Shukrawaar 16 30 april 2016 medium quality

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वर्ष9 अंक 8 n 16-30 अप्​्ैल 2016 n ~ 20

कहां गया हमारा पानी



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वर्ष9 अंक 8 n 16 से 30 अप्ल ्ै 2016 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प्​्काशक क्​्मता सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल राजनीसतक िंपादक वववेक सक्सेना फोटो िंपादक पवन कुमार िंपादकीय िहयोगी

सववता वम्ा​ा अंजना वसंह सुनीता शाही (लखनऊ) अिनल चौबे (रायपुर) पूजा िसंह (भोपाल) अिवनाश िसंह (िदल्ली) अिनल अंशुमन (रांची) कुमार प्​्तीक मनोज वतवारी

कला

प्​्वीण अिभषेक

महाप्​्बंधक

एस के वसंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm.shukrawaar@gmail.com

आवरण कथा

6 | बिन पानी सि सून

देश मे्पानी के िंकट और िूखे की िमस्या सजतनी सवकराि है उतनी शायद कुछ अपवादो्को छोड्कर पहिे कभी नही्थी. सहमािय और उि​िे सनकिती नसदयो्की जो दुद्यशा की गयी है, उिी का नतीजा है सक हमारा िमाज पानी के सिए तरि रहा है.

25 | िूनी क्यो्िहती है अयोध्या

अयोध्या मे्सकिी को रामि​िा की मूस्तययो्िे न तो िगाव है और न उन पर तसनक भी आस्था है. सजन पुसि​िवािो् की ड्​्ूटी यहां िगायी जाती है, वे भी थके हुए िगते है्.

30 | माया आफ्त भाजपा िांित

िबजनेि हेड

उत्​्र प्​्देश मे्भाजपा ने अपनी पैठ बनाने के सिए एक तरि मौय्यको कमान िौ्पी है तो दूिरी तरि वह मायावती के सखिाि कई तरह की रणनीसत आजमा रही है.

शरद कुमार शुकल ्ा +91. 9651882222

ब्​्ांिडंग

कॉमडेज कम्युिनकेशन प्​्ा़ िल़

प्​्िार प्​्बंधक

यती्द्कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024 yatendra.3984@gmail.com

सिसध िलाहकार शुभांशु वसंह

shubhanshusingh@gmail.com

+91. 9971286429 सुयश मंजुल

िंपादकीय काय्ा​ालय

एमडी-4/304, सहारा ग्​्ेस, जानकीपुरम लखनऊ, उत्​्र प्​्देश-226021 टेलीफैक्स : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com www.shukrawaar.com DELHIN/2008/24781 स्वत्वािधकारी, प्क ् ाशक और मुदक ् क्म् ता सिंह के सिए अमर उजािा पब्लिकेशि ं सिसमटेड, िी-21, 22, िेकट् र-59, नोएडा, उत्र् प्द् श े िे मुस्दत एवं दूिरी मंसजि, ल्ाी-146, हसरनगर आश्म् , नयी सदल्िी-110014 िे प्क ् ासशत. िंपादक : अंबरीश कुमार (पीआरल्ाी अिधसनयम के तहत िमाचारो्के चयन के ि​िए िजम्मेदार) िभी कानूनी िववादो्के ि​िए न्याय क्​्ेत्िदल्िी होगा.

32 | चुनावी डगि के अगि मगि

पस्​्िम बंगाि मे्तृणमूि कांग्ेि के डर ने माकपा-कांग्ेि को िाथ िाकर मुकाबिा सदिचस्प बना सदया है सजिमे्भाजपा तृणमूि कांग्ेि मददगार िगती है.

43 | कला मंे रियाित

इंसदरा गांधी राष्​्ीय किा के्द्के अध्यक्​्और िदस्यो्को अचानक बदिने के जसरये िरकार ने मनमाने हस्​्क्ेप का एक और उदाहरण पेश सकया है.

44 | करिश्मा नदी औि घाटी का 48 | र्ख्पहचानते शाहर्ख् ग्ड्ै कैनय् न को देखना प्क ् सृ त के एक चमत्कार का अनुभव करना है. कोिोराडो नदी के द्​्ारा बीहड् आकारो्मे्ढािे गये ये पठार अमेसरका के प्म् ख ु पयट्नय केद् ्है.्

शाहर्ख खान नयी सिल्म ‘िैन’ िे कािी उत्िासहत है.् इि सिल्म मे्वे डबि रोि मे्है.् यह सिल्म उनके स्टारडम के सिए कािी महत्व रखती है. शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

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आपकी डाक

सरकारें गिराने का खेल

पानी बचाना ज्र्िी

बीते अंक के िंपादकीय मे्भारत मे्उभरते जि िंकट को िमझाने का प्​्याि सकया गया. जि िंकट की मुख्य वजह बढ्ती आबादी, आस्थयक सवकाि और िरकारी की कमजोर नीसतयां रही है्. जि स्​्ोतो् को अत्यासधक प्​्योग और प्​्दूिण िे बब्ायद कर सदया गया है. ज्मीन िे दोगुना पानी बाहर सनकािा जा रहा है. सजि​िे जिस्​्र हर िाि एक िे तीन मीटर नीचे सगर जाता है. इि​िे पानी पर पक्​् रखना बेमानी सदखता है. िोग बासरश के पानी को एकत्​्करने वािे तािाबो्और कुओ्को पाटकर बडे मकान बना चुके है्. ऐिे मे्इि िमस्या पर िमय रहते सवचार करना जर्री है. भगतराम ममश्​्, बहराइच (उत्​्र प्​्देश)

औितो्के हक़

शुक्वार के बीते अंक मे् इिाहाबाद की ऑटो चिाने वािी तबस्िुम पर एक बेहतरीन िेख पढने को समिा. सजि​िे ये बात िाफ़ हो जाती है सक अगर मसहिाओ्को िमाज मे्पुरि् ो्जैिा असधकार समिे तो वह पुर्ि के मुकाबिे पीछे नही् रहे्गी. वैिे भारत मे् मसहिाओ् की ब्सथसत क्या और कैिी है. इि​िे तो हर कोई वासकि है. िेसकन देश के सिए कुछ करने के सिए सजि मसहिा को भी मौका समिा है. उिने खुद को िासबत सकया है सक वह सकिी भी पुर्ि िे कम नही्है्. िेसकन सिर भी ये िवाि उठता है सक नारी शब्कत को पूजने वािे इि देश मे्आसखर नारी का जीवन इतना कसठन क्यो् है? क्यो् िडसकयां आज घर िे बाहर सनकिने मे् खुद को िुरस्​्कत महिूि नही्करती? बाहर घूमना तो दूर की बात है आजकि तो िडसकयां िेिबुक और ब्ववटर पर भी खुद को अिुरस्​्कत महिूि करती है्. िरकार और िमाज के 4

शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

बीते अंक के कवर स्टोरी मे्न्यायपासिका और सवधासयका पर िवाि उठाते हुए िेख िे कािी रोचक तथ्य िामने आये. हाि ही मे्बीजेपी ने अर्णाचि और उत्​्राखंड मे् जोड्तोड् की राजनीसत का खेि सदखाकर वहां सक कांग्ेि िरकारो् को अब्सथर करने की कोसशश की. इि​िे ये बात िाफ़ हो जाती सक कांग्ेि शासित राज्यो्मे्बीजेपी अपना कांग्ेि मुक्त भारत का एजंडा िागू कर रही है. इन राज्यो्मे्उठापठक के बाद कांग्ेिी खेमे् मे् माना जा रहा है सक अगिा सशकार मसणपुर होने जा रहा है. वीरभद्​्

सिंह ने पाट्​्ी अध्यक्​् िे मुिाकात कर गुहार िगायी सक केद् ्िरकार राज्य मे्कांगि ्े िरकार को सगराने की तैयारी कर रही है. ऐिे मे्ये बात िाफ़ हो जाती सक के्द्िरकार कांग्ेि की राज्य िरकारो्को न्यासयक और सवधायी शब्कतयो्के दम पर सगरा देना चाहती है. जहां नबम टुकी के बहुमत िासबत करने के िमय मे् राज्यपाि सवधानिभा मे्तािा िगाकर िरार हो जाते है्. वही्उत्र् ाखंड मे्मोदी कैसबनेट राष्प् सत शािन िगाने का प्​्स्ाव राष्​्पसत के पाि भेज देती है.

सजम्मेदार नागसरको् को समिकर इि िमस्या का िमाधान करना पडेगा.

तो शहरी इिाको् मे् ब्सथत िरकारी स्कूि भी मौसिक िुसवधाओ् और आधारभूत ढांचे की कमी िे जूझ रहे है्. इन स्कूिो्मे्सशक्​्को्की तादाद एक तो जर्रत के मुकाबिे बहुत कम है और जो है्भी वह प्​्सशक्​्त नही्है. नतीजतन इन स्कूिो्मे्पढ्ने वािो्का िामान्य ज्​्ान और िंबंसधत सवियो् की जानकारी सनजी स्कूिो् मे् पढ्ने वािे छात्​्ो् के मुकाबिे बहुत कम होती है. िरकारी स्कूिो् मे् सशक्​्को् और छात्​्ो् का अनुपात बहुत ऊंचा है. कई स्कूिो्मे्50 छात्​्ो् पर एक सशक्​्क है. ग्​्ामीण इिाको् मे् तो हािात और दयनीय है. वहां स्कूि के नाम पर एक या दो कमरे है्. िौ छात्​्ो् पर एक ही सशक्​्क है. िरकारी स्कूिो् मे् एक ही सशक्​्क सवज्​्ान और गसणत िे िेकर इसतहाि और भूगोि तक पढ्ाता है. इि​िे वहां पठन-पाठन के स्​्र का अनुमान िगाना मुब्ककि नही् है. ज्यादातर स्कूिो् मे् न तो शौचािय है और न ही खेि का मैदान.

आकांक्ा म्​्िपाठी, जबलपुर (मध्य प्​्देश)

हमले का िच

बीते अंक मे्बडी ही िाफ़गोई िे बांग्िादेश के सहंदुओ् पर हो रहे हमिे के बारे मे् जानकारी समिी. अक्िर भारतीय मीसडया मे्इि बात का शोर िुनने को समिता है सक वहां बांग्िादेश मे् रहने वािे सहंदू अल्पिंख्यको्पर हमिे होते है्. िेसकन ये सजतना बताया जाता है, उतना नही् है. हािांसक वहां इनकी जमीन हडपने के सिए जो कानून बनाया गया है. वह सचंता का सविय है. िेसकन इि पर अभी तक सकिी चैनि या अखबार ने खबर नही्पेश की है. इि तरह िे शुक्वार के िेख के माध्यम िे ये खबर समिी जो वाकई बहुत ही महत्वपूण्य है. यहां भूसम की िािच मे् िोग सहंदुओ् पर हमिा करते है्. जो सचंता का सविय है. ऐिे मे् के्द् िरकार को बांग्िादेश की िरकार िे इि मुद्े पर बात करना चासहए. जो बहुत ही जर्री है. हािांसक ये सि​ि्फबांगि ् ादेश मे्ही नही्हो रहा है. ऐिा पासकस्​्ान मे्िबिे ज्यादा हो रहा है. मनोमवका सोनी, चंडीगढ़ (पंजाब)

महंगी होती रशक्​्ा

बीते अंक मे्सशक्​्ा पर बेहतरीन िेख पडने को समिा. पूरे देश मे् िरकार ने सशक्​्ा का असधकार कानून तो िागू कर सदया. िेसकन इिके सिए िबिे जर्री बात यानी िरकारी स्कूिो्का स्​्र िुधारने पर अब तक न तो के्द् ने ध्यान सदया है और न ही राज्य िरकारो् ने कोई ठोि कदम उठाया है. इि​िे ये बात िाफ़ होती है सक ये कानून सशक्​्ा के सवर्द् है. ग्​्ामीण इिाको्के स्कूिो्की बात छोड्भी दे्.

मोनाली रावत, देहरादून (उत्​्राखंड)

मरजवान खान, महोबा (उत्​्र प्​्देश)

पाठको्िे रनवेदन

शुक्वार मे्प्​्कािशत सरपोट्​्ो्और रचनाओ्पर पाठको्की प्​्सतसक्​्या का स्वागत है़ आप अपने पत्​्नीचे िदए गए पते पर या ई-मेि िे भेज िकते है् एमडी-4/304, िहारा ग्​्ेि, जानकीपुरम, िखनऊ उत्​्र प्​्देश-226021 टेिीिैक्ि : +91.522.2735504 ईमेि : shukrawaardelhi@gmail.com


संपादकीय

कब तक बचेगी नदी प

अंबरीश कुमार

नदी के पानी को लेकर अगर हमने अपनी दृष्ि नही्बदली तो कुछ षदन बाद कही्भी पानी का संकट होने पर दूसरी जगह से भी पानी नही् भेज पाये्गे. अभी भी समय कुछ सोचने और करने का है.

हिी बार चैत्के महीने मे्ही देश के आधे िे ज्यादा राज्यो् िे पानी के भीिण िंकट की खबरे्आ रही है्. कही्पानी का अकाि है, तो कही् दूसित पानी समि रहा है. सि​िहाि देश के कुछ इिाको्मे्राहत है. सजिके चिते एक तरि िे दूिरी तरि रेि िे भी पानी भेजा जा रहा है. िेसकन रेि िे कबतक िोगो् तक पानी पहुंचाया जाना िंभव है. पानी के ज्यादातर छोटे स्​्ोत यानी तािाब और कुओ्को हमने पहिे ही बब्ायद कर सदया है. अब नसदयो् और िमुद् को खत्म करते जा रहे है्. छोटी-छोटी नसदयां िूखती जा रही है्. तो बडी नसदयां इतनी ज्यादा प्​्दूसित हो गयी है् सक उनका पानी कोई पी ही नही् िकता है. अपवाद कुछ नसदयां हो िकती है्, सजनमे् नेपाि िे आने वािी गेर्आ नदी या राजस्थान मध्य प्​्देश िे आने वािी चंबि नदी हो. ये सि​ि्फ इिसिये बच गयी्. क्यो्सक सकिी शहर िे होकर नही् गुजरी् रही है्. शहर िे गुजरने वािी नसदयो् जैिे गंगा, यमुना, गोमती िे िेकर झेिम तक का हाि बुरा है. यह सकिी िे छुपा भी नही्है. अब तो नसदयां अपने उद्​्म स्थि िे कुछ दूरी का िफ़र भी िुरस्​्कत ढंग िे पूरा नही्कर पा रही् है्. अब गंगा को ही िे िे्, यह गंगोत्​्ी मे् कुछ दूर जाते ही प्​्दूसित होने िगती है. गंगोत्​्ी िे उत्​्रकाशी के बीच करीब दज्यन भर कस्बे है्. सजनका कचरा भागीरथी मे्बहा सदया जाता है. सटहरी मे् तो तो शहर का छोटा बडा नािा भागीरथी मे् जाता है. इिके बाद हर शहर और क़स्बा जो गंगा के बगि मे्आता है. अपना िारा कूडा करकट और िीवर का कचरा इिमे् बहाता जाता है. हम एक तरि गंगा मे्गंदगी डािते है्. तो दूिरी तरि उिकी पूजा करने का नाटक भी करते है्. इि क्​्म मे्ऋ सिकेश और हसरद्​्ार के िाधु िंतो्के आश्​्म भी अपनी बडी भूसमका सनभाते है्. यह एक पसवत्​्, ऐसतहासिक और बडी नदी का हाि है. अब एक छोटी नदी की बात करे्. तो महाराष्​् का रायगढ सजिा मुंबई िे करीब ित्​्र सकमी गोवा के रास्​्े पर पडता है. इिी अंचि की एक छोटी पर मशहूर नदी पाताि गंगा है. यह आिपाि के मछुवारो्के सिये एक िमय वरदान मानी जाती थी. पर अब यह असभशाप बन गयी है. इिके उद्​्म स्थि पर ही कई रािायसनक उद्​्ोग िगाये गये है्. सजनके जहरीिे कचरे िे पहिे यह नदी

प्​्दूसित हुई. अब इि नदी मे् मछिी ही नही् होती है्. इि तरह िे देश की बहुत िी छोटी नसदयां हम खुद तबाह कर रहे है्. पस्​्िम मे् ही वापी मे् दमन गंगा अब जहरीिे नािे मे् बदि चुकी है. तो कभी मुंबई मे् मीठे पानी के सिये मशहूर मीठी नदी अब गंदा नािा है. नैनीताि के भवािी िे गुजरते बडे नािे के बारे मे् कई िाि बाद पता चिा सक यह सशप्​्ा नदी है. सजिके उद्​्म स्थि पर ही िोगो् ने असतक्​्मण कर मकान बना डािा है. तो इिके खादर की जगह पर कािोनी बन चुकी है. बनारि मे् वर्णा और अिी तो िुप्त होती जा रही है्. सजनके नाम पर वाराणिी रखा गया था. जहां ये सदखती है्, वहां िगता है कोई नािा बह रहा है. दस्​्कण मे् पेसरयार नदी जो पस्​्िमी घाट िे सनकिकर करीब ढाई िौ सकमी का िफ़र कर अरब िागर तक जाती है. वह अब पानी नही् जहरीिा रिायन िमुद् मे् डाि रही है. यह कुछ उदाहरण है सक सकि तरह हम नसदयो् को बडी िीवर िाइन मे् बदि रहे है्और िाफ़ पानी के िंकट का रोना भी रोते है्. दरअि​ि पानी को िेकर हमारी दृस्ि ही िाफ़ नही् है. न हम कुओ् और तािाब का महत्व िमझ ही नही् पाये है्. नदी और िमुद् तो दूर की बात है. एक चैनि पर सकिी एंकर को ये कहते िुना सक बरिात का िारा पानी बटोर िेना चासहये तासक िमुद्मे्जाकर बब्ायद न हो. यह नही् पता सक िमुद् को अगर यह पानी नही्समिा तो उि मानिून का सनम्ायण ही नही् होगा. जो सहमािय िे टकरा कर िमूचे इि अंचि को पानी देता है. िमुद्मे्गया पानी कभी बब्ायद नही् होता है. बब्लक वह पानी बब्ायद होता है सजिे हम जहरीिा बना रहे है्. वह न सपया जा िकता है, न खेती के काम आता है. नदी के पानी को िेकर अगर हमने अपनी दृस्ि नही् बदिी तो कुछ सदन बाद कही् भी पानी का िंकट होने पर दूिरी जगह िे भी पानी नही् भेज पाये्गे. अभी भी िमय कुछ िोचने और करने का है. अगर नदी नही् बची तो पानी का िंकट बहुत गंभीर होगा. इिसिये जंगि तो बचाना जर्री है ही िाथ मे् पानी के छोटे बडे स्​्ोत भी बचाये जाने चासहए. ऐिा हमे् अपने सिये नही् करना है, बब्लक आगे की n पीढी के सिये करना होगा. ambrish2000kumar@gmail.com शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

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आवरण मास्ट हेकथा ड

बिन पानी सि सून देश मे्इन षदनो्पानी के संकट और सूखे की समस्या षजतनी षवकराल है उतनी शायद कुछ अपवादो्को छोड्कर पहले कभी नही्थी. लेषकन यह संकट आज पैदा नही्हुआ है, बल्कक उसका इषतहास औपषनवेषशक राज से शुर्होता है और षवकास के आधुषनक मॉडल तक आता है. प्​्ाकृषतक जल के सबसे बड्ेभंडार षहमालय और उससे षनकलती नषदयो्की जो दुद्षशा की गयी है, उसी का नतीजा है षक हमारा समाज पानी के षलए तरस रहा है. अरंण कुमार ‘पानीबाबा’

ह सनण्यय िरि नही सक वत्मय ान जि िंकट के सवक्ि​िे ण की प्स्​्कया का सविय प्व् श े सकि सबंदु िे करे.् जि िंकट का मुद्ा सजतना सवकट, सवकराि और िंवेदनशीि है उि​िे िैकड्ो्गुना जसटि है. यह पतंग के मांझे की तरह उिझा हुआ है. सजतना िुिझाओ उतना और उिझ जाता है. देश भर मे्िरकारी प्य् ािो्के अिावा चारपांच हजार गैर-िरकारी िंस्थाएं िंिग्न है् जो जि िंकट के सनराकरण का ितत अभ्याि कर रही है.् वत्मय ान प्ध् ानमंत्ी नरेद् ्मोदी िे पहिे दो पूवय् प्ध ् ानमंत्ी राजीव गांधी और अटि सबहारी वाजपेयी ऐिे राष्​्ीय नेता रहे है् सजन्हो्ने ‘जी जान’ िगा कर इि िमस्या के ‘सनराकरण’ का हर िंभव प्​्याि सकया था. इन महानुभावो् के िमस्​् प्​्याि केवि सनष्ि​ि नही् हुए, बब्लक नकारात्मक ही सिद्​्हुए है्तो क्या कहा जाये सक यह राष्द् ्ोह जैिा अपराध होगा? िेसकन यह तथ्य तो स्वीकार करना पड्गे ा सक हमारा शीि्य नेतृत्व अत्यंत िरिमना है, इिसिए जसटि यथाथ्यिमझने मे् पूणयय् ता अिमथ्यहै. आि्य् य् नही्सक हमारे िभी बड्ेवैज्ासनक इन्ही्नेताओ् के सपच्छिग्गू या चाटुकार है, वन्ाय ऐिा िव्नय ाश िंभव ही नही्था. 6

शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

गैर-िरकारी िंदभ्य मे् देखे तो पानी की िमस्या के सनराकरण मे् िंिग्न नम्दय ा बचाओ आंदोिन की नेता मेधा पाटकर, तर्ण भारत िंघ (अिवर) के राजेद् ्सिंह सि​िोसदया, गांधी शांसत प्स्तष्​्ान के अनुपम समश्​्जैिे करीब एक िौ नायको्की िूची बनायी जा िकती है जो िहज वृ्स्​्त िे जी जान िगाकर पानी की िमस्या का सनकारण ढूंढने मे् सपछिे कई वि्​्ो् िे सनरंतर िस्​्कय है.् इि सवक्ि​िे ण का िेखक भी अपने को ‘पानीबाबा’ कहिवाने मे् िंकोच महिूि नही् करता. हम िब इि िव्यनाश का कारण है् या नही्, इि सविय पर सववाद हो िकता है.् सकंतु यह तथ्य तो स्पि्​्है सक हमारे िबके होने के बावजूद सपछिी दो िदी िे िूखे की िमस्या का सनरंतर सवस्​्ार हुआ है और होता रहेगा. राजीव गांधी ने अपने प्ध् ान-मंत्ीत्व काि मे् (1984-89) ‘वाटर समशन’ और ‘गंगा एक्शन प्िान’ आरंभ करवाया था. वाजपेयी ने भारत की नसदयो् को जोड्ने का काय्क य म् शुर् करवा सदया था. वत्मय ान प्ध् ान मंत्ी मोदी ने इन दोनो्योजनाओ् को जमा जोड्कर ‘नमासम गंग’े नाम की योजना िागू करवा दी है. स्वच्छ भारत असभयान भी डेढ्बि्यिे जारी है. बब्लक यो्िोचा जा िकता है सक सजतने सवशाि और भव्य सनराकरण के िंकल्प है,् िगभग उिी अनुपात मे् िमस्या िुरिा के मुख की तरह सवकराि बन

रही है. वत्मय ान मे्देश सजि हल्िा बोि जि िंकट की चच्ाय कर रहा है, उि​िे इतना सनष्कि्य तो स्पि्​्है सक यह िमस्या अचानक उत्पन्न नही् हुई है. यह तथ्य अवक्य ध्यान आता है सक कृसि िंबधं ी देशव्यापी िूखे की चच्ाय 1965 मे्शुर्हो गयी थी. उि दौर मे् सबहार का िूखा और राष्व् य् ापी अन्नाभाव सवशेि चच्ाय का सविय बना था. सबहार को िूखे िे उबारने के सिए सबहार सरिीि कमेटी का गठन हुआ था. िन 1942 की क्​्ासं त के एक महानायक जयप्क ् ाश नारायण उि िसमसत के अध्यक्​् थे. सबहार अकाि राहत िसमसत ने 1960 के दशक मे् सवसवध स्र् पर बड्े-बड्े काम सकये, सजिके पसरणाम स्वर्प जेपी पुन: एक महानायक र्प मे्स्थासपत हो गये और 1974-75 मे्‘िंपण ू य्क्​्ासं त’ का सबगुि बजा िके. िेसकन सबहार की जि िमस्या, िूखा और बाढ् अपनी गसत िे सवकराि र्प धारण करते रहे. हाि¬-सि​िहाि सनराकरण की कोई क्​्ीण िंभावना भी सदखाई नही्पड्ती. िन 1970 के दशक मे्हसरयाणा पंजाब िे ऐिी िूचनाएं आने िगी् सक पानी जहरीिा बन रहा है और भूसम की ितह पर क्​्ारीय तत्वो्का सवस्​्ार हो रहा है. यही युग हसरत क्​्ांसत की ि​ि​िता का युग था. इि काि की यही सवशेिता थी सक अनेक क्​्ासं तयां एक िाथ आरंभ हो गयी्.


पंसडत नेहर् ने 1953-54 मे् भाखड्ा-नागि जिाशय का उद्घाटन सकया तो उिे ‘नवतीथ्’य की िंज्ा िे िंबोसधत सकया था. ित्र् के दशक मे्पय्ावय रण सवशेिज्​्ो्ने यह िवाि उठा सदया: मंसदर या मकबरे यानी बड्े बांध तीथ्य या कब्​्गाह? पंजाब िे बीकानेर जाने वािी रेि गाड्ी का नामकरण ‘कैि ् र एक्िप्ि ्े ’ इि प्क् न् की ित्यता का प्त्य् क्​्प्म् ाण है. िल्तनतकािीन सहंदस ु ्ान मे् पंजाब के इिी इिाके मे् जनता ने 100 िाि तक सिरोज नहर का अनुभव करने के बाद उिे दिना सदया था. भाखड्ा बांध का इसतहाि तो अभी 60 िाि का ही है. सशवासिक की पहास्डयो् िे सिरोजपुर तक बहने वािी मानव सनस्मयत नहर को िंभवत: पंदह् वी्िदी के आरंभ मे्दिनाया गया था और 600 िाि मे्यह अंतर तो अवक्य पड्गे ा सक इि बार िोक सववेक का प्​्ादुभा्वय महाराष्​्िे आरंभ होगा. जि-सवज्​्ान सवशेिज्​् सहमांशु ठक्र् की गणना के मुतासबक सपछिे 50 िािो्मे्िव्ासय धक सवशाि बांधो् का सनम्ायण महाराष्​् मे् हुआ है, अत: वही क्त्े ् िव्ासय धक कि्​्भोग रहा है. यह तो आंखो्देखा और जाना ित्य है सक महाराष्​् के सवदभ्यऔर मराठवाड्ा क्ते् ्सपछिे 50 िािो् िे सनरंतर िूखे का कि्​् भोग रहे है.् िव्ासय धक सकिानो्की आत्महत्या भी इिी अंचि मे्हुई है.् जि-िंकट सवक्िेिण के िंदभ्य मे् इतनी

पानी-पानी मांग रहा है महंदुस्ानी: कुए मे् मगरता जलस्​्र और बढ़्ती हुई मांग िंबी भूसमका के बाद प्क् न् है: क्या इि िंकट के मे् र्पातरण कर सदया गया. यह भारत के ‘हेत’ु को िमग्त् ा या सवस्​्ार मे् जाने सबना ही आधुसनक सवकाि की महत्वपूणय्घटना है. सपछिे िमस्या का सनदान सनर्सपत सकया जा िकता है? 200 बरि मे्जो भी िाइंि, तकनीकी सवद्​्ा का दरअि​ि प्थ् म प्ध् ानमंत्ी जवाहरिाि नेहर्के सवकाि हुआ है, उिका वत्यमान िूखे िे क्या िमय िे िेकर वत्मय ान प्ध ् ान मंत्ी नरेद् ् मोदी िंबधं है? इि परस्परता को देखे सबना िमस्या तक हमारा ितत प्य् ाि यही है सक बीमारी का का सनराकरण िंभव नही् है. इि िंबंध मे् हेतू (कारण-पसरणाम िंबंध का ऐसतहासिक भारतीय भूगोि की िमझ और उि​िे पसरचय का सि​िसि​िा) जाने सबना ही रोग का सनराकरण प्क् न् सवसशि्​्महत्व का सविय है. वास्व् मे्मूि करेग् .े िवाि यह है सक राजनेता िमस्याओ्का िमस्या तो भारत भूगोि िे अपसरचय या इसतहाि पढ्ने िगेग् े तो ित्​्ा कौन भोगेगा? अनसभज्त् ा की है. एक बार पुन: स्मरण करवा दे् वत्यमान िूखा और अकाि आसद की सक थांपिन इंजीसनयसरंग कॉिेज (1840) की िमस्या के इसतहाि को िन 1770 िे जानना स्थापना मूित: िूखा सनराकरण के सिए की गयी और िमझना आवक्यक है क्यो्सक 30 वि्​्ीय थी. जो आरंसभक पाठ्​्क्म बना उिमे् िंबी बंगाि आपदा के पसरप्क्े य् मे्उि​िे अगिे हाइड्​्ािॉजी प्म् ख ु सविय था. रोचक तथ्य है सक 20-25 वि्​्ो्मे्िरकारी स्र् पर ‘िूखा मुबक् त’ सपछिे पौने दो िौ िािो्िे आज तक भारत का असभयान की शुर्आत हो जाती है. और यह भौगोसिक इसतहाि सकिी भी िाई्ि-टेकन् ािॉजी िरि इसतहाि है सक औपसनवेसिक ित्​्ा ने जो भी के सि​िेबि का सहस्िा नही्है. रीसत-नीसत िाि 1820-30 िे सवकसित की और िेसकन जब हम भारत माता के भूगोि की 1947 तक चिायी, हमारे आजाद सहंदस ु ्ान के बात करते है तो एक पेच िंि जाता है. ‘वंदे िभी रहनुमाओ् ने उिका अक्​्रश: अनुिरण मातरम्’ तो 1882 मे् प्क ् ट हो गया था. बंसकम सकया है. सनकट भसवष्य मे् कोई बुसनयादी बाबू ने एक पसरभािा प्स ् त्ु भी की थी सकंतु हम पसरवत्नय िंभव तो नही्सदखाई देता. उिका आज तक अथ्य नही् कर पाये, वह र्ड्की का थांपिन इंजीसनयसरंग कॉिेज पसरभािा थी्: ‘िुजिाम, िुि​िाम, एक एसतहासिक प्म् ाण है. र्डक ् ी कॉिेज का मियजशीतिाम, शास्यायमिाम, मातरम!’ आईआईटी के र्प मे् नेहर् युग मे् सवस्​्ृत इि पसरभािा का कुंजी शल्द या मुहावरा अवतरण हुआ और बाद मे्उिका भी आईआईटी ‘िुजिाम’ है. यह तो हमे् पता ही नही् है सक शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

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आवरण मास्ट हेकथा ड

बंसकम बाबू सकि ‘श्ष ्े ्जि’ का सजक्​्कर रहे है्? यह िुजि कहां और कैिे बनता है और चंदन िे िुगसं धत कहां और कैिे होता है? और ‘मां’ को शस्य-क्यामिाम र्प मे्कैिे पसरवस्ततय कर देता है? बंसकम की पसरभािा उि स्स्ुत पर आधासरत थी, जो महाराज हि्य ने 1200 िाि पहिे सहमािय के िम्मान मे्गायी थी. कुि समिाकर भारत के िंदभ्यमे्मूि सविय उि िंगसठत सवशाि जि रासश का है सजिे सहमािय िमुद्िे अपनी तरि आकस्ितय करता है, और सनज िाये मे्बिे दस्​्कणी भूभाग को जि प्िासवत कर वापि िमुद्मे्िौटता है तो भारत को शस्यक्यामि बनाता है. अंगज ्े हासकम (यानी औपसनवेिेक मासिक) ने भारत की भौगोसिक पसरभािा को सनजी प्​्शािसनक िुसवधा के अनुिार कब, क्यो्और कैिे गढ्ना शुर्सकया, इि सविय पर कोई अध्ययन उपिल्ध नही्है. यह तथ्य स्पि्​्रहना चासहए सक औपसनवेसिक काि के इसतहाि पर कोई िमुसचत दृस्िकोण अभी सवकसित नही्हुआ. हमारा गुिाम मानि बदस्र्ू जारी ही है. वास्व् मे्सहमािय सवश्​्की िाझा धरोहर है और उिका भारत िे असत सवसशि्​्िंबधं भी है. इि दृस्ि िे देखे्तो सहमािय िमूचे सवश्​्के सिए शुद्जि का सवशाितम िंगह् ािय है और केवि दस्​्कण एसशया नही्, बब्लक चीन और इंडोचाइना मे्बहने वािी नसदयो्का मूि स्​्ोत है. सहमािय िंबधं ी कुछ िूत्ो्को ध्यान मे्रखे् तो पाटी के अभाव िूखे के सविय को िमझने मे् िुसवधा होगी: 1. अगर सहमािय टुड ं ्ा-िाइबेसरया िे चिने वािी हवाओ्को अवर्द्न करे तो यह भूखडं भी िाइबेसरया का दस्​्कणी सवस्​्ार ही हो. 8

शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

2. इि उप महाद्​्ीप की जि प्ण ् ािी और मानिून स्वयं एक िुिगं सठत िशक्त प्​्ाकृसतक प्​्बंध है. सतल्बत के सहमनद और सहमािय के सशखर बि्फ का अस्​्सत्व बनाये रखने के सिए सनज ताप सनम्युक्त करते है् और जो िूय्य की प्​्सतसबंसबत चमक और ताप होता है, उि​िे सहमािय सशखर क्त्े ्के आकाश मे्एक व्यापक व्योम का सनम्ायण होता है. उि व्योम िे प्​्ेसरत ‘वायुवगे ’ सहंद महािागर िे सतल्बत के सहमनदो् की तरि आकस्ितय होता हे, वही कासिदाि का मेघदूत या जनभािा का मानिून है. 3. यह मानिून उत्र् मे् सहमािय सशखरो् तक, पूवय्मे्म्यांमार तक िैिी उपत्यकाओ्तक, दस्​्कण मे्सहंद महािागर ब्सथत श्​्ीिंका तक और

हिमालय हिश्​्के हलए जल का हिशालतम संग्िालय िै और केिल दह्​्िण एहशया निी्, बल्कक चीन और इंडोचाइना मे्बिने िाली नहदयो्का मूल स्​्ोत िै. पस्​्िम मे्अरब िागर और बिूच पठार तक इि उपमहाद्​्ीप का िीमांकन करता है. िाि भर मे् बरिने वािे पानी को िंचासित करता है. 4. इि जि प्​्णािी का एक महत्​्वपूण्य घटक-सवशाि भूखंड, दस्​्कण एसशया का िंयकु त् , िमुसचत जि सनग्मय भी है. इि अंचि के िमस्​्मैदान और पहाड्ो्के ढिान की समट्​्ी और आद्त् ा्य मानिून और जि सनग्मय के सवसशि्​् उपादान है.् 5. अगर इि उपमहाद्​्ीप को 78 सडग्​्ी देशांतर रेखा िे दो भागो् मे् बांट दे् तो

गोमुख ग्लेमशयर: तेजी से घटती महमरेखा कन्याकुमारी िे श्​्ीनगर तक जो रेखा है, उिके पूव्ी अध्ागा् मे्बरिात बंगाि की खाड्ी िे आती है और कुि बरिात का िगभग पचहत्र् प्स्तशत होती है. पस्​्िमी अध्ागा् की बासरश अरब िागर िे आती है और पचीि प्​्सतशत होती है. सजि सदशा िे सजतना पानी आता है, उि सदशा को उतना ही वापि िौटता है. 6. सहंद महािागर मे् िुदूर दस्​्कण िे जो मानिून उत्र् की सदशा मे्चिता है, वह केरिकन्याकुमारी पहुंचते-पहुंचते पृथ्वी की दैनसदन प्स्​्कया की गसत के कारण बड्ी मात्​्ा मे्पूव्ी पृथव् ी की तरि मुड्जाता है. बंगाि की खाड्ी िे जि उठता है, म्यांमार की अराकान पव्तय श्ख ्ृं िा िे टकरा कर बरिता है और बंगाि-अिम के सहमािय और गंगा के मैदान, ओसडशा िे मध्य प्​्देश की तरि मुड् जाता है. मानिून का यह बंगाि की खाड्ी वािा अंग हमारे देश मे्प्म् ख ु वि्ाय करता है. मध्य देश मे् ब्सथत मािवा और बुदं ि े खंड ऐिा क्त्े ् है जहां दोनो् सदशा िे आने वािे मानिून बरिते थे और पय्ापय त् आद्तय ा का सनम्ाण य करते थे. िव्ासय धक उत्म् गेहूं और रसव के शाक इिी क्त्े ्मे्होते थे. सकंतु आज भयावह अकाि है. वास्व् मे्बुदं ि े खंड एक अनूठा जि सनग्मय (ड्न्े ज े ) है. बीते 30 िािो्मे्इि क्त्े ्के जिवायु मे्आमूि चूि पसरवत्नय हुआ है. सकंतु उि िंदभ्य मे् कोई असधकृत अध्ययन उपिल्ध नही्है. 7. पूव्यमुखी मानिून का एक बड्ा भाग चीन, दस्​्कण पूव्ी एसशया, सहंद एसशया, मिेसशया के रास्​्ेजापान और ऑस्टस्ेिया की तरि चिा जाता है. यह पूरे इिाके मे् जिवायु का प्म् ख ु कारक है. 8. इिी तरह पूवय्िे उत्र् पस्​्िम की तरि


पानी बनाम कोका कोला

अगर कोका कोला के तीन संयंत्बंद होने के पीछे कारण मांग मे्कमी है तो यह एक शुभ संकेत है.

दु

सनया मे् कोिा के बाद िबिे असधक पैिा एक बोतिबंद स्वादहीन तरि पदाथ्य को खरीदने मे् खच्य सकया जाता है सजिे पानी कहते है: अच्छी बात यह है सक कनाडा के मांस्टयि शहर के मेयर डेसनि कॉडरे ने प्िाब्सटक के बोतिबंद पानी पर पूण्य प्​्सतबंध की मांग की है. अगर ऐिा हो गया तो मांस्टयि बोतिबंद पानी पर रोक िगाने वािा दुसनया का पहिा शहर हो जायेगा. कॉडरे का कहना है सक शहर मे्हर वि्य70 करोड् खािी बोतिे् शहर भर मे् िे्की जाती है् जो स्थानीय पय्ायवरण के सिए बहुत बड्ा खतरा बनती जा रही है्. शहर मे्नि िे गुणवत्​्ापूण्यपानी की आपूस्तय की शानदार व्यवस्था है, ऐिे मे् बोतिबंद पानी की जर्रत ही क्या है? कई कंपसनयां तो िरकारी नि के पानी को िीधे बोति मे्भरकर िोगो् को ऊंचे दाम पर बेचती है्. दुसनया मे्कुछ शहरो्ने प्िाब्सटक की बोति मे्पानी बेचने पर रोक िगायी है. ऑस्ट्ेसिया के एक छोटे कस्बे बंदानून ने िाि 2009 मे् िबिे पहिे यह कारनामा सकया था. हाि ही मे् अमेसरका के िैन फ्​्ांसिस्को और जम्यनी के हांबु शहर ने प्िाब्सटक की बोति मे् पानी की सबक्​्ी रोकी है िेसकन केवि िरकारी इमारतो् मे्. अगर मॉन्स्टयि मे् प्​्सतबंध िागू होता है तो 15 िाख की आबादी वािा यह दुसनया का पहिा शहर होगा बोतिबंद पानी पर पूण्य प्​्सतबंध िगायेगा. तो यह बात हैरान करने वािी बात है सक दुसनया मे् बोतिबंद पानी और दूध की खपत एक िमान है. इि मोच्​्ेपर भारत की ब्सथसत परेशान करने वािी है. बोतिबंद पानी पर शोध करने वािी िम्यवैल्यूनोव्ि के मुतासबक, िाि 2013 मे्देश मे् बोतिबंद पानी का कारोबार करीब 60 अरब र्पये का था जो िािाना बहने वािे मानिून का एक भाग सहमािय और एक भाग सहंदूकुश उल्िां कर मध्य एसशयाअराि िमुद् की तरि बढ्ता है और एक ठेठ पस्​्िमी वेग समस्,् मेिोपोटासमया की तरि चिा जाता है. जो शाखा वाया अरब िागर ठेठ दस्​्कण िे उत्​्र पस्​्िम की तरि बहती है, वह इिी मुखय् धारा मे्जुड्जाती है. 9. वि्ाय की मात्​्ा मे् सवसवधता और अन्य अनेक सवसवधताएं इि उपमहाद्​्ीप मे् पचाि सवसवध पासरब्सथसतकीय अंचिो्का सनम्ाण य करती है, जो शेि सवश्​्मे्पायी जाने वािी भौगोसिक सवसवधता िे कुछ ही कम है.् 10. म्यांमार िे ढाका होकर कन्याकुमारी तक और वहां िे कराची तक िगभग िात हजार मीि िंबे तट पर हजारो् डेलट् ा (मुहाने) और

15 प्​्सतशत की दर िे बढ्ता हुआ िाि 2018 तक 160 अरब र्पये तक पहुंच जायेगा. खािबात यह है सक देश मे्सबकने वािे बोतिबंद पानी मे् िबिे असधक िंख्या एक िीटर की बोति की है. दुसनया की दो बड्ी कोिा कंपसनयो्कोका-कोिा और पेप्िी को इतना ताकतवर माना जाता है सक ये चाहे्तो दो देशो्के बीच युद्भी करवा दे् और चाहे्तो िरकारे्बनवा और सगरवा दे्. बहरहाि, इि बीच एक अच्छी खबर कोकाकोिा इंसडया िे भी आयी है. कंपनी ने गस्मययो् के ऐन पहिे मांग मे् कमी का हवािा देकर अपने तीन बॉटसिंग प्िांट बंद करने की घोिण की है. ये िंयंत् जयपुर, आंध् प्​्देश और मेघािय मे् ब्सथत है्. कंपनी ने कहा सक मांग मे् कमी के चिते अपने तीन बॉटसिंग िंयंत्ो् मे् उत्पादन बंद कर रही है. िामासजक काय्यकत्ायओ् का कहना है सक कंपनी द्​्ारा अत्यसधक भूजि दोहन के बाद उिे और असधक पानी जुटाने मे् िमस्या हो रही है. पय्ायवरण काय्यकत्ायओ् का कहना है सक एक िीटर कोिा तैयार करने मे्करीब 9 िीटर पानी की खपत होती है. खुद कोका कोिा आसधकासरक तौर पर यह मान चुका है सक एक िीटर कोिा तैयार करने मे् 3 िीटर िे असधक पानी िगता है. कोका-कोिा की हनक का अंदाजा इि बात िे िगाया जा िकता है सक कंपनी खुद अपनी कोका कोला: घटती हुई खपत वेबिाइट पर दावा करती है सक 200 िे असधक देशो्मे्उिका कारोबार है और सजन देशो्मे्आसधकासरक तौर पर कोका-कोिा नही्सबकता है, वहां भी सकिी न सकिी तरह उिका उत्पाद पहुंच ही जाता है. बहरहाि, अगर वाकई कोका-कोिा के तीन भारतीय िंयंत्बंद होने के पीछे कारण सि​ि्फ मांग मे्कमी है तो यह एक शुभ िंकेत है. n -पूजा सिंह

छोटे-बड्ेपि्ज ् ि क्त्े ्(बैक वाटर) ब्सथत है.् दस्​्कण एसशया तटीय भूभाग की जैव िंपदा और वैसवध्य सवश्​्के अन्य सकिी भी तट िे कई गुना असधक है. इि तटीय िंपदा का मूि कारक वह शुद्-मीठे जि की अंत्यधारा है, जो सवशाि नसदयो्(पस्​्िम मे्सिंधु और पूवय्मे्गंगा) द्​्ारा िाये गये जि, गाद आसद िे सनस्मतय होती है और उपमहाद्​्ीप के तट को एक िूत्मे्बांधती है. भारतीय उपमहाद्​्ीप की सवसशि्​् पासरब्सथसतकी की कुज ं ी सहमािय का भूगोि है, िेसकन सपछिे दो िौ बरिो्मे्सहमािय के बारे मे् हमारे अज्​्ान का सनरंतर सवस्​्ार हुआ है. सहमािय सजतना पराया सवदेसशयो् के सिए था, आज हमारे सिए उि​िे भी असधक पराया हो गया है. सजतना और जैिा िव्नय ाश सवदेसशयो् ने दो

िौ बरिो्मे्नही्सकया, उि​िे कई गुना भयावह सबगाड्हमने 60-70 बरिो्मे्सकया है. चािीिपचाि बरि पहिे मध्य सहमािय मे् िगातार दि-पंदह् सदन बि्बफ ारी होती थी. मध्य सहमािय, सनम्न सहमािय, तराई और गंगा-सिंधु के मैदान मे्मे्प्क ् सृ त-प्द् त्​्परस्पर सनभ्रय ता का सरक्ता था. उि सरक्ते मे्बड्ा पसरवत्नय हुआ है- जो कुछ हुआ है, हमारे अपने कम्​्ो् िे हुआ है, एि-नीनो िे उिका कोई िंबधं नही्है. तकरीबन 10 सदिंबर िे बि्बफ ारी होती थी. बीि-पच्​्ीि या उि​िे भी असधक सदन सशमिा, धम्यशािा, डिहौजी, मिूरी, नैनीताि, अल्मोड्ा, कौिानी के पव्यत बि्फ िे ढ्के रहते थे. अब इि मध्य सहमाियी श्​्ृंखिा मे् भी कभी-कभार ही बि्फ सगरती है, शायद वह भी कुि दो-चार सदन. िगभग जनवरी शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

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आवरण कथा

के अंत मे,् या उि​िे कुछ बाद. हमारे नेततृ व् िे िेकर सवद्त् जनो्तक सकिी को अनुमान ही नही् है सक मध्य सहमािय मे् बि्बफ ारी क्यो्बंद हो गयी या इतनी कम क्यो्हो गयी और भौसतक िंिाधनो्की उपिब्लध मे्क्या हासन-िाभ हुआ. सशखर सहमािय, मध्य सहमािय, सनम्न सहमािय, तराई और सिंध-ु गंगा के मैदान जब शीत का सचल्िा पड्ना चासहए तब अकस्मात् गम्य हवाएं चि रही है्. शरद, हेमंत और विंत मे्अचानक ठंड पड्रही है. जि िंकट के ‘हेतू’ को िमझने के सिए भूगोि का इतना अभ्याि तो िीखना ही होगा. वास्व् मे्जि-िंकट जिवायु मे्हो रहे अनेक पसरवत्नय ो्का एक अंग है, न सक स्वायत्​्घटना. इि पसरप्क्े य् मे्यह तथ्य जानना-िमझना होगा सक िंकट िूखे िे उत्पन्न जिाभाव का नही्, बब्लक व्यापक स्र् पर जिवायु पसरवत्नय का है. सपछिे तीन बरिो्िे माच्य(िाल्गनु ) मे्िगातार व्यापक स्​्र पर ओिा वृस्ि हो रही है. िाि 1950 िे अब तिक भू-पसरदृषय् मे् जो आमूि पसरवत्नय हुआ है, उिे दुरस ् ्सकये बना िूखे की िमस्या का सनराकरण िंभव नही्. उच्​्तम न्यायिय का आदेश है सक िाि 1950 मे् जो जिाशय भूसम दज्य है, वहां जिाशय िौटाना होगा. िेसकन हम 80 िीिद जिाशय भूसम पर गृह सनम्ाण य कर चुके है.् इि पसरब्सथसत के कारण पसरणाम की हमे्कोई सछटपुट िमझ भी नही्है. भारत का उत्​्री अध्ा​ा्ग, सिंधु-गंगा का मैदान दीध्क य ाि िे छह ऋतुओ्का देश है- माघ अंत िे आधे चैत तक विंत होता है, बैिाखज्येष् गम्​्ी पड्ती है, आधे अिाढ् िे आधे आस्​्शन तक चौमािे यानी वि्ाय का िमय होता है. बरखा के बाद शरद और उिके बाद हेमंत और शीत ऋतु का िमय होता है. तात्पय्ययह सक हमारा सकिान एक के बाद एक छह ि​ि​िो् मे् िाि भर व्यस्​् रहता था. अठारहवी् िदी के उतराध्य मे् जो सनजाम बदिा दीघ्यकािीन ‘अकाि’ पड्ा, अराजकता िैिी और उिके 10 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

सूखे मे् पानी का सपना: एक खेत की खुदाई प्त्य् तु र् मे्िंयािी सवद्​्ोह हुआ उिके बाद शुर् हुआ ‘िूखा-मुब्कत’ योजना और काय्यक्म. गौरतिब तथ्य है सक 19वी्िदी के आरंसभक वि्​्ो् मे्‘िूखे भारत’ का आख्यान सिखा जा चुका था. यहां पुन: दोहरा दे्सक एकाध अपवाद को छोड् दे तो हमारे राष्​्ीय आंदोिन के िगभग िभी महापुर्िो्-नायको् को अंग्ेजो् द्​्ारा सिखे गये इसतहाि पर पूरा सवश्​्ाि है सक भारत िदा-िव्दय ा िे िूखा और अकाि का घर था. िाि 1830 मे् तो स्​्बसटश ईस्ट इंसडया कंपनी ने गंगा जमुना के दोआब मे्ईस्ट यमुना कैनाि का काम पूरा कर सदया था. मानव और प्​्कृसत के िुयोग िे सवकसित ‘रजवाहो’ (फ्िड ड्न्े ि) का सवशाि ताना-बाना कैनाि और उिकी सडस्ट्ील्यटु रीज मे् तबदीि हो गया. यह कोई िाधारण पसरवत्नय नही्था. दोआब की जनता ने िन 1857 का गदर आयोसजत सकया था, सकंतु प्त्य् तु र् मे्कंपनी िरकार ने जो दमन चक्​् चिाया तो ‘1857’ का तकरीबन स्मृसत-िोप हो गया और नहरी सिंचाई को िव्​्ोत्म् कृसि व्यवस्था मान सिया गया. यह एक एसतहासिक तथ्य है सक नहरी सिंचाई के बावजूद भूजि (यासन कुओ)् पर सनभ्रय ता िगातार बढ्ती रही, िेसकन भूजि िंचयन की पुरातन व्यवस्था धीरे-धीरे नि्​् हो गयी. आज तो उिके प्​्तीक सचह्न भी िमाप्त हो गये है.् देश मे्िगभग 70 प्स्तशत तािाब की भूसम पर अवैध कल्जा हो हो गया है और वहां सरहायश स्थासपत हो चुकी है. इन तािाबो्के नि्​्हो जाने िे िबिे बड्ा नुकिान स्थानीय बासरश का हुआ है और आद्तय ा के स्​्र मे् आमूि पसरवत्यन हो गया. मानिून आगमन िे ठीक पहिे मे् जो स्थानीय बासरश असनवाय्यशत्यहै, उिका क्म् ही टूट गया. िमूचे उत्र् भारत मे्िस्दयय ो्की बासरश भी इन्ही्तािाबो् पर आधासरत थी. नवंबर के पहिे-दूिरे िप्ताह मे् सिंधु-गंगा के मैदान मे् बासरश होती थीउिकी नमी िे मध्य सहमािय मे्बि्बफ ारी होती, उि​िे जो ठंड बढ्ती थी उिी के प्भ् ाव िे सशखर

सहमािय मे्व्यापक बि्बफ ारी होती थी. सपछिे 40 वि्​्ो्िे सहमनद िगातार िुकड्रहे है्या गायब हो रहे है.् एक एसतहासिक तथ्य यह भी है सक दस्​्कण भारत मे्जो उत्म् काठ नौकायन रचना मे्प्य् कु त् होता था, वही मद्​्ाि टीक कहिाता था. पुतगय् ाि, इग्िै्ड, फ्​्ांि और डच जासत ने अपने देशो् मे् नौकायन को िुद्ढ़ बनाने के सिए िव्यप्थम दस्​्कण भारत के जंगिो् का नाश सकया, उिके बाद बम्ाय और सहमाियी वनो् का नाश हुआ. आरंसभक सदनो् मे् रेिगाड्ी भी िकड्ी के ई्धन िे चिती थी और रेि पटरी सबछाने के सिए िकड्ी के स्िीपरो्का प्य् ोग होता था. िंकप्े मे् यह जानना असनवाय्यहै सक ित्ह् वी्िदी के मध्य मे् या उि​िे भी पहिे यूरोपीय जासतयो् द्​्ारा जंगिो्का जो सवनाश शुर्हुआ, वह आज तक जारी है. यह कोई गुप्त िूचना नही् सक अंग्ेज हकूमत िे आजादी के बाद वन सवनाश के काय्क य म् की गसत मे्बहुत तेजी आ गयी थी. दस्​्कण एसशया मे् जो जिवायु पसरवत्यन हुआ, उिका स्वर्प और इसतहाि उि ग्िोबि क्िाइमेट चे्ज के िंवाद िे सबल्कुि सभन्न है सजिके सिए सपछिे चािीि बरि िे िंयकु त् राष्​् िंघ की िंसथ् ाओ्ने वैस्शक िंवाद चिा रखा है. हमारा जिवायु पसरवत्नय मूित: हमारे अपने भूपसरदृषय् िे िंबद्​् है. सहमािय के सहमनदो् का िीधा सरक्ता सिंध-ु गंगा के मैदानी भू पसरदृषय् मे् आबद्​् है. इि िंदभ्य मे् सहमािय की तराईपठानकोट िे चटगांव (बांग्िादेश) एक महत्वपूणय् सवभाग है. िमूची तराई िगभग नि्​् हो चुकी है. बीते 20-30 िािो् मे् वे िोग भी िुपत् हो गये सजन्हे्यह िमझ और जानकारी थी सक तराई के घने जंगिो्का क्या महत्व है. सटहरी बांध के प्स्िद्​्सवरोधी िुदं रिाि बहुगण ु ा कहा करते थे सक सजि गसत िे तराई का पद्ाय कम होगा, उिी गसत िे सहमािय के सशखर और सहमनद सपघिते रहेग् .े बतौर सनष्कि्य हमारे िार तत्व यही है सक उत्र् भारत मे्उि भू- पसरदृकय् का पुन स्नमय ाण करना होगा जो अंग्ेजो् के आगमन िे पहिे (औरंगजेब के काि तक) सदखाई पड्ता था. भूजि स्र् , जो बहुत नीचे सगर चुका है, को पुन: प्​्ाप्त करने की दो ही शत्​्े है् सक ितही जिकाया और वनस्पसतक आडंबर (धरती की वेशभूिा) उिी अनुपात मे् पुनस्​्थासपत कर दे् सजिमे् वह ित्​्हवी् िदी के अंत तक सदखाई पड्ती थी. जि िंकट पर चि रहे िंवाद मे् आमूि पसरवत्नय करके िंवाद का पसरप्क्े य् ‘जि िंकट’ िे बदि कर ‘जिवायु पसरवत्यन’ करना होगा और वैस्शक गपशप की जगह स्थानीय इसतहाि और घटनाक्​्म की प्​्ाथसमकता को स्वीकार n करना होगा.


राजेंदं गसंह

कहां गयी नदी सभ्यता

हम सभ्यता के ह्​्ास की भरपाई तभी कर सकते है,् जब नषदयो्से आस्था और वैज्ाषनक समझ के साथ जुडग े् .े

ि िंकट वास्​्व मे्हमारी आस्था िे जुड्ा हुआ िंकट है. िमय के िाथ हम अपनी आस्था को भुिाते जा रहे है्, जि िे जुड्ी अपनी परंपराओ्का िोप करते जा रहे है,् इिसिए िंकट और गहरा और सवकराि होता जा रहा है. हमारी िभ्यता और िंसक ् ृसत मे्नसदयो्का खािा महत्व रहा है. बेशक एक आधुसनक िमाज के जेहन मे् यह िवाि होगा सक िभ्यता क्या है? दरअि​ि, िभ्यता एक सनस्​्ित जगह की होती हैः जैिे, कैिे कोई रहता है, कैिे वह प्​्कृसत को देखता है और कैिे उिे जीता है? उिके कम्यऔर व्यवहार ही िभ्यता का सहस्िा बनते है्. और िंस्कृसत सकिे कहे्गे? एक अच्छी िभ्यता िे िमाज सवकसित होता है और वह अपने सिए कुछ सिद्​्ांत बनाता है. जीवन के इन सिद्​्ांतो्मे्मुख्य होते है्: प्​्कृसत िे उिका वास्​्ा, पंचतत्वो् िे उिका सरक्ता. ये िब समिकर हमारी िंस्कृसत का सनध्ायरण करते है्. िभ्यताओ् का सवकाि नसदयो् के सकनारे हुआ है. िंस्कृसत इन्ही् सकनारो् पर ि​िी-िूिी है. इिीसिए हम ‘गंगा की िभ्यता’ कहते है्. इिीसिए हम खुद को ‘गंगा-जमुनी िंस्कृसत’ िे जोडते है्. देखा जाये, तो नदी सकनारे रहने वािा िमाज के जन्म िे मरण तक जो भी िंस्कार होते थे, उि​िे िंस्कृसत का सनम्ायण होता था. इिसिए नसदयो्का मानव िभ्यता के सवकाि मे् असमट प्​्भाव है. इिके सबना िभ्यता और िंस्कृसत की कल्पना ही नही्की जा िकती है. चाहे पुरानी मानव िभ्यताओ्का सजक्​् कर िे्या नये शहरीकरण की बात करे्, नसदयो्के बगैर कुछ भी मुमसकन नही्. भारत मे् नीर, नारी और नदी- तीनो् का गहरा िंबंध और िम्मान था. इन तीनो्को हमारे ऋ सि-मुसनयो् ने पोिक माना है. इिसिए नारी और नदी को मां का दज्ाय सदया गया है. और नीर यानी जि को जन्म िे ही जोडकर देखा जाता है. ‘जि ही जीवन है’यह भाव यही् िे उपजा है. भारतीय िंस्कृसत मे्भी पोिण करने वािो्को मां और शोिण करने वािो्को राक्​्ि कहा गया है. देवता और दानव के बीच अंतर की यह िोच, जो अनासद काि िे चिी आ रही है, यही िे आयी है. दरअि​ि नसदयो्के सकनारे, नसदयो्के िाथ, जो जैिा व्यवहार करता था, उिी के आधार पर उिे देवता या दानव बोिने िगते थे. अगर इंिान भी नसदयो् को पसवत्​् रखने का काम करता था, तो उिे देवता कहा जाता था और अगर उिने उिको गंदा करने का काम सकया, तो उिे दानव, यानी राक्​्ि माना जाता. आज हम नसदयो्के सकनारे जर्र है्, सकंतु नसदयो्के करीब नही्है्. हमे्इनको अपनी िभ्यता मानते है्, सकंतु इनके िाथ हम अपना व्यवहार मैिा ढोनेवािी गासडयो्जैिा करते है्. देखा जाये, तो पहिे जो एक दानव या कुछ दानवो्की कुचेि्ा थी, आज वह पूरे िमाज मे्व्याप्त हो गयी है. आज वह कुचेि्ा पूरे िमाज को रोगी बना चुकी है. इि​िे पहिे सक नसदयो्

को प्​्दूसित कर इंिान शारीसरक व्यासधयो् का घर बने, नसदयो् को मैिा ढोनेवािी गासडयां बनाने की िोच ने ही इंिान को मानसिक रोगी बना सदया है. जब यह काम एक पूरा िमाज करता है, तो वह नसदयो्की िभ्यता मे् आयी सगरावट का मानक होता है. इिसिए आज जब हम अपने आि-पाि की नसदयो् का अविोकन करते है्, तो ऐिा िगता है सक हमने अपनी िभ्यता और िंस्कृसत को ही भुिा सदया है. जि हमारा जीवन तो है, िेसकन हम उि जीवन का दोहन करते है्. नदी और नारी के प्​्सत िम्मान मे् भयंकर ह्​्ाि आया है. यानी िमाज मे् मां का स्थान िंकट मे् है. इि ब्सथसत मे् हम सजि सवकािवाद की बाते्करते है्, वे हमे्सवनाश की ओर ही िे जायेगा. हम जि-िंरक्​्ण, वि्ाय-जि िंचयन की िंबी-िंबी बाते् करते है्. िेसकन इन िबके मूि मे्यही है सक प्​्कृसत की धारा यानी नदी िे हमारा सरक्ता िुधरे और पुराने र्प मे्आये. क्या हम इिके सिए तैयार है्? शायद नही्, क्यो्सक जहां एक तरि िंबी-चौडी योजनाओ्का दावा है, वही्दूिरी तरि पोि खोिती हकीकत भी है सक गंगा की स्वच्छता, असवरिता के नाम पर करोडो्र्पये िूंके गये, िेसकन अब भी उिमे्कि-कारखानो्के कचरे बगैर पसरशोधन के सगरते है्. सदल्िी सजि नदी के सकनारे बिी है, यानी यमुना बेहद प्​्दूसित नसदयो् की सगनती मे् िबिे ऊपर है. मुंबई की समठी नदी का भी हाि बेहाि है. नसदयो्के शुद्ीकरण के सिए पसरयोजनाओ्पर जोर है, िेसकन इि सदशा मे्सकतना कुछ काम हो पाता है, यह िही योजना, अटि इरादे और प्​्शािसनक नेकनीयती िे ही पता चि पाएगा. पहिे ऐिे असभयानो् को नारे बनकर खत्म होते हमने देखा है. इिसिए प्​्शािसनक ितक्फता और िामासजक जागर्कता, दोनो्महत्वपूण्य है्. िोगो्को भी इि तरह के असभयानो् मे् सदिचस्पी सदखानी चासहए और अपनी भागीदारी देनी चासहए. दूिरी बात यह है सक इि तरह के असभयानो्मे्वैज्ासनक दृस्ि और आस्था, दोनो्का िमावेश हो. अक्िर, इन दोनो् को अिग-अिग कर और एक दूिरे के सवपरीत रखकर देखा जाता है, सजि​िे सकिी का भी भिा नही्होने वािा. नसदयो् के प्​्सत जो हमारी आस्थाएं है्, उनके मूि मे् कही् न कही् उनको पोिक मानने का भाव है, उनको स्वच्छ, सनम्यि और असवरि रखने की िोच है. आस्था मे्वे आडंबर न हो्, सजनिे नसदयां मैिी होती है्. िेसकन नसदयो्के सकनारे जाकर उन्हे्पूजने का महत्व हमे्हमारी जडो्िे जोडता है. इिसिए हम अपनी ‘गंगा िभ्यता’ या ‘गंगा-जमुनी िंस्कृसत’ मे् आये ह्​्ाि की भरपाई तभी कर िकते है्, जब हम नसदयो्िे आस्था और वैज्ासनक िमझ n के िाथ जुडे्गे. ( िेखक जाने-माने पय्ायवरण काय्यकत्ाय है्. आिेख श्​्ुसत समत्​्ि िे बातचीत पर आधासरत.) शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 11


आवरण मास्ट हेकथा ड

नैनीताल और आसपास के इलाके का सबसे बड्ा आकर्षण नैनी झील है, लेषकन आज वह सूखने के कगार पर है. उसका जल स्​्र सष्दषयो्मे्ही घटने लगा था और अब भी लगातार घट रहा है. षकसी समय साठ प्​्ाकृषतक झीलो्वाला यह क्​्ेत् घनघोर संकट मे्है.

बेरुखुी झेलती

पं​ंयाि पांडे

दे

िी-सवदेशी िैिासनयो्के आकि्यण का के्द् और नैनीताि की िंजीवनी नैनी झीि िूखने के कगार पर है. इि बार ठंड के मौिम मे् ही झीि के जि स्​्र मे् जबरदस्​् सगरावट आ गयी. नैनी झीि के पानी का स्​्र करीब चार िीट नीचे पहुंच गया है. झीि के जि स्​्र मे्सपछिे िाि के मुकाबिे करीब नौ िीट और 2014 के मुकाबिे 7.5 िीट ज्यादा सगरावट आ गयी है. जि स्​्र मे् सगरावट का यह सि​िसि​िा िगातार जारी है. जानकारो् के मुतासबक झीि का जि स्​्र रोजाना करीब 15 िे 30 िे्टीमीटर सगर रहा है. जाडो् के मौिम मे् झीि के जि स्​्र मे् इि कदर सगरावट इि​िे पहिे कभी नही्देखी गयी. मई-जून के महीनो् मे् पय्यटक िीजन के चिते पानी की खपत बढ जाने और गम्​्ी के चिते आमतौर पर झीि का जि स्​्र बहुत नीचे चिा जाता था िेसकन उन सदनो् भी पानी के स्​्र मे् इतनी सगरावट कभी नही् आयी. जि स्​्र मे् आ रही इि सगरावट िे नैनीताि मे्पीने के पानी की आपूस्तय और पय्यटन उद्​्ोग पर बुरा अिर पडने के आिार नजर आ रहे है्. िाथ ही झीि िे िगी पहासडयो् मे् भूस्खिन का खतरा बढ् गया है. पर उत्​्राखंड को पय्यटन प्​्देश बनाने का दम भरने वािी राज्य िरकार और झीि िंरक्​्ण के नाम पर अब तक करोडो् र्पये सठकाने िगा चुके िरकारी महकमे इि​िे बेखबर है्. िोक सनम्ायण सवभाग के प्​्ांतीय खंड के असधशािी असभयंता िुनीि कुमार गग्य के मुतासबक नैनीताि के तािाब का जि स्​्र सपछिे िाि इन सदनो्पैमाने िे तकरीबन पौने छह िीट ऊपर था. िाि 2014 मे्इन्ही सदनो् तािाब का जि स्​्र चार फ़ीट के आिपाि था.जबसक इि बार तािाब का जि स्​्र सनस्​्ित पैमाने िे तीन िीट नीचे है. िुनीि कुमार गग्य के मुतासबक इि िाि तािाब का 12 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

नैनी झील: घटता पानी घटती सुंदरता जि स्​्र सपछिे िाि के मुकाबिे करीब तीन मीटर और 2014 के मुकाबिे 7.5 िीट नीचे चिा गया है. उत्​्राखंड जि िंस्थान के असधशािी असभयंता जगदीप चौधरी के मुतासबक झीि के जि स्​्र मे् तेजी िे आ रही इि खतरनाक सगरावट के मददेनजर भसवष्य मे् पीने के पानी की आपूस्तय बासधत होना तय है. चौधरी के मुतासबक सफ़िहाि नगर मे्रोजाना करीब 14 एमएिडी की मांग है. गस्मययो्के सदनो्मे्पानी की खपत रोजाना 22 एमएिडी तक पहुंच जाती है. तािाब के मौजूदा हािात के मददेनजर इि मांग को पूरा कर पाना नामुमसकन है. सिहाजा जि िंस्थान अभी िे पेयजि आपूस्तय मे् कटौती पर सवचार करने िगा है. नैनीताि झीिो् के सिये जाना जाता है. एक दौर मे्नैनीताि और इिके आि-पाि 60 प्​्ाकृसतक झीिे्थी्. इि क्​्ेत्को छःखाता कहा जाता था. राजस्व असभिेखो् मे् आज भी यह

क्​्ेत्छःखाता परगने के र्प मे्दज्यहै. छःखाता शल्द िंस्कृत का अपभ्​्ंश है. छःखाता का भावाथ्य है 60 झीिो् वािा क्​्ेत्. इनमे् िे कुछ झीिे् कािांतर मे् अपना वजूद खो चुकी है्. अब मायने रखने वािी चंद झीिे बची है, सजनमे्- नैनीताि, भीमताि, िातताि, नौकुसचयाताि, मिुवाताि, खुप्ायताि, िसरयाताि और बरिाती झीि िूखाताि आसद शासमि है्. इनमे् िबिे आकि्यक झीि नैनीताि की ही है. नैनीताि के बिावट के दौरान नैनी झीि का क्​्ेत्ि​ि 120.5 एकड और असधकतम गहराई 28 मीटर आंकी गयी थी. 1880 मे् प्​्ियकारी भू-स्खिन के बाद झीि का क्​्ेत्ि​ि घटकर 114.5 एकड रह गया था. एक दौर मे्4.70 एकड क्​्ेत्को नैनी झीि का जि िंग्हण क्​्ेत् माना गया था. झीि िे िगी पहासडयो्मे्बने तकरीबन डेढ िाख िीट िंबे छोटे-बडे नािे झीि को िदैव पानी िे िबािब भरा रखने का काम सकया करते थे.


झील

फोटो: महमांशु जोशी

यहां की झीि,पहासडयो् और इि बेसमिाि नािातंत् की देखरेख और रखरखाव के सिए 1927 मे्सहि िाइड िेफ्टी एवं झीि सवशेिज्​् िसमसत बनायी गयी थी. अब यह िसमसत कागजो्मे्सिमट कर रह गयी है. नैनी झीि नैनीताि का प्​्ाण है. यह यहां के िोगो्को रोजी-रोटी, भोजन-पानी, पहचान और आत्म िम्मान देती है. तािाब की िेहत और खूबिूरती िे नैनीताि की खूबिूरती है. पय्यटन है, रोजगार है. िािाना अरबो्र्पये का कारोबार है. इि झीि िे नैनीताि नगर ही नही् बब्लक आिपाि के इिाको् के िोगो् को भी पीने का पानी और रोजगार समिता है. नैनीताि का वजूद झीि पर ही सटका है. िभी िरकारी योजनाये् इिी झीि की बुसनयाद पर बनती है्. पर आज यही झीि तकरीबन िावासरि है. िाि 2003 मे् देश के तत्कािीन प्​्धानमंत्ी अटि सबहारी बाजपेयी की पहि पर भारत िरकार ने नैनीताि की झीि के िंरक्​्ण एवं प्​्बंध के सिये करीब 48 करोड र्पये की राष्​्ीय झीि िंरक्​्ण पसरयोजना मंजूर की थी. इि योजना के तहत करीब पाँच करोड र्पये की िागत िे झीि मे्एयरेशन के अिावा और कोई काम नही् हुआ. 2008 -09 मे् जवाहर िाि नेहर्शहरी नवीनीकरण समशन के तहत पहिी सकक्त के र्प मे् नैनीताि के सिये 4368 िाख र्पये मंजूर हुए. इधर झीि को के्द्मे्रखकर एसशयन बै्क की आस्थयक मदद िे नैनीताि नगर की पेयजि आपूस्तय व्यवस्था के पुनग्यठन के सिए करीब 71 करोड र्पये खच्​्ेजा रहे है्. इि योजना का काम सफ़िहाि ताल हुआ बेताल: बढ़्ता हुआ अमतक्​्मण

चि रहा है.नैनीताि नगर का िारा दारोमदार नैनी झीि पर सटका होने के वावजूद जमीनी हाित यह है सक सपछिे करीब 18 िािो् िे झीि की िािाना नाप-जोख तक नही्हो पायी है. नैनीताि की झीि का ज्यादातर जि िंग्हण क्​्ेत् कंक्ीट के जंगि िे पट गया है. सपछिे दो-ढाई दशको् के दौरान यहाँ हुए हजारो् वैध और अवैध भवन बन जाने िे बरिात का पानी िोख कर झीि को पानी देने के सिये अब यहाँ िमति जमीन नही्बची है. पहिे मुख्य िडक ,मािरोड और बाजार क्​्ेत् को छोडकर नगर की बाकी िभी िडके्/रास्​्े कच्​्े थे ,ये बरिात मे् पानी िोखने का काम करते थे. अब नगर के िभी िडक /रास्​्े

झील का ज्यादातर जल संग्िण ि्​्ेत्कंक्ीट के जंगल से पट गया िै. बरसात का पानी सोख कर झील को पानी देने के हलए समतल जमीन निी्बची िै. पके् हो गये है. यही नही् आजाद भारत के योजनाकारो्ने खेि के मैदान और ठंडी िडक के एक सहस्िे को भी टाइिो् िे पाट सदया है. झीि की तिहटी मे्बेसहिाब समट्​्ी-मिबा और कूडा-करकट भर जाने िे तािाब के भीतर मौजूद प्​्ाकृसतक जि स्​्ोत बंद हो गए है्. एक दौर मे्यहां िैकडो्प्​्ाकृसतक जि स्​्ोत थे, पर अब ज्यादातर पानी के स्​्ोत िूख गये है्. झीि का महत्वपूण्य जि िंग्हण क्​्ेत् माने जाने वािे िूखाताि क्​्ेत् मे् भी कंक्ीट का जंगि उग गया है. नैनीताि मे् खािी जमीन के नाम पर जंगिात की सनगरानी वािा वन क्​्ेत् और तेज ढािदार कुछ जमीने् बची है्, जो सक बरिात का पानी िोख पाने मे् अिमथ्यहै्. नतीतजन बरिात का पानी जमीन मे् िामने के बजाय तेज रफ़्तार िे निो् के जसरए तािाब मे्पहुँचता है. इिके िाथ बहकर आया समट्​्ी-मिबा और कूडा-करकट झीि की ति मे्िमा जाता है, झीि के भर जाने की िूरत मे् असतसरक्त पानी की सनकािी कर दी जाती है. रही-िही किर अबकी मौिम की बेर्खी ने पूरी कर दी. इि िाि मानिून के बाद यहां बासरश नही् हुई है. बि्फ ने भी नैनीताि िे मुंह मोड सिया. सपछिे कई िािो् बाद इि बार नैनीताि की ठंड िूखी ही बीत गयी. इि िबके चिते अबकी नैनीताि के तािाब मे् सरकाड्य सगरावट आ गयी है. जिस्​्र घट जाने के चिते तािाब के सकनारो् मे् समट्​्ी-मिबे के बदनुमा डेल्टा पिरे नजर आ रहे है्. n शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 13


आवरण कथा

सूखे मे्जीवन और जल

बुंदेलखंड मे्सूखे का ऐसा साया पड्ा है षक लोगो्और पशु-पष्​्कयो्तक को पीने का पानी नसीब नही् है और जलाशयो्को षिर से जीषवत करने का सरकारी वादा भी पूरा नही्हुआ. जबसक इिके नाम पर यहां सक हसरयािी और पहाडो् को िूटने की िोगो् मे् होड मच गयी है. अवैध खनन तो यहां हमेशा िे होता आया देिखंड मे्अकाि का ऐिा िाया पडा है. है. बािू मासियाओ् ने यहां के वासशंदो् और सजिका प्​्भाव न सि​ि्फ गांवो् मे् है बब्लक पशु-पस्​्कयो् का जीना दूभर कर सदया है. शहरी क्​्ेत्ो् मे् भी िोग परेशान है्. यहां के सचत्​्कूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, िसितपुर, ग्​्ामीण बै्को् के कज्य तिे दबे हुए है्. िूखे की झांिी और जािौन मे् तो हसरयािी का चपेट मे्यहां के मवेशी भी है्. अब उनके सिए नामो्सनशान समट गया है. बीते एक दशक िे चारे के इंतजाम मे् भी सदक्​्त हो रही है. यहां बासरश का पानी बनाये गये बांधो् मे् असधकांश तािाब और जिाशय िूखे पडे है्. उच्​्तम िीमा तक नही्पहुंचा है. िेसकन इिके मुखय् प्​्ाचीन जिस्​्ोत कुएं भी िूखने के कगार बावजूद सिंचाई सवभाग ने पानी को बचाने सक पर है्या सिर उनका जिस्​्र नीचे जा रहा है. कभी कोई कोसशश नही् की. िाथ ही जो पानी महोबा सजिे मे् पांच बांधो् और 18 बडे बचा है वह जहर िे कम नही् है. ऐिे मे् िोगो् जिाशय की तिहटी मे्धुि और समट्​्ी के जमा का जीवन खतरे मे्है. होने िे वह पट गये है्. सजि​िे िोगो्के िामने सरवाइवि ऑफ़ बुंदेिखंड के एक अब पेयजि का िंकट आ गया है. यहां मानव काय्क य म् मे्स्​्बज िाउंडश े न के िंयोजक सवनीत िे िेकर पशु-पस्​्कयो् तक का जीवन जि के नारायण ने कहा सक अंग्ेज पुरातत्वसवद जनरि बगैर खतरे मे्है. भूजि वैज्ासनको्ने ये आशंका कसनघम्य ने िाि 1843 मे् एक िव्​्े करवाया जतायी है सक आगामी मई-जून तक पूरे था. उिके मुतासबक चंदेिकािीन शािको् ने बुंदेिखंड मे्जि स्​्र तकरीबन 15 मीटर और 1028 इिवी िे 1035 के बीच मदन िागर, नीचे चिा जायेगा. सजि​िे हािात और सबगड कीरत िागर, सवजय िागर, कल्याण िागर और जाये्गे. रासहल्य िागर का सनम्ायण करवाया था. चंदेिो् इि​िे पहिे प्​्देश के मुख्यमंत्ी असखिेश के शािन मे् इन्ही तािाबो् िे िैकडो् वग्यमीि यादव ने महोबा के तािाबो्और जिाशयो्को जमीनो् की सिंचाई होती थी. िेसकन आज के पुनज्​्ीसवत करने की घोिणा भी की थी. िेसकन िमय मे् ये िभी प्​्ाचीन जिाशय अपनी जि जमीन पर अभी तक ऐिा कुछ घसटत नही् भंडारण क्​्मता को खो चुके है्. यहां के नेताओ् हुआ है. िभी जिस्​्ोत वैिे के वैिे ही पडे है्. और अि​िरो् के गठजोड िे यहां का प्​्ाचीन बुंदेलखंड मे् लगातार मगरता जल स्​्र: संकट मे् मजदंगी

हगरशं​ंनंदं

बुं

14 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

और गौरवशािी इसतहाि अब खत्म होने के कगार पर है. बाकी जो है उन्हे्भूमासिया अपना सशकार बना रहे है्. ऐिे मे् यहां के प्​्ाचीन जिस्​्ोतो् को दोबारा िे जीसवत करना जर्री है. बुंदेिखंड मे् उत्पन्न हुआ जि िंकट अचानक नही् आया है. ये दशको् िे हो रहे प्​्कृसत के िाथ सखिवाड का नतीजा है. यहां इि​िे सनपटने के सिए कई बार नीसतयां भी बनी िेसकन वह सि​ि्फकागजो्पर ही सिमट गयी्. इि बात का इसतहाि गवाह है सक चंदेि राजाओ्ने अपने शािनकाि मे् यहां जि प्​्बंधन का अचूक िाम्यूिा बना रखा था. सजि​िे यहां कभी भी ऐिा िूखा या पानी की िमस्या उत्पन्न ही नही् होती थी. इन शािको् ने कुओ् िे िेकर तािाबो्, बडे-बडे िरोवरो् का सनम्ायण करवाकर जि का बेहतरीन प्​्बंधन कर रखा था. आज के िमय मे् ये काम करना इतना कसठन नही्है. ये सकया जा िकता है. आज तो हमारे पाि उन्नत तकनीक भी है. एक नजर महोबा मे् पहिे िे मौजूद चंदेि शािको् के तािाबो् और जिाशयो् पर: मदन िागर, जो तकरीबन 105 हेक्टेयर मे् है. इिमे् 83 समसियन घन जि जमा सकया जा िकता है. इि​िे तीन नहरे् भी सनकािी गयी् है्. कीरत िागर 95 हेक्टेयर मे् िैिा है और इिमे् 66 समसियन घन पानी जमा सकया जा िकता है. इि​िे होकर दो नहरे् भी है्. तो वही् कल्याण िागर 150 हेक्टेयर मे् िैिा हुआ है और इिमे् 95 समसियन घन पानी एकत्​्सकया जा िकता है. िाथ ही इि िरोवर िे दो नहरे् भी चि रही है्. सवजय िागर 233 हेक्टेयर के भू-भाग पर है और 246 समसियन घन पानी भरा जा िकता है. इि​िे होकर तीन नहरे्भी सनकिी है्. रासहल्य िागर िे तीन नहरे् सनकिी है् और ये 150 हेक्टेयर मे् िैिा है. सदिरापुर जिाशय 297 हेक्टेयर मे् िैिा हुआ है. सजिमे् 66 समसियन घन पानी आ िकता है और इि​िे होकर तीन नहरे् जाती है्. इतना िबकुछ होने के बावजूद पूरा बुंदेिखंड िूखे के भीिण चपेट मे् है. यहां जिस्​्र इतना नीचे चिा गया है सक हैण्डपंप िे भी पानी सनकािने मे् िोगो् को िमस्या आ रही है. n


बुंदेलखंड मे् सूखा-पीम्ित: लाचारी का दौर

कभी न थे ऐसे दुर्दिन

यह इलाका दस साल से कई तरह के संकट से जूझ रहा था. लेषकन इस बार नयी तरह का और भारी-भरकम संकट है. सुधीर जैन

सखर बुंदेिखंड मे्वे दुस्दयन आ ही गये, सजिका अंदश े ा डेढ्िाि िे जताया जा रहा था. वैिे यह इिाका दि िाि िे कई तरह के िंकट िे जूझ रहा था. िेसकन हर बार सकिी न सकिी तरह गस्मययो्के चार महीने गुजार सिए जाते थे. िेसकन इि बार नये तरह का और भारी भरकम िंकट है. पहिे िे ही बेरोजगारी िे परेशान इि इिाके मे् कभी बेमौिम बासरश, कभी ओिे और सिर िूखे जैिे हािात ने इि बार इि हाित मे्भी नही्छोड्ा सक वहां के िोग कुछ िोच िके.् िरकारे्यानी उत्र् प्द् श े , मध्य प्​्देश और के्द् िरकार पारपंसरक उपायो् के अिावा और क्या िोच िकती है्. िेसकन इि बार तो वह भी गंभीरता िे होता नही् सदखायी सदया. प्​्शािसनक स्​्र पर कोई भी नया उपाय िुनने तक को नही्समिता. इिी पखवाड्ेसदल्िी के जंतर मंतर पर भानु प्​्ताप सिंह के नेतृत्व वािी भारतीय सकिान यूसनयन ने सकिान पंचायत बुिायी थी. इिमे् िबिे ज्यादा चच्ाय बुंदेिखंड के हािात पर ही हुई. हजारो् सकिानो् की इि पंचायत मे् सजि िंजीदगी िे बोिा गया उि​िे िगता है सक पीसडत िमाज को भी िमझ मे् आ गया है. िमस्या के िमाधान के सिए पहिे एकाग्​्ता िे

सवचार सवमश्य होना सकतना जर्री है. इि पंचायत मे् मांग की गयी सक के्द् िरकार को बुंदेिखंड पर श्​्ेतपत्​्जारी करना चासहए. जब तक यह काम पूरा हो तब तक हािात के मद्​्ेनजर बुंदेिखंड को एकमुक्त मदद का एिान िौरन सकया जाना चासहए. ये अिग बात है सक एकमुक्त मदद की मांग रखते िमय सकिान नेता धन की मात्​्ा नही्बता पाये. बुंदेिखंड के हािात िुधारने के सिए कम िे कम सकतने पैिे की जर्रत होगी. इिका अंदाजा सकिी भी स्​्र पर नही्िगाया गया है. दोनो् प्​्देश िरकारो् और के्द् िरकार के पाि कोई भी योजना नही्है. सजिके आधार पर खच्य का सहिाब िगाया जा िके. यानी िारी िमस्या योजना या सवचार मौजूद नही् होने की है. इि बारे मे् सकिान यूसनयन के बुंदेिखंड अध्यक्​् सशव नारायण सिंह पसरहार िे जब पूछा गया. तो उनका जवाब था सक योजना या उिके खच्यका सहिाब िगाना िामासजक िंस्थाओ्की बि की बात नही् है. इिके सिए इिाके का इसतहाि भूगोि और अब तक िोचे गये उपायो् को जानना जर्री होता है. इिीसिए सकिान यूसनयन ने िबिे पहिे केद् ्िरकार िे श्त्े पत्​् जारी करने की मांग रखी है. श्​्ेतपत्​्के जसरये ही पता िग पायेगा सक िमस्या का आकार प्​्कार क्या है?

यानी क्या आज हम इि ब्सथसत मे्ही नही् है सक बुंदेिखंड को ऋ ण देने का कोई उपाय िोच भी पाये. ऐिा भी नही्है. मि​िन इि बार का देश का आम बजट पेश होने के पहिे कुछ सवशेिज्​्ो्ने इिका मोटा सहिाब िगाया था. यह सहिाब बीते तीन िाि मे्िामासजक स्र् पर हुए सवमश्​्ो्के आधार पर था. इिमे्बताया गया था सक बुंदेिखंड की प्​्मुख िमस्या जि प्​्बंध के र्प मे् सचंसहत की जा चुकी है. जि प्​्बंधन इतना खच्​्ीिा काम है सक पांच िे िात हजार करोड् र्पये िगाकर नही् हो िकता है. सि​ि्फ बुंदिखंड के पुराने तािाबो् की मरम्मत का सहिाब ही 15 हजार करोड् का िगा था. बुंदेिखंड मे्बेरोजगारी की जैिी सवकट ब्सथसत है. उिके सिये मनरेगा जैिी योजना को सवशेि सवस्​्ार देने मे्ही 10 हजार करोड का खच्ाय आ जायेगा. पय्यटन, कुटीर उद्​्ोग और वहां के पारंपसरक उद्​्ोग धधो् को पुनज्​्ीसवत करने के सिए कम िे कम 20 हजार करोड् का सनवेश चासहए. कुि समिाकर बुंदेिखंड के सिए एक पीएिआर यानी प्​्ीिीसजसबसिटी सरपोट्य जैिे दस्​्ावेज मे् पचाि हजार करोड् र्पये का आंकड्ा था. अब िवाि यह उठता है सक बुदं ि े खंड के सिए इतने िंिाधनो् की बात कौन उठाये. न उत्र् प्द् श े की हैसियत है और न ही मध्य प्द् श े की है. केद् ्ने तो इि बजट मे्अपनी क्म् ता बता ही दी है. जि पसरयोजनाओ्के सिए पूरे देश के सिए 19 हजार करोड् का प्​्बंध हो पाया है. जासहर है सक िंिाधनो् के प्​्बंध के सिए दूिरे उपाय िोचने पड्गे .े दूिरे उपाय भी कभी िोचे जा चुके है. बुदं ि े खंड के पुनस्नमय ा्ण य की थीम पर सवमश्यका प्ब् ध ं न करने वािे प्स्शस्​्कत प्ब् ध ं न सवशेिज्​्ो्ने तीन िाि पहिे अपनी मैनज े ीसरयि सि​िासरश मे्कहा था सक स्वयंिवे ी िंसथ ् ाओ्को इि काम के सिए प्​्ेसरत सकया जा िकता है. उन्हो्ने िुझाव सदया था सक यूपीए िरकार के दौरान िीएिआर यानी कारपोरेट िोशि सरस्पांिसबसिटी का जो कानून बना था. वह ऐिे ही कामो्के सिए सवत्​्प्ब् ध ं न के सिए था. यह उपाय आज भी है. मैनज े ीसरयि सि​िासरश मे्यह हवािा भी सदया गया था. वृंदावन मे् बृज िाउंडेशन के कुंडो् के जीण्​्ोद्​्ार के काम को देखकर सिया गया है. इि​िे पता चिा था सक बड्-े बड्ेऔद्​्ोसगक घराने अपने िीएिआर की रकम को ऐिे ही कामो्पर िगाने के सिए िोचते है.् पर इिकी पहि करने के सिए हमे्प्स्शस्​्कत िामासजक काय्यकत्ाय चासहए. जब इिका पता सकया गया, तो पता चिा बुंदेिखंड मे् काम करने वािी स्वयंिेवी िंस्थाओ् के पाि इतने िंिाधन नही्है.् ऐिे मे्वह आवक्यक सिखापढी के सिए िामासजक उद्स्मता के प्स्शस्​्कत युवको् n को काम पर नही्रख िकते है.् शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 15


आवरण मास्ट हेकथा ड

मध्य प्​्देश मे् एक कुएं की हालत: पाताल पहुंचा पानी

फोटो: नीतीश प्​्यदश्​्ी

अब पानी पर पहरा

गष्मषयो्की शुर्आत मे्ही प्​्देश के गांवो्मे्जल संकट इतना षवकराल हो चुका है षक लोग अपने घरो्से पलायन करने लगे है्. प्​्देश के टीकमगढ् षजले मे्पानी की रक्​्ा के षलए बंदूकधारी सुरक्​्ाकष्मषयो्की मदद ली जा रही है. पूजा गसंह

स्मा्यां अभी शर्ही हुई है्और मध्य प्​्देश का ग्​्ामीण अंचि पेयजि की िमस्या िे त्​्ासह-माम कर रहा है. प्​्देश के बुंदेिखंड इिाके मे् हाित भयावह है् जो खबरो् मे् भी आता है िेसकन इिका यह अथ्य कतई नही् है सक मप्​्के अन्य सहस्िो्मे्पानी की कोई सदक्त् नही् है. िगातार दूिरे िाि कमजोर मॉनिून के चिते मध्य प्​्देश के 40 िे असधक सजिे 16 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

पानी की भीिण कमी िे जूझ रहे है् सिर चाहे वह राजधानी भोपाि और उिके आिपाि के सजिे हो् या रीवा, िीधी, मंडिा सडंडोरी जैिे दूरदराज ब्सथत सजिे. शहरी क्​्ेत्ो् मे् तो सिर भी िरकारी पाइपिाइि, सनजी कॉिोसनयो्के बोरवेि और टै्कर की उपिल्धता के कारण िंकट की भयावहता का अंदाजा नही् िग पा रहा है, अि​ि सदक्​्त तो प्​्देश के ग्​्ामीण इिाको् मे् िामने आ रही है. इन इिाको् मे् है्डपंप और बोरवेि ही पीने के पानी का इकिौता जसरया है.् ताि तिैया और कुएं तो इि िाि जाड्ेके सदनो् िे ही पूरी तरह िूखे हुए है्. प्​्देश के पय्ायवरण पत्​्कार असनि यादव कहते है्, ‘भूजि स्​्र कम होने के कारण बोरवेि की गहरायी बढ्ायी जा रही है. इिकी वजह िे पानी मे्तमाम तरह के खसनज पदाथ्य समि जाते है् जो िोगो् के स्वास्थ्य के सिये नुकिानदायक है्. एक तो पानी नही् है जहां पानी है भी वहां वह पीने िायक नही्है.’ प्​्देश के झाबुआ, मंडिा और सछंदवाड्ा सजिे के कई इिाको् मे् पानी मे् फ्िोराइड की असधकता ने िमस्या पैदा कर रखी है तो वही्

रीवा, िीधी जैिे इिाको्के पानी मे्िाइमस्टोन की मात्​्ा इतनी ज्यादा है सक उिका खारापन खत्म ही नही् होता. प्​्देश की िोकस्वास्थ्य असभयांस्तकी मंत्ी कुिुम मेहदेिे ने कुछ सदन पहिे कहा था सक प्​्देश मे् जि िंकट बहुत गंभीर नही् है िेसकन अप्​्ैि तक यह ब्सथसत सबगड्िकती है. हाि ही मे्एएनआई द्​्ारा जारी एक तस्वीर ने हिचि मचा दी. मध्य प्​्देश के सडंडोरी सजिे मे् िी गयी इि तस्वीर मे् मटका भर पानी के सिये एक बच्​्ी सबना िुरक्​्ा उपाय के गहरे कुंए मे्उतर रही है. प्​्देश के सशवपुरी सजिे मे्िरकारी जिापूसत् य िात सदन मे्एक सदन ही की जा रही है. राजधानी भोपाि िे िटे सवसदशा सजिे के दूरदराज इिाको् मे् पानी का िंकट इि कदर बढ्गया है सक गस्मयय ां शुर्होते ही िोग िपसरवार अपने सरक्तेदारो्के यहां कूच करने िगे है्जहां पानी की कोई िमस्या नही्. प्​्देश के नीमच और मंदिौर सजिो् मे् भी पानी का भीिण िंकट देखने को समि रहा है. अिीम की खेती के सिये जाने जाने वािे इन इिाको् मे् है्डपंपो् की िंख्या अन्य स्थानो् की तुिना मे्ज्यादा है. भूजि के असनयंस्तत दोहन ने िमस्या बहुत सवकराि कर दी है.


ग्​्ामीण इिाको् मे् जि िंकट का अंदाजा िोक स्वास्थ्य असभयांस्तकी सवभाग की एक ताजा सरपोट्यिे िगाया जा िकता है. सरपोट्यके मुतासबक प्​्देश के ग्​्ामीण अंचिो् मे् मौजूद करीब तेइि हजार है्डपंप पूरी तरह िूख चुके है्. यह हाित तब है जब गस्मययां अभी शुर् ही हुई है्. िरकार सजन पांच िाख िे असधक हैड ् पंप को अब तक चािू बता रही है उनके बारे मे् भी सशकायत है सक वे बंद पड्े है्. खािकर प्​्देश के बुंदेिखंड और मािवा क्​्ेत् के िूखे है्डपंप के बारे मे्कहा जा रहा है सक उनमे्पानी है जबसक वे जाड्ो् िे ही िूख चुके है्. इनका ित्यापन करने पर हकीकत िामने आ िकती है. सवभाग की सरपोट्य बताती है सक उिने प्​्देश मे् कुि 5,28,637 है्डपंप िगाये. उनमे् िे 5,05,951 है्डपंप अभी भी चािू है् जबसक 22,686 है्डपंप बंद हो चुके है्. दि हजार िे असधक है्डपंप ऐिे है् सक उनको अब िुधारा नही्जा िकता है. नौ हजार िे असधक है्डपंप जिस्र् की कमी के सशकार है.् वही्तीन हजार िे असधक है्डपंप ऐिे है्जो खराब तो है्िेसकन उनमे्िुधार की गुंजाइश है. िूखे की बात करे्तो राज्य की करीब 230 तहिीिो् मे् 40 िाख िे असधक सकिान िूखे िे जूझ रहे है्. इन सकिानो् का 44 िाख हेक्टेयर रकबा पानी की कमी के कारण सवकल्पहीन बना हुआ है. राज्य के कृसि मंत्ी गौरीशंकर सबिेन का कहना है सक िव्ायसधक प्​्भासवत इिाको्की पहचान कर िी गई है और

पानी की पहरेदारी: टीकमगढ़् मे् एक तालाब की सुरक्​्ा िमस्या िे सनपटने के सिये तगड्ी तैयारी की जा रही है. िेसकन यह तैयारी जमीन पर कही्नजर नही्आती है. मॉनिून की बेरख ् ी ने िमस्या को और बढ्ा सदया है. मौिम सवभाग द्​्ारा उपिल्ध कराये गये आंकड्ो् के मुतासबक सपछिे िाि पूव्ी मध्य प्​्देश मे् िामान्य की महज 29 िीिदी बासरश पानी की खोज: जान का जोमखम

हुई. जबसक पूरे राज्य मे् बासरश औित िे 12 िीिदी कम थी. प्​्देश के कई सजिे ऐिे है्जहां पानी की कमी हर मौिम मे् बनी रहती है. झाबुआ, ितना, रतिाम आसद सजिो् के कई इिाको् के िोगो् ने तो हासिया उपचुनाव मे् मतदान करने िे इनकार कर सदया था. उनकी मांग थी सक उनको स्वच्छ पेयजि उपिल्ध कराया जाये. झाबुआ मे्जि िंक्मण पर काम कर रही स्वयंिेवी काय्यकत्ाय कल्पना सबिवाि कहती है्सक िरकार के पाि तो पेयजि मुहैया कराने तक का िाधन नही् है. स्वच्छ पेयजि तो बहुत दूर की बात है. मध्य प्​्देश के बुंदेिखंड क्​्ेत् के सजिो् टीकमगढ्, छतरपुर, पन्ना, दमोह, िागर आसद मे् पानी का िंकट इि कदर गहरा हो चिा है सक िोग नदी के पानी की रक्​्ा के सिये बंदूको् के िाथ तैनात है् तासक उत्​्र प्​्देश के िोग कीमती पानी चुरा न िे जाये्. यह नजारा टीकमगढ्सजिे की जमुसनया नदी पर बने बड्ी घाट बांध के करीब देखा जा िकता है. वहां स्थानीय नगर सनकाय िंस्था ने बंदूकधारी िुरक्​्ा गाड्य पानी की रक्​्ा के सिये तैनात सकये है्. िूखे िे बुरी तरह प्​्भासवत टीकमगढ् मे् जमुसनया नदी ही पीने के पानी का इकिौता जसरया है. स्थानीय िोगो् का कहना है सक सनकटवत्​्ी उत्​्र प्​्देश के िोग रात के अंधेरे मे् आकर बांध का पानी चुराने की कोसशश करते है.् बंदक ू धासरयो्के तैनात होने के बाद उनमे्डर पैदा हुआ है. उल्िेखनीय है सक बुंदेिखंड इिाके मे् उत्​्र प्​्देश के िात और मध्य प्​्देश के छह सजिे आते है.् जमुसनया नदी उत्र् प्द् श े िे आती है और मध्य प्​्देश मे्केन नदी मे्समि जाती है. मध्य प्​्देश और उत्​्र प्​्देश के बीच हुए िमझौते के मुतासबक उत्​्र प्​्देश मे्बने बांध मे्ं जमुसनया को जो 2.5 करोड्िीटर पानी एकस्​्तत होता है उिका 17 िीिद मध्य प्​्देश को समिता है. इि पानी को मध्य प्​्देश मे् पांच जगह रखा जाता है. उन्ही् पांच मे् िे एक बांध बड्ी घाट है जहां ये बंदूकधारी तैनात सकये गये है.् पांच अन्य बांधो्हरपुरा, चरपुरा, मसढय़ा और िूदन बांध मे्ंपानी पूरी तरह िूख चुका है. टीकमगढ्के मुख्य नगरपासिक असधकारी सवजय शंकर स्​्तवेदी बताते है्सक बड्ी घाट बांध का जिभराव क्​्ेत् छह िे िात सकिोमीटर है और सजिे को रोज 50 िाख िीटर पानी की आवक्यकता होती है. ऐिे मे्अगर पड्ोिी राज्य के सकिानो्को पानी चुराने सदया गया तो बहुत बड्ी िमस्या खड्ी हो जायेगी. यह तो केवि शुरआ ् त है. हािात यही बता रहे है्सक अगर जल्द ठोि कदम नही्उठाये गये तो मध्य प्​्देश को मराठवाड्ा या िातूर बनते n देर नही्िगेगी. शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 17


आवरण मास्ट हेकथा ड

पानी एक्सप्​्ेस के भरोसे कब तक

पूजा गसंह

बा

रह अप्​्ैि सदन मंगिवार की िुबह. देश के असधकांश शहर और कस्बे उनी्दे िे थे िेसकन िातूर की आंखो् मे् नी्द नही् थी. बहुपत् ीस्​्कत मेहमान शहर पहुच ं ने वािा था. यह मेहमान था पानी जो िांगिी िे ट्​्ेन मे् भरकर जि िंकट िे जूझ रहे िातूर िाया जा रहा था. ट्न्े स्टश े न आई और वहां मौजूद िोगो्की आंखे् छिछिा आयी्. जैिे िािो् का सबछड्ा कोई अपना आया हो. ट्​्ेन मे्दि सडल्बे थे और इनमे् िे प्​्त्येक मे्50,000 िीटर पानी था. पानी की िुरक्​्ा के सिये बकायदा पुसि​ि के जवान तैनात थे. मध्य रेिवे के प्​्वक्ता नरे्द् पासटि के मुतासबक इि पानी को िातूर रेिवे स्टेशन के सनकट एक कुंए मे्जमा सकया जा रहा है जहां िे इिे जर्रत के मुतासबक शहर मे्भेजा जायेगा. िातूर मे्जि िंकट की गंभीरता का अंदाजा इि बात िे िगाया जा िकता है सक माच्यमहीने मे् 18 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

ही िातूर सजिा प्​्शािन ने पानी के स्​्ोतो् के आिपाि धारा 144 िागू कर दी थी. यानी जि स्​्ोतो् के आिपाि चार िे असधक िोगो् का एकस्​्तत होना अवैध करार दे सदया गया था. टै्कर ही अब यहां पानी का इकिौता जसरया है्. टै्कर के आते ही िोग उिे घेर िेते है्. िातूर मे् पानी के सिये अब जंगि का कानून चिता है. यानी जो सजतना ताकतवर, उतना पानी उिका. हािात इतने सबगड्ेसक धारा 144 िगानी पड्ी और पुसि​ि ने जि स्​्ोतो् की सहिाजत करनी शुर्की. राजनीसत सजि तरह हमारी रगो्मे्बह रही है, वैिे मे्इि घटना का राजनीसत िे बच पाना भी मुब्ककि ही नजर आ रहा था. ट्​्ेन के िातूर पहुंचने के कुछ िमय बाद ही भाजपा के काय्यकत्ाय ट्​्ेन पर चढ्कर अपने नेताओ् के पोस्टर िगाने िगे. पोस्टर के जसरये मुख्यमंत्ी देवे्द् िडणवीि और रेिमंत्ी िुरेश प्​्भु का धन्यवाद सदया जा रहा था. कांग्ेि भिा कैिे पीछे रहती तो स्टेशन पर रेिगाड्ी को सरिीव

सूखे से पीम्ित लातूर: पानी का इंतजार

जल संकट से जूझ रहे लातूर मे्ट्​्ेन से पानी पहुंचाना स्वागतयोग्य है लेषकन यह कोई स्थायी हल नही्है और सरकार को पानी की समस्या का दीघ्षकाषलक हल तलाश करना होगा. करने पहुंचे कांग्ेि के मेयर अख्तर शेख ने झट िे कह डािा सक इिका श्​्ेय उन्हे्जाता है. िातूर का जि िंकट मौिमी नही् है. स्थानीय िोगो्की माने्तो बासरश के सदनो्मे्भी िातूर शहर को हर 10वे् सदन ही पानी की आपूस्तय हो पाती थी. सदवािी के आिपाि पानी हर 20 सदन पर समिने िगा जबसक सदिंबर आते-आते महीने मे् एक बार. सि​िहाि तो पानी वहां एक ऐिे दुि्यभ िंिाधन का र्प िे चुका है सजिके सिये हत्या तक हो जाये तो कोई आि्​्य्यनही्. नगर सनगम टै्कर के जसरए 200 िीटर पानी प्​्सत पसरवार दि सदनो्के सिए देता है. चाहे पसरवार छोटा हो या बडा. घर के बाहर 200 िीटर का बैरि रखा होता है सजिमे्टै्कर उतना ही पानी देता है. सिर टै्कर दोबारा कभी 12 तो कभी 15 सदनो्के बाद आता है. स्थानीय िोगो् के मुतासबक 5000 िीटर का जो टै्कर पहिे 400 र्पये मे् समि जाया करता था वह इन सदनो् 1000 र्पये मे् भी नही् समि रहा है. िातूर के जि​िंकट पर शोध कर चुके अतुि


देउिगांवकर ने एक िाक्​्ात्कार मे् िातूर जि िंकट की अहम वजहो्का सजक्​्सकया. उन्हो्ने बताया सक शहर मे् पानी की कमी की िबिे अहम वजह है 4 िाि िे बासरश का कम होना. िेसकन इिके पीछे अन्य कारण भी है्. िातूर शहर को मांजरा डैम िे पानी समिता रहा है. िेसकन 55 सकमी दूर ब्सथत यह बांध अब पूरी तरह िूख चुका है. इिके अिावा पाइप िे होने वािी आपूस्तय मे्बहुत बड्ेपैमाने पर िीकेज की िमस्या देखने को समिी. इिका भी बुरा अिर हुआ है. मांजरा िे पानी िाने के सिए महानगरपासिका को 15 िाख र्पये प्स्त महीना सबजिी का सबि देना पडता था जो महानगरपासिका के सिए आिान नही्था. पानी की कमी को िेकर इन सदनो् िातूर देशव्यापी चच्ाय मे् भिे बना हुआ है िेसकन हकीकत यह है सक िमूचरा मराठवाड्ा क्​्ेत् और बब्लक पूरा महाराष्​् राज्य सपछिे

लातूर मे् पानी एक्सप्​्ेस: यह भी मसयासती मुद्ा कई िािो् िे पानी का भीिण िंकट झेि रहा है. परभाणी सजिे मे् भी प्​्शािन ने पानी की चोरी रोकने के सिये िुरक्​्ा उपाय घोसित कर रखे है्. गस्मययो् का अभी आगमन ही हुआ है और पूरा मराठवाड्ा प्याि िे तड्प रहा है. इिमे् दो राय नही् सक आने वािे सदनो् मे् हाित और खराब हो्गे. यहां तक सक सजि िांगिी सजिे िे पानी ट्​्ेन मे् िादकर िातूर पहुंचाया गया है वहां भी पानी की ब्सथसत बहुत अच्छी नही् है. यही वजह है सक स्थानीय स्​्र पर पानी िातूर भेजने का जमकर सवरोध हुआ. नतीजतन, सजि ट्​्ेन को छह घंटे मे् िांगिी िे िातूर पहुंचना चासहये था उिे 18 घंटे का वक्त िग गया. महाराष्​् मे् कुि 2498 बांध है् सजनमे् 15 िीिदी िे भी कम पानी बचा है. इिमे् भी मराठवाड्ा इिाके के बांधो् मे् बमुब्ककि पांच िीिदी पानी ही बचा हुआ है. पूरी गम्​्ी इिी पांच िीिदी पानी की मदद िे

काटने की बात ने सचंता बढ्ा दी है. एक अनुमान के मुतासबक पानी की कमी के चिते पहिे ही मराठवाड्ा िे 1.5 िाख िे असधक िोग पिायन कर चुके है्. शैक्सणक िंस्थान और कोसचंग िे्टर पूरी गस्मययो्के सिये बंद कर सदये गये है्. धास्मयक शहर नासिक का रामकुंड तािाब अब तक के ज्​्ात इसतहाि मे् पहिी बार पूरी तरह िूख गया है. नासिक गजेसटयर के मुतासबक िन 1877 मे्गोदावरी नदी के िूखने का सरकॉड्यमौजूद है िेसकन उि वक्त भी कुंड का पानी िमाप्त नही् हुआ था. कभी पानी िे िबािब भरे रहने वािे इि कुंड की तिहटी मे् बच्​्ो् को स्​्ककेट खेिते देखा जा िकता है. रामकुंड मे् कुंभ के दौरान तथा उि​िे इतर भी बड्ी िंख्या मे् िोग पसवत्​् स्नान करते है्. स्थानीय पय्ावय रण काय्क य त्ाय कुड ं की इि दुदश य् ा के सिये उिकी तिहटी मे् िीमे्ट िगने को उत्​्रदायी ठहराते है्. उधर, आईपीएि मैचो्मे्पानी के प्य् ोग को िेकर भी जनता मे् भारी आक्​्ोश देखने को समिा. एक अनुमान के मुतासबक एक आईपीएि मैच के दौरान मैदान मे्40 िे 60 िाख िीटर तक पानी का प्​्योग सकया जाता है. बांबे हाईकोट्य के कहने पर आईपीएि के मैचो् को नागपुर और पुणे िे मोहािी तथा अन्य स्थानो् पर िे जाये जाने की चच्ाय चि रही है. इि बीच मुंबई स्​्ककेट एिोसिएशन ने कहा है सक वह िीवेज के पानी का उपचार करके उिे स्​्ककेट स्टेसडयम मे्इस्​्ेमाि करेगा सजि​िे नया पानी बरबाद न हो. इन तमाम सनराश करने वािी खबरो् के बीच एक अच्छी खबर मौिम सवभाग िे आयी है. अनुमान जताया गया है सक इि िाि मानिून िामान्य िे बेहतर रहेगा. मराठवाड्ा मे् खाितौर पर बेहतर बासरश होने के अनुमान जताये गये है्. सपछिे कुछ पूव्ायनुमानो् को आधार बनाया जाये तो माना जा िकता है सक सवभाग का अनुमान गित नही्होगा. n

शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 19


मास् पय्ाटावरण हेड

कन्ाषटक मे्गष्मषयो्की अभी शुर्आत ही है लेषकन जल संकट ने झलक षदखानी शुर्कर दी है और कई जगहो्पर पानी की राशषनंग भी होने लगी है. मनोरमा

न्ायटक मे्इि बार माच्यका महीना उत्​्र भारत के जून-जुिाई को मात दे रहा है. िुहावने मौिम के सिये जाना जाने वािा बंगिूर्तक तप रहा है. दोपहर मे्तेज धूप के बाद शाम तक बासरश हो जाने वािे इि शहर मे् सपछिे बीि सदनो् िे तापमान 32 सडग्​्ी िे बढ्कर 38 सडग्​्ी िेब्लियि तक पहुंच गया है जबसक इन सदनो् तापमान 25-26 सडग्​्ी िेब्लियि ही होना चासहये था. अगिे कुछ सदनो् मे् बासरश नही् हुई तो गम्​्ी के िाथ बंगिूर् िमेत पूरे कन्ायटक मे्पीने और जर्रत के पानी की उपिल्धता बड्ी िमस्या बन िकती है. उत्​्र कन्नडा सजिे के 196 गांव िूखा प्​्भासवत घोसित सकये जा चुके है,् हैदराबाद कन्ाटय क क्त्े ् के 31 ताल्िुके भी िूखे की चपेट मे्है्, 314 िे ज्यादा गांवो् मे् पीने तक का पानी नही् है और इिाके के 25,000 हेकट् ये र इिाके मे्िगी धान की ि​ि​ि िूख चुकी है. वैिे राज्य मे् िूखे के हािात सपछिे िाि अक्तूबर िे ही बने हुए है्. औित िे 34 िीिद कम बासरश के कारण कन्ायटक सितंबरअक्तूबर िे ही बीते चािीि िाि मे्िबिे िूखे मौिम का िामना कर रहा है. उि िमय 177 ताल्िुको् मे् िे 136 को िूखा प्​्भासवत कहा गया. बीते िाि सितंबर तक राज्य के 30 सजिो् मे् िे 12 मे् नाममात्​् की बासरश दज्य हुई, कई इिाको् मे् चािीि हफ्ते िे ज्यादा िमय िे बासरश नही् हुई. िूखे की वजह िे 3,600 करोड् र्पये मूल्य की खड्ी ि​ि​ि बरबाद हो गयी और कुि नुकिान 16,000 करोड्र्पये िे ज्यादा का हुआ. इिे देखते हुए सवशेिज्​्ो् ने पहिे ही िाि 2015-2016 मे् राज्य मे् खाद्​्ानो् की पैदावार मे् 45 प्​्सतशत की कमी आने का अनुमान जता सदया था. मुख्यमंत्ी सिद्​्ारम्मैया ने तब भी 27 सजिो् के 135 ताल्िुको् को िूखा प्​्भासवत घोसित सकया था और के्द् िरकार िे राज्य को िूखा प्​्भासवत घोसित सकये जाने का अनुरोध सकया तासक के्द् िरकार की मदद िे िूखा प्​्भासवत िोगो् और सकिानो् की मदद हो िके. िेसकन तब शायद सकिी को भी अनुमान नही्रहा होगा सक अगिे 20 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

गंभीर संकट की

िाि हािात और खराब होने वािे है्. माच्य की शुर्आत िे ही गम्​्ी के कारण नसदयो्,तािाबो्, जिाशयो् मे् बचा पानी भी िूखने िगा है. यहां के पुराने िोग अभी के मौिम की 1972 की गम्​्ी और िूखे िे तुिना कर रहे है् और 2016 को 1972 िे भी ज्यादा गम्य कह रहे है्. राज्य के 314 गांव मे् पीने के पानी की भीिण सदक्​्त हो रही है, िरकार टै्कर िे इन गांवो्मे्पानी भेज रही है. कन्ायटक िरकार ने अब रबी ि​ि​ि के भी बरबाद होने की भी घोिणा कर दी है. िगभग 70 िीिदी भूभाग पर िगी 7,207 करोड् र्पये की रबी ि​ि​ि बरबाद हो चुकी है इिसिए राज्य िरकार ने के्द्िरकार िे 1,417 करोड्की मदद रासश का अनुरोध सकया है. सकिानो्का गांवो्मे्रहना मुब्ककि हो रहा है भोजन पानी और काम की जर्रत उन्हे्गांव िे शहर आने को मजबूर कर रही है. सपछिे िाि यहां के हजार िे ज्यादा

सकिानो् ने आत्महत्या की थी, पानी की कमी, ि​ि​िो् का नुकिान कही् सिर बड्ी तादाद मे् सकिानो्को आत्महंता ना बना दे. कन्ायटक के राजस्व मंत्ी वी श्​्ीसनवाि प्​्िाद के मुतासबक राज्य के कुि 38,54,725 सकिानो्को राष्​्ीय आपदा राहत कोि िे मदद या िहायता रासश सदये जाने की जर्रत है. कन्ाटय क के गांवो्मे्पीने का पानी नही्होने के िवाि पर श्​्ीसनवाि प्ि ् ाद कहते है्सक 85 गांवो् मे् टैक ् र िे पानी उपिल्ध कराया जा रहा है. गांवो् मे् पानी और पशुओ् को चारा मुहैया कराने के सिये िरकार ने 214 करोड्र्पये रासश का आवंटन सकया है और राज्य के िभी डीिी को इि मद के सिए दो करोड्र्पये का िंड प्द् ान सकया गया है. िेसकन वो ये भी बताते है्कांगि ्े को अपने इि काय्क य ाि मे् छठी बार प्​्ाकृसतक आपदा का िामना करना पड् रहा है. सपछिे िाि की खरीि और अभी की रबी ि​ि​ि


बंगलुर् मे् साव्वजमनक नल: मफलहाल पानी है

दस्​्क

समिाकर 15,636 करोड् र्पये की ि​ि​ि बरबाद हुई है िेसकन केनद् ्िरकार ने अपने सहस्िे की पूरी मदद 3,860 करोड्र्पये देने के बजाय केवि 1540 करोड्र्पये सदये है्जो नाकािी है. तक्फचाहे जो हो िेसकन सकिानो्तक वैिी मदद नही्पहुच ं ी है जैिी पहुच ं नी चासहये इिसिए राज्य के िूखा प्भ् ासवत इिाको्के सकिानो्ने बंगिूर् मे् सवधानिभा के िामने ित्​् चिने के दौरान प्द् श्नय सकया और िरकार िे पीने के पानी की िमस्या के स्थायी हि की मांग रखी. िेसकन सि​िहाि िरकारी मदद िे भी ज्यादा आिमानी मदद की जर्रत है. पैिा पानी नही्बन िकता और पानी उपिल्ध कराने के सिये िरकार को भी पानी की ही जर्रत पड्गे ी. दूिरी ओर बंगिूर् शहर की बात करे् तो यहां भी गम्​्ी और पानी की कमी का अिर सदखने िगा है, सिद्​्ारम्मैया िरकार ने सपछिे हफ्ते ही 1 अप्ि ्ै िे पानी कर राशसनंग करने की

घोिणा की थी सजिे बाद मे् बीडल्ल्यूएिएिबी या बंगिूर्जि आपूस्तय और िीवरेज आयोग ने खासरज कर सदया और कहा सक राज्य के जिाशयो्या बांधो्मे्पानी का भंडार की बात है तो उनमे्अपनी क्​्मता का 24 िीिदी जि है. िेसकन हकीकत ये है सक बंगिूर् की कई सरहाईशी िोिाइटी मे् 1 अप्​्ैि िे कम पानी समिने की िूचना सचपका दी गयी है, बासरश नही्होने की िूरत मे्कम पानी देने का िंकेत सकया जा रहा है. सजन इिाको्मे्एक सदन बीच कर आपूस्तय का पानी आया करता था वहां अब 6 सदन बाद पानी आ रहा है. इि िंबंध मे् और जानकारी मांगने पर बीडल्ल्यूएिएिबी के असधकारी का कहना है सक बंगिूर्को प्​्सतसदन 1600 एमएिडी पानी की जर्रत होती है िेसकन बीडल्ल्यूएिएिबी केवि 1400 एमएिडी उपिल्ध करा पाता है बाकी 200 एएएिडी बोरवेि िे पूरी की जाती है. वो ये भी स्पि्​्करते है्सक बंगिूर्प्​्सतमाह जिाशयो् िे 1.5 टीएमिी पानी िेता है और अभी भी अप्​्ैि-मई तक बंगिूर्को पानी िेने मे् कोई सदक्​्त नही् होने वािी है क्यो्सक कृष्णराजिागर और कासबनी डैम मे् क्​्मश: 85.31 िीट और 2259 िीट पानी है. िेसकन अप्​्ैि-मई तक मे्बासरश नही्होने पर सदक्​्त होने िगेगी. वैिे तस्वीर का दूिरा पहिू ये भी है सक बंगिूर् को रोजाना 1400 करोड् िीटर पानी समिता है सजिमे् 35 िीिद आपूस्तय के दौरान बरबाद होता है अंतत: प्​्सत व्यब्कत 75 िीटर पानी रोज समिता है जो सक महानगरो् मे् प्​्सत व्यब्कत जि आपूस्तय के राष्​्ीय मानक 150 िीटर िे भी कम है. पानी का मुखय् स्​्ोत कावेरी नदी है िगभग 80 प्​्सतशत पानी कावेरी िे ही सिया जाता है. िेसकन कावेरी के पानी पर तसमिनाडु का भी दावा है जो अक्िर दोनो्राज्य मे् सववाद का कारण बनता है. 2001 मे् 53 िाख की आबादी वािा शहर 2016 मे् एक करोड् की आबादी वािा बन चुका है, जबसक 2001 मे् ही बंगिूर् मेट्ोपोसिटीन रीजन डेविपमे्ट अॅथासरटी यासन बीएमआरडीए के द्​्ारा िंग्सहत िैटेिाईट आंकड्ो् के मुतासबक यहां 2,789 झीिे् हुआ करती थी् सजनका आकार दो हेक्टेयर िे 50 हेक्टेयर तक और कुि क्​्ेत्ि​ि 18260.48 हेक्टेयर था. िूचना क्​्ांसत के उभार और गाड्यन सिटी िे 'सि​िीकॉन वैिी' बनने की यात्​्ा मे्इि शहर ने अपने झीिो्, टै्क बंधो् और जिाशयो् को खो सदया. अब शायद यहां 200 िे भी कम झीि या टै्क बंध बच गये है् और वो भी गंदे नािे या िीवर मे् तल्दीि होकर. अंधाधुंध सनम्ायण ने भूजि भंडार को भी प्​्भासवत सकया है. 15 िाि पहिे तक जहां 100 िीट पर पानी आ जाता था

अब 1000 िीट पर भी नही् समिता, बावजूद इिके शहर मे् तकरीबन तीन िाख िोगो् के घरो् मे् बोरवेि है् और नौ हजार िरकारी बोरवेि है्. सरहाइशी कॉिोनी बन जाती है दिदि िाि तक बीडल्ल्यूएिएिबी का पानी का कनेक्शन नही् समिता, िरकारे् टैक्ि िेती है्, राजनीसतक पास्टियां वोट िेती है्िेसकन मंस्तयो्, सबल्डरो् के अपाटमे्ट हब मे् भी पानी टै्कर िे आता है. ऐिे मंहगे अपाट्यमे्ट मे्रहने वािे पानी पर औितन चार िे छह हजार र्पये महीना खच्यकरते है्. पानी का व्यविाय करने वािे टै्करो् की एक अिग अथ्यव्यवस्था बन गयी है, टै्कर मासिया यहां प्​्चसित शल्द है. बंगिूर्मे्पानी के अध्ययन और िंरक्ण ् िे जुड्ेसवशेिज्​्मानते है् सक अगिे दि िाि मे् पानी की कमी के कारण इि शहर की आधी आबादी को यहां िे हटाना पड् िकता है. जासहर है िंकट बहुत गहरा है, जबसक बंगिूर् मे् िािाना औित बासरश 900 एमएम तक होती है यानी झीिो्, टै्को को पुन्यजीसवत कर और वि्ाय जि िंग्ह

बंगलूर्के बािरी इलाको् मे्भूजल स्​्र काफी नीचे हगर चुका िै. यि स्​्र 800 से किी्किी्1600 फीट तक चला गया िै. करके पानी की कमी िे सनपटा जा िकता है िाथ ही भूजि को िगातार रीचाज्यभी सकया जा िकता है. िेसकन यहां के 3 िाख िे ज्यादा बोरवेि भूजि सजतना सरचाज्य होता है उि​िे तीन चौथाई िे भी ज्यादा पानी सनकाि िेते है्. वि्ाय जि िंग्ह िे जुड्े और बायोम एनवायरन्मे्टि िोल्यूशन प्​्ाइवेट सिसमटेड के िंस्थापक सवश्​्नाथ कहते है् सक बंगिूर् के बाहरी इिाको् मे् भूजि स्​्र कािी नीचे सगर चुका है. यह स्​्र 800 िे कही् कही 1600 िीट तक चिा गया है. पहिे यहां के कुंओ् मे् 20 िीट पर पानी होता था. इनके आिपाि के ही सजन इिाको् मे् वि्ायजि िंग्ह सकया गया वहां सिर िे 100 िीट पर पानी समिने िगा है तो इिकी वजह वहां की जमीन का िािाना एक करोड्िीटर िे ज्यादा पानी िे सरचाज्यहोना है. मात्​् छह हजार र्पये खच्य कर वि्ाय जि िंगह् शुर्हो िकता है, और िाखो्िीटर पानी बचाकर हजारो्र्पये बचाये जा िकते है,् इिके अिावा ग्​्े वाटर और वेस्ट वाटर ट्​्ीटमे्ट भी आठ िे दि हजार र्पये मे् हो जाता है जबसक सकिी भी घर के सनम्ायण मे् औितन 15-20 िाख र्पये तक खच्य होते है्. यानी अब भी भूजि सरचाज्यिे तस्वीर िुधर िकती है. जर्रत n कानून और नीसतयो्की है. शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 21


अावरण मास्ट हेकथा ड

कैसे हो फ़​़लोराइड से मुक़ति

नवगषठत राज्य तेलंगाना का एक बड्ा षहस्सा पानी मे् फ्लोराइड की समस्या से दो चार है. दशको्पुरानी इस समस्या से षनपटना मुष्िकल लगता है.

मनोरमा

पा

नी की िमस्या तेिंगाना मे् कािी सवकराि हो चिी है. राज्य के कुि 10 सजिो् के तकरीबन 1,174 गांवो् के पानी मे् फ्िोराइड की असधकता के कारण हािात गंभीर हो चिे है.् आसदिाबाद करीमनगर, खम्मम और नािगो्डा सजिे सपछिे कई दशक िे पेयजि की कमी और फ्िोरोसि​ि की िमस्या िे पीसड्त है.् इन चारो् सजिो् मे् िे भी िबिे ज्यादा प्भ् ासवत नािगो्डा सजिा है. यहां के पानी मे् फ्िोराइड की मात्​्ा मानक िे कई गुना ज्यादा होने के कारण िंबे िमय िे िोग कई तरह की स्वास्थय् िमस्याओ्का िामना कर रहे है.् सवश्​्स्वास्थय् िंगठन के मानक के अनुिार एक िीटर पानी मे्एक समिीग्​्ाम िे असधक फ्िोराइड नही्होना चासहये जबसक यहां के पानी मे्प्स्त िीटर िात 22 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

समग्​्ा तक फ्िोराइड पाया गया है. फ्िोराइड युक्त पानी के ज्यादा इस्​्ेमाि िे दांत खराब और कमजोर होने िगते है् िाथ ही हस्​्ियां भी कमजोर होने िगती है् सजन्हे् क्​्मश: दंत फ्िोरोसि​ि और अब्सथ या स्कि े टे ि फ्िोरोसि​ि कहा जाता है. फ्िोराइड का अिर केवि पेयजि िे ही नही्होता बब्लक कीटनाशको्के प्​्योग के कारण बहुत िे खाद्​् उत्पादो् मे् भी फ्िोराइड की मात्​्ा मानक िे ज्यादा हो जाती है जैिे िूखे मेवे, अंगूर, कोक पावडर, अखरोट और बी्ि इत्यासद. इिके अिावा चाय, कािा नमक, तंबाकू, िुपारी मे् भी फ्िोराइड पाया जाता है. पेयजि के िाथ इन िभी का इस्म्े ाि सकिी के भी स्वास्थ्य के सिए घातक िासबत होता है. नािगो्डा के बच्​्ो् और युवाओ् मे् फ्िोराइड के दुष्प्भावो् को देखा जा िकता है उनमे् अब्सथ क्​्य, हस्​्ियो् मे् फै्क्चर और सवकिांगता की िमस्या आम है. पेयजि मे्फ्िोराइड की मात्​्ा के सनयंतण ्

तेलंगाना मे् पानी का हाल: गंदगी और फ्लोराइड

के सिये कई तकनीक सवकसित की गयी्. उनमे् िे एक तकनीक को नािगो्डा सवसध भी कहा जाता है. इिके तहत सिटकरी िे पानी को िाि सकया जाता है हािांसक पानी मे् और असधक घुिनशीि खसनज होने पर केवि 20 िे 35 प्स्तशत तक ही िाि हो पाता है. ज्यादा कारगर तकनीक सवद्​्ुतीय फ्िोराइड अपघटन या इिेक्ट्ोिीसटक सडफ्िोराइडेशन की नवीनतम तकनीक है, सजिके तहत डायरेक्ट करंट िे अल्यसु मसनयम एनोड का फ्िोराइड युकत् पानी मे्घुिन सकया जाता है. चुनावो् के िमय पेयजि की उपिल्धता कई िािो्िे यहां मुखय् मुद्ा रहा है और पानी मे् फ्िोराइड की मात्​्ा पर सवधानिभा िे िेकर िंिद तक मे्सचंता जतायी जाती रही है िेसकन अभी तक उि स्​्र पर काम नही् हो पाया है

सजिकी जर्रत है. हािांसक जून 2014 िे पहिे तेिंगाना आंध् प्​्देश का सहस्िा था और इन इिाको्या तेिगं ाना की अनदेखी ही अिग राज्य के गठन का मुखय् मुद्ा रहा था इिसिए मौजूदा िरकार के पाि ये तक्फहै सक अभी दो िाि भी पूरे नही्हुए है.् सजन पसरयोजनाओ्को मंजरू ी दी गई है उन्हे् पूरा होने मे् कुछ िाि का िमय िगेगा. वैिे सपछिे कुछ िािो्मे्राज्य िरकार, केनद् ्िरकार और कुछ गैर िरकारी िंगठनो्की ओर िे नािगो्डा मे् फ्िोराइड की िमस्या िे सनपटने के सिए करोड्ो्र्पये खच्यसकये गये है.् िाि 2012 मे्ही तत्कािीन सवधानिभा अध्यक्​् नांदेिा मनोहर की अध्यक्​्ता मे् नािगो्डा मे् स्वच्छ पेयजि के सिए 200 करोड् र्पये आवंसटत हुए. 2009 मे्अमेसरका के तेिगु ु िंघ की ओर िे फ्िोरोसि​ि प्िांट िगाने के सिये िगभग चािीि िाख र्पये सदये गये. िेसकन इिके अनुपात मे्काम नही्सदखता है. हािांसक स्थानीय सवधायक के मुतासबक फ्िोराइड िे सनपटने के सिये नािगो्डा को सपछिे दि िाि मे् केवि 800 करोड् र्पये ही समिे है् जो नाकािी है.् सवशेिज्​्ो् के मुतासबक इि इिाके मे् िगातार और दीघ्यकािीन काम करने की जर्रत है, सजिके तहत िबिे पहिे भूजि की गुणवत्​्ा को िुधारना होगा जो वि्ाय जि िंग्ह और रेन वाटर हाव्​्ेब्सटंग िे िंभव है. नािगो्डा मे् पानी के तीन स्​्ोत है् वि्ाय जि, बहता जि और भूजि. यहां की भौगोसिक बनावट तथा समट्​्ी और चट्​्ानो् की िंरचना के कारण भी यहां पानी मे् फ्िोराइड की मात्​्ा तुिनात्मक र्प िे ज्यादा है. बहते जि मे्ज्यादा फ्िोराइड नही्होता िेसकन नािगो्डा की पेडा वागु, चंदुर वागु, कोदाबकिुपािी वागु और सचन्नाकापथ्​्ी धारा जैिी नसदयो् मे् आि्य् ज य् नक र्प िे फ्िोराइड की मात्​्ा ज्यादा है. आंकड्ो्के मुतासबक यहां िाढ्ेचार हजार िे ज्यादा टै्क है इन्हे् पुन्यजीसवत करने पर भूजि रीचाज्यहोने िगेगा और स्वत: िाि होने िगेगा. इिके अिावा बोरवेि की खुदाई पर रोक िगानी होगी. खुिे कुंए के पानी मे् उतना फ्िोराइड नही्होता सजतना बोरवेि मे.् गौरतिब है सक तेिगं ाना मे्गम्​्ी के मौिम की शुरआ ् त माच्यिे हो जाती है जो मई मे्अपने चरम पर होती है. िगभग पूरा राज्य अध्श य षु क ् जिवायु प्​्भाव क्​्ेत् मे् आता है. यानी यहां आमतौर पर उच्​् तापमान रहता है और कम बासरश होती है. मॉनिून जून िे शुर्होता है और सितंबर तक रहता है, इि दौरान जो बासरश होती है वो पूरे िाि का आधार होती है. िामान्यत: मॉनिून के दौरान 755 सममी या 29.7 इंच तक बासरश होती है. ऐिे मे् पहिी कोसशश इि इि बासरश के पानी को िहेजने की होनी चासहये. n


जयलमलता: जनता के मलए अम्मा कुदीनीर

पानी भी अम्मा का

जयलषलता भले ही कई अन्य मोच्​्ो्पर पीछे हो्, लेषकन तषमलनाडु को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के क्​्ेत्मे्उन्हो्ने कािी काम षकया है. मनोरमा

न्नई नम और आद्यजिवायु वािा तटवत्​्ी शहर े है जहां अक्िर भारी बासरश होती है. इिके बावजूद पीने का पानी यहां हमेशा िे बड्ी िमस्या रहा है. यह ब्सथसत तब है जब शहर िे अडयार और कुवम नामक दो नसदयां गुजरती है्. िाथ ही यहां 280 िे असधक झीि, तािाब और जिाशय आसद है.् इिके अिावा प्​्ाकृसतक दिदि भी हुआ करते थे. अडयार नदी िे िगा पल्िीकरनाई दिदि 60-70 िाि पहिे 5,000 हेक्टेयर इिाके मे् िैिा था. यह अब घटकर बमुब्ककि 300 हेक्टेयर रह गया है. कहने का तात्पय्य यह सक ताजे पानी के इतने स्​्ोत और जि िंगह् ण के सिये बड्ी िंखय् ा मे् जिाशय होने के बावजूद चेन्नई मे् पीने के पानी की िमस्या तो नही् होनी चासहये थी िेसकन हकीकत यह है सक वेटिै्ड िे िेकर नदी, झीि और तािाब िबका असतक्​्मण करके इमारते् खड्ी कर दी गयी है्. इन जगहो् पर सरहाइशी और व्याविासयक इमारते् बना दी गयी् है् या इनको िीवेज और डंपयाड्य के र्प मे् प्​्योग सकया जा रहा है. सपछिे िाि नवंबर मे् चेन्नई मे् 1218.6 सममी या 47.98 इंच बासरश हुई थी जो सपछिे िौ िाि मे्कभी नही् हुई. उिके बाद एक और दो सदिंबर को 48 इंच

बासरया सिर हो गयी. चेन्नई और आिपाि के इिाको्मे्करीब 400 सममी या 16 इंच बासरश हो गयी. नतीजतन यहां भीिण बाढ्आयी. बाढ् की िबिे अहम वजह यह थी सक चे्बरमक्​्म जिाशय मे् 86 िीिद पानी भर जाने के बाद वहां िे जि सनकािी कर दी गयी. इिके कारण शहर मे् बाढ् आ गयी. जबसक इि 86 िीिद भराव मे् 40 िीिद तो केवि गाद था. अगर िमय रहते गाद िाि कर दी गयी होती तो ऐिी भयंकर बाढ्नही्आयी होती. चेन्नई मे् पेयजि िंकट तो िरवरी िे ही शुर् होने िगता है िेसकन इि बार नवंबर सदिंबर मे् हुई जबरदस्​् बासरश के कारण िामान्य िे 300 िीिद असधक पानी जमा है जो अक्टूबर तक की जर्रते्पूरा करने के सिये पय्ायप्त्है. तसमिनाडु की मुख्यमंत्ी जयिसिता के सिये यह शुभ िंकेत है क्यो्सक अगिे महीने राज्य मे्सवधानिभा चुनाव है्और पानी-सबजिी के मुद्े यहां हमेशा अहम रहते है्. इि बार पानी के मोच्​्ेपर वह राहत की िांि िे िकती है्. पानी के इि बंदोबस्​् का श्​्ेय केवि बासरश को नही् सदया जा िकता है बब्लक खुद जयिसिता भी इिकी हकदार है.् चेनन् ई की बाढ् िे भिे ही वह िही ढंग िे नही् सनपट िकी् िेसकन अपने मुख्यमंस्तत्व काि मे्जयिसिता ने अम्मा कै्टीन के बाद 2013 मे् शहरी गरीब

और सपछड्ेवग्यके सिये अम्मा कुदीनीर नाम िे बोतिबंद पानी मुहैया कराना शुर् सकया. योजना की ि​ि​िता के बाद अब उिे अम्मा कुदीनीर सथट्म् नाम िे और बेहतर बनाकर पेश सकया गया है. इिके तहत शहरी गरीब और सपछड्े पसरवारो् को स्माट्य काड्य के जसरये प्​्सत सदन 20 िीटर समनरि वाटर उपिल्ध कराया जायेगा. वि्य 2013 मे् अम्मा कुदीनीर योजना 32 सजिो्और नगरीय इिाको्मे्शुर्की गयी थी. िाथ ही सतर्वल्िरू के गुमम् ीरदीपुड ं ी मे्तीन िाख िीटर समनरि वाटर बनाने का िंयंत् स्थासपत सकया गया है. मौजूदा एआईडीएमके िरकार पीने के पानी की पूव्ययोजना के मद मे् 7,000 करोड् र्पये खच्य कर चुकी है. उक्त योजना के तहत राज्य मे्कई जि शोधन िंयंत् िगाये गये है्. इनमे् सरवि्य ऑस्मोसि​ि यानी आरओ प्​्स्कया िे पानी िाि सकया जाता है. जयिसिता सपछिे कुछ िािो्िे चेन्नई ही नही् पूरे तसमिनाडु के पानी की जर्रतो् और उिके मुतासबक नीसतयो् और काय्यवाही को िेकर िंवेदनशीि रही है्. अम्मा कुदीनीर के अिावा उनकी कामयाबी के्द् िे कावेरी प्​्ासधकरण अवाड्यहासि​ि करना भी है. सपछिे 56 महीने मे् एआईडीएमके िरकार ने 7,324.34 र्पये की िागत िे 41 जि आपूस्तय योजनाओ् को स्​्कयाब्नवयत सकया है जबसक 6,602.78 करोड् िागत की 69 योजनाओ् पर काम चि रहा है. पीने की पानी की कमी की िमस्या िे ज्यादा जूझ रही 69 ग्​्ामीण पंचायतो् और 30 शहरी पंचायतो् मे् काम िगभग पूरा कर सिया गया है. दूिरी ओर अम्मा कुदीनीर सथट्​्म के तहत शुर्आत मे् सनध्ायसरत जगहो् पर 100 वाटर प्यूरीसिकेशन िंयत्​् िगाये जाये्गे. सजनकी क्​्मता प्​्सत घंटे 2000 िीटर जि िंशोसधत करने की होगी, इन िंयंत्ो्मे्िाि सकये गये पानी की िमय िमय पर जांच होती रहेगी. जयिसिता ने वि्ाय जि िंगह् को भी कािी गंभीरता िे सिया है, सजिके तहत बड्ी सरहाइशी कॉिोनी, िरकारी भवनो् व स्कूि कािेजो् मे् रेन वाटर हारवेबस् टंग को असनवाय्यसकया गया है. चेन्नई मे् पेय जि की िमस्या िे सनपटने के सिये वीरनम जि योजना िागू की गयी और वहां दो और डीिेसिनेशन प्िांट िगाने की भी घोिणा हुई है. चेन्नई मे् करीब 280 जिस्​्ोत है्. इिके अिावा 194.94 करोड्की िागत िे चार िमेसकत पेय जि योजना कुि्ािोर और नागापस्​्टनम जैिे सजिो्मे्शुर्की गई है.् इि​िे चार िाख िे ज्यादा िोगो् को िायदा होगा. जासहर है जयिसिता ने पानी, भोजन जैिे जर्री मि​िो् पर ज्यादा ध्यान सदया है कई मोच्​्ो पर कम अंक होने के बावजूद उन्हे्इिका n िायदा समिता सदख रहा है. शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 23


आवरण मास्ट हेकथा ड

पानी को तरसता चेरापूंजी

देश मे् सबसे अषधक वर्ाष वाला चेरापूंजी आज खुद ही पानी के षलए तरस रहा है. पानी से सूखे तक की यह यात्​्ा षचंताजनक है. रीता गतवारी

पू

व्​्ोत्​्र का स्कॉटिै्ड कहे जाने वािे मेघािय की राजधानी सशिांग िे कोई पचाि सकमी दूर ब्सथत यह कस्बा अपनी भारी बासरश की वजह िे ही सगनीज बुक आि वल्ड्य सरकाड्यमे्दज्यथा. िेसकन बीते दि िािो्िे यह इिाका जिवायु पसरवत्यन की चपेट मे्है. यही वजह है सक हर बीतते िाि के िाथ यहां बासरश िगातार घटती जा रही है. अब नौबत यह है सक स्थानीय िोगो्को पीने का पानी खरीदना पड्ता है. चेरापूंजी की तस्वीर का यह दूिरा पहिू भयावह है और शायद आने वािे सदनो्का एक िंकेत भी. इिाके मे् रहने वािे िोगो् ने पहिे कभी िूखा शल्द का नाम नही्िुना था. िेसकन हाि के िािो्िे यह शल्द उनके शल्दकोश मे् शासमि हो गया है. बासरश और गरजते बादि ही िसदयो् िे चेरापूंजी की िबिे बड्ी धरोहर रहे है्. िेसकन जिवायु पसरवत्नय की वजह िे यह धरोहर अब धीरे-धीरे उिके हाथो् िे सनकिती जा रही है. दुसनया मे्िबिे ज्यादा बासरश का सरकाड्यबनाने वािा चेरापूज ं ी अब खुद अपनी प्याि बुझाने मे् नाकाम है. कोई दो दशक पहिे जब पहिी बार चेरापूज ं ी पहुच ं ी थी. तब भारी बासरश के मारे कुछ भी देख नही्पायी थी. िेसकन बरिो्बाद दूिरी यात्​्ा मे् यह एक भीगा रेसगस्​्ान ही िगा. यहां बासरश िाि-दर-िाि कम होती जा रही है. अब चेरापूंजी िे छह सकमी दूर ब्सथत मावसिनराम नामक गांव को दुसनया की िबिे भीगी जगह होने का गौरव हासि​ि है. िाि 1861 मे्चेरापूज ं ी, सजिे स्थानीय भािा मे्िोहरा कहते है,् ने एक िाि मे्22,987 सममी बासरश के िाथ सवश्​् सरकाड्य बनाया था. अब कोई 155 िाि बाद यहां महज 11 हजार सममी 24 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

बासरश होती है. अभी ित्र् के दशक तक भी यहां भारी बासरश होती थी. बासरश घटने की वजहो्पर सववाद हो िकता है. स्थानीय िोगो्का कहना है सक अब यह जगह पहिे के मुकाबिे गम्यऔर िूखी है. इिाके मे् पहिे कभी पानी की कोई िमस्या नही्होती थी. िोहरा िाइंि िोिायटी के वसरष्​् िदस्य समिरग्ि ्े सिमिेह कहते है्सक चेरापूज ं ी मे्कभी िघन जंगि नही्थे. जो पेड्थे उनको हम पसवत्​् मानते थे. स्थानीय िोगो् ने कभी उनकी शाखा तक नही्काटी थी. िेसकन गुवाहाटी ब्सथत िे्टर आि इनवायरनमे्ट एंड िोशि पासि​िी सरिच्य के अमरज्योसत बोरा का कहना है सक राजनीसतक दिो्के िंरक्ण ् मे्बड्ेपैमाने पर पेड्ो्की अवैध कटायी ने चेरापूज ं ी का पय्ावय रण िंति ु न सबगाड् सदया है. वे कहते है्सक बासरश तो अब भी होती है. िेसकन जि िंरक्ण ् का कोई उपाय नही्होने की वजह िे पूरा पानी बह कर िीमा पार बांग्िादेश चिा जाता है. चेरापूंजी मे् मौिम सवभाग के असधकारी असमत चौधरी कहते है्सक यहां अमूमन िािाना औितन 11 हजार सममी की जगह आठ िे नौ हजार सममी बासरश हो रही है. यह चािीि िाि पहिे होने वािी बासरश के मुकाबिे एक-सतहाई है. िाि 1961 मे् जहां चेरापूंजी की आबादी महज िात हजार थी. वही्अब यह दि गुनी िे ज्यादा बढ्गयी है. पानी का िंकट इतना गंभीर है सक नंवबर िे माच्य तक स्थानीय िोगो् को पहास्डयो्पर मीिो्चि कर पीने का पानी ढोना पड्ता है. दूिरा सवकल्प पानी खरीदने का है. मैदानी इिाको् िे रोजाना पानी िे भरे टै्कर चेरापूंजी पहुंचते है्. वह पानी 20 र्पये प्​्सत बाल्टी की दर िे खरीदना पड्ता है. वैिे,

चेरापूंजी: कम होते बादल पब्लिक हेलथ ् इंजीसनयसरंग (पीएचई) सवभाग ने इिाके मे् पाइपो् के जसरए पानी की िप्िाई जर्र शुर्की है. िेसकन उनमे्कुछ देर के सिए ही पानी आता है. िरकारी िूत्ो्का कहना है सक यह योजना 15 िे 20 हजार की आबादी को ध्यान मे् रख कर बनाई गयी थी. िेसकन 70 हजार िोगो् के सिए पानी िप्िाई करना सि​िहाि अिंभव है. एक स्थानीय सशक्क ् ईिा नो्गबरी कहती है्सक पहिे तो जाड्ेके सदनो्मे् भी यहां भारी बासरश होती थी. अब तो यह एक िपना हो गया है. आसखर चेरापूज ं ी का चेहरा क्यो् बदि रहा है? मौिम सवभाग के एक असधकारी डीके िंगमा बताते है् सक िगातार भारी बासरश की वजह िे इिाके मे् िाइम स्टोन यानी चूना पत्थर की चट्​्ाने्नंगी हो गयी है.् उन पर कोई पौधा तो उग नही्िकता. नतीजतन इिाके िे हसरयािी तेजी िे खत्म हो रही है. बांगि ् ादेश की िीमा िे िगे चेरापूज ं ी मे् अब हर िाि जाड्े और गस्मयय ो् मे् पानी की भारी सकल्ित हो जाती है. यह सवडंबना ही है सक स्थानीय िोगो् को अब पीने का पानी खरीदना पड्ता है. िंबे अरिे तक यह गांव चेरापूज ं ी के नाम िे जाना जाता रहा. िेसकन कुछ िाि पहिे इिका नाम बदिकर सिर िोहरा कर सदया गया है. चेरापूज ं ी मे्बादि और बरिात ही पय्टय को् के आकि्यण का के्द् रहे है्. इिका प्​्ाकृसतक िौ्दय्यपय्टय को्को घंटो्बांधे रखने मे्िक्म् है. िेसकन अब बादि घटते जा रहे है.् और शायद पय्टय क भी. वैिे िंगमा का दावा है सक पय्टय क अब भी चेरापूज ं ी आते है.् वे कहते है्सक सशिांग आने वािे पय्टय क चेरापूज ं ी जर्र आते है.् उनकी बात िही हो िकती है. पय्टय क आते जर्र है.् िेसकन उनको सनराशा ही हाथ िगती है. n


यथाकथा शंभूनाथ शुकंल

सूनी क्यो् रहती है अयोध्या

अयोध्या मे्षकसी को रामलला की इन मूष्तषयो्से न तो लगाव है और न उन पर तषनक भी आस्था है.

योध्या बहुत ही छोटा कस्बा है. मुब्ककि िे दो सकमी की िंबाई चौड्ाई मे्बिा है. मंसदरो्, मठो्और धम्यशािाओ्के असतसरक्त यहां कुछ भी नही्है. िकरी और ऊंची-नीची गसियां और दोनो्तरि बने मकान जो िखौरी ईटो्िे बने हुए है.् मंसदर, मठ और मकान कोई भी इमारत मुझे वहां िौ-िवा िौ िाि िे ज्यादा पुरानी नही् सदखी. मंसदरो् और मठो् का अगवाड्ा तो खूब रंगा पुता सदखा िेसकन सपछवाड्ेकी दीवािो्पर बुरी तरह काई िगी हुई थी. गसियो्मे्कतार िे समठाई की दूकाने्जर्र सदखती है्. सजनमे्बि बेिन के िड्​्, जिेबी, िमोिे और चाय ही समिती है. इक्​्ादुक्ा दूकानो्मे्अंकि सचप्ि, सबब्सकट और नमकीन के पैकेट भी सबकते सदखे. क्यो्सक सरक्शे यहां नही् है्. ज्यादातर मंसदरो् मे् िन्नाटा है. सिवाय पुसि​ि और अध्ि य सै नक बिो्की आवाजाही के और कही्कोई चहि पहि नही्है. मंसदरो् मे् पुजारी मशीनी तरीके िे प्​्िाद को मूस्तययो् के ऊपर िे्कते रहते है्. उनकी उदािीन मुद्ा देखकर िगता ही नही् सक यहां सकिी को मंसदरो्को बनाये रखने मे्सदिचस्पी है. मठो्के बाहर बैरागी िाधुओ्के जत्थे माथे पर वैषण ् वी सतिक िगाये िुसमसरनी सिराते रहते है.् दुबिे पतिे इन बैरासगयो्को देखकर िगता है सक जैिे ये घर िे भगा सदए गये हो्. बाकी की उम्​् काटने के सिए इन्हो्ने अयोध्या की पनाह िी हुई है. हर आदमी का कद छोटा और पीठ पर कूबड्सनकिा हुआ. मुझे इन कुबड्ेपुजासरयो्, बैरागी िाधुओ् और िोकि िोगो् को देखकर बड्ा आि्​्य्य हुआ. कई िोगो्िे इिकी वजह जानने की कोसशश भी की िेसकन कोई भी ठीक िे जवाब नही्दे पाया. कुछ ने बताया सक यहां का पानी खराब है. तो कुछ के मुतासबक अयोध्या के िोगो् को िीता जी ने श्​्ाप सदया था. जैिे यहां के िोगो् ने उन्हे् कि्​् सदया है. वैिे ही यहां के िोग भी कभी खुश नही् रह पाये्गे. िेसकन मुझे पक्​्ा यकीन है सक यहां के िोगो् की कम िंबाई और कूबड्े होने की वजह यहां के पानी का खारा होना है. यहां के खानपान मे् खट्​्ी चीजो्का प्​्ाधान्य है. आम और इमिी का िेवन यहां के िोग िुबह शाम के भोजन मे् जर्र करते है्. इमिी आयुव्ेद मे् त्वचा और हस्​्ियो्के सिए बहुत नुकिानदेह बतायी गयी है. राम जन्मभूसम पसरिर मे् तो खासि​ि उदािी झिकती है. दश्यन को जाने वािा श्​्द्ािु भी थक जाता है. सजन पुसि​ि वािो्और िीआरपीएि के जवानो्की ड्​्ूटी यहां िगायी जाती है. वे भी थके हुए और ऊबे-ऊबे िे िगते है्. सकिी को भी रामि​िा की इन मूस्तययो्िे न तो िगाव है और न ही उन पर तसनक भी आस्था है. सजि सकिी जवान की ड्​्ूटी अयोध्या मे्िगायी जाती है. उिकी पूरी कोसशश यहां िे कही्और तबादिा कराने की रहती है. ऐिा नही्सक यहां बहुत खतरा है या यहां का मौिम उन्हे्िूट नही् करता है. बब्लक इिसिए सक यहां सकिी तरह की कोई भी ऊपरी आमदनी नही्है. पुसि​ि मे्आदमी सकिी रामि​िा या बािकृषण ् की मूसत् यय ो् की िुरक्​्ा के सिए तो भत्​्ी होता नही् उिे तो पोब्सटंग ऐिी जगह चासहए

होती है. जहां ऊपरी आमदनी का जसरया हो. अिबत्​्ा उिे सकिी नेता की िुरक्​्ा मे् कोई परेशानी नही् होती. क्यो्सक नेता ित्​्ा मे् आया तो उिकी िुरक्​्ा मे्िगे जवानो्को भी ित्​्ा की थोड्ी बहुत मिाई तो समि ही जाती है. इिसिए सजतने भी पुसि​ि वािे यहां सदखे वे िब बेहद सचड्सचड्,े शक्​्ी और खल्ती है्. हर आने जाने वािे को ऐिी चुभती सनगाह िे देखते है्. मानो वह तीथ्ययात्​्ी नही् कोई आतंकवादी हो्. मोबाइि, पेन, पि्य, बेल्ट िब पसरिर के बाहर छोड्कर आओ, तब इि पसरिर मे्प्​्वेश समिेगा. पर यहां एक चीज मुझे अच्छी िगी. वह थी पसरिर मे् जूते पहनकर जाने की आजादी. रामि​िा कुछ करते नही्और कमाई धेिे की नही्है. जो पुजारी िगा रहता है. वह भी उबासियां सिया करता है. जो कुछ चढ्ावा आता है, वह िरकारी खजाने मे् जाता है. िो पुजारी बाबा बैठे-बैठे बि कान या नाक खोदा करते है्. थोड्ी-बहुत चहि-पहि कनक भवन और हनुमान गढी मे् सदखती है. कनक भवन के बारे मे्मान्यता है सक उिे रानी कौशल्या ने िीता जी के ि​िुराि आने पर मुंह सदखाई की रस्म मे्उन्हे भे्ट सकया था. हािांसक वहां जो पत्थर िगा है उिमे्सिखा है सक इिे ओरछा के महाराजा मधुकर शाह देव ने बनवाया था. हनुमान गढ्ी मे्बंदरो्की िौज और जमीन पर सबखरे िड्​्ओ्की सचपसचप के कारण वहां जाना मुब्ककि होता है. पर एक ऊंचे टीिे पर बने इि मंसदर को देखने की तमन्ना तो रहती ही है. कहते है् सक िैजाबाद नरेश शुजाउददौिा की मां ने इिे बनवाया था. क्यो्सक हनुमान का पाठ करने िे उनके कंधे का दद्य दूर हो गया था. मथुरा, इिाहाबाद, वाराणिी िे तुिना करे्तो िगता है सक यहां िे िोगो् को कोई िगाव नही् है. इि​िे अच्छा तो गुप्तार घाट और भरतकूप है. िैजाबाद शहर मे्कम िे कम डो्गरा रेजीमे्ट की ईि्​्देवी का मंसदर भी अयोध्या के सकिी भी मंसदर िे भव्य िगता है. यहां पर अयोध्या शोध िंस्थान मे् मुिायम चचा की प्​्ेरणा िे एक रामिीिा का मंचन जर्र होता है. वह दश्यनीय है. अयोध्या की इि उदािीनता के बारे मे् एक सदिचस्प बात पता चिी सक अयोध्या मे् जो कोई भी रहता है. उि पर किंक जर्र िगता है. क्यो्सक िीता मां ने अयोध्यावासियो्को श्​्ाप सदया था. तुम िोगो् ने एक सनष्किंसकनी स्​्ी पर दोि िगाया है. इिसिए तुम िोग कभी िुखी नही्रह पाओगे. उनका श्​्ाप ि​िीभूत हुआ. अपने िेवक हनुमान जी पर उन्हे्अनुराग था. इिसिए हनुमान गढ्ी तो ि​िीिूिी पर अयोध्या उजड् गयी. इिीसिए ओरछा की राजमाता अि​िी रामि​िा को अपने िाथ ओरछा िे गयी्. उन्हे्िपना आया था सक रामि​िा उन्हे्अपने िाथ ओरछा िे चिने का आग्​्ह कर रहे है्. मािूम हो सक राम िािा का मंसदर ओरछा मे्है. जो सक अयोध्या िे तकरीबन चार िौ सकमी दूर है. इिसिए वहां जब मब्सजद थी. तब भी उिमे्कोई नमाज वगैरह नही्होती थी और न ही अब जब वहां मूस्तय स्थासपत कर दी गयी है. तब भी कोई श्​्द्ािू वहां रामि​िा n के दश्यन हेतु जाता है. शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 25


गवजं​ंापन पं​ंदीगपका सारसंवत

रे िाहब, आज आप अकेिे सनकि रहे है्, आज कैब नही् आयी क्या?’ सवराग ऑसि​ि की सबब्लडंग िे पैदि ही बाहर िनकिा तो सिक्योसरटी गाड्यने टोक सदया था उिे. जल्दी मे्था सवराग, िो बि मुस्करा सदया था गाड्यके िवाि पर. आज रात की सशफ्ट थी तो िुबह के िात बजे ऑसि​ि िे सनकि पाया था और छोटके की गाड्ी िाढ्े िात बजे मुंबई िे्ट्ि रेिवे स्टेशन पहुंचने वािी है. जानता था सक पहुंच नही् पायेगा वक्त िे स्टेशन, पर सिर भी घर जाने की बजाय स्टेशन की तरि ही सनकि पड्ा था सवराग. कोई और सदन होता तो सकिी के िाख कहने पर भी कही्नही् जाता वह रात की सशफ्ट के बाद, पर आज कैिे न जाता वो, आज तो उिका सजगरी यार छोटका आ रहा था बनारि िे. बनारि! सकतना रि है इि शहर के नाम मे्ही. बनारिी िाि पेड्ेकी तरह घुि जाता है ये नाम उिकी जुबान पर. अब बनारि न िही तो बनारि िे आया बचपन का दोस्​्ही िही. सवराग के सिए दािमंडी के आिू पापड्और मां के बनाये घी के िड्​्ओ् के अिावा, ढेर िारी यादे्भी िेकर आ रहा था छोटका. ‘मुंबई िे्ट्ि चिोगे भैया,’ मिाड के अपने ऑसि​ि िे सनकि कर चच्य गेट िे िोकि िेगा तो वक्त और ज्यादा िग जायेगा, यही िोचकर उिने ऑसि​ि के बाहर खड्ी टैक्िी को बुिा सिया था. ‘चसिए िाहब, आप जहां कहे् वही् चि दे्गे. आज आसखरी बार चिा रहे है् ये टैक्िी,’ टैक्िी वािे ने मुस्कुराते हुए कहा, तो कुछ िमझ नही्पाया था सवराग. िेसकन इि​िे पहिे सक वह कुछ िमझने की कोसशश करता, ड्​्ाइवर ने गाड्ी स्टाट्यकरते हुए खुद ही बताया था, ‘अब अपने देि जा रहे है्, िाहब. बहुत िेवा कर िी बंबई वािो् की. पूरे 22 िाि हो गये यहां. अब वापि जाने का टाइम आ गया है. कब तक रहेगा कोई परदेि मे्?’ ड्​्ाइवर इधर अपनी ही धुन मे्बोिे जा रहा था और उधर सवराग को नी्द िे भरी अपनी आंखो् के आगे बनारि की गसियां नाचती हुई नजर आ रही थी्. अपना घर! अपना देश! वह कब िौटेगा अपने देश? इि िवाि का जवाब देने िे सवराग हमेशा बचता रहा था. जवाब तो दूर, इि िवाि का िामना करना ही मुस्ककि हो जाता था उिके सिए. शुर् के दो िाि तो बस्ढया नौकरी और अप्​्ेजि के चक्​्र मे् ही कट गये थे, पर अब

26 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

अपना देश

सपछिे दो- तीन िािो् िे वापि अपने शहर िौट जाने के िपने देखने िगा था सवराग. ‘पता है िाहब अपनी टैक्िी िस्वयि शुर् कर रहे है्हम िोग इिाहाबाद मे्. कम िे कम दि टैक्िी चासहए थी्, िो मान गये है् िाथ के कुछ िोगा. अपने घर जाना सकिे बुरा िगता है िाहब! ट्​्ांिपोट्यसवभाग ने रेसडयो टैक्िी स्कीम मे् अज्​्ी भी मंजूर कर िी है. अब बि वापि जाने की ही तैयारी है.’ सवराग ने देखा, सरयर व्यू मे्चमकती एक जोड्ी आंखो्मे्घर िौटने की खुशी िबािब भरी सदख रही थी. िेसकन उिकी अपनी आंखे्उिे बहुत खािी िगी थी्. इंटरव्यूज के सिसि​ि​िे मे्आया है छोटका मुंबई. दो- तीन जगह इंटरव्यू है्उिके. कि ही तो देकर आया था एक इंटरव्यू, पर इि बार भी सपछिे कई बार की तरह नाकामी ही हाथ िगी थी उिे. छोटका यानी असभताभ. बचपन मे् िंबाई कम थी तो दोस्​्छोटका बुिाते थे, अब िंबाई तो बढ्गयी थी पर नाम छोटका ही रह गया था.

एचआर ने कहा था सक मदर टंग इन्फ्िुएंि की सदक्​्त है उिके िाथ, यानी उिके अंग्ेजी बोिने के तरीके पर भोजपुरी का अिर है. इंटरव्यू का सरजल्ट आये पूरा सदन बीत चुका था, पर छोटके की शक्ि अब तक उतरी हुई थी. ‘चि िक्िा चि कर दीना की चाट खाते है्, सिर अस्िी पर पहिवान के यहां िस्िी पी पायेगी. ठीक?’ सवराग ने उिे छेड्ते हुए कहा तो छोटके के उदाि चेहरे पर हल्की िी मुस्कान आ गयी थी. ‘मुंबई मे् कहां रखी है हमारी दीना की चाट और पहिवान की िस्िी.’ छोटके ने बुरा िा मुंह बनाया था. कि सिर एक इंटरव्यू था उिका, पता नही्इि बार क्या होना था. कमरे के सकंग िाइज पिंग पर एक बार सिर खामोश उदािी आ कर पिर गयी थी. थे तो दोनो् दोस्​् मुंबई की इि आिमान छूती इमारत मे्, पर सदि दोनो् का ही बनारि की गसियो्के िेरे कर रहा था. ‘यार िुबह हाने वािी है और अब तक


सकतना िन्नाटा है यहां. न मंसदर की घंसटयो्का शोर, न भोर मे् ही उठ जाने वािे िोगो् की आवाजे.् बनारिव मे्तो अब तक िोग गंगा पार होकर आ गये होते,’ छोटका मेरी तरि देख्ाते हुए बोिा था. शायद उिे भी मेरे आिीशान स्टसू डयो फ्िटै के तमाम ऐशोआराम गंगा सकनारे की ठंडी हवा के िामने र्खे िगे थे. बनारि मे् तो ये दोस्​् सटकते ही कहां थे घरो् मे्. िुबहत होते ही इन्हे् गंगा सकनारे जाना होता था. कभी ये वहां वस्जयश करते, पहिवानो् की गदा उठाकर भांजने की कोिशश करते, तो कभी योगा करते. सवदेशी िैिािनयो्को देखकर ये भी सवदेश जाकर घूमने के खयािी पुिाव पकाने िगते. अस्िी घाट पर िुबह की गंगा आरती देखने के बाद चौक जाकर िक्ख्मी की दुकान पर कड्क चाय के िाथ मक्खन टोस्ट खाए सबना तो सदन ही शुर्नही्होता था इनका. िेसकन यहां सदन की शुर्आत या तो िुबह चार बजे आॅसि​ि की कैब मे्होती थी या दोपहर बारह बजे अपने सबस्​्र मे्. बड्ेशहर मे्अपना घर, गाड्ी, नौकरी िब कुछ तो पा सिया था सवराग ने, पर सिर भी अक्िर िब कुछ बेमायने िा िगने िगता था उिे. दोस्​्के बाजू मे्िेटे सवराग को उि सदन टैक्िी वािे के चेहरे पर सदखी ‘अपनी देश’ जाने की खुशी याद आ रही थी. मन ही मन उिने कुछ िैि​िा कर सिया था. ‘तू ये इंटरव्यू देने नही् जायेगा,’ टाई की नॉट बांधते हुए छोटके के हाथ वही्र्क गये थे मेरी आवाज िुन कर. चौ्क ही गया था वो. ‘क्या? पागि हो गया है क्या तू? ये आसखरी

चांि ही तो बचा है मेरे पाि. यहां भी नही् जाऊंगा, तो करं्गा क्या?’ बेरोजगार होने का दद्यछिक आया था, छोटके की आवाज मे्. ऐिा नही्था सक उिकेपाि कुछ और करने के मौके नही्थे. चौक मे्पुकत् नै ी गद्​्ी है बनारिी िास्डयो्की, सजिे उिके पापा देखते है्. अच्छा खािा सबजनेि है, बड्े-बड्े ब्​्ांड िे जाते है् उिके यहां की िास्डयां. िेसकन छोटके का मन कभी पुक्तैनी काम मे्नही्िगा था. हमेशा बड्ी और महंगी चीजे् ही अच्छी िगती थी उिे. अपने दोस्​्ो्की तरह िीए बनना था उिको भी, बड्ेशहर मे्जा कर बड्ी कंपनी मे्काम करना था. इिसिए तो पढ्ाई मे्कमजोर होने पर भी सकिी तरह सगरते-पड्ते पांच की जगह आठ िाि मे्िीए के िारे इस्मतहान पाि कर ही सिए थे उिने. अ तक तो िारे दोस्​् चिे भी गये थे बनारि छोड्कर, बि यही एक था, सजिे कोई अच्छी नौकरी नही्समि िकी थी. एक बार सवराग ने उिे िमझाया भी था सक घर के सबजनेि मे्जरा हाथ बंटाना शुर्कर दे तो कुछ िमझ आ जायेगी माक्​्ेट की, पर उखड्गया था छोटका. ‘मुझे पापा और दादू की तरह पुराने तरीके िे काम करना पिंद नही् है. अगर बनारिी िास्डयो्का ही काम करना है तो सिर शानदार िा शोर्म हो, बस्ढया िी िैक्ट्ी हो, तब तो काम करने का मन भी करे. ऐिे गद्​्ी पर जा कर बैठना मेरे बि का नही्. मैन् े पापा िे कहा भी था नये शोर्म और करघो्के सिए, पर उन्हे् मेरी िुननी ही नही् है.’ एक िांि मे् बोि गया था वो. ‘सकतना पैिा िगेगा तेरे िास्डयो् के सबजनेि के सिए? प्िान कर और बता, मै् इनवेस्ट करने को तैयार हूं. बाकी उत्​्र प्​्देश िाइने्ि कॉरपोरेशन िे िोन करा िे्गे. अपने जैिे नये िोगो्के सिए ही तो है्ये िब िोन्ि,’ इि बार सवराग ने छोटके की बोिती बंद कर दी थी, और छोटका, उिकी तो जैिे ख्वासहश ही पूरी हो गयी थी. छोटके को िमझ नही्आ रहा था सक क्या कहे. सवराग ने अपने चेकबुक सनकाि कर उिके िामने रख दी थी. ‘ज्यादा पैिे वािा हो गया है रे तू,’ बि इतना ही कह पाया था छोटका. उिने अपने हाथ िे टाई िेक ् कर गिे िगा सिया था सवराग को. आज शाम छोटका बनारि वापि जा रहा है. ‘अपने देश’ मे्ही अपनी खुसशयां तिाशने. सवराग उिके िाथ तो नही्जा रहा है पर जानता है सक आज नही् तो कि उिका भी वक्त आयेगा. आसखर कब तक रहेगा कोई परदेि मे्? (सूचना एवं जनसमंपकंक गवभाि उतं​ंार पं​ंदेश दं​ंारा पं​ंकागशत) शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 27


गवजं​ंापन

बिबिया रानी

गशखा गं​ंदवेदी

र के पाि वािी मब्सजद िे आती आजान की आवाज के िाथ ही स्​्तपुरारी पांडे अपनी सबसटया का नाम जपने िगते. ‘रानी, उठ जाओ बेटा िुबह का पढ्ा हमेशा याद रहता है, हम चाय बना कर िाते है् तुम्हारे सिए’ रोज रानी की िुबह ऐिे ही होती थी, अपने पापा के हाथो्की बनी चाय पीना और सिर सकताबो्की दुसनया मे् खो जाना. िोिह िाि की रानी िाडिी थी अपने पापा की. यही कुछ एक डेढ् िाि की ही रही होगी रानी जब उिने अपनी मां को खो सदया था. बि तब िे उिने हर वक्त और हर जर्रत पर अपने पापा को ही पाि पाया उिने. हािांसक उिकी आजी यानी दादी भी उनके िाथ रहती थी्, पर उिके पापा ने उिकी परवसरश की सजम्मदे ारी सकिी िे िाझा नही्की. अपनी बड्ी होती बेटी के सिए बहुत िे िपने िजा रहे थे स्​्तपुरारी पांडे, पर जो िबिे खाि था, वो था अपनी बेटी को िरकारी बै्क का बड्ा असधकारी बनते देखना. खुद आजमगढ् के एक िरकारी बै्क मे् बाबू थे वो और अपनी बेटी को अपने िे आगे बढ्ते देखना चाहते थे. रानी ने भी अपने पापा के िपने को अपना िपना बना सिया था और उिे पूरा करने 28 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

के सिए वो जी जान िे मेहनत भी कर रही थी. घर िे स्कूि और स्कूि िे घर तक खुद को िमेट सिया था उिने. उि रोज भी स्कूि िे घर आते ही सिर िे अपना बस्​्ा िेकर बैठ गयी थी वो. आजी बारबार खाने के सिए बुिाती रही् पर वो थी सक सकताबो्मे्कही्खोई थी. ‘बेटा पहिे पेट पूजा सिर कोई काम दूजा. चिो जाकर हाथ-मुंह धोकर आओ, हम िाथ खाना खाएंग’े उिी वक्त िंच ब्क ्े मे्बैक ् िे घर आये स्​्तपुरारी बाबू ने ये कहते हुए रानी के हाथ िे सकताब िे िी और उिे वापि बस्​्ेमे्रख सदया. कुछ ही देर मे्आजी खाने की दो थािी िे आयी्, पांडे जी ने बड्ेप्यार िे अपनी थािी का पहिा सनवािा अपनी सबसटया की ओर बढ्ा सदया, अपनी थािी िेकर वही्पाि बैठी आजी िे शायद सबना बोिे रहा नही् गया, कहने िगी्, ‘अरे स्​्तपुरारी, अब सबसटया बड्ी हो गयी है, जर्रत िे ज्यादा िाड-दुिार िे सबगड् जायेगी और सिर तब न कहना अम्मा ने कुछ िमझाया नही्.’ अपनी मां की बात िुनकर स्​्तपुरारी हंिते हुए बोिे, ‘अरे अम्मा, आप भी तो हम पर दुिार िुटाती है,् हम सबगड्गये क्या?’ अपने पापा की

बात िुनकर रानी जोर-जोर िे हंिने िगी. आजी ने आगे कुछ नही्कहा, बि मन ही मन कुछ बुदबुदाते हुए अपना खाना खाने िगी्. अपना खाना खत्म करके स्​्तपुरारी बाबू बैक ् वापि चिे गये और रानी सिर िे अपनी सकताबो् मे् डूब गयी. तभी दरवाजे पर दस्​्क हुई. आजी ने जाकर दरवाजा खोिा. ‘हमे् पता था तुम भूि जाओगी अनीता के घर जाना, अरे बथ्यडे है आज उिका, चिना नही् है क्या?’ ये थी रासधका, रानी की िबिे अच्छी िहेिी. रािधका की बात िुनकर रानी ने झट िे अपनी सकताब बंद की और तैयार होने अपने कमरे मे् जाने िगी. सिर जब उिका ध्यान रासधका के उि नये कुत्े पर गया, तो वो र्क गयी. ‘अरे वाह, ये तो बहुत िुंदर है, कहां िे सिया?’ रानी ने कुत्े को छूकर देखते हुए पूछा. ‘ये, वो अशिाख चचा है् न, उनकी दुकान पर टंगा देखा था ऐिा ही कुत्ाय, बि हमने भी उन्हे्कपड्ा िाकर सदया और वैिे का वैिा बनवा सिया, तुम्हे् पिंद है तो तुम भी बनवा िो’ रानी ने रासधका की बातो् का कोई जवाब नही् सदया. सिर उिे अपने िाथ अपने कमरे मे्िे गयी. अपनी आिमारी मे्कपड्ो्के नीचे रखी एक िाइि िनकािी और उिमे् िे


एक ि​िेद काड्यशीट सनकाि कर पेस्ि​ि िे उि पर कुछ उकेरने िगी. कुद ही देर मे् रासधका के कुत्े का पूरा सडजाइन रानी ने उि काड्य पर बना सिया था. रािधका तो हैरान रह गयी, ‘अरे! तुमने तो कमाि कर सदया, कब िीखा?’ ‘िीखा नही्है, बि ऐिे ही, अच्छा िगता है हमे् कपड्ो् के नये-नये सडजाइन कागज पर उकेरना’ रासधका के िवाि का जवाब देकर रानी ने वो काड्य वापि िाइि मे् रखा और िाइि अिमारी मे्रख दी. ‘रानी मेरी मानो, तुम िैशन सडजाइनर बन जाओ, हम भी अपने कपड्े तुमिे ही सडजाइन करवा सिया करे्गे’ रासधका ने हंिते हुए रानी को ि​िाह दे दी. रािधका की बात पर रानी भी मुसक ् रु ा दी और तैयार होकर उिके िाथ अनीता के घर के सिए सनकि गयी. जाने- अनजाने ही िही रािधका की ि​िाह दे रानी ने उि शौक को एक कदम और आगे बढ्ने की राह जर्र सदखा दी थी. हािांसक रानी ने खुद िे वादा सकया था सक वो अपने इि शौक को कभी अपना कसरयर नही् बनायेगी, क्यो्सक अपने पापा का सदि तोड्कर अपने मन की राह नही् चुनना चाहती थी वो. िेसकन मन को बांध पाना इतना आिान कहां था. रानी अक्िर घर पर िबिे सछपकर कपड्ो्के नये-नये सडजाइन कागज पर उतारती रहती या सिर िाइसकि िेकर सनकि पड्ती शहर के बड्े-बड्े शोर्म मे् िगे कपड्ो् के सडजाइन देखने. उि रोज रानी अपनी िाइिकि िेकर सनकिने ही वािी थी सक आजी ने उिे टोक सदया, ‘अरे, कहां चिी घोड्े पर िवार?’ ‘क, क, कही् नही् आजी, वो काॅपी भर गयी है, नयी िेने चौक तक जा रहे है्, चिेगी हमारे िाथ िािूदा खाने’ रानी ने दरवाजे िे िाइसकि बाहर करते हुए आजी को मक्खन िगाने की कोसशश की. ‘हमे्नही्जाना, िड्क खराब है वहां की, और तुम्हे्तो जब िे स्​्तपुरारी ने ई दो चके्थाम सदये है्तब िे घर मे्पैर नही्सटकते’ अपने सिए पान बनाती आजी बड्बड्ाने िगी्. ‘अरे आजी, घर मे्बैठी रहोगी तो कैिे पता चिेगा सक िड्क कब की बन गयी है और दूिरी बात ये िाइसकि हमको पापा ने नही्सदिाई. दो िाि पहिे किेक्ट्ेट की तरि िे समिी थी, दिवी् मे् अच्छे नंबर जो िाये थे हम.’ रानी आजी को अपनी कासबसियत याद सदिा कर चिी गयी. दरअि​ि रानी का अपनी आजी के िाथ बड्ा खट्​्ा-मीठा सरक्ता था. रानी सदन भर या तो सकताबो्मे्उिझी रहती या िछपकर कागजो्पर

कपड्ो् की कोई िडजाइन उकेरने की कोसशश मे्, जसबक आजी चाहती थी सक वो घर का काम-काज िीखे. इिे मुद्े पर अक्िर स्​्तपुरारी बाबू िे बहि हो जाती उनकी, उि सदन भी हुई थी, ‘अम्मा आप िमझती क्यो् नही्, सबसटया को पढ् सिखकर कुछ बड्ा करना है. अभी तो यही्पढ् रही है अगिे िाि सदल्िी भेजना है उिे, कॉिेज की पढ्ाई के सिए घर का काम बाद मे् िीख िेगी’ स्​्तपुरारी पांडे अपनी मां को सचंता करने की एक और वजह दे कर बै्क के सिए सनकि गये थे. रानी अभी तक अपने कमरे मंे ही थी. ‘अरे ओ सबसटया सकताबो् िे ही पेट भरागी का? खाई िो कुछ सिर िे िेना सडगी’ आजी ने पहिे आवाज दी सिर दरवाजा खोिकर रानी के कमरे मे्दािखि हो गयी्. आजी को देखते ही रानी पिंग के नीचे कुछ सछपाने की कोसशश करने िगी पर आजी ने देख सिया. ‘का सछपा रही हो हमिे?’ आजी पिंग के नीचे झांकने िगी. ‘कुछ नही् आजी’ रानी के रोकते-रोकते आजी ने पिंग के नीचे देख सिया. सि​िाई मशीन अिग-अिग रंग के धागे और कपड्ो् की कुछ कतरन थी्वहां. ‘अरे ई ि​ि​िाई मशीन कहां िे आयी और सछपा काहे रही थी तुम? अरे ि​ि​िाई-कढ्ाइ िीखने मे्कोई बुराई नही्है’ आजी वही्जमीन पर बैठ गयी् और पिंग के नीचे िे मशीन सनकािने िगी्. ‘वो आजी, हमे् नये-नये ि डजाइन वािे कपड्ेबनाना बहुत पिंद है, हम तो पूरे शहर मे् िबिे अच्छे कपड्े बनाना चाहते है्. बुटीक खोिना चाहते है्अपना, पर पापा,’ रानी अपनी बात पूरी कर पाती इि​िे पहिे आजी नाराज होने िगी्. ‘का कहा तुमने, बुटीक, सडजाइन, मतिब दुकान चिाना है तुम्हे्, और स्​्तपुरारी को पता

चिेगा तब, सबसटया को अि​िरनी बनाना चाहता है और तुम दूिरा ही राग अिाप रही हो.’ गुस्िे मे्उठकर आजी कमरे िे बाहर चिी गयी. सबना ये िुने सक रानी को अपने िपने िे ज्यादा अपने पापा के िपने को जीने मे्यकीन था. रानी आजी के पीछे-पीछे कमरे िे बाहर िनकिी पर दरवाजे पर ही र्क गयी. पापा िामने खड्ेथे उिके, रानी और आजी के बीच हुई बाते्िुन िी थी उन्हो्ने. ‘वो, पापा, हम’ रानी ने ि​िाई देने की कोसशश की, िेसकन स्​्तपुरारी बाबू वहां िे िीधे अपने कमरे मे् जाकर चुपचाप कुि्ी पर बैठ गये. रानी धीरे िे वहां आकर कुि्ी के पीछे खड्ी हो गयी. ‘पापा, हमे् शौक है कपड्े सडजाइन करने का, बनना चाहते है् हम िैशन सडजाइनर, पर आपकी खुशी हमारे सिए इन िबिे बड्ी है, हम आपका िपना जर्र पूरा करे्गे.’ आंखो् मे् आंिुओ्के िाथ रानी अपने पापा की नाराजगी दूर करने की कोसशश मे्िगी थी. तभी स्​्तपुरारी पांडे उठे और आकर अपनी बेटी के िामने खड्े हो गये. अपनी दराज िे एक सि​िािा सनकािा और रानी को ओर बढ्ा सदया. ‘ये क्या है पापा?’ रानी ने डरते-डरते पूछा. ‘तुम्हारे िपनो्की मंसजि तक पहुंचने का रास्​्ा. कौशि सवकाि के्द् मे् अज्​्ी दी थी तुम्हारे सिए वही्िे आया है ये खत. अब तुम मन िगाकर सि​िाई-कढ्ाई िीखो और बन जाओ िैशन सडजाइनर.’ स्​्तपुरारी पांडे ने खत सनकािकर रानी के हाथो्मे्थमा सदया. रानी की आंखे् खुशी िे चमक उठी् पर अगिे ही पि अपने पापा की नाराजगी याद आ गयी उिे. सिर िे उदाि हो गयी वो. रानी को ऐिे देखकर स्​्तपुरारी बाबू हंिते हुए बोिे, ‘बेटा, हम तो नाराज होने का नाटक कर रहे थे. एक हफ्ता पहिे अिमारी ठीक करते वक्त वहां रखे कपड्ो्के सडजाइन्ि देख सिए थे हमने. हमे् तभी एहिाि हो गया था सक तुम्हारा अि​िी हुनर कुछ और है. अब जाओ और अपने िपनो्मे्रंग भरो.’ अपने पापा का प्यार और अपने सिए भरोिा देखकर खुश हो गयी रानी. जल्दी िे अपने सपता के िीने िे िग गयी, कहने िगी, ‘पापा, पहिी कमीज अापके सिए ही बनाये्गे हम.’ बाप-बेटी का प्यार देखकर दरवाजे के पाि खड्ी आजी का गुस्िा भी आंखो् िे टपकी दो बूंदो्के िाथ बह गया. (सूचना एवं जनसमंपकंक गवभाि उतं​ंार पं​ंदेश दं​ंारा पं​ंकागशत) शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 29


उत् मास्​्रटप्​्दहेडेश

माया की आफ्त भाजपा की सांसत

उत्​्र प्​्देश मे्भाजपा ने अपनी पैठ बनाने के षलए एक तरि मौय्षको कमान सौ्पी है तो दूसरी तरि वह मायावती के षखलाि कई तरह की रणनीषत आजमा रही है.

एक सभा मे् मायावती: भाजपा से सीधा सामना

गववेक सकंसेना

त्र् प्द् श े मे्भाजपा की सचंता मायावती की िोशि इंजीसनयसरंग है् सजनके िाथ वह कई बार िरकार भी बना चुकी है. भाजपा ने प्​्देश अध्यक्​् केशव मौय्य को बनाया है तासक दसित और असत सपछडे िमाज का वोट समि िके. पर मौय्य को ब्​्ाहमण सवरोधी भी माना जाता है और उनके सखिाि हत्या िमेत कई आपरासधक मामिे भी दज्यहै्. ऐिे मे्वह शहरी मध्य वग्य सबदक िकता है जो पाट्​्ी का परम्परागत वोट बै्क रहा है. इिमे् ब्​्ाम्हण सनण्ाययक है. मायावती के उभार के िाथ ही ब्​्ाह्मण भाजपा छोड बिपा की तरि जा िकता. यही सचंता है भाजपा की. उत्​्र प्​्देश सवधानिभा चुनाव को अपनी प्​्सतष्​्ा का प्​्क्न बना चुकी भाजपा हर कीमत पर इिमे् अपनी बढ्त दज्य करवाना चाहती है.उत्​्र प्​्देश मे् 30 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

िंगठन मे्बदिाव के बावजूद भाजपा की ब्सथसत मे् कोई बडा बदिाव नजर नही् आ रहा और अभी भी वह मुकाबिे िे बाहर है. मुख्य मुकाबिा अभी भी िमाजवादी पाट्​्ी और बहुजन िमाज पाट्​्ी के बीच है. वह सकिी तरह मुकाबिे मे् आना चाहती है. इिके सिए जो रणनीसत तैयार हो रही है, उनमे्िे एक मायावती को को सनशाने पर िेते हुये आय िे ज्यादा िंपस्​्त के मामिे मे्िंिाना भी शासमि है. पाट्​्ी के रणनीसतकार इि िाम्यूिे पर गंभीरता िे सवचार कर रहे है्. क्या ऐिा करके उनके वोट बै्को को सछतराया जा िकता है? हािांसक यह दांव उल्टा भी पड िकता है,अगर ऐिा हुआ तो मायावती का वोट बै्क और मजबूत हो जायेगा. पर सि​िहाि भाजपा के रणनीसतकार हसरयाणा मे्चौटािा का उदाहरण ज्यादा बेहतर मान रहे है. उनका मानना है सक मायावती अगर सकिी मामिे मे्िंिी तो उनका

वोट बैक ् सबखर िकता है .खाितौर िे क्या ऐिा करने पर मुब्सिम मतदाता, िमाजवादी पाट्​्ी की ओर और ब्​्ाम्हण भाजपा की ओर आ िकता है. पाट्​्ी का पहिा िक्​्य िरकार बनाने का है. सजिकी िंभावना बहुत कम है. ऐिा न होने की हाित मे् वह राज्य मे् पहिे या दूिरे नंबर की पाट्​्ी के र्प मे्स्थासपत होना चाहती है. उत्र् प्द् श े मे्भाजपा िीधे मुकाबिे मे्आने की तैयारी कर रही है. पाट्​्ी का मानना है सक िपा के ित्​्ा मे्होने के कारण उिके सखिाि जो ित्​्ा सवरोधी माहौि बना. उिका िाभ मायावती की बिपा को समि िकता है. इिके िाथ ही मुब्सिम वोट भी मायावती के िाथ जा िकती है. इिे ध्यान मे् रखते हुए अगिे कुछ महीनो् मे् बिपा िुप्ीमो के सखिाि आय िे ज्यादा िंपस्​्त के मामिे मे् तेजी िाकर उनके सखिाि बड्ी कार्यवाई की जा िकती है. पाट्​्ी का मानना है सक अगर वे सकिी मामिे मे्जेि


गयी. तो स्​्दतीय पंब्कत के मजबूत नेताओ् के अभाव मे् पाट्​्ी के काय्यकत्ायओ् का मनोबि टूटेगा. पाट्​्ी के मुब्सिम वोट बै्क पर कािी बुरा अिर पड्ेगा. उि हाित मे् यह वोट बै्क सिर िे मुिायम सिंह यादव के िाथ खड्ा हो िकता है. ठीक वैिे ही जैिे हसरयाणा मे् ओमप्​्काश चैटािा के जेि मे् रहने के कारण उनकी पाट्​्ी को नुकिान पहुंचा था. िीधे मुकाबिे मे् पाट्​्ी की जीत की िंभावनाये् बढ्ना तय है. आज की तारीख मे् उिका मुकाबिा चौथे नंबर पर रही कांग्ेि िे है. अगर पाट्​्ी यह चुनाव हारती भी है. तो कम िे कम मुखय् सवपक्​्ी दि की हैसियत तो हासि​ि कर वह अपनी इज्​्त प्​्सतष्​्ा तो बचा ही िकती है. पाट्​्ी के सिए यह चुनाव आिान नही् है. खाितौर िे तब जबसक कभी िाि कृष्ण आडवाणी के वकीि रहे और नरे्द् मोदी के खाि पूव्य कानून मंत्ी राम जेठमिानी भाजपा के सखिाि जुट गये हो्. हाि ही मे् उनके घर पर मुिायम सिंह यादव और कांग्ेि के मौजूदा िंकटमोचक प्श ् ांत कुमार नजर आये. इन तीनो् ने आपि मे् क्या बातचीत की इिका तो पता नही्पर कांग्ेि मे्यह चच्ाय हो रही है सक पीके तो ऐिे िैसनक है्. जो कक्मीर िे िेकर चेचैन्या तक और भाजपा िे िेकर कांगि ्े तक सकिी को भी अपनी िेवाये् दे िकते है्. इिसिए उन पर सवश्​्ाि करना ठीक नही्है.

केशव मौय्व: भाजपा का दमलत चेहरा मािूम हो सक रामजेठमिानी का भी राज्यिभा की िदस्यता खत्म होने वािी है और वे पहिे भी यह िासबत करते आये है् सक राजनीसत मे्कोई अछूत नही्होता है. वैिे भी वे इि सिद्​्ातं मे्सवश्​्ाि रखते है्सक दि वही जो राज्यिभा पहुंचाये. ध्यान रहे सक अर्ण जेटिी और केजरीवाि के सखिाि मानहासन का जो मुकदमा दायर सकया है. उिमे् वे सदल्िी के मुख्यमंत्ी की पैरवी कर रहे है्. िाि कृष्ण आडवाणी की सदवंगत पत्नी कमिा आडवाणी के मुंह बोिे भाई ने कुछ िमय पहिे कािे धन के मुद्ेपर बयानबाजी करके प्​्धानमंत्ी का चैन छीनने की कोसशश की थी.

चौदह अप्​्ैि को जब मायावती ने आम्बेडकर जयंती के मौके पर हुये िमारोह मे् िमाजवादी पाट्​्ी पर सनशाना िाधते हुए कहा सक ित्​्ा मे् आने के बाद वे िमाजवादी पाट्​्ी िरकार के घपिो की जांच कराये्गी तो िमाजवादी पाट्​्ी ने भी पिटवार सकया. िमाजवादी पाट्​्ी के प्​्देश प्​्वक्ता राजे्द्चौधरी ने कहा सक बिपा अध्यक्​् को जनता की याद पर भरोिा नही है. उन्हे्िोकतंत्पर भी भरोिा नही है. वे यह क्यो्िमझती है सक जनता उनके कुशािन मे्हुई िूट भूि जाएगी. आम्बडे कर के समशन के िाथ उन्हो्ने सवश्​्ािघात करने मे् कोई किर नही छोड्ी. इिके बाद कि उनके नाम पर खूब तमाशा सकया और अपनी ित्​्ा िोिुपता का नग्न प्​्दश्यन सकया. उन्हो्ने कहा सक प्​्देश की जनता ने िमाजवादी पाट्​्ी को बहुमत िे ित्​्ा मे् सबठाया है. मुख्यमंत्ी असखिेश यादव की िरकार पर आक्​्ेप कर वे जनादेश की अवमानना कर रही है.पांच िाि के बिपा शािन काि मे् दसित िुटे सपटे, उनकी बहन बेसटयो् के िाथ बिात्कार हुआ सजिमे् बिपा सवधायक-मंत्ी शासमि रहे िरकारी खजाने की िूट मची रही. स्वास्थ्य सवभाग मे् सिवाय धनरासश के बंटवारे के कोई काम नही हुआ. बिपा प्​्मुख के जन्मसदन के नाम पर जबरन विूिी की जाती रही. n

आनंद िे आता िंकट

आशंका है षक मायावती के भाई आनंद कुमार पर प्​्वत्षन षनदेशालय िंदा डालने जा रहा है. अगमत वाजपेयी

मा

यावती के भाई आनंद कुमार अब गिे की फ़ांि बनते जा रहे है्. तकरीबन 2000 करोड र्पये के सहिाब सकताब को िेकर जल्द ईडी यासन प्​्वत्यन सनदेशािय आनंद कुमार के गिे मे्िंदा डािने जा रही है. िवाि ये है की क्या िरकार आनंद कुमार की सगरफ्तारी के सिए ईडी को हरी झंडी देगी? िूत्ो्के मुतासबक सवत्​्मंत्ािय िे ईडी को सनद्​्ेश हुए है् की वो 2165.08 करोड र्पये के हस्​्ांतरण को िेकर आनंद कुमार पर कार्यवाई करे. इि​िे पहिे ये फ़ाइि ईडी के हैडक्वाट्यर मे् धूि खा रही थी. िूत्ो् ने बताया की आनंद कुमार की कंपनी डीएिए इन्फ्ास्ट्क्चर प्​्ाइवेट सिसमटेड और उि​िे जुडी कम्पसनयो् मे् जनवरी 2011 और सितम्बर 2014 के बीच 2149.5करोड र्पये सनकािे गए और 2165.08 करोड र्पये जमा सकये गये. इतनी भारी रकम के स्​्ोत िंसदग्ध बताये जा रहे है्. िूत्ो् के मुतासबक आनंद न सि​ि्फ डीएिए इन्फ्ास्ट्क्चर प्​्ाइवेट सिसमटेड के डायरेक्टर थे बब्लक हारमोनी रीयि डेविपि्य प्​्ाइवेट सिसमटेड ,ओम प्​्ोजेक्ट प्​्ाइवेट सिसमटेड और तमन्ना डेविपि्य प्​्ाइवेट

आनंद कुमार: प्​्वत्वन मनदेशालय का डर सिसमटेड जैिी कम्पसनयो्के भी डायरेक्टर है्. ये िभी कंपसनयां मायावती के 2007 मे् यूपी के मुख्यमंत्ी बनने के बाद खोिी गयी है्. ज्यादातर कम्पसनयो्मे्आनंद कुमार के िाथ उनकी पत्नी सवसचत्​्िता भी डायरेकट् र है. ईडी ने इन कपंसनयो्की िूची िीबीआई को भी भेजी है जो आनंद कुमार की भूसमका की इंजीसनयर यादव सिंह घोटािे मे्जांच कर रही है. िूत्ो्के मुतासबक मायावती और उनके भाई आनंद कुमार के सखिाि कार्यवाई को िेकर बीजेपी मे् दो मत है्. बीजेपी के िगता है की मायावती के भाई को सगरफ्तार करके भ्​्ि्ाचार पर प्​्हार करना चासहए िेसकन ये काम चुनाव नजदीक आने पर घातक िासबत होगा. बीजेपी मे्एक मत का ये भी कहना है की मायावती पर सगरफ्तारी की तिवार िटका कर उन्हे्सडस्टब्यसकया जा िकता है सजि​िे बीएिपी की चुनावी तैयारी प्​्भासवत होगी. शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 31


पश्मास् ्िटम हेबंडग

दीदी का दुग्ाव र्प: मवलक्​्ण प्​्चार

चुनावी डगर के अगर मगर शरद िुपतं ा

स्​्िम बंगाि कुछ चीजो्के सिए मशहूर है. यहां की समठाई, खाना, फ़ु्टबॉि, स्​्ककेट और राजनीसत की चच्ाय तो हर चाय की दुकान पर होती सदख जायेगी. ख्ाितौर पर राजनीसत को िेकर िंबे बहि मुबासहिे होते है.् िभी के अपने पिंदीदा सखिाड्ी, राजनीसत और राजनेता है्. यहां आम आदमी की राजनीसतक िमझ केवि ितही और सकताबी नही् है. सवचारधारा की चाशनी मे्पगी अपनी राजनीसत का बचाव करने के सिये वे सकिी भी हद तक चिे जाते है.् सबना अंजाम की परवाह के. शायद यही वजह है सक यह प्​्ांत सहंिक राजनीसत और राजनीसतक हत्याओ्का भी गढ्है. बहरहाि, इि बार के सवधानिभा चुनाव ने 32 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

िगता है बंगासियो् का मूि स्वभाव ही बदि सदया है. अब वे बोिने िे डरने िगे है.् अपनी सवचारधारा के पक्​् मे् भी और दूिरो् की सवचारधारा के सखिाि भी. अि्ब्े ाजी के दौरान कम ही िोग िारदा सचटफ़ंड ् घोटािे या नारद ब्सटंग पर बात कर रहे है्. अगर ज्यादा जोर डािकर पूछा जाये सक सकिका पिड्ा भारी है तो िोग रेडीमेड जवाब देने िगते है,् 'पता ही नही् चि रहा है इि बार', 'माकपा कांग्ेि गठबंधन और तृणमूि कांग्ेि मे् बराबर का मुक़्ाबिा है'; या 'अभी तो चुनाव को माहौि ही नही्बना है' यानी चुनाव प्च ् ार मे्तेजी नही्आई है. या सिर 'अभी तय नही्सकया है.' कांगि ्े और माकपा नेता मानते है् सक इि चुप्पी के पीछे असनण्यय नही् है. इिके पीछे शब्कतशािी िोगो्का डर है. अगर डर नही्होता

चुनावी सामग्​्ी: सभी दलो् की एक दुकान

पष्​्िम बंगाल मे्तृणमूल कांग्ेस का खौि है और इस डर ने माकपा-कांग्ेस को साथ लाकर मुकाबला षदलचस्प बना षदया है. भाजपा मजबूरी मे् तृणमूल कांग्ेस की परोक्​्मदद कर रही है. तो वे खुिकर कह िकते थे सक हम तृणमूि कांगि ्े को वोट नही्देग् .े िेसकन उन्हे्आशंका है सक िाव्ज य सनक जगहो्पर तृणमूि के िोग हो िकते है्जो उनकी बात िुनने के बाद सकिी न सकिी तरह उन्हे्प्त् ासड्त करेग् .े यही वजह है सक बंगाि, ख्ाितौर पर दस्​्कण बंगाि मे् िोगो् के मुहं पर तािे िग गये है.् दस्​्कण बंगाि तृणमूि का गढ् है जबसक उत्​्र बंगाि मे् वाम मोच्ायकांगि ्े गठबंधन मज्बतू है. माकपा के मुखपत्​् गणशब्कत के िंपादक अभीक दत्​्ा कहते है्सक सपछिे पांच िािो् के ममता बनज्​्ी शािन के दौरान गुंडागद्​्ी और विूिी ने नयी ऊंचाइयां छुई्. वे मानते है् सक वाम मोच्ाय द्​्ारा िंरक्​्ण प्​्ाप्त दादाओ्ने 2011 मे्ित्​्ा बदिते ही पािा बदि सिया. बीते िाि हुए नगर सनगम और ग्​्ाम पंचायत के चुनावो् मे् तृणमूि कांग्ेि ने तीन


चौथाई िे ज्यादा िी्टे् जीती थी. इिकी मुख्य वजह तृणमूि 'काय्क य त्ाओ य '् द्​्ारा िंगसठत बूथ कैपच ् सरंग बतायी जा रहा है. माकपा के हािात ऐिे है् सक अिीमुद्ीन स्ट्ीट ब्सथत पाट्​्ी मुख्यािय के अिावा असधकतर काय्ायियो् दीवार पर तृणमूि के नारे सिखे है्और उन्ही्के पोस्टर सचपके है्. वही् बद्यवान के सज्िा न्यायािय मे्िगभग 150 िोग जमानत िेने के सिये िाइन िगाये सदखे. िभी माकपा काय्क य त्ा.य पूछने पर मािूम चिा सक स्थानीय पुसि​ि ने उन पर आईपीिी की धारा 107/116/151 के तहत सहंिा की आशंका के मुक़द् मे दज्यसकये है.् माकपा के बद्यवान सजिा िसचव असचंत मब्लिक कहते है्, 'यह हमारे िोगो् को डराने की कोसशश है. तृणमूि के एक भी आदमी पर कोई केि नही्दज्यनही्हुआ है. जबसक सपछिे पांच िािो् के दौरान केवि बद्यवान सजिे मे् हमारे 21 कॉमरेडो् की हत्या तृणमूि के इशारे पर की गयी है. हम सजनकी दीवारो् पर पोस्टर िगाते है्उनके मकान मासिको्िे िहमसत पत्​् पर दस्​्खत करा िेते है् जबसक टीएमिी के िोग ऐिी औपचासरकता तक नही्करते.' दरअि​ि, 2011 मे्जब तृणमूि कांगि ्े ने वाम मोच्​्े के 34 िाि के अबाध शािन का खात्मा सकया था तब 81 िीिदी मतदान हुआ था यानी ित्​्ा के सखिाि जबरदस्​् िहर थी. इि बार वैिी िहर नही्सदख रही है. िेसकन 4 अप्ि ्ै को हुए पहिे दौर के चुनाव मे्84 फ़्ीिदी मतदान हुआ है. वह भी माओवादी सहंिा के प्भ् ाव वािे जंगिमहि इिाक़े् मे.् राजनीसतक सवक्िेिक इतने भारी मतदान की वजह और अिर ढूढं ने की कोसशश कर रहे है.् मतदान के दौरान सजि बात की िबिे ज्यादा चच्ाय हुई वह थी के्द्ीय िुरक्​्ाबिो् द्​्ारा मतदान के दौरान पोसिंग बूथ की िुरक्​्ा करने के बजाय िामूसहक

खरीदारी करना. िेसकन ित्​्ाधारी दि इिे भी िही ठहरा रहा है. तृणमूि नेता आसिफ़् खान कहते है, 'यह बताता है सक माओवासदयो् के प्भ् ाव वािे इिाक़े्मे भी इतना शांसतपूणय्मतदान हुआ सक जवान खरीदारी करने चिे गये.' चाय की दुकानो् की अि्​्ेबाज्ी िे िेकर दफ्तरो् मे् होने वािी चच्ायओ् तक िे चुनावी बहि ग्ायब है. एक सनजी दूरिंचार कंपनी के मासिक तानाजी रे कहते है,् 'हर आदमी दूिरे को शक की सनगाहो्िे देख रहा है. नही्मािूम सकिका पड्ोिी, दोस्​् या सरक्तेदार तृणमूि िमथ्क य सनकि आये और उिके ममता सवरोध की सशकायत स्थानीय नेताओ्िे कर दे.' उिके अंजाम की आशंका ने बंगाि मे् चाय के अि्​्ो् पर राजनीसत की चच्ाय की परंपरा पर सवराम िगा सदया है. इि आशंका के सिये तृणमूि का बूथ िेवि पर बनाया िंगठन सकिी हद तक सज्मम् दे ार है. ये िंगठन स्थानीय कल्चरि क्िब के र्प मे्चि रहे है.् यूं तो इनका घोसित काम मोहल्िा, वाड्यया गांव स्र् पर दुगा्य और कािी पूजा आयोसजत करना है. िेसकन अघोसित काम सनठल्िे, बेराजगार युवको् को आिान आजीसवका उपिल्ध कराना है. कोिकाता मे् िाल्टिेक सिटी सनवािी असभजीत िासहड्ी कहते है,् 'ये युवक सदन भर आराम करते है्या आवारागद्​्ी करते है.् इनका काम रात नौ िे िुबह चार बजे के बीच आिपाि िे सनकिने वािे वाहनो्िे विूिी करने का है. िाथ ही मोहल्िे या गांव मे् बनने वािी िभी इमारतो् मे् सनम्ाण य िामग्​्ी उपिल्ध कराना है. चूंसक ये सिंडीकेट बनाकर काम कर रहे है् इिसिये इनके मोहल्िे मे् कोई दूिरा िप्िायर घुिने की सहम्मत ही नही् कर िकता. इिसिये घसटया िामग्​्ी के सिये ये ऊंचे दाम विूिते है.्

एक चुनावी सभा मे् माकपा के मबमान बसु: गठबंधन की मववशता

पुसि​ि और कानून का पािन कराने वािी एजेस्ियां आंख बंद कर िेती है.्' माकपा के नेता भी दबी ज्बान िे स्वीकार करते है् सक कल्चरि क्िब की परंपरा की शुरआ ् त उनके ज्माने मे्ही हुई थी िेसकन वहां सवसभन्न स्र् पर सनगरानी होने के कारण इनमे् दबंगो्का प्व् श े नही्हो पाया. माकपा का आरोप है सक तृणमूि िरकार ने नौकरशाही का ग्​्ािर्ट िेवि तक राजनीसतकरण कर सदया है. इिसिये उन्हे् जनता के ग्ुस्िे का डर नही् है. जीतने के सिये उन्हे् जनता नही् बब्लक ल्िॉक डेविपमे्ट अफ़्िर (बीडीओ) का भरोिा है. मतदान के दौरान केद् ्ीय िुरक्​्ाबिो्की मौजूदगी के बावजूद तृणमूि काय्क य त्ाय द्​्ारा की जा रही चुनावी सहंिा इिका िबूत है. वही्तृणमूि कांगि ्े के नेता इिे सखसियाना सबल्िी खंभो्नोचे की िंज्ा देते है.् जिपाईगुड्ी के टीएमिी नेता िंदीप महतो कहते है् सक माकपा नेताओ् का िबिे बड्ा दद्य यही है सक ममता दी ने उन्हे्उनके ही तरीको्िे परास्​्कर सदया. वे वाम मोच्ाय की तुिना मे् असधक जनवादी है्और मुिायम सिंह यादव की तुिना मे्मुि​िमानो्की ज्यादा बड्ी हमदद्.य एक अन्य तृणमूि नेता कहते है्, 'उन्हो्ने वाम मोच्​्े के गुंडो् को खत्म कर सदया है. वे गऱीबो्की िबिे बडी हमदद्यहै.् उन्हो्ने कक्​्ा नौ िे बारह की छात्​्ाओ् को पांच िौ र्पये महीने वज्ीिा, 18 िाि की उम्​्पर उन्हे्शादी के सिये 25 हज्ार र्पये के अिावा बच्​्ो्को 25 िाख िाइसकिे्बांटने जैिे मिीहाई काम सकये है.् वे िवा िात करोड्िोगो्को िस्​्ा राशन सदिवा रही है्. यही वह िमूह है जो माकपा को वोट करता रहा है. इिीसिये वे हमारे सखिाि झूठे आरोप, नक़्िी िीडी के जसरये िज्​्ी ब्सटंग करा रहे है.्' यहां पर सजक्​् नारद ब्सटंग का हो रहा है सजिमे्तृणमूि के कई वसरष्​्नेता सकिी सनजी कंपनी के प्स्तसनसध िे पैिे िेते सदख रहे है.् नारद ने तृणमुि के सिए मुिीबत पैदा की है. पूरे प्द् श े मे सजिके पाि भी टीवी या स्माट्यिोन है, उिने यह ब्सटंग देखा है. तृणमूि कांगि ्े का कहना है सक यह िज्​्ी ब्सटंग है. िेसकन यह बात िोगो्को हजम नही्हो रही. इिके अिावा पस्​्िम बंगाि मे्िारदा और रोजवैिी जैिी सचटफ़ंड ् कंपसनयो्द्​्ारा जनता के हज्ारो्करोड्र्पये डकार जाना एक बड्ा मुद्ा है. तृणमूि नेता आसिफ़्खान िारदा घोटािे मे् खुद आठ महीने जेि मे्रहकर आये है.् िाथ ही कई अन्य नेता, िांिद और मंत्ी भी जेि भेजे गये. िेसकन खान पर इि िजा का अिर सदखता नही् है. वे कहते है् सक बंगाि के िोगो् की याददाक्त बहुत कम है. वरना सजन िाखो्गरीबो् का पैिा सचटफ़ंड ् कंपसनयां िेकर भागी है,् अगर शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 33


पश्​्िम बंग

पुरानी दुश्मनी नयी दोस्​्ी

हर जगह वाम दलो्और कांगस ्े के झंडे एक साथ लगे है्लेषकन आम काय्क ष त्ाष को समझाना आसान नही्.

मता बनज्​्ी का सवरोध कांग्ेि और वाम धड्े को िाथ तो िे आया भी एक दूिरे के िामने है.् मुसश ् दय ाबाद सजिे की दि िीटो्पर मोच्​्ेके घटक िेसकन क्या 65 िाि पुरानी दुक्मनी एक झटके मे्खत्म हो जायेगी. दिो् की िड्ाई तृणमूि िे नही् है बब्लक एक दूिरे िे है. माकपा के जमीनी हािात तो ऐिा ही िंकेत कर रहे है्. माकपा मुखपत्​्गणशब्कत के मुस्शयदाबाद सजिा िसचव कहते है्, 'हम आपिी झगड्े जल्द ही िुिझा िंपादक अभीक दत्​्ा कहते है्, 'यह करो या मरो की िड्ाई है. अगर हम िे्गे.' िेसकन अिसियत यही है सक ये दोनो्दि अपनी जमीन तृणमूि के तृणमूि की दादासगरी के सखिाि आज एक नही्हुए तो सिर उिे ित्​्ा िे सिए नही् छोडऩा चाहते. सजिे मे् दूिरे नंबर की पाट्​्ी बनने सक सिए भी बेदख्ि करने का ख्वाब, ख्वाब ही रह जायेगा. हमे्जनाकांक्ाओ्के बोझ नही्. का अहिाि है. इिी तरह उत्​्री सदनाजपुर सजिे की इस्िासमक िीट गठबंधन के इिीसिये भिे ही मुस्शयदाबाद, मािदा और उत्​्री सदनाजपुर के बाहर बंटवारे मे् जद (यू) के खाते मे् गयी है. यह किकत्​्ा िे 500 सकमी है प्​्देश मे्कांग्ेि कही्भी मज्बूत न हो िेसकन हमने उिे सटकट बंटवारे िे जबसक सबहार के सकशनगंज िे मात्​्25 सकमी दूर. सहंदीभािी सबहासरयो्की िेकर प्​्चार िामग्​्ी तक मे् अच्छी आबादी होने की वजह हर जगह पूरा स्थान सदया है.' िे यहां िे जद (यू) के प्​्ो. पूरे प्​्देश मे् हर जगह वाम अरशद अिी को सटकट सदया दिो्और कांग्ेि के झंडे एक गया. िेसकन वे असधकतर िाथ िगे है्. हर रैिी और अपने ऑसफ़्ि मे्ही बैठे रहते प्च ् ार िभा मे्वे एकिाथ भाग है्क्यो्सक इि िीट पर कांग्ेि िे रहे है्. मीसडया के िामने के कन्हैया अग्​्वाि भी िड् राजनीसतक ज्र्रत बता कर रहे है्. वे स्थानीय मेयर है्, अपने िैि​िे को िही ठहराना ज्यादा िोकस्​्पय भी है्. एक बात है िेसकन जनता दास्जयसिंग सजिे की तीन और उन काय्यकत्ायओ् को पहाड्ी िीटो्पर न माकपा का िमझाना मुब्ककि है सजनको कोई आधार है और न कांग्ेि 65 िाि तक सवचारधारा के का. वहां भाजपा का कांग्ेस और वाम दलो् का चुनाव प्​्चार: झंडे और नारे एक साथ स्​्र पर माकपा और कांग्ेि गोरखािैड ् जनमुबक् त मोचा िे ने एक दूिरे के सखिाि खड्ा सकया था. िेसकन कोसशश जारी है. (जीजेएम) चुनावी तािमेि है. इिी वजह िे दास्जयसिंग िे िोकिभा इिी क्म् मे्कांगि ्े के वसरष्​्नेता अल्दि ु मन्नान कहते है्सक चस्चि य चुनाव मे्भाजपा के एिएि अहिूवासिया ने तृणमूि के उम्मीदवार और और र्जव् ले ट् वामपंथ को िमूि नि्​्करना चाहते थे. िेसकन जब सहटिर मशहूर फ़ु्टबॉि सखिाडी बाइचुंग भासटया को हराया था. इि बार तृणमूि के र्प मे्उनके िामने उि​िे भी बड्ा ख्तरा िामने आया तो उिे खत्म न जीतने पाये इिसिये पहाड्की तीनो्सवधानिभा िीटो्पर माकपा भाजपा करने के सिये उन्हो्ने स्टासिन िे हाथ समिाने मे्एक िेके्ड का वक्त भी के िहयोगी दि जीजेएम का परोक्​्र्प िे िमथ्यन कर रहा है. जाया नही् सकया. हमारी ब्सथसत भी वैिी ही है. अभी हमारे िामने ममता भाजपा खुद तो राज्य मे् कोई ताक़्त नही् है िेसकन ध्​्ुवीकरण कर बनज्​्ी नाम का सहटिर है, सजि​िे सनपटने के सिये हमने हाथ समिाया है. उिकी कोसशश चुनाव को तृणमूि बनाम भाजपा करने की है. सजतना मजे की बात है सक 2011 के सवधानिभा चुनाव कांग्ेि और तृणमूि ज्यादा ध्​्ुवीकरण उतना ज्यादा तृणमूि को िायदा. बद्यवान के भाजपा कांग्ेि ने माकपा के सखिाि गठबंधन बनाकर िड्ेथे. इि बार माकपा सजिा अध्यक्​्िंदीप नंदी बताते है्, 'सजन िीटो्पर हम जीतने की ब्सथसत और कांगि ्े का गठबंधन है तृणमूि कांगि ्े के सखिाि. यो्तो पूरी िहमसत मे्नही्हो्गे, कांग्ेि-माकपा को रोकने की हर िंभव कोसशश करे्गे.' यानी है और असधकतर जगह दोनो्दि एक इकाई के र्प मे्िड्रहे है्, िेसकन भाजपा कांग्ेि-मुक्त भारत बनाने के सिए परोक्​्र्प िे तृणमूि की मदद कांग्ेि के प्​्भाव वािे मुस्शयदाबाद और मािदा जैिे इिाक़्ो्मे्दोनो्अभी कर रही है.

वे िभी तृणमूि के सखिाि वोट करे्तो हमारी िरकार कभी नही्बन िकती. िेसकन ऐिा होगा नही्. िेसकन जनता इतनी िसहष्णु नही् सदखती सजतना तृणमूि नेता उिे िमझते है्. दस्​्कणी सदनाजपुर के रासशद खान क़्िम खा कर बैठे है् सक वे सचटिंसडयो्िे पैिा िेकर उन्हे्भागने देने वािे तृणमूि नेताओ् को कभी वोट नही् दे्गे. परचून की दुकान चिाने वािे खान ने पचाि हज्ार र्पये िारदा मे् जमा सकये थे. िब डूब गये. चाट का ठेिा िगाने वािे सबजॉय मंडि के पचीि हज्ार र्पयो् का भी यही हश्​् हुआ. वे 34 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

कहते है,् 'िारदा घोटािे मे्तृणमूि डूबी है. यह हम कैिे भूि िकते है्.' हािांसक बीरभूसम के स्​्शंजॉय दत्​्ा मानते है् सक िारदा का कारोबार वाम मोच्​्ेके िमय पनपा िेसकन उिका भांडा िोड्ा ममता ने. वे यह भी स्वीकार करते है्सक वे तृणमूि कांगि ्े के कट्र् िमथ्क य है.् तृणमूि की बदनिीबी मे्अगर कोई किर रह गयी थी वह सववेकानंद फ्ि ़ ाईओवर के सगरने िे पूरी हो गयी. हादिे मे्करीब 50 जाने्गयी्. सवपक्​्आरोप िगा रहा है सक चुनाव िे पहिे पूरा करने के तृणमूि कांगि ्े के सनदेश्ो्को पूरा करने

के चक्​्र मे् सनम्ायता कंपनी िे िुरक्​्ा िे िमझौता कर सिया. भिे ही िरकार इिे दैवीय हादिा बता रही हो, जांच के आदेश दे रही हो, असधकासरयो् के सखिाि कार्वय ाई कर रही हो, तृणमूि को नुकिान तो हो ही गया है. यही वजह है सक मुखय् मंत्ी ममता बनज्​्ी ने अपनी स्वच्छ छसव दांव पर िगाने का िैि​िा सकया है. अब हर चुनावी िभा मे् वे स्थानीय उम्मीदवार के बजाय खुद के सिये वोट मांग रही है.् वे कहती है,् आप मान कर चसिये मै्िभी 294 िीटो्पर n िड्रही हू.ं



मास् साशहत् ट हेयड

जाने सकतनी खुशी और आगामी खुशी की कल्पनाओ् के िाथ िगभग िात-आठ वि्​्ो् बाद मै् इि बार सवश्​् पुस्क मेिे मे् सदल्िी गया था. खुशी इिसिए सक िंबे िमय बाद जाना हो पा रहा था और उिकी कल्पनाएं इिसिए सक मै्ने िोचा था सक मेरे स्​्पय िमकािीन िेखको्और िासहब्तयक सबरादरी के तमाम िोगो्िे वहां भे्ट होगी, जो आम तौर पर हर वि्यवहां एकस्​्तत होते है्और मै्सजि तरह िंबे िमय िे एक अजीब शून्य मे् जी रहा था, उिमे् बदिाव होगा, शायद मेरे अंदर केाई जीवनदायी हिचि पैदा होगी. हमेशा चाहा गया पूरा नही्होता. पर कभीकभी िौभाग्यवश हो भी जाता है. इिी शुभाशा के िाथ मै् प्​्ेसरत होकर चिा गया था हािांसक अपनी िारी सचंताओ्और दासयत्वो्को दरसकनार

करने मे्कािी िमय िग गया था. चिने के पहिे एक अजीब िी मनःब्सथसत थी और स्मृसतयो् मे् न जाने सकतने स्​्पय चेहरे आ-जा रहे थे. ये वे चेहरे थे सजनिे मेरे खािे पुराने रागात्मक िंबंध थे और सजनकी िृजनात्मकता को मै् बहुत आदर और प्यार िे देखता था. एक तरह िे वे मुझे प्​्ेसरत भी िदा करते रहते थे. इनिे िदा मुिाकातो् मे् गहरी खुशी और गम्यजोशी का एहिाि हुआ करता था. मेरे इन शून्य वि्​्ो् मे् वे िब अपनी रचनात्मकता मे्शीि्यपर पहुंच गये थे. मुझे यह िब देखकर खुशी होती थी, पर अपने सपछड्ने का दुख हमेशा िािता रहता था. क्या करं्? कैिे करं्? मै्कुछ िमय या कर नही्पाता था. दरअि​ि मै् व्यब्कतगत िमस्याओ् और मजबूसरयो्का मसहमामंडन करता रहता था. जो

पहचान

कहानी राजेनंदं दानी

36 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

कि्​्िोगो्के सिए बेहद िाधारण होते, वे मुझे बहुत बड्ेऔर अिहनीय िे िगते. अब इन ब्सथसतयो्मे्सिखना तो दूर, पढ्ना भी नही्हो पाता था. मेरी ऐिी ब्सथसत को िेकर घर वािे परेशान और सचंसतत रहे आते, खािकर मेरी पत्नी. सिर कभी-कभी कई तरह की युब्कतयो्िे सिखने के सिए प्​्ेसरत करते, पर मेरे अविाद का घेरा दूर नही् होता और मै् िगभग सचढ्ते हुए उनिे पूछता, ‘इि बीच दुसनया मे् या हमारे आिपाि क्या िकारात्मक हुआ है सजिे सिखा जाये या सजि​िे सिखने की प्​्ेरणा समिे?’ मेरे इि तरह िे पूछने पर भिा वे िोग क्या बता पाते! वे िब मेरी तरह की जानकासरयां तो रखते नही्थे इिसिए चुप िगा जाते. इनके अिावा बेहद आत्मीय और बचपन के दोस्​्भी कभी-कभी पूछते और ि​िाह देते, ‘असवनाश भाई, आपने सिखना क्यो् छोड् सदया? जबसक आपके सिखे हुए की प्श ्ि ं ा िभी िोग करते है्. आप सिसखए भाई.’ ये िारे दोस्​् िासहत्य िे िरोकार रखने वािे थे नही् सक मै् कुछ िमझा पाता उन्हे्. मै्सि​ि्फसवस्मय िे उन्हे् देख पाता. मुझे सवस्मय इिसिए होता सक मै्ने सिखना छोड्ा नही् था. मै् पता नही् क्यो् सि​ि्फ चिते-चिते र्क गया था पर मेरी आगे बढ्ने की छटपटाहट बदस्​्ूर जारी थी. यह वे नही् जानते थे सक मेरे िामने एक अजीब मुब्ककि


वसरष्​्कथाकार. ‘दूिरा कदम’, ‘उनका जीवन’, ‘कछुए की तरह’, ‘एकत्​्’, ‘भूिने का रास्​्ा’, और ‘पारगमन’ आसद दि कथा िंग्ह प्​्कासशत. िरकारी िेवा िे मुक्त होने के बाद ‘पहि’ पस्​्तका के िंपादन िे जुड्ेहै्. िंपक्फ: 09893881396

थी. दुसनया की छिांगो् मे् सनसहत सकिी अमूत्य की मै्पहचान नही्कर पा रहा था इिसिए उिे पार करना या उि​िे पार पाना मेरे सिए बहुत कसठन होता जा रहा था. अब इि मुब्ककि को सकिी िूब्कत िे या उदाहरण िे मै् दोस्​्ो् को िमझा नही्िकता था इिसिए एक शस्मा्दगी िे भरी छद्​् मुस्कुराहट ही उनके सिए जवाब बन पाता. पर मुझे दुख होता सक मै् ऐिी भािा क्यो् नही् अस्जयत कर पा रहा सजि​िे दोस्​्ो् को िमझाया जा िके. अब यहां पहुंचकर यही िगता सक जब यही नही्हो पा रहा है तो सिखना कैिे होगा? इन िब कुछ ने समिकर जब एक भयंकर ऊब मेरे अंदर पैदा कर दी तो िगा सक कैिे भी हो इिे तोड्ना होगा. इिसिए पता चिने पर सक सकन तारीखो् मे् सवश्​् पुस्क मेिा है, मै् उन तारीखो् के बीच मे् जो जैिा था उिे वैिा ही छोड्कर सदल्िी पहुंच गया. न जाने कैिे प्​्दूिण िे भरी सदल्िी की वह िुबह, जब मेरी ट्न्े वहां पहुच ं ी, अच्छी िग रही थी. रात भर बेिध ु िोते हुए मेरी यात्​्ा गुजर गयी थी. बहुत सदनो्बाद मै्इि तरह आि्​्य्यजनक र्प िे िोया था. पहाड्गज ं के एक िुसवधायुकत् पर सरयायती होटि मे्मै्ने एक कमरा अपने सिए सिया और बहुत जल्दी सनत्य कम्य िे िासरग होकर नीचे एक रेस्रां मे् भरपूर नाक्ता ग्​्हण सकया सिर प्​्गसत मैदान मे्आयोसजत सवश्​्पुस्क मेिे के सिए सनकि पड्ा. मै्ने कुछ पसरसचत िेखक समत्​्ो् िे मेिे मे् समिने के सिए िोन सकया था. जो सदल्िी पहुंचे हुए थे उनिे समिने की बात हो गयी थी. कानपुर

के मेरे बेहद स्​्पय कसव सशवानंद िे भी मै् मोबाइि पर बात कर चुका था. वे भी मेिे मे्थे और उनिे िाढ्ेग्यारह बजे वही्समिने की बात थी. देश के दो बड्ेिम्मान इन वि्​्ो्मे्उन्हे्समि चुके थे. उम्​् मे् मुझिे छोटे थे और मेरा कािी िम्मान करते थे, इिसिए मै्स्वाभासवक र्प िे खुश था. जहां उनिे समिने की बात थी वे वहां समिे तो जर्र, पर वे बहुत जल्दी मे्थे और हड्बड्ी मे्मुझिे टकराकर मुझे पहचान पाये और सबना र्के मुझे कहा, ‘भाई माि करना मुझे इिी वक्त िेखको्के मंच पर एक जर्री सवमश्यके सिए पहुंचना है. सिर समिता हूं.’ सिर तेज कदम रखते हुए वे मेिे की भीड्मे्खो गये. मै्उनिे यह भी नही् कह पाया सक भैया, यह काय्यक्म आपने िोन पर तो नही्बताया था. मुझे सनराशा का तेज झटका िगा और मै्मेिे की उि भीड् मे्अकेिा हो गया. मेरे कानो्मे्पता नही्क्यो् अजनसबयत की िांय-िांय िी होने िगी. प्​्काशको् के स्टॉल्ि और हॉि की तमाम तेज रोशनी मे् मै् चै्सधयाया िा भटकने िगा. इि बीच कुछ बेहद पसरसचत चेहरे मै्ने देखे सजन पर िंतुि् मुस्कान थी और वे मुझे अपसरसचत सनगाहो् िे देखते िामने िे गुजर गये. उनका व्यवहार मुझे सवब्समत कर गया. सिर मुझे िगा सक क्या मै् इन वि्​्ो् मे् इतना बदि गया हूं सक िोग मुझे पहचान नही् पा रहे है् या सपछड्कर इतनी दूर रह गया हूं सक िोगो् की नजर मुझे देखने मे् अि​ि​ि हो रही है या सिर यह नये वक्त की िहजता है सजिमे्स्मृसत का सवखंडन आि्​्य्यजनक नही्है. उिझन बढ्रही थी और जवाब नदारद थे. अंत मे्एक िवाि मेरे िामने प्​्गाढ्होने िगा सक मै्यहां क्यो्आ गया? ‘असवनाश भाई!’ कोई मुझे आवाज दे रहा था पीछे िे. मै् अकबकाकर पिटा. देखा, मेरे हमउम्​् कथाकार सनकुंज कुमार मुझे बुिा रहे है्. मेरी मनःब्सथसत तत्काि बदि गयी. उनिे भी समिने की बात िोन पर हुई थी पर वे ऐिे और मेरी सवसचत्​् ब्सथसत के वक्त मुझे समिे्गे, िोचा न था. मै्खुशी िे उनकी ओर िपका और गिे िग गया. मेरी पीठ पर उनके दोनो्हाथो्के दबाव ने मुझे िामान्य कर सदया. पर हम िोग जब अिग हुए तो उन्हो्ने तत्परता िे कहा‘भाई असवनाश मुझे क्​्मा करना यार, मै्तुम्हारे िाथ र्क न िकूंगा.’ मै्ने आि्​्य्यिसहत पूछा, ‘क्यो्’? ‘यार तुम्हारे िोन के बाद ही उपे्द् जी का िोन आया था, अभी बि दि समनट बाद ही उनकी बेटी की पहिी सकताब का सवमोचन मुझे उिके प्​्काशक की स्टॉि पर करना है... अब उपे्द् जी इतने िीसनयर है्... मै् कैिे मना कर िकता था... भिा तुम्ही्बताओ?’

यह िब िुनकर मेरी िामान्यता सबगड्ने िगी, सिर भी मै्ने कहा, ‘यह अच्छा िगा सक तुम्हारी प्​्सतष्​्ा मे् इतना इजािा हुआ सक अब तुम िोगो्की सकताबो्का सवमोचन करने िगे... वाह भाई बधाई. बधाई तुम्हारी प्​्सतष्​्ा को.’ जवाब मे्उनके चेहरे पर एक गहरे िंतोि की मुस्कान उभरी सिर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए उन्हो्ने कहा, ‘भाई समिता हूं सिर.’ उन्हो्ने कदम तेजी िे आगे बढ्ा सदये और मै् उनको ओझि होते देखता रहा. मै् यह भी नही् पूछ पाया सक ‘समिता हूं सिर’ का क्या मतिब है? उि वक्त तक मुझे मेिे मे् यह िमझ मे् आ गया था सक यहां ‘िॉस्ट एण्ड िाउण्ड’ की तज्यपर सिर िे कोई समिने वािा नही्. मै्ने समिने वािो् की िेहसरस्​् को याद सकया हािांसक समिने के सिए पांच-छह िोग ही थे पर पता नही् क्यो् सिवाय एकदम युवा कथाकार अंशुमान को छोड्कर अब सकिी और िे समिने की इच्छा जाती रही थी. अंशुमान ग्वासियर का था और अपने

ि​ि शायद मेले का सबसे बड्ा स्टाल था. ि​िां बेइंतिा भीड्थी. हिंदी साहित्य की बड्ी से बड्ी हिभूहतयां स्टॉल के हबक्कुल बीच मे्अंशुमान को घेरे िुए खड्ी िै्. कामकाज सजिके बारे मे्मै्कुछ भी नही्जानता था, के सि​िसि​िे मे्कई बार मेरे शहर आया था और हर बार मुझिे बेहद आदर िसहत घर समिने पहुंचा था. उिकी बातचीत िे पता चिता था सक उिने मेरी असधकांश कहासनयां पढ् रखी थी् और वह उनका प्​्शंिक था. इन यादो्के िहारे मैन् े सनण्यय सिया सक उि​िे जर्र समिना चासहए. मै्ने अपनी घड्ी की ओर देखा. उि​िे जागर्क प्​्काशन के स्टॉि पर सदन के दो बजे समिने का तय था और उि िमय दो बजने मे्कुछ ही समनट बाकी थी. मै् तेजी िे जागर्क प्​्काशन ढूंढ्ने िगा. कुछ तेज कदमो् के बाद मै्ने एक स्टाि पर जागर्क प्​्काशन का स्टाि नंबर पूछा और िौ कदमो् के बाद ही वहां पहुंच गया. वह शायद मेिे का िबिे बड्ा स्टाि था, करीब-करीब दि स्टॉिो् की जगह को घेरता हुआ. वहां बेइंतहा भीड्थी. उि भीड्मे्मै्ने देखा सक सहंदी िासहत्य की बड्ी िे बड्ी सवभूसतयां स्टॉि के सबल्कुि बीच मे्अंशुमान को घेरे हुए खड्ी है्. वह मुस्कुरा रहा है. आवाज िुनाई नही्पड्रही थी, पर भंसगमाओ् िे िग रहा था सक वह जो कह रहा था, उि पर िब िोग ‘हां-हां’ कह रहे थे. शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 37


साशहत्य यह दृक्य मेरी िमझ के परे था. मै्ने अंशुमान तक पहुंचने की भरिक कोसशश की, पर भीड्और मेरे अपने अजीब िे िंकोच ने उि तक मुझे पहुंचने नही्सदया. इतनी भीड्के प्​्सत सजज्​्ािा के कारण मै्ने बगि मे् खड्े एक िेखकनुमा नौजवान िे पूछा, ‘इतनी भीड्क्यो् है यहां?’ उिने एक सवब्समत सनगाह मुझ पर डािी, सिर कहा, ‘हैरत है आप नही् जानते! अभी अंशुमान जी की तीन सकताबो् का िोकाप्यण है इिसिए भीड्है यहां.’ ‘पर इतनी ज्यादा?’ मै्ने बड्बड्ाते हुए कहा तो उिने व्यंगय् िसहत कहा- ‘क्यो्न हो, श्​्ीमान्अंशमु ान जी जनिम्पक्फमे्बड्ेअसधकारी है्, आईएएि है्भाई.’ तभी स्टॉि के अंदर िे एक तेज धक्​्ा हमारी ओर आया और मै्सगरते-सगरते बचा. मेरे प्​्क्न का उत्​्र मुझे समि चुका था. अब स्टॉि के अंदर िे तासियो् की गड्गड्ाहट की तेज आवाजे्आ रही्थी्और िोकाप्यण शुर्हो गया था. मै्बढ्ती हुंई भीड्का धक्​्ा खाते हुए बहुत दूर चिा आया था. इतनी दूर सक वहां िे बाहर जाने का रास्​्ा मुझे िाि नजर आ रहा था. मै् सनकि आया और अपने शहर की तरि जाने वािी ट्​्ेन मे्बैठने के बाद ही मै्ने ठीक िे िांि िी. यह सवसचत्​्बात थी सक सजि तरह मै्सदल्िी आते वक्त गहरी नी्द मे् िोता आया था, ठीक उिी तरह, बब्लक उि​िे बढ्कर गहरी नी्द ने िौटते वक्त मुझे ट्​्ेन मे्दबोच सिया. िुबह-िुबह जब ट्न्े ने मुझे अपने शहर के प्िेटिाम्य मे् उतारा तो एक िुकून िे भरी मनःब्सथसत थी मेरी. मुझे अच्छा िगा. मेरे पाि मात्​् एक ट्​्ािी बैग था सजिको चिाते हुए मै् जैिे ही बाहर सनकिा पांच-छह आटो सरक्शा चािको्ने मुझे घेर सिया और िब पूछने िगे, ‘िाहब ऑटो सरक्शा... िाब आटो सरक्शा... कहां जाये्गे.’ एक िाथ पांच-छह िोग पूछे् तो मुब्ककि हो जाती है. मेरे सिए भी हो जाती है अक्िर. मै्ने सहकारत जैिी सदखाते हुए कहा, ‘िंजीवनी नगर जाना है, ठीक-ठीक पैिे बताओ?’ िबने एक िाथ कहा, ‘िाब डेढ् िौ र्पये.’ ‘डेढ्िौ र्पये?’ मैन् े आि्य् य्िसहत कहा. सिर आगे बढ्ते हुए सिर कहा, ‘तुम िोगो् ने मुझे बाहर का अजनबी िमझा है क्या... जो इतने पैिे मांग रहे हो... मै्यही्पैदा हुआ हूं मुझे बेवकूि िमझते हो?’ मेरे ऐ्ठे हुए र्ख को देखकर बाकी तो पीछे छूट गये, पर एक ऑटो वािा िाथ ही िगा रहा और दि बारह कदम चिने के बाद पूछा, ‘सकतना दोगे िाब?’ 38 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

हजस तरि मै्हदक्ली आते िक्त गिरी नी्द मे्सोता आया था, ठीक उसी तरि, बल्कक उससे बढ्कर गिरी नी्द ने लौटते िक्त मुझे ट्​्ेन मे्दबोच हलया. ‘िौ र्पये दूंगा, उि​िे एक र्पया ज्यादा नही्.’ मै्ने पूव्यतैश मे्कहा. ‘चसिए अच्छा.’ उिने मेरा ट्​्ािी बैग पकड्ते हुए कहा. उिके इतने करीब आने पर मुझे देशी शराब की तीव्​् दुग्ाध महिूि हुई तो मै्ने िंदेह िसहत उि​िे पूछा, ‘शराब पी रखी है?’ ‘हां िाब, रात भर ऑटो चिाता हूं तो थोड्ी बहुत िेनी पड्ती है... क्या करे्.’ उिका जवाब िुनकर मै्एक क्​्ण के सिए सठठका सिर कहा, ‘आटो चिा िोगे सक नही्?’ उिने गहरी सनगाह मुझ पर डािी, पर कुछ बोिा नही्. मुझे भी उिका िच का स्वीकारना अच्छा िगा इिसिए सिर मै् सबना सहचक के उिकी ऑटो मे् बैठ गया. मै्ने इिकी परवाह भी नही् की सक उिने मेरे अंसतम प्​्क्न का कोई जवाब नही्सदया था. थोड्ी दूर शांसत िे ऑटो चिाने के बाद अचानक उिने कहा, ‘वो तो िाब आप थे इिसिए िौ र्पये मे्िे आया नही्तो हम िोग स्टेशन िे िंजीवनी नगर के कम िे कम एक िौ तीि र्पये तो िेते ही है्.’ ‘मुझ पर यह रहम क्यो्भाई?’ मैन् े िुनकर पूछा. ‘अरे िाब, आपकी बात दूिरी है. आप इज्​्तदार आदमी है्. असवनाश िक्िेना जी को

तो शहर मे्िभी जानते है्. मै्तो आपको तब िे जानता हूं जब आप छात्​् आंदोिन मे् नेतासगरी करते थे... तब िे िेकर आज तक आपको हमेशा मािवीय चैक या कॉिी हाउि मे् अि्​्ेबाजी करते हुए देखता रहता हूं... अखबारो् मे्आपके बारे मे्पढ्ता रहता हूं... अब बताईये, है न िही बात?’ मै् हमप्​्भ रह गया यह िुनकर. सवब्समत और अवाक्कुछ कह न पाया. उिे गौर िे देखा, पर देख न पाया क्यो्सक उिकी पीठ मेरी ओर थी. एक अजीब रोमांच मेरी रगो् मे् दौड् गया. उिमे् खुशी, दुख, शम्य और सवस्मय िब शासमि थे. हैरत की बात थी सक वह मुझे िंबे िमय िे पहचानता था और मै् िाख कोसशशो् के बाद भी उिे उि िमय पहचान नही् पाया. पता नही्क्यो्कुछ घंटो्पहिे छोड्ी सदल्िी मुझे उिी वक्त याद आ गयी. सवश्​्पुस्क मेिे के वे चेहरे मुझे याद आये सजन्हे्मै्पहचानता था. एक गढ्​्े के ऑटो सरक्शा के नीचे आने के बाद के सहचकोिे िे मै्चौ्का. मेरी िमझ मे्नही् आया सक उिे क्या कहूं. सबना िोचे-िमझे मै्ने् उिके कंधो् को दोनो् हाथो् िे थपथपाया और सि​ि्फइतना कहा, ‘थै्क्यू पाट्यनर.’ उिने जब मुझे घर पर उतारा तो मै्ने उि​िे नजरे् समिाये सबना अपने पि्य िे एक िौ तीि र्प्ाये सनकाि कर उिे दे सदये और उिकी सकिी प्​्सतस्​्कया के इंतजार के सबना बेहद िुत्ी िे अपना ट्​्ािी बैग उठाया और अपने घर के अंदर आ गया. हो िकता है वह पीछे िे मुझे आि्​्य्य िे देख रहा होगा. मेरे अंदर कुछ घट रहा था, पर बता नही्िकता सक क्या? शायद, एक अजीब हिचि थी वहां. यह जर्र है सक मै्खुश था. पत्नी मुझे िमय िे पहिे आ जाने के कारण आि्​्य्यिे देख रही थी, पर उिके चेहरे पर मुझे देखते हुए खुशी थी क्यो्सक मै्उिे खुश सदख रहा होऊंगा. मेरे हाथ िे ट्​्ॉिी बैग िेते हुए सकंसचत शरारत िसहत उिने पूछा ‘बड्ी जल्दी आ गये और बड्ेखुश नजर आ रहे हो... क्या बात है?’ मै्ने एक आराम कुि्ी पर बैठकर सदल्िी सवश्​् पुस्क मेिे िे िेकर ऑटो चािक तक के वृतांत को बहुत तेजी िे उिे िुना सदया. मै्ने देखा, उिके चेहरे पर कई तरह के भाव आते-जाते रहे सिर अंत मे्एक गहरी िांि िेते हुए उिने कहा, ‘िक्िेना जी मै् न कहती थी, यह दुसनया बहुत बड्ी है... पता नही् क्यो् तुम सि​ि्फ अपने िोगो् के ही बीच घूमते रहते हो.’ उिके ‘अपने’ कहने के अथ्यको मै्िमझ गया था इिसिए अपने कमरे मे्पहुच ं कर अपनी शट्यउतारते हुए बुदबुदाया ‘शायद तुम ठीक कह n रही हो.’


साशहत्य/कशवता

सईद शेख् की कविताएं

इरतहाि के पन्ने कह सदये गये का सवक्​्ोभ ने कहे गये का पि्​्ाताप प्​्कट हो जाते है्वे जब-तब अंधी गसियो्के नुक्ड्ो्पर जहरीिी हवाएं उिनती-उमड्ती घेर िेती्मानवाकृसतयो्को जो नही्थी्मृत्युंजयी आकाश भी जो उनका अपना नही्था मुखाकृसतयां नही् हुई थी् सवकृत सि​ि्फउभर आये थे उन पर कुछ भूिे-सबिरे इसतहाि उनके पूव्यजो्के सजन्हो्ने की थी्िंबी यात्​्ाएं उजड्ी बस्​्सयो्िे होकर सजनकी िरहदो्पर थे पसरत्यक्त, ढहते स्​्ूप उनकी दीवारो्पर सचपके हुए थे अभी भी िीिे-सरिते आसदम उच्​्सरत मंत्

नतमस्​्क बढ्ते चिे गये वे आगे चीरते हुए इसतहािो्के अधसिखे अधखुिे पृष् सजनिे झड्रही थी यादो्की राख सिर वे बंद हो गये िदा-िदा के सिए

महािभा हवाएं चि रही थी् थी्सदशाहीन स्​्कसतज िपटो्िे सघरता गया सघरता गया सवचारमग्न ह्दय भी अशक्त आशंकाओ्िे िपटो्ने िपेट सिया अस्​्सत्व िारा िब्ननकट मृत्यु बदिते मौिम बदिते पसरदृक्य सिमटती दूसरयां िैिता आकाश नक्​्त्ो्िे शून्य सटका हुआ मंगुर िे स्​्ंभो्पर कल्पनाओ्के खुिे मैदान सजनमे्चौकस्डयां मरते सवचार कसव सचत्​्कार और अनुवादक. नैसनताि मे् 1941 मे्जन्म. पहिी कसवता ‘शरदोत्िव’ कल्पना पस्​्तका मे्प्​्कासशत. सहंदी के कई कसवता िंग्हो्के मुखपृष्ो्का सचत्​्ांकन. सपछिे कई वि्​्ो्िे सिनिै्ड के शहर तुक्फूमे् सनवाि. सिसनश भािा िे कई कृसतयो्का सहंदी मे्अनुवाद. िंपक्फ: E-mail: saied.sheikh@gmail.com

समट्​्ी िे सवरक्त कर दी गयी् पेड्ो्की जड्े् ि​िेद कपड्ेमे् सिपटे सिटा सदये गये थे नवजात सशशु िीधी कतार मे् जयघोि के िाथ बीध सदये गये उनके कोमि वृक् नासभकीय स्​्तशूिो्िे हुआ िमापन महािभा का शंखनादो्के िाथ

रबछा िहे है् दहकते अंगारे रास्​्ो्पर तासक पहुंच न पाये् गंतव्य तक घोि रहे है्सवि कािा नसदयो्के जि मे् तासक तैर न िके् उिमे्ितरंगी मछसियां सबछाई जा रही है बुसनयाद िंदो्िे झूिते हताश सकिानो्के शवो् िासठयो्के प्​्हारो् गोसियो्की बौछारो्तिे शाइसनंग इंसडया के सनम्ायण की देश की समट्​्ी मे्समिाकर मािूमो्का खून तैयार हो रहा है गारा सजि​िे खड्ी हो िके एक भयावह भुतही िािीवादी सहंदू राष्​्की इमारत

जीवन िरिता की धािा उद्​्म था कही् स्वब्पनि िी नीि पव्यत श्​्ृंखिाओ्के बीच कही् पतिी िी धारा उज्​्वि बढ्ी आगे किकि करती नत छुई्वृक्ो्की हसरत शाखाएं उि पर बढ़ती गयी उल्िाि मे् बन कभी जि प्​्पात उतरी खड्ी सशिाओ्के वक्​्चूमती धीरे-धीरे पहुंची िभ्यताओ्के पािने मैदानो्मे् अपने यौवन मे्मदमस्​् सिर नजर आने िगा िामने स्​्पय अथाह अिीम िम्ाुद् थी व्याकुि उिके आसिंगन मे्जाने को तभी िुनाई पड्ने िगा कोिाहि घृणा भरा जो खंसडत कर देना चाहता था उि ितता को धारा की वह अंध िािीवाद का अंधड् तैयार िपेट िेने को सकिी दावानि की तरह िेसकन कोई भी हर नही्िकता उिके शीति प्​्वाह को वह हो ही जायेगी िमासहत अंतत: उि सवशाि िागर मे् अनंत काि के सिए. n

शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 39


साशहत् मास्यट/समीक् हेड ्ा

उदारसयो् के बाहर और भीतर

यह संग्ह मौजूदा कवषयष्​्तयो्मे्लीना मक्होत्​्ा के सूचकांक को श्​्ेष्तर प्​्माषणत करने के षलए पय्ाषप्त है. ओम गनशं​ंल

की कसवताओ्मे्यह आंचसिकता बेशक न हो, पर वे आज के आधुसनक जीवन की पीड्ा, अनुभूसत, िाहचय्य, िुखदुख और जद्​्ोजेहद के बीच िांि मने सदया ही नही्/कभी कोई िूि/नही् तो मै् भी रखती/पंखुस्डयां/ िेती हुई पुर्ि प्​्जासत िे एक िंवादमयता का सरक्ता कायम करती है्. इि िंगह् की एक छोटी कसवता पर सनगाह जाती है सजिमे्मािूसमयत सकताबो्मे्िंभाि-िंभाि कर.’ सहंदी मे्कवसयस्​्तयो्की तादाद बहुत है, प्​्वाह है, भीड्है, रेिा है, ठेिमठेिा है, पर कम है्सजनमे्ब्सथरता है, िे वे कहती है्: ‘नही्!/वह उदािी नही्थी!/तुम्हारी देह िे टूट कर सगरी/ ऊष्मा है, गसत है, यसत है, िय है, प्​्तीसत है, जीवन है, जीवनानुभव और परछाई्थी/सजिे ओढ्कर/चिना था मुझे/जन्म भर.’ इि तरह िीना मे् िांद् अनुभूसतयो् का एक सवरि िंिार है. वह अनुभूसतयो्का सवरि िहकार है, सजनके यहां रोमै्सटकता तो है पर रोमांि बसतयाती हुई सकिी मास्मयक सबंदु पर अपने कथ्य को सटका के तट पर सबछिन और काई कम है, सजनकी कसवताएं न कर आंखे्गीिी कर देती है्. उनकी कसवताओ्का नैरेसटव तो गंभीरता का कवच ओढ्ेहुए समिती है,् न उच्छि जिसध गद्​्ात्मक होकर भी जैिे भीतर का ियात्मकता िे रचा हुआ तरंग-िी इठिाती अब्सथर स्वभाव वािी है्. जो उद्​्त् ावाि होता है. एक कुम्हार की तरह अपनी कसवताओ् को समट्​्ी और मध्यवग्​्ीय सशकायतो्मे्स्थसगत नही्होती्और पौर्िये की तरह गूंथने वािी िीना उिके खुरदुरेपन को खुरच कर शब्कतयो्पर भी टूट कर सगर नही्पड्ती्और न कसवताओ् िु सचक्​्न नही्बनाती्बब्लक अपनी तरह के िांचे मे्गढ्ती मे् केवि क्​्ांसत के परचम िहराती हुई सदखती है्. हु ई उनमे्प्​्ाण िूंकने का काम करती है्. अनासमका, अनीता वम्ाय और िसवता सिंह के बाद िीना अनासमका उनकी कसवताओ् के बारे मे् कहती मल्होत्​्ा और बाबुिा कोहिी जैिी कवसयस्​्तयां सहंदी कसवता है्: 'प्​्गसतशीि कसवयो् ने बात-बात पर तन जाने वािी के क्​्ेत्मे्एक आश्​्स्स की तरह है्सजनके यहां शल्दो्को जो बेसटयां िासहत्य को दी्, बड्ी होकर वे िब िीना जैिी बरतने का एक ि​िीका सदखता है, सजनका होना कसवता (मीठी िटकार िगाने और िाब्तवक आक्​्ोश सदखाने के सिए अपसरहाय्यिा िगता है, सजनकी कसवताएं जीवन के मे् सनपुण) स्​्ी कसव बन गयी्. जैिा सक मै्ने कहा, स्​्ी मानीखेज कथ्य िे भरी है्, सजनके यहां िंवेदना का गाढ्ा सवमश्यके आज के दौर को वे सकि तरह अपनी कसवताओ् रिायन है. उनका नया कसवता िंग्ह ‘नाव डूबने िे नही् नाव डूबने से नही् डरती: लीना मे् देखती है्, यह उनकी ‘मधुमेह’ और ‘प्​्ेमपत्​्’ जैिी डरती’ कसवताओ्की मास्मक य ता, कथ्य के अप्त्य् ासशत मोड्ो् मल्होि्​्ा राव; मकताबघर प्क ् ाशन, कसवताओ्िे प्​्कट होता है. वे कसवता मे्अपनी अनुभूसतयो् और प्​्तीसतयो्का उदभावक है. दमरयागंज, मदल्ली; 2016; 200 की अस्​्दतीयता के बगैर आगे कदम नही्बढाती्. िैशनेबुि स्​्ी सवमश्यने कसवता मे्पुर्ि वच्यस्व के सखिाि एक र्पये. सबंब उनकी कसवता मे् कदासचत ही आते हो्. कुछ मुसहम तो शुर्की, सकंतु धीरे-धीरे िमूची स्​्ी कसवता इिी ही कसवताओ् को पढ्ने िे मािूम हो जाता है सक वे िंवेदनासिद्​्कवसयत्​्ी राह पर चि पड्ी. वह पौर्िेय शब्कतयो् के सवरोध के कोरि मे् तल्दीि है ् ’ . वे स् ् ी के दु ख के सववर मे् प्​्वेश करते हुए स्​्ीवाद को भी िच्​्ी होती गयी. उिके यहां कोई मध्यमाग्यया िमरिता का सवमश्यन था. ऐिी स् ी ् व ् ादी ची् स टयो् के मनोबि िे पसरभासित करती है्. मधुमेहग्​्स्िाथी हो ब्सथसत मे्कुछ कवसयस्​्तयो्ने एक अिग राह चुनी. िीना मल्होत्​्ा राव ऐिी या प् म े ् पत् ् पाने व पढ् न े वािा िहचर, वे िहानुभूसत के आयुध िे अपनी ही कवसयस्​्तयो्मे्है्सजनकी कसवता के दायरे मे्पुर्ि सकिी मुिसजम की तरह नही्, एक िहचर की तरह आता है, यद्​्सप वह िवािो्िे परे न था, कसवता को शस्​् मे् बदिती है्. उनके यहां कसवता कुछ रच देने की सनयसमत सदनचय्ाय की तरह नही्, कुछ कहने की अपसरहाय्यता मे्ही िंभव न है. आज िे कोई दो िाि पहिे जब उनका पहिा कसवता िंग्ह ‘मेरी होती है. कुछ कसवताओ्के नाम सगनाऊं, यह इि िंग्ह की तौहीन होगीयात्​्ा का जर्री िामान’ आया था तो कसवता मे् यह एक ताजगी का िारी कसवताएं दो तार की-िी चािनी वािी है्- पसरपक्व, मास्मयक और शुभागमन था. पसरदृकय् मे्उनके िमवयि या अल्पवय और भी कवसयस्​्तयां िंवेद्.’ िीना की कसवताओ्मे्उदासियो्का जो झीना झीना प्व् ाह नजर आता थी्, पर िीना मल्होत्​्ा का स्वर कुछ जुदा था. ये कसवताएं पढ्ते ही एकदम िे चेतना िे िुर्यहो जाने वािी कसवताएं न थी्. बब्लक वे पढ् सिये जाने के है वह कुछ कुछ अपने जीवनानुभव तथा कुछ-कुछ अग्​्ज कसवयो् के बाद हमारी चेतना िे सिपट जाती थी्. वे सकिी वेदना सनग्​्ह रि की भांसत गुणिूत्ो्िे आयत्​्सकया है. शायद उनका आग्​्ह ही यह है सक स्​्ी जीवन का अंधरे ा उजािे के इि प्​्ायोसजत भौसतक उल्िाि मे्डूब कर रह न जाये, हमारे रिग्​्ाही सचत्​्को राहत िी देती मािूम होती थी्. बब् लक उिके स्याह अनुभव िंवेदना की छन्नी िे छन कर आ िके्. कहना हम जहां अनीता वम्ाय और िसवता सिंह जैिी कवसयस्​्तयो्की उदासियो् न होगा सक ‘नाव डूबने िे नही्डरती’ की कसवताएं सवचार और िंवेदना िे भरी कसवताएं पढ् कर सवचसित हो उठते है्, िीना की कसवताएं कुछ के एक नये मोड्का पसरचय देती है्. इि िंग्ह मे्उनकी बहुतेरी मास्मयक और स्​्ी प्​्त्ययो्को खंगािने की चेि्ा करती जान पड्ती है्. वे उदासियो् कसवताएं है्जैिे भीमबेटका, ईएमआई, नाव डूबने िे नही्डरती, मधुमेह, की तह मे्जाती है्तो हमे्उदासियो्िे उबारती भी है.् इि मामिे मे्वे कही् कही्अनासमका की राह पर चिने की कोसशश करती सदखती है्, पर जहां जासत के जूते, कक्फ रेखा, आिाढ् का एक सदन, ओ कसवता रहस्यमयी, अनासमका को पढ्ते हुए हम देशज अनुभूसतयो्िे दो चार होते है्, क्यो्सक जादू नही्था जीवन और क्या आप ओएिएक्ि पर कसवताएं बेच िकती े् त् र कसवता मे् रि वैसवध्य की वे असधष्​्ात्​्ी-िी सदखती है्- पुर्ि को केवि है-् जो मौजूदा कवसयस्​्तयो्के बीच िीना मल्होत्​्ा के िूचकांक को श्ष n प्​्सतिोम खड्ा कर न देखने वािी, बब्लक िहचर मानने वािी भी- िीना प्​्मासणत करने के सिए पय्ायप्त है्.

तु

40 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016


रि्स्सागोई मे् रिपटा सच

षकस्सागोई के गायब होने के दौर मे्सुशांत सुष्पय का कहानी संग्ह एक राहत की तरह आया है. सुषमा मुनींदं

जाती है्- ’कैिा िमय है यह, जब भेस्डयो् ने हसथया िी है्िारी मशािे्, और हम सनहत्थे खड्ेहै्’ (‘दो दूना पांच’). ’बेटा, पहिे-पहि जो भी पसरसचत रचनाकार िुशांत िुस्पय का नया कथा िंग्ह ‘दिदि’ ऐिे िीक िे हट कर कुछ करना चाहता है, िोग उिे िनकी और पागि कहते िमय मे्आया है जब यह कहा जा रहा है कहानी िे कहानीपन या है्.’ ('पांचवी्सदशा'). ’मै्नही्चाहता था समनी आकाश सजतना िैिे, सकस्िागोई गायब होती जा रही है. िंग्ह मे्बीि कहासनयां है्सजनमे्ऐिी िमुद्भर गहराये, िेसनि पहाड्ी-िी बह सनकिे.... मेरे ज्हन मे्िड्सकयो् ज्बद्स य ्सकस्िागोई है सक िगता है, शीि्क य कहानी ‘दिदि’ का सकस्िागो के सिए एक सनस्​्ित जीवन-शैिी थी.’ ('बयान'). ये कुछ ऐिी बूढ्ा दक्​्ता िे कहानी िुना रहा है और हम कहानी पढ्नही्रहे है्, वरन वास्​्सवकताएं है्सजनिे िंत्स्हो चुका आम आदमी िवाि करने िगा है सक नेक मनुष्यो् का उत्पादन हो िके, क्या कोई ऐिा िांि रोक कर िुन रहे है्सक आगे क्या होने वािा है. कभी कारखाना नही् िगाया जा िकता. िेसकन िंग्ह की उत्िुकता, कभी सजज्​्ािा, कभी भय, कभी सिहरन, कभी कहासनयो्मे्जो िकारात्मक भाव है्, वे िवाि का उत्​्र दे् आक्​्ोश, कभी खीझ, कभी कुसटिता,कभी कृपा िे गुजर रहे न दे्, आम आदमी को आश्​्ािन ज्र्र देते है् सक पात्​्इतने जीवंत है्सक िहज ही अपने भाव पाठको्को दे ’मुब्ककिो् के बावजूद यह दुसनया रहने की एक खूबिूरत जाते है्. ‘दिदि’ के सवकिांग िुब्ोतो का कर्ण तरीके िे जगह है’. (‘सपता के नाम’). दिदि मे्डूबते जाना सिहरन िे भरता है तो ‘बसिदान’ की ‘चक्मा’ कहानी के पसरवार के पाि चार-पांच बाढ्ग्स् भैरवी नदी मे् नाव पर िवार क्​्मता िे असधक पीस्ढयो् िे एक सविक्​्ण चक्मा है सजिे पहन कर भसवष्य पसरजनो् द्​्ारा डगमगाती नाव का भार कम करने के सिए, मे् होने वािी घटना-दुघ्यटना के दृक्य देखे जा िकते है्. सकिका जीसवत रहना असधक ज्र्री है, सकिका कम, इि दृक्य देखने मे् वही ि​ि​ि हो िकता है सजिका अंतम्यन आधार पर एक-एक कर नदी मे् कूद कर आत्म-उत्िग्य िाि हो. ‘भूतनाथ’ का भूत मानव देह धारण कर करना स्​्ल्ध करता है. िोगो् की िहायता करता है. वैिे ‘भूतनाथ’ और ‘दो दूना ‘कािे चोर प्​्ोन्नसत पाये,् ईमानदार सनिंसबत हो्’ - ऐिे दलदल: सुशांत सुम्पय; अंमकता अराजक, अनैसतक माहौि मे् खुद को समि़सिट पाते प्​्काशन; गामजयाबाद; 275 र्पये पांच’ कहासनयां स्फ़ल्मी ड्​्ामे की तरह िगती है्. िुकून यह है सक जब हत्या, बिात्कार, दुघ्यटना, वन्य प्​्ासणयो् का ‘समिस्फ़ट’ के के्द्ीय पात्​् का आत्महत्या का मानि बना कर रेिवे ट्​्ैक पर िेटना भय िे भरता है तो ‘पांचवी् सदशा’ के सपता का सशकार कर, गित तरीके िे शस्​् रखने वािे धन-कुबेर और उनकी हॉट एयर बैिून मे् बैठ कर उड्ना, गुल्बारे का अंतसरक्​् मे् ठहर जाना िंताने्पकड्ी नही्जाती्या पुसि​ि और अदाित िे छूट जाती है्, वहां ‘दो सजज्​्ािा िे भरता है. ‘दुमदार जी की दुम’ के दुमदार जी की रातो्-रात दूना पांच’ के कुकम्​्ी प्​्काश को िांिी की िजा दी जाती है. कहासनयो्मे् 'दुम सनकि आयी है' जैिे भ्​्ामक प्​्चार को अिौसकक और ईश्​्रीय ज्मीनी िच्​्ाई है इिीसिए ‘झाड्’् , ‘इक्क वो आसतश है ग्ासिब’ जैिी प्म्े चमत्कार मान कर िोगो्का उनके प्स्त श्द ् ्ा िे भर जाना उत्िक ु ता जगाता कहासनयां भी प्​्ेम-राग का असतरंसजत या असतनाटकीय िमथ्यन करते हुए है तो ‘बयान’ के सनष्​्ुर भाई का ’यातना-सशसवर जैिे पसत-गृह िे सकिी मुक्त गगन मे्नही्उड्ती्, बब्लक इि वास्​्सवकता को पुि्करती है्सक तरह छूट भागी समनी को जबद्यस्ी घिीट कर सिर वही्(पसत-गृह) पहुंचा प्​्ेम के अिावा भी कई-कई सरक्ते होते और बनते है् और यसद सववेक िे काम सिया जाये तो हर सरक्ते को उिका प्​्ाप्य समि िकता है. िुशांत की देना’ आक्​्ोश िे सतिसमिा देता है. िुशांत िुस्पय की पारखी-सववेकी दृस्ि अपने िमय और िमाज की कहासनयां आकार मे् िंबी नही्, अपेक्ाकृत छोटी है्, िेसकन िाव्यभौसमक प्​्त्येक ब्सथसत-पसरब्सथसत-मनः ब्सथसत पर ऐिे दासयत्व बोध के िाथ पड्ती ित्य को िामने िाने मे् िक्​्म है्. आह्​्ाद और सवनोद का पुट कहासनयो् n है सक िंग्ह की पंब्कतयां तत्कािीन व्यवहार-आचरण का िच्​्ा बयान बन को रोचक बना देता है.

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www.shukrawaar.com शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 41


बतकही चंचल

वकधर चले थे कहां भटक गये भारत लुटा, खूब लुटा. षवदेशी लो्गो् का गुलाम भी बना. हुकूमत बदली, हुक्मरान बदले, लेषकन भारत का समाज नही्बदला.

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कीना गांव पूरािाि, तहिीि बदिापुर, सजिा जौनपुर उत्​्र प्​्देश की रहने वािी है्. पूरे होश और हवाि मे् हूं और बकिम खुद यह ऐिान करता हूं. नीचे जो कुछ भी कहा जा रहा है. वह अक्​्रश: िच है. सजनको यह नही् िुहायेगा या यकीन नही् आयेगा. उनके बारे मे् हमारी पुख्ता राय है सक वे या तो हमारी दुसनया िे वासकि नही्है्या सिर पाखंडी है. भारत एक मुल्क है, चूंसक यह मुल्क रहा चुनांचे यहां इंिान भी रहते रहे है्. इंिानो्की सितरत होती है सक वे िब एक जैिे नही्होते. कुछ नर होते है् कुछ मादाये् होती है्. उनके र्प रंग, बोिी, अिग-अिग रही. िेसकन िब समि जुिकर िामूसहकता के ि​ि​ि​िे पर एक दूिरे िे जुडे, जीवन जीते रहे. हुनर की कमाई खाते रहे और इज्​्त बख्शीश मे्पाते रहे. एक सदन एक ि​िंगा नमूदार हुआ और उिने कहा सक इंिान की रवायत मे्अनुशािन एक जोरदार पहिू है. उि पर जद्​्ोजेहद करने िे बेहतर है. एक सनजाम बनाया जाये और उिके िाये मे् सजंदगी को नये तरकीब िे सजया जाये. भीड ने बडे गौर िे उिे िुना, क्यो्सक वह सजि जुबान मे,् सजि रवानी िे तक़रीर कर रहा था. उिमे् जोश तो था. िेसकन उिकी बात िमझ िे बाहर रही. इिसिए शायद िोगो् ने उिकी बात पर यकीन कर सिया. िमझदारी की यह रवायत आज तक बदस्​्ूर कायम है. हम सजि बात को नही्िमझते उि पर ही यकीन करते है्. जहां बात िमझ मे्आ जाती है. वहां िवाि और कौतूहि उठने िगता है. यह िवाि ही मजहबी जूनून के सिए खतरा पैदा करता है, इन िबके बीच उिने ऐिान सकया सक िमाज को चार खाने मे् बांट सदया जाता है. िबिे ऊपर ब्​्ाह्मण होगा क्यो्सक वह आपको स्वग्यिे जाने का उपक्​्म सिखायेगा. आप ब्​्ाह्मण के माध्यम िे अपने मेहनत की कमाई भगवान के चरणो्तक पहुंचाये्. दूिरे नंबर पर क्स्​्तय हो्ग.े इिका काम होगा मुल्क की सहिाजत करना मैदान-ए-जंग मे् करतब सदखाना. इनको यह सहदायत होगी. ये बाहरी ताकत िे कम िडे् और अपने अंदर्नी खांचे मे्सजतना भी चाहे्मार काट करे्. तीिरे नंबर पर वैक्य हो्गे. जो व्यापार िे होने वािी आमदनी पर ऐश करे्गे. टेनी मारने का जोसखम िे्गे. िेसकन चंदनधारी और तिवारबाज को नही् िूट पायेगा. क्यो्सक यह जासत मुतवासतर मौत िे डरती रहेगी और मौत का ठेका चंदनधारी और तिवारबाज के पाि रहेगा. उिके िूट का आधार वह चौथा सहस्िा होगा सजिे शूद् बोिा जायेगा. शुद् उत्पादन वािी जासत है, इिसिए इिे अछूत माना जायेगा.

42 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

तासियां बजी और िमाज चार खाने मे्जाकर खडा हो गया. इि भारत को यह मािूम नही्था सक दुसनया और भी है. जब जाना तो तब तक िुट चुका था. देश गुिाम हो गया. भारत िुटा, खूब िुटा सवदेशी िो्गो् का गुिाम भी बना. हुकूमत बदिी, हुक्मरां बदिे िेसकन भारत का िमाज नही् बदिा. सवदेसशयो् मे् भी दो तरह के िोग आये, एक आये, िूटे, मारधाड सकये और चिता बने. दूिरे वे रहे सजन्हो्ने इि मुल्क को पिंद सकया और यही्के होकर रह गये. इि मुल्क को अपना मुल्क मान कर हुकूमत सकये. इि तरह इि मुल्क मे् इस्िाम भी स्थासपत हो गया. शक, हुंड, गुिाम मुगि अिग-अिग जासतयो् ने एक दूिरे को परास्​् कर हुकूमत सकये. भारत एक बार सिर गुिाम अंग्ेजो्का बना. सजन्हे्फ़कीर मोहनदाि करमचंद गांधी ने देश िे खदेड सदया. सजन्हे् रवी्द्नाथ टैगोर ने महात्मा की उपासध िे िम्मासनत सकया. तो िुभाि चंद बोि ने बापू और राष्​्सपता कहा था. इि महात्मा ने ध्​्ुव और प्​्हिाद के सनजी हसथयार को ऊपर उठाया और िसवनय अवज्​्ा नाम रख कर आम आदमी को असहंिक हसथयार दे सदया. न मारे्गे, न मानेग् ,े इि एक हसथयार ने अंगज ्े ी हुकमू त को देश सनकािकर िारी दुसनया को चौ्का सदया. भारत आजाद हो गया. महात्मा गांधी को एक कायर सहंदू ने मार सदया. यह तिवार वािा क्​्स्तय नही् था, न ही वैक्य या शूद् था. मनुवाद िे सनकिा चंदनधारी था. गांधी सक सवराित सकिके पाि जाये? यह िबिे बडा िवाि था. गांधीवाद तीन टुकडे मे् बंट गया. िरकारी गांधीवादी सजिके िीडर बने पंसडत नेहर्, मठ गांधीवादी यहां सवनोबा भावे आ गये और डॉ िोसहया ने अपने आपको कुजात गांधीवादी बोिकर गांधी को आगे िेकर बढ चिे. एक सदन भारत की दीवारो् पर िो्गो्ने अजीब इबारते्देखी. िो्गो्ने पढा, िमझा और कतार मे् खडे हो गये. अंग्ेजी हटाओ, िीि माि करो, िगान बंद करो, जमीन बांटो, गैर बराबरी खत्म करो, बै्को का राष्​्ीयकरण करो. धुआंमुक्त चूल्हा, हर घर पाखाना बनवाओ. कुजात गांधीवादी याद सदिाता गया सक यह रहा बापू के िपनो् का भारत इिे पूरा सकया जाना चासहए. िरकारी गांधीवादी एक एक कर मानते गये और मुल्क यहां इि डगर चिा. दुसनया ने देखा स्वीकारा और िराहा. अचानक हम िडखडा गये. आज हम कहां और सकि डगर पर आ गये है्. यह िडक कहां िे जायेगी. उिका जायजा िेने बैठा हूं.n


संस्कृशत था. उिे इि सनयुब्कत के बाद आरएिएि का करीबी बताया जा रहा है. ऐिे मे् कोई पत्क ् ार अपनी िाख क्यो् खराब होने देगा. यह कम महत्व् पूणय्और सचंताजनक नही्है. ठीक है सक राम बहादुर राय की िंघ िे करीबी रही है. पर उन्हो्ने और भी काम सकये है्. पर इि पद को स्वीकार कर िेने िे उनकी िारी योग्यता ‘िंघ िेवा’ मे्बदि गयी है. िाख को बुरी तरह बट्​्ा िगा है. किा िे राय का कोई िंबंध रहा हो ऐिी जानकारी नही् है और सपछिे िाि जनवरी मे् इिी िरकार ने राय को िासहत्य और सशक्​्ा के क्त्े ्मे्पद्श ् ्ी िे िम्मासनत सकया था. इि तरह, िरकार पत्क ् ार राय को िासहत्य और सशक्​्ा िे नयी मदल्ली मे् इंमदरा गांधी राष्​्ीय कला के्द्: अपार संसाधन

किा मे् रसयासत

इंषदरा गांधी राष्​्ीय कला के्द्के अध्यक्​्और सदस्यो्को अचानक बदलने के जषरये के्द् सरकार ने राष्​्ीय महत्व की संस्थाओ्मे्मनमाने हस्​्क्ेप का एक और उदाहरण पेश षकया है. संजय कुमार गसंह

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वैधासनक िंस्थाओ् का मजाक बनाने के क्​्म मे् के्द् िरकार ने अब इंसदरा गांधी नेशनि िेट् र िॉर आव्िय्(आईजीएनिीए) के बोड्य ऑि ट्स् ट् ी का पुनग्ठय न कर नयी कमेटी की घोिणा कर दी है. सहंदी दैसनक जनित्​्ा मे् रहे वसरष्​् पत्क ् ार राम बहादुर राय को इिका प्​्मुख बनाया गया है. टाइम्ि ऑि इंसडया ने सिखा है सक इिमे् आरएिएि के दया प्​्काश सिन्हा भी है.् सजन्हो्ने मशहूर किाकार एमएि हुिनै के सखिाि असभयान चिाया था. िूत्ो्के मुतासबक ट्​्स्ट के कुछ िदस्यो् का काय्यकाि अभी खत्म नही्हुआ था. ट्स् ट् को भंग कर सदया जाना िरकारी मनमानी है. एक अच्छे पत्क ् ार का काम इिका सवरोध करना होना चासहए, ना सक इिमे्शासमि हो जाना चासहए. खािकर उन जैिे पत्​्कार के सिये जो अपनी िादगी और िरोकार के सिये जाने जाते है्. हािांसक किा िासहत्य िे उनका कभी कोई सरक्ता नही्रहा है, यह भी एक तथ्य है. वैिे भी, काय्यकाि खत्म होने पर नयी सनयुबक् त करने और बोड्यको भंग करके नया बोड्य

बनाने मे्बहुत िक्फहै. रामबहादुर राय का कद और इि िमय वे उम्​्के सजि पड्ाव पर है.् वहां उन्हे्इि सववाद मे्पड्ने के बजाय इिका सवरोध करना चासहए था. यह अभी तक की उनकी प्स्तष्​्ा के अनुकि ू होता. पर ऐिा नही् करके उन्हो्ने एक ऐिा पद स्वीकार सकया है. जो उनके कद की तुिना मे्छोटा िगता है. ऐिा भी नही् है सक इि पद पर रहकर वे आरएिएि, िरकार अथवा आईजीएनिीए के सिए कुछ क्​्ासं तकारी कर िकेग् .े खािकर तब जब उिमे्सिन्हा जैिे िोग है.् ऐिे मे्िगता है सक यहां उनकी भूसमका भी तय होगी. उल्िख े नीय है सक इि पद के सिए राय के चयन पर कोई सववाद नही्है. राम बहादुर राय िादा जीवन जीने वािे एक ईमानदार और कम्यठ पत्​्कार है् और राष्​्ीय स्वयंिेवक िंघ के िाथ-िाथ जयप्​्काश नारायण, सवश्न् ाथ प्त् ाप सिंह और चंदश ्ख े र जैिे नेताओ् िे उनकी करीबी जगजासहर है. वे सवद्​्ाथ्​्ी पसरिद के राष्​्ीय पदासधकारी भी रहे है् और िंघ के प्​्सतबद्​् काय्यक्त्ाय माने जाते है्. इिके बावजूद िरकारी िुसवधा भोगने वािे पत्क ् ारो्मे्नही्है्और उनकी अच्छी िाख रही है. इंसदरा गांधी के धुर सवरोध िे िेकर चंदश ्ख े र और वीपी सिंह की नीसतयो् के िमथ्नय के सिए जाने जाते रहे है.् ऐिे मे्इंसदरा गांधी के नाम पर बने किा के्द् के प्​्मुख के र्प मे् राय की सनयुब्कत वाकई के्द्ीय िंस्थाओ् का मजाक बनाने के क्म् मे्एक नया कदम है. अि​िोि की बात यह है सक िरकार अपनी ऐिी चािो्के सिए पत्क ् ारो्का उपयोग कर रही है. इिमे्पत्क ् ार की िाख भी खत्म हो रही है. जो पत्क ् ार ित्​्ा सवरोधी होने के सिए जाना जाता

राम बहादुर राय: कला-संस्कृमत से दूर

होते हुए. अब किा सवशेिज्​्भी मानने िगी है. कांगि ्े ने इिे अगर पूवय्प्ध ् ानमंत्ी इंसदरा गांधी की सवराित के िाथ कू्र मजाक कहा है, तो गित नही् है. कोई दो राय नही् है सक इि​िे िंवैधासनक िंस्थाओ् के प्​्सत िरकार के रवैये का अनुमान िगता है. दुख की बात यह है सक इन िबका सवरोध करने के बजाय राय ने अपनी िाख को भी कुबा्नय हो जाने सदया है. राय का नाम 1991 के चस्चतय जैन हवािा कांड का खुिािा िबिे पहिे जनित्​्ा मे्करने के सिए भी जाना जाता है. हािांसक, इि मामिे को िुप्ीम कोट्यमे्िे जाने वािे पत्क ् ार सवनीत नारायण ने अपनी पुसक ् ‘हवािा के देशद्​्ोही’ मे्दावा सकया है. कैिे और क्यो्उन्हो्ने अपनी खबर राय िे िाझा की थी और चाहते थे सक जनित्​्ा मे्छप जाये. इि घोटािे मे्िाि कृषण ् आडवाणी िमेत देश के प्म् ख ु 115 नेताओ्और नौकरशाहो् के नाम थे. सजन्हे् अवैध धन सदये जाने का आरोप िगा था. बाद मे् िभी बरी हो n गये थे. (िेखक जनित्​्ा के िंपादकीय सवभाग िे जुडे रहे है.्) शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 43


मास् यायावरी ट हेड

ग्​्ैड कैन्यन को देखना प्​्कृषत के एक चमत्कार का अनुभव करना है. हजारो्सालो्से कोलोराडो नदी के बीहड् आकारो्मे्काटे-ढाले गये ये पठार आज अमेषरका के प्​्मुख पयट्षन के्द्ो्मे्एक अहम हैषसयत रखते है्. संवागत गतवारी

ह कभी अमेसरका नही् गये थे, सिर कैिे इतना कुछ शल्द-शल्द वण्नय कर देते थे जैिे वही्खडे हो्? उनके शल्द मेरे कानो्मे्गूज ं रहे थे, ‘नदी और उिकी िहायक नसदयो्ने उि क्त्े ् को परत-दर-परत काटा होगा और पठार ऊपर गया होगा. तब एक अजूबा िामने आया जब पृथ्वी का भूगभ्​्ीय इसतहाि प्​्कट हुआ, ऐिा अजूबा सक देखने वािे बि देखते रह जाये,् दांतो् तिे उंगिी दबाये, ‘जानती हो इि अजूबे को क्या कहते है?’ ‘ग्​्ैड कैन्यन’. सवश्​् के एक सवशाि प्​्ाकृसतक अजूबे के िाथ ही ग्ड्ै कैनय् न अमेसरका के िबिे बड्ेपय्टय क केद् ्ो्मे्िे एक है. आठवी्क्िाि मे्पढने वािी एक बच्​्ी के सिए, सजिने तब केवि नम्दय ा नदी और नम्दय ा घाटी ही देखी-िुनी थी, वैस्शक अजूबा नया शल्द था. मैन् े तब सपताजी की तरि आि्य् य्िे देखा. मेरी नजरो् मे् प्​्क्नवाचक था, 'हम कब जाये्गे देखने?’ सपताजी ने सवश्​् एटि​ि सनकािा और िमझाया सक वह हमारे पडोि मे्थोडी है और वह नदी के कटाव से मनम्मवत द्​्ीप

44 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

एक कमरश्मा नदी

तो िात िमंदर पार अमेसरका महाद्​्ीप पर है. सपता की आंखे् भी आि्य् य् िे भरी थी्. उन्हो्ने कहा, ‘वंडि्यऑफ़ द वल्ड.य् एटि​ि अब मेरे हाथो् मे् था. सपता भूगोि के सशक्​्क थे, दुसनया भर के एटि​ि उनकी हॉबी थी. वे दुसनया मे् बच्​्ो् की र्सच जगाने के सिए ऐिी जगहो्के बारे मे्बताया करते थे. ग्ड्ै कैनय् न दुसनया का महा दर्ाय है जो पस्​्िम िे आरंभ हुआ और दूिरी तरि पूवय्िे भी बनने िगा. िाथ-िाथ दो धाराओ्की तरि बनते बनते तकरीबन िाठ िाख िाि पूव्य दोनो् दरारे् एक स्थान पर एक िाथ समि गयी् जैिे गंगा-जमुना समिती है. मेरी कॉपी पर पेस्ि​ि िे दोनो्तरि िे दो दरारो्को खी्चते हुए उन्हो्ने समिा सदया. वह कॉपी सजिमे् वे दुसनया का एटि​ि िमझाते थे, अब भी कही्हमारे घर मे्समि जायेग् ी. सचत्​्मेरी आंखो्मे्अब भी बना हुआ है जो धुधं िा हो गया था. ‘नाऊ वी आर फ्िाइंग ओवर द वंडर ऑफ़ द वल्ड्य ग्​्ैड कैन्यन. हेिीकॉप्टर चािक की आवाज िे मेरी तंद्ा भंग हुई. सखडकी िे नीचे झांका. मेरी कॉपी के पन्ने पर सपता द्​्ारा खी्ची

रेखा दुसनया के सवतान पर एक सवराट दर्ा.य केवि रेखा नही् था सकिी किाकार की पे्सटंग थी शायद, नही्वे प्क ् सृ त के ऐिे गुबं द थे जैिे सवष्णु के मंसदरो्के होते है.् वे रेत के टीिे थे, वे िाि भूरे कािे पहाड थे सजन पर नक्​्ाशी सदखाई देती है. मै् रोमांसचत होते हुए देख रही थी सपता का िमझाया अजूबा, जो उनकी बेटी को उिकी बेटी ने सदखाया. सपता इि यात्​्ा मे्िाथ नही्है,् उनका हाथ छूटे िािो् हो गये, पर वे मेरे िाथ थे. इि यात्​्ा मे्शल्द बन कर बार-बार याद आ रहे थे मैन् े आिमान की ओर देखा शायद वो मुझे दुसनया देखते हुए वहां िे देख रहे हो्? सपता िे बेहतर भूगोि का सशक्क ् मैन् े अपने जीवन मे्सिर कही् नही्पाया और यात्​्ा गाइड तो वे अब भी मेरे बने रहते है.् वे आस्थक य र्प िे िंपन्न नही्थे, पर ज्​्ान का अचूक भंडार उनके पाि था, न टी.वी. थे, न िोन-कंपय् टू र का तो िवाि ही नही्था, सिर कैिे वे इतना जानते थे? मेरे सिए तो यही दुसनया का िबिे बडा अजूबा बना हुआ है. पसरवार िाथ था पर स्मसृ त सपता के िाथ यात्​्ा करवा रही थी. नीचे िासिमा सिए भूरे-मटमैिे पठार थे सजन पर परत-दर-परत दरारे्सदखाई दे


दोनो् ओर तराशी हुई चट्​्ानो् के बीच काेलोराडो नदी: एक अजूबा कुदरत का

और घाटी का रही थी्, इनके बीच कही्-कही्जि-धाराएं सदख रही थी्, दूर-दूर तक िैिे सनज्नय भयावह िे िगते एक स्​्कसतज िे दूिरे स्​्कसतज तक अनंत मे् िैिे रेतीिे मर्स्थिीय पठार. हेिीकॉप्टर ने एक अजीब िी घरघर शुर्की तो एक पि को िगा, यसद इि वीराने मे्कुछ हो जाये तो पानी की एक बूदं भी देने वािा नही्समिेगा, पर िामने िे आते दूिरे हेिीकॉप्टर ने भय को उडन छू कर सदया. अपनी तीिरी बार की अमेसरका यात्​्ा मे्इि बार बच्​्ो् ने हमारे िाथ कैसिफ़्ोस्नयय ा (िंयकु त् राज्य अमेसरका के पस्​्िमी तट पर ब्सथत एक राज्य) देखा. यह अमेसरका का िबिे असधक आबादी और क्त्े ि ् ि मे्अिास्का और टेकि ् ाि के तीिरा िबिे बड्ा राज्य है. कैसिफ़्ोस्नयय ा के ऊपर औसरगन, और उिके नीचे मैब्किको है. कैसिफ़्ोस्नयय ा की राजधानी िैक्ामेट् ो है. िंयकु त् राज्य अमेसरका का आधा ि​ि इि राज्य िे आता है. ऐसरजोना अमेसरका के दस्​्कण पस्​्िमी सहस्िे मे् ब्सथत राज्य इिका िबिे बड्ा शहर और राजधानी स्फ़सनक्ि है. िाि वेगाि नवादा का िबिे ज़्यादा आबादी वािा शहर है, सिर क्िाक्फ काउंटी का स्थान है और जुआ, खरीदारी तथा

शानदार खान-पान के सिए अंतर्ाषय ट् ् ्ीय स्तर पर जाना जाने वािा एक प्​्मुख शहर है. स्वयं को दुसनया की मनोरंजन राजधानी के र्प मे्प्च ् ासरत करने वािा िॉि वेगाि किीनो सरिॉव्िय्की बड्ी िंख्या और उनिे िंबंसधत मनोरंजन के सिए मशहूर है, िैन फ्​्ासं िस्को शहर कैसिफ़्ोस्नयय ा मे् चौथी िबिे असधक आबादी वािा शहर है. यात्​्ा अद्त् थी. बच्​्ेदामाद िाथ थे. अि िुबह हम िॉि वेगाि िे ट्​्ेवल्ि की बुसकंग अनुिार िडक माग्यहाईवे 93 िे बि िे सनकिे. यह बि हमे् होटि िे ही सपक अप करती है हेिीपेड तक िे जाने के सिए. हमारा पहिा पडाव था िॉि वेगाि िे 33 मीि दूर ब्सथत हूवर बांध. यह बांध नेवादा और एसरजोना राज्य की िीमा पर कोिोराडो नदी की ल्िक ै कैनय् न के ऊपर बना हुआ है, बेहद नाजुक सदखने वािा यह पुि अनोखे पुिो्मे्शासमि है. िन्ा 1936 मे्बन कर तैयार हुआ हूवर बांध, जो कभी बॉल्डर बांध के नाम िे जाना जाता था, कंक्ीट का गुरत्व् ाकि्ण य चाप बांध है. जब 1936 मे् इिका सनम्ायण पूरा हुआ, तब यह पनसबजिी ऊज्ाय उत्पन्न करने वािा सवश्​्का िबिे बड्ा स्टश े न और सवश्​्की

िबिे बड्ी िंरचना थी. यह आज की तारीख मे् सवश्​्का 38वां िबिे बड्ा पनसबजिी उत्पादन केद् ्है. िाि वेगाि नेवादा के दस्​्कणपूव्य मे् ब्सथत इि बांध का नाम हरबट्य हूवर के नाम पर रखा गया है सजन्हो्ने अमेसरका के राष्प् सत के र्प मे् इि बांध के सनम्ायण मे् एक िहायक भूसमका सनभायी. इिका सनम्ाण य 1931 मे्शुर्हुआ और 30 सितंबर 1935 को राष्​्पसत फे्कसिन डी. र्जवेलट् द्​्ारा इिे िमस्पतय कर सदया गया, िेसकन इिका सनम्ाण य 1936 तक ही पूणय्हो पाया. बांध मे्इस्म्े ाि सकया गया कंक्ीट िैन फ्​्ासं िस्को िे न्यूयॉक्फ तक के दो िेन वािे एक राजमाग्य के सनम्ाण य के सिए पय्ापय त् है. अमेसरका मे्बने दुसनया के िबिे ऊंचे हूवर बांध के सनम्ाण य के िाथ 112 मौते् भी जुड्ी हुई है्. एक िोकस्​्पय कथा के मुतासबक हूवर बांध के सनम्ाण य मे्मरने वािे प्थ् म व्यब्कत िव्क ्े क ् जे.जी. सटएन्य्े थे, सजनकी बांध के सिए आदश्यस्थान ढूढं ते हुए डूब जाने िे हुई. उनके बेट,े पैस्टक डल्लय् ू सटएन्य्े , बांध पर काय्य करते हुए मरने वािे अंसतम व्यब्कत थे, जो उनके सपता के मृतय् ु सदवि िे 13 िाि बाद था. बांध के सनम्ाण य ने बांध िे अनुपव् ासहत नदी मे् रहने वािी स्थानीय मछसियो् की जनिंखय् ा को भी बहुत कम कर सदया है. कोिोराडो नदी मे् रहने वािी मछसियो्की चार स्थानीय प्ज ् ासतयो् को, िेडरि िरकार द्​्ारा वत्मय ान मे्िुपत् प्​्ायः के शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 45


यायावरी

र्प मे् िूचीबद्​् सकया गया है, ये प्​्जासतयां है् बोसनटेि चब, कोिोराडो पाइकसमनो, हम्पबैक चब और रेज्रबैक िकर. हूवर बांध को कई सिल्मो्मे्प्द् स्शतय सकया गया, सजनमे्दी सिल्वर स्ट्ीक, िेबोटेओर, वेगाि वेकश े न, चेरी 2000, ट्​्ांि​िॉम्यि्य, सववा िॉि वेगाि, युसनवि्यि िोल्जर, िुपरमैन और दज्यनो् अन्य सिल्मो् मे् शासमि है्. कहते है्, यह बांध इंजीसनयसरंग की दुसनया मे्कमाि माना जाता है. एसरजोना का मर्सथ् ि शुर्हो चुका था. हमे् एक छोटी ड्​्ाइव के बाद पहुंचना था सकंग्िमन शहर और सिर बोल्डरसिटी म्यसु नसिपि एयरपोट्,य जहां हक्बरे ी जनरि स्टोर है. यहां िे बेटी ने और मै्ने पत्थरो् की बनी कुछ सगफ्ट खरीदी्. महंगा स्टोर था, पर कुछ यादगारी तो िेनी ही थी िो िे िी. यहां िे हेिीकॉप्टर िे जाना था. हम थोडा सविंब िे पहुच ं े थे. इंतजार करना पडा और तब तक भूख ने भी आक्​्मण कर ही सदया था, पर शाकाहारी मै्, सतवारीजी और बेटी. कुछ हमारे मािवा जैिा चटपटा कचोरी िमोिा तो समिना नही्था. बेट-दामाद े ने आमिेट सिया और हमने बनाना ब्ड्े और ि​ि. मुझे मूगं ि​िी और पकोडे याद आये तो हंिी आ गयी, पसत देव ने पूछा, कचोरी को याद कर रही हो? तो सनकािो न इंदौरी िूखी कचोरी? भूि गयी िाना. हेिीकॉप्टर मे् सखडकी मुझे समिी, पहिा अनुभव था हेिीकॉप्टर का, हमे्बेलट् िगाना था, उिी मे्िगा था हेडिोन. उड चिे थे एक नये अनुभव की ओर. पहिे आया हरा-हरा िा सदखता बोल्डर सिटी, सिर सपच-स्स्पंग और सिर ग्​्ैड कैन्यन, जहां कोिोराडो नदी और उिकी िहायक नसदयो् ने एक अनोखा िै्डस्केप रचा था. बेहद र्खे क्​्ेत् मे् कही्-कही् कुछ कंटीिी झासडयां सदखाई दे रही थी्, पर मर्स्थि का सवस्​्ार तो र्खा और िूखा ही था. अगर हम हवाई माग्य की जगह िडक माग्य िे जाते तो सकंगस्मन िे स्ट्ेट रोड 66 िे 174 मीि चिना पडता, पर तपती गम्य मर्भूसम का वीराना सजि पर परदेि. हवाई माग्य ही ठीक िगा. रेतीिे 46 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

ग्​्ैड कैन्यन मे् उतरता याम्​्ियो् का हेलीकॉप्टर और (दाये्) लेमखका: रोमांचक पि्ाव िे एक है. ग्​्ैडव्यू पाइंट िे ग्​्ैड कैन्यन और ल्िू पथरीिे सनज्यन-वीराने का एक अिग ही आवर, ग्​्ैड कैन्यन का आिौसकक दृक्य िामने िम्मोहन महिूि हो रहा था. हमारा हेिीकॉप्टर दूर तक अनंत सवस्​्ार सिये्पहाडो्मे्अनेकानेक पैचस्स्पगं मे घूम रहा था, चािक ने बताया कही्खाइयो्िे तराशी पत्थरो्के अिग-अिग िािकही् पहाडो् के बीच बस्​्ी भी है, कैन्यान की भूरे, धूिर-मटमैिे, शाहबिूती-िुनहरे रंगो्की गुिाओ् और कुसटया जैिे घरो् मे् अमेसरका के मूि वािी इसतहाि काि िे सनवाि करते है्. मै् किाकृसतयां दो सबसियन िािो् का धरती के सवकाि का भूगभ्​्ीय प्​्माण सबखरा पडा था. देख रही थी धरती की अरबो्िाि की भौगोसिक िािो्िाि हुई धरती की कोख मे्ज्वािामुखीय यात्​्ा 450 सकिोमीटर िंबी और 1,800 मीटर हिचि का एक अमूल्य दस्​्ावेज, जहां िे भी ज्यादा खडी गहराई. चट्​्ानो् पर पानी की आग्नेय चट्​्ाने् पठारो् के र्प मे ऊपर उठती धार के सनशान िाि सदखाई दे रहे थे. कोिोराडो गयी्. आि्​्य्य होता है सक कोिोरोडो नदी की नदी तुम पुरातन काि िे यहां अपनी उपब्सथसत मंद-मंथर गसत भी पत्थरो् को इि तरह काट के प्​्माण बना रही हो, चट्​्ानो् िे िड रही हो, अपने अस्​्सत्व का िंघि्यकर रही है. आसखर क्यो्? ग्​्ैड कैन्यन घाटी िंयुक्त राज्य पल्िवी मेरा हाथ खी्चती नदी के सकनारे िे अमेसरका के एसरजोना राज्य िे होकर बहने वािी गयी िोटो खी्चने. िोटो तो मै्ने पत्थरो्, कंटीिी कोिोराडो नदी की धारा िे बनी तंग घाटी है. यह झासडयो् कैक्टि िब के सिये. मुख्य खाई घोडे घाटी असधकांशत: ग्​्ैड कैन्यन नेशनि पाक्फ िे की नाि के आकार की है. गाइड ने कहा, यह सघरी है जो अमेसरका के िबिे पहिे राष्​्ीय अंग्ेजी अक्​्र ‘िी’ का आकार है. मुझे सशवसिंग उद्​्ानो्मे्िे एक था. इि स्थान पर पहुंचने वािे िा िगता है. आस्​्सक होने के ही िायदे है् ये. पहिे यूरोपीय यात्​्ी स्पेन के गास्ियया िोपेज सद मै् नमन कर िेती हूं सशवसिंग हो न हो, प्​्कृसत गाि्​्ेनाज थे जो यहां 1540 मे्पहुंचे थे. नये परीक्ण ् ो्के बाद भू-सवशेिज्​्ो्का कहना का कृसतत्व तो है ही. िामने के ये पठार सवष्णु टे्पि कहिाते है् अपने आकार-प्​्कार िे. भूख है सक कोिोराडो बेसिन एक करोड्ित्​्र िाख तेज िग आयी है. िंच शाकाहारी सिखवाया था, वि्यपूव्यबना था. िाि 2008 मे्इि नयी खोज पर मांिाहारी सनकिा सबयर, आइिक्​्ीम और को प्​्कासशत सकया गया था जो घाटी िे समिे कैल्िाइट की यूरेसनयम जांच के बाद प्​्काश मे् बनाना िे काम चिाना पडा. नैिस्गयक िौ्दय्यका रोमांचक अनुभव सजिमे् पानी इंद्धनुि सदखाई आया था. हािांसक बाद मे्इि खोज पर सववाद देता है. िमय हो गया वापि चिने का. भी हुआ था. तकरीबन 20 करोड् वि्य पूव्य हेिीकॉप्टर चािक अब समत्​्बन गये. खूब िोटो कोिोराडो नदी और उिकी िहायक नसदयो् ने खी्चने के बाद सिर उडान वीराने िे िघन इि क्​्ेत् को परत दर परत काटा था और मानवीय आबादी वािे िॉि वेगाि. प्िान बनता कोिोराडो पठार ऊपर उठता गया था. पूव्य है सक क्यो्न कि आधा सदन स्काय वॉक भी कर अमेसरकी राष्प् सत सथयोडोर र्जवेलट् ने सपछिी िे.् तुम हमेशा याद रहोगी. मै्हेिीकॉप्टर मे्आने शताल्दी के आरंभ मे्ग्ड ्ै कैनय् न पाक्फको राष्​्ीय िंपस्​्त घोसित सकया था. आज यह कई प्​्ासणयो् के पहिे दोनो् हाथ ऊपर करती हूं, सपता को आवाज िगाती हूं, देखो पापा, आज मै्ने अजूबा को िंरक्ण ् देता है. कोिोराडो नदी मे्भी पय्टय क देख सिया: ‘देखी मै्ने एक नदी, गाती रीती रेत कई तरह के जि क्​्ीड्ा का आनंद भी उठाते है्. हुई/मर्स्थिी चट्​्ानो् िे वह खूब िडी/बढती इि सवशािकाय घाटी को देखने के सिए चिी, बहती गयी, बांधी गयी, िाधी गयी,/सिर पय्यटको्को हवाई जहाज की िुसवधा भी समिती भी वह न ठहर िकी/झुकी नही्, टूटी नही्, मुडहै. एक सवशाि प्​्ाकृसतक अजूबे के िाथ ही ग्​्ैड कैन्यन अमेसरका के िबिे बड्े पय्यटक के्द्ो् मे् मुडकर वह सनकि चिी’. n


खानपान मास् ट हेड अरंण कुमार ‘पानीबाबा’ िेखक िंस्कार िे राजनीितक व्यब्कत और पानी,भोजन और पोिाहार के िवशेिज्​्है्. हिवाई होने का दावा भी करते है्. e-mail.: akpanibaba@gmail.com

लुकाट, पुदीना और सीताफल

पुदीने की षगनती तो महारसायन जड्ी-बूषटयो्मे्की जाती है. यह आसानी से उगता है. दो चार गमले रख ले्गे तो भी पय्ाषप्त हो जायेगा.

ि बार बैिाखी के दो सदन बाद चैत्नवरास्​्त की अंसतम पूजा रामनवमी थी. ऐिे मे्अगर दादी जीसवत होती तो बार बार याद सदिाती सक आज बिंत का अंत हो गया और गम्​्ी की ऋतु शुर्हो गयी. दादी का पहिा आग्​्ह तो यही होता सक गेहूं की जगह जौ और चना खाना शुर् करो. यासन ऐिा अन्न शुर् करो सजिकी प्​्कृसत ठंडी हो. दरअि​ि हम यह याद सदिाने का प्​्याि कर रहे है्सक रामनवमी का पव्य होने के ठीक बाद कम िे कम दो महीनो्के सिए समस्िी बािी परांठो्का चिन शुर्हो जाता है. इन परांठो्का स्वाद हमे्‘गूंगी के गुड्’ जैिा िगता था. यह शुद्घी के परांठे सपछिी शाम को बना कर रख सदये जाते थे. आंटे मे्एक भाग चना और दो भाग जौ्और थोड्ा गेहूं डािा जाता था. उि िमय िूकाट नाम का ि​ि उपिल्ध रहता था. उिके िाथ पुदीने की चटनी सपिनी शुर् हो जाती थी. इि चटनी मे् नमक के अिावा हसर समच्य का प्​्योग तो अवक्य होता था. िेसकन उि​िे असतसरक्त अन्य सकिी भी मिािे का उपयोग नही् होता था. इि चटनी मे् थोड्ी बूरा या खांड समिायी जाती थी और यह सबल्कुि िल्जी की तरह खायी जाती थी. दादी कहती थी् सक जो बच्​्े सनयसमत िूकाट की चटनी का उपयोग करते है्. वह पूरा िाि िभी तरह के मूत् रोगो् िे मुक्त रहते है्. सजन बच्​्ो्ने बािी समस्िा खाया है, उन्हे् नक्िीर नही् िूटेगी. बागबानी के शौकीन बुजुग्य बता गये है् सक िूकाट चीनी मूि का ि​ि है. जो डेढ्-दो िौ बरि पहिे ही भारत पहुंचा था. गंगा-यमुना का दोआबिहारनपुर िे गासजयाबादबुिंदशहर तक अकेिा क्​्ेत्है, जहां ये पैदा होता है. िूकाट की प्​्शंिा मे् क्या किीदा पढ्े्देखने मे्सनहायत ही खूबिूरत पकने पर पीिी या िंतरई रंगत सिए छोटे िे मादक (चो्चदार िड्​्) के आकार का ये ि​ि होता है. स्वाद मे्बेहद निीि होता है. पुराने जमाने की औरते्इि ि​ि की कुछ ज्यादा ही प्​्शंिा सकया करती थी्. ऐिा सवश्​्ाि प्​्चसित था सक पुदीने के िाथ बनी इिकी चटनी सनस्​्ित तौर पर स्वासदि्​् होती थी. ग्​्ामीण वैद् और हकीम मधुमेह के रोसगयो् के सिए िूकाट के पत्​्े उबािकर पानी का नुस्खा भी सिखा करते थे. ईश्​्र की कृपा है सक ि​ि अभी िुप्त नही् हुआ है. बशत्​्े आजकि िौ र्पये प्स्त सकिो के भाव िे सदल्िी िे िहारनपुर तक उपिल्ध है. हमारा आग्​्ह है सक बच्​्ो्का इि ि​ि िे पसरचय अवक्य कराये्. चने के गुणो्के

िंदभ्य मे् सनघंटु मे् प्​्माण उपिल्ध है. सजन बच्​्ो् को नक्िीर िूटती हो उनके सिए इिे रात को सभगोये. चने का पानी सनयसमत सपिाने िे नक्िीर का रोग जड्िे नि्​्हो जाता है. जौ्के औिधीय गुण भी कुछ कम नही्है्. पुदीने की सगनती तो महारिायन जड्ी-बूसटयो् मे् की जाती है. ये आिानी िे उगता है, दो-चार गमिे रख िे्गे तो भी पय्ायप्त हो जायेगा. जब तक िूकाट उपिल्ध रहे, तब तक िूकाट के िाथ चटनी बनाये. िूकाट की बहार िमाप्त होगी तो आंधी की असमयां उपिल्ध हो जायेगी. उि चटनी मे्नये प्याज भी समिा िकते है्. पुदीना, हरे प्याज, आंधी के असमयां, हसर समच्यऔर नमक की चटनी सिद्​्महारिायन चटनी पीिने के नुस्खे को याद कर िे्. मुंह मे्थािी आ जायेगा. तेज गम्​्ी मे्सबना पाती सपये तेज प्याि िहने की शब्कत का िंचार हो जायेगा. आज कि िब्लजयां कुछ कम हो जाती है्. िेसकन हरा और पक्​्ा कद्​् (सजिे िीताि​ि, काशीि​ि या कुम्हड्ा भी कहते है्) प्​्चुर मात्​्ा मे् उपिल्ध रहता है. यह एक अत्यंत उपयोगी शाक है. इिके तरह-तरह के प्​्योग िंभव है्. हरे –कच्​्ेकद्​्की भूसजया रोचक िािन है. हर तरह के कद्​् को किकर उबाि िे्और दही के िाथ सवसधवत रायता बना िकते है्. हम सजि व्यंजन का नुस्खा सिख रहे है्. उिे कोफ्ता कहते है्. कद्​्को कि कर उिका पानी सनचोड् कर अिग कर िे्. िच्छे मे् मामूिी बेिन िगाये्, िौ्ि, धसनयां पाउडर और मामूिी अजवायन भी डाि िकते है्. नमक न डािे. घी का प्​्योग करते है् तो कोफ्ते को घी मे् ति िकते है्. तेि खाने के आदी है् तो तेि का इस्​्ेमाि करे्. कोफ्ते को तवे पर या चपटे पैन मे् तिे इन्हे् पकौड्ी की तरह गोि न बनाये चपटा ही रखे् और उिट-पिटकर िे्क िे्. कोफ्ते तैयार हो जाये, तो मनपिंद रिायान समिाकर कोफ्तो् को एक उबाि देकर उतार िे्. कद्​्के कोफ्तो्िे िादी, रोटी, परांठा पूडी कचौड्ी की िंगत कर िकते है्. मन करे तो िादा चावि भी िानकर प्​्योग मे् िे िकते है्. जो बच्​्े कद्​्के नाम िे नाक भौ्ह िुकोड्ते है्. वह इन कोफ्तो्के प्​्योग िे सनहाि हो जाये्गे. ऐिे भी कोफ्ते ककड्ी और खीरे के भी बना िकते है्. अब ककड्ी का मौिम है, उिका प्​्चुर मात्​्ा मे् उपयोग करे्. कुछ नही् तो n ि​िाद की तरह अवक्य इस्​्ेमाि करे्. शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 47


शिल् मास्मट/इंहेटडरव्यू हगर मृदुल

शा

हर्ख खान अपनी नयी सिल्म ‘िैन’ िे कािी उत्िासहत नजर आ रहे है्. मनीि शम्ाय के सनद्​्ेशन मे्बनी इि सिल्म मे्वे डबि रोि मे् है्. एक भूसमका मे् वे िुपर स्टार बने है्. तो दूिरे सकरदार मे्वह एक जुनूनी िैन का है्. सकंग खान के सिए यह सिल्म एक असभनेता के तौर पर तो चुनौतीपूण्यहै ही, उनके स्टारडम के सिए भी कािी महत्व रखती है. ट्​्ेड सवशेिज्​्ो् का मानना है सक इि सिल्म के बाद बॉक्ि ऑसि​ि पर उनके र्तबे का िही आकिन हो जायेगा. दरअि​ि उनकी सपछिी सिल्म ‘सदिवािे’ को दश्यको्का वह प्यार नही्समिा. सजिकी उम्मीद की जा रही थी. सनस्​्ित र्प िे इि सिल्म ने उन्हे् एक तेज झटका सदया है. सजिकी भरपाई वे िैन िे करे्गे. शाहर्ख खान िे सवशेि बातचीत: आपने इि सिल्म मे् दोहरी भूसमका सनभायी है. एक तो आप जुनूनी सकस्म के िैन बने है् और दूिरे आपने एक िुपर स्टार का सकरदार

सनभाया है. इन दोनो् सकरदारो् मे् िे आप सकिके करीब है्? सनस्​्ित र्प िे मै् गौरव के करीब हूं, जो सक एक भिा िा सदल्िी का िडक़ा है. िेसकन िुपर स्टार आय्यन खन्ना िे जुनून की हद तक िगाव के चिते उिमे् नकारात्मकता घर कर जाती है. िुपरस्टार उिके प्यार को नही् िमझ पाता है और उिकी उपेक्ा कर देता है. यही उपेक्ा गौरव मे्प्​्सतशोध की भावना भर देती है. उिका एक जबद्यस् डायिॉग है -गौरव है तो आय्यन है. गौरव नही् तो आय्यन कुछ भी नही्. आगे वह चुनौतीपूण्यढंग िे कहता है, पहिे िैन स्टार के पीछे भागता था. अब स्टार िैन के पीछे भागेगा. कुि समिाकर इिमे्एक बेहद रोमांचक कहानी है. कौन िा सकरदार सनभाना आपके सिए कसिन रहा? मुझे गौरव िे ज्यादा चुनौती िुपरस्टार आय्यन खन्ना के सकरदार ने दी. दरअि​ि मुझे आय्यन का रोि कुछ इि तरह िे सनभाना था सक अपना स्टारडम भूि जाऊं. मेरे स्टारडम िे

र्ख् पहचानते शाहर्ख् शाहर्ख खान अपनी नयी षिक्म ‘िैन’ से कािी उत्साषहत है्. इस षिक्म मे्वे डबल रोल मे्है्. एक भूषमका मे्वे सुपर स्टार बने है्. तो दूसरी मे्एक जुनूनी िैन है्. यह षिक्म उनके स्टारडम के षलए कािी महत्व रखती है.

48 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

आय्यन का स्टारडम मेि न खाये. मेरे सिए यह एक बडी चुनौती थी. हां, गौरव के रोि के सिए मुझे अपने िुक मे्कािी काम करना पड्ा. मेरे सिए अपनी िाज्यर दैन िाइि छसव िे बाहर सनकिना कतई आिान नही् था. यह काम मै्ने दृढ्ता के िाथ सकया है. डबि रोि तो आप पहिे भी कई सिल्मो् मे् सनभा चुके है्? हां, मै्इि​िे पहिे भी डुपि ् ीकेट, पहेिी और ओम शांसत ओम जैिी कुछ सिल्मो्मे्डबि रोि सनभा चुका हूं. िेसकन िच कहूं तो िैन जैिी चुनौती मुझे कभी नही् समिी. गौरव के सकरदार के सिए मुझे बहुत मेहनत करनी पड्ी. मेकअप मे् ही मुझे छह घंटे तक िग जाते थे. एक और बात सक गौरव के रोि के सिए चौबीि िाि के युवक की िुत्ी िा पाना मेरे सिए कािी कसठन था. इि सकरदार ने मुझे कािी दौड्ाया. मुझे कई खतरनाक एक्शन शॉट भी करने पड्े. जबरा... गाने की शूसटंग के दौरान तो मै्घायि भी हो गया था. इि सिल्म की शूसटंग सदल्िी के अिावा शाहर्ख खान: अब दोहरी भूममका से उम्मीद


और कहां-कहां हुई है? आपके मन मे् सकि तरह की यादे् है्? िंदन ब्सथत मैडम तुिाद की गैिरी मे् हुई शूसटंग मेरे सिए बहुत यादगार है. क्​्ोएसशया के अिावा मुंबई मे् भी इिे सिल्माया गया है. इि सिल्म के कई दृक्य कािी िहज थे. तो कई दृक्यो्ने मुझे बहुत ज्यादा थका सदया था. सिल्म मे् कई जबद्स द ् एक्शन िीन है.् बढ्ती उम्​् मे् ऐिे एक्शन िीन कर आपने सरस्क मोि नही् सिया? एक असभनेता को इि तरह के सरस्क तो िेने ही पड्ते है्. इि सिल्म के सिए मुझ पर चार बड्े एक्शन िीन सिल्माये गये. हािांसक सिल्म मे् तीन ही रखे गये है्. इन एक्शन दृक्यो्को प्​्भावी बनाने के सिए वीएिएक्ि तकनीक का इस्म्े ाि सकया गया है. वैिे, अब एक्शन िीन करना पहिे की तरह खतरनाक नही्रहा. यह सिल्म आपके कसरयर के सिए सकतना महत्व रखती है? क्या माना जाये सक इि सिल्म के बाद आपका एक नया िेज शुर् हो जायेगा? मै्जो भी सिल्म िाइन करता हूं, उिका मेरे सिए शत प्​्सतशत महत्व रहता है. मै्अपनी हर सिल्म पर बहुत ज्यादा मेहनत करता हूं. जहां तक िैन के बाद नये िेज के शुर्होने की बात है. मै् ऐिा नही् मानता हूं. मेरे कसरयर पर एक नजर मासरये. तो पता चि जायेगा सक मै्इि तरह की सिल्मे् करता रहा हूं. मै् सवशुद् रोमांसटक सिल्मे् करता हूं. तो िीक िे हटकर सिल्मे् भी मुझे िुभाती है्. स्वदेि, चक दे इंसडया और वीर जारा, माइ नेम इज खान जैिी सिल्मे् भी मेरे खाते मे्है्. मेरी अगिी सिल्म रईि भी अब तक की सिल्मो्िे एकदम अिग है. कािी िमय के बाद आपकी कोई सिल्म सकिी िेस्सटवि पर सरिीज नही् हो रही है? िैन की सरिीज के सिए सकिी िैबस् टवि की जर्रत नही्थी. यह एक अिग जॉनर की सिल्म है. इिीसिए हमने इिके प्​्मोशन के सिए भी अिग रणनीसत बनायी. यह िच है सक मै्ने सपछिी सिल्मो् की तरह इि सिल्म के सिए आक्​्ामक सकस्म का प्​्चार नही्सकया. आप अपने आपको सकि सकस्म का असभनेता मानते है्? मै् डायरेक्टर का एक्टर हूं. अगर मुझे यश चोपड्ा, आसदत्य चोपड्ा, करण जौहर, िराह खान और अजीज समज्ाय जैिे डायरेक्टर नही् समिते. तो मै् इतना आगे नही् बढ् पाता. िच कहूं, तो मै् अपने आपको एक औित असभनेता ही मानता हूं. िेसकन मै्बहुत ज्यादा मेहनती हूं. मुझे पता है सक हाड्वय क्फके जसरये अपनी खासमयो् को दूर कर िकता हूं. मै् नये तरह के सकरदारो् के सिए हमेशा ही उत्िासहत रहता हूं. आगे भी मै् गौरी सशंदे और आनंद एि राय की सिल्मो्मे्भी

एकदम अिग अंदाज के सकरदार कर रहा हूं. िैन को यूए िस्टिसिकेट समिा है. इिका मतिब यह हुआ सक बच्​्े आपकी सिल्म नही् देख िकते है्. आपको तो पता ही है सक बच्​्ो् मे् आपकी जबद्स द ् िैन िॉिोसवंग है. आपका क्या कहना है? अि​ि मे् इि बात का मुझे भी मिाि है. िेसकन यह भी िच है सक इि सिल्म की कहानी ही कुछ ऐिी है. बच्​्ो् के सिए मै् आगे कोई अच्छी िी सिल्म जर्र करं्गा. इि सिल्म मे् आपिी बोिचाि के सिए सदल्िी वािा िहजा इस्​्ेमाि हुआ है. आप और सनद्श ्े क मनीष शम्ाद दोनो् ही सदल्िी के है्. क्या इिीसिए यह िंभव हो पाया? वालुस्चा मडसूजा: मवज्​्ापन से मफल्मो् मे्

‘मदलवाले’ मे् काजोल और शाहर्ख: पुरानी जोि्ी हां, अगर सिल्म मे्आय्यन और गौरव दोनो् ही सदल्िी के नही् सदखाये गये होते. तो सदल्िी वािे िहजे की जर्रत ही नही् पड्ती. िेसकन मुझे इि सिल्म की शूसटंग करते हुए बहुत मजा आया. पुरानी यादे् ताजा हो गयी्. मुझे मुंबई मे् पच्​्ीि िाि िे ज्यादा हो गये है.् इिसिये सदल्िी के िहजे को थोड्ा भूि भी गया था. इि सिल्म ने मुझे सदल्िी की बोिी की अच्छी तरह याद सदिा दी. मनीष शम्ाद के सनद्​्ेशन के बारे मे् क्या कहेग् ? े आपने िैन की स्स्िप्ट पिंद आने के बावजूद उनके िाथ काम करने मे् कािी वक्त िगा सदया? मनीि बहुत प्​्सतभावान सनद्​्ेशक है्. उनके खाते मे् बै्ड बाजा बारात, रॉकी वि्​्ेि सरकी बहि और शुद् देिी रोमांि जैिी सिल्मे् है्. उन्हो्ने मुझे बताया सक वे िैन बनाने ही मुंबई आये थे. िेसकन अपना िपना पूरा करने मे्उन्हे् आठ-नौ िाि िग गये. सनस्​्ित र्प िे वे कािी धैय्यवान व्यब्कत है्. यह इत्​्ेिाक ही है सक अच्छी स्स्कप्ट होने के बावजूद मुझे िैन मे्काम करने मे् कािी वक्त िग गया. दरअि​ि यह सिल्म जब भी मुझे ऑिर हुई. मेरे पाि िमय की कािी कमी थी. िच कहूं, तो िमय की कमी की वजह िे ही कई अच्छी सिल्मे् मेरे हाथ िे छूटती रही है्. इि सिल्म के जसरये आप एक नयी हीरोइन विुस्चा सडिूजा का पसरचय बॉिीवुड िे करवाने जा रहे है्? हां, इि सिल्म के जसरये विुस्चा की बॉिीवुड मे्एंट्ी हो रही है. वे गोवा की रहनेवािी है्. अब देखने वािी बात होगी सक वे बॉिीवुड मे् सकतना आगे बढ्पाती है्. वैिे, मेरी हर हीरोइन ने बॉिीवुड मे् नाम कमाया है. कई िोग मुझे हीरोइनो् के मामिे मे् िबिे बड्ा पारखी मानते है्. हािांसक मै्इतना योग्य नही्हूं. n शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016 49


अंितम पन्ना नीलाभ गमशं​ं

आपातकाल की आहट

इमरजे्सी की आहट गंभीरता से न लेना इस देश के लोकतंत्को उन्नीस माह तक महंगा पडा था. इस बार लोकतंत्के साथ देश के ताने-बाने को भी महंगा पड सकता है.

हा

ि ही मे्सफ़ल्म और टेिीसवजन िंस्थान, पुणे, आईआईटी, मद्​्ाि, हैदराबाद के्द्ीय सवश्​्सवद्​्ािय और जवाहरिाि नेहर् सवश्​्सवद्​्ािय, सदल्िी मे् अपना मत असभव्यक्त करते या उिके सिए शांसतपूव्यक आंदोिन करने पर जो सनष्कािन, सगरफ्तारी और राजद्​्ोह के मुकदमे जैिी दमनात्मक कार्वय ाई झेिनी पडी, उि​िे िोकतांस्तक आजादी और मौसिक असधकारो्पर 1975-77 के आपातकाि जैिे हमिे की याद कई िोगो्के जेहन मे्ताजा हो गयी. इिके पहिे ग्​्ीनपीि की स्​्पया सपल्िै को स्​्बसटश िांिदो्के िमक्​्उनके देश स्​्बटेन मे्पंजीकृत कंपनी वेदांत की भारत मे् पय्ायवरण सवरोधी और सवस्थापनकारी खनन काय्यवासहयो् की सरपोट्य रखने जाने िे रोका गया था और गुजरात दंगो् के कई मुक़दमे ि​ि​िता िे िडने वािी तीस्​्ा िेतिवाड और इंसदरा जयसिंह को सवदेशी मुद्ा प्​्बंधन असधसनयम के तहत मामिे गढ कर उत्पीसडत सकया गया. इिसिए अनेक िोगो्की स्मृसत मे्आपातकाि की तानाशाही का सजंदा हो उठना आि्​्य्यजनक नही्. िेसकन इसतहािकार रामचंद्गुहा इि​िे िहमत नही्थे. उन्हो्ने कहा सक आपातकाि की तरह अभी मीसडया पर िे्िरसशप नही्िगाई गयी है. न ही आपातकाि की कानूनी असधिूचना जारी की गयी है.सवरोधी दिो्के नेताओ्और काय्क य त्ाओ य ्की िामूसहक सगरफ्तासरयां भी नही्हुई है.् न उनके िभा-जुिूिो् पर व्यापक पाबंदी है. जीवन और स्वतंत्ता के असधकार भी सनिंसबत नही् सकये गये है्सक उनके सिए कोई अदाित भी न जा िके. यहां गुहा िाहब और पाठको् िे एक बात कहनी जर्री है: इमरजे्िी की याद ताजा होने का मतिब यह नही् है सक इमरजे्िी क़ानूनन िगा दी गयी है. िेसकन यह है सक िोकतंत् के सिए वैिी ही अपशकुनी आहट िुनाई दे रही है जैिी इंसदरा गांधी के अंदर्नी आपातकाि के पहिे 1974-75 मे्िुनाई पड रही थी. याद कीसजए सक बांग्िादेश युद् के वक्त 1971मे् िगाई गयी बाहरी आक्​्मण िे सनपटने वािी इमरजे्िी के जारी रहने का हवािा देकर जयप्​्काश नारायण तानाशाही के खतरे को आिन्न बताकर आगाह करते थे. और अंदर्नी आपातकाि आ ही गया. पर अब जो िोकतंत् सवरोधी आहट िुनाई पड रही है, वह आपातकाि िे ज्यादा कुसटि और खौिनाक हो िकती है. मुझे अभी के र्झान को पसरभासित करने वािी एक मीसडयाछसव याद आ रही है. सगरफ्तारी के बाद जेएनयू छात्​्िंघ अध्यक्​्कन्हैया कुमार की पसटयािा हाउि कोट्यमे्पेशी के वक्त उनकी और पत्​्कारो्की वकीि कहिाने वािे गुंडो् के हाथो् सपटाई के बाद एबीपी न्यूज की एक 50 शुक्वार | 16 िे 30 अप्​्ैि 2016

सरपोट्यर इन कािी करतूतवािे कोटधासरयो्िे माइक के िाथ मुखासतब है. वह िवाि पूछ रही है, िेसकन उिे पहिे ‘भारत माता की जय’ कहने को बाध्य सकया जा रहा है. वह सडगती नही्, िेसकन महाराष्​् मे् ‘जय सहंद’ कहने को राजी सवधायक विीम पठान को सवधान िभा िे सनिंसबत कर सदया जाता है. पूरे देश मे्ित्​्ार्ढ पाट्​्ी के िोग ‘भारत माता की जय’ न कहने वािे को देश िे सनकि जाने का ितवा जारी करते है्. फ़तवा देने वािो्मे्महाराष्​्के मुख्यमंत्ी भी है्. यानी आपको एक ही नारे िे िुर समिाना होगा. ‘जय सहंद’ या ‘जय भारत’ कहने िे काम नही्चिेगा. ईश्​्र के मौन नामजप की तरह मौन देशप्​्ेम िे काम नही्चिेगा. इमरजे्िी मे्बोिने का हक़ सछना था, चुप रहने का नही्. कई अखबारो् ने िे्िरसशप के सवरोध मे् िंपादकीय कॉिम खािी छोड कर िंपादकीय मौन िाधा तो उन्हे् दंसडत नही्सकया गया. सकिी को इमरजे्िी या इंसदरा गांधी या देश के जैकारे के सिए बाध्य नही्सकया गया. यह महज तानाशाही यानी सडक्टटे रसशप और िव्ि य त्​्ावाद यासन टोटसिटेसरयसनज्म का अंतर है. इिसिए तानाशाही इमरजे्िी सि​ि्फ आपकी राजनीसत मे्झांकती थी, सहंदतु व् वादी फ़ािीवादी र्झान आपके धम्,य आपकी उपािना, आपके खानपान (रिोई मे्गोमांि तो नही्है), आपके पहनावे और आपके प्​्ेम तक पर पहरा देता है और इनके मनमासिक न होने पर हत्या तक कर िकता है. एक बात और: इमरजे्िी की तानाशाही ने सवरोसधयो्के सिए मीिा और डी आई ए जैिे क़ानूनो्और प्​्शािन का ही िहारा सिया था. व्​्त्यमान िव्यित्​्ावादी र्झान राजद्​्ोह और यूएपीए जैिे अत्याचारी क़ानूनो् के अिावा दमन के सिए भीड को भडकाता है. वह फ़ज्यी मुक़दमे कई अदाितो् मे् डाि कर िंबी कानूनी प्​्स्कया के जसरये यातना देता है, भिे ही आप अंततः छूट जाये. यह र्झान िे्िरसशप की बजाय मीसडया और िोशि मीसडया के शोर का दुष्प्चार के सिए इस्​्ेमाि पर ज्यादा भरोिा करता है. इि बहाने सवरोसधयो्को वह बदनाम करके खत्म करता या उन्हे् स्वतः िे्िर कराता है. इमरजे्िी की आहट गंभीरता िे न िेना इि देश के िोकतंत्को 19 माह तक महंगा पडा था. इि बार िोकतंत् के िाथ देश के ताने-बाने को भी महंगा पड िकता है. इंसदरा गांधी का सववेक आसखर जग गया और तानाशाही की राह िे िौट आयी्. अच्छा होगा सक ज्यादा नुकिान के पहिे मोहन भागवत और नरे्द्मोदी का सववेक जग जाये और n जो खौफ़नाक आहट हम िुन रहे है्, वह दूर हट जाये. (िेखक वसरष्​्पत्​्कार और सहंदी ‘आउटिुक’ के पूव्यिंपादक है्.)




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