Shukrawaar 16 30 november 2016 medium resolution

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वर्ष 9 अंक 22 n 16-30 नवंबर 2016 n ~ 20

नोट की गहरी चोट



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वर्ष9 अंक 22 n 16 से 30 नवंबर 2016 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प्​्काशक क्​्मता सिंह प्​्बंध िंपादक आशुतोष सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल राजनीसतक िंपादक सववेक िक्िेना फोटो िंपादक पवन कुमार िंपादकीय िहयोगी

िसवता वम्ा​ा अंजना सिंह फजल इमाम मल्ललक (सिल्ली) िुनीता शाही (लखनऊ) अिनल चौबे (रायपुर) पूजा ि​िंह (भोपाल) िंजीत स्​्िपाठी (रायपुर) अिवनाश ि​िंह (ि​िल्ली) अिनल अंशुमन (रांची)

कला

प्​्वीण अिभषेक

महाप्​्बंधक

एि के सिंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm.shukrawaar@gmail.com

आवरण कथा

6 | नोट बंद देश बेहाल

पांच सौ औि हजाि र्पये के नोट बंद किने की सिकािी घोषणा के बाद देश एक अभूतपूिा्संकट से रघि गया है. इसकी माि सबसे अरधक उन 48 िीसद तबको्पि पड्ी है जो ज्यादाति लेन-देन नकदी मे्किते है.्

18 | गावलयो्-तावलयो् के बीच

डोनाल्ड ट्प्ं की जीत से अमेरिका बुिी तिह रिभारजत है. कई शहिो्मे्ट्प्ं के रि​िोध मे्जुलस ू रनकल िहे है्औि रहलेिी को िाष्प् रत बनाने की मांग जोि पकड्िही है.

22 | बेवटयो् का शत्​्ु समाज

तमाम प्य् ासो्के बािजूद यह सारबत हो चुका है रक कन्या भ्ण ्ू हत्याएं नही् र्क िही है.् स्​्ी जारत के रखलाि इस सारजश को खत्म किने के रलए मूलगामी कदम उठाने की जर्ित है.

िबजनेि हेड

शरि कुमार शुकल ्ा +91. 9651882222

ब्​्ांिडंग

कॉमडेज कम्युिनकेशन प्​्ा़ िल़

प्​्िार प्​्बंधक

यती्द्कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024 yatendra.3984@gmail.com

सिज्​्ापन प्​्बंधक सजते्द्समश्​्

सिसध िलाहकार शुभांशु सिंह

shubhanshusingh@gmail.com

+91. 9971286429 सुयश मंजुल

िंपादकीय काय्ा​ालय

एमडी-10/503, िहारा ग्​्ेि, जानकीपुरम लखनऊ, उत्​्र प्​्िेश-226021 टेलीफैक्ि : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com www.shukrawaar.com DELHIN/2008/24781 स्ित्िािधकािी, प्क ् ाशक औि मुदक ् क्म् ता रसंह के रलए अमि उजाला पब्ललकेशस ं रलरमटेड, सी-21, 22, सेकट् ि-59, नोएडा, उत्ि् प्द् श े से मुर्दत एिं दूसिी मंरजल, ल्ाी-146, हरिनगि आश्म् , नयी रदल्ली-110014 से प्क ् ारशत. संपादक : अंबिीश कुमाि (पीआिल्ाी अिधरनयम के तहत समाचािो्के चयन के िलए िजम्मेदाि) सभी कानूनी ि​ि​िादो्के िलए न्याय क्​्ेत्िदल्ली होगा.

24 | चुनावी चौसर पर नोटबंदी

28 | पीली पड्ती नीली क्​्ांवत

44 | शहरो् मंे घूमती कववता

48 | ववद्​्ा की दूसरी कहानी

उत्​्ि प्​्देश मे्नोटबंदी ने बाकी चुनािी मुद्ो्को पीछे धकेल रदया है. सपा परि​िाि मे्एका देखा जा िहा है, तो बाकी िाजनीरतक दलो्की नीरतयां भी बदलती नजि आ िही है्.

रकसी भी देश का एक शहि उसके समाज की एक पित हमािे सामने खोलता है. ऐसी कई पितो्से होती हुई इस यात्​्ा मे् करिता भी सि​ि कि िही थी.

नोटबंदी के क्​्द्सिकाि के िैसले ने देश के तमाम खुदिा बाजािो्को प्​्भारित रकया है. पर्​्िम बंगाल के तमाम मशहूि मछली बाजाि भी बुिी तिह संकट के चपेट मे्है्.

रिद्​्ा बालन की अगली प्​्मुख रिल्म ‘कहानी 2- दुग्ा​ा िानी रसंह’ है. यह उनकी रपछली चर्चात रिल्म ‘कहानी’ का सीक्िल नही्, बब्लक फ्​्चाइजी है. शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

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आपकी डाक

कुनबे की कलह

अनूठे संपादक

रि​िेक सक्सेना ने पिेश नाथ पि जो संसम् िणात्मक आलेख रलखा है उसने मुझे उनसे अपनी मुलाकातो्की याद हो आयी. सन 1970 के दशक मे् मै् रदल्ली प्​्ेस का रिश्​्रिद्​्ालय प्​्रतरनरध हुआ किता था. मुक्ता मे् यदाकदा रलखता भी था. रदल्ली प्स ्े की नयी पर्​्तका भूभािती मे् भी मेिी र्रच थी. रहमाचल प्​्देश के एक छोटे से शहि पालमपुि से जब मै् रदल्ली आया था तो सीधे रदल्ली प्स ्े के दफ्ति पहुच ं ा औि पिेश नाथ से रमलने की मांग की. एक छोटी सी डेसक ् पि संपादक को बैठे देखकि कुछ हैित भी हुई थी. मुझे याद है रक उन्हो्ने मुझे 500 र्पये की नौकिी की पेशकश की थी. क्यो्रक मै् आगे पढऩा चाहता था इसरलए यह पेशकश कबूल न कि सकता. बाद मे्भू-भािती मे्रनयरमत रलखने का आग्ह् रकया तो िह मान गये. मै् उत्सारहत होकि पूछ बैठा रकस रिषय पि रलखूं? तब उन्हो्ने कहा रक अगि यह भी मै्ही तय करूग् ा तो खुद रलख नही् रलख लूंगा. मै् अिाक िह गया. मै् यह बात आज भी हि नये लेखक को बताता हू.ं डॉ. िुधीरेद् ्शर्ा,ा ईरेल िे

सोशल मीडिया विविधता जरूरी

इस समय देश मे् जो भी िाजनीरतक पर्​्तकाये् प्​्कारशत हो िही है्. उनमे् शुक्िाि का अलग स्थान है. लेरकन एक बात जो महसूस हो िही है, िह यह रक पर्​्तका केिल सारहत्य ि िाजनीरत पि क्​्र्दत हो गयी है. यह िक्त िाजनीरतक अथ्ाशास्​् का भी है. पर्​्तका मे् सामारजक आर्थाक रिषयो् को अरधक स्थान 4

क्​्वार | 16 से 31 अक्तूबि 2016

उत्ि् प्द् श े मे्समाजिादी कुनबे मे्रपछले रदनो् जो कुछ घटा िह रचंरतत किने िाला घटनाक्म् है. कहां तो पाट्​्ी को मायािती औि भाितीय जनता पाट्​्ी के र्प मे् रमल िही चुनौती का सामना किते हुए आगामी चुनाि मे् अपनी सिकाि दोबािा बनाने के रलए रमलकि प्​्यास किना था औि कहां िह पारि​िारिक िंरजश मे् उलझकि िह गयी. रशिपाल-मुलायम बनाम अरखलेश-िामगोपाल का मुकाबला पारि​िारिक िाजनीरत के धािािारहको्के शौकीनो्को भले ही मनोिंजक लग िहा हो लेरकन प्द् श े की िाजनीरत

की दृर्ि से यह कतई शुभ नही्माना जा सकता है. हालांरक अरखलेश भािी पड्ेऔि यही िजह थी रक उसके बाद परि​िाि का झगड्ा भी थोड्ा शांत हुआ. मुलायम रसंह यादि को भी इस बात पि रिचाि किना चारहये रक अमि रसंह आरखि उनके रलए रकस मामले मे् रकतने िायदेमंद सारबत हो्गे. अमि रसंह रजसके साथ िहते है् उसका कोई खास भला नही् होता. समाजिादी पाट्​्ी के सामने आज चुनौती छह महीने पहले की तुलना मे्बहुत ज्यादा है. राहुल सिंह, नयी सिल्ली

गठबंधन ही उपाय

चौलाई का साग औि उसके बीज से बनने िाले िामदाने के लड्​्दोनो्ही हमािे भोजन मे्लगाताि कम होते जा िहे है्. यह रिडंबना है रक रजस िसल को अपनी पौर्​्िकता के चलते हमािे खानपान मे् प्​्मुख स्थान हारसल कि लेना चारहये था िह हारशये पि रटकी हुई है. बात केिल िामदाने की नही् है. रसंघाड्ा, गूलि, महुआ आरद कई ऐसे िल है्जो हमािे खानपान का रहस्सा थे बदलती आदतो् के इस दौि मे् ये स्थान रिशेष या समुदाय रिशेष के खानपान मे् रसमट कि िह गये है.् राजन शुकल ् ा, रीवा

संपादकीय मे् इस बात को उरचत ही िेखांरकत रकया गया है रक समाजिादी पाट्​्ी अपनी स्थापना के 25िे् साल मे् एक बड्े संकट से गुजि िही है. पाट्​्ी के भीति मनमुटाि इस हद तक बढ्चुका है रक उसका अलग होना न होना औपचारिकता मात्​्िह गया है. िही्बाहिी संकट आसन्न रिधानसभा चुनाि है.् ऐसे मे् मुलायम रसंह यादि अगि कोई महागठबंधन नही्किते है्तो िाज्य मे्उनके रलए मुबक् कल पैदा हो सकती है. एक मुसीबत यह भी है रक उनकी पाट्​्ी खुद रबहाि रिधानसभा चुनाि के िक्त तत्कालीन महागठबंधन से अलग हो गयी थी. यह सच है रक अब तक रजतनी बाि भी समाजिादी पाट्​्ी की सिकाि बनी है उनमे् से अरखलेश यादि की सिकाि को प्ग् रत औि सिलता के मानक पि अव्िल माना जा सकता है. राजेश शाही, इलाहाबाि

रामदाना की याद

कई ऐसी चीजे्है्जो हमािे खानेपीने की आदतो् से धीिे-धीिे गायब होती जा िही है.् िामदाने पि देिने मेिाड्ी का आलेख ऐसी ही एक खूबसूित याद को हमािी स्मरृ त मे् दोबािा दज्ा किाता है. रमले, यह सुरनर्​्ित रकया जाना चारहये.

धरोहर है यह सू​ूंभ

राहुल शर्ा​ा फेिबुक

पानीबाबा का स्​्ंभ शुक्िाि पर्​्तका की धिोहि है. रपछले रदनो् उन्हो्ने रिरभन्न प्​्काि की चटरनयो्पि क्या खूब रलखा. मै्ने अपनी पत्नी को उसे सुनाया. आि्​्य्ानही्रक उसने उनमे् से कई चटरनयो् के बािे मे् सुना तक नही् था. इस तिह के स्​्ंभ मुख्यधािा के मीरडया से गायब हो िहे है्, शुर्कया उसे बचाये िखने के रलए. कीरत प्​्िाि शर्ा​ा, फेिबुक

पाठको् से वनवेदन

शुक्िाि मे्प्​्कािशत रिपोट्​्ो्औि िचनाओ् पि पाठको्की प्​्रतरक्​्या का स्िागत है़ आप अपने पत्​्नीचे िदए गए पते पि या ईमेल से भेज सकते है् एमडी-10/503, सहािा ग्​्ेस, जानकीपुिम, लखनऊ, उत्​्ि प्​्देश-226021 टेलीिैक्स : +91.522.2735504 ईमेल :shukrawaardelhi@gmail.com

हारे हुए अविलेश

सपा की आंतरिक लड्ाई मे् अरखलेश यादि कतई रनर्िािाद नेता बनकि नही् उभिे है्. इस पूिी लड्ाई मे्अरखलेश के हाथ केिल पिाजय लगी है. इस तिह की बाते्रलखने से पर्​्तका का िजन कम होता है. िंिीप वर्ा,ा फेिबुक

मुवूिकल शुकूिार

शुक्िाि के अंक रदल्ली मे् आसानी से नही् रमलते है्. रदल्ली के कई स्टालो् पि प्​्यास रकया है. पाठको्को इससे रनिाशा होती है. प्​्शांत राजावत, फेिबुक


संपादकीय

क़तार मे़ खड़ा देश लो अंबरीश कुमार

देश मे्नोटो्का संकट पैदा हो गया है. आम आदमी भी कह रहा है कक क्या सरकार के सलाहकारो्को यह अंदाजा नही्था कक रातो्रात बड़े नोट बंद कर देने से कैसा संकट पैदा होगा.

कसभा चुनाि के दौिान प्ध् ानमंत्ी निेद् ् मोदी ने काला धन लाने का जो िादा देश से रकया था, उसमे्न रसि्फिे नाकाम िहे, बब्लक उनका यह िादा जुमला मान रलया गया. खासकि हि आदमी के खाते मे्पंदह् लाख लाने का िादा. क्द् ्की सत्​्ा मे्आने के बाद मोदी को कई मोच्​्ो्पि जूझना पडा औि महंगाई को लेकि िे सभी के रनशाने पि आये. इस सबका नतीजा यह हुआ रक पहले रदल्ली, रि​ि रबहाि रिधान सभा चुनाि भाजपा बुिी तिह हािी. अब देश के सबसे बडे िाज्य उत्ि् प्द् श े का चुनाि सामने है. ऐसे मे् मोदी को कोई न कोई ऐसा करिक्माई कदम उठाना था, रजससे िे लोगो् को रि​ि से भिोसा रदला सके रक िे बहुत साहरसक िैसला कि देश से काले धन औि भ्ि ् ्ाचाि पि अंकश ु लगा सकते है.् देश मे्पांच सौ औि हजाि र्पये की नोटबंदी का िैसला इसी का नतीजा नजि आता है. इसमे्कोई बुिाई भी नही्है. काला धन खत्म हो औि भ्ि ् ्ाचाि से रनजात रमले, यह हि कोई चाहता है. पि इसे रकस तिह से अमल मे्लाया जाये, इसे लेकि रिचाि किना चारहए था. सुप्ीम कोट्ाकी रटपण्णी के बाद तो साफ़ हो ही गया है रक रबना पूिी तैयािी के यह िैसला मोदी ने लागू कि रदया, रजसका नतीजा सामने है. समूचा देश बैक ् ो औि एटीएम के सामने लाइन लगाये खडा है. सबसे ज्यादा ख़िाब ब्सथरत ग्​्ामीण अंचल की है. रकसानो्को खेती-रकसानी के रलए जो जर्िी सामान चारहए, िे नोटबंदी के चलते नही्खिीद पा िहे है्. रजनके घि शादी-ल्याह है िे औि पिेशान है.् इस िैसले से रिपक्​्को तो छोरड्ए खुद संघ परि​िाि के लोग भी आशंरकत है्.संघ परि​िाि पि लंबे समय से रटपण्णी किने िाले िरिष्​्पत्क ् ाि हरिशंकि व्यास ने रलखा है: 'अब िही अर्ण जेटली रि​ि निे्द् मोदी के नोटबंदी िैसले मे् लोगो् का हाहाकाि बनिा देने िाला चेहिा प्​्मारणत है्. जेटली ने सिकाि को आज उस मुकाम पि पहुंचा रदया है जहां संघ परि​िाि मे् रचंता से यह डायल़ॉग सुनाई रदया है रक मोदी कही्भाजपा के बहादुिशाह जि​ि सारबत न हो्. सब इस रचंता मे्है्रक यरद 3-4 महीनो्मे्लोग तकलीिो् मे् हाहाकाि किते िहे औि उसके असि मे्भाजपा यरद यूपी मे्हाि गयी तो 2019 तक क्या होगा.अपन रिलहाल यूपी चुनाि नतीजे तक नही्पहुच ं े है,् मगि इतना रदख िहा है रक नये नोटो्की कमी के दस तिह के असि हो्ग.े

इसके आगे अर्ण जेटली की रित्​् मंत्ालय, सुप्ीम कोट्ाकी कानूनी कमान, बैर्कूग व्यिस्था सब िेल होगी. आठ निंबि के बाद दुरनया ने देखा है औि देख िही है रक बतौि रित्​् मंत्ी अर्ण जेटली औि उनके चहेते रित्​् सरचि शब्कतकांत दास ऐसे जनता के सामने आए मानो पंजाबी चुटकलेबाजी किानी है.नोटबंदी के दूसिे रदन अर्ण जेटली ने प्स ्े कांफस ्​् कि देश को यह चुटकला सुनाया रक मनिेगा से जब मजदूि, गिीब के खातो्मे्पेमटे् जा िहा है तो चाय बागान के मजदूिो् को नकदी मे् मजदूिी की रचंता की जर्ित नही्है. इस रटपण्णी से सिकाि औि संघ परि​िाि की मनब्सथरत का अंदाजा हो सकता है. भीतिखाने यह माना जा िहा है रक रबना ढंग की तैयािी के यह िैसला लागू किना घातक सारबत हो्सकता है .खासकि रजस देश मे्अस्सी िीसद से ज्यादा लोग नकदी लेन-देन किते हो्. इस िैसले से छोटे से लेकि बडे व्यापािी तक प्​्भारित हुए है्.आम जनता िोजमि्ा​ा की जर्ितो् के रलये बाि-बाि बै्को् की लाइन मे् लग िही है. कई जगह शारदयो्के रलये बुक किाये गये मंडप औि लान तक िद्​्कि रदये .कई जगह दूलह् ा-दुलह् न के कपडे जेि​ि तक खिीदने का संकट पैदा हो गया. जो दूि-दिाज के पय्टा न स्थल पि थे उन्हे् खाने पीने का सामन लेना मुबक् कल हो गया. कोई भी िैसला रजससे देश की बडी आबादी पिेशान हो जाये, रकसी भी हाल मे्उरचत नही् माना जा सकता .दूसिे, हि आदमी का सिाल यह है रक पांच सौ औि हजाि के नोट बंद कि दो हजाि के नोट जािी कि देने से काले धन पि रकस तिह अंकश ु लग जायेगा, यह कोई नही् बताता. देश मे् नोटो् का संकट पैदा हो गया है रजसकी िजह से आम लोगो्को ज्यादा रदक्त् का सामना किना पड िहा है. आम आदमी भी तो यही कह िहा है रक क्या सिकाि के सलाहकािो् को यह अंदाजा नही्था रक िातो्िात बडे नोट बंद कि देने से कैसा संकट पैदा होगा. ज्यादाति लोग अब एटीएम पि रनभ्िा िहते है औि आठ निंबि की िात से ही ज्यादाति एटीएम बंद हो गये. ऐसे मे्जर्िी काम के रलये भी लोगो्को नकदी नही् रमली. अगि कोई गंभीि र्प से बीमाि हुआ तो गैि-सिकािी अस्पताल मे्उसका ईलाज नही्हो पाया. कई लोगो् की मौत हो गयी.यही िजह है रक देश की सि्​्ोच्​् अदालत तक को कडी n रटपण्णी किनी पडी. ambrish2000kumar@gmail.com शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

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आवरण मास्ट हेकथा ड

पांच सौ और हजार र्पये के नोट बंद करने की सरकारी घोरणा के बाद देश एक अभूतपूव्षसंकट से कघर गया है. इसकी मार सबसे अकिक उन 48 फीसद तबको्पर पड़्ी है जो ज्यादातर लेन-देन नकदी मे्करते है्. काले िन और जाली मुद्ा पर रोक लगाने के मकसद से उठाये गये इस कदम ने समूचे समाज की आिथ्षक आजादी छीन ली है.

अरूण माहेशूरी

ठ निंबि की शाम आठ बजे अचानक प्​्धानमंत्ी ने यह घोषणा कि दी रक काले धन औि जाली नोटो् पि हमले के रलए उन्हो्ने एक बड्ा कदम उठाया है. इसके तहत 500 औि 1000 र्पये के नोटो् के चलन को बंद कि रदया है. इनकी जगह शीघ्​् ही 500 औि 2000 के नये नोट आये्गे. उन्हो्ने ही यह भी बताया रक देश की किे्सी का लगभग 86 प्​्रतशत रहस्सा इन नोटो् मे् ही है. उन्हो्ने िस्​्ुत: घोरषत कि रदया रक भाित की नगदी किे्सी को खारिज कि रदया गया है. सिकािी आंकड्ेही बताते है्भाित मे्अभी हि साल जीडीपी के लगभग 20 प्​्रतशत के बिाबि काला धन पैदा होता है. अभी भाित का जीडीपी 150 लाख किोड्र्पये है, अथ्ा​ात हि साल लगभग 30 किोड्र्पये मूल्य का काला धन पैदा होता है. अथ्ा​ात रपछले पंद्ह सालो्मे् ही भाित मे् लगभग 450 किोड् र्पये का काला धन पैदा हो चुका है. भाित मे्500 औि 1000 के कुल नोटो् की तादाद िह 13 लाख किोड्के किीब है. अथ्ा​ात रपछले 15 सालो्मे् पैदा हुए काले धन के तीन प्​्रतशत के किीब. 6

शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

नोट बंद देश बेहाल


जहां तक जाली नोटो्का सिाल है, इसके बािे मे् भाित के सबसे प्​्रतर्​्षत सांब्खयकी संस्थान इंरडयन इंस्टीट्​्ूट आि स्टैरटस्टरटक्स के 2015 के अध्ययन के अनुसाि, रकसी भी समय मे्भाित की अथ्ाव्यिस्था मे्जाली नोटो् की संख्या अरधकतम 400 किोड् र्पये हो सकती है. सन 2015 मे्इंिोस्ामे्ट डायिेक्टिेट ने जो जाली नोट पकड्ेथे, िे रसि्फएक किोड् सत्​्ि लाख र्पये के थे. इस प्​्काि जाली नोट भाित के कुल बजट खच्ा का रसि्फ 0.025 प्​्रतशत के बिाबि है्जो अथ्ाव्यिस्था को कभी भी प्​्भारित नही्कि सकता है. प्​्धानमंत्ी के दािे के अनुसाि, यरद इसे

काले धन पि हमला माना जाये तो यह कुल काले धन के तीन प्​्रतशत से भी कम िारश पि रकया गया हमला है. इसे यरद जाली नोटो् पि हमला माना जाये तो िह कोिा धोखा है. जाली नोट इस मात्​्ा मे्नही्है्रक हम उनके आर्थाक प्​्भाि को लेकि इस कदि रचंरतत हो जाये्. सिाल यह उठता है रक आरखि इस कदम की तुक क्या है? आज भाित मे् नगदी का इस्​्ेमाल रकन क्​्ेत्ो्मे्सबसे ज्यादा होता है ? इसका सबसे ज्यादा इस्​्ेमाल ग्​्ामीण क्​्ेत् मे्होता है, जहां आज भी देश की लगभग सत्​्ि िीसद आबादी िहती है. इसके अलािा नगदी का इस्​्ेमाल शहि के गिीब तबके, छोटे बै्को्के बाहर ग्​्ाहको्की कतारे्: बढ्ती परेशानी

नरे्द्रोिी: िुस्िाहि का किर दुकानदाि औि घिो् मे् गृहरणयां किती है्, अपनी िोजमि्​्ेकी छोटी-मोटी जर्ितो्के रलए औि बचत के तौि पि भी. प्​्धानमंत्ी ने समाज के इन सभी तबको् की आर्थाक स्ितंत्ता पि हमला रकया है औि ग्​्ामीण जनता, शहिो् के गिीबो्, छोटे दुकानदािो्, गृहरणयो् के पास पड्ी हुई नगद िारश को उनके पास से छीन कि उसे बै्रकूग प्​्णाली मे् ले आने का कदम उठाया है. रकसी भी पूंजीिादी समाज मे् बै्रकूग प्​्णाली औि शेयि बाजाि की भूरमका पूंजीपरतयो् को आर्थाक संसाधन जुटा कि देने की होती है. भाितीय बै्रकूग के सभी जानकाि जानते है्रक बै्क भाित के गांिो् से हि साल रजतना र्पया बटोिते है्, उसका बहुत थोड्ा सा रहस्सा ही सिकािी योजनाओ्औि कृरष ऋणो्के माध्यम से िापस गांिो्मे्लौट कि जाता है.

प्ध ् ानमंत्ी ने ग्​्ामीण जनता, शहरी गरीबो्, छोटे दुकानदारो्, गृहणणयो्की नगद राणश को छीन कर उसे बैण्कंग प्ण ् ाली मे्ले आने का कदम उठाया है. भाित मे् कृरष उत्पादन पि कोई कि न होने के कािण गांि के बहुत बड्ी संख्या मे् लोग अपनी कृरष की आमदनी को नगदी मे्ही अपने पास िखना पसंद किते है् औि पूंजीपरतयो्की ओि से सिकाि पि लगाताि यह दबाि बना िहता है रक लोगो् के घिो् मे् पड्ी शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

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आवरण कथा

हुई इस संपर्​्त बाहि लाई जाये तारक उन्हे्बै्को् से अरधक से अरधक कज्ापाने मे्कोई रदक्​्त न हो. इस कदम ने जनता के ऐसे सभी रहस्सो्को

बढ्ता सवरोध: रोिी की जलती हुई तस्वीरे् भाित की बै्रकूग प्​्णाली के जरिये पूंजीपरतयो् का गुलाम बनाने का काम रकया है. इससे एक बाि के रलए पूिी कृरष अथ्ाव्यिस्था के चिमिा जाने का खतिा पैदा हो गया है. रकसानो् के

पास आम तौि पि पैन काड्ा भी नही् होते, इसीरलए उन्हे् यह डि भी सतायेगा रक उनकी यह िारश बचेगी भी या नही्. यह उनके बीच अनेक प्​्काि के शहिी चाट्ाड्ा एकाउंटे्ट की तिह के शैतान बाबुओ् की आिाजाही का भी एक बड्ा कािण बनेगा. अथ्ा​ात दलाल रकस्म के लोगो् की खूब चांदी होगी. मोदी का यह कदम पहले से ही पनप िहे एक दलाल समाज को तेजी से प्​्ोत्सारहत किेगा औि भाित के रकसानो्, आम मजदूिो् के जीिन मे् एक भािी नयी आित सारबत होगा, जो रदहाड्ी पि काम किके रजंदा िहते है्. मोदी की एक औि दलील यह है रक इस कदम से भ्​्ि्ाचाि दूि होगा. क्या उनके इस कदम से भ्​्ि् लोगो् का ह्दय-परि​ित्ान हो जायेगा? रबल्कुल सही कहा जा िहा है रक नये 2000 के नोटो् से उन्हे् अपनी भ्​्ि्ाचाि की कमाई सहेजने मे् पहले से ज्यादा सुरिधा हो जाएगी. जहां तक तात्कारलक करठनाई का सिाल है, पहले ही बताया जा चुका है रक 450 लाख किोड्र्पये के कुल काले धन मे्इस कदम से अरधक से अरधक रसि्फ तीन प्​्रतशत रहस्सा

काले धन का ममथक और मीमिया स

भी समाचाि चैनल अभी एक ही बात से आसमान को रसि पि उठाये हुए है्रक ‘भाित के लोग काला धन रनकालने के मोदी के रनण्ाय से बेहद खुश है्’. घंटो् लाइन मे् खड्े बेहद पिेशान लोगो् तक से यह कहलिाया जा िहा है रक िे ‘मोदी जी के काला धन रनकालने के कदम से तो खुश है, लेरकन... ’ कहना न होगा, उनकी इस ‘लेरकन’ के बाद की रिक्तता मे्ही आज इन सभी लोगो्के जीिन की सािी करठनाइयो्का दद्ारछपा हुआ है. ‘काला धन’ उनके रलए िेरगस्​्ान मे् दूिस्थ पानी का भ्​्म पैदा किने िाली मिीरचका ही है, रजसके पीछे दौड्ते-हांिते रहिन के पास अंत मे् उसी मर्भूरम मे्दम तोड्देने के अलािा औि कोई चािा नही्हुआ किता. टेलीरिजन चैनल आम लोगो्की आंखो्के ऐसे ही मिीरचका िाले भ्म् की या तो रिपोट्ाकि िहे है्, या जान-बूझ कि उसे पैदा किने मे्जुटे हुए है्. यह एक प्​्काि से रन:स्ि हो चुके देश के आम लोगो् के आखेट का एक क्​्ि खेल है. आम लोगो्से उनकी कमाई का सब कुछ छीन कि उन्हे्बै्को् के सामने रभखारियो्की तिह खड्ा कि रदया गया है, रि​ि भी कही्से कोई प्​्रतिाद का स्ि​ि न उठने पाये, इसरलए सबको दूिस्थ पानी के रिशाल सिोि​ि भ्​्म से उसे अबूझ सी अनंत मायािी लालसाओ्के जाल मे्धकेल रदया जा िहा है. जैसे पूज ं ीिाद के बािे मे्कहते है्रक िह आदमी मे्भोग की एक अनंत कामना पैदा किके उसे इस प्​्काि िूसाता है रक आदमी अपने रदन-िात भूल कि रकसी यंत्की तिह चौबीसो्घंटे काम मे्जुटा िहता है. यह ‘काला धन’ रनकालने िाला खेल भी घरटया िाष्​्िाद का एक िैसा ही ईष्​्या, द्​्ेष औि प्र्तरहंसा की अंतहीन भािना मे्िूसा कि आदमी को उसकी मानिीय अब्समता के सभी स्िस्थ तत्िो् से िंरचत कि देने का, अथ्ा​ात उसकी मानिीयता को माि देने खेल है. रहटलि ने ऐसे ही िाष्​्िादी उन्माद का 8

शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

िराचार चैनलो्की िुस्खायां: वास्​्सवकता या चातुकासरता?

एक र्प रदखाया था जब उसने यूिोप के बहुत सािे देशो्के साथ ही अंत मे्खुद पूिे जम्ानी को एक खंडहि औि क्मशान बना कि छोड्ा था. भाित मे्‘काला धन रनकालने’ के काम मे्जुटे भाजपा के नेता, उनके भक्त औि उनके भो्पू टेलीरिजन चैनल ऐसी ही आत्म-रिनाशकािी मिीरचका के पीछे एक अंधी दौड्मे्पूिे देश को उताि कि हमािे देश की अथ्ा-व्यिस्था की मूलभूत आंतरिक शब्कत को ही छीन लेने को उतार्है. रिदेशी पूज ं ीपरत औि आईएमएि की तिह के उनके संसथ ् ान भाितीय अथ्-ा व्यिस्था के इस सि्ानाश के रलए मोदीजी को खूब बधाइयां दे िहे है.्


प्​्भारित होगा औि िह भी लगभग 90 प्​्रतशत भाित के रकसानो्, मजदूिो्, छोटे दुकानदािो् औि घिो्की मरहलाओ्के पास है. इसके अलािा, लोगो् के जीिन को रजस रनम्ामता से अस्​्-व्यस्​्रकया गया है, उसकी कहानी तो औि भी अलग है. आज 125 किोड् की आबादी के देश मे् बै्क की शाखाओ् औि पोस्ट ऑरिस की कुल संख्या रसि्फ2.5 लाख है. इस संख्या मे् भी बड्ी संख्या मे् एटीएम के काउंटि औि एक व्यब्कत िाले पोस्ट ऑरिस की संख्या शारमल है. खुद रित्​् मंत्ी ने माना है रक 500 औि 2000 के नये नोटो् का आकाि-प्​्काि कुछ ऐसा है रक उनकी अभी के एटीएम काउंटि से आपूर्ता नही् हो पायेगी. अथ्ा​ात इनको भी अभी सुधािने मे् कुछ औि रदन लगे्गे.

यह कदम कृणि, छोटे-छोटे उद्म् ो्, दुकानदारो्और असंगणठत मजदूरो्की अर्वथ य् वस्रा को बब्ादथ करने का कारक ही साणबत होगा. रजतने लोगो् ने भी अथ्ा-व्यिस्था मे् मंदी के बािे मे्अध्ययन रकये है्, सबका यह मानना है रक यह ऐसा िोग है जो जल्दी पीछा नही् छोड्ता है. जॉन मेनाड्ा की्स जैसे महान अथ्ाशास्​्ी के शल्दो् मे्, िह इतने गहिे तक बैठ जाती है, रजससे मुब्कत पाना रकसी भी समाज के रलए करठन होता है. मंदी एक आर्थाक परिघटना ही नही्होती, यह एक मानरसक परिघटना भी होती है. यरद आम लोगो् के मन-मर्​्सष्क मे् एक बाि यह बात घि कि जाये रक हमािे पास जो भी थोड्ी पूंजी है, उसे खच्ा किने की बजाय बचा कि िखना है तो रि​ि अथ्ाव्यिस्था का चक्​्ा ही जाम हो जाता है. भाित की आम जनता को मोदी सिकाि ने जो झटका रदया है, उसने उनके रदलो् के उत्साह औि खुरशयो् को छीन रलया है. इसीरलए मोदी का यह कदम कृरष, छोटे-छोटे उद्​्मो्, दुकानदािो् औि असंगरठत मजदूिो् की नगदी पि रटकी अथ्ाव्यिस्था को बब्ा​ाद किके पूिी अथ्ाव्यिस्था का उपभोक्ता से रिक्ता काट देने का कािक सारबत होगा. की्स ने किे्सी के साथ रकये जाने िाले ऐसे रखलिाड्ो् के बािे मे् कहा था रक 'समाज के ित्ामान आधाि को खत्म किने का इससे पक्​्ा कदम दूसिा नही् हो सकता रक आप किे्सी को अशुद् कि दीरजए. इस प्​्र्कया मे् रिध्िंस की रदशा मे् काम किने िाले आर्थाक रनयमो् की सािी गोपनीय ताकते् अपने आप शारमल हो जाती है, औि िे इस कदि काम

यह कोई हल नही़

करजव्षबै्क के पूव्षगवन्षर रघुराम राजन की प्​्कतक्​्िया.

तीत मे् भी किे्सी नोट बंद किने यानी रिमुद्ीकिण को प्च ् रलत काले धन को नि्​् किने का उपाय माना जाता िहा है. क्यो्रक नोट बंद होने के बाद लोग अपनी नकदी के साथ सामने आते थे औि तब उनको यह बताना पड्ता था रक उनको यह िारश कहां से रमली. इसे अक्सि काले धन से रनपटने के उपाय के र्प मे्देखा जाता है. अिसोस लेरकन मुझे ऐसा नही्लगता. ‘काला धन िखने िाले अपने जमा धन को कई छोटे-छोटे टुकड्ो् मे् बांट देते है्. कई लोग रजनको काले धन को सिेद किने का कोई तिीका नही्रमलता है िे इस धन को मंरदिो्मे्ि्​्क आते है्. मुझे लगता है रक लोगो्के पास रिमुद्ीकिण से रघुरार राजन: गंभीर िवाल रनपटने के तिीके मौजूद है्. काले धन को खत्म कि देना इतना आसान नही्है. यह सच है रक इसका कािी रहस्सा सोने के र्प मे्हो सकता है, उसे पकड्पाना तो औि भी मुब्ककल है. रिमुद्ीकिण से कही्अरधक बेहति होता है काले धन के खुलासे पि रदया जाने िाला प्​्ोत्साहन. कि पि कई रकस्म के प्​्ोत्साहन रदये जा सकते है्. ‘मुझे लगता है रक देश मे्मौजूदा कि दि अरधकांशतया तार्कफक है. उदाहिण के रलए उच्​् आय पि अरधकतम कि दि 33 िीसदी है. अमेरिका मे्यह दि 39 िीसदी है, इसके अरतरिक्त िहां िाज्य स्​्िीय कि अलग से लगते है्औि यह दि किीब 50 िीसदी हो जाती है. हमािे यहां कि दिे् कई औद्​्ोरगक देशो् की तुलना मे् कम है्. इस दृर्ि से देखा जाये तो लगता है रक ऐसी कोई िजह नही्रजसके चलते ऐसे लोग कि न दे्जो कि दायिे मे्आते है्. मै्आंकड्ो्पि अरधक ध्यान देने औि बेहति कि प्​्शासन का रहमायती हूं. इनकी मदद से भी अघोरषत आय तक पहुंचा जा सकता है. मुझे लगता है रक आधुरनक अथ्ाव्यिस्था मे्अपने धन को रछपा पाना इतना आसान नही्है. ' n किती है रजसे लाखो् मे् एक आदमी भी पकड् नही्पाता है.' एक टेलीरिजन चैनल चीख िहा था, 'पारकस्​्ान का मनी मड्ाि!’ इसे ही कहते है अपनी नाक काट कि दूसिो् की यात्​्ा को अशुभ किना. अंग्ेजी मे् कहाित है - थ्​्ोइंग बेबी आउट रिद द बाथ िाटि. नहाने के बाद के गंदे पानी के साथ ही अपने बच्​्ेको भी ि्​्क देना.' पी रचदंबिम ने रबल्कुल सही कहा है रक नये नोट छापने मे् जो पंद्ह से बीस हज्ाि किोड् का ख़्च्ा होगा, सिकाि इस क्दम से अगि उतनी आमदनी भी नही्कि सकती है. कुछ लोग बै्को्के सामने खड्ेधके्खाते लोगो् की लाइन देख कि खुश है्, इसे देश के रलए उनके द्​्ािा रकया जा िहा महान त्याग बता िहे है्. ऐसे लोगो् मे् हमे् रहटलि के जमाने के उन सभी लोगो् की सूित रदखाई दे िही है जो मासूम यहूदी लोगो् को घेि कि भेड्-बकरियो् की तिह गैस-चै्बिो्मे्ठेलने के काम को देश-

भब्कत का महान काम समझ कि पूिी रनष्​्ा से कि िहे थे. उनमे् कुछ ऐसे भी थे जो डिाधमका कि गैस चै्बिो्मे्ले जाये गये लोगो्को अच्छे आचिण का प्​्माण पत्​् रदया किते थे. कहना न होगा, ऐसे सभी लोगो्का आम लोगो् की दुद्ाशा पि अक्लील उत्साह गेस्टापो् (रहटलि की खुरिया पुरलस) के लोगो् के उत्साह जैसा ही है रजन्हो्ने बड्ी रनष्​्ा से यहूरदयो् के घिो् की रशनाख्त किके उन्हे् एक जगह बंटोिने औि रि​ि गैस-चै्बिो्तक पहुंचा देने का काम रकया था. एक ओि आम लोग सड्को्पि भटक िहे है्, मि िहे है्, बाजाि बंद है् क्यो्रक लोगो् के पास काम नही्है, औि दूसिी ओि टेलीरिजन पि अरमत शाह रजस प्​्काि चमक िहे थे उनकी उस चमक मे् गेस्टापो के अपिाधी अरधकारियो्का उत्साह रदखाई दे िहा. n (लेखक सुपरिरचत सारहत्यकाि औि आर्थाक मामलो्के जानकाि है्.) शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

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आवरण कथा पू​ूभात पटनायक

घरों से बाहर काले धन के तार

काला िन वह नही्है, कजसे हम बक्सो्मे्या तककये के कवर मे्या जमीन के अंदर गाड़्कर रखते है्.

िकाि ने जो रकया है, िह आधुरनक भाित के इरतहास मे​े्पहले कभी नही्हुआ. यहां तक रक अंगज ्े ो्के शासनकाल मे्भी कोई बड्ा िैसला किने के पहले आम लोगो्को होने िाली रदक्त् ो्का ध्यान िखा जाता था. काली कमाई को िोकने की दलील देकि रलये गये मोदी सिकाि के इस िैसले से आम आदमी को बहुत ज्यादा पिेशानी से जूझना पड्िहा है. सिकाि ने अपनी इस दलील मे्यह बताने की कोरशश रक थी 500 औि 1000 र्पये के नोटो्को अिैध किाि रदये जाने से काले धन को िोकने मे्कािी मदद रमलेगी. यह बात थोड्ी बचकानी लगती है, क्यो्रक तिह की दलील देने के पहले हम को यह समझना होगा रक काला धन होता क्या है. काला धन िह नही्है, रजसे हम बक्सो्मे,् या तरकए के कि​ि मे्या जमीन के अंदि गाडकि िखते है.् कुछ लोगो्का यही मानना है रक औि 500, 1000 के नोटो्को अिैध घोरषत कि रदये जाने के बाद लोग भािी मात्​्ा मे्ऐसे पुिाने नोट लेकि बैक ् औि डाकघिो् मे् बदलिाने के रलए पहुच ं गे् े औि इस तिह की रकसी संरदग्ध गरतरिरध को देखते ही बैक ् आयकि या दूसिी एेसे रिभागो्को सूचना दे देग् ,े जो टैकस ् चोिी के मामलो्को देखते है.् कि अरधकािी एेसे अपिारधयो् को रगिफ्ताि कि पाएंग,े जो कालेधन लेकि आ िहे है.् इससे काली कमाई हमे्आई औि भरिष्य मे्इसे िोकने मे्भी मदद रमलेगी. अगि हम इस बात को मान भी ले्रक काली कमाई ढेि सािे नोटो्की शक्ल मे् है, तो भी इससे बहुत ज्यादा लाभ होने की उम्मीद नही्है. उदाहिण के रलये अगि हम मान ले्रक रकसी व्यब्कत के पास 20 किोड्र्पये काला धन के र्प मे्है, जो रक 500 औि 1000 र्पये के नोटो्की शक्ल मे्है. ऐसी सूित मे्भी यह बात तो तय है रक िह 20 किोड्र्पए एक साथ लेकि रकसी बैक ् मे्बदलिाने तो नही्जायेगा. पुिाने नोटो्को नये नोटो्से इस तिह बदलने की अनुमरत भी नही्रमलेगी. इन हालात मे्िह अपने किीबी या पहचान के लोगो्को थोड्ी सी िकम लेकि बैक ् भेजगे ा. िैसे भी सिकाि ने पुिाने नोटो् को बदलने के रलए 30 रदसंबि तक का िक्त रदया है. शायद इतनी सािी किायद की जर्ित ही नही् पड्े क्यो्रक तब तक एेसा कोई न कोई रसस्टम तलाश रलया जायेगा, रजसमे्पुिाने नोटो्के बदले नये नोट हारसल किने का िास्​्ा बना रलया जायेगा. कई टीिी चैनलो्मे्इस तिह की बाते् रिशेषज्​्ो्ने किना भी चालू कि रदया है. अगि ऐसा होता है, तो पांच औि हजाि र्पये के पुिाने नोटो्को िद्​्किके कालेधन को सामने लाने की क्द् ् सिकाि की मंशा शायद पूिी नही्होगी. आम तौि पि हम यह मानते है्रक काली कमाई नोटो्के ढेि की शक्ल मे्होती है, रजसे हम सिकाि या टैकस ् एजेस ् ी की नजिो्से रछपाकि बैक ् की जगह कही्औि िखते है.् िास्ि् मे्जब हम काले धन की बात किते है,् तो इसमे्िह सािी गरतरिरध आती है, रजसको हम कानूनी तौि पि गलत मानते है.् इसमे्तस्किी, ड्ग् का कािोबाि औि आतंरकयो्को हरथयािो्की सप्लाई भी शारमल है. यही नही्, कानूनी सीमा से ज्यादा रकसी चीज को िखना भी ल्लक ै एब्कटरिटी मे्शारमल होता है. उदाहिण के रलए, अगि हम रकसी खदान से 100 टन खरनज रनकालते है,् पि 80 टन को ही घोरषत किते है,् तो हमािे 10 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

पास काली कमाई आ जाती है. इसी तिह अगि हम सौ डॉलि की रकसी चीज का आयात किते है्औि रसि्फ80 डॉलि की दस्​्ािेजो्मे्घोषणा किने के बाद 20 डॉलि को ब्सिस बैक ् मे्जमा किते देते है्तो िह एक तिह से काली कमाई का स्िर्प है. इसके अलािा हिाला के माध्यम से र्पए को रिदेशी किंसी मे्बदल कि उसे रिदेश मे्िखना भी काली कमाई जुटाना है. काली कमाई का मतलब र्पए का संगह् ण नही्, बब्लक उस को गरत देना है. इसे हमे्समझना होगा रक िाइट एब्कटरिटीज की तिह ल्लक ै एब्कटरिटी भी ज्यादा से ज्यादा कमाई किने के रलए होती है. साि है रक इसमे्पैसो्को जमा किके िखने से कोई लाभ नही्होता. जानेमाने रचंतक काल्क ा माक्सा्मे् भी इस बात का रजक्​्रकया था रक लाभ पैसे को जमा किने से नही्, बब्लक उसे प्च ् लन मे्या सिकुलश े न मे्लाने से होता है. यह बात हम को समझनी होगी रक ल्लक ै एब्कटरिटीज मे्शारमल लोग पूज ं ीिादी है.् रकसी भी कािोबािी गरतरिरध मे्िणनीरत या सोच के तहत पैसा कम औि ज्यादा अिरध रलए र्का जाता है. यह धािणा भी गलत है रक काली कमाई को िोककि केिल िाइट मनी सक्ल फु श े न मे्लाई जाती है. यह पहली बाि नही्है जब भाित की अथ्वा य् िस्था मे्प्च ् रलत नोटो्को िापस लेने का िैसला हुआ है. जनि​िी 1946 मे्भी 1,000 औि 10,000 के नोटो्को अिैध घोरषत रकया गया था. उसके बाद 1978 मे्मोिािजी देसाई की सिकाि मे्भी 1000, 5000 औि 10,000 के नोटो् को 16 जनि​िी की मध्यिार्​्त से िद्​् किने का रनण्या रलया था. सन 1946 के िैसले को छोड्दे रदया जाये, तो 1978 मे्भी पुिाने नोटो्को िद्​्किने के सिकाि के िैसले से आम लोगो्को कोई पिेशानी नही्हुई थी. सन 1978 की बात की जाये, तो उन रदनो्1000 र्पए बहुत बड्ी िकम हुआ किती थी. आम लोग तो कई बाि इस नोट की शकल ही नही्देख पाते थे. देसाई सिकाि के कदम से आम आदमी को पिेशानी नही् हुई, लेरकन इसके बािजूद काला धन इससे नही्र्का. इससे ठीक उलट काली कमाई को िोकने की दलील देकि रलये गये मोदी सिकाि के इस िैसले से आम आदमी को बहुत ज्यादा पिेशानी से जूझना पड्िहा है. कुछ लोग इसे कैशलेस इकानॉमी से जोड्सकते है.् पि रिलहाल यह दूि की कौड्ी लगती है. यह सोच एेसे लोगो्की है, रजनको केर्डट काड्ाया डेरबट काड्ाहारसल किने या बैक ् खाता खोलने मे् आम आदमी को होने िाली रदक्त् ो्के बािे मे्पता ही नही्है. सिकाि यह दलील भी दे िही है रक इससे आतंरकयो्के पास मौजूद जाली नोटो्को िोकने मे् मदद रमलेगी. यह तक्फछपाई की तकनीक से जुड्ा हुआ है. यह दािा इस बात पि आधारित है रक नोटो्की छपाई की नयी टेकन् ालॉजी की नकल नही्की जा सकती. सिकाि के इस तक्फको हम मान लेते है,् तो एेसा नही्है रक इस तथ्य का पता अचानक सिकाि को लगा. बड्ेनोटो्को बदलने का िैसला भी मोदी सिकाि के उन िैसलो्जैसा ही, रजनको एक तबके द्​्ािा अघोरषत आपातकाल के िैसलो्तिह देखा जा n िहा है. (लेखक िरिष्​्अथ्श ा ास्ी् है.्)


नोटबंदी एक पहेली

नोटबंदी के व्यापक असर पर पूव्षकवत्​्मंत्ी पी कचदबंरम से कववेक सक्सेना की बातचीत.

रकार ने 500 और 1000 रुपये के नोट का चलन बंद करने का फैसला ककया है. इस बारे मेु आपकी कुया राय है? सिकाि का यह कदम मेिे रलए एक बड्ी पहेली है. मेिी समझ मे्नही् आ िहा रक रकसकी सलाह पि यह कदम उठाया गया है औि इससे क्या लाभ होगा. मेिा मानना है रक यह नोट बंद कि देने से आम आदमी, रदहाड्ी कमाने िाले गिीब मजदूिो्, मरहलाओ्को बहुत ज्यादा रदक्त् ो्का सामना किना पड्िहा है. सरकार का कहना है कक यह कदम काला धन समापुत करने और आतंकवाकदयोु को पैसा उपलबुध करवाने पर रोक लगाने के कलए उठाया गया है. कुया आप इस दलील से सहमत हैु? यह सोचना रक सािा काला धन बड्ेनोटो मे्इकठ्​्ा रकया जाता है औि रजसके पास बड्ेनोट है्, िह काले धन का संचयकत्ा​ा है, बेहद हास्यास्पद बात है. इस देश की 86 िीसद किे्सी इन्ही्नोटो मे्है. िैसे भी यह माना जाता है रक महज एक िीसद काला धन ही नकद नोटो्मे्िखा जाता है. असली काला धन तो जमीन-जायदाद औि सोने मे्रनिेश रकया जाता है. कवतु​ु मंतुी अरुण जेटली का कहना है कक आज आप इस कदम की आलोचना कर रहे है जबकक आपने खुद कवतु​ु मंतुी रहते हुए काला धन समापुत करने के कलए कोई कदम नहीु उठाया था. हमािी सिकाि ने भी नोटबंदी पि रिचाि रकया था, पि रिशेषज्​्ो्का मानना था रक इससे कोई खास लाभ नही् होने िाला. इसकी बड्ी िजह यह है रक 500 औि 1000 र्पये के नोटो्का मूल्य 15 लाख किोड्र्पये है. इन्हे् िापस लेकि नि्​् किके नये नोट जािी किने का खच्ा 14-15 हजाि किोड्र्पये आयेगा. जब तक नोटबंदी से कम से कम 14-15 हजाि किोड्र्पये का लाभ न हो यह कदम उठाने से क्या िायदा? सरकार 2000 रुपये के जो नये नोट जारी कर रही है, कुया उससे काला धन समापुत करने मेु मदद कमलेगी? पता नही्रक सिकाि के इस सोच का आधाि क्या है. जो लोग पहले 1000 र्पये के नोटो मे्काला धन जमा किते थे, िे अब 2000 के नोटो् मे्इसे इकट्​्ा किे्गे. क्​्द्ीय प्​्त्यक्​्कि बोड्ा(सीबीडीटी) ने 2012 मे्दी गयी अपनी रिपोट्ामे्2000 र्पये के नोट जािी न किने की सलाह दी थी, रि​ि भी सिकाि ने उसकी अनदेखी किते हुए यह कदम क्यो्उठाया, यह मेिी समझ के पिे है. सिकाि को सीबीडीटी की यह रिपोट्ा साि्ाजरनक किनी चारहए. सरकार यह साकबत करने पर आमदा नजर आती है कक कांगस ुे उसके इस कदम का महज इसकलए कवरोध कर रही है कक वह काले धन के पकु​ु मेु है.

हम काले धन के सख्त रखलाि है्. ऐसा कदम उठाने से क्या िायदा रजससे आम नागरिको् केा इतनी तकलीि का सामना किना पड्े. लोग दिा, इलाज, िोटी के रलए तिस िहे है्. घि से बेटी की डोली तक रिदा नही् की जा सकती. मेिा मानना है रक रबना रकसी पूि्ा तैयािी के उठाया गया यह कदम आम नागरिक के रलए बहुत करठनाइयां पैदा किने िाला सारबत हुआ है. जब आपके पास नयी मुद्ा तैयाि नही्थी, एटीएम इसके रितिण के योग्य नही् थे तो अचानक नोटबंदी क्यो् कि दी गयी? पहले तैयािी किते, रि​ि कदम उठाते. इतनी हड्बड्ी रदखाने की क्या जर्ित थी? सरकार का दावा है कक यह तो बस चंद कदनोु की परेशानी है. कफर सब ठीक हो जायेगा. आपकी राय? पिेशानी तो अगले साल शुर् होगी जब आम मरहला खातेदािो्, जनधन खाताधािको्को आयकि के नोरटस आये्गे. सिकाि ने खुद माना रक उसके इस कदम का दलालो्ने िायदा उठाया. उन्हो्ने बड्ी तादाद मे् नोट बदलिाये. उद्​्ेक्य सही था, लेरकन उसे हारसल किने का तिीका गलत. भाजपा का कहना है कक राहुल गांधी ने महज फोटो कखंचवाने के कलए नोट बदलवाये. मुझे नही्पता रक इस सिकाि के मंर्तयो्ने अपने नोट कैसे बदलिाये. िाहुल गांधी ने िही रकया जो एक आम नागरिक को किना पड्िहा था. n

शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 11


आवरण मास्ट हेकथा ड

प्​्िानमंत्ी नरे्द्मोदी का नोटबंदी का कदम साहकसक कदखाई पड़्ता है लेककन उसके पीछे उतनी ही ि्​्रता भी कछपी हुई है. कोई नही्जानता कक इस अकिनायकवादी फैसले का अंजाम क्या होगा.

अरूण कुमार वू​ूिपाठी

कीनन प्ध ् ानमंत्ी निेद् ्मोदी की तािीि की जानी चारहए. उन्हो्ने िह कि रदखाया रजसका िादा रकया था. आर्थक ा मामलो्औि काले धन के रिशेषज्​्कहते थे रक काले धन पि अकादरमक बहस बहुत हो चुकी, अब िाजनीरतक इच्छाशब्कत की जर्ित है. मोदी ने िह इच्छा शब्कत रदखा दी. काले धन पि यह बहस भी बहुत चली है रक िह देश मे्ज्यादा है या रिदेश मे.् इस बािे मे् िकीलो् औि सामारजक काय्क ा त्ाओ ा ्की िाय अलग-अलग है. एक तबका कहता िहा है रक भाित का बहुत सािा धन ब्सिस बैक ् मे्है औि थोड्ा सा देश के भीति है, जबरक दूसिा तबका कहता है रक 90 प्र्तशत काला धन देश के भीति है औि असली जर्ित उस पि काि्िा ाई किने की है. देसी काले धन के बािे मे् निम र्ख के रहमायती लोगो् का कहना है रक इसका अथ्वा य् िस्था मे्कुछ योगदान भी होता है, लेरकन जो धन रिदेशी बैक ् ो्मे्िखा है, उसका तो कोई योगदान ही नही्. दूसिी ति​ि, यह कहने िाले भी है्रक रिदेशी बैक ् ो्मे्जमा काला धन ही दुरनया के समृद् देशो् मे् धुलाई किके रिदेशी पूज ं ी रनिेश के र्प मे्देश मे्लौट आता है. अब जबरक निेद् ्मोदी ने घिेलू काले धन पि काि्िा ाई कि दी है तो पहले तो उनके साहस की तािीि की जानी चारहए क्यो्रक जनता को नािाज किके कोई िैसला लेने िाले बहुत कम शासक होते है.् िे शासक या तो घनघोि जनरि​िोधी होते है्औि तानाशाह होते है्या रि​ि जनता के बड्े रहतैषी औि दूिदृर्ि िाले. मोदी क्या है,् यह कह पाना करठन है. एक ति​ि िे जनता के रहतैषी रदखने की कोरशश किते है्तो दूसिी ति​ि अपनी तानाशाही प्ि् रृ ्त प्द् र्शता किने से भी बाज नही् आते. इसमे्कोई दो िाय नही्रक िे एक कठोि ही नही्, क्ि् शासक है्औि उनके प्त् ीको्मे्रहंसा 12 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

पुराने नोटो्के िाथ एक भारतीय नागसरक: गहरी आस्थाक रार

धन नही्जन पर

की शल्दािली भिी हुई है. अगि ऐसा न होता तो सन 2014 के चुनाि मे् िे न तो सबके (समाजिादी पाट्​्ी, बसपा औि कांगस ्े ) रिनाश का नािा देते औि न ही अपने चुनाि परिणामो्को ‘सुनामी’ की संज्ा देत.े िे भले उसी के साथ अच्छे रदन की बात किते है,् लेरकन उनकी औि उनसे जुड्ेसंगठनो्की काि्िा ाइयो्मे्रहंसा अंतर्नरा हत है. िे या तो गले रमलने िाली दोस्​्ी चाहते है्या रि​ि गला-काट दुकम् नी. उनके रलए बीच का िास्​्ा नही्है. यह बात पारकस्​्ान के प्र्त उनके ि​िैये मे् रदखाई पड्ी, यही रिपक्​्ी दलो् के प्र्त उनके नजरिये मे् रदखी औि यही बात जनता के प्र्त उनके र्ख मे् रदखाई पड्ती है. इसी भािना के िशीभूत होकि िे कांगस ्े -मुकत् भाित की बात किते है्औि दािा किते है्रक िे 70 साल की बीमािी ठीक कि िहे है.् इतना रि​िाट सिलीकिण िही नेता किता है रजसे देश को अरधनायकिाद की ओि ले जाना होता है. िे पारकस्​्ान से प्म्े जताने के बाद उसका प्र्तकाि पाने मे्रि​िल िहे तो उन्हो्ने उस पि सर्जक ा ल स्ट्ाइक कि डाली. हालांरक िह सर्जक ा ल स्ट्ाइक संपग् सिकाि ने भी की थी, लेरकन उन्हो्ने उसका रढंढोिा नही्

पीटा था. एक बात औि ध्यान देने की है रक उदािीकिण की आमूल चूल परि​ित्ना किने िाली प्र्​्कया चलाने के बाद भी कांगस ्े सिकाि कभी उसका रढंढोिा नही् पीट सकी. िजह साि थी: उसकी प्ि् रृ ्त मध्यमाग्​्ी है या उसके पास इंरदिा गांधी के बाद बढ्-चढ्कि करिक्माई नेता नही् बचा. लेरकन मोदी चूरं क अपनी हि काि्िा ाई को इरतहास मे्पहली बाि की गयी काि्िा ाई बताते है् इसरलए उन्हो्ने यह सारबत किने की कोरशश की है रक िे रसि्फदुकम् न पि ही सर्जक ा ल स्ट्ाइक नही् किते, बब्लक अपनी जनता पि भी किते है.् उनकी औि उनकी पाट्​्ी की इस शल्दािली पि अटल रबहािी िाजपेयी की िह रटप्पणी याद आती है जो उन्हो्ने अयोध्या की ओि िथ लेकि चले आडिाणी पि की थी. उन्हो्ने कहा था रक िथ अयोध्या नही्लंका की ओि लेकि जाया जाता है. इसी तिह की रटप्पणी देश के जाने-माने प्श ् ासक औि आरदिासी मामलो्के रिशेषज्​्डा ब्ह् म् देि शम्ा​ा बस्ि् मे्चल िहे सलिा जुडम् पि रकया किते थे रक कोई भी शासक अपनी जनता से युद् नही्किता. लेरकन लगता है निेद् ्मोदी ने अपनी जनता से युद्छेड्रदया है. उन्हे्लग िहा है रक


घाटे का गमित l l l l l

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प्​्हार

उनके इस युद् मे् उनके साथ बहुसखं य् क रहंदिू ादी जनता औि िह यािाना पूज ं ीिाद खड्ा िहेगा, जो उन्हे्सत्​्ा मे्लेकि आया है, लेरकन िे यह भूल िहे है्रक पांच सौ औि एक हजाि के नोट िापस लेने का रिचाि कोई नायाब रिचाि नही्है. इस तिह का रिचाि आजादी बचाओ आंदोलन औि स्िदेशी जागिण मंच जैसे संगठन औि कुछ एकला चलने िाले गांधीिादी औि समाजिादी भी व्यक्त किते िहे है.् इसी के साथ िे अथ्वा य् िस्था के शुद्ीकिण औि रिदेशी धन को देश मे्लाने का रिचाि भी व्यक्त किते िहे है.् रजन्हे्जयगुरद् िे के आर्थक ा काय्क ा म् का जिा भी स्मिण हो, िे उत्ि् प्द् श े औि मध्यप्द् श े जैसे िाज्यो्की दीिािो् पि रलखे हुए िे नािे नही्भूले हो्गे रक कलयुग जायेगा औि सतयुग आयेगा. अमेरिका भाित का सािा कज्ा माि कि देगा, देश मे् घी-दूध की नरदयां बहेग् ी औि भाित का सािा सोना देश मे्आ जायेगा, रिदेशो्मे्जमा धन देश मे्आ जायेगा औि हि भाितीय सोने की थाली मे्भोजन किेगा. पहले मोदी ने भी हि खाते मे्15 लाख जमा किने का लालच रदया था. लेरकन अब उनके सहयोगी इसे चुनािी नािा बताकि इस पि सिाल पूछने िालो्को डपटने लगे है.्

देश मेु कुल नकदी है 16.24 लाख करोडु रुपये. इसमेु 500 के नोट कुरीब साढुे 7 लाख करोडु रुपये हैु. हजुार के नोट कुरीब 6 लाख करोडु रुपये हैु. दोनोु को कमलाकर लगभग साढुे 13 लाख करोडु रुपये. इसमेु माकु​ुेट मेु कुल कलकुकवकिटी होगी 20 फीसद कजसे अकधकतम 3 लाख करोडु रुपये कर देते हैु. अब काला धन और सफेद धन को आधा-आधा मान लेते हैु. यानी बुलैक मनी ककतनी हुई? कुरीब िेढु लाख करोडु रुपये. हद से हद दो लाख करोडु रुपये. कबचौकलयोु के जुकरए इनमेु से आधे पैसे सफेद हो जाएंगे. अब बचे कुरीब एक लाख करोडु रुपये. नए नोट को छापने और लागू करने मेु कुरीब 20 हजुार करोडु रुपये का खुचुच आ रहा है. अब जो 80 हजुार करोडु रुपये बचे, सरकार उसमेु से अकधकतम आधा जुबुत कर पायेगी. आधे का मतलब हुआ 40 हजुार करोडु रुपये. कसर्ु अहमदाबाद से मुब ं ई तक की 'बुलटे टुनुे ' की लागत है 98 हजुार करोडु रुपये. यानी आधी 'बुलेट टु​ुेन' के बराबर भी पैसा इससे वसूल नहीु हो पायेगा.

सिाल यह है रक देश की एक अिब 25 किोड् की आबादी पि की गयी इतनी त्​्ासद काि्िा ाई को सर्जक ा ल स्ट्ाइक कहा जाये या कुछ औि. सुप्ीम कोट्ाने तो इसे ‘कािपेट बमबािी’ की संज्ा दी है. इसका आर्थक ा असि क्या होगा, यह तो आने िाला समय बतायेगा, लेरकन एक बात जर्ि है रक इसका िाजनीरतक असि हो चुका है. रिपक्​्की आिाजे्उठने लगी है,् पि िे बहुत दूि तक जायेग् ी, इसका यकीन नही् होता क्यो्रक देशभब्कत औि ईमानदािी दोनो्ऐसे शुदत् ािादी तुलनात्मक शल्द है् रक उनकी कसौटी पि हि कोई खिा उतिना चाहता है. मोदी ने सम्​्ाट का नया िस्​्पहन रलया है औि अब कौन कहे रक िाजा नंगा है. इसका साहस कोई बच्​्ा ही कि सकता है, पि उसके रलए िैसा ही नैरतक औि अबोध चरित्​्होना चारहए. लेरकन मोदी ने इस काि्िा ाई से आम आदमी के सामने िाज्य की ताकत को प्क ् ट कि रदया है. िाज्य आम नागरिक को रकतनी खुशी औि समृर्द दे सकता है, यह तो िे नही्रदखा पाये, लेरकन िह उसे रकतना कि्​्दे सकता है, यह उन्हो्ने रदखा रदया है. इस पूिे िैसले के आिंभ मे्न तो रिजि्ाबैक ् सामने था, न ही मंर्तमंडल. सामने थे तो सीधे निेद् ्मोदी. पूिा मामला व्यब्कतगत. बाद मे्िोते हुए यह कहना रक लोग मेिे बाल नोच लेग् ,े मुझे बब्ादा देग् ,े मैन् े तो देश के रलए परि​िाि छोड् रदया, उन किोड्ो्लोगो्की तकलीिो्को अपनी तकलीि से ढंकने की कोरशश थी. यह कोरशश औि भी पद्ाि ा ाश हो गयी, जब उनकी 98 िष्​्ीय

मां साढ्े चाि हजाि र्पये बदलने के रलए बैक ् गयी्. मोदी ने अपनी इस काि्िा ाई से देश की जनता को गंदी, प्द् रू षत औि स्ियं, अपनी सिकाि औि िाज्य को बेहद परित्​्रदखाने की कोरशश की है. उन्हो्ने जनता को भेड-् बकिी औि अपने को गड्रिया सारबत किना चाहा है. इस काि्िा ाई ने देश के जनतंत्को कसौटी पि खड्ा कि रदया है. िह बुिी तिह कांप िहा है. िह या तो भक्तो्के ‘मोदी-मोदी’ नािे मे्गुम हो जा िहा है या दागी रिपक्​्के जोशरिहीन नािे मे् हांि िहा है. पच्​्ीस साल पहले इस जनतंत्को बाजाि के नाम पि छीनने की कोरशश हुई औि अब उसी को पूज ं ीिाद औि बाजाि को समर्पता सिकाि के नाम पि. लोकतंत्हतप्भ् है रक िह अपने ही कोख से पैदा रकये इस ढाई साल की संतान से कैसे लड्.े भाितीय लोकतंत् इसे पूिी दुरनया मे् लौट आये िाष्ि् ाद औि उसके नये अरधनायको् के अभ्यदु य की प्र्​्कया मानकि दिरकनाि भी नही् कि सकता. लेरकन अपनी किोड्ो् घायल संतानो् के रहत मे् उसे खड्ा ही होना पड्गे ा. कहते है,् भाितीय लोकतंत् मे् रिकल्प ि्क ् ने की अद्त् क्म् ता है. उम्मीद है, िह मौजूदा ब्सथरत औि नेततृ ि् का रिकल्प भी पेश किेगा. मोदी ने लोकतंत्से जो िादा रकया था, िह कि रदखाया, लेरकन अब लोकतंत्को यह बताना है रक उन्हो्ने अपना िादा बेहद क्ि् ढंग से पूिा रकया है औि यह लोकतंत्उसे सहने के रलए n तैयाि नही्है. (लेखक िरिष्​्पत्क ् ाि है.्) शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 13


आवरण कथा

काला धन नहीं घरेलू बचत अचानक 500 और 1000 र्पये के नोट बंद करने के कनण्षय ने जहां घरेलू क्​्ियो्की बमुक्िकल की गयी बचत पर सबसे बड़्ा हमला ककया है वही्कबना तैयारी ककये गये इस काम के चलते मची अफरातफरी लोगो्की जान तक ले रही है. पूजा वसंह

िकाि ने जैसे ही नोटबंदी की घोषणा की, इसे लेकि तमाम कयासो्के दौि शुर्हो गये. काले धन पि िोक से लेकि गड्ा हुआ धन सामने आने तक की तमाम बाते् कही गयी्. लेरकन इसका एक पहलू औि भी था. घिेलू र्​्सयो्द्​्ािा दशको्मे्की गयी बचत अचानक सामने आयी. उसके बाद शुर् हुआ इन परि​िािो्मे्मरहलाओ्द्​्ािा की गयी बचत लेकि संिेदनहीन मजाको्का दौि. आम र्​्सयो् द्​्ािा रजनके पास आय के साधन कभी नही् िहे उनके द्​्ािा घिो् मे् पैसा बचाकि िखने की यह पिंपिा आज की नही्है. शायद सै्कड्ो्या हजािो्सालो्से यह चला आ िहा है. नेट बै्रकूग, मोबाइल बै्रकूग, के्रडट औि डेरबट काड्ा की यह पीढ्ी कभी जान नही् पायेगी रक हमािी मांओ्-दारदयो्औि नारनयो्ने कैसे गाढ्े रदनो् मे् अपनी बचत सामने लाकि परि​िाि को मंदी से उसी तिह उबाि रलया है रजस तिह बड्े-बड्े अथ्ाशास्​्ी रकसी देश को बचाने के रलए जद्ो्जहद किते है्. पेटीएम औि मोबाइल िॉलेट िाली पीढ्ी को शायद अचिज हो लेरकन उनको अपने परि​िािो् की बुजुग्ा मरहलाओ् से यह अिक्य पूछना चारहये रक िे इस तिह नकदी बचाकि क्यो् िखती है्? यह पैसा मेहनतकश घिेलू औितो्के पास रकसी चोिी से नही्आता है. यह उनकी संचयी प्​्िृर्त औि आर्थाक समझ का नमूना है. रकसी पुर्ष को यह मालूम नही्होता रक उसके घि मे्स्​्ी ने रकतने पैसे बचाकि िखे 14 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

है्,लेरकन उसके मन मे्एक आश्​्र्स का भाि की नजि मे् काले धन मे् बदल गयी. क्या िह होता है रक बहुत खास जर्ित पडऩे पि उसे धनिारश बै्क मे्जाने के बाद उस बूढ्ी स्​्ी के अप्​्त्यारशत धन रमल सकता है, यह एक हाथ आयेगी? शायद नही्. रकस्म का बोनांजा है. कुशीनगि का ही एक औि िाकया है. एक मरहलाओ् की आर्थाक स्ितंत्ता की मरहला को जैसे ही लोगो् ने बताया रक उसने अिधािणा भाित जैसे देश मे्नयी है. अब तक 500 औि 1000 र्पये के जो भी नोट बचा िखे यही बचत उनका आर्थाक संबल िही है. यह है् उनकी अहरमयत अब कागज के टुकड्ो् से िारश रकसी को नजि नही्आती लेरकन परि​िाि अरधक कुछ नही् िह गयी. उस मरहला को के रिरभन्न रिक्तो् को िगड् से बचाने के रलए इतनी जोि का झटका लगा रक उसकी िही्रदल यही िारश लुब्ीकै्ट का काम किती आयी है. का दौिा पडऩे से मौत हो गयी. प्​्धानमंत्ी जी, 500 औि 1000 र्पये के नोट प्​्क्न यह उठता है रक मरहलाये् यह धन यूं अचानक बंद किके आपने हमािी मां-बहनो् क्यो्एकर्​्तत किती है्? व्हाट्सएप औि सोशल की आर्थाक आजादी छीन ली है. उनको अब मीरडया साइट पि मरहलाओ्की इस बचत की मजबूिन यह िारश सबके सामने लानी पड्िही प्​्िृर्त पि चुटकुले कह िहे संिेदनहीन लोग है. रजस धनिारश के बािे मे् पूि्ा प्​्धानमंत्ी यह कभी नही् समझ पाये्गे रक आम घिेलू मनमोहन रसंह औि तमाम अथ्श ा ास्​्ी तक बोल भाितीय मरहला रजसे कोई िेतन नही् रमलता, चुके है् रक िह िष्ा 2008-09 मे् देश की िह यह धन इसरलए बचाती है तारक उसे अपनी अथ्ाव्यिस्था को रित्​्ीय संकट से बचाने की छोटी-मोटी आिक्यकताओ् को पूिा किने के प्​्मुख िजह िहा उसे लेकि अब मरहलाओ्को रलए रकसी के सामने हाथ न िैलाना पड्े, घि तंज औि उपहास का सामना किना पड्िहा है. आये रकसी रिक्तेदाि के बच्​्े या मायके मे् यही िजह थी रक पूि्ी उत्​्ि प्​्देश के अपने भाई-बहन को कुछ खिीद कि देने के कुशीनगि रजले के एक रलए उसे परत से पैसे गांि मे् एक बुजुग्ा स्​्ी न मांगने पड्.े् यह पैसा आम घरेलू भारतीय मणहला यह के संदूक से रमले छह धन इसणलए बचाती है ताणक उसे उसके स्िारभमान की लाख र्पयो् का न िक्​्ा किता है, परि​िाि अपनी छोटी-मोटी जर् र त को केिल गांि बब्लक की आकब्समक पूरा करने के णलए णकसी के समूचे रजले मे् खूब आिक्यकताओ् को सामने हार न फैलाना पड्.े मजाक उड्ाया गया. पूिा किता है. उसका पांच पुत्ो् की मां उस यूं मजाक उड्ाया बूढ्ी औित ने पूिा जीिन लगाकि इतनी बड्ी जाना दुखद है. हम सभी जानते है् रक घिेलू बचत इकठ्​्ी की थी जो एक झटके मे् सिकाि औितो की पूंजीगत उत्पादकता का मोल कुछ


भी नही्होता. िही श्​्म अगि िे बाजाि मे्बेचे् तो कई पुर्षो् से अरधक धन कमा सकती है् लेरकन इसके बािजूद उनकी इस बचत को चोिी की तिह देखा जा िहा है. यह संिेदनहीनता दुखद है. सिकािे्घि मे्िखे सोने, औितो्द्​्ािा बचा कि िखी गयी नकदी को सक्फुलेशन मे् लाकि अथ्ाव्यिस्था को गरतशील बनाने, उसमे् पूंजी बढ्ाने की दलील तो देती है् लेरकन कोई भी सिकाि ऐसा कानून बनाने पि रिचाि नही् किती है रजसके तहत पुर्ष द्​्ािा कमाये जाने िाले धन, उसके िेतन का एक खास प्​्रतशत हि माह उसकी पत्नी को रमलना सुरनर्​्ित हो. नोटबंदी पहले भी हुई है लेरकन महंगाई के इस दौि मे्जब 500 औि 1000 र्पये के नोट बंद रकये जा िहे है् तो पहली बाि इसका सीध असि घिेलू औितो् की बचत पि पड् िहा है. सिकाि के इस कदम से हजािो् साल से चली आ िही एक बचत व्यिस्था को तगड्ा झटका लगा है. क्या कोई सिकाि या कोई बै्क मरहलाओ् को सुिक्​्ा का िह आश्​्ासन दे सकती है जो यह बचत उनको रदला िही थी. सिकाि के इस रनण्ाय ने देश की किोड्ो् र्​्सयो् को अपने ही परि​िाि की नजि मे् संदेह के घेिे मे् ला रदया है. उनको न चाहते हुए भी अपनी यह बचत अब अपने परतयो् औि बच्​्ो् के सामने लानी पड्ेगी औि तब उनसे सिाल पूछा जायेगा? कहां से आये इतने पैसे? कैसे बचाये? िलां जर्ित के िक्त तुमने क्यो्कहा रक मेिे पास पैसे नही्है्.. िगैिह..िगैिह मरहलाओ् की बात छोड् भी दे् तो भी

बै्को्की तरफ उरड्ती रसहलाएं: बचत रे्िरकारी िे्ध सिकाि द्​्ािा रबना पूिी तैयािी के उठाये गये इस ऐसा नही्है रक ऐसा केिल आम लोगो्के कदम का खरमयाजा देश भि मे् अलग-अलग साथ हो िहा है. बै्क कम्​्ी भी सुिर्​्कत नही् है्. स्थानो् पि लोगो् को अलग-अलग ढंग से भोपाल के िातीबड् इलाके मे् स्टेट बै्क मे् 13 उठाना पड्ा. यहां तक रक अब तक इस निंबि को 45 िष्​्ीय िरिष्​्कैरशयि पुर्षोत्​्म किायद मे् 15 से व्यास की काम के अरधक लोग अपनी वही श्म् अगर वे बाजार मे्बेचे् दौिान ही सीने मे् दद्ा जान तक गंिा चुके है्. तो कई पुरि् ो्से अणधक धन कमा के बाद मौत हो गयी. तेलंगाना मे् 50 है रक सकती है्लेणकन इसके बावजूद गौितलब लाख र्पये मे् अपनी सिकाि के आदेश के उनकी इस बचत को चोरी की 12 एकड् जमीन बेचने बाद शरनिाि औि िाली एक मरहला को िरि​िाि को भी बै्क तरह देखा जा रहा है. रदल का दौिा पड्ा औि खुले हुए थे. बै्क उसका रनधन हो गया क्यो्रक जमीन बेचने के कर्मायो्को भी काम के बोझ से रनपटने के रलए बाद उसने कािी िकम नकद िखी थी औि इसी देि िात तक काम किना पड्िहा है. बीच लोगो्ने उसे बताया रक उसका सािा पैसा ये तो महज चंद घटनाये् है्. देश भि से अब रमट्​्ी हो चुका है क्यो्रक सिकाि ने 500 ऐसी खबिे् सुनने को रमल िही है्. प्​्क्न यह औि 1000 र्पये के नोट बंद कि रदये है्. है रक सिकाि ने रबना रकसी पूि्ा तैयािी के िही् मध्य प्​्देश के सागि रजले मे् नोट ऐसा कदम क्यो् उठाया रजसकी िजह से बदलिाने के रलए कताि मे् खड्े 69 िष्​्ीय लोगो् की जान तक जा िही है. शहादत की रिनोद कुमाि पांडेय का रदल का दौिा पडऩे से िाजनीरत के इस दौि मे् क्या र्पये रनकालने रनधन हो गया. िह यूरनयन बै्क के बाहि की लाइन मे् लगने या बै्क मे् अरतरिक्त काम लाइन मे् लगे थे रक तभी उन्हे् सीने मे् दद्ा की किने के दौिान होने िाली मौत पि लोगो् को रशकायत हुई. नकदी की इस तंगी के दुष्प्भािो् शहीद का दज्ा​ा रमलेगा? काले धन की समस्या का अंदाजा इस बात से लगाइये रक कोई व्यब्कत तो दीगि है. सिकाि के इस कदम ने कई स्​्िो् उनकी मदद के रलए लाइन से हटकि बाहि पि लोगो् को पिेशानी मे् डाल रदया है. घिेलू तक नही् आया क्यो्रक लोग देि से लाइन मे् र्​्सयो् से लेकि आम नागरिको् औि बै्क लगे थे औि उनको लगा रक लाइन से हटते ही कर्मायो् तक सबकी जान सांसत मे् है. अगि उनकी घंटो्की मेहनत बेकाि हो जायेगी. लोगो् हमने रकसी को सच मे्इसकी िजह से पिेशान ने बताया रक लाइन बहुत लंबी थी औि लोग होते नही् देखा तो िे िही लोग है् रजन पि इस डि से नही्आये रक उनकी जगह कोई औि रनशाना साधकि क्​्द् सिकाि ने यह कदम n उठाया था. खड्ा हो जायेगा. शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 15


आवरण मास्ट हेकथा ड

सायबर संसार को साधते मोदी

सायबर संसार को मोदी ने कुछ इस तरह सािा है कक नोटबंदी के बाद शुरआ ् ती कगरावट के बावजूद उनके फॉलोअर की संखय् ा कफर से बढ्गयी है. संजीत वू​ूिपाठी

सा

यबि संसाि मे् रकसी व्यब्कत की लोकर्​्पयता का पैमाना िेसबुक या ब्टिटि पि उसके िॉलोअि ही है.् देश मे्5001000 र्पये के नोटबंदी के रनण्ाय के बाद प्​्धानमंत्ी निे्द् मोदी के ब्टिटि अकाउंट पि उनके िॉलोअि की संखय् ा बढने की बजाय रजस तिह से घटी, उससे तो यह माना जा िहा था रक सायबि संसाि मे्उनके प्श ्स ं को्की संखय् ा मे् कमी आयी है. लेरकन ये प्श ्स ं क दूसिे रदन ही बढ भी गये. 16 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

मोदी 2009 मे् ब्टिटि पि एब्कटि हुए. उसके बाद साल 2015 मे् मोदी के ब्टिटि एकाउंट पि हि दो महीनो् मे् लगभग 10 लाख लोग िॉलो हुए. यही नही मात्​् रसतंबि 2015 तक ही पीएम मोदी के िॉलोअि का यह आंकड्ा एक किोड 50 लाख को पाि कि चुका था. निेद् ्मोदी के 25 अगस्​्2016 तक ब्टिटि पि निेद् ्मोदी के दो किोड 21 लाख िाॅलोअि हो चुके थे. साल 2016 मे्ही ब्टिटि पि मोदी के िॉलोअि की संख्या मे् कुल 50 लाख का इजािा हुआ. अब बात किे,् देशभि मे् ब्टिटि पि सि्ारा धक लोकर्​्पय व्यब्कत की, तो इसमे्भी पीएम मोदी टॉप पि है,् आज की तािीख मे्उनके दो किोड 45 लाख िाॅलोअि है.् उन्हो्ने सदी के महानायक अरमताभ बच्​्न को पीछे छोडकि यह उपलब्लध हारसल की थी. इससे पहले उन्हो्ने बॉलीिुड के सुपिस्टाि शाहर्ख खान को भी पीछे छोड रदया था. अरमताभ बच्​्न के कुल िॉलोअि की संख्या दो किोड 34 लाख है जबरक शाहर्ख खान दो किोड 21 लाख िॉलोअि के साथ तीसिे स्थान पि है्. पीएम मोदी ने अरमताभ बच्न् को ब्टिटि पि इसी िष्ा

कंप्यूटर-रोबाइल की िुसनया रे्रोिी: प्​्चार पर जोर

25 अगस्​्को ही पछाड रदया था, जब ब्टिटि ने आरधकारिक जानकािी देते हुए यह घोषणा की थी. ब्टिटि पि लोकर्​्पयता के क्म् मे्पीएम मोदी अभी 46िे्नंबि पि है.् 2 किोड 45 लाख िॉलोअि के साथ ब्टिटि पि देश के सि्ारा धक लोकर्​्पय व्यब्कति का तमगा हारसल किने िाले मोदी खुद 1,431 लोगो्को िॉलो किते है.् पीएम निे्द् मोदी इस समय ब्टिटि पि सि्ा​ारधक िॉलो रकये जाने िाले भाितीय नेता है,् जबरक दुरनया के संदभ्ामे् इस मामले मे् िे दूसिे स्थान पि है्. दुरनया मे् इस िक्त सबसे अरधक अमेरिका के िाष्प् रत बिाक ओबामा को िॉलो रकया जाता है, रजनके िॉलोअस्ा की संखय् ा 6.61 किोड्है. मोदी ने 2014 के आम चुनाि से पहले युिा मतदाताओ् को लुभाने के रलए अपने ब्टिटि का बखूबी इस्म्े ाल रकया था औि अब िह सोशल मीरडया के जरिये देशरिदेश के भाितीयो्से जुड्ेिहते है.् उन्हो्ने अपने 'मेक इन इंरडया, स्िच्छ भाित, मन की बात औि 'सेलि ् ी रिद डॉटि जैसे अरभयानो्के प्च ् ाि के रलए ब्टिटि का इस्म्े ाल रकया है. अब इस आधाि पि ब्टिटि को सायबि संसाि पि लोकर्​्पयता का पैमाना माने्तो देश मे् नोटबंदी के एलान के बाद एक रदन के अंदि ही ब्टिटि पि िॉलोअस्ाके उताि-चढ्ाि पि नजि िखने िाली िेबसाइट ब्टिटि काउंटि के मुतारबक, आठ निंबि की िात 500 औि 1000 के पुिाने नोटो् पि पाबंदी की घोषणा के बाद प्​्धानमंत्ी के तीन लाख 13 हजाि िॉलोअि कम हो गये . अगले ही रदन पीएम के िॉलोअस्ा की संखय् ा चाि लाख 30 हजाि से अरधक बढ्


गयी. िॉलोअस्ाकी बढ्ोत्ि् ी का यह रसलरसला अगले रदन भी जािी िहा. ब्टिटि पि निंबि महीने मे्प्ध् ानमंत्ी के िॉलोअस्ामे्औसतन 27 हजाि का इजािा हो िहा था. आठ निंबि को किीब 44 हजाि लोगो् ने प्ध ् ानमंत्ी को िॉलो रकया था. अथ्ाता , आठ निंबि को 44 हजाि नए लोगो् ने िॉलो रकया तो अगले ही रदन तीन लाख 13 हजाि ने अनिॉलो कि रदया. रि​ि उसके अगले ही रदन चाि लाख 30 हजाि से ज्यादा नए लोगो्ने औि िॉलो रकया. मोदी के नोटो् पि पाबंदी लगाने के बाद ब्टिटि पि उनके प्​्शंसको् की संख्या मे् तेज रगिािट िैसले की नकािात्मक प्र्तर्​्कया मानी जा िही थी. लेरकन रि​ि अगले ही रदन चाि लाख से ज्यादा नए िॉलोअस्ा के रमलने को उनके िैसले की सकािात्मक प्र्तर्​्कया बताई गयी. मई 2016 मे्मोदी सिकाि के दो साल पूिे होने के बाद िेसबुक ने प्श ्स ं को्की संखय् ा के रलहाज से सोशल नेटिर्कि्ग साइट पि सबसे लोकर्​्पय िैर्शक नेताओ् की एक सूची जािी की. इसमे् अमेरिकी िाष्​्परत बिाक ओबामा पहले, पीएम मोदी दूसिे औि तुक्ी के िाष्प् रत िेसपे तैबय् यप एिदोगन तीसिे स्थान पि थे. पीएम मोदी ने बीते 15 मई को रदल्ली के िेसकोस्ािोड ब्सथत अपने सिकािी घि पि अपनी मां के दौिे को लेकि िेसबुक पि एक पोस्ट डाली थी, रजसे 16 लाख लोगो्ने लाइक रकया. एक लाख 20 हजाि लोगो् ने शेयि रकया औि उसपि 34,000 कमेट् स ् आए. यह भी एक रिकॉड्ाहै. मई 2016 मे्ही िेसबुक द्​्ािा दी गयी जानकािी की माने् तो िेसबुक ने बताया रक पीएम मोदी हि रदन औसतन 2.8 पोस्ट डालते है.् प्ध् ानमंत्ी के दूसिी शीष्ा पोस्ट मे् रडरजटल इंरडया को लेकि प्​्यासो् के समथ्ान मे् उनका अपना प्​्ोिाइल रपक्चि बदलने का पोस्ट शारमल है.

िेसबुक पि मोदी के पूि्ा िाष्​्परत डॉ. एपीजे अल्दुल कलाम को श्​्द्ांजरल देने से संबंरधत पोस्ट उनका तीसिी सबसे लोकर्​्पय पोस्ट िही. मई 2014 मे्प्ध ् ानमंत्ी बनते ही मोदी के पांच माह मे् ही 70 लाख से ज्यादा फ़ेसबुक प्श ्स ं क जुड गये थे. इससे पहले सात अप्ल ्ै को 2014 के आम चुनािो् के पहले चिण मे् िेसबुक पि मोदी को िॉलो किने िाले लोगो् की संखय् ा किीब एक किोड 24 लाख थी. जब िाष्प् रत प्ण ् ब मुखज्​्ी ने उन्हे् देश का अगला प्​्धानमंत्ी रनयुक्त रकया तो िेसबुक पि उन्हे् िॉलो किने िाले लोगो्की संखय् ा 1 किोड 52 लाख किोड् से अरधक पहुंच गयी थी. तब िेसबुक अरधकािी एंडी स्टोन ने मोदी के िेसबुक पेज को दुरनयाभि मे्रकसी िाजनेता या रनि्ारा चत अरधकािी के (पहले रदन, हफ्ते औि महीने की दृर्ि से) रलहाज से सबसे तेजी से बढ्ता पेज बताया था. यह खबि रलखे जाते िक्त तक मोदी के िेसबुक पेज पि उनके प्​्शंसको् की संख्या 3 किोड 72 लाख 98 हजाि से ज्यादा थी. इन सब आंकडो्के बीच अगि हम सायबि संसाि या सोशल मीरडया के जानकािो्की माने् तो समथ्क ा या प्श ्स ं को्के बढने औि घटने के ही मुद्ेपि देखे्तो इस सबके पीछे जो एक प्म् ख ु कािण सामने आता है िह है, स्पाम आयीडीज या बोट्स आयीडीज, अब सिाल उठता है रक ये है् क्या. औि इनकी क्या भूरमका है? इस सायबि संसाि मे् टीआिपी हारसल होने के या अचानक घट जाने के. अगि आप सायबि दुरनया मे् सर्​्कय है् तो आपने न्ययू ॉक्िफ डॉट कॉम की 2013 की िह प्​्रसद्​् पोस्ट जर्ि पढी होगी, रजसका शीष्ाक था: ‘द िाइज ऑि ब्टिटि बोट्स.’ इस लेख मे् बताया गया है रक ब्टिटि या गूगल क्यो्रकसी आई डी को बोट्स अथ्ाता िोशल रीसडया पर रोिी: बढ्ती लोकस्​्पयता

मशीनी प्र्​्कया (सॉफ्टिेयिजरनत) मान लेता है. तो जैसा रक नौ निंबि को ब्टिटि के एक प्ि् क्ता ने मीरडया को जािी एक बयान मे् कहा था, मोदी के िॉलोअस्ा की संख्या मे् इतनी रगिािट बोट्स या स्पाम को ल्लॉक किने के कािण हुई थी. इससे समझा जा सकता है रक पीएम मोदी की सायबि टीआिपी मे्नोटबंदी की घोषणा के बाद महज एक रदन मे् इतनी रगिािट क्यो्आयी औि रि​ि अगले ही रदन बढ भी क्यो्गयी. सायबि संसाि मे्िॉलोअस्ाखिीदे भी जाते है्. अगि रकसी को याद हो तो, िष्ा 2013 मे् अख़बािो् ि सोशल साइट्स पि िाजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्ी अशोक गहलोत के िेसबुक पेज पि अचानक लाइक्स की संख्या बढने की चच्ा​ा ने जोि पकडते ही लोगो् ने मुख्यमंत्ी गहलोत पि िेसबुक लाइक घोटाले का आिोप लगा था. तब कहा गया रक अशोक गहलोत ने रकसी रिदेशी िम्ा से धन के बदले िेसबुक पि अपने लाइक्स की ज्यादा संख्या रदखाने के रलए लाइक्स खिीदे् है, क्यो्रक गहलोत के पेज पि लाइक्स की संखय् ा मे्एकदम से इजािा हुआ, साथ ही लाइक किने िाले लोग इंस्ाबं ल ु के ज्यादा थे. िेसबुक पेज के रहसाब से गहलोत एक ऐसे देश मे्ज्यादा लोकर्​्पय थे, रजन्हे् िहां कोई जानता तक नही्, ऐसे मे् इन कुछ कािणो् के चलते तब इस पि आशंका किना पय्ापा त् था. इंटिनेट पि भी िेब प्म् ोशन के रलए काय्ा किने िाली ढेिो्कूपरनयो्की िेब साइट्स ि टूल मौजूद है, जो एक रनर्​्ित िकम के बदले सोशल साइट्स पि जर्ितमंद को लाइक्स या िोलोि​ि की मांग की आपूरत् ा कि देती है. यह िेब साइट्स अपने ग्​्ाहको् को उनकी पसंद के देशो्के प्श ्स ं क उपलल्ध किाती है, संभि है रक तब िाजस्थान के मुख्यमंत्ी के रलए िेसबुक लाइक्स का जुगाड किने िालो् ने शायद इस बात का ख्याल नही् िखा औि उन्हो्ने लाइक्स मैनेज किनी िाली िेब साईट एडमीफ़ास्ट.कॉम पि रिश्भ् ि से लाइक किने िालो्को छूट दे दी, नतीजा यह हुआ रक गहलोत के पेज पि लाइक्स किने िाले प्स ्श ं क इस्​्ाबं ल ु से ज्यादा हो गये औि यह बात पकड मे्आते ही लोगो्ने उनकी रखल्ली उडाते हुए इसे िेसबुक घोटाला किाि दे रदया. नोटबंदी के बाद भले ही जमीनी स्​्ि पि कतािो्मे्खडे लोग तािीि किते हुए भी गारलयां देने का मौका नही् छोड िहे है्. लेरकन िही् सायबि संसाि पि टीआिपी के मामले मे् कम से कम देश मे् पीएम मोदी ने जो हारसल कि रलया है, उसे पछाड पाना भरिष्य मे् मोदी के स्ियं के अलािा औि रकसी के रलए संभि नजि नही्आ िहा. n शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 17


अंतरराष्​्ीय

ट्​्ंप के सवरोध रे् प्​्िश्ान: छात्​्ो्की अगुवाई

गासलयो्और तासलयो् के बीच ट्​्ंप अजेय कुमार

िा

ष्​्परत चुनाि मे्डोनाल्ड ट्​्ंप की जीत से अमेरिका बुिी तिह रिभारजत है. कई शहिो्मे्ट्​्ंप के रि​िोध मे्जुलूस रनकल िहे है्, लगभग 32 लाख लोगो् ने एक यारचका द्​्ािा अपील की है रक 19 रदसंबि को होने िाली चुनािी काॅरलरजयम की बैठक मे् पिंपिा की अनदेखी किते हुए रहलेिी ब्कलंटन को िाष्​्परत घोरषत रकया जाये क्यो्रक उसे ट्​्ंप से अरधक जन-समथ्ान रमला है. ब्कलंटन ने अपनी हाि के बाद कहा है रक, ‘यह िाष्​् के रलए करठन समय है.’ चुनाि के बाद कुछेक स्थानो् पि, रिशेषकि मुसलमानो् के रिर्द् घृणा-प्​्ेरित रहंसा के मामले सामने आये है्. रशकागो मे्एक 18 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

युिक ने जो खुद को ट्​्ंप का समथ्ाक कह िहा था एक मुब्सलम मरहला को रहजाब उतािने के रलए जबद्स ा ्ी की औि गंदी गारलयां दी्. मरहला ने पुरलस मे्रशकायत दज्ाकिायी है. इसी तिह कुछेक मब्सजदो् के बाहि काली स्याही से ‘मुसलमानो्, पारकस्​्ान जाओ’ के नािे रलखे गये है्. बजिंग दल सिीखे कुछ रहंदूिादी संगठन, रजन्हो्ने ट्​्ंप को रजताने मे्मदद की है, उनके जीतने पि उत्सारहत है्. िंगभेदी हमलो्के कुछ मामले कई जगह आये है् पिन्तु कुल रमलाकि ब्सथरत रनयंत्ण मे् है. ट्​्ंप ने जो भी चुनाि-प्​्चाि मे् कहा था, उस पि िे बहुत गंभीि हो्गे, इसकी संभािना भी कम है. देखने की बात यह है रक ट्​्ंप की जीत के बािे मे्अमेरिकी मीरडया ने तमाम सि्​्ेक्णो्के आधाि पि यह बतलाया रक ट्​्ंप का जीतना

राष्​्पकत चुनाव मे्डोनाल्ड ट्​्ंप की जीत से अमेकरका बुरी तरह कवभाकजत है. कई शहरो्मे्ट्​्ंप के कवरोि मे्जुलूस कनकल रहे है् और कहलेरी को राष्​्पकत बनाने की मांग जोर पकड़्रही है. असंभि है. उनके चरित्​्-हनन की तमाम कोरशशे् की गयी्. ‘न्यूयाॅक्फ टाइम्स’ ने िोज लगाताि अपने मुखपृष् पि ट्​्ंप के रखलाि खबिे्दी्. रहलेिी ब्कलंटन की समथ्ाक अखबाि हरिूग्टन पोस्ट ने ट्​्ंप के बािे मे्रदये जा िहे हि लेख के अंत मे् संपादकीय रटप्पणी दी जो इस प्​्काि थी, ‘डोनाल्ड ट्​्ंप रनयरमत र्प से िाजनीरतक रहंसा को उकसाता है, बाि-बाि झूठ बोलता है, रिदेरशयो् से खूब घृणा किता है, िंगभेदी है, औितो् को नापसंद किता है, घृणा किता है, औि केिल अपने को देसी मानता है औि बाि-बाि उसने कसम खायी है रक दुरनया के सभी मुसलमानो्, रजनकी रिश्​् मे् जनसंख्या 180 किोड है, मे् रकसी को भी अमेरिका मे् आने की मनाही होगी.’ यह मात्​् संयोग नही् रक जब से ट्​्ंप की जीत हुई है,


जीत के बाि पत्नी और बेटी के िाथ ट्​्ंप: लोकतंत्पर आफत

हरिूग्टन पोस्ट ने यह रटप्पणी देना बंद कि रदया है. अमेरिकी जनता की जमीनी हकीकत से स्पि्​् पता चलता है रक उसने ट्​्ंप को क्यांे चुना. आज अमेरिका मे् रमयां-बीिी दोनो् कमाते हो् तब भी उनकी आर्थाक हालत एक पीढी पहले के उस परि​िाि से बद्​्ति है जो केिल एक व्यब्कत की आय पि आर्​्शत था. आज काॅलेज के 70 प्​्रतशत छात्​् ऋ ण पि रनभ्ाि किते है्. रपछले िष्ा 8 लाख 20 हजाि अमेरिकी परि​िािो्ने अपने आप को रदिारलया घोरषत रकया. डेमोके्रटक पाट्​्ी की भूतपूि्ा रसनेटि एरलजाबेथ िािेन हाि्ाड्ारिश्​्रिद्​्ालय मे्प्​्ोिेसि िही है्औि ट्​्ंप की बडी आलोचक है्, उन्हे् भी यह मानना पडा है रक अमेरिका पहले मध्यिग्ाको देखता था, अब केिल सबसे धनी लोगो् के रहतो् को देखता है. उनके अनुसाि, ‘1935 से 1980 तक, देश की कुल आय का 70 प्​्रतशत भाग जनसंख्या के 90 प्​्रतशत रहस्से को प्​्ाप्त हुआ, पिन्तु 1981 से 2016 तक, देश के ऊपिी 10 प्​्रतशत लोगो्ने लगभग सािी आय हरथया ली औि 90 प्​्रतशत रहस्से को कुछ न रमला.’ रपछले 30 िष्​्ो् मे् साधािण अमेरिकी के जीिन स्​्ि मे् जबद्ास् रगिािट आयी है. िािेन के अनुसाि, ‘अब िे खाद्​् सामग्​्ी पि 13 प्​्रतशत कम खच्ा किते

है्, कपडे-लत्​्ेपि 46 प्​्रतशत औि उपकिणो् पि 48 प्​्रतशत कम खच्ाकि पाते है्.’ जहां एक ओि अमेरिकािारसयो् की क्​्य-क्​्मता मे् भािी रगिािट आयी है, िही् उन्हे् िोजमि्ा​ा की सुरिधाओ् के रलए अरधक खच्ा किना पड िहा है. परि​िहन, आिास, स्िास्थ्य बीमा, रशक्​्ा, बच्​्ो् की देखभाल इत्यारद पि खच्ा बहुत बढ गया है. बेिोजगािी बढ गयी है. दिअसल रहलेिी ब्कलंटन का अनुभि बतलाता है रक साम्​्ाज्यिाद के चरित्​्को देखते हुए अमेरिकी व्यिस्था मे् कुछ भी बदलाि लाना लगभग असंभि है. इसरलए उन्हो्ने अमेरिकी सिेद मजदूिो् को कोई िादा नही् रकया. उनका सािा चुनाि अरभयान ट्​्ंप की व्यब्कतगत आदतो्औि बुिाइयो्पि क्​्र्दत िहा. ब्कलंटन खुद आज अमेरिका की अथ्ाव्यिस्था को कैसे सुधािे्गी, इस पि उन्हो्ने कुछ नही् कहा. ट्​्ंप एकदम नये उम्मीदिाि होने के कािण कुछ भी िादे किने के रलए स्ितंत् थे, उनमे् से रकतने िे पूिे कि पाये्गे, समय ही बतलायेगा. पिंतु, जनता ने रिलहाल उनके िायदो् पि भिोसा रकया है. मीरडया मे् जो भी िाद-रि​िाद टी.िी. स्क्ीन पि ट्​्ंप औि ब्कलंटन के बीच आमने-सामने हुए, उनमे्रनर्​्ित तौि पि ट्​्ंप कािी प्​्भािशाली रदखे. ट्​्ंप को, जो

टेलीरिजन पि बहुत लोकर्​्पय रियरलटी शो ‘सेलीर्​्बटी अप्​्ेरटस’ के संचालक िहे है्, कैमिे से जिा भी डि नही् लगता. िे शो लगभग दस िष्ातक लोकर्​्पयता की ऊूचाई पि िहे. इस शो की बुनािट भी रदलचस्प थी. इसमे्शुर्मे्20 अप्​्ेरटस आते थे औि ट्​्ंप उन्हे् कोई एक काम किने के रलए कहते थे औि उन्हे्समक्​्ता औि योग्यता के आधाि पि धीिे-धीिे शो से बाहि किते थे. अंत मे् एक अप्​्ेरटस जीत जाता था, रजसे ट्प्ं अपनी रकसी एक कूपनी मे्नौकिी देते थे. ट्​्ंप की छरि, रिशेषकि युिाओ् मे्, िोजगाि-प्​्दाता की बनाने मे् इस रियरलटी शो की रिशेष भूरमका िही. इस चुनाि की एक खारसयत यह भी िही रक कािपोिेट्स औि उनके मीरडया ने जमकि ट्​्ंप का रि​िोध रकया, रि​ि भी ट्​्ंप ने बाजी माि ली. कािपोिेट्स मे्ज्यादाति ऊूचे पदो्पि चीनी औि भाितीय लोग रि​िाजमान है्. ये लोग कम िेतन पि अमेरिरकयो् के मुकाबले अरधक मेहनत किते है्. इसरलए कािपोिेट्स ने ट्​्ंप का रि​िोध रकया. ट्​्ंप अपने चुनाि-प्​्चाि मे् अाप्​्िारसयो् के रिर्द् जहि उगलते िहे है्. मैब्कसको की सीमा पि दीिाि बनाने की बात भी उन्हो्ने की. इसरलए ट्​्ंप के समथ्ान मे् बडी संख्या मे् अमेरिकी श्​्ेत मजदूिो् ने मत रदया. ट्​्ंप ने तो यहां तक कह डाला था रक अगि शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 19


अंतरराष्​्ीय

अरेसरकी चुनाव पर एक व्यंग्यसचत्​्: सहलेरी का पीछा करते ट्​्ंप रिपब्ललकन पाट्​्ी ने उन्हे्अपना उम्मीदिाि नही् बहुत बुिा प्​्भाि पडा. एिबीआई के रनदेशक बनाया तो िे एक नयी ‘िक्फस्ा पाट्​्ी’ बनाये्गे जेम्स काॅमी ने, हालांरक रहलेिी ब्कलंटन को रजनमे्िे लोग हो्गे ‘रजनके िेतन मे्रपछले 18 चुनाि से ठीक पहले क्लीन रचट दे दी, पिंतु िष्​्ो्से कोई िास्​्रिक बढोतिी नही्हुई है औि ट्​्ंप की बातो्का ज्यादा असि िहा. ट्​्ंप ने कहा जो इसरलए क्​्ोरधत है्.’ था रक मात्​्8 रदनो्मे्कोई एजे्सी 6 लाख 50 डेमोके्रटक पाट्​्ी के एक अन्य दािेदाि हजाि ई-मेलो्का अध्ययन कैसे कि सकती है. बन्​्ी सै्डस्ा ने भी अमेरिकी समाज मे् बढती ई-मेलो् से संबंरधत आिोप दिअसल कािी असमानता को चुनािी मुद्ा बनाया था. आज गंभीि है्. अपने रनजी मोबाइल िोन से रहलेिी कई लोगो्का मत है रक अगि डेमोके्रटक पाट्​्ी ब्कलंटन ने देश की सुिक्​्ा से संबंरधत कई ईबन्​्ी सै्डस्ाको अपना उम्मीदिाि बनाती तो ट्​्ंप मेल रकये. रनजी मोबाइल िोन की तमाम के जीतने का सिाल ही पैदा न होता. पिंतु बातचीत कही्भी डाउनलोड की जा सकती है. सै्डस्ा को उनके िामपंथी रिचािो् के कािण िह तो लगभग साि्ाजरनक ही मानी जाती है. कािपोिेट्स का समथ्ान नही् रमल िहा था. यह एक अहम मुद्ा बना औि इसका खारमयाजा इसरलए रहलेिी को रिपब्ललकन पाट्​्ी का रहलेिी को भुगतना पडा. उम्मीदिाि बनाना पडा. अमेरिकी जनता भी रिश्​्की जनता की ही रहलेिी ब्कलंटन के ई-मेल कांड का तिह युद् से तंग आ चुकी है. इिाक-युद् के अमेरिकी मध्यिग्ा औि पढे-रलखे तबको् मे् रि​िोध मे् लाखो् अमेरिकी न्यूयाॅक्फ औि

िारशंगटन की सडको् पि प्​्दश्ान किते देखे गये थे. साधािण अमेरिकी मजदूिो् को यह भी लगता है रक अमेरिका ने कई देशो् मे् अपनी टांग िूसा िखी है रजससे उन्हे् कोई लाभ नही् होता. जब ट्​्ंप चुनाि प्​्चाि मे् कहते थे रक अमेरिका को नाटो मे्अपनी भूरमका कम किनी चारहए क्यो्रक हमािा देश इसे औि अिोड्ानही् कि सकता या जब िे इजिाइल औि रिलीस्​्ीन के बीच अमेरिका की तटस्थ भूरमका पि जोि देते थे औि लीरबया औि इिाक पि हुए अमेरिकी हमलो् की रनंदा किते थे तो प्​्ायः जनता को लगता था रक ट्​्ंप के जीतने पि रडि्​्स बजट मे् कटौती होगी औि स्थानीय उद्​्ोग िले्गे-ि्ले्गे. ट्​्ंप की पुरतन से नजदीरकयो्की भी आम जनता ने पि​िाह नही् की हालांरक तमाम काॅिपोिेट मीरडया ने उन्हे् ‘िरशयन एजे्ट’ किाि रदया. इसके रिपिीत यह जगजारहि है रक िाज्य सरचि होते हुए रहलेिी ब्कलंटन ने गद्​्ाफ़ी का सिाया किने औि सीरिया मे् असद सिकाि के रखलाि षड्​्ंत् िचने मे्अहम भूरमका रनभायी. रिकीलीक्स ने इन सबका रिस्​्ृत खुलासा रकया था. ट्ं्प को िोट देकि जनता ने अपनी युद्-रि​िोधी भािनाओ्को भी प्​्कट रकया है. आज से दस िष्ापहले जब बिाक ओबामा िाष्​्परत चुने गये थे तो उनसे भी आम जनता ने बहुत उम्मीदे्पाल ली थी्. रिशेषकि उनका नािा, ‘हां, हम कि सकते है्’ बहुत लोकर्​्पय हुआ था. उन्हो्ने थोडी कोरशश की, रिशेषकि स्िास्थ्य क्​्ेत् मे् ‘ओबामा-केअि’ नाम से काय्ाक्म शुर् रकया रजसका िायदा गिीब अमेरिरकयो् को रमला. लेरकन कुल रमलाकि व्यिस्था को बदलने का प्​्यास ओबामा नही् कि सके. रजन काॅिपोिेट्स के धन से िे चुनाि मे् जीत हारसल किके आये थे, उन्हे् कैसे नािाज कि सकते थे. ट्​्ंप खुद एक खिबपरत कािोबािी है्, उन्हे्काॅिपोिेट्स की मदद भी नही् रमली, इसरलए साधािण अमेरिकी को यह आशा बंधती है रक िे नीरतयो् को बदलने मे् n अपेक्ाकृत अरधक स्ितंत्हो्गे.

खूबरोू के पीछे की खूबर के िलए लॉिगन करेू

www.shukrawaar.com 20 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016


कुमार पू​ूशांत

अमेररका की हार

ट्​्ंप की जीत के साथ वह अमेकरका हार गया है कजसे कलंकन से लेकर ओबामा तक ने बनाया था.

मेरिका मे् िाष्​्परत का चुनाि हम सबकी रदलचस्पी का रिषय इसरलए नही् होता है रक िह कोई महाशब्कत है. हमािी रदलचस्पी इसरलए होती है रक अंति​िाष्​्ीय महत्ि के कई सिालो्पि हमािी तनातनी के बाद भी अमेरिका कई अथ्​्ो् मे् दुरनया की आशा का क्​्द् है. उसका लोकतंत्के समथ्ान मे्खड्ेिहना औि दुरनया भि के प्​्गरतशील तबको्, रिचािो्से जुड्ेिहना बहुत मतलब िखता है. रहलेिी ब्कलंटन औि डोनाल्ड जॉन ट्​्ंप के बीच ऐसा कोई धागा नही् जो हमे्जोड्ता हो. हां, जहां तक रहलेिी ब्कलंटन का सिाल है, एक धागा जर्ि था जो हमे् रकसी हद तक उनकी ति​ि खी्चता था औि िह था उनका औित होना ! यह िैसा ही है जैसे सड्ी-गली िाजनीरतक व्यिस्था मे्ही रकसी मायािती के रलए मन का एक कोना जिा गीला होना ! नही् तो रहलेिी ब्कलंटन अपने परत िाष्​्परत ब्कलंटन के काल मे् भी औि रि​ि ओबामा के रिदेशमंत्ी के र्प मे्भी कभी प्​्ेिणादायी या सामान्य अमेरिकी नौकिशाह से अलग कुछ िही नही् है्. उनकी पिाजय के पीछे भी इन्ही तत्िो्का हाथ िहा है रक िे देश मे्उत्साह नही्जगा सकी्. िे ट्​्ंप की जुमलेबारजयो् का कोई प्​्भािी जिाब नही्तैयाि कि सकी्. अपने चुनाि के खच्ाके रलए उन्हो्ने पैसा बहुत जमा रकया लेरकन रिश्​्ास नही्कमाया. शायद कही्यह भाि भी िहा रक उन जैसी अनुभिी िाजनीरतज्​्के सामने िाजनीरत से अनजान ट्​्ंप कही्रटक्​्गे भी क्या ! शायद यह भी कही् िहा रक िे ऐसी अकेली उम्मीदिाि है् रजनके समथ्ान मे् दो-दो िाष्​्परत मैदान मे्है्! ट्​्ंप की कहानी देखने के रलए हम बहुत नही् रि​ि भी थोड्ा पीछे चलते है्. सन 1988-89 मे्अमेरिका ने अपने 40 िे् िाष्​्परत के र्प मे् चुना था िोनाल्ड िीगन को. कभी हॉलीिुड मे्अरभनेता िहे औि रि​ि गिन्ाि िहे िेगन की इसके अलािा दूसिी कोई रिशेषता नही् थी रक िे जाने-पहचाने चेहिे थे औि रिल्मी संिादनुमा शैली मे्बाते्किते थे. यहां से अमेरिकी िाष्​्परतयो्के पतन की एक नयी कहानी शुर्होती है. िीगन से शुर्हो कि 2009 तक के कालखंड को हम अमेरिका के सबसे भो्डे काल मे्रगन सकते है्. इस बीच अमेरिका का आर्थाक र्तबा औि उसकी िाजनीरतक नेतृत्ि-क्​्मता िसातल मे्पहुंचती गयी. यही िह दौि है जब आतंकी िल्डा्टाि​ि पि हिाई जहाज दे मािते है् औि अमेरिका घुटनो्के बल झुकता रदखाई देता है. िाष्प् रत बुश की पहली प्र्तर्​्कया रकसी चूह-े सी बदहिास होती है औि रि​ि रकसी पागल हाथी की तिह िे अिगारनस्​्ान, ईिाक पि हमला किते है्औि सािी दुरनया को आंखे्रदखाते है.् ‘जो हमािे साथ नही्, िह आतंकिारदयो्के साथ’ जैसी कबीलाई मानरसकता जगाने िाला अमेरिका यहां से उभिता है. रनिाशा की

इसी गत्ामे्से ओबामा ने आशा की पुकाि लगायी. यह बुझती लौ की बत्​्ी बढ्ाने जैसा काम था. श्त्े अमेरिका देखता िहा औि बाकी का अमेरिका ओबामा के साथ हो रलया! ओबामा ने सािा बल लगा कि जो अमेरिका खड्ा रकया िह युद्ो्से बाहि रनकलने, मंदी औि बेिोजगािी से छूटने औि सामारजक न्याय की मांग किनेिाला अमेरिका था. ट्​्ंप का पूिा अरभयान उस तज्ा पि चला रजस तज्ा पि निे्द् मोदी ने प्​्धानमंत्ी बनने का अपना अरभयान चलाया था. ट्​्ंप ने भी अपने समाज की आंतरिक बीमारियो् को खूब उभािा औि उसका दोष कुछ खास समुदायो् पि थोप रदया. उन सािी ताकतो् को खुले आम धमकी दी जो ओबामा -काल मे्उभिे थे. उन्हो्ने अमेरिका को याद रदलाया रक यह सिेद चमड्ी िालो्का देश है रजस पि कालो्का, संसाि भि से आ जुटे अश्​्ेतो् का, मुसलमानो्का दबाि बहुत बढ्गया है; उन्हो्ने अमेरिका को उस शान की याद रदलायी जब दुरनया उसकी ठोकिो् पि थी. उसने अमेरिका को पूंजी की ताकत की याद रदलायी औि कहा रक इसका बल हो तुम्हािे पास तो तुम बादशाह हो औि संसाि की रकसी भी औित को रकसी भी तिह, कही्भी दबोच सकते हो. यह रकसी ट्​्ंप की रनजी रजंदगी को नंगा किने जैसी बात नही्है. पैसे को भगिान मानने िाला यह िह दश्ान है जो श्​्ेत अमेरिका को घुट्ी मे् रपलाया जाता है. ट्​्ंप की जीत के साथ ही िह अमेरिका हाि गया है रजसे अब्​्ाहम रलंकन से ले कि बिाक ओबामा तक ने बनाने की कोरशश की थी. सहत्​्ि साल के ट्​्ंप बहुत अमीि ठेकेदाि व्यापािी है् रजनका भिन रनम्ा​ाण का धंधा है. िे टीिी की दुरनया मे् चमकते-दमकते रदखाई देते िहे है्. अमेरिका ने रजसे अपना 45िां िाष्​्परत चुना है, िह अमेरिकी समाज का गंभीि अध्येता, िाजनीरतक-सामारजक कभी नही्िहा है, बब्लक यह कहना ज्यादा सही होगा रक िह अमेरिकी समाज का रहस्सा ही नही् िहा है. िह उस अमेरिका को जानता, मानता औि चाहता िहा है जो डॉलि की ताकत से रशखि पि रि​िाजता है. इसरलए औितो् का समाज, कालो् का समाज, अश्​्ेतो् का समाज, गिीबो् का समाज, असीरमत उपभोग, पय्ा​ाि​िण का नुकसान, आर्थाक रिषमता, अपिाध की दुरनया, हरथयािो् की होड्, अमिीकी समाज का बंदूक-प्​्ेम आरद कुछ भी ट्​्ंप की दुरनया का रहस्सा नही्है. रचंता इस बात की नही्है रक िे अनुभिहीन है्, बब्लक इस बात की है रक िे इन अनुभिो्से पिे है्. िे रजन रिश्​्ासो्के साथ बड्ेहुए है्औि जो अब उनके अपने रिश्​्ास है्, िे सभी आज अमेरिका मे्औि संसाि मे्प्र्तगामी रिश्​्ास है.् ऐसा िाष्प् रत n अमेरिका के रलए भी औि संसाि के रलए भी बोझ बनेगा. (लेखक गांधी शांरत प्​्रतष्​्ान के अध्यक्​्है्.) शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 21


मास् देशकाल ट हेड

बेडियों का शतं​ंु समाज तमाम प्​्यासो्के बावजूद यह साकबत हो चुका है कक कन्या भ्​्ूण हत्याएं नही्र्क रही है्. ि्​्ी जाकत के कखलाफ इस साकजश को खत्म करने के कलए मूलगामी कदम उठाने की जर्रत है. आशा वू​ूिपाठी

माज की सबसे मािक समस्याओ्मे्से एक लैर्गक असमानता पि लचि कानूनी व्यिस्था, प्श ् ासन औि सामारजक संिदे नहीनता भािी पड्िही है. इसकी सबसे अरधक माि जारहि है र्​्सयो् पि पड्ती है लेरकन बाद मे् इसका खारमयाजा पूिे समाज को भुगतना पडता है. समाज मे् लडरकयो् के साथ भेदभाि बेहद भयािह है. ब्सथरतयां बदल िही है,् लेरकन कन्याभ्ण ्ू हत्या आज तक बंद नही्हुई है.् तमाम शोिशिाबे के बािजूद यह सामारजक बुिाई थमने का नाम नही्ले िही है. कुछ लोग तक्फदेते है्रक हम अपनी पसंद का काम इसरलए नही्कि पाते या किते है,् क्यो्रक हम चाहे-अनचाहे मे्समाज की आ िही र्रढिादी सोच से खुद को अलग नही् 22 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

कि पाते. हम उनके सोच की खुशी को हि हाल पि प्त्य् क्​्र्प से कटाक्​्किती है, िही् दूसिी मे्बिकिाि िखना चाहते है.् निक का भय, स्िग्ा ओि बेरटयो् को पढ्ाने के रलए भी यह रिल्म की चाहत रक हम जब मिेग् ,े तो बेटे के हाथ से आमजन के मानस पटल पि छाप छोड्ती है. मुखबाती नही्रमली, तब निक जाना होगा. बेटी इतना सब होने के बािजूद हालात मे्बदलाि न पिाया धन होती, पिाये का एक पैसा कम से कम आना यह रसद्​् किता है रक समाज के लोग मृतय् ु के बाद न लगे. इससे पाप लगेगा. यह बुिाई अपनी बुिाई छोड्ने को तैयाि नही्है.् कुछ लोगो् रकसी एक जारत ि समुदाय मे् नही् बब्लक हि का कहना है रक हरियाणा मे्तो पूिी तिह से कन्या धम्,ा हि जारत, हि िग्ामे्है. आंकड्ेबताते है्रक भ्ण ्ू हत्या प्र्तबंध है. िहां कड्ाई से पीएनडीटी सबसे ज्यादा बुिी हालात हरियाणा मे्है. हालांरक एक्ट का पालन भी हो िहा है, लेरकन सीमाित्​्ी िहां कन्या भ्ण ्ू हत्या पूिी तिह से बंद है. इस यूपी के रजले इसके कािी हद तक इसके कानून का कड्ाई से पालन भी होता है लेरकन रजम्मदे ाि है.् हरियाणा से सटे यूपी के रजले कन्याओ् को गभ्ा मे् मािने के रलए यूपी का बागपत, शामली, सहािनपुि ि मेिठसीमाित्​्ी इलाका यमिाज का काम कि िहा है. मुजफ्ि​िनगि मे्हरियाणा से आकि लोगो्द्​्ािा जानकािो्का कहना है रक रपछले रदनो्मे् धड्लल ् े से भ्ण ्ू की जांच औि कन्या भ्ण ्ू हत्या गुडग् ांि मे्कन्या भ्ण ्ू हत्या िोकने के रलए बनाई किाई जा िही है. रजसका खुलासा हरियाणा िाज्य गयी क्त्े ्ीय रिल्म ‘8िां िचन’ लोगो् पि छाप मे् जांचोपिांत हो िही है. आिोपी बताते है् रक छोड्ने मे् सिल िही. उन्हो्ने यूपी के रजलो्मे् हणरयाणा से सटे यूपी के णजले एक माह के दौिान 19 जाकि कन्या भ्ण ्ू की बागपत, शामली, सहारनपुर, रशक्ण ् संसथ ् ानो् मे् हत्या किाई है. 16000 से अरधक भगिान महािीि ने मेरठ मे्लोगो्द्​्ारा धड्लल ् े से भ्ण ्ू युिाओ्ने इस रिल्म को कहा है रजस रहंसा के की जांच और कन्या भ्ण ्ू हत्या देखा. रजला प्श ् ासन एिं रबना हमािा जीिन चल कराई जा रही है. िेडक्​्ास सोसायटी द्​्ािा सकता है िह रहंसा पाप रिप्​्िाउंडश े न के प्य् ास से बनाई इस रिल्म को है, अपिाध है. हमे्इसे प्श ् य् नही्देना चारहये. युिाओ्के साथ-साथ गांि के लोगो्ने भी देखा. प्क ् रृ त की ओि से पय्ािा िणीय अन्याय चलता है इस रिल्म की कािी तािीि हुई, पि परिणाम िही रजसके तहत एक बडा जीि, छोटे जीि को खा ढाक के तीन पात. क्त्े ्ीय भाषा मे् बनी उक्त जाता है. रकन्तु जब एक मनुषय् , दूसिे मनुषय् का रिल्म एक ओि जहां कन्या भ्ण ्ू हत्या किने िालो् अकािण िध किने लगे तो ऐसे मनुषय् को दानिी


प्ि् रृ त का कहा जाता है. समाज मे्रनत अपिाध बढता चला जा िहा है, इनमे्जघन्य अपिाध है, कन्या भ्ण ्ू हत्या. इसके बहुत कािण है,् रजनमे् प्म् ख ु कािण तो यह है रक बेटा, क्मशान तक साथ चलेगा, मुखबाती देगा. तब शास्​्ो् के अनुसाि, मुझे स्िग्ाकी प्​्ाब्पत होगी, अन्यथा मेिी आत्मा स्िग्ा न जाकि, इसी मृतय् ल ु ोक मे् ही मृतय् पु िांत भटकती िह जायेगी. मेिे नाम को आगे बेटी कोख से जन्मी संतान नही्ले जा सकती. इसे तो बेटे का बेटा ही ले जा सकता है अथ्ाता मिणोपिांत भी हमे्रजंदा कोई िख सकता है, तो िह बेटा ही िखेगा. बेटी का क्या, भूखा िहकि, िात जागकि पढाओ-रलखाओ, बडा किो औि जब बािी आती सुख देने की, तब िह दूसिे के घि चली जाती है. इतना ही नही्, जाते-जाते जीिन भि की जमा पूज ं ी भी लेती चली जाती है. इसरलए यहां तो हमािा तप औि तपस्या व्यथ्ा ही चली जाती है. ऐसे मे् बेटी को पालने का झंझट क्यो् उठाये.् इस सोच को मंरजल तक पहुच ं ने मे्हमािा रिज्​्ान सहयोगी बना हुआ है. परिणामस्िर्प लोग रशशु का रलंग पिीक्ण ् कि बेटी से छुटकािा पाने के रलए भ्ण ्ू हत्या कि िहे है.् भगिान बुद,् महात्मा गाँधी जैसे नायको्के अरहंसा प्ध् ान देश मे्रहंसा हो िही है. हालांरक कड्ेकानून भी बनाये गये है,् रि​ि भी भ्ण ्ू हत्या किने िाले बेअसि है.् गुरन् ानक देि ने पांच सरदयो्पहले ही अपने शल्द की शब्कत से लोगो्को औित की हस्​्ी के बािे मे्जागर्क कि रदया था. नािी क्या है, इसे कमजोि मत समझो, इसी पि दुरनया रटकी है, नािी ही प्क ् रृ त है. लेरकन पुरष् प्ध् ान का जुननू औि हमािा समाज बेटी को बोझ के रसिा औि कुछ नही्समझता. यह दुभा्गा य् पूणा्है रक कन्या भ्ण ्ू हत्या को भािी भिकम दहेज से भी जोडकि देखना होता है. बेटी के जन्म लेने के साथ ही माँबाप को दहेज की रचंता सताने लगती है. कािण आजकल के जमाने मे् बेटी के रलए घि-ि​ि खोजने से पहले, पैसे पास मे् रकतने है,् उसके आधाि पि ि​ि खोजा जाता है, क्यो्रक ि​ि यहां रबकता है. उसकी बोली लगाई जाती है. कभी-

धारावासहक ‘आठवां वचन’ का एक िृश्य: जागर्कता की सिशा रे् कभी तो दहेज के पैसे बेटी के रपता अपना घि- रलए लोग रकसी मरहला को डायन किाि दे देते बाि रगि​िी िखकि महाजन से सूद पि उठाकि है्औि दूध पीती बर्​्चयो्का रि​िाह कि डालते लेते है.् इन पैसो् को न लौटा पाने की सूित मे् है.् जारतिादी घृणा की िजह से मरहलाओ् के परि​िाि सरहत आत्महत्या किने पि मजबूि होते साथ यौन उत्पीडन औि बलात्काि की घटनाये् है.् दहेज की पिम्पिा, अनपढ गंिाि तक, या गिीब होती है.् जारत औि पिंपिा के नाम पि रिधिाओ् तबके तक सीरमत नही्है. यह तो बडे-बडे अमीिो् का जीिन निक बना रदया जाता है. शिाब औि मे्भी है. फ़क्फबस इतना िहता है, गिीब का दहेज अिीम का नशा औितो् को रहंसा का रशकाि अमीिो् के अंगोछे के दाम के बिाबि होता है. बनाता है. रकसी प्क ् ाि के पारि​िारिक संपर्​्त बढती भ्ण ्ू हत्या के रलए केिल पुरष् ो्को ही दोषी रि​िाद मे्मरहला का रहस्सा पुरष् हडप लेते है.् ठहिाना ठीक नही्. आजकल तो पढी-रलखी दहेज प्त् ाडना के समाचाि आए रदन समाचाि मरहलाये्स्ियं भी ब्कलरनक मे्जाकि रलंग टेसट् पत्​्ो् मे् प्क ् ारशत होते ही िहते है.् रचरकत्सा कि​िाती है.् खुद ही डाक्टि से कहती है, हमे्इसे सुरिधाओ्के अभाि मे्हि साल हजािो्गभ्िा ती खतम किाना है. रफ़ि खुद कन्या भ्ण ्ू हत्या र्​्सयो्को जान से हाथ धोना पडता है. कन्या भ्ण ्ू कि​िाती है.् हत्या औि कई जारतयो्मे्जन्म के साथ ही कन्या कह सकते है् रक सैक ् डो् रकस्म की को माि देने की पिंपिा से मिने िाली बारलकाओ् सामारजक कुिीरतयो् औि अंधरिश्​्ासो् की की तो रगनती ही नही् है. इस प्क ् ाि की दुरनया शहि, कस्बो्से लेकि गांिो्तक महामािी असामारजक कृतय् ो् पि गंभीि चोट मािने की की तिह िैली हुई है.् दुभा्गा य् से इन सबका दिकाि है तारक जागर्कता बढ्.े लोग बेरटयो्की n रशकाि अंततः मरहलाये्होती है.् रनजी स्िाथ्​्ो्के अहरमयत समझे.्

शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 23


उत् मास्​्रटप्​्दहेडेश

असखलेश यािव और रायावती: बिलती रणनीसत

चुनावी चौसर पर नोटबंदी उत्​्र प्​्देश मे्नोटबंदी ने बाकी चुनावी मुद्ो्को पीछे िकेल कदया है. जहां एक ओर सपा पकरवार मे्एका देखा जा रहा है, वही् दूसरी ओर बाकी राजनीकतक दलो्की नीकतयां भी बदलती नजर आ रही है्.

रंजीि

िा

जनीरत असंभि के संभि हो जाने की कला है. उत्ि् प्द् श े की रसयासत मे्कुछ समय से यह खूब हो िहा है. अगले कुछ महीनो्के भीति होने िाले रिधानसभा चुनाि से पहले नेताओ्के बदलते बोल, मुदो्​् का तेजी से आना-जाना, भािनात्मक उभाि औि रसयासी धाकड्ो् के ि​िक पड्ने जैसे तमाम िाकये यही बता िहे है् रक िाजनीरत मे्असंभि कुछ भी नही्. समाजिादी पाट्​्ी मे् प्​्ो. िामगोपाल यादि की ससम्मान िापसी औि नोटबंदी का बाकी मुद्ो् को पीछे धकेल कि सबसे बड्ा मुद्ा बन कि उभिना इसकी ताजा बानगी है. समाजिादी पाट्​्ी के कुनबे मे् रसतंबि से रछड्ी िाि के पि​िान चढ्ने के दौि मे्माना जा िहा 24 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

था रक परि​िाि की लड्ाई मे्इस पाट्​्ी की चुनािी संभािनाये् बुिी तिह प्भ् ारित हुई है.् मगि दो महीने के भीति िहां अब एका औि युद्रि​िाम की तान रछड्ी है. िामगोपाल यादि को छह साल के रलए पाट्​्ी से रनकालने की घोषणा के एक महीने भी नही्हुए रक उनकी िापसी की घोषणा हो गयी. पाट्​्ी प्म् ख ु मुलायम रसंह यादि ने िापसी के साथ उन्हे्सभी पदो्पि बहाल किने का आदेश जािी रकया है. िामगोपाल यादि की िापसी का सबसे रदलचस्प पहलू यह है रक समाजिादी पाट्​्ी मे्तो इसके समथ्ना या रि​िोध मे् कोई आिाज नही् लेरकन भाितीय जनता पाट्​्ी औि बहुजन समाज पाट्​्ी इस पि मुखि होकि बोल िहे है.् बसपा प्म् ख ु मायािती इसे सपा का ड्​्ामा किाि देकि सपा के आधाि िोटि माने जाने िाले मुबस् लम ि यादि िोटिो् से अपील कि िही् है् रक िे समाजिादी परि​िाि मे् हो िहे युदर्ि​िाम पि यकीन न किे् औि िोट तो कतई न दे् क्यो्रक खेमो्मे्बंटे दल को िोट देना अपना मत बिबाद किना है. उनका संकते साि है रक िोटिो्का यह तबका िोट बसपा को दे. िही्भाजपा की ओि से भी इसे ड्​्ामा किाि रदया गया है. दिअसल इन दोनो्दलो्की प्र्तर्​्कया उस अनुमान से उपजी प्त् ीत होती है रजसमे्माना जा िहा था रबखिा हुआ समाजिादी कुनबा चुनािो्मे् बसपा औि भाजपा को िायदा पहुच ं ायेगा. समाजिादी पाट्​्ी ने रबखिाि को थाम कि अपने

कोि िोट आधाि को न रसि्फ भ्म् से बाहि रनकालने की किायद की है बब्लक रिधानसभा चुनाि को रदलचस्प भी बना रदया है. इसरलए भी क्यो्रक पाट्​्ी के कई बड्ेनेताओ्के पाला बदलने से बसपा औि सपा मे्आपसी कलह के कािण भाजपा खुद को रनर्ि​िा ाद दल के र्प मे्सत्​्ा की दािेदाि पाट्​्ी के र्प मे् पेश कि िही थी. सर्जक ा ल स्ट्ाइक के हिाले से भाजपा प्ध् ानमंत्ी निेद् ्मोदी को मजबूत नेता के र्प मे्पेश कि िही थी. 1000 औि 500 र्पये के नोट पि मोदी सिकाि की िोक औि उसके बाद उपजे हालात ने सर्जक ा ल स्ट्ाइक को पृषभ् रू म मे्धकेल कि अब नोटबंदी को उत्ि् प्द् श े का सबसे बड्ा चुनािी मुद्ा बना रदया है. सपा औि बसपा दोनो्इसे मुद्ा बना कि भाजपा पि हमलाि​ि है.् उनका मुद्ा यह रक क्द् ्सिकाि ने बगैि तैयािी इसे लागू कि रदया रजससे आम जनता पिेशान है. समाजिादी पाट्​्ी इससे रकसानो्को सबसे ज्यादा नुकसान होने पि खास जोि दे िही है. मुखय् मंत्ी अरखलेश यादि ने नोटबंदी को भी रिकास से जोड्ते हुए कहना शुर् रकया है रक केनद् ्सिकाि का यह िैसला न रसि्फप्ग् रत को िोकने िाला है बब्लक इस दौि मे्पड्ोसी मुलक ् के साथ रकसी बड्ी तनातनी के हालात मे्देश की सुिक्​्ा के रलए भी यह रनण्या चुनौती बनेगा. बसपा प्म् ख ु मायािती इस मुद्े पि संसद औि बाहि लगाताि बोल िही्है.् िही्नोटबंदी के बड्ा मुद्ा बनने को भांपते हुए यूपी की रसयासी जमीन पि


िापसी की जद्​्ोजहद कि िही कांगस ्े ने भी पहली बाि इसके स्पि्​् संकते रदये रक र्​्पयंका गांधी उत्ि् प्द् श े मे्चुनाि प्च ् ाि किेग् ी. सपा, बसपा औि कांगस ्े ने यरद नोटबंदी के कािण जनता की पिेशारनयो् को प्म् ख ु मुद्े के र्प मे् उभािना शुर् रकया है तो भाजपा इसे काला धन िोकने के बहाने देशभब्कत के इब्मतहान के र्प मे्नैरतकता से जोड्िही है. जो रसयासी पाला इसके रखलाि मुखि है उसे भाजपा खेमे की ओि से उसे देशभब्कत की कसौटी पि कसने की पुिजोि कोरशश हो िही है. नोटबंदी के पक्-् रिपक्​्मे्इस रदलचस्प रसयासी मोच्ब्े दं ी से यह साि है रक यूपी के रिधानसभा चुनाि यह सबसे बड्ा मुद्ा बनेगा. नोटबदली के रलए मोदी सिकाि ने रदसंबि तक का िक्त रदया है. अगले कुछ रदनो्मे्यह देखना रदलचस्प होगा रक नोटबंदी के रिशुद् आर्थक ा िैसले को िाष्ि् ाद, देशभब्कत के पैमाने मे्तल्दील किने की भाजपा की कोरशशे्पि​िान चढ्गे् ी या रक जनता की पिेशानी को मुद्ा को बनाकि सपा, बसपा औि कांगस ्े को भाजपा पि औि हमलाि​ि होने का औि मौका रमलेगा. शहिो्-कस्बो्मे्बैक ् ो्ि डाकघिो्के सामने की लाइन औि गांि-देहात मे्खेतो्का माहौल ही तय किेगा रक रकस पाले को मुखि होने का अिसि रमलेगा. सपा औि भाजपा के पालो् से चुनािी िथयात्​्ाएं शुर् हो चुकी है.् िैरलयो् का दौि भी चल पड्ा है. देश की िाजनीरत मे् उत्ि् प्द् श े की अहरमयत के कािण ही िाज्य मे् 2017 के रिधानसभा चुनाि साल 2019 के लोकसभा चुनाि का मुखड्ा भी माने जा िहे है.् 2017 के चुनाि नतीजो्के जरिए यूपी से रनकला रसयासी संदश े 2019 की दशा-रदशा भी तय किेगा. दलो् औि नेताओ्की िाजनीरतक हैरसयत पता चलेगी. ऐसे मे्मोदी सिकाि के ढाई साल के काय्क ा ाल का सबसे बड्ा रनण्या बनकि उभिी नोटबंदी, उत्ि् प्द् श े मे्ही जनमत की सबसे अहम कसौटी

वापसी की पटकथा िा

ज्यसभा मे्नोटबंदी के मुद्ेपि चच्ा​ा के दौिान जब प्​्ो. िामगोपाल यादि समाजिादी पाट्​्ी की ओि से बोलने के रलए खड्ेहुए तभी यह साि हो गया था रक पाट्​्ी मे्उनकी िापसी की पटकथा रलखी जा चुकी है. उसके चौबीस घंटे से भी कम समय मे् सपा मुरखया मुलायम रसंह यादि ने उनकी िापसी का आदेश जािी कि रदया. खास बात यह रक अक्टबू ि मे् उनकी बख्ास ा ग् ी का आदेश सपा के प्द् श े अध्यक्​्रशिपाल यादि ने जािी रकया था. पाट्​्ी मे् िामगोपाल यादि की िापसी के कई मायने है.् अव्िल तो यह रक समाजिादी पाट्​्ी मे् अंरतम िैसला मुलायम रसंह यादि का ही चलेगा. पाट्​्ी मे् अरखलेश यादि औि रशिपाल यादि के रारगोपाल यािव: िंकट काल रे्एकता खेमो् मे् चल िही तनातनी के दौि मे् सबकी बात सुनने, कुछ सख्त औि कुछ निम िैसले लेने औि गठबंधन कि चुनाि लड्ने के मामले मे्भी र्ख साि कि देने समेत मुलायम के कई कदम इसके गिाह है.् रलहाजा यह नाहक ही नही्है रक दो महीने पहले तक पाट्​्ी के अंदि अलग-अलग खेमो्के खेिनहाि अब एक सुि मे्यह कह िहे है्रक जो नेताजी कहेग् े िही मान्य होगा. चुनाि के पहले खेमो्को कािी हद तक संतरु लत कि बयानो्औि साि्ज ा रनक तनातनी पि लगाम लगाने मे्िाजनीरत के मंझे उस्​्ाद मुलायम कािी हद तक कामयाब िहे है.् िामगोपाल की िापसी से यह संदश े भी रनकला है रक मुखय् मंत्ी अरखलेश यादि प्द् श े अध्यक्​्भले ही नही्है्लेरकन पाट्​्ी के िैसलो्मे्उनकी धमक बढ्ी है. िामगोपाल यादि औि कई बख्ास ा ्युिा नेताओ्की पाट्​्ी मे्िापसी की बात िह लगाताि कहते िहे थे. उनकी बात मानी गयी. हाल के रदनो्मे् सपा मुरखया से उनके रनयरमत संिाद को भी पाट्​्ी के अंदिखाने की जानकािी िखने िाले सकािात्मक प्ग् रत मान िहे है.् ऐसे मे्माना जा िहा है रक रटकट रितिण मे्उनकी भूरमका भी सुरनर्​्ित होगी. पि कसी जाएगी. रजसके नतीजो्की गूज ं दूि तक जायेगी. इसरलए भी क्यो्रक बरलया से नोएडा तक औि बुदं ल े खंड से र्हल े खंड तक तमाम रिरिधता से भिे उत्ि् प्द् श े का शहिी, कस्बाई औि गंिई जनजीिन नोटबंदी के िैसले पि िोट की लाइन मे्लगकि क्या र्ख अपनाता है िह एक बड्े समाज के रमजाज की थाह भी देगा. रजसके आधाि पि 2019 के चुनाि की गोरटयां नोट बिलवाने की कतार: नया सियािी रुद्ा

चली जायेग् ी. भाजपा की ओि से जेएनयू, कैिाना, उिी के हमले औि सर्जक ा ल स्ट्ाइक के बाद अब कालाधन औि नोटबंदी के जरिये भी िाष्ि् ाद के भािनात्मक मुद्े को ही यूपी के चुनािो् मे् भी केनद् ्ीय मुद्ा बनाए िखने के पूिे संकते है.् रजसमे् पाट्​्ी की ओि से चेहिे के र्प मे्खुद प्ध् ानमंत्ी निेनद् ् मोदी हो्ग.े उत्ि् प्द् श े चुनाि मे् भाजपा रकसी को मुखय् मंत्ी के चेहिे के र्प मे्पेश नही् किेगी यह अब लगभग तय है. रबहाि मे्भी मोदी ही भाजपा का चेहिा थे औि िहां नतीजे पक्​्मे् नही्आये. िही् समाजिादी पाट्​्ी के पास अरखलेश यादि के र्प मे् एक युिा औि पांच साल मुखय् मंत्ी की कुस्ी पि िह कि परिपक्ि बना चेहिा है जो रिकास को अपना एजेड ्ा बना िहा है. िही्बसपा के पास मायािती के र्प मे् सख्त प्श ् ासक की छरि िाला नेततृ ि् है तो कांगस ्े ने रदल्ली मे्लगाताि तीन बाि मुखय् मंत्ी की कुस्ी संभाल चुकी्अनुभिी शीला दीर्​्कत को सामने रकया है. चेहिो्के इस मुकाबले मे्सबके अपने एजेड ् े हो्गे लेरकन जो एक कड्ी सबको जोड्गे ी, िह नोटबंदी पि शह-मात का घमासान ही होगी. n शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 25


उत्​्र प्​्देश

रहानायक को भूले िराजवािी सत्​्ा पर काकबज समाजवादी समाजवाद के अग्​्णी चेहरे लोकबंिु राजनारायण को इस कदर भुला बैठे है्कक उनकी सौवी्जयंती पर भी उन्हे्ठीक से याद नही्ककया जा रहा है. राजनारायण: लोसहया की सवराित

धीरेदू ू शू​ूीिासूिू

डॉ

क्टि िाम मनोहि लोरहया ने रलखा है, 'जनता के रहमायती, संसदीय अरधकािो्की िक्​्ा के योद्​्ा, रहंसा के सि्​्ोपरि दुकम् न औि संसद तथा रिधानसभा मे्उतने ही, रजतने उसके बाहि रसरिल नाफ़िमानी के रसपाही की हैरसयत से िाजनािायण का नाम संसदीय इरतहास की परिचयात्मक छोटी मोटी पुसक ् ो्मे्भी सुिर्​्कत िहेगा.' केिल इतना नही्, डॉक्टि लोरहया ने यह भी रलखा है रक जब तक देश मे्िाजनािायण जैसा आदमी है, तानाशाही नही् बढ सकती है. उन्ही्िाजनािायण की 23 निंबि 2016 को सौिी्जयंती है लेरकन इसे लेकि सिकािी स्ि् पि कही्कोई सुगबुगाहट भी नही्है. यह सुगबुगाहट भाित सिकाि मे्नही्है, भाितीय जनता पाट्​्ी शारसत िाज्यो्मे्नही्है, कांगस ्े शारसत िाज्यो्मे्नही्है, इसका कािण तो समझ मे् आता है. िाजनािायण का इन दलो्से अरधसंखय् समय 36 का रिक्ता िहा है. लेरकन,उत्ि् प्द् श े औि रबहाि मे्तो लोरहयािारदयो्की सिकाि है.् इन दोनो् िाज्यो्मे्भी िाजनािायण के शताल्दी िष्ाको लेकि सिकािो्की ति​ि से कोई काय्क ा म् क्यो्नही्हो िहा है ? यह प्क् न् रिचािणीय है. रबहाि की िजह तो रि​ि भी समझ मे् आती है. िहां की सिकाि मे् िह कांगस ्े भी शारमल है, रजसपि इंरदिा गांधी का एकछत्​्िाज था. सनद िहे रक देश का प्ध् ानमंत्ी होने बाद भी उन्हे्िाजनािायण की ओि से दारखल चुनाि यारचका मे्हाि का सामना किना पडा था. इलाहाबाद हाईकोट्ाने अपने िैसले मे्इंरदिा गांधी के चुनाि को अिैध घोरषत कि रदया था. इस िैसले के बाद इंरदिा गांधी के रखलाि देश मे्आग लग गयी. इसे ठंडा किने के रलए उन्हो्ने आपातकाल की घोषणा कि दी.आपातकाल के सन्नाटे को अपने पक्​्मे्मानते हुए गांधी ने चुनाि घोरषत कि रदया. इस चुनाव्मे्कांगस ्े के हाथ से सत्​्ा तो गयी ही, उत्ि् भाित से उसका पूिी तिह से सिाया भी हो गया. इसमे्दो िाय नही्है रक आपातकाल का रनण्या कांगस ्े के माथे पि आज भी न रमटने िाले काले दाग की तिह है. रजतना यह सच है, उतना ही यह भी सच है रक िाजनािायण की चच्ा​ा होगी तो आपातकाल की भी चच्ा​ा भी होगी. औि आपातकाल की चच्ा​ा होगी तो कांगस ्े को शर्मदि् गी उठानी पडेगी. हो सकता है रक मुखय् मंत्ी नीतीश कुमाि ने इसकी िजह से ही िाजनािायण के शताल्दी िष्ाको संज्ान मे्नही्रलया. यह भी हो सकता है रक नीतीश कुमाि को यह याद ही न हो रक 23 निंबि 2016 को समाजिाद के 26 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

महानायक िाजनािायण की सौिी्जयंती है. उत्ि् प्द् श े मे्रबहाि िाली ब्सथरत नही्है. यहां लोरहयािारदयो्की स्पि्​्बहुमत िाली की सिकाि है. रि​ि भी यहां िाजनािायण के शताल्दी िष्ाकी कोई चच्ा​ा नही्है. अभी हाल मे्एक पुसक ् आयी है लोकबंधु िाजनािायण रिचाि पथ -एक. इस पुसक ् मे् समाजिादी पाट्​्ी के अध्यक्​्मुलायम रसंह यादि ने रलखा है रक लोकबन्धु िाजनािायण का जीिन संघष्​्ो्की महागाथा िहा है. उन्हो्ने समाज के कमजोि ि शोरषत िग्​्ो् के उत्थान के रलए हमेशा अपनी आिाज बुलदं की. िह लोकतांर्तक मूलय् ो् के प्ब् ल समथ्क ा थे. आपातकाल के दौिान उन्हो्ने नागरिक अरधकािो् के रलए जमकि संघष्ा रकया. उन्हो्ने समाजिादी रिचािधािा औि आंदोलन को आगे बढाने का काय्ारकया. उत्ि् प्द् श े के मुखय् मंत्ी अरखलेश यादि ने कहा है रक समाजिादी आंदोलन को गरत देने मे्िाजनािायण ने महत्िपूणा्योगदान रदया है. उन्हो्ने सदैि रनध्ना ि कमजोि िग्​्ो् की आिाज को बुलदं रकया. िह समाज मे् व्याप्त गैि बिाबिी समाप्त किने के रलए आजीिन संघष्ाकिते िहे. अभी हाल मे् समाजिादी पाट्​्ी की स्थापना रदिस की िजत जयंती मनायी गई. इस समािोह मे् लोकबंधु िाजनािायण रिचाि पथ - एक नामक पुसक ् का रिमोचन हुआ. समािोह के सह संयोजक नािद िाय ने रिचाि पथ एक की सिाहना किते हुए कहा रक इस िष्ा 23 निंबि 2016 को लोकबंधु िाजनािायण की सौिी्जयंती है. समाजिादी पाट्​्ी के महासरचि ओमप्क ् ाश रसंह ने अपने हाथ से सपा प्म् ख ु मुलायम रसंह यादि, िाजद प्म् ख ु लालू प्स ् ाद यादि, जद यू के नेता शिद यादि को लोकबंधु िाजनािायण रिचाि पथ - एक पुसक ् दी औि कहा रक 23 निंबि 2016 को िाजनािायण जी की सौिी्जयंती है.इसके बािजूद िाजनािायण की सौिी्जयंती को लेकि सपा सिकाि की ओि से कोई सुगबुगाहट नही्है. िजत जयंती समािोह की पूिी रजम्मदे ािी सपा के प्द् श े अध्यक्​्रशिपाल रसंह के कन्धो्पि थी. िह इस समािोह के पल पल को लेकि चौकन्ने थे. इसरलए यह भी नही्कहा जा सकता है रक उनकी सौिी्जयंती की जानकािी रशिपाल रसंह को नही्है. अत: यह कहना गलत नही्होगा रक समाजिादी आंदोलन के महानायको्मे्से एक िाजनािायण को सत्​्ा मे्बैठे समाजिादी भूल चुके है.् सत्​्ा मे्बैठे इसरलए रक समाजिादी एकजुटता सम्मल े न की ओि से जािी परिपत्​् मे् जुझार् सोशरलस्ट नेता सुनीलम ने कहा है रक िाजनािायण की सौिी्जयंती को लेकि इस िष्ा23 निंबि 2016 से 23 n निंबि 2017 तक पूिे देश मे्काय्क ा म् रकए जायेग् .े


उत् मास्​्रटाखंहेड

शाह का नाकार शो

उत्​्राखंड मे्भाजपा की आपसी कसर फुटौवल के चलते बड़्े स्थानीय नेता सहयोग नही्कर रहे है्. इससे अकमत शाह की रैली नाकाम हो गयी. फजल इमाम मलूललक

र्जक ा ल स्ट्ाइक औि नोटबंदी की लहि पि सिाि भाितीय जनता पाट्​्ी के रलए उत्ि् ाखंड मे् परि​ित्ना यात्​्ा की शुरआ ् त ठीक नही्िही. अगले साल प्द् श े मे्रिधानसभा चुनाि होने है् औि इसे देखते हुए भाजपा की पहली चुनािी िैली पूिी फ्लाप िही. हालांरक भाजपा ने देहिादून मे् होने िाली इस िैली मे् अपनी पूिी ताकत झो्क दी थी लेरकन प्द् श े मे् कांगस ्े की हिीश िाित सिकाि के रखलाि िह जो हिा बनाना चाह िही थी, इसमे्उसे नाकामी ही हाथ लगी. िैसे दािा तो लाखो् की भीड् जुटाने का रकया जा िहा था लेरकन भीड् जुट नही् पायी. भाितीय जनता पाट्​्ी की िाज्य इकाई भी खेमो्मे् बंटी है औि आपस मे्ही सि िुटौव्िल चल िही है. िैली को लेकि शोि खूब था. गढ्िाल मंडल के नेताओ्ने िाजधानी मे्बैनि-होर्डगि् लगाने मे् रकसी तिह की कूजस ू ी नही् रदखाई थी लेरकन इतना सब कुछ किने के बािजूद िैली से लोग

नदािद िहे. िैली को लेकि िाष्​्ीय अध्यक्​्अरमत शाह को ही मरहमामंरडत रकया गया था. िाजधानी मे् लगाये गये होर्डगि् ो् मे् अरमत शाह प्म् ख ु ता के साथ नजि आ िहे थे. प्ध् ानमंत्ी निेद् ् मोदी का कद उनके सामने कम कि आंकने की कोरशश की गयी थी. होर्डगि् मे्अरमत शाह की तस्िीि बड्ी लगायी गयी थी जबरक प्ध ् ानमंत्ी निेद् ् मोदी की तस्िीि उसकी तुलना मे् कािी छोटी थी. इसे लेकि पाट्​्ी की अपनी दलील है लेरकन पाट्​्ी के भीति ही इस बात को लेकि खासे मतभेद है.् भाजपा के कई नेताओ्का मानना है रक यह सही है रक अरमत शाह पाट्​्ी के िाष्​्ीय अध्यक्​्है्लेरकन उनकी स्िीकाय्ता ा का स्ि् िह नही् है जो मोदी का है. इसरलए पाट्​्ी को प्ध् ानमंत्ी का चेहिा ही आगे किके चुनाि लडऩा चारहये. कुछ नेताओ्ने तो साि कहा रक अगि अरमत शाह को आगे किके हम चुनाि मे्उतिेग् े तो पाट्​्ी को हाि से कोई नही्बचा सकता. िही सही कसि पाट्​्ी की खेमबे दं ी पूिी कि देगी. िैली मे्भी पाट्​्ी ने अपने पूिा्मुखय् मंर्तयो् भगत रसंह कोक्यािी, भुिनचंद्खंडडू ्ी औि िमेश पोखरियाल रनशंक की भी अनदेखी की. हालांरक मंच पि जर्ि ये मौजूद थे. इनके अलािा क्द् ्ीय मंत्ी ि प्द् श े चुनाि प्भ् ािी जेपी नड्​्ा, धम्द्े ् प्ध् ान, सह महामंत्ी संगठन रशिप्क ् ाश, प्द् श े प्भ् ािी क्याम जाजू, क्द् ्ीय िाज्यमंत्ी अजय टमटा, रिजय बहुगण ु ा, सांसद महािानी िाज्यलक्म् ी शाह, प्द् श े अध्यक्​्अजय भट्,् पूिा्

बद्​्ीनाथ रंसिर रे्असरत शाह: जोश भरने की कोसशश

क्द् ्ीय मंत्ी सतपाल महािाज, पूिा्मंत्ी डॉ. हिक रसंह िाित, रिधायक मदन कौरशक ि यात्​्ा संयोजक बलिाज पासी, पूिा् रिधायक उमेश शम्ा​ा काऊ भी मौजूद थे. लेरकन इनकी मौजूदगी भी पाट्​्ी काय्क ा त्ाओ ा ्को बहुत ज्यादा उत्साह औि जोश से भि नही्पायी है. कोक्यािी औि खंडडू ्ी की पीड्ा तो समझ मे्आती है. इन दोनो्नेताओ् पि उम्द् िाज होने का ठप्पा लगा रदया गया है. न तो क्द् ्मे्इनकी पूछ हो िही है औि न ही िाज्य मे् इन्हे्तिज्​्ो रमल िही है. पाट्​्ी उन्हे्रसयसात से रकनािा कि​िाने मे् लगी है तो जारहि है रक ये आलाकमान से ज्यादा खुश तो नही् हो्ग.े दोनो् नेताओ्की पकड्प्द् श े मे्दूसिे कई नेताओ्से ज्यादा है इरसलए भी िैली मे् भीड् नही् जुटी. लेरकन ऐसा माना जा िहा है रक नोटबंदी ने भी िैली को फ्लाप कि डाला. शाह ने प्द् श े की सिकाि पि हमले खूब रकये. भ्ि ् ्ाचाि घोटाले से लेकि दल बदल सबका उल्लख े रकया. सिकाि बचाने के रलए रिधायको् की खिीद-ि​िोख्त पि भी बिसे. हालांरक जब िे यह सब बोल िहे थे तो मंच पि रिजय बहुगण ु ा औि हिक रसंह िाित मुहं छुपाते नजि आ िहे थे. प्द् श े के रिकास का मुद्ा उठाते हुए शाह ने कहा रक क्द् ्से अब तक 60 हजाि किोड् की अरतरिक्त िकम आ चुकी है लेरकन यह िकम गांिो्तक नही्पहुच ं ी. इन सब दािो्के बीच ही भाजपा चुनाि मे्उतिेगी. लेरकन उसकी बड्ी पिेशानी यह है रक उसके पास उत्ि् ाखंड के मुखय् मंत्ी हिीश िाित से मुकाबला किने िाला कोई कद्​्ाि​ि नेता नही्है. कुछ पुिाने चेहिे जर्ि है्लेरकन भाजपा उन पि दांि खेलना नही्चाहती. हिीश िाित के सामने कौन सा चेहिा दे,् भाजपा n इसे लेकि पसोपेश मे्है. शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 27


पश्मास् ्िटम हेबंडग

नोटबंदी के के्द्सरकार के फैसले ने देश के तमाम खुदरा बाजारो्को प्​्भाकवत ककया है. पक्​्िम बंगाल के तमाम मशहूर मछली बाजार भी बुरी तरह संकट के चपेट मे्है्. उमेश कुमार राय

र्​्कण कोलकाता के गांगल ु ी बागान माक्ट्े मे् लंबे समय से मछली बेचने िाले र्​्करतज मजुमदाि की दुकान पि कभी मछली खिीदने िालो् की भीड् लगी िहती थी लेरकन इन रदनो् कोई ताकता तक नही्. बहुत मुबक् कल से र्पये बदलिाकि िे रसयालदह से मछरलयां लाते है् लेरकन कोई खिीदने िाला नही् आता है औि आता भी है तो सिकाि द्​्ािा बैन रकये गये 500 या 1000 र्पये का नोट लेकि. मजुमदाि मायूस होकि कहते है,् ‘खूब खािाब ओबोस्था दादा! आि की बोलबो (बड्ी खिाब हालत है, भइया! औि क्या बोलू.ं ).’ मजुमदाि बताते है,् ‘कई बाि ग्​्ाहक तो 2000 र्पये का नोट थमा देते है.् भला बताइये 100-150 र्पये की मछली देकि 2000 र्पये का खुदिा कहां से लाऊू?’ मजुमदाि इकलौता मछली कािोबािी नही्है् जो इन रदनो्आर्थक ा संकट से जूझ िहा है.् मछली के धंधे से जुड्े लाखो् लोगो् की हालत आज मजुमदाि जैसी हो गयी है. पर्​्िम बंगाल के लोगो् की मछरलयो् के प्र्त दीिानगी रकसी से रछपी नही्है लेरकन नोटबंदी के बाद उभिे हालात ने रकसानो्, छोटे व्यिसारययो्के साथ ही मछली व्यिसाय से जुड्ेमछुआिो्औि कािाबोरियो्की हालत भी पतली कि दी है. मछली को तालाब, नदी, समुद्औि भेड्ी से पकड्कि ग्​्ाहको्तक पहुच ं ाने मे्नकदी से ही लेनदेन होता है लेरकन नोटबंदी के चलते नकदी की रकल्लत औि बैक ् ो् से नकदी रनकासी की मात्​्ा तय कि रदये जाने से मछली कािोबाि की कमि टूट िही है. पर्​्िम बंगाल मे्हि िष्ालगभग 15 लाख मीर्​्टक टन मछली का उत्पादन होता है. मछली कािोबाि से लाखो्लोगो्की िोजी-िोटी जुड्ी हुई है. पर्​्िम बंगाल सिकाि की माने्तो यहां 2.76 लाख हेकट् ये ि तालाब, 42000 हेकट् ये ि के जलाशय औि 4 लाख हेकट् ये ि समुद्ी तट से मछरलयां पकड्ी जाती है.् तालाबो् औि जलाशयो् मे् मछली पालक मछरलयो्का चािा डालते है्औि कुछ महीने तक 28 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

कोलकाता रे्एक रछली बाजार: कर होती हलचल

पीली पड्ती नीली

उसे पालते है्रि​ि बाजाि मे्बेचते है.् पर्​्िम बंगाल के बादुरिया मे्18 बीघे की तालाब मे् मछली पालन किने िाले आि. िॉय कहते है,् ‘इस बाि मैन् े बागदा रचंगिी का पालन रकया था क्यो्रक तालाब का पानी नमकीन है. संकम् ण के कािण सािी मछरलयां मि गयी्. अच्छा हुआ मि गयी्ि​िना नोटबंदी के कािण तो िैसे भी धंधा चौपट ही हो जाता.’ 55 िष्​्ीय आि. िॉय कोयले का धंधा किना चाहते है् लेरकन नोटबंदी ने इसकी भी संभािना खत्म कि दी है. उन्हो्ने कहा, ‘मै्कोयले का कािोबाि शुर्किने की तैयािी कि चुका था. ई्ट-भट्​्ेिालो्से बात हो गयी थी. िे कोयला खिीदने को तैयाि भी हो गये थे, नोटबंदी के बाद िे कह िहे है्रक कोयले की कीमत िे 500 औि 1000 र्पये के नोट के र्प मे्देग् े इसरलए मैन् े इस धंधे को रिलहाल शुर् नही्किने का िैसला रलया है.’ मछली पालन औि इसके रनय्ाता मे् भाित रिश्​् मे् दूसिे स्थान पि है. पहले पायदान पि चीन है लेरकन चीन भाित से महज 10 प्र्तशत अरधक मछरलयो् का उत्पादन किता है. प्ध ् ानमंत्ी निेद् ् मोदी ने जुलाई 2014 मे् एक काय्क ा म् मे्कहा था रक हरित औि श्त्े क्​्ारं त

की तिह ही नील क्​्ारं त (मत्सय् पालन) पि जोि देना होगा. नील क्​्ारं त के रलए सिकाि ने कदम भी उठाना शुर्कि रदया था. नेशनल रिशिीज एक्शन प्लान तैयाि रकया गया रजसमे्बताया गया था रक मछरलयो्के रनय्ाता को तीन गुना किने के रलए िष्ा2020 तक मत्सय् पालन क्त्े ्मे्17199 किोड्र्पये खच्ाकिने हो्ग.े क्द् ्सिकाि िूड के रलए रिश्​्बैक ् औि एरशयाई रिकास बैक ् से बातचीत कि िही है लेरकन नोटबंदी के बाद मछली बाजािो्मे्जो िीिानगी पसिी हुई है उससे साि जारहि होता है रक नील क्​्ारं त का सपना पीला पड्िहा है. रिश मच्ट्े स ् एसोरसएशन के सेकट्े िी देिाशीष जाना कहते है,् ‘मछली का धंधा कच्​्ा माल का धंधा है. नोटबंदी का िैसला इस कािोबाि के रलए बड्ा झटका है, रजसे संभाल पाना बहुत मुबक् कल है.’ मछुआिो् से मछरलयो् खिीदकि छोटे दुकानदािो् को बेचने िाली कूपनी एनडीएम इंटिप्​्ाइज पहले िोज कम से कम 70 ब्किंटल मछरलयो्का कािोबाि कि लेती थी, लेरकन अब कूपनी का कािोबाि घटकि 7-8 ब्किंटल पि आ गया है. एनडीएम इंटिप्​्ाइज से जुड्े बप्पारदत्य िॉय कहते है,् ‘भेड्ी औि तालाब से मछरलयां


क्​्ांसत

पकड्कि लाने िाले मछुआिे नगदी मांगते है्औि िह भी 100 औि उससे कम िारश के नोट की शक्ल मे.् ऐसे नोट हो्गे तब देग् े न ? नोटबंदी के चलते मछली पालने िालो् से

लेकि उन्हे्पकड्ने के काम मे्लगे श्र्मको्औि रजससे मछली पि आर्​्शत लोगो्को दोहिी माि ्ू स्ा उन्हे्ग्​्ाहको्तक पहुच ं ाने िाले खुदिा व्यपारियो् सहना पड्िहा है. ऑल बंगाल रिश प्​्ोड्स एसोरसएशन के अध्यक्​्ि​िी्दन् ाथ कोले कहते है,् सब पि बुिा असि पड्ा है. बंगाल मे् केिल मछरलयो् को तालाब से ‘नोटबंदी के चलते रपछले दस रदनो् मे् मछली पकड्ने के काम मे्अनुमानतः 7 से 8 लाख लोग कािोबाि को कम से कम 500 किोड्र्पये का लगे है.् ये दैरनक मजदूिी पि तालाबो्औि भेर्डयो् नुकसान हो चुका है औि यह आने िाले समय मे् से मछरलयां पकड्ते है.् एक भेड्ी से अगि डेढ्से भी जािी िहेगा.’ रपछले रदनो्एक साक्​्ात्काि मे्जब क्द् ्ीय दो लाख र्पये की मछरलयां पकड्ी जाती है्तो उसमे् से लगभग 30 हजाि र्पये मछरलयां रित्म् तं ्ी अर्ण जेटली से नोटबंदी के चलते हो िही पिेशानी के संबधं मे् रनकालने िाले श्र्मको् मछणलयो्के रोक कारोबार सिाल रकया गया था तो को देने पड्ते है.् इन्हे् से जुड्ेलोगो्का कहना है णक उन्हो्ने कहा था रक ये हाथो्हाथ पैसे चारहये. खुदिा की रकल्लत से नोटबंदी के बाद से दूसरे राज्यो् छोटी समस्याये्है.् उस िक्त उनकी बॉडी इन्हे् रदहािी देने मे् भी से भी मछणलयो्का आना बंद लैग् ि् ज े ऐसी थी जैसे रदक्त् आ िही है. ऑल हो गया है. कुछ हुआ ही नही् है. बंगाल रिश प्​्ॉड्स ्ू स्ा एसोरसएशन के सरचि दीपंकि मंडल कहते है,् नकदी लेनदेन मे् समस्या को लेकि जेटली ने ‘खुदिा की रकल्लत के चलते दैरनक मजदूिी देने सलाह दी थी रक कैश की कमी है तो ऑनलाइन मे् मुबक् कले् आ िही है् रजससे कई भेर्डयो् मे् लेनदेन किे् लेरकन सुदिू गांिो् मे् िहने िाले श्र्मक असंतोष की घटनाएं हो िही है.्श्र्मको् मछुआिो्औि मछली पकड्ने िाले श्र्मको्के औि भेड्ी मारलको्मे्तू-तू-मै-् मै्की नौबत आ रलए ऑनलाइन लेनदेन असंभि है. मछली के आयात-रनय्ाता से जो कूपरनयां जुड्ी हुई है्िे ही जाती है.’ पर्​्िम बंगाल मे् सलाना लगभग 16.5 ऑनलाइन लेनदेन किती है्लेरकन उनकी संखय् ा लाख मैर्टक टन मछली की खपत होती है. 15 अंगरु लयो्पि रगनी जा सकती है. पर्​्िम बंगाला लाख मैर्टक टन मछली का उत्पादन तो बंगाल मे् मे्मछली कािोबाि से 15-20 लाख लोग जुड्ेहुए ही हो जाता है लेरकन 1.5 लाख मैर्टक टन है.् दीपंकि मंडल के अनुसाि श्र्मको् को मछरलयां आंधप् द् श े , ओरडशा औि दूसिे िाज्यो् पारिश्र्मक देने से लेकि मछरलयो्के बाजाि तक ं ने मे्नकद लेनदेन होता है. से मंगिाया जाता है. मछरलयो्के थोक कािोबाि पहुच मंडल ने कहा, ‘सिकाि अगि कालेधन पि से जुड्ेलोगो्का कहना है रक नोटबंदी के बाद से ु लगाना चाहती है तो यह अच्छी बात है दूसिे िाज्यो्से भी मछरलयो्का आना बंद हो गया अंकश है. मछरलयां चूरं क पानी से रनकालते ही मि जाती लेरकन इतना बड्ा िैसला लेने से पहले सिकाि है्इसरलए इन्हे्आलू-प्याज की तिह रबना बेचे को सोचना चारहये था. इसके रलए पहले ज्यादा समय िखा नही् जा सकता है. िाज्य मे् मुकम्मल तैयािी किनी चारहये थी.’ मछरलयो् का कािोबाि किने िाले लकी कोल्ड स्टोिेज है्भी लेरकन उनकी क्म् ता कम है ट्ड्े स्ासे जुड्ेिमेश शाह का भी यही कहना है रक खुिरा रछसलयां: रंि होती सबक्​्ी अगि सिकाि ऐसा िैसला लेना चाहती थी तो पहले इसकी तैयािी की जानी चारहये थी. सिकाि के िैसले से ईमानदाि लोगो्को भी तो पिेशानी हो िही है. शाह ने कहा, ‘मछली का कािोबाि चौपट हो िहा है इसकी रजम्मिे ािी कौन लेगा ?’ नोटबंदी के चलते मछली कािोबाि पि पड्े नकािात्मक असि का परिणाम यह रनकला है रक दुकानदािो् ने मछरलयो् को औने-पौने दाम पि बेचना शुर्कि रदया है तारक उन्हे्कम से कम नुकसान हो. झी्गा मछली पहले 600 से 700 र्पये रकलो रबका किती थी रजसका दाम घटकि 400 र्पये रकलो हो गया है. इसी तिह रहल्सा, िोहू औि दूसिी मछरलयो्की कीमत मे्भी रगिािट आयी है. मछरलयो् के शौकीन एक बंगाली ने कहा, ‘जो मछरलयां खाने मे्हम असमथ्ाथे, उन्हे् अब हम खिीद पा िहे है.्’ कुल रमलाकि, सिकािी िैसले ने एक ि्लते-िलते कािोबाि को बब्ादा कि रदया है. n शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 29


पश्मास् ्िटम हेबंडग

पक्​्िम बंगाल की राजनीकत की दो कवशेरताये्है्. एक तो यहां हमेशा कमजोर कवपक्​्देखने को कमलता है और दूसरा, यहां की राजनीकत मे्कहंसा का जबद्षस् बोलबाला है.

उमेश कुमार राय

स साल पर्​्िम बंगाल मे् हुए रिधानसभा चुनाि मे् कांग्ेस औि िाम गठबंधन को महज 72 सीटे्रमली थी्जबरक तृणमूल कांग्ेस ने 211 सीटो् पि जीत हारसल की. िाज्य के इरतहास मे्यह पहला मौका था जब रकसी पाट्​्ी को इतनी सीट रमली्. सबसे अरधक दुग्ारत िाम धड्े की हुई. उसे कांग्ेस से भी कम महज 28 सीटे्रमली्. इसके अलािा स्थानीय िाजनीरत मे् रहंसक िािदातो्का आरधक्य भी कोई रछपी हुई बात नही्है. लोकतांर्तक व्यिस्था मे्रिपक्​्का कमजोि होना अच्छा संकेत नही् है. इससे सत्​्ा की रनिंकुशता बढ्ती है औि इसका खरमयाजा आम जनता को भुगतना पड्ता है. हालांरक पर्​्िम बंगाल का िाजनीरतक इरतहास बताता है रक यहां रिपक्​्ी दल कभी मजबूत नही्िहे. सन 1952 के चुनाि मे् कांग्ेस को 150 सीटे्रमली थी्जबरक ज्योरत बसु के नेततृ ि् िाली भाितीय कम्यरु नस्ट पाट्​्ी (भाकपा) की झोली मे् महज 28 सीटे्ही गयी थी्. कांग्ेस के रिधानचंद् िॉय पर्​्िम बंगाल के पहले मुख्यमंत्ी बने थे. इसके बाद सन् 1957 के चुनाि मे् भाकपा के साथ कुछ औि पाट्​्ी रमल गयी थी् लेरकन जीत कांग्ेस को ही रमली औि रिधानचंद्िॉय दुबािा मुख्यमंत्ी चुने गये. इस चुनाि मे्रिपक्​्ी पार्टियो् को 80 सीटो् पि संतोष किना पड्ा था. िष्ा 1962 के चुनाि मे् भी रिपक्​्ी पार्टियो् को 80 सीटे्ही रमली थी्. अलबत्​्ा सन्1967 के चुनाि मे्इसका दुहिाि नही्हुआ था औि इसकी िजह शायद यह थी रक उस िक्त िाज्य की सभी दूसिी पार्टियां कांग्ेस के रखलाि लामबंद हो गयी थी्. उस िक्त बांग्ला कांग्ेस के अजय मुखज्​्ी के नेतृत्ि मे् 12 पार्टियो् ने रमलकि युनाइटेड फू्ट का गठन रकया था. चुनाि हुआ तो युनाइटेड फूट् की झोली मे् 133 सीटे् आयी् औि कांग्ेस को 127 सीटे् रमली थी्. अजय मुखज्​्ी मुख्यमंत्ी औि ज्योरत बसु उप मुखय् मंत्ी बने थे. इसके बाद सन 1972 के चुनाि मे्कांगस ्े की दुबािा िापसी 30 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

कोलकाता रे्स्​्तरूल और राकपा के बीच सहंिा: आर िृश्य

ित्​्ा की िीढ्ी है

हुई. इस चुनाि मे्माकपा रिपक्​्ी बनकि उभिी थी लेरकन महज 49 सीटो्के साथ. पांच िष्ाबाद यानी 1977 मे्पर्​्िम बंगाल की रिधानसभा भंग हुई औि चुनाि हुआ रजसमे् िाम मोच्​्े(माकपा ि दूसिी िामपंथी पार्टयि ो्का मोच्ा​ा) ने रिकॉड्ा 243 सीटे् जीती थी् औि पर्​्िम बंगाल मे् पहली बाि िाम मोच्​्े की सिकाि बनी. कांग्ेस औि जनता पाट्​्ी को महज 49 सीटो् पि रसमट जाना पड्ा था. सन 1982 मे् भी रिपक्​्ी पाट्​्ी कांग्ेस को 49 सीटे्, सन 1987 मे् 40 सीटे् औि सन 1991 मे् 43 सीटे् ही रमली्. सन 1996 मे् कांग्ेस की सीटो् मे् दोगुना इजािा हुआ लेरकन सन 2001 मे्कांगस ्े को 26 सीटे् ही रमल सकी. कांग्ेस से टूटकि बनी नई पाट्​्ी तृणमूल कांग्ेस ने पहली बाि िष्ा 2001 मे् रिधानसभा चुनाि लड्ा था औि 60 सीटो् पि जीत हारसल की थी. िष्ा 2006 के चुनाि मे् भी यथा ब्सथरत बनी िही जबरक िष्ा 2011 के रिधानसभा चुनाि मे्िाम मोच्​्ेके तीन दशक से चले आ िहे शासन का सूिज डूब गया. इस चुनाि मे् कांग्ेस औि तृणमूल कांग्ेस

गठबंधन को 227 सीटे् रमली थी् जबरक िाम मोच्​्ेको 62 सीटे्ही रमली्. इरतहास बताता है रक पर्​्िम बंगाल की िाजनीरत बेहद रहंसक िही है. यहां रजस पाट्​्ी की सिकाि बनी उसने रिपक्​्ी पार्टियो् के रखलाि पुरलस औि बाहुबल का पूिा इस्म्े ाल रकया तथा उनके समथ्ाको्मे्भय का माहौल बनाकि उन्हे् अपनी ओि किने की कोरशश की. िाजनीरतक पय्ािेक्क रिश्​्नाथ चक्​्ित्​्ी कहते है,् 'पर्​्िम बंगाल की िाजनीरतक संसक ् रृ त बहुत रहंसक है. जो पाट्​्ी सिकाि मे्आती है िह अपनी मशीनिी का इस्​्ेमाल रिपक्​्ी पार्टियो्के नेताओ्औि समथ्क ा ो्के रखलाि किती है. रजस िजह से रिपक्​्ी पार्टियो् के काय्ाकत्ा​ा औि समथ्क ा मजबूि होकि सत्​्ासीन पार्टयि ो्के साथ रमल जाते है्औि रिपक्​्कमजोि हो जाता है.' उल्लख े नीय है रक िष्ा1972 से 1977 तक पर्​्िम बंगाल मे्व्यापक तौि पि रहंसक झड्पे् हुई थी्. िष्ा 1977 से 1987 तक यहां िाजनीरतक रहंसा कम िही. िष्ा 2011 मे् जब िाम मोच्​्े के हाथ से सत्​्ा िेत की तिह रिसल


सहंिा

गयी तो एक बाि रि​ि रहंसक िािदाते् तेज हो गयी्. पर्​्िम बंगाल मे् रहंसक िाजनीरत की गिाही िाष्​्ीय अपिाध रिकॉड्ा ल्यूिो के आंकड्े भी देते है्. आंकड्ो् के अनुसाि िष्ा 2012 मे् अकेले पर्​्िम बंगाल मे्22 िाजनीरतक हत्याये् दज्ाकी गयी थी्जो िष्ा2013 मे्बढ्कि 26 पि पहुंच गयी्जो रकसी भी िाज्य से अरधक थी. िष्ा 2013 मे्िाष्​्ीय स्​्ि पि 101 लोग िाजनीरतक रहंसा की भे्ट चढ्ेथे. िष्ा 1997 मे् तत्कालीन गृहमंत्ी मंत्ी बुदद् िे भट्​्ाचाय्ाने रिधानसभा मे्एक सिाल के जिाब मे् कहा था, 'िष्ा 1977 से 1996 तक पर्​्िम बंगाल मे् 28000 हजाि लोग िाजनीरतक रहंसा की बरल चढ्ेथे.' िाजनीरतक रहंसा पि रकताब रलखनेिाले सुजात भद्​्कहते है्, 'मै्ने अपनी रकताब मे्िष्ा 2010 तक हुई िाजनीरतक रहंसा की िािदातो्को शारमल रकया है. शोध के दौिान मुझे पता चला रक पर्​्िम बंगाल मे् िाजनीरतक रहंसा की घटनाये् दूसिे सभी िाज्यो् से अरधक हुई है्. पर्​्िम बंगाल के अलािा केिल मे् भी

िाजनीरतक झडपे्अरधक हुई है्.' सुजात भद्​्ने कहा, 'मैन् े शोध रकया तो मुझे पता चला रक िष्ा 2010 तक सभी पार्टियो् को रमलाकि सात हजाि लोगो् की हत्या की िजह िाजनीरतक थी. शोध मे्यह भी पता चला रक न केिल रिपक्​्ी पाट्​्ी के काय्ाकत्ा​ाओ् के साथ बब्लक घटक दलो् के बीच भी रहंसक िािदाते् हुई्, मसलन रि​िॉल्युशनिी सोशरलस्ट पाट्​्ी (िाम धड्ेमे्घटक दल) औि िॉि​िड्ाल्लॉक (िाम मोच्​्े का घटक दल) के बीच, माकपा औि आिएसपी के बीच औि िॉि​िड्ा ल्लॉक ि माकपा के बीच िाजनीरतक रहंसा हुई्.' िष्ा 2011 मे् तृणमूल कांग्ेस जब सत्​्ा मे् आयी थी तो पाट्​्ी सुप्ीमो ममता बनज्​्ी ने 'बदला नही् बदलाि चारहये' का नािा रदया था. उस िक्त लोगो् को लगा था रक बंगाल की िाजनीरतक मे्अब ताजा हिा चलेगी लेरकन ऐसा नही्हुआ. तृणमूल कांगस ्े की सिकाि मे्भी यही खूनी देखने को रमल िहा है. पहले िाज्य मे् िाम के घटक दल औि कांग्ेस का ही बोलबाला था तो इनके बीच ही िाजनीरतक रहंसा की घटनाये् होती थी्. िष्ा 1998 मे् कांग्ेस से अलग होकि ममता बनज्​्ी ने अलग पाट्​्ी तृणमूल कांग्ेस बना ली तो इसने भी िाजनीरतक रहंसा को अपना रलया. िष्ा2014 के लोकसभा चुनाि मे्पर्​्िम बंगाल मे्भाजपा के िोट बै्क मे् आयी बेतहाशा बढ्ोतिी के बाद कई जगहो् पि भाजपा औि तृणमूल कांग्ेस के काय्क ा त्ाओ ा ्के बीच रहंसक िािदात हुई. िीिभूम रजले के अल्पसंख्यक बहुल इलाके पार्ई मे्तो लंबे समय तक भाजपा औि तृणमूल मे् िहिहकि खूनी लड्ाई होती िही. तथ्य यह भी है रक िाजनीरतक लड्ाई मे् गिीब औि जमीनी स्​्ि के काय्ाकत्ा​ाओ्ही खून बहा, बड्े नेताओ् ने तो बस उनकी लाशो् पि िुजात भद्​्: सहंिा की चीरफाड्

िाजनीरतक रबसात रबछाकि सत्​्ा हरथयाने की कोरशश की. िाजनीरतक रहंसा को लेकि िाम मोच्​्े से इति पार्टियो्का कहना है रक िाजनीरत मे्खूनी खेल िामपंरथयो् की देन है लेरकन िाजनीरतक रिक्लेषको्का कुछ औि ही कहना है. िे इसके रलए कांग्ेस को रजम्मेिाि ठहिाते है्. कलकत्​्ा रिश्​्रिद्​्ालय के रहंदी रिभाग के प्​्ोिेसि िहे िाजनीरतक रिक्लेषक प्​्ो. जगदीश्​्ि चतुि्ेदी कहते है्, 'बंगाल मे् िाजनीरतक रहंसा की शुर्आत कांग्ेस की देन है.' िे आगे कहते है्, 'गिीबो् के हक के रलए सशस्​् नक्सलबाड्ी आंदोलन जब शुर् हुआ तो कांग्ेस ने भी इसे कुचलने के रलए रहंसा का ही िास्​्ा अपनाया. नक्सरलयो् से रनपटने के रलए बंदूक का सहािा रलया औि िही्से पर्​्िम बंगाल मे्िाजनीरतक रहंसा की पिंपिा चल पड्ी.' गौितलब है रक नक्सलबाड्ी आंदोलन की नी्ि िष्ा 1967 मे् बंगाल के एक छोटे से गांि नक्सलबाड्ी मे् पड्ी थी. यह आंदोलन धन्ना सेठो्, जमी्दािो् के रखलाि था जो गिीबो् का शोषण कि िहे थे. सरदयो्से दबे-कुचले िगज्​्के लोगो्को इस आंदोलन मे्उम्मीद रदखी तो िे भी साथ हो गये औि देखते ही देखते इस आंदोलन ने बड्ा र्प ले रलया. असल मे् था यह िग्ा संघष्ा लेरकन उस िक्त की सिकाि इस आंदोलन की िजह समझ न सकी औि इसे कानून ि व्यिस्था का मामला बताती िही. यहां तक रक उस िक्त क्​्द्मे्िही सिकाि भी यही सोच िही थी रक यह कानूनव्यिस्था का मामला है. सन 1967 मे् क्​्द्ीय गृहमंत्ी िाई. िी. चौहान ने नक्सलबाड्ी आंदोलन को लेकि लोकसभा मे्कहा था रक यह कानून-व्यिस्था जुड्ा मामला है स्थानीय पुरलस की मदद से इससे रनपटना चारहये. आंदोलनकारियो् से रनपटने के रलए सिकाि ने भी रहंसा का ही िास्​्ा अपनाया. उस िक्त पर्​्िम बंगाल मे् संयुक्त मोच्ा​ा की सिकाि थी रजसमे्माकपा भी शारमल थी. िष्ा1972 मे्जब कांग्ेस की िापसी हुई औि रसद्​्ाथ्ा शंकि िाय मुख्यमंत्ी बने तो उन्हो्ने इस आंदोलन को कुचलने के रलए पुरलस औि सेना को लगा रदया. इससे पहले िष्ा 1971 मे् जब देश मे् िाष्​्परत शासन लगा तो तत्कालीन प्ध ् ानमंत्ी इंरदिा गांधी ने नक्सरलयो् के दमन के रलए सेना का भिपूि इस्​्ेमाल रकया. प्​्ोिेसि चतुि्ेदी कहते है् रक िाजनीरतक रहंसा तभी खत्म हो सकती है जब सभी िाजनीरतक पार्टायां यह तय कि ले्रक िे रकसी भी कीमत पि रहंसा का िास्​्ा नही् अपनाये्गी. िाजनीरतक पार्टायां ऐसा सोचे्यह मुमरकन नही् लगता क्यो्रक अब तो यही उनके रलए सत्​्ा पि कारबज िहने का हरथयाि है. n शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 31


मध् मास्यटप्हे्दडेश

स्थापना सिवि पर सशवराज सिंह चौहान: अशोभनीय बोल

मोदी की राह पर शिवराज मध्य प्​्देश के मुख्यमंत्ी कशवराज कसंह चौहान की राजनीकत मे् स्पष्​्कवचलन नजर आ रहा है. वे समावेशी राजनीकत से आि्​्ामक ध्​्ुवीकरण की राजनीकत की ओर बढ्रहे है्.

पूजा वसंह

गि संकेतो् को समझा जाये तो प्​्तीत होता है रक मध्य प्​्देश के मुख्यमंत्ी रशि​िाज रसंह चौहान समािेशी िाजनीरत से ध्​्ुिीकिण की िाजनीरत की ति​ि बढ् िहे है्. इसकी एक झलक हाल मे्तब देखने को रमली जब उन्हो्ने मध्य प्​्देश के स्थापना रदिस के अिसि पि आयोरजत एक समािोह मे् उन्हो्ने रसमी के आठ सदस्यो्के पुरलस मुठभेड्मे्मािे

32 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

जाने पि जनता की साि्ाजरनक मोहि लगिायी. रशि​िाज की िाजनीरतक यात्​्ा पि किीबी रनगाह िखने िालो् के रलए रशि​िाज का यह रिचलन चौ्काने िाला था. इस िष्ा एक निंबि को मध्य प्​्देश के मुख्यमंत्ी रशि​िाज रसंह चौहान ने िाजधानी भोपाल ब्सथत लाल पिेड मैदान पि प्​्देश की जनता को संबोरधत रकया तो उनकी बातो् मे् एक खास रकस्म की आक्​्ामकता देखने को रमली. उन्हो्ने िहां आये लोगो् से हाथ उठिाकि एक रदन पहले हुए आठ 'दुद्ाि्त आतंरकयो्' के पुरलस एनकाउंटि का समथ्ान कि​िाया. प्​्रतबंरधत छात्​् संगठन स्टूडे्ट्स इस्लारमक मूिमे्ट ऑि इंरडया (रसमी) के आठ सदस्य जो भोपाल क्​्द्ीय कािागाि मे् रिचािाधीन कैदी के र्प मे् बंद थे औि जेल तोडकि भाग रनकले थे. पुरलस ने कुछ ही घंटो् मे् उन्हे् माि रगिाया. इस मुठभेड् पि लगाताि सिाल उठ िहे है्औि जांच जािी है. िष्ा 2006 मे् मुख्यमंत्ी बनने के बाद से रशि​िाज रसंह चौहान लगाताि रिकास को

अपना प्​्मुख एजे्डा बनाकि चलते िहे है् लेरकन एक निंबि को 10,000 से अरधक लोगो्की भीड्से जब उन्हो्ने न केिल मुठभेड् के पक्​्मे्हाथ उठिाये बब्लक मुठभेड्को िज्​्ी बताये जाने औि जांच की मांग के बीच ही उन्हो्ने मंच पि ही करथत आतंरकयो् की जानकािी देने िाले ग्​्ामीणो् को बुलाकि सम्मारनत भी रकया. उनके इस रिचलन को तमाम लोगो् ने महसूस रकया. एक सिाल सबके मन मे् उठा, क्या रशि​िाज रसंह चौहान प्​्धानमंत्ी निे्द् मोदी की िाह पि चल रनकले है्? अगि हां तो क्यो् औि कैसे? याद िहे रक गुजिात मे् इशित जहां औि सोहिाबुद्ीन के करथत पुरलस मुठभेड्मे्मािे जाने के मौके पि तब िाज्य के मुरखया िहे मोदी ने भी जनता से ऐसे ही पुरलस के कदमो् का समथ्ान कि​िाया था. काय्ाक्म की कि​िेज किने िाले एक पत्​्काि कहते है् रक िंदे मातिम औि भाित माता की जय के उद्घोष के बीच िहां माहौल अलग ही था. यह कतई नही् लग िहा था रक रकसी िाज्य का स्थापना रदिस समािोह चल


िहा है. इसके बजाय ऐसा प्त् ीत हो िहा था मानो िह रबना पूिी जांच के इस प्​्काि खुलकि लोगो् समािोह मे्उन्हो्ने मुब्सलमो्की पािंपरिक टोपी रकसी युद् मे् जीत के उपिांत कोई िाष्​्िादी से हामी भि​िाये्गे. यह एक खतिनाक प्​्िृर्त पहनी थी. लेरकन िष्ा 2014 मे् निे्द् मोदी के की ओि इशािा किता है. इससे एक आशंका देश का प्​्धानमंत्ी बनने के बाद उन्हो्ने ऐसा आयोजन रकया गया है. भाितीय जनता पाट्​्ी के एक िरिष्​् नेता यह उत्पन्न हो गयी है रक भरिष्य मे् भी ऐसी नही् रकया. एक समािोह मे् एक मुब्सलम कहते है् रक एक िक्त था जब रशि​िाज रसंह घटनाये्दोहिायी जा सकती है्. रमश्​्ा ने यह भी बालक ने उनको टोपी पहनाने की पेशकश की चौहान को पाट्​्ी मे् अटल रबहािी िाजपेयी का कहा रक भाजपा के आरधकारिक िेसबुक पेज लेरकन रशि​िाज ने िह टोपी उस बच्​्े के ही िारिस माना जाने लगा था. उनकी समािेशी पि सीएम रशि​िाज रसंह चौहान का एक भाषण सि पि पहना दी. हालांरक रशि​िाज के शासन िाजनीरत की शैली भी बहुत हद तक िाजपेयी अपलोड रकया गया है रजसमे् उन्हो्ने कांग्ेस काल मे् भी मुब्सलम औि ईसाई समुदायो् पि से मेल खाती थी लेरकन हाल के रदनो्प्​्देश मे् को आतंकिारदयो् का समथ्ाक बताया है. इस हमले होते िहे है्. लेरकन चौहान ने हमेशा पाट्​्ी के भीति से लगाताि रमल िही चुनौती, प्​्काि तथ्यहीन बात किना मुख्यमंत्ी को शोभा अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओ् से मुलाकात कि शंका के बादल छांटने मे् मदद की. इस रिरभन्न घोटालो् के सामने आने उपजी रचंता नही्देता है. िाजनीरतक रिक्लेषको् का मानना है रक प्​्काि िह अल्पसंख्यक रि​िोधी नेता की छरि औि शहडोल उपचुनाि मे् जीत का दबाि से बचे िह सके. उनसे िह कि​िा िहे है् जो िह िास्​्ि मे् नही् यह रशि्​्ता, धैय्ा एिं यह णशष्त् ा एवं णवनम्त् ा की रशि​िाज के रिनम्​्ता की प्​्रतमूर्ता है्. प्ण्तमूणत् थ माने जाने वाले णशवराज व्यिहाि मे्आ िहे इस मुख्यमंत्ी रशि​िाज रसंह चौहान ने न माने जाने िाले के व्यवहार मे्आया बदलाव बदलाि को मोदी के केिल रिचािाधीन कैरदयो् को खतिनाक रशि​िाज के व्यिहाि मे् प् आतंकिादी किाि रदया बब्लक पिोक्​् र्प से आया यह बदलाि भाजपा के भीतर तेजी से बदलते ्भाि से जोडकि देखा जा िहा है. जब तक धीमी न्यारयक प्​्र्कया पि सिाल उठाते हुए भाितीय जनता पाट्​्ी के समीकरणो्का नतीजा है. लालकृष्ण आडिाणी उन्हो्ने यह भी कहा रक उनको िष्​्ो्से जेल मे् भीति तेजी से बदलते रचकन रबियानी रखलाई जा िही थी. यहां भी समीकिणो् का नतीजा है. एक िक्त था जब भाितीय जनता पाट्​्ी मे्प्भ् ािशाली थे उस िक्त यह याद किना उरचत िहेगा रक मुंबई हमलो्के रिपक्​् का कोई नेता भी रशि​िाज के रखलाि तक रशि​िाज रसंह चौहान को कोई रदक्त् नही् आिोपी अजमल कसाब को जेल मे् रबियानी कुछ नही् बोलता था क्यो्रक उन्हो्ने सबसे थी. उन्हो्ने आिएसएस के लोगो् को शैक्रणक रखलाये जाने की खबिो्ने भी खूब तूल पकड्ा दोस्​्ाना रिक्ते कायम कि िखे थे. लेरकन अब संस्थानो्, सांस्कृरतक औि अन्य जन संगठनो् था औि जन भािनाओ् को भडकाने का काम पाट्​्ी के भीति भी उनके कई रि​िोधी मुखि है्. मे् जगह देकि प्​्सन्न िखा लेरकन इस दौिान रकया था हालांरक बाद मे् सिकािी िकील व्यापम घोटाले के बाद से कैलाश रिजयिग्​्ीय िह अपनी नौकिशाही औि पुरलस तंत् को उज्​्िल रनकम ने कह रदया था रक यह बात लगाताि रशि​िाज पि हमलाि​ि िहे है् जबरक आिएसएस के प्​्भाि से पूिी तिह बचाये िखने अरनल माधि दिे को क्​्द्ीय पय्ा​ाि​िण मंत्ी मे्कामयाब िहे लेरकन मोदी के प्​्भुत्ि मे्आने झूठी थी. प्​्देश कांग्ेस के िरिष्​्नेता के के रमश्​्ा ने बनाकि उनका कद कािी बढ्ा रदया गया है. के बाद चीजे्बदलने लगी्. इस िष्ा रसतंबि मे् कहा रक एक निंबि को रशि​िाज रसंह चौहान इन तमाम बातो् की िजह से रशि​िाज रसंह भी बालाघाट के एक आिएसएस प्​्चािक की करथत पुरलस रपटायी के मामले मे् भी ने रजस जनसभा को संबोरधत रकया उसमे् चौहान कािी असुिर्​्कत महसूस कि िहे है्. रशि​िाज कई अिसिो्पि साि्ाजरनक र्प आिएसएस ने जमकि दबाि बनाया था रजसके भाजपा औि आिएसएस के काय्ाकत्ा​ा भी बहुत बड्ी तादाद मे् शारमल थे. इसके अलािा से मुब्सलम समुदाय के प्​्रत अपनी किीबी औि बाद स्थानीय टीआई रजयाउल हक औि एएसपी सिकािी कम्ाचािी भी िहां थे. जारहि है यह अपना समािेशी र्ख रदखा चुके है्. लेरकन िाजेश शम्ा​ा को रनलंरबत कि रदया गया था. इस माना जा िहा था रक रशि​िाज इस बािे मे् बात धीिे-धीिे उनका र्ख बदलता देखा गया. िष्ा मामले मे् भी आिएसएस ने प्​्शासन पि बहुत किे्गे लेरकन रकसी ने यह नही् सोचा था रक 2013 मे्भोपाल की जामा मब्सजद मे्ईदरमलन दबाि बनाया था. प्​्देश मे् आिएसएस के बढ्ते प्​्भुत्ि का रुठभेड्रे्शासरल पुसलिकस्रायो्का िम्रान: सववाि का सवषय पहला संकेत तब रमला था जब आिएसएस के रथंकटै्क के सदस्य माने जाने िाले रिनय सहस्ब् द ु ्ेको मध्य प्द् श े का भाजपा प्म् ख ु बना रदया गया. सहस्​्बुद्े के साथ रशि​िाज के मतभेद गाहेबगाहे सामने आते िहते है्. इसके बाद पाट्​्ी के संगठन महासरचि के पद पि रशि​िाज के किीबी अिरिंद मेनन के स्थान पि आिएसएस प्च ् ािक सुहास भगत को रबठा रदया गया. इसके बाद आिएसएस ने प्​्देश औि सिकाि पि अपनी पकड् मजबूत किनी शुर् कि दी. बहिहाल, मध्य प्​्देश के शांत िाजनीरतक रमजाज को देखते हुए कहा जा सकता है रक रशि​िाज ने अपनी िाजनीरत बदलने का जोरखम मोल लेकि एक बड्ा कदम उठाया है. इसका प्​्भाि कैसा होगा यह तो भरिष्य के गभ्ा मे्है. n शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 33


मध् मास्यटप्हे्दडेश

व़यापमं से आगे एक और घोटाला

व्यापमं की आंच मंद पड़्नी शुर्ही हुई थी कक मध्य प्द् श े लोक सेवा आयोग की भत्​्ी मे्घोटाले की आशंका जताई जाने लगी है. उच्​्कशक्​्ा कवभाग ने इस मामले की एसटीएफ जांच की अनुशस ं ा की है. पूजा वसंह

र्तायो् मे् होने िाले घोटाले मध्य प्​्देश सिकाि का पीछा छोड्ने को तैयाि ही नही्है्. यहां एक के बाद एक भर्तायो्मे्घोटाले के मामले सामने आ िहे है्. कुख्यात व्यापमं घोटाले का रजन्न अभी बोतल मे् ठीक से बंद भी नही् हुआ था रक मध्य प्​्देश लोक सेिा आयोग द्​्ािा आयोरजत प्​्ोिेसिो् की भत्​्ी पिीक्​्ा मे् घोटाले की खबि रिजा मे् तैिने लगी है. प्​्देशा के उच्​् रशक्​्ा रिभाग ने मामले की जांच एसटीएि से किाने का रनद्​्ेश दे रदया है. 34 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

आयोग ने रपछले कुछ सालो् के दौिान उच्​् रशक्​्ा रिभाग मे् प्​्ोिेसिो् की सीधी भत्​्ी की है रजसमे् जमकि अरनयरमतता होने की बात सामने आयी है. संदेहास्पद होने पि मध्य प्​्देश उच्​् रशक्​्ा रिभाग ने मामले की जांच एक चाि सदस्यीय टीम से किाई. टीम ने इस मामले की जांच के दौिान बाि-बाि कुछ अहम दस्​्ािेजो् की मांग की लेरकन िो उन्हे् नही् रमल सके. उपलल्ध प्​्माणो् के आधाि पि टीम ने इस पूिे प्​्किण को संरदग्ध पाया. उसने इसकी जांच एसटीएि यानी रिशेष काय्ा बल से किाने की रसिारिश कि दी.

परीक्​्ा के्द्रे्उम्रीिवार: उलझती गुत्थी

जनि​िी 2009 मे् मध्य प्​्देश लोक सेिा आयोग ने उच्​् रशक्​्ा रिभाग मे् प्​्ोिेसिो् की भत्​्ी के रलए 385 पदो्के रिज्​्ापन जािी रकये थे. िष्ा2011 के अंत मे्256 पदो्पि रनयुब्कत की प्र्​्कया पूिी कि ली गयी. इन रनयुबक् तयो्को लेकि लगाताि हो िही रशकायतो्के बाद उच्​् रशक्​्ा रिभाग ने चाि सदस्यीय सरमरत को जांच का रजम्मा सौ्पा. सरमरत ने हाल ही मे् अपनी रिपोट्ा सिकाि को सौ्पी है. सरमरत ने अपनी रिपोट्ामे्स्पि्​्रकया रक उसके बाि-बाि मांगने पि भी जर्िी कागजात मुहैया नही्किाये गये. जो आधे-अधूिे कागजात उसे सौ्पे गये उनके आधाि पि कहा जा सकता है रक मामले मे् गंभीि अरनयरमतता हुई है, इसरलए इसकी जांच एसटीएि से किायी जाये. जांच सरमरत ने पाया रक भत्​्ी के रलए हो िहे साक्​्ात्काि के अंरतम चिण मे्यानी अगस्​् 2011 मे् अचानक रिज्​्ापन मे् संशोधन जािी हुआ. रनयमत: यरद संशोधन आिक्यक था तो पूिी प्​्र्कया को रनिस्​्कि दोबािा नये रसिे से आिेदन आमंर्तत रकये जाने चारहये थे. संशोरधत रिज्​्ापन मे्अनुभि की शत्​्ेबदल दी गयी्. पुिाने रनयमो् को भंग किते हुए रनजी संस्था मे् पढ्ाने के अनुभि को भी मंजूिी दे दी गयी जो गलत था. रिद्​्ालयो्मे्संरिदा रशक्​्क होने का अनुभि लगाने िालो् को भी प्​्ोिेसि बना रदया गया. गैि शैक्रणक काय्ाके अनुभि


आरोपो् का वसलवसला

लंबे समय से संघ की िाजनीरत का अखाड्ा बना माखनलाल चतुि्ेदी िाष्​्ीय पत्​्कारिता एिं संचाि रिश्र्िद्​्ालय छह साल पहले बी के कुरठयाला को कुलपरत बनाये जाने के बाद से लगाताि गलत िजहो्से सुर्खायो्मे्िहा आया है. कभी अकादरमक रदक्​्तो्को लेकि छात्​्आंदोलन तो कभी रकसी छात्​् की छात्​्िृर्त िोके जाने का मामला यहां सि उठाता िहा है. कुरठयाला संघ के किीबी है्. उनके आगमन के बाद से ही यह रिश्​्रिद्​्ालय संघ की प्​्योगशाला बन गया है. इस बीच िहां भ्​्ि्ाचाि के आिोप लगाताि सि उठाते िहे है्. हाल ही मे् स्ि​िाज अरभयान ने आिोप लगाया रक माखनलाल रिरि मे्रबना रकसी भत्​्ी प्​्र्कया पालन रकये औि साक्​्ात्काि रलए सीधे रनयुब्कत आदेश जािी कि रदये गये. इन अिैध रनयुब्कतयो्औि भ्​्ि्ाचाि की जांच की मांग औि जांच न होने की ब्सथरत मे्उच्​्न्यायालय मे्परि​िाद दायि कि जाँच की मांग को लेकि स्ि​िाज अरभयान लीगल सेल के म.प्.् प्भ् ािी एिं सदस्य देिदे् ्प्क ् ाश रमश्​्ने रिरि मे्व्याप्त अरनयरमतता औि िज्​्ी रनयुब्कतयो्की जमकि पोल खोली है. उदाहिण के रलए रबना रिज्​्ापन ि साक्​्ात्काि प्​्र्कया के रनयुब्कत देना, कम अनुभि िाले उम्मीदिािो्को एसोरसएट प्​्ोिेसि पि पि रनयुक्त किना आरद जैसे आिोप शारमल है्. बीते छह सालो्के दौिान रिश्​्रिद्​्ालय कभी शैक्रणक उपलब्लधयो्के रलए चच्ा​ा मे्नही्िहा. शैक्रणक गरतरिरधयो्पि ध्यान देने के बजाय यह संस्थान आिएसएस की प्​्योगशाला बना हुआ है. इसका ध्येय आय अर्जात किना िह गया है. बीते छह साल मे्इससे संबद्​्संस्थानो्की संख्या दोगुनी से भी अरधक बढ्कि 1000 के किीब पहुंच गयी है. इससे पहले सांची रिश्​्रिद्​्ालय मे् हुई रनयुब्कतयो् को लेकि भी िज्​्ीिाड्े की सुगबुगाहटे् सुनने मे् आयी थी्. रदसंबि 2014 मे् सांची के बौद्​् ज्​्ान –अध्ययन रिश्​्रिद्​्ालय मे् हुई रनयुब्कतयो्मे्गड्बड्झाले की खबि स्थानीय अखबािो्की सुर्खायां बनी थी. को भी मान्यता दे दी गयी जो गलत है. रिज्​्ापन की शत्​्ो् के रिपिीत अल्पकालीन रशक्​्ण के अनुभिो् को भी मान्यता प्​्दान कि दी गयी. रिश्​्रिद्​्ालय अनुदान आयोग के मुतारबक प्​्ोिेसि पद के रलए यह आिक्यक है रक स्नातकोत्​्ि कक्​्ा मे् चाि साल पढ्ाने

का अनुभि हो लेरकन इसे दिरकनाि कि रदया गया. उल्लेखनीय है रक रजस समय ये भर्तायां हुई्उस समय प्​्ोिेसि पी के जोशी मध्य प्​्देश लोक सेिा आयोग के अध्यक्​् थे. उनका काय्क ा ाल 13 जून 2006 से 28 रसतंबि 2011

तक िहा. ये सािी भर्तायां उनके काय्ाकाल के आरखिी दौि मे्हुई्. जोशी को संघ की पृष्भूरम के रलए जाना जाता है. इस संबध ं मे्उच्​्रशक्​्ा मंत्ी जयभान रसंह पिैया का कहना है रक अब तक यह प्​्किण उनकी जानकािी मे् नही् आया है. अगि यह हुआ है तो इसकी उरचत जांच पड्ताल की जायेगी. गौितलब है रक तमाम सिल-असिल प्​्त्याशी लंबे समय से यह आिोप लगाते िहे है् रक मध्य प्द् श े लोकसेिा आयोग दबाि मे्काम कि िहा है. आिोप यह भी है रक प्​्ोिेसि भत्​्ी पिीक्​्ा मे् सिल हुए कई लोगो् का रिक्ता एक दर्​्कणपंथी रहंदूिादी संगठन से है. इन सभी को रनयम रिर्द् रनयुब्कत प्​्दान किने का आिोप लगाया गया है. एक िरिष्​् अरधकािी ने नाम जारहि न किने की शत्ा पि कहा रक प्​्ोिेसि का पद सबसे अरधक िेतन पाने िाले सिकािी पदो् मे् से एक है. अगि ठीक से पड्ताल की जाये तो यह घोटाला व्यापम से कतई छोटा नही् रनकलेगा. अगि एसटीएि की जांच प्​्भारित नही् हुई तो इसके नतीजे चौ्काने िाले हो्गे. प्​्देश कांग्ेस प्​्िक्ता के के रमश्​्ा ने शुक्िाि से कहा रक कांग्ेस पाट्​्ी को इस खुलासे से कोई आि्​्य्ा नही् हुआ है. उन्हो्ने कहा रक यह सिकाि शुर्आती रदन से ही आकूठ भ्​्ि्ाचाि मे्डूबी हुई है. रनचले स्​्ि के कम्च ा ारियो्के हौसले अपने उच्​्ारधकारियो्को देखकि बढ्ते है्. उन्हो्ने कहा रक कांग्ेस इस मसले को जोिशोि से उठायेगी. n

शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 35


रहन-सहन मास्ट हेड

पय्ा​ावरण बचाने के सलए शाकाहार संयुक्त राष्​्ने अपनी करपोट्षमे् कहा था कक जलवायु पकरवत्षन को रोकने, प्​्दूरण को कम करने, भुखमरी को खत्म करने के कलए वैक्िक स्​्र पर शाकाहारी भोजन अपनाया जाना जर्री है . निीन जैन

ई अखबािो् मे् खबि छपी थी रक यरद लोग शाकाहाि ज्यादा से ज्यादा किे्औि मांसाहाि को त्याग दे् तो न रसि्फ उन्हे् इसका िायदा रमलेगा बब्लक पृथ्िी को भी लाभ पहुँचेगा. इससे धिती पि बढ िही गम्​्ी मे् तो कमी आएगी ही पय्ािा िण को पहुच ं िहे नुकसान मे्भी कमी आएगी. सबसे खास बात यह है रक इससे स्िास्थय् सेिाओ्पि जो खच्ालगाताि बढ िहा है िह कम होगा. यह दािा ऑक्सिोड्ा मार्टनि प्​्ोग्​्ाम के माक्​्ो स्र्पगं मैन ने अमेरिका के नेशनल ऐकेडमी ऑि साइंसेस मे् प्​्कारशत अपने अध्ययन मे्रकया है. दुरनया मे्शाकाहाि औि मांसाहाि के स्िास्थ्य औि पय्ा​ाि​िण पि होने िाले असि को लेकि रकया गया यह ताजा अध्ययन है. इस अध्ययन मे् कहा गया है रक मांसाहाि के रलए पशुओ्को तैयाि किते समय उनके भोजन तैयाि किने, उन्हे् काटने औि पैकेटबंद ब्सथरतयो्मे्एक जगह से दूसिी जगह ले जाने तथा उन्हे् पकाने से पय्ा​ाि​िण पि रिपिीत असि पड िहा है. दिअसल शाकाहाि के पक्​्मे्दुरनयाभि मे् रपछले कुछ सालो्से माहौल तेजी से बनने लगा है. इसका सबसे बडा कािण यह है रक इसके जरिए प्क ् रृ त औि पय्ािा िण को नुकसान पहुच ं ने की बजाय िायदा पहुंचता है. दुरनयाभि मे् शाकाहाि को बढािा देने िाली प्​्रतर्​्षत संस्था ‘पेटा’ की प्​्िक्ता बेनजीि सुिैया का कहना है 36 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

रक भाित शाकाहाि का जन्मस्थल िहा है. शाकाहाि से हारनकािक गैसो् का उत्पादन र्क सकता है औि जलिायु परि​ित्ान पि भी अंकुश लग सकता है. यह आम धािणा है रक शाकाहािी भोजन से मांसाहािी लोगो् की तुलना मे् मोटापे का खतिा एक चौथाई ही िह जाता है लेरकन इसके बािजूद लोग मांसाहाि से नही् चूकते. बेनजीि का कहना है रक खाने के रलए पशुओ् की आपूर्ता मे् बडे पैमाने पि जमीन खाद्​्ान्न औि पानी की जर्ित होती है. कुछ समय पहले संयुक्त िाष्​्ने भी अपनी रिपोट्ामे्कहा था रक जलिायु परि​ित्ान को िोकने, प्​्दूषण को कम किने, जंगलो् को काटे जाने से िोकने, औि दुरनयाभि मे् भुखमिी को खत्म किने के रलए िैर्शक स्​्ि पि शाकाहािी भोजन अपनाया जाना जर्िी है. भाित मे् ह्दय से जुडी बीमारियां, डायबीरटज औि कै्सि के मामले तेजी से बढ िहे है्औि इसका सीधा सम्बन्ध मांस, अंडे तथा डेयिी उत्पादो् जैसे मक्खन, पनीि औि आय.पी.एम. की बढ िही खपत से है. भाित मे् तेजी से बढ िहे डायबीरटज-2 से पीरडत लोग शाकाहाि अपनाकि इस बीमािी पि रनयंत्ण पा सकते है्. शाकाहािी खाने मे् कोलोस्ट्ाल नही् होता. बहुत कम िसा होती है औि यह कै्सि के खतिे को 40 िीसदी तक कम किता है. ‘पेटा’ के िरिष्​् समन्ियक रनकुूज शम्ा​ा ने आई.ए.एन.एस. को बताया रक संगठन का मानना है रक पय्ा​ाि​िण के क्​्िण के रलए मांस उद्​्ोग रजम्मेदाि है. मांसाहािी लोग पय्ा​ाि​िणरिद्नही्हो सकते. शम्ा​ा का कहना है रक कािो्, ट्​्को्, जहाजो्, िेलगारडयो् औि रिमानो् की अपेक्ा जानि​िो् की बरल ने ग्​्ीन हाउस गैसो् का ज्यादा उत्सज्ान रकया है. एक अन्य रिपोट्ा मे् जोि रदया गया है रक धिती को हारन पहुंचा िही ग्​्ीन हाउस गैसो् का कम से कम 18 प्​्रतशत भाग मांस व्यिसाय द्​्ािा िैलाया जा िहा है. इस रिपोट्ा के अनुसाि पय्ा​ाि​िण को 18 प्​्रतशत पहुंचाने िाला यह व्यिसाय रिश्​् के सकल उत्पादन का केिल डेढ प्​्रतशत है. इसके अलािा जंगली जानि​िो् के िहने योग्य धिती का एक बडा रहस्सा धीिे-

धीिे मांस के रलए पाले गये पशुओ्के रलए छीना जा िहा है रजससे रिश्​् के अनेक अभयािण्य रिनाश की कगाि पि पहुंच िहे है्. मनुष्य के शिीि के रलए ऊज्ा​ा शब्कत औि पोषण हेतु प्​्ोटीन, शक्फिा, िसा, रिटारमन्स, खरनज एिं िेशे आरद पदाथ्ाउरचत अनुपात मे् अत्यन्त आिक्यक है्. साथ ही पोषक पदाथ्​्ो्मे् शिीि औि आहाि के अनुकल ् गुणित्​्ा का होना भी इतना ही आिक्यक है. शाकाहाि मे् सभी प्क ् ाि के पौर्​्िक औि श्ष ्े ्गुणित्​्ा युकत् तत्ि पय्ा​ाप्त मात्​्ा मे् रिद्​्मान होते है्. भािी-भिकम औि कुपाच्य मांसाहाि की तुलना मे्साधािण से न्यूनतम शाकाहािी पदाथ्​्ो् से शिीि को आिक्यक पोषण औि ऊजा प्​्दान की जा सकती है. शाकाहािी संस्कृरत मे् इन पोषक मूल्यो् का प्​्बन्धन युगो्-युगो् से चला आ िहा है. इतना ही नही्बहुमूल्य खरनज का शाकाहाि से ही प्​्ाप्त होना अरतरिक्त संजीिनी बूटी के समान है, जो रक मांसाहािी पदाथ्​्ो्मे्नदािद है. भ्​्ांरतयां पैदा किने िाले मांसाहाि समथ्ाक अक्सि यह तक्फदेते है्रक यरद सभी शाकाहािी हो जाएं तो सभी के रलए अन्न कहां से आएगा? इस प्​्काि भरिष्य मे् खाद्​् अभाि का बहाना पैदा कि ित्ामान मे्ही सामूरहक पशु िध औि


रहंसा को उरचत ठहिाना रदमाग का दीिारलयापन है, जबरक सच्​्ाई तो यह है रक अगि बहुसंख्य भी शाकाहािी हो जाएं तो रिश्​् मे् अनाज की बहुतायत हो जाएगी. दुरनया मे् एक अनुमान के मुतारबक एक एकड भूरम मे् जहां 8 हजाि रकलोग्​्ाम मटि, 24 हजाि रकलोग्​्ाम गाजि औि 32 हजाि रकलोग्​्ाम टमाटि पैदा रकए जा सकते है् िही् उतनी ही जमीन का उपयोग किके मात्​्200 रकलोग्​्ाम मांस पैदा रकया जा सकता है. आधुरनक पशुपालन मे्लाखो्पशुओ्को पाला-पोषा जाता है. उन्हे्सीधे अनाज, रतलहन औि अन्य पशुओ् रांिाहार भोजन: िेहत के िवाल

का मांस भी ठूंस-ठूंस कि रखलाया जाता है तारक जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा मांस हारसल रकया जा सके. औसत उत्पादन का दो रतहाई अनाज एिं सोयाबीन पशुओ् को रखला रदया जाता है. रिशेषज्​्ो् के अनुसाि मांस की खपत मे् मात्​् 10 प्​्रतशत की कटौती प्​्रतरदन भुखमिी से मिने िाले 18 हजाि बच्​्ो् एिं 6 हजाि ियस्को् का जीिन बचा सकती है. एक रकलो मांस पैदा किने मे्7 रकलो अनाज या सोयाबीन का उपभोग होता है. अनाज को मांस मे्बदलने की प्​्र्कया मे्90 प्​्रतशत प्​्ोटीन, 99 प्​्रतशत काब्​्ोहाइड्​्ेट तथा 100 प्​्रतशत िेशा नि्​् हो जाता है. एक रकलो आलू पैदा किने मे् जहां मात्​् 500 लीटि पानी की खपत होती है िही् इतने ही मांस के रलए 10 हजाि लीटि पानी लगता है. स्पि्​् है रक आधुरनक औद्​्ोरगक पशुपालन के तिीके से भोजन तैयाि किने के रलए कई गुना जमीन औि दूसिे संसाधनो् का अपव्यय होता है. एक अमेरिकी अनुसंधान से जो आंकडे प्​्काश मे् आए है् उसके अनुसाि अमेरिका मे् औसतन प्​्रत व्यब्कत प्​्रत िष्ाअनाज की खपत ग्यािह सौ रकलो है जबरक भाित मे्प्​्रत व्यब्कत अनाज की खपत मात्​् 150 रकलो प्​्रत िष्ा है जो रक सामान्य है. एक अमेरिकन इतनी रिशाल मात्​्ा मे्अन्न का उपयोग आरखि कैसे कि लेता है? िस्​्ुतः उसका सीधा आहाि तो मात्​् 150 रकलो ही है रकन्तु एक अमेरिकन के ग्यािह सौ रकलो अनाज के उपभोग मे्सीधे भोज्य अनाज

शाकाहारी भोजन: िंतुसलत पोषण की मात्​्ा 62 रकलो ही होती है. बाकी का 88 रकलो रहस्सा मांस होता है. भाित के संदभ्ा मे् कहे् तो 150 रकलो आहाि मे् यह अनुपात 146.6 रकलो अनाज औि 3.4 रकलो मांस होता है. इन तथ्यो्को देखते हुए ही कहा जाता है रक सभी शाकाहािी हो जाएं तो रनर्​्ित ही पृथि् ी पि इसकी बहुतायत हो जाएगी औि शायद इसके भंडािण के रलए हमािे संसाधन कम पड जाएंग.े िैज्ारनक अलबट्ाआइंब्सटन ने कहा था रक धिती पि जीिन बनाए िखने मे् कोई भी चीज मनुष्य को उतना िायदा नही्पहुंचाएगी रजतना की शाकाहाि का रिकास लेरकन आज दुरनया का अर्​्सत्ि ही संकट मे्है औि इसका कािण है रबगडता पय्ािा िण तथा ग्लोबल िार्मगि् . माना जा िहा है रक ग्​्ीन हाउस ग्लोबल िार्मि्ग की मुखय् कािक है औि जानि​ि ग्​्ीन हाउस गैस का उत्सज्ना किते है.् जब ग्लोबल िार्मगि् से दुरनया का अर्​्सत्ि संकट मे्आ गया है तो इससे बचने के रलए जानि​िो्का खात्मा होना चारहए लेरकन प्​्कृरत मे्जीिो्की प्​्त्येक प्​्जारत का अर्​्सत्ि बचा िहना आिक्यक होता है क्यो्रक जीिो्की प्त्य् क े प्ज ् ारत पृथि् ी का परिब्सथरतकीय संतल ु न बनाए िखने मे्महत्िपूण्ाभूरमका रनि्ा​ाह किती है. अतः इनके खात्मे की कल्पना यानी दुरनया के ग्लोबल िार्मि्ग से पहले ही खत्म होने के हालात पैदा किने जैसी बात है. िास्​्ि मे्पशुपक्​्ी हमािे अर्​्सत्ि के रलए अनिाय्ाहै्औि इनका आहाि के र्प मे् भक्​्ण प्​्कृरत रि​िोधी है. रनर्​्ित तौि पि हि प्​्कृरत रि​िोधी बात n पय्ा​ाि​िण रि​िोधी होती है. शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 37


मास् साशहत् ट हेयड

आतूमिृतू शेिर जोशी

म रकसी िल को देखकि अंदाज लगा लेते थे रक िह अमुक पेड्का है, क्यो्रक हिेक पेड्के िल की अलग पहचान होती थी. अखिोट के बड्-े बड्ेपेड्होते थे. सभी लोगो्के पास एकदो पेड्अखिोट के होते थे. जो अखिोट बाजाि मे् रमलता है, उसका कठोि आि​िण होता है. उसे तोडऩे पि अखिोट की गीिी की चाि िांक्​्रनकलती है,् रजन्हे्खाया जाता है. अखिोट का जो िल पेड्पि लगा होता है, उसमे्इस कठोि आि​िण के बाहि एक औि मोटा खोल चढ्ा होता है. जब अखिोट के पकने की ऋतु आ जाती, तो पेड्का मारलक अखिोट झाड्निे ाले को बुला लाता था. िह पेड् पि चढ्कि एक लम्बे बांस से अखिोट की डालो्पि प्ह् ाि किते हुए अखिोट के दानो्को नीचे रगिाता था औि गांि के बच्​्ेपेड्के मारलक के आमंतण ् पि आकि अखिोट बीनते थे. एक भी अखिोट बच्​्ो्की आंखो्से ओझल नही्हो पाता था, चाहे िह घास मे्रछपा होता या कांटे की बाड्मे.् बच्​्े सब अखिोट लाकि डरलया मे्िख देते थे. कुछ देि बाद अखिोट झाडऩेिाला नीचे उति आता. िह पेड् पि कुछ दाने छोड् देता, क्यो्रक ऐसी मान्यता है रक पेड् को एकदम िलरिहीन नही् रकया जाता. पेड्का मारलक अखिोट के टोकिो् मे् से चाि-चाि की रगनती के रहसाब से कुछ चौकी अखिोट प्त्य् क े बच्​्े को देता था. बच्​्े अपने साथ लाई थैली मे्अखिोट को घि ले जाते औि सुखाने को िख देत.े अखिोट के सूखने के बाद बाहि की मोटी खाल को दिांती से काट कि अलग रकया जाता. इससे हाथ ऐसे काले हो जाते,जैसे मेहदं ी लगाई गयी हो. अपने इस मेहनताने को हम भाई-बहन अलग-अलग संभाल कि िखते थे औि दीपािली की िात इनसे दांि लगाकि पांसे खेलते थे, क्यो्रक कहा जाता था रक जो व्यब्कत उस रदन जुआ नही्खेलगे ा, उसे अगले जन्म मे्छछूदं ि का जन्म लेना पड्गे ा. औि भी कई िल थे. इनमे् एक िल आलूबख ु ािा था, रजसको खाने से बच्​्ो्को टोका जाता था, क्यो्रक िह 'आंि' पैदा किता था. लेरकन िह इतना खट्​्ा-मीट्​्ा होता था रक बच्​्े खाये रबना िहते नही्थे. नाशपाती थी. सर्दया ो्मे् नािंरगयां होती थी्. िलो्की बहाि िहती थी औि गांि मे्िलो्को बेचने का कुछ सिाल ही नही् होता था. घिो्के पेड्ो्पि जो िल होते थे, उन्हे् दूसिो्को भी बांटा जाता था. एक िल की बनािट लीची जैसी होती थी. उसे बमौि कहते थे. िह जंगली िल होता था औि उसे हमािा ग्िाला हमािे रलए जंगल से लाता था. 38 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

फल-फूल और

िष्ा​ा ऋ तु मे भुट्ो्की बहाि िहा किती थी. हम भुट्ो्को भूनने से पहले उनका खोल उतािकि प्त्य् क े भुट्े के दानो् की पंबक् तयाँ रगना किते, क्यो्रक ऐसा माना जाता था रक तेिह पंबक् तयो् िाला भुट्ा पाने िाला व्यब्कत भाग्यशाली होता है. ऐसे भुट्ेको घि मे्िखने पि बहुत समृर्द आती है. लेरकन आि्य् ा्है रक हमे्कभी तेिह पंबक् तयो् िाला भुट्ा नही्रमला. कुछ चीजो्की बड्ी बहाि िहती थी. मतलब यह है रक िनस्परत सि्स ा ल ु भ थी. जैस-े रकलमोड्ा होता है. जब िह पकता है, तो छोटेछोटे हिे दाने बैग् नी िंग के हो जाते है.् िह कांटदे ाि झाड्ी मे्होता है. रकलमोड्ा खूब स्िारदि्​्होता है. एक छोटा औि िल होता था, पीला. बहुत छोटे आकाि का बूदं ी के लड्​् जैसा-रहसालू, जो दस्​्ाि​ि होता है. हम बच्​्ेिास्​्ेचलते इन िलो् को खाते थे. ित्​्ी के आकाि का एक िल होता था, जो झारडय़ो्मे्िलता था. उसे रघघांर्कहते थे. कािल तो खैि हुआ ही. िलो् के बािे मे् एक अद्त् संयोग हुआ. हमािे दो पेड्ग्​्ीन स्िीट सेब के थे. इनका मोटी औि हिी छाल का सेब बहुत मीठा होता था. तोतो् से बचाने के रलए बाबू ने कुछ सेबो् के बाहि कपड्ा बांध रदया. एक सेब मे्मोटे धागे की बनी जुिाब बांध दी. कुछ रदनो्बाद जब िसल खत्म हो गयी, तो एक रदन मे्पेड्पि चढ्ा हुआ था. मेिे रसि पि कुछ टकिाया. मैन् े देखा रक िह लम्बी जुिाब है, जो मेिे रसि पि लगी थी. मैन् े उसे हाथ से पकड्ा. महसूस रकया रक इसके अन्दि तो कुछ

है. मैन् े बाबू को बताया. बाबू ने कहा रक जन्माि्म् ी आने िाली है. उसको अभी मत तोड्ना. अभी उसकी जुिाब भी मत उतािना. िह सेब गोल होने की बजाय लंबा हो गया था-खीिे की तिह. जब जन्माि्म् ी आई, तो सबके घिो्मे् प्स ् ाद के साथ सेब की एक लम्बी िांक भी दी गयी. लोगो्ने पूछा रक यह क्या चीज है? हमने कहा रक तुम ही बताओ रक क्या चीज है! ऐसा भी प्क ् रृ त का र्प होता है. िष्भा ि मे् कई तिह के ि्ल अपनी छटा रबखिते थे. सिेद गुलाब को कुज ू कहते थे. इसकी बेल जगह-जगह पेड्ो्से रलपटकि िैली होती. जब कुज ू ि्लता, तो बहुत सुहािना दृकय् होता. िसंत ऋतु मे् आडू, सेब, आलूबख ु ािा, खुबानी आरद िलो्के िृक्ो्पि अलग-अलग िंग के रखलते ि्लो्को देखने का भी अपना सुख था. जंगलो् मे् जब बुरश ्ं ि्लता, तो उसकी छटा रनिाली होती. बुरश ्ं के बड्ेआकाि के गहिे लाल िंग के ि्लो्को देखकि ऐसा लगता, जैस-े जंगल मे्आग लगी हो. इस ि्ल के प्र्त पहाड्के लोगो्के मन मे् कैसी आत्मीयता होती है, इसका अनुमान आप इस गीत से लगा सकते है,् रजसे हम बचपन से सुनते आए थे. गीत के बोल है-् पािा भीड्ा बुरश ्ं ी िुली िै छौ मीजै कुनूं मेरि हीर्एै िै छौ. (सामने उंचाई पि बुरश ्ं रखला है. मुझे भ्म् हुआ रक मेिी हीर्आई है.) हमािे भटीधाि िाले घास के अहाते मे्एक


िावानल

झिबेिी का झाड्था. िह जमीन की सतह पि ही िैला हुआ था. हम उन बेिो् को बीन-बीन कि खाते. जीिन मे्पहली बाि हमने देसी बेि देख,े जो लंबे आकाि के गोल-मटोल लंबी गुठली िाले िल के र्प मे्थे. उन्हे्गांि की एक बुआ गांि आने पि थैले मे् भिकि लाई थी औि उन्हो्ने बताया था रक ये पैरमली बेि कहलाते है.् हम बच्​्ो् को गांि​िालो् को नई-नई चीजे् रदखाने का शौक था. इसरलए एक बाि एक भािी भिकम तिबूज को मोटि सड्क से लेकि घि तक खुद ही ढोकि ले गये थे. इसी प्क ् ाि एक बाि अजमेि से गांि आते समय िेल के तीसिे दज्​्ेके भीड्भिे रडल्बे मे्सि​ि किते हुए भी सुिाही लेकि आये थे. अक्सि हम िेल यात्ा् के बाद सुिाही को काठगोदाम मे् ि्क ् देते थे, लेरकन इस बाि गांि​िालो् को सुिाही रदखाने के रलए उसे काठगोदाम से िनमन तक बस मे् औि िहां से पैदल गांि तक लेकि आये. अिसोस, हम सुिाही को साि्ज ा रनक र्प से गांि​िालो्को रदखा नही् पाए, क्यो्रक लीलाधि ताऊजी को िह बहुत भा गयी थी. संगह् िृरत के ताऊजी ने उसे अपने गोदाम मे्िख रदया. उनका कहना था रक दारडम की काली खटाई िखने के रलए यह बहुत अच्छा पात्​्है. अब तो गांि मे् भी कई घिो् मे् गैस का चूलह् ा पहुच ं गया है. मेिे बचपन मे्ऐसी सुरिधा नही् थी. अपना जंगल होने के कािण दैरनक आिक्यकता के रलए प्त्य् क े परि​िाि एक पुिाना चीड्का पेड्काट सकता था. िह 'लकड्कटाई' का रदन भी रकसी त्योहाि से कम नही्होता था. उस रदन कई मजदूि लगाये जाते थे, जो रचब्हनत

बूढ्ेपेड्को रगिाकि उसकी डाले्अलग किते. रि​ि तने को औि डालो्को कुलह् ाड्ी से काट कि छोटे टुकड्ो्मे्बदलते. टोकरियो्मे्भि कि सबके रलए भोजन जंगल मे्ही पहुच ं ाया जाता. हम बच्​्े भी अपनी िोरटयां िही्ले जाकि पूिे रदन रपकरनक मनाते. उस रदन मजदूिो् से सालभि के रलए लकड्ी कटिा कि गांि के नजदीक उनका टीला लगा रदया जाता था. िहां से आिक्यकता होने पि लकरडयां घि मंगा ली जाती्. रकसी-रकसी िष्ा गर्मया ो् मे् रकसी के द्​्ािा भूलिश ि्क ् ी गयी जलती बीड्ी के कािण या रकसी अन्य िजह से हमािे चीड्के जंगल मे्आग लग जाती. इस मौसम मे्चीड्के सूखे पत्​्ेबहुत अरधक रगिते, रजनके कािण जंगल इन ज्िलनशील पत्​्ो् से भिा िहता. ज्यो् ही आग लगने की सूचना रमलती, लोग भागे-भागे आग बुझाने के उपकिण लेकि घटनास्थल की ओि दौड्त.े इन उपकिणो् मे् मुखय् र्प से लोहे के दांतो्िाली 'िेक' होती या हिे पत्​्ो्का बड्ा-सा गुचछ ् ा. सूखी घास तक आग की लपटो्की पहुच ं न हो, इसरलए 'िेक' से उसे समेट रलया जाता औि हिे पत्​्ो्की झाडू से पीट-पीटकि आग को बुझाया जाता. चूरं क दैरनक जीिन मे्जंगल का सबके रलए महत्ि था, इसरलए आस-पास के गांि के लोग भी आ जुटते औि आग को काबू मे् किने का प्य् त्न किते. कभी-कभी आग इतनी भीषण होती रक हमािे घि के सामने की पहाड्ी, जो पक्​्ी की उड्ान के रहसाब से प्​्ाय: एक रकलोमीटि दूिी पि थी, का प्क ् ाश इतना अरधक होता रक िात मे्भी सब चीजे् रदन की तिह स्पि्​्रदखाई देने लगती्. ग्​्ामीण लोग कलछौ्हे चेहिे रलए आग से संघष्ा किते िहते. गुिाओ्-कूदिाओ्मे्रछपे जानि​ि अपनी जान बचाने के रलए भागते. कभी-कभी आग बेकाबू हो जाती, तो चीड् के सैकड्ो् पेड् जल जाते. रजस साल जाड्ो्मे्भािी बि्बफ ािी होती थी, तो जंगल मे्चीड्के कई पेड्रगि जाते या उनकी डाले्टूटकि रगि पड्ती्. लोग उन टूटी डालो्से अनन्नास की शक्ल के ठीठे तोड्कि घि ले आते औि उन्हे् आग मे् तपाकि उनकी पंखरु डय़ो् के बीच दबे हुए पंखदाि रचलगोजे रनकालते. यह र्​्कया िात मे्आग के चािो्ओि बैठकि संपन्न होती औि रचलगोजो् का आनंद रलया जाता. स्थानीय भाषा मे्इस मेिे को 'स्यतूं ' कहा जाता. जाड्ो्के मौसम मे्जल्दी अंधिे ा हो जाता था औि िाते्बहुत लंबी होती थी्. सोने से पहले देि तक पहेरलयां पूछने औि गप्पे्लगाने का काय्क ा म् चलता िहता. बच्​्ेहमेशा सोते समय सयानो्से कथाये्सुनाने का आग्ह् किते. कुछ कहारनयां बहुत िोचक होती्. जैस-े इनर्िा की कथा, चल तुमड्ी बाटै बाट, खा चरड्-खा चरड्िाली कहानी इत्यारद. हमािे घि श्​्ाद्​्ो्के पखिािे मे्रकसी गांि से

िरिष्​्कहानीकाि औि करि. प्​्मुख कृरतयां: ‘कोसी का घटिाि’, ‘दाज्यू’, ‘नौिंगी बीमाि है’, ‘बच्​्े का सपना’, ‘मेिा पहाड्’, ‘एक पेड् की याद’ औि ‘साथ के लोग’. दाज्यू कहानी पि बाल रिल्म सरमरत द्​्ािा रिल्म का रनम्ा​ाण. कोसी का घटिाि पि िीचि रिल्म रनम्ा​ाणाधीन. संपक्फ: 9161916840 एक ब्​्ाह्मण ज्िालादत्ज ् ी आते थे. उन्हे् कई कहारनयां याद थी्. िात मे् िह कोई कहानी सुनाते, तो उसे अधूिी छोड् देते औि उबारसयां लेकि नी्द लगने का बहाना किते औि अगले रदन सुनाने का िादा किके सो जाते. दूसिे रदन सुबह नहा-धोकि, संधय् ा-पूजा से रनिृत होकि जाने की तैयािी किने लगते, तो हम उनसे कहानी पूिी किने की रजद किते. िह कहते रक रदन मे् कहानी सुनने िाले बच्​्ो्का मामा अपनी दीदी के घि का िास्​्ा भूल जाता है. हम चुप हो जाते औि उनसे एक रदन औि र्कने का आग्ह् किते. िह र्कने को सहमत नही्होते औि कहते रक घि से रनकले हुए बहुत रदन हो गये है.् घि​िाले रचंता कि िहे हो्ग.े बाबू उनका यह नाटक देखते िहते औि अंत मे्अपनी ओि से उनसे बच्​्ो्का मन िखने के रलए र्कने की बात कहते, तो िह अपनी गठिी कूधे से उताि कि घि मे्बैठ जाते. गांि मे्रकसीन-रकसी के घि मे्रतरथ का श्​्ाद्​्पड्ता ही िहता, िह अच्छे भोजन का आनन्द लेने पहुच ं जाते औि उस िात कथा पूिी कि देत.े

प्क ् सृ त के अनुपर िृशय् ह

म रकतने भाग्यशाली थे रक हमने प्क ् रृ त के सौ्दय्ाको बहुत रनकट से देखा, रजसे आज के शहिी बच्​्ेकेिल रसनेमा के पद्​्ेपि ही देख पाते हो्ग.े शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 39


मास् साशहत् ट हेयड हल्की बूदं ाबांदी के बीच र्​्करतज पि उभिता इंदध् नुष रकतने गाढ्े िंगो् मे् औि रकतने रनकट रदखाई देता था! हाथ बढ्ाकि छू लेने का मन किता था. अपिाह्न मे्िैली हल्की धूप मे्होती िष्ा​ा मे् चमकती बूदं े्एक अद्त् दृकय् उपब्सथत किती थी्. ऐसी िष्ा​ा को हम रसयाि का रि​िाह होना कहते थे. इसका कािण मुझे नही्मालूम, लेरकन ऐसी िष्ा​ा के दौिान जब सामने खेतो् मे् पीछे मुड-् मुडक ् ि देखते औि भाग कि जाते रकसी रसयाि को हम देखते, तो कहते रक यह एक बािाती रपछड् गया था, जो अब भाग कि बािात मे् शारमल होने जा िहा है. तेज िष्ा​ा के साथ रगिते ओले रटन की छत िाले मकानो् मे् िहने िाले बच्​्ो् के रलए रजस भयरमर्​्शत आकष्ण ा का कािण बनते थे, उसका अनुभि कोई भुकत् भोगी ही लगा सकता है. िष्ा​ा के मौसम मे् घि के सामने प्​्ाय: एक रकमी दूि िैली र्खी पहारडय़ो् की सलिटो् के बीच बहते पगाड्ेसहस्ध् ािा की छरि प्द् ान किते औि चौमास मे्उिनती रछड्(झिना) तो जैसे बौिा जाती थी. नदी के ठहिे पानी मे झी्गिु ो्को कैिम बोड्ाकी गोरटयो्की तिह रिसलते देखना बड्ा मजेदाि होता था. र्ई के िाहो्की तिह आकाश से रगिती बि्फ को देखने का भी अपना सुख होता है. बचपन मे् मन मे्यह रिश्​्ास भी िहता था रक इस दौिान आसमान से परियां (आंछरियां) भी उतिती है.् उन्हे्देखने की भयरमर्​्शत आशंका िहती थी. जब बि्फपड्ती, तो सिेद चादि रबछ जाती. बि्बफ ािी से पहले मौसम गुमम् हो जाता, तो बड्-े बूढ्ेकहते, 'लगता है रक िात को बि्फपड्गे ी.’ हम िसोई से बैठने की चौरकयां धोकि बाहि िख आते. सुबह उनमे्बि्फरगिी िहती. उस बि्फमे्गुड्औि दूध की मलाई रमलाकि मलाई-बि्फका मजा लेत.े शाम के समय जब तेज हिा चलती, तो सांय-सांय किती चीड्की झूमती सी्क्​्औि बांज की पर्​्तयो्के उल्टी ति​ि का सिेद रहस्सा अद्त् दृकय् उपब्सथत किता. हम बच्​्ेभी हिा मे्दोनो् हाथ िैला कि बहती हिा की रदशा मे्दौड्कि रचरडय़ो्की तिह उडऩे की कल्पना किते. पा्श ् ा्मे्ढलते सूिज के मर्​्दम आलोक मे् पहाड्ी िास्​्ेपि जाती बािात के तुिही, रनषाण, ढोल, डोली औि बािारतयो्के रसलहुट रकसी भी छायाकाि (िोटोग्​्ाि​ि) के रलए आकष्ण ा का रिषय बनते थे. हमािे बचपन मे्घड्ी नही्थी. पीली-पीली धूप पि्ता रशखिो्मे्िैल जाती, तो सुबह पूिा्की ओि से भटकोट मे्घाम आता. गोशाला मे्गाये् िंभाने लगती्रक हमे्खूटं े से खोलो. धूप ही हमािी घड्ी थी. स्कल ् के िास्​्ेमे्एक गहिाई िाला पोखि पड्ता था, रजसमे् भैस ् ो् को पानी मे् रबठा कि 40 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

णनज्थन वन मे्चरवाहे की वंशी का स्वर और घास काटती णकसी दुणखयारी की अपना दुख प्​्कट करती स्वर लहरी गहरी उदासी को जन्म दे जाती री. नहलाते थे. जब ज्यादा ठंड पड्ती, तो पानी की ऊपिी सतह जम जाती. हम चपटे पत्थि उसके ऊपि घुमाकि ि्क ् ते, जो रिसल कि दूि तक चले जाते या पत्थि जोि से पडऩे पि पानी की जमी सतह टूट जाती औि कांच के से टुकड्े रबखि जाते. हमािा एक र्​्पय खेल था-बि्फ के टुकड्े को कलाई की नस पि िखने की प्र्तयोरगता. ज्यो्-ज्यो्बि्फरपघलती नस के ऊपि सुई् सी चुभती. जो सबसे अरधक देि तक इस पीड्ा को सहन किता, िह बहादुि रगना जाता. स्कल ् के िास्​्ेमे्रगिे हुए चीड्के ठीठो्को पैि से आगे-आगे बढ्ाने का खेल भी चलते-चलते होता िहता. कभी ठीठा ढाल मे्दूि चला जाता, तो उसे रि​ि िास्​्ेमे्लाते. इससे स्कल ् पहुच ं ने मे् देि हो जाती. देिदार्की बणी (िन) मे्चढ्ाई चढऩे के बाद सुस्ाने के रलए बैठे हुए मैन् े सामने की पहाड्ी ढलान पि जो दृकय् देखा था, उसे कभी नही् भूल सकता. तीन-चाि मादा बंदरियां एक पंबक् त मे्आगे-पीछे बैठी हुई्सहेली के रसि की जूं बीन िही थी्. बीच-बीच मे्िे शैतानी किते अपने बच्​्ो्को भी रझड्कती जाती्. कभी कोई बंदरियां रकसी बच्​्ेको पकड्कि स्न् पान किाती. पता नही्, बच्​्ा उसका अपना होता या सहेली का. तभी एक भीमकाय बंदि ने आकि उन्हे् अपनी भाषा मे्शायद कुछ डांट लगाई औि सभी बंदरियां उठकि अपने डेिे की ओि चल पड्ी.् पशुओ्मे्

भी पुरष् िच्सा ि् की यह रमसाल मैन् े पहली बाि देखी थी. बहुत ह्दय रिदािक होता था-िात के अंधकाि मे्बाघ का रशकाि बने रकसी कांकड्या घुिड्का मिणान्तक चीत्काि. निरि​िाहता कन्या की रिदाई के समय घि की मरहलाओ् द्​्ािा समिेत स्ि​ि मे् गाया जाने िाला रिदा गीत-'सुनो-सुनो लोगो, पंरडत लोगो/मेिी रधया दु:ख झन रदया/दस धािी मैल ्े दूध रपलायो....’ भी कम कार्रणक नही्होता था. रनज्ना िन मे्चि​िाहे की िंशी का स्ि​ि औि घास काटती रकसी दुरखयािी की अपना दु:ख प्क ् ट किती स्ि​ि लहिी गहिी उदासी को जन्म दे जाती थी. एक अद्त् दृकय् होता था, जब दो मरहलाये् ओखली मे्एक साथ धान क्टती थी्. उनकी काय्ा शैली मे्क्या सुदं ि सामंजस्य होता था, कैसी लय औि गरत होती थी, िह देखते ही बनता था. इस जुगलबंदी का जहां अपना मोहक सौ्दय्ाथा, िही् दूसिी ओि रदनभि कमितोड् मेहनत किने के बाद खेत मारलक के घि अपना मेहनताना अन्न के र्प मे्लेने पहुच ं ी इन बौरलयो्(मजदूरिनो्) से धान भिे सूप की ओि इशािा कि यह कहना रक 'दो हाथ इसमे्भी माि जाओ' क्या क्ि् मजाक नही्था. ऐसा मै्आज सोचता हू,ं तब िह ओखल नृतय् देखना ही अच्छा लगता था. िाजस्थान प्ि् ास काल मे् मुझे अपने संबरं धयो्की अपेक्ा अपने र्​्पय पेड,् पौधे, रनज्​्ीि िस्ओ ्ु ्की ज्यादा निाई लगती थी. जैस-े मुझे िह देिदार्बहुत याद आता, रजसकी चोटी पि घाम की सीमा देखकि हम समय का अंदाज लगाते थे. िह भािी पत्थि याद आता, जो एक साल भादो के महीने मे्उिनती नदी मे्लुढक ् कि हमािे गांि मे्पहुच ं गया था औि रजस पि चढ्कि हम नदी मे्क्दते थे. देिदार्का िह सूखा पेड्याद आता, जो भिी जिानी मे्िज्​्ाघात का रशकाि होकि ठूठ खड्ा िहता था. स्कल ् के अहाते मे्खड्ा पांगि का पेड्याद आता, रजसकी डालो्पि झूलते थे. ऐसी ही अन्य रनज्​्ीि िस्य्ु े्याद आती्. हमािे गांि के सीमांत मे्नदी पाि पहाड्की तलहटी मे्जो िास्​्ा सुबकोट की ओि जाता था, उसमे्कभी-कभी सांझ के झुटपुटे मे्रसि पि घास का भािी बोझ उठाये जाती हुई्आठ-दस मरहलाये् शायद बाघ या भालू जैसे रहंसक पशुओ्को डिाने के रलए समिेत स्ि​ि मे्'ओ बुड्ा धौ साला’ जैसा एक प्य् ाण गीत तेज स्ि​ि मे्गाती थी्. यह कुछकुछ उसी तज्ापि होता था, रजस तज्ापि मजदूि लोग रकसी भािी िस्​्ु को खी्चते िक्त जोि लगाकि 'हईशा' की समिेत ध्िरन किते है.् दूि से आती हुई्मरहलाओ्का यह स्ि​ि मन को बांध लेता था. पहाड्की इन परिश्म् ी मरहलाओ्के जीिन मे्संगीत की अपनी प्ि्े क भूरमका िहती थी. n ( क्म् श:)


साशहत् मास्यट/कशवता हेड

अनुपम वसंह की कववताएं

युिा करि. रिरभन्न पत्​्-पर्​्तकाओ्औि सोशल मीरडया मे्िचनाएं प्​्कारशत. इन रदनो्रदल्ली रिश्​्रिद्​्ालय मे्शोध. जन संस्कृरत मंच मे्सर्​्कय.

हम औरतंे है् मुखौटे नही् िह अपनी भर्​्टयो्मे्मुखौटे तैयाि किता है उन पि लेबुल लगाकि सूखने के रलए लब्गगयो्के सहािे टांग देता है सूखने के बाद उनको अनेक िासायरनक र्​्कयाओ्से गुजािता है कभी सबसे तेज तापमान पि िखता है तो कभी सबसे कम ऐसा लगाताि किते िहने से उनमे अप्​्त्यारशत चमक आ जाती है रिस्िोटक हरथयािो्से लैस उनके रसपाही घि-घि घूम िहे है् कभी दृक्य तो कभी अदृक्य घिो्से उनको घसीटते हुए अपनी प्​्योगशालाओ की ओि ले जा िहे है् िे चीख िही है्,पेट के बल रचल्ला िही है् रि​ि भी िे ले जायी जा िही है् उनके चेहिो्की नाप लेते समय खुश है्िे आपस मे कह िहे है् रक अच्छा हुआ इनका रदमाग नही्बढा इनके चेहिे, लंबे-गोल, छोटे- बडे है

लेरकन िे चाह िहे है् रक सभी चेहिे एक जैसे हो एक साथ मुस्कुिाये् औि रसि्फमुस्कुिाये् तो उन्होने अपनी धािदाि आिी से उन चेहिो्को सुडौल एक आकाि का बनाया अब मुखौटो्को उन औितो्के चेहिो्पि ठो्क िहे है्िे िे रचल्ला िही है हम औिते है् रसि्फमुखौटे नही् िे ठो्के ही जा िहे है् ठक-ठक लगाताि औि अब हम सुडौल चेहिो्िाली औिते् उनकी भर्​्टयो्से रनकली प्​्योगशालाओ्मे्शोरधत आकृरतयां है्.

लडवकयां जवान हो रही है् हम लडरकयां बडी हो िही थी् अपने छोटे से गांि मे् लडरकयां औि भी थी् छोटी अभी ज्यादा छोटी थी् जो बडी थी्िे ल्याह दी गयी थी्सही-सलामत इस तिह हम ही लडरकयां थी् रजनकी उम्​्बािह-तेिह की थी हम सडको्के बजाय मेडो्के िास्​्ेआती–जाती् चलती कम उडते हुए अरधक रदखती्

गांि मे्नयी–नयी ल्याह कि आयी् दुल्हन हुई लडरकयो्की भी सहेरलयां बन िही थी्हम रकसी के शादी-ल्याह मे् हम बूढी औि अधेड उम्​्की र्​्सयो्से अलग बैठती् औि अपने जमाने के गीत गाती् हमािी हंसी गांि मे् भनभनाहट की तिह िैल जाती गांि के छोटे भूगोल मे् हमािे जीिन के रिस्​्ाि का समय था अब हम सब अपने देह के उभािो्के अनुभि से एक साथ झुककि चलना सीख िही थी् कभी तो जीिन को हिे चने के खटलुसपन से भि देती तो कभी मां की बातो्से उकताकि आधे पेट ही सो जाती थी् हम उडना भूलकि अब भीड मे्बैठना सीख िही्थी् भीड से उठती्तो कनरखयो्से एक दूसिे को पीछे देखने के रलए कहती् जब कभी हमािे कपड्ो्मे् मारसक धम्ाका दाग लग जाता तो देह के भीति से लपटे्उठती् औि चेहिे पि िाख बन िैल जाती हम दागदाि चेहिे िाली लडरकयां उम्​्के कच्​्ेपन मे्सामूरहक प्​्ाथ्ानाएं किती् हे ईश्​्ि– बस हमािी इतनी-सी बात सुन लो हम लडरकयां, अनेक प्​्ाथ्ानाएं किती हुई जिान हो िही थी् लडरकयां जिान हो िही थी् उनके रहस्से की धूप, हिा, िात औि िोशरनयां कम हो िही्थी् अब हम बाग मे्नही्रदखती् रगर्​्टयां खेलते हुए भी नही् हम घिो्के रपछिािे लप्प–झप्प मे् एक दूसिे से रमल लेती है् दीिाि से रचपक कि ऐसे बरतयाती् जैसे लडरकयां नही्रछपकरलयां हो्हम घिो्के बडे कही्चले जाते तब बूढी र्​्सयां चौखट पि बैठ हमािी िखिाली किती्औि रकसी िाजकुमाि के इंतजाि औि अरनिाय्ा हताशा मे हिे कटे पेड की तिह उदास होती हम लडरकयां जिान हो िही थी्. n शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 41


साशहत् मास्यट/समीक् हेड ्ा

द्​्ार के पार तीन कवव

पंत, प्​्साद और कनराला के बाद जो वृहद्त्​्यी बनती है वह अज्​्ेय, शमशेर और मुक्कतबोि की ही है. मनोज मोहन

घटनाओ् की दुरनया औि करि की रनजी दुरनया एक साथ्ाक औि अटूट संयोग मे्प्क ् ट हो सके...’ आगे िे रि​ि कहते है,् ‘एक तो िे िाजनीरतक शोक िाजपेयी शुरआ ् त से ही करिता के पूिगा् ह् को लेकि उसके दुरनया से अपने लगाि को मानिीय आस्था औि अंतज्गा त से उतने ही गहिे आलोचना, प्क ् ाशन औि व्यापक प्स ् ाि के रलए काम किते िहे है.् लगाि से जोडते चलते है्, औि दूसिे, एक सच्​्े करि की तिह िह सिलीकिणो्से इनकाि किते है,् रिचाि या अनुभि से आतंरकत नही्होते.’ उनकी पहली आलोचना पुसक ् ने रहंदी आलोचना को ताजा औि साथ्क ा इस पुसक ् की बडी ख़्ारसयत है आधुरनक रहंदी करिता के इन तीनो् आलोचना भाषा दी थी. रजसका व्यापक प्भ् ाि आज तक देखा जाता है. आज िे अपनी आलोचना भाषा को नयी ताजगी देने औि सूकम् रिक्लषे ण बडे करियो् से आलोचक-करि अशोक िाजपेयी का रनकट का संबंध बनना. यही कािण है रक तीनो् करि उनके मानस-पटल पि रनिंति किने के साथ-साथ अपनी सामारजक सर्​्कयता भी बढाने मे्सक्म् है.् इधि के िष्​्ो् मे् रहंदी की बौर्​्दक दुरनया मे् रजन लोगो् की छरि आिाजाही किते िहे उन्हो्ने अज्य्े पि पहला लेख 1965 मे,् शमशेि पि 1976 मे् औि मुबक् तबोध पि 1964 मे् रलखा था. सबसे पहले रजस बडे साि्ज ा रनक बुर्दजीिी की बनी है, उनमे्अशोक िाजपेयी ऐसे दुधषा् ा्सज्क ा है्जो 76 िष्ाकी उम्​्मे्भी लगाताि िचनाशील है.् आधुरनक रहंदी करिता करि का सबसे अरधक प्भ् ाि िे अपने पि स्िीकाि किते है् िे अज्य्े है.् के तीन बडे िचनाकाि अज्​्ेय, शमशेि औि मुब्कतबोध पि रपछले चाि उनकी अपनी करिता भी अज्य्े की करिताओ्के ज्यादा रनकट है- शमशेि औि मुबक् तबोध की तुलना मे.् इन तीनो्मे्से पहले रजनसे दशको्से उन्हो्ने जो रचंतन-मनन रकया, उसी का सुिल मु लाकात होती है िे है-् मुबक् तबोध. उस समय उनकी उम्​् है उनकी नयी आलोचना पुस्क ‘करिता के तीन महज सोलह िष्ाकी थी-1957 मे.् उसका िोचक िण्ना दि​िाजे.’ ये आधुरनक रहंदी करिता के प्​्िेश के तीन ‘तु म भी, मै्भी आदमी’ शीष्क ा संसम् िण लेख मे्है. दि​िाजे है-् अज्य्े , शमशेि औि मुबक् तबोध. उन्हे् लगता जब एक युिा करि के मुब्कतबोध से रमलने की िहा है रक ये तीनो् ही हमािे समय की करिता के तीन उत्कठू ा की तीव्त् ा का एहसास किते हुए हरिशंकि पिसाई दि​िाजे है,् रजनसे गुजिने से आत्म, समय, समाज, भाषा ने कहा रक अगि मुबक् तबोध से रमलना है शमशेि की धूनी आरद के तीन पिस्पि जुडे रि​ि भी स्ितंत्दृकय् ो्, शैरलयो् पि जाओ, िहां उनका रचमटा गडा हुआ है औि अखंड तथा दृर्ियो् तक पहुंचा जा सकता है. इस त्​्यी का करिता-कीत्ान हो िहा है. यह 1957 का साल है औि साक्​्ात्काि अपने समय की जरटल बहुलता, अपाि स्थान है इलाहाबाद, जहां एक युिा करि मुब्कतबोध से सूकम् ता औि उनकी पिस्पि संबद्त् ाओ्के र्-ब-र्होना रमलने की प्ब् ल इच्छा रलये पहुच ं ा था. अशोक िाजपेयी है. पंत, प्स ् ाद औि रनिाला की िृहद्त्य् ी के बाद जो िृहद् की 1957 मे्इलाहाबाद से लौटते हुए मुबक् तबोध के साथ त्य् ी बनती है िह अज्य्े , शमशेि औि मुबक् तबोध की ही की यात्​्ा कटनी मे्ही समाप्त नही्होती िह भौरतक सि​ि बनती है. अशोक खुद भी सारहत्य की स्िायत्​्ता मे् मुबक् तबोध के नयी रदल्ली के एम्स मे्आरखिी सांस लेने रिश्​्ास िखते है्, िे सारहत्य को रकसी िाजनीरत का रपछलग्गू या रकसी रिचािधािा का उपरनिेश नही्बनने कसवता के तीन िरवाजे-़ अशोक वाजपेयी तक जािी िहा. इन तीनो्करियो्के बािे मे्िे कहते है्रक अज्य्े मे् देना चाहते. राजकरल प्क ् ाशन 2016 रूलय् - 795/शल् द , रबंब औि स्मरृ तयो् का िैभि है.् शमशेि मे् अद्त् इस पुस्क मे् शारमल रटप्परणयो् मे् एक ‘रजतना तुमह् ािा सच है’ िे कहते है-् यह संयोग औि सौभाग्य दोनो्था जब मै्कुल रचत्म् यता औि अरतयथाथ्ाहै. मुबक् तबोध की करिता आरधक्य औि अरतिेक की करिता है. अज्य्े तिाशते है,् शमशेि महीन बुनते है,् मुबक् तबोध तोडते 13-14 िष्ाका था औि कुछ करिता रलखने लगा था, तभी मेिे हाथ अज्य्े ् भी अद्त् दृकय् की करिता आ गयी. मेिे एक अध्यापक ने मुझे अपने जनेऊ संसक ् ाि के है.् इन तीनो्के साथ अशोक जी के सहचय्ाका पहला क्ण ु यै ा पि है,् उनकी सेिा मे्शमशेि अिसि पि जो पुसक ् ्​्उपहाि मे्दी थी्उनमे्अज्य्े का करिता संगह् ‘हिी उपब्सथत किता है जब मुबक् तबोध मृतय् श घास पि क्ण ् भि’ भी था.’ दूसिी ति​ि, शमशेि से पहली भेट् को िे यो् लगे है,् अज्य्े भी उन रदनो्बीमाि ही चल िहे थे. इसके बािजूद तािसप्तक बयान किते है्, ‘छोटे कद के, अपने शमशेि होने से ही मानो झे्पते से के पहले करि रमत्​्को देखने अज्य्े आते है्- ‘अज्य्े के आने से शमशेि ् औि बेचनै से थे औि बाद मे्उन्हे्छोडने अस्पताल शमशेि थे.’ इस पुसक ् से अलग भी शमशेि के बािे मे्िे लगाताि कहते कुछ अरधक ही रिह्ल िहे है्रक ‘िे (शमशेि) कालातीत के करि है,् उनकी कांपती-सी आिाज की ऊपिी मंरजल से नीचे दूि तक जाने के रलए उतार्थे. अज्य्े ने उन्हे् हमािी दुरनया को ऐसी रसम्ते् रदखाती है् रजससे होने का पता जैसे पहली लगभग रझडककि िही् मुबक् तबोध के पास िहने की रहदायत दी थी औि बाि उससे ही चलता है, पि रजन्हे् जाने रबना हमािी दुरनया अधूिी औि कहा था, मुझे अशोक छोड आयेग् ,े आप यही िहे.्’ अपनी उम्​् के साठ िष्ा पूिे किने के अिसि पि अशोक िाजपेयी असमझी ही िह जाती है.’ ने कहा था रक उन्हे् अब तक अज्​्ेय, मुब्कतबोध, शमशेि औि िघुिीि तीसिे दि​िाजे मुब्कतबोध है्, जो अशोक िाजपेयी की सारहब्तयक सहाय पि चाि पुसक ् ्​्रलख सकना चारहए था. अब जब िे अपनी उम्​्के संिदे ना के संगठक तत्ि है.् उन पि रलखे अपने पहले लेख ‘भयानक ख़्बि ् न रलख पाये हो् की करिता’ मे्उनका कहना है, ‘मुबक् तबोध अपने समय मे्अपने पूिे रदल 76िे् िष्ा मे् है,् तो इन चािो् पि भले ही स्ितंत् पुसक औि रदमाग के साथ, अपनी पूिी मनुषय् ता के साथ िहते है.् िह अपनी एक लेरकन ‘करिता के तीन दि​िाजे’ से उन्हो्ने उस बात की काफ़ी भिपायी n रनजी प्​्तीक व्यिस्था रिकरसत किते है् रजसके माध्यम से साि्ाजरनक कि दी है.

42 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016


बेनज्ीर थे नज्ीर

बनारस के बेजोड़्शायर नजीर की शायरी मे्मुल्क और मोहब्बत का राग हमेशा सुनाई देता रहा.

नजीर बनारिी : इंिानी प्यार का शायर

भासूकर गुहा वनयोगी

ि​ित की छुिी औि मुहल्बत का गला है.’ निंबि माह की 25 तािीख को मिहूम शायि नजीि बनािसी का जन्मरदन है. इस मौके पि िे अपने शेि को यूं पूिा किते है्: ‘ि​िमाइए ये कौन से मजहब मे्ि​िा है.’ नजीि बनािसी का यह शेि मौजूदा हालत पि आज यही सिाल पूछता रदख िहा है. कबीि की काशी के इस शायि की शायिी का मूल स्िभाि ही देश-िाग है. देश यानी अलग-अलग ि्लो्से बना गुलदस्​्ा रजसका पैगाम साथ-साथ िहते औि चलते हुए एक दूजे के सुख औि दुख मे् भागीदािी किते िहना है. ‘ितन के जो काम आये ितन उसका है’ कहने िाले नजीि की शायिी का दश्ान इतना ही है: ‘पि्ात हो रक झिना हो रक िन सबके रलए है हंसता हुआ चांद औि गगन सबके रलए है, तािे हो्रक सूिज की रकिन सबके रलए है हि शामे ितन, हि सुबहे ितन सबके रलए है इंसां के रलए सब है्तािे हैिां के रलए भी औि आज का इंसां नही्इंसां के रलए भी?’ खुद को काशी की नगिी का िकीि औि रशि की िाजधानी का सिीि कहने िाले नजीि ऐलारनया कहते है्: ‘लेके अपनी गोद मे्गंगा ने पाला है मुझे नाम है मेिा नजीि औि मेिी नगिी बेनजीि.’ हदो्-सिहदो् की घेिेबंदी से पिे करिता होती है, या यो् कहे्, आपस की दूरियो्को पाटने, दीिािो्को रगिाने का काम करिता ही किती है. नजीि बनािसी अपनी गजलो्, करिताओ्के जरिये उम्​्भि इसी काम को अंजाम देते िहे. ताउम्​् बजरिये शायिी एक मुकम्मल इंसान औि इंसारनयत को गढऩे की कोरशश किने िाले नजीि को इस बात से बेहद िंज था: ‘न जाने इस जमाने के दरिंदे कहा से उठा लाये चेहिा आदमी का’ साथ ही इस बात पि पुिजोि यकीन भी रक ‘िहां भी काम आती है मोहल्बत जहां नही्होता कोई रकसी का.’ मोहल्बत, भाईचािा, देशप्म्े नजीि बनािसी की शायिी की धड्कन है. अपनी िाम कहानी अपनी जुबानी मे् नजीि खुद कहते है्: मै् रजंदगी भि

शांरत, अरहंसा, प्म्े , मोहल्बत आपसी मेल-रमलाप, इंसानी दोस्​्ी, आपसी भाईचािा, िाष्​्ीय एकता का गुन आज ही नही् सन 1935 से गाता चला आ िहा हूं. मेिी नज्मे् हो् गजले, कते हो र्बाइयां... बिखा ऋ तु हो या बसंत, होली हो या दीपािली, शबेबिात हो या ईद, दशमी हो या मुहि्ाम, इन सबमे्आपको प्​्ेम, मुहल्बत, सेिा भािना, देशभब्कत शारमल रमलेगी. मेिी सािी करिताओ् की बजती बासुंिी पि एक ही िाग सुनाई देगा िह है देश-िाग... मैने अपने सािे कलाम मे्प्​्ेम, प्याि मुहल्बत को प्​्ाथरमकता दी है.’ हालात चाहे जैसे भी िहे हो, नजीि ने उसका सामना रकया, न खुद बदले औि न अपनी शायिी के तेि​ि को बदलने रदया. दंगो की लपटे्जब तेज हुई्तो नजीि की शायिी बोल उठी: ‘...अंधेिा आया था हमसे िोशनी की भीख मांगने/हम अपना घि न जलाते तो क्या किते.’ गंगा रकनािे बैठकि अपनी थकान दूि किने िाले इस शायि ने गंगा की बहती लहिो् मे् जीिन के मम्ा को बूझा औि पाया रक सृर्ि जैसी हो दृर्ि िैसी, खयाल जैसा हो िैसा दश्ान औि रि​ि कुछ इस तिह से उसे अपने शल्दो्मे्ढाला: ‘कभी जो चुप-चाप मुझको देखा कुछ औि भी प्याि से पुकािा जहां भी गमगीन मुझको पाया िहां बहा दी हंसी की धािा अगि कभी आस रदल की टूटी, लहि-लहि ने रदया सहािा भिी है ममता से मां की गोदी, नही्है गंगा का यह रकनािा’ 25 निंबि 1925 को बनािस के पांडे हिेली मदनपुिा मे्जन्मे्पेशे से हकीम नजीि बनािसी ने अंत तक समाज के नल्ज को ही थामे िखा. ताकीद किते िहे, समझाते िहे, बताते िहे रक ये जो दीिािे् है्, लोगो् के दिरमयां बांटने-बटने के जो िलसिे है. इस मज्ाका एक ही इलाज है रक हम इंसान बने औि इंसारनयत का पाठ पढ्े्, मुहल्बत का हक अदा किे्. कुछ इस अंदाज मे्उन्हो्ने इस पाठ को पढ्ाया: ‘िरहये अगि ितन मे्इंसां की शान से ि​िना किन उठाइए, उरठये जहान से.’ नजीि का इंसान रकसी दायिे मे्नही्बंधता. जैसे नजीि ने कभी खुद को कभी रकसी दायिे मे्कैद नही्रकया. गि्ासे हमेशा कहते िहे रक मै्िो काशी का मुसलमां हूं नजीि, रजसको घेिे मे् रलये िहते है बुतखाने कई. नजीि की शायिी उनकी करिताएं धिोहि है्, हम सबके रलए. संकीण्ा रिचािो्की घेिाबंदी मे्लगाताि िूसते जा िहे हम सभी के रलए नजीि की शायिी अंधेिे मे् टाच्ा की िोशनी की तिह है. अगि हम इस मुल्क औि उसके रमजाज को समझना चाहते है्, तो नजीि को जानना औि समझना होगा. समझना होगा रक उम्​् की झुर्िायो् रक बीच इस सूिी, साधु दि​िेश सिीखे शायि ने कैसे रहंदुस्ान की साझी िायतो्को रजंदा िखा, उन्हे्आगे बढ्ाया, कैसे इंसान होने के िज्ाको अदा रकया. नजीि साहब तो अब नही् िहेख् लेरकन उनकी रलखा हुआ िो दस्​्ािेज मौजूद है रजसमे् साझे का रहंदुस्ान बनाने का नक्शा है. रजससे रनकली हुई देश-िाग की आिाज हमसे कहती है‘जो हंसना तो आंखे रमला कि कजा से/जो िोना तो भाित के गमख्िाि बन के/अगि जंग किना गुलामी से किना/कभी सि जो देना तो सिदाि बन के/चमन की अगि रजंदगी चाहते हो/चमन मे् िहो शाखेn गुलजाि बन कि.’ शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 43


मास् यायावरी ट हेड

ककसी भी देश का एक शहर उसके समाज की एक परत हमारे सामने खोलता है. ऐसी कई परतो्से होती हुई इस यात्​्ा मे् ककवता भी सफर कर रही थी. जम्षनी के कई छोटे-बड़्ेशहरो् की यादो्अनुभवो्को समेटता यात्​्ा वृत्ांत . जवसंता केरकेटूा

ई की 23 तािीख को रदल्ली से फै्किुट्ा ि​िाना होते हुए भाित मे् एक दोपहि छोड गयी थी, रजसे सांझ होते हुए देखना चाहती थी, लेरकन फैक ् िट्ामे्उतिते हुए पता चला रक िहां सूिज देि से डूबता है. िात के 9.00 बजे तक आकाश मे्उजाला पसिा िहता है औि 10.30 बजते-बजते धीिे-धीिे अंधेिा छाने लगता है. तब भाित मे्सुबह हो िही होती

है. गम्​्ी का मौसम िहां िसंत सा होता है औि तब भी बारिश अपनी मनमानी किती िहती है. रदल्ली से जाते समय गम्​्ी औि उमस से तंग मन ने नही् सोचा था फै्किट्ा एयिपोट्ा से बाहि रनकलते ही एक ठंडी हिा यो् टकिायेगी औि ऐसी ठंड मे् कही् से रनकल आयेगा झािखंडी शॉल. हमे्लेने एयिपोट्ापहुच ं े योहान्नस े लारपंग हमािे रलए दो झािखंडी शॉल लेकि आये थे. फैक ् िुटा्एयिपोट्ासे एप्पलहाइम की ओि जाते हुए लगा जैसे सपनो् की दुरनया मे् आ गयी हू.ं कोई देश इतना साि कैसे हो सकता है, औि उस पि जहां तक नजि जाये, िहां तक पसिी हुई हरियाली. जम्ानी मे् लोगो् को धीमे औि बहुत कम बोलते सुना, मगि रचरडयो्की आिाजे्स्पि्​्थी्. कौन सी रचरडया रकससे, क्या औि रकस आिाज मे्बाते्कि िही्है,् सब स्पि्​्था. इतनी शांरत! खामोश पहाड, पेड, ठंडी हिाएं औि खाली-खाली दूि तक पसिी हुई सडक्​्. मेिे कमिे की रखडकी से पहाडी श्ख ्ृं ला रदखाई पड िही थी. मै्िात रघिने औि सूबह सूिज रनकलने तक बस रखडकी से रचपकी खडी िखती. िात रघिते ही पहाडी पि रटमरटमाती िोशनी, जैसे पहाड पि जुगनू र्क गये हो्. खपिैल के खामोश घिो्को देखकि ऐसा लगता था जैसे भाित से दूि नही्हू.ं बस शहि से अपने गांि आ गयी हू.ं

पच्​्ीस मई के तडके तीन बजे ही नी्द खुल गयी. रखडकी खोलकि बाहि झांकने लगी. घंटो् ठंडी हिा का आनंद लेते हुए सुबह को धीिे-धीिे पूिे आकाश मे्पसिते हुए देखा. हि घि के पीछे िुलिािी है.् चेिी के पेड, गुलाब औि तिह-तिह के ि्लो् के पौधे. िह-िहकि सोच िही थी रक कैसे दूसिे देशो्के लोग समझने लगे है्रक अब नरदयो्औि पहाडो्को बचा लेना चारहए. धूलगद्ासे हिाओ्के चेहिे पि कारलख पोतना बंद किना चारहए. दूि-दूि तक खेतो्मे्तिह-तिह की िसल िैली थी. चािो् ओि रसि्फ हरियाली. खेतो् के बीच पगडंरडयो्पि एक जोडा धीिे-धीिे टहलता हुआ मेिी नजिो् से दूि रनकल िहा था. सुबह एप्पलहाइम बाजाि की ओि रनकल पडी. कुछ दुकानो् के दि​िाजो् पि अपने करिता-पाठ के काय्ाक्म की सूचना तस्िीि के साथ देखकि मजा आया. मेिे रलए यह रबलकुल सपने जैसा था. कई लोगो्ने तस्िीिे्देख कि पहचान रलया औि उन्हो्ने रमल कि कहा रक िे मेिे काय्क ा म् मे् आ िहे है्. एप्पलहाइम मे् एक पब्ललक लाइब्ि्े ी देखी, जहां लोग खुले मे्बैठकि रकताबे् पढ सकते है.् रकसी को रकताबे्लेनी हो तो िह रबना रकसी को पूछे िहां से रकताबे्उठा सकता है या पुिानी रकताबे् लौटा़ सकता है. लोग यह सब ईमानदािी से किते है्. ग्यािह बजे

शहरो्रे्घूरती कसवता

हाइडेलबग्ाका सवश्​्सवद्​्ालय: ज्​्ान का प्​्ाचीन के्द् 44 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016


एप्पलहाइम से बाडन-बाडन शहि पहुच ं ी. िहां फ्​्ीडा काहलो का संग्हालय है. मुझे फ्​्ीडा काहलो के बािे ज्यादा जानकािी नही् थी. इस संगह् ालय मे्उनके बचपन से लेकि पूिे जीिन पि आधारित तस्िीिो्को देखते हुए मालूम हुआ रक फ्​्ीडा अपनी पे्रटंग के माध्यम स्ियं को अरभव्यक्त किते हुए मशहूि हुई.् उनकी पेर्टंग उनके जीिन की यातनाओ् की कहानी कहते सि्भा ौम हो गये. बाद मे् िह औि उनकी पेर्टंग स्​्ी मुबक् त आंदोलनो् की प्ि्े णा स्​्ोत बन गयी्. बाडन-बाडन से लौटते हुए एटनरलंगने नामक शहि भी गयी, जहां लोग स्िास्थय् लाभ के रलए जाते है.् शहि के बीचो्बीच नरदयो्को बेपि​िाह बहते देखा, बस िहां की नरदयां खूबसूित नालो् की शक्ल मे् नजि आती है. मेिे रलए नदी का अथ्ातो बालू, चट्​्ान, मछरलयां, मंगिदाह, पानी की धाि से कटे-छटे रकनािे औि रकनािो् पि कमि लचकाये खडे पेड भी होते है.् दूसिे रदन नाक्ते के बाद योहान्नस े लारपंग के साथ हाइडलबग्ा शहि देखने रनकल पडी. खूबसूित पहाड नजि आये, रजन्हे्प्​्ाकृरतक र्प मे्िलने-ि्लने रदया जा िहा. उन पि चढने के रलए िास्​्ेबनाये गये है.् पहाड पि जम्ना करि जोसेि िॉन की प्र्तमा खडी है. हाइडलबग्ाकी नदी, जो आगे जाकि िाइन नदी मे् रमल जाती है, शहि के बीचोबीच बह िही है. नदी पि एक पुिाना पुल है, जो हाइडलबग्ाबाजाि से जुडता है. शाम को योहान्नस े लारपंग की बुक शॉप मे् काय्क ा म् के रलए लोग आने लगे थे. देखते ही देखते बुक शॉप भि गयी. करिता पढने से पहले योहान्नस े लारपंग ने लैरटन अमेरिका औि दुरनया के दूसिे रहस्सो् के आरदिासी संघष्​्ो की चच्ा​ा किते हुए भाित के आरदिारसयो्की ब्सथरत का रजक्​् रकया. उन्हो्ने कहा रक अब तक िे डॉक्यूमे्ट्ी रिल्मो् मे् आरदिासी ब्सथरतयो् को

चाि बजे हम श्त्े िे शहि पहुच ं ,े शाम सात बजे काय्क ा म् की शुरआ ् त होनी थी. पहले रदन गो्ड आरदिारसयो् पि तीन सालो तक शोध किने िाले एक जम्ना व्यब्कत ने अपनी बाते्िखी्. काय्ाक्म के प्​्थम सत्​् मे् उपसाला यूरनिर्साटी, स्िीडन के प्​्ो. हाइंजस ने दरलत सारहत्य पि अपना िक्तव्य रदया. दूसिे सत्​् मे् मैन् े करिताओ्का पाठ रकया. इसके अलािा दो अलग-अलग काय्श ा ाला का आयोजन था. एक काय्षा ाला आरदिाणी की रनदेशक र्बी हेब् ्ोम के अनुभिो् पि आधारित थी. िही्, दूसिी काय्ाशाला मेिे अनुभिो् औि करिताओ् पि आधारित. लोग ढेि सािी करिताएं सुनना चाहते थे. उन्हो्ने मेिी रशक्​्ा-दीक्​्ा, करिताओ् की प्​्ेिणा, रहंदी मे् ही करिता रलखने का कािण, रात रे्हाइडेलबग्ा: पुल के ऊपर सकला रसमडेगा के गांिो्से रनकलने िाली करिताओ् आरद के बािे मे् सिाल पूछ.े मैन् े रसमडेगा के देखते िहे, लेरकन स्ियं आरदिासी समाज अपने िे ग ् ािीह प्ख ् ड ं की कुछ आरदिासी लडरकयो्की लेखन मे्रकस तिह अपने आप को अरभव्यक्त रलखी करिताओ् का पाठ रकया, रजसका अंगज ्े ी कि िहा है, यह जानने का मौका नही् रमला. अनु ि ाद भी पढा गया. लेरकन अब िे करिताओ् के माध्यम से इस उनतीस मई के पहले सत्​्मे्र्बी हेब् ्ोम ने समाज के साथ एक भािनात्मक जुडाि महसूस संथाली रलरप औि आरदिाणी प्क ् ाशन के बािे कि िहे है.् मैन् े करिताएं पढना शुर् रकया. ‘गांि की मे् बताया. दूसिे सत्​् मे् हाइडलबग्ा यूरनिर्सटा ी एक शाम’, ‘सािंडा के ि्ल’, ‘रगद्​्दृर्ि’, ‘ओ मे्गेसट् िेकल्टी डॉ. मािकुस ने रजन्हो्ने भाित शहि’, ‘नदी’, ‘पहाड औि बाजाि’, ‘हूल की मे् िहकि लंबे समय तक आरदिारसयो् द्​्ािा ा मे् हत्या’, ‘कब्​् पि मडुआ के अंक्ि’, ‘भूख का बनायी जाने िाली क्त्े ्ीय रिल्मो् के रनम्ाण आग बनना’ औि धीिे-धीिे लोगो् की आंखे् काम रकया है, आरदिासी रिषयो्पि बनने िाली गीली होने लगी्. सामने बैठी जम्ान युिती की रिल्मो् पि अपने रिचाि िखे. उसी रदन बॉन गालो्पि आंसू की बूदं े लुढक गयी्. तब अचानक शहि के रलए ि​िाना हुए. दो घंटे की यात्​्ा के बाद ‘काश! इमली खट्​्ी न होती’ करिता सुनते ही हम बॉन यूरनिर्सटा ी के रनकट प्​्ो. जो. रहल के ं .े बॉन के एक मेले मे्अलग-अलग देश लोग एक साथ मुसक ् िु ा उठे. हि पांच करिताओ् घि पहुच के लोग अपनी चीजे् बेच िहे थे. एक ओि के बाद एक छोटा ब्​्ेक होता औि लोग अपनी म् य र ू जक कू सट्ाचल िहा था, जहां लोग नृतय् भी प्र्तर्​्कयाएं देते थे. किीब 15 करिताएं सुनने के कि िहे थे . देि शाम तक बॉन की सडक्​्छानने बाद देि तक तारलयां बजती िही्. के बाद हम घि लौट अगली सुबह जैसे पहाड पर जुगनू र्क गये हो्. आये. तीस मई को बॉन एप्पलहाइम से श्​्ेतिे यूरनिर्सटा ी मे्करिताखपरैल के खामोश घरो्को जाते हुई गाडी मे् सो पाठ का काय्ाक्म था. गयी, रि​ि बीच िास्​्ेमे् देखकर ऐसा लगता रा जैसे इस काय्ाक्म मे् कुछ अचानक नी्द खुल भारत से दूर नही्हूं. बस शहर से जम्ान िरिष्​् करि गयी. मै्ने कभी भी अपने गांव आ गयी हूं. मौजूद थे. उन्हो्ने गारडयो् मे् रबना करिताओ् को कािी रहचकोले खाये यात्​्ा पसं द रकया औि कहा उन् ह ् े ये प् भ ् ािशाली लगी्. नही्की थी. कब दो घंटे बीत गये, पता ही नही् अगले रदन सु ब ह हनोि​ि की दो घं ट े की चला. पूिे िास्​्ेतस्िीिे्उतािती िही. इतने सुदं ि यात् ा ् के बाद हम बीच मे ् योहान् न स े लारपं ग की िास्,्े हरियाली से भिे हुए, जंगलो् के बीच से एक रमत् ् के पास र् क . े िहां लं च रकया औि पास गुजिती गाडी औि दोनो् ओि तेजी से पीछे की ओि भागती पेडो् की कतािे्. मुख्य सडक से के ही एक झील देखने रनकल पडे. यात्​्ा शुर् किीब एक घंटे की दूिी तय कि हम एक छोटे हुई औि शाम पांच बजे हनोि​ि के एक गेस्ट गांि पहुंचे. दोपहि का खाना खाने के रलए. हाउस पहुंचे. शाम सात बजे करिता पाठ का ा म् था. इस काय्क ा म् मे् कुछ रिद्​्ाथ्​्ी औि योहान्नेस ने िेस्टोिे्ट चलाने िाली मरहला को काय्क बताया रक उन्हो्ने उस िेसट् ोिेट् के बािे इंटिनेट कुछ बुर्दजीिी मौजूद थे. जैसे ही काय्ाक्म पि पढा था. यह जानकि िह कािी खुश हुई. समाप्त हुआ, जोिो्की बारिश शुर्हो गयी. हम भीगते हुए एक भाितीय िेसट् ोिेट् पहुच ं .े इतने रदनो् शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 45


मास् यायावरी ट हेड बाद पहली बाि चािल औि दाल-सल्जी खाने को रमला. सुबह जब नी्द खुली तो बारिश हो िही थी. नौ बजे हनोि​ि से कास्सल के रलए ि​िाना होना था. कास्सल मे्भी शाम 7.00 बजे करिता-पाठ का काय्ाक्म था. िहां ब्​्ाजील, श्​्ीलंका ि दुरनया के रिरभन्न रहस्सो् मे् आरदिासी संघष्​्ो पि काम किने िाले श्​्ोता मौजूद थे. िे करितापाठ के बाद कई बाते् जानने को उत्सुक थे. मसलन, भाित मे् आरदिारसयो् के संघष्ा रकस तिह के है?् उनकी धार्मक ा पहचान क्या है? दुरनया के आरदिासी रकस तिह बचे िह सकते है?् आरद. इस पि देि तक चच्ा-ा परिचच्ा​ा होती िही.

की गयी थी. शाम को काय्ाक्म संग्हालय मे आयोरजत था. संगह् ालय मे्घूमते हुए देखा रक िहां भाित, अफ्​्ीका, लैरटन अमेरिका, ऑस्टर्ेलया, दुरनया के हि देश के आरदिारसयो् से जुडी चीजे्मौजूद थी्. लाइपब्सचक मे्म्यरु नख से पहुच ं े डॉ. रिरलप ि डॉ. कात्जा ने उनके साथ िात बाहि घूमने जाने का आग्ह् रकया. देि िात लाइपब्सचक की सडको्पि बेपि​िाह घूमते हुए पहली बाि आदमी से आदमी का रबना डिे िात भि घूमने का एहसास क्या होता है, पता चला. लाइपब्सचक से लौटते हुए िाइमाि शहि मे् र्की. िाइमाि से सटे नाजी कूसट्​्ेशन कै्पो् देखने गयी, जहां यहूरदयो् को कैद रकया जाता था औि उन्हे्क्ि् यातनाएं दी जाती थी. िहां गैस

पुल पर लेसखका: जहां िे जंगल शुर्होता है

कास्सल मे्र्बी हमािा साथ छोड िही थी्. िे भाित िापस आने की तैयािी कि िही थी्. हमने कास्सल मे्र्बी हेमब् ्ोम से रिदा ली औि एक जून को एि​िट्ाके रलए ि​िाना हो गये. शाम एि​िट्ायूरनिर्सटा ी मे्काय्क ा म् था. मुझे बताया गया रक एि​िट्ा शहि के रजस हॉल मे् यह काय्क ा म् था, िहां पहले यहूरदयो्का छोटा पूजा स्थल हुआ किता था. इस काय्ाक्म मे् भाित, अमेरिका, ईिान, जम्ना ी के शोधाथ्​्ी मौजूद थे. काय्क ा म् के समाप्त होने पि शाम को एि​िट्ाकी सडको् पि पैदल चलते हुए रिद्​्ार्थया ो् के द्​्ािा चलाये जा िहे एक िेसट् ोिेट् पहुच ं .े िहां से िात के खाने के बाद रिश्​्ाम के रलए शहि से बाहि प्​्ो. एंरथया के घि पहुच ं .े इस पूिे सप्ताह प्​्ो. एंरथया के पास ही ठहिे. दो जून को एि​िट्ासे लाइपब्सचक शहि के रलए ि​िाना हुए. िहां के ट्​्ाइबल म्यरू जयम के ठीक सामने एक होटल मे् हमािे र्कने की व्यिस्था 46 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

चेब् ि को उसी अिस्था मे्देखकि मन भािी होने लगा. कूसट्श ्े न कैप् के अंदि उस भिन को भी देखा जहां रहटलि के दौि मे्नाब्तसयो्द्​्ािा यहूदी कैरदयो् पि तिह- तिह के प्​्योग होते थे. मसलन, शिीि का कौन सा रहस्सा रनकालने से कैदी रकतने रदन रजंदा िहेगा औि न जाने रकसरकस तिह के क्​्ि प्​्योग. यह भिन अब संग्हालय मे् तल्दील कि रदया गया है. यहूदी कैरदयो्के रलए बनाये गये भिन अब ध्िस्​्हो चुके है्. उन जगहो्पि अब काले पत्थि भि रदये गये है. जम्ानी के अलािा दूसिे रहस्सो् मे् भी मौजूद बडे कूसंट्ेशन कै्पो् के नाम एक जगह अंरकत है्. उस स्थान को देखते ही साथ गये योहान्नस े लारपंग ि​िक कि िो पडे. पूिज ा् ो्के क्ि् कदमो् के रनशान कैसे पीरढयो् के सीने मे् अंरकत िह जाते है्रकसी बदनुमा दाग की तिह औि अपना इरतहास याद रदलाते िहते है्. योहान्नेस उन कहारनयो् को दोहिाने लगे जो

उन्हो्ने बचपन मे्देखी-सुनी्. एि​िट्ािापस लौटते हुए उन पुिानी तस्िीिो् को पलटती िही, रजन्हे्कूसटं श ्े न कैप् ो्के पास के एक रकताबो्की दुकान से लायी थी. उस रदन िात का खाना खाते िक्त रि​ि इन बातो्पि चच्ा​ा होने लगी औि माहौल औि गमगीन हो गया. प्​्ो. मार्टनि अपने रपता के बािे बता िहे थे रक कैसे उन्हो्ने लंबे समय से नात्सी अत्याचािो्पि बात किने से िोक लगा दी थी औि इस कािण रपतापुत्के संबध ं मे्लंबे समय तक दिाि पड गयी. प्​्ो. एंरथया उन्हे्समझा िही थी ये सािी बाते्बीत चुकी है्. बाि-बाि खुद को पिेशान किना बंद कि दीरजए. दूसिे रदन हाइरनस जंगल देखने के रलए रनकली. यहां पूिे जंगल को उपि से देखा जा सकता था. इसके रलए सीरढया बनायी गयी है.् लौटने के क्म् मे्जम्ना ी के मध्य मे्ब्सथत एक खुला संगह् ालय भी देखा जहां जम्ना ी के पहले आरदिासी, जो ईसा पूि्ा से ही इस देश मे् िहा किते थे. िहां उनके स्मृरत शेष िखे गये है्. लौटते समय दूि-दूि तक बस बडे-बडे खेत नजि आ िहे थे. जब हिा जब चलती थी तो लगता था मानो समुद् मे् लहिे् एक साथ उठ औि रगि िही है्. एि​िट्ा यूरनिर्साटी जम्ानी के पुिाने रिश्र्िद्​्ालयो्मे्से एक है. यही्मार्टनि लूथि ने अपनी पढाई की थी. प्​्ो. एंरथया ने उस चच्ा को रदखाया जहां मार्टिन लूथि आिाधना रकया किते थे औि उस मठ को भी जहां िे िहते थे. छह जून को गोरटंगन यूरनिर्साटी मे् काय्क ा म् था. इस काय्क ा म् मे् भाित के मुबं ई, पुणे औि अन्य शहिो् से जम्ानी गये लोगो् ने रहस्सा रलया. इनमे् पीएचडी के नेत्हीन औि नृत्य-संगीत मे् र्रच लेने िाले रिद्​्ाथ्​्ी भी शारमल थे. उन्हो्ने कहा रक इन करिताओ् की रिकॉर्डगि् उपलल्ध होनी चारहए. एमडन मे्मेिा अंरतम काय्ाक्म था. एमडन से एप्पलहाइम लौटते िक्त फैक ् िट्ा के किीब ही साइंरटरिक अमेरिका मैगज ् ीन की पूिा्संपादक मधुश्ी मुखज्​्ी के घि पहुच ं .े मसाले िाली चाय पीते हुए हमने कािी देि तक बाते् की्. उन्हो्ने अपनी रकताब ‘द लैड ् ऑि नेकड े पीपल’ दी. चौदह जून को हाइडलबग्ायूरनिर्सटा ी औि 16 जून को हाइडलबग्ाके इिरनंग एकाडमी मे् करिता-पाठ का काय्ाक्म संपन्न हुआ. सत्​्ह जून को शाम पांच बजे िैक ् िट्ाएयिपोट्ाके रलए ि​िाना होना था. लौटने से पहले एक बाि रि​ि ठंडी हिाओ्को देि तक महसूस रकया, पहाडो् को जी भि कि देखा. खाली-खाली सडको्को घंटो्रनहािा. सुबह अकेली घि से बाहि रनकल गयी औि दूि तक पैदल चलती िही, सडको्के रकनािे रखले ि्लो्को देखती िही. n (लेरखका युिा करि औि पत्क ् ाि है.्)


मास् खानपान ट हेड अरूण कुमार ‘पानीबाबा’ (पानी बाबा नही्िहे. पानी बाबा अमि िहे्. समाज के रलए जीने िाला लेखक औि काय्ाकत्ा​ा कभी मिता नही्. अर्ण कुमाि पानीबाबा ने मौसम के अनूक्ल बनने िाले भाितीय व्यंजनो्पि रलखकि स्िाद औि सेहत संबंधी समाज की समझ को रजंदा िखा है. उनके कालम को बंद किना संिाद के अरि​िल प्​्िाह को बंद किना है. इसरलए शुक्िाि के सुधी पाठक बाबा की िसोई मे्रकरसम-रकरसम के स्िाद आगे भी पाते िहे्गे.)

गेहूंका पनीर और चाट

अंकुकरत गेहूं से बनने वाला पनीर, चाट की दही और चाट आम चीजो्से बनी कुछ र्कचकर खाने की चीजे्है्.

ब्लजयो् के भाि आसमान छू िहे है्. पहली बात जो जाननी समझनी जर्िी है रक यह भाि इतनी तेजी पि क्यो्है. क्या देशभि मे्िसले् खिाब हो गयी है्, या सल्जी रकसान को उसकी मेहनत की मजदूिी रमलने लगी है. अगि यह दो िजह नही्है, तीसिी िजह क्या हो सकती है? इस पि गंभीिता से रिमश्ा किना होगा. हमािे जो रमत्​् व्यापारिक तेजी मंदी समझते है्. उनका कहना है रक सल्जी बेचने का धंधा बड्े-बड्े पूंजीपरत हस्​्गस्​्कि ले्गे तो यही नतीजा होगा, जो हुआ. अब सल्जी बड्ेपैमाने पि सड्ा/गला कि नि्​्की जा सकती है. लेरकन साधािण माली हैरसयत के लोगो्को खाने के रलए उरचत कीमत पि मुहैया नही्किाई जा सकती. आज अपने देश मे्चाि-पांच 'व्यापारिक-पूंजी' के सिमायादािो्ने डेढ्दो लाख किोड्र्पया सल्जी के व्यापाि मे्लगा रदया है. िह रकसी भी कीमत पि सल्जी भािो्को ित्ामान बुलंदी के ऊपि ही ले जाये्गे. नीचे नही्रगिने दे सकते. चाहे किोड्ो् टन सल्जी की खाद बना कि िारपस खेतो् मे् ही िापस पहुंचानी पड्े. गांधीरगिी बॉलीिुड तक अपना प्​्भाि स्थारपत कि चुकी है. साठ के दशक मे्लाल बहादुि शास्​्ी प्​्धानमंत्ी बने औि अन्न की कमी का शोि मचा तो उन्हो्ने गांधीरगिी के तहत सप्ताह मे्एक उपिास औि अन्न मुक्त एक शाम का प्​्योग रकया था. हमािा सुझाि है रक अपना प्​्बुद् समाज केिल एक महीने के रलए कुल पांच सल्जी टमाटि, रशमला रमच्ा, फ्​्च बीन, लौकी, गोभी का त्याग कि दे् तो जो भी दो चाि रिश्​्के खिबपरत भाितीय सल्जी व्यापाि मे्घुस गये है्िह लंगो्ट छोड्भागे्गे औि यरद इन अक्लील बड्ी दुकानो् का लंबा बरहष्काि हो जाये तब तो गांधी युग का पुनिाितिण शुर्ही समझो. ित्ामान अिाजनैरतक युग मे् जब पानीबाबा िाजनीरत किने के बजाय रखचड्ी पका िहे है्औि कढ्ी कढ्ा िहे है् तब बड्े खयाली पुलाि पकाना उरचत नही्. समय को पहचान कि ही बात सुझानी चारहये. इस बाि हम एक नुस्खा सुझा िहे है्जो 'व्यापारिक पूंजी' से मुकाबला किने मे् कािगि हो सकता है- गेहूं का पनीि-अपने देशिाजस्थान के माि​िाड्मे्इसे 'चक्​्ी' कहते है्. एक सेि गेहूं रभगो दीरजये, चाि-पांच घंटे बाद कपड्ेमे्बांध दीरजये. तीसिे रदन अंकुि आध-पौन इंच लंबे हो जाये् तो सािा परि​िाि सामूरहक सहयोग से अंकुि को रछलके से अलग कि ले.् अंकिु को रसल पि महीन पीस कि उसे छलनी (सूप स्टन्े ि) मे्िखकि धोये्तारक- मैदा/भाड्ी अलग हो जाये्, माड्ी को रनथाि-रनथाि कि गाढ्ा कि लीरजये. यह गाढ्ी माड्ी दूध के पनीि जैसी हो जाती है इसे पत्थि के चकले के नीचे जमाकि छोटे टुकड्ेकाट कि तल ले्या रबना तले ही बनाये्. चाहे मुगलई स्िाद का औि चाहे िैष्णि स्िाद का िसा (ग्​्ेिी)

बना लीरजये. उसमे्इसे पनीि की तिह कढ्ा लीरजये. 'देश' (यानी जोधपुि मे्) मे्चक्​्ी बनाते है्तो चाि-छह कटोिी अड्ोस-पड्ोस मे्भेजते है्, औि चाि इि्​्बंधुओ्को भी भोजन पि आमंर्तत किते है्. अंकुरित गेहूं दूध के पनीि से बहुत अरधक स्िारदि्​्औि पौर्​्िक होता है. दही के पकौड्ी भल्लो्पि जो एक चम्मच इमली या अमचूि की मीठी सो्ठ डाली जाती है. चाट इसी चटपटी मीठी खटाई को कहते है्. िातभि की भीगी इमली या अमचूि, लाल रमच्ा डालकि पय्ा​ाप्त पानी मे्डेढ्-दो घंटे पकायी जाती है, गाढ्ी हो जाने पि इसे कपड्छन किते है्इसमे्बािीक कुटी सौ्ठ, काली रमच्ा, नमक औि मीठा रमलाते है्. रदल्ली से सहािनपुि तक के दोआबे मे् चाट का दही रबलकुल उसी तिह बनाया जाता है रजस तिह महािाष्​्मे्श्​्ीखंड. रिरध एक रकूतु व्यंजन दो औि िासला भी कम से कम छह सौ कोस का यानी पंदह् सौ रकलोमीटि का. कहां रदल्ली की चाट पकौड्ी औि कहां पुणे का श्​्ीखंड- दोनो् का दही एक ही रिरध से तैयाि रकया जाता है. शुद्गौिस को 20 रमनट तक उबालते है्रि​ि लगाताि उछालकि ठंडा किते है्, तारक दूध की नस टूट जाये् यानी दूध मे् जो रचकनाई है िह उससे अलग न की जा सके. शीत रनिाए दूध मे्सख्त दही का हल्का जामन लगाते है्. दही चक्​्ा सा जम जाये तो मलमल मे्बांध कि टांग देते है्. तीन-चाि घंटे मे् रबलकुल रनचुड् जाने पि-दही, कच्​्ा गौिस रमला कि कपड्े से छान रलया जाता है. श्​्ी खंड का दही रबलकुल गाढ्ा िखते है्. पय्ा​ाप्त बूिा रमलाकि इलायची, केसि, जायिल डालते है्. चाट का दही थोड्ा ढीला बनाते है्, रबलकुल मामूली सा मीठा डालते है् तारक दही की तुश्ी जिा भी प्​्भारित न हो. चाट के दही मे्थोड्ी क्​्ीम/मलाई भी रमलायी जाती है. बाकी बचता है दही चाट मसाला, चाट रिशेषज्​् अपने मसाले के नुस्खे को असानी से नही् खोलते. बस कम उम्​् से कुनबे, परि​िाि, रमत्​् बंधुओ् के यहां शादी-ल्याह इत्यारद मे्हलिाइयो्, चाट िालो्के संग का काम किते-किते अनुभि से जो अंदाज आ गया है, िही्यहां प्​्स्ुत कि िहे है्. तीन रहस्सा जीिा, दो रहस्सा साबूत धरनया-अलग अलग भूनते है्. जीिा रबलकुल तेज से, लाल होने तक भूना जाता है, औि न मोटा न महीन पीसा जाता है, धरनया तेज भूनकि महीन पीसते है्. इसी मे् मामूली रसंका गम्ा मसालाकेिल तीन तीज काली रमच्ा, दाल चीनी, औि पीपल हल्का भून कि एक साथ ही क्ट लेते है्. से्धा नमक मे् पाि सेि का काला नमक रमलाकि क्टते है् (एक सेि से्धा नमक मे् पाि भि काला नमक). आपके गली मोहल्ले मे्कभी कोई बाजाि लगे तो चाट पकौड्ी का खोमचा सजा दीरजये n घाटा नही्होगा. शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 47


मास् शि्टल्महेड

सवद्​्ा बालन की अ िूिरी कहानी

हवर मृदुल

कवद्​्ा बालन की अगली कफल्म ‘कहानी 2- दुग्ाष रानी कसंह’ है. सुजॉय घोर की यह कफल्म उनकी कपछली चक्चषत कफल्म ‘कहानी’ का सीक्वल नही्, बक्लक फे्चाइजी है. उनकी दो और कफल्मे्‘बेगम जान’ और ‘कमला दास’ भी कनम्ाषणािीन है्.

सवद्​्ा बालन: पि्​्ेपर िाहसिक वृत्ा​ांत 48 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

ब रिद्​्ा बालन ‘कहानी 2- दुग्ा​ा िानी रसंह’ मे्नजि आये्गी. सुजॉय घोष की यह रिल्म उनकी रपछली चर्चात रिल्म कहानी का सीक्िल नही् बब्लक फ्​्चाइजी है. रिद्​्ा बालन की दो औि रिल्मे् बेगम जान औि कमला दास भी रनम्ा​ाणाधीन है्. बेगम जान बांगला रिल्म िाजकरहनी की िीमेक है जबरक कमला दास एक बायोरपक है. प्​्स्ुत है रिद्​्ा से हुई बातचीत: एक समय आप मकहला पु​ुधान कफलुमेु खूब कर रही थीु. इकुककया, कहानी, पा और िटु​ुी कपकुचर कुछ ऐसी ही कफलुमेु थीु. आपको कई पुरसुकार भी कमले. कफर अचानक आप गायब सी हो गयीु? मेिे करियि मे्एक ठहिाि सा आ गया था. लगाताि कई सिल रिल्मे् देने के बाद अचानक मेिी रिल्मे्फ्लॉप होने लगी्. घनचक्​्ि, बॉबी जासूस औि हमािी अधूिी कहानी जैसी कई रिल्मे्लोगो्को पसंद नही्आयी्. मै् समझ नही्पायी रक ऐसा क्यो्हुआ? मुझे खुद पि बहुत गुस्सा आया. इतनी बड्ी सिलता रमलने के बाद रि​िलता को झेल जाना मुब्ककल होता है. इसके बाद मेिी तरबयत खिाब हो गयी. मै्न आठ महीने आिाम रकया औि अपने आप पि गौि रकया. जल्दी ही मै्यह समझ गयी रक सिलता हमेशा बिकिाि नही् िहती. इस समय मेिे पास तीन रिल्मे् है्- कहानी 2- दुग्ा​ा िानी रसंह, बेगम जान औि कमला दास. ये तीनोु कफलुमेु सु​ुी पु​ुधान हैु? कुया यह मान कलया जाये कक आप मुखुय धारा के कॉमकुशचयल कसनेमा से दूरी बना चुकी हैु. इन रिल्मो् का रिषय थोड्ा अलग अिक्य है लेरकन ये तीनो् ही कॉमर्शया ल रिल्म है.् इन रदनो्दश्क ा ो्को ऐसी ही स्र्कप्ट िाली रिल्मे्पसंद आ िही है्. िैसे बतौि हीिोइन मै्हि तिह की रिल्म मे्काम किना चाहती हूं. सच कहूं तो मै् बहुत लालची प्​्कृरत की अरभनेत्ी हूं. मै् कोई भी चुनौतीपूण्ाभूरमका छोडऩा नही्चाहती. कहानी 2- दुगुाच रानी कसंह के बारे मेु बताइये. कुया यह कपछली कफलुम के रोमांच को आगे ले जाने वाली होगी? इस रिल्म मे्िोमांच भिपूि है. साथ ही यह रपछली रिल्म की तुलना मे्भािना प्​्धान भी है. एक पंब्कत मे्कहूं तो एक मां अपनी बेटी की िक्​्ा के रलए रकसी भी हद से गुजि सकती है. पहले दुग्ा​ा िानी रसंह नाम से अलग रिल्म बननेिाली थी. लेरकन बाद मे्इसके साथ कहानी-2 जोड्रदया गया. दुग्ा​ा िानी रसंह एक सामान्य मरहला है. यह कहानी की रिद्​्ा बागची से एकदम अलग है. इसकी दुरनया अलग है. लेरकन यह उस रिल्म के िोमांच को आगे ले जाने का काम किेगी. बंगाली पकरवेश के ककरदार आपको कुछ जुयादा ही लुभाते है.ु पकु​ुिम बंगाल मेु आपकी लोककु​ुपयता भी काफी है. इसके पीछे कुया राज है? िाज जैसी तो कोई बात नही् है. हां मुझे कॉलेज के रदनो् से ही बांग्ला सीखने का शौक था. इसके रलए मैन् े गाने सीखे. एक-एक किके कुछ िाक्य बोलना सीखे. जब महान रिल्मकाि सत्यजीत िाय को ऑस्कि रदया गया था तो उनके बािे मे् मै्ने पर्​्तकाओ् मे् पढ्ा था. उनकी रिल्मे् तलाशकि देखी्. मृणाल सेन, ऋरतक घटक, तपन रसन्हा, तर्ण मजूमदाि, श्​्ीजीत मुखज्​्ी, अरिंदम सील, ऋतुपण्​्ो घोष औि कौरशक गांगुली की रिल्मे् भी देखने का मौका रमला. खास बात तो यह है रक मेिे करियि की पहली रिल्म बांग्ला भाषा की ही थी, जो बन नही्पायी. बाद मे्पहली रिल्म के र्प मे् परिणीता प्​्दीप सिकाि जैसे रनद्​्ेशक के साथ की जो बंगाली ही है्. कहाी भी मै्ने सुजॉय घोष के साथ की. अब मै्बांग्ला बोल लेती हूं. अगली रिल्म बेगम जान की कािी शूरटंग कोलकाता मे्ही हुई है. कहानी-2 दुगुाच रानी कसंह के टाइटल मेु कपछली कफलुम का नाम भी जुडुा है, तो उसका दबाव ककतना है? जब मुझे सुजॉय घोष ने इस रिल्म की कहानी सुनाई थी, तो मै्ने उनसे पूछा था रक लोग इसमे्रिद्​्ा बागची को तो नही्ढूंढ्ेगे? तब उन्हो्ने बताया


रक िे सीक्िल रिल्म नही् बना िहे है्, बब्लक फ्​्चाइजी बना िहे है्. इसमे् करिताओ्पि एक गहिी नजि डाली है. इस रिल्म की शूरटंग जल्द ही शुर् होगी. इसके रनद्​्ेशन का बीड्ा उठाया है कमल ने. कम लोगो्को पता है रक रपछली रिल्म से आगे की कहानी नही्है, सो इसे अलग नजरिये से देखा कमल के साथ ही मेिे करियि की पहली रिल्म शूट होने िाली थी, लेरकन जाना चारहये. बाद मे् यह रिल्म बंद हो गयी थी. रिल्म कमला दास की शूरटंग मुंबई, कफलुम कहानी ने न केवल कई नये टु​ुेि सेट ककये, बकुलक बॉलीवुि केिल औि कोलकाता मे्होनी है. इसमे्अपने रकिदाि की तैयािी के रलए मै् को एक नयी कवदु​ुा से भी पकरकचत करवाया. आप खुद इस कफलुम को कमला जी के िीरडयो देखूंगी. मै्उनके बेटे के संपक्फमे्हूं, इसरलए उनके अपने ककरयर के कलए ककतना बडुा मोडु मानती हैु? बािे मे् ज्यादा से ज्यादा जानकारियां हारसल करू्गी. मेिी ओि से पूिी रनर्​्ित र्प से कहानी मेिे कैरियि का बड्ा मोड् है. इस रिल्म की कोरशश होगी रक मै्प्​्ामारणक तौि पि अपना रकिदाि रनभाऊू. सिलता के बाद बॉलीिुड मे् मरहला प्​्धान रिल्मो् पि भिोसा बना. लगा नयी पीढुी की हीरोइनोु पर आपकी कुया पु​ुकतकु​ुिया है? आप आज की रक अरभनेत्ी भी अपने दम पि रिल्म चला सकती है. असल मे्हमािे समाज ककन अकभनेकुतयोु के काम से पु​ुभाकवत हैु? मे् भी लड्रकयो् की ब्सथरत बदली है. ज्यादाति लड्रकयां अपनी लाइि नयी पीढ्ी की लगभग सभी अरभनेर्तयां प्​्रतभाशाली है्. ये गजब की अपनी शत्​्ो्पि जीने की कोरशश कि िही है.् इसका असि रिल्मो्की स्र्कप्ट प्​्ोिेशनल है्. इन्हो्ने पूिी तैयािी के साथ अरभनय के क्​्ेत्मे कदम िखे है्. पि पड्ा है. पहले की रिल्मो्मे्औित देिी होती थी या रि​ि उसकी डायन मै्कूगना िनोट औि आरलया भट्​्की रिल्मे्कािी जैसी छरि िची जाती थी. लेरकन अब िो इंसान के उत् सुकता से देखती हूं. ये दोनो्ही लीक से हटकि तौि पि रदखाई जा िही है. उसमे्करमयां भी है्औि सोच-समझकर ही णफल्मे्कर काम किती है्. कूगना तो खैि मंझी हुई अरभनेत्ी है् खूरबयां भी. उनमे्कई शेड है्, जो न बहुत अच्छे है् रही हूं. मै्महज संख्या बढ्ाने के ही, आरलया भी लगाताि अपने आपको सारबत कि औि न ही बहुत बुिे. णलए काम नही्करनेवाली हूं. भले िही है्. इन दोनो् की रिल्मो् का चयन भी मुझे कफलुम बेगम जान के बारे मेु बताइये? ही मुझे एक भी र्पया फीस न आकर्षता किता है. इनके पास देखने की एक खास यह बांग्ला रिल्म िाजकरहनी की िीमेक है. दृर्ि है, जो कम अदाकािो्मे्होती है. बहुत पॉि​ि​िुल रिल्म है. मूल रिल्म बंगाल की णमले. माना जाता है कक शादी के बाद हीरोइन का पृष्भूरम पि बनी थी औि यह रिल्म पंजाब के िेुज बरकरार नहीु रह पाता. आपके ककरयर पर ककतना असर पडुा बैकग्​्ाउंड पि है. इस रिल्म मे्रिभाजन के दौि की कहानी है. एक कोठा है? है, रजसका आधा रहस्सा पारकस्​्ान के पास चला गया है औि आधा शादी के बाद भी मेिा अरभनय करियि सुचार्ढंग से चल िहा है. जैसा रहंदुस्ान के पास िह गया है. जद्​्ोजहद यह है रक इस कोठे को पाट्​्ीशन से रक मै्बता चुकी हूं रक इस समय मेिे हाथ मे्तीन रिल्मे्है्. मेिे पास काम बचाना है. इस रिल्म मे्बड्ी रदलचस्प कहानी है. इस रिल्म का रनद्​्ेशन की कोई कमी नही्है. मुझे रिल्मो्के ऑि​ि रमलते िहते है.् लेरकन मै्सोचश्​्ीजीत मुखज्​्ी ने रकया है. समझकि ही रिल्मे्कि िही हूं. मै्महज संख्या बढ्ाने के रलए काम नही् आप एक मलयालम कफलुम भी तो कर रही हैु. इस बायोकपक कफलुम किनेिाली हूं. भले ही मुझे एक भी र्पया िीस न रमले, लेरकन मेिी खोज मेु आप कमला दास की भूकमका कनभा रही हैु, जो कक एक मशहूर कवकयतु​ुी थीु. इस कफलुम के कलए आपने कुया तैयाकरयां की हैु? अच्छे रकिदािो्की ही िहेगी. मै्ऐसे िोल किने के रलए कािी उत्सुक िहती मै्ने कमला दास की जीिनी पढ्ी है. इसके अलािा उनकी रलखी हूं, जो मै्ने अभी तक नही्रकये है्. n शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016 49


अंितम पन्ना सुधीरेूदू शमूा​ा

क्या बाज्ार ही घर है

हम बाजार को ही अपना घर समझ बैठे है्और उसी अनुर्प आचरण करने लगे है्.

ढ्ती गरतशीलता औि रिहाइशी इलाको्की समानता के बीच िह पुिानी कहाित अपने मानी खो िही है जो कहती थी रक घि िही्है जहां हमािा रदल लगे. कॉप्​्ोिेट जगत ने हमािे घिो्मे्घुसपैठ कि ली है. कई मायनो्मे् तो हम उन्ही्द्​्ािा रनर्मता माहौल मे्िहते है,् घि की भािना का तेजी से दमन हो िहा है औि उसकी जगह एक झूठा घि ले िहा है. जो हमे्सोचने पि मजबूि किता है रक हम बहुत चतुि है्औि हम खुद को अच्छी तिह जानते समझते है.् जबरक हकीकत मे्तो हम पूिी तिह खो चुके है.् बाजाि, एटीएम मशीनो् औि कॉिी शॉप की श्ख ं ला घि होने का झूठा अहसास किाती है,् एक झूठी पहचान देती है.् दाश्रा नक नीत्शे ने इसे ही 'भेड्मानरसकता' कहा था. यह मानरसकता बताती है रक हम जहां हम िहते है,् उनकी तुलना मे्हम अपनी िास्र्िक पहचान के बािे मे्सोच नही्पाते. इसे कोई संकट नही्कहा जा सकता है क्यो्रक तमाम मूलय् ध्िस्​्हो चुके है.् हमािे पास मूलय् के र्प मे्धािण किने के रलए कुछ नही्है. हमािा ध्यान केिल इस बात पि है रक सेरलर्​्बटी क्या पहनते है,् हमािा पड्ोसी कौन सी काि चलाता है, हमािे रमत्​्कौन सी कूपनी का मोबाइल इस्म्े ाल किते है् आरद. एक समान रिहाइश, एक समान िस्ए्ु ,ं कािी हद तक दूसिो्से समानता की यह भािना एक छद्​्िचती है. हम जहां होते है्उसे ही घि समझ बैठते है.् कािी लोगो् के रलए यह अरनिाय्ा जर्ित है. लेरकन लोग यह नही्समझते रक यह एक तिह का बेघि होना है. ऐसा दुषच ् क्​्जो हमे्पय्ािा िण, आव्ज ्न औि अर्​्सत्ि के संकट मे्डालता है. सान फ्​्ारं सस्को रिश्र्िद्​्ालय के प्​्ोिेसि गेिाड्ा कपेिस 'इकोपॉरलरटकल होमलेसनेस' मे् कहते है् रक हम जहां िहते है् िहां िास्र्िकता का अभाि हमे्अस्थारयत्ि की ओि धकेल देता है. हम खुद को बदलने के बजाय जगह को बदलने पि ध्यान देने लगते है.् हम अपने दौि की इस अिधािणा पि सिाल नही्खड्ा किते. हमािे आसन्न संकट की जड्े्इसी मे्रनरहत है-् सि्वा य् ापी शहिी पिाभि. शहिो्की सभी बर्​्सयां अपने आपको दूसिो् से बचाना चाहती है.् हम भौगोरलक संिचना को बदलते है,् ढांचे खड्ेकिते है,् बुरनयादी सुरिधाये्जुटाते है्औि इस तिह हम स्थारपत होते है.् हमािी खपत की शैली औि अनुकिण आधारित जीिन शैली स्ियं से इतहि हि िस्​्ुऔि हि रकसी को अलग किके देखती है. आरखि कौन चाहेगा रक उसका शिीि औि उसका माना हुआ समाज संकर्मत हो? आर्थक ा मूलय् ही यह तय किते है्रक हम दूसिो्के साथ कैसा व्यिहाि किे.् व्याख्यात्मक दश्ना शास्​् के प्ख् य् ात रिचािक मार्टनि हीडेगि के मुतारबक हमािी जगह यह तय किती है रक हम कौन है,् हम कैसे सोचते है् औि कैसा व्यिहाि किते है.् उनके मुतारबक तकनीक आधुरनक रिश्​्का सबसे बड्ा रि​िोधाभास है. िह न केिल हमािे रदलोरदमाग को रदन िात व्यस्​् 50 शुक्वार | 16 से 30 निंबि 2016

िखती है बल्क्ि​िह प्क ् रृ त को भी एक खाके मे्बांध देती है. इसे एक प्क् न् बाि-बाि उठता है: हम नरदयो्औि पहाड्ो्के साथ क्या कि सकते है?् ऐसे मे्यह प्क् न् पूछना अरधक कािगि है रक क्या स्माट्ारसटी तकनीक पि कम भिोसा किेग् ी? क्या ऐसे शहि अपने आसपास के परिदृकय् का ध्यान िखेग् ?े क्या िहां के लोग नरदयो्के बािे मे्कुछ अलग सोच िखेग् ?े यह रिडंबना ही है रक परिदृकय् िखने मे्तकनीक का प्य् ोग पानी औि ऊज्ा​ा की जर्ित को बेतहाशा बढ्ाएगा लेरकन आधुरनक तकनीक के प्य् ोग मे्ऐसे उल्लघं न का रजक्​्कहां होता है. जबरक इसमे्से अरधकांश प्क ् रृ त रिर्दघ् है. लेरकन इनकी बदौलत रमलने िाली सुरिधा के नाम पि इसे जाने रदया जाता है. रदल्ली, मुबं ई औि बेग् लुर् जैसे बड्े शहिो् मे् पय्ािा िण को पहुच ं े नुकसान की कीमत पि शहिी क्त्े ्का रिस्​्ाि होता है. यहां तक रक शहि मे् भी 'हम बनाम िे' की लड्ाई देखने को रमलती है. इसे जगह रिशेष से लगाि की कमी के र्प मे्देखना चारहये. आि्य् ा्नही्रक एक जंगल आिासीय परिसि मे्बदल सकता है, एक झील शॉरपंग मॉल मे् बदल सकती है औि एक कर्​्बस्​्ान की जगह रिश्र्िद्​्ालय कन सकता है. अगि रकसी जगह से लंबा जुड्ाि न हो तो उससे सहानुभरू त का रिक्ता नही्बनता. शहिी क्त्े ्मे्खो जाने का डि लोगो्मे्तनाि पैदा किता है औि िे अपनी िची सीमाओ्को मजबूती से थामे िहते है.् हम उन्हे्ही घि कहते है.् हमािे मन मे्इस 'घि' के अलािा रकसी चीज के प्र्त लगाि नही्होता. हम इतने असुिर्​्कत महसूस किते है्रक हम बहुत कम लोगो्को अपनी अरनिाय्ासेिाओ्तक के रलए बुलाते है.् इस प्क ् ाि हम अपने घि के आसपास अपना रनयंतण ् रदखाते है.् आबादी मे्हो िहे इजािे औि सेिाओ्की मांग के चलते शहि तेजी से ऐसी जगहो्मे्तल्दील हो िहे है्जहां बेघि लोग एक दूसिे से लड्ते है्तारक िे उन जगहो्पि कारबज िहे्रजन्हे्िे 'घि' समझते है.् हकीकत मे्हम बाजाि को घि समझते है.् शेधकत्ा​ा इसे 'इको-पॉरलरटकल होमलेसनेस' कहते है् जहां घि की झूठी अिधािणा लोगो्को रिरभन्न सा​ामरजक, मनोिैज्ारनक, आर्थक ा , पोषण संबधं ी औि िाजनैरतक समस्याओ्की ओि ले जाती है.् िे िोज इन समस्याओ्मे्गहिे धंसते जाते है.् हमे् अपने रिक्तो् पि दोबािा रिचाि किना चारहए तारक हम घि की अिधािणा को समझ सक्.् जब तक हम घि, उस पि अरधकाि औि परिरचतो् औि अजनरबयो् की धािणा को त्यागेग् े नही् तब तक घि की अिधािणा काल्परनक बनी िहेगी. चुनौती यह है रक हम अपने भीति के खुलपे न को तलाशे.् जब तक 'दूसिो्' को मानिीय अर्​्सत्ि् का रहस्सा नही्समझा जाएगा n तब तक हम बाजाि को ही घि समझते िहेग् .े (लेखक जाने-माने पय्ािा िणरिद्है.्)




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