वर्ष 9 अंक 12 n 16-30 जून 2016 n ~ 20
ं संकट में कांगेस
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वर्ष9 अंक 12 n 16 से 30 जून 2016 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प््काशक क््मता सिंह प््बंध िंपादक आशुतोष सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल राजनीसतक िंपादक सववेक िक्िेना फोटो िंपादक पवन कुमार िंपादकीय िहयोगी
िसवता वम्ाा अंजना सिंह िुनीता शाही (लखनऊ) अिनल चौबे (रायपुर) पूजा ििंह (भोपाल) अिवनाश ििंह (िदल्ली) अिनल अंशुमन (रांची) कुमार प््तीक नीरज कुमार समश््ा
कला
प््वीण अिभषेक
महाप््बंधक
एि के सिंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm.shukrawaar@gmail.com
आवरण कथा
6 | कांग्ेस: सूझे न कोई मंजि्ल
कांग्ेि सजतनी पुरानी और बड्ी पाट््ी है, उिका मौजूदा िंकट भी उतना ही बड्ा है. िगातार हार का िामना करती इि पाट््ी को अगिे िाि उत््र प््देश िमेत कई प््मुख राज्यो्के चुनावी मैदान मे्उतरना है, सजिके सिए उिके पाि कोई तैयारी नही्है.
20 | थोड्ा सच और ज््यादा झूठ
कैराना मे्सकराना घराने के रागो्की जगह निरत के गीत गाने का प््याि हो रहा है. इििे भाजपा के झूठ की पोि खुिी है, िेसकन वहां की जनता ने एकजुटता सदखाया.
28 | राम पथ पर खनन माफि्या
मध्य प््देश मे्राम के नाम पर राजनीसत करने वािी भाजपा की ही िरकार है, िेसकन िंरस््कत घोसित राम वन गमन पथ पर हो रहे अवैध खनन िे िरकार अनजान है.
िबजनेि हेड
शरद कुमार शुक्ला +91. 9651882222
ब््ांिडंग
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यती्द्कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024 yatendra.3984@gmail.com
सिज््ापन प््बंधक सजते्द्समश््
सिसध िलाहकार शुभांशु सिंह
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+91. 9971286429 सुयश मंजुल
िंपादकीय काय्ाालय
एमडी-10/503, िहारा ग््ेि, जानकीपुरम लखनऊ, उत््र प््देश-226021 टेलीफैक्ि : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com www.shukrawaar.com DELHIN/2008/24781 स्वत्वािधकारी, प्क ् ाशक और मुदक ् क्म् ता सिंह के सिए अमर उजािा पब्लिकेशि ं सिसमटेड, िी-21, 22, िेकट् र-59, नोएडा, उत्र् प्द् श े िे मुस्दत एवं दूिरी मंसजि, ल्ाी-146, हसरनगर आश्म् , नयी सदल्िी-110014 िे प्क ् ासशत. िंपादक : अंबरीश कुमार (पीआरल्ाी अिधसनयम के तहत िमाचारो्के चयन के ििए िजम्मेदार) िभी कानूनी िववादो्के ििए न्याय क््ेत्िदल्िी होगा.
30 | एकला चले जोगी
32 | मैले से मुक्तत के टै्कर
44 | कुछ जन्नत कुछ हक्ीक्त
48 | यह आफलया की उड्ान है
अजीत जोगी ने कांगि ्े को अिसवदा कह सदया और चुनौती भी दे दी सक अगिा सवधानिभा चुनाव बतायेगा कौन ताकतवर है. भाजपा और कांगि ्े को उन्हो्ने एक िाथ ििकारा है.
तीन दशक मे्कश्मीर मे्उिकी खूबिूरती िे िेकर कािी कुछ बदि गया है. अब आतंकवाद का वह दौर नही्है इिसिए िैिासनयो्की भीड् भी बढ्रही है.
सिंगि सपट वािे शौचाियो् की ििाई और गंदगी को डंप करने के सिए हनी िकि्डटैक ्र एक बेहतर सवकल्प के र्प मे् िामने आये है.्
िेि ् र बोड्डिे िड्ाई मे्‘उड्ता पंजाब’ को जीत हासिि हुई. सिल्म की हीरोईन आसिया के असभनय मे्भी यह एक नयी उड्ान है. शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
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आपकी डाक
वादे हवा हुए
जनता लेगी फहसाब
सवत्् मंत्ी अर्ण जेटिी अपने िाझात्कार मे् कहते है सक यूपीए िरकार के दि िाि के काय्क ड ाि मे्तत्कािीन प्ध ् ानमंत्ी डॉ मनमोहन सिंह को िैििे िेने का असधकार नही्था और उनके मंस्तयो्ने जमकर भ्ष ् ्ाचार सकया. जेटिी की यह बात तो कुछ हद तक िही है, िेसकन अब केद् ्िरकार के मौजुदा मंस्तयो्को भी अपने काय््ो्पर ज्यादा घ्यान देने की जर्रत है, क्योसक िाि 2019 जनता उनिे भी सहिाब िेगी. मनोज राय, गोरखपुर
नेहर् पर फनशाना त्यो्
क्या भारतीय िमाज के जननायक रहे नेहर्को खिनायक बनाकर, उनके सखिाप माहौि बनाना ठीक है. पंसडत नेहर्ने भी अपने िमय मे् तब के हािात के अनुिार पासकस््ान और चीन को बखूबी िंभािा था. नेहर् एक प््खर, कम्ठड और दृढ इच्छा शब्कत वािे वब्कत थे.नेहर्, िुभाि, राजेद् ्प्ि ् ाद, आजाद और आंबड े कर ये िभी सकिी भी भारतीय के सिए एक दि या गुट के नेता न होकर बब्लक हम िब के सिए प्र्े णा रहे है. अत: केद् ् िरकार को चासहए सक इनके सखिाि माहौि बनाने वािो पर कार्वड ाई करे न सक उनका िंरक्ण ् करे. पंसडत नेहर्कहते थे, ‘नागसरकता देश की िेवा मे् होती है. अत: हर देशवािी को यह याद होना चासहए. िोकतंत् िबिे अच्छा है, और अन्य प््णासियां इििे बदतर है. िंकट मे्हर छोटी िी बात का महत्व होता है. सवििता तभी होती है जब हम अपने आदश््ो,् उद्श्े य् ो्और सिद््ातं ो्को भूि जाते है.् एक महान काय्ड मे् िगन और कुशि पूव्डक काम करने पर भी, भिे ही उिे तुरतं पहचान न समिे, अंततः ििि जर्र होता है. वह व्यब्कत 4
शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
दो िाि, वही हाि केद् ्िरकार के कामकाज की िमीक््ा के हेतू अच्छी पहि है. पीएम मोदी ने आम चुनाव िे पहिे जनता िे जो वादे सकए थे. तब हर वग्ड के अंदर उत्िाह का िंचार था. हािांसक पीएम मेहनत तो बहुत कर रहे है िेसकन अभी भी सवकाि की रफ्तार कम है और िरकार को अपने काय््ो् मे् तेजी िाने की जर्रत है. जनता मंहगाई िे त्स ् ् है. रोजमर्ाड की चीजो्के दाम आिमान छू रहे थे. आम आदमी को िग रहा था सक उनके ित््ा मे्आने के बाद कमरतोड मंहगाई पर रोक िगेगी. पर अब तक ऐिा नही्
हो पाया है. दािो्िे िेकर िब्लजयां तक के दाम बढ्रहे है.् अब कच््ेतेि के दाम तब की तुिना मे् आधे रह गये है्. मगर इिका िाभ आम आदमी को नही्समिा. कािाधन वापि िाने का वादा सकया था. ित््ा मे्आते ही तुरतं इिकी जांच के सिए एिआईटी गसठत की मगर एक भी डॉिर भारत नही्आया और तो और इि पैिे का पता तक नही्चि िका. इिके सवपरीत सवजय माल्या जैिे िोग देश के बैक ् ो को 9000 करोड का चूना िगाकर बडे आराम िे देश छोड कर सनकि गया. लता जैन, जयपुर
सजिे वो िब समि जाता है जो वो चाहता था, वह हमेशा शांसत और व्यवस्था के पक््मे्होता है.
की सदशा मे्ज्यादा ध्यान दे. सकिी भी स्नो िाइन और सहमनदो् के आि-पाि िे गुजरने वािो् रास््ो्पर चिने वािी डीजि गास्डयो्के धुएं िे प्द् सू ित हो रहे है.् अत: िरकार और नेशनि ग््ीन स््िल्यूनि को इि सदशा मे् गंभीर प््याि करने चासहए.
ह्द् य शंकर ममश्,् पटना
फगरता जनाधार
यह बात िच है सक अपने सगरते जनाधार को अगर माकपा बंगाि मे्रोक नही्पाई तो सनकट भसवष्य मे्वामपंथ को अपने वजूद के िाथ ही जूझना होगा. माकपा के सिए यह सचंता का सविय है सक वाम-कांगि ्े गठजोड्के मुखय् मंत्ी पद के उम्मीदवार और माकपा के प्द् श े िसचव िूय्डकांत समश्् खुद ही अपनी िीट बचाने मे् नाकाम रहे है.् इििे आम िोगो्की इि गठजोड् के प््सत नाराजगी झिकती है. हािात को देख ऐिा िगता है सक बंगाि मे् आने वािा िमय माकपा के सिए और भी कसठन होने वािा है. मिधान दास, हुगली
कामयाबी के बाद त्या
पूव्ोत््र राज्य अिम मे् भाजपा की कामयाबी सनस््ित र्प िे बड्ी है. केिसरया पाट््ी को पहिी बार पूव्ोत््र भारत के िबिे बड्ेराज्य मे् िरकार बनाने का मौका समिा है. अिम मे् भाजपा का भारी बहुमत के िाथ ित््ा मे्आना कई सिहाज िे अहम है. यहां की जनता कई िािो् िे मूिभूत मूिभूत िुसवधाओ् जैिे रेि, िड्क, सशक््ा और स्वास्थ्य िेवाओ्िे दूर थी. अब अिम की जनता चाहती है सक इि सदशा मे्प््देश की भाजपा िरकार तेजी िे काम करे. प्म ् थेश बर्आ, तेजपुर
कैसे बचंे फहमनद
रोहतांग पाि एक रास््ा है या और स्नो िाइन, िरकार के सिए इििे भी ज्यादा जर्री है सक वह पहाड्ो, नसदयो् और सहमनदो् को नष््होने
सोम दत शम्ा,ा मशमला
संघर्ष और दुख
भारतीय सिल्म एंव टेिीसवजन िंस्थान पुणे, हैदराबाद सवश्स्वद््ािय, जेएनयू और जादवपूर सवश्स्वद््ािय के बाद जीएिटीआई मे्छात््ो् द््ारा सकया गया आंदोिन सनस््ित ही सचंता का सविय है. इि बात िे दुख हुआ सक जीएिटीआई छात््ो् द््ारा की िही मांग पर भी सकि तरह िे कन्ाडटक िरकार बेपरवाह है. जीएिटीआई को भी भारतीय सिल्म एंव टेिीसवजन िंस्थान पुणे की तज्ड पर सवकिीत करने की छात््ो् के मांग पर िरकार को ध्यान देना चासहए. एम एस कुमार, बेग ् लुर्
पाठको् से फनवेदन
शुक्वार मे्प््कािशत सरपोट््ो्और रचनाओ्पर पाठको्की प््सतसक््या का स्वागत है़ आप अपने पत््नीचे िदए गए पते पर या ई-मेि िे भेज िकते है् एमडी-10/503, िहारा ग््ेि, जानकीपुरम, िखनऊ उत््र प््देश-226021 टेिीिैक्ि : +91.522.2735504 ईमेि : shukrawaardelhi@gmail.com
ववशेष संपादकीय
कैराना से फकरफकरी उ
मंगलेश डबराल
उप््के मतदाताओ्पर समाजवादी पार््ी और बहुजन समाज पार््ी की पकड़ इतनी मज़बूत है कक भाजपा को ऐसा कोई मुद्ा नही्कमल पा रहा है जो उसे तीसरे दज््ेकी हैकसयत से उठाकर पहले या किर दूसरे स्थान तक ले जा सके.
त्र् प्द् श े मे्जैि– े जैिे सवधान िभा चुनाव की घसडयां सनकट आ रही है्, के्द् मे् ित््ाधारी भारतीय जनता पाट््ी की बेचैनी और परेशानी बढ रही है. अिम के चुनावो्मे्समिी जीत के बाद उिका आत्म-सवश््ाि कुछ बढ्ा हुआ ज़र्र है, िेसकन उिे यह भी अच्छी तरह पता है सक उत््र प््देश अिम जैिा आिान नही् है जहां ‘भीतरी’ और ‘बाहरी’ मतदाता का सवभाजन करके भावनाएं भडकाई जा िके्. उप्् एक जसटि िंरचना वािा िमाज है जहां का आम मतदाता राजनीसतक र्प िे कही्असधक िजगता िे काम िेता है. इि राज्य मे् भाजपा अगर डेढ्दशक िे ित््ा िे बाहर है तो इिकी वजहे्एक िजग िमाज मे्ही है्. भाजपा की इिाहाबाद मे् हुई राष््ीय काय्डकासरणी की बैठक मे्िबिे बडी सचंता यही थी की उप््मे्कैिे ित््ा हसथयाई जाये. वैिे पाट््ी का यह तयशुदा एजे्डा है सक एक तरि प््धानमंत्ी नरे्द् मोदी जनता को सवकाि के िल्जबाग सदखाये्गे और दूिरी तरि पाट््ी के अध्यक््असमत शाह वोटो्के ध््ुवीकरण के सिए िांपद् ासयकता, अल्पिंखय् को्के सखिाि तरहतरह की मोच््ेबंदी और सवभाजनकारी तत्वो्को हवा देने का काम करे्गे. िेसकन उत््र प््देश के िंदभ्ड मे् ध््ुवीकरण थोड्ा टेढ्ी खीर है क्यो्सक वहां दोनो्िमुदायो्के बीच गंभीर सववाद नही्है् और मोदी के सवकाि एजे्डे की िहर िगातार उतरती जा रही है. यही वजह है सक पाट््ी बैठक िे ठीक पहिे भाजपा के एक िंिद िदस्य हुकुम सिंह ने शामिी सजिे के कैराना कस्बे िे सहंदुओ् के पिायन को सनहायत मनगढंत तरीके िे पेश सकया और उनकी िंख्या भी 364 बता डािी. देखते ही देखते एक सपछडा हुआ मुबस् िम-बहुि कस्बा एक भीिण राजनीसतक जगह मे् बदि गया और वोट बैक ् बढ्ाने और राज्य िरकार को घेरने की कोसशशे्तेज़ हो गयी्. तमाम जांच के बाद अंततः यही िासबत हुआ सक कोई भी सहंदू िांप्दासयक वजहो्िे कैराना छोडकर नही्गया है. िूची मे्शासमि िोगो्मे्िे कई वि््ो्पहिे चिे गये थे, कुछ की मृत्यु हो गयी है और कुछ अब भी वही् है्. इनमे् िे कुछ िोग धमकी या सिरौती जैिे कारणो्िे गये है्, िेसकन वह कोई िांप्दासयक नही्, बब्लक उि इिाके मे् िस््कय एक ऐिे मासिया गै्ग िे जुडा हुआ मििा है सजिमे्कुछ सहंदू और कुछ मुििमान दोनो्ही
िस््कय है्. यही नही्, जांच मे् यह भी िासबत हुआ सक कैराना िे पिायन करने वािो्मे्कुछ मुििमान पसरवार भी है्. पोि-पट््ी खुिने पर भाजपा ने पै्तरा बदिा और इिे कानूनव्यवस्था की िमस्या बताया जाने िगा. प््चार, अिवाह और सवतंडा खडा करने मे् िगभग महारत हासिि कर चुकी इि पाट््ी की मंशा भी यही थी सक कैराना पिायन भिे ही िच््ाई िे दूर हो, िमाचार माध्यमो् मे् उिका शोर एक अनुकूि महौि बनाने मे्मददगार होगा. कैराना मे् सकरसकरी होने के बाद अब भाजपा सखसियाकर खंभा नोचने की किरत कर रही है. उिके नेता राज्य के मुब्सिम बहुिंख्या वािे इिाको्िे सहंिा, अपहरण और पिायन के ‘सशकार’ सहंदुओ् की िूसचयां जारी कर रहे है्. उन्हे् शायद यह उम्मीद है सक अगिे िाि चुनाव आते-आते यह एक बडा मििा बन जायेगा और वे सहंदू वोटो्को अपने पक््मे्कर िे्गे. उिकी सववशता यह है सक मोदी के तथाकसथत ‘सवकाि एजे्डे’ और कई कानूनी अड्चनो् के कारण वह अयोध्या मे् राम मंसदर का मििा नही्उठा िकती हािांसक वह गुपचुप ढंग िे अपने वैध-अवैध िंगठनो्को, सजन्हे्वह ‘हासशये के तत्व’ कहती आयी है, यह मुद्ा जबतब उछािने की छूट दे िकती है. भाजपा की दूिरी अडचन यह है सक उप््के मतदाताओ्पर िमाजवादी पाट््ी और बहुजन िमाज पाट््ी की पकड इतनी मज़बूत है सक उिे ऐिा कोई प््त्यक्् मुद्ा नही् समि पा रहा है जो उिे सवधानिभा मे्तीिरे दज््ेकी मौजूदा हैसियत िे उठाकर पहिे या सिर दूिरे स्थान तक िे जा िके. कुि समिाकर सहंदू और मुब्सिम ही वह युगम् है सजिे दो सवरोधी ध्व्ु ो्मे्बदिकर भाजपा की सवभाजनकारी राजनीसत थोड्ा-बहुत कुछ पाने की उम्मीद कर िकती है. यह भी िाफ़ है सक उिे इिकी कोई सचंता नही् है सक ऐिे ध््ुवीकरणो् की सवनाशकारी प््स्कया िमाज के बहुितावादी स्वर्प और उि पर सटके िोकतंत् का सकतना नुकिान कर चुकी है और आगे भी करेगी. ऐिे मे् सवसभन्न राजनीसतक दिो् और सवश्िेिको्की यह आशंका सनराधार नही्मानी जा िकती सक आनेवािे सदनो्मे्उत््र प््देश मे् िामासजक ताने-बाने को तोडने वािी कई तरह की उथि-पुथि देखने को समि िकती है सजि पर भाजपा अपनी सियािी रोटी िे्केगी. n mangalesh.dabral@gmail.com शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
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आवरण मास्ट हेकथा ड
सोमनया गांधी और राहुल गांधी: हताशा का उत््रामधकार
कांग्ेस: सूझे न कोई मंमि्ल 6
शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
कांग्ेस कजतनी पुरानी और बड़्ी पार््ी है, उसका मौजूदा संकर भी उतना ही बड़्ा है. सक््म नेतृत्व और मजबूत संगठन के अभाव मे्लगातार हार का सामना करती इस पार््ी को अगले साल उत््र प््देश समेत कई प््मुख राज्यो्के चुनावी मैदान मे् उतरना है, कजसके कलए उसके पास कोई तैयारी नही्है.
वववेक सक्सने ा
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मारे देश के इसतहाि की िबिे बडी पाट््ी कांगि्े आज िबिे बडे िंकट और चुनौसतयो् के दौर िे गुजर रही है. आजादी के इसतहाि मे् पहिी बार उिे बुरे सदन देखने पड रहे है्सक 131 िाि पुरानी पाट््ी होने के बावजूद आज िोकिभा मे्उिके मात््44 िांिद है.् वह मुखय् सवपक््ी दि होने का िम्मान तो खो चुकी है, हाि के पांच राज्य िभा चुनावो् के बाद देश की महज िात िीिद जनिंखय् ा ही पाट््ी शासित राज्यो् मे् रह रही है. यह बात अिग है सक खुद को गितिहमी मे्रखने के सिए अगर कांगि ्े सबहार को जोड िे (जहां वह गठबंधन िरकार की िबिे छोटी िहयोगी है) तो यह आंकडा 15 िीिदी तक बढ जाता है. कांगि ्े की दुगसड्त का सििसििा मई 2014
मौजूदा गांधी पमरिार: जब अच्छे मदन थे मे्ही शुर्हो गया था जब उिे िबिे बुरी हार का िामना करना पडा. मई 2014 मे् पाट््ी की 11 राज्यो्मे्िरकारे्थी्. इनमे्िे दो मे्वह गठबंधन िरकार मे् शासमि थी. अब पाट््ी महज िात राज्यो् मे् ित््ा मे् है. अगर इनमे् िे सबहार को सनकाि दे्तो न सिि्फउत्र् भारत बब्लक सहंदीभािी राज्यो् िे भी उिका िूपडा िाि होता नजर आयेगा. अिम और केरि मे्ित््ा िे बाहर होने के बाद अब कन्ाटड क ही एकमात्् ऐिा राज्य बचता है सजिकी राजनीसतक और सवत््ीय दृस्ष िे अहसमयत है, बाकी िारे राज्यो्की राजनीसतक हैसियत नगण्य ही कही जायेगी. इिसिए पाट््ी को मजबूत बनाने के सिए जहां एक ओर राहुि गांधी को अध्यक््बनाये जाने की मांग उठने िगी है तो वही्क्त् प् उन्हे्आंखे्सदखा रहे है.् राज्यो्मे्पाट््ी नेता बगावत पर उतर आये है.् हाि ही मे्जहां गुरद् ाि कामत ने पाट््ी छोडने का एिान सकया
वही् छत््ीिगढ मे् अजीत जोगी ने खुद पाट््ी छोडकर अपनी अिग पाट््ी बनाने की घोिणा कर दी. िाि 2014 के िोकिभा चुनाव की करारी हार की िमीक््ा के बाद जो बदिाव सकए जाने की उम्मीद थी, वे अभी तक होते नजर नही्आ रहे है् और पाट््ी नेताओ्िे िेकर आम काय्क ड त्ाओ ड ्तक मे्और बैचने ी बढती जा रही है. कांगि ्े के एक महािसचव का कहना है सक अगर खूटं ा मजबूत नही्होगा तो पशु उिे उखाड कर कही् और चिे जायेग् .े अगर सदल्िी का शािक कमजोर हुआ तो क्त् प् खुद को राजा घोसित कर देग् .े आज कांगि ्े मे्यही िब हो रहा है और इिकी कीमत पाट््ी को चुकानी पड रही है. इिके सिए एक िीमा तक खुद हाईकमान सजम्मदे ार है. अिम मे्भाजपा की जीत मे्कांगि ्े की अहम भूसमका रही. पाट््ी नेताओ्का मानना है सक वहां एक बडा वग्डयह मांग करता आया था सक तर्ण गोगोई को हटा सदया जाना चासहए. उनके नेततृ व् मे्पाट््ी चुनाव नही्जीत पायेगी. वे डेढ दशक िे ित््ा मे् है.् राज्य मे् ित््ासवरोधी र्झान है. उनका िारा जोर अपने बेटे को स्थासपत करने मे्िगा हुआ है. राज्य के अिंतष ु ्हेमतं सबस्व िरमा िरीखे कांगि ्े ी नेता सदल्िी मे्राहुि गांधी िे मुिाकात के सिए प्त् ीक््ा करते रहे. उन्हे्बैरगं िौटना पडा और पसरणाम िामने आ गया. अर्णाचि प्द् श े मे्यही हुआ. वहां की अनदेखी की वजह िे पाट््ी ने ित््ा खोयी और अब मेघािय मे्प्द् श े अध्यक्् डीडी िपांग मुखय् मंत्ी मुकि ु िंगमा के सखिाि मोच्ाड खोि चुके है.् अभी चुनाव के पहिे पाट््ी छोडने का जो सििसििा शुर् हुआ था वह बदस्र्ू जारी है. पहिे हसरयाणा मे् बीरेद् ् सिंह, तसमिनाडु मे् जीके वािन, जयंती नटराजन, आंधप् द् श े मे्बीित्य नारायण, डी श््ीसनवािन ने पाट््ी छोडी और सिर अर्णाचि प्द् श े और उत्र् ाखंड मे नेता तो अपने िाथ सवधायक भी िे गये. उत्र् प्द् श े मे्बेनीप्ि ् ाद वम्ाड तो छत््ीिगढ मे्अजीत जोगी ने अिग राह थामी. महज िाि भर के अंदर सजन राज्यो्मे्पाट््ी को चुनाव का िामना करना पडेगा, उनमे्िबिे ऊपर पंजाब है. वहां कैपट् न अमरेद् ्सिंह को िख्त नापिंद करने के बावजूद राहुि गांधी को उनके िामने िमप्ण ड करना पड गया. न चाहते हुए पाट््ी को उनके नेततृ व् मे्चुनाव मे्जाना पड रहा है जहां 10 िाि िे अकािी-भाजपा गठबंधन की िरकार होने के बावजूद उन्हे्कांगि ्े चुनौती देती नजर आ रही है. अभी तक जो खबरे् आयी है,् उनके मुतासबक, अकासियो्का मुकाबिा तो आप िे होने जा रहा है और तो और ‘उडता पंजाब’ सिल्म के सववाद मे्कांगि ्े कही्भी सवरोध करती नजर नही्आयी. जब सिल्म मे्हुई कांट-छांट के सवरोध मे्सिल्मी हस््सयो्ने प्ि ्े काॅनफेि ् की तो उिके पांच समनट के अंदर ही आम आदमी पाट््ी उनके िमथ्नड मे् शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
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आवरण मास्ट हेकथा ड उतर आयी, पर कांगि ्े चुपप् ी िाधे रही. मािूम हो सक राज्य मे् नशीिी दवाओ् का मामिा िबिे पहिे राहुि गांधी ने ही उठाया था. अब जब उि पर सिल्म बनी तो पाट््ी खामोश है. जहां एक पक्् भाजपा और अकािी बन गया तो दूिरा पक्् सिल्मी हस््सयो् और आप पाट््ी का, िेसकन कांगि ्े कही् खडी नजर नही् आ रही है. यह सवधानिभा चुनाव मे् बनने वािा बहुत िंवदेनशीि मुद्ा है. महाराष्् के गुरद् ाि कामत िरीखे वसरष्् नेता का इस््ीिा देना दि की अंदर्नी ब्सथसत को दश्ातड ा है. वे कुछ िाि पहिे सशविेना िे पाट््ी मे् आये िंजय सनर्पम को अहसमयत देने और उन्हे्मुबं ई क्त्े ्ीय कांगि ्े अध्यक््बनाये जाने िे दुखी चिे आ रहे थे. अब िुशीि कुमार सशंद,े सविाि मुतम् वार, अशोक चव्हाण, सशवराज पासटि िरीखे वसरष््नेताओ्को अहसमयत देने की बात की जा रही है. इिी तरह दो बार िगातार चुनाव हारने वािे पूवड्सशविैसनक नारायण राव को सवधान पसरिद मे् भेजे जाने िे वहां के कांगस्ेियो्मे्नाराजगी है. उत्र् प्द् श े मे्अगिे िाि सवधानिभा चुनाव होने वािे है.् वहां कांगि ्े की ब्सथसत क्त्े ्ीय दिो् िे भी बदतर है. उत्र् प्द् श े कभी कांगि ्े का गढ हुआ करता था वहां पाट््ी अस््सत्व की िडाई िड रही है. उिे जीत सदिवाने वािा ब््ाह्मण, मुबस् िम, दसित का वोट बैक ् बुरी तरह िे सबखर चुका है. हाि के पांच सवधानिभा चुनावो् मे् केरि और अिम गंवाने के बाद कांगि ्े भिे ही पुडच ु रे ी मे्िरकार बना िेने पर खुश हो, पर वह तो िोकिभा मे्मात््एक िांिद भेजने वािा छोटा िा केद् ्शासित प्द् श े है.् िे-देकर सिि्फकन्ाटड क ही दस््कण भारत ही नही्, देश का एकमात््ऐिा बडा राज्य कहा जा िकता है जहां कांगि ्े की िरकार है. वहां मुखय् मंत्ी सिद्र् मैया के सखिाि पाट््ी मे्अिंतोि पनप रहा है. िारी सजंदगी जनता पसरवार मे्सबताने के बाद वे कांगि ्े मे्तब आये थे जब उन्हे्यह पूरा सवश््ाि हो गया सक एचडी देवगौडा पुत-् मोह के
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शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
चिते उन्हे् राजनीसत मे् आगे नही् बढने देग् .े मे्चुनौती देने की बाते्की जा रही है, पर अपने मुखय् मंत्ी हर सदन सकिी न सकिी गित कारण िे नेताओ्को कारण बताओ्नोसटि तक जारी करने चच्ाड मे्बने रहते है.् िरकार और पाट््ी अििी की सहम्मत नही्. राज्य के कांगि ्े बडे मजे िे कह और नकिी कांगस्ेियो् मे् बंट चुकी है. कभी रहे है्सक अब हाईकमान कहां रहा, यह तो िोमुखय् मंत्ी की बेशकीमती घडी के कारण वे कमान है. अब कोई नेता व्यापक िज्रड ी की बात िुसख ् यड ो्मे्आते है्तो कभी कानून व्यवस्था की कर रहा है तो कोई राहुि गांधी को अध्यक््पद सबगडती हाित के कारण खबर बनती है. पुसिि िौ्पने के सिए दबाव बना रहा है. ित्यव्त् चतुवद्े ी अििर अनुपमा सशनाय के गायब होने की खबर िरीखे वसरष््नेता कहने िगे है्सक हमे्िगता िे िरकार की जमकर िजीहत हुई. मुखय् मंत्ी की था सक 2014 के चुनाव पसरणामो् की िमीक््ा छसव एक उदािीन प्श ् ािक की बन चुकी है. यह करने के बाद जर्री कदम उठाये जायेग् .े पाट््ी मे् नही्भूिना चासहए सक 2013 मे्कांगि ्े के ित््ा पुनगड् ठन होगा. जर्री िैििे सिए जायेग् .े नेताओ् मे्आने की अििी वजह भाजपा िरकार पर िगे को सजम्मदे ारी तय की जायेगी पर अभी तक ऐिा भ्ष ् ्ाचार के आरोप और येद्ीयुरप्पा का बागी हो कुछ देखने को नही्समिा. जाना था. येद्ीयुरप्पा वापि भाजपा मे्िौट चुके अगिे दो िाि मे् उत्र् प्द् श े , उत्र् ाखंड, है्और मुखय् मंत्ी पद के उम्मीदवार है. पंजाब, मसणपुर, गोवा मे्चुनाव होने है.् अगर देश हाि ही मे्राज्यिभा चुनाव मे्हसरयाणा और के नक्शे पर नजर डािे्तो कांगि ्े की दुगसड्त िाि झारखंड मे्जो कुछ हुआ, उिने यह िासबत सकया नजर आ जाती है. िचमुच प्ध् ानमंत्ी नरेद् ्मोदी सक सकि तरह िे क्त् प् िीधे हाईकमान को न का ‘कांगि ्े -मुकत् भारत’ का नारा एक िच््ाई सिि्फचुनौती दे रहे है,् बब्लक उनके सनद्श ्े और बनता िगता है. स््तपुरा मे् अपने 10 मे् िे 6 आदेश की भी ऐिी-तैिी करने पर उतर आये है.् सवधायको्के तृणमुि कांगि ्े मे्शासमि हो जाने हसरयाणा मे्कांगि ्े िमस्थतड उम्मीदवार आर के के कारण वहां कांगि ्े मुखय् सवपक््ी दि की आनंद को सजि तरह िे वहां के कांगि ्े ी नेताओ् हैसियत गवां चुकी है. कांगि ्े अध्यक्् िोसनया ने हरवाया, वह अपने आप मे्एक समिाि है. पूवड् गांधी की तसबयत ठीक नही्है और राहुि गांधी मुखय् मत््ी भूपदे् ्सिंह हुड्ा हाईकमान द््ारा की जा की ताजपोशी भी मे्देरी हो रही है. पुराने आजमाये रही अपनी उपेक्ा िे खुश नही्थे. उन्होने पहिे हुए नेता अपने भसवष्य को िेकर िशंसकत है तो उन्हे्िमझाया सक हम िोग सजि इंसडयन नेशनि राहुि गांधी तक नये और युवा नेताओ्की पहुच ं िोकदि के सखिाि राजनीसत करते आये, उिके नही्है. कांगि्े मे्यह धारणा जोर पकडती जा रही उम्मीदवार को वोट देना उसचत नही् होगा. जब है सक अपने नेताओ् की जगह बाहरी िोगो् को हाईकमान ने सवधायक दि को उन्हे्वोट देने का ज्यादा तरजीह दी जा रही है. इनमे्आंध्प्द् श े के सनद्श ्े जारी सकया तो गजब का खेि खेिा गया. पूवड्आइएएि अििर के. राजू िे िेकर चुनावी कांगि ्े के 17 मे् िे 14 वोट अवैध घोसित कर रणनीसतकार प्श ् ांत सकशोर तक शासमि है. यही सदये गये क्यो्सक रणदीप िुरजेवािा ने गिती िे हाित राज्यो् और िंगठन की भी है. एि एम अपना बैिट पेपर सकरण चैधरी को सदखा सदया कृषण ् ा िे िेकर मब्लिकाज्नडु खडगे तक के िाख था, जबसक भूपदे् ्सिंह हुड्ा ने सकिी को वोट नही् िमझाने के बावजूद सिद्र् मैया मुखय् मंत्ी बने हुए सदया और बाकी मतपत््गित रंग की स्याही का है.् पूरी पाट््ी बेहद हताशा के दौर िे गुजर रही है. इस्म्े ाि करने के सिए रद््कर सदए गये. नेताओ् की िमझ मे् यह नही् आ रहा है सक अब पाट््ी मे्इतनी भी सहम्मत नही्है सक वे िोकिभा चुनाव के दो िाि बीत जाने के बाद भी इन िोगो् के सखिाि कार्वड ाई कर िके. िारा कोई िुधारात्मक कदम क्यो्नही्उठाया गया. हसरयाणा मे्राज्यिभा चुनाव के उिटिेर के दोि भाजपा िरकार पर मढा जा रहा है. अदाित पुराने नेताओ् से मनराशा: अजीत जोगी, तर्ण गगोई, कमलनाथ और भूपे्द् िसंह हुड्ा
पुराने नेताओ् का लौटना ज्र्री
कांग्ेस महासकचव कदग्ववजय कसंह से बातचीत के कुछ चुकनंदा अंश. भाजपा अध्यक्् और प््धानमंत्ी नरे्द् मोदी कांग्ेस-मुक्त भारत बनाने का एेलान कर चुके है्. ऐसे मे्पार््ी के सामने क्या विकल्प बचते है्? इिमे्कोई दो राय नही्हो िकती है सक इि िमय िांपद् ासयक ताकते्बहुत मजबूत है.् कांग्ेि तो क्या, कोई भी दि उनिे अकेिे नही् िड िकता है. ऐिे मे् हमारी कोसशश होनी चासहए सक उन िभी नेताओ् और दिो् की पाट््ी मे्वापिी करवायी जाये जो सकिी न सकिी कारण िे उिे छोड गये थे. ये दल कौन से है्? क्या उनका कांग्ेस मे् विलय होना चावहए? शरद पवार की राकापा, जगन मोहन रेड्ी की वाईएिआर कांग्ेि, ममता बनज््ी की तृणमूि कांग्ेि ऐिे दि है् जो सक कांग्ेिी मूि के है. इनके िाथ सविय के अिावा राजनीसतक िमझ की बात भी की जा िकती है. यह नही्भूिना चासहए सक केवि कांग्ेि ही िांप्दासयक ताकतो्िे िड िकती है. आपने कांग्ेस की सज्जरी की बात की है. क्या आपका इशारा राहुल गांधी की ओर है्? मै्ने कभी राहुि गांधी के नेतृत्व पर िवाि नही्उठाया. मै्वीपी सिंह नही् हूं. मेरा कहने का मतिब यह था सक हमने बहुत सचंतन, मंथन, आत्म-सनरीक््ण कर सिया. अब कार्डवाई करने और िैििे िेने का िमय आ चुका है. अगस््ा हेलीकाप्रर से लेकर राॅबर्जिड््ा के जमीन मामले मे् सरकार जो कर रही है, क्या उससे कांग्ेस के वलए वदक््ते्पैदा हो्गी? भाजपा हमेशा झूठ की बुसनयाद पर अपनी ित््ा की दीवार खडी करती है. पहिे राजीव गांधी को सनशाना बनाकर बदनाम सकया गया. अटि बाद राहुि-िोसनया गांधी ने चुनाव आयोग मे् अपीि करने का िैििा कर हकीकत की अनदेखी की है. पूवड्मुखय् मंत्ी भूसपंदरसिंह हुड्ा और उनके िाथी सवधायको्मे्हाईकमान िे दूर होने की जो अटकि है, उि पर गंभीरता िे सवचार होना था. इिसिए सक यसद भूसपंदर सिंह हुड्ा का मन उचटा हुआ है तो अहमद पटेि का भी होगा, जन्ादड न स््दवेदी िे िेकर अशोक गहिौत, गुरदाि कामथ आसद उन तमाम नेताओ्का भी होगा, जो मान रहे हो्गे सक राहुि गांधी के अध्यक््बनने के िाथ पुराने नेता,प्ब् धं क िब हासशये पर जायेग.े कांगि ्े मे्भी वही्होना है जो भाजपा मे्आडवाणी डॉ जोशी, शांताकुमार, यशवंत सिंह आसद का हुआ है. भाजपा मे्पसरवत्नड जीत और ित््ा के वैभव मे् हुआ. इिके ठीक सवपरीत, राहुि गांधी ऐिे वक्त अगिे तीन वि््ो्मे्चेहरे बदिेगे जब पाट््ी िुटी-सपटी है. ित््ा है नही्, न सचपकाने वािा
सबहारी वाजपेयी भी तीन बार िरकार बनने के बाद एक पैिे की भी गडबडी िासबत नही्कर पाये. अब सिर गांधी पसरवार को सनशाना बनाया जा रहा है. जनता िब िमझती है. उनिे हम अपने तरीके िे सनपटे्गे. कहा जाने लगा है वक आज पार््ी 44 पर आ गयी है, विर भी उस पर पवरिार हािी है. यह आरोप बहुत पुराना है. इंसदराजी के िमय मे्भी ऐिे ही आरोप िगा करते थे. हम कोई कंपनी नही् चिा रहे है्. हमे् अंततः जनता के पाि जाना पडता है और वही अपना िैििा करती है. क्या सकिी को जबरन िांिद या नेता बनाया जा िकता है? यह नही्भूिना चासहए सक यह वही पसरवार है सजिने पूरी पाट््ी को एकजुट रखा हुआ है. राहुल गांधी के अध्यक््बनने और संगठन मे्िेरबदल करने मे्इतनी देरी क्यो्हो रही है? ये िब मामिे पाट््ी तय करती है. जब िमय आ जायेगा तो िैििा कर सिया जायेगा. राहुि गांधी कब अध्यक्् बनेगे, यह िैििा कांग्ेि अध्यक््करे्गी. व््पयंका गांधी के सव््िय राजनीवत मे्आने की अरकलो्मे्वकतना दम है? उन पर कोई िैििा िादा नही्जा िकता है, वह खुद तय करे्गी सक उन्हे्क्या करना है. हेमंत वबस्ि सरमा से लेकर अजीत जोगी तक हाईकमान की उपेक्ा के कारण पार््ी छोड़ गये. आपकी प््वतव््िया? वे िभी अपनी सनजी िाििा और िािच के चिते कांग्ेि के बाहर गये. इििे हाईकमान का क्या िेना-देना?
िेसवकोि है और आदेश यह है सक हमारे नेता बघेि है,् न सक असजत जोगी. अशोक तंवर नेता है. भूसपंदर सिंह हुड्ा नही्. िसचन पायिट नेता है,् अशोक गहिौत नही्. सनर्पम नेता है गुरद् ाि नही्. ऐिे ही वीरभद्् सिंह, अमरेद् ् सिंह, हरीश रावत जैिो को भी िंदश े समिा हुआ है सक जब तक है्तब तक है्अन्यथा बहुत जल्द िंयाि है! पाट््ी के कुछ नेता राहुि की तुिना िखनऊ के अंसतम नवाब वासजद अिी शाह िे करने िगे है. उनका दावा है सक राहुि गांधी की बेसिक््ी और नािमझी की वजह उनके यही नवाबी तेवर है.् िवाि पूछा जा रहा है सक राहुि गांधी मे्ऐिी िमझ सकिने पैदा की है या ऐिे आइसडया कौन दे रहा है जो वे हार मे् भी जीत मानते है!् उन्हे िेफट् के िाथ एिांयि मे्अब भी िायदे िमझ आ रहे है् उन्हे् उत्र् प्द् श े मे् वोट ब््ाह्ण ् के चासहए, िेसकन वे वहां अपने ज््ानवान जयराम रमेश या के राजू की महसिि मे् मनुवाद का
जुमिा बोिते है.् िोचते है सक रोसहत वेमि ु ा की बात िे, जय भीम का नारा िगाने िे दसित मायावती िे टूट कर उनकी वाहवाही करने िगेग् .े वे कन्हयै ा को प्स्तमान बना कर और वामपंथी जुमिो्पर कांगि ्े के वोटो की खेती बूझते है.् जमीनी हकीकत कुछ है और वे उिके उिट िोचते है.् उनका मानना है सक हसरयाणा मे्जाट भूसपंदर सिंह हुड्ा िे नही्, बब्लक दसित अशोक तंवर, शैिजा िे कांगि ्े मे्दम िौटेगा. जब अच्छे सदन थे तब राहुि गांधी ने जो िोचा था उिी रोडमैप पर वे अब भी चि रहे है. मतिब पुरानो् की जगह हमउम्् चेहरो् को कमान देना. मध्यप्द् श े मे्ज्योसतरासदत्य, राजस्थान मे्िसचन पायिट, छतीिगढ मे्बघेि या महंत, हसरयाणा मे्अशोक तंवर, सदल्िी मे्अजय माकन, यूपी मे् सजसतन प्ि ् ाद, महाराष्् मे् समसिंद देवड्ा जैिे नौजवान चेहरो्, नौजवान प्व् क्ताओ् और यूथ कांगि ्े , एनएियूआई िे सनकिी टीम पर वे शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
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आवरण कथा
एक और गांधी की घर-वापसी?
कुछ वकरष््नेताओ्का मानना है कक अगर राहुल, क््पयंका और वर्ण एक हो जाते है्तो बहुत मदद कमलेगी.
उ
बैठक के दौरान वर्ण गांधी ने उन्हे् उत््र प््देश के त््रप््देश सवधानिभा चुनाव की उल्टी सगनती मुखय् मंत्ी पद का उम्मीदवार बनाये जाने की मांग वािे शुर्होते ही कांगि ्े मे्वर्ण गांधी को पाट््ी मे् पोस्टर भी िगाये थे. भाजपा के जो हािात है्उन्हे्उिे वापि िाकर उन्हे् मुखय् मंत्ी पद के उम्मीदवार के देखते हुए वर्ण गांधी की प्ध् ानमंत्ी तो क्या मंत्ी बनने र्प मे्प््ोजेकट् करने पर सवचार भी सकया जाने िगा तक की इच्छा पूरी होती नही् सदखती है. यह एक है. हािांसक वर्ण गांधी भाजपा मे्है्और उनिे इि सनस्ववड ाद ित्य है सक िोसनया गांधी अौर मेनका गांधी िंबंध मे् बात नही् की गयी है, पर पाट््ी के कुछ के िंबधं सकतने ही खराब क्यो्न हो, तीनो्भाई-बहनो् वसरष्् नेताओ् को पूरा भरोिा है सक उनकी घर के िंबधं बहुत अच्छे है.् सपछिी बार भी वर्ण गांधी ने वापिी हो िकती है. हाि के पांच राज्यो् के भाजपा हाईकमान को यह स्पष्् कर सदया था सक वे सवधानिभा चुनाव नतीजो्, झारखंड और हसरयाणा अपनी ताई या बडे भाई के सखिाि एक भी शल्द नही् मे्राज्यिभा चुनाव मे्हुई हाईकमान की दुगसड्त और कहेग् .े पाट््ी मे् तेजी िे उभर रहे अिंतोि को देखते हुए इिके पहिे भी उन्हे्कांगि ्े मे्आने के सिए राहुि कांगि ्े के कुछ वसरष््नेताओ्का मानना है सक अगर गांधी ने कहा था, पर अपनी मां के राजनीसतक भसवष्य इि िमय राहुि, स्प् यंका और वर्ण एक हो जाते है् तो पाट््ी को उबारने मे्बहुत मदद समिेगी. सििहाि िर्ण गांधी: जाऊं मक न जाऊं के मद््ेनजर उन्हो्ने यह प््स्ाव स्वीकार नही् सकया. उत््र प््देश मे् ब््ाह्मण मतदाता बहुत अहम भूसमका जो रणनीसत बतायी जा रही है, उिके मुतासबक राहुि गांधी पाट््ी अध्यक््बनेग् े और स््पयंका गांधी की देख-रेख मे्वर्ण गांधी को सनभाते है् जो कांग्ेि का पारंपसरक वोट रहा है. वर्ण की छसव भी एक ्े मुखय् मंत्ी पद के र्प मे्प्स ् त्ु करती उत्र् प्द् श े मे्मुखय् मंत्ी पद के उम्मीदवार के र्प मे्पेश सकया जाये. इिकी ब््ाह्मण नेता की है. अगर उन्हे्कांगि एक बड्ी वजह वर्ण गांधी मे्िंजय गांधी जैिा जुझार्पन और िडक की है और स््पयंका गांधी उनकी मदद करती है्तो वे राजनीसत मे्आये सबना ही िारे दिो्के राजनीसतक िमीकरण पिट कर रख देग् .े इििे काय्क ड त्ाओ ड ् िडायी िडने की कुवव् त बतायी जा रही है. ्े मे्जान िूक ं ने मे्बहुत मदद समिेगी. यह िच सकिी िे सछपा नही्है सक वर्ण गांधी को भाजपा िे जो अपेस्कत को भी कांगि - वििेक सक्सने ा था, वह उन्हे् नही् समिा. हाि ही मे् इिाहाबाद मे् पाट््ी की काय्क ड ासरणी कांगि ्े को िड्वायेग् .े अिम मे्सहमंता सबस्वा शरमा के कांगि ्े छोड्ने तभी राहुि गांधी की िेहत पर इि बात का पर भी िोचा होगा तो गुरदाि कामथ के इस््ीिा अिर नही् हुआ होगा सक अजीत जोगी ने नयी देने या आगे भूसपंदर सिंह हुड्ा के अिग पाट््ी पाट््ी बना िी. उन्होने और उनके िोगो्ने उिटे बनाने या झारखंड िे िे कर उत्र् ाखंड, े आसद मे्असमत शाह के कांगि ्े जनो्को िोचा होगा सक अच्छा हुआ छुटकारा समिा. ऐिा उत्र् प्द् श मकतनी कारगर राहुल गांधी की युिा मंडली: (नीचे बाये् से) ज्योमतरामदत्या मसंमिया, अजय माकन, मममलंद देिड्ा, समचन पायलट, मजतीन प््साद और अशोक तंिर:
10 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
तोड्ने की राजनीसत पर भी वे िोच िकते है. पाट््ी का घटता जनाधार िबिे बडी सचंता का सविय है. आजादी के बाद हुए 15 आम चुनावो्मे्सजि पाट््ी ने छह बार अपनी और चार बार गठबंधन की िरकार बनायी हो. सजिके िात प््धानमंत्ी हुए हो्, सजिने 49 िाि राज सकया है, वह 131 िाि पुरानी पाट््ी इतने कशमकश के दौर िे गुजरेगी, यह सकिी ने भी नही्िोचा होगा. जब 1977, 1989, 1998 व 1999 मे् कांगि ्े चुनाव हारी थी, तब भी दज्नड भर िे ज्यादा राज्यो्मे्उिकी िरकारे्थी्. इनमे् महाराष््, मध्यप््देश, आंध्प्देश, सदल्िी, पंजाब, केरि व अिम िरीखे िंपन्न राज्य शासमि थे. आज वह बीमार्-सबहार, मध्यप््देश, उत््रप््देश, राजस्थान-राज्यो् मे् अस््सत्व की तिाश मे् भटक रही है. हािांसक वही्राजनीसत के कुछ जानकारो्का दावा है सक अगिे िोकिभा चुनाव को िेकर कांगि ्े और राहुि गांधी को ज्यादा सचंता करने की जर्रत नही् है. के्द् की राजग िरकार सजि तरह िे काम कर रही है और प्ध ् ानंत्ी नरेद् ्मोदी का जो रवैया चि रहा है उिके चिते अगर कांगि ्े के बडे नेताओ् के सखिाि कार्डवाई की गयी तो सबना कुछ सकये ही कांग्ेि की िीटे् िौ का आंकडा पार कर जायेग् ी. n
सािनया गांधी और म््पयंका िाड््ा: आने और न आने का द््ंद्
तारनहार का इंतज़ार उत््र प््देश के चुनावी समर मे् क््पयंका गांधी वाड््ा को लाने और चुनाव प््चार करवाने की मांग कोई नयी नही्है, लेककन हाल के कुछ महीनो्मे्यह जोर पकड़ती जा रही है. सुनीता शाही
हा
िांसक कांगि ्े नेताओ्द््ारा उत्र् प्द् श े के चुनावी िमर मे् स््पयंका गांधी वाड््ा को िाने और उनिे प्द् श े मे्चुनाव प्च् ार करवाने की मांग कोई नयी नही् है, िेसकन हाि के कुछ महीनो् मे् यह मांग जोर पकडती जा रही है. स््पयंका को िाने की मांग अन्य राज्यो्िे भी आती रही है, पर उत्र् प्द् श े मे्यह अन्य राज्यो्िे कुछ ज्यादा ही िुनी जा रही है. प्द् श े मे् पाट््ी के चुनावी रणनीसतकार प्श ् ांत सकशोर को अभी स््पयंका की जर्रत कांगस्ेियो्िे भी असधक है. प्श ् ांत और उनकी टीम ने सपछिे कुछ महीनो्मे् राज्य भर मे्50 िे असधक बैठके्आयोसजत की् और उन्हो्ने यहां कांगि्े को एक बेहद ही कमजोर िंगठन के र्प मे्पाया. उन्हे्इि बात का भी डर है सक जो िििता, उन्हो्ने िाि 2014 मे् िोकिभा और 2015 मे् सबहार सवधानिभा चुनाव मे्अस्जतड की, कही्वे उिे खो न दे.् िूत्ो् की माने,् तो प्श ् ांत मीसडया मे् इि
खबर को भी िैिा रहे है्सक िाि 2017 मे्प्द् श े के चुनाव मे् स््पयंका ही िबिे बडा चेहरा हो्गी और वे िबिे आगे भी हो्गी. नाम न छापने की शत्डपर एक वसरष््कांगि ्े नेता ने कहा सक िही मायनो्मे्देखे्तो स््पयंका कांगि ्े के सिए तुरप् का इक््ा है,् सजिे हम सकशोर की छसव को बचाने के सिए बब्ादड नही् कर िकते है. वैिे भी परंपरागत र्प िे देखे्तो नेहर्-गांधी पसरवार के तीन िदस्यो्को कभी एक िाथ एक ही िमय पर िस््कय राजनीसत मे्नही्देखा गया है. कांगि्े ी नेता ने इि बात िे भी इनकार नही् सकया सक आने वािे सदनो्मे्स््पयंका की राजनीसत मे्िबिे ज्यादा जर्रत होगी. हािांसक इि तक्फका भी आधार है सक जवाहरिाि नेहर्के िमय िे ही पसरवार मे् दो िे असधक िदस्य एक िमय मे् िस््कय राजनीसत मे् नही् रहे. इंसदरा गांधी भी नेहर् के िमय मे्िस््कय र्प िे नही्थी्. िाि 1964 मे्नेहर्की बहन सवजयिक्म् ी पंसडत ने िूिपुर िे िोकिभा चुनाव तब िड्ा था जब उनके भाई नेहर्का सनधन हो गया. बाद के िमय मे् भी पसरवार िे इंसदरा गांधी के िाथ िस््कय र्प िे केवि िंजय गांधी ही थे. सिर राजीव गांधी 1984 मे्इंसदरा गांधी के सनधन के बाद ही राजनीसत मे आये और कई वि््ो् तक अकेिे ही राजनीसत मे् रहे.् और अब िोसनया गांधी और उनके पुत्राहुि िस््कय राजनीसत मे् है.् रायबरेिी और अमेठी के िोगो्को िगता है सक स््पयंका 2004 मे्ही राजनीसत मे्शासमि होना चाहती थी्, िेसकन तब राहुि ज्यादा प्भ् ावी थे.
हािांसक अब तक सजि तरह िे पसरवार मे् जो चिन रहा है, उिे देखते हुए यह आिान भी नही् िगता सक स््पयंका उिे तोडेग् ी. इन िबिे अिग रोचक बात यह है सक अब तक इि पसरवार ने अपनी सकिी भी योजनाओ्को बाहर सकिी िे भी इतनी आिानी िे िाझा नही् सकया है. इिसिए यह अंदाजा िगाना आिान नही् सक कब, कैिे और सकि ताकत के िाथ स््पयंका चुनावी िमर मे्उतरेग् ी. हां, इतना तो तय है सक जब, जैिे और सजि क्त् मा के िाथ उनकी मां िोसनया गांधी चाहेग् ी, वे चुनावी मैदान मे्उतर जायेग् ी. चीिे के नोबेि शांसत पुरस्कार सवजेता कसव पाल्िो नेरद् ा ने अपनी पुसक ् ‘मेमॉयि्’ड मे् नेहर् के सविय मे् कुछ िंकते सदये है.् िाि 1950 मे्भारत के पहिे प्ध् ानमंत्ी जवाहर िाि नेहर्िे पाल्िो नेरद् ा की पहिी मुिाकात नयी सदल्िी मे्हुई थी. नेरद् ा सिखते है्सक जब वे शीत युद् और परमाणु हसथयारो् के खतरो् को उन्हे् िमझा रहे थे, तब नेहर्अपने ही सवचारो्मे् गुम थे.् अंत मे् नेहर् ने प्स्तस््कया व्यक्त की सक वास्व् मे्दोनो्ही पक््ने शांसत के बारे मे्अपनेअपने तक्फके िाथ एक दूिरे पर प्ह् ार कर रहे है.् इि घटना िे पता चिता है सक नेहर्, वे शख्ि थे जो खुद को दुसनया मे्शांसत के अगुआ के र्प मे्स्थासपत करने की कोसशश कर रहे थे. नेरद् ा ने जो कुछ भी सिखा है वह सिि्फइि आधार पर सवश्ि ् नीय नही्है सक वे बहुत उच्् नैसतक मूलय् ो्के िेखक थे, बब्लक इिसिए भी है सक उन्हो्ने तब नेहर्के पक््मे्वोट सदया जब उि घटना के पांच िाि बाद नेहर्का नाम मास्को मे् ‘िेसनन शांसत पुरस्कार’ के सिए प्स ् ्ासवत सकया गया था. तब नेरद् ा उि शांसत पुरस्कार चयन िसमसत के िदस्य थे. कई सकताबो् िे यह भी पता चिता है जून 1975 मे् जब इंसदरा गांधी ने आपातकाि िागू करने िे पहिे कांगि ्े के कई नेताओ्, नौकरशाहो् और पत्क ् ारो्िे चच्ाड की थी. उन्हो्ने इि प्स ् ्ाव को खासरज कर सदया, िेसकन इिके बावजूद इंसदरा गांधी ने कुछ ही घंटो्के बाद आपातकाि की घोिणा कर दी. ये उदाहरण इि बात को बताते है्सक नेहर्गांधी पसरवार सकिी भी कांगि्े ी के िाथ कभी कोई गंभीर चच्ाड नही्करता. सििहाि प्श ् ांत सकशोर के सिए तो बि यही्िंदश े है सक स््पयंका कब और कैिे राजनीसत मे्िस््कय हो जायेग् ी, इिका उन्हे् भी पता नही् चिेगा. हािांसक कांगि ्े ी नेता इि बात की पुस्ष कर रहे है्सक यूपी चुनाव के सिए मुखय् मंत्ी पद की उम्मीदवार सदल्िी की पूवड् मुखय् मंत्ी शीिा दीस््कत हो िकती है.् यह भी िंभावना है सक जल्द ही िोसनया गांधी और उपाध्यक्् राहुि गांधी प्द् श े कांगि ्े कमेटी की टीम को बदिने पर भी सवचार कर िकते है.् n शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 11
आवरण कथा प््मोद कुमार
पार््ी बनाम ख्ानदान िा
ि 2014 के िंिदीय आम चुनावो्के बाद एक बार सिर ऐिा िगने िगा है सक भारत का िबिे महत्वपूण्ड और पुराना राष््ीय राजनैसतक दि भारतीय राष््ीय कांग्ेि इसतहाि के कूडेदान मे्दिन होने के सिए असभशप्त हो चुका है. इिके तमाम नेताओ् मे् एक बार सिर इि डूबते जहाज़ िे सनकि भागने की होड सदखने िगी है. यहां तक सक वत्मड ान भारतीय िमाज मे्कांग्ेि के ऐसतहासिक आदश्डपात््ो्और पहचानो्गांधी और नेहर्का स्थान इसतहाि की कब््िे सनकि कर नये-नये आदश््ो्भगत सिंह, िुभािचंद् बोि और आंबेडकर ने िेना प््ारंभ कर सदया है. कांग्ेि की कब्् मे् अंसतम कीि डािने की मंशा के िाथ कुछ कांग्ेि सवरोधी प््ांतीय दिो्द््ारा इसतहाि की पाठ््पुस्को्िे नेहर्को सनकािने जैिी भूिे्इिी प््कार की मुगाितो्का पसरचायक कही जा िकती है्. िाि 1885 मे् अपने जन्म िे िेकर आज तक के 130 िे असधक वि््ो्के अपने इसतहाि मे्कांगि ्े को कम िे कम एक दज्नड बार इिी प्क ् ार के कसठन चैराहो् िे गुजरना पडा है, िेसकन हर बार पहिे िे असधक मजबूत होकर ही सनकिती आयी है. कांग्ेि का जन्म और उिके प््थम तीन असधवेशनो्-बंबई, किकत््ा और मद््ाि-मे् कांग्ेि की नी्व पडी, िेसकन चौथे असधवेशन, इिाहाबाद िे ही उिे अंग्ेजो्के कोप भाजन बन जाने की प््स्कया का सशकार होना पड गया. इि प््ांत के तत्कािीन गवन्डर िर ऑकिैड ् कोिसवन ने अपनी पूरी जान िगा दी थी सक कांगि ्े को अपने असधवेशन के सिए इिाहाबाद मे्कोई स्थान ही न समि िके और उिके
12 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
भारत की यह ऐकतहाकसक पार््ी हमेशा के कलए मरने वाली नही्है. यह बात दूसरी है कक वत्षमान संकर कांग्ेस के कलए तो नही्, लेककन नेहर्के अपने वंश पर अवश्य भारी पड़ सकता है. सिए आवश्यक चंदे का िंग्ह भी न हो िके. मद््ाि के तीिरे कांग्ेि असधवेशन मे्सजि प््कार अंग्ेजी राज की आिोचना की गयी थी, यह उिी का पसरणाम था. एक तरि उिे अंग्ेजी िरकार का कोप भाजन बनना पड रहा था तो दूिरी तरि भारतीय िमाज के अंदर िे िर िैयद अहमद और बनारि के राजा सशव प््िाद ‘सितारे सहंद’ के सवरोध का िामना करना पड रहा था. सवरोध की िीमा यहां तक पहुंच चुकी थी सक 1890 के किकत््ा असधवेशन मे्िर सिरोज शाह की अध्यक्त् मे्यह प्स ् ्ाव पासरत कर सदया गया सक 1892 का असधवेशन िंदन मे् सकया जाये. िेसकन उन िमस्् सवरोधो्के बाद भी कांग्ेि की िदस्यता बढती ही जा रही थी. उन्नीिवी् िदी के अंसतम दशक मे् भारतीय राष््वाद ने कांग्ेि के अंदर और बाहर दोनो्तरि उग््वाद का दश्डन करना प््ारंभ कर सदया था. एक तरि कांग्ेि मे्यसद सतिक के िमथ्डक गोखिे पर भारी पडने िगे थे तो दूिरी तरि चापेकर बंधुओ्द््ारा आय्डस्ट और रै्ड की हत्या ने भारतीय नवयुवको्को राष््वाद की एक सबिकुि ही नयी धारा की तरि आकस्िडत करना प््ारंभ कर सदया था. कांग्ेि का यह िंकट इतना भारी था सक बंगभंग आंदोिन के दौरान 1907 के िूरत असधवेशन मे्उिका सवभाजन ही हो गया. इिी प्क ् ार का दूिरा सवभाजन 1919 का असधसनयम आने के बाद हुआ जब इि असधसनयम के िमथ्डक नरम दि के नेताओ् दीनशा वाचा और िुरे्द् नाथ बनज््ी जैिे नेताओ् ने कांग्ेि िे सनकिकर ‘सिबरि िेडरेशन’ जैिे दि का सनम्ाडण कर सिया था. हमरपुरा कांग्ेस अमधिेशन मे् महात्मा गांधी और सुभाष बोस: मिचारो् की मिमिधता
जिाहर लाल नेहर्: अपने ही आदश््ो के मिर्द् िाि 1919 मे्ही भारतीय राष््वाद को गांधी के नेतृत्व मे्एक ऐिा स्थान पर उन्हो्ने केवि उिका नया नामकरण कर सदया. नये भारत महामानव प््ाप्त हो गया, सजिने पूरे सवश््की दृस्ष भारत की तरि खी्च के सनम्ाडण के सिए सजन व्यवस्थापरक बदिावो् की आवश्यक्ता थी, िी थी. कांग्ेि के गांधीवादी दौर मे् भी कांग्ेि को 1922 और 1934 मे् उिके स्थान पर वही पुरानी औपसनवेसशक शराब नयी बोति मे्भर दी गयी भयंकर िंकटो्का िामना करना पडा था. िाि 1922 मे्चौरीचौरा कांड थी. इिके िाथ ही कांग्ेि के अंदर नेतृत्व की आिोचना करने वािी के बाद जब गांधी ने अपना अिहयोग आंदोिन वापि िे सिया तो कांग्ेि िंसक ् सृ त अपना दम तोडने िगी थी. सिर भी इतनी शम्डबाकी थी सक कांगि ्े ‘नो-चे्जि्ड’ और ‘प््ो-चे्जि्ड’ के मध्य सवभासजत हो गयी और सचतरंजन नेहर्के बाद तत्काि इंसदरा गांधी को ित््ा नही्िौ्पी, बब्लक एक आम दाि और मोती िाि नेहर् ने कांग्ेि के अंदर ही ‘स्वराज पाट््ी’ की पसरवार िे आने वािे िाि बहादुर शास््ी को प््धान मंत्ी स्वीकार कर स्थापना कर िी थी. गांधी द््ारा अिहयोग आंदोिन वापि िेने का ही सिया. िेसकन शास््ी के बाद 1966 िे कांग्ेि ने न केवि अपने पूरे पसरणाम था सक भारतीय नवयुवको्मे्गांधी- मोह िमाप्त हो गया और देश िोकतांस्तक चसरत्् िे ही सकनारा कर सिया, बब्लक पूरे देश को स्थायी मे्एक िैनय् वादी राष्व् ाद की नयी धारा प्व् ासहत होने िगी थी. इिी प्क ् ार नौकरशाही के नेतृत्व मे्िडने के सिए मजबूर कर सदया. िाि 1971 तक 1934 मे् न केवि कांग्ेि के अंदर ही ‘कांग्ेि िमाजवादी दि’ की सजिा पसरिदो् के अध्यक्् अपने-अपने सजिो् के किक्टरो् की चसरत््स्थापना कर दी गयी थी, बब्लक ‘असहंिा’ के िवाि पर गांधी ने कांग्ेि पंसजका सिखते थे. िाि 1971 मे्इिको िमाप्त करते ही एक तरि भिे छोडने तक की घोिणा कर दी थी. िोगो् ने राजनीसत मे् आना बंद करना प््ारंभ कर साल 1971 के बाद न केवल अंग्ेजी राज के दौरान तमाम प््कार के िंकटो् सदया तो दूिरी तरि भ््ष्ाचार के गोमुख का कांग्ेस के अंदर नेतृत्व की का िामना करने वािी कांग्ेि को अन्ततः 1947 सनम्ाण ड भी हो गया. धीरे-धीरे भारतीय राजनीसत मे् मे्भारत की ित््ा प््ाप्त हो गयी. भारत सवभाजन के स्थान बनाने के सिए सजन गुणो् की आवश्यक्ता स्वस्थ आलोचना बंद हो गयी, रक्त िे रंसजत उि स्वतंत्ता के बाद भी भारत की बल्कक भारत के सभी दलो् ने यही अपसरहाय्डबनने िगी, उिमे्राजनैसतक पसरवारो् जनता मे् कांग्ेि और नेहर् के प््सत आस्था कम मे् जन्म िेना, एन-केन प््कार िे अरबपसत बन राह पकड़ ली. नही्हुई थी. कांग्ेि के उन तमाम िंकटो्ने कांग्ेि जाना और िमस््कानूनो्को अपनी जेब मे्रखने के अंदर तब तक िोकतांस्तक मूल्यो् को िुढृढ करने का ही काम सकया वािी हैसियत प््ाप्त कर िेना न्यूनतम अहत्ाड बनने िगी. दुसनया का यह था. यह वह कांग्ेि थी सजिका एक युवा नेता िुभाि चंद्बोि 1939 मे् सवशाितम िोकतंत् ‘तथाकसथत’ िोकतंत् बनने की सदशा मे् अग््िसरत कांग्ेि के िव््ेिव्ाड महात्मा गांधी का सवरोध कर कांग्ेि का अध्यक्् होने िगा था. सनव्ाडसचत हो िकता था. िेसकन 1947 मे्आयी राजनैसतक ित््ा ने कांग्ेि िाि 1971 के बाद न केवि कांग्ेि के अंदर नेतृत्व की स्वस्थ के इि िोकतांस्तक चसरत््का क््रण प््ारम्भ कर सदया. आजादी और ित््ा आिोचना बंद हो गयी, बब्लक भारत के िभी दिो्ने यही राह पकड िी. समिने के िाथ ही आच्ायड नरेद् ्देव, जय प्क ् ाश नारायण तथा राम मनोहर भारत मे्राजनीसत अब एक बुरी चीज बनने िगी थी और िरकारी नौकरी िोसहया जैिे नेताओ्ने कांग्ेि का िाथ छोडना प््ारंभ कर सदया था. िमाज का आदश्डबनने िगा था. अंततः यह िमाज पूरी तरह िोकतंत्के आजादी के बाद नये भारत के सनम्ाडण का उत््रदासयत्व िंभािने वािे स्थान पर ल्यूरोतंत् मे् पसरवस्तडत हो चुका था. िाि 1974 के भ््ष्ाचार नेहर्ने भारतीय जनता िे सकये गये अपने वादो्िे मुकरना प््ारंभ कर सदया सवरोधी आक््ोश ने यद््सप कांग्ेि को 1977 मे्पूरी तरह ित््ा िे बाहर कर था. िाि 1937 के प््ांतीय चुनावो्मे्उन्हो्ने कांग्ेि की ित््ा आने के बाद सदया, िेसकन वह िोकतंत्की जीत नही्, इंसदरा गांधी की हार थी. तब तक आईिीएि जैिी अिंवेदनशीि, भ््ष् और अक््म स्थायी नौकरशाही को इंसदरा गांधी को हराने वािे जनता पाट््ी के िभी घटक दिो्मे्, आंतसरक तत्काि िमाप्त कर देने का जो वादा सकया था, उिका सनव्ाडह करने के िोकतंत्िमाप्त हो चुका था. िाि 1980 मे्वे िभी आपि मे्ही िड मरे शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 13
आवरण कथा और कांग्ेि पुनः स्थासपत हो गयी. एक सववादरसहत और सवद्त् व्यब्कत को िाि 1980 मे्इंसदरा गांधी की वापिी भारत की िव््ोच्् राजनैसतक भी िोकतंत् की नही्, सवकल्पहीन ित््ा िौ्प दी थी, िेसकन वह एक भारी जनता की मजबूरी की जीत थी. अिोकतांस्तक कृत्य था. िाि 1984 मे् अपनी मां की मनमोहन सिंह का प््धान मंत्ी हत्या िे उपजी िहानुभसू त की िहर पर बनना उनकी सकिी सवशेि प््कार की आये राजीव गांधी ने अपने नाना और योग्यता का नही् िंदेह-रसहत उि अपनी मां की भूिो् को िुधारने का सनष््ा का प््सतिि था, जो नेहर् वंश प््याि सकया. सकिी को यह उम्मीद के उत््रासधकासरयो् को ित््ारोहण की नही्थी सक राजनीसत मे्र्सच न रखने योग्यता प््ाप्त कर िेने तक सनष््ावान वािा वह नवयुवक देश को एक नये बने रहने की गारंटी देने के िमान था. रास््ेपर डािने मे्ििि हो जायेगा. मनमोहन सिंह ने प््धानमंत्ी बनते ही भारत मे् कंपयूटर और भारत की स्थायी नौकरशाही का टेिीकम्यसू नकेशन की क््ासं त का रास््ा कायाकल्प कर देने का वादा सकया था, िाि करने और पंचायतो् और इंमदरा गांधी, राजीि और संजय: पमरिारिाद की मुहर िेसकन िोकतंत्की कब््पर सटकी उि स्थानीय सनकायो्को असधकार िंपनं करने वािे 43वे्तथा 44वे्िंसवधान िरकार के सिए व्यवस्थापरक कोई िुधार कर पाना िंभव नही्था. उनकी िंशोधनो्को िाने वािे राजीव गांधी ने जब सडस््गयो्को नौकरी िे अिग इि अिििता ने उनकी दूिरी पारी मे्भारत को भ््ष्ाचार की एक ऐिी करने और िाईिे्ि - इंस्पेक्टर राज को िमाप्त करने का नारा सदया तो ज्वािामुखी बना सदया था, सजिमे् िमस्् ‘राजधम्ड’ जि कर भस्म हो पता नही्कहां िे बोिोि्डका एक मुद्ा उल्कापात के र्प मे्आ सगरा. कांगि ्े गया. कांग्ेि नेहर्वंश के उत््रासधकासरयो्के चमत्कारो्की प््सतक््ा करती ित््ा िे बाहर हो गयी और जब बोिोि्डके व्यामोह िे मुकत् हो चुकी जनता रही और 2014 के चुनावो्मे्कांग्ेि को अप््त्यासशत पराजय का िामना ने 1991 मे्राजीव गांधी की वापिी का मन बना सिया तब ऐन चुनावो्के करना पड गया. इतना ही नही्, उिके बाद के तमाम सवधानिभाओ् के दौर मे् ही उनकी हत्या कर दी गयी. यह एक ऐिा िड््ंत् था जो िंबे पराजयो्के बाद भी वह उन्ही्उत््रासधकारी चमत्कारो्की प््तीक््ा कर रही िमय तक इसतहािकारो् के सिए एक चुनौती बना रहने वािा है. यह भी है जैिी उिने 1971 और 1984 के चुनावो्मे्समिी थी. एक कडवा िच है सक भारत मे अब तक अत्यंत मजबूत हो चुकी िोकतंत् इिमे् कोई िंदेह नही् है सक भारत की यह ऐसतहासिक पाट््ी हमेशा सवरोधी ताकते्सकिी भी मूलय् पर िोकतंत्की वापिी का खतरा नही्मोि के सिए मरने वािी नही्है. यह बात दूिरी है सक वत्डमान िंकट कांग्ेि के िे िकती थी्. सिए तो नही्, िेसकन नेहर् के अपने वंश पर अवश्य भारी पड िकता िाि 1991 मे् राजीव गांधी की हत्या वास््व मे् कांग्ेि की ही है. इि िमय कांग्ेि को सकिी चमत्कारी उत््रासधकारी की नही्, हत्या थी. नरसिंहराव का शािनकाि देश मे् सबना उदारवाद िाये बब्लक आंतसरक िोकतंत् वािे उि राजनैसतक तंत् की आवश्यक्ता भूमंडिीकरण को आमंस्तत कर िेने जैिी आत्मधाती आस्थडक नीसत है, सजिने अपने िोकतांस्तक आदश््ो और मूल्यो् के बि पर दुसनया िागू करने और बाबरी मब्सजद के सवध्वंि के सिए इसतहाि मे्दज्डरहेगा. के िव्डशब्कतशािी िाम््ाज्य को घुटने टेकने पर मजबूर कर सदया था. तब तक भारत सवभाजन के घाव को अतीत के मरहम ने जो राहत दे िेसकन इिके सिए उिे उत््रासधकारी चमत्कार की आशाओ्को त्यागकर दी थी, उिे बाबरी मब्सजद की हत्या ने एक बार सिर हरा कर सदया था. आंतसरक िोकतंत् के कसठन रास््े को चुनने का िाहि एकस््तत करना नरसिंहराव के बाद की गैर-कांग्ेिी िरकारो् की सदशाहीनता िे त््स् होगा और अबतक बन चुके उि राजनैसतक चसरत््को बदिने का प््याि भारतीय मतदाताओ् ने िोसनया गांधी के नेतृत्व वािी कांग्ेि को एक करना होगा, सजििे िमाज के प््त्येक तबके को प््सतसनसधत्व समि िके. बार सिर सजंदा कर सदया था. वह भी िोसनया गांधी की जीत के स्थान आज इि देश को एक ऐिे राजनैसतक िंस्कृसत की िबिे असधक पर भारत के मतदाताओ् के मजबूसरयो् की जीत थी. िेसकन इतनी आवश्यक्ता है, सजिमे् राजनीसत एक गंदा कृत्य नही्, एक पसवत्् पेशे के चुनौसतयो् का िामना करने वािी कांग्ेि अब भी िोकतंत् का पाठ पढने र्प मे्स्थासपत हो. n के सिए तैयार नही् थी. यद््सप, िोसनया गांधी ने अपने सवरोध को शांत (िेखक िखनऊ सवश््सवद््ािय के इसतहाि सवभाग के पूव्ड सवभागध्यक््है्.) करने के सिए भारी त्याग का प््दश्डन करते हुए मनमोहन सिंह जैिे
14 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
ववभूवत नारायण राय
नेहऱ से कौन डरता है
भारतीय समाज, राजनीकत और जीवन मे्बहुत कुछ ऐसा बचा हुआ है कजसका श््ेय नेहर्को कमलना चाकहए.
क
रीब दो वि्ड पहिे, जब अच्छे सदनो् की आहट अभी िुनाई ही देनी शुर् हुई थी, केरि के एक िंघ प््चारक ने सिखा सक गांधी की नही् नेहर् की हत्या की जानी चासहए थी. यह मात््सदल्िी की ित््ा हासिि करने िे उपजा आत्मसवश््ाि ही नही् था बब्लक इिके पीछे सछपा हुआ यह दुःख भी था सक िाि सकिे पर अकेिा झंडा िहराने का मौका उन्हे् इतनी देर िे समि रहा है. यह हताश क््ोध शून्य िे नही् उपजा था. भारतीय िमाज, राजनीसत और जीवन मे्बहुत कुछ ऐिा प््गसतशीि बचा हुआ है सजिका श््ेय जवाहर िाि नेहर्को समिना चासहए और सजिने इतने सदनो्तक िंघ पसरवार को ित््ा िे वंसचत रखा था. मै्हमेशा िोचता रहा हूं सक 1947 मे् यह कैिे िंभव हो िका होगा सक िांप्दासयक सहंिा के तांडव के बीच जन्मे्एक सशशु राष््ने अपने को धम्सड नरपेक्घोसित कर सदया. एक करोड िे असधक िोगो् के सवस्थापन और िाखो् िोगो् की िाशो् पर सनस्मडत हो रहे इि राष्् के नायको् ने सकि तरह बगि मे् एक धम्ाडधासरत राष्् के सनम्ाडण के बाद भी खुद को धम्डसनरपेक् बनाये रखने का िैििा सिया होगा? इि प््श्न का उत््र तिाशते हुए मुझे बार-बार जवाहर िाि नेहर् के पाि जाना पड्ा और कुछ वि््ो्पूव्ड प््कासशत रामचंद्गुहा की पुस्क इंसडया आफ्टर गांधी तथा सवभाजन के िमय िंिद मे् जवाहर िाि नेहर् के सदये गये भािणो्िे इि गुत्थी को िुिझाने मे्मुझे मदद समिी. 26 जनवरी 1950 को िागू िंसवधान ने भारत को एक धम्डसनरपेक् गणतंत् जर्र घोसित कर सदया था सकंतु इिे वैधता प््दान करने के सिए इि पर जनता की मुहर िगानी जर्री थी. िाि 1952 की शुर्आत मे् हुआ पहिा आमचुनाव इिी परीक््ा की घडी थी. कांग्ेि ने पुर्िोत््म दाि टंडन को हटाकर जवाहर िाि नेहर्को अपना अध्यक््चुन सिया और उनके कंघो्पर चुनावी वैतरणी पार कराने की सजम्मेदारी डाि दी. नेहर् ने 1951 के दौरान देश भर मे् 300 िे असधक िभाएं की. जािंधर िे शुर्कर देश के चारो्कोनो् मे्होने वािी ये िभाएं जनता िे एक बडे राजनेता के िीधे िंवाद का अद््त नमूना थी्. इन िभाओ्मे्वे आिान सहंदुस्ानी मे्सवशाि िंख्या मे्उमडने वािे जनिैिाब िे सिि्फ एक ही प््श्न पूछते सक उन्हे् कैिा भारत चासहए- एक धम्डसनरपेक्, प््गसतशीि और आधुसनक भारत या धम्ाडधासरत और सपछडी दृस्ष वािा सहंदू राज? यह प््श्न ऐिे िमय मे्पूछा जा रहा था जब दो राष््ो्के सिद््ांत के आधार पर देश का सवभाजन अभी हुआ ही था और बडी िंख्या मे्सहंदू तथा सिक्ख िुटे-सपटे पूव्ी और पस््िमी पासकस््ान िे भारत आ रहे थे. इन खस््ा हाि िोगो् के पाि उनके अपने आख्यान थे और असधकतर मामिो् मे् असतरंसजत इन आख्यानो् के कारण देश का माहौि कैिा
सविाक्त होगा इिकी कल्पना की जा िकती है. ऐिे िमय मे् सकतना कसठन रहा होगा एक राजनेता के सिए घंटे िवा घंटे के अपने भािण िे सनरक््र िोगो्को यह िमझाना सक उनकी तरक््ी और उज््वि भसवष्य के सिए देश का धम्डसनरपेक् होना सनहायत जर्री है. पर यह अिंभव िगने वािा काम नेहर् ने सकया और रामचंद्गुहा ने इन िभाओ्की दूिरे सदन अखबारो् मे् छपी सरपोट््ो् का सवश्िेिण कर उपब्सथत जन मानि पर पडे प््भाव का सवश्िेिण सकया तो वे खुद ही चसकत रह गये. बीि प््सतशत िे कम िाक्र् ता वािे देश मे्सिि्फअपनी वक्ततृ ा िे श््ोताओ् को िमझा पाना सक नव सनस्मतड राष््राज्य की ििामती सिि्फधम्ड सनरपेक् बने रहने मे् है, सकतना मुब्शकि रहा होगा पर नेहर्ने यह अिंभव िगने वािा काम कर डािा. नतीजतन 1952 के पहिे आमचुनाव मे्धम्डसनरपेक्ता की िमथ्डक कांग्ेि और िी. पी. आई. को समिाकर चार िौ िे असधक िीटे् समिी जब सक सहंदू राज बनाने के सिए चुनाव िड्ी सहंदू महािभा, रामराज्य पसरिद और भारतीय जनिंघ कुि दि स्थान जीत िके. चुनाव पसरणामो् ने धम्डसनरपेक्िंसवधान पर मुहर िगा दी और इिके सिए िंघ पसरवार ने नेहर्को कभी माफ़ नही्सकया. िंघ पसरवार ने नेहर् को और भी कई कारणो् िे माफ़ नही् सकया. उनकी उपब्सथसत िंघ की उि सवश्् दृस्ष के सखिाि जाती थी जो वण्ड व्यवस्था और िै्सगक अिमानता पर आधासरत राम राज्य स्थासपत करना चाहती थी. गांधी के रामराज्य िे सभन्न िंघ पसरवार के इि रामराज्य मे् स््सयो्, शूद्ो् और धास्मडक अल्पिंख्यको् की सनयसत स््दतीय श््ेणी के नागसरक िे असधक कुछ नही्होती. कांगि ्े मे्सपछडी दृस्ष वािे सहंदओ ू ्की िंखय् ा कम नही थी और नेहर् को पग पग पर उनिे जूझना पडा. सहंदू कोड सबि ऐिा ही एक उदाहरण है जब मसहिाओ्को बराबरी के कुछ असधकार देने का प््याि इन्ही्तत्वो् के सवरोध के कारण अििि हो गया और खीज कर डाक्टर आंबेडकर को नेहर्िे अपनी राहे्जुदा करनी पडी. योजना आयोग और िमाजवादी अथ्ड व्यवस्था पर आधासरत सवकाि का माडि भी धुर दस््कण पंथी नही् पचा िके. यह अिग और सवस््ृत अध्ययन का सविय हो िकता है सक नेहर् सक िसदक््ाओ् के बावजूद भारत एक आदश्ड धम्ड सनरपेक् गणराज्य क्यो् नही् बन पाया और कैिे छह दशको् के भीतर ही ऐिी ब्सथसतयां बनी सक नेहर्सवयन माडि अप््ािंसगक िा िगने िगा? नेहर्के इि अवदान को नही भुिाया जा िकता सक उनकी राजनीसत ने िंबे अरिे तक िांप्दासयक n शब्कतयो्को िाि सकिे िे दूर रखा. (िेखक पूव्डपुसिि असधकारी और िासहत्यकार है्.) शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 15
आवरण कथा चंचल
सुधरो या टूटो की इबारत
वर्ष1969 के बाद कांग्ेस ने खुद का कोई पकरमाज्षन नही ककया. अब इसकी कशद््त के साथ जर्रत है.
कां
ग््ेि देश की नही्दुसनया की िबिे बडे जनाधार की पाट््ी है. वि्ड 1885 िे चिी कांग्ेि अनेक उतार चढाव देखे. वि्ड 1916 मे् दस््कण अस््फका िे गांधी वापि भारत आते है्और गोखिे जी के सनद््ेश पर कांग्ेि को नयी गसत देते है. वि्ड1917 मे्चंपारण आंदोिन ने एक िाथ दो काम सकया, एक - गांधी जी के िसवनय अवज््ा एक हसथयार के र्प मे्स्थासपत हो गया और दूिरा- अंग्ेज िरकार को पहिी बार िाव्डजसनक र्प िे झुकना पडा, इि िवाि पर सक अंग्ेजी क़ानून ही गित है. इिके पहिे भी कांग्ि नेतृत्व को अदाित तक जाना पडा था, िेसकन वहां ये नेता खुद को सनद््ोि िासबत करते थे, यहां गांधी जी उनके क़ानून को ही चुनौती दे दी. यह कांग्ेि का पहिा पसरमाज्डन था. एक बात याद करने की है सक गांधी ने यह जो पहिा पसरमाज्डन करते है्, शीि्ड के कई नेतृत्व अंदर ही अंदर दरके. मोहम्मद अिी सजन्ना जो कांग्ेि के शीि्ड पर खडे थे, और होम र्ि की जबरदस््वकाित कर रहे थे, उि पर सशसवि नािरमानी मे्पानी िेर सदया. दूिरा पसरमाज्डन भी स्वयं महात्मा द््ारा ही होता है जब उन्हो्ने सवदेशी िामानो् और सशक््ा तक के बसहष्कार का नया आंदोिन शुर्सकए तो कांगि ्े का एक खेमा कांगि ्े का मुखर सवरोधी बन कर िामने आया, िे्गांधी का व्यब्कतत्व और आम जन मे्उनके पैठ का दबाव इतना ज्यादा रहा सक िोग अिग होने के बावजूद कोई सवकल्प नही् दे िके. कांग्ेि की नीव मे्असहंिा है, अगर हम इिे अक््ुण नही् रख िकते तो हमे सविस्जडत हो जाना चासहए. कांग्ेि पसरमाज्डन का यह चटकदार सबंदु है. वि्ड 1922 मे् िसवनय अवज््ा आंदोिन पूरे ऊज्ाड के िाथ जोरो् पर था जब गोरखपुर के पाि चौरी-चौरा कांड हो जाता है, तो गांधी जी ने पूरे आंदोिन को ही वापि िे सिया. नतीजा यह हुआ सक कांग्ेि टूट गयी. इिके कई सदग्गज नेता कांग्ेि िे बाहर सनकि गये और स्वराज पाट््ी बना सिए. इिमे् सचतरंजन दाि और मोतीिाि नेहर् प््मुख रहे. अगिा पसरमाज्डन 1947 मे् आजादी के िमय होता है जब दे वटबारे के िवाि पर कांग्ेि सवभासजत हो गयी. बटवारे के सवर्द् खडे गांधी जी को मुट्ी भर िमाजवासदयो्का िाथ समिा सजिमे डॉ िोसहया और जेपी प्म् ख ु रहे. यह गांधी के अकेिे हो जाने का और कांग्ेि के िाथ सजये गये हािात की दास््ां कहती है. कांगि ्े के अंदर बैठे 16 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
िमाजवासदयो् को गांधी जी का िमथ्डन, कांग्ेि के स्थासपत नेताओ् सवशेिकर, िरदार पटेि को िािता रहा िेसकन बापू की मौजुदगी िे सकिी तरह की टूट नही हुई. िेसकन बापू की हत्या के बाद िरदार पटेि ने िमाजवासदयो् को दि के बाहर जाने का रास््ा सदखा सदया. पंसडत नेहर् के चाहने के बावजूद िमाजवादी बाहर चिे गये. िरदार पटेि की मृत्यु के बाद पंसडत नेहर्की यह कोसशश िगातार होती रही सक िमाजवादी पिट कर अपने घर वापि आ जाएं. इि सदशा मे्पंसडत नेहर्के खत जो वे िगातार अपने िमाजवादी समत््ो्को सिखते रहे देखा जा िकता है. पंसडत नेहर्खुि कर िमाजवासदयो्को बताते रहे सक कांग्ेि सििि रही है, भ््ष्हो रही है.पंसडत नेहर्ने िमाजवासदयो्को पूरा िंगठन देने को तैयार थे िेसकन बात बनी नही्. वि्ड 1954 मे् जे पी ने पंसडत नेहर् को चौदह िूत्ीय काय्डक्म बना कर सदया सक यसद कांग्ेि इिे स्वीकार कर िेती है तो िमाजवादी कांग्ेि मे्आने को तैयार है्. िेसकन कांग्ेि पर यथाब्सथसतवासदयो्का कल्जा था, और नेहर्कांग्ेि की सवभाजन के सिए तैयार नही्थे, इिसिए जे पी का प््स्ाव जि का ति नेहर् के पाि पडा रह गया. वि्ड 1963 आते-आते ब्सथसत और भी भयावह हो गयी. कांग्ेि का यथाब्सथसतवादी धडा एकासधकारवाद की तरि बढ चुका था. नेहर्सचंसतत रहे. िडक पर और िदन मे्कांगि ्े के सखिाि माहौि बनने िगा था. पंसडत नेहर्ने कामराज नाडर को सदल्िी बुिा कर एक नयी योजना दी सजिे कामराज प्िान के नाम िे जाना गया. वि्ड1963 के इि पसरमाज्डन िे कांग्ेि के अंदर िुगबुगाहट हुई, िेसकन कोई टूट नही् हुई. सवस््ार मे् न जाकर िीधे अगिे पसरमाज्डन पर आते है् सजिने कांग्ेि के यथाब्सथसतवासदयो् के अस््सत्व को ही िमाप्त कर के कांग्ेि को नयी ऊज्ाड िे भर सदया. ित््ा मे् आने के बाद 1969 मे् कांग्ेि मे् श््ीमती गांधी ने िमाजवादी जे पी के चौदह िूत्ीय काय्डक्म को पेश कर करके तहिका मचा सदया. इिमे्स््पसवपि्ड की िमाब्पत, बै्को् का राष््ीय करण, जमीन का बटवारा, िगान मािी आसद शासमि रहा. कांगि ्े ने श््ीमती गांधी को पाट््ी िे बाहर कर सदया. यह बडा पसरमाज्डन था. वि्ड1969 के बाद कांग्ेि ने खुद का कोई पसरमाज्डन नही सकया, इि िमय इिकी सशद््त के n िाथ जर्रत है.
नीरजा चौधरी
क्या सचमुच बुरा दौर?
लगता है कक कांग्ेस की ग्सथकत बहुत कुछ सन 1996-97 जैसी हो गयी है, जब कई बड़्ेनेता या तो पार््ी से बाहर चले गये थे या पार््ी मे्ही अलग-थलग पड़्ेथे.
य
ह क्या यह कांग्ेि का िबिे बुरा दौर है? यह प््श्न राजनीसतक पंसडतो् ने तब उठाया, जब 2014 के आम चुनाव मे्कांगि ्े िबिे बुरी चुनावी हार के िाथ महज 46 िीटो्पर सिमट गयी थी, जबसक इििे पहिे दि वि््ो् का उिका के्द् मे् शािन िोगो् को असधकार देने वािा रहा था. हािांसक तब उि हार को एक तबके ने माना सक बेशक भ््ष्ाचार (िहयोगी पास्टियो् द््ारा कसथत घोटािे) और महंगाई, दोनो् कांग्ेि को िे डूबे, िेसकन बड्ी वजह यह रही सक िोग बदिाव के तौर पर एक ‘मजबूत’ प््धानमंत्ी को देखना चाहते थे. इिसिए चुनावी हार कांगि ्े के िबिे बुरे सदनो्की किौटी नही्बनी. हम जैिे िोगो् ने भी माना सक जब िोसनया गांधी ज्यादा कामकाज िंभािने िगे्गी (तब उनकी तबीयत ठीक नही् चि रही थी) और राहुि गांधी कांग्ेि को युवा नेतृत्व दे्गे, तो ब्सथसतयां बदिे्गी और भारतीय िोकतांस्तक पसरवेश मे् कांग्ेि एक िक््म सवपक्् के तौर पर भसवष्य मे्नजर आएगा और इिका िायदा आने वािे सवधानिभा चुनावो् मे्कांग्ेि को समिेगा. कमोबेश यह ब्सथसत सदखी भी, जब खुद कांगि ्े अध्यक््ा िोसनया गांधी िड्क पर उतरी्और उन्हो्ने राजग िरकार के सखिाि सबगुि िूक ं ा. िभी िमान िोच वािी राजनीसतक पास्टियां एक िाथ आयी् और िंिदीय कामकाज ठप नजर आयेगी. सबहार मे्नीतीश और िािू को िाथ िाने मे् भी कांग्ेि ने अहम भूसमका सनभायी और इिसिए वहां भाजपा को िििता नही् समिी. इििे यह िगा सक कांग्ेि नये तेवर और किेवर के िाथ मैदान मे्कूद पड्ी है. िेसकन जैिा सक इि िबिे पुरानी राजनीसतक पाट््ी िे सनरंतर आक््ामक राजनीसत की उम्मीद की जा रही थी, वैिा नही्हुआ और 2016 के सवधानिभा चुनाव सहंदी ह्दय स्थि िे बाहर भी भाजपा के बढ्त की कहानी बना, कांग्ेि का ग्ा्ि सगरता ही गया और क््त्प, जैिे सक जे जयिसिता (यहां तक उनके प््सतद््ंद्ी एम के स्टासिन भी) और ममता बनज््ी ज्यादा मजबूत बनकर उभरी्. इििे यह अंदाजा िगता है सक 2019 के आम चुनाव मे्ये दोनो्बड्ी भूसमका मे्हो्गी, न सक कांग्ेि. जहां तक क््त्पो् का प््श्न है (जो सक राज्यो् मे् बड्ी भूसमका सनभाते है्) तो सपछिे दशको् मे् जहां कई पास्टियो् िे क््त्प उभरे है्, बब्लक कई पास्टियां क््त्पो्के इद्ड-सगद्डही सटकी है्, वही्कांग्ेि मे्इिका घोर अभाव
रहा है. इंसदरा-राजीव के दौर मे्ही मजबूत हाई कमान के िामने राज्यो् के बड्े नेताओ् को बौना करने का काम सकया गया. इिका अिर अब भी सदख रहा है. इिसिए असजत जोगी जैिे नेता, जो सक छत््ीिगढ्मे्अपनी पहचान रखते है्, का कहना है सक पाट््ी ने उन्हे् 13 िािो् िे कोई दासयत्व नही् िौ्पा है. वे बगावत का सबगुि िूक ं चुके है्. दरअिि, राज्य के नेताओ्के प््सत कांग्ेि हाई कमान का जो रवैया रहता आया है, वह आज के दौर मे्िंभव नही्है. खािकर इि मामिे मे्कई आदश्डउदाहरण है्. जैिे- ममता बनज््ी और शरद पवार. अब भी यह िूची िंबी है. सवजय बहुगुणा (उत््राखंड), डी डी िपांग (मेघािय), खल्को पुि (अर्णाचि प्द् श े ), वाई एि जगनमोहन रेड्ी (आंध् प््देश) ऐिे कुछ नाम है्. बेनी प््िाद वम्ाड तो िमाजवादी पाट््ी मे्वापिी भी कर चुके है्. ऐिे मे्, कांग्ेि हाई कमान को अपना रवैया बदिना होगा, तासक जमीन पर उिकी पकड्बने. वरना भसवष्य मे्और बुरे पसरणाम सदख िकते है्. कई अथ््ो् मे् ऐिा िगता है सक कांग्ेि अपने जनाधार िे कटती जा रही है और उिकी ब्सथसत बहुत कुछ 1996-97 जैिी हो गयी है, जब कई बड्ेनेता या तो पाट््ी िे बाहर चिे गये थे या पाट््ी मे्ही अिग-थिग पड्े थे. एक बात और. पाट््ी का एक तबका चाहता है सक िोसनया गांधी अध्यक्् बनी रहे्और दूिरा तबका चाहता है सक राहुि गांधी को मौका समिे. इिमे् िे कोई भी ब्सथसत अच्छी बन िकती है, बशत््ेइि मामिे मे्स्पष््ता हो. अभी तो शीि्ड नेताओ् िे िेकर काय्डकत्ाडओ् तक मे् अिमंजि की एक ब्सथसत है. इिके बेहद गंभीर पसरणाम हम देख ही चुके है्. जब तक सक कांग्ेि अपने इि अिमंजि िे नही् सनकिती है और सवरोधी पास्टियां बंटी रहती है्, तब तक भारतीय राजनीसत मे् कोई ऐिी िोकस््पय छसव उभरकर िामने नही्आयेगी, जो नरे्द्मोदी को टक््र दे िके. यही ब्सथसत एडवांटेज मोदी है, भिे ही मध्य प््देश, राजस्थान, छत््ीिगढ् और गुजरात के चुनाव पसरणाम (2017-18 मे् इन राज्यो् मे् चुनाव होने वािे है्और यहां भाजपा की ही िरकार है) कुछ भी आये्. तो क्या यह मान सिया जाए सक यही कांग्ेि का िबिे बुरा दौर है?n (िेसखका वसरष््राजनीसतक सवश्िेिक है्. आिेख श््ुसत समत््ि िे बातचीत पर आधासरत.) शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 17
मुद्ा
उत््र प््देश मे् एक प््ाथममक मिद््ालय: सुमिधाओ् का अभाि
समान शिक््ा दूर की कौड्ी संदीप पांडेय
अ
सखिेश यादव की िरकार इिाहाबाद उच््न्यायािय के इि आदेश पर अमि करने को तैयार नही् है सक िरकारी तनख्वाह पाने वािे जन प्स्तसनसधयो्, न्यायाधीशो्आसद के बच््े िरकारी सवद््ाियो् मे् असनवाय्ड र्प िे पढे्. उनको आदेश के छह माह बाद न्यायािय को अनुपािन िंबंधी सववरण देना था, िेसकन उन्हो्ने यह नही् सकया है. न्यायािय द््ारा प््स्ासवत व्यवस्था शैक्सणक ित््2016-17 िे िागू हो जानी चासहए थी. जासहर है, उन्हो्ने इि सदशा मे् भी कुछ नही् सकया. िरकार हाथ पर हाथ धर कर क्यो्बैठी है? 18 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
िोशसिस्ट पाट््ी (इंसडया) के एक प्स्तसनसधमंडि िे 8 जून, 2016 समिने के बाद मुख्यमंत्ी अब जाकर बेसिक सशक््ा िसचव को उच््न्यायािय के 18 अगस्,् 2015 के आदेश का अध्ययन करने को कहा है. यह सदखाता है सक वे इिके अनुपािन को िेकर सकतने गंभीर है्. िोशसिस्ट पाट््ी (इंसडया) सशक््ा मे् िमानता स्थासपत करने के सिए व िंसवधान की भावना, जो उपय्डुक्त आदेश मे्व्यक्त की गयी है, को िागू करने के सिए असभयान चिा रही है. जबसक वत्डमान मे् प््चसिज गैर-बराबरी वािी सशक््ा व्यवस्था आने वािी पीसढयो् के सिए एक चुनौती है सबना, सशक््ा व्यवस्था को
कशक््ा नीकत के संदभ्षमे्यह एक जर्री सवाल है कक सरकार अगर गुणवत््ापूण्षके्द्ीय कवद््ालय और नवोदय कवद््ालय चला सकती है तो अच्छे प््ाथकमक कवद््ालय क्यो्नही्चला सकती. दुर्स् सकए भसवष्य मे् हरेक गरीबतम पसरवार के बच््ेको सशक््ा उपिल्ध नही्हो पायेगी. उच्् न्यायािय ने ठीक ही िमाज और राज्य को सदशा सनद््ेश सदए है् सक नौकरशाहो्, जन प््सतसनसधयो् व न्यायाधीशो् को अपने बच््ो् को िरकारी प््ाथसमक सवद््ािय मे् पढाना चासहए सजििे रातो्-रात सशक््ा की गुणवत््ा मे् जादुई िुधार हो जायेगा. यह असभयान सशक््ा के सनजीकरण की सदशा को बदिने के सिए प््सतबद्् है जबसक िमाजवादी पाट््ी सशक््ा मे् सनजीकरण को बढावा देने की सजद््पर अडी हुई है. स्पष्् है सक िमाजवादी पाट््ी िमान सशक््ा प््णािी के सवचार को मानने के सिए ही तैयार नही् है और उच्् न्यायािय के आदेश की भी
मममनस्थ्ी एस: समान मशक््ा पर अमल अवहेिना करने मे् उिे कोई िंकोच नही्. जबसक डॉ राम मनोहर िोसहया, सजन्हे् िमाजवादी पाट््ी अपना प््ेरणा स््ोत मानती है का प््सिद््नारा था सक ‘चाहे राष््पसत की हो या चपरािी की िंतान िबकी सशक््ा एक िमान’. जासहर है डॉ िोसहया िमान सशक््ा प््णािी के पक््धर थे और चाहते थे सक अमीर व गरीब के बच््ेिाथ मे्पढे्. मुखय् मंत्ी सनजी सवद््ाियो्िे बहुत प्भ् ासवत सदखते है्. वे कहते है् सक सनजी सवद््ाियो् के अच्छे सशक्क ् ो्का सवसडयो बना कर वे दूर ब्सथत
सवद््ाियो् तक पहुंचाये्ेगे. सकंतु िरकारी सवद््ाियो्मे्सनयुक्त िाखो्सशक््को्, जो सनजी सवद््ाियो्के सशक््को्िे ज्यादा योग्य है्, का वे चरमारायी सशक््ा व्यवस्था को दुर्स् करने के सिए इस््ेमाि नही्करना चाहते. वे कहते है् सक वे िमान पाठ््क्म िागू करे्गे सकंतु िमान सशक््ा प््णािी नही्. वे इि बात को स्वीकार करने को तैयार नही्सक अमीर व गरीब के बच््ेएक िाथ पढ िकते है्सजिको िेकर अब सशक््ा के असधकार असधसनयम मे्भी प््ावधान है सक 25 प््सतशत तक गरीब बच््े अमीर बच््ो् के सवद््ाियो् मे् पढे्गे और सजिे प््देश िरकार िागू भी कर रही है. सपछिे वि्डजब िखनऊ के बेसिक सशक््ा असधकारी ने शहर के िबिे बडे सवद््ािय सिटी मांटेिरी मे्31 बच््ो्के दासखिे का आदेश कर सदया और सवद््ािय ने बच््ो्को दासखिा देने िे मना कर सदया तो िरकार अिहाय िी खडी रही. वह तो सवद््ािय के मासिक जगदीश गांधी ने खुद न्यायािय जाने की मूख्डता की तो न्यायािय ने अंततः 13 बच््ो् के दासखिे का आदेश सदया. सकंतु असखिेश यादव इिे अपनी िरकार की उपिब्लध मानते है्. चाहे तो वे सबना मुकदमा िडे कडायी िे इि आदेश का अनुपािन करा िकते थे. यह सवद््ािय िरकार के कई सनयम-कानूनो् की धस््जयां उडाते हुए चि रहा है. सजि तरह नीतीश कुमार ने सबहार मे् शराबबंदी को िागू कर गरीबो् मे् िोकस््पयता हासिि कर िी है उिी तरह उपय्डुक्त उच्् न्यायािय के आदेश को िागू कर असखिेश यादव चाहे् तो उत््र प््देश के गरीबो् के बीच िोकस््पयता हासिि कर िकते है् क्यो्सक इि िैििे िे िरकारी प््ाथसमक सवद््ाियो् की गुणवत््ा बढेगी सजिका िीधा िाभ गरीब के बच््ो्को समिेगा. सजि तरह शराबबंदी को िागू करना सबहार के सिए एक कसठन िैििा था उिी तरह इिाहाबाद उच्् न्यायािय का िैििा भी
कसठन प््तीत होता है. सकंतु एक बार अपना मन मजबूत कर जब नीतीश कुमार ने शराबबंदी को िागू कर ही सदया तो उिका िाभ जनता को समिा. एक तो गरीब पसरवारो् मे् पैिे का दुर्पयोग बंद हुआ और पहिे जो पैिा शराब मे् बरबाद होता था वह अब पसरवार की जर्री चीजो्पर खच्डहोता है. इििे पसरवारो्मे्खुशी आयी. दूिरा पंचायत चुनावो्मे्शराब न बंटने के कारण उम्मीदवारो्का चुनाव िडने का खच्ड कािी कम हो गया. इिी तरह इिाहाबाद उच्् न्यायािय के िैििे को िागू करने िे जब िरकारी सवद््ाियो् की गुणवत््ा िुधर जायेगी तो िभी िोग जब अपने बच््ो्को िरकारी सवद््ाियो्मे्भेजे्गे तो बच््ो्की पढायी पर खच्डकािी कम हो जायेगा. दूिरा िायदा यह होगा सक िभी बच््ेपढने जा पाएंगे जो आज नही् हो पा रहा. भारत मे् 60 िाख बच््े सवद््ािय जाने िे वंसचत है् और गरीब पसरवारो्के 90 प्स्तशत बच््ेजो प््ाथसमक सवद््ािय जाते भी है्तो कक््ा चार तक पढने के बाद भी वे सनरक््र ही रहते है्. जब िरकारी सवद््ाियो्की गुणवत््ा िुधर जायेगी और सशक््ा की उपयोसगता नजर आयेगी तब माता-सपता भी बच््ो्को सवद््ािय मे्भेजने के सिए प््ेसरत हो्गे. जब िरकार गुणवत््ापूण्ड के्द्ीय सवद््ािय व नवोदय सवद््ािय चिा िकती है तो अच्छे प््ाथसमक सवद््ािय क्यो् नही् चिा िकती? उत्र् प्द् श े की ही आईएएि असधकारी समसनस्थ्ी एि. की प््शंिा की जानी चासहए जो अन्य सवकल्प होते हुए भी अपने बच््ो् को के्द्ीय सवद््ािय मे् पढाती है्. अन्य आईएएि असधकासरयो्, जन प््सतसनसधयो् व न्यायाधीशो् को समसनस्थी िे प््ेरणा िेनी चासहए. उम्मीद है, असखिेश यादव इि आदेश के महत्व को िमझे्गे जो सशक््ा मे् अमूिचूि पसरवत्डन िा िकता है और उिे िागू n करे्गे. (िेखक िोशसिस्ट पाट््ी-इंसडया के उपाध्यक््है्.)
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www.shukrawaar.com शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 19
मास् देशकाल ट हेड
कैराना कथा: थोड्ा सच और ज््यादा झूठ कैराना मे्ककराना घराने के रागो्की जगह निरत के गीत गाने का प््यास हो रहा है. इससे भाजपा के झूठ की पोल खुली है और वहां की जनता ने एकजुरता कदखाते हुए सांप्दाकयक भाईचारा कबगाड़्ने के प््यासो्का पुरजोर कवरोध भी ककया है. पंकज चतुवद्े ी
अ
भी तक सकिी को यह नही् पता था सक भारतीय िंगीत का मशहूर सकराना घराना, सजिकी स्थापना महान शास््ीय गायक अल्दि ु करीम खां ने की थी, उिी कैराना िे जन्मा है जहां िे कसथत पिायन उत््र प््देश के गंगा-यमुनी दोआब की हसरयािी वािी धरती पर मतो्के बीज बन कर उभर रहा है. मान्यता यही भी है सक
महाभारत काि मे्कैराना मे्ही दानवीर कण्डका जन्म हुआ था. एक मान्यता यह भी है सक कैराना का नाम ‘कै और राणा’नाम के राणा चौहान गुजरड् ो् के नाम पर पडा. माना जाता है सक राजस्थान के अजमेर िे आये राणा देव राज चौहान और राणा दीप राज चौहान ने कैराना की नी्व रखी. कैराना के आि-पाि किश्यान चौहान गोत्् के गुज्डर िमुदाय के 84 गांव है्. िोिहवी्िदी मे्मुग़ि बादशाह जहांगीर ने अपनी आत्मकथा ‘तुज़क ु कैराना मे् भाजपा की जांच टीम: संमदग्ध नतीजे
20 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
ए-जहांगीरी’ मे्कैराना की अपनी यात््ा के बारे मे् सिखा है और मुक़र्डब ख्ान की बनायी कई इमारतो्, एक शानदार बाग़ और बडे तािाब का सज़क््सकया है. आज कैराना मे्सकराना घराने के रागो्की जगह निरत के गीत गाने का प्य् ाि हो रहा है, हािंसक वहां की जनता ने एकजुटता सदखाते हुए ऐिे प्य् ािो्का पुरजोर सवरोध सकया है. सदल्िी िे कोई 100 सकिोमीटर व मुजफ्िरनगर िे 50 सकिोमीटर दूर ब्सथत कैराना िाि 2011 मे्मायावती द््ारा बनाये गये नये सजिे शामिी के सहस्िे मे्आया. हसरयाणा मे्पानीपत िे िटे युमना सकनारे बिे इि छोटे िे कस्बे मे् सडग््ी कॉिेज के अिावा इंजीसनयसरंग और मैनज े मेट् कॉिेज भी है. सदल्िी के पाि होने के बावजूद सकराना का उतना सवकाि नही् हुआ सजतना होना चासहए. िाि 2011 की जनगणना के मुतासबक़ कैराना तहिीि की जनिंखय् ा एक िाख 77 हजार 121 थी सजिमे् कैराना नगर पासिका की आबादी करीब 89 हजार है . इिमे् 81 प्स्तशत मुबस् िम, 18 िीिदी सहंदू और अन्य धम््ो् को मानने वािे िोग एक िीिदी है्. यह इिाका सकतना सपछडा है, इिकी बानगी इि आंकडे िे होती है सक जहां पूरे उप्् राज्य की िाक्र् ता दर 68 िीिदी है, तो कैराना मे् महज 47 िीिदी. चूसं क कैराना सपछडे इिाको्मे्आता है इिसिए बरिो्िे यहां के िोग कैराना के पाि
ही पानीपत, मेरठ, र्डकी सदल्िी और देहरादून काम की तिाश मे्जाते रहे है्और अब भी जा रहे है.् िेसकन इि बार काम की तिाश मे्िोगो्के दूिरे शहर जाने को सहंदू पिायन िे जोडा जा रहा है. कैराना हर िमय शांत इिाका रहा है, बावरी मब्सजद सगरने के बाद हुए दंगो्मे्यहां कोई सवरोध भी नही्हुआ. िाि 2013 के पस््िमी उप््के दंगो् मे्जहां 25 सकिोमीटर दूर तक मारकाट मची थी, कैराना शांत था. दंगाग्स ् ्गांवो्के कोई दि हजार िेाग यहां आ कर बिे और जब वे एक बार उधम कर रहे थे तो शहर की मुबस् िम सबरादरी ने ही उनके सखिाि आवाज उठायी. कैरान िे पिायन की िच््ाई अब िबके िामने है,् िेसकन इि बात िे इनकार नही्सकया जा िकता सक वहां गुडं ागद््ी चरम पर है और राज्य िरकार इि पर काबू करने मे् नाकाम रही है. हािांसक यह भी िच है सक दो िाि पहिे सिरौती के सिए मारे गये दो व्यापासरयो् की हत्या के सवरोध मे्बाजार बंद या जुिि ू मे्नारे िगाने मे् िबिे आगे स्थानीय मुबस् िम ही थे. यह भी तथ्य है सक इिाके की कुखय् ात मुकीम कािा सगरोह मे् सहंदू गुडं े भी उतने ही है्सजतने सक मुििमान नाम वािे. आतंक, बेराजगारी और बेहतर सजंदगी के सिए पिायन कैराना की त््ािदी है, िेसकन िांिद हुकमु सिंह की सियाित अध्-ड ित्य है. सपछिे दो दशक के दौरान कैराना िे कुि 1254 पसरवार
कैराना: पलायन की िजह का सिाल दूिरी जगहो् को गये. इनमे् नौ िौ िे ज्यादा मुििमान पसरवार है्. इनमे िबिे बडा नाम िुप्ीम कोट्ड के मशहूर असधवक्ता िैयद नासदर अिी खान का है सजनकी कैराना मे करोडो की िंपस््त आज भी वीरान है. गौर करे् सक मुज़फ्िरनगर के 14 मे्िे 12 कस्बो्मे, शामिी के िभी कस्बो मे्, िहारनपुर के 12 मे िे 10 कस्बो् मे्, मेरठ के आठ और सबजनौर के िभी कस्बो्मे मुििमानो की आबादी िबिे ज्यादा है. सबजनौर मे्तो 18 मे िे 14 नगर पंचायत अध्यक्् मुििमान है्. इिके उिट िभी शहरो् मे हुकुम मसंह: राजनीमतक चाल
मुििमानो की आबादी सहंदओ ु ्िे कम है और एक भी महापौर मुििमान नही है. शहरो् मे गरीब तबके का मुििमान है जो रोजगार की तिाश मे शहरी हो गया. गांव िे भी मुििमानो ने बडी िंखय् ा मे पिायन सकया. जमीन उनके पाि थी नही्. शहर मे जाने की सहम्मत नही थी. िो वे छोटे कस्बो् को चुनते है. यह सवडंबना ही है सक मुबस् िम-बहुि इिाको्मे्सवकाि की गसत धीमी रहती है और वहां की पूरी सियाित भावनात्मक, गैर-पसरणामदेय और धास्मडक मुद्ो् के आिपाि भटकती रहती है. पस््िमी उत्र् प्द् श े की इि खासियत को भी िमझना जर्री है सक यहां त्यागी, मसिक, चौधरी जैिी िभी जासतयां सहंदू और मुििमान दोनो् मे् है.् इन िोगो्की जीवन-शैिी भी पूजा पद्स्त के अिावा एक िामन रही है. िाि 2013 के दंगो् के बाद मुि जाट यानी मुििमान जाट और सहंदू जाटो्मे्खाई हो गयी. कैराना के आिपाि बडी आबादी गूजरो् की है और गूजरो् मे् भी दोनो् िंपद् ाय है.् अब जरा हुकमु सिंह को भी जान िे् तो पिायन की हकीकत खुद ब खुद िमझ आ जायेगी. हुकमु सिंह िाि 1938 मे्जन्म और उि दौर मे् इिाहबाद िे बीए, एिएिबी उतीण्ड थे. िाि 1962 मे् उनका चयन राज्य की न्यासयक िेवा मे् हो गया, िेसकन तभी चीन ने भारत पर आक्म् ण सकया. पंसडत नेहर् ने देश के युवाओ् िे िौज मे्आने की अपीि की और हुकमु सिंह जी न्यासयक िेवा की जगह िौज मे् चिे गये. िाि 1965 मे् पासकस््ान युद् मे् भी वे पुछ मे् कमांडर के तौर पर दुशम् नो्िे मोच्ाड िेते रहे. िाि 1969 मे्वे घर िौट आये और अपनी वकाित प््ारंभ की. थोडे ही िमय मे्वे सहंद-ू मुबस् िम गूजरो् मे्बाबूजी ने नाम िे मशहूर हो गये. उनकी कोई राजनीसतक असभिाशाएं थी नही् थी्, सिर भी वे 1974 मे् कांग्ेि के सटकट पर सवधायक बने. अगिा चुनाव यानी 1980 का उन्हो्ने चौधरी चरण सिंह के िोकदि िे िडा. िाि 1985 मे् वीरबहादुर सिंह मंत्ी मंडि मे्वे पशुपािन सवभाग के मंत्ी बने और उिके तत्काि बाद मुखय् मंत्ी पद नारायण दत्् सतवारी द््ारा िंभािने पर उन्हे् केबीनेट मंत्ी बना सदया गया. इि बीच कैराना िे मुब्सिम युवक िमाजवादी पाट््ी मे्आ गये और चौधरी िाहब को अपने वोट बैक ् पर खतरा सदखने िगा, सिर वे 1995 मे्भाजपा मे्आ गये. िाि 2007 मे्भी वे भाजपा िे सवधायक रहे. सवधान िभा के उपाध्यक्् रहे. िाि 2013 के पस््िमी उ.प्.् दंगो्मे्उनका नाम आया. सपछिे िोकिभा चुनाव मे्वे पहिी बार िांिद बने, िेसकन जब उनके द््ारा खािी की गयी सवधानिभा िीट पर उपचुनाव हुआ तो वहां िे िमाजवादी पाट््ी जीत गयी. हािांसक हुकुम सिंह इि िीट को अपनी बेटी को सवराित मे्देना चाहते थे. शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 21
देशकाल
कैराना मे् रहबर फाउंडेशन का स्िास्थ्य मशमिर: समाज सेिा का काम अभी तक हुकमु सिंह को मुििमानो्के वोट उधर पुसिि का कहना है सक आरोप िगाने वािे समिते रहे थे, िेसकन दंगो्के बाद हुए ध्व्ु ीकरण िांिद स्वयं अपरासधयो्का पक््िेते रहे है.् मे्उनकी वह छसव ध्वस््हो गयी. दंगो्मे्चस्चतड डीआईजी एके राघव का दावा है सक िांिद रहे िंजीव बासियान केद् ्मे्मंत्ी बने और दूिरे महोदय ने एक मसहिा के अपहरण और हत्या के सवधायक िंगीत िोम भाजपा मे् भसवष्य के बडे मामिे मे् कश्यप जासत के दो िोगो् का नाम नेता के तौर पर स्थासपत हो गये. िेसकन सजि तरह सनकािने के सिए दबाव बनाया था. अकबरपुर इन इिाको् के सवकाि िे प््सत िरकारो् का िुहं टै ी मे्गुड्ी नाम की मसहिा की अपहरण के नजसरया रहा है, चौधरी चरण सिंह और नारायण बाद हत्या हो गयी थी. इि मामिे मे्दो मुबस् िम दत््सतवारी के िाथ राजनीसत करने वािे राज्य के और दो सहंदू (कश्यप) के नाम आये, सजिमे् िभी दिो्मे्िबिे वसरष््नेता हुकमु सिंह हासशये मुबस् िमो् को सगरफ्तार कर जेि भेज सदया गया. पर ही रह गये. िवाि यह उठना िासजमी है सक मािुम हो सक रहे सक मायापुर मे् हुकमु सिंह के जो व्यब्कत इतने िंबे िमय तक इि क््ेत् का एक हजार बीघे के िाम्डहाउि मे्काम करने वािे प््सतसनसधत्व करता रहा हो, वहां सवकाि का असधकतर कश्यप जासत के है्. इिके अिावा अभाव, रोजगार की िंभावना न होना और उपेक्ा िाि 2013 मे्होिी पर हुए सववाद, शामिी मे् के सिए कुछ तो सजम्मदे ारी उनकी भी बनती है. आजाद चौक वािी घटना पर भी उनका पुसिि िे
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टकराव हो चुका है. यही नही्गुडं ागद््ी के कारण भय िे पिायन करने वािे कई व्यापासरयो् का आरोप है सक जब डनहे् धमकी समिी और वे िांिद के पाि गये तो उन्हो्ने कोई मदद नही्की. पिायन करने वािो की जारी सिस्ट मे िबिे पहिा स्थान पाने वािे कोल्ड स््डंक व्यापारी ईश््र चंद उि्फ सबल्िू बताते है् सक 16 अगस्् 2014 की रात मे पांच-छह बदमाश उनके घर आये और उनिे बीि िाख र्पये की रंगदारी नही देने पर पसरवार िसहत जान िे मारने की धमकी देकर चिे गये. उिके बाद अगिे तीन सदनो तक उन्हो्ने स्थानीय भाजपा नेताओ् िसहत मदद के सिए हर मुमसकन दरवाजा खटखटाया, िेसकन कही्िे भी िंतसु ्ष नही समिने पर मजबूर होकर 19 अगस््की रात उन्हो्ने पसरवार िसहत कैराना िे पिायन कर सदया. वे कैराना छोडने के िांपद् ासयक स्वर्प को नकारते हुए कहते है्सक उनके यहां काम करने वािे छल्बीि कम्च ड सरयो् मे्िे बाईि कम्च ड ारी मुििमान ही थे और आज भी यहां उनके बचे-खुचे कारोबार और िंपस््त की देखभाि के सिए एकमात््मुबस् िम नौकर ही है. इि बात िे इनकार नही्सकया जा िकता सक कैराना मे्मुकीम कािा और िुरकान गैग के िोग जेि िे भी िेागो्िे चैथ विूिते है.् िेसकन यह भी िच है सक इन दोनो् सगरोहो् मे् हर जासत के बदमाश है.् यह भी िच है सक बगैर राजनीसतक िंरक्ण ् के इि तरह गुड ं ागद््ी चि नही् िकती. यसद अिि मे्कोई कैराना का भिा चाहता है तो वहां सशक््ा, स्वास्थ, सबजिी, रोजगार और कानून व्यवस्था पर बात करे, वरना देश का हर शहर, कस्बा, महानगर केवि पिायन करने वािो् िे n ही बना है.
अर्ण कुमार व््िपाठी
कैराना एक बहाना है
मेरठ, मकलयाना और अलीगढ्के बहाने दंगे होते रहे है्और उनसे सांपद् ाकयकता की आग धधकती रही है.
जा
सतवाद और िांप्दासयकता उत््र प््देश के माथे पर दज्ड है और िगता नही्सक उिे जल्दी इििे छुटकारा समिने वािा है. अस्िी और नल्बे के दशक मे्मंसदर आंदोिन के बहाने प््देश की िांप्दासयकता का जो के्द् सखिक कर पूव्ी उत््र प््देश मे्चिा गया था वह सिर अब पस््िमी उत््र प््देश मे् िौटाया जा रहा है. मुजफ्िरनगर िे अिग हुए शामिी सजिे का कैराना कस्बा उिका ताजा उदाहरण है. पस््िमी उत््र प््देश मे्मेरठ, मसियाना और अिीगढ्के बहाने िमय-िमय पर ित््र के दशक मे् दंगे होते रहे है् और उनिे यहां िांप्दासयकता की आग धधकती रही है. िेसकन अस्िी के दशक मे्भारतीय सकिान यूसनयन के नेता महे्द् सिंह सटकैत के नेतृत्व मे् खड्े हुए सकिान आंदोिन ने उिे दबा सदया था. उि िमय अयोध्या आंदोिन के दौरान भी उनके मंच िे यह श््ीराम का नारा नही्िगता था बब्लक हर-हर महादेव और अल्िाह हो अकबर के नारे एक िाथ िगते थे. िेसकन वह आग अब सिर उठने िगी है और उि आग को धधकाने मे् राजनीसतक ताकते् िग गयी है्. वैिे तो 2013 के मुजफ्िरनगर दंगे िे ही पस््िमी उत््र प््देश मे्तीव््ध््ुवीकरण हुआ और मोदी के सवकाि के नारे के नीचे सहंदू मुब्सिम सवभाजन की वह भावना मौजूद रही. आज 2017 के चुनाव मे्बहुजन िमाज पाट््ी के बढ्ते प््भाव को रोकने के सिए सजि मुद्े की जर्रत बड्े र्प मे् भाजपा को और छोटे र्प मे् िपा को थी, उिे कैराना के बहाने तैयार सकया जा रहा है. सजन्हे् पस््िमी उत््र प््देश के िामासजक राजनीसतक चसरत्् के बारे मे् जानकारी है वे िभी जानते है् सक अपनी आस्थडक िमृस्द और औद््ोसगक तरक््ी के बावजूद मुजफ्िरनगर िंबे िमय िे आपरासधक सजिा रहा है. आज अगर वहां मुब्सिम मासियाओ्की चच्ाड तेज है तो कभी महे्द्िौजी और राजे्द्भूरा जैिे दूिरे अपरासधयो् की चच्ाड भी खूब होती थी. एक बार तो महे्द् िौजी चौधरी सटकैत के मंच पर भी पहुंच गया था और उिे चौधरी िाहब ने माि करने की बात कह डािी थी. िेसकन सटकैत िांप्दासयक राजनीसत नही्करते थे इिसिए उन्हो्ने कभी सहंदू और मुब्सिम मासियाओ्की िूची नही्जारी की और न ही पस््िम िे रोजगार की तिाश मे् सदल्िी और एनिीआर मे् पिायन करने वािो् की ऐिी कोई सिस्ट बनायी. आज गरीबी, अपराध और आस्थडक िामासजक अिुरक््ा ने िांप्दासयकता का दामन थामना शुर् कर सदया है. हािांसक भाजपा िांिद हुकुम सिंह ने पहिे पिायन करने वािे 364 सहंदू पसरवारो् की िूची जारी की और बाद मे् वे पिटी मारने िगे. क्यो्सक पिायन करने वािे पसरवारो् मे् बाद मे् मुब्सिमो् के नाम भी आने िगे. िेसकन मुजफ्िरनगर दंगे िे प््सिद्् हुए भाजपा सवधायक िंगीत िोम की सनभ्डय यात््ा और िमाजवादी पाट््ी की िद््ावना यात््ा का सििसििा जारी है. भाजपा कश्मीर घाटी की तज्ड पर दावा कर रही है सक वह िंदुओ् को वापि बिायेगी और िपा कह रही है सक भाजपा झूठ बोि
रही है और धास्मडक आधार पर पिायन हुआ ही नही्. इिमे् कोई दो राय नही् सक कैराना कोतवािी मे् सजन 109 सहस्ि्ीिीटरो् के नाम दज्ड है् उनमे् इकबाि काना, सदिशाद समज्ाड, मुकीम कािा, िुरकान जैिे मासियाओ्का उल्िेख है. इकबाि काना के बारे मे्तो कहा जाता है सक वह यहां कई कांड करने के बाद अब पासकस््ान को सठकाना बनाए हुए है. हाि मे्हुए प््तीक दीवान अपहरण कांड के िूत्इिी इिाके िे जुड्े थे. 2014 मे् सवनोद सिंघि नामक व्यापारी को थाने के पाि ही बाजार मे् गोिी मारी गयी. मासिया मुकीम व्यापारी सशवकुमार और राजे्द् की हत्या के बाद आजकि जेि मे् है. इि बीच यहां नकिी नोटो् के कारोबार का भी मामिा पकड् मे् आया है और िाथ ही शुक्ताि मे् हसथयारो्की िौदागरी की खबरे्भी रही है्. िन 2017 के चुनाव को देखते हुए हर पाट््ी आधे िच िे अपना काम चिाना चाहती है. वह न तो भ््ष् होते िमाज को िुधारना चाहती है और न ही िचर व्यवस्था को ठीक करना चाहती है. वह दूिरे को झूठा बताकर ित््ा पर कल्जा करना चाहती है. ित््ा पर कल्जा करने के इिी असभयान के तहत इिाहाबाद मे्हुई अपनी राष््ीय काय्डकासरणी मे् भाजपा ने तय सकया सक वह भिे अयोध्या के राममंसदर का मुद्ा न गरमाये िेसकन नरम सहंदुत्व को जर्र उठायेगी और कैराना उिी की एक बानगी है. मुजफ्िरनगर का शामिी ही वह स्थि है जहां पर चौधरी महे्द् सिंह सटकैत ने एक अल्पिंख्यक िड्की नईमा िे हुए बिात्कार के सवर्द् तकरीबन चािीि सदन का िबिे बड्ा धरना सदया था. तब यहां सहंदू और मुििमान एकजुट थे. कैराना अपने सकराना िंगीत के सिए देश-दुसनया मे् मशहूर रहा है. यहां के देवबंद ने भी सवभाजन के सवरोध मे् स्वाधीनता िंग्ाम मे्ऐसतहासिक भूसमका सनभायी थी. इि क््ेत्मे्2013 के दंगे के बाद मुब्सिम अपरासधयो्की िस््कयता तेज होती सदखती है. इिके कारण के तौर पर यह कहा जाता है सक िरकार ने उन्हे् िंरक््ण दे रखा है. िेसकन इिकी राजनीसतक हकीकत यह भी है सक िमाज के अिग थिग पड्ने के बाद अपराधी उिका नेतृत्व ग््हण करते है्. उत््र प््देश का जासतवादी और िांप्दासयक िमाज चुनाव िे पहिे असधकतम सवभासजत होता रहा है िेसकन िच््ाई यह भी है सक वह कई बार इन सवभाजनो् को दरसकनार करके एक सववेकपूण्ड एकजुटता भी सदखाता रहा है. देखना है सक 2017 िे पहिे वह और बंटेगा या सकिी n नये सकस्म का जुड्ाव और िमाधान पेश करेगा? (िेखक वसरष््पत््कार और महात्मा गांधी सहंदी सवश््सवद््ािय वघ्ाड मे्असतसथ प््ाध्यापक है्.) शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 23
मुलाकात
चा
र साल मुख्यमंत्ी रहने के बाद आप अपने को वकतना सिल और असिल महसूस कर रहे है्? िमाजवादी िरकार के इन चार वि््ो् के ििर को मै् एक उपिब्लध और िििता के तौर पर देखता हूं. हािांसक यह ििर जारी है और आने वािे िमय मे्हम सनस््ित ही सवकाि की नयी मंसजिो्को छुये्गे. नगरीय एवं ग््ामीण क््ेत्ो्मे्बुसनयादी िुसवधाओ्के सवकाि, जन-कल्याण, सशक््ा, स्वास्थ्य आसद िभी क््ेत्ो्मे्राज्य िरकार ने प््शंिनीय एवं भरोिेमंद काय्ड सकया है. आने वािे िमय मे् उत््र प््देश की तस्वीर बदिने जा रही है. कुि समिाकर राज्य िरकार ने अपने अब तक के काय्डकाि का बेहतर ढंग िे िदुपयोग करते हुए प््देश को सवकाि के रास््ेपर आगे बढाने का ईमानदारी िे प््याि सकया है. पूि्जमुख्यमंत्ी ने प््देश को चार वहस्सो्मे्बांरने का प््स्ाि पास कर वदया था और यही आिाज उठ रही थी वक इतना बड़ा प््देश एकजुर नही्रह सकता. उसे आप वकतना एकजुर कर पाये? पूववड् त््ी िरकार के उत्र् प्द् श े को चार सहस्िो्मे्बांटने के पीछे उनकी चाहे जो भी िोच रही हो, िमाजवादी पाट््ी का मानना है सक उत््र प््देश के गौरव और िमृद्शािी इसतहाि को बांटने की आवश्यकता नही्है. हमारी िरकार जहां एक ओर बडी पसरयोजनाएं जैिे आगरा-िखनऊ एक्िप््ेि-वे, िमाजवादी पूव्ाा्चि एक्िप््ेि-वे के सनम्ाडण का काय्ड तेजी िे चि रहा है, वही्दूिरी ओर शहरी व ग््ामीण क््ेत्ो्मे्स्वास्थ्य, िडक, सबजिी, पेयजि, सशक््ा एवं रोजगार िृजन के िाधन उपिल्ध कराये जा रहे है्. जनेश्र जी कहते थे वक इस प््देश को बादशाहत की बीमारी लग अमखलेश यादि: चार साल का सफर गयी है. िह अपने बारे मे् सोचता नही्, वसि्फ देश के बारे मे् और चावि, दाि, आिू, िरिो् का तेि, देशी घी, नमक, समल्क पाउडर प््धानमंत्ी बनाने के बारे मे्सोचता है. उत््र प््देश आबादी के सिहाज िे देश का िबिे बडा राज्य है. इिकी उपिल्ध कराया जा रहा है. मनरेगा के रोजगार सदवि को 150 सदन करने के िाथ क््ेत् के पात्् िमस्याएं भी ज्यादा है.् यह भी िही है सक इि प्द् श े ने देश को िबिे ज्यादा पसरवारो् को शत-प््सतशत िमाजवादी पे्शन योजना के तहत आच्छासदत प्ध ् ानमंत्ी सदये, िेसकन सिर भी यह सवकसित नही्हो पाया है. जबसक यहां सवकाि के सिए जर्री िभी िाधन जैिे भूसम, ब्सकल्ड एवं नॉन ब्सकल्ड करने का िैििा पूव्डमे्ही सिया जा चुका है. पूव्ाा्चि के सवकाि के सिए भी कई पसरयोजनाएं चिायी जा रही है्, सजनमे् िमाजवादी पूव्ाा्चि मानव िंिाधन, बडा बाजार आसद उपिल्ध है्. लोवहया जी कहते थे वक यहां से बार-बार प््धानमंत्ी बनने से इस एक्िप््ेि-वे भी शासमि है. प््देश का बड़ा नुकसान हुआ है. इसवलए कुछ समय के वलए दव््कण विकास के मौजूदा पूंजीिादी मॉडल से आप समाजिादी समाज भारत से भी प््धानमंत्ी आने चावहए. क्या मोदी के प््धानमंत्ी बनने का वकतना वनम्ाजण कर पाये्गे? आय की असमानता लगातार बढ़ रही है. से िह वदक््त दूर हुई है? सवकाि का रास््ा िमाजवादी सवचारधारा, नीसतयो्और सिद््ातं ो्िे ही यह बात िही है सक प्ध ् ानमंत्ी होने के नाते सजम्मदे ासरयां बडी हो जाती है् और व्यापक दृस्ष िे चीजो् को देखना व िोचना पडता है. प््धानमंत्ी सनकिेगा. सकिी भी तरह की अिमानता िमाज मे्िमस्याओ्को जन्म देती ड अिमानता अगर है, तो सवकाि का वत्मड ान मॉडि देश और चूंसक पूरे देश का होता है, इिसिए वह केवि अपने क््ेत्या प््देश के ही है. आस्थक सवकाि के बारे मे् नही् िोच िकता. िेसकन अगर दृस्ष व्यापक है और िमाज सहत मे्नही्होगा. ऐिे मे्डॉ िोसहया की बात आज भी प््ािंसगक है. िोच िही है, तो देश के िाथ-िाथ वह अपने प््देश का सवकाि करेगा ही, आप एक सह्दय और विनयशील मुख्यमंत्ी के र्प मे्जाने जाते है्. क्यो्सक उत््र प््देश जैिे सवशाि राज्य के सवकाि के बगैर देश का सवकाि इस नाते आपकी एक सख्त और कुशल प््शासक की छवि पर सिाल उठते रहे है्. इस पर आप का क्या कहना है? िंभव नही्है. िरिता, िह्दयता और सवनयशीिता को मै्अब तक अच्छे गुणो्के पूि्ी और पव््िमी उप्् की आव्थजक असमानता कब वमरेगी और बुंदेलखंड के वकसानो् की आत्महत्या कब प््देश सरकार ने शुर्आत से ही र्प मे् ही जानता रहा हूं. िेसकन िरकार को पारदस्शतड ा के िाथ चिाने के मुद्ेपर कभी भी कोई र्केगी? सांप्दाययक घटनाओ् को लेकर िमझौता नही् सकया गया. दोसियो् को दंसडत भी यहां मै् आपिे िहमत नही् हूं. िमाजवादी सख्त र्ख अपनाया और सकया गया है, चाहे वह सकिी भी स््र का व्यब्कत िरकार पूरे प््देश के िंतुसित सवकाि पर जोर दे रही है, सजिमे् क्े्त्ीय सविमताओ् के सिए कोई असामायिक तत्वो् के मंसूबो् को क्यो्न रहा हो. प्द् श े की कानून व्यिस्था पर सिाल उठते रहे जगह नही्है. बुंदेिखंड क््ेत्के पात््पसरवारो्को पूरी तरह यवफल कर यदया. है्. कहा जाता है वक आप अच्छे आदमी है् खाद्् िुरक््ा असधसनयम के तहत चार महीने तक सनःशुल्क खाद््ान्न सवतसरत सकए जाने के सनद््ेश सदये गये है्. यहां की लेवकन आपके साथ गड़बड़ लोग है्? प््देश िरकार ने शुर्आत िे ही िांप्दासयक घटनाओ्को िेकर िख्त पेयजि िमस्या के तात्कासिक और स्थायी सनदान के सिए धनरासश भी स्वीकृत की गयी है. क््ेत् के िभी िात सजिो् के दो िाख तीि हजार र्ख अपनाया और अिामासजक तत्वो्के मंिूबो्को पूरी तरह सविि कर अंत्योदय पसरवारो् को िमाजवादी िूखा राहत िामग््ी के तहत आटा, सदया. यहां कानून-व्यवस्था की ब्सथसत चाक-चौबंद है. राज्य िरकार 24 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
‘दलो् से ऊपर उठकर मिकास’ उत््र प््देश के मुख्यमंत्ी अकखलेश यादव से अर्ण कुमार क््तपाठी की कवशेर बातचीत.
पुसिि को िभी िंिाधन और िुसवधाएं दे रही है. समय-समय पर साि्जजवनक र्प से दी गयी मुलायम वसंह यादि की वहदायतो्को आप वकस र्प मे्देखते है्? इि िंदभ्ड मे् मै् कहना चाहूंगा सक िाव्डजसनक जीवन एवं िरकार मे् रहने का नेताजी का एक िंबा अनुभव रहा है. वे हर हाि मे् प््देश और देश का सवकाि चाहते है्. वे चाहते है्सक देश को अंतर्ाडष्ीय स््र पर भी बड्ा िम्मान समिे. डॉ लोवहया नर-नारी समता पर जोर देते थे. उस वदशा मे् आपको अपना सबसे उल्लेखनीय कदम क्या लगता है? नर-नारी िमता भी उतनी ही जर्री है, सजतनी आस्थडक और िामासजक िमता. मसहिाएं हमारी आबादी का आधा सहस्िा है्. इनकी उन्नसत और िमृस्द के बगैर िमाज या देश का सवकाि िंभव नही्है. राज्य िरकार मसहिाओ् की सशक््ा एवं िुरक््ा के प््सत पूरी तरह गंभीर है. मसहिाओ् मे् िुरक््ा और आत्मसवश््ाि की भावना जागृत करने के सिए ‘1090’ वीमेन पावर िाइन की स्थापना की गयी, सजिमे्अपार िििता भी समिी है. रानी िक््मीबाई मसहिा िम्मान कोि की स्थापना की गयी. इिके अिावा, प््देश के 11 जनपदो्मे्रानी िक््मी बाई आशा ज्योसत के्द्ो् की स्थापना की गयी है. मसहिाओ् के सवर्द् गंभीर अपराधो् के तेजी िे सनस््ारण के सिए प््त्येक जनपद मे् िास्ट ि््ैक कोट्ड की स्थापना का भी िैििा सिया गया है. मुजफ्िरनगर दंगो् के बारे मे् विष्णु सहाय सवमवत की रपर लीपापोती मानी जा रही है. उससे पहले आरोपी भी छूर गये है्. क्या आपकी सरकार संप्दावयक समस्या से मुंह िेर रही है? मुजफ्िरनगर के िंबधं मे्राज्य िरकार ने तेजी िे कार्वड ाई की. िेना को भी िमय पर बुिाकर ब्सथसत को खराब होने िे रोकने का काय्डसकया. मुजफ्िरनगर की घटना के दौरान अिामासजक तत्वो्िे िख्ती िे सनपटा गया. पय्ाजिरण पर आपकी सरकार गंभीर है. लेवकन इरािा लायन सिारी मे्सात से आठ शेर मर चुके है्. आपने पॉलीथीन पर पाबंदी लगाने और गौरैया के घोसले बांरने का काम भी वकया है. पर
पॉलीथीन लोगो्की आदत मे्शुमार है? पय्ाडवरण िंरक््ण के िंदभ्ड मे् राज्य िरकार रणनीसत बनाकर काय्ड कर रही है. चाहे वह वृक्ारोपण की बात हो, िारि और गौरैया िंरक््ण का सविय हो या सिर चाहे पॉिीथीन पर प््सतबंध िगाने की बात हो. िभी मुद्ो् पर गंभीरता िे काय्डसकया जा रहा है. इटावा की िायन ििारी मे्शेरो्की मृत्यु को गंभीरता िे िेते हुए त्वसरत काय्डवाही की गयी. कत्डव्य पािन मे् उदािीनता बरतने तथा सशसथि पय्डवेक्ण के सिए सजम्मेदार असधकासरयो् के सवर्द्कार्डवाई भी की गयी. पक््ी महोत्िव का आयोजन कर िोगो्मे् पस््कयो् के प््सत चेतना जाग््त करने एवं पय्डटन को बढावा देने का प््याि सकया गया है. पय्ाडवरण के िंदभ्ड मे् कहना चाहूंगा सक यह तभी िुरस््कत और िंरस््कत रह िकता है, जब जन भागीदारी हो. जनता िे मेरी अपीि है सक वह इि सदशा मे्िगातार अपना िस््कय िहयोग प््दान करे. क्या 2014 मे्लोक सभा की हार के बाद आपकी पार््ी भाजपा और संघ से डर गयी है? जहां तक िोकिभा आम चुनाव 2014 का प््श्न है, तो इि िंबंध मे् मै् यह बताना चाहता हूं सक एक दि के िोगो् ने जनता को झूठे िपने सदखाकर चुनाव जीतने का काम सकया है. िेसकन प््देश की जनता अब ऐिे िोगो्के िंबध ं मे्अच्छी तरह िे जान एवं िमझ चुकी है. केद् ्िरकार की काय्डप््णािी िे पूरे देश िसहत प््देश की जनता सनराश और हताश है तथा अपने को ठगा महिूि कर रही है. सदल्िी और सबहार सवधान िभा चुनाव के नतीजे इि बात का िबूत है सक जनता, गुमराह करने वािे िोगो् की अिसियत िे वासकि हो गयी है. बसपा और मायािती की राजनीवत को आप अपने वलए वकतनी बड़ी चुनौती मानते है्? बिपा और इिकी मुसखया की राजनीसत के बारे मे्सजतना कहा जाये, कम ही होगा. प््देश की जनता इि राजनीसत िे त््स् हो चुकी थी. तभी उिने पूण्डबहुमत के िाथ िमाजवादी पाट््ी की िरकार बनवायी. पूव्डवत््ी िरकार ने सवकाि िे िबंसधंत एक भी काय्ड नही् सकया. सिि्फ मूस्तडयो्, पत्थरो्और हासथयो्को स्थासपत सकया और पत्थरो्के पाक्फबनाये गये. सपछिी बिपा िरकार मे्भ्ष ् ्ाचार का बोिबािा था. िपा ने कमजोर वग््ो्और दसितो्के सवकाि के सिए उल्िेखनीय काय्डसकए है्. प््देश के दसित अब उनके झांिे मे्आने वािे नही्है्. गोरक््ा और उसके बहाने उठे दादरी वििाद और विर भारत माता की जय के बहाने देशद््ोही वििाद पर आपका क्या कहना है? क्या आपके जनाधार को ओिैसी से कोई खतरा है? मै्कहता रहा हूं सक िांप्दासयक शब्कतयो्का अपना एक एजे्डा होता है, जो कभी भी देश व िमाज सहत मे् नही् होता है. ये शब्कतयां िगातार िासजश के तहत अपने नापाक इरादो् को अंजाम देने मे् िगी रहती है्. जनता का ध्यान सवकाि के मुद्ो्िे हटाकर दूिरी ओर िे जाने के प््याि सकये जाते है्. इनिे हम िबको ितक्फ रहना होगा. िमाजवादी पाट््ी का जनाधार मजबूत है और इिे सकिी िासजश िे कोई खतरा उत्पन्न होने का िवाि ही पैदा नही्होता. क्या 2019 मे्मुलायम वसंह जी के प्ध ् ानमंत्ी बनने की संभािना है? नेताजी का राजनैसतक जीवन और अनुभव दीघ्डकािीन रहा है. उन्हो्ने कई राजनैसतक उतार-चढाव देखे है्. उनके माग्डदश्डन मे्िमाजवादी पाट््ी और िरकार िगातार काय्ड कर रही है. िोकतांस्तक और धम्डसनरपेक् शब्कतयो्की एकजुटता आवश्यक है और यह काय्डनेताजी की अगुवायी मे् बखूबी हो िकता है. उत््र प््देश का 2017 का सवधान िभा चुनाव और 2019 का िोक िभा चुनाव मजबूती के िाथ िडा जायेगा और मुझे पूरा यकीन है सक इिमे्िोकतांस्तक और धम्डसनरपेक्शब्कतयो्की जीत होगी. देश की तमाम िमस्याओ्का िमाधान एक िमाजवादी प््धानमंत्ी ही कर n िकता है. शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 25
मास् उत््रटाखंहेडड
भू-मामि्या की िापसी उत्र् ाखंड मे्भू-माकिया की ताकत का पता इससे चलता है कक वह न कसि्फआईरीबीपी की सरकारी जमीन पर कब्जा कर रहा है, बग्कक उसे अकधकाकरयो् की कमलीभगत से बेच भी रहा है. मंजु मल्ललक मनु
उ
त््राखंड मे् इि िमय भू-मासिया की पौबारह है. िरकारो् की नाक के नीचे वे अपनी कर रहे है्. यहां तक सक िरकारी जमीनो् पर न सिि्फ कल्जा सकया बब्लक उिे बेच भी सदया. जमीनो्की हेरािेरी मे्िरकारी अमिो्व असधकासरयो् का उन्हे् पूरा िाथ समिा और इिका िायदा भूमासिया ने उठाया और अरबो् की जमीन बेच डािी. मिूरी के इंडो-सतल्बत बाड्डर पुसिि (आइटीबीपी) अकादमी की पाि िै्कडो् बीघा जमीन बेचने का मामिा िामने आया है. भू-राजस्व असधकासरयो्ने इि काम मे् धंधेबाजो् का िाथ सदया. भू-मासिया ने जमीन बेचने के सिए आइटीबीपी अकादमी के खिरे का इस््ेमाि सकया और राज्य व राज्य के बाहर के िोगो्को जमीने्बेच डािी्. आइटीबीपी अकादमी को करीब 795 बीघा जमीन समिी हुई है. इि जमीन पर पहिे सकिी और का मासिकाना हक था. बाद मे्यह जमीन आइटीबीपी को स्थानांतसरत की गयी. िेसकन आइटीबीपी िे गिती यह हुई सक उिने राजस्व रेकाड्ड मे् सकिी तरह का बदिाव नही् सकया. आइटीबीपी ने राजस्व रेकाड्ड मे् पुराने मासिक का नाम हटा कर अपना नाम नही्दज्डकराया, जबसक उिे ऐिा करा िेना चासहए थी. भूमासिया ने आइटीबीपी के इिी कमी का िायदा उठाया और अरबो् का िज््ीवाडा कर िरकार को चूना िगाया. स्पेशि जांच दि (एिआइटी) ने इि मामिे की जांच करते हुए पाया सक सहि स्टश े न पर इि जमीन को खरीदने वािो् मे् कई करोडपसत शासमि है्, सजनमे् िे कुछ का 26 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
मसूरी मे् आईटीबीपी के जिान: कैसे बचे् मामफया से
ताल्िुक उत््राखंड िे है तो कई बाहर के भी है्. जांच दि ने जमीन के सनबंधन के करीब पै्तीि कागजो्को कल्जा मे्सिया है. िेसकन कहा जा रहा है सक इिकी तादाद कही् ज्यादा है. जांच दि ने भूसम शाखा के कई िज््ी दस््ावेज जल्त सकए है्, सजििे पता चिता है सक इि मामिे मे् बडे और रिूखदार िोग शासमि है्. इि मामिे मे्दो किेक्टर के भी शासमि होने की बात कही जा रही है, सजनके काय्डकाि के दौरान जमीनो् का सनबंधन हुआ. समिी जानकारी के मुतासबक सपछिे िाि 16 सदिंबर को समिी एक सशकायत पर सवशेि जांत दि ने इि पूरा मामिे की जांच शुर्की तो चौ्काने वािे तथ्य िामने आए. जांच दि ने जब भू-राजस्व सवभाग का कागजात की पडताि की तो आइटीबीपी अकादमी की जमीन (िंख्या-65) को िज््ी कागजात के जसरये बेचे जाने के िबूत िामने आये. िेसकन करीदारो् ने सजन जमीनो् पर कल्जा सकया वह या तो जंगिो्की जमीन है या दूिरी िरकारी जमीने् है्. रेकाड्ड के मुतासबक राजस्व असधकासरयो् की समिीभगत िे उिे रघुप्ताप की जमीन बता कर बेचा गया. हैरत की बात यह है सक िािो्िे यह काम होता रहा और िरकारे् इि मामिे पर गंभीर नही् सदखी्, वह िोती रही्. हैरत की बत यह भी है सक इनमे् िे कइयो्पर तो सनम्ाडण भी हो चुका है. िेसकन सनम्ाडण के िमय भी न तो प््शािन चेता और न िरकार. िच तो यह है सक अरबो् की िरकारी जमीन सबकती रही और अििर अपना िायदा देख कर इि खेि मे् शासमि रहे. िरकारी िापरवाही की वजह िे ही रघुप्ताप ने आइटीबीपी अकादमी की जमीन बेची और
सकिी ने इि की िुध नही्िी. रघुराम ने पहिे इि जमीन को ओल्ि ब््ह्मवेि कैरावेन को बेचा. िेसकन जब कही्िे कोई हिचि नही्हुई तो रघुराम के हौििे बढे और उिने अकादमी के आिपाि की वंन भूसम व दूिरी िरकारी जमीनो्को बेच डािा. सदिचस्प बात यह है सक यूपी िरकार ने इन जमीनो्पर कल्जा िेते वक्त कल्जा करने वािो्को मु्आवजा भी अदा सकया था. जांच मे्इि बात के िबूत समिे है्. दस््ावेजो् के मुतासबक 1933 मे् सबजनौर के रघुराज सिंह ने करीब 795 बीघा जमीन एडसमनस्ि्ेटर जनरि आि यूपी िे खरीदी थी. वि्ड 1964 मे् रघुराज के बेटे रघुप्ताप सिंह ने जमीन ओल्ि को बेच डािी. िेसकन ओल्ि ने इि जमीन को अपने नाम नही्कराया. इि बीच आइटीबीपी को मिूरी मे् अकादमी स्थासपत करने के सिए यूपी िरकार ने उि जमीन के अिावा 161.79 एकड और जमीन ओल्ि िे िी और 31 मई, 1988 को अकादमी स्थासपत करने के सिए उिे यह जमीन आबंसटत कर दी गयी. इिके बदिे कल्जेदारो् को िरकार ने मुआवजा भी दे डािा. इिके बाद आइटीबीपी ने अकादमी स्थासपत की. इि अकादमी ने पुसिि बि मे् शासमि होने वािे असधकासरयो् को प््सशक््ण सदया जाता है. रघुपत् ाप ने ओल्ि को जब जमीन बेची थी तो उिका दासखि खासरज नही् हुआ था. सिर यूपी िरकार ने जमीन असधग््हीत कर जमीन आइटीबीपी को दी तो सकन्ही् कारणो् िे राजस्व असभिेख मे् अपने नाम नही् कराया. जासहर है िरकारी दस््ावेजो् मे् नाम रघुप्ताप का ही नाम था और इिी का िायदा उठा कर उिने भू-मासिया के िाथ समि कर अरबो्की n िरकारी जमीन बेच डािी.
मवणपुर
पुरानी मांग की नयी लड़ाई इनर लाइन परकमर के मुद्े पर मकणपुर किर सुलग रहा है. पव्षतीय इलाके और घारी के लोगो्के मतभेद भी सतह पर आ गये है्. कुमार प््तीक
इ
नर िाइन परसमट (आईएिपी) के मुद्े पर पूव्ोत््र राज्य मसणपुर एक बार सिर िुिग रहा है. इि मुद्े पर पव्डतीय इिाके और मसणपुर घाटी मे्रहने वािे िोगो्के मतभेद भी ितह पर आ गये है्. अब राज्य के अगिे सवधानिभा चुनावो्को देखते हुए ित््ार्ढ्कांग्ेि और यहां ित््ा मे्आने का िपना देख रही भाजपा अपनी सियािी रणनीसत बनाने मे् जुटी है्. िरकार ने बीते िाि अगस्् मे् बाहरी िोगो् की गसतसवसधयो् पर अंकुश िगाने के सिए इििे िंबंसधत तीन सवधेयक पासरत सकए थे. उन सवधेयको्को सििहाि राष््पसत की मंजूरी का इंतजार है. राज्य की बहुिंखय् क मैतेयी आबादी उन सवधेयको् को शीघ्् िागू करने की मांग मे् िड्को्पर उतर आई है. बीते िाि िे अब तक इि आंदोिन मे् िगभग एक दज्डन िोगो् की जाने्गयी है्और करोड्ो्की िंपस््त का नुकिान हुआ है. इनर िाइन परसमट िमेत बीते िाि सवधानिभा मे् पासरत तीन कसथत आसदवािीसवरोधी सवधेयको् के सवरोध मे् इि राज्य एक बार सिर 10 सदनो् तक आस्थडक नाकेबंदी िे जूझना पड्ा है. नौ जून को आधी रात िे शुर् इि दि सदविीय नाकेबंदी की अपीि उक्त सवधेयको्के सखिाि आंदोिन कर रही जॉइंट एक्शन कसमटी, आउटर मसणपुर ि््ाइबि िोरम और यूनाइटेड नगा कौ्सिि ने की थी. इििे राज्य मे् जनजीवन ठप हो गया और नेशनि हाई-वे पर जहां-तहां हजारो् वाहन िंिे रहे. आंदोिनकासरयो् ने अबकी राज्य मे् तमाम पसरयोजनाओ्का काम भी रोक सदया था. दरअिि, पड्ोिी नगािै्ड, समजोरम और अर्णाचि प््देश मे्इनर िाइन परसमट प््णािी पहिे िे ही िागू है. इिी आधार पर मसणपुर के िोग भी इिे िागू करने की मांग कर रहे थे. िंबे िमय तक चिे सहंिक आंदोिन के बाद बीते िाि िरकार ने उक्त सवधेयको्को पासरत कर सदया. िेसकन उिे अब तक अमिी जामा नही्
इनर लाइन परममट लागू करने के मलए आंदोलन: पुरानी मांग पहनाया जा िका है. मसणपुर मे्बाहरी राज्यो्िे वगैरह होते रहे है्. िेसकन बीते िाि िे यह आकर बिने वािे िोगो्की तादाद िगातार बढ् आंदोिन िुस्खडयो्मे्है. रही है. हाित यह है सक घाटी मे् रहने वािे इि मुद्ेपर अब राज्य के पव्तड ीय और घाटी मैतेयी िमुदाय की आबादी जहां 7.51 िाख है इिाके मे् रहने वािे िोग भी दो-िाड् हो गये वही् बाहरी िोगो् की तादाद 7.04 िाख तक है्. घाटी मे्रहने वािी आबादी आईएिपी िागू पहुंच गयी है. इििे मैतेयी िमुदाय को अपना करने की मांग कर रही है तो पव्डतीय इिाको्मे् वजूद खतरे मे्नजर आ रहा है. रहने वािे िोग इिका सवरोध कर रहे है्. राज्य मे्इनर िाइन परसमट की मांग बहुत पव्डतीय इिाको् मे् नगा जनजासत के िोगो् की पुरानी है. िेसकन पहिी बार जुिाई 2012 मे् बहुिता है और इिाके की प््मुख पाट््ी नगा इिका प््स्ाव सवधानिभा मे् पेश सकया गया. पीपुल्ि फं्ट (एनपीएि) भाजपा की िहयोगी उिी िाि अगस्् मे् राज्य िरकार ने इि बारे है. एनपीएि राज्य सवधानिभा मे् पासरत तीनो् मे्के्द्को एक पत््भी भेजा था. िेसकन के्द्ने सवधेयको्को मंजूरी नही्देने की मांग कर रहा मसणपुर मे् आईएिपी िागू करने का प््स्ाव है. मैतेयी तबके के नेताओ्का कहना है सक वे ठुकरा सदया था. बीते िाि छात््ो्ने इि मांग मे् अपनी जमीन की िुरक््ा के सिए आईएिपी की आंदोिन शुर्सकया था. उि दौरान पुसिि की मांग कर रहे है्और यह प््णािी पव्डतीय िोगो् गोिी िे एक छात््की मौत के बाद इि आंदोिन के सहतो् के सखिाि नही् है्. िेसकन पव्डतीय ने जोर पकड्ा और मसहिाओ्िमेत िमाज के िोगो् को िगता है सक इिके जसरये मैतेयी िभी तबके के िोग इिमे्शासमि हो गये. तबका भी पव्डतीय िोगो्की तरह जनजासत का मसणपुर वि्ड1949 मे्भारत का सहस्िा बना दज्ाड पाने का प््याि कर रहा है. और 1972 मे् इिे पूण्ड राज्य का दज्ाड समिा. राज्य मे् बीते पंद्ह वि््ो् िे कांग्ेि की यहां राजाओ् के शािानकाि के दौरान िरकार है. अब अिम की ित््ा पर कासबज होने आईएिपी जैिी एक प््णािी िागू थी सजिके के बाद भाजपा अपने स्थानीय िहयोगी तहत कोई बाहरी व्यब्कत राज्य मे् न तो स्थायी एनपीएि की िहायता िे मसणपुर मे्भी िरकार नागसरक बन िकता था और न ही यहां जमीन बनाने के िपने देख रही है. राज्य मे्अगिे िाि या कोई दूिरी िंपस््त खरीद िकता था. िेसकन सवधानिभा चुनाव होने है्. बीते िाि नवंबर मे् देश मे्सविय के बाद के्द्ने वह प््णािी खत्म हुए उपचुनावो् मे् भाजपा मैतेयी-बहुि इिाके कर दी थी. अब िमय-िमय पर उिी को िागू की दो िीटे्जीत चुकी है. इििे वह इि मुद्े पर करने की मांग उठती रही है. आईएिपी की मांग सियािी रणनीसत बनाने मे् जुटी है. राज्य मे्पहिा बड्ा आंदोिन वि्ड1980 मे्छात््ो्ने सवधानिभा की 60 िीटो् मे् िे बीि िीटे् शुर् सकया था. उि िाि अप््ैि मे् पुसिि पव्डतीय इिाके मे्है्और चािीि घाटी मे्. ऐिे िायसरंग मे् दो छात््ो् की मौत के बाद छात्् मे्भाजपा भी घाटी मे्रहने वािे मैतेयी िमुदाय िंगठन हर िाि अप््ैि मे्उनकी बरिी मनाते की मांगो्की अनदेखी करने का खतरा नही्उठा n िकती. है्और उि दौरान आईएिपी की मांग मे्प्द् श्नड शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 27
मध् मास्यटप्हे्दडेश
मध्य प््देश मे्राम के नाम पर राजनीकत करने वाली भाजपा की ही सरकार है, लेककन संरक््कत घोकरत राम वन गमन पथ पर हो रहे अवैध खनन और मूक्तषयो्की चोरी से सरकार ने आंखे्मूंद रखी है्. पूजा वसंह
भ
गवान श््ीराम और रामजन्मभूसम का मुद्ा हमेशा िे भारतीय जनता पाट््ी की राजनीसत की धुरी रहा है. पाट््ी के सिए यह नाम ित््ा की कुज ं ी भी है. परंतु मध्य प्द् श े की भाजपा िरकार तमाम दावो्के बावजूद उन्ही्भगवान श््ीराम की स्मसृ तयो्को अवैध खनन का सशकार होने िे नही् बचा पा रही है. प्द् श े के ितना सजिे मे्राम वन गमन पथ क्त्े ् खनन मासिया के हाथो् का सखिौना बना हुआ है. वहां प््ाकृसतक िंिाधनो् की िूट तो हो ही रही है िाथ ही प््ाचीन मूसत् यड ो् की िूट और धरोहरो् को नष्् करने का सििसििा भी िंबे िमय िे चि रहा है. रामायण और रामचसरत मानि के मुतासबक 14 वि्ड के वनवाि के दौरान श््ीराम ने िंबा अरिा ितना सजिे के सचत्क ् टू क्त्े ्मे्गुजारा था. राम जहां-जहां िे गुजरे उन स्थानो्को रामपथ का नाम देते हुए राज्य िरकार द््ारा वहां िंरक्ण ्
28 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
राम पथ पर खनन माफि़या
मचत््कूट की पहाम्डयो् मे् खनन: मामफया की चरागाह
एवं सवकाि काय्डकरवाने की योजना 2007 मे् बनी थी. इि मद मे्अब तक 8 करोड्र्पये की रासश खच्ड भी की जा चुकी है. परंतु यह पूरा इिाका अवैध खनन की चपेट मे्है. सचत्क ् टू के प्स्िद्घ िरभंगा आश्म् के आिपाि खनन मासिया की गसतसवसधयां दुिभड् धरोहरो् के सिये खतरा बनी हुई है.् खबरो् के मुतासबक 10वी् और 11वी् िदी ईस्वी मे् बनी राम िन माग्ा मे् चरण मचह्न: आस्था की यात््ा
ऐसतहासिक महत्व की कई मूसत् यड ां यहां िे चोरी हो चुकी है् जबसक आिपाि एक बड्े दायरे मे् सबखरी पड्ी ऐिी ही मूसत् यड ां अभी भी पूरी तरह अिुरस््कत है.् िरभंगा आश्म् वह स्थान है्जहां मान्यता के मुतासबक भगवान श््ीराम 14 वि्डके वनवाि के दौरान कािी िमय तक रहे थे. यहां एक सशिा पर पैरो्के सनशान भी है्सजन्हे्श््ीराम का बताया जाता है. करीब ही ब्सथत सिद््ा पहाड्बेतहाशा अवैध खनन िे पूरी तरह नंगा हो चुका है. िांवर पहाड और सिद्घा पहाड्एक दूिरे िे िटे हुए है् जहां सपछिे कुछ िािो्के दौरान खनन मासिया का खुिा राज चिता रहा है. मान्यता है सक वनवाि के 14 वि््ो् मे् िे 12 वि्ड राम ने यही् सबताये थे. बीते वि्ड अगस्् मे् मध्य प्द् श े उच्् न्यायािय ने प्द् श े के पुरातत्व सवभाग को सनद्श ्े सदया था सक वह राम वन गमन पथ का सवस्त्ृ अध्ययन करे और जो स्थान पुराताब्तवक महत्व् के िगे् उनका िंरक्ण ् करे. एक वि्डबीतने के बाद अभी कुछ अरिा पहिे पुरातत्व् सवभाग ने इि क्त्े ्मे्पहि की है. सवभाग ने अपनी सरपोट्डमे् यह उल्िख े सकया है सक खनन के दौरान तमाम ऐसतहासिक मूसत् यड ो्को ऐिी क्स्त पहुचं ी है सजिकी भरपायी करना िंभव नही्है. इि िंबध ं मे् यासचका िगाने वािे यासचकाकत्ाड असधवक्ता सनत्यानंद समश््कहते है,्
सतना क््ेत् मे् मूम्तायो् की बहुतायत: तस्करो् की पौबारह
'हािांसक अब पुरातत्व् सवभाग ने िंबसं धत घोिणा कर दी है िेसकन इि दौरान जो देरी हुई उिने इि नुकिान को और असधक बढ्ाया है.' समश््यह भी कहते है्सक इि िंबधं मे्राज्य पुरातत्व् सवभाग द््ारा की गयी देरी िमझ िे परे है.् िूत्ो् के मुतासबक खनन मासिया ने िंबे िमय तक पुरातत्व् सवभाग पर दबाव बनाये रखा सक वह इिे पुरा महत्व् वािी जगह नही्घोसित करे. यही वजह है सक इि काम मे्इतनी देरी हुई. ितना के सजिासधकारी नरेश पाि ने बार-बार प्य् ाि करने और एिएमएि करने पर भी िंबसं धत प्श् न् को िेकर सकिी तरह की प्स्तस््कया नही्दी. उल्िख े नीय है सक प्द् श े के मुखय् मंत्ी सशवराज सिंह चौहान ने वि्ड2007 मे्यह घोिण की थी सक राम वन गमन पथ योजना के तहत रामचसरत मानि मे् उब्लिसखत राम वन गमन माग्डके पूरे सहस्िे को िंरस््कत सकया जायेगा. अब तक इि पसरयोजना पर 8 करोड्र्पये िे असधक की रासश खच्डहो चुकी है िेसकन जमीनी हकीकत कुछ और ही सदखाती है. वि्ड 2011 मे् राज्य िरकार ने िरभंगा पहाड्ी िे महज 50 मीटर की दूरी पर ब्सथत िांवर पहाड्ी पर खनन की िीज सनरस्् की थी. िेसकन 2014 मे् दोबारा वहां खनन की इजाजत दे दी गयी. प्द् श े कांगि ्े प्व् क्ता के के समश््ा ने कहा सक प्द् श े िरकार अपने हर काय्क ड ाि मे्प््ाकृसतक िंिाधनो्का भयावह ढंग िे दोहन कर रही है.
िेसकन दुख की बात है सक राम के नाम पर भी िंिाधनो् की इि िूट को वह रोक नही् िकी. इििे िासबत होता है सक प्द् श े िरकार खनन मासिया के िमक््सकि कदर िाचार हो चुकी है. गौरतिब है सक िरभंगा आश्म् के सनकट सिद्घा पहाड्और सिद्घा कोठार मे्बॉक्िाइट, िेटराइट आसद पदाथ््ो्का वैध-अवैध खनन िंबे िमय िे चि रहा है. सनत्यानंद समश््ा आरोप िगाते है्सक प्द् श े िरकार िे कई बार राम पथ गमन क्त्े ्मे्अवैध खनन की सशकायत सकए जाने के बाद भी इन गसतसवसधयो्पर रोक नही्िगायी जा िकी. िरकार द््ारा दी गयी िीज खत्म होने के बाद भी राम पथ गमन माग्डपर ब्सथत इन दोनो् प्म् ख ु स्थानो् के करीब अवैध खनन जारी है. जबसक राज्य िरकार ने राम वन गमन पथ के नाम पर कुछ िाइन बोड्डिगाकर अपने कत्वड य् ो् की इसतश््ी कर िी है. हािांसक तमाम हायतौबा के बाद अब िरकार जागी है. प्द् श े के िंसक ् सृ त सवभाग के िंचािक राजेश प्ि ् ाद समश््ने बताया सक प््ाचीन स्मारक एवं पुरातत्व् स्थि एवे् अवशेि असधसनयम 1964 के प््ावधानो् के अनुरप् िरभंगा क्त्े ् मे् पांच स्थिो् को िंरस््कत घोसित सकया जा चुका है. इि िंबध ं मे् जब पुरातत्व् सवभाग के आयुकत् अजातशत््ुश््ीवास्व् िे बात की गयी तो उन्हो्ने कहा सक उन्हे् इि बारे मे् सवस्त्ृ मािूमात नही्है.् वह प्क ् रण पर करीबी
सनगाह डािने के बाद ही इि िंबध ं मे् कोई सटप्पणी कर िकते है.् उल्िख े नीय है सक मध्य प्द् श े मे्प््ाकृसतक िंिाधनो्का अवैध खनन िंबे िमय िे िुसख ् यड ो् मे् बना हुआ है. खनन मासिया के हौििो् का अंदाजा इि बात िे िगाया जा िकता है सक सपछिे चार िाि मे् आईपीएि असधकारी नरेद् ् कुमार सिंह िमेत कई पुसिि असधकारी और पत्क ् ार तक मासिया के हाथो्जान गंवा चुके है.् कांगि ्े िमेत तमाम सवपक््ी दि ित््ाधारी भाजपा पर इि अवैध खनन को िंरक्ण ् देने का इल्जाम िगाते रहे है.् क्या कहती है राम कथा? रामचसरत मानि के अरण्य कांड के मुतासबक िरभंगा पहाड्के सनकट मंदासकनी नदी का उद्म् ही िरभंगा ऋसि के तपोबि के चिते हुआ. नदी के उद्म् स्थि को ब्ह् म् ïकुडं के नाम िे जाना जाता है. अयोध्या िे वनवाि पर प्स् थ् ान करने के बाद जब श््ीराम सचत्क ् टू की ओर बढ् रहे थे तो उन्हे्सिद्घा पहाड्समिा जो पूरी तरह मानव हस््डयो्िे अटा पड्ा था. ऋसि मुसनयो्ने उन्हे् बताया सक यहां उपािना करने वािे तमाम मुसनयो् को राक्ि ् मार देते है् और ये अब्सथयां उन्ही्मुसनयो्की है.् तब भगवान श््ीराम ने अिुरो् के वध का प्ण ् सिया था. यहां िे राम पन्ना, छतरपुर, जबिपुर के रास््ेदंडकारण्य की ओर n चिे गये थे. शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 29
छत््ीसगढ्
अजीत जोगी ने कांग्ेस को अलकवदा कह कदया और चुनौती भी दे दी कक अगला कवधानसभा चुनाव बतायेगा कौन ताकतवर है. भाजपा और कांग्ेस को उन्हो्ने एक साथ ललकारा है. बृजेश चौबे
रा
जनीसतक तेवरो् व सववादो् के कारण हमेशा चस्चडत रहे पूव्ड मुख्यमंत्ी अजीत जोगी ने आसखरकार कांग्ेि को अिसवदा कह सदया है. पाट््ी छोड्ने के िाध चुनौती भी दे दी सक अगिा सवधानिभा चुनाव बतायेगा कौन ताकतवर है और कौन कमजोर? भाजपा व कांग्ेि को उन्हो्ने एक िाथ ििकारा है. वैिे तो राज्य बनने के बाद जब प््थम मुख्यमंत्ी के र्प मे्उनकी ताजपोशी हुई तब िे वे सववाद मे् बने रहे, जो कांग्ेि छोड्ने तक िाथ नही्छूटा. गांधी पसरवार के प्स्त अपनी विादारी की हमेशा दुहायी देने वािे जोगी का िब््आसखरकार टूट गया, सवधायक बेटे असमत जोगी का पाट््ी िे सनष्कािन व स्वंय के सनकािे जाने का प््देश िंगठन की अनुशंिा पर आिाकमान की चुप्पी के कारण जोगी कािी सदनो िे परेशान थे, अंसतम उम्मीद उन्हो्ने राज्यिभा के सिए िगा रखी थी िेसकन वहां भी बात नही्बनी. पाट््ी ने भी उन्हे िभी पदो् िे हटा सदया है. अब केवि चच्ाड इि बात की है सक जोगी के कांग्ेि छोड्ने िे सकिे िायदा होगा और सकिे नुकिान? बहरहाि कोतमी की बैठक हो चुकी है नयी पाट््ी का नाम, चुनाव सचन्ह जैिे महत्वपूण्ड सबंदुओ् पर चच्ाड अभी और होगी, असधकृत खुिािे के सिए बासरश तक इंतजार करना होगा. इतना जर्र है सक सवधानिभा चुनाव अभी ढाई िाि दूर है और इतने पहिे कांग्ेि िे अिग होना मतिब कोई बड्ी रणनीसत जोगी ने बना रखी है. जोगी की राजनीसतक पारी बतौर छत््ीिगढ् शुर् िे ही कािी सदिचस्प रही है, नये राज्य छत््ीिगढ् का गठन 2000 मे् होने के बाद कांगि ्े की शैिी मे्सदल्िी िे मुखय् मंत्ी का ताज िेकर जोगी जब पहुंचे तो कािी सवरोधाभाि था, तब कांगि ्े को भी अंदाजा नही्था सक जोगी के पहिे काय्डकाि के बाद सिि्फइंतजार ही रह जायेगा. िगातार तीन सवधानिभा चुनाव कांगि ्े हार चुकी है. िाि 2003 मे्कांग्ेि की हार के सिए जोगी को िीधे तौर पर सजम्मेदार ठहराया गया. हािांसक प््थम मुख्यमंत्ी की दौड् मे् शासमि सदग्गज कांग्ेि नेता वीिी शुक्ि ने 30 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
अमजत जोगी: आमखरकार अलमिदा
एकला चलेजोगी राकांपा का दामन थामकर 90 िीटो्पर प्त्य् ाशी उतारते हुए कांग्ेि के सहस्िे का िात िीिदी वोट बंटोरकर ित््ा की दौड् िे बाहर करने मे् अहम भूसमका सनभायी थी. इिके बाद कांगि ्े का िंक्मण काि शुर्हुआ सजििे वह आज तक नही् उबर पायी है. अब जोगी की नयी पाट््ी बनाये जाने के बाद िमथ्डक दावा करने िगे है् सक वे िात नही् बब्लक चौदह िीिदी वोट प््भासवत करने का आमादा रखते है्. इिका िीधा मतिब हुआ भाजपा को चौथी पारी समिना तय है. यह अिग बात है सक तब राजनीसतक ब्सथसत तब क्या होगी? जोगी की जब सदल्िी मे्तूती बोिती थी तब राज्य मे्सकिी दीगर नेता की कोई िुनवायी नही् थी. आज जो हाि जोगी का है वही हाि कद््ावर नेता वीिी शुक्ि का भी था तब उन्हे कांग्ेि छोड्ना पड्ा था. दरअिि जोगी कुनबे का
सबखरना तब शुर् हुआ जब छत््ीिगढ् नेता प्स्तपक््के सिए रसवंद्चौबे और नंदकुमार पटेि को िंगठन प््मुख की सजम्मेदारी दी गयी. तब दोनो्जोगी के िबिे सवश््िनीय माने जाते थे, यही्िे एक नये गुट का उदय हुआ जो पूरी तरह िे िंगठन के सिए िमस्पडत रहा. िंगठन के अगिे दौर मे्डॉ चरणदाि महंत, भूपेश बघेि का काय्डकाि चिा और जोगी धीरे-धीरे पाट््ी मे् उपेस्कत होते चिे गये. इि बीच सजतने भी प्द् श े प्भ् ारी बनाये गये. सकिी के िाथ जोगी की पटरी नही् बैठी. इधर के्द्ीय नेतृत्व मे् राहुि गांधी का दबदबा बढऩे व प्द् श े प्भ् ारी हसरप्ि ् ाद के िाथ बघेि-सिंहदेव की जुगिबंदी िे जोगी के गस्दडश के सदन बढ्ते ही गये. प््देश के राजनीसतक घटनाक््म मे् वसरष्् नेता मोतीिाि वोरा पूरी तरह तटस्थ बने रहे. शुक्ि गुट के असधकांश नेता मजबूरी मे्िंगठन
के िाथ हो गये, कुछ िोग जर्र जोगी के िाथ रहे. पाट््ी की िगातार हार व कमजोर ब्सथसत को सदल्िी मे् रखने की पूरी कोसशश जोगी व िमथ्डको् ने की िेसकन कोई िुनवाई नही् हुई. तू-आगे, मै-पीछे की तज्ड पर प््देश कांग्ेि की राजनीसत मे्यह सििसििा चिते रहा. िंगठन सवरोधी गसतसवसधयो् व अिग-अिग चुनाव मे् भीतरघात जोगी गुट द््ारा सकए जाने की जानकारी भी आिाकमान तक पहुंचायी गयी. एक प््कार िे जोगी िमानांतर िंगठन प््देश मे् चिाते रहे, करीब दज्डन भर सवधायको् का िमथ्डन भी उन्हे हासिि था इिसिए जोगी पर हाथ डािने मे्िंगठन को िौ बार िोचना पड् जाता था. अंतागढ् उपचुनाव मे् बड्े िेन-देन व िमथ्डक प््त्याशी मंतूराम पवार के एकाएक मैदान छोड्ने का सजन्न िीडी के र्प मे् एक प््कार िे जोगी के सिए कािा अध्याय बनकर आया. मौका समिा सक बघेि-सिंहदेव हावी हो गये, सवधायक असमत जोगी की िंसिप्तता सदखाते हुए पाट््ी िे बाहर का रास््ा सदखा सदया गया वही्अजीत जोगी को भी सनष्कासित करने का प््स्ाव सदल्िी भेजकर खुिी चुनौती पहिी बार िंगठन गुट की ओर िे पेश की गयी. जोगी ने ििाई मे् िाख कारण सगनाये,बेटे का सनष्कािन रद्् करवाने भरपूर कोसशश की पर िििता नही् समिी. इि बीच राज्यिभा प््त्याशी चयन का मामिा आने पर िोसनया गांधी िे मुिाकात करने के बाद जोगी आशवस्् थे सक आि््य्डजनक ढंग िे छाया वम्ाड को चुन सिया गया तब जोगी का िब्् टूट गया और उन्होने कांग्ेि िे अपनी राह अिग करने की घोिणा कर दी. जोगी ने पहिे सदन कांग्ेि िे आजाद होने की बात कही दूिरे सदन सदल्िी मे् कांग्ेि प््भारी हसरप््िाद ने जोगी को िारे पदो्िे हटाने ऐिान कर सदया. जोगी पाट््ी छोड्ने के िाथ भाजपा को भी ििकार रहे है्, बघेि-सिंहदेव भाजपा का कुशािन िमाप्त नही्कर िकते इिसिए उन्हे ही मैदान मे्आना पड्ा. जोगी के िव््ेमे्भाजपा के 80 िीिदी सवधायक चुनाव नही्जीत रहे है.् िरकार की खासमयो् को उन्हो्ने ही उजागर सकया िेसकन कांग्ेि िंगठन इिे जनता तक नही्पहुंचा पायी अब वे पहुंचाये्गे. उनकी रमन िरकार के िाथ समिीभगत की बात कहना बघेि-सिंहदेव की राजनीसतक कुंठा है, जोगी खुिकर दावा कर रहे है् सक जो उन्होने तीन िाि मे् सकया भाजपा तेरह िाि मे् नही् कर पायी. इिसिए सवकल्प वही बने्गे. पाट््ी िे बाहर जाने की सहमाकत सकतने सवधायक करते है् इंतजार करना होगा. वैिे चािाक जोगी ने पहिे ही कह सदया है सक सकिी को पाट््ी छोड्ने की जर्रत नही्है्. कोतमी की
बैठक मे् सवधायक पत्नी रेणु जोगी के अिावा कौसशक व राय ही दो सवधायक पहुंचे. सिर भी वे 39 मे् िे 15 सवधायको् का िाथ होने का दावा जोगी कर रहे है्. जोगी के िव््े मे् कांग्ेि के 67 िीिदी सवधायक चुनाव हारे्गे. पूव्ड सवधायक मे् धम्डजीत, सवधान समश््ा, परेश बोहरा,बारमते, िुरे्द् बहादुरसिंह, गुिाबसिंह, राधेश्याम शम्ाड, हि्डद मेता िसहत करीब दज्डन भर पूव्डऔर पाट््ी िे सनष्कासित सवधायक िाथ आ िकते है्. पहिी बैठक मे् इनमे असधकांश
देर-सबेर डॉ रेणू िोगी भी कांग्ेस छोड़् दे्गी. समथ्थक यवधायको् का चुनाव तक इंतिार तय यदख रहा है. ययद यटकट कटी तो िोगी का सहारा ले्गे. िाथ भी सदखे. िंगठन मे्जोगी के िमथ्डक रहे पदासधकासरयो्की िंख्या तो कम है्िेसकन यूथ कांग्ेि व एनएियूआई मे्बड्ेिमूह का कल्जा है सिर भी खुिकर कोई िाथ नही् जा रहे है्. अभी पाट््ी छोड्ने की ब्सथसत मे्उन्हे नुकिान हो िकता है इिसिए रणनीसत रहेगी चुनाव तक इंतजार करे्, जोगी ने यह िंकेत पहिे ही अपने िमथ्डको्को दे सदया है. जोगी अन्य राज्यो् मे् क््ेत्ीय दिो् के बढ्ते प््भुत्व का िगातार गुणगान कर रहे है्. ममता बेनज््ी, जयिसिता, नीसतश, केजरीवाि िे िंबंध होने व अपनी पाट््ी की घोिणा के दौरान उपब्सथत रहने का सशगूिा भी जोगी दे रहे है्. भाजपा व कांग्ेि िे नाराजगी न केवि आम जनता की, बब्लक पाट््ी नेताओ् की भी है और अममत जोगी: भमिष्य का सिाल
यही उनकी ताकत बनेगी. हािांसक क््ेत्ीय दि का छत््ीिगढ्मे्कोई खाि वजूद नही्रहा सिि्फ वोटकाटू के र्प मे् पहचान रही है. बिपा, राकांपा, स्वासभमान मंच जैिे दिो् ने चुनाव जर्र िड्ा पर हश््िामने है. हां, इतना जर्र है सक इनकी तुिना मे् जोगी के िमथ्डक पूरे प््देश मे् ज्यादा है् और अच्छा खािा वोट प््भासवत कर िकते है्, यसद अन्य छोटी पास्टियो् का िमथ्डन समिा या िमझौता हुआ तो अगिे सवधानिभा चुनाव का िमीकरण सबगाड्ने का माद््ा जोगी जर्र रखते है्, पर िाझा मंच बने तब ना. एक बड्ा तबका सजिमे् आसदवािी व ितनामी िमाज शासमि है्,जोगी की अच्छी पैठ है. इन दोनो्वग्डिमूहो्िे जुड्ेकांगि ्े व भाजपा के नेताओ्मे्अिंतोि भी है भिे ही पाट््ी गाइड िाइन के तहत वे दबे हुए है्, जोगी इन्हे भुनाने मे् ििि रहे तो यह उनके सिए कािी िायेदमंद होगा. िाहू, कुम्ी, िोधी वग्ड मे् भी जोगी िमथ्डको् की िंख्या अच्छी है. इिी को िाधते हुए जोगी ने अपनी पहिी बैठक मे् यह बताने का प््याि सकया सक िबका िाथ-िबका सवकाि िेकर वे चिे्गे और इिमे् व्यापारी, सकिान िभी का िहयोग जर्री है. यह जोगी का बदिा हुआ स्वर्प था. जोगी पसरवार अब पूरी तरह कांग्ेि िे अिग हो चुका है, देर िबेर डॉ रेणू जोगी भी कांगि ्े छोड्देग् ी. िमथ्क ड सवधायको्का चुनाव तक इंतजार तय सदख रहा है. यसद सटकट कटी तो जोगी का िहारा िे्गे, अन्यथा पसरब्सथसत देखकर िैििा करे्गे. इिसिए जोगी पसरवार व िमथ्डक अब पूरी तरह िे आजाद है. कांग्ेि मे् सजि प््कार जश्न का माहौि है्, जोगी के जाने िे पाट््ी पूरी तरह स्वतंत् हो चुकी है. भूपेश व सिंहदेव का ही एकतरिा चिना है, ऐेिे मे् केवि एक ही गुट रहेगा और वह है िंगठन का. आरोप प्त्य् ारोप का पोि खोि असभयान चिेगा िेसकन जोगी अब कांग्ेि मे्नही्है्इिसिए यह और भी तेज होगा. हािांसक कांग्ेि मे्रायपुर िे सदल्िी तक दावा सकया जा रहा है सक जोगी के जाने िे पाट््ी मजबूत होगी, िेसकन यह भी िमय बतायेगा. सििहाि राज्य मे्राजनीसतक माहौि ऐिा सदखता नही्सक जोगी ित््ा तक पहुंच जाएं, हां इतना जर्र है सक िभी 90 िीटो्पर वे प््त्याशी उतारे्गे, भाजपा व कांग्ेि के अिंतुष्ो्व अन्य छोटे दिो्िे िमझौता करे्गे. वोट सनस््ित र्प िे काटे्गे. इिसिए कांग्ेि को तो पूरी तरह ित््ा िे बाहर कर िकने मे् कामयाब रहे्गे िेसकन भाजपा का भी कुछ िीटो्पर िमीकरण सबगाड् िकते है्. सिर भी राजनीसत तो राजनीसत है, तब के सदनो् मे् क्या िंभावनाएं बनती है िाि तौर n पर कह पाना पूरी तरह िे मुब्शकि है. शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 31
कर्ााटक मनोरमा
यू
पीए िरकार के सनम्ि ड भारत असभयान के बाद देश के मौजूदा प्ध ् ानमंत्ी नरेद् मोदी ने दो िाि पहिे ित््ा मे् आते ही गांधी जयंती के सदन स्वच्छ भारत असभयान की जोर-शोर िे शुर्आत की थी और िक््य ये रखा सक िाि 2019 तक देश के हर घर मे् शौचािय होगा, िेसकन अभी भी देश के िगभग 53.1 िीिदी घरो् मे् शौचािय नही् है्. िाि 2011 की जनगणना के आंकड्ो्के मुतासबक देश की कुि आबादी एक अरब 21 करोड्है सजिमे्िे ज्यादा िोग बुसनयादी स्वच्छता िुसवधाओ्िे महर्म है. कुि 46.9 िीिदी घरो् मे् ही शौचािय है्, शहरी आबादी मे्भी 19.6 िीिदी और ग््ामीण इिाको्के 69.3 िीिदी घर बगैर शौचािय के है.् स्वच्छ भारत असभयान के िाथ प्स्तवि्ड25 िाख शौचािय बनाने का िक््य रखा गया है हािांसक सपछिे 4 िािो् मे् औितन 57 िाख शौचाियो्का ही सनम्ाण ड हुआ है. इि सिहाज िे 2019 तक इि िक््य को हासिि कर पाना मुबश् कि है िेसकन ये जर्र कहा जा िकता है
सक शौचाियो् के सनम्ाण ड और उनके इस्म्े ाि को िेकर पहिे िे ज्यादा जागर्कता बढ्ी है. शहरी ग््ामीण इिाको् मे् ज्यादातर िेब्पटक टै्क और सिंगि सपट वािे शौचाियो् का ही सनम्ाण ड होता है सजिके टैक ् 2 िे 4 िाि मे् भर जाते है्इिसिए उन्हे्खािी सकया जाना और उिे िमुसचत तरीके िे डंप करना जर्री हो जाता है. यहां पर दो व्यवहासरक िवाि पैदा होते है, इन टैक ् ो्की ििायी कैिे हो? और सनकािे गये मैिे को कैिे सठकाना िगाया जाये. बंगिूर् और कन्ाडटक के कई सजिो् मे् 'हनी िकि्ड टैक ् र' इि िमस्या को प्भ् ावी तरीके िे िुिझा रहे है्िाथ ही छोटे सकिानो्और दूिरे िोगो्की रोजगार और आमदनी का भी जसरया बन रहे है.् हनी िकि्ड टैक ् र प्श ्े र िे िेबप्टक टैक ् िे मैिे को खी्च िेते है् और उन्हे् डंप कर देते है्. सिंगि सपट वािे शौचाियो्की गंदगी की डंसपंग एक अिग िमस्या बन रहती है और ये केवि बंगिूर्नही्बब्लक देश के हर बड्-े छोटे शहर की िमस्या है. िेसकन बंगिूर् मे् 'हनी िकि्ड ि््को ने शौचाियो् की गंदगी को डंप करने के िाथ ही मैव् ि ु स्कावेस्जंग या सकिी व्यब्कत द््ारा
मैिा िाि ना कराने के 2013 के कानूनी प््सतबद््ता के सिए भी बहुत प््भावी सवकल्प प्द् ान सकया है. गौरतिब है सक 2011 जनगणना के आंकड्ो् के मुतासबक ही देश के 180,657 घरो्की रोजी-रोटी का जसरया हाथ िे मैिा िाि करने का रोजगार रहा है, हािांसक 1993 मे्हाथ िे मैिे की ििाई पर कानून बनाकर प््सतबंध िगाया गया िेसकन अभी भी इि अमानवीय रोजगार को पूरी तरह िे खत्म नही् सकया जा िका है. िाि 2013 मे् िंिद मे् हाथ िे मैिा िाि करने पर प््सतबंध के सिए कानून पासरत सकया गया और इिे ऐसतहासिक अन्याय मानते हुए इि काम मे्िगे िोगो्को दूिरा वैकब्लपक रोजगार मुहैया कराने व उनके पुन्डवाि को िंवध ै ासनक सजम्मदे ारी माना गया. िाथ ही माच्ड 2014 मे्देश के िव््ोच््न्यायािय ने भी हाथ िे मैिा िाि कराने की प््था को अंतरर्ाडष्ीय मानवासधकारो्का हनन माना और िरकार को इिे पूरी तरह िे खत्म करने के सिए प््भावी उपाय करने के सनद्श ्े सदए है.् बहरहाि, सजन पांच राज्यो्मे्िबिे ज्यादा हाथ िे मैिा िाि कराने के मामिे दज्डहुए है् उनमे् कन्ाडटक का स्थान पांचवा है. और
मैले से मुकत् ि के टैक ् र
कसंगल कपर वाले शौचालयो्की संख्या पूरे देश मे्हर साल बढ्ने वाली है. ऐसे मे्पहले से उनकी सिाई और गंदगी को डंप करने के कलए हनी सकस्षरै्कर एक बेहतर कवकक्प के र्प मे्सामने आये है्. हनी सकस्ा टै्कर: कारगर इस््ेमला
32 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
सि्ाई और रोज्गार
पय्ाषवरणकवद्श््ीकंरय्या से मनोरमा कसंह की बातचीत.
व
ि्ाज ड ि िंगह् और पय्ावड रण िे जुड्ेमििो् पर काम कर रहे बायोम एनवायरनमे्टि िाल्यूशंि प््ाईवेट सिसमटेड के ििाहकार सवश््नाथ श््ीकंटय्या हनी िकि्ड टै्करो् के िंचािन िे भी जुड्े रहे है्. उनिे बातचीत के कुछ अंश: कन्ारज क मे्कब से हनी सकस्जका इस्म ्े ाल हो रहा है? बंगलूर्मे्इसके प््योग से कोई िक्फआया है? सपछिे िात-आठ िािो् िे हम यहां इन ि््को्का इस््ेमाि करवा रहे है्, िक्फतो बहुत आया है एक दो अपवाद मामिो्को छोड्दे्तो बंगिूर्मे्अब सकिी िे हाथ िे मैिा िाि नही्कराया जा रहा है, वैिे भी िरकारो् की ये िंवैधासनक सजम्मेदारी है सक हाथ िे मैिा िाि करने के काम पर पूरी तरह िे रोक िगे, दूिरी ओर िेब्पटक टै्क और सिंगि सपट वािे शौचािय होने पर यह तभी िंभव है जब हनी िकि्डजैिी तकनीक या प््णािी का इस््ेमाि कर टै्को्की ििायी करायी जाये. और वकन राज्यो्मे्इनका इस््ेमाल हो रहा है? कई राज्य है् जहां बड्े पैमाने पर हनी िकि्ड टै्कर काम कर रहे है्, बंगिूर्की िगभग 60 िीिद आबादी के घर िीवर प्ण ् ािी िे नही्जुड्ेहै्इिसिए इन्हे्अपने घरो् के गंदे पानी की सनकािी व शौचाियो् के टैक ् भर जाने पर उिके मैिे की ििायी के सिए अन्य सवकल्पो् की जर्रत होती है. बंगिूर् मे् सनजी और कुछ िरकारी स्वासमत्व वािे हनी िकि्डि्क ् सपछिे कुछ िािो् िे काम कर रहे है.् ये ि्क ् सनकािे गये मैिे को शहर के बाहर कही्खािी कर देते है्जबसक पय्ावड रण कानून के तहत बगैर शोधन के सकिी भी कचरे को कही् भी डंप करना अपराध है. हािांसक बगैर शोसधत मैिे को डंप करने के सिए िरकार की ओर िे सनस््ित जगह है् िेसकन उिके सिए अिग िे शुल्क सिया जाता है. हनी िकि्ड टै्कर िंचािको् और िोगो् ने सपछिे कुछ िािो् मे् इिका उपाय भी सनकाि सिया है जो स्वच्छता बनाये रखने, पय्ावड रण, िागत और रोजगार कई तरह के सवकल्प एक िाथ प््दान करता हुआ बहुत कारगर प्ण ् ािी िासबत हो रहा है. हािांसक मानव मैिे को खाद के तौर पर इस्म्े ाि करने को िेकर शुर्मे्आिपाि के सकिानो् को सहचसकचाहट जर्र रही िेसकन धीरे-धीरे उन्हे्प््ाकृसतक और जैसवक गंदगी और अिके सवघटन की प्स््कया िमझ मे्आने िगी. जैसवक मैिा प््ाकृसतक तौर पर नाईि््ोजन, िास्िोरि और पोटैसशयम के िावा कई तरह के िुकम् पोिक तत्वो िे भरपूर होता है, जो पौधो्के
मििन, उड्ीिा, आंध् प््देश, तेिंगाना आसद. हािांसक उत््र भारत के राज्यो्मे्इनका प््योग नही् शुर् हुआ है िेसकन धीरे- धीरे िैिाव हो रहा है जैिे सदल्िी मे्कुछ हनी िकि्डटै्कर काम कर रहे है्. िेसकन वहां इनकी डंसपंग खेतो् मे् नही् हो रही है, िंभवत: सकिानो्को इिके बारे मे्जानकारी नही् है. आने वािे सदनो् मे् इिका सवस््ार होना तय है. के्द् िरकार की योजना के तहत हर घर मे् शौचािय का सनम्ाडण असनवाय्ड हो चुका है िेसकन ग््ामीण या शहरी ग््ामीण इिाको्मे्िभी शौचािय सिंगि सपट या िेब्पटक टै्क वािे ही बन रहे है् जो 2-4 िािो्मे्भर जाये्गे. आमतौर पर इसकी लागत वकतनी होती है? सकिी भी िेके्ड है्ड ि््क को हनी िकि्डटै्कर मे्बदिने मे्पांच िे आठ िाख तक का खच्डआता है और एक सपट खािी कराने के सिए इन टै्करो् का सकराया आठ िौ िे हजार र्पये तक होता है, एक टै्कर की क््मता चार हजार िीटर तक की होती है. आमतौर पर चार िाि मे् एक बार िेब्पटक टै्को्या सपट को खािी कराना पड्ता है. इिके आस्थडक पक््ो् मे्वैकब्लपक रोजगार देने को भी देखा जाना चासहए.
सिए बहुत िायदेमदं होता है जबसक इन्ही्तत्वो् िे युकत् राियसनक खाद महंगे्और हासनकारक दोनो् होते है् ना सिि्फ समट््ी, पानी और अन्य जीवो् बब्लक हमारी िेहत के सिए भी. हनी िकि्ड टै्कर आिपाि के सकिानो् के खेतो् मे् गहरा गड््ा खोदकर मैिे को डंप कर देते है्सिर इि गड््ेको ढंक सदया जाता है तीन िे छ: महीने के बाद मैिा खाद मे् तल्दीि हो जाता है. इि खाद िे उपज और िागत मे्इतना िक्फआया है सक बहुत िे सकिान हनी िकि्ड िंचािको् को एक सनस््ित रकम देकर मैिा डंप करने को बुिाते है.् इि क््ेत् मे् मौजूदा िमय मे् दो िाख िे ज्यादा िोग काम कर रहे है् और इिका मूलय् िािाना 75 करोड्िे ज्यादा है सजिके हर हाि बढ्ते जाने की िंभावना है. बंगिूर्शहर िे िटे इिाको् के हजार िे ज्यादा सकिान मानव मैिे का इस्म्े ाि बतौर खाद कर रहे है्और खेती मे् िागत कम करके पैदावार ज्यादा िे पाने मे् कामयाब हो रहे है् इनमे् िे कुछ सकिानो् की िािाना आमदनी पंदह् िाख तक है जबसक छोटे सकिान सजनकी जोत दो एकड्िे कम रही है वो असतसरक्त आय के कारण दूिरे के खेतो् को िीज पर िेकर खेती करने िगे है.् शुर्मे्जब कम िंखय् ा मे्हनी िकि्डटैक ् र थे तो एक सपट खािी कराने की िागत पंदह् िौ तक हो जाती थी िेसकन ज्यादा टैक ् रो्के आने पर हजार र्पये
िे िात िौ तक मे् काम हो जाता है. इिके अिावा िेकडे् हैड ि्क ् ो्के इस्म्े ाि का भी एक िायदेमदं सवकल्प िामने आया है, इि प्स््कया मे्ना तो असतसरक्त जमीन या सकिी डंसपंग ग््ाउंड का इस््ेमाि होता है ना ही कही् की समट््ी या नािो्, नसदयो्या भूजि प्द् सु ित होता है, इिके अिावा हनी िकि्ड टै्करो् के मासिको् को भी सनयसमत आय हो रही है. िेसकन सनयम और सनगरानी नही् होने पर खतरे भी है,् कुछ सकिान पूणतड् : सवघसटत हो चुके मैिे के बजाये तरि मैिे का खुिी क्यासरयो्मे् इस्मते ाि करते है्जो पय्ावड रण और िेहत दोनो् के सिहाज िे बड्ा जोसखम है और सजन मजदूरो् िे खुिी क्यासरयो् मे् इन्हे् डिवाया जाता है उनके पैरो् या तिवो् मे् घाव की सशकायत भी देखी गई है. िेसकन िरकार अगर हस्क ् प्े कर इि पूरी प्ण ् ािी को व्यवब्सथत व सनयसमत कर दे्, इिके सिए उसचत सनयम व सनद््ेश बनाये िाथ ही उिकी सनगरानी भी की जाये तो स्वच्छता के सिए इििे बेहतर सवकल्प कुछ और नही्हो िकता. आने वािे िािो् मे् सिंगि सपट वािे शौचाियो्की िंखय् ा पूरे देश मे्हर िाि बढ्ने वािी है ऐिे मे् पहिे िे उनकी ििायी और गंदगी को सिर डंप करने की एक िुरस््कत, पय्ावड रण के अनुकि ू , िुसचंसतत प्स््कया पहिे िे n तैयार होनी जर्री है. शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 33
ववज््ापन
जमशेद क्मर वसद््ीक्ी
दू
र तक िैिे घुप्प अंधेरे मे् िांि िेती खामोशी थी, कुछ-कुछ देर मे् पहरा देते सिपाही के डंडे की ठक-ठक की आवाज खामोशी को चीर देती, िेसकन सिर िब कुछ दोबारा िे खामोश हो जाता. सखड्की िे नजर आते चांद की रोशनी, जािी िे छनकर अंदर आ रही थी. जौनपुर सजिा कारागार मे्रात के वक्त जब िब बंदी िो जाते तब अशिाक की आंखो् के सकनारो् िे दो आंिू चुपके िे िुढ्क आते. जेि की िख्त दीवारो् के बीच अशिाक कभी अपने गमो्का सहिाब करता, कभी अपनी आठ िाि की बेटी िरहीन और बीवी िुमइय्या का चेहरा याद करता. किाई पर बंधी घड्ी देखकर वो अंदाजा िगाता सक अब िुमइय्या िहरी के सिए उठ गयी होगी, अब वो नमाज पढ्रही होगी, अब उिने िरहीन को स्कूि भेज सदया होगा, अब वो रोजा खोि रही होगी, और अब शायद वो रो रही होगी. जौनपुर के िाइन बाजार मे् प्िाब्सटक के सखिौनो् की छोटी िे दुकान चिाने वािे अशिाक को कहां मािूम था सक सजंदगी कभी उिे ऐिे चौराहे पर िा खड्ा करेगी जहां उिे ‘सवचाराधीन कैदी’ कहा जायेगा. एक ऐिा कैदी
34 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
ईद मुबारक
सजिका गुनाह या बेगुनाही िासबत होना बाकी हो. वो तो ईमानदारी, िगन और मेहनत के िाथ अपने काम मे्िगा रहता था. पूरे िाइन बाजार मे्अशिाक के अच्छे बत्ावड के चच््ेथे. हर कोई उिकी इज््त करता था. सकिी का गम हो या खुशी अशिाक हमेशा शरीक रहता था. कहने को ये सिि्फएक बाजार था िेसकन इि बाजार मे् भी अशिाक ने सरश्ते बना सिये थे, शायद इिीसिए जब जमीन के सववाद मे् उिके एक पड्ोिी ने उिपर मार-सपटाई का झूठा इल्जाम िगाकर उि पर धारा 307 यासन अटैप्ट् टू मड्रड का झूठा मुकदमा दज्डकराया तो हर कोई हैरान था. िब जानते थे सक अशिाक ऐिा कभी नही् कर िकता. िेसकन कोई करता तो क्या करता मुकदमा तो दज्ड हो चुका था. बहरहाि अशिाक जेि जर्र पहुच ं ा िेसकन वहां भी उिे यकीन था सक खुदा अपने नेक बंदो् के िाथ कभी बुरा नही् करता, ये जो िब हो रहा था ये एक इस्मतहान था अशिाक के सिए. जेि मे् अशिाक की दोस््ी जहीर िे हो गयी थी िेसकन अशिाक जब भी जहीर िे बात करता तो उिकी सहम्मत खुद-बा-खुद डोिने िगती. दरअिि जहीर जरा कट्टर सकस्म का था, वो अक्िर अशिाक िे कहता, ‘अमा समयां, हम िोगो् को तो यूं ही िड्ना पड्ेगा,
अपने नाम की कीमत चुका रहे है्हम िोग. भुि जाओ बाहर जाने का ख्वाब, और आदत डाि िो इि अंधरे े की, हमारे तुमह् ारे निीब मे्इंिाि नही् है’ िेसकन अशिाक हताश नही् था, वो जानता था सक खुदा अपने नेक बंदो् के िाथ कभी गित नही् करता. उिे यूपी पुसिि और कानून पर भरोिा था. ‘अशिाक, तुमिे कोई समिने आया है.’ दोपहर को जब अशिाक बैरक के बाहर बाि पर बैठा कुछ िोच रहा था तब एक सिपाही ने उििे कहा. ये िुनकर अशिाक के चेहर पर खुशी सखि गयी. अशिाक जानता था सक और कौन हो िकता है िुमयै य् ा के अिावा, वो भागता हुआ मुिाकाती कमरे मे्गया और उिने िुमैय्या को देखा, सजिने गोद मे् िरहीन को िे रखा था. िुमैय्या की आंखो् मे् आंिू थे, उिकी आंखे् कुछ िूजी भी िग रही थी्, शायद वो बहुत रोई थी. िोहे की पतिी िी जािी के आर-पार खड्े अशिाक और िुमैय्या एक दूिरे को देर तक देखते ही रहे थे सक िरहीन बोिी. ‘पापा, आप अब घर कब आये्गे, अम्मी अफ्तार के वक्त बहुत रोती है.’ िुमैय्या ने उिे चुप रहने का इशारा सकया तो अशिाक ने कहा, ‘मै्जल्द ही आ जाऊंगा
बेटा, आप अम्मी को िमझाया करो अच्छा और याद रखना बेटा अल्िाह तािा नेक काम करने वािो् के िाथ कभी बुरा नही् करते,’ अशिाक की बात काटते हुए िुमैय्या ने कहा, ‘यहां ता रोजे भी ना रख पा रहे हो्गे आप, यहा कहां बाहरी अफ्तारी समिती होगी.’ अशिाक ने कहा, ‘नही्िुमैय्या, िरकार द््ारा इि बार सवचाराधीन कैसदयो् का खाि ख्याि रख रही है, तुम परेशान मत हो, यहां िब इंतजाम है, जेि प््शािन की तरि िे अफ्तार के वक्त नी्बू का शब्डत, बि्फ, मौिमी िि और सबस्कुट बगैरह सदये जाते है्और तो और िहरी के वक्त भी वे िभी कैसदयो्को देते है,् वही्, और िि वगैरह देते है्, सबल्कुि परेशान मत हो, मै ठीक हूं, बि ये बताओ सक वकीि का इंतजाम हुआ?’ िवाि िुनते ही िुमैय्या ने नजरे्नीची कर िी्, वो कैिे बताती की गुबडत् के सजि अंधेरे मे् सदन गुजार रही थी वहां वकीि की िीि का इंतजाम करना नामुसमकन था. जबसक दूिरे पक्् ने एक बहुत बड्ेवकीि को तय कर सिया था. िुमैय्या की नम आंखो्िे अशिाक को जवाब समि गया था. अशिाक ने मुस्कुराकर कहा, ‘कोई बात नही् िुमैय्या, तुम परेशान मत हो, िब ठीक हो जायेगा.’ ‘कैिे ठीक हो जायेगा, हां, कैिे ठीक हो जायेगा?’ िुमैय्या ने झुंझिा कर पूछा तो अशिाक ने जेि की िामने की दीवार की तरि इशारा सकया जहां सिखा था- ‘ित्यमेव जयते.’ अशिाक ने कहा, ‘अल्िाह पर भरोिा रखो, बि हम वही करे्गे जो कर िकते है्, बाकी िब निीब है्.’
अशिाक ने िुमैय्या को सदिािा तो जर्र सदिाया था िेसकन अब एक डर खुद उिके अंदर बैठने िगा था. उि सदन के बाद िे जब भी अशिाक की नजर जहीर पर पड्ती तो उिे जहीर की वो बाते् याद आ जाती और उिने सदि मे् जैिे कुछ कांप िा जाता. वो िोचने िगता सक कही् जहीर िही तो नही् कह रहा था? क्या उिकी बेगुनाही कभी िासबत हो भी पायेगी, कही्ऐिा तो नही्सक उिे ही दोिी करार दे सदया जायेगा, अगर ऐिा हो गया तो िुमैय्या अकेिे कैिे सजंदगी गुजारेगी, िरहीन का क्या होगा, ऐिे तमाम िवाि अशिाक के जहन को िांप की तरह डि रहे थे. बहरहाि, कहते है्सक ‘सहम्मत-ए- मद्ाड तो मदद-ए-खुदा’, िेसकन अशिाक के मामिे मे् सहम्मत-ए-खुदा कहना ज्यादा िही था क्यो्सक िुमैय्या ने मन ही मग्ही मन ठान सिया था सक कैिे भी हो अपने शौहर को बेगुनाही िासबत करके ही दम िेगी. शायद अशिाक का आत्मसवश््ाि थोड्ा िुमैय्या के अंदर भी आ गया था. सिहाजा, कानूनी दौड्भाग शुर् हुई. िुमैय्या ने कोट्ड कचहरी के तमाम चक््र िगाये. तमाम वकीिो् िे मदद मांगी. शुर् मे् तो बात नही्बनी, िेसकन कुछ रोज बाद उिकी मेहनत रंग िायी. यूपी के एक मशहूर िरकारी वकीि िंजय समश््ा, अशिाक का केि िड्ने को तैयार हो गये. ये िुमैय्या और अशिाक के सिए बेहद खुशी की बात थी. उन्हो्ने केि िे जुड्ेिारी जानकासरयां िी, दूिरे पक््के बारे मे् िबूत जुटाए और तमाम दिीिे तैयार की्. इि दौरान िुमैय्या ने भी पूरी कोसशश की, भिे वो पढ्ी सिखी नही्थी िेसकन उिने वकीि समश््ा
जी के िाथ समिकर केि के छोटे िे छोटे पहिू को करीब िे देखा, गवाह जुटाये, रोजा रखकर दौड्भाग की. भूखी प्यािी िुमैय्या, समश््ा जी के िाथ जौनपुर के िे्िण क््ो के चक््र िगाती अैर कोट्डकचहरी के कागजात पूरे करती. उिे देखकर िगता जैिे उिकी सजदंगी को एक मकिद समि गया था. कई बार केि मे् ऐिा मोड् भी आया जब िगा सक ये केि शायद अशिाक के हाथ िे सनकि जायेगा, िेसकन सिर ऐिा िगा जैिे खुदा का कसरश्मा और िुमैय्या की मेहनत समिकर काम कर रहे थे. वो 29वां रोजे का सदन थ, अगिे सदन ईद हो िकती थी. उिकी सदन अशिाक की सकस्मत का िैििा होना था. िेिकन िुमैय्या घर पर ही थी, वो अशिाक की काय्वड ाही देखने नही्गयी. हािांसक उिे वकीि िाहब समश््ा जी ने कोट्ड बुिाया था. िेसकन वो नही् गयी, इि डर िे सक कही् उिकी मेहनत रंग नही् िायी तो, कही् इंिाि नही् समिा तो, उिमे् शायद इतनी ताकत नही्बची थी सक अब वो अशिाक की िुनाई जा रही िजा को अपने कानो्िे िुन पाये. सिहाजा वो घर पर ही थी. जौनपुर की अटािा मब्सजद के ठीक पीछे िगने वािे मंगि बाजार मे्ईद की खरीदारी के चिते चहि पहि बढ् गयी थी. शाम होते ही हर तरि खरीदार ही खरीदार सदखते थे, कपड्े की दुकानो्पर भीड्देखने िायक थी. बाजार मे् कही्सिवाई सबक रही थी्तो, कही्जौनपुर की मशहूर इमरती. िेसकन बाजार िे अगिी गिी मे्, िुमैय्या के घर मे् खामोशी थी. जमीन पर सबछे जा नमाज पर िुमैय्या और िरहीन नम आंखो् िे दुआ मे् हाथ िैिाए बैठी थी. वे ईद उनके सिए मुबारक कहां थी. तभी एक आहट िे िुमैय्या का ध्यान टूटा, उिने पिट कर देखा अशिाक खड्ा था, मुस्कुराता हुआ. िुमैय्या और िरहीन भाग कर उिके गिे िग गये. मै्ने कहा था ना सक इंिाि जर्र समिेगा- अशिाक ने कहा. ये पि बहुत भावुक था, उि छोटे िे मकान मे्खुसशयां भर गयी थी्उनके गिे िगते ही हर तरि िे पटाखो् की आवाजे् गूंजने िगी्, गिी के नुक्ड् िे िोगो् के खुशी िे सचल्िाने का शोर आने िगा. जैिे पूरी कायनात उनकी खुशी मे् शासमि थी, िेसकन वे खुशी दरअिि चांद सदखने की थी. जी हां, ईद का चांद नजर आ गया था. अटािा मब्सजद िे ऐिान हुआमोहतरम हजरात, ईद के चांद की तरदीक हो गयी है, ईद इंशाअल्िाह कि मनायी जायेगी, आप िभी को ईद मुबारक. अशिाक ने िरहीन को गोद मे्उठा सिया और मुसक ् रु ा कर िुमयै य् ा िे कहा, ‘ईद मुबारक.’ (सूचना एवं जनसम्पक्क ववभाग उत््ार प््देश द््ारा प््कावशत) शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 35
ववज््ापन अरववंद शुक्ला
बा
राबंकी का ये गांव वैिे तो छोटा है िेसकन असधकांश िोगो् के घर यहां पके् बने है्. सिवाय रमजान चच््ा और कुछ और िोगो् को छोड्कर. रमजान चच््ा िुबह गांव मे् नुक्ड् पर और शाम को छेम बाजार चौराहे पर अंडा का ठेिा िगाते है्. िीतापुर सजिे के रामपुर मथुरा िे बाराबंकी को जोड्ने वािे इि चौराहे पर शुर्-शुर्मे्सिि्फदो तीन दुकाने्ही थी्, िेसकन सपछिे दो-तीन िािो्मे् जब िे इि चौराहे पर बिे् और टेम्पो चिना शुर् हुए तो भीड् कािी बढ् गयी थी. इििे रमजान चच््ा की अंडो्की सबक््ी भी ठीकठाक होती, सजििे घर के खच््ेबि चि भर रहे थे. ऐिे मे्पके्घर मे्रहने का उनका िपना अभी बहुत दूर था. इिसिए कच््ेघर मे्खुद ही तोड्िोड्कर वो कई बार उिे िंवारने की कोसशश करते. देर शाम आज जब रमजान चच््ा घर िौटे तो जबरदस््उमि के बीच आिमान पर कािे बादि छा गये थे. अचानक आई बदरी बच््ो्के सिए तो एक खेि थी इिसिए गांव के घरो्िे बच््ेखेिने सनकि पड्े. गांव क दे ूिरे िोग भी बासरश का इंतजार कर रहे थे तासक कम िे कम उमि िे राहत समि िके, िेसकन रमजान चच््ा थे सक इन गरजते हुए बादिो्को देखकर मन ही मन कुढ्े जा रहे थे. इन बादिो् िे छत््ीि का आंकड्ा जो था उनका और होता भी क्यो् ना इन बादिो् की गड्गड्ाहट उनके मन मे्हमेशा डर जो िेकर आती थी. ‘िन्नो बकसरयां अंदर बांध िे बेटा, मरा पानी सगरेगा आज जमके’ रमजान अिी ने छप्पर को िहारा देने वािी रस्िी किते हुए अपनी सबसटया को आवाज िगायी तो िन्नो बकरी के बच््ेको गोद मे्उठाते हुए बोिी, ‘हां अल्बू बांध रही हूं.’ िन्नो ने बकसरयो्को छप्पर के नीचे बांधा और बेसिक््होकर गांव के बच््ो् की तरह बाहर खेिने दौड् पड्ी. छप्पर मे् रस्िी किते रमजान चच््ा के चेहरे पर सचंता उभरी थी. वो हर बार रस्िी को बांधकर यहांवहां िे खी्चतान कर ये आजमा िेना चाहते थे सक बासरश के िाथ आती तेज बयार कही्उनके छप्पर को पहिे की तरह सगरा ना दे. सपछिे िाि भीिण बासरश मे्उनके घर की एक दीवार छप्पर िमेत सगर गयी थी. रमजान चच््ा िमझते थे सक घर की पुरानी दीवारे् और घािपूि िे बने ये छप्पर उनका ज्यादा सदन तक िाथ नही्दे पाये्गे. अगर बासरश यूं ही होती रही तो एक सदन जूझता हुआ उनका ये आसशयाना
36 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
आशियाना
भी ढेर हो िकता है. कुछ समनट की आंधी के बाद तेज बासरश होने िगी थी. िन्नो् की मां जमीिा ने जल्दीजल्दी कपड्-े ित््ेिमेटे और छप्पर के नीचे आ गयी. जमीिा को अकेिा देख रमजान चच््ा ने िन्नो के बारे मे्पूछा तो जमीिा ने मुस्कुराकर कहा, ‘वही्सनकि गयी, अपनी नाव की िवारी को.’ इि घर मे् िन्नो ही तो इकिौती ऐिी थी
सजिे बासरश होने पर बेहद खुशी होती. खुशी कसहये या नया-नया शौक. कुछ सदन पहिे ही गांव के सकिी बच््े िे कागज की नाव िीख आयी थी. बि उिी नाव को बासरश के पानी मे् चिाकर खुश होती और बेस्फकी िी खूब भीगती. आज भी घर के बाहर गिी मे्बच््ो्के िाथ बहुत देर िे उिे भीगता देख अम्मी ने आवाज िगायी, ‘ओ िन्नो, बि कर, आजा अंदर, आ जा बीमार कर देगा ये पानी.’
‘आती हूं अम्मी बि थोड्ा और’ िन्नो इतना बोिी ही थी सक जानवरो् को बांधने के सिए बनाया गया छप्पर तेज आवाज के िाथ भरभरा कर नीचे आ गया. रमजान चच््ा और जमीिा ने जब तक आिपाि के िोगो् को छप्पर उठाने के सिए बुिाया तब तक बकरी का बच््ा छप्पर के नीचे दबकर मर गया था. दौड्ती हुई िन्नो उिके पाि गयी और उिे गोद मेे् उठा सिया. सिर देर तक चबूतरे के बाहर उिे िेकर बैठी रोती रही. िबने िमझाया सक वोमर गया है, िेसकन िन्नो्कहां मानने वािी थी. बार-बार उिके चेहरे पर हाथ िेरती और कहती सक ‘अम्मी देखो िो रहा है मुनमुन’ िन्नो की मािूसमयत पर जहां अम्मी जार-जार रो रही थी्तो रमजान चच््ा बेवि होकर बासरश को कोि रहे थे. जैिे-तैिे िन्नो को िमझाया गया. घर मे् कई सदन तक मातम पिरा रहा. ऐिा मातम जो हर बासरश के मौिम मे्रमजान चच््ा के घर पिर जाता. वो जैिे-तैिे खुद ही जोड्-तोड्कर अपना आसशयाना िंवारते और आंधी बासरश आकर उिे एक पि मे् धराशाई कर जाते. ‘िन्नो, जासकर को िोन तो िगा सबसटया’ एक शाम रमजान ने अपनी सबसटया िन्नो िे कहा. जासकर रमजान का इकिौता बेटा है. जो बाराबंकी शहर मे् घर मकान बनाने वािे राजगीर समस््ी का काम करता है. ‘भाईजान, िो अल्बा िे बात करो.’ िन्नो ने मोबाइि रमजान को देते हुए कहा. ‘वािैकुम अस्ििाम’ रमजान अिी ने िोन के इि पार िे बेटे के ििाम का जवाब सदया और उदािी िे बोिे, ‘बेटा वो पीछे वािा
छप्पर भी सगर गया. हो िके तो तुम कुछ सदन का वक्त सनकाि के गांव आ जाओ सिर कुछ इंतजाम सकया जाये. इि बार ये बरिात का मौिम ऐिे नही् कटेगा बेटा’ ये कहते कहते रमजान की आंखो् मे् आंिू आ गये थे. उन्हो्ने हड्बड्ाहट िे िोन िन्नो को पकड्ाया और घर के बाहर सनकि गये. जमीिा बाहर ही चबूतरे पर आंधी-बासरश के बाद आये कूड्े कचरे को िाि करते हुए बोिे जा रही थी, ‘िन्नो के अल्बा अब तो कुछ करो, जासकर का सनकाह भी पढ्वाना है.’ ‘अब अंडा बेचकर तो घर मे्ई्ट नही्िग पाये्गी. पता तो है तुमको एक ई्ट सकतने की है. और तो और तबस्िुम के सनकाह मे् जो कज्ड सिया था वो अभी तक उतरा नही्है जमीिा, ये मत भूि.’ झुंझिाते हुए वो बोिे तो जमीिा चुपचाप अंदर चिी गयी. तबस्िमु रमजान की बड्ी बेटी थी. चार िाि पहिे ही उिकी शादी हुई थी. उि वक्त भी जमीिा अपने िामने वािी पड्ोिी की तरह घर मे्पक््ा कमरा बनवाने के ख्वाब देखती, िेसकन उिके ख्वाब अब तक ख्वाब ही थे. रमजान का बेटा जासकर आज गांव आया था. घर की दशा देखने के बाद उिे एक बार सिर मायूिी हुई. शहर मे् जहां वो िोगो् के आिीशान घर बनाता था तो यहां गांव मे् उिका अपना मकान एक ई्ट िगने की राह तक रहा था. ‘अल्बा अब सिर मैडया नही् बनाएंगे, कुछ पैिे हमारे पाि है्, ितेहपुर चिे चिते है् वहां िे िोहे की टीन िे आये्गे, कम िे
कम एक जगह तो रहने िायक होगी.’ जासकर ने शहर मे् कमाये पैिे अल्बा के हाथ पर रखते हुए कहा. दूिरे सदन जासकर और रमजान चच््ा टीन खरीदने बाजार पहुंचे तो बुध बाजार मे् जासकर की मुकिाकात उिके बचपन के दोस्् और पंचायत िसचव िुधीर सिंह िे हो गयी. ‘कैिे हो िुधीर भाई?’ जासकर ने पूछा, तो िुधीर ने कहा, ‘अरे जासकर तुम कब आये गांव? काम धाम कैिा चि रहा है?’ ‘काम धाम ठीक चि रहा है, िुधीर भाई, बि आंधी मे् घर का छप्पर सगर गया तो टीन िेने आये है्.’ जासकर उदािी िे बोिा. ‘यार जासकर घर िे याद आया, चच््ा को कोई िरकारी कॉिोनी नही्समिी है क्या?’ ‘नही् कहां िुधीर भाई हम िोगो् को कहां समिी है. गाव मे् सजन िोगो् के पाि बीपीएि काड्डथा, उन्हे्तो पक््ा मकान समि गया और हमारे पाि वही् पीिा वािा काड्ड है सजि पर बि समट्टी का तेि समिता है’ जासकर बोिा तो िुधीर ने उिे नयी आवाि योजना िमझाते हुए गांव के प््धान िे बात करने को कहा. जासकर दूिरे सदन ही प््धान जी के घर पहुंचा. उदाि चेहरा िेकर गया जासकर वापिी मे् चेहरे पर खुशी की झिक िेकर िौटा था. ‘क्या बोिे बेटा प््धान जी, कुछ होगा भी या यूं ही कटेगी ये बरिात’ जासकर की कहनी की आहट पड्ते ही रमजान बच््ा ने पूछा तो वो बोिा, ‘अरे अल्बू जो नई सिस्ट बनी है उिमे् नाम है तुम्हारा भी और तो और इि घर के िाथ वो िूरज की रोशनी िे जिने वािा बल्ब और एक पंखा भी समिता है.’ जासकर की बात िुनकर सबना कुछ बोिे ही रमजान चच््ा ने चैन की िांि िी थी. जमीिा बच््ी की दुआ भी आज कबूि हाे गयी थी. वो हंिते हुए बोिी, ‘िन्नो के अल्बा अब िगे हाथ एक काम और कर दो, रामपुर वािे मामू को जासकर के सरश्ते के सिए हां कह दो, माघ पूि मे्सनकाह भी पढ्जायी.’ रमजान चच््ा मुस्कुराये तो जासकर शरमा गया. आिमान मे् आज सिर िे कािे-कािे बादि सघर आये थे. बासरश होने ही वािी थी, रमजान चच््ा ने अपने हाथ िे एक कागज की नाव बनाकर िन्नो्को पकड्ाई और बोिे, ‘िे सबसटया, इि बार नाव पल्िी गिी नही्, पल्िे गांव तक जानी चासहए.’ िन्नो हंिते हुए नाव िेकर खेिने सनकि गयी. तेज बासरश शुर्हो गयी थी. बौछार छप्पर के नीचे बैठे रमजान चच््ा के पैरो्को भी सभगो रही थी, िेसकन आज उन्हे् इि बािरश िे कोई सशकायत नही् थी. उनकी बूढ्ी आंखो् के आगे अपना पक््ा आसशयाना जो घूम रहा था. (सूचना एवं जनसम्पक्क ववभाग उत््ार प््देश द््ारा प््कावशत) शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 37
सावहत्य
डांस इंडडया डांस कहानी व््पयदश्शन मालवीय
बा
बू, आज हम बै्ड पाट््ी मे् न जाउब.’ सबरजू ने िहमते हुए अपने बै्ड मास्टर सपता िे कहा. ‘काहे बे?’ बैड् मास्टर ने तैश मे्पूछा. ‘आज हमे् एक जर्री काम है.’ सबरजू ने धीमे-धीमे डरते हुए कहा. ‘कौ्न िा जर्री काम है, हमउ तो जानी, बड्ा कामकाजी बना है ििुरा. शादी का िीजन चि रहा हे, यही तो कमाई है.् चार सदन मे् जो कुछ कमाना होय कमाये िो सिर तो वही ठनठन गोपाि. बैठकर खाओ. तब सनपटाना जर्री काम.’ बैड् मास्टर गुसि ् े मे्एक ही िांि मे्बोि गये. पता के मना करने पर सबरजू एक कोने मे् मुहं िटकाकर खड्ा हो गया. सबरजू का इि रह खड्ा होना बै्ड मास्टर को अच्छा नही् िगा. उिनेू सबगड्ते हुए कहा, ‘चि, बे काम पर िग जा, क्या मुंह बनाये खड्ा है? िगाई एक चटखना का?’ ‘बाप है या किाई.’ सबरजू बुदबुदाया. ‘बि हर िमय मारने की धमकी, मन की काई बात कहना भी पाप है, इनके राज मे.्’ सबरजू बुदबुदाया. ‘तु न जइबो तो डांि के करी और सबना डांि के कौन िी बैड् पाट््ी? सबना डांि के कौन पूछता है हम िोगो्को. डांि मे्ही तो कमाई होती है् डांि के िमय ही तो िोग र्पया न्यौछावर करते है.् आजकि तो न्यौछावर भर ही हाथ िगती है. बैड ् पाट््ी के मेहनताने िे तो खच्ड भी पूरा नही् 38 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
पड्ता. िोग मोि-तोि करके बै्ड पाट््ी इतने कम मे्करते है्सक कमाई कुछ भी नही्रह जाती. बड्ा कंपटीशन है.्’ सबरजू एक ही िांि मे्बोि गये. इि कारण वे हांिने िगे. बैड् मास्टर िंबी बातचीत के दौरान भािा का घािमेि बहुत करते है,् देशज भािा बोिते-बोिते खड्ी बोिी बोिने िगते है्और खड्ी बोिी बोिते-बोिते एकाएक ठेठ देशज पर उतर आते है.् बैड् मास्टर ने थोड्ा नरम होकर बोिना शुर् सकया, ‘डांि िे ही कमाई होना है और तुम कह रहे हो सक पाट््ी मे्न जाबो, जाबो नय तो खाबो का?’ ‘डांिै तो िब कुछ है. हमारी बैड ् पाट््ी के डांि की चच्ाड दूर-दराज तक िैिी है. डांि की वजह िे हमारी बैड् पाट््ी सजिे मे्नंबर वन मानी जाती है.् अब अगर पाट््ी को डांि ही अच्छा नही् समिेगा तो जानते हो पाट््ी क्या करेगी?’ बै्ड मास्टर ने सबरजू की तरि देखकर पूछा. सबरजू चुपचाप खड्ा रहा तो बैड् मास्टर ने सिर कहना शुर्सकया, ‘मेरा सिर नोच डािेगी, सिर मे्एक बाि भी नही्बचेगा.’ सबरजू सिर भी चुपचाप खड्ा रहा, गोया गूगं ा हो. बैड् मास्टर ने सिििाने के िहजे मे्कहा, ‘तू डांि करता भी बहुत कमाि का है, सबिकुि गोसवंदा की तरह. जब तू नासगन डांि करता है तो िोग रािते मे्र्ककर देखने िगते है और जब डांि करते-करते िड्क पर िोट जाता है तो पूरा मजमा िग जाता है. रास््ा जाम हो जाता है.् िोग पूछने िगते है्सक सकिी बारात है और जब यह बताया जाता है सक ििाने की बारात है तो बारात
के मुसखया की छाती चौड्ी हो जाती है.् उिे और क्या चासहए? यही न सक उिकी बारात की दूरदूर तक चच्ाड हो, तभी तो उिका मान बढ्ता है, वह सदि खोिकर पैिे िुटाता है.’ बैड ् मास्टर एक िांि मे्ही बोि गये और सबरजू का जवाब जानने के सिए सबरजू की तरि टुकरु -टुकरु देखने िगे. सबरजू ने बड्ेअनमने ढंग िे कहा ‘तो ठीक है, हम चसिबै बारात मे.्’ सबरजू की िमस्या यह है सक अब इि तरह बारात मे् डांि करने मे् उिका कतई मन नही् िगता. जबिे उिके नाना कीनाराम ने उिे िमझाया, ‘देख बेटा सबरजू, तुम इिे अपना कैसरयर मत बनाओ. इिमे्कोई भसवष्य नही्है. इि तरह िे कूल्हे मटका-मटकाकर नाचने िे सिि्फदाि-रोटी भर के ही हो पाओगे, इिमे्कोई िम्मान या प््सतष््ा नही् है, तुम िंबी रेि का घोड्ा बनो, कोई शास््ीय नृत्य िीखो, भरतनाट््म िीखो या कत्थक िीखो.’ तब िे सबरजू के ज््ानचक््ु खुि गये है् और उिने शास््ीय नृत्य िीखने के सिए एक स्कूि मे् एडसमशन िे सिया है. िायंकािीन इि स्कूि मे् उिे नृत्य की बारीसकयां बतायी गयी और तब उिे यह ज््ात हुआ सक नृतय् का अपना पूरा शास्् है. इिकी एक अिग भािा है. नृत्य मनुष्य की आसदम प््वृस्त है, इिसिए मनुष्य नृत्य करने का कोई मौका नही्चूकता है. नृतय् मे्इि िृस्ष के सवराट स्पंदन का किात्मक आकिन है, जहां देवता
और मनुषय् देह और प्स्तमा शल्द का भेद समट जाता है. नृत्यरत शरीर एक दैवीय ित््ा मे् पसरवस्ततड हो जाती है. नृतय् एक िामासजक कम्ड है, एक प्क ् ार का िामासजक उद्म् , सजिमे्हर एक वग्ड अपने अनूठे ढंग िे उपब्सथत तथा िस््कय रहता है. नृत्य मे् िंगीत, िासहत्य एवं नाटक का मसणकांचन िंयोग होता है तथा गीत, िय ताि और छंद पर सवशेि आग््ह होता है. इिमे् हस्क ् ो्, मुद्ाओ् और भंसगमाओ् एवं नेत् िंचािन पर सवशेि जोर होता है. नत्क ड के खड्े होने का अंदाज ही उिकी किा की प््थम असभव्यब्कत है जो दश्ातड ा है सक वह सकतने पानी मे् है, वह सकतना पसरपक्व है. नृतय् मे् आंसगक मुद्ाओ्का तो इतना महत्व है सक अगर गिती िे अंगुिी का िंचािन बदि जाये तो अथ्ड का अनथ्डहो िकता है. िुख, दुख हि्डसविाद, ईष्य्ा,ड क््ोध एवं सवतृष्णा आसद की असभव्यब्कत मुखावृसतयो्द््ारा ही की जाती है और नेत,् ये तो कमाि करते है. नेत् का िंचािन तो नृतय् की प््ाण-वायु है. जसटि मानवीय भावो् की असभव्यब्कत नत्क ड द््ारा नेत्ो् िे ही की जाती है. और अभ्याि? यह तो नृतय् का राजा है, सबना इिके तो एक कदम रखना अिंभव है. अभ्याि के सबना शास््सविम हो जाता है, कुछ का कुछ हो िकता है. कुि-समिाकर यह कहा जा िकता है सक ‘देह नृतय् मे्दीपसशखा की तरह है, सनध्मडू िी खुद को जिाकर दूिरो् का रोशन करने वािी.’ यह गुर्जी का पहिे सदन का िेक्चर था सजिे उिने टेप सकया और शल्द-ब-शल्द याद कर सिया था. गुर्जी के वाक्य उिके मन मे् उमड्-घुमड् मचा रहे है. अब उिे यह महिूि होने िगा सक इि तरह िड्क पर डांि करना न सिि्फसनर्थड क, बब्लक अपमानजनक भी है. टेिीसवजन के डीआईडी (डांि इंसडया डांि), ‘झिक सदखिा जा’, ‘नच बसिए’ जैिे डांि सरयसिटी शो ने िारे सहंदस ु ्ान को अपनी उंगिी पर नचा रखा है्. बड्े शहरो् की कौ्न कहे, छोटे-छोटे शहरो्मे्मुहल्ि-े मुहल्िे मे्डांि कंसपटीशन होने िगे है.् एक िे एक थीम िेकर िोग आते है,् मगर इनमे्ज्यादातर मे्‘पौरासणक आख्यान’ होते है.् इन पौरासणक आख्यानो्मे्एक आख्यान है ‘राधा-कृष्ण’ की राििीिा. इिी
िुपसरसचत कसव-कहानीकार. दो कहानी िंग्ह ‘बंदर सशवािा के भूत’, ‘िुसनए घोड्ो्की टापे्,’ दो उपन्याि ‘घर का आसखरी कमरा’, ‘पतंगे’ और एक कसवता िंग्ह प््कासशत. िंपक्फ: 9412899449
थीम पर सबरजू को डांि स्कूि मे् डांि तैयार करने के सिए कहा गया है्. उिके िाथ सजि िड्की को िाथ रखा गया है उिका नाम मासिनी है, मगर सबरजू उिे राधा कहकर ही बुिाता है. काय्क ड म् के अनुिार िव्पड थ ् म गुरज ् ी को राधा-कृषण ् पर एक छोटा-िा वक्तव्य देना हे, सजिे उन्हो्ने रट सिया है. श््ी कृषण ् और राधा एक ही स्वर्प के दो नाम है, दो शरीर एक जान है. कृषण ् शल्द है,् तो राधा अथ्.्ा कृषण ् गीत है तो राधा िंगीत. कृषण ् बंिी है तो राधा स्वर. सबना राधा के कृष्ण का नाम अधूरा है. राधा-कृष्ण का प््ेम िव््ोच््कोसट का प्म्े है. वे सिखाते है सक अगर आप सकिी िे प््ेम करते है तो उिका िम्मान करना और उिका ध्यान रखना भी जर्री है. गुरज ् ी के इि िूकम् पसरचय के बाद सबरजू को ‘गीत गोसवंद’ के प्थ ् म श्िोक ‘मेघमै द्े रु मंबरं.’ पर नृत्य करना है सजिका सहंदी पाठ है: ‘रात गहरी हो आयी है, बादि सघर आये है,् यमुना के
गुर् िी श्लोक का यहंदी पाठ करते िायेग् े और उसी पर यबरिू नृतय् करता िायेगा. गुर् िी को इसका शुद् उच््ारण के साथ पाठ करने मे् कयठनाई हो रही थी. सकनारे के तमाि वन अंधकार को दूना कर रहे् है.’ कृषण ् इि अंधकार िे डरते है.् नंद राधा िे कहते है,् तुम इिे घर पहुच ं ाओ और राधा कृषण ् को उनके घर वास्स्वक घर पहुच ं ा देती है. वह घर मुक्त आकाश के नीचे यमुना की रेती के िघन कुंज के बीच ऐिी रि-सिक्त बािू की जमीन पर है जो अनंत आनंद का रि पी िकती है और तब भी प्यािी रह जाती है. सबरजू को इिी थीम पर नृतय् करना है. काय्डक्म के अनुिार गुर् जी श्िोक का सहंदी पाठ करते जायेग् े और उिी पर सबरजू नृतय् करता जायेगा तासक दश्क ड ो् को िंदभ्ड का बोध बना रहे. गुर् जी को इिका शुद् उच््ारण के िाथ पाठ करने मे् कसठनाई हो रही थी्. वे रिसिक्त शल्द का उच््ारण बार-बार गित कर रहे थे. पहिे उन्हो्ने इिका रसिक उच््ारण सकया, टोकने पर बहुत कोसशश की तो रसिक्त
उच््ारण करने िगे. रिसिक्त कहने के सिए उनकी सजह््ा को बहुत मशक्त् करनी पड्ी थी. गुरज ् ी की चिती तो इतनी कसठन थीम को कभी भी न उठाते मगर क्या करे्, सजन महोदय का डांि स्कि ू था, वे एक िह्दय व्यब्कत थे और िंस्कृत के ज््ाता थे और उनकी िनक थी सक ‘गीत गोसवंद’ के श्िोक की थीम पर ही डांि तैयार सकया जाये. गुर्जी ने ‘गीत गोसवंद’ की अनुपिल्धता की बात की तो उन महोदय ने ही इिे उपिल्ध भी कराया. सबरजू और राधा ने मासिनी ने स्कूि मे् कािी देर तक इिका सरहि्ि ड सकया था सजििे सबरजू बहुत थक गया. ‘सढंक सचक््ा, सढंक सचक््ा, सढंक सचक््ा, हे, हे, हे, बारह महीने मे्बारह तरीके िे, तुमको प्यार जताऊंगी मै.्’ ‘ढम्म, ढम्मए ढम, ढम, ढमाढम.’ ‘पी. पी. पी.’ ...बारात िगने मे् अभी देर थी, मगर बै्ड पाट््ी ने बैड ् बजाना शुर् कर सदया तासक िोग एकस््तत होने शुर् करे.् बैड् बज रहा था, मगर कोई तवज््ो नही्दे रहा था सक क्यो्सक घुडच ् ढ्ी की रस्म हो रही थी. पंसडत जी बड्ेइत्मीनान िे पूरा करा रहे थे. एक-एक रस्म पूरे सवसध-सवधान के िाथ करा रहे थे. नवयुवको्मे्बेचनै ी हो रही थी. सकिी ने पीछे िे टोका, ‘पंसडत जी जल्दी खत्म कसरये अपना बुस्ढया पुराण.’ ‘बेटवा, आज तो बुस्ढया पुराण ही चसि है. घबराओ न तुमह् ारी शादी मे्नइकी बहू का पुराण ही चिेगा, पंसडत जी ने छूटते ही कहा. पंसडत जी के इशारे पर बारात का मासिक बैड् मास्टर पर सबगड्पड्ा, ‘का जल्दी मचाये हो, धैयड्रखो, दुदं न काटो मास्टर, तुम्हे् भी मौका समिेगा.’ बै्ड मास्टर ने बैड् बंद कर सदया. उिे मौका अच्छा िगा, पेशाब के बहाने वह थोड्ी दूर गया जेब िे देशी का पाउच सनकािकर जल्दी-जल्दी गटका और सिर आकर िबमे्शासमि हो गया. जब िे सबरजू पाट््ी मे् शासमि हुआ है, सपता होने के कारण बैड् मास्टर उिका सिहाज करते है और उििे सछपाकर शराब पीते है, मगर पीते जर्र है. बै्ड मास्टर का कहना है सक सबना सपये ‘सरदम’ नही्बनता. िाि िग रहा था बारात सकिी नव-धनाढ्् की है सजिमे्बेईमानी िे कमाये गये धन का भद््ा प्द् श्नड िाि झिक रहा था. पूजा खत्म होते ही नौजवान िड्क पर कूद पड्े और िगे डांि करने. इनमे्िे ज्यादातर सिि्फयूं ही उल्टे िीधे हाथ पैर िेक ् रहे थे, उनके डांि मे्कोई तािमेि नही्बैठ रहा था. मगर कुछ िोग वाकई अच्छा डांि कर रहे थे और उनके स्टपे िही पड्रहे थे. िभी बैड् मास्टर िे अपनी पिंद का गाना बजाने की िरमाइश करने िगे. कोई कहता ‘गंदी बात’ बजाओ, कोई कहता ‘नासगन वािा गाना बजाओ, कोई कहता अंसखयो् िे गोिी मारे’ शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 39
सावहत्य
बजाओ, मगर बै्ड मास्टर ने िबिे पहिे पारंपसरक भजन ‘ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे’ बजाया.’ इि भजन को बैड ् मास्टर बहुत डूबकर बजाते है,् िोग कहते है्सक मास्टर जब अपनी तरंग मे्होते है्और सिर इि गाने को बजाते है तो कमाि कर देते है वे हरी प्ि ् ाद चौरसिया की याद सदिाते है. हसर प्ि ् ाद चौरसिया की तरह जब वे ‘ओम जय जगदीश हरे’ को तानकर तार िप्तक तक िे जाते है्और ठीक उिके बाद खटका, मुरकी का काम करते है तो िोग वाह-वाह कह उठते है.् भजन बजाने के बाद बैड् मास्टर िीधे ‘यह देश है वीर जवानो् का, अिबेिो का मस््ानो् का, इि देश का यारो्क्या कहना,’ बजाने िगे. सबरजू को आज तक यह िमझ नही् आया सक िोग शादी मे्इि गाने को क्यो्बजाते है.् शायद ही कोई शादी ऐिी होती है सजिमे् यह गाना न बजाया जाता हो. शादी का वीरता िे क्या सरश्ता है, कही्प्क ् ारांतर िे यह तो नही्कहा जाता सक शादी करना एक वीरता का काम है या शादी कोई वीर पुरि् ही कर िकता है. इि गाने पर िब डांि कर रहे थे, मगर सबरजू एक कोने मे् खड्ा था. उिे रह-रहकर राधा (मासिनी) की याद आ रही थी. सबरजू और राधा को शहर मे् होने वािे क्वाटर िाइनि कंसपटीशन मे्सहस्िा िेना था. िुबह सबरजू ने उिके िाथ खूब जमकर डांि सकया भी. उिकी सनकटता की खुमारी और िुबह सकये गये डांि की थकान के कारण वह डांि मे्शरीक नही्हुआ. इधर देखते-देखते यह हुआ है सक पैिो्का िोभ और सवदेश यात््ा की चकाचौ्ध ने किा की दुसनयां को गैर प््ािांसगक बना सदया है. यही्हमिे चूक होती है और हम छीजते जाते है्. परंपरा उसचत-अनुसचत के भेद न रहने िे िुपत् हो गयी है, गुरज ् ी के इन वाक्यो्को वह बड्ी सशद्त् के िाथ याद करता है. गुरज ् ी इि तरह िे िड्क पर डांि करने को अप-िंसक ् सृ त का बढ्ता प्भ् ाव मानते है.् इिीसिए उिे इि तरह िड्क पर डांि करना बहुत भड्ापन िगता है, मगर क्या करे् वह? यही उिकी रोजी-रोटी है. सबरजू को खािी खड्ा देखकर बैड् मास्टर ने उिे बुिाकर एक कोने मे्िे गये और उिके कान ऐठते हुए कहा, ‘चोद्,्े हीरो की तरह हाथ पर हाथ धरे क्यो् खड्ा है? डांि क्यो् नही् रहा है? डांि नही् करेगा तो कमाई कैिे होगी?’ सबरजू ने तरेर कर डांि मास्टर की तरि देखा, एकबारगी उिके मन मे्आया सक वह पिड्( िैि) जाये, मगर मौके की नजाकत देखकर वह चुप िगा गया. उिके ऐिा करने पर बारात मे् रायता िैि िकता है और यह उिके पसरवार की िेहत के सिए ठीक नही्. उिने मन ही मन कहा. सबिी-सनिी सबरजू भी डांि मे् शासमि हो गया. सबरजू के उतरते ही िबने उिके सिए मैदान 40 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
खािी कर सदया, क्यो्सक िबको पता था सक सबरजू के आगे कोई नही्सटक पायेगा. सबरजू के उतरते ही डांि मे् नयी जान आ गयी. दूलह् े के भाइयो्और दोस््ो्मे्सबरजू के िाथ डांि करने की होड्-िी िग गयी, िभी उिके िाथ डांि करने के सिए एक-दूिरे को धसकयाने िगे. देखते ही देखते मसहिाएं भी डांि मे्शासमि हो गयी्. मसहिाओ्के शासमि होते ही डांि मे्कुछ देर के सिए अिरा-तरिी िी मच गयी. नोट न्यौछावर होने िगे. िोग नोटो्को अपने होठो्िे दबाकर डांि करने िगे. डांि मास्टर उनके करीब जाकर डांि करते और मौका पाते ही मुहं िे नोट खी्च िेते. पाट््ी चीकट थी. दि-दि
र्पये न्यौछावर कर रही थी. दरअिि डांि करने वािो्और डांि मास्टर के बीच अंदरखाने रस्िाकिी चि रही थी, डांि पाट््ी कम िे कम पैिे मे्डांि का ज्यादा िे ज्यादा मजा िेना चाह रही थी और डांि मास्टर डांि िे ज्यादा िे ज्यादा पैिा खी्च िेना चाहते थे. सबरजू को अपने सपता की कूर् ता पर गुसि ्ा और अपनी अिहायता पर तरि आ रहा था. कई िोग सकनारे हो गये सक डांि करती मसहिाओ् को ताड् िके.् डांि करते िमय का मसहिाओ् का शरीर उघड्जाता है, उतना सकिी पोन्डमे्भी नही् होता. बदन उघाड् कर डांि करती मसहिाओ्को देखकर सबरजू बुदबुदाया, ‘यहां िे मुसशकि िे दि सकमी. की दूरी पर गानो्मे्प्म्े करने पर प्म्े ी-युगि का वध कर सदया जाता है.’ औरतो् के इि तरह िे भड्ैती और नंगेपन मे् शासमि होने मे्उन्हे्आपस््त नही्होती, मगर यसद
प्म्े ी युगि शािीन ढंग िे प्म्े करे्तो इन्हे्बुरा िगता है. ‘ये कौन?’ एक वृद् िज््न के डांि मे् शासमि होते ही िुििुिाहट िी हुई. ‘िड्के के बाबा है.्’ कई स्वर एक िाथ उभरे. ‘यानी की अब मेरी कम िे कम घंटे भर की दिेि और होगी.’ बुढऊ खुद तो शायद पांच समनट ही डांि करेग् ,े मगर इन्हे्पकड्-पकड्कर दूिरे िोग घंटो डांि करे्गे. िगता है, मेरी तो जान ही सनकि जायेगी.’ सबरजू बुदबुदाया. िड्के के बाबा के मैदान मे्उतर आने पर बै्ड मास्टर बहुत प््िुब्लित हुआ क्यो्सक हर आदमी अपनी हैसियत और सरश्तदे ारी के सिहाज मे्उनके ऊपर नोट न्यौछावर कर रहा था. िड्के की मां ने तो तुरतं एक हजार र्पये का न्यौछावर सकया. जैि-े जैिे र्पये न्यौछावर हो रहे थे, वैि-े वैिे बैड ् मास्टर के चेहरे की रंगत बदिती जा रही थी और वे दुगनु े उत्िाह िे बजाते और सबरजू को भी उकिाते जाते. सबरजू बहुत थक चुका था, वह थोड्ा आराम चाहता, मगर उिे चैन कहां था. मध्यम कद के थुि-थुि िे व्यब्कत के पाट््ी मे्शरीक होते ही पाट््ी मे्एक नया जोश आ गया क्यो्सक यह थुिथुि व्यब्कत िड्के का सपता था. अब िोग दि र्पये की जगह िौ-िौ र्पये न्यौछावर कर रहे थे, हां, यह जर्र कोसशश कर रहे थे, सक थुिथुि व्यब्कत उन्हे्न्यौछावर करते हुए देखे, जर्र देखे. थुिथुि व्यब्कत सकिी िरकारी दफ्तर मे् बड्ा अििर था और उिके मातहत पूरी तरह िे उिकी चापिूिी मे्िगे हुए थे. ‘अब तो आज यहां िे मेरी अरथी ही उठेगी.’ सबरजू बुदबुदाया और मानो किन पहन कर पूरी गसत के िाथ डांि करने िगा. उिने अपने को अब पूरी तरह िे भगवान के भरोिे छोड् सदया. डांि करते-करते वह िड्क पर िोट गया, सक उिे एक जोर िा िटका िगा, िोग सचल्िा रहे थे, ‘पकड्ो,् मारो, भागने न पाये’ दरअिि डांि करने मे्सबरजू इतना मशगूि हो गया सक िामने िे आती डीिीएम को उिने नही्देखा और उिे धके्मारते हुए भाग गयी और सचल्िाते रहे मगर डीिीएम को रोक नही्पाये. सबरजू को जब होश आया तो उिकी मां िामने बैठी थी, सबरजू को होश मे्आया देखकर वह मारे खुशी के रोने िगी. रोते हुए उिने कहा, ‘बेटा भगवान की दया रही सक तू बच गया, वन्ाड एक्िीडेट् तो बहुत बुरा हुआ, गाड्ी का ब्क ्े िेि हो गया था, सकतनी बार मैन् े कहा सक भीड्-भाड् वािी िड्क पर इि तरह डांि न सकया करो, मगर तुमह् ारे सपता माने तब. न नाश होये उनके िािच का.’ ‘अम्मा, एक्िीडे्ट ने तो मुझे बचा सिया. नही्तो बाबू तो हमे्नचा-नचा कर मार डािते. n अम्मा.’ सबरजू ने कहा.
सावहत्य/कववता
विष्णुचंद्शम्ाा की कविताएं एक गांव है
वत्डमान मे्कहां-कहां घूम आया पर वत्डमान तो एक गांव है सजिे मां पल्िू मे्बांध िेती थी और मै्पटाको्िा उल्िाि िे्कता था सदि चुपचाप गाता था और रोम-रोम जाने उत्िव का कौन राग छेड्ता.
खो गया है बचपन जैक मां पर िोचते हुए गुम चोट महिूि करता है तस्वीरे्आती है् पद््ेपर सदि के एकांत िो जाता है जैक का हांगकांग मे् मां की महत्वकांक्ा के िपनो्मे्डूब जाता है उिका बचपन मेरी िोटो खी्चता है जैक कई कोणो्िे सिर चिा जाता है िाइसकि िे मै्महिूि करता हूं जैक मोबाहि पर धीरे-धीरे बतायेगा गुम चोट पर पेसरि मे्.
पटाको् सा फटता अपने िे बाहर एक रंगभरी दुसनया है मां अक्िर मुझे खी्चकर िे जाती थी वहां मां थी तब अब मै्हूं पटाको्िा िटता या रोशनी िा तनहा.
रंग फछटक जाते है् वह मेरे खािी घर मे् भर जाती है रोशनी सिर मेरी तनहाई को दीपाधार िे िजा जाती है मै्गुिमेहंदी िा सखिता हूं और रंग सछटक जाते है् मां के जीवन के.
वह मां है मां की तरह वह बना रहा है नाश्ता वह चाय के िाथ दे रहा है सबस्कुट मुझे मां की तरह वह िहेज रहा है मेरे सिए खुशी सिर भूि जाता है अपना मोबाइि छोड्जाता है चश्मा मेरे पाि वह मां की तरह चुटकी पर रोिी है मेरे तनहा घर मे्.
बरसा नही् पानी आसखर बरिा नही्पानी सिि्फिदाबहार के िूि का मुंह तर हो गया है िद््ी मजदूर को नही्देती है वक्त: दाढ्ी िंवारने का टोपी माथे पर चस्पां करने का या भागिपुर के चुनाव मे्वोट नही्देने का सिर भी बजरंगी पूछते है्: कराविनगर मे्चस्पां क्यो्है टोपी! और दाढ्ी क्यो्रखते हो? िदाबहार के िूि ने कहा मुझिे-‘बोिो मत,
वसरष््कसव और जीवनीकार. प््मुख कृितयां: बेगाने अपने, सदि को मिा करे है, चुप हूं यो्, रेखाएं दुख की, अब्गनिेतु. कबीर, नजर्ि इस्िाम, मुब्कतबोध, शमशेर, नागाज्डुन पर जीवनी पर कृसतयां चस्चडत.
बजरंगी िरकार पासकस््ान भेज देगी देश के मुििमान को. देश के दसित को, देश के िेखको्को, देश के सिल्मी किाकारो्को, सिर भी मै्वि्ाड नही्होने पर िूखे खेत िे पूछता हूंकहां जाये्गे! सिक्ख गोड्े्गे खेत, दसित ििि काटे्गे ईिाई चच्डके बाहर कहे्गे-‘देश हमारी िांिो् मे्बिा है.’ सवरोध मे्िेखको्, किाकारो्ने ‘िम्मान’, ‘पुरस्कार’ सहंदू कल्जाधासरयो्के मुंह पर िे्क सदया है.
देश की आवाज् देसखए खून खौि रहा है िीना धड्क रहा है मुंह मे्आवाज अटक गयी है. बजरंगी पूंछ िे देश के शहरो्को, गांवो्को, स्माट्डशहरो्को जिा रहे है् िेखक घबराये हुए िासहत्य अकादेमी का पुरस्कार िौटा रहे है् िरकार बचाव मे्देशद््ोसहयो्का सरकाड्डतैयार कर रही है इसतहािकार अमेसरका मे्पाताि िोक खोज रहे है्रामभक्तो्का कपट मे्नीसत आयोग उिटी सगनती सगन रहा है दंभ मे्ित््ा अकड्रही है पाखंड का बाजार गम्डहै मै्खौिते खून और धड्कते िीने मे्देश की आवाज िुन रहा हूं. n शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 41
सावहत्य/समीक््ा
एक-दूसरे के आलोक मे़
यह आलोचना या समीक््ा नही्है, शुद्रचना है जो नवरसो्के पार मनुष्यता के रस की सृक्ि करती है. व््पयदश्शन
नही् देत.े यह बच सनकिने की चािाकी नही् है, ऊपर उठ िकने वािी िहज सनस्िपड त् ता है सजिमे्यह भान है सक जो बहुत चमकीिा सदख रहा है, र कोई सकिी भी मृतय् ु के शोक िे अपनी तरह िे उबरता है. कई बार तो उिकी अपनी व्यथ्तड ाएं है्और जो व्यथ्डप्त् ीत हो रहा है, उिके भी अपने ड अब एक ही हैइि प्स््कया का भान नही्होता और हम उि व्यब्कत को अपने भीतर िे स्पदं न है.् दरअिि इन दोनो्के िंवादो्मे-् सजिका िज्क भी खो देते है्सजिे दैसहक तौर पर पहिे खो चुके है.् सहंदी के सविक्ण ् कसव छोटी-छोटी बातो्के धागे ब़डे िंदभ््ो्का सवतान बुन देते है.् पंकज बताते है् वीरेन डंगवाि के सनधन के बाद अविन्न छूट गयी सहंदी की दुसनया भी जब सक एक बार वीरेन डंगवाि उन्हे्अपने िाथ कही्खाने को िे गये जहां सिफ़फ् अपने-अपने ढंग िे इि शोक िे उबरने की कोसशश कर रही थी, तब उन्हे्न्योता था. पंकज की सहचक को अपने िहज अंदाज़्मे्सकनारे करके िेिबुक पर कसव और आिोचक पंकज चतुवद्े ी कसव के िाथ अपनी स्मसृ त उन्हो्ने मेहमान को बता भी सदया सक यह आना भी नही्चाहता था और सिर हल्के ढंग िे तजवीज पेश की सक तुम कम खाना. यह को पुनज््ीसवत कर रहे थे. िगभग रोज़्उनकी एक छोटी, एक मामूिी िी घटना है. िेसकन इि घटना के बाद और िुसवचासरत और िंवदे नसिक्त सटप्पणी आती और हम कुछ पहिे पंकज ने जो पंब्कतयां सिखी है्, उनिे िमझ मे् अचरज के िाथ दो कसवयो्के बीच अंतग्स्ाुित उि िंिार आता है सक वे कैिे चीज़्ो्, घटनाओ् और प््िंगो् की को देखा करते जो अपनी तरह िे बेहद अथ्डपूण्ड और पु नप्सड रभािा और पुनर्च ड ना कर रहे है.् इि प्ि ् गं मे्पंकज तहदार था. सिखते है , ् ‘इि तरह तु म ने मे र े सिए कम कहकर ज्यादा यह दो व्यब्कतयो् का, समत्व् त और आत्मीय हो गये की व्यवस्था की.‘ इि प्ि ् गं की शुरआ ् त मे्ही पंकज जो दो कसवयो्का- सजनमे्एक वसरष््और दूिरा कसनष््थानतीजा रखते है्, वह कही् और ज््यादा ध्यान िे पढ्ने बहुत ही िहज िंिार है सजिमे्सबल्कि ु रोज़्मर्ाड की ढेर िायक है- ‘तुम सिफ़फ्प्यार नही्करते थे, बब्लक अपने िारी बाते्होती है.् वे बड्ी उदात््नही्, बब्लक कभी कपड्ो् उद््ाम वेग िे औरो्को भी प्यार करने के सिए मजबूर कर को िेकर, कभी िोगो्को िेकर, कभी रचनाओ्को िेकर देते थे. सकिी-सकिी को मैन् े तुमह् ारी मौजूदगी की आभा होने वािी बहुत िामान्य िी बाते् है.् िेसकन सजि तरह मे-् उिके अकारण र्खपे न के सिए- िस््जत होते देखा वीरेन डंगवाि जीवन भर िाधारण को एक सविक्ण ् ता है.‘ और भव्यता देते रहे, उिी तरह पंकज चतुवद्े ी इि पूरी यह वह वीरेन डंगवाि है् सजन्हे् पंकज चतुव्ेदी बातचीत को एक सविक््ण अनुभव मे् बदि देते है्. हािांसक यह जोड्ना तत्काि ज़्रर् ी िग रहा है सक पंकज यही तुम थे: पंकज चतुिद्े ी; पहल-पुम्सका, बनाते है्. िेसकन इि वीरेन डंगवाि को बनाते-बनाते पंकज चतुवद्े ी भी कुछ बनते जाते है्और वह दुसनया भी यह काम सकिी सनयोसजत या महत््वाकांक्ी ढंग िे नही् 101, रामनगर, आधारतल, जबलपुर; पृ ष ् 112, मू ल य ् उल् ल ख े नही् कुछ और हो जाती है सजिमे्दोनो्का िाझा है. कसवता, करते- वह िाधारणता को भव्यता मे् बदिने की जबरन प् य ार, िासहत् य , कामना, वािना, अहंकार, सदखावा, शािीनता, कोसशश नही्करते, वह िहज भाव िे उि अनुभव को इि तरह याद करते औपचासरकता, सरश् ते, परंपरा, अध्ययन, सवचार, आिोचना, क््ोध, है्सक वह अपने आप एक सविक्ण ् अनुभव मे्बदि जाता है. यथाब् स थसत, बे च न ै ी, िुदं रता- यह िब इन दो चसरत््ो्के बीच तरह-तरह के पंकज चतुवद्े ी की इन सटप्पसणयो् को सपछिे सदनो् ‘पहि’ ने अपनी पुस्सका श्ख ं िा के र्प मे्‘यही तुम थे’ के नाम िे छापा है. इन सटप्पसणयो् प््िंगो् िे आते रहते है् और नये अथ्ड ग््हण करते है्. पंकज की अपनी िे एक िाथ दुबारा गुज़र् ते हुए यह बात कुछ ज्य् ादा गहराई िे िमझ मे्आती अध्ययनशीिता भी यहां उनकी काफ़्ी मदद करती है. वीरेन डंगवाि के ् गं ो्और उनकी सवचार-प्स््कया के बीच पंकज बीच-बीच मे्उनकी है सक यह सकताब दो िोगो्के िंबधं ो्के बारे मे्ही नही्है, यह इि बात के जीवन-प्ि बारे मे्भी है सक हम अपने िंबधं ो्को सकि तरह देखे्और महिूि करे.् सिर कसवता भी गूथं ते रहते है्और उि असभप््ाय को और िारगस्भतड बना देते है् कहने की ज़्रर् त है सक यह काम कोसशश करके िंभव नही्है, यह सरश्तो् जो वहां मौजूद है. अंततः पंकज सिखते है,् ‘तुमह् ारे सिए कोई एक शल्द की उि िंिग्नता, ऊष्मा और तीव्त् ा िे ही िंभव है जो इि सकताब के दोनो् इस्म्े ाि करने की सववशता हो, तो मै्कहूगं ा: अकृस्तम. यही सिफ़्त तुमह् े् सकरदारो्- पंकज चतुवद्े ी और वीरेन डंगवाि के बीच बनती रही और दोनो् स्ज़दं गी के बेहद क़्रीब िायी और तुम उिकी मसहमा को पहचान िके. यह महज 112 पेज की सकताब है सजिमे्ऐिी 111 सटप्पसणयां दज्डहै.् को बनाती भी रही. तो मूितः स्मसृ तसवन्यस््होने के बावजूद यह सकताब सकन्ही्शास््ीय ये सटप्पसणयां एक ख्ाि अथ्डमे्िंसम् रण ज़्रर् है,् िेसकन उििे ज्य् ादा वे ड ना है् सजनके दो छोर दो सकरदारो् िे बंधे रहे. यह या प्च ् सित अथ््ो्मे्िंसम् रण नही्है, यह दो सकरदारो्को सिर िे गढ्ने का उन अनुभवो् की पुनर्च छोटी िी सकताब अपने छोटे-छोटे प्ि ् गं ो् मे् हमे् िासहत्य, कसवता, सवचार उद्म् भी है. इि सकताब मे्एक ‘मै’् है और दूिरा ‘तुम’. ‘मै’् अक्िर ‘तुम’ और स् ज़ द ं गी के बारे मे ् िोचने पर मज़् ब रू तो करती ही है, िेसकन िबिे ज्य् ादा की छाया मे्सदखता है, िेसकन उिकी अनुकसृ त की तरह नही्, बब्लक ऐिे इि बात की तरफ़् ध् य ान खी् च ती है सक दो मनुषय् कैिे एक दूिरे को देख स्वतंत् अस््सत्व की तरह सजििे ‘तुम’ कई बार अपने िही होने की आश्स््स भी चाहता है. इिके दूिरे सिरे पर खड्ा मै्‘मै’् यह देखकर हैरान और सिरज िकते है.् यह आिोचना या िमीक््ा नही्है, शुद्रचना है जो होता जाता है सक इि ‘तुम’ के भीतर सकतनी तहे्है.् वीरेन डंगवाि कसवता नवरिो्के पार जाकर एक दिवे्रि- मनुषय् ता के रि- की िृस्ष करती है िे अख्बार तक- शल्द िे ित््ा तक- की दुसनया मे् बहुत िहजता िे सजिका अकुठं पान करने के सिए हमे्भी खुद को कुछ बदिना होगा, अपनी n आवाजाही करते है,् िेसकन सकिी की धूि-समट््ी अपनी शब्स् ियत पर सटकने रि िैद्ासं तकी और िंवदे ना का सवस््ार करना होगा.
ह
42 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
सावहत्य/स्मरण
एक सतत फवद््ोही स्वर
मुद्ाराक्स ् की वैचाकरक कनक्मकष त मे्माक्सवष् ाद, बौद्् दश्नष , लोकहयावाद और आंबडे कर के कचंतन का गहरा प्भ् ाव था, लेककन वे ककसी एक दाश्कष नक राजनीकतक कचंतन के घेरे मे्नही बंध.े
वीरे्द् यादव
य
ह िचमुच त््ािद और अविादकारी है सक जब िािीवाद की आहटे् तेज हो्और ‘िांस्कृसतक राष््वाद’ िब कुछ िीिने और नष््करने की तैयारी मे्हो, तब ित््ा प््सतष््ान िे िीधी मुठभेड का दमखम रखने वािे िांस्कृसतक योद््ा मुद्ाराक््ि सवगत 13 जून को हमारे बीच नही रहे. यो्तो सवगत डेढ-दो वि््ो्िे बढी उम््और सबगडते स्वास्थ्य के चिते वे अपने घर तक सिमट जाने को सववश थे, िेसकन अपने आसखरी दौर मे् भी वे देश पर मंडराते िांस्कृसतक-राजनीसतक िंकट िे खािे बेचैन रहते थे. मुद्ाराक््ि सहंदी बौस््दक िमाज के िव्ाडसधक सवद््ोही व्यब्कतत्व थे. वे महज एक िेखक न होकर एक ऐिे िस््कय िाव्डजसनक बुस्दजीवी थे जो व्यापक िामासजक मुद्ो्और हासशये के िमाज के पक््मे् ‘एकिा चिो रे’ का जोसखम उठाकर भी अपने प््सतरोधी स्वर को बुिंद करते रहते थे. यह उन्ही का दमखम था सक ‘धम्डग्ंथो् का पुनप्ाडठ’ िरीखा स््कटीक रचकर उन्हो्ने सहंदुत्ववादी ताकतो्को खुिी बौस््दक चुनौती दी थी.इन्ही सदनो् भगत सिंह पर पुस्क सिखकर उन्हो्ने भगत सिंह के होने और िमिामसयक िंदभ््ो्मे्उनकी जर्रत को सशद््त िे रेखांसकत सकया था. मुद्ाराक््ि की वैचासरक सनस्मडसत मे् माक्ि्डवाद, बौद्् दश्डन, िोसहयावाद और आंबेडकर के सचंतन का गहरा प््भाव था, िेसकन यह भी िच है सक वे सकिी एक दाश्डसनक राजनीसतक सचंतन के घेरे मे्कभी नही बंधे. अपने अंसतम उपन्याि ‘अध्डवृत्’ मे्जहां उन्हो्ने ‘सहंदू किाईबाडे’ शीि्डक अध्याय मे्सहंदुत्व की कपािस््कया की है ,वही्अगिे ही अध्याय ‘दृस्षबाधा’ मे्उन्हो्ने भारतीय वामपंथ को प््श्नांसकत करने मे्कोई कोर किर नही छोडी है. वे अपने िवािो् और प््हार द््ारा सजि प््सतपक्् की िंकल्पना करते थे वह िांचेढिा न होकर सवकल्प की नयी िंभावनाओ् िे युक्त होता था. िखनऊ के सनकट के एक गांव के अकुिीन पसरवार मे् जन्मे (1933) मुद्ाराक््ि दो दशको्के किकत््ा और सदल्िी प््वाि के बाद जब आपातकाि के उत्पीड्न के चिते आकाशवाणी की नौकरी िे त्यागपत्् देकर अपने गृहनगर वापि हुए तो उनका व्यब्कतत्वांतरण हो चुका था. कुिीन िमृद् िमाज और ित््ा प््सतष््ान द््ारा सनगिे जाने िे बचकर अब वे अपने िमाज के आंतसरक दृष्ा के र्प मे् ‘भगोडा’ हम िब मंिाराम’ और ‘शांसतभंग’ के रचनाकार थे. असत दसित मुिहर िमुदाय पर उन्हो्ने अपना उपन्याि ‘दंड-सवधान’ तब सिखा था जब सहंदी मे् दसित सवमश्ड की आमद भी न हुई थी. यह िचमुच सवडंबनात्मक है सक िाठ के दशक मे् पस््िम के अराजक यौन दश्डन के प््भाव मे्
मुद्ाराक््स: स्िाधीन और प््मतबद्् जीिन
किकत््ा मे् रहते हुए जब उन्हो्ने अपना उपन्याि ‘मैडेसिन’ सिखा था तब डॉ.नामवर सिंह ने उन्हे्पत््सिखकर ििाह दी थी सक वे ऐिे सवकृत उपन्याि न सिखे्.िेसकन बाद के दौर मे्जब उन्हो्ने हासशये के िमाज को अपनी रचनात्मकता का के्द्बनाया, तब नामवर सिंह िसहत आिोचना के िमूचे कुिीनतंत् ने उनके रचना कम्ड की उपेक्ा ही की. मुद्ाराक््ि स्वयं न तो राजीसतक ित््ा के मुखापेक्ी हुए और न ही िसहब्तयक ित््ा के.अज््ेय, सदनकर ,धम्डवीर भारती िे िेकर डॉ.नामवर सिंह तक िे उन्हो्ने िीधी मुठभेड की. एक दौर मे् वे शीि्ड कम्युसनस्ट नेता श््ीपाद अमृत डांगे और राम मनोहर िोसहया के िीधे िंपक्फमे्रहे.पूव्डप््धानमंत्ी सवश््नाथ प््ताप सिंह िे िेकर सवष्णुकांत शास््ी तक कई राजनेताओ्िे उनकी सनकट मैत्ी रही िेसकन पद, प््सतष््ा और पुरस्कार िे वे कोिो्दूर रहे.कहा जा िकता है सक वे ितत ित््ा सवरोधी थे. मुद्ाराक््ि सहंदी के अकेिे ऐिे िेखक थे जो जन्मना दसित न होते हुए भी दसित िमाज और दसित िेखको्-बुस्दजीसवयो्के बीच िमान र्प िे िमादृत थे. आंबेडकरवादी िंगठनो् ने उन्हे् ‘आंबेडकर रत्न’ और ‘शूद्ाचाय्ड’ िरीखे िम्मान िे भी िम्मासनत सकया था. दसित िमाज द््ारा सिक््ो्मे्तौिकर उनका जन-असभनंदन भी सकया गया था. इि िबकी पृष्भूसम मे्पत््-पस््तकाओ्मे्सवपुि िंख्या मे्प््कासशत होने वािे उनके वे िेख और स््ंभ थे जो सहंदुत्व और पूंजीवादी ित््ा िंरचना के िाथ िाथ जासतगत-वण्ाडश्मी असभजन व्यवस्था पर भी उग्् तीखेपन के िाथ आक््ामक तेवरो्िे िैि होते थे. बहुिंख्यकवाद का सवरोध और उद्डूकी पक््धरता वे सहंदू धम्ड के नकार और सहंदी को ब््ाह्मणवादी भािा करार देने की सजि िीमा तक जाकर करते थे, उििे अल्पिंख्यको्का सवश््ाि और भरोिा भी उनको प््ाप्त था. यो्तो मुद्ाजी िोकिभा और सवधानिभा का चुनाव भी िड्ा था, िेसकन मात्् प््तीकात्मक सवरोध के सिए, सकिी राजनीसतक िोभ-िाभ के सिए नही्. दरअिि कभी-कभी असतयो्के छोर पर मुद्ाराक््ि का सदखना कुिीन-वण्ाडश्मी िांस्कृसतक-राजनीसतक ित््ा िंरचना के सवर्द्ध्यानाकि्डण की जर्रत होता था. मुद्ाजी आजीवन िंघि्डशीि रहे, स्वतंत् िेखन ही उनकी आजीसवका का िाधन था. देश की राजधानी मे् बरिो् गुजारने के बाद शायद ही सकिी िेखक की वापिी उिके गृहनगर हुई हो, िेसकन मुद्ाजी िौटे थे. गृहनगर मे् भी उन्हे् आधुसनक नया शहर छोडकर उि पुराने इिाके की गंधाती िंकरी गसियो् के बीच सपता के मकान मे् शरणागत होना पडा था, जहां भद््जन का चार पसहयो्पर जाना दुष्कर था. इि कोटर मे् रहते हुए मुद्ाजी ने सजि नैसतक आभा और स्वासभमान के िाथ िुरिसतया िुखािीन िमाज को कबीर की तज़्डपर िटकार िुनायी, वह ‘न भूतो न भसवष्यत्’ है. वे िचमुच अिग,अकेिे और अस््दतीय थे. n शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 43
मास् यायावरी ट हेड
अंबरीश कुमार
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ि झीि के िामने की पहाडी पर आसद शंकराचाय्डके मंसदर िे नीचे देखे तो िगेगा िमूचा श््ीनगर पानी पर तैर रहा है. यह अद्त् नजारा था एक तैरती हुई जन्नत िामने थी. वैिे भी कुछ दशक पहिे श््ीनगर मे्पानी का रास््ा ज्यादा प्च ् सित था. कई झीि तो उन्हे्जोडती झेिम. पर अब तो िब बदि गया. तीि अप्ि ्ै 2016 की शाम. हम सजि झेिम के सकनारे खड्े थे उिे कश्मीरी व्यथ कहते है.् पहिे इिे सवतस््ा कहते थे. वही सवतस््ा सजिके सकनारे कभी राजा पुर् और मकदूसनया (यूनान) के राजा सिकंदर (अिेकज़ ्ड ्े र) के बीच युद् िड्ा गया था. एक अघोसित युद्अब भी चि रहा है सजिे वे आजादी की िड्ाई कहते है.् दूर सचनार के पेड्ो्की कतार भी नजर आती है तो िंबे दरख्त िरेश के है.् यह डि झीि के सकनारे दूर तक जाते सदखते है.् बि्बफ ारी के िमय ये दरख्त बहुत रहस्यमय नजर आते है.् यह हल्बाकदि का झेिम पर बना पुि है. इि पर खड्ेहोते ही वि्ड1981 की याद आ जाती है. यही जगह थी और चारो् ओर बि्फ ही बि्.फ सचनार के पेड्भी बि्फिे ढके हुए. तब यह झेिम ििेद थी जो आज कािी हो चुकी है. वह शांसत का दौर था और हल्बाकदि कश्मीरी पंसडतो् का गढ्था. अब यहां पिायन के अवशेि भर है.् वीरान, उजाड्या जिे हुए. यह करीब 35 िाि िे भी असधक पुरानी बात है. पठानकोट गया था तो वहां िे घूमते हुए जम्मू पहुच ं गया. जम्मू और श््ीनगर दोनो्जगह अपने बचपन के दोस््रहते थे पता चिा जम्मू िे रात भर मे् श््ीनगर पहुच ं ा जा िकता है. अकेिे था, इिसिए तत्काि जाना तय सकया. बि खटारा थी िेसकन थकान के कारण बैठते ही नी्द भी आ गयी. अचानक ठंड और तेज हवा के अहिाि िे आंख खुिी तो देखा चारो्ओर ििेदी. बगि के मुिासिर ने बताया सक पटनीटाप आ गया है और बि्बफ ारी के चिते बि र्क गयी है. सजंदगी मे्पहिी बार बि्फसगरते देख रहा था. एक हाि स्वटे र था तो उिे ही सनकाि कर पहना. बि िे बाहर आया तो िगा मानो कोई र्ई के िाहे िेक ् रहा है ऊपर िे. करीब ही चाय की दुकान थी. िबने वहां चाय पी और कुछ देर बाद बि चि पड्ी. आंखो्मे्नी्द थी. बगि वािे यात््ी ने तरि खाकर कंबि दे सदया. सजिकी गरमी समिी. दोबारा नी्द टूटी तो बताया गया सक जवाहर टनि के आगे बि्फके चिते रास््ा बंद है.वही्पाि के ढाबे मे्चाय और अंडा पराठे का नाश्ता हुआ. तब तक बि्फ िाि करने वािो् ने रास््ा िाि कर सदया था. खाई मे्सगरे ि्क ् नजर आ रहे थे सजनिे सनकिकर िेब चारो्ओर सबखर गये थे. ििर सिर शुर् हुआ. दोपहर तक श््ीगन पहुंचे तो अभीभूत रह गये. यह वही जगह थी 44 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
डल झील मे् नाि: बरकार है सौ्दय्ा
कुछ जन्नत कुछ हक्ीक्त
सजिके बारे मे् मुगि बादशाह जहांगीर ने कहा था, 'गर िसिदौिे बर र्ए ज़्मीन अस््, हमी् अस्,् हमी्अस््'मतिब' यसद जमीन पर कही् स्वग्ड है तो यही् है, यही् है. अब हम स्वग्ड मे् थे और एक ही सदन र्क कर वापि िौटना चाहते थे इिसिए हाउिबोट तिाशने िगे तो सकिी ने झेिम का रास््ा बता सदया और मोिभाव कर एक हाउिबोट मे्र्क गये. सजिके बारे मे्सिखा हुआ समिा 'आज हाउिबोट एक तरह की िग्जरी मे् तल्दीि हो चुके है् और कुछ िोग दूर-दूर िे केवि हाउिबोट मे्रहने का िुति ् उठाने के सिए ही कश्मीर आते है.् हाउिबोट मे्ठहरना िचमुच अपने आप मे् एक अनोखा अनुभव है भी. पर इिकी शुरआ ् त वास्व् मे् िग्जरी नही्, बब्लक मजबूरी मे्हुई थी. कश्मीर मे् हाउिबोट का प््चिन डोगरा
राजाओ् के काि मे् तब शुर् हुआ था, जब उन्हो्ने सकिी बाहरी व्यब्कत द््ारा कश्मीर मे् स्थायी िंपस््त खरीदने और घर बनाने पर प्स्तबंध िगा सदया था. उि िमय कई अंगज ्े ो्और अन्य िोगो्ने बडी नाव पर िकडी के केसबन बना कर यहां रहना शुर् कर सदया. सिर तो डि झीि, नासगन झीि और झेिम पर हाउिबोट मे् रहने का चिन हो गया. बाद मे् स्थानीय िोग भी हाउिबोट मे्रहने िगे. आज भी झेिम नदी पर स्थानीय िोगो्के हाउिबोट तैरते देखे जा िकते है.् 'बि्फइि कदर िैिी हुई थी सक झेिम पर बने िकड्ी का पुि पर करने के बाद कई बार सिििे और सगरे भी. रहने की जगह जब समि गयी तो अपने समत््राजेद् ्कौि को तिाशने सनकिा जो श््ीनगर दूरदश्नड मे्कैमरामैन थे. दूरदश्नड पसरिर मे् पहुंचने पर पता चिा वे घर जा चुके है् जो
तीन दशक मे्कश्मीर मे्कािी कुछ बदल गया है. उसकी खूबसूरती भी, उसकी हालत भी. अब आतंकवाद का वह दौर नही्है इसकलए सैलाकनयो् की भीड़् भी बढ्रही है. हल्बाकदि मे्है. इि बीच सिर बि्फसगरने िगी थी और भूख भी िग रही थी. िाि चौक मे्कािी हाउि सदखा तो कुछ देर वहां बैठे भी क्योसक बाहर कड्ाके की ठंढ भी थी. शाम अंधरे े मे्बदि चुकी थी और बि्फके बीच बरिात भी. हल्बाकदि की गसियो् मे् राजा का घर तिाशते तिाशते रात के आठ बज गये. खैर तीन मंसजि का िकड्ी का वह घर समि ही गया. भीगने और अंधेरे की वजह िे राजा एकदम िे पहचान नही् पाया और सिर जैिे िमझ आया गिे िे सिपट चुके थे. वह हैरान इि आंधी पानी मे्मै कैिे यहां पहुच ं गया. सिर अपने कपडे सदये और बोिा- पहिे बोट िे िामान िाते है.् बहुत मना सकया पर माना नही्. एक ऑटो सिया और बरिात मे् झेिम के हाउि बोट पर पहुंच गये. उिका भुगतान सकया और िामान िेकर राजा के
घर मे्. थोड्ी देर बाद खाने का बुिावा आया. िबिे ऊपर की मंसजि मे्नीचे ही िमूचा पसरवार बैठा था और बड्ी गोि थािी मे् तरह तरह के व्यज ं न. इन दोनो्कश्मीरी पसरवारो्िे बचपन िे िंबध ं रहा है इिसिए कहवा,रोगन होश िे िेकर 'हाक' जैिे िाग िे पहिे िे वासकि था. कश्मीरी िोग तेि घी का ज्यादा इस्म्े ाि करते है और मांि उनके भोजन का असनवाय्डअंग भी होता है. खैर तब मौिम सबगडऩे और बि्बफ ारी िे रास््ा बंद हुआ तो दि सदन श््ीनगर मे्ठहरना पड्ा था. इि बार सववाह के छल्बीि िाि सजि सदन पूरे हुए उिी सदन िसवता के िाथ दोपहर श््ीनगर पहुच ं गये थे. डि झीि एक छोर यानी डि गेट पर एक होटि मे्ठहरे थे. देवदार के घने जंगिो्और बि्फ िे सघरे गुिमग्ड और सखिनमग्ड को देखा तो नाशपाती के सिए मशहूर तंगमग्डको भी. गुिमग्डिे सखिनमग्डकी यात््ा यादगार थी. देवदार के घने जंगि के पीछे बि्फिे िदी चोसटयां सदख रही थी्.आगे का ििि केबि कार यानी गंडोिा िे था. गंडोिा आपको जमीन िे उठाकर आिमान तक िे जाता है. यह ििि दो चरण मे् पूरा होता है. नीचे िे चिे तो हसरयािी थी पर अठारह समनट बाद ही हम दि हजार िुट िे ज्यादा की उंचाई पर बि्फ के मैदान मे् थे. चारो ओर बि्फही बि्.फ अभी इि गंडोिा को और ऊपर दूिरे चरण मे् और ऊपर जाना था. बताते है् उिके आगे ही एिओिी है. पर बि्फके इि बड्े
मखलनमग्ा मे् गो्डोला: पय्ाटको् का आकष्ाण मैदान को देखकर हतप्भ् थे. ऊपर पहासडय़ो्पर बादि ही बादि नजर आ रहे थे. इि बीच िैिासनयो् को बि्फ के स्कूटर और स्िेज पर घुमाने वािो्की भीड्इकठ््ा हो गयी. कोिकोता मे्सजि तरह आदमी आदमी को सरक्शे मे्खी्चता है ठीक उिी तरह गंडोिा िे बि्फ के मैदान मे् पहुच ं ने पर स्िज े गाडी सिये नौजवान िे िेकर बुजगु ड्तक खड्ेनजर आ जायेग् .े िुना था सक कई कुत्ेस्िज े गाडी को खी्चते है्पर यहां तो आदमी ही काठ के स्िज े को खी्च रहा था. मना करने के बावजूद एक अधेड् कुिी िसवता की स्िज े को खी्चते खी्चते हांिने िगा. तब हमने आगे यह कहकर जाने िे मना कर सदया सक आगे भी तो ऐिी ही बि्फ है. पर ऊपर की पहासडय़ो् का नजारा वाकई अद्त् था. िौटे तो पैदि चिते चिते थक चुके थे. पर शाम को डि सकनारे पहुच ं गये. िसवता डि झीि और उिके िामने के मुग़ि ् कािीन बगीचे देखकर हैरान थी्. चाहे शािीमार हो या सनशात या सिर चश्मश े ाही. चश्म,े झरने और पानी के अन्य प््ाकृसतक स््ोत को सकि तरह बगीचो् के बीच मोड् कर उन्हे् खूबिूरत बगीचे मे्बदिा गया होगा यह िोचकर हैरानी होती है. इिी तरह आसद शंकराचाय्ड का डि के ऊपर की पहाड्ी पर बना मंसदर भी्अद्त् नजर आता है. अब आतंकवाद का वह दौर नही्है इिसिए िैिासनयो् की भीड् सिर बढ् रही है. ज्यादातर शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 45
यायावरी
िैिानी डि झीि के िामने िे िेकर डि गेट पर ब्सथत होटिो्मे्र्कते है. एक आकि्ण ड यह भी है सक इि तरि िरदारो् के कुछ ढाबे भी है. उत्र् भारत का आम िैिानी कही्भी जाता है तो उत्र् भारतीय खाना नही छोड्ता इिसिए तंदरू ी रोटी, दाि मखनी, पराठा िल्जी दही आसद जहां समि जाये उिी के आि पाि ठहरता है. चाहे गोवा हो या श््ीनगर. श््ीनगर मे् डि गेट ब्सथत कृषण ् ा ढाबा इिका उदाहरण है सजिके यहां रात के खाने के िमय टेबि के सिए आधे पौन घंटे िे ज्यादा इंतजार करना पड् िकता है. खैर हमने कुछ कश्मीरी व्यज ं न का भी स्वाद सिया. श््ीनगर िे आजाद कश्मीर दो ढाई घंटे की दूरी पर बताया जाता है और कुछ और आगे बढऩे पर पसकस््ान का इिाका आ जाता है. कई तरह के िामान इधर िे उधर जाते है्तो उधर िे इधर भी आते है. हमने कश्मीर मे्पासकस््ान का शहद सबकते देखा तो अंजीर भी. मुजफ्िराबाद िे आने वािे कपडे कश्मीरी मसहिाओ्की पहिी पिंद होते है. दरअिि ये िंबध ं कुछ िािो्का नही्है बब्लक िैकड्ो्िािो्का है और बहुत िे पसरवार दोनो्तरि बंट गये है.् पर ये वह मुद्ा है सजिपर कोई िैिासनयो् िे ज्यादा खुिना नही् चाहता. श््ीनगर मे् चारो ओर पहाड् है, बाग़् बगीचे है् झरने और झीि भी है्पर अब वे बदहाि हो रहे है. खािकर डि झीि और झेिम. पर िौट कर बार बार झेिम िे गुजरना होता तो उिकी दशा देखकर मन सखन्न हो जाता. अब यह झेिम दम तोड्रही है. मई महीने मे् ऊपर की पहासडय़ो् िे बि्फ सपघिने के बाद इिका पानी बढ्ता है और प््वाह भी. पर मई के पहिे हफ्ते मे् पुराने शहर मे् बने हल्बाकदि पुि पर खड्ेहोने पर यह नदी एकदम कािे रंग की सदखती है. पानी भी ठहरा हुआ. पाि जाने पर दुग्ाध भी महिूि होती है. यह नदी वेरीनाग 46 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
झील मे् झांकता श््ीनगर और नािो् का इंतजार करते लोग: पय्ाटको् का सपना शहरो् मे् नसदयो् के दोनो् सकनारो् को बांधने की िे जब सनकिती है तो इिका पानी अमृत माना जो नयी परंपरा शुर्हुई है उििे श््ीनगर भी नही् जाता है.बाद मे् झेिम कश्मीर के तीन बड्े बच पाया है. नये शहर की तरि तो यह नदी कुछ सजिो् अनंतनाग, श््ीनगर और बारामूिा िे चौड्ी सदखती है पर पुराने श््ीनगर की तरि जाते होती हुई पासकस््ान चिी जाती है पर अपना जाते िंकरी हो जाती है. प््दूसित पानी िेकर. इिका िबिे बुरा हाि दोनो् तरि िे असतक््मण ने इि नदी को श््ीनगर मे्होता है. कश्मीरी मे्झेिम को व्यथ और बदहाि कर सदया है. ऐिे मे्जब बि्फतेजी कहते है जो अब अपनी व्यथा खुद कहती नजर िे सपघिती है तो नदी का पानी शहर के सनचिे आती है. इिाको्मे्भर जाता है. दरअिि झेिम नदी के पुराने कश्मीर मे्िात पुि इि झेिम पर बने खादर के इिाके मे्बड्ेपैमाने पर सनम्ाण ड सकया हुए है सजनको कदि कहा जाता है. हल्बाकदि गया है और पानी की सनकािी के ज्यादातर रास््े गुलमग्थ से यखलनमग्थ की यात््ा और ढिान पर पके्मकान बना सदये गये है. ऐिे यादगार थी. देवदार के घने िंगल मे्बरिात मे्झेिम कहर बन जाती है तो बाकी के पीछे बफ्फ से लदी चोयटयां यदख सदनो्मे्शहर का बड्ा नािा नजर आती है. ठीक उिी तरह जैिे देश के अन्य शहरो् िे गुजरने रही थी्.आगे का सफऱ केबल वािी नसदयो् का हाि है. श््ीनगर बाग़् बगीचो् कार यानी गंडोला से था. और ताि तािाब का शहर है. इन ताि तािाब िे झेिम को और पानी भी समिता है सजिे िेकर वह आगे जाती है. पर अब श््ीनगर के ताि इिमे् िे एक है. इिी झेिम के सकनारे यह तािाब भी बदहाि हो चुके है्तो झेिम नदी भी. इिाका है. झेिम के दोनो् ओर घनी आबादी है श््ीनगर मे्बहुत सदन िे िीवेज ि््ीटमेट् प्िांट की और िभी का कचरा िीधे झेिम मे्डािा जाता योजना बन रही है पर अभी तक इि सदशा मे्कोई है . श््ीनगर शहर का ज्यादातर नािा इिी झेिम पहि नही्हुई है. मे् सगरता नजर आता है. इि श््ीनगर शहर को बीते करीब तीन दशक मे् अिगाववाद के ऊपर की पहाड्ी पर बने शंकराचाय््ाके मंसदर िे दौर िे गुजर रहे कश्मीर मे्पय्ावड रण का मुद्ा भी देखे तो पूरा शहर पानी पर तैरता नजर आयेगा. हासशये पर है सजिके चिते ताि तािाब और डि झीि के िाथ झेिम भी ऊपर िे नीचे को नदी पहाड् िभी बब्ाडद हो रहे है. डि झीि तो जाती नजर आती है. झेिम मे् एक तरि तो सिकुडत् ी जा रही है तो झेिम दम तोड् रही है. हाउि बोट की कतार नजर आती है तो दूिरी झेिम को िेकर िरकार और िमाज ने जल्द तरि सगरते हुए नािे. पुराने श््ीनगर मे्िीवेज के जर्री कदम नही्उठाये तो यह नदी नही्बचेगी. सनस््ारण की कोई आधुसनक व्यवस्था नही है श््ीनगर मे् ज्यादातर िोगो् की जीसवका पय्डटन और घने बिे मोहल्िो का िारा कचरा इिी नदी उद््ोग पर सनभ्डर है. हर िैिानी यहां झीि नदी मे्बहाया जाता है. इिी तरह सजतने भी हाउि बोट है िभी अपना कचरा िीधे इिमे् बहाते है्. इि बि्फिे ढके पहाड् देखने आता है . पर अब ये िबकी वजह िे नदी मे्गाद भर गई है और इिे झीि और नदी देखने िायक नही्रह जायेग् े तो दोनो् तरि िे पक््ा कर बांध भी सदया गया है. िैिानी कैिे आयेग् .े n
विल् मास्मट/इंहेटडरव्यू
यह आलिया की उड़ान है
से्सर बोड्षसे लड़्ाई मे्‘उड़्ता पंजाब’ को जीत हाकसल हुई. किक्म की हीरोईन आकलया के अकभनय मे्भी यह एक नयी उड़्ान है. वे अब समझदार अकभनेत्ी होने के साथ-साथ कामयाब अकभनेत्ी भी हो गयी है्.
हवर मृदुल
आ
सखरकार िे्िर बोड्डअध्यक््पहिाज सनहिानी को बांबे हाईकोट्डने आईना सदखा सदया. कोट्डने न केवि ‘उड्ता पंजाब’ को एक कट के िाथ ‘ए’िस्टिसिकेट देने का आदेश सदया, बब्लक िटकार भी िगायी सक िे्िर बोड्ड को दादी मां जैिी बाते् नही् करनी चासहए और वक्त के िाथ चिना चासहए. कोट्ड के हस््क्ेप के बाद अब यह सिल्म अपनी तय तारीख को ही सरिीज हो रही है. सिल्म की िीड हीरोइन आसिया भट्् कोट्ड के सनण्डय िे बहुत खुश है्. प््स्ुत है् उनिे हुई बातचीत के अंश: जब आपको विल्म ‘उड़्ता पंजाब’ ऑिर हुई थी, तब अंदाजा लग रहा था वक यह पंजाब मे्युिाओ्के नशे की वगरफ्त मे्आने को सरीक तरीके से सामने रख पायेगी? सबल्कुि िग रहा था. यह सिल्म मै्ने िाइन ही इिसिए की थी सक इिकी ब्सक््प्ट र्टीन नही्थी. एक अिग स्सक््प्ट मे् काम करने का मौका समिना सकिी भी किाकार का निीब होता है. इिमे्िम िामसयक टॉसपक है. ड््ग की िमस्या देशभर मे्बड्ा इश्यू बन चुकी है. यूं यह िमस्या पूरी दुसनया मे्है. हां, पंजाब मे्युवा िोग ज्यादा ग््स्है्. िबिे बड्ी बात तो यह है सक बॉिीवुड मे् इि तरह की सिल्म इि तेवर के िाथ पहिे कभी नही्बनी है. यह एक हाट्डसहसटंग सिल्म है. आपके वलए एक वबहारी लडक़ी का वकरदार वनभाना वकतना कवठन रहा? इस वकरदार ने आपको वकतनी चुनौती दी? मै् इिे अभी तक के अपने कैसरयर का िबिे ज्यादा चुनौतीपूण्ड सकरदार मानती हूं. इिमे्मुझे भािा और बॉडी िै्ग्वेज के स््र पर कािी काम करना पड्ा है. हािांसक भािा एक टेक्नीकि बात थी. मेरा िोकि बॉडी िै्ग्वेज पर ज्यादा था. दरअिि मै् एक शहरी िडक़ी हूं. मै्ने ग््ामीण भारत देखा ही नही्है. मै्ने इि सकरदार के सिए सबहारी िडक़ी को महिूि सकया सक आसखर पंजाब मे्माइग््ेट होकर काम करते हुए वह क्या िोचती है? उिका व्यवहार कैिा है? अपने सकरदार की बात करं्, तो उिकी आंखो् मे् एक दद्ड सदखाई देगा. उिका मुंह हरदम खुिा रहता है. सिसजकि ि््ांििॉम्डर के सिए मै्ने कई बार वक्फशॉप सकये.
48 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
जब आपने यह विल्म साइन की थी, तो अंदाजा था वक इतनी कंट्ोिस््ी होगी? नही्, मुझे तो अंदाजा नही्था. हम िब तो िोच रहे थे सक एक ईमानदार सिल्म को िेि ् र बोड्ड की प््शंिा समिेगी. िेसकन ऐिा नही् हुआ. िे्िर बोड्ड द््ारा दसकयानूिी रवैया अपनाया गया. क्या आप ड््ग्स की समस्या को लेकर िावकि रही है्? हां, मुझे इि िमस्या के बारे मे् जानकारी थी. िेसकन पंजाब मे्ऐिी भयावह ब्सथसत है, इिका पता नही्था. वहां चौदह की उम््िे िेकर चािीि और पचाि की एज के िोग ड््ग्ि िे रहे है्. हमारे देश मे् ‘फ््ीडम ऑि स्पीच’ की बात तो की जाती है, लेवकन वसनेमा जैसे लोकव््पय माध्यम से सरकार को डर लगने लगता है. समाज का सच रखने िाली विल्म से समस्या पैदा हो जाती है? हमारे यहां ‘फ््ीडम ऑि स्पीच’तो है, ‘फ््ीडम ऑि थॉट’ नही्है. इिे भी होना चासहए. हमारे यहां िोच की एक बड्ी परंपरा है, इिे आगे बढ्ाना चासहए. आपको क्या लगता है वक बदल रहे इस िक्त मे् से्सर बोड्ज को वकतना उदार होना चावहए? से्सर बोड्जहोना भी चावहए या नही्? मै् यह तो नही् कहूंगी सक िे्िर बोड्ड नही् होना चासहए. िेसकन अब हमारा सिल्मो्को िेकर नजसरया बदिना चासहए. यूएिए की तरह ही हमारे यहां भी रेसटंग सिस्टम होना चासहए. िे्िर बोड्डबि रेसटंग सनध्ाडसरत करे. आपको नही्लगता है वक आज का युिा समाज के प््वत कािी गैरवजम्मेदार होता जा रहा है. िह अपनी परंपराओ् से कर रहा है. उसे परंपरा का भी तो ज््ान होना चावहए? हां, हमे् अपनी परंपराओ् की जानकारी तो जर्र होनी चासहए. आज का यूथ तेजी िे आगे बढ्रहा है. यह टेक्नोिॉजी का दौर है. िेसकन प््ोगेि के िाथ िामासजक सजम्मेदारी भी होनी ही चासहए. िोग अपने पसरवार िे अिग हो जाते है,् यह भी गित है. हर सकिी को अपने पसरवार की सजम्मदे ारी भी होनी चासहए. हमारे र्ट्ि है्और हमारा एक कल्चर है. एक तरि आप विशुद् कॉमव्शजयल विल्मे् करती है्, तो दूसरी ओर हार्जवहवरंग वरयवलस्सरक एप््ोच की विल्मे्. मै् िोचती हूं सक सिनेमा एक प््भावशािी माध्यम है, तो इिका िामासजक उपयोग भी होना चासहए. ‘उड्ता पंजाब’ या ‘हाईवे’ जैिी सिल्मे् बनती रहनी चासहए. िेसकन इन सिल्मो्की बुनावट कुछ ऐिी हो सक िोग इन्हे् देखने आएं. अगर अच्छी सिल्म सडल्बे मे् बंद होकर रह जाती है, तो उिका कोई मतिब नही्. मेरे सिए सवशुद्कॉमस्शडयि सिल्मे्भी उतना ही महत्व रखती है्, सजतनी सक सरयसिब्सटक एप््ोच वािी. आपकी वपछली विल्म ‘शानदार’ फ्लॉप रही, जब वक आप इसकी सिलता को लेकर आश््स्थी? कोई सकिी सिल्म को दश्डक पिंद नही्करते है्, तो मान िेना चासहए
सक कुछ न कुछ कमी जर्र रह गयी होगी. मुझे िगता है सक ‘शानदार’ की स्स्कप्ट तो अच्छी थी, िेसकन वह परदे पर िही तरीके िे उतर नही् पायी हां, जब कोई सिल्म बॉक्ि ऑसिि पर चि नही्पाती है, तो दुख होता ही है. आसखर कोई भी सिल्मकार बुरी सिल्म नही् बनाना चाहता है. मै् अपनी हर सिल्म के बॉक्ि ऑसिि पसरणाम का सवश्िेिण करती हूं. विल्मो् का समाज ‘उड्ता पंजाब’ मे् आमलया भट््: अमभनय का नया मोड् पर वकतना असर होता है? कािी अिर पड्ता है. यह बहुत प््भावशािी माध्यम है. पंजाब मे् युवाओ्की नशाखोरी के बारे मे्पूरे देश को जानकारी नही्थी, िेसकन अब पूरी दुसनया को पता चि चुका है. आपको लगता है वक इस विल्म की वरलीज के बाद पंजाब और देश के युिाओ्पर पॉवजवरि इिेक्र होगा? अगर ऐिा होता है, मेरे सिए यह बहुत बड्ी बात होगी. मुझे िगता है सक एक अवेयरनेि तो जर्र आयेगी. आपकी वपछली विल्मो्का ऐसा कोई अनुभि है? ‘हाईवे’के बाद मुझे सकतनी िडक़यो्ने िेक्िुअि हरेिमे्ट के बारे मे् बताया. मुझे भरोिा है सक इि सिल्म के बाद नशे मे्डूबे िोगो्की िमस्या को अिग तरह िे है्डि कर पाये्गे. आप मै् ऐसे घर मे् पली बढ़्ी हूं, जहां विचारो् की अवभव्यस्कत की बड़्ी अहवमयत है. आप अपने वपता के सामने अपनी बात वकस तरह रखती है्? हमारे यहां सवचारो् की असभव्यब्कत पर कोई बंसदश नही् रहती है. हर कोई अपनी बात कहने के सिए स्वतंत्रहता है. मुझे सकिी भी मुद्ेपर अपनी राय रखने मे्कोई िंकोच नही्होता है. मै्अपने सपता िे बहि भी कर िकती हूं. मुझे इतनी आजादी समिी हुई है. अपने पापा और अपनी पीढ़्ी के अंतर को तो महसूस करती हो्गी? हम दोनो्की पीढ्ी मे्तो बहुत अंतर है, िेसकन हमारे सवचारो्मे्कोई अंतर नही्है. मै्भी पापा की तरह प््ोग््ेसिव हूं. आप सुपरस्रार शाहर्ख के साथ भी एक विल्म मे्काम कर रही है्. उनसे कुछ सीखने को वमला है? उनिे तो हमेशा ही िीखने को समिता है. मै्उनकी एनज््ी देखकर दंग रह जाती हूं. वे खूब बाते्करते है्. वे िीसनयर या जूसनयर का कोई भेद नही् करते है्. वे सबना मांगे भी एडवाइज देते है्. वे अपनी सिल्मो्के बारे मे्बताते रहते है्. मै्उनके अनुभवो्िे िीखती रहती हूं. वे बहुत प्यार करते है्. इधर खूब बायोवपक विल्मे् बन रही है्. क्या आपके वदमाग मे् कोई वकरदार है, वजसे आप अवभनीत करने के वलए उत्सुक है्? हां, मै्पासकस््ानी पॉप सिंगर नासजया हिन को असभनीत करना चाहूगं ी. इि बहाने मुझे गाने को भी समिेगा. काश, कोई सिल्मकार मुझे यह ऑिर देता. n शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016 49
अंितम पन्ना कुमार प््शांत
हमारी सामूफहक फवफलता
आत्महत्या को एक रास््ा मानने वाला देश का हर युवा हमारी सामूकहक कविलता का प््तीक है.
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वाहरिाि नेहर्सवश्स्वद््ािय छात्ि ् घं के अध्यक््कन्हयै ा कुमार ने तब हम िबकी तरि ऊंगिी उठायी थी, जब राजधानी सदल्िी मे् आयोसजत ‘प्स्तरोध-2’ नाम की िभा मे्उन्हो्ने कहा सक आपने हमे्सवराित मे्जो िमाज सदया है, उिे इि कदर खंड-खंड कर सदया है सक हम उिे जोड्े् सकधर िे और कैि,े यही िमझ मे्नही्आ रहा. अक्ि केवि कन्हयै ा कुमार की गुम नही्है, बब्लक हम िबकी भी है जब हम नेशनि क््ाइम सरपोट्डल्यरू ो का यह ताजा आंकड्ा पढ्ते है्सक सपछिे वि्डदेश मे्कुि 1 िाख िे ज्यादा आत्महत्याएं हुई है्सजनमे्करीब 40 िीिद िोग 14 िे 30 िाि की आयु वग्डके थे. आत्महत्या एकदम ही सनजी िैििा भी है और एकदम सनजी कम्डभी. िेसकन यह सनजी कम्डजैिा िाव्ज ड सनक बयान देता है वैिा दूिरा कोई कृतय् नही्देता. हर आत्महत्या यह बताती है सक यह रास््ा इिसिए चुना गया सक दूिरे िारे रास््ेबंद हो चुके थे. जीने के रास्,्े जीने की सकिी दूिरी िंभावना के उगने के रास्.्े कोई भी आदमी तब तक आत्महत्या नही्करता है जब तक उिे कही्िे भी, कैिी भी आशा रहती है सक कोई सखड्की खुि िकती है, सक कोई सकरण उतर िकती है. सदल्िी के सकशनगढ्की आरती नाम की 19 िाि की उि िड्की ने भी, सजिने िड्क पर अपनी िगातार हो रही छेडछ ् ाड्िे सवचसित होकर या शायद खुद िे सघन महिूि करके आत्महत्या कर िी. वह तब तक र्की ही रही थी जब तक उिे आशा थी सक पसरवार या पड्ोि या िमाज इि बेजा अपमान को रोकने का कोई रास््ा सनकाि िेगा. िेसकन उिकी वह आि िब तरि िे टूटती गयी और अंतत: एकदम बेआि हो कर उिने वही सकया जो बाकी के 40 िीिद युवाओ्ने सकया. यह उम्् िपनो् के खाद-पानी पर पकती है और िपनो्के महि बनाती है. और िपने भी िारे िोने के, और वे िपने भी हर तरह के, जीवन के, कैसरयर के, पसरवार िे प्यार पाने के, मनुहार के परीक््ा मे्हो सक प्यार मे् हो िििता-सवििता के, िड्की और िड्के के आकि्ण ड के, मान-अपमान के, तमाम एशो-आराम के. जरा-िा चटके सक टूट,े एक गांठ खुिी सक िारे मोती सबखरे. आप यह भी तो नही्कह िकते सक िपने नही् देखने चासहए, सक इतने भावुक क्यो्होते है्ये नयी पीढ्ी के बच्,्े सक इन्हे्िब कुछ इनके अनुकि ू ही समिे, यह कैिे मान सिया इन्हो्न,े और यह भी सक इतनी अंधी स्पध्ाड क्यो्पािते है्ये? आप सजतने िवाि पूछगे् ,े उतने ही सनर्तर् होते जायेग् .े ये बच््ेव्यब्कतश: भी और िामासजक-िामूसहक र्प िे भी हमारे ही आईने है.् हमने ही इनके मन मे्इि जीवन के बारे मे्और इि िमाज के बारे मे्गित अवधारणाएं भरी है.् हम ही तो िबिे पहिे उनिे कहते है्सक िबिे आगे रहने मे्ही जीत है और जीतना ही जीवन की िििता और िाथ्क ड ता है. यह भाव उिके बाि-मन िे सचपक जाता है और सिर वह अपनी हर िििता और सवििता का, उपिब्लध और खोने का मूलय् ांकन करने िगता है. उिे हर कदम पर वह समिता है जो िच है, िेसकन उिके िपने िे एकदम अिग है. वह खुद 50 शुक्वार | 16 िे 30 जून 2016
िे िड्ता भी है और जीतता भी है िेसकन दूिरो्िे हार जाता है. वह दूिरा भी तो हमारी ही प्स्तच्छाया है न! वह भी खुद िे िड्ता है और तुमह् ारी तुिना मे् ज्यादा अच्छी तरह जीतता है. इिसिए तुमिे आगे सनकि जाता है. और आगे सनकिना ही जीवन की िाथ्क ड ता है, यह भाव उिमे्कूट-कूट कर भरा सकिने है? हमने ही, जो अपने बच््ेकी आत्महत्या पर िर कूट रहे है.् इि तरह इि पीढ्ी को हमने आपि मे्ही िड्ने और आपि मे्ही िैििा करने को असभशप्त बना सदया है. ऐिे मे्जब वह उिझता है, सवमूढ-् िा रह जाता है, टूटता है और सकिी कोने िे खुिी हवा के एक प्व् ाह के सिए तरिता है. तब हम कहां होते है्सक उिे िंभाि िके?् वह देखता है सक इनके ही बताये रास््ेपर चिते-चिते तो मै्इन अंधी गसियो्मे्आकर िंिा हू,ं तो इििे सनकिने का रास््ा इनके पाि िे कैिे समिेगा? जो रास््ा कही्पहुच ं ता नही्है और कही्पहुच ं ाता नही्है, उि रास््ेिे हट जाना ही िमझदारी हैऐिा आपने ही उिे िमझाया होता है, इिसिए वह आसमर खान की सिल्म ‘थ््ी ईसडयट्ि’ मे्‘आइ ब्कवट’ का झंडा िहरा देता है. हमारे बच््ेसकनारा कर िेते है्क्यो्सक हमने उन्हे्सिखाया-बताया ही नही्होता है सक तैरना बड्ी बात है, और इि मानव-िागर मे्कोई एक ही सकनारा नही्है सक जहां न पहुच ं े तो कही्नही्पहुच ं !े यहां तो हर तरि सकनारा ही सकनारा है. जरा सदशा बदि िो तो कही्दूिरे िंिार मे्सठकाना बन जायेगा. और तैरने का भी अपना ही आनंद है. तैरने वािा कोिंबि सहंदस ु ्ान खोज िेता है. िड्सकयो्को यह बताना बहुत जर्री है सक शरीर न तो प््ारंभ है और न अंत. उि पर जबद्स ड ्ी करने वािे अपराधी है्सजिकी िजा उन्हे्िमाज और कानून को देनी है. िमाज मूढ्भी और अिंगसठत भी और अपरासधयो्की तरि झुका हुआ भी. इिसिए अपराधी छूटते और जीतते नजर आते है.् िेसकन ऐिा सिि्फिड्की के मामिे मे्नही्, हर मामिे मे्है. तो उििे िामूसहक तौर पर िड्ायी िड्नी है, िेसकन वक्ती तौर पर बिात्कार की हर िंभावना िे िावधान रह कर अपना बचाव करना और सविि होने की ब्सथसत मे्उिे एक बुरा हादिा मान कर, पीस्डत की मदद और इिाज करवाना पसरवार और िमाज का दासयत्व है. िड्की का यह िमझना बहुत जर्री है सक अगर तुम अपमान िे अपमासनत होती हो तो अपमान करने वािा जीत जाता है. उिे हराना हो तो खुद को अपमान िे बड्ा बनाओ. सकिी ने एक बड्ी बात कही है सक मै्इतना छोटा आदमी नही्हूं सक तुमह् े्मौका दूगं ा सक तुम मुझे अपमासनत कर िको और तुम इतने बड्ेआदमी नही्हो सक मुझे अपमासनत करने का अविर पा िको. यह भाव अपने बच््ो् मे्और अपने िमाज मे्भरने की जर्रत है. हम यह खूब अच्छी तरह िमझे् सक आत्महत्या को एक रास््ा मानने वािा हर युवा हमारी िामूसहक सवििता का प्त् ीक है. हम िब िामासजकता की परीक््ा मे्सपछिे वि्डिामूसहक तौर पर 40 िीिदी िोग n सविि हुए है.् (िेखक गांधी शांसत प्स्तष््ान के अध्यक््है.्)