वर्ष 8 अंक 24 n 15-31 दिसंबर 2015 n ~ 20
2015 हलचलों का साल
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वर्ष 8 अंक 24 n 15 से 31 दिसंबर 2015 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प््काशक क््मता सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल फोटो िंपादक पवन कुमार िंपादकीय िहयोगी
सववता वम्ाा अंजना वसंह सुनीता शाही (लखनऊ) अिनल चौबे (रायपुर) पूजा िसंह (भोपाल) अिवनाश िसंह (िदल्ली) अिनल अंशुमन (रांची) कुमार प््तीक अजय कुमार पांडे
कला
प््वीण अिभषेक
महाप््बंधक
एस के वसंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm@shukrawaar.com
आवरण कथा
6 | दवपक्् की वापसी का साल
िन 2015 देश मे्एक बड्ेराजनीसतक उिटिेर का वष्ामाना जायेगा, जब थकाहारा सवपक््उठ खड्ा हुआ और उिने ित््ाधारी दि के भारत सवजय के स्वप्न को चूर-चूर कर सदया. इिी के िाथ गठबंधन की राजनीसत की वापिी भी हुई.
22 | एक मशाल एक दमसाल
ब््ह्मदेव शम्ाा का शरीर भिे हमारे बीच िे चिा गया हो. िेसकन उनके सवचारो्की ज्वािा सहंदुस्नवां यानी िमाज के वंसचतो्के सिए क््ांसत की एक मशाि है.
िबजनेि हेड
24 | दकिने चेन्नई और?
शरद कुमार शुक्ला +91. 9651882222
चेन्नई मे्ेआयी भीषण बाढ्नगर सनयोजन की भारी खासमयो्की ओर इशारा करती है. इि बाढ् िे िबक िेकर दूिरे शहरो्को बचाना जर्री है.
ब््ांिडंग
कॉमडेज कम्युिनकेशन प््ा़ िल़
प््िार प््बंधक
यती्द् कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024 yatendra.3984@gmail.com
सिसध िलाहकार शुभांशु वसंह
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+91. 9971286429 सुयश मंजुल
िंपादकीय काय्ाालय
एमडी-4/304, सहारा ग््ेस, जानकीपुरम लखनऊ, उत््र प््देश-226021 टेलीफैक्स : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com www.shukrawaar.com
DELHIN/2008/24781 स्वत्वािधकारी, प्क ् ाशक और मुदक ् क्म् ता सिंह के सिए अमर उजािा पब्लिकेशि ं सिसमटेड, िी-21, 22, िेकट् र-59, नोएडा, उत्र् प्द् श े िे मुस्दत एवं दूिरी मंसजि, ल्ाी-146, हसरनगर आश्म् , नयी सदल्िी-110014 िे प्क ् ासशत. िंपादक : अंबरीश कुमार (पीआरल्ाी अिधसनयम के तहत िमाचारो्के चयन के ििए िजम्मेदार) िभी कानूनी िववादो्के ििए न्याय क््ेत्िदल्िी होगा.
28 | आज्ािी की आवाज्
34 | क्यो् याि आ रहे राम
44 | स्मृदियो् का नैनपुर
48 | शाहर्ख्: दिल की डगर
राष््ीय आंदोिन की सवराित के प््तीक ‘नेशनि हेरल्ड’ के अंत और सिर हेरल्ड हाउि की िंपस््त के सववाद के सिए वही कांग्ेि सजम्मेदार है सजिने उिे शुर्सकया था.
अब बंद हो चुके नैनपुर रेिवे स्टेशन का अपना इसतहाि िौ बरिो्िे भी पुराना है जहां जाना स्मृसतयो्के िन्नाटे मे् जाने की तरह है.
अयोध्या आंदोिन के नेता अशोक सिंघि को श््द्ांजसि देने वािे पोस्टर पूरे शहर मे्िगे थे. इि मौके पर अयोध्या िे दो बार सवधायक रहे जयशंकर पांडे िे बातचीत.
शाहर्ख खान की नयी सिल्म ‘सदिवािे’ के बारे मे् कािी उत्िािहत है्, सजिमे्पांच िाि बाद वे काजोि के िाथ नजर आये्गे.
शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
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आपकी मास्ट हेडाक ड
बिहार से बिकलता बिकल्प
पत््कादरिा के पय्ाषय
सदिंबर प््थम अंक मे्सहंदी पत््कासरता के स््ंभ प््भाष जोशी पर दी गयी िामग््ी ने एक बार सिर उनकी जर्रत का आभाि करवा सदया. जब भी सहंदी पत््कासरता का नाम सिया जायेगा तो यह चच्ाा सबना प््भाष जोशी का नाम सबना सिए अधूरी होगी. वह अपने आप मे् एक प््योग थे. सजन्हो्ने पत््कासरता मे् िाहि, जोसखम और िसहष्णुता को जीवंत बनाये रखा था. सजि जनित््ा को उन्हो्ने आज के 32 िाि पहिे शुर् सकया था. उिमे् भी आज वह बात नही् नजर आ रही है. जो उनके जमाने मे्थी. उन्हो्ने अखबार मे्देशज शल्दो्के िाथ नवीन प््योग सकये. सजििे वह आमजनो् की िमझ तक पहुंचने िगा. उन्हो्ने सहंदी अखबारो्मे्पंजाबी, उद्ाूऔर अंग्ेजी के प््चसित शल्दो्का इस््ेमाि करना शुर् सकया था. वे अक्िर तानाशाहो् िे सभडते और उन्हे्शल्द की मार िे परास््करते. स्वण्ामंसदर मे्िैसनक काय्वा ाही िे िेकर बाबरी मब्सजद तक उनकी पत््कासरता की झिक िाफ़ नजर आती है. सूरज अग््वाल, लखनऊ ( उत््र प््देश)
आत्महत्या करिे दकसान
सकिानो् की आत्महत्या का मििा अब गंभीर होता जा रहा है. िेसकन इिके प््सत न तो अवॉड्ा वापि करने वािो्का ध्यान जाता है और न ही अिसहष्णुता पर ल्यान देने वािो्का. बीते अंक मे्प््कासशत खबर दम तोडता सकिान िे बहुत िारी जानकारी मुहयै ा हुई. सजििे ये पता चिता है सक िरकार सकिानो्की आत्महत्या को िेकर सकतनी िंवेदनहीन है. सकिानो् को इि िाि दोहरी मार झेिनी पडी है. पहिा मििा है तेि के दाम अब उनकी पहुंच और िागत िे कही् ज्यादा है्और उिमे दूिरी चीज भयंकर िूखे ने 4
शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
सबहार चुनाव के पसरणामो्ने एक अिग ही राजनीसत का सवकल्प देश को िौ्प सदया है. वह है गठबंधन की राजनीसत. िािू और नीतीश ने सजि तरह का उदहारण पेश सकया है. उििे यही अंदाजा िगता है, सक आने वािे िमय मे् देश मे्राजग के िामने एक मजबूत राजनीसतक सवकल्प उभरकर िामने आये. इिकी थोडी बहुत झिकी नीतीश के शपथग््हण िमारोह मे् देखी भी गयी. सजि तरह मोदी और बीजेपी को सबहार मे् हराने के सिए िािू और नीतीश ने मोच्ााबंदी सकया है. ऐिा राग पूरे देश मे् भी हो
िकता है. नीतीश के मंच पर सदल्िी के मुख्यमंत्ी अरसवंद केजरीवाि, बंगाि की मुख्यमंत्ी ममता बनज््ी, राहुि गांधी और पूव्ा प्ध् ानमंत्ी एचडी देवगौडा की मौजूदगी ने इिके िाि िंकेत दे सदए है्. सबहार की िििता ने भसवष्य की राजनीसत के करवट का थोडा बहुत अंदाजा और िंकेत िोगो् के िमक्् पेश कर सदया है. इि चुनाव ने अगर िबिे ज्यादा सकिी को बेचैन सकया है तो वह है् प््धानमंत्ी मोदी. सजन्हे् िंिद मे् नया र्ख अब्खतयार करने को मजबूर सकया. अशोक बुद्, गया (बबहार)
सकिानो्की कमर तोड दी है. बीते कई िािो्िे सकिानो् की आत्महत्या की खबर िुनने को समिती रही है्. अब िवाि ये है सक कब हमारे देश मे् सकिान आत्महत्या करना बंद करे्गे. िाथ ही िरकार इन आत्महत्याओ्को रोकने के सिए क्या कर रही है.
पािक का शाक है, उिके बाद िरिो्, मेथी, भथुआ और चने के शाक भी कािी गुणकारी होते है्. सजन्हे् हमे् समिाकर बनाना चासहए, सजििे इनका स्वाद और गुणी सवशेषता और बढ जाती है. जो कािी प््भावकारी और हमारे स्वास्थ्य के सिए िायदेमंद होता है.
नेपाल से खटास
कदविा और दसनेमा
मनोज ब््िपाठी, सीवान (बबहार)
बीते िाि प््धानमंत्ी मोदी ने अपनी यात््ा के दौरान नेपाि और भारत के िंबंध को रोटी और बेटी का बताया था. िेसकन अभी हाि ही नेपाि मे् िंसवधान िभा मे् कानूनो् के गठन के बाद वहां मधेसशयो्ने आंदोिन कर रखा है. सजििे वहां अब्सथरता का माहौि पैदा हो गया है. इि सवषय पर आधासरत िंपादकीय और अब नेपाि मे् भारत और इि पहाडी देश के िाथ सबगडते सरश्तो् को अच्छी तरह िे उकेरा गया है. अभी तक हमे्इि पडोिी मुल्क िे कोई िडाई नही् िडनी पडी है. ऐिे मे्हमे्जल्द िे जल्द नेपाि िे अपने िंबध ं िुधार िेने चासहए. वहां का दाना पानी हमे् नही् बंद करना चासहए और िहयोगी पडोिी की तरह हमे् नेपाि का इि िंकट के िमय मे्मददगार बनना चासहए. बनत्यानंद कुंज, हबरद््ार (उत््राखंड)
सि््ी और हरा शाक
हरे शाक और ठंडक के मौिम का बेहतरीन सरश्ता है. सदिंबर प््थम अंक मे्प््कासशत पानी बाबा के कॉिम मे् इिकी जानकारी महत्वपूण्ा थी. अिि मे् ठंडक मे् शाक िबिे अच्छी िब्लजयो्मे्आती है. ये िस््ा भी होता है. सजिमे् कम पैिो्मे्हमे्ज्यादा सवटासमन और शरीर के सिए जर्री पोषक तत्वो् की भरपायी भी हो जाती है. आज के वक्त मे् िबिे ज्यादा मे्
रश्मम सक्सेना, जमशेदपुर (झारखंड)
बीते अंक मे्प्क ् ासशत प्म् ोद कौ्िवाि का िेख कसवता का सिनेमाई सवधान पढकर ज््ान समिा. अिि मे्आज के युग मे्जब हर चीज सडसजटि होती जा रही है. तो कसवता को भी सडसजटि बनाने का जो प््याि हो रहा है. वास््व मे्एक बेहतरीन प्स््कया है. िासहत्य और खािकर सहंदी िासहत्य को इििे बढावा समिता रहेगा. जो बहुत ही अच्छी बात होगी. ऐिे मे्िाधो सिल्म महोत्िव मे् कसवता और सिनेमा का अनोखा प््योग देखा गया. बनबश भारद््ाज, रायपुर ( छत््ीसगढ्)
पाठको् से दनवेिन
शुक्वार मे्प््कािशत सरपोट््ो्और रचनाओ्पर पाठको्की प््सतसक््या का स्वागत है़ आप अपने पत््नीचे िदए गए पते पर या ई-मेि िे भेज िकते है् एमडी-4/304, िहारा ग््ेि, जानकीपुरम, िखनऊ उत््र प््देश-226021 टेिीिैक्ि : +91.522.2735504 ईमेि : shukrawaardelhi@gmail.com
संमास् पादकीय ट हेड
साक््र बनाम समझिार ह
अंिरीश कुमार
यह भी सोचना चादहए दक िेश की बड़ी आबािी को अभी हम िो समय का भोजन नही् िे पा रहे है्. ऐसे मे् चुनाव मे् उम्मीिवारी के दिए दशक््ा की शर्ष िगाना कहां रक उदचर होगा ?
सरयाणा िरकार ने पंचायत राज असधसनयम मे् जो िंशोधन सकया था उि पर िुप्ीम कोट्ाने मोहर िगा कर एक नयी बहि छेड दी है. पंचायती राज िंशोधन को िेकर िुप्ीम कोट्ा मे् िगी िभी जनसहत यासचका खासरज कर दी गयी. गौरतिब है सक हसरयाणा मे् ऐिे िभी उम्मीदवार जो सकिी भी मान्यता प््ाप्त िंस्थान िे मैस्िक परीक््ा या उिके िमकक्् परीक््ा उत््ीण्ा या बोड्ा पाि नही् है् उन्हे् चुनाव िड्ने के सिए अयोग्य घोसषत सकया गया है. मसहिा उम्मीदवारो् और अनुिूसचत जासत के उम्मीदवारो् के मामिे मे्, न्यूनतम शैस्कक योग्यता आठवी् पाि सनध्ाासरत सकया गया है. यसद वे पंच के पद के सिए चुनाव िड् रहे है्, तो न्यूनतम शैस्कक योग्यता पांचवी्पाि होगी. इन िैििो्को िेकर िवाि खडे हो रहे है्. इि िैििे िे यह भी िगता है सक परंपरागत ज््ान और कौशि को सशक््ा िे कमतर माना जा रहा है. सशक््ा िभी को समिे यह जर्री है. पर जो सशस््कत नही् है् वह िमझदार भी नही्होगा यह तक्कअजीब है. खेतो् मे्काम करने वािा सकिान, दस््कार, वैद्या सिर जमीन के नीचे पानी तिाशने वािा आसदवािी हो इनके कौशि और हुनर के आगे बहुत िे पढ्े सिखे भी नही् ठहरते. अगर हम भारतीय िोकतंत् मे् आज के हािात मे् सशक््ा को चुनाव िे जोड दे्गे तो एक बडी आबादी पंचायत चुनाव िडने िे वंसचत हो जायेगी. भारत की जनगणना, 2011 के मुतासबक देश मे् आधे िे ज्यादा पसरवार ऐिे है् सजनमे् एक भी मैस्िक पाि आदमी नही् है. ऐिे पसरवारो् सक िंख्या बारह करोड िे भी ज्यादा बतायी जा रही है. क्या इतनी बडी आबादी को हम उिके चुनाव िडने के असधकार िे वंसचत कर दे्गे. एक तरि हम दूर दराज मे् रहने वािे दसित आसदवासियो्को चुनाव प्स््कया िे जोडने की पैरवी करते है तो दूिरी तरि सशक््ा की शत्ा िगाकर करोडो्िोगो्को उनके पंचायत चुनाव िडने के असधकार िे वंसचत करने जा रहे है्. यह एक गंभीर मुद्ा है सजिपर िभी राजनैसतक दिो्को िंिद मे्िवाि उठाना चासहए. देश की बडी आबादी का पेट भरने वािा सकिान िैकडो् िािो् िे खेत मे् िििो् को िेकर जो प््योग करता आया है उिके सिए उिने कोई औपचासरक सशक््ा नही् िी. सिर भी खेती बागवानी मे्सवसवसधता आती रही. कई नये िि सवकसित सकये गये तो अन्न की नयी प््जासत भी
आयी. यह ज््ान, िोक सवद््ा और कौशि का नतीजा है. गांव मे्जो कुम्हार होता है वह िभी गांवो् मे् समट््ी के बत्ान िे िेकर सदया और कुल्हड तक देता है. यह किा उिे परंपरागत ज््ान और कौशि िे समिी है. जो िोहार औजार देता है या जो बढई घर मे् सखडकी दरवाजे बनाता है वह हुनर उिके परंपरागत ज््ान और कौशि का ही नतीजा है. देश मे्बडे-बडे सकिे, महि और ताजमहि जैिे सनम्ााण के पीछे यही ज््ान और कौशि रहा है. इिसिए िोक सवद््ा, ज््ान और कौशि की अनदेखी ठीक नही् है. के्द् िरकार ने पहिी बार आयुव्ेद को ढंग िे मान्यता देते हुए एक मंत्ािय बनाया. इििे देश के दूर दराज इिाको् मे् जडी बूसटयो् िे इिाज करने वािो्का उत्िाह भी बढा. चेन्नई मे्एक ऐिे वैद् अज्ाुनन िे अपनी मुिाकात हुई थी सजिकी िेवाएं अपोिो िे िेकर सिंगापुर के बडे अस्पताि िेते है् वह भी सिि्क नाड्ी देखने के सिए .उिको करीब तीन हजार र्पये हर मरीज की नाड्ी देखने के सिए ये अत्याधुसनक सचसकत्िा िंस्थान देते है्. ख़ाि बात यह है सक अज्ाुनन को न तो कभी कोई औपचासरक सशक््ा समिी न ही उन्हे् तसमि के अिावा कोई भाषा आती है. ये बडे अस्पताि वािे जब उन्हे्बुिाते है्तो एक दुभासषये का भी इंतजाम करते है्तब उनकी बात कोई िमझ पाता है. यह एक उदाहरण है िोक सवद््ा और ज््ान का. ऐिे मे्हसरयाणा के िंदभ्ामे्बडी अदाित का िैििा दुभ्ााग्यपूण्ा है. अभी देश मे् यह ब्सथसत नही् है सक सिि्क िाक््र को ही चुनाव िडने का असधकार दे् और बाकी को इििे वंसचत कर दे. यह िोकतंत्की मूि भावना के भी सखिाि होगा. ऐिे मे्के्द्िरकार को पहि करनी चासहए. बेहतर यह हो सक िुप्ीम कोट्ाकी बडी बे्च मे् इिकी िुनवाई हो. यह मामिा सिि्क एक-दो छोटे राज्य का ही नही् बब्लक िमूचे देश की बडी आबादी का है. यह भी िोचना चासहए सक देश की बडी आबादी को अभी हम दो िमय का भोजन नही् दे पा रहे है् ऐिे मे् चुनाव िडने के सिए सशक््ा की शत्ा िगाना कहां तक उसचत होगा. बहुत िे िोगो्के पाि रहने को घर नही्है तो ठंड मे्पहनने को पय्ााप्त कपड्े तक नही् है. ऐिे देश मे् गांव पंचायत के चुनाव मे् सिि्क पढे सिखे िोगो् की सहस्िेदारी िे िमाज बंट जर्र जायेगा. यह िोकतंत्के सिए भी शुभ िंकेत नही्है. n ambrish2000kumar@gmail.com शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
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अावरण मास्ट हेकथा ड
अरबवंद केजरीवाल: बवकल्प की शुर्आत
विपक्् की िापसी का सन 2015 िेश मे् एक बड़्े राजनीदरक उिटफेर का वर्ष माना जायेगा, जब थका-हारा दवपक्् उठ खड़्ा हुआ और उसने सत््ाधारी िि के भारर दवजय के स्वप्न को चूर-चूर कर दिया. इसी के साथ गठबंधन की राजनीदर की वापसी भी हुई. 6
शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
अर्ण कुमार ब््िपाठी
अ
गर िाि 2014 देश मे् गठबंधन की िरकारो् के दौर की िमाब्पत और नरे्द् मोदी के नेतृत्व मे् भारतीय जनता पाट््ी के धमाकेदार उदय का िाि था तो िाि 2015 देश के थके-हारे सवपक््के उठ खड्ेहोने और उिकी वापिी का िाि कहा जायेगा. इि िाि ने एक बार सिर गठबंधन की राजनीसत के पुनज््ीसवत होने का िंकेत सदया है, हािांसक अभी यह तय नही् है सक वह सकिके नेतृत्व मे् आगे बढ्गे ा और उिका औपचासरक स्वर्प क्या होगा. सदल्िी राज्य के सवधानिभा चुनाव मे्
िरवरी मे् आम आदमी पाट््ी को समिी प््चंड जीत के िाथ नरे्द् मोदी और असमत शाह का सदब्गवजयी आभामंडि िीका पड्ना शुर् हो गया. मोदी के िोकिभा क््ेत् वाराणिी मे् पंचायत चुनावो्मे्भाजपा की करारी हार, सबहार सवधानिभा मे् महागठबंधन की दमदार सवजय और सिर गुजरात के स्थानीय सनकाय के चुनावो् मे् ग््ामीण इिाको् मे् कांग्ेि पाट््ी की जीत िे भारतीय जनता पाट््ी के आत्मसवश््ाि को झटका िगा है. वही्कांग्ेि िमेत सवपक््ी दिो् को आने वािे िमय मे् सवकल्प के उभरने की आशा सदखने िगी है. इिी के िाथ िोसनया गांधी, राहुि गांधी और कांग्ेि के अन्य नेताओ्
लालू यादव और नीतीश कुमार: बवपक्् की वापसी
साल
के प््सत नेशनि हेरल्ड मामिे मे् अदाित के कड्े र्ख को देखते हुए यह भी िगने िगा है सक भाजपा कांग्ेि के उभार को रोकने मे् कोई किर भी नही्छोड्ेगी. िंकेत इि बात के भी है् सक अगर इन कानूनी और तकनीकी उपायो् िे कांग्ेि और दूिरे सवपक््ी दिो् के कदम नही् र्क पाये और भाजपा और नरे्द्मोदी का प््भाव घटता गया तो िंघ पसरवार अपने हाथ मे्आयी ित््ा को कायम रखने के सिए अयोध्या के राम मंसदर सनम्ााण का मुद्ा उठाने िे भी नही्चूकेगा. राम मंसदर आंदोिन के बड्ेनेता अशोक सिंघि के सनधन के बाद िर िंघचािक मोहन भागवत ने यह कह कर सक राम मंसदर का शीघ््सनम्ााण
उन्हे्िच््ी श््द्ांजसि होगी,यह बता सदया है. अगर हम मोटे तौर पर राष््ीय राजनीसत के मुद्े सचसहत करे्तो उन्हे्चार श््ेसणयो्मे्बांटा जा िकता है. सवकाि, भ््ष्ाचार, जासत और धास्माक कट््रता. प््धानमंत्ी नरे्द्मोदी सवकाि िमथ्ना और भ्ष ् ्ाचार सवरोध के मुद्ो्को सजतनी आक््ामकता के िाथ आगे करके चुनाव जीते थे, वे िगातार पृष्भूसम मे् जाते गये और सवकाि को कभी धास्माक कट््रता िे मुकाबिा करना पड्ा, तो कभी जासत-आधासरत गठबंधनो् िे. धास्माक कट््रता का रास््ा अगर सदल्िी मे् भ््ष्ाचार सवरोध ने रोका तो सबहार मे् उिे जासतगत गठबंधन ने थाम सिया, हािांसक दावा यही सकया जा रहा है सक सबहार मे् सवकाि को जासतवाद ने हरा सदया और सबहार सिर सपछड्ने की ब्सथसत मे्धकेि सदया गया है. प््धानमंत्ी नरे्द् मोदी और उनकी िरकार की नीसत और रणनीसत वैश्ीकरण और उदारीकरण के एजे्डे के माध्यम िे मंडि और मंसदर के एजे्डे को सनयंस्तत करने की रही है. यही वजह है सक प््धानमंत्ी ने धुआंधार 35
नरे्द् मोदी: ऐबतहाबसक अाघात सवदेश दौरे सकये सजिमे् िंयुक्त राष्् महािभा की बैठक मे् सहस्िा िेने के सिए सकये गये अमेसरका दौरे के अिावा यूरोप और एसशया के देशो् के दौरे शासमि है्. अपने इन दौरो् के माध्यम िे सनस््ित तौर पर उन्हो्ने सवदेशी पूंजी (अमेसरका िे 41 अरब डािर) आमंस्तत की, िेसकन वह इतनी नही् थी सक उििे देश मे् धास्माक कट््रता और िांप्दासयकता की राजनीसत करने वािे खामोश हो जाये्. न ही इि पूंजी की इतनी ताकत थी सक वह देश के जासतगत सवभाजन को समटाकर एक िमतामूिक िमाज बना दे. तीिरी बात यह है सक यह पूंजी इतनी दूध की धुिी भी नही्है सक वह देश के भ््ष्ाचार को दरसकनार कर िके या सवदेशो् मे् जमा कािे धन का बड्ा सहस्िा िा िके. िरकार की घोषणा के अनुिार सितंबर तक 640 स््ोतो् िे 3770 करोड् र्पये का कािा धन देश मे् आया है. पर यह तो इतना कम है सक इििे 2014 के चुनावो् मे् िभी नागसरको् के खाते मे् तीन िाख र्पये जमा करने का वादा नही्पूरा सकया जा िकता. शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
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अावरण मास्ट हेकथा ड मोदी िरकार और उनके पाट््ी नेतृत्व की अििी सदक््त िाि 2014 की कामयाबी के अहंकार िे मुक्त न हो पाना और िदैव चुनावी तेवर मे् बने रहने की है. इिी सदक््त के चिते उन्हे् िरवरी 2015 के सदल्िी सवधानिभा चुनाव मे् करारी हार का िामना करना पड्ा और इिी के कारण सबहार सवधानिभा चुनाव मे् भाजपा के िपने धूि धूिसरत हुए. यही वजह है सक सशविेना भारतीय जनता पाट््ी के सिए न सिि्क महाराष्् मे् सदक््त पैदा करती रहती है, बब्लक राष््ीय राजनीसत को ध्यान मे् रखकर ऐिी सटप्पसणयां करती है, सजनिे मोदी की छसव को बट््ा िगे. सबहार चुनाव के बाद सशविेना के नेता और ‘िामना’ के िंपादक िंजय राउत का यह कहना सक अहंकार हारा और सवनम््ता जीती, िीधे- िीधे मोदी और असमत शाह पर सटप्पणी थी. यह जानना सदिचस्प है सक सबहार मे् सशविेना भाजपा िे अिग चुनाव िड्ी थी और 35 सवधानिभा िीटो्पर भाजपा िे आगे थी. सबहार सवधानिभा चुनाव ने उि अंतस्वरा ोध को और ज्यादा उजागर कर सदया जो सदल्िी सवधानिभा चुनाव के दौरान थोड्ा ढका हुआ था. वह अंतस्वारोध भाजपा के वसरष्् नेताओ् और मोदी की टीम के बीच है. वह मोदी के नेतृत्व और िंघ के नेतृत्व के बीच भी है. अगर भाजपा सदल्िी का चुनाव मोदी के मनमाने ढंग िे स्थानीय नेताओ् को दरसकनार कर सकरण बेदी को मुख्यमंत्ी पद का दावेदार बनाने िे हारी, तो सबहार का चुनाव िर िंघचािक के आरक्ण ् नीसत पर पुनस्वच ा ार करने िंबध ं ी बयान देने िे और स्थानीय नेताओ्की उपेक्ा करने िे. चुनाव पूवा्िव्क ्े ण ् िाि शल्दो्मे्कह रहे थे सक सबहार मे् भाजपा को बढ्त हासिि है. अगर भागवत ने बयान न सदया होता और देने के बाद दोहराया न होता तो िािू प््िाद और नीतीश कुमार को जासतगत आरक््ण के िवाि पर आक््ामक होने का मौका न समिता और न ही मोदी और असमत शाह को पहिे जासतवादी और बाद मे् िांप्दासयक राजनीसत का आक््ामक काड्ा खेिना पड्ता. इन दोनो् दांवो् ने सिि्क भाजपा के सवकािवादी मुखौटे को उतार सदया. यही वजह है सक सबहार भाजपा के नेताओ् ने िाि शल्दो् मे् प््धानमंत्ी मोदी और असमत शाह की सनंदा की और बाद मे्उनकी नाराजगी को पाट््ी के माग्ादश्ाक मंडि के वयोवृद् नेताओ् ने स्वर सदया. बेगुिराय िे भाजपा के िांिद भोिा सिंह ने कहा सक- सबहार चुनाव पाट््ी प््धानमंत्ी की अिंिदीय भाषा के कारण हारी. आसखर गोमांि खाने के सववाद उठाने और भाजपा की हार के बाद पासकस््ान मे् पटाखा छोड्ेजाने जैिे बयान देने की क्या जर्रत थी. आरके सिंह और शत््ुघ्न सिन्हा जैिे नेता तो 8
शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
शुर् िे ही सबहार चुनाव मे् पाट््ी की रणनीसत पर िवाि उठा रहे थे. यही कारण है सक िािकृष्ण आडवाणी, मुरिी मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और शांताकुमार जैिे नेताओ्ने शाह और मोदी का नाम सिये बगैर नेतृत्व की आिोचना की. इि बीच सहंदुस्ानी अवामी मोच्ाा के नेता जीतन राम मांझी िे िेकर िोकजनशब्कत पाट््ी के नेताओ्िमेत भाजपा के तमाम िामासजक न्याय िे जुड्ेिहयोगी दिो्ने भी भागवत के बयान को अनावश्यक और चुनाव हरवाने वािा बताया. मोदी िरकार और भारतीय जनता पाट््ी पूरे िाि इिी दुसवधा मे्झूिती रही सक वह सवकाि के सजि एजंडे पर चुनकर आयी है, उिी पर चिा जाये या जासत के एजंडे को हड्प कर उिे धम्ा के एजंडे मे् बदि सदया जाये. शायद उिे यकीन नही् हो रहा है सक महज सवकाि के एजंडे पर चि कर ित््ा के पाए को मजबूती और ब्सथरता प््दान की जा िकती है. यही कारण है सक एक तरि मोदी सवकाि की दौड् िगाते है् तो िंघ पसरवार के िंगठन अपने गोरक््ा, टीपू िुल्तान की देशभब्कत, िव जेहाद, असभव्यब्कत की आजादी को रोकने जैिे काय्ाक्मो् को तेज करते है्. नतीजतन अगर दाभोिकर, पंिारे और किबुग्ी जैिे बौस््दको् और सवचारको् की हत्या होती है, तो दादरी के एक गांव मे् अखिाक नाम का िोहार महज इिसिए बहुिखं य् को्की भीड्मे्मार सदया जाता है सक कुछ िोगो् ने शक जताया था सक उिने गोमांि का िेवन सकया है. जबसक कभी चुंद नामक िोहार के घर पर ही बािी िूकर मद््व खाकर महात्मा बुद्ने जान दे दी थी और मरने िे पहिे अपने सशष्य आनंद िे कहा था सक देखना चुंद िोहार को सकिी प््कार की हासन न
लालकृष्ण आडवाणी: असंतोष के अगुअा होने पाये. क्यो्सक इिमे् दोष मेरा ही है. बारबार बुद् और गांधी का नाम िेने वािे मोदी अपने आनुषांसगक िंगठनो्को इि बारे मे्कोई प््वचन नही्दे पाते. इि प्क ् ार मोदी िरकार की सवकाि िंबध ं ी प््सतबद््ता कमजोर हुई है और सहंदुत्ववादी एजंडा सदखा है. यही कारण है सक उन्ही्की पाट््ी के वसरष््नेता अर्ण शौरी यह कहने पर मजबूर हुए है् सक भारतीय जनता पाट््ी और कांग्ेि मे् कोई अंतर नही्है. अंतर सिि्कहै तो गोरक््ा का. कांग्ेि के एजंडे िे गाय हटा दीसजए तो भाजपा की नीसतयां हासिि हो जाये्गी. उन्हो्ने भाजपा के भ््म को देखकर कह भी सदया सक अब तो मनमोहन सिंह के काय्क ा ाि को िोग याद करने िगे है्. सवकाि के मोच््े पर मोदी िरकार के िड्खड्ाने का प््माण स्वयं सवत््मंत्ी भी दे देते है् जब वे कहते है् सक यह कहना गित है सक आस्थाक िुधारो्की गसत धीमी हुई है. एक तो मोदी स्वयं अपने मंस्तमंडि के िासथयो्पर भरोिा नही्करते और के्द्िरकार को गुजरात की शैिी मे्चिाना चाहते है्, दूिरे िंघ और भाजपा का पुराना गुट उनके सवर्द् होने के कारण उन्हे्तमाम तरह की परेशासनयो् का िामना करना पड्ता है. इि तरह िाि 2015 मोदी के सिए पाट््ी और प््शािन मे् सवश््ाि की एक ितह तिाशने का िाि रहा सजिे पाने मे्उन्हे्िगातार सदक््तो्का िामना करना पड्ा. अगर सदल्िी सवधानिभा चुनाव ने भाजपा को यह बता सदया था सक वह अन्ना आंदोिन और केजरीवाि के भ््ष्ाचार सवरोधी आंदोिन को राष््ीय स््र पर िोकिभा चुनावो् मे् भिे ही पूरी तरह हड्प िे्. िेसकन वह उिे क््ेत्ीय स््र पर और स्थायी तौर पर नही् हड्प िकती, वही्सबहार सवधानिभा चुनाव ने भाजपा
को यह िंदेश सदया है सक वह मंडि के एजंडे को भी हजम नही्कर िकती. मंडि का एजंडा मूि र्प िे सजन दिो्और नेताओ्के पाि है वे स्वाभासवक तौर पर भाजपा के समत््नही्है्, भिे ही बीच-बीच मे्वे भाजपा के िाथ हो जाते हो्. सबहार मे् महागठबंधन की जीत ने यह भी िंदेश सदया है सक सजि सबहार ने कभी िोमनाथ िे अयोध्या तक रथयात््ा पर सनकिे िािकृष्ण आडवाणी को सगरफ्तार करके उनके सहंदुत्ववादी राष््वाद की बढ्त को रोक सिया था, वह आज भी अपनी िीमाओ्मे्वैिा करने मे् िक््म है. सबहार ने धम्ासनरपेक् सवपक्् की एकता का जोरदार िंदेश सदया है. अब देखना है सक कांग्ेि, जनता दि और तृणमूि कांग्ेि, नेशनि कांफे्ि और वामपंथी दि इि िंदेश को सकतना िमझते है् और उिे सकि हद तक मूत्ा र्प दे पाते है्. हािांसक िार्क अल्दुल्िा ने नीतीश कुमार को प््धानमंत्ी पद के सिए तैयारी करने का आह््ान कर सदया है. िेसकन अभी यह एक जुमिा ही है. सबहार चुनाव ने राष््ीय स््र पर सवपक््की वापिी की उम्मीद जगायी है. िेसकन स्थानीय स््र पर िािू प््िाद की ताकत के उभार के िाथ ही उनके पसरवारवाद के खतरे को भी प््कट सकया है. नीतीश कुमार के मंस्तमंडि मे् िािू प््िाद के बेटे तेजस्वी प््िाद के उपमुख्यमंत्ी बनने और तेज प््ताप यादव के कैसबनेट मंत्ी बनने और कई महत््वपूण्ासवभाग सदये जाने िे नीतीश िे स्वच्छ प््शािन की उम्मीद धूसमि हुई है. वे दोनो् न तो ज्यादा अनुभवी है् और न ही ज्यादा सशस््कत. अब देखना है सक नीतीश सबहार को एक अच्छी िरकार देते है् या देश को धम्ासनरपेक् िरकार देने की यात््ा शुर्करते है्.
भारतीय जनता पाट््ी का एक और अंतस्वरा ोध महाराष््मे्सशविेना के िाथ उिका गठबंधन है. सशव िेना िंकीण्ाराष््वादी एजंडे मे् भाजपा िे आगे सनकिना चाहती है और उिके ऐिा करने िे भाजपा को तमाम सकस्म की तोहमत झेिनी पड्ती है. सशव िेना ने न सिि्कपासकस््ान के िाथ भारत के स््ककेट खेिे जाने का कड्ा सवरोध सकया, बब्लक पासकस््ान स््ककेट बोड्ा के अध्यक्् की भारत यात््ा पर हंगामा सकया, उिने गुिाम अिी का मुंबई मे् काय्ाक्म रद्् करवा सदया. पासकस््ान के पूव्ा सवदेश मंत्ी खुश्ीद किूरी की सकताब-नाइदर हाक नार डोव- के सवमोचन के मौके पर पत््कार िुधी्द् कुिकण््ी के मुंह पर कासिख पोत कर यह जता सदया सक वह सिि्कपासकस््ान का सवरोध नही्कर रही है. बब्लक पासकस््ान के बहाने भाजपा िरकार के अपनी खुनन् ि सनकाि रही है. राष््वादी एजंडे पर भाजपा को सपछाड्ने का कोई मौका नही्छोड्रही है. सशविेना ने न सिि्क11 अक्टूबर को प््धानमंत्ी मोदी के मुंबई दौरे के िमय उनके हर काय्ाक्म का बायकाट सकया बब्लक हाि मे्गुजरात के स्थानीय सनकाय के चुनावो् के बाद िामना ने कहा सक गुजरात मे्िोग पूरी तरह प््धानमंत्ी मोदी के िाथ नही् है्. भाजपा को खतरे की घंटी की यह आवाज िुननी चासहए क्यो्सक खतरे की यह घंटी नरे्द् मोदी के घर पर ही बजने िगी है. िामना मे् िंजय राउत ने िवाि भी सकया सक भाजपा ग््ामीण इिाको् मे् क्यो् हारी अगर यह राज्य सवकाि मे् नंबर एक है. हैरानी की बात है सक सजि राज्य मे् नरे्द् मोदी ने 12 िाि तक एक छत्् राज सकया, वहां 31 मे् िे 21 सजिा पंचायतो् मे् और 230 मे् िे 110 तािुका पंचायतो् मे् कांग्ेि को सवजय हासिि हुई. हाब्दिक पटेल: गुजरात की हार
हािांसक भाजपा की शहरी पकड् कायम रही और उिने राज्य के छहो्नगर सनगमो्और 56 पासिकाओ्मे्िे 40 मे्जीत दज्ाकी. स्पष््तौर पर गुजरात मे्ऐिा पटेि सबरादरी की नाराजगी के कारण हुआ है. हास्दाक पटेि के आंदोिन के चिते गुजरात का ग््ामीण िमाज भाजपा के सखिाि गया है. पटेि सबरादरी आरक््ण की मांग कर रही है और यह भी कह रही है या तो उिे आरक््ण समिे या सिर आरक््ण को खत्म सकया जाये. मोदी का कसरश्मा उनके िोकिभा क््ेत् वाराणिी मे् भी घटता हुआ सदखायी पड्ा. वहां बीडीिी की 48 िीटो्मे्िे भाजपा को सिि्क8 िीटे्हासिि हुई.् या तो क्त्े ्का िमुसचत सवकाि नही्हुआ या सिर मोदी के चमत्कार का अिर कम हो रहा है. कश्मीर जहां सक पीडीपी और भाजपा की गठबंधन की िरकार चि रही है. वहां शुरआ ् ती सदक््तो्के बाद भिे ही अिसहष्णुता की बहि के दौरान पीडीपी की तरि िे भाजपा को िमथ्ान समिा हो और स्वयं मुफ्ती मोहम्मद िईद ने मोदी मे् सवश््ाि व्यक्त सकया हो, िेसकन न तो वहां भाजपा को िेकर िहज ब्सथसत है और न ही भाजपा का व्यवहार िामान्य. िाि के आरंभ मे्िबिे पहिे कश्मीर मुबस् िम िीग के नेता और अिगाववादी मिारत अहमद भट््की सरहाई ने भाजपा को सवरोध करने और के्द् तक हिचि पैदा करने को मजबूर सकया और बाद मे् िशस्् बि तैनाती असधसनयम के हटाने को िेकर भी कािी खी्चतान बनी रही. कभी भाजपा िाझा न्यूनतम काय्ाक्म की अपने ढंग िे व्याख्या करती है तो कभी पीडीपी. हािांसक प््धानमंत्ी ने अपने हाि के दौरे मे् कश्मीर को 90 हजार करोड् र्पये के पैकेज देने का एिान करके अपने वादे को पूरा करने का प््याि सकया है. िेसकन सजि तरह भाजपा के सवधायको् ने इंजीसनयर रासशद को गोमांि की पाट््ी देने पर अिे्बिी मे् खी्चकर पीटा उििे वहां भी दादरी जैिा माहौि पैदा हो गया. भ््ष्ाचार को समटाने और भ््ष्ाचार करने वािी कांग्ेि िे मुक्त भारत बनाने के नारे के िाथ मोदी ित््ा मे्आये थे. िेसकन उन्हो्ने और उनकी पाट््ी के नेताओ्ने कांगि ्े और दूिरे दिो् के भ््ष्ाचार को सनशाने पर िेने के अिावा सकिी प््कार का आत्म-अविोकन करने का प््याि नही् सकया है. न तो मोदी िरकार ने 2013 मे् िंिद िे पाि िोकपाि असधसनयम के तहत िोकपाि िंस्था को गसठत करने का प््याि सकया और न ही अपने भ््ष् िोगो् के सवर्द् जांच कायम करने और उन्हे् ित््ा िे हटाने का प््याि सकया. व्यापम घोटािे मे् पत््कार, अििर, िामासजक-राजनीसतक शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
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अावरण मास्ट हेकथा ड काय्ाकत्ाा और उम्मीदवारो् की मौतो् और आत्महत्याओ्का आंकड्ा जब पचाि पार होने िगा और राष््ीय स््र पर हल्िा मचा तब जाकर सशवराज सिंह चौहान की िरकार िीबीआई जांच के सिए तैयार हुई. िुप्ीम कोट्ा ने भी इि मामिे को िीबीआई को िौ्पा. िेसकन नैसतक र्प िे मुखय् मंत्ी सशवराज सिंह चौहान इस््ीिा देने के सिए तैयार नही् हुए, न ही राज्यपाि रामनरेश यादव को हटाया गया. पर मध्य प्द् श े व्याविासयक परीक््ा मंडि मे्नकि करवाने और िज््ी तरीके िे इंजीसनयर और डाॅक्टर बनवाने के इि घोटािे मे् शासमि होने के आरोप है्. इि बीच िरकार ने आईपीएि घोटािे िे जुड्े िसित मोदी की मदद करने वािी मुख्यमंत्ी विुंधरा राजे, उनके बेटे और सवदेश मंत्ी िुषमा स्वराज के बारे मे् कोई भी जांच कराने का सनण्ाय नही्सिया. देखा जाये तो िाि 2015 भ््ष् िोगो् के बरी होने या सिर िे ित््ा हासिि करने का िाि रहा. वही् िीबीआई की धमसकयो् के बहाने राजनीसत मे्नये िमीकरण बनाने का सििसििा भी चिता रहा. मुिायम सिंह पर आरोप है सक नोएडा के घोटािेबाज मुख्य इंजीसनयर यादव सिंह िे उनके भाई रामगोपाि के तार जुड्े है्. इिसिए उन्हो्ने िीबीआई की धमकी के चिते महागठबंधन िे नाता तोड्ा और उिको हराने के सिए सबहार जाकर प््चार सकया. वही् जयिसिता को 11 मई को कन्ााटक हाई कोट्ा ने सजि तरह िे बरी सकया उि पर भी तमाम तरह के िवाि उठे. आरोप है सक अन्नाद््मुक के िांिदो्ने िैििा आने िे पहिे ही िंिद मे् समठाई बांटनी शुर्कर दी थी. दूिरा आरोप यह है सक इि मामिे मे्दूिरे पक््को िुना ही नही् गया. िेसकन तीिरा आरोप यह है सक सजि तरह के प्ध् ानमंत्ी नरेद् ्मोदी ने उन्हे्बधाई दी. उििे इि बात का िंदेह हो जाता है सक वे भी चाहते
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थे सक जयिसिता मुक्त हो जाये्. इि बीच पूव्ा मुख्यमंत्ी और भ््ष्ाचार के आरोप मे् पाट््ी िे हटाये गये बीएि येदयु रु प्पा को सिर िे कन्ाटा क भाजपा का अध्यक््बनाये जाने िे जासहर हो गया है सक भाजपा मे्भ््ष्िोगो्के अच्छे सदन आने िगे है्. भ््ष्ाचार के मोच््े पर िबिे ज्यादा सकरसकरी आम आदमी पाट््ी की हुई क्यो्सक उिका तो जन्म ही भ््ष्ाचार समटाने के सिए हुआ था. पहिे पाट््ी के भीतर बड्े पैमाने पर दागदार िोगो्के होने का आरोप िगाकर शांसत भूषण, प्श ् ांत भूषण, योगेद् ्यादव, आनंद कुमार और असजत झा जैिे महत््वपूण्ािोग अिग हुए उिके बाद सदल्िी पुसिि ने कानून मंत्ी सजते्द् सिंह तोमर को िज््ी सडग््ी और सवधायक िोमनाथ भारती को पत्नी को उत्पीस्डत करने के मामिे मे् सगरफ्तार करके आप के किंक को प््मासणत कर सदया. उिके बाद तो आप के सवधायको्की सगरफ्तारी का सििसििा थमा ही नही्है. हािांसक इिमे्कुछ सगरफ्तासरयां खुनन् ि मे् भी की जा रही है्. इि बीच आप िरकार ने जनिोकपाि सवधेयक पासरत करके यह सदखाने की कोसशश की है सक वह अपने एजंडे और वादे पर सकि तरह कायम है. सवडंबना देसखए सक इि सबि का सवरोध वह भारतीय जनता पाट््ी भी कर रही है. जो गुजरात मे्िोकायुक्त बनाने को तैयार नही्थी और के्द्मे्िोकपाि बनाने को तैयार नही्है. इि बीच सहमाचि प््देश के मुख्यमंत्ी वीरभद्् सिंह को अकूत िंपस््त के मामिे मे् सगरफ्तार करने की तैयारी िीबीआई कर रही है. िीबीआई उनके बेटी की शादी के सदन उनके घर पर छापे डािने पहुंच गयी थी. सहमाचि हाई कोट्ाके सजि जज ने उनकी सगरफ्तारी पर रोक िगाया है. उनपर िीबीआई का आरोप है सक वे उनके वकीि थे. दूिरी तरि िे यह कहा जा बनारस: घटता हुआ असर
रहा है सक वीरभद्् सिंह की बेटी असभिाषा कुमारी गुजरात हाई कोट्ा की जज है् सजन्हो्ने इशरत जहां मामिे की िुनवाई की है. सजनके आदेश पर भाजपा के मौजूदा अध्यक्् असमत शाह की सगरफ्तारी हुई थी. केरि मे ओमन चांडी की िरकार भी प्द् षू ण सनयंतण ् पसरयोजना मे् भ््ष्ाचार के आरोपो् मे् सघरी है. शारदा सचटिंड घोटािे मे् िंिी तृणमूि िरकार की हाित िबिे खराब है. उिके तीन िांिद जेि मे् है्. स्वयं मुख्यमंत्ी ममता बनज््ी पर भी इिकी आशंकाएं मंडरा रही है्. यही कारण है सक नेशनि हेरल्ड मुकदमे मे्कांगि ्े के नेताओ् पर अदािती िख्ती को देखते हुए िंिद मे् तृणमूि कांग्ेि कांग्ेि पाट््ी के िाथ खड्ी हो रही है. इधर कांग्ेि पाट््ी अब आरोप िगाने िगी है सक राजनीसतक बदिे की कार्ावाई पीएमओ के इशारे पर हो रही है. जासहर है जहां मोदी िरकार के सवर्द्सवपक््ी दि अिसहष्णतु ा का आरोप िगाकर गोिबंद हुए, वही् मोदी िरकार उन्हे्भ््ष्ाचार के आरोप के तहत तोड् रही है. वह एक तरि मेि समिाप के बहाने जीएिटी जैिे जर्री कानून पाि कराना चाहती है, तो वही्सवपक््को एकजुट होने िे रोकना भी चाहती है. िाि 2015 की सजन तीन घटनाओ् को नही्भुिाया जा िकता, उनमे्नवंबर महीने के आसखरी हफ्ते मे्चेन्नई मे्शुर्हुई भयंकर बाढ् है. सजिने तकरीबन तीन िौ िोगो्की जान िे िी और िाखो् को बेघर करने के िाथ ही करोड्ो् की िंपस््त का नुकिान सकया. िेसकन इि बाढ्के सिए स्थानीय ठेकदे ारो्, नेताओ्और अििरो्के अवैध सनम्ाण ा के कारनामे को िाि तौर पर दोषी ठहराया जा रहा है. िुप्ीम कोट्ा ने अक्तूबर माह के मध्य मे् िबिे महत््वपूण्ा िैििा राष््ीय न्यासयक सनयुबक् त आयोग को रद््और कािेसजयम प्ण ् ािी को बहाि करके सदया. यह िाि तौर पर सवधासयका को न्यायपासिका की चुनौती भी है. िेसकन अपना रिूख खोती जा रही मोदी िरकार इि मामिे पर राजनीसतक गोिबंदी करने की ब्सथसत मे् नही् है. इि आदेश के तहत न्यायपासिका ने िंसवधान मे् सकये गये 99वे् िंशोधन को रद्् कर सदया और िाि कहा सक न्यासयक स्वायत््ता िंसवधान के बुसनयादी ढांचे का एक तत्व है इिसिए उिे सकिी भी हाित मे् खत्म नही्सकया जा िकता. अदाित ने भाजपा नेता िािकृष्ण आडवाणी के हवािे िे यह भी कहा सक आपातकाि मे्नागसरक असधकारो्को छीनने वािी ताकते् आज पहिे िे ज्यादा ताकतवर है्. उन ताकतो् िे देश को न तो मीसडया बचा िकता है और न ही आप पाट््ी के एनजीओ जैिे आंदोिन. नागसरक असधकारो्की रक््ा न्यायपासिका ही कर िकती है. n
खेती की क़ीमत पर उद़़ोग
सन 2015 के रीसरी दरमाही के आंकड़्े जहां उद््ोग जगर के दिए सुखि संिेश िेकर आये है् वही् दकसानी मे् अभी भी दनराशा का माहौि है.
हा
ि मे्जारी िाि 2015 के तीिरी सतमाही के आंकड्े जहां उद्ो्ग जगत के सिए िुखद िंदेश िेकर आये है्. वही् सकिानी मे् अभी भी सनराशा का माहौि है. जासहर है खेती के सपछड्े होने के बावजूद उद््ोग जगत मे् हुई इि वृस्द का अिर पूरी अथ्ाव्यवस्था पर पड्ा है. ताजा आंकड्ो्के अनुिार तीिरी सतमाही मे् भारतीय अथ्ाव्यवस्था का 7.4 िीिद की दर िे सवस््ार हुआ है जो सक दूिरी सतमाही के 7.1 िीिद की दर िे बेहतर है. बाजार को उम्मीद थी सक यह दर ज्यादा िे ज्यादा 7.3 िीिद तक जा िकती है िेसकन 0.1 िीिद की असतसरक्त उपिब्लध िे बाजार ज्यादा उत्िासहत है. यह उपिब्लधयां सवत््ीय, रीयि इस्टेट, बीमा और मैनय् ि ू कै च ् सरंग क्त्े ्के अच्छे प्द् श्ना िे प््ाप्त हुई है्. तीिरी सतमाही मे् औद््ोसगक उत्पादन पांच िाि के िव््ोच््गसत यानी 9.8 िीिद की दर िे बढ्ा है जबसक अक्टूबर के महीने मे्यह दर 10.6 िीिद रही है. िेसकन भारत के मुख्य आस्थाक ििाहकार अरसवंद िुब्ह्मण्यम ने इन पसरणामो् की वजहे् बताते हुए िावधान सकया है सक इन पर अभी ज्यादा उत्िासहत होने की जर्रत नही्है. क्यो्सक एक तो यह आंकड्ेदीवािी के त्यौहार के कारण बढ्े है् और दूिरे सपछिे िाि का बेि इतना नीचा था सक कुछ भी वृस्द ज्यादा बढ्कर सदखाई पड्ेगी. कंज्यूमर ड््ूरेबि और कैसपटि गुड्ि ने अथ्ाव्यवस्था के सवस््ार के आंकड्ेको और भी सवस््ार सदया है. कंज्यूमर ड््ूरेबि मे्42.2 िीिद और मैनय् ि ू कै च ् सरंग िेकट् र मे्9.3 िीिद की वृस्द हुई है. सपछिे िाि यानी अक्टूबर 2014 के 2.7 िीिद के औद््ोसगक वृस्द दर के मुकाबिे तकरीबन पांच िीिद के पाि बैठने वािे इि िाि का आंकड्ा बहुत उत्िाहवध्ाक िग रहा है. ज्यादा खुश इिसिए नही् हुआ जा िकता सक वैस्शक मंदी जारी है और भारत का सनय्ाात बढ्ने के बजाय घटने की प््वृस्त का सशकार है. चूंसक वैस्शक मांग के िाथ घरेिू मांग भी कम है इिसिए मैन्यूिैक्चसरंग िेक्टर की वृस्द पर िंबे िमय तक न तो इतराया जा िकता है और न ही आश््स् हुआ जा िकता है. सपछिे 11 महीनो् िे भारत का सनय्ाात क््ेत् नकारात्मक प््वृस्त का सशकार है और अक्टूबर 2015 मे्
उिमे्17.53 िीिद की सगरावट आयी है. यानी कुि 21.35 अरब डािर का नुकिान हुआ है. इि बीच चेन्नई की बाढ्के कारण भारतीय अथ्ाव्यवस्था को तीन अरब डािर का नुकिान हुआ है. भारत का सवत््ीय घाटा 3.8 िीिद है जो सक ब््ाजीि और दो एक अन्य देशो् को छोड्कर सवकाि की दौड् मे् चि रहे अन्य िात-आठ देशो्िे ज्यादा है. यूपीए िरकार ने अपने दि िािो् के शािन मे् अगर सकिानो् की आत्महत्याओ् िे दबाव मे् आने के बाद उिे ऊपर उठाने का कुछ काम सकया था तो एनडीए िरकार के शािन मे्िूखा और उपेक्ा के कारण वह ब्सथसत सबगड्ी है. शायद इि िरकार का पहिा िक््य भूसम असधग््हण कानून मे् िंशोधन करके औद््ोसगक घरानो् के सिए ज्यादा जमीन उपिल्ध कराना था. इिसिए उिने खेती िे ज्यादा उि सबि पर ध्यान सदया और जब वह सबि पाि नही्हो पाया तो िूखे ने देश को चपेट सिया. अकेिे महाराष्् मे् 3300 सकिान आत्महत्या कर चुके है्. अगर यूपीए िरकार के काय्ाकाि मे् िाि 2013-14 के दौरान कृसष की वृस्द दर 4.7 िीिद थी तो इि िाि यह घटकर 1.1 िीिद तक आ गई है. यूपीए िरकार के दि िाि के काय्क ा ाि मे्कृसष का सनय्ाता 7.5 अरब डािर िे बढ्कर 42.6 अरब डािर तक पहुंच गया था. हािांसक इन आंकड्ो् पर कांग्ेि िे ज्यादा एनिीपी के नेता शरद पवार कािी प््िन्न हो िकते है्. िेसकन एनडीए िरकार के
अमीरी और गरीबी: बढ्ती खाई 18 महीनो्मे्कृसष के सनय्ाता मे्29 िीिद कमी आयी है. देश मे्आय और िंपस््त की अिमानता के आंकड्े जनगणना के रसजस्ि्ार और नेशनि िै्पि िव््ेकी तरि िे भी आये है्. वे िब भारी अिमानता की तस्वीर खी्चते है्. के्सडट िुइिे ने नेशनि िै्पि िव््ेके आधार पर कहा है सक भारत के एक िीिद िोगो्के पाि देश की 53 िीिद िंपस््त है. जबसक ऊपर के दि िीिद िोगो्के पाि 76.30 िीिद िंपस््त है. देश के 90 िीिद िोगो्के पाि देश की एक चौथाई िे भी कम िंपस््त है. जबसक िन 2000 मे्अमीरो् की ब्सथसत इतनी मजबूत नही्थी. सपछिे िाि दि िीिद गरीबो् के मासिक व्यय मे् 17.2 िीिद तो 10 िीिद अमीरो् की मासिक आय मे् 30.5 िीिद की वृस्द हुई. जनगणना के आंकड्े और भी सचंताजनक तस्वीर पेश करते हुए कहते है् सक ग््ामीण भारत की 67 करोड् आबादी 33 र्पये रोजाना पर गुजर करती है. देश मे् बेरोजगारी की दर 9.60 िीिद है. औपचासरक र्प िे दज्ा आंकड्ो् के अनुिार 11.6 करोड् िोग बेरोजगार है् या सकिी न सकिी र्प मे् काम की तिाश मे् है्. इनमे् िाक््रो् की िंख्या तीन गुनी और सनरक््रो् की िंख्या एक सतहाई है. ऊपर के आंकड्ेएक बार सिर ब््ाजीि के पूव्ा राष््पसत िूिा के उि बयान को दोहराने का मौका देते है्सजिके तहत अथ्वा य् वस्था की हाित अच्छी हो रही है िेसकन n जनता की बदहािी बनी हुई है. - अकु त््िपाठी शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 11
आवरणमास्कथा/समाज ट हेड
भाजपा की जीर से उत्सािहर बहुसंख्यकवािी संगठन हमारी समादजक जमीन को रहस-नहस करने पर आमािा दिखी् और उसके दिए गाय को एक हदथयार की ररह इस््ेमाि दकया गया. ब््ियदश्शि
ि
न्ा 2015 एक तपते हुए िाि की तरह गुज्रा है. 2014 मे् नरे्द् मोदी की िहर और बीजेपी की जीत िे उत्िासहत बहुिंख्यकवादी िंस्थाएं और शाखाएं 2015 मे् अपने उद्त् सवस््ार के सिए जैिे पूरी िामासजक ज्मीन को नये सिरे िे तहि-नहि करने पर तुिी सदखी्. इिके सिए उन्हे्िबिे आिान और मुिीद तरीका गोरक््ा का नारा सदखा और गोरक््ा के नाम पर उन्हो्ने गोशािाएं खोिने का और बूढ्ी गायो् के िािन-पािन का अपेक्ाकृत मुबश् कि मगर उसचत रास््ा अब्त् तयार करने की जगह गोवध करने और गोमांि रखने के िंदेह भर मे्िोगो्के िाथ मारपीट शुर्कर दी. देश भर मे् ऐिे कई छोटे-अनजान िंगठन खड्े हो गये सजन्हे् सकिी भी ि््क पर गाय-बैि देखकर उन्हे् रोकने और उि पर बैठे िोगो् को उतार कर पीटने का जैिे िाइिे्ि समिा हुआ था. इन िबकी इंतहा दादरी के सबिाहड्ा गांव मे्सदखी, जब अख़्िाक नाम के एक बुज्ुग्ा को भीड् ने घर िे सनकाि कर बि इिसिए मार सदया सक उिके स््फज मे्कुछ कच््ा मांि पड्ा था. सजिे इन िोगो्ने गोमांि मान सिया था. दरअिि दादरी वह मोड् है सजिने बहुिंख्यको् की उग््ता और अल्पिंख्यको् की अिहायता के ख़्तरो्को नये सिरे िे उभारा है. यह अपनी प््कृसत मे् सहंदू-मुब्सिम दंगो् की पसरपाटी या राम मंसदर आंदोिन के दौरान की जाने वािी उकिावे की कार्ावाइयो् िे इि मायने मे् सभन्न था. पहिी बार एक शत््ि को एक भीड् ने इि बात की िज्ा दी सक वह क्या खाने की इच्छा रख िकता है. दहशत पैदा करने वािी बात यह भी थी सक इि घटना के अगिे सदन गांववािो् मे् इिको िेकर कोई पछतावा नही्था. जैिे एक वैचासरक प््सशक््ण उन्हे्पहिे िे सदया गया हो. मुििमान गोमांि खाने की कोसशश करते सदखे् तो उनिे कैिे सनबटना है. दादरी को िेकर बहुिंख्यक राजनीसत की प्स्तस््कया इतनी ठंडी, उदािीन और औपचासरक रही सक सकिी को यह िंदेह नही् रह गया सक इि घटना ने उिे ज्रा भी सवचसित नही् सकया 12 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
आबमर खान: बतल का ताड्
जो समाज हम
है. िरकार के अिग-अिग मंस्तयो्ने इिे एक अकेिी घटना मानने पर जोर सदया और इिके िामासजक नतीजो् को देखने िे इंकार सकया. उल्टे सबहार के चुनावो्मे्गोमांि को राजनीसतक मुद्े मे् बदिने की कोसशश की गयी, सजिका सपटना एक बड्ी िामासजक राहत भी रही. सबहार चुनावो्के बाद भारतीय िहनशीिता की परंपरा पर ज्ोर देते हुए और उिे बनाये रखने का वादा करते हुए प््धानमंत्ी ने कई बहुत अच्छे भाषण सदये, मगर उनमे् भी िारा ज्ोर यही बताने पर रहा सक दादरी को एक अिग घटना की तरह ही देखा जाये. सकिी िामासजक पसरघटना की तरह नही्. िेसकन आने वािे दौर मे्घटनाएं और भी घटती रही्. गायो् और गोमांि की तस्करी के आरोप मे् और भी िोग सपटते रहे. सहमाचि प््देश मे् भी ऐिी सपटाई िे एक शत््ि की मौत हो गयी. िेसकन गोवध इकिौता मुद्ा नही्है. सजि पर िमाज मे्एक तरह का ख़्ौफ़्पैदा करने की कोसशश की गयी. अंधसवश््ाि के सवरोध, पारंपसरक और गैरज्र्री कम्ाकांड की सखल्िी, और पुरानी मान्यताओ्का तास्कक क सवश्िषे ण भी
अपराध बन गये है्. सजनके सिए सकिी को दंसडत सकया जा िकता है. महाराष्् मे् गोसवंद पानिरे और कन्ााटक मे् एमएम किबुग्ी की हत्या इिी दंड की िज्ा थी. जो उिके पहिे नरे्द् दाभोिकर को दी जा चुकी थी. इन तीनो् हत्याओ्के पीछे अब पुसिि को एक ही तरह के हसथयार समि रहे है्. िेसकन यह राज् बहुत पहिे खुि चुका था सक इनके पीछे एक ही तरह का सवचार िस््कय है. एक तरि ये हत्याएं होती रही्, दूिरी तरफ़् दादरी जैिे प््िंग घटते रहे और तीिरी तरि िगातार उन िंस्थाओ्का अवमूल्यन जारी रहा जो सववेक, िंवेदना, िासहत्य, िंस्कृसत और इसतहाि िे जुड्ी थी्. सवश््सवद््ाियो् और आइआइटी-आइआइएम जैिे िंस्थानो् की स्वायत््ता मे् घुिपैठ की जाती रही. तमाम िंस्थाओ् मे् अयोग्य िोग िाकर सबठाये जाते रहे. पुणे सिल्म इंस्टीट््ूट के छात््ो् ने अपने अध्यक्् गजे्द् चौहान की सनयुब्कत के स्ख़िाफ़् िंबा आंदोिन चिाया. इन िब हािात ने जो बेचैनी पैदा की, वह अचानक एक स्वतःस्िूत्ा आंदोिन की शक्ि िे बैठी. िेखको् और
जा रही है्. यहां आकर शाहर्ख ख़्ान और आसमर खान तक बि मुििमान किाकार रह जा रहे है्. क्यो्सक उन्हो्ने देश मे् बढ्ती अिहनशीिता पर सचंता जताने की जुर्ात की. अब कुछ छुटभैये िंगठन उनकी सिल्मो् के बसहष्कार की बात कर रहे है्. यहां गुिाम अिी बि पासकस््ानी गायक रह जा रहे है्और िाइन ऑि कंि्ोि का तीखापन देखते हुए िाइन ऑि कल्चर पर भी कांटेदार बाड् िगाने की तैयारी की जा रही है. यहां उन िेखको् और पत््कारो् को गंदी गासियां दी जा रही है्. जो
यह 2015 का सामाजिक भारत है- उस सामाजिकता की बजि चढ़ाने पर आमादा, जिसने सजदयो़ से इस देश का एक सांस़कृजतक नक़शा बनाया है.
कचरा खाती गाय: सड्क से बसयासत तक
बना रहे हैं बुस्दजीसवयो् ने ख़्ुद को समिे िम्मान िौटाने शुर्सकये. जल्द ही इि मुसहम मे्किाकार भी शासमि हो गये और वैज्ासनक भी, सजन्हे् पहिे िे ही नये सनजाम मे्वैज्ासनक दृस्ष का अभाव चुभ रहा था. िेखको् के इि सवरोध को िरकार ने िंवेदनशीिता के िाथ देखना ज्र्री नही् िमझा. उिने िीधे इन्हे् राष्् के िाथ िास्जश करार सदया, प््ायोसजत और बनावटी बताया. यहां िे िाि 2015 के िामासजक पसरदृश्य का एक और स्याह पन्ना खुिता है. जब हम पाते है् सक अिहमसत की आवाज्ो्को िरकार देशद््ोह बता रही है. उिके वैचासरक िमथ्ान िे िैि िंगठन उि हर शत््ि को सनबटाने मे् िगे है्. जो घुटन और अिसहष्णुता के इि माहौि पर कुछ भी कहने की कोसशश कर रहा है या सिर राष््वाद को राि न आने वािी वैचासरक गसतसवसध मे्शरीक है. मुंबई मे्सशविेना बीजेपी के ही नेता िुधी्द्कुिकण््ी के चेहरे पर इिसिए कासिख पोतती है. क्यो्सक उन्हो्ने पासकस््ान के सवदेश मंत्ी रहे किूरी की सकताब का काय्ाक्म भारत मे् आयोसजत करने का अपराध सकया.
डराने वािी बात यह है सक अपने इि कृत्य को सशविेना ‘िोकतांस्तक’ और सबल्कुि ‘असहंिक’ बताती है. क्यो्सक इिमे् सकिी के िाथ मारपीट नही्की गयी. कासिख पोतने का ऐिा ही नज्ारा कुछ सदन बाद सदल्िी मे् प््ेि क्िब के िामने सदखता है. जब कश्मीर के एक सवधायक को गोमांि पाट््ी करने के अपराध मे् इि तरह की िज्ा दी जाती है. यहां भी मामिा सबल्कि ु ‘असहंिक’ है. इत्ि ् ाक िे असहंिा और िहनिीिता का यही तक्क सदल्िी िे 50 सकिोमीटर दूर अटािी नाम के गांव के उन िोगो् ने भी सदया. जो बार-बार बताते रहे सक वहां हुई सहंिा मे् न सकिी की जान गयी, न सकिी के िाथ बिात्कार हुआ, बि घर िूट सिये गये और कुछ मे्आग िगा दी गयी. तो िाि 2015 मे् हम िहनशीिता और असहंिा का यह नया भाष्य तैयार कर रहे है्. कहने की ज्रर् त नही्सक इि भाष्य मे्िेखको्, िंस्कृसतकम््ी, िंगीतकारो् और किाकारो् के सिए कोई जगह नही्है. बि िोगो्की धास्माक पहचान और उनकी िामासजक हैसियत है. सजिके आधार पर िजाएं और जजाएं तय की
िरकार के सवकाि के एजे्डे के िाथ नही् है्. िामासजक िमरिता की बात करते है्. इिके सिए ब्ववटर और िेिबुक पर बाक्ायदा एक िेना तैयार है. जो िेखकीय, बौस््दक या सकिी भी सकस्म के प््सतरोध के िंदेह पर ही सकिी पर टूट पड् िकती है. बब्लक टूट पड्ती है. यहां आरक््ण न हटाने का वादा करते हुए भी मीठे स्वर मे्आरक््ण को उपयोगी बनाने पर सवचार करने की अपीि की जा रही है. अंबेडकर और िंसवधान की किम खाने के बाद भी धम्सा नरपेकत् ा के वजूद पर िवाि खड्ेसकये जा रहे है्. यहां जन-गण-मन के दौरान न उठने वािे पसरवार के िाथ ऐिी बदििूकी हो रही है सक वह सिनेमाघर छोड्कर सनकि जाने मे् ही भिाई देख रहा है. यहां जयपुर के किािमारोह मे् गाय की दुद्ाशा सदखाने के मक्िद िे बनायी गयी किाकृसत को तहि-नहि सकया जा रहा है. क्यो्सक उिमे्कुछ िोगो्को गाय का अपमान सदख रहा है. तो यह 2015 का िामासजक भारत हैसवकाि के एक अमूत्ा एजंडे के नाम उि िामासजकता की बसि चढ्ाने पर आमादा, सजिने िसदयो् िे इि देश का एक िांस्कृसतक नक्शा बनाया है. सजिमे् ढेर िारे रंगो् की गुंजाइश है. इि सपछडे हुए देश को तरक््ी अचानक बहुत प्यारी हो गयी है, न्याय, नवाचार या असभनवता के सिये उिके पाि अवकाश नही्है. िेखक और बुस्दजीवी सकनारे रहे्, यह देश बि सवकाि करेगा. िेसकन यह वह 2015 है जो ित््ा और उििे जुड्ी राजनीसतक-िांस्कृसतक ताकते् बना रही है्. एक बहुत बड्े भारत का कैिे्डर अब तक इि दुरसभिंसध िे मुक्त है. िेसकन अपनी कातर आवाज् मे् ही इिका n प््सतरोध कर रहा है. शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 13
आवरणमास्कथा/प् ट हेड ्तिरोध
राजनीदि के आगे चली मशाल
संजय कुंदि
ब
हुत सदनो् बाद ऐिा हुआ, जब िेखको् ने िीधे तौर पर के्द्ीय ित््ा को चुनौती दी. िरकार इि कदर आतंसकत हुई सक उिने अपने प््वक्ताओ् की पूरी िौज ही रचनाकारो् को गित ठहराने के सिए िगा दी. यही नही्उिने िेखको् मे् िूट डािने और चंद दरबारी िासहत्यकारो्-किाकारो् की एक जमात खड्ी करने की भी कोसशश की, जो िरकार के गीत गाये्. अरिे बाद ित््ा िेखको् िे डरी-िहमी सदखी. इि बात का प््माण यह है सक िरकार िमथ्ाक यह कहने िगे है् सक िासहत्य की औकात ही क्या है. इिे पढ्ता ही कौन है. इि प्च ् ार मे्िरकार के भोपू न्यज ू चैनि भी शासमि है्. याद नही् पड्ता सक कभी सकिी िरकार ने 14 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
यह बहुर समय बाि हुआ है दक िेखको् और बुद्िजीिवयो् ने मौजूिा सत््ा के दवरोध मे् अपने सम्मान िौटाये और प््ेमचंि की उक्तर को चदरराथ्ष दकया दक सादहत्य राजनीदर के आगे चिने वािी मशाि है.
साबहत्य अकादेमी भवन मे् लेखको् का प््दश्िन: असबहष्णुता और बहंसा के बखलाफ इि तरह िासहत्यकारो्के सखिाि दुष्प्चार का हो गया. कही्छोटे तो बड्ेदंगे हुए. बुस्दवासदयो् असभयान चिाया हो. जासहर है, िरकार ने खुद को पहिे िे ही प््तास्डत सकया जा रहा था. अब िासहत्य की ताकत को स्थासपत कर सदया. यह उन पर हमिे तेज हो गये. देश मे्एक तनाव का िाि 2015 की एक अहम घटना तो है ही, सहंदी माहौि बना, सजि पर िेखको्-बुस्दजीसवयो् ने भाषा और िासहत्य का भी एक प््मुख और िख्त प्स्तस््कया व्यक्त की. खािकर इन िब पर सनण्ाायक मोड् है. इि वष्ा यह अवधारणा प््धानमंत्ी और बीजेपी के शीष्ानेतृत्व की चुप्पी जमीन पर उतरती हुई सदखाई दी सक िासहत्य पर िवाि उठाया. जनता को आगाह सकया सक िबिे बड्ा सवपक््है. धम्ासनपेक्ता की अपनी महान सवराित पर दरअिि, मोदी िरकार के ित््ा िंभािते खतरा पैदा हो रहा है. इि मामिे मे् ज्यादातर ही उग््सहंदुत्ववासदयो्को िगा सक उनका िमय िस््कयता िोशि मीसडया पर रही. प््गसतशीिआ गया है. बीजेपी के कुछ िांिद, छुटभैये नेता, जनवादी िेखको्और छात््िंगठनो्ने इि मंच िंघ और उिके आनुषंसगक िंगठनो् िे जुड्े पर दस््कणपंथी प््चारको् िे िोहा सिया, जो अनेक िोगो्ने अपने दस््कणपंथी एजंडे के तहत िोकिभा चुनाव मे् बीजेपी की जीत के बाद मुखर होकर काम करना शुर्कर सदया. उनके बेहद आक््ामक हो गये थे. कन्नड् िेखक प््ो िांप्दासयक, अल्पिंख्यक सवरोधी बयानो् िे एमएम किबुग्ी की हत्या के बाद िेखको् का देश के अनेक भागो्मे्दंगो्का सििसििा शुर् सवरोध और तेज हुआ. िेसकन उत््र प््देश के
दादरी मे्िांपद् ासयक तत्वो्के अखिाक अहमद को पीट-पीटकर मार सदये जाने की घटना के बाद िगा सक अब पानी सिर िे ऊपर जा रहा है. अब िेखको्को िगा सक िेिबुक पर सवरोध िे आगे बढ्ना होगा. अनेक भारतीय भाषाओ् के िेखको् के िाथ सहंदी के भी कई िेखको् ने अपना िासहत्य अकादमी पुरस्कार वापि िौटाया. पुरस्कार वापिी पर िासहत्य अकादमी की ओर िे जो तत्काि प््सतस््कया आई वह िेखको्को सचढ्ाने जैिी थी. एक स्वायत््िंसथ ्ा के र्प मे् वह िेखको् और िेखकीय मूल्यो् िाथ खड्ा होने के बजाय िरकारी पक््के िाथ खड्ी नजर आयी. इििे रचनाकार बेहद आहत हुए. िासहत्य अकादमी के कई पदो्पर बैठे कुछ िासहत्यकारो् ने अपना पद छोड् सदया. सिर पुरस्कार िौटाने का सििसििा और तेज हो गया. िासहत्य अकादमी का सवरोध ही िरकार के सवरोध के र्प मे् पसरसणत हो गया. िेसकन सिर सवरोध का दायरा बढ्ता गया. जानी-मानी पंजाबी िेसखका दिीप कौर सटवाणा ने अपना पद््श्ी िम्मान िौटा सदया. िेखको् के असभयान की गूंज सवदेश तक मे् िुनाई पड्ी. सवख्यात िासहत्यकार ििमान र्श्दी ने अपने व्वीट मे् कहा, ‘मै् नयनतारा िहगि और कई अन्य िेखको् के सवरोध प््दश्ान का िमथ्ान करता हूं. भारत मे् असभव्यब्कत की आजादी के सिए यह खतरनाक िमय है.’ पुरस्कार िौटाने के प््तीकात्मक सवरोध के बाद िेखको् को िगा सक उन्हे् अब िड्क पर भी उतरना होगा. िासहत्यकारो्किाकारो्ने 23 अक्टूबर को सदल्िी के श््ीराम िे्टर िे िासहत्य अकादमी तक मौन जुिूि सनकाि अकादमी को एक ज््ापन िौ्पा. एक नवंबर को माविंकर हॉि मे् एक जबद्ास् प््सतरोध िभा आयोसजत की गयी. इिमे्देश भर के अग््णी बुस्दजीवी िैकडो् की िंख्या मे् थे. सहंदी के प्ग् सतशीि-जनवादी िेखक िंगठन जो एक-दूिरे िे िंवाद करना िगभग छोड् चुके थे. सिर िे एकजुट हुए. जनवादी िेखक िंघ, जन िंस्कृसत मंच, प््गसतशीि िेखक िंघ, दसित िेखक िंघ और िासहत्य-िंवाद ने समिकर असभयान को गसत और नेतृत्व सदया. अकादमी ने िेखको् के प््दश्ान और पुरस्कार वापिी को िेकर जो प््स्ाव पासरत सकया, उिे भी िेखको् ने खासरज कर सदया. दरअिि अकादमी िेखको् की मांगो् को िेकर जरा भी गंभीर नही् सदखी. वह अंत तक आंदोिनरत िेखको् को ही गित ठहराने पर िगी रही. िासहत्य अकादमी के प््स्ाव पर िेखक िंगठनो् ने तीखी प््सतस््कया व्यक्त करते हुए कहा सक 23 अक्टूबर 2015 को िासहत्य अकादमी के काय्ाकारी मंडि ने िेखको्किाकारो्के जबरदस््सवरोध के दवाब मे्जो
प््स्ाव पासरत सकया है, वह न सिफ़्कसचंताजनक र्प िे अपय्ााप्त, बब्लक ग़ितबयानी का एक सनि्ाज् नमूना भी है. जिेि, जिम, प््िेि, दिेि और िासहत्य-िंवाद पांच िेखकिंगठनो् के आह््ान पर िेखको्, पाठको् और िंस्कृसतकस्मायो् का जो बडा िमुदाय मौके पर मौन जुिूि की शक्ि मे्पहुंचा था, उिके िौ्पे गये ज््ापन मे् चार मांगे् रखी गयी थी्. उनमे् िे दो मांगो् को िाफ़ दरसकनार कर सदया गया. िेखक िंगठनो् ने िाि कहा सक अकादमी ने सजि तरह चािाकी िे इि मामिे को सनपटाने की कोसशश की है,उििे स्पष्् है सक वह आरएिएि-भाजपा के दबाव मे् अपनी स्वायत््ता को बचाने मे् नाकाम हो रही है. िरकार िमथ्ाक मीसडया ने यह िासबत करने की कोसशश की सक यह िड्ाई िेखक िमुदाय के भीतर की है. िेखक िासहत्य अकादमी िे सहिाब चुकता कर रहे है्. िेसकन यह दुष्प्चार सटक नही् पाया. आंदोिन का दायरा व्यापक होता चिा गया. पहिे िे ही एिटीआईआई के सनदेशक पद पर गजे्द् चौहान की सनयुब्कत का सवरोध कर रहे अनेक सिल्मकार भी इिमे् शासमि हो गये. एिटीआईआई मे् िरकार के अनुसचत हस््क्ेप और देश मे् बढ् रही अिसहष्णुता के मुद्े को िेकर अनेक शीष्ास्थ सिल्मकारो् ने अपने िम्मान-पुरस्कार िौटा सदये. इनमे् िईद समज्ाा और कुंदन शाह के अिावा वीरे्द् िैनी, िंजय काक, अजय रैना, तपन बोि, रंजन पासित,अनवर जमाि, श््ीप््काश, प््दीप कृष्ण, तर्ण भारतीय, असमताभ चक्व् त््ी जैिे िोग शासमि थे. प्ख् य् ात िेसखका अर्ंधसत राय ने भी सिल्म िे िंबंसधत डॉ. पीएम भाग्िव:वैज्ाबनक भी पीछे नही्
अपना एक पुरस्कार िौटा सदया. उन्हो्ने अपने एक िेख मे् कहा सक वह 1989 मे् िव्ाश्ेष् पटकथा के सिए समिे राष््ीय पुरस्कार को देश मे् मौजूद ‘वैचासरक कू्रता’ के सखिाि सवरोध जताने के सिए िौटा रही है्. इिके बाद वैज्ासनको् ने मोच्ाा खोि सदया. प््ख्यात वैज्ासनक पीएम भाग्ाव ने पद््भूषण िौटा सदया. उिके बाद इसतहािकारो्ने भी िरकार को कठघरे मे्खड्ा सकया. इसतहािकार शेखर पाठक ने भी पद््श्ी िम्मान िौटाया. इििे िरकार िमथ्ाको् के हाथ-पांव िूिने िगे. सिर यह प्च ् ासरत सकया गया सक यह सवपक््ी दिो्का प््ायोसजत आंदोिन है्, सजिका िक्य् सबहार के सवधानिभा चुनाव मे्बीजेपी को हराना है. यहां तक कहा गया सक पैिे िेकर पुरस्कार वापि सकये जा रहे है्. िेसकन िेखको् ने इिे िासबत करने की चुनौती दी तो आरोप िगाने वािो्की सिट््ी-सपट््ी गुम हो गयी. यह भी कहा गया सक यह असभयान उन एनजीओ की तरि िे प््ायोसजत है् सजन पर मोदी िरकार ने सशकंजा किा है. िेसकन जनता अिसियत िमझ रही थी. िेखको् का सवरोध उि िमय शुर् हुआ जब सवपक्् उिझन मे् था. मोदी िमथ्ाको् की जय-जयकार के शोर-शराबे मे् उिका स्वर धीमा पड् जा रहा था. वह कट््रपंथ की आिोचना तो कर रहा था, पर उिमे् धार नही् थी. िेसकन िेखको् ने दस््कणपंथी उभार के मििे को उठाकर अपोसजशन को िड्ने का एक हसथयार सदया. सबहार मे्बीजेपी की हार की कई वजहे्रही हो्गी, िेसकन िेखको्के सवरोध ने भी वहां कािी हद तक भाजपा सवरोधी माहौि तैयार सकया. िोगो् को अच्छी तरह िमझ मे् आया सक सवकाि की चकाचौ्ध के िाथ-िाथ गहरा अंधेरा भी चिा आ रहा है. िमाज को आगे िे जाने के नारे की आड् मे् िमाज को मध्यकाि मे् धकेिने की िसजश चि रही है. यह बात रचनाकार अपनी रचनाओ्मे्तो कहते ही आ रहे थे, िेसकन अपनी बात को आगे बढाने और जनता की िड्ाई िड्ने के सिए उन्हे् िड्क पर उतरना पड्ा. इि तरह उन्हो्ने महान कथाकार प््ेमंचद की इि उब्कत को मूत्ा र्प सदया सक िासहत्य राजनीसत के आगे चिने वािी मशाि है. बहरहाि िेखको् की आवाज मे् देश के प््बुद्वग्ाने अपनी आवाज समिायी. यहां तक सक राष््पसत महोदय ने भी अपने दायरे मे्रहते हुए िरकार का ध्यान उन्ही् िवािो् की ओर खी्चा है, सजन्हे् िेखक बार-बार उठा रहे है्. िवाि है सक क्या िेखको् की यह िस््कयता आगे भी जारी रहेगी क्यो्सक िंकट अभी टिा n नही्है. शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 15
आवरण कथा/मतहला-मु मास्ट हेड क्ति
आज्ादी की नयी चाहत इस साि कम से कम रीन मोच््ो् पर युवा छात््ाओ् के संघर्ष ने स््ी-अदधकारो् के प््दर एक नयी जागर्करा पैिा की है और आने वािे समय मे् उनके मुक्तर संघर््ो् के रेज होने के संकेर दिये है्. छाि्् संघ की अध्यक्् ऋचा बसंह: मोच््े पर फतह
पूजा बसंह
बा
त अगर मसहिाओ् की हो तो िाि कोई भी हो कोई खाि िक्कनही्पड्ता, शोषण और अपमान की वही कहानी हर िाि दोहरायी जाती है. िेसकन िाि 2015 कुछ अिग रहा. इि बार इि तरह के हर मौके पर मसहिाओ्ने सजि तरह की त्वसरत और तीव््प्स्तस््कया दी वह बहुत आश््स्करती है्. मामिा चाहे िबरीमािा मंसदर बोड्ा अध्यक्् के मध्ययुगीन बयान की प््सतस््कया मे् हैप्पी टु ल्िीड असभयान का हो या इिाहाबाद सवश््सवद््ािय मे् असखि भारतीय सवद््ाथ््ी पसरषद की गुंडई के जवाब का या सिर िाव्ाजसनक स्थानो् पर मसहिाओ् के असधकार को िेकर सकया गया 'सपंजरा तोड्ो' असभयान. हर बार मसहिाओ्ने न केवि पुरष् वादी वच्सा व् को चुनौती दी बब्लक िमाज और िाव्ाजसनक जीवन मे् अपनी जगह हासिि करने की अभूतपूव्ातत्परता भी सदखायी. सवगत 13 नवंबर को केरि के प््ख्यात 'िबरीमािा' मंसदर के बोड्ा के अध्यक्् प््यार गोपािकृष्णन ने यह कहकर हिचि मचा दी सक जब तक मसहिाओ्की 'पसवत्त् ा' जांचने की कोई मशीन नही् आती है तब तक मंसदर मे् उनका प््वेश वस्जात रहेगा. पसवत््ता िे उनका तात्पय्ामसहिाओ्के मासिक स््ाव िे मुकत् रहने िे था. गोपािकृष्णन की इि सिंगभेदी सटप्पणी िे सखन्न 20 िाि की छात््ा सनसकता आजाद ने एक ऑनिाइन मंच पर उनके सखिाि खुिा खत सिखा और उनके इि बयान के बहाने 16 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
मसहिाओ् के िाथ हो रहे भेदभाव का पुरजोर सवरोध सकया. उन्हो्ने मसहिाओ् का आह््ान सकया सक वे मासिक स््ाव िे जुड्ी िामासजक वज्ाना को तोड्कर बाहर सनकिे्. इि तरह 'हैप्पी टु ल्िीड' असभयान की शुर्आत हुयी. धीरे-धीरे िोशि मीसडया हैप्पी टु ल्िीड सिखे िेनेटरी नैपसकंि हाथ मे् थामे िड्सकयो् की तस्वीरो्िे पट गया. उधर, नवंबर के ही तीिरे िप्ताह मे् इिाहबाद सवश्स्वद््ािय मे्गोरखपुर के िांिद आसदत्यनाथ के बुिाने का सवरोध कर रहे छात्् छात््ाओ्पर असखि भारतीय सवद््ाथ््ी पसरषद के िदस्यो् ने हमिा सकया. छात््ाओ् को िेकर अश्िीि नारेबाजी की गयी और उनके िाथ छेड्छाड् और मारपीट भी की गयी. उनकी इन हरकतो्का छात््ाओ्ने छात्ि ् घं की नयी अध्यक्् ऋ चा सिंह के नेतृत्व मे् मुंहतोड् जवाब सदया. ऋचा सिंह इिाहाबाद सवश््सवद््ािय छात्् िंघ के 128 िाि के इसतहाि मे्अध्यक््पद पर चुनी जाने वािी पहिी मसहिा है्. हैप्पी टु ल्िीड असभयान की शुर्आत करने वािी सनसकता का कहना है सक यह स्वत:स्िूत्ा था और शुर्आत मे् उनको कतई महिूि नही् हुआ था सक देश मे् इतनी बड्ी िंख्या मे् स््ी पुर्ष इि असभयान के िाथ आये्गे. वह जोर देकर कहती है् सक हैप्पी टु ल्िीड का केवि िबरीमािा मंसदर की घटना िे कोई िंबंध नही् है बब्लक वह इि प््ाकृसतक घटना के प्स्त िमाज का रवैया िहज बनाना चाहती है्. अपने िाहिी िेखन और ग््ामीण स््ी की मजबूत छसव पेश करने वािी िेसखका मैत्ेयी पुष्पा कहती है् सक
स््सयो्के प््सत भारतीय िमाज का रवैया हमेशा िे दोयम रहा है. वह कहती है् सक यह िदी स््सयो्की आजादी के सिए जानी जायेगी. मैतय्े ी कहती है्, 'रिोई गैि, रिोई के उपकरणो्, गभ्ासनरोधक उपायो्और मोबाइि िोन ने िही मायने मे देश की स््ी को आजाद बनाया है, गुिामी तोड्ी है और उिे भय िे उबारा है.' िेसकन हैप्पी टु ल्िीड असभयान केवि िोशि मीसडया की िनिनी नही् है. सनसकता और उनके िासथयो्का उद््ेश्य इि असभयान के बहाने जर्रतमंद मसहिाओ् को माहवारी के सदनो् मे् िस््े िैनेटरी नैपसकन आसद उपिल्ध कराने का भी है. उल्िेखनीय है सक देश की करीब 70 िीिदी मसहिाएं िैसनटरी नैपसकन इस््ेमाि नही्करती है्. इि बीच िरकार और कुछ स्वयंिेवी िंगठनो् की कोसशशो् िे शहरो् मे्इि िमस्या को दूर करने का प्य् ाि सकया जा रहा है. मसहिा असधकारो् के सिए काम करने वािी जानीमानी एब्कटसवस्ट और िेसखका नूर जहीर कहती है,् ' पूरा भारतीय िमाज औरत की तरि िे एक बंद िमाज है. एक बराबरी के िमाज की बुसनयाद यही्िे रखी जायेगी. देश मे् मसहिाओ्के अिग जनांदोिन की जर्रत है. हैप्पी टु ल्िीड तो एक प््तीक है. और यह मजबूत प््तीक है िेसकन जब तक मसहिाएं अपने असधकार के सिए नही्खड्ी हो्गी तब तक उनकी मदद कोई और नही् करेगा. इिका नेतृत्व शहरी मसहिाएं करे् या ग््ामीण िेसकन इिमे् देश के िमूचे मसहिा वग्ा को शासमि होना होगा.' स््बटेन मे्रहकर उच््सशक््ा हासिि कर रही
बनबकता आजाद: ‘हैप्पी टु ब्लीड’ अबभयान
हैदराबाद सनवािी रम्या श््ी कहती है्, 'दस््कण भारत के कई इिाको्मासिक स््ाव को अनुष्ान की तरह मनाया जाता है. िड्की के पहिे मासिक स््ाव पर िमाज के िोगो् को बुिाकर खाना पीना होता है. िेसकन सिर भी इिे अपसवत््ता िे जोड्सदया गया है. ऐिा भी नही्है सक यह केवि उत््र भारत तक िीसमत है बब्लक इि मामिे मे्उत््र और दस््कण भारत की िोच मे्कोई िक्कनही्है.' उधर इिाहाबाद सवश््सवद््ािय मे् छात्् िंघ अध्यक््ऋ चा सिंह और उनके िाथी योगी आसदत्यनाथ के सखिाि शांसतपूणा्भूख हड्ताि पर बैठे थे. तब अभासवप के िोगो् ने न केवि उनके िाथ गािी-गिौच की बब्लक उनके िाथ मारपीट भी की. ऋ चा कहती है् सक 19 नवंबर की शाम हमने गांधी जी की प््सतमा के िाथ शांसतपूण्ाभूख हड्ताि शुर्की. तभी अभासवप के िदस्य जुटने शुर्हुए. उन्हो्ने जय श््ीराम, वंदे मातरम के नारो्के िाथ िड्सकयो्को भद््ी भद््ी गासियां देनी शुर्कर दी्. आधी रात होते होते िड्सकयो् के िाथ मारपीट शुर् कर दी गयी. उन्हो्ने इतनी भद््ी गासियां दी् सजनको मै् बोि तक नही् िकती. ऋचा कहती है् सक यह दरअिि िड्सकयो् को िबक सिखाने की कोसशश थी सक तुम राजनीसत मे् प््वेश करोगी तो हम तुम्हारे िाथ यह करेग् े. ऋचा और उनके िासथयो् ने इिकी सशकायत राष््ीय मसहिा आयोग िे की है. मसहिा आयोग को सिखे एक खत मे् उन्हो्ने तमाम अन्य बातो्के िाथ यह भी सिखा है, 'हम राष््ीय मसहिा आयोग का ध्यान इि बात की
ओर आकृष् करना चाहते है् सक इिाहाबाद सवश््सवद््ािय मे् पसरब्सथसतयां िकसड्य़ो् और मसहिाओ्के सिए एकदम अिुरस््कत हो गयी है.् इि सदशा मे् जल्द िे जल्द िुरक््ात्मक उपाय अपनाये जाये्. चूंसक 22 नवंबर की घटना के आरोपी राजनीसतक प््भाव वािे है् और उनको ित््ाधारी दि का िंरक््ण हासिि है. इिसिए हमे्भय है सक शायद ही न्याय हासिि हो.' इििे पहिे अक्टूबर महीने मे् सदल्िी सवश््सवद््ािय की छात््ाओ् ने िाव्ाजसनक स्थानो्पर स््सयो्के िमान असधकार को िेकर सपंजरा तोड्असभयान की शुर्आत की थी. यहां सपंजरे िे तात्पय्ाथा िमाज के उन प्स्तबंधात्मक सनयमो्िे जो मसहिाओ्की िुरक््ा के नाम पर उन पर थोप सदये गये है्. दरअिि सदल्िी सवश््सवद््ािय के कुछ िख्त मसहिा हॉस्टि चाहते है्सक िड्सकयां शाम िाढ्ेछह बजे तक हॉस्टि मे् वापि आ जाये्. कागजो् पर सनयम िड्को् के सिए भी है् िेसकन उन्हे् शायद ही िागू सकया जाता हो. वही् िड्सकयो् के सिए बार-बार सनयम तोड्ने का अथ्ा है हॉस्टि िे सनकािा. िड्सकयो् को अगर रात अपने स्थानीय िंरक््क के घर सबतानी है. तो वे महीने मे् एक बार ऐिा कर िकती है्. िेसकन इिके सिए उनको अपने हॉस्टि प््बंधन को मातासपता का पत्् िौ्पना पड्ता है. जो िैक्ि िे मंगाया जाता है. आज राजधानी मे् उच्् सशक््ा हासिि करने वािो्मे्िड्सकयो्का िीिद 45 िे असधक है. यानी यह रोक िीधे आधी आबादी पर िगायी जा रही है. राष््ीय अपराध सरकॉड्ा ल्यूरो के आंकड्ो् के मुतासबक िाि 2014 मे्
बपंजरा तोड्ो: बुबनयादी अबिकार
देश मे्मसहिाओ्के सखिाि कुि 3,37,922 अपराध हुए. सजनमे्िे तकरीबन डेढ्िाख यौन अपराध थे. एक अनुमान के मुतासबक देश मे्हर 34 समनट मे्बिात्कार की एक घटना होती है. जबसक हर 42वे् समनट पर यौन प््ताडऩा की एक वारदात को अंजाम सदया जाता है. देश की शहरी श््म शब्कत मे् मसहिाओ् की सहस्िेदारी गांवो् की तुिना मे् आधी है. यहां सशक््ा का रोजगार िे ताल्िुक नदारद सदखता है. िाि 2012 मे्सदिंबर महीने मे्सदल्िी की िड्को् पर एक चिती बि मे् हुई िामूसहक बिात्कार की घटना ने इि भयादोहन को बि सदया है. सदल्िी सवश््सवद््ािय के असधकारी खुिकर कहते है् सक ये सनयम िड्सकयो् की िुरक््ा को िेकर बनाये गये है्. सदल्िी सवश््सवद््ािय के समरांडा हाउि की र्सचरा कहती है्, 'ये क्या बात हुई सक अपनी िुरक््ा के सिए हम बाहर सनकिना छोड् दे्. कि को वे कहे्गे सक बि मे् मत चिो, सपक्चर मत देखो. बाजार मत जाओ क्यो्सक अपराधी तो हर जगह है.् कही्ऐिा न हो सक वे हमे्बक्िे मे्बंद होकर बाहर सनकिने को कहे्.' सपंजरा तोड् आंदोिन की िह िंस्थापक और सदल्िी सवश््सवद््ािय की शोधकत्ाा देवांगना कसिता का मानना है सक ऐिे सनयमो् का िंबंध िुरक््ा िे कम और मसहिाओ् की मॉरि पुसिसिंग करना ज्यादा है. वह कहती है्, 'सवश््सवद््ािय सशक््ण िंस्थान है्. उनको मसहिाओ्की 'पसवत्त् ा' की रक््ा का सजम्मा नही् उठाना चासहए.' दरअिि ऐिा करके वे मसहिाओ्के पैरो्मे्बेसडय़ा डाि रहे है्. n शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 17
आवरणमास् कथा/िकनीक ट हेड िाले्दु शम्ाश दाधीच
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ि 2015 के दूिरे उत््राथ्ा मे् सवंडोज् 10 िांच सकया गया. माइक््ोिॉफ्ट ने इििे बहुत उम्मीदे् िगा रखी थी्, न सिि्क ऑपरेसटंग सिस्टम के बाजार मे् अपना दबदबा बनाये रखने के सिए बब्लक टैबिेट और स्माट्ि ा ोन बाजार मे्भी पैठ बनाने के सिये खबर है सक सवंडोज् 8 के उिट, सवंडोज् 10 के र्प मे्माइक््ोिॉफ्ट का दांव िही पड्ा है. कंपनी का दावा है सक करीब 11 करोड् उपभोक्ता इ िे इस््ेमाि कर रहे है्. सवंडोज् 10 को तकनीकी दुसनया मे् 'इि पार या उि पार' वािा उत्पाद माना गया था. माइक््ोिॉफ्ट ने इिमे्सवंडोज्7 और सवंडोज् 8 के अच्छे िीचि्ा को िमासहत करने की कोसशश की है. माइक््ोिॉफ्ट चाहता है सक सवंडोज् 10 की मदद िे एक ऐिा तकनीकी वातावरण तैयार हो सजिके तहत कंपय् टू रो्, टैबिेटो्, स्माट्ि ा ोनो्आसद पर एक िा
बवंडोज 10: एक कदम और
आभासों की नयी छलांग
वर्ष 2015 मे् इंटरनेट और मोबाइि की िुदनया उपिदि्ध्ायो् से भरपूर रही, हािांदक दवशेरज््ो् ने यह दचंरा भी जरायी दक मोबाइि का अत्यदधक इस््ेमाि हमारी स्मृदर को बहुर नुकसान पहुंचा रहा है. पसरवेश िुसनस््ित सकया जाये. यह ऑपरेसटंग सिस्टम कंपय् टू रो्िसहत कई तरह के गैजवे ि ् पर करीब िमान ढंग िे काम करने मे्िक््म है. माइक््ोिॉफ्ट ऑसिि का नया िंस्करण हर तीन िाि बाद जारी होता है. 2007, 2010 और 2013 के बाद इि िाि ऑसिि 2016 िांच सकया गया. वह वड्ा दस््ावेजो्, एक्िेि स्प्ेडशीटो् और पावरप्वाइंट प््ेजे्टेशन िे आगे सनकि गया. माइक््ोिॉफ्ट ऑसिि 2016 के भीतर िंचार िे िेकर टीम आधासरत कामकाज और क्िाउड कनेब्कटसवटी िे िेकर सरयिटाइम इंटरनेट टूल्ि तक की िुसवधाये् मौजूद है्. यह सवंडोज 10 की क््मताओ् और सवशेषताओ्का बेहतर इस््ेमाि करने मे्िक््म है. एक ही दस््ावेज पर अिग-अिग िोग िाथ काम कर िके्यह िुसवधा अब बहुत िुगम बना दी गयी है. ऑसिि के पुराने िंस्करणो् मे् ब्किपी नामक एक टूि हुआ करता था. जो बाद के िंस्करणो् मे् हटा सदया गया था. वह 'टेि मी' नामक उपयोगी िीचर के र्प मे्िौट आया है. जब भी ऑसिि पर काम करते हुए कोई सदक्त् महिूि हो, आप िामान्य भाषा मे्उििे िवाि पूछ िकते है्, जैिे- मै्इि तासिका मे्रंग कैिे 18 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
भरं्? स्माट्ािुकअप एक उपयोगी टूि है, जो व्याकरण और सडक्शनरी िे िंबंसधत कई उपयोगी िुसवधाएं पेश करता है. जब आप सकिी शल्द या वाक्य को िेिेक्ट करते है् तो दायी् तरि िाइडबार मे् उिके अथ्ा के िाथ-िाथ सवसभन्न स््ोतो् िे बहुत िी जानकासरयां भी सदखती है्, सजनमे्सवकीपीसडया भी शासमि है. सजि अंदाज मे् िेिबुक के मोबाइि िंस्करण पर हम सहंदुस्ासनयो् की िंख्या बढ् रही है. उिे देखते हुए िाि 2017 तक िेिबुक पर िबिे ज्यादा मोबाइि यूज्र भारत के ही हो्ग.े इि िाि के अंत तक िेिबुक के मोबाइि यूज्ि्ामे्अमेसरका के 12.31 करोड्िोग हो्गे. जबसक भारत के 10.15 करोड्. िेसकन दो िाि बाद ब्सथसत पिट जायेगी और भारत के 15.59 करोड् मोबाइि िेिबुक यूज्र अमेसरसकयो् (13.88 करोड्) को पीछे छोड्दे्गे. कुछ महीने पहिे गूगि ने 'इंसडया गेट ऑनिाइन' नामक पसरयोजना चिायी थी सजिका मकिद छोटे कारोबासरयो् को िस््ी कीमत पर अपनी वेबिाइट तैयार करने के सिए प्स्ेरत करना था. मुझे नही्िगता सक वह योजना बहुत ििि हुई हो. बहरहाि, अब माइक््ोिॉफ्ट भी करीब उिी सकस्म की योजना
िेकर आया है. इि काम मे्उिकी िाझेदार है दुसनया की िबिे बड्ी डोमेन रसजस्ि्ेशन कंपनी गोडैडी. इि भागीदारी के तहत 99 र्पये प््सतमाह के शुल्क पर उपभोक्ताओ् को डोमेन नाम समिेगा, वेबिाइट बनाने मे्मदद समिेगी. दूिरी तकनीकी कंपसनयो् की तरह िुपर कंप्यूटर बनाने और बेचने वािी कंपसनयां भी भारत की तरि उम्मीद िे देख रही है्. कनाडा की कंपनी ओब्लिसडयन स्ि्ेटेसजक्ि जल्दी ही देश मे्िुपर कंप्यूटर बेचना शुर्करेगी. अपना कारोबार बढ्ाने के सिए भारत, चीन और ऑस्िस्ेिया पर उिकी खाि नजर है. हमारे सिए अच्छी खबर यह है सक आधुसनकतम और बेहद शब्कतशािी तकनीक हमारी पहुच ं मे्आने वािी है और दूिरी बात यह कंपनी अपना कािी सवसनम्ााण भारत मे् ही करेगी, यानी 'मेक इन इंसडया' की भी बल्िे-बल्िे. फ्िैश ड््ाइव मे् मौजूद डेटा की िुरक््ा िबके सिए सचंता का िबब है. िेसकन अब तक कोई ऐिी फ्िैश ड््ाइव मौजूद नही् थी सजिे हाड्ावेयर के स््र पर िुरस््कत रखा जा िके. यानी इिमे्हाड्ावेयर िॉक मौजूद हो और उिे खोिे जाने पर ही आप अपनी पेन ड््ाइव के डेटा को एक्िेि कर िके्. िेसकन अब तोसशबा ने
दुसनया भर के सचंसतत फ्िैश ड््ाइव यूजि्ा की िसरयाद िुन िी है. इि पर कीबोड्ा नंबर पैड मौजूद है, सजिकी मदद िे आप अपना सनजी सपन या पािवड्ा तैयार कर िकते है्. इि सपन के डािे सबना कोई आपकी फ्िैश ड््ाइव के भीतर की एनस््कप्टेड िामग््ी को देख या इस््ेमाि नही्कर िकता. एनस््कप्शन भी बहुत िॉसिड है- 256 सबट एनस््कप्शन तकनीक पर आधासरत है. यह तो िब मानते है् सक दुसनया डेस्कटॉप कंप्यूटरो् िे है्डहैल्ड सडवाइिेज यानी टैबिेट और स्माट्ािोनो् की तरि बढ् रही है. िेसकन क्या हम उि ब्सथसत मे्आ गये है,् जब हम अपने दफ्तर के कामकाज भी स्माट्ािोन की छोटी स्क्ीन पर करने िगे्? वड्ाप््ोिेिर की िाइिे् बनाना, एक्िेि जैिी िंबी-चौड्ी स्प्ैडशीव्ि तैयार करना और प््ेिे्टेशन बनाना और पेश करना? गूगि को तो यही िगता है और इिीसिए उिने एक 'एंड्ोइड िॉर वक्क' नामक िेवा िांच कर दी है. इिके तहत ऐिे कई एप्िीकेशंि मौजूद है्. भारत मे् इंटरनेट तक महज 20 िीिदी िोगो्की पहुंच है जबसक सिि्क14 िीिदी िोग स्माट्ािोन रखते है्. ‘प्यू सरिच्ािे्टर’ ने दुसनया भर मे् दूरिंचार के ि््ेड्ि के बारे मे् अध्ययन सकया गया है. यह कहता है सक भारत मे्इंटरनेट इस््ेमाि करने वािो्मे्िे65 िीिदी ने बताया सक वे िेिबुक और ब्ववटर जैिी िोशि नेटवस्कि्ग वेबिाइटो् का उपयोग करते है्. जबसक 55 िीिदी नौकसरयां खोजने के सिए इंटरनेट का उपयोग करते है.् िव्क ्े ण ् मे्शासमि सकये गये 32 देशो्मे्औितन 44 िीिद िोग गाहे-बगाहे इंटरनेट का इस््ेमाि करते है्.
मोबाइल की लत: स्मृित के बखलाफ अगिे एक िाि मे् मोबाइि िोन पर सवज््ापनो् का बाजार िौ अरब डॉिर तक पहुंचने वािा है. िुनने मे् बहुत बड्ा आंकड्ा नही् प््तीत होता न? िेसकन अगर सहंदुस्ानी र्पयो्मे्छह िाख करोड्कहा जाये तो शायद बड्ी बात महिूि होगी. ईमाक््ेटर की एक रपट कहती है सक सवज््ापनदाता 101.37 अरब डॉिर के सवज््ापन मोबाइि िोनो्और टेबिेटो्के सिए िुरस््कत करने जा रहे है्. बड्ी बात यह है सक िमूचे सडसजटि सवज््ापन बाजार का 50 िीिदी िे ज्यादा सहस्िा अब मोबाइि के खाते मे्जाने वािा है. िोशि नेटवस्कि्ग वेबिाइट िेिबुक पर खबरो्के प््काशन की बात अब अिसियत बन गयी है. िेिबुक ने शुर्आत मे् नौ अखबारो् और ऑनिाइन िमाचार प््काशको् िे करार सकया है. सजिके तहत उनकी खबरे् और िेख िीधे िेिबुक पर प््कासशत सकये जाये्गे. अरबो् िोगो् ने िोशि मीसडया िाइट पर खबरो् को देखना शुर्कर सदया है. पारंपसरक मीसडया के सिए बड्ी चुनौती सिद्् हो िकती है. हािांसक सजन सगने-चुने प््काशको् को िेिबुक के िाथ मोबाइल कंप्यूटर: तकनीकी बवकास
करार का मौका समिेगा, उनकी चांदी होने वािी है. क्यो्सक वे कभी िपने मे्भी अपनी खबरो्के इतने िोगो् तक पहुंचने की उम्मीद नही् िगा िकते थे. ऊपर िे िेिबुक का इनोवेसटव सवज््ापन मॉडि भी उन्हे्मािामाि कर िकता है. इि िुसवधा को इंस्टे्ट आस्टिकि का नाम सदया गया है. अंतसरक््, िुरक््ा, जिवायु, बायोटेक्नॉिॉजी आसद क््ेत्ो् मे् अनुिंधान के सिए िुपर कंप्यूटरो्की जर्रत पड्ती है. भारत के पाि अपने स्वदेशी िुपर कंप्यूटर है्िेसकन उनकी िंख्या और क््मता िीसमत है. अब भारत िरकार ने अगिे पांच िाि मे्देश मे्70 िुपर कंप्यूटरो्के सवकाि का िक््य बनाया है. खाि बात यह है सक सवकाि की इि प््स्कया मे् िरकारी िंस्थानो्के िाथ-िाथ सनजी िंस्थानो् को भी जोड्ा जायेगा. ये िुपर कंप्यूटर20 पीटाफ्िॉप िे 50 पीटाफ्िॉप क््मता के हो्गे. अमेसरकी िेखक सनकोिि कार्ा ने अपनी सकताब 'द शैिोज' मे् सिखा था सक इंटरनेट हमारे िोचने-िमझने, पढ्ने और याद रखने की क््मताओ् को प््भासवत कर रहा है. शायद आप इिे एक सकताबी सनष्कष्ामानकर अनदेखा कर दे्. िेसकन अब जानी-मानी िुरक््ा कंपनी कैस्परस्की िैब ने इि बात की तस्दीक की है सक गूगि और इंटरनेट ने हमारे मस््सष्को् को कुंद करना शुर्कर सदया है. उनका अत्यसधक इस्म्े ाि हमे्'सडसजटि एम्नसे जया' की तरफ़्िे जा रहा है. सजिकी वजह िे दुसनया के ज्यादातर वयस्को् के सिए एक िोन नंबर तक को याद रखना मुब्शकि हो रहा है. पहिे सजि काम के सिए मस््सष्क का प््योग सकया जाता था उिी काम के सिए अब इंटरनेट िच्ाऔर स्माट्ािोन की िुसवधाओ् का इस््ेमाि हो रहा है. एक अध्ययन मे्शासमि 57 िीिदी िोगो्को अपने दफ््तर का िोन नंबर भी याद नही्था. पि्ानि कंप्यूटरो्की सबक््ी मे्सगरावट का दौर जारी है. इि िाि की दूिरी सतमाही मे् कंप्यूटरो् की वैस्शक सबक््ी के आंकड्े िंकेत देते है् सक स्माट्ािोन और टैबिेट की बढ्ती िोकस््पयता पि्ानि कंप्यूटरो्को भारी पड्रही है. एक िाि पहिे की तुिना मे्दुसनया भर मे् पि्ानि कंप्यूटरो्की सबक््ी मे्11.8 िीिदी की सगरावट आयी है. आईडीिी के मुतासबक सबक््ी का आंकड्ा 6.61 करोड्रहा. क्या आप जानते है्सक दुसनया मे्मोबाइि गैजेव्ि की िंख्या सवश्् की जनिंख्या का आंकड्ा पार कर गयी है? जी हां, इि िाि सवश्् मे् मोबाइि गैजेव्ि की िंख्या पूरे 7.5अरब हो गयी है जबसक सवश््आबादी सिि्क 7.2 अरब ही है. अनुमान िगाया गया है सक िाि 2020 तक दुसनया मे् 9 अरब मोबाइि n गैजेव्ि हो जाये्गे. शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 19
आवरण मास् कथा/अं ट हेडिरराष््ीय
सीबरया के आईएस िठकानो् पर र्स का हमला: कहां होगा अंत
विश््युद् से पहले युद्ो् का विश्् ? िदीम अख्तर
इं
टरनेट पर सवश््युद्के तीिरे िंसक ् रण की खोज की सजज्ा्िा आधे िेकंड िे भी कम िमय मे्आपको तकरीबन 49 करोड्60 िाख पसरणामो् िे तृप्त करे्गे. कत्ि-ओ-ग़्ारत के ऐसतहासिक उत््रासधकार के िाथ िाि 2015 मे् सजि प््कार सवसभन्न देशो् मे् खून बहाने की परंपरा जारी है. उिने तेजी िे सवश्् युद् की पेशनगोई की चच्ाा को बि सदया है. टीवी, इंटरनेट या अखबार के माध्यम िे खबरो् की जानकारी रखने वािे ज्यादातर िोग इि बात की तिदीक करना चाहते है्सक क्या दुसनया मे् तीिरी बड्ी जंग यानी सवश्् युद् के तीिरे िंस्करण की शुर्आत हो चुकी है? चूंसक, कई बड्ी ताकते्एसशया और अफ््ीका के कई मुल्को् मे् युद्रत है्, इिसिए करोड्ो् िोगो् को यह अंदेशा है सक िड्ने वािो् के िमथ्ाक और सवरोधी िंभवतः दो खेमो्मे्बंट जाये्गे. सजििे 20 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
आने वािे िाि 2016 मे्सनस््ित र्प िे सवश्् युद् सछड् जायेगा. हािांसक, इि मान्यता के सवपरीत सवश्िेषको् का मत है सक आतंकी िंगठन हर हाि मे् अराजकता के पक््धर है्. सजिके चिते युद् की ब्सथसत को और मजबूत सकया जा रहा है. िेसकन, इिके सवश्् युद् मे् पसरणत होने मे्अभी वक्त िगेगा. िवाि यह उठता है सक आसखर वे कौन िी वजहे् है्, सजनके चिते दुसनया का एक बड्ा सहस्िा अिुरक््ा के भाव िे ग््स् हो गया है? जवाब जानने के सिए उन तथ्यो्पर गौर करना पड्ेगा, जो एक िाि के भीतर घटी घटनाओ्िे उभर कर िामने आये है्. दुसनया भर मे्आतंक का पय्ााय बन चुके अराजक िंगठन आईएिआईएि (इस्िासमक स्टेट इन इराक एंड िेवांत) के ििाये को िेकर चि रही जंग का इि िाि तब ज्यादा खौिनाक चेहरा देखने को समिा. जब उिकी कसथत सवचारधारा िे प््भासवत आतंसकयो्ने फ््ांि की राजधानी पेसरि
िुदनया के कई िेशो् मे् आज जो उथिपुथि और दहंसा मची हुई है, उससे यह आशंका होरी है दक त्या राजनीदरक महत्वाकांक्ाएं रीसरे दवश््युि् की मुनािी कर रही है्? पर हमिा सकया. पहिा हमिा िाप्तासहक व्यंग्य पस््तका ‘शि््ी हेल्दो' के दफ्तर पर 7 जनवरी 2015 को हुआ. इि हमिे मे्दो भाइयो् ने समिकर पहिे तो 12 िोगो्को मौत के घाट उतारा, सिर दूिरी जगहो् पर पांच अन्य िोगो् को मार डािा. हािांसक, इि कत्िेआम के बाद दोनो् भाइयो् को फ््ांसििी िुरक््ाकस्मायो् ने मुठभेड् मे् मार सगराया. िेसकन हमिे का मूि मकिद िामने आने के बाद फ््ाि ं मे्दस््कणपंथी ताकतो् को इस्िाम के प््सत घृणा की नी्व मजबूत करने का मौका जर्र समि गया. दरअिि, इि हमिे का कारण इस्िाम धम्ाके पैगंबर मोहम्मद का कसथत र्प िे सववादास्पद काट्ाून बनाये जाने का बदिा िेना था. इि घटना के बाद 13 नवंबर की शाम पेसरि पर आतंकी हमिा हुआ. सजिमे्130 िे भी ज्यादा िोगो् की जान चिी गयी. इि हमिे के बाद िात हमिावर भी मारे गये. िेसकन इिकी सजम्मेवारी िेने मे् िीसरया और इराक मे् बैठे
आईएिआईएि के आकाओ्ने जरा भी देर नही् है. दूिरी ओर अिद को िेकर गैर सशया अरब की. आतंकी िंगठन ने दावा सकया सक उिने मुल्को् का र्ख पस््िम िे सबल्कुि अिग है. िीसरया और इराक मे्फ््ांिीिी हवाई हमिो्का ज्यादातर िुन्नी शािको् वािे देश अिद को ित््ा िे बेदखि होता देखना चाहते है्. यही बदिा सिया है. इिके बाद फ््ांि ने आईएि के सखिाि वजह है सक िऊदी अरब मे् जब िीसरया की कार्ावाई के नाम पर िीसरया पर हमिे तेज कर राजनीसत िे जुड्ेिभी सवरोधी िमूहो्की बैठक सदये. िीसरया मे् राष््पसत बशर अि अिद को हुई, तो िव्ािम्मसत िे यह प््स्ाव पासरत सकया ित््ा िे बेदखि करने के सिए बीते पांच िािो् गया है सक वहां नयी िरकार का गठन होगा. िे चि रहे गृह युद्मे्कई पस््िमी देश अपनी यानी अिद को ित््ा िे हटना ही होगा. दखि बढ्ा चुके है्. फ््ांि भी इिमे् शासमि है. हािांसक, सवरोसधयो्के र्ख मे्जरा िी नरमी भी आईएि ने कािी पहिे िे ही फ््ांि को अपना आयी है. उन्हो्ने नयी िरकार के गठन तक दुश्मन नंबर एक घोसषत कर बैठा है. इिसिए अिद के ित््ा मे्बने रहने की इजाजत दे दी है. कई सवश्िेषक इि बात िे इत््ेिाक रखते ऐिा माना जाता है सक फ््ांि को नुकिान पहुंचाने की रणनीसत पर आईएि िंबे िमय िे है् सक िऊदी अरब और कतर ने समिकर िीसरया के हािात को बद िे बदतर करने मे् अपनी रणनीसत बना रहा होगा. अिद के समत्् राष््ो् मे् शुमार र्ि इि कोई किर नही्छोड्ी. िीसरया मे्माच्ा2011 मे् िड्ाई मे् तब ज्यादा िस््कय हो गया, जब 31 शुर् हुए कसथत सवद््ोह के बाद िे अब तक अक्टूबर को उिके एक यात््ी सवमान को समस्् तकरीबन ढाई िाख िोग मारे जा चुके है्. एक के सिनायी प््ायद््ीप पर मार सगराया गया. सवमान करोड्िे ज़्यादा बेघर हो चुके है्. बेघर िोग के िीसरया छोड्ने िे यूरोप मे् मे्224 यात््ी और कम्ाचारी िवार थे. िभी की मौत हो गयी. इिकी सजम्मवे ारी आईएि की एक शरणाथ््ी िंकट खड्ा हो गया. आज िीसरयाई शाखा ने िे सिया. र्ि ने इि हमिे के बाद शरणास्थायो् को िंभासवत इस्िामी आतंकवादी िीसरया मे् िस््कय आईएि के िड्ाको् के बता कर रोकने का असभयान जारी है. दरअिि, सखिाि जबद्ास् हवाई हमिे सकये. हािांसक, पूरे यूरोप मे् िीसरया के शरणास्थायो् को अपने इन हमिो्मे्आतंसकयो्और आम नागसरको्के यहां आश््य देने के सखिाि जबद्ास् आक््ोश कत्िेआम मे्कोई िक्कनही्रहा, िेसकन बदिे का माहौि बनाया जा चुका है. इि काम को धुर की आग मे्झुिि रहे र्ि के सिए राजनीसतक दस््कणपंसथयो् ने िुसनयोसजत तरीके िे अंजाम र्प िे ऐिा करना ज्यादा जर्री हो गया था. सदया. सिि्क यूरोपीय देश ही नही्, बब्लक अरब अमेसरका और अन्य पस््िमी मुल्क जो िीसरया मुल्को् ने भी िीसरया के शरणास्थायो् िे बेहद मे् ताबड्तोड् हवाई हमिो् के पक्् मे् नही् थे. शासतराना तरीके िे पल्िा झाड् सिया. िऊदी िेसकन सवमान को मार सगराये जाने के बाद र्ि अरब, कुवैत, बहरीन, कतर और िंयुक्त अरब की कार्ावाई का सवरोध नही् कर पाये. र्िी अमीरात ने तो िीसरया के िोगो्को अपने यहां हमिो् का सििसििा जारी है और बशर अि आने िे रोकने के सिए हर तरह की चािबासजयां अिद को िुन्नी कट््रपंथी जमात िे समि रही की्. िेसकन ईराक, िेबनान, जॉड्ान, तुक्ी और कड्ी चुनौती के बीच थोड्ी राहत जर्र समिी समस्् मे् िगभग चािीि िाख िीसरयाई पेबरस मे् हमले के बशकार शाल््ी एब्दो के दफ्तर पर श््द्ांजबल
शरणास्थायो् को आश््य समिा. यूरोप मे् जम्ानी और स्वीडन के अिावा अन्य कोई देश शरणास्थायो्को आश््य देने के सिए कतई तैयार नही्हुआ. शरणास्थायो् के मामिे मे् जम्ानी ने दसरयासदिी सदखाते हुए आठ िाख िोगो् को अपने यहां पनाह देने की हामी जर्र भरी, िेसकन अन्य यूरोपीय देशो् की रणनीसत के कारण ऐिा हो पाना िंभव प््तीत नही्होता. 10 सदिंबर 2015 तक के आंकड्े बताते है् सक िीसरया के 43 िाख 93 हजार िोगो्ने िंयुक्त राष्् उच््ायोग मे् खुद को शरणाथ््ी के र्प मे् पंजीकृत करवाया है. इनमे् िे 22 िाख 92 हजार को तुक्ी ने अपने यहां शरण सदया है. 10 िाख 76 हजार िेबनान मे् और 6 िाख 32 हजार जॉड्ान मे्रह रहे है्. अब मुिीबत यह है सक सजन देशो्के पाि शरणास्थायो् को अपने यहां रखने के िंिाधन मौजूद है,् वहां राजनीसतक खुरचाि चरम पर है. जहां राजनीसत की जगह भावनाओ्का ज्वार है, वहां की ब्सथसत पहिे िे ही बदतर है. ऐिे मुलक ् ो् मे्िबिे पहिा नाम ईराक का आता है. ईराक मे्भी युद्चि रहा है. तुक्ी ने ऊत््री ईराक मे् आईएि के ििाये के सिए अपनी िेना उतारी, तो ईराकी िरकार ने इिका सवरोध सकया. ईराक ने बाकायदा िंयुक्त राष्् िुरक््ा पसरषद मे् अपना सवरोध दज्ा कराया. ईराक का कहना है सक उिकी िीमा के भीतर सकिी अन्य देश का िैसनक उतारना, उिकी िंप्भुता का उल्िंघन है. दूिरी ओर तुक्ी का कहना है सक ईराक की इि सशकायत के पीछे र्ि और ईरान की चाि है. दरअिि, 24 नवंबर को तुक्ी ने अपनी हवाई िीमा पर र्ि के एक िड्ाकू सवमान को मार सगराया था. इिे िेकर र्ि और तुक्ी के बीच तनातनी का आिम रहा. ईरान पूरी तरह िे र्ि के िाथ है, क्यो्सक र्ि िीसरया मे् सशया शािन के िमथ्ान मे् है और ईरान मे् सशया िाम््ाज्य है. िीसरया मे् तेि का भंडार मौजूद है. र्ि को पता है सक अिद को ित््ा मे्रखने के कई िायदे हो िकते है्. अभी आईएि ने तेि के सजन कुओ् पर कल्जा कर सिया है, उििे अवैध तरीके िे ई्धन की खरीद तुक्ी कर रहा है. जब वहां िे आईएि का कल्जा खत्म होगा, तो तेि के कुएं सिर िे िरकार के पाि चिे जाये्गे. तब र्ि और ईरान के सिए िीसरया िे तेि हासिि करना आिान होगा. अपना-अपना निा-नुकिान देखते हुये सवसभन्न देश आतंकवाद के ििाये के नाम पर रक्तपात मचा रहे है्. इिका नतीजा यह हुआ है सक कसथत र्प िे आतंकवाद िे िड्ते-िड्ते कई देश तेि के खेि मे्आपि मे्ही उिझ कर रह गये है्. n शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 21
मास् देशकाल ट हेड
एक मशाल एक ममसाल
डॉ ब््ह्मदेव शम्ाि: अप््बतम योगदान
ब््ह्मिेव शम्ाष का शरीर भिे हमारे बीच से चिा गया हो. िेदकन उनके दवचारो् की ज्वािा दहंिुस्नवां यानी समाज के वंदचरो् के दिए क््ांदर की एक मशाि है, जो इस समाज को हमेशा रोशनी िेरी रहेगी. अर्ण कुमार ब््िपाठी
डॉ
ब््ह्मदेव शम्ाा का सनधन ऐिे िमय मे् हुआ है जब देश की ित््ा पर सहंदतु व् वादी कॉरपोरेट ताकते्कासबज है्. उनकी बाते्जर्र गरीबो् का नाम िेकर शुर् होती है्. िेसकन उनका काम ऊंची पूज ं ी और उच्व् ण्ाके ही सहत मे् होता है. ऐिे िमय मे् दसितो् और आसदवासियो्के एक सहतैषी ही नही्उनके सिए एक क््ांसतदश््ी का जाना देश के तमाम जनांदोिनो्के और कमजोर होने की घटना के र्प मे्ही देखा जायेगा. डॉ शम्ाा सवद््ानो्के बीच सवद््ान थे, अििरो् के बीच अििर थे, आंदोिनकासरयो् के बीच आंदोिनकारी और आसदवासियो्और दसितो्के बीच उनके पसरवार के िदस्य थे. कई बार उनकी यही छसव उनके सिए परेशानी का िबब बनती थी. अििर उन्हे् क््ांसतकारी मानकर उनिे दूर भागते थे. िेसकन इिी सवडंबना को ईमानदारी और प््सतबद््ता िे डॉ शम्ाा ने अपनी ताकत बनायी थी. माक्िवा् ादी अथ््ो्मे्सजिे सडक्िाि होना या वग्ावा तरण कहा जाता है. वह उनके जीवन शैिी मे् देखा जा िकता था. िेसकन जीवन के आसखरी सदनो् मे् सकिानो्की आत्महत्याओ्और आसदवािी क््त्् े ्ो 22 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
मे्माओवाद के बढ्ते अिर को देखकर वे कहने िगे थे सक काश युवा होता तो बंदूक उठा िेता. िेसकन वे सदल्िी के तमाम मीसडया प््ेमी िमाजिेसवयो्की तरह िे अपने िंपक््ो्का दावा नही्करते थे. तभी उन्हो्ने स्वामी अब्गनवेश के उि काय्ाक्म मे् कोई र्सच नही् सदखायी थी. सजिमे् माओवासदयो् और िरकार के बीच िंवाद कराने का प््याि था. िेसकन जब इि पत््कार के िामने स्वामी जी का िोन आया तो उन्हो्ने उनकी बात को हल्के मे् ही सिया था. नतीजा िामने था सक कई प््मुख नक्ििी नेता और उनके िहानुभूसत रखने वािे पत््कार मारे गये. स्वामी जी का असभयान आसखरकार िरकार के पािे मे् सिमट गया. िेसकन जब बस््र के किेक्टर पाि अिेक्ि मेनन का अपहरण हुआ तो िरकार को डॉ शम्ाा की अहसमयत िमझ मे्आयी. 82 िाि के डॉ शम्ाा अपने बस््र मे्सकये गये अपने काम के अिर के कारण मेनन को छुड्ा कर िाये. िेसकन बाद मे् वे कहने िगे सक िरकार ने सनम्ािा बुच के माध्यम िे जो वादा सकया था उिे पूरा नही् सकया. देश के आसदवािी इिाको् मे् बढ्ते नक्ििवाद के बारे मे्ब््ह्मदेव शम्ाा का कहना था सक वहां तो िरकार और आसदवासियो् के
बीच युद्चि रहा है. अगर हमे्सकिी िमस्या का िमाधान करना है. तो पहिे युद्सवराम तो होना चासहए. आधुसनक सवकाि मे्अनुिूसचत जासत और जनजासत के िमाजो्की ब्सथसत के बारे मे्उनके सवचार एििी, एिटी आयुक्त के तौर पर 1987-89 मे् आयी 29वी् रपट मे् सजन िूत् वाक्यो्मे्व्यक्त सकये गये. उन्हो्ने व्यवस्था के चसरत्् को उजागर कर सदया था. उन्हो्ने सिखा था- इि तरह हमारे देश मे् दोहरी नही् सतहरी व्यवस्था कायम होती जा रही है. इंसडया, भारत और सहंदुस्नवां. असधकतर अनुिूसचत जासत और जनजासत के िदस्य इिी सहंदुस्नवां की आसखरी मंसजि मे् शासमि है्. इि ब्सथसत का कारण बताते हुए वे कहते है् सक दो बुसनयादी बाते् है्. हमारे कानूनी ढांचे की बुनावट और सवकाि की हमारी अवधारणा. सवकाि की अवधारणा मे् हमने एक तो पस््िमी देशो् के सवकाि को आदश्ा मान सिया है. सवकाि की हड्बड्ी मे् सवकाि पहिे मानकर िामासजक न्याय को पीछे छोड सदया गया है. इि िोच मे् इि ओर ध्यान ही नही्सदया गया सक पहिी और दूिरी दुसनया के सवकाि के सिए तीिरी दुसनया का कूड्ेदान बनना जर्री था. उिी सििसििे
मे् तीिरी दुसनया के सिए चौथी दुसनया का कूड्ेदान चासहए. आज हमारे देश मे्सहंदुस्नवां वही कूड्ेदान बन गया है. कुत्ाा धोती पहन कर एक सकिान की तरह रहने वािे डॉ ब््ह्मदेव शम्ाा ने जहां अपने प््शािसनक कसरयर के दौरान यह िासबत सकया सक एक असधकारी िंसवधान और कानून का रक््क ही नही् उिे िमाज के वंसचत तबके के सहत मे् िागू करने वािा काय्ाकत्ाा भी है. वही् वैिा पाने मे् अिमथ्ा रहने मे् उिे व्यवस्था िे बाहर होकर चुनौती देने मे् भी कोई गुरेज नही् करना चासहए. उन्हो्ने बैिाडीिा जैिी महत््वाकांक्ी पसरयोजनाओ्का आसदवािी सहतो् के आधार पर सवरोध सकया. अपनी 29वी्रपट मे्नम्ादा आंदोिन के िमथ्ान मे्िंबी रपट दी और िंवैधासनक िीमाओ् के भीतर उिको भरपूर मदद दी. सवश्् बै्क के मोि्ा बग्ार नाम के सजन असधकासरयो् की रपट के आधार पर बै्क ने पसरयोजना िे हाथ खी्चे उनके पीछे डॉ शम्ाा का ही अध्ययन और सचंतन था. उनकी पुस्को् और पुस्सकाओ् की िंख्या अनसगनत है. सजनमे् वेब आि पावट््ी, गसणत की िैर उनके महत्वपूण्ाग््ंथ है्. सकिान की गरीबी का राज बताते हुए वे िगातार कहते थे सक आजादी के 67 िािो्मे्देश के छह िाख गांवो्िे छह िाख करोड् र्पये छन कर शहरो् को गया है. अगर गांव की गरीबी समटानी है तो वह धन वापि आना चासहए. इिके अिावा उनका कहना था सक सकिानी का मोि कुशि कारीगरी िे कम नही्होना चासहए. वे िगातार आसदवािी स्वशािन और स्वायत््ता की पैरवी करते रहे
और इिी सििसििे मे्मावा नाटे मावा िरकार का नारा भी सदया. उनका मानना था सक भारतीय िंसवधान िागू होने िे आसदवािी स्वायत््ता सछन गयी है. उिकी बहािी के उपाय के तौर पर उन्हो्ने पेिा एक्ट 1996(पंचायत एक्िटे्शन टू सशड््ूल्ड एसरया एक्ट)तैयार करवाया. सजििे आसदवासियो् की परंपरागत पंचायतो्को असधकार समिे. आसदवािी इिाको् मे् रोजगार के सिए डॉ शम्ाा ने झंडा हासजरी काय्ाक्म चिवाये. इि तरह प््शािन का ध्यान बेरोजगारी और रोजगार योजनाओ् के स््कयान्वयन की ओर खी्चा. बस््र मे् किेक्टरी के दौरान उन्हो्ने उन तमाम अििरो् को बेनकाब कर सदया था. जो वहां आसदवािी औरतो् का शोषण कर रहे थे. उन्हो्ने पंचायत बुिाकर उनकी शासदयां करवा दी्. इििे उनके पाि िुधरने या भागने के अिावा कोई उपाय नही् बचा. उनके पाि आसदवािी िमाज की िैकड्ो् कहासनयां और चुटकुिे थे. वे अक््र ज््ान िे रसहत आसदवासियो् को सिखाते थे सक जब कोई िरकारी कम्ाचारी तुम्हारी जमीन पर कल्जा करने के सिए कागज सदखाये तो उििे कहो सक कागज तुम अपने पाि रखोकागज तुम्हारा, जमीन हमारी. उन्हे् अपने जनिमथ्ाक सवकाि और धम्ासनरपेक् सवचारो् के सिए िंसघयो् का भी सशकार होना पड्ा और एक बार रायपुर मे्उनका मुहं कािा करके उन्हे् बाजार मे् घुमाया भी गया. सिर भी वे आजीवन िांप्दासयक सवचारो्और शोषण करने वािी सवकाि नीसत को चुनौती देते रहे. िेसकन
उनका कहना था सक अगर िैजाबाद का किेक्टर अड् गया होता तो उिके पाि इतनी ताकत थी सक राज्य िरकार भी बाबरी मब्सजद नही् सगरवा िकती थी. डा शम्ाा आधुसनक युग के वेसरयर एब्लवन थे. सजन्हो्ने उि अंग्ेज नेतृत्वशास््ी िे अिग आसदवासियो् के िवाि को िामासजक और आस्थाक सवश्िेषण के आधार पर देश के सवमश्ाके के्द्मे्रखा. अगर एब्लवन ने कांग्ेि को ठक््र बापा जैिे आसदवािी िेवको् को खड्ा करने पर मजबूर सकया. तो ब््ह्मदेव शम्ाा ने मेधा पाटकर जैिे आंदोिनकारी तैयार सकये. अद््त स्मरण शब्कत के धनी डॉ शम्ाा बाद के सदनो् मे् अिजाइमर के सशकार हो गये थे. सपछिे िाि जब उनके 85वे्जन्मसदवि पर डॉ िुनीिम, डॉ अर्ण और तमाम िमासजक काय्क ा त्ाओ ा ्के िाथ हम िोग ग्वासियर मे्जमा हुए तो वे सकिी को पहचान नही्पा रहे थे. यह देखकर बड्ा दुख हुआ सक गसणत के सवद््ान डॉ शम्ाा सजन्हो्ने अपने प््शािसनक कसरयर मे्कभी नोव्ि नही् सिये. वे अपनी बहुओ्, बेटो् और नजदीकी िामासजक काय्ाकत्ााओ् को भी पहचान नही्पा रहे थे. िेसकन वह डॉ शम्ाा के शरीर मे् उत्पन्न हुई उि चेतना का िोप होना था. जो उनके त्यागपूण्ा आदश्ा जीवन और सवचारो् के माध्यम िे िमाज मे् पहिे ही िैि चुकी है. डॉ ब््ह्मदेव शम्ाा का शरीर भिे हमारे बीच िे चिा गया हो. िेसकन उनके सवचारो्की ज्वािा सहंदुस्नवां (इि िमाज के वंसचतो्) के सिए क््ांसत की एक मशाि है, जो इि िमाज को हमेशा रोशनी देती रहेगी. n
शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 23
मास् देशकाल ट हेड
चेन्नई मे्े आयी भीरण बाढ् नगर दनयोजन की भारी खादमयो् की ओर इशारा कररी है. इस बाढ् से सबक िेकर ऐसे ही संकटो् की आशंका वािे िूसरे शहरो् को बचाना जर्री है. सुधीर जैि
बा
ढ् ने दो हफ्ते तक चेन्नई को दहशत मे् रखा. इि आपदा मे्200 िे ज्यादा िागो् की मौत और करीब दि हजार करोड्र्पये का नुकिान हुआ है. इि वजह िे राजनेताओ्और िंबसधत िरकारी सवभागो्की सचंता बढ गयी है. बाढ् िे बेहाि िोगो् की दशा मीसडया मे् छायी रही. पर बाढ् और चेन्नई की व्यवस्था पर ज्यादातर पय्ाावरण काय्ाकत्ाा जो सपछिे एक डेढ् िाि िे कुछ चुप िे थे, उन्हे् अपनी सजम्मेदारी के कारण मुखर होना पड्ा. िेसकन इतना िब कुछ होने के बाद भी इि कुदरती
आित के तक्कपूण्ा कारण और आगे िे बचाव या रोकथाम के उपायो् पर कोई िुझाव नही् आया है. चेन्नई मे् तबाही की कई वजहे् है्, हो िकता है सक ऐिा इिसिए हुआ हो क्यो्सक सवज््ान और प््ौद््ोसगकी के अकादसमक और व्यावहासरक सवद््ानो् िे बात करने का चिन अभी अपने देश मे् शुर् नही् हो पाया है. हम अपने आसधकासरक जि सवज््ासनयो् की िूची तक नही् बना पाये है्. सजििे मौके पर उनिे कुछ जान िके्. हािांसक हमारे पाि पय्ाावरण के क््ेत् मे् र्सच रखने वािे पत््कार और पय्ाावरणसवद है्. ऐिे िंकटो् के िमय वे हमे् सशस््कत और जागर्क करते रहते है् और इि बार भी उन्हो्ने यह सजम्मेदारी सनभायी. बेशक ऐिे सचंताशीि िेखको् और पय्ाावरण काय्ाकत्ााओ् ने चेन्नई हादिो् के कारणो्पर अपनी राय देकर हमे्जागर्क सकया है. उनके राय मशसवरे को अगर एक दो पंबक् तयो् मे्कहे्तो चेन्नई मे्नगर सनयोजन की खासमयो् और सवकाि की वािना मे् अंधाधुध सनम्ााण करने िे यह आपदा मौत की हद तक पहुंच
गयी. िेसकन सबल्कुि िामने सदखता है सक जो गिसतयां िाव्ाभौसमक र्प िे कबूि करते हुए आस्थाक सवकाि के सिए अपसरहाय्ा बुराई मान ही िी गयी हो्तो चेनन् ई मे्हुए अंधाधुध ं सवकाि के सखिाि हम सकि मुंह िे कुछ कह पाये्गे. खैर आइए सििहाि हम नगर सनयोजन की खासमयो् और कसथत सवकाि के सवकल्प पर सवशेषज््ो् और जि सवज््ान के आसधकासरक सवद््ानो्को भी थोड्ा िुन िे्. आईआईटी र्ड्की मे् वैकब्लपक जि सवज््ान सवभाग मे् प््ोिेिर और उप्् सिंचाई सवभाग के प््मुख असभयंता रह चुके और जिसवज््ान के जानकार डॉ बीएन अस्थाना का कहना है सक सनम्ााण की बडी पसरयोजनाएं जिसवज््ान के पहिू को िामने रखे सबना बन ही नही् िकती्. सिि्क आधुसनक काि के वैज्ासनक ही नही्मध्ययुगी और प््ाचीनकाि के नगर सनयोजक तक जि सवज््ान के नुक्तो् िे वासकि थे. प््ोिेिर माथुर कहते है् सक आधुसनक जि सवज््ानी मद््ाि मे् प््ाचीन ऐरी प््णािी और बुंदेिखंड मे् नौवी् िदी िे 13वी् िदी के बीच चंदेि शािको्के बनवाये तािाबो्
मकतने चेनंनई और?
पानी मे् डूबा चेन्न्ाई: प््ाकृबतक या मानव-बनब्मित?
24 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
लोगो् को बचाने के बलए नाव: दु:स्वप्न जैसे बदन
की इंजीसनयरी िे आज भी असभभूत होते है्. डॉ अस्थाना के मुतासबक इन प््ाचीन जि सनकायो् की इंजीसनयरी मे्कोई नुक्ताचीनी नही्सनकाि पाता बब्लक उिे देखकर हम आज भी अपने शोध करते है्. आज के जि सवज््ासनयो्के सिए दोनो् प््णासियो् मे् िमानता बहुत ही कौतुहि का सवषय है. प््ोिेिर अस्थाना के मुतासबक आज का चेन्नई वही प््ाचीन नगर है, सजिके पाि ऐरी प्ण ् ािी का जि सवज््ान धरोहर के र्प मे्मौजूद है. िेसकन हम तब क्या करे्जब तेजी िे िायदे के िािच मे् इन वैज्ासनक तथ्यो् को अनदेखा करना शुर्कर सदया गया हो और हर काम को हम िबिे पहिे आस्थाक िाभ िागत अनुपात के सिहाज िे देखने िगे हो्. प््ोिेिर अस्थाना का कहना है सक सकिी पसरयोजना के सिए सवत्् का प््बंधन इंजीसनयर के काम के दायरे मे् नही् आता. वह सिि्क यह देखता है सक उििे सजि पसरयोजना का खाका बनवाया जा रहा है. उि पसरयोजना पर जो खच्ाा बैठेगा उििे ज्यादा िायदा होगा या नही्. वैिे ये प््ौद््ोसगकसवद मुख्य र्प िे तकनीकी व्यावहाय्ाता को देखने तक िीसमत है. उन्हो्ने अपने अनुमान को दावे की हद तक जाकर कहा सक उनके असभयंता बंधुओ्ने हर बार आगाह सकया होगा. चेन्नई मे् नदी का फ्िड प्िेन या पुराने तािाबो् का िबमज््ेि यानी डूब क््ेत्को सकिी भी िूरत मे् सनम्ााण के सिए छुआ भी नही् जा िकता. प््ोिेिर अस्थाना कहते है्सक 98 िाि पहिे इिी जगह बादि िटने की इििे बड्ी आपदा इसतहाि मे् दज्ा है. िेसकन तब आज जैिी़ सवभीसषका का सजक््नही्समिता. उन्हो्ने कहा सक अगर वाकई हम चेन्नई कांड को गंभीरता िे िे रहे है् और इि आपदा िे िबक िेना चाहे् तो पूरे देश मे् फ्िड प्िेन
और जि सनकायो्के डूब क््ेत्को वग््ीकृत और िंरस््कत श््ेणी मे्रख देना चासहए. एक बार पूरे यकीन के िाथ एिान करना होगा सक सकतना भी जर्री हो या सकतना भी िायदा सदखता हो. हम ये िंवेदनशीि क््ेत् सवकाि के सिए छुएंगे भी नही्. उन्हो्ने इिके सिए बाकायदा रेगुिेटरी बनाने का िुझाव सदया. हो िकता है सक सकिी को प््ोििर अस्थाना की बात मे्ज्यादा नयापन न िगे सिर भी उन्हो्ने चेनन् ई िे िबक िेकर आगे के बचाव के सिए कानूनी उपाय का िुझाव नये तेवर मे् सदया है. अब अगर इि िुझाव पर अमि के सिए िोचने बैठे्तो सपछिी यूपीए िरकार दो के दौरान पय्ाावरण मंत्ािय को घेरे जाने का हवािा सदया जा िकता है. उि िरकार की नीसतयो्को िकवा मारने के आरोप मे्जो िबूत सदये जाते थे. वे पय्ाावरण मंत्ािय मे् िाइिे् िंिी होने वािे ही ज्यादा थे. औद््ोसगक सवकाि की बड्ी पसरयोजनाओ्को पय्ाावरण मंजूरी नही् समि रही थी. वैिे हर कोई मानेगा सक कुछ िमस्याओ् के िमाधान के सिए आज तेजी िे आस्थक ा सवकाि की जर्रत है पर िोचना पड्गे ा सक सकि कीमत पऱ? अब तक बात सिि्कयह हुई है, आगे िे नये नगरो्के सनयोजन के सिए क्या िावधानी बरती जाये और वह िावधानी सकि कानूनी उपाय िे हो िकती है. िेसकन यह गुत्थी सिर भी बाकी रह जाती है सक चेन्नई और दूिरे महानगर जो हाि की आपदा जैिे अंदेशे के घेरे मे् है्, वहां क्या सकया जाये. इि बारे मे्आईआईटी कानपुर िे 1970 मे् खाितौर पर समट््ी और पानी के िंबधं ो्पर िघुशोध करने वािे और उप््की कई जि पसरययोजनाओ्का अधीक्ण ् कर चुके जि सवज््ानी केके जैन िे भी बात हुई. जैन बताते है् सक चेन्नई जैिी बाढ् प््वण ब्सथसतयां देश मे्
कमोबेश िभी क्त्े ्ो्मे्बन गयी्है.् अिग-अिग जगहो् पर कई कारण हो िकते है्. िेसकन िामान्य अनुभव है सक जि ग््हण क््ेत्ो्मे्बेजा दखि सदये जाने िे वहां के पनढाि बदिते जा रहे है्. जहां िड्के् बनी तो पुसिया नही् बनी्. एक्िप््ेिवे जैिी पसरयोजनाओ् मे् हम इिे अनदेखा कर रहे है. यानी जहां िे होकर पानी बहता था. वह इन िड्को् के कारण अपने सनस््ित रास््े जाने िे जाने िे र्कने िगा. बासरश के सदनो्मे्पानी की सनकािी के सिए जो बरिाती नािे थे. उनके दोनो् तरि की जमीन भी दूिरे कामो् मे् इस््ेमाि की जाने िगी. नसदयो्के दोनो्तटो्की जमीन पर सवकाि की योजनाएं बनने िगी है्. इिका खासमयाजा िौरन तो नही् सदखता िेसकन थोड्ी भी ज्यादा बासरश के दौरान यह पानी तबाही मचाता हुआ सनकिता है. इिका कारण हम अपने िािच की बजाए प््ाकृसतक आपदा बताने िगते है्. जि सवज््ान के सवशेषज्् जैन के मुतासबक जि ग््हण क््ेत्मे्अराजक र्प िे सनम्ााण होने िे बाढ्की िमस्या तो आती ही है. िेसकन उतनी ही बडी िमस्या िूखे की भी बनने िगी है. बासरश के पानी को सजि बांध या तािाब मे्िाने का प््बंध सकया गया था. वह उन जि सनकायो् मे् न पहुंच कर यहां-वहां िे बहकर सनकिने िगता है. बीि िाि की मेहनत िे हमने गैर मानिून महीनो्के सिए बासरश के पानी को जमा करने का जो प््बंध सकया था वह ध्वस््हो रहा है. इिीसिए देश के ज्यादातर तािाबो्और बांधो् मे्पानी की आमद घटने का अंदश े ा हमारे िामने बाढ्सजतनी ही बड्ी चुनौती है. इिके िमाधान के सिए जि सवज््ान की तकनीकी भाषा मे् जो नाम है. उिे कैचमै्ट एसरया ि््ीटमे्ट कहते है्. यह उपाय तकनीकी और प््ौद््ोसगकी कौशि के सिहाज िे प््बंधन योग्य है. िेसकन प््शािसनक तौर पर स््कयान्वयन के सिहाज िे बहुत ही चुनौती भरा है. क्यो्सक इिे करने के सिए बड्ी-बडी सरहाइिी आबासदयो् और औद््ोसगक के्द्ो्को इध़र िे उधर करना बहुत ही खच््ीिा काम होगा. उज्ाा क्त्े ्की बहुराष््ीय कंपनी सिनेसज ् का ि ् मे् िीसनयर कंििटे्ट जैन ने बताया सक जि प््बंधन का काम सबजिी िे ज्यादा सिंचाई पर के्स्दत होना चासहए. िेसकन हमारा ज्यादा ध्यान उज्ाा पर ज्यादा िगा रहता है. उन्हो्ने कहा सक सनकट भसवष्य मे् सजि तरह के जि िंकट का अंदेशा है. उििे बचने के सिए बासरश के पानी को छोटे जिग््हण क््ेत् मे् ही रोककर रखने के अिावा और कोई व्यावहासरक सवकल्प िोचा नही् जा पा रहा है. इििे जर्रत पर पानी का इंतजाम भी होगा और ज्यादा बासरश के िमय बाढ् की सवभीसषका िे n बचने की ब्सथसत बनेगी. शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 25
मास् देशकाल ट हेड
हेरल्ड हाउस: एक इबतहास का अंत
क्यो् डूबी आज्ादी की आवाज्
राष््ीय आंिोिन की दवरासर के प््रीक ‘नेशनि हेरल्ड’ के अंर और दफर हेरल्ड हाउस की संपद््त के दववाि के दिए वही कांग्ेस दजम्मेिार है दजसने उसे शुर् दकया था. के बिक््म राि
आ
जादी की आवाज था नेशनि हेरल्ड. इिे 2 अप््ैि 2008 को इसतहाि मे् ढकेि सदया गया. हेरल्ड हाउि सजिे सदल्िी मे् इंसदरा गांधी ने बहादुर शाह माग्ापर खोिा था, बंद कर डािा गया. िखनऊ मे्दि वष्ापहिे 1998 मे् ही खत्म कर सदया गया था. अंग्ेज नेशनि हेरल्ड को बंद करने मे्जुटे रहे, सविि हुए. पर िोसनया-कांग्ेसियो्ने उिे िखनऊ मे् नीिामी पर चढ्ा सदया था. िात दशक हुए पहिे 9 सितंबर 1938 कैिरबाग चैराहे के पाि वािी ईिाई समशन स्कूि वािी इमारत पर जवाहरिाि नेहर् ने सतरंगा िहराकर राष््ीय कांग्ेि के इि दैसनक को शुर्सकया था. नेहर्पसरवार की इि िंपस््त की िरेआम बोिी तहिीिदार िदर (िखनऊ) ने 1995 मे् िगवा दी थी, तासक चार िौ कस्मायो्के बाइि माह के बकाया वेतन मे् चार करोड् र्पये विूिे जा िके्. यूपी प््ेि क्िब मे् तब अटि सबहारी वाजपेयी ने िंवाददाताओ् के पूछने पर कहा था, ‘जो 28 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
नेशनि हेरल्ड नही्चिा पाये वे देश क्या चिा पाये्गे?’ देश की जंगे आज्ादी को भूगोि का आकार देने वािा हेरल्ड खुद भूगोि िे इसतहाि मे्चिा गया. जब इिके िंस्थापक िंपादक के रामा राव ने सितंबर 1938 मे् प््थम अंक सनकािा था, तभी स्पष्् कर सदया था सक िंगर उठाया है तूिान का िर देखने के सिए. तूिान बहुतेरे उठे, पर हेरल्ड की कश्ती अपना ििर तय करती रही. सिर यसद डूबी भी तो सकनारे िे टकराकर. उिके प्ब् ध ं क बि तमाशाई बने रहे. क्या वजह है सक कांग्ेि के शािन काि मे् ही हेरल्ड का अस््सत्व समट गया जबसक इिकी हस््ी स््बसटश राज के वक्त भी बनी रही थी. भिे ही दौरे जमाना उिका दुशम् न था? इच्छा शाब्कत का अभाव ही है वह वजह. कुछ समिती जुिती हाित थी 1941 के नवंबर मे् जब अमीनाबाद के व्यापारी भोिानाथ ने कागज देने िे मना कर सदया था क्यो्सक उधार कािी हो गया था. नेहर् ने तब एक र्के् पर दस््खत कर हेरल्ड को बचाया था, हािांसक नेहर्ने व्यथा िे कहा भी सक िारे जीवन भर मै् ऐिा प््ासमिरी नोट न
सिखता. सपता की भांसत पुत्ी ने भी हेरल्ड को बचाने के सिए गासयका एमएि िुल्बािक््मी का काय्ाक्म रचा था. तासक धनरासश जमा हो िके. इंसदरा गांधी तब कांगि ्े अध्यक््थी. रिी अहमद सकदवई और चंदभ् ानु गुपत् ने आपिी दुशम् नी के बावजूद हेरल्ड राहत कोष के कूपन बेचकर आस्थाक मदद की थी. पर नेहर्, इंसदरा और राजीव के नाम पर सनसध और न्याि के िंचािको्ने उनकी अििी स्मसृ त (हेरल्ड) को अपनी प््ाथसमकता की िूची मे् कभी शासमि तक नही्सकया. हेरल्ड ने आज्ाद भारत के िमाचारपत्् उद््ोग मे्क््ांसत की थी. जब 1952 मे्िंपादक की अध्यक््ता मे्िहकारी िसमसत बनाकर प््बंध चिाया गया था. तब प््धानमंत्ी नेहर्ने प््बंध सनदेशक मोहन िाि िक्िेना को सिखे 22 अप््ैि 1952 के पत्् मे् इि असभनव श््समक प््योग की िििता की कामना की थी. पर सिर भी सनजी स्वासमत्व की िाििा मे् पंजाब िे पीएि िोधी नामक व्यविायी को प््बंधक बनाया गया सजिने सदवासियापन िा सदया. नौबत यहां तक आ गयी सक नेहर् पसरवार के
स्थासपत हेरल्ड को जनसनसध न्याि िे छीनकर सकिी िेठ जी के हाथ बेचने की सववशता भी आ पड्ी थी. भिा हो उमाशंकर दीस््कत का जो कुशि प््बंध-सनदेशक बनकर आये और कश्ती बचा िी. प््धानमंत्ी के तीन मूस्ता आवाि मे् िाि 1957 मे्सनदेशको्की बैठक मे्िो्धी को बख्ाास् कर दीस््कत की सनयुब्कत की गयी. तब हेरल्ड और उिके िाथी दैसनक ‘नवजीवन’ और ‘कौमी आवाज’ की प््सतयां ज्यादा छपी और खूब सबकी्. सवज््ापनो्का अंबार िग गया. मुनािा तेजी िे बढ्ा. उमाशंकर दीस््कत बाद मे् इंसदरा गांधी के गृह मंत्ी बने, सिर बंगाि के राज्यपाि. इन्ही्की पतोहू श््ीमती शीिा दीस््कत सदल्िी मे्मुखय् मंत्ी पद पर थी. हेरल्ड मे्दीस््कत जी के आने के पूव्ा पहिी बार श््समको् ने हड्ताि की थी. यह भी एक सवडंबना थी क्यो्सक श््समक यूसनयन का अगुवा हमेशा सनदेशक मंडि की बैठक मे्सशरकत करता था. श््समक िहयोग का यह नायाब उदाहरण हेरल्ड मे् एक पुरानी पसरपाटी के तहत िृसजत हुआ था. दौर था स््दतीय सवश्य् द ु ्का. छपाई के खच््े और कागज के दाम बढ् गये थे. हेरल्ड तीन िाि के अंदर ही बंदी की कगार पर था. अंग्ेजपरस््दैसनक ‘पायसनयर’ इि आि मे्था सक उिका एक छत््राज कायम हो जायेगा. तब हेरल्ड पत््कारो्और अन्य कस्मायो्ने स्वेच्छा िे अपना वेतन आधा कटवा सिया था. तीन महीने तो सबना वेतन के काम सकया. कई असववासहत कम्ाचारी हेरल्ड पसरिर मे् रहते और िोते थे. कामन सकचन भी चिता था जहां चंदे िे खाना पकता था. िंपादक के हम कुटंबीजन तब (आठ भाई-बहन) माता-सपता के िाथ नजरबाग के तीन मंसजिा मकान मे् रहते थे. सकराया था तीि र्पये हर माह. तभी अचानक एक सदन सपता जी हम िबको दयासनधान पाक्क के िामने वािी गोपािकृष्ण िेन के छोटे िे मकाने मे्िे आये. सकराया था ित््ह र्पये. दूध मे् कटौती की गयी. रोटी ही बनती थी क्यो्सक गेहूं र्पये मे्दि िेर था और चावि बहुत मंहगा था, र्पये मे् सिि्क छह िेर समिता था. दस््कण भारतीयो् की पिंद चावि है. सिर भी िोभ िंवरण कर हमे्गेहूं खाना पड्ा. यह िारी बचत, कटौती, कमी बि इिसिए सक हेरल्ड छपता रहे. यह पसरपाटी हेरल्ड के श््समको् को िदैव उत्पस्ेरत करती रही, हर उत्िग्ाके सिए. इिी का ताजा प््माण िाि 1995 मे् सिर समिा, जब बाइि महीनो् के वेतन न समिने पर भी िारे कास्माक हेरल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज छापने मे्ितत यत्नरत रहे. श्म् का अभाव नही् था. काम तब र्का जब नकारा प््बंधन कागज, स्याही, सबजिी आसद िाधन भी मुहैया न करा पाया. इतने वष््ो िे, यह िब सििसििेवार होता रहा जबसक दशको् तक हेरल्ड के स्वामी ही
प््धानमंत्ी और ित््ािीन पाट््ी के नेता रहे. प््बंधन मे् घुिपैसठयो् का यह आिम था सक राज्य ित््ा का पूरा िाभ सनजी तौर पर उठाया गया. श््समको् का शोषण अनवरत था. वष्ा 1979 िे 1986 तक इंसदरा गांधी के अत्यंत सवश्स ् ्िहायक यशपाि कपूर प्ब् ध ं सनदेशक रहे. िाढ्े िात वष्ा तक यशपाि कपूर हेरल्ड पर छाये रहे. उि दौर मे् पटना, मुंबई, इंदौर, भोपाि आसद नगरो् मे् कांग्ेिी िरकारो् की अनुकंपा िे प््ेि के सिए महंगी जमीन कौड्ी के भाव खरीदी गयी. सवज््ापन भी राज्य िरकारो्िे बेशुमार आते रहे. नयी मशीने्िायी गयी. सिर वही हुआ जो स्कूिी बच््े सटसिन खा िेने के बाद अंत मे् सचल्िाकर कहते है: ‘खेि खत्म, पैिा हजम.’ सजतना पैिा कांगि ्े -शासित राज्यो् और प््धानमंस्तयो्के काय्ाािय िे आता था िब खत्म, बब्लक हजम होता रहा. श्स्मक बुद्बनते रहे. िन 1998 मे् हुई नीिामी उिी िूट की पसरणसत है. िखनऊ ब्सथत उच्् न्यायािय की खंडपीठ का 1998 मे् यह नीिामी का सनण्ाय भी श््समको् के कारण नही्, वरन्ा सनम्ाम और ढीठ प््बंधन के चिते हुई. सदिचस्प घटना है, यह श््समक िंघष्ा के इसतहाि मे्. हाईकोट्ा के वकीिो्ने 24 अक्टबू र 1998 को हड्ताि रखी थी. इििे हेरल्ड के श््समको् का भाग्य खुि गया. उिी सदन िाि भर िे टिती आ रही उनकी सरट यासचका िुनवाई पर िगी थी. यासचका िखनऊ सजिासधकारी िदाकांत मौजूदा िमय मे् प््मुख िसचव की उदािीनता और सनष्स्कयता के सखिाि थी. श््समको् ने उपश््मायुक्त िे वेतन भुगतान के सिए प््बंधको् साेबनया और राहुल: अमानत मे् खयानत
पर िागू सरकवरी प््माणपत्् जारी करवाया था. पर सजिासधकारी ने इिे र्टीन मामिा िमझ कर दिना सदया था. हाईकोट्ामे्भी व्यवस््ा के कारण शीघ्् िनुवाई नही् हो पा रही थी. न्यायामूस्ता डीके स््तवेदी और न्यायमूस्ता जगदीश भल्िा खंडपीठ पर 24 अक्टूबर को सवराजमान थे. हड्ताि के कारण कोई वकीि हासजर नही् था. बि कौमी आवाज्के चंद कासतब हाईकोट्ा मे्उत्िुकतावश पहुंच गये थे. न्यायमूस्ता द््य ने उन श््समको् िे जानकारी मांगी. पहिे तो वह िब सहचके क्यो्सक आज तक वकीि के माि्कत ही िारी िुनवाई चिती थी, पर न्यायमूसत् ा स््तवेदी और भल्िा के आग््ह िे वे श््समक आश््स् होकर अपनी व्यथा-कथा बयान कर गये. उन्हो्ने बताया सक बाइि माह िे वेतन न समिने के कारण भुखमरी की ब्सथसत आ गयी है. हाईकोट्ा ने सजिासधकारी की सढिाई पर रोष व्यक्त सकया और वेतन भुगतान के सिए िौरी कार्ावाई का आदेश सदया. सजिा प््शािन जागा और सदल्िी मे् हेरल्ड के प््बंधको् को भी जगाया. बजाय आदेशानुिार वेतन भुगतान के, प्ब् न्धको्ने नीिामी की काय्वा ाही स्थसगत करने का अििि प््याि सकया. श््समको् िे िंवाद स्थासपत कर िकते थे सक समिजुि कर िमस्या का िामाधान ढूंढे. पर उन्हे् परवाह नही् थी. इिका बुसनयादी कारण यह है सक सिरोज गांधी, मोहम्मद यूनुि, उमाशंकर दीस््कत आसद प््बंध सनदेशक िखनऊ के मुख्य काय्ाािय िे काम करते रहे, जबसक बाद मे् प््बंधन ने सदल्िी मे् ित््ा के गसियारे के सनकट रह कर मुख्यािय िखनऊ को स्टेपनी बना डािा था. सदल्िी िंस्करण के कम्ाचासरयो् को वहां की भव्य इमारत के सकराये िे वेतन भुगतान हो जाता था. िखनऊ उपेस्कत रहता है. नीिामी की नौबत आने के पूव्ािखनऊ के श््समको्ने प््ाण प््ण िे काम सकया. सबजिी का सबि बत््ीि िाख र्पये हो गया था. मुख्यमंत्ी कल्याण सिंह िे अनुरोध कर सबना भुगतान सबजिी चािू रखवाई गयी तासक मशीने् बंद न हो्. टेिीिोन कट गये तो पीिीओ िगवाया तासक िंचार िंपक्कबना रहे. िंवाद िसमसतयो् ने भुगतान न होने पर अपनी िाइने्काट दी तो हेरल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज के िारे सरपोट्ार शहर मे् घूम-घूम कर िमाचार बटोरते रहे तासक अखबार मे् पय्ााप्त प््काशन िामग््ी जुटाई जा िके. इि पर भी िखनऊ और सदल्िी का प्ब् ध ं न चेता नही्. जब चेता तो बोिी िग चुकी थी. बाद के हेरल्ड प््बंधको्ने 10 जनपथ की सनवासिनी अपनी स्वासमनी को शायद इिी तरह अनसभज््रखा था. तब नीिामी की बोिी गोमती के इि पार िगी थी. सिर यमुना के उि तट पर हेरल्ड हाउि बंद हो गया. पर हेरल्ड के नाम पर िूट चािू है. n(िाभार: ‘ना र्की ना झुकी ये किम’) शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 29
मास् देशकाल ट हेड
विर से अवित शाह ?
त्या भाजपा के बुजुग्ष नेरा, अध्यक्् अदमर शाह को िूसरा काय्षकाि दिये जाने के मुद्े पर चुपचाप बैठे रहे्गे ? िी सक्सेिा
भा
रतीय जनता पाट््ी अध्यक्् असमत शाह के दूिरे काय्क ा ाि को िेकर िुगबुगाहट तेज होती सदख रही है. ऐिे मे्िवाि उठने िगे है् सक क्या पाट््ी के बुजुग्ा नेता, अध्यक्् असमत शाह को दूिरा काय्ाकाि सदये जाने के मुद्े पर चुपचाप बैठे रहे्गे या सिर इिमे् अवरोध पैदा करे्गे. खाितौर िे सजि तरह िे बीते सदनो् प््धानमंत्ी नरे्द्मोदी ने िाि कृष्ण आडवाणी िे मुिाकात कर उनके िामने प््सतभा को राज्यिभा मे् भेजे जाने का प््स्ाव रखा था. उििे यह मामिा गंभीर होता जा रहा है. सबहार सवधानिभा चुनाव के पहिे सजि तरह िे चुनाव की पूरी कमान असमत शाह और उनके िमथ्ाको् ने अपने हाथ मे् िी थी. इिे पाट््ी के तमाम नेताओ्ने पिंद नही्सकया. यह पूरा चुनाव नीतीश बनाम नरे्द्मोदी के नाम पर िड्ा गया. जब चुनाव नतीजे आये तो भाजपा का िूपड्ा िाि हो गया. इिके बाद पाट््ी की ओर िे बयान जारी सकया गया सक यह िामूसहक सजम्मेदारी का मामिा है. इि पर भाजपा के वसरष्् नेताओ् िाि कृष्ण आडवाणी, यशवंत सिन्हा, मुरिी मनोहर जोशी और शांता कुमार ने एक िाझा बयान मे् कहा सक सजन िोगो् ने चुनाव की िारी सजम्मेदारी और कमान अपने हाथ मे् िंभािी हुई थी. उन्हे् ही इि हार की सजम्मेदारी भी िेनी चासहए. यह बयान देने के बाद मुरिी मनोहर जोशी और शांता कुमार िे िंघ ने िंपक्कसकया. िंघ मे्भाजपा के प्भ् ारी डॉ कृष्णगोपाि ने इन नेताओ् िे बात की. िूत् बताते है्सक उन्हे्दो टूक शल्दो्मे्बता सदया गया सक वे िोग मोदी के सखिाि नही्है. पर असमत 30 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
अबमत शाह: हो सकती है छुट्ी
शाह को हटाया जाना चासहए. उन्हे्वे सकिी भी हाित मे् स्वीकार नही् करे्गे. इिे िेकर िंघ अभी तक दुसवधा मे् है. यही वजह थी सक इि गुट को मनाने के सिए ही बीते सदनो्प््धानमंत्ी नरेद् ्मोदी ने िाि कृषण ् आडवाणी िे मुिाकात करके उन्हे् मनाने के सिए उनकी बेटी प््सतभा को राज्यिभा मे् भेजने का प््स्ाव रखा. आडवाणी ने उनके प््स्ाव का कोई जवाब नही् सदया. पर जब वे गुजरात मे्होने वािे स्थानीय सनकाय के चुनाव मे् अपना वोट डािने अहमदाबाद गये तो पत््कारो् के पूछे जाने पर उन्हो्ने कहा सक मोदी िरकार अच्छा काम कर रही है. हािांसक पाट््ी के ही एक वसरष्् नेता का कहना था सक आडवाणी जी को इतनी जल्दी मना पाना िंभव नही् है. उन्हे् भी पता है सक अगर असमत शाह को जनवरी माह मे् अध्यक्् पद का दूिरा काय्ाकाि समि जाता है. तो उि हाित मे् मोदी और शाह की जोड्ी सकतनी मजबूत होकर उभरेगी. वे अपनी बेटी को राज्यिभा मे्भेजे जाने की कीमत पर कोई ऐिी िौदेबाजी नही् करे्गे. सजििे सक उनकी छसव प््भासवत हो. भाजपा के अिंतुष्ो्की नजर आगे आने वािी 19 तारीख पर िगी हुई है. सजि सदन िोसनया गांधी और राहुि गांधी को नेशनि हेरल्ड मामिे मे्अदाित मे्पेश होना है. उनका मानना है सक उि सदन कांग्ेि और भाजपा दोनो् की ही राजनीसत तय हो जायेगी. अगर उि सदन िोसनया और राहुि मे् जनता शािन काि की इंसदरा और िंजय नजर आये तो यह तय हो जायेगा सक पाट््ी मे्जान िूंकी जा िकती है. सबहार के बाद अगिे िवा िाि मे्ही होने वािे उत्र् प्द् श े और पंजाब सवधानिभा चुनावो्
मे् पाट््ी की पतिी होती हाित को देखते हुए, नरे्द् मोदी के व्यवहार मे् गजब का बदिाव आया है. वे आडवाणी िे समिने के सिए उनके घर गये. उन्हो्ने प््सतभा को राज्यिभा मे् भेजने की इच्छा जतायी. मािूम हो सक आडवाणी 2014 का िोकिभा चुनाव गांधी नगर िे नही् िड्ना चाहते थे. उनकी इच्छा थी सक इि िीट िे प््सतभा को चुनाव िड्वाया जाये. पर मोदी इिके सिए तैयार नही्हुए. अब अचानक उनके बत्ााव मे् आया यह बदिाव सवस्मयकारी था. उन्हे्चंदन समत््ा की जगह राज्यिभा मे्भेजा जा िकता है, जो अगिे िाि सरटायर होने वािे है्. भाजपा िूत्बताते है्सक पाट््ी के अंदर नरेद् ् मोदी के सखिाि भिे ही कोई कुछ कह पाने की सहम्मत न रखता हो, पर अिंतुष् सकिी भी हाित मे्असमत शाह को बख्शने के मूड मे्नही् है्. वे इि बात की पूरी कोसशश करे्गे सक उन्हे् दूिरी बार भाजपा अध्यक्् न बनने सदया जाये. इिसिए वे सिर कोई कदम उठा िकते है.् िािकृष्ण आडवाणी को दादा कहकर बुिाने वािी प््सतभा का अपने सपता िे सवशेष िगाव रहा है. भाजपाई बताते है् सक आडवाणी उन्हे्उतना ही प्यार करते है्. सजतना की जवाहरिाि नेहर् इंसदरा को सकया करते थे. उनकी बहुत इच्छा थी सक प््सतभा भी राजनीसत मे् आ जाये्. पर पसरवारवाद के आिोचक रहे इि नेता के सिए यह िंभव नही् रहा. वे दबे स्वरो् मे् अपनी यह इच्छा अपने सवश््ाि पात्् िोगो् के बीच जताते आये थे. सवशेष तौर पर पत्नी कमिा और प््सतभा, उनके करीबी ििाहकार रहे है्. जब वे उपप््धानमंत्ी थे तो प््सतभा उनके िाथ अहम n दौरो्पर जाती थी्.
मुद्ा
उनके लिए नहीं शौचािय
िेश के करीब िस करोड़् िोगो् को शौचािय की सुदवधा हादसि नही् है. दजसका सबसे बुरा असर मदहिाओ् पर होरा है. उपासिा िेहार
आ
जादी के 68 िाि बाद भी देश की बड्ी जनिंख्या खुिे मे्शौच को मजबूर है. िाि 2011 की जनगणना के अनुिार देश के 53.1 िीिद घरो् मे् शौचािय नही् है. ग््ामीण इिाको्मे्यह िंखय् ा 69.3 िीिद है. शौचािय नही् होने के मामिे मे् िबिे खराब हाित झारखंड और ओसडशा की है जहां करीब 78 िीिद घरो्मे्शौचािय नही्है्. िंयुक्त राष्् की 2010 की सरपोट्ा के अनुिार देश मे् िोग शौचािय िे ज्यादा मोबाइि िोन का इस््ेमाि करते है्. सरपोट्ा अनुिार देश मे् 54 करोड् 50 िाख िोगो् के पाि मोबाइि िोन है्, जबसक सिि्क36 करोड् 60 िाख िोग शौचाियो् का इस््ेमाि करते है्. पेयजि और स्वच्छता मंत्ािय के अनुिार भारत के करीब 10 करोड् घर ऐिे है् जहां शौचािय की व्यवस्था नही्है. घरो् मे् शौचािय न होने िे िबिे ज्यादा सदक््तो् का िामना िड्सकयो् और मसहिाओ् को करना पड्ता है. इिका िबिे ज्यादा अिर उनके स्वास्थ्य और िुरक््ा पर पड्ता है. सवश्् बै्क के डीन स्पीयि्ा के अध्ययन के अनुिार खुिे मे्शौच करने िे मसहिाओ्के स्वास्थय् पर बहुत ही बुरा प््भाव पड्ता है. िेसकन न तो इिे िेकर शहरो् मे् और न ही गांवो् मे् कभी ध्यान सदया जाता है. घर मे् शौचािय न होने िे मसहिाओ्को िुबह िूरज उगने िे पहिे घर िे दूर शौच के सिए जाना पडता है. पर अगर सकिी वजह िे िुबह शौच के सिए मसहिा नही् जा पायी तो उन्हे् सदनभर सनत्यकम्ा रोक के रखना पड्ता है. इििे मसहिाओ् मे् कई तरह की बीमासरयां गैस्स्िक, कल्ज, पेट का अल्िर,
टॉयिायड, सकडनी की िमस्या, आंतो् का िंक्मण, यूसरनि इंिेक्शन, गभ्ााशय मे् िंक्मण, मधुमेह आसद हो जाती है्, सवडंबना है सक मसहिाएं इन बीमासरयो्को अपने असनयसमत सनत्यकम्ािे जोड्भी नही्पाती. शहरो् मे् एक बड्ी आबादी झुग्गी बस््सयो् मे् रहती है. ऐिे मे् हर घर मे् शौचािय की कल्पना करना नामुमसकन िा है. इि वजह िे झुग्गी बस््सयो् के िोग खुिे मे् शौच जाने को मजबूर है्. यहां भी िबिे ज्यादा सदक््त िड्सकयो्और मसहिाओ्को होती है. शहरो्मे् िाव्ाजसनक शौचाियो्की िंख्या जनिंख्या के सहिाब िे कम है. इन िाव्ज ा सनक शौचाियो्का रखरखाव ठीक िे नही्होने िे ये अक्िर गंदगी का सशकार रहते है्. इनमे्पानी की व्यवस्था भी िही नही्होती है. सिल्ममेकर पारोसमता वोहरा ने 2006 मे् सिल्म क्यू2पी शहरो् मे् मूिभूत िुसवधा और िाव्ाजसनक शौचाियो् की कमी िे मसहिाओ् को होने वािी परेशानी के सवषय पर बनायी थी. इिमे् सदखाया गया था सक कैिे कामकाजी मसहिाओ्पर इिका अिर पडता है. उन्हे्कम पानी पीना पडता है और इि वजह िे उन्हे्यूसरन करते िमय जिन होती है. शौचािय के नही् होने िे िड्सकयो्, मसहिाओ् की िुरक््ा पर भी अिर पड्ता है. मसहिाएं शौच के सिए बेहद िुबह या सिर देर रात िन्नाटे मे् सनकि कर िुनिान जगहो्, जंगि, झासडयो के पीछे जाती है्, िेसकन ये स्थान अिुरस््कत होते है्. इि तरह उन्हे् सहंिा और उत्पीड्न का भी िामना करना पड्ता है. अक्िर मीसडया मे् इि तरह की खबरे् िुनाई पड्ती है.् इन खबरो्पर राष््ीय मानव असधकार आयोग की सटप्पणी सक अगर देश मे् ज्यादा शौचािय हो्गे तो बिात्कार जैिी घटनाओ्पर अंकुश िगेगा भी िमस्या की भयावहता की तरि इशारा करती है.
अपनी बेटी के साथ पाव्िती देवी: शौचालय की मुबहम शौचािय की िमस्या िे सनपटने के सिए अब मसहिाएं खुद िामने आ रही है्. पटना के एक गांव की पाव्ाती देवी ने चार िाि िंबी िड्ाई िड्कर घर मे्शौचािय बनवाया. उत््र प््देश के खेसिया गांव की 6 नववधुओ् शौचािय की मांग के िाथ घर छोड् सदया. हसरयाणा के सभवानी मे् एक बुजुग्ा मसहिा प््ेमा ने शौचािय बनवाने के सिए अपनी भैि ् बेच दी. इि तरह के कई मामिे िामने आये है्. जो शौचािय िे जुड्ी जागर्कता का ही पसरणाम है. भारत िरकार ने भी इि िमस्या को िेकर मुसहम चिाने का काम तेज सकया है्. िाि 1986 मे्केद् ्ीय ग््ामीण स्वच्छता काय्क ा म् शुर् सकया. सजिका िाि 1999 मे् नाम बदि कर िंपूण्ास्वच्छता असभयान कर सदया गया. इिके बाद िाि 2008 मे् राष््ीय शहरी स्वच्छता नीसत बनी. इिी कड्ी मे् 2014 िे स्वच्छ भारत असभयान की शुर्आत हुई. प््धानमंत्ी नरे्द् मोदी ने स्वच्छता काय्ाक्म मे् शौचािय की प््ाथसमकता पर बि सदया. िरकार ने स्वच्छता असभयान के सिए 52 हजार करोड् र्पये का बजट रखा है. िाि 2019 तक हर घर मे्शौचािय बनवाने का िक््य भी रखा गया है. पर ऐिा क्यो् है सक इन िब प््यािो् के बाद भी आज भी देश की आधी िे ज्यादा आबादी खुिे मे् शौच को मजबूर है. इिकी वजह िरकार और िमाज के बीच दूरी है. इिके सिए िरकार और िमाज को शौचािय सनम्ााण और इस््ेमाि को िामासजक िुधार आंदोिन का र्प देना होगा. िोगो् की मानसिकता को बदिना होगा. खािकर पुर्ष वग्ाजो सक कभी भी शौच के सिए घर िे बाहर जा िकते थे इि वजह िे उन्हे् मसहिाओ् की सदक््ते् िमझ मे् नही् आती्. िाथ ही घर मे् शौचािय बनाने और इस्म्े ाि करने के समथको् n को भी दूर करना होगा. शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 31
मास् मीतडया ट हेड शंभूिाथ शुक्ल
सरोकारो् का पत््कार
जब पत््कादररा के मायने दसफ्फ चटक-मटक िुदनया को दिखाना और उसके दिए दचंरा व्यत्र करना हो गया हो रब रवीश उस िुदनया के स्याह रंग की दफक्् कररे है्.
मु
झे सबहार के बारे मे् उतनी ही जानकारी थी सजतना सक मै्ने टीवी देखा-िुना और अखबारो् मे् पढ्ा था. प््काश झा की गंगाजि, अपहरण जैिी सिल्मे् देखकर भी सबहार को जाना था. इिके अिावा सबहार को िमझने का एक स््ोत और था, जो हमारे िाथ काम करने वािे थे. सदल्िी मे् सबहार िे भागकर आये ऊंची जासत के जातक बताया करते थे सक िोने की िंका कहे जाने वािे सबहार का िारा वैभव सपछिे 25 वष््ो् के मंडि राज ने जंगि राज मे् बदि डािा है. सबहार मे् न रोटी है न बेटी िुरस््कत है. पर अभी हाि की सवधानिभा चुनाव मे्एनडीटीवी के रवीश कुमार ने सबहार की जो तस्वीर िाइव सदखायी उििे यह जड्ता धड्ाम िे सगरी. िगा सक सबहार भी उतना ही िमृद्घ है, सजतना सक सहंदुस्ान के दूिरे प््ांत. सबहार मे् मानसिकता कैिे बदि रही है. औित सबहारी सकि तरह िोचता है और करता है. इिका पूरा मजमून रवीश कुमार ने ल्योरेवार सदखाया. मुिििि करीब डेढ् महीने तक यह चिा. कह िकते है् सक रवीश कुमार की यह जादुई शैिी थी सक िोकमान्यता मे्सपछड्ेऔर दसरद््सबहार का वह खाका उन्हो्ने खी्चा जो तब तक अज््ात था. नीतीश कुमार ने िाइसकिे्देकर सबहार की बेसटयो्को 21 वी्िदी मे्िा सदया है. आज सबहार की बेसटयां अपनी पुरानी पीढ्ी िे कई िाि आगे चिी गयी है्. गांव-गांव मे्िड्के्है्. सकिान को अपनी उपज का िही दाम समिने के सिए बाजार भी है्. एक सबजिी कैिे एक गांव मे् क््ांसत कर देती है, इिका एक नायाब दृश्य रवीश कुमार ने सदखाया और स्वदेश सिल्म की याद सदिा दी. सजिमे्नायक शाहर्ख खान अकेिे सबजिी िाकर उि गांव की जड्ता को तोड्ता है. वाकई यह िब देखकर िगा सक चाहे मंडि हो या कमंडि सवकाि की अनदेखी करने वािा ित््ा मे्नही्िौट िकता. जनता भावनाओ्मे्बहकर वोट नही्देती बब्लक खूब ठोक-बजाकर और परख कर ही वोट देती है. रवीश कुमार की यही िीिा उन्हे्दूिरे पत््कारो्िे अिग करती है. इििे िगता है सक टीवी की सझिसमिाती दुसनया मे्भी रवीश जैिे पत््कार जब तक रहे्गे तब तक पत््कासरता के िरोकार सजंदा रहे्गे. रवीश की यह िगन इिसिए नही् है सक वे िीक िे हटकर चिने वािे पत््कार है्. इिीसिए वे कुछ ऐिा करना चाहते है्सजििे वे अिग सदखे्. या चिन के सवर्द्घ चिकर कुछ िोग अपने को कुछ अिग िासबत करने का प््याि करते रहते है् बब्लक रवीश इिसिए ऐिा करते है् क्यो्सक रवीश के प््ोिेशनसिज्म मे् सिि्क कौशि ही नही् एकेडेसमक्ि का भी योगदान है. सदल्िी यूनीवस्िाटी िे मॉड्ान्ासहस्ि्ी मे्पोस्ट ग््ेजुएट रवीश की नजर तीक््ण है और उनका टारगेट रहा है सक आजादी के बाद शहरीकरण ने सकि तरह कुछ िोगो् को िदा-िदा के सिए पीछे छोड् सदया है, उनकी व्यथा को 32 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
सदखाना. आप कह िकते है् सक यह भी िंयोग रहा सक रवीश कुमार को जो चैनि रहा वह भी िीक िे हटकर प््ो-पीपुल्ि है, पर कॉरपोरेट की एक िीमा होती है. वह उििे एक कदम भी आगे नही्बढ्िकता. अब यह तो वहां काम कर रहे प््ोिेशनि का ही कमाि होता है सक वह उि कॉरपोरेट को कनसवंि कर सकतनी छूट हासिि करता है. रवीश कुमार अपने इि समशन मे् िौ िीिद कामयाब रहे है्. मै् रवीश को नही् जानता था. पर रवीश कुमार: चकाचौ्ि से परे कोई पांच िाि पहिे की बात है अचानक मै्ने देखा सक एनडीटीवी पर कापिहेड्ा की एक िाइव सरपोट्ा चि रही थी. कापिहेड्ा पस््िमी सदल्िी का एक गांव हुआ करता था, अब वह िािडोरा मे्आ गया है. वहां पर सकि तरह िे मकान मासिक अपने सकरायेदारो् को अपना बंधुआ बनाकर रखते है्. जो युवक इि सरपोट्ा को पेश कर रहा था वे थे रवीश कुमार. अकेिे उि सरपोट्ाने मुझ पर ऐिा जादू सकया सक आज तक शायद ही रवीश की कोई सरपोट्ाया बाद मे्शुर्हुआ उनका प््ाइम टाइम न देखा हो. रवीश की सरपोट्ािे ही इि एंकर के अपने र्झान और अपनी र्सचयां िाि कर दी थी्. िगा सक इि नवयुवक मे्टीवी की सझिसमिाती स्क्ीन मे्भी कुछ धुंधिे पक््सदखाने की मंशा है. रवीश कुमार की यह प््सतबद्घता उन्हे्कही्न कही्आज के चािू पत््कासरता के मानको्िे अिग करती है. जब पत््कासरता के मायने सिि्कचटक-मटक दुसनया को सदखाना और उिके सिए सचंता व्यक्त करना हो गया हो तब रवीश उि दुसनया के स्याह रंग की सिक््करते है्. मीसडया मे् आया हर पत््कार रवीश जैिी चकाचौ्ध और ग्िैमर चाहता है. पर रवीश बनना आिान नही् है. उन जैिे िरोकार तिाशने हो्गे. उन िरोकारो् के सिए एकेसडमक्ि यानी अनवरत पढ्ाई जर्री है. रवीश बताते है् सक वे िासहत्य या सिक्शन की बजाय वह इकोनासमक्ि, िोसशयोिाजी और िाइिं पढ्ते है्. इन्ही् सवषयो् की सकताबे् खरीदते है्. उनके सकताब खरीद का बजट कोई दि हजार र्पये महीना है. रवीश ने सबजिी वािी स्टोरी करने के सिए सबजिी के बारे मे्ही नही्पढ्ा बब्लक इिके सिए सबजिी िे बनते-सबगड्ते अथ्ाशास््को जानने के सिए उन्हो्ने अमेसरका िे पांच हजार र्पये की एक सकताब मंगवाई. इिी तरह कचरा और अरबनाइजेशन पर वे सनरंतर पुस्के्पढ्ते रहते है्. यह जर्री भी है. िरोकार का टारगेट िमझना सजतना आवश्यक है उतना ही आवश्यक उि िरोकार िे होने वािे सवकाि को िमझना. सवकाि स््दअथ््ी शल्द है, सजिका प््सतस््कयावादी और प््गसतकामी कई अिग अथ्ा बताते है्. एक सवकाि नरे्द्मोदी का है तो दूिरा नीतीश कुमार का, असखिेश यादव का और मायावती का. पर प््श्न वही है सक आप सकि तरह के िरोकारो् के n िाथ खड्ेहै्.
अक्सटमिा मास् हेड िब्तशका िंदा
जेलें भी ललखती हैं जेिो् मे् बंि कैदियो् के भीरर दछपी रचनात्मक प््दरभा को उभारने के दिए दरनका दरनका पुरस्कार शुर् दकया गया. दजसके नरीजे बहुर उत्साहवध्षक रहे है्.
क
भी खुद िे निरत होती है्./तो कभी जमाने िे होती है्./घो्ट के गिा मेरे अरमानो् का,/ये दुसनया चैन िे िोती है/िेसकन टकराते है् जो तूिानो्िे/हार न उनको समिती है. यह रचना राधा मोहन की है. राधा मोहन करीब दो िाि िे जयपुर के के्द्ीय कारागृह मे्सवचाराधीन बंदी है्. राधा मोहन उन बंसदयो्मे्िे एक है् सजन्हो्ने इि िाि शुर् सकये गये सतनका सतनका इंसडया अवॉड्ा के सिए अपनी कसवताएं भेजी थी्. उन्हे्इि िाि का पहिा सतनका सतनका इंसडया अवॉड्ासदया गया है. यह प्य् ाि कैसदयो्के अंदर कैद प्स्तभा को बाहर िाने की कोसशश मे्सकया गया है. इिके नतीजे कािी उत्िाहवध्ाक और हैरान करने वािे रहे है्. दूिरा पुरस्कार गुजरात के शहर िूरत की जेि मे् बंदी वीरे्द् सवट््ि भाई वैष्णव को सदया गया है. वह पेशे िे पत््कार रहे है्और काट्ाूसनस्ट भी. सकन्ही्वजहो्िे वह सपछिे पांच िािो्िे गुजरात के शहर िूरत की जेि मे्बंदी है. कसवता का शीष्ाक था ‘यह मेरा असधकार है’. यह कसवता उन तमाम बंसदयो् के दद्ा का जीवंत दस््ावेज है. जो बेहद ढी़िी और पेचीदा न्यासयक प््स्कया मे्जकड्ेहुए है. इि कसवता के िाथ सवट््ि भाई ने अपने हाथो्िे बनायी हुई एक तस्वीर भी भेजी है सजिमे्एक तरि जेि सदखाई दे रही है तो दूिरी तरि मानवासधकार के नाम का एक खंभा है और बीच मे् एक युवक है. सजिके एक हाथ मे् बेस्डयां है् और दूिरा हाथ सिर के ऊपर है सजिमे्कानूनो्का गठ््र है. पाि मे्एक बोड्ाहै सजि पर सिखा है आजादी. तीिरा पुरस्कार अहमदाबाद जेि मे्बंद प््णव गोसवंदभाई पटेि को उनकी कसवता ‘द डेज्आर डाक्क’ को सदया गया गया है. यह कसवता अंधेरे मे्भी उजािे और दैसवक न्याय की बात कहती है. पे्सटंग और किा के सिए इि िाि का पहिा सतनका सतनका इंसडया अवॉड्ाउत््र प््देश के शहर आगरा की जेि मे्बंदी बंटी उि्कसिरोज उि्क सिंकदर को सदया गया है. उिकी महारत िाबुन िे मूस्तायां बनाने मे्है. वह आठवी् पाि है्. जेि आने के पहिे सिरोज टायरो् पर रबड् चढा़ने का काय्ाथा. अब तक उिकी किाकृसतयां िसित किा अकादमी िखनऊ, रवी्द्ािय और ताज महोत्िव आगरा मे् प््दस्शात और बेची जा चुकी है. धारा 364, 368 आईपीिी के तहत वह िे्ि्ि जेि आगरा मे्िजा भोग रहा है. वह आजीवन कारावाि पर है. अभी वह अन्य बंसदयो्को भी यह किा सिखा रहा है. दूिरा पुरस्कार उत््र प््देश के शहर बाराबंकी के रहने वािे सवचाराधीन बंदी अरसवंद कुमार को सदया गया है. 28 िाि के अरसवंद बीए पाि है्और धारा 304 के तहत अपने भाई के िाथ जेि मे्बंद है्. उनकी सजि पे्सटंग को पुरस्कृत सकया गया है, वह जेि िे सरहाई की उम्मीद पर आधासरत है और इिे चारकोि िे बनाया गया है. तीिरा पुरस्कार जयपुर की जेि मे्बंदी देव सकशन को जंतर मंतर के सचत्् पर सदया गया है. पे्सटंग मे सवशेष पुरस्कार बाराबंकी की जेि मे् आजीवन कारावाि पर बंदी 24 िाि के सदिीप कुमार को कोयिे िे बनाए मर्स्थि के सचत्् को सदया गया. सदिीप कुमार 376 आईपीिी के तहत 10 वष्ा की िजा िे दंसडत है्. अब जेि के काय्ाािय मे् िेवादान करके
प््ायश्सचत कर रहे है्. इंटर पाि सदिीप 24 िाि के है्और अपनी पुरस्कृत पे्सटंग मे् उन्हो्ने चारकोि िे गीजा के सपरासमडो् के िाये मे् ढिते िूरज और रेतत पर चिते मुिासिरो् के माध्यम िे अपनी उदाि आंखो् के सबयाबान को बेहद िंजीदगी िे उकेरा है. जेिे्खौि िाती है्. जेि के नाम िे सिहरन होती है्. िेसकन जेिो्मे् भी उम्मीदे्जी िकती है्. दुसनया का िव्ाश्ेष्िासहत्य जेिो्मे्सिखा गया. जेिो् ने आजादी के दौर मे् क््ांसतकासरयो् की उज्ाा को बनते और पनपते देखा है्. जेिे्इिसिए बनायी गयी सक वे अपराध की तयी हुई िजा को पूरा करवाने की जगह बने्और िुधार गृह की पसरपाटी पर खरा उतरे. िेसकन जेि और कानून इि बात की गारंटी कभी नही्दे पाये सक इनकी मौजूदगी भर िे अपराधो्का खात्मा हो जायेगा. सिल्मी दुसनया ने अक्िर जेिो्को रहस्य और यंत्णा िे िबािब सदखाया. जेिे्कल्पना का सहस्िा कभी नही् बनती् और िपनो् का भी नही्. जेिो् पर सिखने वािे िीसमत ही है् और जेिो्के अंदर जो सिखा जाता है्, उिे बाहर िाने के सिए सखड्सकयां भी नही्है्. इिसिए बना सतनका सतनका इंसडया तासक कड्ी ििाखो्के बीच इन बंसदयो् के सिए उम्मीद के सचराग को स्थासपत सकया जा िके. तासक िज्ा के बीच रौशनी भी रहे, िृजन भी और मानवीयता भी. इि िमय देश की अिग-अिग जेिो् मे् करीब 80 िीिद बंदी सवचाराधीन है्. इंसडया टुडे मे्2006 मे्छपे एक िेख के मुतासबक भारत मे् िुप्ीम कोट्ा एक िाि मे् 193 सदन, हाई कोट्ा 210 सदन और सनचिी अदािते् 245 सदन काम करती है. अमेसरका और फ््ांि मे् अदािते् गम््ी के छुस्टयो्के सिए कभी बंद नही्होती्. कनाडा मे्अदािते्11 सदन जबसक इंग्िै्ड मे् सिि्क 24 सदन के छुट्ी पर रहती है्. बीते 30 िािो् मे् देश की अदाितो् मे् दायर मुकदमो् की तादाद 12 गुना बढ्ी है जबसक जजो् की तादाद मे्सिि्क6 गुना की बढ्ोतरी हुई है. िाि 2013 मे्दी गयी रवी्द्भट्् कमेटी के सरपोट्ा के मुतासबक भारत मे् एक सिसवि केि के सनपटारे मे् औितन 15 िाि िग जाते है्जबसक चीन मे्यह औित 3 महीने है. जेिो्की ब्सथसतयो्मे्िुधार िाने का रास््ा पेसचदसगयो्िे भरा है.् िाि 2014 मे्तात्कािीन मुख्य न्यायाधीश आरएि िोढा ने नयी अदाितो्के गठन की जर्रतो्की तरि ध्यान सदिाया था. देश के 24 उच््न्यायाियो् मे्इि िमय जजो्के करीब 270 पद खािी है्. सनचिी अदाितो्मे्यह िंख्या 4,300 के पार है. आजादी के बाद िे इि देश की कई अदाितो्मे् जजो्के करीब 25 िीिद पद खािी ही रहे है्. 2002 मे्िंिद मे्पेश की गई एक सरपोट्ामे्यह माना गया था सक उच््न्यायाियो्मे्करीब 5 िाख मामिे 10 िाि िे ज्यादा िंसबत पड्ेहै्. िंिद के गसियारो्मे्जेिे्तब याद आती है्जब सकिी राजनेता को सकन्ही वजहो् िे जेि मे् डािा जाता है्. मीसडया के सिए जेिे् खबर तब बनती है्जब कोई िनिनी जेि िे छन कर बाहर आती है्. जेि सकिी की बीट नही् बनती. इिसिए जेिे् िरोकारो् के दायरे् मे् सदखाई नही् देती. िोकतंत् के चारो् स््म्भो् के बीच मे् जेिो् िे िबिे ज्यादा वास््ा आम इंिान का ही पड्ता है,् सजिके सिए राजनीसतक चहिकदमी की कमी कभी n नही्रही. शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 33
उत् मास््रटप््दहेडेश
क्यो् याि आ रहे राम
दो बार अयोध्या से विधायक रहे समाजिादी नेता जयशंकर पांडेय से अर्ण व््िपाठी की बातचीत.
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ह साल भी बाबरी विध्िंस की सालविरह का छह विसंबर अयोध्या और फैजाबाि मे् शांवि से बीि िया. लेवकन इस शांवि के बीच एक रहस्यमयी राजनीवि के पसरने का अहसास जर्र हुआ. हाल ही मे्िुजरे अयोध्या आंिोलन के शीर्षस्थ नेिा अशोक वसंघल को श््द्ांजवल िेने िाले पोस्टर पूरे शहर मे्लिे थे. इस बीच संघचालक मोहन भाििि की ओर से राम मंविर वनम्ाषण के वलए सरकार से आग््ह वकये जाने के बाि स्थानीय लोिो् को इन पोस्टरो् मे् विशेर अथ्ष विखायी पड्ने लिा है. इस मौके पर अयोध्या से िो बार विधायक रहे, पूि्ष राज्य मंत्ी और समाजिािी पाट््ी के मौजूिा वजलाध्यक््जयशंकर पांडे से अयोध्या आंिोलन के िि्षमान, भविष्य और अिीि मे्झांकिी एक बािचीि. आप करीब िीन िशको्से यहां धम्षवनरपेक्िा की लड्ाई लड्रहे है्. क्या इस साल छह विसंबर के मौके पर अयोध्या और फैजाबाि के माहौल मे् कुछ खास बिलाि लि रहा है? वबहार विधानसभा चुनाि की हार के बाि विकास के मुद्ो् मे् भारिीय जनिा पाट््ी का विश््ास घटा है. इस बीच अयोध्या आंिोलन के कद््ािर नेिा अशोक वसंघल के वनधन के बाि राष््ीय स्ियं सेिक संघ के संघचालक मोहन भाििि ने कहा वक राममंविर का वनम्ाषण अशोक वसंघल को सच््ी श््द्ांजवल होिी. संघ संिठनो्ने आज अयोध्या मे्िाट्सअप, फेसबुक और अखबारो् के माध्यम से यह संिेश िेने की कोवशश की है वक भाजपा आने िाले विनो्मे्मोिी नही्राम के नाम पर चुनाि लड्ेिी. यह उसकी 2014 की रणनीवि मे्प््मुख बिलाि है. िह आिामी विधानसभा चुनाि और लोकसभा चुनाि िोनो् मे् लि ियी है. भाजपा चाहिी थी वक इस बीिे विसंबर को िह अयोध्या मे्बड्ेपैमाने पर काय्षक्म करे लेवकन िैसा नही्हो पाया. इसके बािजूि भाजपा की रणनीवि मे्अयोध्या आने िाले विनो्मे्अपनी अहवमयि पाने जा रहा है.
जयशंकर पांडेय: भाजपा पर नजर वलए भाजपा को चाहे वजिने वनचले स्र् पर राजनीवि करनी पड्ेिह करेिी. उसकी शुर्आि उसने इस साल छह विसंबर को अयोध्या मे् शौय्ष वििस मनाकर कर िी है. क्या आप कभी अशोक वसंघल से वमले और वमले िो कब और कैसे? उनसे वमलने का कैसा अनुभि रहा?
साल 1977 मे् जब जनिा पाट््ी की सरकार बनी िो मै् अयोध्या से विधायक चुना िया. उस चुनाि के बाि हमारे विर्द् लड्ने िाले कांग्ेस आप ने अयोध्या आंिोलन को बेहि करीब से िेखा है और उसका सामना नेिा वनम्षल खत््ी ने हाई कोट्षमे्चुनाि यावचका िायर कर िी. उस मुकिमे भी वकया है. उसके अिीि और िि्षमान को वकस िरह से िेखिे है्? मे् इलाहाबाि के मशहूर िकील िीकेएस चौधरी हमारी िरफ से पैरोकार कर रहे थे. चौधरी साहब िाशकंि रोड पर रहिे थे और संघ के प््िेश अयोध्या मे् राम मंविर आंिोलन के शलाका पुर्र स्िि््ीय रामचंद् प््मुख थे. उन्ही्के यहां मेरी पहली बार अशोक वसंघल जी से मुलाकाि हुई. परमहंस थे. उनके वनधन से इस आंिोलन को काफी क्व्ि पहुचं ी. कारसेिक उसके बाि मेरी उनसे अक्टूबर 1990 के पहले हफ्िे मे् भे्ट हुई. मै् िोबारा पुरम एकिम असहाय हो िये. लेवकन उनके बाि अशोक वसंघल जो वक 1989 मे् विधायक चुना िया था और उसी िौरान राममंविर आंिोलन िेज िूसरे नंबर के बड्ेनेिा थे. उनके आने जाने से िहां चहल पहल रहने लिी. हु आ. िब जनिा पाट््ी के विनो्से पवरवचि नेिा यह चाहिे थे वक मै्मुलायम अशोक वसंघल के वनधन से िह उम्मीि भी खत्म हो ियी. िे बहुि वनराश वसंह का साथ छोड्कर भाजपा मे्शावमल हो जाऊं. होकर िुजरे है्. इस बीच वबहार मे्हार के बाि संघ इसी योजना के िहि फैजाबाि से वनकलने िाले पवरिार मे्नया मंथन चल रहा है. लििा है िह नये भािपा को चाहे जितने जनचिे नये लोि अखबार को संपािक विनेश माहेश्री रामराज्य की पवरकल्पना िढ्ना चाहिी है. हालांवक स़ र ़ पर रािनीजत करनी पड़ , े मु झ से वमलने आये. उन्हो्ने कहा आप की िकिीर िे राम के आिश््ो्को भूल जािे है.् डॅा लोवहया कहिे खु ल ियी है चवलए आप को बहुि बड्े आिमी से करे ग ी. शु र आ ़ त उसने इस साि थे वक राम इस िेश के प््थम राजपुर्र थे. वजन्हो्ने वमलािे है . ् शोवरि पीव्डि िवलि समाज को जोड्कर रािण के अत्याचारी राज्य को खत्म कर विया. भाजपा डॅा आंबेडकर के पवरवनि्ाषण वििस पर अखबारो् मे् पेज भर का विज््ापन िेकर िेश के शोवरि समाज को लड्ाने का प््यास कर रही है.
छह जदसंबर को अयोध़या मे़ शौय़य जदवस मनाकर कर दी है.
इस समय ठंडे पड्े राम मंविर आंिोलन को भाजपा वकस िरह से िरमायेिी? यह लोि आने िाले विनो्मे्विशेरकर साल 2017 और 2019 के चुनािो् को ध्यान मे्रखिे हुए राम मंविर के नाम पर भािनाएं भड्काने की कोवशश करे्िे. हमे्ऐसा लििा है. यही इनके िोट बटोरने का िरीका होिा. इसके 34 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
विनेश माहेशर् ी मुझे लेकर फैजाबाि के शानए-अिध होटल के एक कमरे मे् िावखल हुए. िहां विवहप के नेिा अशोक वसंघल अपने एक सहयोिी के साथ बैठे थे. मुझे िेखिे ही उन्हो्ने मेरा हाल चाल पूछा और बोले वक िीकेएस चौधरी साहब आप को बहुि याि करिे है्. मै्ने कहा उनकी हम पर बड्ी कृपा है और उन्हो्ने ि सिीर साहब ने हमे्चुनाि यावचका वजििायी. इसके बाि विनेश माहेश्री ने कहा वक वसंघल साहब आपसे कुछ कहना चाहिे है्. जब हमने वसंघल जी से वनिेिन वकया वक बिाएं, िो उन्हो्ने कहा वक आने िाले विनो् मे् हमारी सरकार बनने िाली है. आप जावि के ब््ाहमण है्और अयोध्या से विधायक है्. हम चाहिे है्वक आप मुलायम वसंह का साथ छोड्कर हमारी पाट््ी मे्हम
लोिो्के साथ आ जाये्. उन्हो्ने कहा वक हम आप के इस सहयोि का पूरा मूल्य (पांच करोड्र्पये और उपमुख्यमंत्ी का पि) अिा करे्िे. िेश भर के सौ शहरो्मे्आप की प््ेस कांफ््स कराये्िे. शि्षयह होिी वक िक्िव्य मेरा होिा और हस््ाक्र् आपका रहेिा. हमारी सरकार आने पर आपको हर ढंि से सि््ोच््पि और प््विष््ा िी जायेिी. अशोक वसंघल के इस प््स्ाि पर आपकी क्या प््विव््कया थी? उनकी बाि सुनकर मै्हिप्भ ् रह िया, क्यो्वक विनेश माहेशर् ी ने ऐसी कोई बाि की नही् थी. मै् मानवसक र्प से इसके वलए िैयार नही् था. इसवलए चुप रहा. इस पर वसंघल जी क््ोवधि होने लिे. उन्हो्ने विनेश माहेशर् ी से पूछा वक क्या िुमने इन्हे्बिाया नही्था? विनेश कुछ बोले्इससे पहले मै्ने कहा वक मेरी इस बारे मे् कोई बाि नही् हुई थी. मै् डॅा लोवहया और समाजिािी विचारो्से जुड्ा हुआ हूं. िक्ि आने पर मै्विधायक का पि िो छोड् सकिा हूं. लेवकन कभी भाजपा मे् शावमल नही् हो सकिा. वजिना प््विबद्् आप अपने विचारो् के वलए है् उससे ज्यािा मै् समाजिािी विचारो् के वलए हूं. इसके बाि वसंघल जी विनेश माहेश्री पर बहुि वबिड्े और मै् खामोशी से िहां से चला आया. उसके बाि क्या हुआ? मै्चुपचाप अपने घर आ िया. राि के ग्यारह बजे मुख्यमंत्ी मुलायम वसंह यािि का फोन आया. पूछा कहां हो. मै्ने कहा वक मै् फैजाबाि मे् हूं. बोले क्या लखनऊ आ सकिे हो, मै्ने कहा रोडिेज की बसे्बंि हो चुकी है् क्यो्वक उन्हे्सुरक््ा मे्लिा विया िया है और मेरे पास कोई िाड्ी नही्है. इस पर मुलायम वसंह जी ने कहा वक मै् िाड्ी भेज रहा हूं, िुम आ जाओ. इस िरह मै्राि मे्िो बजे नेिाजी से वमला. उन्हो्ने पहले मुझसे विन भर का काय्क ष म ् पूछा िो मैन ् े सब कुछ बिाया, लेवकन वसंघल जी से वमलने का ब्योरा नही्विया. वफर उन्हो्ने पूछा वकया वसंघल से भे्ट हुई थी, िो मै्ने पूरी बाि विस््ार से बिायी. उन्हो्ने मुझसे पूछा िुमने वसंघल के प््स्ाि पर क्या कहा, मै्ने कहा वक मै्ने उन्हे्बिा विया वक मै्डॅा लोवहया के वलए प््विबद््हूं. यह सुनकर मुलायम की आंखो् मे् आंसू आ िये. बोले िुमसे मुझे यही उम्मीि थी. इसके बाि मेरी वसंघल से कुछ औपचावरक मुलाकािे् हुई् लेवकन कोई विशेर बािचीि नही्हुई. अशोक वसंघल के व्यक्कित्ि के बारे मे्आप का क्या आकलन है? वसंघल जी विवहप के महानिम नेिा थे और उनके वनधन की क््विपूव्िष भाजपा नही्कर सकिी. िे अपनी वनष््ा के प््वि समव्पषि थे और अब ऐसे
लोिो्का अभाि हर जिह है. आज के िौर मे् अयोध्या और फैजाबाि के माहौल को वकस िरह वबिाड्ा जा रहा है और उसे ठीक करने के वलए आपकी पाट््ी और सरकार क्या कर रही है? साझा संस्कृवि के इस शहर के माहौल को वबिाड्ने की कोवशश िभी से हो रही है जब से 2012 मे्राज्य मे्अवखलेश की सरकार आयी है. पहले िुि्ाषपूजा की मूव्िष विसव्जषि करने के समय फैजाबाि चौक मे्आि लिायी ियी वजसमे्िकरीबन 50 िुकाने्जल ियी्. िब यहां के विधायक और मंत्ी पिन पांड,े मंत्ी अिधेश प्स ् ाि और सपा के सावथयो्ने वमलकर पूरी मेहनि से आि बुझाने का काम वकया. सरकार ने िीव््िा के साथ मुआिजा विया िावक नुकसान की भरपाई हो सके. िूसरी घटना अमानीिंज बाजार मे्एक प््ेम प््संि को लेकर िनाि पैिा करने की है. लिा वक कभी भी विस्फोट हो जायेिा. उस वचनिारी को िबाया िया और िहां की आिजनी मे्पीव्डिो्को मुआिजा विया िया. राम मंविर के मुद्े पर एक िरफ अयोध्यािासी है् जो आंिोलन और वििाि के कारण भारी आव्थषक नुकसान उठािे है्, िो िूसरी िरफ अयोध्यािािी है्जो इससे राजनीविक िाकि हावसल करिे है्. इस लड्ाई मे् वकसकी जीि होिी. आपने ठीक कहा अयोध्यािासी अयोध्यािावियो् से िंि है्. अयोध्यािावसयो् को शांवि और व्यापार चावहए जबवक अयोध्यािावियो् को शासन और सत््ा वहंिू, मुक्सलम और िेश यह चाहिा है वक बाबरी मक्सजि पर न्यायालय जो भी फैसला िे उसे स्िीकार वकया जाये. बक्लक एक विशेर पीठ बनाकर इस मामले की वनयवमि सुनिाई हो और इस समस्या का हल वनकाल वलया जाये. िो इस मामले पर आप को क््द् सरकार से क्या आशंकाएं और अपेक्ाएं है्? लोकसभा चुनाि आिे-आिे प््धानमंत्ी नरे्द् मोिी राममंविर वनम्ाषण के नाम पर लोकसभा भंि भी कर सकिे है्. क्यो्वक िब िक उनके विकास के सारे नारे खोखले हो चुके हो्िे. ऐसे समय मे्उनके पास राम के अलािा कोई विकल्प नही् बचेिा. िैसे जनिा जान चुकी है वक जब-जब भाजपा संकट मे् होिी है िो उसे राम याि आिे है्. अन्यथा उन्हे् मनीराम याि आिे है्. इस चुनौिी का मुकाबला साझी संस्कृवि और साझी विरासि से ही हो सकिा है. n
अयोध्या के मंबदर: शांबत की कामना
शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 35
मास् हतरयाणा ट हेड
साख बचाती सरकार
दवपक्् की आिोचना का सामना कर रही हदरयाणा सरकार को सुप्ीम कोट्ष से बड़ी राहर दमिी. राजस्थान के बाि अब हदरयाणा िूसरा ऐसा राज्य बन गया जहां दसफ्फ पढे-दिखे िोग पंचायर चुनाव िड़ पाये्गे.
मिोज ठाकुर
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वा िाि के शािनकाि मे् हसरयाणा की मनोहर िरकार के सिए दि सदिंबर का सदन खािी राहत िेकर आया. िरकार ने पंचायत राज असधसनयम मे् जो िंशोधन सकया था उि पर पूरी िरकार की िाख ही दांव पर िग गयी थी. िुप्ीम कोट्ा के सनण्ाय ने िीएम और िरकार को िही िासबत कर सदया है. अब वे न सिि्क जोश मे् है् बब्लक उनकी आिोचना करने वािे भी चुप है. पंचायती राज िंशोधन को िेकर िुप्ीम कोट्ामे्िगी िभी जनसहत यासचका खासरज कर दी गयी. इन िंशोधनो्पर िरकार इि कदर सघर गयी थी सक सवपक््जहां िरकार पर अनुभवहीन होने का आरोप िगा रहा था वही् िामासजक काय्ाकत्ााओ् का तक्क था सक िंशोधन िे िोकतंत् को खतरा है. ऐिे मे् िरकार इि िंशोधन को िेकर बैकिुट पर थी. इिी हसरयाणा िरकार ने हसरयाणा पंचायती राज असधसनयम 1994 के प््ावधानो्मे्िंशोधन सकया था, जो हसरयाणा पंचायती राज (िंशोधन) असधसनयम, (8) ऑि 2015 के असधसनयम कहिाया. िंशोसधत प््ावधान मे् पंचायत चुनाव िडने वािा उम्मीदवार सकिी भी कृसष िहकारी िसमसत, िहकारी बै्क और 36 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
मनोहर लाल खट््र: न्यायालय का समथ्िन िहकारी कृसष ग््ामीण बै्क का बकायेदार नही् होना चासहए. िाथ ही सबजिी सबि के भुगतान की रासश भी बकाया नही्होनी चासहए. ऐिे िभी उम्मीदवार जो सकिी भी मान्यता प््ाप्त िंस्थान िे मैस्िक परीक््ा या उिके िमकक्् परीक््ा उत््ीण्ा या बोड्ा पाि नही् है उन्हे् चुनाव िड्ने के सिए अयोग्य घोसषत सकया गया है. मसहिा उम्मीदवारो् और अनुिूसचत जासत के उम्मीदवारो् के मामिे मे्, न्यूनतम शैस्कक योग्यता आठवी् पाि सनध्ाासरत सकया गया है. यसद वे पंच के पद के सिए चुनाव िड्रहे है्तो न्यूनतम शैक्सणक योग्यता पांचवी् पाि होगी. इिके अिावा, िंशोसधत प््ावधान मे्शत्ाहै सक िभी उम्मीदवारो् के घरो् मे् शौचािय होना चासहए, इिे स्व घोषणा पत््मे्पेश करना होगा. पंचायतो्का काय्क ा ाि िमाप्त होने के बाद िरकार ने यह िंशोधन सकये. ऐिे मे्सवपक््को िरकार को घेरने का मौका समि गया. िरकार के सिए सदक््त तब आयी जब कुछ िोगो् ने जनसहत यासचका पंजाब और हसरयाणा उच्् न्यायायि मे् डाि दी. िेसकन यहां िरकार ने नयी रणनीसत अपनाते हुए िंशोधनो् का अध्यादेश वापि िे सिया. िेसकन बाद मे् सवधानिभा मे्प्स ् ्ाव पाि कर इिे स्वीकृत कर चुनाव की तारीखो् का एिान कर सदया. अब
सवरोसधयो्के पाि िुप्ीम कोट्ामे्जाने के सिवाय कोई चारा नही्रह गया था. मामिा िुप्ीम कोट्ा मे्गया तो वहां चुनाव प्स््कया पर स्टे िगा. िंबी िुनवाई हुई. िेसकन दि सदिंबर को आसखरकार िरकार के पक््मे्सनण्ाय आ गया. यासचकाकत्ाा जगमसत िांगवान ने कहा सक िरकार के िंशोधन िे कम िे कम प््देश के 60 िीिद पंच और िरपंच चुनाव की प््स्कया िे बाहर हो जाये्गे. िोकतंत् मे् ऐिा नही् होता है. उन्हो्ने जो प््देश की सशक््ा के स््र को िेकर जो आंकडे रखे इिमे् बताया सक बहुत िे गांवो् मे् तो इन मापदंड को पूरा करने वािा कोई एक व्यब्कत भी नही्है. सकिी गांव मे् सिि्क एक व्यब्कत मानक पूरा करता है तो िोगो्के पाि यह सवकल्प ही नही्बचेगा सक सकिे वोट दे. उन्हो्ने यह भी दिीि दी थी अच्छे प््शािन के सिए सशक््ा कोई पैमाना नही् है. इिसिए िरकार के िंशोधन को खासरज सकया जाना चासहए. इतना ही नही् िांगवान की दिीि रही सक िांिद और सवधायक भी अनपढ् चुने जाते है्. सिर पंचायतो् मे् ही यह िंशोधन क्यो्? इधर िरकार का कहना था सक अच्छे प््शािन के सिए यह कदम उठाने जर्री है. क्यो्सक इिके सबना पंचायती राज मे्िुधार नही् आ िकता. इि िंशोधन को सवसभन्न आधारो्पर भारत के माननीय िुप्ीम कोट्ािे पहिे उम्मीदवारो्की तरि िे चुनौती दी गयी थी. मामिे की िुनवाई के दौरान हसरयाणा िरकार ने 1994 के हसरयाणा पंचायती राज असधसनयम की धारा175 मे् िंशोधन के सिए असधिूचना राज्य मे् पंचायती राज िंसथ् ाओ्मे्िुधार करने के उद्श्े य् िे जारी सकया है. इिमे्िाि सकया गया है सक 73वे् िंसवधान िंशोधन का एकमात्् उद््ेश्य बेहतर प््शािसनक दक््ता के सिए स्थानीय स्वशािन मॉडि है. इि िंबंध मे्पंचायती राज असधसनयम के प््ावधानो् मे् िंशोधन करके उम्मीदवारो् के सकिी मौसिक असधकारो् का उल्िंघन नही् सकया गया है और िरकार के सकये गये िंशोधन भारतीय िंसवधान के प््ावधानो् के अनुिार पूरी तरह िे िही है. हसरयाणा िरकार के सकये गये िंशोधन के पक्् और सवपक्् जांच के बाद, िुप्ीम कोट्ा ने दि सदिंबर को इि पर स्पष््सनण्ाय िे िंशोधन की िंवैधासनक वैधता को बरकरार रखा है. n
पत्िचम बंग-असम
सव्ािनंद सोनेवाल: नयी रणनीबत
अभी से नयी चुनावी रणनीदि
पद््िम बंगाि और असम मे् अगिे साि दवधानसभा चुनाव हो्गे, िेदकन भाजपा नये नेरृत्व के साथ नये दमशन पर दनकि पड़्ी है. रीता बतिारी
पू
व््ी भारत मे् सजन दो राज्यो् पस््िम बंगाि और अिम मे् अगिे िाि सवधानिभा चुनाव होने है्. वहां भाजपा नये नेतृत्व के िाथ नये समशन पर सनकि पड्ी है. उिने पहिे अिम मे्पाट््ी अध्यक््को बदिा और सिर अब बंगाि मे्. सबहार की करारी हार के बाद अपनी बदिी रणनीसत के तहत हुए इन बदिावो् के बाद पाट््ी को अपनी मंसजि हासिि होने की उम्मीद है. अिम मे्पाट््ी अध्यक््सिद््ाथ्ाभट््ाचाय्ाका काय्ाकाि पूरा हो गया था. वे तदथ्ाअध्यक््के तौर पर काम-काज िंभाि रहे थे. उनकी जगह पाट््ी ने केद् ्ीय मंत्ी और राज्य के िोकस््पय नेता िव्ाना दं िोनेवाि को पाट््ी की कमान िौ्पी गयी है. राज्य मे् अगिे िाि ित््ा हासिि करने के सिए भाजपा ने समशन 84 की र्परेखा बनायी है. समशन 84 यानी सवधानिभा की 126 मे्िे 84 िीटे् जीत कर ित््ा पर कासबज होना.
िेसकन िोनेवाि की भारी िोकस््पयता के बावजूद पाट््ी की यह राह कुछ मुब्शकि है. िोनेवाि असखि अिम छात्् िंघ के अिावा अिम गण पसरषद के नेता भी रहे है्. बीते िोकिभा चुनावो् मे् 14 मे् िे िात िीटे् जीतकर पाट््ी ने अपने बुिंद हौििे के िंकेत सदये थे. िेसकन उिके बाद िमीकरण बदिे है्. सबहार की हार ने पाट््ी के हौििे कुछ पस्् सकये है्. इिके अिावा राज्य का जातीय िमीकरण भी उिकी राह मे् रोड्ा है. राज्य मे् मुब्सिम आबादी 30 िीिदी िे ज्यादा है. कम िे कम 30 िीटो्पर तो वे सनण्ाायक भूसमका मे् है्. इिके अिावा ऊपरी अिम मे् जनजातीय वोट ही उम्मीदवारो् की सकस्मत तय करते रहे है्. यह िही है सक िोकिभा चुनावो् मे् ऊपरी अिम की िीटो् पर पाट््ी को जबरदस्् कामयाबी समिी थी. िेसकन राजनीसतक पय्ावेक्को् का कहना है सक िोकिभा चुनाव और सवधानिभा चुनाव अिग-अिग है.् ऐिे मे् स्थानीय िमीकरणो् को देखते हुये भाजपा के
सिए समशन 84 मे् कामयाबी पाना बेहद मुब्शकि है. िेसकन नये प््देश अध्यक्् िव्ाानंद िोनेवाि ऐिा नही् मानते. उनका कहना है सक पाट््ी िूट और जासत की राजनीसत मे्भरोिा नही् करती. मेरा िबिे प््मुख िक््य िोकिभा चुनावो् के दौरान समिी जीत के सििसििे को आगे बढ्ाते हुए अगिे िाि पाट््ी को ित््ा मे्सबठाना है. हाि मे्कांग्ेि के नौ और अिम गण पसरषद के दो सवधायक पाट््ी मे्शासमि हुए है्. िेसकन इििे पाट््ी के नेताओ्-काय्ाकत्ााओ् मे् अिंतोष बढ्ा है. शायद उन्हे् अपना सटकट कटने का डर है. वैिे, िोनेवाि का दावा है सक पाट््ी मे्कोई गुटबाजी नही्है. उनका कहना है सक राज्य के िोग बदिाव चाहते है्. अब 15 िाि के कांग्ेिी कुशािन को खत्म करने का िमय आ गया है. राज्य मे् भाजपा िदस्यो् की तादाद ढाई िाख िे बढ् कर 27 िाख तक पहुंच गयी है. दूिरी ओर, पाट््ी ने बंगाि मे् भी अपने प््देश अध्यक्् को बदि सदया है. यहां मौजूदा अध्यक््राहुि सिन्हा का काय्क ा ाि पूरा होने की वजह िे उनकी जगह सदिीप घोष को नया प््देश अध्यक््बनाया है. इि बारे मे्कयाि तो पहिे िे ही िगाये जा रहे थे. िेसकन हाि मे् औपचासरक तौर पर इिका एिान कर सदया गया. घोष राष््ीय स्वयंिेवक िंघ के पुराने काय्ाकत्ाा रहे है्. कुछ िमय पहिे पाट््ी मे् शासमि होने के बाद िे वे प््देश भाजपा महािसचव के तौर पर काम कर रहे थे. पाट््ी की ओर िे जारी एक बयान मे् कहा गया है सक सिन्हा का काय्क ा ाि सितंबर मे्ही खत्म हो गया था. उनको पाट््ी का राष््ीय िसचव बनाया गया है. वैिे राहुि सिन्हा के भसवष्य को िेकर िंबे िमय िे अटकिे्िगायी जा रही थी. पाट््ी का के्द्ीय नेतृत्व इि मुद्े पर अिमंजि मे् था सक अगिा सवधानिभा सिन्हा के नेतृत्व मे्ही िडा जाये या सिर उनकी जगह सकिी नये व्यब्कत को कमान िौ्पी जाये. पाट््ी के भीतर भी राहुि के सखिाि बगावती स्वर तेज हो रहे थे. उनको हटाने की मांग करने वािे नेताओ्की दिीि थी सक िाि 2014 के िोकिभा चुनावो्मे्मजबूत प््दश्ान करने के बावजूद पाट््ी के पैरो्तिे तेजी िे जमीन सखिक रही है. इिसिए यहां प््देश अध्यक्् को बदिा जाना चासहए. िोकिभा चुनावो् मे् यहां मजबूत प््दश्ान करते हुए पाट््ी ने दो िीटे्जीती थी्. उिके बाद ही उिने राज्य की नंबर दो पाट््ी के तौर पर अपना दावा भी पेश कर सदया था. िेसकन उिके बाद बदिी हुई पसरब्सथसतयो् मे् अंदर्नी गुटबाजी की वजह िे पाट््ी के पैरो्तिे की जमीन िगातार सखिकती रही. अब देखना यह है सक क्या अध्यक््बदिने िे भाजपा की सकस्मत भी बदिेगी या नही्. n शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 37
सातहत् मास्यट/कहानी हेड
कहानी रस्ककि िांड
पुखराज सह
मािय की चीड् िे भरी ढिानो् को सनहारते हुए सद ल्ल्यू रान्यूव की स्वरिहसरयो्को िुनना भी एक सवसचत््अनुभव था. दोनो्दो अिग दुसनया की चीजे् थी्, िेसकन सिर भी वाल्व्ज का िंगीत उि माहौि के सिए ही बना हुआ िगता था. मंद बहती हवा मे् सहिती चीड्ो् की डासियां िंगीत की िय के िाथ कदमताि करती प्त् ीत हो रही्थी्. सरकॉड्ा प्िये र नया था, िेसकन रेकॉड्िा्पुराने थे- माि रोड के पीछे कबाडी की दुकान िे सिए गये. चीड की कतारो् के नीचे सिंदूर िगे थे, उनमे् िे एक ख़ाि सिंदूर के पेड ने मेरा ध्यान खी्चा. यह उन िभी पेडो् िे बडा था और कॉटेज के नीचे एक छोटे िे टीिे पर अकेिा खडा था. हवा इतनी तेज नही् थी सक उिके पुराने, मजबूत तनो्को सहिा िके, िेसकन वहां कुछ सहि रहा था, पेड पर धीरे- धीरे झूिता, वाल्व्ज के िंगीत के धुन पर नाचता हुआ. वहां कोई था जो पेड िे टंगा हुआ था. एक रस्िी हवा मे्िटकी नाच रही थी. वह शरीर धीरे-धीरे इधर–उधर घूम रहा था, मेरी तरफ़ घूमा और मै्ने एक िडकी का चेहरा देखा. उिके बाि खुिे थे. उिकी आंखे् कुछ नही् देख रही् थी्, हाथ और पैर बेजान थे; वह बि घूमे जा रही थी और वाल्व्ज का िंगीत बज रहा था. मै्ने प्िेयर बंद सकया और नीचे भागा. पेडो्के बीच बने रास््ेिे नीचे उि घाि के टीिे 38 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
की ओर जहां वह बडा सिंदूर था. एक िंबी पूंछ वािी नीिकंठ सचसडया ने डर कर तेजी िे उडान भरते हुए नीचे घाटी की ओर छिांग िगायी. पेड पर कोई नही्था, कुछ भी नही्. एक बडे िे तने ने टीिे को आधा घेर रखा था और मै् उि तक पहुंच कर उिे छू िकता था. एक िडकी सबना पेड पर चढे उि तने तक नही्पहुंच िकती थी. जब मै् वहां खडा उन शाखाओ् को देख रहा था, सकिी ने पीछे िे टोका ‘आप क्या देख रहे है्?’ मै्चौ्क कर मुडा. वह मुझिे मुख़ासतब एक िडकी थी- सजंदा, स्वस्थ, चमकदार आंखो् और िम्मोहक मुस्कान के िाथ. वह बहुत ही प्यारी थी. मै्ने कई वष््ो् िे इतनी ख़ूबिूरत िडकी नही्देखी थी. ‘तुमने मुझे चौ्का सदया,’ मै्ने कहा, ‘तुम सबिकुि अचानक आयी’. ‘क्या आपने कुछ देखा– पेड पर’? उिने पूछा. ‘मुझे िगा, मै्ने सकिी को सखडकी िे देखा है इिसिए मै् नीचे आया. क्या तुमने कुछ देखा?’ ‘नही्.’ उिने अपना सिर सहिाया. मुस्कुराहट थोडी देर के सिए उिके चेहरे िे हट गयी थी. ‘मै्कुछ नही्देखती िेसकन दूिरे िोग देखते है्– कई बार.’
‘क्या देखते है्वे?’ ‘मेरी बहन’ ‘तुम्हारी बहन?’ ‘हां. उिने ख़ुद को इि पेड िे िटका सिया था. बहुत िाि पहिे. िेसकन कई बार आप उिे वहां िटका देख िकते है्.’ वह ऐिे बोि रही थी जैिे जो हुआ, वह उिके सिए कोई बहुत दूर की बात थी. हम दोनो् पेड िे कुछ दूर चिे आये थे. टीिे के उपर एक अब उपयोग मे्नही्िायी जा रही टेसनि कोट्ा मे् (अंग्ेजो् के िमय के सहि स्टेशन की स्मृसत) एक पत्थर की बे्च पडी थी. वह उि पर बैठ गयी और कुछ पिो् की सहचसकचाहट के बाद मै्भी उिके बगि मे् बैठ गया. ‘क्या तुम पाि ही रहती हो’? मै्ने पूछा. ‘पहाडी के ऊपर. मेरे सपता की एक छोटी बेकरी है..’ उिने मुझे अपना नाम बताया- हमीदा. उिके दो छोटे भाई थे. ‘तुम बहुत छोटी रही होगी, जब तुम्हारी बहन नही्रही.’ ‘हां. िेसकन वह मुझे याद है. वह बहुत िुंदर थी. ’ ‘तुम्हारी तरह.’ वह असवश््ाि िे हंिी. ‘ओह, मै् तो उिकी तुिना मे् कुछ भी नही्. आपको मेरी
बहन को देखना चासहए था.’ ‘उिने ख़ुद को क्यो्ख़त्म कर सिया?’ ‘क्यो्सक वह जीना नही् चाहती. यही एक एक कारण था, नही्? उिकी शादी होने वािी थी, िेसकन वह सकिी और को प्यार करती थी, कोई और, जो उिके धम्ाका नही्था. यह एक पुरानी कहानी है सजिका अंत हमेशा दुखद ही होता है. है न!’ ‘हमेशा नही्. िेसकन उि िडके का क्या हुआ, सजििे वह प्यार करती थी? क्या उिने भी ख़ुद को मार सिया?’ ‘नही्, उिने दूिरी जगह नौकरी कर िी. नौकरी पाना आिान नही्होता, है न?’ ‘मै्नही्जानता. मै्ने कभी नौकरी के सिए कोसशश नही्की.’ ‘सिर आप क्या करते है्?’ ‘मै्कहानी सिखता हूं.’ ‘क्या िोग कहानी खरीदते है्?’ ‘क्यो् नही्? अगर तुम्हारे सपता ब््ेड बेच िकते है्, मै्भी कहासनयां बेच िकता हूं.’ ‘िोगो्को रोटी जर्र चासहए. वे कहानी के सबना रह िकते है्.’ ‘नही्, हमीदा, तुम गित हो. िोग कहासनयो्के सबना नही्रह िकते.’ हमीदा! मै्उिे प्यार करने िे ख़ुद को रोक नही्िका. सिफ़्कप्यार करने िे. कोई इच्छा या वािना मेरे मन मे्नही्आयी थी. ऐिा कुछ भी नही्था. मै्उिे सिफ़्कदेख कर ही ख़ुश था, उिे देखना जब वह मेरे कॉटेज के बाहर घाि पर बैठी होती, उिके हो्ठो जंगिी बेसरयो्के रि मे् िने होते . वह बोिती जाती–अपने दोस््ो्, अपने कपडो्, अपनी स््पय चीजो्के बारे मे्.
त््ितिश मूल के भारतीय लेखक. चत्चति कृततयां: ‘अवर ट््ीज स्टिल ग््ो इन देहरा’, ‘द ब्ल्यू अंि्ैला’, ‘एंग्ी तरवर’, ‘अ फ्लाइि आॅफ तपजंस’. सातहत्य अकादेमी पुरट्कार और पद््भूषण से सम्मातनत. बाल कथाओ् के लेखक के र्प मे् भी तवख्यात.
‘क्या तुम्हारे माता-सपता को बुरा नही् िगेगा अगर तुम यहां हर सदन आओगी?’ मै्ने पूछा. ‘मै्ने उन्हे् बताया है सक आप मुझे पढा रहे है्.’ ‘क्या पढा रहा हूं?’ ‘उन्हो्ने नही् पूछा. आप मुझे कहानी िुना िकते है्.’ तो मै्ने उिे कहासनयां िुनायी. वे गस्मायो्के सदन थे. िूरज की सकरणे् उिकी तीिरी उंगिी मे् पहनी गयी अंगूठी पर चमक रही् थी्. एक पारदश््ी िुनहरा पुखराज, चांदी मे्जडा हुआ. ‘यह बहुत ख़ूबिूरत अंगूठी है’, मै्ने कहा. ‘आप पहनो इिे,’ उिने तुरतं अपनी उंगिी िे उिे उतारते हुए कहा. ‘यह आपको अच्छे सवचार देगी. यह अच्छी कहासनयां सिखने मे् आपकी मदद करेगी.’ उिने अंगूठी मेरी छोटी उंगिी मे्पहना दी. ‘मै्इिे कुछ सदन पहनूंगा, मै्ने कहा. ‘सिर तुम मुझे इिे िौटाने देना.’ उि सदन बासरश के आने की िंभावना थी. मै् नीचे पहाडो् की तिी मे् धारा की ओर जाने वािे रास््े पर उतर गया. वहां मुझे हमीदा समिी, पानी के ऊपर पथरीिे सकनारो् िे िगी छायादार जगह मे्पस््तयां चुनती हुई्. ‘तुम इनका क्या करोगी?’ मै्ने पूछा. ‘यह एक ख़ाि तरह की पत््ी है. आप इिे िल्जी की तरह पका िकते है्. ‘यह स्वासदष््है?’ ‘नही्, िेसकन यह गसठया के सिया अच्छी है.’ ‘क्या तुम्हे्गसठया है?’ ‘अरे नही्. यह मेरी दादी के के सिए है्, वह बहुत बूढी है्.’ ‘झरने के ऊपर और पस््तयां है्,’ मै्ने कहा, ‘िेसकन हमे्पानी मे्उतरना होगा.’ हमने अपने जूते उतारे और नदी के पानी मे् उतर गये. घाटी धीरे-धीरे अंधकार मे्िमा रही थी और बुझ चुके िूरज के िाथ अब सदखाई देना भी बंद हो गयी थी. पानी के ठीक सकनारे पस््तयां उगी हुई् थी्. हम उन्हे् उठाने के सिए झुके, िेसकन हमने ख़ुद को एक दूिरे की बांहो् मे् पाया और धीरे िे उतर आये पस््तयो् के कोमि सबछौने पर, जैिे सक सकिी िपने मे्हो्. दूर अंधेरे मे् सचसडया की मीठी आवाज मधुर गीत मे्बदि रही थी. ऐिा िग रहा था जैिे वह गा रही हो, ‘यह िमय नही् जो बीत रहा, ये तो मै् और तुम है्. यह तो मै्और तुम है्...’ मै्ने अगिे सदन उिका इंतजार सकया िेसकन वह नही् आयी. कई सदन बीत गये उिे देखे हुए.
क्या वह बीमार हो गयी? क्या उिे घर मे् रखा हुआ है? क्या उिे बाहर कही् भेज सदया गया? मै् यह भी नही् जानता था सक वह कहां रहती थी इिसिए सकिी िे पूछ भी नही् िका. पूछना चाहता भी तो क्या पूछता? सिर एक सदन मै्ने करीब एक मीि नीचे िडक पर एक छोटी िी चाय की दुकान मे्एक िडके को ब््ेड और पेस्ि्ी िाते देखा. उिकी आंखो् के ऊपर को उठे सतरछे कटाव मे् मुझे हमीदा की थोडी झिक समिी. जब वह बाहर सनकिा तो मै्ने ऊपर पहाडी तक उिका पीछा सकया. उि तक पहुंच कर मै्ने पूछा: ‘क्या तुम्हारी बेकरी है?’ उिने ख़ुश होकर सिर सहिाया, ‘हां. क्या आपको कुछ चासहए–ब््ेड, सबस्कुट, केक? मै् आपके घर पहुंचा िकता हूं. ‘जर्र. िेसकन क्या तुम्हारी एक बहन नही्? एक िडकी, सजिका नाम हमीदा है’? उिके चेहरे के भाव बदि गये. अब वह मेरे दोस््ाना व्यवहार नही्कर रहा था. वह कुछ उिझा हुआ िा और भयभीत सदख रहा था. ‘आप क्यो्जानना चाहते हो’? ‘मै्ने उिे कुछ िमय िे नही्देखा है’. ‘आप उिे देख भी नही्िकते.’ ‘तुम्हारा मतिब है, वह चिी गयी’? ‘क्या आप नही् जानते? आप जर्र बहुत िमय िे बाहर हो्गे. बहुत िाि पहिे ही वह गुजर गयी. उिने ख़ुद को मार सिया. आपने इि बारे मे्नही्िुना था?’ ‘िेसकन क्या वह उिकी बहन नही् थी? तुम्हारी दूिरी बहन?’ ‘मेरी एक ही बहन थी–हमीदा –और वह मर गयी जब मै्बहुत छोटा था. यह एक पुरानी कहानी है, इि बारे मे्सकिी और िे पूछे्’. वह मुडा और तेजी िे चिा गया और मै् चुपचाप वहां खडा रह गया. मेरे सदमाग िवािो् िे भरा हुआ था सजनके कोई उत््र नही्थे. उि रात तेज आंधी आयी. मेरे शयनकक्् की सखडकी हवा िे टकराती तेज आवाजे् कर रही थी. मै् उिे बंद करने उठा और बाहर झांका. सबजिी की चमक के िाथ मै्ने उि कृशकाय शरीर को दुबारा देखा, सिंदूर के पेड पर झूिता हुआ. मैन् े उिके चेहरे को देखने की कोसशश की, िेसकन उिका सिर झुका हुआ था और बाि हवा मे्उड रहे थे. क्या वह एक िपना था? यह कहना मुबश् कि था. िेसकन मेरे हाथ मे् पडा पुखराज अंधरे े मे्चमक रहा था और जंगि िे आती िुििुिाहट कहती प््तीत हो रही थी, यह िमय नही् जो बीत रहा है मेरे दोस््. यह तुम और मै्है्? n (‘जानकी पुि िे िाभार’ अंग्ेजी िे अनुवाद: रब्शम भारद््ाज) शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 39
मास् सातहत् ट हेयड
‘मै़जि़ंदा हूं और गा रहा हूं'
जनकदव रमाशंकर 'दवद््ोही' ने अपनो् के बीच, आंिोिन के मोच््े पर अंदरम सांसे् िी्. ि््णय कृष्ण
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ठ सदिंबर, 2015 को जनकसव रमाशंकर 'सवद््ोही' ने सदल्िी मे् अंसतम िांिे्िी्. सवद््ोही ने अपनो्के बीच, आंदोिन के मोच््ेपर अंसतम िांिे् िी्. जैिा वे सजये, वैिा ही मरे. जैिे कोई मध्यकािीन िंत शताब्लदयां पार करके आधुसनक िभ्यता के जंगिो्मे्आ सनकिे, उिकी िारी सवडंबनाएं और चोटे्झेिते, वैिे ही िक्ड ् , मिंग बना सिरे, अपनी मातृभाषा मे्हमारे आज के िमय के िबद और अभंग जोडते हमारे बीच िे गुजर जाये. कसवता उनकी जीसवका नही्, सजंदगी थी और जन-आंदोिन और माक्ि्ावादी जीवन-दृस्ष उिकी िबिे पौस््षक खुराक. कसवता मे्वे बसतयाते है,् रोते और गाते है,् खुद को और िबको िंबोसधत करते है, सचंतन करते है्, भाषण देते है्, बौराते है्, गसियाते है्, िंकल्प िेते है्. ‘कसवता क्या है?’ जैिे िनातन सवषय पर सवद््ोही के सवचार देखे्: ‘कसवता क्या है/खेती है/कसव के बेटा-बेटी है/बाप का िूद है, मां की रोटी है.’ ऐिी कसवता और ऐिी सजंदगी अक्िर उि िीमांत पर सवचरण करती है् जहां मौत हाथ समिाने के िाििे पर होती है. जो दुसनया उन्हे् समिी, उिमे्जीने की 'शम्ाकी िी शत्'ा उन्हो्ने नामंजरू कर दी. अपनी कसवताओ् मे्अिग दुसनया बनायी. उन्हो्ने अपने भौसतक अस््सत्व की रक््ा के सिए सकिी िे कोई गुहार नही्िगायी. अपने िोगो्िे उनकी अपेक्ा यही थी सक वे अपने कसव को बचाये्: ‘...तुम वे िारे िोग समिकर मुझे बचाओ/सजिके खून के गारे िे/सपरासमड बने, मीनारे् बनी्, दीवारे् बनी्,/क्यो्सक मुझको बचाना उि औरत को बचाना है,/सजिकी िाश मोहनजोदड्ो के तािाब की आसखरी िीढ्ी पर/पड्ी है/मुझको बचाना उन इंिानो्को बचाना है,/सजनकी हस््ियां तािाब मे्सबखरी पड्ी है्/मुझको बचाना अपने पुरखो् को बचाना है,/मुझको बचाना अपने बच््ो् को बचाना है/तुम मुझे बचाओ!/मै्तुम्हारा कसव हूं.’ और यह कसव बचा रहेगा, उन िोगो् के बीच सजन्हे् उिने जान िे ज्यादा प्यार सकया है और सजनिे उिने खुद को बचाये रखने की उम्मीद की है. सवद््ोही मे्सपतृित््ा-धम्ाित््ा और राजित््ा के हर छद््, हर पाखंड के सखिाि अपरंपार गुस्िा, तीखी घृणा है. प््ाचीन और िमकािीन समथको्का कसवता मे्रचा उनका पाठ हर उि शोषक, हर उि आततायी को सतिसमिा देगा सजिे अपनी बदमासशयो्को सछपाने के सिए िंसक ् सृ त की पोशाक चासहए. सवद््ोही ने किजुगहे मजूर की आत्मा मे्प््वेश सकया और उिकी चाहतो्का ऐिा अपूवा्सवप्िवी, अछोर िंिार रचा जो सहंदी कसवता मे्अनन्य है. सवद््ोही की कसवता के हिवाहे, चरवाहे, केवट, कहार, दसित, मजदूर, सकिान, औरते्, बच््े सजतना अपनी यातनाओ्, उतना ही अपने िपनो् के िाथ आते है्. वे तमाम पंडे, पुरोसहतो्, मुल्िा, मौिसवयो्, महाजनो्, जमीदारो्, पूंजीपसतयो्, िाम््ाज्यवासदयो् िे अपने भसवष्य को 40 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
बवद््ोही:अपवंबचत राष्् के कबव िेकर ही नही् िडते, बब्लक अपह्त अतीत का भी सहिाब मांगते है्. सवद््ोही की कसवताएं िबिे ज्यादा यही िोग िमझे्गे. सवद््ोही हमारे अपवंसचत राष््के कसव है्, उन िोगो्के कसव है्सजन्हे्अभी राष््बनना है. िेसकन सवद््ोही के सवकट व्यब्कतत्व को दुसनयाबी व्याकरण िे िमझना मुब्शकि है. रमाशंकर यादव 'सवद््ोही' का जन्म 3 सदिंबर, 1957 को ऐरी सिरोजपुर ( सजिा िुल्तानपुर) मे्हुआ. बचपन मे्ही शांसतदेवी िे सववाह हो गया. शांसत जी पढती थी्और वे भै्िे चराते थे. गांव मे्चच्ाा होती सक रमाशंकर की पत्नी उन जैिे अनपढ को छोड देगी. इिी भय िे सवद््ोही सशक््ा के प््सत प््ेसरत हुए. प््ारब्मभक सशक््ा गांव के स्कूि मे्हुई. िन्ा् 1980 मे्वे सदल्िी के जवाहरिाि नेहर्सवस््शद््ािय मे्सहंदी िे एम. ए. करने आ गये. 1983 के छात्् आंदोिन मे् बढ-चढ कर सहस्िा िेने के चिते कै्पि िे सनकि सदये गये. िन्ा् 1985 मे् उनपर मुकदमा चिा. तबिे उन्हो्ने आंदोिन की राह िे पीछे पिटकर नही्देखा. वाम राजनीसत और िंस्कृसतप््ेमी छात््ो् की कई पीस्ढयो् ने सवद््ोही को उनकी ही शत््ो् पर स्वीकार और प्यार सकया है और सवद््ोही छात््ो्के हर न्यायपूण्ाआंदोिन मे्उनके िाथ तख्ती उठाये, नारे िगाते, कसवताएं िुनाते, िड्क पर माच्ा करते रहे. जेएनयू मे्रहने के चिते सवद््ोही की आवाज्सदल्िी की िडको् पर, बैसरकेडो् और पुसिि सपकेटो् के िामने तमाम तरह के िोकतांस्तक जुिूिो्, प््दश्ानो्के िमय दशको्तक गूंजती रही है. वे जन िंस्कृसत मंच के राष््ीय पाष्ाद वे 2008 के राष््ीय िम्मिेन मे्बने जो कसव धूसमि के गांव खेविी मे् हुआ था. सवद््ोही कसवता सिखते नही्, कहते थे. उनकी खडी बोिी की कािी कसवताएं समत््ो्ने सिसपबद््की्जो 'नयी खेती' िंग्ह मे्छपी्. कचोट इि बात की है सक उनकी ढेरो्अवधी रचनाएं सरकाड्ानही् की जा िकी्. एक स्मृसत िदा के सिए खो गयी. याद आता है सक गोरख पांडेय के गांव जाते हुए कैिे बच््ो् जैिी सजज््ािा िे भरे और उत्िलु ि ् थे. आन्दोिनो्और प्स्तवाद िभाओ्के दौरान कसवता िुनाकर बच््ो् की तरह उनका खुश होना, उिे अपना एकमात्् तमगा और पुरस्कार बताना याद आता है. याद आता है पटना के गांधी मैदान के सनकटवत््ी चौराहे पर उनके कसवता-पाठ के दौरान सरक्शेवािो्, खोमचेवािो्और मजूरो्का स्वतःस्िूत्ाजुटना और तािी बजाना. सवद््ोही जहां जाते, हाथो् हाथ सिये जाते. बाहर के िोग भी उन्हे् उतना ही प्यार करते सजतना उन्हे्जेएनयू के छात््ो्िे हासिि हुआ था. जनता का इतना प्यार पाने वािा कसव हमेशा जीसवत रहता है. सवद््ोही खुद भी यही मानते थे: ‘िेसकन वास््व मे् कोई नही् मरा है/िब सजंदा है/् जब मै्सजंदा हू/ं इि अकाि मे/् मुझे क्या कम मारा गया है/इि कसिकाि मे्/अनेको्बार मुझे मारा गया है/अनेको्बार घोसषत सकया गया है/राष््ीय अखबारो्मे्पस््तकाओ्मे/् कथाओ्मे,् कहासनयो्मे/् सक सवद््ोही मर गया/तो n क्या मै्िचमुच मर गया!/नही्मै्सजंदा हूं/और गा रहा हूं...’
विद््ोही की कविताएं औरतें
कुछ औरतो्ने अपनी इच्छा िे कूदकर जान दी थी ऐिा पुसिि के सरकॉड्ामे्दज्ाहै और कुछ औरते्अपनी इच्छा िे सचता मे्जिकर मरी थी् ऐिा धम्ाकी सकताबो्मे्सिखा हुआ है मै्कसव हूं, क््त्ाा हूं क्या जल्दी है मै्एक सदन पुसिि और पुरोसहत दोनो्को एक िाथ औरतो्की अदाित मे्तिब करं्गा और बीच की िारी अदाितो्को मंिूख कर दूंगा मै्उन दावो्को भी मंिूख कर दूंगा जो श््ीमानो्ने औरतो्और बच््ो्के सखिाि पेश सकये है् मै्उन सडस््कयो्को भी सनरस््कर दूंगा सजन्हे्िेकर फ़्ौजे्और तुिबा चिते है् मै्उन विीयतो्को खासरज कर दूंगा जो दुब्ािो्ने भुजबिो्के नाम की हो्गी मै्उन औरतो्को जो अपनी इच्छा िे कुएं मे्कूदकर और सचता मे्जिकर मरी है् सिर िे स्जंदा करं्गा और उनके बयानात दोबारा किमबंद करं्गा सक कही्कुछ छूट तो नही्गया? कही्कुछ बाक्ी तो नही्रह गया? सक कही्कोई भूि तो नही्हुई? क्यो्सक मै्उि औरत के बारे मे्जानता हूं जो अपने िात सबत््ेकी देह को एक सबत््ेके आंगन मे् ता-सजंदगी िमोये रही और कभी बाहर झांका तक नही् और जब बाहर सनकिी तो वह कही्उिकी िाश सनकिी जो खुिे मे्पिर गयी है मां मेसदनी की तरह औरत की िाश धरती माता की तरह होती है जो खुिे मे्िैि जाती है थानो्िे िेकर अदाितो्तक मै्देख रहा हूं सक जुल्म के िारे िबूतो्को समटाया जा रहा है चंदन-चस्चात मस््क को उठाये हुए पुरोसहत और तमगो्िे िैि
िीना िुिाये हुए सिपाही महाराज की जय बोि रहे है्. वे महाराज जो मर चुके है् महारासनयां जो अपने िती होने का इंतजाम कर रही है् और जब महारासनयां नही्रहे्गी तो नौकसरयां क्या करे्गी? इिसिए वे भी तैयासरयां कर रही है्. मुझे महारासनयो्िे ज््यादा सचंता नौकरासनयां की होती है सजनके पसत स्जंदा है्और रो रहे है् सकतना ख़्राब िगता है एक औरत को अपने रोते हुए पसत को छोड्कर मरना जबसक मद््ो्को रोती हुई स््ी को मारना भी बुरा नही्िगता औरते्रोती जाती है्, मरद मारते जाते है् औरते्रोती है्, मरद और मारते है् औरते्ख़्ूब ज्ोर िे रोती है् मरद इतनी जोर िे मारते है्सक वे मर जाती है् इसतहाि मे्वह पहिी औरत कौन थी सजिे िबिे पहिे जिाया गया? मै्नही्जानता िेसकन जो भी रही हो मेरी मां रही होगी, मेरी सचंता यह है सक भसवष्य मे्वह आसखरी स््ी कौन होगी सजिे िबिे अंत मे्जिाया जायेगा? मै्नही्जानता िेसकन जो भी होगी मेरी बेटी होगी और यह मै्नही्होने दूंगा.
मुझको इस आग से बचाओ मेरे दोसंंों मै्िाइमन न्याय के कटघरे मे्खडा हूं प््कृसत और मनुष्य मेरी गवाही दे् मै्वहां िे बोि रहा हूं जहां मोहनजोदडो के तािाब की आसख़री िीढी है सजि पर एक औरत की जिी हुई िाश पडी है और तािाब मे्इंिानो्की हस््ियां सबखरी पडी है् इिी तरह िे एक औरत की जिी हुई िाश बेबीिोसनया मे्भी समि जायेगी और इंिानो्की सबखरी हुई हस््ियां मेिोपोटासमया मे्भी मै्िोचता हूं और बार-बार िोचता हूं तासक याद आ िकेप््ाचीन िभ्यताओ्के मुहाने पर एक औरत की जिी हुई िाश समिती है और इंिानो्की सबखरी हुई हस््ियां इिका सििसििा िीसरया के चट््ानो्िे िेकर बंगाि के मैदानो्तक चिा जाता है और जो कान्हा की जंगिो्िे िेकर िवाना के वनो्तक िैिा हुआ है.
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शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 41
सािहत् मास्यट/स्हेामीक् ड ्ा
मुक्ततबोध का अंत:करण मुक्तरबोध की कदवराओ् मे् एक दवकास-यात््ा दिखाई िेरी है- पहाड़् की चढ्ाई जैसी.
डॉ. रामू बसद््ाथ्श
प््स्कया को िंचयन की कसवताओ्िे सचब्नहत सकया जा िकता है. यह इि िंचयन की बड्ी िििता है. दूिरा खंड्कहासनयो्का है. मुब्कतबोध का कसव और आिोचक र्प धुसनक सहंदी िासहत्य के इसतहाि मे् प््ेमचंद और मुब्कतबोध ऐिे रचनाकार है् सजन्हो्ने युग के नासभकीय ित्य को उिकी पूरी तो स्थासपत है, िेसकन एक कहानीकार के र्प मे्उनकी कम चच्ाा हुई है. िंब्शिष््ता और गसतशीिता मे् पकड्ने की कोसशश की और उन्हे् इिमे् राजेश जोशी उन्हे् एक महत्वपूण्ा कहानीकार मानते है. वे िंपादकीय मे् कािी िििती भी समिी. जीवन- यथाथ्ा का कोई र्प उनके सिए एक सशकायत के स्वर मे्कहते है सक ‘क्िॉड ईथरिी, पक््ी और दीमक तथा स्वतंत्टुकड्ा नही्था, असपतु िंपूण्ायथाथ्ाका एक अंश था. दोनो्के पाि िमझौता जैिी अस््दतीय कहासनयो्के बावजूद नयी कहानी की आिोचना गहरी िंवदे नात्मक िौ्दय्ादृस्ष के िाथ ऐसतहासिक द्द्ं ्ात्मक भौसतकवादी मे् उनकी चच्ाा उि तरह नही् हुई,जैिी अन्य महत््वपूण्ा कथाकारो् की िचेत ज््ानात्मक चेतना भी थी. युग के िंब्शिष््यथाथ्ाको, इसतहाि दृस्ष कहासनयो्की हुई.’ मुब्कतबोध की पांच महत््वपूण्ाकहासनयो्को िंचयन मे् और भसवष्य दृस्ष के िाथ असभव्यक्त करने के सिए प््ेमचंद के पाि जगह समिी है. ये कहासनयां भारतीय जीवन यथाथ्ा- सवशेषकर सनम्न मध्य आधुसनक युग की महाकाव्यात्मक सवधा उपन्याि के र्प मे् मौजूद थी, वग्ा– के सवसवध र्पो्को िामने िाती है्.िंचयन का तीिरा खंड सनबंधो् िेसकन मुब्कतबोध की यह मुख्य सवधा नही्थी. युग के आत्मिात यथाथ्ा का है. इिमे्डायरी, आिोचना और अन्य सनबंध शासमि है्. िंयोजन इि को स्वर देने की बेचैनी उनको सवसवध सवधाओ्की ओर िे गयी, भिे ही वे प््कार सकया गया है सक मुब्कतबोध के आिोचनात्मक कृसतत्व की मूि स्थापनाएं िामने आ जाये. उनकी आिोचना के िैद्ांसतक मानदंड तय अपने बारे मे् कहते हो् सक ‘मै् मुख्यतः सवचारक न करने वािे सनबंधो् के िाथ ही इन सिद््ांतो् पर होकर कसव हूं.’ महज 46 वष्ा ( 1917 -1964 ) आधासरत व्यवहासरक आिोचना के सनबंधो् को भी की जीवन-यात््ा और तीन दशको्(1936 िे 1964) िमुसचत स्थान सदया गया है. की िृजन प््स्कया मे् उन्हो्ने 25 िौ िे असधक पृष्ो् राजेश जोशी मुब्कतबोध के आिोचक व्यब्कतत्व का िेखन काय्ासकया. इि िेखन मे्कसवता, कहानी, को बहुत महत््व देते है्. पूव्ाकथन मे्उन्हो्ने सिखा है आिोचना, सनबंध, डायरी, पत््कासरता,उपन्याि के सक ‘स्वाधीनता के बाद की सहंदी आिोचना मे् िाथ इसतहाि की पुस्क भी शासमि है. िगभग 25 मुब्कतबोध एक िव्ाासधक महत््वपूण्ानाम है्. वे सजतने िौ पृष्ो् वािी, छह खंडो् की रचनाविी मे् िे एक महत््वपूण्ाकसव है्उतने महत््वपूण्ाआिोचक भी है्.’ ऐिा िंचयन तैयार करना कसठन काम है. सजिमे् िंचयन मे् आिोचनात्मक सनबंधो् को इि प््कार रचनाकार का के्द्ीय अंतय्ा प््कट हो जाये, उिकी िंयोसजत सकया गया है सक उनकी रचना िंबंधी सवकाि-यात््ा को िस््कत सकया जा िके, उिके सवसवध िै द्ांसतक प््स्थापनाओ् के िाथ ही सहंदी िासहत्य की सवधागत एवं सशल्पगत प््योग भी आंख िे ओझि न सवसवध धाराओ्– अंतध्ााराओ् और युग- सवशेष की होने पाये् और िाथ ही रचनाकार ने सजन सवसवध मुश्कतबोि संचयन: संपादक- राजेश जोशी, मु ख य ् प् व ् सृ तयो्पर मुबक् तबोध की दृस्ष िामने आ िके. सवधाओ् मे् िृजन सकया है, उन्हे् भी िंतुसित प््काशक- भारतीय ज््ानपीठ, इंश्सटट््ूशनल िं च यन मे ् व्यवहासरक आिोचना के उन सनबंधो् को प््सतसनसधत्व सदया जा िके. एबरया, लोदी एक्टे्स, नयी बदल्ली सिया गया है जो या तो युग सवशेष या व्यब्कतत््व सवशेष सकिी बड्े रचनाकार का िंचयन तैयार करने मे् मूल्यः 700 र्पये की मूि प््वृसतयो्को रेखांसकत करते है्या अपने भीतर िंचयन कत्ाा की आत्मगत िीमाएं आड्ेन भी आये, तो भी वस्ग्ु त िीमाएं होती ही है.् मुबक् तबोध िंचयन के िंपादक राजेश जोशी उन बीज-तत्वो्को िमेटे हुए है्सजनके आधार पर भसवष्य की आिोचना अपने िमय के चस्चता और प्स्तस््षत रचनाकार है.् इिसिए सवसवध सवधाओ् सवकसित की जा िकती है. रचना प््स्कया मुब्कतबोध के सचंतन का िे चयन करने मे्उन्हे्असधक िििता समिी है. कुि 539 पृष्ो्का यह महत््वपूण्ा सवषय रही है. रचना प््स्कया िंबंधी महत््वपूण्ा सनबंधो् को भी िंचयन चार खंडो्- कसवता, कहानी, सनबंध तथा उपन्याि मे्सवभासजत है, िंचयन मे्जगह दी गयी है. मुब्कतबोध नयी कसवता के कसव रहे है्. उन्हो्ने िव्ाासधक सचंतन नयी हािांसक मुद्ण िंबंधी भूि के चिते कहानी और सनबंध खंड एक मे्समि गये है.् स्वभासवक था सक पहिा खंड्कसवता का होता. िंचयन का िगभग कसवता पर सकया है. स्वाभासवक था सक िंचयन मे्नयी कसवता पर उनके आधा सहस्िा कसवताओ्को िमस्पात है. चस्चात एंव प््सतस््षत कसवताओ्के आिोचनात्मक सनबंधो्को िव्ाासधक स्थान समिे ऐिा हुआ भी इिी खंड ् सपयर तथा प्म्े चंद के प्स्त मुबक् तबोध के प्ब् ि आकष्ण ा और श्द ् ्ा िाथ, ऐिी कसवताओ्को भी जगह दी गयी है जो िामान्य पाठको्के सिए मे्शेकि को व् य क् त करने वािे दो सनबं ध ो् को भी रखा गया है . इिी खं ड मे ् मु ब क ् तबोध अनजानी हो िकती है्. मुब्कतबोध की कसवताओ्मे्एक सवकाि-यात््ा सदखाई देती है- पहाड् का वह ऐसतहासिक पत्् भी शासमि है जो उन्हो्ने श््ीपाद अमृत डांगे को की चढ्ाई जैिी. इिकी मूि वजह यह है सक वे तात्कासिक िंवेदनात्मक सिखा था. छोटा िा यह पत्् मुब्कतबोध की िासहब्तयक मान्यताओ् का आवेगो् और उच्छवािो् के कसव नही् है्, वे जीवन को टुकड्ो्-टुकड्ो् मे् उद्घाटन करने के िाथ ही उि युग के प््गसतवादी धारा के कुछ अगुआ नही्पकड्ते है,् उनकी िंवदे ना सनरंतर वैचासरकी के िाथ अंतग्बाु म् ित होती तत्वो् की जड्िूत्ता और िंकीण्ाता को भी िामने िाता है सजििे गयी है, गहन तथा व्यापक होती गयी है सजिकी चरम पसरणसत ‘अंधेरे मे्’ प्ग् सतशीि धारा को कािी नुकिान उठाना पड्ा. अंसतम खंड मे्मुबक् तबोध कसवता मे्सदखाई देती है सजिमे्िंवदे ना, वैचासरकी, इसतहाि दृस्ष, भसवष्य के उपन्याि को रखा गया है. िंचयन के पूव्ा कथन मे् राजेश जोशी ने दृस्ष तथा युग का नासभकीय िच इि प््कार असभव्यक्त हुआ है सक वह सवसभंन हवािो् िे मुब्कतबोध की व्यब्कतगत जीवन-यात््ा को भी िंक्ेप मे् n कािजयी कृसत बन गयी. यह एक िंबी प््स्कया का पसरणाम था. इि पूरी रखा है.
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42 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
बिकही चंचल
न देखूंगा न वदखाऊंगा
जो भी दविेशी भारर आरा है वह शहर िेखने नही् आरा, वह शहरो् से ऊबा हुआ पय्षटक है. उसे भारर की असि रस्वीर जो आज भी गांवो् मे् दिंिा है उसे िेखने की ििक िेकर आरी है.
उ
त््र प््देश बहुत अकडू इिाका है. अपनी कासहिी मे्मगन, अजगरी मुद्ा मे्पडा, राम भरोिे पडा सजये जा रहा है. गंगा जमुना के दुआब की उपजाऊ माटी, मौिम का िहयोग इिे और भी अब्सकतहा बना सदया है . खेती के िहारे जीनेवािा यह िूबा जाही सबसध राखे्नाथ, ताही सबसध रसहये की ताबीज िटकाये अपने मे् मगन रहता है. प््सत व्यब्कत औित आमदनी िबिे कम है, गन्ने की ििि की कीमत नही्समिती, िस््ेमे् आिू बेचकर, चार िौ गुने असधक देकर सचप्ि खायेगा िेसकन कोई सशकायत सकिी िे नही्. िरकार िे भी नही्. दादा कह गये ‘िरिएय िादो’ पर सटका है. तो और छोटे मोटे जो कुटीर उद््ोग है्उधर भी पिट कर नही् देखता. ठस्स्ि सजंदगी हुंह.. कहकर महंथ दुबे ने िंबी िांि िी. सभखई मास्टर ने उकिाया- का बात है गुर्! आज िूबे की चीर-िाड मे् िग गये? का बताएं मास्ि िाब! यहां की हाित क्या है देखना है तो बाहर देख कर आइए. तब पता चिता है् हम कहां खडे है्. हम गये रहे कन्ााटक. सरश्तेदारी का मामिा रहा, बहुत आग््ह रहा सक एक बार आइए हम आपको कन्ााटक घुमाकर सदखा देते है्, िो जाना पडा. जो देखा आंख खुि गयी. धारवाड, वारंगि देखा और तो और गांव भी देखा. सकिानो्का अपना िंगठन है. रैयत िंघा. हर गांव मे्बडा िा बोड्ािगा समिेगा. गांव के बारे मे् िारी िूचनाएं वहां दज्ा समिेगी. मजेदार बात वहां बोड्ा पर सिखा समिेगा. कोई भी िरकारी कम्ाचारी सकिी भी सकिान िे िीधे िंपक्क नही् कर िकता क्यो्सक वह काम पर है. कम्ाचारी पहिे गांव के मुसखया िे िंपक्क करके टाइम िे िकता है. वगैरह वगैरह. अपने यहां क्या है? सकिान खेत मे् आिू बो रहा है खाकी वद््ी िटकाए पुसिि महािे आये और िाद िे गये. उत््र प््देश गांव की िरकारे् सजिे गांव पंचायत कहते है् िबिे ज्यादा भ््ष् है्. सकतना छान बीन करोगे, और कहां तक करोगे? उनका एक ही जवाब होता है, ‘ऊपर भी तो यही हो रहा है’ पनडुल्बी डूबे पांच हाथ, पनडुल्बी का बच््ा बारह हाथ. िरकार ने कहा गांव को जोड दो पक््ी िडक न बन पाये कोइ बात नही् ई्ट की िडक बनाओ. िंबा िायदा. िडक नही् बनी िेसकन मुद्ा बटवारा हो गया. ये तो हािात है् भाई. बात गंभीर होने िगी तो िाि िाहेब केटिी और कुल्हड् सिये िामने आ गये, िीसजए धाड-धाड चाय पीसजए. एक ठहाका उठा और प्ध ् ान का भ्ष ् ्ाचार नीम की िुनगी पे जा पहुच ं ा बुि का जोडा आपि कुछ
बसतया रहा था, खिि पडा और उड गया. बे्च के नीचे जमीन पर कान सचपकाये् कसरयवा कुकुर कुनमुनाया, मुंह ऊपर उठाकर देखा और सिर जि का ति िो गया. इि चाय ने बतकही को सबराम दे सदया. चाय पीने के िबिे उस््ाद है्नवि उपासधया. कुलह् ड्बाहर िेक ् कर नये सवषय पर आ गये - तो कन्ाटा क तक देख आये? महंथ दूबे ने सहकारत िे नवि की तरि देखा- एक हमी नही्है. वहां देश-सवदेश के िोग घूमने आते है्. गांव मे् का हो रहा है, कौन िा उद््ोग िगा है हाथ िे क्या-क्या काम होता है िब देखने आते है्... पूरा सहंदुस्ान घूम डासिए एक भी यूपी वािा घूमने देखने की गरज िे कही् नही् सनकिता. इतना ठस्ि है यह. कुंए मे् बैठे मेढक मासिक. न बाहर सनकिेगा, न देखेगा और न ही ऐिा कुछ करेगा सक बाहर के िोग इिे देखने आये्. िे दे कर बनारि है और आगरे का ताजमहि. जब सक अपना िूबा पय्ाटन की दृस्ष िे बहुत धनी है. हर सजिे मे्उिकी अपनी धरोहर है. कुटीर उद््ोग है. िेसकन िब मर रहा है... कयूम ने टोका - िुना है िरकार के पाि एक मंत्ािय भी है पय्ाटन मंत्ािय? महंथ दुबे ने बीच मे् ही कयूम को रोका - ओम प््काश सिंह उिके मंत्ी है् बनारि सवश््सवद््ािय के िंघष्ाशीि छात्् नेता और छात्् िंघ के पदासधकारी रहे है्. बडी िोच और जज्बे िे काम करनेवािे एक ईमानदार मंत्ी है. उनिे बात हो रही थी वे चाहते है् सक उत््र प््देश के पय्ाटन को सवके्स्दत सकया जाये. हर सजिे मे् पय्ाटन की अपार िंभावनाएं है् उन्हे् नये सिरे िे व्यवब्सथत सकया जाय. इि सदशा मे्वे काम भी कर रहे है्. उनका नजसरया बहुत िाफ़ है. बात-बात मे् बोिे - यह तो अच्छी बात है सक उत््र प््देश मे् कोई शहर नही् है. सजिे हम सजिा के नाम िे शहर कहते है् दरअिि वे भी एक गांव ही है्. जो भी सवदेशी भारत आता है वह शहर देखने नही् आता, वह शहरो् िे ऊबा हुआ पय्ाटक है. उिे भारत की अिि तस्वीर जो आज भी गांवो्मे्सजंदा है उिे देखने की ििक िेकर आती है. उत््र प््देश मे् िब कुछ है. बि उिे एक डोर मे्बांध कर एक जगह व्यवब्सथत भर करना है. उन्हो्ने एक र्प रेखा बनायी है. उिकी एक प्स्त हमे्सदया भी. पढ कर मन प््िुब्लित हो गया. उिमे केवि पय्ाटन ही नही्है दो चीजे्और भी है् एक - गांव स््र बेरोजगारी का खात्मा, गांवो्िे हो रहे पिायन को रोकना n और गांव को िवांरना. कि उि र्परेखा को यहां िाऊंगा. शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 43
मास् यायावरी ट हेड
संममृ तयों का नैनपुर रेिवे स्टेशन नैनपुर पर अब कोई ट््ेन नही् आयेगी. िेदकन नैनपुर का अपना इदरहास सौ बरसो् से भी पुराना है जहां जाना स्मृदरयो् के सन्नाटे मे् जाने की ररह है. सतीश जयसिाल
ज
बिपुर िे नागपुर के बीच छोटी िाइन का खूबिूरत रेिवे स्टेशन नैनपुर बीते पहिी सदिंबर िे िूना हो गया. अब इि पर कोई ि््ेन नही् आयेगी. अब तक सजतनी ि््ेनो्का आना-जाना यहां िे होकर रहा है, उनिे और उनके चिने िे जुडा हुआ माि-अिबाब यहां िे हटाया जा रहा है. रेिवे की नजर मे्जो माि-अिबाब है, इसतहाि की नजर मे्वह धरोहर है. िेसकन यह ऐसतहासिकता सवकाि के नजसरये िे बाहर की बात है. रेिवे का नजसरया भी यही सदखता है. उिकी अपनी पहिी प््ाथसमकता मे् माि का िदान और पसरवहन होता है. यास््तयो् का पसरवहन तो रेि की दूिरी प््ाथसमकता है. इिके बावजूद यह भी एक तथ्य है सक रेिवे का अपना इसतहाि है. और उिे िहेजा जाना जर्री है. नैनपुर रेिवे स्टेशन का अपना इसतहाि िौ बरिो्िे भी पुराना है. छोटी िाइन का यह रेिवे स्टेशन 1902 ई. मे्ि््ेनो्के सिए खुिा था. यह ‘हउआ’ सकि भाषा का शल्द है, और इिका क्या मतिब होता है? मुझे नही्मािूम. िेसकन यह शल्द हमारे रोजमर्ाा के व्यवहार मे्शासमि हो चुका है. और िब के िाथ मै्भी इिका उपयोग करता हूं सदिचस्प बात यह है सक अथ्ाजाने सबना भी, व्यवहार मे्इिका प्य् ोग ठीक उिी जगह पर होता 44 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
नैनपुर का गेस्ट हाउस: अंग्ेजी दौर की याद है जहां इिकी जर्रत होती है. और वहां यह अपने िही अथ्ामे्ही प््युक्त होता है. जबिपुर का एक िोकि स्टेशन है -हांऊबाग़्. िुनने और बोिने मे् कुछ ऐिा िगता है, जैिे इिकी उत्पस््त इिी, 'हउआ' शल्द िे हुई हो. यह छोटी िाइन का रेिवे स्टेशन है. यहां िे छोटी िाइन की एक खूबिूरत ि््ेन चिती है -0001 हाऊबाग़्- बािाघाट ितपुड्ा एक्िप््ेि. भोर मे्, 5 बज कर 30 समनट पर. भोर मे् चिी यह एक्िप््ेि ि््ेन, कोई 4 घंटो् मे् नैनपुर पहुच ं ा कर आगे, बािाघाट के सिए, सनकि जाती है जहां उिे पहुच ं ना होता है. बीच के सकिी स्टेशन पर उतरकर अपनी ि््ेन को जाते हुए देखना मुझे एक अजीब िी उदािी मे्छोड्ता है. ऐिे, जैिे सकिी होटि या 'िराय' मे् रात गुजारने के बाद सदन मे् अपना अिबाब िमेट कर खुद कही् और के सिए सनकि पड्ना. वैिे अब 'िराय' बचे ही कहां? कही् समिते है् तो, सकन्ही्पुराने बयानो्मे्. वैिे ही अब, यह खूबिूरत ि््ेन 'ितपुड्ा एक्िप््ेि' ही कहां बच जाने वािी है?् अब िभी छोटी िाइनो्को बडी िाइनो्मे्बदिा जा रहा है. रफ़्तार बढ जायेगी, आमद-रफ्त बढ जायेगी. यह, रेि खंड भी बडी िाइन मे्बदि सदया जाना है. तब यह ख़ूबिूरत ि््ेन'0001 हांऊबागबािाघाट ितपुड्ा एक्िप््ेि भी नही् रहेगी. इिकी जगह कोई और नंबर, कोई और नाम और कोई दूिरी ि््ेन होगी जो, मािूम नही्ऐिी ही खूबिूरत होगी सक नही्? यह सवचार मेरी उदािी को गहराता है या मै्ही ऐिी सकिी गहरी उदािी िे र्बर्मुिाकात के सिए इतने सदनो्िे यहां - नैनपुर आने को बेताब था? यसद वह उदािी केवि एक रेि खंड की छोटी िाइन के बडी िाइन मे् गुम जाने के अंदेशे की थी, तो नैनपुर रेिवे स्टेशन पर हमारा स्वागत करने वािी सखिी-सखिी धूप मे्उिे छंट जाना था. जब हम वहां पहुंचे तो िस्दायो् के सदन की सखिी- सखिी धूप मे् नैनपुर का रेिवे स्टेशन चमक रहा था. और स्टेशन िे ही सदखने वािी खूबिूरत िी रेिवे कािोनी सकिी मशहूर
पटरी पर इबतहास: नैनपुर स्टेशन बडी िाइन का एक छोटा स्टेशन बन कर रह जाने वािा है. एक महत्वपूण्ा सचत््कार के िै्डस्केप की तरह फ़ैिी हुयी थी. िेसकन गुिाबी कवेिू और सडवीजन का उिका ओहदा अब सबखर कर, कुछ नागपुर सडवीजन मे्िमा सवक्टोसरयन शैिी की ढिवां छतो्वािी सचत्-् िदृश कािोनी सकिी सचत््की जायेगा और बकाया के सहस्िे भी, ऐिे ही टुकड्ो्-टुकड्ो् मे् कही् ना कही् तरह ही ब्सथर थी. कोई गसत या हिचि उिमे् नही् थी सिवाय, िुबह के उि िमय चि रही हल्की हल्की हवा के. और हवा उि सकिी सचत्् मे् पुनव्ााि पा जाये्गे. यह, सवस्थापन और पुनव्ााि की एक ऐिी दार्ण प््स्कया है, सजि पर अभी सकिी का ध्यान नही्जा रहा है. और, शायद जायेगा भी सदखाई नही् पड्ने के बावजूद बदन को छू रही थी. इिसिए उिे महिूि नही्, क्यो्सक यह सवकाि की असनवाय्ापसरणसत है. देखने और िोचने वािो् सकया जा िकता था. सवक्टोसरयन शैिी के,इिके मकानो्के भीतर, स््बसटश के ध्यान तो सवकाि पर ही के्स्दत होते है्. सदनो्के 'िायर प्िेि' अभी, सबिकुि कि की तरह बाकी है्. उन सदनो्के िेसकन नैनपुर मे्तो इि प््स्कया के िमानांतर, एक पूरी की पूरी मनुष्य सकिी 'िायर प्िेि' के पाि ऐिा िगेगा सक, सपछिी रात मे् ही यहां िोग जासत के होने के सनशानो् को समटाने का काम भी चि रहा है. कभी यह रहे हो्गे और देर तक इिके सगद्ाबैठे आग तापते हो्गे. नैनपुर 500 घरो्की एक खूबिूरत ऐ्ग्िो-इंसडयन कािोनी वािी गुिजार बाहर िे देखने पर इन घरो्की सचमसनयां इि जीती-जागती बस््ी को बस््ी रही है. अब, यहां एक भी ऐ्ग्िो-इंसडयन पसरवार नही्बचा. रेिवे की सकिी सचत्् िे भी असधक िजावटी बनाती है्. मेरे युवा समत्् तनवीर हिन नौकसरयो् िे सरटायर होने के बाद कुछ पसरवार तो अपने पैतृक-कुि िे का िौ्दय्ाबोध, पता नही्क्यो्और कैिे और सकतने गहरे िे, इन िायरसमिने की आि सिये हुए इंग्िै्ड या आस्ि्ेसिया या उन सकन्ही् देशो् की प्िेिो् और उनकी सचमसनयो् के िाथ जुड्ा हुआ है? मुझे िगा सक ये तरि सनकि गये जहां,मािूम नही्, उन्हे्उनका कुि समिा या नही्? और सचमसनयां उन्हे्उदािी के बदिे कोई ियात्मक उद््ीपन प््दान करती हो्गी. बकाया के, जो कही् नही् जा िके हो्गे अब कहां है्, सकि हाि मे् है् और तनवीर, भारतीय रेि िेवा के एक बड्ेअसधकारी है.् िेसकन उनके िाथ मेरी क्या है्भी या नही्? सकिी को नही्पता. न ही कोई यह पता करना चाहता. समत््ता उनके िंवेदनशीि इसतहाि-बोध िे है. ि््ेन के सनकि जाने के बाद एक पूरी की पूरी मनुष्य-जासत, सजिके पाि उिके अपने सकस्म का ऐिा अब वहां हमारे अपने बोिने-बात करने की आवाजो्िे ही आवाज हो रही िौ्दय्ा-बोध था, जो आज के सदन तक अपनी दश्ानीयता मे्हमारे पाि बचा थी. स्टेशन सकिी सचत््की तरह सबिकुि सनशल्द था. और रेिवे कािोनी, हुआ है वह इि तरह िापता हो जाये! और कही्भी उिके बारे मे्पता करने मािूम नही्कब िे सबना सकिी आवाज के गुजारा कर रही थी? की कोई कोसशश ना नजर आये. यह सकतना भारतीय रेि के सहिाब-सकताब मे्नैनपुर अभी अमानवीय है? यह अमानवीयता नैनपुर मे् उन दस््कण-पूव-ा् मध्य रेिवे, सबिािपुर के अंतग्ता आने कभी यह नैनपुर 500 घरो़ की सदनो् की स्मृसतयो् मे् जगह पाकर रह रही है, जो वािे नागपुर सडवीजन का सहस्िा है. पहिे यह एक खूबसूरत एंग़िो-इंजियन िचमुच मे् खूबिूरत सदन थे. िेसकन दुभ्ााग्य िे नैनपुर , छोटी िाइन का एक स्वतंत्और महत्वपूणा् कािोनी वािी गुिज़ार बस़़ी हमारे अपने इसतहाि के बदिूरत सदनो् का सहस्िा रेि-सडवीजन था. चारो् सदशाओ् के आसदवािी रही है. अब, यहां एक भी ऐ़ग़िो- थे. इिसिए, यहां उनिे छुटकारा पाने की कोसशशे् इिाको्जबिपुर, मंडिा, सछंदवाड्ा और बािाघाट इंजियन पजरवार नही़ बचा. को रेि िंपक्किे जोड्ने वािा रेि मंडि. अब यह चि रही है्. ये कोसशशे्दुभ्ााग्य िे छुटकारा पाने के शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 45
मास् यायावरी ट हेड
हेबरटेज हाउस मे् लै्प: पुरानी िरोहर
लालटेन का स््ंभ: पुरानी स्मृबत सिए है् या इसतहाि के उि सहस्िे िे छुटकारा पाने के सिए है् सजिे हमारी अपनी िमझ ने एक ऐिी बदिूरत शक्ि दे दी सजििे छुटकारा पाने के सिए बाद के सदनो्मे्मशक्त् करनी पडे? उिकी एक िाचार कोसशश यहां चि रही है. क्या अपने ही इसतहाि िे छुटकारा पाया जा िकता है? अंग्ेजो्ने यहां, अपने सिये एक यूरोसपयन क्िब बनवाया था, जैिा वो अन्य बड्े और अपने पिंदीदा रेिवे स्टेशनो् मे् सकया करते थे. उि क्िब की इमारत, कुछ बरि पहिे ढहा दी गयी क्यो्सक वह 'यूरोसपयन क्िब' था. औपसनवेसशक सदनो् की सनशानी? अिबत््ा,उि क्िब का 'सबसियड्ि्ा टेबि' अभी बचा हुआ है और अपने सदनो् की तरह शानदार है. पता नही्
इि टेबि पर खेिने वािे िोग अब यहां, नैनपुर मे्है्या नही्और क्या वो इि टेबि की तरह शानदार िोग है्? बाद मे्, िन 1922 मे् यहां भी सहंदुस्ासनयो् ने 'यूरोसपयन क्िब' के मुकाबिे मे अपने सिये 'नाथ्ा ईस्ट इंस्टीटयूट' बना सिया था. इिमे् उनकी अपनी एक िायब््ेरी भी है. इि िाइब््ेरी मे्कुछ पुरानी सकताबे्अभी बची हुई है्.िेसकन इन पुरानी पुस्को् मे् 'नैनपुर नैन' मुझे नही् समिी जो नैनपुर के उन सदनो् पर के्स्दत एक महत्वपूण्ा दस््ावेज मानी जाती है. कटनी के राय बहादुर हीरा िाि ने सनमाड्के इसतहाि और उिके वैभव पर केस््दत महत्वपूणा्गवेषणात्मक काय्ा सकया था. और तीन पुसक ् े्सिखी थी्. 'नैनपुर नैन' उि त्य् ी की एक पुसक ् है. वह इिी नैनपुर िे िंबंसधत है इिसिए, मेरा अनुमान था सक अब दुि्ाभ हो चुकी वह पुस्क मुझे यहां देखने को समि जायेगी. िेसकन मेरा अनुमान गित िासबत हुआ. सकिी के सिए भी यह िमझ पाना मुबश् कि होगा सक यहां के िोग अपने अंचि के एक महत्वपूण्ा इसतहािसवद और िासहत्यकार के अवदान के प््सत इतने उदािीन कैिे हो िकते है्? मुझे इि बात पर िंतोष करना पडा सक नैनपुर की रेिवे कािोनी मे् एक िाइब््ेरी है और उिका नामकरण महादेवी वम्ाा के नाम पर सकया गया है. नैनपुर रेिवे स्टेशन 1902 मे् प््ारंभ हुआ था. यहां रेिवे का अपना एक 'हेसरटेज हाउि' है, जहां 1902 मे् प््ारंभ हुए इि स्टेशन का क््समक सवकाि कुछ खूबिूरत पेस्टंगि ् मे्सचस््तत है. एक पेस्टंग मे्हाथी है्जो इमारती िकस्डयो् के भारी-भारी िट््ो् को अपनी िूंड िे िपेट कर मािगाड्ी के सडल्बो्मे्िाद रहे है्. उन सदनो्, नैनपुर चारो्तरि घने जंगिो्िे सघरा हुआ था. और इन जंगिो्िे कीमती इमारती िकसड्यां काटकर बाहर भेजने का काम इि खूबिूरत रेिवे स्टेशन िे सकया जाता था. अब नैनपुर के चारो् तरि के वो जंगि पय्ााप्त सवरि हो चुके है्. और हाथी भी यहां नही्रहे. उन सदनो् की सनशासनयो् को इि 'हेसरटेज हाउि' मे् धरोहर की तरह िुरस््कत रखा गया है. यहां वो सनशासनयां इतने करीने िे िजा कर रखी हुई है्सक उनके िहारे उन सदनो्मे्पहुंच जाने का आभाि होने िगता है जो सदन अब िौ बरि िे भी पहिे की बात हो गये. िन 1902 मे्, जब यहां सबजिी नही्थी तब, सजन सकरािीन िै्पो्िे यहां रोशनी की जाती थी वे िै्प और उनके िाफ़-िुथरे कांच अभी भी उन सदनो्का झरोखा बने हुए है्. उन सदनो् यह छोटा िा पहाड्ी रेिवे स्टेशन चारो् तरि िे घने जंगिो् िे सघरा हुआ रहा होगा. और उन जंगिो्की छाया यहां की रातो्पर पड्ती होगी. तब यहां सकतना घना अंधेरा हुआ करता होगा? उि घने अंधेरे मे्सकरािीन वािे इन िै्पो्की रोशनी मे्सजतनी दूर तक सदखाई पड्ता होगा, उि िे असधक दूर तक सदखाई नही्पड्ने वािा िैिाव होता होगा. सदखाई नही्पड्ने वािे उि िैिाव मे्सदिकश र्मासनयत के सिये खूब जगह रही होगी. तब यह नैनपुर, अपने होने िे असधक एक र्मान मे्बिर करता हुआ होगा. तब उि एक मनुष्य जासत के िोगो् का भी बिर यहां रहा होगा सजनका अब यहां नही् होना नैनपुर को स्मृसत जीवी बनाता है - नोस्टेिसजक. एक उदाि स्मृसतn जीवन यहां वाि करता है.
ख्िरो् के पीछे की ख्िर के िलए लॉिगि करे्
www.shukrawaar.com 46 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
खानपान मास् ट हेड अर्ण कुमार ‘पािीिािा’ िेखक िंस्कार िे राजनीितक व्यब्कत और पानी,भोजन और पोषाहार के िवशेषज््है्. हिवाई होने का दावा भी करते है्. e-mail.: akpanibaba@gmail.com
सर््ी से राहत रेते व्यंजन
हल्िी की सि्जी का फरवरी रक चार से आठ बार उपयोग सि््ी से राहर दििारा है और ठंडी हवा का झो्का अच्छा िगने िगरा है.
ऋ
तुचय्ाा के अनुिार सशसशर को हेमंत का सवस््ार माना गया है. ठेठ िद््ी के दो महीनो्मे्शरीर की वैिी ही किकारक प्व् सृ ्त बनी रहती है जैिी सक िदवािी के बाद नजिा, खांिी होने िगती है. मध्य िरवरी यानी विंत के आगमन तक यह ध्यान जर्री है सक जो कुछ खाएं वह किनाशक हो, गरमाई देने वािा हो, भूख-प्याि यानी जठराब्गन को िुरस््कत बनाये रखने वािा हो वन्ाा विंत और गम््ी के दौरान िंसचत कि नये-नये रोग सवकार गिे िगा िेगा. इि मौिम मे् शाम की दावत मे् बहुत एहसतयात जर्री है. नवंबर िे िरवरी अंत तक यसद शाम की दावत चार-पांच बजे िे शुर् नही् है और स्वागत शाम आठ बजे ही शुर् होना है तो तमाम चटर-पटर व्यंजनो्, सजन्हे् आजकि ‘स्नैक्ि’ वगैरह कहते है्, को सिरे िे नकार दीसजए. मेहमान का आते ही गम्ाा-गरम िूप या रि पपड्म्ा् िे स्वागत कीसजए और पहिा स्टॉि ताजे हिवे का िगाइए. चाहे जो हिवा हो गाजर, मूंग दाि, शकरकंदी, बादाम या आटा बेिन का, ढाक के हरे पत््े पर ही परोसिये, तासक पत््ा हथेिी पर रखते ही हथेिी िे ह्दय तक गरमाई का अहिाि हो जाये. गम्ाा गरम िूप/रिम और हिवे िे पहिे, एक जर्री बात- मेहमान के पंडाि मे्घुिते ही पहिी व्यवस्स्था सनवाए पानी िे हाथ ध्ाुिवाने और स्वच्छ नैपसकन िे पो्छने की होनी चासहए. यह कदासप न भूसिए सक हिवे िे चावि तक भारतीय भोजन का वाद अंगुसियां चाट कर खाने मे् ही है्. ििर हमारी व्यंजन िूची मे् तो हाथ िे खाने के अिावा दूिरा उपाय ही नही्. रास््त मे्शुर्और अंत की समठाई के अिावा सिि्कचार स्टॉि िगवाइए. पहिा स्टॉि दस््कण भारतीय आप्पम, इसडयाप्पम और डोिा िाथ मे् िल्जी का कुम्ाा, असवयि, िांभर, दो तीन तरह की चटसनयां और नासरयि दूध. यह बात िही है सक तीनो् व्यंजनो् मे्े चावि की प््धानता है. पर बनाने की सवसध मे् सजतना नीरा-ताड् रि और दाना मेथी और उड्द के प््योग करते है्और िहज खमीर उठाते है्उििे चावि की प््वृस्त िम हो जाती है. ििर कुम्ाा तो खिखि और गम्ामिािो् िे ही िुवािित होता है. सवशेषकर छोटी बड्ी िौ्ग. असवयि का दही भी पानी समिा कर छाै्का जाता है आर्ा पय्ााप्त मात््ा मे्. नासरयि कि पीि कर समिाते है्. एक बात और स्पष््कर दे्सक देर रात इडिी बड्ा परोिना बेतक ु ी बात है. दूिरा स्टाॅि परंपरागत पूड्ी, बेड्मी, खस््ाकचौरी का होना चासहए. तयशुदा मीठा कद््, रिे के रपटवा आिू और मेथी की चटनी या मेथी-आंविे की िल्जी बि उििे असतसरक्त अन्य कुछ नही्. परोिदारी के सिए ढाक के दोने और िादी िपाट पत््ि ही उपयुक्त है. प्म् ख ु आकष्ण ा और िगभग नया िुझाव तीिरा स्टॉि है- कच््ी हल्दी की सवसशष््िल्जी और िरि िादा मारवाड्ी िुल्का. इिमे्आधे िाल्गुन तक (होिी िे पंद्ह िदन पहिे तक) पंद्ह िदन विंत के भी जोड्िीसजए.
इन ढाई महीनो्मे्पौष िे िेकर मध्य िाल्गनु तक शुद्गौघृत मे्बनी हल्दी िहिुन या हल्दी खिखि मे्बनी िल्जी िे बेहतर न कोई व्यज ं न/ पकवान है, न िद््ी िे बचने की औषसध, न सिद््वाजीकरण रिायन और न अन्य कोई शाही दावत. नुस्स्खे िे पहिे यह स्पष््कर दे्सक मारवाड्ी िुल्का, दोनो् परत इकिार, सबिकुि सबना कािी सचत््ी, िेसकन तोड्ने चबाने मे् कुरकुरा हो. हल्दी की िल्जी बनाना जान िीसजए और िरवरी तक न्यूनतम चार बार असधकतम आठ बार इिका प््योग कर िीिजए- बुजुग्ो् को िद््ी िे राहत समि जायेगी, बच््ो्और युवजन के अंगो्मे्तेि पानी िग जायेगा जोड्खुि जाये्गे, ठंडी हवा का झाे्का अच्छा िगने िगेगा. िामग््ी- िवा िेर गौघृत, िवा िेर पंच मेवा (पाव भर सकशसमश, बादाम, काजू, मखाना और छुआरा), ढाई िेर गाय के दूध का घर जमाया दही, पाव भर बीज झड्ी िुख्ा िाि सम च्ा, पाव भर िूखा िाबूत धसनया, आधा पाव िे्धा नमक, िेर पर कच््ी हल्दी, िेर भर िहिुन (जो िहिुन िे परहेज करते हो्वह पाव खिखि, पाव मगज, पाव बादाम का मिािा बना िे्). तैयारी- बादाम िभगो कर छीि िे्(उबाि कर नही्), हल्दी अच्छी तरह धोकर छीिे्, िहिुन छीि कर धो िे्, समच्ाऔर धसनया धोकर िभगो दे्- यह पांचो्चीज सिि पर महीन पीिनी चासहए या दस््कणी गाेि पत्थर मे्. नयी तरह के दो-तीन पत््थर वािे ग््ाइंडर मे् भी सपिाई ठीक हो जाती है. छुआरो् की धो िभगोकर कतरन कटे्गी. मखाने पोछ िुखाकर दो टुकड्ो् मे् काटने चासहए. सकशसमश, काजू धोकर िरहरे कर िे्. एक िेर हल्दी की िल्जी के सिए दि -बारह िेर अंदाज की कड्ाही या भारी भगोना होना चासहए. बत्ान या तो कच््ेया पके्िोहे के, या भरत के या पीति के किईदार यह जो आजकि प््ेशर कुकर वािा ििेद मेटि चि पड्ा है- इिके सबिकुि नही्. तवति- कड्ाही चढ्ाकर उिमे्आधा िेर घी चढ्ाएं- पहिे िहिुन या खिखि-मगज की चटनी भूने. गुिाबी हो जाये तो उिमे् समच्ा का घोि डािे,् समच्ाघी छोड्दे्तब धसनया, वह भी भुन जाये तब दही डािकर भुनाई करे्. जािा पड्जायये तो हल्दी और बादाम की सपट््ी डाि दे्. बीच बीच मे् जर्रत के सहिाब िे घी की मात््ा बढ्ाते रहे.् िेसकन पाव भर घी मेवा छौ्कने के सिए अवश्य बचा िे्. जब हल्दी और बादाम की सपट््ी भी सिंक जाये्तो अंदाज िे िेर िवा िेर पानी िगाकर छुआरो्की कतरने्डाि कर ढंक दे्मंदी आंच पर कम िे कम घंटा भर धीमा-धीमा खदबदाने दे्. िल्जी तैयार है- बि बचे पाव घी को छोटे भगोने मे्पकाएं उिमे्काजू और मखानो्को हल्का गुिाबी भूनकर सकशसमश भी िुिा िे्. यह तड्का िगाते ही िल्जी परोिने के सिए तैयार है. तैयार माि िगभग आठ िेर बैठेगा जो अस्िी िे n िौ खाने वािो्के सिए पय्ााप्त होगा. शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 47
मास् तिल् ट महेड
शाहऱख़: जदल की डगर
शाहर्ख खान अपनी नयी दफल्म ‘दििवािे’ को िेकर काफी उत्सािहर है्, दजसमे् पांच साि बाि वे काजोि के साथ नजर आये्गे. उनसे हदर मृिुि की दवशेर बारचीर.
शाहर्ख खान: एक साथ दो बकरदार
हबर मृदुल
सु
परस्टार शाहर्ख खान अपनी आिामी वफल्म ‘विलिाले’ को लेकर काफी उत्सावहि है्. रोवहि शेट्ी के वनि््ेशन मे्बनी इस एक्शन कॉमेडी वफल्म मे् उनके साथ उनकी पसंिीिा हीरोइन काजोल की जोड्ी है. पांच साल के बाि ये िोनो्इस वफल्म मे्एक साथ विखायी िे्िे. जहां िक रोवहि शेट्ी के वनि््ेशन की बाि है, िो िह पहले भी शाहर्ख़ के साथ वमलकर ‘चैन्नई एक्सप््ेस’ जैसी वहट वफल्म िे चुके है्. लेवकन ‘विलिाले’ के सामने कई चुनौवियां है्. आपकी काजोल के साथ एक अलि ही कैवमस्ट्ी मानी जािी है. आप िोनो् वजस वफल्म मे् होिे है्, िह सफलिा का नया रेकॉड्ष बनािी है. इस बार भी आप ऐसी ही कोई उम्मीि कर रहे है्? इसमे्कोई शक नही्है वक िश्षक काजोल और मेरी जोड्ी बहुि पंसि करिे है्. ‘विलिाले िुल्हवनया ले जाये्िे’ से लेकर ‘विलिाले’ िक हम िोनो् ने साि वफल्मे् साथ मे् कर ली है्. ‘बाजीिर’, ‘करण अज्षुन’, ‘कुछ कुछ होिा है’,‘कभी खुशी कभी िम’ और ‘माइ नेम इज खान’ मे् हम िोनो् की ऑन स्क्ीन कैवमस्ट्ी को बहुि प्यार वमला. मुझे यकीन है वक ‘विलिाले’ मे् भी हमे् लोिो् की बेपनाह मोहब्बि वमलेिी. हमने िश्षको्के मनोरंजन का 48 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
पूरा ख्याल रखा है. ऐसी वफल्मो् मे् कहानी का ज्यािा महत्ि नही् होिा है. वसफ्फमसाले ही मसाले होिे है्. क्या आप यह बाि स्िीकार करिे है्? ऐसा िो नही् है. वबना कहानी के कोई भी वफल्म बन ही नही्सकिी है. इसमे्बड्ी मजेिार कहानी है, वजसे मै् पूरी िरह से नही् खोलूंिा. इसमे्िो िक्ि की कहानी है. मै्यंिर और ओल्ड िोनो्ही वकरिार वनभा रहा हूं. वफल्म प््ेजे्ट और पास्ट िोनो् की कहानी कहिी है. पास्ट की कहानी ज्यािा है वफल्म मे.् मेरे वकरिार का नाम राज है, जो वक बड्ा ही जे्टलमैन है. उसके पास कोई जॉब नही् है, लेवकन िह खुशवमजाज है. कुल वमलाकर मजेिार कहानी है. वफल्म मे् रोमांस के साथ कॉमेडी वपरोयी ियी है. यह कॉमेडी र्टीन वकस्म की है या कुछ नया करने की कोवशश की ियी है? इसमे् रोवहि शेट्ी टाइप कॉमेडी है. इसमे् हमने कुछ अलि करने की कोवशश नही्की है. इिना जर्र कह सकिा हूं वक यह एक फनी कॉमेडी है. यह अजीज वमज्ाष और कुिं न शाह की जैसी सेटल कॉमेडी नही् है. मै् इन िोनो् वफल्मकारो्के साथ अच्छी कॉमेडी वफल्मे्कर चुका हूं, लेवकन मुझे चाल््ी चैक्पलन और जॉनी लीिर िाली कॉमेडी ही ज्यािा लुभािी है. ऐसी कॉमेडी कमाल की होिी है. िश्षक भी ऐसी ही कॉमेडी अवधक पसंि करिे है्.
एक एक्टर के िौर पर वफल्म को सफलिा विलिाने का प््ेशर िो होिा ही है, वकसी वफल्म के प््ोड््ूसर होने का आप पर वकिना िबाि रहिा है? मै्बिौर प््ोड््ूसर कोई िबाि महसूस नही् करिा हूं. हां, मै् अच्छी वफल्मे् बनाने के वलए
कोई कसर नही् छोड्िा हूं. यह सच है वक कोई भव्य वफल्म बनानी हो, िो बहुि ज्यािा र्पये लििे है्. मै्अपनी वफल्म के वलए वकसी वनम्ाषिा से कह नही् सकिा था वक बजट बढ्ाओ, िरना प््ोडक्ट अच्छा नही्बनेिा. यही िजह है वक मै्ने वफल्म प््ोड््ूसर बनने का फैसला वलया था. जब मै्प््ोड््ूसर होिा हूं, िो मुझे र्पयो्की वचंिा नही् होिी है. मै् पाट्षनरवशप भी नही् करिा हूं. उसमे् भी काफी झमेले होिे है्. मै्अब र्पये कमाने के वलए अवभनय नही्करिा हूं. अवभनय मेरा पैशन है. मै्अच्छी वफल्मे्करना चाहिा हूं. यही िजह है वक जो वफल्म मै् साइन करिा हूं, उसके मेहनिाने की कोई बाि नही् करिा हूं. मै् पहले वपक्चर करिा हूं और वफल्मकार से कहिा हूं वक चेक बाि मे् िे िेना. मै् िुवनया का िूसरा सबसे धनी एक्टर हूं. र्पये कमाने के मेरे पास कई रास््ेहै्. ‘विलिाले’ के साथ ‘बाजीराि मस््ानी’ भी वरलीज हो रही है. जब िो बड्ी वफल्मे्एक ही विन वरलीज होिी है्, िो उसका वबजनेस पर वकिना असर पड्िा है? मेरा मानना है वक िो बड्ी वफल्मे् एक ही विन वरलीज नही्होनी चावहये. यह िुभ्ाषग्यपूण्षहै. िरअसल अब वबजनेस पांच विन का रह िया है, इसवलए िश्षको्के बंटने से नुकसान हो जािा है. हालांवक िोनो् वफल्मे् अलि जॉनर की है्. िोनो् िरह की वफल्मो् के अपने िश्षक है्. ऐसे मे् उम्मीि यही बंधिी है वक एक िूसरे के वबजनेस पर ज्यािा असर नही् पड्ेिा. िैसे भी जो वफल्म अच्छी होिी, िही चलेिी. िोनो् अच्छी हो्िी, िो िोनो्ही चले्िी. आज एक नयी िरह की पायरेसी सामने आ चुकी है. वजस विन कोई वफल्म वरलीज होिी है, उसी विन लोिो् को मोबाइल पर भी िेखने को वमल जािी है. इसका भी िो वबजनेस पर बहुि ज्यािा असर पड्िा होिा?
हां, पायरेसी की िजह से हमे् बहुि ज्यािा नुकसान उठाना पड् रहा है. कुछ विन पायरेसी पर लिाम लिी थी, लेवकन अब वफर से नयी शक्ल मे्शुर्हो चुकी है. साउथ मे्पायरेसी पर अब भी लिाम लिी हुई है. हालीिुड मे् भी पायरेसी आसान नही् है. बॉलीिुड मे् पिा नही् क्यो् आसानी से पायरेसी हो जािी है. इस पर कोई ठोस किम उठाये जाने चावहये. आपको करोड्ो् लोिो् का प्यार वमला है. लोि आपको बॉलीिुड बािशाह या वकंि खान कहिे है्. इस मुकाम पर आप अपने आपको वकस िरह से लेिे है्? इस मुकाम मे् पहुंचने के बाि अपना कुछ नही् रहिा. बस एक वसस्टम मे् पड्े हुये है् और अपना काम वकये जा रहे है्. मै् पच््ीस साल से करीब बारह घंटे रोज काम कर रहा हूं. मुझे यह पिा नही् है वक मै् आिे कहां पहुंच पाऊंिा और क्या बन जाऊंिा. मेरे पास सब कुछ है, लेवकन इस सब कुछ को भला मै्खुि वकिना यूज कर पािा हूं. सच यह है वक मुझे छोटी चीजो्मे्खुशी वमलिी है. मै्अपने पवरिार के साथ सबसे ज्यािा सुखी महसूस करिा हूं. हां, अवभनय मेरे वलये जीविि रहने का रसायन है. मुझे हर हाल मे् एक्कटंि करनी है. इस क््ेत्मे्बिौर एक्टर और वफल्मकार कुछ अलि हो जाये, िो अच्छा ही है. लेवकन मै् वकसी भी क्सथवि मे् एक्टर बने रहना चाहिा हूं. रोमांवटक वफल्मो्मे्आपकी एक छाप है. आपके वलए रोमांस के क्या मायने है्? वहंिी वफल्मो् का रोमांस अनूठा होिा है. वनजी वजंििी मे्हम जो नही्करिे, परिे पर िह सबकुछ करिे है्. हमे्लि स्टोरी इसवलए अच्छी लििी है् वक िह कभी कंपलीट नही् होिी है्. रोमांस के वलए नयी क्सथवियां बनिी रहिी है्. मेरे वलये रोमांस के मायने है् डूबकर प्यार
‘बदलवाले’ का एक दृम्य: बफर से प््ेम कहानी
करना और वबना स्िाथ्षके प्यार करना. बॉलीिुड मे् विविध प््कार की वफल्मे् बनिी है्. क्या आप सुपरस्टारडम छोडक़र लीक से हटकर वकरिार अिा करने का साहस कर पाये्िे? मै्ने कई बार लीक से हटकर वफल्मे्की है्. मै्करण जौहर और आवित्य चोपड्ा की वफल्मे् ही नही्करिा, मै्ने अमोल पालेकर, कुंिन शाह, केिन मेहिा, मवण कौल और अजीज वमज्ाष के साथ भी काम वकया है. हमारे यहां विशाल भारद््ाज, राजकुमार वहरानी और अनुराि कश्यप की वफल्मे्भी है्, जो मुझे व्यक्कििि र्प से पसंि आिी है्. लेवकन यह सच््ाई है वक अब सुपर स्टार के वलए विविध िरह की वफल्मे् करने के अिसर नही् है्. हालांवक मै् अिर विशुद् कॉमव्शषयल वफल्म ‘विलिाले’ कर रहा हूं, िो ‘फैन’ और ‘रईस’ जैसी ऑफबीट वफल्मे् भी कर रहा हूं. ये िोनो्ही 200 करोड्क्लब िाली वफल्मे्नही्है्. इधर कहा जा रहा है वक अब कंटे्ट ही सुपर स्टार है. जल्ि ही सुपर स्टास्ष का जमाना चला जायेिा. आप क्या सोचिे है्? मै् समझिा हूं वक स्टारडम बहुि जर्री है. आज उन िेशो् का वसनेमा खत्म हो चुका है, जहां स्टारडम नही्है. सारे ग्ट्े मेकर हॉलीिुड जा चुके है्. इंग्लै्ड मे् अब वसफ्फ अठारह वफल्मे्ही साल मे्बनिी है्, जब वक हॉलीिुड की डेढ्सौ वफल्मे्िहां लििी है.् जम्न ष ी मे्वसफ्फिीन और पोलै्ड मे् भी इक््ा िुक्ा वफल्मे् वनव्मषि होिी है्. फ््च वसनेमा खत्म हो चुका है. ऐसा स्टारडम टूटने की िजह से ही हुआ है. सोवचये वक आईपीएल मे् स्टार न हो्, िो उसे कोई िेखेिा? स्टार वसस्टम बहुि जर्री है. इसी वसस्टम की िजह से हमारी वफल्म इंडस्ट्ी खत्म नही्हो पायी है. आप अपने वकरिारो् के वलए वकस िरह की िैयावरयां करिे है्? मै्लोिो्को िेखिा रहिा हूं, लेवकन मै्उन्हे् वकरिारो् मे् अपने ही अंिाज मे् ढालिा हूं. मै् ‘चक िे इंवडया’ मे्पूरी िरह मीररंजन नेिी नही् बन सकिा था. मुझे ऐसे वकरिारो्मे्अपनी ओर से भी बहुि कुछ डालना होिा है. मै् अपने वकरिारो्की िैयारी करिे समय िेखिा हूं वक िे कैसे बोलिे है्और कैसे व्यिहार करिे है्. इन विनो् बॉलीिुड को बायोवपक वफल्मो् पर ज्यािा भरोसा हो िया है. आप ऐसी वफल्म के बारे मे्नही्सोच रहे है्? मुझे एक बायोवपक वफल्म भाि वमल्खा भाि ऑफर हुई थी, लेवकन मै्ने पाया वक इस रोल के वलए मेरे भीिर समप्षण की कमी है. मै्ने इनकार कर विया था. मै्शोभराज चाल्स्षका वकरिार वनभाने की जर्र सोचिा था, लेवकन अब इस विरय पर वफल्म बन चुकी है्. वफलहाल िो मै्वकसी बायोवपक के बारे मे्नही् सोच रहा हूं. n शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015 49
अंितम पन्ना कुमार ि््शांत
पेदरस मंे हवा-पानी
दवकास एक ऐसा िेवरा बना दिया गया है दजसकी वेिी पर संसार की बदि चढाने से कोई पीछे हटने को रैयार नही् है.
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भी िोग पेसरि मे्अपनी बात कहने आये थे. कही और चिे गये! हमारे हाथ क्या िगा? कुछ वैिी ठकुरिुहासतयां जो पहिे तो िुनने मे्भिी भी िगती थी्, अब न भिी िगती है्, न अथ्ापूण्ा! अब ये कहने वािो् का नकिीपन उजागर करती है. आज खतरा यह नही् है सक जिवायु, रोग, मृतय् ु-युक्त हो गयी है. तो उिे कैिे बचाये्! अब खतरे का आिम यह सक हम कैिे बचे्? मानव जासत अपने अस््सत्व पर आये िंकट िे जूझ रही है? िेसकन क्या यह िच भी है? हम उििे अंसतम हद तक जूझने को तैयार है्? अगर ऐिा होता तो यह कैिे होता सक पेसरि एक सदन की उपब्सथसत के सिए आये अमरीकी राष्प् सत के रखरखाव पर 20 िाख डॉिर का खच्ासकया जाता है? खतरा यह है सक आज भी हमारी सचंताओ् का हमारे जीवन िे कोई मेि नही् है. 175 देशो् के प््सतसनसधयो् ने सजि पेसरि मे् जमा हो कर जिवायु पर इतना िर धुना, उन्हो्ने ही इिी अवसध मे्पेसरि की जिवायु मे्और उि रास््ेदुसनया की जिवायु मे्3 िाख टन काब्ान और भी भर सदया! हमे्कोई बताये सक प्ध ् ानमंत्ी नरे्द् मोदी की पेसरि यात््ा पर सकतना खच्ाआया, क्यो्सक जिवायु अगर बोि िकती तो हमे्बताती सक उनका वहां ना जाना उिे िस््ा पडता! हमारे प््धानमंत्ी िसहत हर राष््ाध्यक्् कह रहा है सक जिवायु की सगरावट प््ासणमात््के अस््सत्व पर िंकट खड्ा कर रही है. िेसकन इिी िांि मे्हर कोई यह भी कह रहा है सक इि सगरावट को रोकने की सजम्मेवारी हम ही क्यो् उठाएं? सवकाि एक ऐिा देवता बना सदया गया है सक सजिकी वेदी पर िंिार की बसि चढाने िे कोई पीछे हटने को तैयार नही् है. िब उंगिी उठाते है् सक आपने कभी इि देवता की आराधना मे्िभी का दोहन कर, वह िंपन्नता हासिि की है. जो आज हम िबको सवपन्न बना रही है! पस््िमी देशो्के आका मुल्को्िे िब पूछते है् सक आपने तो िुख-िमृस्द का सशखर छू सिया है सिर हमे्क्यो्रोकते है्? न िवाि पूछने वािा ईमानदार है, न जवाब देने वािा! अगर ऐिी कोई ईमानदारी होती तो ओबामा कहते सक हमने जो सकया, उिे िेर िकना तो िंभव नही्है. िेसकन आज िे अमरीकी जीवन शैिी मे्वे िारे पसरवत्ान आप देख िके्गे सजनके कारण जिवायु को जि और वायु दोनो्के सिए सवकि होना पड् रहा है. अब आगे िे ओबामा सवशेष सवमान मे् अपना अनावश्यक कासििा िेकर नही्चिे्गे. िारे राष््ाध्यक््याद रखे्सक हर उड्न,े दौड्ने्और तैरने वािी मशीने्जिवायु के िेि ् ड्ो्पर आघात करती है.् आप यह याद रखेग् े तो आपकी नौकरशाही को भी याद रखना ही पड्गे ा. 50 शुक्वार | 16 िे 31 सदिंबर 2015
आप दोनो् के स््र पर यह होने िगेगा तो िमाज जल्दी ही वही िीखने िगेगा. िेसकन क्या ओबामा, ओिांदे, माक््ेि या ऐिे ही राष््ाध्यक््ो् मे् िे सकिी ने ऐिी कोई बात कही? सकिी ने िुनी? उन्हो्ने ऐिा कुछ भी नही् कहा. प््धानमंत्ी नरे्द्मोदी या दूिरे भी सकिी ने यह कहा सक यूरोप और अमरीका जैिे मुल्को्ने क्या सकया और क्या करे्गे, इिकी जांच-पडताि तो हम करते ही रहे्गे. िेसकन हम उन जैिा अब आगे कुछ नही् करे्गे. क्यो्सक जो जिवायु का सवनाश करे वह सवकाि हो ही कैिे िकता है. हमे् सवकाि की पसरभाषा भी और उिकी किौटी भी बदिनी पड्ेगी. कई िेन की िड्के् नही् उन पर चिने वािा इंिान, उिका िमाज और उिका पय्ाावरण ही सवकाि की एक मात््किौटी है. िारे िंिार को यह िमझने की जर्रत है सक यहां सकिी को भी, सिर चाहे वह इंिान हो या कोई दूिरा प््ाणी, सकिी को भी गरीबी और अभाव रहने की िाचारी नही्होनी चासहए. िेसकन िाचारी है और वह यह है सक हमारे सवकाि-दानव ने हमिे दूिरे सवकल्प छीन ही सिये है्. उिकी आराधना मे्हमने अपना िव्सा व् सनछावर कर सदया है. हम याद ही नही्रखते है्सक नसदयो् को अगर उनके बहाव का पूरा पानी नही्समिता है. तो नसदयो्की गरीबी भी हमारी ही सचंता और योजना का सवषय है. नसदयो् को पानी नही् समिने का मतिब है पूरे पय्ाावरण को प्यािा रखना और पय्ावा रण जब िंबे िमय तक प्यािा रखा जाता है तब वह अपनी प्याि वैिे ही बुझाता है जैिे उिने कश्मीर मे्बुझाई और चेन्नई मे् बुझा रहा है. हम इि अवैज्ासनक सवज््ान की जकड् िे बाहर सनकिे् सक जिवायु जैिे सक नसदयां, पहाड्और जंगि िारी हमारी िेवा मे्खड्ी जड्व्यवस्थाएं है्सजनके िाथ हम मनमानी कर िके्. पेसरि मे् जमा आका िोग िमझे् और माने् आज इििे कही् ज्यादा जर्री यह हो चिा है सक आकाओ्के आका हम इिे िमझे्और माने्. हमे् उन व्यवस्थाओ् की ओर िौटना ही होगा. सजन्हे् आधुसनकता या सवकाि के नाम पर हमने दुत्कार सदया था. क्यो्सक िबिे आधुसनक तकनीक और सवज््ान वह है जो कम-िे-कम िंिाधनो् मे् असधकासधक जीवन को पािता, िंभािता है. अब िवाि गरीब और अमीर देशो् का नही् है बब्लक यह िमझने का है सक हम एक ऐिे िंिार मे् रहते है् जहां िंिाधन िीसमत ही है्. इन्हे् मनचाहा बढ्ाया नही् जा िकता है. सवनष्् n जर्र सकया जा िकता है. (िेखक वसरष््पत््कार और गांधी शांसत प््सतष््ान के अध्यक््है्.)