Shukrawaar newspaper 27 january to 02 february 2017 medium resolution (1)

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लीक से हटकर अभभनर पेज- 13

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वर्ष 2 अंक 13 n पृष्: 16 n 27 जनवरी - 02 फरवरी 2017 n नयी दिल्ली n ~ 5

भाजपा के लिए िोहे के चने

हरीशचंद

बुंदेलखंड. खवधानसभा चुनाव मे् बुंदेलिंड के सातो् खिलो् मे् प्​्मुि रािनैखतक दल दाखगयो् व बाखगयो् से ही िूझगे् .े सत्​्ा ही हनक रिने वाले सूरमाओ् को यहां अपनो् से ही ितरा है. ल्थानीय समल्याये् प्​्त्याखशयो् के खलए चुनौती बन चुकी है्. भािपा के खलए यह पूरा इलाका िास समल्या बना हुआ है. इन सभी खिलो् मे् बीते वर्​्ो मे् सूिा और अकाल िैसे हालात होने के कारण 32 लाि से भी अखधक बाखशदे् पलायन कर गये है्खिसके कारण मतदान प्​्खतशत मे्भी कमी आना तय है. प्​्मुि रािनैखतक दलो्के प्त्य् ाखशयो्का खटकट खवतरण कुछ इस प्​्कार हुआ है खक आम लोग उनको पचा नही्पा रहे. बुंदेलिंड की कई समल्याये्है्. इनमे् खशक्​्ा, खचखकत्सा, पखरवहन एवं उद्​्ोग धंधो् के अलावा तेिी से हो रहा पलायन, ग्​्ामीण व अ्​्द्थशहरी क्​्ेत्ो्मे्भुिमरी के बाकी पेज 2 पर

बांधने और पीटने का दौर

l उपेक्ा से उबलते भाजपा कार्यकत्ाय l नोटबंदी से नाराजगी l मोदी के क्​्ेत् मे् असंतोष धीरेन्द् श्​्ीवास्​्व

लखिऊ. माल्या िैसे लोगो् के कृत्य से खदवाखलया होने के कगार पर पहुंचे बै्को् का पेट भरने के खलए की गयी नोटबंदी और बाहरी को खटकट देने का खनण्थय भारतीय िनता पाट्​्ी को महंगा पड़ रहा है. उसके अपने लोग भी पाट्​्ी के उम्मीदवारो् को भारतीय िनता पाट्​्ी की िगह बाहरी िनता पाट्​्ी के उम्मीदवार कहने लगे है्. पाट्​्ी की ओर से मैदान मे्उतारे गये खवधायक पद के उम्मीदवार पीटे िा रहे है्. पाट्​्ी के सांसद को बांधकर लोग सवाल-िवाब कर रहे है्. खवधानसभा चुनाव की घोरणा से कुछ खदन पहले हुए नोटबंदी के खनण्थय से सव्ाथखधक खदक्​्त आमिनो् को हुई. अपना ही पैसा खनकालने के खलए लोगो् को पूरे पूरे खदन लाइन मे्लगना पड़ा, िाने्भी गयी्और सब्िी माटी के मोल बेचनी पड़ी. खफर भी लोग चुप रहे. लोगो्की इस चुप्पी को भारत

भािपा की यह नीखत सफल रही. सभाओ् और रैखलयो् मे् इस भीड़ से पाट्​्ी की हवा बनी. दूसरे दलो् के नेताओ् को भी इस भीड़ ने आकख्रथत खकया और काफी लोग अपनी अपनी पाट्​्ी छोड़कर भािपा मे्आ गये. इस आगमन से मूल भािपाइयो्के कान िड़े हुए तो पाट्​्ी नेतृत्व ने उन्हे्समझाया खक इसे लेकर घबराने की िर्रत नही् है. काय्क थ त्ाओ थ ्की खकसी कीमत पर उपेक्ा नही् होगी, लेखकन खटकट घोखरत होने के बाद यह आश्​्ासन धरा रह गया. बाहरी को छोखड़ये, दलबदलू और दाखगयो्को भी ठीक से उपकृत खकया गया. पखरणाम क्या हुआ? नोटबंदी से भाजपा सांसद लल्लू ससंह को रस्सी से बांधते हुए कार्यक्त्ाय साभार- पस्​्िका नाराि लोगो् को इस काय्थकत्ाथओ् का भी सरकार ने मान खलया खक आम आदमी उनके का आवेदन खलया. हर खवधानसभा क्​्ेत् से साथ खमल गया और इसकी सज़ा उनको्खमल झांसे मे् आ गया खक यह खनण्थय आतंकवाद लगभग दो-दो सौ आवेदन आ गये. पाट्​्ी ने रही है िो इसके गुनहगार नही्है्. इन आवेदको् को समझाने की िगह इनसे के खिलाफ हुआ है. उदाहरण के तौरपर शाहिहांपुर की इसी मुगालते के बीच यूपी महासमर रैखलयो्और सभाओ्के खलए काम लेना शर् एक घटना को लीखिये. यहां के एक गांव मे् 2017 घोखरत हो गया. पाट्​्ी ने उम्मीदवारो् कर खदया. िासतौर से भीड़ िुटाने के खलए. बाकी पेज 2 पर

रूकेडी के वजूद का सवाल केंदंीय अहमियत का चुनाव

फ्ज्ल इमाम मल्ललक

देहरादूि. उत्​्रािंड क्​्ांखत दल (यूकेडी) राज्य मे् अपना विूद सलामत रिने की िद्​्ोिहद मे्लगा है. हालांखक इस बार खवधानसभा चुनाव कांग्ेस बनाम कांग्ेस होकर रह गया है, ऐसे मे्लोग पसोपेश मे्है्. लेखकन उनके सामने कोई तीसरा खवकल्प नही् है. कभी कहा िाता था खक उत्​्रािंड क्​्ांखत दल प्​्देश मे्तीसरे खवकल्प के तौर पर उभरेगा लेखकन पाट्​्ी आपसी िेमेबंखदयो् मे् इस कदर उलझी खक इसे अब अपना विूद बनाये रिने के खलए िूझना पड़्रहा है. उत्​्रािंड आंदोलन की कोि से उपिी इस पाट्​्ी का खबिराव और आपस मे् िूतमपैिार से लोग बुरी तरह आहत है.् पाट्​्ी नेताओ् ने लोगो् के खहतो् की बिाय अपने खहतो् पर ध्यान खदया और नतीिा यह हुआ खक पाट्​्ी बार-बार टूटती खबिरती रही. कभी मुद्ो् पर कांग्ेस और भािपा के खिलाफ लड़्ने वाला यूकेडी बाद मे् भािपा-कांग्ेस की बी टीम के तौर पर िाना िाने लगा. उत्​्रािंड मे्साफ-सुथरी खसयसात देने और पहाड़्की अनदेिी के खिलाफ यूकेडी का गठन 26 िुलाई 1979 को हुआ. तब इसकी अगुआई मे्ही उत्​्रािंड आंदोलन ने आकार खलया था. लेखकन अलग उत्​्रािंड की लड़्ाई लड़्ने वाला यह दल उत्​्रािंड के अलग होते ही िंड-िंड हो गया. नही्तो

यूकेडी ने 1989 के लोकसभा चुनाव मे् दमदार मौिूदगी से भािपा व कांगस ्े के होश उड़्ा खदये थे. खटहरी और अल्मोड़्ा सीट पर पाट्​्ी को मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़्ा था. खटहड़्ी सीट पर इंद्मखण बोडानी दस और अल्मोड़्ा से काशी खसंह एरी साढ्ेनौ हिार वोटो्से हार गये थे. यूकेडी के खलए यह चुनाव काफी अहम रहा और उसे लोगो ने एक तरह से ल्वीकार कर खलया था क्यो्खक तब उत्​्रािंड अलग राज्य नही्बना था. लेखकन 1996 मे्यूकेडी मे्खबिराव का खसलखसला शुर्हुआ. बाकी पेज 5 पर

अंबरीश कुमार

रामे्द् जनवार

लखीमपुर खीरी. समािवादी पाट्​्ी के राष्​्ीय अध्यक्​् एवं मुख्यमंत्ी अखिलेश यादव ने आि भािपा और बसपा की िनखवरोधी नीखतयो्पर कड़ा प्​्हार करते हुए कहा खक उत्​्र प्​्देश का चुनाव देश का चुनाव है. अच्छे खदनो् का झांसा देने वाले सांप्दाखयकता का िहर घोल रहे है िबखक बसपा ने पत्थरो्पर िनता की कमाई लुटाने के अलावा कुछ नही् खकया. उन्हो्ने कहा समािवादी सरकार ने गरीबो्, खकसानो्, मखहलाओ्, नौिवानो्और अल्पसंख्यको्के कल्याण की तमाम योिनाएं लागू की है्और

नए चुनावी घोरणापत्​् मे् और ज्यादा सुखवधाये् देने का वादा है. उन्हो्ने कहा खवपक्​्ी अपना काम तो बताये्? यादव लिीमपुर िनपद मे् धौरहरा, खनघासन तथा कस्ा् खवधानसभा क्​्ेत्ो् के समािवादी प्​्त्याखशयो् के पक्​् मे् आयोखित िनसभाओ्को संबोखधत कर रहे थे. उन्हो्ने कहा खक अब हाथ का साथ भी खमल गया है. ऐसे मे् तो साइखकल और तेि चलेगी. खवधानसभा मे्हमारा भारी बहुमत आयेगा. श्​्ी अखिलेश यादव ने उपस्लथत खवशाल िनसमूह से पूछा खक बताओ भािपा-बसपा बाकी पेज 2 पर

सजसका रूपी उसका देश...

निघासि (लखीमपुर खीरी ). 'बच्​्ा बच्​्ा है अखिलेश ,खिसका यूपी उसका देश ' बीते बुधवार को यह नारा भारत नेपाल सीमा पर इस ब्लाक के पास ही एक छोटे से गांव की सभा मे्गूंिा. यह नारा उत्​्र प्​्देश की रािनैखतक लड़ाई का भखवष्य बताने का प्​्यास कर रहा था. यह समािवादी पाट्​्ी के मुखिया अखिलेश यादव की पहली साझा सभा थी क रीब पांच साल की सत्​्ा, पखरवार के घमासान और कांगस ्े के गठबंधन के बाद अखिलेश यादव का अंदाि बदल चुका है. इस संवाददाता ने पांच साल पहले हुए खवधान सभा चुनाव मे् उनकी पहली रैली कवर की थी. और इस बार

हिंदू-मुसलमान अब दो पाले शंभूनाथ शुक्ल

पन्​्िम उप्.् बागपत, मेरठ, मुिफ्फर नगर से शामली तक और सहारनपुर से खबिनौर व मुरादाबाद तक कही् कोई पाट्​्ी चुनाव नही्लड़्रही है. सब िगह एक ही मुद्ा निर आया और वह यह खक मोदी हटाओ या मोदी खिताओ. यह वह इलाका है िहां खपछले कुछ वर्​्ो्से खहंदओ ु ्और मुसलमानो्के बीच दूरी लगातार बढ्ती गयी है. यहां सबसे प्​्भावशाली है् िाट, िो खहंदू भी है् और मुसल् लम भी. (पूरी रपट पेज 9 पर)

पहली साझा रैली मे्मौिूद था. सत्​्ा, खववाद और सांगठखनक रािनीखत ने अखिलेश को काफी हद तक पखरपक्व बना खदया है. अब तो समािवादी पाट्​्ी के समथ्थको् का नारा भी बदल गया है. िो नारा कभी मुलायम के खलए लगता था उसे बदल कर समथ्क थ ो्ने कर खदया ' िलवा खिसका कायम है, उसका बाप मुलायम है .'खनघासन की इस िुली सभा मे्बड़ी संख्या मे्आसपास के गांव के लोग िुटे. यह कुम्ी बहुल इलाका है खिसमे्मुस्ललम बड़ी संख्या मे्है्. आसपास से खसि भी आये हुये थे. शायद इसखलये एकमात्​् खसि मंत्ी बलवंत खसंह रामूवाखलया इस सभा मे् बोले और अपने समाि से बाकी पेज 2 पर


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27 जनवरी - 02 फरवरी 2017

नेपाली जमीन पर हनगाि

संजीव श्​्ीवास्​्व

बहराइच. उत्​्र प्​्देश मे् आगामी खवधानसभा चुनाव के दौरान भारत-नेपाल सीमा का इस्​्ेमाल आतंकवाद और फि्​्ी

गखतखवखधयो्पर अंकश ु लगाने और सुरक्​्ा के खलए संयुक्त गश्त पर सहमखत बनी. इस दौरान चुनाव के दौरान सीमा सील रिने पर भी सहमखत बनी. दोनो् देशो् के उच्​्ाखधकाखरयो्ने सीमा पर कड़्ी खनगरानी व संयकु त् गश्त के साथ याख्​्तयो्के पारगमन के दौरान तलाशी के समय प्​्खशख्​्कत कुत्ो् की मदद पर भी सहमखत ितायी. यह बैठक नानपारा के अगैयया स्लथत एसएसबी मुख्यालय मे् आयोखित की गयी. इसकी अध्यक्त् ा देवीपाटन के आयुकत् सुधीर दीख्​्कत ने की. इस दौरान आईिी मोखहत अग्व् ाल, एसपी साखलकराम वम्ाथ समेत गो्डा व बलरामपुर के डीएम व एसपी मौिूद थे. मतदान के खलए न हो इसके खलए प्श ् ासन ने बैठक मे्नेपाल के बांके व बरखदया खिले के कमर कस ली है. खपछले खदनो्दोनो्देशो्के सीडीओ ने देश खवरोधी तत्वो्को भारतीय क्त्े ् सीमावत्​्ी उच्​्ाखधकाखरयो्ने इस खसलखसले मे् मे् प्व् श े करने रोकने और संयकु त् गश्त पर बैठक की. बैठक मे्सीमा पार से होने वाली हरसंभव मदद का आश्​्ासन िताया.

'पानी-लकसानी और जवानी बचाने वािों को ही वोट' लखिऊ. उत्र् प्द् श े के खवधानसभा चुनावो्मे्ल्वाल्थ खशक्​्ा समेत राष्​्ीय-नदी, ताल, आखद से िुड़्े सवालो् के अलावा ल्थानीय सडक, खबिली, आवास आखद खवरयो् पर दलो् और उम्मीदवारो् की राय िानने व उनके चुनाव की रणनीखत तय करने के खलए प्द् श े भर के ल्वसै च् छक संगठनो्ने रािधानी मे् लोक संवाद सम्मल े न खकया. सम्मल े न मे्इस बात पर सहमखत बनी खक िल सुरक्​्ा कानून बनाया िाये, तालाब प्​्ाखधकरण की ल्थापना की िाये, नदी अखधकार पुनि्​्ीवन नीखत एवं खवश्ख्वद्​्ालय की ल्थापना हो, खकसानो् के उत्पाद के सही मूलय् हेतु उखचत परामश्​्ी मूलय् आयोग की ल्थापना की िाये तथा प्द् श े मे् खकसान नीखत का खनम्ाण थ खकया िाये. इसके अलावा िमीन अखधग्ह् ण की खकसान खहतकारी नीखत तय करते हुए िेती की भूखम को उद्​्ोगो्या व्यापार के खलए बदलने से पहले ग्​्ाम सभा की सहमखत अखनवाय्थकरने की मांग के साथ यह भी कहा गया खक

जिसका यूपी उसका देश ....

बांधनेऔर पीटनेका दौर

पेज 1 का बाकी समािवादी पाट्​्ी को खिताने की अपील की. गांव कल्बे के लोगो् के मुताखबक खनघासन सीट पर भारतीय िनता पाट्​्ी और समािवादी पाट्​्ी मे्कड़ा मुकाबला है. बसपा यहां मुकाबले से बाहर मानी िा रही है. पर अखिलेश यादव का इस क्​्ेत् के नौिवानो् पर ख़ासा असर है. यह उनके पांच साल के कामकाि का प्​्भाव है. अखिलेश यादव ने क्या खकया या नही् खकया यह मुद्ा नही् है. ज्यादातर लोग यह मानते है् खक वे काम करते निर आते है्और आगे भी करे्गे, यह उम्मीद है. हो सकता है मोदी ने खितने वादे खकये हो्उनमे्ज्यादातर उन्हे्पूरे होते निर न आ रहे हो्खिसके चलते अब प्​्ाथखमकता बदल रही हो. इसकी विह महंगाई, िेती खकसानी की परेशानी और नोट्बंदी से हुई कई तरह की खदक्​्त भी हो सकती है्. यह अरहर से लेकर काला नमक समेत कई अच्छी प्​्िाखत के धान का इलाका भी है. पर खपछले खदनो्खकसानो्को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. नोटबंदी से फसल की बुआई बुरी तरह प्​्भाखवत हुई तो कृखर उपि का खमटटी के भाव खबक िाना भी है. ऐसे माहौल मे् अखिलेश यादव का लोगो् से सीधा संवाद बनाना उन्हे् फायदा पहुंचा सकता है. अखिलेश ने अच्छे खदन के बारे मे् पूछा तो नोट्बंदी से हुई खदक्​्त का मुद्ा भी उठाया. उन्हो्ने इस अंचल की एक नही्कई खदक्​्तो्का हवाला खदया. पानी मे् आस्ख्ेनक के चलते होने वाली खदक्त् हो या सड़क, खबिली और पुल का सवाल. सभी पर साफ़ निखरया. यह िंगल का इलाका है िहां आये खदन िंगली िानवरो्के हमले मे् लोग मारे िाते है् या घायल हो िाते है्. अखिलेश ने उन दो मखहलाओ् का खिक्​् खकया खिनके पखरिन बाघ के हमले मे् मारे गये थे. उन्हे्अखिलेश ने दफ्तर बुलाया और पूछा खक क्या वे उन्हे् िानती है् तो िवाब खमला नही्. इन दोनो्मखहलाओ्को 10 लाि र्पये से ज्यादा का मुआविा सरकार ने खदया. अखिलेश ने यह घटना इस सभा मे् इसखलए बतायी ताखक लोग यह समझ सके खक उन्हे् इस अंचल की समल्याओ् का भी पता है और वे हर संभव मदद का प्​्यास

पेज 1 का बाकी खवधानसभा चुनाव प्​्चार के दौरान एक बीिेपी नेता नोटबंदी के फायदे खगनाने लगे. इस गांव के एक घर मे्नोटबंदी की विह से एक घर मे् बेटी की शादी टूट गयी थी. नेतािी, इन घरवालो् को भी समझाने लगे. िवाब मे् गांव वालो् ने नेतािी को दौड़ा दौड़ाकर पीटा. दूसरा उदाहरण सुल्तानपुर का है. यहां तो लोगो्के गुल्से के खशकार िुद बीिेपी प्​्त्याशी हो गये. भािपा उम्मीदवार देवमखण दुबे (हालांखक पाट्​्ी सूत्ो् का दावा है खक इसी क्​्ेत्से खटकट के दावेदार हनुमान खसंह के उकसाने पर उन्हे्भीड़ ने पीटा) को नोटबंदी को लेकर नाराि लोगो्ने पीटा. इन दोनो् घटनाओ् की खशकायत पुखलस मे् दि्थ हुई है्. इसी तरह बाहरी लोगो्को खटकट देने की विह से फ़ैिाबाद के सांसद लल्लू खसंह को पाट्​्ी काय्थकत्ाथओ्ने दफ्तर मे्बांध खदया तो आंबेडकर नगर के खिला अध्यक्​् खशवनायक वम्ाथ को बंधक बना खलया गया .इस तरह की िबरे कई खिलो्से आ रही है्. बाहरी उम्मीदवार को लेकर काय्क थ त्ाओ थ ्की नारािगी बढ्ती िा रही है . दलबदलुओ्और दाखगयो्को खटकट देने को लेकर तो समूचे उत्​्र प्​्देश मे्आग लगी

करते है. अखिलेश का गांव के लोगो् से संवाद कर अपनी बात रिने का अंदाि नया था. खपछले खवधान सभा चुनाव मे्उनके ज्यादातर भारण सपाट होते थे खिनमे् मायावती सरकार के दमन उत्पीडन के साथ लैपटाप आखद का खिक्​् होता था. अब वे अपना कामकाि भी बताते है् तो भखवष्य के काय्थक्म भी. रािनैखतक दलो्के घोरणा पत्​् तो न कोई पढ्ता है न उनपर यकीन करता है. पर इसकी दो तीन बाते्भी अगर चच्ाथ मे् आ िाये्तो चुनावी फायदा दे िाती है. िैसे खपछली बार लैपटाप चल गया था. इस बार छोटे बच्​्ो् को देसी घी, बख्​्चयो् को साइखकल और मखहलाओ् को कूकर इसी तरह चच्ाथ मे् है. पर वे गांव मे् गभ्थवती मखहलाओ् के खलये एंबुले्स की िानकारी दे रहे है्तो बीमार मवेखशयो्के खलये एंबल ु स े् के साथ दवा और डाक्टर गांव गांव तक पंहच ु ाने की बात कर रहे है्. अखिलेश की एंबुले्स सेवा कई खिलो्मे्सराही िा चुकी है. इसमे् कई िगह खशकायत भी आती है पर इस योिना को लोग चाहते है्. गांव मे् गंभीर मरीि िासकर अगर कोई गरीब पखरवार का है तो वह सारी उम्मीद छोड़ देता है. ऐसे मे् इस तरह की योिना लोकख्​्पय हो रही है. यही विह है खक लोग अखिलेश पर यकीन कर रहे है्. हालांखक समािवादी पाट्​्ी के ल्थानीय नेताओ् का क्​्ेत् पर खकतना और कैसा असर है यह ज्यादा महत्व रिता है. यखद उनकी छखव ठीक नही्हुई तो अखिलेश भी कुछ नही् कर पाये्गे. इसके साथ ही अखिलेश कांग्ेस गठबंधन पर ठीक से फोकस कर रहे है्. कांग्ेस यानी इंखदरा नेहर् की खवरासत के रािनैखतक प्ख्तखनखध आि भी गांव-गांव मे्मौिूद है्. इनका कुछ हद तक फायदा समािवादी पाट्​्ी को खमल सकता है. बहरहाल बदले हुए इस अखिलेश से मोदी का लोकसभा चुनाव अखभयान याद आता है. इस चुनाव मे् बाहरी उम्मीदवारो् के चलते भािपा बचाव की मुद्ा मे्ही तो भीतरी दबाव से मुक्त होकर अखिलेश आत्मखवश्​्ास से लबरेि है्. यह तो शुर्आत है कुछ खदन इंतिार करे तो माहौल को ठीक से समझ पाये्गे.

है. हद तो यह बहुचख्चथत खवधायक मुख़्तार अंसारी की सीट भी भािपा ने उस नेता के हवाले कर खदया है िो खपछला चुनाव मुख़्तार अंसारी का दोस्​् बनकर लड़ा था. इसे लेकर उस अखरिीत खसंह की आंि से िून के आंसू खनकल रहे है् खिनके खपता ल्वग्​्ीय रामिी खसंह का पूरा िीवन ही भािपा को समख्पथत था. फ़ैिाबाद मे्इस सवाल पर पाट्​्ी के काय्थकत्ाथओ् ने अपने सांसद को बांधकर िवाब खकया. िबखक माननीय सांसद अयोध्या आंदोलन मे्िमीनी लोगो्मे् एक है्. पाट्​्ी से खवधायक रह चुके है् और काय्थकत्ाथओ्के बीच भी काय्थकत्ाथ की तरह रहने वाले नेताओ्मे्है्. क्​्ोध की लपेट मे् प्​्धानमंत्ी श्​्ी नरे्द् मोदी का संसदीय क्​्ेत् भी है. यहां से चुने िाने वाले खवधायक दादा श्यामदेव राय चौधरी की खगनती ईमानदार लोगो्मे्होती है. वह लगातार चुनाव भी िीतते रहे है्. खफर भी उनका खटकट कट गया. इसे लेकर खबना लाग के खटप्पणी हो रही है खक भारतीय िनता पाट्​्ी अब श्यामदेव राय चौधरी िैसो् की नही्, ल्वामी प्​्साद मौय्थ और ओमप्​्काश रािभर िैसो् की पाट्​्ी है. इसे अब बाहरी िनता पाट्​्ी कहना ही उखचत होगा.

केंदंीय अहलियत का चुनाव

पेज 1 का बाकी ने क्या खकया है? अच्छे खदन वालो्ने नोटबंदी करके देश को पीछे कर खदया. व्यापारी और आम आदमी को लाइन मे् िड़ा कर खदया. बै्को्मे्िमा अपनी रकम पाने के खलए लोग लाइनो् मे् लगे रहे. कईयो् की तो मौत हो गयी. भािपा ने उनकी मदद के खलये क्या खकया? हमने तो दो-दो लाि र्पये की मदद की. इस भािपा िैसी चमत्कारी पाट्​्ी से बचना है. उन्हो्ने कहा बसपा वाले कानून व्यवल्था की बाते्करते है्वे अपनी सरकार के खदनो्को याद करे्. उगाही न देने पर एक इंिीखनयर मारा गया. बसपा सरकार ने खसफ्फ पत्थर के िंगली िानवर िड़े खकये है्. िमकर भ्​्ष्ाचार खकया है. उन्हो्ने ने कहा खक समािवादी सरकार गरीबो्की, खकसानो्की सरकार है. खकसानो्

के खलए खवशेर फंड बनेगा. खसंचाई व्यवल्था सुधरेगी. सचल पशु खचखकत्सा सेवा का खवस्​्ार होगा और 102 /108 की तरह खवशेर सेवा मे्पशु खचखकत्सक ल्वयं गांव मे् पहुंचेगा. एक्सप्े्स-वे पर खकसानो् के खलए मंडी बनेगी. खकसान को फसल का लाभप्​्द मूल्य खमलेगा और दूध उत्पादन बढेगा. उन्हो्ने कहा खक घाटे मे्चल रही चीनी खमलो् को, माखलको्की हठधम्​्ी के बाविूद, चालू कराकर खकसानो्का बकाया भुगतान कराया गया. गरीबो् के खलए आवास योिनाये् बनी है. लािो्लोगो्को रोिगार खमला है. मुख्यमंत्ी िी ने कहा खक मखहलाओ्को बस मे् आधा खकराया लगेगा. हम गरीब मखहलाओ् को प्​्ेशर कुकर बांटे्गे. बच्​्ो् को दूध, फल तथा घी दे्गे. अभी ल्कूलो् मे् बैग और बत्थन बांटे है्. प्​्ाइमरी खशक्​्ा की

भूखमहीनो्एवं आवासहीनो्को एक-एक एकड़ के आवासीय पट्​्ेखदये िाये.् िलपुरर् रािेद् ्खसंह की अगुवाई मे्िुटे इन संगठनो्ने आगामी खवधानसभा चुनावो्मे् िनता से िुड़े इन अहम मुद्ो् पर अपनी रणनीखत तय की. लोक संवाद सम्मल े न का आयोिन सामाखिक संगठन पानी, िल-िन िोड़ो अखभयान और एकता पखररद ने संयकु त् र्प से खकया था. सम्मल े न मे्ल्वामी अस्ननवेश ने कहा खक उत्र् प्द् श े के खवधानसभा चुनावो् मे् गरीब के खहत मे् खसफ्फ घोरणाये् न हो् क्यो्खक चुनाव के समय गरीब को बेवकूफ बनाया िाता है. उन्हो्ने शराबबंदी को चुनावी घोरणा पत्​्ो् मे् शाखमल करने की बात कही और पानी के सामुदायीकरण की मांग की. उन्हो्ने कहा खक इन चुनावो् मे् सामाखिक संगठनो् से िुड़े लोग अपना घोरणापत्​् बनायेग् े और उसे लागू करने के खलए रािनैखतक दलो्से कहेग् .े पानी संलथ् ान के संलथ् ापक भारत भूरण ने कहा खक चुनाव हर पांच वर्थमे्आता है इस अवसर पर हम सब सामाखिक संगठनो् ने घोरणा पत्​्तय खकया है और इस लोक घोरणा पत्​्को लागू करवाने के खलए सभी खमलकर प्द् श े भर मे्अखभयान चलायेग् .े िो रािनैखतक दल िन घोरणा पत्​्को महत्व नही्देगा उन इलाको् मे् नोटा का प्य् ोग करे,् इसके खलए िागर्कता फैलाई िायेगी.

भाजपा के लिए िोहे...

पेज 1 का बाकी कारण आपराखधक घटनाक्​्म मे् इिाफा, आवारा पशु आखद. यह पूरा इलाका बुखनयादी िन सुखवधाओ्की कमी से दोचार है. खिलो् से शासन को भेिी गई पल्स पोखलयो की खरप्​्ोट के हमीरपुर से 4,17,489, खचत्​्कूट से 3,44,801, बांदा से 7,37,920, महोबा से 2,98,547, िालौन से 5,38,147, झांसी से 5,58,377, लखलतपुर से 3,81,316 कुल 32,77,397 लोग पलायन कर चुके है्. ऐसी स्लथखत मे् चुनावी समीकरण भी खबगड़ने की की आशंका से इंकार नही्खकया िा सकता है. सभी खवधानसभा सीटो् पर िाखतगत मुद्े हावी रहे्गे. महानगरो् से यहां के मतदाता वाहनो् मे् भर कर वापस लाये िाये्गे ताखक मतदान कर सके्.

व्यवल्था सुधारे्गे. खबिली व्यवल्था मे्सुधार के खलए सबसे ज्यादा काम खकया है. ट्​्ांसफाम्थर 48 घंटे मे्बदले िा रहे है्. गांवो् मे्भी 16-18 घंटे खबिली आ रही है्. सड़के सुधरी है. नए पुल बने है्. नए उद्​्ोग लगने वाले है्. यादव ने कहा खक समािवादी सरकार के कामो् का कोई दल मुकाबला नही् कर पायेगा. िनता पर पूरा भरोसा है. बहकाने वाली पाख्टथयो्के बहकावे मे्न आना. उन्हो्ने िीरी के मतदाताओ् से समािवादी प्​्त्याखशयो् को खिताने की अपील करते हुए भरोसा खदलाया खक िंगलो्से सटे ग्​्ामीणो्को सुखवधा खमलेगी और बाढ मे् नदी कटान का भी प्​्बंध करे्गे. समािवादी सरकार ने ही शारदा नदी पर बांध बनाकर फसलो् और गांव वालो्को बचाया था.


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27 जनवरी - 02 फरवरी 2017

िुखंतार अंसारी बसपा िें

लखिऊ. पूव्ा​ा्चल के बाहुबली मुख़्तार अंसारी गुर्वार को बहुिन समाि पाट्​्ी मे् शाखमल हो गये. मायावती ने कौमी एकता दल के नेता मुख्तार अंसारी के साथ उनके बेटे अब्दुल्ला अंसारी और भाई खसबगतुल्ला अंसारी को खवधानसभा का खटकट देने का ऐलान खकया. मुख्तार िहां मऊ सदर से बसपा उम्मीदवार हो्गे, वही् उनके बेटे अब्दुल्ला घोसी, तो खसबगतुल्ला मोहम्मदाबाद से चुनावी समर मे् उतरे्गे.अंसारी पखरवार के बसपा मे्िुड़्ने के ऐलान के साथ ही मायावती ने कहा, 'मेरी सरकार कानून व्यवल्था बनाये रिने के खलए आपराखधक तत्वो्पर हमेशा से सख्त रही है. पर मै्यह भी सुखनख्​्शत करती हूं खक खकसी को झूठे मामलो्मे्नही्फंसाया िाये.' उत्​्र प्​्देश मे् समािवादी पाट्​्ी और कांग्ेस गठबंधन के बाद मुस्ललम वोटो् का बड़ा खहल्सा इस गठबंधन मे्िाता खदि रहा है. इसी विह से मायावती ने अंसारी बंधुओ् को साथ लेकर मुसलमानो्को संदश े देने की कोखशश की है .यह बात अलग है खक मुख्तार अंसारी का असर पूव्ा​ा्चल की आधा दि्थन सीटो् पर भले हो पर आम लोग उनकी

पृषभ् खू म के चलते बसपा से खछटक भी सकते है्. समािवादी पाट्​्ी मे् अखिलेश यादव ने इसी विह से मुख्तार अंसारी का खवरोध खकया था. दरअसल प्​्देश मे् िातीय और आपराखधक रािनीखत के खिलाफ खपछले चुनाव से ही लोगो्का र्झान बढ रहा है .यही विह है खक ज्यादातर रािनैखतक दल अब खवकास की बात करते हुए आपराखधक पृष्भूखम वाले दागी उम्मीदवारो्से बचने का

क्या होगा पुराने नोट का?

भोपाल. के्द् सरकार ने आठ नवंबर 2016 को 500 और 1000 र्पये के नोट को अचानक अमान्य तो कर खदया. प्​्धानमंत्ी ने सगव्थकह खदया खक आधी रात से ये नोट रद्​्ी के टुकड़्ेहो गये. लेखकन इतनी बड़्ी संख्या मे्इकठ्​्ी हो रही नकदी या कहे् रद्​्ी का खनपटारा खकस प्​्कार खकया िायेगा इस बारे मे् भारतीय खरिव्थ बै्क कुछ भी कहने को तैयार नही्है. सरकार द्​्ारा नोटबंदी खकये िाने के तत्काल बाद इस तरह के सवाल कई लोगो् के मन मे् उठे. नीमच खनवासी सूचना के अखधकार के खलए काम करने वाले खिने्द् सुराना ने आरअीआई के िखरये यह िानकारी चाही खक आखिर इन पुराने नोटो्

के खनपटारे के खलए क्या खकया िायेगा? इसका ठेका खकसे खदया िायेगा आखद. इस सवाल पर आरबीआई के के्द्ीय लोक सूचना अखधकारी सुमन राय ने सुराना को िवाब खदया है खक 'इस खवरय मे्भखवष्य की घटना के ब्यौरे की अपेक्ा की गयी है, सूचना के अखधकार अखधखनयम 2005 की धारा दो (एक) के तहत यह सूचना नही्है.' वही्आरबीआई ने कुछ िानकाखरयो्को देने से यह कह कर इंकार कर खदया खक सवाल काल्पखनक है्. नोटबंदी के चलते देश मे् काफी समय से अफरातफरी की स्लथखत बनी हुई है. इसके चलते एटीएम व बै्क की कतार मे्लगे कई लोगो्को अपनी िान तक गंवानी पड़्ी.

प्​्यास कर रहे है् .इस खलहाि से मायावती को चार छह सीटो् पर फायदा भले हो िाये पर शहरी मध्य वग्थके प्​्भाव वाली सीटो्पर इसकी प्​्खतख्​्कया उल्टी हो सकती है .बसपा मे् शाखमल होने के बाद मुख्तार के भाई अफिाल अंसारी ने कहा, 'मुलायम खसंह कहा करते थे अखिलेश अल्पसंख्यको् के खिलाफ है्. अब हमे् यह पता चल गया है. उन्हो्ने हमे् धोिा खदया और अब हम सपा को सबक खसिाये्गे.'

िीते थे लेखकन चुनाव की उदृघोरणा के ठीक पहले भािपा मे्शाखमल हो िाने से सपा को बहराइच. नामांकन प्​्ख्कया समाप्त गहरा धक्​्ा लगा है. आनन फानन मे एक होने के पश्​्ात गोरिपुर और फैिाबाद मे् ल्नातक खवधान पखररद चुनाव को लेकर अनाम से व्यस्कत राकेश यादव को खटकट तो गहमा गहमी तेि हो गयी है्. गोरिपुर मंडल िर्र दे खदया है लेखकन समूचे चुनाव क्​्ेत्मे समेत चुनावी पखरक्​्ेत् मे् फैिाबाद मंडल उनका कोई अता पता नही खदि रहा. अवध बस्​्ी मंडल व देवीपाटन मंडल के खमला कर क्​्ेत् व तराई क्​्ेत् के ल्नातक मतदाताओ् से कुल 17 खिले शाखमल है् यहां से कुल 17 बातचीत करने पर पता चलता है खक समूची प्​्त्याखशयो्ने नामांकन करवा कर चुनाव को चुनावी लड़ाई खशक्​्क महासभा की ओर से रोचक बना खदया है् लगभग एक लाि घोखरत प्​्त्याशी डा. संियन ख्​्तपाठी ल्नातक मतदाता तीन फरवरी को उनका खवत्​्खवहीन माध्यखमक खशक्​्क महासभा की ओर से घोखरत प्त्य् ाशी अिय खसंह एडवोकेट भखवष्य तय करे्गे. वत् थमान खवधान पखररद सदल्य डी, पी खसंह चुनाव की घोरणा होते ही रािनीखतक गोरिपु र के खचखकत्सक डा. एस,सी कौखशक दलो् से िुड़े प्​्त्याखशयो् समेत खवखभन्न के बीच मे्खसमटता निर आ रहा है. खनद्थलीयो् ने भी अपने अपने समथ्थको् व खवत् ्खवहीन खशक्​्क महासभा के अध्यक्​् प्​्भाव वाले क्​्ेत्ो् मे ल्नातक मतदाता बनाने का काम शुर् खकया था. वत्थमान ल्नातक व अिय खसंह की चुनावी कमान संभाले खवधान पखररद सदल्य बी,पी खसंह वैसे तो प्​्वक्ता खदनेश खमश्​्ा का कहना है खक समूचे खपछला चुनाव समािवादी पाट्​्ी से लड़ कर चुनावी क्​्ेत् से िुड़े खवत्​्खवहीन

हभरश्​्ंद्

बुंदेलिंड के खवखभन्न खिलो् के खकसानो्-ग्​्ामीणो्की बदहाली खकसी से खछपी नही् है. झांसी, लखलतपुर, उरई, िालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा हो या खचत्​्कूट ये सभी खिले आिादी के बाद से ही आि तक खवकास के मोच्​्ेपर सूिा ही झेलते आये है्. क्​्ेत्ीय िन प्​्खतखनखधयो्, के्द्ीय और क्​्ेत्ीय पाख्टियो् ने इस क्​्ेत् मे् िाखतगत आधार पर वोटो्की फसल काटकर यहां के बाखशंदो्को पलायन के खलए मिबूर खकया है. इन चुनावो् मे्बुदं ल े िंड के इन सात िनपदो्के खकसानो् की दीनता, गरीबो्की भूि और संसाधन व सुखवधाओ्के अभाव के अलावा 32 लाि से ज्यादा नौिवानो् का पखरवार सखहत मुख्य मुद्ा खदिाई दे रहा है. यह तय है खक यह मुदृा चुनावी समीकरण को बनाने खबगाड़्ने मे् सफल होगा. बुंदेली समाि यहां की 13 समल्याओ् को लेकर खपछले 168 खदनो् से अन्न त्याग सत्याग्​्ह, अनशन कर रहा है खिसमे् मुख्य खशक्​्ा-खचखकत्सा-खबिली-पखरवहन का मुखय् मुद्ा है. अनशन के दौरान दो बार मुख्यमंत्ी और बीते खदनो्प्​्धानमंत्ी तक ने िनसभाये्

की, मगर यहां के बाखशंदो्की समल्याओ्की अनदेिी कर केवल वोटो्की रािनीखत की. बुंदेलिंड क्​्ेत् की 19 खवधानसभा सीटो् मे् कोई भी ऐसी खवधानसभा सीट नही् है िहां सभी रािनैखतक दलो्ने िनन से िुड़्ेव्यस्कत को मैदान मे् न उतारा हो. िनन क्​्ेत् के िायि-नािायि कारोबार मे् अब खनयत्​्ंण करना प्​्शासन के बस मे् नही् है चाहे पूरे बुंदेलिंड के लोग पलायन कर िाये् मगर िंगलो्-पहाड़्ो्-नखदयो् का अवैध िनन र्कने वाला नही्है. बुंदेली समाि के तारा पाटकार कहते है खक खपछले 168 खदनो् से अन्न त्याग सत्याग्​्ह. अनशन चल रहा है और आगे भी चलता रहेगा. वह कहते है् खक उनकी मांग 13 खबंदुओ् पर के्ख्दत है खिनमे् खशक्​्ाल्वाल्थय् -खबिली-पखरवहन मुखय् मुद्ा है.् इन पर खकसी भी रािनैखतक दल का कोई ध्यान नही्खदिा. बुंदेलिंड के सातो्खिलो्से 32 लाि लोग अपना घर-पखरवार-पशुओ-् िेती बाड़्ी छोड़्कर दो वक्त की ‘रोटी के िुगाड़्’ मे् महानगरो् की ओर पलायन कर गये है्, पलायन का यह आंकड़्ा पल्स पोखलयो् अखभयान के दौरान शासन को भेिा गया.

जहां राम लहर भी रही बेअसर!

अभवनाश कुमार

कािपुर. कानपुर की खबल्हौर खवधानसभा ऐसी सीट है िहां राष्​्ीय पाख्टयि ो्और क्त्े ्ीय पाख्टयि ो्सभी ने िीत दि्थकी है लेखकन भािपा को अब तक यहां सफलता नही्खमल सकी है. गत चुनाव मे्भी पाट्​्ी प्त्य् ाशी को तीसरे ल्थान से ही संतोर करना पड़्ा था. यद्ख्प इस बार पखरस्लथखतयां कुछ अलग है.् ऐसे मे्देिना होगा खक ऊंट खकस करवट बैठता है. खबल्हौर खवधानसभा सीट 1957 मे्बनी और तब लेकर आि तक कई बार पखरसीमन होने के बाद भी सुरख्​्कत सीट के र्प मे्बरकरार है. पहली बार यहां से कांगस ्े की बृिरानी देवी खवधायक बनी थी्. हालांखक पखरस्लथखत अनुकल ू न होने के

हिधान पहरषद चुनाि को लेकर गिमागिमी तेज

संजीव श्​्ीवास्​्व

बुंदेलखंड मे् पलारन मुख्र मुद्ा

खशक्​्को्,प्​्बंधक महासभा,खशक्​्कोत्​्र महासभा प्​्धानाचाय्थपखररद महासभा ने इस चुनाव को िीवन मरण का प्​्श्न बना रिा है खिससे चुनाव रोचक हो गया है. प्​्त्याशी व उनके समथ्क थ मतदाता सूची लेकर प्द् श े के सबसे बड़े चुनावी क्​्ेत् के दंगल मे मतदाताओ्के घर –घर घूम रहे है्. चुनाव आयोग की ओर से ल्नातक मतदाताओ् का मत डलवाने के खलए 300 बूथ की सूची बनायी गयी है. इनमे् ब्लाक मुख्यालय, तहसील मुख्यालय, व नगर पाखलका मुख्यालय शाखमल है्चुनाव प्​्बंधन मे लगे सूत्ो् के मुताखबक 3 फरवरी को संपन्न होने वाले चुनाव की मतगणना छह सात फरवरी को गोरिपुर मे संपन्न होगी चुनावी मुखहम को खनब्ाथध गखत से संपन्न करवाने के खलए प्​्साशन ने पूरी तैयारी कर ली है्.

चलते उन्हे्इस्​्ीफा देना पड़्ा था. इसके बाद कांगस ्े के ही मुरलीधर कुरील ने िीत दि्थकी. भािपा की ल्थापना होने से पहले यानी सन 1980 से पूवथ् यहां कांगस ्े दो बार, संयकु त् सोशखलल्ट पाट्​्ी दो बार, भारतीय क्​्ाखं त दल दो बार और िनता दल सेकय् ल ु र एक बार िीतने मे् कामयाब रहे. सन 1980 के बाद भािपा यहां पर सख्​्कय अवश्य हुई लेखकन िीत उसे तब भी नही् खमल सकी. सन 1985 मे् यहां कांगस ्े िीती िबखक उसके बाद दो बार यह िनता दल के िाते मे्गयची. सन 1993 के बाद से यहां क्म् श: सपा और बसपा िीतती आयी है.् वत्मथ ान खवधायक भी सपा की अर्णा कोरी है.् सन 1992 के राम मंखदर आंदोलन ने भािपा को काफी हद तक लड़्ाई मे्ला खदया पर िीत नही्खदला सका. खपछले चुनाव मे्तो पाट्​्ी ने तीन बार के खवधायक राकेश सोनकर को मैदान पर उतारा पर वह भी इखतहास नही् बना सके. हालांखक केद् ्मे्सरकार होने के बाद यहां पर सदल्यो्की संखय् ा मे्पाट्​्ी ने िर्र बढ्ोत्र् ी की है. पर अब देिना होगा खक 17 वी् खवधानसभा मे्कमल खिल पाता है या नही्?ं ओबीसी व दनलत मुहरखबल्हौर खवधानसभा मे् तीन लाि 74 हिार 412 मतदाता है. खिनममे्सबसे ज्यादा अन्य खपछड़्ा वग्थ है. इसके बाद क्म् श:दखलत,सामान्य व मुसल् लम मतदाताओ् की संखय् ा है. िानकारी के मुताखबक ओबीसी मे्40 हिार कुम्ी,30 हिार यादव, 17 हिार पाल, 16 हिार कुशवाहा, सामान्य मे् 50 हिार ब्​्ाह्मण, 18 हिार क्ख्​्तय, मुसल् लम 33 हिार व दखलत 86 हिार है.् क्त्े ्ीय पान्टय ि ो्का रसूखइस सीट पर कांगस ्े को चार बार िीत खमली वह भी कुल 14 वर्​्ो्ं तक. उसके अलावा यह सीट हर बार क्त्े ्ीय दलो्के िाते् मे्गयी है. िानकारो्का कहना है खक ओबीसी

व दखलत बाहुलय् होने के चलते यहां पर क्त्े ्ीय मुद्े ही छाये रहते है.् खिसके चलते क्त्े ्ीय पाख्टयि ां आसानी से इस वग्थपर पैठ बना लेती हं.ै हालांखक िनता दल को भी िीत खमली पर उसका भी आधार ओबीसी ही रहा है. नवकास की अब भी दरकारक्त्े ्ीय पाख्टयि ो् के खवधायक होने और उनकी प्द् श े मे् सरकार भी होने के बाविूद खकसी ने खवकास की ओर ध्यान नही् खदया. िीत का आधार यहां पर सदैव िाखतगत ही रहा. खिसके चलते आि भी यहां का सूदरू ग्​्ामीण क्त्े ्खवकास के खलए तरस रहा है. हां खनवत्मथ ान सरकार ने इस क्त्े ् से यमुना एक्सप्स ्े बनवा खदया है खिससे लिनऊ पहुच ं ना िर्र आसान हो गया है कौि कब कब जीता 2012 खविेता -अर्ण कुमारी कोरी समािवादी पाट्​्ी-87,804 2007 खविेता-कमलेश चंद् बहुिन समाि पाट्​्ी-52,729 2002 खविेता-खशव कुमार बेखरया समािवादी पाट्​्ी-45,337 1996 खविेता-भगवती प्स ् ाद बहुिन समाि पाट्​्ी-41,898 1993 खविेता-खशव कुमार बेखरया समािवादी पाट्​्ी-45,882 1991 खविेता खशवकुमार बेराय झारिंड पाट्​्ी20,848 1989 खविेता-मोतीलाल दहेलवी ज्वाला दल55,878



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27 जनवरी - 02 फरवरी 2017

दलित छात्​्ा से दुष्कर्म-हत्या पर खारोशी

संजर कुमार

पटिा. खबहार के महागठबंधन सरकार के उपमुख्यमंत्ी तेिल्वी यादव ने पद संभालने के कुछ ही खदनो्बाद पटना के एक अनुसूखचत िाखत-िनिाखत छात्​्ावास िाकर हालात का िायिा खलया था. वहां की बदहाली देिकर उन्हो्ने प्​्देश के सभी अनुसूखचत िाखत-िनिाखत छात्​्ावासो् की बदहाली को दूर करने की बात कही थी. सच्​्ाई यह है खक तब से अब तक कोई समीक्​्ा नही्हुई. वंखचतो्की खहतैरी सरकार उनके सुरक्​्ा-संरक्​्ा मे्नाकाम साखबत होती खदि रही है. इसका िीवंत उदाहरण है रािकीय अम्बेडकर आवासीय अनुसूखचत िाखत िनिाखत आवासीय बाखलका खवद्​्ालय, खदन्धी वैशाली. िहां के छात्​्ावास पखरसर मे् एक छात्​्ा के िून से लथपथ शव नाले मे् खमलने के बाद आवासीय बाखलका उच्​् खवद्​्ालय मे् सन्नाटा पसरा गया. हत्या के बाद दहशत से वहां कोई नही् है. ल्कूल की खशख्​्कका कहती है् खक समझाने के बाद भी अन्य पखरिन नही्माने और नौ िनवरी तक पूरा हॉल्टल िाली हो गया. वैशाली खिले के आसपास के कई खिलो् की गरीब छात्​्ाओ् को पढने के खलए आवासीय खवधालय मे्पढाई करायी िाती है. िहां हिारो् की संख्या मे् बख्​्चयां रह कर पढती है्. घटना के खवरय मे्िैसे ही छात्​्ाओ्

भगरधारी लाल जोशी

के पखरिनो् को िानकारी खमली, सभी पखरिन हॉल्टल पहुंचे. तमाम छात्​्ाओ् के पखरिनो् ने अपने बख्​्चयो् को ल्कूल मे् न पढाने की बात कहकर घर को पलायन करने लगे. सन 1991 मे् िुले इस आवासीय बाखलका खवद्​्ालय के छात्​्ावास पखरसर मे् आठ िनवरी को एक छात्​्ा का िून से लथपथ शव नाले मे्खमला. छात्​्ा वही्चौथे तल्ले पर वह रहती थी. रात 11 बिे तक वह

अपने कमरे मे् सहेखलयो् के साथ बातचीत करते हुए देिी गयी थी. लेखकन अहले सुबह छात्​्ावास के बाहर नाले मे् वह मृत पायी गयी. छात्​्ा 10 साल पहले यानी पहली कक्​्ा से इस छात्​्ावास मे् रह कर पढती थी. इसी साल बोड्थ की परीक्​्ा देने वाली थी. मुिफ्फरपुर के कुढनी थाना क्​्ेत् की रहने वाली छात्​्ा के शरीर पर िख्म और िरो्च के खनशान पाये गये. इससे आशंका िाखहर खक गयी खक बाखलका के साथ दुष्कम्थ कर

पेज 1 का बाकी खदवाकर भट्​्और काशी खसंह एरी अलग हो गये. हालांखक तीन साल बाद दोनो्खफर एक इसकी हत्या कर दी गयी. मृतक छात्​्ा की मां हुए लेखकन खदल नही्खमले. का आरोप है खक बेटी उससे हमेशा बताती थी अलग राज्य के गठन के बाद के्द्ीय की रात मे्हॉल्टल पखरसर मे्बाहर के लड़के अध्यक्​् पद को लेकर दल मे् खफर खववाद घुस कर लड़खकयो् के साथ छेड़छाड़ करने पनपा और इसी खववाद के बीच 2002 का का प्​्यास करते है. इस बात को लेकर वह चुनाव दल ने लड़्ा और उसके चार हॉल्टल मे्रहने को तैयार नही्थी. खवधायक चुने गये. लेखकन इस िीत के बाद दखलत छात्​्ा के मौत की सूचना पर पाट्​्ी मे् खबिराव का खसलखसला शुर् हुआ. खिला प्​्शासन के सभी वरीय पदाखधकारी दल के नेता अपने ल्वाथ्थ मे् लग गये और हॉल्टल पहुंच कर मामले की छानबीन मे् सत्​्ा के खपछलन्गू बन गये. नतीिे मे्2003 िुटे. दखलत छात्​्ा की हत्या के बाद मे्यूकेडी मे्खफर खबिराव हुआ और एरी व आक्​्ोखशत लोगो ने िमकर हंगामा भी खकया. भट्​् का खववाद सामने आया. लेखकन इस घटना के बाद कल्याण पदाखधकारी आनंद बीच सुलह-सफाई का काम भी चलता रहा कुमार और प्​्ाचाय्थ इंदु कुमारी को खनलंखबत और 2005 मे्दोनो्के बीच सुलह हो गयी. कर खदया गया. लेखकन यूकेडी को प्​्देश की नारायण दत्​् इस मसले पर सरकार तो चुप है. खवपक्​् खतवारी सरकार ने अपने तरीके से इस्​्ेमाल भी िामोश है. दखलतो् के िनाधार से खकया और यूकेडी अपने फायदे के खलए खवधानसभा और लोकसभा पहुंचने वाले भी इस्​्ेमाल होते रहे. चुप्पी साधे है्. ऐपवा ने इस मुद्े को लेकर खिन मुद्ो् को लेकर उत्​्रािंड की सरकार को घेरने के खलए िोरदार प्​्दश्थन लड़्ाई लड़्ी गयी वह गौण हो गया और सत्​्ा खकया. ऐपवा की महासखचव मीना खतवारी ने सुि हावी होता चला गया. नतीिे मे् पाट्​्ी खिला प्​्शासन पर मामले को दबाने का की लोकख्​्पयता पर भी सवाल उठे और िो आरोप लगा है और पुखलस महाखनदेशक को ल्पस े भािपा व कांगस ्े ने उसे खदया था धीरेएक ज्​्ापन सौ्प कर हस्​्क्ेप की मांग की है. धीरे वह ल्पेस ित्म होता चला गया. 2007 वही्, राष्​्ीय मखहला आयोग की सदल्या ने के खवधानसभा चुनाव मे् यूकेडी के ल्वतः संज्ान लेते हुए घटना ल्थल पर िाकर खवधायको्की तादाद घट कर तीन रह गयी. इस मुद्े पर खिला प्​्शासन को फटकार बहुमत से दूर रह भािपा ने तब यूकेडी के लगायी. सरकार की ओर से कोई िास पहल समथ्थन से सरकार बनायी और यूकेडी का नही्होना सवाल िड़ा कर िाता है. सरकार का खहल्सा बन गया. यानी खिन मुद्ो् को लेकर वह भािपा से लगातार लड़्ता रहा, सत्​्ा को पाने के खलए उसने उन मुद्ो् से समझौता कर खलया. यूकेडी नेताओ्मे्इस मुद्े पर एका नही् थी इखसलए उनमे् आपस मे् ही ठन गयी. लगाने वाले युवा को आख्थथक सहायता के नतीिा यह हुआ खक 2010 मे् यूकेडी खफर वास्​्े500 करोड़ र्पये का एक कोर बनाया टूट गया. दल के अध्यत्​् त्​्वे्द् पंवार ने है. 12वी्के बाद आगे की पढाई के खलए चार सरकार से समथ्थन वापस लेने का फैसला लाि का ल्टूडे्ट के्खडट काड्थ, कुशल युवा खकया लेखकन खदवाकर भट्​् अड़् गये और काय्क थ म् के तहत 20 से 25 साल आयु वाले सरकार मे् मंत्ी बने रहे. नतीिा दल टूट 10 वी् पास को कम्प्यूटर , भारा और गया. तब दोनो् दल एक-दूसरे को असली व्यवहार खलए दो अक्टूबर से खनबंधन और कहते रहे. बाद मे यूकेडी के भट्​् गुट मे् भी परामश्थकेद् ्ो्की ल्थापना कर लागू कर खदया खववाद हुआ और खदवाकर भट्​्और लक्​्मण है. सरकारी कालेि और खवश्​्खवद्​्ालय मे् खसंह चुफाल दल से अलग हो गये. 2012 मुफ्त वाईफाई सुखवधा दी िा रही है. वे बोले को हुए चुनाव मे्पाट्​्ी को एक ही सीट खमली ल्टूडे्ट अपने ज्​्ान की बात डाऊनलोड करे लेखकन िीते खवधायक भी अपने को यूकेडी न खक खफल्म. मेरी नज़र सब िगह है. खबहार का नही्मानते है्. इस चुनाव के बाद भी दल की उन्नखत के खलए काम करे. तो आने वाले के टूटने और खबिरने का खसलखसला िारी सालो्मे्खबहार खवकखसत राज्य की खगनती मे् रहा. आ िायेगा. अगले 4 साल मे्हरेक घर नल 2013 काशी खसंह एरी और ख्​्तवे्दर का िल, शौचालय, पक्​्ी गली, नाली का पंवार अलग हुए हालांखक बाद मे् दोनो् खनम्ाथण और खबिली का कनेक्शन का काम साथ हो गये. अलग होने के बाद ख्​्तवे्दर पूरा हो िायेगा. ये योिना सभी के खलए है. पंवार ने यूकेडी (पी) बनाया था लेखकन उन्हो्ने लोगो् से अपील की खक धैय्थ बनाये 2014 मे्इसमे्भी दो फाड़्हुआ और पंवार रिे्. व ए.पी. िुयाल अलग हो गये. लेखकन मुख्यमंत्ी के भारण का तात्पय्थ अपनी दल के नेताओ् ने इससे खकसी तरह का सरकार के काम खगनाना और शराबबंदी के सबक नही्सीिा. 2015 मे्एरी और पंवार बाद खबहार को नशामुस्कत की ओर ले िाना गुट एक हुए लेखकन दल के अखधवेशन से ही रहता है. मगर उनकी ओर से बनाई पहले ही दोनो् खफर से अलग हो गये. इस मानव कतार से खवरोधी दल िासकर कलह से यूकेडी का काफी नुकसान हुआ. एनडीए नदारद रहा. पता नही्नीतीश कुमार मामला चुनाव आयोग तक पहुंचा और ने उन्हे्न्योता नही्खदया या खफर वे आये नही्. आयोग ने पुष्पेश को दल का अध्यक्​्मानते यखद बुलावा नही् भेिा तो यह भूल है. हुए उन्हे्दल का चुनाव खचन्ह कुस्ी सौ्प कर रािनैखतक हलको मे् भी चच्ाथ है खक इसे यूकेडी को राहत तो दी है लेखकन लोगो् के सरकारी मुलाखिमो् के भरोसे अमली िामा भरोसे पर दल िरा उतर पायेगा इसमे्शक पहनाया गया. है.

नशामुक्ति की राह पर मजबूि कदम

गांव-गांव घर-घर टोले तक अलि िगाना खबहार ने नशामुस्कत की ओर मिबूत है.' इस पर मंच पर बैठे मुख्यमंत्ी ताखलयां पहलकदमी कर दी है. 21 िनवरी को सूबे लगातार तब तक बिाते है्. िब तक गीत मे् बनी 11292 खकलोमीटर लंबी मानव ित्म न हो गया. सभा मे् आई िीखवका की श्ि ्ृं ला नशा मुसक् त अखभयान की शुरआ ् त है. दीदीयो्भी ताखलयां बिा उनका साथ देती है. सूबे के चार करोड़ लोगो् ने इसमे् खशरकत यह उनकी हर सभा मे्देिने को खमलता है. कर यह पैगाम खदया. नशा मुस्कत मुखहम दो 28 से 31 िनवरी को नौवे् चरण की यात्​्ा महीने यानी 22 माच्थ खबहार खदवस तक है. इस दौरान वे नवादा, अरवल, गांव-गांव शहर-शहर तक लगातार चलेगा. िहानाबाद, औरंगावाद, गया, बक्सर, आरा, और अगले दो महीने मे् ताड़ी भी बंद होगी. छपरा, सीवान और गोपालगंि नशा मुस्कत मुख्यमंत्ी का कहना है खक लोग ताड़ी की का अलि िगाये्गे. नीतीश कुमार अपनी सभाओ् मे् िगह नीरा खपये्तो सेहत भी ठीक रहेगी. वह अपनी चेतना यात्​्ा के दौरान इसे हर मखहलाओ्की ओर मुिाखतब होकर बोलते है सभा मे् दोहराते है. और िहां सभा होती है खक शराबबंदी सांप्दाखयक सदभाव का भी वहां के महागठबंधन खवधायक, संसद, पार्दथ प्​्तीक है. यह सभी धम्थ, िाखत के खलए है. भी सभी शराबबंदी पर उनकी बड़ाई मे् मानव श्​्ृंिला ने नशा मुस्कत, शराबबंदी के कसीदे पढते है. सभा मे् मखहलाओ् की खहमायत मे् एक िुटाता का संदेश खदया है. तायदाद काफी रहती है. भागलपुर, मुंगेर, इससे झारिंड, उत्​्रप्​्देश और हखरयाणा से बांका की सभा मे् तो यही निारा खदिा. शराब लाकर दो नंबर धंधा करने वालो् का भागलपुर की सभा मे् एक अिूबी बात यह भी मनोबल चूर होगा. खबहार हमेशा देश को खदिी खक मंच और पंडाल नीले और सफेद नयी खदशा खदया है. नशामुस्कत मे् भी खवश्​् रंग वाली पट्​्ी के कपड़े से बना था. िो को संदेश देगा. इसमे्मखहलाओ्की भूखमका बहुिन समाि के झंडे का रंग है. केवल अग्​्णी है. खिनने शराब छोड़ा है वे खकसी हाथी खनशान की कमी थी. यह बात समझ से दूसरे मादक पदाथ्थ का सेवन नही् कर रहे. परे थी. हालांखक मंच पर नीतीश कुमार के इसका ध्यान रिना िर्री है. उन्हो्ने बाकायदा आंकड़ा पेश कर फोटो और तीर खनशान वाले चुनाव खचंह शराबबं दी के फायदे खगनाते है. पहली अप्​्ैल वाला बैनर लगा था. 2016 के बाद खबहार मे् घरेलू खहंसा के 70 िीखवका की दीदीयो्और मखहलाओ्को फीसदी की कमी आयी है. हत्या और डकैती शराबबंदी पर िागर्क करने के वास्​्े मे ् 23 फीसदी, लूट और सड़क दुघ्थटना मे् नुक्ड़ नाटक और लोकगीत टोली गाती है. 'दार् बंदी कानून को घर-घर पहुंचाना है, 19 फीसदी और दंगा मे् 33 फीसदी,

अपहरण मे् 42 फीसदी की कमी आई है. खवरोधी कहते है शराबबंदी से 5000 करोड़ र्पये के रािल्व का नुकसान हुआ. लेखकन मेरा मानना है 10000 करोड़ र्पये का फायदा हुआ. वे बताते है्खक सात महीनो्के दौरान 11 फीसदी दूध की िपत बढी. 44 फीसदी रेडीमेड कपड़ो्की खबक्​्ी मे्इिाफा हुआ. खसलाई मशीन की 19 फीसदी और घरेलू उत्पादो् की खबक्​्ी मे् 22 फीसदी बढोतरी हुई. सबसे बड़ी बात खक शराबबंदी से लोगो् का व्यवहार बदला और घर का माहौल िुशहाल हुआ. मुख्यमंत्ी ने कहा खक उनकी सरकार ने मखहला सशक्तीकरण की ओर ठोस कदम उठाया. लड़खकयो् को साइखकल पोशाक खदये. नतीितन ल्कूल िानेवाली लड़खकयो् की तादाद एक लाि 70 हिार से बढकर आि आठ लाि 15 हिार हो गयी. िाखहर है इनके अरमानो् को पंि लगे. खबहार सरकार की नौकखरयो्मे्35 फीसदी आरक्ण ् का लाभ खदया. पंचायती राि, ल्थानीय खनकाय मे् 50 फीसदी आरक्​्ण का फायदा खदया. और भी कई योिनाये्चल रही है. मगर युवाओ् के सात खनश्​्य मे् पांच उन्ही्के खलए है. खबहार मे्युवाओ्की संख्या सबसे ज्यादा है. इसी को मद्न्े िर हरेक खिले मे् एक इंिीखनयखरंग कालेि, पालीटेस्कनक, और एक मखहला आईटीआई िोलने का फैसला खलया है. साथ ही सूबे मे् पांच नये मेखडकल कालेि िोले िाये्गे. इसके खलए काम तेिी से चल रहा है. अपना उद्​्ोग

यूकेडी के वजूद का...


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फ्जल इमाम मल्ललक

प्​्ो

कुशत् ी लीग का दूसरा संलक ् रण चमकदार नही्रहा. वैसे भारतीय कुशत् ी महासंघ अपनी पीठ थपथपा सकता है लेखकन पहले संलक ् रण मे् खिस तरह का उत्साह था वह इस बार देिने को नही्खमला. यह सही है खक खवदेश के बेहतरीन पहलवानो् ने इस प्​्ो रेसखलंग लीग मे् खहल्सा खलया. ओलंखपक व खवश्​्खविेताओ्ने अपने बेहतरीन दांवपेच ् से लोगो्को रोमांखचत भी खकया. लेखकन भारतीय पहलवानो्का िलवा तो इस प्​्ो रेसखलंग लीग मे् नही् ही खदिा. यूं भी सुशील कुमार और योगेशर् दत्​् िैसे नामचीन खिलाख्ड़यो् की गैरमौिूदगी ने इस प्​्ो कुशत् ी लीग के रंग को फीका कर खदया था. नरखसंह यादव डोप के बाद चार साल का प्ख्तबंध झेल रहे है्और वे भी इस लीग का खहल्सा नही्थे तो इसके बाद कुशत् ी की तो कल्पना ही नही्की िा सकती. भारतीय मखहला पहलवानो्ने भी मायूस खकया. साक्​्ी मखलक और गीता फोगाट चोखटल होने के बहाने अिाड़्ेसे दूर ही रही्. दरअसल दोनो् ही मखहला पहलवान खवदेशी पहलवानो् से खभड़्ने से बचने के खलए लगातार बहाने तलाशती रही्. वन्ाथ ऐसा नही् था खक दोनो् इतनी चोखटल थी् खक लीग मे् कुसश् तयां नही् लड़्पाती्. दंगल खफल्म के बाद फोगाट बहनो् का ध्यान अिाड़्ेसे ज्यादा टीवी पर आने को लेकर लगा रहा. अब ये भखवष्य मे्कोई बहुत बड़्ा कमाल कर पायेग् ी इसकी उम्मीद भी कम ही है. भारतीय पहलवानो् का प्द् श्नथ इस कुशत् ी लीग मे्कैसा रहा, इसे आंकड़्ो्से ही समझा िा सकता है. भारतीय और खवदेशी पहलवानो्के बीच लीग मे्67 मुकाबले हुए और भारतीय पहलवानो् ने खसफ्फ आठ मुकाबले िीते. इससे ही भारतीय कुशत् ी के भखवष्य को समझा िा सकता है. दरअसल बृिभूरण शरण खसंह के अध्यक्​्बनने के बाद भारतीय कुशत् ी महासंघ मे्खसयासी कुसश् तयां ज्यादा देिने को खमलने लगी है् और कुशत् ी कम. इस बार प्​्ो लीग के मुकाबले मे्द्​्ोणाचाय्थ महाबली सतपाल सखहत कई िाने-माने चेहरे खदिाई नही्खदये. ओलंखपक मे्िाने को लेकर सुशील बनाम नरखसंह खववाद मे् कुशत् ी महासंघ की भूखमका खिस तरह की रही थी, उससे महासंघ पर अंगखु लयां उठी्और महासंघ के अध्यक्​्के तौर-तरीको्व नीयत पर सवाल िड़्ेहुए. यह सवाल अब भी बरकरार है. प्​्ो रेसखलंग लीग मुकाबलो् के दौरान ये सवाल और भी खशद्त् के साथ सामने आये. आने वाले खदनो्मे्कुशत् ी खकस खदशा मे्िायेगी, लीग मे् भारतीय पहलवानो् के प्द् श्नथ से यह साफ होता है. कुशत् ी के नाम पर लीग मे् बाबा रामदेव के तमाशे ने तो इस लीग की चमक को और भी फीकी खकया. ठीक है बाबा रामदेव ने इस लीग को प्​्ायोखित खकया था लेखकन उनकी कुशत् ी प्​्ायोखित करने की महासंघ को खकसने से सलाह दी, यह समझ से परे रहा. कुशत् ी के नाम पर अगर इस तरह की नौटंकी होती रही तो हो गया कुशत् ी का भला. इन सबके बीच पंिाब रायल्स ने कांटे के मुकाबले मे् हखरयाणा हैमस्थको 5-4 से हरा कर प्​्ो कुशत् ी लीग के दूसरे संलक ् रण का खिताब िीता और दो करोड़्र्पये की इनामी रकम भी. हखरयाणा की टीम दूसरी बार उपखविेता बनी और उसे एक करोड़्र्पये की

27 जनवरी - 02 फरवरी 2017

पंजाब के पहलवानो् ने मारा मैदान

इनामी रकम खमली. पहले सीिने मे्हखरयाणा को मुबं ई ने हराया था. हखरयाणा इस लीग मे् खबना एक भी मुकाबला गंवाये फाइनल मे् पहुच ं ी थी. लीग मे्उसने पंिाब की चुनौती 52 से तोड़्ी थी और तब भारत के संदीप तोमर ने ओलंखपक व खवश्​् चैख्पयन व्लादीखमर नचेगशखबली की चुनौती तोड़्ी थी. सेमीफाइनल मे्हखरयाणा ने ियपुर को और पंिाब ने मुबं ई को हरा कर फाइनल मे्िगह बनायी थी. प्​्ो रेसखलंग लीग को भारतीय पहलवानो् के खलए बड़्ा मंच कहा िाता रहा है. यह गलत भी नही् है. खवदेश के चोटी के पहलवानो् के साथ उन्हे् िम ठोकने के मौके खमलते है् लेखकन भारतीय पहलवान इस मौके को अपने पक्​्मे् नही् कर पा रहे है.् खवदेशी पहलवान उन्हे् उनकी ही धरती पर धूल चटा रहे है.् िाखहर है खक इससे लीग का आकर्ण थ कम हुआ है. बबीता खवदेशी पहलवान सोखफया के सामने नही्खटक पायी्और वे बाई फाल हार कर अपनी प्ख्तष्​्ा को बचा नही् पायी्. फाइनल मे् भी नौ मे् से छह कुशत् ी खवदेशी पहलवानो् के नाम रही्. साक्​्ी मखलक

थे िबखक ओलंखपक व खवश्​् चैख्पयन व्लादीखमर पंिाब टीम के कप्तान थे. इस मुकाबले मे्सभी को उम्मीद थी खक व्लादीखमर को अपना मुकाबला िीतने मे्कोई परेशानी होगी. लेखकन दो बार के भारतीय राष्​्ीय ओलंपिक में जाने को लेकर चैनही् ख्पयन संदीप ने कमाल का खडफेस ् खदिाया सुशील बनाम नरपसंह पि​िाद और व्लादीखमर को हावी होने का कोई मौका में कुशंती महासंघ की भूपमका नही्खदया. पहले राउंड मे्हालांखक संदीप एक खकन दूसरे राउंड मे्उन्हो्ने पजस तरह की रही थी, उससे अंएककअंसेकपीछेलेकथेर लेबराबरी हाखसल की और खफर महासंघ िर अंगुपलयां उठीं शानदार दांव लगाते हुए दो अंक लेकर बढ्त ली. व्लादीखमर ने काफी कोखशश की और महासंघ के अधंयकं​ं के बना लेखकन संदीप ने उन्हे्वापसी करने का कोई तौर-तरीकों ि नीयत िर मौका नही्खदया. संदीप ने व्लादीखमर को 3-1 से हराकर अब तक का सबसे बड़्ा उलटफेर सिाल खडंे हुए. यह सिाल खकया. भारतीय कुशत् ी के इखतहास मे्यह पहला अब भी बरकरार है. मौका है िब खकसी भारतीय पहलवान ने मौिूदा खवश्​् और ओलंखपक चैख्पयन को ओलंखपक और खवश्​् चैख्पयन िाख्ियथ ा के पराखित खकया है. इस मुकाबले के अलावा व्लादीखमर नचेगशखबली को 57 खकग्​्ा वग्थमे् भारतीय पहलवानो् ने लीग मे् खवदेशी हराकर लीग का सबसे बड़्ा उलटफेर खकया. पहलवानो् के खिलाफ कोई और बड़्ी खरयो ओलंखपक मे् खहल्सा ले चुके संदीप प्​्ो कामयाबी हाखसल नही्की. फाइनल मे्पंिाब रायल्स ने खपछड़्ने के लीग मे्हखरयाणा हैमस्थका प्ख्तखनखधत्व कर रहे

हखरयाणा हैमस्थकी मारवा आमरी के खिलाफ अिाड़्मे्नही्उतरी्. लेखकन भारत के संदीप तोमर ने हैरतअंगि े प्द् श्नथ करते हुए

खेल डायरी

अशोक दवहार को प्​्ेदिदियम कप का दि्ताब

आकर्थण मल्होत्​्ा के शानदार िेल की बदौलत (47 रन और 24 रन देकर दो खवकेट और गोयम िैन की उम्दा गेद् बािी (14 रन पर दो खवकेट) की मदद से अशोक खवहार

िवाब मे्गुडग़ांव की टीम सात खवकेट पर 67 रन ही बना सकी. गोयम िैन को श्​्ेष्गे्दबाि, सारांश बुख्दरािा को श्​्ेष्ï बल्लेबाि और आकर्थण मल्होत्​्ा को मैन ऑफ़् द मैच और मैन ऑफ़् द टूनाम्​्ेट का पुरल्कार ख्​्ककेटर उन्मुक्त चंद ने प्​्दान खकया. इस अवसर पर ल्कूल की िेल खनदेशक मीना िोशी ने धन्यवाद ज्​्ापन खकया.

मदहला फुटबॉल लीग की शुर्आत

ल्कूल ने गुडगांव को 15 रन से हराकर अंतर प्​्ेखसखडयम ख्​्ककेट चै्खपयनखशप का खख़्ताब िीत खलया. पहले िेलते हुए अशोक खवहार ने छह खवकेट िोकर 82 रन बनाये.

बाद शानदार वापसी करते हुए हखरयाणा हैमस्थ को 5-4 से हरा कर खिताब पर कब्िा िमाया. सात मुकाबलो्तक हखरयाणा 4-3 की बढ्त लेकर खिताब िीतने के करीब थी, लेखकन खनम्ल थ ा देवी और खितेद् ्ने अंखतम दो मुकाबले िीत कर पंिाब को चैख्पयन बना खदया. मुकाबले के पहले मैच मे् खवश्​् चैख्पयनखशप के रित खविेता र्स के अब्दस ु लाम गैदीसोव ने 97 खकलोग्​्ाम मे् पंिाब के कृषण ् कुमार को मात्​्दो खमनट 26 सेकडं मे्ही धूल चटा दी. गैदीसोव के 15-0 की बढ्त बनाने के साथ ही तकनीकी श्ष ्े त् ा के आधार पर यह मैच समाप्त हो गया. ओलंखपक कांलय् पदक खविेता ट्ख्ूनखशया की मारवा अमरी ने मंिू कुमारी को 58 खकलोग्​्ाम मे्12-0 से पीट कर हखरयाणा को 2-0 से आगे कर खदया. तीसरा मैच िबद्स थ ्रहा और पंिाब की तरफ से िेल रहे खवश्​् और ओलंखपक चैख्पयन व्लादीखमर खिनचैगखशवली ने 57 खकलोग्​्ाम मे्संदीप तोमर को 3-0 से हरा कर लीग मैच मे् खमली हार का बदला चुकता खकया. मुकाबले के चौथे मैच मे् खवश्​् चैख्पयनखशप के ल्वण्थ खविेता मैगोमैद कुबा्नथ ालीव के सामने 70 खकलोग्​्ाम मे्पंिाब के पंकि राणा थे. मैगोमैद ने 55 सेकडं मे्ही राणा को खचत कर खदया लेखकन पंिाब के खवरोध पर यह फैसला बदला गया. मैगोमैद ने आखिर यह मैच 9-4 से िीत खलया. पंिाब की वेखसखलसा माि्ालथ य् क ू ने हखरयाणा की खकरण को 75 खकलोग्​्ाम मे्5-0 से हरा कर पंिाब को मुकाबले मे्वापस लाया. खफर खवश्​्कप के रित खविेता इखलयास बेकबुलातोव ने रिनीश को मात्​्57 सेकडं मे्तारे खदिा खदये. इखलयास ने 43 सेकडं मे्ही 12-0 की बढ्त बना ली थी. रिनीश की मांसपेखशयो् मे् खिंचाव आ गया और उन्हो्ने 57 सेकड ं के बाद मैच छोड़्खदया. इखलयास ने यह मैच 130 से िीता. पंिाब ने इसके साथ ही 3-3 से बराबरी कर ली. ओलंखपक कांलय् खविेता सोखफया मैटसन ने पंिाब की ओडुनायो को लीग की पहली खशकस्​्का ल्वाद चिाते हुए हखरयाणा को 4-3 से आगे कर खदया. ओडुनोये ने लीग के पहले सत्​्मे्भी एक भी मुकाबला नही् गंवाया था. पंिाब ने वापसी करते हुए आखिरी दो मैचो् मे् िीत हाखसल की और पहली बार यह खिताब अपने नाम खकया.

भारत मे् मखहला फुटबॉल को बढ्ावा देने के खलए अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने 24 िनवरी को इंखडयन वुमे्स लीग (आईडब्ल्यूएल) की शुर्आत की है. लीग मे् छह टीमे् खिताब के खलए खभड़्े्गी. खमिोरम का ऐिल फुटबॉल क्लब, पुड्चेरी का िेखपयार, कटक का राइखिंग ल्टुडे्ट्स क्लब, मखणपुर का ईल्टन्थ ल्पोख्टा्ग यूखनयन, महाराष्​्का पुणे खसटी और हखरयाणा के फुटबॉल क्लब अलिपुरा की टीमे्खहल्सा इस साल मखहला

लीग का खहल्सा हो्गी्.लीग की शुर्आत की घोरणा करते हुए एआईएफएफ अध्यक्​् प्​्फुल्ल पटेल ने कहा खक भारत मे् मखहला फुटबॉल को बढ्ावा देने के खलए यह लीग शुर् की गयी है. उन्हो्ने कहा खक संघ देश की 50 प्​्खतशत िनसंख्या को भी मौका देना चाहता है. भारतीय मखहला फुटबॉल टीम की खवश्​् रै्खकंग 54 िबखक पुर्र टीम की 129 है. ऐसे मे्हमारे पास मखहला खवश्​्कप मे्पुर्र वग्थ से पहले क्वालीफाई करने का अच्छा मौका है.


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मनीष वैद्

पय्ा​ावरण

27 जनवरी - 02 फरवरी 2017

बंजर जमीन पर उगारा जंगल

खक

सान हर साल बाखरश के दौरान इन िमीनो् पर सैकड़ो् की तादाद मे् सागौन और िमेर सखहत अन्य िंगली वृक् प्​्िाखत के पौधे लगाते है् और उन्हे् बड़ा करते है्. कई गांवो् मे् िेतो् की फसल की तरह बड़े और ऊंचे-ऊंचे पेड़ एक कतार मे् िड़े निर आते है्. ज्यादातर ल्थानो् पर ये तीन से चार हेक्टेयर तक खकसी िंगल के िेत का-सा आभास देते है्. इस तरह देिते-ही-देिते इलाके मे्िहां कभी सूिी और नंगी िमीन निर आती थी, वहां अब िंगल लहलहाता निर आता है. करीबकरीब हर गांव मे् खकसानो् के िेतो् के आसपास िंगलो्से लगी हुई बड़ी तादाद मे् परती िमीन व्यथ्थही पड़ी रहती है. गांव के लोग इसका यदा-कदा ही कोई उपयोग करते है्. लेखकन कुछ खकसान इस िमीन का भी व्यवस्लथत उपयोग कर अब मुनाफा कमा रहे है्. क्या आप भी अपनी परती िमीन का ऐसा उपयोग करना चाहे्गे. मध्य प्​्देश के देवास खिले की तीन तहसीलो् सतवास, िातेगांव और कन्नौद के करीब 700 से ज्यादा खकसानो् ने इस नवाचार को अपनाया है और कुछ सालो्की मेहनत के बाद अब वे मुनाफा कमाने की स्लथखत मे्आ चुके है्. दरअसल देवास खिले की इन तहसील क्​्ेत् मे् सागौन और अन्य वृक्ो् के बड़े इलाके मे् फैले समृद् वन है्. इस िंगली इलाके के पास लगे गांवो् के खकसानो् ने इसे सबसे पहले अपनाया है. अपने िेतो् के आसपास िाली और बंिर पड़ी िमीन पर खकसानो्ने करीब 15 साल पहले सागौन और िमेर के पौधे लगाना शुर् खकये थे, िो अब पेड़ बनकर लहलहा रहे है्. खकसानो्ने इसके खलये वन खवभाग के अखधकाखरयो् से बात की तो उन्हो्ने इन्हे् िरीदने मे् र्खच खदिायी. खकसान अब इनका कुछ खहल्सा काटकर वन खवभाग को बेच रहे है्. इससे इन्हे्िासा मुनाफा खमल रहा है. कन्नौद के प्​्ेमनारायण पटेल कहते है्, ‘उन्हो्ने 1997-98 मे् इलाके के कुछ खकसानो् के साथ खमलकर लोक वाखनकी

खकसान सखमखत के माध्यम से बंिर पड़ी िमीनो् पर िंगल उगाने का सपना देिा था. शुर्-शुर्मे्लोग उन्हे्संदेह की निर से देिते थे. उन्हे्नही्लगता था खक खकसान िंगल उगा सकता है, लेखकन धीरे-धीरे लोग उनके साथ िुटते गयेऔर अब तो करीब 50 गांवो् के 700 खकसान इस काम मे्िुटकर िंगल की िेती कर रहे है्. ये तहसीले्अपनी वन सम्पदा के खलये पहचानी िाती है्. इन तहसीलो् के 50 ऐसे गांवो् को खचन्हांखकत खकया गया, खिसकी सीमाये् वन क्​्ेत् के साथ िुड़्ती हो्. वहां गांव के आसपास रािल्व भूखम के साथ बड़ी तादाद मे्वन भूखम बंिर पड़ी हुई थी. इसका कोई व्यवस्लथत उपयोग न तो गांव वाले कर पा रहे थे और न ही वन खवभाग के पास खफलहाल इस िमीन को िंगल बनाने की कोई योिना थी. इसे खकसानो्ने वन खवभाग

से पट्​्ेपर लेकर िंगल उगाना शुर्खकया. अब खकसान हर साल बाखरश के दौरान इन िमीनो्पर सैकड़ो्की तादाद मे्सागौन

देिास पजले के कुछ पकसानों ने बंजर िडंी जमीन िर फसल की तरह जंगल लगा डाले. अब ये इन पकसानों को मुनाफा भी पंदं ान करने लगे है.ं और िमेर सखहत अन्य िंगली वृक् प्​्िाखत के पौधे लगाते है् और उन्हे् बड़ा करते है्. कई गांवो् मे् िेतो् की फसल की तरह बड़े और ऊंचे-ऊंचे पेड़ एक कतार मे् िड़े निर आते है्. ज्यादातर ल्थानो् पर ये तीन से चार हेक्टेयर तक खकसी िंगल के िेत का-सा आभास देते है्. इस तरह देिते-ही-देिते इलाके मे् िहां कभी सूिी और नंगी िमीन निर आती थी, वहां अब िंगल लहलहाता निर आता है. िंगलो् पर आख्​्शत रहने वाले आखदवासी और अन्य समाि के लोग भी इससे िुश है्, इससे उन्हे्वनोपि खमल रही है. 1997-98 के दौर मे् मध्य प्​्देश के तत्कालीन मुख्यमंत्ी खदस्नविय खसंह ने सबसे पहले सामाखिक वाखनकी के साथ इलाके के खकसानो् को िोड़ने का सपना देिा था. उन्हो्ने इसका िाका भी तैयार खकया था. उनके बाद सत्​्ा मे् आये मुख्यमंत्ी खशवराि खसंह चौहान ने भी इसे महत्​्वपूण्थ मानते हुए िारी रिा. तब से लेकर अब तक के 15-18 सालो् मे् परती भूखम पर िंगल उगाने का रकबा भी धीरेधीरे बढ रहा है. इसमे् सबसे बड़ी अड़चन थी खक पेड़ो्

के बड़े होने पर उनकी कटाई-छंटाई या लकड़ी काटने के खलये सरकारी अनुमखत बहुत मुस्शकल से खमलती थी. तब इसकी अनुमखत के खलये उन्हे् खिला कलेक्टर के काय्ाथलय तक बार-बार िाना होता था लेखकन 2004-05 मे् सरकार ने इस व्यवल्था मे्सुधार करते हुए इसकी अनुमखत को सरल बनाकर संबंखधत तहसीलो् के तहसीलदार को ही अखधकृत कर खदया है. इससे बीते 10-11 सालो् मे् खकसानो् का झुकाव इसके प्​्खत तेिी से बढ्ा है. कन्नौद मे् पदल्थ वन खवभाग के एसडीओ प्​्दीप पाराशर कहते है्, ‘यह एक बहुत अच्छा नवाचार साखबत हुआ है. खकसान पेड़ो् को बड़ा करने के खलये बड़ी मेहनत करते है्. साथ ही िंगल उगने के काम से उनमे् मनोवैज्ाखनक बदलाव भी आया है. अब वे िंगल उिाड़ने वालो् को

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बख्शते नही् है. यहां वन खवभाग के अमले के साथ ग्​्ामीण भी िंगल बचाने मे् पूरी तरह िुटे रहते है्. िब कभी हमारे खवभाग के उच्​्अखधकारी दौरे पर आते है्और इस काम को देिते है् तो वे भी इससे प्​्भाखवत हुए खबना नही्रहते. अब वे इसे अन्यत्​्लागू करने पर भी गम्भीरता से खवचार कर रहे है्.’ ग्​्ामीण बताते है् खक यह उनके खलये फायदे का सौदा है. वन खवभाग की िमीन पर हम िो पेड़ लगाते है्, उस पर हमारा हक होता है. कुछ सालो् मे् यहां िब पूण्थ पेड़ बन िाता है तो इसकी कटाई-छंटाई से िो लकड़ी खमलती है, वह वन खवभाग िरीदकर उसका नगद भुगतान कर देता है. गौरतलब है खक सागौन की इमारती लकड़ी बािार मे् काफी ऊंची कीमत पर खमलती है. इसका भाव ज्यादा होने से उन्हे् अच्छी-िासी रकम खमल िाती है और पेड़ खफर भी िड़ा रहता है, खिससे आने वाले सालो् मे् खफर लकड़ी खमल सकती है. वे बताते है् खक 15 साल पहले खिन खकसानो् ने अपने पेड़ लगाये थे, उन्हे् इस साल िासा मुनाफा खमल रहा है. इसके खलये पेड़ के बड़े होने पर आवेदन वन खवभाग और तहसीलदार काय्ाथलय मे्खदया िाता है. वहां से पटवारी, तहसील का प्​्खतखनखध और वन खवभाग के कम्थचारी सव्​्े कर पेड़ो् की स्लथखत का आकलन करते है् और सही पाये िाने पर इन्हे् वन खवभाग िुद िरीद लेता है या लकड़ी काटने की अनुमखत देते है्. काटी गयी लकड़ी को खनध्ाथखरत दर से वन खवभाग िरीद कर अपने खडपो मे्िमा कर लेता है. इस इलाके मे् यह नवाचार अब खकसानो् को भाने लगा है. िैसे-िैसे आसपास के खकसान इन्हे्देि रहे है्, वैसेवैसे वे भी अब इस काम मे् िुटने का मन बना रहे है्. इससे एक तरफ िहां िंगल खवकखसत हो रहा है, वही् आसपास के िंगलो् की खकसानो् से सुरक्​्ा हो िाने पर िंगलो् को नुकसान पहुंचाने वाले असामाखिक तत्वो् और लकड़ी माखफया से भी सुरक्​्ा खमल रही है. (इंनडया वाटर पोट्टल)


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अंबरीश कुमार मािवादी पाट्​्ी और कांग्ेस के बीच अंततः गठबंधन हो ही गया. यह तभी संभव हुआ िब मुलायम खसंह यादव को अखिलेश ने पाट्​्ी का रहनुमा बना कर रािनैखतक ताकत ले ली. अब अखिलेश का दूसरा दौर शुर् हो रहा है. मुलायम खसंह यादव के पाखरवाखरक कलह के पीछे एक विह समािवादी पाट्​्ी की रािनीखत का खवस्​्ार भी था. मुलायम खसंह अखिलेश की उस रािनीखत से सहमत नही् थे खिसमे पाट्​्ी के कोर वोट बैक ् यादव और मुसलमानो्के अलावा दूसरो् पर भी ध्यान खदया िाये. अखिलेश यादव को खपछले खवधान सभा चुनाव मे् सपा के कोर वोट बैक ् के अलावा अगड़ी िाखतयो्का भी वोट खमला था क्यो्खक उन्हो्ने पाट्​्ी की परंपरागत रािनैखतक धारा को बदलने का प्​्यास खकया था. एक दौर मे् समािवादी कंपय् टू र के खिलाफ थे और इससे उन्हे् बेरोिगारी बढने की आशंका थी. उस दौर मे् यह सही भी था. पर समय बदला लेखकन िातीय गठिोड़ पर िड़ी समािवादी पाट्​्ी ने अपनी रािनीखत मे्कोई बदलाव नही् खकया. इसी विह से उसके वोट बै्क मे् खवस्​्ार कम हुआ. समािवादी पाट्​्ी को न कभी पूणथ्बहुमत खमला न मुलायम खसंह कभी पांच साल का काय्क थ ाल पूरा कर पाये.

27 जनवरी - 02 फरवरी 2017

अखिलेश का दूसरा दौर

भिरदौस खान

कां

अखिलेश ने अपने लैपटाप अखभयान के िखरये अगड़ी िाखतयो् के युवाओ् को भी लुभाया. बाद मे सत्​्ा मे्आने के बाद उन्हो्ने खवकास के उन मुद्ो्पर ज्यादा फोकस खकया खिसे मध्यवग्​्ीय समाि ज्यादा पसंद करता है. मसलन मेट्ो, एक्सप्स ्े वे से लेकर आईटी हब तक. इस तरह की और भी कई योिनाओ्पर उन्हो्ने फोकस खकया. कुछ मे्काम हुआ तो

शुर्आत तो हो चुकी है. इसी विह से अखिलेश यादव अबतक के सभी सव्​्ेमे्लोगो् की पहली पसंद बने हुये है्. वे कोई समािवादी एिेड् ा पर नही् चल रहे है् न ही उनके खवचार या काय्थक्मो् से कोई ऐसी उम्मीद लगा सकता है. पर शहरी मध्य वग्थ और ग़रीबो्के खलये कुछ योिनाये्शुर्हुई है् िासकर खशक्​्ा और ल्वाल्थ्य के क्​्ेत् मे्. उम्मीद है उन्हो्ने िो घोरणा पत्​्िारी खकया है उसपर अमल होगा. खफर भी तखमलनाडु मे् खिस तरह ियलखलता ने खनम्न मध्यम वग्थ को खसलाई मशीन खमक्सी और वाखशंग मशीन आखद देकर अपनी तरफ िी्चा था संभवतः अखिलेश भी उसी रास्​्ेपर है.् कुछ योिना काफी चच्ाथ मे् है िैसे सरकारी ल्कल ू के बच्​्ो्को एक खकलो देसी घी और दूध पावडर देने का एलान. इसके अलावा हवाई अड्​्े पर एयर एम्बल ु स े् िैसी सेवा शुर्करना. यूपी की िातीय और कुछ पर हो रहा है. पर साफ़ संदश े यह गया मिहबी गोलबंदी की रािनीखत के खलये यह खक अखिलेश यादव खवकास के एिे्डा पर सब नया है. एक पीढी िो मंखदर मंडल की चल रहे है्. साथ ही वे दागी और बाहुबली रािनीखत के बाद की है उसे यह सब लुभा भी नेताओ् से खकनारा कर रहे है. िबखक सकता है. पर अखिलेश यादव को थ ालीन रािनीखत के खहसाब से अपनी टीम समािवादी पाट्​्ी की परंपरागत रािनीखत मे् दीघ्क और काय्क थ म् तय करने चाखहये. उनकी कोर इनका महत्वपूणथ्ल्थान था. ऐसा नही् खक सब साफ़ सुथरे लोग ही टीम मे्कोई बहुत िानकार और अनुभवी लोग अब सपा मे्बचे हो्. यह संभव भी नही्पर एक निर नही्आते.

ववचार मुलायम की समािवादी रािनीखत के दौर मे् उनके साथ िनेश्र खमश्​्, मोहन खसंह, बृिभूरण खतवारी, कखपलदेव खसंह, रािे्द् चौधरी, आिम िान और माता प्स ् ाद पांडये िैसे बहुत से अनुभवी और िांटी समािवादी नेता रहे. ऐसे मे् अखिलेश को युवा टीम के साथ पुराने लोगो्को िोड़कर चलना चाखहये. समािवादी पाट्​्ी पर सबसे बड़ा आरोप कानून व्यवल्था को न संभाल पाने का लगता है. इसकी एक विह खसफाखरशी अफसरो् की तैनाती रही है. अब वे साढे चार मुखय् मंख्तयो् के दाखयत्व से मुकत् हो चुके है्ऐसे मे्कानून व्यवल्था को लेकर देश के अपराध खवशेरज्​्ो् की राय से नयी पहल करे.् पाट्​्ी से अपराधी खकल्म के नेताओ्को पूरी तरह बाहर करे्तो वे लंबी पारी िेल सकते है.् देश मे्मोदी के बाद खसफ्फदो चेहरे ऐसे है् खिन्हे्लोग पसंद कर रहे है इनमे एक नीतीश कुमार है् तो दूसरे अखिलेश यादव. कई मामलो्मे्अखिलेश नीतीश से भी आगे निर आते है. इसखलये लोग उनमे भखवष्य का रािनेता देि रहे है. ऐसे मे् अखिलेश की खिम्मेदारी और िवाबदेही भी बढ िाती है. अखिलेश को देश के हर क्त्े ्के खवशेरज्​्ो्की टीम बनानी चाखहये िो खवकास का वह रास्​्ा बताये खिससे िल िंगल और िमीन भी बचे तो समाि का िीवन भी बेहतर बने.

खोरी ज़मीन पाने की क्वारद मे् जुटी कांग्ेस

ग्​्ेस उत्​्र प्​्देश मे् अपनी िोई ज़मीन खफर से पाना चाहती है. इसके खलए वह ख़ासी मशक्क़त कर रही है. खसयासत मे्कोई भी ल्थायी दोस्​्या दुश्मन नही् होता. कुछ माह पहले तक कांग्ेस को िो समािवादी पाट्​्ी एक आंि नही्भा रही थी, अब उसी के साथ खमलकर चुनाव लड़ रही है. कांग्ेस ने यह गठबंधन प्​्देश मे्सत्​्ा तक पहुंचने के खलए खकया है. इसके तहत समािवादी पाट्​्ी उत्​्र प्​्देश खवधानसभा की 403 सीटो् मे् से 298 पर चुनाव लड़्ेगी, िबखक बाक़ी 105 सीटो् पर कांग्ेस अपने उम्मीदवार िड़े करेगी. यह वही कांग्ेस है, खिसका शानदार इखतहास रहा है. िो इस देश की माटी मे्रचीबसी है. िनमानस मे्खिसकी पैठ है. पीढीदर-पीढी लोग खिस कांगस ्े के कट्र् समथ्क थ रहे है्. इसके बाविूद एक समय देश और प्​्देश पर हुकूमत करने वाली कांग्ेस को आि एक क्​्ेत्ीय दल से चुनावी समझौता करना पड़ रहा है, वह भी इतनी कम सीटो् पर. आज़ादी के बाद देश और प्​्देश पर सबसे ज़्यादा कांग्ेस की ही हुकूमत रही है. उत्र् प्द् श े के पहले मुखय् मंत्ी गोखवंद वल्लभ पंत से लेकर खदसंबर 1989 मे्नारायण दत्​् खतवारी तक कांग्ेस का शासन रहा. खफर फ़्रवरी 1998 मे्कांग्ेस के िगदंखबका पाल मुख्यमंत्ी बने. इसके बाद कांग्ेस सत्​्ा तक नही् पहुंच पायी. दरअसल, नारायण दत्​् खतवारी का शासनकाल ख़त्म होने के बाद से ही कांग्ेस कमज़ोर पड़ने लगी थी, या यूं कहे्

खक अन्य खसयासी दल मज़बूत होकर उभरने लगे थे. इस दौरान उत्​्र प्​्देश मे्कई क्​्ेत्ीय खसयासी दलो्का उदय हुआ, खिन्हो्ने बाद मे् देश की खसयासत पर ख़ासा असर डाला.

खहन्द्त्व आधाखरत भारतीय िनता पाट्​्ी का गठन सन 1980 मे् खकया गया. इससे पहले साल 1951 से 1977 तक इसे भारतीय िनसंघ कहा िाता था. खफर साल 1977 से 1979 तक इसे िनता पाट्​्ी के साथ के भारतीय िनसंघ के नाम से िाना िाने लगा. श्यामा प्​्साद मुि​ि्​्ी ने साल 1951 मे् भारतीय िनसंघ की ल्थापना की थी. इसने कांग्ेस का खवरोध करने के खलए ियप्​्काश नारायण का समथ्थन भी खकया. आि देश मे् भािपा की सरकार है. िन नेता कांशीराम ने 14 अप्​्ैल 1984 को बहुिन समाि पाट्​्ी का गठन खकया. बसपा का दश्थन बाबा साहेब आंबेडकर के मानवतावादी बौद्​्दश्नथ से प्ख्ेरत है. इस दल का बहुिन शब्द तथागत बुद्के धम्​्ोपदेशो् ख्​्तखपटक से खलया गया है, खिसमे् तथागत बुद् ने कहा था- बहुिन खहताय बहुिन सुिाय यानी उनका धम्थ बहुत बड़्े िनसमुदाय के खहत और सुि के खलए है. बसपा की ल्थापना का मक़सद भारतीय िाखत

व्यवल्था के तहत सबसे खनचले पायदान पर आने वाले बहुिन समाि यानी अन्य खपछड़्ा वग्थ, अनुसूखचत िाखत, अनुसूखचत िनिाखत और अल्पसंख्यक को प्​्खतखनखधत्व देना है. ग़ौरतलब है खक देश मे्इन तबक़ो्की आबादी तक़रीबन 85 फ़ीसद है. इसके बाद 4 अक्टूबर 1992 को मुलायम खसंह यादव ने समािवादी पाट्​्ी की ल्थापना की. यह दल राममनोहर लोखहया

और चौधरी चरण खसंह के आदश्​्ो मे्यक़ीन रिता है. उत्​्र प्​्देश की खसयासत पर आधाखरत इस दल को अन्य खपछड़ी िाखतयो्, ख़ासकर मुलायम खसंह यादव की यादव िाखत और मुसलमानो्का समथ्नथ हाखसल है. उत्​्र प्​्देश मे्मुसलमानो्की ख़ासी आबादी है, िो चुनाव नतीिो्को सीधे प्भ् ाखवत करती है. साल 2012 के खपछले खवधानसभा चुनाव मे्उत्​्र प्​्देश खवधानसभा चुनाव मे्सपा को

224 सीटे् खमली थी्. उत्​्र प्​्देश मे् सबसे पहले राष्​्ीय लोक दल के चौधरी चरण खसंह ने अप्​्ैल 1967 कांग्ेस से सत्​्ा छीनी. उसके बाद िनता पाट्​्ी, िनता दल, समािवादी पाट्​्ी और बहुिन समाि पाट्​्ी ने भी उत्​्र प्​्देश पर शासन खकया. उत्​्र प्​्देश मे् कांग्ेस के कमज़ोर होने की कई विहे्रही है्, खिनमे्मज़बूत क्​्ेत्ीय नेतृत्व की कमी सबसे अहम विह है. हालांखक कांगस ्े के सभी बड़े नेता उत्​्र प्​्देश से ही चुनाव लड़ते रहे है्, खिनमे् पंखडत िवाहरलाल नेहर्, इंखदरा गांधी, रािीव गांधी, सोखनया गांधी और राहुल गांधी शाखमल है्. लेखकन इनका दख़ल खदल्ली की खसयासत मे् ज़्यादा रहा. मज़बूत नेतृत्व के अभाव मे् कांग्ेस कमज़ोर पड़ने लगी और लगातार सत्​्ा से दूर होती गयी. इसकी विह से पाट्​्ी काय्थकत्ाथओ् का मनोबल टूटने लगा. ऐसे मे्समािवादी पाट्​्ी और बहुिन समाि पाट्​्ी मज़बूत हुई्. खपछले काफ़ी अरसे से कांग्ेस उत्​्र प्​्देश मे्अपना िोया हुआ िनाधार पाने की क़वायद मे्िुटी है. प्​्देश मे्कांग्ेस के पास कोई मज़बूत क्े्त्ीय नेता नही् है. ऐसे मे् कांगस ्े ने समािवादी पाट्​्ी से गठबंधन करके समझदारी का काम खकया है. उत्​्र प्​्देश मे् समािवादी पाट्​्ी की सरकार रही है.

क़ाखबले-ग़ौर है खक सत्​्ासीन पाट्​्ी के साथ गठबंधन हमेशा ही फ़ायदेमंद होता है. ग़ौर करने लायक़ बात यह भी है खक खवधानसभा चुनाव ल्थानीय मुद्ो् पर लड़े िाते है्. मतदाता भी क्त्े ्ीय नेताओ्को तरिीह देते है.् कांग्ेस के साथ हमेशा से ही समाि मे् हाखशये पर रहने वाले तबक़े िुड़े रहे. खपछड़े तबक़े और अल्पसंख्यक कांग्ेस को अपना खहतैरी मानते है्. ये तबक़े ख़ासकर मुसलमान समािवादी पाट्​्ी को भी अच्छा समझते है्. ऐसे मे् काफ़ी हद तक मुस्ललम मतो् का बंटवारा होने से भी बच िाएगा. मुस्ललम मतो् के बंटवारे से सबसे ज़्यादा फ़ायदा भािपा को ही होता है. बहरहाल, इस गठबंधन ने दोनो्ही दलो्के काय्थकत्ाथओ्मे् िोश भर खदया है. खपछले खवधानसभा चुनाव मे् समािवादी पाट्​्ी ने 29.15 फ़ीसद वोट हाखसल करके सरकार बनायी थी, िबखक कांग्ेस को 11.63 फ़ीसद मतो् से ही संतोर करना पड़ा था. अगर इन्हे्िोड़ दे्, तो दोनो् इनकी दर 40 फ़ीसद से ज़्यादा होती है. ऐसा नही्है खक इस गठबंधन से खसफ़्फकांग्ेस को ही फ़ायदा होगा. इससे समािवादी पाट्​्ी को भी फ़ायदा होगा, क्यो्खक अखिलेश यादव के शासनकाल मे्प्द् श े मे्सांपद् ाखयक दंगे बहुत हुए, खिससे मुसलमानो् का सपा से मोहभंग होने लगा. हाल मे् सपा की अंदर्नी कलह ने भी काय्थकत्ाथओ् के मनोबल को ठेस पहुंचायी. माना िा रहा है खक कांग्ेस-सपा का यह गठबंधन उत्​्र प्​्देश मे् एक ताक़त बनकर उभरेगा.


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27 जनवरी - 02 फरवरी 2017

लहंदू-रुसिरान अब दो पािे

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पव्​्िम उत्​्र प्​्देश का चुनावी हाल

शंभूनाथ शुक्ल

यह अकेले बेहट की बात नही् है, सहारनपुर की अन्य सीटो् पर यही हाल है. िहां कांग्ेस प्​्त्याशी लड़्रहा है वहां कांग्ेस के लोग लगे है् और िहां सपा लड़् रही है वहां सपा के लोग. एक तरह से गठबंधन धम्थ खकनारे लग गया है. अकेले सहारनपुर खिले मे् ही नही् मुिफ्फर नगर, शामली और बागपत मे् भी यही हाल है. कही् खकसी का बागी खकसी को हरा रहा है तो कही्पर सपा के लोग कांग्ेसी उम्मीदवार को हराने की कमर कसे है्. अगर इस चुनाव मे्कही्कोई मुद्ा है तो वह है्मोदी. या तो लोग मोदी को लाना चाहते है्अथवा उन्हे्भगाना चाहते है्. यह शायद प्​्देश का पहला चुनाव है खिसमे् मोदी के खसवाय कोई मुद्ा नही्है. िहां तक नोटबंदी का मामला है तो उससे सबसे अखधक दुिी भािपा और संघ का ही काडर है. मगर उनकी तकलीफ है खक अगर उन्हो्ने भािपा को वोट नही्खदया तो दे्गे खकसे? यह संघ और भािपा का काडर खकसी को भी वोट दे पर कोई उम्मीदवार उनकी शत्​्े नही् मानेगा. मसलन मुिफ्फर नगर मे् सपा के

भी चार साल पहले तक पख्​्शमी उत्र् प्द् श े मे्खहंदू और मुलल ् मान भाई की तरह रहा करते थे और एक-दूसरे के कामकाि मे् िूब खशरकत खकया करते थे, अचानक अब अलग हो गये है्. मुस्ललम अब मदरसो् की तरफ देिने लगा है तो खहंदू अचानक कम्थकांडी हो गया है. यहां एक िमाने मे्आय्थसमाि की िड़्े्इतनी मिबूत थी्खक यहां के मंखदर उिाड़्और सूने थे तथा मस्लिदो् मे् कभी-कभार ही भीड़् िुटती थी. लेखकन अब दृश्य उल्टा है. मुसलमान और ज्यादा मुसलमान हो गया है तथा खहंदू टीकापाटा वाला खहंदू. खपछले एक हफ्ते से मै्यहां हू.ं सब िगह मुस्ललमो् के बीच खहंदुओ् के नेताओ् की तारीफ नही्सुनी न खहंदू मोहल्लो्मे्मुस्ललम नेताओ् की. यहां बागपत को छोड़्कर सभी िगह मुस्ललम बहुतायत मे् है और इतनी ज्यादा उनकी संख्या है खक अगर उनके वोट एकमुश्त पड़्े तो शायद यहां की सारी सीटे् मुसलमान प्​्त्याखशयो् को चली िाये्. मगर भारत की यही खवशेरता है खक यहां खवखवधता इतनी अखधक है खक न खहंदू कोई वोट बै्क है न मुस्ललम. पर दुि तो इस बात का है खक सांप्दाखयक पाख्टियां यह बात नही् समझती् और खफिूल मे खहंदू मुसलमान खकया करती है.् यह खवखवधता ही मुसलमानो्के अंदर उसी तरह की अलग राय कायम करती है िैसी खक खहंदुओ्की िाखतयो्के बीच. मेरठ, बागपत और मुिफ्फर नगर मे् तीन तरह के वे मुसलमान है्िो अपने पुराने खहंदू िानदान को भुला नही् पाते. यह है् मूला, रांगड़्और महेसरा मुसलमान. मूला वे कहलाते है् िो क्​्मश: िाटो् या गूिरो् से मुसलमान बने है्. इसी तरह रांगड़् वे िो रािपूतो् से कनवट्थ हुए और महेसरा वे मुसलमान िो त्यागी और गौड़् ब्​्ाह्मण िाखतयो्से धम्ाथन्तखरत हुए. इन तीनो्खवखवध तरह के मुसलमानो् मे् अपनी मूल िाखत के खहंदू भाइयो्के प्​्खत एक लगाव था और दोनो् के नेता परल्पर एक-दूसरे मिहब के लोगो् के यहां अपनी दिल रिा करते थे. खफर वे चाहे शाखहद मंिूर हो्िो खक त्यागी समाि से है्अथवा हुकुम खसंह िो गूिर है पर भािपा सैनी और पाल सबरादरी के लोग

चूहड्पुर कलां मे् मुसलमानो् का एक अड्​्ा के खचन्ह पर लड़्ते है्. मगर खफर भी उनकी खबरादरी के मुसलमान उन्हे् कैराना मे् वोट करते है्. दुि है खक यह भाईचारा अब ध्वस्​् हो गया है और खहंदू खहंदू नेता के पाले मे्आ गया है और मुसलमान अपनी खबरादरी के नेता के साथ. यही कारण है खक इस बार कही् भी कोई सामूखहक अड्ब्े ािी होती नही्खदिी िहां खहंदू मुसलमान दोनो्ही मौिूद हो्. खहंदओ ु ्की बैठक हो तो खहंदू और मुसलमानो्की बैठक हो तो मुसलमान. तमाम ऐसे गांव खमले िहां एक भी खहंदू नही्रहता और दूसरी तरफ ऐसे गांव भी देिे िहां मुसलमान बस खदन को तो आते है्रात को वापस चले िाते है्. िासतौर पर उत्र् ािंड के सीमाई खिलो्मे्ऐसा निारा िूब देिने को खमला. यह स्लथखत दुिद है. पहले ऐसा खसफ्फ शहरो् मे् ही होता था गांवो् मे् नही्. यहां तक खक 2012 के खवधानसभा चुनाव तक मे् भी ऐसा नही् खदिा था मगर 2014 के लोकसभा चुनाव ने दोनो्समुदायो् को परल्पर बांट खदया है. गांवो् मे् िाट, गुजर् , सैनी, प्ि ् ापखत कुमह् ार आखद ओबीसी

िाखतयां अब बस फूल की बात कर रही है्. और दूसरी तरफ मुसलमान अब मदरसो्और मस्लिदो्से तय करने लगा है खक वोट खकसे खदया िायेगा. सहारनपुर मे् अखधकतर आबादी मुसलमानो् और दखलतो् की है. इसके बाद सैनी और प्ि ् ापखत. यहां पर चार सीटे्कांगस ्े लड़् रही है मगर उसके प्​्त्याखशयो् मे् पहले िैसा उत्साह नही्खदिा. इसकी एक विह तो यह है खक सपा के नेता चुप है् और कांग्ेस ल्वयं मे्अपने फायरब्​्ांड नेता इमरान मसूद के बूते है. इमरान मसूद आग लगाने और अंगुली काटने िैसी बाते्करते है्खिस विह से खहंदओ ु ्का बहुसखं य् क वग्थउन्हे्पसंद नही् करता. सहारनपुर सदन, रामपुर मखनहारन, देवबंद और बेहट तीनो्मे्से एक भी सीट पर ऐसा कोई नही् खमला िो कांग्ेस के आला नेता से प्​्सन्न हो. अब हो सकता है खक कांग्ेस प्​्त्याशी अपने बूते भले िीत िाए पर उसमे् कांग्ेस का कोई रोल नही् होगा. मै् आपको बेहट ले चलता हूं िो खशवाखलक की तराई पर बसा है. बेहट कल्बा पार करते ही खशवाखलक की तराई का इलाका शुर्हो िाता है. िूब हरेभरे बाग और बीच-बीच मे् झाखडय्ो् का झुरमुट, झरने और नखदयो् का साफ खनम्थल पानी देिकर लगता है खक हम प्​्दूरण से ग्​्स् शहरी आबादी को पीछे छोड़् आये है्. यहां कही् पर धूल नही्, मोटर गाखडय्ो् की चीि नही् और खकसी ट्​्क या डंपर के खहट करने का ितरा नही्. दूर-दूर तक बस चमचमाती सड़्क और भागती साइखकले् या बाइक. कही्-कही् गन्ने के िेत िर्र खदि िाते है्. हम शाकुंभरी के इलाके मे् आ गये थे. इस इलाके मे्न कांग्ेस का झंडा खदिता है न भािपा का अलबत्​्ा बसपा का हाथी अवश्य खदि िाता है. लेखकन चच्ाथ मे् सारी

पाख्टियां है्. चाहे वह चोहड़्पुर कलां या फतेहपुर कलां अथवा िसमोर. सब िगह चाय की दूकानो्अथवा दवा की दूकानो्पर कुछ बूढ्े या युवा धूप सेकते तो खमले मगर िब तक उनको छेड़्ा नही्तब तक वे चुनाव के बारे मे् कुछ नही् बोलते. िब उनसे बात शुर्की तो पहले तो वे खसफ्फइतना ही बोले खक आते तो है् नेता पर चुनाव क्या िब आयेगा तब देिे्गे. पर िब कहा खक चुनाव तो आ ही गया तब बोलने शुर्हुए. कोई यहां बीएसपी को खिताना चाहता है तो कोई कांग्ेस को तो कोई भािपा को. मगर इस सवाल का कोई िवाब नही्दे सका खक वे क्यो् खिताना चाहते है्. यहां तक खक भािपा के कट्​्र समथ्थको्के पास यह बताने के खलए कुछ नही् था खक वे कमल को क्यो् खिताएंगे? बसपा को वोट देने वालो्के पास उसे खिताने का कोई तक्फनही्था. सब ने बस यही कहा खक उसका उम्मीदवार हािी इकबाल अच्छा आदमी है. खकस तरह का अच्छा आदमी है, के िवाब मे्उनका कहना था खक वह हर एक की मदद करता है. हर एक को चंदा देता है. मंखदर हो या मस्लिद उसके यहां से सबको चंदा िाता है. यही कारण है खक वह पूरे खिले मे्शायद अकेला आदमी है खिसे खिताने की बात मंखदर के पुिारी भी करते है्. यह सीट गठबंधन के चलते कांग्ेस को खमली है और कांग्ेस को खमली है और कांग्ेस ने नरेश सैनी को यहां से उम्मीदवार बनाया है. वे 2012 के खवधानसभा चुनाव मे् मात्​् कुछ सौ वोटो् से बसपा के महाबीर राणा से हारे थे. महाबीर राणा अब भािपा मे्है और बसपा ने इसीखलए एमएलसी हािी इकबाल को खटकट खदया है. कांग्ेस के लोग बताते है्खक भले कांग्ेस और सपा का गठबंधन हो पर सपा यहां उदासीन है.

मोहंड के जंगल के अंदर चलता मदरसा गौरव ल्वर्प िाखत के वैश्य है्और व्यापारी समुदाय से आते है्मगर भािपा और रालोद तीनो्से इसी खबरादरी के उम्मीदवार है्. वैश्य खबरादरी को समझ नही्आ रहा खक वह वोट खकसे दे. रालोद ने खिस माहेश्री िाखत की खिस मखहला को खटकट खदया है उसके पखत का यहां इतना आतंक है खक उसके डर से वैश्य कुछ भी कहने से डरते है्. यहां पर बसपा के राकेश शम्ाथ को इसका लाभ खमल रहा है. कुल खमलाकर इस चुनाव मे् न तो समीकरण काम आ रहे है्न कोई गठबंधन. यहां खसफ्फ एक ही उपाय है खक मोदी को लाओ या मोदी को हटाओ खकतना परवान चढ् पाता है. हालांखक भािपा नेता खवनय कखटयार अथवा संघ के मनमोहन वैद् के बयानो्से लोगो्मे्नारािगी तो है पर खवपक्​् इसे मुद्ा नही्बना पा रहा.



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मुकेश नौभटराल

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दि्ंिगी िे शायरी तक

के कई साखहत्यकार मुंबई गए, उनको खवखशष्​् भले ही बनाया लेखकन खफल्मो् का मायावी हो, पर इसका एक बड़ा संसार उनको रास नही् आया खहत्य मे् खसनेमा पर खलिने का खरवाि खहंदी नुकसान यह हुआ खक दैनस्नदन और वे वापस लौट गये. यही नाममात्​् के खलए रहा है. व्यावसाखयक खसनेमा संघर्​्ो् के खलए अखभशप्त आम बात उद्थू वालो् के साथ भी हुई को तो मुख्यधारा का साखहत्य हंसी-ठट्​्े का खवरय पाठक ऐसे मायावी चखरत्​्ो् से . लेखकन साखहर ने इस रंगीले ल् व ं य को कभी नही् िोड़ पाया. समझता रहा है. खफल्म िगत के कुछ ख्याखतप्​्ाप्त सं सार को भरपूर खिया. मुंबई फलल् व र् प ऐसी बायोग् ा ् खफक अखभनेता-अखभनेख्तयो् पर खलिी् खकताबे् हो्, या मे ् रहकर उन्हो्ने खहन्दी के खकताबे ् पु स ् क ालयो् मे ् बे श क चलखचत्​् के इखतहास का तफ्सरा - खहंदी साखहत्य िगत खसने मा-िगत को अपने सिाई् गई् , ले ख कन पाठको् के ने इनको अपेख्कत मान्यता नही् दी. ऐसा क्यो् होता हैकालियी गीतो् के माफ्फत यह बहस का खवरय है, लेखकन मोटे तौर पर कहा िा अंतस मे् नही् उतर सकी्. साखहत्य की गहरी संवेदना से सकता है खक खसनेमा और साखहत्य के बीच की सुनील भट्​् ने एक नयी ज़मीन पखरखचत कराया. वर्थ 1951 से तोड़ी है. संवादहीनता इसकी एक बड़ी विह है. 1980 तक, तीन दशको् का आठ माच्थ 1921 को इस संदभ्थ मे् सुनील भट्​् की खकताब दौर तो िैसे साखहर के नाम ‘साखहर लुखधयानवी: मेरे गीत तुम्हारे’ एक अच्छी लुखधयाना के िमी्दार चौधरी रहा. पहल कही िायेगी. यह खकताब साखहर के गीतो् की फज़ल मुहम्मद के घर िन्मे गुलज़ार और प्​्सून गहरी मीमांसा करती है. यहां साखहर का िीवन है, अब्दुल हई की साखहर िोशी िैसे गीतकारो् की उनका रचनाकम्थ है और कुल कृखतत्व पर गहरी लुखधयानवी बनने तक की यात्​्ा मौिूदगी के बाविूद खहन्दी पड़ताल भी है. न्यारह अध्याय और तीन पखरखशष्​्ो् मे् खदलचल्प ही नही्, प्​्ेरणादायक खफल् मी-संसार िब िखटया भी है . साखहर की असल यात् ा ् समाखहत यह खकताब साखहर के व्यस्कतगत और सासहर लुसधरानवी मेरे गीत तुमह् ारे: सुनील भट्;् स्टार सरकाकर िाड़ा भगाने की वर् थ 1937 से शु र ् होती है , िब साव्थिखनक िीवन के तमाम शेड्स से पाठको् को पब्ललकेशसं , आसफ अली रोड, नरी सदल्ली; 195 र्परे िु ग त कर रहा है और खबंदास उन् ह ो् न े ए.एच. साखहर नाम से पखरखचत कराती है. प् े ् म ातु र नाखयका खचकनी चमे ल ी बन पव् वा चढाकर नज् म खलिनी शु र ् की. वर् थ 1946 मे ् उनके िीवन मे ् मान्यताप्​्ाप्त प्​्खतभाओ् के बारे मे् खलिते हुए लेिको् द्​्ारा संबस्नधत प्​्खतभाओ् के चखरत्​्ो् के मायावी एक महत्वपूण्थ मोड़ आया, िब खफल्म ‘आिादी की आ रही है, तब साखहर के रचे गीत लंपट होते रंग-लोक पक्​् को ज़ोर-शोर से उकेरने की अघोखरत परंपरा ने राह मे्’ के खलए गीत खलिने वे मुंबई रवाना हुए. खहंदी को सीमाओ्के प्​्खत सचेत करते प्​्तीत होते है्. िाएं तो

सा

भ्​्िरदश्यन

आज़ादी जिसकी मंजज़ल है

िेलने की छूट ही नही् दी, उसका पूरा तरह सफर करने के खलए वे नेट पर ही इंतज़्ाम खकया. यह लड़्की राष्​्ीय स्​्र पर ऐसे लोगो् की तलाश करती है् खिन्हे् छ खकताबे् अनिान शहरो् की शतरंि की चै्खपयन भी बन िाती हैतरह िुलती है्- गखलयो्, मकानो्, उसके भीतर एक िुनून है, एक मकसद दुकानो्, मैदानो् और लोगो् के है, मगर हार का एक अनुभव अचानक बहुत आमफहम और िाने-पहचाने उसे समझाता है खक ख्ज़ंदगी इस तरह की दृश्यो् के बीच उनका अनूठापन िैसे खछपा दौ़ड़् मे् नही् है- इस लक्​्य मे् एक रहता है. िब हम उन्हे् ध्यान से देिना लक्​्यहीनता है िो उसका अभीष्​्नही्हो शुर्करते है्तो उनका अपना ल्पंदन नज़्र सकती. लेखकन उसका अभीष्​् क्या है? आता है, एक अलग सा िीवन धड़्कता खदिाई देता है, एक इखतहास सांस लेता शायद वह िीवन है खिसके बहुत सारे प्​्तीत होता है, एक पूरी सभ्यता सोयी हुई अंशो् से वह इसखलए भी वंखचत रह िाती है खक उसे अच्छी लड़्की बनना है. यह खमलती है. अनुराधा बेनीवाल की ‘आज़्ादी अच्छी लड़्की होने की मिबूरी एक मेरा ब्​्ांड’ ऐसी ही खकताब है. वह हमे् सांल्कृखतक आरोपण है- यह बात उसे अपने साथ एक यात्​्ा पर ले चलती है- अपनी एक घुमक्​्ड़् सहेली रमोना को बस्लक एक नही्, कई यात्​्ाओ् पर. असली देिकर समझ मे् आती है. ख्ज़ंदगी िब सफर एकरैखिक नही्, बहुआयामी होते इस लड़्की को लंदन ले िाती है तब वह है्- हम एक गली से गुज़्रते है् तो उसके आगे का रास्​्ा बनाती है. वह छोटी-छोटी भूगोल से भी गुज़्रते है्, इखतहास से भी नौकखरयां कर पैसे िमा करती है. इसके और इन दोनो् के साथ अपने भीतर से भी. बाद खफर एक बैगपैक पीठ पर टांगती है तो इस खकताब की एक यात्​्ा तो यूरोप की और घर से खनकल पड़्ती है- न आगे के है- लंदन, पेखरस, ब्​्सेल्स, एम्सटड्थम, सफ़्र का खटकट खलये न ठहरने की आज़्ादी मेरा ब्​्ाडं : अनुराधा बेनीवाल; राजकमल प्क् ाशन, बख्लथन, प्​्ाग, ब्​्ाखतल्लावा, बुदापेल्ट, िगहो् का इंतज़्ाम खकये. यहां से शुर् दसररागंज, सदल्ली 199 र्परे इंसब्​्ुक, बन्थ और खफर वापस पेखरस की. होती है असली यात्​्ा. इस सफर मे् कुछ रोचक िानकाखरयां अनुराधा के अगले खठकानो्पर िाना है. लेखकन यह यूरोप घूमने खनकले खकसी हमारे खलए भी है्. यूरोप घूमने के खलए लेखकन क्या यह रास्​्ा िोख्ख़म भरा सैलानी का नक्शा नही् है- यह एक ज़् र ् र ी नही् खक आप होटल, धम् थ श ालाएं , नही् है- अनिान लोगो् के साथ सफ़्र घुमक्​्ड़् ल़ड़्की की ल्वतःल्फूत्थ यायावरी सराय या हॉल् ट ल िोिे ् . लोग अपने घरो् करना, अनिान खठकानो् पर र्क िाना, है खिसमे् खितनी यूरोप की िोि है उतनी मे् मामूली दर पर आपको रहने की िगह रात खबताना? औसत भारतीय इसकी ही अपनी भी. दरअसल इस लड़्की ने अपने होने दे सकते है्. लगभग पूरे सफर मे् अनुराधा कल्पना तक नही् कर सकता. लड़्खकयो् की यह िोि काफी पहले शुर् कर दी यही तरीक़्ा अपनाती है्. वे कही् पहुंचने के खलए ऐसा सोचना तो कुफ् है. मगर थी. उसके खहल्से की िुशख्क़ल्मती बस से पहले नेट पर अपने ठहरने की ज़्र्रत अनुराधा इस सफर मे् अनुभव की कम इतनी है खक रोहतक मे् रहते हुए उसे डाल देती है् और लगभग हर बार कोई से कम दो सौगाते हमारे खलए लाती है्. ऐसा घर खमला खिसने पढ्ने और शतरंि न कोई मेज़्बान उन्हे् खमल िाता है. इसी पहली तो यही खक मनुष्य मूलतः अच्छा,

कु

िाएं कहां, दुिी मन मेरे सुन मेरा कहना, उड़े िबिब ज़ुल्फे् तेरी, वो सुबह कभी तो आएगी, औरत ने िन्म खदया मद्​्ो् को, तुम मुझे भूल भी िाओ तो ये हक़ है तुमको, लागा चुनरी मे् दाग छुपाऊं कैसे, िो वादा खकया वो खनभाना पड़ेगा, ऐ मेरी ज़ोहरे-ज़बी्, बाबुल की दुआएं लेती िा, खकसी पत्थर की मूरत से, कभी कभी मेरे खदल मे् ियाल आता है, िैसे दि्थनो् गीत आि भी अंतस को तर करने की कुव्वत रिते है्. नया दौर खफल्म के खलए साखहर के खलिे गीत ‘साथी हाथ बढाना साथी रे’, ‘तथा ये देश है वीर िवानो् का’, आि भी आिादी का िश्न मनाते हुये अखनवाय्थ र्प से बिाए िाते है्. पुस्क मे् साखहर समग्​् र्प मे् मौिूद है्. खफल्मो् से इतर उनका िो काम है, वह भी इस खकताब मे् दज़्थ हुआ है. साखहर की इन दीगर नज्मो्, गज़लो् और गीतो् को पढकर लगता है, खक अपने समय के इस ल्वप्नदृष्ा शायर को केवल खफल्मी गीतो्के आधार पर आंककर हमने पूव्थ मे् एक तरह की नाइंसाफी की है. खफल्मी गीतो् से आगे साखहर का सफ़र िासा लंबा है. यह खकताब इस सफ़र पर ईमानदार तफ्सरा करती है और प्​्माण-ल्वर्प साक्​्य भी प्​्स्ुत करती है. अच्छा होता, पुस्क मे् साखहर के सहयाख्​्तयो् के संल्मरण भी िोड़े िाते. इससे खकताब की पठनीयता बढ सकती थी.

संवेदनशील और भरोसे लायक प्​्ाणी है. दूसरी बात यह खक इस अच्छाई और संवेदनशीलता के पोरण और खवकास के खलए एक उखचत सामाखिकसांल्कृखतक पय्ाथवरण चाखहए िो आधुखनक यूरोप ने अपनी बहुत सारी खवडंबनाओ्के बाविूद अपने नागखरको् को खदया है. अकेले घूमती लड़्की हमारे यहां हौवा हो िाती है- या तो हम उसके प्​्खत खचंता से भर उठते है् या उसे अखतखरक्त दुल्साहसी या बदचलन तक मान सकते है् या खफर उसका खशकार करने को उद्​्त हो सकते है्. ऐसा हमेशा हो, यह ज़्र्री नही् है, मगर खकसी यूरोपीय शहर के मुकाबले खकसी भारतीय शहर मे् अकेली लड़्की ज्​्यादा असुरख्​्कत है- बेशक, इसखलए नही् खक भारतीय बुरे होते है्, बस्लक इसखलए खक हमारे समाि मे् स्​्ी-पुर्र संबंधो् और मैख्तयो् के सहि खवकास मे् इतनी खवसंगखत पैदा कर दी गयी है खक दोनो् एक-दूसरे को नागखरको् या मनुष्यो् की तरह नही्, मद्थ और औरत की तरह ही देि पाते है्. अनुराधा को कई तरह के लोग खमलते है्- सामुदाखयक खिंदगी मे् भरोसा करने वाले भी, िो साझा खकचेन चलाते है् और ऐसे भी िो बहुत बेतरतीब रहते है्, और ऐसे पखरवार भी िो बड़्ी िुशखमज़्ािी से बेटे का िन्मखदन मना रहे है्, मगर पाट्​्ी ख़्त्म हो िाने के बाद अपने-अपने एकांत मे् बताते है् खक उनके बीच तलाकनामे पर दस्​्ख़्त हो चुके है्. एक शख्​्स एक बार उसे अपने साथ रात गुज़्ारने का भी न्योता दे डालता है खिसके बाद वे कुछ असहि हो िाती है्.

इस पूरी यात्​्ा मे् वह आम यूरोप खदिता है खिसके अपने ज़्ख्म भी है्, अपना अकेलापन भी, अपने अतीत की शम्थ भी और इन सबके बीच मानवीय गखरमा का ियाल भी. बहरहाल, इस घुमक्​्ड़्ी का हाखसल क्या है? वह मुकाम कौन सा है िहां अनुराधा पहुंचती है्? इस सवाल का िवाब बन्थ की सड़्को् पर दो लड़्को् के साथ खनकली वह लड़्की देती है िो अपनी आज़्ादी की मांग के साथ लगभग चीि पड़्ती है- िैसे वह एक-एक को झकझोर कर पूछना चाहती है खक कहां है उसके खहल्से की आज़्ादी? भारत मे् स्​्ी आज़्ादी की सांल्कृखतक लड़्ाई कही्बौख्​्दक सैद्ांखतखकयो्मे्उलझी हुई है तो कही् बाज़्ार के उच्छृिलवाद मे् और कही् परंपरा की उस संखदन्ध दृख्ष मे् िो ऐसी आज़्ादी को ही प्​्श्नांखकत करती है. लेखकन अनुराधा इन सबमे् नही् पड़्ती. वे बस बैकपैक लेकर चल प़डती है्- बताती हुई खक आज़्ादी को अपने साहस से खसरिना पड़्ता है और अपने अनुभव के साथ समझना और िीना पड़्ता है. यही इस खकताब की सफलता है. वह बहुत बड़्ी बात कहे खबना बहुत सारी लड़्खकयो् को उनके खहल्से का साहस और सपना दे िाती हैउनकी आिादी की राह इतने भर से कुछ सुगम हो उठती है. काश खक खकताब के नाम मे्‘ब्​्ांड’ की िगह कोई दूसरा शब्द होता- क्यो्खक ब्​्ांड अंततः आज़्ादी को भी एक खवक्​्य योन्य उत्पाद मे्बदलता लगता है. मगर यह इतनी बडी बात नही्खक इस खकताब की पठनीयता के सुि पर हावी हो िाये.



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27 जनवरी - 02 फरवरी 2017

विनेमा

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लीक से हटकर असभनर हभर मृदुल

है्. संयोग ही है खक हम सभी एक ही िैसी सोच के लोग खमल गये थे. आपके पापा का कहिा है नक मेरा ने-माने अखभनेता अखनल कपूर के लडक़ा मेरे हाथ से निकल चुका है और बेटे हर्थवध्थन कपूर ने खफल्म मेरा कहिा िही्मािता है. 'खमख्िथया' से बॉलीवुड मे् दस्​्क दे दी है. पापा ने यह प्यार से कहा है. लेखकन यह खनद्​्ेशक राकेश ओमप्​्काश मेहरा ने 'खमि्ाथ सच है खक िेनरेशन गैप की विह से मै् साखहबां' की दुिांत प्​्ेमकथा को बड़्े परदे उनकी बहुत सारी बातो्से सहमत नही्होता पर उतारने के खलए एकदम अलग खशल्प का हू ं और मै्यह सब िता भी देता हूं. असल मे् सहारा खलया है और हर्थवध्थन को खमि्ाथ तथा हर खकसी का खदल और खदमाग अलग होता आखदल के दोहरे खकरदार सौ्पे है्. इन है . हर अखभने ता की अनुभूखत अलग होती है. खकरदारो्को खनभाना हर्थवध्थन के खलए बेहद कोई नही्. मेरे खपता भी नही्. मै् इस मेरी दुखनया अलग है और पापा की दुखनया चुनौतीपूण्थ रहा. बातचीत के अंश: निखरये से सोचता ही नही् हूं. हां, मेरी अलग. आपिे ऐसी निल्म से एेक्टटंग कनरयर ‘नमन्जटया’ मे् काम करते हुए नमज्ाट और पसंदीदा खफल्मे् कई है्. मै्ने अनेक देसीशुर् नकया है, नजसमे् अनभिय के नलए आनदल मे् से नकस नकरदार को अपिे खवदेशी खफल्म देिी है्. मुझे अपने दौर को पय्ाटप्त जगह नदखती है. अखभव्यक्त करने वाली खफल्म अच्छी लगती मै् अखभनय की दुखनया मे् इसीखलए तो आया हूं खक कुछ रचनात्मक काम कर ‘पमपंजिया’ में दोहरा पकरदार पनभाने के बाद हरंि​िरंिन किूर एक है्. मै् इसी तरह की खफल्मो् मे् काम करना चाहता हूं. सकूं. मै् सीधे रास्​्े चलनेवालो् मे् से नही् मंजे हुए अपभनेता के रंि में अिनी िहचान बना चुके हैं. आप जैसी निल्मे् पसंद करते है्, वैसी हूं. खफल्मो् के प्​्खत मेरी सोच काफी अलग पसनेमा के पं​ंपत उनका नजपरया काफी रचनातंमक है. निल्मे् यहां कम बिती है्. आपको है. मै् नही् मानता हूं खक यह खसफ्फ पैसे बॉलीवुड मे्नदक्​्त आ सकती है. कमाने का माध्यम है. यह तो आि के मुझे पता है खक मेरे खलए खफल्म चुनने दौर की सव्थश्ेष् कला है. इसे कलाओ् का दो-एक साल घर भी बैठ सकता हूं. लेखकन करीब पाया? मै्आखदल के करीब हूं. खमि्ाथ मुझे बहुत का काम कखठन होगा. हालांखक मै् संगम भी कह सकते है्. सचमुच मै् यह भी िर्री नही् है खक िो चीिे् मुझे 'खमख्िथया' िैसी ही कोई खफल्म चाहता था. अच्छी लगती है्, वे दूसरो् को भी अच्छी खिद्​्ी लगा है. असल मे्आखदल एक लडक़ा खवक्​्माखदत्य मोटवानी के साथ एक खफल्म यह मेरा सौभान्य है खक मै् उस खफल्म से लगे्गी. हर अखभनेता की अपनी है और खमि्ाथ एक भरा-पूरा आदमी बन चुका कर रहा हूं खिसका नाम है 'भावेश िोशी'. है. इसके अलावा आखदल मेरा समकालीन इसकी आधी शूखटंग हो चुकी है. िुड़्ा हूं, िो गुलिार साहब िैसे लीिे्ड की प्​्ाथमखकताये्, अपनी सोच होती है. है, िो रािल्थान के एक अस्​्बल मे् काम निल्मो्के बारे मे्पापा से बात होती है? आपिे अपिे नपता को रात-नदि काम कलम से खनकली है. िहां तक खनद्​्ेशक नही्, ज्यादा बातचीत नही् होती है. करता है. नाइट सफारी या पोलो िेलने वाले करते दे ख ा है . आप बॉलीवु ड मे ् अपिे राकेश ओमप्​्काश मेहरा की बात है, तो असल मे् उनकी खफल्मो् का दौर अलग था. घोड़् ो ् की दे ि भाल करता है . नलए नकतिा सं घ र् ट मािते है ् ? उनकी खफल्मे् कहानी कहने की कला का उस समय खफल्म बनाने का तरीका भी आि आपिे अनभिे त ा बि​िे की कब सोची? सबसे पहली बात तो यह है खक मे र ा श्​्ेष् नमूना लगती है्. से अलग था. सभी अखभनेता एक साथ चारशु र ् मे ् मै ् ले ि क बनना चाहता था. कोई आख् थ थ क सं क ट नही् है . मै ् खसफ् फ पै स ो् के ‘नमन्जटया’ मे् आपिे नमज्ाट के साथ पां च खफल् म ् े कर रहे होते थे. चार-चार खशफ्ट आनदल का भी नकरदार निभाया है. खलए खफल्मे् नही् करना चाहता हूं. मै् एक बाद मे् मै्ने अखभनेता बनने की सोची. मै्ने दोिो्नकरदार एक दूसरे से एकदम अलग साल मे् एक ही खफल्म करने की सोचता हूं. लॉस एंखिखलस से राइखटंग का कोस्थभी खकया मे्काम करते थे. कई बार 18 घंटे की खशफ्ट मै् बहुत शांखत से काम करनेवाला इंसान हूं. है. यही्एस्कटंग भी सीिी है. मुझे कहानी की हो िाती थी. तब खफल्मे् सेट पर ही खलिी है्. इन खकरदारो्ने मुझे बहुत ज्यादा चुनौती ‘खमख्िथया’ मे् काम करना इसखलए यादगार कल्पना करना अच्छा लगता है. यह मेरी िाती थी्. अब सबकुछ अलग है. दी और रचनात्मक संतुख्ष भी प्​्दान की. रहा है खक राकेश ओमप्​्काश मेहरा से मेरा र्खच का काम है. शायद मै्आगे कभी इसका अपिे नपता की सिलता को कैसे देखते है्? ऐसा लग रहा था खक मै्दो खफल्मो्की शूखटंग ल्वभाव काफी हद तक खमलता है. वे सुकून उपयोग कर पाऊं. सब िानते है् खक वे बहुत मेहनती एक साथ कर रहा हूं. दरअसल इन दोनो् से काम करते है्. गुलिार साहब भी ऐसे ही आपका आदश्ट अनभिेता कौि है?

िा

खकरदारो् मे् कोई कनेक्शन नही् है. खमि्ाथ और आखदल की दो अलग दुखनया है्. मै्ने पहले आखदल वाले खहल्से की शूखटंग पूरी की थी. इसके बाद चार महीने का ब्​्ेक खमला. ब्​्ेक के बाद खमि्ाथ वाला खहल्सा खकया. अखभनय करते हुए यही लगता रहा खक दो अलग खफल्मे्ही बन रही है्. आपके नपता जािेमािे अनभिेता है्. एक प्​्नतन्​्ित प्​्ोडट्शि हाउस भी है आपके पनरवार का. आपिे नकसी नवशुद् मिोरंजि निल्म से शुर्आत ट्यो् िही् की? अगर खवशुद्मनोरंिक खफल्मे्बेखसरपैर की हो्गी, तो मै् उन्हे् कतई नही् करं्गा. मै् मनमाखफक भूखमका न खमलने की स्लथखत मे्

अखभनेता है्. उनकी खफल्मो् का चयन भी उल्लेिनीय है. उनके समकालीन अखभनेता िैकी श्​्ाफ श्​्ॉफ और सनी देओल भी महत्वपूण्थ रहे है्. अट्सर लोग बड्े अनभिेता के बेटे की तुलिा उसके नपता से कर देते है्. आपको यह खतरा िही लगता? नही्, मेरी अखभनय शैली एकदम अलग है. हां, यह िर्र है खक डैड ने खिस समप्थण के साथ खफल्मो्मे्काम खकया है और खितने मिे लेकर काम खकया है, शायद ही मै्वैसा कर पाऊं. लेखकन मेरी यह कोखशश िर्र होगी खक काम करते हुए आनंद भी उठाऊं. िहां तक पापा से मेरी तुलना का सवाल है, तो यह बेकार की बात है. उनकी और मेरी तुलना का तो कोई मतलब ही नही्है. बड्ी बहि सोिम कपूर बॉलीवुड मे् अपिा मुकाम बिा चुकी है्. ट्या उिसे अनभिय के बारे मे्बात होती है? हां, कभी-कभी हम अखभनय से संबंखधत बात करते है्. दरअसल हमारे टेल्ट एक िैसे है्. मुझे लगता है खक आगे िाकर वे मेरी सबसे बड़्ी आलोचक साखबत हो्गी. लेखकन वे मेरे प्​्खत काफी ज्यादा केयखरंग है्. कई बार वे खबन मांगे सलाह भी दे देती है्. िब मै् उनकी नही् सुनता हूं, तो खफर वे मुझे मेरे हाल पर छोड़्देती है्.



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27 जनवरी - 02 फरवरी 2017

अंबरीश कुमार

कां

केर के आगे बढ्ते ही तेिी से खदन मे् ही अंधरे ा छा गया था. सामने थी केशकाल घाटी खिसके घने िंगलो्मे्िाकर सड़्क िो िाती है. साल, आम, महुआ और इमली के बड़्ेदरख्त के बीच सुिथ्पलाश के हरे पेड़्हवा से लहराते निर आते थे. िब तेि बाखरश की विह से पहाड़्ी रास्​्ो्पर चलना असंभव हो गया तो ऊपर बने डाक बंगले मे् शरण लेनी पड़्ी. कुछ समय पहले ही डाक बंगले का िीण्​्ोद्​्ार हुआ था इसखलए यह खकसी तीन खसतारा खरसाट्थका र्प धरे था. शाम से पहले बस्र् पहुच ं ना था इसखलए चाय पीकर बाखरश कम होते ही पहाड़्से नीचे चल पड़्.े बस्र् के नक्सल प्भ् ाखवत इलाको् मे्अब यह क्त्े ्भी शाखमल हो चुका है और पीपुलस ् वार (अब माओवादी) के कुछ दल इधर भी सख्​्कय है.् केशकाल से आगे बढऩे पर सड़्क के खकनारे आम के घने पेड़्ो् की कतार दूर तक साथ चलती है तो बाखरश मे् नहाये साल के िंगल साथ-साथ चलते है.् िंगलो् की अवैध कटाई के चलते अब वे उतने घने नही्है्खितने कभी हुआ करते थे. को्डागांव पीछे छूट गया था और बस्र् आने वाला था. वह आि भी गांव है, एक छोटा सा गांव. खिला मुखय् ालय िगदलपुर है िो ग्​्ामीण पखरवेश वाला आखदवासी शहर है. बस्र् का पूरा क्त्े ्दस हिार साल का खिंदा इखतहास संिोये है. हम इखतहास की यात्​्ा पर बस्र् पहुच ं चुके थे. दस हिार साल पहले के भारत की कल्पना खसफ्फअबूझमाड़्पहुच ं कर ही की िा सकती है. वहां के आखदवासी आि भी उसी युग मे्है.् बाखरश से मौसम भीग चुका था. हस्ख्शल्प के कुछ नायाब नमूने देिने के बाद हम गांव की ओर चले, कुछ दूर गये तो हरे पत्​्ो्के दोने मे्सल्फी बेचती आखदवासी मखहलाये्खदिी्. बस्र् के हाट बािर मे्मखदरा और सल्फी बेचने का काम आमतौर पर मखहलाये्ही करती है.् सल्फी उत्र् भारत के ताड़्ी िैसा होता है पर छत्​्ीसगढ्मे्इसे हब्ल थ खबयर की मान्यता खमली हुई है. यह संपन्नता का भी प्त् ीक है सल्फी के पेड़्ो् की संखय् ा देिकर खववाह भी तय होता है. बस्र् क्त्े ्को दंडकारण्य कहा िाता है. समता मूलक समाि की लड़्ाई लडऩे वाले आधुखनक नक्सखलयो्तक ने अपने इस िोन का नाम दंडकारण्य िोन रिा है खिसके कमांडर अलग होते है.् यह वही दंडकारण्य है िहां कभी भगवान राम ने वनवास काटा था. वाल्मीकी रामायण के अनुसार भगवान राम ने वनवास का ज्यादातर समय यही्गुिारा था. इस वन की िूबसूरती अद्त् है. घने िंगलो् मे्महुआ-कंदमूल, फलफूल और लकखडयां चुनती कमनीय आखदवासी बालाये् आि भी सल्फी पीकर मृदगं की ताल पर नृतय् करती निर आ िाती है.् यही्पर घोटुल की मादक आवािे्सुनाई पड़्ती है.् असंखय् झरने, इठलाती बलिाती नखदयां, िंगल से लदे पहाड़्और पहाड़्ी से उतरती नखदयां. कुटबुं सर की रहल्यमयी गुफाये् और कभी सूरि का दश्नथ न करने वाली अंधी मछखलयां, यह इसी दंडकारण्य मे् है. शाम होते ही बस्र् से िगदलपुर पहुच ं चुके थे क्यो्खक र्कना डाकबंगले मे् था. िगदलपुर की एक सीमा आंध्प्द् श े से िुड़्ी है तो दूसरी उड़्ीसा से. यही विह है खक यहां इडली डोसा भी खमलता है तो उड़्ीसा की आखदवासी मखहलाये् महुआ और सूिी

सम्मोहक शरण का अरण्र

मछखलयां बेचती भी निर आती है.् िगदलपुर मे् एक नही् कई डाकबंगले है.् इनमे् वन खवभाग के डाकबंगले के सामने ही आखदवासी मखहलाये् मछली, मुग्े और तरह-तरह की सस्बियो्का ढेर लगाये निर आती है.् बाखरश होते ही उन्हे्पास के बने शेड मे्शरण लेनी पड़्ती है. हम आगे बढ्ेऔर िगदलपुर िेल के पास सख्कटफ हाउस पहुच ं .े इस सख्कटफ हाउस मे्खसफ्फछत्​्ीसगढ्ही नही् आंध् और उड़्ीसा के नौकरशाहो् और मंख्तयो्का आना िाना भी लगा रहता है. कमरे मे्ठीक सामने िूबसूरत बगीचा है और बगल मे्एक बोड्थलगा है खिसमे्खवशािापट्नम से लेकर हैदराबाद तक की दूरी दशाय्​्ी गयी है. िगदलपुर अंगि ्े ो् के िमाने से लेकर आि तक शासकवग्थ के खलए मौि-मस्​्ी की भी पसंदीदा िगह रही है. मासूम आखदवाखसयो्का लंबे समय तक यहां के हुकम् रानो्ने शोरण खकया है इसी के चलते दूरदराि के डाकबंगलो्के अनखगनत खकल्से प्च ् खलत है.् इन बंगलो्के िानसामा भी काफी हुनरमंद है.् पहले तो खशकार होता था पर अब िंगलो्से लाए देसी बड़्े मुग्ो् को बाहर से आने वाले ज्यादा पसंद करते है.् यह झाबुआ के मशहूर कड़्कनाथ मुग्ेके समकक्​्माने िाते है.् सुबह तक बरसात िारी थी. पर िैसे ही आसमान िुला तो हम प्म् ि ु िलप्प् ातो्की तरफ चल पड़्.े तीरथगढ्िलप्प् ात महुए के पेड़्ो्से खघरा है. सामने ही पय्ावथ रण अनुकल ू पय्टथ न का बोड्थभी लगा हुआ है. यहां पाल और दोने मे्भोिन परोसा िाता है तो पीने के खलए घड़्े का ठंडा पानी है. िलप्प् ात को देिने के खलए करीब 100 फीट नीचे उतरना पड़्ा पर सामने निर िाते ही हम हैरान रह गये. कुछ समय पहले एक उत्साही अफसर ने इस िलप्प् ात की माक्ख्ेटंग के खलए मुबं ई की िूबसूरत माडलो्की खबकनी मे्इस झरने के नीचे नहाती खफल्म बना दी. आखदवासी लड़्खकयो्के वक्​्पर खसफ्फसाड़्ी खलपटी होती है िो उनकी परंपरागत पहचान है उन्हे् देिकर खकसी को खझझक नही्हो सकती पर खबकनी की इन माडलो्को देिकर कोई भी शरमा सकता है.

िगदलपुर के पास दूसरा िलप्प् ात है खचत्क ् ोट िलप्प् ात. इसे भारत का खमनी खनयाग्​्ा कहा िाता है. बरसात मे्िब इंद्ावती नदी पूरे वेग मे्अध्थचंद्ाकार पहाड़्ी से सैकड़्ो् फुट नीचे खगरती है तो उसका खबहंगम दृशय् देिते ही बनता है. िब तेि बाखरश हो तो

बसं​ंर अिने आपदम सौंदयंि के कारण रोमांचक और समंमोहक लगता है. दंडकारणंय के नाम से पं​ंपसदं​ं यह अंचल काफी समय से अशांत कं​ंेतं बन गया है. हालांपक उसका आकरंिण अब भी लोगों को बरबस अिनी ओर खींचता हैं. खचत्क ् ोट िलप्प् ात का दृशय् कोई भूल नही् सकता. बरसात मे्इंद्ावती नदी का पानी पूरे शबाब पर होता है झरने की फुहार पास बने डाक बंगले के पखरसर को खभगो देती है. बरसात मे् बस्र् को लेकर कखव िब्बार ने खलिा है- वर्थ के प्थ ् म आगमन पर, साल वनो्के िंगल मे,् उग आते है्अनखगनत द्​्ीप, खिसे िोडऩे वाला पुल नही्पुखलया नही्, द्​्ीप खिसे िाने नाव नही्पतवार नही्. बस्र् मे् अफ्​्ीका िैसे घने िंगल है,् दुलभथ् पहाड़्ी मैना है तो मशहूर िंगली भैस ्ा भी है.् कांगरे घाटी की कोटमसर गुफा आि भी रहल्यमयी निर आती है. करीब 30 फुट संकरी सीढ्ी से उतरने के बाद हम उन अंधी मछखलयो् की टोह लेने पहुच ं े खिन्हो्ने कभी रोशनी नही्देिी थी. पर खदल्ली से साथ आयी एक पत्क ् ार की सांस फूलने लगी और हमे् फौरन ऊपर आना पड़्ा बाद मे्पता चला उच्​् रक्तचाप और खदल के मरीिो्के अलावा सांस की समल्या खिन लोगो्मे्हो उन्हे्इस गुफा मे् नही्िाना चाखहये क्यो्खक गुफा मे्आक्सीिन की कमी है. हम कांगरे घाटी के घने िंगलो्मे् वापस लौट आये थे. दोपहर से बरसात शुर्

हुई तो शाम तक र्कने का नाम नही्खलया. हमे् िाना था दंतवे ाड़्ा मे् दंतश े र् ी देवी का मंखदर देिने. छत्​्ीसगढ्की एक और खवशेरता है. यह देखवयो्की भूखम है. केरल को देवो का देश कहा िाता है तो छत्​्ीसगढ्के खलए यह उपमा उपयुकत् है क्यो्खक यही्पर बमलेशर् ी देवी, दंतश े र् ी देवी और महामाया देवी के ऐखतहाखसक मंखदर है.् उधर िंगल, पहाड़्और नखदयां है्तो यहां की िमीन के गभ्थमे्हीरा और यूरखे नयम भी है. दंतवे ाड़्ा िाने का काय्क थ म् बाखरश की िह से रद्​् करना पड़्ा और हम बस्र् के रािमहल पखरसर चले गये. बस्र् की महारानी एक घरेलू मखहला की तरह अपना िीवन खबताती है.् उनका पुत्रायपुर मे्रािेरिवाड़्ो् के परंपरागत ल्कल ू (रािकुमार कॉलेि) मे्पढ्ता है. बस्र् के आखदवाखसयो् मे् उस रािघराने का बहुत महत्व है और ऐखतहाखसक दशहरे मे्रािपखरवार ही समारोह का शुभारंभ करता है. इस रािघराने मे्संघर्थ का अलग इखतहास है िो आखदवाखसयो्के खलए उसके पूवथ्महाराि ने खकया था. दंतवे ाड़्ा िाने के खलए दूसरे खदन सुबह का काय्क थ म् तय खकया गया. रात मे् एक पत्क ् ार खमत्​्ने पास के गांव मे्बने एक डाक बंगले मे्भोिन पर बुलाया. हमारी उत्सक ु ता बस्र् के बारे मे् ज्यादा िानकारी हाखसल करने की थी. साथ ही आखदवाखसयो्से सीधे बातचीत कर उनके हालात का िायिा लेना था. यह िगह डाक बंगले के पखरसर मे्कुछ अलग कटहल के पुराने पेड़्के नीचे थी. आखदवाखसयो् के भोिन बनाने का परंपरागत तरीका देिना चाहता था. इसी िगह से हमने सख्कटफ हाउस छोड़्गांव मे्बने इस पुराने डाक बंगले मे् रात गुिरने का फैसला खकया. अंगि ्े ो् के समय से ही डाक बंगले का बावच्​्ीिाना कुछ दूरी पर और काफी बनाया िाता रहा है. लकड़्ी से िलने वाले बड़्े चूलह् े पर दो पतीलो् मे् एक साथ भोिन तैयार होता है. साथ ही आखदवाखसयो् द्​्ारा तैयार महुआ की मखदरा सल्फी के बारे मे् िानना चाहते थे. आखदवासी महुआ और चाल से तैयार मखदरा का ज्यादा इस्म्े ाल करते है.्

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साथ बैठे एक पत्क ् ार ने बताया खक पहली धार की महुआ की मखदरा खकसी महंगे ल्काच से कम नही्होती है. दो पत्​्ो्के दोनो्मे्सल्फी और महुआ की मखदरा पीते मैन् े पहली बार देिा. गांव का आखदवासी िानसामा पतीलो् मे् दालचीनी, बड़्ी इलायची, काली खमच्,थ छोटी इलाइची, तेिपान िैसे कई मामले सीधे भून रहा था. मुझे हैरानी हुई खक यह खबना तेलघी के कैसे िड़्ेमसाले भून रहा है तो उसका िब था यहां देसी मुगथ् बनाने के खलए पहले सारे मसाले भून कर तैयार खकये िाते है्खफर बाकी तैयारी होती है. बाखरश बंद हो चुकी थी इसखलए हम सब खकचन से खनकल कर बाहर पेड़्के नीचे बैठ गये. िगदलपुर के पत्क ् ार खमत्​्ो्ने आखदवाखसयो्के रहन-सहन, खशकार और उनके खववाह के तौर तरीको्के बारे मे् रोचक िानकाखरयां दी. पहली बार बस्र् आये पत्क ् ार खमत्​्के खलए समूचा माहौल सम्मोखहत करने वाला था. दूर तक फैले िंगल के बीच इस तरह की रात खनराली थी. शाम होते-होते हम केशकाल घाटी से आगे िा चुके थे. साथी पत्क ् ार को पौड़्ी की पहाखडयां याद आ रही थी्. पर यहां न तो चीड़् था और न देवदार के िंगल. यहां तो साल के िंगलो्के टापू थे. एक टापू िाता था तो दूसरा आ िाता था. बस्र् की पहली यात्​्ा काफी रोमांचक थी. ऐसे घने िंगल हमने पहले कभी नही्देिे थे. आखदवासी हाट बािरो्मे्शोि चटि रंग मे्कपड़्ेपहने युवखतयां और बुिगु थ् मखहलाएं सामान बेचती निर आती थी्. पहली बार हम खसफ्फ िानकारी के मकसद से बस्र् गये थे पर दूसरी बार पत्क ् ार के र्प मे.् इस बार िब खदनभर घूम कर िबर भेिने के खलए इंटरनेट ढूढं ना शुर्खकया तो आधा शहर िंगाल डाला पर कोई साइबर कैफे नही् खमला. सहयोगी पत्क ् ार का रक्तचाप बढ्रहा था और उन्हे्लग रहा था खक िबर शायद िा ही न पाये और खपछले दो खदन की तरह आि भी कोई ल्टोरी छप पाये. िैर, एक साइबर कैफे खमला भी तो उसमे् उनका इमेल िुलने का नाम न ले. अंत मे्मेरे आईडी से बस्र् की िबर उन्हो्ने भेिी और हिार बार खकल्मत को कोसा. आखदवाखसयो् के बारे मे्काफी िनकारी ली और खदन भर घूम कर हम खफर दूसरे डाक बंगले मे्बैठ.े इस बार तीरथगढ् िलप्प् ात देिने गये तो िमीन पर महुए के गुलाबी फूल खबिरे हुए थे. उनकी मादक िुशबू से पूरा इलाका गमक रहा था. महुआ का फूल देिा और यह क्या होता है िानने का प्य् ास खकया. साथ गयी आरती महुए की दोनो् मे् खबकती मखदरा भी चिना चाहती् थी् पर वह दोना हाइिखनक नही् लगा इसखलए छोड़् खदया. एक गांव पहुच ं े तो आखदवाखसयो्के घोटूल के बारे मे्िानकारी ली. घोटूल अब बहुत कम होता है. खववाह संबधं बनाने के रीखत-खरवाि भी अिीबो गरीब है.् आखदवासी यु्वक को यखद युवती से प्यार हो िाये तो वह उसे कंघा भेट् करता है और यखद युवती उसे बालो् मे् लगा ले तो खफर यह माना िाता है खक युवती को युवक का प्स ् ्ाव मंिरू है. खफर उसका खववाह उसी से होना तय हो िाता है. बस्र् का पूरा इलाका देिने के खलए कम से कम हफ्ते भर का समय चाखहये. पर समय की कमी की विह से हमने टुकड़्ो-् टुकड़्ो्मे् इस आखदवासी अंचल को देिा लेखकन अधूरा. (रािकमल प्क ् ाशन से प्क ् ाखशत यात्​्ा वृतांत 'घाट घाट का पानी ' से )


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27 जनवरी - 02 फरवरी 2017

रूपी मे् बसपा तीसरे नंबर पर!

ियी नदल्ली. एक सव्​्े ने भािपा को यूपी मे् सबसे आगे कर खदया तो बसपा को सबसे पीछे कर खदया है. सव्​्े के मुताखबक उत्​्र प्​्देश, पंिाब और गोवा मे् होने वाले खवधानसभा चुनाव मे् खकसी भी पाट्​्ी को बहुमत खमलने की संभावना नही् है. वही्, उत्र् ािंड मे् भारतीय िनता पाट्ी् को ल्पष्​् बहुमत खमलने की उम्मीद है. यह दावा गुरव् ार को िारी कये गये एक ऑखपखनयन पोल मे् खकया गया. द वीक-हंसा खरसच्थके ऑखपखनयन पोल के मुताखबक उत्​्र प्​्देश और गोवा मे् भािपा सबसे बड़्े दल के र्प मे् सामने आयेगा. वही् पंिाब मे् कांग्ेस को सबसे ज्यादा सीटे्खमल सकती है.् ऑखपखनयन पोल के नतीिो्मे्कहा गया, 'उत्र् प्द् श े मे् 403 सीटो् मे् से भािपा को 192 से 196 सीटे् खमल सकती है्. समािवादी पाट्​्ी और कांग्ेस का गठबंधन इससे ज्यादा पीछे नही्रहेगा और वह 178182 खनव्ाच थ न क्त्े ्ो्मे्िीत दि्थकर सकता है. बहुिन समाि पाट्​्ी खसफ्फ 20 से 24 सीटो् के साथ बहुत पीछे तीसरे ल्थान पर रहेगी. अन्य को पांच से नौ के बीच सीटे्खमल सकती है.्' पोल के नतीिो्मे्कहा गया, 'पंिाब मे् कांग्ेस सबसे बड़्े दल के र्प मे् सामने आएगी और इसे 49-51 सीटे् खमल सकती

है.्वही्117 सदल्यो्की खवधानसभा मे्आम आदमी पाट्​्ी 30-35 सीटो्के साथ दूसरे नंबर पर रहेगी. खशरोमखण अकाली दल और भािपा का गठबंधन केवल 28-30 सीटे् िीत पायेगा. अन्य को तीन से पांच सीटे् खमल सकती है.्'इन चार राज्यो्मे्से ल्पष्​्बहुमत का अनुमान केवल उत्​्रािंड के बारे मे् िताया गया है और कहा गया है खक भािपा को 70 सदल्यो्वाली खवधानसभा मे्37-39 सीटे्खमल सकती है.् पोल मे्कहा गया है खक उत्​्रािंड मे् सत्​्ार्ढ् कांग्ेस को 27-29 सीटे् खमल सकती है्. बीएसपी एक से तीन सीटो्पर िीत दि्थकर सकती है, वही्अन्य छोटे दलो्को एक से तीन सीटे्खमल सकती है.् पोल के मुताखबक, गोवा की 40 सीटो्मे्

से सत्​्ार्ढ् भािपा 17-19 सीटे् िीत कर सबसे बड़्ी पाट्​्ी के र्प मे् उभर सकती है और उसके बाद दूसरे नंबर पर कांगस ्े रहेगी, खिसे 11-13 सीटे् खमल सकती है्. आम आदमी पाट्​्ी को केवल 2 से 4 सीटे् खमलने का अनुमान िताया गया है. गोवा मे्महाराष्​् गोमांतक पाट्​्ी की अगुवाई वाले गठबंधन को तीन से पांच सीटे् खमलने की उम्मीद ितायी गयी है. खनद्ल थ ीयो्को अखधकतम दो सीटे्और बाखकयो्को एक से तीन सीटे्खमल सकती है.् द वीक-हंसा खरसच्थकी ओर से िारी खरलीि के मुताखबक, यह ऑखपखनयन पोल एक सप्ताह पहले कांगस ्े -समािवादी पाट्​्ी का गठबंधन होने के तुरतं बाद खकया गया था. मखणपुर मे् पोल नही्कराया गया था. वहां भी खवधानसभा चुनाव होने है.्

तराई िें भी बगावत

संजीव श्​्ीवास्व्

बहराइच. भारतीय िनता पाट्​्ी मे् बहराइच और श्​्ावस्​्ी खिले के प्​्त्याखशयो् की सूची िारी होते ही बगावत के ल्वर बुलदं होने लगे है्. वर्​्ो से पाट्​्ी मे् अपने उम्मीदवारी पुखत् ा करने मे्लगे पाट्​्ी खदन्गिो् का कहना है खक लगातार चुनाव हार रहे और बाहरी लोगो्को खटकट देकर संगठन मे् समख्पथत काय्थकत्ाथओ्का अपमान खकया है. वही्कुछ तो खनद्ल थ ीय अथवा प्​्ातं ीय दलो्से् संपक्फ साधकर चुनावी समर मे् उतरने का िुगत बनाने मे्लग गये है. बहराइच व श्​्ावस्​्ी शुर्से ही िनसंघ और भािपा के खलए बेहतर माना िाता रहा है कई बार तो दोनो् खिलो् की सभी खवधानसभाओ् मे् पाट्​्ी को शत प्​्खतशत सफलता खमली लेखकन 2012 खवधानसभा चुनाव पाट्​्ी के खलए दु:ल्वप्न रहा है्. उस वक्त दोनो्खिलो्के नौ सीटो्मे्से कैसरगंि सीट पर ही सफलता खमल पायी थी. भारी परािय का दंश झेल रहे पाट्​्ी ने रणनीखत बनाकर सभी सीटो् पर कमल खिलाने का प्​्यास खकया. यहां पर बूथ स्​्रीय कमेखटयां बनाकर पाट्​्ी ने प्​्धानमंत्ी नरे्द्मोदी समेत लिनऊ के मेयर डा. खदनेश शम्ाथ, वखरष्​् मंत्ी कलराि खमश्​्व कई वखरष्​्नेताओ्के काय्थक्म करवाकर पाट्​्ी ने काय्थकत्ाथओ्मे् िोश भरने का प्​्यास खकया लेखकन सूची िारी होते ही दोनो्खिलो्मे्बिेड़्ा हो गया.

पाट्​्ी के ओर से िारी पहली सूची मे् कैसरगंि खवधानसभा क्​्ेत् से पाट्​्ी के खवधायक मुकुटखबहारी वम्ाथ को खफर से खटकट खदया गया है वे नानपारा खवधानसभा क्त्े ्के रहने वाले है.् इसे लेकर काय्क थ त्ाओ थ ् मे् असन्तोर भडक गया है और वे खकसी ल्थानीय नेता को खटकट देने की मांग कर रहे है. पाट्​्ी से दूसरी सूची मे्महसी खवधानसभा क्​्ेत्से सुरेश्र खसंह को खटकट खदया गया है िो खक लगातार दो बार से खवधानसभा चुनाव हार रहे है्. बलहा सुरख्​्कत खवधानसभा क्​्ेत् से पूव्थ मंत्ी अख्​्कबर लाल गौड़् को खटकट खदया गया है गौड़् लगातार दो बार खवधानसभा व एक बार लोकसभा चुनाव हार चुके है् यहां से अपने दावेदारी िता रहे बहराइच के सांसद करीबी अक्​्यबर कनौखिया ने बगावत का झंडा बुलंद करते हुए खनद्थलीय चुनाव लडने का ऐलान खकया है. नानपारा खवधानसभा क्​्ेत् से कांग्ेस के झंडे तले खपछला चुनाव िीती माधुरी वम्ाथ को पाट्​्ी ने खटकट खदया है. भािपा उम्मीदवारो् को चुनाव क्​्ेत् मे् कदम रिते ही काय्थकत्ाथओ्के असंतोर का सामना करना पड़़ रहा है. इससे पाट्​्ी के रणनीखतकार खचंखतत खदि रहे है्. हालांखक संघ व पाट्​्ी से िुड़े नेताओ्का कहना है खक खटकट न खमलने से नाराि लोगो् व उनके सम्थथको् की नारािगी दूर करने का प्​्यास शुर्खकया गया है.

भाजपा शिवसेना गठबंधन खटाई में दब्खखन से लॉन्च हो रहा है अन्यब गोस्वामी का ‘सरपब्ललक!’

ियी नदल्ली: बीएमसी चुनाव से पहले बीिेपी को बड़्ा झटका लगा है. खशवसेना प्म् ि ु उद्व् ठाकरे ने ऐलान खकया खक पाट्​्ी बीएमसी चुनाव मे् खकसी के साथ गठबंधन नही् करेगी. आपको बता दे् खक सीटो्को लेकर खशवसेना और बीिेपी मे्लंबे समय से पे्च फंसा था. उद्​्व ठाकरे के बयान के िवाब मे् महाराष्​् सीएम देवे्द् फडणवीस ने कहा 'सत्​्ा हमारा लक्​्य नही्, खवकास का साधन है. पारदश्​्ी कामकाि ही हमारा मूलमंत्है. िो आयेग् े उनके साथ, िो नही् आये्गे उनके खबना ही पखरवत्थन तो होगा.' खशवसेना प्​्मुि के बयान के बाद बीिेपी नेता खकरीट सोमैया ने कहा, 'हमारी इच्छा है खक बीएमसी को भ्​्ष्ाचार मुक्त बनाये्, इसखलए िो हमारे साथ आना चाहता है उसका ल्वागत है. भारतीय िनता पाट्​्ी देवे्द् फडणवीस के नेतृत्व मे् बीएमसी मे् सरकार बनाने िा रही है.' नॉथ्थ ईल्ट के चार राज्यो् से ज्यादा है

RNI- DELHIN/2015/ 65658

बीएमसी का बिट बीएमसी पर कब्िा होने का मतलब है देश की आख्थथक रािधानी पर कब्िा होना. बीएमसी का बिट करीब 37 हिार करोड़्है. इतना बिट तो देश के पंद्वे् बड़्े राज्य अर्णाचल प्​्देश का भी नही् है. मखणपुर का बिट 10500 करोड़् र्पये है िबखक अर्णाचल प्​्देश का बिट 12500 करोड़् र्पये है. खमिोरम का बिट करीब 8000 करोड़्र्पये और खसक्म् का 5800 करोड़्र्पये है. नाथ्थईल्ट के इन चारो्राज्यो् को भी खमला दे् तो मुंबई की बीएमसी का बिट इनसे ज्यादा है. कांग्ेस के खलए ये चुनाव नाक बचाने की तरह है. लोकसभा मे्हार, खवधानसभा मे् हार के खसलखसले को कांग्ेस 20 साल बाद बीएमसी मे् िीत से ित्म करना चाहेगी. परीक्​्ा राि ठाकरे की पाट्​्ी महाराष्​् नवखनम्ाथण सेना की भी है. इस समय बीएमसी मे खशवसेना-बीिेपी गठबंधन सरकार है. बीएमसी मे्कुल 227 कॉप्​्ोरेटर है्.

ियी नदल्ली. यह संयोग नही् है खक खचल्लाकर अंग्ेज़्ी बोलने वाले इकलौते भारतीय समाचार प्स ् ्ोता अन्बथ गोल्वामी का समाचार चैनल ‘खरपस्बलक’ गणतंत् खदवस के आसपास ही लान्च हो रहा है. इसे मुहावरे मे् समझे् या यूं ही, लेखकन यह ‘खरपस्बलक’ अब औपचाखरक र्प से रािग यानी भारतीय िनता पाट्​्ी यानी आरएसएस की अपनी दुकान होगा खिसके गभ्गथ हृ यानी न्यि ू र्म मे् केवल दख्​्कणमुिी बिरंखगयो् की एक फौि आपको िबरन राष्​्वाद की िुराक खपलाने का धंधा करेगी. टाइम्स नाउ छोड़्ने के अगले ही खदन अन्थब गोल्वामी ने इस कंपनी को ज्वाइन कर खलया था. कहा िा रहा था खक यह ल्वतंत् पत्​्काखरता का एक खठकाना होगा, लेखकन इंखडयन एक्सप्​्ेस ने सबसे पहले ख़्बर छापी खक इस चैनल मे्सबसे बड़्ा खनवेश भारतीय िनता पाट्​्ी के राज्यसभा सांसद और केरल मे् एनडीए के उपाध्यक्​् उद्​्मी रािीव चंद्शेिर का होगा. (फोटो दाये्) ‘खरपस्बलक’ की मूल कंपनी का नाम है एआरिी आउटलायर मीखडया प्​्ाइवेट खलखमटेड खिसके प्​्बंध खनदेशक िुद अन्थब गोल्वामी है्. उन्हो्ने 19 नवंबर को यह पद ग्​्हण कर खलया था और उसके बाद से घूमघूम कर सबको बता रहे है् खक यह चैनल खदल्ली की लुखटयन पत्​्काखरता को चुनौती देगा. चंद्शेिर ने इस चैनल मे् 30 करोड़् र्पये का खनवेश अपनी अलग-अलग

उनके खवचारो्से ”पय्ाथप्त पखरखचत” हो्. बाद मे् गुप्ता ने हालांखक इस ईमेल को अनदेिा करने के खलए एक और मेल खलिा, लेखकन बंगलुर्मे्अंडर 25 सखमट मे्अन्थब ने अपने खरपस्बलक के पीछडे का खवचार िब साव्थिखनक खकया तो यह साफ़् हो गया खक टीवी के इस नये गणतंत् को दरअसल वास्​्व मे् बिरंगी पत्​्कारो् की एक ऐसी फ़्ौि चाखहये िो माखलक के कहे मुताखबक दाखहनी ओर पूछ ं खहला सके. अन्बथ का कहना था खक वे लुखटयन की खदल्लीकी पत्​्काखरता से पत्​्काखरता को बचाने का काम करे्गे क्यो्खक वे लोग समझौतावादी है् और उन्हे् िनता का प्​्खतखनखधत्व करने का कोई हक़् नही्है. क्या वास्​्व मे् पत्​्कार िनता का प्​्खतखनखध हो सकता है? अगर चैनल ‘खरपस्बलक’ हो सकता है तो पत्​्कार उसका प्​्खतखनखध भी हो सकता है. ज़्ाखहर है, सच्​्ा प्​्खतखनखध वही होगा िो खरपस्बलक के माखलकान की अवधारणा के साथ हो. बहरहाल, इंखडयन एक्सप्​्ेस ने िब फौि की भी तलाश है. इंखडयन एक्सप्​्ेस की 21 खसतंबर की एक ख़्बर के मुताखबक खलिकर अन्थब से यह सवाल पूछा खक क्या चंद्शेिर की कंपनी िुखपटर कैखपटल के उनके माखलक चंद्शेिर का चैनल मे्खनवेश सीईओ अखमत गुप्ता ने अपने संपादकीय खहतो्का टकराव नही्है क्यो्खक वे िुद रक्​्ा प्​्मुिो्को एक ईमेल भेिा था खिसमे्खनद्​्ेश सौदो् से िुड़्े है् और रक्​्ा पर संसद की खदया गया था खक संपादकीय टीम मे् उन्ही् ल्थायी सखमखत के सदल्यस भी है्साथ ही रक्​्ा पत्​्कारो् को रिा िाये खिनका ल्वर मंत्ालय की परामश्थसखमखत मे्भी है्. इस पर दख्​्कणपंथी हो, िो सेना समथ्थक हो्, अन्थब की ओर से अख़्बार को कोई िवाब चेयरमैन चंद्शेिर की खवचारधारा के नही्खमला. अनुकूल हो्और राष्​्वाद व रािकाि” पर (साभार मीनडया नवनजल) कंपखनयो् के रास्​्े खकया है. चंद्शेिर की एखशयानेट के अलावा अन्थब की कंपनी एसएआरिी मीखडया होस्लडंग का इसमे् खनवेश है. मसला केवल खनवेश का नही्है बस्लक इस गणतंत् को लेकर िैसी पखरकल्पना इसके माखलको् ने रची है, उसी खहसाब से अपना गणतंत् रचने के खलए उन्हे् कामगार

ल्वत्वाखधकारी, प्​्काशक और मुद्क: क्​्मता खसंह के खलए अमर उिाला पस्बलकेशंस खलखमटेड, सी-21, 22, सेक्टर-59, नोएडा, उत्​्र प्​्देश से मुख्दत एवं दूसरी मंखिल, बी-146, हखरनगर आश्​्म, नयी खदल्ली- 110014 से प्​्काखशत. संपादकः अंबरीश कुमार (पीआरबी अखधखनयम के तहत समाचारो्के चयन के खलए खिम्मेदार) सभी कानूनी खववादो्के खलए न्याय क्​्ेत्खदल्ली होगा. संपक्फ: +91.8004903209, 9793677793 ईमेल: shukrawaardelhi@gmail.com


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