प््भाष जोशी का पुण्य स्मरण राम की अग्ननपरीक््ा पेज- 9 दबाव झेलने का दम पेज- 10
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वर्ष 1 अंक 4 n पृष्: 16 n 27 नवंबर - 03 दिसम्बर 2015 n नयी दिल्ली n ~ 5
सबरीमाला में माहवारी की जांच!
दतर्अनंतपुरम. केरल के पंंबसदंं सिरीमाला मंबदर में नये तंंािणकोर देिासंिोम िोडंष अधंयकंं का पद संभालने िाले पंंायर गोपालकृषंणन बििादोंमेंबघर गये हैं. यह बििाद उनके मबहलाओं के माबसक धमंष और अशुदंता के दौरान सिरीमाला मंबदर में पंंिेश के ियान से पैदा हुआ है. उनका कहना है बक इस दौरान मबहलाएं अशुदं होती हैं और उनंहें मंबदर मेंपंंिेश की इजाजत नहींहै. ियान को लेकर मबहलाओं ने नाराजगी जाबहर की है.केरल मेंसिरीमाला मंबदर पंंशासन पुरानी परंपरा के अनुसार लंिे समय से मबहलाओंके माबसक धमंषके समय मंबदर मेंपंंिेश के बखलाफ रहा है. इसमेंलैंबगक भेदभाि भी िरता जाता रहा है. इसके पीछे मंबदर पंंशासन की माबसक धमंष िाली मबहलाओंको अशुदंमानने की सोच है. गोपाल कृषंणन ने 13 निंिर को कोलंलम पंंेस तंलि मेंमीबडया से कहा बक मबहलाओंकी पबितंतं ा की जांच एक संकनै मशीन के जबरये होने के िाद ही पंंिेश की इजाजत दी जायेगी. कृषंणन ने कहा बक अि ऐसी संकैन मशीनें आ गयी हैं, जो शरीर और हबथयारों का संकैन करती हैं. ऐसे मेंएक बदन ये मशीनेंयह भी ितायेंगी बक मंबदर में पंंिेश का सही समय (माबसक धमंषरबहत) कौन सा है. मीबडया से उनंहोंने कहा बक जि यह मशीन खोज ली जायेंगी ति हम मबहलाओंको पंंिेश बाकी पेज 2 पर
n सबहार चुनाव िे उत्िासहत
n झाबुआ जीत िे हौिले बुलंद
n सिर्फ भाजपा सनशाने पर
यूपी में अकेले लडंग े ी कांगस ंे
िुनीता शाही
नई दिल्ली/लखनऊ. उतंंर पंंदेश में कांगंेस अकेले दम चुनाि लडने की तैयारी में है. बिहार चुनाि नतीजों से पाटंंी िमिम है और उसे एक िार बफर िरंष 2009 के लोकसभा चुनाि जैसी उमंमीद इसिार बफर उतंंर पंंदेश में बदख रही है. यबद बिहार बिधानसभा चुनाि और मधंय पंंदेश के रतलाम-झािुआ लोकसभा उपचुनाि सीटों के पबरणाम को संकेत माना जाय तो कांगंेस साल 2017 के उतंंर पंंदेश बिधानसभा चुनाि में भी कोई चमतंकार बदखा दे तो हैरानी नहीं होनी चाबहए. उतंंर पंंदेश मेंपाटंंी के रणनीबतकारों का मानना है बक मौजूदा हालात में बिधान सभा चुनाि में पाटंंी से से जंयादा सीट की उमंमीद कर सकती है. हालांबक इसके बलये पाटंंी संगठन को पूरी ताकत लगानी होगी. बिहार और मधंय पंंदेश के उप चुनाि में जीत के िाद यह देखना होगा बक तंया कांगंेस उतंंर पंंदेश में तंया रणनीबत िनती है. इसके पीछे कारण यह है बक पाटंंी के उपाधंयकंं राहुल गांधी बसफंफ भाजपा को ही बनशाना िना रहें हैं और राजंय की सतंंारंढं समाजिादी पाटंंी के पंंबत नरमी
िरत रहे हैं. इसकी एक िजह गांधी का उतंंर पंंदेश मेंचुनाि पूिंषबकसी भी गठिंधन की संभािना को बसरे से खाबरज करना भी है. इससे कांगंेस में काफी उतंसाह है. पर बिहार में महागठिंधन में जीत के िािजूद भी पाटंंी ने अकेले चलने को तरजीह दी है.
पूिंष केंदंीय मंतंी आरपीएन बसंह ने इस संिाददाता से कहा- कांगंेस उतंंर पंंदेश बिधानसभा चुनाि में अकेले ही जायेगी और नरेंदं मोदी की नाकामयािी को जनता के सामने रखेगी. हमें उमंमीद है बक हम राजंय मेंिडंी संखंया मेंसीट जीतेंगे.
हाल ही में अपनी सहारनपुर पद यातंंा के दौरान राहुल ने पंंधानमंतंी मोदी के बखलाफ खासा आकंंामक रंख बदखाया था. जानकार कहते है बक गांधी बकसानों को समसंयाओंको समझने मेंकामयाि बाकी पेज 2 पर
पूजा सिंह
रीता सतवारी
भोपाल. बिहार बिधानसभा चुनाि में जिरदसंं पराजय के िाद मधंय पंंदेश उपचुनाि में रतलाम-झािुआ सीट पर भारतीय जनता पाटंंी की हार को मोदी के घटते कबरशंमे से जोडं कर देखा जा रहा है. उपचुनाि में पाटंंी को रतलामझािुआ संसदीय सीट गंिानी पडंी है. हालांबक पाटंंी देिास बिधानसभा सीट िरकरार रखने में कामयाि रही है. पाटंंी ने इन दोनों सीटों पर बपछले उमंमीदिारों की िेटी और पतंनी को बटकट देकर सहानुभूबत की लहर का फायदा उठाने की कोबशश की थी. रतलाम सीट परंपरागत रंप से कांगंेस की रही है. पर साल 2014 में मोदी लहर के चलते यह भाजपा की झोली में आ
कोलकाता. पबंंिम िंगाल में अगले साल होने िाले बिधानसभा चुनािों से पहले राजनीबतक संघरंष की घटनाएं िढंने लगी हैं. राजंय में लगातार चार बदनों तक माकपा के जूलूसों पर सतंंारंढं तृणमूल कांगंेस के लोगों ने हमले बकये. इनमें एक पूिंष सांसद रामचंदं डोम समेत करीि दो दजंषन लोग घायल हो गये. हमलािरोंने पाटंंी के पूिंषबिधायक से कान पकडिा कर माकपा छोडने की भी बहदायत दी. करीि 113 िाम संगठनोंके मंच िंगाल पंलेटफॉमंष ऑफ मास आगंंेनाइजेशंस (िीपीएमओ) के िैनर तले राजंय सरकार के बखलाफ इन बदनों राजंय वंयापी पंंचार अबभयान चल रहा है. इन हमलों की शुरंआत बिधानसभा में
बिपकंं के नेता सूयंषकांत बमशंं की अगुिाई में उनके चुनाि कंंेतं में बनकले जुलूस से हुई. इसमें बमशंं के साथ भी धकंंा-मुकंी की गयी. माकपा के पोबलत बंयूरो सदसंय और पंंदेश सबचि सूयंषकांत बमशंं ने इन हमलोंके बलए सतंंारंढंतृणमूल कांगंेस को बजमंमदे ार ठहराते हुए कहा बक ऐसे हमलों से उनके आंदोलन और तेज होंगे. बमशंं ने कहा बक तृणमूल के पास हमारी पंंबतिाद रैबलयोंको रोकने की कंंमता नहींहै. िे हिा में बतनके की तरह उडं जायेंगे. बमशंं ने यह भी कहा बक तृणमूल बजतने हमले करेगी,हमारा आंदोलन उतना ही मुखर और तेज होगा. माकपा के पूिंषसांसद सुजन चकंंितंंी ने दािा बकया बक आज हुए दोनों हमलों में सांसद के अलािा पाटंंी के कम से कम 20
कायंषकतंाष घायल हो गये हैं. माकपा नेताओं ने ऐसे हमलोंके दौरान पुबलस पर मूकदशंषक िने रहने का आरोप लगाया है. बमशंं कहते हैं बक पुबलस अि सतंंारंढं पाटंंी की सेिक िन गयी है. िह महज उसी के इशारे पर काम करती है. उनंहोंने कहा बक राजंय में माकपा के िढंते जनाधार और रैबलयों में उमडंती भीडंसे सरकार और तृणमूल कांगस ंे डर गयी है. यही िजह है बक रैबलयों पर सुबनयोबजत तरीके से हमले हो रहे हैं. इससे माकपा के आंदोलन पर अंकुश नहींलगाया जा सकता. बमशंं का दािा है बक तृणमूल के पास िह शकंतत नहींहै बजससे िाम दलोंके जुलस ू और पंंचार अबभयान को रोका जा सके. भय और दहशत का बशकार होकर तृणमूल के लोग िाम संगठनोंके जुलूस पर हमले कर बाकी पेज 2 पर
टूटने लगा तितलस्म!
बगरी थी. कांगंेस से भाजपा में आये बदलीप बसंह भूबरया ने चार िार के कांगंेसी सांसद कांबतलाल भूबरया को करीि एक लाख से जंयादा मतों से परासंं बकया था. बदलीप बसंह भूबरया के बनधन से खाली बाकी पेज 2 पर
माकपा जुलूसों पर हमले बढंे
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27 नवंबर-03 दिसम्बर 2015
ममल कर लडेंगे जमीन की लडंाई भोपाल में जन संगठनों का एलान
टीआर अठया भोपाल. गांधी भिन में हुए जमीन, जल संंोतों पर कबंजे और बिसंथापन के बखलाफ एक साझा समंमेलन हुआ. इस समंमेलन में जन संगठनों, जन आंदोलनकाबरयों, िामपंथी पाबंटियों और जागरंक आिाम ने भाग बलया. समंमेलन में पंंदेश के सभी अंचलों के संघरंषरत जन संगठनों के पंंबतबनबधयों ने अपने-अपने इलाके के संघरंंों और जनता के मुदंों को साझा बकया. मधंयपंंदेश में सभी संगठनों ने बमल कर जल, जंगल, जमीन और बिसंथापन की लडाई लडने का फैसला बकया. समंमेलन को संिोबधत करते हुए जन आंदोलनों के बकसान संघरंष सबमबत के अधंयकंंडॉ सुनीलम ने कहा बक यह बकसानों का ही संघरंष है बजससे मोदी सरकार को भूअबधगंंहण अधंयादेश को िापस लेना पडा. मधंयपंंदेश में बछंदिाडा सबहत कई बजलों में बकसानोंकी खेती की जमीनेंछीन कर उनको जिरन बिसंथाबपत बकया जा रहा है. बिसंथापन के बखलाफ संघरंष करने िाले बकसानोंपर मुकदमेंलादे जा रहे हैं, ये धारा 144 का दुरंपयोग बकया जा रहा है. उनंहोंने
कहा की 11 जनिरी 2016 को बछंदिाडा में बकसानों के बिसंथापन और लूट के बखलाफ राषंंीय समंमेलन बकया जा रहा है. समंमेलन के िाद भूअबधगंंहण और बिसंथापन के बखलाफ पंंदेश के जनसंगठन एक साझी यातंंा बनकालेंगे. जो 11 जनिरी 2016 को बछंदिाडा से शुरं होकर मुलताई, इटारसी, जिलपुर, कटनी, बसंगरौली, सीधी, रीिा,
छतरपुर, मुरैना और बनमांड होते हुए 19 जनिरी को इंदौर में िडे समंमेलन के िाद समापंत होगी. 24 फरिरी 2016 को बदलंली में आयोबजत भूअबधकार रैली में मधंयपंंदेश से 10 हजार बकसान बहसंसा लेंगे. समंमेलन को संिोबधत करते हुए नमंषदा िचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने कहा बक जल, जंगल, जमींन और पंंाकृबतक संसाधनों की लूट मुठंी भर लोग कर रहे हैं. बकसानोंआबदिाबसयोंदबलतोंऔर गरीिोंके संसाधनों का लाभ कॅापंंोरेटंस और चंद पूज ं ीपबत उठा रहे है.ं उनंहोंने कहा की सरकारें गंंाम सभा के अबधकारों को नकार रहीं हैं. हाईकोटंष और सुपंीमकोटंष के फैसलों को दरबकनार कर बकसानोंकी जमीनेंहडपने का काम हो रहा है. समंमेलन में कई केंदंों, पबरयोजनाओं, बिलोंमेंजिबरया िेदखली का मुकािला कर रहे डेढ दजंषन से अबधक मैदानी कायंषकतंाषओं ने अपने अनुभि रखे. इस समंमेलन में मुखंयमंतंी बशिराज बसंह चौहान को भी आमंबंतत बकया गया था. लेबकन मुखयं मंतंी के न आने के चलते उनके बलये खाली रखी कुसंी के साथ 5 पंंिुदं वंयकंतततंिों ने बिसंथाबपतोंकी पीडा को सुना और समझा.
सबरीमाला में माहवारी की जांच!
माकपा जुलूसों पर...
पेज 1 का बाकी की इजाजत दे देंगे. गोपालकृषंणन ने आगे कहा बक इससे कोई अशुदंमबहला मंबदर के अंदर चुपके से नहींजा सकेगी. गौरतलि है बक साल 1987 मेंकनंनड बफलंमोंकी मशहूर अबभनेतंी बगबरजा लोकेश ने मंबदर में पंंिेश कर बनयमोंको तोडंा था. इसके िाद बदसंिर 2010 मेंकेरल पुबलस की अपराध शाखा ने कनंनड अबभनेतंी जयमाला के बखलाफ सिरीमाला मंबदर के गभंषगृह में जाने और अयपंपा की मूबंतष छूने के मामले में एक आरोप पतंंदाबखल बकया था. नये देिासंिोम िोडंष के पंंमुख की इस बटपंपणी पर मबहला संगठनों ने अपनी नाराजगी जाबहर की है. मंबदर में जाने के मामले पर िबरषंं िकील सुधा रामबलंगम कहती हैं बक तंया मशीन मबहलाओं की
पेज 1 का बाकी रहे हैं. उनका कहना है बक िाम संगठन पीछे नहीं हटेंगे. सरकार के जनबिरोधी कदमों के बखलाफ जनता में जागरंकता फैलाने का अबभयान हर हाल मेंजारी रहेगा. िाममोचंाष के अधंयकंं बिमान िोस ने जुलूस पर हमले की बनंदा करते हुए कहा है बक यह घटनाएं तृणमूल की हताशा का संकेत हैं. गांिोंके लोग तृणमूल की बहंसक राजनीबत का बिरोध कर रहे हैं. दूसरी ओर, मामले पर तृणमूल कांगंेस ने सफाई दी है बक इन हमलोंमेंउसका कोई हाथ नहींहै. ये हमले माकपा की अंतकंफलह का नतीजा हैं. ऐसे मेंराजनीबतक पयंषिेकंक अगले साल होने िाले चुनािोंसे पहले राजंय मेंराजनीबतक बहंसा तेज होने के आसार देख रहे हैं.
पबितंंता जांचेगी? उनंहोंने माबसक धमंष और मबहला अपबितंंता से जुडंी भंंांबतयों को दूर करने की िात कही. मंबदर में पंंिेश और पबितंंता के सिाल पर कबि और सामाबजक कायंषकतंाष रबि शंकर कहते हैं बक तंया कोई ऐसी भी संकैन मशीन है, जो मंबदर जाने िाले पुरंरों के बंंहंमचयंष, नशा और उनके शाकाहारी होने का पता लगाये. यबद ऐसी मशीन हो तो मंबदर में90 फीसद भीड कम हो सकती है.दरअसल युिा मबहलाओं को सिरीमाला मंबदर में जाने की अनुमबत नहीं होती. इसकी िजह उनका माबसक धमंष के दौरान उनंहें अशुदं माना जाना है. हालांबक कुछ धमंषपंबडत कहते हैंबक भगिान अयपंपा, बजनंहें यह मंबदर समबंपषत है, को एक बंंहंमचारी योगी माना जाता है. इसी िजह से मंबदर मेंमबहलाओंके पंंिेश पर रोक है.
यूपी में अकेले लडंेगी कांगंेस पेज 1 का बाकी बदख रहे थे जिबक मोदी बिदेश दौरे में रंबच बदखा रहे हैं. ऐसे में राहुल ने बकसानों को समय देकर उनंहें अपने साथ कर सकते हैं. इससे आंदोलन को भी िल बमलेगा.करीि 26 साल से हाबशये पर पडंी कांगंेस में पाटंंी उपाधंयकंं राहुल गांधी ने बफर से जोश भरा है. इसके बलए सहारनपुर बजले में करीि सात बकमी की पदयातंंा का आयोजन बकया गया बजसमें जंयादातर बकसानों की तादाद िाले इलाकें हैं. बजले के 70 फीसद बकसान हाल के सालों तक गनंने की खेती करते रहे हैं. लेबकन अि यहां की तीन में से दो चीनी बमलों के िंद हो जाने और गनंने की िकाया राबश बकसानों को न बमलने से आधे से अबधक लोग पापलर के पेड लगाने लगे हैं. पापलर की लकडंी का इसंंेमाल कंपंेसंड िुड िनाने में बकया जाता है. राहुल गांधी ऐसी ही पदयातंंा 6 जुलाई साल 2011 में गंंेटर नोएडा के भटंंा परसौल में कर चुके हैं. लेबकन उनकी यह पदयातंंा मायािती सरकार के भूबम अबधगंंहण के बिरोध में बकसानों के ऊपर बकये गये पुबलस की कायंषिाही के बिरोध में था. बकसानों का ति आरोप था बक उनकी जमीनें बिना उनकी मजंंी और पूरी माबलयत बदये िगैर उनसे ले ली गयीं. लेबकन हाल की गांधी के सहारनपुर पदयातंंा के पीछे ऐसा कोई तातंकाबलक
फायदा नहीं था.कांगंेस के सूतं िताते हैं बक हाल में राहुल ने यूपी में पाटंंी के कई िडे नेताओं को भेजा है. इसमें पूिंष केंदंीय मंतंी बजबतन पंंसाद, आरपीएन बसंह, यूपी पंंभारी मधुसूदन बमसंंी और यूपी कांगंेस अधंयकंं बनमंषल खतंंी शाबमल हैं. इन नेताओं को राजंय के कई िडंे राजनीबतक मुदंोंको तलाशने की बजमंमेदारी दी गयी है. नाम न छापने की शतंष पर कांगंेस के एक िबरषंं नेता ने कहा बक सभी पंंबतदंंंदंी दलों अपने िोट िैंक हैं. भाजपा के सिणंष और वंयापारी िोट हैं. सपा के पास यादि और मुसबलम िोट िैंक है तो िहुजन समाज पाटंंी का िोट िैंक दबलत िगंष है. लेबकन कांगंेस के पास ऐसा कोई िोट िैंक नहीं है. ऐसे में पाटंंी के कई नेताओं ने राहुल गांधी से कहा बक पाटंंी को बकसानों पर फोकस करना चाबहए. बजनका राजंय में 55 फीसद िोट है. इसबलए हम लोग बकसानों के मुदंों पर इस िार 2017 का बिधानसभा चुनाि लडेंगे. उनंहोंने यह भी कहा बक पाटंंी बिहार चुनाि पबरणाम से उतंसाबहत है. हमने बिहार में िगैर जंयादा मेहनत के बिहार के 243 मेंसे 27 सीटोंपर जीत हाबसल की. मौजूदा समय में यूपी में हमारे पास 29 सीटें हैं. बिना जंयादा संघरंष बकये यह संखयं ा 45 सीटोंतक जा सकती है. पर यह संखंया 403 सीटों में सौ से जंयादा पहुंच सकती है, यबद करीि 60 फीसद बकसान हमारे साथ आ जायें.
टूटने लगा तितलसंम! पेज 1 का बाकी हुई इस सीट पर भाजपा ने उनकी िेटी बनमंषला भूबरया को उमंमीदिार िनाया. पर उनको कांबतलाल भूबरया से बशकसंं झेलनी पडंी. यह सीट पाटंंी के बलए इस कदर अहम थी बक खुद मुखंयमंतंी बशिराज बसंह चौहान ने कंंेतं में दो दजंषन से अबधक रैबलयां और रोड शो बकये थे. इनके अलािा भाजपा के बलए केंदंीय मंतंी नरेंदं बसंह तोमर और थािरचंद गहलोत, पंंदेश अधंयकंं सांसद नंदकुमार बसंह चौहान, राषंंीय उपाधंयकंं और मधंयपंंदेश मामलों के पंंभारी बिनय सहसंंिुदंे और महासबचि कैलाश बिजयिगंंीय समेत तमाम नेताओं ने चुनाि पंंचार बकया. उधर देिास बिधानसभा सीट पर भाजपा के संिगंंीय बिधायक तुकोजीराि पिार की पतंनी गायतंंीराजे पिार जीत जरंर गयी हैं, लेबकन जीत के अंतर में कमी देखने को बमली है. तुकोजीराि पिार ने जहां यह सीट 50 हजार से अबधक मतोंसे जीती थी. िहीं इस िार जीत का आंकडंा घटकर 31 हजार के आसपास है. रतलाम मेंकांबतलाल भूबरया 88,832 मतों से जीत हाबसल करने में कामयाि रहे हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनि में िेहद बनराशाजनक पंंदशंषन करने िाली कांगंेस के बलए इस जीत को संजीिनी कहा जा रहा है. पंंदेश कांगंेस पंंितंता केके बमशंंा ने कहा बक भाजपा की इस
पराजय से देश में नरेंदं मोदी और पंंदेश में बशिराज बसंह चौहान का बतबलसंम टूटा है. इससे यह साबित होता है बक देश और पंंदेश थोथे िायदों से नहीं चलते. हम बपछला चुनाि एक लाख से जंयादा िोटों से हारे थे, जिबक इस िार हम 88 हजार से जंयादा िोटों से जीते हैं. उधर भाजपा के पंंदेश पंंितंता दीपक बिजयिगंंीय ने इस हार को मोदी या बशिराज से न जोडऩे का अनुरोध बकया. उनंहोंने कहा बक रतलाम झािुआ सीट परंपरागत रंप से कांगंेस की है. कांबतलाल भूबरया िहां से तीन िार बिधायक और चार िार सांसद रह चुके हैं. यह सच है बक हम साल 2014 में यह सीट कांगंेस से छीनने में कामयाि रहे थे, लेबकन िीच की अिबध के िेहतर जनसंपकंफ की िदौलत भूबरया दोिारा िह सीट हाबसल करने मेंकामयाि रहे. एक संथानीय भाजपा नेता ने नाम न जाबहर करने की शतंष पर कहा बक पाटंंी को लेकर जनता की नाराजगी बकसी से बछपी नहीं थी. यही िजह है बक पाटंंी महासबचि और पंंदेश के कदंंािर नेता कैलाश बिजयिगंंीय को चुनाि पंंचार के दौरान धमकी भरी भारा का पंंयोग करना पडंा था. बिजयिगंंीय ने कहा था बक अगर भाजपा यह सीट नहींजीती तो कंतंे ंका बिकास रोक बदया जायेगा. उतंत नेता ने यह भी कहा बक पेटलािद धमाके और वंयापम घोटाले की तबपश को भी इन नतीजोंमेंमहसूस बकया जा सकता है.
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27 नवंबर-03 दिसम्बर 2015
योगी के नाम पर सुलगा इलाहाबाद विशंंविदंंालय
अजय कुमार पांडेय
इलाहािाद बििंंबिदंंालय छातंं संघ के उदंघाटन कायंषकंम में िुलाने का बिरोध िढंता जा रहा है. छातंं संघ अधंयकंं बरचा बसंह की अगुिाई में आधा दजंषन से अबधक छातंं संगठनों ने िीते िुधिार को जुलूस बनकाला. इसमें योगी को सांपंदाबयक और मबहला बिरोधी िताते हुए इलाहािाद बििंंबिदंंालय में िुलाने का बिरोध बकया गया. छातंंसंघ की अधंयकंं बरचा बसंह और पूिंषउपाधंयकंंशालू यादि ने
पमरषद और पंंशासन का खेल
इलाहािाद बिबंंिदंंालय के छातंंसंघ चुनाि में अधंयकंं के अलािा िाकी चारों सेनंटंल पोसंट जीतने िाली बिदंंाथंंी पबररद का यह िचंषसंि संथाबपत करने का मामला है. चूंबक छातंं संघ अधंयकंं मबहला हैं इसीबलए बिदंंाथंंी पबररद का रिैया और भी नकारातंमक हो जाता है. छातंस ं घं के बिधान के अनुसार छातंस ं घं के बकसी भी पंंोगंांम का एजेंडा अधंयकंं ही तय करता है और महामंतंी उसका संचालन करता है.लेबकन यहाँ उपाधंयकंंऔर महामंतंी ने अधंयकंंको िाईपास करते हुए पंंोगंंाम बििंंबिदंंालय पंश ं ासन से पास करिा बलया. बिबि पंश ं ासन का इस तरह पास करना भी उसकी मंशा
को साफ़-साफ़ दशंाषता है. इसमें िैधाबनक गडिडी और िचंषसंििादी मामला तो है ही, साथ ही बिबि के गबरमामयी परमंपरा का भी उलंलंघन है. योगी आबदतंयनाथ न तो बकसी संिैधाबनक पद पर हैं और न ही बकसी शैकंबणक पृषंभूबम के. यही कारण रहा बक बिबि के आम छातंंोंने, और एसएफआई, आइसा, समाजिादी छातंं सभाजैसे संगठनोंने अधंयकंंकी अगुिाई में इस कुचकंं का बिरोध बकया . अंततः अधंयकंं के धरने पर िैठने के िाद बजलापंंशासन ने योगी के आगमन पर रोक लगाईं. अदखलेश प््ताप दिंह, छात्् एमए
20 निंिर को योगी के कायंषकंम को इलाहािाद बििंबंिदंंालय मेंआयोबजत करने के बिरोध में भूख हडंताल की भी चेतािनी दी थी. इलाहािाद बििंंबिदंंालय छातंं संघ
बकसी को िुलाना छातंं संघ संबिधान के बखलाफ है. छातंं संघ अधंयकंं बरचा बसंह ने 18 निंिर को पंंातंटर कायंाषलय का घेराि कर पंंातंटर से पूछा बक उनंहोंने कैसे इस कायंषकंम की अनुमबत दी. इस पर पंंातंटर ने कहा बक मौबखक अनुमबत दी गई है. इसी िीच पंंातंटर के हसंंाकंंर से इस कायंषकंम की अनुमबत देने िाले आदेश की पंंबत सािंषजबनक हो गयी बजससे बििंंबिदंंालय पंंशासन का ढुलमुल रिैया सामने आ गया. योगी के कायंषकंम के बिरोध में इलाहिाद का नागबरक समाज इि कार्यक्म के बारे मे् न तो भी सामने आ गया. शहर के िुबंदजीबियों, मुझिे चच्ाय की गरी और न तो लेखकों, संसंकृबत कबंमषयों ने ियान जारी मै्ने िहमदत िी.रोगी तो घोर कर योगी आबदतंयनाथ से छातंं संघ का मदहला दिरोधी और िांप्िादरक उदंघाटन कराना इलाहािाद बििंंबिदंंालय व्रक्तत है् की गौरिशाली परंपरा का अपमान िताया.इसके िाद कई संगठनों आइसा, की गयी और न तो उनंहोंने सहमबत दी. समाजिादी छातंं संगठन, एनयूएसआई, उनंहोंने छातंं संघ उदंघाटन कायंषकंम के एसएफआई, डीएसओ आबद छातंं संगठनों बलए िैजंाबनक, बशकंंाबिद या नागबरक समाज ने छातंं संघ अधंयकंं बरचा बसंह के नेतृतंि के गणमानंय नागबरक को िुलाने की राय में योगी के कायंषकंम के बिरोध में मौन के उपाधंयकंं बिकंंांत बसंह, महामंतंी बसदंंाथंष दी थी, लेबकन उस राय को दरबकनार कर जुलूस बनकाला. यह जुलूस छातंं संघ भिन बसंह, सांसंकृबतक मंतंी बजतेंदं शुतंल बदया गया. बरचा ने योगी आबदतंयनाथ को से शुरं हुआ और बििंंबिदंंालय कैंपस से और उपमंतंी शरण जायसिाल ने छातंं छातंं संघ उदंघाटन कायंषकंम में िुलाने का होता हुआ शहर के मुखंय मागंंों से िालंसन संघ के उदंघाटन कायंषकंम के बलए 20 बिरोध बकया. बसंह ने कहा बक िह घोर चौराहा के गांधी पंंबतमा पर पहुंचा जहां सभा निंिर को गोरखपुर के सांसद योगी सांपंदाबयक और मबहला बिरोधी हैं. अधंयकंं की गयी. इसमें योगी के बिरोध को सही आबदतंयनाथ को ितौर मुखंय अबतबथ िुलाया की बिना सहमबत छातंं संघ कायंषकंम में ठहराया गया. था. इस िारे में बििंंबिदंंालय पंंशासन से अनुमबत मांगी गयी. ये सभी पदाबधकारी अबखल भारतीय बिदंंाथंंी पबररद से जुडंे हैं. अनुमबत मांगते समय अधंयकंं बरचा बसंह की भी सहमबत की िात कही गयी. पर जि इस कायंषकंम को सािंषजबनक बकया गया तो बिरोध शुरं हो गया. छातंं संघ अधंयकंं बरचा बसंह ने संपषंं तौर पर कहा बक उनसे इस कायंषकंम के िारे मेंन तो चचंाष
ऋचा दसंह, छात्् संघ अध्यक््
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इलाहाबाि. पूिंाांचल में बहंदुतंि की नसंषरी चलने िाले योगी आबदतंयनाथ के नाम से ही इलाहािाद बििंंबिदंंालय सुलग गया है. बपछले बदनों बििंंबिदंंालय छातंंसंघ के उदंघाटन को लेकर जो माहौल बिगडा िह आज तक सामानंय नही हो पाया है. भाजपा की बिदंंाथंंी पबररद ने छातंं संघ के उदंघाटन के बलये योगी आबदतंय नाथ को िुलाकर माहौल तनािपूणंष कर बदया था .इस पूरे खेल में बििंंबिदंंालय पंंशासन की िडी भूबमका रही. यही िजह है बक योगी आबदतंयनाथ का इलाहािाद बििंंबिदंंालय में छातंं संघ के उदंंाटन कायंषकंम मेंिुलाये जाने का शांबतपूणंषबिरोध करने िाली छातंंसंघ अधंयकंंा बरचा बसंह को कारण िताओ नोबटस जारी कर बदया गया है. िहीं, भाजपा से जुडे उन छातंंों पर कोई कारंषिाई नहीं की गयी, बजनंहोंने बरचा पर हमला बकया था. अफ़सोस बक केंदंीय बििंंबिदंंालय और बशकंंण संसंथान सतंंाधारी सरकार के आगे इस कदर झुकने लगे है.ं इससे बििंबंिदंंालय मेंराजनीबत तेज होती बदख रही है. गोरखपुर के सांसद और गोरखनाथ मंबदर के महंत योगी आबदतंयनाथ को
बीफ विरोध पर पंंोफेसर बनी वनशाना
दतर्अनंतपुरम. ‘कॉलेज कोई मंबदर नहीं हैं और यहां मंबदर की परंपराए नहीं बनभाई जा सकतीं’ ये केरल की शंंी केरला िमंाष कॉलेज की पंंोफेसर दीपा बनशांत के फेसिुक पोसंट की लाइनेंहैं. बनशांत ने कहा, मैंिीफ के बिरोध पंंदशंषन के बखलाफ नहींहूं और मैनं े बकसी राजनीबतक पाटंंी के बिरोध में कुछ भी नहीं बलखा है. अपनी इस पोसंट के िायरल होने के िाद बनशांत को भारी बिरोध का सामना करना पडंा. यह पोसंट ति बलखी गयी थी जि कॉलेज में िीफ फेकंसटिल का आयोजन बकया गया था. मामले को तूल पकडंता देखकर सहायक पंंोफेसर बनशांत ने कहा कुछ संिाथंंी ततंि उनके इस पोसंट की
गलत वंयाखंया कर रहे हैं. मामले पर अपनी सफाई देते हुए सहायक पंंोफेसर दीपा ने मीबडया से कहा बक मेरी यह फेसिुक पोसंट कॉलेज में बकसी बिशेर आयोजन पर नहीं थी. यह सामानंय तौर पर देश मेंचल रहे िीफ िंदी के बििाद और उससे जुडंेबिरोध पर था. नागबरक होने के नाते फेसिुक पर मेरा अपनी राय देने का पूरा हक है. मेरी बटपंपणी कॉलेज बनयमों के बखलाफ नहीं थी. मैंने बकसी राजनीबतक पाटंंी के बखलाफ कुछ नहींबलखा था. मैंने अपने संपषंंीकरण में कोचीन देिासंिोम िोडंषको अपना पकंंरखा था. गौरतलि है बक एसएफआई कायंक ष तंाओ ष ंने कॉलेज मेंपहली अतंटिू र को
िीफ फेकंसटिल का आयोजन बकया था. इसके जबरये उतंंर पंंदेश में िीफ खाने के संदेह में हतंया पर बिरोध जताया गया था. अपनी फेसिुक पोसंट मेंबनशांत ने बलखा था बक शैबंकक संसंथाएं कोई मंबदर नहीं हैं जहां मंबदर से जुडंी परंपराओंका पालन बकया जा सकेगा. कॉलेज की राजनीबतक संितंतंता से शैबंकक पंंदशंषन में िाधा के सिाल पर सहायक पंंोफेसर बनशांत बिरोध जताते हुए कहती है बक राजंय में कॉलेज की पहचान एक िेहतर सांसंकृबतक और समृदं केंदं के रंप मेंहै. अपने सात साल के कॉलेज जीिन मेंहर िार मैंपंथ ं म संथान के साथ उतंंीणंषहुई. यह कॉलेज पबरसर ति राजनीबतक रंप से
जंयादा सबंंकय रहा. कॉलेज कैमंपस में छातंं तंया चुनते और अनुसरण करते हैंयह उनकी खुद की मजंंी है. पोसंट पर ििाल ति मच गया जि संघ पबरिार के कुछ संगठन ने पोसंट के िायरल होने पर अपनी तीखी पंंबतबंंकयाएं जाबहर की थी. इसे लेकर कॉलेज से बनकाले जाने तक की िातें कही जाने लगीं. ति जाकर मामले पर कॉलेज चलाने िाले कोचीन देिासंिोम िोडंष के अधंयकंं को मुदंे पर सफाई मांगनी पडंी थी. िोडंषने मामले मेंकारंषिाई करते हुए एसएफआई के छह छातंंों को कॉलेज से बनयमों के उलंलंधन के आरोप में बनलंबित - ि दहंिू कर बदया था.
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27 नवंबर-03 दिसम्बर 2015
यूपी के साठ से ज्यादा जिलो् मे् सूखा सरतेश जायिवाल लखनऊ. उतंंर पंंदेश में सूखे से हालात गंभीर हो रहे है. िुंदेलखंड में सूखे से चार बकसानो की जान जा चुकी है. महोिा मेंफसल ख़राि होने से तीस िरंषके एक बकसान सुनील ने फांसी लगाकर ख़ुदकुशी की तो िांदा बचतंंकूट मेंतीन बकसानो की बदल का दौरा पडने से जान चली गई. इससे सूखे से पैदा हो रहे हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है. हालांबक पचास बजलोंको सूखागंस ं ं घोबरत बकये जाने से सूखे की मार झेल रहे पंंदेश के बकसानों के बलए अि राहत बमलने की उमंमीद िनी है. िीते 18 निंिर को कैबिनेट िैठक मेंमुखयं मंतंी अबखलेश यादि ने राजंय के 50 बजलों को सूखागंंसं घोबरत कर बदया. इसके साथ ही मुखंयमंतंी ने इन बजलोंमेंबकसानों की पूरी मदद के पुखंता इंतजाम बकये जाने का भरोसा भी बदया है. पर इससे बकसानो को बकतनी राहत पहुंचेगी यह अभी कहा नहीं जा सकता. बिपकंं का आरोप है बक सरकार जितक बकसानो तक राहत पहुंचने की वंयिसंथा सुबनबंंित नही करती तितक कोई फायदा नही होगा. सिसे जंयादा संकट में छोटे बकसान है बजनंहें सरकारी राहत का िहुत कम फायदा बमल पाता है. आशंका यह है बक सूखे के नाम पर बिचौबलये कही जंयादा फायदा न उठा ले जाये. मुखंयमंतंी अबखलेश यादि के 50 बजलों के सूखागंंसं घोबरत बकये जाने के िाद बकसानों में उमंमीद जगती बदख रही है. इसके तहत सूखागंंसंघोबरत बजलों के पंंभाबित बकसानों से 31 माचंष 2016 तक मुखंय राजसंि देयोंकी िसूली को बफलहाल रोका जाना, कृबर ऋ ण िसूली में बकसानों के बखलाफ कोई कारंषिाई नहीं बकये जाने और सभी िीमा कंपबनयोंको फसल िीमा की भरपाई करने का आदेश बदया गया है. हालांबक पंंदेश के
छोटे वकसान तबाही के कगार पर
75 बजलों में से इस सूची में बसफंफ 50 बजलों को ही सूखागंंसं घोबरत बकया गया है. यह फैसला मौसम बिभाग के िाबरश के आंकडंोंका पूरा बंयौरा लेने के िाद बलया गया. गौरतलि है बक पूरे पंंदेश मेंजून से बसतंिर के िीच करीि 53.50 फीसद िरंाष हुई है. राजंय के 33 बजलोंमें40 से 60 फीसद और 16 बजलोंमेंकरीि 40 फीसद से भी कम िाबरश हुई है. इन सूखागंंसंबजलोंमेंसंत रबिदास नगर, सोनभदंं, सुलतानपुर, बमजंापष रु , िबलया, बसदंंाथंनष गर, शाहजहांपरु , िांदा, पंतं ापगढं, चंदौली, इटािा, िसंंी, िागपत, जौनपुर, फैजािाद, गोंडा, कनंनौज, िारािंकी, संतकिीर नगर, झांसी, जालौन, गोरखपुर, हाथरस, एटा, इलाहािाद, गाबजयािाद, फरंखंाषिाद, मऊ, उनंनाि, रामपुर, हमीरपुर, लबलतपुर, बचतंंकूट, कानपुर नगर, लखनऊ, देिबरया, मैनपुरी, महराजगंज, आगरा, औरेया,
ऐसे मेंसिाल उठता है बक बकसानोंको बकतना सही मुआिजा और राहत राबश बमल सकेगी. सूखागंस ं ंघोबरत बकये जाने पर भाकपा के सबचि डॉ बगरीश कहते हैंबक सूखे के हालात मेंसिसे िडी िंरंरत गांि के लोगोंको रोजगार मुहैया करने की होती है. सरकार को इस पर भी धंयान देना चाबहए. बकसानोंको इस घोरणा से कुछ लाभ तो बमलेगा, जि सूखे का सही तरह से आकलन हो. इसकी िजह यह है बक इसमें कम भूबम िाले बकसान अतंसर लाभ पाने से रह जाते है.ं इनंहेंन िैक ं से कजंषबमल पाता है न राहत राबश. सूखागंंसं घोबरत करने को भाजपा पंंितंता बिजय िहादुर पाठक ने कहा- मनरेगा मेंएक पबरिार के केिल एक वंयकंतत को साल मेंअबधकतम 100 बदन काम बमल सकता है. जिबक सूखे के दौरान खेती मेंकाम न बमलने से जंंयादा लोगों को काम देने की जरंरत होती है. िरना बकसान और गरीि दुकानोंसे अनाज नहींखरीद पायेंगे. पीलीभीत, अमेठी, महोिा, रायिरेली, कुशीनगर, ऐसे में राजंय सरकार को कुछ और राहत मुहैया करानी कानपुर देहात, कौशांिी, फतेहपुर, अंिड े करनगर और चाबहए. िहींदूसरी तरफ कांगंेस के अबखलेश पंंताप बसंह िलरामपुर शाबमल हैं. ने कहा बक बकसानोंका बहत तभी संभि है जि बकसानों सरकार की राहत और सूखे के एलान के िाद की परेशाबनयां सुनी जायें. इसमेंपूरी पारदबंशषता के साथ अि देखना यह है बक बकसानों तक यह राहत राबश राहत राबश का भुगतान सीधा उनके खातोंमेंकरना सही कैसे पहुंचायी जाती है? अतंसर जि भी बजले सूखागंंसं होगा, ताबक िंदरिांट नहींहो सके. कागिंी दांि-पेंच में घोबरत होते हैंतो डीएम की अधंयकंंता मेंकमेटी िना दी इन बकसानोंको उलझाने से कोई फायदा नहींहै. जाती है. इसमेंमुखंय तौर पर राजसंि अबधकारी होते हैं. राजंय सरकार के िाबरश के आंकडंोंके अधंययन के जो यह तय करते हैं बक बकसान की फसल को बकतना िाद सूखागंंसं घोबरत बकये गये बजले के बकसानों को नुकसान हुआ. इसका आंकलन लागत से नहीं होता बकतना फायदा होता है इसके बलए राहत राबश के बकसानों िकंलक िाजार में उस फसल के बिकने पर होने िाले के बमलने तक इंतजार करना होगा. इससे पहले भी फायदे से होता है. इसके 50 फीसद के बहसाि से राहत सरकारें राहत राबश के जबरये बकसानों के फायदे और राबश दी जाती है. राजंय सरकारें अपने संंर से पंंभाबित नुकसान की भरपाई की िातेंकरती रही है.ं पर राहत राबश बजलोंको सूखागंंसंघोबरत कर केंदंसे बितंंीय सहायता का बकसानोंतक सही आंकलन के साथ पहुंचना ही सूखे की मांग भी करती हैं. की मार की सही भरपाई होगी.
बुंदेलखंड में सूखा अब अकाल की कगार पर
योगे्द् यादव
योगेनंदं यादि ने संजय बसंह (परमाथंष औरई), जंयां दंंेि (रांची ) और रीबतका उतंरं पंदं श े के िुदं ल े खंड कंतंे ंमेंइस िरंष खेडा (बदलंली) के सहयोग से बकया. यह का सूखा बिकराल संिरंप धारण करता जा बनषंकरंषसिंंेमेंलोगोंदंंारा दी गयी सूचना पर रहा है. फसलों के नुतंसान, पानी की कमी आधाबरत है. इसकी संितंतं जांच नहीं की और रोिगार के अिसरोंकी कमी का असर गयी है. िुंदेलखंड में खरीफ की फसल अि सीधे सीधे इंसान और पशुओं के खाने लगभग ििंाषद हो गयी है. जंिार िाजरा मूंग पर बदखाई पडने लगा है. इससे यह अंदेशा और सोयािीन उगाने िाले 90% से अबधक पैदा होता है बक इस कंंेतं के सिसे ग़रीि पबरिारोंने फसल ििंाषदी की रपट दी. अरहर पबरिारों के बलए भुकमरी की नौित आ और उडद में यह पंंबतशत कुछ कम था. सकती है. ग़ौरतलि है बक इस कंंेतं में केिल बतल की फसल ही कुछ िच पायी है. लगातार तीसरे साल सूखा पड रहा है और िहाँ भी 61फीसद बकसानों ने फसल ििंाषदी इस साल ओलािृबंष/अबतिृबंष से रबि की का बिकंंबकया.सूखे के चलते पीने के पानी फसल भी नषंं हो गयी थी. इस संकटमय का संकट िढ रहा है. दो बतहाई गांि में कंसथबत का मुकािला करने के बलए सरकार बपछले साल की तुलना में घरेलू काम के और पंंसाशन को तुरंत कुछ आपात कदम पानी की कमी आई है, आधे के अबधक गाँि उठाने होंगे, चूँबक अि तक िह जनता तक मेंपानी पहले से अबधक पंंदूबरत हुआ है. दो बतहाई गाँि से पानी के ऊपर झगडे की खिर राहत पहुँचाने मेंअसमथंषरहा है. ं -पमंप है. लेबकन यह बनषंकरंष संिराज अबभयान दंंारा है. पानी का मुखयं संंोत हैणड सरकारी है ण ं ड -पमं प ों मे ं कोई एक बतहाई िुंदेलखंड की सभी 27 तहसीलों के 108 गांिोंमेंबकये सिंंेकंण से सामने आया है.इस िेकार पडे हैं. सिंंेकंण के सिसे बचंताजनक संकेत सिंंे में कुल 1206 पबरिारों (सिसे ग़रीि 399 सबहत) का इंटरवंयू बकया गया. दशहरा भुखमरी और कुपोरण से समंिबधत है. बपछले और बदिाली के िीच हुए इस सिंंेमेंसंिराज एक महीने के खान-पान के िारे मेंपूछने पर अबभयान और िुंदेलखंड आपदा राहत मंच पता लगा बक एक औसत पबरिार को महीने के कायंषकतंाषओंने गांि गांि जाकर सूखे के में बसफ़ंफ 13 बदन सबंिी खाने को बमली, असर का जायिा बलया.सिंंे का बनदंंेशन पबरिार में िचंंों या िडों को दूध बसफ़ंफ छह
बदन नसीि हुआ और दाल बसफंफ चार बदन. ग़रीि पबरिारोंमेंआधे से ि्यादा ने पूरे महीने मेंएक िार भी दाल नहींखायी थी और 69 फीसदने दूध नहींबपया था. ग़रीि पबरिारोंमें 19 फीसदको बपछले माह कम से कम एक बदन भूखा सोना पडा. सिंंेसे उभर के आया बक कुपोरण और भुखमरी की यह कंसथबत बपछले 8 महीनों में रिी की फसल खराि होने से बिगडी है. बसफ़ंफ ग़रीि ही नहीं, लगभग सभी सामानंय पबरिारों मेंभी दाल और दूध का उपयोग घट गया है. यहाँ के 79फीसदपबरिारों ने बपछले कुछ महीनों में कभी ना कभी रोटी या चािल को बसफ़ंफ नमक या चटनी के साथ खाने को मजिूर हुए हैं. 17 फीसद पबरिारों ने घास की रोटी (बफकारा) खाने की िात किूली. सिंंेके 108 मेंसे 41 गािोंमेंइस होली के िाद से भुखमरी या कुपोरण से मौत की रपट भी आई, हालाँबक इसकी संितंतंपुबंष नहींहो सकी. इस सिंंेमेंआसनंन संकट के कई और पंंमाण भी आये. एक बतहाई से अबधक पबरिारों को खाना मांगना पडा, 22फीसद िचंंों को संकूल से िाबपस लेना पडा, 27फीसद को िमीन और 24फीसद को जेिर िेचने या बगरिी रखने पडे हैं. जानिरों के बलए भुखमरी और अकाल की कंसथबत आ चुकी है. िुंदेलखंड मेंदुधारं
जानिरों को छोडने की "अनंना" पंंथा में अचानक िढोतंरं ी आई है. सिंंेके 48 फीसद गािों में भुखमरी से 10 या अबधक जानिरों के मरने की ख़िर बमली. िहाँ 36 फीसद गािों में कम से 100 गाय-भैंस को चारे के अभाि मेंछोड बदया गया है. जानिरोंके चारे मेंकमी की िात 77 फीसद पबरिारोंने कही तो 88 फीसदपबरिारों ने दूध कम होने की रपट की. मजिूरी में40 फीसद पबरिारोंको अपना पश िेचना पडा है और पशुधन की कीमत भी बगर गयी है. इस संकट से बनपटने के बलए सरकार और पंस ं ाशन को तुरतं कुछ िडे कदम उठाने होंगे. इस संकट की घडी में मनरेगा योजना से कुछ लाभ नहीं हो पाया है. एक औसत ग़रीि पबरिार को बपछले 8 महीनोंमेंमनरेगा से 10 बदन की मिदूरी भी नहीं बमली है. सरकारी राशन की कंसथबत भी असंतोरजनक है. ग़रीि पबरिारोंमेंआधे से भी कम (केिल 42फीसद के पास) िीपीएल या अंतंयोदय काडंष है.संिराज अबभयान ने उतंंर पंंदेश के मुखंयमंतंी से बमलकर मांग की थी बक कुछ इमरजेंसी कदम उठाये जाएँ. यह सिंंेकंण िुंदेलखंड को लेकर हमारी उस बचंता को सही ठहराता है. सरकार ने इस समंिनंध में कई घोरणाएं की हैं. अि िरंरत है बक आम लोगोंको अबिलमंि राहत पहुंचाई जाए.
भुखमरी से बदहाल है शंकरगढ़ इलाहाबाि. इलाहािाद के िारा तहसील का पूरा शंकरगढ कंंेतं भयंकर भूखमरी का बशकार है. इससे कइयों की जानें भी चली गयीं हैं. यह आरोप अबखल भारतीय बकसान मजदूर सभा का है. सभा के महासबचि के मुताबिक पतंथर खनने िाले मजदूर बजनके पास आिास के नाम पर पंलाकंसटक की पनंनी और पुआल की झोपडी है. पतंथर कंंशरों के िढने और खनन का काम िंद होने की िजह से उनंहें खाने के लाले पड गये हैं. ऐसे में न तो पंंशासन ने इनंहेंिैककंलपक जीबिका देने की मांग पर गौर कर रहा है और न ही मनरेगा के तहत इनंहें रोजगार बदया जा रहा है. इन गरीि मजदूरोंको िीडीओ जसरा ने गरीिी रेखा से ऊपर िताया है. गंंामसभा की जमीनेंपंंशासन ने गरीिोंऔर भूबमहीनोंको पटंंा देने की जगह िन बिभाग के हिाले कर बदया है. ऐसे में डीएम संजय कुमार और सीएमओ ने िेशमंंी के साथ कहा है बक 35 साल के तोताराम बजनका िजन मातंं 32 बकलो था और राधा भूख से नहींिकंलक टीिी और संकंामक रोग से मरे हैं. इस साल सूखा पडने की िजह से इधर कटायी का काम भी नहींहै, बजससे लोगोंमजदूरी के बलए काम भी नहींबमल पा रहा है.
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27 नवंबर-03 दिसम्बर 2015
पंकज चतुव्ेदी, छतरपुर
कहां गये तालाब
इ
स बजले मेंपचास हजार से जंयादा कुएं है.ं करीि सात सौ पुराने तालाि हैं. केन, उबंमषल, लोहर, िनंने, धसान, काठन, िाचारी, तारपेट नबदयां हैं. इसके अलािा सैकडंोंिरसाती नाले और िहुत से पंंाकृबतक झील और झरने भी हैं. इसके िािजूद इलाके की तसंिीर यह है बक होली के िाद गांि के गांि पानी की कमी से खाली होने लगते हैं. माचंष के अंत तक बजले के सभी कसंिे पानी की िूंद-िूद के बलए तरसने लगते हैं. इलाके के लोग इस सूखे को लेकर सरकार को कोसते हैं. पर इस तंंासदी का ठीकरा बसफंफपंंशासन के बसर फोडंना िेमानी होगा. इसके असली कसूरिार इलाके के लोग ही हैं. लोगोंने नलोंसे पानी आता देख अपने पूिज षं ोंके तालािोंमेंगाद भर दी. कुओं को लोगोंने तरजीह देना िंद कर बदया. पूरी तरह से नलकूपोंपर आबंंशत हो गये. जंगलों को उजाडंबदया गया. नबदयां उथली हो गयीं. िुंदेलखंड के छतरपुर बजले में पानी की बकलंलत बसफंफगमंंी के मौसम मेंही नहींहोती अि यह आम िात हो गयी है. सरकारी योजनाएं खूि उमंमीद बदखातीं हैं. पर पानी सरकारी फाइलोंसे बनकल ही नहींपाता. िनी तलैया एक गांि है. लौंडी बंलाक के इस गांि का नाम सुनकर लगता है बक कोई ताल या तलैया यहां जरंर होगी. यहां के लोगों के पुरखे, अपनी पानी की जरंरत के बलए इसी पर बनभंषर थे. सतंंर का दशक के करीि आधुबनकता की आंधी ने लोगोंको इस तालाि की सफाई करिाने की सुध को ही बिसरा बदया. बलहाजा सालभर लिालि भरा रहने िाला तालाि िरसाती गडंंा िन गया. तालाि सूखे तो गांि की तकदीर भी सूख गयी. कुओंका जलसंरं घटकर तलहटी मेंपहुंच गया. पठार और पहाडंी िाहुलयं छतरपुर बजले की पुरानी िसंंी को देखें तो पायेंगे बक छतरपुर हो या ितंसिाहा या बफर खजुराहो, हर िसंंी के मुहाने पर पहाड है. इस पहाडं से सटे तालाि खोदना यहां की सबदयोंपुरानी परंपरा रही. िेहतरीन पानी की संभािनाओं िाले इलाकोंमेंिने ये तालाि चंदेल राजाओं के कायंषकाल (900-1200िीं सदी) में िनिाये गये थे. अंगंेज इनकी तकनीक को
देख चबकत हो जाते थे. उनंहोंने बजले की बसंचाई पबरयोजनाएं इनंहीं तालािों के जबरये संथाबपत कीं. पर िाद के समय मेंइनमेंबमटंंी, नजदीकी पेडंोंकी पबंंतयां और इलाके भर की गंदगी बगराये जाने लगी. कांगस ंे के कायंक ष ाल में बदगंयबिजय बसंह ने ‘सरोिर हमारी धरोहर’ योजना की शुरंआत की तो भाजपा के बशिराज बसंह सरकार ने ‘जलाबभशेक’ का नारा बदया. पर तालाि चमकना तो दूर उन पर हुए कबंजे हटाने से भी सरकारी महकमे ने मुंह मोडंबलया. बजला मुखंयालय के सांतरी तलैया, बकशोर सागर जैसे कई िडे तालािों पर दुकानें और मकान िन गये हैं. तालािोंको गहरा करने और सुंदरीकरण के नाम पर लाखों-करोडंोंका िजट फूंका जाता रहा है. बकशोर सागर तालाि से अबतकंंमण हटाने के बलए राषंंीय हबरत पंंाबधकरण को दखल देना पडंा है. खजुराहोंमंबदर के हजार साल होने पर िहां कई आयोजन हुए. उस समय तालािोंकी रंगाई-पुताई कर चमकाया गया था. पर तालाि ऊपरी साज-सजंंा के मोहताज नहीं होते. तालाि का गहना तो बनमंषल जल होता है. बसंचाई बिभाग के पास छतरपुर बजले के 57 तालाि हैं. इनके रखरखाि के नाम पर
िीते पचास सालोंमेंखचंषकी गयी रकम का बहसाि करेंतो इलाके मेंतालािोंकी भरमार हो गयी होती. माबफया सरगना और पूिंष बिधायक संि. अशोकिीर बिकंमं बसंह के इस गांि के तालािोंका कंतंे फ ं ल 535 एकडंऔर
लोग इस सूखे को लेकर सरकार को कोसते हैं. पर इस तंंासदी का ठीकरा ससरंफ पंंशासन के ससर रोडंना बेमानी होगा. इसके असली कसूरवार इलाके के लोग ही हैं. लोगों ने नलों से पानी आता देख अपने पूवंवजों के तालाबों में गाद भर दी. पानी भरने की कंंमता 100.59 बमबलयन घन फुट हुआ करती थी. सालों से इसका पानी इलाके को सींचता आ रहा था. इसके अलािा यहां पैदा होने िाली कमल,बसंघाडंे, मछली से कई घरोंका चूलंहा जला करता था. साल
1989 मेंबसंचाई बिभाग के इंजीबनयर ने इस तालाि का बसंचाई रकिा शूनंय दजंष बकया. जो ताल एक साल पहले तक 400 हेतंटेयर खेत को सींचता था िह अचानक कैसे सूख गया? िह तो भला हो उतंंर पंंदेश पुबलस का जो एक हतंया के मामले में बिकंंमबसंह को बगरफंतार करने आयी तो खुलासा हुआ बक उदयपुर के ‘लेक पैलेस’ की तजंषपर अपना जल महल िनाने के बलए उनंहोंने इस तालाि पर कबंजा कर बलया था. यहींसाल 198990 में तालाि के रखरखाि पर सूखा राहत कायंषके नाम पर साढंेतीन लाख रंपये खचंष भी बदखाये थे. यह इलाका गंंेनाइट पतंथर से भरपूर है. यहां भूगभंषजल िेहद गहराई मेंहै. बजसे पतंथर चीरकर ही हाबसल बकया जा सकता है. असंसी के दशक मेंकई नेताओंने सेलम(तबमलनाडु) मेंजमीन का सीना चीर कर पाताल से पानी बनकालने के बलए मशीनें मंगिायीं. और जहां बकसी ने पानी के संकट की गुहार लगायी िहां नलकूप रोप बदया गया. पर िाबरश के िाद उन नलकूपोंने पानी देना िंद कर बदया. अि अंत मेंसरकारी अफसर कहने लगे बक तालाि खतंम होने से गंंाउंड िाटर बरचाजंष नहीं हो पा रहा है. जहां िडंे तालाि हैं िहीं नल कूप भी सफल हैं. अकेले छतरपुर ही नहीं पूरे िुंदेलखंड की असली समसंया अलंपिरंाष नहीं है. आधुबनकता की अंधी आंधी मेंपारंपबरक जल-पंंिंधन तंतंनषंंहो गये हैं. उनकी जगह सूखा और सरकारी राहत जैसे शबंदोंने ले ली है. अि सूखा भले ही जनता पर भारी पडंता हो, लेबकन राहत का इंतजार सभी को होता है. तंयोंबक इसी िहाने नेता और अबधकारी अपनी जेि खूि गमंषकरते हैं. कलम और तलिार दोनोंके समान धनी महाराज छतंंसाल ने सन 1707 में जि छतरपुर शहर की संथापना की थी, तो यह िेबनस की तरह हुआ करता था. चारों तरफ घने जंगलों िाली पहाबंडयों और िाबरश के बदनों में िहां से िहकर आने िाले पानी की हर िूंद को सहजेने िाले तालाि, तालािोंके
िीच से सडंक और उसके बकनारे िबंंसयां. साल 1908 में ही इस शहर को नगर पबलका का दजंाष बमल गया था. आसपास के एक दजंषन बजले िेहद बपछडंे थे, बजससे वंयापार, खरीदारी, सुरबंंकत आिास जैसे सभी कारणोंके बलए लोग यहां आकर िसने लगे. लेबकन इस शहरी बिसंंार के िीच धीरे-धीरे यहां की खूिसूरती, नैसबंगषकता और पयंाषिरण में सेंध लगने लगी. लेबकन इधर कुछ समाजसेिी संसंथाओं और यहां की जनता ने सामूबहक रंप से इन तालािों के कायाकलंप का बजमंमा उठाया है. इलाके के मौसम का यह हाल है बक िुंदेलखंड मेंहर पांच साल मेंदो िार िाबरश कम ही होगी. इसके िािजूद असंसी के दशक तक छतरपुर शहर मेंपानी का टोटा नहींथा. लेबकन तालािोंके बकनारोंपर लोगोंके िडते कबंजों ने इस बिकट समसंया को जनंम दे बदया. पहले लोगोंको लगा था बक पानी की आपूबंतष नल या हैंडपंप से होती रहेगी. जि लोगोंको समझ आया बक नल या भूजल का अबंंसतंि तो उनंहीं तालािों पर बनभंषर है. तालािोंमेंलोगोंने घर िना बलये हैं. बजसकी िजह से हाल के बदनों में िाबरश के दौरान िहां पानी भरने की बदकंंतेंभी सामने आयीं है.ं यहां के भूमाबफयाओंने तालािोंपर अिैध रंप से कबंजा जमाकर इसे उंचे-नीचे दामों पर िेचा भी बलया था. अि पता चल रहा है बक उसकी कोई संिीकृबत ही नहींथी. िह तो बरकॉडंषमेंगडंिडंकर तालाि को बकसी की संपबंंत िना बदया गया था. उन बदनों यह इलाका शहर से िाहर बनजंषन था. सुपंीम कोटंषने कई िार इन मामलोंपर पयंाषिरण मंतंालय को बदशा बनदंंेशों का पालन करने को आगाह करता रहा है. नेशनल गंंीन बंंटबंयूनल ने भी यही का आदेश बदया है बक बकसी भी नाले, नदी या तालाि, नहर और िन कंंेतंों में बकसी भी तरह का पकंंा बनमंाषण नहींबकया जा सकता. तंयोंबक इससे पयंाषिरण का संतुलन बिगडेगा. जल गंंहण कंंेतं के चारों ओर चालीस फीट के दायरे मेंभी कोई बनमंाषण नहींहो सकता. भूअबभलेख कायंाषलय, गंिाबलयर ने सेटेलाईट और अतंयाधुबनक तकनीक िाली टीएसएम से तालाि के असली रकिे की जांच की. उसके िाद 7 अगसंं 2014 को एनजीटी की भोपाल िेंच के नंयायमूबंतष दलीप बसंह ने बिसंंृत आडंषर जारी कर 1978 के िाद बनबंमषत और तालाि के मूल संिरंप के जलगंंहण कंंेतं से नौ मीटर भीतर के सभी बनमंाषण बगराने और तालाि के आसपास हबरयाली बिकबसत करने के आदेश बदये. चूंबक अि तालाि पर सैंकडंोंमकान िन गये हैं. लेबकन अि ये मानिीय, बसयासी मुदंा भी िन गया है. तालाि िचाने की मुबहम िाले बकशोर सागर के पुरातन संिरंप को लौटाने के पंंबत कोई बदलचसंपी नहींले रहे हैं. जाबहर है बक अभी समाज को यह भी सीखना है बक तालाि को अगर िचाना है तो करना तंया है? बकशोर सागर तो एक िानगी मातंं हैछतरपुर शहर के दो दजंषन, बजले के हजार, िुंदेलखंड के िीस हजार और देशभर के कई लाख तालािों की तंंासदी लगभग इसी तरह की है.
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छले कुछ महीनों में दलहन से लेकर पंयाज तक दाम मेंजो िढोतरी हुई िह महीनों तक चल रही है. जलिायु पबरितंषन के चलते खेती पर जो असर पड रहा है िह तो आम आदमी के बलए संकट पैदा करता ही है पर एक संथायी संकट खेती का घटता रकिा पैदा करने जा रहा है. खेती बकसानी से अि िडी आिादी मुंह मोड रही है. यह पंबंंकया तेज हो रही है .जो कसर िची थी उसे सरकार की योजनाएं पूरा कर दे रही है. बििंं िैंक की तरफ से जारी बििंं बिकास संकेतकों पर आधाबरत योजना आयोग के दृबंष पतंं 2020 में कृबर कंंेतं का योगदान घटा कर छह फीसद पर कंसथर रखने के लकंयं को लेकर ही खादानंन का समथंषन मूलंय तय बकया जाता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है बक कृबर कंंेतंबकस पंंाथबमकता पर है. िरंष 1950- 51 में देश में कृबर कंंेतं का
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तेजी िे घटता खेती का रकबा
योगदान 53 फीसद था तो उदंंोग कंंेतं का सोलह फीसद. िरंष 1980 -81 आते आते कृबर कंंेतंका योगदान 36.1 फीसद रह गया और उदंंोग कंंेतं का िढकर 25.9 हो गया. पर िरंष2011-12 मेंकृबर कंंेतंका योगदान 13.9 हो गया जो अि और घट चुका है. और सामने का छह फीसद का लकंंय भी सामने है तो समथंषन मूलंय की नीबत भी. समथंषन मूलंय घटेगा तो खेती का रकिा भी घटेगा. खेती पर देश की िडी आिादी बनभंषर है पर इसमेंिडा बहसंसा उनका है जो अपने घर पबरिार के बलए ही अनंन पैदा कर पाते है. मझोले और िडे बकसान जो अपने खाने के अलािा मुनाफे के बलए खेती करते है िे अनाज का िाबजि दाम न बमल पाने की िजह से खेती से मुंह मोड रहे है या बफर अनाज के अलािा वंयािसाबयक फसलों की तरफ मुड रहे है. यह कंसथबत खतरनाक है. बिकबसत देश
बकसानो की उपज का िाबजि दाम देने के बलए भारी सिबसडी देते है पर अपने यहां बकसान को इस तरह की कोई सिबसडी नही दी जाती है. बिदभंष में कपास बकसान िडी संखंया मेंख़ुदकुशी कर रहे है बजसकी मुखंय िजह कपास का िाबजि दाम नहींबमलना है जिबक अमेबरका में कपास बकसानो को िचाए रखने के बलए सरकार सिबसडी देती
है. यह एक उदाहरण है खेती बकसानी को लेकर समाज और सरकार की दृबंष का. हम अरहर का संकट पैदा होने पर िडी कीमत देकर दाल आयात करते है पर अरहर की खेती करने िाले बकसानो को कोई ऐसी मदद नहीं करते बजससे िह जंयादा से जंयादा पैदािार दे सके. खाद उिंषरक कीटनाशक से लेकर िीज तक के बलए बकसान परेशान रहता है. और जि फसल ठीक ठाक तैयार हो जाए तो बफर उसके दाम को लेकर मारा मारी शुरंहोती है. यह मारामारी देश के सभी बहसंसों में देखी जा सकती है. यही िजह है बक कृबर कंंेतंसे लोग िडी संखंया मेंदूर होते जा रहे है. बिबभनंन पबरयोजनाओं के बलए बकसानो की ही जमीन ली जाती है तो सडक से लेकर संमाटंषबसटी के बलए भी बकसानो की ही जमीन ली जा रही है. इस सिसे िैसे ही खेती का रकिा काफी कम हो चुका है. देश
संजिधान बदले् या हम लोग
1999) बलखने िाले पदंंशंी गंंेनबिल िंसवधान सदवि आकंसटन मानते हैंबक संबिधान बनमंाषताओंके मन मेंएक तरफ सामाबजक कंंाबं त की भािना पर सवशेष सटप्पणी थी और उतनी ही पंिं ल भािना राषंंीय एकता और उसकी कंसथरता की थी. नागबरक अर्ण कुमार स््िपाठी अबधकार यानी भाग-3 और नीबत बनदेशक ततंिों का बहसंसा यानी भाग-4 जहां छले पैंसठ सालों में संबिधान और सामाबजक कंंाबं त की ओर पंबंेरत करते है,ं िहीं `हम भारत के लोगों’ के िीच इसी िात िाकी बहसंसे और अनुचंछेद मजिूत संसंथाओं का संघरंषरहा है बक हम िदल कर संबिधान के माधंयम से देश की एकता और अखंडता जैसे हो जाएं या संबिधान को िदल कर को कायम करने का पंंयास करते हैं. हमारी अपने जैसा कर डालें. संबिधान ने हमारे सरकारों ने अगर अनुसूबचत जाबतयों और सामने जहां संिाधीनता संगंाम से बनकले जनजाबतयों के आरकंंण और िाद में अनंय भारतीय राषंंिाद के माधंयम से अनेकता में एकता का लकंंय रखा था िहीं शांबतपूणंष खाबरज कर बदया था बक अगर एक वंयकंतत पंंयास को संिीकार भी कर लें, तो संबिधान बपछडंा िगंष के बलए मंडल आयोग की रपट सामाबजक कंंांबत का उदंंेशंय रखा था. इन और एक िोट के बसदंंांत पर आधाबरत के संशोधनों में सिसे घातक संशोधन लागू करने के माधंयम से सामाबजक कंंांबत उदंंेशंयों को हमने एक हद तक हाबसल भी राजनीबतक लोकतंतं के साथ सामाबजक आपातकाल में बकया गया 42 िां संशोधन की कोबशश की है, तो कभी आंिेडकर के बकया है लेबकन जहां बिबिधता में एकता असमानता कायम रही तो जनता एक बदन रहा, बजसने नागबरक अबधकारों को छीन बहंदू कोड बिल को रोककर, तो कभी ढूंढने के िजाय उसे एकरंपता मेंढालने की संबिधान को जला देगी. यानी एक ओर बलया और लोकतांबंतक संसंथाओं को िंधक शाहिानो जैसी िूढंी लाचार औरत को गुजारा कोबशश से राषंंिाद की सबहषंणुता को संबिधान की जगह पर `मनुसंमृबत’ को मानने िना बलया था. शुकंहै बक भारतीय लोकतंतं देने िाले सुपंीम कोटंषके फैसले को पलट कर असबहषंणुता में िदल कर भीतर से कमजोर िाले हैं तो दूसरी ओर 1936 में बलखे गए के भीतर से 1977 में बनकले सशतंत कटंंरपंथी और पंंबतबंंकयािादी ताकतों का कर बदया जाता है, िहींसामाबजक कंंांबत के आंिेडकर के पंंबसदंंपेपर -जाबत उनंमूलन- जनादेश ने उसे 44 िें संशोधन के माधंयम साथ बदया है. इन पंंयासों से न बसफंफ लकंंय को भंंषं, संकीणंषऔर बहंसक तरीके से को अपना घोरणा पतंं मानने िाले हैं. इस से उसी पंंकार खाबरज कर बदया, बजस पंंकार धमंषबनरपेकंता कमजोर हुई है िकंलक करने का पंंयास बकया जाता है तो पंंबतकंंांबत िीच में गांधी के `बहंद संिराज’ और से िह लाया गया था. आपातकाल के िाद कटंंरपंथी ततंिोंको ताकत बमली है. सन 1999 में भारतीय संबिधान के के माधंयम से उसे पलट बदया जाता है. `कमंयुबनसंट मेबनफेसंटो’ के मानने िाले भी हैं 1992 में भी भारतीय संबिधान सुपंीम कोटंष संबिधान और हम भारत के लोगों के िीच जो कभी पयंाषिरण रकंंा तो कभी आबंथषक जैसी लोकतांबंतक संसंथा की सरेआम कामकाज की समीकंंा करते हुए गंंेनबिल आकंसटन बलखते हैंबक अगर 1950 मेंउसके सीधा टकराि यह है बक तंया हम संबिधान सिाल यह है वक कंया आज की चुनौवतयां हमारे संविधान वनमंााताओं की सामने पंबडत नेहरंदंंारा `भागंयिधू से की गई के िुबनयादी ढांचे को िदल देंगे या अपने को चुनौवतयों से बडंी हैं जो हमारे कदम डगमगा रहे हैं. हमें यह नहीं भूलना पंंबतजंंा’ का मूल मंतं था तो आज गांधी की िुबनयादी रंप से िदलेगं ?े या बफर यह कहेगं े बक हम तो ऐसे ही रहेंगे संबिधान चाहे जो चावहए वक विशंंयुदं और भारत के विभाजन जैसी भयानक तंंासदी के बीच िह `तािीज’ हमारा मंतंहो सकती है बजसमें कोई भी कदम उठाने से पहले कतार के कहे? हमारे सामाबजक और राजनीबतक से वनकली उस संविधान सभा पर वकतने तरह के दबाि थे. आबखरी आदमी का चेहरा सामने लाए जाने बिमशंष में संबिधान के तमाम अनौपचाबरक और उसके बहतोंका खयाल करने का सुझाि बिशेरजंं उपकंसथत हैं बजनका कहना है बक िरािरी के बलए सशसंं कंंांबत का सिाल अिमानना देखकर उस समय बसहर उठा, था. इसीबलए संबिधान के सामने आगामी जि अयोधंया में िािरी मकंसजद बगराई गई. इस संबिधान ने भारत की जाबत और धमंषकी उठाते रहते हैं. इसी संघरंष में संबिधान में सौ संशोधऩ िह भारतीय संबिधान और उसकी चुनौबतयों को पंंसंुत करते हुए िे सिाल संसंथाओं और आबदिासी समाज की मूल संसंथाओंका खयाल बकए बिना अपना ढांचा कर डाले गए और अभी हाल मेंसुपंीम कोटंष लोकतांबंतक ि धमंषबनरपेकंभािना के बिरंदं करते हैंबक तंया भारत के नागबरकोंने अपने िना डाला और आज इसीबलए उसका ने कालेबजयम पंंणाली की जगह राषंंीय सिसे िडंा दबंंकणपंथी बिदंंोह था, बजसे आज संबिधान की भूबमका में जो िादे बकए हैं टकराि हो रहा है. हालांबक पंचायती राज के नंयाबयक बनयुकंतत आयोग िनाने िाले 99 िें संिाधीनता संगंाम के िाद का सिसे िडंा उनको पूरा बकए बिना िह एक महान लोकतंतंहो सकता है? िे िचन सभी लोगों बलए 73 िेंसंबिधान संशोधन और बफर पेसा संशोधन को यह कह कर खाबरज कर बदया आंदोलन िताया जा रहा है. भारतीय संबिधान के इबतहास पर सिसे को सामाबजक, आबंथषक और राजनीबतक कानून के माधंयम से इस बशकायत को दूर बक यह संबिधान के मूल चबरतंं यानी करने की कोबशश की गई है. दूसरी तरफ यह नंयायपाबलका की संिायतंंता को िदलने की सकारातंमक दो पुसंकें (इंबडयन नंयाय बदलाने के हैं. उसके उपरांत संितंतंता, कहने िालोंकी कमी भी नहींहै बक संबिधान कोबशश है. अगर हम पंंथम संबिधान कांसंटीटंंूशन-कानंषर संटोन आफ ए समता और िंधुतंि के हैं. बफर भाईचारे के के िासंंुबशलंपी डा भीमराि आंिेडकर ने संशोधन के माधंयम से अबभवंयकंतत के नेशन 1966, और िबंकिंग आफ ए साथ ही वंयकंतत की गबरमा और राषंं की 1953 में यह कहते हुए इस संबिधान को अबधकार पर उकंततसंगत बनिंंाध लगाने के कांसंटीटंंूशनः द इंबडयन एतंसपीबरयंस एकता के हैं.
बप
विचार के िडे बहसंसे में एतंसपंंेस िे के नाम पर भी बकसानो की ही उपजाऊ जमीन ली गई है . ऐसे में खेती पर जंयादा संकट पैदा होता जा रहा है. बजस तरह पयंाषिरण को लेकर अि लोगों ने गंभीरता से सोचना शुरं बकया है उसी तरह खेती पर मंडराता संकट बसफंफ बकसानो का नहीं पूरे समाज का है यह समझना होगा. पंयाज अरहर से खेती को लेकर बफर से िहस तो शुरं हो ही गई है. दलहन के िाद बतलहन भी उसी रासंंेपर है ऐसे में खेती को लेकर हमें अपना नजबरया िदलना होगा. अभी तो थाली से दाल ही िाहर गई है, ऐसा न हो बक चािल भी िाहर हो जाए. देश के िहुत से इलाकोंमेंकम िरंाष से धान की खेती भी पंंभाबित हुई है.यही कंसथत कुछ अंचल मेंबतलहन की भी है. अगर हमेंआयाबतत अनाज के भरोसे नहींरहना है तो कृबर कंंेतंको ताकत देना जरंरी है.
पेदरस की घटना िि्षनाक है
पेबरस की घटना ददंनष ाक है. इन घटनाओंको राजंय अकेले नहीं रोक सकता है, अपने समाज को भी उठना पडेगा. अपना समाज यह मानने लगा है बक शाकंनत और सुरकंंा केिल राजंय और उसके हबथयारों की बजमंमदे ारी है. इसे िदलना होगा. यह सोचना िंद कीबजये बक मानिता पर हमला तो पेबरस मेंहुआ है. यह हमला मानि समाज पर हुआ है. इसके पहले यह नंयूयाकंफ में हुआ था, मुंिई में भी हुआ, इसंलामािाद में भी; भौगोबलक सीमाएं इनके बलए महतंिपूणषंनहीं हैं. िहशीपन बकसी समंपनंनता और हबथयार समंपनंनता के सामने कमिोर नहींपडता है. िेहतर होगा बक मानि समाज अि खडा हो और मानिीय मूलंयों को केंदं में रखने की पंंबंकया शुरं करे. तुम इतना कािंषन छोडते हो, तो हम भी इतना कािंषन छोडेंगे, तुम इतना लूटते हो, तो हम भी इतना लूटेंगे, तुम इतनी नबदयां खराि करते हो, तो हम भी इतनी नबदयां खराि करेंगे, तुम ऐसे गुलाम िनाते हो, तो हम भी गुलाम िनाएंगे. तुम उपबनिेश िना चुके हो, अि हम भी उपबनिेश िनायेंगे...(और भी िहुत कुछ करते हैं हम इसी तरह). जि बहंसा का जिाि बहंसा होता है, ति संयाही तो खून से ही िनती है. जि तक समाज (धमंषसे आगे) खुद उनके बखलाफ खडे नहीं होता, जो आतंक के पंंबतबनबध हैं, कोई सरकार, कोई सेना, कोई हबथयार इस ददंषका इलाि नहीं कर सकता है. यबद तथंयों को जानने की बहमंमत हो तो इबतहास देख लीबजए. केिल मुसलमान इसमेंशाबमल है और हर इसंलाबमक देश इसमेंबलपंत है, यह िात हमेंिार-िार पढाई गयी है. मैंसोचता हूं बक जि सीबरया मेंआतंक का धमाका होता है, ति मरता कौन है? अमेबरकी, भारतीय, फंंांबससी या िहीं का बनिासी, जो खुद भी मुसलमान है. जि अफगाबनसंंान में ताबलिान कहर िरपाता है, ति मरता कौन है, अफगानी ही तो मरता है. ऐसे मेंयह कैसे कहा जाए बक केिल एक खास समाज ही आतंक का सरमायेदार है? सजिन कुमार िैन
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खास खबर
27 नवंबर-03 दिसम्बर 2015
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राम की अगंनन परीकंंा
छह सदसमंबर 1992 को बाबरी सवधंवंस के बाद सलखा गया और 7 सदसमंबर को जनसतंंा में छपा पंंभाष जोशी का यह लेख ससहषंणुता और अससहषंणुता पर मचे मौजूदा घमासान के इस दौर में बेहद पंंासंसगक है. यह न ससरंफ सहंदुतंववादी ताकतों के असली चसरतंं को उजागर करता है बलंकक पंंभाष जोशी की सनभंंीक और धमंवसनरपेकं पंातंंकािरता का पंंमाण भी है. यह उन लोगों के सलए आइना भी है जो उनके नाम पर भोजन और भजन की पंातंंकासरता करते हैं. पंंभाष जी ने 17 नवमंबर 1983 को सजस जनसतंंा को शुरं सकया वह अपने समय से आगे का अखबार था अौर इस साल उसने 32 वषंव पूरे कर सलये. संयोग से पांच नवमंबर पंंभाष जी सक पुणंयसतसथ भी थी. इस मौके पर हम उनका पुणंय संमरण करते हुए कुछ सामगंंी सापंतासहक में और सवसंंृत सामगंंी पासंंकक पसंंतका में पंंसंुत कर रहे है. - संपादक प््भाष जोशी
रा
म की जय िोलने िाले धोखेिाज बिधंिंसकों ने कल मयंाषदा पुरंरोतंंम राम के रघुकुल की रीत पर अयोधंया में काबलख पोत दी. बहंदू आसंथा और जीिन परंपरा में बििंंास करने िाले लोगों का मन आज दुख से भरा और बसर से झुका हुआ है. अयोधंया मेंजो लोग एक-दूसरे को िधाई दे रहे हैं और िािरी मकंसजद के बििाबदत ढांचे को ढहाना बहंदू भािनाओं का बिसंफोट िता रहे हैं – िे भले ही अपने को साधुसाधंिी, संत– महातंमा और बहंदू बहतों का रकंंक कहते हों उनमें और इंबदरा गांधी की हतंया की खिर पर बंंबटेन मेंतलिार बनकाल कर खुशी से नाचने िाले लोगों की मानबसकता मेंकोई फकंफनहींहै. एक बनरसंं मबहला की अपने अंगरकंंकों दंंारा हतंया पर बिजय नृतंय बजतना राकंंसी है उससे कम बनंदनीय, लजंंाजनक और बिधमंंी एक धमंषसंथल को धंिसंं करना नहीं है. िह धमंषसंथल िािरी मकंसजद भी था और रामलला का मंबदर भी. ऐसे ढांचे को बििंंासघात से बगरा कर जो लोग समझते हैं बक िे राम का मंबदर िनाएंगे िे राम को मानते, जानते और समझते नहींहैं. राम के रघुकुल की रीत है- पंंाण जाए पर िचन न जाई. उतंंर पंंदेश की भाजपा सरकार, भारतीय जनता पाटंंी, बििंं बहंदू पबररद और राषंंीय संियंसिे क संघ ने सुपंीम कोटंष, संसद और राषंंकी जनता को िचन बदया था बक बििाबदत ढांचे को हाथ नहीं लगाया जाएगा. लेबकन कल अयोधंया में सुपंीम कोटंष, संसद और देश को धोखा बदया गया. कहना बक यह बहंदू भािनाओं का
बिसंफोट है झूठ िोलना है. बजस तरह से ढांचे को ढहाया गया िह बकसी भािना के अचानक फूट पडंने का नहींसोच-समझ कर रचे गए रडंंंतं का सिूत है. भाजपा के ही नहीं, राषंंीय संियंसिे क संघ के नेता भी िहां मौजूद थे. िे साधु- महातंमा भी िहां थे बजनंहें मागंषदशंषक मंडल कहा जाता है. बिबहप, भाजपा और संघ को अपने अनुशाबसत कारसेिकोंऔर संियंसेिकोंपर िडंा गिंषहै. लेबकन िे सि देखते रहे और ढांचे को ढहा बदया गया. ढांचा ढहाते समय रामलला की मूबंतषयां ले जाना और बफर ला कर रख देना भी पंंमाण है बक जो हुआ िह योजना के अनुसार हुआ है. भाजपा की सरकार के पंंशासन और पुबलस का भी कुछ न करना कलंयाण बसंह सरकार का इस रडंंंतं में शाबमल होना है. कलंयाण बसंह ने पहले इसंंीफा बदया और बफर भारत सरकार ने उनंहेंबडसबमस कर के उतंंर पंंदेश मेंराषंंपबत शासन लगा बदया है. भाजपा की एक सरकार ने िता बदया है बक िह अपना जनादेश बकस तरह पूरा करती है. उसमें न सैदंांबतक बनषंंा थी, न सिैधाबनक और पंंशासबनक बजमंमेदारी को िहन करने की शकंतत. िह बजस मौत मारी गई उसी के योगंय थी. तंयोंबक िह उगंिं ाबदयों के हाथों का बखलौना हो गई थी और रडंंंतंकाबरयों ने उसका इसंंेमाल ढांचा ढहाए जाने तक बकया. िे डेढं साल से कलंयाण बसंह की सरकार को मंबदर िनाने की िाधाएं दूर करने का साधन िनाए हुए थे. अपने संिैधाबनक, संसदीय और नैबतक कंतं वषं यं से समझते –िूझते हुए पलायन करने िाली सरकार के बलए कोई आंसू नहीं िहाएगा लेबकन जनता बफर से ऐसी सरकार िनने देगी?
भारत सरकार ने राषंंपबत शासन जरंर लगाया है लेबकन इतने महीनों से िह उतंंर पंंदेश सरकार और भाजपा को बजमंमेदार िनाने की राजनैबतक खेल में लगी हुई थी. अि ऐसी हालत उसके सामने है बक अयोधंया में दो–तीन लाख लोग इकटंंेहै.ं पुबलस और अधंषसैबनक िलों को िहां पहुंचने में अनेक िाधाएं हैं. जो टकराि िह टालना चाहती है अि उसमेंिह गले–गले पहुंच गई है. ढांचे की रकंंा, संबिधान और सुपंीम कोटंष के आदेश का समंमान उसकी भी उतनी ही बजमंमदे ारी थी बजतनी उतंरं पंदं श े सरकार की. तंया उसने एक पंंदेश की बनिंाषबचत सरकार पर बििंंास कर के गलती नहीं की? तंया उसे संबिधान की रकंंा के बलए गैर सिैधाबनक कदम उठाने चाबहए थे? इन सिालों के जिाि आसान नहीं होंगे लेबकन इबतहास में िह कोई कारगर सरकार नहीं मानी जाएगी. कोई नहीं जानता बक भारत सरकार अि अयोधंया में बकतना कुछ कर सकेगी लेबकन देश का जनमत उसे िखंशेगा नहीं. सही है बक सभी राजनैबतकों और राजनैबतक पाबंटयि ोंने अयोधंया के मामले को उलझाया है. सभी ने उसका राजनैबतक उपयोग बकया है और कल जो हुआ है उसमें इस राजनीबत का भी हाथ है. लेबकन राम मंबदर बनमंाण ष का आंदोलन बििंंबहंदू पबररद चला रही थी. यह संसंथा संघ की िनाई हुई है. कल से शुरंहोने िाली कार सेिा का भार संघ ने बलया था. िजरंग दल और बशिसेना के लोग तंया कर सकते हैं इसे संघ पबरिार जानता था. लेबकन उनने लोगों की भािनाओं को भडंकाया और उनंहें िडंी संखंया में अयोधंया मेंजमा बकया. राजनैबतक पाबंटियोंके खेल तो सि जानते हैं लेबकन संघ, बहंदू समाज को बहंदू संसंकृबत के अनुसार संगबठत करने का दािा करने िाला संगठन है और बििंं बहंदू पबररद मंबदर और िह भी राम का मंबदर िनाने बनकली संसंथा है. आप कांगंेस और भाजपा को राजनैबतक पाबंटियोंकी तरह कोस सकते है.ं लेबकन संघ पबरिार को तंया कहेगं े बजसने धमंष और समाज के बलए लजंंा का यह काला बदन आने बदया? देश का िृहतंंर बहंदू समाज अयोधंया में जो हुआ उस पर शबंमांदा है और देश कौ कैसे िचाना यह उसी की उदार और सबहषंणु परंपरा मेंसंथाबपत है. िह पूछगे ा बक राम का मंबदर िचन तोडंकर, धोखाधडंी और िदले की नींि पर िनाओगे? और जो कहेगा बक हां, उससे िह पूछगे ा, बक यह बहंदू धमंषहै? कोई नहीं कह सकता बक कार सेिा के नाम पर ढांचा इसबलए धंिसंं हुआ बक अचानक भडंकी भािनाओंको रोका नहींजा
सकता था. मुलायम बसंह की तरह अयोधंया जाने पर बकसी ने पािंदी नहीं लगाई थी. सुपंीम कोटंषने कार सेिा की इजाजत दी थी. बजस इलाहािाद हाईकोटंष पर फैसले को टांगे रखने का आरोप है िह पांच बदन िाद अबधगंंहीत भूबम पर बनणंषय देने िाला था. ति तक कार सेिा ठीक से चल सके इसकी कोबशशों में केंदं सरकार ने सहयोगी रंख अपनाया था. उतंंर पंंदेश की सरकार ने पुबलस की तैनातगी इतनी कम कर दी थी बक उसे देख कर बकसी के भडंकने की संभािना नहीं थी. कार सेिा में बजन रोडंों की िातें भाजपा-बिबहप आबद करते रहे हैंिे सभी हटे हुए थे. और ऐसा भी नहीं बक 'गुलामी' के तथाकबथत पंंतीक उस ढांचे को कारसेिकों और उनके नेताओंने पहली िार देखा हो बक िे एकदम भडंक उठे. िह ढांचा िहां साढंे चार सौ साल से खडंा था और उसमें कोई बतरयालीस साल से रामलला बिराजमान थे और िहां पूजा-अचंषना की कोई मनाही नहीं थी. बफर उसे बगराने और इस तरह बगराने की अबनिायंषता तंया थी? यह भी नहीं कहा जा सकता बक िहां केंदं ने टकराि मोल बलया हो. लोगों को भडंकाया हो. भाजपा और संघ के ही नहीं बिबहप और िजरंग दल जैसे उगंंिादी संगठनोंने भी कहा था बक केंदंकरेगा तो ही टकराि होगा. लेबकन केंदं कल बदलंली में सात घंटे तक हाथ पर हाथ धरे िैठा रहा और तथाकबथत कारसेिकों ने अपने नेताओं की उपकंसथबत में उगंं-से-उगंं काम कर डाला. कोई नहींकह सकता बक उनंहेंउतंबंेजत बकया गया. कोई नहींकह सकता बक यह भािनाओं का अचानक बिसंफोट था. यह जिरदसंंी और सोच-समझ कर बकया गया अपकमंषहै. इसमें जो धोखाधडंी है िह हमारे लोकतंतं
और पंथबनरपेकंसंबिधान को दी गई चुनौती नहीं है. यह पूरे बहंदू समाज की बििंंसनीयता, िचनिदंंता और उतंंरदाबयतंि को नुकसान पहुंचाया गया है. संघ पबरिार को फैशनेिल धमंषबनरपेकंता की बचंता न भी हो तो कम-से-कम उस समाज की परंपरा, िचनिदंंता और बििंंसनीयता की बफकंं तो करनी चाबहए बजसे िह बििंं का सिसे उनंनत और संसंकृत समाज मानता है. इसके िाद हम बसख आतंकिाबदयों के धमंष की आडं में चलते खाबलसंंान और कशंमीर के मुसलमान आतंकिाबदयों की आजादी के बजहाद का तंया जिाि देंगे? ताकत भी बदखाने के धमंषबनषंं, पारंपबरक, सिैधाबनक और संसदीय रासंंे बहंदू समाज के बलए खुले हुए थे बफर तंयों उसे इस मधंययुगीन ििंषरता मेंडाला गया? जो मानते हैंबक ढांचा धंिसंंकर के िे बहंदुतंि की नींि रख रहे हैं जलंद ही देखेंगे बक बहंदू समाज उनंहें कहां पहुंचाता है. िदले की भािना से कांपने िाले पंंबतबंंकयािादी कायरों के अलािा बकसी बहंदू हंदय ने इस बिधंिंस का समथंषन बकया है? देश, केंदं सरकार और बहंदू समाज के सामने आजाद भारत का सिसे िडंा संकट मुंह िाए खडंा है. अगले कुछ बदनों में उनंहें अकंगन परीकंंा मेंसे गुजरना है. संबिधान और संसदीय परंपरा उनके साथ है और उनंहें एकता और अखंडता की ही रकंंा नहीं उन परंपराओंका भी बनिंाषह करना है जो हजारों सालोंसे इस देश को धारण बकए हुए हैंऔर बजनके नषंंहो जाने से न भारत भारत रहेगा, न बहंदू समाज बहंदू. इस संकट मेंिे भगिान राम से भी पंंेरणा ले सकते हैं बजनंहोंने ऐसे संकट मेंबििेक के साथ मयंाषदा की संथापना और रकंंा की है.
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27 नवंबर-03 दिसम्बर 2015
पंंभाषंा जोशी: बडंे दबाि झेलने का दम
डायरेतंटर को नहींजानता िस संपादक को जानता हूं या मैनेबजंग डायरेतंटर बििेक गोयनका को. खिर रोकने का आदेश ये दोनोंसजंंन दे सकते हैं. यह कहते हुए मैंने फोन काट बदया. पंंभार जी को फोन कर यह शंभूनाथ शुक्ल िात िता दी. पंंभार जी ने िस हां-हूं कहा. ल 1994 के गहमा-गहमी िाले बदन यह भी नहींिताया बक अगर नुसंली िाबडया थे. यूपी में ति सपा-िसपा की का फोन आये तो मुझे तंया जिाि देना है. न सरकार थी. उस समय िहां पर एक उनंहोंने िताया और न मैंने पूछा. तीन-चार गैरआईएएस नौकरशाह शशांक शेखर बसंह बदनोंिाद पंंभार जी लॉिी मेंबदखे तो दूर से की तूती िोलती थी. सुना जाता था बक िे ही आिाज दी- रंकना पंबडत. िे मेरे करीि ं ी का फोन आया था. अखिारोंको बनदंश ंे देते बक अमुक खिर नहीं आये और िोले बक नुसल जायेगी तो सपा-िसपा सरकार से डरे-सहमे अपन ने कह बदया बक हमारे यहां खिर अखिार िाले मशीन पर चल रहा अखिार रोकने का अबधकार डेसंक पंंभारी को है. रंकिाते और खिर रोक ली जाती. ऐसे ही अगर िह संतुषं है तो खिर नहीं रोकी जा बदनों में एक रात कोई दस िजे मुझे फोन सकती. पंंभार जी की यह िात सुनकर मैं आया. पीिीएतंस से िताया गया बक लखनऊ भािुक हो गया. ति मैं एक सामानंय बडपंटी ू एबडटर था. जनसतंंा के पंध ं ान संपादक से कोई शशांक शेखर िोल रहे हैं. उनंहोंने नंयज कहा है बक शंभूनाथ शुतंला को फोन दो. मेरे पंंभार जोशी का मेरे ऊपर ऐसा भरोसा रहा. फोन उठाते ही उधर से आिाज आयी देबखए मेरा तो गला ही भर आया. मैं न उनका आपके यहां लखनऊ से अमुक खिर आयी आभार जता पाया और न समंमान मेंदो शबंद है. इसे जाना नहींहै. मैनं े कहा बक पहली िात कह पाया. चुपचाप आंसू बछपाते हुए चला तो मैंआपको जानता नहींदूसरे खिर रोकने गया. अगली घटना इसके तीन या चार साल का अबधकार आपको नहीं बसफंफ हमारे संपादक पंंभार जोशी को है. ति उनंहोंने िाद की है. िरेली के मंडलायुतंत की पतंनी अपना नाम िताया और कहा बक अगर खिर ने एक एनजीओ िनाकर बिकलांग कलंयाण आप नहींरोकेंगे तो आपके पास अभी नुसंली के नाम पर कई लाख के अनुदान बलये थे. िाबडया का फोन आयेगा. आपको पता ही काम थोडंा भी नहीं बकया. िे एक और होगा बक िे आपके अखिार के िोडंष ऑफ अनुदान लेने के चकंंर में थीं. ति उतंंर डायरेतटं संषमेंहै.ं मैनं े बिनमंतं ापूिक षं कहा बक पंंदेश सरकार के पंंमुख सबचि बिकलांग आप खिर रंकिाने के बलए मुझे तंयोंधमका कलंयाण मेरे बमतंंथे. उनंहोंने मंडलायुतंत की रहे हैं. आप संियं तंयोंनहींपंंभार जी से िात पतंनी का सारा बचटंंा मेरे पास भेज बदया इस करते? और शंंीमान जी मैंअखिार के बकसी अनुरोध के साथ बक िॉस मेरा नाम नहीं
सा
िात नहींकह सकता आप इसके बलए पंंभार जोशी से कहें. मंडलायुतंत पंंभार जी को भी अचंछी तरह से जानते थे. इसबलए उनंहेंफोन कर बदया. पर पंंभार जी ने साफ मना कर बदया और कह बदया बक यह शंभूनाथ शुतंल का बिशेराबधकार है, आप उनसे ही िात करे.ं उनका फोन मेरे पास आया और एकदम से रौिीले अंदाज में िोले बक मैं अमुक अबधकारी िोल रहा हू,ं आपको संटोरी बलखने के पूिंषमुझसे पूछना था. मैंने कहा तंयोंआप मेरे संपादक तो हैंनहीं. मेरे इस रंखे वंयिहार से िे नरम पडंेऔर िोले शुतंला जी आप तो िडंेसीबनयर पतंक ं ार है,ं आप एक िार मुझसे पूछ तो लेत.े मैनं े कहा बक मेरे पास सारे सिूत बरटेन मेंमौजूद थे और पुखंता भी. बफर आप अबधकारी तो हैंऔर यह भी सही है बक बजस एनजीओ की गंंांट रंकी िह आपकी पतंनी का था. पर इसमेंआपकी सफाई बकस अबधकार से छापी जाती. इसके िाद न तो िे अबधकारी आना चाबहए. यह संटोरी पुखंता सिूतों के मुझसे पूछने की बहमंमत कर पाये और न ही साथ िडंेजगह मेंछपी. नतीजतन ततंकालीन मैंने कुछ िताया. ये दोनोंउदाहरण पंभं ार जी के वंयकंतततंि केंदंीय सामाबजक नंयाय मंतंी मेनका गांधी ने का पबरचय कराते हैं. बकतने संपादक इस मंडलायुतंत की पतंनी के एनजीओ की गंंांट रोक दी. ति जनसतंंा में संपादक पंंभार तराजू पर खरे उतरते हैं, शायद आज की जोशी नहीं थे. जो थे िे ऊपर से तो पंंभार तारीख में कोई नहीं. पंंभार जी का अपने जोशी से पंंगाढंता बदखाया करते थे लेबकन साबथयों और अपने अधीन काम करने अंदर से उतना ही मनमुटाि रखते. िे पंंभार िालोंपर पूरा भरोसा था. हर बकसी के बिरंदं जी के करीिी लोगों से भी खार खाते. खिर छापने का उनका हक भी. अगर सिूत मंडलायुतंत महोदय यूपी के ताकतिर पुखंता हैं और संिाददाता का आशय नौकरशाह थे. उनंहोंने उन संपादक महोदय ईमानदारी का है तो पंंभार जी कभी भी खिर को फोन कर कहा बक शंभनू ाथ शुतल ं से कहें नहीं रोकते थे. कोई भी दिाि उन पर काम बक खिर का संंोत ितायें. संपादक महोदय नहीं करता था. जनसतंंा का सूतं िातंय, ने कह बदया बक मैं शंभूनाथ शुतंल से यह ‘सिकी खिर,सिको खिर’ उस पर
जनसतंंा और इसके संपादक पंंभार जोशी सदैि खरे उतरे. पंंभार जी अपने अधीनसंथों के समंमान और बहतोंकी रकंंा के बलए पंिं धं न से भी लडंलेते थे. अतंसर अपनी जेि से धन देकर उनकी आबंथषक मदद भी करते. साल1986 मेंमेरी छोटी िहन की शादी थी. मुझे ति इंबडयन एतंसपंंेस समूह में आये महज तीन साल ही हुए थे. ति िेतन था मातंं दो हजार. टीएंडसी िगैरह से भी कजंषलेने के िाद दो हजार रंपये कम पडंरहे थे. पंंिंधन ने कजंष देने से हाथ खडंे कर बदये तंयोंबक बनयमत: ऐसा हो नहींसकता था. बजस बदन मुझे कानपुर जाना था उस बदन दोपहर को मुझे पंभं ार जी ने िुलाया और पूछा बक कंपनी से लोन बमल गया? मैनं े कहा- नहींमुझे लोन बमल नहींसकता. पूछा बकतने रंपये कम पडं रहे हैं? मैंने कहा बक दो हजार. उनंहोंने ततंकाल अपने पीए राम िािू को िुलाया और कहा बक जरा मेरा एकाउंट देखकर िताओ बक उसमेंबकतने रंपये है?ं रामिािू ने िताया बक कुल पांच सौ. पंंभार जी ने उनंहेंकहा बक मेरे बलए एकाउंट को कहो जाकर बक पंंभार जोशी को अपने िेतन का एडिांस चाबहए दो हजार. रामिािू के जाने के कुछ ही कंंण िाद इंबडयन एतंसपंंेस के बिशेर कायंाषबधकारी पीसी जैन पंंभार जोशी के पास आये और िोले- लो जी तुमंहारे िंदे को मैंने अपनी बरसंक पर लोन बदलिा बदया. मुझे ततंकंण दो हजार रंपये बमल गये. यह थी पंंभार जी की साबथयों के पंंबत सहंदयता. अि जि ऐसे संपादक ही नहीं रहे तो कौन उप संपादक भला अपने संपादक के बलए जान तक देने को ततंपर होगा.
सुनो सबकी, कहो अपनी: राम बाबू
दो दशक तक पंभं ाष जोशी के सनजी ससचव रहे राम बाबू से उनकी कायंश व ल ै ी के बारे में अरंण कुमार संंतपाठी की अंतरंग बातचीत छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिि तोड्े िाने की घटना ने प््भाष िोशी को बहुत दिचदित दकया था. उसके बाि एक प््कार से उनकी पत््कादरता का नया अितार हुआ. उस दिन(तब) प््भाष िी का मानस कैसा था. उस िक्त प््भाष िी कांग्ेस के संपक्क मे् थे. हािांदक िे भािपा, कांग्ेस, कम्युदनज्ट सभी पाद्टियो् के िोगो् से संपक्क रखते थे, िेदकन उस समय ज्यािा कांग्ेस की तरफ झुकाि था. िहां तक मस्जिि की बात है तो उनका मानना था दक झगड्ा नही् होना चादहए था. यह इदतहास है. इस पर िेखक अिग-अिग ढंग से सोच सकते है्, दिख सकते है्. रािनेता अिग तरह से प््दतद््िया िे सकते है्. िेदकन एक बात िर्र सोचनी चादहए दक अगर बाबरी मस्जिि दहंिू धम्म को तोड्ने के दिए बनायी गई थी तो क्या दहंिू धम्म टूट गया. इसी तरह मंदिर तोड्कर मस्जिि बनाने से न तो दकसी धम्म की समास्तत होगी और न ही दकसी धम्म को फायिा होगा. अपने महत्िपूर्म सहयोदगयो् को िे दकस तरह समझाते थे और उनका क्या र्ख था ? ज्टाफ मे् िो िोग महत््िपूर्म थे एक व्यास िी(हदरशंकर) और िूसरे बनिारी िी. बनिारी िी को िो कुछ कहा िाता था िे उसे संिेिनशीि तरीके से समझते थे और उस पर चिने की कोदशश करते थे. पर व्यास िी को यह गंिारा नही् था. उनका कहना था दक मंदिर के अंिर मस्जिि बनायी गई थी इसदिए इसे तोड् िेना चादहए. उस समय राम बहािुर राय भी अखबार मे् थे िेदकन िे
संपािकीय मे् अंिर की बाते् ज्यािा होती थी्. िबदक बनिारी िी ज्यािा िोगो् से नही् दमिते थे. िो उनसे दमिने आ गया उसी से चच्ाम करते रहते थे. छह दिसंबर 1992 से पहिे भी गरम माहौि बन रहा था. उसके बारे मे् प््भाष िी अखबार मे् कैसी दहिायते् िे रहे थे?
प््भाष िी के उतने करीबी नही् थे. प््भाष िी सभी िेखको् और अपने सहयोगी पत््कारो् से कहते थे दक भैया यह इदतहास है दितना पिटोगे नयी चीि दनकिेगी. इसदिए उसे रहने िो. िब भी कुछ होता है तो दहंिू-मुस्जिम िंगे की बात आती है. िे ऐसा कुछ नही् चाहते थे. िे सभी से कहते थे दक हमे् अपने अखबार मे् ऐसा कुछ नही् िेना चादहए दिससे दहंिू-मुस्जिम िंगा भड्के. िे सभी की रपट िेखने की कोदशश करते थे दक दकसे दकतना करना चादहए था और दकसने दकतना दकया है. व्यास िी का बहुत सारे िोगो् से दमिना िुिना था इसदिए उनकी रपट और
िे छह दिसंबर से पहिे ही अखबार को कसने की कोदशश कर रहे थे. उनका सादथयो् से कहना था दक आप िोग िो न्यूि िेते हो िह िैसे ही चिी िाती है. िो न्यूि हम िे् उसकी गहराई मे् िाना चादहए. हमे् आपस मे् बैठकर चच्ाम करनी चादहए. उस पर ध्यान िेने की िर्रत है. छह दिसंबर को भी उन्हो्ने दिशेष बैठक की थी. इस बैठक मे् बनिारी, व्यास िी सदहत श््ीशचंि दमश्् और सत्यप््काश द््तपाठी थे. राय साहब थोड्ा िेर से आये थे. उन्हो्ने कहा दक हमारे अखबार पर दकसी की उंगिी नही् उठनी चादहए. क्यो्दक एक िो खबरे् ऐसी गयी थी् दिससे अखबार की बिनामी हुई थी. उसमे् एक खबर हेमतं शम्ाम की थी तो आिोक तोमर की भी खबरे् थी्. पर छह दिसंबर को बाबरी मस्जिि टूटने के बाि प््भाष िी अदतदरक्त सद््िय हो गये और खूब दिखने िगे. इसके बाि प््भाष िी से कांग्ेस के िोग ज्यािा दमिने आने िगे और भािपा के िोग कम हो गये. इस घटना के बाि प््भाष िोशी ने िो िेखन शुर् दकया तो अटि दबहारी िािपेयी ने िनसत््ा अखबार िेना बंि कर दिया. िे अपने सादथयो् से कहते थे दक पत््कार दकसी से भी दमिे िेदकन दिचार
समाि को भड्काने िािे नही् होने चादहए. प््भाष िी से कौन-कौन नेता िफ्तर दमिने आते थे और िे दकस-दकस के पास िाते थे? मुिायम दसंह आते थे दमिने. कल्यार दसंह िो तीन बार दमिने आये. निि दकशोर शम्ाम आये. िेिीिाि और प््मोि महािन आये. पर िब भािपा से उनकी िूरी बनी तो भािपा के नेता कम हो गये. प््भाष िी मुरिी मनोहर िोशी से दमिने उनके घर िाते थे. सीताराम येचुरी से दमिने उनके िफ्तर िाते थे. िीपी दसंह से दमिने तो बारबार िाते थे. एक बार चंद्शेखर िी भी आये थे. िबदक अटि दबहारी िािपेयी उनके दचत्् दिहार िािे घर पर आये थे. िे मध्यप््िेश िािा दरश्ता मानते थे. इंदियन एक्सप््ेस के संपािक अर्र शौरी से दकस तरह दमिना-िुिना था? िेदखए अर्र शौरी तो शुर् से भािपा समथ्मक थे. कुछ िोग तो कहते थे दक प््भाष िी भी भािपा समथ्मक है् और कुछ कहते थे दक नही् है्. अर्र शौरी प््भाष िी से भािपा िािी खबरो् पर चच्ाम करते थे. प््भाष िी के पास शौरी आ िाते थे. प््भाष िी कम िाते थे. अर्र शौरी के अिािा इंदियन एक्सप््ेस के िदरष्् पत््कार नीरिा चौधरी, दहरण्यमय काि््ेकर, दनदखि चि््ित््ी िगैरह उनसे अक्सर दमिने आते थे. िीिी िग््ीि भी आते थे िो बहुत ही सहि थे. िे हम सभी से बाते् कर िेते थे. रािे्द् माथुर भी एक िो बार दमिने आये प््भाष िी से.
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27 नवंबर-03 दिसम्बर 2015
नेपाल- मिंसक िुआ मधेसी आंदोलन
िंजीव श््ीवास््व
नाकािंदी को हटाने की कोबशश की. इस दौरान पुबलस की गोली से चार मधेसी पंंदशंषनकाबरयों की मौत हो गयी. संघरंष में करीि 17 पंंदशंषनकारी और 25 पुबलसकमंंी घायल हुए हैं. इनमेंसे सात की हालत गंभीर है. हालांबक पुबलस ने दो लोगोंके मारे जाने की पुबंष की है. सपतारी बजला राजधानी काठमांडू से 280 बकमी दूर है. इस घटना से आंदोलन के उगंंहोने का अंदेशा है. हालात को देखते हुए सपतारी बजले में अबनिंंतकाल के बलए कफंयंषू लगा बदया गया है. पुबलस के मुताबिक नाकािंदी हटाने के दौरान यूनाइटेड डेमोकेंबटक मधेसी फंंट के कायंषकतंाषओंने उन पर पेटंोल िम और ईंटों से हमला बकया. सपतारी बजले के पुबलस कायंाषलय पंंमुख भीम ढकाल ने कहा बक करीि 2500 पंंदंषशनकाबरयों ने सुरकंंा कबंमषयों पर पथराि और देशी हबथयारों से हमला बकया. करीि सौ बदन से चल रहे
संबिधान बिरोधी आंदोलन में बहंसा से अि तक करीि 40 से अबधक लोगोंकी जान जा चुकी है. इसके िाद नेपाल ने भारत पर नाकािंदी का आरोप भी लगाना शुरं कर बदया. लेबकन बपछले हफंते भैरहिा में भारतीय टंंक फूंके जाने पर अगले ही बदन िीरगंज मेंनेपाल पुबलस की फायबरंग मेंएक भारतीय की मौत हो गयी. इसके िाद भारतीय सुरकंंा एजंबसयों ने सुरकंंा जांच सखंत कर दी. चीनी अबधकाबरयोंके दौरे के िाद नेपाल ने तेिर बदखाना शुरंकर बदया. भारत-नेपाल सीमा पर काम करने िाली सुरकंंा एजंबसयों ने केंदंीय गृह मंतंालय को जो बरपोटंष भेजी है. उसमें इसकी आशंका जतायी गयी है. अगर ऐसा होता है, तो नेपाल के साथ ही भारत के सीमाितंंी बजलोंपर भी असर पडंेगा. नेपाल में राजशाही के समय िढे माओिादी दखल को कम करने के बलए साल 2003 में मधेशी िहुल बजलों में
पंंबतकार सबमबत का गठन बकया गया था. नेपाल में डीएम के बनदंंेश पर सेना और पुबलस मधेसी लोगों को संरकंंण देती थी. माओिाबदयों से लडने के बलए िकायदा उनंहें टंंेबनंग भी दी जाती थी. इससे पता चलता है बक पंंबतकार सबमबत बकतनी सशतंत हो गयी है. यही कारण है बक मधेसी कंंे़तंमेंमाओिाद की जडेंनहींजम सकी हैं. िाद के बदनो में राजशाही के खतंम होने के िाद माओिाबदयों ने समपंषण कर चुनाि में बहसंसा बलया. सतंंा में उनकी भागीदारी के िाद सभी पंंबतकार सबमबतयों को भंग कर बदया गया. लेबकन इन सबमबतयों को मुहैया कराये गये अतंयाधुबनक संिाचबलत हबथयारों को जमा नहींकराया जा सका था. अि नये संबिधान के गठन मेंउपेकंा से आहत ये लोग बहंसा का रासंंा अपना सकते हैं. बफलहाल अभी इन लोगों ने िातचीत का रासंंा खोल रखा है. इस संिंध मेंभारत-नेपाल सीमा पर काम करने िाली सुरकंंा एजंबसयोंने केंदंीय गृह मंतंालय को भेजी बरपोटंषमेंइसका बजकंं भी बकया है. मधेबसयों ने यबद बहंसक आंदोलन शुरंबकया तो उनके तार सीमाितंंी बिहार और झारखंड से भी जुडेंगे. इससे पहले भी माओिादी आंदोलन के चरम के समय बिहार से हबथयार की आपूबंतष हुई थी. जांच में कोयला टंंक में बमले आधुबनक हबथयारोंके जखीरे से इस िात की तसंदीक भी हुई थी. मधेसी आंदोलन बहंसक हुआ तो यूपी के िहराइच, शंंािसंंी, लखीमपुर, पीलीभीत और बसदंंाथंषनगर जैसे बजलों पर खासा असर पडेगा. आंदोलन से बिहार के पूिंी चंपारण, पबंंिमी चंपारण, सीतामढी, मधुिनी जैसे इलाकों के पंंभाबित होने की आशंका है.
िोझा ढोने और खेतोंमेंसबंजी उगाने के काम में नेपाली भी िडंी तादाद में यहाँ काम कर दिहरी. चबमयाला एक शांत िाजार है. रहे हैं. िाहर से रोजगार के बलये यहाँ आये इन पांच पबंंटयोंकी एक िडंी आिादी का तो यह िाजार है ही, बटहरी िाँध िनने के िाद यह तमाम लोगों में एक नाम है शराफत का. गंगोतंंी केदारनाथ मागंष का मुखंय पडंाि भी शराफत ने मजदूरी का तसला भी पहली िार िन गया है. इसके इस माहौल और चबमयाला में आ कर ही उठाया. उसे अपेकंाकृत समतल भूगोल के कारण चबमयाला आये 25 िरंष से अबधक हो चुके घनसाली की अपेकंा लोग चबमयाला में हैं. आजकल िह कंंेतं में लोगों से उनके िसना जंयादा पसनंद करते है.ं अनेक पबरिारों मकान िनाने का ठेका ले रहा है. दूरसंथ गांिों के लोगोंके बिदेशोंमेंनौकरी करने के कारण तक अपने मजदूरोंको भेज देता है. िह एक यहाँ जमीन के भाि भी आसमान छूने लगे है.ं अनपढंि धमंषभीरंआदमी है और चबमयाला बफर भी िाजार में गाँि जैसा अपनतंि िाला िाजार में एक पैनंयूली पबरिार के मकान में अपने पबरिार के साथ बकरायेदार है.उसका भाि अभी कायम है. एक लडंका चबमयाला के बशशु मंबदर से िाजार में एक िबनया पबरिार के साथ मैदान से आये कुछ चमंषकार और पढंाई करके बनकला हैंऔर तीन िचंंेअभी नाई हैं. शुरंआत से ही चबमयाला िाजार पढं रहे हैं. आम मुसलमान की तरह िह पशुओं के मुसलमान वंयापाबरयों का मुखंय नमाज पढंता है और रमजान के महीने रोजे केनंदं रहा है. कुछ सालों से सबंजी के रखता है. उसकी धाबंमषक पंंिृबंत के कारण वंयापार के बसलबसले मेंमुसलमानोंतथा और तंयौहारों में उसके कमरे पर सहधबंमषयों का बनमंाषण कायंषके बलये नजीिािाद, धामपुर, मेला सा जुडं जाता है. आज तक कंंेतं के नगीना और बिहार आबद से मजदूरो का यहाँ लोगों को उनका सामूबहक रंप से नमाज आना होता रहा है. मूल पहाबडंयों के पढंना कभी आपबंंतजनक नहीं लगा. कोई बनकमंमेपन के चलते िे ही कंंेतं के तमाम अपने भगिान या खुदा की आराधना करे तो तरह के बिकास मेंअपना योगदान दे रहे हैं. बकसी को तंया आपबंंत हो सकती है?
9 अतंटूिर को एक भीडं ने अचानक चबमयाला िाजार में पंंिेश बकया और दुकानदारों को गबलयाने लगे बक आपके िाजार मेंएक मकंसजद िन रही है, आप लोग नामदंंो की तरह चुप िैठे हैं. अि ये मुसलमान आपके िाजार पर भी कबंजा कर लेंगे. इस तनाि से आतंबकत हो कर काफी मुसलमान मजदूर अपने पबरिारों के साथ पलायन कर गये. कई लोगों को संथानीय लोगों ने धमंाषनंध ताकतों के दिाि में अपने घरों से बनकाल बदया. काफी लोग िाजार छोडंगांिों की तरफ चले गये. अि जा कर कंंेतं के समझदार लोगों के आिंंासन पर धीरे-धीरे ये लोग िापस लौट रहे हैं. माहौल सामानंय हो जाने के िाद अि कई तरह के सिाल तैर रहे हैं. पहला सिाल यह बक अचानक इतने लोग कालंपबनक मकंसजद के बिरोध में कहाँ से आ गये? िाजार का शांत माहौल तंयों बिगाडंा गया? जो सूचनायें आ रही हैं, िह लोगों को परेशान करने लगी हैं. पता चला है बक यह साबजश तो बजला संंर पर ही तकरीिन साल भर से हो रही थी. घटना के एक-दो बदन पूिंष से आरएसएस के कुछ
लोग चमंिा और नई बटहरी से आ कर घनसाली और चबमयाला में डेरा जमा कर माहौल को बिसंफोटक िनाने की तैयारी में जुट गये थे.9 अतंटूिर सुिह तो िडंी संखंया मेंबजले के कई कंंेतंोंसे आरएसएस के लोग घनसाली पहुँच गये और पूिंष योजना के मुताबिक भाजपा और एिीिीपी के कायंषकतंाषओं को साथ लेकर चबमयाला िाजार मेंआ धमके. चबमयाला के वंयापारी अि बखनंन और बिचबलत हैं. उनका कहना है बक अगर कोई भी मुसलमान युिक माहौल बिगाडंने की कोबशश कर रहा था तो उसे समझाया जा सकता था. िाहर के लोगों ने चबमयाला िाजार मेंआकर कंतंे ंऔर िाजार को िदनाम तंयोंबकया? मकंसजद का मामला था तो पहले पैनयं ल ू ी पबरिार से सचंंाई जाननी चाबहए थी. पैनंयूली पबरिार के राकेश पैनंयूली का कहना है बक शराफत मेरा बकरायदार है. िह अपने कमरे में तंया कर रहा है, उससे मेरा तंया मतलि? हां , िह अगर कोई गैरकानूनी काम कर रहा होता ति मैंबिरोध करता. मैं तो बंंाहंमण हूं . अगर मकंसजद िनने जैसी िात होती तो मैंही सिसे पहले आपबत करता. (नैनीताल समाचार)
नेपालगंज. भारतीय सीमा से सटे नेपाल के सपतारी बजले में मधेसी नये संबिधान मेंउपेकंा से नाराज होकर िीते कई महीनों से आंदोलनरत हैं. मधेस पंंांत और नये संबिधान मेंसमानता की मांग को लेकर मधेबसयोंऔर थारंलोगोंने कई महीनोंसे आंदोलन छेड रखा है. िीते बदनों आंदोलनकाबरयों ने दिाि िनाने के बलए भारत से आपूबंतष के सभी रासंंोंको ठपंप कर बदया था. नेपालगंज, िीरगंज, बिराटनगर और िढनी आबद रासंंोंसे आपूबंतष पूरी तरह ठपंप हो गयी है. इससे भारत से सटे इन इलाकोंमेंतनाि कायम है. अपनी मांगों को लेकर मधेबसयों का आंदोलन अि भी भारत से सटे इलाकों में जारी है. नेपाल के सीमाितंंी कंंेतंों में िीचिीच में आंदोलन उगंं होने के चलते ईंधन और दूसरी चीजोंकी आपूबंतष पंंभाबित हुई है. भारत के नेपाल सीमा से लगे सपतारी बजले में अपने हक़ के बलए पंंदशंषन कर रहे मधेबसयोंऔर पुबलस की बहंसक झडंपे आये बदन होने लगी है. िीते बदनों इस झडंप में चार पंंदंषशनकाबरयों की मौत हो गयी थी. इससे इलाके का माहौल तनािपूणंष हो गया है. छठ पिंष के समापन के साथ ही मधेसी निबनिंाषबचत सरकार से लडने के बलए हबथयार उठाने की तैयारी मेंजुट गये थे. ये हबथयार 12 साल पहले उनंहेंनेपाल सरकार ने ही मुहयै ा कराये थे. ऐसे मेंभारत की सीमा से लगे सपतारी में नेपाल पुबलस और मधेबसयोंमेंझडंप अि आम होती जा रही है. िीते बदनोंसपतारी बजले मेंपूि-षं पबंंिम राजमागंष से पुबलस ने जिरन मधेसी
इस तरह माहौल वबगाड़ा गया चवमयाला का
ि््ेपन सिंह चौहान
चुनाि बाद नहीं याद आते कायंाकतंाा अवनीश कुमार कानपुर. कायंषकतंाष राजनीबतक पाबंटियों की सिसे िडी पूंजी होते हैं. िे अपनी पाटंंी के बलए रात बदन एक करके मेहनत करते हैं. चाहे िह पंंचार का समय हो या पाटंंी को मजिूत करना हो. लेबकन इन कायंषकतंाषओं को पाबंटयि ां बसफंफअपना काम साधने मेंलाती हैं. काम बनकलने के िाद िह उनसे अपना मुंह फेर लेती हैं. आज राजनीबतक पाबंटियों का कैडर आधार समापंत हो रहा है. इसबलए िह अि जाबत और सांपंदाबयक ताने िाने िुनकर सतंंा के बशखर तक पहुंचना चाहती हैं. जो आने िाले समय में सामाबजक बिघटन का कारक िन सकती हैं. तंयोंबक राजनीबतक दल के नेता समय-समय पर पाटंंी के छोटे कायंषकतंाषओं से ये कहते सुने जाते हैं बक कायंषकतंाष जुट जाएं मानो कायंक ष तंाष उनका िेतन भोगी कमंच ष ारी है. हर राजनीबतक बिचार रखने िाला वंयकंतत राजनीबत में कुछ पाने की इचंछा रखता है. यह एक शािंतं सतंय है. लेबकन दुभांगष यं यह है की बिधायक या सांसद का िेटा ही सांसद या बिधायक िनेगा. दूसरा कोई नहीं. िडा नेता अपने आसपास रहने िाले को कोई लाभ का पद नहींदेता है. जनता जनादंषन की सेिा में लगा हुआ कायंषकतंाष लाठी डंडे तो खाता है लेबकन उसे हाबसल कुछ नहीं है. असल में कायंषकतंाषओं का हाल पालकी के कहारों से बमलता जुलता है. बजसपर कोई िडा नेता सिार होता है. अि सिाल यह उठता है बक हमारे देश के िडंे-िडंे राजनीबतक दल बजनंहें सतंंा के गबलयारों तक पहुंचाने का काम यही बनषंंािान कायंषकतंाष करते हैं. चाहे जाडंा हो या गमंंी या बफर िरसात यह कायंषकतंाष अपने पाटंंी के बलए काम करने से पीछे नहीं हटते हैं. लेबकन सिाल ये उठता है बक पाटंंी के कुछ कायंषकतंाषओंको छोडंदें तो तंया पाटंंी के आला अबधकारी या मुबखया कायंषकर रहे कायंषकतंाषओंको पहचानते भी है.ं तंया कभी पाटंंी के मुबखया ने कायंक ष तंाओ ष ं के ददंषको जानने का पंयं ास बकया. तंया उनंहें पता है बक कुसंी तक पहुंचाने में उनका िहुत िडंा योगदान रहा है. चाहे पंंदेश के नेता होंया देश के सतंंा तक पहुंचने के िाद हर कोई कुसंी पाते ही इन कायंषकतंाषओं को भूल जाता है. बजन कायंषकतंाषओं ने अपने नेताओं के बलए चुनािों में लाठी खाई और खून पसीना िहाया है. उनंहेंिाद मेंकोई नेता पूंछता तक नहींहै. अि सिाल उठता है बक आबखर कायंषकतंाषओं को तंयों भूल जाते है हमारे नेता? राम बसंह आज अपने उमंं के अंबतम पडंाि पर हैं. िह 86 साल के हैं, उनंहोंने िताया बक िह अपनी पाटंंी के बलए िहुत कुछ कर चुके हैं. कई िार तो िह पाटंंी के बलए जेल तक भी गये हैं. िह कहते हैं बक पाटंंी के बलए काम करते करते कि समय िीत गया और उनका िेटा कि िडंा हो गया उनंहें पता ही नहीं चला. तंयोंबक उनंहोंने पाटंंी के बलए अपना सारा जीिन दे बदया.
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हसर मृदुल
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27 नवंबर-03 दिसम्बर 2015
बॉलीिुड हीरोइनो् के बदले तेिर
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लीिुड मेंये दौर िदलाि का चल रहा है. इससे बफलंमोंकी हीरोइनेंभी तेजी से िदल रही हैं. हीरो की तरह िह भी अपने नये तेिर बदखा रही है.ं िह अपनी भूबमकाओं और पाबरशंंबमक जैसे मसलोंमेंभी पीछे नहीं हैं. िह हीरो से सीधा मुकािला करती तो नजर नहींआ रही हैं, लेबकन यह सच है बक हर बलहाज से उनकी साख िढंी है. आज हीरोइनोंको धंयान मेंरखकर रोल बलखे जा रहे हैं. उनकी कीमत भी कई गुना जंयादा हो चुकी है. सिसे अहम िात यह है बक िे भी हीरो की तरह ही कई बकसंम के एतंसपेबरमेंट करने लगीं हैं. अगर आज टॉप हीरो अपनी से आधी उमंंकी हीरोइन के अपोबजट बदखते हैं, तो टॉप की हीरोइनों ने भी कुछ ऐसा ही कदम उठाने मेंकोई बझझक महसूस नहींकी है. सलमान खान, आबमर खान, शाहरंख खान, अकंंय कुमार, अजय देिगन और सैफ अली खान काफी समय से आधी उमंं की हीरोइनों के साथ काम कर रहे हैं. तो अि कैटरीना कैफ, करीना कपूर,ऐिंयं षंराय िचंंन, बंंपयंका चोपडंा और दीबपका पादुकोण भी अपने अपोबजट कम उमंं के हीरो को अहबमयत दे रही हैं. कैटरीना कैफ की आगामी दोनोंबफलंमों में हीरो कम उमंं के हैं. अबभरेक कपूर के बनदंंेशन में िन रही बफलंम ‘बफतूर’ में ‘आबशकी 2’ फेम आबदतंय राय कपूर उनके हीरो हैं, तो बनतंया मेहरा के बनदंंेशन में िनने िाली बफलंम ‘िार-िार देखो’ में बसदंंाथंष मलंहोतंंा को उनके अपोबजट साइन बकया गया है. सुपर संटासंष के साथ ही काम करने िाली कैट की सोच िदली है और अि उनंहोंने बसफंफ संबंकपंट को अहबमयत देनी शुरंकर दी है. अि कैट को कोई फकंफ नहीं पडंता बक उनके अपोबजट बकस हीरो को बलया गया है. उनंहें अपने बकरदार का महतंि पता है और अपने बनदंंेशक के बिजन पर भरोसा है. िे कहती हैं, ‘पहले की तुलना मेंअि की बफलंमोंका बमजाज एकदम अलग है. आज बिशुदं फॉमंषूला बफलंमें नहीं िन रही हैं. दशंषक हर बफलंम में लॉबजक ढूंढंते नजर आते हैं. अि न रंटीन बकसंम की कहानी चलती है और न ही रंटीन बकसंम के रोल. यही िजह है बक अि हीरोइनेंभी ितंत के बहसाि से िदलनी शुरंहो चुकी हैं.’ करीना कपूर भी बफलंम ‘का एंड की’ में एक अलग ही रोल बनभाती बदखाई देगं ी. आर िालंकी बनदंंेबशत इस बफलंम में करीना के अपोबजट अजंषुन कपूर हैं. अजंषुन करीना से उमंंऔर अनुभि दोनोंमेंही छोटे हैं. ‘चीनी कम’, ‘पा’ और ‘शबमताभ’ जैसी बफलंमें बनदंंेबशत कर चुके हैं. िालंकी इस िार एक नई बकसंम की पंंेम कहानी बफलंमा रहे हैं. करीना इस बफलंम मेंअपने बकरदार से काफी उतंसाबहत हैं. िे कैबरयर के बजस मोडं पर पहुंची हैं, िहां उनंहें ऐसी ही बफलंमों की दरकार है. िे कहती हैं, ‘मैंने काफी संखंया मेंकॉमबंशषयल बफलंमेंकी हैं, लेबकन अि मैं लीक से हटकर कहानी िाली बफलंमेंकरना चाहती हूं. सच यह है बक मैंरंटीन बकसंम के
बॉलीवुड गॉमसप
रोल करके उकता चुकी हू.ं आबखर कि तक कोई हीरोइन एक ही तरह की सजािटी भूबमकाएं करेगी. यह मेरी पीढंी की हीरोइनों की खुशनसीिी है बक इस समय िडंी संखंया मेंनये बनदंंेशक सबंंकय हैंऔर इन बनदंंेशकों ने जैसे िॉलीिुड का चेहरा ही िदल बदया है.’ ऐिंंयंषराय िचंंन ने अपनी दूसरी पारी में ऐसी बफलंमें साइन करनी शुरं की हैं, बजनमें उनका रोल मीबनंगफुल हो. बफलंम ‘जजंिा’ बिशुदंिॉबलिुबडया बफलंम नहींथी. उनकी आगामी बफलंमोंका संंर भी एकदम अलग है. ‘ऐ बदल है मुकंशकल’ हो या बफर ‘दुगंाष रानी बसंह’, इन दोनों ही बफलंमों में उनके अपोबजट हीरो उनसे उमंं में छोटे हैं. जि उनंहें करण जौहर ने बफलंम ‘ऐ बदल है मुकंशकल’ की संबंकपंट सुनाई थी, तो उनंहोंने बिना देर बकये इसे साइन कर बलया था. असल मेंिे कैबरयर की नई पारी मेंएकंतटंग ओबरएंटेड रोल ही करना चाहती हैंऔर इस बफलंम की अपनी भूबमका में उनंहें अबभनय की पूरी संभािना बदखाई दे गयी. बफलंम ‘दुगंाष रानी बसंह’ के मामले में भी ऐसा ही हुआ. सुजॉय घोर ने इस बफलंम की लीड भूबमका के बलए बिदंंा िालन और कंगना रनोट के नामों पर भी बिचार बकया था, लेबकन यह बफलंम जैसे ऐिंंयंषके नसीि में ही बलखी थी. ऐिंंयंषकहती हैं, ‘मैंअि ऐसे बकरदार अदा करना चाहती हूं, जो यादगार होंऔर बजनमेंएकंतटंग की गुंजाइश हो. यह मेरा सौभागंय है बक मुझे ऐसे ऑफर बमल रहे हैं. ऐसी बफलंमों में काम कर मैं गौरिांबित महसूस कर रही हूं.’ बंंपयंका चोपडंा की िात करें, तो िे जोबखम मोल लेने मेंहमेशा ही अवंिल रही हैं. आगामी बफलंम ‘िाजीराि मसंंानी’ मेंिे रणिीर बसंह के अपोबजट हैं, जो बक उमंं में उनसे छोटे हैं. रणिीर बसंह िाजीराि पेशिा का बकरदार बनभा रहे हैं, तो उनकी भूबमका रानी काशीिाई की है. इससे पहले भी िे बफलंम ‘गुड ं ’े मेंरणिीर और अजंनषु कपूर की हीरोइन रह चुकी हैं. रणिीर की तरह ही अजंषुन भी उनसे उमंं में छोटे हैं. इस िारे में बंंपयंका कहती हैं, ‘मुझे इससे कोई मतलि नहीं है बक मेरे हीरो उमंं में छोटे हैं या िडंे. मैं बसफंफ अपने बकरदारों पर धंयान देती हूं. मुझे िे बकरदार जंयादा आकबंरषत करते हैं, बजनके साथ मैं आइडेंबटफाई की जा सकूं. मुझे चुनौती देने िाले बकरदार पसंद हैं. कैबरयर के इस मोडं पर अि मैं जोबखम
उठाना चाहती हूं. इधर मैंने बजन बफलंमों में काम बकया है, उनमें पयंाषपंत जोबखम था. लेबकन मुझे तो ऐसी ही बफलंमोंमेंकाम करने में मजा आता है. मेरा कंपटीसन खुद से ही रहता है, हालांबक यह भी सच है बक मैं हर हीरोइन को अपनी पंंबतयोगी मानती हूं. मेरे बलए अपनी पंंतंयेक बफलंम महतंि रखती है और मैं हरेक बफलंम के साथ कुछ नया सीखना चाहती हूं. मैं अपनी बपछली बफलंम से आगामी बफलंम में िेहतर काम करना चाहती हूं.’ दीबपका पादुकोण इस समय टॉप पर हैं, लेबकन उनके मन में भी हमेशा कुछ नया करने की तडंप मौजूद रहती है. हाल ही में उनंहेंएक हॉलीिुड बफलंम की बहंदी रीमेक में काम करने का ऑफर बमला है, बजसमें िरंण धिन उनके हीरो होंगे. िताने की जरंरत नहींहै बक िरंण उनसे उमंंमेंकाफी छोटे हैं. दीबपका इस बफलंम मेंकाम करने के िारे में काफी पॉबजबटि तरीके से सोच रही हैं. िे कहती हैं, ‘हमारी इंडसंटंी सौ साल की हो चुकी है, ऐसे में हम कि तक रंटीन कहाबनयों पर बफलंमें िनाते रहेंगे. मेरे बलये एक अचंछी संबंकपंट सिसे जंयादा मायने रखती है. मुझे इससे कोई फकंफ नहीं पडंता बक मेरे हीरो की उमंं छोटी है या िडंी. जि पचास साल का हीरो िाइस साल की हीरोइन से परदे पर इशंक फरमाता है, तो कोई सिाल नहीं करता. लेबकन कोई हीरोइन अपने से उमंं में छोटे हीरो की हीरोइन िन जाये, तो चचंाष होनी शुरं हो जाती है. असल में यह हमारे समाज का डिल संटैंडडंष है. मैं समझती हूं बक आज की हीरोइनें काफी ताकतिर हैंऔर िे मन मुताबिक भूबमकाएं करने के बलए तैयार िैठी हैं.’ बनबंंित रंप से आज की हीरोइनों की कंसथबत पहले की तुलना मेंकाफी मजिूत है. यही िजह है बक आज िूमन सेंबंटक बफलंमें िनती हैं और खूि चलती भी हैं. शतंष एक ही है बक संबंकपंट दमदार होनी चाबहए. चूंबक हीरोइनें अपने िूते बफलंम चला ले रही हैं, तो ऐसे में हीरोइनों का मेहनताना भी आसानी से कई गुना िढं जा रहा है. अि टॉप की कोई भी हीरोइन सात से दस करोडं के िीच पाबरशंंबमक ले लेती है. अि हीरो की तरह ही उनंहेंभी दो या तीन हीरोइनोंिाली बफलंमोंमेंकाम करने से कोई एतराज नहीं है. सिसे महतंिपूणंष िात यह है बक अि कई हीरोइनेंपंंोडंंूसर भी िन चुकी हैं.
सोनाक््ी करे ्गी जबि्षस् एक्शन
सोनाकंंी बसनंहा के तेिर िदल गये हैं. अि िे बिंदी और साडी िाली भूबमकाओंसे दूर हो चुकी हैं. अि उनकी बदलचसंपी एतंशन बफलंमों में बदखने लगी है. उनकी नयी बफलंम अकीरा में जिदंषसंएतंशन है. एआर मुरंगदास की इस बफलंम के बलए सोना को मॉडनंषमाशंषल आटंषकी टंबंेनंग भी लेनी पडी है. इसके अलािा उनके हाथ मेंएक और एतंशन बफलंम फ़ोसंष2 है, बजसमें उनके अपोबजट जॉन अबंंाहम हैं. इसमेंभी सोनाकंंी एतंशन करने जा रही हैं. सुनने मेंआ रहा है बक दिंग 3 भी जलंद ही फंलोर पर जायेगी. िह इसमें एकदम िदली हुई तेज तरंाषर रजंंो होंगी. इधर राउडी राठौर की भी पंलाबनंग हो रही है. इसमें भी उनंहें एतंशन करने का मौका बमल रहा है. तो तंया सोना अपनी इमेज िदलने की सोच रही है?ं जी नहीं, यह सि इतंफ ं ाकन हो रहा है. सोनाकंंी का इस िारे मेंसाफ कहना है बक िे हर तरह की बफलंमेंकरना चाहती हैं. एक के िाद एक एतंशन बफलंमेंबमलने का रहसंय खुद उनंहेंपता नहींहै. जो भी हो, खुद सोना को एतंशन बफलंमेंकरने मेंकाफी मजा आ रहा है.
कैटरीना की नयी रणनीदि
एक समय कैटरीना बसफंफिडे संटासंषकी हीरोइन िनने के बलए राजी हुआ करती थीं. पर इधर उनंहेंअपनी उमंंसे कम के नये अबभनेताओंके साथ काम करने मेंभी कोई बदकंंत नहींहो रही है. अबभरेक कपूर के बनदंश ंे न मेंिन रही बफलंम बफतूर मेंिे आबदतंय राय कपूर की हीरोइन िनी हैं, तो बनतंया मेहरा के बनदंंेशन में िनने जा रही एक बफलंम में िे बसदंंाथंष मलंहोतंंा के अपोबजट बदखाई देंगी. चूंबक कैटरीना टॉप की हीरोइन हैं, इसबलए नयी पीढी के हीरो उनसे थोडा असहज हो जा रहे हैं. ऐसे मेंकई बकसंम की बदकंंतेंआने लगी हैं. अि डर है बक ये बदकंंतेंकहींपरदे पर भी न बदख जायें. असल मेंजि शूबटंग के समय हीरो और हीरोइन के िीच कैबमसंटंी नहींिन पाती, तो उसका असर बफलंम पर पड जाता है. कैमरा िडी आसानी से इस असहजता को पकड लेता है. यूं तो कैटरीना अपने हीरोज के साथ बिनमंं वंयिहार करती नजर आती हैं. पर उनके हीरो ही कामंपंलेतंस मेंआ जाते हैं.
अनुष्का हो गयी है् कूल
अनुषंका शमंाष िॉलीिुड को िहुत अचंछी तरह समझ चुकी हैं. दरअसल उनंहें बरशंते बनभाने िखूिी आते हैं. यही िजह है बक उनकी हर बकसी बनमंाषता से िनती है. उनके पास काम की कोई कमी नहींरहती है. इधर अनुषंका अपनी आगामी बफलंम ये बदल है मुकंशकल की शूबटंग की तैयाबरयां कर रही हैं. करण जौहर के बनदंंेशन में िनने जा रही यह बफलंम उनंहोंने कुछ महीने पहले साइन की थी. बपछले बदनोंअनुषंका को इस बफलंम मेंकाम करने के बलए िडी अजीिो गरीि कंसथबत से गुजरना पडा. उनके पास धमंाष पंंोडतंशन से अचानक फरमान आया बक अपने बकरदार के बलए उनंहेंलुक टेसंट देना होगा. कुछ देर तक तो अनुषंका की समझ में नहींआया बक आबखर इस तरह का टेसंट तंयोंबकया जा रहा है? लेबकन जलंद ही िे संयत हो गयीं. उनंहोंने अपने बकरदार के बलए एक संपेशल लुक टेसंट दे बदया. अनुषंका का नसीि तेज था बक िे इस टेसंट मेंपास हो गयीं. अचंछा हुआ बक उनंहोंने समझदारी से काम बलया. कोई और हीरोइन होती, तो शायद लुक टेसंट की िात सुनकर भनंना जाती. इस तरह उनका नाम एक िार बफर करण जौहर की गुड िुक मेंशाबमल हो गया. बनबंंित रंप से अनुषंका अपने अचंछे बरलेशन की िजह से ही िॉलीिुड मेंजमी हुई हैं.
टाइगर है् नये सुपरहीरो
रेमो बडसूजा की नयी बफलंम फंलाइंग जट मेंटाइगर शंंॉफ एक सुपरहीरो के बकरदार मेंबदखाई देंगे. यह सुपरहीरो एकदम संटाइबलश होगा. इस बफलंम मेंउनकी डंंेसेज के बलए हॉलीिुड के बडजाइनसंषकी सेिाएं ली जा रही है.ं टाइगर ने बफलंम साइन करने के िाद से ही अपने बकरदार की तैयाबरयां शुरंकर दी थीं. रेमो और उनंहोंने तय बकया था बक उनका सुपरहीरो दूसरोंसे एकदम अलग होगा. िह बपछले सुपरहीरोज की तरह चौंकाने िाले करति तो करेगा ही, लेबकन उसका अंदाज अपना होगा. सिसे िडी िात यह है बक िह बदखने मेंएकदम मॉडनंष होगा. इस िारे में टाइगर का कहना है बक अगर हम कुछ नया नहीं करेंगे, तो बफर दशंषक हमसे भला तंयोंजुडेंगे? िाकई टाइगर की िात मेंदम है. िता देंबक टाइगर को सुपरहीरो के रंप में नया लुक देने के बलए उनकी िहन कृषंणा भी काफी मेहनत कर रही हैं. कृषंणा कॉसंटंूम बडजाइबनंग मेंकाफी रंबच रखती हैं, यही िजह है बक िे अपने पंयारे भाई के साथ बदल लगाकर काम कर रही हैं. हदर मृिुल
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27 नवंबर-03 दिसम्बर 2015
रीता सतवारी
पूरब का िेजनस है कोज््ि
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नंाषकुलम जेटी से चली मोटर िाली िोट या फेरी के दूसरे पडंाि तक पहुच ं ने पर उसके कंडतंटर ने बचलंलाकर कहा- फोटंष कोबंंच. िहां जेटी से िाहर बनकलते ही ऐसा लगा बक बकसी अलग ही दुबनया में पहुंच गये हों. इसे देखकर यकीन नहीं होता बक यह भी भारत का ही बहसंसा है. डच, पुतंषगाली और बंंबबटश संथापंतय कला समेटे मकान और सडंकों पर साइबकल से घूमते बिदेशी युिक-युिबतयां. फोटंष कोबंंच की सडंकों पर घूमते हुए लगता है बक बकसी यूरोपीय शहर में घूम रहे हों. देश के दबंंकणी छोर पर िसे केरल के इस तटितंंी शहर को अरि सागर की रानी यूं ही नहीं कहा जाता है. यहां पुतगषं ाली, यहूदी, बंंबबटश, फेंच, डच और चीनी संसंकृबत का बमलाजुला रंप देखने को बमलता है. िेबनस की तरह ही यहां मोटर िोट भी आिाजाही के पंंमुख साधन हैं. इसबलये इसे पूरि का िेबनस कहा जाता है. हम सुिह ही बतरंअनंतपुरम से कालीकट जाने िाली जनशताबंदी से कोई तीन-सिा तीन घंटे का सफर तय कर एनंाषकुलम पहुंचे थे. कोबंंच पहुंचने के बलए यही रेलिे संटश े न है. इस छोटे सफर मेंरासंंे में कंतिलोन और अलेपंपी या अलपुझा जैसे संटेशनों को देख कर संकूल में इबतहास की बकतािों में पढे अधंयाय आंखों के सामने सजीि हो उठे. अपने लंिे दबंंकण भारत दौरे की सूची मेंपहले तो कोबंंच का नाम ही नहीं था. िाद में देखा बक एक बदन अबतबरतंत समय है तो हमने बतरंअनंतपुरम से कोबंंच जाने का मन िना बलया था. लेबकन िहां पहुच ं कर लगा बक यहां नहींआते तो बकतना कुछ छूट जाता. होटल में तैयार होने के िाद हमने संटेशन के िाहर पंंी-पेड िूथ से जेटी तक जाने के बलये एक आटो बरतंशा बलया. बकराया िेहद ससंंा. महज िारह रंपये. राजधानी बतरंअनंतपुरम के मुकािले यह शहर िेहद ससंंा है. जेटी पर पहुंच कर जि फोटंष कोबंंच जाने के बलये िोट की बटकट लेने बखडंकी पर पहुंचे तो एक और सुखद आिंंयंष बमला िह था. िहां का बकराया. पंंबत वंयकंतत महज चार रंपये. हम तीन लोग थे. सो बटकट लेकर सीधे िोट मेंचढे. एनंाषकुलम से फोटंष कोबंंच तक जाने के दो रासंंेहैं. सडंक मागंषसे भी िहां पहुंचा जा सकता है. लेबकन कोबंंच िंदरगाह की खूिसूरती का लुतंफ उठाने के बलए हमने जल मागंष से जाने का फैसला बकया. एक ओर िंदरगाह और दूसरी ओर समुदं के बकनारे मरीन डंंाइि पर खडंी गगनचुंिी इमारतों का नजारा देखते और तसंिीरें खींचते हुए हमारी िोट कि फोटंष कोबंंच पहुंच गयी, इसका पता ही नहीं चला. तंदंा ति टूटी जि कंडतंटर ने कहा— फोटंषकोबंंच. अलग संसंकृबतयों िाले इस शहर का इबतहास िहुत पुराना है. कोबंंच 14िीं सदी
से ही देश के पबंंिमी तट पर मसालों के वंयापार का पंंमुख केंदंरहा है. यह शहर देश की पहली यूरोपीय कालोबनयों में शुमार है. पंंाचीन याबंंतयों और वंयापाबरयों ने अपने लेखन मेंकोबंंच का बजकंंकोबसम, कोबचम, कोचीन और कोची के तौर पर बकया है. कोचीन का यहूदी समुदाय इसे कोबगन पुकारता था. बसनेगाग की मुहर पर अि भी यही नाम है. इस शहर का नाम आबखर कोचीन कैसे पडंा, इसे लेकर भी कई कथाएं पंंचबलत हैं. पुतंषगाबलयों के यहां पहुंचने के िाद सरकारी कामकाज मेंकोचीन नाम का ही इसंंेमाल होने लगा. िरंष1996 मेंइसका नाम िदल कर पुराने मलयाली नाम से बमलता-जुलता कोबंंच रख बदया गया. हालांबक अदालती चुनौती के िाद सरकारी दसंंािेजों में अि भी इस शहर का नाम कोचीन ही है. पुतंषगाबलयों के आगमन से पहले का कोबंंच का इबतहास काफी धुंधला है. इस शहर के इबतहास मेंपुतंषगाबलयोंका आगमन एक अहम पडंाि साबित हुआ. कोबंंच के राजाओं ने इन बिदेबशयों का संिागत बकया तंयोंबक उनंहेंकालीकट के जमोबरन के साथ दुशंमनी के चलते एक शकंततशाली सहयोगी की तलाश थी. केशि राम िमंाष के शासनकाल में यहूबदयों को भी राजकीय संरकंंण हाबसल था. यह लोग मूल रंप से कोदनगलूर से वंयापार के मकसद से कोबंंच पहुंचे थे. भारत के समुदंी मागंष को खोजने िाले िासंकोबडगामा ने िरंष1502 मेंपहले पुतंषगाली वंयापार केंदं की संथापना की और पुतंषगाली िा य स रा य अ ल फां सो - द अलंिुककंफ ने यहां िरंष 1503 में
पहला पुतंषगाली बकला िनिाया. शहर में अि भी पुतंषगाली संथापतंय कला की िहुतायत देखने को बमलती है. अरि सागर के बकनारे गांधी िीच के पास ही िासंकोबडगामा संतंिायर भी है. फोटंष कोबंंच में पुतंषगाबलयों की ओर से िरंष1503 मेंिनाया गया सेंट फंंांबसस चचंष भारत मेंपहला यूरोपीय चचंषहोने के कारण मशहूर है. यहां कुछ समय के बलए
भारत के समुदंी मागंव को खोजने वाले वासंकोसिगामा ने वषंव 1502 में पहले पुतंवगाली वंयापार केंदं की संथापना की और पुतंवगाली वायसराय अलरांसो-द-अकंबुककंफ ने यहां वषंव 1503 में पहला पुतंवगाली सकला बनवाया. िासंकोबडगामा को दफनाया गया था. िाद में उनके पाबंथषि अिशेर पुतंषगाल ले जाये गये. लेबकन उस कबंंके पतंथर को आज भी देखा जा सकता है. अनंय बगरजाघरों के साथ ही यहां बहंदू मंबदर, मकंसजदें और मतंंनचेरी का
ऐबतहाबसक बसनेगाग (यहूदी उपासना गृह) मौजूद हैं. चौथी शताबंदी मेंिसा कोबंंच का यहूदी समुदाय भारत में सिसे पुराना था. हालांबक हिंारों सदसंयों में से करीि सभी 20िीं शताबंदी के उतंंरांंदंष तक इजराइल चले गये थे. जेटी से सिसे पहले हम अरि सागर में लगे बिशालकाय चाइनीज बफबशंग नेट देखने गये जो यहां की दशंषनीय चीजों में शुमार है. एक कतार मेंलगे इन बिशालकाय जालोंको एक साथ पानी के भीतर जाते और हजारों मछबलयों के साथ िाहर बनकलते देखना अपने आप मेंएक अनूठा अनुभि है. चीनी जाल केरल के मछुआरों की रोिंीरोटी का मुखंय साधन हैं. यह जाल काफी पुराने और तकनीक से लैस हैं. चीन के अलािा पूरी दुबनया में बसफंफ यहीं इस जाल का इसंंेमाल होता है. िरंष 1506 में िना बिशप हाउस कभी पुतंषगाली गिनंषर का आिास हुआ करता था. यह परेड गंंाउंड के पास एक छोटी सी पहाडी पर कंसथत है. भिन के सामने का बहसंसा बिशाल गोबथक मेहरािों से सजा है. फोटंष कोबंंच में देखने के बलए इतना कुछ है बक एक बदन में सिको समेटना संभि नहीं है. डच महल भी काफी आकरंषक है. यह महल मूल रंप से पुतंषगाबलयों ने िरंष 1556 में िनिा कर कोचीन के ततंकालीन राजा िीर केरला िमंाष को भेंट बकया गया था. इस बकले में रामायण और महाभारत जैसे महाकावंयों से संिंबधत पेंबटंगंस िनी हुई है. अि इसे संगंहालय िना बदया गया है. िोलघटंंी महल को देखने के बलए रोजाना काफी तादाद में पयंषटक यहां आते हैं. डच वंयापाबरयों ने िोलघटंंी दंंीप पर यह िोलगाटंंी पैलेस िनिाया था जो
हालैंड के िाहर आज भी सिसे पुराना डच पैलेस है. इस महल को अि एक लतंजरी होटल मेंतबंदील कर बदया गया है. िोलघटंंी मेंएक गोलंफ कोसंषभी है. िरसों से ये शहर मसालों का केंदं रहा है. िरंष 1341 में पेबरयार नदी में आई भयािह िाढंमेंकोडनगलूर के पास िने पोटंष मुबजबरस के नषंं होने के िाद कोबंंच की अहबमयत िढंी. िीसिींसदी की शुरआ ं त में कारोिार िढंने की िजह से कोबंंच िंदरगाह को बिकबसत करने के बलए मदंंास के ततंकालीन गिनंषर लाडंष बिबलंगंडन ने हािंषर इंजीबनयर रािटंष बंंबसंटोि को िरंष 1920 में कोचीन भेजा. बंंबसोटि ने 21 िरंंों की अथक मेहनत के िाद कोचीन को देश के सिसे पंंमुख िंदरगाहों की कतार में खडंा कर बदया. कोबंंच में पयंषटन एक पंंमुख वंयिसाय है. देशी-बिदेशी पयंषटकों की आिक के मामले में कोबंंच का संथान केरल में पहले नंिर पर है. यह शहर दबंंकणी निल कमांड का मुखंयालय और भारतीय कोसंट गाडंषका पंंदेश मुखंयालय भी है. शहर मेंजगह-जगह मसालोंकी दुकानेंसजी नजर आती है.ं साथ ही मुनंनार के चाय िागानों की चाय भी बिकती है. डच पैलेस के पास 1568 मेंिना यहूदी उपासना संथल यानी बसनेगाग की इमारत चीनी और िेकंलजयन चीजों से सजी है. यहां पहुंचते ही पुराने कोचीन की यादें ताजी हो जाती हैं. इस तंग गली मेंिाहनोंकी आिाजाही पर पािंदी है. यूं तो पूरे केरल का पंंाकृबतक सौंदयंषअबंंदतीय है. लेबकन कोबंंच मेंजो िात है िह कहींनहींहै. कोबंंच की गबलयों में घूमते हुए बदन कैसे बनकल गया, इसका पता ही नहींचला. िैकिाटर का बजकंं बकये बिना केरल का कोई यातंंा िृतंांत पूरा हो ही नहीं सकता. हमने भी करीि दो घंटे तक इसका लुतंफ उठाया. नाबरयल के पेडंोंके िीच से गुजरती हमारी छोटी-सी नाि एक अलग ही दुबनया मेंपहुंचने का आभास देती रही. िापस एनंाषकुलम जेटी पर पहुंचने के िाद कुछ देर हमने िहां झील के बकनारे िनी मरीन डंंाइि पर बिताया. िहीं एनजंंी पाकंफभी है. मरीन डंंाइि एक खूिसूरत जगह है जहां िैठकर दूर जाती नौकाओंऔर लंगर डाले खडंे बिशालकाय जहाजों को देखते हुए कैसे समय िीत जाता है, इसका आभास नहींहोता. हां, एनंाषकुलम में बजस होटल में ठहरे थे उसके िगल मेंही एक सरदार जी के ढािे का बजकंं बकये बिना कोबंंच की कहानी शायद अधूरी ही रहेगी. िरसोंपहले कोबंंच जाकर िसे उस सरदार ने एक संथानीय मबहला से शादी की है. िह मबहला ही पूरा ढािा चलाती है. हम कोलकाता से कोई 12 बदन पहले बनकले थे. उसके िाद चेनंनई, रामेिंर, कोडाईकनाल, कनंयाकुमारी और बतरंअनंतपुरम घूमने के दौरान हम दबंंकण भारतीय खाना ही खा रहे थे. कोबंंच के इस ढािे मेंकोई दो हफंते िाद तंदरू ी रोटी, चािल और पनीर की सबंजी बमली तो घर जैसा अहसास हुआ.
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27 नवंबर-03 दिसम्बर 2015
एनएससीएन पर सबकी नजर कारपोरेट घरानो् के जलये
राजीव कुमार
गुिाहािी. केंदं सरकार पूिंोतंंर के उगंंिाद को लेकर अि गंभीर होता नजर आ रहा है. असम के उगंंिादी संगठन उलंफा के महासबचि अनूप चेबतया को िांगंलादेश से लाने के साथ ही नगा उगंंिादी संगठन एनएससीएन(खापलांग) गुट को आतंकी संगठन घोबरत कर बदया गया है. दो महीने पहले ही इस उगंिं ादी संगठन के गबतबिबधयों को कानून के तहत गैरकानूनी करार बदया गया था. आतंकी संगठन घोबरत होते ही मंयामां आधाबरत एनएससीएन(खापलांग) गुट इसंलाबमक संटेट और लशंकर ए तैयिा जैसे संगठनों की कतार में आ गया है. अि इस संगठन को कोई वंयकंतत या दूसरे संगठन मदद राबश या अनंय सहयोग करते हैं तो िे कडंी सजा के हकदार होंगे. संगठन पर आतंकी पटंंी लग जाने से अि यह अंतरराषंंीय बनगरानी मेंआ गया है. खापलांग गुट पर आतंकी संगठन की पटंंी लगने का सिसे जंयादा राजनीबतक फायदा एनएससीएन(आईएम) को होगा. दोनों एक दूसरे के पंंबतसंपधंंी हैं. एनएससीएन(आईएम) ने अगसंंमेंकेदं ंके साथ शांबत समझौते के पंंारंप पर हसंंाकंंर बकये हैं. नगा मुदंे के समाधान के बलए िह िातंाष कर रहा है. केंदं का कहना है बक खापलांग गुट ने भारत सरकार के साथ िीते 14 सालोंसे चल रहे एकतरफा संघरंषबिराम को इस साल माचंषमेंिापस ले बलया था. ति
िंध्या रसवशंकर
से िह सुरकंंा िलोंको िार-िार बनशाना िना रहा है. िीते चार जून को मबणपुर के चंदेल बजले में संगठन ने सेना के काबफले पर हमला कर 18 सैबनकों को मार बदया था. इसके िाद सेना ने मंयामां के इलाके में घुसकर उनके बठकानोंपर हमले बकये. केंदं इस हमले के िाद एनएससीएन (खापलांग) गुट के पंंबत जंयादा कठोर हो गया. बसतंिर में केंदंीय कैबिनेट ने संगठन पर पंंबतिंध का फैसला बकया तो राषंंीय जांच एजंसी(एनआईए) ने एसएस खापलांग और उसके सहयोगी बनकी समी की सूचना देने पर नगद राबश पुरसंकार के तौर पर बदये जाने का एलान बकया. केंदं ने छह नििंर को संगठन को आतंकी संगठन घोबरत करने के बलए अबधसूचना जारी की. केंदंीय गृह मंतंालय ने कहा बक संगठन बनदंंोर लोगों और सुरकंंा िलों को बनशाना िनाने के साथ ही अनंय बहंसक घटनाएं अंजाम दे रहा है.
जकसानो का दमन!
नई दिल्ली. इंबडयन सोशल इंसंटीटंंूट मेंभूबम अबधकार आंदोलन की आयोबजत दो बदिसीय राषंंीय िैठक में भारी जनसमुदाय इकठंंा हुआ. इसमेंदेश के भूबम अबधकार से जुडंे मुदंों और लोगों को आ रही समसंयाओं के िारे में चचंाष हुई. िैठक में 22 राजंयों के करीि सौ संगठनों के पंंबतबनबधयों ने बहसंसा बलया. भूबम अबधकार आंदोलन िैठक में पंंधानमंतंी के भूबम अबधगंंहण अधंयादेश के बखलाफ भी आिाज उठाई गयी. इस जन आंदोलन में मेधा पाटेकर, हनंनान मुलंला, कॉम, सतंयिान, अशोक चौधरी, पंफ ं लु ल ं , समंतारा, दयामनी, िारला, आलोक शुतंला, उलंका महाजन, रोमा, और अबनल चौधरी जैसे सामाबजक कायंषकतंाषओं ने बहसंसाा बलया. इसंमें दबलतों, आबदिाबसयों और बकसानों को िेहतर शंंबमक सुबिधाएं बदलाने के मुदंेपर चचंाष की गयी.सिंहष ारा जन आंदोलन संगठऩ की उलंका महाजन ने महाराषंं में कृबर योगंय भूबम अबधगंंहण से जुडंेसरकार की बिकास नीबतयोंपर सिाल उठाये. महाजन ने कहा बक इन बनयमों से गंंामीणों को कोई फायदा नहीं हो रहा. उलंकाश ने कहा ऐसे संिदे नशील मामलोंपर संसद मेंचचंाष तंयोंनहींहोती. भूबम अबधकार आंदोलन का उदंशें यं भूबम संरबंंकत करना और िेहतर इसंंेमाल करना है. लेबकन साथ ही यह पयंाषिरण, कृबर, शंंबमकों और मजदूरों के अबधकारों को िचाने के बलए बसफंफ एक संघरंषहै.
आंदोलन मेंयह आिाज उठाई गयी बक कॉपंंोरेट लाभ के बलए बकसानों को कुचला जा रहा है. भूबम अबधकार आंदोलन देश की मेहनतकश जनता, बकसान, दबलत और आबदिाबसयों की समसंयाओं को सामने लायेगा. अबखल भारतीय बकसान सभा के हनंनान मोलंला ने कहा यह सोची समझी बिभाजनकारी और राजनीबतक साबजश है. आंदोलन राजंय संंर पर गठिंधन िनाकर इसका बिरोध करेंगा. 15 बदसंिर को संसद मागंषपर िन अबधकार बदिस के साथ-साथ एक चेतािनी रैली आयोबजत की जायेगी. इस का उदंंेशंयथ राजग सरकार के भूबम बिधेयक और कॉपंंोरेट की सांठगाठ को उजागर करना होगा. इसके िाद 24 फ़ंरिरी को एक िार बफर भूबम अबधकार आंदोलन के तहत संसद मागंष पर धरने और भूबम सुधार कायंक ष मं को लागू करने की मांग की जायेगी. आंदोलन कंपबनयोंको भूबम सौंपने और औदंंोबगक गबलयारों, सेज, भूबम पूबलंग जैसी िडंी पबरयोजनाओंपर सरकार की मंजरू ी देने जैसे मुदंों को बकसानों के सामने लायेगा. भाजपा सरकार की नीबतयोंके बखलाफ लोगों में िढं रहा बिरोध पंंदशंषन केंदं सरकार को इन बनयमोंमेंसुधार लाने को मजिूर करेगा. आंदोलनकाबरयों ने एफआरए और पेसा के बंंकयानंियन की मांग सबहत टीएसआर सुबंहंमणंयम सबमबत की हाल की बसफाबरशों के आधार पर पयंाषिरण कानूनोंके कमजोर करने का भी बिरोध बकया.
तवमलनाडु में दवलतों पर बढ़ा हमला
चेन्नई. तबमलनाडु में जाबतगत बहंसा की घटनाएं िढंती जा रही हैं. राजंय की दंंबिड पाबंटियां जाबत के जबरये अपनी राजनीबतक रोबटयां सेंकना चाहती हैं. इससे राजंय में बहंसा भडकने के आसार िनते बदखायी दे रहे हैं. दबलतों के साथ भेदभाि के मामलों के साथ बहंसा की घटनाएं भी िढंती जा रही हैं. ऐसे मेंराजंय मेंदबलतोंका उतंपीडंन िढंता जा रहा है. राजंय में दबलत उतंपीडंन के आंकडंों में इजाफा हो रहा है. राषंंीय अपराध बरकॉडंष के अनुसार तबमलनाडु इस शंंेणी मेंदूसरे नंिर पर है. साल 2013 मेंदबलतोंके उतंपीडंन के इस बसलबसले की शुरंआत थेिर जयंती के आयोजन से हुई. यह उतंसि मुथरामबलंगा थेिर, जो थेिर समाज के एक सुपंबसदंं नेता थे. उनकी यह जयंती एक बनजी संकूल में जहां दोनों जाबतयों के िचंंे पढंते थे, मनायी जा रही थी. पंंधानाधंयाबपका पनंनी िेंकटरामा अयंयर हाईसंकूल (पीिीआई संकूल) ने गोपालसमुदंम ने थेिर जयंती का आयोजन बकया था. इसमेंसभी छातंंोंको नयी पेंबसल और चॉकलेट दी गयी. दबलत छातंंों ने इसे अपना अपमान िताया और उपहार लेने से इनकार कर बदया. इसे लेकर उनकी बपटाई कर दी गयी. जाबत से जुडंे इस मामले को लेकर अगले कई महीनों तक मुदंा गरमाया रहा. जो धमंषराज (21) RNI- DELHIN/2008/ 24781
पंंबतसंपधंंी नगा उगंंिादी संगठन एनएससीएन(बरफोमंंेशन) के नेता और कभी खापलांग के आबंंशत रहे िांगबटन नगा ने इस पर कुछ भी बटपंपणी करने से इनकार कर बदया. मालूम हो बक 1988 मेंखापलांग गुट का गठन हुआ था. यह मंयामां और भारत दोनों में सबंंकय है. इसका आधार उतंंर पबंंिम मंयामां के साबगंग बडिीजन के टागा इलाके में है. खापलांग गुट यहां पूिंोतंंर के अनंय आतंकी संगठनोंको भी शरण बदये हुए है. इनमेंअसम का उलंफा और एनडीएफिी, मबणपुर का पीपुलंस बलिरेशन आमंंी, यूनाइटेड नेशनल बलिरेशन फंंट, पीपुलंस बरिलंयूशनरी पाटंंी ऑफ कांगलेईपाक, कांगलेईपाक कमंयुबनषंं पाटंंी, कांगलेई यािल काना लूप और मबणपुर पीपुलंस बलिरेशन फंंट आफ मबणपुर, बंंतपुरा का आल बंंतपुरा टाइगर फोसंष और नेशनल बलिरेशन फंंट आफ बंंतपुरा शाबमल है. मंयामां में इस आतंकी संगठन का आसरा न रहा तो पूिंोतंंर के कई संगठन कमजोर हो जायेगं .े इसबलए केदं ंसरकार को मंयामां सरकार के साथ िातचीत कर जलंद से खापलांग गुट का िहां से सफाया करना चाबहए. िांगंलादेश और भूटान में िहां की सरकारों के साथ बमलकर बकये गये अबभयानोंके िाद सरकार को सफलता हाथ लगी है. अि िहां पूिंोतंंर के उगंंिादी संगठन न के िरािर हैं. इससे असम में उगंंिादी घटनाओं में कमी आयी है. मंयामां के साथ भी ऐसा हो गया तो पूिंोतंंर में उगंंिाद का पूरी तरह खातंमा हो जायेगा.
की मौत पर जाकर खतंम हुआ. बजसे गांि के पीछे िहने िाली नदी तमीराभारानी के बकनारे मार बदया गया. इसके साल भर िाद 2014 मेंबफर कथंंी (21) को खुलेआम िाजार में मार बदया गया. इससे इलाके में तनाि फैल गया. जाबतगत भेदभाि के बशकार एम सुिैयंया (36) दबंंकणी तबमलनाडु के बतरंनेलिेली से 25 बकमी दूर गोपालसमुदमं के है.ं शादीशुदा सुियै यं ा एक िचंंेके िाप हैं और बकसानी करते हैं. हालांबक िे इंजीबनयबरंग में बडपंलोमा हैं. पर सही नौकरी नहीं करने का ददंष उनके चेहरे पर साफ झलकता है. िे िताते हैं बक िह एक दूरसंचार कंपनी मेंटॉिर पयंषिेयक की नौकरी के िदले 25 हजार रंपये पंंबत माह पाते थे. इस समसंया का मेरी योगंयता से कुछ लेना देना नहींथा. उसे इसबलए नौकरी से बनकाल बदया गया बक िह गोपालसमुदंम का रहने िाला है. मामले के िाद साल 2013 में मैनेजर ने अचानक उससे पूछा बक िह कहां से है. सुिैयंया िताते हैंबक मैंने उसे िता बदया बक मेरा घर गोपालसमुदमं गांि मेंहै. उसने मुझसे कहा बक कंपनी अपने लापरिाह कमंषचाबरयों को बनकाल रही है. िाद में उसने मुझ पर लापरिाही का आरोप लगाकर कंपनी से िाहर कर बदया. सुिैयंया कहते हैं बक अपने बनकाले जाने को लेकर जि मैंने जानकारी जुटाई तो पता चला बक िस मुझे ही बनकाला गया था. िे
इसकी िजह खुद को दबलत होना मानते हैं. साल 2013 के िाद से गोपालसमुदंम में ऐसे मामले तेजी से िढे हैं. जहां एक समुदाय दूसरे समुदाय पर आंख के िदले आंख और हतंया जैसी पंंिृबंत पर उतारं हो रहे हैं. इस तरह गांि के करीि 15 हजार अनुसबू चत जाबत के लोग भेदभाि का बशकार हुए हैं. इस माहौल को देखते हुए सुिैयंया कहते हैं बक इन सि मामलोंके चलते हम थेिर जाबत के लडकोंसे कोई शादी भी नहीं करना पसंद करता है. हालांबक गांि में अनुसूबचत जाबत और सामानंय िगंषकी िरािर आिादी है. ये गांि मेंजाबत जबनत बहंसा की देन है. यहां लोग बशकंंा और बिकास की िात करते हैं ताबक नयी पीढी पढ बलखकर अपना जीिन गुजर-िसर कर सके. गांि के िहुत से बकसान भूबमहीन हैं. साल 2013 मामले के िाद से बजला पंश ं ासन संकल ू चलाने की अनुमबत नहीं दे रहा है. इससे 130 पलंलार छातंंोंको पीिीआई संकल ू से िाहर कर बदया गया. पर एक गैर सरकारी संगठन की मदद से गोपालसमुदंम में 8 लाख रंपये चंदा जुटाकर एक संकूल िनाया गया है. िहां ये 130 छातंं िीते साल से पढंरहे हैं. इसमेंपढंरहे एक छातंंएस जयकुमार कहते हैंबक हम बनराश और हताश हैं. हम अपने बलए अि एक संकूल चाहते हैं. इसी गांि के पलंलार के 47 साल के वंयकंतत ने कहा बक इस टकराि की िजह बसफंफऔर बसफंफअबशकंंा है. जाबत के संकट से
छुटकारा का एक ही रासंंा है बक हर कोई बशबंंकत हो. पलंलार और थेिर जाबतयोंमेंबशकंंा की कमी है. इस जाबत के युिाओंको नौकबरयां पाने और शादी मेंबदकंंतोंका सामना करना पडं रहा है. गांि की दूसरी जाबतयों में चेबंटयार, बंंाहंमण, नादरस, बपलंलैस और कोनार (यादि) है.ं ये सीधा टकराि नहींकरते है.ं पर थेिर और पलंलार जाबतयोंको बदकंंतोंका सामना करना पडंरहा है. कुछ लोग गांि छोडकर चले भी गये हैं. मौजूदा दौर मेंतबमलनाडु देश मेंजाबत संघरंषमामलों में दूसरे नंिर पर है. राषंंीय अपराध बरकॉडंष बंयूरो के आंकडंों से यह बसफंफ महाराषंं से पीछे है. जहां 211 मामले जाबत दंगोंके हैं. यहां िडंेजमीन माबलक दबलतों को बहंसा का बशकार िनाते रहे हैं. दबलत राजनीबतक दल तबमल पीपुलंस पंंोगंंेबसि पाटंंी के जॉन पांबडयन कहते हैं बक बतरंनेलिेली बजले मेंिीते दस सालोंमेंहुए सभी दंगे जाबत को लेकर हुए है.ं िे िताते हैंबक लोग दबलत युिाओं को कारखाने में काम करने नहीं देते हैं. इस िजह से दबलत गांिोंमेंिेरोजगार िैठे हैं. हालांबक गोपालसमुदमं मेंअि नये युिा िगंषने आशा की बकरण जगायी है. जो जाबतगत दूबरयां बमटाने की कोबशश मेंजुटे हैं. इसका असर बदख रहा है. दो हतंयाओं के िाद गांि की सभी जाबतयों ने बमलकर एक शांबत सबमबत गबठत की है. इसका सकारातंमक असर बदख रहा है. (फसंटंषपोसंट से साभार )
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