Shukrawaar 16 29 february 2016 medium resolution

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वर्ष 9 अंक 4 n 16-29 फरवरी 2016 n ~ 20

कैसे मिले खोयी हुई जन्नत



www.shukrawaar.com

वर्ष9 अंक 4 n 16 से 29 फरवरी 2016 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प्​्काशक क्​्मता सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल राजनीसतक िंपादक वववेक सक्सेना फोटो िंपादक पवन कुमार िंपादकीय िहयोगी

सववता वम्ा​ा अंजना वसंह सुनीता शाही (लखनऊ) अिनल चौबे (रायपुर) पूजा िसंह (भोपाल) अिवनाश िसंह (िदल्ली) अिनल अंशुमन (रांची) कुमार प्​्तीक मनोज वतवारी

कला

प्​्वीण अिभषेक

महाप्​्बंधक

एस के वसंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm.shukrawaar@gmail.com

आवरण कथा

6 | सवािो् से विरी जन्नत वापसी

अपना घर छोड्कर जानेवािे कश्मीरी पंसडतो्के सनव्ाशिन के ढाई दशक पूरे हो चुके है्. इिी के िाथ िरकारी स्​्र पर उनकी घर वापिी की िंभावना भी चच्ाश मे्है, िेसकन इिके सिए पहिे दूिरे कई िवािो्काे हि करना जर्री है.

16 | अपमान के विए एक मां

िंघ पसरवार की ओर िे रोसहत वेमुिा को गैर-दसित िासबत करने का असभयान चिाया जा रहा है जो झूठ होने के िाथ-िाथ रोसहत की मां का अपमान भी करता है.

18 | ववकृत चेहरे सुंदर मन

िबजनेि हेड

तेजाब के हमिे िे पीस्डत मसहिाएं एक गसरमापूर्शजीवन की ओर बढ् रही है्. िक्​्मी और उनकी िहेसियां फैशन मॉडि हो गयी है्और कुछ पीस्डताएं रेस्रां चिा रही है्.

शरद कुमार शुकल ्ा +91. 9651882222

ब्​्ांिडंग

कॉमडेज कम्युिनकेशन प्​्ा़ िल़

प्​्िार प्​्बंधक

यती्द्कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024 yatendra.3984@gmail.com

सिसध िलाहकार शुभांशु वसंह

shubhanshusingh@gmail.com

+91. 9971286429 सुयश मंजुल

िंपादकीय काय्ा​ालय

एमडी-4/304, सहारा ग्​्ेस, जानकीपुरम लखनऊ, उत्​्र प्​्देश-226021 टेलीफैक्स : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com www.shukrawaar.com DELHIN/2008/24781 स्वत्वािधकारी, प्क ् ाशक और मुदक ् क्म् ता सिंह के सिए अमर उजािा पब्लिकेशि ं सिसमटेड, िी-21, 22, िेकट् र-59, नोएडा, उत्र् प्द् श े िे मुस्दत एवं दूिरी मंसजि, ल्ाी-146, हसरनगर आश्म् , नयी सदल्िी-110014 िे प्क ् ासशत. िंपादक : अंबरीश कुमार (पीआरल्ाी अिधसनयम के तहत िमाचारो्के चयन के ि​िए िजम्मेदार) िभी कानूनी िववादो्के ि​िए न्याय क्​्ेत्िदल्िी होगा.

24 | छोटे चुनावो् की बड्ी जंग

26 | अन्न से जन पानी से धन

44 | धरती के नीचे एक धरती

48 | सपने की तरह सफिता

उत्​्र प्​्देश मे्तीन िीटो्के सिए होने वािे उपचुनाव मे्िभी दि अपने पर तौि रहे है्क्यो्सक उनिे अगिे सवधान िभा चुनाव के सदशािंकेत भी जासहर हो्गे.

पातािको मे् हसरयािी िे आच्छासदत ऊंची पहासड्य़ो्िे नीचे घाटी मे्बिे गांव ऐिे नजर आते है्मानो मासचि की सडब्लबयां रख दी गयी हो्.

सतरािी िाि के आसदवािी सिमोन उरांव ने पानी का िंकट हि करके ऐिा काम सकया है जो िरकार करोड्ो्र्पये खच्शकरने के बाद भी नही्कर पायी.

कैटरीना कैफ अपनी नयी सफल्म ‘सफतूर’ को दश्शको्के सिए वेिे्टाइन डे का तोहफा मानती है्. यह उनके अब तक के सफल्मी िफर का एक अच्छा पड्ाव है. शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

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आपकी मास्ट हेडाक ड

आप चली पंजाब

मौत के बाद सवाि

जब रोसहत ने वाइि चांि​िर को ऐिा पत्​्सिखा था तो उिे गंभीरता िे क्यो्नही्सिया गया? ये बड्ा िवाि है. कई और भी िवाि है्. आत्महत्या जैिा कदम उठाना मामूिी बात नही् होता? अगर रोसहत मानसिक र्प िे बीमार थे या सडप्​्ेशन के सशकार थे, तो इिाज की व्यवस्था क्यो् नही् हुई? वैिे तो कै्िर जैिी बीमारी को भी कई िोग बहादुरी िे मात दे देते है्. िेसकन इि िड्ाई मे्उनके इद्शसगद्शके िोगो् की बड्ी भूसमका होती है. ये िमाज भी उिका िाथ देता है. िेसकन ऐिे सकतने िोग है् जो कैि ् र को बहादुरी िे धूि चटाते देखे गये है.् ऐिे िोगो्को हम सगन िकते है्. रोसहत सजि कै्िर का सशकार हुए है्. वो तो और भी भयंकर है. वो तो सिस्टम, िमाज और सियाित का कै्िर है. क्या सकिी ने ये जानने की कोसशश की सक वेमुिा को ये आसखरी कदम क्यो्उठाना पड्ा? स्मृसत ईरानी को सिखे अपने पत्​्मे्बंडार् दत्​्ात्​्ेय ने यूसनवस्िशटी को एंटी-नेशनि गसतसवसधयो्के गढ्जैिा बताया है. बंडार्वहां िे िांिद है्, के्द् मे् मंत्ी है्. अगर वाकई वो आतंकवादी गसतसवसधयो् का िमथ्शक था, सफर तो वाकई देश के सिए खतरा था. सफर सिफ्फ यूसनवस्िटश ी िे सनकािने की ही बात क्यो्? अगर उन्हे् ऐिा िगा तो ये मामिा पुसि​ि या एनआईए को क्यो्नही्िौ्पा गया? सुशील कुमाि, िायपुि (छत्​्ीसगढ़)

महागठबंधन के मानी

यूपी मे्महागठबंधन की दरकार सकिे है? और क्यो्? अि​ि मे्, यूपी मे् सकिी भी पाट्​्ी को यकीन नही् है सक वो 2017 मे् िरकार बना िकती है. न िूबे मे् ित्​्ा िंभाि रही िमाजवादी पाट्​्ी, न के्द् की ित्​्ा पर कासबज 4

शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

बीते अंक की कवर स्टोरी मे्आप के पंजाब जाने की सवशेष सरपोट्श िे वहां के आगामी चुनाव मे् बनने वािे चुनावी िमीकरर पर अच्छी रपट पढने को समिी. देश मे् 2017 मे् कई जगह चुनाव होने वािे है्, सजिमे् पंजाब एक अहम राज्य है. सदल्िी की जीत िे उत्िासहत आम आदमी पाट्​्ी अब पंजाब मे् चुनाव िडने की तैयारी मे्िग गयी है. इिी तैयारी के सि​िसि​िे मे्सदल्िी के मुख्यमंत्ी केजरीवाि ने पंजाब मे् सजि तरह की रैिी की उि​िे इिके िाफ़ िंकते समिने िगे है्सक वह पंजाब मे्कोई कोर किर

नही्छोडना चाहते है्. केजरीवाि अभी सदल्िी के मुख्यमंत्ी है्, िेसकन सदल्िी को पूरश्राज्य का दज्ाश प्​्ाप्त नही् है. सजि​िे उनकी खुद की ये सशकायत है सक उन्हे् काम नही् करने सदया जा रहा है बब्लक उन्हे् परेशान सकया जाता है. उनके हर काम मे् केद् ् िरकार अडंगा िगाती रहती है. सजिकी वजह िे वह राज्य मे्अपने सहिाब िे काम नही्कर पा रहे है.् ऐिे मे्कयाि िही है सक वह सदल्िी की कमान छोड पंजाब की कमान िंभाि िकते है.्

बीजेपी. यूपी मे्गठबंधनो्के खूब प्​्योग हुए है्. छह छह महीने की िरकारो् के भी करार और सफर बाद मे्करार तोड्ने के आरोप-प्त्य् ारोप के दौर भी चिे है्. िमाजवादी पाट्​्ी महागठबंधन की िबिे बड्ी पक्​्धर रही है. सबहार मे्जनता पसरवार का िपना मुिायम सिंह की उि दूरदृस्ि का सहस्िा था. सजिे उन्हो्ने अरिे िे िंजो कर रखा हुआ था. सबहार मे् महागठबंधन तो बना मगर मुिायम उि​िे बाहर हो गये. शायद पंचायत चुनावो् ने सवरोध मे् िुिगती आग का धुआं दश्ाशया है. बीएिपी ने इि धुएं को करीब िे महिूि भी सकया है. मायावती को ित्​्ा मे् वापिी करनी है. िेसकन मायावती चुनाव पूव्श सकिी गठबंधन के सखिाफ रही है्. कांग्ेि को भी सबहार की तरह ऐिे मजबूत पाट्शनर की तिाश होगी जो अगिी िरकार मे् उिे कोई रोि दे िके. महागठबंधन मे्िबिे बड्ा पे्च ये है सक उिका आधार क्या होगा? जैिे सबहार मे् महागठबंधन का एक ही मकिद था - बीजेपी को सकिी भी िूरत मे् ित्​्ा तक पहुंचने िे रोकना.

प्​्ाइवेट हाथो्मे्फे्कती जा रही है. जहां सकिान उनके बनाये बीजो्को खरीदने मे्अिमथ्शहोता जा रहा है. आसखर सकिान कब तक कज्शिेगा और उिके दोगुने दाम चुकायेगा.

नूि आलम, लखनऊ (उत्​्ि प्​्देश)

वकसानो् का नरक

बीते अंक मे् सवदभ्श के सकिानो् की िबिे बडी िमस्या पर प्​्कासशत िेख खुदखुशी की खेती िे वहां के अि​िी हािात िे र्बर् हुआ. कपाि की खेती करने वािा सकिान अगर आत्महत्या करना शुर्कर देगा, तो इिके बाद वािे सकिान जो िामान्य खेती करते हुए अपने जीवन को सकिी तरह चिाने मे्िगे है्. उनका हाि क्या होगा. ये एक बडा प्​्श्न है. इिकी सजम्मेदारी िरकार की है सक वह िरकारी व्यवस्थाओ् को िुधारने के बजाय चीजो् को

अमरिंदि कौि, लुरियाना (पंजाब)

कृष्ण कुमाि, िांची(झािखंड)

तस्करी का महाजाि

बीते अंक मे् हरे राम समश्​् ने आसदवािी मसहिाओ्की तस्करी पर बेहतरीन िेख सिखा था. सजि​िे हमे् पता चिता है सक अभी हम सकि युग मे् रह रहे है्. जहां कुछ िोग बोिने की आजादी मांग रहे है्. तो अभी भी आसदवािी मसहिाओ् का जीवन गुिामी करने के सिए मजबूर बना हुआ है. राजनीसतक पास्टशयो् को िमय कहां सक वह गरीबो् के सिए भी कुछ करके सदखाये. वह तो कंपसनयो् को िगाने मे् मदद कर िकती है्. िेसकन मसहिाओ् को सबकने िे बचाना उन्हे् नही् आता है. महज ये मुद्ा झारखंड का ही नही्है ये पूरे आसदवासियो् का है. जयंती भाग्गव, िीवा (मध्य प्​्देश)

पाठको् से वनवेदन

शुक्वार मे्प्​्कािशत सरपोट्​्ो्और रचनाओ्पर पाठको्की प्​्सतसक्​्या का स्वागत है़ आप अपने पत्​्नीचे िदए गए पते पर या ई-मेि िे भेज िकते है् एमडी-4/304, िहारा ग्​्ेि, जानकीपुरम, िखनऊ उत्​्र प्​्देश-226021 टेिीफैक्ि : +91.522.2735504 ईमेि : shukrawaardelhi@gmail.com


संमास् पादकीय ट हेड

कपास के बाद सरसो् ि

अंबरीश कुमार

इन बीजो्से तैयार सरसो्पर ककसी भी खरपतवार दवा का असर नही्होगा. कजस पत्​्ेको जहरीली दवा नष्​्नही्कर सकती, वह साग के र्प मे् हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर डालेगा, ककसी को नही्पता.

रकार कपाि के बाद जेनेसटकिी मोसडफाइड यानी जीएम िरिो् को हरी झंडी देने की तैयारी मे् है. इिे िेकर सकिान िंगठन एकजुट हो रहे है्. िरकार की तरफ िे सफर िचर सकस्म के तक्फ देकर इिके पक्​् मे् माहौि बनाने का प्​्याि हो रहा है. कपाि सकिानो्की बब्ादश ी की वजह यही जीएम कॉटन है सजिे िेकर बडे बडे दावे सकये गये थे. जब जीएम कॉटन को मंजूरी दी गयी तो कहा गया था सक इन बीजो् िे कपाि की उपज बढेगी, फि​ि मे् कीटनाशक की जर्रत नही् पडेगी और सकिान िंपन्न हो जायेगा. पर हुआ ठीक उल्टा. इिके इस्​्ेमाि के बाद िे ही देश मे् कपाि सकिानो्की ख़ुदकुशी का जो सि​िसि​िा शुर्हुआ वह आंकडा अब एक िाख िे ऊपर जा चुका है. इिे बनाने वािी बहुराष्​्ीय कंपनी का मुनाफा तो बढता गया पर सकिान जीएम कॉटन बीज के जाि मे्जो फंिा तो सफर बाहर सनकि नही्पाया. इि सवषय मे् असधक िमझ हासि​ि करने के सिये सवदभ्शके कुछ सजिो्मे्कपाि सकिानो् के बीच जाना चासहये तासक वे इिे बेहतर िमझ िके्. पर िरकार और उिके सवशेषज्​्यह िब िमझते है्, सफर भी बार बार अगर यह गिती दोहराते है् तो कोई न कोई स्वाथ्श तो होगा ही. इिे िमझने के सिये सकिी शोध की भी जर्रत नही है. सजि असभयान के पीछे सवदेश की बडी बहुराष्​्ीय कंपसनयां हो्उनकी मंशा िाफ़ होती है. उनकी नजर सिफ्फमुनाफे पर होती है सकिी देश के खेत खसिहान और सकिान पर नही्. जीएम िरिो्िे िरिो्का पत्​्ा जहरीिा होकर ख़त्म हो जायेगा या अपने परंपरागत बीज िमाप्त हो जाये्गे इिकी सचंता जब अपनी िरकार, अपने नेता नही करे्गे तो वह बहुराष्​्ीय कंपनी क्यो् करेगी जो सिफ्फ मुनाफा कमाने और उिका एक सहस्िा कुछ िोगो् को देकर अपना कारोबार फैिाने आ रही है? अब सकिान जीएम कॉटन के बीज तैयार करने वािी बहुराष्​्ीय कंपनी का मोहताज है. कपाि तो इस्​्ेमाि की वस्​्ु रही है खाने की नही्इिसिये कुछ बचा. अगर िरिो्के जीन के िाथ छेडछाड हुई तो नतीजे बहुत खतरनाक हो्गे. पय्ाशवरर और जैसवक खेती की पक्​्धर िंस्थाएं ऐिी िरिो्को मानव जासत के सवनाश की ओर बढता कदम मान रही है. िरिो्के बीज िे िेकर पत्​्े तक भारतीय घरो् मे् आये सदन इस्​्ेमाि होते है्. जीएम िरिो् के सखिाफ

असभयान चिाने वािी काय्शकत्ाश िुनयना वासिया ने बताया सक सदल्िी सवश्​्सवद्​्ािय ने जो िरिो्के बीज तैयार सकये है्अगर यह देश मे्फैि गये तो िरिो्के िाग को तो आप हमेशा के सिए भूि जाइये. सवश्​्सवद्​्ािय खुद दावा कर रहा है सक इन बीजो् िे तैयार िरिो् पर सकिी भी खरपतवार दवा का अिर नही्होगा. यानी सजि पत्​्ेको जहरीिी दवा नि्​्नही्कर िकती वह पत्​्ा िाग के र्प मे्हमारे स्वास्थ्य पर क्या अिर डािेगा, सकिी को नही्पता. िमूचा पंजाब हसरत क्​्ांसत की कीमत अब चुकाने िगा है. कई दशक बाद पंजाब मे्स्कूि िे ज्यादा अस्पताि की जर्रत पड रही है. हर गांव मे्कै्िर के मरीज उि खानपान और पानी की वजह िे बढ रहे है जो सपछिे कई दशक िे उनके जीवन का सहस्िा बन गया है. ऐिे मे्आम आदमी के रोज इस्​्ेमाि मे् आने वािी िरिो् के जीन मे्बदिाव िाकर जो िरिो्सकिान को दे्गे वह सकतना घातक होगा सबना यह जाने िरकार कोई पहि करे तो वह बहुत ही दुभ्ाशग्यपूर्शहै. देश के सकिान िंगठनो् ने इिे िेकर जो सचंता जतायी है वह आम आदमी की िमझ मे् आती है पर िरकार और राजनीसतक दि नही् िमझ पा रहे है. और तो और जब के्द्ीय कृसष मंत्ी इिका पक्​्िेने िगे तो खतरा सकतना बडा है यह िमझ िेना चासहये. के्द्ीय कृसष मंत्ी राधा मोहन सिंह हाि मे् कहा सक जेनेसटक इंजीसनयसरंग फि​िो् की उपज बढाने का माग्श प्​्शस्​् करेगी. इि सटपण्री िे िमझ िेना चासहये सक िरकार देर िबेर इन बहुराष्​्ीय कंपसनयो् के आगे घुटने टेक िकती है. यह तो उन िोगो् का हाि है जो नारा स्वदेशी और स्वािंबन का देते रहे है्. पहिे भूसम असधग्​्हर अध्यादेश िाकर कारपोरेट घरानो् को फायदा पहुंचाने का अिफि प्​्याि सकया गया तो खेती को ही बब्ाशद करने की िासजश रची जा रही है. िब्लजयां हो या सफर अनाज. न हमारे बीज बचेग् े और न फि​ि. ताि, तािाब और नदी नािो्के िाथ सखिवाड करने के बाद इि तरह खेती सकिानी को भी हम बब्ाशद कर दे्गे . भूसम असधग्​्हर सबि के बाद यह दूिरा बडा मुद्ा है सजिे िेकर सकिान िंगठनो् को बहि छेडनी चासहये तासक आम आदमी जीएम बीजो् के घातक नतीजो् को िेकर n जागर्क हो िके. ambrish2000kumar@gmail.com शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

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आवरण मास्ट हेकथा ड

अपना घर छोड्कर जानेवाले कश्मीरी पंकडतो्के कनव्ाषसन के ढाई दशक पूरे हो चुके है्. इसी के साथ सरकारी स्​्र पर उनकी घर वापसी की संभावना भी चच्ाष मे्है, लेककन इसके कलए पहले दूसरे कई सवालो्काे हल करना जर्री है. घाटी के ज्यादातर मुस्ालमान और बचे-खुचे कहंदू कवस्थाकपतो् की वापसी चाहते है्, हांलाकक उनकी कनगाह मे्घाटी मे् अलग कहंदू बक्​्सयां बनाना नफरत की दीवारो्को ऊंचा ही करेगा. 6

शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

सवालों से घिरी माजजद जहांगीर

ह श्​्ीनगर का सनचिा इिाका बब्शर शाह है सजिे सिटी का डाउन टाउन इिाका कहा जाता है .झेिम पाि िे गुजरती है पर न अब वो झेिम बची जो कभी अपने पारदश्​्ी पानी के सिये जानी जाती थी न इि इिाके मे् कश्मीरी पंसडत बचे. अभी यहां शहर मे् बफ्फ नही् पडी है और सचनार के पत्​्े भी नही् आये है .पर ठंढ है .ऐिी ही ठंडी िुबह हम समिे यहां रहने वािे िंजय सतकू्िे जो पचाि पार कर चुके है . उन कश्मीरी पंसडतो् मे् िे एक है् सजन्हो्ने िन 1990 के दशक मे् कश्मीर नही् छोड्ा. उन्हो्ने ऐिा क्यो् सकया, इिका

कोई जवाब उनके पाि नही् है . िच के व ि यह है सक उन्हे् अपनी मातृभूसम िे बेहद प्यार है . कश्मीरी पं सडत िं घ ष्श िसमसत के मु सखया िं ज य कहते है्, 'मै्ने कश्मीर क्यो् नही् छोड्ा? इि िवाि का जवाब तो मै्भी सपछिे 25 िािो् िे खोज रहा हूं.' वह सजि इिाके मे् रहते है् वहां अब केवि दो पंसडत पसरवार रह गये है्. िन 90 के दशक मे्यहां 35 सहंदू पसरवार थे. कश्मीर िे पं सडतो् का सवस्थापन उि िमय शुर् हुआ जब िन 1990 मे् चरमपंथ एकदम चरम पर पहुंच गया. हािात ने िाखो् पं सडतो् को अपना घरबार छोडक़र वहां िे बाहर सनकिने के सिये मजबू र कर सदया.


श्​्ीनगि शहि औि डल झील: छूटा हुआ स्वग्ग

जनंनत वापसी

हािां सक यह मु द्ा आज भी सववासदत है . कश्मीर के आम िोगो् का िोचना है सक कश्मीर िे पं सडतो् का सवस्थापन दरअि​ि तत्कािीन राज्य पाि जगमोहन की दे न है . वही् सवस्थासपतो् का मानना है सक मु ब्सिम चरमपं सथयो् ने उनको अपने घर छोडऩे पर मजबूर सकया. सतकू ् का जोर इि बात पर है सक कश्मीर िे पं सडतो् के सवस्थापन को िमझा जाये . वह कहते है् पं सडतो् और मु ि िमानो् दोनो् को उि वक्त के हािात पर गौर कर पता िगाना चासहये सक आसखर सकिने उन्हे् भागने पर मजबू र सकया? हािां सक वह इि बात िे भी इनकार नही् करते सक पंसडतो् की

एक के बाद एक हत्या ने उनके अंदर इतना खौफ भर सदया सक वे अपना घर छोडक़र भागने पर मजबूर हो गये. सतकू ् कहते है्, 'मु झे िगता है सक पंसडतो् को कश्मीर िे भगाने का इरादा पहिे ही बना सिया गया था. जब जम्मू कश्मीर मे् राष्​्पसत शािन िागू सकया गया तब पंसडतो् का सवस्थापन शु र् हु आ . इिी तरह जब कश्मीर मे् सहं िा शु र् हु ई , हर तरफ भारत सवरोधी और पासकस्​्ान िमथ्शक नारे िगाये जाने िगे तो इिने भी पंसडतो् को सवस्थापन के सिये सववश सकया.' सतकू्के मन मे्इि बात का दुख है जब चरमपं सथयो् ने पोस्ट र िगाकर और प्​्ेि मे्

धमसकयां देकर पंसडतो् को कश्मीर छोडऩे के सिये धमकाना शु र् सकया तो आम मुि​िमानो्ने इि बात का सवरोध नही्सकया. वह कहते है्, 'अगर आज मुि​िमान पंसडतो् को वापि आने के सिये कहते है् तो उि िमय उन्हो्ने उन्हे् रोका क्यो् नही्?' सतकू ् भारत िरकार के उि मं िू बे का भी सवरोध करते है् सजिके तहत िरकार कश्मीर िे सवस्थासपत हुए पंसडतो् को िाकर अिग-अिग बस्​्स यो् मे् बिाना चाहती है . वह कहते है्सक यह कैिे मुमसकन है सक आप दो सफरको्को एक ही जगह पर अिग-अिग बिाये्? सतकू् खुद वष्श 1990 और 2008 मे् दो बार कश्मीर छोड्ने का इरादा बना चुके है् िे सकन दोनो् ही बार आसखरकार उन्हो्ने अपना मन बदि सदया. यह पू छे जाने पर सक क्या पं सडतो् को कश्मीर मे् वापि आना चासहये, सतकू् कहते है्, 'मुझे नही् िगता सक अभी उनको वापि आना चासहये. क्यो्सक कश्मीर के हािात अभी ठीक नही् है्. कम िे कम अभी वे जहां है्, शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

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आवरण मास्ट हेकथा ड

वहां िुरस्​्कत तो है्.' िरकारी आं क ड्ो् के मु तासबक सपछिे 25 वष्​्ो् मे् के व ि एक ही पं सडत पसरवार कश्मीर वापि िौटा है . इि सतकू ् का कहना है , 'वष्श 2008 तक पं सडतो् की घर वापिी का माहौि बन गया था िेसकन सजि तरह िे दोबारा वष्श 2008 मे् अमरनाथ जमीन सववाद और 2010 मे्चार महीनो िंबा आं दोिन चिा उन्हो्ने इि मि​िे को ठं डा कर सदया.' श्​्ीनगर के हबा कदि गरपत्यार मे्रहने वािे 50 वष्​्ीय रतन िाि चाको और 65 वष्​्ीय पं सडत भू ष र िाि भी उन कश्मीरी पंसडतो् मे् िे है् सजन्हो्ने कश्मीर िे सवस्थापन नही् सकया. रतनिाि कहते है्, 'हमने हर सदन यही िोचा सक कि हािात ठीक हो जाये्गे. 90 के दशक िे आज तक बि इि एक बात ने हमे्रोक रखा है सक आज नही्तो कि वक्त करवट िे गा. िे सकन ऐिा कु छ नही् हु आ .' रतन िाि और भू ष र िाि मानते है्सक कश्मीरी पंसडतो्के सवस्थापन की भूषण लाल: खौफ के बावजूद

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शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

एक उजाड् मंरदि: जनरवहीन आस्था एक बड्ी वजह उनके भीतर खौफ पैदा होना रहा. रतन िाि का अि​िी घर श्​्ीनगर के बे​े समना इिाके मे् था जो उन्हो्ने पं सडतो् के कश्मीर िे सवस्थापन के िमय बेच सदया. अब वह श्​्ीनगर मे् सजि मकान मे् रहते है् वह मंसदर की िंपस्​्त है. रतन िाि बताते है्, 'मेरे मोहल्िे मे्जब िब पंसडत एक एक कर भाग गये तो मै् वहां अकेिा रह गया. सफर मै्ने भी अपना मकान बे च डािा. िे सकन उि दौरान जब मे रे मातासपता का दे हां त हु आ तो स्थानीय मु ि िमान पड्ोसियो् ने मे रे दु ख मे् बराबर सशरकत की.' भू ष र िाि का अि​िी घर कश्मीर के नू र पु र तराि मे् है िे सकन वह भी वहां िे पं सडतो् के सवस्थापन के बाद श्​्ीनगर चिे आये. उनके गांवो् मे् पंसडतो् के 90 पसरवार थे. अब वह भी श्​्ीनगर मे् मंसदर की िंपस्​्त पर बने एक मकान मे् ही रहते है्. जब भी पंसडतो् का कोई त्योहार आता है तो भू ष र िाि और उनका पसरवार खािा सभी फोटो: मारजद जहांगीि

अके िापन महिू ि करता है . वह आज भी अपने त्योहार मनाते है् िे सकन उिमे् पहिे जैिा उत्िाह नदारद है. पंसडतो् की िंख्या मे् आ रही कमी का अिर उनके उत्िाह पर िाफ महिूि सकया जा िकता है. भू ष र िाि और रतन िाि कश्मीर मे् पं सडतो् को अिग िे बिाने के सवचार का ितत सवरोध कर रहे है्. उनका मानना है सक ऐिा करने िे दो िमु दायो् के बीच की दूरी और बढ्ेगी. वे कहते है् सक कश्मीर मे् मु ि िमान और पं सडत हमे शा एक िाथ रहते आये है्, अब उनको अिग बिाने का िुझाव बांटने वािा है, ऐिा नही् सकया जाना चासहये. बीते 25 वष्​्ो् का दद्श बां ट ते हु ए रतन िाि कहते है्, 'हमारे सदि पर कै िे कै िे जख्म िगे है् मत पू सछये . आज तक यहां का सवधायक भी कभी हमारा हाि पू छ ने नही् आया. िरकार पं सडतो् को दोबारा यहां बिाने की जो बात कर रही है . वह तो िरकार का एक काड्श भर है. मै्पूछना चाहता हूं सक जो पंसडत कश्मीर मे् रह रहे है्, िरकार ने उनके सिये क्या सकया? जो पंसडत यहां िे चिे गये उनके सिये तो िरकार बहुत कु छ कर रही है िे सकन जो यहां रह गये उनको सकिी िरकार ने नही् पू छा. अगर िरकार का यही हाि रहा तो हम भी यहां िे चिे जाये्गे.' कश्मीर िे सवस्थासपत हु ए पं सडतो् द्​्ारा प्​्िय का सदन मनाने पर रतन िाि िवाि उठाते है्. वह कहते है्, 'कश्मीरी पंसडत प्​्िय का सदन सकिसिये मनाते है्? हम तो ऐिा कोई सदन नही् मनाते. हम तो कश्मीर मे् ही रह रहे है्. ऐिा सदन मनाने का अथ्श यह हुआ सक मानो कश्मीर िे िभी पंसडत पिायन कर गये जबसक ऐिा नही् है.' संजय रतक्​्: यही हमािा घि


ववस्थापन एक सावि्श थी

यह कहना है अलगाववादी नेता शबीर अहमद शाह का.

श्मीर मे्िस्​्कय अिगाववादी नेता और जम्मू कश्मीर डेमोके्सटक फ्​्ीडम पाट्​्ी के चेयरमैन शबीर अहमद शाह ने शुक्वार के िाथ बातचीत मे् कहा सक कश्मीर िे पंसडतो् का सवस्थापन एक बड्ी िासजश का सहस्िा थी. उनका कहना है सक यह िासजश तत्कािीन राज्यपाि जगमोहन ने रची. शाह इि सि​िसि​िे मे्बिराज पुरी की सकताब कश्मीर टुवड्​्​्ि इंिज्​्ेिी का हवािा देते है् सजिमे् उन्हो्ने पंसडत जोतो जी का हवािा देकर कहा है सक आप कश्मीर िे सवस्थापन करे्.

आंकड्ो् मंे त्​्ासदी

कश्मीरी पंसडत िंघष्शिसमसत के आंकड्ो्के मुतासबक वष्श1990 िे अब तक कश्मीर मे् कुि 670 पंसडत मारे गये है्. वष्श 1990 मे् जगमोहन के दौर मे्181 पंसडत मारे गये. ये हत्याये्सिफ्फवष्श1990 के पहिे पांच महीनो् मे् की गयी्. िन 1990 मे् कुि 46 पंसडतो् की हत्याये् की गयी्. िरकारी आंकड्ो् के मुतासबक सपछिे 25 िािो् मे् सिफ्फ 271 पंसडतो् की हत्या की गयी िेसकन कश्मीरी पंसडत िंघष्श िसमसत िरकारी आंकड्ो् को खासरज करती है. l कश्मीर मे् पंसडतो् की पहिी हत्या 15 अगस्​्1989 को की गयी. l वष्श 1997: 7 पंसडत कश्मीर के िंग्ाम मे्मारे गये. l वष्श 1998: 22 पंसडत वंधमा मे् मारे गये. l वष्श2003: 24 पंसडत नंदी माग्शमे्मारे गये. l 31 सदिंबर 1989 को कश्मीर मे्पंसडतो् की आबादी 3.5 िाख थी. घाटी मे्ंअब 181 जगहो्पर 651 पंसडत पसरवार रहते है,् सजन्हो्ने सवस्थापन नही्सकया.

शाह का मानना है सक कश्मीरी पंसडतो्को अपनी अिग सवचारधारा रखने का पूरा हक है िेसकन वे अपने घरो्को वापि िौटे्और उिी तरह रहे्जैिे पहिे रहा करते थे. कश्मीरी पंसडतो्को भगाने का मकिद केवि ये था सक वे हमारी आजादी के आंदोिन को बदनाम करे्. शाह का कहना है सक वह कई सशसवरो्ं मे् जाकर कश्मीरी पंसडतो् िे अपने घर वापि िौटने की सवनती करते रहे है्. यह पूछने पर सक कश्मीर के मुि​िमानो् ने उि िमय कश्मीरी पंसडतो् को कश्मीर छोडक़र जाने िे क्यो् नही् रोका, शाह कहते है् सक उि वक्त हािात कुछ ऐिे बन गये थे सक कुछ सकया नही्जा िका. खुद शाह उि िमय जेि मे्थे िेसकन वह कहते है्सक बाहर सनकिने के बाद वे िगातार पंसडतो्के पाि जाते रहे, उनके त्योहारो्मे्सशरकत करते रहे और यह बात दोहराते रहे सक उनके सबना वे अधूरे है्. िन 1990 के दशक मे्पंसडतो्को चरमपंथयो्की तरफ िे दी गयी् धमसकयो् को शाह िच नही् मानते. उनका कहना है सक धमकी भरे पोस्टरो्पर तो सकिी का भी नाम सिखा जा िकता है. सजन िोगो्का नाम पोस्टरो्पर सिखा था आप उन चरमपंथी नेताओ्िे पूछ िकते है्सक िच क्या है िेसकन मेरा तो यही मानना है सक यह एक िासजश थी सजिे तत्कािीन राज्यपाि जगमोहन ने अंजाम सदया. -माजिद िहांगीर n

रतन िाि का मानना है सक मुि​िमानो् और पं सडतो् की यु वा पीढ्ी के करीब आने िे िमस्या का िमाधन हो िकता है . उनकी नजर मे् इि िमस्या का कोई राजनीसतक हि है ही नही्. हां , दोनो् िमुदाय के युवाओ्द्​्ारा एक दूिरे को जानने िमझने िे जर्र िमस्या का िमाधान हो िकता है. कश्मीर के अनं त नाग सजिे के मटन इिाके मे् रहने वािे 80 वष्​्ीय पं सडत जगन्नाथ 17 िाि बाद वष्श2007 मे्कश्मीर वापि िौटे है्. पं सडत जगन्नाथ िरकार के सकिी पैकेज के तरत नही् िौटे है् बब्लक वह खुद के घर मे् रहते है्. कश्मीर वापिी पर वह कहते है्, 'मुझिे मत पू सछये मै्ने कश्मीर िे बाहर 17 िाि सकि अजाब मे्गुजारे. मुझे पि-पि कश्मीर की याद िताती रही. कश्मीर िे बाहर की सजंदगी नरक थी. कश्मीर के सिवा मेरा मन ही नही् िगता कही्.' जगन्नाथ का घर िन 1990 मे् जिा सदया गया था. िरकार की ओर िे उनको नया घर बनाने के सिये 7 िाख र्पये की आस्थशक िहायता प्​्दान की गयी. जगन्नाथ का कहना है सक हर कश्मीरी पंसडत को अपने घर वापि आना चासहये. कश्मीर मे्ं अब कोई डर नही् है. हम यहां िुरस्​्कत है्.

कश्मीर के आम मुि​िमान पंसडतो् की वापिी और उनके सवस्थापन को िे क र मु ि िमानो् के िाथ-िाथ पं सडतो् पर भी िवाि उठा रहे है्. कश्मीर के वसरष्​्पत्​्कार और सवश्िे ष क तासरक अिी मीर कहते है्, 'वष्श 1990 मे् पं सडतो् के िाथ जो कु छ हु आ वह गित था. उि िमय यहां ऐिा माना जा रहा था सक मानो कश्मीर बि आजाद होने वािा है. यहां हर कोई नेता बन गया था. कोई जवाबदेही ही नही्थी. वह दौर ऐिा था सक अगर कोई मु ि िमान भारत िमथ्शक सवचार रखता था तो उिे भी कश्मीर िे भागना पड्ा.' तासरक कहते है् सक रही बात कश्मीरी पंसडतो् की वापिी की तो वे आये् और उिी तरह रहे् जै िे 90 के पहिे रहते थे . 'सजि तरह पं सडतो् अिग बिाने की बात हो रही है उि​िे नफरत की दीवारे् और ऊं ची हो जाये्गी. िबिे अहम बात यह सक दोनो् ही सफरको् की यु वा पीढ्ी को नजदीक िाने की जर्र त है . पं सडतो् की नयी पीढ्ी को िगता है सक मुि​िमानो् ने उनको कश्मीर िे भागने पर मजबू र कर सदया जबसक मुि​िमानो् की पीढ्ी को िगता है सक पंसडतो् ने हर जगह कश्मीरी मुि​िमानो् को बदनाम सकया. िबिे पहिे इि दोहरी गितफहमी n को दूर करना होगा.' शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

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आवरण कथा जि​िेक सक्सेना

मारा दुभ्ाशग्य यह है सक अब तक के्द् मे् चाहे सकिी भी दि की िरकार क्यो्न रही हो, सकिी ने भी हमारी हाित पर घस्डयािी आंिू बहाने के अिावा और कुछ नही् सकया. िच तो यह है सक कश्मीर के बारे मे्िरकार की कोई नीसत ही नही् है. वह पासकस्​्ान को पृथकतावासदयो् िे बात करने की इजाजत ही क्यो् देती है? क्या पासकस्​्ान भारत को बिूसचस्​्ान मे्आजादी की मांग करने वािो्िे बातचीत करने की इजाजत देगा?’ यह सवचार कश्मीरी पंसडतो् के िबिे बड्े िंगठन ‘पनुन कश्मीर’ के अध्यक्​् डॉ अजय चुरंगू के है्. उनका मानना है सक कश्मीर को िेकर के्द् िरकार का रवैया हमेशा ही बड्ा अजीब रहा. उिने कभी भी वहां की िमस्या का ठोि हि सनकािने की न तो कोसशश की और न ही आतंकवासदयो्के िाथ वह िख्ती िे पेश आयी.

आम सवस्थासपत कश्मीरी का यह मानना है सक उनकी हाित दुसनया मे् िबिे बदतर है. यहूसदयो् को तो अपना देश छोड्ने के सिए मजबूर होना पड्ा था. पर यहां तो हम िोग अपने ही देश मे् सवस्थासपत होकर रह गये है् सजनकी ओर सकिी का भी ध्यान नही् जाता है. एक िमय था जबसक कश्मीर मे् सिफ्फ सहंदू ही थे. वहां 14 वी् िदी मे् मुब्सिम शािक आये हािांसक 1587 मे्जब वहां अकबर का शािन स्थासपत हुआ तो उिने कश्मीरी ब्​्ाम्हरो् की बुस्ि और योग्यता िे प्​्भासवत होकर उन्हे् ‘पंसडत’ नाम िे बुिाना शुर् कर सदया. अफगानी शािनकाि मे्वहां धम्शपसरवत्शन पर जोर सदया गया. िाि 1846 िे 1947 तक डोगरा शािनकाि उनके सिए िबिे िुरस्​्कत कहा जा िकता है. पहिे 1948 के पाक हमिे और सफर 1950 के भूसम िुधार कानूनो्के बाद उनका घाटी िे पिायन शुर् हो गया. आजादी के पहिे दशक मे्करीब 20 फीिदी पंसडतो्ने

सियाित के सिकार सिस्थासित

पनुन कश्मीि का प्​्दश्गन: घि की तड्प

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घाटी छोड्ी. कश्मीर मे्आतंकवाद की शुर्आत के बाद 1990 के दशक मे् इिमे् तेजी आयी. आतंकवासदयो् का पहिा सशकार िरकारी कम्शचारी टीका िाि टापिू थे. जो भाजपा िे जुड्ेहुए थे. 14 सितंबर 1989 को उनकी हत्या कर दी गयी. आतंकवाद तब िबिे ज्यादा पनपा जब के्द् मे् वीपी सिंह की िरकार थी. भारत के इसतहाि मे् पहिी बार सकिी मुि​िमान मुफ्ती मोहम्मद िईद को के्द्मे्गृह मंत्ी बनाया गया जो सक खुद कश्मीर के थे. उनकी अपनी बेटी र्सबया िईद का अपहरर हुआ और उिकी सरहाई के बदिे मे् दुद्ा​ा्त आतंकवासदयो् को छोड्ना पड्ा. जगमोहन को दूिरी बार जम्मू कश्मीर का राज्यपाि बनाया गया. कश्मीरी सवस्थासपत बताते है् सक उन िोगो् को डराने धमकाने की घटनाये्तो पहिे ही हो रही थी पर 19 जनवरी 1990 को जो कुछ हुआ उिने उन्हे् दहिा कर रख सदया. उि सदन मब्सजदो् िे

कश्मीरी पंकडतो्को अपने घरो्से बेघर करने मे्हमारी सरकारे्तो काफी मददगार रही्लेककन उनकी घर-वापसी के मुद्े से ककसी राजनीकतक दल का वास्​्कवक सरोकार नही्है. जगमोहन: रववादास्पद भूरमका


ऐिान सकया गया सक कश्मीरी सहंदू घाटी छोड्कर चिे जाये्. अगर वे िोग यहां रहना चाहते है् तो उन्हे् इस्िाम स्वीकार करना होगा और अपनी औरतो् को मुि​िमानो् को िौ्पना पड्ेगा. तब नारे िगाये गये सक ‘शब्लव, गासिव या चाब्लव’ (या तो हम मे् समि जाओ या मर जाओ अथवा भाग जाओ). वे बताते है्सक तब िारा सदन जोर जोर िे यह कैिेट बजाये जाते थे सक ‘जागो-जागो िुबह हुई है,र्ि ने बाजी हारी है. सहंद पर तरफान तरे है,् अब कश्मीर की बारी है.’ हम सनजाम ए मुस्फा स्थासपत कर चुके है्. उि िमय कश्मीर मे् करीब 1.40 िाख सहंदू पसरवार रहते थे सजनमे् िे एक िाख ने 1980 मे् ही घाटी छोड् दी. अनेक कश्मीरी पंसडतो् का कहना है सक खुद तत्कािीन राज्यपाि जगमोहन ने ही उन्हे् ऐिा करने के सिए प्​्ेसरत सकया था. सहंदू पिायन मे् कुछ भूसमका वहां के अखबारो् की भी रही. सजन्हो्ने आतंकवासदयो् की चेतावसनयां प्​्कासशत की्. घाटी िे प्​्कासशत होने वािे उद्शू के आफताब और अि​िफा मे्4 जनवरी 1990 को सहजबुि मुजासहद्​्ीन की यह चेतावनी छापी गयी सक िभी सहंदू घाटी छोड्दे्. उनके घरो्पर चेतावनी भरे पच्​्े सचपका सदये गये. पहिे ही िाि मे् करीब 1.40 िाख पसरवारो् मे् िे एक िाख ने घाटी छोड्दी. वे िोग जम्मू, सदल्िी और दूिरे शहरो् मे्रहने के सिए आ गये. िरकारी आंकड्ो् के मुतासबक अब तक 399 सहंदू, आतंकवासदयो् का सशकार बन चुके है्. वहां िे पिायन करके आने वािो् मे् सिफ्फ सहंदू ही नही् है. इनमे् सिख और मुि​िमान भी शासमि है्. अभी तक कुि 62,600 पसरवारो्ने सवस्थासपत के र्प मे् पंजीकरर करवाया है. इनमे् िे 40 हजार जम्मू मे्, 20 हजार सदल्िी मे्और बाकी देश के दूिरे सहस्िो्मे्रह रहे है्. सवस्थासपतो्को सशसवरो्मे्रखा गया है. जहां की हाित एकदम नारकीय है. इि पर होने वािा पूरा खच्शकेद् ्िरकार उठा रही है. अब तक उन पर 1690 करोड् र्पये खच्श सकये जा चुके है्. उन्हे्िारी मदद राज्य िरकार के जसरये ही की जाती है. शुर्मे्उन्हे्500 र्पये प्​्सत व्यब्कत के सहिाब िे मासिक आस्थशक िहायता दी जा रही थी. जो सक हाि ही मे्बढ्ाकर 2500 र्पये कर दी गयी है. एक पसरवार को समिने वािी असधकतम रासश 10 हजार र्पये है्. इिके अिावा हर पसरवार को प्​्सत माह नौ सकग्​्ा चावि, दो सकिो आटा, एक सकिो चीनी और 10िीटर समट्​्ी का तेि भी सदया जाता है. अपना घर छोड्कर आये कश्मीरी पंसडतो् को वहां वापि बिाये जाने के िभी िरकारी प्​्याि सवफि रहे है्. इिकी वजह उनके सदि मे् भारी अिुरक्​्ा की भावना है. बीते िाि ही नरे्द्मोदी ने कश्मीर के सिए 80 हजार करोड्

र्पये के पैकेज का ऐिान सकया था. पर इिके बावजूद वे उनके मन मे्सवश्​्ाि पैदा नही्कर पाये. उन्हो्ने खुद दो बार घाटी का दौरा सकया. घर वापि िौटने वािो्को अपना मकान बनाने के सिए 7.5 िाख र्पये की आस्थशक मदद का िािच भी घर वापिी करवाने मे्नाकाम िासबत हुआ. इन िोगो्के मन मे्िरकार के प्​्सत सकि कदर असवश्​्ाि है इिका अनुमान इि​िे िगाया जा िकता है सक 1990 िे िेकर आज तक घाटी मे् सिफ्फ एक पसरवार ही वापि गया है. उनके मकानो् और जमीन जायदाद की िुरक्​्ा के सिए राज्य िरकार ने 1997 मे्जम्मू कश्मीर माइग्​्ेटि इममूवेबि प्​्ापट्​्ी एक्ट को बनाया. सफर भी वहां कोई वापि नही्िौटा. नरेद् ्मोदी िरकार ने ित्​्ा िंभािने के बाद

अजय चुिंगू: सिकाि से नािाज

राज्य िरकार िे अनुरोध सकया सक वह घाटी मे् पंसडतो् की कािोनी बनाने के सिए जमीन उपिल्ध करवायेगी. बाकी िारा खच्श के्द् िरकार उठा िेगी. शुर्मे्मुफ्ती मोहम्मद िईद इिके सिए तैयार भी हो गये थे. पर तुरंत ही इिका सवरोध शुर् हो गया. सवरोध की पहि नेशनि कांफे्ि ने की. उिका कहना था सक इि तरह िे कंपोसजट टाउनसशप बिाये जाने िे घाटी के सहंदू और मुि​िमानो्के बीच दरार और गहरी होगी. कश्मीर मे्िबिे पहिे आतंकवादी हत्या करने वािे जम्मू कश्मीर सिबरेशन फं्ट के प्​्मुख यािीन मसिक तो दो कदम और आगे बढ् गये. उन्हो्ने बयान सदया सक इि तरह की कोई भी कािोनी बनाना, इजरायि की तरह घृरा की दीवार खड्ी करना होगा. अततः िारी योजना ठप्प हो गयी. िरकार को पता था सक बेरोजगारी एक बड्ी िमस्या है. सवस्थसपत कश्मीरी पंसडतो्को नौकरी का िािच देकर वहां बिाने की कोसशश की गयी. पहिे 2008 मे् राज्य िरकार ने 3000 पदो् पर इन िोगो् की भत्​्ी करने का ऐिान सकया. पर अभी तक 1553 पंसडतो्ने ही वहां नौकरी िी. अब चंद माह पहिे के्द्

िरकार ने 3000 और नौकसरयां सदये जाने का ऐिान सकया है. वहां जाने िे कतराने की एक वजह िुरस्​्कत और िस्​्ेआवाि का न होना है. के्द् इिका भी प्​्बंध करने जा रहा है. अि​िी िमस्या यह है सक वहां पुन्शवाि और िुरक्​्ा पर होने वािे िारे खच्शको केद् ्िरकार अदा करती है. पर वह कैिे और सकतना खच्शहो रहा है. इि पर उिका कोई सनयंत्र ही नही् है. राज्य िरकार मे्सकिी का भी शािन रहा हो पर पैिे की बब्ाशदी और भ्​्ि्ाचार की कहानी सकिी िे सछपी नही्है. राहत और पुन्शवाि के मुद्े पर जम्मू और कश्मीर के सवस्थासपतो्मे्भी टकराव होता आया है. जब आतंकवाद शुर् हुआ तो जम्मू के राजौरी, पुंछ इिाको् के िोग भी इिके सशकार हुए और वह भी सवस्थासपत होकर जम्मू के सशसवरो् मे् रहने आये थे. उन्हे् घाटी के सवस्थासपतो् की तुिना मे् कही् कम आस्थशक मदद दी जा रही थी. सकस्मत ने उनका िाथ सदया और डॉ जीते्द् सिंह के प्​्धानमंत्ी काय्ाशिय मे् मंत्ी बनने के बाद यह सविंगसत अभी हाि ही मे्दूर की गयी है. टीका िाि टापिू के बेटे आशुतोष टापिू कहते है् सक जब मेरे सपता की हत्या हुई, उि िमय मै्20 िाि का था. खून िे नहायी उनकी िाश की याद आज भी मेरे मन मे्ताजी है. इि िमय जम्मू कश्मीर मे् भाजपा-पीडीपी की िरकार है. अगर प्​्धानमंत्ी हमारी वापिी को िेकर गंभीर है्, तो उन्हे् ही पहि करनी होगी. आस्थशक मदद िे कही् ज्यादा हमारे मन मे् सवश्​्ाि पैदा करने की जर्रत है. उनका मानना है सक बीते 26 िािो् मे् िगातार यह प्​्याि सकये जाते रहे है्सक हम िोगो्की वापिी न हो. आि इंसडया कश्मीर िमाज के राज नेहर् की सशकायत है सक जब पासकस्​्ान, हुस्रशयत के नेताओ्को तीिरा पक्​्बनाये जाने पर आमादा है. तो हमारी िरकार हमे्भी बातचीत मे्शासमि सकये जाने पर क्यो्दबाव नही्डािती है. जम्मू कश्मीर सवचार मंच के िंजय गंजू की सशकायत है सक चुनाव के िमय प्ध् ानमंत्ी बड्ी-बड्ी बाते् और दावे कर रहे थे. पर अब िब भूि गये. इि िमय तो कोई सदक्त् नही्होनी चासहए. क्यो्सक के्द् और राज्य दोनो् ही जगह भाजपा ित्​्ा मे् है्. उनकी पीड्ा यह भी है सक पहिे वे िोग नेशनि कांफे्ि की िरकार पर आतंकवासदयो् के प्​्सत नरमी बरतने का आरोप िगाते थे. इि िरकार ने 70 आतंकवासदयो्को सरहा सकया था. भाजपा ने भी 370 और शरराथ्​्ी सहंदुओ्के मुद्े पर चुनाव िड्ा और बाद मे् पीडीपी िे हाथ समिा सिया जो आतंकवासदयो् के प्​्सत िदभाव रखती आयी है. इि िमय कश्मीर मे् कोई िरकार ही नही् है. अब वे इंिाफ के सिए n सकिका दरवाजा खटखटाये्? शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 11


आवरण मास्ट हेकथा ड

श्​्ीनगि मे् डल झील: सुंदिता के बावजूद

कितने अपने कितने पराये पाककस्​्ानी और हमारे अपने एजे्टो्से भरे हुए कश्मीर मे्सुंदरता कदमकदम पर है, लेककन पेचीदा कसयासत के कारण लोगो् के व्यवहार मे्अपनापन बहुत कम कदखता है. शरद गुप्ता

रती की जन्नत यानी कश्मीर जाना हर भारतीय का ख्वाब है. मेरा भी था. मकिद खाि तौर पर कश्मीर की हकीकत को करीब िे जानना था. मै्खुद दो बार कश्मीर गया. पहिी बार अक्तूबर 2003 के सवधानिभा चुनाव के दौरान और दूिरी बार सपछिे िाि एक समत्​्के सनमंत्र पर. दोनो् ही यात्​्ाओ् के दौरान मुझे खट्-मीठे ्े अनुभव हुए सजनिे वहां के हािात की एक छसव बनती है. पहिी यात्​्ा के दौरान अिगाववासदयो्की 12 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

चुनौती के बीच कश्मीर चुनाव कवर करना एक चुनौती था. सदल्िी हवाई अड्​्ेपर ही मीरवाइज उमर फार्क समि गये. बात शुर् होती सक बोस्डि्ग की घोषरा हो गयी. मै्ने कहा, ‘आज शाम िात बजे अगर आप व्यस्​्न हो्तो समिने आना चाहता हूं.’ मीरवाइज मुस्कराये, 'िगता है आप पहिी बार कश्मीर जा रहे है्.' मै्ने िहमसत मे्िर सहिाया तो वो बोिे, 'कश्मीर मे् कोई िूरज ढिने के बाद घर िे नही्सनकिता.' मैन् े भी उनिे इिकी वजह नही्पूछी. िोचा, डेढ् घंटे मे्खुद पता चि जायेगा. श्​्ीनगर हवाई अड्​्े िे होटि ब्​्ॉडवे तक चारो्ओर िुरक्​्ा बिो्की मौजूदगी ने बता सदया था सक यह जगह सहंदुस्ान के बाकी इिाको्िे अिग है. इतनी कड्ी िुरक्​्ा तो पूव्ोत्​्र के इंफाि या कोसहमा जैिे शहरो् मे् भी नही् देखी थी. अगिे सदन एक िाझा दोस्​् के जसरये िासहि मकबूि िे बात हुई. वे फ्​्ीिांि पत्​्कार थे िेसकन उनका हंिमुख स्वभाव, समिनिासरता और सजंदासदिी गौर करने िायक थे. मै्ने जब मीरवाइज िे हुई चच्ाश उनिे की तो वह खूब हंिे और बोिे, 'वैिे वह गित तो नही् कह रहे थे. हां, आपको जब उनिे समिना हो

तो बताइएगा, मै् िे चिूंगा.’ िासहि के िाथ अगिे सदन शाम चार बजे मीरवाइज िे समिना तय हुआ. मै्िुबह तत्कािीन मुख्यमंत्ी फार्क अल्दुल्िा के सनव्ाशचन क्​्ेत्गंदरबि िे जल्दी आ गया िेसकन िासहि के आने पर पता चिा सक मेरा टैक्िीचािक कही् चिा गया है. िासहि के कहने पर मै् उनकी मोटरिाइसकि िे सनकि गया क्यो्सक शाम होने का खतरा था. मीरवाइज िे मेरी िंबी बातचीत हुई. िौटने पर अंधेरा घना होने िगा था. िासहि ने बाइक को मुख्य िड्क की बजाय पुराने शहर की गसियो् मे्मोड्सदया. वह िाथ ही कमे्ट्ी करते जा रहे थे- यह कपड्ा बाजार है, यहां का कहवा बहुत प्​्सिद्घ है, यहां कभी कश्मीरी पंसडतो् की आबादी हुआ करती थी. उनके चार-छह घर अब भी बाकी है्. िासहि मुझे होटि छोड्कर गये ही थे सक आधे घंटे के भीतर राज्य िूचना सवभाग के एक सडप्टी डायरेकट् र आ गये. वे मेरे पूवश्पसरसचत थे. वे बोिे, 'आप डाउन टाउन श्​्ीनगर क्या करने गये थे, वह भी िासहि मकबूि के िाथ उिकी बाइक पर? अपनी टैक्िी क्यो् नही् िे गये?' ड्​्ाइवर की िमस्या बताने पर उन्हो्ने थोड्ा


तल्खी िे कहा सक आप मुझे फोन करते मै् अपनी गाड्ी भेज देता िेसकन आपको िासहि के िाथ नही्जाना था, मैन् े पूछा सक आसखर माजरा क्या है? क्या आप िोगो्ने मुझे वहां देखा था? उनका जवाब हैरान कर देने वािा था. वह बोिे, 'यहां कौन क्या कर रहा है, सकि​िे समि रहा है और क्या बात कर रहा है, िरकार को िब मािूम है. और िासहि ठीक आदमी नही् है, उिके ताल्िुकात िरहद पार भी है्और यहां के अिगाववासदयो्िे भी.' मै्ने अपने उि समत्​् िे बात की सजन्हो्ने मुझे िासहि िे समिवाया था. वह भी हैरान थे. उनकी जानकारी के अनुिार तो िासहि के िंबंध िुरक्​्ा और गुप्तचर एजे्सियो् िे थे. वह न तो अिगाववादी था और न ही आतंकवादी. अगिे सदन मै्ने सफर उि असधकारी िे बात की. इि बार जवाब और असधक चसकत करने वािा था. असधकारी ने कहा, 'यहां पर आधे िोग िुरक्​्ा बिो् के सिए काम करते है् और कुछ पासकस्​्ानी एजे्ट है्. िेसकन हमारी गुप्तचर एजे्सियो् मे् काम करने वािे कुछ िोगो् के िंबंध भी अिगाववासदयो्िे है्. िासहि ऐिा ही आदमी है. उि पर डबि क्​्ॉि करने का शक है.' इि घटना के िगभग तीन िाि बाद अचानक एक खबर पर मेरी नजर गयी- श्​्ीनगर का पत्​्कार सगरफ्तार, पाक एजे्ट होने का शक. पत्क ् ार का नाम भी सिखा था-िासहि मकबूि. िासहि िे मेरी दोस्​्ी आज भी है. वह

बंद बाजाि मे् पुरलस बल: अशांत जीवन मानवासधकार काय्शकत्ाश है. देश-सवदेश के काय्शक्मो्मे्सशरकत करता है और अखबारो्मे् सिखता है. उिे दोबारा सगरफ्तार नही् सकया गया. उिने आज तक यह नही्बताया सक पहिी बार ही उिे क्यो् सगरफ्तार सकया गया था और छोड्ा क्यो्गया. क्या उिकी कोई डीि हुई थी? बहुत कुरदे ने पर वह इतना ही कहता है सक कुछ गितफहमी हुई थी जो दूर हो गयी. मेरी दूिरी कश्मीर यात्​्ा िाि भर पहिे जाड्ेके सदनो्मे्हुई. बफ्बफ ारी देखने का मन था. एक समत्​् ने जम्मू गाड्ी भेज दी थी. िेसकन जवाहर टनि पार करते हुए बसनहाि मे्ड्​्ाइवर बदि गया. बाद मे्समत्​्ने बताया सक जम्मू के ड्​्ाइवर के िाथ कई िमस्याएं आती है्. वह भाषा और िंस्कृसत के स्​्र पर अिग होता है, जबसक श्​्ीनगर के ड्​्ाइवर के िाथ आप िहज नही्रह पाते क्यो्सक वे कई बार गैर-कश्मीसरयो् के िाथ अच्छा बरताव नही् करते. इिीसिए बसनहाि का आदमी आपके िाथ गया. यहां के िोग जम्मू के करीब होने कारर कट्र् नही्होते. वास्​्व मे् हमारा ड्​्ाइवर अल्दुि बहुत ही अच्छा था. पहिी बार तो चुनाव और आतंकी घटनाओ् के चिते कश्मीर देख ही नही् पाया था. इि बार एक पय्शटक था. ड्​्ाइवर ने गाइड की भूसमका भी अदा की. शंकराचाय्शकी पहाड्ी िे िेकर हजरतबि तक हर जगह अच्छे िे घूमे. बि एक जगह िमस्या आयी. गुिमग्शमे्, जहां अल्दुि हमारे िाथ नही्था. वहां रोपवे के

जसरये बफ्फ िे ढ्की पहासड्य़ो् की चोसटयो् तक पहुंचे. हमारे रोपवे मे्एक ब्सवि पय्शटक भी थी. टॉप पर पहुंचकर वह तो पैदि सनकि गयी, िेसकन हमे्स्िेज वािो्ने घेर सिया. वे चाहते थे सक हम उनके स्िेज मे् बैठे्. हमने कहा सक अभी तो आये है्, थोड्ा िमय तो दो. थोड्ी देर घूम िे्, सफर इिका भी आनंद उठाये्गे. उनमे् िे एक, जो उनका नेता िग रहा था, हमे् धमकाने िगा. उिने कहा, 'मािूम नही्है यह जगह पासकस्​्ान िीमा िे िगी हुई है. कभी भी गोिाबारी हो िकती है. आप हमारे िाथ ही चि िकते है्, अकेिे नही्. 'मै्ने उिे ब्सवि पय्शटक का उदाहरर सदया तो वह भड्क उठा और बोिा, तुम िब इंसडयन एक जैिे होते हो. मै्ने भी पिटकर कह सदया सक हम इंसडयन है्तो तुम क्या पासकस्​्ानी हो? उिने तल्खी िे कहा, हम न सहंदस ु ्ानी है्और न पासकस्​्ानी. हम कश्मीरी है्कश्मीरी. मै्ने वापि आकर अल्दुि को पूरी बात बतायी. वह दुखी हुआ. उिने अफिोि जताया और कहा सक ऐिे िोगो् के कारर ही कश्मीर का नाम बदनाम होता है. उिी ने मुझे बताया सक वे बक्​्रवाि (चरवाहे) थे. िस्दशयो्मे्भेड्न चरा पाने के कारर वे स्िेज चिाना शुर् कर देते है्. जासहर है, पढ्ाई-सिखाई और तहजीब की कमी झिक ही जाती है. कश्मीर की इि यात्​्ा मे्भी हमे्कोई खाि िमस्या नही् आयी, िेसकन कही् न कही् प्यार और अपनेपन की कमी महिूि होती रही. सफर चाहे वह डि झीि हो, िोनमग्श हो, पहिगाम हो, नगीन िेक हो या सनशातबाग या चश्मे शाही. िभी जगहे् खूबिूरत है्, िेसकन िोग समिनिार नही् िगे. मन की दूसरयां सरश्तो् मे् महिूि हो जाती है.् िगता ही नही्सक हम अपने देश मे् है्. जवाहर िुरंग के इधर और उधर भाषा-िंस्कृसत िब अिग है्. उि िमय वहां चुनाव हो चुके थे. मेरे सदल्िी आते आते नतीजे भी आ गये. नतीजे वही थे जो हमे् नजर आया था. जम्मू मे् भाजपा को 28 िीटे् समिी् और कश्मीर मे्एक भी नही्. याद आया िोनमग्शमे् घोड्ेवािा जो भाजपा के बारे मे्जाने क्या-क्या बोि रहा था. वापिी के वक्त श्​्ीनगर हवाई अड्​्े पर कई युवा समि गये जो सदल्िी िे घूमने कश्मीर आये थे. बातचीत मे्उन्हो्ने बताया सक उनके अनुभव भी कुछ ऐिे ही रहे. एक युवक तो पुराना गाना गुनगुनाने िगा- इि बार हमारा भारत है. मै्ने उिे टोकते हुए कहा सक यह ठीक नही् है. कश्मीर की तुिना आप चीन या जापान िे कैिे कर िकते है्. उिने जवाब सदया, 'आजादी के 70 िाि बाद भी हमे्कश्मीर मे्अपनापन नही् िगता और आप हमारे बोिने पर भी पाबंदी n िगाना चाहते है्.' शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 13


आवरण मास्ट हेकथा ड उज्मिलेश

वसयासत के अगर-मगर

महबूबा अच्छी तरह जानती है् कक भाजपा के साथ उनकी कसयासी साझेदारी घाटी मे् नेशनल काॅनफ्​्स नेता उमर अब्दुल्ला को अपना आधार बढ्ाने का मौका देगी.

हबूबा मुफ्ती और भाजपा नेतृत्व के बीच िब कुछ िहज होता तो तक नही्आये, जबसक सवपक्​्ी नेता िोसनया गांधी िसहत अनेक बड्ेनेता जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्ी मुफ्ती मोहम्मद िईद के 7 जनवरी को बुजुग्श कश्मीरी नेता का हािचाि िेने एम्ि आते-जाते रहे. िोसनया तो हुए सनधन के तुरंत बाद गठबंधन िरकार की मुख्यमंत्ी के र्प मे्महबूबा मातमपुि्ी के सिए श्​्ीनगर तक गयी्. पर प्​्धानमंत्ी ने ऐिा करना जर्री ने शपथग्​्हर कर सिया होता. महबूबा आगे क्या करे्गी, इि पर कोई नही्िमझा. भसवष्यवारी नही् की जा िकती. िेसकन इतना तो िाफ है सक उनकी मुफ्ती मोहम्मद िईद की तरह महबूबा बहुत िचीिे सकस्म की नाराजगी सिफ्फ प्​्देश भाजपा िे नही्, पूरे भाजपा नेतृत्व िे है. यह कोई व्यवहारवादी राजनेता नही्है्. इिसिए भाजपा नेतृत्व िे सियािी ही नही्, सछपी हुई बात नही् सक अपने सपता के नेतृत्व वािी गठबंधन िरकार िे सनजी स्​्र पर भी वे कभी बहुत िहज नही्रही्और अपने बीमार सपता के कश्मीसरयो्के बड्ेसहस्िे की नाराजगी िे महबूबा अच्छी तरह वासकफ रही इिाज के दौरान उन्हो्ने जो कुछ सदल्िी मे्महिूि सकया, उिने भी भाजपा है्. इि नाराजगी की वजह भी उन्हे् मािूम रही है. मुफ्ती िाहब ने िन िे उनकी दूरी बढ्ाने वािा िासबत हुआ. िेसकन भाजपा अब उन्हे्सकिी भी 2002 िे 2005 के बीच कांग्ेि के िाथ िाझा िरकार का नेतृत्व सकया कीमत पर मनाने-पटाने मे्जुटी है. प्​्धानमंत्ी नरे्द्मोदी और िंघ पसरवार था. उि वक्त उनकी ‘हीसिंग-टच पाॅसि​िी’ का आम तौर पर िूबे मे् को िगता है सक गठबंधन िरकार मे्कायम रहते हुए वे सियािी स्​्र पर स्वागत हुआ और उिके चिते कश्मीर घाटी का माहौि और बेहतर हुआ. जम्मू-कश्मीर मे् ज्यादा घुिपैठ कर िकते है्. प्​्शािन के िहयोग िे िेसकन इि बार जब िे िरकार बनी, भाजपा ने मुफ्ती को पहिे की तरह उनकी राजनीसत को कुछ नये क्​्ेत्ो् मे् फैिने का मौका समिेगा. हाि के आजाद होकर फैि​िे िेने का कभी मौका ही नही् सदया. हीसिंग-टच की सदनो्मे्उन्हो्ने जम्मू और राजौरी इिाके मे्कई ऐिे नेताओ्को अपने िाथ बात को दूर रही, एक मिर्शत आिम की(न्यासयक आदेश पर हुई) सरहाई सिया, जो बरिो्िे कांग्ेि की राजनीसत मे्थे. नेतृत्व ने महबूबा को मनाने के मुद्े पर भाजपा-िंघ और सदल्िी ब्सथत कसथत राष्​्ीय मीसडया के बड्े के सिए एक बार सफर िंघ-दीस्​्कत भाजपा महािसचव राम माधव को सहस्िे ने सजि तरह हायतोबा मचाया, उि​िे यह बात िाफ हो गयी थी सक कश्मीर भेजने का फैि​िा सकया है. मुफ्ती िईद को भाजपा के िाथ समिकर िरकार चिानी है तो उन्हे्अपने बताया जाता है सक भाजपा नेतृत्व कश्मीर मे्गठबंधन जारी रखने के उिूिो्िे िमझौता करना होगा. सिए पीडीपी की ज्यादातार बाते्मानने को तैयार है. पीडीपी नेता की राज्य चुनाव के पहिे वािे मुफ्ती को नये पैकेज या आस्थशक िहायता और भाजपा िमथ्शन िे िरकार आसद की जो भी शत्​्ेहो्गी, उन पर चिाने वािे मुफ्ती की शब्खियत फैि​िा िेने के सिए राम माधव को महज कुछ ही महीने के अंदर बदि असधकृत सकया गया है. िेसकन िी गयी. महबूबा ने यह िब अपनी महबूबा अब कह रही है् सक बात खुिी आंखो् िे देखा. बाप-बेटी मे् सिफ्फआस्थशक पैकेज की नही्, घाटी इि बाबत बातचीत जर्र होती रही मे्सवश्​्ाि-बहािी (िीबीएम) के होगी, िेसकन घर की बात घर तक सिए ठोि कदम उठाने की भी है ही रही. वह घर की चारदीवारी िे और यह काम सिफ्फ के्द् के भरोिे बाहर नही् आयी. िेसकन जो िोग ही सकया जा िकता है. ऐिे मे् महबूबा के समजाज िे वासकफ है्, िवाि उठता है सक क्या के्द्आम्ड्श उन्हे्यह अंदाज िगाना कसठन नही् फोि्​्ेज (स्पेशि) एक्ट जैिे सक वे अपने सपता की िरकार िे सववादास्पद कानूनो् को नागसरकमहबूबा मुफ्ती औि अरमत शाह: अरवश्​्ास औि असमंजस इिाको् िे हटाने और राजनीसतक शायद ही कभी िंतुि् रही हो्गी. पाट्​्ी के अंदर भी नेताओ्का एक िमूह कुछेक मुद्ो्पर िवाि उठाने िगा बंसदयो्की सरहाई पर राजी होगा? घाटी मे्सवश्​्ाि बहािी के सिए पीडीपी था. ऐिे नाजुक दौर मे् मुफ्ती िईद का 7 जनवरी को सदल्िी के एम्ि मे् िसहत िभी प्​्मुख तंजी मे्इिे जर्री कदम बताती रही है्. इंतकाि हुआ. कायदे िे देखे्तो महबूबा मातमपुि्ी के कुछ सदन बाद ही महबूबा के अिमंजि के पीछे एक बड्ा पहिू और भी है. वे अच्छी मुखय् मंत्ी पद की शपथ िे िकती थी्. पीडीपी मे्उन्हे्सनजी तौर पर चुनौती तरह जानती है् सक भाजपा के िाथ उनकी सियािी िाझेदारी घाटी मे् देने वािा कोई नही्था. भाजपा को वे स्वीकाय्शथी्. शपथग्​्हर के रास्​्ेमे् नेशनि कॉनफे्ि नेता उमर अल्दुल्िा को अपना आधार बढ्ाने का मौका कोई अड्चन नही् थी. िेसकन उन्हो्ने ऐिा नही् सकया. यही नही्, मुफ्ती देगी. देखना सदिचस्प होगा सक इन िारे अगर-मगर के बीच वे अंततः क्या n िाहब के सनधन के फौरन बाद उनके पसरवार के हवािे यह भी खबरे्आयी् फैि​िा करती है्? (िेखक वसरष्​्पत्​्कार और कश्मीर पर दो पुस्को्‘सवराित और सियाित’ और सक महबूबा को यह बात नागवार गुजरी सक प्​्धानमंत्ी मोदी सदल्िी ब्सथत ‘झेिम सकनारे दहकते सचनार’ के िेखक है्.) एम्ि मे्भत्​्ी उनके सपता और कश्मीर के मुख्यमंत्ी मुफ्ती िईद को देखने 14 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016


मास् अस्सटमता हेड िज्तिका नंदा

वतनका-वतनका जीती् जेिंे

नेताओ्को जेलो्की याद तब आती है जब वे खुद ककसी पकरस्सथकत मे्जेल पहुंच जाते है्. वरना इस देश की कई जेले्ऐसी है्. कजनमे्न कभी जेल मंत्ी पहुंचे और न ही मुख्यमंत्ी.

हा

ि ही मे्बीते सदनो्िुप्ीम कोट्शने जेिो्को िेकर जो आदेश सदया है, वह भारतीय जेि व्यवस्था के इसतहाि मे्एक जर्री कदम है. िुप्ीम कोट्शने कहा है सक भिे ही देश का िंसवधान िभी को गौरव िे जीवन जीने का असधकार देता है. िेसकन इिके बावजूद जेिो्मे्बंद कैसदयो्की सजंदगी को गंभीरता िे नही्सिया गया है. मामिे की गंभीरता को देखते हुए िुप्ीम कोट्शने कुछ अंतसरम सदशा सनद्श ्े जारी सकये है.् सजिके तहत कहा गया है सक सवचाराधीन कैसदयो् को िेकर बनायी गयी. कमेटी हर तीन महीने मे् बैठक करे सजिमे्सडसस्टक् ट् िीगि िेि कमेटी का िसचव कमेटी मे्शासमि हो और वह सवचाराधीन कैसदयो्और िजा पूरी कर चुके कैसदयो्की सरहाई को िेकर कदम उठाये. यह कमेटी उन सवचाराधीन कैसदयो्की सरहाई के सिए भी कदम उठायेगी. जो गरीबी या सकिी और वजह िे जमानत का बांड नही्भर पा रहे है.् िुप्ीम कोट्शने कहा है सक पहिी बार अपराध करने वािे अपराधी को िामासजक मुखय् धारा मे्िौटने के भरपूर मौके भी सदिाये जाने चासहए. िुप्ीम कोट्शने इि बात को भी िंज्ान मे्सिया है सक कैसदयो्को कई बार वकीि नही्समि पाते. िसमसत िे कहा गया है सक वह इन जर्रतो्पर भी ध्यान दे. इिके अिावा जेि के तमाम आिा अफिर कैसदयो् के स्वास्थय् , भोजन, कपड्ेका सवशेष ध्यान रखे्और यह िुसनस्​्ित करे्सक कैसदयो्की सजंदगी गौरवपूरश्तरीके िे चिे. एक खाि बात यह भी है सक कोट्शने मसहिा और बाि सवकाि मंत्ािय के िसचव को नोसटि जारी कर कहा है सक मंत्ािय बाि िुधार गृह मे् रहने वािे नाबासिगो् की हाित को िुधारने के सिए सनयम बनाये. िुप्ीम कोट्शइि आदेश के बाद जेिो् मे् बंद कैसदयो् की अप्​्ाकृसतक मौत, जेिो् मे् स्टाफ की कमी और जेि स्टाफ के उसचत परीक्र ् पर िुनवायी करेगा. यह आदेश उि खत के तहत आया सदखता है सजिमे् 13 जून 2013 को पूव्श िीजेआई आरिी िाहोटी ने तत्कािीन मुखय् न्यायाधीश को सिखकर कहा था सक जेि मे् बंद कैसदयो्की सजंदगी सचंताजनक है. उन्हो्ने जेि मे्बंद 1382 कैसदयो्के िाथ अमानवीय बत्ावश का हवािा सदया था और कोट्श ने इि पत्​् को जनसहत यासचका मे् तल्दीि कर मामिे की िुनवायी शुर्की थी. नेशनि क्​्ाइम सरकॉर्िश्ल्यूरो के 31 सदिंबर 2014 तक के आंकड्ो्के मुतासबक केद् ्ीय जेि मे्1 िाख 84 हजार 386 कैदी बंद है.् जबसक उिकी क्म् ता 1 िाख 52 हजार 312 है. वही्सजिा जेिो् की क्म् ता 1 िाख 35 हजार 439 है, िेसकन उिमे्एक िाख 79 हजार 695 कैदी बंद है्. िुप्ीम कोट्श के जब्सटि मदन बी िोकूर और जब्सटि आरके अग्​्वाि की बे्च ने पूछा सक क्या जमीनी स्​्र पर कोई बदिाव आया है? इि िवाि पर कोई िंतोषजनक जवाब नही्समि िका. दरअि​ि जेिो्को िेकर कभी भी सकिी िटीक योजना को बनाया ही

नही्गया. इि िमय देश मे्िबिे ज्यादा भीड्दादर नगर हवेिी की जेि मे्है. जेिो्मे्भीड्के मामिे मे्सदल्िी की सतहाड्जेि तीिरे नंबर पर है. वैस्शक स्र् पर िंयकु त् राष्​्ने 1955 मे्कैसदयो्के सिए मूिभूत न्यनू तम सनयमो्की व्याख्या करते हुए उिे 5 श्स्ेरयो्मे्बांटा था और 95 सनयमो् को तय भी सकया था. भारत मे्1980 मे्जब्सटि ए एन मुलि ् ा की अध्यक्त् ा मे् जेि िुधारो् को िेकर एक िसमसत का गठन सकया गया था और इि िसमसत ने 1983 मे्अपनी सरपोट्शिरकार को िौ्प दी थी. इिमे्कैसदयो्की सजंदगी मे्िुधार को िेकर कई जर्री िुझाव सदये गये थे. बाद मे्1987 मे् जब्सटि कृषर ् अय्यर िसमसत का गठन सकया गया. सजिका मकिद जेि की मसहिा कैसदयो्की ब्सथसत का आकिन करना और िुझाव देना था. इि िसमसत ने जेिो्मे्मसहिा पुसि​ि की िंखय् ा मे्बढ्ोतरी पर खाि जोर सदया था. दरअि​ि जेिो्की िुध िेने का िमय सकिी के पाि जैिे रहा ही नही्. जेिे्हासशए पर रहती है,् हासशए पर रखी जाती है.् राजनेताओ्को जेिो्की याद तब आती है जब वे खुद सकिी पसरब्सथसत मे्जेि पहुच ं जाते है.् तब वे रातो् रात अपने आि-पाि का कायाकल्प कर देते है् और जेि के अपने सहस्िे को अपने िायक बनवा िेते है्वरना इि देश की कई जेिे्ऐिी है.् सजनमे् न कभी जेि मंत्ी पहुंचे और न ही मुख्यमंत्ी. जेि मंत्ी होने की अपनी िहूिसयते्हो िकती है.् िेसकन जेि की िुध िेने की याद अक्िर जेि मंस्तयो्को नही्आती. जेि के कैसदयो्की ब्सथसतयो्को ठीक िे जानने के सिए मीसडया को भी जेिो् के अंदर झांकने की खुिी इजाजत नही्. अनुमसत की िंबी कोसशशो् के बाद ही जेि पर सरपोस्टगि् की कुछ िंभावनाये् बन पाती है्. जेि के बंसदयो् की कहासनयां बाहर नही्आती्, उन तक भी बाहर की बहुत िी आवाजे् पहुंच नही् पाती्. जेिे् सतनका सतनका जीती है्, जेिे् सतनका सतनका िांिे् भरती है.् छोटे अपराधो् मे् बंद बंसदयो् की सरहाई, िचर कानूनी व्यवस्था मे् बदिाव, जजो् मे् िंवेदनशीिता बढ्ाने की कोसशश और मीसडया मे् जेिो् के सिए िमझ को बढ्ाने मे् अभी काफी िमय िगेगा. िुप्ीम कोट्शने इि बार िख्ती िे जो कहा है, उिे िमाज को भी उिी गंभीरता िे िमझना होगा. उम्मीद यह भी है सक जो सदशा-सनद्श ्े सदये गये है.् उन्हे् मीसडया भी फािो करे और जो जेि िे बाहर आ गये है,् वे भी मुखय् धारा मे् आते हुए जेिो् मे् िुधार के सिए अपना योगदान दे.् हां, िरकार के सिए जर्री होगा सक वह जेिो्मे्िुधार को िेकर िमय-िीमा का सनध्ारश र करे. यह ठीक है सक जेि के बंदी वोट नही् दे िकते, इिसिए राजनेताओ् के िीधे फायदे के वे नही् है्. इिीसिए उनकी जगह सनचिे पायदान पर ही रहती है. िेसकन क्या यह जर्री है सक राजनेता और राजनीसत सिफ्फवही n काम करे सजि​िे वोटो्की फि​ि काटी जा िके? शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 15


मास् देशकाल ट हेड

िोरहत वेमुला की मां िारिका औि िोरहत: दोहिी त्​्ासदी

अपमान के लिए एक मां

संघ पकरवार और सरकार की ओर से रोकहत वेमुला को गैरदकलत साकबत करने का अकभयान चलाया जा रहा है जो झूठ होने के साथ-साथ रोकहत की मां का अपमान भी करता है. कजिता कृष्णन

भा

रतीय जनता पाट्​्ी (भाजपा) का बीते कुछ सदनो् िे छात्​् िंगठन असखि भारतीय सवद्​्ाथ्​्ी पसरषद देश भर मे्मीसडया के माध्यम िे रोसहत वेमुिा को गैर दसित िासबत करने का असभयान चिा रहा है. उिका जोर इि बात पर है सक रोसहत वेमुिा ने अपने जासत प्​्मार पत्​् मे् धोखाधड्ी की थी. के्द्ीय मंत्ी िुषमा स्वराज िाव्शजसनक र्प िे रोसहत को गैर दसित बताकर इि धाररा की पुस्ि करने का प्​्याि कर रही है्. हैदराबाद सवश्​्सवद्​्ािय मे् अभासवप काय्शकत्ाशओ् के िाथ सववाद के बाद

16 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

रोसहत तथा कुछ अन्य छात्​्ो् के सवर्द्घ दंडात्मक कार्शवाई की गयी थी. इिके बाद रोसहत ने आत्महत्या कर िी थी. इतना ही नही् जनता के पैिे िे िंचासित खुसफया सवभाग रोसहत वेमि ु ा की जासत का पता िगाने मे्अपनी ऊज्ाश िगा रहा है और वह इिकी सरपोट्शराष्​्ीय िुरक्​्ा ि​िाहकार असजती डोभि को िौ्प रहा है. यहां मेरे मन मे् एक प्​्श्न उठता है: क्या मोदी और भाजपा की िोच भी चेतन भगत जैिी ही है, सजन्हो्ने एक बेवकूफाना ट्वीट करके कहा था सक भिे ही बच्​्े को जन्म मां देती है िेसकन कोक उिी का होता है सजिने वे्सडग मशीन मे् सिक्​्ा डािा हो. वेमुिा को सवश्स्वद्​्ािय ने केद् ्ीय मंत्ी बंडार्दत्​्ात्य्े के दबाव मे्सनष्कासित सकया था क्यो्सक वह दसित और अंबड े करवादी था. यह दुखद है सक बेटे की मृत्यु के बाद उिकी मां को उन िोगो्के िामने िगातार उिकी दसित पहचान को िेकर िडऩा पड्रहा है जो दरअि​ि रोसहत के कि्​्ï का कारर थे. अभासवप और मोदी िरकार का कहना है

सक रोसहत के सपता के मुतासबक वे वाद्र्े ा है.् यह वग्शअन्य सपछड्ा वग्शमे्आता है. उनका कहना है सक उन्हो्ने रोसहत की नानी द्​्ारा यह आश्स्​्स देने पर रासधका िे सववाह सकया था सक वह भी वाद्​्ेरा है. इि बात पर कोई सववाद नही्है. अभासवप और मोदी िरकार रोसहत की मां िे जुड्े एक भयावह तथ्य को शोर मे् दबाना चाहते है्. यह िच उजागर हुआ था सहंदुस्ान टाइम्ि मे् िुदीप्तो मंडि की एक खबर के जसरये. यह सरपोट्शबताती है सक रोसहत ने अपने जन्म को एक भयंकर दुघ्शटना क्यो् बताया था. सवश्​्सवद्​्ािय हो या उिका सपता दोनो् को उिकी दसित पहचान िे िमस्या थी. जासत के जहर ने तमाम मानवीय सरश्तो् को ग्​्हर िगा सदया था. रासधका एक प्​्वािी दसित मजदूर पसरवार के घर मे्पैदा हुई थी जो वेमि ु ा िमुदाय का था. रासधका की दत्​्क मां अंजनी जो पढ्ी सिखी और अच्छे घर की वाद्र्े ा मसहिा थी, ने उिे एक सदन एक जगह खेिता देखा और गोद िे सिया. ठीक वैिे ही जैिे घर मे् कोई पाितू जानवर िाया जाता है.


रासधका को अंजनी के घर मे् एक घरेिू कामगार के तौर पर रहना पड्ा था. अंजनी की शेष औिादो्की तरह उनको पढऩे सिखने का मौका नही् समिा. सजि मसहिा को वह अपनी दादी िमझती थंी वह उन्हे् बचपन मे् जासत िूचक गासियां सदया करती थी. महज 14 िाि की उम्​् मे् रासधका का सववाह रोसहत के सपता िे कर सदया गया. इि दौरान उनकी अि​िी जासत सछपायी गयी. िेसकन पांच िाि बाद सकिी ने यह राज उिके पसत मसर के िमक्​्खोि सदया. रासधका कहती है् सक मसर हमेशा मारपीट करता था िेसकन उनकी जासत के बारे मे् जानने के बाद वह अत्यसधक ङ्​्ष् हंिक हो गया. वह रोज मारपीट करता और अस्पृश्य िे सववाह सकये जाने को िेकर कोिता. रासधका को अपने बच्​्ो्के िाथ वह घर छोडऩा पड्ा. उिके बाद उन्हो्ने मेहनत मशक्​्त कर अपने बच्​्ो्को पािा. एक वाद्​्ेरा स्​्ी ने बाि मजदूर के र्प मे् उनका शोषर सकया और उनका बाि सववाह करवाया. एक वाद्​्ेरा पुर्ष ने उनको इिसिए मारापीटा क्यो्सक वह दसित थी्. उन्हो्ने सकिी तरह सि​िाई मशीन पर काम करके रोसहत को पािा. यह दुखद है सक रोसहत को राष्​् सवरोधी करार देकर और प्​्तासड्त करके मौत के मुंह तक पहुंचाने वािे िोग अब रासधका के िंघष्श और एक दसित स्​्ी के र्प मे् उिके जीवन और उिकी पहचान तक को छीनने का षडयंत् कर रहे है्. इि मामिे पर कानूनी ब्सथसत सबल्कुि िाफ है, सजिे िरकार और सवद्​्ाथ्​्ी पसरषद जानबूझकर दबा रहे है्. वष्श 2012 मे् िुप्ीम

िोरहत की जारत का प्​्माण: अचूक दस्​्ावेज कोट्श ने रमेशभाई दभई नाइका बनाम गुजरात राज्य िरकार के एक मामिे मे् कहा था सक अंतरजातीय सववाह के हर मामिे मे्सजिमे्मां अनुिूसचत जासत या जनजासत की हो, जर्री नही्है सक बच्​्ेअपने बाप की ही जासत िगाये. फैि​िा कहता है'स्पि्​्है सक ऐिे सववाहो्मे्जहां बच्​्ेका पािन पोषर अनुिूसचत जासत या जनजासत की उिकी मां ने सकया हो, बच्​्े को अगड्ी जासत के सपता की िंतान होने का कोई िाभ अपने आरंसभक जीवन मे् नही् समिता. बब्लक इिके सवपरीत उिे वंचना, अिम्मान, पीड्ा आसद िे जूझना पड्ता है ठीक उिी तरह जैिे उिकी मां की जासत के अन्य िोग िहते है्. ऐिा िमुदाय और उिके बाहर के िोग करते है्.' रासधका के मामिे मे् ठीक यही हुआ. दसित होने के कारर उिके पसत ने उिे छोड् स्मृरत ईिानी: जानबूझ कि भ्​्म

सदया. उिके बाद उिके बच्​्ो् को भी वंचना, अिम्मान और शोषर की वही सजंदगी समिी जो उिने खुद भुगती थी. वह अंजनी वाद्​्ेरा के घर मे् गुिाम मजदूर की तरह रही थी. जहां उिे सिफ्फ अपमान समिा था. जबसक उि स्​्ी ने अपने बच्​्ो् को बेहतरीन सशक्​्ा सदिायी थी. रोसहत वेमुिा और उिके बच्​्ो्को अपनी उच्​् सशक्​्ा पूरी करने के सिये सवसनम्ाशर मजदूर के तौर पर भी काम करना पड्ा. सहंदस ु ्ान टाइम्ि की जांच सरपोट्शिे इि बात की पुस्ि होती है सक रोसहत वेमि ु ा, उिके भाईबहन और उिकी मां रासधका की हैसियत अंजनी के घर मे्मुफत् मजदूरो्िे बेहतर नही्थी. रोसहत के समत्​् सरयाज कहते है् सक रोसहत को अपनी नानी के घर जाने िे नफरत थी क्यो्सक वहां उिकी मां को नौकरानी की तरह काम करना पड्ता था. रासधका की गैर मौजूदगी मे्काम की सजम्मेदारी बच्​्ो्पर आ जाती. यह िब तब भी जारी रहा जब रोसहत का पसरवार एक सकमी दूर अपने अिग घर मे्रहने चिा गया. नवंबर मे्प्ध् ानमंत्ी मोदी डॉ. अंबडे कर को एक दसित मां की िंतना कह चुके है्. रोसहत वेमि ु ा भी एक दसित मां की िंतान था. भाजपा को अपनी पुर्षवादी और जासतवादी िोच का प्​्दश्शन बंद कर देना चासहये सजिके मुतासबक एक बेटा अपने उि सपता की जासत अपनाता है सजिने उिकी मां को त्याग सदया हो. बजाय सक उि मां की जासत अपनाने के सजिने उिे जन्म सदया और कसठनाइयो्िे पािापोिा. मोदी वेमि ु ा को एक असत सपछड्ेपसरवार मे्जन्मा गरीब मां का बेटा कहना पिंद करते है्. क्या उनमे् यह िाहि है सक वह वेमि ु ा को एक दसित मां का बेटा कह िके्जो एक दसित घर मे्पिा. वेमुिा ने एक बार एक फेिबुक पोस्ट मे् अपनी मां की सि​िायी मशीन की तस्वीर िगाते हुए सिखा था, 'मेरे फेिोसशप पाने के पहिे यह मशीन ही हमारा पेट पािने का जसरया थी.' स्पि्​् है सक वेमि ु ा अपनी मां की पहचान को िेकर िजग थे और वह उनके िंघष्श को आगे रखना चाहते थे. अब वक्त आ गया है सक िंघ पसरवार और भाजपा मां केवि एक ऐिा शल्द नही् है सजिे राष्​्ीय पहचान के क्​्म मे् बार-बार दोहराया जाये (मां भारती का िाि और ऐिी ही अन्य बाते)् . मां वह होती है जो नौ महीने बच्​्ेको कोख मे्रखती है और सफर उिे पािती पोिती है. रोसहत मां भारती का बेटा नही् था, वह अपनी मां रासधका का बेटा था, उिके दुख, पीड्ा, अपमान का िाझेदार. वह मां, सजिने उिे पािा-पोिा और पढ्ाया-सिखाया. मोदी जी, मां रासधका का अपमान मत कीसजये. n (िेसखका एपवा की महािसचव और ‘सिबरेशन’ की िंपादक है्.)

शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 17


मास् देशकाल ट हेड

घवकृत चेहरे सुंदर मन

तेजाब के हमले से पीक्डत मकहलाएं एक गकरमापूण्ष जीवन की ओर बढ्रही है्. लक्​्मी और उनकी सहेकलयां फैशन मॉडल हो गयी है्और कुछ पीक्डताएं रेस्रां चला रही है्. वीवा एन दीवा के मॉडल के र्प मे् लक्​्मी: जीवन की गरिमा शीरोज कैफे् मे् काम करने वािी र्पा गायत्​्ी आय्ि कहती है्, 'हमारे चेहरो् के कारर कोई भी ि ही मे् िूरत के जानेमाने फैशन ब्​्ांड कॉप्​्ोरेट ऑसफि हमे् काम नही् देना चाहता. 'वीवा एन दीवा' ने तेजाब हमिे की िेसकन इि कैफे मे् काम करके हम न केवि श आजादी पा रहे है्बब्लक हमे्िमाज के सशकार िक्​्मी को 'फेि ऑफ वीवा एन दीवा' आस्थक बनाया. कंपनी ने यह कदम तेजाब हमिे मे् िामने चेहरा उठाकर जीने का हौि​िा भी समिा अपनी शारीसरक िुंदरता खो चुकी िडसकयो्के है.' इि कैफे की एक और खाि बात यह है सक प्​्सत जागर्कता बढ्ाने के सिये उठाया. यहां कुछ भी खाकर मनचाहा दाम दे िकते है्. भारतीय इसतहाि मे् यह पहिा मौका है जब यहां सकिी चीज की कीमत तय नही् है और सकिी सवकृत बना सदये गये चेहरे को िुंदरता ग्​्ाहको्को मनाचाही कीमत चुकाने की छूट है. इि कैफे िे होने वािी कमाई का बहुत बड्ा और फैशन का चेहरा बनाया गया. सहस् िा तेजाब पीसड्त िड्सकयो् की भिाई के वीवा एन दीवा कंपनी के सनदेशक मनन शाह ने जब िक्​्मी के बारे मे् जाना था, तो वे सिये खच्शसकया जाता है. कैफे की दीवारो् पर र्प के फैशन उिकी सहम्मत और जीवटता िे बेहद प्​्भासवत हुए. उन्हो्ने िक्म् ी के सिए कुछ करने की ठानी. सडजाइनो् की तस्वीरे् िगी है्. र्पा को फैशन िक्​्मी को अपने ब्​्ांड का मॉडि बनाकर यह िंदेश सदया सक िुंदरता सिफ्फचेहरे की मोहताज नही्बब्लक वह इि बात िे तय होती है सक आप भीतर िे क्या है?् उन्हो्ने िक्म् ी के जसरये तेजाब पीसड्त दूिरी िड्सकयो् को भी आत्मसवश्​्ाि का िंदेश सदया सक वे भी काम कर िकती है् और िामान्य सजंदगी जी िकती है्. ऐिी ही एक पहि आगरा मे्ताजमहि के पाि शीरोज हैग् आउट कैफे के र्प मे्हुई. इि कैफे की शुरआ ् त तेजाब हमिे िे पीसड्त पांच युवसतयो् ने की है. ये पांच नासयकाये् समिकर िाहि, िुंदरता और हौि​िो् की नयी इबारत सिख रही है्. अिग-अिग जगहो् की इन िड्सकयो् के जीवन मे् हादिे सबल्कुि एक िे हुए. उनका शारीसरक और मानसिक दद्श एक दूिरे िे समिता जुिता है. अब उनके हौि​िे और उनका समशन भी एक िमान है. कैफे मे् िाथ समिकर काम करने वािी ये पांचो िड्सकयां अपाट्शमे्ट मे्भी िाथ रहती है्.

हा

18 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

सडजाइसनंग का शौक है. इि कैफे मे् र्पा के सडजाइन सकये हुए कपड्ेभी खरीदे जा िकते है.् कैफे की एक और कम्च श ारी हसरयारा की तेजाब पीसड़्त ऋतु है्. 20 वष्​्ीया ऋतु राज्यस्​्रीय वॉिीबाि सखिाड्ी है्. उनके चेहरे की 10 िज्रश ी हुई है.् अपनी तथा अपनी जैिी िड्सकयो् के सिये िुंदरता के मायने बताती हुई ऋतु कहती है्, 'बाहरी िुंदरता क्​्सरक है. मै् गुस्िे और तकिीफ िे उबर आयी हू.ं भीतरी िुदं रता ज्यादा अहम है. सिफ्फशरीर िुंदर होने िे क्या होगा? आसखर सजन्हो्ने तेजाब फे्का, बाहर िे देखने मे् तो वे भी िुंदर ही थे.' यहां काम करने िे पहिे ऋ तु अपना पूरा चेहरा ढक कर रखती थी्. िेसकन अब वह ऐिा नही् करती्. वह अपनी जैिी दूिरी िड्सकयो्को िंदेश देना चाहती है् शीिोज कैफे: नया अध्याय


सक उनको अपने भीतरी िौ्दय्श की मदद िे जीवन मे्आगे बढ्ना चासहये. इि कैफे का एक अहम उद्​्ेश्य है तेजाब के कारर सवकृत चेहरा होते हुए भी िाव्शजसनक स्थानो् पर आत्मसवश्​्ाि के िाथ खड्े होना. स्टॉप एसिड अटैक असभयान के िंस्थापक आिोक दीस्​्कत कहते है्, 'इि कैफे को शुर् करने का पहिा िक्​्य तेजाब हमिो् के प्​्सत जागर्कता िाना है. िाथ ही तेजाब हमिे की पीसड्ताओ्को िमाज की मुख्यधारा िे जोडऩा भी मकिद है. हम इन तेजाब पीसड्ताओ् को बताना चाहते है्सक उनकी कोई गिती नही्है. वे जैस्ी भी है्, उन्हे्खुद पर गव्शकरना चासहये.' कैफे की िफिता का अंदाजा इि बात िे िगाया जा िकता है सक यहां पहिे छह महीनो् मे्ही 5,000 िे असधक ग्​्ाहक आये. िड्सकयो्पर तेजाब िे हमिे की घटनाये् पूरी दुसनया मे्बढ्रही है्. हर िाि पूरी दुसनया मे् ऐिे 1500 मामिे िामने आते है्. भारत मे् तेजाब हमिे का पहिा मामिा 1967 मे्िामने आया था. आज िड्सकयो्पर तेजाबी हमिे के मामिे मे् भारत िबिे आगे हो चुका है. हमारे देश मे्िािाना 1,000 िड्सकयो्को तेजाब की जिन झेिनी पड्ती है. सकिी स्​्ी को तेजाब िे जिाना दरआि स्​्सयो् के प्​्सत पुर्षो् की िामंती िोच िे िंचासित है. कई कारर समिकर पुर्षो्को इि कू्रता के सिये उकिाते है्. एक, िमाज मे् पुर्ष के अहम को बहुत असधक तवज्​्ो दी जाती है. अक्िर पुर्ष यह बरदाश्त नही्कर पाते है्सक उनकी बात टािी जा रही है या उिे मानने िे इनकार सकया जा रहा है. यसद मना करने वािी कोई िड्की या स्​्ी हो तो पुर्ष के अहम को और असधक ठेि िगती है. अक्िर पुर्ष अहम की ठेि तेजाब

फेक ् ने का अहम कारर बनती है. प्म्े या सववाह के प्​्स्ाव ठुकराये जाने पर तेजाब फे्कना एकदम आम है. दूिरी बात, िमाज मे् आज भी िड्सकयो् के सनर्शय को महत्​्व देने का चिन नही् है. िड्को् को जन्म िे ही सिखाया जाता है सक िारो फैि​िे उनको ही िेने है् वही् िड्सकयो्को इन फैि​िो्को स्वीकार करने का प्​्सशक्​्र सदया जाता है. ऐिे मे् सकिी पुर्ष का मानि इि बात के सिये तैयार नही्होता है सक वे िड्की का सनर्यश माने.् यसद माने नही्भी तो कम िे कम उिके सनर्शय को शांसत िे िुने् और उिका िम्मान करे्. िड्सकयो् के सनर्शय अक्िर ही िड्को् को सवचसित और अशांत बनाते है्और गुस्िा सदिाते है्. तीिरा, भारतीय िमाज मे्स्​्ी को भोग्या िमझा जाता है. यह िोच भी ऐिे हमिो् के सिये उत्​्रदायी है. अपनी बात नही् मनवा पाने पर पुर्षो् को िगता है सक 'यह चीज अगर मेरी नही्हो िकी तो मै् इिे सकिी और की भी नही् होने दूंगा.' िमाज का बहुत बड्ा सहस्िा आज भी इिी तरह िोचता है. चौथा हमारे िमाज मे् आज भी िड्सकयो् की िामासजक स्वीकृसत के सिये पहिी शत्श िुंदरता और शुसचता यानी इज्​्त ही है. यह िुंदरता और इज्​्त भी तेजाबी हमिे और बिात्कार जैिी कू्रताओ् के सिये उत्​्रदायी है. जब भी कोई व्यब्कत सकिी िे प्​्सतशोध िेना चाहता है तो अपने सवरोधी को ऐिी ब्सथसत मे् पहुंचाने की कोसशश करता है जहां वह िमाज मे् जीने िायक ही नही् बचे. जब कोई पुर्ष सकिी स्​्ी के िौ्दय्श या शरीर पर हमिा करता है तो प्​्ाय: पसरराम उिकी इि चाहत के अनुर्प ही आते है्. मॉडल बनी तेजाब पीर्डताएं: हम रकसी से कम नही्

हमारा िमाज बदिूरत और तथाकसथत इज्​्त गंवा चुकी स्​्ी के िाथ प्​्ेम और िंवेदना के बजाय दुश्मन की तरह पेश आता है. इि तरह िे प्​्सतशोध िेने वािा अपने मकिद मे् बहुत कम मेहनत िे ही कामयाब हो जाता है. बिात्कार सनरोधी कानून मे् जो नया िंशोधन आया है उिमे्तेजाब फे्कने वािो्के सिये 10 िाि की िजा का प्​्ावधान सकया गया है. कानून बेहतर है, बशत्​्े िजा समिे. िेसकन िजा के अिावा भी कई काम है् जो िमाज, पसरवार और सवसभन्न िंसथ ् ाये्तेजाब पीसड्तो्की मदद के सिये अपने-अपने स्​्र पर कर िकती है्. िबिे पहिी कोसशश तो पसरवार के स्​्र पर होनी चासहये.उनको यह हौि​िा सदया जाना चासहये सक िुंदर शरीर और चेहरे िे परे भी एक दुसनया है जो िपनो्िे भरी है. िाथ ही िड्को् को बचपन िे ही यह सिखाया जाना चासहये सक वे िड्सकयो् के सनर्शयो् का िम्मा करे्. ऐिा करने िे बड्े होने पर अचानक सकिी िड्की का इनकार उनके सिये िामान्य होगा और वे उग्​्व्यवहार नही्करे्गे. मुफत् सचसकत्िा और आस्थक श आत्मसनभ्रश ता के सिये िरकारी िहायता ऐिी िड्सकयो् को जीने का हौि​िा देने मे्बहुत मदद कर िकती है्. सनजी क्​्ेत् की कंपनी वीवा एंड डीवा द्​्ारा तेजाब पीसड्तो् को अपने उत्पाद के प्​्चार के सिये मॉडि बनाना एक नयी और िाहसिक पहि है सजिका स्वागत सकया जाना चासहये. यह प्​्याि न केवि तेजाब हमिे की सशकार िड्सकयो्के प्स्त जागर्कता बढ्ा रहा है बब्लक फैशन जगत मे् िौ्दय्श को नयी तरह िे पसरभासषत भी कर रहा है. अक्िर ऐिी िड्सकयो् के बारे मे् पसरवार और िमाज की िोच होती है सक इि​िे अच्छा तो यह मर ही जाती. िेसकन उनको जीना चासहये, उनको हर जगह मौजूद होना चासहये तासक उनका सवकृत चेहरा हमे् दहिा िके. तासक वे हमारे िुंदर िभ्य और आकष्शक चेहरो् के भीतर सछपी कू्र िोच पर थूक िके्. मां-बाप को िड्सकयो् के िाथ खड्े होना चासहये और उनको िमझाना चासहए: ‘िड्सकयो्./वे सिफ्फ तुम्हारा चेहरा जिा िकते है्/तुम्हारे िपनो् और हौि​िो् को नही्/तुम्हे् सजंदा रहना चासहये/बब्लक हर जगह उपब्सथत होना चासहये/मेिे मे्, हाट मे्, बाजार मे्/नौकरी मे्, व्यविाय मे्, मंच पर/दुसनयाभर के कारोबारो्मे्/तुम्हे्सजंदा रहना चासहये/तासक तुम/राक्​्िी मन के, िुंदर सदखने वािे चेहरो् पर/थूक िको!/बार-बार थूक िको!/तुम्हे् सजंदा रहना चासहये/तासक तुम आने वािी नस्िो् को बता िको/एक आकष्शक चेहरे और सवकृत मन िे/कही् ज्यादा िुंदर होता है/एक सवकृत चेहरा और िुंदर मन!’ n शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 19


मुद्ा

मुिायम पर क्यो् कठोर

मुलायम कसंह यादव के व्यक्कतव को समझने मे्अंग्ेजीदां लोगो्को काफी परेशानी होती है, लेककन वे अकेले देसी नेता है्कजनकी जमीनी समझ हमेशा मजबूत रही है. शंभूनाथ शुक्ल

मुलायम रसंह यादव: जमीन के नेता 20 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

ब वे चाहे इसतहािकार रामचंद् गुहा हो् या माकपा के महािसचव िीताराम येचुरी, िब के िब मुिायम सिंह यादव के सवरोधाभािी व्यब्कतत्व िे बहुत परेशान रहते है्. और यह परेशानी सिफ्फउन्ही्की नही्है बब्लक उन िभी िोगो्की है जो अंग्ेजीदां है्और उत्​्र प्​्देश की जातीय सभन्नता िे वासकफ नही् है्. अंग्ेजीदां वग्श मुिायम सिंह की जमीनी राजनीसत को पचा नही्पाता. उिे िगता है सक मुिायम सिंह की राजनीसत स्थायी नही् है, वे अविरवादी है्और जो कहते है्उि पर अमि नही्करते. अंग्ेजीदां पत्​्कारो्और िेखको्का यह कथन उनकी अपनी वग्​्ीय चेतना के सिहाज िे दुर्स् है. मगर जो िोग मुिायम सिंह यादव उफ्फनेताजी को सनजी तौर पर जानते है्उन्हे्अच्छी तरह िे पता है सक इि गंवई नेता की जमीनी िमझ एकदम िाफ है. यह आदमी अच्छी तरह िे जानता है सक उिका वोटर सकि मूड का है और उिे कैिा नेता चासहये. यही कारर है सक हर बार जब भी नेता जी की राजनीसत िमाब्पत होने की घोषरा होती है नेताजी पूरी ताकत िे अपने वोटर के बीच पहुंच जाते है् और सफर िरकार बना िेते है्. आज उनकी पाट्​्ी की िरकार है और वे अपनी पाट्​्ी के िरकार के मुसखया अपने बेटे असखिेश यादव को अक्िर चेताते रहते है्सक मुख्यमंत्ी होने के नाते उनका यह दासयत्व है सक वे अपने मंस्तयो्एवं सवधायको्के चाि-चिन पर सनगाह रखे्और उन्हे्प्​्ेसरत करते रहे्सक उनका जनता िे िंवाद बना रहे. मुिायम सिंह यूपी की राजनीसत की निनि को िमझते है् और उिकी वह बहुर्पता भी सजिके कारर यूपी-सबहार अन्य राज्यो् िे अिग है. िमाजवाद को सजतना खादपानी यहां समिा उतना शायद सकिी और राज्य मे् नही्. पर इिके िाथ-िाथ जड्ता व कटटरपंथ को भी पनाह यही् समिी. इिीसिए सहंदुत्व की प्​्योगशािा भी यूपी को ही बनाया गया. ऐिे माहौि मे् मुिायम सिंह अकेिे ऐिे राजनेता है् सजन्हो्ने अपने वोट बै्क को अपने पािे मे् एकजुट रखा और यही कारर है सक मुिायम सिंह यूपी की राजनीसत के


सपछिे तीि वष्​्ो्िे बेताज बादशाह है्. मुिायम सिंह की यह िमझ कोई आज नही् सवकसित हुई बब्लक इिकी जड्े् ित्​्र के दशक मे् जाती है् जब पूरे मध्य उत्​्र प्​्देश मे् मध्यवत्​्ी जासतयो् के नये नायक उभर रहे थे. 1975 के आिपाि की बात है जब मुिायम सिंह की राजनीसत नई-नई थी. मुझे तब दैसनक जागरर मे् रहते हुए इटावा, मैनपुरी, एटा और फ्​्रफखाबाद की सरपोस्टि्ग का मौका समिा था और तब मैने बहुत पाि िे इन नए बनते-सबगड्ते रोसबनहुड टाइप नायको् को देखा था. ये रोसबनहुड नायक उि क्​्ेत्के डकैत थे. अगड्ी जासतयो् के ज्यादातर डकैत आत्म िमप्शर कर चुके थे. अब गंगा यमुना के दोआबे मे् छसवराम यादव, अनार सिंह यादव, सवक्​्म मल्िाह, मिखान सिंह और मुस्कीम का राज था. मसहिा डकैतो् की एक नई फौज आ रही थी सजिमे् कुिुमा नाइन व फूिन प्​्मुख थी्. छसवराम और अनार सिंह का एटा व मैनपुरी के जंगिो् मे् राज था तो सवक्​्म, मिखान व फूिन का यमुना व चंबि के बीहड्ो् मे्. मुस्कीम कानपुर के देहाती क्​्ेत्ो्मे्िे्गुर के जंगिो्मे्डेरा डािे था. ये िारे डकैत मध्यवत्​्ी जासतयो्के थे. और िब के िब गांवो् मे् पुराने जमी्दारो् खािकर राजपूतो्और चौधरी ब्​्ाह्मरो्के िताये हुए थे. उि िमय वीपी सिंह यूपी के मुख्यमंत्ी थे. यह उनके सिए चुनौती थी. एक तरफ उनके िजातीय िोगो्का दबाव और दूिरी तरफ गांवो् मे् इन डाकुओ् को उनकी जासतयो् का समिता

िमथ्शन. वीपी सिंह तय नही्कर पा रहे थे. यह मध्य उत्​्र प्​्देश मे् अगड्ी जासतयो् के पराभव का काि था. गांवो् पर राज सकिका चिेगा. यादव, कुम्ी और िोध जैिी जासतयां गांवो् मे् चिे िुधार काय्शक्मो्और िामुदासयक सवकाि

पिछड़ी पिसान जापियो़ िो लगिा था पि मुलायम पसंह उनिी लड़ाई लड़ सि​िे है़. इसीपलए यादव समेि अऩय पिछड़ी जापियां उनसे जुड़ी़. योजनाओ् तथा गांव तक फैिती िड्को् व ट्​्ांिपोट्शिुिभ हो जाने के कारर िंपन्न हो रही थी्. शहरो् मे् दूध और खोए की बढ्ती मांग ने अहीरो् को आस्थशक र्प िे मजबूत बना सदया था. यूं भी अहीर ज्यादातर हाई वे या शहर के पाि ब्सथत गांवो्मे्ही बिते थे. िाठी िे मजबूत वे थे ही ऐिे मे् वे गांवो् मे् िामंती जासतयो् िे दबकर क्यो् रहे्. उनके उभार ने उन्हे् कई राजनेता भी सदए. यूपी मे्चंद्जीत यादव या रामनरेश यादव इन जासतयो् िे भिे रहे हो् िेसकन अहीरो् को नायक मुिायम सिंह के र्प मे्समिे. इिी तरह कुम्ी नरे्द् सिंह के िाथ जुड्े व िोधो् के नेता स्वामी प्ि ् ाद बने. िेसकन इनमे्िे मुिायम सिंह के सिवाय सकिी मे्भी न तो ऊज्ाश थी और न ही चातुय्श. मुिायम सिंह को अगड्ी जासतयो् मे् िबिे ज्यादा घृरा समिी िेसकन उतनी ही उन्हे् यादवो् व मुि​िमानो् मे् प्​्सतष्​्ा भी. यही वह

िमय था जब मुिायम सिंह ने अपना आधार पुख्ता सकया. मध्यवत्​्ी सकिान जासतयो् के वे अकेिे ऐिे नेता बने सजन पर उनके अनुयायी आंख मूदं कर भरोिा करते थे. और इिकी वजह थी िवर्​्ो्की घृरा. सपछड्ी कही जाने वािी सकिान जासतयो् को िगता था सक मुिायम सिंह उनकी िड्ाई िड्िकते है्क्यो्सक उन्हे्िवर्शजासतयां पिंद नही् करती्. यही कारर था सक यादव िमेत अन्य सपछड्ी जासतयां उनके िाथ पूरे भरोिे के िाथ जुड्ी्. हािांसक 1990 मे् मुिायम सिंह मंडि आयोग के वक्त अपना वही असडय़्ि र्ख सदखा नही् पाए और कांग्ेि व भाजपा िरीखी िवर्शवादी पास्टियो्के दबाव मे्उन्हो्ने मंडि को िागू करने मे् वह तत्परता नही सदखाई जैिी सक िािू यादव ने सदखाई थी पर इिकी भरपाई उन्हो्ने राम मंसदर आंदोिन के िमय भाजपा को रोकने मे् अपनी पूरी ताकत िगाकर की. तब पहिी बार मुि​िमानो् को िगा सक मुिायम सिंह उनकी िड्ाई िड्िकते है.् मगर आज आते-आते उन्हे् यूपी मे् सजन ताकतो् िे िडऩा है और इिके सिए उन्हे्यादव तथा अन्य सकिान जासतयो् को अपने िाथ रखने के सिए िड्ाई की सदशा बदिने होगी. यह वामदिो् और अंगज ्े ीदाँ वग्​्ो्को गित िग रही हो िेसकन जो िोग मुिायम सिंह को जानते है् उन्हे् पता होगा सक नेताजी की िड्ाई गित सदशा मे् जा नही्िकती. n ( िेखक दैसनक ‘अमर उजािा’ के पूव्श िंपादक है्.)

शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 21


मास् बातचीत ट हेड

युवा नेततृ व् मे् सबसे अव्वल

उत्​्र प्​्देश समाजवादी पार्​्ी के प्​्वक्ता और मंत्ी राजे्द् चौधरी से अर्ण कुमार त्​्तपाठी की बातचीत. रही है. मुखय ् मंत्ी उससे खनपरते रहे है.् वे उस तनाव को कम करने मे्सरल भी रहे है्. इस तनाव को दूर करने मे्उन्हो्ने कौन सी काय्मशैली अपनायी है?

िाजे्द् चौि​िी: अगले चुनाव की तैयािी

मुख्यमंत्ी खिना भेदभाव के काम करते है्, खिससे उनमे् िनता का भरोसा कायम हुआ है. उनको देिकर पार्​्ी को भी लगता है खक वे समािवादी आंदोलन को दूर तक ले िाने की क्​्मता रिते है्. उनमे्िनता का खिस तरह का आकर्मण िना है. उसे देिकर हमे् पंखडत िवाहर लाल नेहर् और चौधरी चरण खसंह के कखरश्माई नेतृत्व की याद आती है. तकरीिन पचास साल पहले पंखडत िी का भी िादू ऐसा था. साल 1963 की िात है. चीन का युद्हो चुका था और भारत िुरी तरह खपरा था. उस समय नेहर् िी गाखियािाद आये थे. उस समय िनता खिस तरह उनके खलए उमड्ी उसे देिकर नही्लगता था. उनके प्​्खत आकर्मण कही्कम हुआ था. यही हाल चौधरी चरण खसंह का था. मुझे 1974 मे्खवधानसभा का खरकर खमला था. ति चौधरी साहि हमारा प्​्चार करने गाखियािाद आये थे. उस समय गांवो्के लोगो्मे्उनके प्​्खत गि​ि का आकर्मण था. वैसा ही आकर्मण हमने हाल मे्अखिलेश यादव के श्​्ावस्​्ी दौरे पर देिा. मौका था गांवो्को खिला मुख्यालय से िोड्ने वाली सड्को् के उद्घारन का. श्​्ावस्​्ी िैसी छोरी िगह पर एक लाि की भीड्का होना िड्ी िात थी. हम लोग हेलीकाप्रर से गये थे और आये सड्क के रास्​्ेसे. ि​ि िहराइच पहुचं े तो तकरीिन पचास खकलोमीरर तक लोग सड्को्पर िड्ेथे. मुख्यमंत्ी के नेतृत्व के खलए यह आकर्मण इसखलए िना खक वे िनता के भरोसे के खलए काम कर रहे है्.

िीच–िीच मे्ि​िरे् आती है् खक यादव (मुलायम खसंह) पखरवार मे्िी्चतान त्​्र प्​्देश के मुख्यमंत्ी अखिलेश यादव के साथ खिस नेता को है. कभी अपने तीन करीिी लोगो् को पार्​्ी से खनष्काखसत खकये िाने के खनयखमत तौर पर देिा िा सकता है. वे है् रािे्द् चौधरी. समािवादी कारण अखिलेश सैरई महोत्सव मे् नही् िाते, तो कभी वे खशवपाल खसंह पार्​्ी के राज्य प्​्वक्ता और कैखिनेर मंत्ी रािे्द् चौधरी की अपने साथ यादव के करीिी तोता राम को उनके मंच से खगरफ्तार करवा देते है्. इस अनवरत उपस्थथखत से युवा मुख्यमंत्ी अखिलेश यादव न खसर्फ अपने को िीच कभी-कभी मुलायम खसंह यादव उनकी काय्मशैली और सरकार की चौधरी चरण खसंह और डा राम मनोहर लोखहया की खवरासत से सहि र्प आलोचना भी कर देते है्. ऐसे मे् क्या अखिलेश का नेतृत्व पार्​्ी के वखरष्​् से िोड्ते है्. िस्कक अपने आसपास ईमानदार और कम्मठ रािनेता का नेताओ्और पखरवार के महत्वाकांक्ी लोगो्से खघरा हुआ है? आभामंडल तैयार करते है्. ऐसे समय मे् ि​ि एक तरर अपने एक साल के िचे काय्मकाल को मुख्यमंत्ी अखिलेश यादव साथ्मक िनाने की कोखशश ऐसा कुछ नही्है. अखिलेश यादव पार्​्ी के वखरष्​्नेतृत्व और पखरवार कर रहे है्. तो दूसरी तरर प्​्देश की 75 खिला पंचायतो् मे् 59 पर पार्​्ी को के लोगो् की चुनौखतयो् की िाधाये् पार कर चुके है्. अि उनके नेतृत्व को िीत खदलाने वाले उनके चचा और प्​्देश के ताकतवर मंत्ी खशवपाल खसंह कोई चुनौती नही्है. उनका नेतृत्व थ्थाखपत हो चुका है. नेतािी उनकी मदद यादव की ओर से परोक्​् र्प से उनके नेतृत्व को चुनौती देने की चच्ामये् है्. करते है्. इसखलए पखरवार के स्​्र पर भी चुनौती नही्है. नेतािी थ्वयं शुर् रािे्द् चौधरी ऐसी खकसी आशंका को िाखरि करते है्. वे मानते है् खक मे्उनकी िो आलोचना करते थे वह भी उनके रायदे मे्गयी है्. अखिलेश यादव का युवा नेतृत्व प्​्देश और समािवादी पार्​्ी पर थ्थाखपत हो ि​ि साल 2012 मे् समािवादी पार्​्ी सत्​्ा मे् आयी चुका है और अि उन्हे् खकसी से कोई आंतखरक थी तो उससे पहले 2011 मे् िहुिन समाि पार्​्ी ने युवा नेिृत़व मे़ अपिलेश यादव चुनौती नही्है. िातचीत के अंश. प्​्देश को चार खहथ्सो् मे् िांरने का प्​्स्ाव श़​़ेष़ है़. वे वैचापि​ि औि जनआप अखिलेश यादव के नेतृत्व को खकस प्​्कार खवधानसभा से पास करके के्द् सरकार को भेि देिते है्? क्या वे युवा और अनुभवहीन है्और इतने खदया था. उसे भािपा और कांग्ेस िैसी पाख्रियो्का सािेक़ प़​़पिबद़​़िा िो न पसऱफ िड्ेप्​्देश के प्​्शासन और खवकास को समझ ही रहे समथ्मन भी था. लेखकन सपा ने प्​्देश को िांरने का समझ िहे है़. बल़कि उस ि​ि है् या खरर उसे समझते हुए िनता से तारतम्य कड्ा खवरोध खकया. आि ि​ि आप को शासन करते अमल भी ि​ि िहे है़. थ्थाखपत कर चुके है्? चार साल होने वाले है्तो क्या आप यह कह सकते है् खक खिन विहो् से प्​्देश को िांरने की िर्रत आप पूरे देश के स्​्र पर देि ले्, अलग-अलग दलो्मे्िो युवा नेतृत्व थी. िै स े खक प् श ् ासखनक और खवकास संिंधी चुनौती, उनका हल खनकाल आया है. उनमे् अखिलेश यादव श्​्ेष् है्. वे वैचाखरक प्​्खतिद्​्ता और िन खलया गया है ? सापेक्प्​्खतिद्​्ता को न खसर्फसमझ रहे है्. िस्कक उस पर अमल भी कर रहे है्. उनमे् क्​्मता और योग्यता भी है और सभी मुद्ो् पर उनकी समझ थ्पष्​् है. इस तरह का नेतृत्व समाि को नयी खदशा दे सकता है. उनके सामने चुनौखतयां रही है्,लेखकन वे उससे कुशलतापूव्मकखनपर रहे है्.समाि मे्सांपद् ाखयक और िाखतगत आधार पर नररत पैदा करने की कोखशश होती

22 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

इससे पहले की मुख्यमंत्ी मायावती मान गयी्थी्खक वे प्​्देश को नही् चला सकती्. लेखकन सपा िंरवारे के खिलार रही है और उसने अपनी योिनाओ्से प्द् श े को िोड्ा है. हमने पूवा्चा् ल, अवध, िुदं ल े िंड और पख्ि ् मी उत्​्र प्​्देश सभी का संतुखलत खवकास खकया है. हम समझते है् खक हमारा


अरखलेश यादव: पटिी पि प्​्देश िड्ा प्​्देश है. इसखलए इसका देश मे्सम्मान है. इसकी िनता का सम्मान है. इसके नेताओ्का सम्मान है. प्​्देश से अलग होकर उत्​्रािंड के्द्पर िहुत ज्यादा खनभ्रम हो गया है. उसकी अस्थमता ितरे मे्पड्ी रहती है. ि​िखक हम अपनी तमाम योिनाओ्को के्द्के असहयोग के िाविूद चला रहे है्. ऐसी कौन सी योिना है खिसे आप के्द् के असहयोग के िाविूद चला रहे है्? उत्​्र प्​्देश की सरकारे्तो के्द्का धन ही नही्िच्मकर पाती्. िैसे खक सपा सरकार ने समािवादी एंिुले्स की िो योिना शुर्की उसे के्द् ने मदद नही् दी. के्द् का कहना था खक राज्य सरकार इनसे समािवादी शब्द हराये. लेखकन राज्य सरकार ने कहा खक समािवाद तो संखवधान मे्खलिा हुआ शब्द है उसे क्यो्हराया िाये. हमने नही्हराया और हम अपने िूते पर उस योिना को चला रहे है्. इसी तरह का उदाहरण समािवादी पे्शन का भी है. भारतीय िनता पार्​्ी के िारे मे् आप की क्या सोच और रणनीखत है? क्या प्​्देश के खवकास और अपनी सरकार की रक्​्ा के खलए उसमे्कोई िदलाव आया है? आिकल भािपा खरर राम मंखदर का मुद्ा उठा रही है. आप का इस पर क्या कहना है? सांप्दाखयकता भािपा की रािनीखत का एिंडा है. हम अपने थ्वाथ्म के खलए समाि को िांर दे्, यह रािनीखत का खवकृत र्प है. दुिद है खक यह लोग के्द्मे्सत्​्ा मे्चले गये. वे अपने एिे्डे को सत्​्ा की वैसािी के र्प मे् प्​्योग करते है्. अच्छे एिंडे को लागू करे् तो कोई िात नही् लेखकन वे समाि को िांर रहे है्. यह िहुत ितरनाक है. अगर उत्​्र प्​्देश मे्सक्​्म नेतृत्व नही्होता तो मुिफ्ररनगर का दंगा पूरे प्​्देश मे्रैल िाता. लेखकन रािनीखतक स्र् पर भािपा की चुनौती का मुकािला करते हुए आप की पार्​्ी खदि नही्रही है. आखिर आप की पार्​्ी क्या काम कर रही है. भािपा की चुनौती के प्​्खत हम िनता को तैयार कर रहे है्. ताखक वह मुकािला कर सके. लेखकन आप की पार्​्ी तो खिहार के महागठिंधन से अलग हो गयी, ताखक भािपा को रायदा पहुंचे. उसके िाद आप के नेता खकसी भी गैर भािपा िमावड्े या गखतखवखध से दूरी िरत रहे है्. इससे अक्पसंख्यको्का सपा के प्​्खत भी मोहभंग हुआ है. थ्वयं आप की पार्​्ी के नेता आिम िान इस पर नारािगी व्यक्त करते रहते है्. खिहार मे् महागठिंधन से अलग होना एक तात्काखलक घरना थी.

दीघ्मकाखलक तौर पर हम सांप्दाखयकता से कोई समझौता नही्करने िा रहे है्. अक्पसंख्यक समाि भी िानता है खक मुलायम खसंह सांप्दाखयकता से लड्ते रहे है्. मुलायम खसंह ि​ि तक सत्​्ा मे् थे. ति तक िािरी मस्थिद सलामत थी और िैसे ही वे हरे िािरी मस्थिद ध्वस्​् कर दी गयी. हम समािवादी आंदोलन से खनकले लोग है्, धम्मखनरपेक्ता के एिंडे पर कोई समझौता नही् कर सकते. समािवादी खसद्​्ांततः धम्मखनरपेक्ता के खलए प्​्खतिद्​् होते है्. खिहार चुनाव से अलग होना या संसद मे् कांग्ेस के साथ खवरोध मे्शाखमल न होना तात्काखलक रणनीखत है इससे हमारी खवचारधारा पर प्​्भाव नही्पड्ेगा. क्या आप खवधानसभा चुनाव के खलए खकसी दल से गठिंधन करे्गे? या राष्​्ीय स्​्र पर भखवष्य मे्िनने वाले खकसी मोच्​्ेमे्शाखमल हो्गे? प्द् श े मे्हम खकसी भी दल से कोई गठिोड्नही्करेग ् .े हम खवधानसभा चुनाव अकेले लड्े्गे. भखवष्य मे्राष्​्ीय स्​्र पर खकसी नये गठिोड्के िारे मे् समय आने पर सोचे्गे. उसका रैसला हमारी राष्​्ीय काय्मकाखरणी करेगी. आप की सरकार ने पहले आगरा एक्सप्​्ेस वे का खनम्ामण शुर्खकया. उसके िाद लिनऊ-िखलया एक्सप्​्ेस वे की तैयारी है. क्या इससे प्​्देश िुड्ेगा और उसका खवकास होगा या इससे खकसानो्का अखहत होगा? इन एक्सप्​्ेस वे से प्​्देश िखलया से खदक्ली तक िुड् िायेगा. इनके खकनारे खकनारे हम माल और कालोखनयां नही्िनवा रहे है्. इनके खकनारेखकनारे आलू, दूध, रल और सब्िी की मंखडयां िने्गी और उससे खकसानो् को लाभ होगा. हम युवाओ् और खकसानो् पर रोकस करते रहे है् और अगले ि​िर मे्भी करे्गे. हम 75 रीसदी खहथ्सा खकसानो्को समख्पमत कर रहे है्. उसको लेकर लगातार योिनाये्िन रही है्. तो क्या अि खवकास के िहाने अखिलेश यादव का नेतृत्व थ्थाखपत हो चुका है? अगला चुनाव आप खकसके नेतृत्व मे्लड्े्गे? हम अगला चुनाव अखिलेश यादव के नेतृत्व मे्लड्े्गे. वे मुख्यमंत्ी है्. खवकास का काम कर रहे है्. प्​्देश को पररी पर लाये है्. वे हर समय प्​्देश के खवकास के िारे मे् सोचते रहते है्. मै् उनके साथ लंदन मे् था तो हमने देिा खक वे हमेशा इसी िोि मे् लगे रहे खक खकस तरह से वहां की अच्छी िातो्और प्​्योगो्को प्​्देश मे्उतारना है. इसके अलावा नेतािी का आशीर उनके साथ है. िनता का भरोसा उन्हे्प्​्ाप्त है. उनके पास खविन है. िेदाग छखव है. यह समािवादी आंदोलन के खलए िेहतर भखवष्य का संकेत है. n शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 23


उत् मास्​्रटप्​्दहेडेश रंजीि

त्​्र प्​्देश मे् अगिे िाि होने वािे सवधानिभा चुनाव िे पहिे िभी पास्टियां इन सदनो् एक-दूिरे की ताकत तौि रही् है्. अखाड्ा बना है, सवधानिभा की तीन िीटो् के सिए इिी माह होने वािा उपचुनाव और अगिे माह सवधानपसरषद की तीन दज्शन िीटो् के चुनाव भी है्. ये छोटे चुनाव सवधानिभा के बड्े चुनाव का िक्​्य भेदने की सियािी प्​्योगशािा भी बन रहे है्. सवधानिभा की सजन तीन िीटो् पर 13 फऱवरी को वोट पड्े्गे उनमे्दो पस्​्िमी उत्​्र प्​्देश और एक अवध के इिाके मे् है्. मुजफ्फरनगर और देवबंद पस्​्िम तो बीकापुर अवध की िीट है. तीनो् पर िाि 2012 मे् ित्​्ार्ढ् िमाजवादी पाट्​्ी को जीत समिी थी. उिके सवधायको् के आकब्समक सनधन के कारर उपचुनाव हो रहे है्.बहुजन िमाज पाट्​्ी उपचुनाव िड्ने िे बचती है सिहाजा उिने उम्मीदवार नही् उतारे है्. िेसकन बाकी िभी दिो्ने इऩ तीन िीटो्को जबरदस्​्प्​्सतष्​्ा का मुद्ा बनाया है. मुजफ्फरनगर और देवबंद िीटो् के प्​्तीकात्मक मायने भी खाि है्. मुजफ्फरनगर मे् िाि 2013 के दंगो् के बाद पस्​्िमी यूपी की राजनीसत मे्बड्ा बदिाव आया. दंगो्िे बने धास्मशक ध्​्ुवीकरर ने इिाके के स्थासपत जातीय िमीकररो् को भी प्​्भासवत सकया. िोकिभा चुनाव के नतीजे उिके गवाह बने थे.अब करीब दो िाि बाद हो रहे चुनावी िंग्ाम मे् भी क्या दंगो् के बाद बने िमीकरर प्​्भावी है्? मुब्सिम बहुि ये दोनो्िीटे्पस्​्िम के वोटरो्के समजाज की थाह देने का प्त् ीक बन गयी है.्िोकिभा चुनाव मे्िभी दिो्का िूपड्ा िाफ करने मे्कामयाब भारतीय जनता पाट्​्ी इन उपचुनावो्मे्भी दो िाि पहिे के टोटके को ही आजमा रही है. मुजफ्फऱनगर और देवबंद मे् पाट्​्ी प्​्चार असभयान मे् चुनाव को दो िंप्दायो् के बीच िंघष्शके र्प मे्केद् ्ीय कर रही है. पाट्​्ी के नेता चुनावी िभाओ्मे्यहां तक कह रहे है् सक कैिे, दंगो् ने ही नरे्द् मोदी को प्​्धानमंत्ी बनाया. वोटरो् के ध्​्ुवीकरर का भाजपा का यह प्​्योग उपचुनावो् मे् कामयाब रहा तो सवधानिभा चुनाव मे् शस्तशया इिका सवस्​्ृत स्वर्प सदखेगा. वही्ित्​्ार्ढ्िमाजवादी पाट्​्ी के सिए भी दोनो्िीटो्के खािे मायने है्. सिफ्फ इिसिए नही् सक दोनो् उिके पाि थी्. बब्लक इिसिए भी क्यो्सक इऩपर कामयाबी पाट्​्ी और िरकार दोनो् को दंगो् के दाग िे उबरने का मौका देगी. ित्​्ार्ढ् पािा ताकत िे यह कह िकेगा सक जनता ने ध्​्ुवीकरर की राजनीसत को अब नकार सदया है. सवधानिभा चुनाव िे पहिे पस्​्िमी यूपी मे् इन दो िीटो् पर जीत िपा के 24 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

मुजफ्फि नगि मे् समाजवादी पाट्​्ी का प्​्चाि: अहम चुनाव

छोटे चुनावों की बडंी जंग सिए बड्ा मनोवैज्ासनक िंबि बने्गी. पस्​्िम के अपेक्ाकृत जसटि िमीकररो्मे्सवधानिभा चुनाव िे िाि भऱ पहिे स्थानीय स्​्र पर पाट्​्ी िंगठन सकतना िस्​्कय और एकजुट है. उिकी भी िपा नेतृत्व को थाह समि जायेगी. सवधानिभा की ये िीटे् दो और दिो् के सिए कम महत्वपूर्श नही् है्. कांग्ेि और चौधरी असजत सिंह का राष्​्ीय िोकदि के सिए भी ये महत्वपूर्श है्. िाि 2012 का सवधानिभा चुनाव दोनो् दिो् ने समि कर िड्ा था. उपचुनाव मे् चौधरी असजत सिंह ने जनता दि (यू) िे गठजोड् सकया है. शरद यादव और नीतीश कुमार की पाट्​्ी तीनो् िीटो् पर रािोद का िमथ्शन कर रही है्. भिे ही पड्ोिी सबहार मे् ताकतवर और ित्​्ार्ढ् जनता दि (यू) का उत्​्र प्​्देश मे् खाि आधार नही्. िेसकन इन उपचुनावो् के

बहाने रािोद और जनता दि (यू) यूपी के सवधानिभा चुनाव मे् महागठबंधऩ बना कर उतरने िे पहिे जमीनी हािात की थाह िे िेना चाहते है्. सिहाजा यह उपचुनाव सबहार की तज्श पर यूपी मे् महागठबंधन बनाकर चुनावी कामयाबी पाने की कोसशश की प्​्योगशािा भी है. रािोद के सिए उपचुनाव मे् मुजफ्फरनगर की िीट के खाि मायने इिसिए भी है् क्यो्सक िोकिभा के चुनाव मे् भाजपा ने उिके जाट वोट बै्क मे् बड्ी िे्ध िगायी थी. रािोद का खाता तक नही् खुिा था और असजत सिंह भी चुनाव हार गये थे. मुजफ्फरनगर दंगो् के बाद बने हािात क्या अभी भी जाटो् के समजाज पर हावी है्? उपचुनाव मे्रािोद को इिका जवाब भी समिेगा इिसिए पाट्​्ी मुजफ्फरनगर मे्कोई किर नही् छोड् रही. हािांसक शहरी और ग्​्ामीर जाट वोटरो्के वोसटंग बत्ाशव मे्फक्फरहा


उत्​्र प्​्देश मे्कवधानसभा की तीन सीटो्के कलए होने वाले उपचुनाव के कलए सभी राजनीकतक दल अपने पर तौल रहे है्क्यो्कक उनके नतीजो्से अगले कवधान सभा चुनाव के कदशा-संकेत भी जाकहर हो्गे. है. मुजफ्फऱनगर िीट मे् शहरी जाट ज्यादा है् सफर भी उपचुनाव पस्​्िम की कई िीटो् पर प्​्भावी इि वोटर तबके के समजाज की झिक दे ही दे्गे. सवधानिभा चुनाव के पहिे रािोद के िाथ ही भाजपा के सिए भी इिके िंकेत खाि मायने रखे्गे. कांग्ेि ने उपचुनाव की तीनो् िीटो् पर मुब्सिम चेहरे उतारे है्. यह महज िंयोग नही्. कांग्ेि के ररनीसतकार बताते है्सक पाट्​्ी इिके जसरये यह थाह िेना चाहती है सक कभी का उिका यह ठोि वोट आधार सवधानिभा चुनाव के पहिे उिके बारे मे् क्या राय रखता है? अगर उपचुनावो् मे् कांग्ेि का प्​्दश्शन अच्छा रहा तो सनि्​्य ही पाट्​्ी सवधानिभा के चुनाव मे् मुब्सिम वोटो् के िंदभ्श मे् बड्ी उम्मीद के िाथ व्यापक ररनीसत बनाकर उतरेगी. खाि तौर पर मुजफ्फऱनगर और देवबंद मे्कांग्ेि ने

स्थानीय रिूख वािे सियािी मुब्सिम पसरवारो् को ही उपचुनाव मे् आगे सकया है. देवबंद मे् अगर इमरान मिूद ने चुनाव की कमान िंभाि रखी है. तो मुजफ्फऱनगर मे् पूव्श के्द्ीय मंत्ी िइदुज्मां की राजनीसतक सवराित के हवािे िे कांग्ेि ताि ठोक रही है. तीन िीटो् के इि छोटे िंग्ाम मे् बड्े दिो् की इि कदर सदिचस्पी का एक और सिरा भी है. उपचुनाव के जसरए ही अिदुद्ीन ओवैिी की पाट्​्ी आि इंसडया मजसि​ि-ए-इत्​्ेहादुि मुब्सिमीन (एआईएमआईएम) पहिी बार उत्​्र प्​्देश मे् अपनी सियािी ताकत आंकने उतरी है. उिने बीकापुर मे्अपना प्​्त्याशी उतारा है. दसित-मुब्सिम गठजोड् बना कर यूपी मे् िपा और बिपा के मुकासबि तीिरा कोर बन कर उभरने की ओवैिी की ररनीसत सकतनी कारगर होगी इिका िंदेश इन्ही् उपचुनावो् िे सनकिेगा. हािांसक यूपी मे् मुब्सिम वोटो् की एक और दावेदार के र्प मे्पीि पाट्​्ी पहिे िे है और िाि 2012 के सवधानिभा चुनाव मे् माना जा रहा था सक वह मुब्सिम वोट पाकर मजबूत प्​्दश्शन करेगी. िेसकन वैिा हुआ नही् था. मुब्सिम वोटरो् का िाथ पाने के मामिे मे् िपा ने बाजी मारी थी. ठीक वैिे ही हाि मे्हुए सबहार सवधानिभा के चुनाव मे् नीतीश और िािू के िमानांतर मुब्सिम वोटरो्को एक और सवकल्प देकर मैदान मे् उतरे ओवैिी वहां नाकाम रहे. सिहाजा यह देखना सदिचस्प होगा सक यूपी के सवधानिभा चुनाव मे् बड्ा िक्​्य िेकर उतरने की तैयारी कर रहे ओवैिी अपने पहिे पायदान पर स्थासपत दिो् के सखिाफ कैिा प्​्दश्शन करते है्. सवधानपसरषद की सजन तीन दज्शन िीटो्के अजीत रसंह: बहुत कुछ दांव पि

सिए अगिे माह चुनाव होने है्. उनमे् आम वोटर भिे ही मतदान न करे्और उिे जनता के मूड का पैमाना न माना जाये. िेसकन सियािी अहसमयत इन चुनावो्की भी कम नही्. स्थानीय प्​्ासधकारी क्​्ेत् के इन चुनावो् मे् क्​्ेत् पंचायत िदस्य, सजिा पंचायत िदस्य, कै्ट बोड्श के िदस्य और शहरी सनकाय (नगर सनगम, नगर पासिका और नगर पंचायतो्) के िदस्य वोट डािे्गे. अगिे िाि के सवधानिभा चुनाव िे पहिे इऩ चुनावो् के जसरए सियािी पािो् की सजिो्मे्िंगठन शब्कत और चुनावी कौशि की परीक्​्ा होनी है. सजिमे् कामायाबी का मनोवैज्ासनक िाभ पास्टयि ां सवधानिभा चुनाव िे पहिे िेना चाहे्गी. ित्​्ार्ढ् िमाजवादी पाट्​्ी के सिए इन चुनावो्के खाि मायने इिसिए भी है् क्यो्सक इिमे् कामयाब होने पर अव्वि तो वह इिे सवधानिभा चुनाव िे पहिे उिके पक्​् मे्माहौि होने के र्प मे्प्​्चासरत कर िकेगी. वही् सवधानमंडि के उच्​् िदन यानी सवधानपसरषद मे्बहुमत हासि​ि कर िेगी. अभी तक इि िदन मे् बहुमत बिपा का था और इि वजह िे ित्​्ार्ढ्पािे को गये चार िाि मे्कई अहम सवधेयको्को उच्​्िदन िे पाि कराने मे्अड्चनो्का िामना करना पड्ा. सवधान पसरषद मे्बहुमत पाट्​्ी को इि मोच्​्ेपर सनस्​्िंत कर देगा. िपा ने 31 िीटो् पर अपने प्​्त्याशी उतार भी सदये है्. जो चेहरे मैदान मे्है् वह सवधानिभा चुनाव मे् पाट्​्ी की िंभासवत ररनीसत की झिक भी देते है्. मि​िन, पाट्​्ी ने युवा चेहरो् और िंगठन िे जुड्े नेताओ् को सटकट देने को प्​्ाथसमकता के िाथ ही अपने कोर जातीय वोट आधार को भी तवज्​्ो दी है. इनमे्जहां युवा चेहरे िुनीि यादव और आनंद भदौसरया शासमि है्. वही् कई सजिाध्यक्​्ो् या पूव्शसजिाध्यक्​्ो्के िाथ ही पाट्​्ी ने अपने सजिो् मे् प्​्भावी कुछ मंस्तयो् के करीबी सरश्तेदारो् को भी सटकट सदया है. पाट्​्ी सवधानिभा चुनाव िे पहिे युवाओ् और िंगठन के काम मे् िगे नेताओ्-काय्शकत्ाशओ् को िंदेश देना चाहती है सक पाट्​्ी उन्हे् भूिी नही् है. हािांसक पाट्​्ी को हाि मे् िंपन्न पंचायत चुनाव के दौरान कई सजिो्मे्उभरी गुटबाजी िे भी सनपटना होगा. सवधानपसरषद के चुनावो्को आम तौर पर ित्​्ार्ढ्पाट्​्ी के हक मे्माना जाता है. िेसकन स्थानीय प्​्ासधकारी क्​्ेत्के चुनावो्मे्सवपक्​्भी अपनी ताकत आजमाता रहा है. खाि तौर पर सजन इिाको् को कोई पाट्​्ी अपना मजबूत गढ् मानती है्. सिहाजा माना जा रहा है सक इऩ चुनावो्मे्भाजपा, बिपा और कांगि ्े िभी िीटो् पर तो नही् िेसकन कुछ चुसनंदा िीटो् पर प्​्त्याशी उतारे्गी. क्यो्सक सवधानिभा चुनावो्िे पहिे यह चुनाव इऩ दिो्के सिए भी िंगठन के n शब्कत परीक्​्र का बड्ा पैमाना होगा. शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 25


झारखंड

फोटो: अरनल अंशुमन

अन्न से जन पानी से धन अजनल अंशुमन

न्न है तो जन है, पानी है तो धन है’. ये सकिी िरकारी प्​्चार का नारा या सकिी नेता का जुमिा नही्है. बब्लक 83 िाि के उि आसदवािी सकिान सिमोन उरांव की सजंदगी का िच है. सजिे उन्हो्ने अपनी पूरी सजंदगी िगाकर हासि​ि सकया है. आज भी वे चुस्-दुर्स्और सजंदासदि अंदाज़ मे् कभी ग्​्ामीरो् का जडीबूसटयो् िे इिाज़ करते हुए. तो कभी खेतो् मे् काम करते हुए या गांव िमाज की बैठको् मे् िोगो् की िमस्याओ् का सनराकरर करते हुए देखे जा िकते है्. उन्हो्ने अपने मजबूत इरादो् और अकल्पनीय पसरश्म् , पराक्म् के बूते पहाड पर पानी पहुंचाकर िैकडो् एकड बंजर धरती को िचमुच मे्फि​िो्की हसरयािी िे भर सदया. हर िाि बरिात मे्पहाड िे सगरकर व्यथ्शबह जानेवािे पानी को न सिफ्फ बडे जिाशयो् मे् इकठ्​्ा सकया. बब्लक अपने सदमागी कौशि िे 26 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

छोटी-छोटी नहरे् बनाकर िैकडो् सफट ऊपर पानी पहुंचाकर दज्शनो् गावो् के सकिानो् को िािो् भर खेती-सकिानी का िाधन उपिल्ध कराया. िबकुछ अपने बूते और अन्य सकिानो् के िहयोग िे वह कर सदखाया. जो िरकार और उिकी मशीनसरयां करोडो्खच्शकरने के बाद भी नही्कर िकी्. इतना ही नही्िारा काम प्​्कृसत और पय्ावश रर को सबना क्स्त पहुच ं ाये करके यह भी िासबत सकया सक आसदवािी िमाज का प्​्कृसत िे िहजीवन का सरश्ता होता है न सक टकराव का. प्​्चार िे दूर रहकर अपने िंकल्प को ज़मीन पर उतारने वािे सिमोन उरांव को िारा इिाका प्यार िे बाबा कहता है. वे उरांव आसदवासियो्के िामसजक िंगठन बारह पडहा के राजा भी है्. इिी िाि भारत िरकार ने उन्हे् पद्​्श्ी का िम्मान सदया है. झारखंड की राजधानी रांची िे 30 सकमी दूर बेडो प्​्खंड के खक्िी टोिा के आसदवािी पाहन (पुजारी)

रसमोन उिांव: पानी के संकट का समािान

कतरासी साल के आकदवासी कसमोन उरांव ने पानी का संकट हल करके ऐसा काम ककया है जो सरकार और उसकी मशीनरी करोड्ो्र्पये खच्ष करने के बाद भी नही्कर पायी. और पडहा राजा बेरा उरांव के घर 15 मई 1932 को जन्मे सिमोन उरांव दि िाि की उम्​् िे ही खेती-सकिानी मे्अपने सपता के िाथ िग गये थे. पूरा इिाका पहाडी और ज़मीन पथरीिी और काफी ऊंची-नीची बनावट की होने के कारर खेती िायक ज़मीन कम थी और ऊपर िे बेहद गरीबी. काफी मेहनत कर आसदवािी सकिान मुब्शकि िे एक फि​ि उगा पाते थे. बाकी िमयो्मे्गुजारे के सिए उन्हे्दूिरी जगह मजदूरी करना पडता था. सजनमे् िे कई चाय बगान चिे जाते थे. सिमोन के सपता भिे ही क्​्ेत् के उरांवो् के पडहा राजा थे. िेसकन वह भी फ़क़ीर और िबकी तरह ही गरीब थे. सिमोन को खेती िे गहरा िगाव रहने के कारर पढाई की ओर कम ध्यान गया. अपनी और अन्य सकिानो् की दुरावस्था दूर करने के सिए उनके मन मे् एक ऐिे सवचार ने जन्म सिया. सजि​िे न सिफ्फ उनका बब्लक पुरे इिाके की तस्वीर बदि गयी.


काग्ि्ी है सारा ववकास

कसमोन उरांव से बातचीत

पानी एकत्​्करने का खवचार कैसे आया?

अन्य लोग भी ज़मीन देने के खलए तैयार हो गये.

पंद्ह साल की उम्​् से ही हम देि रहे थे खक हमारे गांव समेत आसपास के इलाके मे् कही् कोई कुंआ या तालाि नही् था. पीने का पानी भी पहाडी झरना, डाडी या चुंवा( नीचे के िेतो्मे्एकत्​्पानी) से लाते थे. उसी से खिंदगी िीत रही थी. खकसान के पास िाने के खलए कुछ नही् रहता था. क्यो्खक ज़मीन िहुत िंिर थी और िेती ठीक ढंग से नही्हो पाती थी.

सरकार और उसके संिंखधत खवभागो्का क्या र्ि रहा?

सिसे िडा संकर पानी का था. हर साल िरसात मे्पहाड से खगरने वाला पानी िेतो्की मेडो्और रसलो्को तहस नहस करते खनकल िाता था. ति ध्यान हुआ खक ये पानी रास्​्ा मांग रहा है. यखद इसे रास्​्ा देकर इकरठा खकया िाये और उसे छोरी नहरो्के िखरये ऊपर की ज़मीनो्तक पहुंचाया िाये. तो िेती के खलए िल के संकर से उिरा िा सकता है. गांव -समाि को कैसे तैयार खकया? पडहा उरांव आखदवाखसयो्की सिसे िडी सामुदाखयक सामाखिक संथथ ्ा है. िीते कई सालो्से िारह पडहा का प्ध ् ान होने की हैखसयत से सिो्की िडी िैठक िुलाकर इस संिंध मे् िात रिी. लेखकन उन्हे् मेरी योिना असंभव लगी और उन्हो्ने इसके खलए सरकार के पास िाने की सलाह दी. मैने्कहा खक इतने खदनो्से हम खकसानो्के खलये सरकार क्या खचंता कर रही है! खरर ति मैने् खसर्फ अपने गांव के लोगो् को िैठाया और काम के खलए तैयार खकया. सिसे पहले िांध के खलए अपनी ज़मीन देने का प्​्स्ाव रिा. तो कई

वह था बरिात के सदनो्मे्यूं ही बहकर सनकि जाने वािे पानी को बांध बनाकर इकठ्​्ा करने और उिे छोटी-छोटी नहरो्के जसरये खेतो्तक पहुंचाने का. सजिे उन्हो्ने िमझा सक पानी भी रास्​्ा मांगता है. इि पसरकल्पना को ज़मीन पर उतारने के सिए स्वयं ही पुरे इिाके मे् घूम-घूमकर गहन सनरीक्​्र-अध्ययन कर र्प-रेखा तैयार की और गांव-िमाज के िोगो् को इकटठा कर योजना बतायी. कई ने इिे मन का िनक कहकर खासरज कर सदया तो कईयो्ने अिंभव मानकर हाथ खडेकर िरकार िे गुहार िगाने की ि​िाह दी. सिमोन ने िमझाया सक ज़र्रत हमारी है तो हमे् ही िगना होगा. इि भगीरथ प्​्याि के सिए ज़मीन देने और बांध बनाने के काम मे्िाथ देने के प्​्स्ाव पर िबकी िहमसत नही् समिने के बावजूद कुछ िोगो् को इिके सिए राजी कर सिए. 1961 के आिपाि यह असभयान शुर्सकया तो िोगो्ने मज़ाक उडाया. िेसकन काम मे्सदन-रात िगा देख िहयोग देने िगे. देखते ही देखते बांध सनम्ार श शुर् हो गया. इि दौरान पाि की पहाडी िे समटटी काटने पर वन सवभाग ने केि कर सदया. तो उन्हे् जेि जाना पडा. इिके सखिाफ पुरे इिाके के आसदवािी सकिान आक्​्ोसशत होकर प्श ् ािन िे िडने-सभडने पर उतार् हुए. तो सिमोन ने ही उन्हे् िमझाकर शांत सकया. जेि िे छूटते ही काम पुन: शुर्कर सदया. बांध तैयार कर अंदर

हमारी समथ्याओ्का ध्यान रहता तो हमे्क्यो्लगना पडता. सच यही है खक अितक खकसी सरकार ने खकसानो्के खलए कुछ नही्खकया है. खकसान से दस र्पये खकलो धान खलया िाता है और डेढ़ सौ से चार सौ र्पये तक मे् िीि खदया िाता है. सरकार चाहती तो यही् ऐसी व्यवथ्था करती खक खकसानो् को िाद-िीि यही् तैयार कर खदया िा सकता था. इन्हे् केवल खकसानो्से मालगुिारी वसूलना आता है. सरकार तो खवकास का दावा करती है! इनका सारा खवकास केवल मुंह मे् है ज़मीन पर नही्. काग़ि पर ही योिनाये्िनती है्और पैसो्का िंदरिांर हो िाता है. हमारे िांध िनाने की योिना इनके इंिीखनयरो्के समझ मे्ही नही्आयी और हमने िांध िनाकर पहाड पर पानी पहुंचा भी खलया. सरकार ने आपको पद्​्श्ी अवाड्मखदया है! मालूम तो हुआ है लेखकन लेने के खलए पहले अपने गांव वालो्से पूछना होगा. खकसान इतने संकर मे् है् और सम्मान ले्. अिीि लग रहा है. वैसे सरकार के लोग आये थे तो मैने्सारे सवाल और सुझाव उनके सामने रि खदया है. अि आगे उन्हे्सोचना और करना है.

ही अंदर पानी सनकािकर उन्हे्पांच हज़ार सफट छोटी-छोटी नहरो्के िे बंजर और ऊपर पहाड की ज़मीनो् तक पहुंचाने की जुगत देखकर अच्छे-अच्छे इंजीसनयरो्ने भी दांतो्तिे उंगिी दबा िी. सिमोन के गांव िमेत आि-पाि के कई गांवो्के एक हज़ार एकड ज़मीनो्पर जहां पानी के अभाव मे्िाि मे्धान की एक खेती भी ठीक िे नही् हो पाती थी. अब धान के अिावा गे्हू, िब्लजयां, िरिो्, मक्​्ा इत्यासद की कई-कई फि​िे्होने िगी थी. कुछ ही िािो्मे्न केवि देिावािी, गाय घाट और अंबा झसरया नाम िे तीन बांध बनाये गये. बब्लक कई छोटे तािाब और दज्शनो् कुंए खोद डािे गये. िब के िब गांव वािो् की ही ज़मीन और पैिो् िे. बाद मे् रस्म अदायगी के तौर पर कुछ िरकारी मदद भी समिी. सिमोन उरांव का िपना िाकार होने मे् उनके दृढ सनि्​्य और कठोर िगन के िाथिाथ गांव-िमाज के िोगो् की िपसरवार पूरी भागीदारी भी रही. सजनकी देखभाि मे् सिमोन भी पीछे नही् रहते, वो चाहे प्​्ाकृसतक जडीबूसटयो्िे उनकी बीमासरयो्का इिाज करने का मामिा हो अथवा आपिी सववादो् के सनपटारे का. इन्ही काररो्िे दूर-दूर िे िोगो्के समिने और ि​िाह िेने का सि​िसि​िा आज भी बदस्र्ू जारी है. इन्हो्ने झारखंड अिग राज्य के आंदोिन मे्भी बढ चढकर सहस्िेदारी सनभायी. एक शायर ने सिखा है सक- उम्​्बीत जाती

है सदि को सदि बनाने मे्..... सिमोन बाबा की भी पूरी उम्​् िग गयी अपने इिाके की बंजर धरती को िी्चकर हरा भरा बनाने मे्. सजि​िे इि क्​्ेत् के सकिानो् की जीवन दशा तो बदिी ही, यह भी प्​्ेररा समिी सक यसद मनुष्य प्​्कृसत का शािक बनने की बजाय उि​िे िहयोग का नजसरया रखे. तो उिकी बडी मुब्शकि भी हि हो िकती है. आसदवािी िमाज की खासियत है सक वह प्​्कृसत के िाथ समिकर जीता है. वैिे आज भी आसदवािी क्​्ेत्ो्के सवकाि के नाम पर करोडो्-करोड र्पये खच्श हो रहे् है्. िेसकन ज़मीन पर सवकाि नदारद है. सिमोन उरांव और उनके गांव वािो्ने जो सकया हमारे िोकतंत्की ये मूि भावना को स्थासपत करता है. कोई भी सवकाि तभी कारगर और िंभव होगा जब उिमे्जनता की िीधी भागीदारी होगी. सिमोन को उनके अतुिनीय काय्श के सिए अबतक कई बार िामासजक और िरकारी स्​्र पर िम्मासनत सकया गया है. िेसकन हर मंच िे वे इिका श्​्ेय अपने गांव िमाज के िोगो्को देते हुए, इि​िे िीखने की अपीि करते है्. इि बार भी जब के्द्िरकार ने उन्हे्पद्​्श्​्ी अवाड्श देने की घोषरा की. तो उन्हो्ने यही कहा सक इिके सिए पहिे अपने पडहा और गांव िमाज के िोगो् िे इजाज़त िे्गे. इन सदनो् आये सदन मंत्ी, नेता, अफिर उन्हे्बधाई देने पहुच ं रहे्है.् तो िबिे वे सकिानो् के िवािो् को हि करने n की बात कह रहे्है्. शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 27


मास् केरटलहेड

केिल मे् निे्द् मोदी: तैयारियो् के रलए दौिा

तैयारी सेंधमारी िी

कवधानसभा चुनावो्की आहट के साथ ही केरल मे्राजनीकतक सरगम्​्ी बढ्गयी है और घोटालो्से कघरी दो प्​्मुख राजनीकतक पाक्टषयो्के वोटो् मे्से्ध लगाने की तैयारी कर रही है. मनोरमा जसंह

रवरी िे माच्श केरि का िबिे बेहतरीन मौिम होता है. न िगातार बासरश और न बहुत तेज गम्​्ी. िेसकन मई-जून मे् होने वािे सवधानिभा चुनावो् की आहट के िाथ ही यहां एक अिग राजनीसतक िरगस्मशयो् का मौिम शुर् हो गया है. िोिर घोटािा और एिएनिी िविीन जैिे मामिो् िे एक ओर मुख्यमंत्ी ओमन चांडी और सवपक्​् एिडीएफ के वसरष्​् नेता सपनराई सवजयन की िाख बेरंग हो रही है. तो दूिरी ओर उपचुनाव और पंचायत चुनावो्मे् बेहतर प्​्दश्शन कर चुकी भाजपा आत्मसवश्​्ाि और जोश के रंग मे् है. इिसिए तारीख की घोषरा होने िे पहिे ही भाजपा चुनावी तैयासरयो् मे्जुट गयी है. भाजपा अध्यक्​्असमत शाह और प्​्धानमंत्ी नरे्द्मोदी के हाि के केरि दौरो्को इिी िंदभ्शमे्देखा जा िकता है. वैिे भी असमत शाह के सिए केरि िमेत चार राज्यो् मे् होने वािा आगामी सवधानिभा चुनाव सबहार, सदल्िी और गुजरात के स्थानीय सनकायो् के चुनाव मे् हुई हार की बदनामी धोने का मौका है. बेशक इिकी तैयारी बीते एक दो िाि िे 28 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

काफी गंभीरता िे हो रही है. महीनो् िे आरएिएि के कैडर जमीनी स्​्र पर काय्शकत्ाशओ् और िोगो् को िंगसठत करने का काम कर रहे है्. उिका अिर भी सदखने िगा है. मुबस् िम तुस्िकरर और सहंदओ ु ्की अनदेखी का िवाि केरि के सपछड्ी सहंदू जासतयो् और जनजासतयो् मे् एक मुद्ा बन रहा है. हािांसक केरि मे् सहंदू जनिंख्या 52 फीिद है. िेसकन उनकी राजनीसतक िमझ धम्सश नरपेक्रही है और राजनीसत नेताओ् की छसव और मि​िो् पर ही होती आयी है. िेसकन 2014 मे् के्द् मे् भाजपा िरकार बनने और नरेद् ्मोदी के ित्​्ा मे्आने िे केरि मे् भी बहुत कुछ बदिा है. उनमे् िबिे महत्वपूर्श ये है सक बहुत िोगो् को अब भाजपा को वोट देना वोट की बब्ाशदी नही् िगेगा. िाथ ही आरएिएि के आक्​्ामक प्​्चार के कारर भी सहंदुत्व के पक्​्मे्कुछ हवा तो बह ही रही है. इिके अिावा बीते िाि हुए पंचायत चुनावो्मे्13 ग्​्ाम पंचायतो्मे्भाजपा को समिी जीत भी बहुत प्​्ेरक है. हािांसक वाम गठबंधन को तब भी आधे िे ज्यादा 1,199 िीटो्पर जीत हासि​ि हुई है. मुबश् कि केवि कांगि ्े को हुई थी. भाजपा के सिए ये चुनाव ज्यादा महत्वपूर्श

इिसिए भी रहा सक पाट्​्ी ने गांव, ल्िॉक और सजिा पंचायत स्र् के िाथ िाथ नगरपसिकाओ् और नगरसनगम स्​्र पर भी अपने वोट प्​्सतशत और िमथ्शन मे् इजाफा सकया. इि​िे पहिे अर्सवक्​्ारा िीट के सिए हुए उपचुनाव मे् भी भाजपा के ओ राजगोपाि तीिरे स्थान पर रहे और पाट्​्ी के कुि वोट प्​्सतशत मे्17 फीिद की बड्ी बढ्ोत्​्री हुई. वही् िीपीएम का वोट नौ प्​्सतशत कम हो गया. ये िारी ब्सथसतयां भाजपा को उि राज्य के चुनाव को गंभीरता िे िेने को प्​्ेसरत कर रही है्. जहां अभी तक उिका खाता भी नही्खुिा है. इिसिए चुनाव के मद्​्ेनजर ही असमत शाह ने एक बार सफर सवचारधारात्मक िाम्य रखने वािे दिो् को केरि मे् चुनावी तािमेि का खुिा आमंत्र सदया है. ये कोसशश वो 2015 मई मे्केरि के अपने पहिे दौरे मे्भी कर चुके है्. तब उन्हो्ने पाट्​्ी के काय्शकत्ाशओ्को स्थानीय सनकायो् के चुनावो् के सिए तैयार सकया था. सजिके नतीजे का सजक्​्ऊपर सकया जा चुका है. इि क्​्म मे् पाट्​्ी की पहिी ररनीसत नारायरा धम्ाश पसरपािना योगम या एिएनडीपी और इिके नेता वेिापल्िी नाटेिन के िाथ चुनावी िमझौता करने की रही है. बीते िाि मई-जून िे इि तािमेि की कोसशश हो रही है. िेसकन अभी तक इिकी औपचासरक घोषरा नही् हुई है. दरअि​ि, एिएनडीपी ने भारत धम्शजेना िेना नाम िे एक नयी पाट्​्ी का गठन सकया है. सजिके पदासधकासरयो्के नामो्की भी घोषरा नही्हुई है. और इिके नेता नाटेिन ने भाजपा के िाथ चुनावी तािमेि की खबरो् के बीच ही तीिरे मोच्​्ेके उभार की चच्ाश छेड्दी है. जबसक भाजपा के िाथ एिएनडीपी के तािमेि को िेकर िंघ और सवश्​्सहंदु पसरषद नेततृ व् भी काफी गंभीर है. वैिे नये दि के गठन के िाथ दो हफ्ते के केरि ओमन चांडी: सोलि घोटाले का दाग


यात्​्ा के दौरान नाटेिन ने खुद को और अपनी पाट्​्ी को आरएिएि और भाजपा िे भी ज्यादा बड्ेसहंदतु व् िमथ्क श के र्प मे्स्थासपत करने की कोसशश की. गौरतिब है सक नाटेिन एझवा िमुदाय िे आते है्. एझवा राजनीसतक र्प िे काफी मजबूत और िस्​्कय ओबीिी िमुदाय है. वैिे, चुनाव के मद्​्ेनजर ही सदिंबर मे् दस्​्कर के तोगस्डया कहे जाने वािे 35 िाि िे िंघ प्​्चारक रहे हाड्शिाईनर कुम्मानम राजशेखरन को केरि के पूवश्भाजपा अध्यक्​्वी मुरिीधरन को हटाकर नया भाजपा अध्यक्​् बनाया गया. गौरतिब है सक मुरिीधरन ने केरि मे् गौ मांि खाने का सवरोध नही् सकया था और इिे िोगो् की खाने की आदतो् और पिंद का मामिा बताते हुए कहा था सक भाजपा के िंसवधान मे्िोगो्की खाने पहनने की आदतो्को सनयंस्तत करने का कोई प्​्ावधान नही् है. दूिरी ओर वत्शमान राज्य भाजपा अध्यक्​् राजशेखरन ने पद िंभािते ही िाफ कर सदया सक 2016 सवधानिभा चुनाव का मुद्ा 'सहंदुत्व की ब्सथसत पुन्शबहाि' करना होगा. उन्हो्ने ये भी कहा सक केरि मे् सपछिे 50 िाि िे कांग्ेि और वामपंसथयो्ने राज्य के सहंदुओ्का शोषर सकया है. उन्हे् छिा है. केरि के सहंदू देश मे् िबिे ज्यादा हासशये पर है्. क्यो्सक यहां ये कोई राजनीसतक ताकत ही नही् है्. भाजपा केरि के सहंदुओ् को उनकी राजनीसतक ताकत मुहैया करायेगी और 2016 चुनाव असभयान भाजपा 'शमशुि्केरि' अथ्ाशत 'स्वच्छ केरि' के नाम िे चिायेगी. हािांसक उन्हो्ने इि असभयान की व्याख्या भ्​्ि् कांग्ेि और भ्​्ि् वामपंसथयो् िे मुक्त स्वच्छ केरि के र्प मे्की. ऐिा नही् है सक ये बात िीपीएम के या कांग्ेि के नेता िमझ नही् रहे है्, िेसकन भ्​्ि्ाचार के दाग और एंटी इनकम्बै्िी जहां कांग्ेि के सखिाफ है. वही्िीपीएम के सिए भी रपनिाई रवजयन: िुंिली पड्ती साख

दोतरफ्ा है मुक्ाबिा पूव्षकेरल भाजपा अध्यक्​्वी मुरलीधरन से बातचीत. ओमन चांडी के खिलार केरल पुखलस की िांच खिठाने की मांग कर रही है. अि केरल के मुख्यमंत्ी के खिलार केरल पुखलस क्या िांच करेगी? केरल की िनता भ्​्ष्ाचार मुक्त सरकार चाहती है इसखलए ओमन चांडी को िाना ही होगा. केरल मे् भािपा का सिसे मि​िूत िनाधार खकस इलाके मे्है?

िीते उपचुनाव और थ्थानीय खनकायो् के चुनाव भािपा के खलए िहुत उत्साहिनक रहे है् इसे देिते हुए आगे की क्या रणनीखत होगी? थ्वभाखवक र्प से केरल भािपा मे्उत्साह है, खपछले चालीस साल से यहां वामपंथी और कांग्ेस िारी िारी से सत्​्ा संभालते आ रहे है् और भ्​्ष्ाचार के मामले मे्आपस मे्एक दूसरे की मदद करते आ रहे है्. खवपक्​् मे् रहकर ये सत्​्ापक्​् के खिन लोगो् या नेताओ् पर आरोप लगाते है्. िुद सत्​्ा मे्आने पर उसके खिलार मामला चलाना,सिा खदलाना भूल िाते है् और एक दूसरे की मदद करते रहते है्. और दूसरा मुद्ा खवकास है, केरल के लोग िहुत मेहनती और पढ़्ेखलिे है.् वो पूरी दुखनयां मे्अपनी मेहनत और काखिखलयत साखित कर चुके है्. लेखकन केरल मे् उन्हे् काम करने का मौका नही् खमलता.

ये सि पुरानी िाते है् खक भािपा यहां मि​िूत है या वहां कमिोर,हकीकत ये है खक वैसे थ्थानो् मे् िहां हम िहुत कमिोर थे पंचायत चुनावो् मे् उन्ही् थ्थानो् पर भािपा मुख्य खवपक्​्ी िन चुकी है. प्​्देश के सारे इलाके मे्भािपा का समथ्मन िढ़्रहा है.140 खकतनी सीरे्िीतने का अनुमान है? हम सभी 140 सीर पर चुनाव लड् रहे है्, खकसी दल से चुनावी तालमेल होने पर उनके खहथ्से की सीर उन्हे् देकर िाकी सभी सीरो् परभािपा के उम्मीदवार हो्गे. हमारे अध्यक्​्71 सीर पर िीत का लक्​्य और भरोसा लेकर चल रहे है्. चुनावी तालमेल खकन दलो्के साथ कर रहे है्? एसएनडीपी ने हाल ही मे् भारत धम्म िेना सेना नाम से खिस पार्​्ी की घोरणा की है. उसके साथ चुनावी तालमेल की संभावना है. केरल का चुनाव इस िार तीन तररा है?

िेशक यूडीएर और ओमन चांडी के खिलार लोगो्मे्माहौल िना है और एलडीएर की रािनीखत भी लोगो् को समझ मे् आ रही है. ये िहुत हाथ्याथ्पद िात नही् खक सीपीएम

पख्​्िम िंगाल मे् कांग्ेस और सीपीएम खमलकर चुनाव लड्ने वाले है्, हमारी मांग है खक केरल मे् भी यूडीएर और एलडीएर को खमलकर चुनाव लड्ना चाखहए आखिर दोनो्एक दूसरे के साथ और मददगार ही तो है्. मुकािला दो तररा है, एक तरर वो लोग और एक ओर भािपा.

चुनौसतयां पहिे िे बढ् गयी है्. केरि िीपीएम िसचव कोसदएरी बािाकृष्रन उपचुनाव के बाद ही मानने िगे थे सक भाजपा ने कांग्ेि सवरोधी वोटो् को बांट सदया. िाथ ही पाट्​्ी के एक धड्े का भी मानना है सक अल्पिंख्यक तुस्िकरर नीसत के कारर िीपीएम को नुकिान हुआ है और इिके कारर ही अब सहंदु वोट दस्​्करपंथी दिो्की ओर आकस्षशत हो रहे है्. जासहर है ऐिे मे् चुनावी जीत के सिए िीपीएम की सनगाहे्भी सहंदु वोटो्की ओर जा रही है.् गौरतिब है सक 2011 के चुनाव मे्कुि 140 सवधानिभा िीटो् मे् एिडीएफ को यूडीएफ िे

केवि 4 िीट ही कम समिी थी, यानी एिडीएफ की दावेदारी अभी भी मजबूत है और एंटी इन्कम्बै्िी का ज्यादा फायदा िीपीएम को समि िकता है. और जहां तक भाजपा की बात है तो केरि मे् इि बार भी इनकी िरकार नही् बनने वािी, हां ये जर्र है सक अपने िहयोगी दि या सफर अकेिे भी भाजपा कुि 140 िीटो्पर अपने उम्मीदवार जर्र उतारेगी और यहां के नतीजे अगर िकारात्मक हुए. तो बेशक असमत शाह की चुनाव जीताने की िाख िे सपछिी हार का धल्बा धुि जायेगा. जासहर है इिके सिए वो कोई कोर किर बाकी नही्रखे्गे. n

केरल मे् सोलर घोराला, िार खरश्​्त मामला इत्याखद के कारण एंरी इन्कम्िै्सी है?

शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 29


मास् नगालै ट हे्डड

भाषा पर घमासान

नगालै्ड का हॉन्गरबल उत्सव: समृद् संस्कृरत

भाराएं अक्सर लोगो्को जोड्ने का काम करती है्, लेककन नगालै्ड मे् नगामीज को सरकारी कामकाज की भारा बनाये जाने से कम से कम बीस भाराओ्वाले इस राज्य मे्असंतोर फैला है. रीता जतिारी

हा जाता है सक भाषा िमाज के सवसभन्न तबको्को जोड्ने मे्एक पुि की भूसमका सनभाती है. िेसकन पूव्ोत्​्र के उग्​्वाद प्​्भासवत राज्य नगािै्ड मे् एक भाषा पर घमािान मचा है. मुद्ा है के्द् की ओर िे नगामीज भाषा को राज्य की दूिरी असधकृत भाषा के तौर पर बढ्ावा देने का. इि मामिे पर राज्य के िोग बंटे हुये है्. राज्य मे्यूं तो 20 िे ज्यादा स्थानीय भाषाएं बोिी जाती है्. अिग-अिग जनजासतयो् की भाषा और बोिी भी अिग-अिग है. िेसकन नगामीज राज्य की िंपक्फ भाषा है. दो अिगअिग िमुदायो् के िोग आपि मे् बातचीत के सिये नगामीज का इस्म्े ाि करते है.् दरअि​ि, यह टूटी-फूटी अिसमया, सहंदी, बांग्िा और अंग्ेजी िमेत कई भाषाओ् का समश्​्र है. िरकारी कामकाज की भाषा के तौर पर नगामीज को मान्यता देने की पहि का सवरोध 30 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

करने वािे िोगो् की दिीि है सक सकिी भी बोिी को भाषा के तौर पर मान्यता देने की पहिी शत्शयह है सक उिकी अपनी सिसप होनी चासहये. िेसकन नगा तबको् की इि बोिी की कोई सिसप नही्है. कांग्ेि नेता मेडोकुि िोफी कहते है्, ‘मेरी सनजी राय मे्नगामीज को दूिरी असधकृत भाषा का दज्ाश नही्सदया जाना चासहये. इिकी वजह यह है सक यह सकिी नगा जनजासत की भाषा नही्है.’ िेसकन नगा पीपुल्ि फं्ट (एनपीएफ) का िवाि है सक अगर के्द् इि भाषा को बढ्ावा देना चाहता है को इिमे्हज्शही क्या है? उिका कहना है सक हमे् यह नही् भूिना चासहए सक नगामीज के जसरये राज्य के सवसभन्न तबके के िोग आपि मे् बातचीत करते है्. यह नगा िमाज मे्आपिी िंवाद का िबिे अहम जसरया है. राज्य के कुछ प्​्मुख िामासजक िंगठन और बुस्िजीवी नगामीज को मान्यता सदये जाने के सखिाफ है्. के्द् की इि पहि के सखिाफ

नगा स्टूडे्ट्ि फेडरेशन (एनएिएफ) ने ही िबिे पहिे आवाज उठायी थी. उिने कहा था सक के्द्को जल्दबाजी मे्कोई ऐिा फैि​िा नही् करना चासहये. सजि​िे नगा िमाज के िांस्कृसतक और िामासजक ताने-बाने को ठेि पहुंचे. िंगठन का कहना है सक राज्य के िोगो् को अपनी एक भाषा सवकसित करने और उिे बढ्ावा देने के सिये कुछ िमय की जर्रत है. िंगठन के एक नेता कहते है् सक सकिी चािू भाषा को िरकारी मान्यता देने की बजाय सकिी ऐिी भाषा को चुनना चासहए सजिे नगा िोग अपनी भाषा कह िके्. इि मुद्े पर जल्दबाजी िे मामिा और सबगड्जायेगा. राज्य की ताकतवर आओ जनजासत के तीन प्​्मुख िंगठनो् का कहना है सक राज्य के पव्शतीय और मैदानी इिाके के िोगो् के बीच व्यापार और वासरज्य को बढ्ावा देने की जर्रत ने ही नगामीज को जन्म सदया था. इि भाषा को अपना कोई व्याकरर या शल्दाथ्शनही्है. आओ िेन्डेन, वात्िू मुंगडांग और आओ स्टूडे्ट्ि काफे्ि नामक इन िंगठनो् की दिीि है सक नगामीज भाषा को बढ्ावा देना नगा जनजासत के बौस्​्िक सहतो्और धनी िांस्कृसतक सवराित के सखिाफ होगा. स्कि ू ी सकताबो्मे्अंगज ्े ी माध्यम है और सवसभन्न जनजासतयो् की बोिी मे् रोमन सिसप का इस्​्ेमाि सकया जाता है. इिसिये राज्य मे्िरकारी कामकाज की भाषा अंग्ेजी ही होनी चासहये. राज्य मे् ग्​्ाम प्​्धानो् के िंगठन के ि​िाहकार टीएि अंगामी कहते है्सक राज्य के ग्​्ामीर इिाको् के िोग आिानी िे नगामीज भाषा बोिते और िमझते है्. इिे िरकारी भाषा के तौर पर मान्यता देने पर नगा पहचान को कोई खतरा नही्पैदा होगा. उनका कहना है सक इि भाषा के नाम यानी नगामीज िे ही नगा पहचान का पता चिता है. सफिहाि राज्य िरकार ने इि पूरे मामिे पर चुप्पी िाध रखी है. िरकार के एक प्​्वक्ता ने कहा है सक नगामीज के मुद्े पर बढ्ते मतभेदो् को ध्यान मे् रखते हुये िरकार इि मामिे मे् इंतजार करो और देखो की ररनीसत पर आगे बढ् रही है. उिने कहा सक िरकार की िबिे पहिी प्​्ाथसमकता इि राज्य मे्उग्व् ाद का खात्मा और शांसत की बहािी है. उिके बाद ही इिाके मे् सवकाि की गसत तेज होगी. िरकार का मानना है सक सवकाि की प्स्​्कया शुर्होने पर भाषा का मुद्ा खुद ही िुिझ जायेगा. राज्य मे्सजतने िोग और िंगठन है्, उतनी ही दिीिे्है.् िेसकन कोई भी पक्​्एक-दूिरे की दिीिो् को मानने के सिए तैयार नही् है. यही वजह है सक नगािै्ड मे्िबिे ज्यादा बोिी जाने वािी नगामीज भाषा पर सववाद िगातार बढ्ता n जा रहा है.


बतकही चंचल

कौड़ीराम से गुंजेश्री प्​्साद

हमारे जैसे लोग गुंजेश्री जी को पढते हुए पत्​्काकरता सीखने की बात कर सकते है्. वे केवल पत्​्कार ही नही्है्, खांटी समाजवादी है्और सामाकजक सरोकार से जुडकर लडाइयां लडते, जेल जाते रहे.

ि

माजवाद अब अपरसचत नाम नही्है. िनिाइट िाबुन की तरह, या डािडा की तरह. नाम िीसजये िमाजवाद का तो कई चेहरे, कई िरकारे् िामने आ खडी होती है्. उनकी अच्छाई कम, उनकी खराबी ज्यादा चच्ाश मे् आती है, अब तो िमाजवाद अिग अिग िूबो् मे् अिग अिग जासतयो्के यहां सगरवी रख दी गयी है. उिे छुडाना आिान नही्है. सकिी िोनार के यहां सगरवी रखे हंिुिी की तरह. आज िमाजवाद की िबिे बडी सदक्​्त यही है. क्यो्सक नेता, जो भी है् और िमाजवाद की झंडाबरदारी मे्है्. उनके पाि, उन्हे्कोख मे्समिी एक जासत का दुम्छािा है. यह काया को तो मोटा जर्र बना दे रहा है. िेसकन आत्मा को सिकोड भी रहा है. आज यह राजनीसतक मजबूरी भी है. हम इि िमाजवाद िे उतने परेशान और हिकान नही्है्, हमे्सचंता उि िमाज की है. जो िंबी िडाई मे् िमाजवाद को ढोता रहा, उिका वाहक रहा, उिी खाद पर यह िमाजवाद फि-फूि रहा है और उि िमाजवाद के खादबानम िोग कहां है्. क्या कर रहे है्, कोई हाि तक पूछने वािा नही्है...’ कयूम समयां आज रौ मे् है्, िेसकन िांि फूिती है. बोिने मे् भी सदक्​्त है, एक जमाने मे् घंटो् भाषर सदया करते थे. नवि उपसधया ने बीच मे्टोका, - का बात है समयां आज अपनी ही पाट्​्ी के सिए दाना-पानी सिये चढे बैठे है्. कयूम ने िंबी िांि िी और सफर चािू हो गये. नही् जनाब गुस्िा नही् हूं, रोना आ रहा है, कि अखबार मे् एक खबर देखा, सवचसित हो गया. िाि िाहेब ने बीच मे्ही बात काट सदया, - वो वािी खबर सक भाजपा िांिद का पीए या बेटा िडसकयो् िे नाजायज काम कराकर उन्हे्देहव्यापार मे् डाि सदया है? कयूम ने तरेर कर िाि िाहेब को देखा- यह भी कोई खबर होती है, बरखुरदार? इि हमाम मे् िब नंगे है्. अि​ि खबर दूिरी है. अब न ओ खबर छापने वािे है्नही्वो कागद है. ये पीढी तो नाम तक नही् जानती होगी अज्​्ेय, रघुवीर िहाय, धम्शवीर भारती. बहुत नाम है्, सदनमान था, धम्शयुग, रसववार. इन्हे्पाने के सिए िोग तरिते थे. इिी मे्सिखने वािे एक पत्​्कार की बीमारी, उिकी तंगी, दोस्​्ो् की इमदाद की खबर छपी है. नाम है गुंजेश्री प्​्िाद. उि जमाने मे्जब ऐिे पत्​्कारो्की रपट छपती थी. तो िरकार की सघग्घी बंध जाती थी. सिखा रहता था कौडी राम िे गुज ं श े र् ी प्ि ् ाद. आज वही गुंजेश्री प्​्िाद बीमार है्, दवा के पैिे नही्है्, डाक्टर ने िुझाव सदया है, फि

खाने का. डाि तो समि नही् रही, फि कहां िे खाये्गे. गोरखपुर के पत्​्कार िंघ ने सदि खोि कर मदद सकया है. िेसकन कब तक, उनकी भी अपनी िीमा है. आज उनकी तीमारदारी गोरखपुर पत्​्कार िंघ के अध्यक्​् भाई अरसवंद राय कर रहे है्. मद्​्पत्​्कार ने िंबी िांि िी - हमारे जैिे िोग गुंजेश्री जी को पढते हुए पत्​्कासरता िीखने की बात कर िकते है्. गुंजेश्री जी केवि पत्​्कार ही नही् है्, खांटी िमाजवादी है् और िामासजक िरोकार िे जुडकर िडाइयां ही नही्िडते रहे, जेि भी जाते रहे है्. भाई हम कुछ मदद करना चाहे्तो? कयूम समयां ने एक कागद खीिे िे सनकािा और मद्​्के िामने रख सदया. यह नाम है, और यह फोन नंबर है. मद्​्ने उिे पढा - अरसवंद राय, फोन नंबर 8953290095. चिो हम इि नंबर पर बात करके जो कुछ भी हो िकेगा हम िोग करे्गे. नवि ने पूछा -भाई िूबे मे् तो िमाजवादी िरकार है, वह कुछ नही्करेगी? सचखुरी जो अब तक दश्क श बने बैठे रहे, झुझ ं िा कर बोिे -िरकार कोई िपना देख रही है, उिे बताया सकिी ने? और बतायेगा कौन? मद्​् पत्क ् ार ने बीच मे् ही टोका -क्यो् , क्या गोरखपुर मे् िरकार नही् है, या पाट्​्ी के िोग नही्है?् सचखुरी हत्थे िे उखड गये- िरकार मतिब किेकट् र और उनका अमिा, उिको इि तरह के कामो्िे क्या िेना देना? रही बात पाट्​्ी की तो पाट्​्ी के िोग अब वो नही् रहे, िरकार िे बात भी करते हो्गे तो अपने बारे मे् बात करे् सक गुज ं श े र् ी के बारे मे् बात करे.् अभी भी बहुत िे िोग है.् जो अपने काय्शकत्ाशओ् के सिए िजग रहते है.् मुिायम सिंह यादव खुद उन्ही मे्एक है्बशत्​्ेउन्हे्मािूम तो हो. असखिेश भी उिी डगर पर है् और तो और सनचिे पायदान पर जो भी काय्शकत्ाश है और सदक्त् मे् है तो राजेद् ् चौधरी खुि कर िामने आते है.् यह गोरखपुर िमाजवादी पाट्​्ी का काम था सक वो अपनी िरकार को यह खबर देत.े नेता और काय्क श त्ाश के बीच की यह कडी अगर महफूज नही्रही तो दि तो भास्कगे ा ही, पूरे तंत्के सिए खतरा बन जायेगा. चिो िरकार को एक खत सिखा जाये सक गुंजेश्री प्​्िाद फटेहाि, दबे कुचिे िमाज की धरोहर है्और हम तमाम फटेहाि िोग िरकार िे अपीि करते है्सक गुज ं श े र् ी प्ि ् ाद को िखनऊ के डॉ राम मनोहर िोसहया अस्पाि मे्मे्भत्​्ी कराकर िरकार इनके इिाज का खच्श वहन करे. उमर! एक n ताव कागद तो सिआव .... शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 31


जिज्​्ापन पूजा व्​्त गुप्ता

त्​्र प्​्देश का सजिा फ्​्रफखाबाद. यहां की इमारते् और धरोहर ही नही्, घर-घर मे् सकये जाने वािे जरदोजी के काम ने भी इि सजिे की पहचान देश-सवदेश मे्बनायी है. यहां के खटकपुरा मोहल्िे मे्बना सफरदौि हिन का घर भी सपछिे चार दशको्िे जरदोजी हस्क ् िा की बेहतरीन कारीगरी का सठकाना रहा है. दो िाि पहिे सफरदौि के इंतकाि के बाद इि काम की पूरी सजम्मेदारी उनकी बीवी शमीमा और बेटे शासहद ने िंभाि िी थी. कसियो्वािे िहंग,े मंसदरो्मे्चढ्ने वािी पोशाके,् दरगाह पर चढ्ने वािी वािी चादरो्पर होने वािे जरदोजी के काम मे्शमीमा का मुकाबिा नही्था. आज भी वो अपने घर के आंगन मे् बैठी बहुत देर िे िुई मे् धागा सपराेने की कोसशश कर रही थी िेसकन धागा था सक हर बार उिकी आंखो्को धोखा देते हुए िुई के एक कोने िे सनकि जाता. शमीमा चश्मे को ऊपर नीचे करके एक बार िफर कोसशश करती िेसकन हर बार उिकी कोसशश बेकार ही जाती. सफर आंगन के दूिरे कोने मे्पढ्ाई कर रही शमीमा की बेटी तल्स्िुम ने जब अम्मी को बार-बार कोिशश करता हुआ

बार की तरह इि बार भी उन्हो्ने यही सकया था. िुई-धागा शासहद के हाथ मे्पकड्ाते हुए बोिी, ‘चि कर ये, खड्ा सकिसिए है और तबस्िुम तू पढ्ाई कर पढ्ाई, खबरदार जो उठी वहां िे.’ अम्मी का यूं हर बार तबस्िुम को िेकर बचाव करना शासहद को कतई पिंद नही् था, िेसकरन करता भी क्या? वो अम्मी जो ठहरी. इि घर मे् जहां हर कोई बेहतरीन कारीगर था तो िबिे अिग घर की छोटी सबसटया तबस्िुम ने कुछ और ही ख्वाब पाि सिये थे. इि बार वो 12वी् का इम्तेहान दे रही थ्ाी. एक जमाना था जब फ्​्रफखाबाद के नक्खाि, खटकपुरा, मसनहारी, गढी कोहना जैिे मोहल्िो्मे्बने घरो् मे् बच्​्ा-बच्​्ा िकड्ी के फ्​्ोि मे् किे कपड्े पर अपनी उंगसियाे् का जादू सबखेरता था िेसकन जब िे राज्य िरकार ने मुफ्त सशक्​्ा मुहैया करायी थी तब िे बच्​्ो् की आंखो् मे् जरदोजी के ि डजाइन के िाथ-िाथ ऊंची तािीम हाि​ि​ि करने के िपने भी पिने िगे थे. ऐिे ही दो ख्वाब तबस्िुम ने भी पाि सिये थे. एक तो कॉिेज जाना और दूिरा टीचर बनना. ‘अल्िाह जाने कैिे होगा अब? अगर यही चिता रहा तो सफर कोई और काम ही ढूंढ्ना पड्ेगा बेटा’ घर के बरामदे मे् बैठी शमीमा ने

बरकत देखा तो बोिी, ‘अम्मी मै् करं् क्या आके? तबस्िुम इतना कह ही पायी थी सक अम्मी के पाि खड्ा उिका बड्ा भाई शासहद हमेशा की तरह उिे िुनाने िगा.’ पूछ क्या रही है? जा, जाकर मदद कर अम्मी की. कुछ नही्रखा इन कॉपी सकताबो्मे्, बारवी्कर िे बि, सफर कोई पढ्ाई-सिखाई नही्होगी, सनकाह होगा सनकाह, िमझी.’ भाई की पढ्ाई को िेकर ये डॉॅट तबस्िुम पहिे भी कई बार िुन चुकी थी. वो जानती थी सक भाई को उिका पढ्ना-सिखना सबल्कुि पिंद नही् है. उनका बि चिता तो वो तो मदरिे के बाद उिे कभी स्कूि ही नही्भेजते, जैिा बड्ी बाजी के िाथ सकया था उन्हो्ने िेसकन अम्मी थी्जो चाहती थी्सक बड्ी सबसटया के िाथ जो हुआ िो हुआ िेसकन तबस्िुम कम िे कम बारवी्तो पाि करेगी ही. इिीसिए जब भी भाई की डांट िुनकर तबस्िुम का मुंह िटकता अम्मी उिका ही िाथ देती् और हर

32 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

जब आज दुखी मन िे अपने बेटे जासकर िे ये कहा तो वाे भी िोचने िगा था सक अगर ऐिा होता है तो वाकई आने वािे सदनो्मे्वो करेगा क्या? वो तो इतना पढ्ा-सिखा भी नही् सक जाकर कोई नौकरी कर िे, इिी उधेड्बुन मे् अम्मी और शासहद आगे आने वािे सदनो् की सचंता कर रहे थे. दरअि​ि हुआ यूं था सक जारदोजी के नये सडजाइन िाने के सिए शासहद को बड्े-बड्ेशहरो्की खाक छाननी पड्ती थी, सफर सजन बड्े शहरो् के शोर्म पर वो फ्​्रफखाबाद िे तैयार माि भेजता वहां िे कई बार उिका माि सरजेक्ट होकर इिसिए वापि आ जाता क्याे्सक उन्हे्सडजाइन पिंद नही्आते थे इिसिए शहरो्के व्यापारी चाहते थे सक और िोगो्की तरह अब शासहद भी कंपय् टू र के जसरये काम करे, इि​िे वो आिानी िे नये सडजाइन िच्शभी कर िकता है और अपने िेमप् ल्ि जल्दी िे जल्दी उनके पाि भेज भी िकता है. िेसकन कंप्यूटर िे काम करने की बात जब िे शासहद और शमीमा को मािूम चिी थी तो वे ये िोचकर परेशान थे सक अगर उन्हो्ने कंप्यूटर के जसरये जल्दी काम शुर् ना सकया तो उन्हे् और घाटा उठाना पड् िकता है और तो और शासहद िमझता था सक


आिपाि के कई घरो्मे्अब िै्पि भेजने और सडजाइन मंगाने का काम कंप्यूटर िे ही होने िगा है, सजि​िे अच्छा खािा मुनाफा भी होता है. िेसकन ये मुनाफा उिे तभी समिेगा जब वो भी अपना काम कंप्यूटर के जसरये करे. ये िोचते हुए उिके माथे पर सचंता की िकीरे्उभर आई थी्. ‘बेटा तो इि बार िे िेते है् कंप्यूटर’ परेशान शासहद को देखकर अम्मी ने कहा तो उिने ये कहते हुए बात काट दी सक ‘कंप्यूटर िे भी िे्अम्मी तो चिाना सकिको आता है?’ बात तो िही थी. घर मे्ऐिे कंप्यूटर आने का भी क्या फायदा? ‘मुझे आता है भाई जान, वो स्कूि के बाद जो एक घंटे देर मे्आती थी, तो कंप्यूटर ही तो िीख रही थी, स्कूि के पाि मे् एक िे्टर है, मेरी िहेसियां भी जाती थी उध्ार’ शासहद और अम्मी की बाते् िुनती तबस्िुम ने एक िांि मे् िब बोि सदया था, सबना ये िोचे सक उिने ये कंप्यूटर वािी बात पहिे तो अम्मी या भाई को बताई ही नही्थी और िब, खैर डर िे वो कमरे िे बाहर जाने को जैिे ही पीछे मुड्ी भाई और अम्मी दोनो्ने एक िाथ िवाि दाग सदया, ‘ऐिे कैिे िीख सिया कंप्यूटर? इिकी फीि के पैिे तो दूर घर िे िेकर नही्गयी’ ‘हम्म, फीि नही् िगती ना अम्मी, वो िरकारी योजना है ना, कौशि सवकाि योजना, बि उिी मे्सिखाया गया है.’ तबस्िुम बोिी. ‘फ्​्ी मे् सिखाया है? भाई ने एक बार सफर इब्तमनान िे पूछा.’ ‘हां भाईजान सबल्कुि फ्​्ी, मेरी िारी

िहेसियां भी तो वही्िीखी है्.’ ‘तो आता है तुझे कंपय् टू र?’ भाई ने चौ्कते हुए पूछा. ‘हां कोई मुस्शकि थोड्ी है और वो याद है एक बार पन्ने पर एक सडजाइन िायी थी िहंगे की कसियो्वािी? अरे वो वही्िे तो िायी थी सनकािकर, इटरनेट िे.’ तबस्िमु ने ये बताया तो शासहद और अम्मी सबना कुछ कहे बि एक-दूिरे को देख रहे थे. वो हैरान तो थे ही िेसकन खुश भी थे. अम्मी की आंखो्मे्बेटी को सजद िे तािीम हाि​ि​ि कराने की खुशी सदख रही थी तो भाई की आंखो् मे् बहन को हर वक्त तािीम के सिए टोकने की शस्मा्दगी. शासहद कंप्यूटर िे आया था. िेसकन िाने िे क्या होता? काम करना आये तो बात बने और शासहद तो कंप्यूटर पर काम का छोस्डये, माउि पकड्ने िे भी घबरा रहा था. ठीक वैिे ही जैिे कुछ िाि पहिे जब वो नया टीवी िाया था. शौक मे्िाहबजादे टीवी तो िे आये थे पर सरमोट को हाथ तक नही्िगाना चाहते थे. उि वक्त तबस्िुम ही तो थी सजिने धीरे-धीरे भाई और अम्मी को सरमोट िे टीवी चिाना सिखाया था. और आज भी कुछ वैिा ही हो रहा था, भाई के हाथो् मे् माउि देते हुए तबस्िुम बोिी, ‘अरे, आप एक बार चिाइये तो िही, देखना सकतनी जल्दी िीख जाये्गे, िबल्कुि मुस्शकि नही् है, बि रोज दो घंटे िीखना पड्ेगा हमारे िाथ’ ये कहते हुए वो मुस्कुराई तो शासहद को अपनी गिसतयो् का एहिाि हुअ था. सकतनी बार उिने तबस्िुम को पढ्ाई के सिए खरी-

खोटी िुनाई थी और आज उिी तािीम की बदौित वो शासहद के काम-काज को तरक्​्ी देने की कोसशश कर रही थी. काफी सदनो् तक तबस्िुम शासहद को कंप्यूटर चिाना सिखाती रही. दोनो् को रोज इि तरह देखकर अम्मी बेहद खुशी होती्, सफर एक सदन भाई के िाथ जाकर वो बाजार िे इंटरनेट के सिए एक डो्गि भी िे आयी थी. उिी रात उिने अम्मी और भाई को एक िाथ बैठाकर कंप्यूटर पर खूब िारे नये सडजाइंि सदखाये. शमीमा और शासहद इतने िारे िडजाइन्ि एक िाथ देखकर हैरान थे और बेहद खुश थी. उन्हे्िगने िगा था सक ऐिे तो उनका काम बेहद आिान हो जायेगा और हुआ भी यही था. धीरे-धीरे नये सडजाइन िे बने िहंगे, िस्डयां, िूट के िे्पि तबस्िुम की मदद िे वो घर बैठे ही बड्ेशहरो्मे्मेि करने िगे थे और कुछ घंटो्मे्ही जवाब पाकर नया काम भी शुर् कर देते. ‘तािीम का ही नतीजा है जो िािो्िे चिे आये काम मे्बरकत िे आयी है हमारी तल्बू. देखना बड्ी वािी मास्टरनी बनेगी एक सदन’ िहंगे की किी पर मोती टांकती अम्मी ने कहा तो कंप्यूटर पर काम करता हुआ शािहद हंिते हुए बोिा ‘हम्म, अब कॉिेज पढ्ने जायेगी तो मास्टरनी बन ही जायेगी.’ शासहद ने ये कहते हुए जैिे खुशी-खुशी तबस्िुम के आगे कॉिेज जाने पर मोहर िगा दी थी. तबस्िुम खुश थी और अम्मी रह-रहकर ऊपर वािे का शुसक्​्या अदा कर रही्थी्. बेटी की तािीम घर मे्बरकत िा रही थी. (सूचना एिं जनसम्पक्क जिभाग उत्​्ार प्​्देश द्​्ारा प्​्काजशत) शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 33


जिज्​्ापन िृषाली जैन

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िाि के जुनैब का ये ट्​्ेन का िफर बहुत भारी हो रहा था. मुंबईकाठगोदाम एक्िप्​्ेि के एिी कोच मे् भी उिे आराम नही् था. दादाजान ने रामपुर िे बुिावा भेजा था. सटकेट भी िाथ आयी थी. जुनैब का बचपन मुंबई की आिीशान बहुमंसजिा इमारतो्मे् ही बीता था. बहुत िाि पहिे दादा मुत्शजा अिी खान ने रामपुर मे् बिी-बिाई हवेिी और खेत छोड्कर बंबई मे् फिो् का कारोबार शुर् सकया था, सजिका नाम उनके अल्बा, गुिाम अिी खान के नाम पर गुिाम फू्ट्ि रखा गया था. बढ्ती उम्​्और जाड्ो्की याद का शायद कुछ िीधा-िा सरश्ता है. तभी तो फिता-फूिता गुिाम फू्ट्ि का कारोबार और पूरे पसरवार की सजम्मेदारी दादाज जुनैब के अल्बा के हाथो्िौ्पकर रामपुर िौट आये थे. 2 खासदम, एक ड्​्ाइवर, 1 मािी, पुरानी सकताबो्, पुरानी गजिे् और दादाजन के कुछ दोस्​्जो शामो्को अकेिा नही्होने देते थे. दादाजान ने इन िब िे ही िािो्िे खािी रोशन बाग की अपनी हवेिी गुिजार कर िी थी. जुनैब को यहां आने मे् कोई सदिचस्पी नही् थी. न सदन काटने का कोई सठकाना था न रात का आराम. अल्बा आते-जाते रहते थे यहां पर जुनैब नही्. ऐिा नही्था सक उनको दादाजान िे िगाव नही्था. बि उत्​्र प्​्देश के बारे मे्िुनी हुई बाते्, िफर रामपुर जैिी छोटी जगह और उि पर यहां का महशूर चाकू. जुनैब के सिए रामपुर का मतिब सिफ्फहथेिी-भर िंबा रामपुरी चाकू और उिका सफल्मो्मे्होता इस्​्ेमाि ही था. उिे क्या पता िरकारी हुक्म िे रामपुरी चाकू अब 4 इंची िे बड्ेबनते ही नही्. खैर, स्टश े न आया. अपनी सकताबो्िमेटता, बैग उठाता जुनबै स्टश े न पर उतरा तो ड्​्ाइवर-गाड्ी उिका इंतजार कर रही थी. बासरश हो चुकी थी. जुनैब अपना चश्मा ठीक करता हुआ गाड्ी मे् बैठा और अपनी एक सकताब खोिकर पढ्ने िग गया. उिको न इि शहर मे्सदिचस्पी थी न इिकी रंगत मे्. ‘बाबा आपका कि िे इंतजार कर रहे है.् पूरा हवेिी अइिन चमक्वाएं है्जैिे सबयाह हो रहा हो.’ ड्​्ाइवर रामदीन ने कहा तो जुनैब मुस्कुरा सदया. ‘आपका कमरा तो हम िोग कि समिके बुहार रहे. बाबा जबिे आयी गये है्, हवेिी सजंदा होई गयी है.’ अपने सिए हुई इन तैयासरयो्के बारे मे्िुन कर ही जुनैब को दादाजान की हथेसियो्वािी गम्ाशहट महिूि होने िगी थी. उिके सिए इतनी सशद्​्त िे इंतजार, उि​िे ऐिा िाड्सिफ्फउिके दादा ही कर िकते थे. होठां पर आयी मुस्कराहट थोड्ी और सखि गयी थी. स्टेशन िे घर का रास्​्ा 10 समनट का था. गाड्ी अब तक पीिी पड् चुकी जुनैब की उि हवेिी के िामने थी जहां वो कभी नही्आया था. जहां उिकी जड्े् थी्, जहां दादाजान थे और जहां की समट्​्ी की खुशबू उिकी िांिे्महकाने वािी थी. दादाजान दरवाजे पर ही खड्ेथे. खासदम, मािी िब उनके िाथ खड्े थे. रिोइये को खाि जिेबी और खस्​्े बनाने की सहदायत दी गयी थी. मुत्शजा अिी खान की सजंदगी का नूर पहिी बार उनकी हवेिी आ रहा था. जुनबै की गाड्ी अभी पूरी तहर अंदर भी नही्आ पायी थी और मुतज श् ा अिी खान की बाहे्पहिे ही खुि गयी थी्. ‘मेरा बच्​्ा! आराम िे आ गया न तू? रामदीन िही टाइम पर समि गया था न?’ डेढ्िाि बाद अपने पाेते को देखने की खुशी उनकी आंखो्मे्िाफ चमक रही थी. इि बार दादा कोई कमी नही्रखना चाहते थे. उन्हो्ने कुछ िोचकर जुनैब को यहां बुिाया था और वो मकिद खािी नही्जाने देता चाहते थे.

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ज़ुनैब का

जुनैब दादा की बांहो् मे् सफर वही 3 िाि का जुनैब बन गया था जो गोद मे्चढ्ने की सजद्​्करता था. दादाजान की खुशबू आती थी उनके उि सचकन के चाक-िुफेद कुत्े िे. भीगी िी िुबह मे् गाड्शन मे् ही टेबि िगवायी गयी थी. रामपुर की खाि िस्िी, मुगिाई समठाइयां, खस्​्ेऔर जाने क्या-क्या नाश्ता परोिा गया था. ‘दादाजान हम इतना खाये्गे कैिे?’ ‘नवाबो्के शहर मे्है्आप बरखुरदार! ऐिी बात करते है्.’ ‘नवाबो्का शहर िखनऊ है, रामपुर नही्.’ ‘ऐिी बात है? तो चसिए हम सदखाएंगे्यहां के नवाबो्का खाि बाग, नूर महि और रजा िाइब्​्ेरी भी.’ ‘िाइब्​्ेरी?’ ‘ऐिी वैिी िाइब्​्ेरी नही्, रजा िाइब्​्ेरी. मुगिो् के हजारो् दस्​्ावेज इि िाइब्​्ेरी मे्िहेज के रखे हुए है्.’ नाश्ता करते ही रामदीन िे कहकर गाड्ी सनकिवायी गयी. उि रोज दादाजान ने जुनैब को रामपुर अपनी आंखो्िे सदखाया था. रजा िाइब्​्ेरी के बेब्लजयन रंगीिे कांचो्मे्िे छनती धूप और बरिते बादि के बीच वहां के नवाबो्की, उनके किा के शौक की, तानिेन के खानदसनयो्के रामपुर दरबार का सहस्िा होने की, अच्छन महाराज जैिे महान कथक नत्शक के


रामपुर

रामपुर िे होने की और िन 1949 मे् रामपुर के भारत िे जुड्ने वािे पहिे शाही घराने होने की कहासनयो्ने दादा-पोते के वक्त को थाम सिया था. दादाजान अपने मकिद की ओर पहिा कदम बढ्ा चुके थे. जुनैब के िदि मे्अपनी सवराित, पुशत् ैनी घर जमीन के सिए इज्​्त पैदा करने का मकिद, उिे सकिी िे भी कम न आंकने का मकिद. उनका मानना था सक अगर सवराित की मोहल्बत िदि मे्जड्े्न िे, तो उिे खंडहर बनने िे कोई नही् रोक िकता. इि बार वो मुंबई एक बेहतर जुनैब भेजता चाहते थे. उनका पोता उनकी अि​िी समब्लकयत था, सजिके हाथो्मे्वो अपना बीता कि देकर अपना आने वािा कि िंवारना चाहते थे. जुनबै की कमजोरी थी्सकताबे्और कहासनयां. मुतज श् ा िाहब िे जानते थे और इिीसिए उन्हो्ने रामपुर को जुनैब के सिए कभी न भुिा पाने वािी कहानी बना सदया था. अगिी िुबह मुत्शजा िाहब जुनैब को अपने आम के बागो्मे्िे गये. पके आम की महक िे सफज्ा​ा गुिजार थी. कुछ 15 समनट चिने के बाद जुनैब ने वहां 15-20 बस्चचयो्को एक िाथ बैठे देखा. िवाि करने पर मुत्शजा िाहब बोिे, ‘ये आम के बाग मे् कामगारो् की बस्​्चयां है्. छुस्टयो्मे्यहां िरकारी स्कूि की टीचर दीदी िे कुछ नया

िीखने आती है्. कभी कोई कुछ सिख िाता है कभी कोई कुछ ड्​्ाइंग बना िाता है, िरकारी स्कूि मे्पढ्ती है्िब.’ मुत्शजा िाहब की आवाज मे्उनका इन बस्​्चयो्मे्गुर्र िाफ झिक रहा था. अगिे एक हफ्ते मे् जुनैब कई बार इन बस्​्चयो् िे समिने गया. उनको मुंबई की कहासनयां िुनायी्. उनिे रामपुर की कहासनयां िुनी. िोहरी-बन्नी भी िुने्. बड्ा मीठा गा​ाती थी्िच वो िब. जैिे-जैिे उिके जाने का सदन करीब आ रहा था, वैिे-वैिे जुनैब रामपुर के भी और करीब आते जा रहा था. उत्​्र प्​्देश के बारे मे् ताे उिकी िुनी िुनाई बाते् तब धरी रह गयी्, जब उिने जाना सक उनमे्िे हर िड्की एक िपना अपनी आंखो्मे्सपरो कर चि रही थी. सकिी को सि​िाई मे्अपना काम बढ्ाना था, सकिी को डाॅक्टर बनना था. सकिी को टीचर दीदी जैिी टीचर. दादाजान ने कहा था उि​िे, ‘हमारी पीढ्ी की तरह इन बस्​्चयो्को घर नही्छोड्ना पड्गे ा जुनबै . इनकी ऊंची तािीम के सिए जौहर अिी सवश्स्वद्​्ािय यही्रामपुर मे्है.’ जुनबै धीरे-धीरे ही िही सजंदगी का एक अिग पहिू देखना िीख रहा था. उिे कभी अपनी पढ्ाई-सिखाई, काम सकिी भी चीज के सिए कहां िोचना पड्ा था. यहां उिे एक ऐिी दुसनया देखने को समि रही थी जहां िड्सकयो् को अपने रास्​्े खुद बनाने के सिए रोज एक नयी जंग िड्नी थी. हािांसक दादाजान कह रहे थे सक िरकारी नीसतयो् के बदिाव के चिते हािात काफी बदि गये थे पर रास्​्ा बहुत िम्बा था. इन्ही् िड्सकयो् को देखकर जुनैब छाेटे-छोटे पिो् की खुसशयां िमझना िीख रहा था. उिे एक हफ्ते बाद याद आया था सक ये पहिी मत्शबा है जब उिने इतने िंबे वक्त तक ऑनिाइन अपने सकिी दोस्​्िे बात नही् की थी. कैमरे मे् बनावटी शक्िो् की बसनस्बत दादाजन की सदिाजीज तस्वीरे् थी्. वो तस्वीरे् भी थी् जहां िवेरे मािी काका बि बैठ के अपने िगाये पौधो्को सनहार रहे थे. जहां ड्​्ाईवर रामदीन आम के बाग मे्बैठा प्याज वािी कचोसरयां खा रहा था. जहां अपने कमरे मे् अकेिे बैठे दादाजान उिका और उिके अल्बा का बचपन पुरानी तस्वीरो् मे् सफर िे जी रहे थे. उि एक पि मे्जुनैब को दादाजान सकतने अकेिे थे और शायद तब ही वो िमझ भी पाया था सक क्यो्दादाजान के सिए रामपुर इतना जर्री है. उनका बचपन, उनका अपने भसवष्य को िेकर बढ्ाया पहिा कदम िब इिी समट्​्ी िे जुड्ेथे. जुनैब एक रोज आम के बाग वािी बस्​्चयो्, उनकी टीचर, खासदम, मािी, ड्​्ाइवर काका िबको िेकर प्िसै नटोसरयम चिा गया था. बड्ी मानमुरव्वत के बाद दादाजन भी िाथ गये थे. उि सदन जुनैब को खुशी बांटने का िही मतिब िमझ आया था. उन छोटे-छोटे चेहरो्पर जो तारो्-सितारो्वािी खुशी थी वो जुनैब के सिए िफ्जो्िे कही्ऊपर थी. तारो्का जादू िबके चेहरे पर िाफ था, और िाफ था दादाजान का जुनैब के ऊपर फक्​्, जो उन्हो्ने उिे गिे िगाकर िबको सदखा भी सदया था. आज जुनैब के वापिी का सदन है. इन 10 सदनो् मे् उिने ढेरो् यादे् िमेटी है्, खाि बाग, इमामबाड्ा, जामा मब्सजद और आम के बाग की बस्​्चयो्की िेकन इि िब मे्िबिे हिीन वो रजा िाइब्​्ेरी की शाम थी जो दादाजन के िाथ सकस्िो्मे्बीती थी और सकस्िे अभी खत्म भी कहां हुए थ्ो. स्टेशन पर उिे सवदा करते दादाजान िे कहा था उिने, ‘आप ख्याि रसखयेगा अपना. अगिे महीने िे छुस्टयां शुर् है् मै् सफर आऊंगा. अभी बस्​्चयो् के िाथ सफर एक बार प्िैनीटोसरयम (Planitarium) जाना है. नवाबो्के आैर िदिचस्प सकस्िे भी िुनने है्. ’ दादाजन ने अपने जुनैब को बांहो्मे्भर सिया था. आज उनका अपनी सवराित अपने पोते को िौ्पने का मकिद पूरा हो गया था. (सूचना एिं जनसम्पक्क जिभाग उत्​्ार प्​्देश द्​्ारा प्​्काजशत) शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 35


मास् कहानी ट हेड कहानी जजतेन ठाकुर

कु

त्​्ो् का िौ्दय्शशास्​् शायद मनुष्यो् के िौ्दय्शशास्​् िे बहुत सभन्न नही् होता. इिीसिए िडक पर मंथर गसत िे आगे बढती हुई उि जोडी को देख कर मकानो्के दरवाजो्, खुिे अहातो् और गिी के सकनारे िुस्ाते िोटसनयां िगाते और रात भर की थकान उतारते हुए कुत्े अचानक भौ्कने िगे थे. भौ्कते हुए कुछ कुत्े उनिे दूरी बनाकर कदमताि भी कर रहे थे, पर उन दोनो् पर इिका कोई अिर नही् था. वे दोनो् अपने ही मे्मगन धीरे-धीरे आगे बढते जा रहे थे. बंगािी बाडे मे् दुग्ाश पूजा के सिए मूस्तशयां बनाने का काम आरंभ हो चुका था. शहर मे् पहिे सिफ्फ बंगािी िमुदाय ही दुग्ाश पूजा का पंडाि िजाता था. पर अब सजि भी मोहल्िे मे् ज्यादा बेरोजगार नौजवान था. उन िब मे्दुग्ाश पूजा का चिन आरंभ हो गया था. परंतु शहर भर के पंडािो्के सिए मूस्तशयां बनाने का काय्श केवि बंगािी बाडे मे् ही होता था, जहां इि िमय भी छोटी-बडी, गढ्ी-अनगढ्ी बीसियो् मूस्तशयो्पर सदन-रात काम चि रहा था. मूस्तशयां बनाने वािे कारीगर काम के सदनो् मे् बंगािी बाडे मे् उठती गीिी समट्​्ी की िो्धी गंध के बीच ही रहते िोते और खाते-पकाते. आज भी सदन की शुर्आत करने के सिए ये िब कारीगर बाडे के ही बाहर िगे म्यूसनिपैसिटी के नि पर दातुन-कुल्िा करते हुए नहाने की तैयारी मे् ही थे सक उन्हो्ने िगातार भौ्क रहे कुत्ो् वािी सदशा मे् एक िाथ देखा. देखते ही उनके ओठो् पर मुस्कुराहट आ गयी और वे एक दूिरे िे नजर समिाकर हंिने िगे. वे बंगािी मे्कुछ बोि रहे थे और हंि रहे थे. हंि रहे थे और बोि रहे थे. िडके-िडकी की वह जोडी धीरे-धीरे उनके पाि आयी और उनके िामने िे गुजर कर आगे बढ गयी. सकिी ने सफर कुछ कहा और एक बडा ठहाका चारो् तरफ फैि गया, पर न िडके ने मुड कर देखा न िडकी ने. अिबत्​्ा कारीगर उि जोडी की पीठ को तब तक घूरते रहे जब तक सक गिी मुड नही्गयी. गिी के मोड िे कोई िौ गज की दूरी पर

गुलदस्​्े और बने बारात घर के बाहर भी इि िमय कामगारो् की भीड इक्​्ट्ा थी. रात की शादी िे सनपट कर वे िोग अपने-अपने घरो् को जाने की तैयारी मे् थे. तभी सकिी की नजर नुक्ड पर प्​्कट हुई इि जोडी पर पडी. वह कुछ देर हैरान नजरो्िे इन्हे्देखता रहा, सफर भद्​्ेतरीके िे सचल्िाया. उिकी सचल्िाहट िे चौ्क कर बाकी िोगो्ने भी उिी सदशा मे्देखा और उि जोडी को देख कर भौ्डे और भद्​्े तरीके िे हंिने िगे. जोडी अभी दूर थी और िडक खािी. भौ्कते हुए कुत्े गिी के नुक्ड तक इि जोडी को सवदा करके िौट चुके थे.

सहंदी और डोगरी के िुपसरसचत कसव और कहानीकार . प्​्कासशत कृसतयां: ‘चोर दरवाजा’, ‘दहशतगद्श’, ‘अजनबी शहर मे्’, ‘एक िच एक झूठ’, ‘शेष-अवशेष’, ‘उड्ान’, ‘नीिधारा’ और एक कसवता िंग्ह: ‘चंद िांचे चांदनी के’. दूरदश्शन और आकाशवारी के सवसभन्न के्द्ो्द्​्ारा कहासनयो् पर टेिीसफल्मो्और रेसडयो नाटको्का सनम्ाशर. Email: jitenthakurddn@gmail.com

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कामगार पूरी बेशम्​्ी के िाथ इि जोडी को देख रहे थे और हंि रहे थे. पर फाड देने की हद तक आंखे् खोिने के बाद भी उन्हे् न तो िडके के नाक-नक्श सदखिाई दे रहे थे और न ही िडकी के. िूरज इि जोडी के पीछे की इमारतो् िे उग रहा था, इिसिए मुंह पर ऐिी रोशनी भी नही् थी सक िब कुछ िाफ-िाफ सदखिाई देता. जो सदखिाई दे रहा था, वह सिफ्फ िवा चार फुट की दुबिी-पतिी िडकी के कांधे पर हाथ रखकर चिते हुए िाढे चार फुट के एक कािे िडके की काया थी. कांधे पर रखे हुए हाथ के स्पश्श िे अह्​्ासदत होकर शम्ाशती हुई िडकी जब हंिती तो कुछ पि के सिए उिके िफेद दांत जर्र सदखिाई देते. कभी सकिी कोर कर घूमने िे आंखो् की िफेदी भी सदखिाई दे जाती. बि इिके असतसरक्त वहां गहरे िांविे रंग के सिवा और कुछ नही् था. न नाक न ओ्ठ, कुछ भी स्याह चेहरो् िे अिग उभरे हुए नही् सदख रहे थे. अिबत्​्ा मैिे होने के बावजूद िडके और


गुलाब िडकी के बेहद चटख रंगवािे िाि, नीिेपीिे कपडो्की तीखी चुभन आंखो्मे्खुभ रही थी. यह मुमसकन ही नही्था सक कामगारो्की इि अिभ्य भीड के िामने िे गुजरते हुए िडके या िडकी ने उनकी भद्​्ी फब्लतयां न िुनी हो्. पर या तो वे दोनो् िचमुच इतने आत्मके्स्दत थे सक उन्हे्कुछ भी िुनाई नही्दे रहा था या सफर वे इि भीड की बेशम्​्ी िे बचने के सिए आत्मके्स्दत होने का असभनय कर रहे थे. पर दोनो्ही दशाओ्मे्वे अपने ही मे्खोये हुए और मगन सदखिाई दे रहे थे. िडके ने कामगारो्की इि ऊबड-खाबड भीड और उनकी फसबतयो् के बाद भी िडकी के कंधे िे हाथ नही् हटाया था. िडके ने शायद माहौि को अनुकूि बनाने और दश्ाशने के सिए कोई ऐिी बात कही थी सजि पर िडकी हंि कर शरमा गयी थी और उिके िफेद दांतो्और चमकीिी आंखो्का सिश्कारा कौ्ध गया था. इिके बावजूद िडकी की नाक

पर जडा हुआ पीति का िौ्ग और िडके के कानो् मे् झूिती बासियां उनकी चमकदार गहरी िांविी रंगत के आगे अब भी बेनूर ही बनी हुई थी्. अिस्िुबह ऐिी सकिी जोडी का यो् इि छोटे िे शहर की िडक पर समि जाना आम बात नही् थी. शायद इिीसिए हवाखोरी को सनकिे हुए बूढे इि जोडी को देखकर हैरत िे मुस्कुरा रहे थे और िाइसकि पर दूध िे भरी टंसकयो् को िाद कर घंसटयां टुन-टुनाते हुए दूसधये जहां तक बन पडा, मुड-मुड कर इि जोडी को देखते जा रहे थे. बस्​्े िाद कर घर िे सनकिते बच्​्ो्ने इन्हे्अजूबे की तरह देखा और सकिी फैशन शो मे्शरीक होने जैिी िजधज के िाथ कॉिेज जा रही िडसकयां इन्हे् देखकर मुस्कुरायी्, सफर नाक-भौ् सिकोडी और कुछ िोच कर शरमा गयी्. पर इि जोडी की चाि, भाव-भंसगमा और बीच-बीच मे् उभरती िडकी की सखिसखिाहट पर इन बातो् का कोई अिर नही्हुआ. अिबत्​्ा िडक पर झाडू िगाता और बेतरह धूि उडाता हुआ िफाई वािा इि जोडी के पाि आने पर ठीक उिी अंदाज मे्र्क गया जैिे सकिी शाही िवारी के गुजर जाने की प्​्तीक्​्ा कर रहा हो और दोनो्के आगे सनकिते ही सफर बेतरह धूि उडाने िगा. पोठोहारी बुसढया ने मकान के आंगन को छीज कर बनाई गयी छोटी िे दुकान के आगे अभी सतरपाि ताना ही था सक िडके ने उिे देख कर पहिी बार िडकी के कांधे िे हाथ हटाया और जेब िे बीि का नोट सनकाि कर उिकी िारी तहे्खोि दी्. पूरी िंबाई तक खुिे हुए नोट को शान िे सहिाता हुआ वह िकडी के आबनूिी काउंटर के पाि पहुंच गया, सजिके िामने वािे िारे शीशे दरके हुए थे. िडके ने पचाि-पचाि पैिे वािी दो टॉसफयां मांगी तो बुसढया का मुंह सबचक गया. सफर भी बुसढया ने मीठी आवाज मे् कहा, ‘भज्​्े नई् है् न पुत्र जी.’ ‘क्या?’ िडका कुछ नही्िमझा. ‘टुटे नई् हैन पुत्र जी.’ बुसढया ने अपनी बात को िरि बनाने के सिए एक शल्द बदि सदया और िडका िमझ गया. ‘चिो सफर चार टॉफी ही दे दो.’ िडके ने शहीदाना अंदाज और ऊंची आवाज मे्कहते हुए बीि का नोट काउंटर पर सबछा कर उि पर हथेिी फैिा दी. िडके को उम्मीद थी सक बुसढया एक र्पये के सिए न िही पर दो र्पये के सिए बीि का नोट जर्र तोड देगी. उिका अनुमान िही था. बुसढया ने पचाि पैिे वािी चार टॉसफयो्के िाथ अट्​्ारह र्पये िौटा सदये. िडके ने मुड कर एक टॉफी िडकी को दी, दूिरी अपने मुंह मे्डािी और

बाकी दो वक्त के सकिी और ऐिे ही दौर मे् समठाि घोिने के सिए जेब मे्रख िी्. िडके ने सफर अपना हाथ िडकी के कांधे पर रखा और दोनो्चि पडे. बुसढया कुछ देर उन दोनो् को जाते हुए देखती और मुस्कुराती रही. इि जोडी के बडी िडक पर आते ही पाि िे गुजरते एक ट्​्क ने कई बार बेवजह हॉन्श बजाया. टै्पो वािे ने टै्पो रोक कर शरारत िे पूछा, ‘कही्जाना है तो छोड दूं. एक िोडर ने ठीक इनके पाि पहुंच कर ढे़र िारा कािा धुंआ उगिा. पाि िे गुजरती एक स्कूि बि की सखडसकयो् िे झांकते हुए बच्​्ो् ने इन पर नजर पडते ही बेइंतहा शोर मचाना शुर् कर सदया और एक सिटी बि ने िारी मय्ाशदाएं िांध कर इनके ठीक पीछे पहुंच कर इतना तेज हॉन्श बजाया सक ये दोनो् घबराकर सकनारे हट गये. तब पहिी बार िडके ने गुस्िे िे बि के ड्​्ाइवर को घूरा और सफर उिी तरह िडकी के कांधे पर हाथ रखे हुए धीरे-धीरे आगे बढने िगा. पाक्फकी स्​्गि िगी हदे्शुर्होते ही बडेबडे िायेदार और कद्​्ावर दरख्तो् का सि​िसि​िा भी शुर् हो गया था. स्​्गि के पाि िे गुजरते हुए चटख रंगो्वािे्अनसगनत फूि उन दोनो्की आंखो्मे्भर गये. िडके ने क्​्र भर को िडकी की तरफ देखा और उिकी आंखो् की भाषा पढ िी. पर पाक्फ के अंदर पहुंच कर भी वह फूि तोडे नही्जा िकते थे. िडका हताश हो गया. पाक्फका बडा मुख्य द्​्ार बंद था पर उिके दोनो्ओर िगे दो छोटे प्​्वेश द्​्ार खुिे हुए थे. पाक्फ के इन प्​्वेश द्​्ारो् के िाथ ही एक फूि वािा िकडी के छोटे-छोटे िीढीनुमा रैक जोड

लडिे ने बीस िा नोट िाउंटि ि​ि पबछा ि​ि उस ि​ि हथेली रैला दी. लडिे िो उम़मीद थी पि बुपिया दो ऱिये िे पलए बीस िा नोट जऱि िोड देगी. कर अपनी दुकान िजा रहा था. फूिो् के ढेरो् गुिदस्​्े, टोकसरयां और सखिे हुए फूिो् की रंगीन कतारे्उन पर िजी हुई थी्. ‘सकतने िुंदर फूि है न.’ िडकी ने हिरत भरी दृस्ि िे फूिो् की उि दुसनया को देखा. िडकी की आंखो् मे् सफर वही अक्ि तैरने िगे थे जो कुछ देर पहिे पाक्फ के फूिो् को देखकर कर तैरे थे. िडके ने िडकी की आंखो्को सफर पढ सिया और बेचैन हो गया. ‘तुम अंदर चिो, मै् आता हूं.’ िडके ने क्​्र भर सठठका कर वापि मुडते हुए िडकी िे कहा. शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 37


मास् कहानी ट हेड

‘कहां जा रहे हो.’ िडकी अिमंजि मे् पढ गयी. ‘तुम चिो तो, मै्आता हूं.’ िडके ने कुछ जोर देकर कहा तो िडकी पाक्फके भीतर चिी गयी. िडका िौटकर फूिवािे के पाि आ गया और दुसवधा मे्कुछ पि मौन खडे़ रहने के बाद पूछा ‘फूि क्या भाव सदए?’ िडके ने आज तक िाग-िल्जी के ही भाव पूछे थे, इिसिए फूिो् के सिए क्या कहे, वह िमझ नही् पाया. पर फूिवािे ने िडके को िडकी के िाथ पाक्फ के प्​्वेश द्​्ारा की तरफ जाते हुए देख सिया था- इिसिए िमझ गया. ‘कौन िा चासहए?’ फूिवािे ने सदन के अपने पहिे ग्​्ाहक िे पूरे िम्मान के िाथ जानना चाहा. ‘बि एक फूि- गुिाब.’ िडका िंभि गया था और उिे िमझ आ गया था सक वह टोकरी भर फूि नही्खरीद िकता. ‘बीि र्पये.’ फूिवािे ने भाव बताया तो िडका चुप हो गया और सफर सनराशा िे बडबडाया, ‘बीि र्पये.’ चार टॉफी खरीदने के बाद िडके की जेब मे्अब सिफ्फअट्​्ारह र्पये बचे थे. इन अट्​्ारह र्पये मे् िे दि र्पये बचाना इिसिए जर्री था सक िडका पाक्फ मे् िडकी के िाथ मिािेदार चाय पीना चाहता था. शेष आठ र्पये भी एक िाथ खच्श कर देना अक्िमंदी नही्थी. कम िे कम पांच र्पये तो सकिी आडे िमय के सिए जेब मे् होने ही चासहए. बाकी तीन र्पये वह फूि पर खच्श कर िकता था. पर यहां तो शुर्आत ही बीि र्पये िे हुई थी. कुछ देर िोच मे्खडे रहने के बाद िडका बेहद सझझक िे हकिाते हुए बोिा, ‘तीन र्पये वािा कोई फूि है?’ दुकानदार इि िमय फूिो् की डंसडयां

उसिे िैिो़ िे िास िडी हुई प़लाल़टटि िी टोि​िी ि​िो़ िे ि​िाशे हुए पहट़सो़ औि रूलो़ िी िोडी हुई मुिझाई िंिुपडयो़ से भिी हुई थी. काट रहा था, पस्​्तयां तराश रहा था और फूिो् को ताजा बनाये रखने के सिए एक छोटी िी बोति के फुहारे िे उन पर ओि कोरो् जैिी पानी की नन्ही्-नन्ही् बूंदो् की फुहार कर रहा था. उिके पैरो्के पाि पडी हुई प्िाब्सटक की टोकरी पतो् के तराशे हुए सहस्िो् काटी गई नुकीिी डंसडयो् और फूिो् की तोडी हुई मुरझाई पंखुसडयो् िे भरी हुई थी. िडके का प्​्श्न िुनकर वह कुछ िोच मे् पड गया. सदन

की शुर्आत ही मे् िुबह के पहिे ग्​्ाहक का उपहाि करना या िौटा देना उिे ठीक नही् िगा. अचानक उिे कुछ याद आया और वह पैरो्के पाि पडी टोकरी मे्हाथ डािकर कुछ ढूंढने िगा. दुकानदार देर तक पैरो् के पाि पडी टोकरी मे् हाथ घुमाता हुआ कुछ ढूंढता रहा, पर जो वह चाहता था उिे नही् समिा. अंत मे् उिने पूरी टोकरी ही फश्श पर उिट दी. िबिे नीचे दब गया मुरझाया हुआ िुख्श गुिाब उभर कर ऊपर आ गया. िडके के प्​्श्न के बाद ही दुकानदार को फे्क सदये गये इि गुिाब का महत्​्व िमझ आया था और अब वह इि गुिाब को एक नयी नजर िे देखने के सिए कारीसगरी करने िगा था. दुकानदार ने बहुत नजाकत के िाथ गुिाब की पंखुसडयो्के ऊपरी िूखे सहस्िो्को अपनी पतिी िी तेज कै्ची िे काटा, उिकी डंडी को तराश कर पंखुसडयो्पर पानी की बेहद महीन फुहार डािी और सफर गुिाब पर चमकीिे िुनहरे कर सछडकते हुए उिे िडके की तरफ बढा सदया. गुिाब के उि फूि को पकडते हुए िडके का सदि खुशी िे धडका. फूि पर ओि करो् जैिी सटकी हुई पानी की नन्ही् बूंदो् को बहुत सहफाजत के िाथ सगरने के बचाता हुआ वह िौट कर उि जगह आया जहां िडकी उिकी प्​्तीक्​्ा कर रही थी. सखिे हुए चेहरे और चमकती हुई आंखो् मे् सवजयी भाव सिए हुए उिने एक खाि नजाकत के िाथ, सजिकी िमझ उिे आज, बब्लक अभी िे पहिे कभी नही्थी, वह फूि िडकी की तरफ बढा सदया. फूि देखते और पकडते हुए िडकी खुशी िे सचंहुक उठी. उिे िगा सक वह भीगे हुए िुख्श गुिाबो् के अथाह िमुद् मे् महक रही है. सफर गुिाबो्के इिी िुख्शिमुद्मे्तैरते हुए ये दोनो् आगे बढे और हवाखोर बूढो्के बीच िे गुजरते हुए पाक्फके घने िायेदार पेडो्के नीचे खो गये. अब वहां सिफ्फ गुिाब की महक शेष थीn पनीिी, पसवत्​्और पारदश्​्ी.

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साहहत् मास्यट/कहवता हेड प्​्कृजत करगेती युवा कसव और कहानीकार. सवसभन्न पत्​्-पस्​्तकाओ् और ल्िाॅग मे् रचनाएं प्​्कासशत. कहानी के सिए हंि युवा कथा पुरस्कार िे िम्मासनत. टेिीसवजन पत्​्कासरता िे जुड्ी है्. Email: prakritik7@gmail.com

टुकडे मंे जंगि हैरासनयां जब ख़त्म हो जाती है् और िगता है सक िब नीरि है िब उबाऊ है और सदन है्िदे हुए ऐिे वक्त के सिए एक टोटका रखा है अपने पाि एक सतसिस्म िा है एक टुकडा देवदार की िकडी का वह देवदार िे अिग होकर भीगा पडा था सकनारे उिे एक पहाड चढते उठाया था उिी मे्िारा जंगि िमाया था उि जंगि को िाथ िे आये उि िूखे टुकडे को सफर िे सभगोके िूंघ िेते है् वह सफर िे हैरान करता है वह सफर िे रि भरता है क्यो्सक उि मे्अब भी िारा जंगि महकता है

अठन्नी बि कंडक्टर ने जब नन्ही िी दो अठब्ननयां मुझे थमायी् िगा सक तुम बाज़ार मे्वापि आ गयी हो खुशी-खुशी तुम्हे्बटवे मे्डाि सदया अगिे सदन कुछ िोचकर तुम्हारे बदिे पनवाडी िे दो टॉसफ़यो्का िौदा करना चाहा पर ‘मैडम, पचाि पैिे नही्चिते’ कहकर उिने तुमिे पल्िा झाडा मै्ने िोचा अथ्शव्यवस्था के िमुद्के

सकिी और सकनारे तुम्हे्बहा दूंगी पर जूिवािे ने कै्टीनवािे ने और बाक़ी सकतनी िहरो्ने तुम्हे्वापि सकनारे धकेि सदया मै्ने भी तुम्हे्बटवे मे्वापि रख सदया अगिे सदन बि के िफ़र मे् तुम्हे्तुम्हारे तािाब मे्छोड आयी तुम्हे्भी एहिाि है सक तुम बि मे्ही तैर िकती हो अथ्शव्यस्वस्था का िमुद्तो तुम्हे्कब का नकार चुका है पर सफ़क्​्मत करो तुम्हारे िुप्त होने िे पहिे कई और सिके्तािाब मे्फे्के जाये्गे तब तक तुम समिती रहना मुझिे छुट्ो्के बहाने इिी तािाब मे्

मसनद मांि भरे मिनद िवारी पर सनकिते है् भागते है् गासडयो्को पकडने ठूंिते है्ख़ुद को पीिते है्औरो्को अंगूठी, पि्शकी चेन, बािो्की ब्किप और न जाने क्या-क्या िुइयां बना सनकािते है् और उधेडते है् एक-दूिरे की रेशेदार चमसडयां जब समिता है मौका बैठने का टूट पडते है् तशरीफ़ सटकाने और जब चूकता है मौक़ा हारकर िटक जाते है्है्डिो्के िहारे मिनद आराम देते है् मिनदो्को आराम कब था !

दबे पांव दबी-सपचकी उंगिी िे दबी हुई बात जैिे नया नाख़ून आता है दबे पांव पुराने को धकेिते हुए जमे ख़ून को ज़रा-ज़रा सखिकाते हुए सबन चीखे सबन सचल्िाये चुपचाप पुराना कही्खो जाता नया चमडी िे सचपक जाता बदिाव हमेशा यो्दबे पांव क्यो्नही्आता?

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मास् साहहत् ट हेयड

इंजिज़ार हुसैन उद़दू के अहम अफसानाजनगार थे. इसके साथ ही वे उद़दू और जहंदी साजहत़य के बीच एक मिबूि पुल की िरह थे. उनके अफसानो़ और उपऩयासो़ पर बौद़​़ िािक कथाओ़, कथा सजरत़सागर और अजलफ लैला की कहाजनयो़ का असर था. इंजिज़ार हुसैन का िऩम 21 जदसंबर 1925 को बुलंदशहर मे़ हुआ था. जवभािन के बाद वे पाजकस़​़ान िाकर लाहौर मे़ रहने लगे थे. उनके प़​़मुख उपऩयास ‘बस़​़ी’ और ‘आगे समंदर है’ जहंदी अनुवादो़ मे़ भी बहुि लोकज़​़पय हुए. उनकी कहाजनयो़ का पहला संग़ह 'गली कूचे' 1953 मे़ प़​़काजशि हुआ था. उऩहो़ने कई अनुवाद जकये और यात़​़ा संस़मरण भी जलखे. वे पहले पाजकस़​़ानी थे िो 2013 मे़ अंिरराष़​़ीय बुकर प़​़ाइि के जलए शॉऱदजलस़र हुए. उनका जनधन 93 वऱद की उम़​़ मे़ 2 फरवरी 2013 को हुआ. भारि और पाजकस़​़ान की साझा संस़कृजि के जलए िीवन भर सज़​़िय रहे इंजिज़ार हुसैन की स़मृजि मे़ उनके एक आलेख का कुछ संज़िप़ि ऱप यहां प़​़कािशि है, िो जहंसा और आिंक के मौिूदा माहौल मे़ कहानी की हालि पर रोशनी डालिा है.

शहरज्ाद के नाम इंजतज्ार हुसैन

न सदनो् मेरी कहानी मुब्शकि मे् है. जब सिखने बैठता हूं तो अदबदाकर कोई वारदात गुजर जाती है. खबर समिती है सक फिां मब्सजद पर दहशतगद्​्ो्ने हल्िा बोि सदया. मुहं पर ढाटे बांधे क्िाशसनकोफो् िे मुिल्िह दासखि हुए और नमासजयो्को भून डािा. या ये सक इमामबारगाह पर हमिा हो गया. दम के दम मे् मातमखाना मक्ति बन गया. या ये सक फिां िॉरी के अड्​्ेपर बम फट गया और आते-जाते मुिासफरो् के परखचे उड् गये. बि, जेहन परेशान हो जाता है. कहानी ‘सहरन’ हो जाती है और किम र्क जाता है. मगर सफर मै्िोचता हूं सक मै्क्या बेचता हूं और मेरी कहानी सकि सगनती मे्है! इि अजाब मे् तो िारी खल्कत मुल्तिा है. तशद्​्द का बोिबािा है. दहशतगद्​्ो्की बन आयी है. हमआप क्या सपि्​्ी क्या सपि्​्ी का शोरबा! उन्हो्ने तो िुपर पॉवर अमेसरका मे् जाकर ऐिा ऊधम मचाया और वो तबाही फैिायी सक पूरा अमेसरका त्​्ासह-त्​्ासह पुकार उठा और दुसनया मे्खिबिी मच गयी: ‘कूदा सतरे घर मे् कोई यूं धम्म िे न होगा वो काम सकया हमने सक र्सम् िे न होगा.’ जवाब मे् अमेसरका ने अफगासनस्​्ान की ई्ट िे ई्ट बजा दी. वो िेर, तो ये िवा िेर! ये नक्शे देखकर वो पुराने जमाने याद आते है् जब वहशी कबाइि अचानक उन शहरो्पर, जो तहजीब के गहवारे िमझे जाते थे, आन पड्ते थे और तहजीब के उन आसशयानो्को उजाड्देते थे. वो पुराने जमाने के वहशी थे. अब हम नयी बब्रश ीयत के जमाने मे्िांि िे रहे है.् खैर िे उिे टेकन् ोिॉजी की कुमक ु हासि​ि है. इि जोर पर उिने क्या जोर बांधा है सक पुराने वहशी नये वहसशयो्के िामने बच्​्ेनजर आते है.् एटम बम तो दूर की बात 40 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

है, उनकी पहुचं मे्तो क्िाशसनकोफ भी नही्थी. नये वहसशयो्को िाइंि और टेकन् ोिॉजी के िाथ एक और कुमक ु भी हासि​ि है- नजसरये की कुमक ु ! पुराने वहशी महज और सिफ्फवहशी थे. वहशत पर मुिम्मा चढ्ाना उन्हे्नही्आता था. हमारे नये जमाने के वहसशयो्ने अपनी वहशत को एक नजसरयाती शान अता करने मे् कमाि हासि​ि सकया है. दहशतगद्​्ी िे िेकर जंग तक, सहंिा की हर शक्ि के सिए कोई न कोई नैसतक औसचत्य पैदा कर सिया जाता है. कौमपरस्​्ी, नस्िपरस्​्ी, मजहब ऐिे तिव्वरु ात िे सहंिा को जोड्सदया जाये तो उनको एक नैसतक औसचत्य हासि​ि हो जाता है. अब अगर एक दहशतगद्शये कह कर नमासजयो्पर गोसियां बरिाता है सक ये मुि​िमान नही्, अस्ि मे्कासफर है,् तो सफर ये दहशतगद्​्ी दहशतगद्​्ी नही् रहती, िवाब का काम बन जाती है. तो हमारा जमाना खािी दहशतगद्​्ी का जमाना नही् है. नजसरये िे िैि दहशतगद्​्ी का जमाना है. अभी सपछिी िदी मे् ऐिा जमाना गुजरा है जब इंसकिाब के नाम पर हर सकस्म की सहंिा को जायज िमझा जाता था. अब मुि​िमानो् मे् ऐिे सगरोह िर उठा रहे है् जो इस्िाम का नाम िेकर दहशतगद्​्ी करते है.् वो इंसकिाबी सहंिा थी. इि सहंिा को क्या नाम सदया जाये? ऐिे मे्सिखने वािा क्या करे! नही्, मै्क्या करं,् मेरी कहानी क्या करे? एक वचन का िीगा मै्ने ये िोचकर इस्​्े’माि सकया सक अदब मे् िाझे फैि​िे नही् होते. हर सिखने वािा अपने फन, अपने तख्िीकी तस्​्िबे के सि​िसि​िे मे् अकेिा जवाबदेह होता है. मौत और तख्िीकी तस्​्िबा, उन दो के र्-ब-र्आदमी अकेिा होता है. मौत िे तो खैर हर शख्ि बशर का पािा पड्ता है. तख्िीकी तस्​्िबे की तनहाई अहिे-

फन की तकदीर मे्सिखी गयी है. तो जैिे हर फद्श मौत के र्-ब-र् अकेिा होता है, बि वैिे ही हर सिखने वािा अपने तख्िीकी तस्​्िबे के र्ब-र्अकेिा होता है. एक अदीब की हैसियत िे उिे बहुत िे फैि​िे अकेिे करने पड्ते है.् मगर बीिवी् िदी मे् जो नजसरयाती तहरीके् चिी्, उन्हो्ने अदब को िपेट मे् िे सिया. और कोई तहरीक जाती फैि​िे की इजाजत नही्दे िकती. इन तहरीको्के अिर मे्आने वािे अदीबो्को ये इजाजत कैिे समिती! और क्यो् समिती: ‘आह का सकि ने अिर देखा है.’ शेर व अफिाना का मुआमिा भी आह का-िा है और वो माशूक हो या जासबर हासकम हो, आह आम तौर पर बेअिर रहती है. सफर एक बात भत्शृहसर ने कही और इक़्बाि ने उिे


दोहराया: ‘फूि की पत्​्ी िे कट िकता है हीरे का सजगर/मद्​्े-नादां पर किामे-नम्श-ओ-नाजुक बेअिर.’ मूख्ो्पर कोमि बोि अिर नही्करते. ऐिी िूरत मे्नजसरयािाज और उनकी तहरीके्अदब पर एसतबार कैिे करती् और अदीबो् को खुिा कैिे छोड्ती्. तो अदीबो् के सिए िाझा प्​्ोग्​्ाम बनाये गये और सिखने के नये-नये नुसख ् .े ऐिा सिखो और ऐिे मत सिखो. िआदतमंद अदीबो् ने उनका कहना माना. जमाने के मिाइि पर बताये हुए नुस्खो् के मुतासबक समिजुिकर सिखा. मगर उि अदीब का भी अिर सकतना हुआ. सफर क्या हो? ...जि​िे, जुि​ि ू , अखबारी बयानात: यही आसखर को ठहरा फन हमारा. जंग के सखिाफ, एटमी धमाको् के सखिाफ, दहशतगद्​्ी के सखिाफ मुसहमे्चिायी गयी्. अदीबो्, दासनश्र् ो्ने अम्न-माच्शसकये, नारे िगाये, तक्​्ीरे्की्, अखबारी बयानात जारी सकये. अच्छा हुआ. जुलम् के सखिाफ आवाज तो उठनी चासहए. आह का अिर नही्होता तो सफर चीखो, नारे िगाओ. मगर मेरी कहानी सफर भी मुबश् कि मे्है. सतरे आजाद बंदो्की न ये दुनय् ा न वो दुनय् ा मै्तो कहानी ही सिख िकता हू.ं बि अपना तो इतना ही मक्दरू है. नारा नही्िगा िकता और कहानी न दहशतगद्​्ी और एटमी धमाको् के माहौि मे्सिखी जा िकती है न उनके सखिाफ नारो् के माहौि मे्, यानी दूिरी िूरत मे् भी कहानी तो नही् सिखी जायेगी, नारा ही सिखा जायेगा. मगर नारा तो िगाने की चीज है, सिखने की नही्. सिखा जायेगा तो खुद भी खराब होगा, शेर-अफिाने को भी खराब करेगा. अफिाने को

सजयाद, शाइरी तो ऐिी भी होती है जो नारे ही के जोर पर चमकती-गरजती है. मगर कहानी ऐिी छुईमुई है सक नारे का परछावां भी पड् जाये तो मुरझा जाती है. सफर कहानी क्या करे? एक तरफ जंग है, दहशतगद्​्ी है, बुन्यादपरस्​्ी है, एके-47 है. एटमी धमाके है,् नजसरयात है्सजनकी छतरी मे् ये िरगस्मयश ां नैसतक औसचत्य हासि​ि करती है.् दूिरी तरफ इिके सखिाफ नारे है्, तक्​्ीरे् है्. चके् का एक पाट वो, दूिरा पाट ये. चिती चक्​्ी देख के कबीरा रोया और मेरा किम र्क गया. दसमश्क मे्इि​िे भी बढ्कर हुआ था. वहां तो इश्क का बाब ही बंद हो गया था. ऐिी सकयामत का अकाि पड्ा सक यार इश्क व आसशकी ही भूि गये. मगर जहानाबाद मे् क्या हुआ? कबीर रोया था. िौदा ने जहरीिी हंिी की: ‘फाको् िे सहनसहनाने की ताक़्त नही् रही घोड्ी को देखता है तो पादे है बार-बार.’ मुगि शहिवारो्के तेज रफ्तार घोड्ो्का अब ये हाि हो गया था. उि उन घोड्ो्िे उनके हाि का कयाि कर िो. सदल्िी शहर एक हंगामे िे दो-चार था. िौदा ने उि घबराहट को बयान सकया और खुिािा यूं सकया: आराम िे कटने का िुना तूने कुछ अहवाि जम्इ्श यत खासतर कोई िूरत ही कहां है दुनय् ा मे् तो आिूदगी रखती है फकत नाम उक्बा मे् ये कहते है् कोई उिका सनशां है िो उि पर तयकुन् सकिी के सदि को नही्है ये बात भी गोइन्दा ही का महज गुमां है यां सफके-् मअीशत है तो वां दगदग-ए-हश्​्आिूदगी हफ्​्ीित न यां है न वहां है इि​िे मैन् े अपने ज़्माने पर कयाि सकया. एकजुट होने की िूरत कहां है. कही् नही्. िही कहा सक आिूदगी का तो बि नाम रह गया है. ये तो वही िौदा वािा जमाना वापि आ गया. उि​िे भी बुरा. नये बटमार, नये कज्​्ाक-डाकू िूटे है् सदन-रात बजा कर नक्​्ारा, नफरत का बोिबािा. हफ्​्े-मुहल्बत गायब, किामेनम्​्ोनाजुक बेअिर. कैिी शाइरी, कहां की कहानी. सदि मे् खि की बराबर जगह न पाये. कबीर रोया. िौदा ने तंज सकया. इधर किम र्क गया. अब मै्दुसवधा मे्हू.ं उिी सकस्म की दुसवधा जो दास्​्ानो्, कहासनयो् मे् वक्तन-फवक्तन मुसहम जो शहजादे को आ िेती है सक पीछे खाई, आगे िमंदर. सफर क्या सकया जाये. बि, अचानक ख्वाजा सखि्​् नुमदू ार होते है् सक मेरी उंगिी पकड् और चि. या कोई गैबी आवाज आती है सक तख्ती को पढ्और जो इिमे्सिखा है, उि पर अमि कर. मेरे पाि कौन-िी िोह है? हां-हां है. असिफ िैिा. मेरे पाि यही िोह है. िोह कहो, सफक्शन का इस्म-े आजम कहो. और ये अब कौन-िी आवाज आयी? जैिे िुनी हुई हो. अरे, ये तो असिफ िैिा के वरको्के बीच िे आ रही है. सबिकुि शहरजाद की आवाज है.

क्या कहती है? कुछ भी नही् कहती. न कोई सहदायत न कोई पैगाम. न कोई फल्िफा न कोई नजसरया. बि कहासनयां िुनाये चिी जा रही है. एक कहानी, दूिरी कहानी, तीिरी कहानी. सि​िसि​िा टूटने ही मे् नही् आ रहा. ए वजीरजादी, ए कहासनयो्की मसिका, ऐिे वक्त मे् तुम्हे् कहासनयो् की िूझी है! जान की खैर मांगो. ये िब रात-रात का खेि है. िुबह होने पर तुमह् ारी गद्नश होगी और जल्िाद की तिवार. ये िर भी उिी तरह किम होगा जैिे सपछिी ज़्लु म् की िुलह् ो्मे्सकतनी हिीनो्, महजबीनो्का तुमिे पहिे हो चुका है. शहरयार बादशाह ने अजब ढंग पकड्ा था सक रोज शाम को एक कुआ ं री को महि मे् िाता, रात उिके िाथ बिर करता, िुल्ह होने पर उिका िर किम करवा देता. शहरज़्ाद के िर मे्कौन-िा फोड्ा सनकिा था सक खुद अपनी मज़्​्ी िे बाप िे सजद करके डोिी मे्बैठी, उि मनहूि महि मे्आन उतरी. आकर उिने क्या सकया? कुछ भी नही् सकया. बि कहानी िुनानी शुर् कर दी. िुहागरात है और दुलह् न छपरखट पर बैठी कहानी िुना रही है. रात कहानी मे् बीत गयी. जब िुल्ह का तारा सझिसमिाया और मुग्े ने बांग दी, तो शहरज़्ाद बोिते-बोिते चुप हो गयी. बादशाह ने बेचैन होकर पूछा, ‘सफर क्या हुआ?’ बोिी, ‘अब तो िुलह् हो गयी. कहानी सदन मे्थोड्ा ही कही जाती है! कोई गरीब मुिासफर रस्​्े मे् हुआ तो रस्​्ा भूि जायेगा. रात हो जाने दो. सफर बताऊंगी सक आगे क्या हुआ.’ बादशाह ने सदि मे्कहा, चिो एक रात की मुहित और िही. कहानी पूरी हो िेने दे,् तो रात आयी और शहरज़्ाद ने कहानी जहां छोड्ी थी, वहां िे सिरा पकड्ा और िुनानी शुर् कर दी. मगर कहानी के बीच सफर िुल्ह का तारा सझिसमिाया. सफर मुगा्श बोि पड्ा और कहानी सफर एक नाजुक मोड्पर आकर थम गयी. सफर वही िवाि सक सफर क्या हुआ और सफर वही जवाब सक अब तो मुग्ेने बांग दे दी, िुलह् हो गयी. बाक़्ी बशत्-्े हयात रात को. इिी मे्राते्गुजरती चिी गयी्और कहानी िे कहानी सनकिती चिी गयी. हजार बार िुलह् हुई और हजार बार मुग्े ने बांग दी. एक हजार एकवी्रात मे्कही्जाकर कहानी खत्म हुई. मगर इि अि्​्ेमे्बादशाह का कायाकल्प हो चुका था. कहने वािे का भिा, िुनने वािे का भिा. शहरज़्ाद की जान बची िाखो्पाये. बादशाह ने औरतो्के कत्ि िे तौबा की और चैन पाया. तो ये थी असिफ िैिा की पैदाइश की वजह. मैन् े शहरज़्ाद के भेद को पा सिया. कहानी रात को इिीसिए िुनाई जाती है सक वक्त कटे और रात टिे. मै्भी एक िंबी कािी रात के बीच िांि िे रहा हू.ं इि रात का सरश्ता शहरज़्ाद की रातो्िे समिता है. तो गोया इि रात का भी तोड् शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 41


साहहत्य यही है सक कहानी कही जाये. जब तक रात चिे, कहानी चिे और इिी तौर पर जो शहरज़्ाद ने इब्खतयार सकया था यानी देखा सक इद्शसगद्श की फजा मे्खून की बू बिी हुई है. इंिानी जानो्की कोई कीमत नही् रही. कत्ि है्, दहशत और खौफ का िमां है. तब उिने इद्-श सगद्शिे जेहन् ी बेताल्िक ु ी का रवैया अपनाया और कहासनयो्की ऐिी दुनय् ा मे्सनकि गयी सजिकी फजा हासजर व मौजूद िे यक्िर मुख्तसिफ थी. मै्ने िोचा, चिो हम भी इिी राह पर चिते है् और उि दुसनया मे्सनकि जाते है,् जहां बि रात थी और कहानी थी. दास्​्ाने,् कथाएं, कहासनयां. गुि ने िनोबर के िाथ क्या सकया? हुसन् बानो ने हासतम िे क्याक्या िवाि सकये और हासतम क्या-क्या जवाब िाया? देव के सकिे मे् कैद शहजादी शहजादे को देखकर क्यो्रोयी और क्यो्हंिी? कुि​ि ै ा ने दमना को क्या निीहत की और दमना ने उिका क्या जवाब सदया? सजतने िवाि उतनी कहासनयां. हर कहानी जोसखम भरे िफर की सवपदा. झांककर बाहर देखा. अच्छा, सफतने की रात तो और िंबी सखंच गयी! तो सफर कहानी शुर् हो गयी. शहजादा वनो् की खाक छानता, नगर-नगर घूमता, खस्​्ाहाि एक सनरािे ही नगर मे् जा सनकिा. देखा सक एक बिंदोबािा सकिा है सजिके कंगरू े आस्मान िे बाते्करते है,् सकतनी खोपस्डयां उन कंगरू ो्मे्िटकी हुई है.् ये देखकर हैरान और परेशान हुआ. चिते-चिते एक बुजगु श्की िूरत नजर आयी. जल्दी िे उिके पाि पहुच ं ा और पूछा, ‘ए िासहब! ये कौन-िा नगर है और ये सकिा कैिा है सजिके कंगरू ो्मे् िर िटके हुए है?् सजनके िर किम हुए वो कौन थे? सजिने किम सकये वो कौन जासिम है?’ बुजगु श्ने उिे िर िे पैर तक गौर िे देखा. सफर यूं बोिा सक ए जवान! तू इि शहर मे्नया आया है. तेरी कमबख्ती तुझे इि शहर मे् िे आयी है. अपनी जवानी पर रहम खा और फौरन यहां िे सनकि जा. ये शहर कैमि ू है. सकिा ये शाहे-कैमि ू का है सक दुखत् र बद अख्तर उिकी महरअंगज े है. हुसन् वो पाया है सक दुसनया के िात पद्​्ो्मे्उिका जवाब नही्. पर अपने उम्मीदवारो् के सिए कठोर सदि हर उम्मीदवार िे िवाि करती है सक गुि िनोबर के िाथ क्या कर रहा है. शत्शिगा रखी है सक उम्मीदवार के सिए इि िवाि का जवाब िासजम है. िही जवाब दे सदया तो उिे अपना िरताज बनाऊंगी. न दे िका तो िर किम करा के सकिे के कंगरू े मे्िटकाऊंगी. सकिे की ड्​्ोढ्ी मे् िुनहरी चौब और नक्​्ारा रखा है. सकतने शहजादे आये. उन्हो्ने नक्​्ारे पर चौब िगायी. शहजादी के हुजरू मे्उनकी तिबी हुई. वही एक िवाि-गुि बा िनोबर चः करद?-अब तक तो सकिी िे जवाब बन पड्ा नही् है. बि, ये उन्ही् की खोपस्डयां है् जो तू 42 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

कंगरू ो्मे्िटका हुआ देखता है. शहजादे ने आव देखा न ताव. नक्​्ारे की तरफ िपका. बुजगु श्चीखता-सचल्िाता रह गया सक हाय ये क्या करता है? क्यो्अपनी हीरा-िी जान गंवाता है. उिने कुछ न िुनी. नक्​्ारे पर ऐिी चौब िगायी सक पूरा शहर गूज ं उठा. अहिेशहर ने दुहाई दी सक एक और जान गयी, एक और िर के किम होने की बारी आयी. मगर ये क्या हुआ? अचानक रोने-पीटने, चीखनेसचल्िाने की आवाजे्आने िगी्. इिाही खैर, ये

िहानी मे़ आपि​िी हऱफ िो शहिज़ाद ही है. शाइि िी इंपिहा है पि परिदौसी हो जाये. िहानीिाि िी इंपिहा ये है पि शहिज़ाद बन जाये. कैिा शोर है! कैिी कहानी, कहां की गुिोिनोबर, मुहल्िे मे् तो सकयामत मची हुई है. ए भाई क्या हुआ? दहशतगद्?श अरे, क्या कह रहे हो? दहशतगद्शयहां कहां िे आ गये? बि आ गये. ढाटे बांधे, एके-47 ताने मब्सजद मे् आन धमके. ठांय-ठांय, दम के दम मे्सकतने नमाजी खून िे िथपथ मब्सजद के िेहन मे्तड्पने िगे. िुनने वािे दहशतजदा रह गये. मेरे होश गायब, सदमाग मे्खि​ि. एक बुजगु श्ने ठंडा िांि भरा, ‘क्या जमाना आ गया है! मुि​िमान मुि​िमानो्का खून बहा रहे है्और खुदा के घर मे्आकर.’ दूिरे बुजगु श्ने दाढ्ी पर हाथ फेरा, ‘मै्नही् मानता सक ये मुि​िमान थे. मुि​िमान मुि​िमानो्पर गोिी नही्चिा िकता और सफर खुदा के घर मे.्’ ‘सफर कौन थे?’ एक नौजवान ने ग्सु ि ् े िे कहा. ‘दुशम् न के एजेट् ’, दूिरे बुजगु श्ने सवश्​्ाि िे कहा. ‘मौिाना’, नौजवान गुसि ् े िे कांपने िगा, ‘कब तक हम ऐिी बाते् करके अपने आपको धोखा देग् ?े ’ सफर बोिा, ‘मुि​िमान मुि​िमान पर गोिी नही् चिा िकता. मौिाना आपने शायद मुि​िमानो्की तारीख नही्पढ्ी है?’ ‘हां, अब कि के िड्के हमे्हमारी तारीख पढ्ायेग् !े ’ इि बहि ने मेरे सदमाग को और परेशान कर सदया. मै् उल्टे पांव घर आया. क्या करं,् कुछ िमझ मे् नही् आ रहा था. सदमाग परेशान था, तबीअत मे् बेचनै ी, मेिजोि ख़्ासतर कोई िूरत ही कहां है. महीनो् यही हाि रहा. कहानी का खयाि सहरन हो चुका था. सफर तबीअत इि तरफ आयी भी तो इि तरह सक गुि व िनोबर के सकस्िे िे मुझे वहशत होने िगी. मै्िोच मे्

पड्गया सक आसखर इिी कहानी की तरफ मेरा ध्यान क्यो्गया? क्यो्सिखने वािे के सिए मैन् े इिी कहानी को चुना जहां एक शहजादी दहशतगद्शबनी बैठी है. जो नौजवान मुहल्बत के जज्बे िे िरशार उिके िामने आकर िरेसनयाज खम करता है, ये उिका िर किम कर देती है. क्या इिका मतिब ये है सक हम पुराने दौर की तरफ भी जाते है्तो अपने दौर के अंगारे िाथ िेकर जाते है.् या ये मेरी कमजोरी थी सक मैन् े अपने जमाने की सहंिा भरी फजा िे रस्िा तुड्ाकर पुरानी कहासनयो् की दुन्या मे् अमन चाही, मगर इि पर ध्यान नही् सदया सक मेरे जमाने के अंगारे भी मेरी जात िे सिपटे-सिपटे मेरे िाथ वहां पहुच ं गये है.् मैन् े सफर शहरज़्ाद को याद सकया. उिने सकि कमाि िे अपने सदिो-सदमाग् को अपने इद्शसगद्श की सहंिा और दहशत की फजा िे आजाद सकया था और सकि तरह अपनी जात िे अपनी कहासनयो्को अिग सकया था सक उिकी िुनाई हुई कहासनयो को पढ्ते हुए ये गुमान तक नही्गुज़र् ता सक ये ऐिी शब्खियत की कल्पना की पैदावार है् सजिकी मौत चंद घस्डयो् के फासि​िे पर खड्ी उिका इंसतजार कर रही है. पता नही्, ये शहरज़्ाद का कमाि था या उन दास्​्ानगोयो्का सजनके िाझी कल्पना ने इि बेसमिाि सकरदार को जन्म सदया था. वो दास्​्ानगो कौन थे, उनका तो हमे् पता नही्. मेरे सिए तो शहरज़्ाद ही असिफ िैिा का मक्फजी सकरदार भी है और असिफ िैिा की रचनाकार भी. ग्ासिब ने अपने खुतूत मे् कही् कहा है सक शाइर की इंसतहा ये है सक सफरदौिी बन जाये. मेरे सहिाब िे कहानीकार की इंसतहा ये है सक शहरज़्ाद बन जाये. मैन् े एक बार सफर शहरज़्ाद की तरफ र्ख सकया और सकिकी तरफ देखूं, सकि​िे पूछूं? कहानी मे्आसखरी हफ्फतो शहरज़्ाद ही है. शाइर की इंसतहा है सक सफरदौिी हो जाये. कहानीकार की इंसतहा ये है सक शहरज़्ाद बन जाये. इि इंसतहा को और सकिने देखा है. मै्क्या खा के इि इंसतहा को छुऊगं ा. मगर आज्शूकरने मे्क्या हज्शहै. िो सफर इिी नीयत के िाथ कहानी सिखने बैठ जाता हू.ं मगर सफर वही सकस्िा, इिी तरह की खंडत. और अब मुझे एक खयाि और आया. जमाना तो तुमह् ारा पीछा नही् छोड् रहा, उि​िे कहां तक भागोगे? तो एक दफा ये कड्वी गोिी सनगि िो. यानी हमारे जमाने मे्जो कुछ हो रहा है, उि​िे भागो मत. पहिे इि िब कुछ को कबूि करो. सफर शायद इि​िे गुरज े की भी राह सनकि आये. तो अच्छा यूं ही िही. ये करके भी देख िे्. और आसखर मुझे ‘सजहाद’ थोड्ा ही करना है, कहानी ही सिखनी है, जब तक सिखी जा िके और जैिी भी सिखी जा िके. रात बाकी कहानी बाकी िो जब तिक बि चि िके, n िाग्र चिे, कहानी चिे!


सािहत् मास्यट/स्हेामीक् ड ्ा

अस्वीकार का दस्​्ावेज्

सत्​्ा के कवरोध मे्पुरस्कारो्की वापसी के पकरदृश्य को पेश करती यह ककताब एक उपलस्बध है. मुकुल सरल

इन पत्​्ो्का िंकिन और अन्य हस्क ्े प् कारी आवाज़्ो्का िंगह् करने का काम जन िंसक ् सृ त मंच, सदल्िी की और िे ‘नवार्र’ प्क ् ाशन ने सकया ुं य ने और इिे नाम सदया है ‘प्स्तरोध! िसहष्रुता के मुद्े पर िेखको्, किाकारो् और बुस्िजीसवयो् की है. िंपादन सकया है युवा कसव मृतय् ज पुरस्कार वापिी मुसहम के दस्​्ावेज़् ‘प्​्सतरोध!’ पर यह सटप्परी –फ़्ािीवाद के सखिाफ जारी िांस्कृसतक सवद्​्ोह के दस्​्ावेज़्’. इि सिखते िमय, उि हैदराबाद केद् ्ीय सवश्स्वद्​्ािय का एक होनहार दसित िंकिन मे् देश मे् बढ्ती अिसहष्रुता के सखिाफ पुरस्कार वापि करने छात्​्रोसहत वेमि ु ा इिी तरह की अिसहष्रतु ा का सशकार होकर अपनी जान वािे 117 कसव-िेखक, किाकार-स्फ़ल्मकार, इसतहािकार और गंवा चुका है. उिकी खुदकुशी को िेकर हैदराबाद िे िेकर देश भर मे् वैज्ासनको्के नाम है्, बीि िे ज्​्यादा मूि और अनूसदत पत्​्है्जो उन्हो्ने आंदोिन शुर्हो चुका है. देश ही नही्, दुसनया भर के िवा िौ िे असधक अपने िासहत्य, स्फ़ल्म और पद्​् पुरस्कार िौटाते हुए के्द्ीय िासहत्य बुस्िजीसवयो्और आध्यापको्ने इि मामिे मे्गहरी सचंता जताते हुए इि अकादेमी, अपनी राज्यो्की अकादसमयो्और राज्य और िरकार की अन्य घटना की कड्ी सनंदा की है. वसरष्​्िासहत्यकार अशोक वाजपेयी हैदराबाद िंस्थाओ्को भेजे. िासहत्य अकादेमी िे इस्​्ीफा देने वािे रचनाकारो्की यूसनवस्िशटी की ओर िे दी गयी डी-सिट्की उपासध वापि करने का ऐिान िूची है और राष्​्पसत, प्​्धानमंत्ी को सिखे गये िेखक िंगठन, कर चुके है् और सवडंबना यह सक इि िबके स्ख़िाफ़् भी उिी तरह का बुस्िजीसवयो् के हस्​्ाक्​्रयुक्त िामूसहक पत्​् भी है्. इसतहािकार रोसमिा कुब्तित असभयान शुर्हो चुका है जैिा हमने इि​िे पहिे सवद्​्ान सवचारक थापर और वैज्ासनक पीएम भाग्वश िसहत कई सवद्​्ान सवचारको्के महत्वपूरश् िाक्​्ात्कार है.् िाथ ही नोबेि पुरस्कार िौटाते हुए प्​्ोफेिर एम एम किबुग्ी, गोसवंद पानिरे, नरे्द् िात्श् और जसियांवािा बाग हत्याकांड के दाभोिकर और दादरी के सनद्​्ोष मुब्सिम स्ख़िाफ़् ‘नाइट’ की उपासध िौटाते हुए सिखा अख़्िाक की हत्या के सखिाफ चिे पुरस्कार गया गुर्देव रवी्द्नाथ टैगोर का ऐसतहासिक ख़्त वापिी असभयान को िेकर देखा. छात्​् रोसहत भी है. इन िबका एक जगह होना एक उपिब्लध वेमुिा की खुदकुशी पर िवाि उठाये जा रहे है्. है. उिका मज़्ाक उड्ाया जा रहा है. उिे कायर कहा ित्​्ापक्​्की ओर िे एक िवाि िबिे ज्य् ादा जा रहा है. के्द्ीय मंत्ी स्मृसत ईरानी और बंडार् और बार-बार पूछा गया सक ‘अभी क्यो्?’ इि दत्​्ात्​्ेय सबल्कुि उिी मुद्ा मे् है् जैिे पुरस्कार पुस्क मे्दज्शकई िेखक-बुस्िजीसवयो्के पत्​्मे् वापिी के िमय सवत्​् मंत्ी अर्र जेटिी और इि िवाि का जवाब समिता है. वसरष्​् कसव िंस्कृसत मंत्ी महेश शम्ाश थे. मनमोहन कहते है्, ‘पहिी बार शायद इि बात मोदी िरकार के मंत्ी उि िमय भी िेखको्के िंकेत समि रहे है्सक जैिे राज्य, िमाज और बुस्िजीसवयो्के प्स्तरोध को काग्ज़्ी क्​्ासं त कह रहे सवचारधारा के िमूचे तंत्के फ़्ासिस्ट पुनग्ठश न की थे, िेसकन िब िमझ िकते है् सक यह सकतना सकिी दूरगामी और सवस्​्ृत पसरयोजना पर काम ज़्र्री प्​्सतरोध था और इिी तरह ज़्र्री था इि शु र ् हु आ है.’ वैज्ासनक पी एम भाग्शव कहते है्, प्​्सतरोध का दस्​्ावेज़्ीकरर. तासक न केवि ‘क्यो्सक आज हमारे िोकतंत् मे् अिहमसत के ित्​्ापक्​्की ओर िे प्च ् ासरत झूठ और िवािो्का सिए ज़्रा भी जगह नही्बची है और मुझे अपनी िही जवाब सदया जा िके, बब्लक आने वािी पीढ्ी जब यह पूछे सक िाि 2015 मे् जब देश मे् प्​्रतिोि!- फ्ासीवाद के र्िलाफ् जािी सांस्कृरतक रवद्​्ोह अिहमसत व्यक्त करते हुए डर िगता है. हमारे अिसहष्रतु ा और सहंिा बढ्रही थी, असभव्यब्कत की के दस्​्ावेज्. जन संस्कृरत मंच, रदल्ली के रलए नवार्ण पाि अिोकतांस्तक िरकार है जो सहंदू पुनर्त्थानवासदयो्की धुन पर नाच रही है.’ स्वतंत्ता पर हमिे हो रहे थे, िोगो्के खाने-पीने, द्​्ािा प्​्कारशत, मूल्य- 100 र्पये ‘िेखक-बुस्िजीवी राजनीसत कर रहे है?् ’ यह िवाि भी िबिे ज्य् ादा पहनने को िेकर भी उन्हे् सनशाना बनाया जा रहा था, उि िमय हमारे िेखक-बुस्िजीवी कहां थे, क्या कर रहे थे, तो उिके िामने एक स्पि्​् उठा. इि िवाि का िही जवाब हमे्इि पुस्क मे्दज्शमराठी के वसरष्​् आिोचक हसरि्​्ंद् थोराट के वक्तव्य मे् समिता है, ‘मेरा सकिी भी और आसधकासरक दस्​्ावेज़्हो. ित्​्ापक्​्ने जनमानि मे्यह ग्ितफ़्हमी फैिाने का पूरा प्य् ाि सकया राजनीसतक दि िे कोई भी िंबंध नही्है. पुरस्कार िौटाने का मेरा फ़ै्ि​िा सक यह मोदी िरकार के सखिाफ एक प्​्चार है, एक िास्ज़श है. िेखक- व्यब्कतगत है. ऐिा होते हुए भी मेरा यह काम राजनीसतक है, यह मै् श् कहना चाहता हू.ं राजनीसतक काम करना मात्​्राजनीसतक दिो् बुस्िजीसवयो्का पूरा पक्​्जनता के िामने न आने पाये इिके सिए भी पूरे दृढत् ापूवक का एकासधकार नही्है.’ स्फ़ल्मकार िंजय काक कहते है्, ‘तो यही ठीक प्​्याि सकये गये. प्​्चार-प्​्िार के तमाम िाधनो्, स्​्पंट और इिेक्ट्ॉसनक िमय है जबसक उन्हे् खुिेआम कहना चासहए सक हां, हम राजनीसत कर मीसडया के बावजूद व्यापक िमाज के िामने पुरस्कार वापि करने वािे चुसनंदा िेखक-बुस्िजीसवयो्के नाम ही आ िके. उनके सवचार तो बेहद ही रहे है्- और यह कोई अपराध नही्है.’ इि बहि और दस्​्ावेज़्का िबिे कम िामने आये. हम िोगो् के िामने सहंदी के चुसनंदा कसव-िेखको्, अहम िवाि इि पुस्क मे्िबिे पहिे दज्शिेसखका अर्ंधसत राय का है. बुस्िजीसवयो्का पक्​्आया और वह भी आधे-अधूरे र्प मे्. देश के अन्य वे अपने पत्​्मे्कहती है,् ‘इंिानो्की पीट-पीटकर हत्या, उन्हे्गोिी मारने, सहस्िो्के िेखक-बुस्िजीवी इि बारे मे्क्या िोचते है्, उनकी सचंताएं क्या जिाकर मारने और उनकी िामूसहक हत्या के सिए ‘अिसहष्रुता’ ग्ित n शल्द है.’ है्, यह िब तो हमारे िामने आ ही नही्िका.

शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 43


मास् यायावरी ट हेड पूजा जसंह

धरती के नीचे एक धरती

चपन मे् मां कहा करती थी सक जमीन पर जोर िे मत कूदो. धरती के नीचे एक और दुसनया है जहां हमारे जैिे ही िोग अपनी दुसनया मे् रहते है्. हम जानते थे सक मां शायद ऐिा इिसिए कहती होगी सक कही्जोर िे कूदने पर हमे् चोट न िग जाये. िेसकन धरती के नीचे वाकई एक दुसनया है, उि​िे हमारा पसरचय हुआ पातािकोट मे्. सछंदवाड्ा सजिे की तासमया तहिीि मे् ितपुड्ा पहासडय़ो् की गोद मे् बिा पातािकोट. िमुद् ति िे 3,000 फीट ऊपर िेसकन धरती की ितह िे यह 1000-1700 फुट की गहरायी मे् बिे 12 गांवो् का एक िमूह. महज कुछ दशक पहिे तक बाहरी दुसनया के सिये इि क्​्ेत्का अस्​्सत्​्व तक नही्था. िेसकन अब हािात बदि रहे है्. जब िरकार ने यहां दस्​्क दी तो जी्ि और मोबाइि जैिे सवकाि के अन्य प्​्तीक भी यहां पहुंचने िगे. अब यह कोई अजूबा नही् रहा िेसकन पातािकोट मे्अभी भी यह सखंचाव बाकी है सक आप वहां जाये् तो शायद बाहरी दुसनया की याद आपको न िताये. वष्ाश के मौिम मे् पातािकोट का िौ्दय्श अनुपम हो जाता है. हसरयािी िे आच्छासदत ऊंची पहासडय़ो् िे नीचे घाटी मे्बिे गांव ऐिे नजर आते है्मानो मासचि की सडब्लबयां रख दी गयी हो्. इन गांवो् मे् मूितया गो्ड और भासरया आसदवािी रहते है्. तमाम िरकारी दखिंदाजी के बावजूद उन्हो्ने बहुत हद तक अपनी आसदम िंस्कृसत को बचाये रखा है. मध्य प्​्देश मे् पातािकोट पहुंचने के दो रास्​्ेहै्यसद आप सछंदवाड्ा की ओर िे आते है् तो यह सजिा मुख्यािय िे 62 सकमी दूर पड्ता

सभी फोटो: पूजा रसंह

है. यसद आप राजधानी भोपाि की ओर िे आते है्तो तासमया तहिीि िे करीब 20 सकमी भीतर पातािकोट का इिाका शुर्होता है. यूं तासमया का प्​्ाकृसतक िौ्दय्श भी कम मनमोहक नही् िेसकन िरकारी उपेक्ा के चिते पय्टश को्का पूरा िाभ नजदीक ब्सथत सहि स्टेशन पचमढ्ी को गांवो् मे् आने-जाने के रलए सीर्ढ़यां: सुगम बना दुग्गम

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समिता है. अगर आपको एक िाथ इन दोनो् जगहो्पर जाने का मौका समिे तो आप देख और िमझ पाये्गे सक तासमया-पातािकोट का िौ्दय्श सकतना नैिस्गशक है और भीड् ने सकि तरह पचमढ्ी के िौ्दय्श को िगभग छीन सिया है. भोपाि की ओर िे पातािकोट जाते िमय मटकुिी िे दो रास्​्े कटते है्. एक पचमढ्ी की ओर जाता है जबसक दूिरा तासमया और पातािकोट की ओर. पहाड्ी रास्​्ो् के िस्पशिाकार घुमाव और ितपुड्ा की पहासडय़ां और िगा हुआ वन क्​्ेत् न तो थकान महिूि होने देते है् और न ही िमय बीतने का कोई अहिाि होता है. सजि िमय हम तासमया िे पातािकोट की ओर बढ् रहे थे. सवसभन्न प्​्जासतयो् के बंदरो् ने िड्को् पर यूं डेरा डाि रखा था, मानो वही उनका सठकाना हो. आतेजाते वाहनो् िे उनको कोई भय नही् था, हां वे उत्िक ु तावश गासडय़ो्के भीतर अवश्य झांक िेते थे. मुझे याद आया कसव कथाकार उदय प्​्काश ने िड्क पर बैठे उदाि बंदरो् को देखकर एक बार कहा था, 'इनकी उदािी देखकर िगता है मानो हमारे अंधे सवकाि िे त्​्स्होकर ये वानर िामूसहक आत्महत्या के इरादे िे राजमाग्​्ो्पर आ बैठते है्.' पातािकोट सजन 12 गांवो्िे समिकर बना


सतपुड्ा पहाकड्यो्की गोद मे् बसा पातालकोट. हकरयाली से आच्छाकदत ऊंची पहाकड्यो्से नीचे घाटी मे्बसे गांव ऐसे नजर आते है्मानो माकचस की कडस्बबयां रख दी गयी हो्. इन गांवो्मे्गो्ड और भाकरया आकदवासी रहते है्.

गहिी घाटी मे् पातालकोट: आरदम आवास है उनके नाम है्- घटसिंगा गुढ्ीछत्​्ी, घाना कोसडय़्ा, िुखाभंड-हरमुहुभंजिाम, कारेआम, रातेड्, सचमटीपुर, जड्-मांदि, घर्ाशकछार, खमारपुर, शेर पंचगेि, मािती-डोसमनी और गैिडुलब् ा. गैिडुलब् ा इन गांवो्के बीचो्बीच ब्सथत है. पातािकोट के िबिे सनचिे सिरे पर पहुंचने के बाद अगर आप ऊपर देखते है् तो िगता है सक सवशािकाय पव्शतो् की दीवारो् ने आपके इद्शसगद्शतंबू तान रखा है. पातािकोट घाटी को दुि्ी नदी दो सहस्िो्मे् बांटती है. इि नदी मे्भी अब कहने भर को पानी रह गया है. बढ्ते मानवीय हस्​्क्ेप ने नदी तो नदी, पातािकोट घाटी के गांवो्मे्मौजूद पहाड्ी झरनो् और जि स्​्ोतो् को भी बहुत हद तक नुकिान पहुच ं ाया है. ये झरने सकिी भी िमय बंद हो िकते है.् अगर ऐिा हुआ तो स्थानीय आबादी के सिये पानी का असवश्​्िनीय िंकट पैदा हो जायेगा क्यो्सक वे अपनी िभी जर्रतो् के सिये इन झरनो् पर ही सनभ्शर है्. पातािकोट की जैवसवसवधता एक िमय अतुल्य हुआ करती थी. मानवीय गसतसवसधयो् के इजाफे के चिते प्​्ाकृसतक जड्ीबूसटयो्और जैव सवसवधता के कुि भंडार का तकरीबन 50 फीिदी सहस्िा नि्​्ï हो चिा है. पातािकोट के नाम पर कई आयुव्ेसदक दुकाने्खूब चि रही है्. सजतने मुंह, उतनी बाते्

आपको यहां िुनने को समिे्गी. कोई आपको ऐिी चाय सपिाने का दावा करेगा सजिे पीने के बाद िाि भर िर दद्श नही् होगा तो कोई दूिरा आसदवािी आपको ऐिी दवा देगा सजिकी एक खुराक मे् ही सपत्​् की पथरी छूमंतर हो जाएगी. िेसकन हम जैिे आम शहसरयो् के सिये इन आसदवासियो् द्​्ारा सकये जाने वािे दावो् मे् भी ऐिी मािूसमयत सछपी थी सक हम मुस्कराये सबना नही्रह िके. स्थानीय आसदवासियो्जासतयो्मे्गो्ड और भासरया प्​्मुख है्. िसदयो् तक पातािकोट मे् केवि तीन प्​्जासतयां रही्- गो्ड, भासरया और प्​्कृसत. यही वजह है सक ये दोनो् िमुदाय एक दूिरे पर अत्यसधक सनभ्रश है.् यद्स्प इन िमुदायो् के बीच आपि मे् सववाह िंबंध आज भी नही् होते. ऐसतहासिक र्प िे गो्ड मानवीय िंपक्फमे् पहिे आये. यह बात उनके रहन-िहन और आचार-व्यवहार मे् भी िाफ नजर आती है. भासरया िोगो् की तुिना मे् गो्ड पसरवार शहरी िभ्यता िे कही्असधक प्​्भासवत है्. हां, घाटी के एकदम सनचिे छोर पर अभी भी मानवीय स्पश्श थोड्ा कम है, सजिने उि जगह की नैिस्गशकता को बरकरार रखा है. चारो् ओर पहाड्ो् िे सनकिती जिधाराओ् का पानी जब वृक्ो् िे अठखेसियां करता हुआ नीचे टपकता है तो ऐिा िगता है मानो अमृत वष्ाश हो रही हो. पातािकोट के आसदवासियो् िे समिकर

िमेश रबल्लोिे: पातालकोट मे् घि

आप िही मायनो्मे्िमृबद् घ के अथ्शजान पायेग् .े अभी भी कागजी नोटो् पर उनकी सनभ्शरता उि कदर नही् है सजि कदर वे प्​्कृसत पर सनभ्शर है्. बाहरी दुसनया िे िंपक्फ कम होने के कारर उनको र्पये की उतनी हवि अब भी नही् है सजतनी शहरी िोगो् को. उन्हे् सिंचाई के सिये पानी समि जाये तो वे अपने अन्न उत्पादन िे प्​्िन्न है्. खाने को भरपेट भोजन है, आिपाि फिफूि है,् और भिा क्या चासहये? वनोपज पर असधकार ने इनकी कई सदक्​्ते्दूर कर रखी है्.

देश के अन्य इिाको् की तरह सवकाि ने यहां भी दस्​्क दी. िरकारी अमिा आया, नापा-जोखी हुई. िामुदासयक भवन, िरकारी अस्पताि और सवद्​्ािय बन गये िेसकन उिके बाद िब ठप. िरकारी नजर िे देसखये तो पातािकोट बहुत सदिचस्प नजर आता है. जहां सवकाि की सजतनी ज्यादा िंभावना है वहां उतनी ही ज्यादा धनरासश आती है. सजतना ज्यादा धन होगा, उिका बंटवारा भी उतने ही उदार तरीके िे होगा. िड्के्बन गयी्है्िेसकन स्थानीय िोगो् के सिये वे बेमानी है्. िड्को्पर फर्ाशटे िे भगाने के सिये उनके पाि वाहन नही् है् िेसकन पहासडय़ो्पर बनी पगडंसडयां उन्हे्िंबी दूरी को कम िमय मे् तय करने मे् अवश्य मदद करती है्. स्थानीय अस्पतािो् और सवद्​्ाियो् मे् सचसकत्िक और सशक्​्क दोनो् का अभाव बना हुआ है. भिा इि बीहड् इिाके मे् जायेगा भी कौन. असधकांश सवद्​्ाियो् मे् सशक्​्को् ने स्थानीय पढ्े सिखे िोगो् को भाड्े पर अपनी जगह सवद्​्ािय मे्पढ्ाने को सनयुकत् कर रखा है. सचसकत्िको् का कोई सवकल्प नही् है इिसिये िरकारी अस्पतािो् मे् तािा िगा रहता है. ऐिे मे् पुरातन िमय िे इिाज कर रहे भूमका ही आसदवासियो्के पाि बीमारी िे बचने या इिाज का इकिौता िहारा है.् पारंपसरक तौर पर भासरया ही भूमका होते है्. जड्ी बूसटयो्को िेकर भासरया आसदवासियो्के ज्​्ान की बराबरी कर पाना िहज नही् है. यह िसदयो् के अनुभव का सनचोड् है. िेसकन अब इनमे्भी जानकार िोग कम बचे है्. शहरी हवा ने इि पारंपसरक ज्​्ान को भी प्​्दूसषत सकया है. गैिडुल्बा मे्बने भारत ज्​्ान सवज्​्ान िसमसत (बीजीबीएि) के असतसथगृह मे्हमे्समिे अपनी तरह के यायावर और िेखक रमेश सबल्िोरे. शुर्आती दौर मे् नम्शदा बचाओ आंदोिन के िस्​्कय काय्क श त्ाश रहे रमेश सबल्िोरे सपछिे काफी िमय िे पातािकोट मे्रह रहे है.् सबल्िोरे कहते है्, 'कई सचसकत्िकीय पौधे और जड्ी बूसटयां ऐिी है्जो केवि पातािकोट मे्ही पाये जाते है्. कारोबारी मानसिकता वािे कई िोगो् ने इि तथ्य का खूब फायदा भी उठाया है. इन जड्ी बूसटयो् तक आिान पहुंच िुसनस्​्ित करने के सिये िोगो्ने दुग्शम गांवो्के कई सहस्िो्को नि्​् कर सदया. इि दौरान जमकर वृक्भी काटे गये. इिके बदिे आसदवासियो् को छोटे-छोटे रेसडयो दे सदये गये. वे इन रेसडयो को बजाते नही् थे बब्लक इनिे होने वािे शोर िे वे जंगिी जानवरो् को दूर रखने का काम करते थे.इि बात ने पातािकोट की स्थानीय िंस्कृसत को जबरदस्​् नुकिान पहुंचाया.' पातािकोट के अंदर्नी गांवो् मे् जाने का पहिे कोई रास्​्ा नही् था. आसदवािी अपने अनुभव और िसदयो् िे बनी पगडंसडयो् के शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 45


मास् यायावरी ट हेड

बंदिो् का उदास झुंड: सड्क पि आम दृश्य

िहारे नीचे जाया करते थे. िरकार ने पहिे इन गांवो् मे् जाने के सिये िीसढय़ो् का सनम्ाशर सकया और अब तो काफी हद तक िड्क का सनम्ाशर भी कर सदया गया है. पातािकोट के पारंपसरक हाट भी कम सदिचस्प नही् है्. शहरी िोगो्के सिये तो ये हाट आसदवािी िंस्कृसत के दीदार का बड्ा अविर है.् हाट के सदन आसदवािी अपने दूरदराज गांवो् िे बाहर सनकिते है् और अपनी वनोपज बेचकर जर्रत का िामान खरीदते है्. अपनी पातािकोट यात्​्ा के दौरान हमने भी गैिडुल्बा को अपना के्द् बनाया और सफर सनकि पड्े प्​्कृसत की गोद मे्. कारेआम और राजाखोह िव्ाशसधक दुग्शम और खूबिूरत जगहे्है.् कारेआम जाकर यह यकीन हो गया सक जर्र एक वक्त ऐिा रहा होगा जब यहां सदन मे् िूरज की रोशनी नही् पहुंचती होगी. आम के वृक्ो् का झुटपुटा और आिपाि झरनो् की झरझर. इनका िाथ देती ऐिे पस्​्कयो्की िुरीिी

46 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

गैलडुब्बा गांव का एक भारिया परिवाि: यह ि​िती हमािा घि

आवाजे् सजनको अन्यत्​् कही् देखना-िुनना दुि्शभ है्. वही् राजखोह की तो बात ही सनरािी है. ऊपर िे देखने मे् सकिी सवशािकाय कटोरे िा राजाखोह. उिके आिपाि सवशाि ऊंचाई वािे जाने-पहचाने वृक्और जड्ीबूसटयां. ये जाड्ो्के सदन थे और खुद राजाखोह और गैिडुल्बा के तापमान मे्चार-पांच सडग्​्ी का अंतर महिूि हो रहा था. सवशािकाय राजाखोह, नदी का सनझ्शर जि, झरनो्की आवाज, पस्​्कयो्का किरव और औषधीय जड्ी बूसटयो् की गंध, ये िब समिकर ऐिा दृश्य रच रहे थे सजिे शल्दो् मे् व्यक्त कर पाना शायद िंभव नही्. स्थानीय िोग राजाखोह के नामकरर का सकस्िा भी बताते है्. उनका कहना है सक सकिी जमाने मे्नागपुर के शािक ने अंग्ेजो्िे िड्ाई मे्पीछे हटते हुए यहां शरर िी थी. तब िे इिे राजा की गुफा यानी राजाखोह कहा जाने िगा. धीरे-धीरे शाम ढिने िगी है. हम वापि

पातािकोट मे् ही घाटी िे थोड्ा ऊपर यानी गैिडुल्बा आ गये है्. अंधेरा ऐिा घना है सक वाकई हाथ को हाथ नही्िूझता. धीरे-धीरे चांद सनकिता है और वृक्ो्, घरो् और झरनो् पर सनम्शि चांदनी सबखर जाती है. यह एक स्वप्न दृश्य है. यहां के सनवासियो्के सिये शायद रोज की बात िेसकन मुझे अवाक कर देने के सिये पय्ाशप्त. मै् पातािकोट के िम्मोहन मे् हूं. मुझे खुशी है सक मै्ने तासमया के रेस्ट हाउि मे्र्कने का प्​्स्ाव ठुकराकर पातािकोट के गांव मे्रात सबताने का सनि्​्य सकया. सकताबो्मे्पढ्ेदावो्की तरह अब मै्भी यह दावा करने की ब्सथसत मे् हूं सक जो एक बार पातािकोट देख िेगा, वह न तो उि िौ्दय्शको कभी भूि पायेगा और नही उिके पाि कभी इतने शल्द हो्गे सक वह उि िुंदरता को पूरी तरह बयान कर िके. पातािकोट को बि देखा जा िकता है, सजया जा िकता है और उिे महिूि सकया जा िकता है. n


खानपान मास् ट हेड अर्ण कुमार ‘पानीबाबा’ िेखक िंस्कार िे राजनीितक व्यब्कत और पानी,भोजन और पोषाहार के िवशेषज्​्है्. हिवाई होने का दावा भी करते है्. e-mail.: akpanibaba@gmail.com

नये स्वादो् का वसंत

वसंत मे् कांजी का सेवन भी कनयकमत र्प से करना चाकहए कवशेर कर काली गाजर, चुकंदर और हकर कमच्षकी कांजी डालनी चाकहए.

गं

गा और सिंधु का मैदानी भाग छह ऋ तुओ्का देश है. दस्​्कर भारत मे् ऋ तुचय्ाश का ऐिा स्पि्​्सवभाजन तो नही्है सकंतु ऋ तुपव्शिगभग उिी तरह मनाये जाते है् जैिे शेष भारत मे्. विंत उत्िव तो पासकस्​्ान मे् भी मनाया जाता है. विंत की तुिना मे्होिी मात्​्उत्​्र-भारत तक िीसमत हैिेसकन विंत पंचमी, सशवरास्​्त, विंत नवरास्​्त, रामनवमी की मसहमा असखि भारतीय है. बेशक दशहरा और शारदोत्िव महत्वपूर्शिाव्शजसनक पव्शहै्, िोक मसहमा के अनुिार ऋ तुराज तो विंत ही है. चौदहवी िदी मे् अमीर खुिरो द्​्ारा रसचत िंगीत परंपरा इि तथ्य का अकाट्​्प्​्मार है. िगभग िमस्​्वाङमय इि तथ्य का प्म् ार है सक ऋ तुचय्ाश िदा िव्दश ा िे जन जीवन का असभन्न अंग है. ऋ तुचय्ाश का प्​्मासरक महत्व है, अत: स्थानीयता और आंचसिकता के सि​ि्​्ांत का िहज सवकाि हुआ है. अत्यंत दुभ्ाशग्य पूर्श तथ्य है सक सपछिे 60-70 बरिो् मे् आधुसनकतावादी ‘ज्​्ान दृस्ि’ िे प्स्ेरत होकर हमने परंपरागत ऋ तुचय्ाश और स्थानीयता को दी जाने वािी प्​्ाथसमकता के सि​ि्​्ांत को सनरंतर नकारा और नि्​्सकया है. सपछिे 50 बरिो् मे् सवशेष र्प िे उत्​्र भारत मे् खान-पान के तौर तरीको् मे् सववेक हीन पसरवत्शन सदखायी पड्ता है. मेरी दादी का जन्म 1890 का बताया जाता है, उि सहिाब िे 1950 और 1960 के दशको्मे्िाठ िे ित्​्र वािी उम्​् के दौर मे्थी. वह स्कूि मे्तो नही्पढ्ी थी पर गीता-रामायर का पाठ कर िेती थी, आवश्यकतानुिार पत्​्व्यवहार कर िेती थी. अस्िी वष्श की आयु के बाद भी वह पूर्श स्वस्थ थी और िस्​्कय जीवन जी रही थी. 75 वष्श की आयु तक 6-7 िदस्यो् के पसरवार की प्​्ात:कािीन रिोई सनयसमत र्प िे करती थी. चार-पांच घंटे चख्ाश कातती थी, बाकी िमय घर के अन्य काम सनपटाती थी, िाि भर चिने वािे त्योहारो्की तैयारी करती रहती थी. यह तथ्य मुझे स्पि्​्ता िे याद है सक विंत ऋ तु का आगमन होते ही वह होिी, विंत नवरास्​्त आसद के पव्​्ो के सिए तैयारी शर्कर देती थी. गाजर, गोभी, मूिी, शिजम के ‘िुकने’ और आिू की कचरी (सचप्ि) बनाना शुर्कर देती थी. आज तो बच्​्ो्को यह अनुमान भी नही है सक ‘िुकना’ सकिे कहते है्. शिजम और देिी गाजर तो आज भी केवि िस्दशयो् मे् ही उपिल्ध होती िेसकन गोभी और मूिी तो अब िगभग 12 महीने प्​्चिन मे्आती है. उन सदनो्दादी इन चारो्िब्लजयो्के िूकने, ऐिे टुकड्े्सजन्हे्अगिे मौिम तक पानी मे्सभगो कर या उबाि कर, ताजी िल्जी की तरह उपयोग मे्िाया जा िकता था. तैयार सकया करती थी. सकिी-सकिी बरि दादी हरे मीठे मटर भी िूखा कर िंरस्​्कत करती थी. उि युग मे्हसर मेथी भी घर पर ही िुखाई जाती थी और सनरंतर उपयोग मे्िायी जाती थी. गाजर, गोभी, मूिी, शिजम के िुकने तो अब कही्गांव

कस्बो्तक मे्देखने को भी उपिल्ध नही्, सकंतु िूखी मेथी, जो पंिारी के यहां आम मिािो् की तरह उपिल्ध है, का उपयोग तो सनयसमत होता है. सकिी सकिी घर पसरवार मे्यह परंपरा आज भी कायम है. इि मौिम मे्दो अचार िगभग सनयसमत र्प िे रचाए जाते थे. मोटी िाि समच्श का आचार तो सबल्कुि सनयसमत ही था. दूिरा आचार गाजर, गोभी और शिजम का डािा जाता था. यूं तो िाि समच्शका आचार हम भी रचा िेते है्, सकंतु वह स्वाद जो दादी के हाथ मे्था, वह बहुत प्​्याि करने पर भी हमारे हाथो् िे नही् हो पाता. ऐिा शायद इिसिए भी है सक हसरत क्​्ांती के चिते तमाम कृसष पदाथ्​्ो्को प्​्कृसत मे्आमूि चूि पसरवत्शन भी हुआ है. जब तक दादी का बि चिा वह िाि समच्शस्वयं पिंद करके खरीदा करती थी. सतनके िसहत धोकर कम िे कम दो सदन धूप मे् िूखाती थी. तीिरे या चौथे सदन उनमे्िंबा चीरा िगाकर बीज झाड्देती, मामूिी तेि मे्राई का तड्का िगा कर समच्शको सबल्कुि हल्का िा िेक िगा देती और पुन: महीन मिमि िे ढक कर एक या दो सदन धूप सदखाती उिके बाद बराबर मात्​्ा मे् िौ्फ, धसनया (अधकुटा) और हल्दी का समश्​्र तैयार करती उिे कड्ाही मे्गम्शतेि (िरिो्) मे्िेकती. यह समश्र ् ठंडा होने पर उिमे्िाबूत अजवायन और मेथी समिाती (िगभग उिी मात्​्ा मे् सजिमे् िौ्फ-धसनया समिाया होता) इिके बाद उसचत अनुपात मे्िेध ् ा नमक और सि​ि पर सपिी राई इि समश्र ् मे्समिायी जाती है. अब इि तेि मे् भीगे समश्​्र को समच्​्ो मे् अच्छी तरह ठीक कर भरा जाता है. और तब इन समच्​्ो को तेि मे्डुबो-डुबो कर कांच के मत्शबान मे् सवसधवत कि कर भर देना होता है. अब इन अचारी समच्​्ो को विंत की धूप मे्रख सदया जाता था. दादी दिके सदन बाद ढक्​्न उठा कर देखती, यसद उिकी नाक अचारी िुगंध िे प्​्भासवत हो जाती तो उिी सदन पहिे िे पकाया हुआ ठंडा तेि डाि कर समच्​्ो को पूरी तरह तेि मे्डूबो देती. यह समच्​्ो का अचार िाि भर तो प्​्योग मे्आता ही था और बचने पर दो-तीन िाि भी खराब नही्होता था. विंत मे्कांजी का िेवन भी सनयसमत र्प िे करना चासहए सवशेष कर कािी गाजर, चुकंदर और हसर समच्श की कांजी डािनी चासहए. आधा िेर कािी गाजर छीि कर अंगुिी आकार मे्काट िे्और िात¬-आठ िीटर पानी मे् एक उबाि दे दे्. नमक समच्श तो उबिते िमय ही डाि दे्. सपिी राई ठंडा होने पर समिाये इतने पानी के सिए 30-40 ग्​्ाम राई पय्ापश त् होती. इि आचार को समट्​्ी के घड्ेमे्डाि कर चार सदन के सिए धूप मे्रख दे्. राई के खट्​्ा होने के बाद पांच-छह सदन तक उपयोग करे्. िद्​्ी के मौिम मे्जो भी अशुस्ियां शरीर मे्जमा हो गयी है,् वह कांजी के उपयोग िे िहज n ही सनकि जाये्गी. शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 47


हिल् मास्मट/इंहेटडरव्यू

एि सपने िी तरह है सफलता कैटरीना कैफ अपनी नयी कफल्म ‘कफतूर’ को दश्षको्के कलए वेले्टाइन डे का तोहफा मानती है्. उनके अब तक के कामयाब सफर पर हकर म्ाृदुल की बातचीत.

हजर मृदुल

खभनेत्ी कैररीना कैर की आगामी खरक्म ‘खरतूर’ है. अखभरेक कपूर के खनद्​्ेशन मे् िनी इस खरक्म मे् उन्हो्ने खररदौस का खकरदार खनभाया है. उनके हीरो है् आखदत्य रॉय कपूर, िो नूर की भूखमका मे् खदिाई दे्गे. चाक्स्मखडके्स के मशहूर अंग्ेिी उपन्यास ‘ग्​्ेर एक्सपेक्रेशंस’ पर आधाखरत इस खरक्म मे् कश्मीर का िैकड्​्ॉप रिा गया है. कैररीना इधर रणिीर कपूर से ब्​्ेकअप की विह से भी चच्ाम मे् है्, लेखकन उन्हे् पस्मनल लाइर पर िात करना मंिूर नही् है. ‘खरतूर’ वेले्राइन डे के ठीक दो खदन पहले खरलीि हो रही है. इसखलए उन्हो्ने इस खरक्म को अपने रैस ् के खलए वेलन े राइन खगफ्र करार खदया है. पहली िार आपने खकसी ऐसी खरक्म मे् काम खकया है, िो एक साखहस्तयक कृखत पर िनी है. क्या शूखरंग शुर् होने से पहले आपने ‘ग्​्ेर एक्सपेक्रेशंस’ पढ़्ी थी? मैन ् े कारी पहले यह नॉवेल पढ़ी थी. ति इसे पढ़्ते हुए मेरे मन मे् आया था खक इस पर िॉलीवुड मे् भी खरक्म िननी चाखहए. इसमे् लाि्मर दैन लाइर खकरदार है्. ‘ग्​्ेर एक्सपेक्रेशंस’ मे्प्यार है, ड्​्ामा है, डेढ़्सौ साल पुरानी ऐसी अनुभूखतयां है्, िो आि भी ध्यान आकख्रमत करने की क्​्मता रिती है्. इस उपन्यास को आि के पखरवेश मे् ढाला गया है. खरक्म मे्कश्मीर का िैकड्​्ॉप है. इस िीच कई लोगो्ने मुझ से पूछा है खक कश्मीर का िैकड्​्ॉप ही क्यो्? क्या वहां की िीवन स्थथखतयो्को तो नही् भुनाया गया है? इन सवालो् का सही िवाि तो खनद्​्ेशक अखभरेक कपूर ही दे सकते है्, लेखकन मै् इतना िर्र कहूंगी खक इस खरक्म मे् कोई पॉखलखरकल मैसेि या थ्रेरमे्र नही् खदया गया है. कश्मीर की िूिसूरती की विह से उसे कथानक का खहथ्सा िनाया गया है. कश्मीर मे्तो आप पहले भी शूखरंग कर चुकी है्. इस खरक्म की शूखरंग के दौरान आपने िीती यादे् तािा की्? मेरे कैखरयर की यह दूसरी खरक्म है, खिसकी शूखरंग कश्मीर मे्हुई है. इससे पहले मै् यश चोपड्ा िी की खरक्म ‘ि​ि तक है िान’ की शूखरंग के खलए वहां गयी थी. िहां तक िीती यादे् तािा करने की िात है, तो इस िार हमारी खरक्म की लोकेशन अलग थी्. अि की हमने श्​्ीनगर मे् शूखरंग की. डल झील के सौ्दय्म को िड्ी िूिसूरती के साथ कैप्चर खकया. खररदौस के खकरदार ने आपको खकतनी चुनौती पेश की?

कैटिीना कैफ: हमेशा अरभनय की चाहत 48 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

खररदौस का खकरदार मेरे खलए कारी चुनौतीपूण्म रहा. इस करैक्रर से कनेक्शन कर पाना कारी कखठन था. मेरे खलए एक िड्ा चेले्ि था खक आखिर कैसे इस खकरदार की


मानखसकता पकड् मे् आये. खररदौस का खकरदार नॉवेल की थ्रेला पर आधाखरत है. यह भूखमका मेरे थ्वभाव के एकदम उलर है. खकसी भी एक्रर के खलए ऐसी भूखमका खनभाना कारी कखठन होता है, िो उसके थ्वभाव के खवपरीत हो. खररदौस सॉफ्र गल्म नही् है. वह िेहद कंफ्यूि रहने वाली और हरदम ठंडा व्यवहार करने वाली युवती है. वह ज्यादा इमोशनल भी नही्है. पहले आपकी मां िेगम िान का खकरदार रेिा खनभा रही थी्, खरर खरक्म मे् अचानक तब्िू की एंट्ी हो गयी. रेिा ने क्यो्छोड्दी खरक्म? आपने उनके साथ खकतने खदन काम खकया था? रेिा िी की खरक्म छोडऩे की विह तो अखभरेक कपूर ही िता सकते है्. लेखकन मै् उनके साथ काम करने के खलए कारी उत्सुक थी. हमने तीन खदन शूखरंग भी साथ की थी. शायद मेरी खकथ्मत मे् उनके साथ काम करना नही् खलिा था. वैसे, उनसे मेरा कई सालो् से खरश्ता है. कई मौको् पर हम दोनो् एक दूसरे को रोन करते रहते है्.

'रफतूि’ मे् आरदत्य िाज कपूि के साथ कैटिीना: नयी जोड्ी से उम्मीद

तब्िू के साथ काम करने का अनुभव?

खकतने खदन रहता है?

वे िहुत थ्वीर है्. अपने खनभाये खकरदार के एकदम उलर. िेगम िान खितनी थ्वाथ्​्ी, सनकी और ितरनाक सोच वाली है्, तब्िू उतनी ही प्यारी, मीठी और खवनम्​् है्. उनका अखभनय भी सहि है. उनके काम से प्​्ेरणा खमलती है.

मेरी कोखशश रहती है खक खरक्म की शूखरंग के िाद सेर पर ही खकरदार को छोड् आऊं. लेखकन कई िार ऐसा हो नही् पाता है. कई खकरदार शूखरंग के िाद भी पीछा करते रहते है्. खरक्म ‘नमस्​्ेलंदन’ की िसमीत का खकरदार मेरे िहुत करीि है. मेरे खलए िहुत थ्पेशल है खरक्म ‘न्यूयॉक्फ’ का खकरदार. इन खकरदारो्का असर मुझ पर आि भी है.

आपने दि्मनो् लवथ्रोरी खरक्मो् मे् काम खकया है. ‘खरतूर’ खकतनी अलग है और अखभरेक कपूर के खनद्​्ेशन के िारे मे्क्या कहना है? अखभरेक अलग खकथ्म की खरक्मे्िनाते है.् उनकी िीती खरक्मो् ‘काय पो चे’ और ‘रॉक ऑन’ के िारे मे्सभी को पता है. ‘खरतूर’ के र्प मे् उन्हो्ने एक क्लाखसकल लव थ्रोरी को खरक्माया है. इस प्​्ेम कहानी मे् िड्ी िारीखकयां है्, िो खक आम लव थ्रोरी खरक्मो् मे् नही् होती है्. अि तक मै्ने ऐसी खरक्म नही् की थी्, इसखलए इसमे् काम करना मेरे खलए एक नया अनुभव है. क्या कोई भी प्यार खिना खरतूर के संभव है? प्यार के कई रंग और कई र्प होते है.् प्यार कई तरह से संभव है. हर खकसी का अपना थ्वभाव होता है. मुझे तो लगता है खक प्यार िहुत िूिसूरत होता है, चाहे उसका कोई भी थ्वर्प हो. एक और िात खक प्यार हर पखरस्थथखत मे् संभव हो सकता है. खररदौस के खलए आपको खकतनी मेहनत करनी पड्ी? क्या कोई वक्फशॉप भी खकया? वक्श फ ॉप तो नही्खकया, हां, खडथ्कशन िर्र खकया. इसके खलए मैन ् े ज्यादा समय अखभरेक के साथ खिताया. ख्थक्​्प्र की रीखडंग की. िहां थोड्ी सी भी खदक्​्त हुई, वहां मै्ने िार-िार पूछा. सचमुच खररदौस का खकरदार मेरे खलए िड्ा कांपखलकेरेड था. कोई करैक्रर खनभाने के िाद वह आपके साथ

आपकी िोड्ी की कक्पना सलमान, शाहर्ि, आखमर, सैर, ऋखतक या अक्​्य िैसे थ्रास्मके साथ की िाती है. आखदत्य रॉय कपूर के साथ िोड्ी कैसे िन गयी? सभी खरक्मो् मे् खकरदारो् के मुताखिक ही हीरो और हीरोइन का चुनाव होता है. िहां तक िोड्ी िनने की िात है, तो मै् हर एक्रर के साथ िुश रहती हूं. मेरे अपोखिर कौन एक्रर है, मुझे इससे कोई रक्फ नही् पड्ता है. ‘मेरे ब्​्दर की दुक्हन’ मे् इमरान िान मेरे हीरो थे, तो आगामी एक खरक्म मे् खसद्​्ाथ्म मक्होत्​्ा मेरे अपोखिर है्. खरक्म की खडमांड के आधार पर ही एक्ररो् का चुनाव खकया िाता है. अपने सरर को खकस तरह देिती है्? मुझे अपनी सरलता एक ड्​्ीम लगती है. िुद िॉलीवुड भी एक ड्​्ीम ही है. मुझे करीि िारह साल हो गये है्, इसके आधार पर कह सकती हूं खक इंडथ्ट्ी एक िहुत ही कखठन िगह है. यहां सरलता का कोई राम्मूला नही्चलता. आपके आने के िाद िॉलीवुड की िैसे शक्ल ही िदल गयी. आि िो खवदेशी हीरोइने्िॉलीवुड मे् एंट्ी पा रही है् और उन्हे् सरलता खमल रही है, उसके पीछे आप है्. क्या आपने कभी इस एंगल से खवचार खकया?

अगर ऐसा है, तो यह मेरे खलए िहुत िड्ा कांपलीमे्र है. खकसी और के खलए आप उदाहरण िनते है्, तो यह िड्ी िात है. हां, मेरी सरलता के िाद दि्न म ो्खवदेशी लड्खकयो्के खलए िॉलीवुड की राह िुली है. आप अपने थ्ट्ग ल के खदनो् को खकतना याद करती है्और खकस तरह याद करती है्? मै् उन लोगो् को कैसे भूल सकती हूं, खिन्हो्ने मेरी थ्ट्गल के खदनो् मे् सहायता की थी? मेरा मानना है खक मुझ पर ईश्​्र की िड्ी कृपा रही है. मुझे ईश्​्र ने सही समय पर सही सपोर्मप्​्दान खकया. मुझे हमेशा अच्छे लोग खमले और मेरी प्​्गखत होती गयी. क्या आपने सोचा है खक पांच साल के िाद आप कहां होगी? खिक्कुल सोचा है. मै् पांच साल िाद भी एक्ट्ेस िनी रहूंगी और काम करती खमलूंगी. मै् ताउम्​् काम करना चाहती हूं. मुझे एक एक्ट्ेस के तौर पर चेले्ि लेना पसंद है. मै् चाहती हूं खक लोग मुझे एक एक्ट्ेस के तौर पर ही याद रिे्. इधर िायोखपक िरक्मे् कारी िन रही है्. आप खकसी िायोखपक मे्काम नही्करना चाहती है्? मै्ने इस िारे मे् कभी सोचा नही्. मुझे पता नही् खक मै् खकस िायोखपक मे् सही लगूंगी. लेखकन मुझे इंखदरा गांधी का चखरत्​्िहुत अपील करता है. इस िार खकसके साथ वेले्राइन मनाये्गी? मुझे लगता है खक मै् वेले्राइन डे के खदन अखभरेक कपूर और आखदत्य रॉय कपूर के साथ होऊंगी. हमारी खरक्म वेले्राइन से दो खदन पहले खरलीि हो रही है, इसखलए मै् ति प्​्मोशन कर रही होऊंगी. मै्तमाम युवाओ्से कहंूगी खक इस िार वेलरे् ाइन मे्‘खरतूर’ को डेर की तरह ले.्n शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016 49


अंितम पन्ना रंजना कुमारी

कब बदलेगा नज़रिया

कानून को लागू करने वाले अकधकाकरयो्के मन मे्यह भाव रहता है कक मकहलाएं ही अपने कखलाफ हो रहे अपराध के कलए कजम्मेदार है्. इस तरह यह सोच कानून-व्यवस्था धराशायी कर देती है.

मारे िामासजक मूल्यो् मे् बडी नैसतक सगरावट आयी है. िमय के िाथ यह सगरावट पहिे िे भी तेज होती जा रही है्. वे आखे् पहिे िे कही् असधक कू्र हुई है्, वे चेहरे अब ज्यादा खूंखार हुए है्, वह मानसिकता पहिे िे असधक मजबूत हुई है, जो मसहिाओ्को ‘भोग’ की सवषय-वस्​्ुकी तरह देखती है. पुर्ष-प्​्धान िमाज मे्माना जा रहा है सक मसहिाएं ‘यौन-िुख’ के सिए ही है्. उनके िाथ जोर-जबरन जैिा बत्ाशव करना ही है. इि तरह की नीच मानसिकता पहिे िे कही्असधक मजबूत हुई है, जबसक हमारे पाि इिे रोकने को कानून है्, अदाित के सवशेष सदशा-सनद्​्ेश है्. हाि के वष्​्ो् मे् कई िारे आयोग गसठत हुए है्, जो मसहिाओ्की िुरक्​्ा के सिए बने है्, जो िमाज मे्अपराध को रोकने के सिए बनाये गये है्. िेसकन यह िच बडा दुभ्ाशग्यपूर्शहै सक मसहिाओ् के िाथ दुष्कम्श की घटनाओ् मे् वृस्ि ही देखी जा रही है. उनके िाथ अन्याय के अन्य मुद्े तो है् ही्, सजिमे् घरेिू सहंिा िे िेकर दहेज उत्पीड्न, काय्शक्ेत् मे् बदि​िूकी और एसिड एटैक है्. हाि-सफिहाि नोएडा मे् ही एक मसहिा के िाथ दुष्कम्श हुआ. आवश्यकता है िमाज की इि सनम्न मानसिकता को बदिने की. जासहर है, यह बदिाव अपने अंदर िे आना चासहए. िमाज को खुद बदिना होगा, ऐिा हम िब कहते आये है्. स्वतः िामासजक बदिाव के पसरराम हमेशा अच्छे देखे गये है्. िेसकन अगर िमाज बदिने को तैयार नही् है, तो रास्​्ा क्या है? यह एक यक्​् प्​्श्न है. सजि िख्त कानून को बनाने की मांग हो रही थी, वह भी अब हमारे पाि है, सफर भी फक्फ क्यो् नही् सदख रहा है? जासहर है सक यह फक्फपुसि​ि-प्​्शािन द्​्ारा िही सदशा मे्िाथ्शक प्​्यािो्िे ही िंभव होगा और यह प्​्याि होना चासहए सक िमाज मे् कानून का भय पैदा सकया जाये. यही आज के िमय की मांग है. सकिी िोकतांस्तक व्यवस्था मे्यही होता है सक यसद िमाज नही् बदि रहा है, तो उिे कानून की िख्ती िे बदिने का काम सकया जाता है. इसतहाि इिका गवाह रहा है. िेसकन अफिोि की बात यह है सक कानून िागू करने को िेकर कोताही बरती जाती है. यह हाि कमोबेश पूरे देश मे्है. सकिी एक राज्य-व्यवस्था को यहां नाम िेना उसचत नही्है. िेसकन ऐिा क्यो्? क्यो्कानून-व्यवस्था अपना काम नही् कर पा रही है. ऐिा इिसिए सक कानून को िागू करने वािे तमाम अंगो् मे् मौजूद असधकासरयो् के मन मे् यह भाव रहता है सक 50 शुक्वार | 16 िे 29 फरवरी 2016

मसहिाएं ही अपने सखिाफ हो रहे अपराध के सिए सजम्मेदार है्. इि तरह यह िोच कानून-व्यवस्था धराशायी कर देती है और सफर गिसतयो्, चूको्और िापरवासहयो्का अंतहीन दौर शुर्हो जाता है. ऐिे मे्बाकी िोगो्को िगता है सक वे अपराध करके आराम िे सनकि िकते है्. पूव्श मे् कई उदाहरर ऐिे ही सदखे है्. चाहे वह सनभ्शया मामिा हो या कोई और. अगर राष्​्ीय राजधानी क्​्ेत् को ही देखे्, तो 16 सदिंबर 2012 की घटना के बाद सदल्िी-एनिीआर को सवशेष िुरक्​्ा देने का जो वादा हुआ था, उि सहिाब िे िमय रहते क्या िभी जगह उसचत कदम उठाये गये है्? कोई भी व्यब्कत इिका जवाब ‘ना’ मे् ही देगा. हकीकत यह है सक अब भी मसहिाएं शाम ढिते बाहर सनकिना नही्चाहती्. काय्श-क्​्ेत् मे् अब भी उनके िहकम्​्ी उन्हे् घूरने िे बाज नही् आते. पीस्डताओ् को िमाज मे्िम्मान नही्समिता, जबसक होना यह चासहए सक अपराधी को िम्मान न समिे. पीस्डताओ् को न्याय के सिए िंबा इंतजार करना पड्ता है. इि तरह के मामिे राजनीसतक इच्छाशब्कत की कमी को भी उजागर करते है्. ‘सनभ्शया फंड’, ‘सनभ्शया िे्टर’ जैिे भरोिे अब कहां है्? दरअि​ि, महानगरो् मे् जब ऐिी कोई घटना घटती है, तो हम िोगो्, स्वयंिेवी िंगठनो् िमेत पुसि​ि-प्​्शािन की नी्द टूटती है, सफर कुछ सदनो्के बाद हम तब तक के सिए िो जाते है्, जब तक कोई और बड्ा हादिा नही् होता. ऐिे मे् गांवो् और कस्बाई इिाको् का ध्यान सकिे है? बि महानगरीय िमाज मे्मसहिाओ्के प्​्सत अन्याय का मुद्ा उठ पाता है, गांव या कस्बाई इिाके तो छूट ही जाते है्. जासहर है, यह िोने-जागने का क्​्म हमे् तोडना होगा, बब्लक जागजागकर ही तब तक रहना होगा, जब तक सक मसहिाओ् के सखिाफ अपराध थम नही् जाते, खत्म नही् हो जाते. मसहिाओ्के सखिाफ अन्याय को रोकने के सिए शून्य िसहष्रुता अपनानी होगी, वह भी िभी स्​्र पर, और यह तभी हो पाएगा ये जब पुसि​ि- प्​्शािन कानून का िख्ती िे पािन करे्गे, जब मद्ो्​् की मानसिकता बदिेगी, जब िमाज िे आपरासधक प्​्वृस्त खत्म होगी और n जब मसहिाओ्को पुर्षो्के बराबर का दज्ाश समिने िगेगा. (िेसखका िामासजक काय्शकत्ाश और िे्टर फॉर िोशि सरिच्श की सनदेशक है्. आिेख श्​्ुसत समत्​्ि िे बातचीत पर आधािरत.)




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