Shukrawaar 16 30 september 2016 medium resolution

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वर्ष 9 अंक 18 n 16-30 सितंबर 2016 n ~ 20

समाजवाद का घमासान



www.shukrawaar.com

वर्ष9 अंक 18 n 16 से 30 ससतंबर 2016 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प्​्काशक क्​्मता सिंह प्​्बंध िंपादक आशुतोष सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल राजनीसतक िंपादक सववेक िक्िेना फोटो िंपादक पवन कुमार िंपादकीय िहयोगी

िसवता वम्ा​ा अंजना सिंह िुनीता शाही (लखनऊ) अिनल चौबे (रायपुर) पूजा ि​िंह (भोपाल) िंजीत स्​्िपाठी (रायपुर) अिवनाश ि​िंह (िदल्ली) अिनल अंशुमन (रांची) कुमार प्​्तीक

कला

प्​्वीण अिभषेक

महाप्​्बंधक

एि के सिंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm.shukrawaar@gmail.com

आवरण कथा

6 | किसिी जीत किसिी हार

उत्र् प्द् श े िे्सिाजिादी पाट्​्ी के भ्ाीतर िचे घिासान िे्दो खेिबे मं दयां साि उभरकर आयी है:् िुलायि​िादी और सिाजिादी. इस सब के बािजूद मिधानसभा चुनाि अमखलेश यादि के युिा नेततृ ि् िे्ही लड्ा जायेगा.

14 | मसयासी रस्ससयो् की खाट

राहुल गांधी की उत्र् प्द् श े यात्​्ा को मिल रहा जन सिर्नथ बताता है मक मिधानसभा चुनाि और उसके बाद लोकसभा चुनाि िे्कुछ अप्त्य् ामशत देखने को मिल सकता है.

24 | जो क़द् िुए मबना क्सरू

मबना अपराध देश के यूएपीए के तहत सात दमलत युिाओ्को तीन साल जेलो्िे्बंद रखा गया. अब िे बरी हो चुके है,् लेमकन उनके गुजरे िक्त की भरपाई कौन करेगा?

िबजनेि हेड

शरद कुमार शुक्ला +91. 9651882222

ब्​्ांिडंग

कॉमडेज कम्युिनकेशन प्​्ा़ िल़

प्​्िार प्​्बंधक

यती्द्कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024 yatendra.3984@gmail.com

सिज्​्ापन प्​्बंधक सजते्द्समश्​्

सिसध िलाहकार शुभांशु सिंह

shubhanshusingh@gmail.com

+91. 9971286429 सुयश मंजुल

िंपादकीय काय्ा​ालय

एमडी-10/503, िहारा ग्​्ेि, जानकीपुरम लखनऊ, उत्​्र प्​्देश-226021 टेलीफैक्ि : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com www.shukrawaar.com DELHIN/2008/24781 स्ित्िािधकारी, प्क ् ाशक और िुदक ् क्ि् ता मसंह के मलए अिर उजाला पब्ललकेशस ं मलमिटेड, सी-21, 22, सेकट् र-59, नोएडा, उत्र् प्द् श े से िुम्दत एिं दूसरी िंमजल, ल्ाी-146, हमरनगर आश्ि् , नयी मदल्ली-110014 से प्क ् ामशत. संपादक : अंबरीश कुिार (पीआरल्ाी अिधमनयि के तहत सिाचारो्के चयन के िलए िजम्िेदार) सभी कानूनी ि​ि​िादो्के िलए न्याय क्​्ेत्िदल्ली होगा.

26 | और अब ममशन ‘पीके'

चुनािी प्​्चार के मिशेषज्​्प्​्शांत मकशोर उत्​्र प्​्देश के बाद िध्य प्​्देश िे्भी कांग्ेस की चुनािी किान संभाल सकते है्. ऐसे संकेत मिलने शुर्भी हो चुके है्.

28 | दमितो् के मिस्से मंे दिशत छत्​्ीसगढ्िे्दमलतो्, आमदिामसयो् पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ्रही है्, लेमकन सरकार के कान पर जूं तक नही्रे्ग रही. मिपक्​्भी इसका िायदा नही्उठा रहा है.

34 | एक चुटकी चाय का र्मान 46 | मािी के मकरदार मंे सुशांत चीन से चलकर जापान होती हुई चाय जब हिारी मजंदगी िे्शामिल हुई तो बुम्िजीमियो् की जीिनशैली और सामहत्य िे्भी चली आयी.

'काय पो चे' और 'व्योिकेश बक्शी' जैसी मिल्िो् के बाद सुशांत की मगनती प्​्मतभाशाली अमभनेताओ्िे् हो चुकी है. शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

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आपकी डाक

सिनेमा का नया दौर

सिवराज िे नाराज़

यह सही है मक मपछले कुछ सिय िे्, खासतौर पर व्यापि घोटाला सािने आने के बाद िध्य प्​्देश िे् मशिराज मसंह चौहान की लोकम्​्पयता बहुत तेजी से कि हुई है. पेटलािद हादसा, झाबुआ चुनाि िे् मशकस्​् आमद कुछ ऐसे िुद्े इस बीच उभरे है्मजनका स्रानीय कांग्ेस पाट्​्ी ठीक से लाभ नही् उठा पायी है. जबमक उसके मलए यह बहुत अच्छा अिसर रा. कांगस ्े नेततृ ि् को िध्य प्द् श े पर ध्यान देना चामहये और कांग्ेस के स्रानीय नेताओ् को एकजुट करना चामहये क्यो्मक जीत की जो जिीन िध्य प्​्देश िे्तैयार हो रही है िह शायद मकसी अन्य प्​्देश िे्बहुत अमधक िेहनत करने पर भी तैयार न हो सके. अगर कांगस ्े इस खाली स्रान को नही् भरेगी तो िह मदन दूर नही् जब आि आदिी पाट्​्ी या िैसी ही कोई नयी क्​्ेत्ीय पाट्​्ी भाजपा के सािने कड्ी चुनौती पेश कर दे. रोवहत श्​्ीवास्​्व, भोपाल

धऩय पेिेवर

शंभूनार शुक्ल का साधुिाद मक उन्हो्ने एक ऐमतहामसक प्​्शम्​्स मलखी और हिे् एक ऐसी

सोशल मीडिया आज़ादी का ब़​़ांड

गत पुस्क िेले िे् आजादी िेरा ब्​्ांड पुस्क उत्सुकतािश खरीदी री. एक बैठक िे्इसे पढ् गया. इस पुस्क को पढ्कर िन िे् जो भी मिचार उठे रे, सिीक्​्ा िे् लेखक ने उन सभी को जामहर कर मदया है. अनुराधा बेनीिाल की यह यात्​्ा सामहब्तयक भी है तरा भमिष्य िे् उनकी लेखकीय संभािना को लेकर आश्​्स् 4

शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

शुक्िार के 1-15 मसतंबर 2016 के अंक की किर स्टोरी ‘एक और सुनहरा दौर’ पढ्ी. लेख पसंद आया. हमर िृदुल शुक्िार िे् मसनेिा पर जो भी मलखते है्िह अलग और बेहतर होता है. इस बार उन्हो्ने नामयकाओ् के नायकत्ि को मिषय बनाया है. यह सही है मक अब बॉलीिुड िे्नामयकाएं केिल शोपीस या आइटि बनकर नही्रही गयी है.् अब नये दौर का मसनेिा उनकी सशक्त भूमिका को उभरने का िौका दे रहा है. मिल्िकार भी मिल्ि मनि्ाथण के अलािा सरोकार को तिज्​्ो दे रहे है्.

एक अच्छी और ध्यान देने िाली बात यह है मक ित्थिान िे्मजतनी भी हीरोइन शीष्थपर है् उनिे् से कोई मिल्िी पमरिार से नही् है. मिर चाहे िह म्​्पयंका चोपड्ा हो्, दीमपका पाडुकोण हो्, अनुष्का शि्ाथ हो् या कंगना रनौट. ये अमभनेम्तयां न केिल अपने अमभनय के दि पर आगे बढ् रही है् बब्लक शुल्क के िािले िे् िे बॉलीिुड के अमभनेताओ् को टक्​्र दे रही है्. इस अंक िे् दीमपका पाडुकोण, म्​्पयंका चोपड्ा और उिंग कुिार के साक्​्ात्कार पठनीय लगे.

घटना से अिगत कराया जो पहले हुई होगी न आगे होगी. िन्ाथकुलर िीमडया से आकर पहले राष्​्ीय संपादक बने शमशशेखर! राजे्द्िारुर, प्भ् ाष जोशी, सुरदे् ्प्त् ाप मसंह, रािकृपाल मसंह, किर िहीद नकिी, महंदुस्ान से हमर नारायण मनगि और अजय उपाध्याय आमद तो कदामचत अंतमरक्​् से अितमरत हुए रे. दूसरी जानकारी यह मिली मक पेशिे र पत्क ् ामरता की पैरिी करने िाले शमश शेखर पहले पत्​्कार रे. धन्य है् शंभनू ार शुकल ् मजन्हो्ने ऐसी िहान हस्​्ी से हिे् पमरमचत कराया और शुक्िार भी धन्य है जो उसने इस िहान रचना को जगह दी.

को तत्काल इस िुद्े पर ध्यान देना चामहये और लोगो् के संमिधानप्​्दत्​् अमधकार को बहाल करना चामहये. इतना ही नही्सरकार को चामहये मक िह धाम्िथक स्रलो् से मि​िाह आमद कराने का अमधकार ही छीन ले. इसकी जगह जगहजगह िान्यताप्​्ाप्त काय्ाथलय खुलने चामहये जो मबना अमधक खानापूरी के इच्छुक जोड्ो् का मि​िाह करिा सके्. मनु पांडेय, ईमेल से

रवव कुमार साहू, आगरा

मंसदर बनाम सववाह

‘मि​िाह के मिरोध िे् िंमदर’ मरपोट्थ पढक़र अजीब लगा. आमखर दो ियस्को्की सहिमत से मि​िाह करने की ब्सरमत िे् पमरिार की िंजूरी कहां से आड्े आती है? आमखर देश का संमिधान दो युिाओ् को अपनी िज्​्ी से मि​िाह करके या मबना मि​िाह मकये सार रहने की आजादी देता है तो िंमदर-िब्सजद इस पर रोक लगाने िाले भला कौन होते है्? राज्य सरकार भी करती है. पुस्क पठनीय है, सिीक्​्ा भी.

बदलती हीरोइने़

प्​्काश चंद् वगवर, फेसबुक

महंदी मसनेिा िे्हीरोइनो्की बदलती भूमिका पर एक पठनीय-संग्हणीय अंक. बीते एक दशक िे् नामयका प्​्धान मिल्िो् का चलन बढ्ा है. म्​्पयंका चोपड्ा मिदेशो्िे्धूि िचा रही है.् अंक की टाइमिंग एकदि सही है. पम्​्तका को िेबसाइट पर भी सम्​्कय मकया जाये तो जो पाठक हाड्थ कापी नही् देख पा रहे उनको सुमिधा होगी. राजेश्र वसंह, फेसबुक पर

कववता वसंह, गोरखपुर

पाठको् से मनवेदन

शुक्िार िे्प्​्कािशत मरपोट्​्ो्और रचनाओ्पर पाठको्की प्​्मतमक्​्या का स्िागत है़ आप अपने पत्​्नीचे िदए गए पते पर या ई-िेल से भेज सकते है् एिडी-10/503, सहारा ग्​्ेस, जानकीपुरि, लखनऊ उत्​्र प्​्देश-226021 टेलीिैक्स : +91.522.2735504 ईिेल : shukrawaardelhi@gmail.com

सनष़प क़​़ता बरक़रार

महंदी िे् पठनीय राजनीमतक-सािामजक पम्​्तकाये्कि ही है्. उनिे्शुक्िार एक अलग स्रान रखती है. िीमडया की मनष्पक्​्ता पर इन मदनो्मजस तरह गहरा संकट िंडरा रहा है, िैसे िे्इसके यह मनष्पक्-् मनभ्​्ीक तेिर बरकरार रहे् यही कािना है. तर्ण वमश्​्, फेसबुक

बेहतर रपट

शुक्िार के मपछले अंक िे् दमलतो् पर बेहतर रपट पेश की गयी है्. सभी स्टोरी पठनीय है्.

अवनल चौबे, फेसबुक


संपादकीय

सपा का गृहयुद् स

अंबरीि कुमार

असिलेश के साथ िड्े सभी समस्पषत और जुझार् चेहरो्पर हमला एक सोची-समझी सासजश है. बहुजन समाज पार्​्ी के बाद समाजवादी पार्​्ी के वोर बै्क मे्से्ध लगाने का प्​्यास शुर्हो चुका. कौन लोग पीछे है्, यह अब सकसी से छुपा नही्है.

िाजिादी पाट्​्ी िे् गृहयुि् मछड्ा हुआ है. पाट्​्ी के उत्र् प्द् श े अध्यक्​्मशिपाल मसंह यादि ने चुनाि से पहले सिूचे युिा नेततृ ि् को बख्ास थ ्कर इस पाट्​्ी को मकतना िजबूत मकया यह तो िही बता सकते है्या मिर पाट्​्ी के राष्​्ीय अध्यक्​् िुलायि मसंह यादि जो पाट्​्ी और पमरिार बचाने के मलए यह िाि्ल थू लाये रे. अब अिर मसंह भी आ गये है्पाट्​्ी िजबूत करने. यह िुलायि मसंह का िैसला है. िुलायि मसंह ने यह भी कहा मक अगर िष्थ2012 िे्मशिपाल मसंह की सलाह िान कर िह अमखलेश की बजाय खुद िुख्यिंत्ी बने होते तो मपछले लोकसभा चुनाि िे्उन्हे्40 सीट मिल जाती्. िुलायि मसंह यादि 50 साल का राजनैमतक अनुभि बटोरने के बाद अगर यह मटप्पणी करते है्तो हैरानी होती है. िुलायि मसंह तीन बार उत्​्र प्​्देश के िुख्यिंत्ी रहे पर राजनैमतक हालात के चलते कभी पांच साल का काय्क थ ाल पूरा नही्कर पाये. िह कभी इस सूबे िे्40 सीट भी नही्जीत पाये, मजसके जीतने की उम्िीद उन्हे् 2014 के उस लोकसभा चुनाि िे् री मजसिे् िोदी लहर चल रही री. साफ्है िुलायि मसंह यादि िुगालते िे् रे और है.् दूसरा तथ्य, मपछले साढ्ेचार साल िे् कब िह उत्र् प्द् श े के सुपर िुखय् िंत्ी की तरह पेश नही् आये? कौन सा िैसला उन्हो्ने िुख्यिंत्ी अमखलेश यादि को स्ितंत् र्प से लेने मदया? मिधान सभा चुनाि जीतने के बाद िंम्तिंडल के गठन से लेकर हाल ही िे्मनकाले गये िुखय् समचि दीपक मसंघल तक का िैसला इसकी बानगी है. दीपक मसंघल कौन है,् मकस प्म्तभा के धनी है्और मकसने उन्हे्िुखय् समचि बनिाया यह कौन नही्जानता? सिूक्ा मिपक्​् तंज कसता रहा मक उत्​्र प्द् श े िे्चार िुखय् िंत्ी है,् िुलायि मसंह यादि, अमखलेश यादि, मशिपाल यादि और आजि खान. क्या यह तंज िुलायि मसंह को नही्सुनाई पड्ता रा. मजस चेहरे को सािने कर सिाजिादी पाट्​्ी ने मिधान सभा का चुनाि जीता रा उसे साढ्े चार साल तक स्ितंत् ढंग से काि नही् करने मदया गया और अंत िे् चुनाि से पहले उसकी सिूची नौजिान टीि को पाट्​्ी से बाहर का रास्​्ा मदखा मदया गया. यह िही चेहरा रा मजसने सिाजिादी पाट्​्ी का चाल ,चमरत्​् और चेहरा बदल मदया. िह प्द् श े जो मपछले तीन दशक से मिकास नाि का शल्द भूल गया रा उस प्द् श े िे् मिकास अब मदखता है. लखनऊ िे्िेट्ो से लेकर

आगरा एक्सप्​्ेस िे तक. नये मशक्​्ा संस्रान, िेमडकल कालेज, स्िास्थय् से लेकर कई क्त्े ्ो्िे् कुछ न कुछ नया हो रहा है. पहले से भी तुलना कर ले.् सात-आठ साल पहले तक सिाजिादी पाट्​्ी की पहचान उसके बाहुबली होते रे. लाठी और पकड् जैसे शल्द इसके पय्ायथ होते रे. सन 2012 का मिधान सभा चुनाि लाठी नही् लैपटॉप की िजह से िशहूर हुआ और उस चुनाि का चेहरा अमखलेश यादि रे. याद है जब अमखलेश ने अपनी यात्​्ा शुर्की बुदं ल े खंड की तरि से तो मदल्ली तो दूर लखनऊ के िीमडया ने भी हफ्ते भर तक कोई खबर नही् दी. इन हालात िे्अमखलेश यादि ने उस चुनाि का एजेड् ा बदल मदया और सिाजिादी पाट्​्ी की लाठी िाली पहचान भी बदल दी. िध्य िग्थका अगड्ा नौजिान पहली बार इस पाट्​्ी से जुड्ा. उनकी उम्िीद भी री और उसपर काि भी हुआ. पर चुनाि से पहले पाट्​्ी िे् जो कुछ हो रहा है उससे पहले नंबर पर खड्ी इस पाट्​्ी को नीचे लाने का प्य् ास ही िाना जा सकता है. पाट्​्ी दो खेिो िे्बंट चुकी है. जरा चेहरो्पर गौर करे.् एक खेिे िे्अिर मसंह, मशिपाल यादि से लेकर गायत्​्ी प्​्जापमत है् तो दूसरी तरि अमखलेश यादि के सार राजे्द् चौधरी और सिाजिादी नौजिानो्का हरािल दस्​्ा है. आज की राजनीमत िे्सिाजिादी िूलय् ो्िे्जीने िाला बड्ा चेहरा राजे्द् चौधरी का है मजन्हे् चौधरी चरण मसंह ने राजनीमत िे्आगे बढ्ाया रा. उनपर आरोप लगाया गया मक िे कोई काि नही्करते. ठीक आरोप है. िह ठेका, पट्​्ी, मसिामरश के मकसी काि िे् कोई िदद नही् करते. िह लखनऊ िे्स्ितंतत् ा सेनामनयो्के मलए एक बड्ा और ऐमतहामसक जेल म्यूमजयि बनिाने की योजना शुर् कर रहे रे तो उनका मिभाग ही बदल मदया गया. ऐसे िे्इन आरोपो्का कोई अर्थ नही्है. इस सिय अमखलेश के सार खड्े सभी सिम्पतथ और जुझार्चेहरो्पर हिला एक सोची सिझी सामजश है. उत्र् प्द् श े िे्बहुजन सिाज पाट्​्ी के बाद सिाजिादी पाट्​्ी के िोट बैक ् िे्सेध् लगाने का प्य् ास शुर्हो चुका. कौन लोग पीछे है्यह अब मकसी से छुपा नही्है. उत्र् प्द् श े की धि्मथ नरपेक्राजनीमत िे्सिाजिादी पाट्​्ी ही नही् मकसी और पाट्​्ी िे्भी अमखलेश यादि जैसा कोई मिकल्प नही् है. यह बात और कोई न सिझे, िुलायि मसंह को जर्र सिझनी चामहए. n ambrish2000kumar@gmail.com शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

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आवरण कथा

अवखलेश यादव: आजादी और अविकार की युवा मांग

उत्​्र प्​्देश मे्समाजवादी पार्​्ी के भ्ाीतर मचे घमासान मे्दो िेमे बंसदयां साफ उभरकर आयी है्: मुलायमवादी और समाजवादी. इस उठापरक के पीछे सस्​्िय शक्ततयां भी पहचान मे्आ गयी है्. इस सब के बावजूद सवधानसभा चुनाव असिलेश यादव के युवा नेतृत्व मे्ही लड्ा जायेगा और समाजवादी युवा वग्षभी उनके साथ है. रंजीव

मतहास िे्तारीखे्अहि होती है्. ये मिटती नही्. ऐसी ही एक तारीख, 12 मसतंबर 2011 को लखनऊ िे् सिाजिादी पाट्​्ी के प्​्देश िुख्यालय से एक चुनािी रर यात्​्ा रिाना हो रही री. रर पर सिार रे सिाजिादी पाट्​्ी के युिा प्​्देश अध्यक्​् अमखलेश यादि 6

शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

किसिी जीत किसिी हार और उनकी यात्​्ा को हर झंडी मदखा कर रिाना करने िालो्िे्पाट्​्ी के राष्​्ीय अध्यक्​् िुलायि मसंह यादि सिेत सभी बड्े नेता िौजूद रे. मशिपाल मसंह यादि भी. 2012 के मिधानसभा चुनाि िे्अमखलेश यादि की रर यात्​्ा और उनके युिा चेहरे ने िोटरो्को खासा आकम्षथत मकया. दो दशक िे् पहली बार उत्​्र प्​्देश िे्सिाजिादी पाट्​्ी की पूण्थ बहुित की सरकार बनी और अमखलेश प्​्देश के िुख्यिंत्ी बने. एकजुट सिाजिामदयो् ने पांच साल पहले असंभि से लगने िाले लक्​्य को संभि कर मदखाया. पांच साल बाद उसी तारीख, यानी 12 मसतंबर 2016 को सिाजिादी पाट्​्ी के बड्े चेहरो्के बीच ऐसी रार मछड्ी मक पाट्​्ी दो पालो्

िे्बंटी मदखायी दे रही है. एक तरि अमखलेश तो दूसरी मशिपाल. दो िंम्तयो् और एक अिसर को हटाये जाने के मनण्थय के बाद के घटनाक्​्ि ने सिाजिादी पाट्​्ी के गठन के बाद इसे अब तक के सबसे बड्ेआंतमरक संकट के सािने ला खड्ा मकया है. मजन चेहरो् को देख कर सिाजिादी काय्थकत्ाथ सड्को् पर पुमलस की लामठयां खाने से भी नही्महचकते रे िे अब इन चेहरो् िे् अपने मलए िुमिद पाला तलाश रहे हे्. सिाजिामदयो्की पलटन मबखरे टुकड्ो्िे् यह भी तलाश रही है मक इस टकराि िे् कौन हारा और कौन जीता. चेहरे और पाले अपनीअपनी जीत या हार की िजह मनकालते रहे्गे लेमकन हकीकत यह है मक अपनो् के इस


संघष्थ िे् अगर हार मकसी की हुई है तो िह सिाजिादी पाट्​्ी की. यह उत्​्र प्​्देश की राजनीमत के मलए िािूली घटना नही्. ढाई दशक पहले िंडल बनाि किंडल की राजनीमत के बाद सािामजक न्याय के नारे के सार सूबे की मसयासत िे्उपजी और धीरेधीरे स्रामपत होती चली गयी सिाजिादी पाट्​्ी का मबखरा चेहरा राज्य िे् िंडल के प्​्भाि से मनकली राजनीमतक तस्िीर िे् बदलाि की आहट भी ले आया है. आने िाले मदनो्िे्पाट्​्ी का ढांचा, खाका और चेहरा प्​्देश के कुछ बड्े िोट सिूहो् की िोमटंग प्ा्रमिकता पर भी असर डाल सकता है. सिाजिादी आंदोलन के पुरोधा डा. राि िनोहर लोमहया कहा करते रे मक मजंदा कौिे् पांच साल इंतजार नही् करती्. यह सत्​्ा के मखलाि पांच साल तक िौन न रहने का डा. लोमहया का नजमरया रा. नि सिाजिामदयो्ने िहज पांच मदन के भीतर दल िे् ही हाहाकार िचा मदया! इस कदर मक, इसका अगले चुनाि िे् पाट्​्ी को खामियाजा उठाना पड्ेगा, इसकी भमिष्यिाणी कोई राजनीमतक नौसीमखया भी कर सकता है. सिाजिादी कुनबे िे् यह हालात क्यो् बने्? दरअसल, इसकी शुर्आत पांच साल पहले तभी हो गयी री जब अमखलेश यादि को

हस्​्क्ेप की ललक ने ही मिपक्​् को सूबे िे् साढ्े चार िुख्यिंत्ी की सरकार होने का आरोप िढ्ने का अिसर भी िुहैया कराया. इस बीच दोनो् पीम्ढयो् िे् संिादहीनता भी बढ्ती गयी. 2014 के लोकसभा चुनाि िे् जब सिाजिादी पाट्​्ी मसि्फ पांच सीटो् पर मसिट गयी तो उसके बाद के कुछ िहीनो्िे्लोगो्ने िुख्यिंत्ी अमखलेश यादि के काि और राजनीमत के तरीके िे् बदलाि देखना शुर् मकया. मिकास की कई पमरयोजनाये् शुर् कर अमखलेश ने अपनी छमि स्ितंत्, बेदाग और मिकास को तिज्​्ो देने िाले नेता के र्प िे् बनानी शुर्की. पुरानी पीढ्ी ने आरोप लगाये मक िुख्यिंत्ी का काि करने का तरीका ल्यूरोके्मटक ज्यादा और राजनीमतक कि है्. कारपोरेट संस्कृमत हािी हो रही है, आमद. कई िैसलो् पर अमखलेश की छाप बढ्ी तो दोनो् पीम्ढयो् का टकराि भी बढ्ा. पहले के भरोसेिंद चेहरे बदले. नये चेहरे आये तो पुरानो्को असुमिधा होना स्िाभामिक रा. बड्े चेहरे आपसी शह िात िे् लग गये. अिसरो्के एक तबके की िौज हो गयी. आज प्​्देश िे् पाट्​्ी की किान मकसके हार हो इस पर जर्र खासे दािे-प्​्मतदािे हुए हो् लेमकन सच्​्ाई यह है मक गत साढ्े चार साल िे् जब बड्े नेताओ् के सत्​्ा के्द् चुमनंदा चेहरो् की रौनक और ठसक से गुलज्ार होते रहे तब सिाजिादी पाट्​्ी का दफ्​्तर सन्नाटे का मिलाप झेलता रहा. संिाद के बजाय पाट्​्ी के काय्थक्िो् िे् साि्थजमनक िंच से सरकार और िुख्यिंत्ी की

मुलायम वसंह यादव: वफादारो् के वफादार िुख्यिंत्ी के र्प िे् मबठाया गया. यह एक पीढ्ी से दूसरी पीढ्ी को सत्​्ा का हस्​्ांतरण रा. यह पाट्​्ी की नयी पौध के मलए नयी उम्िीदो् की राह री तो पुरानी पीढ्ी के मलए बागडोर हार से जाने की तड्प के बीच हस्​्क्ेप जारी रखने िाला संक्िण काल. वशवपाल यादव और रामगोपाल यादव: दो खेमो् के दो भाई

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आवरण कथा

अपमानित युवा िेतृत्व

िाजिादी पाट्​्ी के नये प्​्देश अध्यक्​् मशिपाल मसंह यादि ने पद संभालते ही चुन-चुनकर िुख्यिंत्ी अमखलेश यादि के करीबी सात नेताओ्को पाट्​्ी से बाहर कर मदया. इससे यही संकेत मिलता है मक पाट्​्ी िे् िची घिासान रिने िाली नही् है. मनकाले गये नेताओ् िे् एिएलसी सुनील यादि और आनंद भदौमरया शामिल है्. युिाओ् की नाराजगी और उनका मिद्​्ोही र्ख आने िाले मदनो् िे् सपा के भीतर और सूबे की मसयासत िे् कोई नयी इबारत भी मलख सकता है. यह मकस र्प िे् सािने आता है ये देखने िाली बात होगी. मनष्कामसत युिा नेताओ् ने िायािती सरकार के काय्थकाल िे् सडक पर उतर कर प्द् श्नथ करते हुए पुमलस की लामठयां खायी्री्. उनकी बख्ास थ ग् ी पर पाट्​्ी की पुरानी पीढ्ी के कई नेता भी हैरान है्. मनष्कष्थयह मनकल रहा है मक नये प्​्देश नेतृत्ि ने पूरे िािले को व्यब्कतगत लड्ाई िे्तल्दील कर मदया है. अमखलेश को अपना नेता िानने िाले युिा नेता यह स्िीकार नही्कर पा रहे रे मक ऐन चुनाि से पहले उनको प्​्देश अध्यक्​्के पद से हटा मदया

युवा नेतृत्व का वनष्कासन: सुनील यादव और आनंद भदौवरया गया. नतीजे िे् नाराजगी जताने के मलए ये स्िाभामिक र्प से सडक पर उतरे. उन्हो्ने अमखलेश के पक्​् िे् नारेबाजी भी की. प्​्देश नेतृत्ि ने इसे अनुशासन हीनता बताते हुए उनको बख्ाथस् कर मदया. इस कार्थिाई के बाद प्द् श े िे्कई युिा सिाजिादी नेता पद छोड्रहे है.् हालांमक अमखलेश यादि ने कहा है मक कोई युिा इस्​्ीिा न दे और न ही प्​्दश्थन करे. लेमकन संकेतो्को सिझे्तो युिाओ्की यह बगाित चुनाि िे्पाट्​्ी पर भारी पड् सकती है. साल 1992 िे्अपने गठन के बाद से अब तक सिाजिादी पाट्​्ी के मिस्​्ार और प्​्भाि िे् युिाओ् की अहि भूमिका रही है. उत्​्र प्​्देश िे् सिाजिादी पाट्​्ी अकेला दल है मजसके चार अलग-अलग युिा संगठन है्. सिाजिादी पाट्​्ी िे्अमखलेश यादि का कद बढ्ा तो युिाओ्ने उन्हे्ही अपना स्िाभामिक नेता िाना. टीि अमखलेश के भरोसे पाट्​्ी बड्े-बड्े प्​्दश्थन और काय्थक्ि करने िे् काियाब रही. बीते मिधानसभा चुनाि िे् पाट्​्ी की बहुित की सरकार बनने के पीछे युिाओ्की जबरदस्​्भूमिका होने की बात सपा नेतृत्ि भी िान चुका है.

लानत-िलाित ने संिादहीनता को और बाद की शांमत सिझना गलत मनष्कष्थदे सकता बढ्ाया. कौिी एकता दल का सिाजिादी पाट्​्ी है क्यो्मक खािोशी मकसी बड्े तूिान से पहले िे्मिलय हो या न हो इस पर दोनो्पीम्ढयो्का भी होती है. ितभेद पहली बार खुल कर सािने आया. बड्ा सिाल यह है मक इस टकराि िे् िुलायि मसंह यादि और मशिपाल यादि मकस पाले ने क्या खोया और क्या पाया. इस मिलय के पक्​् िे् रे तो बात से इनकार नही् सवाल यह है कि इस टिराव में मकया जा सकता मक अमखलेश मखलाि. किस पाले ने कंया खोया और कंया अमखलेश यादि ही दो पीम्ढयो् के अंदर जो तमपश सुलग सिाजिादी पाट्​्ी का पाया. इससे इनिार नहींकिया रही री, मसतंबर 2016 जा सिता कि अकखलेश यादव ही चेहरा है्. पुरानी पीढ्ी िे् उभर कर सािने आ के हस्​्क्ेप से प्​्देश समाजवादी पाटं​ंी िा चेहरा है.ं गयी. मि​िाद सड्क पर अध्यक्​्का पद उन्हो्ने आ गया तो इसके मकरदारो्ने संिाद की पहल अिश्य गंिाया, कुछ िैसले बदलने भी पड्े जर्र की है लेमकन दरार साि नजर आ रही लेमकन 2017 की चुनािी लड्ाई िे् है. इससे उबर कर पाट्​्ी 2017 िे्मिर सरकार सिाजिादी पाट्​्ी अगर काियाबी चाहती है तो बनाने की िुमहि िे्जुट सकती है या नही्यह चेहरा उन्ही् को रखना होगा इस पर पाट्​्ी का आने िाले मदनो् िे् साि हो जायेगा. अलबत्​्ा उनका मिरोधी धड्ा भी सिाल नही् उठा पा मिलहाल अगर खािोशी है तो उसे तूिान के रहा. 8

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मिपक्​्ी दलो् के मलए भी सबसे बड्ा रोड्ा अमखलेश यादि का चेहरा ही है. ऐसा चेहरा मजसने गत करीब तीन साल िे् अपना एक अलग िोट बै्क मिकमसत मकया है. जो सिाजिादी पाट्​्ी की पारंपमरक िोट बै्क शैली से आगे मिकास, उम्िीद, बेदाग चेहरा और युिा जोश से लबरेज मदखता है. शायद इसमलए पुरानी पीढ्ी के कई चेहरे चाहते हुए भी 2017 िे्अमखलेश के चेहरे को बदलने का जोमखि नही् िोल लेना चाहते. उठापटक िे् कई सिीकरणो् और मजम्िेदामरयो् के बदल जाने के बािजूद खुद को पाट्​्ी का चेहरा बनाये रखने की काियाबी अमखलेश की बड्ी काियाबी है. इस चेहरे की चिक िीकी करके पाट्​्ी िोटरो्के पास जाना चाहती है या नही्इसका दारोिदार पुरानी पीढ्ी पर मनभ्थर है लेमकन चेहरे से सिझौते के नतीजे पाट्​्ी के मलए आत्िघाती भी हो सकते है्.


ियी पीढ्ी को िामंज्ूर सा

नही आती. मलहाजा अमखलेश यादि अगर सरकार और चुनािो्के मलए पाट्​्ी का चेहरा है्तो अिर मसंह का इसिे् सिायोजन िुिमकन नही् होगा. यह सिाजिादी पाट्​्ी िे् अिर मसंह की पहली पारी से मबल्कुल अलग िाहौल है. उस दौर िे् अिर मसंह न मसि्फपाट्​्ी की सरकार बब्लक पाट्​्ी के भीतर भी सत्​्ा का बड्ा के्द् हुआ करते रे. िैसलो् िे् उनकी अहि भूमिका री लेमकन उनकी दूसरी पारी की राह उतनी सरपट नही् दौड्पा रही. अमर वसंह और अवखलेश यादव: शुर् से असहज

ल 2009 िे्मिरोजाबाद लोकसभा सीट का उपचुनाि सिाजिादी पाट्​्ी की राजनीमत और अिर मसंह दोनो् के मलए अहि सामबत हुआ रा. उस चुनाि िे् सपा िुमखया िुलायि मसंह यादि की पुत्िधु और िौजूदा िुख्यिंत्ी अमखलेश यादि की पत्नी मडंपल यादि हार गयी री्. उन्हे् कांग्ेस प्​्त्याशी राज बल्बर ने हराया रा. उस चुनाि के प्​्चार को करीब से देखने िाले पाट्​्ी के कई नेता िानते रे मक प्​्चार के दौरान कई ऐसे िाकये हुए रे जो अिर मसंह का कद सिाजिादी पाट्​्ी से भी बड्ा हो जाने के संकेत दे गये रे. बताते है् मक उप चुनाि िे्हार के बाद अपने पमरिार के सदस्यो् के सार सपा िुमखया की बैठक िे् अिर मसंह के मखलाि िुखर होकर मशकायते्की गयी्री्. उसके दो िहीने के बाद ही अिर मसंह को सिाजिादी पाट्​्ी से मनकाल मदया गया रा. उस िाकये के छह साल बाद अिर मसंह की सिाजिादी पाट्​्ी िे् िापसी हुई है. उन्हे् राज्यसभा का सदस्य बनाया गया है. उन्हे्करीब से जानने िालो्का िानना है मक हामशये पर रह कर मसयासत करना उनकी मितरत िे् नही्. मलहाजा कोई हैरानी नही्हुई जब िापसी के चंद िहीनो् बाद ही उन्हो्ने यह साि्थमजनक बयान मदया मक पाट्​्ी िे्उन्हे्अपिामनत होना पड्ा रहा है और िुखय् िंत्ी अमखलेश यादि उनसे मिलने का िक्त तक नही्देते. उनका बयान इस बात का संकेत भी रा मक पाट्​्ी िे् उनकी िापसी तो हो गयी है

लेमकन हैमसयत पहले िाली नही् बन पा रही. पाट्​्ी की नयी पीढ्ी और खास तौर पर अमखलेश यादि उनकी िापसी के िैसले से खुश नही्. सिाजिादी पाट्​्ी िे् हाल के मदनो् िे् िची उठापटक िे् मकसी 'बाहरी' की इसिे् भूमिका होने का बयान खुद अमखलेश यादि ने मदया मजस पर पुरानी पीढ्ी मसंह के बचाि िे्आ गयी. इस पूरे घटनाक्​्ि ने पाट्​्ी को पालो् िे् तो बंटा ही है इसिे् इस बात के भी भरपूर संकेत मनकले है् मक अिर मसंह और उनकी शैली की मसयासत पाट्​्ी की नयी पीढ्ी को रास

देखना यह होगा मक कैसे अमखलेश हामलया घटनाक्​्ि के बािजूद िोटरो् का मिश्​्ास पाट्​्ी और उससे भी ज्यादा ख्ुद पर बनाये रखने िे् काियाब होते है् क्यो्मक सिाजिादी पाट्​्ी िे् उभरा आपसी टकराि चुनािो् िे् मिपक्​्ी दलो् के मलए सपा के मखलाि बड्ा हमरयार होगा. इसे भुनाने िे् मिपक्​्ी दल गुरेज भी नही्कर रहे. तंज, कटाक्​् और आरोपो्के तीर चलने शुर्भी हो चुके है्. भारतीय जनता पाट्​्ी इसे अमखलेश की छमि प्​्भामित होने के र्प िे् पेश कर रही है. िही्बहुजन सिाज पाट्​्ी और कांग्ेस की नजर सिाजिादी पाट्​्ी के िजबूत िुब्सलि िोट बै्क पर अब पहले से भी ज्यादा होगी. सिाजिादी पाट्​्ी िे्पालो्के संघष्थ को और मिस्​्ार मिला तो िुब्सलि िोटर नये मिकल्प आजिा सकता है. अमखलेश के प्​्मत पुरानी पीढ्ी के

सकारात्िक र्ख और तिज्​्ो से ही युिा की बड्ी शत्थ यह है मक पाट्​्ी अमखलेश को िोटरो् का एक बड्ा तबका सिाजिादी पाट्​्ी और िजबूती से इस र्प िे्पेश कर सके मक को अपनी िोट प्​्ारमिकता िे् शामिल रखने अब तक हुए काि को आगे जारी रखने के की िजह तलाश पायेगा. न मक िैसे मकसी मलए अमखलेश जर्री है्. गुटबाजी के मजस र्ख और िाहौल से दौर िे् सिाजिादी देखना यह होगा कि िैसे मजसिे् अमखलेश की पाट्​्ी प्​्िेश कर चुकी छमि पाट्​्ी और सरकार अकखलेश हाकलया घटनाकंमं िे है उसिे् यह मकतना पर उनकी पकड् बावजूद वोटरोंिा कवशं​ंास पाटं​ंी िुिमकन हो पायेगा िजबूत न होने की यह अगले कुछ और उससे भी जंयादा खंदु पर बनायी जाये. जनता िहीनो् िे् साि हो बनाये रखने मेंिामयाब होते है.ं जायेगा. ऐसा नेता पसंद करती है मजससे उसे उम्िीद चुनाि िे् अगर हो. 2007 िे् िायािती, 2012 िे् अमखलेश अमखलेश का चेहरा कसौटी पर होगा तो उन्हे् यादि और 2014 के चुनािो् िे् नरे्द् िोदी हटा कर प्​्देश अध्यक्​् बनाये गये मशिपाल उत्​्र प्​्देश की जनता की उम्िीदो्की कसौटी मसंह यादि भी कि कसौटी पर नही् हो्गे. पर खरे उतरे और अपनी पाट्​्ी की बहुित की सिाजिादी पाट्​्ी के अंदर यह िजबूत धारणा सरकारे् बनिा दी्. है मक मशिपाल िजबूत संगठक है्. पाट्​्ी 2017 िे् सिाजिादी पाट्​्ी की काियाबी संगठन पर उनकी िजबूत पकड् है. पाट्​्ी िे् शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

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आवरण कथा

एक संत की नवदाई इ

से अिर मसंह के आगाज का असर कहे् या मशिपाल यादि की िेहरबानी मक जैसे ही मशिपाल प्​्देश अध्यक्​् बने सिाजिादी पाट्​्ी के खांटी सिाजिादी चेहरा िाने जाने िाले राजेद् ्चौधरी को पाट्​्ी की तरि से बयान जारी करने से रोक मदया गया है . एक हफ्ते से उनकी तरि से कोई बयान जारी नही्हुआ है .अिर मसंह को जब िुलायि मसंह ने राष्​्ीय प्​्िक्ता पद से हटाया रा तो प्​्देश प्​्िक्ता रहे राजे्द्चौधरी की तरि से ही उनके हटाये जाने का बयान जारी हुआ रा. यह कोई भूला नही्है. सिाजिादी पाट्​्ी िे्बहुत कि लोग ऐसे बचे है्मजन्हे्कोई सिाजिादी िाने. जनेश्र मिश्​्, बाबू कमपलदेि मसंह, राि शरण दास, बृजभूषण मतिारी, िोहन मसंह जैसे िैचामरक सिाजिादी धारा के प्​्तीक पुर्षो् के होने से सिाजिादी पाट्​्ी के स्रापना काल से ही िैचामरक संकट का संक्िण नही् आ सका रा. इन लोगो् की मरक्तता के बाद सिाजिादी िैचामरकी िे् राजे्द् चौधरी ही सिाजिादी मसि्​्ांत को पाट्​्ी राजनीमत िे् िुक्िल पहचान मदलाये हुए है्. यही िजह है ऐसे बेदाग् चेहरे को अमखलेश यादि अपने बगल िे् रखते है. इसे लेकर ठेका ,पट्​्ी और पैसा लेकर ट्​्ांसिर पोब्सटंग कराने िाली जिात उनका िजाक भी उड्ाती रही है मक िे तो कोई काि के नही् है्. बड्ा राजनेता कोई मगट्​्ी तो तोड्ता नही्है िह पाट्​्ी िे्मसि्​्ांत मिचार के जमरये नौजिानो् को जोड्ता है और उन्हे् उन िूल्यो् से लैस करता है मजसके नाि पर पाट्​्ी आि लोगो्के बीच जाती है. यही राजे्द्चौधरी की िूल पहचान भी है मजन्हे्सिाजिादी राजनीमत िे्संत िाना जाता है. न कोई अपना घर न मनजी िाहन. एक सिय मखचड्ी खाकर जीिन गुजर देने िाले राजे्द्चौधरी आज उनके चाहने िाले उन्हे् संगठन के जमरये चुनािी व्यूह रचना करने िाला चाणक्य भी कहते है्. उन्हे् अब िह मजम्िेदारी मिली है मजसे िे बेहतर तरीके से मनभाने की कामबमलयत रखते है्. सपा पहली बार मशिपाल यादि के प्​्देश

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राजे्द् चौिरी: राजनीवत मे् बेदाग भी चिकता हुआ सिाजिादी चेहरा है्. उन्हे्चौधरी चरण मसंह ने राजनीमत का ककहरा पढ्ाया रा. िह सन 1974 के छात्​्आंदोलन से उन नौजिानो् िे् शामिल रहे् है् मजनसे पम्​्ि​िी उत्​्र प्​्देश की एक सिूची पीढ्ी प्​्ेरणा लेती रही है. इस सबके बािजूद सिाजिादी पाट्​्ी के नये नेततृ ि् को संगठन िे्उनकी उपयोमगता नजर नही्आयी.

अध्यक्​् रहते हुए मिधानसभा का कोई चुनाि लड्ेगी. सन 2012 िे् अमखलेश यादि प्​्देश अध्यक्​् रे. तब पाट्​्ी की बहुित की सरकार बनी री. मलहाजा मशिपाल को इस परीक्​्ा से गुजरना होगा मक 2017 िे्उनकी चुनािी व्यूह रचना और संगठन पर पकड्की िहारर क्या अवखलेश के समर्थन मे् प्​्दश्थन: युवा शक्तत का सार

नतीजे देती है. उन्हे्हाल के घटनाक्​्ि के बाद संगठन िे् आये तेरा-िेरा के भाि पर मिराि लगाने का कौशल भी मदखाना होगा. सिाजिादी पाट्​्ी के मलए अगले कुछ िाह इसमलए भी अहि हो्गे क्यो्मक मिधानसभा चुनाि के मलए प्​्त्यामशयो् के चयन को उसे अंमति र्प देना है. मटकट बांटने िे् सािूमहक मनण्थय होता है या इस पर भी पीम्ढयो्का संग्ाि हािी हो जाता है, उस पर चुनािो् का प्​्दश्थन कािी हद तक मनभ्थर करेगा. मटकट बांटने िे् मकसकी चलेगी यह ताजा तनातनी की बड्ी िजहो्िे्एक रा. सन 2012 िे्सिाजिादी पाट्​्ी मजन सीटो् पर हारी री उनिे्ज्यादातर पर उसने प्त्य् ामशयो् के नािो् की घोषणा कर दी है. असली चुनौती उन सीटो् के प्​्त्याशी तय करने की है जहां उसके िौजूदा मिधायक है. मजनिे्कई के मटकट काटे जाने को खुद पाट्​्ी की इलाकाई मरपोट्​्ो्िे् पाट्​्ी के महत िे् बताया गया है. क्या चुनािी िैसलो्का हर अहि पात्​्प्त्य् ाशी तय करने की किायद िे् अपने-अपने पालो् से बाहर आकर िैसले ले पायेगा? न मसि्फ पाट्​्ी के जिीनी नेता-काय्थकत्ाथ बब्लक मिपक्​्ी दलो् की मनगाहे भी सपा के इस िैसले पर रहे्गी. n


‘निखर पर अकेला हूं’

समाजवादी पार्​्ी के पासरवासरक सववाद पर उप्​्के मुखय् मंत्ी असिलेश यादव से रजत शम्ाष की बातचीत.

त्​्र प्​्देश िे् सिाजिादी पाट्​्ी का शीष्थ यादि कुनबा इन मदनो् आंतमरक संकट से जूझ रहा है. इस पामरिामरक मि​िाद का असर आगािी चुनािो्पर भी पड्सकता है. प्​्देश के िुख्यिंत्ी अमखलेश यादि ने इस पूरे प्​्करण पर बेबाक बातचीत की: क्या परिवाि मे् चल िहे झगड्े के रलए आप कही् न कही् खुद को रिम्मेदाि पाते है्? पमरिार िे्कोई झगड्ा नही्है. अगर कुछ है भी तो िह िेरी िजह से नही्, इस कुस्ी की िजह से है मजस पर िै्बैठा हूं. आपके चाचा रिवपाल रिंह यादव औि उनके परिवाि ने िभी पदो् िे इस्​्ीफा दे रदया है. िै्मिर कहूगं ा, पमरिार िे्कोई झगड्ा नही्है. हां, नाराजगी हो सकती है. संभि है कुछ ऐसी बात है जो आपस िे्स्पष्​्हो जाये तो यह नाराजगी भी खत्ि हो जाये. िै् चाचा से रात साढ्े आठ बजे मिला और उन्हो्ने इस्​्ीिा देर रात मदया. इसका ितलब है बीच िे्कुछ बाहरी लोग सम्​्कय हुए हो्गे. व्हाट्स एप है, िोबाइल है. िै्ने नेताजी से साि कह मदया है मक हिारे आपस के बीच िे्जो आयेगा उसे बाहर मनकाल मदया जायेगा. आप कहना चाहते है् कोई बाहिी व्यक्कत है रि​िकी विह िे रदक्त् हो िही है? िै्ने आज नेताजी से कहा मक हिारे, पाट्​्ी और पमरिार के बीच िे्जो आयेगा उसे बाहर कर मदया जायेगा. यह बीच के व्यब्कत को सोचना होगा मक मकसके बीच िे्आना है, मकसके नही्. कौन है यह बीच का आदमी? यह तो आपको खोजना है. िै् इतना ही कहूंगा मक चोर की दाढ्ी िे् मतनका क्यो्? इस कहाित से सब सिझ गये हो्गे मक िह बीच का आदिी कौन है? लेरकन रिवपाल रिंह औि अमि रिंह की दोस्​्ी नयी नही् है. यह नाि क्यो्ले आये आप? (हंसते है्). कब तक इिािो्-इिािो् मे् बात होगी? चमलये यह बात भी ठीक है इशारो्के बजाय सीधी बात की जाये. रही बात उनकी दोस्​्ी की तो िुझे उस बारे िे्कोई जानकारी नही्है. इसमलए िै्ने कहा मक व्हाट्स एप और िोबाइल पर बीच िे्क्या हो रहा है, इसकी जानकारी िुझे नही्है. आपने गायत्​्ी प्​्िाद प्​्िापरत औि िािरकिोि को मंर्तमंडल िे हटाया इिे लेकि भी बहुत चच्ा​ा है. इस बारे िे् नेताजी और चाचा को पूरी जानकारी है मक िे कैसे हटे. कहा जर्र जाता है मक िुख्यिंत्ी ने हटा मदया लेमकन पूरी जानकारी नेताजी को रहती है. िनता मे् तो यही चच्ा​ा है रक मुलायम रिंह यादव के परिवाि मे् ित्​्ा का िंघर्ा चल िहा है. इसमलए मक लोग इसे बाहर से देख रहे है्. िै्आपको भीतर की बात बताता हू.ं पाट्​्ी और पमरिार िे्नेताजी की बात सि्​्ोपमर है. अगर कोई बात होगी तो िह रास्​्ा मनकाले्गे. िह पाट्​्ी के राष्​्ीय अध्यक्​्भी है्, िेरे मपता भी और मशिपाल चाचा के भाई भी. िुझे यकीन है मक अगर कोई नाराजगी है भी तो िह िेरा और नेताजी का कहना अिश्य िाने्गे. आि आपने िो स्टै्ड रलया है क्या आपको नही् लगता रक यह चाि िाल पहले रलया िाना था.

अवखलेश यादव: कुस्ी का झगड्ा हि चार साल तक लगातार काि करते रहे. आगरा लखनऊ एक्सप्स ्े िे बन रहा है, लखनऊ िेट्ो कि सिय िे्बेहतरीन काि की मिसाल होगी. कैस ् र इंसट् ीट्ट्ू बन रहा है. हिने 18 से 20 लाख लैपटॉप बांट.े हि अपने घोषणापत्​्के िुतामबक काि करने िे्लगे रहे. आपको िातो्-िात प्द् ि े अध्यक्​् पद िे हटा रदया गया. बुिा तो लगा होगा? िुझे बुरा लगा तो उसका असर आपने देखा होगा. (िुस्कराते है्). आपने कई रवभाग वापि ले रलये. ये बात आप जानते रे उसके बाद भी आपने िुझसे सिाल पूछा. िै्यूं प्​्मतम्​्कया नही्देता, शायद कि उम्​्का असर है. लेमकन साहस नौजिानो् िे्ही होता है. शायद इसीमलए िै्ने एक साहसी िैसला ले मलया. रिवपाल रिंह यादव के घि के बाहि उनके पक्​् मे् औि आपके रखलाफ नािे भी लगे. देमखये कई बार ऐसा होता है मक लोग बढ्चढ्कर नारे लगाते है्और िौके पर गायब हो जाते है्. राजनीमत िे् ऐसी बातो् पर खास ध्यान देना चामहये. मुलायम रिंह यादव कई बाि कह चुके है् रक रिवपाल रिंह पाट्​्ी की िीढ् है्. वे चुनाव के मौके पि बाहि चले गये तो बहुत नुकिान हो िायेगा. राजनीमत िे्बहुत सारी चीजे्आती है्. हि अपने रास्​्ेसे नही्हटना चाहते है्. जो मिकास काय्थ हो रहे है् उनका लाभ मकस मकस को मिलेगा हि खुद नही्जानते है्. काि के दौरान राजनीमत भी सािने आयेगी लेमकन हिे्काि पर ध्यान देना है. आप अकेला महिूि कि िहे है्? अंग्ेजी की एक कहाित है मजसका तज्थुिा यह है मक मशखर पर बैठा (साभार : इंमडया टीिी ) व्यब्कत हिेशा अकेला होता है. n शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 11


आवरण कथा

मुलायम वसंह यादव और अमर वसंह: हमराज और हमदद्थ जा सकता है. अब अिर मसंह और मशिपाल यादि खेिा िजबूत ब्सरमत िे् है तो गायत्​्ी प्​्जापमत से लेकर दीपक मसंघल जैसे अिसरो् को भी ताकत मिल गयी है. चच्ाथ, पच्ाथ और खच्ाथ जैस्ेजुिलो्से िशहूर हुए अिर मसंह पर लक् ्िी मकसी न मकसी र्प िे्हिेशा िेहरबान खुद को लगातार सिाजिादी नही् रही है. कोई न कोई बड्ा उद्​्ोगपमत हिेशा िुलायि​िादी बताने िाले अिर मसंह को मजस उनके सार रहता है. इनिे् सहारा से लेकर िाहौल िे् पाट्​्ी के शीष्थ तक पहुंचाया गया है अं ब ानी तक शामिल रहे है्. मिलहाल सुभाष िह टकराि का दौर है. चार मदन पहले ही एक चं द ् ा है ् . अिर मसंह ने उनको सिाजिादी काय्थक्ि िे्अमखलेश यादि ने अिर मसंह का पमरिार से जोड् मदया है. ठीक उसी तरह जैसे नाि मलए मबना उन्हे्बाहरी व्यब्कत बताया रा. उन्हो्ने कहा रा मक एक बाहरी व्यब्कत िौजूदा कभी अंबानी को जोड्ा रा. अंबानी ने दादरी िे् मनिेश मकया. िहां मि​िाद के मलए मजम्िेदार है. पद्​्े के पीछे एक टीिी चैनल के िामलक और राज्यसभा सदस्य मकसानो् की जिीन के अमधग्​्हण को लेकर सुभाष चंद्ा भी है्मजनकी अिर मसंह से मित्​्ता मि​िाद हुआ जो बाद िे् बड्े आंदोलन िे् जगजामहर है. इन्ही के सम्िान िे्मदये गये भोज तल्दील हो गया. पूि्थप्​्धानिंत्ी िीपी मसंह और िे् उत्​्र प्​्देश के िुख्यिंत्ी अमखलेश यादि सिाजिादी राज बल्बर ने दादरी आंदोलन से की मखल्ली उड्ायी गयी मजसके बाद िुख्य जो िाहौल बनाया उसके चलते िुलायि मसंह समचि दीपक मसंघल को उनके पद से हटा सत्​्ा से बाहर हो गये. हालांमक अमखलेश यादि ने एक्सप्​्ेस िे के मलए मकसानो् की मदया गया रा. इस काय्थक्ि िे् सिाजिादी पाट्​्ी के जिीन का बड्ा महस्सा अमधग्​्हीत मकया अध्यक्​् िुलायि मसंह यादि और ित्थिान लेमकन कही् असंतोष देखने को नही् मिला. प्​्देश अध्यक्​् मशिपाल यादि भी शामिल हुए यह काि करने की शैली का अंतर है. अिर रे. भोज िे् शामिल होने िाले दीपक मसंघल मसंह पाट्​्ी िे्आ गये है्और िह भी िुख्यिंत्ी को बाहर का रास्​्ा अमखलेश यादि ने अमखलेश यादि की इच्छा के बगैर. ऐसे िे् मदखाया तो भोज देने िाले अिर मसंह को पाट्​्ी कुछ इंतजार करना चामहये. अमखलेश यादि अकेले नही् है्. राि का िहासमचि बनाकर िुलायि मसंह यादि ने पाट्​्ी िहासमचि और राष्​्ीय प्​्िक्ता प्​्ोफे्सर गोपाल यादि से लेकर आजि खान तक इस राि गोपाल यादि और िुख्यिंत्ी अमखलेश िुद्े पर अमखलेश के सार है्. सार ही आि यादि को बता मदया है मक िह अब पमरिार के लोगो्की सहानुभूमत और सिर्थन भी अमखलेश यादि को मिल रहा है मजसे सोशल िीमडया बाहर भी िैसला कर सकते है्. पर आसानी से िहसूस भी मकया जा सकता है. यह कई िष्थ बाद हुआ है मक िुलायि ले म कन अिर मसंह राजनीमत िे्जनसंपक्फ और मसंह यादि ने मबना राि गोपाल यादि और मनिे श की जो ताकत रखते है्उसका िुकाबला अमखलेश यादि की राय मलए कोई बड्ा कोई नही् कर सकता. यह उनकी राजनीमतकिैसला मकया. इससे अिर मसंह के िहत्ि और n गै र -राजनीमतक पूंजी भी है. उनकी बढ्ती राजनैमतक ताकत को भी सिझा

वफर वेताल डाल पर अमर ससंह की वापसी समाजवादी पार्​्ी मे्एक सवभाजक सबंदु सासबत हुई है, लेसकन उनकी एक मात्​् पूंजी जनसंपक्कऔर राजनीसतक सनवेश ही है, सजसका लाभ समलना संसदग्ध है. िसवता वम़ा​ा

ि्थ से िे कहा करते रे मक िै् सिाजिादी नही्, िुलायि​िादी हूं. अब उन्हे् सिाजिादी पाट्​्ी का िहासमचि बना मदया गया है. िंगलिार 20 मसतंबर को एक तरि सपा के िुमखया िुलायि मसंह यादि, सांसद अिर मसंह को पाट्​्ी का िहासमचि बनाने संबंधी पत्​् मलख रहे रे तो िही् कुछ ही दूरी पर पाट्​्ी के िहासमचि और राष्​्ीय प्​्िक्ता प्​्ोिेसर राि गोपाल यादि के पुत् सांसद अक्​्य यादि अपने मपता को पाट्​्ी िहासमचि पद से इस्​्ीिे का िशमिरा दे रहे रे. रािगोपाल का स्रान पाट्​्ी िे् दूसरे नंबर पर है. ताजा घटनाक्​्ि से िह आहत है्और कुछ भी बोलने को तैयार नही्है्. इन दोनो्घटनाओ् से सिाजिादी पाट्​्ी के शीष्थ पर िची हलचल का अंदाजा लगाया जा सकता है. 12 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016


चेहरा सववेक िक़िेना

वह शहादत यह सियाित

सनभ्​्ीक पत्​्कासरता के सलए मशहूर रहा पंजाब केसरी समूह अब अपनी परंपरा को भुला चुका है.

केिल देश, बब्लक पूरी दुमनया िे्अगर मकसी ने मनभ्​्ीक पत्​्कामरता ने इस कांड के अमभयुक्त सिण्थमसंह को उसके इस काि के मलए सोने से करने की सबसे अमधक कीित चुकायी है तो िह है महंद सिाचार तौलने का ऐलान मकया. उसे मगरफ्तार मकये जाने की िांग होने लगी. उसने सिूह. यह सिूह पंजाब केसरी, महंद सिाचार ि जगबानी अखबार 20 मसतंबर को अपने इलाके दिदिा चौक पर आत्ि सिप्ण थ मकया. उसके प्​्कामशत करता आया है. मजस िक्त पंजाब आतंकिाद के दौर से गुजर सिर्थको् ने इसका मिरोध करते हुए पुमलस पर हिला कर मदया मजसिे् रहा रा तब उसने मभंडरािाले का मिरोध करने का साहस मदखाया और करीब 20 लोग िारे गये. लेखक उस घटना का प्​्त्यक्​्दश्​्ी है. संयोग से इसकी कीित भी चुकायी. उस मदन मभंडरािाले का साक्​्ात्कार करने िाला िह अकेला पत्​्कार रा. इस सिूह के संस्रापक लाला जगत नारायण रे, जो मिभाजन के उसे आत्िसिप्थण करने के बाद सम्कफट हाउस िे् रखा गया. तत्कालीन पहले पामकस्​्ान ब्सरत गुजरांिाला के िजीराबाद िे्पैदा हुए. िह चोपड्ा गृहिंत्ी ज्​्ानी जैलमसंह ने संसद िे्मदये अपने बयान िे्उसे क्लीन मचट दे खत्​्ी और आय्थसिाजी रे. उन्हो्ने सन 1920 िे्िहात्िा गांधी की अपील दी. उसे 15 अक्टूबर को मरहा कर मदया. सरकार ने उसे हीरो बना मदया पर पढ्ाई छोड्दी और आजादी की लड्ाई्िे्कूद गये. उन्हो्ने सत्याग्​्ह िे् रा. महस्सा मलया. उनकी पत्नी ि बड्ा बेटा रिेश चंद्भी जेल गये. िह लाला इसके बाद पंजाब आतंक के दौर से गुजरने लगा. पंजाब केसरी ने लाजपत राय के मनजी समचि बने और बाद िे्भाई परिानंद के साप्तमहक अपना मिरोध जारी रखा. उसे इसकी भारी कीित अदा करनी पड्ी. अखबार आकाशिाणी का संपादन मकया. िह लाहौर मजला कांगस ्े अध्यक्​् आतंकिामदयो्ने पत्​्कारो्ि अखबारो्के मलए आचार संमहता जारी कर दी रहे ि 30 साल तक अमखल भारतीय कांग्ेस समिमत के अध्यक्​् रहे. मजसे उसने नही् िाना. उसके पत्​्कारो् से लेकर हॉकरो् तक को मनशाना मिभाजन के बाद िे जालंधर आ बनाया गया. उन्हो्ने 1984 िे्लाला जगत गये और उन्हो्ने 1948 िे् िहां से नारायण के बड्े बेटे रिेश चंद् की हत्या उद्थू िे् महंद सिाचार शुर् मकया. कर दी. आतंक के उस दौर िे्इस सिूह से क्यो्मक यह तब िध्यि िग्थ की जुड्े 62 लोगो् की हत्या की गयी. इसके भाषा री. सन 1965 िे् महंदी िे् बािजूद इस अखबार ने अपने तेिर नही् पंजाब केसरी और 1978 िे्पंजाबी बदले. यही िजह री मक इसे शहीद िे् जगबानी का प्​्काशन आरंभ पत्​्कारो् का अखबार िाना जाता है. इस मकया. िे गजब के प्​्योगिादी रे. अखबार ने पत्क ् ामरता के क्त्े ्िे्कई पहल आज जबमक देश का बड्े से बड्ा की्. यह िेब ऑिसेट पर छपने िाला महंदी अखबार तक अपने िुखपृष् पर का पहला अखबार रा. उसने सबसे पहले मिज्​्ापन छापने के मलए लालामयत महंदी िे् िोटो कंपोमजंग की शुर्आत की. रहता है, उन्हो्ने अपने अखबारो्के िेसोमिल ट्​्ास ं मिशन ि टेली िोटो मसस्टि प्​्रि पृष् पर खबरो् की जगह इस्​्ेिाल मकया. जब श्​्ी पेरंबदूर िे्राजीि लेख, कहामनयां, कमिताये्, मचत्​् गांधी की हत्या हुई तो िह उत्​्र भारत का छापने शुर्मकये. एकिात्​्अखबार रा जहां घटनास्रल पर यह िो सिय रा जबमक उस रात की तस्िीर छपी री जो मक 'द हमरयाणा, पंजाब, महिाचल और महंदू' से हामसल की गयी री. जब पमरिार जम्िू कश्िीर िे् उनके सिूह बड्ा होने लगता है और नेतृत्ि दूसरी पीढ्ी अव्​्शनी कुमार चोपड्ा: कहां से पहुंचे कहां खासतौर से पंजाब केसरी का के हार िे् आता है तो व्यापार और एकामधकार हुआ करता रा. िह पंजाब से आये महंदू शरणाम्रथयो् के बीच साम्​्ाज्य का मिभाजन साि्थभौमिक सत्य बन जाता है. बेहद लोकम्​्पय रा. उसे महंदुओ्की बाइमबल का जा सकता रा. िह पंजाब रिेशचंद्के न रहने के बाद उनके बेटे ने अपने चाचा मिजय चोपड्ा सरकार िे्िंत्ी भी रहे. जब पंजाब आतंकिाद की चपेट िे्आने लगा और के सार मिलकर अखबार को संभाल मलया. चाचा के बेटे भी बड्ेहो गये. मभंडरािाले उभर ही रहा रा तो उन्हो्ने इसका जिकर मिरोध मकया. चाच-भतीजे के बीच महंद सिाचार सिूह पर कल्जे को लेकर सन 1999 अिृतसर िे्मनरंकामरयो्और जरनैल मसंह मभंडरािाले की अगुिायी िे्उन िे्िुकदिेबाजी शुर्हुई ि 2005 िे्अदालत ने अखबार का बंटिारा कर पर हिला करने आये अखंड कीत्थनी जत्रो् के लेागो् का टकराि हुआ मदया. अब जहां मदल्ली जयपुर अश्​्नी के पास है िही्पंजाब ि कुछ राज्य मजसिे्बड्ी तादाद िे्लोग िारे गये. मिजय के पास है. उन्हो्ने मदल्ली िे् निोदय टाइम्स मनकाल मदया है. लाला जगत नारायण इस टकराि की मरपोम्टि्ग करने गये रे. उन्हो्ने अश्​्नी, भाजपा िे्शामिल हो गये और करनाल से लोक सभा िे्पहुंचे है्. तिाि धिमकयो् के बािजूद मभंडरािाले के मखलाि गिाही दी. इस से िैसे क्या गजब की मिडंबना है मक जो अखबार सिूह कभी दुद्ा​ा्त अमतिादी उनसे नाराज हो गये और नौ मसंतबर 1981 को पमटयाला से आतंकिामदयो् की चुनौमतयो् से भी नही् घबराया, िहां आज पमरिार के n जालंधर लौटते सिय उनकी गोली िारकर हत्या कर दी गयी. मभंडरािाले सदस्य ही एक दूसरे के मलए चुनौती बन गये है्. शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 13


देशकाल

राहुल गांधी की उत्​्र प्​्देश यात्​्ा को समल रहा जन समथ्षन बताता है सक सवधानसभा चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव मे् कुछ अप्​्त्यासशत देिने को समल सकता है. यह यात्​्ा 2019 के लोकसभा चुनावो्की तैयारी है.

वसयासी रक्ससयो् की खाट

िुनीता िाही

ह मसतंबर को जब देिमरया मजले के र्द्पुर गांि के लोग राहुल गांधी की मकसानो्के सार चच्ाथ के मलए िहां लायी गयी खाटे् ले गये तो प्​्मतद्​्ंद्ी राजनीमतक दलो् ने खमटया सभा का िजाक उड्ाया. उनको लगा मक यह कांग्ेस पाट्​्ी के मलए बड्ी शम्िा्दगी का सबब बनेगा. यहां तक मक शुर्आती 24 घंटे तक तो खुद कांग्ेस के नेताओ् को सिझ िे् नही् आया मक कहे् तो क्या कहे्? लेमकन अगले मदन पाट्​्ी ने जबरदस्​्पलटिार मकया. सात मसतंबर को कांग्ेस प्​्िक्ता िीि अिजल ने गोरखपुर िे्कहा, 'हिने गांि​िालो् को खाट ले जाने को कहा रा. िै्ने एक िमहला से पूछा मक िह इस खाट का क्या करेगी तो उसने कहा मक िह इसे अपनी होने िाली बहू को तोहिे िे्देगी क्यो्मक उसके बेटे का ल्याह होने िाला है. िै्ने उससे कहा मक िह दो खाट ले जाये. गरीब मकसानो् को चोर कहा जाना शि्थनाक है.' उसी दोपहर कांग्ेस उपाध्यक्​् राहुल गांधी ने गोरखपुर िे् एक रोड शो मनकाला. तब तक यह बात लोगो् तक पहुंच चुकी री और उनको खूब भायी री. र्द्पुर लूट के कारण हुई मनराशा छंट चुकी री. छह मकिी लंबे रोड शो िे्राहुल को अप्​्त्यामशत सिर्थन मिला. गोरखपुर से संत कबीर नगर ब्सरत खलीलाबाद जाते िक्त 60 मकिी की दूरी िे् 18 जगह उनका स्िागत मकया गया. पाट्​्ी काय्थकत्ाथओ् के अलािा बड्ी तादाद िे् िहां िौजूद लोगो् को देखकर यह स्पष्​् हो रहा रा मक लोग एक बार मिर इस पुरानी राजनीमतक पाट्​्ी पर भरोसा कर रहे है्. राहुल को भी इसका अंदाजा लग ही रहा होगा. शायद यही िजह री मक उन्हो्ने अपने भाषण की शुर्आत र्द्पुर की घटना से की. राहुल ने कहा, 'िीमडया के कुछ लोग और भाजपा के नेता गरीब मकसानो् को केिल इसमलए चोर कह रहे है्क्यो्मक िे कुछ खाट उठा ले गये. लेमकन जब मिजय िाल्या बै्को् के करोड्ो् र्पये लेकर देश से चंपत हो गया तो उसे मडिॉल्टर कहा गया. यह नही् 14 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

राहुल गांिी: सन 2019 पर वनगाह


चलेगा.' उनके भाषण के बीच लोगो्का उत्साह बता रहा रा मक िह घटना जो सन 2017 मिधानसभा चुनाि िे् जीत की कांग्ेस की कोमशशो्का अंत सामबत हो सकती री ने पाट्​्ी की ब्सरमत को िजबूत करने का काि मकया. राहुल गांधी अपनी यात्​्ा के दौरान प्​्देश की 223 मिधानसभा सीटो्का दौरा करे्गे और 2500 मकिी की यात्​्ा करेग् .े कांगस ्े नेताओ्का कहना है मक इस दौरान िे एक लाख से अमधक मकसानो् से भी बातचीत करे्गे. िे उनसे बातचीत करके उनकी मचंताओ् को सिझे्गे और िादा करे्गे मक अगर 2017 िे्प्​्देश और 2019 िे् देश िे् कांग्ेस सत्​्ा िे् आती है तो उनकी मदक्त् े्दूर की जायेग् ी. यही िजह है मक राहुल की िौजूदा यात्​्ा को देिमरया से मदल्ली मकसान यात्​्ा कहा जा रहा है. तात्कामलक लक्य् भले ही 2017 का मिधानसभा चुनाि हो लेमकन राहुल खुद को 2019 के आि चुनाि के मलए तैयार कर रहे है्. वकसान यात्​्ा के दौरान खाट सभा: कुछ घर के वलए भी परंतु राहुल के सिक्​् एक अदृश्य चुनौती भी है. उन्हे् पाट्​्ी नेताओ् को भी इस बात के उनकी पाट्​्ी ने जापानी बुखार से मनपटने के आधा दज्थन िंमदरो्िे्पूजा अच्थना की है. िाना मलए तैयार करना है मक संगठन चुनाि के िक्त मलए पय्ाथप्त िंड जारी मकया रा लेमकन िोदी जा रहा है मक अगले िहीने मदल्ली िे्खत्ि होने िे उनको आसानी से अध्यक्​् पद पर स्िीकार जी उसे रोक रहे है्. िाला यात्​्ा के दौरान िे करीब दो दज्थन से कर ले्. आदश्थ ब्सरमत िे् तो ये चुनाि नौ संत कबीर नगर िे् जब एक मकसान ने अमधक धि्थस्रलो्पर िारा टेक चुके हो्गे. मसतंबर 2016 तक हो जाने रे क्यो्मक सोमनया उनसे कहा मक उसे मबजली का मबल बढ्ा हुआ उनके मपता राजीि गांधी ने सन 1990 गांधी ने यह पद केिल एक साल के मलए मलया मिल रहा है तो राहुल ने कहा मक िोदी मकसान िे् सद्​्ािना यात्​्ा के दौरान अयोध्या जाकर रा और कांग्ेस काय्थसमिमत की िह बैठक नौ मिरोधी है्. जब जौनपुर के एक मकसान ने यही भी िंमदर की यात्​्ा नही् की री. राजीि की मसतंबर 2016 को हुई री. िाना यही गया रा सिस्या दोहरायी तो राहुल ने कहा मक लोगो् िां और राहुल की दादी इंमदरा गांधी सन 1978 मक राहुल गांधी पाट्​्ी का अध्यक्​्बनने से पहले को मबना मबजली के केिल मबल पकड्ाया जा िे्हनुिानगढ्ी जाने िाली पमरिार की आमखरी साल भर का िक्त ले रहे है्. कांग्स इन मदनो् रहा है. जब उन्हो्ने अमखलेश यादि सरकार नेता री्. उल्लेखनीय है मक अयोध्या 20िी् इस मिषय पर अिश्य मिचार कर रही होगी के मखलाि कुछ और मटप्पमणयां की् तो राहुल सदी िे् देश िे् राजनीमतक-धाम्िथक मि​िादो् क्यो्मक िाराणसी रोड शो के बाद यह स्पष्​्हो ने कहा मक साइमकल पंचर हो गयी लगती है. का सबसे बड्ा के्द् बना है. यकीनन राहुल गया है मक सोमनया गांधी का स्िास्थ्य इतना पय्थिेक्को्का कहना है मक नि्थआलोचना उस डर से मनजात पा चुके है् जो उनके मपता बमढय़ा नही् है मक िह अब राजनीमत की को सता रहा रा. भगिान राि की नगरी िे् िष्थ2019 के अमभयान यही वजह है कि राहुल गांधी ऐसी प्​्कृमत नही् रह गयी है िह बेधडक़ आये जबमक भाजपा को पूरी की जिाबदेही ले सके्. िायंश य ल ै ी अपना रहे हैंकि िांगस ंे लेमकन राहुल गांधी संजीिनी इसी नाि से मिलती है. राहुल नि्थ यही िजह है मक अमखलेश यादि के महंदुत्ि के जमरये भाजपा के गढ्िे्से्ध लगाना िे बाहर उनिे िई कमतं​ंहैंजबकि मखलाि बहुत नि्​्ी चाहते है्. राहुल गांधी ऐसी दुशमं न िेवल एि है और वह हैं बरतते है्. िोदी के काय्थशैली अपना रहे है् इसके सार ही उन्हो्ने अंबेडकर नगर िे् मक कांग्ेस के बाहर मखलाि जर्र उनके दरगाह की यात्​्ा भी की और जौनपुर के िदरसे नरेदं ंमोदी. उनके कई मित्​् है् तेिर कड्े है्. राहुल ने अरमबया मरयाज उल उलूि िे् मदन का खाना जबमक दुश्िन केिल एक है और िह है् नरे्द् कई स्रानो् पर कहा, 'िोदीजी ने अपने खाया. िह िुब्सलिो् को संदेश देना चाहते रे िोदी. अपनी यात्​्ा की शुर्आत से ही राहुल उद्​्ोगपमत मित्​्ो् का 1,10,000 करोड् र्पये मक कांग्ेस अब भी मिमिधता िे् पूरा यकीन बेहद सािधानीपूि्थक अमखलेश यादि के का कज्ाथ िाि कर मदया है. िह अपने सूटबूट करती है. इतने मिमिधतापूण्थ पमरदृश्य िे् नेतृत्ि िाली सिाजिादी पाट्​्ी सरकार की िाले मित्​्ो् को िायदा पहुंचा रहे है् और चुनािी भमिष्यिाणी करना हिेशा जोमखि भरा मि​िलता से जुड्ेिुद्े उठा रहे है्. िह िायािती मकसानो् को परेशान कर रहे है्.' संदेश साि होता है. परंतु राहुल गांधी को उत्​्र प्​्देश िे्जो की बसपा का भी मजक्​् नही् कर रहे. स्िास्थ्य है. राहुल 2017 के जमरये 2019 की तैयारी स्िागत मिल रहा है िह एक नयी राजनीमतक और मबजली दोनो् राज्य का िसला है् लेमकन कर रहे है्. पटकरा की कहानी कहता है. हो सकता है यह जानने के बािजूद राहुल इन क्​्ेत्ो् की जानकारो्के िुतामबक इस यात्​्ा के दौरान इसका स्िर्प हिारी सिझ से कही् अमधक सिस्याओ्के मलए िोदी को उत्​्रदायी ठहराते िह नि्थमहंदुत्ि को भी आगे बढ्ा रहे है्और यह गहरा हो. अगर िष्थ 2017 िे् कांग्ेस उत्​्र है्. सात मसतंबर को जब गोरखपुर िे्बीआरडी भाजपा को मकनारे लगाने की उनकी नीमत का प्​्देश िे् जरा भ्भी बेहतर प्​्दश्थन कर पाती है िेमडकल कॉलेज के मचमकत्सको्ने उनसे िंड महस्सा है. र्द्पुर िे् दुगधेश्र िंमदर से लेकर तो राहुल गांधी को 2019 िे् इसका लाभ की किी का मजक्​्मकया तो राहुल ने कहा मक अयोध्या िे्हनुिान गढ्ी तक उन्हो्ने अब तक मिलना तय है. n शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 15


देशकाल

दौरे के दौरान राहुल गांिी: घर-घर जनसंपक्क

सब कुछ के बावजूद बहुत कुछ

कांग्ेस के बारे मे्कई बार भसवष्यवाणी की गयी सक अब वह समाप्त है लेसकन हर बार ये भसवष्यवासणयां गलत सासबत हुई्. चंचल

िाजिादी मचंतक िधु मलिये ने अपनी बहुचम्चतथ पुसक ् ‘भारतीय राजनीमत के अंतम्िरथ ोध’ िे् कांगस ्े पर एक सधा हुआ लेख मलखा है, मजसिे्िह कहते है्मक कांगस ्े देश नही् दुमनया की सबसे बड्े जनाधार िाली पाट्​्ी है. कांगस ्े के बारे िे्कई बार भमिष्यिाणी की गयी मक अब िह सिाप्त है लेमकन हर बार ये भमिष्यिामणयां गलत सामबत हुई्और कांगस ्े नये तेिर के सार उठ खड्ी हुई. सन 2014 के लोकसभा चुनाि के बाद भी यही कहा गया. लेमकन उसके बाद मजतने चुनाि हुए है,् सबसे यही पता चलता है मक आगे हर चुनाि कांगस ्े के पक्​्िे्जाना है. इसका यह ितलब कतई नही्है मक कांगस ्े ने अपनी पुनस्र ् ापना के मलए कोई ठोस काि मकया है. सत्​्ा से बाहर रहने के बािजूद िह प्म्तपक्​् की भूमिका िे् नकारा ही रहती अगर राहुल गांधी अपने मनजी व्यब्कतत्ि् के सार आि जनता के बीच जाकर िौजूदगी दज्थन कराते और आि जन से संिाद न कायि करते. कांगस ्े 16 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

उपाध्यक्​् राहुल गांधी की व्यब्कतगत जुझार् भूमिका को घटा मदया जाये तो कांगस ्े अजगरी िुद्ा िे् पसरी हुई काया के मसिा कुछ नही् है. कांग् रस े इतने मदनो्से मिपक्​्िे्होने के बािजूद सरकार पर कोई धारदार हिला नही्कर पा रही. न संसद िे्और न सडक़ पर. यहां हि मिर राहुल गांधी का मजक्​् कर रहे है् क्यो्मक िह लगातार संसद और सडक़ को गरिाने िे्लगे हुए है.् कांगस ्े एक बड्ा संगठन है और इसकी पहुच ं गांि-गांि तक है. इसके बािजूद इसिे् कोई हरकत क्यो् नही् हो रही है? भुखिरी, तबाही, बेकारी और सबसे बड्ी सिस्या िहंगाई है. इस पर संगमठत आिाज क्यो् नही् उठी? कांगस ्े ने मकसी मजले िे्पहल क्यो्नही्की? क्या कांगस ्े के आलाकिान ने इस पर कोई रोक लगा रखी है? जो सिाल गांि से उठकर बजमरये ल्लॉक और मजला स्र् होते हुए सूबे तक जाते और कांगस ्े उन पर मनण्यथ लेती िहां घडी उल्टी मदशा िे्चल रही है. सारे सिाल कांगस ्े आला किान के प्म्तमनमध राहुल गांधी लेकर चल रहे है्और गांि-गांि, घर-घर जा रहे है.् लोग पागल होकर उनके पीछे-पीछे भाग रहे है.् उत्र् प्द् श े की यात्​्ा

इसका सबसे बड्ा उदाहरण है. राहुल गांधी कोई नयी बात नही्कह रहे है.् न ही उनके बात करने का अंदाज उत्ज ्े क है. िे मनहायत बेबाक, सपाट और सादगी से अपनी बात कह रहे है.् अपनी नही्, कांगस ्े की नही्, राजनीमत की नही्, िे मकसान की, िजदूर की, िजबूर की, िजलूि की नौजिान की बात कर रहे है.् यह उनकी राजनीमत का सबसे बड्ा महस्सा है. यह गांधी की परंपरा है, कांगस ्े की परंपरा है और राहुल उसी परंपरा के िाहक बन कांगस ्े को ऊपर उठा रहे है.् िौजूदा सरकार की नालायकी भी कांगस े् को िायदा पहुचं ा रही है. उसके द्​्ारा मकये गये िायदो् की िादामखलािी का. मजतने सिाल लेकर भाजपा कांगस ्े पर सुमनयोमजत ढंग से हिलािर री उनिे्से िह एक भी हल नही्कर पायी.म्उल्टे िह खुद नये आरोपो् से मघर गयी. िसल सन 2014 का चुनाि काला धन, भ्ष ् ्ाचार और िहंगाई के िुद्े पर लड्ा गया. जनता को स्िप्​् मदखाये गये. उत्ज ्े क नारे लगे. कहा गया मक अगर सत्​्ा िे्आने के सौ मदन के भीतर काला धन िापस नही्लाया गया तो िांसी पर लटका मदया जाये, लात िार कर हटा मदया जाये, िगैरह. राजनीमत िे्ये नये जुिले लाये गये रे. जब यह सिाल उठने लगा तो कहा गया मक यह सब तो जुिला रा. उनको लगता है मक जनता इतनी नासिझ है मक सिझती नही्उसे कैसे छला गया. कांगस ्े 60 साल िे्चाहे मजतनी भ्ष ् ्हुई हो, भाजपा तो 60 मदन िे्उससे 70 गुना अमधक भ्ष ् ् हो गयी. अकेला व्यापि ही सारी दुमनया को चौ्का देता है मजसिे्केिल पैसे का ही खेल नही्हुआ बब्लक 50 से अमधक जाने्भी गयी्. आज सरकार अदानी और अंबानी की जेब िे् है. जनता यह जानती है. कांगस ्े को चामहये मक चुनाि से पहले इन िसलो्पर एक श्त्े पत्​्जारी करे. भाजपा हर िुद्े पर न केिल मि​िल रही है बब्लक िह अपराधी की भूमिका िे्नजर आती है. दमलतो्िंमचतो्पर संगमठत हिले, छात्​्ो्के सार बब्रथ ता, िमहलाओ् की आजादी पर हिला, ये तिाि सिाल तो रे ही हिारी मिदेश नीमत भी गत्थिे्मिल गयी. आज दुमनया का एक भी िुलक ् ऐसा नही है मजसे हि दोस्​् कह सके.् कांगस ्े अगर इन सिालो् को कारगर ढंग से उठा सके तो यह उसकी जीत को सुगि बना देगी. सिाजिादी संघष्थकी भूमिका से मनकले राज बल्बर को अध्यक्​्बना कर आला किान ने तिाि दलो्की बोलती बंद कर दी है. राज पर न कोई आरोप है न ही कोई सिाल, जामत के घेरे से बाहर राज का एक संघष्श थ ील चमरत्​्रहा है. यमद इस चुनाि िे्सिाजिादी और कांगस्े मिल कर चुनाि िैदान िे्आये तो मनम्​्ित र्प से कहा जा सकता है मक उत्र् प्द् श े मबहार से बड्ी जीत दज्थ n करायेगा.


‘मुद्ो् और मुद्ो् मंे फ्क् िै’

उत्​्र प्​्देश कांग्ेस के नये अध्यक्​्राज बब्बर से चंचल ने बातचीत.

सान नही्होता है जब आिने सािने एक िन और मिजाज के लोग बैठे हो्और उनके बीच सिाल-जिाब का दौर चले. इसे प्​्ायोमजत कहे जाने का खतरा भी होता है. पाठक को लग सकता है मक उसे छला गया है. हाल के मदनो्िे्जब से खबरो्की दुमनया िे्टेलीमिजन का चलन बढ्ा है, यह रोजिर्ाथ की बात हो गयी है और दश्थक ऊब चुके है्. उसकी मिश्​्सनीयता पर भी सिामलया मनशान लगाये जा रहे है्. ऐसे िे्जब राज बल्बर से बात करने की दामयत्ि मिला तो रोड्ा सोचमिचार के बात लगा चलो एक जोमखि और लेते है्. राज बल्बर को िोन मकया और कहा मक उत्​्र प्​्देश के कांग्ेस अध्यक्​् जनाब राज बल्बर का साक्​्ात्कार लेना है और यह काि इस खामदि को सौ्पा गया है. राज बल्बर आदत के िुतामबक िजाक पर उतर आये. बोले, 'िजाक ित करो, क्या सच िे्?'. बहरहाल मचत्​्कूट िे्यह साक्​्ात्कार संपन्न हुआ. हम वह िवाल कतई नही् पूछे्गे रि​िकी आप अपेक्ा कि िहे रक िमािवादी पाट्​्ी छोडक़ि आप कांग्ेि मे् क्यो् आये? लेमकन हि सबसे पहले इसी का जिाब दे्गे. उम्​्का एक बड्ा महस्सा हि लोगो्ने सत्​्ा के मिपरीत खड्ेहोकर गुजारा है और बहुत कुछ सीखा है. कांग्ेस और सिाजिाद के बीच के िासले पर खड्े होकर देखा जाये तो एक मदलचस्प खुलासा होता है. नीमतयो् िे् कोई मिरोध नही्, सोच िे् कोई अंतर नही्, अगर भेद है तो, िै् जोर देकर कहता हूं िह है हड्बड्ी का. आजादी के बाद सिाजिादी कांग्ेस से बाहर हुए तो उनके पास कई क्​्ांमतकारी काय्थक्ि रे. कांग्ेस के भीतर एक धड्ा उसके सिर्थन िे्रा. ये िािपंरी र्झान के लोग रे मजनका नेतृत्ि पंमडत नेहर्करते रे. दूसरा धड्ा यराब्सरमतिामदयो् का रा मजनकी किान सरदार पटेल के हार री. कांग्ेस संगठन पर यराब्सरमतिामदयो्का कल्जा रहा. जब सरदार पटेल ने जोर देकर कहा मक कांगस ्े िे्कोई अलग सिूह नही्बन सकता, मजसे ऐसा करना हो िह पाट्​्ी से चला जाये. तब सिाजिादी धड्ा कांग्ेस से बाहर हुआ. यह घटना पंमडत नेहर्के मलए दुखद री. सरदार पटेल के मनधन के बाद िह बार-बार कोमशश करते रहे मक सिाजिादी कांग्ेस िे्िापस आ जाये्लेमकन यह नही्हो सका. सन 1954 िे्जयप्क ् ाश नारायण ने पंमडत नेहर् को एक पत्​् िांगस ंे ने इस खेल िो चुनौती मलखा मजसे आज 14 दी है. उसने हमारे जैसे एि सूत्ीय पत्​् के नाि से िायंि य तंाय िो अवसर कदया है जाना जाता है. नेहर् जानते रे मक अगर इस कजसिे पास न अपराध है न िसौदे पर अिल हुआ अिूत खजाना. तो पाट्​्ी टूट जायेगी. मलहाजा िह जस का तस धरा रहा. आगे चलकर सन 1969 िे्इंमदरा गांधी ने इस प्​्स्ाि को रखा, नतीजा सबको िालूि है. कांग्ेस ने उन्हे्पाट्​्ी से मनकाल मदया. इंमदरा गांधी ने नयी पाट्​्ी बनायी और उनके सार जो लोग कांगस ्े से आये िे सब सिाजिादी रे. उन्हे्युिा तुकफ्के नाि से जाना गया. तो यह रा सिाजिाद और कांग्ेस के बीच का िासला. आपको इतने बड्े िूबे का मुरखया रकि आधाि पि बनाया गया? िवाब मे् यह न करहयेगा रक यह तो आला कमान ही िाने. इस सूबे की राजनीमत जामत के इद्थमगद्थघूि रही है. पैसे िाले, ताकत िाले हािी है्. यूं सिझ लीमजये मक खेल टकसाल की ओर िोड्मदया गया

राज बब्बर: जोर और जुल्म के वखलाफ है. शायद कांग्ेस ने इस खेल को चुनौती दी है. उसने हिारे जैसे एक काय्थकत्ाथ को अिसर मदया है मजसके पास न अपराध है न अकूत खजाना. बस एक बात है मक हि जोर और जुल्ि के मखलाि लड्ते रहे है्. जो भी हो राहुल जी का सोच अन्य दलो्से एकदि अलग है. ि​िा िाहुल गांधी के बािे मे् बताइये, एकदम बेबाक अंदाि मे्. िह सोच और कि्थसे एक िुकम्िल नौजिान है.् कांगस ्े की उस नीमत से जुड्ेरहे है्जो परंपरागत र्प से बापू से चलती है औ राजीि गांधी तक आती है. अब राहुल उसके िाहक बन गये है.् इन सभी लोगो्का यह िानना रहा है मक जब तक हि आमखरी पायदान पर बैठे व्यब्कत को बेहतर मजंदगी नही्दे सकते. हि िुल्क को िजबूत नही्बना सकते.लोग देख रहे है्मक जब चारो्तरि कॉप्​्ोरेट को िायदा पहुंचाया जा रहा है िैसे िे्राहुल गांधी मकसान की, िजदूर की, नौजिान की बात करते है्. िे कहते है्मक स्िाट्थ मसटी बनाये्गे, हि कहते है् मक गांि बनाये्गे. िो मिदेशो् की हिाई यात्​्ा करते है्, राहुल जी गली-गली, घर-घर जा रहे है्. अब मुद्ो् की बात किते है्. आपके पाि मुद्े क्या है्? िुद्ेहिारे पास ही है.् उनके पास तो िुद्ेहै.् हि ित्िथ ान की बात करते है्तो िे कम्​्बस्​्ान िे्खड्ेहो जाते है्और चीखने लगते है्मक यहां हिारे पुरखे है्. हो्गे भाई. लेमकन अब उनको आराि करने दो. िुद्े तो हिे्जनता दे रही है. जनता दाल का भाि पूछेगी उसे पड्ोसी िुल्क का डर मदखाया जायेगा. नौजिान आजादी और बेरोजगारी का िुद्ा उठायेगा तो उसे देशद्​्ोही कहकर पीटे्गे और जेल िे् डाल दे्गे. खुद गोिांस बेचे्गे और मपटाई िंमचतो् और दमलतो् की होगी. देश िे् इस सिय जो भी सिाल आिजन के सरोकार से जुड्ा है िह कांग्ेस का िुद्ा है. रफल्मी दुरनया मे् क्या हो िहा है? राजनीमत के नाि पर जो कुछ हो रहा है, उससे बेहतर मिल्ि कहां मिलेगी? मबयाबान िे् सेट लगाकर हि हिेली बना देते है्. यहां सेट लगाकर लाल मकला बना देते है्. हि मकराये का कोट पहनकर राजा बनते है्तो यहां लखटमकया कोट लगाकर बैरा बनते है्. सब गोलिाल है. n शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 17


उत्​्राखंड

अलकनंदा पर जीवीके की पवरयोजना: पय्ाथवरण को नुकसान

मुआवज़े का मरहम एनजीरी द्​्ारा जीवीके कंपनी को बाढ्आपदा के सलए सजम्मेदार ठहराये जाने के बाद उम्मीद बंधी है सक कंपसनयां यूं ही कुछ भी करके बच नही् सनकले्गी.

फ़जल इमाम मल़ललक

त्र् ाखंड िे्2013 िे्आयी आपदा भले ही कुदरती रही हो, लेमकन इसकी बडी िजह राज्य सरकारे्रही है.् उनके अदूरदश्​्ी िैसलो्की िजह से ही गांि के गांि बह गये. राष्​्ीय हमरत प्​्ामधकरण (एनजीटी) के िैसले ने भी इसे अब सामबत कर मदया है मक आित िे्उन कंपमनयो् का बडा हार रहा है मजन्हो्ने मबना पय्ािथ रण का ख्याल रखे पहाडो् की बेतरतीब कटाई की. राष्​्ीय हमरत प्​्ामधकरण यानी एनजीटी ने अलकनंदा नदी पर बने श्​्ीनगर बांध की िजह से हुई तबाही के मलए जीिीके कंपनी को मजम्िदे ार िाना है और प्भ् ामितो्को करीब 10 करोड्र्पये का िुआिजा देने को कहा है. श्​्ीनगर बांध आपदा संघष्थ समिमत ि िाटू जनसंगठन ने अगस्​्2013 िे्एनजीटी िे्कंपनी के मखलाि यामचका दायर की री. मजसने

18 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

लगभग तीन साल चले इस िािले की सुनिाई के बाद 19 अगस्​् को िैसला सुनाया. अपने इस िैसले िे् िाननीय न्यायाधीश यूडी साल्िी ि िाननीय मिशेषज्​्सदस्य एआर यूसि ु ने जीिीके कंपनी को जून 2013 आपदा िे्श्​्ीनगर िे्तबाही के मलये मजम्िदे ार ठहराया और प्भ् ामितो् को करीब 10 करोड र्पये का िुआिजा देने ि हर िादी को एक-एक लाख र्पये देने का आदेश मदया है. अदालत िे्इस बात का उल्लख े मकया गया रा मक जीिीके कंपनी के बांध के कारण श्​्ीनगर शहर के शब्कतमिहार, लोअर भब्कतयाना, चौहान िौहल्ला, गैस गोदाि, खाद्​्ान्न गोदाि, एससबी, आईटीआई, रेशि िाि्,थ रोडिेज बस अड्​्ा, नस्रथ ी रोड, अलकेशर् िंमदर, ग्​्ाि सभा उिल्डा के ितेहपुर रेती, श्​्ीयंत् टापू मरसोट्थ िगैरह इलाको्िे्सरकारी ि गैरसरकारी संपम्​्तयां बेतरह बब्ादथ हुई्री्. िाटू जनसंगठन जून 2013 की आपदा को लेकर बांधो् की भूमिका पर लगातार सिाल उठाता रहा रा. उसने इस िािले पर मिधायको्, सांसदो्से लेकर तिाि छोटे-बडे मसयासी दलो् को पत्​्मलखे तो दूसरी तरि बहुतो्से िुलाकात कर अपना पक्​्रखा और इन सिालो्को बडे स्र् पर उठाने को कहा, लेमकन इस िसले पर न तो मकसी मसयासी दल ने िुहं खोला और न ही मकसी सांसद ि मिधायक ने इस िुद्ेको उठाने की पहल की. तब इन संगठनो्ने अदालत जाने का िैसला मकया रा. इस कानूनी लडाई िे् आि लोग शामिल रे, मजन्हो्ने अदालत िे् अपनी बात

िजबूती से रखी. िाना जा रहा है मक सरकारो्की नी्द टूटगे ी और नदी ि पहाड छेडछाड से तो बचेग् े्ही, उन कंपमनयो्पर भी लगाि लगेगी जो जन भािनाओ्के मखलाि नमदयो्पर बांध बना रही है्और हर िह कदि उठाती है्जो पय्ािथ रण के मखलाि है.् यह िैसला उत्र् ाखंड ही नही्देश भर िे्बांधो्के लेकर एक नजीर बन सकता है. यह पहला िौका है मक बांध को मिनाश का सबब िानते हुए एनजीटी ने मकसी कंपनी पर जुिा्नथ ा लगाया है. प्​्ामधकरण ने अपने िैसले िे् कहा मक अलकनंदा हाइड्​्ो पािर कंपनी मलमिटेड इस आदेश की मतमर के 30 मदन की अिमध के अंदर साि्ज थ मनक देयता बीिा अमधमनयि, 1991 की धारा 7 (ए) के तहत स्रामपत पय्ािथ रण राहत कोष प्​्ामधकरण के िाध्यि से श्​्ीनगर शहर िे् जून, 2013 के बाढ पीमडतो्को िुआिजा के तौर पर 9,26,42,795 करोड र्पये की रामश जिा करेगी. नेशनल ग्​्ीन म्​्टल्यनू ल (अभ्यास और प्म्​्कया) मनयि, 2011 के मनयि 12 के तहत, जिा मकए जाने िाले िुआिजे की रामश से एक िीसद की रामश कटौती करके कोट्थिीस के तौर पर रमजस्ट्ार, नेशनल ग्​्ीन म्​्टल्यनू ल को सौ्प मदया जायेगा. एनजीटी ने उत्र् ाखंड सरकार पर भी कडी मटप्पणी की है. एनजीटी ने अपने आदेश िे्साि मकया है मक उत्र् ाखंड राज्य सरकार, व्यब्कतयो् के दािे के सिर्नथ िे्आिश्यक सबूत के सार अनुलग्नक ए-5 िे् संलग्न सूची के अनुसार उनके दािो्की सूची की मनगरानी के मलए कोई िमरष्​्उप संभागीय िमजस्टट्े को तैनात करने के मलए पौडी मजले के मजलामधकारी को आिश्यक मनद्श ्े जारी करे. दािे आिंम्तत करने की घोषणा मजलामधकारी काय्ाल थ य, श्​्ीनगर नगरपामलका काय्ाल थ य एिं उत्र् ाखंड राज्य के िेबसाइट िे् एक नोमटस प्क ् ामशत करके की जायेगी. प्​्ामधकरण ने अपने 42 पन्नो्के आदेश िे्साि मलखा है मक जीिीके कंपनी ने लगातार पय्ािथ रणीय शत्​्ो् का उल्लघं न मकया मजसके कारण बाढ िे् बांध तबाही का कारण बने. प्​्ामधकरण ने बांध कंपनी की इन दलीलो् को िानने से इंकार मकया मक यह क्त्े ्बाढ प्भ् ामित क्त्े ् िे् आता है, यह ईश्र् ीय कारणो् से हुआ. जामहर है मक कंपनी की तिाि दलीले्एनजीटी के सािने काि नही्आयी्. िैसला आने के बाद लोगो्ने िांग की है मक िुआिजा मितरण िे्मकसी तरह का भ्ष ् ्ाचार न हो. सार ही सरकार कंपनी पर आपरामधक काय्िथ ाही की प्म्​्कया शुर्करे और उसे जानबूझ कर की गयी लापरिामहयो् के मलये दंमडत करे तामक दूसरी कंपमनयां भमिष्य िे् पय्ािथ रण से n छेडछाड नही्करे.्


ददल्ली

एक जश्ि और कुछ सवाल

जेएनयू छात्​्संघ चुनाव मे्भले ही वाम िेमे को जीत समल गयी है लेसकन बापसा ने उसे जो चुनौती पेश की है. उसमे्सनसहत संदेशो्को सुना जाना असनवाय्ष है. िमर अनाय़ा

स मसतंबर 2016 की शाि ढलते-ढलते जिाहरलाल नेहर्मिश्म्िद्​्ालय िे्लाल झंडा लहरा चुका रा. छात्​्संघ चुनाि िे् सभी बड्े पदो् पर िाि खेिे का कल्जा हो गया रा. अमखल भारतीय मिद्​्ार्​्ी पमरषद को बुरी तरह िुंह की खानी पड्ी री. जीत के जश्न के बीच बीते कुछ सिय की घटनाये्देखे्तो यह सिाल उठता है मक सिा अरब की आबादी िाले इस िुल्क िे्8,000 मिद्​्ाम्रथयो्िाला जेएनयू कुछ लोगो् को इस कदर चुभता क्यो् है? शायद इसमलए मक इसिे् इंसाि के मलए मकसी भी ताकत से लड्जाने का जज्बा है. उच्​्मशक्​्ा िे् आरक्​्ण लागू होने के दशको् पहले जेएनयू ने प्​्गमतशील प्​्िेश नीमत लागू कर दूरदराज से आने िाले इन बच्​्ो्को अमतमरक्त अंक देने की परंपरा शुर् की री. छात्​् संघ के नेतृत्ि िे् संघष्थ कर जे्डर से्मसटाइजेशन अगे्स्ट सेक्सुअल हैरेसिे्ट बनिाने िाला जेएनयू है. ऐसे िे् अकारण नही् मक देश के सुदूर इलाको् िे् जनता के बीच काि कर रहे मजतने सािामजक काय्थकत्ाथ जेएनयू ने मदये उतने

उससे हजार गुना अमधक संख्या िाले संस्रान भी शायद नही्दे सके. जेएनयू पमरसर िे्संघ-भाजपा की राजनीमत को लेकर गुसस ् े का अनुिान इस बात से लगाया जा सकता है मक इस चुनाि िे् एबीिीपी की अध्यक्​् पद की दािेदार को भी कहना पड्ा रा मक उनका भाजपा से कोई मरश्ता नही्है और िह उनकी बेिक़ूम्ियो्पर जिाब नही्देग् ी! लेमकन इस बार िाि खेिे िे् डर न सही, मचंता बहुत साफ्री. मिभामजत िाि के चलते मपछले चुनािो् िे्दशको्बाद एबीिीपी सेट् ल ् पैनल िे्जीती री. िही् िीमडया ट्​्ायल के बाद आये हज्ारो् नये छात्​्ो्के सार पूरा सिय भी नही्मिला रा. इन सबसे ऊपर रा बहुजनिादी राजनीमत के सार मबरसा अंबेडकर िुले स्टूडे्ट्स एसोमसएशन (बापसा) का उदय, जो अब तक के सारे िाि सिीकरणो्को मबगाड्सकता रा. िुद्ा आधामरत संगठन यहां आते रहते है्. 2006 िे्आया यूर िॉर इक्िमै लटी (िाईएिई) इसका उदाहरण है. उसने भी िािपंरी खेिे के चेहरे पर मचंता की लकीरे् पैदा की री्. लेमकन उनिे् और बापसा िे् एक बुमनयादी िक्फ रा. बापसा िािपंर की अपनी ज्िीन पर खड्ी है. बराबरी और सािामजक न्याय. इसके मलए िािपंरी खेिे की गड्बमडय़ां भी मजम्िेदार है्. बड्ी कम्युमनस्ट पाम्टियो् के नेतृत्ि िे् दमलत बहुजन सिुदायो् की अनुपब्सरमत साफ् मदखती है. िंडल के बाद की भारतीय राजनीमत िे्बहुजन और दमलत अब्सिता के उभार के बािजूद ऐसी छमि आत्िहत्या का प्य् ास करने जैसी ही री और िही हुआ भी. एक तरफ् बहुजन अब्सिता की लड्ाई के नाि पर िुलायि मसंह यादि, लालू जेएनयू मे् वामपंर का जीत: आगे और चुनौवतयां

यादि से लेकर दमलत अब्सिता के सार बहन िायािती जैसे नेताओ्का उभार और दूसरी तरफ् महंदी पट्​्ी िे् िािपंरी धिक िाले इलाक़्ो् का मसिटता जाना. सािामजक न्याय की लड्ाई मकसी िायने िे्सांपद् ामयकता की लड्ाई से छोटी नही् री. लालू यादि ने यह बात पहचानी और िुबस् लि-यादि गठजोड्बना दोनो्लड्ाइयो्को सार लड्सकने, या कि से कि ऐसा भ्ि् बनाये रखने का, उदाहरण मदया. िािपंर ऐसा नही्कर सका और अप्​्ासंमगक होता गया. इन चुनािो् के ठीक पहले हाल के दौर िे् सबसे िज्बतू िािपंरी संगठन आइसा के एक राष्​्ीय नेता और जेएनयू के ही छात्​् पर बलात्कार का आरोप लगना बहुत बड्ा झटका रा. आइसा के आरोपी पर तुरतं कार्िथ ाई करने के बािजूद एबीिीपी से लेकर िीमडया तक इस घटना को ले उड्े रे और इसे जेएनयू का िूल चमरत्​्सामबत करने िे्जुट गये रे. ऐसे हिले के बीच िाि एकता के नाि पर िह आइसा और एसएफ्आई सार आ गये जो िािपंरी ज्िीन पर मसि्फअपनी दािेदारी के मलए अब तक एक दूसरे के सबसे बड्ेदुशि् न रे. एआईएसएफ् और डीएसएफ् जैसे दो िािपंरी संगठनो् को छोड् कर ही सही उनका सार आना इस चुनाि के पमरणाि को तय करना ही रा. इससे नाराज्डीएसएफ्ने संयकु त् समचि पद पर चुनाि लड्ा और तिाि दुष्प्चार के बािजूद दूसरे स्रान पर रहा. यह िाि खेिे के मलए दूसरी सबसे बेहतर ख्बर और इस बात का सबूत िानी जा सकती है मक जेएनयू िे्अब भी िुखय् बहस िाि-जनिादी-सािामजक न्याय खेिे के भीतर ही है. बापसा की अध्यक्​्पद पर दूसरे स्रान पर रहने सिेत तिाि पदो्पर शानदार पदश्नथ िाि खेिे के मलए एक चेतािनी है भी है और सबक लेने का िौका भी. बापसा के उभार ने उसके भीतर की मदक्त् ो्को सािने रख मदया है. अब अगर उन्हो्ने सािामजक न्याय, अब्सिता और उनसे जुड्ेप्म्तमनमधत्ि के सिालो्पर र्ख साफ् और बेहतर न मकया तो यह ठीक िैसे अंत की शुर्आत भी हो सकती है जो उन्हो्ने दमलतबहुजनिादी राजनीमत के उभार के सार महंदी पट्​्ी िे्झेला है. डॉक्टर लोमहया की बात याद करे्तो मजंदा क़्ौिे्पांच साल इंतज्ार नही्करती्यहां तो क्​्ामं त तक की गुज्ामरश है. बापसा ने िाि से हि नही् तो एबीिीपी आ जायेगी िाला ब्ह् ि् ास्​् भी छीन मलया है. बापसा िाि का दुश्िन नही् स्िाभामिक सहयोगी है. n शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 19


उत्​्र प्​्देश

चरखारी का जय सागर: लौट आयी रौनक

सूखा, बाढ् और तालाब बुंदेलिंड मे्चाहे सूिा हो या बाढ्, हर संकर का हल तालाबो्की िुदाई मे्ही सनसहत है. ये तालाब जल प्​्बंधन का असनवाय्षसहस्सा है्. तालाबो्के पुनर्द्ार ने अब एक नयी उम्मीद जगायी है.

मीनाक़​़ी अरोड़ा/केिर

बुं

देलखंड िे् जलसंकट नया नही् है. हजार साल पहले से बुदं ल े खंड का सिाज सूखे से मनपटने की कोमशश करता रहा है. तब राजाओ् ने पानी के संकट से मनपटने के मलए बड्-े बड्े तालाब बनाये रे. जल संकट से मनजात के मलए बुदं ल े खंड िे्आठिी्शताल्दी के चंदल े राजाओ् से लेकर 16िी्शताल्दी के बुदं ल े ा राजाओ्तक ने खूब तालाब बनाये. चंदल े राजकाल से बुदं ल े ा राज तक 4000 से ज्यादा बड्े तालाब बनाये गये. सिाज भी पीछे नही् रहा. बुंदेलखंड के लगभग हर गांि िे्औसतन 3-5 तालाब सिाज के बनाये हुए है्. पूरे बुंदेलखंड िे् 50000 से 20 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

ज्यादा तालाब है्. चंदेल-बुंदेला राजाओ् और गौड् राजाओ् के सार ही सिाज के बनाये तालाब ही यहां की जीिनरेखा रहे है.् ज्यादातर बड्ेतालाबो्की उम्​्400-1000 साल हो चुकी है. पर अब ये तालाब हिारी उपेक्ा और बदनीयती के मशकार है.् िहोबा के इमतहास पर मकताब मलखने िाले बुजुग्थसिाजसेिी िासुदेि चौरमसया पुराने मदनो् को याद करते है्, ‘पहले पानी की किी होने पर लोग कुआं खोदते रे. यह पानी के उमचत इस्​्ेिाल और मिर से मरचाज्थ करने के मनयि पर काि करता रा. लेमकन अब झट से एक है्डपंप लगा मदया जाता है.’ िमरष्​् पत्​्कार रेयाज उल हक मलखते है्‘अकेले िहोबा शहर िे् ही िासुदेि चौरमसया की बात को सही ठहराने के अनेक उदाहरण मिल जाएंगे. अनेक कुएं है्जो पहले पानी के अच्छे स्​्ोत हुआ करते रे, लेमकन अब उनके पास है्ड पंप लगा मदये जाने के कारण िे सूख गये है्. िहोबा शहर को िदन सागर जैसे तालाबो्के अलािा िदनौ और सदनौ दो कुओ्से पानी मिला करता रा. िदनौ कुआं अब ढक मदया गया है और सदनौ कुएं पर अमतक्​्िण करके घर बना मलया गया है.’ ट्​्ूबिेल तकनीक को सूखा प्​्बन्धन के मलये सरल-सहज नुस्खा िान मलया गया. यह

काि पूरे देश के सार-सार बुंदेलखंड िे् भी हुआ, तालाब पुरानी सिझ का िािला हो गया, ट्​्ूबिेल तकनीक नयी और आधुमनक. िानि श्​्ि से खुदने िाले कुओ्की गहराई सािान्यतः 40 से 150 िीट तक ही रही है. क्यो्मक 150 िीट के बाद िानि श्​्ि से खोदना िुब्शकल है. 1960-70 के दशक से बहुत तेजी से बुदं ल े खंड िे् ट्​्ूबिेल लगाये गये. पर 20िी् शताल्दी के बाद ट्​्ूबिेल तकनीक आ जाने से 2000 से 3000 िीट तक खोदना संभि हो गया. चूंमक ट्​्ूबिेल तकनीक श्​्ि आधामरत न होकर िशीन आधामरत री, मजसकी िजह से यह िहंगी री और साि्थजमनक संपम्​्तयो् के िामलकाना हक िे् पमरित्थन को िजबूर करती री. ट्​्ूबिेल या तो सरकारे् खुदिाती है्, या मिर संपन्न तबका. मजससे आि लोगो्के हार से पानी दूर होता गया. गहरे ट्​्ूबिेलो्ने कुओ् और तालाबो् का पानी पी डाला. लोगो् को अंदाजा ही नही् रा मक सिाधान के नाि पर लायी गयी ट्​्ूबिेल तकनीक भारी जल संकट का कारण बन जायेगी. ट्​्ूबिेल-बोरिेल बढ्ते गये और शैलोिेल (कुएँ), स्टेपिेल (बािड्ी), सूखते गये. पानी के अमनयंम्तत दोहन ने 40 से 150 िीट तक के कुएं को सूखा ही डाला है. बुन्देलखंड के ज्यादातर गांिो् के


कुओ् िे् 20-20 साल से पानी नही् आया है. ट्​्ूबिेलो् ने पातालगंगा को सूखा ही डाला है, बुंदेलखंड के गांिो्िे्भूजल अब दुल्थभ चीज हो गयी है. 'से्टर िॉर पॉमलसी मरसच्थ' िे्जलिायु िुद्े के प्​्िुख निरोज दुबाश कहते है्, ‘जब पानी का स्​्र नीचे चला जाता है, तो सम्पम्​्त िािले िे् असिानता और बढ् जाती है.’ भूजल पर बढ्ती हुई मनभ्थरता धमनको्की सत्​्ा को िजबूत करती है. ग्​्ािीण इलाके िे् धमनक तबके की सत्​्ा को बनाये रखने िे् एक टूल्स की तरह काि करने लगती है्. िजेदार बात यह है मक अभी भी कुछ लोग ट्​्ूबिेल तकनीक की िकालत करते मिल जाये्गे. मिसंगमत ही है मक अभी भी बुंदेलखंड िे्ट्​्ूबिेल और है्डपंप पर बजट आिंटन और ध्यान ज्यादा है, तालाबो्के मलए कि. ट्ब्ू िेल और हैड ् पंप पर खच्ाथ बढ्ता ही जा रहा है, और एक दो साल के ही अंदर 50 िीसदी से ज्यादा ट्​्ूबिेल औप है्डपंप सूख जाते है्. जलस्​्र मगर जाने से ट्​्ूबिेल औप है्डपंप जब सूख जाते है्, तो और गहरे खोदने की तैयारी शुर्हो जाती है. कोई भी इस बब्ाथदी पर सिाल नही्उठाता. अपना तालाब अमभयान के संयोजक पुष्पेन्द् भाई कहते है् मक कठोर चट्​्ानो्िाली भूगभ्थकी धरती िाले बुंदेलखंड िे् भूजल की होड्पैसे के मलए ज्यादा है, पानी के मलए कि. होना तो यह चामहये मक मकसी भी ट्​्ूबिेल खोदने िाले को एक तालाब बनिाना अमनिाय्थकर देना चामहये. मिटते हुए तालाब, सूखते कुंए और िरती नमदयां बुंदेलखंड िे्सूखे के कारण है्. कि या

गव्मथयां मे् सूखा जय सागर: खुदाई का काम ज्यादा बामरश को दोष देना बहानेबाजी है. कुदरत के खाते से कभी कि तो कभी ज्यादा बामरश तो होती ही है. पर बामरश से ज्यादा पानी का प्​्बंधन मजम्िेदार है. प्​्बंधन के बजाय उपेक्ा, लापरिाही और कल्जदे ारी ने तालाबो्के संकट को बहुत ज्यादा बढ्ा मदया है. टीकिगढ्, छतरपुर, िहोबा िे् मिशालकाय तालाब, प्​्ायः मजनको स्रानीय सिाज सागर की संज्ा देता है की दुद्थशा मकसी से छुपी नही्है. बुंदेलखंड िे् भूजल पर मनभ्थरता स्रायी सिाधान नही्है. क्यो्मक बुंदेलखंड के भूगभ्थिे् ग्​्ेनाइट जैसी कठोर चट्​्ानो् की िोटी परत है. ट्​्ूबिेल या है्डपंप से लगातार पानी िुब्शकल होता है और ग्न्े ाइट चट्​्ानो्िाले भूगभ्थिे्भूजल को बढ्ाना दुष्कर ही है. ऐसे िे् तालाब ही सिाधान है्. सूखा, सूखे से िसलो् का सूख जाना, भूखिरी ि आत्िहत्याओ्का मसलमसला और पलायन लाइलाज बीिारी बनती चली जा रही है गत चार िई को झांसी पहुंची िाटर एक्सप्​्ेस ने बुंदेलखंड का िहौल गरिा मदया. यह िाटर एक्सप्स ्े नौ िई की शाि प्यास बुझाये मबना ही चली गयी. हिीरपुर-िहोबा के भाजपा सांसद पुष्पेन्द्कुिार ने बताया मक उनकी िांग पर रेल िंत्ालय ने पानी िाली ट्​्ेन भेजी है. भाजपा सांसद की िांग पर आयी हुई ट्​्ेन को उत्​्र प्​्देश सरकार के जल संसाधन िंत्ी मशिपाल मसंह यादि ने और तत्कालीन िुख्य समचि आलोक रंजन ने मनरर्क थ किायद करार दी. आलोक रंजन ने कहा, ‘पानी की ऐसी मदक्​्त नही् है मक हिे् बाहर से रेल से पानी

िंगिाना पड्े. हिने पानी के मलये प्​्बंध मकये है्.’ िुख्यिंत्ी अमखलेश यादि ने ट्िीट करके जल प्​्बंधन के निूने पेश मकये. चरखारी के पानी से लबालब तालाबो्की िोटो (कोई पुरानी िोटो) अपने ब्टिटर है्डल पर शेयर मकये. इसके जिाब िे्बहुत सारे लोगो्ने सूखे तालाबो् की िोटो किे्ट्स िे् शेयर मकये. जो सरकारी दािो्को झुठला रहे रे. पमरणािस्िर्प सरकार ने आनन-िानन िे् सिाजिादी जलसंचय योजना की घोषणा की और बुंदेलखंड के चयमनत 100 तालाबो्के पुनज्​्ीिन के काि को तत्काल प्​्भाि से शुर्कर मदया. तत्कालीन मसंचाई िंत्ी मशिपाल यादि ने युि्स्र पर करने के मनद्​्ेश मदये. 20 मदन के अन्दर 100 तालाब खोदे जाने का लक्​्य तय मकया गया. तालाबो्की खुदाई से 60 मिमलयन क्यूमबक िीटर की अमतमरक्त भण्डारण क्​्िता बढ्ाने का अनुिान मकया गया. इतने बड्े भण्डारण के मलये एक बड्े बाँध की जर्रत पड्ती है, मजसका बजट अनुिानतः 700 करोड् तक हो जाता है. मबना टे्डर, आधे-अधूरे डीपीआर के आधार पर ही तालाबो् की खुदाई का काि शुर्कर मदया गया. लोगो्का आरोप रा मक ज्यादातर ठेकेदार इटािा से रे, मजनके ऊपर प्​्शासमनक अमधकामरयो् का भी कोई मनयंतण ् नही्रा. चरखारी िे्लगातार िुखय् िंत्ी के दौरो् की िजह से तालाबो् का पुनज्​्ीिन तो ठीक से हुआ, पर दूसरे अन्य गांिो्िे्पुनज्​्ीिन के नाि पर रोड्ी बहुत ही खुदाई की गयी. तालाबो्के पालो्की िजबूती बम्ढया नही्हुई है. िेस्टमियर बहुत ही कि गहराई के बनाये गये है् मजससे मक पाल पर पानी का जोर ना आये और पाल सुरम्​्कत रह सके, लेमकन पानी बहुत कि गहराई तक भर रहा है. इन सब के बािजूद अकेले िहोबा िे् ही करीब 50 से ज्यादा तालाबो्का पुनर्ि्ार हुआ है. चरखारी के सभी तालाबो् की खुदाई और सौन्दय्थका काि मरकाड्थअिमध िे्और दुर्स् हुए. चरखारी के मजन तालाबो्पर काि हुआ िे है्- जयसागर, कोठीताल, बंमसयाताल, िलखान तालाब, रपट तलैया, गुिान मबहारी तालाब, गोलाघाट तालाब और रतन तालाब. चरखारी के तालाबो् के पुनर्ि्ार के बाद एक काय्थक्ि िे् अमखलेश यादि ने कहा मक सिाजिादी सरकार संकट के इस घड्ी िे् बुंदेलखंड के लोगो् के सार है. गांि के लोग सरकार के इस कदि की िाहिाही कर रहे है्. केन्द् की सरकार की जलसंसाधन िंत्ी उिा भारती ने भी चंदेलकालीन तालाबो्के पुनुर्ि्ार का संकल्प जताया, पर देर हो चुकी री. चुनािी साल िे् सिाजिादी जलसंचय योजना के िकसद पर भी सिाल पर भी कुछ लोग सिाल n उठा रहे है्. शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 21


उत्​्र प्​्देश

आस्​्ेवनक से छलनी हुए हार: इलाज का इंतजार

मौत बांटता आस्​्ेवनक

उत्​्र प्​्देश के बसलया समेत कई सजलो्मे्आस्​्ेसनक का प्​्कोप कोई घरना नही्है, लेसकन अब हालात बदतर होते जा रहे है् और स्वास्थ्य सेवाओ्की ओर प्​्शासन का जरा भी ध्यान नही् है. िुनीता िाही

ठारह िष्थ के देि कुिार चौबे मपछले पांच साल से हर रोज मकसी न मकसी डॉक्टर के पास जा रहे है्. पूि्ी उत्​्र प्​्देश के बमलया मजले के हमरहरपुर गांि के रहने िाले देि कुिार के पूरे बदन पर गहर धल्बे हो गये है्. स्रानीय मचमकत्सको्ने पहले िािूली त्िचा रोग का इलाज मकया लेमकन ये धल्बे बढ्ते ही गये. इन धल्बो् के आसपास असहनीय दद्थ भी होता है. 22 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

िष्थ2013 िे्जाधिपुर मिश्​्मिद्​्ालय के पय्ाथिरण अध्ययन मिभाग के पूि्थमनदेशक डॉ. दीपांकर चक्​्ित्​्ी और कोलकाता के इंस्टीट्​्ूट ऑि पोस्ट ग्​्ेजुएट िेमडकल एज्युकेशन एंड मरसच्थ के त्िचा रोग मिभाग के पूि्थ प्​्िुख प्​्ोिेसर आर एन दत्​्ा ने इस गांि का दौरा मकया रा और देि की दादी र्पकली देिी से कहा रा उनके नाती को आस्​्ेमनक से दूमषत भूजल के प्​्योग के कारण केराटोमसस हो गया है. उन्हो्ने पाया मक गांि के अमधकांश लोग इस बीिारी से जूझ रहे है्. र्पकली ने इस संिाददाता से कहा मक उनके पमरिार के 28 सदस्यो्िे्से 21 को यह बीिारी है. उन्हो्ने कहा मक उनके पास पीने के पानी का कोई दूसरा जमरया नही्है. डॉ. दत्​्ा ने कहा, 'हि िष्थ2003 से इस पर शोध कर रहे है्. इस क्​्ेत्िे्भूजल के लगातार प्​्योग से यह बीिारी िैली है और यह आगे चलकर कैस ् र का र्प ले लेती है. दुख की बात यह है मक इन गांि​िामसयो्के मलए आशा की कोई मकरण नजर नही्आ रही है.' उन्हो्ने कहा मक िष्थ2003 से अब तक हमरहरपुर गांि के तीन दज्नथ से अमधक मनिासी त्िचा के कै्सर के चलते अपनी जान

गंिा चुके है्. और आने िाले मदनो् िे् यह आंकड्ा बहुत ज्यादा हो सकता है क्यो्मक भूजल िे् आस्​्ेमनक का संक्िण बढ्ता ही जा रहा है और सरकार इस ओर कोई ध्यान नही्दे रही है. शोधकत्ाथओ्का कहना है मक बमलया मजले की 2300 बम्​्सयो् िे् से करीब 900 ऐसी है् जहां के पानी िे्आस्​्ेमनक का स्​्र बहुत ज्यादा है. चक्​्ित्​्ी कहते है्, 'अब तक सरकार इस इलाके िे् पीने का साि पानी िुहैया कराने के नाि पर कई हजार करोड्र्पये की रामश खच्थ कर चुकी है लेमकन यह सिस्या मदन ब मदन बढ्ती जा रही है. इसकी िजह एक अलग मकस्ि का भ्​्ष्ाचार है.' दत्​्ा कहते है्, 'सन 2000 के दशक के आरंभ िे् िुझे लगा मक बमलया से बहुत बड्ी तादाद िे् लोग िेरे क्लीमनक िे् आ रहे है.् तब िै्ने सोचा मक इस बारे िे्कुछ शोध मकया जाए. िै् कह सकता हूं मक उस इलाके िे् गंगा के िैदानी भाग िे्हर जगह यह सिस्या है. बमलया िे् हालात अमधक खराब है् क्यो्मक िहां भूजल िे् आस्​्ेमनक का स्​्र बहुत ज्यादा है. खराब पोषण और लंबे सिय तक आस्​्ेमनक का संपक्फ इसकी िजह है.'


उत्​्र प्​्देश जल मनगि की एक मरपोट्थ कहती है, 'भूजल की ऊपरी सतह पर आस्​्ेमनक है. इसमलए हि जिीन से 60 िीटर तक गहरायी िे्है्डपंप लगा रहे है्. िहां आस्​्ेमनक का प्​्भाि नही् है. इसके अलािा बमलया मजले के कई गांिो् िे् कािी तादाद िे् आस्​्ेमनक मनिारण संयंत्भी लगाये गये है्. पाइप के जमरये पेयजल की आपूम्तथ भी की जा रही है.' हमरहरपुर के ही हरेराि यादि (60 िष्थ) के दामहने हार की बीच िाली अंगुली और दांये पैर िे् केराटोमसस के बाद अब कै्सर की शुर्आत हो चुकी है. िह कहते है्, 'सप्ताह िे् दो घंटे भी मबजली नही्रहती है. इसमलए हिे्हर रोज पाइप का पानी नही्मिल पाता है. सरकार ने कुछ िहीने पहले आस्म्ेनक फ्​्ी हैड ् पंप लगाए है् लेमकन िेरे डॉक्टर का कहना है मक अब इसिे् भी आस्​्ेमनक आ गया है क्यो्मक इसका मिल्टर कभी साि नही् मकया जाता है और जिीन से खूब पानी खी्चा जाता है.' आस्​्ेमनकोमसस चार चरणो् िे् कै्सर िे् तल्दील हो जाता है. ये चरण है्िेलनोमसस, केराटोमसस, बोिेन और आमखरकार कै्सर। डॉक्टरो् ने हरेराि से कहा मक उसकी बीिारी ऐसे स्​्र पर पहुंच गयी है मक अब िहां से िापसी संभि नही् है. उसके पास एकिात्​् मिकल्प यही है मक िह अपनी प्​्भामित अंगुली को कटिा ले और िौत से अपना बचाि करे. िैज्ामनको्काक हना है मक गंगा के कछार िाला इलाका महिालय से बहकर आने िाले अिसाद िे् कािी आस्​्ेमनक होता है और यह िैदानी इलाको् िे् जिा हो जाता है. गंगा जब अपना िाग्थबदलती है तो उन स्रानो्पर आबादी हो जाती है और उनको भूजल िे् आस्​्ेमनक मिलता है. देश िे् आस्​्ेमनक की िौजूदगी की पहली रपट सन 1976 िे् पंजाब और हमरयाणा से आयी री. इसके बाद सन 1984 िे् पम्​्ि​ि बंगाल िे्गंगा के मनचले िैदान िे्यह देखने को मिला. डॉ. चक्​्ित्​्ी और प्​्ोिेसर दत्​्ा सिेत

साव्थजवनक नल: प्​्दूवित जल

मिशेषज्​्ो् के दल ने बमलया के बेलहरी ल्लॉक की गंगापुर ग्​्ाि पंचायत के गांि चैन छपरा िे् अक्टूबर 2003 से अगस्​् 2005 तक सघन सि्​्ेक्ण मकया. चांपाकल के पानी, हार और नाखून आमद के निूने मलए गए और उनका मिश्लेषण मकया गया. आस्​्ेमनक के कुछ िरीजो् की भी जांच की गयी. उन्हो्ने बेलहरी िे् 2153 है्डपंप के निूने मलए और पाया मक उनिे्से 65 प्​्मतशत िे्10 पाट्थ पर मबमलयन (10 पीपीबी) से अमधक आस्​्ेमनक है. सरकार के िुतामबक 10 पीपीबी िान्य सीिा है. 32.20 प्​्मतशत ट्​्ूबिेल िे् आस्​्ेमनक का स्​्र 10 पीपीबी और 50 पीपीबी के बीच, 34 प्​्मतशत िे्50 पीपीबी से अमधक और 15 प्​्मतशत िे्300 पीपीबी से अमधक रा. लोगो् के बालो् और नाखूनो् िे् यह क्​्िश: 137-10,900 पीपीबी और 764-19,00

पीपीबी के बीच रा. उन्हो्ने यह भी पाया मक गंगापुर ग्​्ाि पंचायत िे् सभी 55 है्डपंप का पानी पीने लायक नही्रह गया है. चक्ि् त्​्ी कहते है,् 'तब से हर िष्थहि बमलया मजले के कई गांिो्िे्जाते है्. हि यह कह सकते है्मक हर बीतते मदन के सार सिस्या बढ्ती जा रही है.' बमलया मनिासी सािामजक काय्थकत्ाथ सौरभ मसंह एक दशक से अमधक िक्त से आस्​्ेमनक पर काि कर कर रहे है्. िह कहते है्, 'आस्​्ेमनकोमसस बमलया िे् िहज दो दशक से है. 1990 के दशक िे्गंगा ने तेजी से अपना रास्​्ा बदला और उसके तटित्​्ी इलाके िे्नई बम्​्सयां बसने लगी्. यहां का पानी आस्​्ेमनक से प्​्दूमषत रा. दुभ्ाथग्यिश स्रानीय मचमकत्सक इसके बारे िे्ज्यादा नही्जानते. िैन् े कई िािले ऐसे देखे है्मजसिे्िरीज को आस्​्ेमनकोमसस रा लेमकन मचमकत्सक टीबी या त्िचा रोग का इलाज करते रहे.' िह मनराश होकर कहते है्मक बंगाल के मिशेषज्​् बमलया के लोगो् को बचाने के मलए उत्सुक है् लेमकन के्द् और राज्य सरकारे्सो रही है्. सौरभ कहते है्, 'यहां उगाये जाने िाले अनाज और सब्लजयो् िे् भी आस्​्ेमनक है. िुझे लगता है यह एक मचमकत्सकीय आपदा है. बीते 10 साल िे् बमलया िे् शुद्घ पेयजल िुहैया कराने पर 1100 करोड्र्पये से अमधक की रामश खच्थ हो चुकी है. िै्ने सुना मक मपछले मदनो् 300 करोड् र्पये की रामश और िंजूर की गयी है. अमधकामरयो्को लगता है मक उनका काि कुछ हैड ् पंप, आस्म्ेनक खत्ि करने के संयंत्लगाने और कुछ कुंए खुदिाने से पूरा हो जाता है. िै्ने सेमिनारो्िे्कह मदया मक बीते दो दशक िे् बमलया िे् आस्​्ेमनकोमसस से 1,000 से अमधक लोग िारे गये है् तो िुझे धिमकयां मिल रही है्. हमरहरपुर के देि के शरीर पर पड्े धल्बे जल्दी ही कै्सर िे् बदल सकते है्लेमकन सरकार इस बारे िे्कुछ करना ही नही्चाहती.' n

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www.shukrawaar.com शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 23


हदरयाणा

फोटो: प्​्काश

जो क़्द हुए वबना क्सूर प़क ़ ाि

मरयाणा के जी्द मजले के सेशन कोट्थिे्जज अिरीत चामलया ने 28 जुलाई को राज्य के सात ‘दुदा्ता् अपरामधयो्’ को यह कहकर बरी कर मदया मक इन पर कोई िािला ही नही्बनता है. जज ने इस मटप्पणी करते हुए कहा मक यह केस झूठी मगरफ्तारी की ओर इशारा करता है. बरी मकये गये दमलत राजेश कापडो, गीता, सम्​्ाट, संजीि, कृशण ् ा, िेदपाल और देिदे् ् को पुमलस ने िाओिादी होने के आरोप िे्िई-जून 2009 िे् मगरफ्तार मकया रा और िाना रा मक अगर इन पर यूएपीए के तहत काय्िथ ाही नही्होती है तो सिाज िे्अपरामधयो्के सार मढलाई बरतने का संदश े जायेगा. िानिामधकार संगठन पीयूडीआर के िमरष्​् पदामधकारी आशीष गुपत् ा कहते है,् ‘2009 िे् िाओिाद के नाि पर करीब 50 से अमधक मगरफ्तामरयां हुई,् पर एक भी िािले िे् मकसी को सजा नही् हुई, सभी िािले िज्​्ी 24 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

मनकले. बेकसूर लोगो् को सालो् तक जेलो् िे् सडाया गया. कुछ तो इतने आहत हुए मक उन्हो्ने आत्िहत्या तक कर ली.’ एक बच्​्ेकी िां बन चुकी्गीता बताती है,् ‘िुझे जब 14 या 15 िई को पुमलस ने उठाया तो िुझे यिुनानगर और उत्र् प्द् श े के बॉड्रथ के मकसी िॉि्थहाउस पर ले जाया गया. सात मदन तक हिे्अिैध पुमलस महरासत िे्रखा गया. इधर अखबारो्िे्रोज छपता रा मक िाओिादी नेटिक्फ को पुमलस ने ध्िस्​्कर मदया है. संयोग अच्छा रा मक एक सरकारी स्कल ू मशम्​्कका सीिा की भी हिारी तरह अिैध मगरफ्तारी की गयी री और उसकी मजस मदन की मगरफ्तारी पुमलस ने मदखाई री उस रोज िह स्कल ू िे्री जहां उसके हस्​्ाक्र् रे. उसे छोडना पडा और हिे्भी एक सप्ताह बाद अदालत िे्पेश करना पडा. पुमलस ने जो टॉच्रथ मकया उसे याद कर आज भी रो्गटे खडे हो जाते है.्’ सरकार और पुमलस यूएपीए के तहत उन लोगो्पर िुकदिा दज्थकरती है जो देश मिरोधी गमतमिमधयो्िे्शामिल होते है्और महंसा के मलए

संजीव, कृष्णा और सहीराम: दवलत और बेकसूर

सबना अपराध देश के सबसे संगीन आपरासधक कानून यूएपीए के तहत सात दसलत युवाओ्को तीन साल जेलो्मे्बंद रिा गया. अब वे बरी हो चुके है् लेसकन उनके गुजरे वत्त की भरपाई कौन करेगा? सािूमहक तौर पर सिाज को उकसाते है.् सबसे बडी बात यह मक देश के मलए िह सबसे बडा खतरा होते है.् इन्ही्खतरो्िे्से एक रा िांडी गांि का देिदे् ,् मजसने जिानत मिलने के तीन मदन बाद ही आत्िहत्या कर ली. 14 िई 2009 को पुमलस ने उसको गांि से उठाया और 18 िई को उसकी शादी री. उसके सारी राजेश कापडो कहते है,् ‘हिने देिदे् ्को छोडने के मलए एसपी से बहुत मिन्नत की. कहा उसकी शादी टूट जायेगी, घर बब्ादथ हो जायेगा. पर एसपी ने हिारी एक न सुनी. आमखरकार शादी टूट गयी. तीन िहीने बाद देिदे् ् जिानत पर छूटा, और तीन मदन बाद उसने आत्िहत्या कर ली.’ िई और जून 2009 िे्जो 50 मगरफ्तामरयां हुई्उनिे्एक संजीि भी है.् 28 साल के संजीि कैरल मजले के बालू गांि के रहने िाले है.् बालू हमरयाणा के सबसे बडी आबादी िाले गांिो्िे्से एक है, जहां करीब 12500 िोट है.् गांि िे्सबसे बडी आबादी जाटो् की है और दूसरे नंबर पर दमलत है,् मजस जामत से संजीि खुद आते है.्


संजीि बताते है,् ‘उस सिय िेरी उम्​्19 की री. िजदूरी िे्लगा रहता रा. आप अभी जो हिारे घर की िाली हालत अपनी आंखो्से देख पा रहे है,् पहले उससे भी बुरी री. हि तीनो्भाई बहन छोटे रे. िां, बाबू, िै,् िेरा छोटा भाई और बहन सभी काि पर जाते. खुद की एक इंच जिीन नही्है. यहां मकसानो् को जिी्दार कहते है,् हि उनके खेतो्िे्िजदूरी करते रे. हिारे पास तो जिीन के नाि पर यह घर ही है, जहां आप बैठे है.् कुल 60 गज का. मिर उसी बीच हिने गांि िे्‘एकता शब्कत’ का नाि सुना. ‘एकता शब्कत’ के लोग संगमठत होने पर जोर देते और जिी्दारो्द्​्ारा हि िजदूर पमरिारो्पर मकये जाने िाले शोषण का मिरोध. हि गांि िालो् की मजंदगी िे् यह बात रौशनी के एक मचराग जैसी री. गांि के तिाि युिा इनसे जुडते गये. िै्भी उनकी एक िीमटंग िे् गया और उनसे जुड गया. जुडने के बाद पता चला मक संगठन का नाि एकता शब्कत’ नही् ‘क्​्ामं तकारी िजदूर मकसान यूमनयन’ है. पर लोग इसे लोकम्​्पय भाषा िे् एकता शब्कत इसमलए कहने लगे मक उनके जेहन िे् संगठन की एक बात अच्छे से उतर गयी मक एकता िे्ही शब्कत है. 14 िई 2009 को भी िै्अपने कुछ सामरयो् के सार जी्द मजले के नरिाणा तहसील के जील गांि िे् एक बैठक िे् रा. तभी पुमलस ने िुझ,े राजेश और िेदपाल को उठा मलया. मगरफ्तारी इतनी बडी री मक पत्क ् ारो्को पता चल गया और हिे्कोट्थिे्पेश करना पडा. कोट्थपुमलस से भी एक कदि आगे री. पुमलस ने 5 मदन की मरिांड िांगी तो जज ने छह मदन की मरिांड दे दी. पुमलस हिे्जी्द िे्मभिानी रोड पर बने पुमलस स्टश े न ले गयी.’ तीस साल कृषण ् ा की मगरफ्तारी के मलए पुमलस ने 14 िई 2009 को पहले उनके भाई धीरजा को उठा मलया. घर िाले कृषण ् ा को खुद ही पुमलस को सौ्प आये. बाद िे्पुमलस ने छोटे भाई को छोड् मदया. कृषण ् ा से पुमलस बार-बार पूछती मक छत्​्ीसगढ के जंगलो्िे्तुि कब गये, कौन नेता है तुमह् ारा, तुि सामरयो्का नाि बता दो नही् तो इनकाउंटर कर देग् .े इस दौरान लगातार यंतण ् ा दी जाती.’ कृषण ् ा याद कर कहते है,् ‘िानमसक प्त् ाडना के अलािा पुमलस तीन तरीके से शारीमरक टॉच्रथ करती रही. मसर पानी िे्डुबाकर पीठ पर चढना, पीछे हार बांध पीठ के बल मलटाकर पैर पर डंडो् से घंटो्-घंटो् िारना, पुमलस की म्​्पय टॉच्रथ तरकीब है. जांघो् पर एक िोटी मसमलंडर जैसी लकडी रख उस पर दोनो्ओर तीन-तीन पुमलस िाले खडे हो जाते और नीचे से तीन चार पुमलस िाले उसे आगे मखसकाते रे. यह सजा हिने कभी सुनी भी नही्री. पर जब बरदाश्त नही्होता रा तो कहते रे, बताते है,् बताते है.् िगर जब कुछ होता तब तो बताते. पुमलस िाले मिर िही शुर्

राजेश कापड्ो: झूठी वगरफ्तारी कर देते जब तक हि बेहोश न हो जाये.् हिलोग घंटो् बेहोश रहते.’ कृषण ् ा अब गांि िे् ही एक मरटायड्थ मशक्क ् के यहां 7500 र्पये िे् घरेलू नौकर का काि करते है.् कैरल मजला न्यायालय िे्प्ब्ैक् टस कर रहे िकील राजेश कापडो कहते है्‘उस मदन कैरल के न्यामयक दंडामधकारी प्श ् ांत राणा कोट्र थ ि् िे् नही् आये. कटघरे िे् खडे हो कोट्र थ ि् िे् हि उनके आने का इंतजार करते रहे. पर उन्हो्ने सजा सुनाने के मलए मकसी अद्ल थ ी को भेज मदया मजसने पढकर हिे्सजा सुना दी.’ कापड्ो को भी तीन सामरयो्के सार तीन साल की सजा सुनाई गयी. आरोप रा मक उन्हो्ने प्द् श्नथ के दौरान टायर जलाये है.् कृषण ् ा कहते है,् ‘जज ने मचढकर हिे् इन आरोपो् िे् दी जा सकने िाली अमधकति सजा और जुिा्नथ ा मकया.’ संजीि बताते है् मक जाट आंदोलन के दौरान करीब 50 हजार करोड संजीव का घर: सरकारी योजना के तहत

का नुकसान हुआ, पर मकसी एक को सजा नही् हुई पर हि दमलतो् ने हमरयाणा के इमतहास िे् पहली बार टायर जलाने की सजा तीन साल भुगती. राजेश कहते है,् ‘आज िै् िकील हूं और सिझ सकता हूं मक अदालतो् िे् कानून का िखौल मकस तरह उडाया जाता है. 2011 के जून की कोई तारीख री जब जज प्श ् ांत राणा ने हिारी िाइल देखते हुए कहा रा, तुि लोगो् पर जो आरोप है्उतनी सजा तुिलोग सजा मिले मबना ही काट चुके हो. अगर गुनाह कबूल कर लो तो अभी के अभी िै्िािला खत्ि कर दूगं ा. पर हि सबने जज से कहा, सजा हिे्क्यो्उन पुमलस िालो्को दीमजये मजन्हो्ने हिे्गैरकानूनी तरीके से महरासत िे् रखा, तीन मदन बाद कोट्थिे् पेश मकया और मबना जुिथ्िुकदिा दायर मकया. क्या दमलतो्का इकट्​्ा होना, िजदूरी का पूरा िोल िांगना, अपने हक िे् आंदोलन करना, छेडखानी के मखलाि डटकर खडा होना, बराबरी से पेश आने के मलए जिी्दारो्को िजबूर करना कोई गुनाह है. नही् न. और हिने यही मकया है. हिने कोई टायर नही् जलाये और न ही सरकारी संपम्​्त का नुकसान मकया. मिर जज ने पूछा, कबूल करते हो या नही्. हिने कहा, नही्. हि बहस करेग् .े जज ने सजा दे दी. हमरयाणा की प्ि् ख ु िमहला अमधकार काय्क थ त्ाथ जगिमत सांगिान के अनुसार दमलतो् और जाटो्के बीच लगातार टकराहट बढ रही है. दमलतो् पढी-मलखी पीढी अब सम्िान के सार अपनी रोटी िांग रही है जबमक जिी्दारो्का बडा महस्सा उसके सार िैसा ही व्यिहार कर रहा है जैसा समदयो्से कराता आया है. झज्र् , महसार से लेकर दमलत उत्पीडन की सभी घटनाओ् िे् आपको यही देखने को मिलेगा. जामत िुबक् त आंदोलन के नेता जय प्क ् ाश नरेला िानते है,् ‘जबतक दमलतो् का जिीन पर अमधकार नही् होगा तबतक हमरयाणा िे्दमलत जाटो्के सािने नही्खडा हो सकेग् .े मजन जामतयो्का यहां जिीन पर िामलकाना है िह दमलतो् का कभी भी बमहश्कार कर देती है्और दमलत उनके सािने हार िान लेता है.’ गौरतलब है मक जब भी दमलत िजदूरी बढाने, उत्पीडन रोकने या िमहला छेडखानी के मखलाि जाटो्के सािने िुकाबले िे्खडे होते है् तो उनका बमहष्कार मकया जाता है. इसका ितलब होता है मक सडक के अलािा दमलतो्के हर जगह आने-जाने पर पाबंदी लग जाती है. चूमं क खेत, नलकूप, बटाईदारी सबकुछ जाटो् का है, ऐसे िे् दमलतो् को कई बार गांि छोडकर भी भागना पडता है. सरकारी अनुिान के िुतामबक मजन राज्यो् िे् सबसे ज्यादा दमलत गांिो् से पलायन कर रहे है,् उनिे्हमरयाणा उपर की सूची n िे्है. शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 25


मध् मास्यटप्हे्दडेश

और अब डमशन 'पीके'

प्​्शांत वकशोर: मध्य प्​्देश का मोच्ाथ

अर्ण यादव: कांग्ेस के अव्​्सत्व की वचंता

प्​्शांत सकशोर उत्​्र प्​्देश के बाद मध्य प्​्देश मे्भी कांग्ेस की चुनावी कमान संभाल सकते है्. ऐसे संकेत समलने शुर्भी हो चुके है्. पूजा सिंह

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ध्य प्​्देश िे् मिधानसभा चुनाि िष्थ 2018 िे् होने है् लेमकन खबर है मक प्​्शांत मकशोर की टीि ने प्​्देश की राजनीमत की राह लेनी शुर् कर दी है तामक मिशन 2018 की रणनीमत तैयार की जा सके. उत्​्र 26 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

प्​्देश मिधानसभा चुनाि िे् कांग्ेस के सार काि कर रहे प्​्शांत मकशोर की टीि ने उत्​्र प्​्देश के बुंदेलखंड इलाके के सि्​्ेक्ण के दौरान िध्य प्​्देश के सीिाित्​्ी इलाके का भी सि्​्ेक्ण मकया. िध्य प्​्देश िे् कांग्ेस की हालत मपछले तीन मिधानसभा चुनािो्से खस्​्ा है. झाबुआरतलाि लोकसभा सीट पर जीत हामसल करने और स्रानीय मनकाय चुनािो् िे् भाजपा को मशकस्​्देने के बािजूद कांग्ेस प्​्देश िे्अगर िजबूत नही्हो पा रही है तो इसके मलए आपसी खी्चतान और गुटबाजी को भी मजम्िेदार िाना जा रहा है. प्​्शांत मकशोर ने मजस तरह पहले के्द् िे् िोदी और मबहार िे् नीतीश कुिार की िदद की उसे देखते हुए पाट्​्ी उत्​्र प्​्देश चुनाि िे् उनकी िदद लेने का िैसला मकया.

यह गठजोड् अब िध्य प्​्देश चुनािो् िे् भी काि कर सकता है. खबर यह भी है मक प्​्शांत मकशोर प्​्देश कांग्ेस अध्यक्​् अर्ण यादि से दो-तीन िुलाकाते् कर चुके है्. इस बीच स्रानीय नेताओ् से बातचीत करके संगठन िे् गुपचुप पमरित्थन का दौर भी जारी है. सूत्ो्के िुतामबक प्​्शांत मकशोर को प्​्देश की 230 सीटो् की सािामजक, आम्रथक और राजनीमतक पृष्भूमि के बारे िे्पूरी जानकारी उपलल्ध करा दी गयी है. प्​्शांत मकशोर की रणनीमत प्​्देश को सात क्​्ेत्ो् िे् बांटकर अमधकामधक सीटो् पर ध्यान देने की है. ये क्​्ेत् है् िहाकोशल, मिंध्य, बुंदेलखंड, िध्य, िालिा-मनिाड्, ग्िामलयरचंबल. िध्य प्​्देश िे् कांग्ेस बीते 13 सालो् से


सत्​्ा से दूर है. तिाि घोटालो् और मि​िादो् के बािजूद भाजपा लगातार िजबूत होती जा रही है तो इसकी एक िजह कांग्ेस का अंतक्फलह भी है. प्​्देश िे् किलनार, ज्योमतरामदत्य मसंमधया, मदब्गिजय मसंह जैसे नेताओ्का अपना अलग िजूद है. िोटे तौर पर प्​्देश की राजनीमत के दो ध्​्ुि है् मदब्गिजय मसंह और ज्योमतरामदत्य मसंमधया. दोनो् के सिर्थक अपने-अपने नेता के पक्​्िे्दलीले्मलए हरदि तैयार मदखते है्. हालांमक व्यापि घोटाले के िक्त कांग्ेस के नेता एक सार अिश्य नजर आये रे लेमकन यह एका जिीन पर मकस तरह उतरेगा यह कह पाना िुब्शकल है. मिधानसभा चुनाि भले ही दूर है् लेमकन कांग्ेस िे् िुख्यिंत्ी पद की उम्िीदिारी को लेकर नाि मगनने का दौर शुर् हो गया है. ज्योमतरामदत्य मसंमधया और मदब्गिजय मसंह के अलािा किलनार और अर्ण यादि का नाि भी इस सूची िे् शामिल है. कांग्ेस िे् ज्योमतरामदत्य मसंमधया को प्​्देश िे्बड्ी भूमिका मिलनी इसमलए िुब्शकल बतायी जा रही है क्यो्मक िह राहुल गांधी के सार काि करते है्. उन्हे् प्​्देश िे् सीमित करने से उस िोच्​्े पर नुकसान होगा. कांग्ेस नेता यह दािा जर्र करते है् मक 2018 िे् उनकी पाट्​्ी सत्​्ा िे् आयेगी लेमकन यह कमरश्िा कैसे होगा यह कोई नही्बता पा रहा. िमरष्​् पत्​्कार सुचे्द् मिश्​् कहते है् मक किलनार कद्​्ािर नेता है् लेमकन उनका प्​्भाि िहाकौशल क्​्ेत् तक सीमित है. उन्हो्ने अपनी तरि से कभी पूरे प्​्देश का नेता बनने

का प्​्यास भी नही् मकया. ऐसे िे् कांग्ेस मशिराज के मतमलस्ि को कैसे तोड्पायेगी यह सोचने िाली बात है. मिश्​्यह भी कहते है्मक प्​्देश िे्कांग्ेस एक दो नही्बब्लक सात-आठ गुटो् िे् बंटी हुई है. ऐसे पीके भी कोई कमरश्िा कर पाये्गे ऐसा लगता नही्है. गुटबाजी को रोकने के मलए सभी बड्े नेताओ्को सार लाने की बात हो रही है. मिंध्य प्​्देश की जातीय राजनीमत िे् तगड्ी पकड् रखने िाले 90 िष्​्ीय पूि्थमिधानसभा अध्यक्​् श्​्ीमनिास मतिारी का जन्िमदन इस बार पाट्​्ी भोपाल िे् िनाने की योजना बना रही है. उल्लेखनीय है मक मिंध्य के ब्​्ाह्िणो्पर उनकी जबरदस्​् पकड् है. उनकी ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है मक मजस िक्त मदब्गिजय मसंह िुख्यिंत्ी रे िह मतिारी के पांि छुआ करते और उनको सुपर सीएि कहकर पुकारते रे. ऐसे िे्अगर कांग्ेस अपने आंतमरक ितभेद भुलाकर अभी भी एकजुट हो सकी तो तस्िीर बदल भी सकती है. िध्य प्​्देश मिधानसभा चुनाि के मलए प्​्शांत मकशोर कौन सी रणनीमत अपनाये्गे यह कह पाना िुब्शकल है लेमकन उन्हो्ने प्​्देश िे् कांग्ेस की संगठनात्िक किजोरी को पहचान मलया है और सबसे पहले इसे ही दूर करने पर काि मकया जायेगा. प्​्देश कांग्ेस अध्यक्​् अर्ण यादि से उनकी िुलाकातो् को इसी कड्ी का महस्सा िाना जा रहा है. कहा जा रहा है मक बड्े नेताओ् के प्​्भाि िाली सीटो् को छोड्कर िह दूसरे स्रानो् पर ताकत लगाना पसंद करे्गे. इस क्​्ि िे्उन सीटो्को मचब्हनत

मकया जा रहा है जहां हार और जीत का अंतर बहुत कि रा. पीके की टीि चाहती है मक ऐसी सीटो्पर शीघ्​्काि शुर्कर मदया जाये. पाट्​्ी के प्​्देश अध्यक्​् अर्ण यादि ने शुक्िार से बातचीत िे् प्​्शांत मकशोर से जुड्े मकसी भी प्​्श्न का स्पष्​्जिाब नही्मदया. िह लगातार कहते रहे मक यह पाट्​्ी का आंतमरक िसला है और इस पर अभी बात नही् की जा सकती है. परंतु पाट्​्ी के एक अन्य िमरष्​्नेता प्​्शांत मकशोर की प्​्देश अध्यक्​् से िुलाकात की बात स्िीकार करते है् लेमकन सार ही िह कहते है् मक इस बारे िे् कोई भी मनण्थय उत्​्र प्​्देश मिधानसभा चुनािो् के नतीजे सािने आने के बाद मलया जायेगा. उधर भारतीय जनता पाट्​्ी (भाजपा) के एक बड्ेनेता ने नाि न बताने की शत्थपर यह स्िीकार मकया मक अगर प्​्देश िे्प्​्शांत मकशोर कांग्ेस के सार आते है्तो कांग्ेस जीत भले न पाये लेमकन उसकी हालत िे् कािी सुधार देखने को मिल सकता है. हालांमक अभी चुनाि दो साल दूर है्ऐसे िे्कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. प्​्देश िे् व्यापिं घोटाले की धिक धीिी जर्र पड्ी है लेमकन सतह के नीचे िाहौल गि्थ है. मभतरघात भाजपा िे् भी कि नही् है और राष्​्ीय िहासमचि कैलाश मिजयिग्​्ीय के नेतृत्ि िाला एक धड्ा लगातार सीएि मशिराज मसंह चौहान के मखलाि खुलकर काि करता रहा है. कांग्ेस और पीके पमरब्सरमतयो् का मकतना लाभ ले पाये्गे यह देखने िाली बात होगी. n

शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 27


छत्​्ीसगढ्

दवलतो् के वहस्से मे् दहशत

छत्​्ीसगढ्मे्दसलतो्, आसदवाससयो्पर अत्याचार की घरनाएं लगातार बढ्रही है्, लेसकन सरकार के कान पर जूं तक नही्रे्ग रही. सवपक्​्शोर जर्र मचा रहा है, लेसकन इसका पूरा फायदा उठाता नही् सदि रहा.

िंजीत स़​़िपाठी

मतमरक्त मबजली के दािे िाले राज्य छत्​्ीसगढ्के जांजगीर-चांपा मजले के गांि नमरयरा िे् चार मदन से गुल मबजली की मशकायत लेकर अनुसमू चत जामत का युिक सतीश कुिार निरंगे मबजली दफ्तर पहुच ं ता है. िहां एक अमधकारी से बहस हो जाती है. अमधकारी पुमलस को िोन करता है. पुमलस सतीश को महरासत िे्ले लेती है. अब शुर्होता है दहशत का खेल. महरासत िे्युिक की इतनी बेरहिी से मपटाई हुई मक िह बेहोश हो गया. आरोप यह भी है मक मपटाई के दौरान जब सतीश ने खून की उल्टी और िल त्याग मकया तो इसकी सिाई उसके दस िष्​्ीय बेटे से करिायी गयी. बेहोश सतीश को अस्पताल ले जाया जा रहा रा तब उसकी िौत हो गयी. मपटाई इतनी ज्यादा और बेरहि तरीके से हुई री मक उसके पैरो्, जांघ और कूलह् े पर पर नीला रंग िानो छप सा गया रा. हालांमक जांजगीर एसपी अजय यादि ने इससे इनकार मकया है मक युिक की िौत पुमलस की मपटाई से हुई है, उनका कहना है मक मबजली ऑमिस िे्हुडदंग की मशकायत पर पुमलस उन्हे् सतीश कुमार: बेरहम वपटाई से मौत

28 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

राने लेकर आयी री. िुखय् िंत्ी के आदेश पर स्रानीय िुलिुला राना प्भ् ारी और दो आरक्क ् मनलंमबत कर मदये गये. जबमक िुखय् न्यामयक दंडामधकारी को इस घटना की जांच करने के मलए पत्​्भी मलखा गया. इधर प्द् श े कांगस ्े अध्यक्​्भूपश े बघेल मबना सूचना मदये सीएि हाउस पहुच ं गये और िही्सडक पर सामरयो् के सार धरने पर बैठ गये, उनकी मगरफ्तारी हुई. िही्िरिाही मिधायक ि पूिथ्िुखय् िंत्ी अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी िृत युिक के पमरजनो्से मिलने उनके गांि पहुच ं गये. िहां उन्हो्ने चक्​्ा जाि करिा मदया. िांग यह री मक आरोपी टी आई और दो आरक्क ् ो्पर हत्या का िािला दज्थहो, यह तो नही्हुआ लेमकन इसके बाद यह िािला राना के रोजनािचे िे् दज्थ जर्र हुआ, जो अभी तक नही् हुआ रा. िही् सरकार द्​्ारा िुखय् न्यामयक दंडामधकारी से जांच के आदेश के बाद कांगस ्े और जोगी कांगस ्े दोनो्ने अपनी ओर से अलग जांच करिाने की घोषणा के मलए किेटी भी बना दी. आमखरकार सरकार ने घोषणा की मक िृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी दी जायेगी, सार ही उसके दोनो्बच्​्ो्की मशक्​्ा का खच्थभी सरकार िहन करेगी और पमरिार को पांच लाख र्पये की अमतमरक्त सहायता भी दी जायेगी। िही्आरोपी पुमलस कम्ियथ ो्पर धारा 302(34) के तहत िािला दज्थकरने के भी आदेश मदये गये है.् मपछले कुछ सालो्िे्राज्य िे्दमलतो्और आमदिामसयो्पर अत्याचार और बलात्कार के िािले तेजी से बढे है्. राष्​्ीय अपराध मरकाड्थ ल्यूरो (एनआरसीबी) की ताज्ा मरपोट्थके अनुसार भारत िे्प्म्त एक लाख दमलत आबादी के मखलाि अपराध की राष्​्ीय दर 22.3 है, लेमकन छत्​्ीसगढ्िे् यह आंकड्ा 31.4 है. यह आंकड्ा तेलगं ाना 30.9, गुजरात 25.7, केरल 24.7 और उत्र् प्द् श े िे्20.2 से कही्अमधक है. दमलत िमहलाओ्से बलात्कार के िािले िे्भी छत्​्ीसगढ्ने कई राज्यो् को पीछे छोड्मदया है. मपछले साल कुल 2,326 िािले देश भर िे्सािने आये, मजसिे्81 अकेले छत्​्ीसगढ्से रे. दमलतो्के मखलाि आगजनी के कुल 179 िािले 2015 िे्दज्थमकये गये. छत्​्ीसगढ्िे्यह आंकड्ा सबसे ऊपर है. राष्​्ीय दर के महसाब से देखे्तो यह 0.1 है. लेमकन छत्​्ीसगढ्िे् यह आंकड्ा 43 और दर कही्अमधक 0.3 है. देश के दूसरे राज्यो्िे्दमलतो् के मखलाि आगजनी के िािलो्की संखय् ा उत्र् प्द् श े िे्30, िप्​्िे्21,


दवलतो् पर अत्याचार के ववरोि मे् प्​्दश्थन: सुनती नही् सरकार राजस्रान िे्21, तमिलनाडु िे्14, उडीसा िे्15 और िहाराष्​्िे्11 है. आमदिासी बहुल राज्य छत्​्ीसगढ आमदिामसयो्पर अत्याचार के िािले िे्भी खूब आगे है. औसतन देखे्तो सूबे िे्हर रोज चार आमदिासी अत्याचार के मशकार बनते है्. एनसीआरबी के िष्थ 2015 के आंकडो् की िाने् तो आमदिामसयो् के मखलाि अत्याचार के िािले िे् छत्​्ीसगढ देश िे् तीसरे नंबर पर है. आमदिामसयो्के मखलाि अपराध की दर छत्​्ीसगढ्िे्19.4 है. राष्​्ीय स्र् पर यह दर 10.5 है. 2015 के यह आंकड्े एनसीआरबी की ताज्ा मरपोट्थ िे् सािने आये है्. इस मरपोट्थ के अनुसार आमदिामसयो् के मखलाि बलात्कार के िािले िे्छत्​्ीसगढ्देश िे्दूसरे नंबर पर है, जबमक पहले नंबर पर पड्ोसी राज्य िध्यप्द् श े है. यह हालात तब है्जब राज्य के गृहिंत्ी रािसेिक पैकरा स्ियं आमदिासी है,् और उनसे पूिथ् गृहिंत्ी रहे ननकीराि कंिर भी आमदिासी ही रे. आंकडो् को देखे् तो 2015 िे् देश भर िे् अनुसमू चत जनजामतयो् पर अत्याचार के कुल 10,914 िािले दज्थमकये गये है.् मजसिे्छत्​्ीसगढ्िे् दजथ् होने िाले िािलो् की संख्या 1518 है. ितलब यह मक हर मदन छत्​्ीसगढ्िे्आमदिामसयो्के मखलाि 4.15 िािला दज्थहोते है. भारत िे् 2015 िे्आमदिामसयो्के मखलाि दज्थ10914 िािलो्िे्से राजस्रान िे् 3,207, िध्य प्द् श े िे्1,531, छत्​्ीसगढ िे्1,518, ओडीशा िे्1,307, आंध्प्द् श े िे्719, तेलगं ाना िे्698, िहाराष्​्िे्483, गुजरात िे्256 और झारखण्ड िे्269 दज्थहुय.े सन 2015 िे्आमदिामसयो्पर बलात्कार के 952 िािले दज्थमकये गये, मजनिे् िध्य प्द् श े िे् 359, छत्​्ीसगढ िे् 138, िहाराष्​् िे् 99, ओमडशा िे् 94, राजस्रान िे् 80, केरल िे् 47, तेलगं ाना और गुजरात िे्44, तरा आन्ध्प्द् श े िे्21 बलात्कार के िािले शामिल है.् सुरक्​्ा बलो्के जिानो्द्​्ारा आमदिासी िमहलाओ्से बलात्कार की मशकायते्तो आती ही रही है.् जानकारो्का कहना है मक ये िे आंकड्ेहै,् जो राने और कोट्-थ कचहमरयो्तक पहुच ं पाते है.् पीपुलस ् यूमनयन फ्ॉर मसमिल मलबट्​्ीज्(पीयूसीएल) के छत्​्ीसगढ के अध्यक्​् डॉ लाखन मसंह कहते है् मक बस्र् िे् आमदिासी िमहलाये् मजंदा रहने के मलए संघष्थकर रही है.् डॉ मसंह िोस्थपर आरोप लगाते हुए कहते है् मक बीएसएि, सीआरपीएि हो या राज्य पुमलस िमहलाओ्के सार बलात्कार और उनके अपिान को रणनीमतक हमरयार की तरह उपयोग कर रही है.्

िही् प्द् श े कांगस ्े अध्यक्​्भूपश े बघेल दमलतो् और आमदिामसयो् पर बढते अत्याचार के िसले पर कहते है्मक पुमलस महरासत िे्युिक की मपटाई से िौत होने से यह एक बार मिर सामबत चुका है मक रिन सरकार दमलत मिरोधी है. भाजपा पूरे देश िे् दमलत मिरोधी है और अब यह िानमसकता छत्​्ीसगढ भी पहुच ं चुकी है. बघेल का कहना है मक आमदिासी (दमलतो् समहत) भाजपा की प्​्ारमिकता की सूची िे्सबसे नीचे है. आमदिामसयो्के बलात्कार के िािले िे् छत्​्ीसगढ् दूसरे नंबर पर है. राज्यो् िे् बढ्ती आपरामधक गमतमिमधयो्पर सरकार का मनयंतण ् लगभग सिाप्त हो गया है. बीजापुर िे्आमदिासी िमहलाओ्के सार सािूमहक अनाचार होता है. िीना खल्खो जंगल िे्िहुआ बीनने गयी री. उसके सार सािूमहक अनाचार कर उसकी हत्या कर दी गयी. जांच होने के बािजूद भी सरकार सरकारी अपराधी कि्च थ ारी पर कोई ठोस काय्िथ ाही करने पर लगातार टालिटोल कर रहा है. झमलयािारी के शासकीय आश्​्िो् िे् िासूि आमदिासी बम्​्चयो् के सार अनाचार मकया जाता है. पीसीसी अध्यक्​्के िुतामबक इसके बािजूद राज्य की सरकार और उनके िुमखया प्द् श े िे बढ्रही िमहला उत्पीड्न को लेकर तमनक भी मचंमतत नही्है. िही्मिधानसभा िे्नेता प्म्तपक्​्टीएस मसंहदेि कहते है्मक इस घटना ने लचर कानून व्यिस्रा और भ्ष ् ्शासन की पोल मिर से खोल दी है. प्द् श े दो िग्​्ो्िे्बंटा मदख रहा है. एक ओर बड्ेउद्​्ोगपमत और बाहुबली तो दूसरी ओर गरीब, दमलत ि आमदिासी ग्​्ािीण है.् दोनो्ही िग्​्ो्के सार सरकार का अलग-अलग रिैया है. राज्य सरकार दमलतो्ि आमदिामसयो्के सार सौतेला व्यिहार कर रही है. मसंहदेि ने नमरयरा गांि की घटना और िीना खलखो िािले का उल्लेख करते हुए राष्​्ीय िानि अमधकार आयोग अध्यक्​्न्यायिूमत् थ एचएल दत्​्ूको पत्​्मलखकर कार्िथ ाई की िांग की है. n

शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 29


छत्​्ीसगढ्

मखसकती ज्मीन की िड़ाई छत्​्ीसगढ्मे्कांगस ्े से अलग होने के बाद भी पूवष्मुखय् मंत्ी अजीत जोगी प्द् श े कांगस ्े कांगस ्े अध्यक्​्भूपश े बघेल से अपना झगड्ा भुला नही्पा रहे है.् िंजीत स़​़िपाठी

त्​्ीसगढ के पूि्थ िुख्यिंत्ी अजीत जोगी भले ही कांग्ेस छोडकर नयी पाट्​्ी बना चुके है् लेमकन प्​्देश कांग्ेस अध्यक्​् भूपेश बघेल से उनकी अदाित रिी नही् है. बयानो् के तीर छोडने के बाद अब िािला व्यब्कतगत आरोप पर आ गया है. जोगी ने आरोप लगाया रा मक बघेल और उनके पमरिार ने अपने मिधानसभा क्त्े ्पाटन के कुरद् डीह के मकसानो् की जिीन हड्प ली है. पीसीसी अध्यक्​् भूपेश बघेल ने इसे मनराधार बताते हुए कहा रा मक जोगी अपने आरोप के मलए िािी िांगे या मिर िानहामन के केस का सािने करने तैयार रहे्. अब बघेल ने जोगी को कोट्थ िे् घसीट कर िानहामन का दािा पेश कर मदया है. बता दे्मक जोगी को कांग्ेस से बाहर मनकालने के िािले िे् बघेल ने एड्ी चोटी का जोर लगा मदया रा, तभी से बघेल,जोगी के मनशाने पर रे. दरअसल इस पूरे िािले की शुर्आत तब हुई जब इस िहीने की शुरआ ् त िे्पूिथ्िुखय् िंत्ी अजीत जोगी ने िुख्यिंत्ी रिन मसंह को भेजे अपने पत्​् िे् आरोप लगाया मक बघेल के मनि्ाथचन क्​्ेत् पाटन के कुर्दडीह के 32 मकसानो्की जिीन पर बघेल ने जबरन कल्जा कर मलया गया है. उन्हो्ने सबूत के तौर पर 14 मकसानो्की जिीन का खसरा नंबर भी मदया रा. जोगी ने कहा रा मक इस कल्जे के कारण मकसान अपने खेत िे्खेती नही्कर पा रहे है्. इस पत्​् िे् अजीत जोगी ने दािा मकया मक 30 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

अमिभामजत िध्यप्​्देश के सिय मदब्गिजय मसंह के िुख्यिंत्ी रहते इसकी जांच के बाद मशकायत सही पायी गयी री. जोगी ने यह भी आरोप लगाया रा मक मक भूपेश बघेल के रसूख के चलते उनपर कार्थिाई नही्हो रही है. अजीत जोगी ने िुख्यिंत्ी रिन मसंह से कार्थिाई करने की िांग की री. इसके बाद पाटन इलाके के तराकमरत पीमडत मकसानो्ने भी एक प्​्ेसिात्ाथ िे्कहा मक िे 30 साल से इस िािले को उठा रहे है्लेमकन कही्सुनिाई नही्हुई है. उधर भूपेश बघेल के मपता नंदकुिार बघेल भी इस िैदान िे्कूद पडे और उनका कहना रा मक प्​्देश के िुख्यिंत्ी डॉ. रिन मसंह और पूि्थिुख्यिंत्ी अजीत जोगी दोनो्िुख्यिंत्ी पद के मलए िेरे बेटे से लड रहे है्. आपस िे्िे लडते रहे्, उनसे लडने के मलए िेरा बेटा कािी है लेमकन पमरिार को बीच िे् न लाये्. नंदकुिार के िुतामबक मजस जिीन की बात हो रही है िह उनके भाई के नाि से है. इस सबके बीच सरकारी अिले ने जबरदस्​् तेजी मदखाते हुए रमि​िार अिकाश के ही मदन मि​िामदत जिीन की नाप-जोख भी कर ली. इस पर भूपेश बघेल का कहना रा मक ित्थिान और पूि्थ दोनो िुख्यिंत्ी की दोस्​्ी इसी से सािने आती है मक एक पत्​् मलखता है तो दूसरा िौरन जांच करिा रहा है. जबमक बरसात के मदनो् िे् कही् भी खेतो् का नाप-जोख नही्होता. इधर 16 मसतंबर को पीसीसी अध्यक्​्भूपश े बघेल ने एक प्​्ेसिात्ाथ िे् दस्​्ािेज पेश करते हुए अपने उपर लगे आरोपो् का खंडन मकया और कहा मक डॉ रिन मसंह और अजीत जोगी दोनो् एक दूसरे को डूबने से बचा नही् पा रहे इसमलए हताशा िे् राजनीमतक िािलो् को व्यब्कतगत स्​्र पर ले जा रहे है्. पूरे िािले का ल्यौरा देते हुए बघेल ने कहा मक पाटन इलाके

अजीत जोगी और भूपेश बघेल: नया दौर पुरानी लड्ाई के कुर्दडीह क्​्ेत् िे् उनके नाि पर ही कोई जिीन नही् है, िहां उन्हे्, उनकी पत्नी और बच्​्ो् तक को घसीट मलया गया. उन्हो्ने कहा मक यह जिीन पुश्तैनी है और बंटिारे के बाद उनके चाचा अम्​्शनी बघेल के नाि पर है. बघेल का कहना र मक जब अजीत जोगी छत्​्ीसगढ के िुखय् िंत्ी रे तब भी इस जिीन के नाि से मशकायत आयी री और िािला मनरस्​् हो गया रा. मिर डॉ रिन मसंह के िुख्यिंत्ी बनने के बाद भी एक बार उनके काय्ाथलय के कहने पर जांच हुई री और तब भी िािला मनरस्​् हो गया रा. बघेल ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘इसका अर्थ यह हुआ मक पूि्थ और ित्थिान दोनो् ही िुख्यिंत्ी जानते है् मक मशकायतो्का कोई आधार नही्लेमकन मिर भी दोनो् मिलकर व्यब्कतगत आरोप लगाते है् और जांच करिाते है्.’ पीसीसी अध्यक्​् ने कहा मक अपने कहे अनुसार उन्हो्ने पूि्थिुख्यिंत्ी अजीत जोगी को िानहामन का नोमटस भेजा है और िे इस िािले को मनण्ाथयक िोड तक ले जाये्गे. अब जोगी तैयारी कर ले्मक िे अपने आप को मकस तरह बचाये्गे. उन्हो्ने जोगी को डूबता जहाज बताते हुए कहा मक जोगी परेशान है्, क्यो्मक उनका भ्​्ि टूट गया है मक िे कांग्ेस है्. दरअसल िो इस िक्त ना तो घर के है्और ना घाट के. इसी साल जनिरी िे् जब जोगी कांग्ेस िे् रे, अंतागढ टेप कांड सािने आने के बाद जोगी ने भूपेश बघेल के मखलाि आपरामधक िानहामन का दािा करने की बात कही री और कांग्ेस आलाकिान को पत्​् मलखकर इसके मलए अनुिमत भी िांगी री. बहरहाल,छत्​्ीसगढ िे्भूपश े बघेल और अजीत जोगी की यह रार लंबे सिय से चली आ रही है. जब जोगी कांग्ेस िे्रे तब भी, और अब अलग n होने के बाद भी.



महाराष्​्

पालघर मे् आवदवासी बच्​्ा: स्वास्थ्य सेवाओ् का अकाल

प़​़गतत का हातसल मौत

महाराष्​्मे्कुपोरण से बच्​्ो्की मौत के आंकड्ेतकरीबन सात दशक के दौरान हुई आस्थषकसामासजक प्​्गसत के तमाम सरकारी दावो्को मुंह सचढ्ा रहे है्. हरे राम समश़​़

ि

हाराष्​्के आमदिासी बहुल मजले पालघर से इन मदनो्आमदिासी बच्​्ो्की कुपोषण के कारण िौत की खबरे् लगातार आ रही है्. सरकारी आंकडो्के िुतामबक अप्​्ैल 2015 से जुलाई 2016 के बीच कुल 683 आमदिासी बच्​्ो् की िौत कुपोषण के कारण हुई है. हालांमक, इस इलाके िे् काि करने िाले कई स्ियंसेिी संगठनो् और स्ितंत् जांच दलो् का 32 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

िानना है मक यह संख्या लगभग 1500 से ज्यादा है. इन िौतो् िे् बूढो् और िमहलाओ् की कुपोषण के कारण हुई िौते् शामिल नही् है्. िीमडया िे् कािी हो हल्ला िचने के बाद, मपछले मदनो् जब राज्य के आमदिासी कल्याण िंत्ी मिष्णु सािरा ने प्​्भामित इलाको् का दौरा मकया तो यह कह बैठे मक िौते्हो रही है्तो होने दो. पालघर िही मजला है जहां से राज्य सरकार के आमदिासी कल्याण िंत्ी मिष्णु सािरा खुद आते है्. खुद को आमदिासी बताने िाले मिष्णु सािरा भले ही 1990 से लगातार इस क्​्ेत् से मिधायक चुने जा रहे है,् लेमकन सरकार िे्िंत्​्ी रहते हुए भी इन िौतो्से उन्हे्कोई सिस्या नही् है. उनके बयान से पूरी भाजपा और भारतीय राजनीमत का ’जन मिरोधी’ चमरत्​्साि हो जाता है. उनका बयान यह साि कर देता है मक बच्​्ो् की िौत उनके मलए सािान्य संिेदना का भी िािला नही्है. िहाराष्​् की देिे्द् िडनिीस सरकार मिकास की मजस अिधारणा और दश्नथ पर आगे बढ रही है उसिे्राज्य के आमदिामसयो्, िंमचतो्,

दमलतो् के मलए कही् कोई स्रान नही् है. आजादी के करीब 70 साल बाद भी, अगर राज्य के आमदिासी बहुल मजलो्िे्भयानक कुपोषण से िौते् हो रही है् तो साि है मक उन आम्रथक नीमतयो् पर गंभीर मि​िश्थ का िक्त सािने आ खडा है मजन्हे् हिने उदारीकरण के नाि पर अपनाया और मिकास के मलए आिश्यक बताकर प्​्चार मकया. इस भयानक कुपोषण की खबरो्के आने के बाद, यह साि हो गया है मक राज्य की साि्थजमनक मितरण प्​्णाली न केिल पूरी तरह से घोटाले का मशकार हो चुकी है, बब्लक िेल हो चुकी है. राज्य िे् िनरेगा जैसी योजनाओ्के पूरी तरह से असिल होने के बाद गांिो् िे् नगदी का गंभीर संकट पैदा हुआ है. कुपोषण इस बात का इशारा है मक लगातार तीन सालो् से अकाल और सरकारो् के जन मिरोधी चमरत्​्के चलते पूरे राज्य िे्हालात भयािह हो चुके है्. बहरहाल, इन िौतो् के बाद, अब सिाल यह पैदा होता है मक क्या राज्य सरकार कोई त्िमरत काय्थिाही करने को तत्पर है? क्या अब िह प्​्भामित इलाके िे्तत्काल कुछ ठोस करने


के मलए कोई िायने नही् रखता है. चूंमक िहाराष्​्का पूरा राजनैमतक होल्ड 32 िीसदी आबादी िाले िराठाओ् के पास चला गया है और अपनी पूरी प्​्कृमत िे् यह तबका महंदुत्ि और िुब्सलि मिरोध से इतर कुछ भी नही् देखता, मलहाजा गरीब, आमदिामसयो्की 'रोजीरोटी’ जैसे जर्री सिाल पर उनकी चुप्पी को बखूबी सिझा जा सकता है. हालात तब और भयािह हो गये जब राज्य की दमलत राजनैमतक धारा भी महन्दुत्ि की गोद िे्बैठ गयी. िोदी के सत्​्ा िे् आने के बाद लोगो् की राली से भोजन गायब हो गया है. लोगो् की िास्म्िक आय तक मगर गयी है. लेमकन इस पर कोई बहस नही् हो रही है. आज राजनीमत िे्

खुद िो आकदवासी बताने वाले कवषंणु सावरा 1990 से लगातार कवधायि चुने जा रहे हैं, लेकिन मंतंी रहते हुए भी इन मौतोंसे उनंहेंिोई समसंया नहींहै.

के मलए तैयार है? हालात तो ऐसा कोई इशारा नही् करते. क्या देिे्द् िडनिीस सरकार आमदिासी बहुल इन मजलो् िे् मिकास के नाि पर आमदिामसयो्को उनकी जिीनो्से बेदखली, उत्पीडन और नक्सलिाद के नाि पर पुमलमसया भय के अलािा कुछ और दे सकती है? िहाराष्​् की सिूची राजनीमत से राज्य के 10 िीसदी आबादी िाले आमदिामसयो् के सिाल गायब हो चुके है्. आि िीमडया द्​्ारा हिारे चेहरे के सािने मजस िहाराष्​् की छमि को रखा जाता है, उसिे्िुंबई और उसके आस पास के शहरो्की चिक-धिक, पब कल्चर से ज्यादा कुछ भी मदखाई नही्देता है. लेमकन, इस

वचवकत्सालय मे् वशशु: सुवविाएं बहुत कम चिक-धिक से इतर, एक ऐसा िहाराष्​्भी है जहां गरीबी, भुखिरी और मकसानो्की िौत का नंगा नाच होता है. इसे सिझने के मलए हिे् िराठी अब्सिता के उभार को सिझना होगा. िहाराष्​् िे् मशिसेना के उभार के बाद कम्युमनस्ट आंदोलन का सिाया हो गया. अब सिूची राजनीमत स्रानीयता और िराठी अब्सितािाद के उभार िे् िंसकर महन्दुत्ि की चाशनी िे् डूब गयी. असर यह हुआ मक राज्य की राजनीमत से िंमचत जनता के सिाल गायब हो गये. मिदभ्थ, मजसे राज्य के मकसानो् के ’सुसाइड हब’ के बतौर जाना जाता है, का सिाल राज्य की भाजपा, कांग्ेस और एनसीपी

मजस मिकास की बात की जाती है उसके के्द्िे् आमदिामसयो् के जल, जंगल और जिीन पर जबमरया कल्जा करना और कुछ खास लोगो्को सौ्पना है. यह सारा िािला केिल िहाराष्​् तक ही सीमित नही् है. िध्य प्​्देश, झारखंड, उडीसा, कन्ाथटक, आंध् प्​्देश, सिेत पूरे देश के आमदिासी तबके के मखलाि सत्​्ा द्​्ारा प्​्ायोमजत एक खुला युि्चल रहा है. मजस तरह से इन िौतो् पर सरकारे् चुप है् उसका साि ितलब है मक आमदिासी अगर िर रहे है्तो िरे.् उनके पास इनके बारे िे् सोचने का कोई िक्त नही्है. क्यो्मक सारी सिस्या इन्ही्के द्​्ारा पैदा की गयी है. ऐसी घटनाये् पूरे तंत् के ’िग्थ चमरत्​्’ को बेनकाब कर देती है.् ये िौते्हिारी पूरी व्यिस्रा की प्ग् मत का एक 'उपहार’ है. राजनीमत को इसे स्िीकार करने िे्शि्थनही्होनी चामहये. n

शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 33


रहन-सहन

एक चुटकी चाय का र्मान

चाय ससफ्कचाय कहां है, वह जीवन जीने का एक र्मान और एक फलसफा है. चीन से चलकर जापान होती हुई चाय जब हमारी सजंदगी मे्शासमल हुई तो बुस्दजीसवयो्की जीवनशैली और सासहत्य मे्भी चली आयी. ितीि जायिवाल

चा

य को हिारी आदतो् का महस्सा हुए बहुत मदन नही्हुए. िह हिारे अपने बचपन की बात है और हिारी याददाश्त िे् है. यही कोई 60-70 बरस की बात. स्कल ू से घर लौटते हुए िैन् े यह देखा है. चाय कंपनी के लोग चाय के प्च ् ार के मलए मनकलते रे और चौक-चौराहो्-नुकड् ो्पर गुिमटयां और ठेले लगाकर िुफत् चाय मपलाते रे. उसे िुफत् कहना रोडा हल्का लगता है. लेमकन िुफत् की िह लत ऐसी लगी मक अब चाय के मबना सुबह 34 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

नही्होती. कुछ के तो मबस्र् ही नही्छूटते. िह मबस्र् िाली चाय हुई- बेड टी. साहबो् और रईसजादो्की चाय, मजनके घर नौकर-चाकर से भरपूर होते है् या मिर शानदार होटलो् और आलीशान गेसट् हाउसो् की मिलामसता. अब तो कहा जाता है मक पानी के बाद चाय ही दुमनया िे् सबसे अमधक पी जाने िाली चीज है. बताया जाता है मक चाय की खोज सबसे पहले चीन िे्हुई. ईसा पूिथ्2700 के आसपास. मिर बौि्​्मभक्ओ ्ु ्के सार चलकर िह जापान पहुच ं ी. जापान एक पारंपमरक देश है. उनके यहां चाय पीने का तरीका भी पारंपमरक है. िे िज्​्ासन िे्बैठकर चाय पीना पसंद करते है.् उनकी चाय हिारे यहां से अलग होती है और चाय के कपकेतली भी कुछ अलग. हिारे शौको्िे्एक दौर 'पेन-फेड् मशप' का भी रहा है, जो देश-दुमनया के युिाओ्को एकदूसरे से जोडता रा. िेरी भी एक जापानी पत्-् मित्​् री्एमिको इनोयू. उसने िुझे अपने यहां की चाय पत्​्ी, कप और केतली उपहार िे्भेजी री. िह हरी पम्​्तयो् िाली चाय री और उसका अक्फ सुनहरा पीला रा. उन कपो्को पकडने के मलए, हिारी तरह कोई हैड ् ल भी नही् रा. उसने पत्​् मलखकर िुझे बताया रा मक िहां ऐसे ही कप होते है.् िे लोग इन कपो् को अपनी हरेमलयो् िे् दबाकर धीरे-धीरे और देर तक चाय की चुबस् कयां लेते रहते है.्

हिारे यहां िमणपुर से होकर म्यांिार के मलए एक रास्​्ा है. इस रास्​्ेसे होकर जाने पर उधर का पहला शहर तािू है. िै् िहां गया हू.ं िहां पहुच ं कर िन मकया मक मकसी होटल िे्एक कप चाय पी जाये. िह एक अनुभि होगा. उसिे् म्यांिार का स्पश्थ होगा. िहां ड्ग्ै न िाली चीनी सजािट री. चाय के पहले उन लोगो्ने एक जग िे्गरि पानी लाकर हिारी टेबल पर रख मदया. उसका रंग पीला रा और उसिे्कोई स्िाद भी नही् रा. मिर भी िहां के लोग स्िाद लेकर िह पी रहे रे. िुझे लगा मक शायद यही यहां की चाय होगी. इस पर िुझे हैरानी भी हुई. लेमकन िह चाय नही् री. चाय तो उसके बाद आयी. तब सिझ िे्आया मक यहां चाय पीने का यही तरीका है. हिारे यहां चाय की खेती और उसके स्रानीय बाजार िे्पहुच ं ने के बीच कािी िासला रहा है. चाय पर म्​्बमटश कंपमनयो्का आमधपत्य रा. उन कंपमनयो्ने यहां की चाय को पहले बाहर भेजा. स्रानीय बाजार बाद िे्खोला. और घरो्ने तो डरते-मझझकते हुए ही चाय के मलए अपने दरिाजे खोले. शुरआ ् ती मदनो्की चाय िे्चाय कहां होती री? दूध होता रा. उसिे्कुछ बूदं े्चाय की पड जाती री्. िह भी डरते-डरते ही. दूध का रंग रोडा सा बदल गया और बस हुआ. इस पर एक अंगज ्े मशक्क ् डेमिड हॉस्बथ ग्थकहा करते रे 'मबब्ललयां दूध पीती है.्' डेमिड हॉस्बथ ग्थएक अंगज ्े ऋ मषिैली िे्मशक्क ् रे, कुछ मदनो्के मलए हिारे


यहां आये रे. हिारे िेहिान रे. िह खादी के कपडे पहनते रे और उन्हो्ने महंदी भी सीख ली री. लेमकन िुझे सेमटश कहकर ही बुलाते रे. उन्हो्ने भारतीय नागमरकता ले ली री. लेमकन चाय की उनकी आदत अंगज ्े ी की अंगज ्े ी ही बनी रही. मबना दूध िाली चाय पीते रे. चाय एक बार हिारी आदत िे्शामिल हुई तो मिर चाय को कहानी-कमिता िे् भी जगहे् मिली्और चाय पीने के तौर-तरीको्के मकस्से भी चलने लगे. चाय के सार िौलाना अबुल कलाि आजाद की निासत पसंदगी ऐसी ही री. मकसी मकस्से के तरह की ही. उन्हो्ने तो चाय पीने के सलीके पर सलीके से मलखा भी रा. िैसे सलीके के सार चाय पीने िालो् िे् उनकी पीढ्ी के दो लोगो् के नाि भारतीय राजनीमत के मकस्सागो मकस्ि के लोगो्के पास अब दस्​्ािेजी हो चुके है.् ओमडशा के िुखय् िंत्ी रहे बीजू पटनायक और िध्यप्द् श े के िुखय् िंत्ी रहे श्यािाचरण शुकल ्. चाय पीने के इनके सलीके मकसी अंगज ्े से कि नही्रे. अब तो खैर शराब भी िैसे सलीके से नही् पी जाती. बस, बेिजह की बदनािी ही गामलब के नाि के सार जुड गयी. अलबत्​्ा यह जर्र हुआ मक गामलब की नािािरी ने या इस बेिजह की बदनािी ने महंदी मिल्िो् िे् शराब के मलए एक खास िुकाि तय कर मदया. लेमकन चाय को महन्दी मिल्िो्िे्िह जगह कभी हामसल नही्हुई जो शराब की रही है. शरत चंद् चट्​्ोपाद्​्ाय के उपन्यास पर बनी मिल्ि 'देिदास' ने तो शराब को ट्ज ्े डे ी नायको्की एक पहचान ही बना दी री. लेमकन राजकपूर ने इसके बरक्स चाय का एक ऐसा र्िान रचा मजसकी छुअन अभी तक बनी हुई है. उनकी मिल्ि 'श्ी् 420' िे्चाय का कई भािाओ् मे् चाय: उच्​्ारण लगभग समान

िह कोिल प्स ् गं ! मकसी पुल के कोने पर दुअन्नी छोड मदया. घंटी बजती रही लेमकन उस तरि से िाली चाय की अपनी केतली और मसगडी लेकर मकसी ने िोन नही्उठाया क्यो्मक अब िह रा ही बैठा हुआ िह, िूछो् िाला भैया और बामरश िे् नही्उस तरि मजसे िोन उठाना रा. अब तक इस मकस्ि की उदामसयो्के सार नरमगस-राजकपूर के बीच एक छाते की साझेदारी िे् मकतना कुछ पनप गया- प्यार हुआ, इकरार तो हिने अकेली शराब की संगत को ही जाना रा. हुआ. एक छाते की िह भीगती हुई साझेदारी हां, बाद िे्महंदी िे्एक उपन्यास भी आया 'चाय पीमढयो्का सपना रचने लगी- िै्ना रहूगं ी, तुि का दूसरा कप.' यह दूसरा कप भी कुछ इसी तरह ना रहोगे: मिर भी रहेग् ी मनशामनयां... िुझे जब भी का खालीपन हिारे मलए छोडता है क्यो्मक उस िुबं ई की कोई बरसात मिलती है, िै्दादर के उस दूसरे कप िे्चाय पीने िाला अब है ही नही्. अब तो चाय पर कमिताएं भी मलखी जा रही रेल-पुल तक जर्र जाता हू,ं जो दादर ईस्ट और िेसट् को जोडता है. शायद िै् दुअन्नी की चाय है.् छत्​्ीसगढ के एक कमि है-् संजीि बक्शी. उनकी एक कमिता है िाले उस भैया को िहां कजन कदनोंठेलों-गुमकटयोंपर 'खैरागढ िे् कट चाय ढूढं ता हू,ं पुल के इस या साकहतंयिार कमतं​ंोंिे अडं​ंेहुआ और डबल पान.' उस कोने िे् बैठा हुआ िरते थे वो कदन 'िट चाय' िे खैरागढ के आसपास मिल जाए! चाय की अच्छी खेती सामहत्य िे् भी ही थे. 'िट चाय' िा मतलब होती है इसमलए आधी गामलब की र्िामनयत आधी चाय. चाय के सार डबल रपकी देती है तब चाय के मलए रास्​्ेखुलते है.् अिृता प्​्ीति और सामहर पान िहां के चलन िे्है. लेमकन िैसे भी चाय की लुमधयानिी का प्ि्े उस र्िामनयत से कि चाल एकल नही् होती,िह संगत िे् चलती है. नाजुक कहां रा? उनके बारे िे् िशहूर है मक कभी मसगरेट की संगत िे्चली तो कभी पान के अिृता प्​्ीति सामहर की पी हुई मसगरेटो्के टोटे सार जोड बनाकर चली. इधर रािलाल टी स्टाल अपने पास संभाल कर रखती री् तो सामहर के और बगल िे्िंसरू पान िहल. पान की दुकान पास भी चाय का िह प्याला रहा मजसिे् कभी सार न हो तो चाय का अड्​्ा सूना-सूना सा लगता है. और अड्ब्े ाजी के मबना चाय िे्िजा कहां? अिृता ने चाय पी री. दोस्​्ो्के बीच ‘कट चाय' का एक जिाना मशिला की मकसी बरसती शाि का कृषण ्ा सोबती का संसि् रण है 'और घंटी बजती रही.' रहा है. मजन मदनो्ठेलो्-गुिमटयो्पर सामहत्यकार उनके इस संसि् रण िे्िै्मगनती करता रहा मक मित्​्ो्के अड्​्ेहुआ करते रे िो मदन 'कट चाय' कृषण ् ा सोबती ने उस शाि िे्मकतनी बार चाय पी. के ही रे. 'कट चाय' का ितलब आधी चाय. और उनकी िह चाय मशिला की उस बरसती शाि को आधी चाय का ितलब एक छोटे कप या कांच के हद दज्थेतक र्िानी बना रही री. लेमकन आमखर छोटे से मगलास िे्आधी चाय. शायद अमभजात्य िे्उस संसि् रण ने र्िान को उदासी िे्अकेला के मिर्ि् आि आदिी के मलए मलखने िाले सामहत्यकारो् की िह एक अपनी िुद्ा भी री. प्​्ीवत गुम्मालुरी: नौकरी छोड्कर चाय कुछ-कुछ मिद्​्ोही सी. सामहत्य के साठोत्र् ी दशक िे्तरह-तरह के आंदोलनो्से जुडी ऐसी कई-कई िुद्ाएं कलकत्​्ेसे चलकर इलाहाबाद तक पहुच ं रही री्. और उनके सार उनकी तरह की चाय के चलन भी. इलाहाबाद िे् सतीश जिाली और उनके सामरयो् की अड्ब्े ाजी की एक जानी-पहचानी जगह री. मसमिल लाइंस िे्सेट् ल ् बैक ् के सािने िाला चाय का ठेला. अिीनाबाद, लखनऊ िे् 'कंचना' िह अड्​्ा री. 'कंचना' की चाय का नाि इसमलए भी हुआ मक िहां के एक कमि िह चला रहे रे. कलकत्​्े िे् महंदी सिाचार साप्तामहक 'रमि​िार' के सम्पादक रहे सुरदे् ्प्त् ाप मसंह अपने दोस्​्ो्को चाय मपलाने के मलए अक्सर िहां टी बोड्थ के सािने िाले एक ठेले पर लेकर जाना पसंद करते रे. उस चाय िे् चाय के सार कलकत्​्ा के मिट्​्ी िाले कुलह् डो् का स्िाद भी शामिल होता रा. कलकत्​्ा आकर यहां, भारतीय भाषा पमरषद िे्ठहरने िाले सामहत्यकारो्को नीचे उतरते ही मिट्​्ी के कुलह् ड िाली िह चाय अब भी शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 35


रहन-सहन मिल जाती है. मरयेटर रोड पर ही. चौरमसया जी की गुिटी िाली दुकान िे.् इन मदनो्लोकम्​्पय हास्य धारािामहक तारक िेहता का ‘उलटा चश्िा’ चाय को खूब लोकम्​्पय बना रहा है. लेमकन यह गुजरात की िसाले िाली चाय होती है. गुजरात की िसाले िाली चाय का स्िाद भी ऐसा होता है मक एक बार िुहं को लगी तो बार-बार िन करेगा ही. लेमकन इसके िुकाबले िे्इंदौर की रंग-रंग की चाय के स्िाद ने अपनी जगह बनायी हुई है. बादािी चाय, गुलाबी चाय, कडी-िीठी चाय िगैरह-िगैरह. जाने मकतने रंग, मकतने स्िाद और मकतने नािो् िे.् ठेलो्-गुिमटयो्पर मिलने िाली चाय के स्िाद िे् यह कडी-िीठी ही शायद सबसे पसंदीदा रही है. िुबं ई से चली 'कडक िीठी चहा' आगे बढी तो कडी-िीठी चाय हो गयी. लेमकन िुबं ई के िशहूर पारसी होटलो् की चाय ने अपनी िुबं ई नही्छोडी तो नही्ही छोडी. अब िुबं ई के पारमसयो्की जनसंखय् ा की तरह इन पारसी होटलो्की संखय् ा भी मिरल होती जा रही है. मिर भी इन होटलो् ने अपनी पहचान और अपनी चाय का स्िाद िैसे का िैसा बचाकर रखा है. काले आबनूस की कुमस ् यथ ां और पत्रर के टॉप िाली िेजे्इन पारसी होटलो्का अहसास होती है.् एक अलग सा एहसास जो चाय के स्िाद िे् मकसी अनजानी खुशबू की तरह घुला हुआ होता है. और िहां से अपने सार चला आता है. सिुद्के पास एक अजब मकस्ि का र्िान होता है. शायद िह मकसी नामिक का िन होता है. बंदरगाह पर होगा तो र्िान रचेगा ही. मिशाखापत्न् ि के 'टी ट्ल ्े ' िे्बैठकर चाय पीना मकसी शाि का ऐसा ही र्िान है. िन को उलझाता है. िुबं ई के पारसी होटल िे्सिुद्एक रामलाल टी स्टाल: सड्क पर कड्क

36 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

एहसास होता है. लेमकन मिशाखापत्न् ि के 'टी ट्ल ्े ' िे्सिुद्एक दृशय् रा. िह कांच पर उपक रहा रा और दूर पर, खुले सिुद्िे्खडे जहाजो् की मझलमिलाती रोशमनयां कांच िे् से होकर भीतर, हिारी टेबल तक पहुच ं रही री्. िहां टेबल पर पडे िेनू काड्थिे्िैन् े 175 र्पये तक की चाय देखी. लेमकन चाय के मजतने मदलकश रंग और उससे भी अमधक उनके एहसास िहां िौजूद रे, कुछ भी िहंगा नही्लगा. अब तक िै् एक अकेली इस्​्ाबं ल ू ी चाय जानता रा. 'टी ट्ल ्े ' िे्िैन् े मदलकश लाल रंग िाली िोरक्​्ो की चाय देखी और अपने मलए दालचीनी और शहद िाली चाय िंगिायी, मजसिे् सेब के टुकडे पर िक्खन की एक हलकी सी लहर झलक रही री. उसका रंग सुनहरा पारदश्​्ी रा और उसका स्िाद मतल्बत की िक्खन िाली चाय से मबल्कल ु अलग रा. िैन् े मतल्बत की िक्खन िाली चाय पी है और उसके मलए तिांग तक भटका हू.ं तिांग के रास्​्ेिे्पडने िाले ढाबो् िे्चाय के सार रि भी मिलती है और लोग िहां चाय कि, रि ही अमधक खरीदते है.् उन ढाबो् को चलाने िाली भोमटया म्​्सयां मदखने िे्सुदं र और रोजगार िे्कुशल होती है.् लेमकन मिशाखापत्न् ि की प्​्ीमत गुमि् ालुरी उनसे अलग है.् उनके मलए चाय कोई रोजगार नही्, बब्लक एक र्िानी लगाि है. एिबीए करके मनकली प्​्ीमत अच्छी जॉब िे्री्. लेमकन अपने इस लगाि के मलए जॉब छोडा और िुबं ई जाकर टी ट्ल ्े की यह फेच ् ाइजी ली. अब चाय के सार िन को जोडकर मिलने, बैठने, बात करने के मलए एक मठकाना हो गया. कोलकता का 'फ्लरू ी' भी एक ऐसा ही मठकाना है. िहां का एलीट सिाज 'फ्लरू ी' िे्चाय पीता हुआ मदख जाता है. िह भी एक दृशय् होता है और उस सिय िहां से मदख रही शाि कुछ अलग होती है. िह पाक्फस्ट्ीट िे्रोशमनयो्के रंगीन होने

जापान का चाय उत्सव: तैयारी अौर सलीका का र्िानी सिय होता है. ऐसी मकसी शाि िे्एक कप चाय का र्िान पाक्फस्ट्ीट की सड्को्पर लगने िाले बाजार को मकसी परी लोक िे्बदल देने के मलए कािी होगा. मिर भी िह आधी रात की चाय के उस र्िान से कि होगा मजसके मलए जेएनयू के गंगा ढाबे का नाि है. िहां के हॉस्टलस्थ आधी रात िे्जागते है्और अपने गंगा ढाबे को आबाद करते है.् उनके महसाब से गंगा ढाबे से खराब चाय कही्और नही्मिल सकती. लेमकन उनकी ही िाने्तो गंगा ढाबा कही्और हो ही नही् सकता. सम्दयथ ो्की एक आधी रात की िह चाय िुझे भी कैसे भूल सकती है जब चाय की कोई उम्िीद ही िुझे नही्मदख रही री. तब गंगा ढाबा गुलजार हो रहा रा और ऐसा लग रहा रा जैसे िह िध्य-एमशया की कोई कारिां सराय है और दूरदूर देशो्के सौदागर िहां आये हुए है.् सिोिर िे्गरि कहिा चढा हुआ है और दौर चल रहा है. अभी रोडी देर पहले ही हॉस्टलस्थका िह गंगा-जिनी िुशायरा खत्ि हुआ रा और अभी-अभी िै्उन सबके सार िहां से मनकला रा: 'और हां/बीच िे् िह िायािी रात/जैसे िध्यएमशया का कोई बाजार/जागता है आधी रात िे/् कारिां सराय िे/् अपने ऊंटो् को खुला छोडकर/दुमनया भर के सौदागर/शामिल होते है/् रात के उस गुलजार िे/् ऐसे ही मिलते हो्ग/े मकसी कहिा- घर िे/् जैसे हि सब मिलकर/पी रहे रे चाय/आधी रात तक चले/उस िुशायरे के बाद...' िहां िेरी नजर एक जोड काली आंखो्पर पड्ी री. उनिे् गहरी सिझदारी की चिक री और िुझे भरोसा हो रहा रा मक जर्र ही यह चिक िध्य-पूिथ्के मकसी देश से चलकर यहां पहुच ं ी है. ऐसे िे्एक और कमिता के अलािा तब िेरे अब्खतयार िे्और क्या हो सकता रा? और n इससे अमधक और चामहए भी क्या रा? (लेखक जाने-िाने कराकार है.्)


यथाकथा छत् ्ीसगढ् िंभूनाथ िुक़ल

ओह िेप्टे्बर उफ् सितंबर

ससतंबर एक ऐसा महीना है सजसे हमारे देश मे्पय्षरन के मौसम का दरवाजा कहा जा सकता है.

ई िष्​्ो्बाद मसतंबर का िहीना सुहाना जा रहा है. रात को बस एकाध घंटे ही एसी चलाना पड्ता है. िन्ाथ अभी मपछले साल तो निंबर तक एसी चले रे. सुबह-शाि िौसि िे्खुनस आ ही जाती है. कहना चामहये मक िौसि िस्​्और मबंदास है. आसिान िे्बादल है्और िौसि िे्खुनक है. िन्ाथ मपछले कई िष्​्ो् से हि गि्थ मसतंबर ही बद्ाथश्त करते रहे है्. ट्​्ामपकल इलाको्िे्मसतंबर से पय्थटन शुर्होता है. भारत के सिुद्तटीय इलाको् िे् तो आपको इसी सीजन िे् मनकलना चामहये. इस बार तो आप िैदानी इलाको् िे् इस सीजन िे् मनकल सकते है्. आइए इस मसतंबर का स्िागत करे्. मसतंबर िहीने को शरद ऋ तु के आगिन का िहीना िाना गया है. ‘िष्ाथ मिगत शरद ऋ तु आयी’ और िष्ाथ अगस्​्से सिाप्त िान ली जाती है. शरद को सुहानी ऋ तु िाना गया है क्यो्मक िष्ाथ गरिी की धूल को साि कर िौसि को िनुष्य की इच्छाओ्के अनुकूल बना देता है. न गरिी न सरदी एकदि साि और मनि्थल िौसि. अकेले अपने यहां ही नही्पूरी दुमनया िे्मसतंबर को र्िानी िहीना बताया गया है. ओह सेप्टे्बर! दुमनया भर के पॉप गायको्ने इसे इसी तरह याद मकया है. स्िीडन की िशहूर पॉप गामयका पेट्ा िाक्फल्युंड ने अपने अलबि सेप्टे्बर आल ओिर िे् ला ला ला नेिर मगि इट गाकर तहलका िचा मदया रा. मसतंबर का आमखरी हफ्ता सबसे ज्यादा रोिे्मटक और पेज थ्​्ी पाम्टियो् के अनुकूल िाना जाता रहा है. सिुद् मकनारे के ऊष्ण कमटबंधीय इलाको् िे् तो मसतंबर घूिने और िौज िस्​्ी करने का िहीना है. अपने यहां मकसी भी पय्थटन स्रल को देमखए िहां जाने का सबसे अनुकूल िहीना मसतंबर ही बताया जाता है. मसटी ऑि ज्िॉय यानी कलकटा (कोलकाता) िे िरिरी से ही गि्​्ी पडऩे लगती है लेमकन मसतंबर िहां भी सुहाना होता है. िुंबई हो या चेन्नई या केरल के तटीय इलाके िहां अगर कोई िहीना पय्थटको् को सबसे ज्यादा लुभाता है तो मसतंबर ही. एक तरह से पूरे भारतीय प्​्ायद्​्ीप का टूमरस्ट सीजन मसतंबर से ही शुर्होता है. क्यो्मक गंगा-यिुना के िैदानो्के मसिाय या तो यहां भीषण गि्​्ी पड्ती है अरिा असहनीय सद्​्ी. यही हाल दुमनया के दूसरे िुल्को्का है. अिेमरका के दम्​्कणी राज्यो्िे् इन मदनो् िौसि खूब गि्थ होता है और उत्​्री राज्यो् िे् राते् पय्ाथप्त ठंडी. अिेमरका िे् मसतंबर उत्सि का िहीना भी है. िहां पर नागमरकता मदिस और संमिधान मदिस इसी िहीने की 17 तारीख को िनाया जाता है तरा िेबक् सको का स्ितंतत् ा मदिस मसतंबर की 15 तारीख को पड्ता है. अिेमरका और कनाडा िे् मसतंबर के पहले सोि​िार को िजदूर मदिस के र्प िे् िनाया जाता है और उस मदन िहां मिमधित अिकाश होता है. जाम्जथयन

कले्डर का नौिां िहीना मसतंबर ईसा से 153 साल पहले तक सातिां िहीना िाना जाता रा क्यो्मक रोिन कले्डर की शुर्आत िाच्थ से होती री. यूं भी सेप्टि का लैमटन िे्अर्थहै सेिन यानी मक सातिां. रोि िे्जब आगस्ट का साम्​्ाज्य कायि हुआ तो िहां के पंचांग को संशोमधत कर जनिरी से साल शुर्मकया गया और इस प्क ् ार मसतंबर नौिां िहीना बना. सार ही इसके मदन तीस मनध्ाथमरत मकये गये िन्ाथ इसके पहले मसतंबर कभी 29 मदनो्का पड्ता रा तो कभी 31 मदनो्का. अपने यहां के ज्यादातर पंचांग चंद्गणना से चलते है्इसमलए पक्​्ी तौर पर मसतंबर भाद्​्पद िे् पड्ेगा या अम्​्शन (क्िार) िे् यह कहना िुब्शकल होता है लेमकन मिर भी िाना यही जाता है मक जन्िाष्​्िी को जिकर बरस कर िष्ाथ बुढ्ाने लगती है. मसतंबर शुर्होने तक जन्िाष्​्िी संपन्न हो चुकी होती है. गंगा यिुना के िैदानो् िे् जहां षडऋ तुएं िनायी जाती है्िहां िष्ाथ बीतने के बाद शरद ऋ तु का आगिन होता है जो किोबेश मसतंबर का ही िहीना होता है. कांस िूलने लगे तो अपने यहां मकसान अपने अनुभिजन्य िेधा से िष्ाथ की सिाब्पत िान लेते है्. लोककमि घाघ ने मलखा है- ‘बोली गोह और िूली कांस अब छोड्ो िष्ाथ की आस.‘ तुलसी ने भी इसी अंदाज िे् कहा है- ‘िूले कांस सकल िमह छाई, जनु बरखा कृत प्​्गट बुढ्ाई.‘ समदयो् से मकसान घाघ और तुलसी की इसी िान्यता पर भरोसा करते आये है् लेमकन इस बार प्​्कृमत ने धोखा दे मदया. कांस तो अगस्​्के आमखरी हफ्ते िे् ही िूलने लगे रे. जन्िाष्ि् ी के कुछ रोज बाद िै् अयोध्या िे् रा. िहां अयोध्या मरयासत के िौजूदा िामरस कमि यती्द् मिश्​् के राजसदन से सरयू का अपार पाट यूं मदखता रा जैसे पानी का कोई ओर छोर न हो अलबत्​्ा सरयू के मकनारो् पर िूलती कांस यह संकेत जर्र दे रही री मक अब बामरश सिाप्तप्​्ाय है. कामलदास ने अपनी कमिताओ्िे्िौसि को िनुष्य की कािचेतना से जोड्ा है. चाहे िो खरतर ग्​्ीष्ि हो या कािीजनो्को सराबोर कर देने िाली िष्ाथ. पर मसतंबर िास की शरद ऋ तु का िण्थन करते हुए उन्हो्ने भी इसे अत्यंत रम्य और किनीय बताया है. रांगेय राघि ने कामलदास की िशहूर कृमत ऋ तुसंहार के अपने अनुिाद िे्कहा हैिधुर मिकमसत पद्​्िदनी, कास के अंशुक पहन कर, ित्​्िुग्ध िराल कलरि, िंजु नूपुर सा क्िमणत कर. पकी सुंदर शामलयो्सी देह मनज कोिल सजाकर, र्प रम्या शोभनीय नि​िधू सी सलज अंतर. n म्​्पये आई शरद लो िर. शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 37


सवज़​़ापन

िबनम खान

खनक चूत़ियो़ की

यू

पी के मिरोजाबाद के सबसे पुराने िोहल्ले िे् रा रािचरण म्​्तिेदी का घर. पीले रंग की पुताई िाले उस बड्े से घर के बाहर आज सिेद टे्ट लगा हुआ रा. मरश्तेदारो् सिेत पूरा िोहल्ला आंगन िे् मबछी लाल-काली पम्​्टयो् िाली दरी पर पसरा हुआ रा. कुछ लोग सिूह बनाकर िरने िाले से जुड्ी अच्छी-अच्छी बाते् कर रहे रे, और कुछ लोग िरने िाले के पमरिार िालो्को अलग-अलग तरीके से तसल्ली दे रहे रे. िही्इन सब बातो्और चच्ाओ थ ्से दूर समरता पहली िंमजल के अपने किरे िे्बैठी री. मखड्की के बाहर दूर म्​्कमतज को देखते हुए िो अपने जीिन िे् अचानक हुई इस उरलपुरल को सिझने की कोमशश कर रही री. आंसू सब सूख चुके रे, मजनके मनशान अभी भी उसके गालो्पर साि मदख रहे रे. सिेद साड्ी का पल्ला बार-बार उसके मसर से सरक कर मगर जाता तो आसपास बैठी औरते् झट से उसका

38 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

मसर िापस से ढक देती्. जैसे पल्ला मगर जाने से जाने क्या तूिान आ जायेगा. जो तूिान आना रा, िाे तो आकर गुजर ही चुका रा. मपछले चार मदनो् से अस्पताल िे् भत्​्ी रािचरण म्​्तिेदी का कल शाि ही देहांत हो गया रा. कोई पुरानी बीिारी नही्री, अचानक से ब्​्ेन हैम्ेज हुआ. मिरोजा​ाद के सबसे बड्े सरकारी अस्पताल िे् डॉक्टरो् ने हर संभि कोमशश की उन्हे् बचाने की, आगरा के अस्पताल से खास दो डॉक्टर भी आये लेमकन ऊपर िाले की िज्​्ी के आगे मकसकी चली है? सब सुमिधाओ् और न जाने​े् मकतनी दुआओ् के बािजूद रािचरण को बचाया नही् जा सका. समरता के मलए अभी भी इन सब पर यकीन कर पाना िुम्शकल रा. मरश्ते-नाते िाले आकर बारी-बारी से उसके पास शोक जता रहे रे, लेमकन िो अपने शोक को अंदर ही दबाये बैठी री. मपछले एक मदन िे्उसने अपने आप को ये तो सिझा मलया रा मक अब उसे जीिन अपने

पमत के मबना ही गुजारना है, लेमकन बच्​्े का भमिष्य? उसके मलए िो क्या करेगी? बस यही सोचे जा रही री. तभी किरे की दहलीज पर खड्ा उसका चार साल का बेटा मशि​ि बोला, ‘अम्िा, भूख लगी है िौसी, अम्िा हिे् चीनी का पराठा नही् मखला रही. चलो न आप बनाकर मखला दो.’ समरता ने उसकी तरि ि​िता से देखा और हार िैलाकर अपनी तरि बुलाना चाहा, तरी उसकी सतरंगी चूम्डयां खनक गयी्. पास िे्बैठी एक बूढ्ी काकी िौरन बोली ‘हे राि! अब तक चूड्ी न तोड्ी बहुमरया की?’ उन्हो्ने अपने झुर्ीदार हारो् से समरता के चूम्डयो् से भरे हार पकड्े ही रे मक उसने झट से अपने हार पीछे कर मलये. चे चूम्डयां नही्उसके पमत की मनशानी री्, उनका प्यार रा जो तबसे उसके हारो् िे् खनखना रहा रा जबसे िो उत्र् प्द् श े की कांच नगरी मिरोजाबाद िे्बहू बनकर आयी री. कैसे तोड्देती िो इन चूम्डयो्को?


छह साल पहले उत्​्र प्​्देश की ताजनगरी आगरा की समरता की शादी कांचनगरी मिरोजाबाद के चूड्ी व्यापारी रािचरण म्​्तिेदी से हुई री. समरता के घरिालो् ने ये सोचकर रािचरण के सार उसकी शादी करने का िैसला मलया रा मक बेटी यूपी के यूपी िे् ही रहेगी. अपनी रिायते्, अपनी पहचान बनी रहेगी. और मिर दोनो्शहर बहुत पास-पास है्. सड्के् और बसो् की कोई मदक्​्त भी नही् री. बेटी दािाद जब चाहे घर आ जा सकते है्. और ि​िर रािचरण का कािकाज भी अच्छा रा. पूरा शहर इसी कांच की चूम्डयो् के कारोबार से ही तो जाना जाता रा. अच्छी आिदनी और मबरादरी िे् इज्​्त, दोनो् री लड्के के पास. उनके मलए तो िो आदश्थदािाद रा. रािचरण बहुत सीधा और नेक इंसान रा. न कोई शौक, न कोई मशकायत. सुबह सिेरे अपनी होल सेल की चूम्डयो्की दुकान के मलए बाजार चला जाता. मदनभर कारोबार िे् उलझा रहता. मिरोजाबाद के कई व्यापामरयो्की तरह उसकी खास चूम्डयां और कंगन देश-मिदेश तक िे्जाया करते रे. उसकी सात रंग की नग लगी चूम्डयां तो खासी िशहूर री्. चूम्डयो् के व्यापारी रािचरण को अपनी पत्नी को भी चूड्ी पहनाने का बहुत शौक रा. शायद यही एक इकलौता शौक रा उनकी मजंदगी िे्. हर दूसरे-तीसरे मदन रािचरण एक नये रंग की नये मडजाइन िाली चूड्ी या कंगन समरता के मलए लाता रा. समरता झूठिूठ का मबगड् कर कहती, ‘अरे अभी हार िाली चूम्डयां नयी ही है्, तुि और ले आये’ इस पर रािचरण कहता, ‘तुमह् ारा चूड्ी पहनना िेरे कारोबार के मलए शुभ होता है. तुि इतना ित सोचो, बस पहना करो. तुम्हारी चूम्डयो् की खनक से ही िेरे घर िे् रौनक है.’ और आज, उन्ही् चूम्डयो् को तोड्ने की

बात की जा रही री. एक दुमनयादारी के मरिाज के मलए िो अपने पमत की आत्िा को दुखी नही् कर सकती री. समरता ने उस मदन चूम्डयां तोड्ने के मलए साि-साि इनकार कर मदया. िोहल्ले मरश्तेदारो् िे् ये बात आग की तेजी से िैल गयी. लेमकन ये तो बस शुर्आत री, इसके बाद समरता ने जो मकया िो कुछ ऐसा रा मजसके बारे िे् उसकी मबरदारी और सिाज के लोगो्ने कभी सोचा ही नही्रा. ‘मशि​ि के पापा का चूम्डयो्का कारोबार, उनकी दुकान िै् चलाऊंगी. उसे कोई नही् बेचेगा.’ घर और खानदान के बड्े बुजुग्ो की चल रही बातचीत के बीच समरता ने नि्थलहजे लेमकन दृढ्मिश्​्ास के सार ये बात रखी. कुछ पल के मलए सभी सकते िे् आ गये. मिर बड्े जेठ जी खड्े हुए और सख्त आिाज िे् बोले, ‘बहू तुझे पता भी है तू क्या बोल रही है? तू कैसे चला सकती है चूम्डयो्का कारोबार?’ िाहौल गि्ाथता देख उस बैठक के सबसे बुजुग्थ शख्स रािचरण के मपता बोले, ‘देख बहू, तू बच्​्ेऔर अपने खच्​्े-िच्​्े की मिक्​् ना कर, दुकान बेचकर इतना पैसा आ जायेगा मक मशि​ि के बड्े होने तक दोनो्िां बेटे गुजारा कर लोगे.’ ‘इस कारोबार िे्मशि​ि के पापा की आत्िा बसती है बाबा, और िै्उनके बेटे को इज्​्त की मजंदगी देना चाहती हूं, मिध्ािाओ् को सरकार िदद जर्र देती है लेमकन इसका ितलब ये नही्मक हि मनभ्थर हो जाये्. िेरी जैसी बहुत सी आैरते् हिारे यूपी िे् काि करती है्, िै् भी करं्गी.’ इस पर सभी लोग उठ खड्े हुए और नाराजगी िे्जाने लगे. जाते-जाते जेठ जी ताना िरना नही् भूले, ‘सुहागनगरी िे् चूड्ी की दुकान मिधिा चलायेगी, कलयुग है. अपशगुन कर रही है तू बहू, पूरे खानदान को पाप चढ्ाएगी.’

कहां रािचरण अपनी पत्नी और चूम्डयो्के मिलन को शुभ कहता रा, और कहां, ये सब इसे अपशगुन िान रहे है,् ये बात समरता के मदल िे्चुभ गयी री. उसने अपनो् को नाराज करके भी अपने पमत की मजंदगी उनका कारोबार संभाल मलया रा. लेमकन िो मजस सिाज की महस्सा री िो पुरानी दमकयानुसी सोच िे् इस कदर उलझा हुआ रा मक एक मिधिा की कल्पना चूम्डयो्के सार कर ही नही् सकता रा. छोटे से शहर िे् सभी को ये बात िालूि चल गयी री, मजसका असर कारोबार पर पड्ा रा. समरता ने अपने चार साल के बेटे को पास के सरकारी स्कल ू िे्नस्रथ ी क्लास िे्डाल मदया रा. िहां उसकी पढ्ाई पर कोई खच्ाथ नही् रा. स्कूल िीस से लेकर, यूनीिॉि्थ, मकताबे्कॉपी सब िुफ्त री. लेमकन घर िे् तो खच्ाथ रा ही. समरता परेशान री, हां लेमकन हैसले अभी भी पस्​्नही्हुए रे. ऐसे ही िुम्शकल मदनो्िे्जब िो एक उदास दोपहर अकेली दुकान पर बैठी री तो एक शख्स आया. ‘ये रािचरण म्​्तिेदी की दुकान है?’ समरता ने दुकान पर लगी अपने मदिंगत पमत की हार चढ्ी तस्िीर पर एक बार नजर डाली और कहा, ‘जी, उन्ही् की दुकान है. आपको कुछ काि है?’ ‘िै्लखनऊ से आया हूं. म्​्तिेदी जी ने हिे् कुछ सै्पल भेजे रे. नग की चूम्डयो् और कांच के कंगन िगैरह के. िो सै्पल पास हो गये है्. रेट तय करने आया हूं, िामलक ने भेजा है.’ लखनऊ, कानपुर, बरेली, झांसी िे् िमहलाओ्के इस्​्ेिाल और श्​्ृंगार की चीजो्के चार बड्ेशोर्ि रे उनके. िो लोग अब चाहते रे मक म्​्तिेदी की चूम्डयां िहां बेची जाये्. समरता के उसके पमत दुमनया छोड्कर जाने से पहले उसके और अपने चूम्डयो्के कारोबार के मलए एक बहुत बड्ा काि कर गये रे. कुछ िहीनो्िे्म्​्तिेदी की चूड्ी का कारोबार मिर से चल पड्ा रा. म्​्तिेदी की दुकान जैसी चूम्डयां पूरे मिरोजाबाद िे्कही्और नही्मिलती री, तभी तो चार-चार शहरो्िे्मबकने जार ही री्. ये बात सभी को सिझ आने लगी री. एक बार कारोबार मिर से जिने से खानदान के लोग समरता के इस िैसल का सिर्थन करने लगे रे. उसके ससुर ने खुद मसर पर हार रखा आशीि्ाथद देते हुए कहा रा, ‘खूब नाि रोशन मकया तूने िेरे बेटे का बहू. और तरक्​्ी कर.’ िही् समरता ने अपने लोगो् और सिाज की पुरानी र्म्ढिादी सोच को गलत सामबत कर मदया रा. उसकी मजंदगी िे्एक बार मिर चूम्डयो्की खनक िापस आ चुकी री. (िूचना एवं जनिम़पक़क सवभाग उत़​़ार प़​़देि द़​़ारा प़​़कासित) शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 39


सादहत्मास् य/सं ट हेसड्मरण

जीवन का मोल

है तामक सम्दयथ ो्िे्जब पहाडो्िे्िनस्पमत सृजन नगण्य होता है तब यह सूखी घास पशु चारे के िुभाष तराण र्प िे् इस्​्ेिाल की जा सके. घर िे् र्पये की आिद शुर् तो हुई मकन्तु खली, चोकर और घास कटिाने की िजदूरी िे् बराबर जाता भी रहा. हां, घर िे्दूध, दही, िक्खन और घी प्च ् रु ले ही देश आम्रथक िात् ा ् िे ् मिलने लगा. पू र ा पमरिार मबना मकसी उदारीकरण के मलए ् की तीिारदारी िे् जुटा रहता. सरदार िनिोहन मसहं अिकाश के भैस सु ब ह स् क ल ू जाने से पहले िुझे भी िां के सार और नल्बे के दशक को जाकर एक बडा गट् ्र घास लाना पडता और याद रखता हो, लेमकन िेरे स् क ल ू से आने के बाद भैस ् को चराने हेतु खेतमपताजी पमरिार के महत िे् जं ग ल खटना पडता. यह मसलमसला साल भर ऐसी कोमशश उससे भी चलता रहा. पांच बरस पहले भै्स खरीदकर कर चुके रे. जैसी मक क्​्ेत् की मनयमत री, दूसरे साल मपताजी जब भैस ् खरीद कर लाये तो घर िे जश्न सरीखा िाहौल रा. ऐसा लग रहा रा िानो आज बामरश नही्हुई. सािन-भादौ्मबना बूदं बरसाये ही भारत आजाद हुआ हो. हाड-तोड िेहनत के ही मनकल गये. उन्ही्मदनो्िेरे घर के नीचे नदी बाद अच्छी फसल के मलए आसिान पर भरोसा पर पुल बनने का काि शुर्हुआ. िो पुल तो तभी हिारे क्त्े ्की मनयमत री. कई बार सािन-भादो् बन गया मकन्तु आज से तीस बरस पहले बननी मिना बरसे ही गुजर जाते. नहर जैसी व्यिस्रा शुर् हुई िह सडक मजसको जोडने हेतु पुल तो िहां आज भी नही् है. कभी-कभी तीसरे या बनाया जा रहा रा, एक पढे-मलखे् एिं चौरे साल एक बार कायदे की फसल हो जाये राजनैमतक रसूख िाले पमरिार की हठ-धम्ितथ ा तो सिझो िेहनत सफल हुई अन्यरा अनेको्बार के चलते आज तक हामशये पर है. पुल के तो बीज के भी लाले पड जाते. भले ही ठेकेदार ने नदी के उस पार काि करने हेतु जनप्म्तमनमध सरकार से सूखे और बाढ के नाि िजदूरो्, सीिेट् , लोहा एिं अन्य सािान ले जाने पर आपदा घोमषत करिा कर फंड हामसल कर के मलए एक लोहे की तार पर ट्​्ॉली लगायी गयी लाते, लेमकन इस िंड का आि लोगो्से कोई री. मपताजी की देखा-देखी अन्य मिरादरी िालो् ने भी भै्से खरीद ली, इसमलए अब सूखे के सरोकार न होता. मपताजी ने नाते-मरश्तेदारो् से कज्ाथ लेकर कारण घास एिं पम्​्तयो् के मलए नदी पार िाले भै्स खरीद ली. यह मपताजी का पमरिार की जंगल जाने की व्यिस्रा के बारे िे्सािूमहक र्प आम्रक थ ब्सरमत िे्सुधार हेतु एक नया प्य् ोग रा. से योजना बनाई गयी. अब िेरी मदनचय्ाथ यह तय आसपास के लोगो्के बीच हिारी भैस ् के गुणो् री मक मबरादरी के घमसयारो् के सार घर से सुबह-सुबह मनकलना, की चच्ाथ होने लगी. भैस ् हम लोग मवे क शयों िे साथ रात तार पर लगी ट्​्ॉली से की गाय से तुलना की नदी पार करना, घास िो ही चलते. कदन िो किसी जाने लगी. गाय दो एिं पम्​्तयां काटना, मकलो दूध देती है, भै्स छायादार जगह पर डेरा जमा उसका गट्​्र बनाना दस मकलो. गाय का कदया जाता और रातोंिो सफ़र और मफर ट्​्ॉली िे्घास गोबर एक टोकरी, भै्स जारी रहता. का गट्​्र रख कर नदी का पांच टोकरी. िां पास कर घर आना. मपताजी खुश रे, अब घर िे् दूघ-घी बेचकर नगद र्पया आयेगा जो पढने िालो् के मलए यह रोिांच हो सकता है उस सिय हिारे यहां की खेती बाडी से संभि ही लेमकन हिारे मलए यह हिारी जर्रत री. ट्​्ॉली नही रा. सारा पमरिार भैस ् की सेिा-सुशष्ु ा िे् को घास के गट्​्र के सार सािन-भादो् की जुट गया. जंगल िे्चारा प्च ् रु िात्​्ा िे्रा क्यो्मक उिनती टो्स नदी के उपर से पार करने के मलए, उस िष्थबरसात अच्छी हुई री. िगर यह काला लोहे के तारो् को हारो् से खी्चना अब भी जब जानिर मकतना खाता है, इस बात का मकसी को कभी याद आता है तो रो्गटे खड्ेहो जाते है्. एक पहले से इल्ि न रा. पहाडो् पर बरसात खत्ि सिय यह िेरा रोज का काि रा . ज्रा सी चूक होते ही जंगल से घास को काटकर सुखाया जाता से ट्​्ॉली का पमहया तारो्को खी्चते हुए हारो्पर

िंस़मरण

40 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

चढ्सकता रा. यहां लगी ट्​्ॉली से कभी मकसी की जान तो नही् गयी लेमकन इसकी सिारी िे् कई लोग अपने हारो् की उँगमलयां ज्र्र खो चुके रे. शुर्आती डर के बाद िै् इस काि िे् पारंगत हो गया रा. जीिन के ये तजुब्े जीिन िूलय् ो् की मशक्​्ा हेतु मकताबो् से बेहतर सामबत हुए . यह िुझे इतना तो मसखा ही गये मक जीिन िुबश् कल पमरब्सरमतयो्िे्भी र्कता नही्है और यह जीिन की प्क ् मृ त ही है जो जूझने को प्म्ेरत करती है . मकसी तरह मबना बरसी बरसात और सम्दयथ ां गुजरी. जाते चैत और आते बैसाख तक ि​िेमशयो् को मखलाने के मलए कुछ भी नही्बचा. रक-हार कर मपताजी ने एक िन गूजर से बात कर उसके पमरिार और ि​िेमशयो्के सार िुझे भी भैस ् संग पहाडो् िे् उपर बुगय् ालो् की ओर चलता करके मदया. िन गूजर नूर िोहम्िद के पास ि​िेमशयो् के चरान-चुगान के मलए जंगल परमिट रा. िै् अपने सिेत तीन जीिो् को लेकर नूर िोहम्िद के पमरिार और उसके ि​िेमशयो्के सार शामिल हो मलया. िौसि गि्थ हो रहा रा, इसमलए हि लोग ि​िेमशयो् के सार रात को ही चलते. मदन को मकसी छायादार जगह पर डेरा जिा मदया जाता और रातो्को सफर जारी रहता. दो रात लगातार चलने के बाद तीसरे रोज, िै्और नूर िोहम्िद सुबह-सुबह छोटे बछडो्को दूध मपलाने के बाद, उन्हे्हांककर आगे चले मदये. उसके पमरिार के सदस्य बडे ि​िेमशयो् को चराते हुए हिारे पीछे आने लगे.


भले ही हि और हिारे ि​िेशी काफी ऊँचाई पर पहुंच चुके रे, जहां िौसि सुहाना रा, लेमकन दो रोज चलने के बाद रके-िांदे छोटे बछडे पस्​्हो चुके रे. तीसरे मदन के सफर िे् हि िात्​् तीन मकलो िीटर के लगभग ही चल पाये क्यो्मक नूर िोहम्िद के निजात बछडे ने घुटने टेक मदये रे जबमक बडे ि​िेशी और नूर िोहम्िद का पमरिार दूसरे रास्​्े से उस गंतव्य के पास पहुंच चुके रे जहां नूर िोहम्िद सपमरिार अपने जानिरो् के सार हर साल की गम्ियथ ो् िे मिचरते. बछडे आज अपनी तयशुदा यात्​्ा पूरी करने िे् असिर्थ रे. इस मचंता के चलते नूर िोहम्िद जला-भुना जा रहा रा मबना बछडो्के भैस ् े रात आसिान सर पर उठा लेग् ी. अब रात होने को री. ऐसे िे्रात को चलना खतरे से खाली न रा, सो एक ऐसी जगह तलाश की गयी जहां रात गुजारी जा सके. िेरा मबस्र् और बत्नथ िेरी पीठ िे् एक बोरे िे् लदे रे. नूर िोहम्िद के पास दूध के मलए इस्​्ेिाल होने िाले दो बडे बत्नथ रे. िह इस रास्​्ेका पुराना िुसामफर रह चुका रा, उसने लगभग 200 िीटर आगे मकसी अपने जैसे खानाबदोश का उजडा झौ्पडा खोज मनकाला मजसके उपर छ्पप् र तो ठीक-ठाक ही री, लेमकन दीिारो् को देख कर झौ्पडा, झौ्पडे का कंकाल िालूि पड रहा रा. िेरे पास खाना पकाने के बत्थन तो रे, लेमकन राशन नही् रा. राशन नूर िोहम्िद के लडको्की पीठ पर लदा रा और िे लोग हिसे काफी आगे मनकल चुके रे. चलते सिय िां ने िक्​्ा के भुने दाने बांध मदये रे. आज की रात

इन्ही्िक्​्ा के भुने दानो के सहारे री. दोनो ने् िही िक्​्ा के भुने दाने खाये, पानी मपया और किर को सीधा करने की तैयारी करने लगे. झौ्पडे की तीन दीिारे् उधडी पडी री इसमलए तीनो् तरफ आग जला दी गयी क्यो्मक रात िे् बाघ और तेद् आ ु जैसे जंगली जानिर बछडो्पर हिला बोल सकते रे. नूर िोहम्िद जानता रा मक जंगली जानिर आग के नजदीक कभी नही् आते. झौ्पडे के अंदर सोने के मलए बनाये गये ठीयो् पर गुजारे भर के मिस्​्र मबछाये गये. जिीन से लगभग दो फुट उंचे उठे इन ठीयो्की खामसयत यह होती है मक गि्​्ी के दौरान पहाड के सदाबहार जंगलो्िे्रोजाना होने िाली बामरश से जिीन हिेशा ही गीली रहती है. ये ठीये जहां एक और मबस्र् को भीगने से बचाते है िही्इन मठयो्के पाये छोटे बछडे, मजन्हे जंगली जानिरो् का डर होता है, को बांधने के काि लाये जाते है.् बडे बछडो्को िेरी तरफ बांधा गया जबमक एक किजोर से बछडे को, मजसकी बजह से हि आगे नही्बढ पाये रे, नूर िोहम्िद ने्अपने ठीये के पाये से बांध मदया. मदन भर के रके-िांदे हि जैसे ही मबस्र् पर लेट,े पता ही नही् चला मक कब आंख लग गयी. शायद कुछ ही सिय हुआ होगा मक आसिान गरजने लगा और हल्की बूंदा-बांदी शुर्हो गयी. आसिान ऐसे गरज रहा रा िानो अभी टूट कर मगरना चाह रहा हो. गि्थ होते सदाबहार िनो्िे्इस तरह का िौसि आि होता है. रके होने के कारण िेरी शायद तब भी आंख न खुलती लेमकन नूर िोहम्िद की मचंता यह री की जो बाहर आग जल रही री िह बुझने को हो रही री. तेज होती बामरश ने आग की लपटो्को पस्​्कर मदया. जंगल के खतरो्से िामकफ नूर िोहम्िद ने िुझे भी आिाज देकर जगा मदया. िह िुझ से बात कर ही रहा रा मक घात िे्बैठे तेद् एु ने नूर िोहम्िद के ठीये के पाये िे्बंधे निजात बछडे पर हिला कर मदया. बाघ ने बछडे को गरदन से पकडा और एक झटके के सार बाहर खुले िैदान की तरफ उछाल मदया. इस झटके ने् बछडे के गले िे् बंधी िजबूत प्लाब्सटक की रस्सी को ठीये के पाये सिैत उखाड मदया. जहां बछडा रस्सी और ठीये के पाये समहत झौ्पडी के बाहार रा िही ठीया नूर िोहम्िद सिेत रणक्त्े ् िे् भाले के आधात से घायल घोडे की तरह भरभरा कर जिीन पर फैल गया. रात के दूसरे पहर के सिय गरजते बरसते आसिान ने िैसे ही िेरे हालात खराब मकये हुए रे, ऐसे िे्बछडे पर तेद् एु के हिले ने िेरी मघग्घी बन्द कर दी. नूर िोहम्िद जिीन पर मगरने के बाद भी तुरन्त खडा हो गया और बाहर की तरफ शोर िचाते हुए भागा. िै्बहुत जोर से मचल्लाना चाहता रा लेमकन िेरी आिाज मनकल ही नही् पा रही री. कुछ क्​्ण पि्​्ात िेरे होश दुर्स्

हुए. महम्ित जीिन की जर्रत होती है. जीना भले ही िुब्शकल हो, लेमकन नािुिमकन नही होता. इस सिय िेरी महम्ित भी नूर िोहम्िद ही रा सो िै्बडी तेजी के सार बाहर मनकला. टाच्थ का उजाला मलये िह पता नही् क्या बडबडाये जा रहा रा. िैने उसके हार से टाच्थ ली और बछडे का जायजा लेने लगा. नूर िोहम्िद के शोर िचाने पर बाघ ने बछडे को छोड तो मदया रा, लेमकन बछडा अब इस हालात िे्न रा मक उसको मफर से खडा मकया जा सके. उसकी गरदन पर लगे बाघ के दांत की जगहो्पर खून उबल रहा रा. बामरश और तेज हो गयी री. बाघ नूर िोहम्िद के पमरिार के भमिष्य की संपम्​्त िे् सेध ् लगा चुका रा. नूर िोहम्िद सर पकड कर जिीन पर बैठा हुआ रा. िैन् े बछडे को उठा कर अंदर झौ्पडे िे् रखना चाहा लेमकन उसने िुझे ऐसा करने से रोक मदया. बामरश अब मिकराल र्प ले चुकी री. लग रहा रा मक बादलो् को फाड कर उनके उपर िाला नीला मसंधु धरती पर उतरने का िन बना चुका है. पहाड िे्बामरश के दौरान पानी ठहरता तो है नही्, मकंतु बहता द्त्ु िेग से है. देखते ही देखते ऊपर की ओर से आते पानी ने झौ्पडे के अंदर के सािान को बहाना शुर्कर मदया. बादलो्के बीच ढका चांद अपने प्भ् ाि के चलते िािूली सा धुध ं लका मकये हुए रा. इसी धुधं लके िे्झौ्पडे के अंदर रखा नूर िोहम्िद के दूध का बत्थन पानी िे् बहता मदखाई देने लगा. यह कोढ के बाद खाज जैसा रा. नूर िोहम्िद ने तुरतं बछडे को उसके हाल पर छोड कर नीचे की ओर नीि होते अंधरे े िे्पतीले के पीछे दौड लगायी. भारी बामरश के चलते बगल िे्बह रहा गदेरा सचिुच का सिंदर हुआ जा रहा रा, गदेरा ऐसा भान करिा रहा रा िानो कोई पागल हारी मचंघाड रहा हो, मकन्तु नूर िोहम्िद इस सब से बेपरिाह पतीले के पीछे नीचे गदेरे की तरफ तेजी से उतरने लगा. िानि अमधकारो् की िकालत करने िाले लोग भले ही जीिन को बेशकीिती बताते रहे्हो्, लेमकन इस सिय नूर िोहम्िद के जीिन का िोल उस पतीले के सिकक्​् रा जो पानी के बहाि के सार नीचे गदेरे िे्उतरने को हुआ जा रहा रा. यह गरीब की मबडंबना है मक जीिन िे् अनेको् बार उसके जीिन का िोल मकसी बत्नथ के सिकक्​्हो जाता है. कुछ देर बाद नूर िोहम्िद हारे हुए योि्​्ा की तरह सर झुकाये िामपस आता मदखाई मदया. बामरश बछडे की सांसो्की तरह अब र्कने को हो रही री, केिल बगल िे्बह रहे गदेरे का शोर जीिन के मलए संघष्थ कर रहे उस मशकारी की धडकनो्को जज्ब कर रहा रा, जो शायद िही् कही् घात लगाये बैठा हिारे िहां से जाने का n इंतजार कर रहा होगा. (लेखक युिा कमि और कहानीकार है.्) शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 41


सादहत्य/समीक्​्ा

जीवन के नमक की कदवता असनल की कसवता स्थानीयता की जमीन से पैदा होकर वैस्िकता के आकाश मे्फैलती है. महेि चंद़ पुनेठा

की सीढ्ी.’ कमि जानता है् मक चूसे जाने की यह श्​्ृंखला पहाड् तक ही सीमित नही्है, बब्लक- ‘िै्भी उसी कतार िे्खड्ा हूं मजस कतार िे्खड्े मनल काक्​्ी कुिांउनी लोक िे्आकंठ डूबे हुए कमि है्. लोकजीिन है्िेरे भाई/काले हल्शी,अफ्​्ीकी,बलूची,आमदिासी अब मिमलस्​्ीनी भी.’ अमनल की कमिता स्रानीयता की जिीन से पैदा होकर िैम्शकता के और उसकी मिमिधताओ् की मजतनी बारीक सिझ अमनल िे् है, उतनी इधर के कि ही युिा कमियो् िे् मदखाई देती है. लोकजीिन की आकाश िे्िैलती है. िह साि-साि कहती है: ‘धरती की मकसी भी जगह सिझ के िािले िे्िे गीरीश तिारी मगद्ाथ के नजदीक लगते है्. अमनल िे् होते है्पहाड्.’ और इन पहाड्ो्िे्रहने िालो्के संघष्थसभी जगह लगभग मगद्ाथ का जैसा पहाड्ीपन और हौ्मसयापन दोनो् मदखाई देता है. अमनल एक जैसे है्. सभी जगह पहाड्ो् को काटा-पीटा-लूटा-डूबाया जा रहा है. लोकगीतो् की शैली और मिरको् का बेहतरीन उपयोग करते है्. मपछले उनके गभ्थिे्छुपे अिूल्य संसाधनो्को लूटा जा रहा है. दुमनया के सबसे मदनो्दखल प्​्काशन से आए उनके पहले कमिता संग्ह ‘उदास बखतो्का ऊंचे पहाड्ो्को जीतने के मलए, अपने झंडो्और औजारो्को ढोने के मलए उनके रहिामसयो्की पीठो्का इस्​्ेिाल मकया जा रहा है. इतना ही नही्, रिोमलया’ की कमिताओ्िे्ये बाते्साि-साि देखी जा सकती है्. अमनल काक्​्ी का कमि िन अपने गांि की सबसे ऊंची जगह पर खड्ा उन्ही् के कंधो् पर चढ्कर लोकतंत् पर कल्जा मकया जा रहा है. उनके होकर पूरी दुमनया को देखना चाहता है, अर्ाथत उसका के्द्अपना जीया- संतानो्की चीख-पुकार को अनसुना मकया जा रहा है. लेमकन कमि उन्हे् भोगा लोक है, जहां कमि की उदासी और उम्िीद दोनो् की जड्े् है्. कमि बहुत गहराई से सुनता है, िह पहाड्को ‘पहाड्’बनाने िाली इजाओ्(िां) का लोक बाहर से भले ही मजतना खुरदुरा-उबड्खाबड्और कठोर-चट्​्ानी की ताकत को जानता है और कहता है: मजन्हो्ने पहली बार िशाल जलाकर/अंधेरी रातो्िे्घर से बाहर मनकलना मसखाया मदखता हो, भीतर से बहुत नि्थ है. अमनल ने अपनी िुझे/मजन्हो्ने बताया रास्​्े पार करना/बीहड्ो् िे् गीत कमिताओ्िे्जीिन के संपन्न पक्​्को नही्बब्लक अभाि गाना/पहामड्यो् पर पैर जिाना/और अपने महस्से की पक्​् को चुना है: ‘िै् उन अनाि/घायल लोगो् के बीच हमरयाली को काटना/दुग्थि बीहड्ो्से.’ की/कराह हूं...चीख हूं/जो िर खप जाएंगे.’ अमनल एक ऐसे भूगोल से जुड्ेहै्मजसे हिे्आंदोलन जहां अभाि और उपेक्ा है िही्कमिता की जर्रत के भूगोल के र्प िे् जानते है्. पृरक राज्य मनि्ाथण को भी है. अभाि पक्​्के मलए लड्ने का औजार कमिता ही लेकर उत्​्राखंड के मनिामसयो् ने एक लंबा आंदोलन है जो जीिन के कमठन संघष्​्ो् िे् सुस्ाने की जगह मकया. इस आंदोलन से िहां रहने िालो्की गहरी आशाउपलल्ध कराती है. िौन के मखलाि उठ खड्े होने को आकांक्ाएं जुड्ी रही. स्रानीय मनिामसयो् को लगता रा प्​्ेमरत करती है. िह जानती है मक इस व्यिस्रा ने चारो् मक पहाड्ी राज्य बन जाने से सरकार की नीमतयो् का ओर ‘िौन अपेम्कत है’ की अघोमषत तख्ती लगाई, है, मनि्ाण थ और म्​्कयान्ियन उनकी आशाओ्-अपेक्ाओ्और मजसका उद्​्ेश्य मिसंगमत-मिडंबनाओ् के मखलाि उठने जर् र तो् के अनुर्प होगा. जल-जंगल-जिीन िे् पूरी िाले मकसी भी प्​्श्न को रोकना है. कमिता भयानक तरह सिु दाय का मनयंत्ण रहेगा. ‘शराब नही्-रोजगार आपदाओ्के बाद भी चूलह् े जलाने की आग बनती है, श्ि् दो’ जै स ी मचर पमरमचत िांग पूरी होगी. पहाड्ी स्​्ी की पीठ का गीत बनकर िूटती है, श्​्ि​िीर का सार मनभाती है. उदास बखतो् का रमोवलया: अवनल और िन का बोझ कि होगा. पहाड्का पानी और पहाड् अमनल निक को जीिन िानने िाले कमि है,् क्यो्मक काक् ी ् ; दखल प् क ् ाशन, इं द प ् स ् र ् की जिानी पहाड् के काि आएगी. पहाड् के पय्ाथिरण िे जानते है्मक ‘पसीने का स्िाद निक की तरह ही होता है/रक्त भी निकीन होता है/आंसू की धार भी निकीन एत्सटेश् न, पटपड्गजं , वदल्ली; सौ र्पये और मिकास के बीच संतुलन स्रामपत होगा. लेमकन हुआ कुछ अजीब ही. राज्य बनने के बाद िामियाओ्की नईहोती है/बहती नाख भी निकीन होती है.’ यह निक कमि को उत्​्राखंड के पहाड्ो् से लेकर दम्​्कण अफ्​्ीका के आमदिासी पुरखो् तक िे् मदखाई नई प्​्जामतयां पनप आयी. लोक की उम्िीदे्उदामसयो्िे्बदलती जा रही देता है जो ग्िाले,अहीर,शेरपा,चरिाहे,डो्गमरया आमद-आमद है्, ‘मजनको है्. ये उदामसयां अमनल की कमिताओ् िे् जगह-जगह व्यंमजत होती है्. िे इमतहास के कुचक्​्ो्का बार-बार मशकार होना पड्ा है.’ भले-‘इमतहास ने इस उदास बखत के ‘रिोमलया’ के र्प िे्सािने आते है्और ‘राजा’ के उन्हे् अनपढ्,िलेचछ ् घोमषत मकया हर बार’, लेमकन कमि कहता है: ‘िे प्​्मत अपने गहरे आक्​्ोश को प्​्कट करते है्. प्​्कारांतर से यह उस लोक इमतहास के उन पृष्ो्के पीछे मजंदा है्/मजन पृष्ो्पर राजाओ्,अितारो्के का आक्​्ोश है जो आज राज्य को लेकर देखे गये सपनो्को टूटते देख खुद बोझ िे्उन कराओ्िे्मजंदा है/मजन्हे्गाता है आज भी/िेरा भाई आंगन- को ठगा सा िहसूस कर रहा है. इस पर कमि केिल आक्​्ोश ही नही्व्यक्त पटांगण/िेरे ही पुरखे है् मजनकी कराओ् िे् आज भी जीने की कसक करता है, बब्लक ब्सरमतयो्को बदलने के मलए श्​्िजीिी िग्थको जगाता भी है,जो खेत के कािगार और जिीन के दािेदार है्. िह उनसे अपने पुरखो् है/स्िामभिान के सार.’ अमनल पुरखो् िे् अपनी पहचान की मशनाख्त करते हुए इमतहास िे् की संघष्थशील परंपरा को अपने भीतर जगाने की अपील करता है. िह उनके सार शुर्हुए शोषण-उत्पीड्न को ताम्कक फ ढंग से ित्िथ ान से जोड्ते उदास जर्र है, लेमकन हताश नही्है. उम्िीद का मदया उसके भीतर जलता है्: ‘उस सिय भी सिुद्िंरन का सारा मिष/पमरमध पर खड्ा िेरा पुरखा रहता है: ‘देखना रे मखलेगा एक मदन जंगलो् िे् बुरांस/भरेगा एक मदन पी रहा रा/आज भी िरे जा रहे है्पहाड्,पि्थत,नमदयां,सिंदर/आज भी पी कािल िे् रस/भरे्गी नमदयां/कूदेगी ताल की िाछी/छी्ड् का पानी n रही है िेरी पीढ्ी मिष/आज भी पहाड्बने हुए है/् जीते जी उनके स्िग्ारथ ोहण िोड्ेगा/डांसी पत्रर.’

42 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016


सादहत्य/कदवता युिा कमि और अनुिाद. मिमभन्न पत्​्-पम्​्तकाओ्िे्और ल्लॉग पर कमिताएं प्​्कामशत. बांग्ला कमिता के महंदी अनुिाद भी मकये है्.

िुलोचना वर्ा​ा की कसवताएं

िोिे का पुि

कुछ सिय पहले हिारे गांि बखरी बाजार जाते हुए पार करना होता रा लोहे का एक पुल डरहा िे् ठीक इसके नीचे बहती री एक टूटे किर िाली नदी जो चिक उठती री तेज धूप िे्आईने की तरह पड गयी है्अब बहुत दरारे्इस जज्थर लोहे के पुल िे गांि िालो्के सार सरकारी िहकिे के मरश्तो्की तरह और ढह सकता है यह मकसी भी क्​्ण भरभरा कर इस देश के जननायक के प्​्मत हिारी आस्रा की िामनंद गांि िाले यहां तक आते तो है्तेज क़दिो्से चलते हुए पर मठठक कर है्र्क जाते है्मक मिपम्​्त अचानक ही है आती हालांमक नीचे बहते नदी िे्इतना भी नही्बचा है पानी मक डूब सके कोई एक साल का बच्​्ा भी मिर कौन होना चाहेगा आहत कीचड िे्सन कर जबमक नही्मछपी है सरकारी अस्पताल की हालत मकसी से जो मक है इस जगह से कोई चार-पांच िील दूर करती हूं मिर भी यह उम्िीद मक जाऊं जब अगली बार िै्अपने गांि देखूं मक हो गयी है िरम्ित टूटे पुल की जो लोहे का होकर भी जज्थर है पडा दौड रहे हो्उस पर लोग और िोटर गाडी मक िह िहज एक लोहे का पुल ही नही् जमरया है संपक्फका, दस्​्ािेज है इमतहास का मजसे नही्बहने देना चामहए सूख चुकी नदी िे्भी मक बचा रहा इमतहास और बचा रहे संपक्फ मिर सार गांि िालो्का बना रहे न रहे.

इरोम चानू शम्​्ीिा हौआ नही्होता है िौत का आना आप हो सकते है्खच्थठीक उसी तरह जैसे खराब नल से टपकता है पानी िृत्यु है जैसे कोई एक िछुआरा मजसने िैला रखा है जाल हर तरि जल रल और आसिान तक िे् आप िर सकते है्मबना मकसी योजना के बस, ट्​्क या िोटर कार के नीचे आकर या मिर उतर सकती है पटरी से रेलगाडी मजसिे्आप इस िक्त सिर कर रहे है् मिर आि है मि​िान का दुघ्थटनाग्​्स्हो जाना हौआ नही्होता है िौत का आना आप हो सकते है्खच्थठीक उसी तरह

जैसे खराब नल से टपकता है पानी चमकत करता है िुझे अक्सर मजंदा रहना उस बहादुर स्​्ी इरोि चानू शि्​्ीला का मजसने मकया है इनकार िर-िर कर जीने से और िर रही है हर पल जी-जी कर जैसे उंगमलयो्को चाट रही हो खाने के बाद कुछ इस तरह स्िाद ले रही जीिन का जहां हि​िे्से अमधकांश बीता रहे है्जीिन िह कह सकती है मक उसने इसे मजया सार्थकता से मबस्कुट के छोटे - बडे टुकडो्की तरह नही् बब्लक पान की मगलौरी की तरह चबाकर िुझे िह मकसी मकसान की तरह लगती है जो रोप रही है बीज जीिन िे्आशाओ्के उसकी सोच जो है मकसी पारसिमण के सिान िै्चाहती हूं जा टकराये मनयमत का पत्रर उससे और सोने सा चिक उठे िानिता का चेहरा हौआ नही्होता है िौत का आना आप हो सकते है्खच्थठीक उसी तरह जैसे खराब नल से टपकता है पानी.

आत्मित्या जल रहे रे जंगल, सूख रही्री्नमदयां काटे जा रहे रे पहाड और इस तरह बीत रही री समदयां सहने की सीिा री, पृथ्िी अिसादग्​्स्हुई िह पृथ्िी के अनंत प्​्ेि िे्रा पागल ईश्​्र ने आत्िहत्या कर ली.

n शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 43


मास् यायावरी ट हेड

अमेसरका का लॉस वेगास शहर, अपनी रंगीन रातो्और कसीनो के सलए दुसनया भर मे्जाना जाता है. वहां जाकर एहसास होता है सक एक पूरी उम्​्चासहए लॉस वेगास की चकाचौ्ध को अच्छी तरह जानने के सलए.

रात की बांहो् मे्

डॉ. स़वासत सतवारी

स जीिन िे् एक बार असली टेबल पर पोकर खेल मलया और बन गयी जुआरी. जीतने का दांि कृत और हारने का दांि कमल कहलाता रा. बौि्​् ग्र ्ं ो् िे् भी कृत और कमल का यह मिरोध देखा जा सकता है. जुए िे्बाजी लगाने के मलए धन की आिश्यकता होती है. पामणनी ने इसे ग्लह कहा है. िहाभारत के प्ख् य् ात जुआरी शकुमन का कहना है मक इस बाजी के कारण ही जुआ लोगो्िे्इतना बदनाि हुआ. यह भी सच है मक जुआ प्​्ाचीनकाल से ही एक सि्वथ य् ापी िनोरंजन रहा है. िध्यि​िग्​्ीय घरो्िे्दीपािली के अिसर पर इस शौक को पूरा करने की छूट दी गयी है. यह परंपरा के नाि पर होता है. हर देश िे् इसके मलए कोई न कोई सुमिधाजनक जगह िुकर्रथ की जाती है. लेमकन ब्ह् ि् ïांड िे्ऐसी जगह कि ही है्जो जुआ घर होने के बािजूद अपनी शानोशौकत से िंति् गु ध् कर दे.् अिेमरका के लॉस िेगास की अटलांटा मसटी ऐसी ही एक जगह है. जगह क्या है एक भूलभुलयै ा है जहां से बचकर मनकल जाना िुबश् कल. इसमलए क्यो्मक लाइि पोकर के अलािा हर खेल िे्यहां जुआ घर का जीतना तय है. लाइि पोकर िे् कसीनो मखलामडय़ो्से सीधे पैसा नही्लेते है्और यह आपके कौशल पर मनभ्रथ है मक आप मकतना जीतते या हारते है.् यहां आप क्या-क्या हार जायेग् े आपको खुद पता नही्होता. यह लॉस िेगास है यानी नुकसान का दूसरा नाि. कसीनो कुछ इस तरह मडजाइन मकये जाते है् मक बाहर जाना आसान न हो. आप खो जाते है् क्यो्मक जुआ घर ऐसा चाहता है. आप कुछ सोच सिझ सके्इससे पहले आप खुद को िशीन की सीट पर पाते है्और जुए िे्डूब जाते है.् यहां कई लोग सार िे्परोसी जा रही शराब को िुफत् उपहार सिझकर पीते है.् हकीकत यह है मक ये इन जुआ 44 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

लॉस वेगास: रात मे् भी वदन

घरो्की रणनीमत होती है. उन्हे्पता है मक शराब के पैग आपकी सिझ और सोचने की शब्कत को खत्ि कर देग् .े आप यहां जीतने आये है्तो आपको नशे के मबना खेलना चामहये. बेटे के दीक्​्ातं िे्शामिल होने के मलए हि न्ययू ॉक्फ िे् रे. िहां से हि कैलीिोम्नयथ ा मनकल गये क्यो्मक लॉस िेगास हिे् बुला रहा रा. रात 10 बजे हिने िेगास की धरती पर कदि रखा. एक ऐसी दुमनया िानो हि चांद मसतारो्के स्िप्न लोक िे्हो्. रोशनी से सराबोर. एक ऐसी दुमनया मजसके बारे िे्भोपाल िे्रहकर तो सोच भी नही्सकती. एकबारगी लगा िानो कोई िायािी नगरी हो. यह कतई िानि मनम्ितथ नही् लगती. बस यही ख्याल आता है मक यह शायद बचपन की कहामनयो् का परीलोक है. जगिग रोशनी, संगीत मनि्स थ ्नाचती सी पमरयां. चारो्ओर िहल ही िहल. इस कल्पना लोक िे् तीन मदन रहने की बात ने ही रोिांमचत कर मदया रा. कसीनो का शहर, होटलो्का शहर, गुनाहो् का शहर, अिीरो्का शहर लॉस िेगास. अिेमरका का एक ऐसा अद्त्ु शहर जो खुद को िनोरंजन की राजधानी बताता है. हिे्अंदाजा भी नही्रा मक यहां इस कदर कसीनो है.् यहां तक मक एयरपोट्थ पर भी स्लॉट िशीने.् िानो आते से शुर्होने या जाते-जाते िन न भरा होने पर उसे संतोष देने के मलए.

हि होटल पहुच ं े जहां नीचे मिशालकाय कसीनो, बार रेसट् ॉरेट् और स्लॉट िशीनो्पर तिाि बुजगु थ्अपनी जीिन भर की किाई जुए िे्लगाए बैठे रे. एकबारगी ख्याल आया मक जीिन का यह िैराग्य सिय लोग िाया िे् उलझे है.् पता चला िनोरंजन िे्डूबी इस िायािी नगरी िे्ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी सेिामनिृमत की उम्​्िे्अपना पैसा, अपनी मजंदगी भर की किाई यहां ले आते है् एक दांि लगाने के चक्र् िे.् होटल पहुच ं ने के बाद तय हुआ मक एक चक्र् स्म्टप का लगा मलया जाये. जैसे ही हि लॉस िेगास की स्म्टप िे्प्ि् श े करते है्हि खुद को इस जहान से अलग मकसी दूसरी ही दुमनया िे् पाते है,् िुझे तो याद भी नही् मक इस तरह की चकाचौ्ध मकसी मिल्ि िे्भी देखी हो? मिल्िो्िे् इसका 0.5 प्म्तशत ही महस्सा हो सकता है पर यह जादूगरो्की बनायी कोई दुमनया है. कहते है्मक स्म्टप संपण ू थ्मिश्​्के सट्ब्े ाजो्, रईसो्, शौकीनो्के सपनो्की सरजिी्है, पूरी स्म्टप गाड्ी से तो घूिी जा सकती री, पैदल नही्, बशत्​्ेसड्क पर गाड्ी मनकलने की जगह हो. रात अपने शबाब पर री और सड्क अपने जूननू पर, हि कार से बिुबश् कल एक दो मकलोिीटर ही चला पाये क्यो्मक आगे जाि रा. गाड्ी पलटाते है्मक पहले खुद होटल िे् अपनी एंट्ी दे् तामक र्कने की


वेगास

बेमिक्​्ी हो जाए होटल बहुत िहंगे नही् है यहाँ, मगटार, झूले की मडजाइन िे्भी नजर आते है.् भीड् दुमनया के हर देश का खाना उपलल्ध है. इतनी मक अगर िोबाइल िोन न हो तो खोना तय. बच्​्ेपहले ही कह चुके रे मक इतनी दूर बारशाइमनंग मसटी स्ट्ीट, नॉन स्टॉप एंटरटेनिेट् , बार कौन आयेगा, इसमलए टोकाटाकी न की जाये. लग्जरी शॉमपंग सेट् र, एमलट मडनर, एक से एक ह एक भारतीय रेसर् ां िे्खाना खाकर कसीनो की शानदार होटल और अपने िे् पूरी दुमनया सिेटे जामनब मनकले. सबको पोकर खेलना रा लेकन िहाकाय कसीनो. कभी ना सोने िाला यह शहर िुझे स्लॉट िशीन पर खेल कर देखना रा. बच्​्ो् पैसे खच्थकरने िालो्का मदल से स्िागत करता है. ने कहा रा िां आपको जो खेलना है खेलो सबने लोग कहते है्मक धरती पर स्िग्थदेखना हो तो लॉस िुझे 25 डॉलर मगफ्ट मकये रे. िेरे पास 100 डॉलर िेगास का कोई मिकल्प नही्. इसकी अपनी रे पर यमद खेलने बैठ जाती तो लॉस िेगास को प्म्तष्​्ा है एक रेपटु श े न िाला शहर, मजसने लोगो् कैसे देखती? हि पैदल ही मनकलते है.् सात के ख्िाबो् को हकीकत िे् बदला. हि घूिते है् मकलोिीटर लम्बी सड्क के दोनो् ओर क्या पैदल आि्य् थ्से भरे हुए.िुहं से मनकलता भी है दीिाली, क्या म्​्कसिस, सजािट ऐसी मक बयान बाप रे! मकतना पैसा है लोगो् के पास? पैसे से करने के मलए िेरे पास दुमनया िे् सब खरीदा शल्द नही् है.् दोनो् तरह िभी न सोने वाला यह शहर पैसे जा सकता है यह यही् मिशाल पमरसरो् िे् कई पता चलता है. खचंयिरने वालोंिा कदल से कई िंमजलो्तक सजे धजे शहर को देख संवागत िरता है. धरती पर संवगंय कर, इस कसीनो, अनोखे मडजाइन, इसकी कहानी को देखना हो तो लॉस वेगास िा मिलक्ण ् िूमत् यथ ां, बगीचे, सुन कर एक भारतीय रंगीन गाते बजाते नाचते कहाित याद आती है िोई कविलंप नहीं. पानी के िव्िारे, जाने मक घूरे के भी मदन मकतनी तरह के बार, डांस फ्लोर, हर होटल कुछ मिरते है.् सन् 1950 िे् एक छोटे से गांि के ऐसा मक अगर आप केिल अकेले उसी को देखे् ख्िाबगाह िे्बदलने की भी एक कहानी है. एक तो कहे् दुमनया िे् इससे बेहतर कुछ हो ही नही् मनज्नथ सा बीहड्आज रात की रानी सा शहर है. सकता. हर देश की हर कलाकृमत की बेहतरीन 1905 िे् स्रामपत लॉस िेगास को सन् 1911 िे् नकल यहां िौजूद है. यहां आपको स्टचै य् ू ऑफ् अमधकामरक र्प से बड्ेशहर का दज्ाथ मदया गया. मलबट्​्ी से लेकर, एमिल टॉिर, मिस्​्के मपरामिड मिर इसका मसतारा जो चिका मक प्ग् मत के सारे जैसे होटल मदख जायेग् .े कई होटल तो फ्लमे िंगो, सोपान तय करता यह शहर सदी के अंत तक अिेमरका का सबसे ज्यादा आबादी िाला शहर बन लॉस वेगास का एक कसीनो: पैसे वालो् का स्वागत गया. कहते है्मक ियस्को्को यहां सभी प्क ् ार के िनोरंजन की अनुिमत है और यही िजह है मक यह मसन मसटी [गुनाहो्का शहर] कहलाता है. कच्​्े मखलाड्ी या तो इसकी चिक-दिक से बहक जाते है्या गुनाहो्की पनाह िे्जा सकते है.् यहां जुआ, कैबरे, शराब, स्िगमलंग, नाइट क्लब, गुड ं -े अपराधी, मगरोह, बंदक ू ,े् अप्सराओ् सी म्​्सयां, मनिंतण ् देती मनगाहे,् ड्ग्स ् , मजस्ि सब कुछ एक जगह एक सार, जहां ना मदन मदन होता है ना रात रात. सबसे पहले देखा द सीजर पैलस े . बेबल् जओ और मिराज के बीच यह चार डायिंड श्ण ्े ी का होटल है मजसिे्नेिादा का स्िग्थसा कसीनो है, हि इसी कसीनो िे्घूिते है.् अंदर जाते ही इतनी ताजगी, इतनी फेश ् नेस नी्द का दूर तक कोई नाि नही्. पता चला कसीनो िे्ऑक्सीजन छोड्ी जाती है तामक आप ताजगी से भरे रहे.् यहां िेहिानो्के मलए भव्य सुमिधाये्है.् रोिन साम्​्ाज्य की कल्पना को साकार करता यह लॉस िेगास का स्िग्थिहल है. यह पैलस े दुमनया िे्सबसे प्म्तम्​्षत कसीनो िाली होटलो् िे् से एक है और लॉस िेगास का सबसे बड्ा और सबसे अच्छा स्रान है मजसिे् िुखय् प्द् श्नथ स्रल है कालीज्ीयि, एक 22,450 िग्थ िुट (2086 िीटर) का मिशाल िंच है, शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 45


यायावरी

मजसके िूल र्प की प्म्तकृमत को बनाने िे्9.5 करोड्डालर की लागत लगी री. इसके सार एक 4,296 सीट िाला स्टमे डयि सेलीन डायोन भी देखने लायक है. लेखक, कलाकार, इमतहासकार, अंगज ्े ी सामहत्य के प्ि्े ी सब जानते है् जूमलयट सीजर को. इसे देखना अपने आप िे्अलग िहत्ि रखता है, सड्क पर द्​्ार के पास लगी है बेहद खूबसूरत आदिकद सफेद् संगिरिर से तराशी हुई िूमत् .थ हि पहुच ं ते है् इसके कैिटे मे रया िे् मजसकी छत चार नक्​्ाशीदार स्भ्ं ो्पर मटकी है. सािने है्अमतमर को हलके से मभगोते हुए ि​ि्ि् िव्िारे, मजससे गुजरते हुए हि देखते है्सीजर की एक भव्य िूमत् .थ इस कसीनो का ऐश्य् थ् मकसी साम्​्ाज्य के राजसी िैभि से कि नही्है. जुआ घर के तिाि उपकरण िानो सीट पर बैठने का न्योता देते है,् हसीन-किमसन, कि कपड्ो्िे्सजी काड्थ डीलर लड्मकयां. उन्हे् देखकर लगता है िे पूरी दुमनया का प्म्तमनमधत्ि करती है.् हार िे्छोटे-छोटे ग्लासो्िे्बीयर, शैप् ने , रि, ब्​्ाडं ी िाइन, िोदका की ट्​्ेमलए घूिती लड्मकयां. हर एक घंटे िे्टेबल बदलती लड्मकयां, राजाओ्निाबो्ने भी शायद ऐसी मज्दं गी नही्देखी होगी. हि केिल एक राउंड पोकर खेलते है्पहले िे्मिलता है, मिर मिलता है और बंद करते है्तब तक जो मिला रा िो जा चुका रा. िज्ा अद्त् रा मजसकी कोई कीित नही् आंकी जा सकती. जीतने से ज्यादा हारने का अनुभि रोिांचक होता है. हि आगे जाते है.् आगे घोड्ो,् योि्​्ाओ्की सेमिकाओ्की िूमत् यथ ो्के बीच से मनकलते है.् एक िहान सम्​्ाट की राजधानी िे् कुछ सिय मबताने के अनुभि को कोई शल्द नही् दे पा रही हू.ं कुछ पल नाइट क्लब के आसपास मबताते हुए हि सीजर पैलस े चौक िे्मनकल आते है.् बाहर मनकलना एक हल्कापन देता है, िायािी कल्पना लोक से बाहर आने िाला. सािने एक दूसरी दुमनया है ठीक सािने पेमरस का एमिल टॉिर है. हि आधी रात गुज्ार चुके है्पर एमिल टॉिर के सािने जाते ही इिमनंग इन पेमरस हो जाती है जाने मकतने जोड्ेयहाँ पेमरस होटल िे्अपना हनीिून िनाने र्कते है.् कहते है् मक यह शामदयो्के मलए लोकम्​्पय स्रान है, एमिल टॉिर का अनुभि रात िे्मिशेष र्प से रोिांमटक है. उज्ि् ल राते,् रंगीन रोशनी और पानी के जलाशयो्का मिचार मकतना बेजोड्है. 11 िंमजल िाले एमिल टॉिर के रेसर् ां िे् खाने के सार आनंद दोगुना हो जाता है. ऊचाई िूल टॉिर से आधी और रोशनी दुगनी. दुकाने्ही दुकाने,् भीड् ही भीड्. हि भी आधी रात के िक्त एक हसी्शाि गुज्ारते हुए एमिल टॉिर से गुजऱते है.् अगले मदन हि ग्ड ्ै केमनयन से लौट रात िे् मिर स्म्टप पर जाते है् कसीनो मसि्फ कसीनो नही्दुमनया के सब रंग सिेटे है.् हिे्एक कसीनो के बाहर एक आदिी गाता हुआ मिलता है मक िैन् े अपना सब गंिा मदया है लेमकन एक चांस 46 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

और लेना चाहता हू,ँ िदद करे?् हि हंसते है् भीख? जुआ खेलने के मलए उसने अपनी ल्लक ै टोपी खुली रखी है मजसिे् डॉलर पड्े है मजसे देखकर लगता है मक यहां भी लोग दयालु है अभी भी? हर कसीनो अलग रीि पर एक अलग बाजार है. दुमनया के सबसे चम्चतथ शहरो्की जस की तस प्म्तकृमतयां, जीता जागता संसार, हर कसीनो एक शहर, यही्मिस्​्के मपरामिड भी है,् यही्रोि भी तो यही्लंदन, न्ययू ॉक्,फ िेमनस सब है.् िेगास िे् स्रापत्य, मशल्प, रीि बाजार, िनोरंजन की हर एक सुमिधा उपलल्ध है यहाँ बस चामहये केिल पैसा जो डॉलरो्िे्होना चामहये. अभी हिारे पास और सिय है हि जाते है् िेमनस. पैदल मकतना भी घूि लीमजये पैसे नही् लगेग् ,े पैसे खरीदने या खाने पर खच्थहो्ग,े सोचते है्यही्इटली का अम्​्दतीय िेमनस देखने को मिल रहा है तो देख ही मलया जाये. िेमनस की सुदं रता का अंदाज तो हो ही जायेगा, इटली यात्​्ा करेग् े या नही्मकसको पता? यह है एक भव्य होटल नीचे कसीनो और ऊपर पतली सी सड्को्िाला शहर का लुक, जहाँ िौजूद है एक नहर मजसिे्नाि से आप घूि सकते है्इटली की कोई िेिस धुन के सार. यहां िेमनस की तरह आपके पोट्ट्े बनाने िाले भी है्पैसे दीमजये, बनिा लीमजये. यहाँ पेड्ो् की िेशभूषा िे्आपका स्िागत करते लोगो्के सार िेमनस मदलो मदिाग पर बैठ जाता है, लगता है मक यह िेमनस ही है. यह शहर सांसक ् मृ तक एिं व्यापामरक केद् ्है. नहर पर गॉनडोला नाि िे्सिार होकर सैलानी घूिते है.् हर साल िेमनस िे्120 रैगाटा (एडिेच ्र गेि) आयोमजत मकए जाते है.् रोिांमचत कर देने िाला रैगाटा खेल बेहद लोकम्​्पय है. हजारो्लोग इस खेल िे् भाग लेते है.् इस दौरान दश्क थ ो् के उत्साह, उनकी तामलयो् की गूज ं दूर-दूर तक सुनायी देती है. िेमनस के इमतहास, उसकी संसक ् मृ त

वमश्​् के शासको् की अनुकृवतयां: वशल्प की भव्यता से लबरेज काम्निथ ाल के अलग-अलग रंग यहां देखने को मिलते है.् देश-मिदेश के पय्टथ क यहां आते है्और इस त्यौहार का आनंद लेते है.् एक पल को िन िे्खय़ाल आता है मक कभी अिसर मिला तो िेमनस िै् प्म्तकृमत नही् तुमह् े् तुमह् ारे असली र्प िे्देखने ज्रर् आउंगी. एक पल को लगा हि मकसी िेमनस िे्क्यूं नही्जन्िे प्यार और रोिांस के शहर िे?् हंसी आती है खुद को अपने ही मिचार पर. अभी फ्लमे िंगो भी जाना रा हिे् िेमनस को िही्छोडऩा पड्ा, फ्लमे िंगो का ताल भी हिारा इंतजार कर रहा रा. सुना रा जहाँ 15000 िग्थिीट का कसीनो बना है, जो लॉस िेगास का सन्1946 िे्बना पहला सबसे शानदार होटल है इसकी आकृमत मपंक राजहंसो्अर्ातथ फ्लमे िंगो्के आकार की है जो सबसे आकष्क थ है. यहां कैमरमबयन स्टाइल का शानदार बड्ा सा जलाशय है, इस होटल िे् एक मरसाट्थकी सुमिधा है जहां िन्यजीि, झरने और उनिे्तैरते राजहंस देखे जा सकते है.् लॉस िेगास िे्अिेमरका के सद्थसे िौसि का असर कि मदखता है, सम्दयथ ो्की अिमध कि होती है. िौसि आितौर पर हल्का होता है, लॉस िेगास के आसपास की पहामडय़ो् पर बि्फ पड्ती है पर लॉस िेगास िे् यह नजारा दुलभथ् होता है. लॉस िेगास रेमगस्​्ानी खुशक ् जलिायु िाली जगह है. कहते है्मक यहां 300 मदन और 3800 घंटे धूप मखली रहती है. कहते है् मक लॉस िेगास पहले िैबक् सको का महस्सा रा. मिर यह मलंकन काउंटी का महस्सा बना, उसके बाद क्लाक्फकाउंटी का. कहते है् मक स्पने के लोगो् ने टेकस ् ास से ओल्ड स्पमे नश ट्ल ्े से होकर उत्र् और पम्​्ि​ि की ओर जाते हुए इस क्त्े ्का पानी उपयोग मकया रा उस िक्त यहां हरे भरे घास के िैदान रे मजन्हे्स्पमे नश िे्िेगास कहते है्इसमलए इसका नाि लॉस िेगास पड्गया रा. n


खानपान अऱण कुमार ‘पानीबाबा’ (पानी बाबा नही्रहे. पानी बाबा अिर रहे्. सिाज के मलए जीने िाला लेखक और काय्थकत्ाथ कभी िरता नही्. अर्ण कुिार पानीबाबा ने िौसि के अनूकूल बनने िाले भारतीय व्यंजनो्पर मलखकर स्िाद और सेहत संबंधी सिाज की सिझ को मजंदा रखा है. उनके कालि को बंद करना संिाद के अमिरल प्​्िाह को बंद करना है. इसमलए शुक्िार के सुधी पाठक बाबा की रसोई िे्मकमसि-मकमसि के स्िाद आगे भी पाते रहे्गे.)

श्​्ाद्​् पक्​् की भोजन परंपरा

श्​्ाद्​्का भोजन उस स्​्िया का प्​्तीक है जो जलवायु के अनुकूल श्​्ेष्और प्​्ाचीन भोजन-पद्​्सत का ज्​्ान.

पु

ण्य मतमर का िाम्षथक उत्सि और श्​्ाि्​् पक्​् की परंपरा उन्नत सिाज का प्त् ीक है या एक कुरीमत. जैसा मपछले दो सौ िष्थिे्अनेक आधुमनक ‘मिद्​्ानो्’ ‘सिाज सुधारको्’ ने कहा और जी-जान लगाकर अपने को सुधारने का प्​्यास मकया. इस मिषय पर मिस्​्ार िे्जाकर मि​िश्थअिश्य करे्गे आज इतना ही कहना चाहते है् मक श्​्ाि्​् के भोजन-आयोजन की परंपरा प्​्म्कया हिे् अपने-पराये का बोध कराने के मलए िहत्िपूण्थ नही् बब्लक आिश्यक स्िृमत है. उत्​्र िे्श्​्ाि्​्तप्थण की आमद िूल परंपरा तो न जाने कब से लुप्त है. इतना सुमनम्​्ित है मक दम्​्कण, उत्र् की अपेक्ा परंपरा एिं संसक ् मृ त िे्बहुत अमधक सिृि् है. तमिलनाडु के अय्यर और आयंगर आज भी परंपरा के प्​्मत सचेत और सतक्फ है्. अपने देश का जब कभी स्िमि​िेक आधामरत पुनमनि्ाथण होगा, उसिे्दम्​्कण की भूमिका-योगदान िहत्िपूण्थहोगा. दम्​्कण के भोजन िे्अरहर की दाल मनत्य उपयोग की िस्​्ुहै रोजिर्ाथ के सांभर-रसि इसी दाल िे्बनते है मकंतु श्​्ाि्​्के सांभर िे्उड्द की दाल अमनिाय्थहै. अरहर िम्जतथ है. लाल मिच्,थ हरी मिच्थिम्जतथ है, ही्ग भी मनमषि्​् है. यमद परंपरा मिस्िृत नही्हुई है तो श्​्ाि्​् का भोजन उस म्​्कया का प्​्तीक है मजससे हिारे िूल अरिा मपंड की मनम्िथती या मिकास हुआ है यानी पमरब्सरमत/ पय्ािथ रण/जलिायु के अनुकल ू श्​्ेष्ति/प्​्ाचीनति भोजनपद्​्मत का ज्​्ान. यह जाननेसिझने के मलए श्​्ाि्​्के दस्र्ू की र्म्ढ को बनाये रखना अमनिाय्थ मदखाई पड्ता है. र्म्ढ से पमरचय इसमलए भी अमनिाय्थ है मक हि यह जान सके्मक हिे्नये और पराये को अपनाने की मकतनी क्​्िता है और उसका हिारा अपना क्या तरीका है. आधुमनकता के किीन्द् रिीन्द् नार को याद करे्गोरा नािक अिरकृमत की एक िहत्िपूणथ्खूटं ी महंद िनस के अंमति संस्कार और िृत्योपरांत जातीय रक्​्ा की है. बहुत बेहतर होता यमद िहम्षथ ने अंमति संसक ् ार, श्​्ाि्,् पुनज्नथ ि् और जातीयता की स्रानीयता और उनके अंतर-संबध ं ो्पर भी मि​िश्थका प्य् ास मकया होता. अत्यतं नम्त् ा से कहना चाहता हूं मक स्रानीयता का जीिन दश्थन और जीिन िे् स्रानीयता के भू-पमरदृश्य (लै्डस्कोप) से संबंध को जानने के मलए और अनंत सृम्ष िे्िानि अम्​्सत्ि की सूक्ि से स्रूल तक की यात्​्ा को सिझने के मलए श्​्ाि्​्, तप्थण, मपंडदान की र्म्ढयां आिश्यक मशक्​्ा प्​्म्कया है्. जो लोग इन संस्कारो्से िंमचत है्, िे उजड्ेऔर उदास लोग है्. इस र्म्ढ को त्यागना हो तो भी यह जान लेना उमचत होगा मक तप्थण

और मपंडदान िे्केिल जौ का आटा या उबला चािल और काले मतलो्का ही उपयोग मकया जाता है. गेहूं तरा सिेद मतल िम्जथत है. तिाि महंदुस्ान के मलए जौ की रोटी गेहूं से ज्यादा िुिीद है. उपयुक्त िात्​्ा िे् गोघृत के सार स्िामदष्​् ि सुपाच्य भी. काले मतल िे् बना जौ और गुड् का हलुआ बच्​्ो्के पेट को अनािश्यक कीड्ो्से िुक्त कर देता है. हि केिल िुगलकालीन मदल्ली सूबे-गंगा जिुना के उत्​्र पम्​्ि​िी दोआब यानी महंदू इमतहास के कुर्देश और ब्​्ज प्​्देश के श्​्ाि्​्भोजन का मजक्​् कर रहे है् ब्​्ज-िृन्दािन िैष्णि संस्कृमत के िूल के्द् है्. बालकृष्ण प्​्साद, आडंबर, श्​्ृंगार, संगीत, मचत्​्कारी, रासलीला आमद सिस्​्परंपरा सूिी संप्दाय इस्लाि के प्​्भाि से युक्त गंगा-जिुना संस्कृमत के प्​्िुख प्​्तीक है्. इस इलाके िे्िृतय् ु भोज को तेरहिी्या लड्​्कचौरी की रस्ि कहा जाता है. खस्​्ा कचौरी से मभन्न यह कचौरी िोटे आटे की लोई िे्उड्द की दाल की मपट्​्ी भर कर पूड्ी की तरह तली जाती है. लड्​्िोटी बूंदी के (18-20 के झारे िे्बनी नुक्ती) तीन से चार गुना चाशनी िे्पगे हो्, तभी दो-तीन हफ्ते तक खाये जा सकते है्. बूंदी की मसंकाई भी अच्छी होनी चामहए और रंग िम्जतथ है. श्​्ाि्​् पक्​् और बरसी के अिसर पर लड्​् के बजाय दूध-चािल की खीर का मरिाज है. िैषण ् िी गंगा-जिुनी खीर चािलो्को मभगोकर उन्हे् घी िे् लाल भूनकर बनायी जाती है. सेर दूध िे् आधा छटांक चािल (तीस ग्​्ाि चािल प्​्मत लीटर गाय का दूध) खीर लोहे या भरत की कड्ाही िे् ही बनानी चामहए संभि हो तो मकशमिश, मचरौ्जी अिश्य डाले् पय्ाथप्त कढ्ी खीर िे्आधा पाि प्​्मत सेर का देसी बूरा ठीक होता है- स्िादानुसार अनुपात घटा-बढ्ा सकते है्. श्​्ाि्​्के भोजन िे्खीर के सार दोनो्मकस्ि की सादी पूरी ि दालयुक्त कचौरी के सार आलू रसेदार और सीतािल खट्​्ा िीठा बनाया जाता है. लौकी का राई धुएं से बघारा रायता परंपरा का महस्सा रा. हरी चटनी, करौ्दे-मिच्थ का ताजा अचार, निक नी्बू िे् रचा लाल अदरक भी पुराने मदनो्िे्अमनिाय्थिाना जाता रा. श्​्ाि्​्सािूमहक पि्थहै- पूरा कुनबा सिस्​्सहयोगी सहचर, इष्​्, बंधु सब्मिमलत होने चामहये. मनरीह गायो्और कौिो्को भोजन परोसना प्​्ाचीन कि्क थ ांड है, मनतांत अपमरमचतो्को भी भरपेट भोजन मिले, परंपरा िे्इसका n भी ध्यान रखना गया है. शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 47


मास् दि्टल्महेड

माही के डकरदार मंे सुशांत

'काय पो चे' और 'व्योमकेश बत्शी' जैसी सफल्मो् के बाद सुशांत की सगनती प्​्सतभाशाली असभनेताओ्मे्हो चुकी है. लेसकन धोनी पर बायोसपक सफल्म को कसौरी माना जा रहा है. हसर मृदल ु

ि

हेद् ् मसंह धोनी पर बननेिाली बायोमपक मिल्ि की चच्ाथ जोरो् पर है. मिल्ि 'एि.एस. धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी' िे्सुशांत मसंह राजपूत ने धोनी का मकरदार मनभाया है. 'काय पो चे', 'शुि्देसी रोिांस' और 'मडटेबक् टि व्योिकेश बक्शी' जैसी मिल्िो् िे् अमभनय के बाद सुशांत की मगनती प्म्तभाशाली अमभनेताओ् िे् हो चुकी है, लेमकन इस बायोमपक मिल्ि को कसौटी िाना जा रहा है. देखना होगा मक उन्हो्ने मलमिंग लीजेड् बन चुके िाही को मकस मशद्त् से परदे पर उतारा है. धोनी के रकिदाि को पिदे पि उतािना रकतना िोमांचक िहा औि बतौि अरभनेता इि रकिदाि ने कैिी चुनौती पेि की? जब िुझे धोनी का मकरदार ऑिर मकया गया तो िेरे पास प्म्तम्​्कया देने के मलए शल्द ही नही्रे. िे हिेशा ही िेरे िेिरेट म्​्ककेटर रहे है,् लेमकन िैन् े कभी कल्पना भी नही् की री मक एक मदन उन्हे् परदे पर मनभाने का िौका मिलेगा. मनम्​्ित र्प से उनकी लाइि पर बनी यह मिल्ि िेरे मलए बहुत ही चुनौतीपूणथ्रही. एक मलमिंग लीजेड् को परदे पर उतारने के कािी जोमखि रे, लेमकन िेरे मलए इस बात की तसल्ली री मक इस मिल्ि का मनद्श ्े न नीरज पांडये कर रहे रे. नीरज की कामबमलयत कोई शक नही्रा. िाही से भी िै् बीमसयो्बार मिला. उनके व्यब्कतत्ि को सिझने की कोमशश की. उनसे पचासो् सिाल पूछ.े सच तो यह है मक िैन् े उन्हे्कािी बोर मकया. कुल मिलाकर इस मिल्ि की शूमटंग िेरे मलए कािी रोिांचक रही. आप भी एक छोटी िगह िे बॉलीवुड आये है् औि धोनी भी छोटी िगह के ही है.् इि बायोरपक मे् आप उनके स्टग् ल िे रकतना िुड् पाये? िैन् े इस मिल्ि के हर सीन की बहुत िेहनत से शूमटंग की है. मजंदगी िे् मजतना स्टग् ल उनका रहा है, िेरा नही्रहा है. यह सही है मक हि दोनो्ही छोटी जगहो्से आये है.् हिारे जैसे लोगो्को आसानी से कोई िौका नही्मिलता है, इसीमलए हिे्हर कदि िजबूती से रखना पड्ता है. िैन् े मिल्ि के शुरआ ् ती दृशय् ो्िे्उनके स्टग् ल को भलीभांमत िहसूस मकया. रफल्म के कौन िे रहस्िे की िूरटंग करिन लगी? िुझे इस मिल्ि की शूमटंग िे्कोई कमठनाई नही्हुई. िुझे इसिे्काि करते 48 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

सुशांत वसंह राजपूत: अवभनय से संतोि हुए बहुत िजा आया. िै्कई बार अपने आपको धोनी ही सिझने लगा रा. यह िेरी ऐसी पहली मिल्ि है, मजसिे्िै्शूमटंग के शुर्होने से लेकर अब तक आत्िमिश्​्ास से भरा हुआ हू.ं माही रवश्​् स्ि् ीय र्​्िकेटि है,् उन्हे् पिदे पि उतािने के रलए आपने र्​्िकेट की रकतनी प्क्ै क् टि की? बहुत ज्यादा िेहनत करनी पड्ी. उनके पचासो्िैचो्के िीमडयो गौर से देख.े उनके इंटरव्यू गौर से सुन.े कुल मिलाकर यही मक िैन् े धोनी को िहसूस करने िे्हजारो्घंटे लगाये. उनके मटमपकल हैलीकॉप्टर शॉट की बहुत प्ब्ैक् टस की. शूमटंग के बाद उन्हे्हैलीकॉप्टर शॉट के कुछ सीन मदखाये, तो उन्हो्ने कहा मक िैन् े उनकी एकदि कॉपी कर दी है. हैलीकॉप्टर शॉट सीखने िे्िुझे तीन ‘एमएस िोनी’ का पोस्टर: कामयाबी की उम्मीद


िहीने से ज्यादा सिय लगा. इस दौरान िैन् े उन्हे्तिाि सिाल कर परेशान कर मदया. धोनी के व्यक्कतत्व की िबिे खाि बात क्या लगी? िे बेहद मिनम्​्और कूल है.् िे मकसी भी तरह की पॉमलमटक्स से दूर है.् िे जीिन की हर उपलब्लध को बहुत सहज लेते है.् आज के इस दौर िे्ये सारे गुण संजोये रखना बहुत ही बड्ी बात है. रफल्म के ट्ल ्े ि को िबद्स ा ् लोकर्​्पयता रमली है. इि िेसप् ांि िे आप रकतने कांरफडेट् है?् िै्आत्िमिश्​्ास से भरा हुआ हू,ं लेमकन िुझे यह भी पता है मक यह सब धोनी की लोकम्​्पयता की िजह से है. िुझे तो मिल्ि की मरलीज का बेसब्​्ी से इंतजार है. इस मिल्ि की शूमटंग करते हुए िेरे जीिन िे्कई बड्ेबदलाि आये है.् िैन् े िाही की लाइि को करीब से जाना है. उनकी कहानी ने िुझे भीतर से बदल मदया है. िै्चाहता हूं मक मिल्ि की मरलीज के बाद दश्क थ ो्के सार भी ऐसा ही हो. रितनी रफल्मे् र्​्िकेट पि बनी है,् उनमे् िे ज्यादाति फ्लॉप िही है.् अिहर्द्ीन की लाइफ पि बनी रफल्म 'अिहि' का भी बुिा हश्​् हुआ? िुझे लगता है मक शायद म्​्ककेट पर बनी ये मिल्िे्अच्छी न हो्, इसमलए ऐसा पमरणाि मनकला. लेमकन 'लगान' और 'इकबाल' को तो लोगो्ने भरपूर पसंद मकया. िुझे पूरा भरोसा है मक धोनी की लाइि पर बनी यह मिल्ि जर्र दश्क थ ो्को पसंद आयेगी. यह एक प्र्े णादायक मिल्ि है. इसके करानक िे् िह सब कुछ है, जो एक िुकम्िल मिल्ि िे्होता है. आपने एक्कटंग करियि की िुरआ ् त छोटे पिदे िे की थी, लेरकन तब छोटा पिदा इतना बड्ा नही् था. अब बड्े िे बड्े रितािे को इि माध्यम मे् काम किने िे कोई पिहेि नही् है. क्या आपको ऐिा कोई ऑफि रमलता है, तो स्वीकाि किेग् ?े अिश्य स्िीकार करंग् ा. िुझे तो अमभनय ही करना है, चाहे कोई िाध्यि हो. शत्थएक ही है मक उस काि का एक स्र् हो. िैसे िैन् े एब्कटंग की शुरआ ् त छोटे परदे से नही्की री. टीिी िे्काि करने से पहले िै्नाटको्से जुड्ा रा. िेरे पास स्टज े के कई मदलचस्प अनुभि है.् जब िै्मरएटर करता रा, तो एक मदन के ढाई सौ र्पये िेहनताने के तौर पर मिलते रे. िै्इस िेहनताने से पूरी

‘एमएस िोनी’ का एक दृश्य: पद्​्े पर जीवन करा तरह संतष ु ्रहता रा और पूरे िन से अपना काि करता रा. िे बड्ेही किाल के मदन रे. काफी िमय के बाद आपकी कोई रफल्म रिलीि हो िही है. रफल्मे् िाइन किने मे् आप कुछ ज्यादा ही ितक्क नि​ि नही् आ िहे है?् नही्, ऐसी कोई बात नही्है. इस सिय िेरे हार िे्छह मिल्िे्है.् धोनी की इस बायोमपक के बाद 'राल्ता' मरलीज होगी. िैन् े संजय पूरन मसंह की मिल्ि 'चंदा िािा दूर के' भी साइन की है. होिी अदजामनया की मिल्ि 'तकदुि' िे् भी काि कर रहा हू.ं तरन िनसुखानी की अगली मिल्ि िे्भी िै्मदखाई दूगं ा. एक और बायोमपक मिल्ि िेरे हार िे् है. यह पैरालंमपक गोल्ड िेडमलस्ट िुरलीकांत पेटकर की लाइि पर आधामरत होगी. हां, बीच िे्जर्र तीन साल िेरे कािी आड्-े टेढ्ेगये. िेरी कोई भी मिल्ि मरलीज नही्हुई. आपके ब्क ्े अप की खबिे् है.् कहा िा िहा है रक रफल्म 'िाब्ता' की हीिोइन कृरत िेनन की विह िे आपकी गल्फ ा ड ् अंरकता लोखंडे आपिे दूि हो चुकी है?् देमखए, यह िेरी पस्नथ ल लाइि है. िै्इस बारे िे्मजतना कहना रा, कह चुका हू.ं भले ही अंमकता से िेरा ब्क ्े अप हो चुका है, लेमकन िै्आज भी उनका शुभमचंतक हू.ं िे एक मिल्ि िे् हीरोइन बन कर आ रही है,् िैन् े उन्हे् शुभकािनाये्दी है.् जहां तक कृमत सेनन का सिाल है, तो िे िेरी अच्छी दोस्​् है.् उनकी िजह से िेरी लि लाइि कतई मडस्टब्थनही्हुई है. अंरकता िे ब्क ्े अप के बाद आपके िीवन पि क्या अि​ि पड्ा है? हर संबधं जीिन की आमखरी सांस तक चलेगा, ऐसा होता नही्है. लि लाइि के मडस्टब्थहोने से भािनात्िक परेशानी तो होती ही है, लेमकन इससे उबरा जा सकता है. िेरे जीिन का सबसे कमठन क्ण ् रा, जब िेरी िां का देहांत हुआ. तब िेरी उम्​्ज्यादा नही्री. िैन् े कभी कल्पना भी नही्की री मक िै्इतने बड्ेहादसे से गुजरंग् ा. िेरे जीिन िे्इतनी बड्ी हामन होगी. अचानक ऐसा हो गया. िै्जैसे टूट गया. लेमकन िैन् े अपने आपको संभाला. इस घटना के बाद िेरा जीिन बदल गया. तब िुझे अहसास हो गया मक यहां कोई चीज स्राई नही्है. इस सच्​्ाई को स्िीकार करने के अलािा कोई चारा नही्है. हां, यह भी सच है मक बुरे दौर के बाद अच्छा िक्त भी आता है. सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख की बात हिारे पुरखो्ने ऐसे ही नही्कही है. n शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016 49


अंितम पन्ना डॉ. एके अऱण

ख्राब व्यवस्था बीमार समाज

सजतनी भी गंदसगयां है्, सजनसे बीमासरयां फैलती है्, उनके पीछे एक तरह की सरकारी व्यवस्था ही है.

मखर बीिामरयो्से क्यो्मघरते जा रहे है्हि? िुझे लगता है मक इसका प्ि् ख ु और मछपा हुआ कारण है प्क ् मृ त और िनुषय् के बीच के साहचय्थका मिच्छदे हो जाना. जब तक यह साहचय्थकायि रहा, तब तक एक तरह का िानिीय साहचय्-थ संबधं बरकरार रहा और तब तक िनुषय् इस मकस्ि के भौमतक और िानमसक रोगो्से ग्म्सत नही्रा, मजस तरह से हि आज अपने आपको ग्म्सत पा रहे है.् आधुमनक सिय िे,् उत्र् औपमनिेमशक काल िे् नगर मनयोजन की व्यिस्रा रही है. इस सिय नगर मनयोजन या योजना िे्ही यह नुकस ् है मक िह प्क ् मृ त और िनुषय् के बीच के संबधं को मिच्छदे करा देती है. उदाहरण के तौर, पर आज ड्ने् ज े मसस्टि कािी खराब हो चुका है. ऐसे और भी िािले है.् अमभप्​्ाय यह है मक शहरीकरण की प्ण ् ाली िे्ही खराबी है. शहरीकरण तो है, पर इसिे्सजगत और मि​िेक का अभाि मदखता है. इस संबध ं -मिच्छदे िे् सरकार की एक बड्ी भूमिका है. मजतनी भी गंदमगयां है,् मजनसे बीिामरयां िैलती है,् उनके पीछे एक तरह की सरकारी व्यिस्रा ही है. कहने के मलए कहा जाता है मक कच्​्ी बम्​्सयो्िे्गंदमगयां होती है्और इसमलए िे बीिामरयो्के घर बनती है.् लेमकन क्या यह सच नही् मक कच्​्ी बम्​्सयो् िे् रहने िाले गरीब लोगो्को पके्िकान मिलने चामहए और यह व्यिस्रा कायि करने की मजम्िदे ारी सरकार की है? यानी सरकारी कामहली और कुवय् िस्रा बीिामरयो्को जन्ि देती है. कहने के मलए सरकार और सिाज का संबधं लोकतांम्तक मदखता है, पर िास्ि् िे्यह पूज ं ीिादी मसस्टि ही है. इसमलए भी सिाज के एक बड्ेतबके को बीिार होने के मलए छोड्मदया जाता है. यही नही्, मजनको बुखार है, रोग है और िे अिीर है,् तो उनके मलए मिशेषज्​् डॉक्टर है,् क्यो्मक उनकी जेबो्से मसक्​्ो् की खनक आती है. लेमकन मजनकी जेबो् से मसक्​्ो् की खनक नही् आती, उनके मलए डॉक्टर तो दूर, तीिारदारी तक की व्यिस्रा नही् है. देश के सबसे बड्े मचमकत्सा संसर् ान एम्स की ब्सरमत से हि सब िामकि है.् िहां खड्े रहने तक की जगह नही्होती है. ऐसे िे्कोई गरीब क्या इलाज करायेगा? अन्य सरकारी अस्पतालो्की हालत भी देख लीमजए, िहां की सारी व्यिस्रा जज्रथ िालूि पड्ती है. दरअसल, मिकमसत देशो्िे्इंसानी मजंदगी अनिोल िानी जाती है. लेमकन अपने देश 50 शुक्वार | 16 से 30 मसतंबर 2016

िे्ऐसा नही्है. हर तरि मिकास का दािा और दि है, पर इंसानी जान की कोई कीित नही्. यह ब्सरमत तब तक रहेगी, जब तक मक नैमतक जागरण नही्हो जाता, जब तक मक नागमरक मि​िेक नही्जग जाता. इसी के बरक्स देख,े् तो अनुपि मिश्​्ने तालाबो्के जमरये हिारी जातीय जल-पि्म्त और उसके मिकास को सािने रखा और आज मिदेशी सरकारे् उसे अपना रही है.् जो राजस्रान आज सूखा झेलने को अमभशप्त है, िहां एक सिय िे् पानी की कोई किी नही् री. क्या उस जल-पि्म्त को हिे् पुनम्िक थ मसत नही्करना चामहए? जो ड्न्े ज े मसस्टि अपने यहां रा, िह भी धीरे-धीरे खत्ि होता गया. दरअसल, हि आध्याब्तिक रोग से ग्म्सत होते जा रहे है्और जब तक इसका हल नही्मनकलेगा, तब तक यह सब यो्ही चलता रहेगा. एक धारणा यह है मक हिारा प्​्ाचीन ग्​्ािीण सिाज स्िस्र और रोगरमहत रा. दूसरी धारणा यह है मक हिारे पास आज इतने संसाधन और िैज्ामनक ज्​्ान है्मक हि आज रोगो्पर काबू पा रहे है.् तो असमलयत क्या है? जामहर है, एक गड्ि् ड्-् सी ब्सरमत है और मकसी नतीजे पर नही्पहुच ं ा जा सकता, क्यो्मक औपमनिेमशक दौर िे्जो हिारा देसी मसस्टि रा, उसे तहसनहस कर मदया गया. अपने अतीत के बारे िे,् पुरखो्के बारे िे्हिारे पास ठीक-ठाक जानकारी नही्है. िही जानकारी हि तक पहुच ं ी, जो या तो बची रही या मिर जो मिदेशी शासन ने हि तक पहुच ं ायी. 16िी्-17िी्सदी िे्हिारे गांि क्या उतने ही स्िच्छ-स्िस्र और सक्ि् रे, मजतने मक कल्पना हि आज करते है.् इसके जिाब िे् हि कल्पना ही कर सकते है् क्यो्मक आज एक कूर् ब्सरमत है. गांिो्का स्िर्प गांि जैसा नही् रहा, बब्लक गांि कस्बे िे्बदलते जा रहे है.् शुि्गांि की कल्पना ही िुबश् कल है. मचमकत्सा मिज्​्ान के भी अलग-अलग स्कल ू है.् आपस िे् ित-मभन्नता है अरिा दूसरे से बढ्चढ्कर सािने आने की होड्है. जब तक मक प्क ् मृ त और िनुषय् का िही् पुराना व्यािहामरक और सच्​्ा साहचय्थ स्रामपत नही् हो जाता, जैसा पहले रा, जैसा िूल िे् है, तब तक हि अपने आपको बीिामरयो् से मघरा हुआ n पायेग् .े (लेखक जाने-िाने होम्योपैर और सिाजकि्​्ी है.् आलेख श्म्ुत मित्ल ् से बातचीत पर आधामरत.)




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