वर्ष 9 अंक 16 n 16-31 अगस्् 2016 n ~ 20
नयादलित जागरण
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वर्ष9 अंक 16 n 16 से 31 अगस््2016 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प््काशक क््मता सिंह प््बंध िंपादक आशुतोष सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल राजनीसतक िंपादक सववेक िक्िेना फोटो िंपादक पवन कुमार िंपादकीय िहयोगी
िसवता वम्ाा अंजना सिंह िुनीता शाही (लखनऊ) अिनल चौबे (रायपुर) पूजा ििंह (भोपाल) अिवनाश ििंह (िदल्ली) अिनल अंशुमन (रांची) कुमार प््तीक
कला
प््वीण अिभषेक
महाप््बंधक
एि के सिंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm.shukrawaar@gmail.com
आवरण कथा
6 | एक नयेजागरण की ओर दलित
ऊना मे्दनितो्के उत्पीि्न और उससे उपजे जन-उभार मे्एक नयी राजनीनत के संकते नदखते है,् नजसमे्दनितो्और मुबस् िम एकता की संभावनाएं भी है.् केद् ्सरकार, भाजपा और संर पनरवार समझ नही्पा रहे है्नक हवा के इस र्ख को कैसे बदिा जाये.
18 | नक्ली सपनो् के शहर
स्मार्टशहर नव-धनाढय वर्टके अमीरो्और बहुराष््ीय कंपननयो्के कारोबार के निए बनाये जा रहे है.् जहां आम आदमी के निए सामान्य जीवन जीना दूभर हो जायेरा.
22 | दूर की कौड्ी दाल-रोटी
िबजनेि हेड
िरातार बढ्ती कीमत ने देश की सबसे िोकन््पय अरहर को थािी से िरभर रायब कर नदया है और अब वह कभी-कभार ही बनती है. उसकी जरह अन्य दािो्ने िी है.
शरद कुमार शुक्ला +91. 9651882222
ब््ांिडंग
कॉमडेज कम्युिनकेशन प््ा़ िल़
प््िार प््बंधक
यती्द्कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024 yatendra.3984@gmail.com
सिज््ापन प््बंधक सजते्द्समश््
सिसध िलाहकार शुभांशु सिंह
shubhanshusingh@gmail.com
+91. 9971286429 सुयश मंजुल
िंपादकीय काय्ाालय
एमडी-10/503, िहारा ग््ेि, जानकीपुरम लखनऊ, उत््र प््देश-226021 टेलीफैक्ि : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com www.shukrawaar.com DELHIN/2008/24781 स्वत्वािधकारी, प्क ् ाशक और मुदक ् क्म् ता नसंह के निए अमर उजािा पब्लिकेशस ं निनमरेड, सी-21, 22, सेकर् र-59, नोएडा, उत्र् प्द् श े से मुन्दत एवं दूसरी मंनजि, ल्ाी-146, हनरनरर आश्म् , नयी नदल्िी-110014 से प्क ् ानशत. संपादक : अंबरीश कुमार (पीआरल्ाी अिधननयम के तहत समाचारो्के चयन के ििए िजम्मेदार) सभी कानूनी िववादो्के ििए न्याय क््ेत्िदल्िी होरा.
31 | एक तिरंगा सोनी का
32 | वाह और आह सेल्फ्ी
44 | चांद से झरा द््ीप
48 | नये तिर्ाष और सातहबां
वष््ो्बाद सोनी सोरी ने बस््र के नक्सि प््भानवत इिाके मे्नतरंरा फहराया. प््तीकात्मक महत्व की इस यात््ा के दौरान उनसे बातचीत के कुछ अंश.
मॉरीशस अपने सौ्दय्ट मे्चांद से झरे हुए मोती की तरह िरता है. यहां आधुननकता के बावजूद अपनी जि्ो्की पहचान का एहसास भी खूब नदखता है.
सेल्फी का भूत हर नकसी के नसर पर सवार है, नजससे कई जानिेवा दुर्टरनाएं हो चुकी है्. रेप-पीनित के साथ सेल्फी िेने वािी सौम्या को इस््ीफा भी देना पिा.
राकेश ओमप्क ् ाश मेहरा ने नमज्ाट और सानहबां की प्म्े कथा को ‘नमन्जयट ा’ का नवषय बनाया है. चुनौती यह थी नक इस कथा को नये नशल्प मे्कैसे ढािे.् शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
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आपकी डाक
अखिलेश का नया वोट बैक ं
यही है हल
शुक्वार के कक्मीर पर के्न्दत अंक का संपादकीय बात से ही बनेरी बात बहुत नदिचस्पी से पढ्ा. इतनी बारीकी से पनरब्सथनतयो् का आकिन करना आसान काम नही् है. संपादकीय मे्कक्मीर समस्या का जो समाधान सुझाया रया है उसके अिावा दूसरा कोई समाधान सोचा नही् जा सकता है. राजनीनतक दि सत््ा से बाहर होते है् तो वे भोिेभािे कक्मीरी नारनरको् को बररिाते है् और पुनिस पर हमिे करने के निए प््ेनरत करती है्. सुशील कौल, ईमेल से
यह कैसी सरकार
यह सच है नक के्द्मे्भाजपानीत सरकार आते ही मुब्सिमो्, दनितो् और छात््ो् पर हमिे अचानक बढ् रये है्. रोनहत वेमुिा कांड, जेएनयू कांड और अब रुजरात का ऊना कांड. ऊना कांड ने तो हद ही कर दी जब दनितो्को मरे हुए जानवरो् का चमि्ा ननकािने के निए रसीर-रसीर कर मारा रया. इन सारे मामिो् पर प्ध ् ानमंत्ी की चुपप् ी या उनका देर से बोिना तो और भी दुखद है. सुरेश वानखेड्े, इंदौर
सोशल मीडिया गठबंधन सरकार
शुक्वार के 1-16 अरस््के अंक मे्अनखिेश यादव के नये वोर बै्क पर आधानरत नरपोर्ट नदिचस्प है. इस एंरि से कोई खबर कभी पढ्ी नही्. यह बात सच है नक अनखिेश यादव ने अपना एक अिर वोर बै्क तैयार नकया है. उनको युवाओ् मे् िोकन््पयता हानसि है और जानबूझकर आपरानधक तत््वो् को पार््ी से दूर रखकर उन्हो्ने एक सख्त प््शासक की छनव भी अन्जटत की है. िखनऊ मेट्ो और आररा एक्सप््ेस वे के र्प मे् उनके पास नवकास की योजनाये्भी पय्ाटप्त मात््ा मे्है्. यह बात उनको
जातीय राजनीनत का रढ्रहे उत््र प््देश मे्एक अिर राजनेता के र्प मे्स्थानपत जर्री करती है् िेनकन अब चुनावी बयार बह चिी है. इसनिए नकसी तरह का अनुमान िराना मुबक् कि काम है. अरर मतदाताओ्ने समझदारी से काम निया तो अनखिेश की नवकासोन्मुखी नेता की छनव भारी पि्ेरी बाकी दिो्पर. अरर ऐसा होता है तो देश मे् एक बेहतर नजीर भी कायम होरी नक अब चुनाव नवकास के मुद्े पर ही जीते जा सके्रे, जानतरत या सांप्दानयक ध्व्ु ीकरण पर नही्. राकेश श््ीवास्व् , लखनऊ
साखहतंययक सरोकार
को क्या पढ्ाते हो्रे.
मुख्यधारा की पन््तकाओ् मे् बहुत कम ऐसी है् जो किा और सानहत्य को उतना तवज््ो देती है् जो शुक्वार दे रही है. इसी अंक मे्नामवर नसंह के 90 वष्टपूरे होने और नीिाभ तथा महाश््ेता देवी के महाप््याण पर पठनीय सामग््ी दी रयी है. हमारे जीवन मे्किा और सानहत्य का स्थान बहुत तेजी से कम होता जा रहा है. ऐसे मे् शुकव् ार द््ारा उसे उपिल्ध करायी जा रही जरह सुखद है. रागिनी गमश््ा, इलाहाबाद
नाम के खनमंााता
नशक््को् की राष्् ननम्ाटता बनाये जाने की रपर शुक्वार के ताजा अंक मे् पढ्ी. यह सच है नक हमारे नशक््ण संस्थानो्की हाित सबसे अनधक खराब है. नशक्क ् ो्से पढ्ायी के अिावा सरकारो् हर काम करवाने की कोनशश करती है्. कई स्थानो्पर संनवदा नशक््को्का प््चिन है यानी नशक्क ् नाम मात््के वेतन पर पढ्ा रहे है.् चौ्का देने वािी एक खबर छपी नक मध्य प््देश तथा उत्र् प्द् श े मे्हजारो्की संखय् ा मे्ऐसे नवद््ािय भी है् जहां एक ही नशक््क तैनात है. अनुमान िराया जा सकता है नक ऐसे नशक््क भिा बच््ो् मे् बसपा और प््शांत नकशोर के प््बंधन मे् कांगस ्े की भी अनदेखी नही्की जा सकती. जो भी सरकार बनायेरा. उसे कांग्ेस का समथ्टन िेना पि्सकता है देखने वािी बात यह होरी नक क्या कांग्ेस को इतनी सीरे्नमि पाती है्नक वह मोिभाव की ब्सथनत मे्रहे.
उत््र प््देश मे् अनखिेश यादव की सरकार ने नवकास के मोच््ेपर कुछ अच्छे कदम उठाये है.् हािांनक उन पर भी जानतवाद का आरोप बहुधा सौरभ सेठजी, फेसबुक िरता रहा है िेनकन औरो्से कम. अरिे वष्ट होने वािे नवधानसभा चुनाव मे् मुकाबिा पूवंागंह से मुकंत नदिचस्प हो सकता है क्यो्नक कोई सत््ा शुक्वार के 1 से 16 अरस्् के अंक मे् नवरोधी िहर नही्है. हां मायावती की अरुवायी प््कानशत आिेख बेहतरीन है्. ये आिेख बहुत 4
शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
लोकेश कदम, ईमेल से
भूल सुधार शुक्वार के 16 से 30 जून के अंक मे्प््कानशत मनोरमा की 'मैिे से मुब्कत के रै्कर' शीष्टक खबर मे् स््ोत का उल्िेख त््ुनरवश नही् छप सका था. उक्त नरपोर्ट इंनडया वारर पोर्टि (नहंदी) से साभार िी रयी थी. - संपादक
पाठको् से तनवेदन
शुक्वार मे्प््कािशत नरपोर््ो्और रचनाओ्पर पाठको्की प््नतनक््या का स्वारत है़ आप अपने पत््नीचे िदए रए पते पर या ई-मेि से भेज सकते है् एमडी-10/503, सहारा ग््ेस, जानकीपुरम, िखनऊ उत््र प््देश-226021 रेिीफैक्स : +91.522.2735504 ईमेि : shukrawaardelhi@gmail.com जानकारीपरक, सूचनात्मक और पूव्टग्ह से मुक्त है्. इसके निए धन्यवाद.
शंभू कुमार गसंह, फेसबुक
उपयोगी है नया कॉलम
मीनडया जरत की नदग्रज शब्खसयतो् पर आधानरत चेहरा कॉिम बहुत उपयोरी है. इससे पत््कानरता के क््ेत्मे्नये आने वािे िोरो्की जानकारी बढ्ेरी और उनको बहुत कुछ सीखने को नमिेरा. प््शांत राजावत, फेसबुक
संपादकीय
जवाब में बलूचिसंंान? प
अंबरीश कुमार
जो काम भारत को अंतरराष््ीय मंच पर करना चाहिए, वि भूहमका पाहकस््ान ले सकता िै. वैसे भी बलूहचस््ान की आजादी का समर्षन करने या न करने से कश्मीर घाटी की समस्या का कोई समाधान निी् हनकलने वाला.
्धानमंत्ी नरे्द् मोदी ने 15 अरस्् के सं् बोधन मे् बिूनचस््ान की आजादी का नजक्् कर एक नयी बहस को जन्म दे नदया है. कक्मीर रारी मे्नहंसा और तनाव जारी है नजसे देखते हुए ही संभवत: यह रणनीनत अपनायी रयी है. इसके पीछे सोच यह है नक हम पानकस््ान के अंदर्नी नववाद को उठा कर कक्मीर के मुद्े पर उस पर दबाव बना सके्रे. यह अपनी परंपरारत नवदेश नीनत मे् भी बि्ा बदिाव है. मोदी सत््ा मे् आने के बाद से ही अंतरराष््ीय स््र पर अपनी एक नयी छनव रढ् रहे है्. ऐसे मे्यह मुद्ा उनकी अंतरराष््ीय छनव को प्भ् ानवत कर सकता है. समूचे नवश््मे्िोर यही चाहते है्नक नकसी भी समस्या का समाधान शांनत और बातचीत के जनरये हो. नफिहाि बिूनचस््ान की आजादी की िि्ाई का समथ्टन ई्र का जवाब से देने जैसा िरता है्. हो सकता है नक यह एक तबके को सही भी िरे पर इससे नकसी समस्या खासकर कक्मीर समस्या का समाधान ननकि पायेरा यह नही्िरता. रकराव जर्र बढ्रे ा और भारत पर अंतरराष््ीय स्र् पर आतंकवाद को समथ्नट देने का नया आरोप भी चस्पा हो सकता है. शुर्आत हो रयी है. पानकस््ान के नवदेश मंत्ािय के प््वक्ता नफीस जकानरया ने इस पर नरप्पणी करते हुए कहा है, 'यह संयुक्त राष्् चार्टर का उल्िंरन है. उन्हो्ने बिूनचस््ान के बारे मे् बात कर िक््मण रेखा पार कर दी है. भारत बिूनचस््ान और कराची मे् नवध्वंसक रनतनवनधयो्मे्शानमि है.' पानकस््ान ने यह भी कहा है नक सयुंक्त राष्् महासभा मे् कक्मीर का मुद्ा वह और ताकत से उठायेरा. बिूनचस््ान का मुद्ा उठाये जाने के बाद पानकस््ान अंतरराष््ीय मंच पर भारत पर आतंकवाद को बढ्ावा देने का आरोप भी पुरजोर तरीके से िरायेरा, तानक उसपर इस बाबत जो आरोप िरता रहा है उसकी धार भोथरी हो जाये. पानकस््ान कक्मीर मे् आतंकवाद को खुिा समथ्नट देकर अंतरराष््ीय स््र पर बदनाम हो चुका है और अब खुद भी उसकी कीमत चुका रहा है. पानकस््ान मे् आतंकवादी ररनाये् बढ्ती जा रही है् और आन्थटक हािात अब खराब हो चुके है्. ऐसे मे् वह खुद रूरने की राह पर है. आजाद कक्मीर हो या बिूनचस््ान सभी जरह पानकस््ान के नखिाफ माहौि बन रहा है. ऐसे मे् भारत को दखि देने की बजाय अंतरराष््ीय मंच पर
पानकस््ान की भूनमका को पुरजोर ढंर से उठाना ज्यादा बेहतर होता. अब कही्उल्रा न हो जाये. जो काम भारत को अंतरराष््ीय मंच पर करना चानहये वह भूनमका पानकस््ान िे सकता है. वैसे भी बिूनचस््ान की आजादी का समथ्टन करने या न करने से कक्मीर रारी की समस्या का कोई समाधान नही्ननकिने वािा. कक्मीर समस्या का हि वहां के नौजवानो् को मुख्यधारा मे् जोि्कर ही ननकिेरा. अब कक्मीर मे् पानकस््ान की ज्यादा बि्ी भूनमका रह भी नही् रयी है. रारी मे्90 के दशक के बाद की पीढ्ी का बि्ा नहस्सा अिराववाद के रास््े पर है. इसके निये सव्टदिीय पहि कर कक्मीर के िोरो् के नवकास के निये एक नया काय्टक्म बनाना होरा. वहां के नौजवानो् को भरोसे मे् िेना होरा तभी बात बन पायेरी. नजस तरह नहंदुत्व और रो रक््ा के नाम पर अराजकता हुई और खुद प््धानमंत्ी को अपीि करनी पि्ी वह ब्सथनत कक्मीर के मुद्े पर भी पैदा हो सकती है. पूव्ाा्चि मे्नहंदुत्व की नस्टरी चिाने वािे योरी आनदत्यनाथ ने कहा है नक आजाद कक्मीर भारत का नहस्सा है और वे उसे आजाद कराये्रे. यह काम कैसे होरा यह रास््ा नही् बताया. पर इस सबसे एक तबके के नखिाफ कही् नफर जहर न फैिाया जाये यह आशंका बढ्रही है. नबहार चुनाव मे्पानकस््ान का मुद्ा उठा था तो उत््र प््देश के चुनाव मे् बिूनचस््ान और पानकस््ान के कल्जे वािे आजाद कक्मीर का मुद्ा उठ जाये तो हैरानी नही् होनी चानहये. पर इस सबसे प््धानमंत्ी नरे्द् मोदी की वैन्शक छनव पर प््नतकूि असर पि् सकता है यह भी ध्यान रखना चानहये. नवदेश नीनत के ऐसे संवेदनशीि मुद्े को सि्क पर िाने से माहौि और खराब होरा. वैसे भी अपना देश नवनभन्न राष््ीयताओ् का देश है नजसके कई नहस्से अपनी आजादी की मांर कर चुके है्. पूरब से पन््िम तक. खानिस््ान का मुद्ा उदाहरण है नजसकी बि्ी कीमत चुकानी पि्ी थी. और दूसरे देश की बात करे् तो श््ीिंका का तनमि ईिम हो या खानिस््ान का नारा. इसमे् फंस कर हम हाथ जिा चुके है्. बहुत से िोरो् की जान रयी. इंनदरा रांधी से िेकर राजीव रांधी जैसे नेता शहीद हो रये. इसनिए इस मुद्े पर फूंक फूंक n कर कदम रखने की जर्रत है. ambrish2000kumar@gmail.com शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
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आवरण कथा
एक नये जागरण की ओर दलित
खिलीप मंडल
व
ह एक सामान्य नदन था. ग्यारह जुिाई की सुबह ठेकेदार का फोन आया नक राय मर रयी है, उठाकर िे जाओ. चार िोर ट््ॉिी िेकर आये. राय िादी और अपने नठकाने की ओर चि पि्े. वहां वे राय की चमि्ी उतारते, हन््ियां अिर करते और दोनो् चीजे् ठेकेदार को सौ्पकर मेहनताना िे जाते. वष््ो्से यही होता आ रहा था. परंतु जैसा नक इन नदनो् अक्सर होता है, रास््ेमे्कुछ रोरक््क अचानक रपक पि्ा और 6
शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
ऊना मे्दहलतो्के उत्पीड्न और उससे उपजे जन-उभार मे्एक नयी राजनीहत के संकेत हदखते िै्, हजसमे्दहलतो्और मुस्सलम एकता की संभावनाएं भी िै्. के्द्सरकार, भाजपा और संघ पहरवार समझ निी्पा रिे िै्हक िवा के इस र्ख को कैसे बदला जाये.
िुजरात मे् दगलत उत्पीड्न के गवर्द् आंदोलन: राजनीगत की नयी इबारत मजदूरो्को पीरने िरे. हंरामे की खबर पाकर कमाई का जनरया भी है. ऊना की पुनिस आ रयी. पुनिस के निए भी यह इसनिए उन्हो्ने ररना की खूब तस्वीरे् सामान्य बात थी. उन्हो्ने कहा नक इन िोरो्को खी्ची्. वीनडयो बनाया और व्हाट्सऐप समेत थाने पहुंचा देना. अब रांव से िेकर थाने तक सोशि मीनडया पर डाि नदया. यहां तक सब इन िोरो्को िे जाने का पूरा तमाशा हो रया. कुछ सामान्य था. ऐसा सैकि्ो् जरह, सैकि्ो् जाइिो एसयूवी मे् इन चारो् को मोरी रस्सी मे् बार हो चुका है. अपने नहसाब से उन्हो्ने बांधकर उनका जुिूस बनाया रया और वाहवाही बरोरने का काम नकया था और चूंनक रोरक््क मारते-पीरते हुए थाने िे रये. वहां रुजरात मे् रोरक््ा की एफआईआर दज्ट कराने उन्हे् और पीरा रया. तस्वीरो् मे् पुनिस का वािो् को तारीफ और पुरस्कार नमिता है, प्िाब्सरक बैरन और ऊना थाने का बोड्ट साफ इसनिए वे पुरस्कार पाने की उम्मीद िराये थे. नजर आ रहा है. पीरने वािो्को इस समय तक िेनकन यहां बात नबरि् रयी. िोरो् को नबल्कुि पता नही्था नक वे कुछ रित कर रहे कुछ ज्यादा ही पीरा रया था. उनकी तबीयत है्. सब कुछ वे पुनिस के संज्ान मे्कर रहे थे. नबरि्ने िरी और उन्हे् अस्पताि मे् भत््ी रोरक््ा को एक पनवत्् कम्ट मानकर वे अपने कराना पि्ा. इन वीनडयो के वायरि होते ही नहसाब से पुण्य का काम कर रहे थे. यह उनका रुजरात और देश तथा दुननया मे् कोहराम मच
रया. ऐसा होता है, यह सभी जानते है्. िेनकन इस ररना के ग््ानफक वीनडयो ने िोरो् की चेतना तो झकझोर नदया. खासकर रुजरात मे् हमेशा से शांत रही दनित चेतना भि्क रयी. दनितो्के सोशि मीनडया ग््ुप और दनित संरठनो् की आपसी चच्ाट के बाद िोर इस नतीजे पर पहुंचे नक अब बहुत हो रया. इसके बाद रुजरात के सुरे्द्नरर के दनितो् ने वह नकया, नजसके बारे मे्आज तक नकसी ने सोचा भी न था. उन्हो्ने नारा नदया: तुम्हारी रोमाता है, िाश तुम उठाओ. उन्हो्ने तीन ट््को् मे् भरकर राय की िाशो् को सुरे्द्नरर किेक्रर के ऑनफस के सामने डाि नदया और कहा नक अब रोरक््को् से कनहए नक इनका अंनतम संस्कार करे्. कई और दफ्तरो्मे्भी मरे हुए जानवरो्के
अवशेष डाि नदये रये नक इन्हे् रोरक््क साफ बात नकसी को सामान्य िर सकती है. िेनकन करे्रे. इन मामूिी सी िरने वािी बात ने भारतीय यह अकल्पनीय था. देश के शहरो् और समाज व्यवस्था को रंभीर चुनौती दी है. अरर रांवो्मे्जानवर उठाने का एक ही चिन है नक यह काम बाकी जानतयो् के िोर करने िरे्रे, उसे दनित उठाये्रे. सव्ाटनधक प््रनतशीि तो जानत व्यवस्था की बुननयाद नहि जायेरी. भारतीय के निए भी मृत जानवरो्को हराने का यह बात कोई और समझे या न समझे, और कोई रास््ा नही्. इसमे्राजनीनतक नवचार आरएसएस, नवश्् नहंदू पनरषद, बीजेपी और का भी कोई फक्कनही्है. सरकार भाजपा की हो संर के अनुषंरी संरठन भिी भांनत समझते है्. या कांग्ेस या सीपीएम या आम आदमी पार््ी यही वजह है नक ऊना की ररना की व्यापकता की. मरे हुए जानवर तो दनित ही उठाते है्. समझ मे्आते ही ये सब आपदा ननयंत्ण मे्िर सुरे्द्नरर से शुर्हुई यह सामानजक क््ांनत रये. पहिी प््नतन््कया नवश्् नहंदू पनरषद की रुजरात के कई और नहस्सो् मे् फैि रयी. रुजरात ईकाई ने दी. प््ेस नरिीज जारी करके हािांनक इसका सव्ाटनधक असर सौराष्् मे् ही रोरक््को् से कहा नक 'अपने ही िोरो्' पर रहा. हािात इतने नबरि्रये नक राज्य सरकार हमिा न करे्. को नजिानधकानरयो् को निखकर ननद््ेश देना इसके बाद प््नतन््कया प््धानमंत्ी नरे्द्मोदी पि्ा नक पशुपािन नवभार की मदद से मरे हुए की ओर से आयी. उन्हो्ने रोरक््क जानवरो्की िाशो्का ननस््ारण कराये्क्यो्नक आतंकवानदयो् के नखिाफ कार्टवाई की कोई इससे बीमारी फैिने और रास््ा अवर्द् होने बात न करके कहा नक मेरे दनित भाइयो् को का खतरा पैदा हो रया है. मत मारो, मुझे रोिी मार दो. यह कहकर वे हािांनक इस बीच ऊना मे् राजनीनत भी एक साथ दनितो्और रोरक््को्दोनो्को संतुष् चिती रही. तमाम राजनीनतक दिो् के करने की कोनशश कर रहे थे. वे रोरक््को् को प््नतनननधयो् ने दनितो् से मुिाकात की और यह संदेश दे रहे थे नक हािांनक आपकी राहत नदिाने का वादा नकया. तत्कािीन रनतनवनधयो्से मुझे नदक््त हो रही है, मै्दुखी मुखय् मंत्ी आनंदीबेन परेि भी पीनि्तो्से नमिी्. हूं. िेनकन आप तो अपने है्, इसनिए कार्टवाई उन्हो्ने मुआवजा देने की रोषणा की. इसे नही् होरी. इसके बाद दो नदन के भीतर दनितो्ने ठुकरा नदया और कहा नक ‘हम र्पया आरएसएस के सह काय्टवाह भैयाजी जोशी ने नही्चाहते, 'हम उन रुंडो्को पीरना चाहते है्.' दो बयान जारी करके रोरक््को् से अपने ही पुनिस ने भी हमिे मे्शानमि िरभर तीन समाज के िोरो् को सताने से बाज आने को दज्नट िोरो्को नररफ्तार कर निया और उन पर कहा. जान से मारने की कोनशश करने और बहरहाि, ये कदम नाकाफी सानबत हुए अनुसूनचत जानत अत्याचार ननवारण अनधननयम और इसी नसिनसिे मे् रुजरात की मुख्यमंत्ी की कि्ी धाराओ्के तहत मुकदमा दज्टनकया. आनंदी बेन परेि को जाना पि्ा. हािांनक िेनकन आंदोिन का दायरा तब तक ऊना से आनधकानरक र्प से उन्हो्ने इसकी वजह बाहर फैि चुका था और ऊना के अपरानधयो् अपनी उम्् को बताया (रौर करने की बात है को दंनडत करने के अिावा कई और मांर इस नक 75 साि की उम्् पार करने के बावजूद आंदोिन से जुि् चुकी थी्. इसी दौरान एक किराज नमश््के्द्ीय मंन्तमंडि के सदस्य बने प््दश्टन मे् शानमि कई हुए है् और येनदयुरप्पा दनितो् ने जहर पी कन्ाटरक मे् बीजेपी के वे मांग कर रहे हैंकक गाय की निया, नजनमे्से योरेश मुख्यमंत्ी पद के पूछ ं आप रखो, हमेंसरकारी कुमार नाम के युवक दावेदार है्). अपने जमीन दो. इस नारे को पूरे की अस्पताि मे् मौत स्थापना काि यानी गुजरात मेंदकितोंने पूरी तरह हो रयी. 1925 से ही इस आंदोिन की आरएसएस के निए से अपना किया है. सबसे प््मुख और रोरक््ा एक महत्वपूण्ट के्द्ीय मांर है नक दनित अब यह मरे जानवर सवाि रहा है. राय के सवाि पर जब तक उठाने, रंदरी साफ करने या सीवर साफ करने सामने ननशाने पर मुसिमान होता है, तब तक जैसे काम नही्करना चाहते. वे मांर कर रहे है् संर की राजनीनत सही चिती है. राय हजारो् नक राय की पूछ ं आप रखो, हमे्सरकारी जमीन जानतयो्मे्बंरे िोरो्को नहंदू पहचान के तहत दो. इस नारे को पूरे रुजरात मे् दनितो् ने नजस इकट््ा करने मे् तब तक ही मददरार है, जब तरह से अपना निया, उससे यही िरता है नक तक ननशाने पर रोमांस-भक््क छनव वािे दरअसि वहां इस आंदोिन की जमीन तैयार मुसिमान है्. िेनकन संर की मुब्ककि यह है थी. ऊना की ररना ने नचनरारी का काम नकया. नक आनदवानसयो् और दनितो् का एक बि्ा मरा हुआ जानवर न उठाना-सुनने मे् यह नहस्सा भी रोमांस खाता रहा है. इसके अिावा शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
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आवरण कथा
नज्र रतिए गाय पर रा
य का मसिा भारतीय राजनीनत मे्ऐसे समय मे्आया है, जब देश के सबसे बि्े और राजनीनतक र्प से अहम राज्य उत््र प््देश मे् चुनाव नसर पर है्. िोकसभा चुनाव के समय िव जेहाद का मामिा काफी रम्ट था और भाजपा ने िव जेहाद के नाम पर हुए मुजफ्फरनरर दंरो् के आधार पर प्द् श े मे्सांपद् ानयक ध्व्ु ीकरण करने मे्अभूतपूवट्सफिता पायी थी. िंबे समय्से प््देश की राजनीनत मे्हानशये पर रही भाजपा ने 2014 के िोकसभा चुनाव मे्राज्य की 80 मे्71 सीर जीत िी. सहयोरी दि के साथ नमिकर राज्य मे्उसका आंकि्ा 73 पर पहुंच रया. आज अरर के्द् मे् भाजपा बहुमत की सरकार है तो उसमे् िव जेहाद और मुजफ्फरनरर दंरो्का बि्ा यारदान है. इसी तरह उसने नबहार नवधानसभा चुनाव मे् दादरी राय कांड को भुनाने की पूरी कोनशश की थी, इस वारदात मे् एक मुसिमान बुजुर्ट को भीि्ने इस शक के आधार पर मार डािा था नक उनके न््िज मे्रोमांस है. भाजपा ने मतदान से एक नदन पहिे राय को िेकर नबहार के अखबारो्मे् आधे-आधे पेज के नवज््ापन छापे थे. उस निहाज से देखे्तो कोई यह कह सकता है नक यूपी के नवधानसभा चुनाव पहिे राय के र्प मे् एक सांप्दानयक मुद्ा नमिने से भाजपा खासी प््सन्न होरी. अरर यह मुद्ा केवि सांप्दानयक होता तो यकीनन पार््ी खुश होती िेनकन इस बार मामिा पेचीदा हो रया है. रुजरात मे्राय की राजनीनत मे् ननशाने पर इस बार अनुसूनचत जानत के िोर है्. रुजरात के ऊना मे्नपरने वािे मुसिमान होते तो भाजपा प््सन्न होती. िेनकन राय की राजनीनत के नशकार अरर भाजपा के कनथत नवरार नहंदू पनरवार के िोर हो्तो उसका नकिा दरकता है. रुजरात मे्एक नयी बात यह हुई है नक राय के सवाि पर दो पीनि्त समुदायो्, अनुसूनचत जानत और मुसिमानो्मे्भावनात्मक एकता कायम हो रयी. जमीयत उिेमा ए नहंद ने रोनहंसा-पीनि्तो्के पक््मे्बयान जारी नकया. इकतीस जुिाई को अहमदाबाद मे्हुए दनित महासम्मेिन मे्कई राय की चमि्ी छीिना, उसे रंरना और उससे जूते और दूसरी चीजे् बनाने मे् दनित जानतयां बि्ी संख्या मे्िरी है्. संर की योजना के मुतानबक रोरक््ा के
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शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
मुसिमान वक्ताओ्ने मंच से भाषण नदया. पांच अरस््से 15 अरस््तक चिी दनित अब्समता यात््ा मे्मुसिमान बन््सयो्मे्फूिमािाओ्से स्वारत नकया रया. इस यात््ा मे्हर जरह मुसिमान भी शानमि हुए. रुजरात मे् सात फीसद दनित और नौ फीसद मुसिमानो् की एकता से भाजपा नचंनतत नही्होरी, िेनकन यही एकता उत््र प््देश मे्बनती है तो यह पार््ी के निए बुरी खबर होरी. वहां ये दोनो् समुदाय नमिकर 40 फीसदी का समीकरण बनाते है्. नजस सूबे मे् 30 से 35 फीसदी वोर से सरकार बनती है, वहां यह अजेय समीकरण है. राय के मुद्े पर बहुजन समाज पार््ी ने बेहद आक््ामक तेवर अपना निए है्. पार््ी की नेता मायावती ने रुजरात का दौरा कर यह जता नदया है नक उनके इरादे क्या है.् मायावती ने मुसिमानो्पर हो रहे हमिो्को िेकर राज्यसभा मे्तीखे तेवर अपनाये है्. समाजवादी पार््ी हािांनक इस मुद्े पर ज्यादा आक््ामक नही् है. राय के सवाि पर उत््र प््देश मे् भाजपा और बसपा रकरा रही है् सपा चाहेरी नक यह मामिा ठंडा पि्जाये. भाजपा कतई नही् चाहेरी नक नवधानसभा चुनाव तक राय का मुद्ा नजंदा रहे. आरएसएस के इनतहास मे्शायद यह पहिा मौका है, जब वह राय के मुद्े से छुरकारा पाना चाहता है. राय का खौफ आरएसएस को डरा रहा है. िेनकन सवाि उठता है नक क्या भाजपा यह कर पायेरी और क्या भाजपा के चाहने भर से राय रोशािे मे्चिी जायेरी. यूपी के चुनाव मे्राय पर नजर रनखए.
ननशाने पर मुसिमान ही होने चानहए. िेनकन रोरक््ा के नाम पर उसने नजन िफंरो् और उत्पाती तथा उन्मादी िोरो्को इकट््ा कर निया है, उनके निए इन बारीनकयो् का कोई मतिब सुरे्द् निर मे् सड्क पर िायो् के शव: प््गतरोध का रास््ा
नही् है. उन्हे् तो बस राय बचाने के नाम पर आतंक फैिाना है और वसूिी करनी है. रोरक््ा एक व्यवसाय बन चुकी है. कुछ िोरो्के निए रोरक््ा मौज है तो कुछ के निए दबदबा स्थानपत करने का तरीका. कुछ के निए यह धान्मटक कत्टव्य भी है, नजसके निए वे दूसरे धम्ट वािे पर और कई बार अपने ही धम्ट के िोरो् पर हमिा कर सकते है्. इस काम मे्वे मुसिमान और दनित का भेद करने की समझ नही्रखते. यही वजह है नक प््धानमंत्ी और संर की अपीि के बावजूद दनितो् पर रोरक््को् के हमिे र्क नही् रहे है. यह नजन्न बोति से बाहर आ चुका है और संर को समझ मे् नही् आ रहा है नक इसे बोति मे्अंदर कैसे डािे्. रुजरात की दनित चेतना का नवस््ार अरर अन्य राज्यो् मे् होता है, तो भारतीय समाज के निए यह युरांतकारी ररना सानबत होरी. जानत व्यवस्था से बाहर मौजूद दनित ही जानत व्यवस्था की नी्व है्. नी्व नहिेरी, तो इमारत सही-सिामत नही्बचेरी. n (िेखक नहंदी ‘इंनडया रुडे’ के पूव्टसंपादक है्.)
उखंमालेश
ज़मीन पक रही है
अगर एक नयी तरि की शूद्एकता को जमीन हमलती िै तो अल्पसंख्यक उसके सार स्वतः जुड्ेगा.
रु
जरात मे दनितो् की आबादी कई अन्य राज्यो् और देश मे् औसत दनित आबादी के मुकाबिे कम है. पर उन्हो्ने नहंदुत्ववानदयो् द््ारा ढाये जुल्मो-नसतम के नखिाफ अपने ताकतवर प््नतरोध से पूरे देश का ध्यान आकृष् नकया है. डाॅ भीमराव आंबेडकर के नवचारो् की रोशनी मे् एक समय दनित-बहुजन को संरनठत करने की जोरदार कोनशश कांशीराम ने की थी. पहिे बामसेफ के मंच से और बाद मे्बहुजन समाज पार््ी के मंच से. पर कुछ बरस बाद ही दनित-बहुजन नवजाररण और आंदोिन की वह धारा चुनावी-राजनीनत तक सीनमत होकर हो रयी. वह बि्े सामानजक-राजनीनतक और आन्थटक बदिाव की मशाि नही् बन सकी. क्या रुजरात के उना से उठी दनित-चेतना की नयी िहर पूरे देश मे्दनितबहुजन आंदोिन की मशाि बनने वािी है? इस नयी दनित चेतना मे्कई नये आयाम है्. पहिी बात तो यह नक इसमे् अपने आंदोिन और जनजाररण के दायरे को व्यापक नकया है. अहमदाबाद और उना की रैनियां हो्या दनित अब्समता माच्टहो या अन्य काय्टक्म, इन सब मे्नकसी साव्टजननक रोषणा के बरैर हर जरह व्यापक बहुजन या शूद्एकता की कोनशश नदखाई दे रही है. अभी हाि ही मे्उना की रैिी मे्दनितो्के साथ भारी संख्या मे्मुब्सिम नहस्सेदारी देखी रयी. नपछि्ेवर्ट(ओबीसी) के िोरो्की मौजूदरी भी नदखी. नसफ्करुजरात ही नही्, महाराष््और आंध्-तेिंराना के दनित-नपछि्ेसंरठनो्के िोर भी इसमे्शानमि होने आये थे. नदवंरत रोनहत वेमुिा की मां रानधका वेमुिा और उनके भाई भी इस रैिी मे्शानमि थे. यही नही्, मंच पर जवाहर िाि नेहर् नवश््नवद््ािय के छात््संर अध्यक्् कन्हैया कुमार मौजूद थे, नजन्हे् के्द् सरकार, संर पनरवार और नदल्िी पुनिस देशद््ोही सानबत करने मे जुरे हुए है्. कुमार नबहार के एक बेहद सामान्य पृष्भूनम के सवण्ट पनरवार से आते है्. इससे दनित अब्समता माच्टके आयोजको्की व्यापक दृन्ष का संकेत नमिता है. उन्हे्पहिे के कई दनित अनभयानो्या संरठनो्की तरह अपने आंदोिन के साथ सवण्टसमुदाय के प््रनतशीि तबको्को भी जोि्ने मे्कोई नहचक नही्है. इस दनित अब्समता जाररण का दूसरा महत्वपूणट्आयाम है इसके मंच से जमीन का सवाि उठाया जाना. हर दनित पनरवार को 5 एकि्जमीन देने की मांर रखी रयी है. साथ मे्यह भी कहा रया है नक सरकार ने एक महीने के अंदर इसका बंदोबस््नही्नकया तो आंदोिन का अरिा कदम होरा रेि का चक््ा जाम करना. एक अंतराि के बाद दनित आंदोिन के एजे्डे मे् जमीन हानसि करने जैसा आन्थटक एजे्डा शानमि हुआ है. यह भी इस आंदोिन को पहिे के कई दनित आंदोिनो्और अनभयानो्के बीच नवनशष्् बनाता है. ज्यादातर दनित संरठन अपने अनभयानो् को दनितअनधकानरता और उत्पीि्न-प््नतरोध के मुद्े पर ही के्न्दत करते रहे है्. वे
आन्थटक मुद्ो्को उतनी तवज््ो नही्देते रहे है्. ऐसा िरता है, इस दनित अनभयान के संयोजक नजग्नेश मेवानी अपने आंदोिन को आन्थटक मुद्ो्से भी जोि्ने के प््नत सचेष्है्. वे एक पढ्े-निखे दनित काय्टकत्ाट है्. उनके सभी कदम नफिहाि बहुत सुनचंनतत और समझदारी भरे नदख रहे है्. रुजरात जैसे सूबे मे् दनित-मुब्सिम भाई-भाई का नारा िरना और रैिी मे् दोनो् समुदायो् के िोरो् का साथ-साथ चिना, नबल्कुि नयी पनरररना है. संर-संपोनषत सवण्टवादी नहंदुत्ववानदयो् के हमिो् के दोनो् नशकार होते रहे है्. िेनकन पहिे इस तरह कभी मंच और अनभयान मे्एक साथ नही्नजर आये. हमारी जानकारी है नक नजग्नेश मेवानी और उऩकी रीम ने इसके निए बि्े ननयोनजत ढंर से काम नकया. रीम के सदस्यो् ने अिर-अिर जरहो् पर अिर-अिर समुदाय के नुमायंदो् से व्यापक एकजुरता के निए बातचीत की. भारतीय राजनीनत की नवडंबना रही नक यहां सभी दिो् ने माना नक दनित सबसे ज्यादा उत्पीन्ित है्. सबसे ज्यादा ररीब और बेहाि भी वही है्. िेनकन बि्े या मुख्यधारा के राजनीनतक दिो् द््ारा उनके निए जबजब राजनीनतक अनभयान चिाये रये, उन अनभयानो्का नेततृ व् हमेशा रैरदनित, प््मुखतः सवण्टसमुदाय से आये नेताओ्ने नकया. आजादी के बाद कुछ समय तक यह नसिनसिा जारी रहा. िेनकन कांशीराम की बहुजन समाज पार््ी के अभ्युदय के बाद कम से कम उत््र प््देश जैसे सूबे मे्यह नसिनसिा पूरी तरह थम रया. कई अन्य प्द् श े ो्मे्भी छोरे-मझोिे दनितबहुजन संरठन उभरते नजर आये. िेनकन ज्यादातर दनित संरठनो् या दिो् मे् दनितो् के अिावा अन्य समुदायो् की नहस्सेदारी ज्यादा नही् है. महाराष्् मे् नरपब्लिकन पार््ी या दनित पै्थस्ट की नवफिता का यही प्म् ख ु कारण था. उत्र् प्द् श े मे् बहुजन समाज पार््ी ने बाद के नदनो् मे् अन्य समुदायो्को भी अपने दायरे मे् िाया. पर ‘सव्टजन’ की उसकी राजनीनत(वोर) के चिते बहुजन आंदोिन और संरठन का कंरे्र ही नविुप्त होता नजर आया. कांशीराम के ननधन के बाद यह नसिनसिा और तेज हुआ. ऐसे दौर मे्उना के दनित-प््नतरोध से नसफ्कएक नया दनित उभार ही नही्पैदा हुआ है, यह दनित जाररण को नया कंरेर भी देता नजर आ रहा है. क्या यह अनभयान देश मे व्यापक शूद् एकता का आधार बन सकता है? अरर एक नयी तरह की शूद्एकता को जमीन नमिती है तो भारत का अल्पसंख्यक उसके साथ स्वतः जुि्ेरा. इसका संकेत हमे्रुजरात मे्नदख चुका है. ठोस राजनीनतक एजे्डे पर आधानरत इस तरह की जन-एकता अरर देशव्यापी आकार िेती है तो ननस्संदेह वह देश मे्बि्ेसामानजकराजनीनतक बदिाव का आधार बन सकती है. नफिहाि, रुजरात से इसका n संकेत नमि रहा है. (िेखक वनरष््पत््कार और स््ंभकार है्.) शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
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आवरण कथा
चिचजटल महामारंग पर ऊना
मीहिया की मुख्यधारा मे्हबलकुल उपेह्ित ऊना के उभार को सोशल मीहिया ने िी देश भर मे् चच्ाष का हवरय बनाया. खिलीप मंडल
ऊ
ना मे्रोरक््को्ने 11 जुिाई को दनितो् की नपराई की और मोबाइि से उसका वीनडयो बना कर व्हाट्सऐप ग््ुप पर भेज नदया. जानहर है, मुख्यधारा की मीनडया के निए यह कोई खबर नही्थी. इसनिए न यह कही्छपी, न ही नकसी चैनि पर नदखायी रयी. मीनडया के नहसाब से बात आयी-रयी हो रयी. वष्ट2016 के जुिाई महीने मे् यह मुख्यधारा के मीनडया के निए भिे ही खबर न हो, िेनकन यह सूचना के नडनजरि महामार्ट पर दौि् पि्ी.इस बेहद आपन््तजनक वीनडयो को िोरो्ने देखा तो इस पर प््नतन््कयाये्आने िरी्. फेसबुक, यूट्ूब, व्हाट्सऐप और ब्टवरर पर इसके बारे मे् बात होने िरी. रुजरात के दनित संरठनो् के बीच इसके जनरये यह सहमनत बनने िरी नक बस बहुत हुआ. अब कुछ करना होरा. वच्अ टु ि दुननया मे्तूफान मच रया ओर देखते ही देखते वच्अ टु ि जरत का यह रुस्सा नरयि जरत मे्नजर आने िरा. इस ररना के तीन नदन के अंदर रुजरात के कस्बो् और शहरो् मे् धरना-प््दश्टन होने िरे. इसी दौरान यह नारा िरने िरा नक तुम्हारी रोमाता, अंनतम संस्कार तुम करो. सुरे्द् नरर के दनितो् ने तीन ट््क मरी रायो् को किेक्रर के दफ्तर के आरे फे्क नदया. इसकी तस्वीरो् और वीनडयो की रूंज देखते ही देखते सारी दुननया मे्फैि रयी. आंदोिन मे्नये-नये नेता उभरने िरे, जो अपनी बात अखबार चैनि के जनरये नही्, सोशि मीनडया के जनरये कह रहे थे. आनखर 20-21 जुिाई आते आते मामिा इतना बि्ा हो रया नक मुख्यधारा के मीनडया के 10 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
ऊना मे् दगलतो् का उत्पीड्न : सोशल मीगिया की भूगमका निए इसकी अनदेखी करना संभव नही्रह रया. और कई और मंत्ी भी अक्सर अपनी बात तमाम बि्े नेता रुजरात दौरा कर रहे थे और सोशि मीनडया पर ही कहते है्. इस मामिे मे् संसद मे्इसे िेकर हंरामा हो. सूचनाओ्तक पहिे पहुंच होने का पत््कारो्का इक््ीस जुिाई को पहिी बार यह खबर नवशेषानधकार काफी हद तक खत्म हो चुका है. राष््ीय मीनडया के पहिे पन्ने पर आती है और रुजरात मे् एक नया सामानजक आंदोिन तथाकनथत नेशनि चैनिो् को इस पर बहस नजस तरह से खि्ा हुआ, इसका साम्य करानी पि्ती है. इसके बाद से यह खबर राष््ीय नफनिपी्स, ट्न्ूननशया, ईरान, इनजप्र, म्यामांर मीनडया से नफर रायब हो रयी. िेनकन सोशि जैसे कई देशो् के सामानजक-राजनीनतक मीनडया मे्यह खबर नजंदा रही. आंदोिनो्मे्देखा जा सकता है, जहां िोरो्को अमदाबाद की दनित रैिी के निए संरनठत करने मे् इंररनेर और सोशि मीनडया आयोजको्ने चैनिो्और अखबारो्को आमंतण ् ने महत्वपूण्ट भूनमका ननभायी. यह सही है नक भी नही्भेजे. वे सोशि मीनडया के जनरए अपना सोशि मीनडया की वजह से कोई आंदोिन नही् सूचना तंत् नवकनसत कर चुके थे. अहमदाबाद खि्ा हो सकता. िेनकन अरर कोई आंदोिन है, रैिी को ‘इंनडयन एक्सप््ेस’ के अिावा नहंदी- तो सोशि मीनडया के जनरये वह बि्ा जर्र हो इंब्गिश के नकसी भी राष््ीय अखबार ने पहिे सकता है. पन्ने पर जरह नही्दी. अमदाबाद से प््कानशत भारत के निए भी यह बात सच सानबत हुई रुजराती के प््मुख समाचार पत्् ‘संदेश’ ने भी है. रौर करने की बात यह है नक भारत मे्अभी इसे पहिे पन्ने पर छापना उनचत नही समझा. िरभर 100 करोि् िोर इंररनेर के दायरे से इसके बावजूद यह खबर अपना असर नदखा बाहर है्. इंररनेर से नकसी न नकसी तरह से जुि्े रयी. िोरो् की संख्या 25 करोि् है, वही् सोशि इस तरह सोशि मीनडया के माध्यम से एक मीनडया के सबसे बि्ेप्िरे फॉम्टफेसबुक से जुि्े आंदोिन खि्ा हो रया और इसका असर यह िोरो्की संखय् ा 14 करोि्है. भारत की नवनशष्् हुआ नक रुजरात की मुखय् मंत्ी आनंदीबेन परेि सामानजक ब्सथनतयो् मे् दनितो्-आनदवानसयो्ने अपना इस््ीफा फेसबुक पर निखा. भारत के नपछि्ो्-अल्पसंख्यको् और मनहिाओ् की इस राजनीनतक इनतहास मे् नकसी राजनेता का माध्यम तक पहुंच देर से हुई है जबनक सोशि मीनडया पर नदया रया यह पहिा मुखय् धारा मीनडया मे्अनदेखी होने की वजह से इस््ीफा था. सोशि मीनडया की सबसे ज्यादा जर्रत इन्हे् राजनीनतक संचार के निए ब्टवरर और ही है. फेसबुक का इस््ेमाि अब सामान्य हो चिा है. हम इस बात की कल्पना करने की ब्सथनत भारत सरकार का प््ेस इंफॉम््ेशन ल्यूरो अब मे् नही् है् नक यह नवशाि आबादी जब सोशि मान्यताप््ाप्त पत््कारो् को प््ेस नरिीज नही् मीनडया के दायरे मे् आ जायेरी, ये सारे िोर भेजता. वह अपनी नरिीज वेबसाइर पर आपस मे् संवाद करने िरे्रे, तो यह बात अपिोड करता है, नजसे दुननया का हर व्यब्कत समाज और राजनीनत को नकस तरह से बदिेरी. एक साथ देख सकता है. प््धानमंत्ी नरे्द्मोदी देश मे्कुछ बेहद नदिचस्प होने वािा है. n
कुमार पंंशांत
कुछ बात है कक चुप है़
गोरि््को्पर प््धानमंत्ी के बोलने से बात खत्म निी्िुई, बस्लक नयी तरि से शुर्िो गयी िै.
अ
चानक ही प्ध ् ानमंत्ी नरेद् ्मोदी और रानिब नमयां का ऐसा मेि बैठा नक मै्भीतर-भीतर ही बार-बार हो रहा हू.ं रानिब नमयां बहुत पहिे कह रये है:् 'कुछ बात है नक चुप है/् वरना क्या बात कर नही्आती.' रानिब ने ऐसी-ऐसी बाते्की्नक सारी दुननया आज तक उन्हे्सुनती और रुनती आ रही है. अब प्ध ् ानमंत्ी ने नदखाया नक उनको भी बात करनी आती है. एक नदन राजधानी नदल्िी मे्उन्हो्ने रौ-रक्क ् ो्का काम तमाम नकया तो दूसरे नदन हैदराबाद मे्दनितो्पर िरातार हो रहे और बढ्रहे कायराना हमिो् पर बोिे. दोनो्ही मौको्पर वे इस तरह बोिे, नजस तरह नकसी भी नजम्मवे ार प्ध ् ानमंत्ी को बोिना चानहये. िेनकन उनके बोिने से बात खत्म नही्हुई, बब्लक नयी तरह से शुर् हो रयी है. पहिी बात तो खुद प्ध ् ानमंत्ी ने ही छेि्ी नक नररपानिका के सवाि से िेकर अंतरराष््ीय सवािो्तक सब कुछ उनसे ही क्यो्पूछा जाता है? नदल्िी मे्उन्हो्ने इस बात पर हैरानी जतायी. िेनकन देश भी उनसे कम हैरान-परेशान नही्है. वह जानना चाहता है नक जो आदमी हर महीने मन की बात कहने के निए देश की रेनडयो सेवा का बेनहचक प्य् ोर करता है, जो चाय पर चच्ाट के रास्े् प््धानमंत्ी बना है, जो देश और दुननया मे् योजनाबद््ढंर से भीि्जुराकर अपना ढोि बजाता है और नजसमे्ज्यादातर जुमिेबाजी होती है, वही आदमी उन सवािो्की उपेक्ा और अवमानना क्यो् करता है जो समाज के नकसी तबके को व्यनथत या उत्न्ेजत करते है.् जब बि्ी बातो् पर चुप्पी रखी जाती है तो छोरी बाते्असाधारण हो जाती है.् रोनहत वेमि ु ा भी 'मेरे दनित भाइयो ' मे्एक नही्था क्या? क्या उसकी आत्महत्या प्ध ् ानमंत्ी की संवेदना और संिरन्ता की मांर नही् करती थी? वेमि ु ा की आत्महत्या को उनकी ही नशक््ा मंत्ी ने िोकसभा मे् मजाक बना नदया था. नफर तो नशक््ण संस्थानो् मे् दनितो् का ‘कांनबंर ऑपरेशन’ ही शुर्कर नदया रया. अरर वे रित थे तो भी क्या सरकार की रिती और उनकी रिती को एक ही पिि्े मे् रखा जा सकता है? अरर ऐसा नकया जाये तो प्ध ् ानमंत्ी और राष्प् नत की भूनमका है तराजू के दोनो्पिि्ो्को बराबर कर देना. अरर वे ऐसा नही्करते तो उनके बयानो्, उनके शल्दो्के अथ्टबदि जाते है.् मुद्ा खोखिी हो जाती है और संवदे नाएं नकिी िरने िरती है.् यही हुआ है. सनहष्णुता-असनहष्णुता का पूरा नववाद ही समाप्त हो जाता अरर प्ध ् ानमंत्ी ने बुिाकर उनका दद्टसुना होता और अपनी ब्सथनत स्पष््की होती. जब वे मौन रहे तो सरकार और दि के सारे छुरभैया नेताओ् ने तिवार खी्च िी. उसके बाद कहां-कहां कौन रायि हुआ, कोई नहसाब नही्. आज सारे तिवारबाज सकते मे् है् नक हमने तो तिवार प्ध ् ानमंत्ी की शक्ि देखकर ननकािी थी और अब बदिे हािात मे्तिवार थामे रहे् या रख दे?् िेनकन अब क्या फायदा? सरकार का इकबाि तो रुरनो् के बि बैठ चुका है. प्ध ् ानमंती् के बयान के बाद नहंदतु व् वादी और रोरक्क ् नजस तरह के बयान दे रहे है,् उनको सुनकर िरता है नक जल्दी ही संरनठत चुनौनतयां नमिेर् ी. तब प्ध ् ानमंत्ी को अपने मौन की कीमत चुकानी होरी.
संर पनरवार नकस तरफ खि्ा होरा यह भी देखने िायक होरा. राय का सवाि अहम है. संर पनरवार की तरह राय पनरवार भी है. इस रौर नबरादरी का संरक्ण ् संवध्नट जर्री है, िेनकन इसनिए नही् नक वह हमारी मां है या उसकी पूछ ं पकडक़र वैतनरणी पार की जा सकती है. यह आवक्यक इसनिए है नक हमारी कृनष-आधानरत अथ्टव्यवस्था, हमारा अथ्तट तं ्और हमारी सामानजक व्यवस्था इस नबरादरी से काफी हद तक जुि्ी हुई है. िेनकन इसके साथ तािमेि नबठाने वािी संरचना चानहए. यह स्मार्ट नसरी मे्नही्रह सकती और नम्दट ा रारी जैसी पनरयोजनाओ्मे्डूब मरती है. आप रोमाता कहकर और हमिावर रक्क ् ो्की तिवारबाजी से इसे बचा नही्सकते. बैिो्का, बछि्ो्का, बूढ्ेराय-बैिो्का और मृत राय-बैिो् का सवाि भी रहेरा और चमि्ा उतारने का काम भी रहेरा. मरे हुए जानवरो् का चमि्ा न उतारा जाये तो नजंदा राय-बैि बचेर् े ही नही्. सरकार नवकास की नजस नदशा मे्जा रही है वह नवकास राय नबरादरी की हत्या कर रहा है. राय और रांधी का नरक्ता बहुत जनरि रहा है. उन्हो्ने कहा है नक ईश्र् को जब कर्णा पर काव्य निखने का मन नकया तो उसने राय बनायी. राय के साथ हमारे समाज का वहशी व्यवहार देखकर उन्हो्ने जीवन भर राय का दूध नही् नपया. राय पनरवार के प्न्त असीम स्नहे के बावजूद उन्हो्ने कभी रोरक््ा के निए अनशन नही् नकया, बब्लक उन्हो्ने कहा नक मै्नकसी राय को बचाने के निए आदमी की हत्या नही्करंर् ा. प्ध ् ानमंत्ी को ऐसी बाते्एकदम आरंभ मे्करनी थी्क्यो्नक वे नजसे आज समाज तोडऩे का षडयंत् कह रहे है्, वह बहुत पहिे रचा जा चुका था. उन्ही् ताकतो् ने प्ध ् ानमंत्ी बनने मे्उनकी मदद की. देश के मन मे्एक खरका इसीनिए है नक कही्उन्ही्ताकतो् के साथ समझौता करने की बात तो नही्. अब भी प्ध ् ानमंत्ी ने रो-रक्क ् ो्की नहंसा के प्न्त अपनी सरकार का फैसिा नही् रोनषत नकया है और दनितो्वािे मामिे मे्यह भी संकते नदया है नक यह नवपक््के उकसावे का पनरणाम है. अरर आने वािे नदनो्मे्प्ध ् ानमंत्ी की नदल्िी और हैदराबाद की ये सारी बाते्जुमिेबाजी की धुधं मे्खो जायेर् ी तो भारतीय समाज संकर मे्पि्रे ा. मनमोहन नसंह जैसे मौन और नरेद् ्मोदी जैसे वाचाि प्ध ् ानमंन्तयो्को झेिते-झेिते देश थक चुका है. अब वह चाहता है ऐसा कोई, जो मतिब की बात मौके पर बोिे और जो बोिे, उसमे्उसका भरोसा भी हो. जुमिो् से आप देश को मूखट् बना सकते है,् देश चिा नही् सकते. यह बात इन नदनो्बार-बार सानबत होती जा रही है. देश बहत बि्ा है, बहुत जनरि है और िंबे समय तक नदशाहीन रहने के कारण इस राि्ी को पररी पर िाना आसान भी नही्रह रया है. धम्,ट जानत,संपद् ाय, भाषा आनद-आनद प्न्तरामी शब्कतयो्के ई्धन से इस राि्ी को चिाने की कोनशशे्नकतने ही सूरमा कर चुके है्और सभी खेत रहे है.् ये शब्कतयां नवध्वस ं मचा सकती है,् रच कुछ भी नही् सकती है्; और जो रच नही् सकता है, वह देश चिा-बना नही् n सकता. (िेखक रांधी शांनत प्न्तष््ान, नयी नदल्िी के अध्यक््है.् ) शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 11
आवरण कथा
वोट और गाय के बीच खववेक सकंसेना
प
्धानमंत्ी नरे्द् मोदी ने कभी सपने मे् भी नही् ् सोचा होरा नक जो कट््रपंथी नहंदुत्ववादी ताकते् उन्हे् सत््ा मे् िाने मे् सहायक रही्, वही एक नदन उनकी सरकार के निए इतना बिा संकर पैदा कर देरी. आज मोदी सरकार के निए रोरक््ा के मुद्ेपर दनितो्पर हो रहे अत्याचार और उसे िेकर संर और उसके अनुषांनरक संरठनो् से बढता रकराव बि्ी नवपदा बना हुआ है. पहिे िव जेहाद, नफर रर वापसी और अब रोरक््ा के मुद्े पर पूरे देश मे् मोदी सरकार कठररे मे् खिी है. यह मामिा इतना रंभीर है नक जहां एक ओर सरकार को देश मे्दनितो्पर बढते अत्याचारो्पर सदन मे् चच्ाट करवानी पिी वही्दूसरी ओर अपने राउन हाि काय्टक्म मे् प््धानमंत्ी नरे्द् मोदी को कहना पिा नक 80 फीसद रोरक््क असामानजक तत्व है्जो नदन मे्रोरक्क ् हो जाते 12 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
है्जबनक रात मे्रैरकानूनी काम करते है्. असि मे्रोरक््ा की आि मे्दनितो्पर हो रहे हमिो् से कही् ज्यादा मोदी सरकार इनके दीर्टकानिक पनरणाम से नचंनतत है. सरकार को सत््ा मे् आये सवा दो साि हो रये है्. अरिे साि देश के तीन अहम राज्यो्, उत््र प््देश, पंजाब और रुजरात मे् नवधानसभा चुनाव है्. मोदी सरकार पर भिे ही भ्ष ् ्ाचार का आरोप न िरा हो, पर नजस तरह से वह िोरो् को सपने नदखा कर उन्हे्पूरा कर पाने मे्नाकाम हुई है, वह बहुत बिी चुनौती है. महंराई ज्यो् की त्यो् बनी है् और स्वच्छता अनभयान सरीखे िोकिुभावन ऐिानो् पर झािू नफर चुका है. नरे्द् मोदी के अपने राज्य रुजरात मे् हान्दटक परेि सरीखे युवक ने नसरदद्टपैदा नकया. उसके चिते उन्हे्वहां मुख्यमंत्ी बदिना पिा. अहम बात यह है नक यह वही दनित है् नजन्हो्ने 2014 के चुनाव मे्मोदी को वोर नदया था. उत््रप््देश सरीखे राज्य के दनितो् ने मायावती की बसपा को ठुकरा कर भाजपा को
नरे्द् मोदी और प््वीण तोिग्डया: अपने-अपने प््हसन
दहलत और गाय के मसले पर मोदी सरकार की मुह्शकले्बढ् गयी िै्और वि तय निी्कर पा रिी िै हक एक तरफ दहलतो् और दूसरी तरफ अपने िी पहरवार के लोगो्के गुस्से को हकस तरि शांत करे. चुना था. जो दनित 1990 तक कांग्ेस के साथ रहता आया था, वह उस बार मायावती को मुख्यमंत्ी बनाने के बाद भाजपा की ओर झुका था. हािांनक यही एकजुरता उसने मंनदर मुद्ेपर भी नदखायी थी जब राज्य मे् कल्याण नसंह की सरकार बनी थी. रृह मंत्ािय के तहत आने वािे नेशनि क््ाइम नरकाड्ट ल्यूरो के आंकिे बताते है्नक नरे्द्मोदी के सत््ा मे्आने के बाद दनितो् के दमन के मामिे बढ्े है्. सन 2012 मे् देश भर मे् दनितो् के नखिाफ होने वािे मारपीर, हत्या, बिात्कार आनद के मामिो्की संख्या 33,655 थी जो नक 2013 मे् बढकर 39,408 व 2014 मे्47,064 हो रयी. यहां यह दिीि नही् दी जा सकती है नक कानून व्यवस्था तो राज्य का नवषय है. इसमे् मोदी सरकार क्या कर सकती है. असनियत यह है नक दनितो्पर होने वािे 18 अहम अपराधो् मे्से 16 भाजपा-शानसत राज्यो्मे्ररे है्. इनमे् मध्यप््देश मे् चार, हनरयाणा और पंजाब मे् तीन-तीन, रुजरात और राजस्थान मे्दो-दो और
जम्मू कक्मीर और झारखंड मे्एक-एक अहम ररना ररी है. इन ररनाओ्के बाद जहां राहुि रांधी से िेकर अरनवंद केजरीवाि तक ने नरे्द् मोदी के रढ रुजरात मे् जाकर उनकी सरकार को कठररे मे् खिा करने की कोनशश की है, वही्भाजपा की जीत का राजनीनतक समीकरण भी नबरिता नजर आ रहा है. उत््र प््देश मे् 21 फीसदी दनित है्. यहां की राजनीनत मे् चार प््मुख दिो् सपा, बसपा, भाजपा और कांग्ेस के सन््कय होने के कारण चार कोणीय मुकाबिा होता है. ऐसे मे्महज 30 फीसद वोर हानसि कर सत््ा मे् आया जा सकता है. नपछिे नवधानसभा चुनाव मे्सपा ने
महज 29 फीसद वोर हानसि कर 403 सीरो् वािी नवधानसभा मे्244 सीरो्पर जीत हानसि की थी. मुसिमान तो पहिे से ही भाजपा के नखिाफ है. अब अरर दनित भी उसका साथ छोि जाता है तो सीधे 40 फीसद वोर कर जाते है्. ऐसे मे्नरे्द्मोदी और अनमत शाह की सारी सोशि इंजीननयनरंर धरी रह जायेरी. कमोबेश यही ब्सथनत पंजाब की है, जहां 117 मे्से 34 सीरे्आरन््कत है्. सन 2012 के नवधानसभा चुनाव मे् अकािी दि 35 फीसद और भाजपा सात फीसद वोर हानसि कर सरकार बनाने मे् सफि हो रये थे जबनक 40 फीसदी वोर हानसि कर के अव्वि रहने के बावजूद कांग्ेस सत््ा से बाहर रही. इस बार तो आप भी ताि ठोक रही है. उत््रप््देश के 70 नजिो्मे्34 नजिे ऐसे है्जहां दनितो्की तादाद औसत से ज्यादा है. नरे्द् मोदी के अपने राज्य रुजरात मे् देश की कुि दनित जनसंख्या का दो-तीन फीसद नहस्सा ही रहता है, पर वहां सन 2015 के दौरान दनितो्पर होने वािे अत्याचार के 1000 मामिे दज्ट नकये रये. राज्य के सरकारी स्कूिो् मे् दोपहर के भोजन के निए दनित छात््ो्को अिर बैठाया जाता है. राज्य के 95 फीसद मंनदरो् मे् दनितो् के प््वेश पर रोक है. रांव और नजिा पनरषदो् के दनित सदस्यो् को अिर कप या कुल्हि मे्चाय दी जाती है. राज्य के 96 फीसद क्मशानो् मे् दनितो् का अंनतम संस्कार नही् नकया जा सकता. यही वजह है नक िरातार सत््ा से बाहर रहने के बावजूद कांग्ेस की एक नतहाई से ज्यादा दनित वोर नमिते आये है्. केद् ्सरकार के एक मंत्ी के अनुसार सबसे बिी समस्या यह है नक दनितो् पर होने वािे हमिो्को िेकर सरकार का अपने ही िोरो्से रकराव हो रया है. जब दादरी मे्अखिाक पर िुजरात मे् कुछ िो-रक््क: लाचारी मे् गिरफ्तारी
हमिा हुआ था तो वहां समाजवादी सरकार के सत््ा मे्होने और इसका नशकार बने व्यब्कत के मुसिमान होने के कारण संर और दूसरे कट््रपंथी संरठनो्का रवैया कुछ और था. इस बार हमारा उनसे ही रकराव हो रहा है. खासतौर से मोदी के बयान की किी आिोचना हुई है. कांशी सुमेर् पीठ के शंकराचाय्ट नरे्द्ानंद सरस्वती ने कहा है नक इससे रोहत्या करने वािो् को बढावा नमिेरा. नहंदू महासभा ने चेतावनी दी है नक नरेद् ्मोदी सरकार को 2019 के िोकसभा चुनाव मे् इसकी बिी कीमत चुकानी पिेरी. नवनहप का कहना है नक मोदी तो कांग्ेस की काब्टन कापी सानबत हो रहे है्. संर ने भी किे तेवर अपनाते हुए उनके इस बयान को नहंदुओ्और राय की रक््ा मे्बनिदान देने वािो् का अपमान करार नदया है्. संर तो वैसे भी उनसे रकराव िेने के मूड मे् आ रया है. खासतौर से उससे जुिे स्वदेशी जाररण मंच और भारतीय मजदूर सभा अरिे कुछ नदनो् मे् सरकार को रेरने की तैयारी मे्है. जहां स्वदेशी जाररण मंच बहुराष््ीय कंपननयो् के भारत मे् बढते प््भाव के नखिाफ है तो भारतीय मजदूर संर का मानना है नक जीएसरी आने के बाद जहां अमीरो् को िाभ होरा वही् इसकी कीमत ररीबो्को चुकानी पिेरी. प्व् ीण तोरनिया ने भी मोदी पर ननशाना साधते हुए उनसे पूछा है नक उनकी सरकार के सत््ा मे्आने के बाद रोमांस के ननय्ाटत मे् जो 40 फीसद बढोत््री हुई है, उसके निए उनके पास क्या जवाब है. पूण्ट बहुमत होने के बावजूद उनकी सरकार देश मे् रोहत्या पर पूण्टप््नतबंध क्यो्नही्िरा रही है. असि मे्सबसे बिी नदक््त तो चंद माह बाद सात नवंबर को होने वािे प््दश्टन की है. ध्यान रहे नक 50 साि पहिे इसी नदन सात नवंबर 1966 को हजारो्रोरक्क ् ो्ने रोहत्या पर रोक िराने की मांर को िेकर संसद का रेराव नकया था. इनमे्शंकराचाय्टसे िेकर जाने माने नहंदू नेता करपात््ी जी महाराज सरीखे संत शानमि थे. उन्हे्रोकने के निए पुनिस ने रोिी चिायी थी नजसमे्बिी तादाद मे्रोरक््क मारे रये थे. अब 50 साि बाद पुनः संसद को रेरने की तैयारी की जा रही है. उससे ननपरना सरकार के निए बहुत बिी समस्या होरी. सरकार की समस्या यह है नक भाजपा से िेकर उसके समथ्टक रहे संरठन ही उसकी आफत बने है्. कभी पार््ी को उत््रप््देश मे् उपाध्यक्् रहे दयाशंकर नसंह को दनित नेता मायावती का अपमान करने के निए पार््ी से ननकािना पिता है तो कभी उनके सहयोरी संरठनो्से जुिे िोर दनितो् पर हमिे तेज कर देते है्. ऐसे मे् मोदी सरकार ने अपनी ब्सथरता और इकबाि बनाये रखने के निए इस दुनवधा का हि ढूंढना होरा नक उसे दनित वोर चानहये या संर की राय?n शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 13
आवरण कथा
ऊना मे् दगलत अस्ममता यात््ा: गहंदू-मुस्मलम साथ-साथ
दलो् के दलदल मे् दगलत ऊना मे्आयोहजत दहलत अस्समता रैली खत्म िोते-िोते एक राजनैहतक यात््ा मे्बदल गयी. यिां आये सभी गैर-भाजपा दलो्का मकसद केवल दहलत मतो्को लुभाना रा. अखिषेक रंजन खसंह
रु
जरात के नरर सोमनाथ नजिे के ऊना कस्बे मे्मृत राय की खाि उतारने पर नजन चार दनित युवको् की नपराई की रयी थी, वे मोरा समनढयािा रांव के ननवासी थे. इस रांव मे् रमेश बािू भाई और वत्सराम एकमात््पनरवार है्, जो मरी रायो् की खाि उतारने का काम करते है्. बीती 11 जुिाई को रांव से दो नकिोमीरर दूर रमेश अपने तीन भाईयो्के साथ
14 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
मृत रायो्की खाि ननकाि रहे थे, तभी रोरक्क ् दि ने उन पर हमिा कर नदया और बेरहमी से पीरते हुए ऊना िे रये. उसके बाद क्या हुआ यह पूरे देश को पता है. दनितो्की ननम्मट नपराई के बाद देश भर मे् नवरोध प््दश्टन शुर् हो रये. संसद मे्भी सत््ा पक््और प्न्तपक््के बीच तीखी बहस नछि्ी. रुजरात मे्यह मुद्ा सुनख ् यट ो्मे्रहा. इस मुद्ेपर दनितो्ने पांच अरस््को अमदाबाद से 'आजादी कूच' पदयात््ा शुर्की जो राज्य के कई नजिो्से रुजरते हुए ऊना मे्एक जनसभा मे् तल्दीि हो रयी. कहने को यह एक रैर राजनीनतक यात््ा थी, िेनकन ऊना हाई स्कूि मैदान मे्नजस तरह मंच पर आम आदमी पार््ी, कांग्ेस, भाजपा और कम्युननस्र पान्रियो् के नहमायती संरठन शानमि थे, उसे देखकर पदयात््ा के कई नननहताथ्टननकािे जा सकते है.् इस रैिी ने कई ऐसे अन्तन्वरट ोधो्को जन्म नदया, नजनसे 'आजादी कूच' के नसयासी मंसबू े और ननजी नहतो् पर सवाि उठने िरे. आयोजको्ने रैिी मे्80,000 िोरो्के आने का
दावा नकया था िेनकन तादात 20-25 हजार से ज्यादा नही् थी. रैिी मे् बि्ी संखय् ा मे् ऊना से दनित समुदाय के िोरो्के आने की उम्मीद थी, िेनकन वहां दूसरे राज्यो्से आये िोरो्की भीि् अनधक थी. रुजरात मे्दनितो्की हाित देश के बाकी राज्यो् से अिर नही् है. ऊना मे् जो अत्याचार हुआ, वह पहिी और अंनतम ररना नही्है. हािांनक, देश मे्इन नदनो्राय के सवाि पर नजस तरह की जंर नछि्ी है, ननन््ित र्प से उसने इस ररना को एक व्यापक आधार प्द् ान नकया. ऊना की पूरी ररना समझने के निए यहां की सामानजक और आन्थक ट ब्सथनत पर भी रौर करना बेहद जर्री है. सबसे पहिे बात रोरक््ा सनमनत की होनी चानहये. यह संरठन करीब सौ साि पुराना है और इसमे्ऊंची जानत के राजपूत और बाह्मणो्के अिावा नपछि्ी जानत के अहीर और कोिी समुदाय का दबदबा है. रुजरात की राजनीनत मे् नशवसेना का खास दखि नही् है, िेनकन रोरक््ा सनमनत मे्नशवसेना काय्क ट त्ाओ ट ् की अच्छी पैठ है. नशवसेना के स्थानीय नेता
दगलत रैली: आंबेिकर की िवाही
प्म् ोद नररी इसी रोरक््ा सनमनत से जुि्ेहै.् मोरा समनढयािा और उसके आस-पास के 22 रांव काठ दरबार (राजपूत) बहुि है. सामतेर रांव इन्ही्मे्से एक है, जहां रैिी के बाद वापस िौर रहे दनित समुदाय के िोरो् पर कानतिाना हमिा नकया रया था. वैसे ऊना की रैिी से दनितो्का कोई खास भिा तो नही्हुआ, िेनकन रैर दनितो् के मन मे् दनित नवरोध मजबूत हुआ है. यही वजह है नक इिाके की सभी ऊंची जानतयो् और प््भावशािी नपछि्ी जानत के िोरो्ने दनितो्का सामूनहक बनहष्कार
कर नदया है. ऊना मे् रैिी के दो नदन पहिे मोरा समनढयािा रांव मे् एक बैठक आयोनजत हुई. इस बैठक मे्दनित समुदाय के कई नेता शानमि हुए.सभी नेताओ् ने 15 अरस्् की रैिी का समथ्नट तो जर्र नकया, िेनकन उन्हे्नचंता इस बात की थी नक दनित नहतो् के नाम पर कही् राजनीनत न शुर्हो जाये. बैठक मे्वे चार युवक ् रं चच्ाट मे्आया. भी थे नजनकी नपराई से यह प्स बातचीत मे् उन्हो्ने भी इसे दनितो् का संरष्ट बताया िेनकन उनको इसके नाम पर राजनीनत मंजरू नही्थी. सामानजक काय्टकत्ाट चंद् नसंह मेहढ्ा 15 अरस््की रैिी से खुश नही्है.् उनके मुतानबक आम आदमी पार््ी मे् सन््कय नजग्नेश मेवानी अपने राजनीनतक फायदे के निए दनित नहतो्की सौदेबाजी कर रहे है्. भारतीय बौद्् संर के राष््ीय अध्यक्् संरन््पय राहुि के मुतानबक, ऊना मे् दनितो् युवको् की नपराई शम्टनाक है, िेनकन इसे िेकर कोई राजनीनत करे यह ठीक नही् है. उन्हो्ने कहा नक नकसी भी समस्या का समाधान बातचीत से संभव है.उनके अनुसार, ् नृ तक संरष्टहै और यह नहंदू धम्टके बीच सांसक यह िि्ाई रोरी बनाम स्वानभमान की है. उन्हो्ने एक बैठक बुिाने की बात कही, नजसमे्दनित समुदाय के नेता, नवश्् नहंदू पनरषद, रोरक््ा सनमनत के िोर शानमि हो्रे. तानक समाज मे् भाईचारे का वातावरण पुन: कायम हो सके. इसमे्शक नही्नक ऊना की ररना ननंदनीय है, िेनकन उससे भी अफसोसनाक है उसपर हो रही रंदी राजनीनत. रुजरात या देश के अन्य सूबो् मे्इससे पहिे भी दनितो्के साथ जुलम् हुए है,् िेनकन इसे िेकर न तो सामानजक संरठनो् ने कभी र्नच नदखायी और न ही नेताओ् ने सन््कयता. 11 जुिाई को दनितो्के साथ मारपीर की खबर राष््ीय मीनडया मे् सुन्खटयो् मे् रही िेनकन यहां पहिे भी दनित उत्पीडऩ होता रहा है. िेनकन उसकी चच्ाट न तो संसद मे्हुई न ही उसे िेकर कभी पदयात््ा ननकिी. ऊना के
आकोिािी रांव मे्13 नसतंबर 2012 को एक दनित युवक िाि जी भाई को नपछि्ी जानत के कोिी समुदाय के 500 हनथयारबंद िोरो्ने रर मे्बंद कर नजंदा जिा नदया था. मृतक िािजी पर कोिी समुदाय की िि्की को अरवा करने का आरोप था, िेनकन िि्की के बयान और पुनिस तफ्तीश मे् उसके ऊपर िराया रया आरोप झूठा सानबत हुआ. ररना के बाद िाि जी के नपता कािा भाई अपने पनरजनो् के साथ अब ऊना मे् नकराये के मकान मे्रहते है.् रांव मे् इस दनित पनरवार के पास खेती िायक 15 बीरा जमीन है, िेनकन बहुसंख्यक कोिी समुदाय के डर से यह दनित पनरवार वापस रांव िौरना नही्चाहता. कािू भाई स्थानीय नजिा प््शासन को नहजरत ( स्थानीय भाषा मे् पिायन) की जानकारी भी दे चुके है.् उत्पीडऩ के नशकार ऐसे िोरो् नजनकी जमीने्रांव मे्है,् उन्हे्रुजरात सरकार की ओर से जमीन दी जाती है. िेनकन इस ररना के चार साि बाद भी मृतक के पनरजनो्को इसका िाभ नही् नमिा है.यही वजह है नक पीनडत पनरवार े कर चौक पर नपछिे चार नदनो्से ऊना के आंबड धरने पर बैठा है. इसी तरह की एक और ररना ऊना से सरे अमरेिी नजिे की है. 14 माच्ट 2012 को जामका रांव मे्कोिी जानत के िोरो् ने 20 वष््ीय मधु भाई की हत्या कर दी थी. हत्या मे् शानमि आरोपी जेि मे् है्, िेनकन नजिा ् ासन की ओर से पीनि्त पनरवार को पय्ापट त् प्श िाभ नही्नमिा. ऊना की रैिी ने साफ कर नदया नक दनितो् के नाम पर वोर की राजनीनत शुर् है. आठ महीने बाद रुजरात मे्नवधानसभा चुनाव होने है् और कांग्ेस, आम आदमी पार््ी और बहुजन समाज पार््ी की नजर दनित वोर बै्क पर है्. आने वािे नदनामे्मे्पता चिेरा नक रुजरात के दनित मतदाता नकसके साथ जायेर् .े नफिहाि कहा जा सकता है नक दनितो्के रहबर तो कई नजर आ रहे है्िेनकन खुद दनितो्मे्नबखराव n अनधक है एकजुरता कम.
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आवरण कथा
दलितों में भी दलित राजनीहतक चेतना की कमी से जूझ रिे वाल्मीहक समुदाय के सार राजनीहतक दलो्, सरकारो्, सवर्ष हिंदू समाज ने तो भेदभाव हकया िी. स्वयं दहलतो्ने भी िमेशा उन्िे्खुद से कमतर समझा. कंवल िारती
स
माजशास््ी और परना नवश््नवद््ािय और जयनारायण व्यास नवश््नवद््ािय जोधपुर के पूव्ट कुिपनत प््ोफेसर क्यामिाि ने अपनी नयी नकताब 'पोनिनरक्स आफ नद अनरचेबल्स-कांग्ेस एंड नद भंरीज : अ सोनशयो एनानिनसस' मे् कहा है नक वाल्मीनक समुदाय मे्राजनीनतक चेतना का पूरी तरह अभाव है. वे खुद स्वच्छकार समाज से आते है्. उनके मुतानबक यही वजह है नक वाल्मीनक समाज नकसी भी राजनीनतक दि से कोई िाभ नही् िे सका. इसकी राजनीनतक वजह बताते हुए वे सबसे बि्ा दोष कांग्ेस पर डािते है्. वे पूछते है् नक सन 1932 के रांधी-आंबेडकर समझौते के बाद जो सामानजक, सांस्कृनतक और राजनीनतक पनरवत्टन दनित वर््ो् मे् हुए, उससे वाल्मीनक समुदाय क्यो् वंनचत रहा? खुद इसका जवाब देते हुए वे कहते है् नक '(इस) समुदाय की राजनीनत मुख्य र्प से कांग्ेस की नीनतयो् की नपछिग्रू बनकर रही और उनके नेताओ् की आवाज कांग्ेस के पास बंधक बनी रही. डॉ. िाि ने इस पर भी नवचार नकया नक इन िोरो् को भंरी नकस आधार पर कहा रया. क्या ये िोर पहिे बनहष्कृत रोनषत नकये रये और बाद मे् उनसे रंदे काम कराये रये या वे आरंभ से ही रंदा काम कर रहे थे इसनिए अछूत रोनषत नकये रये? वे निखते है् नक अरर इन सवािो् का उत््र यह है नक ये िोर शुर् से रंदा काम नही् कर रहे थे, और बाद मे् उनको मजबूर नकया रया, तो दूसरा सवाि यह पैदा होता है नक आनखर वे कौन सी मजबूनरयां थी्? उन्हो्ने नवद््ोह क्यो्नही्नकया? उसे अपनी ननयनत क्यो् मान निया? 'राजनीनतक दिो् और सवण्ट नहंदुओ् द््ारा वाल्मीनकयो् के साथ नकया जाने वािा भेदभाव' इस 16 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
पुस्क का महत्वपूण्ट अध्याय है. इसके मुतानबक, अभी तक के अध्ययन बताते है्नक वाल्मीनक समाज चार प््कार के भेदभाव से पीनि्त है- (1) राजनीनतक पान्रियो् का भेदभाव, (2) सवण्ट नहंदुओ् का भेदभाव, (3) सरकारो् का भेदभाव और (4) अन्य अस्पृक्य जानतयो् का भेदभाव. वे निखते है्नक कांग्ेस मे्ननष््ा रखने वािे वाल्मीनक आज वहां अपनी उपेक्ा महसूस कर रहे है्. उन्हे् कांग्ेस से नरकर नही् नमि रहा है और नवधानसभाओ् और िोकसभा मे् उनका प््नतनननधत्व नाम मात््का रह रया है. सन 1957 मे्ब्सथनत नफर भी बेहतर थी, पर इसके बाद उनका प््नतनननधत्व िरातार कम होता चिा रया और आज ब्सथनत यह है नक सन 2014 की िोकसभा की 544 सीरो् मे् केवि एक वाल्मीनक है. राज्यसभा की ब्सथनत इससे भी बदतर है. िाि निखते है् नक वष्ट 1952 से 2000 तक कांग्ेस वाल्मीनक समाज के नकसी व्यब्कत को राज्यसभा मे् नही् भेजा. राज्यसभा मे् इस समुदाय का पहिा सांसद 2005 मे्देखा रया था, नजसे भाजपा ने चुना था. उनकी भी कहानी यह है नक वे सांसद के र्प मे्आवंनरत अपने बंरिे मे्कभी प््वेश नही्कर सके. उस बंरिे मे्राजस्थान के प््देश भाजपा प््मुख का ही कल्जा रहा. राजनीनत मे् उनका उपयोर हुआ, स्वीकाय्टता नही् नमिी. परंतु सवण्ट नहंदुओ् का भेदभाव आम तौर पर दनितो् और खास तौर वाल्मीनक समुदाय के प््नत
कांगस ंे मेंकनषंंा रखने वािे वालंमीकक उपेकंा महसूस कर रहे है.ं कवधानसभाओंऔर िोकसभा मेंउनका पंकंतकनकधतंव नाम मातंं का रह गया है. राजनीनत मे् ही नही् समाज मे् भी पनरिन््कत होता है. डॉ िाि निखते है्, 'सवण्ट नहंदू तीन कारणो् से दनितो् को नहंदू समाज मे् रखना चाहते है्. पहिा, अस्पृक्यता के कारण, नजनके स्पश्ट से वे अशुद् हो
जाते है्. दूसरे, दनित उनके निए सबसे सस््ेऔर अवैतननक मजदूर है्. और तीसरे, एक व्यब्कत एक वोर की राजनीनतक संस्कृनत मे् दनित जानतयां केवि प््भुत्वशािी जानतयो्और वर््ो्का वोर बै्क बन रयी है्. इसनिए वे दनित जानतयो्के धम्ाा्तरण का नवरोध भी धान्मटक कारणो्से नही्, बब्लक सामानजक और आन्थटक कारणो् से करते है्. इसके पीछे उनकी सोच यह रहती है नक अरर दनित जानतयां नहंदू धम्ट या उनकी जानतव्यवस्था से अिर हो रयी् तो सवण्ट नहंदुओ् को काफी कुछ खोना पि्ेरा.' यही वजह है नक वाल्मीनक समाज का सामानजक-आन्थटक उत्थान नही् हो पा रहा है. 'ऐक्शन एड' नामक रैर- सरकारी संस्था की एक नरपोर्टके हवािे से डॉ निखते है्नक मैिा उठाने पर प््नतबंध के बावजूद यह प््था जारी है. यह प््था उनकी नशक््ा के नवकास मे्एक बि्ी बाधा है क्यो्नक स्कूिो् मे् भी बच््ो् के साथ भेदभाव होता है. नतीजतन, वे बीच मे्ही पढ्ाई छोि्देते है्. उन्हो्ने वाल्मीनक समुदाय के संभ्ांत या अनभजात वर्ट के नवकास पर भी प््काश डािा है. समुदाय ने उद््ोर और व्यापार के क््ेत् मे् भी कुछ प््रनत की है. उन्हो्ने रैस एजे्सी, पेट्ोि पंप, न््पंनरंर प््ेस, आयरन वक्कशॉप और होरि आनद खोिे है्. समाज के कुछ िोरो् ने डेयरी भी खोिी है. पर उनकी आबादी के प््नतशत के नहसाब से नवकास नाम मात्् का है. सरकारी भेदभाव के आंकि्े हािांनक केवि राजस्थान तक सीनमत है्. अन्य प््देशो् की ब्सथनत भी इससे नभन्न नही् है. डॉ. िाि निखते है् नक राजस्थान िोक सेवा आयोर मे् बैरवा, चमार, यहां तक नक भीि और मीणा भी सदस्य बनाये रये है्, पर सरकार ने अभी तक वाल्मीनक समुदाय के एक भी व्यब्कत को सदस्य नही् बनाया है. सरकारी नवभारो् और संस्थानो् मे् वाल्मीनकयो् का प््नतनननधत्व सबसे ननराशाजनक है. िरभर 1150 पदो्मे्केवि 53 पद इस समुदाय के पास है्. डॉ. िाि कहते है् नक यही वह महत्वपूण्ट समय है, जब वाल्मीनकयो् को अपने आप को बदिना होरा. उन्हे् अपनी शैिी बदिनी होरी और अन्य समुदायो्की तरह अपने अनधकारो्के निए िडऩा होरा. वे वाल्मीनकयो् के निए पृथक आरक््ण का समथ्टन करते हुए निखते है्नक पंजाब पहिा राज्य है, नजसने वाल्मीनकयो् और मजहबी नसखो् के निए अिर कोरा
नफक्स नकया है. हािांनक इसे चमार, आनदधम््ी और रमदनसयो् ने उच्् न्यायािय मे्चुनौती दी थी, पर अदाित ने सरकार के फैसिे को बनाये रखा. इसके नवर्द् की रयी अपीि भी सव््ोच्् अदाित खानरज कर चुकी है. डॉ कहते है् नक वाल्मीनक समुदाय के पास अपनी ररीबी और दुखो् को दूर करने और सामानजक न्याय को हानसि करने का एकमात्् रास््ा केवि पृथक आरक््ण ही है. अन्य अछूत जानतयो् के द््ारा वाल्मीनकयो् के साथ नकये जाने वािे भेदभाव के संबंध मे् िेखक का कहना है वालंमीकक युवको को कवकभनंन नक पूरे देश मे् दनित सरकारी कवभागोंमेंनौककरयां जानतयां जानत व्यवस्था कमिी थीं. िेककन जब कांगस ंे के नवरोध मे् है्, पर सतंंा मेंआयी, तो इस पर रोक अचरज है नक वे स्वयं िगा दी गयी. आंतनरक जानत व्यवस्था से ग््स् है्. इनमे् वाल्मीनक सबसे ज्यादा अछूत और अशुद् समझे जाते है्. सभी दनित जानतयां वाल्मीनक समुदाय से भेदभाव करती है्. उनके अनुसार चमार पहिी प््भुत्वशािी जानत है, दूसरे स्थान पर रैरर है्, खरीक तीसरे स्थान पर है् और अंनतम पायदान पर वाल्मीनक है्, नजनका कोई सामानजक, राजनीनतक या आन्थटक नही्है. उन्हो्ने इस बात को भी रेखांनकत नकया है नक राजस्थान मे्खुद को रांधीवादी कहने वािे मुख्यमंत्ी अशोक रहिोत ने अपने शासन मे् वाल्मीनकयो् की ही सबसे ज्यादा उपेक्ा की. वे उदाहरण देते है् नक 2007 मे् नजस वसुंधरा राजे की भाजपा सरकार ने पहिी बार 'डॉ. आंबेडकर फाउंडेशन' की स्थापना करके डॉ. आंबेडकर के प््नत सम्मान व्यक्त नकया था, उस संस्थान को अशोक रहिोत ने अपने 20082013 के कांग्ेसी शासन मे्एक पैसे का भी आवंरन नही्नकया. कांग्ेस मे् भरोसा रखने वािे वाल्मीनक समुदाय का मोह 2013 के नवधानसभा चुनावो्मे्भंर हो रया था, नजसका िाभ भाजपा को नमिा. 'राजनीनतक पान्रियां और वाल्मीनक समुदाय' नामक अध्याय मे्डॉ िाि खुिासा करते है् नक वसुंधरा राजे ने सन 2003-2008 मे् अपने शासन मे्पहिी बार राज्य के सभी नवभारो्को नरक्त पदो्पर वाल्मीनक समुदाय के युवको् को भत््ी करने का सक्कुिर जारी नकया था, नजसके पनरणामस्वर्प भारी संख्या मे् वाल्मीनक युवको को नवनभन्न सरकारी नवभारो्मे्नौकनरयां नमिी थी्. िेनकन जब कांग्ेस सत््ा मे्आयी, तो इस पर रोक िरा दी, नजसके कारण वाल्मीनकयो्को नौकनरयां नमिनी बन्द हो रयी. वे यह भी कहते है्नक वाल्मीनकयो्को राजनीनतक प््नतनननधत्व देने मे् भाजपा ने भी कोई र्नच नही् िी है. सन 1985 से राजस्थान नवधानसभा वाल्मीनक नवधायक के निए तरस रही है. चुनाव आयोर द््ारा जो 'नोरा' का नवकल्प िारू नकया रया है, उसका अनधकांश प््योर उच्् जानतयो् के मतदाताओ् ने सुरन््कत सीरो् के दनित उम्मीदवारो् के नखिाफ ही नकया था. इसे उन्हो्ने उदाहरण देकर सुरन््कत सीरो्पर प््ाप्त वोरो्की संख्या से सानबत नकया है. 'वाल्मीनकयो्की मुब्कत' अध्याय मे्िेखक ने रांधी जी के इस कथन के प््काश मे् नक 'मेरा अरर पुनज्टन्म हो, तो एक सफाईकम््ी के रर मे् हो, तानक मै् उन्हे् मैिा उठाने के अमानवीय, रृनणत और रंदे काम से मुब्कत नदिा सकूं. डॉ िाि ने ऐसे अनेक स््ी-पुर्षो्के बयान दज्टनकये है्, जो आज भी इस रंदे काम को बहुत ही मामूिी पैसे के निए कर रहे है्. यह सचमुच वानजब सवाि है नक कांग्ेस अपने छह दशको् के िंबे शासन मे्भी इस काम से वाल्मीनकयो्को छुरकारा क्यो्नही्नदिा पायी. इसका कारण इसके नसवा और क्या हो सकता है नक वाल्मीनकयो् की n मुब्कत कांग्ेस की प््ाथनमकता मे्ही नही्थी. (िेखक जाने-माने दनित नवचारक है्.) शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 17
देशकाल अजेय कुमार
हा
ि ही मे्रुिरांव की सिको्पर 16-18 रंरे के जाम ने एक बार नफर शहरो् मे् बुननयादी सुनवधाओ् के सवाि को के्द् मे् िा नदया है. भारत की शहरी आबादी, जो आज िरभर 38 करोि है, संयुक्त राष््संर के एक अनुमान के अनुसार, सन 2031 तक बढकर 60 करोि होने वािी है. बेहतर नारनरक सुनवधाओ् और उत््म पनरवहन व्यवस्था के साथ-साथ प््दूषण-मुक्त शहरो् के ननम्ाटण मे् देश के सीनमत उपिल्ध संसाधनो् का कैसे उपयोर हो, यह शहरी ननम्ाटण नवशेषज््ो्के निए एक चुनौती है. हमारे देश मे् ‘जवाहर िाि नेहर् अब्टन नरन्यूअि नमशन’ योजना पहिे से जारी थी. इसका िक््य सभी शहरो्का नवकास करना था. नफर मोदी द््ारा शपथ िेने के एक माह के भीतर ‘स्मार्ट नसरी पनरयोजना’ की रोषणा करने से पता चिता है नक सरकार की प््ाथनमकताएं बदि रही है्. मोदी सरकार ने नमतव्यनयता की दुहाई देते हुए सभी बेहद ज़र्री योजनाओ् के बजर मे्करौती करके उधार पर आधानरत एक बेहद खच््ीिी और िरभर रैरज़र्री ‘स्मार्ट नसरी’ नामक पनरयोजना को आनन-फ़ानन मे् हरी झंडी नदखा दी. अमेनरका की ‘स्मार्ट नसरी कॉउंनसि’ की भारतीय शाखा ‘स्मार्ट नसरी कॉउंनसि ऑफ इंनडया’ का रठन नकया रया. यह योजना मात््हमारे देश तक सीनमत नही्है. अमेनरका के योजनाकत््ाओ् की माने् तो नवश्् भर मे् िरभर 5000 स्मार्ट नसरी बने्रे नजनमे् भारत को केवि 100 आवंनरत नकए रए है्. मई, 2015 मे् नदल्िी मे् हुई स्मार्ट नसरी कॉनिे्स ने इन 100 शहरो्के ननम्ाटण मे्अरिे 20 वष््ो् मे् एक िाख बीस हजार करोि अमेनरकी डािर खच्टहोने का अनुमान िराया है. अरर आज एक डािर 69 र्पये का है तो यह रकम िरभर 82 िाख 80 हजार करोि र्पये बैठती है जो हमारे जी.डी.पी. का िरभर 60 प्न्तशत है. आज जब सरकार नशक््ा, मनहिा एवं बाि कल्याण, स्वास्थ्य, मनरेरा, स्वच्छ पानी इत्यानद पर अपने खच्टको कम कर रही है तो यह नवचारणीय मुद्ा है नक इतना सारा खच्ट सरकार कैसे कर पायेरी? इसे अंतरराष््ीय एजे्नसयो् से उधार िेना पिेरा जो जानहर है, अपनी शत््ो्पर ही इसे देरी. ग््ीस, स्पने और कई देशो् की अथ्टव्यवस्थाओ् को नवश््बै्क और आई.एम.एफ. ने अपने कज्टमे्फांस कर उनका क्या हश््नकया, यह जरजानहर है. सोिह जून 2015 को ग््ीस के तत्कािीन प््धानमंत्ी एिेब्कसस साइप््स ने संसद मे् नदये अपने भाषण मे्कहा था नक ‘ग््ीस के इस संकर के निए आई.एम.एफ़. अपराधी है, ये तमाम
18 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
म्मार्ट शहर का एक खाका: ऊंची जीवनशैली की कल्पना
नक़ली सपनो़ के स़माऱट शहर
कज़्टदाता एजे्नसयां, ग््ीस को अपमाननत करना चाहती है्.’ अभी हाि मे्ही एडवड्टस्नोडेन की तरह के ही एक अन्य अमेनरकी ‘जॉन पन्कि्स’ की आत्मस्वीकृनत उनकी पुस्क, ‘कन्फेशन ऑफ़ एकोनोनमक नहरमैन’ मे् देखी जा सकती है. जॉन पन्कस ि् निखते है,् ‘एकोनोनमक नहरमैन आन्थटक मामिो् के वे नवशेषज्् होते है् जो नवकासशीि और अल्पनवकनसत देशो्द््ारा निये जाने वािे कज़्ट को न्यानयक ठहराते है्. वह नवकास के ऐसे सपने नदखाने वािी पनरयोजनाएं पेश करते है् नजनके निए बिे कज़्टे की ज़र्रत पिती है. उनका काम होता है नक रैर-ज़र्री कज््ो् को नदिाकर उस देश को दीवानिया करना. इससे कज़्ट पाने वािा देश, कज़्टदाता देशो्, उनके ननयंत्ण मे् चि रही नवत््ीय एजे्नसयो् का स्थायी र्प से ग़ुिाम हो जाता है. इसके बाद अमेनरका को जब संयुक्त राष््-संर मे्नकसी प्स ् ्ाव को पास कराने की ज़र्रत होती है, उस देश मे्अपना सैननक अि््ा बनाना होता है या तेि तथा इसी तरह के उस देश के प््ाकृनतक स््ोतो्, सस््ेश्म् और बाज़ार पर कल्ज़े
की ज़र्रत होती है तो वह कज़्टदार देशो्को इसे करने के निए मजबूर करता है. एकोनोनमक नहरमैन तथाकनथत नवकास की ऐसी पनरयोजनाएं पेश करते है् नजनको करने की नवशेषज््ता अमेनरकी कम्पननयो्के पास होती है और उन्हे् ही इस काम का ठेका नमिता है. कज़ट्दाता एजे्नसयां, कज़्ट की रानश का भुरतान अपने देश मे्ही अपनी कंपननयो्को कर देती है् और इस तरह नदये रये कज़्ट का पैसा उनके अपने पास ही रह जाता है.’ कहना न होरा नक स्मार्ट नसरी पनरयोजना से भारत जैसे देशो् की अपनी आजादी तक खतरे मे्पि सकती है. भारत सरकार के शहरी नवकास मंत्ािय ने अपने ‘ड््ाफ्र कॉनसेप्र नोर ऑन स्मार्ट नसरी नमशन’ मे् स्मार्ट नसरी की नवशेषताएं इस तरह नरनायी है्: ‘यहां बहुत ही उच्् स््र पर रुणवत््ापूण्ट जीवन होरा नजसकी तुिना यूरोप के नकसी भी नवकनसत शहर से की जा सकती है. ...स्मार्टनसरी वह स्थान होरा जो ननवेशको्, नवशेषज््ो् और पेशेवरो् को आकन्षटत करने मे् सक््म होरा.’ ये ननवेशक और नवशेषज््सूचना
िुड्िांव मे् ऐगतहागसक ट््ैगफक जाम: म्मार्ट शहर का यथाथ्ट भारत मे्रहता है. हम ‘ग्िोबि हंरर इंडेक्स’ मे् स्माट्षशिर नव-धनाढय वग्षके शानमि 76 देशो्मे्55 वे्पायदान पर खिे है्. अमीरो्और बिुराष््ीय कंपहनयो् प््क्न यह उठता है नक आज जब दुननया का कुपोनषत हर तीसरा बच््ा भारतीय है, यहां के कारोबार के हलए बनाये जा स्वच्छ पानी केवि 34 प््नतशत आबादी को रिे िै्. जिां आम आदमी के उपिल्ध है, देश की आधी आबादी को अभी शौचािय उपिल्ध नही्है, और नवश््स्वास्थ्य हलए सामान्य जीवन जीना और संरठन के अनुसार 2012 मे्भारत मे्98 िाख भी दूभर िो जायेगा. 16 हजार िोर ऐसी बीमानरयो् से मर रये नजनका इिाज सहज ही संभव था, ऐसी और संचार तकनीको्पर ननभ्टर हो्रे. जानहर है, पनरब्सथनतयो् मे् हमारी प््ाथनमकताएं नशक््ा, इनके निए 4जी कनेब्करनवरी, सुपर ब््ॉडबै्ड, रोजरार, स्वास्थ्य, सस््ा भोजन होनी चानहएं न हाइस्पीड इंररनेर, मुफत् वाई-फाई, स्मार्टसेस ् र नक स्मार्टनसरी. और सन्वटिे्स कैमरे, ई-रवन््ेस, आधुननक सन 2008 की मंदी ने बहुराष््ीय ननरमो् स्मार्ट सुरक््ा व्यवस्था नजसमे् िोरो् के की आन्थटक ब्सथनत बहुत कमजोर कर दी थी. बायोमेन्टक नरकाड्ट का इस््ेमाि इत्यानद उसकी मुख्य वजह यह थी नक उनके उत्पादन शानमि होरा, ये सब व्यवस्थाएं हर स्मार्टनसरी के निए खरीदार नही्नमि रहे थे और आज भी मे् देनी हो्री. स्मार्ट नसरी मे् रहने वािे हर उसमे्कोई खास सुधार नही्हुआ है. उत्पानदत नारनरक का नडनजरि स्वास्थ्य ल्यौरा रखा माि शेल्फो्पर पिे है्और उन्हे्खरीदने वािो् जायेरा. यहां नवश्् भर के डाक्ररो् की सेवाएं की जेबे् खािी है्. स्मार्ट नसरी पनरयोजना का री.वी. स्क्ीन पर मौजूद डाक्ररो् और उनसे नवश््व्यापी िक््य महामंदी के दिदि मे् फंस वीनडयो कान्िे्नसंर के र्प मे् उपिल्ध हो्री. चुकी बहुराष््ीय कंपननयो्को उबारना है. स्मार्-ट नसरी मे्मनोरंजन पाक्,क खेि और संरीत स्मार्ट नसरी के इस अनभयान का नेतृत्व के निए जो भी स्थान नवकनसत नकये जाएंरे अमेनरका की आई.बी.एम. और ऑप्रीकि उनमे्प््वेश के निए ‘यूजर फीस’ का प््ावधान नेरवक्क बनाने वािी कंपनी ‘नसस्को नसस्रम’ होरा. कर रही है्. इनके साथ ही नबजिी, रैस और भारत मे् नशक््ा, स्वास्थ्य और रोज़रार की पानी के स्मार्ट मीरर बनाने वािी ब्सथनत केवि 50 देशो्से बेहतर और 136 देशो् ‘इररोन’,‘जनरि इिेक्न्टक’, ‘माइक््ोसॉफ्र’, से खराब है. संयुक्त राष््-संर द््ारा मई 2015 ‘ओरेकि’, ब्सवट्जरिै्ड की ‘एजीरी मे्जारी की रयी ‘वल्ड्टहंरर नरपोर्ट’ मे्बताया इंररनेशनि’ और ‘एबीबी’, इंग्िै्ड की ‘साउथ रया है नक दुननया के कुि भूखो्का चैथाई भार अि््ीका ब््ेवरीज़’, जो बीयर के अिावा ररेिू
उपभोक्ता सामान भी बनाती है; जापान की नहताची और तोशीबा, चीन की ‘हुआवेई’, जम्नट की ‘सीमंज’ इत्यानद सब अपना माि बेचने की उम्मीद मे् इस स्मार्ट-नसरी अनभयान मे् पूरे उत्साह के साथ शानमि है्. इसमे् कोई आि््य्ट नही् नक 17-18 फरवरी 2015 को इंनडया हैबीरार से्रर मे् आयोनजत स्मार्टनसरीज सम्मेिन के पहिे सत्् मे् ही चच्ाट का नवषय था, ‘भारत मे् स्मार्ट नसरीज़ नवकनसत करने मे्अमरीकी कंपननयो्के निए अवसर.’ नरे्द् मोदी ने अपनी अमेनरका यात््ा पर 30 नसतंबर 2014 को जो व्हाइर हाऊस से संयुक्त बयान जारी नकया उसमे् बराक ओबामा ने मोदी की इस बात के निए तारीफ की नक उन्हो्ने अमेनरका को अजमेर, इिाहाबाद और नवशाखापरनम मे् स्मार्ट नसरी बनाने का काम सौ्पा है. इसके बाद तो स्मार्ट नसरी बनाने के निए ‘मेमोरे्डम ऑफ़ अंडरस्रे्नडंर’ पर हस््ाक््र करने वािे देशो्की िाइन िर रयी है. आररा और बनारस जापान की मदद से स्मार्टनसरी बनेर् े तो दुबई, हैदराबाद को स्मार्टनसरी बनाना चाहता है. नसंरापुर आंध् की राजधानी और नदल्िी को स्मार्टनसरी बनाना चाहता है. नजस तरह कोई नबल्डर अपनी हाउनसंर पनरयोजना के ग््ाहको् को आकन्षटत करने के निए एक मॉडि रर का ननम्ाण ट करता है, उसी तज्ट पर बहुराष््ीय कंपननयो् ने दो प््ोरोराइप स्मार्ट नसरीज का ननम्ाटण नकया है. उनमे् एक शहर बास््ीिोना है और दूसरा आबूधाबी के ननकर तैयार हो रहा शहर ‘मसदर’ है. नजन शहरो्को स्मार्टनसरी बनाने के निए पनरयोजना के पहिे चरण मे्चुना रया है, वहां के महापौर और नरर ननरम के मुख्य अनधकानरयो् को वीनडयो के द््ारा इन शहरो्की चकाचै्ध नदखाई जा रही है. स्मार्ट नसरी को िेकर 16 फरवरी 2015 को हमारे प््धानमंत्ी और माईकि ल्िूमबर्ट नमिे और उन्हो्ने ‘नसरी चैिे्ज प््नतयोनरता’ का प््बंधन अमेनरका की तथाकनथत िोकोपकारी संस्था ल्िूमबर्टनफिनथ््ॉपी को सौ्प नदया. यह संस्था मीनडया मुरि माइकि ल्िूमबर्ट ने स्थानपत की थी जो नक अमेनरका का दूसरा सबसे धनी व्यब्कत है. उपिल्ध सुनवधाओ्तथा मांर और आपूनत् ट के नहसाब से इन स्मार्टनसरीज़ मे् आवास की कीमते् ज्यादा हो्री नजसके फिस्वर्प आम आदमी खुद-ब-खुद इन शहरो् मे् न रह सके्रे और अरर यहां नकसी ने कोई झुग्री-झोपिी डािने की कोनशश की तो बिपूव्टक उसे बाहर कर नदया जायेरा. िल्बोिुबाव यह नक स्मार्टनसरी उभरते नव-धनाढय वर्टके स्मार्टिोरो्और बहुराष््ीय कंपननयो्के n कारोबार के नहत मे्बनाये जा रहे है्. शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 19
देशकाल
टकराव की अदालि
देश के मुख्य न्यायाधीश जस्सटस तीरर हसंि ठाकुर और मौजूदा सरकार, खासकर प््धानमंत्ी के बीच टकराव रमने का नाम िी निी्ले रिा िै. शरि गुपंता
प
हिे उनकी आंखो्मे आंसू थे. चार महीनो् मे्वे अंरारो्मे्तल्दीि हो चुके है्. भारत के मुख्य न्यायाधीश जब्सरस तीरथ नसंह ठाकुर की के्द् सरकार के साथ तकरार अब एक बि्े रकराव का र्प िे चुकी है. पंद्ह अरस्् को जब पूरा देश आजादी का जक्न मना रहा था, ठाकुर ने प््धानमंत्ी नरे्द् मोदी पर ऐसा तंज़् कसा नक सरकार अभी तक कसमसा रही है. न्यायपानिका और काय्टपानिका का रकराव नयी बात नही् है. पंनडत जवाहरिाि नेहर् के काय्टकाि मे् पानरत पहिे संनवधान संशोधन से शुर् हुए मतभेद इंनदरा रांधी के काय्टकाि मे्चरम पर पहुंच रये थे जब उन्हो्ने आिोचना करने वािे न्यायाधीशो्की वनरष््ता को नजऱअंदाज़् कर अपने प््नत समन्पटत िोरो् को उनको बारी के पहिे पदोन्ननत देनी शुर्कर दी. उस वक्त जब्सरस एच आर खन्ना जैसे कई न्यायाधीशो् ने अपने कननष््ो् के अधीन काम करने की तुिना मे्अपना स्वानभमान बचाते हुए इस््ीफा दे देना ठीक समझा. िेनकन जब्सरस ठाकुर ने नपछिे चार महीनो् मे् जो कर नदखाया, वह नकसी भी न्यायाधीश के निए अभी तक अकल्पनीय था. पहिे अप््ैि मे् प््धानमंत्ी नरे्द् मोदी के साथ एक समारोह मे्मंच साझा करते हुए वे अदाितो् मे्खािी जरहो्और िंनबत मुक़्दमो्को िेकर भावुक हो रये, आंसू ननकिने आये. िेनकन जब उन्हो्ने पाया नक उनके आंसुओ्को सरकार की नजऱ मे कोई मोि नही्है तो उन्हो्ने तेवर तीखे करने शुर्कर नदये. स्वतंतत् ा नदवस समारोह पर िाि नकिे की प््ाचीर से मोदी का 90 नमनर का भाषण खत्म हुआ ही था नक पूरा देश बिूनचस््ान पर उनकी नरप्पणी पर बहस मे्डूब रया. इसी बीच जब्सरस 20 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
नरे्द् मोदी और जस्मरस रीएस ठाकुर: छत््ीस का आकड्ा ठाकुर ने जैसे बम नररा नदया. एक बयान जारी रया. इसमे्मुखय् न्यायाधीश की भूनमका प्भ् ावी कर उन्हो्ने खेद जताया नक प््धानमंत्ी ने अपने नही् रहेरी. नपछिे साि अक्रूबर मे् सव््ोच्् भाषण मे्देश की अदाितो्मे्खािी जरहो्का न्यायािय ने एनजेएसी को ख्ानरज कर नजक्् भी नही् नकया. जबनक वहां िरभर 40 कॉिेनजयम प््णािी ही चािू रखने के आदेश फीसदी पद खािी पि्े है् नजनकी वजह से नदये. यही् से सरकार और न्यायपानिका मे् अदाितो् पर बोझ बढ्ता जा रहा है. उन्हो्ने मतभेद रकराव की सीमा तक बढ्रये. इतने नक कहा, 'न््बनरश काि के दौरान मामिो् पर 10 जब्सरस ठाकुर ने प््धानमंत्ी की हर नरप्पणी पर साि मे् फैसिा हो जाता था. िेनकन अब पिर कर जवाब देने शुर् कर नदये. मसिन, मामिो् की संख्या बढ् रयी है और िोरो् की मोदी ने कहा नक 48 िाख मामिे िंनबत है्नफर अपेक्ाये् इतनी बढ् रयी है् नक उस उद््ेक्य को भी हर साि जज रम््ी की छुन्टयां क्यो्मनाते है्. हानसि करना अब कनठन हो रहा है. इसनिए जब्सरस ठाकुर ने पिर कर कहा हम रम््ी की मै्ने प््धानमंत्ी से इस पहिू की ओर ध्यान देने छुन्टयो् मे् कुल्िू-मनािी नही् जाते है्, बब्लक का अनुरोध बार-बार नकया है.' अपने संदेश अनधकतर जज इस दौरान रर पर ही महत्वपूण्ट पर जोर देने के निए प््धान न्यायाधीश ने उद्टू मामिो्मे्आदेश निखाते है्. की कुछ पंब्कतयां प््स्ुत की्, 'रुि फे्के है औरो् जब्सरस ठाकुर का कहना है नक 1987 मे् की तरफ, बब्लक समर भी, ऐ खाना-बर- अदाितो् मे् 38 िाख मामिे िंनबत थे. तब अंदाज-ए-चमन कुछ तो इधर भी.' करीब 40 हज़्ार न्यायाधीशो् की ज़्र्रत थी. इससे पहिे एक मुकदमे की सुनवाई करते आज आबादी मे्25 करोि्का इजाफा हो चुका वक्त वह अरान््ी जनरि मुकुि रोहतरी पर भी है. ढेर सी नयी अदािते् बन रयी है्. िंनबत बरस पि्.े उन्हो्ने कहा, 'कॉिेनजयम ने सरकार मामिो्की संखय् ा भी बढ्ी है. िेनकन न्यायाधीश को 75 जजो्की ननयुब्कत फ़्ाइि भेजी थी. तीन नही्बढ्े. पहिे एक मामिे को ननपराने मे्10 महीने हो चुके है्िेनकन कोई फैसिा नही्निया साि िरते थे. अब एक व्यब्कत के जीवनकाि रया. अरिी सुनवाई पर आप सरकार का मे्उसका मुकदमा खत्म नही्हो पाता. अमेनरका जवाब बताइए वरना हमे्एक-एक फ़्ाइि तिब मे्10 िाख िोरो्पर 150 न्यायाधीश है. हमारे करनी पि्ेरी.' उन्हो्ने उच्् न्यायािय के दो यहां हर 10 िाख िोरो् पर महज 18 न्यायाधीशो् का नाम िेते हुए कहा, 'हमने न्यायाधीश है्. देश भर के उच्् न्यायाियो् मे् जब्सरस एमएन शाह और जब्सरस बाल्मीनक 478 पद नरक्त है् यानी कुि संख्या का 44 मेहता का तबादिा नकया था िेनकन सरकार ने फीसदी. उसे भी रोक नदया है. आप चाहते क्या है्?' िेनकन सरकार के कान पर इन तक््ो् का दरअसि, सरकार की मंशा न्यायपानिका कोई असर नही्हो रहा है. वह इंतजार कर रही मे् भी अपने िोर रखने की है. इसीनिए मोदी है 18 जनवरी का जब जब्सरस रीएस ठाकुर सरकार बनने के साथ ही कॉिेनजयम नसस्रम नररायर हो जायेर् .े तब शायद वह अपने मनचाहे (नजसमे् मुख्य न्यायाधीश की अध्यक््ता मे् न्यायाधीशो्को ननयुक्त कर पायेरी. िेनकन क्या एक न्यायाधीश को इतना जजो्की एक सनमनत ही नये जजो्की ननयुब्कत करती है, की जरह नेशनि ज्यूडीनशयि मुखर होना चानहए? यह भी िाख रके का n अप्वाइंरमे्र कमीशन (एनजेएसी) बनाया सवाि है.
ख़बरदार खववेक सकंसेना
राजनाथ बनाम राजयोग
उप््मे्राजनार मुख्यमंत्ी बनने की इच्छा पाले िुए िै्. लेहकन कई समीकरर उनके हखलाफ जाते िै्.
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रेखांकन: ग््िएगरव सुलेखा िॉर काम/इंररनेर से साभार
ह सहारनपुर मे् भाजपा की पहिी चुनावी रैिी थी. मंच पर राष््ीय अध्यक््अनमत शाह, प्ध् ानमंत्ी नरेद् ्मोदी समेत तमाम बि्ेनेता मौजूद थे. राजनाथ नसंह ने अपने भाषण मे्दो बार कहा नक मै्अपने उत्र् प्द् श े मे् प्ध् ानमंत्ी का स्वारत करता हू.ं जब प्ध् ानमंत्ी की बारी आयी तो उन्हो्ने भाषण की शुरआ ् त मे् कहा नक मै् यूपी वािा हू.ं वाराणसी से सांसद हू.ं मतिब यह नक प्द् श े भाजपा को यह संदश े चिा रया नक राजनाथ नसंह मुखय् मंत्ी पद के उम्मीदवार नही्है.् जब तक नरेद् ्मोदी औपचानरक र्प से प्ध् ानमंत्ी पद के उम्मीदवार रोनषत नही्हुए थे, तब तक राजनाथ नसंह पूरे प्द् श े मे्यह रुिक ् ी देते हुए रूमते थे नक वे ही अरिे प्ध् ानमंत्ी बनेर.े जब उत्र् प्द् श े मे्मुखय् मंत्ी की खोज चि रही थी तो अरि नबहारी वाजपेयी व अन्य तमाम नेता संरन््पय रौतम को इस पद पर बैठाना चाहते थे. इसकी वजह यह थी नक उनके दनित होने के कारण जहां मायावती के प्भ् ाव को कम करने मे्मदद नमिती वही्पार््ी को सोशि इंजीननयनरंर और मजबूत होती. उन्हे्खोजा रया तो पता चिा नक वे उत्र् ाखंड के नकसी सुदरू इिाके मे्थे. 24 रंरे तक उनसे संपक्कनही्हो पाया तो उनकी जरह राम प्क ् ाश रुपत् का नाम आरे बढ्ाया रया. बताते है् नक उनके नाम पर राजनाथ ने नवशेष तौर पर सहमनत जतायी क्यो्नक उनको पता था नक उन्हे्न तो ठीक से सुनाई देता है और न ही नदखायी देता है. कािांतर मे्राजनाथ नसंह की िाररी िर रयी. उन्हो्ने ऐसा रजब का शासन नकया नक जब उन्हे्भाजपा सरकार नमिी तो पार््ी के 182 नवधायक थे जो अरिे नवधानसभा चुनाव मे् ररकर 80 रह रये और उसके बाद से पार््ी के पतन का नसिनसिा शुर्हुआ व हर नवधानसभा चुनाव मे् जारी रहा. इस समय उसके मात््50 नवधायक है.् उन्हे्अपने ज्योनतषी सिाहकार पर इतना ज्यादा भरोसा है नक उससे पूछे नबना रर के बाहर नही् ननकिते है.् देश के सबसे बि्ेराज्य उत्र् प्द् श े के मुखय् मंत्ी व भाजपा के दो बार राष््ीय अध्यक््रह चुके राजनाथ नसंह का राजनीनतक सफर बेहद नदिचस्प रहा है. वे व्यवहार मे्बेहद नवनम है्और आमतौर पर मुसक ् रु ाते रहते है.् नमज्ापट रु मे्जन्मा यह नेता 1974 मे् जनसंर का नजिा अध्यक््व 77 मे्नवधायक बन रया था. नफर वे भारतीय जनता युवा मोच््ेसे राजनीनतक सीनढयां चढ्ते हुए पार््ी के राष््ीय अध्यक््बने. उन्हे्राष््ीय अध्यक््बनाने मे् वाजपेयी के दामाद रंजन भट्ा्चाय्टव प्म् ोद महाजन की अहम भूनमका रही. वे रंजन को सर कहकर बुिाते थे व सहाराश््ी ने दोनो की दोस््ी करवायी थी. जब 2013 मे्नननतन रडकरी ने अपने पूनत् ट उद््ोर के नववादो्के नररने के बाद अध्यक््पद से इस््ीफा नदया तो एक बार नफर वे अध्यक््बना नदये रये. राजनाथ नसंह जबरदस््ठाकुर प्म्े ी है. जब मायावती ने राजा भैया को राडा मे्नररफ्तार नकया था तो उन्हो्ने यह कहा था नक राजा भैयय् ा कुछ भी हो सकते है्पर देशद््ोही नही्. यह उनका ठाकुर प्म्े ही है नक प्द् श े मे्नकसी भी दि का ठाकुर नवधायक हो वह खुद को उनके बहुत करीब पाता है. वे कभी
एक जरह से दोबारा चुनाव नही्िि्ते है. पूरा प्द् श े ही उनका चुनाव क्त्े ्है. नवधानसभा से िेकर िोकसभा चुनाव तक मे्वे अपनी इस िोकन््पयता का प्द् श्नट कर चुके है.् पहिे रानजयाबाद से चुनाव जीते नफर 2014 का चुनाव अरि नबहारी वाजपेयी की सीर िखनऊ से िि्ा. नरेद् ्मोदी से मुसिमान नजतनी नफरत करते है्वे राजनाथ को उतना ही चाहते है्हािांनक भाजपा के कुछ नदिजिे नेताओ्का दावा है नक वे और मुरिी मनोहर जोशी इसनिए अपनी सीरे्बदि देते है्नक उन्हे्पता होता है नक मतदाता को दोबारा भरमाया नही्जा सकता है. उन्हो्ने तो 2009 मे्ही िखनऊ मे्चुनाव के दौरान कह नदया था नक इस बार मै्दूलह् ा बनूरं ा पर नवधाता को यह मंजरू ही नही्था. अपने नवरोनधयो्को ननपराने मे्उनका जवाब नही्है. सच कहा जाये तो अज्नटु नसंह के बाद वे ऐसे दूसरे ठाकुर नेता है्नजसके शरीर मे्चाणक्य का नदमार है. उन्हो्ने कल्याण नसंह तक को ननपरा नदया जो नक बाबरी नवध्वस ं के बाद अरि नबहारी वाजपेयी और िािकृषण ् आडवाणी की कतार मे्खि्े हो रये थे. कल्याण नसंह और कुसमु राय की अंतरंरता के नकस्से मशहूर हो रहे थे. बताते है नक एक सच््ेस्वयं सेवक की भूनमका अदा करते हुए राजनाथ नसंह ने क्ण ् -क्ण ् की रनतनवनधयो्से संर के मुखय् ािय को अवरत कराते रहे. अंतत: वे उनकी छुट्ी करवाने मे् कामयाब रहे. उन्हे् दुख इस बात का है नक जब भी वे अपने इकिौते बेरे पंकज नसंह के निए कुछ करना चाहते है् तो उनकी ही पार््ी के िोर अनभयान छेि्देते है.् जब उनके बेरे को उत्र् प्द् श े भाजपा युवा मोच्ाट का अध्यक्् बनाने की कोनशश हुई तो िोरो्ने इसका नवरोध नकया. नफर उसे नचरईरांव से नवधानसभा का नरकर नदया रया तो उन पर वंशवाद का आरोप िराया जाने िरा. इसके कारण उनके बेरे ने चुनाव न िडऩे का ऐिान करते हुए राजनीनत मे्आदश्टप्स ् त्ु नकया. हािांनक नवरोनधयो्का आरोप है नक उन्हे्जब िरा नक वे चुनाव हार जायेरा तो उन्हो्ने उससे इस््ीफा नदिवा नदया तानक उनकी बदनामी न हो. हािांनक उनका बेरा उत्र् प्द् श े भाजपा का महासनचव है व नपछिी बार जब पूरी काय्क ट ानरणी बदि दी रयी थी तो नसफ्कउसे ही इस पद पर बनाये रखा रया था. राज्य सरकार के बाद नवरोनधयो्ने यह खबर फैिायी की नरेद् ्मोदी ने पंकज नसंह व राजनाथ को बुिाया. उससे पूछा नक आजकि क्या कर रहे हो. पंकज ने अपनी बात कही. बात पूरी होने पर मोदी ने कहा नक पैसे िेकर तबादिे करवाने का काम बंद कर दो. नजस पुनिस अफसर से तबादिे के निए पैसे निए थे उसे वापस िौरा दो व भनवष्य मे्ऐसा न करना. इस अफवाह से राजनाथ बहुत आहत हुए उन्हो्ने इस््ीफा देने तक का मन बना निया था. पर अनमत शाह ने सफाई देते हुए उनका बचाव नकया. कुछ भी कहा जाये राजनाथ पर आज तक भ्ष ् ्ाचार का कोई आरोप नही्िरा है. भाजपा मे्भिे ही उनके नखिाफ सानजश की जाती हो पर नवपक््मे्उनके काफी दोस््है. हाि ही मे्कांगस ्े नेता नदब्गवजय नसंह ने सदन मे् उनसे कहा नक भाईसाहब भाजपा वािे आपकी इतनी n बेइज्त् ी करते है्तो आप इस््ीफा क्यो्नही्दे देत.े शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 21
मुद़ा शंिूनाथ शुकंल
दूर की कौडंी दाल-रोटी
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यादा वक्त नही्रुजरा जब मै्नदल्िी आया था और यहां से िौर भी रया था क्यो्नक यहां मेरी मनचाही दाि यानी अरहर नही्नमिा करती थी. मै् इंनडयन एक्सप्स ्े समूह के नहंदी अखबार जनसत््ा मे्उपसंपादक चयननत हुआ था और अखबार अभी ननकिा नही्था नक नवकेर नरर रया. यह बात संपादक प्भ् ाष जोशी जी को बहुत अखरी. उन्हो्ने मुझे कानपुर से पकि् बुिवाया और पूछा नक कानपुर क्यो्िौर रये? मैने कहा नक यहां अरहर की दाि नही्नमिती तो उन्हो्ने कहा नक अरहर नमि जाये तो नदल्िी बने रहोरे? मैने जवाब नदया- जी. प्भ् ाष जी ने मेरे रहने की व्यवस्था रांधी स्मनृ त के रेसर् हाउस मे्कर दी जहां सुबह-शाम अरहर की दाि ही बना करती नजसे उस रेसर् हाउस का मद््ासी कुक तुअर की दाि कहता. मरर आज जब नदल्िी रहते 33 वष्टहो रये है्और मुझे अपनी पसंदीदा दाि को बंद करना पि्ा है. अब हमारे यहां मसूर, उि्द, मूरं और चने की दाि भी बनने िरी है. यह कोई स्वाद बदिने की वजह से नही्हुआ बब्लक मंहराई का कमाि है. अरहर की दाि का भाव 200 र्पये नकिो तक पहुच ं रया है और आमदनी उस निहाज से न बढ्ी है और न बढ्सकती है. चने की दाि पीिी भिे हो पर न तो उसमे्अरहर जैसी नरमी है न बनावर है न ही स्वाद. यह कोई मेरी ही ब्सथनत नही्बब्लक अनधकांश ररो्मे्अरहर राहेबराहे पकने वािी दाि बनकर रह रयी है. 22 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
लगातार बढ्ती कीमत ने देश की सबसे लोकह््पय अरिर को राली से लगभग गायब कर हदया िै और अब वि कभी-कभार िी बनती िै. उसकी जगि अन्य दालो्ने ली िै, लेहकन उनमे्वि बात निी्िै और वे बिुत सस््ी भी निी्िै्.
दाले् गकम्म-गकम्म की: देखने और खाने की दूरी
ऐसा नही् नक बाकी की दािे् सस््ी है्. उनकी कीमते् भी बढ्ी है् पर अरहर ने तो सबको पछाि्नदया है. पहिे मसूर, मूरं या उि्द आमतौर पर अरहर से मंहरी हुआ करती थी्और इसी वजह से मसूर को मिका मसूर कहा जाता है. मिका यानी रानी. और उि्द की तो इतनी कम उपिल्धता थी नक जब रर पर कोई पाहुन आता तब ही उि्द और रेहूं की रोरी बनती थी वन्ाट वही अरहर और बेझर के मोरे आरे की रोरी. चने की दाि आमतौर पर जब रर पर कोई कामकाज होता तब ही बनती और कहा जाता नक इन नदनो्मे्अरहर बन नही्सकती इसकी धान्मक ट बाध्यता है इसनिए नवकल्प के तौर पर चने की दाि बनायी जा रही है. क्यो्नक अकेिे चने की दाि ही सस््ी होती थी. मूरं तब ही खायी जाती जब रर पर नकसी का पेर खराब होता. इसनिए भारत के नजन नहस्सो्मे्ननरानमष भोजन की परंपरा थी वहां पर अनधकांशत: अरहर की दाि ही खायी जाती. पंजाब, हनरयाणा, पन््िमी उत्र् प्द् श े और राजस्थान जर्र अपवाद थे. वह शायद इसनिए नक यहां की जिवायु प््ोरीन के अिावा फैर और कैिरी की ज्यादा मांर करती थी. शेष उत्र् प्द् श े और नबहार ही नही्बब्लक रुजरात और सारे पन््िमी इिाके तथा दन््कण मे् भी अरहर की मांर थी. चावि के साथ खाने पर यह मछिी की जरह िे िेती और उतना ही प््ोरीन देती नजतना नक सानमष भोजन मे्प््ाप्त होता.
रत वष्टअप्ि ्ै के बाद अचानक दािो्के दाम बढऩे िरे. अरहर 100 पूरी करती है. यही कारण है नक अचानक अरहर की दाि अब उन िोरो्की र्पये प्न्त नकिो के पार चिी रयी जबनक इसके पहिे कई सािो्से वह 80 भी पहिी पसंद बन रयी है जो पहिे उि्द या मसूर की दाि पसंद नकया और 100 के बीच थी. इसके बाद अरहर का ग््ाफ नीचे नही्आया. नदसंबर करते थे. महानररो् मे् नजस तरह की नजंदरी हो रयी है उसमे् शारीनरक आते-आते वह 200 र्पये प्न्त नकिो पार कर रयी. सरकार चेती िेनकन मेहनत कम है पर माननसक श्म् और तनाव कही्ज्यादा. अत: उन्हे्ऐसी तब तक बहुत देर हो चुकी थी और आढ्नतयो्को खुिकर खेिने की छूर दाि चानहये नजसके पचने मे्ज्यादा वक्त नही्िरे इसनिए आज नदल्िी, नमि रयी थी. अब इसके दाम पर ननयंतण ् करना सरकार के बूते की बात हनरयाणा और पंजाब के होरि व ढाबो्मे्अरहर की दाि नमि ही जाती है. रुजरात और महाराष््के होरिो्मे्इसे पंजाबी दाि कहते है्जबनक नही् रह रया था. इसका असर दूसरी दािो् पर हुआ और उनके दाम भी उछिने िरे. उि्द, मूरं , मसूर और चने की दाि भी क्यो्नक अरहर के मारे पंजाबी अभी 20 साि पहिे तक अरहर खाते ही नही्थे. वहां पर खि्ेचने रये िोर अब दूसरी दाि खाने िरे थे. सरकार से जुि्ेिोर दाि कम खाने और उि्द की दाि नजसे वो िोर मा-चने की दाि कहते थे सव्ाटनधक की सिाह देने िरे. बाबा रामदेव ने तो यहां तक कह नदया नक दाि पतिी िोकन््पय दाि थी. पर अब अरहर की दाि वहां पर सव्नट ्पय दाि है. इसकी खानी चानहये वरना रनठया होने का डर रहता है. िेनकन दाि भारतीय वजह यह भी है नक अरहर का बाजार बढ्ा और उसने सहज ही पूरे देश की जनमानस मे् ऐसी बस चुकी है नक उसके नखिाफ कोई कुछ सुनना नही् बाजार पर कल्जा कर निया. इसकी एक वजह तो यह है नक अरहर को पकाना आसान है तथा उसका स्वाद भी नबना कोई मसािा उसमे्नमिाये भी चाहता. हम कई पुकत् ो्से सुनते आये है्नक शाकाहारी िोरो्के निए दाि प््ोरीन बहुत बनढय्ा है. इसी वजह से अरहर का बाजार बढ्ता चिा रया. अरहर ने का इकिौता जनरया है. इसनिए दाि की मांर तो कम नही्हुई हां अरहर की दूसरी दािो्के औषधीय रुणो्को भी भुिा नदया और केवि ही्र के ति्के जरह मसूर, उि्द और चने की दाि ने िे िी. यह भी सच है नक चने की से बनने वािी मूरं की दाि को महज बीमारी तक सीनमत कर नदया. जबनक दाि ननयनमत तौर पर नही्खायी जा सकती क्यो्नक इसमे्प््ोरीन के अिावा पूवट्मे्मूरं की दाि को शाम के भोजन मे्अवक्य शरीक नकया जाता रहा है. कुछ रातक तत्व भी होते है् नजनके सेवन से शरीर मे् यूनरक एनसड बढऩ्े पर अब दािो्की बढ्ती कीमतो्ने शाम के भोजन मे्से दाि िरभर रायब कर दी है. िरता है जो हि््ी की बीमारी िाते है.् िेनकन और सरकार से जुडंेिोग दाि कम चने की दाि सुपाच्य नही्है उसे पचने मे्वक्त कोई चारा नही् था. सस््ी अरहर बाजार मे् आयी तो िरता ही है साथ ही ऐसे िोर जो श्म् कम करते िेनकन उसमे्खेसारी की नमिावर थी. सन 1974 खाने की सिाह देने िगे. बाबा मे् जब खेसारी की दाि के ननयनमत सेवन से रामदेव ने तो कह कदया कक दाि है् और नजनका काम अनधकतर बैठे रहने का है उन्हे्इस दाि से बचना चानहये. मान्यता है नक रोज मध्यप्द् श े और मौजूदा छत््ीसरढ्के असंखय् िोर पतिी खानी चाकहए, वरना के भोजन मे् दाि अवक्य होनी चानहये इसनिए नवकिांर पैदा होने िरे तब तत्कािीन प्ध ् ानमंत्ी गकिया होने का डर है. इसका प्च ् िन बढ्ा है. दाि के आढ्ती बताते है्नक इंनदरा रांधी ने इसकी खरीद व नबक््ी पर रोक िरा अरहर की मांर ररी है और अचानक चने की दाि दी थी. िेनकन अचानक कुछ िोर खेसारी दाि के पक्् मे् आ रये और खेसारी नमिी अरहर बाजार मे् आयी िेनकन वह की मांर तेजी से बढ्ी है. वे पनरवार जो चने की दाि कभी-कभार नकसी तीज त्योहार मे्ही खाते थे वे अब महीने मे्पांच-छह रोज चने की दाि खाते है् उपभोक्ता को स्वीकार नही्हुई. अरहर दोबारा 200 र्पये के पार चिी रयी और सरकार की सारी और इतने ही नदन मसूर की. क्यो्नक यही दोनो् दािे् अपेक्ाकृत सस््ी है.् कवायद व्यथ्टरयी. सरकार कनाडा और थाईिैड् से अरहर आयात करने जबनक मसूर और चने की दाि दोनो् ही वातप्ध् ान बतायी रयी है.् इनके के उपायो्पर रौर कर रही थी मरर आयात की जाने वािी अरहर स्थानीय साथ चावि अननवाय्टर्प से खाया जाना चानहये. पर सस््ी के कारण िोर अरहर से ज्यादा कीमती पि्रही थी. उधर दुननया भर मे्दािो्को अपने ये दािे् रोरी के साथ ही खा रहे है् जो उनचत नही् है. और कभी भी कोई ननत्य के भोजन मे् शानमि करने का दबाव भी था. स्वयं संयुक्त राज्य भयावह वात रोर फैि सकता है. मरर सरकार इस ओर से आंख मूदं े है. यह खतरनाक ब्सथनत है. इसनिए अमेनरका ने साि 2016 को अंतरराष््ीय दाि वष्टरोनषत नकया हुआ है. मरर भारत मे्दाि शहरी ररीब की पहुच ं से बाहर होती जा रही है. अरहर जर्री है नक सरकार दाि शोध संस्थानो् से चने व मसूर की दाि पर पि्ताि करवाये और पता करे नक ये दािे्नकस तरह के रोर फैिा सकती तो अब रोज-रोज की बजाय कभी-कभार की दाि बनकर रह रयी है. मैदानी इिाको्मे्आमतौर पर िोर दोपहर को खाना खाने के बाद सोते है्और इनसे बचने के निए कौन-से उपाय आजमाये जा सकते है.् भारत मे् है्और अपनी परंपरारत आदत के मुतानबक थोि्ा आरामतिब भी होते है.् मसािे हर तरह के रोर से िडऩ्ेको सक्म् है्अरर उनके अनुपात का ख्याि ऐसे िोरो्को अरहर की दाि मुफीद होती है. अरहर कम मेहनत करने वािो् रखा जाये इसनिए चने व मसूर की दाि बनाते वक्त कौन-से मसािे नकस n को भी पच जाती है और उनके शरीर के अंदर की प््ोरीन को भी यह दािी अनुपात मे्नमिाये जाये्यह पता करना जर्री है.
शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 23
बातचीत
मैिा प््था से मुक्तत कब?
इस साल मैगसेसे पुरस्कार दो ऐसे व्यस्ततयो्को हमला िै जो जाहत प््रा के ढांचे, पेशेगत गुलामी को चुनौती दे रिे िै्. इनमे्बेजवाड्ा हवल्सन मैला प््रा से मुस्तत के संघर्षके अग््री और अनरक काय्षकत्ाष िै्. उनसे एक बातचीत. िाषा खसंह
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नशया का नोबेि कहे जाने वािा सम्माननत रमन मैरसेसे पुरस् क ् ार इस बार भारत मे्दो ऐसे व्यब्कतयो्को नमिा है जो जानत प्थ् ा के ढांच,े पेशरे त रुिामी को चुनौती दे रहे है.् सामानजक क्त्े ्मे्अभूतपूवट्काम करने के निए सफाई कम्च ट ारी आंदोिन के बेजवाडा नवल्सन और संसक ् नृ त के क्त्े ् मे् रीम.एम. कृषण ् ा को जो कन्ारट क संरीत मे् हानशये के समुदायो् को प्व् श े नदिाने के निए सन््कय है. पचास वष््ीय बेजवाि्ा नवल्सन का जन्म कन्ारट क के कोिार रोल्ड माइंस मे्एक दनित पनरवार मे्हुआ. उनका पनरवार अंगज ्े ो् द््ारा बनायी रयी इस खान मे्मैिा ढोने का काम करता था. नपछिे 35 सािो् से उनके जीवन का एक ही मकसद है, मैिा प्थ् ा का संपण ू ट्खात्मा. बेजवाि्ा नवल्सन सफाई कम्च ट ारी आंदोिन के राष््ीय संयोजक है.् सहज-सरि व्यब्कतत्व वािे नवल्सन भीमराव अंबडे कर की नवचारधारा मे्रहरा नवश््ास रखते है.् नवल्सन से बातचीत के कुछ अंश. एशिया का नोबेल कहे जाने वाले रमन मैगसेसे पुरस्कार पाने वाले आप पहले भारतीय दशलत है, इससे आपकी लड्ाई को शकतना बल शमलेगा. हम पहिे भी िि्रहे थे और आरे भी िि्ाई जारी रखेर् .े रमन मैरसेसे 24 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
बेजवाड्ा गवल्सन: आिे और भी संघर्ट पुरस्कार उन तमाम मनहिाओ्के प्य् ास को सम्मान है, नजन्हो्ने मानवीय रनरमा के निए मैिे के काम को छोि्ा, अपनी रोकनरयां जिा दी्. आंध्प्द् श े की नारायणअम्मा से िेकर हनरयाणा की सरोज दी, नबहार की रीता, बंराि की हीरा बहन, िखनऊ की नवमिा देवी... जैसी िाखो्मनहिाओ्ने नजस तरह से अपनी रोकनरयो् को जिाकर मुबक् त की राह अपनायी, उसने आंदोिन को नजंदा रखा. यह पुरस्कार हमारे प्य् ासो्की अंतर्ाष ट ्ीय स्र् पर मान्यता है. इससे समुदाय और समाज की अपेक्ाये्बढ्रे् ी, हमे्उस पर खरा उतरना होरा. प्ध ् ानमंत्ी नरेद् ् मोदी ने आपको रमन मैगसेसे पुरस्कार शमलने पर बधाई नही् दी और न ही कोई ट्वीट शकया, क्या वजह होगी? यह तो प्ध् ानमंत्ी मोदी ही बता सकते है.् िरता है हमारा काम उनकी मन की बात के खांचे मे्नफर नही्होता. हमे्वह अपना नवरोधी स्वर मानते हो्र.े .. (हंसते हुए) हम मैिा प्थ् ा के खात्म,े जानत के खात्मे के निए काम कर रहे है,् उनकी तरह इसमे्आध्याब्तमक अनुभव नही्देख रहे. बेहतर हो यह सवाि आप उनसे पूछ.े् आप स्वच्छ भारत के शिलाफ है,् क्यो्? सवाि स्वच्छ भारत के पक््या नवरोध मे्होने का नही्है. मेरा स्पष्् मानना है नक स्वच्छ भारत से हमारे समुदाय की मुबक् त नही्, रुिामी औऱ मौते् बढ्रे् ी. नबना सेननरेशन को आधुननक नकये, नबना पानी और सीवर की व्यवस्था नकये शौचािय बनायेर् े तो इससे मैिा प्थ् ा और बढ्रे् ी. सीवरसेबप्रक रैक ् मे्िोर और ज्यादा मरेर् .े मेरा सीधा सवाि है इस देश मे्बुिरे ट्न्े पर पैसा खच्टकरने की क्या जर्रत है, जब रेिवे सबसे बि्ेपैमाने पर मैिा ढोने का काम करवाता है. आज भी ट्न्े ो् से इंसानी मि परनरयो् पर नररता है, नजसे हमारा समुदाय साफ करता है. इसे रोकने की तकनीक पर बात करने के बजाय प्ध् ानमंत्ी, रेि मंत्ी बुिरे ट्न्े की बात करते है.् नजस देश मे्इंसान का मि इंसान ढोने पर मजबूर है, वहां नवकास के सारे दावे
झूठे और बेईमानी वािे है.् प्ध ् ानमंत्ी नरेद् ् मोदी के स्वच्छ भारत अशभयान पर तमाम कारपोरेट और शवश्् बैक ् सबने दांव लगा रिा है? प्ध् ानमंत्ी नरेद् ्मोदी पर हमे्कोई नवश््ास नही्है. इसकी वजह है. जब वह 2005 मे्रुजरात के मुखय् मंत्ी थे, तो उन्हो्ने निखा था नक मैिा प्थ् ा एक आध्याब्तमक अनुभव है. यानी, इंसान का मि हाथ से उठाकर उठाने वािी िाखो्इंसानो्पर होने वािे बब्रट जानतरत उत्पीि्न को नरेद् ्मोदी ने आध्यानमक अनुभव कहकर मनहमामंनडत नकया. इसका सीधा संदश े था नक मैिा उठाने वािा समुदाय इस आध्यानमक अनुभव को उठाता रहे और मुखय् मंत्ी, प्ध् ानमंत्ी और समाज की इसके खात्मे मे्कोई भूनमका नही्होरी. मोदी ने मैिा प्थ ् ा का बेशम्ट समथ्नट नकया. दरअसि मोदी मैिा मुबक् त आंदोिन के नखिाफ है.् अब हमारे ऊपर थोपा रया, स्वच्छ भारत. साफसफाई के दो पहिू है.् एक साफ करने वािे है्और दूसरे रंदरी फैिाने वािे है.् अपनी रंदरी हम कभी साफ नही्कर सकते, साफ करने वािे की जर्रत पि्ती है. मै् भंरी खुद नही् बना, आपने मुझे भंरी बनाया क्यो्नक आपकी जर्रत है. समाज ने इस समुदाय को दूसरे पेशो्, रैर सफाई वािे कामो्मे् जाने से पूरी सोची-समझी रणनीनत के तहत रोका. स्कवै ने्जंर आधुननक छुआछूत है और यह हमारे समाज की कूर् हकीकत है. समुदाय के बहुत से िोरो्ने इसके नखिाफ िंबी िि्ाई चिाकर इससे बाहर आना शुर्नकया. झाड््छोि्ो किम पकि्ो. यही्अंबडे कर का रास््ा है. इसमे् क्या अंतश्वरि ोध है? ध्यान से देनखये तो पता चिेरा. दो अक्रबूर 2014 को प्ध् ानमंत्ी नरेद् ् मोदी ने नया-चमचमाते हुए झाड््को पकि्कर, बरोरी रयी पन््तयो्के ढेर को साफ करके रोषणा की स्वच्छ भारत अनभयान की. सारे मीनडया ररानो् मे्छपने के पहिे वह वापस अपनी प्ध् ानमंत्ी की कुस्ी पर जाकर बैठ रये. नपछिे तीन हजार सािो्से नजन्हो्ने इस देश को साफ नकया, उनकी सेवाओ् को न तो प्ध ् ानमंत्ी ने पहचाना और न ही इस पर चच्ाट हुई नक इस देश को साफ रखने के निए नकतने िोरो् का जीवन नरक नकया रया. समुदाय का जो नहस्सा आंदोिन करके बाहर आने की कोनशश कर रहा है, उन्हे्यह स्वच्छ भारत नफर से झाड्् ही पकि्ो का संदश े दे रहा है. नजस झाड्् को मेरी मां ने इतनी मुबक् कि से मुझसे दूर रखा, उसे ही नफर प्ध ् ानमंत्ी पकि्ा रहे है् और इसका मनहमामंडन कर रहे है.् कहने के निए कहा जाता है नक हम सब साफ कर रहे है, िेनकन दोनो्अिर-अिर है.् हमारे समुदाय को यही कहा जा रहा है नक ’सब’ साफ करना. इसके तहत हमारे समुदाय के बच््ो्को स्कि ू मे्रायिेर साफ करने तक के निए मजबूर नकया जा रहा है. मै्कहना चाहता हूं मोदी जी, हमे्साफ-सफाई नसखाने की जर्रत नही् है. इससे मेरा नवचारधारात्मक नवरोध है. यह अंबड े कर के रास््ेका अपमान है. आज जर्रत साफ-सफाई को जानत की बेन्ियो्से मुकत् करने की है. स्वच्छ भारत को भी मैला प्थ ् ा के िात्मे से जोड्ा जा रहा है... स्वच्छ भारत से और भी रहरी असहमनतयां है.् इसका नाम ही स्वच्छ है, नजसमे्शुनचता-शुदत् ा-पनवत्त् ा का बोध है. यही वण्टव्यवस्था का आधार है. नवडंबना देनखये, यह दावा नकया जा रहा है और मुझसे भी पूछा जा रहा है नक स्वच्छ भारत से मैिा प्थ् ा समाप्त हो जायेरी. इससे बि्ा कूर् मजाक और क्या हो सकता है नक देश मे्नसफ्कनपछिे दो सािो्मे्दो हजार से अनधक िोरो्की मौते्सीवर और सेबप्रक रैक ् मे्हुई.् इन मौतो्को रोकने को इंतजाम करने के बजाय 2019 तक 12 करोि्रॉयिेर बनाने की योजना है. मतिब िरभर 12 करोि्सेबप्रक रैक ् बनेर् .े मेरा प्क् न् है नक इन्हे्कौन साफ करेरा.
इसमे्हम नकतने और िोरो्को मारने की तैयारी कर रहे है.् हमारे निए यह नहरिर के रैस चैब् र जैसे सानबत हो सकते है.् नबना सीवेज नसस्रम, अंडरग््ाउंड ड्न्े ज े नसस्रम, नबना सीवेज ट््ीरमेर् प्िांर-हमारा देश नसफ्क रायिेर बनाने की योजना चिा रहा है. क्यो्नक इसमे्भी कारपोरेर का नहत है. मेरी समझ से स्वच्छ भारत सफाई कम्च ट ानरयो्के नखिाफ खि्ा अनभयान है. केद् ् सरकार ने इस बार बजट मे् मैला प्थ ् ा के उन्मल ू न और पुनव्ास ि के शलए आवंटन मे् भयानक कटौती की है? हमने 32 साि िंबे आंदोिन के बाद दबाव बनाकर केद् ् से 12वी् पंचवष््ीय योजना मे् 4,600 करोि् र्पये आवंनरत करवाने मे् सफिता हानसि की थी. नपछिी केद् ्सरकार ने हर साि 100 से 570 करोि्र्पये खच्टकरने की योजना बनायी. िेनकन खच्टबहुत कम नकया. िेनकन मोदी सरकार ने तो बेि्ारक्ककर नदया. इस साि के बजर मे्मैिा ढोने वािो्के पुनव्ास ट के निए महज 10 करोि्र्पये आवंनरत नकये. जबनक स्वच्छ भारत अनभयान के निए 11,800 करोि्र्पये आवंनरत नकये है.् इससे साफ होती है सरकार की प््ाथनमकता. सफाई कम्च ि ारी आंदोलन ने करीब तीन दिक का सफर पूरा शकया है. अपनी इस यात््ा को कैसे देिते है् ? सफाई कम्च ट ारी आंदोिन को कब शुर्नकया, यह तो बताना मुबक् कि है. दरअसि यह समुदाय के रुसस ् े और क््ोभ की अनभव्यब्कत है. यह कोई स्वयंसवे ी संसथ् ा नही्है और न ही कोई पंजीकृत संसथ् ा है. यह जनता का आंदोिन है. व्यवब्सथत ढंर से 1982 मे्कन्ारट क के कोिार रोल्ड माइंस से इसकी रनतनवनधयां शुर्हुई.् शुरआ ् ती दौर बेहद कनठन था. समुदाय को मैिा प्थ् ा के खात्मे के निए तैयार करने मे्ही इस बब्रट जानतप्थ् ा की रहरी जि्ो् को नष््करने के तरीके खोजे.् नकतनी बार नहम्मत हारी, अकेिा पि्ा, मरने की सोची, यह अिर बात है. मुझे िरता है नक मुझ जैसी हानशये वािी पृषभ् नू म से आने वािे तमाम िोरो्को खास तौर से दनितो्को ऐसी ही नदक्त् ो्को सामना करना पि्ता है. यहां मै् एस. आर. संकरन को जर्र याद करना चाहता हू,ं नजनके मार्दट श्नट के नबना इतना िंबा सफर तय करना मुबक् कि होता. संकरन वनरष्् आईएएस अनधकारी तो थे ही, नजन्हो्ने न््तपुरा के तत्कािीन मुखय् मंत्ी नृपदे् ्चक्व् त््ी के प्ध् ान सनचव का काय्भट ार संभािा था, साथ ही बि्े मानवानधकार काय्क ट त्ाट और माक्सवट् ादी नवचारधारा मे् नवश््ास रखने वािे थे. वह 1992 से िेकर अपने मृतय् ु यानी 2010 तक सफाई कम्च ट ारी आंदोिन के चेयरपस्नट थे. केजीएफ से शुर्हुआ यह आंदोिन आज 22 राज्यो्तक पहुचं रया है. अब आप क्या चाहते है?् हमे्न तो स्वच्छ भारत चानहये न स्मार्टनसरी. हमे्आधुननक, जानत के जकि्न से मुकत् सेननरेशन व्यवस्था चानहये. प्ध् ानमंत्ी को अनविंब देश को यह बताना चानहये नक भारत कब मैिा प्थ् ा से मुकत् होरा. दशलतो् मे् आक््ोि उबल रहा है, हैदराबाद, गुजरात, उत्र् प्द् ि े ... हर जगह वे बहुत उग्् प्श् तश््कया दे रहे है,् इसे कैसे देिते है?् हमारा रुसस ् ा सनदयो्की नाइंसाफी के नखिाफ है. आज समाज मे्इस नाइंसाफी को जायज ठहराने वािी ताकते्बहुत सन््कय है, उन्हे्राजनीनतक सत््ा नमिी हुई है. यह दनितो्-अल्पसंखय् को्-आनदवानसयो् के हको् और सम्मान के नखिाफ काम करने वािी ताकते है.् रुजरात मे्हमारे भाई बंधओ ु ् ने सही जवाब नदया है, राय तुमह् ारी माता है, मरी राय भी तुमह् ारी ही माता है, तुम इसे संभािो. यही अंबडे कर का रास््ा है, जानत प्थ् ा के उन्मि ू न का. n (िेनखका जानीमानी पत्क ् ार है,् नजन्हो्ने मैिा प्थ् ा पर पुसक ् े्भी निखी है.्) शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 25
बतकही चंचल
डरी हुई क़ौम का सच
भारतीय मुसलमान अगर रोजीरोटी के हलए सडक पर उतरता िै तो पाहकस््ान का एजे्ट मान हलया जाता िै.
आ
जादी की िि्ाई के समय से ही अंग्ेजी ननजाम इस नफराक मे्रहा नक भारत के दो नही्तीन या जर्रत पिे तो इससे भी ज्यादा रुकिे हो जाये्. इस खेि मे्मानहर चन्चटि ने पहिे सावरकर को पकिा, कािे पानी की सजा दी नफर सावरकर ने जब माफी मांरी तो उसे इस शत्ट पर छोिा नक वह अंग्ेजी ननजाम की मदद करेरा. इसी के तहत सावरकर ने सबसे पहिे भारत नवखंडन की बुननयाद रखी. मुबस् िम नहतो्की नहफाजत के निए बनी मुबस् िम िीर को यह प्च ् ानरत करने का मौक़ा नमि रया नक अरर नहन्दुस्ान आजाद होता है तो यहां नहंदुओ्का राज होरा और मुसिमान दूसरे दज््ेके नारनरक की हैनसयत से रहने को मजबूर हो्रे. दो धम््ो्के आधार पर एक िकीर नखंच रयी. यही िकीर बाद मे्खाई मे्तल्दीि हो रयी और नदनो्नदन चौिी होती रयी सन 47 आते आते भारत दो समाज मे् इस कदर तकसीम हुआ नक देश का बंरवारा ही हो रया. इस बंरवारे से कुछ िोर मुतमइन हुए नक चिो बिा रिी िेनकन उन्हे्क्या मािूम था नक यह िंबे खेि का नहस्सा है जो चिता रहेरा. आजादी के बाद कांग्ेस ने सत््ा संभािी तो उसके पास बंरवारे से उपजी समस्याओ् का अंबार था. शरणान्थटयो् को बसाना, उनको बेहतर जीवन देना, रोजरार, अन्न और स्वानभमान देना. इसमे्दो राय नही नक इस नदशा मे् कांग्ेस ने जी तोि मेहनत की और आज उसका प््नतफि भी सामने है. नजन्हे् शरणाथ््ी बोिा जाना चानहये था वे देश की मुख्य धारा से जुिे हुए और शरणाथ््ी शल्द ही रायब है. यह कांग्ेस की सबसे बिी देन है, इसके बरक्स पानकस््ान मे् भारत से रये मुसिमान आज भी शरणाथ््ी माने जाते है् नजन्हे् मुहानजर बोिा जाता है. पानकस््ानी समाज इन मुहानजर को नंबर दो का नारनरक मानता है. इस्िाम के नाम पर बने एक मुल्क मे्इस्िाम दो रुकिे हो चुका है. मुहानजर कौमी मूवमे्र के ननव्ाटनसत नेता अल्ताफ हुसैन का कहना है नक भारत के मुट्ी भर मुसिमानो् ने पानकस््ान बना कर भारतीय उपमहाद््ीप के तमाम मुसिमानो्को बेरर कर नदया. अल्ताफ हुसैन जब मुठ्ी भर मुसिमान कहते है् तो इसके पीछे एक ऐनतहानसक कारण है. पानकस््ान का जो खाका बना था और नजस भूरोि पर एक नये मुल्क की नी्व रखी जानी थी वह पन््िमी नहस्सा था. बिूच, नसंध, पंजाब का एक रुकिा. यह भूरोि था. वहां के दो प््ांत पानकस््ान के साथ नही् आना चाहते थे. बिूनचस््ान और नसंध प््ांत की चुनी हुई सरकारो्ने अपनी मंशा 26 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
जानहर कर दी थी नक वे नहंदुस्ान के साथ रहे्रे. िेनकन अंग्ेजी ननजाम बंरवारे को िेकर इतनी हि्बिी मे् था नक दोनो् सरकारो् को रैरकानूनी ढंर से बख्ाटस्करके वहां पाक समथ्टको्द््ारा कत्िेआम को तरजीह दी रयी और दोनो्सूबो्को पानकस््ान के साथ रहने पर मजबूर नकया रया. अल्ताफ हुसैन का इशारा है नक अरर उत््र प््देश और नबहार के मुठ्ी भर मुसिमान पानकस््ान की तरफ न कूच नकये होते तो यह बंरवारा महज भौरोनिक बंरवारा बन कर रह जाता. बहरहाि इनतहास अरर, मरर से नही्चिता, भारत का बंरवारा हुआ िेनकन मुसिमान दरबदर हो रया. भारतीय उपमहाद््ीप के तीन मुल्क है् जो इस दंश को अभी तक झेि रहे है्. पानकस््ान? बांग्िादेश और भारत. दुननया मे्मुसिमान आबादी के निहाज से भारत नंबर दो पर है. इंडोनेनशया के बाद भारत ऐसा मुल्क है जहां मुसिमान इतनी संख्या मे्है्. कांग्ेस की और नवशेष कर महात्मा रांधी की देन है नक भारत का मुसिमान अपने को इस देश के साथ जुिा हुआ पाता है. इसके पीछे एक सीधा सा राजनीनतक कारण रहा. कांग्ेस यह जानती और समझती थी नक अरर दुननयाभर मे्रह रहे नहंदुओ्की नहफाजत और बेहतरी चाहते हो तो अपने मुलक ् मे्रह रहे रैर नहंदओ ु ्की नहफाजत करो. साठ साि तक भारत का मुसिमान नहंदुओ् के साथ समरसता के साथ अपनी तमाम जद््ोजहद के बावजूद स्वानभमान से जीता रहा. अपनी ररीबी, नवपन्नता, बेरोजरारी वरैरह को चुपचाप सहता रहा. िेनकन बाबरी मब्सजद के नवध्वंस के बाद हम रूम कर 47 मे्पहुंच रये. एक मब्सजद नररा कर संनरयो् ने सबसे ज्यादा नुकसान नहंदुओ् का नकया. पानकस््ान और बांग्िादेश देश मे्नहंदुओ् का कत्ि हुआ, मंनदर ढहाये रये और बब्टर ढंर से नहंदुओ् को करररे मे् खिा कर नदया. यह बात भारतीय उपमहाद््ीप के निए बहुत रातक है. आजादी के बाद कभी आपने देखा नक मुसिमान अपने वानजब मसायि के साथ सिक पर उतरा है? धान्मक ट कट्र् ता के पक्ध ् र ठेकदे ारो् ने कभी भी मुसिमानो्के सवाि को उठाया? अरर वह रोजीरोरी के निए, अपनी जर्रतो् के निए सिक पर उतरने की कोनशश करता है तो पानकसान का एजे्र मान निया जाता है. पानकस््ान मे्भारत का एजेर् बन जाता है. बांग्िादेश मे् नबहारी मुसिमान करार दे नदया जाता है. आज भारतीय उपमहाद््ीप के तीनो् मुल्क अपने अंतन्वटरोध पर खिे है्. नजस मुल्क का एक नहस्सा खौफ के साये मे् नजंदरी बसर करे, वह आरे बढ n सकता है क्या?
चेहरा संजीत खंंिपाठी
कई सरोकारों के संपादक
समाजशास््, साहित्य, पत््कािरता और यायावरी को हमलाकर बना िै लहलत सुरजन का नया व्यस्ततत्व.
बा
त 2002-03 की है. छत््ीसरढ् सकारात्मक और नवकासपरक थी्. की राजधानी रायपुर से वाम और नेहर्रवादी नवचारधारा जनसत््ा का स्थानीय संस्करण के िनित ने कभी अखबार की खबरो् प््कानशत होता था. वनरष्् पत््कार पर अपना सोच िादने का प््यास नही् और स्रेट्समैन अवाड्ट नवजेता नकया. खबरो् के मामिो् मे् उनकी राजनारायण नमश्् उसमे्एक कॉिम तरस्थता की तारीफ उनसे वैचानरक निखते थे. एक बार कुछ िोर उनके मतभेद रखने वािे भी करते है्. वह कॉिम से आहत हो रये और उन पर खबरो् की भाषा और व्याकरण की हमिा करते हुए जनसत््ा दफ्तर मे् शुद्ता को िेकर नवशेष आग््ही रहे है्. हंरामा कर नदया. तमाम वनरष््साथी देशबंधु मे् पहिे सुबह की मीनरंर की रायपुर प््ेस क्िब मे् एकन््तत हुए. बजाय महज चच्ाट ही होती थी, िेनकन देशबंधु के प््धान संपादक िनित इस चच्ाट मे् बात करते हुए ही नकसी सुरजन ने इसके नखिाफ अनभयान को कोई असाइनमे्र दे देना और नफर छेडऩे की बात कही. बस नफर क्या उसकी पूछताछ करना यह िनित की लगलत सुरजन: एक के भीतर कई आदमी आदतो् मे् शुमार रहा. कभी नकसी था, हमिे और हंरामे के नखिाफ यह नवरोध पूरे राज्य मे्फैि रया. उस वक्त राजनारायण नमश््जनसत््ा मे्थे खबर की एक िाइन पर उनकी नजर नरक रयी तो नकसी नरपोर्टको कह िेनकन स्रेट्समैन अवाड्ट उन्हे् सन 1979 मे् देशबंधु मे् रहते नमिा था. कर उस एक िाइन पर नवस््ानरत खबर बनाने का ननद््ेश दे नदया. इन यह बात पत््कारो् और पत््कानरता को िेकर िनित सुरजन की संवेदना सब के बीच ह््ूमन स्रोरी या आम जनता व पय्ाटवरण और हनरयािी से की सूचक है. वह ऐसे संपादक है् नजनकी सानहब्तयक रचना पहिे छपी जुि्ी खबरो्स्रोरी पर नवशेष ध्यान देने का सदैव ननद््ेश रहा. संभवतया: और पत््कानरता बाद मे्शुर्की. आज भी वह छत््ीसरढ्के सबसे ज्यादा यही कारण है नक देशबंधु मे् प््ांतीय डेस्क की खबरे् भी प््थम पेज पर अध्यावसायी संपादको् मे् आते है्. इस उम्् मे् भी वह अखबार के निए नवशेष स्थान पाती रही्. ननयनमत र्प से साप्तानहक कॉिम निखते है्. ग््ामीण और नवकासपरक पत््कानरता िनित का शुर्से ध्येय वाक्य देशबंधु की स्थापना भिे ही उनके नपता मायाराम सुरजन ने पहिे रहा. इसी का नतीजा है नक नजस वष्ट स्रेट्समैन अखबार ने ग््ामीण नईदुननया बाद मे्देशबंधु के र्प मे्की िेनकन अखबार का स्वन्णटम युर नरपोन्रि्र पर अवाड्ट देना शुर् नकया पहिा ही अवाड्ट देशबंधु के नाम तब आया जब उनके बेरे िनित सुरजन अखबार मे्दानखि हुए. वनरष्् हुआ. यह नसिनसिा जारी रखते हुए देशबंधु के खाते मे् अब तक कुि संपादको् और पत््कारो् के साननध्य मे् काम कर वे ऐसे मंजे नक आज 14 स्रेट्समैन ग््ामीण नरपोन्रि्र अवाड्ट है्ं. बतौर संपादक िनित सुरजन देशबंधु और िनित सुरजन का नाम एक दूसरे का पय्ाटय है. देशबंधु (नई की उपिब्लधयो् की सूची काफी िंबी है. जैसे, छत््ीसरढ् मे् पहिा खेि दुननया, तत्कािीन रायपुर संस्करण) मे् िनित ने मानिक का बेरा होने संवाददाता, पहिा प््ेस फोरोग््ाफर, पहिा पय्टरक संवाददाता ननयुक्त के बाद भी अखबार के बंडिो्िेबि बनाने-नचपकाने से िेकर अखबार करना आनद. देशबंधु ने 1968 मे्ही छत््ीसरढ्ी भाषा मे्कॉिम शुर्कर भी बांरना सीखा. कंपोनजंर, फोब्लडंर, अकाउंनरर की राह पकि्ते हुए वह नदया था, जबनक उस दौरान अिर छत््ीसरढ्राज्य की मांर सही तरीके संपादकीय मे्प््वेश कर रये. िनित कहते है्, 'मुझमे्उताविापन है. हर से उठी भी न थी. उन्हो्ने नरक्ते ऐसे बनाये नक 1969 से देशबंधु मे्व्यंग्य काम सीखना और करना चाहता हूं.' उस जमाने मे् जब छत््ीसरढ् के और सामनयक नवषयो् पर कॉिम निखने वािे प््भाकर चौबे, आज भी अखबारो् मे िरु नवज््ापन की संस्कृनत नही् थी तब िनित ने देशबंधु मे् अनवरत अपना कॉिम निखते चिे आ रहे है्. मप््के नपपनरया से िेकर इसकी शुर्आत की. यह उनके संपादकीय कौशि का ही नमूना है. इतना जबिपुर-नारपुर मे् स्कूिी नशक््ा ग््हण करने वािे िनित को यायावर ही नही् दूसरे अखबार जहां शोक संदेश मे् पूरा शुल्क िेते वही् देशबंधु संपादक कहना बेहतर होरा. क्यो्नक वह अब तक करीब 25 से 30 देशो् मानवीय सोच का पनरचय देता हुआ आधा ही शुल्क वसूि करता. िापता की यात््ाएं कर चुके है् और िैनरन अमेनरका रूमने की ख्वानहश अभी के नवज््ापन ननशुलक ् छापे जाते थे हािांनक बाद मे्जरह की कमी के चिते बाकी है. उसका शुल्क निया जाने िरा िेनकन औरो्से कम. वह कनव है्नजनके दो संग्ह प््कानशत हो चुके है्. कुि नमिाकर सात प््योरधन्मटता उनकी और देशबंधु की पहचान रही है. सन 1990 के नकताबे् आ चुकी है्. एक पुस्क शीघ्् प््काक्य है. उनके यात््ा संस्मरणो् दशक के आरंभ मे्नकसी वष्टके पहिे नदन एक जनवरी को अखबार के को िोर चाव से पढ्ते है्. स्थानीय से िेकर राष््ीय और अंतरराष््ीय पहिे पन्ने के कॉिम खाने खी्चकर कोरे प््कानशत कर नदये रये नक मसिो् पर उनकी नरप्पणी या नवशेष नरप्पणी को पढऩा ही पाठको् को पाठक खुद तय करे्नक वे कैसा अखबार पढऩा चाहते है्. अपने आसपास जानकारी से समृद् कर देता है. प््ोफेसर बनने की चाह रखने वािा यह की खबरे्भेजे्. करीब 15 नदन बाद वह पहिा पन्ना पाठको्की खबरो्के शख्स 70 साि की उम्् मे् आज भी अपने समकािीन तो छोनडये, युवा साथ दोबारा छपा. आि््य्ट की बात यह थी नक अनधकांश खबरे् पत््कारो्और संपादको्से ज्यादा नवचारवान सानबत होता आ रहा है. n शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 27
मध़ मास़यटप़हे़दडेश
मप््मे्मातृ मृत्यु दर के मामले यि बताते िै्हक राज्य सरकार जनहनयो्की सुरि््ा को लेकर हकस कदर लापरवाि िै. आंकड्ो्को हछपाने का नतीजा यि िै हक मांओ्के स्वास्थ्य की हदशा मे्सामान्य प््यास तक निी् िो पा रिे. सखचन कुमार जैन
म
ध्य प््देश मे् मातृत्व मृत्यु के मामिे तथा प््सव के समय संवेदनहीनता की खबरे् देखकर िरता नही् नक सरकार इस नदशा मे् जरा भी रंभीर है. राज्य शासन ने हाि ही मे् आनंद नवभार के रठन की रोषणा की है. सरकार का कहना है नक भौनतक सुनवधाये् केवि सुख देती है्आनंद नही्. यानी आनंद की पनरभाषा अब सरकार तय करेरी. शायद सरकार यह भूि रही है नक अरर वह अपनी बुननयादी नजम्मेदानरयां ठीक से ननभायेरी तो िोर आनंद खुद खोज िे्रे. वास्व् मे्मातृतव् मृतय् प््ाकृनतक मृतय् ु नही् होती है्, ये तो सुननयोनजत िापरवाही का पनरणाम होती है्. हर वष्ट हजारो् की संख्या मे् मनहिाये्बच््ो्को जन्म देते समय बरती जाने वािी िापरवाही के कारण अपनी जान रंवा बैठती है्. उनका कही् नजक्् तक नही् होता है. वान्षटक स्वास्थ्य सव््ेक्ण (2012-13) के मुतानबक मध्यप््देश मे्मातृ मृत्यु अनुपात 221 दज्टनकया रया था. हेल्थ मैनेजमे्र इन्फाम््ेशन नसस्रम के मुतानबक मध्यप््देश मे्वष्ट201415 मे्अनुमानतः 19.85 िाख प््सव हुए. इस नहसाब से देखा जाये तो राज्य मे्िरभर 4454 मातृ मृत्यु के मामिे दज्टहोना चानहये थे, नकन्तु राज्य स्वास्थ्य तंत् ने महज 1149 मामिे ही दज्ट नकये. इसका मतिब है पंजीकरण की व्यवस्था सच््ाई को नछपाती है. सभी प््करणो् के दज्ट न होने और मातृ मृत्यु का सामानजकव्यवस्थारत अंकेक्ण नही् होने के कारण सुरन््कत मातृत्व के निए वास््नवक सन्दभ््ो् के रंभीर प््यास ही नही्हो पा रहे है्. इसी नरपोर्ट के मुतानबक मध्यप््देश मे् 2 प्न्तशत मातृ मृतय् ु रभ्पट ात के कारण, 3 प्न्तशत बानधत प््सव या देरी तक प््सव न होने से, 11 प््नतशत रक्तचाप, 16 प््नतशत अनधक रक्तस््ाव के कारण और 5 प््नतशत तेज बुखार के कारण होती है्. जरा देनखये नक 62 प््नतशत मातृ मृत्यु के कारण इनके अिावा की श््ेणी मे् दज्ट है्, नजनका बस 'अन्य कारण ' कह नदया 28 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
मध्य प््देश मे् एक अम्पताल: मगहलाएं आनंद से दूर
मौत के साये मे्
जाता है; जो वास््व मे्समाज और सरकार की व्यवस्थारत िापवानहयो्से जुिे हुए है्, नजनका खुिकर नजक््नही्होता है. प््देश मे्मातृ मृत्यु दर के मामिो्के निए मोरे तौर पर तीन वजहो्को नजम्मेदार माना जा सकता है: पहिा, स्थानीय स््र पर उनचत और जर्री सेवाये् उपिल्ध नही् है्. दूसरे शल्दो् मे् कहे् तो हमारी सामानजक-आन्थटक-सांस्कृनतक व्यवस्था मे्मनहिाओ्के स्वास्थय् को महत्वपूणट् नही् माना जाना, इसनिए उन्हे् रभ्ाटवस्था के दौरान पूरा संरक््ण नही्नमिना. दूसरा, समाज के स््र पर देरी होती है, और समय पर यह तय नही् हो पाता नक आनखर जाना कहां है? सरकारी अस्पताि या ननजी अस्पताि. तीसरा, संस्थारत प््सव की बात तो खूब हो रही है, नकन्तु िोक स्वास्थ्य सेवाओ् को जानबूझ कर कमज़ोर और रुणवत््ा-नवहीन बनाया जा रहा है तानक ननजी स्वास्थय् सेवाओ्को बढावा नदया जा सके. मध्यप््देश मे् एक तरफ तो 52.5 प््नतशत
मनहिाये्(15 से 40 वष्टउम््) खून की कमी की नशकार है्, दूसरी तरफ कैब अध्ययन के मुतानबक 10 से 17 साि की नकशोनरयां अब ज्यादा रंभीर ब्सथनत मे् है. इस उम्् की 84.8 प््नतशत ििनकयां रक्ताल्पता की नशकार है्. एनएफएचएस-चार के मुतानबक 33 प््नतशत मनहिाये् वैवानहक नहंसा का सामना करती है्. सामानजक प््तािना और दुव्य्टवहार भी सुरन््कत मातृत्व के निए बहुत बिी चुनौती है. ब्सथनत स्पष्् भी है पर नवरोधाभासी भी. मध्यप््देश मे् 80.8 प््नतशत प््सव स्वास्थ्य केन्द्ो्मे्हो रहे है्, नकन्तु केवि 34.5 प््नतशत बच््े ऐसे थे, नजन्हे् जन्म के एक रंरे के भीतर मां का दूध यानी कोिेस्ट्म नमिा. इसका मतिब यह है नक अब अस्पतािो्मे्भी नवजात नशशुओ्को नडल्बाबंद आहार या ऊपरी दूध नदये जाने की रातक परंपरा स्थानपत हो रही है. स्वास्थ्य क््ेत्की व्यवस्थारत सचाई बहुत किवी है. राष््ीय खाद््सुरक््ा क़ानून- 2013 ने हर मनहिा को मातृत्व हक के र्प मे् छह
र
िांओ् की व्यथा-कथा
त 14 और 15 जुिाई 2016 को मध्यप््देश के क्योपुर नजिे के सहनरया आनदवासी बहुि करहि नवकास खंड के एक प््ाथनमक स्वास्थ्य के्द्मे्रानी रुज्टर और रामवती आनदवासी का प््सव हुआ. नबजिी नही् थी तो प््सव नचमनी की रोशनी मे् कराया रया. इन्ही नदनो् प््सव पीिा होने पर रमादेवी 108 एम्बुिे्स के जनरये सरकारी अस्पताि पहुंची. सबसे पहिे मरीज़ की पच््ी बनवाना जर्री था. उनके पनत ने पच््ी बनवा िी पर कोई डाक्रर प््सव के निए नही्आया. वहां मौजूद अन्य मनहिाओ्ने अस्पताि के आंरन मे्सानियो्के रेर से एक कमरा बनाया और प््सव करवाया. जून 2016 मे् मनरुिवा मैहर से प््सव पीिा से कराहती अच्टना नसंह नसंररौि को सतना नजिा अस्पताि िाया रया. उसके इिाज़ मे्देरी हो रही थी, क्यो्नक उनसे इिाज के निए पच््ी बनवाकर िाने के निए कहा रया. डेढ रंरे तक पच््ी नही् बनी, तो इिाज़ भी शुर् नही् हुआ. अच्टना के चीखने पर स्राफ नस्टने उसे 8-10 तमाचे जि नदये. आनखर मे्अच्टना चि बसी. रीवा नजिे के आनदवासी रांव ओबरी मे् जब 14 मई 2016 को स्थानीय ननवासी माया के नवजात नशशु की ब्सथनत नबरिी तो जननी एक्सप््ेस को बुिाया रया. सेवा प््दाताओ्ने कहा नक 7 नकिोमीरर कोिुआ मोि यानी मुख्य सिक तक आ जाओ. हम रांव नही् आये्रे. नवजात नशशु की मृत्यु हो रयी. नकन्तु उमनरया नजिे के करकेिी की देवकी बाई कोि तो खुद से संस्थारत प््सव के निए प््ाथनमक स्वास्थ्य के्द् रयी. जहां नबना पूरी पिताि नकये, स्थानीय नचनकत्सको् ने देवकी बाई को नजिा अस्पताि भेज नदया. डाक्रर और आशा काय्टकत्ाट ने रात को 11.50 बजे ही जननी एक्सप्स ्े भेजने के निए काि सेर् र से संपक्कनकया, िेनकन जननी एक्सप्स ्े करकेिी पंहच ु ी अरिे नदन सुबह 8.30 बजे. देवकी बाई ने प््ाण त्यार नदये. उनके नवजात नशशु ने भी आंखे्नही्खोिी. भादर नसंह अपनी पत्नी पेपा बाई को िेकर प्स ् व के निए सीहोर नजिे के नसद््ीकरंज प््ाथनमक स्वास्थ्य के्द्पंहुचे. मौके पर मौजूद नस्टने पेपा बाई को अस्पताि के यह कहकर बाहर जाने को कहा नक यहां प््सव कराने के निए कोई नही है कही्और जाओ.
आनंद
हज़ार र्पये की सहायता देने का प््ावधान नकया है तानक उन्हे्प्स ् व के अंनतम वक्त तक मजदूरी या किा श््म न करना पिे, नकन्तु तीन साि रुज़र जाने के बाद के्द्और राज्य सरकार इस हक को चबाकर फे्क देने की मंशा मे् नज़र आते है्. मध्यप््देश मे्यह अब तक इसे केवि दो नजिो्मे्िारू नकया रया है, उस पर भी इसमे् ऐसी शत््ेिरा दी है्, नजनसे मनहिा का जीवन संकर मे्ही पिता है. हानिया राष््ीय पनरवार स्वास्थ्य सव््ेक्ण (एनएफएचएस-चार) बताता है नक मध्यप््देश मे्सरकारी स्वास्थय् सेवाओ्मे्हर प्स ् व के निए िोरो्को ननजी तौर पर 1387 र्पये खच्टकरना पिते है्, जबनक िोक स्वास्थ्य सेवाओ् मे् तो सुरन््कत प््सव की ननःशुल्क व्यवस्था उपिल्ध है, तो नफर यह व्यय क्यो्? इस नहसाब से देखा जाये तो एक साि मे्िोरो्को 275.32 करोि र्पये सरकारी सेवाओ् के निए ही खच्ट करना पिे. सामानजक-आन्थक ट -िैन्रक रैर-बराबरी से भरपूर समाज मे् नीनतरत व्यवस्था भी
संवेदनाओ् की नचता पर अपने नहतो् को से्क रही है. यह सव््े बताता है नक केवि 35.7 प््नतशत मनहिाओ् को ही कम से कम चार प््सव-पूव्टजर्री देखभाि नमिी. ग््ामीण स्वास्थ्य सांब्खयकी (2014-15) के मुतानबक़ मध्यप््देश मे् वष्ट 2011 की जनसंख्या के नहसाब से कम से कम 12415 उप-स्वास्थ्य के्द्ो् की जर्रत है, जबनक यहां 9192 के्द् ही स्थानपत है्. 1989 प््ाथनमक स्वास्थ्य के्द्ो् की जरह पर केवि 1172 के्द् उपिल्ध है्, इनमे् से 491 मे् एक भी डाक्रर पदस्थ नही् है. केवि 89 प््ाथनमक स्वास्थ्य केन्द्ो्मे्मनहिा नचनकत्सक पदस्थ है्. इसी तरह 497 सामुदानयक स्वास्थ्य के्द्ो् की जरह पर 334 के्द् चािू है्. जब हमारा प््ाथनमक स्वास्थय् का ढांचा इस कदर चरमराया हुआ है, तो नविंब के कारण मृत्यु के मामिे तो सामने आने ही है्. जरा सोनचये नक मध्यप््देश के सामुदानयक स्वास्थ्य के्द्ो् के निए स््ी रोर नवशेषज््ो् के 334 पद भरे होना चनहये, पर केवि 55 ही भरे है्. यानी 83 प््नतशत पद खािी है्. मध्यप््देश व्यापम के कारण चच्ाट मे् है. फज््ी तरीको्से डाक्रर बनने के रोरािे ने यह बात सानबत कर दी है नक एक व्यब्कत ननजी
नचनकत्सा नशक््ा व्यवस्था मे् डाक्रर बनने (एमबीबीएस) के निए िरभर एक करोि र्पये और नवशेषज्् डाक्रर बनने के निए कम से कम दो करोि र्पये खच्ट करता है; क्या नचनकत्सा नशक््ा के निए इतनी रानश व्यय करने के बाद डाक्रर से अपेक्ा की जा सकती है नक वह सरकारी स्वास्थ्य तंत्मे्अपनी सेवाये्देने के निए प््नतबद्् रह पायेरा? पहिा कदम तो यही होरा नक नचनकत्सा नशक््ा पूरी तरह से राज्य के ननयंत्ण मे्रहे. यह दौर राज्य व्यवस्था के नज़नरये और चनरत््के बदिने का दौर है. इसमे्राज्य अपनी भूनमका का नवस््ार नही् करता है. वह अपनी भूनमका को सीनमत कर रहा है तानक स्वास्थय् की पूंजी को मौन््दक पूंजी के हवािे नकये जा सके. इसका सबसे रहरा और पीिादायक असर मनहिाओ्और बच््ो्पर पिता है. सभी जानते है्नक स्वास्थ्य का बाज़ार, अब सबसे तेज रनत बढता बाज़ार है, जब िोक स्वास्थ्य सेवाये् नीनतरत तरीको्से कमज़ोर की जाती है,् तब हर व्यब्कत, हर पनरवार के कज़्टदार होने का रास््ा भी खुिता है. यही हो भी रहा है. जब तक राज्य मन से सुरन््कत मातृत्व का हक देने को तैयार न होरा, तब तक यह व्यवस्था नहतो् की संरक््क n नही्हो सकती है. शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 29
मध़य प़़देश
मीगिया संवाद मे् बोलते हुए प््शांत भूरण: नये न्याय की जर्रत
विकास के कई धोखे कान्िा मे्आयोहजत हवकास संवाद के दसवे्मीहिया संवाद मे् कई पत््कारो्और बुह्िजीहवयो् ने हवकास के मौजूदा मॉिलो्को पूरी तरि हवफल बताया. राकेश मालवीय
ह
म यह स्वीकार करने मे् पता नही् क्यो् नहचकते है् नक 70 साि मे् नवकास का कोई भी मॉडि खरा नही् उतरा. स्वास्थ्य, नशक््ा, खेती, पानी, जंरि, जमीन जैसे नकसी भी मुद्े पर हमारी अपेक्ाये् पूरी नही् हो सकी्. आनखर नवकास की हमारी नीनतयो्मे्क्या कमी रही रयी? इसकी पि्ताि के निए देश के 10 राज्यो् के 125 पत््कार और सामानजक काय्क ट त्ाट अरस््के दूसरे पखवाि्ेमंडिा नजिे मे्ब्सथत कान्हा मे्जुरे. तीन नदनो्तक चिे इस संवाद मे् पत््कारो् और नवशेषज््ो् ने आजाद भारत मे्नवकास शीष्टक के तिे 14 सत््ो्मे्60 वक्तव्यो्के माध्यम से नवमश्टनकया. काय्टक्म का आयोजन नवकास और जन सरोकार के मुद्ो् पर मीनडया के साथ काम करने वािी संस्था नवकास संवाद का था. सीएसई के चंदभ् षू ण ने कहा नक पं. जवाहर िाि नेहर्को पय्ावट रण नवरोधी माना जाता है, 30 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
क्यो्नक वे बि्े बांधो् और औद््ोनरकीकरण के समथ्टक थे, िेनकन वास््व मे् ऐसा है नही्. नेहर्भी भाखि्ा नंरि बांध के बाद छोरे बांधो् के समथ्टक हो रये थे. उन्हो्ने बाद मे् कहा था नक हमे्अब और बि्ेबांधो्की जर्रत नही्है. चंद्भूषण ने कहा नक आज की सबसे बि्ी समस्या जिवायु पनरवत्टन है. आईआईएमसी नदल्िी के नशक््क आनंद प््धान ने नवकास के मतिब और आन्थटक वृन्द के बारे मे्चच्ाट की. उन्हो्ने कहा नक अरर हम सही सवाि नही्खि्ेकर सकते, तो हमे्सही जवाबो् की आशा भी नही् करनी चानहये. यह सही है नक असमानता बढ्ी है, िेनकन पूंजीवाद और िोकतंत्साथ-साथ नही्चि सकते. ग््ीस इसका एक उदाहरण है. आनंद प््धान ने चच्ाट मे्अनेक नवचारोत््ेजक सवाि खि्ेनकये. प््शांत भूषण ने आजादी के बाद िोकतंत् और न्याय के संदभ्ट मे् नवकास के मॉडि की चच्ाट की. उन्हो्ने कहा नक नशक््ा और स्वास्थ्य िोरो् की अननवाय्ट आवक्कयता है्. यह नजम्मेदारी अननवाय्ट र्प से सरकारी क््ेत् को संभािनी चानहये. उन्हो्ने कहा नक हनरत क््ांनत उव्टरक उद््ोर को बढ्ावा देने की कवायद है. जीडीपी बढ्ाने के चक्र् मे्खदाने्खोदना और ननय्ाटत बढ्ाना जर्री हो रया है. भिे ही उससे वनो्को नकतनी भी हानन हो रही हो. प््शांत भूषण ने कहा नक नफिहाि ब्सथनत यह है नक सव््ोच्् न्याायािय और उच्् न्यायाियो्से सेवाननवृत्होने वािे 70 फीसदी न्यायमून्तट कही् न कही् काम कर रहे है्.
मध्यस्थता या पंचार एक उद््ोर का र्प िे चुका है नजसके प््ाय: 15 फीसदी ननण्यट सरकार के नखिाफ जाते है्. उन्हो्ने न्यायाधीशो् की ननयुबक् त के निए स्वतंत्आयोर की वकाित की और कहा नक न्यानयक सुधार के निए राष््ीय अनभयान की आवक्यकता है. खाद्् नीनत और कृनष नवक्िेषक देनवंदर शम्ाट ने एसईजेड के नुकसानो् के बारे मे् बताया. उन्हो्ने जोर देकर कहा नक हमारी आन्थटक वृब्घर समावेशी नही्है. दुननया के 85 िोर आधी दुननया की संपन््त पर कायम है्और उसे िरातार बढ्ा रहे है्. उन्हो्ने नकसानो्को दी जाने वािी सब्लसडी को बढ्ाने और िरातार बढ्ाने का पक््निया. जीएसरी से नविानसता की चीजे् जर्र सस््ी हो जाये्री जबनक दैननक जर्रत की चीजो्और खानेपीने के सामान पर कर बढ् जायेरा. उन्हो्ने प््क्न उठाया नक सरकार कॉप््ोरेर जरत को छह िाख 11 हजार करोि् र्पये की नरयायत दे सकती है तो नकसानो् को सब्लसडी देने मे् क्या नदक््त है. मनमोहन नसंह के प््धानमंत्ी बनने के बाद से अब तक काप््ोरेर जरत को 48 िाख करोि् र्पये की छूर दी जा चुकी है. मनमोहन नसंह के प््धानमंत्ी बनने के बाद 12 साि मे्एक करोि् 60 िाख रोजरार बढ्े, िेनकन बीते एक साि मे्केवि सवा िाख िोरो्को ही रोजरार नमि सका. नवकास और नहंसा के बदिते प््नतमानो्पर सव््ोदय प््ेस सन्वटस के संपादक नचन्मय नमश््ने कहा नक अमेनरका मे् मुर्ी पािन और मांस उद््ोर मे्कम्टचानरयो्की दशा इतनी बदहाि है नक उन्हे्आठ-आठ रंरे तक नबना नवश््ाम और सुनवधा के कारखानो् मे् काम करना होता है. उन्हे्रुसिखाने तक जाने की भी छूर नही्होती. मजबूरी मे् वे डायपर पहनकर काम करते है्. यह दुननया के सबसे संपन्न माने जाने वािे देश की ब्सथनत है. न्यूजनबट्स डॉर इन की संपादक श्ा्वणी सरकार ने बढ्ते जानतवाद पर नचंता जतायी और छत््ीसरढ् मे् नक्सनियो् के नाम पर हो रही नहंसा के बारे मे् सतक्क नकया. राजस्थान के कृषक चतर नसंह और िापोनडया रांव के नकसान िक््मण नसंह ने जि संरक््ण को िेकर अपनी बात रखी. उन्हो्ने बताया नक वे पानी को रोकते नही्, पानी को रमाते है्. केवि 11 नमिीमीरर वष्ाट मे्भी वे न केवि अपना रुजारा करते है, बब्लक वनस्पनतयो् और मवेनशयो् के निए भी पानी जुराते है्. उनके बनाये तािाब पानी को रोकते है्. उन्हो्ने कहा नक वे कोई देवपुर्ष नही् है् और अपनी सामान्य बुन्द से काम कर रहे है्. उन्हो्ने अफसोस जताया नक नवकास का भूत अब उनके इिाके मे्भी प््वेश n करने िरा है.
छत़़ीसगढ़
सोनी सोरी: अिस्् ि््ांगत की नयी याद
एक गतरंिा सोनी का वर््ो्बाद सोनी सोरी ने बस््र के नत्सल प््भाहवत इलाके मे्हतरंगा फिराया. प््तीकात्मक मित्व की इस यात््ा के दौरान उनसे बातचीत के अंश.
ऋ खष िटनागर
ब
स््र के दूरदराज रांव रोमपाि्ा मे् 15 अरस्् को पहिी बार नतरंरा फहराया रया. रत नौ अरस््को सोनी सोरी के नेतृत्व मे् दंतेवाि्ा से शुर् हुई नतरंरा यात््ा के रोमपाि्ा पहुंचने पर 15 अरस्् को यह ऐनतहानसक अवसर आया. हाथ मे्भारत का संनवधान तथा कंधे पर नतरंरा झंडा निये सोनी सोरी के नेतृत्व मे्नतरंरा यात््ा करीब 180 नकिोमीरर की यात््ा पूरी करके रोमपाि्ा पहुंची. यही वह जरह है जहां सुरक््ा बिो् द््ारा कनथत तौर पर मि्कम नहि्मे का बिात्कार करने के बाद हत्या कर दी रयी थी. आम आदमी पार््ी की नेता सोनी सोरी ने बीते नौ अरस्् को यात््ा की शुर्आत की थी. पुशलस आप पर नक्सल समथ्िक होने का आरोप लगाती है. आपका क्या कहना है? यनद मै्देशद््ोही या नक्सि समथ्टक हूं तो
पुनिस मुझे नररफ्तार करे. आईजी के ननद््ेश पर पुनिस िरातार ननद््ोष ग््ामीणो् को नक्सिी व नक्सि समथ्टक बताकर मुठभेि्ो् मे् मार रही है, उन्हे्नररफ्तार कर रही है. क््ांशत शतरंगा पदयात््ा का क्या उद््ेश्य था? बस््र के कई रांव अब भी नवकास से कोसो्दूर है्. इन इिाको्मे्सरकार ने अब तक कुछ नही् नकया. केवि नवकास का कारजी दावा नकया रया है. इन इिाको्मे्पहुच ं कर यहां के ग््ामीणो्मे्िोकतांन्तक ढंर से अपने हक के निए िडऩे के निये जारर्क करना ही नतरंरा पदयात््ा उद््ेक्य है. सरकार आनदवानसयो् का जि, जंरि, जमीन छीनने का प््यास कर रही है. मै्यह जानना चाहती हूं नक नतरंरे को ग््ामीण नकतना सम्मान देते है्. आपने पुशलस पर परेिान करने का आरोप लगाया है. क्या है पूरा मामला? सि्क पर जबरन तीन वाहनो्से मेरा पीछा नकया जाता रहा. इसके बाद बास््ानार के पास रोककर पुनिस के इशारे पर कुछ संनदग्ध िोरो् द््ारा रािी-रिौज करते हुए धमनकयां दी रयी. उनके पास बंदूके् तो थी्, पर वे वद््ी मे्नही्थे. इसमे्दो बोिेरो वाहन व एक इन्नोवा थी, जो बाद मे्थाने मे्दानखि हुई. इसमे्एक बोिेरो का नंबर और तीनो् वाहनो् के थाने के भीतर दानखि होते हुए तस्वीरे् भी मेरे पास मौजूद है.् तय है नक वे पुनिस के इशारे पर काम
करने वािे थे. वे नकसी भी तरह मुझे अदाित नही्पहुच ं ने देना चाहते थे. अब तक मुझ पर हुए केनमकि हमिे की जांच कहां तक पहुंची, इस बात की जानकारी भी पुनिस नही्दे रही है. शतरंगा पदयात््ा क्या आगामी शवधानसभा चुनाव की तैयारी थी? बस््र मे् चुनाव के दौरान वोनरंर रांव से ज्यादा शहरो् मे् होती है. रोमपाि्ा जैसे दज्टनो् रांवो् मे् नक्सिी भय के चिते कोई वोर नही् डािने जाता. मुझे चुनाव के निए ये सब करना होता तो मै्रांव की जरह शहर की ओर जाती. शतरंगा पदयात््ा को आशदवासी समाज का समथ्िन क्यो् नही् शमला? यह िि्ाई अकेिी मेरी नही्, बब्लक समूचे बस्र् की है. सव्टआनदवासी समाज ने अंदर्नी तौर पर समथ्टन नदया है. बस््र की बदहािी से सभी वर्टपरेशान है.् प्श ् ासन व पुनिस के दबाव के कारण कोई भी खुिकर प््त्यक्् र्प से समथ्टन नही्दे सका. नक्सल शवरोधी संगठन अग्नन ने शकसी का समथ्िन नही् होने की बात कही है्? अन्य राज्यो् के िोरो् व संरठनो् का पूरा समथ्टन मेरी इस पदयात््ा को नमिा है. यनद अब्गन के सदस्य पदयात््ा का सम्मान नही् कर सकते तो कम से कम उन्हे् नतरंरे का सम्मान करना चानहये. अब्गन के सदस्य यनद इस प््कार के बयान देते है्तो उन्हे्इस बात पर शम्टआनी चानहये. िोर कम है्तो समथ्टन नही्नमिने की बात कही जा रही है और जब हजारो्ग््ामीणो्की भीि् उमि् जाती तो भी वे नक्सि समथ्टन की बात कहते हुए अपनी ओछी बयानबाजी से पीछे नही्हरते. रात मे् पदयात््ा और शदन मे् पेिी से शकतनी परेिानी हुई? न्यायािय के आदेश का मै् पूरी नशद््त से सम्मान करती हूं. नदन मे् न्यायािय मे् अपनी उपब्सथनत देकर रात मे् पदयात््ा मे् शानमि होती रही. पदयात््ा मे्परेशानी की कोई बात नही् है. मेरे साथी इस कारवां को आरे बढ्ाने मे् मददरार सानबत हुए है्. यही मेरी ताकत है. आईजी एसआरपी कल्लूरी ने नक्सशलयो् का ह्दय पशरवत्नि होने और शतरंगा पदयात््ा को उनका समथ्िन शमलने की बात कही है. पुनिस महाननरीक््क बस््र के आनदवानसयो् व बस््र का नहत नही् चाहते. नपछिे डेढ् दशक से बस््र के दज्टनो् रावो् मे् नतरंरा नही्फहराया रया है. अरर आईजी बस्र् मे् शांनत बहािी व नवकास चाहते तो वे इन इिाको् मे् नतरंरा फहरात़े, िेनकन उन्हो्ने नक्सनियो्को कािा झण्डा फहराने की छूर दे रखी है और वे ये कहते नफर रहे है् नक बस््र n नवकास की ओर बढ्रहा है. शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 31
रहन-सहन
सेल्फी का भूत िर हकसी के हसर पर सवार िै, हजसके कारर कई जानलेवा दुघ्षटनाएं िो चुकी िै्. िाल िी मे्एक रेप-पीहडत के सार सेल्फी लेने वाली राजस्रान महिला आयोग की सदस्य सौम्या गुज्षर को इस््ीफा भी देना पडा.
रेणु जैन
आ
जकि सेल्फी का भूत हर नकसी के नसर पर चढकर बोि रहा है. हाित यह हो रयी है नक हाि ही मे्एक रेप- पीनिता के साथ सेल्फी िेने वािी राजस्थान मनहिा आयोर की सदस्य सौम्या रुज्टर को इस््ीफा देना पिा. उल्िेखनीय यह है नक इस सेल्फी मे्आयोर की अध्यक््सुमन शम्ाट भी नजर आ रही है्. यह सेल्फी जयपुर के मनहिा थाने मे् िी रयी. सेल्फी का खल्त इतना बढ रहा है नक बिे-बिे तो क्या, बच््े तक ऐसा कोई मौका नही् छोिते जहां सेल्फी िी जा सके. सोशि मीनडया पर ज्यादा से ज्यादा ‘िाइक्स’ के चक््र मे् बच््े अपनी जान को खतरे मे् डािकर भी सेल्फी िेने से बाज नही्आते. दूर तक नजारा नदखे, इसेनिए िोर सेल्फी ब्सरक का भी इस््ेमाि करने िरे है्. अमेनरका ब्सथत डारा कंपनी प््ाइसोनॉनमक्स के अनुसार 2014 मे् दुननया भर मे्सेल्फी के कारण 49 िोरो्की मृत्यु हुई. इसमे् से 19 मौते् तो भारत मे् ही हुई्. यानी दुननया मे् सेल्फी के कारण सबसे ज्यादा जाने भारत मे् रई. नपछिे नदनो् जेर एयरवेज की एयर होस्रेस के साथ जबरन सेल्फी िेने और इस दौरान छेिखानी करने के बाद मोहम्मद अबू बकर नामक युवक को नररफ्तार कर निया रया. इस युवक ने इस कृत्य के दौरान फ्िाइर मे्सवार करीब चार सौ िोरो्की जान को खतरे मे् डािा. जब पुनिस ने उससे पूछताछ की, तो वह बोिा नक वह केवि मजे के निए सेल्फी ब्किक कर रहा था. नपछिे नदनो् पानकस््ान के हाई प््ोफाइि मौिवी मुफ्ती कवी को नववादो् मे् रहने वािी मॉडि के साथ सेल्फी नखंचवाना भारी पि रया. पानकस््ानी मॉडि कंदीि ने सोशि मीनडया पर तस्वीरे् डाि दी्. इसमे् एक फोरो 32 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
सेल्फी का नशा: (ऊपर से) चीनी बच््ो् के साथ नरे्द् मोदी, रेप-पीग्डता के साथ सेल्फी लेती सीमा िुज्टर
वाह और आह
मे् तो कंदीि ने उनकी रोपी भी पहन रखी है. इन तस्वीरो् के अखबारो् मे् आने के बाद इमरान खान की पार््ी तहरीक-ए-इंसाफ से भी कवी को ननिंनबत कर नदया रया. खतरनाक जरहो् पर सेल्फी िेने का चिन भी अब बहुत जोरो् पर है. कुछ समय पहिे रंरा नदी मे्नहाने के दौरान सेल्फी िेने के चक््र मे् सात युवको् की मौत हो रयी. सेल्फी िेने के दौरान पानी की तेज धारा मे् एक दोस््, सेल्फी िे रहा था, उसका संतुिन नबरिा और उसे बचाने मे् बाकी दोस्् भी बह रये. इसी तरह नानसक मे् 18 साि का एक कॉिेज छात्् अपनी क्िास के साथ नपकननक मना रहा था. एक बांध के ऊपर चढकर उसने जब सेल्फी िेनी चाही तो उसका संतुिन नबरि रया और वह पानी मे् जा नररा. उसे बचाने के चक््र मे् उसके एक दोस्् की भी
जान चिी रयी. इसी तरह, 18 साि की एक ििकी मुंबई के बै्डस्रै्ड नकिे के सामने सेल्फी िेने की कोनशश कर रही थी. सैिाननयो् मे् यह जरह काफी िोकन््पय है. सेल्फी िेने के दौरान उसका पैर नफसिा और वह समुद् मे्जा नररी. तनिमनाडु मे् एक चट््ान पर खिे होकर सेल्फी िे रहे युवाओ् का एक ग््ुप तब हादसे का नशकार हुआ जब चट््ान मे् दरार आ रयी और वे नररकर मर रये. जनवरी 2014 मे्तीन छात्् ताजमहि देखने जा रहे थे. ये िोर ट््ेन के सामने सेल्फी िे रहे थे. ट््ेन की तेज आवाज से संतुिन नबरिा और तीनो् नरर कर मौत के मुंह मे्चिे रये. नसतंबर 2015 मे्एक जापानी सैिानी की भी ताजमहि मे् सेल्फी िेने के दौरान जान चिी रयी थी. नवदेशो् मे् भी सेल्फी की ित बढ रही है.
सेल्फी का गनराला अंदाज: खतरा चाहे जो भी हो
सेल्फी के नोट्स छात््ो्और युवाओ्मे्बांर रही है. वानशंररन के मशहूर नडज्नीवल््ड अम्युजमे्र पाक्क मे् सेल्फी िेने पर बैन िरा नदया रया है. इसी तरह नवंबिडन रेननस प््नतयोनरता मे्भी सेल्फी पर प््नतबंध िरा नदया रया है. दुर्टरनाओ्क मद््ेनजर मुंबई ने भी ऐसे 16 इिाके ननध्ाटनरत नकए है् जहां सेल्फी िेने एक र्स रि्ट अपने दोस््ो् को प््भानवत करने की अनुमनत होरी. समुद् के पास नजन इिाको् के चक््र मे्28 फुर ऊंचे रॉवर पर चढ रयी मे् बाड नही् िरी है वहां सेल्फी िेने की और वहां उसकी मौत हो रयी. इसी तरह मनाही होरी. वहां यनद आप खिे भी हुए तो मेब्कसकन रॉक स्रार जेनी नरवेरा अपने दोस््ो् 1200 र्. तक जुम्ाटना िरेरा. मुंबई पुनिस के साथ प््ायवेर जेर मे् सफर कर रही थी्. एक जारर्कता अनभयान चिाना चाहती है, उन्हो्ने भी सेल्फी के चक््र मे् अपनी जान नजसमे्युवाओ्को सेल्फी के खतरे से अवरत रंवा दी. स्पेन के जीन कराया जायेरा. मे्21 वष्टके युवक पर आगरा मेंरेिवे पंश ं ासन ने आदेश नपछि सािो् मे् सेल्फी िेने का इतना जारी ककये हैंकक रेि के सफर के जो ररनाएं चिती ट््ेन पारिपन सवार था नक दौरान आपने यकद सेलफ ं ी िी तो मे् सेल्फी िेने से बढी् वह ट््ेन की छत पर चढ कारण आररा आपको जुमांना ा देना पडंसकता है मेउनके रया और नबजिी के ् रेिवे प््शासन ने और जेि भी हो सकती है. तारो् से करंर िरकर यह आदेश जारी नकये उसकी मौत हो रयी. है्नक रेि के सफर के सेल्फी-प््ेनमयो् से परेशान होकर र्स दौरान आपने यनद सेल्फी िी तो आपको सरकार ने अब सेफ सेल्फी कै्पेन की शुर्आत जुम्ाटना देना पि् सकता है और जेि भी हो की है. पुनिस साव्टजननक जरहो् पर सेफ सकती है. जीआरपी की इंस्पेक्रर अच्टना नसंह
सेलफ ़ ़ी
का कहना है नक सेल्फी िेने वािो्के नखिाफ रेिवे एक्र की धारा 145 के मुतानबक कार्टवाई होरी. नदल्िी के बी.एि.के. सुपर स्पेशनिरी अस्पताि के वनरष्् मनोनचनकत्सक एस. सुदश्टन का कहना है नक कई बच््े शोकाकुि माहौि मे्भी सेल्फी िेने से नही्चूकते. इसके निए सेल्फी के इस््ेमाि पर प््नतबंध िराने से बात नही् बनेरी. अनभभावको् और अध्यापक दोनो् ही अपने स््र पर अपने बच््ो् से बात करे्. सेल्फी को केवि एक मजेदार रनतनवनध के र्प मे् ही निया जाना चानहए. डॉक्ररो् के मुतानबक स्मार्टफोन से ननकिने वािे रेनडएशन और चेहरे पर फ्िैश से ज्यादा इस््ेमाि से त्वचा पर वक्त से पहिे झुन्रटयां पि सकती है्. ज्यादा सेल्फी िेने से त्वचा की उम््तेजी से बढने िरती है और आप समय से पहिे बूढे नदखने िरते है्. कई राज्य सरकारो् ने सेल्फी को जनसुरक््ा के निए रातक माना और ऐसे मे् कई जरह पब्लिक एजुकेशन कै्पेन चिाने शुर् कर नदए है्, नबल्कुि वैसे ही जैसे शराब और स्मोनकंर को िेकर चिाए n जाते है्. शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 33
खवजंंापन
सफ़ेदा-सुरेाा अनुलता राज नायर
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मृतिाि रुप्ता रर के बाहर बने बरामदे मे्बैठे थे. बार मे्िरे अमर्दो्की मीठी खुशबू हवा मे् फैिी थी और एक अजब सी ताजरी नबखेर रही थी. हर सुबह उनका ननयम था नक नदन की शुर्आत अपने न््पय बरीचे और उसमे् िरे फिो् के बीच ही करते थे. उनका मानना था नक नदन की शुर्आत सुंदर और महकी हो तो सारा नदन अच्छा रुजरता है. कई एकि्मे्फैिे उनके बरीचे का हर पेि् िदा हुआ था, नकस्म-नकस्म के अमर्दो् से. वहां जतन से उराये और प््ेम से पािे पोसे रये पेि् खूब फि देते थे. हरे पीिे और िाि फिो् के बोझ से डानियां झुकी्हुई्थी्. पूरे इिाहाबाद मे्अमृतिाि जी का अमर्द का बरीचा प्न्सद्् था. उनके बरीचे मे् वहां के खास अमर्द-
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सफेदा, मृदुिा, सुख्ाट के अिावा िखनऊ 49 और नचट््ीदार अमर्द के सैकि्ो् पेि् िरे थे. उत््र प््देश की खानसयत थे ये अमर्द, नजनके स्वाद का जिवा पूरे देश मे्फैिा थे. खास स्वाद और खुशबू के निए महशूर इिाहाबादी अमर्द इतने खास थे नक इनकी खूनबयो् को दूर-दूर तक फैिाने के निए उत््र प््देश के डाक नवभार ने नवशेष डाक नरकर और कवर भी जारी िकये थे. रुप्ताजी की रोद मे् उनका िैपरॉप रखा था और उसके स्क्ीन पर एक छोर बच््े का चेहरा नदख रहा था जो रह-रह कर मुस्कुरा उठता और उसकी मुस्कुराहर देख कर उनके चेहरे पर भी मुस्कान दौि्जाती और वे ननहाि हाे जाते. रुप्ता जी इंररनेर के जनरये अमेनरका मे् बसे अपने बेरे से बात कर रहे थे, और बेरा उन्हे्
नदखा रहा था उनके दो बरस के पाेते की सूरत. हजारो्मीि दूर बैठे अपनाे्के चेहरे और उनकी आवाज को सुन कर ही तो मानो् नजंदा थे अमृतिाि जी. वरना जब पांच साि पहिे बेरे ने अमेनरका जाने की खबर दी थी तब उन्हे् अपना जीवन नकतना बेमानी िरने िरा था. जीने की कोई वजह नजर नही् आती थी. इकिौते बेरे के इतनी दूर चिे जाने का ख्याि ही उनको असहनीय िर रहा था, मरर उन्हो्ने अपनी खुशी, अपने सुख की परवाह नही् की और अपने मन पर काबू करके उसको नवदा कर नदया था, उसकी खुशी के निए. उनका इंजीननयर बेरा अपने नपता की तरह फिो्का व्यापारी नही्बनना चाहता था. उसको शुर् से ही कंप्यूरर मे् र्नच थी सो वो सॉफ्रवेयर इंजीननयर ही बना. हािांनक अमेनरका जाने के पहिे बेरे ने बहुत नजद की थी, ‘पापा आप भी चनिए न हमारे साथ, क्या करे्रे यहां अकेिे.’ आनखर नपता से दूर जाने का दु:ख बेरे को भी था. ‘अकेिा कहां हूं बेरा. मेरा बार मेरे अमर्द सब तो यही् है नफर अपनी जमीन, अपनी नमट््ी ये रर बार अब इस उम्् मे् कैसे छोडूं? बि्े-बि्ेवृक्ो्को जमीन से उखाि्कर दोबारा िराएं तो वे कहां नजंदा रह पाते है्.’ अमृतिाि जी ने ठंडी सांस भर कर कहा. और उनका कहना ठीक ही तो था. सारी उम्् जहां पिे बढ्े, पनपे और फि-फूिे उस जरह को मन कहां छोि्ना चाहता है. अमृतिाि जी ठेठ यूपी के बानशंदे थे. पीन्ढयो् से इसी प््देश की नमट््ी ने उनकी भूख नमराई थी और हिक की प्यास बुझाई थी रंराजी के पानी ने. यहां की हर चीज से उन्हे् प््ेम था और सबसे ज्यादा न््पय था उनका अमर्द का बरीचा. फिो्के व्यापानरयो्मे्जाना-माना नाम था अमृतिाि जी का. व्यापार के अिावा अपने पनरवार को भी बि्ेस्नेह से पािा था उन्हो्ने. अपनी पत्नी के साथ नमिकर वे अपने बरीचे से ताजे अमर्द तोि्ते, कच््े-पके् फिो् की चरननयां, मुरल्बे, जैम बनाते, ताजा ताजा रस ननकािते. अमर्द की खेती उनका पेशा भी था और प्यार भी. हर एक पेि् को वे अपने बच््े की तरह दुिारते और उसकी देखभाि करते. वे अक्सर कहते थे, ‘जब ये बरीचा मेरे बाद नशखर संभािेरा तब देखना कैसे नमठास दोरुनी हो जायेरी इन अमर्दो्की.’ मौसम का पहिा फि पकते ही वे उसे पूजा मे् प््साद की तरह रखते और नफर कार
कर ये कहते हुए नशखर को नखिाते, ‘ये मेरे प्यार और आशीव्ाटद का ननवािा है बेरा. मेरे बाराे्की पैदावार पर पहिा हक तुम्हारा है. जब तुम्हारे बच््े होरे तब तुमसे ऊपर उनका हक होरा. वे दादा दादा कहकर अमर्द खाने की नजद करे्रे तभी तो मेरी मेहनत साथ्टक होरी.’ अमृतिािजी जारती आंखो् से सपने देखने िरते और अल्हि्, अिमस्् नशखर कब उनकी बाते्अनसुनी करके दोस््ो्के साथ खेिने ननकि जाता उन्हे्पता ही नही्िरता. अब जब नशखर अमेनरका मे् है तो ये िैपरॉप ही उनको अपने बेरे-बहू और पोते से जोि्ेरखता है, और एक ही पनरवार का नहस्सा होने का अहसास बनाये रखता है. इसी िैपराॅप और जनरये वे उनकी सूरत देख पाते है्, उनसे बाते्कर पाते है. बस उन्हे्इस बात का हमेशा मिाि रहता है नक वे अपने बच््ो्को अपने बार के अमर्द नही्नखिा पा रहे थे. उनकी बरसो्की तमन्ना अधूरी ही रह रयी थी और ये तमन्ना उनके मन मे् न जाने कब से पि रही थी. पोते के नही् बब्लक अपने बेरे नशखर के बचपन से यही ताे चाह थी उनके मन मे् नक उनके बार के फिो् से उनका पनरवार जुि्ा रहे. इस बरस भी अमृतिाि जी के बारो्मे्ेपैदावार खूब अच्छी हुई थी. उनकी मेहनत हर मौसम की तरह इस बार भी रंर िायी थी. बहुत खुश थे रुप्ता जी. बरीचे की पैदावार देख कर उनका चेहरा नखि
रया था. सुख्ाट अमर्दो्की िािी मानो्उनके चेहरे पर उतर आयी थी. एक-एक फि वे अपनी ननररानी मे् तुि्वाते और नफर उनकी छंराई होती. दारी फिो् को अिर कर नदया जाता और बेदार फिो् को अिर कर नदया जाता और बेदार फिो्काे हीरे जवाहरातो्की तरह नफासत से चुन कर सहेज निया जाता. पूरे देश मे् भेजे जाने के निए खानिस इिाहाबादी सफेदा अमर्दो्की पेनरयां भरी जा रही थी्. उनकी पत्नी ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘एक पेरी अमेनरका भी नभजवा दीनजये अपने िाडिे के निए.’ अमृतिाि जी एकदम संजीदा हो रये और रहरी सोच मे्पि्रये. पत्नी ने उनकी दुखती रर पर हाथ रख नदया था. आने वािे कुछ नदन अमृतिाि जी के नदिाे् नदमार मे् कई उिझने चिती रही्. कुछ पकता रहा था उनके जहन मे्. उनकी पत्नी पूछती रहती, ‘आप कहां खोये रहते है् आजकि?’ सारा-सारा नदन रर के बाहर रहते है्और जब रर मे्होे्तो कंप्यूरर खंरािते रहते है्आनखर माजरा क्या है?’ अमृतिाि जी बीवी की बाते् अनुसुनी करते रहे और चक््र कारते रहे बाजारो् के , सरकारी दफ्तरो्के और बै्को्के. आनखर एक नदन उन्हो्ने अपनी पत्नी के सामने खुिासा कर ही नदया.
‘मै् एक छोरा सा िू्ड प््ोसेनसंर प्िांर डािने वािा हूं.’ ‘यानन फैक्ट्ी? इस उम्् मे्? क्यूं, कैसे? उनकी पत्नी ने सवािो्की झि्ी िरा दी.’ ‘इतने सवाि एक साथ?’ अमृतिाि जी हंस पि्े. ‘खैर तुम्हारे क्यूं का जवाब तो तुम्हे्जल्द ही खुद-ब-खुद नमि जायेरा और बाकी के सवािो् के जवाब इन कारजो् को पढ् िो.’ कहते हुए अमृतिाि जी ने फाइिो् का एक पुनिंदा पत्नी के हाथ मे् थमाया और खुद िैपरॉप खोिकर बेरे और पोते से बनतयाने िरे. उनकी पत्नी उन कारजो् मे् सरकारी भाषा मे् निखे ननयमो् को पढ्ने िरी्, नक फैक्ट्ी डािने के निए उत््र प््देश सरकार सब्लसडी देती है और हर नकस्म की सरकारी मदद भी करती है. फैक्ट्ी मे् बनाये प््ोडक्ट्स को नवदेशो्मे्ननय्ातट के निए भी सहायता करती है. मंडी फीस और उप-करो्मे्भी छूर देती है. और भी न जाने क्या क्या निखा था मरर अमृतिाि जी के ठहाको्की आवाज सुन कर उनकी पत्नी भी फाइि छोि्कर िैपराॅप के सामने पहुंच रयी. उन्हे्अपने क्यो्का जवाब तो नमि ही रया था. साि भर के भीतर अमृतिाि जी का प्िांर तैयार था. और देखते ही देखते उनके प्िांर मे् तैयार अमर्द के रस याने ग्वावा जूस, पल्प और जैम सब दूसरे कई देशो् तक जाने िरे, अमेनरका तक भी. और आज वो अपने िैपरॉप पर नफर अपने पोते से बात कर रहे थे. पोता उनके बरीचे के अमर्द का रस पीता हुआ पने दादा को फ्िाइंर नकस दे रहा था. थैक ् यू दादू, बहुत रेसर् ी है और मीठा भी. आप बहुत-बहुत अच्छे हो दादू. उसकी आवाज सुन कर अमृतिाि जी के मन के सारे अंधेरे कोने रुिजार हो रये. उन्हो्ने रहरी सांस भरी. आज मुझे सुकून नमिा है नक मेरी नमट््ी, मेरी मेहनत की उपज मेरे बच््ो्तक भी पहुंच पायी. ‘और एक अच्छी खबर मेरे पास भी है.’ उनकी पत्नी बोिी्. ‘बताओ-बताओ.’ वो अपनी पत्नी की आंखो्की चमक देख कर उताविे हो उठे थे. ‘नशखर कह रहा था इतना बि्ा प्िांर पापा ने डािा है तो देखने तो आना ही पि्रे ा.’ वो आ रहा है अरिे महीने तब जी भर अमर्द नखिा िेना पाेते को.’ उनकी पत्नी कहती जा रही थी् और अमृतिाि जी अपनी आंखो् की नमी को नछपाने के निए अपने बरीचे की ओर चि नदये. (सूचना एवं जनसमंपकंक खविाग उतंंार पंंिेश दंंारा पंंकाखशत) शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 35
कवरासत
आवाज् के अग््दूत िेमे्द्मोिन बोस को ‘वंदेमातरम’ को हरकॉि्ष करने और हरकॉि्षजारी करने के हलए याद हकया जाता िै. उनके हनजी जीवन के बारे मे्बाकी जानकारी कम िी हमलती िै. उनके हनधन को एक सौ वर्षिो गये िै्. (उपर बाये् से नीचे): हेमे्द् मोहन बोस, बंगकम चंद् चट््ोपाध्याय, अरगवंद और रवी्द्नाथ ठाकुर
ननकािे: रवी्द्नाथ ठाकुर की आवाज़ मे्(एच. बोस नरकॉड्टनंबर 250), ‘वं देमातरम’ संप्दाय का राया और सेवक संप्दाय का राया (यह दोनो् अमर नाथ शमंाा संस्करण नफ़िहाि अनुपिल्ध है्). इसी बीच नडस्क नरकॉड्ट आने पर क नसतंबर 1905 को बंराि नवभाजन की आनधकानरक रोषणा का रवी्दन् ाथ ठाकुर की आवाज मे्‘वंदमे ातरम’ का रायन (एच. बोस नरकॉड्ट पूरे भारत मे्उग््नवरोध हुआ. बंनकम चंद्चरज््ी का संस्कृत नमन््शत नंबर 250) िे्च कंपनी पाथे ने 1908 मे्दोबारा जारी नकया. एच बोस नरकॉड्टके जारी होने के कुछ ही सप्ताह बाद न््बनरश मूि की बांग्िा रीत ‘वंदेमातरम’ अचानक जनमन की भावनाओ्को व्यक्त करने का सव्टस्वीकृत तरीका बन रया. एक समय क््ांनतकारी रहे श््ी अरनवंद ने कंपनी मेसस्टननकोि िे्स इंनडया निनमरेड ने भी नारायण चंद्मुखज््ी का खुद इसका अंग्ेजी मे्अनुवाद नकया. िंबे समय तक ‘वंदेमातरम’ न््बनरश राया ‘वंदेमातरम’ का नरकॉड्ट (10’’ नसंरि साइडेड, नंबर सी-465) दमन का नवरोध करने वािे क््ांनतकानरयो्का नारा बना रहा. नवभाजन के जारी नकया जो नडस्क पर ‘वंदेमातरम’ की पहिी नरकान्डि्र थी. एक साि नवरोध मे्उठे आंदोिन के साथ ही बंराि मे्देशभब्कत की भावना से भरे के भीतर इसे दोबारा जारी नकया रया. सन 1908 मे् द ग््ामोफ़ोन कंपनी निनमरेड, िंदन ने भी नारायण चंद् मुखज््ी का राया ‘वंदेमातरम’ दो रीतो्और नारको्की बाढ आ रयी. 10’’ नसंरि साइडेड नरकॉड्ट के र्प मे् जारी अब तक परंपरारत िोक और शास््ीय संरीत पुनजंागा रण के दौर मेंबहुमख ु ी नकया, िेनकन 1909 मे् ही (शायद न््बनरश को नरकॉड्टकरके बेच रही साउंड कंपननयो्ने भांप पंकंतभा के धनी अनेक उदंमं ी अनधकानरयो्के दबाव मे्) इसे खानरज कर नदया निया नक मौजूदा माहौि मे् देशभब्कत की भावना सामने आये जो अपने जंंान और रया. इसके अिावा किकत््ा की द बीनापानन से भरे रीतो्, नारको्और नाट््संवादो्के नरकॉड्ट नरकान्डि्र कंपनी ने भी ‘वंदेमातरम’ का नरकॉड्ट हाथो्हाथ नबके्रे. सन 1906 से 1908 के बीच पंकंतभा को वंयापक सामाकजक जारी करने का नवज््ापन नकया, िेनकन यह कभी न््बनरश, िे्च और जम्टन कंपननयो्ने ‘वंदेमातरम’ सरोकारोंसे जोडते कदखते है.ं जारी नही्हो पाया. सन 1909 के बाद िंबे समय के कई नरकॉड्टजारी नकये. ‘वंदमे ातरम’ को नरकॉड्ट तक वं द म े ातरम के नरकॉड् ट जारी नही्हो पाये क्यो्नक उग््होते जननवरोध करने की पहि हेमे्द्मोहन बोस ने की. सन 1906 मे्उन्हो्ने रवी्द्नाथ ठाकुर की आवाज मे्इसे नसनिंडर पर दज्टनकया. दरअसि नडस्क नरकॉड्ट को देखते हुए न््बनरश शासन राष््वादी सानहत्य और उसके प््चार-प््सार से पहिे ध्वन्यांकन नसनिंडर पर ही होता था. उस वष्टजनवरी और माच्ट के नवर्द्किे कानूनी प््ावधान िा रहा था. बंराि के पुनज्ाटररण के दौर मे्बहुमुखी प््नतभा के धनी अनेक उद््मी मे् उनकी कंपनी एच बोसेज नरकॉड्ट ने ‘वंदेमातरम’ के तीन संस्करण
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सामने आये जो अपने ज््ान और प््नतभा को व्यापक सामानजक सरोकारो्से रचना के निए प््ेनरत करने के मंतव्य से कुंतिीन पुरस्कार आरंभ नकया. जोिते नदखते है्. हेमे्द्मोहन बोस ऐसी ही एक प््नतभा थे. बोस को अक्सर पुरस्कार को िोकन््पय बनाने के निए सर जरदीश चंद्बोस, शरतचंद्और ‘वंदेमातरम’ को नरकॉड्टकरने और नरकॉड्टजारी करने के निए याद नकया खुद रवी्द्नाथ ने अपनी कहाननयां भेजी्. पहिा कुंतिीन पुरस्कार सर जाता है. उनके ननजी जीवन के बारे मे्बाकी जानकारी कम ही नमिती है. जरदीश चंद्बोस को नमिा था. हेमे्द्मोहन बोस का जन्मवष्ट1864 भी बताया जाता है और 1866 ध्वन्यांकन नसनिंडरो्मे्उनकी रहन र्नच थी. सन 1900 मे्बोस ने भी, इसी तरह उनका जन्मस्थान भी तय नही्है. कुछ िोर कहते है्नक वे एक फोनोग््ाम खरीदा और उस की मदद से पैथे नसनिंडरो्पर अपने नमत््ो् मैमननसंह मे्जन्मे, जहां उनके नपता हरमोहन बोस रहते थे, तो कुछ अन्य और नरक्तदे ारो्की आवाज़े्नरकॉड्टकरने के प्य् ास करने िरे. समाजशास््ी िोर कहते है् नक वे अपने पैन्तक रांव जयनसन््द मे् जन्मे. जानेमाने अनमताभ बोस के अनुमान के अनुसार, सन 1902 मे्िेड ् रैसबर्टके भारत वैज्ाननक जरदीश चंद्बोस उनके पनरजन थे. माना जाता है नक इसीनिए मे् ध्वन्यंकन की शुर्आत से पहिे से बोस यह काम शुर् कर चुके थे. वे तकनीकी नवाचार की ओर झुक.े बोस बचपन से बाद मे् उन्हो्ने रवी्द्नाथ ठाकुर, जरदीशा चंद् टैगोर अकंसर अपनी आवाज़ ही मेधावी थे और नवज््ान और दैननक जीवन मे् बोस, आचाय्ट प््फुल्ि चंद् राय और सुरे्द् नाथ करकॉडंाकरवाने बोस के घर उसके उपयोर मे् रहरी र्नच रखते थे. इसी के मोइत््ा जैसे इनतहास पुर्षो्को भी नरकॉड्टनकया. आते. धंवनंयक ं न के मामिे में चिते उन्हो्ने किकत््ा मेनडकि कािेज मे् अपने दूसरे शौको्की ही तरह हेमे्द्बोस ने नचनकत्सा की पढाई करना तय नकया. प््योरशािा ध् व न् य ंकन को भी व्यावसानयक रनतनवनध मे् सर जगदीश चंदंबोस तक मे् काम करते समय आंख मे् तेज़ाब नरर जाने से बदिने के नवचार से सन 1904 मे् सायनकि हेमदें ंबोस पर कनभंरा रहते. बोस को पढाई छोिनी पिी, िेनकन नवज््ान, स्रोर से पैथे फ़ोनोग््ाफ़ो्की नबक््ी शुर्की. काम प््ौद््ौनरकी और उन के व्यावसानयक उपयोर मे्उनकी र्नच बरकरार रही. मे् फ़ायदा हुआ तो उन्हो्ने किकत््ा के नये खुिे आिीशान बाज़ार मे् यह वह दौर था जब दादाभाई नौरोजी की अरुवायी मे्देश का बौन््दक ‘रॉनकंर मशीन हाि’ नाम से फ़ोनोग््ाफ़ो् की दुकान खोिी. जल्दी ही तबका न््बनरश शासको्के भारतीय पूंजी पर कल्जे और देशी अथ्टव्यवस्था उन्हो्ने एच. बोस‘ज़ नरकार्स्टके नाम से खुद नरकॉड्टनकये रये नसनिंडर को ध्वस््करने के नखिाफ स्वदेशी नशल्प और उद््म को बचाने पर जोर बाज़ार मे्उतार नदये. जनवरी और माच्ट1906 के बीच जारी एच. बोस‘ज़ दे रहा था. बंराि मे्ढाका की नवख्यात मिमि के िुप्त होने का दंश अभी नरकार्स्ट के नवज््ापनो् मे् रैरोर के राये और संरीतबद्् नकये 8 रीतो् का ताज़ा था. सन 1893 मे्सुप्नसद््रसायनज््आचाय्टसर प््फुल्ि चंद्राय पंनडत कािीप््सन्न काव्यनवशाद द््ारा स्वरबद्् पांच राष््रान और बंराि केनमकल्स एण्ड फ़ाम्ाटस्यूनरकल्स (आज भी चि रही इस कंपनी न््दजेद् ि ् ाि राय के राये और संरीतबद््नकये 8 रीतो्के नरकॉड्टका उल्िख े को बाद मे् भारत सरकार ने अनधग््हीत कर निया था) की स्थापना कर नमिता है. चुके थे जो आरे चि कर एक सफि व्यापानरक प््योर नसद््हुआ. रैरोर अक्सर अपनी आवाज़ नरकॉड्ट करवाने बोस के रर आते. बोस ने सन 1894 मे्देिकोश नामक इत््के ननम्ाटण और नबक््ी के ध्वन्यंकन के मामिे मे् सर जरदीश चंद् बोस तक हेमे्द् बोस पर ननभ्टर
व्यवसाय मे्िर रये. समय के साथ-साथ सफिता नमिती चिी रयी और वे कुंतिीन केशतेि (पूव्ी भारत मे् बहुत िोकन््पय रहे इस उत्पाद का नवज््ापन कम से कम 1944 तक होता रहा), यू-डी-कोिोन, िैवे्डर वारर आनद प््साधन सामन््गयो् का उत्पादन भी करने िरे. नयी चीजो् मे् र्नच ने उन्हे् नये व्यवसाय अपनाने को प््ेनरत नकया. सन 1900 मे् उन्हो्ने एक कार खरीदी. कारो् के व्यापार के निए द ग््ेर ईस्रन्ट मोरर कंपनी और रखरखाव के निए द ग्र्े ईस्रन्टमोरर वक्सट्नाम का कारखाना भी खोि नदया. सायनकि चिानी सीखी तो अपने बहुत से नमत््ो् को सायनकि चिाना नसखाने के अिावा 1903 मे् अपने भाई जती्द् मोहन बोस के साथ साझेदारी मे्भारतीय स्वानमत्व वािी पहिी सायनकि कंपनी एच. बोस एंड कंपनी सायनकल्स खिी कर दी. इसके साथ ही वे भारत मे् रोवर सायनकल्स के नवतरक भी थे. खेिो्मे्र्नच के कारण खेि यूननयन की स्थापना की और उसके अध्यक््रहे. बोस भारत मे्रंरीन फ़ोरोग््ाफ़ी के प््णेता भी थे. वे सानहत्यकार नही्, िेनकन सानहत्यप््ेमी अवक्य थे. अपने शौक को सामानजक सरोकार से जोि्ते हुए बोस ने सन 1900 मे्कुंतिीन प््ेस की स्थापना की. उन्हो्ने रवी्दन् ाथ ठाकुर के मार्दट श्नट मे्युवा वर्टको सानहत्य
वंदे मातरम का गहंदी पाठ और उसके गवगभन्न गरकॉि्ट: धरोहर के म्वर रहते. अनुमान िराया जाता है नक ध्वन्यंकन की तकनीक पर अनधकार पाने मे् बोस को इस महान वैज्ाननक से मदद नमिती थी. सन 1907 के आरंभ मे् बोस ने एच. बोस‘ज़ स्वदेशी नरकार्स्ट के नाम से खुद के ध्वन्यंकन नसनिंडर नवज््ानपत नकये. ये पूरी तरह भारत मे् बने पहिे नसनिंडर थे. इस उपिब्लध के निए 1907 मे् किकत््ा मे् आयोनजत इब्णडयन इंडस्न्टयि एंड ऐन््गकल्चरि एक्नज़नबशन मे्बोस को वैज्ाननक उपकरणो्मे्नवोन्मेष की श््ेणी मे्स्वण्टपदक प््दान नकया रया. बंरभंर नवरोधी आंदोिन के दौरान एच. बोस‘ज़ नरकार्स्ट के ‘वंदेमातरम’ और देशभब्कत के रीतो् के नरकॉड्ट बहुत िोकन््पय हुए. नौ नदसंबर 1908 को किकत््ा के तत्कािीन पुनिस कनमक्नर ने ‘वंदमे ातरम’ और दूसरे रीत राना प््नतबंनधत कर नदया. इसके बाद देशभब्कत की सामग््ी को जल्त करने का अनभयान चिा. नरकान्डि्र कंपननयो्के अिावा नारको् तक पर ननराह रखी जाने िरी और कई नारक प््नतबंनधत कर नदये रये. इस अनभयान की राज एच. बोस‘ज़ नरकॉड्टपर भी नररी. कंपनी के रोदाम और िैब नष््कर नदये रये. इसके साथ ही बोस की नरकॉड्टकी सांसक ् नृ तक और राजनीनतक महत्व की बहुत सी दुि्टभ सामग््ी भी नविुप्त हो रयी. n (सहयोर और अनुवादः मधु बी. जोशी) शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 37
साकहत़य कहानी मधु कांकखरया
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सहेिी
हिी बार जब नमिी थी तविीन से तो वह मुब्ककि से पंद्ह-सोिह साि की रही होरी. मखमिी आवाज़ और मक्खन जैसी रंरत वािी तविीन जैसे चिता-नफरता बसंत थी. प््कृनत और प््ेम की एक उत्कृष् रचना! उसके चाहने वािे ढेरो्थे. कॉिेज हो या हमारा मोहल्िा, नजधर से भी रुजरती थी वह, हर मनचिे की आंखे्उठ जाती थी्उसकी तरफ. उसके अनधकांश फोन हमारे यहां ही आते थे. वह मोबाइि का ज़माना नही्था. एक िै्डिाइन फोन से कई ररो्का काम ननकि जाता था. एक बार मै्ने ही उठाया था वह फोन. नकसे चानहए? पूजा को! पूजावूजा यहां कोई नही् रहती. सुननए तो उसका नाम तविीन है. तो आपने पूजा क्यो्कहा? क्यो्नक वह मेरी पूजा है. बस एक बार बात करना चाहता हूं उनसे! हम जाने कब तक इस फोन पर और ऐसे रपोरी-माक्ाट प््ेनमयो् पर हो.. हो कर हंसते रहे थे. हमे् नवश््ास था नक हमे् जीवन मे् और कुछ नमिे न नमिे, पर हमसे सच््ी मुहल्बत करने वािे पनत अवक्य नमिे्रे. हम अपने उन्ही् अदृक्य प््ेमी–पनत की तरफ से रुनरुनाते... आ चि के तुझे, मै् िे के चिूं. इक ऐसे ररन के तिे. अपने इसी आत्मनवश््ास के चिते हमने कभी ऐसे प्न्ेमयो्को रास नही्डािी, बब्लक उन्हे्अपने अंरठू े पर रखा. हम दोनो् की ही शादी िरभर साथ-साथ ही हुई थी, िेनकन इसे हमारा दुभ्ाटग्य या दुय्ोर ही कनहए नक शादी के चार साि बाद हम आज ही नमि रहे थे. तविीन अपने मैके आयी हुई थी. मै्ने सोचा था नक कुंवारे नदनो् के समान हम आज भी पुराने नदनो्की मस््ी मे्कुछ पि जी िे्रे, जब हम से दुननया थी, दुननया से हम नही्. जब तविीन की सुंदरता और मेरी हंसी की चच्ाट सारे मोहल्िे मे्होती थी- इस कदर नक कइयो्ने मुझे फूिझिी और तविीन को अनारकिी कहना शुर्कर नदया था. जब मै् उसके रर पंहुची तो वह नखिकी से बाहर मुंडेर पर चो्च उिझाये कबूतरो् की जोिी को ननहार रही थी. वह ठीक िर रही थी, िेनकन थी नही्. पीिा बेआवाज़ चेहरा. समझ रयी– आज नदि नही् बहिेरा, आज का सूरज दुख की रंरत िेकर ही ननकिा है. बहरहाि औपचानरक ‘हेिो हाई’ के बाद पानी से नमिे पानी की तरह हम नमिे और बहुत शीघ््ही हमारी बातचीत पनतयो्और प्न्ेमयो्के इद्नट रद्ट मंडराने िरी. उसका पनत खासा समृद् था, इस कारण नपता के रर की अपेक्ा उसका हाथ काफी खुिा हुआ था. िेनकन इस बार उसके दुखो्की शक्ि अिर थी. उसके सरदार पनत मे् यो् तो कोई ऐब नही् था, िेनकन सुबह उठते ही चुरकी बजाते हुए कहता, ‘चाय दो नमनर मे्’. बस इसी नबंदु पर उसे िरता वह पत्नी नही्बांदी है. उसकी समकक््और नमत््तो हरनरज नही्. मै्ने सुझाया नक जब तुम दोनो्के बीच नरक्ते िरभर सामान्य है्, तो तुम उनसे बात क्यो्नही्कर िेती. उसका जबाब और भी नवनचत्् नमिा. उसने कहा, मै्ने बात की तो जार की तरह हाथ नहिा नहिा कहने िरा, अपनी नेक सिाह अपने नपछवािे रख. अरे अपनी बीबी को चुरकी बजा रहा हूं तो इसमे् रित क्या है? कौन धौि-धप्पा जमा रहा हूं. अरे 38 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
मेरे पापाजी तो रोज अम्मा की पीठ पर मजाक-मजाक मे्कुल्िा तक थूक देते थे, अम्मा हंसती रहती थी और एक तू है. इतने प्यार से तुझे रखता हूं महारानी की तरह नफर भी... और उसके बाद से तो उसका चुरकी बजाना और भी बढ रया. दरअसि उसके पास नवचारो्की पूंजी है ही नही्. बहुत कम नवचारो्से भी उसका काम चि जाता है, इसनिए वह जीवन की नसफ्क भौनतक चकाचौ्ध का ही मतिब समझ सकता है. उसे मजा आता है. कई बार तो अपने दोस््ो्के सामने भी दाये्हाथ से चुरकी बजाते हुए कहेरा– चार चाय, फ़राफ़र. दरअसि जानहि है. उसे इतनी अक्ि ही नही् नक सोच सके नक उसकी ऐसी हरकत नकसी के स्वानभमान से भी जुडी हो सकती है. उसे िरता है, चुरकी बजाते हुए वह असिी मद्टका बच््ा या बहुत स्मार्टिरता है. अपने दोस््ो्पर रौब रांठता है नक इतनी सुंदर और उससे कही् ज्यादा पढी-निखी पत्नी भी इसके इशारे पर नाचती है. दरअसि यह उस मेन्टक फेि की कुंठा है जो उससे यह सब करवाती है, और सच कहूं तो मेरे निए भी वह नसफ्कएक देह ही है. नजस ठंडेपन से तविीन यह सब बता रही थी नक छन्न सा कुछ नररा भीतर. क्या यह वही तविीन है जो नसतार बजाती थी, रजि सुनती थी, मुझसे रीता पर बहस करती थी? िरभर हर महीने हम दोनो्दन््कणेश्र मे् जाते और रंरा नकनारे बैठ रवी्द् संरीत राते– आमार ननशीथ राते बादोि धारा. नकतनी जीवंत, उन्मुक्त, रहस्यमयी और कौतुहि से भरी तविीन थी वह! कुछ तेजी से मर रहा था उसके भीतर. मै्ने पूछा- क्या तुम प्यार करती हो उससे? प्यार! उसके ओ्ठ हिके से कांपे- प्यार तो पहिी रात ही जंरिे से ननकि भारा. पहिी रात ही सारा रंर-रोरन उतर रया. उसी रात समझ
आ रया नक वह नदि से बननया और औरत के मामिे मे्भूखा जानवर है. भी देख निया. अपनी सास के पनत को देख निया. मेरी सास को उनसे सुहार रात मे् भी जो बंदा कमरे मे् रुसते ही, नबना एक शल्द, एक स्पश्ट कोई नशकायत नही् है पर एक बार नकसी पानरवानरक आयोजन मे् रीत और एक ननराह डािे जानवर की तरह रूर जाये, प्याज की तरह छीि राए जा रहे थे. उसमे बारी-बारी से सब नरक्तेदारो्के नाम निये जा रहे थे, डािे, कुंवारे स्वप्नो्का बिात्कार कर डािे वह िवएबि मैनरनरअि तो जब मेरी सास की बारी आयी और उनसे उनका नाम पूछा रया तो वे हो ही नही्सकता. प्यार भावनाओ्से नकया जाता है. उससे प्यार तो क्या, सोचने िरी, उन्हे् एकाएक अपना नाम ही नही् याद आया. सोचो, यह ननव्ाटह हो जाये वही बहुत है. वह नफर उपेक्ा से हंस दी और नखि्की के नसफ्कहमारे यहां ही संभव है नक ताउम््‘नबमिा की मां’ सुनने वािी स््ी पार उिते बादिो् के रुकिो् को देखने िरी. कुछ देर र्ककर वह नफर जीवन की संध्या मे् अपना नाम ही भूि जाये. उस नदन के बाद से मै्ने फुसफुसायी- जानती हो, हर रात वह मुझे अपनी मद्ाटनरी के बोझ से ध्यान से अपनी सास की नदनचय्ाट देखी. मैन् े देखा नक इस उम््मे्भी श्स ् रु कुचि कर संतुष्सुअर की तरह सो जाता है और मै्सोचती रहती हूं नक जी का एक नमनर मेरी सास नबना काम नही्चिता था. नदन भर वे उनके क्या इसी रात का सपना मै् सोिह साि से देख रही थी. उफ़! उसको आदेश पर नफरकी की तरह नाचती रहती थी्और अपने सुहार के रुमान झेिते झेिते मुझे तंबाकू की ित िर रयी है. और अपने जुमिे पर वह मे्फूिी रहती थी नक ‘मै्मर रयी तै पता नही्नकस तरह रै्रे इह’. जाने नफर हंसने िरी. एक मारक हंसी! नकस तरह अनुकूनित कर दी रयी थी् वे नक उन्हे् अपनी रुिामी मे् ही मै्ने पूछा उससे– तुमने बाद मे् कभी पूछा नही् पहिी रात की उस बहुत आनंद नमिता था. हरकत के बारे मे्. उसने अपनी पिके् ऊपर उठायी. रप्पा खाती रायि िरभर यही ब्सथनत मै्ने अपनी नानी के यहां देखी थी. एक बार उन्ही आवाज़ मे्आया जबाब– पूछा था. मुआ बोिा नक क्या करता, तूझे देखते की कामकाजी पोते की बहू ने अपनी जेठानी को भोिेपन से बता नदया नक ही नबजनियां नररने िरी थी, बस रहा नही् रया. मै्ने जबाब मे् कहा भी रात काम से िौरने के बाद वे इतनी थक रयी थी् नक नबस््र से उठ भी नक जब तेरे ऊपर नबजनिया नरर रही थी्, तभी तेरे व्यवहार के चिते मै् नही्पा रही थी, तब उसने पनत से कहा नक वह उसके पैरो्पर तेि मानिश ठंडी होती जा रही थी. करे्. पनत ने कर नदया. जेठानी की आंखे्चौिी हो रात काम से िौटने के बाद वे -क्या जबाब नदया उसने? रयी– यह क्या? पनत ने तेि मानिश की पत्नी इतनी थक गयी थींकक कबसंरं से की और पत्नी को अपराध-बोध तो दूर, खुिे आम - यहां भी मेरी ही रिती नदखी उस जार को, उि भी नहींपा रही थी, तब उसने जर जानहर कर रही है. जेठानी ने इस अनहोनी कहने िरा तू तो है ही सदा की ठंडी. बस देखने मे्ही हॉर िरती है. पकत से कहा कक वह उसके पैरों ररना मे् कुछ अपनी तरफ से जोिकर अपनी -तूझे सच््े प्यार की तिब नही् महसूस सास को, और सास ने अपनी सास को. इस प्क ् ार पर तेि माकिश करे.ं होती? होते-होते बात आनखर नाना जी के कानो् तक - क्यो्नही्होती? बहुत होती है. रह-रह कर पुराने प््ेमी याद आते है् पहुंची नक चूिी पहना संजय रोज रात पत्नी के पैरो्की तेि मानिश कर नजन्हे्हमने रास नही्डािी. इस जार से तो अच्छे ही होते! सोता है. चेहरे पर शहीदो्जैसे भाव निये नाना जी ने वाकायदा संजय की मै्ने यो् ही कहा था िेनकन उसने शायद रंभीरता से िे निया था. क्िास िी, उसे रर की इज््त, मय्ाटदा और एकता का हवािा नदया और उसके नुकीिे सौ्दय्ट की नोके् ननकि आयी थी. सोचते हुए कहने िरी अंत मे् धमकाया नक ऐसे नीच संस्कारो् वािी बेहया पत्नी को वे रर मे् वह– िरता है अपने भाग्य मे्प््ेम है ही नही्. शुर्-शुर्मे्तो उस जट््मे् दूसरी मनहिाओ्के साथ नही्रख सकते क्यो्नक एक मछिी सारे तािाब प््ेम की अनुभूनत जराने के निए मै्रर मे्रोमांनरक रेप चिा देती थी नक को रंदा कर देती है. तो मैडम यह दो मूल्यो्और दो सोच की ििाई है,यह कुछ तो जारे उसके अंदर. रर की हवा कुछ तो रोमांनरक हो. कई बार मै् एक खानेवािे और एक नखिाने वािे की ििाई है. और कहावत है खुद भी खासा श््ृंरार कर रुसती कमरे मे्पर उस जंरिी सांड को श््ृंरार ‘नजसकी खाओ बाजरी उसकी साजो हानजरी’ तो इस बीमारी से नबना देखने मे्नही्कपडे उतारने मे्ही नदिचस्पी रहती, अब तो इच्छा ही मर आन्थटक र्प से मुक्त हुए नही्ििा जा सकता है. रयी है. मै्चुपचाप उसकी ओर देख रही थी. इस तविीन के खोि मे्से जैसे -क्यो् ढो रहे है् हम ऐसे संबंधो् को? मै्ने शायद अपने आप से भी पुरानी तविीन ननकि आयी थी, वह बोिती जा रही थी- इसके निए एक पूछा था. िेनकन जबाब उसने नदया, तो अपने पांवो्पर खिा होना होरा और दूसरा संरनठत होना पिेरा, और - मै्तो इसनिए ढो रही हूं नक मुझमे्ही अभी इस संबंध को ‘दी एंड’ जब तक यह नही्होता, अपवादो्को छोिकर पनत नाम का नरक्ता माया करने का दम नही्बचा. और मान िो कर भी नदया तो भी क्या दूसरा पनत ही रहेरा. एक बात और इन नदनो्मेरा पीछा कर रही है और वह यह नक ढंर का नमि जायेरा? मुझे तो िरता है नक रिबिी पनत बनने मे्ही है. मुब्कत कभी अकेिे की नही् होती. सोचो, हम दोनो् ही बेहद पढी-निखी एक सांस खी्चकर नफर बोिी वह-अच्छे पनत सचमुच ‘आउर ऑफ़ थी्, हम दोनो्ने ही सोचा था नक हमारा जीवन संवर रया, पर हुआ क्या? स्रॉक ‘हो रये है्, डैड को देखा, तुम्हारे नमंया को देखा, अपने वािे को शादी के निए ििका तो इसी दनकयानूसी और स््ी नवरोधी समाज मे्ही ढूंढना पिा. शादी के रेरे से ननकि जाये् तो प््ेमी भी इसी समाज से नमिेर् .े आज समझ पायी हूं नक सव््ोच््जीवन मूलय् हमे्हानसि हो्, इसके निए जर्री है नक इन मूल्यो्को ग््हण करने वािा आधारभूत ढांचा तैयार हो. इसनिए जर्री है समाज की सामूनहक सोच मे्बदिाव की. जब तक जानी-मानी कथाकार और उपन्यासकार. प््मुख कृनतयां: पेि पर रुन िरा है, एकाध डाि संवर भी जाये तो अपना भाग्य, वरना ‘पत््ाखोर’, ‘युद्और बुद्’, जब तक पूरा समाज नही् बदि जाता तब तक जीवन- सारर की इन ‘बादिो्मे्बार्द’, ‘अंत मे् अपमानजनक िहरो् का सामना करना ही पिेरा. कुछ समय के निए यीशू’, ‘सेज पर संस्कृत’, आंख बंद कर ईरो पर कािा कंबि डािना ही पिेरा, धीरे-धीरे इसी ‘सिाम आनखरी’. कई नबरिे नबाब को ठोक-पीर ठीक-ठाक करना ही पिेरा. असिी चीज है पुरस्कारो्से सम्माननत. अपने को बचाए रखना क्यो्नक जीवन मे्प््ेम होता है,प््ेम मे्जीवन नही्. संपक्क: 9167735950 जीवन रहा तो प््ेम शायद नफर भी नमि जाए. अब तो बस इंतज़ार है तो एक बच््ेका, उससे शायद नजंदरी की बोनरयत नमरे िेनकन िरता है यह शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 39
साकहत़य भी उस नामद्टके बस का नही्, चार साि होने आये की तरफ से हुआ है? शादी के, िेनकन कोई आसार नज़र नही्आते मुझे. -मै्यह वचन इसनिए िे रही हूं नक पता नही् सोचती थी पनत न सही, पुत् तो कम से कम मेरा तुम इसे नकस तरह िोरी? होरा िेनकन कुछ कहूं तो मुझे ही दोष देता रहता है. मुझ पर उन नदनो्महाभारत सीनरयि का बहुत जबनक नकसी भी नरपोर्ट मे् मुझमे् कुछ खराबी नही् प््भाव था, मै् यह जानकार रोमांनचत थी की जन्म आयी है, वही वीय्टहीन है. और तो और, उसकी मां से ही मै् अपने पनरवार मे् स््ी के चनरत्् और यौन भी मुझे ही जब तब कहती रहती है– हरमंदर साहब शुद्ता का बखान सुन-सुन उसे ही जीवन की परम जाके पुत्र दी मन्नत मंर. मुझे रुस्सा चढता है, मन प््ाब्पत समझने िरी थी, पर जब पता चिा नक तो करता है कह दूं नक रोद मे् पोते नखिाने का महान पांडु पनरवार का कोई भी वंशज अपने इतना ही चाव है तो मुझे हरमंदर साहब भेजने की सांसानरक नपता की संतान नही् था तो मै् सुखद बजाय अपने पुत्र को नकसी अच्छे डॉक्रर को आि््य्ट से भर रयी थी. कुंती महाभारत की भेजो. नजस प््कार मुंह बनाकर कहा तविीन ने नक आदरणीय चनरत््थी. यनद नकन्ही नवशेष पनरब्सथनत मुझे हंसी आ रयी. पर तविीन को बच््ेकी इतनी मे्उसे ननयोर प््था द््ारा संतान प््ाब्पत का अनधकार चाहत है, यह जानकारी की नयी परत थी मेरे निए. था तो हम साधारण मनहिाओ्को क्यो्नही्? मै्ने बात को आरे बढ्ाते हुए यूं ही कह नदया था. मै्ने तविीन को कुंती की सारी कहानी सुना -तू नकसी अनाथ बच््े को रोद िेने की क्यो् दी. वह नसख थी, उसे महाभारत की कहानी थोि्ानही्सोचती? बहुत पता थी पर कुंती के जीवन सत्य से इस प््कार तेरा नदमार तो ठीक है,अपनी इच्छा से सो तो वह पहिी बार पनरनचत हो रही थी. मै्ने उसे प््ात: जब पता चिा कक महान पांडु सकती नही्,बच््ा क्या रोद िूंरी? नफर अभी स्मरणीय पंच कन्याओ्के बार मे्भी बताया. उम्मीद जो बची हुई है. डर है तो नसफ्क एक. जार वह दुनवधा मे् थी, उसने कहा– यह सत्य पकरवार का कोई भी वंशज पनरवार है और जानता है नक पढी-निखी होने के है की जीवन से बढकर कुछ नही् पर कुंती ने अपने सांसाकरक कपता की बाबजूद मै्अकेिी पि्रयी हूं, मां-बाप तो अपने जो नकया, वह पनत की जानकारी मे् नकया. संतान नहींथा तो मैंसुखद बाकी बच््ो् को संभाि िे वही बहुत है. एक दो इसनिए उसके अंदर कोई असुरक््ा बोध नही्पैदा आशंयं ांसे भर गयी थी. साि और ननकि रये तो डर है. कही्. हुआ. -बस चुप कर, डरना तो उसे चानहए. उसने मै्ने कहा– तो तुम कौन अपनी वासना तुन्ष एक छोरी सी जम्हाई िी और कहा, या भोर नविास के निए यह सब करोरी? तुम भी तो पनत की असमथ्टता -उसकी नज़र मे्मेरी नडग््ी की कोई अहनमयत नही्, कहता भी है नक के चिते यह कदम उठाओरी. मेरे निए तो नडग््ी वािी पत्नी रारे का सौदा ही रही, अनपढ िाता तो यह -पर तुम नजन पांडु महाराज की बात कर रही हो, उन्हो्ने नफर भी ठाठबाठ देख चरण धो-धो पीती. पर तुझे कोई परवाह ही नही्. नदन-रात अपनी पत्नी को यह स्पेस तो नदया पर आज के पनत? स्पेस देना तो दूर यही सोचती हूं नक बस एक बच््ा हो जाये तो उस जानिम से नपंड छूरे. सारा दोष पत्नी पर ही मढ्देते है पनरवारवािो् का मुंह बंद हो जो मुझे बांझ कहने िरे है्, अंधनवश््ासी -तो तुम भी अपने पनत से कभी इसका नजक््नही्करना. यह हमारी जेठानी अपने बच््ो्के मेरे कमरे मे्नही्रुसने देती नक कही्मेरी छूत न अपनी रणनीनत है ,अपना सुरक््ा कवच है. िर जाये. बस बच््ा हो जाये तो मै्बच््ेमे्रम जाऊंरी. नफर जहां जाना कुछ देर खामोशी तनी रही. सोचता हुआ उसका चेहरा और सुंदर है वह जाये, नजसके साथ करना है करे मुंह कािा मद्टुआ. िरने िरा ,नफर एक बेचनै अधीर आवाज़ आयी– तुमह् ारी बात पर नवचार तविीन कहती जा रही थी और मै् उसके बदिे हुए अंत:करण को करं्री, पर यह उतना आसान नही् नजतना तुम सोचती हो. िेनकन एक देखती जा रही थी. क्या यह वही तविीन है जो अपनी चार बहनो्के बाद सूत्तुमने मुझे सचमुच पकिा नदया है, अब नफर कभी मुझ पर बांझ का हुए छोरे भाई के जन्म के समय शम्ट से बाहर नही् ननकिी थी नक कही् आरोप िराया रया तो इसका जबाब तो इसी प््कार नदया जा सकता है. िोर उसे बधाई न दे दे. उसके छोरे भाई के जन्म के समय उसकी उम्् बोिते-बोिते उसकी आंखे्मुझ पर नचपक रयी्. उसके भीतर बहुत कुछ सत््ह साि की हो चुकी थी, और सृन्ष के रहस्य को समझने िरी थी उमि-रुमि रहा था नजसके प््वाह मे्शायद बहती जा रही थी वह. बहुत वह. कुछ और भी उसके भीतर से ननकिता पर मुझे उसे रोकना पिा क्यो्नक इस बीच आंरी चाय बनाकर िा चुकी थी. चाय के साथ प्याजी और उसी शाम मुझे अपनी मां को डॉक्रर के यहां िे जाना था. तविीन मुझे मसािा मूि्ी. छोिने बाहर तक आयी थी. एकाएक उसने कहा– कि अपने कॉिेज हम आंरी के जाने का इंतज़ार करने िरे, हमे्चुप देख आंरी शायद जाना चाहती हूं. चिोरी? समझ रयी थी्नक उनकी उपब्सथनत स्वारत योग्य नही्है, इस कारण थोिी -चि सकती हूं. पर हमारे सब प््ेमी और संरी-साथी तो अपने अपने इधर-उधर की कह सुन वे चिती बनी. नठकाने िर रये हो्रे. नमिेरा क्या वहां जाकर? कुछ सोचते हुए कहा मै्ने– तू यनद बुरा नही् माने तो मै् एक -कौन जाने कुछ नमि ही जाये... कौन जाने हमारे वे दोस्् हमारी रास््ा सुझा सकती हूं,पर तूझे बचन देना होरा नक तू मेरे इस सुझाव को तरह भूिे-भरके वहां पंहुच जाये्. काश नमि जाए आशीष. तो इस बार नकसी के सामने उजारर नही् करेरी. बेशक तू चाहे तो इस पर अमि न उसे इज्ज़त बख्शूंरी. कभी वह मुझसे बस दो नमनर के निए बात करना कर. चाहता था न! अब तो सुना है स्रेर बै्क ऑफ़ इंनडया मे्ब््ांच मेनेजर बन तविीन हैरानी से देखने िरी मेरी ओर. उसने मेरी शंका को ननम्टूि रया है. -कौन आशीष? वही रपोरी जो कहता था. वह मेरी पूजा है. मै्ने धीरे करते हुए कहा– यहां हमारे दो के नसवा कोई नही्है. कोई प््माण नही्नक नकसने क्या कहा? नफर इतने सािो्की हमारी दोस््ी, दुपट््ा बदिने वािी से आंख दबा दी और एकाएक हम दोनो्ही ठठाका िराकर हंस पिे. n बहुत नदनो्बाद इस प््कार खुि कर हंसे थे हम. हम ऐसी सहेनियां. क्या कभी ऐसा नवश््ासरात हम दोनो्मे्से नकसी भी 40 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
साकहत़य/ककवता
पोयट््ी मैनेजमे्ट
कखवता शुिम शंंी
कनवता निखना बोरस काम है! अरे फाितू है! एकदम बेधंधा का धंधा! पार्टराइम! सािा कुछ जुराि्िरता एमबीए-सैमबीए राइप मज््ा आ जाता रुर्! मने इधर कनवता निखी उधर से्सेक्स नररा कनव नढमकाना जी ने निखी पूंजीवाद नवरोधी कनवता से्सेक्स िुढ्का चैनि पर चच्ाट यह अमेनरकी साम््ाज्यवाद के नररने का नमूना है क्या अमेनरका कर पायेरा वेनेज्वेिा से प््ेनरत हो रहे कनवयो्पर काबू? नवत््मंत्ी का बयान छोरे ननवेशक भरोसा रखे्! आरबीआई फराक रेपो रेर बढ्ा देरी मीनडया मे्हिचि समकािीन कनवता पर संग्ह छप रहा है आपको क्या िरता है, आम आदमी कैसे करेरा सामना इस संग्ह का? अपने जवाब हमे्एसएमएस करे अबे, सीपीओ (चीफ पोयट््ी ऑनफसर) की तो शान पट््ी हो जायेरी! हर प््ोग््ाम मे्ऐड आयेरा नरिायंस नडनजरि पोयट््ी िाइफ बनाये पोयनरक रारा कनवता हर शल्द नसफ़क्आपके निए िोर ड््ाइंर र्म मे्कनवता रांरे्रे अरे वाह बहुत शानदार है नकसी सानहत्य अकादेमी वािे की िरती है नही्जी, इंपोर््ेड है असिी तो करोि्ो्डॉिर की थी हमने डुप्िीकेर िे िी बच््ेननबंध निखे्रे मै्बि्ी होकर एमपीए करना चाहती हूं एिआईसी पोयट््ी इंक्योरे्स आपका सपना हमारा भी है डीयू पोयट््ी ऑनस्ट, आसमान पर कर ऑफ पैर (पोयेट्ी एब्परट््ूड रेस्र) की परीक््ाओ्मे् नफर िि्नकयां अव्वि पैर आरक््ण मे्धांधिी के नखिाफ नवद््ान्थटयो्ने फूंका वीसी का पुतिा देश मे्आठ नये काव्य संस्थानो्पर मुहर तीन साि की उम््मे्तीन हज़्ार कनवताएं याद
युवा कनव और रद््कार. शुभम श््ी की कनवता ‘पोयट््ी मैनेजमे्र’ को इस वष्ट के भारतभूषण अग््वाि कनवता पुरस्कार के निए चुना रया है. चयनकत्ाट थे जाने-माने िेखक उदय प््काश. सोशि मीनडया और दूसरी जरहो्पर भी इस कनवता को िेकर काफी नववाद हुआ.पारंपनरक कथ्य और ढांचे को तोि्ने वािी यह कनवता यहां प््स्ुत है.
भारत का नन्हा अजूबा ईरान के र्ख से नचंनतत अमेनरका फ़्ारसी कनवता की परंपरा से नकया परास््! ये है ऑि इंनडया रेनडयो अब आप सुने्सीमा आनंद से नहंदी मे्समाचार नमस्कार! आज प््धानमंत्ी तीन नदवसीय अंतरराष््ीय काव्य सम्मेिन के निए रवाना इसमे्देश के सभी कनवता रुरो्के कनव शानमि है् नवदेश मंत्ी ने स्पष््नकया है नक भारत नकसी भी कीमत पर काव्य नीनत नही्बदिेरा भारत-पानकस््ान काव्य वात्ाट आज नफर नवफि हो रयी पानकस््ान का कहना है नक इक़्बाि, मंरो, और फ़ै्ज़्से भारत अपना दावा वापस िे चीन ने आज नफर ने काव्यािंकारो्का परीक््ण नकया सूत्ो्का कहना है नक ये अिंकार न्फ़िहाि दुननया के सबसे शब्कतशािी काव्य संकिन पैदा करे्रे भारत के प््मुख काव्य ननम्ाटता आनशक़्आवारा जी का आज ति्के ननधन हो रया उत््रप््देश मे्आज नफर दनित कनवयो्पर हमिा उधर खेिो्मे्भारत ने िरातार तीसरी बार कनवता अंत्याक््री का स्वण्टपदक जीत निया है भारत ने सीधे सेरो्मे्6-5, 6-4, 7-2 से यह मैच जीता समाचार समाप्त हुए! आ रया आज का नहंदू, नहंदुस्ान राइम्स, दैननक जाररण, प््भात ख्बर युवाओ्पर चढ्ा पोयर हेयर स्राइि का बुख्ार कवनयन््तयो्से सीखे्ह््स्व-दीर्टके राज़् 30 वष््ीय एमपीए युवक के निए ररेिू, कॉनवे्र एजुकेरेड, संस्कारी वधू चानहए 25 वष््ीय एमपीए रोरी, ब्सिम, िंबी कन्या के निए योग्य वर संपक्ककरे् रुर्मज़्ा आ रहा है सुनाते रहो अपन तो हीरो हो जाएंरे जहां ननकिे्रे वही्ऑरोग््ाफ़् जुल्म हो जाएरा रुर् चुप बे थड्टनडनवज़्न एमए एमपीए की फ़्ीस कौन देरा? प््ूफ़्कर बैठ के ख्ािी पीिी बकवास करता है!
n शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 41
साकहत़य/व़यंग़य
मैं मरना नहीं चाहता क
वंयंगंय अकंंय नेमा मेि
ि रात मै्ने एक बिा नवनचत््, भयानक और वास््नवक सपना देखा. सपने मे् देखा की कि 15 अरस््है. आजादी का नदन. िेनकन 14 अरस््को मेरे सीने मे्जोरदार दद्ट उठता है. मै् बेहोश पि जाता हूं. मेरे पनरजन मुझे िेकर अस्पताि जाते है, जहां मुझे आईसीयू मे् रखा जाता है. डॉक्रर ब्सथनत नाजुक होने का कह चुके होते है और यमराज मेरी आत्मा को िेने दूत भेज चुके होते है. पर
पर खबर चिती है की 'आनखर कब मरेरा, अक््य?' अखबारो् की प््सार संख्या दूनीचौरुनी हो जाती है. चैनिो् की भी रीआरपी बढने िरती है. पर मै्नही्मरता. देखते-देखते मुझे मर जाने के निए देश भर मे् कै्डि माच्ट होता है. संसद मे् राजनैनतक हंरामे बढ जाते है. कई अफसरो् को सस्पे्ड तो कई डॉक्ररो् को नौकरी से ननकाि नदया जाता है. संयुक्त राष्् की बैठके् प््ारंभ हो जाती है, पर मै्नही्मरता. बेहोश होने के बाद भी मुझे सारा देश व्यनथत नदखता है. नहंदू मंनदरो् मे् पूजा-पाठ कराता है. मुब्सिम मब्सजदो् मे् दुआएं मांरता है. नसख-ईसाई भी प््ाथ्टना करते है. पर देश के निए नही्. बब्लक मेरे न मरने पर पूरा देश नचंनतत हो उठता है. मुझे भाईचारे का दृक्य नदखता है और अपने आप पर रव्ट होता है. अस्पताि मे् मंत्ी-संन्तयो् के फ़ोन रनरनाते रहते है और डॉक्रर जबाव देते है की- 'सॉरी
'यनद मै् कि मर रया तो वे सारी महान और अमर आत्माएं, नजन्हो्ने हमे् आजादी नदिायी वे मुझसे कई प््क्न पूछे्री.' 'कौन से प््क्न?' 'वे पूछेरी नक हम सभी ने नजस आजादी के निए इतनी यातनाएं सही् और अपना सव्टस्व न्यौछावर कर नदया और तुमने उसी आजादी का कैसा हश््कर नदया है?' वे कहे्रे- 'तुम पापी हो. तुमने हमारी अमानत को ही खोखिा कर नदया. धम्ट, संप्दाय और जानतयो् के आधार पर झरिे करवाकर देशभब्कत की भावना को ही बांर नदया. रोरािे पर रोरािे कर हमारे देश को खंडहर मे् तल्दीि कर नदया.' शायद इसका उत््र मे्दे्भी दूं नक- यह सब नेताओ्ने अपने और अपने वोर बै्क के निए नकया है. तो भी वे मुझे ही दोषी ठहराये्रे. कहे्रे- 'तुम सवा सौ करोि होते हुए भी चार-पांच हजार नेताओ् को नही् संभाि सके्. और तुम सभी उन
सर, वो अभी नजंदा है.' इसी तरह कई नदन बीत जाते है. मै् होश मे्नही्आता. सभी मुझसे त््स् नदखाई देते है. और अंत मे् थक-हार कर एक स्वर मे् पूछते है- 'कब मरोरे?' मेरी बेहोशी की तंद्ा रूरती है. मै् होश मे् आता हूं. सभी मुझे अजीब ननराहो्से देखते है. सोचते है, यह तो ठीक हो रहा है. पर क्यो्, नफर से प््क्न थोपते है. मै् शांनत से कहता हूं, 'मै्मरना नही्चाहता, मुझे मरने से डर िरता है.' नफर वही प््क्न सुनाई देता है- ‘क्यो्? मै् बताता हूं कि 15 अरस्् है इसीनिए मै्कि नही्मर सकता. 'क्यो्?'
सफेदपोश नेताओ् के मानिक होते हुए भी उन्ही्के इशारो्पर नाचते रहे. क्यो्एक-दूसरे का खून बहाते रहे?' इसीनिए भाइयो्मै्मरना नही्चाहता. हां, 15 अरस्् के बाद भिे ही मर जाऊं, िेनकन मै् 15 अरस्् देखना चाहता हूं. बदजुबान नेताओ् के बिे-बिे भाषण सुनना चाहता हूं. शायद कोई उत््र ननकि आये. अचानक ही मेरा स्वप्न रूरता है. पसीने से तर-बतर रिी देखता हूं तो उसमे्5 बजे होते है. रह-रह कर मन मे्एक ही बात आती है नक कही्सुबह का सपना सच न हो जाये क्योनक मै् मरना नही् n चाहता.
कहंदू मंकदरोंमेंपूजा-पाि कराता है. मुसलं िम मसंलजदोंमेंदुआएं मांगता है. कसख-ईसाई भी पंंाथंना ा करते है. मेरे न मरने पर पूरा देश कचंकतत हो उिता है. मै् मरना नही् चाहता. इस बात पर सभी परेशान होते है. यमराज, डॉक्रर और पनरजन यही सोचते है की यह मर क्यो् नही् रहा? क्योनक मे्ननठल्िा-आवारा, काम का न काज का दुक्मन अनाज का. नफर भी नही् मरता. सभी बारी-बारी से पूछते है नक – सुननए, आप कब जा रहे है? दूत पूछता है- तुम्हे् मेरे साथ कब चिना है? और डॉक्रर सीधा नबि के कारज पर आदेश थमा देता है. नजसमे निख देता है नक दवा-दार् बहुत हुई, अब चि बसो. पर मै् मरना नही्चाहता. मरने से डर िरता है. यह जानते हुए भी नक आत्मा अमर है, नफर भी उसी अमरत्व से डरता हूं. मेरे न मरने को िेकर अस्पताि मे् भीि जमा होती है. नाते-नरक्तेदारो्का जमरर उमि पिता है. मेरे न मरने को िेकर मुझे ही अजूबा बना नदया जाता है. अखबारो् मे्, न्यूज़ चैनिो् 42 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
साकहत़य/स़मरण
पंंवीन अरोड़ा
आ
पंजाबी साहित्य मे् गुरदयाल हसंि जैसा और कोई निी्िुआ. उनकी रचनाएं मालवा ि््ेत्के साधारर लोगो् के जीवन का आइना िै्.
नखर जैतो का जोरी चिा रया और अपने पीछे छोि रया एक ऐसा खािीपन नजसे भरा नही् जा सकता. पंजाबी सानहत्य मे् रुरदयाि नसंह जैसा और कोई नही्. पंजाब के मािवा क््ेत् के एक छोरे से कस्बे रंरसर जैतो मे्बैठ कर सानहत्य के इस तपस्वी ने ऐसे बेजोि कथा सानहत्य का सृजन नकया, जो पंजाब के ग््ामीण जीवन के यथाथ्ट का आईना है, नजसमे् पंजाब के रांवो् और नकसानी की एक ऐसी तस्वीर नदखाई देती है, जो इस र्प मे्इससे पहिे पंजाबी सानहत्य मे् नज़र नही् आयी थी. उनकी रचनाओ् मे् मेहनतकश, दनित और दबे-कुचिे िोरो् के दुख-दद्ट को बिी नशद््त से महसूस नकया जा सकता है. उनके ‘परसा’ जैसे समथ्ट पात्् समय की सीमाओ् को िांरते हुए अन्याय और समाज की कुरीनतयो्, आडंबरो् और अंधनवश््ासो् के नखिाफ नवद््ोह करते है्और इंसान के मूि सरोकारो्के साथ खिे नदखाई देते है्. जीवन के नजस यथाथ्ट को रुरदयाि नसंह ने करीब से देखा, भोरा, उसी को बिी बारीकी के साथ अपने सानहत्य मे् उकेरा. इसनिए उनकी तुिना रोक््ी, प््ेमचंद और फणीश््र नाथ रेणु से भी की जाती है. रुरदयाि जी की जीवन यात््ा भी संरष्ट की अद््त कथा है. हािात के चिते उन्हे् बचपन मे् ही पढाई बीच मे् छोिकर बढईनररी के अपने पुक्तैनी धंधे को अपनाना पिा. िेनकन शुर्से ही उनकी पढने-निखने मे्र्नच थी, इसनिए वे शाम को काम से फानरर होकर एक रीचर के पास पढ्ने के निए जाने िरे. प््ाइवेर परीक््ाओ् के जनरये उन्हो्ने आठवी्, दसवी् और नफर ज््ानी की परीक््ा पास की और स्कूि मे्अध्यापक हो रये. इसके बाद भी उनकी पढाई जारी रही. उन्हो्ने बीए, पंजाबी मे्एमए और नफर पीएचडी की. अंततः वे पंजाबी यूननवन्सटरी पनरयािा मे्प््ोफेसर के र्प मे्नररायर हुए. उनकी रचनाएं पंजाबी से बाहर नहंदी और अन्य भाषाओँ मे्भी मकबूि हुई्. उन्हे् सानहत्य अकादेमी और ज््ानपीठ जैसे नशखर पुर्स्कारो्से सम्माननत नकया रया. उनके उपन्यासो्‘मढी दा दीवा’ और ‘अन्ने रोिे दा दान’ पर नफ़ल्मे् बनी्और देश-नवदेश मे्पुरस्कृत हुई्. मुझे रुरदयाि जी पर एक डाक्यूमे्ट्ी और उनके कािजयी उपन्यास ‘परसा’ पर रीवी धारावानहक बनाने का सौभाग्य प््ाप्त हुआ. इनके ननम्ाटण के दौरान मुझे उनके कृनतत्व और व्यब्कतत्व को करीब से जानने-समझने का मौका नमिा. मुझे कई बेशकीमती अनुभव हुए. हमारे बीच एक रहरा नरक्ता बन रया और उनके साथ मेरा संपक्क िरातार बना रहा. अक्सर नवनभन्न नवषयो् पर हमारी बातचीत होती रहती थी और उनके साथ मेरा संवाद अंत तक जारी रहा. अभी कुछ ही नदन पहिे मै्ने उनका हाि जानने के निए फोन नकया तो पता चिा की उनकी तबीयत खराब है, उनको बोिने मे्कनठनाई हो रही थी. इस हािात मे्भी उन्हो्ने मुझसे िंबी बात की और समाज मे्बढ रही सांप्दानयकता के प््नत अपनी नचंता प््कर की.
जैतो का जोरी
समाज और देश के सरोकारो्से वे रहरे तक जुिे हुए थे. आम आदमी और उसके सरोकार उनके सानहत्य के के्द् मे् है्. आम आदमी के साथ उनकी आत्मीयता और नरक्ते का एहसास मुझे तब हुआ जब मै् अपनी डाक्यूमे्ट्ी के नसिनसिे मे्पहिी बार जैतो रया. मै्ने एक राह चिते आदमी से रुरदयाि नसंह के रर के पते के बारे मे् पूछा तो उसने कहा, ‘वही रुरदयाि नसंह, जो कहाननयां निखते है्?' मेरे हां कहने पर वह मेरे साथ हो निया और उसने मुझे उनके रर पहुंचा नदया. दरअसि उनके िेखन के निए कच््ा माि आम आदमी के जीवन संरष््ो्और पनरवेश से आया और यही उनकी रचनाओ् की ताकत भी है. पहिे उन्हो्ने रवन्टमे्र कॉिेज फरीदकोर और नफर बनठंडा मे्पंजाबी यूननवन्सरट ी के रीजनि सेर् र मे्प््ोफेसर के र्प मे्पढाया. दोनो्ही जरहो्पर वह जैतो से रोज ट््ेन से आते-जाते थे. ट््ेन के सफ़र के दौरान उनकी आम िोरो् से खूब बातचीत होती थी, िोर उनसे अपने जीवन संरष््ो से जुिे अनुभव साझा करते थे. ये अनुभव उनके अपने अनुभव बन रये और उनकी रचना यात््ा मे् बहुत मूल्यवान सानबत हुए. उनकी रचनाओ् मे् रुरबाणी का प््भाव भी काफी नदखाई देता है. उन्हो्ने मुझे बताया था नक शुर्मे्वे रुरद् ्ारे मे्रारी बनना चाहते थे. वे कुछ समय तक रुर्द्ारे मे्रहे. िेनकन जल्दी ही उन्हे्एहसास हो रया नक रारी बनने के निए उनकी आवाज़ उपयुक्त नही्है और उन्हो्ने रारी बनने का नवचार त्यार नदया. िेनकन इस दौरान उन्हे् रुरबाणी को अच्छी तरह जाननेसमझने का मौका नमिा. वे अपनी रचनाओ्मे्अपने पात््ो के माध्यम से जरह-जरह रुरबाणी को उदरृत करते है और जन समान्य से जुि जाते है्. उनकी सफिता और रचना यात््ा मे्उनकी पत्नी श््ीमती बिवंत कौर का बहुत योरदान रहा. बातचीत के दौरान रुरदयाि जी खुिे मन से स्वीकार करते हुए कहते थे नक वे अपनी सफिता का आधा श््ेय अपनी पत्नी को देते है्. वे ज्यादा पढी-निखी नही्है्और बोिती भी बहुत कम है्. िेनकन वह अंदर से कही् जानती थी् नक रुरदयाि जी अपने िेखन के जनरये जो काम कर रहे है वह बहुत मूल्यवान है. रुरदयाि नसंह देर रात या सुबह चार बजे भी िेखन काय्ट कर रहे होते तो वे उठकर उन्हे् चाय बना कर देती्. रुरदयाि जी ने बताया नक कभी-कभी उनके पास बच््ो्के दूध के निए भी पैसे नही्होते थे. िेनकन उन्हो्ने कभी नरिा नही्नकया. पंजाब के दूरदराज इिाके मे् बैठ कर रुरदयाि नसंह एक ऋ नष की तरह तपस्या करते रहे. उन्हो्ने नजस सानहत्य का सृजन नकया वह पंजाबी ही नही्, बब्लक पूरे भारतीय सानहत्य मे्मीि का पत्थर सानबत हुआ. मािवा के इस जोरी ने अपनी कािजयी रचनाओ्से सानहत्य जरत मे्जो अिख जरायी, वह सदा आने वािी पीनढयो्को उस रास््ेपर चिने के निए प्न्ेरत करेरी जो ऐसे समाज की ओर जाता है, जहां अन्याय, शोषण और असमानता न हो. n (िेखक रुरदयाि नसंह पर एक वृत्नचत्् और धारावानहक के नफल्मकार है्.) शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 43
मास़ यायावरी ट हेड
मॉरीशस भले िी ज्वालामुखी के गभ्षसे हनकला िो, लेहकन अपने सौ्दय्षमे्वि चांद से झरे िुए मोती की तरि लगता िै. यिां के जीवन मे्भरपूर आधुहनकता के बावजूद अपनी जड्ो्की पिचान का एिसास भी खूब हदखता िै.
चांद से झरा
संतोष शंंीवासंवं
ह
वाई जहाज की नखिकी से िरी सीर पर बैठते ही एक एहसास ने मन मे् नजज््ासा जरा दी: कैसा होरा मॉरीशस? देश भर से आये पत्क ् ार, िेखक मुमब् ई के सहार एयरपोर्टपर इकट््े हुए है,् समकािीन सानहत्य सम्मि े न के 24वे्आयोजन मे्शरीक होने. ऊपर से यह द््ीप इतना सुदं र नदखाई दे रहा था. पांच रंरो् वािा सारर, हरे भरे पव्तट और नखिौने जैसे मकान, सिके,् खेत धीरे-धीरे नवशाि होते रये और हवाई जहाज ने नशवसारर एयरपोर्टमे्िैड् नकया. हम करीब पांच बजे शाम को (मॉरीशस समयानुसार साढे छह बजे) तीन नमनी बसो् के द््ारा होरि िरूना नरसॉर्ट पहुच ं े जो हवाई अि््े से पैत् ीस नकिोमीरर दूर है. मुझे और मेरे पनत रायकसंरीतकार रमेश श््ीवास्व् को पहिी मंनजि के कमरा नं. 117 मे्ठहराया रया. 18 अक्तब ू र भारतीय समयानुसार नी्द खुिी, िेनकन मॉनरशस की रिी मे्साढे चार बजा था. मै्धुधं िे आिोक मे्तेज रनत से बहते समुद्को ननन्नमट षे ननहारती उजािा होने की प्त् ीक््ा करने िरी. उजािा होते ही मै्अपने बाजू वािे कमरे मे्ठहरे कान्तक ट ये जी से नमिने रयी. वे जार चुके थे. मेरे सुबह-सुबह उनके कमरे मे्आने की मंशा समझ झर से बोिे- ‘चाय की तिब? हमे् तो पता था इसीनिए हम बैर भरकर कॉफी रीनफि िाये है.् पूरे मॉनरशस की आबादी ही पंदह् िाख है. वेशभूषा भारतीय, यूरोपीय, िेनकन बोिी न््कयोि. नवदेशी यात््ी ज्यादा नदखे. वैसे यहां यूरोनपयन, अंगज ्े , ि््ास ं ीसी और भारतीय है.् सब तरह की भाषाएं है,् िेनकन मुखय् भाषा न््कयोि है. बाज़ार मे्भीि नही्, शोररुि नही्. नसरी सेट् ि ् माक्र्े से िौरे तो रास््ेमे्ड््ाइवर नमि रया. वह हमे्एयर मॉनरशस ऑनफस की खूबसूरत नबब्लडंर के सामने खिा करके खाना िेने चिा रया. बाजार मे्भी कुछ यूरोनपयन स्राइि की बहुमनं जिा इमारते्थी्. नजनके स्थापत्य मे्िेच ् स्पश्टअनधक था, िेनकन 44 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुइस: प््कृगत मे् बसी हुई आधुगनकता वहां से हम ग्ड्ै बे बीच आये. बीच पर दूरखूबसूरत रंरो्का प्य् ोर था. बेहद साफ़-सुथरी, दूर तक कासु आनदना के पेि झूम रहे थे. सुई जैसी हरी भरी सिके.् जमादार नारंरी ड्स ्े मे्थे. जहां पन््तयो् वािे पाइन की शक्ि के वृक.् सामने हमारी बस खिी थी, वह अंगज ्े ो्के समय कुिी नफरोजी रंर का खूबसूरत नहंद महासारर धूप मे् रार कहिाता था. वहां एक सीढी समुद्से िरी नवनभन्न छराएं नबखेर रहा था. वहां से हम सुपर यू हुई बनी है. दो नवंबर 1835 को भारत से पहिा माक्र्े आये. इतना नवशाि शॉनपंर कॉम्पि ् के स ् नररनमनरया इस सीढी से चढकर मॉनरशस आया पहिी बार देखा. दुननया भर की चीजे्यहां नबकती था. उससे कहा रया था नक तुम वहां चिकर है,् िेनकन अजीब बात ये है नक चीजे् खरीदकर पत्थर उिरोरे और सोना नमिेरा. िेनकन उसे खुद ही पैक करनी पिती है.् एकग्िास वक्कका नमिे कोिे, भूख, अपमान. वही् एक औरत की शोर्म देखा. इसकी फैकट् ्ी पोर्टिुईस मे्है. यह प्न्तमा है, जो पहिी भारतीय मनहिा मॉनरशस वक्कहाथ से होता है मशीनो्से नही्. िेनकन सब आयी थी ‘अंजारे कुपने ’ नाम की और नजसे कुिी कुछ बहुत खच््ीिा. रार पर उतरते ही िेच ् रोिी िरी थी. उसी जरह 19 अक्तब ू र उसकी प्न्तमा है. अब यह रार आप्व् ासी रार एक अजीबोररीब कहानी सुनायी कमिकांत कहिाता है. बुधकर जी ने. एक परी जैसी शक्ि की ििकी पर बॉरेननकि राड्नट मे्कोिकाता के उद््ान की चेतक नाम का ििका मोनहत हो रया. प्म्े याद ताजा हो रयी. वैसे ही सरन वृक,् बांस कुज ं , पाम, सुपारी, नानरयि आनद के वृक.् कुछ अजनबी एकतरफा था. चेतक के पीछा करने से तंर आकर वह परी नशिा बन रयी. मै्बस मे्बैठे हुए नखिकी वृक.् एक ऐसा पाम वृक्जो सौ साि मे्एक बार से पहाि की चोरी पर बनी उस नशिा को देख रही फूिता है. इस वृक्को नदखाने के राइड ने पचास हूं जो मंनदर के बुजट्सी नदखिाई पिती है. प्म्े के मॉनरशस र्पये प्न्त व्यब्कत मांर,े तो हम खुद ही इस हश््को देख मेरा मन बरसने िरा. चि पिे वृक् की खोज मे.् नफर आया वह नचर मॉनरशस पूणतट् या ज्वािामुखी के रभ्ट से प्त् ीन््कत सरोवर, नजसमे्बिी परात के आकार के ननकिा है. वह ज्वािामुखी 85 नकिोमीरर रहरा पत््ो्वािी कमनिनी िरी थी्. इन पत््ो्की चौिाई और कई नकिोमीरर चौिा अब एक रत्टके र्प 1.2 से 1.5 मीरर और वजन तीन नकिोग््ाम तक मे्नवद्म् ान है नजसके नकनारे खिे होकर झांको तो होता है.पत््ेपानी मे्ऐसे ब्सथर पिे थे जैसे भोजन रखने के निए थानियां सजी हो्. बीच-बीच मे् तूफ़ानी हवाएं झकझोर डािती है.् मैडारास्कर के सफेद रुिाबी कमनिनी के फूि बेहद मोरी पूवट् मे् और अि््ीका से 2000 नकिोमीरर दूर डंनडयां जो पारदश््ी जि से झांक रही थी्. इसे यहां दन््कण-पूवट्मे्ब्सथत है मॉनरशस की िम्बाई 1865 जॉइंर वॉरर नििी कहते है.् वर्ट नकिोमीरर है नजसका िरभर 330
द़़ीप
नकिोमीरर जरह तो समुद्ी तरो् ने रेर रखा है. मॉनरशस को ‘चांद की आंख से झरा और सारर की रोद मे्पिा मुकत् ामनण’ भी कहते है.् सन 1505 मे्एक पुतरट् ािी नानवक समुद्के रास््ेमॉनरशस के तर पर जब आया तो यहां की प््ाकृनतक समृन्द देख दंर रह रया. दूर-दूर तक न आदम न आदमजाद... िेनकन उपजाऊ, जमीन, खुशरवार मौसम, समुदत् र और स्वच्छ हवाएं, पय्ावट रण ने उसका मन मोह निया और उसने इस द््ीप को अपने राजा को नजराने के र्प मे्दे नदया. अि््ीका और भारत मे्पैदा होने वािे फि, फूि, पन््कयो् और मछनियो् का भंडार था यहां. इन खानसयतो्की वजह से यह द्ी्प पन््िमी देशो्को िुभाने िरा. पुतरट् ानियो्से हॉिैड् के डच िोरो् ने इसे छीना और 1598 से 1712 ईस्वी तक यहां राज नकया. 1715 से 1810 तक ि््ास ं ीसी इसके शासक रहे और नफर पेनरस संनध के अंतर्तट मॉनरशस 1814 से अंगज़ ्े ो्के अनधकार मे्आ रया. उस समय तक अंगज़ ्े ो्का नवश््के कई देशो्मे् शासन स्थानपत हो चुका था. भारत तो उसका रुिाम था ही. निहाज़ा सूखे की चपेर से रुज़र रहे नबहार के नकसानो्मज़दूरो्को सल्ज़बार नदखाकर मॉनरशस िाया रया. अधनंर,े नपचके पेर के नबहानरयो्ने, नजनके हाथ मे्बस रामचनरतमानस की रुरका भर थी, खािी नवब्समत आंखो् से मॉनरशस की धरती को ननहारा. अंगज़ ्े ो्ने उन्हे्नाम नदया नररनमनरया. कोिो्की मार, भूखे पेर सुबह से शाम तक जानवरो् की तरह काम करते इन नबहानरयो्की पब्तनयां-बहने्इनसे दूर दूसरी जरह
काम पर िराई्जाती थी तानक वे अंगज़ ्े ो्की हवस शांत कर सके.् चांद की आंख से झरे इस द््ीप मे् ऐसा जुलम् बरसो्चिा है और तब जाकर मॉनरशस सजा संवरा है. रारी मे्उतराई पर है. बादि पव्तट ो्से उतर आये है.् बादिो् से ढंका है तो बस मोताई िांर पव्तट ... ये सभी पव्तट , जंरि. मॉनरशस का कणकण रवाह है नक चीनी, मुसिमान आनद धम्ावट िंनबयो् के बावजूद यहां कभी भी धम्ट को िेकर दंर-े फसाद नही् हुए. नशवरान््त के नदन कांवनिये कंधो्पर कांवि रख रंरा तािाब जाते है् तो उनके ईसाई, मुसिमान नमत्् साथ-साथ चिते नदखते है.् दीपाविी, ईद, न््कसमस, रणेश चतुथ्ी, उरादी, चीननयो् का वसंत उत्सव यानी नया साि बिी धूमधाम से मनाये जाते है.् नहंदी प्च ् ानरणी सभा का भवन देख आंखे्चमक उठी्. प्व् श े द््ार पर ही मॉनरशस के नहंदी िेखको्राजेद् ् अर्ण, अजानमि माता-बदि, अनभमन्यु अनत, नचंतामनण, जनाद्नट , r राज हीरामन हेमराज, रेणक ु ा और हनरनारायणजी से मुिाकात हुई. याद नदिाने पर अनभमन्यु अनत को याद आया नक हम दोनो् भारती जी और कमिेशर् जी के संपादन काि मे्‘धम्यट रु ’ और ‘सानरका’ मे्काफी छपे है.् ‘िेनकन तब आप संतोष वम्ाट नाम से निखती थी्. जहां तक मुझे याद है, ‘धम्यट रु ’ मे् छपी आपकी कहानी ‘एक जोिी आंखो्के कैकर् स’ को उज्न्यनी शाखा पनरषघ् से पुरस्कतृ भी नकया रया.’ ‘जी... मेरे सानहत्य को आपने याद रखा... वरना तो िोर’ अनभमन्यज ु ी ने क्िासर्म की ओर इशारा नकया... ’चनिए, िंच तैयार है.’ 20 अक्तब ू र पोर्ट िुइस मे् पोताई प्िांर नामक जरह मे् िंिा तालाब: बीच मे् िंिा की प््गतमा
बनी यूननवन्सरट ी ऑफ़ मॉनरशस, हरे-भरे बांस के झुरमुर से नररा प्स ्े ीडेर् हाउस, नसिवर पेर् नकया उसका रेर, रमशोधन कारखाना, रन्ना पेराई जो बैिो्द््ारा की जाती है. इस सबके रुजरते हुए हम पहुच ं े है् नहंदू भवन. पता िरा, अब दो नवम्बर राष््ीय नदवस रोनषत कर नदया रया है. मैन् े मन ही मन अपने देश के उस पुरखे को प्ण ् ाम नकया जो 2 नवम्बर को पहिा नररनमनरया बनकर मॉनरशस आया था अपना सब कुछ भारत मे् छोिकर. यहां से हमे्कृषण ् ानंद आश्म् जाना था. हरे भरे बांस के झुरमुर को पारकर नशक््ा अनधकारी उमा बसरीत सािी ल्िाउज मे् भारतीय छनव नबखेरती हमे्केिाबेनसस ब्सथत कृषण ् ानंद आश्म् िे आयी है.् रास््ेमे्स्वामी कृषण ् ानंद की समानध देखी. समकािीन सानहत्य सम्मि े न का तीसरा अनधवेशन कृषण ् ानंद सेवा आश्म् मे्आयोनजत है. ह्म्ू न सन्वस ट ट्स् र् की ओर से हारमोननयम पर एक मॉनरशस बािा रीत रा रही है... ‘बाजे रे मुरनिया... हरे हरे बांसो्से बनी रे मुरनिया.’ देख रही हूं हैड् ीकेपड् , नररायड्टिोरो्, बच््ो् के ननरीह चेहरे. मेरे सामने थािी मे्है रोभी मरर की सल्जी, ककिी का रायता, फूिी-फूिी करारी पूनरयां और भी बहुत कुछ, पर खाया नही्जा रहा. क्या मै् इन असहाय, वक्त के हाथो् मारे रये व्यब्कतयो्का नहस्सा नही्खा रही? पानी अब भी बरस रहा है. कुछ ग्िास बोनरंर करना चाहते है,् कुछ नही्. मेरी बोर मे् अठारह िेखक है.् हमने िाइफ़ जैकरे पहन िी है. दूर-दूर तक बौखिाया नीिी िहरो् वािा सारर. कही् ओर-छोर नदखता नही्. काफ़ी अंदर समुद्मे्बोर झूिे जैसी नहचकोिे खा रही है.सभी की भयभीत नज़रे्िहरो्का आपस मे्जूझना देख रही है.् मेरी ननराहे्बोर के तिे बने ग्िास पर है.् तिहरी मे् कोरि, मूरं े की चट््ाने,् राइरर नफश, स्रार नफश, सीप, रंर-नबरंरी बेनाम छोरी-बिी मछनियां देखकर रोमांच हो आया. जैसे नेशनि जॉररनफक चैनि देख रहे हो्. समुद्मे्साइक्िोन था नजसकी चपेर मे् हमारी ग्िास बोर नकसी भी क्ण ् आ सकती थी. कुछ िोर नानवक से बार-बार कह रहे थे नक ‘वानपस चनिए, तूफ़ान आने ही वािा है.’ पर नानवक िेच ् था. उनकी भाषा समझ नही् पाया.उसे िरा नक वे उससे और आरे चिने कह रहे थे. वैसे पय्रट को् को इसी तरह के रोमांच मे् मजा आता है. वह दूर तक नौका िे रया. हवाएं तेज होती रयी्और नकनारे की ओर-छोर नदखाई देना बंद हो रया. हमने मान निया नक अब जो होना है हो... और आंखे्बंद कर िी्. जीवन के प्न्त मोह पहिी बार जारा. जैसे तैसे नौका नकनारे िरी तो जान मे्जान आयी. 21 अक्तब ू र हम दन््कण नदशा की सैर पर है्और प्क ् नृ त के सन्नारे को सुन पा रहे है.् बायी् ओर समुद् है, दानहनी ओर मकान, बाग़-बरीचे. राड्टपॉइंर मे्दो शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 45
यायावरी
नवशाि तोपो्के नमूने रखे है.् कािे और रेरआ ् रंरो्से पुते हुए. यहां से िेच ् सैननक नवशाि सारर मे् दुकम् न को वॉच करते थे. जब अंगज ्े ो् और ि््ास ं ीनसयो्की ििाई हुई तो ि््ास ं ीनसयो्ने नबना हारे यह द््ीप अंगज ्े ो्को इसनिए सौ्प नदया नक यहां की धरती पर वे रन्ना नही्उरा सकते थे. यह बात अरपरी सी िरी. रन्ने की उपज को बहाना बनाकर ि््ासं ीनसयो्ने अंगज ्े ो्की ताकत को शायद परख निया हो और अपने ननद््ोष सैननको्का खून बहाने से बचा निया हो. बेहद खूबसूरत द््ीप, जो सारर पर तैरता सा िर रहा है. द््ीप पर िाइर हाउस है. शायद भरके हुए जहाजो्को रास््ा नदखाने के निए बनाया रया हो. सिक के नकनारे बोड्ट िरा था- बदजामोरे रांव. बादाम के दरख्तो्की बहुतायत थी वहां. एक बात तय पायी नक यहां नजस इिाके मे्नजस चीज की पैदावार अनधक है, उस इिाके का वही नाम भी है. बदजामोरे बादाम का न््कयोि नाम है. सुबह के वक्त यहां सैिाननयो्की भीि रहती है. सिक से समुद् के ऊपर आरे तक िकिी की रेनिंर वािा रास््ा बना है जहां खिे होकर सूयट् उदय देखा जा सकता है. बादाम के दरख्तो्की छाया मे् कुछ ग््ामीण बैठे थे. पूछने पर उन्हो्ने भोजपुरी भाषा मे्पहिे हमारे बारे मे्ही पूछ डािा, भारत मे् हम कौन से प्द् श े मे्रहते है,् क्या हम बनियाइिाहाबाद रये है.्.. क्या अब भी वह वैसा ही नदखता है?’ माहेबू मे्नेशनि नहस्ट्ी म्यनू जयम देख रही हू.ं अंगज ्े ो्का जुलम् हर तस्वीर से झिक रहा है. डोिी पर बैठे अंगज ्े को ढोते भारतीयो्को काम खत्म हो जाने पर समुद् मे् िे जाकर डुबो नदया जाता था. नफर देखी बट्ड ्े ि््ानं सस की तस्वीर, जहाज का नमूना, बिा पिंर, पािकी, नसके,् हनथयार, मरीन िाइफ को सुरक््ा प्द् ान करने वािा तांबे का और िकिी का ढांचा, एडनमरि िॉड्टनेलस ् न, भारतीय दुरसे व् ामी वंडये ार, डबि डेकर ट्न्े का मॉडि, ढेर सारा इनतहास एक छोरे से द््ीप का नजस द््ीप की खूबसूरती बनाये रखने मे् 46 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
कई रंिो् की गमट््ी: ज्वालमुखी की देन मेरे देश के पूवज ट् ो्का बहा पसीना और िहू. जॉन्डनि रेिकेयर मे्नररीनररी पब्लिक बीच है. सौ्दय्टका अकूत खज़ाना है, जैसे सफेद रेत का तर, काफी नीचे समुद,् ऊंचाई पर हम. ऊंचाई चट््ानो् के पहािो् की. बीचो्बीच एक सीमेर् की नीिी सफेद छतरी, नीचे सारर, राढा नीिा, दूर राढा िौकी रंर, बिी-बिी झारदार सफेद िहरे.् नवशाि नीिी िहर उठती और झारदार सफेद र्प धारण कर चट््ानो्से रकराती और पानी की ऊंची बौछार छोि चिी जाती. सारर के इस भव्य र्प से मै्चनकत थी. अब कानफ़िा पूवट्नदशा की ओर बढा रहा है. चैनमन रांव, पाइन वृक्ो्के जंरि से नररा बीच, रन्ने का ढिवां खेत. चढाई आरंभ. रुमावदार पहािी रास््ा. धीरे-धीरे ठंड िरी. हम बिूदाकप से रुज़र रहे है.् सामने फैकट् ्ी है जहां कोरि को क्श ् करके सीमेर् मे् नमिाने का काम होता है. नसल्वर पेर् के िोहे के फारको् से नररी वैिी. शायद अंगज ्े ो्का रुिसवारी करने का मैदान होरा. और अब सफेद फूिो्वािे कॉफी के बग़्ीचे. अंदर है हज़ारो् फुर रहरी रारी मे् नररते तीन झरने... वैिी का नाम है ल्िक ै नरवर रारी. उसके आरे समारेि की सतरंरी नमट््ी. नकसी समय वहां ज्वािामुखी फरा था और उसका िावा जमकर सात रंर की नमट््ी बन रया है. नवशाि क्त्े ्को रेरे इस िावे के रंर-नबरंरे ढूह सचमुच प्क ् नृ त की अद्त् कारीररी को सोच चनकत कर देते है.्रंरो्के ऐसे शेरस ् जैसे नकसी नचत्क ् ार ने उन्हे्किात्मक तरीके से प्क ् नृ त के कैनवास पर उकेरा हो. रंरा तािाब नजसे परी तािाब भी कहते है,् की ओर जाते हुए ठंडक काफी बढ रयी. अचानक धुध ं छा रयी और बादि बस मे् रुसाने िरे. रंरा तािाब ज्वािामुखी के फरने से प्क ् र हुआ है. इसे रेरता नवशाि सीमेर् का चबूतरा है नजस पर िरभर पांच मीरर ऊंची रंरा प्न्तमा है. नंदी है नजसके सी्रो् मे् हाथ का न््तकोण बनाकर देखने से अंदर का नशवनिंर नदखता है. नशव अपने पूरे पनरवार समेत नबराजे है्
वहां. रंरा तािाब मे्मॉनरशस के नहंदओ ु ्ने भारत से रंराजि िाकर नछिका है और नशवरान््त के नदन यहां से जि िे जाकर नशव का अनभषेक करते है.् 23 अक्तब ू र मॉनरशस मे्हमारा आज अंनतम नदन है. इस अंनतम नदन मे्नकतना कुछ देख िेना चाहते है्हम. इस दौि की पहिी किी है ट््ऑक्स सफ़्स ्क . डेड ज्वािामुखी जो पन््िमी भार मे्85 मीरर रहरा है. इतना भयावह रोि रेरा, रेरे के चारो् ओर रेनिंर जहां से देख रही हूं िावे का दिदि, रेरे मे् उरे पेि और आसपास से नदखता क्यनू पप शहर का खूबसूरत नज़ारा. िरूना नरसॉर्टसे यहां पहुच ं ते हुए पेिये ा, ओनिनवया (यहां जैतनू के पेि है)् बाजू मे् िेच ् नसनमट््ी बहुतायत मे् कब्,्े उन पर रिी सूिी, सेवास््पुि, मोताईल्िांस नसरी, मेिराज रांव की रामदेवी का मंनदर, श््ीमती इंनदरा रांधी हाईस्कि ू , उसके सामने नडस्न्टक्र कौ्नसि, कैिाशनाथ मंनदर आनद देखते हुए मॉनरशस की भव्यता का पनरचय नमिा था. नीिकंठ ने मुझे नवशाि ओपन माक्र्े से वनीिा चाय खरीदवा दी. मोका पव्तट मािा से नररे मोका नामक जरह पर बने महात्मा रांधी संसथ् ान मे्महात्मा रांधी की कािे माब्ि ट की प्न्तमा देख रदरद हूं मै.् प्न्तमा से उतरती ढिान की दूब पर िाि क््ोरन से ‘हे राम’ निखा है. बाजू मे्बने हरे रंर के स्थापत्य पर नहन्दी वण्मट ािा के उभरे अक्र् है.् हम नहंदी नवभार के भाषा प्म् ख ु चेट्ी और नहन्दी नवभाराध्यक््रब्कम रामधनी से नमिते है.् अंररू के रस और कॉफी की चुबस् कयां िेते हुए आत्मीयता बढती है. हैड ऑफ़ नद नडपार्मट रे् सुदं रम हमे् िाइब्र्े ी िे जाते है्जहां हर भाषा की नकताबे्है.् नफर म्यनू ज़यम जहां भारतीयो् का मॉनरशस आने का ल्यौरा. एक रनजस्रर मे्नाम पते सनहत दज्टहै. पहिा नररनमनरया कब आया? पहिी खेप मे् नकतने भारतीय रुिाम आये. उनके उपयोर मे् िाये बत्नट -कपिे सुरन््कत रखे है.् नवनभन्न झानकयो् द््ारा उनका दद्टभरा इनतहास दश्ायट ा रया है. एक बिे से पत्थर पर निखा है, ‘मै्पहिा नररनमनरया हूं जो जहाज से इस द््ीप मे्िाया रया.’ मॉनरशस से नवदाई के चंद रंरे और है.् िेनकन ढेरो् यादे.् नवदा िे रहे है् नरसेपश ् न के कम्च ट ारी, होरि नकचन के वेरर. हेड वेरर ने मुझे ढेर सारी िौ्र, इिायची और जैतनू का अचार भेर् मे्नदया है. इससे भी बढकर नवदाई दी है एयरपोर्टके उस सफेद शर्,ट नीिी राई और नीिे पैर् वािे कम्च ट ारी ने. मै् मॉनरशस की करेस ् ी को डॉिर मे् कन्वर्ट कराना भूि रयी थी. उस कम्च ट ारी ने मदद की. मेरा पासपोर्टऔर करेस ् ी िेकर दौिता हुआ रया और िौरकर डॉिर हाथ मे् थमाये.’ आप तो श््ीवास्व् है.् अनमताभ बच्न् की कास्र की... आपको जयनहंद... भारत को जयनहंद’. n (िेनखका नहंदी की कहानीकार है.्)
खानपान अरंण कुमार ‘पानीबाबा’ (पानी बाबा नही्रहे. पानी बाबा अमर रहे्. समाज के निए जीने वािा िेखक और काय्टकत्ाट कभी मरता नही्. अर्ण कुमार पानीबाबा ने मौसम के अनूकूि बनने वािे भारतीय व्यंजनो्पर निखकर स्वाद और सेहत संबंधी समाज की समझ को नजंदा रखा है. उनके कािम को बंद करना संवाद के अनवरि प््वाह को बंद करना है. इसनिए शुक्वार के सुधी पाठक बाबा की रसोई मे्नकनसम-नकनसम के स्वाद आरे भी पाते रहे्रे.)
बरसात में रोट-तीज
िहरयारा-राजस्रान का जैन समाज अपनी-अपनी प््रा के अनुसार ‘रोट तीज’ मनाता िै.
भो
ज, व्यंजन की नवनधयां इस संवाद का आवक्यक अंर है, मात्् हेतु या उद््ेक्य नही्. इसनिए दाना मेथी की सल्जी और रोर तीज के उत्सव पर अजवायन की रोरी से पहिे थोि्ी चच्ाट संवाद के हेतु पर. केवि रुजरात, राजस्थान नही्, समूचे भारत मे् वनवासी, ग््ामीण समाज सूखे रोबर, नतनके के ई्धन से नमट््ी, िोहे के बत्टन मे् पका कर खाते है-् यह नपछि्पे न का िक्ण ् नही्है. जयपुर के शाही व अमीर पनरवारो् मे् बेझि् की रोरी नमट््ी के तवे पर ही बनती है. स्रीि, सफेद मेरि या अल्मुननयम नजसके कुकर वरैरह बनते है्, उसमे् पका भोजन बच््ो् को परोसना अपराध है, रीबी, का मूि कारक है. पीति की परात नही् जुरा सकते तो कोई हज्ट नही्, नमट््ी की परात मे् आरा रूंध िीनजए, कृपया अल्मुननयम की परात मे्आरा मत साननए. यह सहज ही कहा जा रहा है नक सारी दुननया मे्महंराई है, हम दुननया का नहस्सा है्, इसनिए साधारण जनता को नवकास के निए नपसना होरा. इससे बि्ी कुनीनत नही्. एक पखवाि्े से िौकी/नरया नाम की सल्जी पचीस-तीस र्पये नकिो नबक रही है. यह नसफ्क इसनिए हो रहा है नक देशी-नवदेशी बि्ेव्यापारी का सल्जी बाजार मे् दखि हो रया है, नकसान के नहत के निए नही्. इस संवाद मे् तो इतना ही सुझा रहे है् नक भारी बरसात के बाद जब सल्जी महंरी हो जाये् तो क्या उपाय करना चानहए. एक नुस्खा अंकुनरत मेथी दाने की सल्जी का है. बनाने से दो-तीन नदन पहिे चार-पांच सदस्यो् के पनरवार के निए एक छोरी करोरी (50-75 ग््ाम) मेथी नभरो दीनजये. पनरवार मे्नजस बुजुर्टके रुरने दद्ट करते हो् उसे अरिी सुबह मेथी का पानी नपिा दीनजए और मेथी को रीिे कपि्े मे् बांध कर िरका दीनजए. बीच-बीच मे् उस पर नछि्काव करते रहे्. तीसरी चौथी सुबह तक जीरे-अजवायन मे् छौ्क िे्. साबुत बीज झि्ी नमच्ट, साबुत अमचूर, कुरानपसा सौ्फ, धननया स्वाद के अनुसार. महीने मे्चार-पांच बार इसका उपभोर करे्रे तो पूरे पनरवार को िाभ होरा. अंकुनरत दािो् के नुस्खे बहुतायत मे् है्. चार-पांच पनरवार नमिकर साबुत दािे्थोक मे्खरीद सकते है्, और अंकुरण के बाद उपयोर करे्. ई्धन की बचत होरी, प््ोरीन का अभाव कम होने िरेरा.
श््ावण पूनण ् मट ा-रक््ाबंधन से फाल्रनु पूनण ् मट ा (होिी) तक त्योहारो्का नसिनसिा अनवरत है. बाजार की नमठाई से जहां तक संभव हो बचने का प््यास करे्. नफिहाि जन्माष््मी के व्यंजनो्से काम चिाये्. मिेनरया और डे्रू के समाचार रंभीर नचंता के नवषय है्. भादो के महीने मे्हनरयाणा-राजस्थान का नवनभन्न जैन समाज ( नदरम्बर-श््ेताम्बर-मून्तट पूजक, श््ेताम्बर अणुव्ती) अपनी-अपनी प््था के अनुसार ‘रोर तीज’ मनाता है. हमे्ऐसा सूझ रहा है नक ‘रोर तीज’ का नवशेष महत्व बरसाती बीमानरयो्के ननराकरण का उपाय है. रोज तीज नाम से ही स्पष्् है नक उत्सव का अकेिा व्यंजन एक नवनशष््रोर यानन भरपूर अजवायन डािकर हाथ नपसे मोरे आरे की एक से्रीमीरर मोरी रोरी. पूरे पनरवार के निए एक सेर/नकिो आरा रूंधे्तो दो सौ ग््ाम अजवायन और स्वाद के नहसाब से से्धा नमक नमिाकर, सौ ग््ाम नति का तेि या शुद्री का मोयन डाि िे्. आरा काफी देर तक नभरो कर मुिायम रूंधे्रे, मोरी रोरी नमट््ी के तवे पर देर तक से्कने के बाद कच््े कोयिे की आंच पर खस््ा होने तक उिरते-पिरते रहे्रे. रम्ट-रम्ट परोसेर् .े एक रोरी छरांक भर री (राय का प््योर करे्) मे्चूरकर बूरा और नमक जीरे के दही के साथ खाये्रे. असंभव न हो तो तोरी का रायता बना िे्- यानी तोरी उबाि कर दही मे् डाि िे्. बेिने के बाद रोरी के नकनारे माठ की तरह हाथ से बांधने होते है्. हाथ की चक््ी से अपनरनचत है् तो चक््ी वािे के यहां से बेि्मी का आरा या दनिए का पीसन िे िे.् इस नुसख ् े मे् मोरा आरा, उनचत मात््ा मे्अजवायन और पय्ाटप्त नसंकाई तीन ही सूत् है्. और यह प्य् ास तो सबको नमि कर करना होरा नक देश पुन: रोसेवा, रौरस, रौरृत की नदशा मे्अग््सर हो. स्मरण करा दे्कोकाकोिा की बीमारी से नसफ्कअपने बच््ो्को ही नही् बचाना, अमेनरकी नौननहाि की उज््वि भनवष्य की कामना भी हमारा कत्टव्य है. मिेनरया-डे्रू से बचने के निए तुिसी की चाय का ननयनमत सेवन n अवक्य करे्. शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 47
मास़ कि़टल़महेड
राकेश ओमप््काश मेहरा: लोककथा की आधुगनकता
नये दौर िंे तिर्ाष और सातहबां हखर मृिल ु
जा
ने-माने नफल्म ननद्श ्े क राकेश ओमप्क ् ाश मेहरा ने नमज्ाट सानहबां की अमर प्म्े कथा को अपनी नयी नफल्म ‘नमन्जयट ा’ का नवषय बनाया है. ‘अक्स’, ‘रंर दे बसंती’ और ‘नदल्िी 6’ जैसी नफल्मे्दे चुके राकेश की सबसे बि्ी चुनौती यह थी नक वे इस िोक कथा को एक नये नशल्प मे्कैसे ढािे.् नमन्जयट ा को नवोनदत किाकर हष्वट ध्नट कपूर की ग्ड्ै डेलय् ू माना जा रहा है. इसके साथ ही सैयय् ामी खेर भी अपने कनरयर की शुरआ ् त करेर् ी. नमन्जयट ा का नया पोस्रर आया है नजसमे् हष्वट ध्नट और सैयय् ामी प्यार मे्डूबे जोि्ेकी तरह पेश नकए रए है.् पोस्रर मे्हष्वट ध्नट , एक रंरीन पोशक पहने हुए, सैयय् ामी से रोमांस करते नज़्र आ रहे है.् पोस्रर के बैकग््ाउंड मे्तीर है, जो युद् के दौरान दोनो्की प्म्े कहानी को बताने के निए काफी है. 48 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
नफल्म एनपक िव स्रोरी है नजसमे्नमन्जयट ा सानहबां ं अपने प्म्े को पाने के निए सब कुछ दांव पर िरा देते है.् नफल्म के मुखय् नकरदार को ननभाने के निए अननि कपूर के बेरे हष्वट ध्नट कपूर ने काफी मेहनत की है. साथ ही सैयय् ामी ने ‘गमग्जटया’ का एक दृश्य: भव्य छायांकन
भी अपने डेलय् ू को बेसर् बनाने के निए एि्ी चोरी का दम िरा नदया है. आने वािे नदनो्मे्यह जोि्ी बॉिीवुड के निए मीि का पत्थर सानबत हो सकती है. आपने ‘शमज्ाि साशहबां’ जैसी लोक प्म ्े कथा को शफल्म के शलए चुना है. इस कथा मे् आपको क्या संभावनाए शदिाई दी्? हमारे अवचेतन मे् बहुत सारी चीजे् मौजूद रहती है.् ये चीजे् बचपन या युवावस्था की हो सकती है्या नफर यह कोई नदि को छू िेनवे ािी सुनी-सुनाई ररना भी हो सकती है. जब मै्कॉिेज मे्था, तब मैन् े पंजाब यूननवन्सरट ी की ओर से खेिा रया एक नारक देखा था. यह नारक नमज्ाट और सानहबां की प्म्े कहानी पर आधानरत था. नारक खत्म होने के बाद ननद्श ्े क ने सभी दश्क ट ो् से सवाि नकया था नक आनखर सानहबां ने नमज्ाट के तीर क्यो्तोि्?े नजसे वह नदिोजान से चाहती थी, उसे ही धोखा क्यो् नदया? तब हर नकसी ने इस सवाि का अपनी तरह से जवाब नदया था, परंतु यह सवाि मेरे जेहन मे्बचा रह रया. कह सकते है्नक इसी सवाि ने मुझ से ‘नमन्जयट ा’ बनवायी. आपकी शफल्म का आधार यही नाटक है? नमज्ाट और सानहबां की कथा तो कई तरह से
राकेश ओमप््काश मेिरा ने हमज्ाष और साहिबां की अमर प््ेम करा को नयी हफल्म ‘हमह्जषया’ का हवरय बनाया िै. उनके सामने सबसे बड्ी चुनौती री हक वे इस लोक करा को नये हशल्प मे्कैसे ढाले्. कही रयी है. पंजाब मे्अिर है, पानकस््ान मे् अिर है और बिूनचस््ान मे्इसका स्वर्प थोि्ा नभन्न है. बाद मे्भी तमाम िेखको्ने इसे अपनी तरह से प्स ् त्ु नकया है. बीनसयो् नारक और उपन्यास निखे रये है.् जब मुझे इस िोक कथा ने
बेचनै कर नदया, तो इसका मम्टरहरायी से जानने के निए मैन् े कई नकताबे्खंरािी्. नफर एक नदन चाय पीने रुिजार साहब के यहां चिा रया और उनसे सवाि नकया नक सानहबां ने नमज्ाट के तीर क्यो् तोि् नदये थे? उन्हो्ने मुसक ् राते हुए जवाब नदया नक यह सवाि तो सानहबां से पूछो. मैन् े कहा नक सानहबां नमि ही नही्रही है. तब उन्हो्ने कहा नक चिो नमि कर खोजते है् और उससे जवाब मांरते है.् इस तरह रुिजार साहब भी मेरी इस यात््ा मे्शानमि हो रये. कहानी के जशरये आप क्या कहना चाहते है?् प्यार को िेकर हर नकसी का अपना सोच होता है. िेनकन बहुत सारे सवाि सनातन है.् जैसे नक हम प्यार मे्क्यो्पि्ते है?् हमे्प्यार क्यो्होता है? प्यार से ननकिने की भी कोनशश क्यो् होती है? अधूरे प्यार मे्आर क्यो्होती है? प्यार नमिने पर कम क्यो् हो जाता है? हम उन्ही् को सबसे ज्यादा तकिीफ क्यो् देते है,् नजसे सबसे ज्यादा प्यार करते है?् सबसे अहम सवाि यह नक सैकि्ो् वष््ो्से मौजूद ये कथाये्दुखांत क्यो्है?् मुझे सबसे ज्यादा ट्न्ैजक अंत ने झकझोरा है. एक सवाि और मन मे्उठता है नक क्या अपने ट्न्ैजक अंत की वजह से ही ये कहाननयां सैकि्ो्वष््ो्से बची रह रयी्? कह सकते है्नक ‘नमन्जयट ा’ के ननम्ाण ट मे् इन सवािो्का हाथ है. लेशकन ‘शमश्जय ि ा’ मे् आज के शमज्ाि और साशहबां भी है?् हां, मै्परंपरारत प्म्े कथा को जस की तस नही्नदखाना चाहता था. मैन् े इस बारे मे्रुिजार साहब से िंबी बात की और कहा नक इसे आज की कहानी होना चानहये. उन्हो्ने भी सहमनत प्द् ान की. इस तरह एक नये अंदाज मे् कहानी कहने का ननण्यट िे निया रया. ‘नमन्जयट ा’ मे् यह कहानी सनदयो्से रूज ं ती हुई प्त् ीत होरी, िेनकन इसे आज के पनरप्क्े य् मे्प्स ् त्ु नकया रया है. तो ‘शमश्जय ि ा’ मे् शमज्ाि और साशहबां का आधुशनक संसक ् रण है? हां, यह नफल्म िोक कथा से शुर् होती है और वत्मट ान तक पहुच ं ती है. सानहबां सुनचत््ा की शक्ि िे िेती है और नमज्ाट को आनदि नमज्ाट के
स्वर्प मे्देखते है.् नफल्म मे्एक नैररे र है, एक कहानी है और इस कहानी के बाहर एक और कहानी है. जहां दोनो् कहाननयां क््ॉस करती है,् वहां स्पाक्कआता है. दोनो्साथ चिती है.् अंत मे् एक हो जाती है.् रुिजार साहब ने परकथा निखी है. वह शल्दो्और इमोशन के साथ खूब खेिे है.् सौभाग्य है नक मुझे रुिजार साहब की निखी न्सक्प्र् को ननद्न्ेशत करने का मौका नमिा है. गुलजार ने तो आपकी पहली शफल्म ‘अक्स’ मे् भी गाने शलिे थे? जब मै् 23 साि का था, तब पहिी बार रुिजार साहब से नमिा था. मैन् े उस िडक़पन मे् उनसे पूछा था नक क्या उन्हो्ने ‘देवदास’ पढ्ी है? तब मैन् े उन्हे्‘देवदास’ पर निखी अपनी कहानी सुनाई थी और उस पर नफल्म बनाने की रुजानरश
हुआ. वे एकदम सरीक िरे. और उन्हे्साइन कर निया रया. नये कलाकारो् का चयन व्यावसाशयक दृश्ि से जोशिम भरा नही् लगा? सच कहू,ं तो प््ोड्स ्ू र खोजने मे्मुझे नानी याद आ रयी. िेनकन मुझे न्सक्प्र् पर भरोसा था. इसी वजह से नये किाकारो्को िीड रोि देने के निए एक नजद पकि्िी थी. शफल्मांकन के शलए ट्श्े नंग का एक लंबा दौर भी चला होगा? ननन््ित र्प से आज के दौर मे्रोिी चिाना एकदम आसान है, िेनकन तीर चिाना बहुत कनठन है. नमज्ाट तो रोि्े की िराम छोडक़र अचूक ननशाना िराता था. सानहबां भी बहुत बहादुर थी. उसे भी रुिस ् वारी आती थी. इसीनिए
‘गमग्जटया’ का पोम्रर: हर्टवध्टन कपूर और सैय्यामी खेर की नयी जोड्ी
की थी. इस ररना के 20 साि बाद मैन् े नफल्म ‘अक्स’ के निए उनसे राने निखवाये. अब 33 साि बाद नफर से उनसे जुि्ा हू.ं रुिजार साहब की रचनात्मकता के बारे मे्कुछ कहने की सामथ्यट् मुझ मे्नही्है. वे अन््दतीय है.् वे मेरे निए बहुत बि्ी प्र्े णा है्और उनसे मेरा यही नरक्ता भी है. कलाकारो् का चयन कैसे शकया? मै् कभी भी किाकारो् को ध्यान मे् रखकर कोई नफल्म नही्निखता हू.ं पहिे स्न्कप्र तैयार करता हू,ं इसके बाद ही किाकारो्का चयन होता है। ‘नमन्जयट ा’ मे्भी मैन् े ऐसा ही नकया। पहिे मै् ऋनतक रोशन और सोनम कपूर को नमज्ाट और सानहबां के र्प मे्देख रहा था, िेनकन स्न्कप्र की नडमांड ये दोनो् किाकार नही् थे. मै् बार-बार स्न्कप्र पढ्रहा था और आंखे्बंद करने के बाद नकसी भी नामी एक्रर या एक्टस ्े का चेहरा सामने नही्आ रहा था. बस, तभी मैन् े ननण्यट िे निया इस नफल्म मे्नये किाकारो्की जर्रत है. इसके बाद ही चयन प्न््कया शुर्हो रयी. सैकि्ो्किाकारो् के साथ हष्वट ध्नट कपूर और सैयय् ामी खेर का भी िुक रेसर् नकया रया. ऑडीशन और स्क्ीन रेसर्
नफल्म के सारे ही किाकारो्को जबद्स ट ्ट्न्ेनंर से रुजरना पि्ा. मै्शूनरंर के अिावा 18 महीने इन किाकारो्के साथ रहा. कभी नदल्िी मे्ट्न्ेनंर दी, तो कभी राजस्थान मे.् नदल्िी मे् आनदि और नदिीप शंकर ने अदाकारी के रुर नसखाये. दन््कणअि््ीका से मेरी एक दोस््रीना आयी्, जो नक न्ययू ॉक्कमे्नथएरर वक्श क ॉप करती है.् उसने भी नसखाया. शफल्म की िूशटंग कहां-कहां की गयी और िूशटंग के दौरान शकस तरह के अनुभवो् से गुजरना पड्ा? नमज्ाट और सानहबां का बचपन वािा नहस्सा जोधपुर मे्नफल्माया रया है. थोि्ी शूनरंर उदयपुर मे् भी हुई है. इसके बाद जैसिमेर से 90 नकिोमीरर दूर तनोर मे्शूनरंर हुई. यह नहंदस ु ्ान और पानकस््ान का बॉड्रट है. इसके बाद हम मंडावा रये. िद््ाख मे्िोक कथा वािे नहस्से को नफल्माया रया. हमने नसफ्क83 नदन मे्शूनरंर पूरी कर िी थी. पूरी नफल्म नसंक साउंड मे्है, इसनिए समझा जा सकता है नक नकतनी कनठन शूनरंर रही होरी. n शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016 49
अंितम पन्ना मेधा पाटकर
िीन दशक तनिाड्
पिाड्ी आहदवाहसयो्ने िमे तो बिुत हसखाया िी, खुद की और अगली पीढ्ी की हशि््ा की नी्व िाल दी.
न
म्टदा की रारी मे्पहाि्से ननमाि्तक संरष्टको अब 31 साि पूरे हो रहे है्. पहाि्ी आनदवानसयो् ने हमे तो बहुत नसखाया ही, पर साथ-साथ खुद की और अरिी पीढ्ी की नशक््ा की नी्व डाि दी. इस पूरी प््न्कया मे् प््ाकृनतक संसाधनो् पर अनधकार, संसाधन के ननरंतर उपयोर से िेकर सादरी की जीवन-प््णािी तक क्या नही्सीखा हमने? हम उनके संसाधनो् पर ननभ्टरता को न जांचते, न उसकी अमूल्यता परखते है् जब शासनकत्ाट नदी और रारी पर आक््मण या अनतक््मण करते है्, तब रांव की ईकाई और एका ही आधार बनता है. आनदवासी क््ेत्मे्यह अनधक आसान होता है, बस चट््ान और पहाि्चिकर और चढ्कर जाने की नहम्मत होनी चानहए. मध्य प््देश के ननमाि् के क््ेत् मे् दिीय राजनीनत से उपर उठकर रांवो् का संरष्ट जानत-पांनत तोि्कर आरे बढ्ाना पि्ा. उसके निए हर मोि् पर अंदर झांककर देखनेवािे कुछ नकसान, नदी के साथ अनोखा नरक्ता रखनेवािे मुछआरे, भरसक मेहनत करनेवािे कुम्हारो् के साथ ररीब से ररीब पनरवारो् से भी ऐसे शख्स नमिे नजन्हो्ने पैसे के िािच को नधक््ारा और यह स्वीकार नकया नक हमे् मानेसरी (नम्टदा) बचानी होरी सुख-समृन्द देखे नकसानो् ने पहाि् का रास््ा पकि्ा और एक नही्, कई बरसाते् ननकािी्. भर वष्ाट काि मे् पानी से रकराते सत्याग््ही खि्ेरहे. तब नकसी को फक्कसमझाना नामुमनकन था. आनदवासी बोिी मे् बूढे राण्या भाई, बाबा भाई ने अपना वक्तव्य नदखाया तो उनकी राजनीनतक सोच-समझ, नवकास पर नरप्प्णी आनद से कई प््कार से प््भानवत हुए बुन्दजीवी भी. नपंजारी बाई को नदल्िी की सभा मे् प््भाष जोशी जी ने उत्कृष् वक्ता रोनषत नकया था. एक पीढ्ी ननकि रयी तो अब दूसरी पीढ्ी खि्ी हो रही है, अपनी सोच नवकनसत करने मे् उन्हे् अभ्यास क््म काम नही् आ रहा िेनकन आंवार होता है आंदोिन. उन्हे्बाजारवाद से दूर रखना पहिे से अनधक दुष्कर चुनौती है जर्र. अनहंसक संरष्ट मे् सबसे अहम शब्कत होती है जीवरता. उसी के 50 शुक्वार | 16 से 31 अरस््2016
निए मनहिाएं अनधक मजबूत और तैयार होती है. चाहे दीर्ट यात्ा्एं हो या उपवास, मंनजि तक पहुंचने की उनकी नजद ही कामयाबी िाती है. उन्हे् ‘अवकाश’ देने के निए पुर्षो् की दादानररी तोि्ने मे् कभी असफिता हाथ िरी, िेनकन 31 सािो्मे्, आज तक उन्हो्ने ही संरष्ट और ननम्ाटण को भी बि नदया. ग््ामीण और शहरी स्थानीय वैन्शक नवश्् बै्क को चुनौती, अमेनरका की संसद मे्संसदीय सनमनत के सामने प््स्ुनत और सन 2007 से हर न्यायािय मे्अपने अनधकारो्पर बहस की चुनौती महत्वपूण्टरही और परीक््ा मे्बांध, नहरे्, भ््ष्ाचार, अत्याचार, अन्याय, आनदवानसयो् के अनधकार तक कई मुद्ो्पर मोच््ो्और हमने शासन को, पूंजीननवेशको् को ििकारा और हर मोि्पर समाज की संवेदना को पुकारा. देश और दुननया मे् नमिे कई सहयोरी. कुछ भूतपूव्ट न्यायाधीश, कुछ प््शासक और बुन्दजीवी और संरष्टकत्ाट. वैसे ही िेखक-पत््कार भी. इन्हे् जोि्कर रखने मे् कई बार हम कम पि्े, तो कई बार आनखर तक साथ देने की उनकी तैयारी सामने आयी. आज सोशि मीनडया की ताकत उभरी है. िेनकन हम ठहरे जन आंदोिनो् के मार्ट पर जाननेवािे. मीनडया मे् हमारी पहचान नही् है, तो क्या हम रैरसामानजक है? सत््ा और सत््ाधीशो्ने अब जब जनता को भुक्खि्जनता मानना शुर् नकया, संवाद तोि्ा और हर जन संरठन की शब्कत को तोि्ा है तो ‘हम भी कम नही्’ नदखाना जर्री है. बांध उपर उठा है, उठते जि के साथ हमारा नदि, हमारा नवश््ास नरर नही्सकता है. यही हमारी अपेक्ा है. हम वही्है, जहां थे नरर नही् सकता है, यही हमारी अपेक्ा है. हम वही् है, जहां थे. नम्टदा नकनारे. राजरार पर. यहां अंत्य संस्कार का रार है, िेनकन महात्मा रांधी की समानध भी है, नजस पर संदेश निखा है: हमारी संस्कृनत और सभ्य बढ्ते उपभोर पर नही्, जर्रतो्को मय्ाटनदत रखने पर ही ननभ्टर है्. वही होरा n सच््ा स्वराज. (लेशिका नम्िदा बचाओ आंदोलन की सूत्धार और मानवाशधकार काय्िकत्ाि है्.)