. हीरो की तरह वह भी अपने नये तेवर सदखा रही है्. वह अपनी भूसमकाओ् और पासरश्​्समक जैिे मि​िो्मे्भी पीछे नही्है्. वह हीरो िे िीधा मुकाबिा करती तो नजर नही्आ रही है्, िेसकन यह िच है सक हर सिहाज िे उनकी िाख बढ्ी है. आज हीरोइनो्को ध्यान मे् रखकर रोि सिखे जा रहे है्. उनकी कीमत भी कई गुना ज्यादा हो चुकी है. िबिे अहम बात यह है सक वे भी हीरो की तरह ही कई सकस्म के एक्िपेसरमेट् करने िगी्है.् अगर आज टॉप हीरो अपनी िे आधी उम्​् की हीरोइन के अपोसजट सदखते है्, तो टॉप की हीरोइनो्ने भी कुछ ऐिा ही कदम उठाने मे्कोई सि​िक महिूि नही्की है. ि​िमान खान, आसमर खान, शाहर्ख खान, अक्​्य कुमार, अजय देवगन और िैफ अिी खान काफी िमय िे आधी उम्​् की हीरोइनो् के िाथ काम कर रहे है्. तो अब कैटरीना कैफ, करीना कपूर, ऐश्​्य्स राय बच्​्न, स्​्पयंका चोपड्ा और दीसपका पादुकोण भी अपने अपोसजट कम उम्​् के हीरो को अहसमयत दे रही है्. कैटरीना कैफ की आगामी दोनो्सफल्मो्मे् हीरो कम उम्​्के है्. असभषेक कपूर के सनद्​्ेशन मे्बन रही सफल्म ‘सफतूर’ मे्‘आसशकी 2’ फेम आसदत्य राय कपूर उनके हीरो है्, तो सनत्या मेहरा के सनद्​्ेशन मे् बनने वािी सफल्म ‘बारबार देखो’ मे् सिद्​्ाथ्स मल्होत्​्ा को उनके अपोसजट िाइन सकया गया है. िुपर स्टाि्स के िाथ ही काम करने वािी कैट की िोच बदिी है और अब उन्हो्ने सिफ्फस्स्कप्ट को अहसमयत देनी शुर्कर दी है. अब कैट को कोई फक्फनही् पड्ता सक उनके अपोसजट सकि हीरो को सिया गया है. उन्हे् अपने सकरदार का महत्व पता है और अपने सनद्​्ेशक के सवजन पर भरोिा है. वे कहती है्, ‘पहिे की तुिना मे्अब की सफल्मो् का समजाज एकदम अिग है. आज सवशुद् फॉम्ि सू ा सफल्मे्नही्बन रही है.् दश्क स हर सफल्म मे् िॉसजक ढूंढ्ते नजर आते है्. अब न र्टीन सकस्म की कहानी चिती है और न ही र्टीन सकस्म के रोि. यही वजह है सक अब हीरोइने् भी वक्त के सहिाब िे बदिनी शुर्हो चुकी है.्’ करीना कपूर भी सफल्म ‘का एंड की’ मे् एक अिग ही रोि सनभाती सदखाई दे्गी. आर बाल्की सनद्​्ेसशत इि सफल्म मे् करीना के अपोसजट अज्सुन कपूर है्. अज्सुन करीना िे उम्​् और अनुभव दोनो् मे् ही छोटे है्. ‘चीनी कम’, ‘पा’ और ‘शसमताभ’ जैिी सफल्मे्सनद्​्ेसशत कर चुके है्. बाल्की इि बार एक नई सकस्म की प्​्ेम कहानी सफल्मा रहे है्. करीना इि सफल्म मे्


‘का एंड की’ मे् करीना और अि्ाुन: नया तालमेल

अपने सकरदार िे काफी उत्िासहत है्. वे कैसरयर के सजि मोड् पर पहुंची है्, वहां उन्हे् ऐिी ही सफल्मो्की दरकार है. वे कहती है्, ‘मै्ने काफी िंख्या मे्कॉमस्शसयि सफल्मे्की है्, िेसकन अब मै् िीक िे हटकर कहानी वािी सफल्मे् करना चाहती हूं. िच यह है सक मै् र्टीन सकस्म के रोि करके उकता चुकी हूं. आसखर कब तक कोई हीरोइन एक ही तरह की िजावटी भूसमकाएं करेगी. यह मेरी पीढ्ी की हीरोइनो् की खुशनिीबी है सक इि िमय बड्ी िंख्या मे्नये सनद्​्ेशक िस्​्कय है् और इन सनद्​्ेशको् ने जैिे बॉिीवुड का चेहरा ही बदि सदया है.’ ऐश्​्य्सराय बच्​्न ने अपनी दूिरी पारी मे् ऐिी सफल्मे् िाइन करनी शुर् की है्, सजनमे् उनका रोि मीसनंगफुि हो. सफल्म ‘जज्बा’ सवशुद् बॉसिवुसडया सफल्म नही् थी. उनकी आगामी सफल्मो् का स्​्र भी एकदम अिग है. ‘ऐ सदि है मुब्शकि’ हो या सफर ‘दुग्ास रानी सिंह’, इन दोनो् ही सफल्मो् मे् उनके अपोसजट हीरो उनिे उम्​्मे्छोटे है.् जब उन्हे्करण जौहर ने सफल्म ‘ऐ सदि है मुब्शकि’ की स्स्कप्ट िुनाई थी, तो उन्हो्ने सबना देर सकये इिे िाइन कर सिया था. अि​ि मे् वे कैसरयर की नई पारी मे् एब्कटंग ओसरएंटेड रोि ही करना चाहती है्और इि सफल्म की अपनी भूसमका मे् उन्हे् असभनय की पूरी िंभावना सदखाई दे गयी. सफल्म ‘दुग्ास रानी सिंह’ के मामिे मे्भी ऐिा ही हुआ. िुजॉय घोष ने इि सफल्म की िीड भूसमका के सिए सवद्​्ा बािन और कंगना रनोट के नामो्पर भी सवचार सकया था, िेसकन यह सफल्म जैिे ऐश्य् स् के निीब मे्ही सिखी थी. ऐश्​्य्सकहती है्, ‘मै् अब ऐिे सकरदार अदा करना चाहती हूं, जो यादगार हो्और सजनमे्एब्कटंग की गुंजाइश हो. यह मेरा िौभाग्य है सक मुिे ऐिे ऑफर समि रहे है्. ऐिी सफल्मो् मे् काम कर मै् गौरवांसवत महिूि कर रही हूं.’

‘ए जदल है मुज्शकल’ मे् ऐश्​्य्ा राय, रणवीर कपूर और अनुष्का शम्ा​ा स्​्पयंका चोपड्ा की बात करे्, तो वे जोसखम अच्छी स्स्कप्ट िबिे ज्यादा मायने रखती है. मोि िेने मे्हमेशा ही अव्वि रही है्. आगामी मुिे इि​िे कोई फक्फनही्पड्ता सक मेरे हीरो की सफल्म ‘बाजीराव मस्​्ानी’ मे्वे रणवीर सिंह के उम्​्छोटी है या बड्ी. जब पचाि िाि का हीरो अपोसजट है,् जो सक उम्​्मे्उनिे छोटे है.् रणवीर बाइि िाि की हीरोइन िे परदे पर इश्क सिंह बाजीराव पेशवा का सकरदार सनभा रहे है्, फरमाता है, तो कोई िवाि नही्करता. िेसकन तो उनकी भूसमका रानी काशीबाई की है. इि​िे कोई हीरोइन अपने िे उम्​् मे् छोटे हीरो की पहिे भी वे सफल्म ‘गुंडे’ मे्रणवीर और अज्सुन हीरोइन बन जाये, तो चच्ास होनी शुर्हो जाती कपूर की हीरोइन रह चुकी है्. रणवीर की तरह है. अि​ि मे्यह हमारे िमाज का डबि स्टड ै् ड्स ही अज्सुन भी उनिे उम्​् मे् छोटे है्. इि बारे मे् है. मै् िमिती हूं सक आज की हीरोइने् काफी स्​्पयंका कहती है्, ‘मुिे इि​िे कोई मतिब नही् ताकतवर है् और वे मन मुतासबक भूसमकाएं है सक मेरे हीरो उम्​्मे्छोटे है्या बड्े. मै्सिफ्फ करने के सिए तैयार बैठी है्.’ अपने सकरदारो्पर ध्यान देती हू.ं मुिे वे सकरदार सनस्​्ित र्प िे आज की हीरोइनो् की ज्यादा आकस्षसत करते है्, सजनके िाथ मै् ब्सथसत पहिे की तुिना मे् काफी मजबूत है. आइडे्सटफाई की जा िकूं. मुिे चुनौती देने वािे यही वजह है सक आज वूमन िे्स्टक सफल्मे् सकरदार पिंद है्. कैसरयर के इि मोड् पर अब बनती है् और खूब चिती भी है्. शत्स एक ही मै् जोसखम उठाना चाहती हूं. इधर मै्ने सजन है सक स्स्कप्ट दमदार होनी चासहए. चूसं क हीरोइने् सफल्मो्मे्काम सकया है, उनमे्पय्ासप्त जोसखम अपने बूते सफल्म चिा िे रही है्, तो ऐिे था. िेसकन मुिे तो ऐिी ही सफल्मो् मे् काम मे् हीरोइनो् का मेहनताना भी आिानी िे कई करने मे् मजा आता है. मेरा कंपटीिन खुद िे गुना बढ् जा रहा है. अब टॉप की कोई भी ही रहता है, हािांसक यह भी िच है सक मै् हर हीरोइन िात िे दि करोड्के बीच पासरश्​्समक हीरोइन को अपनी प्​्सतयोगी मानती हूं. मेरे सिए िे िेती है. अब हीरो की तरह ही उन्हे्भी दो या अपनी प्​्त्येक सफल्म महत्व रखती है और मै् तीन हीरोइनो् वािी सफल्मो् मे् काम करने िे हरेक सफल्म के िाथ कुछ नया िीखना चाहती कोई एतराज नही्है. िबिे महत्वपूण्सबात यह हू.ं मै्अपनी सपछिी सफल्म िे आगामी सफल्म मे् है सक अब कई हीरोइने् प्​्ोड्​्ूिर भी बन चुकी बेहतर काम करना चाहती हूं.’ है्. सशल्पा शेट्ी, अमीषा पटेि,िारा दत्​्ा, दीसपका पादुकोण इि िमय टॉप पर है्, अनुष्का शम्ास, कंगना रनोट, स्​्पयंका चोपड्ा, िेसकन उनके मन मे्भी हमेशा कुछ नया करने ऐश्​्य्स राय बच्​्न और सचत्​्ांगदा सिंह जैिी की तड्प मौजूद रहती है. हाि ही मे् उन्हे् एक हीरोइनो् ने सफल्म प्​्ोडक्शन मे् िस्​्कयता हॉिीवुड सफल्म की सहंदी रीमेक मे्काम करने सदखायी है. कंगना रनोट बताती है्, ‘अब का ऑफर समिा है, सजिमे्वर्ण धवन उनके बॉिीवुड की हीरोइने्जोसखम मोि िेने मे्जरा हीरो हो्गे. बताने की जर्रत नही् है सक वर्ण भी नही् घबराती है्. मुिे िगता है सक अब उनिे उम्​्मे्काफी छोटे है्. दीसपका इि सफल्म हीरोइनो् को कोई हल्के मे् नही् िे िकता है. मे्काम करने के बारे मे्काफी पॉसजसटव तरीके अब हीरो के सपछिग्गू होने के सदन िद चुके. िे िोच रही है्. वे कहती है्, ‘हमारी इंडस्ट्ी िौ अब िारा काम कंटे्ट िे होगा. कंटे्ट की वजह िाि की हो चुकी है, ऐिे मे्हम कब तक र्टीन िे ही मेरी जैिी नॉन सफल्मी बैकग्​्ाउंड की n कहासनयो्पर सफल्मे्बनाते रहे्गे. मेरे सिये एक िडक़ी अपनी जगह बना िेती है. शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015 49


अंितम पन्ना लवलत मानवसंह

दविेि नीदत के अगर-मगर

बराबर कि या एक-िूसरे के करीब के िेशो् के बीच संबंध और लाभकारी होते है्. तेिी से उभरती अथ्षव्यवस्थाओ् के साथ भी बड्े िेश संबंधो् मे् मधुरता चाहते है्.

र देश की सवदेश कूटनीसत कुछ महत्वपूणस्सबंदओ ु ्के इद्-स सगद्सही काम करती है. इिमे्िबिे अहम है,‘वैस्शक कद’. यह ध्यान रखा जाता है सक आपका वैस्शक कद क्या है. आप इि मामिे मे् सकि दज्​्े के वैस्शक कद िे जुड्ेहै्. इि तरह देखा जाये तो अमेसरका का वैस्शक कद िबिे ऊंचा था. यूरोपीय िंघ के देश जैिे स्​्िटेन और फ्​्ांि आसद इिके बाद स्थान रखते है्. चीन का भी कद बड्ा है. एसशया मे्िबिे बड्ी और तेजी िे उभरती हुई अथ्सव्यवस्था भारत की है. हाि के वष्​्ो्मे्इिने कई मुद्ो्पर अपनी वैस्शक पहचान बनायी है. यहां सवकसित सवकािशीि और असवकसित देशो्का अंतर स्पष्​्हो जाता है. इिसिए बराबर कद या एकदूिरे के करीब के देशो्के बीच िंबंध मधुर और िाभकारी होते है्. तेजी िे उभरती अथ्सव्यवस्थाओ् के िाथ भी बड्े देश िंबंधो् मे् मधुरता चाहते है्. क्यो्सक यहां उनके कारोबारी सहत का मुद्ा आता है और सनवेश के बड्े मौके समिते है्. दूिरा सबंदु है अथ्सव्यवस्था का है सजिमे् स्​्दपक्​्ीय कारोबार और सनवेश का सकरदार अहम होता है. हाि के वष्​्ो् मे्सवश्​्कूटनीसत मे्ये काफी अहम हो गया है. इिकी वजह है सक अथ्स ही सवश्​्िंचािन का के्द्बना है. ऐिे मे् भारत जैिी अथ्सव्यवस्था के सिए कई अविर खुिे है.् वह अपने यहां कारोबार करने की िुसवधा प्​्दान कर सवदेशी सनवेश को आकस्षसत कर िकता है. वह सवज्​्ान, तकनीक और सशक्​्ा के क्​्ेत्मे् नये िमिौते कर िकता है. वह भारतीय प्​्वासियो् या भारतवंसशयो् की भावना जीतकर एक मनोवैज्ासनक बढ्त बना िकता है. इि तरह के प्​्याि हाि के वष्​्ो्मे्खूब हुए है्. दि िाि पहिे िप्​्ंग िरकार और अब राजग िरकार मे्इि सदशा मे्कई काम हुए है्. खािकर इंसडयन डायस्पोरा को ध्यान मे् रखकर मौजूदा भारतीय प्ध ् ानमंत्ी नरेद् ्मोदी ने एक के बाद एक दौरे सकये है्. सवदेश मे्उन्हे्काफी िोकस्​्पयता भी समिी है. कई महत्वपूण्सकरार भी हुए है्. हाि-सफिहाि मे्स्​्िटेन दौरे मे्ऊज्ास क्​्ेत्मे्िंभावनाएं बनी है्. इिी तरह पीडल्लय् ि ू ी और इंडो-अमेसरकन चैब् र ऑफ कॉमि्सके एक िव्​्े के मुतासबक, 2025 तक भारत अमेसरका स्​्दपक्​्ीय कारोबार 500 अरब डॉिर तक पहुंचने की िंभावना है. सवस्​्ार के पांच महत्वपूण्सिेवा क्त्े ्एयरोस्पि े , रक्​्ा, इंफ्ास्टक् च ् र, िॉसजब्सटक्ि, ऊज्ास और मैनय् फ ु कै च ् सरंग बताये जा रहे है्. स्​्िटेन मे् भारत अभी तीिरा िबिे बड्ा सनवेशक है. उि​िे पहिे अमेसरका और फ्​्ांि है. इि मामिे मे् िंतृप्तावस्था है. भारत मे् स्​्िसटश 50 शुक्वार | 1 िे 15 सदिंबर 2015

सनवेश और स्​्दपक्​्ीय कारोबार को भी सवस्​्ार देने की िंभावनाएं है्. िाि 2010 मे् यह तय सकया गया था सक स्​्दपक्​्ीय कारोबार को िाि 2015 तक 23 अरब यूरो तक पहुंचाना है. यानी 2010 के कारोबार िे दोगुना िे जाना है. यह एक बड्ी उपिब्लध है. इन पांच वष्​्ो्मे्कारोबार को अहसमयत दी गयी है. िेसकन दोनो्देशो्के बीच जो उच्​्स्​्रीय राजनीसतक िंपक्फ की जर्रत थी, वह अब पूरी हुई है. सवश्​् राजनीसत मे् दो चीजे् तेजी िे ट्​्ेड कर रही है्. पहिा आतंककवाद पर सवमश्सऔर दूिरा प्​्दूषण रसहत ऊज्ास पर बातचीत. रक्​्ा और िुरक्​्ा के मि​िो् मे् आतंकवाद को जोड्कर देखा जाता है. इिमे् इस्िासमक स्टेट ऑफ इराक एंड िीसरया की बात होती है, क्यो्सक हाि ही मे् फ्​्ांि मे् इि आतंकी िंगठन ने एक खौफनाक आतंकी हमिा सकया. दस्​्कण एसशयाई मामिो् मे् भी आतंकवाद पर सवशेष जोर होता है. खाि तौर पर भारत-पासकस्​्ान िंबंध मे्इि पर चच्ास होती है. सवश्​् कूटनीसत मे् यह िाफ होने िगा है सक कुछ देश प्​्त्यक्​्-परोक्​्र्प िे आतंकी गुटो् को िमथ्सन करते है्. इिकी पहचान िमृद् और इिके सशकार देशो् के सिए जहां एक बड्ी कामयाबी है. वही् इिके सखिाफ समिकर िड्ने की रणनीसत भी जर्री है. िेसकन इिे अिग-अिग चश्मे िे देखा जाता है. भारत के मामिे मे् पासकस्​्ान की नापाक गसतसवसधयो् को चीन अिग नजसरये िे देखता है. खुद चीन, भारत िे कारोबारी सरश्ते बेहतर चाहता है. िेसकन अपनी िाम्​्ाज्यवादी नीसत को भारत के सखिाफ अंजाम देने िे नही्चूकता है. जैिे-जैिे सवकाि का अिंतुिन बढ्ता जा रहा है, वैिे-वैिे प्​्दूषण रसहत ऊज्ास पर बहि बढ्ती जा रही है. क्योटो, कोपनहेगन िे िेकर पेसरि िसमट तक जिवायु पसरवत्सन बड्ा मुद्ा बन चुका है. इिमे् भारत सवकसित और अन्य सवकािशीि देशो् के िाथ समिकर सनण्ासयक भूसमका सनभा िकता है. इंटरनेशनि िोिर एिायंि की भी बात हो रही है. ये तमाम ब्सथसतयां बताती है्सक सवश्​्कूटनीसत मे्न केवि भारत, बब्लक दुसनया के कई िारे देश पसरपक्व हुए है्. िेसकन जहां तक वैस्शक शांसत का मि​िा है, तो इि िक्​्य मे्पूरी दुसनया काफी पीछे है्. आतंकवाद के अिावा क्​्ेत्ीय सववाद, जातीय िंघष्स, नस्िी हमिे तेजी िे बढ्े है्. यह अब्सथरता बताती है सक n अभी बहुत कुछ सकया जाना बाकी है. (िेखक भारत िरकार के पूव्ससवदेश िसचव है्.आिेख श्​्ुसत समत्​्ि िे बातचीत पर आधासरत.)




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