जंगल मे् शराब पाट््ी का आरोप झूठ -वकंजल विंह लखीमपुर की कलेक्टर वििादो् मे् पेज- 3
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वर्ष 1 अंक 5 n पृष्: 16 n 04-10 दिसंबर 2015 n नयी दिल्ली n ~ 5
तो अमित शाह की छुट्ी होगी?
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नई लिल्िी. भाजपा अधंयिंं अकमत शाह के भकवषंय पर पंंशंन कचंह लग गया है. पाटंंी के अंदर दबे संवरोंमेंयह चचंाण शुरं हो गयी है कक कंया उनंहें अधंयिंं पद का एक और कायंणकाल कमल पायेगा? इसकी वजह संघ और नरेंदं मोदी, दोनों की ही नजरों में तेजी से घटी उनकी उपयोकगता है. उनका भकवषंय बहुत कुछ गुजरात पंचायत चुनावों के नतीजों पर कनभंणर करेगा. संघ के भरोसेमंद सूतंों के मुताकबक अकमत शाह से उनका भरोसा उठने लगा है. इसकी असली वजह हाल के कबहार चुनाव नतीजे हैंजहां उनंहेंअपनी मनमानी के फैसले लेने की छूट कदये जाने के बावजूद राजंय मेंभाजपा की वही दुगकणंत हुई जो कक लोकसभा चुनाव मेंकांगंेस की हुई थी. उनके मुताकबक कदलंली कविानसभा चुनाव के बाद भी यह महसूस ककया गया था कक राजिानी मेंरहते हुए रच-बस जाने के बाद भी वे इस बात का अनुमान नहीं लगा पाये कक आम मतदाता कंया सोच रहा है? पर तब इसके कलए कदलंली के ही एक आला नेता अरंर जेटली ने उनंहें ककरर बेदी को मुखंयमंतंी पद का उमंमीदवार पंंोजेकंट करने की गलत सलाह देने का दोरी मानकर इस मामले को वहींसमापंत कर कदया गया था. पर अब यह संसथकत नहीं है. बाकी पेज 2 पर
n घने जंगल को उजाड़ने की तैयारी n बदनाम कंपनी पर मेहरबान िरकार
हीरा कंपनी पर मेहरबान शिवराज धीरज चतुि्ेदी
छतरपुर. उचंं नंयायालय ने छतरपुर कजले के बकसंवाहा मेंहीरा कंपनी करयो कटंटो के पेडंोंकी कटाई पर रोक लगा दी है. पहल संसंथा की याकचका पर उचंं नंयायालय ने इसे पयंाणवरर और जीव जंतुओं के कलए नुकसानदायक बताया. हीरा कंपनी करयो कटंटो को मई 2006 में बकसंवाहा के जंगलों को काटकर हीरा ढूंढने का लाइसेंस कदया था. ये जंगल करीब 2329 हेकंटेयर में फैला हुआ है. बुंदेलखंड से जुडा ये पूरा इलाका सूखे की मार झेलता रहता है. पर यहां जंगलोंकी कोख मेंबेशकीमती हीरे के कमलने के आसार हैं. ऐसे में गरीबी की मार झेल रहे इस िंंेतंपर सरकार की नजर यहां के बेशकीमती हीरे पर गडंगयी है. इसकलए इस जंगल को उजाडंने की भी तैयारी हो रही है. मधंय पंंदेश में आने वाले बुंदेलखंड इलाके के छतरपुर के लोगों को कवकास का सपना कदखाकर अब तबाह करने का खाका तैयार कर चुकी है. इसका कजमंमा सरकार ने करयो कटंटो कंपनी को कदया है. मुखंयमंतंी कशवराज कसंह चौहान कंपनी के पंंोसेकसंग पंलांट का उदंघाटन भी कर गये हैं. कंपनी के साथ मुखंयमंतंी भी बुंदेलखंड के अकत कपछडे़
छतरपुर कजले के बकंसवाहा इलाके में कवकास की गंगा बहा देने का सपना भी कदखा गये है.ं लेककन उस तबाही की अनदेखी हो रही है. जो दशकों तक गरीबी, भुखमरी और बंजर के रंप में इस िंंेतं को झेलनी पडेग़ ी. मुखयं मंतंी की आंखे हीरे की चमक से चौंकिया गयी हैं. तभी तो माइकनंग लीज के कलए हीरा कंपनी 954 हेकंटेयर जमीन के कलए आवेदन देती है और उसे करीब 1200 हेकंटेयर जमीन देने की तैयारी पूरी कर ली गयी है. मधंयपंंदेश सरकार इस कदर मेहरबान है कक करयो कटंटो के कारनामों पर रोक लगाने वाले छतरपुर के दो कलेकटं रों
गोवा से मुंह फेर रहे ववदेशी सैलानी!
पणजी. गोवा में साल का सबसे महतंवपूरंण महीना कदसंबर शुरं हो चुका है पर राजंय के पयंणटन उदंंोग से जुडे लोग अभी भी आशंककत है. गोवा लगातार दूसरे वरंणमंदी के दौर से गुजर रहा है. जबसे रंसी पयंणटकों ने मुंह मोडा है उनंहें यह राजंय अपनी ओर आककंरणत नहीं कर पा रहा है. इस वरंण देश के कवकभनंन कहसंसों में हुये सामाकजक तनाव की घटनाओंने भी कवदेशी सैलाकनयोंकी आवाजाही पर असर डाला है. इनमे बीफ कववाद पंंमुख है. गोवा मेंबीफ का इसंंेमाल सैलानी के साथ संथानीय लोग भी करते है. पर जबसे यह कववाद बढ़ा कवदेशी सैलानी जंयादा आशंककत हुये. कुछ वजह संथानीय भी है. परजी मेंरेसंरां चलाने वाले डैकनयल इसकी वजह यहां बढ़ंती गंदगी, खराब सडंकें और महंगा होता रहन सहन मानते है. कपछले साल की तरह इस बार भी
n विरोध पर कलेक्टरो् के बतादले
पयंणटकों की संखंया में कमी आयी है. पर राजंय सरकार को पयंटण न वंयवसाय से अचंछी कमाई की उमंमीद है. पयंणटकोंकी संखंया मेंआयी कगरावट की वजह ककराये की कैब और टैकंसी ऑपरेटरों के बीच चल रहा संघरंण भी है. लाइसेंस
कमलने में होने वाली देरी भी इसमें इजाफा करती है. गौरतलब है कक वीमेन कैब को लेकर पहले ही बहुत कववाद हो चुका है और आम टैकंसी वालों को इसका खाकमयाजा भी उठाना पडा है. मकहला कैब को सुरकंंित और बाकी पेज 2 पर
के तबादले ककये जा चुके है.ं अब पंश ं ासकनक अकिकारी न चाहते हुए भी इस बदनाम हीरा कंपनी के पंंकतकनकि के रंप में काम करते कदख रहे हैं. गौरतलब है कक पहले यह कंपनी अपने कायंंोंको लेकर संकदगंि रही है. वहींदूसरी तरफ कई लोगोंकी आवाजेंदबा दी जा रही हैं. जो सडंकोंपर उतरकर जंगलों की कटाई और दूसरे खतरों से आगाह कर रहे हैं. छतरपुर कजले के बकसंवाहा के जंगलों में ऑसंटंेकलया की बंलैक कलसंटेड कंपनी की मौजूदगी बीते कुछ सालों से कववादोंको जनंम दे रही है. वन भूकम मेंअवैि
उतंखनन को लेकर 5 साल पहले कलेकंटर उमाकांत उमराव ने कारंणवाई करते हुए कंपनी के उतंखनन पर रोक लगा दी थी. करयो कटंटो की पंंदेश सरकार में घुसपैठ का ही नतीजा था कक कलेकंटर का ततंकाल तबादला कर कदया गया. इन चचंाणओं को बल कमलने के कई कारर हैं. कजनमें से एक कलेकंटर ई रमेश कुमार के कजले का पंंभार संभालते ही करयो कटंटो को दोबारा उतंखनन की अनुमकत देना भी है. दूसरा अकंटूबर 2009 को कंपनी के हीरा पंंोसेकसंग पंलांट का खुद मुखंयमंतंी ने आकर उदंघाटन कर कदया.
खट््ी हो गयी मेघालय की स्ट्ाबेरी जलवायु परिवर्तन से संकट मे्रकसान
सोहलिया. मेघालय के ककसानों के कलए संटंॉबेरी की फसल खटास देने लगी है. मौसम में आये बदलाव के चलते ककसानों को भारी नुकसान उठाना पडंरहा है. ऐसे में संटंॉबेरी उतंपादक ककसानों को भारी कीमत इसके उतंपादन की चुकानी पडं रही है.राजंय में करीब तीन लाख लोग संटंॉबेरी की खेती करते हैं. सरकारी आंकडंों के मुताकबक यह तीसरा सबसे बडंा संटंॉबेरी उतंपादक राजंय है. औसतन करीब 500
कमकंंटक टन की संटंॉबेरी का उतंपादन 15 सौ हेकंटेयर (करीब 37 सौ एकडं) जमीन पर होता है. संटंॉबेरी की खेती की शुरंआत साल 1990 के दशक में कुछ ककसानोंने शुरंकी थी. इसके मुनाफे से उतंसाकहत होकर अनंय ककसानोंने भी इसकी खेती शुरं की. एक ककसान के मुताकबक उन कदनों इससे होने वाली आदमनी लॉटरी की तरह थी. बाकी पेज 2 पर
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04 दिसंबर-10 दिसंबर 2015
असम में बढंा शहंदी भाशियों पर हमला राजीि कुमार
कदलंली घाट में हुए हमले के बाद मुखंयमंतंी तरंर गोगोई ने मुखंयसकचव वी के पीपरसेकनया और पुकलस महाकनदेशक गुवाहाटी. असम मेंचुनाव की कतकथयां मुकेश सहाय को कनदंंेश कदया कक उलंफा नजदीक आते ही राजनेताओं के आरोपसंवािीन और एनएससीएन खाफलांग गुट के पंंतंयारोप तेज हो गये हैं. ऐसे मेंकांगंेस पाटंंी कखलाफ अकभयान तेज ककया जाये. गोगोई ने के नेता और राजंय के मुखंयमंतंी तरंर गोगोई सेना के 3 कोर जीओसी से फोन पर बात ने कहंदीभाकरयों के कखलाफ कवरवमन ककया कर आतंककयोंको पकडंने के कलए अकभयान तो आतंकी संगठन उलंफा का कहंसक तेज करने को कहा है. मुखंयमंतंी ने कहा कक गकतकवकियां अंजाम देने का हौसला भी बढ़ंा. वे केंदं के समिंं यह मसला उठाएंगे और इसकलए 30 नवबंर की शाम को ऊपरी मां ग करेंगे कक मंयांमा में रहनेवाले उलंफा असम के कडबंंुगढ़ं कजले के नामरंप में सं व ािीन और एनएससीएन खाफलांग के आतंकी संगठन उलंफा संवािीन ने हमला कर कशकवरों को धंवसंं ककया जाये और इसके दो कहंदी भाकरयोंको गंभीर रंप से घायल कर कलए वहां ऑपरेशन आल आउट चलाया कदया. इससे पूरे राजंय मेंकहंदी भारी डरे सहमे जाये. हैं. राजंय मेंजब भी चुनाव आता है इस तरह लेककन घटना के बाद कहंदीभारी संगठनों के हमले बढ़ंजाते हैं. में भारी रोर है.असम भोजपुरी युवा छातंं ऊपरी असम के माघंंेकरटा में मुखंयमंतंी पकररद के अधंयिंं नरेंदं चौहान ने कहा कक तरंर गोगोई ने छठ पूजा के पहले कहा कक आतंककयों दंंारा कहंदी भाकरयों पर की गई उनंहें कहंदी भाकरयों के वोट नहीं चाकहए. पर जब वे गुवाहाटी के छठ कायंणकंम मेंशाकमल नामरंप की घटना के कलए पूरी तरह से गोलीबारी से कहंदी भारी समाज पूरी तरह हुए तो सफाई दी कक उनका यह नहींकहना कजमंमेवार है. कंयोंकक उनंहोंने उकसावे वाला आतंककत है. कहंदी भारी हमेशा से साफंट था. वे तो राजंय मेंकहंदी भारी कवकास पकररद बयान कदया था. इसकलए उनंहें पद पर बने टारगेट रहे हैं. गोगोई सरकार के 15 साल के कायंणकाल में तीन सौ से अकिक कहंदी भारी जलंद गठन करने वाले हैं. राजंय के कवकास रहने का नैकतक अकिकार नहींहै. उलं फ ा सं व ािीन के सहायक पं ं च ार मारे गये हैं. चार लाख से अकिक कहंदी भारी में कहंदी भाकरयों की अहम भूकमका है. कफर सकचव अरं र ोदय असम ने घटना की असम छोडंकर चले गये हैं. चौहान का आगे गोगोई ने भाजपा पर हलंलाबोल के कलए कह कजमं म े व ारी ले त े हु ए कहा कक भारतीयों दं ा ं रा कहना है कक सरकार यकद कहंदी भाकरयों को कदया कक कहंदी भारी नेता असम को कबंजाने आये हैं. हम लाकचत बरफुकन के वंशिर हैं, संथाकपत वंयापाकरक संसंथान इस तरह की सुरिंंा देने में नाकाम रहती है तो आर-पार ऐसा होने नहीं देंगे. मुखंयमंतंी के इस बयान दुभंाणगंयपूरंण घटनाओं के कलए कजमंमेवार हैं. की लडंाई होगी. यह लडंाई कदलंली, कदसपुर, की गूज ं संसद मेंभी हुई. केदं ंीय संसदीय मंतंी कंयोंकक इनमें सहयोग और दूरदृकंि का लखनऊ और पटना तक चलेगी. पूवंोतंंर वैंकेया नायडू ने कहा कक गोगोई का बयान अभाव है. बार-बार हम यहां वाकरसंजयक पंंादेकशक मारवाडंी समंमेलन के अधंयिंं सांपंदाकयक है. वे इस तरह कह कर देश की गकतकवकियां चलानेवाले कवदेशी आकंथणक मिुसूदन सीककरया ने कहा कक सरकार एकता व अखंडता के समिंंखतरा पैदा कर पंंवाकसयों और भारतीय लोगों से सशसंं कपछली घटनाओं से सबक नहीं लेती. इन ं ासन की रहे हैं. पंंदेश भाजपा के अधंयिंंतथा केंदंीय संगंाम में सहयोग करने को कहते आये थे. घटनाओंकी पुनरावृकत मामले मेंपंश खेल मंतंी सवंाणनंद सोनोवाल ने कहा कक अनंयथा उनंहेंअसम छोडंदेने को कह रहे थे. असंवेदनशीलता का पकरचायक है. पूवंोतंंर मुखंयमंतंी को सभी भारा-भारी लोगोंके बीच हमारी बात की अनदेखी करने के कारर यह कहंदुसंानी समंमेलन के महामंतंी एस पी राय समनंवय की बात करनी चाकहए. पर वोट के हमला झेलना पडंा है.यकद अब भी वे अपने ने कहा कक कहंदी भाकरयों को सहज कनशाने कलए वे इस तरह के संकुकचत दायरे के बयान मेंबदलाव नहींलाते हैंतो इस तरह के हमले पर लेकर आतंकी अपनी उपसंसथकत दजंण दे रहे है.ं पंदं श े भाजपा के केदं ंीय पंभं ारी महेदं ं को झेलने के कलए तैयार रहना चाकहए. कराते हैं. राजनीकतक दलों को भी समुदाय कसंह ने कहा कक कांगंेस दंगा कराकर वोट संगठन ने कहा है कक ये लोग जोंक की तरह कवशेर पर कटपंपरी करने के दौरान संयम बरतना चाकहए. लेने की कफराक में है. मुखंयमंतंी गोगोई असम के संसािनोंको लूट रहे हैं.
खट््ी हो गयी मेघालय की स्ट्ाबेरी
पेज 1 का बाकी लोगों ने इस मुनाफे से नया घर, टीवी और बैंक में भी रंपये जमा ककये है. पर आज बदलते मौसम और बफंफबारी से फसल पर खतरा मंडरा रहा है. ककसान कहते हैं कक तेज और अकनकंंित बाकरश ने इस फसल मेंफंगल रोग लग गयें हैं. साथ ही बीते तीन सालोंमेंगमंंी के मौसम में तापमान बढ़ंने से इसके उतंपादन में कगरावट आयी है. मौसम में आये बदलाव की वजह से ककसान अब संटंॉबरी की खेती से मुंह मोडंने लगे हैं. वह साथ ही इसके अनुकूल जलवायु वाले िंंेतं में जाने की सोच रहे हैं. संटंॉबेरी के उतंपादक और सोहकलया के गंंाम पंंिान ओसंंांदर लींगखोई कहते हैं कक कपछले कुछ सालों में तापमान 30 कडगंंी सेसंलसयस पार कर जा रहा है. इससे संटंॉबेरी की खेती में समसंयाएं पैदा हो रही हैं. वे बताते हैं कक बीते साल उनंहें चार एकड जमीन से काफी मुनाफा कमाया था. इससे घर, गाडंी और करीब डेढ़ लाख रंपये की बचत भी हुई थी. भारतीय उदंकंमता संसथ ं ान (आईआईई) की मदद से शुरं हुए संटंॉबेरी उतंपादन और उसके कवपरन पंंराली को संपनंन बनाने के पंंयासों को भी इससे िकंंा लगा है. बदलते मौसम ने संटंॉबेरी के उतंपादन पर असर डाला है. आईआईई अकिकारी हेमंत राभा कहते हैं कक मौसम बदलने से पहले इस योजना ने अचंछा काम ककया था. संटंॉबेरी देश के कई इलाकों में भेजी गयी साथ ही बांगंलादेश को भी कनयंाणत ककया गया. साल 2012 में आईआईई और उतंपादकोंने कमलकर करीब 1.5 लाख रंपये की लागत से एक उचंं तकनीक से लैस संटंॉबेरी नसंणरी का कनमंाणर भी ककया था. राभा बताते हैं कक बदलते मौसम और भारी बाकरश और ओला वृकंि से कसतंबर में रोपाई और अपंंैल में कटाई
गोवा से मुंह फेर रहे ववदेशी सैलानी!
तो अमित शाह की छुट्ी होगी?
पेज 1 का बाकी ककफायती माना जाता है इसकलए इनका पुराने टैकंसी वालों ने जमकर कवरोि ककया. इसके अलावा और भी वजहें पयंणटन उदंंोग पर भारी पड रही है. गोवा पयंणटन उदंंोग मुखंय तौर पर रंसी पयंणटकों पर कनभंणर रहता हैं. ऐसी में इनकी संखंया में आयी है. पर तुकंी और कमसंं के साथ रंस के कडंवे संबंि हो जाने के बाद पयंणटन उदंंोग को अब पयंणटकोंके आने की आस जगी है. गोवा रंसी सूचना केदं ंकी एक अकिकारी के मुताकबक रंबल मेंकगरावट भी इसकी वजह है. दूसरी वजहोंमेंपयंणटक अब राजंय मेंकई दूसरे कारकोंके बारे मेंभी आने से पहले सोचते हैं. ऐसे में गोवा उनकी पंंाथकमकता सूची मेंनहींरहा. रंसी पयंणटक अब थाईलैंड, शंंीलंका, कवयतनाम, कंबोकडया और जापान जैसे देशों की ओर आककंरतण हो रहे है.ं इसकी वजह इन देशोंमेंउकचत दर पर गुरवतंंा की सुकविाओं का कमलना और ठहरने का इंतजाम है. दूसरे
पेज 1 का बाकी हाल ही में झंडेवालान में हुई एक अहम बैठक में इस हार का आकलन करने के बाद यह कनषंकरंण कनकाला कक हमें यह मान लेना चाकहए कक भाजपा के खाते से कबहार की 33 और उतंंरपंंदेश की 73 सीटोंका लगभग सफाया हो चुका है. कदलंली की सात सीटेंतो पहले ही साफ हो चुकी थीं. झाबुआ उपचुनाव में पाटंंी की हार के बाद मधंय पंंदेश सरीखे राजंय पर भी पंंशंन कचनंह लग गया. संघ का मानना है कक इस दृकंि से सतंंा में आने के महज डेढ़ं साल के अंदर पाटंंी का 40 फीसद सीटों पर सफाया हो चुका है. अगर असम, पकंंिम बंगाल सरीखे राजंयोंको छोडंभी कदया जाये तो अगले डेढ़-ं दो साल में उतंंर पंंदेश-पंजाब आकद में जो होने वाला है वह दीवार पर कलखा नजर आने लगा है. संघ का अपना आकलन है कक अकमत शाह की अपनी कुछ सीमाएं हैं. वे नरेंदंमोदी के कशषंय हैं. दोनों का ही कायंणिंेतं गुजरात
हाल के कववादों से भी देश में आने वाले सैलाकनयों की संखंया कम हुई है .इनमे बीफ कववाद भी बहुत महतंवपूरंण माना जा रहा है . सामाकजक तनाव की ख़बरों की वजह से कवदेशी सैलाकनयों की संखंया में कमी आयी है. हालांकक गोवा पयंणटन कवकास कनगम (जीटीडीसी) अधंयिंंनीलेश कबराल कहते है कक चाहे हालात जो भी हों, राजंय को उमंमीसद है कक अगले छह महीनोंमेंपयंटण कों की संखंयाह 15 फीसद बढ़ं़ेगी. इसमें अंतरराषंंीय पयंणटकोंके आगमन भी उमंमीद रहेगी.गोवा यातंंा और पयंणटन संघ (टीटीएजी) करीब 5.2 लाख कवदेशी पयंणटकोंऔर 20 लाख भारतीय पयंणटकोंको इस साल राजंय मेंआने की उमंमीद लगाये है. टीटीजीए के पंंवकंता रालंफ कडसूजा ने कहा यह राजंय के कलए राजसंव लाने और उदंंोग को बनाये रखने के कलए जरंरी है. इस तरह करीब 25 लाख पयंणटकों के आने की संभावना है. ब्यूरो
रहा है. उनकी कायंणशैली के कारर ही इन दोनोंने केंदंकी सरकार हो या राषंंीय संंर की राजनीकत गुजरात के अनुभव को शाकमल ककया है. वे सभी राजंयों में गुजरात सरीखे चेहरों को ही आगे कर रहे हैं. वहां आनंदी बेन और हकरयारा में मनोहर लाल खटंंर इसके जीते जागते उदाहरर है.ं महाराषंंऔर झारखंड में भी ऐसे ही पंंयोग ककये गये. गुजरात मेंभले ही अकमत शाह की बूथ संंर तक पकडंरही हो पर बाकी देश गुजरात नहीं है. कबहार ने यह साकबत कर कदया है कक उनकी पकडंढीली ही नहींहुई है बसंलक सतंंा भी हाथ से कनकल गयी. खुद सर संघचालक यह मान चुके हैंकक कबहार में अकमत शाह ने उन चेहरों की टीम बनायी कजनका जमीनी राजनीकत से कुछ लेना देना नहीं था. कजनकी राजनीकत कसफंफ गरेश पकरकंंमा थी. कबहार में मोदी सरकार की पंंार पंंकतषंंा दांव पर लगी थी. इसकलए पाटंंी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. मुखंयमंकंतयोंसे लेकर केंदंीय मंकंतयोंकी बाढ़ं
के समय फसल को भारी नुकसान हुआ. मेघालय के पयंाणवरर संरिंंर और गंंामीर कवकास केंदं के अकिकारी समर संगमा कहते हैं कक अकनयकमत मौसम की वजह से बीते कुछ सालों से मानसून से पहले वाली बाकरश से ऐसा हो रहा है. अकिकारी बताते हैंकक बीते तीन सालों मेंसंटंॉबेरी उतंपादन मेंतेजी से कगरावट आयी है. बीते साल मेघालय ने 200 टन का उतंपादन ककया, जो राजंय के सलाना औसत के आिे से भी कम था. लींगखोई कहते हैं, ‘बीते तीन सालोंके घाटे से मैंभकवषंय के बारे मेंकचंकतत हूं.’ संगमा के मुताकबक ककसी भी उतंपादक ने फसल बीमा नहीं कलया था, इस वजह से उनंहें मुआवजा नहीं कदया गया है. राजंय सरकार जलंद ही एक योजना के तहत फसलों के नुकसान की भरपाई करने वाली नीकतयां लागू करेगी. राभा ने बताया कक कुछ ककसानों ने पहले से ही अपनी फसलों को ठंडे िंंेतंों में संथानांतकरत करना शुरं कर कदया है. लेककन ककसान असंसलया मराक के मुताकबक फसलों का दूसरी जगह उतंपादन शुरं करना काफी महंगा सौदा है. ककसानों कहते हैं कक खराब मौसम की वजह से सोहकलया की नसंणरी के पौिे भी खराब हो गये हैं. कजससे उनंहें कैकलफोकंनणया से पौिों का आयात करना पड रहा है. ये पौिे जंयादा गमंंी पडने से खराब हो गये हैं. लींगखोई कहते हैं कक उतंपादकों ने करीब 100 ककमी दूर नसंणरी लगाने के कलए कंयंशी नामक ठंडी जगह खोजी है. दूसरी तरफ भारतीय कृकर अनुसंिान पकररद के वैजंाकनक वीरेंदं वमंाण उचंंतापमान से बचने वाले पौिोंको लगाने की सलाह दे रहे हैं. वह बताते हैंकक संटंॉबेरी की नयी ककसंम पंंकतकूल जलवायु की पकरसंसथकतयोंमेंबेहतर उतंपादन देगी. यहां की खेती के कलए इसका परीिंंर ककया जा सकता है.
ला दी पर जमीनी संंर पर कायंणकतंाण को नहीं जोडं सके. संवयंसेवकों में कवशंंास और उतंसाह नहीं भर सके. इसकलए अब उसकी नजरों में उनकी उपयोकगता सीकमत रह गयी है. वैसे भी यह महसूस ककया जा रहा है कक पंंिानमंतंी और पाटंंी अधंयिंं का एक ही पंंदेश से होने की वजह उतंंर भारत के भाजपाइयोंमेंइसका सही असर नहींहुआ है. भाजपा के एक वकरषंं नेता का कहना था कक इस बदलाव में नरेंदं मोदी को कोई कदकंंत नहीं होगी. इसकी वजह यह है कक वे तो अपने करीकबयों का इसंंेमाल लकंंय हाकसल करने के कलए ही करते हैं. लाल कृषंर आडवारी तक का उनंहोंने रॉकेट की तरह इसंंेमाल ककया. राजनीकत के अंतकरिंं में संथाकपत होने के बाद उसको तंयाग कदया. उनके कलए अकमत शाह की भी उपयोकगता एक रॉकेट जैसी है. इसकलए नये साल में भाजपा को नया अधंयिंं कमलने की संभावना बलवती हो गयी है.
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सारे आरोप सरासर झूठे- विंजल वसंह िंजीि श््ीिास््ि
कलेक्टि ने कहा - जंगल काटने वालो्की सारजश है यह
िखीमपुर. कजले की कलेकटं र ककंजल कसंह और दुिवा नेशनल पाकंफ के अकिकाकरयों व कमंणचाकरयों के बीच की लडंाई मुखंयसकचव आलोक रंजन की सुनवाई के बाद भी खतंम होने का नाम नहीं ले रही. इस मामले को हवा दी थी जंगलात कवभाग ने. कजसने यह फैलाया कक कलेकंटर ककंजल कसंह दुिवा पाकंफ में देर रात तक शराब पाटंंी करती है और गाना बजाना होता है. कजसके चलते एक शेरनी अपने शावको के साथ भाग गई. बाद मेंइस संवाददाता ने पता ककया तो कहानी कुछ जंयादा ही गढ़ दी गई थी. मुदंा जंगलात कवभाग और कजला पंश ं ासन के बीच टकराव का था कजसके पीछे जंगल मेंबडे पैमाने पर पेडोंकी अवैि कटाई की कशकायत थी. यह कशकायत कलेकंटर ककंजल कसंह ने की थी कजसके बाद शराब से लेकर गाना बाजाना जैसे आरोप मीकडया के जकरये उछाले गये. यह वही जंगल है जहां कुछ वरंण पहले एक पतंंकार को भी वन संरिंंर कानून के तहत फंसाने की साकजश हुई थी. बहरहाल इस मुदंे पर पंंदेश सरकार ने दखल कदया और दोनोंकवभाग के अफसरोंसे बात भी की. कफर भी दुिवा नेशनल पाकंफके
उप कनदंंेशक पीपी कसंह और ककंजल कसंह का मामला सुलझता नहीं कदख रहा. पर मुखंयसकचव आलोक रंजन ने दोनों पिंंों के बीच सवादंहीनता की बात कर मामला सुलझाना चाहा. मामले को लेकर एक तरफ जहां ककंजल कसंह जंगल अकिकाकरयोंपर झूठे आरोप मढ़ंने की बात कह रही हैं तो दूसरी तरफ जंगल के अकिकारी उन पर कारंणवाई
की मांग कर रहे हैं. ककंजल कसंह ने साफ़ कहा, फारेसंट कवभाग के अफसरों के सारे आरोप सरासर झूठ है और यह पेशबंदी है जंगल में अवैि ढंग से पेड काटे जाने के मामले को उठाने की. दूसरी तरफ डीएम ककंजल कसंह के कखलाफ कामकाज ठप कर रहे दुिवा नेशनल पाकंफ के अकिकाकरयों और कमंच ण ाकरयोंका कवरोि मंगलवार को भी जारी रहा. दुिवा मुखंयालय कैंपस आकद में जहां तालाबंदी रही वही कमंणचाकरयोंने काली पटंंी बांिकर अपना कवरोि जताया. इसके अलावा कमंणचाकरयों को उतंंर पंंदेश सहायक वन कमंणचारी संघ ने भी समथंणन दे कदया हैं. उिर फेडरेशन के अधंयिंं पर एसडीएम ने शांसनं तभंग की कायंवण ाही पर भी कमंच ण ाकरयोंने रोर जताया है. बीते कई कदनों से डीएम ककंजल कसंह के कखलाफ मोचंाण खोले कमंणचाकरयों ने मंगलवार को भी अपना कवरोि जारी रखा. इससे पूवंणफेडरेशन ऑफ फारेसंट के अधंयिंं पकतराज कसंह ने मुखंयमंतंी को पतंं भेजकर डीएम पर गंभीर आरोप लगाते हुए कायंणवाही की मांग की थी मंगलवार को दुिवा की सभी रेंजों के अकिकारी, कमंणचाकरयों ने पकलया मुखंयालय पर एकतंं होकर कारंणवाई की मांग की है. कमंणचाकरयोंने कायंाणलयोंमें
तालाबंदी कर दी. इससे पयंणटन पूरी तरह से ठप रहा. इसमें तमाम अकिकारी और कमंणचारी मौजूद रहे. फेडरेशन के अधंयिंं पकतराज कसंह और उपाधंयिंं रामकुमार ने बताया कक पंश ं ासन कनतंय नये रडंतंं ंरच कर उनको फंसाने की कोकशश कर रही है जो कक गलत है. उनंहोंने कहा कक मामले में नंयायोकचत कारंणवाई नहीं हुई है. संसंथा को उतंंर पंंदेश सहायक वन कमंणचारी संघ लखनऊ ने भी समथंणन कदया है. इसके अधंयिंं नफीस खान ने मुखंयमंतंी को पतंं भेज कर डीएम के तबादले की मांग की है. उनंहोंने कहा कक उन पर दबाव बनाने के कलए उनकें ही िंंेतं के पुराने कटान को नया कदखाकर कुचकंंरचने का आरोप लगाया जा रहा हैं. उनंहोंने यह भी आरोप लगाया कक उन पर एसडीएम ने शांकतभंग की कारंणवाई की गयी है. जो नाजायज है. कवरोि मेंकमंणचारी न तो नारेबाजी कर रहे है. उपाधंयिंं रामकुमार ने बताया कक अधंयिंं के पैतृक कनवास पर कजला संंर के अकिकाकरयों को भेजा गया कजससे दबाव बनाने की बात को बल कमल रहा हैं. उनंहोंने बताया कक पयंणटन शुरं करने के कलए अकिकाकरयों को कनदंंेश कदये जा रहे है. जो हम ककसी भी तरीके से कारंणवाई न होने तक नही मानेगें.
कोकाकोला रो पी गई जमीन का पानी
वाराणसी. कजले के मेहदीगंज के कोका कोला बॉटकलंग फैकंटंी के पडंोस के 18 गंंाम पंचायतों ने कंपनी के भूजल कनकालने पर रोक लगाने की मांग की है. फैकटं ंी के अतंयकिक पानी के दोहन की वजह से इलाके के लोगोंको भारी ककलंलत का सामना करना पडं रहा है. ऐसे में इन गंंाम पंचायतों ने फैकंटंी के भूजल कनकाली पर रोक लगाने की मांग उठाई है ताकक भूजल के कगरते संंर को सुिारा जा सके. कजले के मेहदीगंज इलाके की 18 गंंाम पंचायतें कोका कोला फैकटं ंी से 5 ककमी के दायरे मेंहै.ं फैकटं ंी के साल 1999 मेंशुरंहोने के बाद से यहां के लोग पानी की ककलंलत से बुरी तरह से जूझ रहे हैं. दीगर बात है कक फैकंटंी के आसपास की जमीनेंखेती के कलए इसंमंे ाल की जाती है.ं गांव के लोग कसंचाई, पीने का पानी और रोजमरंाण की जरंरतोंके कलए भी पूरी तरह से भूजल पर ही कनभंणर हैं. कोका कोला कंपनी भी भूजल का इसंंेमाल शीतल पेय बनाने मेंकरता है. कजससे इलाके का भूजल संंर बहुत नीचे चला गया है. ऐसे में लोगों को पानी की भारी ककलंलत का सामना करना पडं रहा है. भूजल के कगरने की पुकंि सरकारी आंकडे और समुदायों के रहन सहन से भी होती है. कपछले साल सरकार ने इस इलाके की पहचान जंयादा जल कनकासी वाले िंंेतं के तौर पर की थी. इस तरह यह मामला काफी गंभीर हो जाता है. इससे साफ है कक इलाके में भूजल की कनकासी बहुत ही जंयादा है. अब सरकार के इस आदेश से वहां के समुदायों पर भी असर पडंेगा. इससे कंपनी भूजल की कनकासी नहीं कर पायेगी. इलाके के गंंाम सभा सरपंचों ने उतंंर पंंदेश पंंदूरर कनयंतंर बोडंण को एक पतंं कलखा था. कजसमें कोकाकोला कंपनी को राजंय सरकार की कनयामक संसंथा से लाइसेंस देने
कलख मेंहदीगंज कोकाकोला की बॉटकलंग फैकंटंी के कवसंंार पर भी कवरोि जताया था. इसके बाद लगातार राषंंीय कवरोि अकभयान चला. पकरराम संवरंप भारत सरकार ने अगसंं 2014 मेंकोकाकोला की फैकंटंी के कवसंंार योजना पर रोक लगा कदया था. गंंाम पंचायत ने यह पतंं उस समय वारारसी भेजा जब सरकार भूजल कानून को कठोर बनाने में लगी थी. कजससे सभी जल आिाकरत उदंंोगों शीतल पेय, पानी की बोतल, कडसंसटलरी, कागज, लुगदी, उवंरण क आकद पर लगाम कसी जा सके. सरकार के इस भूजल कानून को सखंत बनाने की दो वजहेंथी. पहला तो लोगोंका कवरोि पंंदशंणन और दूसरा देश की संवैिाकनक संसंथा ‘नेशनल गंंीन टंंीबंयूनल’ से कमले कदशा कनदंंेशोंका पालन करना. नया भूजल अकिकनयम 16 नवंबर 2015 से लागू हो गया है. इससे मौजूदा दौर के कारखानोंको महतंवपूरणंऔर नवीन कदशा-कनदंश ंे ोंके दायरे मेंरहकर भूजल का उपयोग करना होगा. इस पतंंपर 18 गंंाम पंचायतोंके सरपंचोंने हसंंािंंर भी ककये हैं. गंंाम पंचायतोंके इस मांग मेंअब अजंंीलाइन बंलाक की अधंयिंंशकुंतला देवी और कविायक महेंदंकसंह पटेल भी शाकमल हो गये हैं. गंंाम पंचायत के मनोनीत सदसंय ने लोगों की आवािंको सरकार तक पहुच ं ाकर कोकाकोला कंपनी के पंलांट पर रोक लगा दी है. भारतीय संसािन केंदं के अंतरराषंंीय चुनाव पंंचार संगठन के अधंयिंं अकमत शंंीवासंंव ने कहा कक यह सही समय है कक कंपनी अपना सामान बांिे और कनकलने की तैयारी करे. उनंहोंने कहा कोका पर आपकंंत जतायी गई थी. पतंं में बचंंों, मकहलाओं और कोला कंपनी ने अंतरराषंंीय संंर पर भूजल के सही उपयोग ककसानोंके भूजल इसंंेमाल मेंआयी कमी के बावजूद कंपनी की भूकमका बना रखी है.लेककन भारत मेंउसकी वासंंकवकता के फायदे के कलए भूजल कनकासी पर राक लगाने की मांग गैर किमंमेदाराना है. कजसका सीिा असर मकहलाओं, बचंंों, की गयी है. गंंाम पंचायतों ने इससे पहले 2013 में भी पतंं ककसानोंऔर जानवरोंपर पड रहा है. ब्यूरो
कलेकंटर और नेता का संवाद
रायपुर. छतंंीसगढ़ं के एक कलेकंटर और कविायक के बीच का संवाद फेसबुक पर खूब चचंाण में है. बलरामपुर कंिले के कलेकंटर एलेकंस पॉल मेनन ने ककथत रंप से उनके और कनवंाणकचत जनपंंकतकनकि के बीच का संवाद फेसबुक पर पोसंट ककया है. हालांकक कलेकंटर ने कनवंाणकचत जनपंंकतकनकि के नाम का उलंलेख नहीं ककया है लेककन माना जा रहा है कक कनवंाणकचत पंंकतकनकि सरगुजा इलाके के ही एक कांगंेस कविायक हैं, कजनके साथ कलेकंटर का करशंता 36 का बना हुआ है. एलेकंस पॉल मेनन वही कलेकंटर हैं, कजनंहें कुछ साल पहले बसंंर मेंमाओवाकदयोंने दो सुरिंंाककंमयण ोंकी हतंया करने के बाद अगवा कर कलया था. फेसबुक पर साझा ककया गया ककथत संवाद इस तरह हैकलेक्टर- नमस्कार साहब, बताइए, सॉरी... बाथर्म मे् था, इसललए आपका फोन अटे्ड नही् कर पाया. बताएं, कोई प््ॉब्लम तो नही् है? लनर्ाालित प््लतलनलि- ये बताइए, कलेकट् र साहब, ये आपका... के साथ क्या करीबी है... कलेक्टर- ..? लनर्ाालित जनप््लतलनलि- उनका ट््ांसफर होने के बाद भी उनको लरलीर क्यो् नही् लकया जा रहा... सारे काम उनको ही क्यो् लदया जा रहा.. (व्यंग्यात्मक) ऐसा क्या लरश्ता है? कलेक्टर- ऐसा क्या साहब, ओह्ह.. मेरा भतीजा है. लनर्ाालित प््लतलनलि- क्या? कलेक्टर- हां साहब, मै्ने पूरे लजले मे् 39 लोगो् को लरलीर नही् लकया है, अगर आप एक-एक करके नाम बताएंगे तो मै् लरश्ता बताता जाऊंगा. लनर्ाालित प््लतलनलि- अच्छा ऐसा (आहत स्रर मे्) कलेक्टर- हां, साहब ऐसा ही. ये मेरा भांजा है. ससुर का छोटा लड़का है. और ये जो है. न रो मेरा साला लगता है. लनर्ाालित प््लतलनलि- आप एक ियलनत जनप््लतलनलि से ऐसे बात नही् कर सकते. कलेक्टर- ऐसा है साहब; आप कोई जनता की समस्या के मुद्े मे् कुछ भी बोललए, कैसे भी बोललए, हम सुन ले्गे, लेलकन आप हमारी ईमानदारी पर सराल खड़ा करे्गे तो हमको जराब देना पड़ जाता है. नक्सल लजला है, कोई यहां काम नही् करना िाहता है. ट््ास ं फर कराके भागते रहते है्. लबना लरलीरर के हम लकसी को लरलीर नही् कर पाएंग.े रैसे लनयम भी यही कहता है. आपको हम लकनसे क्या काम ले रहे है्, ये समझने की बोझ नही् उठाना िालहए, काम मे् कमी है तो बताइये. लनर्ाालित प््लतलनलि- ???? कॉल कट जता है. (छतंंीसगढ़ समाचार )
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04 दिसंबर-10 दिसंबर 2015
यूपी मे् सबकी नजर अब अगड़ो् पर
िुनीता शाही
िखनऊ. राजंय में साल 2017 के कविान सभा चुनावों की तैयाकरयों का कसलकसला अब जोर पकडंता कदखाई दे रहा है. इस बार यह लडंाई ऊंची जाकतयोंके वोट के कलए होती कदख रही है. साल 2007 में ऊंची जाकतयों के दकलत वोटों के साथ आने के बाद मायावती सरकार सतंंा मेंआयी थी. इसमेंकोई आिंंयंणनहींहै कक बसपा सुपंीमो मायावती कफर से उसी तरह के एजंडे पर काम कर रही हैं. हाल ही में राजंयसभा में मायावती ने गरीब अगडंी जाकतयों को नौककरयों में जगह आरकंंित करने की बात कही. ऐसा नहीं है कक वह अकेली अगडंी जाकतयोंके कलए कसफाकरश कर रही है.ं करीब सभी राजनीकतक दल सवरंण जाकतयों को लुभाने की कोकशश मेंजुटे हैं. भारतीय जनता पाटंंी सवरंण जाकतयों अपना संथायी वोट बैंक मानती रही है. ये ककसी से छुपा नहीं है. कांगंेस ने कसफंफ
ककसानों पर धंयान केंकंदत करने की नीकत बनायी है. जो राजंय में अगडंी जाकतयों के करीब 50 फीसद हैं. समाजवादी पाटंंी के अधंयिंंमुलायम कसंह यादव जो ठाकुर वोटों को हाकसल करते रहे हैं एक बार कफर से अपने पुराने साथी अमर कसंह की तरफ मुडं रहे है.ं इसी कदशा मेंकदम उठाते हुए मुलायम कसंह पूवंणसांसद जया पंंदा के बेटे कसदंंाथंणकी
शादी में बीते कदनों शरीक होने के कलए हैदराबाद भी गये थे. यह चुनावी ररनीकत के मदंंेनजर ही ककया जा रहा है. इस तरह बसपा सुपंीमो मायावती सकहत सभी दल अगडंी जाकतयों के वोट को अपने पाले में करने में जुटे हैं. राजनीकतक दल इसके कलए अपनी चुनावी गकरत भी बैठा रहे हैं. हाल के सवंंे भी इसका संकेत देते हैं कक
जाकत के गरीबोंको भी अलग से आरिंंर देने का पंंाविान करते. लेककन उनंहोंने ऐसी कोई घोररा नहींकी.सूतंोंके मुताकबक बसपा भी यूपी मेंबंंाहंमर और िंकंंतय जाकत के वोटोंको अपनी तरफ खींचने की कोकशश कर रही है. ये दोनों जाकतयां यूपी के गांवों में खास भूकमका कनभा सकती हैं. ओबीसी के एक वगंण ने कजस तरह से 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा को खाकरज कर कदया था उससे इस बार पाटंंी साविान हैं. सपा के पास यादवमुसंसलम वोट बैंक है लेककन मुखंयमंतंी अकखलेश यादव ने अयोधंया के युवा कविायक तेज नारायर पांडेय को कैकबनेट अगडंी जाकतयां कुल मतदाताओं के 15 मंतंी का दजंाण देकर बंंाहंमर वोटरोंको अपनी फीसदी से भी कम हैं. ऐसे मेंराजनीकतक दल तरफ करने के संकेत दे कदये हैं. बीजेपी के पंंवकंता कवजय बहादुर पाठक अपने तरीके से इनंहेंलुभा रहे हैं. का कहना है कक वह ककसी एक जाकत कवशेर इसी कंंम में मायावती ने कहा कक पर के ं क ं द त नहीं हैं. लेककन पंंबुदं जाकत के पंिं ानमंतंी नरेदं ंमोदी ने अपने समापन भारर लोग अनं य मु दंोंके बजाय कवकास के नाम पर मेंसंकविान पर खूब सारी बातेंकहीं. लेककन ये बेहतर होता अगर वह संकविान में वोट करते आये हैं. और पंंिानमंतंी मोदी संशोिन करके आकंथणक आिार पर सवरंण कवकास का चेहरा हैं.
जला रही रोशनी की लालटेन ‘नूर’
अिनीश कुमार
भा
रत के पंंिानमंतंी नरेंदंमोदी ‘मन की बात’ में सोलर पावर पंंोजेकंट को लेकर चचंाण कर रहे थे. उसी दौरान पंिं ानमंतंी ने उतंंर पंंदेश के कानपुर देहात के एक छोटे से गांव मेंरहने वाली एक मकहला को लेकर चचंाण की. वह बोले कानपुर देहात के एक गांव मेंरहने वाली मकहला ऐसा काम कर रही है, कजसकी ककसी ने पकरकलंपना न की होगी. उनंहोंने बताया कक इस गांव ‘मैथ ं ा’ के अंतगंतण बैरी दकरयाव है. जहां नूरजहां नाम की मकहला अपने इस काम से इलाके के 50 घरों को रौशन कर रही है. यह कहना गलत नहींहोगा कक सौर ऊजंाण का सही इसंंेमाल करना कसफंफ यह मकहला ही जानती है. पंंिानमंतंी के इतना कहते ही मानो नूरजहां की दुकनया ही बदल गयी. कजस नूरजहां को कल तक कोई नहीं जानता था. उसे पल भर में पूरा भारत जान गया. देखते ही देखते इस छोटे से गांव में कंया नेता कंया अनंय लोग सभी ने नूरजहां को घेर कलया. अब बस सब की जुबा पर एक ही नाम था नूरजहां. आसपास के रहने वाले लोग बडंीबडंी बातें कर रहे थे और नेता समंमाकनत करने में जुटे थे. ऐसा हो भी कंयों ना जब भारत के पंंिानमंतंी ने उस वृदं मकहला की तारीफ कर दी तो जमघट तो लगना ही है. अब वहां बैठे भारतीय जनता पाटंंी के नेता उस मकहला को याद कर रहे हैं. जहां लंबे समय तक वह लोग नूरजहां को ढूंढ नहीं पाये. अब पल भर मेंभारतीय जनता पाटंंी के नेताओं ने नूरजहां को ढूंढ कनकाला है. भारतीय जनता पाटंंी के कजला अधंयिंंसुरेंदं मैथानी ने कबना ककसी देरी के नूरजहां के गांव जा उसे समंमाकनत ककया. कफर देखते ही
देखते नूर बन गई नूरजहां. बस सभी की जुबां पर एक ही नाम था नूरजहां. सवाल यह उठता है की आज कजस नूरजहां के कलए हमारे नेता बातें कर रहे हैं. तो बीते समय गकंदणश मेंजी रही इस वृदंमकहला की ककसी ने सुि कंयों नहीं ली. खैर जो भी हो, वकंत लगा पर नूरजहां का पकरशंंम हमारी सरकार को कदखा. पंंिानमंतंी ने मन की बात में नूरजहां की तारीफ करने के बाद अब उनके मन मेंभी आस जागी है. नूरजहां को लगता है कक शायद अब नेता और सरकार उनकी कुछ आकंथणक मदद करेगी. हो सकता है इस मदद के चलते उनके उदंंेशंय को पंख लग जायें. लेककन यह तो आने वाला समय ही बतायेगा. नूरजहां ने बातचीत में बताया कक 25 साल पहले उनके पकत का कनिन हो गया था. वह बैंड के मासंटर थे. उनके कनिन के समय बचंंे बहुत छोटे थे और खेती की जमीन भी नहीं थी. ऐसे में बचंंों का पेट पालने के कलए गांव के खेतोंमें15 रंपये रोज की मजदूरी करने लगी. इससे वह अपने पकरवार का पेट पालती थी. लेककन नूरजहां और उसके पकरवार का पेट कभी कभी ही भर पाता था. कंयोंकक मजूदरी रोज नही कमलती थी. आकंथणक तंगी और गरीबी से जूझ रही नूरजहां को कफर तीन साल पहले गांव में कमंयुकनटी रेकडयो चलाने वाली एक संवंय सेवी संसंथा ने उसके घर पर सौर ऊजंाण की एक पंलेट लगवायी. जो कक सौर ऊजंाण से चलने वाली एक लालटेन थी. कजसे पाकर वह अपना घर रोशन करती थी. नूरजहां ने बताया कक जब उसे कभी मजदूरी नहीं कमलती थी तो वह गांव के वहां के लोग बचंंों को पढ़ंाने के कलए उससे लालटेन ले जाते थे. बदले में उसे कुछ पैसे भी दे जाते थे. जब संवंय सेवी संसंथा को यह पता चला कक वह
इस लालटेन को ककराये पर चलाने लगी है. तब उनंहोंने उसे कुछ लालटेन और लाकर दीं. इस तरह िीरे-िीरे उसके पास आज 50 सौर ऊजंाण लालटेन हो गयी हैं. उसके घर पर सौर ऊजंाण के पांच पैनल इस संवंय सेवी संसंथा ने लगवा रखे हैं. अब गांव के लोग उससे रोजाना शाम को सौर लालटेन ले जाते हैंऔर सुबह उसे वापस दे जाते हैं. कफर वह इन लालटेनोंको चाजंणपर लगा देती है. इस तरह पंंकतमाह होने वाली आमदनी से संसंथा को ककराया देने के बाद शेर िन से पकरवार का जीकवकोपाजंणन करती है. इसमेंवह छोटी बचत भी कर लेती है. वह कहती हैंकक गरीबी के चलते पांच बेटों को कशिंंा नहीं कदला सकी. लेककन बचंचों के बचंंों को पढ़ंाकर पकरवार से अकशिंंा का अंिेरा भी दूर करेंगी. वह साजदा और अकववाकहत छोटे बेटे नाकजम के साथ रहती हैं. इस उमंं में भी नूरजहां ने कमंठण ता का साथ नहींछोडंा और पकरवार की कमजोर हो चली आकंथणक संसथकत को सुिारने का बीडंा उठाया हैं. नूरजहां ने कहा कक मैं तहे कदल से पंंिानमंतंी नरेंदं मोदी जी को िनंयवाद कहना चाहती हूं. कजनंहोंने मुझ गरीब मकहला को इतना बडंा समंमान कदलवाया. उमंमीद करती हूं कक मेरे इस कायंण
को आगे बढ़ंाने में सरकार भी मदद करेगी. कजससे वह गांव के हर घर मेंउजाला करना चाहती हैं. भारतीय जनता पाटंंी के कानपुर के कजला अधंयिंं सुरेंदं मैथानी ने बताया कक उनंहोंने नूरजहां के चलाये जा रहे इस कायंण को बढ़ंावा देने के कलए भारत सरकार को एक पतंंकलखा है. पतंंके माधंयम से नूरजहां की आकंथणक मदद करने की बात कही गयी है. जलंद ही सरकार की तरफ से उसे कुछ न कुछ लाभ कमलेगा अगर ककसी काररवश देरी होती है. तो कविायक और अनंय संसथ ं ाओंकी मदद से उसकी आकंथणक मदद की जायेगी. गांव को रोशन करने मेंनूरजहां की हर संभव मदद पाटंंी करेगी. उनंहोंने यह भी बताया कक नूरजहां के कायंंोंकी सराहना खुद भारत के पंंिानमंतंी नरेंदं मोदी जी ने मन की बात में की थी. कजसके चलते उसे समंमान देना लाजमी था. कंयोंकक नूरजहां ने हमारे पाटंंी के वकरषंंनेता और भारत के पंंिानमंतंी के मन को छूआ है. कजसके चलते पंंिानमंतंी ने उनकी सराहना की है. इसकलए हम सभी ने कमलकर नूरजहां को समंमाकनत ककया है. आगे आने वाले समय में उसकी हर संभव मदद भी करते रहेंगे.
अच्छे दिन का झांसा
अवनल अंशुमन
रांची. बीते मन की बात में पंंिानमंतंी मोदी ने एक सवाल के जवाब मेंपंंिानमंतंी मुदंा योजना को जन-जन तक पहुंचाने की बात कही. वह इस बात से वाककफ है ं कक देश की आकंथणक शसंकत छोटे लोग ही हैं. इसकलए वह इस योजना से इन लोगों को ताक़त देना चाहते हैं. वह इस योजना के माधंयम से कनचले तबके को िन मुहैयंया कराना चाहते हैं. इस योजना का लाभ अबतक 66 लाख लोगों को कमल भी चुका है. ये बातें सुनने में तो अचंछी लग रही हैं. लेककन इसकी असकलयत झारखंड के उपराजिानी दुमका में देखी जा सकती है. जहां से 2 अकंटूबर को पंंिानमंतंी मोदी ने भारी भीड के समिंं इस योजना की शुरंआत की थी. इसके कलए सरकार ने करोडों रंपये खचंण करके बडे-बडे होकंडिंगंस, बैनर, टीवी, अख़बारों और सोशल मीकडया के जकरये खूब पंंचार भी ककया. लोगों को भी लगा कक सचमुच में मोदी सरकार उनके कलए अचंछे कदन ला रही है. लेककन योजना घोकरत होने के दूसरे कदन जब बैंक पहुंचे तो वहां जवाब कमला कक लोन देने का कोटा पूरा हो गया है. पंंिानमंतंी मुदंा योजना के तहत सूकंम और लघु वंयवसाकयओं को नये रोजगार करने के कलए आसान शतंंोंपर लोन देने की घोररा हुई थी. लेककन िरंरतमंद लोग जब बैंक पहुंच रहेंहैं, तो कई जकटल कनयम और शतंंे पूरा करने के नाम पर बैंकवाले उनंहें खूब भटका रहे हैं. लोगों के यह कहने पर कक अखबारों में लोन के कलए इतनी जंयादा शतंंे नहीं बतायीं गयीं हैं तो बैंक कमंंी उनंहें रौब कदखाने लगते हैं. इससे लोगों में भारी कनराशा है.
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् ई पानी का रास््ा बंद हुआ तो डूबा चेनन पंकज चतुि्ेदी
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वंबर-2015 में जब दीपावली कसर पर थी और पूरे देश से मानसून कवदा हो चुका था, भारत के दकंंिरी राजंयों के कुछ कहसंसों में उतंंर-पकंंिमी मानसून ने तबाही मचा दी. आटोमोबाईल, इलेकंटंॉकनकंस व चमडंा उदंंोग के कलए दुकनया भर में नाम कमाने वाला चेनंनई शहर पंदंह कदनों तक गहरे पानी मेंडूबा रहा है. कजन सडंकों पर वाहनों की भीडं के कारर पैर रखने को जगह नहीं होती, वहां आज नाव चल रही हैं. 70 से जंयादा लोग मारे गये हैं और अब बदबू, संकंामक रोग और गंदगी ने इस महानगर के लोगोंका जीना दुशंार कर कदया है. मदंंास या चेनंनई समुदं तट पर है और यहां साल भर बाकरश होती है. लेककन इस बार आसमान से बादलोंके नाम पर जो आफत बरसी, उससे उबरने में इस शहर को कई-कई साल लगेंगे, कहा जा सकता है कक एक बरसात ने शहर को एक सदी पीछे िकेल कदया है. इस दुदंणशा का कारर बाकरश से कहींजंयादा शहर के लेागों के अपने पारमंपकरक जल संसािनों के पंंकत बेपरवाही. कभी समुदंके ककनारे का छोटा सा गांव मदंंासपटंंनम आज भारत का बडंा नगर है. अकनयोकजत कवकास, शरराथंंी समसंया और जल कनकियों की उपेिंा के चलते आज यह महानगर बडंेशहरी-झुगंगी मेंबदल गया है. यहां के सडंकों की कुल लमंबाई 2847 ककलोमीटर है और इसका गनंदा पानी ढोने के कलये नाकलयों की लमंबाई महज 855 ककलोमीटर है. लेककन इस शहर में चाहे कजतनी भी बाकरश हो उसे सहेजने और सीमा से अकिक जल को समुदं तक छोडंकर आने के कलये यहां नकदयों, झीलों, तालाबों और नहरों की सुगकठत वंयवसंथा थी. नेशनल इंसंटीटंंूट ऑफ कडजासंटर मैनेजमेंट की करपोटंण में बताया गया है कक 650 से अकिक जल कनकियों में कूडंा भर कर चौरस मैदान बना कदये गये. यही वे पारमंपकरक संथल थे जहां बाकरश का पानी कटकता था और जब उनकी जगह समाज ने घेर ली तो पानी समाज मेंघुस गया. उलंलेखनीय है कक नवंबर-15 की बाकरश में सबसे जंयादा दुगंणकत दो पुरानी बकंस ं यों-
वेलाचेरी और तारामकर की हुई. वेलाचेरी याकन वेलायऐरी. सनद रहे तकमल में ऐरी का अथंण है तालाब व मदंंास की ऐरी वंयवसंथा सामुदाकयक जल पंबं ि ं न का अनूठा उदाहरर है. आज वेलायऐरी के संथान पर गगनचुंबी इमारते हैं. शहर का सबसे बडंा मॉल ‘फोकनकंस’ भी इसी की छाती पर खडंा है. जाकहर है कक जंयादा बाकरश होने पर पानी को तो अपने कलये कनिंाणकरत संथल ‘ऐरी’ की ही ओर जाना था. शहर के वरंाणजल व कनकासी को सुकनयोकजत बनाने के कलये अंगंेजों ने 400 ककलोमीटर लमंबी बकंकिंघम नहर बनवाई थी, जो आज पूरी तरह पंलासंसटक, कूडंेसे पटी है कीचडंके कारर इसकी गहराई एक चौथाई रह गई है. जब तेज बाकरश हुई तो पलक झपकते ही इसका पानी उछलकर इसके दोनों तरफ बसी बकंंसयोंमेंघुस गया. चेननं ई शहर की खूबसूरती व जीवनरेखा कहलाने वाली दो नकदयों- अडंंार और कूवम के साथ समाज ने जो बुरा सलूक ककया, पंंकृकत ने इस बाकरश मेंइसी का मजा जनता को चखाया. अडंंार नदी कांचीपुरम कजले में संसथत कवशाल तालाब चेंबरवकंंम के अकतकरकंत पानी के बहाव से पैदा हुई. यह पकंंिम से पूवणंकी कदशा मेंबहते हुए कोई 42 ककलोमीटर का सफर तय कर चेननं ई मेंसांथम व इकलयट समुदंतट के बीच
इस तरह कोई 30 लाख लोगोंका जलमल सीिे ही इसमें कमलता है. कहने की जरंरत नहीं है कक यह कहीं से नदी नहीं कदखती. गंदगी, अकतकंंमर ने इसे लंबाई, चौडंाई और गहराई मेंबेहद संकरा कर कदया है. अब तो थोडंी सी बाकरश मेंही यह उफन जाती है. यह बाकरश चेनंनई शहर के कलये गमंभीर चेतावनी है. आज जरंरत है कक शहर के पारमंपकरक तालाबों और सरोवरों को अकतकंंमर मुकंत कर उनके जल-आगम के पंंाकृकतक मागंंों को मुकंत करवाया जाये. नकदयोंव नहर के तटोंसे अवैि बकंंसयोंको कवसंथाकपत कर महानगर की सीवर वंयवसंथा का आिुकनकीकरर करना होगा. चुंकक ये नकदयां सीिे-सीिे 100 से जंयादा तालाबोंसे जुडंी हैं, जाकहर है कक जब इनकी सहन करने की सीमा समापंत हो जाएंगी तो इससे जुडंेपावन सरोवर भी गनंदगी कूवम नदी चेनंनई शहर में व पंंदूरर से नहींबचेंगे. यह तो सभी जानते बंगाल की खाडंी मेंकमलती है. यह नदी शहर के दकंंिरी इलाके के बीचों-बीच से गुजरती अरंराबकंंम नाम संथान से पंंवेश करती है ही हैंकक चेनंनई साल भर भीरर जल संकट हैं और जहां से गुजरती है वहां की बकंंसयों और कफर 18 ककलोमीटर तक शहर के ठीक का कशकार रहता है. आज मसला केवल जल का कूडंा गनंदगी अपने साथ लेकर एक बीचों-बीच से कनकलकर बंगाल की खाडंी में का नहीं, बसंलक शहर के अकंंसतंवं का है और कमलती है. इसके तट पर चूलायमेदू, चेरपेट, यह तभी सुरकंंित रहेगा जब यहां की जल बदबूदार नाले मेंबदल जाती है. यही नहींइस नदी के समुदंके कमलन- एगंमोर, कचंतारीपेट जैसी पुरानी बकंंसयाँ हैं कनकियों को उनका पुराना वैभव व समंमान संथल बेहद संकरा हो गया है और वहां रेत और इसका पूरा तट मकलन व झोपडं-झुगंगी वाकपस कमलेगा. (साभार-इंकडया वाटर पोटंणल) का पहाडंहै. हालात यह है कक नदी का समुदं बकंंसयोंसे पटा है.
अनियोनित निकास, शरणार््ी समस्या और िल निनियो् की उपेक्ा के चलते आि यह महािगर बड्े शहरी-झुग्गी मे् बदल गया है. यहां के सड्को् की लम्बाई 2847 नकलोमीटर है और इसका गन्दा पािी ढोिे के नलये िानलयो् की लम्बाई महि 855 नकलोमीटर. से कमलन हो ही नहीं पाता है और यह एक बनंद नाला बन गया है. समुदं में जंवार की संसथकत मेंऊंची लहरेंजब आती हैंतभी इसका कमलन अडंंार से होता है. तेज बाकरश में जब शहर का पानी अडंंार में आया तो उसका दूसरा कसरा रेत के ढेर से बनंद था, इसी का पकरराम था कक पीछे ढकेले गए पानी ने शहर में जमकर तबाही मचाई व दो सपंताह बीत जाने के बाद भी पानी को रासंंा नहींकमल रहा है. अडंंार में शहर के 700 से जंयादा नालों का पानी बगैर ककसी पकरशोिन के तो कमलता ही है, पंपल औदंंोकगक िंंेतं का रासायकनक अपकशिंंभी इसको और जहरीला बनाता है. कूवम शबंद ‘कूपम’ से बना है- कजसका अथंणहोता हैंकुआं. कूवम नदी 75 से जंयादा तालाबों के अकतकरकंत जल को अपने में सहेजकर कतरंवलंलूर कजले मेंकूपम नामक संथल से उदंंकमत होती है. दो सदी पहले तक इसका उदंंम िरमपुरा कजले था, भौगोकलक बदलाव के कारर इसका उदंंम संथल बदल गया.
तन्नी तन्नी हुई चेन्नई
चेन्नई. भारी बरसात से चेनंनई मेंसब जगह ताकमल में तनंनी ही तनंनी यानी पानी नजर आ रहा है . बाकरश से चेनंनई बदतर हालात में पहुंच गया. भारी बाकरश से पैदा हालात से कनपटने के कलए चेनंनई मेंसेना, नौसेना और राषंंीय आपदा बल की टीमेंनागकरकोंको बचाने में जुटी हैं. बाकरश के कारर शहर मेंबाढ़ंजैसे हालात पैदा हो गये हैं कजनसे आम जनजीवन बेहद पंंभाकवत हुआ है. चेनंनई में अभी यह हालात कई कदनों तक बने रहेंगे. मौसम कवभाग का कहना है कक अगले 48 घंटे के दौरान तकमलनाडु में भारी बाकरश होने की संभावना है. पंि ं ानमंतंी ने मुखयं मंतंी जयलकलता को हर संभव मदद का आशंंासन कदया है. मौसम कवभाग के कनदेशक बीपी यादव के मुताकबक़ं तकमलनाडु में अगले 48 घंटे के दौरान मौसम ख़ंराब रहने की आशंका है. उनका कहना है कक लोगों को भारी बाकरश की चेतावनी दी गयी है. हवा की रफं़तार जं़यादा नहींहै इससे कोई दूसरा नुक़ंसान नहींहोगा लेककन कचंंेमकानोंमेंरहने वाले लोगोंको एहकतयात बरतने की िंरंरत है. लगातार 48 घंटे से हो रही बाकरश ने लोगों की मुसंशकलें बहुत बढ़ंा दी है. जनजीवन पूरी तरह से असंंवंयसंंहो गया है. सडंकोंपर पानी लग चुका है. एयरपोटंण पर भी पानी लग गया है. बीते मंगलवार
शाम से इसे बंद कर कदया गया है कंयोंकक पानी एयरफ़ंीलंड तक जा पहुंचा था. वहींकई टंंेनेंभी रदंंकी गयी हैं. जबकक बस सेवा भी पंंभाकवत हुई है. राजंय मेंखाने पीने के सामानों के दाम भी बढ़ं रहे हैं. कबजली कटी हुई है ताकक कोई अकंंपय घटना न हो. कई इलाक़ंों से दफं़तरों और घरों में पानी घुसने की ख़ंबरेंभी हैं. करपोटों के अनुसार बाकरश के कारर करीब सौ से जंयादा लोगोंकी मौत हो गई है कजनमें 16 चेनंनई से हैं. कशिंंा कवभाग ने शहर के संकूल और कॉलेजों को बंद कर कदया है जबकक 7 कदसंबर से होने वाली अिंणवाकंरणक परीिंंाओं को अब जनवरी में कराने का फ़ैंसला ककया गया है. नवंबर में भारी बाकरश के कारर शैिंकरक संसंथान तीन हफं़तों तक बंद रहे थे. मौजूदा बाकरश से पहले दो चररोंमेंहुई भारी बाकरश में169 लोग मारे गए थे. केंदं ने बाकरश से पैदा हालात से कनपटने के कलए तकमलनाडु सरकार को 939 करोडं की ततंकाल राहत दी है जबकक राजंय सरकार ने दो हिंार करोडं रंपए के राहत पैकेज की मांग की है.
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पाल मेंगृह युदंचल रहा है. इसमेंभारत भी अपंतंयं िंंरंप से भागीदार बन रहा है. यह बहुत ही संवदे नशील मुदंा है, कजसके पंकंत हम असंवेदनशील बने हुए हैं. नेपाल से अपना हजारों साल का सामाकजक सांसंकृकतक संबंि रहा है, जो अब तार-तार होता नजर आ रहा है. नेपाल में 42 भारतीय चैनलोंका पंंसारर रोक कदया गया है. भारत के एसएसबी के करीब दजंणन भर जवानोंको बीते कदनों बंिक बना कलया गया. हालांकक उनंहेंबाद मेंछोड कदया गया. पर इसके जकरये नेपाल के साथ भारत के कबगडते संबंिोंको आसानी से समझा जा सकता है. देश मेंजब मोदी सरकार सतंंा मेंआयी तो लगा सबसे अचंछा संबि ं नेपाल से बनेगा, कंयोंकक कुछ समय पहले तक वह कहंदू राषंं था. वैसे भी भारत से नेपाल का संबंि रोटीबेटी का रहा है. पर मोदी सरकार के सतंंा में
04 दिसंबर-10 दिसंबर 2015
नेपाल मे् हाथ जलाने का इंतजाम
आने के बाद ही नेपाल से आज ऐसे संबंि हो गये हैं कक वहां भारतीय मीकडया के पंंसारर पर रोक लग गयी है. भारत नेपाल सीमा से लेकर नेपाल के भीतरी इलाकों में कहंसक मुठभेड हो रही हैं. ऐसे में शंंीलंका की याद कफर ताजा हो गयी हैं, जहां पहले भारत सरकार ने ताकमल मुसंकत चीतों की जमकर मदद की और बाद में उनंहीं से ऐसे संबंि ख़राब हुए कक शंंीलंका सरकार की मदद के कलए शांकत सेना भेजी गयी. इस कवायद में राषंंीय-अंतरराषंंीय संरं पर साख भी खराब हुई और पूवणंपंि ं ानमंतंी राजीव गांिी की जान भी गयी. शंंीलंका से परे नेपाल से तो भारत की हजारों ककलोमीटर लंबी और खुली सीमा लगी है. नेपाल की अथंणवंयवसंथा का बडा कहसंसा भारतीय नागकरकों या कफर भारतीय मूल के लोगोंके कनयंतंर मेंहै. काठमांडू की
गकलयों में हर चार कदम पर दो मंकदर कमल जायेंगे तो भारतीय मूल के मिेशी नामों में लगे कमशंं, दूबे, कसनंहा, कसंह या यादव जैसे उपनाम में भी हम अंतर नहीं समझ सकते. कुछ समय पहले ततंकालीन राषंंपकत राम बरन यादव से बातचीत करते हुए यह लगा ही नहींकक ये नेपाल के राषंंपकत होंगे. ऐसी साझा संसंकृकत के बावजूद आज नेपाल और भारत में टकराव चल रहा है. नेपाल के बुकंदजीकवयोंका आरोप है कक साल 1989 में जब भारत ने नेपाल की आकंथक ण नाकेबदं ी की थी तब वे किंं सहकर भी खुश थे. यह नाकेबंदी माचंण 1989 में राजीव गांिी के पंंिानमंतंी रहते हुए दोनों देशों के बीच नवीनीकरर पर सहमकत न बन पाने की वजह से संकि समापंत होने से हुई थी. भारत पारगमन और वंयापार के कलए एक ही संकि चाहता था. पर नेपाल तैयार नहीं था. इसके
राष््पदत सुने् ...
कुमार प््शांत
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हते हैं कक राषंंपकत कुछ कहते हैं तो सारे देश की तरफ से कहते हैं! इसी से तुक जोडं कर मैं यह कलख रहा हूं कक राषंंपकत सुनेंगे तो सारा देश सुनेगा! तो राषंंपकत सुनें कक देश इतना उकंंदगंन कंयों है और सकहषंरु लोगों को, असकहषंरुता की जहरीली हवा बहा कजस तरह शुतुमंणुगंण बनने को कहा जा रहा है, वह सहंंकंयोंनहींहै और वह भारत की जडंपर कुठाराघात कंयोंहै. राषंंपकत जी, आपने कपछले कदनों में कई बार देश की सहनशीलता को दी जा रही चुनौती के बारे में, अपनी कवकवितापूरंण एकता की संसंकृकत के बारे मेंजहां भी मौका कमला है, आपने अपनी बात कही है. ऐसा भी लगा कक आप इस बात से कवचकलत भी हुए कक आपकी बात जहां सुनी जानी चाकहए थी, वहां सुनी नहींगयी. आपने जंयादा तीवंंता से कफर से अपनी बात कही. आपको ऐसा कहने और करने की जरंरत कंयों पडंी है? अगर आपकी सरकार में और आपके देश में सब कुछ ठीक चल रहा है तो कफर आपको बारबार साविान करने की जरंरत कंयोंलग रही है? और अगर आपको ऐसा लग रहा है कक इस दौर में सकहषंरुता का पाठ न पढ़ंाना अपनी संवैिाकनक कजमंमेवाकरयों से भटकना है, तो कफर इस देश के उन अनकगनत लोगों का कंया? जो भी ऐसा ही महसूस कर रहे हैं और अपनी कवकलता को देश से बांटना चाहते हैं? हम सब तो ककसी संवैिाकनक पद पर नहीं हैं. पर हम सब वे हैं कजनंहोंने इस संकविान को बनाया और अपने ऊपर लागू ककया और आप सबको इसके संरिंंर की कजमंमवे ारी दी. अगर आज हम न बोलेंतो इस लोकतंतं के नागकरक होने के अपने दाकयतंव से युकंत होते हैं जो संवैिाकनक पदों की कजमंमेवारी से कहींजंयादा बडंी और वंयापक कजमंमेवारी है.
राषंंपकत जी, आपने कहा कक राषंं के पंंदतंं समंमान को संजोकर रखना चाकहए. उसे लौटाना राषंं का अपमान है. अब हम आपसे समझना चाहते हैंकक आप कजस तरह गहरी कचंता के साथ देश की सकहषंरु संसंकृकत की बात कह रहे हैं, अगर वह ककसी पूवंण राजनीकतजंं का राजनीकतक दांव नहीं है तो कफर सरकार और उसका दलीय तंतंआपकी चेतावनी से सुिरता या बदलता नहींहै, इस पर आप कंया कहेंगे? कंया आप तब भी इसी सरकार के संवैिाकनक मुकखया बने रहेंगे? कंया आपके सामने भी यह सवाल खडंा होगा
मतभेद रहे. उनकी आलोचना या पंंशंसा को लेकर भी हमारे बीच मतभेद रहे. लेककन लोकतंतं में वैसे मतभेदों की अपनी जगह होती है. ककसी हद तक उससे लोकतंतं मजबूत भी बनता है. लेककन एक रेखा होती है कजसके आगे हममेंसे हर ककसी को अपनी आसंथा के साथ अकेले खडंा होना पडंता है. यही वह बोि था कजसने ककव गुरं रवींदनं ाथ को, जाकलयांवाला बाग हतंया कांड के बाद ‘सर’ का अपना समंमान सरकार को वापस करने के कलए मजबूर कर कदया. रवींदंनाथ गहरे मनोमंथन से गुजरे, रात भर
अगि आपको ऐसा लग िहा है रक इस दौि मे्सरहष्णुरा का पाठ न पढ्ाना अपनी संवैधारनक रजम्मेवारियो्से भटकना है, रो रिि इस देश के उन अनरगनर लोगो्का क्या? कक अपने पंंकत ईमानदार रहने का तकाजा है कक इस जगह से हटा जाये? तब आप भी यह तकंफसुनने या मानने को तैयार नहींहोंगे कक राषंंका राषंपं कत अपना पदतंयाग कर के देश का अपमान कैसे कर सकता है. हमारे सामने भी वैसा ही संकट खडंा हुआ है. हममें से कजन ककसी को भी, कजन ककसी से भी समंमान आकद पंंापंत हुए हैं, उन सबसे हम सहमत रहे हों, ऐसा नहीं है. हमने भी समंमान आकद संवीकार ककये तो इसी भाव से कक देशसमाज हमारे योगदान को सराह रहा है, तो हम कवनीत भाव से सर झुका कर उसे संवीकार करते हैं. उन सरकारों से भी हमारे
बेचैन रहे और कफर इस नतीजे पर पहुंचे कक यह वकंत है जब मुझे ‘अपने लोगों के साथ खडंेकदखाई देना चाकहए’. चाहेंतो हम अपने मन में यह दुहरा लें कक रकव बाबू तब कजनंहें अपने लोग कह रहे थे वे बंगाली नहींथे और न वह कतंलेआम बंगाल में हुए थे. जाकत, भारा, पंंांत सबकी दूकरयां खतंम हो गयीं. उनंहोंने यह सतंय संवीकार कलया कक जन गर मन अकिनायक बंगाल में हो कक पंजाब में, पंंरमंय है! ककसी ने उनसे नहीं पूछा. यहां तक कक अंगंेज सरकार ने भी उंगली नहीं उठाई कक रवींदंनाथ, पंजाब मेंचली गोली से तुमंहारी ककवता का कंया करशंता है? कंयों इसे
बाद भारत ने सभी 21 संपकंफ मागंण बंद कर कदये. तब नेपाल मेंइतना संकट गहराया कक बांगंलादेश से कमटंंी का तेल हवाई मागंण से मंगाना पडा तो शंघाई से पेटंोल. यह बहुत महंगा भी पडा था. अब कफर वैसी ही नाकेबंदी नजर आ रही है. पर नया आयाम यह है कक भारत नेपाल सीमा पर मिेशी आंदोलन कहंसक होता जा रहा है. मिेशी आंदोलन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. मूल नेपाकलयों का आरोप है कक 105 मिेशी सभासदों के समथंणन से ही नेपाली संकविान नबंबे फीसद बहुमत से पास हुआ था. कफर इतना कवरोि कंयों? और संकविान में तो संशोिन होता ही है. बहरहाल, मिेशी आंदोलन के साथ ही भारत की भूकमका पर सवाल खडे होने लगे हैं. ऐसे मेंकेंदंसरकार को गंभीरता से कवचार करना चाकहए. यह वही नेपाल है कजसका दावा है
गांिी की राजनीकत से इसे जोडंरहे हो? तुम कलम वीर हो रवींदंनाथ, केवल कलम चलाओ और हमारी अभंयथंणना मेंझुके रहो! रकव बाबू की वह वापसी हकथयार बन गयी. महातंमा गांिी ने भी ‘सामंंाजंय की सेवा से कमला ‘केसरे-कहंद’ का समंमान वापस कर कदया तो ककसी अंगंेज ने नहीं कहा कक वे घकटया राजनीकतक चाल चल रहे हैंया राषंं का अपमान कर रहे हैं. राषंंपकत जी, एक वकंत आता है जब अपने सीने पर सजने वाला इनाम इकराम शूल-सा चुभने लगता है. जब ऐसा लगे तब उसे उतार िरना ककसी राजंय या राषंंका असमंमान नहीं, मनुषंय की वंयापक संवतंतं चेतना का संवीकार और समंमान बन जाता है. राषंंपकत जी, आपको याद होगा, हालांकक तब आप मेज की दूसरी तरफ बैठे थे, जब कहंदी भारा की संवैिाकनक हैकसयत के सवाल पर ककतने ही भारा पंंेमी साकहतंयकारों ने कांगंेसी सरकार को अपना समंमान वापस लौटाया था. साल 74 में भी यही हुआ था जब फरीशंंरनाथ रेरु और नागाजंणुन ने अपना इनाम-इकराम वापस ककया था. ककसी ने तब भी नहींकहा कक वे कबकाऊ हैंया वे जयपंंकाश की चालोंमेंआ गये हैं. बहुत उजला, बेदाग कपडंा पहन कर हम बाहर कनकलें और कोई पिंंी ऊपर से कबषंंा कर दे तो कंया करेंगे? फौरन कपडंा उतार ही देगं े न! हम जैसे संसक ं कृ तककंमयण ोंकी समंमान वापसी भी ऐसी ही है. कजनंहेंएतराज है, उनंहें कपडंे की सफाई की कचंता करनी चाकहए, न कक इसकी कशकायत करनी चाकहए कक ये लोग गंदगी को संजो कर कंयोंनहींरख रहे! और आपने भी धंयान तो कदया ही होगा कक साकहतंय अकादमी का अधंयिंं और सरकार का संसंकृकत मंतंी एक ही भारा में बात कर रहे थे. कफर सारे मंकंतगर और दरबारी-चाटुकार हुआ-ं हुआं करने लगे. कफर ये लोग हमारे मुंह पर संयाही मलने लगे. हमारी समझ में नहीं आया कक जो संयाही हमने अपनी आतंमा में भर रखी है, कजस संयाही का जादू सािने की सािना में हम ताउमंंलगे रहते हैं.
रवचाि कक उसने 1814 से 1816 तक दो साल की लंबी अवकि तक कंंबकटश भारत के साथ शानदार लडाई लडी है. कजसमें मुकाबला भले ही बराबर का रहा हो, पर जो संकि हुई उसके चलते ही उतंंराखंड, अवि, कहमाचल,कसकंंकम, दाकंजणकलंग और कांगडा आज भारत मेंहैं. ऐसे मेंभारत को नेपाल के साथ पुराने संबंि बहाल कर सीमा पर तनाव भी खतंम करना चाकहए. वनंाण यह कववाद बहुत महंगा पडेगा. वैसे भी कौन सा पडंोसी अब बचा है, कजससे हमारे मिुर संबि ं बचे हुए है.ं ऐसे में अगर नेपाल से भी संबंि ख़राब हुए तो वह चीन के साथ जायेगा. कफर हम उन देशों से कघरे होंगे कजनपर चीन का दबदबा बढ़ता जा रहा है. दूसरे, नेपाल का गृहयुदं अगर लंबा चला तो एक मोचंाण उस सीमा पर भी खुलेगा कजस सीमा पर हमने कभी सेना को नहींरखा.
बेर्खी की दिकार दिक््ा
कपछले 40 साल में जहां कशिंंकों की तनखंवाह में भारी इजाफा हुआ है, वहीं कवदंंाकंथणयों की संकॉलरकशप कसफंफ आठ से बारह गुना बढ़ी है. अब ककसी सािारर पकरवार का बचंंा कसफंफ संकॉलरकशप के सहारे हॉसंटल मेंरह कर पढ़ने की सोच भी नहींसकता. यह कहानी कसफंफराषंंीय पंकंतभा छातंंवृकंत की नहींहै. देश भर मेंछातंंवृकंतयों का यही हाल है. अपने आप को जन कलंयारकारी, समाजवादी और न जाने कंया कुछ कहने वाले इस देश में एक फीसद कवदंंाकंथणयोंको भी संकॉलरकशप नहींकमलती. कजनंहें कमलती भी है, तो इतनी कम कक नंयूनतम खचंण भी नहीं कनकलता. अमेकरका जैसा घोर पूंजीवादी देश हमसे कई गुना जंयादा फीसद बचंंों को पूरे खचंंे की संकॉलरकशप देता है. इतने साल से इस सवाल पर सरकारों की बेरंखी को देखते-देखते मैंएक कनषंकरंण पर पहुंचा हूं. यह ककसी वंयसंकत या पाटंंी या सरकार की बेरंखी का सवाल नहीं है. यह इस वंयवसंथा की बेरंखी और संवेदनहीनता का सवाल है. इसे भीतर से सुिारा नहींजा सकता, इसे बाहर से तोडना पडेगा. यूजीसी के सामने चल रहा िरना इस संघरंण की शुरंआत हो सकता है. इस संघरंण को कशिंंा में समान अवसरों के संघरंण में बदलना होगा. अंदकत जायसवाल, दिल्ली
दबहार का दवकास
चुनावी जीत के बाद नीतीश सरकार की पंंाथकमकता कवकास है. पर नीतीश सरकार के मंकंतमंडल को देखकर यह नहीं लगता कक यह सही कदशा में जा रहा है. राजंय के हालात में नये फैसलों की जरंरत है. हाल में शराब बंदी का फैसला भी सरकार का महज कदखावा जंयादा लगता है. सरकारें अकंसर उल जलूल फैसले लेती रहती हैं. वैसे भी एक लोकतंतंमेंबैन जैसी चीजोंका जंयादा मायने नहीं होता. ऐसे में कबहार सरकार कवकास के रासंंे पर रहे तो बेहतर रहेगा. दनशी गौतम, अरदरया, दबहार
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04 दिसंबर-10 दिसंबर 2015
बदनाम कंपनी पर मेहरबान सरकार
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यो कटंटो पर पंदं श े सरकार की मेहरबानी कदखाती है कक सरकार िंंेतंकवकास की आडंमेंबुंदेलखंड की िरोहर को लूटने का काम कर रही है. इस खेल मेंसरकार के उचंं संंर की सहभाकगता से भी इंकार नहीं ककया जा सकता. वन कवभाग छतरपुर से हाकसल जानकारी के मुताकबक साल 2000 में हीरा खोजने के कलए केंदंसरकार ने करयो कटंटो को अनुमकत दी थी. साल 2009 मेंइस अनुमकत को कफर बढा़ कदया गया. यह वैिता साल 2011 में समापंत हो चुकी है. करयो कटंटो ने हीरा खोजने के दौरान ही जमीन मेंकई फुट तक कंंिकलंग करके जलसंंर को रसातल में पहुंचा कदया है. कजससे जंगलों का सूखना
प््भादवतो् का पुनव्ाषस क्यो् नही् कराती सरकार शुरं हो गया है. वहीं संरकंंित वन पंंजाकतयों सांसद कजतेंदं कसंह बुंदेला ने इस मामले को सकहत जीव-जंतु भी समापंत होने लगे हैं. संसद मेंउठाया था. लेककन मामला आगे न कपछली लोकसभा में खजुराहो से भाजपा के बढ़ंता देख सांसद ने पहले ही चुपपी ं साि ली. केंदंसरकार ने इस शतंणके साथ अनुमकत दी दरयो दिंिो और दिवराज के संबंधो् है कक आंवकटत भूकम के जो पेडंकाटे जायेंगे
की हो जांच- राजा पिैदरया
छतरपुर. 48 गांव, करीब 11 लाख पेडं और करीब लाख लोगों की तबाही पर कवकास की इबारत कलखने वाले इस पंोंजेकटं को लेकर सरकार पर सवाल उठते है कक आकखर जब 1200 हेकंटेयर का िंंेतं करयो कटंटो कंपनी को कदया जाना है तो पंंभाकवत गांवों के लोगों के पुनवंाणस की पंंककया कंयों नहीं की जाती. इस पंंोजेकंट के तहत कसगोकरया, दरदौकनया, कनमानी, कसेरा, वीरमपुरा, कतलई, पडकरया, मझगुवां घाटी, मझगुंवाशेर, गढोई सकहत कुल 14 गांव ऐसे है जो सीिे तौर पर लीज भूकम के दायरे में आ रहे है. इन गांवो में लगभग 3500 पकरवार है. कजनकी जमीने इससे पंंभाकवत होंगी. जंगल के इस िंंेतं पर हजारों गरीब पकरवार आकंंशत हैं. जो इससे अपना पेट पालते आ रहे है. करयो कटंटो का आवंकटत होने वाली जमीन का अकिकांश भाग वनिंतंे ं है. इस कारर िंंेतं की राजसंव भूकम को वनभूकम घोकरत ककया जा रहा है. चूंकी राजसंव की एक ही संथान पर जमीन नहींहै. इस कारर 48 गांव की राजसंव भूकम पंंभाकवत हो रही है कजसे वनभूकम घोकरत कर कदया जायेगा. इस हालात में गांव के लोगों के सामने आने वाली कदकंतं ोंको समझा जा सकता है. इसकी कचंता राजंय सरकार को कतई नहीं है. पंंभाकवतों को इस कारर ही कवसंथापन पंंकंकया के दायरे मेंनही लाया जा रहा कंयोंकक इससे राजंय सरकार का बजट गडंबडंा जायेगा. यही कारर है कक करीब एक लाख पंंभाकवतों को उनके हाल पर ही छोडंा जा रहा है.
आभूरणो् की प््िि्षनी पर दिरे मुख्यमंत्ी
उसके बदले मेंराजसंव की उतनी ही भूकम पर वृिंारोपर करना होगा. करयो कटंटो ने छतरपुर कलेकंटर और चीफ कंजरवेटर को इस शतंणको पूरा कराने के आिार पर आवेदन कदया है. जो कफलहाल जांच के कलए लंकबत है. इस पूरे मामले में कजन जंगलों को काटने की अनुमकत दी जा रही है. वह सघन जंगली िंंेतं हैं. महुआ, अचरवा, शीशम, सागौन जैसे बेशकीमती
उमा भारती के दनिाने पर भी रहा दरयो दिंिो
मधंय पंंदेश कांगंेस के उपाधंयिंं राजा पटैकरया का आरोप है कक बकसंवाहा इलाके में कायंणरत हीरा कंपनी करयो कटंटो और मुखंयमंतंी कशवराज कसंह चौहान के गहरे करशंते हैं. तभी तो सवंंे की आडं में करोडंों रंपये के हीरे कनकाल कलये गये. पर मुखंयमंतंी चुपंपी सािे बैठे रहे. पटैकरया कहते हैंकक करयो कटंटो के कवरोि को लेकर वे कई बार सडंकों पर उतरे हैं. करीब दो साल पहले यह मुदंा चौपाल और जन सुनवाई के जकरये मैंने गंभीरता से उठाया था. पर इलाके में करयो कटंटो की मौजूदगी और कंपनी की मनमानी से साफ है कक कंपनी को सरकार का संरिंंर है. पटैकरया कहते हैं कक गुजरात की तजंण पर मधंयपंंदेश सरकार भी चल रही है. वे कहते हैं कक इलाके में भुखमरी के हालात हैं और बचंंेकुपोरर का कशकार हैंपर सरकार इस पर धंयान नहीं दे रही. इलाके को पूरी तरह से कंपनी को सौंप कदया गया है. उनका आरोप है कक अगर करयो कटंटो और मुखयं मंतंी के संबंिोंकी जांच होनी चाकहए.
मधंयपंंदेश सरकार ने करयो कटंटो को बकसंवाहा इलाके में हीरा सवंंेिंर की अनुमकत दी थी. पर 27 अकंटूबर 2009 को मुखंयमंतंी ने गुपचुप तरीके से करयो कटंटो के पंंोसेकसंग पंलांट का उदंघाटन कर कदया. तब भी सवाल उठा था कक सवंंेमेंपंंोस ं के संग पंलांट के कंया मायने हैं. बस करयो कटंटो ने सरकार की मौन सहमकत से हीरे का अवैि उतंखनन शुरंकर कदया था. पर सच तब सामने आया जब बकसंवाहा इलाके से उतंखकनत हीरे के आभूररो की मुंबई में24 अगसंं2012 को पंंदशंणनी लगायी गई. पर सवाल यह है कक करयो कटंटो का उतंपादन कायंण ही शुरं नहीं हुआ है तो हीरे ककसके इशारे पर कनकाले गये. दूसरा सवाल यह भी है कक सवंंे के दौरान हीरे कनकाले गये तो सरकार को ककतना राजसंव कमला और ककतने हीरे कनकाले गये. इसे लेकर मुखंयमंतंी भी सवालोंसे कघर गये हैं.
मधंयपंदं श े की पूवणंमुखयं मंतंी उमाभारती ने साल 2013 में ठीक कविानसभा चुनाव के पूवणंकरयो कटंटो के कखलाफ मोचंाण खोलकर कसयासी हडकंप मचा कदया था. उमा भारती ने बकायदा 13 अगसंं 2013 को छतरपुर कजला मुखंयालय पर मीकडया से कंपनी के बारे में जानकारी दी. भारती का कहना था कक जब वे केदं ंीय कोयला एंव खनन मंतंी थी तब यह कंपनी काली सूची मेंथी. जो आज मधंयपंंदेश मेंहीरा खनन का कायंणकर रही है. भारती ने कंपनी के कंंकयाकलापों की जांच की भी मांग की थी. केंदं की सतंंा बदली और कसयासत भी बदल गयी. तब उमा भारती को बुंदेलखंड की कफकंंथी और करयो कटंटो की कखलाफत वे खुद कर रहींथीं.
वन िरोहर से यह इलाका कघरा हुआ है. सवाल यह उठता है कक कोई भी पेडंलगाते ही फल देने लायक नहींहोता. करयो कटंटो के राजसंव भूकम पर वृिंारोपर के बीस सालों बाद ही पेडं तैयार होंगे. इस दौरान िंंेतं के 48 गांवों के हजारों आकदवासी और अनंय जाकतयों के लोगों का जीवन पंंभाकवत होगा. कजसकी परवाह ककसी को नहींहै. एक पहलू यह भी है कक करयो कटंटो को 1200 हेकंटेयर वन भूकम आंवकटत की जा रही है. जो खनन के बाद बंजर हो जायेगी. कजससे िंंेतंवाकसयों की कनभंणरता ही समापंत हो जायेगी. वैसे भी सरकार के पंंोजेकंट के तहत करयोकटंटो को 2014 से अगले 30 सालों तक खनन की अनुमकत पंंदान की जा रही है. कंपनी का दावा है कक वह अगले तीन सालों में िंंेतं कवकास के कलए कायंण करेगी. साल 2017 से खनन शुरंकर साल 2028 तक पूरा कर लेगी. इस दौरान करयो कटंटो िरती को छलनी कर हीरे का उतंखनन करेगा. लीज समापंती के बाद बंजर ईलाके को तंंास भोगने के कलए छोडं कदया जायेगा. आरोप यह भी हैंकक सवंंेके दौरान करयो कटंटो ने कई कैरट हीरे कनकालकर पंंदेश सरकार को गुमराह ककया है. कनयमानुसार तो सवंंेके दौरान कनकलने वाले हीरे की रॅायलंटी जमा होनी चाकहए थी. पर इस पूरे मामले के तार सरकार से जुडे़ लेागो से है.ं यही कारर है कक पंंशासन भी खामोश बैठा है. बताया जाता है कक कलेकंटर उमाकांत उमराव की तरह ही एक और कलेकंटर राजेश बहुगुरा का तबादला भी करयो कटंटो के इशारे पर ककया गया था. राजेश बहुगुरा ने करयो कटंटो की फाइलोंपर रोक लगा दी थी. गौरतलब है कक पंंदेश सरकार का आईएएस अकिकाकरयों पर दबाब रहता है. इस सच को खुद भाजपा की पूवंण मुखंयमंतंी उमा भारती ने भी कहा था कक अकिकाकरयों पर दबाव की राजनीकत रहती है. ऐसे मेंकरयो कटंटो पर मेहरबानी के कारर बकसंवाहा इलाके को तबाह करने की दांसंा कलखी जा रही है. कजसके दूरगामी पकरराम इलाके को भोगने होंगे.
10 04 दिसंबर-10 दिसंबर 2015 आज्ादी मांगता रेडडयो www.shukrawaar.com n
िव्तिका नंदा
खबर को हैंडल नहींकर सकता. दूसरा डर यह भी रहा कक चूंकक रेकडयो का दायरा आज का श वा री भी टीवी से कहीं जंयादा है, अगर रेकडयो भवन, कदलंली अनगंणल पंंसारर करने लगा और राषंं की ऐकतहाकसक इमारत कवरोिी बातें कहने लगा तो उस पर रोक के संटूकडयो के पंंवेश लगेगी कैसे. देश के दूर-दराज में उसकी दंंार पर लगा एक मॉकनटकरंग करेगा कौन. खबर को लेकर ं की यह कहानी हमेशा ही कशलालेख उस तारीख रेकडयो पर कनयंतर की याद कदलाता है जब महातंमा गांिी पहली अटपटी लगी है. कनजीकरर की सारी मलाई और आकखरी बार इस केंदंमेंआये थे. ये 12 टेलीकवजन को तो कमलती रही लेककन रेकडयो नवंबर 1947 की तारीख थी. इस कदन को लेकर सरकारोंके भरोसे का संंर हमेशा कदलंली केंदं के इस संटूकडयो से उनंहोंने देश नंयूनतम रहा. रेकडयो बंकदशोंका माधंयम ही के कवभाजन के बाद कुरंिंेतंमेंअसंथाई रंप बन कर रह गया. कजसका काम गाने, से बसाये गये लोगोंको संबोकित ककया था. शासंंीय संगीत, ककवता और कहानी की इस कदन को देश कफर हर साल जन सेवा कचंता करना तो है लेककन खबर बांटना नहीं. मानो रेकडयो इतना नादान है कक वो खबर की पंंसारर कदवस के रंप मेंमनाता है. इस तारीख से पहले उनंहेंकजतनी बार भी दुकनया को संभाल ही नहींसकेगा. रेकडयो को रेकडयो पर आने के कलए कहा गया, वे मना अपने वजूद को बनाये रखने और नापाक करते रहे. उनका जवाब था कक रेकडयो पर होने के कलए हमेशा सबूत देने पडंते हैं. उनकी मौजूदगी मातंं से अंगंेजों के पंंभुतंव हालात ऐसे भी रहे हैं कक जब ओसामा के वाला रेकडयो रातोंरात शंंोताओंकी भारी भीडं मारे जाने की खबर को तसंवीरोंके साथ पूरी जुटा लेगा. इसके बाद कंंबकटश हुकूमत अपने दुकनया का टीवी कदखा रहा था, इंटरनेट मनमाकफक पंंसारर कर भारतीय जनता को उसके कवशंलेरर में िडंािडं जुडंा था, तब भी कनजी रेकडयो गाने भंंकमत करने का अवसर बजाने को मजबूर था. पा लेगी. गांिी ने तय मौिूदा दौड् मे् िब टीिी पं क ं ाश जावडं ेकर सकहत ककया था कक वे रेकडयो और इं ट रिे ट िै स े कई पू व ं ण सू च ना और मेंजब तक नहींजायेंगे, खबनरया माध् य म ऊं च ी पंस ं ारर मंतंी इस बात को जब तब कक भारत की आजादी तय नहीं हो उड्ािे् भर रहे है्, तो रेनियो खुलकर कह चुके हैंकक उनंहें कनजी रेकडयो को जाती. वे रेकडयो की सरकारी मकड्िाल मे् ही खबर के दायरे से दूर अपार शसंकत को जानते उलझा हुआ है. रखने का औकचतंय समझ थे. उनकी कजदंंथी कक वे मेंनहींआता. उसी रेकडयो का कहसंसा साल 1995 मेंसुपंीम कोटंणने भी कहा बनेंगे जो देश का होगा. देश की कई सरकारेंभी रेकडयो की इस था कक वायु तरंगें ककसी एक की वंयसंकतगत ताकत को जानती और समझती रही हैं. संपकंंत नहींहो सकती. इसके बावजूद कपछले कांगंेस शासन में नेहरं, इंकदरा, राजीव ने 20 सालों से बहस उसी दायरे में हवा के रेकडयो की ताकत को जाना था. बाद के कदनों गोले की तरह घूम रही है. हाल के कदनों में में सोकनया और राहुल ने भी इसे महसूस यह जरंर हुआ है कक सूचना और पंंसारर ककया. सभी की समझ का संंर अलग जरंर मंतंी राजंयविंनण राठौर ने यह भरोसा कदलाया था. पर वे जानते थे कक रेकडयो को है कक मंतंालय इस मुदंे पर कवचार कर रहा े नों नजरअंदाज नहीं ककया जा सकता. यही है और जलंद ही कनजी एफएम रेकडयो संटश वजह रहा कक हुकूमत को जैसे ही मौका को कुछ कनयमों के तहत समाचारों के लगा, उसने रेकडयो की कमान अपने हाथ में पंंसारर की छूट कमल सकेगी. मंतंी ने इस थाम ली. एक दौर था जब ऑल इंकडया बात को लोकसभा के बजट सतंंमेंदोहराया रेकडयो को ऑल इंकदरा रेकडयो कहा जाने था कक एफएम रेकडयो फेज 2 के कदशालगा था. रेकडयो अलादीन का ऐसा कचराग कनदंंेशों के मुताकबक एफएम रेकडयो को बन गया जो थोडंा-सा कघस लेने भर से वोट मॉनीटर करने की कोई ठोस कवकि सरकार भी ले आता था और नोट भी. मौजूदा दौर में के पास नहीं है. इसकलए कफलहाल उनंहें ‘मन की बात’ ने रेकडयो को कफर से मुखंय आकाशवारी की खबर को ठीक उसी तरह दौडं में ला खडंा ककया है. जब देश का पंंसाकरत करने की अनुमकत दी जा सकती है. पंंिानमंतंी रेकडयो से अपने और जनता के हां, यह जरंर है कक वे खेल, टंंैकफक और मन की बात करने का दावा करने लगता है, मौसम जैसी ताजा सूचनाओं का लाइव सपने और आशंंासन सहज भारा में बंंॉडकासंट कर सकते हैं. देश के सबसे बडंेसंचार माधंयम रेकडयो बकतयाने लगता है तो जनता खुद को उसके का इसंमंे ाल सरकार कसफंफगाना बजाने और करीब पाती है और गौर से सुनती भी है. आज रेकडयो कफर से टंंैक पर है. पर सुनाने के कलए कर रही है. इसमें कहीं न रेकडयो से जुडंे कई ऐसे मुदंे हैं कजनका कहींसरकारी दूरदकंशतण ा की लापरवाही साफ कनराकरर होता नहीं कदख रहा है. देश में कदखाई देती है. जो कनयमों और कानूनों का रेकडयो के कनजीकरर का दौर हमेशा से हवाला देकर देश की जनता के साथ छल खबरोंमेंरहा है. पर कंया यह हैरानी की बात कर रही है. अपने फैसले में सुपंीम कोटंण ने नहींकक आज भी कनजी रेकडयो को खबर के भी धंवकन तरंगोंको जनता की संपकंंत होने का पंंसारर की छूट नहीं दी गयी है. भारत हवाला कदया था. ऐसे में जब टीवी और सरकार के सूचना और पंंसारर मंतंालय को इंटरनेट जैसे खबकरया माधंयम ऊंची उडंानें यह डर हमेशा रहा कक अगर रेकडयो को भर रहा है, तो आज भी रेकडयो सरकारी खुली लगाम दे दी गयी तो कंया होगा. रेकडयो मकडंजाल मेंउलझा है.
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अंजुम शम्ाि
ऑस्कर की राजनीदत
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संकर कवकजत कफलंमों को लेकर हमारे भीतर एक अलग उतंसाह रहता है. आम दशंक ण की िबान पर ‘ऑसंकर नाकमनेशन’, ‘ऑसंकर कवकनंग’, ‘अकेडमी कवनर’ जैसे शबंद कवशंंसनीयता और लोककंंपयता का नया पैमाना बन चुके है.ं यही कारर है कक हर कनदंंेशक, हर अकभनेता एक न एक बार खुद को उस मंच पर िरंर देखना चाहता है. भारत भी अनंय देशों की तरह पंंकतवरंणकवदेशी भारा की शंंेरी के कलए कफलंम का मनोनयन करता रहा है, लेककन कंया कारर है कक कवशंं में बन रही अचंछी कफलंमें ऑसंकर जीतने में नाकामयाब रहती हैं? इसका उतंंर जानने के कलए सभी कफलंमें देख पाना कसने आलोचक के कलए तो संभव हो सकता है, लेककन आम दशंणक के कलए शायद ही संभव हो. इसके कलए रामजी कतवारी की पुसंक ‘ऑसंकर: यह कठपुतली कौन नचावे’ एक बेहतर समझ पैदा करने में सिंंम है. कम कीमत और साथंणक ककताब का मेल वैसे तो बािार से ग़ायब हो चला है, लेककन ‘ऑसंकर अवारंसंण: यह कठपुतली कौन नचावे’ रामजी कतवारी की पहली कृकत है. इसकी क़ीमत भी कम है और अपनी कवरयवसंंु को लेकर ख़ासा चकंचणत भी हो चुकी है. यूं तो कसनेमा पर इससे पहले कई पुसंकेंपंंकाकशत हो चुकी हैं, लेककन द गंंुप, जन संसंकृकत मंच से पंंकाकशत यह पुसंक अपने आकार, कवचार, शोि, सूचना, कवशंलेरर आकद कई मायनों में अलग है. पुसंक के शीरंणक से ही ‘ऑसंकर पुरसंकार’ एक कठपुतली के रंप मेंपकरभाकरत हो जाता है कजसे पूंजीवादी राषंंअपने अनुसार अपने ही हाथोंमेंनचाने का खेल खेलते हैं. कवशंं भर के कसने कसतारोंमेंअमरीकी कफलंम जगत ‘हॉलीवुड’ के इस समंमान को पाने की ललक रहती है. लेखक के अनुसार कवदेशी भारा की कजस शंंेरी के कारर इस पुरसंकार के वैकंशक होने का भंंम बना हुआ है, दरअसल वह कुछ और नहीं, वचंणसंव की राजनीकत का रडंंंतंमातंंहै. यही कारर है कक साल 2011 तक (पुसक ं के आंकडोंके
जंमाने में हम लिल्िी यूलनवल्सटि ी से जुड्े पुराने लकस्से पढ्ना चाहे् तो आपके लिए एक लकताब आयी है - 'जमाने मे् हम'. डीयू प््ोफेसर और ख्यात आिोचक लनम्ििा जैन की आत्मकथा के र्प मे् .376 पेज् की लकताब 'जमाने मे् हम' की कीमत 295 र्पये है . 'जमाने मे् हम' के प््काशक है् राजकमि प््काशन .
अनुसार) 62 सालोंमें51 बार यह पुरसंकार यूरोपीय कफलंमोंको कदया गया. कंया यूरोप के अकतकरकंत ककसी देश की कफलंमेंइस पुरसंकार के लायक नहींथीं? कंया भारतीय और दूसरी एकशयाई कफलंमेंउतंकृिंता के कंंम मेंवाक़ई नीचे हैं? या ऑसंकर की कनरंाणयक सकमकत ही पूवंाणगंह से गंंकसत है? पाठकों को ऐसे तमाम सवालोंके जवाब तथंयातंमक रंप से इस पुसंक मेंकमलते हैं. हॉलीवुड के भंंकमत जाल को ताकंकफक रंप से काटने का लेखक ने हर संभव पंयं ास ककया है. लेखक ने माना कक हॉलीवुड को अमरीकी राजनीकतक आकांिंाओं से इतर
ऑस्कर अवार्ड:स् यह कठपुतली कौन नचावे लेखक: रामजी ततवारी मूल्य: 40 र्पये द ग््ुप, जन डंस्कृतत मंच करके नहींदेखा जा सकता. अमरीकी कफलंम जगत 9/11 की घटना पर भले ही चुपपं ी साि कर बैठा हो, लेककन पुसंक के पनंने इस ख़ामोशी की तह में जाकर बोलते है. कवयतनाम युदं में एकपिंंीय नजकरया पेश करने वाली कफलंमों को पुरसंकृत कर, ‘असतंय’ को अपने कहतों के कलए हॉलीवुड ककस पंंकार संचाकलत करता है इसकी पुकंि के कलए रामजी कतवारी युदंकी पृषंभूकम से पाठकों को पकरकचत कराते है. इसी पंंकार
शीत युदं, इरान-इराक़ संघरंण आकद की पृषभं कू म पर बनी कफलंमोंको भी कनषंपिंंरंप से देखने को लेखक पाठक से इकतहास के पनंने पलटने के कलए कहते हैं. लेखक ने कसनेमा को मनोरंजन की ‘आम पकरभारा’ से कहीं आगे की चीि मानते हुए, संवरंप और उदंंेशंय के अनुसार उसके तीन पंंारंपोंका किकंंककया है. इसमें लेकनन मॉडल जहां कसनेमा का उपयोग समाज के कवकास के कलए ककये जाने की वकालत करता है वहींतानाशाहोंके मॉडल मेंवंयसंकत, जाकत, िमंणऔर नसंल का बखान होता है. कसनेमा का तीसरा पंंारंप हॉलीवुड ने कवककसत ककया है जहां कसनेमा का उपयोग अकिकाकिक पूंजी कमाने हेतु वाकरसंजयक और औदंंोकगक घरानोंके जकरये ककया जाता है. यही से ‘पंकंतरोि का कसनेमा’ जनंम लेता है जो पूंजी की सतंंा पर चोट करता है. तीन से चार पृषंों के बारह अधंयाय में कलखी गयी यह पुसंक कसनेमा की भांकत ही लाइट, कैमरा और एकंशन से शुरं होती है और अंकतम पाठ तक आते आते ‘ऑसंकर चसंपा कफलंमें’ देखने वालों को हॉलीवुड के कुएं से कनकालकर वैकंशक कसनेमा के असल िरातल पर खडा कर देती है. लेखक ने अकिकांश अधंयाय के शीरंणक कफ़लंमीनुमा रखे हैंजो अलग अंदाि मेंपूरे पाठ को अपने भीतर समेट लेते हैं. ‘कदल कंयों पागल है’, ‘इतनी भी कंया दूरी थी’, ‘कसतारों के आगे जहां और भी है’ कुछ ऐसे ही शीरंणक है. पकरकशिंं के चार भागों में ऑसंकर कवजेता कफलंमों की सूची, ऑसंकर में भेजी गयीं भारतीय कफलंमें, कवदेशी भारा शंंेरी में ऑसंकर पंंापंत कफलंमोंकी सूची के अकतकरकंत कवशंं के शंंेषं कफलंमकारों की सूची भी लेखक ने उपलबंि करायी है. कफलंमकारों की यह सूची लेखक की पसंद की है कजसमें सतंयजीत रे को पहला संथान पर रखा गया है. इस सूचना पंंदतंंपुसंक की भारा अपने उदंंेशंय को कहींछूटने नहींदेती. कवरय की मांग कहीं-कहीं एक ही बात का दोहराव िरंर कराती है, लेककन समगंंता मेंदेखेंतो इस सराहनीय पंंयास के कलए लेखक की पंंशंसा की जानी चाकहए.
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04 दिसंबर-10 दिसंबर 2015
नेपाल में तीस लाख बचंंे संकट में
काठमांडू. नेपाल में मासूम सुरकंंित नहीं हैं. यूकनसेफ की आयी एक करपोटंण के मुताकबक नेपाल मेंछोटे बचंंोंके जीवन को खतरा है. करपोटंणमेंकहा गया है कक नेपाल में सकंदणयों के मौसम में तेल, भोजन, दवाइयों और अनंय चीजों की आपूकंतण की कमी से करीब 30 लाख बचंंों का जीवन खतरे में है. इन 30 लाख बचंंोंकी उमंंपांच साल से भी कम हैं. समाचार एजेंसी कशनंहुआ के मुताकबक बीते 10 सपंताह में नेपाल के नये संकविान को लेकर फैली अशांकत से देश की दकंंिरी सीमा पर महतंवपूरंण वसंंुओं के आयातोंपर पंंकतबंि लगा हुआ है. यूकनसेफ की करपोटंणसे पता चला है कक सरकार के िंंेतंीय दवा केंदंों में पहले से ही तपेकदक के टीकोंकी कमी चल रही है, साथ मेंदूसरी दवाइयोंकी भी भारी कमी है. इससे पहले यूकनसेफ ने आगाह ककया था कक
नेपाल में बचंंे अपंंैल में आये भीरर भूकंप की तंंासदी से अभी तक उबर नहीं पायें हैं. इस माह संयुकंत राषंं महासकचव बान की
सीमावर््ी इलािो् मे् डीजल िी रस्िरी से विसान परेशान
िंजीि श््ीिास््ि
बहराइच. पडंोसी राषंं नेपाल में जारी मिेशी आंदोलन के चलते भारत-नेपाल सीमा अघोकरत रंप से बंद है. इसका खाकमयाजा तराई इलाकोंमेंबसे ककसानोंको भुगतना पडं रहा है. इलाके के डीजल व पेटंोल पंपों पर नेपाली डीजल तसंकरों की लंबी कतार के चलते संथानीय ककसानों को डीजल नहीं कमल पा रहा है. कजससे रबी फसल की बुआई बाकित हो रही है. डीजल की ककलंलत से सीमावतंंी इलाके के ककसान परेशान हैं. खेती से जुडंे कासंंकारों का कहना है कक इसका सीिा असर रबी की फसल के उतंपादन पर पडंेगा. कवशेर पकरसंसथकतयों में आवागमन की छूट होने के साथ ही सीमा पर कनगरानी भी सखंत कर दी गयी है. इस कारर पेटंोकलयम पदाथंण के साथ अनंय सामगंंी नेपाल नहींजा पा रही है. अवसर का लाभ उठाते हुए सीमा पर सकंंकय तसंकरोंने अपने कारोबार का तरीका बदल कदया हैं वे अब पूरी तरह पेटंोकलयम पदाथंंोंकी तसंकरी करने मेंजुटे हैं. सीमावतंंी िंंेतंों के पेटंोल पंपों पर लगने वाली लंबी लाइन भी कहानी खुद बयां कर रही है. पडंोसी जनपदो को छोडं कदया जाये तो अकेले बहराइच , लखीमपुर , शंंावसंंी ,बलरामपुर कजले की 282 ककलोमीटर सीमा नेपाल से जुडंी है. घने जंगल और सीमावतंंी िंंेतं को भौगोकलक संसथकत भी अवैि कारोबाकरयोंके कलए मुफीद साकबत होती रही है. यही कारर है कक सीमा पर वन तसंकर ,नेपाली कशकारी, मादक पदाथंणऔर असलहा- बारंद के तसंकारोंका पूरा जाल फैला है. चंद रंपयोंकी लालच में सीमा से सटे िंंेतंोंमेंरहने वाले लोग उनकी योजना को अंजाम कदलाने में मददगार भी बन जाते हैं. मौजूदा समय में आपने देशी नेटवकंफ का फायदा उठाकर तसंकर
पेटंोकलयम पदाथंंो की तसंकरी कर रहे हैं. सीमावतंंी पेटंोल पंप और केरोकसन तेल कडपो से गंंामीर सामानंय गंंाहक बन कर तेल खरीदते है. यहां 55 रंपये में खरीदा गया डीजल नेपाल में 100 से 130 रंपये पंंकत लीटर बेचा जाता है. इसी तरह पेटंोल भी 75 में खरीदकर नेपाल में 160 से 180 रंपये लीटर बेचा जाता है. इसे दुपकहया वाहनों से नेपाल ले जाया जाता है. इसी तरह 50 लीटर डीजल , पेटंोल या केरोकसन से भरा गैलन सीमा पार कराने पर डेढ़ं से ढाई सौ रंपये तसंकर देते हैं. तेल खरीदने का पैसा भी वही देते हैं. साथ ही नेपाल में खाने का भी इंतजाम रहता है. नेपाल में महंगाई को देखते हुए छुटभैया ककसंम के लोग भी इस कारोबार से जुडंे है. ऐसे लोग जब भी मौका पाते है. अपनी गाडंी की टंकी भरकर नेपाल चले जाते है. और वहींटंकी खाली करके चले आते हैं. सीमावतंंी इलाकों में पेटंोकलयम पदाथंंों से भरे सैकडंों टंंक भारतीय सीमा पर नेपाल में हालात सामानंय होने की इजाजत मेंखडंेहैं. इससे नेपाल मेंपेटंोकलयम पदाथंंो की भारी ककलंलत चल रही है. नेपाली नागकरकों की तेल के मामले में कनभंणरता भारतीय इलाको मेंसंसथत पेटंोल पंपो पर बढ़ं गयी हैं . इससे तराई इलाकों के ककसान हलकान हैं.
दोनों देशों को कबना कोई देरी ककये इन पंंकतबंिोंको हटा लेना चाकहए. तेल की कमी के कारर लोगों को लकडंी पर कनभंणर रहना पडं रहा है, कजससे कनमोकनया के मामले भी बढ़ं सकते हैं. यूकनसेफ ने कहा कक कपछले साल नेपाल में करीब 8 लाख बचंंोंको कनमोकनया हुआ था, कजसमेंकरीब 5 हजार बचंंोंकी मौत हो गयी थी. यूकनसेफ के दकंंिर एकशया के िंंेतंीय कनदेशक करीन हुलशोफ ने कहा कक वतंमण ान में बचंंे कजस दुदंणशा का सामना कर रहे हैं, वह सकंदणयों में और भी खराब हो सकती है. वे कहते है कक बचंंों को बीमारी, ठंड और भूख से बचाना जरंरी है. यूनीसेफ ने सभी सदसंयों को संबोकित करते हुए नेपाल में आयात पर लगे पंंकतबंि को हटाने के कलए कहा है. एजंसी
ज्यादातर मामलो् मे् बरी हुए सुनीलम
अहमिाबाि. राजंय के संथानीय कनकायोंके चुनाव नतीजोंमेंभाजपा को फौरी तौर पर राहत कमल गयी है. वहीं कांगंेस ने राजंय मेंइन चुनावोंके जकरये वापसी की है. शहरी इलाकों में भाजपा ने अपना दबदबा बरकरार रखा है. पर गंंामीर इलाकों में कांगंेस ने जोरदार वापसी के साथ कई पुराने गढ़ं भगवा पाटंंी से छीने हैं. इतना ही नहीं संथानीय कनकाय चुनावों में भाजपा का मुसंसलम काडंण भी नाकामयाब रहा है. कुल 500 मुसंसलम उमंमीदवारों में से कसफंफ 10 उमंमीदवार जीत सके हैं. ऐसे मेंसरकार की मुसंसलम वोटों को पाने की ररनीकत फेल हो गयी है. राजंय की मुखंयमंतंी आनंदीबेन पटेल के कलए संथानीय कनकाय चुनाव एक बडंी चुनौती के रंप में था. उनके नेतृतंव में ये पहले बडंे चुनाव थे. इसकी वजह आरिंंर की मांग को लेकर सरकार के कखलाफ पटेल आंदोलन भी था. भाजपा को डर था कक पटेलोंके वोट नहींकमलने से बडंा नुकसान हो सकता है. संथानीय चुनावोंमेंमुसलमान उमंमीदवारों को कटकट देने की भाजपा की
नीकत भी बुरी तरह से नाकामयाब रही है. पाटंंी ने पांच सौ मुसलमान उमंमीदवारों को कटकट कदया था. इसमें से कसफंफ 10 उमंमीदवार ही जीत सके हैं. पाटंंी के 490 मुसंसलम उमंमीदवार संथानीय कनकाय के चुनाव हार गये हैं. इस तरह भाजपा की मुसंसलम वोटों को जुटा पाने की नीकत को िकंंा लगा है. संथानीय कनकाय चुनाव में उना से भाजपा के उमंमीदवारों ने जीत दजंण की है. इसमेंदस उमंमीदवारोंने जीत हाकसल की है. उना की 36 सीटों में से 35 पर भाजपा की जीत हुई है. दूसरी ओर उमंमीदवार सूकफया जाकहद डाल ने राजकोट संथानीय कनकाय चुनावों में जीत हाकसल की है. अहमदाबाद मेंभाजपा के सभी चार मुसंसलम उमंमीदवार हार गये है. ये मुसंसलम बहुल इलाकोंमेंहारे हैं. सूरत और वडोदरा मेंकोई मुसंसलम पंंतंयाशी नहीं था. उना सौराषंं के तटवतंंी इलाकों में हैं. यहां अलंपसंखंयक मतदाताओं ने भाजपा पर भरोसा जताया है. पर दूसरे इलाकोंमेंमुसंसलम उमंमीदवार बुरी तरह से कपट गये हैं.
मुिताई. सालों पुराने मामलों में डॉ सुनीलम दोरमुकंत हो गये हैं. सुनीलम ने कहा 12 जनवरी 1998 को तहसील कायंाणलय पकरसर में घकटत गोली कांड के बाद पुकलस ने उनके कखलाफ 135 मामले दजंणककये थे. कजनका कनराकरर हो गया है. सुनीलम ने कहा इससे सरकार, पंंशासन और पुकलस की हर आंदोलन को अपराि और आंदोलनकाकरयोंको अपरािी की नजर से देखने की सोंच बदलेगी. नंयायालय के फैसले का समंमान करते हुए डॅा सुनीलम ने कहा कक वह मुलताई सकहत ककसान के हक और समंमान के कलए संघरंणकरते रहेंगे. गौरतलब है कक मधंयपंंदेश के बैतूल कजले के मुलताई मेंफसलोंके निंंहोने से मुआवजे की मांग की गयी. कजसपर 12 जनवरी 1998 को आंदोलन ककया गया. कजसमें पुकलस के गोली चलने से 24 ककसानों के शहीद होने और 150 ककसानों के घायल होने के बाद 250 ककसानोंपर 66 मुकदमेंदजंणककये गये थे. इन मामलोंमेंसे बचे हुए अंकतम दो पंंकररों में मुलताई नंयायालय के नंयायिीस पंंथम शंंेरी शंंी जयदीप सोनवसंंे ने मामले में फैसला सुनाया. कजसमें डॉ. सुनीलम सकहत सभी आरोकपयोंको दोर मुकंत कर कदया गया है. डॉ. सुनीलम ने बताया की मामलों में ततंकालीन नायब तहसीलदार बसंतलाल ने 11 जनवरी 1998 को गंंाम अिंंा के सरपंच रामराव और ककसान संघरंण सकमकत के पदाकिकाकरयों के साथ डॉ. सुनीलम के नेतृतंव वाली भीड से हमला ककये जाने की करपोटंण दजंण करायी गयी थी. 22 नवंबर 1998 को कई िाराओं के अंतगंणत चालान पेश ककया गया. मामले में डॉ. सुनीलम, रामराव, पंंहंाद संवरंप अगंंवाल, कृषंरकुमार, बाबूलाल, कवनोदी, बंसी और सुखदेव को आरोपी बनाया गया. इस पंंकरर में पंंाथंंी बसंतलाल सकहत 7 गवाहों को अदालत ने पिंं कवरोिी घोकरत ककया. एडवोकेट आरािना भागंवण ने बताया कक अकभयोजन साकबत नहीं कर पाया की जब एफआईआर नामजद नहीं थी और ककसी भी गवाह ने ककसी आरोपी का नाम नहींकलया.
नयी लिल्िी. एक तरफ देश मेंसरकारी कमंणचाकरयोंके कलए सातवेंवेतन आयोग की चचंाण चल रही है.कजससे इन वेतनभोगी कमंणचाकरयों का नंयूनतम वेतन 18 हजार रंपये पंंकतमाह हो जायेगा. इससे करीब एक करोड सरकारी कमंणचकरयोंको फायदा कमल सकेगा. लेककन नेशनल सैंपल सवंंे के मुताकबक देश के 70 फीसद ककसानों को अभी भी 107 रंपये पंंकतकदन मेंअपना जीवन गुजारा करना पडंता है. इससे साफ पता चलता है कक सरकारी कमंच ण ारी की आय एक ककसान की आय से करीब 54 गुना जंयादा है. सरकार के इस रवैये का कवरोि करते हुए जय ककसान आंदोलन के राषंंीय संयोजक योगेंदं यादव, भारतीय ककसान यूकनयन के पंंवकंता युदंवीर कसंह और जन
आंदोलनों के राषंंीय समनंवय के संयोजक और ककसान संघरंण सकमकत के कायंणकारी अधंयिंंपूवंणकविायक डॉ सुनीलम ने संयुकंत पंंेस कांफेंस ककया. ककसान नेताओंने कहा कक ऐसी संसथकत तब है, जब देश के 50 करोड ककसान पंंाकृकतक आपदा से पीकडत हैं. साल 1995 के बाद करीब 5 लाख ककसान आतंमहतंया कर चुके हैं. साथ ही अकिकतर ककसान कजंण मेंडूबे हुए है.ं करीब 40 फीसद ककसान खेती छोडने की इचंछा भी जाकहर कर रहे हैं. ऐसे में अब बहुत जरंरी है कक भारत सरकार संकविान के कनयमों के तहत ककसानों को समंमान के साथ जीने का अकिकार सुकनकंंित ककया जाये. उनंहोंने अपनी मांग में कहा कक सरकार को सबसे पहले एक
ककसान आय आयोग का गठन करना चाकहए. ताकक हर ककसान पकरवार की आय सरकारी कमंणचाकरयों को कमलने वाले नंयूनतम वेतन के बराबर हो. ककसान आय आयोग नंयूनतम आय कनिंणकरत करने के पहले हर ककसान पकरवार की आवशंयक जरंरतों के साथसाथ खेती के कलए जरंरी खचंणको भी उसमें शाकमल करे. इस मांग को लेकर ककसान संगठनों कनंाणटक राजंय रैयत संघ, भारतीय ककसान यूकनयन, गुजरात खेरंत समाज, राषंंीय मजदूर संगठन, ककसान संवराज गठबंिन, पकंंिम उडीसा कृरक संगठन, इंकडयन कोआकंडणनेशन ककमटी ऑफ़ फामंणस मूवमेंट, ककसान संघरंण सकमकत और वसुिा कृकर नजर की तरफ से इस मांग को लेकर 30 नवंबर को पंंिानमंतंी को पतंंभेजा है.
मून ने भी नेपाल-भारत की सीमा पर आवशंयक आपूकंतण मेंलगे अवरोि पर कचंता जतायी थी. उनंहोंने कहदायत कदया था कक
भाजपा के िुस्लिि उम्िीदवार हारे
शकसान आय आयोग बनाने की मांग
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04 दिसंबर-10 दिसंबर 2015
समुद्रट पि पय्ातविण यात््ा
पुड्चेरी. चेनंनई के जानेमाने सामाकजक कायंणकतंाण पुषंपनाथ कृषंरमूकंतण लोगों को जलवायु और वंयापाकरक समसंयाओंके पंकंत जागरंक करने के कलए एक यातंंा पर कनकलने वाले हैं. यह बहुत लंबी यातंंा न होकर कई जलवायु िंंेतंों से गुजरते हुए आशा भरी कहाकनयों से ओत-पंंोत होगी.कृषंरमूकंतण ने पेकरस में संयुकंत राषंं जलवायु पकरवतंणन समंमेलन सीओपी 21 की तजंण पर भारत में वंयापार से जुडे सामाकजक नंयाय और जलवायु से जुडे मुदंों के बारे में जागरंकता फ़ैलाने के कलए पुदच ु रंे ी से ओराकवले के कलए 450 ककमी की पैदल यातंंा पर कनकल रहे है.ंकृषरमू ं कतं ण कहते हैं कक इस तरह वह पहली बार समुदं तटीय इलाकों, मैदानोंऔर पवंणतोंका भंंमर करेंगे. इस बीच वह 20 से अकिक जगहों जैसे संकल ू ों, कॉलेजोंऔर ककसानोंके पास जाकर उनकी समसंयाओं और उनके वंयापार से जुडी रोचक कहकनयों को कनकालने की कोकशश करेंगे. वह रोजाना 20 से 25 ककमी पैदल चलेंगे और अनंय संगठनोंकी मदद से जागरंकता का अकभयान चलायेंगे.
पडेगा. सीओपी 15 की तजंण पर वह साल 2009 मेंजलवायु पकरवतंणन के कलए नंयाय की खाकतर इंगंलैंड से डेनमाकंफ के कोपेनहेगन तक 595 ककमी का यातंंा कर चुके हैं. साल 2012 में वह बाबा बुदंकगरी से पकंंिमी मैसूर घाट तक 500 ककमी का भंंमर कर चुके हैं. इस दौरान उनंहोंने जलवायु पकरवतंणन और कॉफ़ी की खेती करने वाले छोटे ककसानोंकी समसंयाओंको उठाया था. उनंहोंने सीओपी 17 को धंयान में रखते हुए ऐसी ही यातंंा दकंंिर अफंंीका वह कहते हैं कक मैं ककसी चीज का कवरोि करने नहीं जा रहा हूं. मैं मकहलाओं के डरबन में भी की थी. साल 2013 में से जुडी कहाकनयों को पंंाथकमकता दूंगा. दुकनया के पहले वंयापाकरक संथल से उनंहोंने इसके साथ-साथ बडे मुदंोंको उठाने का भी इंगंलैंड के केसंसवक तक यातंंा की थी. लेककन एक तरीका हो सकता है. उनंहें अपने भारत में संवसंथ वंयापार को धंयान में रखते आयरलैंड और इंडोनेकशया के समथंणकोंका हुए इस तरह की ये पहली यातंंा होगी.इस भी सहयोग पंंापंत है. वह आने वाली पीढ़ी के यातंंा को सोशल मीकडया के पेजों और पंकंत अपनी किमंमदे ारी का वहन करना चाहते वेबसाइटों पर खूब समथंणन हाकसल है. जहां हैं. महातंमा गांिी से पंंेकरत 64 साल के इसके संदभंण में कृषंरमूकंतण रोज अपडेट देते कृषंरमूकंतण का मानना है कक समय तेजी से रहते हैं. ये यातंंा गांिी कथडल( बीच रोड) भाग रहा है. ऐसे मेंवह चाहते हैंकक वंयापार से शुरं होगी. यातंंा की आयोजक टीम का मानना है कक इस यातंंा में करीब सौ लोग वंयवसंथा मेंजरंरी बदलाव हों. जलवायु पकरवतंणन पर कृषंरमूकंतण मानना शाकमल होंगे और भारत के वंयापार को नयी है कक इसका पहला असर गरीबोंको झेलना कदशा देंगे.
बाली जात््ा महोत्डव
नदीपतंंन केनंदंोंका वह महतंंव भी नहींरहा. लेककन कटक में 'बालीजातंंा महोतंसव' का आयोजन महानदी केंकंदत होता है. महानदी के जल-पथ पर दीप पंंवाकहत करके महोतंसव का पंंारमंभ ककया जाता है. पुराने कदनोंमेंयहां की सदगृहकरयां काकंतक ण पूकर ं मण ा की भोर में महानदी के जलपथ पर दीप पंंवाकहत ककया करती थीं. इसके साथ कवशंंास जुडा हुआ था कक ये पंंवाकहत दीप जाकर समुदंसे कमलेगं .े और, वंयापार के कलए दूर देशों को जाने वाले, उनके संवजनों को सकुशल घर लौटा लायेंगे. इस अवसर पर कटक के 'बाराबटी' पकरसर में बहुत बडा काकंतणक पूकंरणमा पवंण से अपनी समुदंी यातंंाएं भरता है. कटक का यह बाली-मेला अपनी ितीश जायििाल पंंारमंभ करते थे. उन कदनों पाल वाले बडे भवंयता और सांसंकृकतक कायंणकंमों के कलए कंतणक मास हमारे संसंकारों में पकवतंं जहाजों से जल पकरवहन होता था, कजनंहें पंंकसदंंहै. कटक में'बालीजातंंा' नदी का उतंसव है. भावों के साथ जुडा हुआ है. यह समुदंी हवाओं से गकत कमलती थी. 'बाली देवताओंके जागने का समय होता है. इसका जातंंा महोतंसव' का आयोजन एक साथ दो लेककन पारादीप पहुंचकर यह समुदं का उतंसव मनाया जाता है. वह उतंसव हमारे यहां संथानों पर होता है. कटक में महानदी के उतंसव हो जाता है. उतंसव का संवरंप भी कटक और पारादीप मेंअलग-अलग कदखता के िाकंमणक-पारमंपकरक मेलों भी कदखता है. ककनारे और पारादीप मेंसमुदंतट पर. महानदी हमारे पंंाचीन समुदंपारीय है. यहां समुदंकी पूजा के साथ इसका पंंारमंभ इन मेलों में काकंतणक पूकंरणमा से शुरं होने वाला ओकडशा का पंंकसदंं बाली मेला कुछ वंयापार के कलए एक ऐकतहाकसक जल-मागंण होता है. और समुदंतट मेला भरता है. दूर से कवकशिंं है. कंयोंकक यह राकंंतकालीन मेला उपलबंि कराती थी. यह वतंणमान छतंंीसगढ़ देखने पर ऐसा लगता है जैसे समुदं की रेत सुदूर पूवंण के देशों के साथ हमारे पंंाचीन में कसहावा के पास एक गांव फरकसयां से पर रंग-कबरंगी रोशकनयोंका कोई दंंीप कनकल वंयापाकरक-सांसंकृकतक समंबनंिोंकी संमृकतयों कनकलकर पारादीप में समुदं से कमलती है. आया है. यह गंंामीरोंका मेला है. और इसने का उतंसव है. हमारे ये समंबनंि बाली,जावा, इस पर राकजम, कसरपुर और कशवरीनारायर अपनी लोक परमंपराओंको समंहाल कर रखा सुमातंंा, बोकंनणओ दंंीप समूह तक फैले हुए थे. पंंमुख नदी पतंंन थे. इन नदी पतंंनों से है. यहां 'गोटपुआ' नतंणककयां आती हैं. और इन समंबनंिोंके ऐकतहाकसक कववरर 50 वरंण समुदंपारीय वंयापाकरक लदान लेकर कनकले उनका नृतंय मणंडप पारादीप के बाली मेला ई० पू० तक के कमलते है.ं बालीदंंीप सुदरू पूवणं हुए जहाजों को कटक से आगे पारादीप में का केंदंीय आकरंणर होता है. भारतीय नृतंय के साथ हमारे पंंाचीन समुदं-पारीय समुदं-मागंण कमल जाता था. बीच में कटक पदंंकत के कवकास का अधंययन करने वाले वंयापाकरक समंबनंिोंके केनंदंमेंथा. इसकलए बहुत बडा नदी-पतंंन केंदं रहा है. ओकडशा देशी-कवदेशी शोिाथंंी उनके कलए यहां आने यह उतंसव 'बाली जातंंा महोतंसव' है. मेंसमंबलपुर के पास महानदी पर 'हीराकुणंड लगे हैं. 'गोटीपुआ' ओकडशा का पंंाचीन कवशंंास ककया जाता है कक बालीदंंीप समूह बांि' बन जाने के बाद वह ऐकतहाकसक लोकनृतंय है. आज का पंंकसदंंशासंंीय नृतंय के इन देशोंके कलए हमारे वंयापाकरक जहाज नौपकरवहन मागंणअवरंदंहो गया. और उसके 'ओकडशी' इसी लोकनृतंय का कवकास है.
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राजकाज
हम डाथ डाथ है्
महज एक साल में इतना अंतर आ जायेगा, इसकी कलंपना भी नहीं थी. भाजपा मुखंयालय मेंजब दीवाली कमलन का आयोजन हुआ तो वह गीत याद आ गया कक इक वो भी दीपावली थी, इक ये भी दीपावली है.’ कपछले साल जब पाटंंी और पंंिानमंतंी दोनोंही बम बम हो रहे थे. तब मंच पर कसफंफदो कुकंसणयां रखी गयींथीं. एक पर नरेंदंमोदी और दूसरे पर अकमत शाह बैठे थे. पर इस बार कफजा बदल गयी. जब पतंंकारोंको दावत पर आमंकंतत ककया गया तो मंच पर छह कुकंसणयां नजर आयीं. वहां वेंकैया नायडू, रामलाल, कनकतन गडकरी, अरंर जेटली भी पंि ं ानमंतंी और पाटंंी अधंयिंंके साथ नजर आये. ककसी ने यह सब देखकर िीरे से कहा कक यह तो कबहार नतीजों का पकरराम है. पाटंंी को पेसमेकर लग गया है.
याद आये रामलला
भाजपा और संघ मेंटकराव की संभावना बढ़ंती जा रही है. शायद यही वजह है कक पंंिानमंतंी के कवपिंंके पंंकत सुर बदले हैंऔर वे कांगंेस को खुश करने मेंजुटे हैं. भाजपा की समसंया है कक कवकहप ने एक बार कफर मंकदर आंदोलन की तैयाकरयां शुरं कर दी हैं. अशोक कसंघल को शंंदंांजकल कदये जाने के मौके पर आयोकजत सभा मेंसंघ पंंमुख मोहन भागवत ने मंकदर कनमंाणर का मुदंा उठाते हुए कहा कक अयोधंया में भवंय राम मंकदर की रंपरेखा बनायी जानी चाकहए. मंकदर कनमंाणर ही अशोक कसंघल की सचंंी शंंदंांजली होगी. इसकी वजह यह रही कक संघ मानता है कक इससे उतंंरपंंदेश कविानसभा चुनाव मेंभाजपा को लाभ कमलेगा. पर भाजपा नेताओंका मानना है कक इससे सरकार कठघरे मेंआ जायेगी और कवपिंंको उसे घेरने का मौका कमलेगा. संघ को लगता है कक कबहार मेंभाजपा का जो हाल हुआ है. इसके बाद उतंंर पंंदेश मेंरामलला ही उसकी इजंंत बचा सकते हैं.
क्यो् गये राहुल
बेंगलुरंके माउंट कामंणल कॉलेज मेंहुई राहुल गांिी की फजीहत के बाद कांगंेस में यह सवाल पूछा जाने लगा है कक उनंहेंवहां जाने की सलाह ककसने दी थी. पता चला कक युवाओंऔर छातंंोंके बीच लोककंंपयता बढ़ंाने के कलए कदसंगवजय कसंह ने ही उनंहेंवहां जाने के कलए पंंेकरत ककया था. पाटंंी में कदगंगी कवरोकियों का कहना है कक जब राहुल एक बार कनंाणटक जाकर वहां ककसान आंदोलन की शुरंआत कर चुके थे तो दोबारा जाने की कंया जरंरत थी. उनका मानना है कक कांगंेस शाकसत राजंयोंमेंमोदी का आकरंणर कहींजंयादा है इसकलए राहुल को अपनी सरकार वाले राजंयों में जाना ही नहीं चाकहए. इसकलए अब जयपुर, अहमदाबाद, रायपुर, भोपाल, मुंबई सरीखे शहरोंमेंउनके कायंणकंम तैयार ककये जा रहे हैं.
प््शांत का जादू
असम को लेकर कांगंेस बहुत कचंकतत है. उसे आशंका है कक कंया लगातार तीन बार मुखयं मंतंी रहे गोगोई, चौथी बार भी राजंय मेंसरकार बना पायेगं े इसकलए अब पंश ं ांत ककशोर की सेवाएं लेने की कोकशश की जा रही है. कजनंहोंने पहले नरेंदं मोदी और कफर नीतीश कुमार के चुनावी पंंचार की ररनीकत बनायी थी. उनकी राहुल गांिी और तरंर गोगोई से मुलाकातेंहो चुकी हैं. देखना यह है कंया असम मेंभी उनका जादू चलता है या नहीं.
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उमेश चौहान
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04 दिसंबर-10 दिसंबर 2015
हदरयाली का अपना घर
हरीकतमा का वलंकल ओढ़े/सहंंाकंंद की गोद मेंशीश कटकाए/संवचंछ रेत की चमकीली परतोंका/सुदं र पादासन सजाए (महाककव वलंलतंंोल) सदाबहार हकरयाली से भरी केरल की िरती पर पैर रखते ही मलयालम के महाककव वलंलतंंोल की उपरोकंत कावंय- पंसंकतयां अनायास ही मन में गूंजने लगती हैं. केरल हकरयाली के अजसंंसौंदयंणसे भरा एक ऐसा पंंदेश है, कजसे पयंणटन- जगत में‘गॉरंस ओन कनंटंी’ (ईशंंर का अपना देश) के नाम से जाना जाता है. यहां का पंंाकृकतक सौंदयंणऐसा कवकशिंंहै कक आप चाहे कजस मागंण से केरल मेंपंवं श े करे,ं आपको उसमेंपंवं श े करते ही पता चल जाता है कक केरल आ गया. यकद आप सडक या रेल मागंण से केरल आ रहे हैं, या चाहे आप तकमलनाडु के कोयंबटूर के रासंंेसे या कफर िुर दकंंिर मेंकनंयाकुमारी के रासंंे से या कफर ठीक उतंंर में कनंाणटक के मंगलौर या पकंंिमी घाट के उस पार मैसूर के रासंंेसे, आपको केरल की सीमा मेंपंंवेश करते ही पता चल जायेगा कक आप तकमलनाडु या कनंाणटक को पीछे छोड चुके हैं. तकमलनाडु से सडक मागंणसे केरल मेंपंंवेश करने के दो और रासंंे भी हैं, एक मदुराई-तेनी होकर तेकंडी पहुच ं ता है, दूसरा कतरंनले वं ल े ी से चेक ं ोटंंा होकर कोलंलम की तरफ पहुंचता है. यह दोनों ही मागंण वनंय पंंदेशों से गुजरते हैं और अदंंत पंंाकृकतक सुंदरता से भरे हैं, पर अकिकांश पयंणटकों को अभी इनकी जानकारी नहीं है. यकद आप हवाई मागंण से केरल में पंंवेश करते हैं तो आपको कवमान मेंबैठ-े बैठे ही नीचे की हकरयाली देखकर अंदािा लग जाता है कक आप केरल की वायु-सीमा में
पंंवेश कर चुके हैं. जब आप कतरंवनंतपुरम, कोकंंच या कालीकट के हवाई अडंंे पर उतर रहे होते हैं तो यही लगता है कक आप नाकरयल के पेडोंके ऊपर बनी ककसी हरीभरी कालंपकनक पटंंी पर लैंड करने वाले हैं. रन वे तो तभी निर आता है, जब आपका कवमान कबलंकुल िमीन को छूने वाला होता है. सडंक या रेल मागंणसे केरल की सीमा मेंघुसते ही आपको हरे-भरे नाकरयलों के झुरमुट अनंत कवसंंार के साथ कदखाई देने लगते हैं. पकंंिमी घाट की सदाबहार वनोंसे ढंकी पहाकडयां मन मेंअजीब-सा आकरंणर भरने लगती हैं. मधंयवतंंी केरल की ऊंची- नीची िमीन पर फैला पंंकृकत का अपंंकतम संयोजन सामने आता है. नीची समतल िमीनों पर साल में दो या तीन बार बोई जाने वाली िान की फसल लहराती हुई लगभग हर मौसम में आपका संवागत करती है. इन सब नैसकंगणक चमतंकारोंके बीच आपको नकदयों व झीलों और बैकवाटसंण का ऐसा सुंदर जाल फैला हुआ निर आता है कक आप मंतंमुगंि हो जायें. जब आपकी कार या रेलगाडी केरल की इन सदानीरा नकदयोंऔर झीलोंके ऊपर बने पुलोंसे होकर
गुजरती है, तब आप उनके तटों पर पंंकृकत के उस और वे अकतकथयोंका अतंयकिक समंमान करते हैं. केरल सौंदयं-ण लीला का दशंनण करते है,ं जो अनंयतंंदुलभणं है. ऐसे में आपराकिक पंंवृकंत भी काफी कम है, अत: लोग मेंमुझे तो हमेशा ककव कमतंंसंवगंंीय कुबरे दतंंकी ककवता कनकंंिंत होकर आंतकरक अंचलों में अथवा गांवों में रह याद आती है,‘हकरत सूयंण है/हकरत चांद है/हकरत िूप सकते हैंऔर रात-कबरात सुरकंंित ढंग से घूम-कफर सकते है/हकरत चांदनी/ हकरत नाव है/ हरा पाल है/हरा हैं. समंदर/हकरत हकरत की हकरत ऊषंमा/मेरे कहय को आंच केरल की यातंंा का सबसे बकढ़या समय तो जाडे का रही है. केरल का पयंणटन दृषंकट से यकद उसका भौगोकलक होता है अथंाणत नवंबर से लेकर फरवरी तक का. इन बंटवारा ककया जाये तो इसे तीन भागोंमेंबांट सकते हैं. महीनों में गमंंी बहुत कम पडती है, बरसात भी जंयादा पहला बीच और बैकवाटर पयंणटन, दूसरा पवंणतीय और नहींहोती, वातावरर साफ-सुथरा रहता है. समुदंी बीचों वनंय िंंेतं और तीसरा सांसंकृकतक, ऐकतहाकसक िरोहरों पर भी इन महीनोंमेंआदंतंण ा जंयादा नहींहोती और पसीना वाले संथल. वगैरह जंयादा नहीं कनकलता और मेरा केरल में करीब बारह केरल प््कृनत और हनरयाली ठंडी हवा बडा ही सुकून देती है. साल बीता हैं और वहां के चपंपेहांलाकक, यकद केरल के तंयोहारों, चपंपे को मैंने देखा और समझा है. का घर है. यो् तो यह समूचा कवशेर रंप से ओरम के उतंसव का वैसे सैलाकनयोंके सबसे कंंपय संथल प््देश ही बहुत सुंदर है, आनंद लेना है, तब तो यातंंा कतरंवनंतपुरम और कोकंंच जैसे अगसंं-कसतंबर के महीनों में ही शहर, कोवलम, वकंल फ ा जैसे बीच, लेनकि यहां के समुद् तट, करनी चाकहए. ओरम केरल का कुमरकम और अलेपंपी जैसे बैकिाटर की िािे् और और कवकशिंं तंयोहार है, जो दस कदन बैकवाटर के ककनारे, मूनंनार और हरे-भरे भूदृश्य सैलानियो् को चलता है. लेककन ओरम से जुडी पीरमेड जैसे पहाडी कसंबे और नौका-दौड पंंकतयोकगताएं करीब मंत्मुग्ि कर देते है्. परंबीकुलम, तेकंडी जैसे वनंय माह भर चलती हैं. इनंहें देखने का िंंेतंआकरंणर हैं, लेककन यकद कोई अनूठा आनंद है. इनमें भाग लेने मुझसे पूछे तो मैंकहूंगा कक केरल का हर कोना ऐसा है, वाली संनक े बोट (केटंवलंलम) कवशेर तरह से बनी लंबे जहां पंंाकृकतक सुंदरता अपने चरम पर कबखरी है, अत: आकार वाली नौकाएं होती हैं, कजनका इसंंेमाल आम यकद केरल का असली आनंद लेना है तो इन भीड-भाड तौर पर कृकर-उपज, अनंय माल और बालू आकद को ढोने वाले पयंणटन केंदंों के बजाय लोगों को कम लोककंंपय के कलए ककया जाता है. बडी पारंपकरक केटंवलंलम मेंतो संथानोंपर जाकर रंकना चाकहए और केरल की अनछुई करीब सौ नाकवक एक साथ बैठकर चपंपू चला सकते हैं. पंंाकृकतक सुरमा का आनंद लेना चाकहए. आज केरल के जब इतने सारे लोग एक साथ बैठकर नौका-दौड से जुडे तमाम ऐसे रमरीक संथानों पर करसॉटंण और आयुवंेकदक पारंपकरक गीत गाते हुए पूरे जोशो-खरोश के सकहत एक कचककतंसा केंदं खुल गये हैं, कजनके बारे में राषंंीय संंर लय में चपंपू चलाते हैं, तब एक अदंंत समां बंिता है. पर जंयादा पंंचार-पंंसार नहींहै. उतंंरी केरल के पवंणतीय दशंणक अंतंणनाद करते हुए इन नाकवकों में उतंसाह का कजले वायनाड मेंही ऐसे सैकडोंनेचर करसॉटंणखुल चुके संचार करते हैं. नौका-दौड दकंंिर केरल के करीब हर हैं, जो िीरे-िीरे कवदेशी सैलाकनयों के बीच अतंयकिक कजले में आयोकजत होते हैं और इनकी कतकथयां पहले से लोककंंपय होते जा रहे हैं. केरल के दूर-दराि के गांवोंमें तय होती हैंअत: पयंणटक उनके अनुसार अपनी यातंंा की भी होम संटे की सुकविाएं कवककसत हो रही हैं. इन पंलाकनंग कर सकते हैं. ओरम के उतंसव-काल की एक सुकविाओं के अंतगंणत लोगों को घर में ठहरने जैसी और कवशेरता है, जगह-जगह आयोकजत होने वाली अनुभूकत होती है, संथानीय आहार का आनंद कमलता है पुषंपालंकार पंंकतयोकगताएं. ओरम के समय संकूलों, और पांच कसतारा होटलों की अपेिंा इनका ककराया भी कॉलेिों, दफंतरों, कंलबों, सांसंकृकतक केनंदंों में कई काफी ससंंा है. होम संटे करते समय आप लोगों से सामाकजक संसंथाओं में पुषंपालंकार पंंकतयोकगताएं आसानी से घुलते-कमलते हैंऔर उनकी सांसंकृकतक और आयोकजत करने की होड मच जाती है. कई तरह की इलाकाई पकरवेश को करीब से अनुभव करते हैं. केरल आकृकतयों में अनेक पंंकार के रंगों वाले फूलों का इस मामले मेंभारत के अनंय पंंांतोंसे अलग है, कंयोंकक इसंंेमाल कर पुषंपालंकार ककए जाते हैं. इनंहें देखने का यहां आम लोगोंके मन मेंआकतथंय भाव बहुत जंयादा है आनंद अवरंणनीय होता है. कुछ ऐसा कजसे आप कसफ़ंफ
महसूस कर सकते हैं, बता नहींसकते. ओरम के कदन लोग अपने घरों को भी पुषंपालंकार और रंगोकलयों से सजाते हैं. ओरम के अलावा यकद केरल के तंयोहारोंका आनंद लेना है तो सबसे अचंछा समय होता है कंंकसमस का. कंंकसमस के सपंताह मेंहोटलोंऔर बािारोंमेंकवशेर साज-सजंंा होती है, जगह-जगह मेले लगते हैं और काकंनवण ल आयोकजत होते है,ं कजनमेंकेरल की सांसक ं कृ तक कवरासत खुलकर पंंदकंशणत होती है. केरल के समुदंी-तटों की लोककंंपयता काफी पहले से है. कवशंं में कोवलम के तट की जैसी काली रेती शायद ही ककसी बीच पर पाई जाती हो. इसीकलए इस बीच का आकरंणर सारी दुकनया मेंवंयापंत है. लेककन िीरे-िीरे उतंंरी केरल में संसथत बेकल बीच की लोककंंपयता भी काफी बढ़ी है. हाल के वरंंोंमेंसमुदंी बीचोंसे भी जंयादा लोककंंपय हुए हैं केरल के बैकवाटर. ये बैकवाटर झीलें अथवा जलाशय हैं, जो समुदं से अलग होकर बने हैं. इनके पानी मेंखारापन होता है. कभी-कभी ऊंचा जंवारभाटा आने पर इनमेंसमुदंी पानी आ जाता है, जो इनके खारेपन को बढ़ा देता है. चूंकक इनमेंबरसात का पयंाणपंत सामानंय जल कनरंतर समाकविंं होता रहता है, इससे इनके पानी का खारापन संतुकलत बना रहता है. इन बैकवाटर झीलों के ककनारे - ककनारे से कनकलने वाली पतली-पतली जल-िाराएं कहीं-कहीं मीलों दूर तक फैली हुई होती है, कजनके ककनारे की कनचली िमीनोंपर खेती होती है और तटबंिोंपर तमाम लोग रहते हैं. यहां की खेती का तरीका एकदम अलग होता है. यहां के लोगों का जीवन भी अलग तरह का होता है. मुखंय भूकम से इनका संपकंफ केवल जल-मागंण से ही होता है. अलेपंपी कजले का कुटनं ाड िंतंे ंइस तरह की पंंाकृकतक संसथकत एवं
आबादी का एक सवंंोतंंम उदाहरर है. यह वेमंबानाड नामक बैकवाटर कससंटम का एक कहसंसा है. इसी कवशाल बैकवाटर झील के दूसरे छोर पर कोटंंयम कजले का सुपंकसदंं पयंणटन केंदं कुमरकम संसथत है. उतंंर की तरफ यह बैकवाटर एरराकुलम शहर और फोटंणकोकंंच दंंीप तक कवसंंृत है. आज इस बैकवाटर में एक हिार से भी जंयादा हाउस बोट संचाकलत हो रहीं हैं, जो पयंणटकों का कवशेर आकरंणर हैं. केरल जाने वाला हर सैलानी कम से कम एक रात बैकवाटर की हाउसबोट में जरंर कबताना चाहता है. ये हाउस बोट कई आकार वाली केटंवलंलम के ऊपर एक ढांचा खडा करके ही बनायी जाती हैं, कजनमें वातानुकूकलत और गैर-वातानुकूकलत दोनों तरह के एक या दो कमरे, टॉयलेट, बैठका सभी कुछ होता है. पयंणटकों की रंकच के अनुरंप बोटसंचालक खाने-पीने की सारी वंयवसंथा भी कर देते हैं. रात में झील के बीचोबीच हाउसबोट में रात कबताने का अनुभव कनकंंित ही अनूठा होता है, खास तौर पर हनीमूनसंणके कलए. ऐसे मेंकेरल का पयंटण न हकरयाली का दपंणर है.
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04 दिसंबर-10 दिसंबर 2015
बंगाल में महागठबंधन की सुगबुगाहट
रीता वतिारी
कोिकाता. कबहार कविानसभा में महागठबंिन को कमली भारी कामयाबी के बाद अब अगले साल होने वाले कविानसभा चुनावों के मदंंेनजर पकंंिम बंगाल में भी उसी तजंण पर एक गठबंिन की सुगबुगाहट तेज हो गयी है. इस दौड में सीपीएम और कांगंेस सबसे आगे हैं. इन दोनों दलों ने ममता बनजंंी की अगुवाई वाली तृरमूल कांगंेस और बीते लोकसभा चुनावों के बाद तेजी से उभरी भाजपा के कखलाफ हाथ कमलाने की संभावना पर गंभीरता से कवचार शुरंकर कदया है. वैसे, कबहार के मुकाबले बंगाल की राजनीकतक पकरसंसथकत कुछ अलग है. वहां दो ही गुट थे. भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए और महागठबंिन में सीिा मुकाबला था. लेककन यहां चार ताकतें हैं. इनमें सबसे मजबूत संसथत सतंंारंढ़ तृरमूल कांगंेस की है. उसके बाद भाजपा, कांगंेस और सीपीएम में नंबर दो बनने की लडाई है. बीते
लोकसभा चुनावों के बाद तेजी से उभरती भाजपा ने कांगंेस और सीपीएम के कलए खतरे की घंटी बजा दी है. इसकलए इस खतरे को भांप कर ही इन दोनों दलों ने महागठबंिन की कदशा मेंपहल की है. मुखंयमंतंी ममता बनजंंी ने कबहार के लोगों से भले महागठबंिन को कजताने की अपील की हो, बंगाल मेंवे इसमेंशाकमल नहीं होंगी. इसकी वजह यह है कक ममता सीपीएम और कांगंेस से समान दूरी बना
कर चलने की बात कह चुकी हैं. हालांकक जनवरी में यहां होने वाले वैकंशक कनवेश समंमेलन में नीतीश कुमार और अरकवंद केजरीवाल को नंयोता भेज कर ममता ने एक नये समीकरर बनाने के संकेत तो दे ही कदये हैं. ममता की तृरमूल कांगंेस ने कपछले कविानसभा चुनावों में कांगंेस के साथ तालमेल ककया था. लेककन साल भर बाद ही यह दोसंंी टूट गयी थी. ऐसे में ममता के कांगंेस, सीपीएम और भाजपा के साथ हाथ कमलाने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता. सीपीएम या कांगंेस भी भाजपा के साथ वैचाकरक मतभेदों के चलते तालमेल नहीं कर सकतीं. ऐसे में कांगंेस व सीपीएम के बीच तालमेल एकमातंं कवकलंप है. इसके साथ कबहार के सहयोगी दलों मसलन जद (यू) और राजद को भी शाकमल ककया जा सकता है. वैसे, इन दोनों दलों का बंगाल में कोई खास जनािार नहीं है. बावजूद इसके वे खासकर कहंदीभारी वोटों में तो सेंि लगा ही सकती हैं. समाजवादी पाटंंी पहले से
यूपी मे् पत््कार गाय की तडयाडत पर फंडी सुरद््ित -चौधरी मनोहर डरकार िखनऊ. समाजवादी पाटंंी पंंवकंता
राजेंदं चौिरी ने कहा कक भारतीय जनता पाटंंी केवल आरोपों की राजनीकत कर रही है. इससे पहले भाजपा ने मकहलाओं की सुरिंंा का सवाल भी उठाया था. पर जब वूमेन पावर लाइन 1090, मकहला समंमान पंंकोषंं, मकहला हेलंपलाइन इसका जवाब था. इसके बाद पतंंकारों के उतंपीडंन का हौवा खडंा करने लगे भाजपाई. यह भाजपा, आरएसएस की चाल है. अब ककसानों के मुदंोंपर भी भाजपा आरोपोंकी राजनीकत कर रही है. सच तो यह है कक पंंदेश में पतंंकारों को कतंणवंयपालन में पूरी सुरिंां पंंापंत है. शासन-पंंशासन में उनका समंमान है. पतंंकारों के कामकाज में कजसने अवरोि जताया वह अकिकारी हो या कोई अनंय वंयसंकत उसके कवरंदं कडंी कायंणवाही की गयी है. पीकडंत पतंंकारों को मुखंयमंतंी जी उदारतापूवंणक मदद करते है. कदवंगत पतंंकारों के पकरवारीजनों को भी आकंथणक मदद की गयी है. भाजपा के पास न तो कोई मुदंा है और नहीं उसका रचनातंमक कवरोि में कवशंंास है. कवकास में सहयेाग करना उसका एजंडा नहीं है. मुखंयमंतंी पंंदेश को उतंंम पंंदेश बनाने के कलए सचेिं है और भाजपाई है कक कवरोि की राजनीकत करना ही उनका एजंडा हो गया है. समाजवादी पाटंंी लोकतांकंतक मूलंयों में कवशंंास करती है. लोकतंतं को सशकंत बनाये रखने को शंंी अकखलेश यादव हमेशा ककटबदंंरहे है. RNI- DELHIN/2008/ 24781
ही सीपीएम के साथ है. हाल में जवाहर लाल नेहरं की जयंती पर कोलकाता मेंआयोकजत सेकमनार के बहाने यह तमाम दल एक ही मंच पर जुटे और सामूकहक रंप से भाजपा और आरएसएस को जमकर गकरयाया भी. इससे संभाकवत गठबंिन की झलक तो कमली ही. पंंदेश कांगंेस नेता ओम पंंकाश कमशंंकहते हैंकक बंगाल मेंमौजूदा सतंंारंढ़ पाटंंी का राजनीकतक कवकलंप बनाना जरंरी है. लेककन यहां के हालात कबहार से अलग हैं. कफलाहल कांगंेस या सीपीएम के नेता संभाकवत गठजोड के बारे मेंकुछ कहने को तैयार नहींहै.ं पंदं श े नेताओंकी दलील है कक इसका फैसला केंदंीय नेतृतंव ही करेगा. राजनीकतक पयंणवेिंकों का कहना है कक राजंय के मौजूदा राजनीकतक हालात में एक ओर तृरमूल कांगंेस और दूसरी ओर भाजपा के कखलाफ हाथ कमलाना कांगंेस, सीपीएम और कबहार के महागठबंिन मेंशाकमल दलों की राजनीकतक मजबूरी है.
चहेरो् िे वलए बड्ड फेस्सिवल
िखनऊ. भारतीय जनता पाटंंी ने कहा कक पंंदेश की अकखलेश यादव सरकार आगरा के चंबल सफारी लॉज, जराह बाह जैसी कनजी संसंथा में देश का पहला चंडीगढ. गौ हतंया पर सजा, लेककन अंतरराषंंीय बडंण फेसंसटवल का आयोजन बछडे की खाल से बने उतंपाद कानूनी या गैर करना केवल अपने चहेतोंको उपकृत करने कानूनी यह सवाल जब हकरयारा कविान की कायंणवाही भर है. सभा में गूंजा तब कई सवाल पैदा हो गये. पंंदेश पाटंंी मुखंयालय पर पतंंकारों से शीतकालीन सतंं में कांगंेस कविायक करर चचंाण करते हुए पंंदेश पंंवकंता डॉ चंदंमोहन कसंह दलाल के इस सवाल से मनोहर सरकार ने कहा कक हैरत की बात यह है कक आगरा को बुरी तरह से फंस गयी. कृकर मंतंी ओपी िनखडं को इस सवाल का जवाब देते नहीं का पंंाविान ककया गया है. इसके अलावा कजले मेंकीठम घोकरत रंप से बडंणसेंचुरी है, बन रहा था. संसथकत यह रही कक दोनोंनेताओं दोरी को कम से कम 30 हजार रंपये लेककन इसकी अनदेखी कर सरकार ऐसी मेंतीखी नोखझोक भी हो गयी. पर राजंय में अकिकतम एक लाख रंपये का जुमांनण ा भरना जगह पर बडंणफेसंसटवल का आयोजन करने कांगस ंे मनोहर सरकार को इसी मुदंेपर घेरने होगा. गौ-संरिंंर संविंणन एकंट 2015 लागू जा रही है जो पहले कभी भी कवदेशी कचकडंयों में जुट गयी है. हकरयारा में गौ संरिंंर व होने के बाद सरकार ने गाय, बीफ, के पंंवास के रंप मेंनहींजाना जाता रहा है. संविंणन अकिकनयम लागू कर कदया गया. इसे एकंसपोटंण, गोवंश, संरिंंर संलॉटर जैसे आगरा मेंही कीठम पिंंी कवहार मेंहर साल लागू ककये जाने के बाद कांगंेस को लगता है पंंतंयेक संबंकित शबंद को पकरभाकरत ककया सकंदणयों में देशी और कवदेशी पकंंियों का कक भाजपा को इसका लाभ कमल रहा है. गया है. इससे गौ-संरिंंर संविंणन के कायंण जमघट रहता है. साइबेकरया तक से पिंंी यहां कपछले माह की 19 तारीख को कानून का मेंआने वाली तमाम उलझनेंदूर होंगी. इससे आते हैं, लेककन जब बडंणफेसंसटवल की बात नोकटकफकेशन जारी ककया गया. राषंंपकत ने बीमार, बेसहारा कमजोर गायोंकी देखभाल आयी तो सरकार उसका आयोजन चंबल सफारी मेंकर रही है. एक कनजी वंयसंकत के बीती 27 अकंटूबर को संवीकृकत पंंदान करने के कलए संसंथाएं संथाकपत की जायेंगी. दरअसल बछडे की खाल से बने कवककसत जरार का चंबल सफारी अभी भी और 19 नवंबर 2015 को नोकटकफकेशन जारी होने के बाद से हकरयारा में हर पंंकार उतंपाद पर सरकार का कंया रंख है. कानून देशी और कवदेशी संसंथाओं में बहुत खंयाकत के गोवंश कजसमेंबैल, बछडंा, नंदी, बकछया, में इस पर कंया पंंाविान है. कांगंेस ने यह पंंापंत नहींहैं. पंंदेश पंंवकंता डॉ चंदं मोहन ने कहा गाय शाकमल हैंका पंंदेश सरकार से संरिंंर सवाल उठा कर एक तरह से एक तीर से दो और संविंणन की वंयवसंथा करेगी. नये कनशाने सािे हैं. यकद सरकार यह कहती कक कक ऐसे में पंंदेश की खंयाकत पंंापंत पिंंी कवहारों की अनदेखी कर दूसरी े अकिकनयम के तहत पंदं श े के ककसी भी कहसंसे बछडंेकी खाल के उतंपाद पर बैन है तो पंदं श मेंगोवंश के वि पर पूरणंपंकंतबंि है. इस तरह के चमडा उदंंोग को बहुत बडा झटका जगह बडंण फेसंसटवल आयोकजत करना कोई गाय को वि के कलए राजंय से बाहर ले लगता. यकद सरकार यह कहती कक बैन नहीं सपा सरकार की कछपी मंशा जाकहर करता है तो कांगस ंे को अकिकनयम पर सवाल उठाने है. सपा सरकार की अनदेखी से पंंदेश के जाने पर दंड का भागी होगा. इस तरह राजंय में गौ-संरिंंर संविंणन का मौका कमलता. हालांकक बाद में सीएम सभी पिंंी कवहार बदहाल हो चुके हैं. हालत अकिकनयम का उलंलंघन करना दंडनीय मनेाहर लाल खटंटर ने सदन में संसथकत को यह हैं कक देशी कवदेशी पयंणटक इन पिंंी अपराि माना जायेगा. इसमें कम से कम सुिारा और बताया कक बछडे के चमडे से कवहारों की बदहाली के चलते यहां आने से कतराते हैं. तीन वरंण अकिकतम दस वरंण तक की सजा बने उतंपादोंपर रोक नहींहै.
मनोज ठाकुर
बतकही दगरोह क्यो् कहते है!्
चंचल
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मारे शुभेचंछु हैं, वरना उनंहें कंया कक भदंं जन पलट कर हमारे पास आते और चहकारी देते की भाई जान! ये फेसबुक पर जो लोग आपको गकरयाते हैं, साठा पाठ का हवाला देकर ऊपर जाने का रासंंा बतातें हैं, उसे पढ़ कर मन में बहुत तकलीफ होती है. अब आप ऐसा कुछ मत कलखा ककरए कजससे उनंहें कमचंंी लगे. आप मानस पर गीता पर इस पर कलखा ककरए. हमने उनसे कहा कमतंं! हम शाकाहारी लेखक रहे हैं. आप कमचंण की बात कर रहे हैं हम तो लहसुन से तडका पसंद करते हैं. कभी ककसी भो... वाले का कफल इन द बंलैंक भी नहीं भरा. उनके कनजी करतब पर कभी काठी भी नहीं ककया. पर पता नहीं कंयों उनंहें कंया हो जाता है की भू देखते ही लगते हैंचीख पुकार करने. दौडा के पोंगा काटने का उपकंंम करने लगते हैं अब आपै बताओ हम का करें. न उनके दाल का नाम लेता हूं न उनके कारीगरों का. कफर हम करें का? उनंहोंने लंबी सांस ली. काठ की कजस कुसंी पर कटके बैठे थे उसके गोलािंण को बदला. दायें गोलािंण को आराम देने के कलए बाएं गोलािंण पर आ गये. इस अदला बदली के बीच में चौडी पाटी वाली िोती को समंहाला और खुजली कर के मुतमइन हुए. एक बात बताइए. हमने तुरत जवाब कदया- हुकूम ककरए. - आप उनंहेंकगरोह कंयोंकहते हैं? हमने उनंहें बताया- हम तो, उनंहीं का बताया बोलता हूं. उनंहोंने कहा हम राजनीकतक संगठन नहीं हैं. हम िाकंमणक भी नहीं हैं. हम लोगों की आफत में उनकी मदद करते हैं. कमतंं! आप जहीन लग रहे हैं. साफ़गोई से बात कर रहे हैं इसकलए आपकी बात को तवजंंो दे रहा हूं. हम ने उनकी हर बात को ठोंक बजा कर देखा. कजिर भी ठोंका उिर ही छेद कमला. पता चला की वे जो भी बोलते हैं उसके कखलाफ रहते हैं. जहरखुरानों की तरह ,जो अचानक आपको टंंेन में कमलेंगे. हर सेवा को ततंपर कमलेंगे. लपक के चाय ला देंगे. बचंंे को सू-सू करा आयेंगे. कफर पंंसाद देंगे. और उसके बाद की कथा आपको मालूम है. इसकलए हम इनंहें कगरोह कहते हैं. बात लंबी चलती. बदरी का मौसम है. हम खाली और कनठलंले बैठे थे. लेककन उनंहें एक जरंरी काम याद आ गया. उनकी गाय कल से ही 'बोल' रही है उसे उपयुकंत जगह ले जाना था सो वे कवदा हो गये जय शंंी राम के अकभवादन के साथ.
संवतंवाकिकारी, पंंकाशक और मुदंक: िंंमता कसंह के कलए अमर उजाला पसंबलकेशंस कलकमटेड, सी-21, 22, सेकंटर-59, नोएडा, उतंंर पंंदेश से मुकंदत एवं दूसरी मंकजल, बी-146, हकरनगर आशंंम, नयी कदलंली- 110014 से पंंकाकशत. संपादकः अंबरीश कुमार (पीआरबी अकिकनयम के तहत समाचारोंके चयन के कलए कजमंमेदार) सभी कानूनी कववादोंके कलए नंयाय िंंेतंकदलंली होगा. संपकंफ: +91.8004903209, 9793677793 ईमेल: shukrawaardelhi@gmail.com