वर्ष 9 अंक 14 n 16-31 जुलाई 2016 n ~ 20
सुलगता-सससकता स्वग्ग
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वर्ष9 अंक 14 n 16 से 31 जुलाई 2016 स्वत्वािधकारी, मुद्क एवं प््काशक क््मता सिंह प््बंध िंपादक आशुतोष सिंह िंपादक अंबरीश कुमार िंपादकीय िलाहकार मंगलेश डबराल राजनीसतक िंपादक सववेक िक्िेना फोटो िंपादक पवन कुमार िंपादकीय िहयोगी
िसवता वम्ाा अंजना सिंह िुनीता शाही (लखनऊ) अिनल चौबे (रायपुर) पूजा ििंह (भोपाल) अिवनाश ििंह (िदल्ली) अिनल अंशुमन (रांची) कुमार प््तीक
कला
प््वीण अिभषेक
महाप््बंधक
एि के सिंह +91.8004903209 +91.9793677793 gm.shukrawaar@gmail.com
आवरण कथा
6 | स्वर्ग मे् ख्ून आर और आंसू
उग््वादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर बुरी तरह िुिग और सििक रहा है. इि तरह का आक््ोश पहिे बहुत कम देखा गया और उि पर काबू पाने के सिए सजि राजनीसतक दूरदस्शणता की जर्रत है वह कही्सदखाई नही्देती है.
18 | ितह िे उठती हुई कांग्ेि उत््र प््देश मे्अि््ेबाद कांग्ेि काय्णकत्ाणओ्मे्नयी ऊज्ाण का िंचार हुआ है. राज बल्बर के र्प मे्उिे एक िोकस््पय प््देश अध्यक््समिा है.
22 | िंघं शरणं गच्छासि
िबजनेि हेड
छत््ीिगढ्मे्आरएिएि की तरि िे छह सवश््सवद््ाियो्के कुिपसतयो् की बैठक सकये जाने के बाद िे प््देश मे् सशक््ा के भगवाकरर की बहि नये सिरे िे शुर्हो गयी है.
शरद कुमार शुक्ला +91. 9651882222
ब््ांिडंग
कॉमडेज कम्युिनकेशन प््ा़ िल़
प््िार प््बंधक
यती्द्कुमार ितवारी +91. 9984269611, 9425940024 yatendra.3984@gmail.com
सिज््ापन प््बंधक सजते्द्समश््
सिसध िलाहकार शुभांशु सिंह
shubhanshusingh@gmail.com
+91. 9971286429 सुयश मंजुल
िंपादकीय काय्ाालय
एमडी-10/503, िहारा ग््ेि, जानकीपुरम लखनऊ, उत््र प््देश-226021 टेलीफैक्ि : +91.522.2735504 ईमेल : shukrawaardelhi@gmail.com www.shukrawaar.com DELHIN/2008/24781 स्वत्वािधकारी, प्क ् ाशक और मुदक ् क्म् ता सिंह के सिए अमर उजािा पब्लिकेशि ं सिसमटेड, िी-21, 22, िेकट् र-59, नोएडा, उत्र् प्द् श े िे मुस्दत एवं दूिरी मंसजि, ल्ाी-146, हसरनगर आश्म् , नयी सदल्िी-110014 िे प्क ् ासशत. िंपादक : अंबरीश कुमार (पीआरल्ाी अिधसनयम के तहत िमाचारो्के चयन के ििए िजम्मेदार) िभी कानूनी िववादो्के ििए न्याय क््ेत्िदल्िी होगा.
26 | पूरब की िरहद पर आतंक 28 | कांग्ेि सहट भाजपा सित्् बांग्िादेश मे्हुए आतंकी हमिे के बाद आईएि का खतरा नये सिरे िे िर उठाता नजर आ रहा है. भारत भी उिके हमिो्की जद मे्है.
44 | उदासियो् का एक शहर इिाहाबाद एक िमय सहंदी िासहत्य का मक््ा हुआ करता था, सजिका एक प्त् ीक सिसवि िाइंि का कॉिी हाउि था.अब शहर की वह रौनक खत्म हो गयी है.
िव््ोच््अदाित के िैििे के बावजूद अर्राचि प्द् श े मे्कांगि ्े िरकार का जाना तय था, िेसकन प्द् श े कांगि ्े ने ऐिा िाम्ि णू ा तैयार सकया सक रातो्रात तस्वीर ही उिट-पुिट गयी.
48 | खेल-खेल िंे िंदेश आसमर खान की नयी सिल्म दंगि एक पहिवान के वास्स्वक जीवन पर आधासरत है और आसमर की िंदश े पूरण् सिल्मो्की श्र ्े ी मे् आती है. शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
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आपकी डाक
बसपा का दमख़म
धम़मबनाम आतंक
शुक्वार 1-15 जुिाई के अंक का िंपादकीय आतंकवाद की नयी चुनौती की ओर हमारा ध्यान आकस्षणत करता है जो एकदम हमारे िर पर मंडरा रही है. ढाका मे्हुए आतंकी हमिे ने यह िाि कर सदया है सक आईएिआईएि जैिे खतरनाक िंगठन हमारे देश के आिपाि आ चुके है्. देश के नौजवानो्के आईएि िे जुडऩे की खबरे् भी गाहेबगाहे आती रहती है्. ऐिे मे् यह िंपादकीय एक अविर देता है सक देश नौजवान खािकर िंप्दाय सवशेष के नौजवान धास्मणक कट््रता की वजह तिाश करे् और उििे दूरी बनाये.् िंपादकीय मे्कहा गया है सक सहंदू िमाज मे् भी कट््रता है िेसकन उिका सवरोध भी जासहर तौर पर हो रहा है. जब हर कोई अपने यहां के कट््रपंसथयो् का सवरोध करेगा तभी हम एक िुरस्क ् त िमाज अपने रहने के सिए बना पाये्गे. रोसहत कुमार, भोपाल
स़वामी की कारस़़ानी
िुब्मण्यम स्वामी को सजि सकिी ने भी अनगाइडेड समिाइि कहा था उिका कहना िही था. स्वामी सकिी के िगे नही्है्. इधर जब िे भाजपा ने उनको राज्य िभा मे्भेजा है तब िे उन्हो्ने िरकार पर और खाितौर पर सवत्् मंत्ािय तथा उििे िंबंसधत िोगो् पर हमिे बोिने का सििसििा िा शुर् कर सदया है. उनकी इि पूरी कवायद मे्सनशाना भिे ही कभी अरसवंद िुब्मण्यन पर तो कभी रघुराम राजन या शब्कतकांत दाि पर िाधा जाता हो िेसकन वास््सवक हमिा सवत्् मंत्ी अर्र जेटिी पर होता है. िभी जानते है् सक स्वामी को सवत््ीय मामिो् िे कुछ ज्यादा ही िगाव है. ऐिे मे् 4
शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
बहुजन िमाज पाट््ी सपछिे कािी िमय िे बहुजन और िव्णजन के बीच राजनीसत कर रही है. िोशि इंजीसनयसरंग का उिका िाम्णूिा एक बार उिे जबरदस््िििता सदिा चुका है. वही िाम्णूिा वह आगामी उत््र प््देश सवधानिभा चुनाव मे्ंअपनाने की योजना बना रही है. कवर स्टोरी इि पूरी िंभावना की िमग्् पड्ताि करती है. मायावती द््ारा अपनी और पाट््ी की छसव को िव््ोपसर रखने की बात महत््वपूर्णहै. अपने काय्णकाि मे् और उिके बाद भी पाट््ी अध्यक््
की हैसियत िे भी वह दागी नेताओ्को पाट््ी िे बाहर का रास््ा सदखाने मे्एक बार भी पिटकर नही्िोचती है्. वैिे भी बिपा एक ऐिी पाट््ी है सजिका कद नेताओ् िे सनध्ाणसरत नही् होता. बिपा के कैडर के िोग सिि्फअपनी पाट््ी और पाट््ी िुप्ीमो मायावती को पहचानते है् उनको बाकी िोगो् िे क्या िेना देना? बिपा की मौजूदा राजनीसत को देखते हुए कहा जा िकता है सक आगामी सवधानिभा चुनाव मे्वही प््मुख प््सतद््ंद्ी होगी. सिर उिके िामने िपा हो या कांग्ेि. असिल ससंह, वाराणसी
आश््य्णनही्अगर उनकी दृस्ि सवत््मंत्ी बनने पर रही हो. अब िीधे तौर पर तो वह िरकार के दूिरे िबिे शब्कतशािी मंत्ी को कुछ कह नही् िकते। इिीसिए उन्हो्ने उनके करीसबयो् पर हमिे बोिकर उनको कमजोर करने की ररनीसत अपनायी. स्वामी की इि नीसत िे अंतत: िरकार ही कमजोर होगी. िेसकन अचरज की बात है सक यह जानने के बावजूद प्ध ् ानमंत्ी नरेद् ्मोदी िमेत सकिी प्म् ख ु नेता ने या िंघ ने स्वामी की जुबान पर सनयंत्र कायम करने की कोसशश नही्की.
मामिे मे्पस््शम िे िीख िेनी चासहए. अंद्ेटा के बारे मे्जानने के बाद मै्ने तत्काि वहां जाने का सनश््य सकया है. िोभा सिंह, नोरा सरचड््ि ् और फ््ीडा बेेदी को जीना है.
ससद््ार्ग राय, िई सिल्ली
खस़़ाहाल वाम
घर मे् बेघर वाम स्टोरी पढक़र वाकई सचंता हुई. देश के अपने िबिे बड्ेगढ्यानी पस््शम बंगाि मे् वाम दिो् का आधार सजि प््कार कम हो रहा है वह वाकई सचंसतत करने वािी बात है. पस््शम बंगाि मे् हासिया सवधानिभा चुनावो्मे्वाम दिो्के कांगि ्े के िाथ गठबंधन को भी अदूरदश््ी कदम माना जा िकता है. सजि राज्य पर तीन दशक िे असधक िमय तक उनका शािन रहा वहां महज एक चुनाव हारने के बाद ऐिी कौन िी पसरब्सथसत पैदा हो गई सक उनको कांग्ेि के िाथ एक परासजत गठजोड् करना पड्ा? आशालता शम्ाग, इलाहाबाि
कला मानचित़़से गायब
यायावरी कॉिम मे्किा के गांव अंद्ेटा के बारे मे् चसकत करने वािी जानकारी है. सहमाचि देश के पय्णटन मानसचत्् पर है िेसकन अंद्ेटा जैिी जगह देश के किा मानसचत्् पर नही् है यह जानना दुखद है. हमे् अपनी किा, अपने किाकारो् और उनकी स्मृसतयो् को िंजोने के
कासमिी ससंह, ईमेल से
अनुराग का चसनेमा
अनुराग कश्यप िही मायनो्मे्सहंदी सिनेमा के अनुराग है्. उन्हो्ने जो यथाथ्णवादी सिनेमा बनाना शुर् सकया उिने हमे् वास््व मे् कुछ अनमोि सिल्मे् दी है्. बॉिीवुड की सटसपकि मिािा सिल्मो् के बीच उन्हो्ने बतौर पटकथा िेखक और सनद््ेशक ित्या, नो स्मोसकंग, गुिाि और ल्िैक फ््ाइडे कुछ शानदार सिल्मे् दी है्िेसकन हाि के िमय मे्उनकी सनद््ेसशत सिल्मो्की डाक्नफ ि े थोड्ी बेचनै करने वािी है. माना की सजंदगी बहुत स्याह है िेसकन वह केवि स्याह भी नही् है. सजंदगी मे् बहुत कुछ उजिा भी है. उनकी सिल्मो् मे् सवदेशी सिल्मो् की शैिी प््धान है और अब तो उन्हो्ने पेसरि मे् घर भी खरीद सिया है. आशीष सोिी, ईमेल से
पाठको् िे सिवेदि
शुक्वार मे्प््कािशत सरपोट््ो्और रचनाओ्पर पाठको्की प््सतसक््या का स्वागत है़ आप अपने पत््नीचे िदए गए पते पर या ई-मेि िे भेज िकते है् एमडी-10/503, िहारा ग््ेि, जानकीपुरम, िखनऊ उत््र प््देश-226021 टेिीिैक्ि : +91.522.2735504 ईमेि : shukrawaardelhi@gmail.com
संपादकीय
बात िे ही बिेगी बात क
अंबरीश कुमार
के्द्को सभी दलो्को साथ लेकर कश्मीर के ललए एक कमेटी बनानी चालिये जो बातचीत करे और कश्मीर के नौजवानो् को मुख्यधारा से जोड्ने का रास््ा बताये और लवकास और रोजगार का खाका भी बनाये.
श्मीर मे् श््ीनगर और आिपाि के इिाको् मे् सपछिे एक महीने िे िुरक््ा बि के जवानो्और स्थानीय िोगो्के बीच जो टकराव चि रहा है वह जल्दी शांत होता नही् सदखता. घाटी मे् खत्म होते अिगाववाद का अचानक सिर िे उभर आना दुभ्ाणग्यपूर्ण है. यह ब्सथसत िरकार और िुरक््ा बिो् की चूक और िापरवाही का भी नतीजा मानी जा रही है. आतंकवादी बुरहान वानी स्थानीय नागसरक था और वह िोशि मीसडया के चिते युवाओ् मे् िोकस््पय भी था. ऐिे मे्मुठभेड्मे्मारे जाने के बाद पुसिि और िरकार ने सबना हािात का अंदाजा िगाये सजि तरह उिकी तस्वीर िोशि मीसडया पर डािी उििे घाटी मे् आक््ोश की िहर िैि गयी. इिी वजह िे बड्ी िंख्या मे् िोग उिकी अंसतम यात््ा मे् जुटे और िुरक््ा बिो् पर हमिा भी सकया. पासकस््ान के िमथ्णन मे्नारे भी िगे और पुसिि भी सनशाने पर आयी. श््ीनगर िे समिी जानकारी के मुतासबक िुरक््ा बि के अििरो्को इि तरह की प््सतस््कया की आशंका नही् थी और यही बड्ी चूक भी हुई. इिी मई मे् घाटी मे् हमने देखा था सक माहौि कािी बदि चुका था. पासकस््ान िे आने वािे आतंकवासदयो् की िंख्या कम हो चुकी थी. जुमे के सदन नौहट््ा की जामा मब्सजद मे् नमाज के बाद होने वािी भारत सवरोधी नारेबाजी और पथराव को छोड् दे् तो कश्मीर मे्माहौि बदि रहा था. िैिासनयो्िे श््ीनगर के होटि भरे हुए थे और व्यापारी िे िेकर छोटे मोटे काम करने वािो्का कारोबार बढ् गया था. कश्मीर मे् असधकांश िोग पय्णटन उद््ोग पर ही सनभ्णर रहते है्. आतंकवाद का दौर चिता है तो िबिे पहिे यही िोग िंकट मे् आते है्. ये िोग नही् चाहते है् सक माहौि सबगड्े और िैिासनयो् की आवाजाही बंद हो जाये. पर कश्मीर मे् एक तबका है जो िगातार आजादी की बात कर रहा है. इिमे् आतंकवाद िमथ्णक भी है्और आम िोग भी. इन आम िोगो् की राय ढाई तीन दशक मे् बदिी है. नल्बे के दशक मे्जो अिगाववाद का दौर शुर् हुआ उिके पीछे कई कारर थे. वष्ण 1987 के चुनाव मे् हुई धांधिी और सिर उिकी प््सतस््कया को सजि ढंग िे दबाया गया था उििे िोकतंत् िे वहां के नौजवानो् का
मोहभंग होना शुर् हुआ और उन्हो्ने रास््ा बदिा. के्द् की कांग्ेि िरकार ने कश्मीर मे् कभी सनष्पक्् चुनाव नही् होने सदया यह आम धाररा है. इिका जब नौजवानो् ने सवरोध सकया तो उनका उत्पीडऩ सकया गया. रही िही किर राज्यपाि बनाकर भेजे गये जगमोहन ने पूरी कर दी. उनके एजे्डा पर कश्मीरी पंसडत थे बाकी कश्मीरी नही्. वे कश्मीरी पंसडतो् को घाटी िे बाहर कर अिगाववासदयो्और उनके िमथ्णको्िे दो-दो हाथ करना चाहते थे. हुआ यह सक कश्मीरी पंसडत तो बेदखि हो ही गये िेसकन अिगाववाद कम नही् हुआ. पासकस््ान ने इिे और हवा दी. पर बाद मे्खुद िंकट िे जूझ रहे पासकस््ान ने भी आस्थणक मदद िे हाथ खी्च सिया और माहौि बदिने िगा. पर राज्य या के्द् ने कश्मीर के सवकाि या रोजगार का कोई ऐिा काय्णक्म नही् सदया सजििे आधे िे ज्यादा बेरोजगार नौजवानो्को कोई उम्मीद नजर आये. आज भी सशक््ा, स्वास्थ्य िे िेकर उद््ोग धंधो् के मामिे मे् कश्मीर बहुत पीछे है.कश्मीर घाटी का दौरा करने पर वहां की गरीबी को देखा जा िकता है. देश के अन्य राज्यो् की राजधासनयो् के मुकाबिे श््ीनगर आज भी बदहाि नजर आता है. इि िबके बीच अिगाववाद के दौर की नयी पीढ्ी भी जवान हो चुकी है. यह पीढी आजादी के नारे के बीच जवान हुई है. पत्थरबाजी और गोिीबारी के बीच यह पीढी बड्ी हुई. दूिरे यह दौर िोशि मीसडया का भी है. यही वजह है सक रातो्रात एक आतंकवादी नौजवान युवाओ् के बीच िोकस््पय बन जाता है. ऐिे मे् पुसिि प््शािन और िरकार को जो िावधानी बरतनी चासहये थी वह नही् बरती गयी सजििे तनाव बढ्ा और सहंिा का नया दौर शुर्हो गया. इिका िमाधान सिि्फऔर सिि्फबातचीत िे िंभव है. के्द्को िभी दिो्को िाथ िेकर कश्मीर के सिये एक कमेटी बनानी चासहये जो बातचीत करे और कश्मीर के नौजवानो् को मुख्यधारा िे जोडऩे का रास््ा बताये. सवकाि और रोजगार का खाका भी बनाये. कश्मीर के िोगो् को भी िोचना चासहये सक वे चार ताकतवर देशो् के बीच कौन िी आजादी िेकर रह िकते है. पासकस््ान के कल्जे वािे आजाद कश्मीर के भी हाित देख िे् और n पासकस््ान के भी . ambrish2000kumar@gmail.com शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
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आवरण मास्ट हेकथा ड
सुरक््ा बलो् पर परराव करते लोग: कश्मीरी सिंिगी का एक आम िृश्य
स्वर्ग मे् ख्ून आर और आंसू
उग््वादी बुरिान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर बुरी तरि सुलग और लससक रिा िै. इस तरि का आक््ोश पिले बिुत कम देखा गया और उस पर काबू पाने के ललए लजस राजनीलतक दूरदल्शषता की जर्रत िै वि किी्लदखाई निी्देती िै. आशंका यि िै लक किी् िालात और खराब न िो जाये्. 6
शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
माचिद िहांगीर
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श्मीर घाटी मे् सह ज बु ि मुजासहदीन के चरमपंथी बुरहान वानी के कुछ सदन पहिे िुरक््ा बिो्के हाथो् मारे जाने के बाद कश्मीर मे् आक््ोश का एक नया और भीषर दौर शुर्हो गया है. घटना के बाद हुए प््दश्णनो् के दौरान पुसिि और िुरक््ा बिो् की कार्णवाई मे् अबतक 38 िोग मारे गये है् और 1500 घायि है्. घायिो्मे्कई की आंखो् की रोशनी हमेशा के सिए जाने का खतरा भी जताया गया है. पूरी घाटी मे्कर्य्णूिगा है और इंटरनेट, मोबाइि िेवा पर प््सतबंध है. स्थानीय अस्पतािो् की हािात तो हद िे
ज्यादा तकिीिदेह है. घायिो् की तस्वीर बताती है सक पुसिि और िुरक््ा बिो् ने प््दश्णनकासरयो् को सततर-सबतर करने की कोसशश मे् सकि कदर बब्णरता सदखाई है. श््ीनगर के श््ी महाराजा हरी सिंह अस्पताि मे् 21 वष्णके एक युवक ने बताया सक सजि िमय उन्हो्ने बुरहान वानी के एनकाउंटर की खबर िुनी, मोहल्िे के नौजवान िडको् पर प््दश्णन करने सनकिे और िुरक््ा बिो् ने पत्थरबाजी शुर्होते ही गोसियां बरिानी शुर्कर दी्. वह नौजवान कहता है सक जो होना था, वह हो चुका, िेसकन अब कश्मीर का मििा हि हो जाना चासहए. उिने कहा, 'बुरहान की मौत के बाद हम िडको् पर प््दश्णन करने िगे और पत्थर िे्कने िगे. देखते ही देखते िुरक््ा बिो् ने हम पर गोसियां और छर््े चिाने शुर् कर सदये. मुझे छर्ाण भी िगा और गोिी भी. मुझे पता नही् चिा सक अस्पताि कौन िाया.' घायिो्का इिाज करने वािे डॉक्टरो्का
कहना है सक प््दश्णन करने वािे िोगो्, सजनमे् नौजवानो् की तादाद 80 प््सतशत है, के सजस्म के ऊपरी सहस्िो्को सनशाना बनाया गया है. श््ी महाराजा प््ताप सिंह अस्पताि मे् रेसिडे्ट्ि डॉक्टि्ण एिोसिएशन के प््वक्ता डॉक्टर आसदि के मुतासबक, सजतने भी घायि वहां िे जाये गये उनमे्िबिे ज्यादा छर््ो्िे पीस्डत थे. असधकांश िोगो् के सजस्म के ऊपरी सहस्िे को सनशाना बनाया गया है. करीब 100 िोग आंख मे् छर््े िगने की सशकायत के िाथ अस्पताि पहुंचे. इनमे्िे 15 की आंखो्की रोशनी हमेशा के सिए जा चुकी है. इनमे्िे 80 िीिद की उम्् 18 िे 20 िाि के बीच है. यहां तक सक
फायर करती पुसलस: मारिे की खुली छूट अस्पपताि मे्एक चार िािा बच््ी भी आयी है सजिे छर्ाण िगा है. कश्मीर मे्हर घायि के पाि दद्णकी एक दास््ान है, जो वह आपको िुना िकता है. श््ीनगर के स्कीम्ि अस्पताि मे्घायि एक 22 वष्णके युवा ने बातचीत के दौरान कहा सक सजि वक्त उिे छर््े िगे, वह तो सकिी प््दश्णन मे् शासमि भी नही् हो रहा था. उिने कहा, ' मै् प््दश्णन की जगह िे बहुत दूर एक गिी मे्खड्ा था. तभी एक िुरक््ाकम््ी आया और उिने सनशाना िाधकर छर््े मारे जो मेरी आंख और छाती मे्िगे.' बुरहान की मौत के बाद सजि तरह का शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
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आवरण कथा
सवलाप करती कश्मीरी मसहलाएं: सबसे असिक सशकार
आक््ोशा कश्मीर के िोगो्मे्सदखाई, उिके बारे मे्न तो राज्य िरकार को भनक थी, न ही िोग इि बात की उम्मीद कर रहे थे. िच है सक बुरहान ने कम िमय मे् अपनी जगह बनाई िेसकन यह कहना गित होगा सक गुस्िे की जो िहर पूरे कश्मीर मे्है, उिकी वजह केवि वही एक शख्ि है. कुछ िोगो्का मानना है सक यह गुस्िा भारत के सखिाि हमेशा िे रहा आया है जो मौका पाकर उभरता है. कश्मीर के वसरष्् पत््कार हार्न रेशी कहते है् सक वहां का आम आदमी हमेशा िे कश्मीर पर भारतीय कल्जे के सखिाि रहा है. इि गुसि ् े को सनकिने का केवि बहाना चासहए. बात केवि बुरहान की नही्है, वह केवि एक बहाना है. जो िावा यहां आज िूटा है, वह ितह के नीचे हमेशा रहता है. एक आम प्स्तस््कया यह भी है सक भारत िरकार कश्मीर के हािात िे कभी िबक नही्िीखती. बब्लक चुनाव आसद के दौरान हािात िामान्य होने पर िरकार मान बैठती है सक वहां िब कुछ िही चि रहा है. सवश्िेषको् के मुतासबक, अगर भारत िरकार इिी तरह गहरी नी्द मे् िोती रही तो जैिे हािात आज देखने को समि रहे है्, बारबार िामने आते रहे्गे. पत््कार और सवश्िेषक परवेज मजीद ने ‘शुक्वार’ को बताया, 'आप देखे् सक 2008, 2010 या 90 के दशक मे् कश्मीर मे्जो कुछ हुआ, वह िब भारत िरकार 8
शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
की अनदेखी का नतीजा था. वह अनदेखी आज भी जारी है. चुनाव मे्भाग िेने का मतिब यह नही् है सक िोग खुश है्. वे तो अपने रोज के मििे हि करने के सिए वोट डािते है्. अगर भारत िरकार ने 2010 िे कुछ िीखा होता तो कश्मीर मे् सुरक््ा बल: वापसी की मांग
आज यह नौबत नही्आती.' बुरहान के मरने के बाद िरकार ने हािात िे सनपटने का जो तरीका अपनाया, उिकी भी खािी सनंदा की जा रही है. इन सदनो् कश्मीर मे् सरपोस्टि्ग करना भी आिान नही्रह गया है. स्थानीय िोग मीसडया िे बेहद नाराज है्. अस्पताि मे्सकिी घायि िे बात करना या िोटो खी्चना कोई आिान काम नही्है. कदम-कदम पर उनको िोगो्के गुस्िे का िामना करना पड्रहा है. उधर, िुरक््ा बि और पुसिि भी पत््कारो् को िंदेह की नजर िे देखते है्. दो सदन पहिे जब यह िंवाददाता घायिो्पर खबर करने श््ीनगर के श््ी महाराजा हसर सिंह अस्पताि पहुंचा तो नौजवानो्के एक िमूह ने बाहर ही घेर कर कहा सक आप वाड्णमे् शूसटंग करने नही् जाये्गे. क्यो्? यह पूछने पर जवाब समिा की मीसडया कश्मीर के हािात और बुरहान की गित तस्वीर पेश कर रहा, जब उनिे पूछा सक वे सकि मीसडया की बात कर रहे है् तो उन्हो्ने भारतीय टीवी चैनिो् का सजक्् सकया. सिर यह कहने पर सक मै्चैनि िे नही् हूं, उनका कहना था सक िारे मीसडया वािे एक जैिे होते है्. पुसिि और िुरक््ा बि िमझते है् सक मीसडया की वजह िे प््दश्णनकारी भड्कते है्. िन 2010 मे्भी पुसिि और िुरक््ा बिो्ने जगह-जगह मीसडया के िोगो् की की जमकर n सपटायी की थी.
कुलदीप नैय़यर
अब और जंग िही्
कश्मीर को भारतीय संलवधान ने खास स्वायत््ता दे रखी िै और इस आजादी की रक््ा की जानी चालिये.
िा
र्ख अल्दुल्िा ने श््ीनगर के एक जानेमाने उद्णूअखबार मे्सिखे एक आिेख मे् कहा सक उनके सपता स्वग््ीय शेख अल्दुल्िा यह जानकर खुश होते सक कश्मीरी युवा अपने असधकारो्के सिए बंदूक थाम रहे है्. यह बात िार्ख के सदमाग की कपोि कल्पना के सिवा कुछ भी नही्. बतौर पासकस््ानी सवदेश मंत्ी जुब्लिकार अिी भुट्ो ने भी सबल्कुि यही रवैया अपनाया था. उन्हो्ने इि उम्मीद मे्कश्मीर मे्घुिपैसठये भेजे सक कश्मीर के िोग भारत के सखिाि उठ खड्ेहो्गे और उिके पासकस््ान मे् सविय की मांग का पुरजोर िमथ्णन करे्गे. िेसकन वह गित थे. सितरत िे िूसियाना तसबयत के कश्मीरी पासकस््ान मे् शासमि होने के सिए उन्माद और इस्िाम धम्ण को आधार बनाये जाने के सखिाि थे. उन्हो्ने पाक घुिपैसठयो् को पकड्कर खुद भारतीय िेना के हवािे कर सदया. मै् शेख अल्दुल्िा िे बखूबी वासकि रहा. आपातकाि मे्तीन महीने बंदी रहने के बाद जब मै्ने श््ीनगर पहुंचकर इत््िा की तो वह मेरे होटि मे् आने वािे पहिे व्यब्कत थे. मुझे उनकी कही बात अब तक याद है, 'अब तुम भी हाजी हो जाओगे.' उनका तात्पय्ण जेिर्पी तीथ्ण िे था. वह मेरी सतहाड् यात््ा की बात कर रहे थे. मै्ने इंसदरा गांधी के असधनायकवादी शािन के सखिाि जमकर किम चिायी थी. मेरी सगरर्तारी ने शेख िाहब को देश के प््थम प््धानमंत्ी जवाहरिाि नेहर् द््ारा तसमिनाडु के कोडइकनाि मे् करायी गयी उनकी सगरर्तारी की याद सदिा दी. वह नेहर्के इतने करीबी थे सक सदल्िी आने पर हमेशा उनके घर ही र्कते. यहां तक सक सगरर्तारी िे छूटने के बाद भी वह नेहर् के घर ही गये. नेहर् ने भी अपनी गिती मानकर क््मा मांग िी थी. जो िोग हर पि कहते रहते है्सक कश्मीर भारत का असभन्न अंग है वे इिसिए गित है्क्यो्सक जम्मू और कश्मीर को िंसवधान के अनुच्छेद 370 के अधीन स्वायत््ता हासिि है. यह अनुच्छेद कहता है सक सवदेश मामिो्, रक््ा और िंचार मामिो् के अिावा अन्य िभी मामिो् मे् के्द् िरकार के असधकार राज्य पर राज्य सवधानिभा की अनुमसत िे ही िागू हो्गे. दूिरे िर्जो् मे् कहे् तो इन िंवैधासनक प््ावधानो् के चिते ही राज्य को अन्य राज्यो् िे इतर खाि स्वायत््ता हासिि है. शेख िाहब ने राज्य सवधानिभा िे प््स्ाव पासरत कराया सजिमे्कहा गया सक राज्य का भारत मे् पूर्ण सविय िंपन्न हुआ. इििे पहिे उन्हो्ने िासदक िाहब को
पासकस््ान भेजकर यह आकिन सकया सक वह सकि तरह की राजनीसत करेगा. िासदक िाहब बाद मे्राज्य के मुख्यमंत्ी बने. िासदक िे पासकस््ानी िेना की ररनीसत के बारे मे्जानने के बाद शेख िाहब ने सबना िमय गंवाये भारत मे्सविय की ओर कदम बढ्ाया क्यो्सक वह बहुितावादी राज्य के सहमायती थे. जासहर है इस्िासमक पासकस््ान के बजाय िोकतांस्तक भारत उनका चयन था जहां हर धम्णको पूरी आजादी थी. वक्त बीतने के िाथ शेख िाहब इकिौते उदारवादी शख्ि रह गये सजनकी आवाज िाि िुनी जा िकती थी. मुझे याद है जब मै्सतहाड्जेि िे सरहा हुआ तो मेरे िाथी बंसदयो्ने मुझिे कहा सक मै् श््ीनगर जाऊं और शेख िाहब िे अनुरोध करं् सक वो आपातकाि के सखिाि बोिे् क्यो्सक उनकी पूरे देश मे्इज््त थी. मैन् े श््ीनगर मे्उनिे मुिाकात की और उन्हो्ने एक वक्तव्य जारी कर आपातकाि की स्पि्् आिोचना की. इंसदरा गांधी ने इिमे् मेरी भूसमका िूंघ िी िेसकन उि वक्त सगरर्तार िोगो् को नैसतक बि देना अहम था. पूरा देश खामोश था और बोिने मे्डर रहा था. िोगो् मे् िही गित का भेद करने की क््मता खत्म हो चुकी थी. वह जब भी बोिते, पूरा देश उनको िुनता क्यो्सक उनकी बाते्राज्य की िीमा के परे होती्. वह िही मायनो् मे्जन भावना का प्स्तसनसधत्व करते थे. वह देश को राज्य सहत िे ऊपर रखते थे. वह बड्ेकद के राजनेता थे. िार्ख अल्दुल्िा ने शेख अल्दुल्िा को कश्मीर तक िीसमत रखकर उनका कद घटाया है. वह कश्मीरी युवाओ्के बंदूक उठाने के सिये के्द् को सजम्मेदार ठहरा िकते थे और कह िकते थे सक उिने रक््ा, सवदेश मामिो् और िंचार के अिावा हस््क्ेप न करने के अपने वादे को नही् सनभाया. इििे पहिे िार्ख अल्दलु ि ् ा ने ठीक कहा था सक भारत को सनयंतर ् रेखा को अंतरराष््ीय िीमा मान िेना चासहये और पाक असधकृत कश्मीर पर उिका कल्जा मान िेना चासहये. यह उसचत था क्यो्सक अक्िर दोनो् पक्् सनयंत्र रेखा का उल्िंघन कर बैठते है्. दोनो् पक््ो् को हकीकत िमझनी होगी. िीमा को िेकर दो युदघ् हो चुके है.् अब एक और युदघ् नही्झेिा जा िकता है. खाितौर पर जब दोनो्देश परमारु हसथयार िंपन्न n है.् (िेखक अंग्ेजी के वसरष््पत््कार और पूव्णराजनसयक है्. द सिसटजन डॉट इन िे िाभार) शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
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आवरण मास्ट हेकथा ड
श््ीिगर मे् पुसलस और अवाम: कैसे सुिरे्गे सरश्ते
बार-बार सुलगती घाटी
सरकार की माने्तो कश्मीर घाटी मे्िालात पिले की तुलना मे्बिुत ज्यादा खराब निी्िै्, लेलकन उन िालात से लनपटने का मौजूदा सरकार के तरीके मे्बिुत बड्ी चूक िै. चववेक सक़सने ा
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ह भी राजग िरकार थी जब प््धानमंत्ी अटि सबहारी वाजपेयी ने रमजान के दौरान िुरक््ा बिो्की ओर िे इकतरिा िंघष्णसवराम का एिान करवा सदया था और एक यह नरेद् ्मोदी की अगुवाई वािी राजग िरकार है, सजिने ईद के दूिरे सदन ही कश्मीर घाटी मे्आग िगवा दी.’ ये शल्द गृह मंत्ािय के एक आिा अििर के है,् सजनका मानना है सक सहजबुि मुजासहदीन के कमांडर बुरहान वानी की मुठभेड मे्हुई मौत को टािा जा िकता था. उनका मानना है सक वह एक ऐिा युवा आतंकी था जो दूिरे युवाओ्को आतंकी बनने के सिए प्स्ेरत करता था, मगर खुद उिने सकिी आतंकी घटना मे् सहस्िा नही् सिया था. अगर उिे मारे जाने को जगह सजंदा पकड सिया गया होता तो 10 िाख के ईनाम वािा आतंकी हमारे कही्ज्यादा काम आता. खाि तौर िे तब, 10 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
जब सक घाटी के तमाम अिगाववादी खांटी नेता अपनी अहसमयत खोते जा रहे है.् केद् ्िरकार ने इि मामिे को सकतनी अहसमयत दी है. इिका अनुमान इि बात िे ही िगाया जा िकता है सक यह खबर समिते ही प्ध् ानमंत्ी के िाथ अफ््ीकी देशो्के पांच सदविीय दौरे पर गये राष््ीय िुरक््ा ििाहकार अजीत डोवाि को अपनी यात््ा बीच मे्ही छोडकर आना पडा. वही्गृहमंत्ी राजनाथ सिंह ने मामिे की गंभीरता को भांपते हुए खुद िोसनया गांधी, शरद यादव, िीताराम येचरु ी, डी राजा िरीखे नेताओ् िे बात कर उन्हे् कोई ऐिा बयान न देने के सिए मनाया, सजििे हािात और खराब हो्. बुरहान वानी की मौत पर बुस्िजीवी, मीसडया, राजनीसतक दि भिे ही बंटे हुए नजर आ रहे हो, पर केद् ् िरकार का िोच एकदम अिग है. िरकार का मानना है सक कश्मीर मे्जो कुछ हो रहा है, वह नया नही्. यह िमस्या कांगि ्े की देन है सजिकी शुरआ ् त 1950 मे् हो गयी थी और
इिका कारर ित््ा के प्स्त कांगि ्े की भूख रही. जब केद् ् मे् कांगि ्े की िरकारे् रही् तो वह इि िमस्या िे जूडती् रही और अब जब राजग की िरकार है तो उिे इििे जूझना पडेगा. वीपी सिंह ने जम्म-ू कश्मीर के मुरत् ी मोहम्मद िईद को गृहमंत्ी बना सदया था, इिका अिगाववासदयो्पर क्या अिर पडा? उिटे, उनकी बेटी र्बयै ा िईद का ही अपहरर करके पांच आतंकवादी छुडा सिये गये. अहम बात तो यह है सक िरकार यह बात स्वीकारने को तैयार नही्है सक घाटी के हाित बदतर होते जा रहे है.् गृह मंत्ािय िे जुडे एक आिा अििर के अनुिार यह िच है सक 10 िाि पहिे घाटी मे् 70 िीिद आतंकी सवदेशी (ज्यादातर पासकस््ानी) होते थे और 30 िीिद स्थानीय होते थे. अब यह अनुपात उल्टा हो चुका है. अगर 70 िीिद आतंकी स्थानीय है्तो इिकी िबिे बडी वजह िीमा पर बढी चौकिी है सजिके कारर उनका वहां प्व् श े कर पाना मुबश् कि होता जा रहा है. कश्मीर मे्आतंकवाद की शुरआ ् त 1990 के दशक मे्हुई थी तब िे अब तक िुरक््ा बिो्द््ारा करीब 24 हजार आतंकवादी मारे जा चुके है.् दोबारा िमस्या 2010 मे्पैदा हुई जब िुरक््ा बिो् पर पथराव करने की ररनीसत बनी. िोगो्पर गोिी चिाये जाने िे 110 िोग मारे गये थे. िरकार का
बुरहाि वािी: आतंकी या शहीि? आज भी दावा है सक इि िमय घाटी मे्महज 200 आतंकवादी ही मौजूद है. जबसक 1990 के दशक मे्7000 आतंकवादी हुआ करते थे. इन 20 वष््ो् मे्िुरक््ा बिो्द््ारा 45114 आधुसनकतम हसथयार, 34231 एक के िीरीज की रायििे,् 5123 ग्न्े डे िांचर, 2611 राकेट िांचर, करीब 13000 सकिो सवस्िोटक, एक िाख ग्न्े ड े , िाढे पांच िाख राउंड गोसियां, 16 हजार बार्दी िुरगं ,े् 6651 राकेट और 7185 वायरिेि िेट बरामद करने मे् कामयाब रहे, सजििे आतंकवासदयो्की कमर टूट गयी. गृह मंत्ािय के िूत्ो्के मुतासबक, 2015 मे् 40 आतंकवादी मारे गये थे जबसक इि िाि के पहिे छह महीनो्मे्83 आतंकी मारे जा चुके है.् पंजाब मे्आतंकवाद का ििाया करने वािे राज्य के पूवण्पुसिि महासनदेशक कंवर पाि सिंह सगि का मानना है सक कश्मीर का मामिा िबिे अिग है. जब पंजाब आतंकवाद के कूर् तम दौर िे गुजर गया तब भी वहां की 90 िीिद जनता भारत के िाथ थी जबसक कश्मीर मे्इिका एकदम उिटा है. जब राज्य िबिे अच्छे िमय िे गुजर रहा था तब भी वहां के 90 िीिद िोग भारत के सखिाि रहे. उनके मन मे्िौतेिपे न की भावना और भारत को िेकर जो खाई पैदा हो चुकी है, उिको भर पाना बहुत मुबश् कि है. कुछ िमस्याये्ऐिी होती है्सजनको आप सनयंतर ् मे्तो रख िकते है,् पर उनका कोई स्थायी हि नही्होता है. दुभा्गण य् िे, इि िच को कोई भी िरकार या राजनीसतक दि स्वीकार करने की तैयार नही्है. कश्मीर के हािात को राजनीसतक और िामसरक दोनो्ही दृस्ि िे देखे जाने की जर्रत है. सदल्िी के हुकम् रानो्का िोच यह है सक भिे ही
राज्य मे् भाजपा और पीडीपी िरकार हो, पर िरकार बनाये जाते िमय जो िमझौता एजेड ्ा तैयार सकया गया था, उिे िागू करना मुखय् मंत्ी महबूबा मुरत् ी का काम है. यह उन्हे्तय करना है सक वे सकि तरह िे नेशनि कानफेि ् , कांगि ्े , पृथकतावासदयो्, उदारवासदयो् िे बात करती है. जहां तक केद् ्का मामिा है तो प्ध् ानमंत्ी राज्य का दो बार दौरा कर चुके है.् उिे 80 हजार करोड का पैकज े दे चुके है. स्थानीय िमस्याओ्को तो स्थानीय प्श ् ािन ही हि करेगा. अहम बात यह है सक पहिी बार केद् ्िरकार और ित््ार्ढ दि के नेताओ् और आतंकवाद िे जूझ रहे िुरक््ा बिो् और िेना का िोच एक जैिा है. इंटि े ीजेि ् ल्यरू ो के एक अििर के मुतासबक, हमे्पता था सक बुरहान वानी िोशि मीसडया पर यह सिखा करता था सक ‘अब हम िुरस््कत है् क्यो्सक अब जब कोई मारा जायेगा तो अगिी पीढी उि िंघष्णको िंभाि िेगी. हमारा िक्य् व्यब्कतयो् िे बडा है. अगर हुसर् यण त नेता िैयद अिी शाह जीिानी या सहजबुि मुजासहदीन प्म् ख ु िैयद ििाउद््ीन भी भारत िरकार के िाथ समि जाये्तो भी यह िंघष्णजारी रहेगा क्यो्सक कोई नेता ही नही् बचेगा और हम सकिी िे बात नही्करेग् .े ’ उनका कहना था सक आसखर बुरहान ही सनपट गया. उिके सपता का कहना है सक एक आतंकवादी की सजंदगी 6-7 िाि िे ज्यादा नही्होती है. ‘हमारा मानना है सक एक आतंकवादी की सजंदगी 6-7 माह िे ज्यादा नही् होती है.’ बुरहान वानी की तुिना चेगवे ारा िे करने वािे यह भूि जाते है्सक अंततः उिका क्या हश््हुआ. उिकी अंसतम यात््ा मे्बडी तादाद मे्िोगो्की सशरकत को िेकर भी िरकार सचंसतत नही्है. िेना का दावा है सक उिके पाि ड््ोन िे िी गयी जो तस्वीर है्उिके मुतासबक 6-7 हजार िोग ही रहे हो्ग.े अली शाह िीलािी: अलगाव का स्रायी राग
उत्र् ी क्त्े ्के िैनय् कमांडर िेरट् ीनेट् जनरि डी एि हुड्ा के मुतासबक, अभी यह कहना गित होगा सक बुरहान की मौत के बाद स्थानीय आतंसकयो्की तादाद मे्तेजी आयेगी. इि िमय घाटी मे् आतंकवाद अपनी न्यनू तम ब्सथसत मे् है और हमे्उिमे्सकिी बडे बदिाव की िंभावना नजर नही्आती है. आज सिि्फदस््करी कश्मीर मे् ही आतंकवाद नजर आता है जबसक उत्र् ी कश्मीर सकिी भी सहंिा िे एकदम मुकत् है्इि िाि सिि्फ हंदवाडा के 5 युवको्के पुसिि िायसरंग मे्मारे जाने की घटना घटी. गृह मंत्ािय के एक अििर के मुतासबक, जब 1990 मे् घाटी मे् सहंिा और आतंकवाद भडका तो ‘जेकएे िएि िशस््हमिे कर रहा था और उििे सनपटने के सिए हमारे पाि सिि्फ700 िैसनक मौजूद थे. आज वहां िेना के अिावा िीआरपीएि की 80 बटासियन तैनात है.् िीमा पर बीएिएि मौजूद है. िीमापार के हािात भी बदिे है.् हमे्यह नही्भूिना चासहए सक 1989 मे् िोसवयत िेनाओ्की अिगासनस््ान िे वापिी के बाद पासकस््ान ने 1990 मे् खतरनाक िडाके अिगान मुजासहद््ीनो्की कश्मीर योजना शुर्कर दी थी. इिके पीछे तत्कािीन आईएिआई प्म् ख ु अिद दुरा्नण ी की ररनीसत थी, सजिे पहिे बेनजीर भुट्ो व सिर नवाज शरीि की िरकारो् का पूरा िमथ्नण हासिि था. यह वह िमय था जब जेकएे िएि घाटी का िबिे बडा आतंकवादी िंगठन हुआ करता था और सहजबुि मुजासहदीन तो आतंकवाद के मदरिे का छात््ही था. अमेसरका मे् हुए आतंकी हमिो् के बाद पासकस््ान की पहिे जैिे ब्सथसत नही्रही. उनकी दिीि है सक जब मकबूि बट को िांिी दी गयी या जेकएे िएि नेता अशिाक मजीद वानी को मारा गया या कुछ िाि पहिे अिजि गुर्को िांिी पर िटकाया गया, तब भी इि तरह की आशंका जतायी जा रही थी. कुछ िमय पहिे तक बुरहान वानी को सवसभन्न आतंकी गुट ही भारत का एजेट् और कागजी शेर बता रहे थे. वह महज िोशि मीसडया की उपज था. उनका कहना था सक आतंकवासदयो्को यह बात नही्भूिनी चासहए सक अगर उन्हो्ने अपनी िमस्या का िमाधन बंदक ू िे करने की कोसशश की तो सिर वही जीतेगा, सजिकी बंदक ू ज्यादा मजबूत और ज्यादा दूर तक वार करनेवािी होगी. यह भी िच है सक जब िे िुप्ीम कोट्ण ने मसरपुर मे्अिस्पा मामिे मे्सटप्परी की घाटी मे् इिके इस्म्े ाि को िेकर िरकार की परेशानी बढ िकती है. राजग िरकार का दोटूक र्ख है सक हम सिि्फचुने हुए प्स्तसनसधयो् िे बात करेग् .े उनकी दिीि है सक मनमोहन सिंह िरकार ने भी वात्ाक ण ार सनयुकत् सकये थे, उिका क्या िाभ हुआ? यह िब महज िमय की बरबादी और िर्िाजी के अिावा कुछ और नही्है. n शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 11
आवरण कथा
कश्मीर घाटी के पुराने अनुभव बताते िै्लक पुरानी गललतयो् से सबक सीखकर िी िालात सुधारने की राि लनकाली जा सकती िै, लेलकन ऐसा िोता िुआ निी्लदखता. चवभूचत नारायण राय
म
िनगाम बांदीपोरा के बगि मे् पहास्डयो् के ऊपर और दामन मे् फ़ैि कर बिा हुआ एक िामान्य िा कश्मीरी गांव हो िकता था. बीि िाि बाद उिे याद करने का मेरे पाि कोई कारर नही् होता अगर वहां रोजमर्ाण के आपरेशन के दौरान मेरा िाक््ात्कार कश्मीर की उि िच््ाई िे न पडता सजििे नई सदल्िी और घाटी के सरश्ते कािी हद तक पासरभासषत सकये जा िकते है्. 18 िरवरी 1993-तारीख आज तक इिसिए याद है क्यो्सक मुझे बांदीपोरा पहुंचे चौबीि घंटे ही हुए थे और उि सदन मेरी बेटी का जन्मसदन भी था. 1993 के हािात की अब सिि्फकल्पना ही की जा िकती है. सदिम्बर 1989 मे् शुर् हुआ िशत््पृथकतावादी सवद््ोह अपने उर्ज पर था. िीमाएं िगभग खुिी िी थी्और उनिे हसथयारो् और दुसनया भर के सजहासदयो् की आवाजाही बगैर सकिी प््भावी रोक टोक के जारी थी. पूरी घाटी िुिग रही थी. मै्सजि िंगठन मे्सनयुक्त होकर बांदीपोरा पहुंचा था वह इि िडाई का एक प््मुख घटक था और मेरे पूव्ाणसधकारी इिाके और उिमे्चि रहे आपरेशन िे पसरसचत कराने के सिए मुझे अििुबह मिनगाम िाये थे. िरवरी मे् भी अगर धूप सनकिी हो और िद्ण हवाये् न चि रही हो् तो घाटी मे् मौिम खुशगवार रहता है.उि सदन ऐिी ही एक िुबह ही थी जब मिनगाम के प््ाइमरी स्कूि के अहाते की धूप मे् कुछ असधकासरयो् के िाथ बैठकर काड्णन और िच्णकी काय्णवाही देख रहा था. काड्णन और िच्ण या घेराबंदी करो और तिाशी िो एक ख़ाि तरह का आपरेशन होता था सजिके तहत सकिी इिाके मे्आतंसकयो्की उपब्सथसत की िूचना समिने पर िुरक््ा बि उिे घेरे मे्िेकर तिाशी िेते थे. घेराबंदी आमतौर िे रात के अंधरे े मे्और तिासशयां सदन सनकिने के बाद होती थी्. मिनगाम को भी रात तीन– चार के बीच घेरा गया था और तिासशयां चि 12 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
बुरहाि वािी का ििािा: उग््वाि के सलए खाि
वही ग्लती वही
रही थी. स््डि के मुतासबक औरतो्और मद््ो्को अिग-अिग जगहो्पर सबठाया गया था. मद््ो् मे्जवान एक तरि और बूढे दूिरी तरि, छोटे बच््ेऔरतो्के िाथ. अचानक मेरी नजर एक सिरंगी पर पडी जो मद््ो्की भीड मे्अिग ही सदख रहा था. सिरंग यहां क्या कर रहा है? मै्ने एक जवान उिे बुिा कर िाने को भेजा. उिके िाथ एक नौजवान िडका भी उठ कर आया और उनिे बातचीत के बाद कश्मीर िे जुड्ेउि िच िे मेरा िामना हुआ सजििे अमूमन एक औित भारतीय अनसभज््रहता है. सिरंगी सजि नौजवान िडके के िाथ मिनगाम आया था वह सदल्िी की जासमया समब्लिया इस्िासमया सवश््सवद््ािय मे् माि कम्युसनकेशन का छात््था. इि िड्के का नाम आज मुझे याद नही् आ रहा है पर िुसवधा के सिए मै्उिे ‘क’ कहूंगा. दोनो्िाथ-िाथ पढते
थे और क उिे अपना गांव घुमाने और वहां की जमीनी हकीकत सदखाने िाथ िाया था. मै्ने सदिचस्पी िे मिनगाम सनवािी िड्के िे बातचीत शुर्की तो मुझे बहुत िारी सदिचस्प जानकासरयां समिी्. दोनो् को हमारे बगि मे् बैठने के सिए कुस्िणयां दी गई् थी् और हमारे िाथ-िाथ उन्हे् भी चाय परोिी जा रही थी सजििे उनकी सझझक तो दूर हुई ही और वे, ख़ाि तौर िे ‘क’ दोस््ाना अंदाज मे्बात करने िगे थे. अचानक कश्मीरी छात्् ने मुझिे पूछा सक क्या मै् जानता हूँ सक कश्मीर मे् भारत का कौन िा प्ध ् ानमंत्ी िबिे असधक िोकस््पय है? िवाि सकिी पहेिी की तरह था पर मुझे बहुत आिान िगा. मैन् े तपाक िे उत्र् सदया- जवाहर िाि नेहर्. मुझे एक अवज््ापूरण्हंिी िुनाई दी. मेरे िाथ बैठे दूिरे िोग भी इि खेि मे्शरीक हो गये पर जो उत््र हमे् समिा वह सकिी भी तरह िे प््त्यासशत नही् था. हमारे सिए यह
सवाल
ज््ानवध्णक था सक मोरारजी देिाई घाटी मे्भारत के िबिे िोकस््पय प््धानमंत्ी रहे है्! पर इि िोकस््पयता के कारर मे् ही भारत की अिोकस््पयता के बीज भी सछपे हुए है्. ‘क’ के अनुिार जम्म-ू कश्मीर मे्सवधान िभा के पहिे सनष्पक्् चुनाव 1977 मे् मोरारजी भाई के प्ध ् ानमंस्तत्व काि मे्हुए सजिमे्कश्मीसरयो्को स्वतंत् र्प िे अपनी िरकार चुनने का मौक़ा समिा. इि चुनाव मे् शेख अल्दुल्िा, जो उि िमय तक घाटी मे्बहुत अिोकस््पय हो चुके थे, सिि्फ इिसिए जीत गये सक अवाम मे् कही् न कही् यह िंदेश गया सक नई सदल्िी उन्हे् नही् चाहती. ‘क’ की जुबान पर आंकडे थे और उिने मुझे याद सदिाना शुर्सकया सक पहिे के िभी चुनावो् मे् बडी िंख्या मे् उम्मीदवारो् के पच््े खासरज हो जाया करते थे और नेशनि कांफे्ि या कांग्ेि के उम्मीदवार सनस्वणरोध सवजयी
घोसषत कर सदये जाते थे. ज्यादसतयां यहां तक हुई्सक मतगरना मे्जीता कोई और सवजय की घोषरा सकिी और के नाम की हुई. इि ताबूत मे्आसखरी कीि 1987 के चुनाव मे्ठोकी गयी जब सवधान िभा के चुनाव सकिी प््हिन की तरह हुए. नतीजतन सजन िोगो् का चुनाव पर थोडा बहुत भरोिा भी था वह भी टूट गया और आई.एि.आई. तथा जेहासदयो्को उन्हे्िमझाने मे् बहुत मेहनत नही् करनी पडी सक भारत मे् रहते हुए सकिी सनष्पक््चुनाव की कल्पना नही् की जा िकती. एक उदाहरर ििाउद््ीन का है सजिके बारे मे्कहा जाता है सक वह चुनाव जीत गया था िेसकन नतीजा उिके प््भावशािी सवपक््ी और ित््ा पाट््ी के उम्मीदवार के पक््मे् िुनाया गया तथा सवरोध करने पर उिे मारपीट कर हवािात मे्बंद कर सदया गया. जमानत पर छूटने के बाद वह िीधे िीमा पार चिा गया और आज खूंखार िंगठन सहजबुि मुजासहदीन का मुसखया है. इिी िड्के ने मुझे एक दूिरी सदिचस्प कथा िुनाई. जम्मू कश्मीर के तत्कािीन मुख्यमंत्ी बख्शी गुिाम मोहम्मद सकिी गांव मे् जाते तो बक्िो्मे्नोट भरकर िे जाते. काय्णक्म िमाप्त होने के बाद िोग कतारबि््होकर उनिे समिने आते और अपना-अपना दुखडा िुनाते. एक बार जब इिी तरह का आयोजन चि रहा था और वे हर दुसखयारे का नाम और उिकी बेसटयो् की िंख्या पूछ कर प््सत बेटी के सहिाब िे दि हजार र्पये दे रहे थे एक कश्मीरी पंसडत की बारी आने पर उन्हो्ने्पूछा – सकतनी बेसटयां है्? उत््र समिा- चार. बख्शी ने उिे चार हजार र्पये सदये और कहा सक कहो- सहन्दुस्ान सैयि सलाउद््ीि: आतंकी बििे की कहािी
सजंदाबाद. पंसडत ने हैरानी िे पूछा, सक आप मुििमानो्को तो िी िडकी दि हजार दे रहे है् और मुझे सिि्फ एक हजार! यह तो ज्यादती है. बख्शी ने छूटते ही कहा, सक अगर तुम्हे्एक भी पैिा न सदया जाय तब भी तुम पासकस््ान सजंदाबाद तो नही्कहोगे! कथा का िार यह है सक भारत के राजनेता यही िमझते रहे सक सरश््त देकर कश्मीसरयो्को अपने पािे मे्रखा जा िकता है. इिीसिए भारत िे चौथाई दाम पर चावि घाटी मे् सबकता रहा, कोई िरकारी कम्णचारी इनकम टैक्ि नही् देता था, सकिी उपभोक्ता ने सबजिी का सबि जमा नही् सकया और हम िमझते रहे सक कश्मीर हमारे िाथ है. सकिी कश्मीरी राजनेता िे बात करे्तो पता चिेगा सक इंटसे िजेि ् ल्यरू ो या आई. बी. श््ीनगर मे् भारत िरकार का िबिे महत्वपूर्ण दर्तर है.ित्र् के दशक तक , जब सदल्िी और श््ीनगर मे्एक ही दि की िरकार हुआ करती थी, बहुत िारे राजनैसतक िैििे मििन कौन मुखय् मंत्ी बनेगा या सकन सकन को मंस्तमंडि मे् जगह समिेगी इिी दर्तर मे् सिये जाते थे. आई. बी. िूचनाओ् की खान हो िकती है पर इनका सवश्िेषर करने वािे नौकरशाहो् के सिए कश्मीर सिि्फ कानून व्यवस्था का मििा है, इिसिए उनिे सकिी िंवेदनशीि और दूरंदेश तजवीज़ की अपेक्ा करना उनके िाथ ज्यादती होगी. श््ीनगर का आई. बी. दर्तर सदल्िी मे्बैठे नीसत सनयामको् के सिये आंख कान था और इिसिए उनके ज्यादातर िैििे जमीनी हकीकत िे कटे हुए होते थे. हम पैिा बांटते रहे और चुनावो् मे् धांधिी करा कर अपनी कठपुतिी िरकारे् बनाते रहे पर जनता हमिे दूर होती गयी. रही िही किर 1989. चुनाव मे् दूर हो गयी जब िशत््सवद््ोह का दौर शुर्हो गया. बुरहान वानी के मारे जाने के बाद आज कि जो जन उबाि का एक नया दौर शुर्हुआ है उििे बडे िंवदे नशीि तरीके िे सनपटने की जर्रत है. इिे महज शांसत व्यवस्था की िमस्या मान कर हम वही गिती दोहराये्गे सजिका ऊपर सजक््सकया गया है. श््ीनगर मे्सनयुबक् त के दौरान मै्ने एक पैटन्ण देखा था सजिे सिर दोहराया जा रहा है. सकिी आतंकवादी के मरने पर उिके िमथ्क ण कोसशश करते है् सक उिके जनाज़्े मे् ऐिी ब्सथसतयां पैदा की जाये् सक एकस््तत भीड पर िुरक््ा बिो्को गोसियां चिानी पड्ेऔर सिर उिमे्मृत िोगो्के जनाज़ो्मे्यही कहानी दोहराई जाये. हर जनाज़े मे् पासकस््ान िमथ्क ण नारे िगाये जाते है् और हर जनाज़े िे घाटी मे्भारत का िमथ्नण घटता जाता है. िुरक््ा n बिो्को यह याद रखना होगा. (िेखक पूव्णपुसिि असधकारी और िासहत्यकार है्. जो कािी िमय कश्मीर मे्तैनात रहे.) शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 13
देशकाल
वह िीसिया और यह िीसिया कश्मीर के िालात को देखने मे् मुखय् धारा के लिंदस ु ्ानी मीलिया और कश्मीर के स्थानीय मीलिया के नजलरये मे्आलखर क्यो्जमीनआसमान का अंतर िै. शरद गुप़ता
अ
फ््ीकी देशो्के दौरे िे िौटकर प्ध ् ानमंत्ी नरे्द् मोदी ने आतंकी बुरहान वानी की मृतय् ु के बाद कश्मीर मे् भड्की सहंिा पर सचंता जतायी. िरकार की ओर िे यह पहिी प्स्तस््कया बुरहान की मृतय् ु के चार सदन बाद आयी. उन्हो्ने इन घटनाओ् की मीसडया कवरेज पर आश््य्ण व्यक्त करते हुए कहा सक सबना वजह मीसडया ने बुरहान को हीरो बनाये हुए है. आस्ख़र िरकार का सनष्कष्णयह सनकिा सक 1989 के बाद िे घाटी मे् भड्की िबिे जबरदस्् सहंिा की वजह मीसडया कवरेज था. िेसकन कौन िी कवरेज? हमारे यहां िारे अखबार बुरहान को नही्, बब्लक िुरक््ा बिो्को शाबाशी दे रहे थे. घाटी की सहंिा महज आंकड्ो् मे्थी. िुरक््ा बिो्की फ़्ायसरंग मे्12 दंगाई मारे गये. या मरने वािे दंगाइयो् की िंख्या 32 हो गयी है. या सिर िुरक््ा बि बहुत िंयसमत तरीके िे कार्णवाई कर रहे है्. यह कवरेज सकिे हीरो बनाती है, बुरहान को या दंगाइयो् को या सिर िुरक््ाबिो् को? अगर यह नही् बना रही, तो कौन िी कवरेज बुरहान को हीरो बना रही है? यह वह कवरेज है जो कश्मीर के अख़्बारो्, सरिािो्, टीवी चैनि और िोशि मीसडया के जसरये हो रही है. इिीसिए यह हम तक नही् पहुच ं पाती. िेसकन बुरहान की मृत्यु के तुरंत बाद कश्मीर मे् कफ़फय्् ू िगा सदया गया. इंटरनेट बंद कर सदया गया. सरिािो्और अखबारो्पर कड्ी नज़्र रखी गयी. तो सिर इतनी बडी भीड् पूरी 14 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
घाटी मे्क्यो्और कैिे उमड्पड्ी? आजादी के नारे सिर स्फ़ज़्ाओ् मे् गूंजने िगे. करीब चार िाि की शांसत के बाद घाटी सिर जि उठी. दरअिि, यह घाटी और बाकी देश के बीच िोच की खाई है जो दोनो्जगहो्के मीसडया तक मे्घर कर गयी है. हमारे सिए मरने वािे दंगाई है्. घाटी के िोगो् के सिए वे शहीद है्. हमारे अख़्बारो् के सिए 32 दंगाई सिि्फ िंख्या है. उनमे्िे एक आदमी का भी नाम हमारे अखबारो् मे्नही्सदया गया. घाटी के अख़्बारो्मे्उन 32 िोगो्के चेहरे है.् उनके नाम है.् उनके पसरवार वािो्के नाम है.् उनका बैकग््ाउंड है. वे सकतने िाि के थे, क्या करते थे, कैिे मारे गये, इन िब बातो्के ल्यौरे है.् जब िूचना पर रोक िगती है तो अफ़्वाहे् खबर बन जाती है.् एक व्यब्कत की मृतय् ु घाटी के दूिरे छोर तक पहुच ं ते-पहुच ं ते दि की मौत बन जाती है. िाथ ही जुड् जाती है् िुरक््ा बिो् की ज्य् ादती की दास््ाने.् कश्मीर सहंिा के वीसडयो िे िाफ़्है सक िुरक््ा बि सकतना एहसतयात बरत रहे है्. मुंह पर मििर िपेटे युवा गसियो् िे सनकि कर उन पर पत्थर बरिा रहे है,् िासठयां चिा रहे है्और कही्कही्पेट्ोि बम भी िेक ् रहे है.् सिर भी िुरक््ा बि असधकतर बख्तरबंद गासडयो् मे् बंद हो खुद की िुरक््ा कर रहे है्. िहज ही िमझा जा िकता है सक हवा मे् फ़्ायसरंग करते, पीछे हटते िुरक््ाकम््ी तभी सकिी पर गोिी चिाते हो्गे जब खुद उनकी जान पर बन आती होगी. ऐिे मे् पूरा राजनीसतक तंत्, सजिे देश के मीसडया का िमथ्नण है, यह सिि््करने मे्िगा है सक घाटी मे् सहंिा पर उतार् युवा आतंसकयो् के िमथ्क ण देशद््ोही है.् िेसकन इि पर कोई बात नही्कर रहा सक इनके अंदर यह 'देशद््ोह' की भावना आयी कैि?े हमारी िरकार इि दौरान क्या कर रही थी? क्या कश्मीर िाि दर िाि यूं ही जिता रहेगा या इिका कोई राजनीसतक िमाधान हो िकता है? या कश्मीर िे भारत का िंबधं केवि सहंिा रोकने, दबाने, काबू करने भर का है और शांसतकाि मे्पय्टण न का?
श््ीिगर मे् प््ेस पर पाबंिी का सवरोि: कोई सुिवाई िही् देश के दो बड्ेटीवी िंपादको्की बहि भी यही िासबत करती है. इंसडया टुडे ग्ु्प के ििाहकार िंपादक राजदीप िरदेिाई ने अपने ल्िॉग पर एक िेख के दौरान बर्णके छत््ेमे्हाथ दे सदया. उन्हो्ने सिखा सक देश के पत्क ् ारो्और मीसडया िंसथ ् ानो् का देश-प्म्े कश्मीर प्क ् रर की कवरेज के जसरये किौटी पर किा जा रहा है. उनका कहना था सक पत््कार का धम्ण है घटना को जहां है, जैिी है वैिी ही सरपोट्णकरना. न सक िोगो् और िुरक््ा बिो् को देशप््ेम और देशद््ोह के पाठ पढ्ाना. अपने िेख मे् उन्हो्ने स््बटेन की पूव्ण प््धानमंत्ी माग््ेट थैचर द््ारा बीबीिी की 1983 के िॉकिैड ् युि्के कवरेज के सिए की गयी तीखी सटप्परी का भी स्ज़क्् सकया. तत्कािीन बीबीिी डायरेकट् र जॉन सबट्ण का जवाब था- उनकी िंसथ् ा राजनीसतक उद्श्े य् ो् की पूस्तण के सिए नही् है. हमारा उत््रदासयत्व सिि्फिच के प्स्त है, न सक देश के प्स्त. बि सिर क्या था. उिी सदन ‘टाइम्ि नाऊ’ के मुख्य िंपादक अरनब गोस्वामी ने िाइव काय्क ण म् मे्सबना नाम सिए िरदेिाई पर हमिा बोिा. कहा, ‘मुझे दया आती है उन छद््उदारवासदयो् पर जो पत््कासरता मे् है्, िेसकन चाहते है्सक हमारे िुरक््ा बि ज्यादा सजम्मदे ार बने.् उन्हे्िमझ नही्आ रहा बुरहान की मौत के बाद भड्की सहंिा की सरपोस्टगि् कैिे करे?् मुझे कोई दुसवधा नही् है. जब बात आतंकी और िुरक््ा बिो् मे् चुनने की हो, देशप््ेमी और देशद््ोही मे् चुनना हो, राष्् की िंप्भुता और उििे िमझौता या राष््ीय ध्वज के पक्् या सवपक्् की हो तो मेरे सिए कोई बीच का रास््ा नही्है. मै्हमेशा देश के पक््मे्हू.ं िेसकन यही िवाि सकिी कश्मीरी पत्क ् ार िे पूछ कर तो देसखए, वह पिट कर पूछेगा, ‘सकिका मुलक ् मेरा या आपका? सकिका झंडा मेरा या आपका? यह िमस्या तब तक बनी रहेगी जब तक कश्मीरी हमारे राष््ीय ध्वज को अपना न िमझने िगे्और यह काम बिपूवक ण् नही् हो िकता. सपछिे ित्र् िािो् मे् तो नही् हुआ है. यह केवि बातचीत िे ही िंभव है. n
उच़ममलेश
बंदूक् कोई हल नही्
उग््वाद से लनपटने मे्राजनीलतक पिल की सबसे बड्ी भूलमका िोती िै. कश्मीर मे्वि निी्लदखती.
क
श्मीर घाटी कुछ वष््ो्िे अपेक्ाकृत िामान्य और शांत िी थी. धरती के इि जन्नत मे्खुशहािी और अमन-चैन इिी तरह कायम रहे, इिकी दुआएं मांगी जाने िगी थी्. पर हाि के सदनो्मे्वहां सजि तरह के हािात बने और राजनीसतक िंवाद की प््स्कया थम िी गयी, उिे देखते हुए आशंकाओ्के बादि भी मंडरा रहे थे. एनआईटी-सववाद, कश्मीर िे बाहर कई जगहो्पर कश्मीरी छात््ो्की सपटाई और िंस्थानो्िे सनष्कािन िसहत ढेर िारे घटनाक््म दज्ण हुए. अंततः दुआओ् और िसदच्छाओ् पर आशंकाएं भारी पड्ी्. सहंिक टकराव बढ्गया. कश्मीरी केिर और मौिमी िूिो् की खूशबू के बजाय घाटी बार्दी गंध िे भर गयी. एक सहज्बुिकमांडर के मारे जाने के बाद िे अब तक िुरक््ा बिो्की गोसियो्िे 40 िे असधक कश्मीरी नौजवानो्के मारे जाने की खबर है और िुरक््ा बिो्के भी कई जवान बुरी तरह जख्मी हुए है्. एक के मरने की भी खबर है. घाटी मे् इि बार पैिेट-गन्ि(एक बार चिाये जाने पर िैकड्ो् खतरनाक छर््े सनकािने वािी बंदक ू )े् जमकर चिी्, सजििे िैकड्ो्बच््ो्और नौजवानो् की आखो्की रोशनी जा चुकी है या वे सवकिांग हो चुके है्. सदल्िी ब्सथत एम्ि के वसरष्् डाक्टरो् की टीम ने भी प््दश्णनकासरयो् पर ऐिी गोसियां बरिाया जाना तत्काि बंद करने का िुझाव सदया. बताया जाता है सक इि तरह की तकनीक इजरायि िे आयासतत है. दरअिि, घाटी मे् इि तरह के सहंिक टकराव की पृष्भूसम पहिे िे बन रही थी. बुरहान वानी के मारे जाने वह अचानक भड्क उठा. कर्य्णू के बावजूद उिके जनाजे मे् इतनी भारी िंख्या मे्औरतो्, बच््ो्, युवाओ्और बूढ्ो् का शासमि होना, कोई िाधारर घटना नही्है. इि घटना िे कश्मीर मे् घरेिू-आधार वािी समसिटे्िी का चेहरा पूरी दुसनया के िामने आया है. इिने इि समथक को भी तोड्ा है सक कश्मीर की समसिटे्िी अब सिि्फ पासकस््ान के भरोिे बची है, कश्मीरी अवाम मे्उिे सबल्कि ु िमथ्नण नही् है. मुझे िगता है, शािन की गिसतयो् के चिते कश्मीरी अवाम मे्समसिटे्िी को पहिे के मुकाबिे ज्यादा िमथ्णन समि रहा है. हमारे राष््राज्य के सिये यह खतरनाक और चुनौतीपूर्णहै. यह जानते हुए भी सक कश्मीर का सववाद बुसनयादी तौर पर एक राजनीसतक मििा है, बीते कुछ िमय िे के्द्ीय नेतृत्व ने घाटी मे् राजनीसतक िंवाद की प््स्कया पूरी तरह बंद कर रखा है. अप््ैि-मई, 1964, 1975-80 और िन 2004-08 तीन महत्वपूर्णकािखंड है, जब कश्मीर मििे को हि करने की प््बि िंभावनाएं पैदा हुई थी्. िेसकन अिग-अिग काररो्िे वह िंभव नही्हो िका. इन तीन को छोड्दे्तो कश्मीर के राजनीसतक िवाि पर हमारे राष््राज्य और इिके ित््ाधासरयो् द््ारा कभी अपेस्कत गंभीरता नही् सदखाई गयी. बयानबासजयां जर्र होती रही्, कभी ‘स्काई इज द सिसमट’ कहा गया तो कभी ‘इंिासनयत और कश्मीसरयत के दायरे’ की बात की गयी. बीते दो-ढाई िाि िे तो बात भी नही्हो रही थी. सदल्िी के िाउथ और नाथ्णल्िाक मे्इन सदनो्कश्मीर को
सिि्फकानून-व्यवस्था के खतरनाक िंकट के र्प मे्देखा जाने िगा है. िरकार के बड्े ररनीसतकारो् को िगता है सक ज्यादा आक््ामक िुरक््ा बंदोबस्् और थोड्ी बहुत आस्थणक तरक््ी के जसरये समसिटे्ट गुटो् की बंदूको्को शांत सकया जा िकता है. मुझे के्द्की यह ररनीसतक िोच न केवि भ््ातं िगती है असपतु इिमे्अतीत की गिसतयो्िे न िीखने की एक सजद््भी सदखती है. िभी जानते है्सक कश्मीर सववाद की नी्व एक आधुसनक राष््-राज्य के र्प मे्िन 1947-48 मे्हमारे जन्म के िाथ ही पड्गयी थी. समसिटेि ्ी भिे िन 1990-91 मे् आई िेसकन सववाद तो अक्तूबर-नवम्बर, 1947 मे्ही शुर्हो गया. शेख मोहम्मद अल्दुल्िा जब तक जीसवत रहे, के्द्की तरि िे उन्हे्बीच-बीच मे्िताया जाता रहा. सिर भी उन्हो्ने पूरे िूबे के सिये कुछ बड्ेकाम सकये, सजनमे्भूसम िुधार पहिा बड्ा कदम था. इिने कश्मीर का चेहरा और िमाजशास्् बदि डािा. उनके रहते घाटी मे् समसिटे्िी को जगह नही्समि िकती थी क्यो्सक िोगो्को भरोिा था सक उनके तमाम मििे शेख िाहब हि करेग् .े िन 1982 मे्शेख के इंतकाि के बाद घाटी िगभग नेतृत्वसवहीन हो गयी और के्द् की सनयसमत दखिंदाजी और दादासगरी का सशकार भी. िन 1987 के चुनावो् मे् सजि तरह की सहंिा हुई और जनादेश को िुरक््ा बिो् के जसरये रौ्दा गया, उिने घाटी के समजाज को बदि डािा. मुब्सिम युनाइटेड फं्ट के अनेक जीत रहे प््त्याशी हराये गये. इनमे् श््ीगर की अमीरकदि िीट के प््त्याशी युिूि शाह भी एक थे. इनके मतगरना एजेट् यािीन मसिक को मारमार कर िहूिुहान कर सदया गया. युिूि शाह भी पीटे गये. कुछ िमय बाद युिूि शाह कश्मीर िे गायब हो गये. बाद मे् इन्ही् शाह ने पासकस््ान जाकर कश्मीर मे्समसिटेि ् ी को तेज करने के सिये नये हसथयारबंद िंगठन-सहज्बुि मुजासहद््ीन की स्थापना की. इिके िाथ ही उन्हो्ने अपना नाम भी बदिा और बन गये कमांडर-इन-चीि ििाहुद्ीन. मै्ने यहां सिि्फ एक उदाहरर सदया. ित््ा और सियाित द््ारा ‘जख्मी’ सकये ऐिे अनेक छोटे-बड्े सकरदार है्, सजन्हो्ने बाद के सदनो् मे् कश्मीर की समसिटे्िी या अिगाववादी हसथयारबंद िड्ाई मे्शासमि होने का िैििा सकया. सहज्बि ु कमांडर बुरहानी वानी के मारे जाने िे उठा बवंडर कुछ िमय बाद थम िकता है. पर घाटी के अहम िवाि को जब तक िंबोसधत नही् सकया जायेगा, ऐिे बवंडर िमय-िमय पर उठते रहे्गे. वह िवाि हैकश्मीर के सियािी वजूद का सनध्ाणरर. बंदूको् का जवाब बंदूके् होती् तो अमेसरका की बंदक ू ो्ने पस््शम एसशया िसहत पूरी दुसनया को अब तक शांत कर सिया होता. जहां-जहां सिि्फ बंदूको् िे जसटि राजनीसतक मििे को हि करने की कोसशश की गयी, बंदूके्अंततः सविि िासबत हुई्. दुसनया मे् हर जगह ऐिे उदाहरर समिे्गे. समसिटे्िी और उग््वाद िे सनपटने मे् िुरक््ात्मक कदम के िाथ राजनीसतक पहि की िबिे बड्ी भूसमका होती n है. कश्मीर मे्वह सििहाि नही्सदखती. शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 15
चेहरा शरद गुप़ता
एक कथाकार जो संपादक है
राजकमल झा के बारे मे्तय करना मुश्शकल िै लक वे अच्छे संपादक िै्या अच्छे सालित्यकार या दोनो्िी.
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ह सदन मे्अखबार का िंपादन करते है्और रात को कहासनयां सिखते है्. और दोनो् ही काम क्या गजब करते है्! पचाि िाि के राज कमि झा अपने तेजतर्ाणर तेवरो्के सिये प््सिि््‘द इंसडयन एक्िप््ेि’ िमूह के मुख्य िंपादक है्और अब तक चार उपन्याि सिख चुके है्. िन 1999 मे् प््कासशत उनके पहिे उपन्याि 'द ल्िू बेडस्प्ेड’ को देश मे्िबिे ज्यादा एडवांि (अस््गम मेहनताना) और रॉयल्टी (सबक््ी मे् सहस्िा) समिी थी. वह दुसनया की 12 भाषाओ्मे्प्क ् ासशत हुआ. यह िब तब जब वे महज 33 िाि के थे. राज कमि अपने काम मे् इतने मिर्ि रहते है् सक बाहर की दुसनया िे उनका िंपक्फ सिि्फ अपने िंवाददाताओ् और ख़्बरो् के जसरये ही होता है. पाठको् और आम आदमी की तो बात ही क्या है, अखबार की दुसनया के बमुब्शकि 5 प््सतशत िोगो्ने उन्हे्देखा होगा और एक प्स्तशत िे भी कम िे उन्हो्ने कभी बात की होगी. वे इंटरव्यू नही्देते. अगर कभी सकिी पत््कार िे बात करते भी है्तो सिि्फअपनी सकताबो्को प्म् ोट करने के सिए. ऐिे ही एक दुिभण् िाक््ात्कार मे् उन्हो्ने कहा था सक िंपादक का काम िाक््ात्कार देना नही् है बब्लक अखबार बेहतर तरीके िे सनकािना है. इि काम को वे बखूबी अंजाम देते है्. खबरो्की उनकी िमझ का कोई िानी नही्है. वे दूर िे ही खबर िूंघ िेते है्और सिर उिके िबिे बेहतर प््जे्टेशन मे् िग जाते है्. खबर का कोई पहिू उनकी सनगाहो् िे बच नही् िकता. मै्ने उनके िाथ छह िाि काम सकया है. दर्तर मे् घुिते ही राज कमि अगर समि गये तो पहिा िवाि होता था, आज क्या नया है? खबर बताने पर अगिा िवाि होता था, व्हाट्ि द ब्सपन? यानी इिमे्दूिरो्िे अिग एंगि क्या है? या सिर, हाउ कैन वी टेक द स्टोरी िॉरवड्ण? यानी सजतना िमाचार टीवी और न्यज ू एजेि ् ी ने प्ि ् ासरत सकया है, हम उििे ज्यादा क्या दे रहे है्? चाहे्पनामा पेपि्णहो्या एचएिबीिी द््ारा ब्सवि बै्क खातो्पर खबर, वे हर स्टोरी की गहराई मे् जाते है्. हर सरपोट्ण पर िवाि उठाते है् और तब तक छपने नही्भेजते जब तक सरपोट्णउन्हे्िंतुि्न कर दे. चाहे इिमे् एक घंटा िगे, एक सदन या एक महीना. उन्हो्ने यह काय्ण पद्घसत अपने िहयोसगयो्मे्भी सवकसित की है. राज कमि चांदी का चम्मच िेकर पैदा नही् हुए थे. उनके सपता कोिकाता के एक कॉिेज मे्िंस्कृत और मगधी पढ्ाते थे. दो कमरो्के मकान मे्छह प््ारी रहते थे. िेसकन बचपन िे ही राज को रात मे्जल्दी नी्द नही् आती थी. िेसकन चुपचाप सबस््र पर कोई सकतनी देर पड्ा रह िकता है. इिीसिए वे िबके िोने के बाद सकताब उठाकर बाथर्म मे्चिे जाते और वही्पढ्ते रहते. तब तक जब तक नी्द नही्आने िगती. इिी 16 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
बीच 1984 मे् उनका आईआईटी मे् इंजीसनयसरंग मे् चयन हो गया. उन्हो्ने आईआईटी खडग़पुर िे मैकेसनकि इंजीसनयसरंग की सडग््ी िी. राज कमि को खडग़पुर बहुत पिंद आया क्यो्सक उनकी सजंदगी मे्यह पहिा मौका था जब उन्हे् एक पूरा कमरा रहने को समिा, सबना सकिी के िाथ िाझा सकये. िी-231 आजाद हॉि. ऊपर िे रात मे्बत््ी बुझाने के िमय की कोई पाबंदी भी नही् थी. यही वह िमय था जब उन्हो्ने खुद के अंदर कहानी कहने की सवधा को तिाश सकया. पहिी कहानी सिखी. एक ऐिे कुत्े के बारे मे्जो बरिात के पानी मे् खेिने के इच्छा के चिते एक गड््ा मे्कूदता है और सिर उिे मािू म चिता है सक यह तो कुआं रािकमल झा: भाषा के िो र्प है. यह कहानी कॉिेज की मैगजीन मे् छपी. बाद मे् तीिरे और सिर फ़्ाइनि इयर के दौरान तो वे कॉिेज पस््तका के िंपादक ही बन गये. यही वह िमय था जब राज कमि को िगा, उनकी र्सच इंजीसनयसरंग िे ज्यादा पत््कासरता मे् है और उििे भी ज्यादा िेखन मे्, कहानी कहने मे्, िुनाने मे्, पढ्ाने मे्. कॉिेज खत्म करते ही उन्हो्ने कैसििोस्नणया सवश््सवद््ािय िे पत््कासरता मे् एमए सकया. वही् ‘न्यूयॉक्फ टाइम्ि’ और ‘िॉि एंजसिि टाइम्ि’ जैिे अख़्बारो्मे्सिखना शुर्सकया. िन 1992 मे् ‘द स्टेट्िमैन’ बतौर िहायक िंपादक ज्वाइन सकया. दो िाि बाद ‘इंसडया टुड’े मे्बतौर िीसनयर एिोसिएट एसडटर सदल्िी आये. 1995-96 मे्जब शेखर गुपत् ा ने ‘इंसडयन एक्िप्ि ्े ’ िंभािा, राज बतौर सडप्टी एसडटर उनके नंबर दो थे. शेखर कही्भी रहे्, रात दि-ग्यारह बजे के करीब राज िे आधे-एक घंटे बात कर िगभग पूरा अखबार सडस्कि करते थे. राज की ख़्ूबी थी अखबार का िेआउट और पठनीय शीष्णक देना. शुर्आत के सदनो्मे्पहिे पन्ने की िगभग िारी खबरे्वही िंपासदत करते थे, शीष्णक देते थे. एक्िप््ेि के खुिेपन को िायदा उठाते हुए उन्हो्ने ख़्ूब प््योग सकये. वह चाहे 9/11 की कवरेज मे् िगभग तीन चौथाई पेज का फ़््ंट पेज िोटो हो या िगभग एक महीने तक चिी 'भारतीय जनता पेट्ोि पंप पाट््ी' वािी िीरीज़्सजिमे्उन्हो्ने देश भर मे्बीजेपी िरकार द््ारा अपने काय्णकत्ाणओ्को बांटे पेट्ोि पंप का खुिािा सकया. भिे ही राज कमि आज मुख्य िंपादक हो्, िेसकन ख़्बरो्मे्उनकी र्सच बरकऱार है. वे अक्िर कहते है्, ‘इन्ही् ख़्बरो् के बीच अक्िर मुझे अपनी कहासनयो् के पात््, िीन और प्िॉट समि जाते है्. यह मेरी जर्री n खुराक है. इिके सबना मै्जीवन की कल्पना नही्कर िकता.’
ख्बरदार चववेक सक़सेना
चिचिया ते बाज तुिवाऊं?
उत््र प््देश मे्अब एक ओर चालीस साल के अलखलेश िै्तो दूसरी ओर अठित््र की शीला दील््कत.
बा
हर बासरश हो रही थी और हम िोग प््ेि क्िब मे् बैठे चाय और शीिा दीस््कत के उम्मीदवार बनाये जाने के पीछे और भी कारर रहे. पकौडो् का आनंद िे रहे थे. तभी टीवी पर खबर आयी सक उत््र कांगि ्े का यह दावा है सक वह अखसियतो्-मजिूमो्की पाट््ी है. जो िबिे प््देश मे्शीिा दीस््कत कांग्ेि की मुख्यमंत्ी उम्मीदवार हो्गी. उिके बाद कमजोर और अल्पिंख्यक होता है यह पाट््ी उिके िाथ खडी होती है. नीचे यह पंब्कत सदखाई दी वे उमा शंकर दीस््कत की बहू है्. िाथ बैठे एक पीवी नरसिंहराव िे िेकर िीताराम केिरी और मनमोहन सिंह इिके युवा पत््कार ने पूछा सक यह उमा शंकर दीस््कत कौन है्? हमे्उन्हे्बताना जीते-जागते उदाहरर है. जो खुद चुनाव िडने की कल्पना भी नही् कर पडा सक वे है्, नही् थे. वे कांग्ेि के बडे नेताओ् मे् सगने जाते थे. के्द् मे् िकते थे, उन्हे्पूरी पाट््ी को आम चुनाव िडवाने की सजम्मेदारी िौ्प दी मंत्ी रहे. कन्ाटण क और पस््शम बंगाि के राज्यपाि रहे. उमा शंकर दीस््कत गयी. इिी कमजोर कडी के चिते ही शीिाजी का चयन हुआ क्यो्सक 25 िाि तक कांग्ेि खंजाची रहे. उनके िमय मे्यह कहावत शुर्हुई सदल्िी मे्पाट््ी का ििाया करने और खुद अपनी िीट हारने के बाद उन्हो्ने थी सक ‘न खाता न बही जो कहे्दीस््कत वही िही’. वे नेशनि हेराल्ड के यह िासबत कर सदया था सक मतदाता के बीच उनिे बडा अल्पिंख्यक प््भारी रहे और उिके अविान मे्उनकी वही भूसमका रही, जो उनकी बहू और कोई है ही नही्. की सदल्िी मे्कांग्ेि की दुगणस्त मे्रही. शीिा मूितः पंजाब िे है जहां गुर्गोसवंद सिंह का यह दोहा बहुत याद शीिाजी उन्ही्के बेटे सवनोद दीस््कत की बहू है.् उनका 1990 मे्देहांत सकया हाता है. ‘सचसडयां ते मै्बाज़ तुडवाऊं, गीदड तो मै्शेर बनाऊं, िवा हो गया था. यह िुनते ही उि युवक ने मुंह सबचकाते हुए कहा सक उि िाख िे एक िडाऊं, तबे गोसवंद सिंह नाम कहाऊं.’ उप््मे्अब जहां एक िाि तो मै् पैदा हुआ था. उिकी बाते् िुनकर िगा सक कांग्ेि भी क्या ओर 40 िाि के असखिेश है् तो दूिरी ओर 78 िाि की शीिा. बै्टिे गजब की पाट््ी है. इि 131 िाि पुरानी पाट््ी के गोदाम मे्इतने नेता है्सक का मुकाबिा एंबेिडर िे होगा. िे्ब्ेटा और हीरो हो्डा के बीच रेि िगेगी. जब चाहे, सकिी को भी झाड-पो्छकर-चमका कर कुछ सदिजिे कांग्ेसियो्ने कहना शुर्कर सदया है अपने शोकेि मे्रख देती है. सक उन्हे् तो अपने गांव तक का नाम याद नही् है. आसखर यह माक््ेसटंग का जमाना है और जब क्या वे यह बता िकती है्सक श््ावस््ी कहां है और पीके िरीखे चुनावी प््बंधकत्ाण हो तो पूछना ही उिका पुराना नाम क्या था? क्या उन्हे् पता है सक क्या. उन्हो्ने िुझाया सक उत्र् प्द् श े कांगि ्े मे्जान उत््र प््देश मे्सकतने सजिे और उिकी िीमा कहां डािने के सिए सकिी ब््ाह्मर को मुखय् मंत्ी पद का िे शुर् होकर कहां िगती है. अब इनको कौन उम्मीदवार घोसषत करना होगा. तीन नाम सदये- दो िमझाये सक सनष्पक््ता बनाये रखने के सिए राहुि और स््पयंका के थे इिसिए तीिरी शीिा अज््ानता जर्री है. इंसदरा गांधी ने भी उत््र भारत के दीस््कत के नाम पर ठप्पा िगा सदया. इिकी वासजब तमाम प्द् श े ो्का प्भ् ारी जी के मूपनार को बना रखा वजह भी है. अपनी शीिाजी पंजाब के कपूरथिा था. उन्हे्सहंदी नही्आती थी व सशकायत करने वािे की है्. वे कपूर खत््ी है्. चूंसक सनम्णि खत््ी को नेताओ् को अंग्ेजी नही् आती थी या तसमि नही् हटाया था इिसिए सक सकिी खत््ी को िाना जर्री आती थी. वे उनकी बात िुनकर गद्णन सहिाते रहते था. वे उत््रप््देश की जासतवाद की राजनीसत की टू और राज्य की कांग्ेिी िरकार आराम िे चिती इन वन है्. जन्म िे खत््ी पर शादी के बाद ब््ाह्मर रहती. यही वजह थी सक िबे िमय तक मधुिूदन हो गयी्. हािांसक सहंदू िमाज मे्यह व्यवस्था है सक समस््ी उत््र प््देश के प््भारी बने रहे थे. िगता है आप अपना धम्णतो बदि िकते है्जासत नही्. पर सक जैिे राहुि गांधी ने सदल्िी मे् ‘आप’ पाट््ी िे रेखासित््: यािव, इंटरिेट से साभार िीखने की बात कही थी वैिे ही पाट््ी भाजपा के जब बाबा िोग मैगी बेचने पर उतार् हो् तो नेता जासत की माक््ेसटंग क्यो्नही्कर िकते! प्य् ोगो्िे भी िीखना चाहती है. वह शीिा दीस््कत को उत्र् प्द् श े की सकरर वे बचपन मे्सदल्िी के जीिि एंड मेरी स्कूि मे्पढी्. बाद मे्समरांडा बेदी बनाना चाहती है. कािेज िे सडग््ी िी. उमा शंकर दीस््कत के आइएएि बेटे सवनोद दीस््कत िे वैिे कुछ कांग्ेिी यह भी दावा कर रहे है सक ईद के चंद सदनो्बाद ही सववाह हुआ और रातो्-रात ब््ाह्मर हो गयी्. अब खुद को उत््रप््देश की उनके नाम का ऐिान होने की अििी वजह यह है सक चुनाव पसरराम बहू बता रही है्जैिे सक राजस्थान मे्विुंधरा राजे खुद को जाटो्की बहू आने के बाद बसि का बकरा चासहए. इिसिए चुनाव की तैयारी हो या न बताती है्तो अमेठी मे्स्मृसत ईरानी ने खुद को उत््रप््देश की बहू बताया हो, बकरे की तैयारी तो ही गयी है. वैिे शीिा दीस््कत को ब््ाह्मर नेता के था. हािांसक इि देश मे् बहुओ् के िाथ जो कुछ होता आया है, उिका र्प मे्पेश सकये जाने पर वह घटना याद आ गयी जब कांग्ेि िे ििमान इसतहाि गवाह है. िीता अपने पसत राम के िाथ जंगि मे् धके् खाने खुश्ीद को प््देश अध्यक््बनाया था. तब उत््र प््देश के कांग्ेसियो्ने हाई इिसिए चिी गयी थी् सक उनको िगता था सक उनकी गैर-मौजूदगी मे् कमान के आगे जाकर आंिू बहाते हुए कहा था, ‘हमने मांगा था n तीनो् िाि ताने मार-मार कर बदहाि कर देगी. इंसदरा गांधी की अपनी मुििमान, आप ने दे सदया ििमान!’ (मौजूदा दौर के राजकाज पर वसरष््पत््कार छोटी बहू मेनका गांधी िे नही्पटी तो वही्िोसनया गांधी िंख्या बि होते सववेक िक्िेना यह कॉिम सनयसमत र्प िे सिखे्गे.) हुए भी इि देश की प््धानमंत्ी इिसिए नही्बन पायी्सक वे भी बहू ही थी्. शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 17
उत््र प््देश
सभी फोटो: पवि कुमार
लखिऊ मे् शीला िीस््कत और राि बब्बर का रोड शो: उम्मीि और उत्साह
सतह से उठती हुई कांग्ेस उत््र प््देश मे्अस््ेबाद कांग्ेस काय्षकत्ाषओ्मे्नयी ऊज्ाष का संचार िुआ िै. राज बब्बर के र्प मे्उसे एक लोकल््पय प््देश अध्यक््लमला िै. लवधानसभा चुनाव की दृल्ि से पाट््ी की सल््कयता कालबले-गौर िै.
अंबरीश कुमार
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त््ह जुिाई की भीगी दोपहर िखनऊ के अमौिी हवाई अड््े िे जब प््देश कांग्ेि अध्यक्् राज बल्बर और पाट््ी की ओर घोसषत मुख्यमंत्ी पद की दावेदार शीिा दीस््कत बाहर सनकिे तो उन्हे्अंदाजा भी नही्होगा सक उनके स्वागत के सिए इतने काय्णकत्ाण जुटे हो्गे. िंबे अरिे बाद कांग्ेि काय्णकत्ाणओ्मे्ऐिा उत्िाह और नेताओ्मे्इि प््कार की एकजुटता नजर
18 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
आयी. कांग्ेि काय्णकत्ाणओ्ने िखनऊ की हर मुख्य िड्क को राज बल्बर और शीिा दीस््कत के स्वागत वािे होस्डि्ग और पोस्टर िे पाट सदया था. केवि सवक््मासदत्य माग्ण ही अपवाद बचा था जहां िपा का प््देश मुख्यािय और मुिायम सिंह यादव का िरकारी आवाि है. इि िड्क पर िमाजवासदयो् का कल्जा रहता है. मुख्यािय के िामने कई दुकाने है्सजन पर गांधी, िोसहया और जयप््काश के अिावा नये पुराने िमाजवासदयो्के िोटो-पोस्टर और िपा का झंडा आसद सबकते नजर आते है्. कांग्ेसियो् ने भी परंपरा का उल्िंघन नही् सकया िेसकन उन्हो्ने कोई और िड्क या चौराहा ऐिा नही् छोड्ा जहां राज बल्बर नजर न आ रहे हो्. हाित यह है सक शहर मे् कई जगह मुिायम सिंह यादव और मुख्यमंत्ी असखिेश यादव की तस्वीर वािी होस्डि्ग पर भी राज बल्बर की तस्वीर चस्पा है. कांग्ेसियो् के स्वागत जुिूि ने शहर मे् कई जगह जाम की ब्सथसत सनस्मणत कर दी. वही् काय्णकत्ाणओ् की भीड् के चिते मंच तक टूट गया. शीिा दीस््कत, राज बल्बर, मोहसिना सकदवई, सजसतन
प््िाद िे िेकर िंजय सिंह तक िभी नेता िाथ नजर आये. राज बल्बर ने काय्णकत्ाणओ्िे कहा सक अब न पसरवार चिेगा न तड्ीपार रहेगा. जासहर है वह तड्ीपार कहकर भाजपा अध्यक्् असमत शाह पर िीधा सनशाना िाध रहे थे. उन्हो्ने िपा को भी सनशाने पर सिया िेसकन िम्मान के िाथ. आसखर वह खुद िपा िे सनकिे है्. प््धानमंत्ी मोदी भी उनके हमिे िे नही् बचे. कुिसमिाकर यह िाि हो गया सक कांग्ेि उप््मे्आक््ामक राजनीसत करने वािी है और वह तीिरे-चौथे नंबर की िड्ाई िे सनकिने का प््याि करेगी. वैिे भी उिके पाि खोने को कुछ नही् है. वह जो भी पायेगी वह उिका राजनीसतक िाभ ही माना जायेगा. परंतु इि बीच पाट््ी काय्णकत्ाणओ्मे्जो उत्िाह नजर आ रहा है वह सवधानिभा चुनाव मे् पाट््ी को िाभ सदिा िकता है. सपछिे सदनो् जैिे ही उत््र प््देश कांग्ेि अध्यक्् पद पर राज बल्बर का नाम घोसषत हुआ, काय्णकत्ाणओ् मे् खुशी की िहर दौड् गयी. इिके बाद आिाकमान ने कई ऐिे िैििे सिए सजन्हो्ने कांग्ेि को िखनऊ के
अखबारो्की िुस्खणयो्मे्बनाये रखा. प््देश की राजनीसत मे् कांग्ेि कािी िमय बाद चच्ाण मे् आयी है. बब्लक कहा जाये तो केवि चच्ाण नही् बब्लक पाट््ी मे् नयी ऊज्ाण भी नजर आ रही है. राज बल्बर की राजनैसतक कम्णभूसम उत््र प््देश ही है. इि बात ने काय्णकत्ाणओ्को िंबि सदया है. उनकी राजनीसतक यात््ा सदिचस्प है जो उनकी नेतृत्व क््मता को भी आिानी िे उजागर करती है. राज बल्बर छात्् जीवन मे् ही िमाजवादी आंदोिन िे जुड् गये थे. वह आगरा की िंघष्ण वािी छात्् राजनीसत िे सनकिे और आंदोिनो् िे राजनीसत का ककहरा िीखा. इन बातो् ने ही आगे चिकर उनको एक पसरपक्व राजनेता मे्तल्दीि सकया. िपा िे िंिद मे् पहुंचने वािे राज बल्बर उत््र प््देश मे् दो बार ज्यादा चच्ाण मे् आये. पहिी बार पूव्ण प््धानमंत्ी सवश््नाथ प््ताप सिंह के िाथ असनि अंबानी की दादरी पसरयोजना को िेकर शुर् हुए सकिान आंदोिन के वक्त तो बाद मे् सिरोजाबाद िे मुिायम सिंह की बड्ी बहू सडंपि यादव को हराने के चिते. दादरी सकिान आंदोिन िे राज बल्बर को नयी राजनीसतक ऊंचाई समिी थी. उन्हो्ने पूव्ाि्चि के िासजि नगर (देवसरया) िे दादरी (गासजयाबाद) तक िड्क माग्ण िे यात््ा की थी. मुिायम सिंह यादव ित््ा मे् थे और अमर सिंह का स्थान उनके बाद आता था. अमर सिंह और राज बल्बर के बीच सववाद हुआ और राज को पाट््ी िे बाहर जाना पड्ा. इिके िाथ ही उत््र प््देश
मे् वीपी सिंह और राज बल्बर ने सकिान आंदोिन को िेकर मोच्ाण खोि सदया. आंदोिन िंबा चिा और िाठी गोिी िब चिी. राज बल्बर ने मुिायम सिंह पर िीधा हमिा तो नही् सकया िेसकन िमाजवादी िरकार को नही् बख्शा. देवसरया िे शुर् हुई सकिान यात््ा ने पूरे प््देश मे्जबरदस््माहौि तैयार कर सदया. उि िमय प््देश मे्राज बल्बर का सदया एक नारा बहुत िोकस््पय हुआ था. 'सजि गाड्ी पर िपा का झंडा, उि गाड्ी मे् बैठा गुंडा'. उि दौर मे्िमाजवादी पाट््ी अपने बाहुबसियो् के चिते आये सदन चच्ाण मे् रहती थी. ऐिे मे् राज बल्बर का िीधा हमिा रंग िाने िगा. जनमोच्ाण गठबंधन ने युवाओ् और सकिान नौजवानो्को िामबंद सकया. यह और बात है सक वष्ण2007 के सवधानिभा चुनाव मे् इिका िायदा मायावती को समिा क्यो्सक िपा को टक््र देने की ब्सथसत मे् केवि बिपा ही थी. वीपी सिंह और राज बल्बर के जनमोच्ाण के तीन ही उम्मीदवार जीते िेसकन िपा की पराजय का माहौि तैयार करने मे् इिने बहुत बड्ी भूसमका सनभायी थी. जनमोच्ाण और सकिान मंच के तत्कािीन उपाध्यक्् सवनोद सिंह के मुतासबक, 'जनमोच्ाण और सकिान मंच के सकिान आंदोिन की उि दौर मे् बड्ी भूसमका थी. चुनाव मे्जनमोच्ाण के केवि तीन उम्मीदवार भिे जीत िेसकन तीन दज्णन िीटो् पर हमे् 20 हजार िे असधक वोट हासिि हुए थे.' लखिऊ मे् शीला िीस््कत: अच्छे सिि लौटे्गे?
इि चुनाव मे् िमाजवादी पाट््ी ित््ा िे बाहर हो गयी और मायावती ित््ा मे् आयी. चुनाव िे पहिे जनमोच्ाण और कांग्ेि के बीच भी तािमेि की िंभावना तिाशी गयी थी. कांग्ेि िे बातचीत की सजम्मेदारी राजबल्बर ने िंभािी और वही् िे वह कांग्ेि आिाकमान के करीब आये. कांग्ेि ने राजबल्बर की राजनैसतक प््सतभा तभी पहचान िी थी. बाद मे् राजबल्बर कांग्ेि मे् शासमि हो गये. उिके बाद िे उन्हो्ने कई चुनावो् मे् कांग्ेि के स्टार प््चारक की भूसमका सनभायी और पाट््ी के िमस्पणत काय्णकत्ाण बन गये. यही वजह है सक िोकिभा चुनाव हारने के बावजूद पाट््ी ने उनको उत््राखंड िे राज्यिभा मे् भेजा और अब उन्हे्उत््र प््देश कांग्ेि अध्यक््की अहम भूसमका सनभाने को दी गयी है. वह िखनऊ के मीसडया मे्कािी िोकस््पय है्इिका भी उनको िाभ समि रहा है. बहरहाि वे प््देश कांग्ेि मे् जान िूंकने की कवायद मे् िग गये है्. यह काम आिान नही् है िेसकन राज बल्बर को भरोिा है अपने आप पर और आम िोगो् पर. राज बल्बर ने कहा, 'एक ही पसरवार का िरपंच भी है और मुख्यमंत्ी भी. पसरवारवाद िे अब िोग मुक्त होना चाहते है् तो तड्ीपार िे भी मुक्त होना चाहते है्.' असमत शाह का नाम सिये सबना उन्हो्ने कहा सक यह बड्ी डीि डौि का नेता उत््र प््देश मे् घूम घूम कर डीि कर रहा है. पर अब इिे िोग पहचान चुके है्. गौरतिब है सक उत््र प््देश मे् कांग्ेि का सहंदू जनाधार मुख्य र्प िे भाजपा और बिपा मे् बंट गया है. खािकर दसित अगर बिपा की तरि गया तो अगडी जासतयां भाजपा की तरि चिी गयी. अब अगर कांग्ेि मजबूत होती है तो इनमे् िे कुछ तो कांग्ेि की तरि िौट िकती है. िाफ़ है कांग्ेि का वोट बै्क बढा तो बिपा और भाजपा पर अिर पडेगा. इिी वजह िे बिपा की मायावती तक ने शीिा दीस््कत को मुख्यमंत्ी का चेहरा बनाये जाने पर तीखी प््सतस््कया की. यही ब्सथसत भाजपा की भी रही. पर िमाजवादी पाट््ी भी कम ितक्फनही्है. अयोध्या आंदोिन के बाद कांग्ेि का मुब्सिम जनाधार िमाजवादी पाट््ी की तरि चिा गया था. बाद मे्कल्यार सिंह ने जब िपा की िाि टोपी पहनी तो सिर मुििमानो् का एक सहस्िा कांग्ेि मे् िौटा. वष्ण 2009 के िोकिभा चुनाव मे्और कांग्ेि िपा बिपा के बराबर खडी हो गयी थी. अब वैिी ब्सथसत तो है नही् सिर भी िमाजवादी पाट््ी के प््वक्ता राजे्द् चौधरी का कहना है सक इन दगे हुये कारतूिो् िे कांग्ेि को कोई िायदा नही् होने वािा है . n शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 19
उत््राखंड
शक्ततमाि की प््सतमा: पहले लगी सफर हटी
एक सियािी घोड़ा
उत््राखंि मे्कांग्ेस ने मृत अश््शश्कतमान को मुद्ा बनाने की कोलशश की िै, लेलकन लिलिाल दांव उलटा पड्गया.
फ़ज़ल इमाम मल़ललक
ि
गता है उत्र् ाखंड मे्सियािी दिो्के पाि मुद्ो् की कमी हो गयी है. भाजपा और कांग्ेि एक-दूिरे के सखिाि तिवारे्तो म्यान िे सनकािे है् िेसकन दोनो् ही दि जर्री मुद्ो् िे आंख चुरा रहे है्. उत््राखंड बनने के बाद िे ही राज्य मे्दोनो्दिो्की िरकारो्पर भ््ि्ाचार और भूमासिया को िंरक््र देने के आरोप िगते रहे है्. राज्य मे्सशक््ा और स्वास्थ्य का हाि भी बेहाि है िेसकन न तो भाजपा और न ही कांग्ेि ने कभी मुखर हो कर इन िवािो्िे र्बर्होने की कोसशश की. दावे दोनो्ही दिो्की िरकारो् ने बडे-बडे सकये िेसकन सशक््ा और स्वास्थय् के मामिे मे् आज भी उत््राखंड कािी पीछे है. बहरहाि, दोनो्दि मूि मुद्ो्िे ध्यान बांटने के सिए उन मुद्ो् के िेकर सियाित कर रहे है् सजनका िरोकार आम िोगो्िे नही्है. करीब चार महीने पहिे सियािी मुद्ा बना राज्य पुसिि का घोडा ‘शब्कतमान’ एक बार सिर सियाित के के्द्मे्है. भाजपा और कांग्ेि शब्कतमान पर िवार होकर सियाित कर रहे है.् चार महीने पहिे भाजपा के प््दश्णन के दौरान शब्कतमान के पैर की हड््ी टूट गयी थी. आरोप भाजपा सवधायक गरेश जोशी पर िगा था. 20 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
उनकी सगरर्तारी भी हुई थी और तब घोड्े के बहाने कांग्ेि और भाजपा ने एक-दूिरे पर वार सकये थे. जोशी सििहाि जमानत पर है्. शब्कतमान को बचाने की कोसशश तो बहुत हुई. सवदेश िे डाक्टर बुिाये गये िेसकन शब्कतमान को बचाया न जा िका. 14 माच्णको भाजपा की राजनीसतक रैिी के दौरान पैर टूटने िे घायि हुए शब्कतमान को िेकर प््देश मे् सियािी तूिान उठ गया था. राज्य पुसिि ने इि िंबंध मे्मिूरी िे भाजपा सवधायक गरेश जोशी और दो अन्य भाजपा काय्णकतार्ओ्पर मुकदमा दज्ण कर उनकी सगरर्तारी भी की थी. घायि शब्कतमान का उपचार कराया गया िेसकन उिे बचाया नही्जा िका. मामिा तूि पकड्ता इििे पहिे ही मुख्यमंत्ी हरीश रावत अपनी ही पाट््ी के कुछ सवधायको् की वजह िे िंकट मे् सघरे और उनकी िरकार को जाना पड्ा. हािांसक बाद मे् वह वापि आये िेसकन इि सियािी उथि पुथि मे् शब्कतमान पीछे छूट गया था. िेसकन अब सिर वह राजनीसतक औजार की तरह इस््ेमाि सकया जा रहा है. प््देश की रावत िरकार शब्कतमान के बहाने भाजपा की घेराबंदी करना चाह रही थी. पता नही् िरकार को सकिने ििाह दी सक राज्य सवधानिभा के पाि घोड्े की प््सतमा िगा दी जाये तासक आते जाते
िोग भाजपा का बब्णर चेहरा याद रखे्. चुनाव मे् ज्यादा वक्त नही्रह गया है इिसिए िरकार को यह ििाह जंची और उिने घोड्े की प््सतमा िगाने का िैििा सकया और राज्य सवधानिभा के पाि सरस्पना पुि पर प््सतमा िगा डािी. िेसकन सिर रातो्रात उिे हटा देने िे प््देश का राजनीसतक पारा चढ् गया है. सरस्पना पुि पर िगी प्स्तमा पर िोगो्मे्िंदश े अच्छा नही्गया. िरकार का दांव उिटा पड्ा. िोगो्ने घोड्ेको मुद्ा बनाने की िरकार की कोसशश पर कड्ी नाराजगी जतायी. िोगो् की नाराजगी को देखकर ही पुसिि िाइंि मे्िगी घोड्ेकी एक अन्य प््सतमा का अनावरर करने िे मुख्यमंत्ी हरीश रावत ने इनकार कर सदया. हािांसक पुसिि िूत्ो् ने कहा सक प््सतमा वही् स्थासपत रहेगी. सरस्पना पुि चौराहे पर िरकार ने पहिे तो मूस्तण िगायी िेसकन दो सदन बाद ही इिे हटा सिया. कांग्ेि नेताओ् की माने् तो ड््ूटी पर घायि होने के कारर मौत का सशकार हुए शब्कतमान की प््सतमा िगाने के बाद िोशि मीसडया और िोगो् मे् सजि तरह की प््सतस््कया हुई उिने िरकार की योजना पर पानी िेर सदया. भाजपा को कठघरे मे् खड्ा करने की कोसशश मे्वह खुद कठघरे मे्सघर गयी. िोगो् की नाराजगी को देखते हुए ही आनन िानन मे् प््सतमा को वहां िे हटा सिया गया. घोडे की प््सतमा िगाने और रातो्रात हटाने वािी िंस्था मिूरी देहरादून सवकाि प््ासधकरर (एमडीडीए) ने इिे हटाने के सिए कोई कारर भी नही्बताया. िेसकन इि मुद्ेपर प्द् श े कांगि ्े अध्यक्् सकशोर उपाध्याय ने जो तक्फ सदया वह गिे िे नीचे नही् उतरता. उपाध्यक्् कांग्ेि के बड्े नेता है्. मंत्ी भी रहे है् इिसिए कुछ िमझदारी भरे बयान की उम्मीद रहती है, िेसकन उन्हो्ने जो तक्फसदये उि पर हंिी आती है. उपाध्याय इि िवाि को पहिे टािते है् िेसकन बहुत पूछने पर वे कहते है्घोड्ेकी मूस्तण परीक््र के सिए िगायी गयी थी. इिमे्रह गयी कसमयो् को दूर कर इिे सिर िे स्थासपत कर सदया जायेगा. सरस्पना पुि चौराहे िे शब्कतमान की मूसत् ण हटाने को िेकर भाजपा ने भी राज्य िरकार पर िवाि खड्ेसकये है.् प्द् श े भाजपा अध्यक््अजय भट््ने कहा सक राज्य िरकार ने शब्कतमान की मूसत् ण भाजपा को बदनाम करने के सिए िगायी थी. अब वह यह भी नही्बता रही सक रातो्रात वह आसखर क्यो् हटा िी गयी. भट््ने घोडे की मूस्तण िगाने के औसचत्य पर भी िवाि उठाये. उन्हो्ने कहा सक कांगि ्े िरकार केवि घोड्ेपर सियाित करना चाहती है वरना वह इिकी जगह राज्य आंदोिन के दौरान प््ार गंवाने वािे n आंदोिनकासरयो्की मूसत् यण ां िगाती.
मध्य प््देश
अफ़सर और बग़ावत
मध्य प््देश मे्आईएएस रमेश थेटे एक बार लिर सुल्खषयो्मे्िै्. उनका किना िै लक उनके साथ भेदभाव कर उनको रोलित वेमुला की तरि आत्मित्या के ललए प््ेलरत लकया जा रिा िै.
पूिा चसंह
म
ध्य प््देश के दसित आईएएि असधकारी रमेश थेटे िंबे िमय िे राज्य िरकार के िाथ कटु िंबध ं ो्के सिए जाने जाते है.् प्द् श े के पंचायत और ग््ामीर सवकाि िसचव थेटे ने यह कहकर िनिनी मचा दी है सक प्द् श े की िरकार दसित सवरोधी है और उनपर रोसहत वेमुिा के िमान अत्याचार कर आत्महत्या के सिये मजबूर सकया जा रहा है. उन्हो्ने कहा सक प्द् श े के आिा अििर उनको आत्महत्या करने पर मजबूर कर रहे है.् थेटे ने कहा सक उन्हो्ने भ्ि ् ्असधकासरयो् के नाम सििािे मे्बंद करके रख सदये है्सजिे उनकी मौत के बाद खोिा जाये. रमेश थेटे मुख्यतौर पर अपने सरपोस्टि्ग असधकारी और सवभाग के अवर मुख्य िसचव राधेश्याम जुिासनया पर सनशाना िाध रहे है्. उन्हो्ने जुिासनया पर कई गंभीर आरोप िगाये है् और उनका एक आसडयो भी जारी सकया है. इिके बाद राज्य शािन ने थेटे को नोसटि जारी कर वजह बताने को कहा है. सववाद की शुरआ ् त उि िमय हुई जब सपछिे सदनो्थेटे ने मुखय् मंत्ी को खत सिखकर कहा सक जुिासनया ने उनिे उनके असधकार छीन सिये है्और दसित होने के कारर उनको स्वीपर का काम िौ्पा गया है. गौरतिब है सक थेटे को स्वच्छता समशन का प्भ् ार िौ्पा गया था. थेटे ने पत््मे्सिखा सक वह बाबा िाहब आंबेडकर की िंतान है् और इिसिए झुकने का िवाि ही पैदा नही्होता. थेटे ने िीएम को सिखे खत मे् कहा है सक, काय्णसवभाजन के बाद उन्हो्ने जुिासनया िे समिकर आपस््त जासहर की थी. उन्हो्ने कहा था
रमेश रेटे: पक््पात का आरोप सक वे अंबेडकर की औिाद है् और अन्याय बद्ाशण त् नही्करेग् .े इिके बाद जुिासनया ने उन्हे् जवाब सदया सक, 'कौन बाबा िाहब? डोन्ड टॉक नॉन्िि े् .' थेटे का कहना है सक जुिासनया जासतवादी है् और उन्हो्ने अनुिूसचत जासत जनजासत अत्याचार सनवारर असधसनयम का उल्िंघन सकया है इिसिए उनके सखिाि अपराध पंजीकृत करके उनको जेि भेजा जाये. आईएएि थेटे ने िीएम को उनका बयान याद सदिाया सक, आपने ही कहा था सक बाबा िाहेब आंबडे कर की वजह िे ही आप मुखय् मंत्ी बन पाये है,् इिसिए अंबड े कर सवरोधी अििर राधेशय् ाम जुिासनया को िंरक्र ् न सदया जाये और उन पर कार्वण ाई की जाये. जुिासनया ने इि पूरे प्क ् रर पर कोई सटप्परी करने िे इनकार सकया है. थेटे सजि ग््ामीर सवकाि सवभाग मे्िसचव है्वहां िसचव के पाि पूरे सवभाग के काम रहते है् िेसकन जुिासनया ने थेटे को केवि 10 तरह के काम िौ्पे है्जो असधकांश बाबूसगरी के काम है.् थेटे का कहना है सक जर्री कामो्के बजाय उनको शौचािय सनम्ाणर व ििाई की सनगरानी का काम िौ्पा गया है जो उनके िाथ अन्याय है. उधर, सनिंसबत आईएएि शसश कर्ावण त ने थेटे को अपना िमथ्नण देते हुए िरकार मे्हो रही भ््ि्ाचारो् की पोि खोिने का दावा सकया है. शसश कर्ावण त ने कहा सक जल्द ही प्द् श े के भ्ि ् ् अििरो् की पोि खोिी जायेगी. एक आईएिएि असधकारी आजाद कुमार डबाि ने भी जुिासनया पर तीखा हमिा बोिा है. उन्हो्ने बुंदेिखंड पैकेज मे् उनकी भूसमका की जांच कराये जाने की मांग की है. प््देश कांग्ेि
अनुिूसचत जनजासत सवभाग के अध्यक्् अजय शाह ने भी राज्य िरकार पर दसित सहतैषी बनने का ढो्ग करने और कम्च ण ासरयो्-असधकासरयो्को प्त् ासड्त करने का आरोप िगाते हुए कहा है सक राज्य िरकार के चहेते कुछ आिा असधकारी दसित वग्णके आईएएि असधकारी रमेश थेटे एवं शसश कर्ावण त को िगातार प्त् ासड्त कर रहे है.् सपछिे 13 िािो् िे िरकार के सखिाि मोच्ाण खोिे थेटे को अिग-अिग मामिो् मे् जांच का िामना करना पड्ा िेसकन वे असधकांश मे् सनद््ोष िासबत हुए. वष्ण2008 मे् तो उन्हे् सरश््तखोरी के इल्जाम मे् िेवा िे बख्ाणस् भी कर सदया गया था िेसकन उच्् न्यायािय िे बेदाग बरी होने के बाद अंतत: वष्ण 2011 मे्उनको दोबारा िेवा मे्सिया गया. वष्ण 2014 मे् वह पदोन्नसत न सदये जाने िे क््ुल्ध होकर आमरर अनशन पर बैठने की चेतावनी दे चुके है्. थेटे कहते रहे है् सक िरकार अनुिूसचत जासत-जनजासत के कम्णचासरयो् को जानबूझकर प्त् ासड्त कर रही है. वह कहते है् सक जासतगत भेदभाव के कई उदाहरर उनको जुबानी याद है.् उधर, प्द् श े के िामान्य प्श ् ािन राज्यमंत्ी िाि सिंह आय्ण ने थेटे के आरोपो् को खासरज सकया है. उनका कहना है सक भाजपा िरकार ने दसितो्के सिये जो कुछ सकया है वह पहिे कभी नही् सकया गया. जबसक पूवण् मंत्ी िरताज सिंह ने थेटे और जुिासनया के सववाद पर कहा सक इि मामिे को दसित और िामान्य िे नही् जोडा जाना चासहये. दोनो् पर कार्णवाई होनी चासहये. थेटे ने अपने व्यवहार िे सनयमो्को तोडा है तो बांध टूटने जैिी घटनाओ् के सिए राधेश्याम जुिासनया की सजम्मदे ारी तय होनी चासहये. n शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 21
छत् मास््ाीसगढ् ट हेड
रसवशंकर शुत्ल सवश््सवद््ालय और बस््र सवश््सवद््ालय: घुटिे टेकती उच्् सशक््ा
संघं शरणं गच्छामि छत््ीसगढ्मे्आरएसएस की तरि से छि लवश््लवद््ालयो्के कुलपलतयो्की बैठक लकये जाने के बाद से प््देश मे् लशक््ा के भगवाकरण की बिस नये लसरे से शुर्िो गयी िै.
संिीत च़़तपाठी
भा
जपानीत के्द् की राजग िरकार पर सशक््ा के भगवाकरर का आरोप पहिे सदन िे िग रहा है. अब छत््ीिगढ्की भाजपा िरकार भी इि आरोप के घेरे मे्है. आरएिएि के प््ांत िंघ चािक सबिरा राम यादव और िह िंघ चािक डॉ पूर्ेदू िक्िेना के िाथ राज्य के सवश््सवद््ाियो्के कुिपसत और प््देश के उच्् सशक््ा मंत्ी प््ेम प््काश पांडेय जुिाई के पहिे हर्ते मे्एक िाझा बैठक मे्शासमि हुए. िाि कहे् तो आरएिएि ने िरस्वती सशशु मंसदर मे् प्द् श े के 6 कुिपसतयो्की बैठक बुिायी सजिमे् 22 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
करीब आधा दज्णन प््ोिेिर भी शासमि थे. प््देश कांग्ेि ने इिे सशक््ा का भगवाकरर बताया है तो मुख्यमंत्ी रमन सिंह ने कहा सक िंघ की बैठको्मे्वे भी जाते है्. इिे मुख्यमंत्ी द््ारा कुिपसतयो्का बचाव सकया जाना माना जा रहा है. छत््ीिगढ् मे् यह पहिी बार हुआ है सक िंघ पदासधकासरयो् ने सवश््सवद््ाियो् के कुिपसतयो्और प््ोिेिरो्की बैठक िी हो. यह मामिा सववाद मे् तब सघरा जब यह जानकारी जासहर हुई सक इि बैठक मे्राज्य के उच््सशक््ा मंत्ी प््ेम प््काश पांडेय भी पहुंचे. प््देश के छह सवश््सवद््ािय रसवशंकर सवसव, कामधेनु सवसव, बस््र सवसव, पत््कासरता सवसव, तकनीकी सवसव और दुगण्सवसव के कुिपसत इि बैठक मे्शासमि हुए. इिके सिये िंयोजक की भूसमका राजधानी रायपुर ब्सथत रसवशंकर सवसव के कुिपसत डॉ एि के पांडे ने सनभायी. उन्हो्ने ही अन्य कुिपसतयो् तक िूचना भेजकर उन्हे् रायपुर बुिवाया. बताया जाता है सक इि बैठक मे् कुिपसतयो्ने अपना वह दुखड्ा आरएिएि के िामने रोया जो सक उन्हे् कुिासधपसत होने के नाते राज्यपाि को िुनाना चासहये. कुिपसतयो् के मुतासबक अन्य राज्यो् मे् कुिपसत पद को
राज्यमंत्ी का दज्ाण प््ाप्त है. छत््ीिगढ् मे् भी यही व्यवस्था रही है, उन्हे् प््ोटोकॉि के तहत िम्मान समिता रहा है. िेसकन अब इिे घटाकर अवर िसचव के िमकक्् कर सदया गया है. कुिपसतयो् ने अन्य राज्यो् का हवािा देते हुए स्टेटि के आधार पर प््ोटोकॉि सदिवाने जाने की बात िंघ पदासधकासरयो् िे कही. सदन भर चिी इि बैठक मे् कुिपसतयो् की िमस्याओ् को िुनने के बाद िंघ पदासधकासरयो्ने शाम मे् राज्य के उच््सशक््ा मंत्ी को बुिवाया. वे पहुंचे भी. पहुंचने के बाद पांडेय ने कुिपसतयो् की िमस्याओ्को िुना. िंघ पदासधकासरयो्ने उच्् सशक््ा मंत्ी िे कुिपसतयो् की िमस्याओ् का सनराकरर करने कहा जबसक प््ोटोकॉि वािे मििे को मुख्यमंत्ी िे चच्ाण करके िुिझाने की बात कही गयी. इि बैठक के बारे मे् बस््र सवसव के कुिपसत एनडीआर चंद्ा का कहना है सक उच्् सशक््ा के क््ेत् मे् िंघ द््ारा िी गयी िमीक््ा बैठक िराहनीय प््याि था. िंघ के पदासधकासरयो्ने हमारी (कुिपसतयो्) की बात व िमस्या को गंभीरतापूव्णक िुना और चच्ाण कर िमाधान भी सकया. चंद्ा कहते है्सक ऐिी बैठके् होनी चासहये इििे उच्् सशक्ा् की
गुरवत््ा भी बनेगी और नये आयाम भी स्थासपत हो्गे. इधर कुशाभाऊ ठाकरे पत््कासरता सवश्स्वद््ािय के कुिपसत मानसिह परमार यह तो स्वीकार करते है्सक िंघ के िाथ बैठक हुई िेसकन वे इिके बारे मे्जानकारी देने िे इंकार करते हुए िाि कहते है् सक इि बारे मे् जानकारी नही्दे िकता. िंघ के िाथ कुिपसतयो् की बैठक की खबर िामने आने के िाथ ही प्द् श े कांगि ्े और छत््ीिगढ्जनता कांग्ेि जोगी ने रमन िरकार के सखिाि मोच्ाण खोि सदया. प््देश कांग्ेि अध्यक्् भूपेश बघेि ने तत्कािीन मानव िंिाधन सवकाि मंत्ी स्मृसत इरानी को ब्टवट कर सशकायत की और मुख्यमंत्ी पर कुिपसतयो्का बचाव सकये जाने की सनंदा करते हुए उनकी तुिना सहटिर और मुिोसिनी िे कर दी. उन्हो्ने कहा सक सहटिर ने ित््ा और िंगठन एक ही मुख्यािय िे चिाने की कोसशश की थी, इि वजह िे सवश््युि्हुआ. मुख्यमंत्ी भी ित््ा और िंगठन को एक ही मुख्यािय िे चिाने की कोसशश कर रहे है्. पीिीिी अध्यक््बघेि ने कहा सक मुखय् मंत्ी का बचाव िंवैधासनक मूल्यो् और परंपराओ् के सवपरीत है. रमन सिंह सहटिर और मुिोसिनी जैिे तानाशाहो्की राह पर चि पड्ेहै्. उन्हो्ने कहा सक ित््ा और िंगठन के बीच एक रेखा होनी चासहये. मुख्यमंत्ी आरएिएि के बुिावे पर कुिपसतयो्के जमावड्ेका औसचत्य िासबत कर खुद कटघरे मे् खड्े हो गये है्. मुख्यमंत्ी स्पि््करे्सक वह प्श ् ािसनक असधकासरयो्और
पुसिि असधकासरयो् को आरएिएि मुख्यािय सनद््ेश िेने के भेजना कब आरंभ करे्गे. प््देश प््शािसनक आतंकवाद की चपेट मे् है, इिका एकमात्् कारर ित््ार्ढ् दि और िरकारी सवभाजन रेखा का िमाप्त हो जाना है. इिी तरह सवधानिभा मे् नेता प््सतपक्् टीएि सिंहदेव ने राज्यपाि बिरामदाि टंडन को एक पत््सिख कर कार्वण ाई की मांग की. अपने पत््मे्सिंहदेव ने कहा सक िंघ काय्ाणिय मे्बैठक कुिासधपसत के असधकारो्का असतक्म् र है. वही्कुिपसतयो् का यह कृत्य सनरंकुश, अमय्ाणसदत काय्णप्रािी को दश्ाणता है. इिसिये कुिपसतयो् पर ठोि कार्णवाई की जानी चासहये. उन्होने अपने पत््मे् कहा सक कोड ऑि कंडक्ट के मुतासबक कुिपसतयो् को ऐिी बैठक मे् जाने िे पहिे अनुमसत प््ाप्त करना होता है, सकंतु इिका पािन नही् सकया गया. बैठक के बाद मीसडया के िमक््अपने सवचार कुिपसतयो्ने रखे. यह भी सिसवि िेवा आचरर सनयमो्के सवपरीत है. पूव्णनेता प््सतपक््रसवन्द्चौबे कहना है सक कुि 6 कुिपसतयो् की बैठक आरएिएि के पदासधकासरयो् ने िी. राज्यपाि बुजुग्ण है् िेसकन न तो अस्वस्थ्य है्, न ही छुट्ी पर है्, न िंसवधान मे्पावर डेसिगेट करने का राज्यपाि को असधकार है. यह असधकार कुिपसत को है. िंसवधान के अनुच्छेद 155-156 के अनुिार िरकार के मुसखया या सवभाग के मंत्ी यह बैठक िे िकते है्. िंघ काय्ाणिय मे्यह बैठक क्यो्िी गयी? सकिने कुिपसतयो्को आमंस्तत सकया? कौन िोग थे? प््देश कांग्ेि कमेटी कहती है सक राज्यपाि के असधकारो्का हनन एिडीआर िंद्ा: भगवा को आमंत्ण
सकया गया है, अत: स्वयं राज्यपाि इिका िंज्ान िे्. सवश््सवद््ाियो् की िमीक््ा का असधकार महामसहम को होता है, यह आरएिएि को सकिने सदया? राज्यपाि िे यह भी मांग करती है सक इि मामिे मे् दोषी पर िीधे एिआईआर दज्ण हो. उन्हो्ने कहा सक कुिपसतयो् की बैठक बुिाने और सवसव का कायक््म िमन्वय िसमसत तय करती है, इिके सिये भी सनयम बनाये गये है्मगर इि तरह की बैठक पहिी बार आयोसजत की गयी. इिी तरह पूव्ण मुख्यमंत्ी और छत््ीिगढ् जनता कांग्ेि (जोगी) के िंस्थापक अजीत जोगी ने भी िंघ पदासधकासरयो्और कुिपसतयो् की बैठक का सवरोध सकया. उन्हो्ने कहा सक जनता ने भाजपा को चुनकर ित््ा मे्भेजा है, न सक आरएिएि को. इन िबके बीच इि मुद्े पर बवाि तब और बढ्ा जब कांग्ेि की छात्् शाखा एनएियूआई ने रसवशंकर शुक्ि सवसव कै्पि मे् िंघ पदासधकासरयो् के बुिावे पर कुिपसतयो्की बैठक का सवरोध करते हुए उन्हे् खाकी पै्ट भे्ट करने की कोसशश की. छत््ीिगढ् के आम आदमी पाट््ी के िंयोजक िंकेत ठाकुर ने कहना है सक राष््ीय स्वयंिेवक िंघ द््ारा कुिपसतयो्तथा प््ोिेिरो् की मीसटंग बुिाना पूरी तरह िे अिंवध ै ासनक है. सकिने िंघ को यह असधकार सदया है सक कुिपसतयो्बैठक िे. उन्हो्ने कहा यह तो सशक््ा का भगवाकरर करने की कोसशश है. इतना ही नही्यह िोकतंत्के सिये खतरनाक भी है जब कसथत िरकारी दबाव मे्कुिपसत एवं प््ोिेिर एक िंगठन सवशेष की बैठक मे् शासमि होते है्. ठाकुर ने मांग की सक इिके सिये बैठक मे् भाग िेने वािे कुिपसतयो् तथा प््ोिेिरो् पर काय्णवाही होनी चासहये. उन्हो्ने िंघ पर भी काय्णवाही करने की मांग की है. छत््ीिगढ् माकपा के राज्य िसचव िंजय पराते ने कहा सक राष््ीय स्वयंिेवक िंघ सशक््ा के बारे मे्अपने सवचारो् िे िरकार को अवगत करा िकती है. परंतु िंघ द््ारा िीधे कुिपसतयो् तथा प््ोिेिरो् की मीसटंग िेना, शाम को सशक््ामंत्ी को बुिाकर उऩ्का िमाधान करने को कहना पूर्णत: गित है. सकिने िंघ को यह असधकार सदया है सक िरकारी काम मे्हस््क्ेप करे्. बहरहाि, यह मििा आने वािे सदनो् मे् और गरमायेगा या सिर कमजोर सवपक्् के चिते ठंडा पड् जायेगा यह कहना अभी मुब्शकि है. क्यो्सक पहिे िे ही ऐिे मामिे िामने आते रहे है्, सजनिे राज्य िरकार परेशानी मे् पड् िकती थी िेसकन सवपक्् के अधूरे आक्म् र के चिते यह भोथरे िासबत होते रहे है्. और पहिे सवपक््के र्प मे्महज कांग्ेि ही थी िेसकन अब सवपक््के र्प मे्अजीत जोगी n अपना झंडा उठाये हुए है्. शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 23
कन्ााटक
ससद््ारमैया: मुक्शकल-िर-मुस्शकल
किताब से किला सबक़ मनोरमा
क
न्ाटण क के मुखय् मंत्ी सिि््ारमैया इन सदनो् राज्य के राजनीसतक घटनाक््मो् िे परेशान तो है् ही सनजी तौर पर भी वह सपछिे कुछ महीनो्िे गित वजहो्िे असधक चच्ाण मे् रहे है्. ित््र िाख की उनकी हुबिोट घड्ी और बेटे की सनयोक्ता कंपनी को करोड्ो्का िरकारी ठेका देने का मामिा ज्यादा पुराना नही् है. इिके बाद उनकी िरकारी एियूवी पर एक कौए के बैठ जाने के कारर उन्हो्ने 35 िाख र्पये की दूिरी एियूवी की खरीदारी मुख्यमंत्ी के वाहन के तौर पर करायी. यह सवडंबना ही है सक मुख्यमंत्ी अंधसवश््ाि सवरोधी सवधेयक के
24 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
िमथ्णक रहे है् और यह उनकी सकस्मत है सक हाि ही मे्अंधसवश््ाि सवरोधी सवधेयक 2013 कन्ाणटक सवधानिभा मे् सिर पासरत नही् हो िका. हािांसक उन्हो्ने कैसबनेट को इि सवधेयक की पुनि्णमीक््ा करने के सनद््ेश जर्र सदये है्. सपछिे महीने के आसखर मे्सिि््ारमैया को सिर चौरिा आिोचना और शस्मि्दगी का िामना करना पड्ा जब उनकी आत्मकथा 'इट््ा गुरी सडट््ा हेज्े' को राज्य के िरकारी और िरकार िहयता प््ाप्तस्कूिो्के पुस््काियो्मे् खरीदने और पढ्ाये जाने के िरकारी सनद््ेश जारी होने की खबर िामने आयी. 'इट््ा गुरी सडट््ा हेज्े' का सहंदी मे्अथ्णहै सनध्ाणसरत िक््य दूरदश््ी सनर्णय. कुि 342 पन्नो्की इि सकताब
कन्ाषटक के मुख्यमंत्ी राजनीलतक लदक््तो्से तो दोचार िै्िी, लनजी मुसीबते्भी उनका पीछा निी्छोड्रिी िै्. उन पर ललखी एक पुस्क के पाठ््क्म मे्आने के बाद मुश्शकलो्का नया दौर शुर्िुआ. का मूल्य 300 र्पये है, इिमे् सिि््ारमैया के राजनीसतक जीवन और उनकी उपिब्लधयो् खाितौर पर उनकी िरकार की तीन िाि की उपिब्लधयो् िे िंबंसधत 42 िेखो् का िंकिन है, सजन्हे्राज्य के प््मुख िेखको्व पत््कारो्ने सिखा है. सकताब मे्ही िंकसित कन्नड्िेखक एि एि मुर्सियाह के िेख मे् सिि््ारमैया की तुिना ित््र के दशक के िोकस््पय मुख्यमंत्ी देवराज उि्णिे की गयी है सजन्हो्ने गरीबो्और वंसचतो् के सिए कई योजनाये् शुर् की थी. हािांसक इिका प््काशन एक सनजी िंगठन कन्नड् िासहत्य वेसदके के अध्यक्् तुमाकूर् महादेवय्या के द््ारा सपछिे िाि नवंबर मे्सकया
गया था. सजिका सवमोचन ज््ानपीठ िे िम्मासनत चंद्शेखर कंबार जैिे बड्े िासहत्यकार ने सकया था और मौजूदा िरकार के दो वसरष््नेता सदनेश गुंडूराव व एच एम रेवन्ना सवमोचन िमारोह के मुख्य असतसथ थे, सिर भी िरकार कह रही है सक उिे खबर नही् थी. गौरतिब है सक 28 माच्णको प््ाथसमक सशक््ा के सनदेशक के हस््ाक््र के िाथ सशक््ा सवभाग की ओर िे 'इट््ा गुरी सडट््ा हेज्े' को िरकारी और िरकारी िहायता प््ाप्त स्कूिो् के पुस्काियो् के सिए खरीदे जाने का सनद््ेश जारी हुआ था. खबरो् के मुतासबक प््काशक प््सत पुस्क 300 र्पये की दर िे सकताब की बीि हजार प््सतयां बेचने मे् कामयाब भी हो गया, िेसकन बाद मे् मीसडया मे् खबर आ जाने के बाद इि पर सववाद शुर्हो गया. स्कि ू ो्मे्पाठ्क ् म् का भगवाकरर करने का आरोप झेिनेवािी भाजपा ने इि मामिे को हाथो्हाथ सिया, सवधानिभा मे् सवपक्् के नेता जगदीश शेट्ार ने मुख्यमंत्ी पर िरकारी िंिाधनो् का इस््ेमाि खुद का प््चार करने के सिए करने के तीखे आरोप िगाये और इिे वापि सिए जाने की मांग की. दरअिि, जनवरी 2016 मे् तत्कािीन प््ाथसमक और माध्यसमक सशक््ा मंत्ी सकमाने रत्नाकर ने इि इट््ा गुरी सडट््ा हेज्े' को िरकारी और िरकारी िहायता प््ाप्त स्कि ू ो्की िाईब््ेरी के सिए खरीदे जाने का सनद््ेश जारी करने िे िंबंसधत आदेश िरकारी पुस्काियो् के सनदेशक को जारी सकया था और बाद मे् मीसडया के द््ारा पूछे जाने पर उन्हो्ने स्पि््ीकरर देते हुए कहा सक कन्नड् िासहत्य वेसदके की ओर िे उनिे सकताबो्की खरीद और उन्हे् स्कूिो् मे् बंटवाने का अनुरोध आया था. हािांसक सकताब खरीदने के िरकारी सनद््ेश की खबर को तब भी मीसडया मे्प््कासशत, प््िासरत सकया गया था. उिी दौरान दस््कर डीडीपीआई के पद््ावती ने कहा था सक उन िोगो्ने िभी िरकारी और िरकारी िहायता प््ाप्त स्कूिो्को 600 र्पये
सकताब का मुखपृष्: सववाि की शुर्आत मे्इि सकताब की दो प््सतयां खरीदने के सनद््ेश जारी कर सदये है्. िेसकन अब िजीहत हो जाने के बाद मुख्यमंत्ी िमेत िंबंसधत िभी सवभाग और असधकारी इि पूरे मामिे मे् अनसभज््ता जासहर कर रहे है्और इिे नकार रहे है्. जबसक िबिे मजेदार बात ये रही सक दुबारा इि मामिे ने तूि तब पकड्ा जब सकताबो्को खरीदने के सिए दुबारा स्मररपत््जारी सकये गये. इधर मुख्यमंत्ी िे पूछे जाने पर उन्हो्ने ये कहा सक उन्हे् कुछ मािूम ही नही् है और जब मै् इि बारे मे् कुछ नही् जानता तो इिे वापि िेने के बारे मे् कैिे कह िकता हूं, हािांसक उन्हो्ने मामिे की जांच कराने के बारे मे्जर्र कहा. मंस्तमंडि मे् िेरबदि के बाद अब तनवीर िैत नये प््ाथसमक और माध्यसमक सशक््ा मंत्ी है् उन्हो्ने अपने बयान मे् कहा है सक मुख्यमंत्ी की जीवनी पर छपी सकताब छात््ो्के सिए असनवाय्ण नही् है, पूव्ण मंत्ी और कन्ाणटक प्द् श े कांगि ्े िसमसत के उपाध्यक््प््ोिेिर बी के चंद्शेखर ने भी इि बारे मे् कहा सक मुख्यमंत्ी को इि बारे मे् कोई जानकारी नही् थी और
िंद्शेखर कंबार: लोकाप्गण की रस्म अगर कोई ऐिा सनद््ेश जारी हुआ था तो उिे िरकार की ओर िे वापि िे सिया गया है. उन्हो्ने कहा सक सिि््ारमैया िरकार पढ्ने के िंदभ्णमे्छात््ो् िोकतांस्तक चयन और पिंद का पूरा िम्मान करती है. वैिे ये भी कम रोचक बात नही्है सक सकताब मे्सजन पत्क ् ारो्के िेख है् उनमे् िे दो को टी आर एि अवाड्ण और सवकाि पत््कासरता अवाड्ण िे िम्मासनत सकया गया है. बहरहाि, सववाद और आिोचनाओ् के बाद सिि््ारमैया िरकार ने अपनी गिती िुधार िी है िेसकन प््ाथसमक-माध्यसमक सशक््ा और िरकारी स्कूिो् को िेकर िरकार का क्या नजसरया है और क्या अंतदृस्ि है इिे हाि की एक सरपोट्ण िे िमझा जा िकता है सजिमे्कहा गया है राज्य के िरकारी स्कूिो्के 66,017 कमरे बहुत बुरी हाित मे् है् तत्काि उनकी मरम्मत सकये जाने की जर्रत है. उम्मीद की है सक सिि््ारमैया िरकार अपनी इि गिती को भी तुरंत ठीक करने की कोसशश जल्द िे n जल्द करेगी.
शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 25
पश्िचम बंग कुमार प़़तीक
बां
ग्िादेश पर हुए आतंकी हमिे के बाद अब भारत मे् भी आतंकवादी िंगठन इस्िासमक स्टेट (आईएि) का खतरा बढ्गया है. केद् ्ीय खुसिया एजंसियो्ने बांगि ् ादेश िे िटे पस््शम बंगाि मे्सकिी बड्ेहमिे की चेतावनी देते हुए राज्य िरकार को ितक्फ सकया है. वैिे भी बांग्िादेश मे्िस््कय आतंकवासदयो्के सिए बंगाि एक िुरस््कत शररस्थिी रहा है. वहां सकिी बड्ी वारदात के बाद वे िीमा पार कर भारत मे्सछप जाते है्. यह महज िंयोग नही्है सक ढाका हमिे के चार सदनो् के भीतर ही खुसिया एजंसियो् ने आईएि आतंकवादी मोहम्मद मोिीर्द्ीन उि्फ मूिा और उिके दो िासथयो्को सगरर्तार सकया है. बांग्िादेश मे्हुए हमिे के बाद पस््शम बंगाि मे्ऐिे हमिो्का अंदेशा बढ्ने के बीच मुख्यमंत्ी ममता बनज््ी जल्दी ही सदल्िी जाकर प्ध ् ानमंत्ी नरेद् ्मोदी िे मुिाकात करे्गी. इन दोनो् की बैठक मे् इस्िासमक स्टेट के बढ्ते खतरे और सकिी िंभासवत हमिे िे सनपटने के उपायो्पर सवस््ार िे सवचार-सवमश्णसकया जायेगा. भारत और बांग्िादेश के बीच 4,096 सकिोमीटर िंबी अंतरराष््ीय िीमा िगती है. इनमे् िे िबिे असधक बांग्िादेश की िीमा पस््शम बंगाि िे िगती है. यहां की करीब 2,217 सकिोमीटर िंबी िीमा बांग्िादेश िे िगी है. बांग्िादेश के िाथ राज्य की िव्ाणसधक जि िीमा भी िगती है. खुसिया एजे्सियो् के हाथ जो िुराग िगे है् उिके अनुिार अि कायदा के अिावा इस्िासमक स्टेट (आईएि) भी कोिकाता िमेत पस््शम बंगाि के सवसभन्न सहस्िो् मे् बडे हमिो् का प््याि कर रहा है. इिके सिए वह बांग्िादेशी आतंकवादी िंगठन जमात-उि मुजासहदीन बांग्िादेश (जेएमबी) के नेटवक्फका इस््ेमाि कर रहा है. बांग्िादेश की राजधानी ढाका मे् हुए हमिे के बाद अब के्द्ीय गृह मंत्ािय और खुसिया एजंसियो् ने कोिकाता िमेत पूरे पस््शम बंगाि मे् ऐिे िंभासवत हमिो्के प्स्त राज्य िरकार को ितक्फ सकया है. इिके बाद बांगि ् ादेश िे िगी िीमा पर गश्त बढ्ा दी गयी है. अि-कायदा के प््मुख अिीम उमर ने भारतीय मुििमानो् िे यूरोप की तरह यहां भी िाहि का पसरचय देते हुए पुसिि और प्श ् ािसनक अििरो्की हत्या करने को कहा है. उमर ने अपने एक बयान मे्मुििमान युवको् को इिके सिए उकिाया है. यह िंगठन बीते दो वष््ो् िे अपनी गसतसवसधयां बढ्ाने के सिये भारतीय युवको् को िंगठन मे् भत््ी करने का प््याि कर रहा है. िेसकन अब तक उिे खाि कामयाबी नही्समि िकी है. िेसकन अब उमर 26 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
ढाका मे् आतंकी हमले के सशकार लाेगो् की स्मृसत मे् सभा: बढ्ता खतरा
पूरब की सरहि: आतंक की िस््क के ताजा बयान के बाद खुसिया एजंसियां ितक्फ हो गयी है्. अि-कायदा के अिावा इस्िासमक स्टेट भी कोिकाता िमेत बंगाि के सवसभन्न सहस्िो् मे् बड्े हमिो् का प््याि कर रहा है. इिके सिए वह बांग्िादेशी आतंकवादी िंगठन जमायत-ए-उि बांग्िादेश यानी जेएमबी के नेटवक्फका इस््ेमाि कर रहा है. इि बीच, बंगाि के बद्णवान सजिे िे सगरर्तार मूिा िे पूछताछ के दौरान समिी जानकारी के आधार पर के्द्ीय व राज्य की कुसिया एजंसियो् का कहना है सक इस्िासमक स्टटे बंगाि मे्भी अपना नेटवक्फिैिाना चाहता है. वह बीरभूम सजिे मे्युवको्की भत््ी मे्जुटा है. मूिा िे पूछताछ के बाद वहां िे उिके दो िाथू िद््ाम हुिैन उि्फ शेख कािू व शेख अल्बािुद्ीन उि्फअमीन को पकड्ा है. आईएि िे िहानुभूसत रखने के िंदेह मे् शेख चंदन नामक एक अन्य युवक को सगरर्तार सकया है. मूिा की पत्नी को सतर्पुर िे कोिकाता िाया
जा रहा है. मूिा ने कोिकाता के एक बीपीओ मे् िगभग पांच महीने तक नौकरी की थी. अब खुसिया एजंसियां इि बात का पता िगाने के सिये उि िम्ण के कम्णचासरयो् िे पूछताछ कर रही है सक कही् मूिा ने वहां के कंप्यूटरो् का इस््ेमाि इस्िासमक स्टेट के आतंसकयो् िे िंपक्फबनाने के सिए तो नही्सकया था. खुसिया सवभाग के एक असधकारी का कहना है सक मूिा स्थानीय युवको् को आईएि मे् भत््ी करने मे् जुटा था. मूिा के मोबाइि िे कुछ ऐिे िोगो्के नंबर भी समिे है्जो राज्य मे्िीमावत््ी इिाको् मे् िांप्दासयक तनाव को हवा देने का प््याि करते रहे है्. िुरक््ा एजंसियां पहिे िे ही उन िोगो्पर सनगरानी रख रही है.् उनमे्िे कई िोग मािदा और बीरभूम की िांप्दासयक सहंिा मे् आरोपी है. के्द्ीय खुसिया एजंसियो् की सरपोट्ण के मुतासबक, बांग्िादेश की िीमा िे िगे नसदया,
बांग्लादेश मे्िुए आतंकी िमले के बाद आईएस का खतरा नये लसरे से सर उठाता नजर आ रिा िै. भारत भी उसके िमलो्की जद मे्िै. इसे देखते िुए सुरक््ा एजे्लसयां खासी सतक्ककर दी गयी िै्. मािदा व मुस्शणदाबाद सजिो्के ग््ामीर इिाको् िे िगभग डेढ्िौ पोस्टर बरामद सकये गये है्. इनिे पता चिता है सक इस्िासमक स्टटे ने भारत के मुिमानो् के भावी आजाद देश का नाम मुगसिस््ान रखा है. मूिा पर राज्य मे् िस््कय आईएि के दूिरे काय्णकत्ाणओ्के िाथ तािमेि की भी सजम्मदे ारी थी. िूत्ो्का कहना है सक मूिा ने पूछताछ के दौरान बताया है सक आएि बंगाि मे् खुि कर िामने नही् आना चाहता था. वह परदे के पीछे रह कर बांग्िादेशी जेएमबी और इंसडयान मुजासहदीन के नेटवक्फके जसरए आतंक िैिाने की िासजश रच रहा था. आतंकवादी िंगठन इस्िासमक स्टटे देश के शीष्णआईपीएि अििरो्की एक िूची बना रहा था. इनमे् पस््शम बंगाि के कई अििर भी शासमि है.् मंगिवार को यहां सगरर्तार िंसदग्ध आईएि आतंकवादी मोहम्मद मोिीर्द्ीन उि्फ मूिा ने पूछताछ के दौरान खुसिया एजेस्ियो्को यह जानकारी दी है. इिबीच, उिे एक स्थानीय
अदाित ने 14 सदनो्के सिए खुसिया सवभाग की सहराित मे्भेज सदया है. पूछताछ मे्मूिा ने कबूि सकया है सक उिने आईएि के इशारे पर काम करने वािे बांगि ् ादेशी आतंकी िंगठन जमातउि-मुजासहद््ीन बांगि ् ादेश (जेएमबी) और अंिार-उि-तौहीद के नेताओ्के िाथ बैठक की थी. सपछिे एक िाि मे्दोनो्आतंकी िंगठनो्के िरगनाओ्के िाथ छह मुिाकाते्की थी. मूिा ने वष्ण2014 मे्मािदा मे्आईएि के एक नेता के िाथ बैठक की थी. उिने बद्णवान िे सगरर्तार छात्् आसशि अहमद की िोटो देखकर उिे पहचान सिया है. मूिा ने बताया है सक आईएि के सिए काम करने वािो् को अिग-अिग कोड सदया जाता है उिी कोड के आधार पर उिने बांग्िार बाघ-2 और िुिेमान के िाथ मािदा मे् बैठक की थी. अब जांच एजंसियां इिका पता िगाने मे् जुटी है् सक आसखर बांग्िार बाघ-2 कोड नाम वािा आतंकी कौन है. खुसिया असधकासरयो्का दावा है सक बंगाि मे् इस्िासमक स्टेट का कामकाज िंभािने का सजम्मा िुिेमान पर है. खुसिया सवभाग के िूत्ो्ने मूिा के मोबाइि िोन िे समिी जानकारी के आधार पर दावा सकया है सक उिके पाि िीसरया, इराक और बांग्िादेश िे कई िोन आये थे. एक असधकारी ने बताया सक उिके िोन पर आई काल्ि का ल्योरा समिने के बाद जांचकत्ाण हैरान रह गये. उिके पाि इन तीनो्देशो्िे कई िोन आये थे. इिके अिावा वह बांगि ् ादेश भी िोन करता था. ढाका मे्हुए हमिो्के बाद अब बांग्िादेश सजन पांच राज्यो् की िीमा िगी है वहां हाई अिट्ण जारी कर सदया गया है. खुसिया सवभाग के िूत्ो् मूसा की सगरफ्तारी: कई सुराग
का कहना है सक इन पांच मने्िे दो यानी अिम और पस््शम बंगाि मे् खतरा ज्यादा है. यहां अवैध घुिपैठ के मामिे िबिे ज्यादा िामने आते है्. इन दोनो्राज्यो्मे्िीमा पर गश्त बढ्ा दी गयी है. िाथ ही िीमा िुरक््ा बि (बीएिएि) के जवान स्थानीय पुसिि के िाथ समि कर िीमावत््ी गांवो् मे् तिाशी असभयान चिा रहे है् तासक वहां सछपे सकिी िंसदग्ध व्यब्कत का पता िगाया जा िके. इिाके मे् तैनात िुरक््ा बिो् को सकिी भी िंसदग्ध गसतसवसध के बारे मे् तत्काि उच््ासधकारो् को िूसचत करने का सनद्श ्े सदया गया है. भारत और बांग्िादेश के बीच 4,096 सकमी िंबी अंतरराष््ीय िीमा िंबाई के सहिाब िे दुसनया की पांचवी्िबिे िंबी जमीन िे िगी िीमा है. इनमे् िे पहिे नंबर पर पस््शम बंगाि है. इि राज्य की 2,217 सकमी िंबी िीमा बांगि ् ादेश िे िगी है. यही वजह है सक यहां खतरा भी िबिे ज्यादा है. बांग्िादेश िे पस््शम बंगाि मे् िगातार होने वािी घुिपैठ पर के्द् िरकार िंबे िमय िे सचंता जताती रही है. इन घुिपैसठयो् के वेश मे् आतंकी भी िीमा पार कर आिानी िे यहां आते रहे है्. दो अक्टूबर, 2014 को बद्णवान सजिे के खागरागढ मे् हुए सवस्िोट की राष््ीय जांच एजे्िी (एनआईए) की ओर िे जांच के बाद जेएमबी के मजबूत नेटवक्फ का पद्ाणिाश पहिे ही हो चुका है. इिी िाि माच्ण महीने मे् इस्िासमक स्टेट िे जुड्ेहोने के आरोप मे्पुसिि ने 18 िोगो्को सगरर्तार सकया था. इिी आरोप मे्दुगा्पण रु िे 19 वष््ीय पािीटेकसनक के छात्् आसशक अहमद को भी सगरर्तार सकया गया था. आसशक अहमद ने कबूि सकया था सक वह इस्िासमक स्टेट िे प््भासवत रहा है. आसशक के सखिाि चाज्णशीट शीघ््दायर होने की िंभावना है. हुगिी सजिे के धसनयाखािी इिाके के रहने वािा आसशक अहमद बद्णवान के एक सनजी पािीटेकसनक मे् मेकेसनकि इंजीसनयसरंग की पढ्ाई कर रहा था. खुसिया िूत्ो् का दावा है सक आसशक अहमद हुगिी के एक प्भ् ावशािी नेता की हत्या की सिराक मे्था. यही नही्, बद्वण ान और हुगिी मे्कुछ स्थानो्पर सवस्िोट की िासजश भी रची जा रही थी. बद्णवान िमेत राज्य के कई इिाको् मे् बांग्िादेश के आतंकवादी िंगठन जमातउि-मुजासहदीन के िस््कयता के िबूत समिते रहे है्. यही नेटवक्फइस्िासमक स्टेट को पिरने मे्मदद कर रहा है. हाि ही मे्एक िव््ेक्र मे् पता चिा था सक श््ीनगर, गुवाहाटी और पुरे के सचंचवाड्के बाद कोिकाता िे िटा हावड्ा देश का चौथा ऐिा शहर है, जहां के युवा इस्िासमक स्टेट की वेबिाइट और उनके स््कयाकिापो् मे् n खाि सदिचस्पी िे रहे है्. शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 27
अर्णाचल प््देश
पेमा खांडू द््ारा शपर ग््हण: िाटकीय घटिाक््म
कांग्ेस सहट भािपा सित्् कुमार प़़तीक
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प््ीम कोट्ण के िैििे िे अर्राचि प्द् श े मेु ्बहाि हुई नबाम टुकी िरकार का ित््ा िे जाना, सवधानिभा मे् शब्कत परीक्र ् िे एक सदन पहिे तक तय माना जा रहा था. मुखय् मंत्ी कासिखो पुि अपने तमाम सवधायको् के िाथ अिम की राजधानी गुवाहाटी के एक आिीशन होटि मे्जमे थे और पत्क ् ारो्के िमक््अगिे सदन होने वािे शब्कत परीक्र ् मे्अपनी जीत का दावा कर रहे थे. उनके इि असभयान की बागडोर अिम के भाजपा नेता और मंत्ी सहमंत सवश्श ् म्ाण के हाथो् मे् थी, जो जोड्-तोड् मे् मासहर िमझे जाते है्. इििे नबाम टुकी खेमा भी हताश हो चुका था. िेसकन सदल्िी मे्कांगि ्े आिाकमान और पाट््ी के ररनीसतक ििाहकारो् ने ऐिा िाम्ि णू ा तैयार सकया सजििे रातो्रात तस्वीर ही बदि गयी. तेजी िे बदिे राजनीसतक घटनाक्म् के बाद िदन मे् होने वािा शब्कत परीक््र भी टाि सदया गया. इििे पूव्ोत््र मे् अपने पांव जमाने की कोसशश कर रही भाजपा को करारा झटका िगा है. हािांसक पाट््ी के केद् ्ीय नेता अब इिे कांगि ्े का अंदर्नी मामिा बताते हुए ििाई देते सिर रहे है्सक अर्राचि की बगावत और राज्य मे् जारी ित््ा के खेि िे पाट््ी या केद् ्िरकार का 28 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
कोई िेना-देना नही्था. माना जा रहा था सक नबाम टुकी िरकार िदन मे् शब्कतपरीक््र िे पहिे ही इस््ीिा दे देगी. िेसकन उि सदन यानी 16 जुिाई को जो हुआ उििे इि राज्य पर िंबे िमय तक राज करने का िपना देख रही भाजपा चारो्खाने सचत्् हो गयी. इि िाम्णूिे के तहत नबाम टुकी िे इस््ीिा सदिा कर कांग्ेि के बागी गुट के सवधायक पेमा खांडू को सवधायक दि का नया िबाम टुकी: िेर आयि िुर्स्
कासलखो पुल: गलत रहा अिुमाि
सव््ोच््अदालत के िैसले के बावजूद अर्णाचल प््देश मे् कांग्ेस सरकार का जाना तय था, लेलकन प््देश कांग्ेस ने ऐसा िाम्षूला तैयार लकया लक रातो्रात तस्वीर िी उलट-पुलट गयी. नेता चुन सिया गया. बासगयो् िे पहिे ही इि िाम्ि णू े पर िहमसत िे िी गयी थी. उन्हो्ने िाि कर सदया था सक नबाम टुकी के हटने की ब्सथसत मे् वे पाट््ी मे् वापिी के सिए तैयार है्. इिकी भनक न तो सहमंत को िगी और न ही भाजपा के ररनीसतकारो्को. बागी सवधायक टुकी के नेततृ व् मे्काम करने को तैयार नही्थे. िेसकन नेततृ व् बदिते ही वे िब पाट््ी के िाथ आ गये. पूव्ण मुख्यमंत्ी दोज््ी खांडू के पुत् पेमा ने अपने िमथ्णक सवधायको् के िाथ राजभवन जाकर काय्णवाहक राज्यपाि तथागत राय के िमक्् िरकार के गठन का दावा पेश कर सदया. इििे पहिे िुप्ीम कोट्ण ने इिी िप्ताह राज्यपाि ज्योसत प््िाद राजखोवा के तमाम िैििो् को खासरज करते हुए राज्य मे् नबाम टुकी िरकार को बहाि करने का सनद्श ्े सदया था. इििे राज्य मे्अजीब राजनीसतक पसरब्सथसत पैदा हो गयी थी. अदािती आदेश के बाद टुकी ने जहां मुख्यमंत्ी के तौर पर काय्णभार िंभाि सिया और िाइिो्पर हस््ाक्र् करने िगे वही्, मुख्यमंत्ी कासिखो पुि अपने िमथ्णक सवधायको्के िाथ अिम की राजधानी गुवाहाटी मे् जम गये. िरकार बचाने का सजम्मा अिम कांगि ्े के बागी नेता और अब भाजपा के मंत्ी सहमंत सवश्श ् म्ाण ने िंभाि रखा था. कांगि ्े ने िदन मे्शब्कत परीक्र ् के सिए और िमय देने
की मांग की थी. िेसकन उिे इिमे् कामयाबी नही् समिी. सदिचस्प बात यह है सक सजि राज्यपाि (ज्योसत प्ि ् ाद राजखोवा) के िैििो् के चिते राज्य मे् ऐिी अजीबोगरीब पसरब्सथसत बनी वे मौजूदा पसरदृशय् िे नदारद है.् राजखोवा एक आपरेशन के बाद गुवाहाटी मे् आराम कर रहे है्. उनकी जगह स््तपुरा के राज्यपाि व पस््शम बंगाि भाजपा के पूवण् अध्यक्् तथागत राय को अर्राचि प्द् श े का असतसरक्त काय्भण ार िौ्पा गया है. िुप्ीम कोट्णने अपने िैििे मे्राज्यपाि के तमाम िैििो्को खासरज करते हुये राज्य मे्15 सदिंबर, 2015 की ब्सथसत बहाि करने का सनद््ेश सदया था. िुप्ीम कोट्ण की पांच िदस्यो् वािी पीठ ने यह िैििा िुनाया और पांचो् िदस्य इि िैििे को िेकर एकमत थे. िुप्ीम कोट्ण ने कहा राज्यपाि का िमय िे पहिे सवधानिभा ित््बुिाने का िैििा और उिकी पूरी प््स्कया अिंवैधासनक थी. िुप्ीम कोट्ण के मुतासबक राज्यपाि ने अपनी शब्कतयो् का दुरप् योग सकया है. कोट्ण ने सवधानिभा के छठे ित््की काय्वण ाही को 14 जनवरी 2016 िे एक महीने पूवण्16 िे 18 सदिंबर 2015 को बुिाये जाने िे िंबंसधत राज्यपाि ज्योसत प््िाद राजखोवा के सनद््ेश को दरसकनार कर सदया. उत््राखंड के बाद यह के्द् िरकार के सिए दूिरा झटका था. िेसकन यह पहिा ऐिा मामिा है जब कोट्णने दूिरी िरकार के छह महीने तक काम करने के बाद पहिे की सकिी िरकार को बहाि सकया. कोट्णने राज्य मे्15 सदिंबर 2015 वािी ब्सथसत बरकार रखने का आदेश सदया. िुप्ीम कोट्ण यह तय करेगा सक क्या राज्यपाि को यह असधकार है सक वह स्वतः िंज्ान िेकर सवधानिभा का ित््बुिा िकता है या नही्. अर्राचि प्द् श े के स्पीकर नबम रेसबया ने िुप्ीम कोट्णमे्ईटानगर हाईकोट्णके उि िैििे को चुनौती दी थी सजिमे्9 सदिंबर को राज्यपाि राजखोआ के सवधानिभा के ित््को एक महीने पहिे 16 सदिंबर को ही बुिाने का िैििे को िही ठहराया था. इिके बाद 26 जनवरी को राज्य मे् राष््पसत शािन िगा सदया गया और कांगि ्े की नबाम टुकी िरकार परेशानी मे् आ गयी क्यो्सक 21 सवधायक बागी हो गये. इििे कांगि ्े के 47 मे्िे 26 सवधायक रह गये. िुप्ीम कोट्णने 18 िरवरी को दूिरी िरकार बनने िे रोकने की टुकी की यासचका नामंजरू कर दी. 19 िरवरी को िुप्ीम कोट्णमे्िुनवाई के दौरान ही बागी हुए कासिखो पुि ने 20 बागी सवधायको् और 11 बीजेपी सवधायको्के िाथ मुखय् मंत्ी की शपथ िे िी और िरकार बना िी थी. िेसकन भाजपा के िमथ्नण िे कासिखो पुि के नेततृ व् मे् बनी नयी िरकार मे्भी मतभेद पैदा होने िगे थे. अर्राचि कांगि ्े के िूत्ो्का दावा है सक
कम उम्् मे् कीर्तिमान अ
पने मुखय् मंत्ी सपता की राजनीसत मे्िहायता करने और िामासजक िुधारो्की सदशा मे्काम करने िे िेकर अर्राचि प्द् श े के मुखय् मंत्ी की कुि्ी तक पहुच ं ने वािे पेमा खांडू ने बहुत कम िमय मे्कािी िंबी दूरी तय की है. अब देश के इि िबिे युवा मुखय् मंत्ी िे उम्मीद है सक वे अपने सपता दोज््ी खांडू के नक्श-े कदम पर ही चिेग् .े अपने पसरवार के बडे पुत्पेमा ने सदल्िी के सहंदू कािेज िे पढाई की है. पांच िाि पहिे एक हेिीकाप्टर हादिे मे्सपता की मौत के बाद उनको अचानक ही िस््कय राजनीसत मे्उतरना पडा था. सपता के सनधन िे खािी हुई िीट िे पहिी बार सवधायक बनने वािे पेमा पांच िाि के भीतर ही ित््ा की िबिे बडी कुि्ी तक पहुच ं ने मे्कामयाब रहे है.् वष्ण2011 मे्वे राज्य की मुकत् ो सवधानिभा िीट िे सनस्वरण ोध चुने गये थे. वष्ण2014 मे्भी उनका चुनाव सनस्वरण ोध रहा. पहिी बार सवधायक बनते ही उनको जारबोम गैमसिन िरकार मे्जि िंिाधन मंत्ािय का केसबनेट मंत्ी बना सदया गया. बाद मे् वे नबाम टुकी िरकार मे् पय्णटन और िूचना व िंसक ् सृ त मंत्ी भी रहे. बीते िाि अक्तबू र मे्मंस्तमंडि िे इस््ीिा देकर वे बागी नेता कासिखो पुि के िाथ हो गये थे. सवसभन्न िंगठनो्िे जुडे पेमा ने औपचासरक र्प िे वष्ण 2000 मे् कांग्ेि की प््ाथसमक िदस्यता िी थी. वष्ण2005 मे्वे प्द् श े कांगि ्े िसमसत के िसचव बने. अपने काम-काज के सििसििे मे् वे कई देशो् का दौरा कर चुके है.् खेिो् मे् भी उनकी गहरी सदिचस्पी है. वे खुद िुटबाि के अिावा स््ककेट, बैडसमंटन और वािीबाि खेिते रहे है.् पेमा खांडू: सबसे युवा मुख्यमंत्ी िेसकन कम उम््मे्बडी कामयाबी हासिि करने के बावजूद राज्य की आयाराम-गयाराम की राजनीसत को ध्यान मे्रखते हुए पेमा की आगे राह आिान नही्होगी. उनके िामने राज्य के तमाम गुटो्के बीच िंति ु न बनाते हुए ररनीसतक र्प िे अहम अर्राचि प्द् श े को सवकाि की राह पर आगे िे जाने की कडी चुनौती है.
इि पटकथा का क्िाईमेकि ् जर्र 16 जुिाई को हुआ. िेसकन इिकी जमीन कोई डेढ् महीने पहिे ही तैयार होने िगी थी. प्द् श े कांगि ्े के नेताओ्को भनक िगी सक पेमा खांडू और पुि मंस्तमंडि मे् उप-मुख्यमंत्ी बने चाउना मीन पुि के कामकाज के तरीके िे अिंति ु ्थे. प्द् श े कांगि ्े के एक नेता बताते है्सक अर्राचि ईस्ट िीट के िांिद सननो्ग ईसरंग धीरे-धीरे इन नेताओ् िे नजदीकी बढ्ा रहे थे. तब तक िुप्ीम कोट्णके िैििे का सकिी को अंदश े ा तक नही्था. इििे पाट््ी अध्यक््िोसनया गांधी को भी अवगत करा सदया गया था. िेसकन उन्हो्ने प्द् श े के नेताओ् को ही िे बातचीत का सजम्मा िौ्पा. खांडू और मीन के िाथ कांग्ेि की अनपौचासरक बातचीत कोई महीने भर चिी. बीच-बीच मे् इि आशय की खबरे् भी आयी् िेसकन दोनो्नेताओ्ने िाव्णजसनक बयान जारी कर इिका खंडन कर सदया था. उिी िमय कांगि ्े के एक केद् ्ीय नेता ने उनके िमक््चुगग् ा िे्का सक पाट््ी मे्वापिी की ब्सथसत मे्दोनो्मे् िे सकिी एक को मुख्यमंत्ी बना सदया जायेगा.
कौन मुख्यमंत्ी बनेगा, इिका िैििा भी बासगयो् पर ही छोड् सदया गया. िेसकन इि मामिे मे्तेजी आयी िुप्ीम कोट्णके िैििे के बाद. उिके बाद प््देश के कुछ नेता सदल्िी जाकर िोसनया गांधी िे समिे. वहां बनी ररनीसत के बाद शब्कत परीक््र िे एक सदन पहिे पेमा खांडू को मुख्यमंत्ी बनाने का िैििा हुआ. आिाकमान ने भी इि पर अपनी मुहर िगा दी. पेमा के नाम पर मीन ने भी कोई आपस््त नही् जतायी. उनको उप-मुख्यमंत्ी बनाने का प््िोभन सदया गया था. उधर, िुप्ीम कोट्णमे्नबाम टुकी के वकीि और पाट््ी के वसरष््नेता कसपि सिल्बि ने टुकी को िमझाया सक पाट््ी को बचाने के सिये उनका इस््ीिा जर्री है. टुकी भी िमझ गये थे सक मौजूदा पसरब्सथसत मे्उनके सिए मुख्यमंत्ी बने रहना िंभव नही्होगा. इिसिए वह इस््ीिा देने के सिए तैयार हो गये. यह िारी ररनीसत इतनी गोपनीय रखी गयी थी सक भाजपा तो दूर कांग्ेि मे् भी सगने-चुने िोगो् को ही इि िाम्णूिे की n जानकारी थी. शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 29
चवज़़ापन
वृषाली िैन
दुआओ़ के कालीन
श््ी
वास््व सनवाि के आंगन मे् उि सदन िवेरे ही देिी घी की खुशबू िहरा रही थी. 15 सदन िे सजन सनंबओ ु ्को धूप सदखायी जा रही थी आज उनका अचार बरनी मे् भरकर तैयार करना था. िंजीव श््ीवास््व आंगन मे् उतरते हुए मुस्कुरा िदये. उनकी पत्नी िुसमत््ा जी ने उनके सिए उनकी पिंद का नाश्ता बनाया था. वो जब तक िुसमत््ा जी को आवाज देते, िुसमत््ा जी खुद ही िाड्ी के पल्िू िे हाथ पो्छती हुई चौके िे बाहर आती नजर आयी. ‘िुसनए मठरी और बेिन के िड््बनाये है्, अजय को उिके कॉिेज मे्पकड्ा दे्गे?’ िुसमत््ा जी ने श््ीवास््व िाहब िे बड्ी आि िे पूछा. वो तो भूि ही गये थे सक ठीक यही नाश्ता उनके बेटे की भी पिंद था. ‘आधे घंटे का ही तो रास््ा है, खुद ही दे आओ तुम. तुम्हारा मन न हो तो सकिी िे सभजवा दूंगा.’ और बि यूं ही िुसमत््ा जी की आि टूट गयी एक बार सिर. भदोही के पुराना बाजार मे्रहने वािा श््ीवास्व् पसरवार हर मायने मे्िंपन्न था. घर के पाि ही अपनी राशन की 2 दुकाने् थी्, सजनका समज्ाणपुर भदोही दोनो् मे् ही बड्ा नाम था. ये दुकाने्श््ीवास््व िाहब को 15 िाि की मेहनत की तस्वीर थी्. िुख िुसवधा की, ऐशोआराम की श््ीवास्व्
30 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
पसरवार को काेई कमी नही् थी. कमी थी तो पसरवार के पसरवार होने की. बात दरअिि ये थी सक श््ीवास््व िाहब के बेटे अजय ने उनकी मज््ी के िखिाि जाकर शहर के मुहाने पर बने इंसडयन इंब्सटट््ूट ऑि कारपेट टेक्नोिॉजी िे कािीन बनाने की इंजीसनयसरंग करने का िैििा सिया था. उनके सहिाब िे अपना अच्छा खािा काम था, बीकॉम की या काराेबार मे्काम आये ऐिी कोई पढ्ाई करके अजय को उनका हाथ बटाना चासहए था. अजय मे्व्यापार करने की िमझ भी थी पर अजय ने अपने मन की ही करी. चार िाि पहिे सिए अजय के इि िैििे ने बापबेटे के बीच एक िकीर-िी खी्च दी थी, सजिमे् िुसमत््ा जी सपिके रह जाती. अजय इंजीसनयसरंग के शुरआ ् ती दो िाि तो घर मे्ही रहा, िेसकन जब पापा की तल्खी सदनब-सदन बढ्ती चिी गयी तब उिने कॉिेज के हॉस्टि मे्सशर्ट होना ही ठीक िमझा. इन िड््ओ्और मठरी के बहाने िुसमत््ा जी हर बार अजय और श््ीवास््व िाहब को पाि िाने की कोसशशे् करती, िेसकन नतीजा कुछ नही्सनकिता. उि शाम जब िुसमत््ा जी अजय िे समिी् तो उन्हो्ने अपने मन की बात िाि-िाि बेटे के िामने रख दी्. ‘दो महीने मे् पढ्ाई खत्म हो रही है, अब क्या सकराये के मकान मंे रहेगा? अपना घर तो तुझे काटने को दौड्ता है न?’
‘मां आप भी जानती हो मै्कर रहा हूं पापा के सिए कर रहा हूं.’ ‘तेरे पापा को इिकी कोई जर्रत नही है अजय, तू मानता क्यो्नही्?’ ‘मां 15 िाि पहिे टूटा वो िपना उनकी आंखो् मे् आज भी चुभता है और मै् इि चुभन को समटाकर ही दम िूंगा.’ िुसमत््ा जी के पाि बेटे को िमझाने के सिए कुछ नही् था. आसखर अजय कुछ गित न ही कह रहा था, न ही कर रहा था. वो मन-ही-मन अजय के िाथ भी थी्पर ये भी िच था िक उन्हे् उनका पसरवार हर गुजरते सदन के िाथ सबखरता नजर आ रहा था. बेटे के िर पर हाथ रखा और शाम तिक घर िौट गयी्. दो महीने भी बीते और अजय घर भी आ गया. श््ीवास्व् िाहब बेटे के घर िौटने िे खुश थे पर जो बढ्कर ये जता देते तो बेटे के िामने झुकना पड्ता. उधर, अजय भी सदन-रात या तो िोन पर या कंप्यूटर होता या घर पर ही नही् होता. इन दो महीनो्मे्उिने दुकान के काम मे् या वहां जाने मे् कोई सदिचस्पी नही् सदखायी थी. हां, िुसमत््ा जी की बहुत सजद पर दुकान सटिन पहुंचाने का सजम्मा अजय को ही बांध सदया गया था. यही एक वक्त होता जब श््ीवास््व िाहब िब काम छाेड्कर दुकान की गद््ी पर बैठ जाते. बेटे िे भिे ही बात न होती हो पर उिको देखने को तो उनका भी मन मचिता था. उिके दुकान पर न बैठने के िैििे ने
उनको बहुत ठेि पहुंचाई थी. एक शाम श््ीवास्व् िाहब घर िौटते वक्त दरवाजे पर ही अजय िे टकरा गये. अजय उनिे कुछ सबना बोिे आगे बढ्गया. ‘िुसमत््ा अपने बेटे िे पूछ सिया करो सक आसखर पूरा सदन रहता कहां है? मन की पढ्ाई करके हासिि क्या हुआ इिे?’ अजय के कदम र्क गये. ‘छोस्डये न, अभी तो आये है्.’ िुसमत््ा जी पानी िाती हुई बोिी्. ‘छोड्ने के ही नतीजे है्िब.’ श््ीवास््व िाहब न चाहते हुए भी तल्ख हो गये. आज शाम को पड्ोि वािे शम्ाण जी ने बताया सक उनका बेटा पढ्ाई करके िौट रहा है और जल्दी ही कारोबार का काम िंभाि िेगा. शम्ाण जी का बेटा और अजय स्कूि िाथ जाते थे. न जाने क्यो् उि एक पि मे् श््ीवास््व िाहब ने खुद को बेहद अकेिा पाया था. ‘हां पापा छोड्ने के ही नतीजे है्. कािीन बनाने के िपने को छाेड्ने का, कािीनो् के शहर मे् रहकर कािीन का नाम तक िेने िे कतराने का, अपने िपनो्को बेटे की आंखो्मे् पिा देख बेटे को छोड्ने के नतीजे ही है्िब.’ श््ीवास््व िाहब की आंखे्पथरा गयी थी्. अजय के िर्जो् ने जैिे उनके कानो् मे् शीशा घोि सदया था. उिके कािीन के काम के बारे मे्उनिे कोई बात नही्करता था. उि दौर का नाम िेना भी घर मे्पाप था. ‘4 िर्ज अंग्ेजी मे् पढ् िेने िे िपने पूरे नही्होते. हम भी इिी समट््ी की पैदाइश है्. पैदा हुए तबिे समज्ाणपुर भदोही के करघो् के खटाखट हमारी िोरी थी. क्या हुआ सिर? िारी जमा-पूंजी एक आग मे् होम हो गयी, पूरी िूम जि के खाक हो गयी, जो ये राशन की दुकान
न खुिती तो इतने बोि बोिने के सिए बड्ेही न हुए होते तुम.’ िािो् िे दबा दद्ण गुस्िा बनकर िूट पड्ा था. ‘िुसनए बि कसरये, वो कोसशश कर रहा है. एक बार उिे अपने अपने मन की करने तो दीसजये.’ िुसमत््ा जी ने िमझाने की कोिशश की थी्. ‘मन की ही तो कर रहा है िुसमत््ा. कैन िा हमारी िुन ही िे रह है. वो तकिीि, वो दद्ण अभी देखा नही्है न.’ श््ीवास््व िाहब झुंझिाते हुए बोिे. ‘जो हो गया, वो तो नही् बदि िकते पर आने वािा कि तो हमारा है. हम भी देखते है् सकतनी तकिीि होती है. इि कािीनो्के शहर की समट््ी के है्हम भी हार नही्माने्गे.’ अजय इतना कहकर बाहर चिा गया और श््ीवास््व बाबू अपने कमरे मे्. उि रोज सदिो् मे् पड्ी वो न सदखने वािी दरार घर के आंगन के दो टुकड्ेकरा गयी थी. उि रोज िे घर मे् एक अजीब-िी चुप्पी नेडरे ा डाि सिया था. कोई िुनता सक वो शहर, वो भदोही शहर जहां अकबर बादशाह के जमाने िे कािीनो् का काम है, जहां के कािीन को ‘मेड इन भदोही’ के नाम िे पूरी दुिनया मे्जाना जाता है, उि शहर का एक हरा-भरा पसरवार कािीनो् की वजह िे ही बंजर हो गया, ताे सवश््ाि ही न कर पाता. पापा िे हुई उि बहि के बाद अजय ने अपनी नी्दे्खो दी थी्. उिने जौनपुर, समज्ाणपुर, गाजीपुर, िोनभद््, चंदौिी िब जगह िे कािीनो् के पुश्तैनी कािीन कारीगर खोजने शुर्सकये. महीने भर की भागदौड्िे उिे कुि चार ऐिे कािीन कारीगर पसरवार समि भी गये,
सजनके करघे मंदी मे्ऐिे शांत पड्ेसक सिर चि ही नही्पाये थे. उिने उन कािीन कारीगरो् को िरकारी िंसथ ् ान िे पॉवरिूम चिाने की ट्स्ेनंग सदिवाई. इंसडयन इंब्सटट््ूट ऑि कारपेट टेक्नोिॉजी के अपने दोस््ो् और वहां की कािीन बंधू िंस्था के चिते नयी तकनीक िे चिने वािी एक िूम का भी इंतजाम कर सिया. भदोही की चौड्ी िड्क पर एक हॉि सकराये पर सिया गया. िािो् पहिे पापा ने उिके नाम पर एक एिडी करायी थी. उिके बासिग होने के बाद अब वो उिके नाम पर हो गयी थी. अजय ने उि एिडी की मदद िे एक पॉवरिूम और एक हथकरघे का डाउन पेमे्ट कर सिया था. वो रोज चिता, कािीन कारीगारो् का हौििा बढ्ाता, नयी तकनीके् खोजता और अपने प््ोिेिरो् के िाथ समिकर िस््े और अच्छे कािीन बनाने के रस््ेढूढं ता आठ महीनो् की अथक मेहनत के बाद सनवेश समत्् की वेबिाइट पर अजय ने अपनी िूक का रसजस्ट्ेशन करा सिया था. उि रोज जब वो सजद करके, मना के, िुििा के पापा को श््ीवास्व् कॉरपेटि ् के उि छोटे िे कारखाने मे् िाया तब कारखाने की तख्ती पर ‘िंजीव है्डिूम्ि’ नाम पढ् कर श््ीवास््व िाहब दो पि को तो िुन्न पड् गये थे. िूम पर काम करते कारीगर, उनके िामने िगी सडजाइन की तब्खतयो् और िूम की िगातार होती खटा-खट मे्उन्हे्एक अजीब िा िुकून समिा था. उनके सदि के कोने का वो दद्णशांत हो गया था, सजिे उन्हो्ने महिूि करना बंद कर सदया था. जैिे हर एक धागे िे, हर एक रंग िे, िंदादर-िंदा कािीन नही् उिका िपना सिर िे बुना जा रहा हो. ‘पापा एक ही िपना था मेरा आपका कोई िपना अधूरा न रह जाये. आप हमारी ताकत है् पापा, आपकी आंखो् मे् कुछ न कर पाने की टीि हमको भीतर-भीतर िािती रहती थी. आप ही बताइये हम ये कैिे नही्करते? इतने िाि आपका सदि दुखाया उिके सिए माि करे्गे न?’ ‘आज तूने िासबत कर सदया बेटा उम््नही् हौििे इंिान को बड्ा बनाते है्. आज तूने मुझे मेरे िपने िौटा सदये. तूने मािी मांगने जैिा कोई काम नही्सकया मेरे बच््े. िक््है हमे्तुझपे.’ उि एक पि मे् जब अजय और उिके पापा गिे िगे, िुसमत््ा जी को अपना पूरा पसरवार वापि समि गया था. कािीनो्पर पढ्ी दुआओ्ने कािीनो्को ही दुआ का अिर बना सदया था. (सूिना एवं िनसम़पक़कचवभाग उत़़ार प़़देश द़़ारा प़़काचशत) शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 31
चवज़़ापन चशखा च़़दवेदी
रा
त के दो बज रहे थे. पूरा कन्नौज नी्द की आगोश मे् था, पर कमिनाथ अग््वाि की आंखो् िे नी्द कोिो् दूर थी. घर के तीिरे मािे के अपने कमरे िे सनकिकर बािकनी मे् आ गये वो, कुत्े की जेब िे अपना नजर वािा चश्मा सनकाि कर िगाया और दूर बहुत दूर तक िैिे अपने शहर को देखते रहे. िड्क,े इमारते,् बाजार स्कि ू िबको बनते और िंवरते अपनी आंखो् िे देखा था उन्हो्ने. बाप दादा के इि शहर मे् पूरी शानौ शौकत िे सजंदगी के 55 िाि सबताने के बाद कैिे वो सकिी और जमीन पर अपनी जड्े्जमा पाये्गे? ये िवाि आज िुबह िे उनके िदि मे् हजार बार उठ चुका था पर अब एक वो कोई जवाब नही् तिाश पाये थे. पर िवेरे सवनीत के िाथ हुई बहि के बाद अब कोई िैििा तो उन्हे् िेना ही था. सवनीत, कमिनाथ अग््वाि का एकिौता बेटा था. जब वो सदल्िी िे एमबीए करके िौटा तब कमिनाथ जी को िगा अब उनका बेटा उनके कारोबार को िंभािने और उिे नयी ऊंचाइयां देने मे् उनकी मदद करेगा. िेसकन ऐिा कुछ नही् हुआ. सवनीत ने आते ही वापि सदल्िी जाकर बिने की प्िासनंग शुर् कर दी. उिे सदल्िी मे्अपनी रेसट् ोरेट् ि ् चेन शुर्करनी थी. वो चाहता था सक उिके सपता यानी कमिनाथ जी कन्नौज की अपनी इत्् िैक्ट्ी बे्च दे्और उिके िाथ सदल्िी चिे. पर कमिनाथ जी के सिए ये इतना आिान नही् था. ऐिा नही् था सक उन्हे् अपने बेटे की इि ख्वासहश िे कोई तकिीि थी पर उिके इि ख्वाब को पूरा करने के सिए वो अपनी जड्ो् िे दूर नही् जाना चाहते थे. आसखर सजि शहर और सजि कारोबार को उन्हो्ने अपने िाथ बढ्ते और चमकते देखा था उिे एक ही झटके मे्हमेशा के सिए कैिे छोड्िकते थे. और इत्् की खुशबू तो जैिे उनकी िांिो्का सहस्िा बन चुकी थी, उििे अिग होना उनके सिए जीना छोड्देने जैिा था. उनके सिए उनकी इत््िैकट् ्ी सिि्फ कमाई का सजरया नही् थी, एक सवराित थी जो उन्हे्अपने पूव्णजो्िे समिी थी और सजिे वो सकिी भी कीमत पर िहेज कर रखना चाहते थे. उि रोज दोपहर के खाने के वक्त उन्हो्ने सवनीत िे कहा था, ‘बेटा, हम खुश है् अपने कारोबार िे और अब इि उम्् मे् अच्छे खािे कारोबार को छोड्कर कोई नया प््योग नही् होगा हमिे, हमारे सिए यही ठीक है.’
32 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
इत््नगरी
अपने बाबू जी बात िुनकर बहुत नाराज हो गया था सवनीत, कहने िगा, ‘बाबू जी, आप सिि्फ अपने बारे मे् िोच रहे है्, हमारा और हमारे कसरयर के बारे मे् िोच कर देसखए तब िमझ आयेगा और वैिे भी माक््ेट मे् स्प्े वािे िे्ट िे मुकाबिा नही् कर िकता आपका ये छोटी-छोटी शीसशयो्मे्कैद इत््. हमारी मासनए िैक्ट्ी बेच दीसजए और हमारे िाथ सदल्िी चसिए और वैिे भी सदल्िी मे् रेस्टोरे्ट शुर् करने के सिए हमे्बहुत िे पैिो्की जर्रत है अब मदद तो आपको ही करनी होगी हमारी.’ इतना कहकर खाना छोड्कर पैर पटकते हुए अपने कमरे मे्चिा गया था सवनीत. कमिनाथ जी ने बहुत कोसशश की थी सवनीत को ये िमझाने की सक शहर मे् उनका जो र्तबा है वो इत्् के इि कारोबार की वजह िे ही है. और वो अपनी एमबीए की सजि सडग््ी
के दम दूिरे शहर मे् बिने के िपने देख रहा है वो भी इिी कारोबार िे आये मुनािे की ही देन है. पर सवनीत कुछ भी िुनने िमझने को तैयार नही्था. कमिनाथ जी के सिए कोई भी िैििा िेना आिान नही्था एक ओर था उनका शहर और काराेबार और दूिरी ओर था उनका बेटा सवनीत, सजिने बात न मानने की िूरत मे्सपता िे दूर जाने की धमकी तक दे दी थी. कमिनाथ जी िे िुबह होने का इंतजार नही् हुआ. आधी रात को ही सवनीत के कमरा का दरवाजा खटखटाने िगे, सवनीत दरवाजा खोिकर कुछ बोिता इििे पहिे ही उन्हो्ने उिे अपना िैििा िुना सदया. ‘सवनीत कि हम आसखरी बार अपनी िैक्ट्ी जाये्गे, मुनीम जी िे कहकर अखबार मे् िैक्ट्ी बेचने का सवज््ापन छपवा दे्गे. उम्मीद है कोई िही खरीदार समि
जायेगा हमे्. कुछ वक्त िगेगा इन िब मे्. सिर जैिा तुम चाहोगे कर िे्गे.’ कमिनाथ जी ने अपने मन पर पत्थर रखकर कहा था वो िब. ये िुनते ही सवनीत की आंखो्िे नी्द जैिे गायब हो गयी. खुश हो गया था वो, अपने बाबू जी को थै्क्यू कहने और उनके गिे िगने आगे बढ्ता, इििे पहिे कमिनाथ जी वहां िे चिे गये. अगिी िुबह कमिनाथ जी ने िैक्ट्ी पहुंचते ही अपने मुनीम और िैक्ट्ी मे् काम करने वािे बाकी के िोगो्को भी अपने िैििे के बारे मे् बता सदया. मुनीम जी और बाकी के िोग उनकी बात िुनकर हैरान थे. मुनीम जी ने उन्हे् िमझाने की कोसशश भी की, कहने िगे, ‘िाहब, कारोबार अच्छा चि रहा है सिर अचानक िैक्ट्ी बेचने का िैििा क्यो्? िैकड्ो्िोग बेरोजगार हो जाये्गे.’ कमिनाथ जी ने मुनीम जी की सकिी बात का कोई जवाब नही् सदया. उन्हो्ने अपनी जेब िे एक कागज सनकािा और मुनीम जी को थमाते हुए बोिे, ‘ये िीसजए अखबार के दर्तर पहुंचा दीसजयेगा, कसहयेगा कि के अखबार मे् आज जाये और हां आज शाम को ही िारे मजदूरो् का सहिाब कर दीसजयेगा.’ दरअिि वो इश्तहार इत््िैक्ट्ी बेचने के सिए था. मुनीम जी को काम बताकर कमिनाथ जी वापि घर चिे गये. दो सदन बाद कमिनाथ जी घर के आंगन मे् अपनी आराम कुि्ी पर बैठे थे, तभी एक जानी पहचानी आवाज दरवाजे िे अंदर आयी, ‘अरे कमि बाबू अंदर आ िकते है् क्या?’ ये थे कमिनाथ जी के पुराने दोस्् कुबेर माथुर. कन्नौज मे्ही प््ॉपट््ी डीसिंग का काम करते थे.
शहर के ज्यादातर बड्े-छोटे कारखाने और िैस्कट््यां इन्ही्के जसरये खरीदी-बेची जाती थी्. ‘अरे आइये-आइये, आप ही का घर है.’ आवाज पहचानकर कमिनाथ जी ने उन्हे्अंदर आने को कहा और सिर अपने िाथ बैठक घर मे् िे गये. हाि खबर िेने पर पता चिा सक दरअिि माथुर िाहब यहां कमिनाथ जी की िैक्ट्ी के िििसििे मे् बात करने ही आये थे. िैक्ट्ी बेचने वािा उनका सवज््ापन देख सिया था उन्हो्ने. कहने िगे, ‘अग््वाि बाबू गुजरात का एक बड्ा कारोबारी है. बहुत अच्छी कीमत देने को तैयार है वो आपकी िैक्ट्ी के सिए.’ ये िुनकर कमिनाथ जी को बड्ी हैरानी हुई, उन्हो्ने माथुर िाहब िे पूछ ही सिया. ‘कारोबार के सिए गुजरात िे यहां इतनी दूर, कुछ िमझे नही्हम?’ कमिनाथ जी की बात िुनकर माथुर िाहब मुस्कुरा सदये, कहने िगे, ‘अरे अब तो दुसनया भर िे िोग आये्गे यहां. आसखर 400 एकड् मे् िैिी फे्गरे्ि सिटी जो बन रही है हमारे कन्नौज मे्. अब यहां के इत्् नयी-नयी पैकेसजंग मे् आकर दुसनया को महकाएंगे. खैर आप वो िब छोस्डए और ये बताइये मीसटंग कब की सिक्ि करवा दे् आपकी. वैिा मेरा मानना है अगर आपने मन बना ही सिया है ो सजतना जल्दी करे्उतना अच्छा.’ कमिनाथ जी ने उि वक्त माथुर िाहब की बात टाि दी और कुछ वक्त मांग सिया उनिे, अपना आसखरी िैििा िेने के सिए. माथुर िाहब के जाने के बाद भी कमिनाथ जी के पाि करीब 20 िोन ऐिे आये, जो देश के अिग-अिग शहरो्िे थे और वो िब उनकी िैक्ट्ी खरीदना चाहते थे.
एक अजीब िी कश्मकश मे्थे कमिनाथ जी, िैक्ट्ी को बेचने का िैििा तो कर सिया था उन्हो्ने, पर उनका सदि अब तक अपनी इत्् की दुसनया और अपने शहर िे दूर होने का िैििा नही्कर पाया था. एक बात पूरे सदन उनके सदिोसदमाग मे् घूमती रही, जब देश के दूर-दराज के सहस्िो्के िोग यहां िैक्ट्ी खरीदकर इत्् का कारोबार करना चाहते है् तो ऐिे मे् उनका यहां िे जाने का िैििा क्या िही था? क्या सिि्फअपने बेटे की सजद के चिते उन्हे् िािो् िे िहेजी खुशबूओ् की अपनी ये दुसनया छोड्कर चिे जाना चासहए? अपने मन मे्उठे हजारो्िवािो्िे जूझते हुए कमिनाथ जी ने एक बार सिर िैििा सिया. और एक बार सिर उन्हो्ने जाकर सवनीत के कमरे का दरवाजा खटखटाया. सवनीत दरवाजा खोिकर कुछ कहता, इििे पहिे वो बोिने िगे, ‘हम अपनी िैक्ट्ी नही्बेचे्गे और न ही कन्नौज छाेड्कर जाये्गे, कुछ पैिे है् हमारे पाि तुम चाहो तो उनिे सदल्िी जाकर अपना काम शुर् कर िकते हो पर हम कही्नही्जाये्गे.’ कमिनाथ जी इतना कहकर वहां िे जाने िगे. तभी कुछ और भी याद आया उन्हे्, सिर िे सवनीत के पाि गये और दरवाजा खुिवाकर बोिे, ‘एक बात बतानी तो रह ही गयी थी, पता है बेटा अब हमारी इत्् की ये छोटी-छोटी शीसशयां भी जल्द ही स्प्े बॉटि मे्बदिने वािी है्. तुम्हारे इंटरनेशनि ब््ांड वािे िे्ट को टक््र देने. तुम्हारे रेस्टोरे्ट िे कही् ज्यादा मुनािा देगी इत्् की हमारी ये नगरी. चाहो तो हमारी बात की गांठ बांध िो.’ अपने सदि का पूरा बोझ उतार िदया था कमिनाथ जी ने. शहर मे् बिने जा रही फे्गरे्ि सिटी और उििे उनके कारोबार मे् िगने वािो चार चांद के बारे मे्भी बता गये थे कमिनाथ जी अपने बेटे को. अगिी िुबह दि बजे िे पहिे ही िैक्ट्ी पहुंच गये वो, मुनीम जी को भी िोन करके िैक्ट्ी बुिा सिया था. मुनीम जी आये तो उन्हे् एक सिस्ट थमा दी उन्हो्ने, सिस्ट मे् उन िभी काम करने वािे िोगो् के मोबाइि नंबर थे सजन्हे् िैक्ट्ी बेचने का कहकर हटा सदया गया था. ‘िब को िोन करके काम पर वापि बुिा िीसजए और हां अखबार मे्एक दूिरा इश्तहार दे दीसजये सजिमे् िाि-िाि सिखा हो सक ये िैक्ट्ी अब कभी नही् सबकेगी.’ कमिनाथ जी की बाते् िुनकर मुनीम जी भी खुश हो गये आसखर उन्हे्और बहुत िे दूिरे िोगो्को सिर िे रोजगार जो समि गया था. (सूिना एवं िनसम़पक़कचवभाग उत़़ार प़़देश द़़ारा प़़काचशत) शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 33
साशहत्य
कलाकृसत रवी्द्िार ठाकुर
कहानी शोभा चसंह
बिला हुआ िाम 34 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
ना
म क्या है? रानी. िंस्कप्त-िा जवाब था. कॉिोनी का गाड्ण उिे िेकर आया था. थोड्ी-िी आवश्यक बातचीत करके उिे काम पर रख सिया. िड्क के दूिरे छोर पर बने घर मे् वह काम करती थी्. इिसिए िहज ही सवश््ाि कर सिया. सिर उिे काम वािी बाई की जर्रत भी थी. रानी काम ठीक-ठाक ही करती थी. काम मे् िापरवाही नही् थी. एक बार जैिा बता दे्, चुपचाप कर देती थी. रोज पीछे-पीछे िगना नही् पड्ता था. वह आराम िे िुि्णत मे् अपना सिखना-पढ्ना कर िेती थी. रानी देखने मे्िुदं र थी. गोि चेहरा. गाि पर कािा मस्िा. आंखे् चमकती रहती थी्. कुछ सदनो्काम के बाद उिे कुछ भरोिा हो गया, घर के िोगो्के स्वभाव के उतार-चढ्ाव को िमझने िगी. उिे िगा सहंद-ू
मुब्सिम िे इन्हे् कुछ ज्यादा िेना-देना नही्. पड्ोसियो्की बाते्उि तक पहुच ं ती थी. ‘अरे ये कम्यसु नि््है.् देखा, इनके घर मे्देवी- देवता की एको मूसत् ण है, न तस्वीर. ित्िगं मे्भी नही्आती कभी.’ वह चुपचाप िुनकर चिी आयी थी. कम्यसु नि््शल्द ने उिे परेशान जर्र सकया था. खैर, बहुत-िी चीजे्वह नही्जानती. एक सदन पूछगे ी. उिके व्यवहार मे्एक ब्सनग्ध आत्मीयता आ गयी थी. जानती है्आंटी, रानी मेरा पूरा नाम थोड्ेही है. अििी नाम मेहर्सनिा है. रानी तो मां प्यार िे कहती थी. कोई सहंदआ ु नी अपने घर घुिने न देगी. अच्छा? यह तो धोखा है. जानती है्आंटी, गरीब की कोई जासत नही् होती. हाड्तोड्ो, तभी घर चिता है. क्यो्तुमह् ारा आदमी? हां आदमी है. मद्ण घर मे् हो बड्ा िहारा रहता है. काम करता था िैक्ट्ी मे्. मंदी मे्. छटनी हुई और काम बंद. अब तो िैकट् ्ी भी बंद है. तब िे बहुत जगह हाथ-पैर मारे, ढंग का काम नही् समिा. बेरोजगारी मे् पीने की आदम पड् गयी. अब तो सरक्शा चिाता है. थक-हार कर शराब जब गिे मे्जाती है तो जैिे हाथ-पांव मे् जान आती है. आप कहोगी, पीने की मै् वकाित कर रही हूं. नही्. मेरी एक ननद है. सपछिे िाि िे मायके मे् यानी हमारे पाि है. उिके दो छोटे बच््े है.् देखने-िुनने मे् अच्छी हुनरमंद है. उिके खासवंद ने बि तीन बार तिाक बोि सदया. सबचारी िड्क पर आ गयी. उिके मरद ने अपनी पिंद का दूिरा सनकाह कर सिया. उिका भी गम है मेरे आदमी को. बहन को बहुत चाहता है. उिके सिए कुछ न कर पाया. हाथ बंधे रहे. ननद को सखिौना बनाने वािी िैकट् ्ी मे्काम पर िगवा सदया. कुछ पैिा खच्णकरना पड्ा. अरे पैिा तो मुझे भी खच्णकरना पड्ता है. आपके गाड्णको भी तो 100 र्पये सदये थे तब... उिे हैरानी हुई, अच्छा? एक सदन सिर अपनी ननद के बारे मे्बताने िगी. रसजया िुबह जाती है और देर शाम को िौटती है. बीच मे्बि पंदह् समनट की खाने की छुट्ी. िैक्ट्ी क्या है. तीन कमरो् मे् सिमटा है तामझाम. बताती है, गुस्डया के हाथ-पैर जोड्त,े कपड्े तैयार करते गद्णन ऐ्ठ जाती है. हाथ बराबर चिते रहने चासहए. अच्छा, तो पैिे अच्छे समि जाते हो्ग.े अरे कहां आंटी, कुि डेढ् हजार र्पल्िी. पैिा बढ्ाने को कहो तो धमकी देती है मासिक. एक छोड् चार समिेग् ी. काम छोड् दे. जा... मै् शाम िे पहिे ही घर पहुच ं जाती हूं तो घर देख िेती हू.ं यह घर भी तो बड्ी मुबश् कि िे समिा. घर क्या दड्वा है. पानी-सबजिी की भी सकल्ित.
िुबह जल्दी उठकर पानी भरकर रख िेती हूं. एक सदन की भी गिित हो तो प्यािे ही रह जाओ. सदि मे्हुडक ् उठती है, पुराना घर अच्छा था. बड्ा िा िहन. नीम का पेड.् तुििी भी िगा रखी थी. घोड्ा-तांगा आराम िे रख िकते थे. बाहर भी खड्ा कर दो तो कोई टोकने वािा नही्. अब तो वहां ऊंची सबब्लडंग और मॉि बन गया. सकतने ही बेघरबार हुए. पुशत् नै ी धंधा सछन गया.
चौथे मिन रानी धूल खाये चेहरे के साथ निूिार हुई. िैन् े कहा, चायनाश्ता कर लो. मिर काि करना. सब घरो् िे् तो तीन मिन का काि जिा करके रखा था. यो्रानी काम करती जाती और बात करती जाती. मै् उिके सिए अखबार और हकीकत के िक्फका झरोखा खोिती. िुनो रानी, िुना वहां का मुआवजा भी समिा था. हां थोड्ा बहुत– सजिके कागज पके् थे. बाकी तो अदाित के चक्र् काटने का न्यौता. जैि,े सकिके पाि इतना पैिा हो सक िाि दर िाि मुकदमा िड्.े सिर पैिे वािो्के पक््मे्ही तो िैििे होते देख.े बहुतो्ने गंवाया और हमने भी. शायद बहुत सदन बाद बेखौि होकर वह अपने बारे मे् बात कर पा रही थी. उिे एक उत्िुक धैय्णवान श््ोता भी समिा था, सजििे अपनी बात कह कर वह हल्की हो जाती. जानती है,् आंटी. पहिे मुझे भी काम नही् समिता था. मेरा नाम िुनकर िब भड्क जाते थे. सिर मुन्नी रानी का िहारा सिया. रानी तो िब धम्ण मे् है्. िो चि सनकिा काम. अपनी अल्िाह को याद करने वािी आदत को जर्र िगाम िगायी. कई घरो्मे्काम करने पर पैिे ठीक-ठाक ही समि जाते है्और बच््ेपि जाते है.् अरे रानी, आज तुमने अपना राज मुझे कैिे बता सदया. मै्सकिी िे कह दूं तो? नही्, इतने उतार-चढ्ाव सजंदगानी मे् देखे है.् अब आदमी को पहचानने की कूबत तो है ही. उि सदन आप अपनी कसवता िुना रही थी्. क्या नाम था भिा. क्या अल्पिंखय् क? हां... हां... वही उिमे्हमार कौम का ही तो दद्ण है. आपने कैिे पकड्ा. अल्प माने क्या मुबस् िम होता है. मै्अपनी कहानी भी एक सदन बताऊंगी. आप सिखना उि पर भी कोई कसवता-कहानी. अभी तो मै्चिी. बहुत काम है. अरे, एक कप चाय पी िो. नही्चाय मैन् े पी िी है. एक सदन रानी नही्आयी. घर का िोन नंबर उिके पाि था. िोन पर ही उिकी भरभराई
आवाज थी. ििुर का िासिज मार गया है. अस्पताि मे्है.् चिो दो-तीन सदन की अपनी मशक्त् . देह की चब््ी कुछ घटेगी. वन्ाण खाने का िुति ् उठा नही्पाती थी. कैिोरी बढ्ने का खतरा मंडराता रहता. खैर िुलब् ोिुआब यह सक चौथे सदन रानी धूि खाये चेहरे के िाथ नमूदार हुई. थकी थी. मैन् े कहा चाय नाश्ता कर िो. सिर काम करना. िब घरो् मे् तो तीन सदन का काम जमा करके रखा था. ऊपर िे डांट-डपट अिग. िामने वािी मैडम तो पैिा काट िेने की धमकी दे रही थी. आप ही सदि- िच सदिे दसरया है. अरे, छोड्ो दुख-िुख इंिान के िाथ जुड्ा है. अब बताओ तुमह् ारे ििुर कैिे है?् पहिे िे बेहतर हो् ऐिा नही् कह िकती. काम के सिहाज िे घर मे्एक और बच््ा. मेरा आदमी परेशान है अस्पताि के चक्र् और कज्ण भी िेना पड्ा. अब वह और उदाि हो गयी. और तुमह् ारी िाि नही्है? िाि गुजर गयी. िच कहूं अच्छा हुआ, विात पा गयी. सबचारी बहुत िीधी थी. ििुर को भी अपने सकये की िजा जैिे समिी है. वह अपने अतीत मे् खो गयी. खुदा िब देखता है. मै् जब ल्याह कर आयी थी, कुछ सदन तक तो बेटी-बहू कहता रहा. सिर कहता तू कैिी भरी पूरी है. तेरी िाि िूखी ककड्ी. कोई िुख नही् देती. मै् िुनकर बेवकूिी िे हंि दी. बोिती कम ही थी. उिने न जाने क्या िमझा. बि आगे-पीछे. जिेबी के दोने िाने िगा. मै् अपने शौहर िे कहा तो वो बोिे- ‘भोिी वो तुझे सकतना चाहते है्. मै् भी उनके चाय-पानी का खयाि रखती. मेरा समयां िैक्ट्ी चिा जाता. ििुर अपना घोड्ा-तांगा िेकर घर मे.् मेरी िाि जब पूछती इि बेवक्त मे्घर कैिे आ गये, कहते चि तुझे दरगाह िे चिू.ं उि सदन मै्बेसिक््ी मे्िब काम सनपटा पद्ाण खी्च नहाने बैठी थी सक मुआ आ गया. पीछे िे पकड्सिया. मै्िकते मे्आ गयी. सिर गुसि ् े की आग जैिे भक््िे जिी. हाथ का िोटा उिके माथे पर दे मारा और भागी कमरे की ओर. घंटो्बंद रही कमरे मे्और रोती रही.
या खुदा कैिा गुनाह. खैर, इिके बाद उिकी सहम्मत न पड्ी. िेसकन तब िे आज तक उिे मेरे हर काम मे्ऐब ही सदखता. मै्िबिे बुरी औरत. मै्भी अल्बा की इज्त् न दे पायी. िेसकन वक्त के िथ बुरे िम्हो्की स्िटे िाि होती गयी. मेरे तीन बच््े हुए. पैिे की तंगी होने िगी. मैन् े भी काम करने का िैििा सकया. उन्ही्सदनो्अपनी बस््ी छोड्कर नयी जगह आना पड्ा. तंग सदिो् जैिे छोटे घर. उिी दौरान सकतनी परेशासनयां हुई.् खुदा खैर. सजि घर मे् खाना बनाती, उन्हे् मेरा बनाया खाना पिंद था. कहते बड्ा जायका है इिके बनाये कबाब-सबरयानी मे्. दोष उि सदन का था- िािन चिाते पता नही्कैिे पल्िू मे्आग िग गयी. मुहं िे बेिाख्ता सनकिा, हाय अल्िाह! ये क्या होगया. बि मािसकन ने पकड् सिया. खड्-े खड्े कान पकड् कर घर िे बाहर सकया. महीने के पैिे भी न सदये. उि पर तोहमत सक उनका धम्णभ्ि ् ्कर सदया.’ क्या, िच कान पकड्कर सनकािा? अरे नही् आंटी. बेइज्त् ी बहुत हुई. खरीखोटी िुन काम जिने िगे थे. जेिे आपने कोई गुनाह सकया हो. जिे हाथ पर मरहम कौन िगाये. अछूतो् िे भी बदतर है् हम. चिूं बाते् बहुत हुई.् काम भी तो करना है. आपके यहां तो गप्प और काम िाथ-िाथ चि जाता है. एक सदन बोिी, अपनी दोनो् बेसटयो् को पढ्ाना चाहू.ं उि सदन टी.वी. पर देखा था िबके सिए सशक््ा. आप कुछ मदद करो आंटी. मै्गयी थी स्कि ू , िीि. ड्ि ्े , िबके पैि.े सिर पहचान पत्् चासहए. अब कहां िे िांऊ पहचान पत््, राशन काड्,ण सपछिे िाि देवर को घर िे उठा िे गये थे पुसिि वािे. पूरे घर की तिाशी मे्घर का जो भी कागज उन्हे्जर्री िगा उठा िे गये. देवर का तो कुछ पता ही नही्चिा. जब भी थाने जाओ, कहते है् आतंकवादी था. चुपचाप बैठी जा नही्, तो पूरे कुनबे को देशद््ोह के जुम्ण मे् अंदर करवा दूगं ा. पता नही्, ये आतंकवादी या आंतकवाद क्या होता है. मेरा देवर तो गऊ की तरह िीधा था. और क्या होता है ये देशद््ोही? ये सहंदी भी तो बोिचाि की ना है. नाम जर्र
िुपसरसचत कसव और िंस्कृसतकम््ी. पहिा कसवता िंग्ह ‘अ््ि्णसवधवा’ गुिमोहर सकताब, सदल्िी िे 2014 मे् प््कासशत. िंपक्फ: 9717779268
शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 35
साशहत्य उिका अल्दुि अिी रज््ाक था. नाम कुछ छोटा होना चासहए था न. एक कािी सवषाद की छाया उिके चेहरे पर झुक आयी. िम्हे भर को जैिे वह अपने मे्ही खो गयी. सकतने धंधे सकये. सकिी के िाथ िाझे मे.् सकिी के यहां कारीगर. तािा-छाता िे िेकर कपड्े की सििाई तक. दज््ी की दुकान का नंबर वन कारीगर. न जाने सकतने कपड्ेसििे. वहां तो सहंद-ू मुििमान का भेद न था. न कपड्ेकी कोई जात. सजिके तन पर िज गये, बि उिके. िुबह िे देर रात तक मिर्ि रहता. खाने-पीने केसिए मै्डांटती थी. पुसिि वािे कहते, मुििमान था. आतंकवादी, बम िोड्ता था. कहां का बम. िच गरीबी ही िबिे बड्ा ऐब है. गरीब को अमीर होते न देखा मैन् .े अच्छा, चि भाषर न झाड्. वह कुछ शस्मदि् ा होकर काम करने िगी. बेसटयां बड्ी हो रही है,् जल्दी िे ल्याह कर दूगं ी. िेसकन यह तो गित है, ऐिा हरसगज न करना. क्या करं् आंटी. इनमे् िमझदारी जरा भी नही्. कोई छेड् दे तो बि घर आकर घंटो् रोती है.् शादी कर दूगं ी, इज्त् तो बची रहेगी. गरीब की इज््त िुटते देर िगती है? मुझे दि घर काम रहता है. पीछे िे उन्हे्कौन देख.े काम भी तो जर्री है. घर की भट््ी सजतना झांको उतना ही कम. बि आग जिती रहे. वैिे िच कहूं, दोनो् िीधी है्. रोजा-नमाज की पाबंद. जैिा कहती हूं, वैिा ही करती है्. ल्याह करना भी आिान नही्. दहेज चासहए. अब तो हम िोगो्मे्
36 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
भी दहेज हो गया है. उन दोनो् को भी काम मे् िगाये रखती हूं. दज््ी के यहां िे थोड्ा बहुत काम िाके दे देती हू.ं बटन-काज बनाना, तुरपाई करना, िाड्ी िाि िगाना. अब कढ्ाही का काम पड्ोिन रज््ो िे िीख रही है्. अगिबगि मे्अपने जैिे िोग है.् एक दूिरे का िहारा रखता है. ये बाते् एक सदन की नही् थी्. जब भी उिे िुरित समिती, बातो्का सििसििा एक दूिरे िे जुडत् ा हुआ चि सनकिता. मै् अक्िर चाय के सिए पूछती हूं. वह कहती, चाय बड्ी मुब्शकि िे समिती है. सिर आपके यहां की चाय की तो बात ही कुछ और है. मैन् े उिे ििाह दी िड्सकयो् को भी आगे
पढ्ाओ. पढ्ाई क्यो्रोक दी? पढ्ना बहुत जर्री है. इि बार वह चुपचाप िुनती रही. कुछ बोिी नही्. एक सदन अच्छे मूड मे् थी. बोिी- आपके पाि ही एक घंटे के सिए छोड् दूं. कुछ सिखा सदसजयेगा. दोपहर को बच््े स्कूि िे आते है्. खा-पीकर थोड्ेआराम का िमय रहता है. हां, शाम को ठीक रहेगा. शाम सिर वह चुप हो गयी. वैिे रानी छुट्ी बहुत कम करती थी. उि सदन अचानक नही्आयी. दूिरे सदन जरा देर िे आयी. शक्ि पर बारह बजे रहे थे. अजब उजाड् थी. मेरी डांटने की इच्छा नही् हुई. पूछा, क्या हुआ. र्आि ं ी िी हो गयी. भरे गिे िे बतायाकॉिेज के िड्को्ने पसत की खूब सपटाई कर दी. सरक्शा भी तोड् सदया. क्यो्? बाइक पर िवार तीन जन सभड् गये सरक्शे िे. देखने वािो् ने कहा, गिती उन िड्को्की थी. वे गित िाइड िे आये थे. िेसकन कौन िुनता है. िारा गुसि ्ा सरक्शवे ािे पर. जमीन मे्पटक कर मारा. पििी पर गहरी चोट आयी है. हाथ भी िूज गया. खबर पाते ही वहां मै् भागती हुई पहुंची. िरकारी अस्पताि िे गयी. वहां भरती है. ऊपर िे पुसिि केि. क्या करं्. कहां जाऊ. और आंिुओ् िे भी्ग गया उिका चेहरा. चि, सहम्मत रख. मै् चिती हूं अस्पताि. पुसिि थाने पर भी िाहब िे िोन करवा दूगं ी. परेशान नही्करेग् .े आश््ािन पाकर वह अपना काम सनपटाने िगी. मै् सजंदगी की नयी कड्वी िच््ाइयो् िे यूं र्बर्होऊंगी कभी िोचा न था. n
साशहत्य/कशवता
अरुणाभ सौरभ की कचवताएं
कैिवि पर सित््
इसतहाि की सकताब िे सनकि कर आता हुआ एक िुग्गा भूत की स्याह गाथा गाने िगा 'सजनके हाथो्मे्ित््ा थी वहां वादे थे या आश््ािन इसतहाि-चक््धम्ण-चक््मे् बदिने िगा था' िुग्गे की बात पर ध्यान नही्गया सकिी का िुग्गा भसवष्यत उचार रहा था महज इसतहाि के बहाने सक तब तो पसरचार-मात््के सिए या आदेशो्के पािन के सिए सिखी जाती थी कसवता सवचारो्की हत्याएं होती थी् जो असहंिक थे या तो मार सदये गये या मस््क पर िडे घाव का मवाद िेकर घूमते रहे सवचारहीन िमय मे् तक्फहीन और सदशाहीन िभ्यता का नग्न नत्णन होता रहा बहुत िारी सटटही,बटेर और बुिबुि की चीखे् इसतहाि िे वत्णमान मे्गूंजती रही् अब तो वे पंछी भी गायब हुए सवचारो्की हत्याएं होती रही् राजित््ा और धम्णके खेि मे् हत्या का िमाज बन रहा था हत्याओ्की ित््ा थी षड््ंत्और हत्या का कोिाज रचा गया सवराट कैनवि पर सवचार को कभी िमझ नही्पायी ित््ा और ित््ा मे्योजनाएं बनती गयी् पर गायब था जन एक देश बनने िे पहिे एक देश बनने के बाद रक्तरंसजत िब कुछ.
इसतहाि-पुर्र जैिा भकािे आखरो्की अंतहीन उिझी दीवार िांदकर बाहर आने की चाह स्याह दुसनया मे्
प््िाप छोड्ना चाहता है वो सकताबो्की दुसनया िे जो शायद कह न पाया हो (अधूरे सवचार ) जो सज़ंदगी िे पहिे दिन हो गये उिे पकाकर-सिंझाकर सनकािना चाहता है आना चाहता है पसनयाई खामोशी मे् कब््की समस््टयो्मे्हौिे-हौिे होती है िुगबुगाहट आता है धीरे-धीरे कस््बस््ान िे िाथ मे्मुद्ो्की िौज देखता है जीते-जागते इंिानो्की कमीनगी दुग्िध देती सिजसिजी-सचपसचपी दुसनया अथ्ण-सवकाि-िमाज-तंत् भागता है कदम सिर उिी कस््बस््ान मे् जहां िे आया था सक दूर िे गूंजती है- नारे की कतार गडािा-भािा-तिवार की िांय-िांय-िांय 'सनकिो','बाहर सनकिो' की सचल्िाहट सक िबके िब मुद्ो्के िाथ वह भी ज़ोर िे चीखता है 'हमे्अंदर ही रहने दो हम यही्है्-तो ठीक है्' वो चीखता है चीखता ही रह रह जाता है इसतहाि-पुर्ष जैिा कोई एक पर प््ेतो्की आवाज़ है जो इंिानो्िे ऊंची कभी हो ही नही्िकती.
िेरे-तुम्हारे बीि मेरे-तुम्हारे बीच मे् स््कस्टि ग्िोब पर घूमती हुई दुसनया है िे्ग शुई की घंसटयां हंिता हुआ 'िासिंग बुि्ा' मोनासििा और ब्कियोपेट्ा है मेरे-तुम्हारे बीच मे् भसवष्यवारी करता ऑक्टोपि
िुपसरसचत युवा कसव. सहंदी के अिावा मैसथिी मे्भी सिखते है्. सहंदी मे्प््कासशत कसवता िंग्ह ‘सदन बनने के क््म मे्’ भारतीय ज््ानपीठ युवा पुरस्कार िे िम्मासनत. इिके अिावा िासहत्य अकादेमी का युवा पुरस्कार भी समिा. मैसथिी कसवता िंग्ह ‘एतबे टा नसह’.
पीिी िरकार का जादू मौत का कुआं और जेसमनी िक्फि है मेरे-तुम्हारे बीच मे् थ््ी डी सिल्मो्का चश्मा है सजििे देखने पर बहुत नजदीक िगती है ये दुसनया सजििे तुम्हारी दोनो्आंखे् दजिा और फ़रात की तरह दीखती है मेरे-तुम्हारे बीच मे् इजरायि-सििस््ीन है सतल्बत और चीन है दस््कर-उत््र कोसरया है नाटो-िाक्फहै िंयुक्त राज्य अमेसरका और िेसटन अमेसरका है देश-सवदेश के और कई नाम है् मेरे-तुम्हारे बीच मे् सहरोसशमा नागािाकी और सवयतनाम है मेरे-तुम्हारे बीच की उदािी सवचारो्की हत्या है. मेरे तुम्हारे बीच मे् आक्फसमडीज़ की कराह है सिर भी हम है्सक जीते है्,समिते है्, बसतयाते है् मेरे-तुम्हारे बीच मे् चंदा-मामा है अल्िा-बीटा-गामा है िा-रे-गा-मा .......है.
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शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 37
साशहत्य
भारतीय उपन्यास का झूठा सच लक़़मण चसंह चबष़़बटरोही
क
उपन्यास लकसी भी समाज का सबसे लवश्स ् नीय र्पक िोता िै. लेलकन अगर िम प्म्े चंद को िी भारत के जातीय उपन्यासकार के र्प मे्खडा निी्कर सकते तो लिंदी मे्इस संदभ्षमे्लकसकी चच्ाष करे?्
मै्यहां पर एक खाि कोर िे बात उठा रहा हू,ं इिसिए मे्कुछ चुने हुए िेखको्की ही चच्ाण करूग् ा. इि चच्ाण मे्मैन् े उन्ही्उपन्यािकारो्को चुना है जो अपने िमाज की िांसक ् सृ तक िमग्त् ा को प्स ् त्ु करते सदखाई देते है.् स्पि््है सक इिमे्भी सववाद हो िकता है क्यो्सक सहंदी िमाज खुद भी अपने िमाज की वरीयताओ्को िेकर बुरी तरह बंटा हुआ है. उदाहरर के सिए, इि चच्ाण मे्अज्य्े और जैनदे् ्नही्है्जब सक कुछ पाठको्को वही
रीब पचाि िाि पहिे मैन् े िमय-िमय पर ऐिे उपन्यािो्का चयन सकया था, जो मुझे स््पय और िंगह् रीय िगे. तमाम दूिरे कामो् मे् उिझा रहने के कारर उन्हे्उि आत्मीयता िे नही्पढ पाया जो अपेस्कत थी. सवदेशी और प्ा्तं ीय भाषाओँ की उन सकताबो्को भी पढा सजनकी बारबार चच्ाण होती थी. हािांसक मेरे पाि एक गंभीर पाठक की दृसि ् तो नही् थी, मगर सवश््प्सिि्् उपन्यािो् को पढते हुए मेरी आंखे् बार-बार सहंदी मे् सकिी ऐिे उपन्याि को खोजती रही्जो भारत की जातीय िंसक ् सृ त का आईना हो. आज, जब सक मै् ित््र की उम्् पार कर चुका हूं, एक पाठक के र्प मे् पीछे िौटकर देखता हूं तो एक अजीबिी बेचनै ी हाथ िगती है. मै्ने बहुत तो नही् पढा, मगर सहंदी मे् सिखे और अनूसदत सजन उपन्यािो् प््ेमिंि और उिकी कृसत सेवासिि की चच्ाण हुई, कोसशश की भारतीय िंवदे ना के सिहाज िे िबिे पहिे याद आते है.् सहंदी मे्बहुत िाि सक उन्हे्पढ िकू,ं वरना उनकी िमीक््ाएं तो पढी्ही. यह बात सदखाई देती है सक कारर जो भी रहे हो्, सहंदी का पाठक एक ओर इन सदनो्मै्दूिरी-तीिरी बार िेव तोिस््ोि का उपन्याि 'पुनर्तथ् ान' ्े ी माध्यम िे पढने वािा वह पाठक है सजिके पाठकीय मानक यूरोपीय पढ रहा हूं सजिे िन 1977 मे्प्ग् सत प्क ् ाशन मास्को ने प्क ् ासशत सकया था. अंगज इि उपन्याि ने मुझे दो काररो्िे सवशेष आकस्षतण सकया. पहिा तो इिका िासहत्य के है्(सजनके आधार पर यूरोपीय िासहत्य सवकसित हुआ है) तो अनुवाद प्ख् य् ात कथाकार भीष्म िाहनी ने सकया था, दूिरे इि उपन्याि मे् दूिरी ओर ऐिे पाठक है् सजिके पाठकीय िंस्कार क्िासिकि भारतीय भाषाओँ के िासहत्य िे बने है.् दुभा्गण य् िे, ये दोनो् तोिस््ोि ने अपने िमाज की उन िमस्याओ्को आजािी के बाि महंिी िे् मजतनी पाठकीय धाराएँ एक दूिरे के दुश्मन की तरह बडी गहराई िे उठाया है सजन्हे्भारतीय कथाकार, भी चम्चति सामहत्ययक रचनाएं सवकसित होने िगी्. इिके पीछे क्या कारर है,् कह खािकर प््ेमचंद, रवी्द्नाथ, शरतचन्द्, बंसकम, पाना कसठन है मगर एक बडा कारर सपछिी िदी सािने आयी है,् उन पर मकसी ताराशंकर आसद बीिवी् शताल्दी के तमाम उपन्यािकार अपने िमाज के िंदभ्णमे् उठाते रहे मििेशी सामहय्य या सामहय्यकारो् के ज््ान-सवज््ान के सनष्कष््ो्पर अंगज्े ी शािन और उनकी भाषा का प्भ् ाव अवश्य है. आजादी के बाद थे. यह काम इिी िदी मे्िंिार की दूिरी भाषाओँ का प्भ ् ाि साि मिखाई िेता है. एक और पाठक उभरा जो इि िंसक ् सृ त के सवरोधी के िेखको्ने भी सकया, मै्उि पर अपनी राय देने तथाकसथत 'भारतीय' पो् ग ापं थ के प् ् स त उभरी भारतीयो् की निरत की का न असधकारी हूं और न मेरा इतना अध्ययन ही है. हर पाठक की अपनी असभव् य ब् क त िे जु ड ा था. अं त तः हु आ वही सजिका खतरा था. भारतीयो् की र्सच और िीमाएं होती है,् सजनके आधार पर िमस््िेखन को िेकर कोई खं स डत अब् स मताओ् के आपिी टकराव ने हमारी नयी पीसढयो् को एक अजीब एक राय नही्बनाई जा िकती. 38 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
उिझन मे्धकेिा और उिी अतीत की ओर िौटने के सिए सववश सकया, मूल्यो् और आदश््ो् िे सवगत आधी िदी मे् गंभीर पाठको् का भाषा और सजिके सवरोध मे् भारतीयो् ने अपनी यात््ा आरंभ की थी. अजीब-िी िंसक ् सृ त को िमझने का िंसक ् ार सनस्मतण हुआ है, उिका क्या होगा? प्स्तस््कया थी यह, सजन औजारो्िे हमने आजादी की िडाई िडी थी, इन टॉिस्टॉय के उपन्यािो्को पढते हुए यह बात िबिे पहिे मेरे सदमाग नये िोगो्के सिए वही सचढ की वस््ुबन गयी. हमारे ही हसथयार ने बूमरेग मे्आयी थी सक सजि िमूची उन्नीिवी्-बीिवी्िदी के सवश््उपन्याि ने बनकर हमे्ख़त्म करने के सिए अपनी सगरर्त मे्िे सिया. िगभग पूरे सवश््को अपने-अपने िमाज का जातीय स्वर सदया, सहंदी मे् यह शायद अनायाि नही् है सक आजादी के बाद सहंदी मे् सजतनी भी ऐिा क्यो् नही् हो िका जब सक सहंदी को भारत के बहुिखं य् को् की भाषा चस्चतण िासहब्तयक रचनाएं िामने आयी है,् उन पर जाता है. कहने के सिए इि िंदभ्णमे्तक््ो्की सिूची उन्नीसिी्-बीसिी् सिी के माना सकिी सवदेशी, खािकर यूरोपीय और िैसटन भरमार है, िेसकन खोखिे तक््ो्िे तो हम अपना मिश्् उपन्यास ने लगभग पूरे अमेसरकी िासहत्य या िासहत्यकारो्का प्भ् ाव िाि जातीय उपन्याि िौटाकर नही् िा िकते. मिश्् को अपने-अपने सिाज का व्यब्कतगत र्प िे मुझे तो इि बात के सिए एकमात्् सदखाई देता है. इििे भी दुभा्गण य् पूरण्बात यह िामने आयी सक इिकी प्स्तस््कया मे्िासहत्य के चच्ाक ण ारो् उत््रदायी हमारा वत्णमान ित््ा िमीकरर िगता जातीय स्िर मिया, पर महंिी िे् का एक ऐिा वग्णउभरा, जो भारत के पुराने िासहत्य है , सजिने िमाज मे्िंवाद के जनतंत्का गिा बुरी ऐसा क्यो् नही् हो सका. को अपने जातीय िासहत्य के र्प मे्खडा करने की तरह घो्ट सदया है. कोसशश करने िगा. ऐिा पाठक भारतीय भाषाओँ मे्सिि्फसहंदी मे्िामने तोिस््ोय ने अपने उपन्याि 'पुनर्त्थान' मे् र्िी िमाज का आया जो अपनी जडे् िंसक ् तृ और सहंदवू ादी िंसक ् सृ त मे् देखने िगा. इिे बहुआयामी ििक उठाया है. यो् तो इि तरह का रवी्द्नाथ, शरत, दुभा्गण य् कहे्या सवडंबना, इि मनोवृस्त के िमथ्नण मे्सहंदी िमाज का वह ताराशंकर आसद तत्कािीन बंगाि के भारतीय िेखको्ने बहुत प्भ् ावशािी सवशाि पाठक वग्णिामने आ गया सजिे पढने-सिखने िे कोई मतिब नही् ढंग िे उठाया है, मगर सजि सहंदी उपन्याि िे हम िबिे पहिे इिकी था. यह राजनीसतक िंख्याबि का िमाज था, जो सगनती के आधार पर अपेक्ा करते है,् वह है सिि्फ एक उपन्याि मे् सदखाई देता है: प्म्े चंद के 'िेवािदन' मे्. िन 1916 मे् सहंदी मे् प््कासशत होने िे पहिे यह उद्णूमे्छप चुका था, तो भी यह बात सवश््ाि के िाथ कही जा िकती है सक यह उपन्याि है उन्नीिवी्-बीिवी् िदी की भारतीय जातीय िंवदे ना का ही. कहा जा िकता है सक मैन् े प्म्े चंद के ही दूिरे उपन्यािो् 'प्म्े ाश्म् ', 'रंगभूसम' जैिे असधक व्यापक ििक वािे उपन्यािो् को क्यो् छोड सदया, उनके िमकािीन और दूिरे िेखको्के उपन्यािो्की क्यो्चच्ाण नही्की, (यह तोलस््ोय और उिके उपन्यास ‘पुिर्त्राि’ का अंग्ेिी संस्करण एक अिग बहि का मुद्ा अपनी बाते् मनवाते हुए िासहत्य और मूलय् ो् को अतीतमुखी बनाने िगा. है), मै्कहना यह चाहता हूं सक िगभग िमान कथानक और सचंताओ्िे इन सदनो्तो इिी ित््ा-बि िे प्भ् ासवत होकर ित््ा भी यही दुहराने िगी है. जुडे होने के बावजूद क्यो् 'िेवािदन' हमे् उि र्प मे् भारत के िंदभ्ण मे् ित््ा के सिए तो िासहत्य भी अपने सिए वोट जोडने का एक हसथयार है, उद्स्ेित नही् करता सजतना सक र्ि के िंदभ्ण मे् 'पुनर्तथ ् ान' करता है? इिसिए वह िासहत्य की अपनी स्वायत्त् ा और गुरवत््ा की बात भिा क्यो् ('गोदान' की चच्ाण जानबूझकर नही् कर रहा हू,ं क्यो्सक यहां पर सवषय करने िगी! 'पुनर्तथ ् ान' और 'िेवािदन' है) मतिब यह सक अगर हम प्म्े चंद को ही ऐिे मे्यही होना था. राजनीसतक आस्थाओ्के आधार पर िासहत्य की भारत के जातीय उपन्यािकार के र्प मे्खडा नही्कर िकते तो सहंदी मे् चच्ाण होने िगी. चुन-चुन कर सवरोधी सवश््ािो् िे जुडे िासहत्य को नयी इि िंदभ्णमे्सकिकी चच्ाण करे?् पीढी के िामने िे हटाकर अपने कूप-मंडपू सवचारो्को परोिा जाने िगा. िवाि मेरी अपनी व्यब्कतगत राय का भी नही्है. भारत के ऐिे पाठक जहां िे अिहमसत की आवाज उठी उन्हे् कभी प्ि ् ोभन द््ारा, कभी डरा- के सनम्ाणर का है सजिकी अपेक्ा सहंदी उपन्यािकार िे की जाती है. इि धमका कर और कभी उपेक्ा द््ारा ख़त्म कर सदया गया. िंदभ्णमे्मै्महान र्िी िेखक मब्किम गोक््ी के द््ारा तोिस््ोय के बारे मे् कुछ िोग कह िकते है् सक इिमे् बुराई क्या है. इतना बडा कही गयी ये बाते्दुहराना चाहूगं ा, 'तोिस््ोय के काय्णका ऐसतहासिक महत्व भारतीय/सहंदी िमाज है, उिमे ऐिे अंतस्वरण ोध और परस्पर सवरोधी राय तो इिमे्है सक उनकी कृसतयो्मे् उन्नीिवी्शताल्दी के र्िी िमाज का िंपर ू ण् िामने आयेग् ी ही. मगर बुराई इि र्प मे्है सक पूरी बीिवी्िदी मे्सजन जीवन प्स्तसबम्ब है.' क्या सहंदी मे्कोई भी िेखक ऐिा है ? अपने िमाज के बारे मे्जानने के सिए कहां जाये, सहंदी का पाठक?n िेखको् और भाषा िे जुडे एब्कटसवस्टो् ने अपने अथक प््यत्नो् िे भाषा, (िेखक सहंदी के जाने-माने िासहत्यकार है.्) िमाज और िासहत्य को आज की ब्सथसत पर िा खडा सकया है, सजनके शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 39
साशहत्य/समीक््ा
भूगोल से शनश्मात काव्य संवेदना लिमाचल के सुदूर गांवो्मे्रिने वाले दो लकसान कलवयो्के संकलन एक नयी संवेदना का पता देते िै्. ओम चनश़िल
मे् सजतनी वृस्ि हुई है/स्वागती दरवाजो् मे् उतनी ही कमी.’ विंत की अगवानी पर सहंदी मे्सकतनी ही कसवताएं हो्गी, पर पहाड्ो्मे्विंत कैिे सवता सिखना और धैय्ण का सनबाह दोनो् बहुत कसठन काम है. चुपके-चुपके आता है, झुनझुनी आंसधयो्के पीछे, यह उनकी कसवता ‘मेरे कसवता सिख कर अपने को िगभग अप््कासशत रखने वािी पीढ्ी गांव मे्’ उद्घासटत करती है और यह बात भी उनकी कसवता िे ओझि के कसव हुकमु ठाकुर का िंगह् बािठ की उम््मे्तब आया है जब िंभवत: नही्रहने पाती सक कैिे बािी रोटी िे भूख का सतसिस्म तोड्ने की योजनाएं उनके समत््ो् का दबाव बना. कुल्िू जनपद के एक अजाने गांव भोिा मे् बनाई जा रही है्. कोई भी कसवता िंवेदना और एहिाि के सबना नही् बनती. हुकुम जन्मे हुकुम की हाि ही मे्आयी सकताब ‘ध्वसनयो्के मिबे िे’ जब देखी तो थोक भाव िे छपने-छापने वािे िंिार मे् यह कुछ अिग-िी िगी. ठाकुर गांव के दृश्य को अदेखा नही्रहने देते. दृस्िपथ मे्जो कुछ सदखता है, कसवता मे् उिे िंजोते चिते है्. तभी तो ‘भोर का सिर सकताब उठाते ही र्िैप पर ज््ानरंजन, आग्नेय और तारा’ जैिी अनूठी कसवता सिख पाते है्. इिी तरह वे स््पयंवद जैिे िासहत्य के वसरष्ठ नागसरको्की उनके बारे अपने बीच के पसरवत्णनो्को कसवता मे्एक नयी शक्ि मे्सटप्परी पढ्कर सनगाहे्कुछ सठठक गयी्और कसवताएं दे ते है्: पढ्ते हुए जीवन के िंजोये अनुभवो्की थाती िे गुजरने‘मै्कह रहा हूं जैिा िुख समिा. इिी तरह सहमाचि की ही वासदयो्िे सरश्तो्की चमड्ी झूिने िगी है तआल्िुक रखने वािे तै्तीि वष््ीय सवक््म मुिासिर दूध का रंग भूरा हो गया है सठयोग, सशमिा के रहने वािे है्और िुदूर गांव मे्रहते आदमीयत के नाखून बढ्गये है् हुए कसवता के नये कल्िे रोप रहे है्. ये कसव अिस््कत ही जबसक उनका कहना है रह जाते यसद आधार प््काशन इन्हे्अग््िर न करता. मै्कुछ कहता क्यो्नही्हूं हुकमु ठाकुर के बारे मे्यह िच है सक वे सिखने मे् मै्पढ्रहा हूं सजतने कुशि है,् उिे छपाने मे् उतने ही आिस्यजीवी. शल्दो्ने अपने अथ्णबदि सदये है् सिहाजा सकिानी और बागवानी के बीच हुकमु ठाकुर को सकताबे्हड्ताि पर है् इि व्यासध ने कभी ग््स्त नही् सकया सक छप जाना ही किम को सिर खुजाने िे ही िुि्णत नही्है कसवता की िाथ्क ण ता है. यह उनके सिए िदैव सिखे जाने जब सक घर िे खेत तक की िाथ्णकता रही. खेती-सकिानी-बागवानी मे् रमे हमे ध्वसियो् के मलबे से: हुकमु ठाकुर; आिार टेिीिोन की िब िाइने्व्यस्त चि रही है्.’ हुकमु ठाकुर के भीतर धीरे-धीरे कसवता सकिी ििि की प्क् ाशि, पंिकुला, हसरयाणा, पहला सं स क ् रण2016. प् ्कृसत के िमुज्वि उल्िाि को एक नया अथ्णदेने तरह उगती रही सजिे वे स्मृसतयो्के कोठार मे्िहेजते रहे वािे पहाड् ो ् मे ् आज जो सवकाि िीिा रची जा रही है, उिकी कुछ मास्मक ण है.् कभी दोस्तो्को भनक िगी तो कसवता िुना दी , कही्छपने भेज सदया. अं त ध् व स ण ् नयां हु क म ु ठाकु र के यहां भी िु न पड् त ी है . ् उन पर पहाड् पर चिते छपी्छपी्, न छपी्तो न छपी्. िंपादको्िे अनुनय-सवनय मे्भी िंकोची. ् ि्,ण उनकी अनवरत कटती मांिपेसशयां कसव को यह िोचने पर मजबूर इिी क्म् मे्उनकी कुछ कसवताएं ‘पहि’ तक पहुच ं ी्, कुछ ‘िदानीरा’ और केश कुछ ‘अकार’ जैिी पस््तकाओ्तक. िुधी िंपादको्के सिए जैिे यह कसवता करती है्सक ‘उनका दावा है, वे यह िब सवकाि के सिए कर रहे है/् परंतु हर असनवाय्ण ऋतु के पल्िवो् के बीच/उन्हो्ने कीमती पत्थरो् के ित को का गड्ा खजाना था जो उनके हाथ िगा. ज््ानरंजन को सिखे पत््मे्हुकमु ने बेबाकी िे सिखा: ‘भुखमरी, तसपश और कठोर श्म् के िंबे जीवन के ऐिे आत्मिात सकया है/सक सवकाि की हर धार उनकी घर-गृहस्थी की बाद अब पेट मे्कुछ अन्न आने िगा और कसवताएं सिर िे जीसवत हो उठी्.’ तरि मुड्गयी.’ हुकुम भिे ही पहाड्ो्की वासदयो्मे्रहने वािे सकिान हो् ज््ानरंजन ने पाया सक तकिीिदेह सबयाबान और िंवाद हुकमु ठाकुर की पर हम सजि तरह तिरीह के सिए पहाड्ो्को आरामगाह मान कर चिते कसवताओ्मे्है्तो स््पयंवद ने पाया सक भाषा की ताजगी, सबंबो्की अपूवतण् ा है्, वहां की सदनचय्ाण इतनी रोमै्सटक नही्है. जीसवका के सिए वे सजि तरह हाड्तोड्पसरश््म करते है्,शायद उिकी कीमत उन्हे्नही्समिती. ‘समट््ी और िंवदे ना की अनगढ्ता इन कसवताओ्की पहचान है. हुकुम ठाकुर का कसवता िंिार जीवन के देखे िुने अनुभवो्का एक की गंध’ गांव के इिी दद्णको उद्घासटत करती है. कसव का कहना है सक सनम्णम िंिार है. गांव के कसव है्तो गांव उनकी कोसशकाओ्मे्रचा-बिा पहाड् के खेतो् की समट््ी की गंध अपनी जेबो् मे् भर कर शहर भर की है. वे जीवनानुभवो्िे आप्िासवत है. तभी एक िल्जी बेचने वािे बच्चे के रिोइयो्मे्भर देने वािे अंतत: वापि िौटते हुए केवि आश्वािनो्और यह पूछने पर सक गांव सकिे कहते है्, वे अपनी कसवता मे् सिखते है्: खाद की कीमतो् की िंशोसधत िूसचयो् के िाथ िौटते है्. ‘सचट््ी’ इि ‘खािी पेट पैदि चिती यात््ा को गांव कहते है/् पहाड्वह होता है –भुइतं र िंकिन की मास्मणक कसवता है. पहाड् िे नौकरी करने गया एक पहाड्ी िे दाये्हाथ/गड्गड्ाहट और धूि उगिती घाटी मे्/जहां चापिूि दृस्षटयां िड्का होटि का काम खत्म हो चुकने के बाद सपता को सचट््ी सिखता है. मेहनत चीर रही है् ििीके िे/ ...इन स्टोन क््शरो् के नीचे िोया है वह सचट््ी क्या है, जैिे पहाड् और भीड् िे िदे-िंदे नगरो् का तुिनात्मक पहाड् सजिने एक शहर खड्ा करने के सिए खुद को कुब्ाणन कर सदया.’ अध्ययन. इिी तरह, ‘सपट््’ कसवता कोई पहाड्ी कसव ही सिख िकता है. इिी कसवता मे् वे सिखते है् सक ‘हाि के बरिो् मे् खेतो् ने सजतनी स्वांग रचाने वािे ‘स्वांगी’ पर भी सिखी कसवता बताती है सक वह सकतना आत्महत्याएं की है/् उििे पहिे कभी नही्हुई/् इिसिए सभखासरयो्के कटोरो् भी स्वांग रचा िे, पर वह जब हंिता है तो उिके मुंह िे भूख झरती है और
क
40 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
जब रोता है तो उिके हाथ िे रोटी सिििती है. पढा जा िकता है: ‘कागज पर खून का धल्बा/द््ीप की तरह उभर आया हुकमु ठाकुर की कसवताओ्का गठन गद््ात्मक है. कसवता आती है गद्् है/ ये उिके अंसतम दस्तख़्त है् शायद.’ सवक््म ने ‘आसदगाथा’ मे् की धमसनयो्मे्सवचारो्के प्ा्र िूक ं ती हुई. यहां चमकती हुई िूकसतयां ् या आसदवासियो् के िंकटो् की बात की है. सवक््म गांव के है् तो गांव के उि्र् र नही्समिेग् .े हो िकता है, इन्हे्पढ्ते हुए अटपटापन भी कुछ कुछ खेसतहर अनुभवो्के भरोिे एक नयी बात कहते है्सक कसवता करना खेती िगे. बीच-बीच मे्उनका हास्य भी है. ‘ऋर मेिे मे्नमस्कार का टुकड्ा’ करने की तरह है. अष्टभुजा शुक्ि भी यही कहते है्, सवक््म भी. ऐिी ही ‘सवटी’ कसवता है सजिमे्डेढ्इंच के धन्यवाद के बाद हस्तप्क ् ्ािन ‘मेहनतकश अल्िाज/ कसव के सिए बैि भी है्/ बीज भी/ खेत भी/ पकती कर चिे गये मुखय् असतसथ की चच्ाण है. ‘ध्वसनयो्के मिबे िे’ की ज्यादातर ििि िे पहिे सखिे िूि भी/ आधी कसवताएं अधूरी नही्होती्/ ये खेत कसवताएं सकस्िागोई शैिी मे् है जैिे वृत्तांत का सवरेचन हो्. स््सयो् पर, पूरा जोत नही्िकता कोई.’ उनकी कम्ठण ता पर भी एकासधक कसवताएं है.् ‘वह गीत गाती है,’ ‘स्त््ी’ कसवता मे् हर बार अधूरी रह जाती है शायद इिीसिए कहा जाता है आसद. पर ‘दोघरी’ इनमे्िबिे अिग है. बचपन मे्गोर्भेड्चराने वािी कभी खत्म कसवता नही्होती. कसवयो्के िौ्दय्णबोध पर बहुधा बाते्होती दोघरी, अकथ चोटो्वािी. कसव की िंवदे ना इि कसवता के अंत मे्जागती है्. इिी िंग्ह मे् घर कुछ अिग-आस्वाद की कसवता है. पासकस्तान के है यह कहती हुई सक ‘आप पूछगे् े सक मै्यहां क्या कर रहा हू/ं भाई!/ मै्यहां सकिी दसरया मे्आयी बाढ्के कारर गांव उजड्गया है. पर पानी के उतरने उि पीठ का इंतजार कर रहा हूं जो अभी बेपद्ाण न हुई है/ सजि पर कुछ की खबर िुन कर एक आदमी अपने पसरवार के िाथ केवि दो दीवाि सिखा न गया है/ सजि पर मै्एक उम्मीद भरी कसवता सिख िकू.ं ’ बचे अपने घर पहुच ं ता है तो कैमरे के िम्मुख एक अजीब िा दृशय् उपस्सथत ‘सिर वही िैिाब’ के िाथ कसवता मे्आने वािे सवक््म मुिासिर की हो जाता है. कसव कहता है: ‘यह घर की िबिे खूबिूरत तस्वीर है/इििे कसवताओ्का िंरचना हुकुम ठाकुर िे अिग है. इनमे्कसव की िंवेदना ज्यादा भरापूरा घर मै्ने नही्देखा.’ ज्यादा तरि-िजि नजर आती है और वह सनजी िुखएक दौर नरे्द् जैन की कसवताओ् का ऐिा था सक दुख और एहिािात को कही् ज्यादा सशद््त िे व्यक्त चािीि िीिद कसवताएं िोगो्के नाम होती थी्. सवक््म करता है. िच कहे् तो बहुत गद््ात्मक प््वाह वािी ने भी यहां कुछ कसवताएं समत््ो् को िमस्पणत की है्: कसवताओ् की अपेक्ा वे कसवताएं ज्यादा िुकून देती है् ित्यपाि िहगि, िरोज वसशष्ठ, दीनू कश्यप, मधुकर सजनमे् जीवन के खट््े-मीठे अनुभवो् को कभी बातचीत भारती, राजकुमार राकेश के सिए यहां कुछ कसवताएं है.् के िहजे मे्, कभी सकस्िागोई के अंदाज मे्व्यक्त सकया एक कसवता मे् सवक््म स्त््ी के सिए कहते है्: ‘िुंदर जाता है. ऐिी कसवताएं हमारी बुस्ि का इम्तहान नही् चेहरा अपना नाम गोदने की मेज़् नही्/िाहचय्ण िे िेती्, बस्लक वे अपनी िंवदे ना की छुवन िे हमे्सवचसित असधक है औरत/एकांत के दरी-टाट के सिवा.’ करती है्. राजकुमार राकेश ने कसव के बारे मे् बहुत कुछ अग की कुछ जग की. सवक््म की कसवताओ् आत्मीयता िे सिखा है. पहिी ही कसवता जैिे कसव के का भौसतक भूगोि है. उनकी िंवेदना मे् एक आत्मीय अंदाजे-बयां का पसरचायक हो. ऐ्स्दय आभा भी है जो प््ेम कसवताओ्मे्िाि झिकती ‘मै् तुम्हे् छूना चाहता हूं/ जैिे आकाश धरती को है] जहां वह नरमसदि कसव नजर आता है. ‘अविाद’ छूताहै ‘डायरी’ और ‘तुमहारे ् सिए’ िंगह् की बेहतरीन कसवताएं जैिे कसवता शल्दो्को. जैिे धूप सखड्की को. है्, जैिे सदि के ििे पर सिखी गयी हो्. एक सनहायत जैिे घाि हवा को/ जैिे केतिी की भाप छूती है तुमहे् ् सफर वही सैलाब: सवक्म् मुसासि्र; आिार छोटी कसवता ‘बनारि’ पर है. पर है गजब: ‘बि्फअकेिी प्क ् ाशि, पंिकुला, हसरयाणा, पहला मै्तुम्हे्छूना चाहता हूं उिी तरह चुपचाप कहां धूप भी तो/सपघिती है सशखरो्पर/ पहाड्बूंद-बूंद सं सक ् रण- 2016. तुम्हे्काम करते देख नदी होता है/नदी बहते-बहते रेत/नाव बंधे-बंधे बनारि. मै्तुम्हारा िबिे जर्री काम िेसकन इििे भी ज्यादा प्यार की नमी मे्भीगी हुई कसवता है ‘तुमहारे ् सिए’, होना चाहता हूं.’ जहां कसव कल्पनाओ्की िुखद जिितह पर िंतरर करता है: सवक््म मुिासिर के भीतर का सचत््कार अपनी कल्पनाओ् के सचत्् नाव हो जाये्हम-तुम/खािी डोिती नाव/हवा बंधी है सजि सकनारे उकेरने मे् कुशि है. उनकी कसवताओ् के टुकड्े-दर-टुकड्े ऐिे चाक््ुष और एक राह जहां वष््ो्िे खड्ी है बरगद की तरह दृशय् और सबंब सवराजमान है.् चाहे वह धूप का सचत््हो, सजिका सक पहाड्ो् आकाश के पांव सजि पर छप चुके है् मे्जिवा ही अिग-िा होता है. हर बार सवक््म उिे अिग-अिग तरीके जहां कपड्ो्की तरह िूखते है्बादि िे देखते और सचस््तत करते है्. सवक््म ने ‘कसव’ कसवता के बहाने जैिे तुम्हारी िांि की डोर पर वही्/ रात भूि आये हो्जो शल्द कसवयो्का इसतवृत्त सिख सदया हो. वे सिखते है्: ‘उिकी आत्मा आहवान भीग गये है् है/बेशकीमती शल्दो्की िंविायी चेतना को/सिर जगाने का. वह उि कसव धूप उन्हे्घूरती रहेगी िारा सदन जिी-कटी िुनायेगी को जेहन मे् रखता है जो न स्वयं बूढ्ा होता है न वो िमय को बूढ्ा होने आज तुम्हे्कोई काम नही् देता है.’ कसव के आत्मिंघष्णको स्वर देते हुए कसव कहता है: नाव हो जाये्हम-तुम ‘मछुआरो्मजदूरो्िे उिने पूछा था कभी नदी को उिकी खोयी चप्पि िौटा दे्. क्या होती है गरीबी सवक््म मे्यथाथ्णऔर कल्पना की रमरीयता दोनो्के सचत््आंकने की आवाज़्खो जाये सनज की शस्कत है. वे सवचार िे भी पसरचासित कसव है्और कल्पनाओ्के रथ पर भी वही िबिे बड्ा अभाव है आर्ढ्. वास्तव मे्कसव होना क्या होता है, इिे कोई कबीर, सनरािा और कसव के मनि मे्यही उत्तर दहक रहा है बरिो्िे मुस्कतबोध का वंशज ही िमझ िकता है.सजि तरह हुकुम ठाकुर कसवता इिी आवाज़्को वो बचाना चाहता है को तकिीिदेह नैरेसटव तक िे जाते है्, सवक््म चंद शल्दो्मे्कसव होने का आशय इन शल्दो्मे्प््कट करते है्: ‘कसव उजािे मे्पड्ा कांच है/हर र्ख इिी आग के कोरि मे् िे टूटा हुआ/रोशनी मे् िबकी आंखो् मे् चुभता है/सनहत्था.’ कसव होना अपनी आवाज़्समिाना चाहता है.’ n कसव के आसखरी िम्हो् तक को क्या इििे मास्मणक सकिी कथ्य मे् िचमुच आज भी कुछ कुछ ऐिा ही है. शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 41
साशहत्य
इंसाफ् की उलझी रललयां इन किालनयो्मे्न्याय तंत्के संचालक भी मौजूद िै्और इससे पील्डत लोग भी. संिय कुदं न
ह
मारे देश मे्न्याय प्र ् ािी को एक पसवत््क्त्े ्माना जाता है और इिके सकिी भी पहिू को िाव्ज ण सनक चच्ाण िे दूर रखा जाता है. न्यायपासिका के िैििे और सटप्पसरयां कुछ-कुछ दैवी वचन मानी जाती है.् पर जब हम पद्ाण हटाकर इिके भीतर दासखि होते है्या इिमे्घुिने को मजबूर होते है्तो यह िमझना मुबश् कि होता है सक यह न्याय तंत्है या अन्याय तंत.् हमारा िामना शोषर की एक व्यवब्सथत प्र ् ािी िे होता है सजिमे्हर स्र् पर बैठा व्यब्कत इंिाि सदिाने के नाम पर पीस्डत और उिके पसरजन का रक्त चूिने को आतुर नजर आता है. दरअिि भारत की न्याय-व्यवस्था भी हमे्अंगज ्े ी शािन िे सवराित मे् समिी है. भारत मे्न्याय प्र ् ािी िागू करने का स््बसटश शािन का मकिद कानून के जसरए जनता को न्याय िुसनस््शत करना नही् बब्लक स््बसटश िाम््ाज्य का सवस््ार करना और उिकी पकड्को मजबूत बनाना था. हां, इिके माध्यम िे उिने दुसनया को सदखाया सक उिने भारत मे् कानून का राज कायम सकया है. हम आज भी उिी न्याय-व्यवस्था को ढो रहे है.् हमने आज तक उिका जनतांस्तकीकरर नही् सकया है बब्लक जजो् को देवतुलय् मानकर न्याय-व्यवस्था मे्िुधार को अजेड् े पर आने ही नही् सदया. न्यायव्यवस्था की सविंगसतयो् पर िाव्ज ण सनक र्प िे भिे ही चच्ाण न हो पर िासहत्य ने िमाज के एक प्म् ख ु यथाथ्णके र्प मे्उिे पकड्ा और उिके भीतर की सविंगसतयो्को अपने तरीके िे उजागर भी सकया. िफा 604, संपािक: अपूवग् अग्व् ाल, जब हम इि व्यवस्था मे् िुधार या रािकमल प्क् ाशि, 1-बी, िेतािी सुभाष बदिाव चाहते है् तो हमे् उिकी माग्,ग िसरयागंि, ियी सिल्ली, 400 र्पये. सवकृसतयो्को ढंकने की बजाय उि पर सवचार करना होगा. उििे टकराते हुए कोई िुिगं त हि ढूढं ना होगा. बहरहाि न्याय-व्यवस्था मे् िुधार के सहमायती न्यायशास्् के युवा अध्यते ा और िेखक अपूवण्अग्व् ाि ने िासहत्य के जसरए न्यासयक व्यवस्था को िमझने और उिके िुधार के सिए जर्री सवमश्णको आगे बढ्ाने का िैििा सकया. उन्हो्ने सहंदी की कुछ कहासनयां चुनी है,् सजनमे्न्याय तंत्के सकिी न सकिी पहिू को छुआ गया है और उिकी सवडंबनाओ्की ओर िंकते सकया गया है. ऐिी 17 कहासनयो्के दो िंगह् उन्हो्ने तैयार सकए है.् पहिा है ‘समस्टर कानूनवािॉज चैमब् र’ और दूिरा है ‘दिा 604’. कानूनवािॉज चैमब् र मे् सनम्नसिसखत कहासनयां है:् पंच परमेशर् (प्म्े चंद), िाँिी (सवश्भ्ं रनाथ शम्ाण कौसशक), जज का िैििा (सवष्रु प्भ् ाकर) मुिसजम अज््ात (सवद््ािागर नौसटयाि) घस्डयाि (ह्दयेश) वकीि िाहब की सकताब (दयानंद पांडये ) िाक््ी (पद्ज ् पाि) अििी मोहन दाि कौन (उदय प्क ् ाश). ‘दिा 604’ मे्िंकसित कहासनयां है:् दंड (प्म्े च ं द), िैििा (भीष्म िाहनी), सचत या पट (ह्दयेश), धरती अब भी घूम रही है (सवष्रु प्भ् ाकर), 42 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
दिा 379 ( अभय), काब्नण कॉपी (अरसवदं जैन), मीसडया ट््ायि (मीनाक््ी स्वामी) और दिा 604 (दयानंद पांडये ). इन कहासनयो्मे्आपको न्याय के आिन पर बैठे पंचो्को ईश्र् का दज्ाण देने वािे भोिे-भािे िोग समिेग् े तो ऐिे शख्ि भी समिेग् े जो िचमुच उि आिन पर बैठकर खुद मे्देवत्व महिूि करते है्और हर तरह के भेदभाव िे ऊपर उठकर दोषरसहत िैििा देते है.् इि तरह वे न्याय के स्भ्ं की गसरमा कायम करते है्िेसकन ऐिे सकरदारो्िे भी आपका िामना होता है, जो इि पद की मय्ादण ा को तार-तार करते है.् इन कहासनयो्मे्न्याय तंत्के िंचािक भी मौजूद है्और इििे पीस्डत िोग भी. एक जज िाहब सिक््ा उछािकर तय करते है्सक कौन हत्यारा है और इि तरह एक सनद््ोष व्यब्कत िांिी के िंदे पर चढ्जाता है. मािूम बच््ेअपने सपता को छुड्ाने के सिए जज के िामने सरश्त् की पेशकश करते है्जबसक उन्हे्सरश्त् का मतिब भी नही् मािूम. यह न्याय तंत्कब सकि शख्ि को दिाि मे्तल्दीि कर दे, यह कहना कसठन है. एक ग््ामीर पाता है सक उिका पड्ोिी मदद के नाम पर उििे कािी विूि रहा है और उिकी मजबूरी का िायदा उठा रहा है. एक पीस्डत को तारीख पर तारीख समिती जाती है और उिे िगता है सक वह तारीखो्के जंगि मे्भटक कर रह गया है. उिे न्याय समिने की कोई उम्मीद नही्रह गई है. हािांसक कई बार न्याय के िव््ोच््आिन पर बैठा शख्ि भी व्यवस्था द््ारा पीस्डत हो जाता है. कहासनयो् मे् न्यासयक तंत् के रोजमर्ाण कामकाज के सचत्् भी समिते है.् जमानत देने िे िेकर मुकदमो् की तारीख तय करने मे् बेहद िापरवाही और अगंभीरता समस्टर कािूिवालॉि िैमब् र, संपािक: सदखाई जाती है. इिमे् पीस्डत की अपूवग् अग्व् ाल, रािकमल प्क ् ाशि, बजाय न्याय तंत्के िंचािको्के सहतो् मूलय् : 400 र्पये. का ध्यान रखा जाता है. यह भी िाि सदखता है सक न्याय तंत् अंतत: िमथ्ण तबके के पक्् मे् ही खड्ा होता है. कमजोर और गरीब वग्णके सिए यह उत्पीड्न तंत्ही िासबत होता है. िबिे बड्ी सवडंबना तो यह है सक जो इि तंत्के भीतर रहकर इिे दुरस ् ्करने की कोसशश करता है, और कायदो् के सहिाब िे चिना चाहता है, वह इि व्यवस्था मे्सटक नही्पाता. या तो वह खुद इििे बाहर सनकि जाता है या सिर उिके िैििे रद््ी की टोकरी मे्उठाकर िेक ् सदए जाते है.् इिमे्प्म्े चंद िे िेकर आज के दौर मे्सिख रहे दयानंद पांडये तक की कहासनयां है.् यानी 1911 िे िेकर आज तक के दौर की एक झिक समिती है और न्याय-व्यवस्था मे्आ रही क्स्मक सगरावट का भी अंदाजा समिता है. िेसकन अपूवण्अग्व् ाि का मकिद पूरे तंत्की एक भयावह तस्वीर पेश कर िोगो् की आस्था को ठेि पहुच ं ाना नही् है. उन्हे् यकीन है सक तमाम सविंगसतयो्के बावजूद हमारी न्याय-व्यवस्था मे्िुधार की िंभावनाएं बची हुई है. इन सकताबो्की िाज-िज््ा सवशेष र्प िे प्भ् ासवत करती है. प्ख् य् ात सचत्क ् ार असभमन्यु सिन्हा के रेखासचत््कहासनयो्मे्सनसहत भावो्को व्यक्त n करने मे्िमथ्णहै.्
मास् यायावरी ट हेड
उिाससयो् का एक शहर सतीश िायसवाल
इलािाबाद एक समय लिंदी सालित्य का मक््ा िुआ करता था, लजसका एक प््तीक लसलवल लाइंस का कॉिी िाउस था.अब शिर की वि रौनक खत्म िो गयी िै और इलािाबाद एक उदास तस्वीर की तरि िै. सससवल लाइंस का बड्ा िि्ग: सन्िाटे का सशल्प
44 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
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सहत्य की अंकेक्र सवसध ने भिे ही डॉ. धम्णवीर भारती के उपन्याि 'गुनाहो् का देवता' को खासरज कर सदया िेसकन इि उपन्याि ने इिाहाबाद की िंवेदनात्मक अनुभूसतयो् को सहंदी िासहत्य मे् िहेजने का काम सकया है. इिाहाबाद सवश्स्वद््ािय, सिसवि िाइंि और कॉिी हाउि मे् उन अनुभूसतयो का स्पश्ण आज भी िघन है. कॉिी हाउि तो इन अनुभूसतयो्का के्द्ही है. सजि िमय मैन् े सिखना शुर्सकया था, उि दौर मे् कॉिी हाउि जानेमाने बौब्दघको् और िासहत्यकारो् का अड््ा हुआ करता था. कभीकभार अमृत राय, डॉ. सवजय देव नारायर िाही, डॉ. भारती, कमिेश्र, माक््ंडेय, नरेश मेहता, डॉ. िक्म् ी नारायर िाि, सिराक गोरखपुरी जैिे िोगो्को एक िाथ देखने को समि जाता था जो िुखद था. मेरे इन अनुभवो्उन तमाम बड्ेिोगो् की छोटी-छोटी तुनकसमजासजयां भी शासमि है् जो आज सकिी सकस्िे कहानी की तरह सदिचस्प प््तीत होती है्. इन िोगो् िे अिहदा भी कोई एक र्आबदार व्यब्कत वहां आया करते थे. अकेिे आते थे और अकेिे ही बैठते थे. उनकी टेबि के िाथ केवि दो कुस्िणयां िगती थी्। िेसकन मै्ने कभी दूिरी कुि्ी पर सकिी को बैठे नही्देखा. वे नाटे कद, पक््ी उम््और पके्रंग वािे शख्ि थे. िुनहरे फे्म वािा उनका चश्मा उनके पके् रंग पर अिग ही चमकता था. उनके हाथ मे् खासिि िी्ग की एक महंगी छड्ी होती थी जो मुझे गैर जर्री िगती थी और ज्यादा िे ज्यादा उनकी शान बढ्ाने का जसरया भी नजर आती थी. अद्घे का चुन्नटदार कुत्ाण, परमिुख की धोती और पैरो् मे् महंगे पंप शू, यानी पुराने रईिो् की पोशाक. इिके ऊपर 'िाि इमिी' के मशहूर 'िज्ण' की गाढ्े नीिे रंग की 'वास्केट' मुझे वो एक िशक्त कथा पात््सदखते थे. इिसिए मै्वहां
उनके आने जाने और बैठने पर पूरा ध्यान देता था. पता नही्क्यो्मुझे िगता सक उनके वास्केट की भीतरी जेब मे् जर्र िोने की चेन वािी जेबघड्ी होगी. उन सदनो् कॉिी हाउि मे् क््ीम कॉिी भी समिती थी जो महंगी होती है. उनके सिये वही आती थी. क््ीम कॉिी की पूरी ट््े. उनका पीने का अंदाज भी रईिाना था. वह पहिे पूरी क््ीम कप मे्डाि देते और बची हुई जगह मे् कॉिी भरते. मै्ने अपने सिये बांयी ओर सखड्ी के िाथ वािी टेबि हसथया रखी थी. उि सखड्की िे बड्े चौराहे पर गुिाबी पत्थरो् वािा एक िुंदर चच्ण नजर आता था. िस्दणयो्की िुबह मे्सखड्की िे इि चच्णको देखना गजब अनुभव होता था. िद््ी के उन सदनो्का आिमान कांच की तरह चच्णके ऊपर तना रहता था. कांच के आिमान पर कपाि के ििेद िाहे तैरते रहते और िुबह की कोमि धूप मे् चच्ण के गुिाबी पत्थर सखि रहे होते. ठीक इिी िमय कॉिी हाउि खुिता था. दस््कर भारतीय चंदन की अगरबत््ी का धुआ ं वहां िहराता नजर आता और उिकी खुशबू दूर तक छा रही होती. कुिसमिाकर सकिी मंसदर का िा माहौि नजर आता. इिाहाबाद का कॉिी हाउि अंगज ्े ी सदनो्की शानदार दरबारी सबब्लडंग के एक सहस्िे मे्िगता है्.पहिे इिकी छते् खूब ऊंची थी् और दरवाजे
सससवल लाइंस मे् कॉफी हाउस: इसतहास की यािे् मेहराब वािे. िुबह के िमय जब भीड्नही्होती तो वहां एक अिग सकस्म की शांसत होती. इि ठहरी ु ई शांसत मे् ऊंची छत और मेहराब वािे दरवाजे हॉि को सकिी ग््ीक सथयेटर जैिा स्वर्प प््दान कर देते. हािांसक अब हािात बदि गये है्. नीची िाल्ि िीसिंग ने पुरानी छत की ऊंचाई कम कर दी है. अपनी पुराई ऊंचाइयो् को नीचा सदखाने के हमारे पाि कई तरीके आ गये है्. यह भी उनमे्िे ही एक है. उि सखड्की को भी बंद कर सदया गया है जहां िे कभी गुिाबी पत्थरो्वािा चच्णनजर आता था. अब वहां अंधरे े का राज है. इधर के 2-3 िािो् मे् मेरा बराबर इिाहाबाद जाना हुआ है. कॉिीहाउि हर बार
कॉिी हाउस अंगज ्े ी मिनो् की शानिार िरबारी मबत्डिंग के एक महस्से िे् लगता है.् सुबह के सिय जब भीड् नही् होती तो िहां एक अलग मकस्ि की शांमत होती. थोड्ा और खराब होता जा रहा है. ऐिा िगता है मानो वह सकिी अविाद मे्डूब रहा हो. यह बात मन को बहुत उदाि करती है. अब कॉिी हाउि के बगि मे्सवश््भारती प््काशन और उपे्द्नाथ अश्क का नीिाभ प््काशन भी नही् है. अश्क जी के नही् रहने के
कॉफी हाउस के भीतर: अब भी आते है् लोग बाद भी नीिाभ प््काशन एक सठकाना था जहां हम उनिे, उनकी मौजूदगी िे समि िकते थे. उनकी इि उपब्सथसत मे्वह िमय भी शासमि था जब हमारा पसरचय था. अब वहां केवि अपसरचय बिता है. गुनाहो् का देवता मे् पैिेि सिनेमा का उल्िख े समिता है. वहां की बािकनी की सपछिी कतार मे् बैठकर ही चंदर और िुधा ने एक अंगज ्े ी सिल्म देखी थी सजिका नाम है- िेिोमी, व्हेयर शी डांस्ड. वहां की कुस्िणयां िही मायनो् मे् शाही और आरामदे थी्. मै्ने अपनी सकशोर सजज््ािा के अधीन कई बार उन कुस्िणयो् की सशनाख्त करने की कोसशश की सजन पर बैठकर उपन्याि के नायक-नासयका ने सिल्म देखी थी. खैर, अब वहां एक आधुसनक मॉि खड्ा है और उन कोमि स्मसृ तयो्के सिये अब कोई जगह नही् है. िेसकन उन कोमि स्मृसतयो् की नासयका िुधा के िाथ बाद के सदनो्मे्मेरी कई मुिाकात रही्. असवभासजत मध्य प्द् श े के सशक््ा सवभाग की एक उच््स्रीय बैठक मे् उनके िाथ मै् भी िदस्य था. िेसकन उन्हो्ने हमेशा मुझे मना सकया सक मै्उनमे्िुधा को न देखूं. उि कथा नासयका का एक कथात्मक अंत हुआ जो दुखद था. सिसवि िाइंि की मशहूर चंदि ् ोक सबब्लडंग के एक सहस्िे मे् कहानी का काय्ाणिय था जहां मै् अपने िमकािीनो् के िाथ अड््ेबाजी करता शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 45
यायावरी
प्ौलेस ससिेमा : पुरािी पहिाि बाकी
था. वहां हम जब भी ितीश जमािी को देखते तो उन्हे्उठाकर नीचे िे आते. नीचे िक््मी बुक हाउि मे् थोड्ी देर तक पत््-पस््तकाये् और पुस्के् देखते सिर िामने िे्टि बै्क के िामने सकिी ठेिे पर चाय होती. इन जगहो्पर अक्िर िरदार बिवंत सिंह, रवी्द् कासिया, दूधनाथ सिंह और बाद के सदनो् मे् अल्दुि सबिसमल्िाह िे समिना हो जाया करता. ज््ान रंजन िे मेरी शुरआती मुिाकाते् भी ितीश जमािी की इन्ही् मजसििो्मे्हुई. बाद मे्वहां सवद््ाधर शुक्ि भी आने िगे. वह आिोचना पर एक असनयतकािीन पस््तका का िेखन और िंपादन सकया करते थे. उनके बाद उनके िेखन का क्या हुआ पता नही्. िेसकन वे जब तक रहे अपने तेवरो्के िाथ ही रहे. उनको खरीखरी बाते्कहने मे्रत््ी भर भी सिहाज नही्होता था. इिाहाबाद के वे सदन और उन सदनो्की यादे् न केवि िहेजने की है् बब्लक उनको िाझा करने का मन भी करता है. भारतीय रेि के एक असधकारी तनवरी हिन इन सदनो् मेरे िंपक्फ मे् है्. वे िासहत्य मे् अपना मुकाम बना रहे है्. इि बार तनवीर मेरे िाथ थे. यह अच्छा भी रहा. पुराने सदनो्मे्जाने के सिये अपने िमय का कोई िाथी समि जाये तो उदासियो्का डर बहुत कम हो जाता है. जहां कहानी का काय्ाणिय था, वह ऐिी ही एक पुरानी जगह है. मै्तनवीर को कभी नही् बताऊंगा सक मै्ने उनको अपना डर दूर 46 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
करने के सिये िाथ सिया था. कहानी के िंपादक श््ीपत राय थे िेसकन वे सदल्िी मे् ही रहते थे. यहां पूरा काम ितीश जमािी िंभािते. आधुसनक सचत््किा मे्श््ीपत राय का बड्ा नाम था. कहानी के प््त्येक अंक के आवरर पृष्ï पर उनकी कोई न कोई सचत््कृसत प््कासशत अवश्य होती थी. वह पे्सटंग िे होने वािी आय का एक सहस्िा भी कहानी के प््काशन पर खच्णकर रहे थे. िेसकन कहानी के दर्तर मे् हमे् िन्नाटा समिा. नीचे िक््मी बुक हाउि मे्तोडफ़ोड्चि रही थी. तोडफ़ोड्कैिी भी हो, वह उदाि ही करती है. सकंगि ् मेसडकि वािी कतार मे्एक नीिामी घर हुआ करता था. इंसडयन कॉिी हाउि के अिावा यह नीिामी घर भी सिराक के आने वािी जगहो् मे् शुमार था. सिराक िाहब चेन स्मोकर थे. उनके व्यब्कतत्व का र्आब गजब ही था. उनकी अंगुसियो्मे्एक जिती हुई सिगरेट हमेशा िंिी रहा करती. सिगरेट पीने का उनका अिग तरीका था. यह तरीका उनके र्तबे िे न केवि मेि खाता बब्लक उिमे्इजािा भी करता. िेसकन इि बार मुझे वह नीिामी घर भी नजर नही् आया. या तो वह टूट गया या सिर शायद मुझे ही नजर नही् आया. यह भी कह िकते है् सक मै् इिाहाबाद को खोज रहा था िेसकन वह मुझे नही्समि पा रहा था. कहानी के दर्तर के आगे वािा चौराहा,
क््ास्थवेट रोड चौराहा कहिाता है. उिके दांये और बांये ओर ब्सथत गसियो् मे् मेहदं ी के बाड्ो् और गुिाब की रंगीन क्यासरयो्वािी छोटे िेसकन खूबिूरत कॉटेज हुआ करते थे. शायद पम्मी उन्ही् मे्िे सकिी एक मे्रहती होगी. वही पम्मी सजिका भाई पागि था...और हां, वहां पैिि े सिनेमा मे् भी पम्मी िुधा और चंदर के िाथ थी. एक बार मन सकया सक उि कॉटेज को ढूंढ्े और वहां जाकर उिे बता दूं सक िुधा अब नही्रही. िेसकन इि इिाहाबाद मे्तो पुराना कुछ समि ही नही्पा रहा है. शायद पम्मी भी कािी बूढ्ी हो चुकी होगी. पता नही्उन सदनो्की बात उिे याद भी होगी सक नही्. पता नही्अब वह होगी भी या नही्. ज््ान रंजन हमारे िमय की सहंदी कहानी के एक बड्े हस््ाक््र है्. अभी कुछ िमय पहिे रायपुर मे्उनको मुबक् तबोध िम्मान सदया गया. वापिी मे्सबिािपुर रेिवे स्टश े न पर उनिे एक मुखत् िर िी मुिाकात हुई थी. हमने इिाहाबाद मे्उन सदनो्का तिाश करने की कोसशश की जो िाठोतरी सहंदी कहानी का भरोिेमंद िमय था. िेसकन अब वे िोग नही्रहे सजनिे उि िमय का भरोिा तैयार होता था. रवी्द् कासिया अब नही् रहे. ितीश जमािी ने इिाहाबाद छोड् सदया. दूधनाथ नजर नही् आते. अब एक अपसरचय है जो इिाहाबाद मे्रहता है और वह उदाि करता है. इिाहाबाद भी अब उदाि करता है. n (िेखक जाने-माने कथाकार है्.)
खानपान अऱण कुमार ‘पानीबाबा’ (पानी बाबा नही्रहे. पानी बाबा अमर रहे्. िमाज के सिए जीने वािा िेखक और काय्णकत्ाण कभी मरता नही्. अर्र कुमार पानीबाबा ने मौिम के अनूकूि बनने वािे भारतीय व्यंजनो्पर सिखकर स्वाद और िेहत िंबंधी िमाज की िमझ को सजंदा रखा है. उनके कािम को बंद करना िंवाद के असवरि प््वाह को बंद करना है. इिसिए शुक्वार के िुधी पाठक बाबा की रिोई मे्सकसिम-सकसिम के स्वाद आगे भी पाते रहे्गे.)
व्यंजन और बरसात
बरसात के मौसम मे्कई घरेलू व्यंजन स्वाद के साथ साथ सेित को भी दूर्स्रखने मे्भी मददगार िै्.
य
ह िहज ही कहा जा रहा है, सक िारी मे्सहरयारा-राजस्थान का सवसभन्न जैन िमाज दुसनया मे् मंहगाई है, हम दुसनया का (सदगम्बर-श््ेताम्बर-मूस्तण पूजक, श््ेताम्बर सहस्िा है्, इिसिए हमारी िाधारर जनता को अरुवत् ी) अपनी-अपनी प्थ ् ा के अनुिार ‘रोट सवकाि के सिए सपिना होगा. इििे बड्ी तीज’ मनाता है. हमे्ऐिा िूझ रहा है सक ‘रोट कुनीसत नही्. एक पखवाड्े िे िौकी/सघया तीज’ का सवशेष महत्व बरिाती बीमािरयो् के नाम की िल्जी पचीि-तीि र्पये सकिो सबक सनराकरर का उपाय है. रही है. यह सिि्फ इिसिए हो रहा है सक देशीरोट तीज नाम िे ही स्पि्् है िक उत्िव सवदेशी बड्े व्यापारी का िल्जी बाजार मे् का अकेिा व्यंजन एक सवसशि्् रोट यासन दखि हो गया है, सकिान के सहत के सिए नही्. भरपूर अजवायन डािकर हाथ सपिे मोटे आटे इि िंवाद मे्तो इतना ही िुझा रहे है्सक भारी की एक िे्टीमीटर मोटी रोटी. पूरे पसरवार के बरिात के बाद जब िल्जी महंगी हो जाये् तो सिए एक िेर/सकिो आटा गूंधे् तो दो िौ ग््ाम क्या उपाय करना चासहए. अजवायन और स्वाद के सहिाब िे िे्धा नमक एक नुस्खा अंकुसरत मेथी दाने की िल्जी समिाकर, िौ ग््ाम सति का तेि या शुि्घी का का है. बनाने िे दो-तीन सदन पहिे चार-पांच माेयन डाि िे्. आटा कािी देर तक सभगो कर िदस्यो् के पसरवार के सिए एक छोटी कटोरी मुिायम गूंधे्गे, मोटी रोटी समट््ी के तवे पर देर (50-75 ग््ाम मेथी) सभगो दीसजए. पसरवार मे् तक िे्कने के बाद कच््ेकोयिे की आंच पर सजि बुजुग्ण के घुटने दद्ण करते हो् उिे अगिी ख्स्ा होने तक उिटते-पिटते रहे्गे. गम्ण-गम्ण िुबह मेथी का पानी सपिा दीसजए और मेथी को परोिे्गे. एक रोटी छटांक भर घी (गाय का गीिे कपड्ेमे्बांध कर िटका दीसजए. बीचप््योग करे्) मे्चूरकर बूरा और नमक जीरे के बीच मे् उि पर सछड्काव दही के िाथ खाएंगे. अिंभव न करते रहे्. तीिरी चौथी िुबह हो तो तोरी का रायता बना िे्तक मेथी पूरी तरह िे अंकुसरत यानी तोरी उबाि कर दही मे्े हो जाये्, तब इिे सबिकुि डाि िे्. िहज दाि िल्जी की तरह बेिने के बाद रोटी के जीरे-अजवायन मे् छौ्क िे्. सकनारे माठ की तरह हाथ िे िाबुत बीज झड्ी समच्ण, िाबुत बांधने होते है्. हाथ की चक््ी अमचूर, कुटासपिा िौ्ि, िे अपसरसचत है्तो चक््ी वािे धसनया स्वाद के अनुिार. के यहां िे बेड्मी का आटा या महीने मे्चार-पांच बार इिका दसिए का पीिान िे िे्. इि उपभोग करे्गे तो पूरे पसरवार नुस्खे मे् मोटा आटा, उसचत को िाभ होगा. अंकुसरत दािो् मात््ा मे्अजवायन और पय्ाणप्त के नुस्खे बहुतायत मे्है्. चारसिंकाई तीन ही िूत्है्. और यह पांच पसरवार समिकर िाबुत प््याि तो िबको समि कर दािे् थोक मे् खरीद िकते है्, करना होगा सक देश पुन: और अंकुरर के बाद उपयोग गोिेवा, गौरि, गौघृत की सदशा करे्. ई्धन की बचत होगी, मे्अग््िर हो. प््ोटीन का अभाव कम होने स्मरर करा दे्कोकाकोिा िगेगा. की बीमारी िे सिि्फअपने बच््ो् श््ावर पूस्रणमा-रक््ाबंधन िे िाल्गुन पूस्रणमा (होिी) तक त्याहारो् को ही नही् बचाना, अमेसरकी नौसनहाि की उज््वि भसवष्य की कामना का सििसििा अनवरत है. बाजार की समठाई िे जहां तक िंभव हो बचने भी हमारा कत्णव्य है. मिेसरया-डे्गू िे बचने के सिए तुििी की चाय का सनयसमत िेवन का प््याि करे्. सििहाि जन्माि््मी के व्यंजनो्िे काम चिाएं. n मिेसरया और डे्गू के िमाचार गंभीर सचंता के सवषय है्. भादो के महीने अवश्य करे्. शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 47
शिल् मास्मट/इंहेटडरव्यू
खेल-खेल मे् संिेश
आलमर खान की नयी लिल्म दंगल एक पिलवान के वास््लवक जीवन पर आधालरत िै और आलमर की संदेशपूण्षलिल्मो्की श््ेणी मे् आती िै. इसे लेकर वे खासे उत्सालित भी िै्.
हचर मृदुल
आ
आसमर खाि: कला का मकसि 48 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
समर खान की सिल्म 'दंगि' की शूसटंग पूरी हो चुकी है. पहिवान महावीर िोगट के जीवन पर बनी इि सिल्म मे्आसमर ने प््मुख भूसमका सनभायी है. सिल्म मसहिा िशक्तीकरर की बात तो करती ही है, सपता और पुस्तयो्के बीच के स्नेसहि िंबंधो्को भी िामने रखती है. आसमर खान िे बातचीत के अंश. आपकी सारी फिल्मो् के पोस्टर बड्े ही रचनात्मक होते है्. अब ‘दंगल’ के पोस्टर की भी चच्ाा हो रही है. ये पोस्टर आपके फलए फकतने मायने रखते है्? सकिी भी सिल्म के पोस्टर 'की आट्ण' होते है्यानी वे कहानी का िार आपके िामने रखने की कोसशश करते है्. जो पोस्टर सरिीज हुआ है, उिमे् एक आदमी की चार बेसटयां है्. वह पूरे आत्मसवश््ाि के िाथ बैठा हुआ है और खुश है. पोस्टर कहानी की आत्मा खोिकर रखता है. आप इस फिल्म के प््मोशनल वीफियो भी जल्द ही शूट करे्गे? हां, एक प्म् ोशनि वीसडयो तो इि महीने के अंत तक शूट कर िे्गे. कािी िोच-सवचार कर इिे तैयार सकया जायेगा. इिे सिल्म के मूड के अनुर्प ही तैयार करना है.
फनद््ेशक फनतेश फतवारी ने फ्सक््प्ट पढ्वायी थी, तो फकस बात ने सबसे अफिक अपील फकया था? मुझे यह गजब की स्सक््प्ट िगी थी. इिमे् ड््ामा और जज्बात तो है् ही, जबद्णस् ह््ूमर भी है. शुर् मे् मुझे िगा था सक यह एक िंदेश देनेवािी गंभीर सिल्म होगी. इि सिल्म िे मुझे हंिी की कोई उम्मीद नही् थी. हािांसक इि ब्सक््प्ट ने मुझे सजतना हंिाया, उतना ही र्िाया भी. लेफकन जब फनतेश फतवारी इस फिल्म का प््स्ाव लाये थे, तब आप ने तत्काल इसमे् काम करने के फलए हामी नही् भरी. दरअिि मेरी िमझ मे्नही्आ रहा था सक मै् पचपन वष्ण के पहिवान का सकरदार पचाि की उम्् मे् सनभाऊं सक नही्. मै् 'धूम 3' और 'पीके' जैिी सिल्मो् मे् यंग रोि करके सनकिा था. मेनस्ट्ीम सिनेमा मे् अपने िे बड्ी उम्् के सकरदार सनभाने के कई जोसखम होते है्. ऐिे रोि करने के बाद आप को यंग रोि समिने मे् कसठनाई आ िकती है. तब मै्ने सनतेश िे कह सदया था सक इि सिल्म के सिए उन्हे् पांच िाि इंतजार करना पड्ेगा. जासहर है सक वे कािी सनराश हो गये. फिर कैसे बात बनी?
कई सकरिारो् मे् आसमर खाि: ‘िंगल’, ‘पीके’ और ‘तारे िमीि पर’ के िृश्य
जब सनतेश चिे गये, तो मै्ने पूरी सिल्म के बारे मे् ठहर कर िोचा. िच तो यह है सक मुझे स्स्कप्ट ने कािी प््भासवत सकया था. सदक््त यही थी सक मुझे ज्यादा उम््का सकरदार सनभाना था. तब मेरे सदि िे पुकार आयी सक यह एक खाि सिल्म है और इिमे्काम कर िेना चासहये. मै्ने सनतेश को कुछ सदन बाद दोबारा बुिाया और कहा सक एक बार सिर िे स्सक््प्ट िुना दो. इि बार ब्सक््प्ट िुनने के बाद मै्ने सिल्म मे् काम करने के सिए हामी भर दी. लेफकन यह फिल्म आपके फलए कािी कफिन रही. आपको अपना वजन सत््ानबे फकलो तक करना पड्ा? हां, सकिी पहिवान की काया सदखाने के सिए मुझे यह करना ही था. वजन बढ्ाना मेरे सिए मुब्शकि नही् था, बब्लक बढ्ा हुआ वजन कम करने मे्मुझे कािी कसठनाई हुई. हािांसक इि वजन बढ्ाने और सिर घटा देने को िेकर मेरे डॉक्टर कतई िहमत नही् थे. उन्हो्ने िाि कहा सक सकिी सकरदार के सिए इतना जोसखम मत िो. जान खतरे मे्पड्िकती है. िेसकन मुझे एक असभनेता का धम्ण सनभाना था, िो मै्ने यह सरस्क िे सिया. वजन बढ्ाने के फलए आपने क्या फकया? मै्ने उन िारी चीजो् का िुत्ि उठाया, सजनके सिए डॉक्टा मना करते रहे है्. मै्ने िमोिा, वड्ा पाव, जिेबी, चीज बग्णर, कोड्े, िड््, पनीर और तेि िे बनी तमाम चीजो् का जी भर कर इस््ेमाि सकया. िच कहूं तो खाने के मामिे मे् मै्ने छह महीने तक भरपूर िाइि जी. तमाम वस््ुओ् का खूब स्वाद सिया. इि बीच शरीर को नुकिान न पहुंचे, इिके सिए ट््ेनरो्की मदद भी िी. राकेश और राहुि भट््ने भी मुझे ट््ेड सकया. मै् डॉ. सनसखि धुरंधर जैिे न्यूट्ीशसनस्ट की नजरो्मे्रहा. वजन बढ्ाना तो
आिान था, िेसकन उिे दोबारा िेबि पर िाने मे्मुझे बहुत मेहनत करनी पड्ी. िगभग पच््ीि सकिो वजन कम करना बहुत ही कसठन काम है, िेसकन मै्ने यह सकया. िाफतमा, साफनया, सोहरानी और जायरा आपकी बेफटयां बनी है् और साक््ी आपकी बीवी. इनके साथ अफभनय के अनुभव? इन चारो्िड्सकयो्की यह पहिी सिल्म है, िेसकन मै्इनका असभनय देखकर दंग रह गया. िभी ने कािी मेहनत की है. मै्चािीि सिल्मो् मे्काम करने के अनुभव के बाद जैिा असभनय कर रहा था, वे पहिी सिल्म मे् ही वैिा परिारमे्ि दे रही थी्. जहां तक िाक््ी तंवर की बात है, तो वे बेहद गुरी असभनेत्ी है्. छोटे परदे पर उन्हो्ने हमेशा बेहतरीन असभनय सकया है. मेरी मां उन्हे्बेहद पिंद करती है.् उन्हो्ने ही मुझे िुझाया था सक िाक््ी को सिल्म मे् सिया जाये. मै्ने इि बारे मे् सनतेश िे बात की. उनको भी िाक््ी का नाम जंच गया. आप फिल्म मे् चार बेफटयो् के फपता बने है्. हमारे समाज मे् बेफटयो् की स्सथफत के बारे मे् आ क्या कहना है? यह बेहद दुखद बात है सक हमारे िमाज मे् बेसटयो् को बेटो् िे कमतर माना जाता है. पहिे तो हम बस््चयो्को पैदा नही्होने देते. पैदा हो भी गयी्, तो उनकी सशक््ा और स्वास्थय् पर खच्णनही् करना चाहते है्. अक्िर बेसटयो् को दोयम दज््े का िमझा जाता है. मै् यह नही् कह रहा हूं सक िभी िोग ऐिा करते है्, िेसकन यह िच है सक हमारे िमाज मे् इि तरह का िोच मौजूद है. इिके सवपरीत तमाम उपेक्ाओ् के बावजूद बेसटयो्ने िमाज मे्अपना नाम रौशन सकया है. हर क््ेत्मे्उन्हो्ने अपनी मौजूदगी दज्णकरवायी है. अब तो वे सडिेि ् मे्भी अपना योगदान दे रही है्. यह हमारे सिए गव्णकी बात है.
आप को लगता है फक ‘दंगल’ से बेफटयो् की दशा मे् सुिार होगा? मै् ऐिी उम्मीद तो जर्र करता हूं. सिल्म एक बड्ा माध्यम है. वह हंिते-खेिते अपना िंदेश िोगो् तक पहुंचा देता है. सिल्मो् िे प््भासवत होनेवािो् की िंख्या करोड्ो् मे् है. ‘दंगि’ मे्सपता और बेसटयो्की जबद्णस्बांसडंग सदखाई गयी है, सनस््शत र्प िे उििे िोगो्को प््ेररा समिेगी. 'सुल्तान' की सिलता से देश के पहलवानो् पर सकारात्मक असर पड्ा है. ‘दंगल’ के बाद पहलवानो् की दशा मे् सुिार की उम्मीद रखते है् आप? 'तारे जमीन पर' और ' 3इसडयट्ि' का मेरा अनुभव यही है सक सिल्मो् का िोगो् पर बहुत ज्यादा अिर पड्ता है. एक जागृसत पैदा होती है. िोग इन दोनो् सिल्मो् के माध्यम िे समिी जागर्कता की चच्ाण अब भी करते है.् मुझे भरोिा है सक ‘दंगि’ भी ऐिा ही योगदान देगी. एक िमय था, जब कुश्ती, दंगि और अखाड्ो् के प््सत नौजवानो् का आकष्णर होता था, िेसकन अब ऐिा नही्है. मुझे िगता है सक आगे ब्सथसत मे् िुधार होगा और युवा पीढ्ी िेहत के प््सत जागर्क होगी. दोनो् फिल्मो् का कथानक कािी हद तक फमलता है. नही्, हमारी सिल्म की कहानी का ट््ेक एकदम अिग है. कही्कोई िमानता नही्है. हां, कुश्ती जर्र हम दोनो्की सिल्म का एक अहम सहस्िा है. 'िुल्तान' की िििता का कोई दबाव नही्है. मुझे पता था सक 'िुल्तान' को जबरदस्् िििता समिनेवािी है. ििमान सरयि मे्िुपर स्टार है्, उनकी सिल्म की िििता मुझे आश्य् च ण् सकत नही्करती है. वे इि िििता के हकदार है्. n शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016 49
अंितम पन्ना कुमार प़़शांत
लोकतंत् का जि-िंवाद
सुरक््ा बलो्को और अलधक लजम्मेदार बनाने के काम मे्लोकतांल्तक शश्कतयो्की मदद भी अलनवाय्षिै.
ि
व््ोच््न्यायािय के दो न्यायाधीशो्ने आम्डण्िोि्ज ्े (स्पश े ि पावि्)ण एक्ट 1958 यानी अर्िपा के िंदभ्णमे्गत 8 जुिाई को जो सनर्यण सदया है, उिने एक बार सिर न्यायपासिका का कद आिमान जैिा ऊंचा कर सदया है. इि सनर्यण ने सवधासयका को एक बार सिर यह िोचने पर मजबूर सकया सक है सक िंिद को पेश ् नयार्ता बूढ्ेिोगो्का क्िब क्यो्कहा जाने िगा है? इि िैििे ने न्यायमूसत् ण मदन बी. िाकूर और यू.यू. िसित का नाम िोकतंत् के सिपासहयो्के र्प मे्अमर कर सदया है. इिमे्दो राय नही्सक देश की िौज और िुरक््ा बिो्ने अशांत इिाको् मे्कानून-व्यवस्था को बनाये रखने और अिगाववादी ताकतो्को काबू मे् रखने को िेकर गजब का काम सकया है. इि दौरान उन्हो्ने भारी बसिदान भी सदया है िेसकन यह भी उतना ही िच है सक िौज और िुरक््ा बिो्की ताकत िे िुरस््कत रखा जाने वािा िोकतंत,् िोकतंत्है ही नही्. राजनीसतक नेततृ व् का गसतशीिता खो बैठना और िामासजक नेततृ व् का नदारद होना भी इिके सिये सजम्मदे ार है. जब िोकतंत्के ये अहम स्भ्ं खोखिे पडऩे िगे्तब बाबा िाहेब आंबड े कर का िंसवधान कहता है सक दूिरी िंवध ै ासनक व्यवस्थाओ् को आगे बढ्कर उन्हे् िंभाि िेना चासहये. िव््ोच्् न्यायािय ने यही िंसवधान िम्मत कदम उठाया है. देश की िबिे बड्ी अदाित का सनर्यण कहता है सक िंवधै ासनक िंसथ् ाओ्को हर हाि मे्देश की अखंडता और िंपभ् तु ा की रक््ा करनी है क्यो्सक वही उनके होने का औसचत्य है. परंतु न्यायािय यह भी कहता है सक ऐिा करने के दौरान सकिी को उिके िंवधै ासनक दासयत्वो्िे छूट नही्समि जाती. अदाित का िैििा कहता है, 'िवाि यह नही्है सक सशकार व्यब्कत िामान्य नागसरक था सक उग्व् ादी सक आतंकवादी और िवाि यह भी नही्है सक हमिावर िामान्य नागसरक था सक राज्य स्वयं था. कानून तो िबके सिये एक ही है और िब पर िमान र्प िे िागू भी होता है. यही िोकतंत्की मांग है और व्यब्कतगत स्वतंतत् ा के िंरक्र ् के सिये यही कानून का दासयत्व् होता है.' यह छोटा िा सनद्श ्े आने वािे कई वष््ो्तक हमारी न्यायपासिका, सवधासयका और काय्पण ासिका का माग्दण श्नण करेगा. हमे्हर िरकारी िंसथ् ान मे्िरकारी िोगो्के बजाय यह सनद्श ्े फेम् करके टांग देना चासहये. आतंकवासदयो् की कूर् ता िोगो् की जान िेती है िेसकन उििे कही् असधक जान आतंकवासदयो्, अिगाववासदयो्िे सनपटने के नाम पर जाती है.् कई िोग इि तुिना पर ऐतराज करेग् े और िुरक््ा बिो्के बचाव मे्आगे आयेग् .े हम उनिे कोई सववाद नही् चाहते सिि्फयही कहना चाहते है् सक आपकी आपस््तयो् का आधार क्या है? अर्सप् ा और ऐिे अन्य कानूनो् ने हाित ऐिी कर दी है सक कब, कहां, सकिने सकतने िोगो्को मारा इिकी सगनती करना िंभव नही्रह गया है. हर खबर यही बताती है सक िुरक््ा बिो् ने िीधे मुकाबिे मे्इतने आतंकवासदयो्को मार सगराया. न्यायािय का सनर्यण
50 शुक्वार | 16 िे 31 जुिाई 2016
यही कहता है सक ऐिी हर घटना को दज्णसकया जाना चासहये, इिकी वजह बतायी जानी चासहये, मारे गये िोगो्की सशनाख्त होनी चासहये, उनका नामपता आसद दज्ण सकये जाने चासहये. यह िारी जानकारी िाव्ज ण सनक होनी चासहये और सिर ऐिे हर मामिे की पूरी जांच की जानी चासहये. िच अदाित के िामने आना चासहये और सजम्मदे ासरयां तय की जानी चासहये. अगर गिती की गयी है्तो उिकी िजा भी समिनी चासहये. अगर अदाित औसचत्य िे िंति ु ्होगी तो आप बेदाग करार सदये जायेग् .े भिा इिमे्अिहमसत की कोई गुज ं ाइश कहां है? यह अवश्य िंभव है सक जब तक ऐिी खबरे्सकिी दूिरे अनजान व्यब्कत के बारे मे्हो्तब तक वह महज एक खबर बनकर रह जाये और अगर वह सकिी अपने के बारे मे्हो तो हमे्उिका दंश महिूि हो. िबको याद है सक अपनी बेटी को आतंकवासदयो्के चंगि ु िे बचाने के सिय तत्कािीन गृहमंत्ी मुरत् ी मोहम्मद िईद को भारत िरकार ने क्या करने की इजाजत दी थी? और यह भी याद रखे्सक वह िरकार भारतीय जनता पाट््ी के िमथ्नण िे ही चि रही थी. राष्व् ाद के ध्वजवाहको् की पहिी िरकार ने राजनीसतक पसरराम के अंदश े े के दबाव मे् अिगासनस््ान के हवाई अड््े पर सकिकी अदिाबदिी की थी यह सवस्मतृ होने की बात नही्है. प्ध् ानमंत्ी ने अभी खुद कहा है सक जब तक अपने आप पर नही्बीती थी तब तक पस््शम के आका आतंकवाद के हमारे जख्मो् को हंि कर उड्ा देते थे. िेसकन जैिे ही वल्ड् ट्ड्े िेट् र सगरा, िारी दुसनया मे्आतंक िे िडऩे का हांका पड् गया. यह अिंवदे नशीि भी है और अिोकतांस्तक भी. हम भी ऐिा ही करते है.् अब यह जर्री हो चिा है सक न्यायािय के इदि िैििे के आिोक मे्िरकार और िंिद अर्िपा तथा ऐिी अन्य धाराओ्को वापि िे िे और िुरक््ा बिो्को भरोिा सदिाये सक िंवधै ासनक दायरे मे्रह कर उठाये गये उनके हर कदम का बचाव देश भी करेगा और िंिद भी. अदािते्िंसवधान के बाहर नही्जा िकती्इिसिये हम िब कानून व्यवस्था के पक््मे्उठे हर जायज कदम के िाथ है.् यह भी कहा जा िकता है सक इन कार्वण ाइयो्मे्अगर राजनीसतक दखिंदाजी बंद हो जाये तो वे पय्ापण त् पसरराम देग् ी. दूिरा कदम मसरपुर की इरोम शस्मि ण ा की तरि िे उठाया जाना चासहये. उनको तत्काि अनशन िमाब्पत की घोषरा करके िमस््िोकतांस्तक शब्कतयो्का आह््ान करना चासहये सक वे अपने अपने अशांत इिाको्मे्जनिंपक्फऔर जनिंवाद का व्यापक असभयान छेड.्े हमे्सहंिा और सवघटन के रास््ेपर चि रहे नागसरको्िे यह रास््ा छोडऩे का ित्याग्ह् चिाना होगा और शस्मि ण ा को मसरपुर मे्इिका नेततृ व् करना चासहये. हमे्यह िमझना होगा सक अगर िोकतांस्तक शब्कतयो्की िस््कय स्वीकृसत नही्समिे तो अदाित के िैििे भी अपनी धार खो बैठते है.् n (िेखक गांधी शांसत प्स्तष््ान के अध्यक््है.्)