सुख-दुख बांटता प््ेम पेज- 13
www.shukrawaar.com
वर्ष 2 अंक 10 n पृष्: 16 n 8-14 जनवरी 2016 n नयी दिल्ली n ~ 5
ककसी को पता नहीं कौन कंया कर रहा !
शरद गुप्ता
नयी दिल्ली. पठानकोि मे्एयरफोस्ष स्िश े न पर हमला करने वाले आतंकवाटदयो् के टखलाफ 80 घंिे तक चला ऑपरेशन दूसरी ख़्ाटमयो् के साथ-साथ अपनी बदइंतज्ामी के टलए हमेशा याद रखा जायेगा. ख़्ासतौर पर जब आतंकवाटदयो्के प््वेश की सूचना उनके पहुंचने से लगभग 24 घंिे पहले टमल गयी थी और पहले चार आतंकी शुर्आती कुछ घंिो्मे्ही मार टदये गये थे. पहली बात यह टक पठानकोि मे् कम से कम पांच-छह फ्ोस्षएक साथ लड़् रही थी् लेटकन टबना टकसी तालमेल के. पंजाब पुटलस, टडफेस ्ं टसक्योटरिी कोर, राष््ीय सुरक््ा गाड्ष(एनएसजी), बीएसएफ्, एयर फ्ोस्षऔर सेना के जवान. सुरक््ा टवशेरज््ो् का मानना है टक टकसी भी ऑपरेशन मे्एक स्पष््चेन ऑफ्कमांड होनी चाटहए. सभी को मालूम होना चाटहए टक कमांडर कौन है और उसी की बात माननी होगी. ऑपरेशन की सफलता या टवफलता के टलए उसी की ट्जम्मेदारी होगी. यानी एक एक्सपि्षकी ही ज्र्रत होती है. लेटकन पठानकोि मे्कम से कम चार
कमांडर अपनी-अपनी िुकट्ड़यो्को संभाल रहे थे लेटकन टकसी को मालूम ही न था टक दूसरा क्या कर रहा है. यही वजह है टक छह आतंकवादी सात जवानो्को मार टगराने मे् सफल रहे. जबटक सुरक््ा बलो्ने तीन टदन से ज्यादा समय तक तले अटभयान मे्पांच आतंकवादी मारे. इनमे् से दो को मारने के टलए एक दो-मंट्जला इमारत को ही रॉकेि के ज्टरए ध्वस्् कर टदया गया. इसमे् कै्द दो मे्से एक ही आतंकवादी की लाश टमली है. दूसरे के बारे मे् बताया जा रहा है टक रॉकेि लगने से उसकी लाश के िुकड़्ेिुकड़्े हो गये और इमारत के मलबे मे् ही दब गया. वही् एक आतंकवादी को तो एयरफ्ोस्ष बेस के एक रसोइये ने उसी की रायफ्ल छीन कर मार टगराया. यह इसके बावजूद टक हमले से बारह घंिे पहले एनएसजी के 168 जवान टवशेर तौर पर एयर बेस की सुरक््ा के टलए पठानकोि मे् तैनात टकये जा चुके थे. उनकी कमान उनके आईडी (ऑपरेशंस) के हाथ मे् थी. उनसे पहले ही एक ट््बगेटडयर के नेतृत्व मे्दो कॉलम यानी 50 सेना के जवान वहां तैनात टकये गये थे. बाकी पेज 2 पर
पठानकोट हमला
तो डोवाल ने कराई फजीहत
वववेक सक्सेना नयी दिल्ली. पठानकोि मे् वायु सेना के अड््ेपर हुए आतंकवादी हमले को लेकर टजस तरह से राष््ीय सुरक््ा सलाहकार अजीत डोवाल और गृह मंत्ालय ने भूटमका टनभाई उसने रक््ा मंत्ी मनोहर पट्रक ष र काफी नाराज है. समझा जाता है टक उन्हो्ने प््धानमंत्ी नरे्द्मोदी को भी अपनी पीड़्ा से पटरटचत करवा टदया है. उन्हे् दुख इस बात का है टक इतनी बड़्ी घिना होने पर भी कैटबनेि की सुरक््ा संबंधी सटमटत की बैठक क्यो्नही्बुलाई गयी. उन्हे्ही घिनाक््म के दौरान टवश््ास मे्टलया ही नही्गया. रक््ा मंत्ी के करीबी सूत्ो् के मुताटबक मनोहर पट्रक ष र का मानना है टक राष््ीय रक््ा
...पर उन्हे् अपनो् की खबर नही्
अंबरीश कुमार
स
बकी खबर दे, सबकी खबर ले का नारा. पर उन्हे् अपनो् की ही खबर नही्. यह टिप्पणी जनसत््ा के एक वटरष्् साथी ने जनसत््ा के समाचार संपादक रह चुके और प्लांि यूटनयन के जुझार् नेता अरटवंद उप््ेती के गुजर जाने की सूचना न टमलने पर की. तल्ख़ होकर आगे बोले, क्या फायदा सारा जीवन खपा देने का जब सक्कुलर मे्बदल चुका पत््भी सूचना न दे. वर्ष 1988 मे् जब जनसत््ा ज्वाइन करने गया तो स्थानीय संपादक बनवारी ने कहा टक मै्डेस्क पर चीफ सब एटडिर अरटवंद उप््ेती से टमलूं और अख़बार ज्वाइन करने की टरपोि्षदूं .वे ही अरटवंद उप््ेती इस साल की शुर्आत के दूसरे टदन चले गये .पर देश प््देश मे् बहुत से लोगो् को खबर नही् हुई क्यो्टक वे टजस अख़बार मे्आधा जीवन खपा टदये थे और चार टदन पहले तक वहां के आयोजनो् मे् शाटमल हुए उसमे् कोई
खबर नही्थी. इस अख़बार का मूल वाक्य था, ' सबकी खबर दे,सबकी खबर ले’. इसे साथी कुमार आनंद ने गढ़ा था. वर्ष87 ,88 और 89 मे् हम जैसे बहुत से नौटसटखए पत््कारो् ने जब जनसत््ा ज्वाइन टकया तो
हमारे पहले टशक्क ् पांच चीफ सब थे, श््ीश चंद्टमश््,मनोहर नायक ,शम्भनू ाथ शुकल ्, अभय कुमार दुबे और अरटवंद उप््ेती. ये सब हमे्तब पत्क ् ाटरता के नायक लगते थे. सबका व्यक्कतत्व भी अद््त महसूस होता. भरपूर उज्ाष ,साहस और जानकारी से लैस .और सबके ऊपर थे प््भार जोशी .यह थी प््भार जोशी की डेस्क की वह िीम टजसने पूरे देश मे्जनसत््ा को टहंदी पत््काटरता का पहला ब््ांड बना टदया. प््भार जोशी जब डेस्क पर आते थे तो सन्नािा छा जाता था. पर वे अपने ही अंदाज मे् आते और लोगो् से टमलते. जब भी टकसी आयोजन का काड्ष बांिना हो तो प््भार जोशी डेस्क पर अपने चपरासी से हाथ टमलकर पहला काड्षउसे देते. यह उस पटरवार के तौर तरीके की एक बानगी है. इन सभी चीफ सब मे्सबसे सख्त अगर अभय कुमार दूबे थे तो सबसे सहज और पहले टदन ही टमत्् बन जाने वाले अरटवंद उप््ेती रहे. जो ट््ेड यूटनयन लीडर बाकी पेज 2 पर
सलाहकार और गृह मंत्ालय के कारण ही न टसफ्क इस आतंकवादी हमले मे् सात रक््ा कट्मषयो् को अपनी जाने गंवानी पड़्ी बक्लक जो ऑपरेशन एक टदन मे् समाप्त हो सकता था वह इतना लंबा टखंच गया. जब वहां आतंकवाटदयो् के घुसने की खबर आयी तो रक्ा् मंत्ी चाहते थे टक इस हमले से टनपिने के टलए पठानकोि मे् तैनात सेना की दो इनफै्िरी टडवीजन की मदद ली जाये. पर उनसे सलाह ही नही्ली गयी और सारा मामला अजीत डोवाल ने अपने हाथ मे्ले टलया. वहां सेना घंिे भर मे् पहुंच सकती थी. पर उसकी जगह नेशनल टसक्योरिी गाड्षस को भेजा गया और उसके वहां पहुंचने मे्आठ घंिे लग गये. सेना के न होने के कारण शुर्आती मुकाबला टडफे्स
टसक्योरिी कॉप्स (डीएससी) के लोगो् से हुआ टजसमे् ज्यादातर सेना के टरिायर हुए सदस्य होते है्. यह लोग आम पहरेदारी तो कर सकते है्पर आतंकवाटदयो्का मुकाबला करने का इन्हे्प््टशक््ण नही्टदया गया होता है. यही वजह थी टक इस हमले मे् मारे गए सात लोगो्से चार डीएससी के थे. इतना ही नही्इस हमले के दौरान ऑपरेशनल कमांड गटठत न टकये जाने के कारण समन्वय का अभाव रहा. सूत्ो् के मुताटबक मनोहर पट्रषकर को गृह सटचव और गृह मंत्ी का इस पूरे प््करण मे् प््ेस को ब््ीफ करना भी पसंद नही् आया है. आमतौर पर ऐसे मामलो् मे् सेना का ही कोई अटधकारी ब््ीटफंग करता है. बाकी पेज 2 पर
बंद न हो जाये बातचीत
बड़ी अथ्षव्यवस्था और सामटरक शक्कत के र्प मे् स्वीकृटत के र्प मे् टलया जाना चाटहए था. पर दुभ्ाषग्य से मोदी के सलाहकारो्ने इसका उपयोग उनकी छटव को टवश्् स््र के राजनेता के र्प मे् वीएन राय बनाने के प््यास के र्प मे्टकया. यह छटव वाल मौजूं है टक पठानकोि के बाद भी एक ऐसे दबंग राजनेता की थी टजसके क्या? क्या भारत-पाटकस््ान के बीच इशारे पर पूरी दुटनया न सही दट््कण एटशया टवदेश सटचव स््र की प््स्ाटवत वात्ाष को तो चलना ही है. मोदी सरकार की टवदेश नीटत जनवरी 2016 मे् होगी या इसका भी वही हश्् होगा जो इसके पहले टवदेश मंत्ी, इसी ग्लतफ्हमी की नी्व पर खड़ी हुई टवदेश सटचव या राष््ीय सुरक््ा सलाहकार और जल्दी ही उसमे् झोल भी नजर आने लगे है्. ख़ास तौर से नेपाल और पाटकस््ान स््र की बैठको्का हुआ था. भाजपा सरकार बनने के बाद से ही के मामलो् मे् इस नीटत की खाटमयां साफ भारत की टवदेश नीटत एक ख़ास तरह टदखने लगी है्. दरअसल राष््ीय स्वयं के टवभ््म की टशकार रही है. मोदी ने सेवक संघ और अपने उग्् टहंदुत्व वादी अपने शपथ ग््हण समारोह को एक साक्क समथ्षको् को ध्यान मे् रख कर बनायी उत्सव की तरह मनाने का फैसला गयी टवदेश नीटत सुटचंटतत और दीघ्ष टकया और बांग्लादेश को छोड़ कर सभी काटलक टहतो् को सामने रखकर नही् रची दट््कण एटशयाई देशो् के राष््ाध्यक्् इसमे् गयी थी. इसकी टनट्मषटत मे्अहंकार, आवेग बाकी पेज 5 पर शरीक हुए. इसे भारत को उभरती हुई एक
स
2
www.shukrawaar.com n
8 जनवरी - 14 जनवरी 2016
दललत आईएएस ने दी आमरण अनशन की चेतावनी
पूजा वसंह
रा
जस्थान कैडर के दटलत आईएएस अटधकारी उमराव सालोटदया द््ारा टवभागीय भेदभाव से क््ुब्ध होकर इस्लाम अपनाने के कुछ ही टदन के भीतर मध्य प्द् श े के दो आईएएस अटधकाटरयो्रमेश थेिे और शटश कण्ाषवत ने राज्य सरकार पर दटलत अटधकाटरयो्के साथ जाटतगत भेदभाव करने का गंभीर इल्जाम लगाया है. थेिे ने तो आमरण अनशन पर जाने की चेतावनी भी दी है. टपछले 13 सालो् से सरकार के टखलाफ मोच्ाष खोले थेिे को अलग-अलग मामलो् मे् जांच का सामना करना पड़्ा है लेटकन वे अटधकांश मे् टनद््ोर साटबत हुए. वर्ष 2008 मे् तो उन्हे् टरश््तखोरी के इल्जाम मे्सेवा से बख्ास ष ्भी कर टदया गया था लेटकन उच््न्यायालय से बेदाग बरी होने के बाद अंतत: वर्ष2011 मे्उनको दोबारा सेवा मे् टलया गया. थेिे पर ताजा इल्जाम यह है टक वर्ष 2013 मे् उज््ैन मे् अपर आयुक्त रहते उन्हो्ने सीटलंग की जमीन टनजी लोगो्को दे दी. सरकार का कहना है टक इससे उसे राजस्व का भारी नुकसान हुआ. लोकायुक्त ने इस मामले मे्प््ाथटमकी दज्ष कर जांच शुर् कर दी. टदसंबर के आटखर मे्प््देश सरकार ने थेिे के टखलाफ अटभयोजन की अनुमटत प््दान कर दी. थेिे कहते है्, 'मै् सरकार के शोरण और उसके दटलत टवरोधी र्ख से लगातार
लड़्ता रहंूंगा. मेरे टखलाफ इतने मामले बनाये गये अगर उनमे्से एक भी सही होता तो मै् आज इस साहस के साथ इनका मुकाबला नही्कर रहा होता. मै्11 तारीख को सरकार के इस भेदभाव के टखलाफ दटलत आटदवासी फोरम के साथ धरने पर बैठूंगा.' सन 1993 बैच के आईएएस अटधकारी थेिे टफलहाल मध्य प््देश बाल संरक््ण आयोग मे् सटचव पद पर पदस्थ है्. इससे पहले वर्ष 2014 मे् वह पदोन्नटत न टदये जाने से क््ुब्ध होकर आमरण अनशन पर बैठने की चेतावनी दे चुके है्. थेिे कहते रहे है्टक सरकार अनुसूटचत जाटत-जनजाटत के कम्षचाटरयो् को जानबूझकर प््ताटड़्त कर रही है. वह कहते है्टक जाटतगत भेदभाव के कई उदाहरण उनको जुबानी याद है्. एक अन्य आईएएस अटधकारी शटश कण्ाषवत भी राज्य शासन पर दटलत होने के
नाते प््ताडऩा का आरोप लगा चुकी है्. भ््ष्ïाचार के मामले मे्टनचली अदालत से सजायाफ्ता शटश कण्ाषवत टफलहाल जमानत पर है्. कण्ाषवत का आरोप है टक राज्य शासन मे् अटधकाटरयो् का एक वग्ष टगरोहबंदी के साथ काम करता है और जो कोई इनके टखलाफ बोलता है उसे प््ताटड़्त करना शुर् कर टदया जाता है. दटलत आटदवासी फोरम के संयोजक मोहनलाल पाटिल ने बताया टक राज्य के 18 सवण्ष आईएएस और आईपीएस अटधकाटरयो् के टखलाफ मामले लोकायुक्त मे् लंटबत है् लेटकन अटभयोजन की मंजूरी केवल थेिे के मामले मे्ही दी गयी. थेिे और कण्ाषवत आगामी 11 जनवरी को दटलत-आटदवासी फोरम के मंच पर धरने पर बैठे्गे. थेिे ने तो यह भी कहा है टक अगर शासन उन्हे्टगरफ्तार करता है तो वह अन्नजल त्यागकर अपनी जान दे दे्गे.
...पर उन्हे् अपनो् की खबर नही् पेज 1 का बाकी भी थे और अंत तक रहे. जनसत््ा मे् नयी पीढ़्ी को खबर बनाने का जो अलग तौर तरीका टसखाया गया उसके टशक््को् मे् अरटवंद उप््ेती भी थे. हम भी उनके टशष्य रहे भले बाद मे्अटभन्न टमत््हो गये. करीब तीन दशक का साथ रहा .यही वजह है अरटवंद उप््ेती के जाने की खबर से सन्न रह गया हूं. भीतर से डरा टदया टदया उनके जाने की खबर ने. वे तो साथ के थे. हम प्याला हम टनवाला थे. कुछ महीने पहले दो टदन साथ थे तो लंबी चच्ाष हुई थी घर पटरवार गांव को लेकर. उनका अपने पौड़ी क्सथत गांव से बहुत लगाव था. वे वही से आये और अपनी वही् जमीन उन्हे् नसीब हुई. अरटवंद उप््ेती की तेरहवी् का हवन भी चौदह जनवरी को पौढ़ी मे्ही है .पौढ़ी मे्श््ीनगर रोड पर उप््ेती भवन उन्ही के नाम है जहां हवन होगा . वे एक अच्छे संपादक थे. टबना टकसी अहंकार के बहुत कुछ टसखाया भी. ऐसा धैय्षमै्ने बहुत कम लोगो्मे्देखा है. वे शांत टकस्म के थे. बहुत ही इंट्ोवड्ष टकस्म का व्यक्कतत्व था. कई तरह की परेशाटनयो् से गुजर रहे थे. पर टकसी से कुछ कहते नही्. जब भी टदल्ली आता कोई और हो न हो अरटवंद साथ रहते. जब रायपुर मे् इंटडयन एक्सप््ेस ज्वाइन करने जा रहा था तो साथ गये भी बस््र तक. रम्मू भय्या से टमलवाने के टलये आए थे टजनके साथ वे जबलपुर मे्
काम कर चुके थे. खाने पीने का शौक रहा. टपछली बार दो टदन देहरादून से मंसूरी तक साथ थे. देहरादून स्िश े न आ गये थे लेने और टफर छोड़ने भी आये. दो पराठे और सब्जी बंधवा कर लाये. मंसूरी मे् मै् काय्षशाला मे् था तो वे नीचे उतर कर गांव की तरफ चले गये. कुछ समय पहले बहन गुजर गयी थी इसटलए उससे संबंटधत दस््ावेज आटद जमा कराने के टलए देहरादून मे् रहते .बेिे की नौकरी को लेकर परेशान रहते .पर पहाड़ के गांव से मोह था इसटलए कहते जनसत््ा अपाि्षमे्ि का फ्लैि बेच कर अब गांव मे् रहूंगा. बेिी जॉब मे्आ चुकी थी. इसटलए वे उसकी तरफ से टनट््ितं भी रहते. मुझे समझ नही्आता वे अकेले कैसे देहरादून और पौड़्ी मे्रहते. पूछता तो बेटफक््होकर कहते ,कौन टदल्ली मे् है ही. टरिायर होने के बाद का अकेलापन भी कई बार तोड़ता है. वे जनसत््ा अपाि्षमे्ि मे् रहते पर बहुत कम लोगो् से संबंध रहा. मै् आता तो उनके घर जाता. दो तीन साल पहले घर पर दावत दी तो उनको िोका भी खानपान को लेकर. खाने मे् फैि जर्रत से ज्यादा था. कोई परहेज नही्.बाद मे्सुगर की भी समस्या हो गयी. पर खानपान अटनयटमत ही रहता .देहरादून मे् मे् कैसे खाना होता है यह पूछने पर कहा था टक नाश्ता वे करते नही्सीधे दाल-चावल आटद बना लेते है्. टफर रात मे् बाहर से खाना लाकर खाते है्. एक्सप््ेस यूटनयन मे् चुनाव
हुआ टहंसा हुई वे अपनी टहफाजत मे् सबसे आगे रहे. अपनी प््टतबद््ता कभी नही्बदली और न जीवन शैली. ‘शुक्वार’ शुर् टकया तो अरटवंद से कहा टक वे अपाि्षमे्ि मे् ही रहते है तो संपादकीय टवभाग का काम संभाले्. वेतन भी ठीक ठाक देने की पेशकश हुई .उप्त्े ी का जवाब था ,छोड़्ो यार बहुत हो गयी नौकरी अब मौज करनी है. बेिे की नौकरी के टलए जर्र कहते .एक अंग्ेजी अख़बार मे्बात भी हुई पर उसे रास न आया. यह टचंता उन्हे् जर्र परेशान करती. पर टकसी से कोई व्यथा नही् बताते. याद है कैम्पिी फाल के डाक बंगले मे्र्के तो वे ही गये खाने आटद का इंतजाम करने. टफर देर तक बैठे और शमशाद बेगम और सुरैया आटद के गाने सुनते रहे. वे बीच-बीच मे् बाहर जाते झरने की तरफ .बोले यह जगह बहुत अच्छी है यहां दोबारा आऊंगा .टपछली बार अपाि्षमे्ि क्सथत मेरे फ्लैि मे्आये और देर तक बैठे .उनसे कहा था, भाई ये गुिखा छोड़ दे. कुछ चेकअप आटद भी करा टलया करे् पर वे बेटफक्् थे. कहा जब तक रहे्गे ठीक से रहे्गे जब चले जाये्गे तो टफर क्या टचंता रहेगी. उनका कोई मेल अकाउंि नही् था फेसबुक तो बहुत आगे की बात है. बीते तीस अगस्् को मै्ने उनकी बहुत सी फोिो ली थी कुछ लोक कटव बल्ली टसंह चीमा के साथ तो कुछ अलग. इसी मे्से एक फोिो यह भी है.
किसी िो पता नहीं िौन कंया िर... पेज 1 का बाकी हमला शुर् होने के बाद एयर फ्ोस्ष की पट््िमी कमांड के कमांडर भी पठानकोि भेज टदये गये. उनका रै्क एयर माश्षल का था. एनएसजी का आईडी सेना मे् मेजर जनरल रैक ् का होता है यानी ट््बगेटडयर से सीटनयर. जबटक एयर माश्षल मेजर जनरल से कही् ज्यादा सीटनयर होता है. लेटकन पूरे अटभयान की कमान एनएसजी के पास थी इसटलए एयर माश्ल ष और ट््बगेटडयर दोनो् थोड़्ा पीछे हि गये थे. सीटनयरजूटनयर की इस जंग मे्नुकसान तालमेल का हुआ. लेटकन बेस के बाहर का मोच्ाष पंजाब पुटलस के हाथ था. छह महीने पहले पड़्ोस के गुरदासपुर टजले के दीनानगर पुटलस स्िेशन पर हुए हमले के दौरान भी पुटलस ने सेना की जांच मे्सहयोग नही्टकया था. इसी तरह इस बार भी पुटलस ने अपने ही एसपी सलटवंदर के बयान की जाँच मे्इतनी देर कर दी टक मामला हाथ से टनकल गया. आतंटकयो् ने ३१ टदसंबर की रात लगभग एक बजे सलटवंदर की कार पर क्ब्ज्ा टकया था. उसने दो बजे कंट्ोल र्म को बताया लेटकन टकसी सीटनयर को नही्. डीआईजी और आईजी ने उसके बयान पर टवश््ास नही् टकया. इस बीच उसके दोस्् के घायल अवस्था मे् टमलने पर सलटवंदर के बयान पर उन्हे् भरोसा हुआ. तब मामला राष्ी्य सुरक््ा सलाहकार अटजत डोवल तक ले जाया गया. उन्हो्ने तुरंत एनएसजी को पठानकोि भेजने को आदेश टदए. एनएसजी को वहां पहुंचने मे् देर रात हुई और जब तक उनकी तैनाती हुई तब तक हमला हो चुका था. एयरबेस मे्आतंकी एक जनवरी की रात पहुच ं .े जबटक दो जनवरी की सुबह एनएसजी एयरबेस मे् घुसी. तब तक पंजाब पुटलस और डीएससी के जवान मोच्ाष संभाले हुए थे. डीएससी के जवान दरअसल टरिायर सैटनक होते है्. उनसे ऐसे महत्वपूण्ष सैनय् स्थल की सुरक््ा कर पाने की ट्जम्मदे ारी डालना उटचत नही् था. इसी तरह पंजाब पुटलस के जवान भी आतंकवाद से लड़्ने के टलए उस तरह से प््टशट््कत नही् होते जैसे सेना और एनएसजी के जवान. टपछले कुछ
समय से पाटकस््ान के ड््ग स्मगटलंग टसंडीकेि के साथ पंजाब पुटलस की साठगांठ के मामले भी सामने आये है्. ऐसे मे् आतंटकयो् से मुकाबले की टजम्मेदारी सेना पर होनी चाटहए थी. कमांड भी उसी के हाथो् होनी चाटहए थी. ख़्ासतौर पर इसटलए क्यो्टक टपछले सत््र सालो् से कश्मीर मे्आतंटकयो्से लोहा एनएसजी नही् बक्लक सेना ले रही है. और इसटलए भी क्यो्टक जैसे एयर फ्ोस्ष हवा मे् और नेवी समुद् मे् लड़्ने के टलए प््टशट््कत है वैसे ही आम््ी की महारथ ज्मीन पर लड़्ने मे् है. सेना के एक पूव्ष जनरल का कहना है टक टडफे्ंस सट्वषसेज् को कमांड नही् बनाना भी तालमेल के अभाव की एक वजह है. पहली कमी- गुरदासपुर के एसपी सलटवंदर टसंह की थी जो पाटकस््ान सीमा पर क्सथत दरगाह अकेले टनहत्थे और टबना सुरक््ा कट्मषयो्के चले गए. िूसरी कमी- डीआईजी और आईजी गुरदासपुर की है जो कई घंिो्तक अपने ही एसपी पर शक करते रहे जबटक आतंकी एयरबेस की ओर बढ़्रहे थे. सूचना पुष्होने के २० घंिो्तक भी सुरक््ा के पुख्ता इंतज्ाम नटह तीसरी कमी- एयरबेस अटधकाटरयो् की थी टजन्हो्ने १४ टफि ऊँची बाउंड्ी वॉल का एक छोिा सा टहस्सा महीनो्से िूिा होने के बावजूद उसकी मरम्मत नही् कराई. आतंकी यही्से घुस.े जाटहर है टक उन्हे्पुखत् ा जानकारी थी, टकसी घर के भेदी के ज्टरए. चौथी कमी- एयरबेस सुरक््ाकट्मषयो् की थी टजन्हो्ने बाउंड्ी वॉल िूिी होने के बाद भी वहाँ से घुसपैठ की आशंका पर ध्यान नही् टदया. ख़्ासतौर पर आतंकी हमले का अलि्ष जारी होने के बाद भी. पाँचवी कमी- एनएसए अटजत डोवल की टजन्हो्ने एक टकलोमीिर दूर तैनात ५० हज्ार सैटनको्को तैनात करने के बजाए सात सौ टकमी दूर मानेसर से एनएसजी को लड़्ने भेजा. छठी कमी- एयरफ्ोस्षअटधकाटरयो्की टजन्हो्ने पाटकस््ान सीमा के क्रीब क्सथत इस संवेदनशील एयरबेस की सुरक््ा टरिायर सैटनको्से बनी डीएससी के हाथो्सौ्प रखी थी.
पेज 1 का बाकी ऑपरेशन ब्लू स्िार के दौरान भी ऐसा हुआ था. यही वजह थी टक गृह मंत्ी राजनाथ टसंह ने पहले यह ऑपरेशन सफलता पूव्ष समाप्त हो जाने का बयान देते हुए सुरक््ा बलो् की तारीफ कर डाली और कुछ ही समय बाद अपना बयान वाटपस ले टलया क्यो्टक ऑपरेशन जारी था. जहां एक ओर सरकार ने इस हमले की जांच का काम नेशनल इनवेस्िीगेशन एजंसी को सौ्प टदया है वही्रक््ा मंत्ी ने सुरक््ा मामले मे्हुई चूक का पता लगाने के टलए अलग से तीन सदस्यीय सटमटत गटठत कर दी है. यह सटमटत इस बात का भी पता लगायेगी टक पूरे घिनाक््म के दौरान कंट्ोल और कमांड टकसी एक के हाथ मे् न होने के कारण टकतना नुकसान पहुंचा. मालूम हो टक इस मुठभेड़्मे्एनएसजी, गर्ण, डीएससी सभी शाटमल थे. रक््ा मंत्ालय मे्यह सवाल भी पूछा जा
रहा है टक आटखर सीमा पर बीएसएफ की मौजूदगी के बावजूद आतंकवादी वहां तक कैसे पहुंच गये ? वे इसकी तुलना मुंबई के आतंकवादी हमले से कर रहे है्जब आतंकी समुद् माग्ष से आये थे. पंजाब पुटलस की भूटमका भी सवालो्के घेरे मे्आ गयी है. यह माना जा रहा है टक अगर पंजाब सरकार ने टपछले साल 27 जुलाई को दीनानगर मे्हुए आतंकी हमले की जांच एनआइए को सौ्पने मे् अड़्गा न लगाया होता तो शायद पठानकोि की घिना नही् घिती. तब गुरदासपुर टजले के दीनानगर मे् घुस पाक आतंटकयो् ने एक बस और थाने पर हमला टकया था. के्द् ने यह मामला एनआइए को सौ्पने का एलान कर टदया था पर पंजाब सरकार ने यह कहते हुए जांच उसे नही्सौ्पी की राज्य पुटलस ऐसा करने मे् सक््म है. मालूम हो मुंबई के आतंकी हमले के बाद आतंकवादी हमलो् की जांच के टलए इस एजंसी का गठन टकया गया था.
तो डोवाल नेकराई फजीहत
www.shukrawaar.com n
3
8 जनवरी - 14 जनवरी 2016
खट््र का लवदेशी दौरा लनवेश कम घूमना ज्यादा रहा
एम कुमार
कई शहरो्मे्गये थे. उनके साथ हटरयाणा का 14 चंडीगढ़. हटरयाणा के सीएम मनोहर सदस्यीय प््टतटनटधमंडल लाल खट्िर टवदेश दौरा पूज ं ी टनवेश के टलए भी शाटमल था. दौरे से उद््ोगपटतयो्को आमंट्तत करने के टलए था. वापस आकर 27 अगस्् दौरे के बाद सरकार की ओर से दावा टकया को चंडीगढ मे् सीएम ने गया टक इस दौरे से हटरयाणा मे् 10 हजार प््ेस कांफे्स मे् दावा टकया करोड़्र्पये का का पूज ं ी टनवेश होगा. टजसमे् टक प््देश मे् टनवेश के 5000 करोड़्र्पये तो अकेले फूड प््ोसैटसंग टलहाज से यह दौरा बहुत ही इंडस्ट्ी मे् टनवेश हो्गे. लेटकन टनवेश के लाभदायक रहा. प््देश मे् लेकर आरिीआई मे्सरकार ने जो जानकारी सीधा दस हजार करोड़ का दी वह सरकार के दावो् से मेल ही नही् खा सीधा टनवेश होगा. लेटकन आरिीआई के रही है. पानीपत के आरिीआई एक्किटवस्ि पीपी कपूर ने सीएम के दौरे के दावो् की तहत हटरयाणा सरकार ने सच््ाई जानने के टलए सूचना के अटधकार कपूर को जो सूचना दी का प््योग टकया. इसमे पता चला टक दौरे का इसमे् पता चला टक टवदेश ं ी मकसद पूंजी टनवेश से ज्यादा बस घूमना यात््ा के दौरान ऐसे टकसी सहमटत पत््मे्पूज टनवे श का कोई टजक् ् नही् है . न ही फू ड टफरना था. टपछले साल 16 अगस्् से 25 प् ो ् से ट सं ग इं ड स् ट ् ी मे ् पू ं ज ी टनवे श का टकसी अगस््तक सीएम अमेटरका और कनाडा के
एमओयू मे् उल्लेख है. हटरयाणा सरकार ने सीआईएससीओ, गूगल, अलागोनक्कवन कॉलेज, कटरयर एयर कंडीशटनंग एंड
सैलानियों के नलये गोवा में हेलीकापंटर सेवा
पणजी. गोवा सरकार ने पय्षिको् को आकट्रषत करने के टलए समुद्ी टवमानो्, हेलीकाप्िर और पानी के ऊपर और नीचे चलने वाले वाहनो् को चलाने का मन बना चुकी है. इससे इस साल गोवा मे् करीब 75 लाख पय्षिको्के आने की संभावना है. इसके टलए बकायदे सभी तैयाटरयां की जा चुकी है्. ऐसे मे् गोवा के पय्षिको् से गुलजार रहने की उम्मीद है. गोवा के पय्षिन मंत्ी टदलीप पर्लेकर ने कहा टक इस समुद्ी टवमान प््ोजेक्ि की शुर्आत 6 जनवरी से होगी.
इसके टलए मुंबई के मेहर कंपनी से एक करार हुआ है. जो बहुत जल्द ही डाबोटलम एअरपोि्षसे राज्य की नटदयो्को जोड़ने वाले समुद्ी टवमान चलायेगी.
विरोध मे् खड़े हुए मछुअारे
वास्को. गोवा मे् तीन पारंपटरक मछुवारा संगठनो् ने मोम्षुगांव पोि्ष ट््स्ि के नेटवगेशनल चैनल का टवरोध टकया है. ओल्ड क््ॉस कैनोए ओनस्ष एसोटसएशन, बैना रामपो्कस्षऔर कैनोए ओनस्षटफटशंग सोसाइिी और डेस्िेर्ो टफशरमैन एसोटसएशन नाम के मछुअारा संगठनो् ने जलयानो्के चलाये जाने पर टवरोध जताया है. साथ ही इन संगठनो् ने राज्य मे् प््स्ाटवत बंदरगाहो्, समुद्ी टवमानो् और तैरने वाले जेिो्का भी जोरदार टवरोध टकया है. ओल्ड क््ॉस कैनोए ओनस्ष एसोटसएशन (ओसीसीओए) के अध्यक्् कस्िोटडयो टडसूजा ने मीटडया से बीते एक जनवरी को के्द्ीय सड़क और जहाजरानी मंत्ी टनटतन गडकरी के गोवा मे्बंदरगाहो्, जलटवमानो् और तैरने वाले जेिो् के प््स्ाटवत प््ोजेक्ि पर कड़्ा टवरोध जताया. टडसूजा ने सवाल उठाते हुए कहा टक सभी मछुआरे गोवा मे्टकसी भी ऐसे प््ोजेकि् का टवरोध करते है्. टजससे गोवा के पारंपटरक मछली पकड़ने के काम मे्बाधा
पहुंचता है. मछुआरो्को इस बात का डर है टक ड्ट्ेजंग से खाटरवाडा तिवत््ी क्त्े ्ो्मे्बने उनके घरो् को नुकसान पहुंचेगा. ऐसे मे् टडसूजा का कहना टक वह ऐसे टकसी भी प््ोजेक्ि का टवरोध करे्गे जो खारीवाडा तिवत््ी इलाके मे्घरो्को नुकसान पहुच ं ाये. ओसीसीओए के सटचव ग््ेटसयस काऊटिंहो ने कहा टक रामपो्कस्ष के मछुआरो्मे्इतनी टहम्मत नही्है टक वे्12 समुद्ी मील गहराई मे्जाकर मछली पकड़ सके.् ऐसे मे्केद् ्ीय मंत्ी को इस प््ोजेकि् को तत्काल बंद करवा देना चाटहए. उन्हो्ने आगे कहा टक अगर वास्को के मछुआरो् की इन मांगो् को नही् माना गया तो वे सड़क पर भी ‘रास््ा रोको’ आंदोलन करे्गे. साथ ही पारंपटरक मछुआरो् के संगठनो्ने राज्य मे्आयोटजत हो रहे ‘एक्वा मेगाटफश फेक्सिवल-2016 का भी जोरदार टवरोध टकया है. ये फेक्सिवल मत्स्य पालन और राष््ीय मत्सय् टवकास बोड्षटनदेशालय के साझा प््यास से हैदराबाद के नवेटलम मे् 7 जनवरी से 10 जनवरी तक और मापुसा मे्16 से 17 जनवरी तक मनाया जायेगा.
उन्हो्ने यह भी कहा टक समुद्ी टवमान और हेटलकॉप्िर शहर के वास्को डाबोटलम एअरपोि्ष से पूरे राज्य के टलए अपनी उड़ान भरेग् .े इससे शहर के अंदर और बाहरी भागो्मे्पय्षिको् को सुटवधाएं टमल सके्गी. इसमे् जल माग््ो्का भी इस््ेमाल टकया जायेगा टजनमे् पर पानी के भीतर और बाहर वाले टवमान भी शाटमल हो्गे. उन्हो्ने कहा टक पय्षिक समुद्ी टवमान से पहले चरण मे्मंडोवी और चपोरा नटदयो् मे्उतर सकेग् ,े इससे पय्िष क तिवत््ी इलाको् मे् सीधे एअरपोि्ष से पहुंच सकते है्. इसका ट््ायल रन बीते साल 23 मई को टकया जा चुका है. राज्य पय्षिन टवभाग जल्द ही 15 जनवरी या इसके बाद से प््ाइवेि हेटलकॉप्िर की सुटवधा डाबोटलम एअरपोि्ष से कई हेटलपैड के टलए शुर्कर देगा. पर्लेकर ने कहा टक अध्ष सरकारी संगठन पवन हंस भी पय्षिको् को एअरपोि्ष से कई हेटलपैडो् जैसे अगौड़ा, पुराना गोवा और कनकोना तक पहुंचाने का काम करेगा. इसके टलए समझौता भी हो चुका है. पय्षिन टवभाग जहाजरानी मंत्ालय से हरी झंडी टमलते ही राज्य मे्पानी के अंदर और बाहर चलने वाली बसे्लांच करने की तैयारी मे्है. पर्लेकर ने कहा टक इस बारे मे् राज्य के दौरे पर आये जहाजरानी मंत्ी टनटतन गडकरी से बसो्के संचालन के बारे मे्बात हुई है. अनुमटत टमलते ही यह बसे्शुर्कर दी जाये्गी. मंत्ी के मुताटबक बीते साल गोवा मे् 65 लाख पय्षिक राज्य मे् आये थे और इस बार ये संख्या 75 लाख हो सकती है.उन्हो्ने कहा टक गोवा पय्षिन का भटवष्य बहुत ही उज््वल है. चाि्षड्ष फ्लाइि का इस््ेमाल भी बढ़ा है. ई-वीजा की सुटवधा शुर् होने से अमेटरका से लोग गोवा घूमने आते है्. साथ ही ई-वीजा की सुटवधा से जम्षनी और यूके से भी यात््ी यहां आ रहे है्.
रेट्फजरेशन टलटमिेड, अप्लाईड मिीटरयल कंपनी के साथ एमओयू साइन टकये है्. इनमे् कही् भी फूड प््ोसेटसंग इंडस्ट्ी मे् पूंजी टनवेश का टजक््तक नही्है. कपूर ने सरकार से सवाल टकया टक ऐसे मे्टकस आधार पर दावा टकया जा रहा है टक दस हजार करोड़ का पूंजी टनवेश होगा. आरिीआई से यह भी पता चला टक कटरयर एयर कंडीशटनग एंड रेट्फजरेशन नाम की टजस कंपनी से टवदेश मे् खट््र सरकार ने एमओयू पर दस््ख्त टकया है वह हटरयाणा की कंपनी है. कंपनी भारत मे् रटजस्िड्ष है और गुडगांव मे् इसका मुख्यालय है. इस कंपनी
के साथ बात-चीत व एमओयू यही् गुडगांव मे्हो सकता था. इसी प््कार क्सकल इंटडया टमशन के तहत ट््ेटनंग देने के टलए कनाडा के टजस शएलगोनक्कवन कॉलेज से समझौता टकया है, वह कॉलेज वल्ड्ष रै्टकग मे्3884 वे्स्थान पर है. इतना टनम्न स््रीय कॉलेज हटरयाणा के युवाओ् को क्सकल इंटडया टमशन के तहत क्या ट््ेटनंग देगा? इससे हाई रैटकंग के दज्षन से ज्यादा कॉलेज तो भारत मे् ही टमल जाते, कनाडा दौरे की क्या जर्रत थी? इधर सीएम मनोहर लाल का दावा है टक यह दौरा बहुत ही कामयाब रहा. इसके असर आने वाले टदनो् मे् नजर आये्गे. सरकार की ओर से यह भी कहा गया टक टजस कॉलेज के गुड़ग् ांव मे्रटजस्िड्षहोने की बात की जा रही है उसके अटधकारी क्यो्टक टवदेश मे् बैठते है, इसटलए वहां बातचीत हुई.
वबहार मे् हार की िजह भाजपाः यशिंत विन्हा
अविषेक रंजन वसंह
टसन्हा को टबहार टवधानसभा चुनाव के दौरान स्िार प््चारक बनाया गया होता तो पाि््ी को नयी दिल्ली. भारतीय जनता पाि््ी के करारी टशकस््का समना नही्करना पड़्ता. सांसद और टफल्म अटभनेता शत््ुघ्न टसन्हा इस मौके पर शत्घ्ु न् टसन्हा ने कहा टक टबहार की आत्मकथा ‘एटनटथंग बि खामोश’ के के टकसी भाजपा नेताओ् को आमंट्तत नही् बहाने भारतीय जनता पाि््ी के टवक््ुब्ध करने की एकमात्् वजह यह थी टक इस नेताओ् का दद्ष आज खुलकर सामने आ पुस्क का टवमोचन पिना और मुंबई मे्भी गया. नयी टदल्ली के फाइव स्िार होिल होना है. खैर शत््ुघ्न टसन्हा जो कहे्, लेटकन क्लटे रजेस मे्शॉिगन की टकताब के टवमोचन पुस्क के बहाने उन्हो्ने अपने भावी के अवसर पर बीजेपी के वटरष्् नेता राजनीटत और अपनी भूटमका का बखूबी लालकृष्ण आडवाणी, यशवंत टसन्हा, कीट्तष प््दश्षन कर टदया. इस समारोह मे् के्द् सरकार मे्मंत्ी आजाद, जनरल जनरल वीके वीके टसंह, अमर टसं ह , टसंह, टदक्गवजय स मा ज वा दी टसंह, हर्षवध्षन, पाि््ी के पूव्ष रणदीप टसंह नेता अमर सु र जे वा ला टसंह, कांग्ेस मौजूद थे. के वटरष्् काय्षक्म मे् नेताओ् की भाजपा के वटरष्् मौजूदगी और नेता यशवंत उनका तहेटदल टसन्हा ने कहा से स्वागत टक पाि््ी मे् शत््ुघ्न टसन्हा के साथ घोर नाइंसाफी हुई है. करना कई संकेत दे रहे थे. यह इसटलए भी अगर टबहार टबहार टवधानसभा चुनाव मे् टक य़शवंत टसन्हा ने अपने संबोधन मे्कहा उन्हे् स्िार प््चारक बनाया गया होता तो टक अगर शत््ुघ्न टसन्हा को बीजेपी से भाजपा की बहुमत के साथ सरकार बनी टनष्काटरत टकया जाता है, तो इसके दूरगामी होती. लेटकन टबहार भाजपा के नेताओ् ने पटरणाम भाजपा को झेलने पड़्ेगे. उनके इस आपसी कलह की वजह से टबहारी बाबू यानी बयान का वहां मौजूद टबहार के दरभंगा से शत्घ्ु न् टसन्हा को प्च ् ार अटभयान से दूर रखा भाजपा सांसद कीट्तष आजाद ने भी समथ्षन गया. गौरतलब है टक शॉिगन यानी शत््ुघ्न टकया. अब देखने वाली बात यह होगी टक टसन्हा की आत्मकथा एटनटथंग बि खामोश महीनो् से भाजपा से नाराज चल रहे और के टवमोचन समारोह मे् भाजपा नेताओ् पाि््ी टकरटकरी बन चुके शत््ुघ्न टसन्हा और खासकर आडवाणी खेमे के अलावा कांग्ेस कीट्तष आजाद पर पाि््ी क्या कार्षवाई करती और दूसरे दलो् के कई नेता मौजूद थे. इस है. कुल टमलाकर शत््ुघ्न टसन्हा ने अपनी मौके पर शत््ुघ्न टसन्हा, लालक्ष्ण आत्मकथा के बहाने टसयासी सरट्गटष मया तेज आडवाणी और यशवंत टसन्हा ने पत््कारो्से कर दी है.् ज्यो्उनकी टकताब के पन्ने पलिेगे् बातचीत के दौरान भाजपा के टखलाफ कड़्ी राजनीटतक टववादो् का एक नया फेहटरस्् टिप्पणी की. उन्हो्ने कहा टक अगर शत््ुघ्न सामने होगा.
www.shukrawaar.com n
5
8 जनवरी - 14 जनवरी 2016
वशिराज के दम पर चौहान बरकरार
पूजा वसंह
भा
रतीय जनता पाि््ी की मध्य प््देश इकाई के अध्यक्् पद पर नंद कुमार चौहान उफ्क नंदू भइया की दोबारा ताजपोशी ने एक बार टफर यह साटबत कर टदया है टक प््देश के मामलो् मे् अभी भी मुख्यमंत्ी टशवराज टसंह चौहान की तूती बोलती है. भाजपा अलग राजनीटत व आंतटरक लोकतंत्का दावा करती है लेटकन अध्यक््पद के चुनाव मे्ये दोनो्बाते्नदारद टदखी्. सोमवार को जब चुनाव के टलये नामांकन दाटखल करने की बारी आयी तो चौहान नामांकन दाटखल करने वाले इकलौते उम्मीदवार थे. टजन लोगो् को इस चुनाव मे् उनका प््टतद््ंद्ी माना जा रहा था, वे बेमन से ही सही लेटकन उनका समथ्नष करने के टलये मजबूर थे. सूत्ो्के मुताटबक नंद कुमार चौहान के दोबारा अध्यक्् चुने जाने का पूरा श््ेय मुख्यमंत्ी टशवराज टसंह चौहान को जाता है टजन्हो्ने न केवल प््देश के वटरष््नेताओ्के बीच आम सहमटत बनवायी बक्लक पाि््ी आलाकमान को भी चौहान के नाम पर राजी
बदहाल है् ओविशा की स्िास्थ्य िेिा ववश््नाथ देहाती संबलपुर. राज्य सरकार की ओर से स्वास्थ्य से संबंटधत के्द्ीय योजनाओ् के करोड़्ो् र्पये ओटडशा मे् खच्ष हो रहे है्. लेटकन लोगो् को सुटवधाएं नही् टमल रही. ग््ामीण इलाको् के स्वास्थ्य के्द्ो् मे् हालात बहुत बुरे है्. प््देश के संबलपुर, बलांगीर और कालाहांडी जैसे टपछड़्े टजलो् मे् के्द्ो् पर डॉक्िर ही नही्है.् नतीजतन सैकड़्ो्जाने जा रही है्. लेटकन सरकार मामलो् से अनजान अभी गहरी नी्द मे्है. लोग इलाज कराने के टलए राज्य की राजधानी भुवनेशर् तक जा रहे है्. इसके बावजूद सरकारी डॅाक्िर अपने काय्षस्थलो् मे् नही् टदखते. सभी सहयोगी कम्षचारी सही तौर पर प््शीट््कत भी नही्है्. ऐसे हालातो्मे्राज्य के लोग खुद को असुरट््कत महसूस करते है्. हालत यह है टक शहर मे्एक से दो वर्ष केवल 32 फीसद बच््ो्के टलए आवश्यक जीवन रक््क िीके उपलब्ध है्. वही्गांवो्मे् मात्् 3 फीसद जर्री िीके टमल पाते है्. राज्य की टशशु मृत्यु दर बहुत अटधक होने के बाद भी स्ट्थटत सुधरने की जगह टबगड़् रही है. हाल ही मे् ग््ामीण इलाको् मे् औसतन प््त्येक 1000 टशशु पर 60 की मृत्युदर दज्ष की गयी. जच््ा और बच््ा के टलए समुटचत मात््ा मे् इलाज और देखरेख न हो पाने के कारण यह आंकाड़्ा पहुंच गया है. प््सव के दौरान अटधकांश मटहलाएं दम तोड़् देती है्. यह स्ट्थटत तब है जब एनआरएचएम के तहत करोड़्ो् र्पये स्वास्थ्य सेवाओ् के टलए आते है्. टपछले साल वीएसएस अस्पताल और बलांगीर के सदर अस्पताल मे्आठ टशशुओ्ने दम तोड़् टदया.
कर टलया. दरअसल आलाकमान चौहान के नाम पर तैयार नही् था क्यो्टक उनके गैर टजम्मदे ाराना बयान पाि््ी का नाम हंसवाते रहे है्. फग्गन टसंह कुलस््े को अध्यक्् पद की तगड़्ा उम्मीदवार माना जा रहा था लेटकन
पेज 1 का बाकी और सनक जैसी भावनाओ् का योगदान अटधक था. टहंदुत्ववादी नेपाल के धम्ष टनरपेक् संटवधान से नाराज थे. उन्हे् मधेटशया लोगो् से हुए भेदभाव ने मौका दे टदया. मुख्य धारा की राजनीटतक पाट्िषयो् ने् मधेटशया को लगभग दूसरे दज््े का नागटरक बनाने वाला संटवधान टनट्मषत टकया तो भारत की टचंता स्वाभाटवक थी. पर टजस तरह भारत ने अपने टवदेश सटचव को भेज कर उसे र्कवाने की कोटशश की और टजस तरह से उनके काठमांडू छोड़ते ही संटवधान लागू कर टदया गया. इससे यह स्पष्् हो गया टक हाथ मरोड़कर भारत नेपाल से अपनी बाते् नही् मनवा सकता. यटद मोदी की टवदेश नीटत आक््ामक न होकर थोड़ी संवेदनशील होती तो शायद भूकंप के बाद के अपमान को इतनी जल्दी नही् आलाकमान द््ारा चौहान को नामांकन भरने भूली होती टजसमे् राहत पहुंचाने मे् का टनद््ेश टमलने के बाद उनके पास कोई चुस्ी टदखाने के बावजूद अपने चारा नही्रह गया. बड़बोलेपन के कारण भारतीय मीटडया पाि््ी के एक वटरष्् नेता ने नाम और राहतकट्मषयो् के हाथ टसफ्क बदनामी गोपनीय रखने की शत्ष पर कहा टक नंद ही लगी थी और उन्हे् बीच मे् ही अपना अटभयान छोड़ कर वापस आना पड़ा था. नेपाल से अटधक पाटकस््ान के संबंध मे्भारतीय नीटत टवभ््म का टशकार रही है. तहत जॅाब काड्ष धाटरयो् को काय्ष देने की सरकार बनाने के फौरन बाद से भारत सामने प््दश्षन करेगा. देश मे्टकसान, खेती और गांव संकि मे् योजना भी प््देश सरकार लागू करने को पाटकस््ान सीमा पर तनाव बढ़ता गया. रक््ा मंत्ी मोहन पट्रषकर और सेनाध्यक्् है.् बीते 68 सालो्से टकसान, खेती और गांव तैयार हो. टकसान संघर्ष सटमटत 12 जनवरी जनरल सुहाग के बयानो् ने इस तनाव को 1998 को मूलतापी टकसान आंदोलन पर बढ़्ाने का ही काम टकया. यह परंपरा होने टकये गये पुटलस गोली चालन मे् शहीद हुए के बावजूद टक पाटकस््ान के प््धानमंत्ी या 24 टकसानो्की स्मृटत मे्हर साल की तरह टवदेश मंत्ी जैसी महत्वपूण्ष हस््ी के इस साल भी 18 वां शहीद टकसान स्मृटत टदल्ली आगमन पर हुटरयत कांफे्स के नेता सम्मेलन और 217 वी् टकसान महापंचायत उनसे टमलते रहे् है् मोदी सरकार ने कई ग््ाम परमंडल, मूलतापी मे्आयोटजत करेगी. बैठके् इसी आधार पर रद्् कर दी् टक शहीद टकसान स्मृटत सम्मेलन मे् शहीद पाटकस््ानी नेताओ् के साथ उनकी टकसान पटरवारो्को श््ंद्ाजटल देने के साथ- मुलाकात तय थी. एक अहंकारी और साथ शहीद टकसानो् की स्मृटत मे् टवघा वास््टवकता से किी हुई टवदेश नीटत ही मेमोटरयल ट््स्ि से पांचवी कक््ा मे् प््थम इस तरह की ग्लतफ्हमी का टशकार हो आयी 24 छात््ाओ् को पुरस्कृत भी टकया सकती थी टक पाटकस््ान की कोई सरकार जायेगा. सम्मेलन मे् टकसानी घोरणा पत्् अपनी फौज और कट््र पंटथयो् को 2016 भी जारी टकया जायेगा. सम्मेलन मे् नजरंदाज कर भारत के टहंदुत्ववाटदयो् के को सुटनयोटजत तौर पर नष्् करने् की मूलतापी बस स्िै्ड पर टकसान स््ंभ पर इशारे पर चलेगी. पेटरस मे् मोदी की शरीफ से पाट्िषयो् और सरकारो की नीटतयो् के चलते पुष्पांजटल अट्पषत की जायेगी. साथ ही टडंगरबाड़्ी की डूब पर मुआवज्े संट्कप्त मुलाकात या काबुल से लौिते टकसानो् की आत्महत्या की दर लगातार बढ़्ती जा रही है. बीते पांच महीनो् मे् की मांग को लेकर सम्मेलन टकया जायेगा. हुए लाहौर मे् र्ककर शरीफ को जन्म मध्यप््देश के 400 टकसानो् ने आत्महत्या खकरा चौराई और राजाखोह ढ़्ाना की टदन की बधाई से बात नही् बनेगी. मोदी की है. देश मे्सूखे से पचास करोड़्टकसान चालीस हेकि् ये र की जमीन माचागोरा बांध मे् सरकार को समझना होगा टक पाटकस््ान बुरी तरह प््भाटवत हुए है्. प््देश मे्सोयाबीन डूब जा रही है. यहां टकसान तरबूज की खेती की टनव्ाषटचत सरकार के अटतटरक्त सेना और गैर सरकारी टखलाड़ी भी सच््ाई है् की फसल नष्् हो जाने के बाद पानी के कर अपना पेि पालते है.् लेटकन बांध बनने से फ्सल अब नही् और उन्हे् बांह मरोड़कर अपने मन अभाव मे्गेह् ू की फसल सूखने की कगार पर है्. मध्य प््देश के पीट्ड़त टकसानो् को होती. मछुआरो् के इस संघर्ष और उनके मुताटबक चलने पर मजबूर नही् टकया जा मुख्यमंत्ी की तमाम घोरणाओ् के बावजूद अटधकारो् की मांग को सटमटत राष््ीय स््र सकता. टकसी भी समझदार व्यक्कत को अब तक राजस्व का मुआवजा और फसल पर पहुंचायेगी. इसके टलए 11 जनवरी को इस क्सथटत के टलए तैयार रहना चाटहए बीमा का मुआवजा नही् टमला है. सरकार टछंदवाडा़ मे्देश के 50 जनसंघर््ो्के साथी टक जब कभी दोनो् देशो् के सम्बंध बेहतरी टकसानो् कज्ाष, और टबजली टबल के साथ पहुंच कर मछुआरो् का साथ दे्गे. यही नही् की तरफ बढ़े्गे तो उन्हे्रोकने के टलए नान गे्हू के फसल के टलए टबना ब्याज के कज्ाष ऐसे ही तमाम मुद्ो् को सामने ला उसका स्िेि ऐक्िस्ष पूरा प््यास करे्गे ही. कारटगल इसका एक उदाहरण है और देने की मांग पूरी करे तभी टकसान जी सकेग् .े समाधान सरकार से मांगा जायेगा. सटमटत के संयोजक डॅा सुनीलम ने बड़्ी यटद सरकार ने् दीघ्ष कालीन टवदेश नीटत इसके अलावा टकसानो् को 30 र्पये प््टत लीिर सक्बसडी, टनशुल्क टबजली, प््टत संख्या मे् लोगो् से सम्मेलन और रैली मे् बनाई होगी तो पठानकोि के बाद ं ने की अपील की है. टजससे टकसानो्की टवदेश सटचवो् की वात्ाष स्थटगत नही् होनी व्यक्कत 5 टकलो प््टत माह टनशुल्क अनाज पहुच चाटहए. की व्यवस्था, 150 टदन मनरेगा योजना के मांग को जोरशोर से उठाया जा सके. कुमार चौहान का नाम पहले से तय हो गया था लेटकन यह बात आंतटरक लोकतंत् के टलये अच्छी नही्है. यही बात तो हमे्कांग्ेस तथा पटरवारवादी राजनीटत करने वाले अन्य दलो् से अलग करती है. जब अन्य उम्मीदवार मौजूद थे तो चुनाव करवाया जाना चाटहये था. पाि््ी के प््देश प््वक्ता दीपक टवजयवग््ीय ने बताया टक सोमवार को टकसी अन्य उम्मीदवार द््ारा पच्ाष न भरे जाने के बाद नंदू भइया का दोबारा अध्यक्् बनना महज आैपचारटकता भर रह गयी थी. गौरतलब है टक सन 1999 मे्टशवराज टसंह चौहान के काय्षवाहक अध्यक्् टवक््म वम्ाष के टखलाफ चुनाव लड़्ने के बाद से प््देश मे् कभी अध्यक््पद का चुनाव नही्हुआ है. पाि््ी मे् ही टशवराज टवरोधी धड़्े यानी कैलाश टवजयवग््ीय, प््भात झा आटद ने नंद कुमार चौहान के नाम को चुनौती देने की कोटशश की थी लेटकन मुख्यमंत्ी टशवराज टसंह चौहान की प््बंधन क्म् ता के आगे उनकी नही्चल पायी. अंतत: इन्हे्मन मारकर पाि््ी के फैसले को स्वीकार करना पड़्ा.
हक के लिए आंदोिन करेंगे लकसान
दछंिवाड्ा. बीते साल टकसानो् की मौत, सूखा और तबाही का दौर चला. टकसान अपने हक के टलए फटरयाद करता रहा, लेटकन सरकार सोयी रही. टकसान की आवाज्अनसुनी ही रह गयी. ऐसे मे्टकसान संघर्ष सटमटत ने अपने सहयोटगयो् के साथ इस आवाज् को आंदोलन का र्प टदया. जगह-जगह सम्मेलन और यात््ाएं की. यह कारवां इस साल पूरे जोश के साथ आगे बढ़् रहा है. टकसानो् की मांग और आवाज् को अब आंदोलन बनाया जायेगा. इसमे्मजदूरो् को भी एकजुि टकया जायेगा ताटक मजदूर एकता टजंदाबाद, गांव का एका टजंदाबाद, शहीद टकसान अमर रहे्, जैसे नारो् से टकसानो् के मांगो् और टहतो् की सरकार अनदेखी न हो सके. टकसान सघंर्ष सटमटत के काय्षकारी अध्यक्् और राष््ीय संयोजक डॉ सुनीलम और उनके सभी सहयोगी प््देश अध्यक्् टकसानो्के मुद्ो्को आंदोलन का र्प दे रहे है्. टजससे टकसानो् की मांगे सुनी जाये्. इस साल आंदोलन की शुर्आत 11 से 12 जनवरी को खेती-संसाधनो् की कॉरपोरेि लूि के टखलाफ जनसंघर््ो और डूब पर मुआवजा़ सटहत शहीद टकसानो् का राष््ीय सम्मेलन के तौर पर टछंदवाड़्ा बस स्िै्ड पर टकसान और मजदूर जुिे्गे. इसमे् नम्षदा बचाओ आंदोलन की मेधा पािकर, जय टकसान आंदोलन के संयोजक योगे्द्यादव सटहत कई बड़्े सामाटजक काय्षकत्ाषओ् के भाग ले्गे. मुलताई से यात््ा शुर् होकर इिारसी, किनी, जबलपुर, टसंगरौली, सीधी, रीवा, पन्ना, ग्वाटलयर, गुना और बड़्वानी होते हुए 19 जनवरी को इंदौर पहुंचेगा. टजसके बाद बीते साल की तरह ही इस साल भी 24 फरवरी को यह रैली टदल्ली जायेगी. जहां भूटम अटधकार आंदोलन संसद के
बंद न हो जाये...
6
www.shukrawaar.com n
फ़ज़ल इमाम मल्ललक नयी दिल्ली. पेशेवर कुश्ती लीग को लेकर कई तरह के सवाल इसके शुर् होने से पहले उठ रहे थे. अब जब लीग खत्म हो गयी है तो उन सवालो्का जवाब आलोचको् को टमल गया है. हालांटक भारतीय कुश्ती महासंघ के गैर पेशवे र रवैये से इसकी चमक थोड़ी धुंधली भी पड़ी. लेटकन पहलवानो्के बेहतरीन दांवो्ने उस धुंधलके को कम कर टदया. छह िीमो् की कुश्ती लीग न टसफ्क कामयाब रही बक्लक दश्षको् को स्िेटडयम तक खी्च लाने मे्भी कामयाब रही. टदल्ली मे् फाइनल के टदन का आलम यह था टक लोग टिकिो् के टलए मारामारी कर रहे थे और उन्हे्टिकि नही्टमल रहे थे. आइपीएल की तज्ष पर शुर् हुए लीग मे् देश का छह फे्चाइजी िीमो् ने टहस्सा टलया. टदल्ली, बंगलुर्, पंजाब, मुंबई, उत््र प््देश और हटरयाणा की िीमे्इस पहली लीग का टहस्सा थी्. मुंबई पेशेवर कुश्ती लीग की पहली चै्टपयन बनी. उसने फाइनल को एकतरफा बना डाला और हटरयाणा को फाइनल मे् फतह कर चै्टपयन बनने का गौरव पाया. मुबं ई ने शुर्से ही इस लीग मे्अपना दबदबा बनाये रखा और वह अजेय चै्टपयन बनी. उसने लीग के सभी पांचो्मुकाबले जीते टफर सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले भी जीते. लीग मे्देशी और टवदेशी पहलवानो्का जमघि था. हालांटक भारत के ओलंटपक पदक टवजेता पहलवान सुशील कुमार लीग शुर्होने से ठीक पहले मुकाबले से हिने का एलान कर आयोजको् को सकते मे् डाल
8 जनवरी - 14 जनवरी 2016
सफल रही कुश्ती लीग
टदया था. सुशील चोि की वजह से लीग से हिे थे लेटकन कहा यह जाता रहा टक लीग मे् पहलवानो् की नीलामी मे् उन्हे् कम पैसा टमला था और उनके लीग से हिने की बड़ी वजह बताई जारही है. सुशील को लीग मे्38 लाख र्पये मे् उत््र प््देश ने खरीदा था. उनसे ज्यादा कीमत अमेटरका की ओकसाना हरहेल और भारत को योगेशर् दत््को टमली थी. सुशील इससे खुश नही् थे इसटलए उन्हो्ने अंटतम समय मे् लीग से हिने का फैसला टकया. हालांटक सुशील इस बात को गलत बताते है.् वे अगले साल होने वाले टरयो ओलंटपक की तैयाटरयो्मे्मशगूल है्. उनका लक्य् टरयो मे्पदक जीतना है. सुशील बेटजंग ओलंटपक मे् कांस्य और 2012 के लंदन ओलंटपक मे् रजत पदक जीत चुके है्. टरयो
मे्उनका लक््य स्वण्षपदक जीतना है. भारत को ओलंटपक मे्अब तक एक ही कोिा टमला है. नरटसंह पंचम यादव ने टवश््चैट्पयनटशप मे्तमगा जीत कर भारत को 74 टकलो भार वग्ष मे् कोिा टदलाया था. सुशील इसी भार वग्ष मे् ओलंटपक मे् अखाड़े मे् उतरे्गे. इसटलए उनकी नजर टफलहाल ओलंटपक पर है. इसकी वे तैयारी भी कर रहे है्. चयन ट््ायल मे्उन्हे्नरटसंह से ही टभड़ना होगा. वे चोि से जूझ रहे थे और इससे उबरने मे्उन्हे् काफी समय लगा. हाल ही मे्वे जाट्जषया मे् टवश््स््रीय पहलवानो्के साथ अभ्यास मे् टहस्सा टलया. सुशील ने कहा टक अभ्यास के दौरान ही उनके कंधे मे्टखंचाव आ गया था और इसी वजह से वे लीग से हिे. सुशील के हिने से लीग की चमक थोड़ी
फीकी भी पड़ी लेटकन टवश्् स््रीय पहलवानो् की मौजूदगी मे् लीग ने लय पकड़ी. भारतीय पहलवानो् ने भी चमक टबखेरी. योगेश्र दत््,बजरंग, नरटसंह, प्व् ीण राणा, अटमत धनकड़ के अलावा कुछ दूसरे युवा पहलवानो् ने बेहतरीन प््दश्षन टकया. हालांटक योगेश्र भी लीग मे्तीन ही मुकाबले मे्हटरयाणी की नुमाइंदगी कर सके. चोि की वजह से वे भी बाकी के मुकाबलो्से हि गये. इसका असर भी उनकी िीम पर पड़ा. लीग मे्मटहला पहलवानो्ने भी जलवा टबखेरा. फोगाि बहने् टवनेश, ट््पयंका, टरतु और गीता ने भी कुछ अच्छे मुकाबले लड़े. इनमे्से टवनेश ने अपनी चपलता और चुस्ी से ज्यादा प््भाटवत टकया. इनके अलावा साक््ी मटलक और नवजोत कौर ने भी अपनी
चमक टबखेरी. लेटकन लीग मे् टवदेशी पहलवानो् का जलवा रहा. ट््बिेन की एडेटलन ग््े, टवश्् चै्टपयन ओकसाना हरहेल, टवश्् पदक धारी ताटतयाना टकि, नाईटजटरयाई पहलवान ओडुनायो एडुकोओरोये, क्यूबा के टलवान और ओटडकाजे एलटजबार ने लीग मे् बेहतरीन प््दश्षन टकया. बड़ी बात यह रही टक टवदेशी पहलवानो् ने काला जंग, भरंदाज जेसे देसी दांव बेतरह लगाए. लीग को लेकर हालांटक अब यह कहा जारहा है टक फाम््ेि मे् थोड़ा बजलाव कर टवदेशी पहलवानो् का अनुपात कुछ कम टकया जाये ताटक भारतीय पहलवानो् को ज्यादा से ज्यादा मौके टमले्. इसके अलावा एक ही भार वग्षमे्एक ही देश के पहलवानो् के रहने को लेकर भी अिकले् लगाई जाती रही है्. ऐसे कयास लगाए जा रहे है्टक इस तरह के मुकाबले मे् टफक्कसंग की संभावना होती है. एक ही देश के पहलवान अगर एक ही भार वग्ष मे् हो् तो मुकाबले का फैसला इधर-उधर टकया जा सकता है. यह खतरा तो जर्र बना है और रहेगा भी. कुश्ती महासंघ को इस पर ध्यान देना होगा. सेमीफाइनल मुकाबले को लेकर टजस तरह का असमंस अंत बना रहा, उससे महासंघ का गैरपेशवे र रैवया सामने आया है. हालांटक द््ोणाचाय्षमहाबली सतपाल लीग को सफल मानते है्. वे कहते है् टक इससे भारतीय पहलवानो् का भला होगा. टवश्् स््रीय पहलवानो्के साथ लड़ने की उनकी टझझक दूर होगी. ओलंटपक को देखते हुए लीग का होना भारतीय कुश्ती के टलए शुभ संकेत है.
www.shukrawaar.com n
पयंाावरण
8 जनवरी - 14 जनवरी 2016
अवनल चौबे
7
जहां हवा में जंहर है
इ
लाके की हवा जहरीली हो चुकी है. इसमे् स्िील और पावर प्लांिो्से टनकला धुआं जहर घोल रहा है. कच््ेकोयले के इस््ेमाल और इसमे् टमलावि के वजह से इलाके के ऊपर कोयले की एक परत बनती जा रही है. इससे रायगढ़् एक धुएं की चादर मे् टलपिा जा रहा है. इसका असर लोगो्के स्वास्थय् पर भी पड़्रहा है. दवा की दुकानो्से खांसी के टसरप की खरीदारी बढ़्ती जा रही है. कोयले मे्टमलावि और मानको्की अनदेखी से अब लोगो्का दम घुिने लगा है. पर सरकारी और गैर सरकारी प्लांि इसकी तय मानको् के साथ टखलवाड़् मे् ही लगे है्. ऐसे मे् हवा जहर बनती जा रही है. प््धानमंत्ी मोदी जहां पूरे टवश्् मे् पय्ाषवरण को लेकर तरह-तरह के दावे और वादे कर रहे है्. वही् पय्ाषवरण को सबसे अटधक नुकसान पंहुचा रहे पावर और स्िील प्लांिो्को वाश कोल का इस््ेमाल करने के टलए भी सरकार बाध्य नही् कर सकी है. मोदी सरकार अभी तक वाश कोल के इस््ेमाल के टलए टकसी भी तरह की योजना नही्बना पायी है. आज भी पूरे देश के पावर प्लांि हो् या स्िील प्लांि खदान से टनकला कच््ा कोयला ही इस््ेमाल कर रहे है्. जो पय्ावष रण को भारी नुकसान पंहच ु ा रहा है. इन प्लांिो् से टनकने वाला जहरीले धुएं से भारी वायु प््दूरण हो रहा है. एक मेगा वाि टबजली बनाने मे् पचास िन कोयला जलाना पड़ता है. इस पचास िन कोयले के जलने से भारी मात््ा मे् काब्षन डाई ऑक्साइड टनकलकर हवा मे् घुल रही है. यह प््ट्कया टबना र्के टनरंतर जारी है. सरकार की नाक के नीचे प््दूटरत टदल्ली मे्दादरी पावर प्लांि को बंद करने की नौबत तक आ गयी है. टफर भी सरकार ने वाश कोल के इस््ेमाल के टलए कोई ठोस नीटत नही् बनायी है. पूरे भारत मे् रोज दस लाख िन कोयला इन प्लांिो्मे्जल रहा है. जहां-जहां ये प्लांि है्, उन स्थानो्का इतना बुरा हल है टक लोगो्के घरो्मे्कोयले की परते्जम जा रही है्. बच््ेऔर बूढ़्ेदमा के टशकार हो रहे है्. उन्हे्सांस लेने मे्भारी तकलीफ हो रही है. छत््ीसगढ़ मे्कोरबा और
रायगढ़ देश के पावर हब माने जाते है्. इन इलाको् मे् देश का 25 फीसद कोयला है. सबसे अटधक कोयला ब्लाको्की नीलामी भी इसी इलाके मे्हुई है. इस इलाके मे्सरकारी और गैर सरकारी सुपर थम्षल प्लांि है् जो हर रोज 24 सौ हजार मेगावाि से लेकर चार हजार मेगावाि तक की टबजली का उत्पादन कर रहे है्. छत््ीसगढ़ मे्इस क्म् ता के ऐसे 20 से ज्यादा प्लांि है्, जो कच््ा कोयला का इस््ेमाल कर हवा मे्जहर घोल रहे है्. ग््ीन ट््टब्यूनल ने सरकार को चेताया भी था टक पावर और स्िील प्लांि वाश कोल का उपयोग करे्. पर सरकार की दलील थी टक इतना वाश कोल अभी मौजूद नही् है. यह गैर टजम्मेदाराना बयान था. सरकार पावर और स्िील प्लांिो् को टनद््ेटशत कर सकती थी टक चरणबद्् तरीके से कच््ा कोयले की खपत कम करे्. कुल खपत मे् से कम से कम बीस फीसद
प्लांिो् के पय्ाषवरण से छेड़छाड़ का मामला यही्ख़त्म नही्हुआ होता. आगे यह मामला और खतरनाक बन जाता है. जब इन खदानो् के कोयले से अच्छी उज्ाष नही्टमली तो इन पावर प्लांिो्के माटलको्ने गुपचुप तरीके से रायगढ़ मे़ इस़पात और इस कोयले मे् पेि कोक टमलाना शुर् कर बिजली संयंत़ो़ से बिकलिे टदया. पेि कोक एक तरह का पेट्ोटलयम पदाथ्षहै जो ऑयल टरफाइनरी का अपटशष्् वाले धुएं के कारण हवा सलफर की मात््ा अत्याटधक होने से जहरीली हो गयी है. राज़य मे़ स्हैव.इसमे स्थ के टलए भारी हाटनकारक है इसके िीस ऐसे प़लांट है जो कच़़े इस तरह से जलाने पर पाबंदी है. कारण साफ है इसमे् 99 फीसद काब्षन डाई ऑक्साइड कोयले का इस़़ेमाल करके ओर सल्फर की मात््ा होती है. जो जहर के पय़ाावरण के बलए िड़ा खतरा समान है. इसे इस तरह नही् जलाया जा सकता टजस तरह से रायगढ़, कोरबा और िि चुके है़. रायपुर के पावर प्लांि पेि कोक को टमलाकर जला रहे है.् यह बहुत ही खतरनाक गंभीर है. सरकार ने वाश कोल की कमी बता है. ऐसे मे् प्लांि तो उज्ाष पूरा करने के टलए हवा मे्जहर घोलने का काम कर रहे है्. इस कर इस गंभीर मुद्े से पल्ला झाड़्टलया है. कच््ा कोयला सीधे खदान से टमलाविी तकनीक का इस्म्े ाल सबसे पहले टनकालकर पावर प्लांि की भट््ी मे् झो्क चीन ने टकया था. चीन ने मनचाही टबजली टदया जाता है. यह खेल एक बड़्ी साटजश के तो पैदा कर ली. पर वहां का वातावरण बुरी तहत चल रहा है. टजयोलॉटजकल सव््े की तरह दूटरत कर टदया. इसे लेकर पूरे टवश््मे् टरपोि्ष के मुताटबक छत््ीसगढ़ मे् कुछ ही चीन की भारी फजीहत भी हुई. आज वहां ब्लाक है्टजनसे कोयला टनकला जा सकता इसके इस््ेमाल की मनाही है. इसके है. लेटकन सरकार ने टबजली आपूट्तष की इस््ेमाल पर वहां अब उम््कैद की सजा का आड़ मे् उन ब्लाको् मे् भी खनन शुर् करा प््ावधान है. अपने देश मे् यह टमलाविी खेल टदया है जो कोयले की तो है, पर इनके जलने मे् ज्यादा उज्ाष नही् टमलती टजतनी पावर अब जोरो् पर है. रायगढ़, कोरबा, और प्लांि को चाटहए. मतलब साफ है टक वह रायपुर मे् इस टपि कोक का भारी बाजार अभी कच््ा कोयला है. इसके जलने मे्भारी है. यह कोयले से सस््ा और अटधक उज्ाष मात््ा मे् धुआं टनकल रहा है जो सीधे देने वाला पेट्ोटलयम पदाथ्ष है. इसकी उज्ाष वातावरण मे् जहर घोल रहा है. कच््ा क््मता 12 हजार कैलोरी से लेकर 18 हजार कोयला वैसे भी जहरीला होता है, इसके बाद कैलोरी तक होती है. प्लांि माटलक खदान से उसे वाश भी नही् टकया गया सीधा भट््ी मे् टनकले कच््े कोयले मे् इसे टमलाकर मनचाही उज्ाष से टबजली का उत्पादन कर रहे झो्क टदया जा रहा है. रायगढ़ और कोरबा मे् टनजी पावर है्. आज टजस तकनीकी के ब्वॉयलर इन
वाश कोल का इस््ेमाल टकया जाये. पर सरकार ने ऐसा कुछ नही्टकया. इससे साफ है टक सरकार पय्ाषवरण के मामले मे्टकतनी
पावर प्लांिो्मे्लगे है्उन्हे्3400 से लेकर 4200 कैलोरी जेसीबी उज्ाष की जर्रत होती है. देश मे् छत््ीसगढ़ समेत जो भी कोयला खदानो्से टनकल रहा है इसकी उज्ाष क््मता 1500 से 2200 कैलोरी ही है. यह सरकार भी ठीक से जानती है. इसटलए सरकार ने पावर कंपटनयो्को टवदेश से उच्् कैलोरी क््मता वाले कोयला को आयात करने की अनुमटत दे रखी है. आयात करने वाली कंपटनयो् को कस्िम के मामले मे् भी रहत दी है. पर आज टवदेशी मुद्ा के सामने र्पये का अवमूल्यन होने से टवदेशी कोयला भी महंगा हो गया है. इसके चलते कंपटनयो् ने इस टमलावि को अपना तो टलया है. पर इसके दुषप् भ् ाव अब सामने आने लगे है.् ताजे आंकड़े बताते है् टक रायगढ़ मे् कफ टसरप की खपत सबसे अटधक है. रात मे्टबना कफ टसरप टलये सोना मुक्शकल है. खांसी और सांस से परेशान लोग सांस लेने के मामले मे् डॉक्िर के पास भी नही्जा रहे है्. सीधे दवा दुकानदार से कफ टसरप लेकर राहत की सांस ले रहे है्. ऐसे मे्रायगढ़्कफ टसरप पर जी रहा है. रायगढ़ और कोरबा के पय्ावष रण मंडल अटधकाटरयो्की कमाई का आंकड़ा देखे्तो ताज््ुब होता है. हर एक पावर प्लांि उन्हे् बीस से पच््ीस लाख र्पये दे रहा है, तब जाकर वह टपि कोक को कोयले मे्टमलाकर प्लांि चला पा रहा है. आज कोरबा और रायगढ़ मे् जमीनो् की उपज क््मता समाप्त हो गयी है. खेतो् मे् फसलो् के ऊपर काली परत जमा हो जाती है. सामान्य से चार गुना रासायटनक खाद का उपयोग करने पर ही धान की पैदावार हो पा रही है. खेत बंजर होते जा रहे है्. टकसान आंदोलन करते है्तो उन्हे् फसल के नुकसान के एवज मे् कंपनी मुआवजा दे कर मुह बंद कर देती है.
8
www.shukrawaar.com n
प
ठानकोि एअरबेस पर हुआ हमला टनि््य ही भारतीय सुरक््ा एजंटसयो्की बड़्ी चूक है. साथ ही यह पड़्ोसी देश के आतंकवाटदयो्का हर शांटत वात्ाष को टवफल करने का यह कुक्तसत प््यास भी है. मगर इसके बावजूद देशवाटसयो्को संयम से काम लेना चाटहए. ऐसी कोई कोटशश नही् करनी चाटहए टजससे पाटकस््ान के साथ जारी शांटत प््यासो्पर पानी टफरे. करीब डेढ़्दशक बाद भारत और पाटकस््ान के बीच टमत््ता और परस्पर सौहाद्षबढ़्ने के संकेत टमले है्. इन्हे् ठंडे बस््े मे् डाल देना उटचत नही् होगा. हालांटक मुख्य टवपक््ी दल कांग्ेस भारतपाक के बीच होने वाली टवदेश सटचव स््र की वात्ाष को रद््करने का दबाव बना रही है. पर यह दोस््ी का हाथ वापस खी्चना अच्छा नही् होगा. शायद इसीटलए कांग्ेस के बुजुग्ष नेता नारायण दत््टतवारी ने बीते बुधवार को गाटजयाबाद मे् पाि््ी लाइन से उलि बयान टदया. टतवारी ने कहा टक भारत और
8 जनवरी - 14 जनवरी 2016
शांवत बहाली के वलए वात्ाा जर्री
पाटकस््ान के बीच वात्ाष रद्् करने से शांटत प््ट्कया बाटधत होगी और टरश्तो्मे्जो किुता दूर हो रही है. वह और तल्ख होगी. यह एक सच््ाई भी है. एअरबेस पर हमला यूं भी सुरक््ा एजंटसयो् की नाकामी है. इसे एक मानवीय चूक कह सकते है्. पर इसके बाद वात्ाष रद््करने का मतलब उस संवाद को बंद कर देना. टजससे हालात सुधरने के संकेत टमल रहे है्. संभव है इससे भाजपा का परंपरागत वोि बै्क और आरएसएस नाराज हो जाये. पर आज की जर्रत यही है टक शांटतप््ट्कया बाटधत नही् होनी चाटहए. टपछली एनडीए सरकार के वक्त जब अिल टबहारी वाजपेयी प््धानमंत्ी थे. तब भी भारत और पाक के दोस््ी के हाथ बढ़्े थे. मगर तब पाटकस््ानी सेना ने टवश््ासघात टकया और बगैर पाटकस््ान के तत्कालीन प््धानमंत्ी नवाज शरीफ को बताये अपने गुग्ो् के बूते कारटगल मे् मोच्ाष खोल टदया था. ये संयोग
ही है टक इस समय भी पाटकस््ान मे्नवाज शरीफ की ही सरकार है और भारत मे् एनडीए की. ऐसे मे् यह दोस््ी और परवान चढ़्सकती है, बस ऐसे भड़्काऊ बयानो्और हरकतो्से बचना होगा. टजससे दोनो्देशो्के
बीच युद् के आसार न बढ़्े. इस समय जर्रत संयम की है. इसका सारा दारोमदार मोदी सरकार पर है. वह टवपक्् और अपने देश के इन देशभक्तो्की भावनाओ्पर कैसे काबू पाये. पर आज के समय वात्ाष रद््करने का कोई सकारात्मक नतीजा नही्टनकलेगा.
पाटकस््ान को बने 68 साल गुजर चुके है्. शत््ुता के भाव को भी 50 साल. शुर्के सात-आठ साल छोड़् दे्, तो परस्पर दोनो् देशो्के बीच कुशलता का आदान-प्द् ान एक तरह से बंद ही है. साठ के दशक की शुरआ ् त से ही दोनो्देशो्के टरश्तो्के बीच बफ्कजमने लगी थी. जब तक जवाहरलाल नेहर्रहे तब तक तो टरश्ते सामान्य बने रहे. मगर उनके बाद टरश्ते टबगड़्ते ही गये. पहले 1965 मे् टफर 1971 मे्दोनो्के बीच युद्हुआ. इसके बाद 1998 मे् भी युद् हुआ. इससे न तो पाटकस््ान का वजूद समाप्त हुआ और न अंतरराष््ीय फलक पर उसकी धाक कम हुई. यूं उसकी हैटसयत मामूली ही है और भारत की तरह न तो वह आत्मटनभ्षर है. न ही उसकी अथ्षव्यवस्था उसे आत्मटनभ्षर बनाती है. उद््ोग-धंधे वहां है् नही् और प््ाकृटतक उपजो्और मेवो्के बूते वह टवश््व्यापार मे् खड़्ा नही्रह सकता. इसीटलए पाटकस््ान से पलायन बहुत ज्यादा हुआ है. यूरोप,
मुदंा आधी आबादी के शौचािय का
उपासना बेहार
य
ह कोई बड़्ी समस्या नही्पर यह गंभीर है. आजादी के 68 साल बाद भी देश की बड़्ी जनसंख्या खुले मे्शौच को मजबूर है. साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश के 53.1 फीसद घरो् मे् शौचालय नही् है. ग््ामीण इलाको् मे् यह संख्या 69.3 फीसद है. शौचालय नही् होने के मामले मे् सबसे खराब हालत झारखंड और ओटडशा की है जहां करीब 78 फीसद घरो्मे्शौचालय नही् है्. इससे भी बड़्ी बात है टक शौचालय नही् होने की वजह से मटहलाओ्को सबसे ज्यादा टदक््तो्का सामना करना पड़्ता है. इसकी वजह से उनमे् बहुत सी बीमाटरयां पैदा हो जाती है्. देश मे् शौचालयो् का घरो् मे् नही् होना पुर्रवादी मानटसकता की सोच भी है टजसमे् उन्हे् शौच से जुड़्ी परेशाटनयो् का ज्यादा सामना नही् करना पड़्ता. ऐसे मे् मुक्शकले्आधी आबादी के खाते मे्ज्यादा हो जाती है्. संयुक्त राष्् की 2010 की टरपोि्ष के अनुसार देश मे् लोग शौचालय से ज्यादा मोबाइल फोन का इस््ेमाल करते है्. टरपोि्ष अनुसार देश मे् 54 करोड़् 50 लाख लोगो् के पास मोबाइल फोन है्, जबटक टसफ्क 36 करोड़् 60 लाख लोग शौचालयो् का इस््ेमाल करते है्. पेयजल और स्वच्छता मंत्ालय के अनुसार भारत के करीब 10 करोड़् घर ऐसे है्] जहां शौचालय की व्यवस्था नही्है. इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए साल 2001 मे्ही डब्ल्यूिीओ ने 19 नवंबर को टवश्् शौचालय टदवस घोटरत टकया. घरो्मे्शौचालय न होने से सबसे ज्यादा टदक््तो् का सामना लड़्टकयो् और मटहलाओ्को करना पड़्ता है. इसका सबसे ज्यादा असर उनके स्वास्थ्य और सुरक््ा पर पड़्ता है. टवश्् बै्क के डीन स्पीयस्ष के अध्ययन के अनुसार खुले मे् शौच करने से मटहलाओ्के स्वास्थय् पर बहुत ही बुरा प्भ् ाव
पड़्ता है. लेटकन न तो इसे लेकर शहरो् मे् और न ही गांवो्मे्कभी ध्यान टदया जाता है. घर मे् शौचालय न होने से मटहलाओ् को सुबह सूरज उगने से पहले घर से दूर शौच के टलए जाना पड़ता है. पर अगर टकसी वजह से सुबह शौच के टलए मटहला नही्जा पायी तो उन्हे् टदनभर टनत्यकम्ष रोक के रखना पड़्ता है. बाटरश के मौसम मे् यह समस्या और बढ़ जाती है. इससे मटहलाओ् मे् कई तरह की बीमाटरयां गैस्ट्टक, कब्ज, पेि का अल्सर, िॉयफायड, टकडनी की समस्या, आंतो् का संक्मण, यूटरनल इंफेक्शन, गभ्ाषशय मे्संक्मण, मधुमेह आटद हो जाती है,् टवडंबना है टक मटहलाएं इन बीमाटरयो्को अपने अटनयटमत टनत्यकम्ष से जोड़् भी नही् पाती. इससे उनका इलाज भी सही तरीके से नही् हो पाता है्. घर मे् शौचालय नही् होने का खाटमयाजा गभ्षवती मटहला को तो और ज्यादा उठाना पड़्ता है. समय पर शौच न जाना, रोक के रखना, पानी कम पीना आटद का असर गभ्षमे्पल रहे बच््ेपर भी पड़्ता है. इससे बच््े मे् जन्म से ही कई टवकृटतयां आ सकती है्. शहरो् मे् एक बड़्ी आबादी झुग्गी बट््सयो् मे् रहती है. ऐसे मे् हर घर मे् शौचालय की कल्पना करना नामुमटकन सा है. इस वजह से झुग्गी बट््सयो्के लोग खुले मे् शौच जाने को मजबूर है्. यहां भी सबसे ज्यादा टदक््त लड़्टकयो्और मटहलाओ्को होती है. शहरो्मे्खाली जगह की बहुत कमी होती है. इससे मटहलाओ्को भोर मे्ही शौच के टलए जाना पड़्ता है, लेटकन यह डर हमेशा बना रहता है टक कोई देख न ले. शहरो् मे् साव्षजटनक शौचालयो् की संख्या जनसंख्या के टहसाब से कम है. इन साव्ज ष टनक शौचालयो्का रखरखाव ठीक से नही्होने से ये अक्सर गंदगी का टशकार रहते है.् इनमे्पानी की व्यवस्था भी सही नही्होती है. टफल्ममेकर पारोटमता वोहरा ने 2006 मे् टफल्म क्यू2पी शहरो् मे् मूलभूत सुटवधा
और साव्षजटनक शौचालयो् की कमी से मटहलाओ् को होने वाली परेशानी के टवरय पर बनायी थी. इसमे् टदखाया गया था टक कैसे कामकाजी मटहलाओ्पर इसका असर पड़ता है. उन्हे्कम पानी पीना पड़ता है और इस वजह से उन्हे् यूटरन करते समय जलन होती है. शौचालय के नही् होने से लड़्टकयो्, मटहलाओ्की सुरक््ा पर भी असर पड़्ता है. मटहलाएं शौच के टलए बेहद सुबह या टफर देर रात सन्नािे मे् टनकल कर सुनसान जगहो्, जंगल, झाटड़यो के पीछे जाती है्, लेटकन ये स्थान असुरट््कत होते है्. इस तरह
उन्हे् टहंसा और उत्पीड़्न का भी सामना करना पड़्ता है. अक्सर मीटडया मे्इस तरह की खबरे् सुनाई पड़्ती है्. इन खबरो् पर राष््ीय मानव अटधकार आयोग की टिप्पणी टक अगर देश मे् ज्यादा शौचालय हो्गे तो बलात्कार जैसी घिनाओ् पर अंकुश लगेगा भी समस्या की भयावहता की तरफ इशारा करती है. शौचालय की समस्या से टनपिने के टलए अब मटहलाएं खुद सामने आ रही है्. पिना के एक गांव की पाव्षती देवी ने चार साल लंबी लड़्ाई लड़्कर घर मे् शौचालय बनवाया. उत््र प््देश के खेटसया गांव की 6
नववधुओ् शौचालय की मांग के साथ घर छोड़्टदया. हटरयाणा के टभवानी मे्एक बुजगु ष् मटहला प््ेमा ने शौचालय बनवाने के टलए अपनी भै्स बेच दी. इस तरह के कई मामले सामने आये है्. जो शौचालय से जुड़्ी जागर्कता का ही पटरणाम है. भारत सरकार ने भी इस समस्या को लेकर मुटहम चलाने का काम तेज टकया है.् साल 1986 मे्केद् ्ीय ग््ामीण स्वच्छता काय्षक्म शुर् टकया. टजसका साल 1999 मे्नाम बदल कर संपण ू ष् स्वच्छता अटभयान कर टदया गया. इसके बाद साल 2008 मे्राष््ीय शहरी स्वच्छता नीटत बनी. इसी कड़्ी मे् 2014 से स्वच्छ भारत अटभयान की शुर्आत हुई. प््धानमंत्ी नरे्द् मोदी ने स्वच्छता काय्षक्म मे् शौचालय की प््ाथटमकता पर बल टदया. सरकार ने स्वच्छता अटभयान के टलए 52 हजार करोड़् र्पये का बजि रखा है. साल 2019 तक हर घर मे् शौचालय बनवाने का लक््य भी रखा गया है. सरकार ने संचार माध्यमो्के जटरये स्वच्छता को लेकर जागर्कता लाने, लोगो् मे् शौचालय बनवाने और उसका इस््ेमाल करने को लेकर व्यवहार पटरवत्षन का प््यास टकया जा रहा है. घरो् और साव्षजाटनक जगहो्पर दीवार लेखन, टचत््ो्, होट्डि्ग और स्लोगन के जटरये स्वच्छता की जानकारी दी जा रही है. पर ऐसा क्यो् है टक इन सब प््यासो् के बाद भी आज भी देश की आधी से ज्यादा आबादी खुले मे् शौच को मजबूर है. इसकी वजह सरकार और समाज के बीच दूरी है. इसके टलए सरकार और समाज को शौचालय टनम्ाषण और इस््ेमाल को सामाटजक सुधार आंदोलन का र्प देना होगा. लोगो् की मानटसकता को बदलना होगा. खासकर पुर्र वग्ष जो टक कभी भी शौच के टलए घर से बाहर जा सकते थे इस वजह से उन्हे् मटहलाओ् की टदक््ते् समझ मे्नही्आती्. साथ ही घर मे्शौचालय बनाने और इस््ेमाल करने के टमथको् को भी दूर करना होगा.
कवचार अमेटरका और कनाडा मे् उनकी तादाद खासी है. पाटकस््ान के सारे प्व् ासी भारतीयो् से टमत््ता चाहते है्. इसकी वजह भी है क्यो्टक अकेले भारतीय और खासकर उत््र भारतीय ही ऐेसे है्. टजनसे वे खुलकर बटतया सकते है्. पारस्पटरक रीटत-टरवाज और बोली-बानी भी एक जैसी है. इसटलए दोनो् देशो्के बाटशंदो्के बीच रोिी-बेिी के संबंध भी है्. यही कारण है टक दोनो् देशो् की अटधकांश जनता चाहती है टक भारत और पाटकस््ान के बीच दोस््ी परवान चढ़्े. इसटलए एअरबेस पर हमले के बावजूद हमे्संयम और धीरज का पटरचय देना होगा. पाटकस््ान को मुंहतोड़् जवाब देने जैसे संवादो्से बचना होगा. यह संक्मणकाल है इसमे् अगर भारत जीतता है. तो यह पाटकस््ान के टलए भी माटफक होगा और नरे्द् मोदी के टनज के टलए भी. इसटलए दोस््ी का हाथ अब पीछे हिाने के बारे मे्मत सोटचयेगा प््धानमंत्ी जी.
चाय पड्ी िेश पर भारी
मोदी लाहौर मे् सुरमा बेखबर पढ़्कर लगा टक पूरा देश ही मोदी के पाटकस््ान जाने से बेखबर रहा. मोदी का पाटकस््ान मे् उतरना पूरे देश के टलए अचरज बना रहा. मीटडया मे् छाए रहे पीएम. साल के आटखरी मे् पाटकस््ान के आतंटकयो् ने पाटकस््ानी चाय की कीमत वसूल ली. बीते 31 टदसंबर को भारत मे् घुस पाटकस््ानी आतंटकयो् का पठानकोि मे् तांडव टदल दहला गया. पीएम की चाय से खुशहाल टरश्ते की उम्मीद पर आतंटकयो् ने टफर खंजर भो्क टदया. मोदी जी ने पाटकस््ान मे् चाय की चुस्की क्या ली. आतंटकयो् ने भारत को टफर से कमजोर मान टलया. 26/11 हमलो् की याद टफर ताजा हो गयी. इस बार टनशाने पर एयर बेस रहा. पांच आतंटकयो् ने पूरे इलाके मे् सच्ष ऑपरेशन और सैटनको् पर भयंकर गोलाबारी की. प््धानमंत्ी चाय पीटजए लेटकन जरा संभलकर. नेहा रसंंोगी, कानपुर(उतंंर पंंदेश)
द््िकेट की मलाई
जेिली जाये्गे या रहे्गे या सवाल ज्यादा बड़्ा नही् टदखता. पूरा ट््ककेि ही काला है. पूरे ट््ककेि कंट्ोल बोड्ष मे् अटधकतर राजनेता ही काटबज है. बात चाहे बीसीसीआई की करे या टदल्ली से लगाये राज्यो् के ट््ककेि कंट्ोल बोड्ष की सभी जगह इन्ही् की नेताटगरी चलती है. ऐसे मे् अर्ण जेिली, राजीव शुक्ला, शरद पवार, अनुराग ठाकुर, रंजीव टबस्वाल, अटमताभ चौधरी से लगाए अटमत शाह तक इस श््ेणी मे् है. इन हालात मे् हम टकसी एक पर उंगली नही् उठा सकते. बेहतर होगा टक मलाई खाते सभी नेताओ् पर लगाम लगा. ट््ककेि को राजनीटत से और भ््ष्ाचार से मुक्त टकया जाये. अलमताभ कनंनौलजया, लदलंिी
www.shukrawaar.com n
9
8 जनवरी - 14 जनवरी 2016
राजकाज बरकधन क् शिषकय है गडकरी
भा
जपा मे् अर्ण जेिली के बाद टनटतन गडकरी ही ऐसे नेता है्टजनके हर दल मे्दोस््मौजूद है. जब वे भाजपा अध्यक्् थे तो यूपीए सरकार द््ारा गेहूं आयात मे् गड़्बड़्ी के गंभीर आरोप लगाते थे. तब शरद पवार कृटर मंत्ी थे पर कभी भी उन्हो्ने उनका नाम नही्टलया. कुरेदे जाने पर कहते थे टक मै् व्यक्कत नही् व्यवस्था के टखलाफ हूं. हाल ही मे्भाकपा नेता एबी बध्षन के टनधन की खबर सुनकर वे बहुत भावुक हो गए. उन्हे्याद करते हुए कहने लगे टक मै्उनका बहुत बड़्ा फैन हूं. जब भी वे नागपुर आते मै् उनके जोरदार ओजस्वी भारण सुनने जाता. सच कहूं तो भारण देने की कला मै्ने उनसे ही
सीखी है. जब मै् भाजपा अध्यक्् बना तो मै् उनसे आशीव्ाषद लेने के टलए गया. आज टकतने नेता है टजनके आप पैर छूकर अशीव्ाषद लेना चाहते है्. हां, यह बात अलग है टक वे बहुत अच्छे थे पर उनकी पाि््ी खराब थी.
दूर हुई कुसुम राय
मं
टदर आंदोलन का चेहरा रहे उत््र प््देश के पूव्ष मुख्यमंत्ी और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण टसंह ने इस बार लखनऊ मे्जीवन के चौरासी बसंत पूरे टकये तो बहुत से लोगो् ने बधाई दी .मुलायम टसंह से लेकर राजनाथ तक पर एक शख्स की कमी चच्ाष का टवरय रही .वे थी भाजपा की मटहला नेता और सांसद रही कुसुम राय जो्को पाि््ी मे्आगे बढाने मे्कल्याण टसंह ने बहुतो् से संबंध भी ख़राब टकये .कुछ साल पहले तो कैटबनेि मंत्ी रहते हुये कुसुम राय ने कल्याण टसंह के जन्म टदन पर टफल्मी गाने पर नृत्य कर सभी को हैरान कर टदया था .मीटडया मे्भी इसपर काफी चच्ाष हुई .बाद
मे् कुसुम राय को राज्य सभा टभजवाने मे्कल्याण टसंह ने बड़ी और महत्वपूण्ष भूटमका टनभाई .इसटलये कुसुम राय की साव्षजटनक कमी लोगो् को समझ न आई .बता रहे है अब बोलचाल भी बंद हो गई है .इसी तरह कई और नजदीकी भी कल्याण से दूर नजर आये .राजनीटत जो न करा दे .
फडनवीस ने बनाया राजदूत
उ
त््रप््देश की अटखलेश सरकार व उनकी पाि््ी भले ही मुसलमानो् की सबसे ज्यादा टहतैरी होने का दावा करती हो पर प््देश के टलए गव्षकरने की एक और वजह लखनऊ के नवाब पटरवार से संबंध रखने वाले अहम जावेद को सउदी अरब का राजदूत टनयुक्त टकया जाना है. इसकी पिकथा शीना बोरा हत्याकांड के तुरंत बाद ही टलख दी गई थी जब मुंबई पुटलस के तत््कालीन आयुक्त राकेश माटरया को हिा कर उन्हे् आयुक्त बना टदया गया था. असल मे् महाराष्् के मुख्यमंत्ी देवे्द् फडनवीस उन्हे्बहुत चाहते है्व उन्हो्ने खुद नरे्द्मोदी को यह नाम सुझाया था. उनसे हरी झंडी टमलने के बाद जावेद का कद बढ़्ाना जर्री हो गया था इसटलए उन्हे् प््देश के पुटलस महाटनदेशक (होमगाड्ष) के पद से हिाकर मुंबई का पुटलस आयुक्त बना टदया गया. वैसे सच तो यह है टक वे ही इस पद के दावेदार थे पर शरद पवार से नजदीटकयो्के चलते टपछली सरकार ने उनकी
अनदेखी करते हुए राकेश माटरया को यह पद सौ्पा था. आमतौर पर सउदी अरब मे्आइएफएस सेवा के अफसर ही राजदूत बनाए जाते रहे है्. मुंबई पुटलस के ही पूव्ष आयुक्त जूटलयो टरबेटरयो को भी रोमाटनया मे् भारतीय राजदूत टनयुक्त टकया गया था. एक आइपीएस को सउदी मे्भारतीय राजदूत बनाया जाना सचमुच गव्ष की बात है.
राम कृपाल तो पक्क संघी हो गये
पु
रान कहावत है टक नया मुलल ् ा ज्यादा प्याज खाता है. राम कृपाल यादव ने अपनी पूरी टजंदगी राजद मे्लालू यादव के साथ गुजारी और ऐन चुनाव के मौके पर अपना टिकि काि टदए जाने के कारण भाजपा मे्आ गए. टकस्मत अच्छी थी टक मीसा को हराया और केद् ्मे्मंत्ी बना टदए गए. अब उनका संघ व भाजपा के प्ट्त लगाव देखते ही
बनता है. हाल ही मे्उन्हो्ने अपने घर पर दावत दी. वहां पहुच ं े मेहमानो्को तब काफी आि्य् ष्हुआ जब उन्हो्ने यह देखा टक उनका ड््ाइंग र्म की दीवार पर नानाजी देशमुख, गोलवलकर, दीनदयाल उपाध्याय, हेडगेवार की तस्वीरे्िंगी हुई थी. यह देखकर भाजपा नेता ने कहा टक यह तो हमसे भी बड़्ी संघी हो गया है. - खबरची
बरंन ध चाहते थे िांगस ंे िे साथ सेिल ु र मोचंाध
थे. टजन्हो्ने टशद््त के साथ महसूस टकया टक भाजपा का यह कम्युनल मंटदर माग्ष रोकने के टलए कांग्ेस की मदद बहुत जर्री है. हालांटक शरद यादव के समूह ने उन्हे्टपछड़्ो् का अपार समथ्षन प््ाप्त करने के टलए मंडल शंिूनाथ शुक्ल कमीशन की अनुशंसाये् लागू करने को श््नाथ प््ताप टसंह, एचडी देवीगौड़्ा प््ोत्साटहत टकया. लेटकन तथ्य यही है टक वे और डॉ मनमोहन टसंह प्ध् ानमंत्ी बने कामरेड एबी बध्षन ही थे. टजन्हो्ने तय कर तो कोई अपनी-अपनी राजनीटतक पाट्ियि ो्के टलया टक अब कम्युटनस्ि दलो् को चाहेबूते नही्बक्लक उनके पीछे एक ताकत काम अनचाहे कांग्ेस को सपोि्षकरना ही पड़्ेगा. यह कामरेड अध््ेदु भूरण बध्षन और कर रही थी. वह ताकत थी सेकुलर सोच के टलए उनकी प््टतबद््ता. जो देश मे्लूि और कामरेड हटरटकशन टसंह सुरजीत का ही असटहष्णुता की संस्कृटत को खत्म करने को कौशल था. जो बहुमत न होते हुए भी नरटसंह प््यासरत माक्स्षवादी दलो् के नेताओ् की राव की कांग्ेस सरकार को पूरे पांच साल रणनीटत. साल 1985 मे्जब रामजन्म भूटम राज टकया. साल 1996 मे् जब भाजपा के का ताला खुला था. तभी माक्स्षवादी समझ नेता अिलटबहारी बाजपेयी को प््धानमंत्ी गये थे टक भटवष्य मे् अब सांप्दाटयक बनाया गया. तो वह अपना बहुमत नही् राजनीटत के टदन आ गये है्. आने वाले सालो् साटबत कर पाये. जनता दल की सरकार बनी मे् मंटदर-मक्सजद के नाम पर खूनी खेल और पहली बार माकपा के कामरेड ज्योटत खेला जायेगा. इसके टलए जर्री है टक वसु को प््धानमंत्ी बनाने की पहल शुर्हुई. सेकुलर सोच वाले राजनीटतक दल अपने- मगर कम्युटनस्ि दलो् का परंपरागत नेतृत्व अपने मतभेद भुलाकर साथ बैठ.े् साल 1989 इसके टलए राजी नही्हुआ. तब कामरेड एबी के लोकसभा चुनाव मे्पूरी ताकत के बावजूद बध्षन के चलते एक कमाल हो गया टक कांग्ेस के टखलाफ गैर भाजपा दल बहुमत भाकपा जनता दल सरकार मे् शाटमल हो की क्सथटत मे् नही् आ पाये. तब भाजपा ने गयी. इस तरह पहली बार कम्युटनस्ि के्द्ीय वीपी टसंह सरकार को बाहर से समथ्षन देने सत््ा मे् आये. भाकपा के तत्कालीन का वायदा टकया था. टजसकी वजह से महासटचव कामरेड इंद्जीत गुप्त के्द्ीय गृह जनमोच्ाष के लोग कम्युटनस्िो् के टवरोध के मंत्ी बने और कामरेड चतुरानन टमश््केद् ्मे् बाद भी समथ्षन लेने को राजी हो गये. वीपी कृटर मंत्ी. लेटकन कांग्ेस के सपोि्ष से चल टसंह प्ध् ानमंत्ी तो बन गये पर भाजपा ने उन्हे् रही यह सरकार चल नही्पायी. अिलटबहारी तंग करने मे् कोई कसर नही् छोड़्ी. भाजपा वाजपेयी ने राष््ीय जनतांट्तक गठबंधन के तत्कालीन अध्यक्् लालकृष्ण आडवाणी बनाकर 1998 और 1999 के लोकसभा ने रथयात््ा टनकाली और इसी के साथ वीपी चुनावो् मे् बहुमत हाटसल कर टलया. उस टसंह की सरकार गत्ष मे् टगरती गयी. तब वक्त तक कामरेड एबी बध्षन भाकपा के कामरेड अध्द्े ु भूरण बध्नष ही वह शक्खसयत महासटचव बन चुके थे. उन्हो्ने कांग्ेस
टव
झंडे के नीचे लाने का भी प्य् ास टकया. काफी हद तक वे अपने प््यास मे्सफल भी रहे. वे भाकपा के उन नेताओ् मे् से थे. टजन्हो्ने कांग्ेस को बाध्य टकया टक सेकुलर पाट्िियो् का गठबंधन बनाने के टलए वह पहल करे्. वे चूंटक ट््ेड यूटनयन आंदोलन से आये थे. इसटलए वे कमकर वग्ष और उसकी मजबूटरयां और उसकी आदतो् को अच्छी तरह से जानते थे. वे टसफ्कवैचाटरक क््ाटं त की बात करने वाले नेताओ्की कतार मे्से नही् थे. बक्लक व्यावहाटरक मामलो् के अच्छे जानकार थे. इसीटलए वे भाजपा नेता लालकृषण ् आडवाणी की रथयात््ा के टदनो्से ही भांप गये थे. कम्युटनस्ि दलो् को अब टलबरल होकर समान सोच वाले दलो् से टमलकर एक सेकुलर मोच्ाष बना लेना चाटहए. नया साल हमारे टलए यह दुखद संदेश लेकर आया और कामरेड एबी बध्षन का दो जनवरी को नयी टदल्ली के गोटवंद बल्लभ पंत अस्पताल मे् टनधन हो गया. उन्हे् बीते महीने टदल का दौरा पड़्ा था. तब से वे डाक्िरो् की सघन टनगरानी मे् थे. 91 साल टसंह सुरजीत की रणनीटत ही काम कर रही के कामरेड बध्षन का जन्म 24 टसतंबर थी. सुरजीत की मृतय् ु के बाद कम्यटु नस्ि दलो् 1924 को बारीसाल (बांग्ला देश) मे् हुआ मे् अकेले बध्षन ही बचे जो भाजपा के था. लेटकन मजदूर यूटनयनो्मे्काम करने के सांप्दाटयक रणनीटत से टनपिने के उपाय टलए वे महाराष््चले गए थे. वे सीपीआई की जानते थे. मगर उम्् बढ़् जाने से उन्हो्ने ट््ेड यूटनयन एिक (आल इंटडया ट््ेड कामरेड सुधाकर रेड्ी को भाकपा का यूटनयन कांग्ेस) के अध्यक्् भी रहे थे. महासटचव बनाया. इसके साथ ही वह सट््कय उन्हो्ने महाराष््मे्ट््ेड यूटनयन्स को फैलाने मे्महती भूटमका अदा टकया था. वे महाराष्् राजनीटत से बाहर हो गये. कामरेड अध््दे ु भूरण बनज््ी कम्युटनस्ि टवधानसभा का पहला चुनाव टनद्षलीय के पाि््ी के उन नेताओ् मे् से थे. टजन लोगो् ने र्प मे् लड़्े थे और नागपुर से जीते थे. यह देश मे्कम्युटनस्ि पाि््ी का आधार बढ़्ाने के उनकी एक मजदूर नेता के र्प मे्ख्याटत का टलए समान सोच वाले सेकुलर दलो्को एक पैमाना था. हालांटक एबी बध्षन मराठी नही्
अध्यक्् सोटनया गांधी को राजी टकया टक भाजपा के आसन्न खतरे से टनपिने के टलए वे कोई गठबंधन बनाये्. इसी का नतीजा था टक संयुक्त प््गटतशील गठबंधन बना. साल 2004 मे्जब फीलगुड के चक्र् मे्सोटनया गांधी की संप्ग इतनी सीिे् ले आयी, जो भाजपा के राजग पर भारी पड़्ा. कम्युटनस्ि दलो् की मदद से संप्ग ने सरकार बना ली और माकपा के सोमनाथ चिज््ी को लोकसभा अध्यक्् बनाया गया. इस सबके पीछे एबी बध्षन की और कामरेड हटरटकशन
थे, वे बंगाली थे. बध्नष , इंदट्जत गुपत् ा के बाद कम्युटनस्ि पाि््ी (सीपीआई) के महासटचव बनाए गये थे. साल 1996 से 2012 तक उन्हो्ने सीपीआई की कमान संभाली. साल 2012 मे्सुधाकर रेड्ी को भाकपा के महासटचव का काय्षभार सौ्पने के बाद भी एबी बध्षन ने कोई टरिायरमे्ि नही्टलया था. वे कहा करते थे टक एक बार जो कम्युटनस्ि हो गया वह जीवन भर के टलए कम्युटनस्ि बन गया. टफर वह कभी टरिायर नही् होता. कुछ को संदेह था टक बध्षन के टरिायर न होने की मंशा के पीछे कही्उनका अटडय़्ल रवैया तो नही्. ऐसा न हो टक वे सुधाकर रेड्ी के माग्ष मे् बाधाये् डाले् पर उनका शक टनराधार टनकला. बध्षन ने रेड्ी के कामकाज पर कभी कोई अड़्गं ा नही्डाला मगर टरिायर भी नही्हुए. एबी बध्षन को टजस एक बात के टलए याद रखा जायेगा. वह ये है टक वे अपने पूववष् त््ी कम्यटु नस्िो्के टवपरीत पाि््ी के भीतर खुलापन लाये थे. पाि््ी का जनाधार बढ़्ाने को सदैव प्य् ासरत भी रहे. कम्यटु नस्ि पाट्ियि ो् को परस्पर करीब लाने और समान सोच वाले दलो् के बीच साम्य और राजनैटतक फैसलो्मे्एकर्पता लाने के टलए वे जुिे रहे. हालांटक कम्युटनस्ि संसद मे् भले खासी संख्या न रखते हो्. पर चाहे वह यूपीए सरकार रही हो या मौजूदा एनडीए की सरकार, कम्युटनस्िो् की अनदेखी आसान नही्रही है. यह एबी बध्नष का ही कमाल था. उन्हो्ने समान सोच वाले दलो् को काफी टनकि रखा. यही कारण है टक आज राज्यसभा मे्भाकपा के डी राजा और माकपा के सीताराम येचुरी जब बोलते है्. तो उनकी बात को कािने की टहम्मत कोई नही्करता. कम्युटनस्ि पाट्िषयां सालो्तक अपने इस
नेता कम्य दलो् इसटल की ब सेकुल के म
10
www.shukrawaar.com n
समागम पलंंिका के पंदंह साि
संजय कुमार
यूं
तो देशभर मे् टसनेमा और पत््काटरता पर के्ट्दत दज्षनो् पत््-पट््तकाएं प््काटशत हो रही है्. जो जनसंवाद कायम करते हुए टवमश्ष को आगे बढ़ाने मे् सट््कय है्. इन्ही् मे् से एक है भोपाल से प््काटशत ‘समागम’. यह पट््तका वटरष्् पत््कार मनोज कुमार के संपादन मे्टवगत 15 सालो् से प््काटशत हो रही है. समागम मे् टसनेमा और पत््काटरता को बराबर का स्थान टमला है. एक ही प्लेिफाम्ष पर दो टवधाओ् का जुिान पाठको्को सुखद अहसास कराता है. शोध पट््तका ‘समागम’ अपनी टवरय-वस््ु और प््स्ुटत को लेकर चच्ाष मे् रही है. आकार मे् ‘समागम’ का उल्लेख लघु पट््तकाओ् मे् टकया जा सकता है. लेटकन लघु पट््तकाओ्से इतर यह पट््तका मीटडया टशक््ण से संबद्् टशक््को्, शोधाट्थषयो्, टवद््ाट्थषयो् और मीटडया साटथयो् के टलए शोध के साथ-साथ संदभ्ष की पट््तका बन
चुकी है. पट््तका की खाटसयत यह है टक इसका हर अंक टवशेरांक होता है. महात्मा गांधी पर हर साल अक्िूबर और जनवरी मे् अंक का प्क ् ाशन एक अलग तरह का प्य् ोग है. मीटडया के टवटवध पहलुओ् को लेकर अब तक प्क ् ाटशत टकसी भी अंक को पट््तका के अनदेखा नही् टकया जा सकता है. समागम के अंक मे् टबहार मे् पेड न्यूज न छापने का अखबारो् का संकल्प हो या पेड
वव्ताका नंदा
साकहतंय
8 जनवरी - 14 जनवरी 2016
न्यूज की काली सूरत को बेबाकी से उजागर करते आलेख इसकी खाटसयत रहे है्. दटलत, मटहला, रेटडयो, आंचटलक पत््काटरता और मीटडया टशक््ण आटद पर महत्वपूण्ष अंको् का प््काशन भी इसकी टवशेरता बना. भारतीय टसनेमा के 100 साल पूरे होने पर टवशेर अंक और भारतीय टसनेमा के टपतामह दादा साहेब पर उत्कष ृ ्अंको्का प्क ् ाशन भी टकया है. शोध और संदभ्षकी इस माटसक पट््तका मे् अब तक तकरीबन दो दज्नष से अटधक शोधाट्थयष ो्को पीएचडी पूणष् करने मे्‘समागम’ का सहयोग टमला है. यह प््ट्कया अनवरत जारी है. शोध पट््तका ‘समागम’ का प््काशन संपादन मनोज कुमार के एकल प्य् ास के तौर पर देखा जा सकता है. इस दृट्ष से भी यह महत्वपूणष्है टक ‘समागम’ का प्क ् ाशन टनरंतर हो रहा है. इस बारे मे्संपादक भी मानते है्टक समाज मे् पत््काटरता के स्वर्प को संजीदा रखने की यह कोटशश है. इस पट््तका के माग्दष श्क ष मंडल मे् देशभर के ख्याटत प््ाप्त स्कॉलर, टशक््ाशास््ी और पत्क ् ारगण शाटमल है.्
खुद के ललए संवेदनहीन रहा मीलडया संजय कुमार पटना. शहर के िाइम्स ऑफ इंटडया गोलंबर पर प््ेस कट्मषयो् का धरना लगभग साढ़े चार साल से चल रहा है्. पिना शहर के मध्य क्सथत िाइम्स ऑफ इंटडया के काय्ाषलय के सामने फुिपाथ पर बैनर लगाकर आज भी ये कम्षचारी अपने को टनकाले जाने के टवरोध मे्धरने पर बैठे है्. ट््पटं िग प्स ्े से ये टनकाले गये कम््ी 16 जुलाई 2011 से ट््पंटिंग प््ेस को बंद करने और उन्हे् हिाये जाने के टखलाफ लगातार धरने पर है.् शायद ही कोई इतना लंबा धरना अखबारी दुटनया मे् चला हो. लेटकन हैरत की बात यह है टक इनके धरने से देश ही नही्बक्लक टबहार की अखबारी दुटनया भी बेखबर है. यह अलग बात है टक सोशल और वेब मीटडया ने इन्हे्जगह दे दी है. पिना से दज्षनो् राष््ीय और राज्यस््रीय समाचार पत््ो् के पत््कार और खबटरया चैनलो्के ओवी वैन हड़ताल स्थल से गुजरते है्. सत््ा-प््शासन की गाटड़यां भी रोजाना वहां से गुजर जाती है्. लेटकन पहल नही्हुई. धरने पर बैठे प्स ्े कट्मयष ो्की आंखे भले ही पथरा गयी हो्लेटकन उन्हे्आज भी आस है टक कुछ तो होगा. इसी उम्मीद से रोज हड़ताल कम््ी सुबह आते है्, और टदन भर धरने पर बैठते है.् रात होने के पहले घर, टफर सुबह धरने पर लौि आते है्. यही उनकी टदनचय्ाष है.
किताबों िे मेले
टद
न, घंिे और सेके्ड की टगनती बताती टदल्ली के टवश्् पुस्क मेले की साइि अपने तारीख के नजदीक आने का पैगाम दे रही है. ठीक यही, जयपुर टलिरेचर फेक्सिवल की साइि भी कर रही है. इन साइिो् पर लगी घड़्ी की भागती सुइयां टकसी बड़्े उत्सव के आमद की घोरणा कर रही है्. टकताबो्और साटहत्य के मेले के ऐसे टवश््व्यापी इंतजार से भारतीय पाठक कुछ साल पहले तक वाटकफ नही्था. साल की शुरआ ् त का पहला महीना टकताबो्के नाम रहेगा. टदल्ली पुसक ् मेला भी 41 साल के अपने इटतहास मे्फरवरी से टखसक कर इस साल से जनवरी मे्आ गया है ताटक दुटनया भर से आने वाले पाठक दोनो् मेलो् को एक ही दौरे मे्देख सके्. न टदल्ली छूिे और न जयपुर. यानी टकताबे्खबर मे्है्. टकताबे्खबर बन रही है्. पर यह बात पूरी तरह से सही नही्है. टकताबो्से ज्यादा खबर मे् है्, लेखक. सभी भाराओ् के लेखको् को इन मेलो्ने एक बड़्ी टकिी पाि््ी का कैनवास जैसा दे टदया है. ऐसा नही् है टक सभी मेलो् मे् बुलाये जा रहे सभी लेखक वाकई अव्वल दज््े के है्. कुछ का स््र शायद वाकई अंतरराष््ीय न हो लेटकन वे भी पूरे तामझाम के साथ मेले मे्टदख सकते है्और टदखे्गे. एक अनुमान से देश मे्हर साल करीब 60 टलिरेचर फेकस् िवल आयोटजत टकये जा रहे है्. यह एक बड़्ी संख्या है. लेटकन इस संख्या ने टकताबो् की टबक््ी भी बढ़्ाई हो, ऐसा नही् है. हां, यह जर्र है टक इन मेलो्ने आटखरी पेज पर टसमि
आयी टकताबो्को पेज थ््ी का आइिम जर्र बना टदया आपसी संबंधो् मे् कोई अटतटरक्त टमठास आ गयी हो. है. हर बड़्ेफेक्सिवल के टलए फेहटरस््तीन महीने पहले लेखक, खास तौर से टहंदी का लेखक, आज भी खुद को पूरी कर दी जाती है. लेखको् उतना ही ठगा महसूस करता के प््ोफाइल शादी डॉि कॉम साल की शुऱआत का पहला महीिा है टजतना पहले करता था. से भी कही् ज्यादा हॉि तरीके बकतािो़ के िाम रहेगा. बवश़़ पुस़क रॉयल्िी या तो आती नही् या से परोसे जाते है्. इन मेलो्के टफर कभी ईमानदारी से सही टहसाब से ही कई बार लेखको् मेला भी इकतालीस साल के अपिे टमलती नही्. प््काशक के की लोकट््पयता का अंदाजा इबतहास मे़ फरवरी से बखसक कर पास लेखक के टलए समय लगाने का िेढ़्ा तराजू लगा इस साल से जिवरी मे़ आ गया है. नही्. लेखक के पास टदया जाता है. प््काशक को लेकर भरोसा टकताबो्के इन मेलो्के बहाने टकताबो्पर भी बात नही्. लेखक के भरोसे दुकान चलाने वाले प््काशक को हो जाती है और बदलते तौर-तरीको्पर भी लेटकन ऐसा लेखक आज भी टसफ्क एक अदद जर्रतमंद िाइप का नही् है टक इनकी वजह से प््काशको् और लेखको् के जंतु ही टदखता है. हां, उसके कंधे का थैला जर्र कुछ
धरने पर बैठे एक कम्षचारी ने कहा टक िाइम्स ऑफ इंटडया, पिना संस्करण 15 जुलाई 2011 तक कुम्हरार क्सथत िाइम्स समूह के ट््पंटिग प््ेस मे् ही छपा था. लेटकन 16 जुलाई 2011 को िाइम्स ऑफ इंटडया, िाइम्स हाउस के अपने ट््पटं िंग प्स ्े की बजाय प््भात खबर के ट््पंटिंग प््ेस से छपने लगा. यही नही् अखबार समूह ने टबना सूचना के ट््पंटिंग प््ेस बंद कर टदया. टफर िाइम्स ऑफ इंटडया प््बंधन ने काय्षरत कम्षचाटरयो् को कोई सूचना टदये टबना अचानक सेवामुक्त कर टदया. िाइम्स ऑफ इंटडया ट््पंटिंग प््ेस को गैर कानूनी तरीके से बंद टकये जाने से अचानक 44 कम्षचारी बेरोजगार होकर सड़क पर आ गये. माननीय सुप्ीम कोि्षने पांच जनवरी 2011 और 11 माच्ष 2011 को िाइम्स कट्मषयो् की याटचका के संदभ्ष मे् िाइम्स समूह की यथाक्सथटत को बनाये रखने का टनद््ेश टदया. माननीय सुप्ीम कोि्षके टनद््ेश के बावजूद याटचकाकत्ाष यूटनयन के कम्षचाटरयो् को सेवामुक्त करने के टलए ट््पंटिंग प््ेस को बंद करने का टनण्षय सुप्ीम कोि्ष के आदेशो् की अवमानना के तौर पर देखा गया. गौरतलब है टक 1995 मे्िाइम्स समूह के स्वामी समीर जैन ने पिना के नवभारत िाइम्स को बेवजह बंद कर टदया था. इससे 250 पत््कार और गैर पत््कारो् की छंिनी हो गयी. टजनमे्से कुछ आज भी बेरोजगार है्.
सरक गया है. लेखक अब समय से सीधे संवाद करने लगा है और सोशल मीटडया के फलक ने उसके टलए आसमान भर की सूचनाएं खोल दी है्. इन मेलो् ने कई नये प्क ् ाशको्की खाप तैयार कर दी है. ये नये प्क ् ाशक बरसो् से प््काशन कर रहे माटलको् के दीमक लगते व्यवसाय से कुछ सबक बिोर कर आगे टनकल जाने की होड़्मे्है्. बस, कुछ सालो्की देर भर है. कुछ ही समय मे् कई लेखक खुद प््काशक बनने लगे्, तो हैरानी न होगी. इन मेलो्मे्दरअसल जो टदखता है और जो छपता है, उससे कही्ज्यादा घटित होता है. इन मेलो्ने पाठक को लेखक के एकदम करीब ला टदया है. वे दोनो्टमल कर बाजार को नये टसरे से पटरभाटरत करने लगे है्और गैर-जर्री बातो्को खाटरज. पाठक टकताबो्को थैले मे् भरकर भले ही न खरीदे लेटकन ऑनलाइन बाजार ने उसे इतना सक््म तो बना ही टदया है टक मज््ी मुताटबक टकताबो्को घर के आंगन मे्मंगवा ले. साल की शुर्आत टकताबो् से होना भला है. अक््र झूम रहे है्. लेखक अपनी अक्समता के सवालो्से भले ही अब भी जूझ रहा हो लेटकन अब टवकल्पो्की कोई कमी नही्. दुटनयाभर के प््काशक जब भारत मे् आकर जमा होते है्तो वे अपने अनुभवो्की पोिली को भी यहां रख जाते है्. भारतीय लेखक अब अपने माद््े को पहचानने लगा है. मेलो्के बहाने उठ आये टवकल्पो्की यह भरमार पुराने प््काशको्के टलए खतरनाक हो सकती है, पाठक के टलए उत्साहवध्षक और लेखक के टलए आजादी का उत्सव.
www.shukrawaar.com n
हवरशचंद्
बुंदेलखंड 11
8 जनवरी - 14 जनवरी 2016
बुंदेलखंड मे् जीना हुआ दूभर
महोबा. उत्र् प्द् श े और मध्य प्द् श े के बुंदेलखंड के क््ेत् खटनज और प््ाकृटतक संपदा से पिा पड़ा है. इन खटनज संपदाओ् मे् पत्थर, बालू, मौरंग, लकड़्ी, हीरा और बॅाक्साईि आते है्. टफर भी यहां के वाटशदे् अपने दुभ्ाषग्य पर आंसू बहाने को टववश है्. यहां के बड़े बांध, सैकड़ो्तालाब और कुंआ तकरीबन सूखने के कगार पर है्. यहां की मुख्य नटदयां यमुना, वेतवा और केन अपनी धाराये्तोड़्रही है्. ऐसी क्सथटत का मुख्य कारण नटदयो्, पहाड़्ो् और जंगलो् पर रसूखदारो् और प््शासको्की टमलीभगत माना जाता रहा है. यहां के वाटशदे्पलायन करने या टफर मौत को गले लगाने को मजबूर है्. मात्् कागजो् मे्राहत बचाव योजनाये्चल रही है.् जमीनी तौर पर कुछ नही्नजर आ रहा है. बुदं ल े खंड क््ेत् की सभी छोिी-बड़्ी नटदयो् मे् बालू, मौरंग का वैध-अवैध खनन जारी है. अटधकांश पहाड़्ो् पर खनन माटफया हैवी ब्लाक्सिंग के टलए प््टतबंटधत टवस्फोिक
अमोटनयम नाईट््ेि का खुलेआम खरीद फरोख्त करते है.् ‘काला सोना’ के नाम से मशहूर ‘कबरई’ जहां सैकड़्ो फुि ऊंचे पहाड़्ो् को ब्लाक्सिंग से ढहाया जा रहा है. बुंदेलखंड के टचत््कूि, टशवरामपुर, कबरई, झांसी, लटलतपुर, महोबा, कुमह् डौरा, छतरपुर, पन्ना के पहाड़्ो् और नटदयो् मे् जारी अवैध खनन यहां के लोगो्के मौत का कारण बन रहा है. इस अवैध खनन से जुड़्े लोगो्की मौत या दुघ्षिनाओ्मे्घायल होने पर चंद कागज के िुकड़्े इनको मुंह बंद करने को मजबूर कर देते है्. प््वास स्वयं सेवी संस्था के आशीर सागर ने कहा टक बुंदेलखंड के जंगल, नदी, पहाड़्ो् और प््ाकृटतक सौ्दय्ष को रसूखदार और शासन के लोगो् ने वैध-अवैध तरीको् से नष्् कर टदया है. नटदयो् की धाराये् िूि रही है्. बालू माटफया नटदयो् मे् बालू का
छत पर कर रहे् है धान की खेती
रा य पु र . राजधानी से 45 टकमी दूर महासमुदं टजले के रहने वाले 73 साल के भागीरथी टबसई ने अपने घर की छत पर ही धान की फसल तैयार टकया है. ऐसा उन्हो्ने खेती के टलए जमीन नही् होने की वजह से टकया है. इसटलए उन्हो्ने अपने घर के छत को ही खेत बना टलया है. छत टगरे न इसके टलए उन्हो्ने रेत और सीमे्ि की ढलाई तो कराई ही है, साथ ही लोहे की छड़् के साथ बांस की लकड़्ी भी लगवायी है. उनका तक्क है टक बांस जल्दी नही् सड़्ता. बांस के साथ प््योग करने से सीलन की समस्या से भी नही्जूझना पड़ता है. उन्हो्ने छत पर टमट््ी की छह इंच मोती परत टबछायी है, हालांटक टमट््ी साधारण है. ऐसा करने के टलए उन्हो्ने न तो टकसी प्क ् ार की ट्ट्ेनंग ली और न ही वे परंपरागत टकसान है.् वैज्ाटनक इस बुजुग्ष टकसान के जूनून को देखकर हैरान है्. साल 2004 मे् एफसीआई से टरिायर होने के बाद भागीरथी ने 100 वग्षफीि मे्एक प्य् ोग के तहत धान बोया और उनका ये प्य् ोग सफल रहा. उसके बाद उन्हो्ने छत की दूसरी मंटजल पर तीन हजार वग्फ ष ीि की जगह मे्छह इंच टमट््ी की परत टबछाकर खेती करना शुर्टकया. इससे वह साल मे्दो क्कवंिल धान और दो अलगअलग टकस्मो्की फसले्भी उगाने का काम करते है्. उनके इस जुनून को देखकर
वैज्ाटनक भी हैरान है.् भागीरथी इसी छत पर दुबराज, धान और सब्जी की खेती करते है.् साथ ही गमलो् मे्गेद् ा फूल के पौधे, िमािर, बैग् न के साथ दो टकस्म की टमच््ी का उत्पादन भी करते है.् वह एक ही तने मे्दो बार पैदावार करते है.् इस प्य् ोग को वह बड़्ेपैमाने पर करना चाह रहे है.् साथ ही वह कम लागत मे् धान की 14 इंच की बाली से अटधक उपज लेने मे् लगे हुए है.् भागीरथी के पटरवार मे्पत्नी के अलावा एक बेिा है. वे कहते है्टक छत पर टजतनी फसल वह उगा रहे है,् उससे उनके पटरवार के खाने की जर्रत पूरी हो जाती है. इस खेती की शुर्आत चीन मे् बहुत पहले हो चुकी है. वहां भी छत पर खेती की जा रही है. जेटझयांग प््ातं के शायोटझंग शहर मे्पेग् कुइजेन नाम के टकसान भी अपने घर की छत पर खेती करते है.् उनका मकान चार मंटजला है, और छत का क््ेत्फल 120 वग्मष ीिर मे्फैला हुआ है. (साभार देशी खेती)
अवैध खनन कर नयी सड़्को् की सूरते् टबगाड़् रहे है्. हजारो् ओवर लोड ट््क राजमाग््ो्पर टदन रात दौड़्रहे है.् यह ओवर लोड ट््क सत््ा की हनक की दम पर चल रहे है्. ट््ैक्िर, डम्फर और अन्य वाहन जो स्थानीय छुिभैये नेताओ् से जुड़्े है्. इससे प््टतटदन करोड़्ो् र्पये के राजस्व को चूना लगा रहे् है्. ऐसे कई वाहन यहां देखने को टमल जाये्गे टजनपर यादव टलखा है. इन वाहनो् को अटधकारी रोकते ही नही् है्. बुंदेलखण्ड क््ेत् मे् अफसरो् राजनेताओ् के
महंगे हुये चमेली के फूल
तदमलनाडु. कोयम्बिूर बाजारो् मे् चमेली के फूल की कीमतो्मे्तेजी से वृट्द हुई है. चमेली के एक टकलोग््ाम फूल की कीमत रटववार को बाजार मे् 1500 से 2000 र्पये रही. चमेली के फूलो् मे् यह वृट्द भारी बफ्कटगरने से आयी है. तटमलनाडु मे्हुई बफ्बक ारी से चमेली के फूलो् के टखलने मे् कमी आयी है. टजसके चलते बाजा़र काफी गम्षहै. चमेली के फूलो् का थोक भाव बाजा़रो् मे् 1200 से 1500 र्पये रहा. वही् खुदरा बाज्ार मे् कीमत 2000 प््टत टकलो पहुंच गयी. चमेली की कीमते लगातार बढ़् रही है्. व्यापारी एम स्वामीनाथन ने कहा यहां हर टदन लगभग 10 िन चमेली टतर्पुर, सत्यमंगल, नीलाकोिा और टडंडीगुल के बाजा़रो् मे्
पहुंचता था. जो अब घिकर 100 टकलो रह गया है. फूलो्की इस कमी का कारण मौसम है. क्यो्टक भारी बाटरश और बफ्कबारी के कारण बाग्ानो् मे् फूल बहुत कम टखल रहे है्. चमेली के टखलने का सही समय जून से अक्िूबर होता है. टजसमे्यह तेजी से टखलते है्. लेटकन मौसम की मार से इसे काफी नुकसान हुआ है. मदुरै मे् भी चमेली के कई बागा़न है्. लेटकन यहां भी फूलो् की मात््ा मे् पहले से कमी आयी है. सभी व्यापारी और बागा़न माटलको्का कहना है टक फूलो्मे्कमी का कारण खराब मौसम ही है. अगर ऐसे ही हालात रहे तो चमेली के फूल और खुशबू अभी और महंगी होगी.
दौरे जारी है्. जो टसफ्क कागजो् पर पानी का इंतजाम बंद कमरो् मे् बैठकर करते है्. टचत््कूि धाम मंडल बांदा के आयुक्त एल वे्किेश्र लू ने महोबा मे् कहा टक बुंदेलखंड और महोबा सबसे ज्यादा सूखाग््स् क््ेत् है्. उन्होने अटधकाटरयो् को ज्यादा से ज्यादा लोगो्को रोजगार उपलब्ध कराने के टनद््ेश टदये और काम के साथ शीघ््भुगतान कराने की बात भी कही. महोबा टजले मे् दस से पंदह् फीसदी क्त्े ्मे्ही खेती होती है. उन्हो्ने आगे कहा टक ग््ामीण क्त्े ्मे्मनरेगा मे्तेजी लायी जाये टजससे लोगो् का पलायन र्क सके. मनरेगा मे्तालाब जलाशयो्आटद जल संग्हक बनाये जाये्. आवारा घूम रहे पशुओ् जैसे गाय और गधो् के टलए पीने का पानी और चरही का टनम्ाषण कराया जाये. टजलाटधकारी वीरेश्र टसंह ने महोबा मे्
कहा है टक असहाय जर्रतमंदो् को 15 टकलो गेहूं 10 टकलो आलू टवतटरत टकया जा रहा है. बीते कुछ माहो् मे् बुंदेलखंड के सभी टजलो् मे् लावाटरस और अनाथ बच््ो् की संख्या मे् इजाफा देखा गया. गरीबी और बीमारी के कारण बच््ो्की परवटरश न कर पाने की वजह से लोग बच््ो्को छोड़्रहे है्. झांसी के खाती बाबा के से्ि जूड आश््म मे्14 बच््े, मदर िेरेसा आश््म मे् 21 बच््े और अनाथालय, महोबा मे् 16 बच््े मायादेवी आवासीय टवकलांग टवद््ालय मे् 46बच््ेमंदबुट्द, टवकलांग और नेत्हीन है्. अनाथालय संचालक ज््ानेश अवस्थी और अटनल कुमार ने बताया टक मायादेवी टवकलांग टवद््ालय मे् इन बच््ो् को टशक््ा, भोजन, वस््, आवास, सभी सुटवधाये् टदये जा रहे है्. ताटक इन बच््ो् के चेहरो् पर खुटशयां और इनको मुख्य धारा मे्जोड़्ा जा सके. टजला प््ोबेशन अटधकारी राजीव शम्ाष झांसी ने कहा है टक अनाथ बच््ो्की संख्या मे्टदनो्टदन वृट्द हो रही है. यहां आने वाले 70-80 फीसदी लड़्टकयां होती है्
मनोकामना पूर्ण करने के लिए कछुआ दर्णन!
अवनीश कुमार
करते है् और आशा करते है् टक उनके सारे टबगड़्ेहुए काम बन जायेग् .े पनकी के अवनीश दूबे बताते है्टक जब कानपुर. आमतौर पर घरो्मे्देखा जाता है टक लोग मछली और कछुए को घरो् मे् भी वह कुछ शुभ काय्षकरते है्तो यहां आकर पालते है.् टजससे टक सुबह इनको देखने पर अपने आराध्य इस जीव को ब््ेड या पनीर टदन शुभ हो. यही कारण है टक कानपुर शहर टखलाकर अपने काम को सफल करने की के 364 साल पुराने तालाब मे्लोग कछुए को कामना करते है.् पर इस तरह भोजन देने के देखने के टलए बेताब रहते है.् इसके साथ ही बाद भी कभी-कभी टनराशा के साथ लौिना यह कामना करते है्टक टबगड़्ा हुआ काम बन पड़्ता है. दश्नष के होने का इंतजार करते हुए जाये. लेटकन यह भी टकस्मत की बात है टक लोगो्का िकिकी लगाकर तालाब मे्देखना बेहद रोमांचकारी है. कछुए के दश्नष टकसको होते है.् भक्त पहले मंटदर पनकी थाना क््ेत् मे् पूजा करते है् और के भाटिया टतराहे के टफर कछुओ् को पास हनुमान मंटदर टनहारने लगते है्. इस रोड के बायी्ओर एक तालाब को टसंध से बोड्षटदखायी देगा. जो आये व्यक्कत ने बनवाया श््ी नागेश्र मंटदर था. मौजूदा दौर मे्जब और कछुआ तालाब तालाब और पानी मे् की राह टदखाता है. इसे रहने वाले जीव समाप्त अंग्ेजी हुकूमत के होते जा रहे है.् तो शहर दौरान देवी दयाल के इस घनी आबादी के पाठक के पूव्षजो् ने बीच कछुए जैसे दुल्षभ बनवाया था. तालाब प््ाणी यहां पर पाये जाते की लंबाई और चैड़्ाई करीब 70 फुि है. तालाब पूरी तरह से कच्चा है.् मंटदर के पुजारी देवी दयाल पाठक कहते है. यही कारण है टक यह जलजीवो्का बसेरा है्इस तालाब और मंटदर की स्थापना उनके ष् ो्ने की थी. हालांटक ये कब बना इसके बन गया है. आप पनीर के छोिे-छोिे िुकड़्े पूवज टबखेर कर कछुओ्को आवाज्लगा सकते है.् बारे मे् सही जानकारी नही् है. लेटकन कहा कछुए जल्द ही पानी की सतह से ऊपर आकर जाता है टक तालाब 364 साल से भी अटधक उन िुकड़्ो्का आनंद लेग् .े इस तरह आपका पुराना है. तालाब मे् सैकड़्ो् की तादात मे् आना सफल हो जायेगा और कछुओ्का पेि कछुए है.् टजनमे्से कुछ की उम््355 साल भी भर जायेगा. यहां पर लोग हमेशा इस से अटधक हो चुकी है. देवी दयाल पाठक ् ्ालु ही इस जलजीव को देखने के टलए लालाटयत रहते कहते है् ईश्वर और यहां के श्द सं प दा की रखवाली करते आये है .् यह ऐसे ही है्. हो भी क्यो् न अपना देश आस्था और टवश््ास का केद् ्है. लोग श्द ् ्ाभाव से दश्नष चलता रहेगा.
www.shukrawaar.com n
कसनेमा
8 जनवरी - 14 जनवरी 2016
सुख-िुख बांटता प््ेम
हवर मृदुल
स
लमान खान इस दौर के सबसे बड़े स़टार है़. लोकप़़ियता मे़ वे शाहऱख खान और आपमर खान को काफी पीछे छोड़ चुके है.़ अब दश़क श सलमान की हर पफल़म का बेसब़़ी से इंतजार करते है़. उनकी पपछली पफल़म ‘बजरंगी भाईजान’ ने भी सफलता का एक नया परकॉऱश बनाया है. नयी पफल़म ‘ि़़ेम रतन धन पायो’ से भी ऐसी ही उम़मीद की जा रही है. एक तो ‘राजश़़ी बैनर’, दूसरा आकऱशण सूरज बड़जात़या का पनद़़ेशन और सबसे बड़ी बात पक सुपर स़टार सलमान खान की बतौर हीरो मौजूदगी, ऐसी पफल़म को सफलता की नयी ऊंचाई तक पहुंचने से भला कौन रोक सकता है? खुद सलमान भी कहते है़, ‘यह मेरे एक़टटंग कपरयर की महत़वाकांक़ी पफल़म है’. अपभनेता सलमान खान से हपर मृदुल की बातचीत. एक बार पफर आप ि़़ेम नाम का पकरदार पनभा रहे है़. इस बार तो पफल़म का टाइटल ही आपके पकरदार पर आधापरत है. ि़़ेम नाम के आपके पलए ट़या मायने है़? ि़़ेम नाम से बढ़कर कोई पॉपजपटव शब़द हो ही नही़ सकता. लेपकन जब सूरज ने अपनी पफल़म के पकरदार का नाम ि़़ेम रखा था, तब क़सथपत एकदम अलग थी. लोग इस नाम से
दूर भागते थे. इसकी वजह यह थी पक ि़़ेम चोपड़ा और ि़़ेम नाथ अंकल ने अपनी जबद़शस़ खलनायकी से इस नाम को एक अलग ही शट़ल दे दी थी. ि़़ेम नाम बोलते ही ि़म ़े चोपड़ा और ि़म ़े नाथ का चेहरा सामने आ जाता था. पफल़म इपतहास के सफलतम पवलेन ि़़ाण साहब के साथ भी ऐसा ही था. उनके जमाने मे़ कोई भी माता-पपता अपने बच़़ो़ का नाम ि़़ाण नही़ रखते थे. लेपकन सूरज को पवश़़ास था पक उनका नायक ि़़ेम नाम का ही होगा. सूरज का तक़क था पक आपखर ि़म ़े नाम नकारात़मक कैसे हो सकता है? आपखरकार सूरज सही सापबत हुए. इस तरह ‘मै़ने प़यार पकया’ का ‘ि़़ेम’ हर पदल अजीज हो गया. यानी आप यह कहना चाहते है़ पक काम से नाम के मायने बदल जाते है़? जी हां, काम से ही आदमी के नाम को पहचाना जाता है. मुझे पवश़़ास है पक ‘मै़ने प़यार पकया’ के बाद लाखो़ बच़़ो़ का नाम ‘ि़़ेम’ रखा गया होगा. आपने इतने सारे ि़़ेम परदे पर अदा पकये है़, आप कौन से ि़़ेम से सबसे ज़यादा जुड़ाव महसूस करते है़? ि़म ़े का पहला पकरदार यानी पफल़म ‘मैन ़ े प़यार पकया’ का ‘ि़़ेम’ मेरे पदल के सबसे ज़यादा करीब है. उस ि़़ेम की वजह से ही मुझे
इतना कुछ पमला है. नही़ मालूम पक अब ‘ि़म ़े रतन धन पायो’ का ‘ि़म ़े ’ मुझे कहां ले जायेगा और दश़शको़ के बीच पकतनी लोकप़़ियता पायेगा. लेपकन शुऱ मे़ तो आप इस टाइटल से सहमत नही़ थे. आपको लगता था पक नयी पीढ़ी के दश़शक इस नाम से जुड़ नही़ पाये़गे? हां, ऐसा तो है पक मै़ इस टाइटल से आशंपकत था. एक तो यह बहुत लंबा है और दूसरा यह मॉरऩश नाम नही़ है. यह मीरा बाई के एक मशहूर भजन से ि़़ेपरत है. हालांपक पनजी तौर पर मुझे इस टाइटल से कोई पदक़़त नही़ थी. मै़ने अपने मन की बात जब सूरज बरज़ात़या को बताई पक मॉरऩश जेनरेशन इसे समझ नही़ पायेगी, तो उऩहो़ने पूरे आत़मपवश़़ास के साथ कहा पक लोग इस नाम से जऱर जुड़ेगे. असल मे़ उऩहे़ अपने बैनर की ब़़ांर वैल़यू पर पूरा भरोसा था. आज लगता है पक वे सही थे. यूथ के बीच पफल़म की काफी चच़ाश है. नयी पीढ़ी ने अपनी सुपवधा के पहसाब से इसे शॉट़श कर पदया है ‘पीआररीपी’. ‘पीआररीपी’ के ि़़ेम की जऩ़ी ट़या है? इसमे़ तो आपका रबल रोल है? इस पफल़म का ि़़ेम सबकी खुशी मे़ शापमल रहता है. रोते हुए को हंसाता है और सबका दुख दद़श बांटता है. यह पफल़म एंटरटेन करने के साथ भारतीय संस़कारो़ की बात भी
करती है, जो अब धीरे-धीरे गायब हो रहे है़. हमारी अपनी सभ़यता है. ि़़ेम पहंदुस़ानी सभ़यता की लाइन को पार नही़ करता है. वह बहुत ज़यादा संसक ़ ारवान है. वह कुछ भी गलत नही़ करता है. उसकी सोच इस तरह की नही़ है पक कौन देख रहा है और ट़या फक़क पड़ता है? कोई देखे या न देखे, वह नैपतक बना रहता है. पफल़म मे़ लव स़टोरी तो है ही, भाई और बहन का एंगल भी है. राजा-रजवाड़ो़ का झगड़ा है, पजसे वह बखूबी पनपटाता है. एक पकरदार मे़ वह प़़िंस बना है और दूसरा पकरदार पवजय का है. दूसरे पकरदार पवजय के बारे मे़ भी थोड़ा बताइए? इस दूसरे पकरदार की जानकारी के पलए लोगो़ को पफल़म देखनी पड़ग े ी. पवजय के बारे मे़ मै़ कुछ भी बताऊंगा, तो पफल़म देखने का मजा पकरपकरा हो जायेगा. ‘ि़म ़े रतन धन पायो’ की शूपटंग कहां-कहां हुई है? राजस़थान की कई लोकेशनो़ पर हुई है. खास तौर पर उदयपुर मे़ इसे पफल़माया गया है. बहुत सारे पैलस े मे़ हम गये. कई पकले भी शूट पकये. गुजरात मे़ राजकोट के कई पहस़से कैपच़ र पकये है.़ यूपी मे़ भी थोड़ी शूपटंग हुई है, हालांपक मै़ इस शूपटंग मे़ नही़ गया था. पफल़म की शुरआ ़ त ही यूपी मे़ गंगा के एक सीन से शुऱ होती है. हालांपक बाद मे़ भीड़भाड़ से बचने के पलए मुबं ई के करीब क़सथत एनरी स़टपू रयो मे़ पैलस े का एक भव़य सेट लगाया गया और वही़ शूपटंग पूरी की गयी. यहां एक शीश महल बनवाया गया था, पजसके पलए राजस़थान से कारीगर बुलाये गये थे. इसका पशल़प गजब का है. आपने एक से बढ़कर एक पनद़़ेशको़ के साथ काम पकया है, लेपकन सूरज आपके पलए स़पेशल है़. सूरज बड़जात़या के पनद़़ेशन के बारे मे़ आपकी ट़या धारणा है? सूरज वही पफल़माते है़, जो उऩहो़ने अपने या अपने परश़तेदारो़ के घरो़ मे़ देखा है. उनका कोई भी सीन नकली नही़ होता. कई बार वे कहते है़ पक उनके घर मे़ ऐसा हुआ था, तो यह परजल़ट आया था. आपसी परश़तो़ की पजन छोटी चीजो़ को हम नजरअंदाज कर जाते है़, वे उसी को महत़व देते है़. वे हमेशा ही पहंदुस़ानी संस़कार की बात अपनी कहानी के जपरये करते है़. पफल़म ‘बजरंगी भाईजान’ ने सफलता का एक नया परकॉऱश बनाया. बड़ी उपलक़बध यह रही पक इसकी वजह से पापकस़़ान मे़ रह रही एक भारतीय गूंगी और बहरी लड़की गीता
13
का पता चला. इस घटना पर आप ट़या कहे़गे? मै़ इबपलस बीबी को सलाम करता हूं पक उऩहो़ने गीता को चौदह साल तक अपनी बच़़ी की तरह पाला. यह मानवता का बहुत बड़ा उदाहरण है. हमारे एनजीओ ‘बीइंग ह़म ़ू न’ ने भी यह बीड़ा उठाया है. हमने अब तक खोये हुए तीस बच़़ो़ को उनके पपरवारवालो़ से पमलाया है. कुछ बच़़े ऐसे भी है़, पजनके मां बाप है़ ही नही़. ऐसे मे़ हमने उनके लालनपालन की भी व़यवस़था की है. ट़या आप मानते है़ पक पफल़मो़ का समाज पर व़यापक असर पड़ता है? पनप़़ित ऱप से पड़ता है असर. आज पफल़म और टीवी से बेहतर कोई माध़यम है ही नही़. लेपकन इसका दुखद पक़़ यह है पक इन दोनो़ माध़यमो़ का दुऱपयोग कुछ ज़यादा ही होता पदख रहा है. मै़ तो सोचता हूं पक इन दोनो़ माध़यमो़ के जपरये कोपशश होनी चापहए पक इंसापनयत का लेबल थोड़ा बढ़े. सोशल मीपरया को आप पकस तरह से लेते है़. कई जानकारो़ का कहना है पक इस नये माध़यम ने अपनी बात रखने के पलए पफल़म और टीवी को बहुत पीछे छोड़ पदया है? अब मै़ सोशल मीपरया का ि़़शंसक नही़ रहा. इसने आंखो़ की शरम खत़म कर दी है. कुछ लोग इसे महज अफवाहे़ फैलाने के पलए उपयोग करते है़. इसमे़ उनकी फाल़स आइरेप़ टटी होती है. यह तो कोई ‘फ़़ीरम ऑफ स़पीच’ नही़ हुई. इस समय देश का माहौल एक अलग शट़ल मे़ है. गुलाम अली जैसे कलाकार को परफॉम़श नही़ करने पदया जाता. इधर मोदी सरकार पर असपहष़णुता का आरोप लगाते हुए तमाम कलाकारो़ ने अपने पुरस़कार वापस कर पदये है़. एक आप़टिस़ट के तौर पर आपका स़टै़र ट़या है? देपखए, यह पॉपलपटकल मामला है. मै़ इसमे़ पड़ना नही़ चाहता. लेपकन एक कलाकार होने के नाते मे़ यही कहूंगा पक पसनेमा और खेल मे़ कोई बाउंड़ी नही़ होनी चापहए. देपखए पक चैनल ‘पजंदगी’ हमारे यहां पहट हो चुका है, जब पक इसमे़ तमाम पापकस़़ानी सीपरयल पदखाये जाते है़. पहंदस ु ़ापनयो़ ने इऩहे़ खूब पंसद पकया है. इससे पहले भी ‘अनकही’ और ‘बकरा पकस़़ो़ मे़’ हमारे यहां काफी चच़ाश पा चुके है़. ‘बजरंगी भाईजान’ को पापकस़़ान के लोगो़ ने काफी पसंद पकया है. इससे सापबत होता है पक यह आम आदमी का झगड़ा नही़ है.
www.shukrawaar.com n
15
स्वप्नलोक-सी धरती पर
खूबसूरत शहर इंिरलाकेन मे् थे. सपनो् मे् डूबा, एकदम शांत धीमा खामोश शहर ,लगता ही नही्जैसे यहां लोग रहते हो्, जैसे मोशी के पेड़ से मै्ने/ये अक््र नही् टकसी ने इस शहर की काया को सजाया – तोड़े. यह तो जो पेड़ पर से झड़्ेथे/ फूलो्से संवारा और टफर ऐसे ही छोड़ टदया मै्वही अक््र चुनती रही (अमृता प््ीतम). हो. यहां के लोग सुबह से काय्षरत हो जाते यही टकया मै्ने क्सवट्जरलै्ड मे्. परी और है्. नौ बजे से ऑटफस की शुर्आत हो जाती लोककथाओ्से सुदं र उस देश की अंतरात्मा है. शाम पांच बजे तक सब घर वापस. को समझने की न तो मुझमे् कूबत ही थी व्यक्कतगत जीवन, टनजीपन यहां का सबसे और न ही इतना समय था मेरे पास, मै् तो बड़ा मूलय् है. भारतीयो्की तरह यहां के बॉस बस आंखो् की कलम से जो देखा उसे ही न गधो्की तरह खिते है्और न ही खिाते शब्दो् मे् टपरोती रही या टफर शब्दो् के उन है्. यहां की एक कंपनी नोवाट्ििस मे् एक फूलो्को ही बिोरती रही जो लोगो्के मुंह से भारतीय सीईओ ने आते आतंटकत कर टदया, टनरंतर पेड़ के पत््ो्की तरह झड़ते रहते थे . उसने आते ही टनयम बना टदया टक जब तक क्सवट्जरलै्ड के शहर लुगानो से वह ऑटफस मे् है्, सबको रहना होगा. हम बरटनना एक्सप्स ्े से टतरानो और टतरानो उसका जीवन कंपनी को समट्पषत था. लोग से चूर की ओर. यह यात््ा यूनेस्को की आज भी उसे कोसते है् टक उसके आते ही वल्ड्ष हेटरिेज है. गोलाकार बड़ी-बड़ी यहां का कल्चर टबगड़ गया था. टखड़्टकयो् वाली चमचमाती जादुई ट््ेन शांटतट््पय क्सवट्जरलै्ड मे् शांटत का टजसकी एक टखड़की से आप बाहर का पूरा आलम यह टक वहां की लोकल ट््ेन मे् भी संसार देख सके्. ऊपर से टगरता झरना, ‘साइले्ि जोन’ बना हुआ है. जहां बैठकर पहाड़ो् के बीच से गुजरते हम. पहाड़ो् की आप कुछ भी नही्बोल सकते है,् मुझे इसकी ढलान, ढलान पर ढलान, ढलान पर बने जानकारी एकदम नही्थी. हम भारतीय को छोिे-छोिे लकड़ी के नक््ाशीदार टतकोने तो पूरा क्सवट्जरलै्ड ही साइले्ि लगता था. घर और हर घर मे्फूल. फूलो्से भरी तराई. बहरहाल बाजेल से दौड़ कर पकड़ते हुए हम रकम-रकम की हटरयाली.बीच बीच मे्कही् कब ट््ेन के ‘साइले्ि जोन’ मे्बैठ गये हमे् नीचे समुद्ी रंग की झील .थोड़ी देर के टलए पता ही नही्चला. मै्अपनी पुत्वधू से कुछ राइन नदी से भी मुलाकात हुई. सामने पूछ रही थी टक पीछे की सीि से उठकर एक ऐल्पस ् . आधे बफ्कसे ढके जैसे पहाड़ के चेहरे स्वीस बूढ़्ा आया. उसने मुझसे अनुरोध पर असावधानी से पुता पाउडर. मै्अनायास टकया टक मै्चुप रहूं, मै्ठीक से उसे समझ ही इसकी तुलना टहमालय से करने लगती नही् पायी तो उसने अंगुली से मुझे ट््ेन की हूं. पर टहमालय की ऊंचाई, सुंदरता और दीवार पर टलखा ‘क्कवि जोन’ टदखाया. मै्ने टवटवधता और सबसे अटधक उसके पल- माथा पीि टलया, एकदम शांतट््ेन मे् भी पल बदलते रंग के सामने ऐल्प्स कही् नही् ‘साइले्ि जोन’ इधर-उधर टसर घुमायी तो ठहरता. लेटकन टजस चीज ने सचमुच यह देखा आसपास कुछ बूढ़े सो रहे थे, कुछ अहसास कराया टक मै् भारत मे् नही् वरन युवक लैपिॉप पर काम कर रहे थे. एक प््ौढ़ क्सवट्जरलै्ड मे् हूं वह थे यहां के फूलो् के मुटदत मन टखड़की से आसमान टनहार रहा रंग, कुछ पेड़ो्की चांदी सी चमकती पट््तयां. था उसकी िी-शि्ष पर टलखा हुआ था, गहरे नीले और जामुनी रंगो् के फूल और ‘यूएस अमेटरकन वे ऑफ लाइफ इज लाल-लाल पत््ो्वाले पेड़ मै्ने यही्देखे थे. अबाउि िू टडस्ट्ाय द वल्ड्ष’ फूलो् के प््टत लोगो् के प््ेम को देखकर मै् इस हाईिेक ट््ेन मे हर जगह से्सर लगे मन ही मन इसे फूलो्का देश कहती हूं. यहां हुए थे. अपनी ट््ेन मे् बैठे-बैठे आप देख के लोग फूल लगाने की कोई जगह नही् सकते है् टक बाथर्म खाली है या उसके छोड़ते, यहां तक टक लैप् पोस्ि तक पर फूल भीतर कोई है. लाल जलती टदख रही है िंगे हुए. नजरे्एकाएक गायो्के गले मे्बंधी मतलब अंदर कोई है. मै् हरी बत््ी देख घंटियो् पर पड़ती है्. इसे क्सवस बेल कहते अपनी सीि से उठी, मुझे बाथर्म तक जाने है्. दुटनया भर के लोग यहां से घंटिया ले जा के टलए कांच का दरवाजा पार करना था, मै् कर अपने घरो्मे िांगते है्. हाथ से उसे टखसकाने लगी टक देखा दूसरे टदन हम चूर से ज्यूटरक और वहां दरवाजा एकाएक खुल गया, दरवाजे के से बाजल होते हुए क्सवट्जरलै्ड के बेहद ऊपर से्सर लगे हुए थे, बाथर्म मे्भी नल
मधु कांकवरया
पयंाटन
8 जनवरी - 14 जनवरी 2016
ख़ा
के नीचे से्सर थे, हाथ नीचे रखा पानी शुर्. मुझे एकबार सुखद आि््य्ष हुआ जब मै् एक हॉस्िल मे् रात भर के टलए र्की थी. रात को पेशाब की जर्रत हुई, उठी तो देखा बाहर घुप्प अंधेरा, मै्ने िॉच्ष टनकाली ,लेटकन दरवाजे से बाहर आते ही पूरा कोटरडोर बत््ी से जगमगाने लगा. टबजली की बब्ाषदी से बचने का भी यह एक अच्छा उपाय था. इसी प््कार पूरे यूरोप मे् देखा सरकारे् प््दूरण रोकने, पेट्ोल और डीजल बचाने के टलए लोगो्को पक्बलक वाहन और
सुंदरता के बलहाज से स़सवट़जरलै़ड के सभी शहर िेजोड़ है़ और उऩहे़ िहुत सहेज कर रखा गया है. स़वप़िलोक जैसे इस देश मे़ एक अिोखी शांबत भी है और लगता है जैसे पूरा देश एक खामोश क़़ेत़ हो. साइटकल के टलए प््ोत्साटहत करती है्. पूरे यूरोप के इस मानवीयता के टलए कदम उठाते देखा. साइटकल वालो्के टलए टवशेर सुटवधा. पाट्कि्ग की टवशेर सुटवधा. सड़्क पर लाल घेरा बनाकर आरट््कत जगह साइटकल वालो् के टलए. भूल से गाड़्ी और साइकल मे्टभड़्ंत हो भी गयी तो सारे कानून साइटकल के पक्् मे्. पैदल चलने वाला व्यक्कत तो वहां राजा है . एक बार मुझे ध्यान
नही्रहा और हरे टसग्नल मे्ही मै्रास््ा पार करने लगी, मै्ने देखा टक सारी ट््ैटफक र्क गयी. और तब तक र्की रही जब तक मै्ने सड़्क पार नही्कर ली. पैदल व्यक्कत कही् भी क््ॉटसंग पर बने एक प््कार के है्टडल को घुमाकर ट््ैटफक को र्कने का अनुरोध कर सकता है. जरमि शहर मे् टसवाय सरकारी वाहनो्के टनजी वाहनो्की इजाजत नही्है. यहां कोई गगनचुंबी इमारत नही्है. इस बीच क्सवट्जरलैड ् की काया के कई रंग टदखे. क्सवट्जरलै्ड क्या यूरोप के सभी देशो्का तन जहां अत्याधुटनक अवस्था मे्है वही्उसका मन आज भी आटदम अवस्था मे् है. मन को पूरी छूि,जहां चाहे उड़े, न कोई सामाटजक बंधन न ही नैटतकता या मय्ाषदा का कोई चाबुक. यहां की सेक्स शॉप जहां कल्पना के टलए कुछ नही् बचता. जहां मांसलता खुले सर घूमती है. यहां की औरतो् के पास भी सुंदर टदमाग, बुट्द और प््टतभा है पर हर जगह प्द् श्नष टसफ्कऔर टसफ्कदेह का होता टदखायी टदया. पुर्रो् को आमंट्तत करती हर औरत जैसे खजुराहो् की गुफा से टनकल रास््ो्पर खड़्ी होती्टदखायी दी्. इस तरह देह का अंटतम टबंदु तक प््दश्षन होता टदखा. टकचन मे् पहनने वाले एप््न पर भी नग्न औरत की तस्वीर आपको सहज टदख जायेगी. औरत की इस हद तक नग्नता पर चच्ष भी परेशान टदखता है. चच्ष की दीवारो् पर हर जगह टलखा है ‘ प्लीज कम इन ड््ेस कोड’. इंिरलाकेन के एक चच्ष मे् देखा बाकायदा दरवाजे पर स्िाफ खड़े है्हाथो्मे् स्कफ्कऔर गमछा टलये. आपट््तजनक ड््ेस मे् आने वाली औरत को टदये जा रहे् है
स्कॉफ्कऔर गमछे टजससे वह प््भु यीशु की मूरत के सामने जाने के पहले अपनी नंगी िांगो् और ऊपर के जर्रत से ज्यादा खुले टहस्सो्को ढक ले्. यूरोप मे् संयुक्त पटरवार िूिे, दांपत्य िूिा और अब इंसान भी िूिता जा रहा है. नयी पीढ़ी शादी से कतरा रही है. करीब सभी अकेले इनमे्बूढ़्े, जवान और टवकलांग भी है्, लेटकन हर जगह जबद्षस् सरकारी सहायता आपको टमलती टदखायी देगी. हर जगह टवकलांगो् और बूढ़्ो् के टलए उत््म इंतजाम. बफ्क के ट््थल और रोमांस को महसूस करने के टलए अब हम दस हजार टफि की ऊंचाई पर बसे टििटलस की ओर बढ़्रहे थे. केबल कार और टफर गंडोला से हम पंहुचे वहां. यहां हमने बहुत सारे भारतीय लोगो्को अपनी-अपनी िोटलयो् मे् देखा. घुसते ही मातृभारा के दश्षन से आत्मा खुश हो गयी. टहंदी मे्टलखा था, ‘दुटनया का पहला घूमता हुआ गंडोला आपका स्वागत करता है.’ यहां जब दुटनया के करीब सभी देश के लोग टमलते है तब सचमुच यह अहसास होता है टक हम सब एक धरती के लोग है्. यहां मै्ने एक जगह टलखा हुआ देखा, ‘नो नेशन नो बाड्रष ’. ऊपर ग्लटे शयर, टबना थकावि आप आइस फ्लायर और घुमते हुए गंडोला से हर स््र पर टबखरी बफ्ककी सुंदरता का आनंद ले सकते है.् ट्ब्ू पर बैठकर बफ्ककी ढलान पर टफसलन का मजा भी ले सकते है्. नीचे भारतीय स्िाल पर मसालेदार चाय तो पी, पर एक कप चाय का भारतीय मुद्ा मे्240 र्पये देते समय मन मे्िीस होती रही. हमारा अगला पड़ाव था राइन फाल्स. लुज्ेन से शाफ्होव्टजंग होते हुए हमने देखा तूफानी ,दुटधया राइन फाल्स. कभी सब कुछ जलमय तो कभी सब धुआ-ं धूआ.ं इतना तेज बहाव टक बहता पानी टदखता ही नही्, टदखता है जैसे िनो्पॉउडर ऊपर से टगराया जा रहा हो. रेटलंग पर खड़े-खड़े लगा कही् बह ही न जाऊं. पर जानती थी टक यहां सब कुछ सुरट््कत है. इतनी ऊंचाई से बहता झरना टक लगा जैसे ऐल्प्स से ही फूि रहा हो यह. यहां जगह-जगह गाय की मूट्तषयां लगी हुई है्, यहां का चीज और दूसरे दूध के उत्पाद दुटनया मे्प््टसद््है्. शेष अगले अंक मे् जारी
16
www.shukrawaar.com n
शक की सुई एसपी पर
एम कुमार
पठानकोट. एयरफोस्ष स्िेशन अब अपेक्ाकृत शांत हो रहा है. सोमवार से लगातार चल रही गोटलयो् की आवाज अब धीरे-धीरे कम हो रही्है्. यहां आतंकवाटदयो् के साथ देश का सबसे लंबा आपरेशन चला है. नये साल की रात मे्पठानकोि एयरबेस मे्आतंकवादी घुस आये थे. उसके बाद यहां सुरक््ा बलो्और आतंकवाटदयो्के बीच 70 घंिो् तक फायटरंग हुई. साथ ही सच्ष ऑपरेशन अभी भी जारी है. इस घिना ने कई तरह के अनसुलझे सवाल भी खड़ा कर टदए है,् टजनमे्पंजाब के एसपी सलटवंदर टसंह, उनके दोस्् और उनके कुक को आतंकवाटदयो् ने टकडनैप टकया. बाद मे् उन्हे् रास््े मे् ही छोड़ टदया. इसके 24 घंिे बाद आतंटकयो्ने एयरबेस पर हमला टकया. टजसे रोकने के टलए एनएसजी, सेना और एयरफोस्षके गर्ड़्कमांडो ने एयर फोस्ष बेस मे् 70 घंिे तक लंबा आपरेशन चलाया. टजसमे् सेना के सात जवान शहीद हुए और छह आतंकवादी मारे गये. सवाल ये भी उठता है टक आतंकी पठानकोि की ओर जा रहे है् और पंजाब पुटलस को यह जानकारी कोई कांस्िेबल या छोिे रै्क का पुटलस अटधकारी नही् खुद एसपी ने टदया था. लेटकन टफर भी इसको लेकर कोई अलि्ष नही् हुआ. आतंटकयो् के टखलाफ यह ऑपरेशन मुंबई के 26/11 से भी लंबा टखंचा है. वहां 60 घंिे लगे थे. एयरबेस कैप् मे्घुसे आतंटकयो्मे्से चार को सुरक््ाबलो्ने 24 घंिे मे्ही ढेर कर टदया था. लेटकन दो को मारने मे् सुरक््ा एजे्टसयो् को 60 घंिे से अटधक का समय लगा. इस आतंकी हमले मे् एनएसजी के लेक्फिने्ि कन्षल टनरंजन पी कुमार सटहत सात जवान शहीद हो गये.
रीता वतवारी
8 जनवरी - 14 जनवरी 2016
एनएसजी के आइजी ऑपरेशन मेजर जनरल दुष्यंत टसंह ने प््ेस कांफे्स मे् कहा टक एयरबेस मे् मौजूद हेलीकॉप्िर और लड़्ाकू टवमानो् के साथ-साथ एयरफोस्ष कट्मषयो्के क्वाि्षरो्को उड़्ाने के टलए जैशए-मोहम्मद आतंकी संगठन ने साटजश रची थी. सेना के अटधकाटरयो् ने दावा टकया है टक समय रहते शुर् टकए गये ऑपरेशन से एयरफोस्ष की सभी संपट््तयां सुरट््कत है्. एयरफोस्ष कट्मषयो् के पटरजनो् को कोई नुकसान नही् हुआ है. दुष्यंत टसंह ने दो िूक मे् कहा टक जब तक सभी आतंटकयो्का सफाया नही्टकया जाता, संयुक्त ऑपरेशन जारी रहेगा. उन्हो्ने बताया टक जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी पाटकस््ान से ट््ेटनंग टलए हुए थे. एसपी सलटवंदर टसंह के मुताटबक, वह नये साल पर मत्था िेकने मजार गये थे. जहां से लौिने के टलये उन्हो्ने कम दूरी वाले तारागढ़ के रास््ेसे टनकले थे. वह उस रास््े पर पहली बार जा रहा था. उनके साथ उनके दोस्् राजेश वम्ाष गाड़्ी चला रहे थे. उसी दौरान कुछ लोगो्ने उन पर हमला कर टदया.
जो आतंकी थे, उन्हो्ने उनसे गाड़्ी की लाइि बंद करने को कहा. यह घिना गुर्वार रात 11:30-12 बजे के करीब की है.' वही्पंजाब पुटलस के सीटनयर ऑटफसर का कहना है टक सलटवंदर की पुटलस मे् इमेज अच्छी नही् है. एजे्सी को एक पुटलस ऑटफसर ने बताया टक यह सच है टक हमने टसंह की टशकायत को गंभीरता से नही्टलया था. इसकी वजह यह है टक उनका टरकॉड्ष क्लीन नही्है. पठानकोि एयरबेस पर हुए हमले मे् अब गुरदासपुर के एसपी सलटवंदर टसंह शक के दायरे मे् आ गये है्. उन पर शक जताया जा रहा है टक कही्आतंटकयो्ने उन्हे् हनी ट््ैप के तौर पर तो नही्इस््ेमाल टकया. लेटकन इन सबके अलावा एक और बात सामने आयी है और वो ये है टक सलटवंदर टसंह का सट्वषस के दौरान ट््ैक टरकॉड्ष ठीक नही्रहा है. सलटवंदर टसंह के टखलाफ पांच मटहला कांस्िेबल्स से यौन शोरण के आरोप मे्जांच चल रही है. गुरदासपुर मे् एसपी रहने के दौरान सलटवंदर उन पर ओछी टिप्पटणयां करते थे और करीबी बनने की कोटशश करते
थे. इन कांस्िेबल्स ने डीजीपी को अज््ात टशकायत भेजकर सलटवंदर टसंह पर मय्ाषदा के उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. वे मटहला टसपाही गुरदासपुर मे् ही काय्षरत थी्. बाद मे् उन सभी मटहला टसपाटहयो् को गुरदासपुर के एसएसपी ऑटफस से अिैच कर टदया गया. एसपी सलटवंदर टसंह ने कहा था टक 31 टदसंबर को आतंकवाटदयो् ने उनको और उनके कुक मदन गोपाल को अगवा कर टलया था. आतंकी एसपी की गाड़्ी से ही पठानकोि एयरबेस तक आये थे. इंिेटलजे्स एजे्टसयो् का दावा है टक पठानकोि एयरबेस पर हमला करने वाले आतंटकयो्ने पाटकस््ान के एक एयरबेस पर कई बार प््ैक्किस की थी. हमले के दौरान थकान न हो और बीमार ना पड़्े्, इसटलए वे दवाई भी खा रहे थे. एक पूवष्अफसर ने दावा टकया है टक हमले के पीछे आईएसआई का हाथ है. इंिेटलजे्स एजे्टसयो् के मुताटबक, आतंटकयो् ने टजस तरह से बेस पर हमला टकया और फायटरंग कर रहे थे, उससे पता चलता है टक उन्हे्एयर बेस की अच्छी तरह से जानकारी थी. आतंटकयो् को टफदायीन हमले की ट््ेटनंग दी गयी थी. समझा जा रहा है टक पाटकस््ानी टमटलट््ी और आईएसआई का इसमे् हाथ था. एयरबेस की टसक्युटरिी कैसे तोड़्नी है,इसके टलए उन्हे् कई बार ट््ेटनंग दी गयी. आतंटकयो् ने एके 47 राइफल्स के इम्प्ोवाइज्ड वज्षन यूबीएल (अंडर बैरेल गन) का इस््ेमाल टकया, जो मोि्ाषर लॉन्चर के तौर पर इस््ेमाल टकया जाता है. जानकारी के मुताटबक, आतंकी पाटकस््ान मे्बने एंिी-कफ और पेनटकलर िैबलेि खाकर हमला कर रहे थे. आतंटकयो् के पास से जो दवाएं टमली है्, वे सभी पाटकस््ान मे् बनी है्. भारत मे् ऐसी दवाये्नही्टमलती.
घोिाले के टसलटसले मे् सीबीआई की पूछताछ के बाद से तृणमूल कांग्ेस नेतृत्व ने धीरे-धीरे उनको हाटशये पर धकेल टदया था. कुछ महीनो् बाद उनको पाि््ी के तमाम पदो्से हिा टदया गया था. इस दौरान कभी उनके पाि््ी बनाने की अफवाह आई तो कभी कांग्ेस या भाजपा मे्शाटमल होने की. लेटकन बीते महीने टदल्ली मे् ममता से मुलाकात के बाद अब ममता के घर जाकर
उनसे बातचीत के बाद अब यह साफ हो गया है टक पाि््ी मे् मुकुल राय अपने पुराने फाम्ष मे् लौि रहे है्. ममता से मुलाकात के बाद मुकुल ने कहा था टक वे तृणमूल के सांसद है् और ममता उनकी पाि््ी की अध्यक्् है्. इसटलए उनकी ममता से मुलाकात स्वाभाटवक है. मुकल ु के मुताटबक, ममता के साथ बैठक के दौरान टवटभन्न राजनीटतक मुद्ो्पर चच्ाष हुई. राजनीटतक पय्षवेक्को् ने इसे सुटवधा और मौकापरस््ी की राजनीटत करार टदया है. एक राजनीटतक टवश्लेरक टवश््नाथ चक्व् त््ी का कहना है टक मुकल ु के बेहतरीन प््बंधन कौशल को ध्यान मे् रखते हुए टवधानसभा चुनावो् से पहले उनको साथ लेना तृणमूल की मजबूरी थी. दूसरी ओर, मुकुल के सामने भी इसके अलावा दूसरा कोई रास््ा नही् था. तृणमूल और दीदी के साथ के टबना उनको कोई पानी के टलए पूछने वाला भी नही्था.
पठानकोट हमला
ममता और मुकुल में मतभेद खतंम
कोलकाता. एक पुरानी कहावत है टक राजनीटत मे्दोस््ी या दुशम् नी कुछ भी स्थायी नही् होती. तृणमूल कांग्ेस प््मुख ममता बनज््ी और पूव्षपाि््ी महासटचव मुकुल राय ने टफर इसे सही साटबत टकया है. शारदा घोिाले मे् सीबीआई की पूछताछ के बाद हाटशए पर चल रहे मुकुल की घरवापसी हो गयी है. टकसी जमाने मे्उनको पाि््ी मे्ममता के बाद सबसे ताकतवर माना जाता था. लेटकन ममता की टनगाहे्िेढ़्ी होते ही सबने उनसे टकनारा कर टलया था. उनको पाि््ी के तमाम पदो्से भी हिा टदया गया था। लेटकन चुनावी साल मे् एक-दूसरे जर्रत को समझते हुए ममता और मुकुल ने आपसी मतभेद भुला टदया है. राजनीटतक पय्षवेक्को् का कहना है टक मुकुल की घरवापसी उके साथ दीदी की भी मजबूरी थी. इस सप्ताह तृणमूल कांग्ेस प््मुख RNI- DELHIN/2008/ 24781
ममता बनज््ी से मुलाकात के बाद पाि््ी के पूव्ष महासटचव मुकुल राय की रंगत लौि आई है. इस मुलाकात के एक टदन बाद ही उन्हो्ने दावा टकया टक अगले टवधानसभा चुनावो् मे् तृणमूल कांग्ेस को दो-टतहाई बहुमत टमलेगा. तृणमूल सूत्ो् का कहना है टक ममता चुनावो्से पहले मुकुल को अहम भूटमका सौ्प सकती है्. बीते साल जनवरी मे् शारदा टचिफंड
बतकही
पैसे वािो की है लदलंिी!
शंिूनाथ शुक्ल
अ
पनी इनोवा कार को वैशाली मेट्ो स्िश े न पर पाक्ककर जब मै्प्लिे फाम्ष पर पहुच ं ा तो सुबह के पौने नौ बज रहे थे. पर भयंकर जाड़्े के बावजूद प्लिे फाम्षपर इस कदर भीड़्थी टक मुझे लगा नही्टक मै् सकुशल गाड़्ी मे्प्व् श े कर भी पाऊंगा. टफर याद आया टक अरे मेरी कार का नंबर तो ऑड ही है तब मै्क्यूं इस ऑड टसचुयश े न्स मे्पड्.्ं मै्तो आज टदल्ली अपनी कार ले जा सकता हूं. सो फौरन नीचे आया और कार टनकाली तो पाट्कगि् वाले ने पूरे पचास र्पये ले टलये. वैशाली से यूपी गेि तक का रास््ा साफ था मगर टजस टदल्ली को रोज सुन रहा था टक वहां अब न तो प्द् रू ण है न ट््ैटफक जाम उसी टदल्ली मे् जाकर फंस गया. पहले तो मयूर टवहार फेज-िू की लाइि का जाम टमला जहां एक-एक कर चार बार लाइि ग््ीन हो तो गयी और मेरा नंबर ही नही्आया. तब लगा टक टदल्ली मे् टकतनी गाट्ड़यां है्टक ऑड नंबर वाले ऑड पोजीशन मे् पड़्े हुए है्. इसके बाद टनजामुददीन पुल तक कोई लाइि नही् पडऩी थी इसटलए गाड़्ी पांचवे्गेयर मे्डाल कर भगानी चाही. पर आगे बीच सड़्क पर एक िैप् ू खराब खड़्ा था और सारा का सारा ट््ैटफक उसके चक््र मे् चकरटघन्नी बना हुआ था. कामनवेल्थ खेलगांव का फ्लाईओवर उतरते ही गाटडय़्ां फुर्ष होने लगी्. अचानक टनजामुद्ीन पुल पर एक तेज रफ्तार बस ने पुल के टकनारे साइटकल पर चल रहे एक अधेड़् को टगरा टदया. साइटकल के हैड् ल पर िंगा उसका टिटफन टगर गया. बीच सड़्क पर दाल फैल गयी. रोटियां दूर जा टगरी्. मैन् े गाड़्ी टकनारे रोकी और उसके पास जाकर उसे उठने मे्मदद की. वह र्आंसे स्वर मे् बोला- आज रात तक भूखे ही रहना पड़्गे ा. मैन् े पूछा क्यो्तो उसने बताया टक वह टडफे्स कॉलोनी के एक घर मे्टदन का और रात तक र्ककर रात का खाना बनाता है. मगर वहां कुछ खा-पी नही् सकता. मै्ने पूछा टक कौन देखता है कुछ खा लेना तो उसने कहा सर जी उनके यहां कैमरा टकचेन मे्भी लगा है पकड़्ा जाऊंगा. अब मुझे लगा टक आम आदमी की टखदमत का वादा कर जो अरटवंद केजरीवाल सरकार बनाये है्, उनके टलए इस आदमी का कोई मूल्य नही्. यह आदमी टदल्ली मे् कुछ खा नही् सकता, आरओ लगा है पर उसका पानी टसफ्क साहब लोगो्के टलए है इस गरीब के टलए नही् और संभव है टक टदल्ली जब प््दूरण मुक्त हो जाये तो इससे कहा जाए टक अपनी हवा भी अपने अंगोछे मे् बांध कर लाया करो यहां तुम सांस नही्ले सकते.
स्वत्वाटधकारी, प््काशक और मुद्क: क््मता टसंह के टलए अमर उजाला पक्बलकेशंस टलटमिेड, सी-21, 22, सेक्िर-59, नोएडा, उत््र प््देश से मुट्दत एवं दूसरी मंटजल, बी-146, हटरनगर आश््म, नयी टदल्ली- 110014 से प््काटशत. संपादकः अंबरीश कुमार (पीआरबी अटधटनयम के तहत समाचारो्के चयन के टलए टजम्मेदार) सभी कानूनी टववादो्के टलए न्याय क््ेत्टदल्ली होगा. संपक्क: +91.8004903209, 9793677793 ईमेल: shukrawaardelhi@gmail.com