Shukrawaar newspaper 6 12 january 2017 medium quality (1)

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पहलवानी और ससनेमा के बीच पेज- 13

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वर्ष 2 अंक 10 n पृष्: 16 n 6 जनवरी - 12 जनवरी 2017 n नयी दिल्ली n ~ 5

गठबंधन हुआ तो अखिलेश

l मुख्य टकराव सपा और बसपा के बीच l कांग्ेस और लोकदल को सौ सीटो् के आसार

सवशेष संवाददाता

लखनऊ. उत्​्र प्​्देश ववधान सभा चुनाव मे् समाजवादी पार्​्ी के गठबंधन पर सबकी नजर लगी हुई है. अगर इस हफ्ते गठबंधन का एलान हो जाता है तो अविलेश यादव सरकार की सत्​्ा मे् विर वापसी तय है. हालांवक गठबंधन को लेकर वपछले हफ्ते भर मे् कोई ख़ास प्​्गवत नही् हुई है. इसकी एक वजह समाजवादी पार्​्ी की अंदर्नी कलह मे् अविलेश यादव का ज्यादा िंसा रहना माना जा रहा है. वपछले कुछ महीनो्मे्जो भी सव्​्ेआये है् उनमे ज्यादातर मे् मुख्यमंत्ी अविलेश यादव को सबसे लोकव्​्पय मुख्यमंत्ी के र्प मे्दश्ा​ाया जा रहा है. चाहे उनके पावरवावरक वववाद से पहले के सव्​्े हो् या बाद के. अविलेश पहले नंबर पर बने हुए है्. पर बहुमत के आंकडे को लेकर अलग अलग आकलन है. समाजवादी पार्​्ी मे् ववभाजन की आशंका है. पर यह ववभाजन दो िाड जैसा नही्है. अगर कोई ववभाजन हुआ भी तो नब्बे िीसद ववधायक, सांसद और एमएलसी अविलेश यादव की तरि ही रहे्गे. गुर्वार

से लेकर शुक्वार तक इन लोगो् ने चुनाव आयोग को वदए जाने वाले हलिनामे पर हस्​्ाक्​्र कर वदया था. हालांवक इसी बीच मुलायम वसंह यादव और अविलेश यादव के बीच सुलह की अंवतम कोवशश चल रही है. आजम िान इसके सूत्धार है्. अमर वसंह

अब सेक्युलर ताक्तो् को एकजुट करने की चुनौती

रामेश्र पांडेय

वशवपाल के प्व्त लंबे समय से वनष्​्ावान रहे थोड् े से लोगो् को वकनारे कर वदया जाए तो लखनऊ. अविलेश यादव अंततः पवरवार के झगड्े मे् ववजयी होकर उभरे है्. पूरी पार्​्ी-काय्ाकत्ा​ा और पदावधकारीप्​्देश की सत्​्ा पर कावबज होने के साथ के अविलेश के साथ िड्ी नजर आती है. इस वलहाज से देिा जाए तो अविलेश साथ ही पार्​्ी का बड्ा धड्ा भी उनके ही पक्​् मे् है. गुर्वार को हुई बैठक मे् उनके साथ के सामने चुनौवतयां अब दूसरी है्. पार्​्ी के पार्​्ी के 90% से भी ज्यादा ववधायको् की स्​्र पर उनके सामने सबसे बड्ी चुनौती मौजूदगी ने एक बार विर सावबत वकया वक अपनी साि-सुथरी छवव के दावे के अनुसार जो लोग उनके साथ नही् है्, उनकी संख्या सभी छोरे-बड्े दावगयो् से पार्​्ी को वनजात बहुत कम है. काय्ाकत्ा​ाओ् का जैसा बड्ा वदलाना है. इस काम मे्कािी सावधानी और समूह स्वतःस्िूत्ा ढंग से मुख्यमंत्ी के पीछे तेजी की जर्रत है वरना बहुत से दागी लोग िड्ा वदिा है, उसके बाद पार्​्ी चेहरे और कपड्े बदल कर अविलेश के पदावधकावरयो् के सामने भी अविलेश के हुजमू मे्शावमल हो सकते है्और उनके दावे ववर्द् िड्े होने का साहस डोल गया है. को बेदम कर सकते है.् इसके वलए उन्हे्पार्​्ी यही वजह है वक वजन लोगो् की वनष्​्ा के डीएनए मे् बदलाव करने की जर्रत असंवदग्ध र्प से मुलायम वसंह यादव और होगी. इस आंतवरक चुनौती से भी बड्ी चुनौती वशवपाल यादव के प्​्वत रही है, वे भी िुल कर उनके साथ जाने के बजाय आजम िान है प्​्देश की सभी धम्ावनरपेक् ताकतो् को जैसी मेल वमलाप की बाते् कर रहे है् और गोलबंद करना. ऐसा वकए वबना भारतीय अविलेश के विलाि िड्े होने का कोई जनता पार्​्ी को रोक पाना अविलेश के वलए बाकी पेज 2 पर संकेत देने से बच रहे है्. मुलायम और

पार्​्ी छोडने को तैयार है् तो वशवपाल प्​्देश अध्यक्​्का पद भी. मामला राष्​्ीय अध्यक्​् और वरकर बंरवारे के अवधकार पर िंसा हुआ है. पर इससे भी आगे का बडा मुद्ा गठबंधन का है. अगर कांग्ेस लोकदल के साथ समाजवादी

पार्​्ी का गठबंधन हुआ तो गैर भाजपा दलो् की एकता का ग्​्ाि ऊपर चला जायेगा. ऐसे मे्गठबंधन को ज्यादा िायदा हो सकता है. वैसे भी समाजवादी पार्​्ी की बडी चुनौती इस समय अपने वसवरंग ववधायको्की ज्यादा से ज्यादा सीर बचाना है. मुलायम और अमर वसंह िेमे के चलते समाजवादी पार्​्ी के कामकाज पर भी असर पडा है. वजस ववकास के एजंडा को लेकर अविलेश जनता के बीच जाना चाहते थे उसकी धार पार्​्ी के दागी नेताओ् ने भोथरी कर दी है. ऐसे मे् वसि्फ गठबंधन से अविलेश यादव विर पुरानी स्सथवत मे्लौर सकते है्. उत्​्र प्​्देश मे् अभी भी मुख्य लडाई समाजवादी पार्​्ी और बहुजन समाज पार्​्ी के बीच ही है. पर मुस्सलम मतदाताओ् का भ्​्म समाजवादी पार्​्ी को कमजोर कर सकता है. इसवलए अविलेश बडे धम्ावनरपेक्गठबंधन के पक्​्धर है्. पर अभी ठोस पहल बाकी है. राष्​्ीय लोकदल के मीवडया प्​्भारी अवनल दुबे ने कहा, गठबंधन होना चावहए यह तो चौधरी अवजत वसंह कह चुके है्. पर बाकी पेज 2 पर

लखनऊ. समाजवादी पार्​्ी के सूत्ो्के मुतावबक पार्​्ी के बै्क िाते गुर्वार को होल्ड कर वदए गये है्. इन िातो से मुलायम िेमा अब पैसे नही् वनकाल पाएगा. अविलेश के पार्​्ी का राष्​्ीय अध्यक्​्बनने के बाद उनकी रीम की ओर से स्रेर बै्क ऑि इंवडया और केनरा बैक ् मे्अज्​्ी दी गयी थी.अज्​्ी मे्कहा गया था वक अध्यक्​्पद पर बदलाव हो गया है, इस वजह से िातो् का संचालन रोक वदया जाये. बै्को् ने अज्​्ी

वमलने के बाद िातो् के संचालन पर रोक लगा दी है. सूत्ो्का कहना है वक रीम अविलेश की ओर से बैक ् ो्मे्दी गयी अज्​्ी मे्अविलेश के साथ मुलायम को भी रकम वनकालने का अवधकार देने की गुजावरश की गयी है. अब तक लिनऊ की मुख्य ब्​्ांच मे् मौजूद इन िातो् का संचालन वशवपाल यादव के हस्​्ाक्​्र होता था. सूत्ो् का कहना है वक बाकी पेज 2 पर

सपा के बैंक खाते पर रोक

अंबरीश कुमार

नोरबंदी के 50 वदन बीत गये. प्​्धानमंत्ी नरे्द्मोदी ने 50 वदन ही तो मांगे थे. उसके बाद का हफ्ता भी बीत गया. अब नया साल भी शुर्हो गया है. पर बीते साल की नोरबंदी के चलते कई घरो्मे्अंधेरा छाया हुआ है. बीते साल के अंवतम वदन प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी बोले. पर ऐसा कुछ नही् बोले वजसकी देश के लोगो्

‘गठबंधन जनता की इच्छा’

तीसरी बार विधान पवरषद के सदस्य यशिंत वसंह से धीरे्द् श्​्ीिास्​्ि की बातचीत. लखनऊ. समाजवादी पार्​्ी से तीसरी बार ववधान पवरषद के सदस्य बने यशवंत वसंह का कहना है वक समान ववचारधारा के लोगो् को साथ वमलकर चुनाव लड्ना चावहये. यही जनता की इच्छा है. उन्हो्ने कहा वक आगामी ववधानसभा चुनाव मे् गठबंधन स्वाभाववक है. सपा मे् चल रही हावलया उठापरक को लेकर शुक्वार से बातचीत की. अवखलेश यादि के साथ पार्​्ी के वकतने विधायक है्?

समाजवादी पार्​्ी के लगभग सभी ववधायक उत्​्र प्​्देश के मुख्यमंत्ी और समाजवादी पार्​्ी के राष्​्ीय अध्यक्​् अविलेश यादव के साथ है्. केवल वही ववधायक उनके साथ नही है् जो भ्​्म मे् है्. ऐसे ववधायको् की संख्या नगण्य है. उनको अंगुवलयो्पर वगना जा सकता है. आपने अवखलेश यादि के साथ जाने का फैसला क्यो् वकया? मुख्यमंत्ी अविलेश यादव ने पूरे पांच बाकी पेज 2 पर

चूहे के हाथ तो चचंदी है

को उम्मीद थी. इससे पहले भी बोले थे तो चूहे की बात कही. वे अपने अंदाज मे् बोले, 'एक नेता कहते है् वक मोदी ने िोदा पहाड्और वनकली चुवहया. मै् बता दूं वक मै् चुवहया ही चाहता था. क्यो्वक वो ही सब कुतरकुतर के िा जाती है.' प्​्धानमंत्ी ने ही कहा वक वे वसि्फ चुवहया ही वनकालना चाहते थे. इससे ज्यादा कुछ नही्. शेर का वपंजडा लगाकर बाकी पेज 2 पर


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6 जनवरी - 12 जनवरी 2017

एजे्डे मे् नही् ये मौते्

सहारा पेपस्स मामले मे् माफी

रे्द् मोदी के नेतृत्व वाली के्द् की भाजपानीत सरकार का दावा रहा है वक वह काले धन से वनपरने के वलए प्व्तबद्​्है. लेवकन अंग्ेजी दैवनक इंवडयन एक्सप्​्ेस के एक िुलासे ने उसकी ववश्​्सनीयता को संकर मे् डाल वदया है. समाचार पत्​् के मुतावबक प्​्धानमंत्ी नरे्द्मोदी द्​्ारा देश की 86 िीसदी मुद्ा को चलन से बाहर करने के महज दो वदन बाद यानी 10 नवंबर को इन्कम रैक्स सेरलमे्र कमीशन (आईरीएससी) ने 'सहारा पेपस्ा' मामले मे् आनन िानन मे् अंवतम आदेश पावरत कर इसे ठंडे बस्​्ेमे्डाल वदया. यह वही सहारा पेपस्ाहै्वजनमे्तब गुजरात के मुख्यमंत्ी रहे और मौजूदा प्​्धानमंत्ी नरे्द् मोदी समेत 100 से अवधक नेताओ् के नाम है्. कांग्ेस उपाध्यक्​्राहुल गांधी इन्ही्पेपस्ाके मामले की जांच की मांग और प्​्धानमंत्ी से जवाब तलब करते रहे है्. स्वयंसेवी संगठन काॉमन कॉज ने गत वष्ा 15 नवंबर को सव्​्ोच्​् न्यायालय के समक्​्एक यावचका दायर की और मांग की वक आईरीएससी को सहारा को क्​्मा करने से रोकने के वलए एक ववशेष जांच रीम गवठत की जाये. देश की सबसे बड्ी अदालत

धीरे्द् श्​्ीवास्​्व

पार्​्ी मे्सुलह हो गयी तो लोकदल को घारा लखनऊ. गत मंगलवार को अमेठी के ही घारा. मुलायम को चावहये सन्यास ले ले्. महोना गांव मे्एक ही पवरवार 10 मवहलाओ् बेरे को चेहरा बनाकर गठबंधन कर मैदान की गला रेत कर हत्या कर दी गयी और मे् उतरे तो प्​्चंड बहुमत से कोई नही् रोक पवरवार का मुविया जमालुद्ीन िुद िांसी के सकता. वैसे रालोद का कुल असर पव्​्िम िंदे पर लरका वमला. बुधवार को यह िबर के कुछ वजलो् तक है जो मुजफ्िरनगर के आम हुई.आसपास के लोग दृश्य देिकर रो तांडव के बाद दो िाड् नजर आ रहे है्. पड्े.अमेठी वह क्​्ेत् है जो 2014 से पहले इसवलए इस दल मे्अमेठी के महोना का का तक भारत सरकार की नजऱ मे्अवतवववशष्​् दद्ायहां तलाशना बेमतलब था. बसपा ने अवधकृत 100 उम्मीदवारो्की क्​्ेत् था. इसवलए लगा वक ये मौते्, ये आंसू पहली सूची गुर्वार को जारी की. सूची मे् आज प्​्देश की राजनीवत को झकझोर दे्गे. घोवषत नाम पहले ही कोआव्डिनेरर घोवषत आज राजनीवतक दलो् के काय्ा​ालयो् मे् इसे कर चु क े है्. इसवलए इसमे् नया कुछ नही् लेकर चच्ा​ा होगी. वातावरण वमला ठीक उलर. काय्ा​ालय था. गरीबो्की यह पार्​्रा ीइधर मुसस् लम दवलत के बाहर जेरे बहस था वक एक प्​्वक्ता ने समीकरण पर अवधक ध्यान दे रही है. सूची अविलेश यादव को जननायक क्यो् कहा? मे्36 उम्मीदवार मुसस् लम है.् इसवलए उम्मीद कुछ लोग इसे लेकर वचंवतत थे वक समझौता थी वक इस पार्​्ी के एजेड् े मे्अमेठी के महोना हुआ तो पार्​्ी को घारा होगा. दुिी वदि रहे की यह घरना जर्र होगी लेवकन होना और एक सज्​्न बोल रहे थे वक मै् तो यहां से सोचना नदी के दो वकनारो् की तरह वदिे. लेकर वदल्ली तक चीि रहा हूं वक समझौता समाजवादी पार्​्ी का सूबे मे् शासन है. यह नही्होना चावहये लेवकन मेरी कौन सुनेगा? पार्​्ी अल्पसंख्यको् की हर समस्या को राष्​्ीय लोकदल के काय्ा​ालय के बाहर ओढ्ती है, वबछाती है, लेवकन आज अमेठी अपनी पार्​्ी से अवधक सपा की उठा परक के महोना की 11 मौतो् को लेकर यहां भी पर वचंता थी. व्याकुलता थी वक समाजवादी कोई आंसू बहाने वाला नही्था.

शेष का ध्यान वववाद पर था. नेता जी आ रहे है्. भैया लेने जा रहे है्. नेताजी आये भी लेवकन उनके साथ अमर वसंह थे. इसवलए भैया ने वमलने को बढ्ेअपने पांव रोक वलए. इसी मे्वदन बीत गया. रात कुहरे मे्वलपरकर सो गयी और अमेठी के महोना के एक ही पवरवार की 11 मौते्के वलए समाजवादी पार्​्ी से भी शोक के दो शब्द भी नही् वमल सके. भाजपा काय्ा​ालय मे् तो इस समय बम बम का माहौल है. अदना काय्ाकत्ा​ा हो या बड्ा नेता, सभी एक भाषा बोल रहे है्वक माहौल पूरी तरह भाजपा के पक्​्मे्है. इस दावे के बाद भी भाजपा अपने उम्मीदवारो् की सूची नही् जारी कर पा रही है. पूछने पर पता चला वक अभी िरमास चल रहा है. भाजपा की सूची है, िरमास मे् कैसे जारी हो सकती है? पहली सूची मकर संक्ांवत यानी िरमास के बाद जारी होगी. विलहाल प्​्देश चुनाव सवमवत गवठत हो गयी. इसमे्स्वामी प्​्साद मौय्ा, बृजेश पाठक और रीता बहुगुणा जोशी को जगह वमली है. अमेठी मे् राहुल गांधी के असर को चुनौती देने वाली के्द्ीय मंत्ी श्​्ीमती स्मृवत ईरानी इस सूची मे्नही्है.

चूहेकेहाथ तो चचंदी है

अब सेक्युलर ताक्तो् को एकजुट...

पेज 1 का बाकी उन्हो्ने वजस चुवहया को पकडा उसके हाथ तो वसि्फ वचंदी लगी है. क्या आपने सुना वकसी बडे कारपोरेर घराने का कोई बडा काला धन पकडा गया. क्या कोई बडा नेता काले धन के साथ पकडा गया, क्या कोई बडा आतंकवादी काले धन के साथ पकडा गया. ये तो काले धन के जंगल के शेर चीते है्. पर मोदी ने चुवहया पकडी है. क्या देश इसी 'चुवहया' को पकडना चाहता था. क्या इसी चुवहया को पकडने के वलए करीब सवा सौ लोग घोवषत र्प से कतार मे् शहीद हो गये. अघोवषत यानी नकदी के अभाव मे् गंभीर र्प से बीमार लोग जो मर गये वे अलग है्. वजन घरो् मे् शावदयां रूर गयी् वे पवरवार अलग है्. छोरे मझोले उद्​्ोगो्के जो मजदूर शहर से गांव लौर आये वे अलग है्. जो वकसान रबी की िसल समय पर कज्ाके बावजूद नही् बो पाये वे अलग है्. कज्ा भी पुरानी नकदी मे् था लेवकन प्​्धानमंत्ी इन सब मामलो् मे् िामोश रहे. वे आगे बोले, 'यही देश, यही लोग, यही कानून, यही

सरकार और यही िाइले्थी्. वो भी वक्त था वक जब वसि्फजाने की चच्ा​ा होती थी. ये भी एक वक्त है वक अब आने की चच्ा​ा होती है. देश के वलए जज्बा, लोगो्के प्​्वत समप्ाण हो तो कुछ करने के वलए ईश्​्र भी ताकत देता है. परंतु मोदी जी माल्या को क्यो् भूल जाते है्. मध्य प्​्देश के व्यापम को क्यो्भूल जाते है्. छतीसगढ के अनाज घोराले को क्यो्भूल जाते है.् आपके राज मे्भी बहुत माल जा रहा है. यह उम्मीद तो वकसी को नही् थी. सभी मान कर चल रहे थे वक प्​्धानमंत्ी बताये्गे वक देश को वकतना काला धन वमला. वकतने उद्​्ोगपवत पकडे गये, वकतने नेता धरे गये. पर उन्हो्ने इसपर कुछ नही् कहा क्यो्वक नोरबंदी से इनपर कोई ज्यादा प्​्भाव नही् पड्ा. कृवष के जानकार देवे्द् शम्ा​ा ने बताया है वक इस नोरबंदी से वकस तरह छोरे और मझोले वकसान तबाह हो गये. तराई के इलाके मे् दलहन की िसल पर बुरा असर पड चुका है. पर इनके अथ्ाशास्​्ी भी गजब के है् जो बता रहे है् वक इस नोरबंदी मे् वकसानो् ने झूम कर बुआई कर डाली है. बंपर िसल होगी. जब सबकुछ कागज पर, भाषण मे् ही करना है तो कोई भी सब्जबाग पेज 1 का बाकी वदिा सकते है्. ये गंजो्के शहर मे्कंघे का स्रेर बै्क के अकाउंर मे्253 करोड्र्पये कारोबार कर सकते है्. यूपी का चुनाव होने जमा है्. दूसरे िाते की रकम के बारे मे् जा रहा है. वे कल भी बोले्गे .पर देवियेगा जानकारी नही्वमल सकी है. बैक ् प्ब् धं न का अब वकतना गजब का बोलेग् .े हाथ वहलाकर, कहना है वक अकाउंर के संचालन पर रोक चेहरा बनाकर. वाराणसी याद है न वकस लगा दी गयी है. तरह राहुल गांधी के कवथत घूस के आरोप सूत्ो् का कहना है वक वववाद के बीच पर नारकीय अंदाज मे्तावलयां बरोर ली थी्. अगर अकाउंर का संचालन शुर् नही् हो पर याद रहे सारे नारकीय अंदाज के बावजूद पाया तब भी अविलेश गुर ने अपना इंतजाम न ये वदल्ली बचा पाये न वबहार. अब यूपी की अलग से कर रिा है. कहा जा रहा है वक बारी है. यूपी की नजर भी उसी 'चूहे' पर है जनेश्र वमश्​् ट्​्स्र मे् भी िासी रकम है. वजसकी तलाश मे् इन्होने वकसानो का िेत वसंबल फ्​्ीज होने के बाद अलग चुनाव भी िवलहान िोद डाला. उद्​्ोग धंधो् की नी्व लड्ना पड्े तो इस िाते के पैसो् का िोद दी गयी है. पर उस चूहे के हाथ तो वचंदी इस्म्े ाल चुनाव के वलए वकया जा सकता है. है. बडे लोग तो वनकल चुके है्.

सपा के बैंक खाते...

पेज 1 का बाकी बहुत कवठन होगा. मुलायम के अतीत के िैसलो्ने समाजवादी पार्​्ी को वाम दलो्से दूर कर वदया है. कांग्ेस के साथ भी उसके वरश्ते बेिरके नही्है.् वबहार चुनाव के दौरान बीच चुनाव मे्कांग्ेस के साथ बने मोच्​्ेको तोड्ना संबंधो् मे् संदेह पैदा करता है. अविलेश ने अतीत मे् कांग्ेस उपाध्यक्​् राहुल गांधी को और राहुल ने अविलेश को पसंद करने के संकेत वदए है्. पव्​्िमी उत्​्र प्​्देश मे् राष्​्ीय लोक दल अकेले मे् भले बड्ी ताकत न रह गया हो, लेवकन वकसी का साथ पाते ही वह समीकरणो् को अपने पक्​् मे् करने की स्सथवत मे् है. ऐसे मे् अविलेश अगर जयंत को भी साथ ले पाते है् तो अविलेश-राहुल-जयंत की युवा वतकड्ी युवाओ् और धम्ा-वनरपेक् शस्कतयो् को आकव्षता कर सकती है. इन दलो्के अलावा भी सूबे मे् बहुत सी धम्ा-वनरपेक् ताकते् अलग-अलग जगहो्पर अलग-अलग मोच्​्े ले रही है्. अविलेश को आगे बढ्कर इन सभी को साथ लाना होगा.इस चुनौती से अविलेश पार पा ले,् तो उनकी राह दूसरो्के मुकाबले आसान हो जाएगी. अविलेश की एक बडी चुनौती सत्​्ा ववरोधी लहर ( एंरी इंकम्बै्सी) को रोकना

है. मुख्यमंत्ी अविलेश यादव अपने ववकास काय्​्ो्की लम्बी फेह् वरस्​्के साथ माहौल को अनुकूल बनाने की कोवशश कर रहे है्. समाचार चैनलो् और छोरे-बड्े सभी अख़्बारो् मे् लिनऊ मे् मेट्ो, लिनऊआगरा हाईवे, सूबे मे् सड्को् का जाल, ग्​्ामीण ववद्त्ु ीकरण आवद ढेरो्योजनाओ्का हवाला देते हुए सरकार कह रही है -पूरे हुए वादे, अब है नये इरादे. अविलेश सूबे के हर इलाके् मे् ख़्ुद जा रहे है्, योजनाओ् के लोकाप्ाण का दौर चल रहा है. अविलेश केन्द् सरकार पर तंज कसते है्- हम सपने नही् वदिाते, काम करते है्. अविलेश का उत्साह अपनी जगह, लेवकन उन्हे्भी ज़्मीनी हक्ीक्त का अनुमान है. वह यह जानते है् वक अगर जावतगत और क्​्ेत्ीय, सामावजक संतुलन को ठीक से न साधा गया, तो मोच्ा​ा बहुत कवठन हो जायेगा. सपा का अपना आधार वोर है -मुस्सलम- यादव गठजोड्. इसके अलावा अन्य वपछड्ा वग्ाको सहेजने और दवलत मतदाताओ् मे् सेध लगाने की रणनीवत अपनायी गयी है. अब देिना यह है वक अपनी साफ्-सुथरी छवव, ववकास का रोडमैप, और अपराध-ववरोधी अपनी गढ्ी हुई छवव के सहारे अविलेश चुनाव की जंग कैसे जीत पाते है?्

गठबंधन हुआ तो अखिलेश पेज 1 का बाकी सत्​्ार्ढ दल की तरि से विलहाल कोई ठोस पहल तो नजर नही्आ रही. इसी तरह कांग्ेस सूत्ो् का दावा है वक गठबंधन को लेकर तभी बात आगे बढेगी जब मुलायम अविलेश मे् सुलह हो जाये या बंरवारा हो जाये. पहले कांगस ्े लोकदल को सौ सीर देने को लेकर बातचीत हुई थी. हालांवक मुलायम तो वकसी भी गठबंधन के विलाि है. वे कब पल्री मार दे यह भी भरोसा नही्. जबवक सब

जानते है वक वबना गठबंधन समाजवादी पार्​्ी इस बार आसानी से सत्​्ा मे्नही्आ सकती. हालांवक भाजपा विलहाल सोशल इंजीवनयवरंग के समीकरण के चलते पीछे है. सव्​्ेसे भले ही शहरी लोगो्को भ्​्वमत करने का प्य् ास हो पर जमीनी स्सथवत ठीक नही्है. पचास नही्करीब साठ वदन बाद भी नोरबंदी से स्सथवत ठीक नही् हो पाई है. िासकर ग्​्ामीण इलाको् मे्. ऐसे मे् गठबंधन से ही सत्​्ा का समीकरण बन सकता है.

ने इस मामले की अंवतम सुनवायी के वलए 11 जनवरी का वदन तय वकया. परंतु इंवडयन एक्सप्​्ेस के मुतावबक सरकार पहले ही सहारा समूह को इस मामले मे् वनरपराध ठहरा चुकी है. पत्​् के मुतावबक आईरीएससी ने माना है वक वह पहले कंपनी का आवेदन अस्वीकार कर चुका था लेवकन पांच वसतंबर 2016 को दोबारा आवेदन वकया गया. जानकारी के मुतावबक यह आयोग द्​्ारा वकया गया सबसे तेज वनपरारा है क्यो्वक ऐसे आवेदनो्पर ववचार करने मे्प्​्ाय: 12 से 18 महीने का समय लगता है. इस मामले मे् आयोग द्​्ारा सहारा समूह की अपील स्वीकार करने के पहले महज तीन सुनवाई हुई् और 10 नवंबर को आविरी आदेश पावरत कर वदया गया. आयोग ने ऐसा करते हुए अपने ही ववभाग की जांच शािा को धता बता वदया जो सहारा समूह 2700 करोड् र्पये की अवतवरक्त बेनामी आय का मामला चाहता था. कंपनी ने अपनी अपील मे्कहा वक एक कम्च ा ारी और उसके वमत्​्ने सहारा समूह के एक अवधकारी की छवव िराब करने के वलए यह पूरा षडयंत्रचा.

‘गठबंधन जनता की...

पेज 1 का बाकी वष्ातक समाजवादी पार्​्ी के घोषणा पत्​्को लागू वकया, प्​्देश का ववकास वकया और सभी वग्​्ो् के बुजुग्ो्, युवाओ् का भरोसा जीता. ठीक चुनाव के समय पार्​्ी के भीतर से लगातार मुख्यमंत्ी को रोकने का प्​्यास वकया जाने लगा. इससे प्​्देश का ववकास काय्ा बावधत हुआ जो मुझे पसंद नही् है. इसवलए जब ववकास करने और ववकास मे् बाधा डालने वालो् को लेकर प्​्देश की वसयासत दो िाड मे् बंरने लगी तो मै् ववकास के साथ यानी अविलेश यादव के साथ िडा हो गया. पार्​्ी के विभाजन की िजह से क्या अवखलेश को नुकसान नही हुआ है? इस ववभाजन से अविलेश यादव का कोई नुकसान नही हुआ है. इससे उत्र् प्द् श े के मुख्यमंत्ी को पुनः सरकार बनाने का और प्​्धानमंत्ी मोदी को चुनौती देने का अवसर वमलेगा. वहंदुस्ान की राजनीवत मे् राष्​्ीय स्​्र पर प्​्धानमंत्ी मोदी को चुनौती देने वाले राजनैवतक दल या व्यस्कतत्व का अभाव है. आने वाले वदनो् मे् अविलेश यादव इसे समाप्त करे्गे. वहंदुस्ान के बड्े सूबे उत्​्र प्​्देश का मुख्यमंत्ी होने और ववकास के कामो् मे् सबसे आगे होने के कारण देश के युवा उत्​्र प्​्देश के मुख्यमंत्ी के साथ है्. कांग्ेस और लोकदल के साथ गठबंधन को लेकर ज्यादातर विधायको् की क्या राय है? देश की जनता यही चाहती है वक ववकासपरक राजनीवत के वलए समान ववचारधारा वाले लोग उत्र् प्द् श े मे्वमलकर चुनाव लड्े्. इसवलए राजनैवतक दलो् की मज़बूरी है वक वे जन भावनाओ्का सम्मान करे्. सभी दलो् के काय्ाक्त्ा​ा और जनप्​्वतवनवध इससे वावकि है्. इसवलए गठबंधन होना संभव है.


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6 जनवरी - 12 जनवरी 2017

नरंमदा के बहाने चकसकी सेवा?

पूजा ससंह

भोपाल. मध्य प्​्देश के मुख्यमंत्ी वशवराज वसंह चौहान ने वदसंबर से मई तक वजस नम्ादा सेवा यात्​्ा की शुर्आत की है, उसके राजनीवतक वनवहताथ्ा वनकालने का वसलवसला शुर्हो गया है. यात्​्ा को शुर्हुए एक महीना होने को है लेवकन केद् ्ीय वन एवं पय्ा​ावरण मंत्ी अवनल माधव दवे और नदी ववकास एवं गंगा सिार्इ मंत्ी उमा भारती अब तक इस यात्​्ा मे् शावमल नही् वदिे है्. ये दोनो् ही नेता मध्य प्​्देश से ताल्लुक रिते है्. 11 वदसंबर 2016 से 11 मई 2017 तक चलने वाली नम्ादा सेवा यात्​्ा के बारे मे्

गुमान ससंह

प्द् श े के मुखय् मंत्ी वशवराज वसंह चौहान कह चुके है् वक यह दुवनया का सबसे बड्ा नदी संरक्​्ण अवभयान बनने जा रहा है. सरकार की मंशा इस यात्​्ा को एक आंदोलन की शक्ल देने की है. इस अवभयान के तहत आम जन को नम्ादा के संरक्​्ण की आवश्यकता के बारे मे् समझाया जायेगा. इसके तरीय इलाको् मे् पेड् पौधे लगाने और प्​्दूषण की रोकथाम के बारे मे्जानकारी दी जायेगी. ववशेषज्​्ो्के मुतावबक चूंवक इसका एक धाव्माक पहलू भी है इसवलए नम्ादा की यह यात्​्ा मुख्यमंत्ी वशवराज वसंह चौहान की राजनीवतक जमीन को भी मजबूत बनाने का काम करेगी. नम्ादा बचाओ आंदोलन की

नेत्ी मेधा पारकर ने भी इस यात्​्ा का िुलकर ववरोध वकया है. आंदोलन के नेताओ्का कहना है वक नम्ादा नदी पर 30 बड्े और 135 मझोले बांध वनव्मात करके सरकार पहले ही उसके नदी स्वर्प को गंभीर जोविम मे्डाल चुकी है. इन बांधो्ने नदी के प्​्दूषण भी मे् बहुत बड्ी भूवमका वनभाई है. मंडला वजले मे् स्सथत चुरका परमाणु वबजली संयंत्नम्ादा नदी के तर पर स्सथत है. इस संयंत् के वलए पानी नम्ादा से ही वलया जायेगा. ऐसे मे्नदी के प्द् वू षत होने की आशंका से इनकार नही्वकया जा सकता है. पय्ा​ावरणववद डॉ. सुभाषचंद् पांडेय सवाल उठाते है् वक नदी तर पर जो िलदार वृक् लगाये जा रहे है्अव्वल तो वे िलदार वृक् है् ही नही्. विर भी अगर संतरा, नी्बू आवद को िलदार वृक्मान ही वलया जाये तो इनके पोषण मे् कीरनाशको् का जमकर प्​्योग होता है जो अंतत: नदी मे्ही वमलेगा. सरकार ने यह भी कहा है वक नदी के दोनो्ओर आठ मीरर चौड्ा गवलयारा ववकवसत वकया जायेगा. ववशेषज्​्ो्के मुतावबक ऐसा कोई भी वनम्ा​ाण नदी की जैव ववववधता को संकर मे् डाल सकता है. नदी की कुल लंबाई का करीब 83 िीसदी वहस्सा यानी 1077 वकमी बहाव मध्य प्​्देश मे् है इसीवलए इसे प्​्देश की जीवनरेिा कहकर भी पुकारा जाता है.

एक और विस्थापन

न्ना राइगर वरज़व्ा, मध्यप्​्देश के गंगऊ प्​्वेश द्​्ार भतौर से 20-25 वकलोमीरर भीतर कोर एवरया मे् बसी है् ग्​्ाम पंचायत पल्कोहं और िय्ा​ानी. इनकी आबादी करीब 5000 है. वकसी जमाने मे्यहां गो्ड राजा का वानवगढ्वकला हुआ करता था. भीतर जाने के वलए वन ववभाग की इजाजत लेनी जर्री है. स्थानीय वनवावसयो् को भी गेर पर नाम दज्ा करवाना होता है. िय्ा​ानी के सरपंच पंवडत जी, हमे् बताते है् वक उन के पुरिे कभी गो्ड राजा के गुर्थे. यह बांध आज तक उतर प्​्देश सरकार के वनयंत्ण मे् ही है. सरपंच पप्पू वमश्​्ा के मुताववक पल्कोहं, दौधन और िय्ा​ानी तथा कुछ दूसरे गांवो् की कृवष भूवम इस बांध मे् 1915 मे् जलमग्न हो गयी थी. तब से स्थानीय लोग डूब क्​्ेत् से पीछे केन नदी के वकनारे िेती करने लगे है्. िेती बरसात मे्पानी मे्डूब जाती है परंतु रबी की िसल मे् िास कर सरसो् और गेहूं बहुत अच्छी होती है. हमे् िेती मे् कभी िाद डालने की जर्रत नही्पडती. पल्कोहं गांव मे्पहुच ं ने पर देिने मे्आया वक यहां आठवी् तक की सरकारी पाठशाला व आंगनबाडी के्द् है्. लेवकन आगे की पढ्ाई, इलाज व बाजार के वलए 35 वकलोमीरर दूर जाना पडता है. वजस मे् ये तीनो् गांव डूब रहे है्. जन सुनवाई मे्तीनो्गावो्वालो्ने सहमवत दी है और मांग की, वक हमे्अच्छा पैसा वदया जाये तो हम कही्दूसरी जगह बस जाये्गे. क्यो्वक

जब से राइगर वरज़व्ा बना है, तब से हमारे तमाम ववकास काय्ार्क गये है्. गांव मे्कोई भी रोजगार के साधन उपलब्ध नही्है.् जंगल के उत्पाद इक्ठ् ा करने, उन्हे्बेचने, मछली पकडने तथा जंगल मे् पशु चराई जैसे पारंपवरक काय्​्ो् पर रोक लगा दी गयी है. मनरेगा का काम भी नही् चलता है. इसी कारण गांव के 80% घरो्मे्ताले लगे है्. ये सभी लोग िसल बुआई के बाद सपवरवार रोजगार के वलए शहरो् की ओर पलायन करते है्. पल्कोहं के लोगो्ने बताया वक आजादी के बाद साल 1998-99 तक, वजस भूवम पर हम आज भी िेती कर रहे है्, उस की सालाना 50 र्पया प्​्वत एकड (लीज की रावश) राजस्व ववभाग को देते थे. वजसे बाद मे् बढा कर तीन साल के वलए 200 र्पया कर वदया गया. राइगर वरजव्ा बनने के बाद यह पैसा लेना बंद कर वदया गया. अब हमारी कृवष भूवम को वन ववभाग अपना कह रहा है तथा हमे्भूवम िाली करने व िेती बंद करने को कहता है. वष्ा1998-99 से पहले कुछ गांववावसयो् को जमी्न के पट्​्े भी वदये गये थे, परंतु अब परवारी कहते है्वक उन के पट्​्े वनरस्​्कर कर वदये गये है्. पल्कोहं के सरपंच जमना यादव ने बताया की इस गांव मे् 17 जावतयो् के लोग रहते है्. वजस मे् मुख्य कोइदा आवदवासी, बसोर, कोरी, वडमर (सभी दवलत) और यादव सवदयो् से रह रहे है्. आवदवासी और दवलत ज्यादातर भूवमहीन है्, क्यो्वक ये वन उत्पाद जैसे कंद, िल, जडीबूरी, वचरो्जी,

गो्द, ते्दू पत्​्ा, नदी से मछली पकडना, पशुपालन और दस्​्कारी इत्यावद पर आजीववका के वलए वनभ्ार थे. ऐसे मे्राइगर वरजव्ा इन लोगो् के वलए अवभशाप बन कर आया है. सभी वनस्​्ार अवधकार समाप्त कर वदये गये है्. कई बार जंगल मे्वन उत्पाद के वलए जाने, मछली पकडने तथा पशुओ् के गांव से बाहर जाने पर वन ववभाग ने हमे् जुम्ा​ाना वकया और पशुओ् को कांजी घर मे् बंद कर वदया जाता है. जुलाई 2014 को ववशेष अवभयान के दौरान 8238 व्यस्कतगत तथा 1124 सामुदावयक वन अवधकार के दावे वजला स्र् पर प्​्ाप्त हुए थे. वजन मे्से 497 व्यस्कतगत तथा 240 सामुदावयक दावे मान्य वकये गये. पर व्यस्कतगत दावे केवल आवदम जावत के ही मान्य वकये गये. जबवक सामुदावयक दावे मे् सभी शावमल है्. अन्य परम्परगत वन वनवावसयो्के व्यस्कतगत दावो्की मान्यता पर पूछे मेरे प्​्श्न पर उन्हो्ने उतर वदया वक शासन का ऐसा ही आदेश है. अब सवाल यह उठता है वक जब पूरे वजले मे्ववशेष अवभयान चलाया गया तो ऐसे मे् इन दो पंचायतो् मे् वन अवधकार कानून लागू करने का काय्ा क्यो् नही् वकया गया. इस बात की भनक हमे्काय्ाल ा य मे्ही लगी, जब वजला संयोजक ने बताया वक यह क्​्ेत् राइगर वरजव्ा मे् पडता है. लेवकन असली मसला तो केन-बेतवा वरवर वलंवकंग पवरयाजना है वजसके कारण यहां वन अवधकार कानून लागू करवाने की पहल नही् की गयी.

इस तरह जाना अखर गया

ओम पुरी का इस तरह अचानक चले जाना अिर गया. परदे पर, मंच पर और वजंदगी के वकसी वकनारे पर िड्ेओम पुरी हमेशा छाये रहे. वदल्ली के रंगमंच से मुबं ई के विल्म जगत की वाय पूना यात्​्ा एक रोचक वववरण देती है. एक से बढ्कर एक वदग्गज चेहरे इस दौरान सामने आते है्. ओम वशवपुरी, सुधाजी, राज बब्बर, नसीर्द्ीन शाह, अमरीश पुरी, कुलभूषण िरबंदा, ढेर सारे नाम याद आते है्. ओम पुरी भी ऐसे नामो् मे् से एक रहे. अभाव, दद्ा, घुरन, िाकामस्​्ी, सब लपेर कर कोने मे्सलीके से वरकाकर एक कलाकार सामने िड्ा होता है. गुस्सा, आक्​्ोश, हास्य, जो भी चवरत्​्वमला जी कर वदिाया. िरवरी मे्वदल्ली मे्हमारी मुलाकात तय थी. एक राजनीवतक स्व्कप्र पर बात होनी थी. लेवकन अभी भाई रंजीत कपूर ने यह िबर दी तो चुपचाप िड्ा रह गया. नमन ओम. चंचल, जौनपुर वे रहान अचिनेताओं रें थे कल रात ही मैन् े 'रावण' विल्म देिी थी. 1984 मे् बनी यह विल्म प्​्ेम की अद्​्त कहानी है. स्समता पावरल, गुलशन अरोड्ा के नायाब अवभनय के बीच ओम पुरी ने एक अलग ही छाप छोडी है. आज सुबह जब उनके वनधन की िबर सुनी तो हतप्​्भ रह गया. मै्ने उनकी ज्यादातर विल्मे्देिी है्. सव्ा​ावधक हॉलीवुड विल्मे् करने वाले वे पहले भारतीय अवभनेता है्. मेरी नजर मे् वे भारतीय वसनेमा के कुछ चुवनंदा महान अवभनेताओ्मे्से एक है्. वे जीते जी ही भारतीय वसनेमा के इवतहास का ऐसा महत्वपूण्ा पन्ना बन चुके थे वजसे अवभनय के हर उस छात्​् के वलए पढना जर्री था जो अवभनय की बुलंवदयां छूने की तमन्ना रिता हो. उन्हो्ने अपनी विल्मो् के जवरये समाज के हर तबके के लोगो् की भावनाओ् को सशक्त अवभव्यस्कत दी. आक्​्ोश विल्म मे्तो वबना बोले ही उन्हो्ने अपनी आंिो् और शरीर की भाषा से ही वह सब कुछ व्यक्त कर वदया जो हजारो्वाक्य भी व्यक्त नही्कर सकते थे. भारत के महान अवभनेता

ओमपुरी जी को मेरी सादर ववनम्​्ता भरी श्​्द्ांजवल. भारतीय वसनेमा के इवतहास मे् वे अमर रहे्गे. अर्ण खरे, नई वदल्ली हरेशा रहेगी ओर पुरी की छाप ओम पुरी के न रहने की िबर बहुत अवसाद पैदा करने वाली है. उनसे दो बार वदल्ली मे् वमलने का मौका वमला लेवकन मुंबई मे्मुलाकात संभव न हुई. जबवक मै् एक स्व्कप्र वलए एकाध बार उनके पास पहुंचते-पहुंचते रह गया. उनकी लगभग सारी वफ्ल्मे् मै्ने देिी हो्गी. इसवलए नही् वक वे मेरे पसंदीदा अवभनेता थे. बस्लक इसवलए वक वे बहुत शानदार अवभनेता थे. आंवगक, वावचक और आहाय्ा तीनो् र्पो् मे् उनका उठान यादगार होता था. मुझे याद है जब अध्स ा त्य आयी थी तब बनारस मे्हम कई दोस्​्ो्ने एक साथ उसे ववजया मे् देिा था. उसका एक संवाद आज भी नही्भूलता जब वे अपने वपता बने अमरीश पुरी से डांरकर कहते है्, मै्आपकी बीवी नही् हूं. उस समय उनके चेहरे का आक्​्ोश, आवाज और आंिो् के भाव इतना कुछ कह जाते है्वक पूरी विल्म का अथ्ा वही् िुल जाता है. अपने वपता से दबने वाला बेरा, मुअत्ल ् पुवलसकम्​्ी और भ्​्ष्ाचार के सहारे तरक्​्ी की सीवढयो्पर चढऩे वाले सहकव्मया ो्के धोिे का वशकार सहकम्​्ी. आक्​्ोश और लाचारी का इतना संस्शलष्​् भाव पैदा कर पाना वनव्​्ित ही ओमपुरी के ही बूते का था. धारावी का रैक्सी ड्​्ाइवर, आघात का ट्​्ेड यूवनयन काय्क ा त्ा​ा या विर तमस के दवलत से लेकर मालामाल वीकली और चुप चुपके जैसी न जाने वकतनी वफ्ल्मे् है् वजनमे् ओमपुरी वकसी न वकसी र्प मे् अपनी छाप छोड् जाते है्और उनके वकरदार को सहजता से इग्नोर नही् वकया जा सकता. प्​्काश झा की विल्म 'मृत्युदंड’ मे्ओम जी ने वबहार के एक कुम्ी व्यापारी का रोल वकया था और मै् समझता हूं वह वकरदार उतना बवढय़ा कोई और शायद ही कर पाता. उनका जाना बहुत स्​्ब्धकारी है. उनको भावभीनी श्​्द्ांजवल!! रामजी यादि, िाराणसी



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सतीश श्​्ीवास्​्व

गोरखपुर. नोरबंदी के ठीक बाद प्​्धानमंत्ी ने घोषणा की थी वक 30 वदसंबर के बाद सब कुछ ठीक हो जायेगा. अभी तक बैक ् ो की स्सथवत मे कोई सुधार नही है. ग्​्ामीण क्​्ेत्ो्के बै्को की स्सथवत नकदी के अभाव मे् बेहद िस्​्ा है. घंरो् लाइन मे् िडा होने के बाद दो से 10 हजार र्पये ही वमल रहे है्. वकसी वकसी िाताधारक को तो घंरो् लाइन लगाने के बाद वह भी नही् वमल पा रहा. ग्​्ामीण इलाको्के एरीएम नोरबंदी के बाद से ही बंद पड्े है्. गोरिपुर शहर मे् भी नौकरीपेशा लोगो्को इस महीने भी वेतन नही वमल पा रहा है. बै्क मैनेजर वकस्​्ो्मे्वेतन दे रहे है्. वजससे लोग परेशान है्. एरीएम मे् घंरो्लाइन लगाने के बाद मात्​्4000 र्पये

फ्जल ् इमाम मल्ललक

नोटबंदी से राहत नही्

ही वमल रहे है्. क्यो्वक 500 र्पये के नोर बै्क मे् नही है्. वजले मे् स्रेर बै्क की मुख्य शािा के एजीएम अमर वसंह का कहना है वक अब भी हर हफ्ते बै्क से 24 हजार र्पये ही वनकाले जा सकते है्. सबसे िराब स्सथवत से

जूझ रहा है पूव्ा​ाचंल बै्क. इस बै्क के कम्ाचावरयो् को नकदी की वकल्लत से ग्​्ामीणो् का आक्​्ोश झेलना पड रहा है. गोरिपुर मे्नोरबंदी के बाद पावरलूम उद्​्ोग लगभग बंद है. व्यापारी बना बनाया माल

नोटबंदी पर वोट?

्धानमंत्ी नरे्द् मोदी की रैली मे् उमड्ी भीड् ् ने कम से कम उत्​्रािंड के भारतीय जनता पार्​्ी नेताओ् को तो राहत प्​्दान की है. वन्ा​ा पार्​्ी के राष्​्ीय अध्यक्​् अवमत शाह की पवरवत्ना रैवलयां तो फ्लाप ही रही्थी्. नोरबंदी का असर इन रैवलयो्पर भी वदिा था वजसकी वजह से भाजपा की पवरवत्ना रैवलयां बेरगं नजर आयी्. अल्मोड्ा मे् अवमत शाह की रैली भी िीकी रही. उस रैली मे् भीड् न के बराबर थी. कुमाऊं मे् उसके सबसे कद्​्ावर नेता भगत वसंह कोश्यारी रहे है.् पर पार्​्ी आलाकमान ने उन्हे् हावशये पर धकेल रिा है. शायद यही वजह थी वक अवमत शाह की अल्मोडा रैली से भी वे दूर रहे. दूसरी तरि कांगस ्े उपाध्यक्​्राहुल गांधी की रैली अल्मोडा मे्कािी सिल रही. इसका पूरा श्​्ेय मुख्यमंत्ी हरीश रावत को जाता है. उन्हो्ने अपना दबदबा कािी हद तक बरकरार रिा है. यूं भी कुमाऊं मंडल मे् भाजपा को हरीश रावत ने पछाड रिा है. यहां राजपूतो्की आबादी ज्यादा है और रावत िुद भी राजपूत है्. राहुल गांधी ने अल्मोडा के

नामी हलवाई मोहन वसंह की बाल वमठाई के बहाने कैशलेस पर तंज कसे. नोरबंदी पर सवाल िड्ेवकये और भीड से पूछा वक क्या वे मोहन वसंह की बाल वमठाई अब पेरीएम से िायेग् ?े जावहर है वक राहुल इससे लोगो् से संवाद बनाने मे् सिल रहे. उत्​्रािंड मे् अगले साल चुनाव होने है् वनव्ाच ा न आयोग ने चुनाव की तारीि घोवषत कर दी है वहां 15 िरवरी को चुनाव कराये जायेग् .े प्द् श े मे्अवमत शाह की रैवलयां िीकी रही् तो इसकी एक वजह नोरबंदी तो थी लेवकन रही सही कसर आपसी गुरबंदी ने पूरी कर दी थी. शुक्है वक प्ध् ानमंत्ी की देहरादून रैली मे्पार्​्ी की कलह परदे के पीछे ही रही. अरल जी ने बनाया और मोदी जी सपनो्को पूरा करेग् े के नारे के साथ आयोवजत इस रैली मे् भी नरे्द् मोदी नोरबंदी पर भी बोले और प्द् श े की कांगस ्े सरकार पर भी हमला बोला. लेवकन प्ध ् ानमंत्ी अपने बड्बोले बयानो् के वलए मशहूर तो है् ही, देहरादून मे् भी कुछ ऐसा बोल गये, वजससे िुद भारतीय जनता पार्​्ी सांसत मे्िंस गयी. भाजपा नेताओ्को कुछ सूझ नही् रहा है वक वे क्या करे्.

प्ध ् ानमंत्ी के भाषण पर सिाई देने के वलए भाजपा को प्​्ेस कांफे्स तक करनी पड्ी. लेवकन भाजपा की सिाई आम लोगो्के गले नही्उतर रही है. प्​्देश की कांग्ेस सरकार पर आपदा राहत मे् हुए भ्​्ष्ाचार पर तंज कसते हुए प्ध ् ानमंत्ी ने कहा था वक इंसान को पैसे लेते सुना था, लेवकन उत्र् ािंड मे्स्करू र भी पैसे िाता है और चोरी भी करता है. लेवकन ऐसा बोलते वक्त नरे्द् मोदी यह भूल गये वक आपदा के दौरान जो गोलमाल हुआ था तब प्​्देश मे् कांग्ेस सरकार के मुविया ववजय बहुगुणा थे, जो अब भाजपा के सदस्य है्. वदलचस्प बात यह है वक नरेद् ् मोदी ने जब इस स्करू र कथा का वजक्​्वकया तो मंच पर ववजय बहुगुणा भी मौजूद थे. प्​्धानमंत्ी ने जब यह बात कही तो न वसि्फबहुगण ु ा बस्लक मंच पर मौजूद भारतीय जनता पार्​्ी के नेताओ्के चेहरे देिने लायक थे. वकसी को यह उम्मीद नही् थी वक मोदी इस तरह की बात कर पार्​्ी की िजीहत कर डालेग् .े जावहर है वक इस एक बयान ने भाजपा की बोलती बंद कर दी है.

दलाल किसी िा नहीं होता चंचल

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6 जनवरी - 12 जनवरी 2017

बेहद सामवयक और ज्​्ानवध्क ा तत्व वनकल रहे है,् ग्ह् ण करो अपने सामर्या्के मुतावबक. कह कर उलूक बरगद की िोह से मुहं वनकाल कर नीचे झांकने लगा. नीचे वपता पुत्के जर्​्ेजर्​्ेवरश्ते र्ई की तरह उड रहे है. बाप बैठा है. एक घुरने पर दूसरा पांव पनही समेत अडा है. वह पुत्है उसके आते ही महक उठा हर कोना. तनाव ख़त्म हो गया जब उसने झुक कर वपता को दंडवत वकया. वरश्तो्मे पडे सबसे पहाड को भी मुहब्बत के एक इशारे से विसकाया जा सकता है, पुत्इससे वावकि है वह पढा वलिा है. उसके वसरहाने र्मी है,् कबीर है,् गांधी है्डॉ लोवहया, पंवडत नेहर्है.्

आचरण पर अनुशासन रि कर वनण्या लो. अचानक बाप को याद आता है, आज बेरे को अपना इवतहास बता कर अतीत मांग लूगं ा- हमने बहुत मेहनत से इसे बनाया है. पुत्समथ्ना करता है- यह सच है और जो आपने बनाया वह आपके वनजी िायदे के वलए था या आम जन के वलए था. विर इस वनम्ाण ा मे् उनकी क्या जर्रत जो स्ववहत के वलए आम जन का कत्ल करते है् लूरते है्हम उन्ही का तो ववरोध करते है.् इस तरह के लोगो्की वकालत करनेवाले, दलाली करने वाले लोग आपको कौन सी डगर वदिायेग् ?े यही तो कहता हू,ं इन्हे्बाहर कवरये. - लौ्डे हो अभी, बुरे वदनो्मे्इन्हो्ने बहुत मदद की है ? - वो तो आजीवन रहूगं ा, बेरा हू,ं आपका. लेवकन दलाल धंधबे ाज वकसी के नही होते, वजतनी मदद करेग् े उसके तीनगुना पहले ही ले चुके होते है.् हम आपके भाई से बस इसी बात पर सहमत नही वक वे इनके संरक्क ् े के र्प मे्दज्ाहो्. संवाद जारी है

बतकही

उठाने के वलए तैयार नही है्. ऐसे मे् इन मशीनो् के सहारे अपना घर पवरवार चलाने वाले बुनकरो् के सामने बडी समस्या िडी हो गयी है. पावरलूम उद्​्ोग कभी इस शहर की पहचान हुआ करता था. नोरबंदी ने पावरलूम मशीनो् की िरर-परर पर ब्​्ेक लगा वदया है. नगर के मोहल्ले रसूलपुर जावहदाबाद, जमुनवहया, अजयनगर, जावमयानगर आवद मे् करीब हर पांचवे घर मे् मौजूद मशीने् यहां की तरक्​्ी वदिाती है्. इन मोहल्लो्मे्एक हजार से अवधक मशीने् चलती है्. यहां से तैयार चादर, रेरीकार कपडे पूव्ा​ा्चल एवं प्​्देश के वववभन्न वहस्सो् मे् जाते है्. नोरबंदी के बाद छोरे नोरो् की वदक्​्त ने बुनकरो् और कारीगरो् के सामने जीवन चलाने का संकर िडा कर वदया है.

रसूलपुर वनवासी अब्दुल विा का कहना है वक अब यहां 10 प्​्वतशत ही मशीने्चल रही है्. कच्​्े माल की कमी बनी हुर्इ है. इसके अलावा कारीगरो् के भुगतान के वलए भी पय्ा​ाप्त नकदी नही्है. यही वजह है वक माल बनाकर इकठ्​्ा करना पड् रहा है. कैिुल इस्लाम कहते है्वक घर मे्पहले से रिे सूत से अब तक काम चल रहा है. लेवकन माल नही्वबक पा रहा है. बैक ् और एरीएम 2000 का नोर दे रहे है्. मजदूरो्को भुगतान करने मे्वदक्​्त आ रही है. जैसे ही िबर वमलती है वक बै्क मे्पैसा आया है वैसे ही वहां भीड्लग जाती है. स्रेर बै्क, एस्कसस बै्क, एचडीएिसी और अन्य बैक ् ो्मे्ठीकठाक भुगतान की िबर है. देहात के बै्को्मे्पैसे की कमी बनी हुई है.

सत्ये्द् जैन का हवाला ललंक

आम आदमी पार्​्ी (आप) के ववरष्​्ï नेता और वदल्ली के स्वास्र्य मंत्ी सत्ये्द् जैन मुस्शकल मे्पड्ते नजर आ रहे है्. जैन के कवथत तौर पर हवाला कारोबावरयो्से वरश्तो्और उनकी मदद से पैसा इधर-उधर करने की जांच की जा रही है. आरोप है वक जैन और उनकी पत्नी के मावलकाने वाली चार कंपवनयो्ने वष्ा2010 से 2016 के बीच 56 िज्​्ी कंपवनयो् के जवरये 16.39 करोड्र्पये की रावश स्थानांतवरत की. एक रेलीववजन चैनल पर प्​्सावरत िबर के मुतावबक आयकर ववभाग की जांच मे् कहा गया है वक जैन की कंपवनयो् के कम्ाचावरयो्ने कोलकाता के हवाला कारोबावरयो्को भी नकदी भेजी. आयकर ववभाग ने जैन को गत 26 वदसंबर को एक नोवरस जारी वकया. यह नोवरस वष्ा 2011-12 की आय से संबंवधत है. उस वष्ाउन्हो्ने आठ लाि र्पये की आय दश्ा​ायी थी. आरोप है वक जैन अपनी कागजी कंपवनयो्की मदद से दूसरो्के पैसे वठकाने लगाया करते थे. इस बीच जैन ने हवाला कारोबावरयो्से वकसी भी तरह के वरश्ते से साि इनकार वकया है. सत्ये्द्जैन को वदल्ली के मुख्यमंत्ी अरववंद केजरीवाल का करीबी माना जाता है.

भाजपा काय्यकालिणी मे् उप्​् चुनाव पि चच्ाय

भारतीय जनता पार्​्ी (भाजपा) की राष्​्ीय काय्ाकावरणी की दो वदवसीय बैठक शुक्वार को नयी वदल्ली के एनडीएमसी कन्वे्शन से्रर मे् आरंभ हो गयी. माना जा रहा है वक इस बैठक मे् पांच राज्यो् मे् होने जा रहे आगामी आम चुनाव प्​्मुि मुद्ा रहे्गे. उत्​्र प्​्देश के बदलते राजनीवतक माहौल पर इस बैठक मे्िास चच्ा​ा होगी. गौरतलब है वक उत्​्र प्​्देश मे् सपा और कांग्ेस के बीच गठबंधन की संभावनाये्बनने के बाद भाजपा को अपनी रणनीवत नये वसरे से तय करनी पड् सकती है. प्​्देश मे् पार्​्ी ने अपने उम्मीदवार तय कर वलए है् लेवकन नामो्की घोषणा अभी नही्की जा रही है. प्​्देश मे्मुख्यमंत्ी पद का चेहरा न होना भी उसके वलए वचंता का ववषय बना हुआ है. इसके अलावा बैठक मे्ं नोरबंदी, सव्जाकल स्ट्ाईक आवद ववषयो्पर भी चच्ा​ा की जायेगी. इस बैठक को प्​्धानमंत्ी नरे्द्मोदी संबोवधत करे्गे. उनके अलावा भाजपा के वववभन्न प्​्देश अध्यक्​्और पार्​्ी पदावधकारी इसमे्शावमल है्. बैठक की अध्यक्​्ता राष्​्ï् रीय अध्यक्​्अवमत शाह कर रहे है्. इस दो वदवसीय बैठक मे् वववभन्न आव्थाक और राजनीवतक प्​्स्ावो्पर चच्ा​ा की जायेगी.

फोर्स्य की युवा सूची मे् 30 भाितीय

मशहूर कारोबारी पव्​्तका िोब्​्स ने 30 वष्ासे कम उम्​्मे्बेहतरीन उपलस्बधयां हावसल करने वाले युवाओ् की एक सूची जारी की है. इस सूची मे् भारत के 30 से ज्यादा युवा उद्​्वमयो्, नेताओ् और नये प्​्योग करने वाले युवाओ् को जगह दी गयी है. सुपर अचीवस्ा नामक इस सूची मे्उन युवाओ्को शावमल वकया गया है वजनके बारे मे्पव्​्तका का मानना है वक वह दुवनया की तस्वीर बदलने की कावबवलयत रिते है.् इस सूची मे्शावमल युवा स्वास्रय् सेवा, वववनम्ा​ाण, िेल जगत और ववत्​्ीय जगत समेत वववभन्न क्​्ेत्ो् से ताल्लुक रिते है्. पव्​्तका की इस सूची मे्दुवनया भर के 600 से अवधक युवाओ्को शावमल वकया गया है जो अपनी-अपनी तरह से बदलाव लाने वाले काम कर रहे है्.

लनजी कंपलनयो् से बायोमैल्िक डाटा सही नही्

देश की सबसे बड्ी अदालत ने कहा है वक आधार काड्ाके वलए वनजी कंपवनयो्से लोगो् के बायोमेव्टक आंकड्ेएकव्​्तत करने का ववचार सही नही्है. आधार को चुनौती देने वाली यावचकाओ्की सुनवायी के दौरान सव्​्ोच्​्न्यायालय ने यह वरप्पणी की. हालांवक उसने इन मामलो्की जल्दी सुनवायी करने के अनुरोध को भी ठुकरा वदया. इन यावचकाओ्की सुनवायी सव्​्ोच्​् न्यायालय के प्​्धान न्यायाधीश जस्सरस जे एस िेहर की अध्यक्​्ता वाले पीठ के समक्​्हो रही है. सुनवायी के दौरान ववरष्​्अवधवक्ता श्याम दीवान ने मामले की सुनवायी की गवत तेज करने की मांग की. पीठ नेक हा वक सीवमत संसाधनो्के चलते वह तेज सुनवायी करने मे्सक्​्म नही्है लेवकन उसने यह भी कहा वक वनजी एजे्वसयो्से बायोमेव्टक आंकड्े मंगाना सही नही्है.



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पंकज चतुव्ेदी

6 जनवरी - 12 जनवरी 2017

ध्यप्​्देश का वनमाड अंचल वमच्​्ी की िेती के वलए मशहूर है. वपछले साल वहां कई हजार एकड की िसल कीडा लगने के कारण नष्​्हो गयी. लेवकन कुछ िेत ऐसे भी थे, जहां बेहतरीन िसल उगी. पता चला वक उन िेतो्के वकसानो्ने वकसी तरह का रासायवनक िाद या कीरनाशक का इस्​्ेमाल नही् वकया था. वे िेतो् मे् दूध, हल्दी और गुड का वछडकाव करते थे. हर सुबह िेतो्के बीच िडे हो कर घंरी बजाते थे. राज्य के कृवष ववभाग के अिसर भी वहां गये और पुवष ् हुई वक वकसानो् की देशज, पारंपवरक तरकीब काम कर रही है. इतना ही नही् इससे िसल की मात्​्ा भी कम नही् हुई. भारतीय कृवष के पारंपवरक ज्​्ान मे्कई ऐसे नुसि ् े है्वजन्हे्अपनाने से न केवल िेती की लागत कम होती है, बस्लक िसल की मात्​्ा व गुणवत्​्ा भी बेहतर होती है. ववडंबना है वक हवरत क्​्ावं त के नारे मे्िंस कर हमारा वकसान रासायवनक दवा और िाद के िेर मे् उलझ गया और इसी की पवरणवत है वक आज वकसान कज्ा मे् दब कर हताशपरेशान है्. हमारे िेत वकस तरह जहरीले बन गये है्. उसकी बानगी है वदल्ली से सरे पव्​्िमी उत्​्र प्​्देश के कुछ इलाके. वैसे तो नोएडा की पहचान एक उभरते हुए ववकवसत इलाके के तौर पर है लेवकन यहां के कई गांव वहां रच-बस चुकी कैस ् र की बीमारी के कारण जाने जाते है्. अच्छेजा गांव मे् बीते पांच साल मे् 10 लोग इस असाध्य बीमारी से असामवयक काल के गाल मे् समा चुके है्. अब अच्छेजा व ऐसे ही कई गांवो्मे्लोग अपना रोरी-बेरी का नाता भी नही् रिते है्. वदल्ली से सरे पव्​्िम उत्​्र प्​्देश का दोआब इलाका, गंगा-यमुना द्​्ारा सवदयो्से बहा कर लायी वमट्​्ी से ववकवसत हुआ था. यहां की वमट्​्ी इतनी उपजाऊ थी वक पूरे देश का पेर भरने लायक अन्न उगाने की क्​्मता थी इसमे्. अब प्​्कृवत इंसान की जर्रत तो पूरा कर सकती है, लेवकन लालच को नही्. ज्यादा िसल के लालच मे्यहां अंधाधुंध िाद व कीरनाशको् का जो प्​्योग शुर् हुआ वक अब यहां पाताल से, नदी, से जोहड से, िेत से, हवा से मौत बरसती है्. बागपत से लेकर ग्​्ेरर नोएडा तक के कोई 160 गांवो्मे्हर साल सै्कडो्लोग कै्सर से मर रहे है्. सबसे ज्यादा लीवर व आंत का कै्सर हुआ है. बाल उडना, वकडनी िराब होना, भूि कम लगना, जैसे रोग तो यहां हर घर मे् है्. सरकार कुछ कर रही है, राष्​्ीय हवरत प्​्ावधकरण भी कुछ नोवरस दे रहा है, लेवकन इलाके मे् िेतो् मे् वछडकने वाले जहर की वबक्​्ी की मात्​्ा हर वदन बढ रही है. दुिद है वक अब नवदयो्के वकनारे ‘ववषमानव’ पनप रहे है्जो कवथत ववकास की कीमत चुकाते हुए असमय काल के गाल मे् समा रहे है्. हमारे देश मे् हर साल कोई 10000 करोड र्पये के कृवष-उत्पाद िेत या भंडार-गृहो्मे्कीर-कीडो्के कारण नष्​्हो जाते है्. इस बब्ा​ादी से बचने के वलए कीरनाशको् का इस्​्ेमाल बढा है्. जहां सन 1950 मे्इसकी िपत 2000 रन थी,

चबना जहर की खेती

पर्ा​ािरण

आज कोई 90 हजार रन जहरीली दवाये् देश के अन्य देसी िादो्की ओर है. वकसानो्को यवद इस िाद पय्ा​ावरण मे्घुल-वमल रही है्. इसका एक वतहाई वहस्सा र्पी कीचड की िुदाई का वजम्मा सौ्पा जाये तो वे वे वववभन्न साव्ाजवनक स्वास्र्य काय्ाक्मो् के अंतग्ान सहष्ा राजी हो जाते है्. उल्लेिनीय है वक राजस्थान के वछडका जा रहा है्. सन 1960-61 मे्केवल 6.4 लाि झालावाड वजले मे् ‘िेतो् मे पावलश करने’ के नाम से हेक्रेयर मे्कीरनाशको्का वछडकाव होता था. 1988- यह प्य् ोग अत्यवधक सिल व लोकव्​्पय रहा है. कन्ारा क 89 मे् यह रकबा बढ कर 80 लाि हो गया और आज मे्समाज के सहयोग से ऐसे 50 तालाबो्का कायाकल्प इसके कोई डेढ करोड हेक्रेयर होने की संभावना है. ये हुआ है, वजसमे् गाद की ढुलाई मुफ्त हुई. यानी ढुलाई कीरनाशक जाने-अनजाने मे् पानी, वमट्​्ी, हवा, जन- करने वाले ने इस बेशकीमती िाद को बेच कर पैसा स्वास्र्य और जैव ववववधता को बुरी तरह प्​्भाववत कर कमाया. इससे एक तो उनके िेतो्को उव्ारक वमलता है, रहे है्. इनके अंधाधुंध इस्​्ेमाल से पावरस्सथतक संतुलन साथ ही साथ तालाबो्के रिरिाव से वसंचाई सुववधा भी वबगड रहा है, सो अनेक व्यावधयां सर उठा रही है्. कई बढती है. कीरनावशयो् की प्​्वतरोधक क्​्मता बढ गयी है. इसका बस्र् का को्डागांव केवल नक्सली प्भ् ाव वाले क्त्े ् असर िाद्​्श्​्ंिला पर पड रहा है और उनमे्दवाओ्व के तौर पर ही सुव्िायो् मे् रहता है, लेवकन यहां डा. रसायनो् की मात्​्ा ितरनाक स्​्र पर आ गयी है. एक राजाराम व्​्तपाठी के जडीबूवरयो् के जंगल इस बात की बात और, इस्​्ेमाल की जा रही दवाइयो्का महज 10 से बानगी है् वक सूिी पव्​्तयां वकतने कमाल की है्. डा. 15 िीसदी ही असरकारक होता है, बाकी जहर वमट्​्ी, व्​्तपाठी काली वमच्ा से लेकर सिेद मूसली तक का भूगभ्ा जल, नदी-नालो् का वहस्सा बन जाता है. देश के उत्पादन करते है्व वकसी भी वकस्म की रासायवनक िाद, अवधकांश इलाको्का यही हाल है. दवा या अन्य तत्व इस्​्ेमाल नही् रासायवनक िादो् के ववकल्प खेती के पारंपररक तौर तरीके करते है्. गव्मायो्के वदनो्मे्उनके की ही बात करे्तो पुश्तैनी तालाब कई एकड मे्िैले जंगलो्मे्साल इस मामले मे् ‘एक पंथ दो काज’ अपनाकर कीटनाशकोंके व अन्य पेडो्की पव्​्तयो्पर जाती है्. हमारी सरकारे्रोना रोती है्वक भीषण दुषपं भं ावोंसे बचा जा है.् बीस वदन के भीतर ही वहां वमट्​्ी पारंपवरक जल संसाधनो्की सिाई की परत होती है. असल मे् उनके सकता है. के वलए बजर का रोरा है. हकीकत जंगलो् मे् दीमक को भी जीने का मे् तालाबो् की सिाई और अवसर वमला है और ये दीमक इन गहरीकरण अवधक िच्​्ीला काम नही है, न ही इसके पव्​्तयो्को उस ‘राप सॉईल’ मे्बदल देते है्वजसका एक वलए बड्ी मशीनो्की जर्रत होती है. यह सव्ावववदत है से्रीमीरर उपजाने मे्प्​्कृवत को सवदयां लग जाती है. वक तालाबो्मे्भरी गाद, सालो्साल से सड रही पव्​्तयो् कुछ साल पहले वथयोसोिीकल सोसायरी, चेन्नई और अन्य अपवशष्​् पदाथ्​्ो् के कारण ही उपजी है, जो मे् कोई 50 से अवधक आम के पेड रोगग्​्स् हो गये थे. उम्दा दज्​्े की िाद है. वकसान रासायवनक िाद के आधुवनक कृवष-डाक्ररो्को कुछ समझ नही्आ रहा था. नुकसान जान चुके है् और उनका र्ि अब कंपोस्र व तभी समय की आंधी मे्कही्गुम हो गया सवदयो्पुराना ‘वृक्ायुव्ेद’ का ज्​्ान काम आया. से्रर िार इंवडयन नालेज वसस्रम (सीआईकेएस) की देिरेि मे्नीम और कुछ दूसरी जडी-बूवरयो्का इस्​्ेमाल वकया गया. देिते ही देिते बीमार पेडो्मे्एक बार विर हवरयाली छा गयी. ठीक इसी तरह चेन्नई के स्रेला मेरी कालेज मे्बारनी के छात्​्ो्ने जब गुलमे्हदी के पेड मे्‘वृक्ायुव्ेद’ मे्सुझाये गये नुस्िो् का प्​्योग वकया तो पता चला वक पेड मे् ना वसि्फ िूलो् के घने गुच्छे लगे, बस्लक उनका आकार भी पहले से बहुत बडा था. वृक्ायुव्ेद के रचवयता सुरपाल करीब हजार साल पहले दव्​्कण भारत के शासक भीमपाल के राज दरबारी थे. वे वैद्के साथ-साथ अच्छे कवव भी थे. तभी वचवकत्सा सरीिे गूढ ववषय पर वलिे गये उनके ग्​्ंथ वृक्ायुव्ेद को समझने मे्आम ग्​्ामीण को भी कोई वदक्​्त नही् आती है. उनका मानना था वक

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जवानी, आकष्ाक व्यस्कतत्व, िूबसूरत स्​्ी, बुव्दमान वमत्​्, कण्ाव्पय संगीत, सभी कुछ एक राजा के वलए अथ्ाहीन है्, यवद उसके यहां वचत्​्ाकष्ाक बगीचे नही् है्. इनमे्कई नुस्िे अजीब है्-जैसे, अशोक के पेड को यवद कोई मवहला पैर से ठोकर मारे तो वह अच्छी तरह िलता-िूलता है, या यवद कोई सुंदर मवहला मकरंद के पेड को नािुनो्से नोच ले तो वह कवलयो्से लद जाता है. सुरपाल के कई नुस्िे आसानी से उपलब्ध जडीबूवरयो् पर आधावरत है्. महाराष्​् मे् धोबी कपडे पर वनशान लगाने के वलए वजस जडी का इस्​्ेमाल करते है्, उसे वृक्ायुव्ेद मे् असरदार कीरनाशक वनर्वपत वकया गया है. भल्लारका यावन सेमीकाप्ास एनाकाव्डायम का छोरा सा रुकडा यवद भंडार गृह मे् रि वदया जाए तो अनाज मे्कीडे नही्लगते है्और अब इस साधारण सी जडी के उपयोग से कै्सर जैसी बीमावरयो् के इलाज की संभावनाओ्पर शोध चल रहे है्. पंचामृत यावन गाय के पांच उत्पाद- दूध, दही, घी, गोबर और गौमूत् के उपयोग से पेड-पौधो् के कई रोग जड से दूर वकये जा सकते है्. ‘वृक्ायुव्ेद’ मे्दी गयी इस सलाह को वैज्ावनक रामचंद्रेड्ी और एएल वसद्​्ारामैयय् ा ने आजमाया. रमारर के मुरझाने और केले के पनामा रोग मे् पंचामृत की सस्​्ी दवा ने सरीक असर वकया. इस परीक्​्ण के वलए रमारर की पूसा-र्बी वकस्म को वलया गया सुरपाल के सुझाये नुस्िे मे्थोडा सा संशोधन कर उसमे्यीस्र और नमक भी वमला वदया गया. दो प्​्वतशत घी, पांच प्​्वतशत दही और दूध, 48 िीसदी ताजा गोबर, 40 प्​्वतशत गौ मूत्के साथ-साथ 0.25 ग्​्ाम नमक और इतना ही यीस्र वमलाया गया. ठीक यही िाम्ाूला केले के पेड के साथ भी आजमाया गया, जो कारगर रहा. सीआईकेएस मे् बीते कई सालो् से वृक्ायुव्ेद और ऐसे ही पुराने ग्​्ंथो् पर शोध चल रहे है्. यहां बीजो् के संकलन, चयन, और उन्हे् सहेज कर रिने से लेकर पौधो् को रोपने, वसंचाई, बीमावरयो् से मुस्कत आवद की पारंपवरक प्​्व्कयाओ् को लोकव्​्पय बनाने के वलए कई आधुवनक वैज्ावनक प्​्यासरत है्. पशु आयुव्ेद, सारंगधर कृत उपवन ववनोद और वराह वमवहर की वृहत्​्त संवहता मे्सुझाये गये चमत्कारी नुसि ् ो्पर भी यहां काम चल रहा है. िेती-वकसानी के ऐसे ही कई हैरत अंगेज नुस्िे गांव-गांव मे्पुराने, बेकार या महज भावनात्मक सावहत्य के र्प मे्पडे है्. ये हमारे समृद्हवरत अतीत का प्​्माण तो है्ही, प्​्ासंवगक और कारगर भी है्. अब यह बात सारी दुवनया मान रही है वक प्​्ाचीन भारतीय ज्​्ान के इस्​्ेमाल से कृवष की लागत घराई जा सकती है. यह िेती का सुरव्​्कत तरीका भी है, साथ ही इससे उत्पादन भी बढेगा.


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रवीश कुमार त्​्र प्​्देश भाजपा ने प्​्वक्ताओ्की सूची जारी की है. इसमे्चार श्​्ेवणयो्के वलए 27 प्​्वक्ताओ् के नाम है्.ये श्​्ेवणयां है्प्​्देश प्​्वक्ता, प्​्देश मीवडया संपक्फ प्​्मुि, प्​्देश मीवडया सहप्​्भारी और मीवडया पैनल. प्​्देश अध्यक्​् केशव प्​्साद मौय्ा ने अपने दस्​्ख़्त से इन नामो्को जारी वकया है. मै् इन नामो् को सरनेम के वहसाब से देिने लगा. वसंह सरनेम को लेकर चूक हो सकती है क्यो्वक कई जावत के लोग वसंह सरनेम रिते है्. इसे बाद मे्सुधार कर वलया जायेगा लेवकन वसंह को मुख्य र्प से ठाकुर मान ले्तो इस सूची मे्सवण्ा ज्यादा है.् चोरी की तीन श्व्ेणयो्के सभी 12 प्व् क्ता सवण्ा है्. 27 प्​्वक्ताओ् मे् से 10 प्​्वक्ता ब्​्ाह्मण है्. आप सूची देिे्गे तो वमंश्ा, दुबे, शुक्ला, दीव्​्कत और व्​्तपाठी सरनेम का बोलबाला है. यह सरनेम बताते है् वक पार्​्ी मे्वकस जावत के लोग सहज र्प से िलतेिूलते है्. दूसरी सवण्ा जावतयो् मे् कायस्थ और राजपूत है्. इनकी संख्या सात है.जैसा वक मै्ने कहा वक वसंह सरनेम को लेकर चूक हो सकती है और कुछ नामो् का पता ही नही्

6 जनवरी - 12 जनवरी 2017

बं​ंाहंमण पं​ंवकंता पारं​ंी

चला. 27 प्​्वक्ताओ् मे् 17 सवण्ा हुए, वजनमे्ब्​्ाह्मण सबसे अवधक है्. 27 प्​्वक्ताओ् मे् दो मवहलाये् है्. श्​्ीमती अवनला वसंह और बरेली की डाक्रर दीस्पत भारद्​्ाज. दीस्पत भारद्​्ाज भी ब्​्ाह्मण प्​्तीत होती है्. अगर सही है तो 27 प्​्वक्ताओ् मे् ब्​्ाह्मण प्​्वक्ताओ् की संख्या 11 तक पहुंचती लगती है. मीवडया पैनल यानी रीवी की बहसो् मे् जाने वाले 15 प्​्वक्ताओ् की श्​्ेणी मे् एक नाम जारव समाज से है. बुलदं शहर के मुश ं ीलाल गौतम. गौतम अच्छे नेता और प्​्वक्ता माने जाते है्. दो नाम कोरी समाज से है. देवेश कोरी और बृजलाल कोरी. मथुरा के भुवनभूषण कोमल नाई समाज से आते है.् अब क्या इस पर ख़्श ु होना पड्ेगा वक चलो कृपा तो हुई, मौका तो वदया! देिना है वक रीवी की बहसो् मे् जारव, कोरी और नाई समाज के नेताओ्को वकतना बुलाया जाता है या वे नाम के वलए ही है्. पार्​्ी ही तय करती है वक वकस चैनल मे्कौन प्​्वक्ता जायेगा. मीवडया पैनल मे् गावजयाबाद के र्प चौधरी का नाम है. र्प मीवडया का काम करते रहे है् और अच्छे प्​्वक्ता है. र्प चौधरी जार समाज से आते है्. इनसे वमलने

रज़्ा कभी राजनाथ वसंह को माला पहनाते वदिते है् तो कभी स्मृवत ईरानी का स्वागत करते हुए.मौय्ा के साथ तो वदिते ही है्. सव्​्कय नेता है्. हफ्ता भर पहले आईबीएन-7 न्यूज चैनल से भाजपा मे्आये शलभमवण व्​्तपाठी का नाम 27 प्​्वक्ताओ् की सूची मे् पहले नंबर पर है. हर वकसी को चुनावी राजनीवत मे् वकस्मत आज़्मानी चावहये. कोई पत्​्कार ग्ैर भाजपा दलो् मे् जाता तो उनके पीछे अनवगनत ऑनलाइन मच्छर छोड्वदये जाते. ऑनलाइन गै्ग व्हाट्स अप की दुवनया मे् बवाल मचा देता वक पहले पत्​्कावरता बेच रहे थे,अब उस पार्​्ी का माल बेचे्गे. दलाल वग्ैरह कहना तो छोरी मोरी बात हो गयी है. शलभ का प्​्वक्ताओ्की सूची मे्पहले नंबर पर आना भाजपा और संघ को लेकर रचे गये कई वमथको् को तोड्ता है. यही वक संगठन है, ववचारधारा है, ट्​्ेवनंग है. एक से एक प्​्वक्ता है्. अगर ऐसा है तो हफ्ता भर पहले आया शख्स अव्वल कैसे आ गया? का मौका वमला है और घोर राजनीवतक है्. शलभमवण को बधाई और शुभकामनाये्. दफ्तरी प्व् क्ता नही्है् एक मुसलमान है.्पूवा् चाहूंगा वक वे चुनाव लड्े्और जीते्और जब व्​्ककेरर मोहवसन रज़्ा. मोहवसन रज़्ा तो दूसरा पत्​्कार ग्ैर भाजपा दल मे् जाये तो रीवी प्​्ादेवशक स्रुवडयो मे् जाते भी रहे है्. ऑनलाइन गै्ग से मुक्ाबला करे्वक वे उन्हे्

एक रंका हुआ फैसला

कुमार प्​्शांत

व्​्ोच्​् न्यायालय ने डोर बढ्ाते-बढ्ाते डोर कार दी! भारतीय व्​्ककेर के स्वंयभू आका बेतरह भूलुंवठत हुए. बीसीसीआई का कायाकल्प करने का आदेश दे कर सव्​्ोच्​् न्यायालय के मुविया तीरथवसंह ठाकुर ने भी अवकाश ग्​्हण कर वलया. केवल बीसीसीआई के संदभ्ामे्नही्, आज के हालात मे्न्यायपावलका की व्यापक भूवमका के संदभ्ा मे् भी न्यायमूव्ता ठाकुर का कुछ और वक्त तक पद पर रहना कल्याणकारी होता. बहरहाल, जो होना श्​्ेयस्कर होता वह होता ही तो वशकायत ही क्या होती ! विर भी यह कहना ही होगा वक सव्​्ोच्​्न्यायाधीश री.एस. ठाकुर ने सव्​्ोच्​् न्यायालय को लोढ्ा आयोग की वसिावरशो्से वजस तरह जोड्वदया है, उसके बाद आज की स्सथवत से वापस लौरना न न्यायालय के वलए और न बीसीसीआई के वलए ही आसान होगा. ठाकुर साहब का िे्का यह तुर्प का वह पत्​्ा है जो भारतीय िेल जगत मे् िैली सडांध को लौरने नही् देगा. लेवकन यह अपने आप नही् होगा. इसके वलए न्यायपावलका को, लोढ्ा आयोग को और िेल संगठनो् की विक्​् करने वाले हर आदमी को सावधान रहने की जर्रत है. हर अदालती व्यवस्था की तरह यह भी सामावजक जागर्कता के वबना ढाक के तीन

पात सावबत हो सकती है. लेवकन हमे्सबसे पहले लोढ्ा साहब की बात करनी चावहये. कभी सव्​्ोच्​्न्यायालय के मुविया रह चुके अवकाशप्​्ाप्त न्यायमूव्ता आर.एम.लोढ्ा ने, सव्​्ोच्​् न्यायालय के अनुरोध पर बीसीसीआई की जांच का काम जब स्वीकार वकया था तब वकसे अंदाजा था वक बात यहां तक पहुंचेगी! लेवकन इसी बहाने लोढ्ा साहब ने देश को यह देिने-

अपराध को छुपाने और अपरावधयो् को बचाने के वलए वकया जाता है. मुझे याद नही् है वक कभी, वकसी आयोग ने इस बात की रेक रिी हो वक मेहनत से तैयार की गयी उसकी वरपोर्ाको सरकार साव्ज ा वनक भी करे और उस पर अमल का कैले्डर भी देश के सामने रिे. मुझे अवधकांश आयोगो्के मुखय् व्यस्कतयो्से यही सुनने को वमलता रहा है वक हमने अपना काम कर वदया, अब गे्द

करती है. एकावधक बार और लगातार लोढ्ा आयोग ने सव्ो्च्​् न्यायालय मे् अपनी यावचकाये् दाविल की् और पूछा वक उनकी वसिावरशो्पर अमल की वदशा मे्न्यायालय क्या कदम उठा रहा है. अगर न्यायालय और लोढ्ा आयोग अपनी प्​्तवबद्​्ता बनाये नही् रिता तो यह मामला भी वकसी अंजाम तक पहुंचने वाला नही् था. अब बीसीसीआई का काम आगे कैसे चलेगा, यह तय करना बड्ी

समझने का मौका वदया वक जब भी वकसी मामले या उलझन के संदभ्ामे्वकसी आयोग की वनयुस्कत होती है तो उसकी मात्​् कानूनी वजम्मेवारी नही् होती है, वह एक नैवतक वजम्मवे ारी से बंधा होता है. उस वजम्मवे ारी के वनव्ा​ाह के वलए क्या-क्या करना जर्री है, लोढ्ा साहब ने बीसीसीआई के मामले से यह हमे् बताया. देिे्गे तो पाये्गे वक हमारे यहां वजतने आयोग बने, करीब-करीब सभी ने अपनी कानूनी वजम्मेवारी वकसी तरह पूरी कर, वकनारा कर वलया. यह दुिद सत्य है वक हमारे यहां अवधकांश आयोगो् का गठन

सरकार के पाले मे्है. कश्मीर के सवाल पर बने एक काय्ादल के प्​्मुि सदस्य ने एक बार मुझसे कहा वक हम आपकी तरह ‘एस्करववस्र’ नही् है्. वजन्हो्ने हमे् वनयुक्त वकया था हमने अपनी वरपोर्ा उन्हे् दे दी है, अब इसका करना क्या है यह वे जाने्! लेवकन जस्सरस लोढ्ा ने ऐसा नही् वकया! व्​्ककेर की सव्​्ोच्​् संस्था बीसीसीआई मे् चल रही मनमानी की जांच के वलए बने आयोग ने न केवल उन्हो्ने गंभीरता से वलया बस्लक यह भी देिा वक उनकी वसिावरशो्को लागू करने की वदशा मे्हमारी अदालत क्या

चुनौती का काम है. बंजर, जहरीली जमीन पर गुलाब उगाने जैसा करतब है यह! आज तक बीसीसीआई वैसे लोगो्का अिाड्ा रही है जो सुववधाओ्-अवसरो् का आपसी बंदरबांर करते रहे है्. आईपीएल इस बंदरबांर का सबसे गव्हात नमूना था और है. हमने यह भी देिा वक इस िेल मे् देश के आला विलाड्ी भी शावमल हो गये. राजनीवतज्​्ो्ने तो मान ही रिा है वक नाम व नामा वाली कोई जगह ऐसी नही्होनी चावहये जो उनकी चंगुल मे्न हो. इसवलए व्​्ककेर ही नही्, सारे िेलो् की प्​्वतवनवध संस्थाओ् पर

विचार दलाल न कहे्. शलभ बच गये वक वो भाजपा मे् गये है् वन्ा​ा उनका सोशल मीवडया पर उनकी ही पार्​्ी के समथ्ाक बुरा हाल कर देते. लगता है वक मीवडया को तरस्थता वसिाने वाला दल नये साल की की पार्​्ी मना रहा है! शुभकामनाये्शलभ. कांग्ेस और सपा की तरि से ऐसी सूची जारी हुई तो उनका भी इसी तरह ववश्लेषण करं्गा. बसपा इस तरह की कोई सूची जारी नही् करती है. भाजपा की यह सूची कािी कुछ कहती है. प्​्वक्ता ही पार्​्ी के दैवनक और साव्ाजवनक चेहरे होते है्. भाजपा मे् वपछड्ेऔर अवत वपछड्ेनेतृत्व पर ज़्ोर वदया जा रहा है. चुनाव जीतने के वलए इस तबके के नेताओ्को िूब वरकर भी वदये जा रहे है्. जब इस तबके से चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवार वमल जाते है्तो प्​्वक्ता क्यो्नही् वमल सकते है्? प्​्देश अध्यक्​् ख़्ुद अवत वपछड्ा समाज से है.् प्ध ् ानमंत्ी वपछड्ेतबके से है्. चुनाव मे् उन्हो्ने ही बताया था वक वे वपछड्ेतबके से है्. नेता वमल जाता है मगर प्​्वक्ता नही्. ये सूची भारतीय जनता पार्​्ी की कम ब्​्ाह्मण प्​्वक्ता पार्​्ी की ज्यादा लगती है. (कस्बा )

उनका ही कब्जा है. वकसी राजनीवतज्​् के र्तबे की कसौरी इससे भी होती है वक वह वकतने िेल संघो् का भाग्यववधाता है. बड्े औद्​्ोगवक घराने भी इसमे्अपना िेल िेलते है्, और अब तो विल्मी वसतारे भी, व्यापारी बन कर धन-दौलत के इस बहते सागर मे् हाथ धोने उतर पड्ेहै्. जर्रत इस बात की है वक लोढ्ा आयोग की वसिावरशो्की वदशा को देश समझे और व्​्ककेर ही नही्, देश के सभी िेल संघो् पर इसे लागू करे. एक साथ सभी जगहो्पर यह पवरवत्ान होगा तो उसका पवरणाम भी साि और स्थायी होगा. समाज के सभी वग्​्ो् से एक-दो प्​्वतवनवध ले कर सभी िेलो् की अपनी-अपनी प्श ् ासवनक सवमवत बने- इसमे् विलाव्डयो्का बहुमत हो. उनके बीच का ही आदमी संसथ ् ा-प्म् ि ु भी हो. विर राजनीवतक व सामावजक प्​्वतवनवध हो्, न्यायपावलका के सदस्य हो्, िेल-पत्​्कारो् के व िौज के योग्य प्​्वतवनवध भी हो्. ऐसे संघो् और व्यस्कतयो् की वजतनी मय्ा​ादाओ् को लोढ्ा आयोग ने वनयमबद्​्वकया है, उस सभी का पूरा पालन करते हुए िेलो्का संचालन हो. भारतीय ओवलंवपक संघ भी ऐसे ही बने व चले. िेल मंत्ालय का एक काम यह हो वक वह देिे वक िेल संगठन वनध्ावा रत वनयमो्से चल रहे है्या नही्. जहां जर्रत हो वहां वह हस्क ् प्े भी करे लेवकन वह राजनीवत न करे! इसके वलए शायद यह जर्री है वक िेल मंत्ालय वकसी विलाड्ी या िेलप्म्े ी के हाथ मे्रहे न वकसी पेशवे र राजनीवतज्​्के हाथ मे.् लंबे समय से र्का हुआ एक यह एक िैसला वकतनी ही संभावनाओ् के दरवाजे िोलता है!


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6 जनवरी - 12 जनवरी 2017

अनुपम स्मृवि

अलचवदा अनुपर

अनुपम रमशं​ंके पं​ंरत कुछ शं​ंदंांजरियां अनुपम वमश्​्ने समाज की ताकत को पहचाना और समाज के जवरये ताल तालाब बचाने की वदशा मे्जो पहल की उससे हम सबको प्​्ेरणा वमली. उत्​्र प्​्देश सरकार ने उनकी प्​्ेरणा से ही पुराने तालाब के जीण्​्ोद्​्ार करने और नए तालाब बनवाने की वदशा मे्पहल की. हम उनकी प्​्ेरणा से पानी को बचाने की वदशा मे्और ठोस पहल करे्गे. वे हमेशा हमारे बीच रहे्गे. अवखलेश यादि , मुख्यमंत्ी ,उत्​्र प्​्देश lll

देशज समाज के वाहक गोपाल राम ज सुबह जब ये समाचार वमला वक अनुपम वमश्​्जी नही्रहे तो तरस्थ नही्रहा गया. कुछ समय मौन बैठकर उनके होने व न होने के बीच के िासले को तलाशता रहा. इस िोज मे्लगा वक अनुपम जी जैसे लोग मरते नही् है् बस्लक चोला बदलते है्तावक एक और नई ऊज्ा​ा के साथ पुनः आकर अपना शेष काम संभाल सके्. मुझे याद नही्वक कभी मेरी उनसे सीधी (व्यस्कतगत तौर पर) मुलाकात हुई हो लेवकन कुछ सभाओ् मे् उनके वक्तव्यो् को सुनने का अवसर वमला. उनके द्​्ारा संपावदत पव्​्तका ‘गांधी माग्ा‘ को, जब भी उपलब्धता रही; मै्ने पढा. उनकी पुस्क ‘आज भी िरे है्तालाब‘ को मै्चार बार पढ गया और हर बार ऐसा लगा वक देशज समाज का एक और वहस्सा, वजसकी तरि ध्यान नही् गया था, समझ मे् आया है. जीवन की जो सुिद अनुभूवतयां होती है्, अक्सर अनायास घवरत हुआ करती है;् उसके वलए प्य् ास नही्करना होता. बशत्​्े वक आप जीवन की गवरमा को पववत्​् भाव के साथ स्वीकारते हो्. यही अनुभूवत स्वयं मे्, समाज मे्ऊज्ा​ा पैदा करती है्. वजसके प्​्ेरणास्​्ोत अनुपम जी जैसे लोग होते है्. उनके द्​्ारा पैदा की गई सजगता, कृतज्​्समाज की धरोहर होती है. अनुपम जी अक्सर भारतीय समाज मे् पानी की गहराई को नापने वाले लोगो् का वजक्​् वकया करते थे. लेवकन स्वंय भी वे समाज की गहराई को नापने की क्म् ता रिते थे और आजीवन यह वकया भी. एक सभा मे् जब उन्हो्ने यह बात कही थी वक, ‘पय्ा​ावरण केवल पेड-पौधे ही नही् बस्लक आस-पास का समाज भी सीिना है’, तब जो आज तक स्कूली ररी-रराई बात थी वक पय्ा​ावरण का मतलब पेड-पौधे बचाना होता है, यह मान्यता धराशायी हो गयी थी. वपछले 200-250 सालो् मे् जबसे ववचार का के्द् पव्​्िम बन गया है और ववचार के नाम पर सूचना परोसने की एकमात्​्भाषा अंग्ेजी को मान वलया गया है. तब से ववकास का मतलब; सबको एक तरह का िाना, रहना, पहनना, तीज-त्यौहार, िेती-बाडी इत्यावद का दौर चल पडा है. जबवक प्​्कृवत मे् ववववधता है. जलवायु की वभन्न-वभन्न स्सथवतयां है्. उसके अनुसार

पशु-पव्​्कयो्व वनस्पवतयो्की भी ववववधता है. अलग-अलग पानी का ववतरण भी इसी प्​्ाकृवतक ववववधता के आधार पर है. और हमारे समाज का गठन-संगठन इसी ववववधता का सम्मान करके बना है. अनुपम जी के अनुसार, ‘ऐसा रंग-वबरंगा संगठन जो वनराकार है. वजसमे् कोई वाव्षाक योजनाये् नही्बनानी पडती, गाडी, बंगले, मोररकार, अध्यक्​्, मंत्ी की आवश्यकता नही् होती.’ ऐसे स्वयंभू चलने वाला सामावजक संगठन. वजससे समाज का अपना स्वभाव बना, वशक्​्ा व्यवस्था बनी, तीज-त्यौहार बने. ऐसे संस्कार बने जो हवा, पानी, मारी, बि्फ से बनते है्; लेपरॉप, इंररनेर से नही्. इतने बडे सामावजक संगठन को चलाने के वलए कोई वलवित वनयम-कानून नही् थे क्यो्वक जर्रत ही नही्थी. ये सब समाज जीवन का वहस्सा थे. अनुपम जी के अनुसार, समाज मे् यह भावना पीढी-दर-पीढी हस्​्ांतवरत होती थी वक, ‘अच्छे-अच्छे काम करते जाना.‘ वे ‘आज भी िरे है्तालाब‘ पुव्सका की पहली पंस्कत मे्बूढन वकसान द्​्ारा बेरो्को दी गयी इस सीि का उल्लेि करते है्. ये जीवन की वशक्​्ा है. वजससे समाज बनता है और अनवरत चलता है. अनुपम जी ने इस बात को गहराई से समझा था वक ववकास की नई भाषा, शब्दावी व तकनीकी के गठजोड ने समाज की स्वाभाववक संगठन क्​्मता को ववस्मृत वकया है. वजससे समाज का संगठन ढीला पडा है. भाषा व समाज के बारे मे्उनकी ये स्पष्​्ता रही वकसी भी क्​्ेत् की समस्याएं उसकी अपनी भाषा मे्ही सामने आती है्और उसके समाधान भी. क्यो्वक भाषा केवल एक जुबान भर नही् है. जुबान एक अंग है. जीभ का संचालन वदमाग से होता है. भाषा ववशेष का वदमाग पर जो प्भ् ाव पडता है. वो वदमाग वहां के पय्ावा रण व समाज से बनता है. आयावतत भाषा होगी तो आयावतत पय्ा​ावरणीय व सामावजक वातावरण भी साथ मे् लायेगी ये इस बात के साथ जुडा वनवहत तर्य है. इसी तरह कुछ शब्दावली की जादूगरी पर उन्हो्ने ध्यान वदलाया वक ‘वारर मैनेजमैन्र‘ ‘सोशल िॉरेस्ट्ी,‘ ‘सेस्रेनेबल डेवलपमे्र‘ इत्यावद. इस देश मे पानी की सार-संभार का, जंगलो्की व्यवस्था का इतना बडा ववकवसत सामावजक तंत्या वजसको आयावतत ववचार

ने शब्दावली ने अपनी भाषा को प्​्वतव्​्षत करके धूल-धूसवरत कर वदया. सुदूर वहमालय मे्पानी की सार-संभार का तरीका एक ही नही् हो सकता. इस वास्​्ववक ववज्​्ान को समझकर समाज ने अपना तंत् ववकवसत वकया. नये ववकास के घमण्ड मे् पढे-वलिे लोगां मे् भ्​्म िैल गया वक हम सूिा-गीले मे् व गीला सूिे मे् तब्दील कर देग् .े सरकारी तंत्की ‘नदी जोडो पवरयोजना‘ इसी भ्​्मज्​्ान का प्​्तीक है वजसमे् न पय्ा​ावरण की आंि है, न पांि. ऐसे-ऐसे अंधववश्​्ास घर कर गये है्वक यह भ्​्म होने लगा है वक तकनीकी से भूवमगत पानी िी्च लो, ववज्​्ान हमे्पानी दे देगा. जब हमारा डेवलॅपमैन्र होता है जो सब जगह एक सी चीजे् चाहता है तो प्​्कृवत की एक अस्वीकृवत बनती है तो लंबे समय बाद समझ आती है क्यो्वक अस्वीकाय्ाता की गवत भी धीमी है. हमारा ववकास का मतलब है वक वकसी इलाके मे्आव्थक ा उपक्म् बढे आव्थक ा ववकास ज्यादा हो गया तो वहां नदी सूि गयी, पानी नही्है. तो हम कहे्गे यह ववकास की कीमत है. जंगल ित्म हो गया. यह आंि व पांि से न देि पाने की िक्फहै. इसवलए ‘ववकास‘ शब्द आने के बाद अववकवसत इलाको्की संख्या बढ गयी. डेवलपमेन्र के आगे ववशेषण लगाना पडा ‘सस्रनेबेल डेवलॅपमेन्र‘. मुझे विर बूढन वकसान की अपने बेरो् को अंवतम ववदा के समय कही पंस्कतयां याद आ रही है्, वक ‘अच्छे-अच्छे काम करते जाना, तालाब बनाते जाना.’ मै्सोच रहा था वक इस बात मे्और ‘अच्छे वदन आये्गे‘ के जुमले मे् वकतना िक्फ है. पहले मे् एक समाज भावना का अगली पीढी को हस्​्ान्तरण है, कम्ाकी प्​्ेरणा है. तो दूसरे मे् ‘वनराधार सान्तवना, िोिली वदलासा. अच्छे वदन आये्गे ववदेशी पूंजी से ऋ ण लेकर, प्​्कृवत की सहज व्यवस्था का मशीनीकरण के द्​्ारा शोषण से. आये्गे आयावतत अच्छे वदन, जो वैसे ही हो्गे जैसे वनन्दा रवहत प्​्शंसा वैसे बुरे वदन रवहत अच्छे वदन. वजसमे् कई वहस्से हम िो रहे है्, िो चुके हो्गे. लेवकन अनुपम जी की ये बात वक ‘अच्छे-अच्छे काम करते जाना’ हमारे समाज संगठन की धूल को पो्छकर उसकी स्मृवत को लौराने के वलए कािी है्.

अनुपम वमश्​्को हम कई वष्​्ो्से पढते सुनते रहे्है्. पानी के क्​्ेत्उन्हो्ने जो काम वकया है उससे समूचे समाज को प्​्ेरणा वमलती है. उत्​्र प्​्देश के बुंदेलिंड मे् उन्हो्ने तालाब बचाने और पानी बचाने के वलए बडा योगदान वदया है. हम उनकी प्​्ेरणा से ताल तालाब और नवदयो्को बचाने के वलए ठोस प्​्यास करे्गे. राजे्द् चौधरी, कैवबनेर मंत्ी, उत्​्र प्​्देश सरकार lll

व्​्पय अनुपम, आप हमारे वदलो वदमाग मे्रहते हो, जल ज़मीन मे्वजसके संरक्​्ण मे्आपने हमारी मदद की और उस संस्कृवतयो्मे्वजसके पुनज्​्ीवन मे्आप मददगार रहे. आपके काम वक वनरंतरता ही आपकी सच्​्ी श्​्द्ांजवल और दायपूव्ता होगी. डॉ. िंदना वशिा lll

अपने ववचारो्, वचंताओ् और अपनी अंतदृव्ष को प्​्गत करने मे् अनुपम की अवभव्यस्कत वक शैली अत्यंत गवरमापूण्ारही्चाहे ज़मीन-पानी का मुद्ा हो या केशरी दाता का. सहज मनुष्यता को पवतवबंवबत करने वाला गहरा ज्​्ान, एक संरक्​्ण मूल्य प्​्जली, जो उनके लेिन, एवं अनुपम से बातचीत मे्सीिा. इच्छा होती है वक अनुपम हमारे बीच लंबे सामी रहते और इसी तरह साथ्ाक योगदान करते रहते जैसा उन्होने वकया उनका कै्सर से मारना सचमुच हम से मांग करता है् वक सोचे वक कैसे हमारे चारो ओर िैले रक्तण्ाक दसायस, ववषैले तत्व तथा प्​्दूषण सामग्​्ी कै्सर आवद को बढा रही्है्, वजसके ववर्द्अनुपम िडे रहे उनसे बचने के वलए सावधान वकया और उस बात को प्​्ासवगत वभह वकया. डॉ. मीरा वशिा lll

अनुपम जी सबके साथ इतनी आत्मीयता से वमलते थे वक लगता था वक वे एकदम अपने है्. उन्हो्ने पय्ा​ावरण और पानी को लेकर अपना जीवनकम्ाअव्पात कर वदया था. उनके त्याग और समप्ाण भाव की तुलना आज के भारत मे् शायद ही वकसी से की जा सकती है. वे हम सब की स्मृवतयो्मे्सदैव ही जीववत रहे्गे. मुरली मनोहर प्​्साद वसंह, महासवचि, जनिादी लेखक संघ lll

आत्मीयता, सादगी, ईमानदारी और मेधा के अद्​्त सस्ममलन का व्यस्कतत्व हमारे बीच से चला गया पर भौवतक र्प से. अपने अप्​्वतम योगदान से वे हमेशा हमारे बीच रहे्गे. उनकी परम्परा रहेगी. रेखा अिस्थी, सवचि, जनिादी, लेखक संघ lll

मै् अनुपम वमश्​् जी के वलए वसि्फ कहना चाहता हूं वक जब भी ‘आज भी िरे है् तालाब’ पढता हूं. हर शब्द से अनुपम जी की आवाज कानो् मे् सुनाई देती है. सभी पय्ा​ावरण, तालाब, नदी, पोिर के प्​्ेमीजन आज अनाथ हो गये है्. सरकारी अवधकावरयो् को ‘आज भी िरे है् तालाब’ एकेडमी मे् जर्र पढाने की जर्रत है. सुदीप कुमार साहू, सद्हहत फॉउन्डेशन, गावजयाबाद lll

अनुपम वमश्​्अपने आप मे्‘अनुपम‘ थे. उनसे साक्​्ात्कार ‘गांधी माग्ासे हुआ और अवमत आन्नद विर आज भी िडे है्तालाब. lll

हमारी प्​्ेरणा और कम्ाके स्​्ोत, अनुपम जी का काम मेरे अपने शोध की प्​्ेरणा और आधार बना. उनका माग्ादश्ान वमलता रहा - यह बडा सौभाग्य रहा. मनीष वतिारी - आईजीपीपी lll

हमारे गांधी अनुपम दा कम से कम संसाधनो् मे् कैसे जीवन यापन वकया जाता है मै्ने उनसे सीिा. वे पानी के समाज ववज्​्ानी थे उनसे हमने पानी की कीमत जानी और पहचानी वदल्ली मे्वे सबसे पानीदार व्यस्कत थे. कहते थे वक मेरी जर्रत इतनी सीवमत है वक मुझे हफ्ते-हफ्ते बाजार जाने की जर्रत नही् पडती वास्​्ववक र्प मे् वे सबसे अवधक बाजार से दूर थे. औद्​्ोगीकरण के दौर मे्भी वे बाजार के प्​्वत आकव्षात नही्थे समाज के प्​्वत उदार थे. सुभाष गौतम lll

भारतीय ग्​्ामीण समाज की आत्मा के वाहक अनुपम की छवव उस समाज के वलए एक बहुत बडा आघात है शायद अब इस की भरपाई नही्हो पाएगी. आने वाली पीढी यह ववश्​्ास नही्कर पाये वक वदल्ली मे्रहकर भी इस प्​्कार का जीवन जीया जा सकता है. दलीप वसंह, नारनैला हवरयाणा


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6 जनवरी - 12 जनवरी 2017

ओजंोन परत की तरह

स्​्पयदश्शन

कु

छ धूल और राख़्से भरे उस माहौल मे् अपने सैकड्ो् व्​्पयजनो् और पवरजनो् के बीच अनुपम जी शांत लेरे हुए थे. विर उन्हे् ववद्​्ुत शवदाह के वलए बने यंत् के भीतर उतारा गया. एक ज़्ोरदार धड्ाके की सी आवाज़्आयी और 68 साल की भुरभुरी, कै्सरक्लांत देह ख़्ाक हो गयी. मै्ने पल भर के वलए आंिे् मूंद ली्. बरसो्से जो शख्​्स एक पारदश्​्ी रोशनी की तरह वदिता रहा, वह पलक झपकते राि हो चुका था. मगर वहां मौजूद हर वकसी के भीतर कर्णा का वह जल उमडा आ रहा था वजसे अनुपम जी ताउम्​् संवचत करते और बांरते रहे. अनुपम वमश्​् पानी की तरह सहज थे और पय्ा​ावरण की तरह िुले हुए. वे अपनी जड्ो् को जानते थे और अपने स्​्ोतो् को पहचानते थे. परंपरा से उनका वही वरश्ता था जो हवा और पानी से था. उनकी सारी समझ इसी के बीच बनी थी. इसीवलए वह यह देि पाते थे वक जो इंतज़्ाम पहले समाज के हाथ मे् थे, वे सरकार के पास जाकर बरबाद हो गये. पानी उनके वलए उपभोग का सामान नही्था. पानी जीवन था वजसे नष्​् होने से बचाया जाना था. कुएं, झील, पोिर, नवदयां, उनकी चेतना के सहज ववस्​्ार थे. बाढ् उनके वलए जीवन का वहस्सा थी. वे मानते थे वक समाज को बाढ् के साथ जीने की जो कला आती थी,

अंवतम आलेख

ध्यप्​्देश, उत्​्र प्​्देश और राजस्थान का कुछ भाग सचमुच सवदयो् से उपजाऊ वमट्​्ी के क्र् ण का वशकार बनता जा रहा है. देश के अन्य वहस्सो् मे् भी उपजाऊ वमट्​्ी के बह जाने से यह समस्या सामने आयी है लेवकन इसका चंबल के बीहडो् जैसा भयानक र्प और कही्नही्वमलता. दुिद बात यह है वक इन तीनो् राज्यो् की सरकारे् ववकास के नये नारो् मे् इस समस्या को वबलकुल भुला चुकी है्. हमे्इस बात का पता भी नही्चल पा रहा वक हमारे पैर के नीचे से जमीन वकस तेजी से विसल रही है. वपछले करीब 30 वष्ासे बीहड के बारे मे्भयानक चुप्पी छाई है. शायद अंवतम बार ‘से्रर िॉर साइंस एंड एन्वाय्ानमे्र’ और ‘गांधी शांवत प्​्वतष्​्ान’ से छपी पुस्क ‘हमारा पय्ा​ावरण’ मे्इस समस्या के बारे मे् कुछ जानकारी दी गयी थी. इसके बाद से ठीक कहा नही् जा सकता वक इस ववरार भौगोवलक, सामावजक समस्या की तरि वकसी भी संस्था, वशक्​्ण संस्थान, भूवैज्ावनको्आवद का ध्यान गया हो. बीहड से जुडे तीनो् राज्यो् के बीच आज आधुवनक अध्ययन संस्थाओ्, ववश्​्ववद्​्ालयो् और सामावजक संस्थाओ्

सामावजकता का संधान करने वह इस आधुवनक समय मे्िो की कोवशश है. वपछले कुछ गयी है. वे जानते थे वक इस वष्​्ो् से वे छोरी सी पव्​्तका देश मे् वजतने ज्​्यादा बांध बन 'गांधी माग्ा' का संपादन कर रहे है्. उतनी ही बाढ् आ रही रहे थे. गांधी माग्ा के अंक है और उतनी ही तबाही ला देिकर समझ मे् आता था वक रही है क्यो्वक अब वह अपने सादगी और सुर्वच का संगम जाने-पहचाने रास्​्ो् को छोड् वकतना सुकर और सुिद हो वबल्कुल अनजाने इलाको् को सकता है. अनुपम वमश्​् यह रौ्दती-बहाती आती है. नवदयो् काम इसवलए कर पाये वक को जोड्ने या साफ् करने की उन्हो्ने अपने पय्ा​ावरण को अरबो्-िरबो् की पवरयोजना वछछली आधुवनकता के बहुत को वे वसि्फबरबादी मानते थे. सारे प्​्दूषणो्से बचाये रिा था. उनका कहना था वक सैकड्ो् उनकी सहज वहंदी भी इसी ट्​्क लगाकर भी नवदयो् की पय्ा​ावरण से वनकली थी. वे गाद साफ्नही्की जा सकती. वहदी का भी एक साि-सुथरा यह काम वसफफ् नवदयां अपनी तालाब थे. उनको पढ्ना अपनी ताकत से कर सकती है्भाषा की वमठास और उसके ज़्र्रत उन्हे्बहने की आज़्ादी सो्धेपन को कुछ अचरज और देने की है्, बीच की र्कावरे् उल्लास से पहचानने जैसा हराने की है. हुआ करता था- जैसे यह यह भ्​्म न हो वक अनुपम वमश्​् जड् परंपरावादी या घोर अनुपर चरशं​ं: 1948-19 चदसंबर 2016 गव्मायो् मे् वकसी मीठे कुएं का पानी हो. भाषा का प्​्दूषण और आधुवनकताववरोधी थे. वे पूरी अथ्​्ो्का क्​्रण भी उनको आहत तरह गांधीवादी थे- अपनी अनुपम रमशं​ंकी मौजूदगी से सामारजक पयंा​ावरण करता था. उनका मानना था वक सादगी मे्भी, और परंपरा और मेंऑकंसीजन रमिती थी और यह भरोसा भी रक 'ववकास' शब्द ने समाज का बुरा आधुवनकता के प्​्वत अपनी तापमान कभी इतना नहींबढंेगा रक दुरनया जीने वकया है. वजसे हम ववकास आलोचक दृव्ष मे् भी. 'आज िायक न रह जाये. समझने लगे है्, वह दरअसल भी िरे है् तालाब', 'राजस्थान ववनाश है. इसी तरह की रजत बूंदे्', ‘हमारा पय्ा​ावरण’, ‘महासागर से वमलने की अलग शब्दो्को पहचानने के सीवमत लक्​्य ‘उदारीकरण” शब्द से उन्हे् सख्​्त परहेज वशक्​्ा’ जैसी उनकी वकताबे्दरअसल पानी को लेकर वलिी गयी वकताबे् नही् है्, वह था. उनकी राय मे् वजस व्यवस्था को हम बचाने, तालाब बनाने या बादलो्के अलग- अपनी तरह की भारतीयता और उदारीकरण कहते है्, वह दरअसल पूरी

तरह अनुदार है. ‘ज़्मीन’ से ‘ज़्मीने्’ बनाना उन्हे्कभी गवारा नही्हुआ, क्यो्वक वे मानते थे वक ज़्मीन के रुकड्े नही् वकये जा सकते. वकसी विलाड्ी के िेल छोड्ने के वलए ‘संन्यास’ शब्द का इस्​्ेमाल भी उन्हे्हास्यास्पद लगता था. उनके व्यस्कतत्व मे् ववनम्​्ता और सहजता का जो मेल था वह सबको अपने साथ बांध लेता था. स्मार्ािोन और इंररनेर के इस दौर मे् वे वचट्​्ी-पत्​्ी और पुराने रेलीिोन के आदमी थे. लेवकन वे ठहरे या पीछे छूरे हुए नही् थे. जब भी उनका िोन आता, मुझे लगता वक मै्अपने वकसी अवभभावक से बात कर रहा हूं वजसे इस बात की सिाई देना जर्री है वक मै्ने वक्त रहते यह काम या वह काम क्यो्नही् वकया है. वतस पर उनकी सहजता और ववनम्​्ता वबल्कुल कलेजा वनकाल लेती. उनको देिकर समझ मे्आता था वक कमी वक्त की नही् हमारी है जो हम बहे जा रहे है्. वे मौजूदा सामावजक पय्ा​ावरण मे् ओजोन परत जैसे थे. उनसे ऑक्सीजन वमलती थी, यह भरोसा वमलता था वक तापमान कभी इतना नही् बढ्ेगा वक दुवनया जीने लायक न रह जाये. 20 वदसंबर को वनगमबोध घार के ववद्​्ुत शवदाहगृह मे्उनको अंवतम ववदाई देते हुए यह ियाल भी आया वक धीरे-धीरे वे सारे लोग हमसे ववदा हो रहे है् वजनकी सांस्कृवतक और बौव्​्दक छाया मे्हमारी तरह के लोग पलेबढ्े.

बीहड़ पर चुप्पी क्यो्

की अच्छी उपस्सथवत है. कोई कुशल संयोजक यवद वहम्मत के साथ आगे आता है तो इन सब संस्थाओ् की सामुवहक शस्कत पहले समस्या को समझने मे् और विर उसके ववस्​्ार को रोकने मे् जुरायी जा सकती है. हल तो अभी दूर की बात है. कुछ हजार साल का इवतहास है बीहडो्के बनने का और उन्हे्वकसी तरह सुधारने का काम भी कुछ सैकडो् बरस से कम नही् लेगा, लेवकन कही् तो वकसी को शुर्आत करनी पडेगी. आजादी से पहले ग्वावलयर वरयासत ने बीहड का अध्ययन करने के वलए एक आयोग बनाया था. आयोग ने बीहड रोकने के वलए वन संवध्ान और भू संरक्​्ण की अनेक वसिावरशे् की थी्. पुराने बंदोबस्​् बताते है्वक सन 1912 और सन 1940 के बीच मात्​् 28 साल मे् बीहड का इलाका दुगना हो गया था और मुरैना तहसील का लगभग 20 प्व्तशत इसकी चपेर मे्था. इसी तरह वभन्न क्त्े ्के बंदोबस्​्के आंकडे बताते है् वक सन 1900 और 1915 के बीच लगभग 50 प्​्वतशत बीहड बढा था. इस आयोग की वसिावरशो् के आधार पर मुरनै ा और वभंड मे्पानी के कारण जमीन के कराव को रोकने के वलए लगभग 1000 बांध बनाये गये और कोई 4000 एकड

बीहड सुधारा गया. इसी दौरान एक स्वतंत् बीहड ववभाग भी बनाया गया लेवकन पैसे और कुशल नेतृत्व के अभाव मे् यह काम आगे नही्बढ पाया. सन 1945 मे् एक अमेवरकी ववशेषज्​् को भी बुलाये जाने का उल्लेि वमलता है. उनके सुझाव मे् िेतो् की मेडबंदी पर बहुत जोर वदया गया था. ग्वावलयर वरयासत का मध्य भारत मे् ववलय होने के बाद विर एक ववशेषज्​् दल बनाया गया था. शायद इसी की वसिावरशो् के बाद मध्य भारत सरकार ने सन 1954 मे्बीहडो्के सव्​्ेक्ण और उनके सुधार की एक बडी योजना मंजरू की.

अनुपम रमशं​ंका अंितम आिेख जो उनंहोंने 26 अगसं​ं2016 को रिखा था. सुझावो् का अंबार लग गया, लेवकन काम की गवत रे्गने से ज्यादा नही्हो पायी. आने वाले 25 साल मे् लगभग 18 बडी पवरयोजनाओ् ने वमलकर कोई 3,100 हेक्रेयर को सुधारा जो उस अववध मे् नये बने बीहडो्के मुकाबले नगण्य ही था. सन 71 मे्राज्य सरकार की योजनाओ् के अलावा के्द् सरकार ने भी एक बडी

योजना बनायी. लेवकन जानकर अचरज होगा वक यह योजना भू संरक्​्ण ववभाग या कृवष मंत्ालय की नही् थी, इसे तो गृह मंत्ालय ने आगे बढाया था. गृह मंत्ालय की नजर मे् बीहड पय्ा​ावरण की नही् डाकुओ् की समस्या है और इसमे् तीनो् राज्यो् की पुवलस को धता बताकर यहां वछपे अनेक डाकुओ् के दल लगभग समानांतर सरकार चला रहे थे. संभवतः यह 25 वष्​्ीय योजना थी और इस पर कोई 1200 करोड र्पए िच्ा होने वाले थे, लेवकन यह जानकर एक बार विर अचरज हो सकता है वक यह योजना लागू ही नही्हो पायी. क्यो्? सन 1972 मे् श्​्ी जयप्​्काश नारायण के संवेदनशील हस्​्क्ेप और कुशल नेतृत्व के कारण बीहड के करीब पांच सौ डाकुओ् ने जौरा नामक गांव मे्गांधीजी के एक बडे

वचत्​् के नीचे अपने हवथयार रिकर ऐवतहावसक आत्मसमप्ाण वकया था. गृह मंत्ालय ने सोचा होगा वक डाकुओ्से मुस्कत वमली अब बीहड को सुधारने की क्या जर्रत. कोई 10 साल बाद इस इलाके मे्हवाई जहाजो्से बीज वछडक कर जंगल उगाने की एक हवाई योजना भी सामने आयी थी. इस तरह हर साल कोई 12000 हेकर् ये र सुधारने की बात थी. बीहडो् के ऊपर छोरे जहाज जर्र उडे लेवकन भूवम कराव को रोकने के वलए जंगल पनपे या नही्इसकी कोई पुव्ष नही्हो पायी. बाद के दौर मे्ववश्​्बै्क ने भी भारी मात्​्ा मे् अनेक भीमकाय मशीनो् को बीहड मे्उतारा लेवकन वे वहां से बाहर भी नही्वनकल पायी्. लोग बताते है्वक अभी भी कई जगह जंग लगी बडी.बडी मशीने्बीहड के पीले रंग मे्वमलजुल गयी है्.


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6 जनवरी - 12 जनवरी 2017

पर्यावरण कय अनुपम

पानी के पहरंए अनुपम रमशं​ंके बारे मेंपं​ंभाष जोशी ने यह िेख सन 2006 मेंरिखा था जब वे जीरवत थे. अनुपम की संमृरत मेंयह िेख रिर से पं​ंकारशत रकया जा रहा है. - संपादक काम की तरह कर सकता था. सेवा का पुणय् की तरह ही बड्ा पसारा होता है. ववनम्​् सेवक का अहम कई बार तानाशाह के अहम से भी बड्ा ह कागद मै्उन्ही्अनुपम वमश्​्और उनके काम पर होता है. तानाशाह तो विर भी झुकता है और समझौता काले कर रहा हू,ं वजनका व्ज़क्​्आपने कई बार देिा करता है, क्यो्वक वह जानता है वक ज्यादती कर रहा है. और पढ्ा होगा. यह जीने का वह रवैया है वजसे पहले समझे लेवकन ववनम्​्सेवक को लगता है वक वह गलत कुछ कर वबना अनुपम वमश्​्के काम और उसे करने के तरीके को ही नही्सकता, क्यो्वक अपने वलए तो वह कुछ करता ही समझना मुसश् कल है. जो बहुत सीधा-सपार और समव्पता नही्है ना. वदिता है वह वैसा ही होता तो व्ज़न्दगी रेवगस्​्ान की सीधी अनुपम मे्अपने को सेवा का यह आत्म औवचत्य नही् और समतल सड्क की तरह उबाऊ होती. आप, हम सब वदिा हालांवक काम वह दूसरो् से ज्यादा ही करता था. एक पहलू के लोग होते और दुवनया लम्बाई चौड्ाई और लादने वाले को ना नही्करता था और यह वदिाये वबना गहराई के तीन पहलुओ् वाली बहुरप् ी और अनंत वक शहीद कर वदया गया है - लदान उठाये रहता. तब संभावनाओ्से भरी नही्होती. ववरार पुरष् की कृपा है वक उसकी उम्​्रही होगी 21 या 22 की. संसक ् तृ मे्एम ए वकया जीवन-संसार अनंत और अगम्य है. था और समाजवादी युवजन सभा का सव्​्कय सदस्य रह वकतना अच्छा है वक अपने हाथो्की पकड, आंिो्की चुका था. संसक ् तृ पढ्ने वाले का पो्गापन और युवजन सभा पहुच ं और मन की समझ से परे इतना कुछ है वक अपनी वाले की बडबोली क्​्ास्नतकावरता-माननीय अनुपम वमश्​्मे् पकड, पहुच ं और समझ मे्कभी आ ही नही्सकता. ऐसा नही्थी. है इसीवलए तो जाना, करना और िोजना है. ऐसा न हो तो भवानी प्स ् ाद वमश्​्के पुत्होने और चमचमाती दुवनया जीने और संसार मे्रह क्या जायेगा? मन मे्कही्बैठा था छोड कर गांधी संसथ् ा करने का एहसान भी वह दूसरो्पर वक अनुपम से मुठभेड सन इकहत्र् मे् हुई. लेवकन यह नही्करता था. ऐसे रहता, जैसे रहने की क्म् ा मांग रहा हो. गलत है. गांधी शताब्दी सवमवत की प्क ् ाशन सलाहकार आपको लजाने या आत्मदया मे्नही्, सहज ही. जैसे उसका सवमवत का काम संभालने के बाद देवदे् ्भाई यानी राष्​्ीय होना आप पर अवतक्म् ण हो और इसवलए चाहता हो वक सवमवत के संगठन मंत्ी ने कहा वक भवानी भाई ने गांधी जी आप उसे माि कर दे.् जैसे वकसी पर उसका कोई अवधकार पर बहुत-सी कववताये्वलिी है.् वे उनसे लो और प्क ् ावशत ही न हो और उसे जो वमला है या वमल रहा है वह देने वाले करो. उन्हे्लेने के जुगाड मे्ही भवानी प्स ् ाद वमश्​्के घर की कृपा हो. जाना हुआ और वही् उनके तीसरे बेरे यानी माननीय मई 1972 मे्छतरपुर मे्डाकुओ्के समप्ण ा के बाद अनुपम प्स ् ाद वमश्,् अनुपम वमश्​्या पमपम से वमलना लौरने के वलए चंबल घारी शांवत वमशन ने हमे्एक जीप दे हुआ. भवानी भाई की ये कववताये्‘गांधी पंचशती' के नाम दी. हम चले तो अनुपम चवकत. उसे भरोसा ही न हो वक छपी्, इसमे्पांच सौ से ज्यादा कववताये्है.् अपने को एक पूरी जीप वमल सकती है. सच, इस जीप मे् सेिक की विनम्​् भूवमका अपन ही है्और अपने कहने पर ही यह चलेगी. ऐसे ववनम्​् गांधी शताब्दी समाप्त होते-होते एक वदन देवदे् ्भाई ने सेवक का आप क्या कर लेग् ?े समझ न आये तो अचार भी कहा वक अनुपम आने वाले है,् उनका हमे्गांधी माग्ाऔर डाल कर नही्रि सकते. अनुपम वमश्​्से बरतना आसान दूसरे प्क ् ाशनो्मे्उपभोग करना है. विर राधाकृषण ् जी ने नही्था. अब भी नही्है. कहा वक वकसी को भेज रहा हू,ं जरा देि लेना. अनुपम को बहरहाल, गांधी शताब्दी आयी-गयी हो गयी और गांधी देिा हुआ था. लेवकन वकसी के भी भेजे हुए को अपन दूर संसथ् ाओ्ने उपसंहार की तरह गांधी जी का काम विर शुर् ही रिते है.् जब तक कोई भेजा हुआ आया हुआ नही्हो वकया. ववनोबा क्त्े ्सन्यास लेकर पवार के परमधाम मे्बैठे जाता तब तक वह अपनी आंिो मे्नही्चढ्ता. और बी से बाबा और बी से बोगस कह कर ग्​्ाम स्वराज बहरहाल, अनुपम ने काम शुर् वकया - सेवक की कायम करने की वनजी वजम्मदे ारी से मुकत् हो गये. ववनम्​्भूवमका मे.् सव्​्ोदय मे् सेवको् और उनकी ववनम्​् सबको लगता था वक अब यह काम जेपी का है. और भूवमकाओ्का तब बडा महत्व होता था. सीिी या ओढ्ी जेपी को लगने लगा वक ग्​्ाम स्वराज सव्ष्े ाम्अववरोधेन नही् हुई ववनम्त् ा और सेवकाई को मै्व्यगं य् से ही वव्णता कर आयेगा. संघष्ाके वबना आंदोलन मे्गवत और शस्कत नही् सकता हू.ं ववनम्​्और सेवक होते हुए भी अनुपम सेवा को आयेगी और अन्याय से तो लडना ही होगा. बाबा के रास्​्े

प्भ ् ाष जोशी

से जेपी कुछ करना चाहते थे, लेवकन लक्य् उनका भी ग्​्ाम स्वराज ही था. मुसहरी मे् जेपी ने नक्सलवादी वहंसा का सामना करने का एलान वकया. विर बांगल ् ादेश के संघष्ा और चंबल के डाकुओ्के समप्ण ा मे्लग गये. पुणय ् कम्म अनुपम ने तालाब को भारतीय समाज मे्रि कर देिा है. समझा है. अद्त् जानकारी इकट्​्ी की है और उसे मोवतयो्की तरह ही वपरोया है. कोई भारतीय ही तालाब के बारे मे् ऐसी वकताब वलि सकता था. लेवकन भारतीय इंजीवनयर नही्, पय्ावा रणववद नही्, शोधक ववद्​्ान नही्, भारत के समाज और तालाब से उसके संबधं को सम्मान से समझने वाला ववनम्​्भारतीय. ऐसी सामग्​्ी वहंदी मे्ही नही्अंगज ्े ी और वकसी भी भारतीय भाषा मे्आप को तालाब पर नही्वमलेगी. तालाब पानी का इंतजाम करने का पुणय् कम्ाहै जो इस देश के सभी लोगो्ने वकया है. सव्​्ोदयी गवतवववधयो् का वदल्ली मे् केद् ् 'गांधी शांवत प्व्तष्​्ान' हो गया और अनुपम और मै् आंदोलन के बारे मे् वलिने, पव्​्तकाये् वनकालने और सव्​्ोदय प्स ्े सव्वस ा चलाने मे्लग गये. उसी वसलवसले मे् अनुपम का उत्र् ािंड आना-जाना होता. भवानी बाबू गांधी वनवध मे् ही रहने आ गये थे, इसवलए कामकाज वदन-रात हो सकता था. विर चमोली मे् चंडी प्स ् ाद भट्​् और गौरा देवी ने 'वचपको' कर वदया. वचपको आंदोलन पर पहली रपर अनुपम वमश्​्ने ही वलिी. चूवं क सव्​्ोदयी पव्​्तकाओ् की पहुच ं सीवमत थी इसवलए वह रपर हमने रघुवीर सहाय को दी और 'वदनमान' मे्उन्हो्ने उसे अच्छी तरह छापा. वचपको आंदोलन को बीस से ज्यादा साल हो गये है,् लेवकन अनुपम का उत्र् ािंड से संबधं अब भी उतना ही आत्मीय है. वजसे आज हम पय्ावा रण के नाम से जानते है,् उसके संरक्ण ् का पहला आंदोलन वचपको ही था और वह वकसी पव्​्िमी प्र्े णा से शुर्नही्हुआ. पेड्ो्को करने से रोकने के वलए शुर्हुए इस आंदोलन और इससे आयी पय्ावा रणीय चेतना पर कोई वलि सकता है तो अनुपम वमश्.् लेवकन कोई कहे वक वही वलिने के अवधकारी है्तो अनुपम वमश्​् हाथ जोड लेग् .े अपना क्या है जी, अपन जानते ही क्या है!् 'एक्सप्स ्े ' के वदन लेवकन इसके पहले वक अनुपम वमश्​् पूरी तरह पय्ावा रण के काम मे्पड्त,े वबहार आंदोलन वछड गया. हम लोग गांधी शांवत प्व्तष्​्ान से 'एवरीमैनस ् ' होते हुए 'एक्सप्स ्े ' पहुच ं गये और 'प्ज ् ानीवत' वनकालने लगे. तब भी वदल्ली के एक्सप्स ्े दफ्तर मे्कोई ववनम्​्सेवक पत्क ् ार था तो अनुपम वमश्.् सबकी कॉपी ठीक करना, प्ि ्ू पढ्ना, पेज बनवाना, तंबाकू के पान के जवरये प्स्े को प्स् न्न रिना और झोला लरका कर पैदल दफ्तर आना और जब भी काम पूरा हो पैदल ही घर जाना. प्​्ोिेशनल जन्वा लस्रो् के बीच अनुपम वमश्​् ववनम्​् सेवक वमशनरी पत्क ् ार रहे. इमरजेस ् ी लगी, ‘प्ज ् ानीवत’ और विर 'आसपास' बंद हुआ तो अनुपम को इस मुसश् कल भूवमका से मुसक् त वमली. 'जनसत्​्ा' वनकला तो रामनाथ जी गोयनका की बहुत इच्छा थी वक अनुपम उसमे्आ जाये.् अपन ने भी उसे समझाने-पराने की बहुत कोवशश की, लेवकन अनुपम बंदा लौर कर पत्क ् ार नही्हुआ. प्​्ोिेशनल पत्क ् ार हो सकने की तबीयत अनुपम वमश्​् की नही् है. क्यो् नही् है? यह आगे समझ मे् आयेगा. इमरजेस ् ी मे् ‘एक्सप्स ्े ’ से भी बुरा हाल गांधी शांवत प्व्तष्​्ान का था. बाबूलाल शम्ा​ा की सेवाये्अब भी वही् थी, वे वहां चले गये. मै्भी वकसी तरह वही्लौरा. लेवकन अनुपम वमश्​्फ्​्ीलांसर हो गये. आपने बहुतरे े फ्​्ीलांसर देिे हो्ग.े अनुपम उनकी छवव मे्कभी विर नही्हो सकता. लेवकन इमरजेस ् ी के उन वदनो् मे्जो भी करने को वमल जाये और अच्छा और कािी था. अनुपम और उदयन शम्ा​ा इधर-उधर वलि कर थोड्ा-बहुत कमा लेत.े अनुपम िोरोग्​्ािी भी कर सकता है. लेवकन िोरो- पत्क ् ावरता से कोई आमदनी नही्होती.

इमरजेस ् ी उठी और चुनाव मे् जनता पार्​्ी की हवा बहने लगी तो कई लोग कहते वक अब हम लोगो्के वारेन्यारे हो जायेग् .े वकसी को यह भी लगता वक प्भ् ाष जोशी तो चुनाव लड के लोकसभा पहुच ं जायेगा. जेपी से वनकरता को भला कौन नही्भुनायेगा. लेवकन अपन 'एक्सप्स ्े ' मे् चुनाव सेल चलाने मे्लगे और अनुपम वहां भी मदद करने लगा. जनता पार्​्ी जीती तो गांधी शांवत प्व्तष्​्ान से सरकारी दमन का साया हरा. अनुपम आविर प्व्तष्​्ान मे् काम करने लगा. अपना एक पांव 'एक्सप्स ्े ' मे्और दूसरा शांवत प्व्तष्​्ान मे.् देश का काम विदेशी र्पयो् से? उन्ही्वदनो्नैरोबी से राष्स ् घं के पय्ावा रण काय्क ा म् का पत्​् वमला वक क्या गांधी शांवत प्व्तष्​्ान भारत की स्वयंसवे ी संसथ् ाओ्का एक सव्​्ेकरके दे सकता है? हम इतने डॉलर सव्​्ेके वलए दे सकेग् .े यह भी ख्याल रविये वक क्या ये संसथ ् ाये् पय्ावा रण का काम करने मे् र्वच ले सकती है.् राधाकृषण ् जी और मुझे लगा वक यह सव्​्े तो अनुपम ही सबसे अच्छा कर सकता है. काम उसे वदया गया और वनव्​्ित समय मे्न वसि्फ पूरा हुआ बस्लक वजतना िच्ावमला था उसका एक वतहाई भी िच्ा नही् हुआ. उस सव्​्े से अनुपम का देश की स्वयंसवे ी संसथ् ाओ्और पय्ावा रण के काम मे्लगी ववदेशी संसथ् ाओ्से जो सम्पक्फहुआ वह न वसि्फकायम है बस्लक जीवंत चल रहा है. लेवकन एक बार राधाकृषण ् जी ने अनुपम से कहा वक िलां-िलां ववदेशी संसथ ् ा से इतना पैसा इस प्​्ोजेकर् के वलए वमला है और हमारी इच्छा है वक इसमे्से तुम पांचछ: हज़्ार र्पया महीना ले लो. तब अनुपम के वमत्​्इससे ज्यादा वेतन सहज ही पाते थे और प्​्ोजेकर् करने वाले को तो वे पैसे वमलने ही थे. लेवकन अनुपम घबराया-सा मेरे पास आया. वह प्व्तष्​्ान की सात सौ र्पट्​्ी के अलावा कही्से भी एक पैसा लेने को तैयार नही्था. ववदेशी पैसा है, मै्जानता हूं इिरात मे्वमलता है. इसे लेने वालो्का पतन भी मैन् े देिा है. अपने देश का काम हम दूसरो्के पैसे से क्यो्करे?् अगर आप अनुपम को जानते हो्तो उसका संकोच एकदम समझ मे्आ जायेगा. नही्तो उसके मुहं पर तारीि और पीठ पीछे बुद् कहने वालो् मे् आप भी शावमल हो सकते है.् वपछले तीन साल से होशंगाबाद मे् नम्दा ा के वकनारे उसके वलए पय्ावा रण की कोई संसथ् ा िड्ी करने के जुगाड मे्हू.ं इसवलए भी वक देश के पय्ावा रण के वलए नम्दा ा योजना आर-पार की सावबत हो सकती है. लेवकन अनुपम को सरकारी जमीन और पैसा नही् चावहये. ववदेशी पैसे को वह हाथ नही्लगायेगा, और तो और, गांधी शांवत प्व्तष्​्ान छोड्कर अपना बनाया गांधी शांवत केद् ्चला रहे, राधाकृषण ् जी से भी वह संसथ् ा िड्ी करने के वलए एकमुशत् पैसा नही्लेगा. कुछ उद्​्ोगपवतयो् से पैसा ला सकता हू,ं लेवकन मुझे मालूम है वक वे पैसा क्यो् और कैसे देते है.् और वह लाना अनुपम के साथ छल करना होगा. पॉिर विदाउर परपज् पय्ावा रण का काम आजकल ववदेश यात्​्ा का सबसे सुलभ माग्ा है. अनुपम एक-आध बार तो नैरोबी गया, क्यो्वक पय्ावा रण संपक्फकेद् ्के बोड्ामे्वनदेशक बना वदया गया था. कुछ और यात्​्ाये्भी वैसे ही की्जैसे आप-हम मेरठ, अलवर या चंडीगढ्हो आते है.् झोला रांगा और हो आये. मै्नही्जानता वक बाहर बैठक मे्अंगज ्े ी कैसे बोलता होगा? बोलना ही नही्चाहता. मुहं रेढ्ा करके अमेवरकी स्लगै् मे्अंगज ्े ी बोलना तो अनुपम के वलए पाप-कम्ाहोगा. धीरे-धीरे उसने बहुत जर्री ववदेश यात्​्ाये्भी बंद कर दी्. वपछले साल वरयो मे्हुए ववश्​्सम्मल े न का काय्क ा म् तय करने के वलए फ्​्ास ं सरकार की मदद से पय्ावा रण संपक्फकेद् ्ने पेवरस मे्सम्मल े न वकया था. अनुपम को ही लोग भेजते थे. उसने भेजे पर िुद ऐन मौके पर ना कर गया. वरयो भी नही्गया. बाकी पेज 13 पर


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उवैस सुल्तान ख़ान

ज अनुपम वमश्​् जी की 69वी् की सालवगरह है. अनुपम जी साधरण जीवन जीने वाले ख़ास व्यस्कत थे, जो आज से तीन रोज़ पहले हमारे बीच से चले गये. अनुपम जी ‘अनुपम’ थे, इसके बावजूद अक्सर हम लोग उन्हे् पानी, पय्ा​ावरण या गांधीवाद की विडवकयो् से जानने की कोवशश करते रहे है्. मै् अनुपम जी की परंपरा का व्यस्कत नही्हूं, पर बनने की चाह ज़र्र है– वजसमे् िुद को फना कर बका हावसल होती है. यह इसवलए भी कह रहा हूं, क्यो्वक मै् जानता हूं वक मै् अनुपम जी के बारे मे् जो वलिने की जुर्ात कर रहा हूं, उसकी हैवसयत मेरी नही् है, वो इसवलए भी क्यो्वक अनुपम जी की शैली मे् वशकायत वकसी से नही् होती, और मै् उस शैली मे् पारंगत नही् हूं और उसकी झलक वमलेगी, साथ ही मै्ने अनुपम जी को पानी, पय्ा​ावरण और गांधीवाद के दायरो् से कभी नही् जाना है, तो मुझे त्​्ुवरयो्के वलए माफ कीवजयेगा. मेरे नज़दीक उनकी कद्​्इसवलए अहम है क्यो्वक आज के दौर मे्जब अमानवीयता अपने चरम पर है, और हमने अपना स्नेहववहीन हो जाना कुबूल कर वलया, उसमे् अनुपम जी उन कुछ लोगो् मे् हमेशा वगने जाये्गे वजनके जीवन मे्दूसरो्के वलए स्नेह का अकूत संग्ह था, और उन्हो्ने इस संग्ह के अलावा वकसी भौवतक संग्ह को गले नही् लगाया. आज साझी, रचनात्मक और संघष्ा​ात्मक कोवशशो् मे् हम एक दूसरे के साथ काम कर रहे्है्, परंतु उसमे्एक दूसरे के प्​्वत एक पराएपन का भाव ज़ावहर होता ही है, हमने व्यस्कत ववशेष की पूजा ज़र्र शुर् कर दी, पर एक दूसरे के साथ आदर का स्नेहात्मक वरश्ता नही् कायम कर पाए. इस भीड मे्अनुपम जी गैरो्के भी अपने थे. अनुपम जी के अल्िाज़ मे्, ‘वपछले 200-300 बरसो् से पूरी दुवनया मे् तेज़ हवाएं चल रही्है्, पहले भी चलती रही हो्गी पर तब पूरी दुवनया एक दूसरे से बहुत दूर बहुत दूर थी, और करी हुई थी. उस दुवनया मे् हवाएं भी रुकडो् मे् बनती रही हो्गी. जीवन तब भी कोई आसान न रहा होगा, एक बडी आबादी के वलए, विर भी उतना कवठन और वनर्द्ेश्य भी नही्रहा होगा, वजतना वक वह आज बना वदिता है’. अनुपम जी भारत की परंपरागत ज्​्ान परंपराओ् के उन शीष्ा ऋ वषयो् मे् भी वगने जाये्गे, वजन्हो्ने परंपरागत ज्​्ान को जाना और उसे दूसरो्तक पहुंचाया. उनका तरीका औरो् से जुदा रहा इस मामले मे् वक उन्हो्ने परंपरागत ज्​्ान परंपराओ् का कोई मवहमा मंडन नही् वकया, उसे वकसी परंपरा का प्​्वतद्​्ंदी नही् बनाया, ना ही अहम या बडा बताया. उनका यह काम सहज और अहंकार मुक्त होने के साथ-साथ वकसी वच्ास्व की प्​्वतयोवगता मे्भी भागीदार नही्रहा. उन्हो्ने अज्​्ान को भी ज्​्ान के बतौर जाना. अनुपम जी ने सरलता, सहजता और सादगी के साथ जीवन गुज़ारा, वबना वकसी से उम्मीद लगाये हुए वक और लोग भी उन जैसे बन जाये्. दूसरे अल्िाज़ मे् उन्हो्ने अपने आप को वकसी पर भी नही् थोपा. अपनी सादगी का कोई नगाडा भी नही्

6 जनवरी - 12 जनवरी 2017

अलचवदा अनुपर

बजाया जैसे आज िैशन मे् है. और अपने आपको त्याग का आह्​्ाहन करने वालो् मे् शावमल नही् वकया. दूसरे को जताये वबना सादगी से कैसे वजया जाता है यह अनुपम जी के जीवन मे् झलकता है. उनके वलए कष्​् पराया नही्था, और कहा वक मृत्यु से जीवन बनता है. जब उन्हे् कै्सर हुआ तब उन्हो्ने मुझे कहा वक उन्हे्कोई वशकायत नही्है, वक उन्हे् यह बीमारी क्यो् हुई या यह दद्ा क्यो् हुआ,औरो्को भी होता ही है, ऐसे ही उन्हे्भी हो गया. उन्हो्ने महासागर मे् वमलने की वशक्​्ा को अपने जीवन मे्उतारा– अनुपम जी मेरा ववचार, मेरा धम्ा, मेरी संस्था, मेरा संगठन, मेरा समाज, मेरा देश, मेरा पवरवार से ऊपर थे. उन्हो्ने अपने ववचारो् पर भी सवाल उठाया भले ही कई बार जवाब नही् वमले, और अपनी जीवन यात्​्ा मे्एक ववचार यात्​्ा

से जाने. ववकास की दौड मे्हम सब दौड रहे् है्, लेवकन अनुपम जी नही् दौडे. हम थोडा अपने भीतर झांके तो हमे् पता चलेगा वक हममे्से ज़्यादातर का जीवन कोल्हू के बैल जैसा ही बना वदया गया है– वकंतु अनुपम जी कोल्हू के बैल नही् बने. उन्हो्ने अकेला ऊपर उठ जाना कुबूल नही् वकया, और बहुतो्के साथ उठने के ववचार को ही अपनी वज़न्दगी का वसद्​्ांत बनाया. अनुपम जी ने प्​्वतरोध की संस्कृवत को भी नए रंग वदये, वह हमारी तरह न होते हुए भी हमारे ही रहे. उन्हो्ने नए वजंदाबादमुद्ा​ाबाद के ववचार गुंथे अपने सहज ठहराव के साथ. गांधी शांवत प्व्तष्​्ान के वजस कमरे मे् वह बैठा करते थे, वजसे हम पय्ा​ावरण कक्​्के नाम से जानते है्– ये वही कमरा है जहां जय प्​्काश नारायण ठहरा करते थे, और आपातकाल के दौरान उनकी वगरफ्तारी

पूरी वज़म्मेदारी से कह सकता हूं, वक अनुपम जी उन लोगो् मे् से थे वजनका वदल इसके वलए परेशान था. आज जब मुस्सलम ववरोधी होना िैशन है, वह मुस्सलम ववरोधी नही्बने. उन्हो्ने हम लोगो् की तरह सडक के संघष्ा का रास्​्ा भले ही नही् अपनाया हो, और हमारी शब्दावली, प्​्तीक और वबम्ब का प्​्योग नही् करते हो्. पर उनके और हमारे वसद्​्ांत और ववचार एक ही रहे– उसमे्कोई ववरोधाभास नही् होना चावहए. बहुलता का आग्​्ह होता है वक वकसी का वच्ास्व ना हो, इसवलए हमे् अपनी जानने की विडवकयो्को साफ करते रहना चावहए, अगर हम उन्हे्बदल नही्सके तो. वह तारेक ितेह के बयानो्से िुश होने वाले भारतीयो्मे्नही्थे. अनुपम जी लम्बे वकस्सो् को छोरे मे् समेरकर सुर्वचपूण्ार्प से प्​्स्ुत करने के

भी चलाई, जो अक्सर हममे् से बहुत लोग नही्करते है्. उन्हो्ने आज के सबसे ववध्वंसकारी और आकष्ाक ववचार या कहे्धम्ावजसे हम ‘ववकास’ के नाम से जानते है्, उसे भी दूसरी नज़र से देिा. हमने तो ववकास के आगे पीछे कुछ लगा कर उसे अपने अनुर्प अच्छा वसद्​् कर वलया है, पर अनुपम जी इस ववकास के झंडे के साये मे्नही्आये. उन्हो्ने ‘चे्ज’, बदलाव, पवरवत्ान जैसे शब्दो् और नारो्मे्ववशेष आकष्ाण के आग्​्ह को कुबूल नही्वकया. बदलाव के मायने उन्हो्ने समाज

भी यही्से हुई. अनुपम जी ने राज्य की जगह समाज को चुना. वह भारतीय बहुलतावादी– सेक्युलर ववचार परंपरा के व्यस्कत थे. आज हमारे साथ बहुत से लोग हमारे साथ इन्साि की मुवहमो् मे्, ज़ुल्म के विलाि आवाज़ बुलंद करते हुए ज़ावहर होते है् लेवकन इस सबके बावजूद उनमे् से बहुत के ववचार आरएसएस के नज़दीक पाए जाते है.् अनुपम जी को समाज का वबिरना अिरता था. आज जब भारत मे् मुसलमानो् के वलए संगवठत वहंसा का नया दौर शुर्हुआ है, मै्

वमस्​्ी थे. अक्सर भे्र होने पर या फोन पर ऐसे वदलचस्प वकस्से जानने के वलए वमलते थे. वह आज के ख़ास ज़ुल्मत के दौर मे्मुझे वहम्मत वदलाने वाले लोगो्मे्से एक थे. मै्ने उन्हे् उनके पानी के काम से नही् जाना, बस्लक इन्ही् तरह की उम्मीद जगाने वाली, हौसला बढाने वाली बातो्से जाना. अनुपम जी एक मत्ाबा असम के बीहडो् मे्थे, वकसी ने रास्​्ेमे्मुसाविर होने के नाते िाने के वलए पूछा, वजसे अनुपम जी ने और उनके सावथयो् ने कुबूल वकया. जब िाना आया तो उसमे्छोरी-छोरी मछवलयां भी थी्,

और ये सब लोग शाकाहारी थे. और लोगो्ने िाना नही्िाया. पर अनुपम जी अनुपम थे, उन्हो्ने प्​्ेम से बनाये हुए िाने को कुबुल वकया और मछवलयो् को प्लेर के वकनारे मे् रि आदरपूव्ाक िा वलया, इसके बावजूद वक वबन मछली िाने मे् भी मछली की गंध आ रही थी. पानी के काम के दौरान उन्हो्ने राजस्थान मे् एक जगह पाया वक वहां एक कब्​् और समावध साथ-साथ बनी हुई है, पूछा वक ऐसा कैसे– तो गांव वालो् ने उन्हे् बताया वक कािी समय पहले इस बस्​्ी मे् वहंदू-मुस्सलम दंगा हुआ, उसमे् ये दोनो् मारे गये, जब शांवत स्थावपत करने के प्​्यत्न हुए तो यह तय वकया गया वक इन दोनो्व्यस्कतयो् की कब्​् और समावध साथ-साथ बने तावक आगे कोई दंगा न हो, और उसके बाद कोई दंगा हुआ भी नही्. अनुपम जी ने 6 वदसंबर 2012 को एक बातचीत मे् मुझे बताया वक जब बाबरी मस्सजद शहीद हुई तब उनके पवरवार मे् दो अलग तरह के इज़हार हुए, उनके वरश्ते के एक भाई ने इस मौके पर वमठाई बांरी, और वरश्ते के एक दूसरे भाई ने दुःि मे् मातम मानते हुए पूरे वदन उपवास वकया. इस तरह की न जाने वकतनी जानकारी मुझे उनसे वमलती रही. जब भी अनुपम जी कोई भाषण देने जाते उसके वलए बहुत मेहनत वकया करते थे. जो भी महत्वपूण्ा चीज़ वमलती उसे एक जगह पव्चया ो्के र्प मे्जमा करते रहते और उसमे् से आविर मे्अपना भाषण तैयार करते. वह सोते समय भी अपने नजदीक एक कलम और छोरा सा कागज़ रिते थे, वजसका इस्​्ेमाल वह रात मे् कुछ ख़ास मन्थन की बुनाई को दज्ा करने के वलए करते थे. उन्हे् एक ख़ास आदत थी, महीने मे्तमाम दफ्तर के गैर-ज़र्री कागज़ को वठकाने लगाने की. उनके पास ख़ास और आम तरह के जो भी ख़त आते थे उन्हे्वह वनयवमत र्प से अपने वपताजी की तरह वठकाने लगाते रहते थे. वकसी ख़ास ख़त का संग्ह उन्हो्ने कभी नही् वकया अपने वपताजी की तरह. अनुपम जी अपने घर गाँधी वनवध से दफ्तर गाँधी शांवत प्​्वतष्​्ान के आने-जाने का सफर बस से ही तय करते थे, और कभी कभार इस सफर मे्भागीदार बनने का मौका मुझे भी वमला, कभी वकराया नही् देने वदया उन्हो्ने. वह अपने हाथ के बनाए हुए कागज़ के बरुए मे्पैसे रिते थे अक्सर. िैर-िबर और हौसला वदलाने के अलावा, अक्सर उनका फोन आता था, उद्ाू के कुछ अल्िाज़ के मायने जानने के वलए भी, और साथ ही उन्हे्कैसे वलिा जाए. 2011 मे्वदल्ली समाज काय्ाववभाग मे् उनसे पहली मुलाकात हुई, और इन मुलाकातो्का वसलवसला जारी रहा. आिरी मुलाकात उनसे मई 2016 मे्हुई. अस्पताल मे् जब भरती हुए, तो सख्ती से मना वकया वक वमलने नही् आना. फोन पर बात होती रही, दूसरो् से उनकी िैर-िबर हावसल करता रहा. इस बात का अफसोस हमेशा रहेगा वक उनकी बात न मानकर वज़न्दगी के आिरी वहस्से मे्, मै्उनसे मुलाकात के वलए क्यो्नही्गया.


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विनेमा

6 जनवरी - 12 जनवरी 2017

पहलवानी और कसनेमा िे बीच हसर मृदुल

अपनाये जा सकते है् लेवकन मै् िुद को धोिा नही्दे सकता था. वमर िान की बहुचव्चात विल्म वकसी वकरदार को वनभाने मे् आपके 'दंगल' कामयाबी की बुलंदी पर है. वलए सबसे ज्यादा अहवमयत वकस चीज की होती है? आवमर िान से बातचीत के कुछ अंश: मेरे वलए वस्क्प्र ही सबसे ज्यादा क्या 'दंगल’ मे् महािीर फोगर के वकरदार ने आपको अवभनय कवरयर की महत्वपूण्ाहोती है. मै्अपनी वस्क्प्र कई बार पढ्ता हूं और अपने वकरदार की काया मे् सबसे बड्ी चुनौती पेश की? एकदम से ऐसा नही्कह सकता क्यो्वक प्​्वेश करने की कोवशश करता हूं. रीवडंग के मै् अपने हर वकरदार को बेहद चुनौतीपूण्ा बाद ही समझ मे् आ जाता है वकरदार की मानता आया हूं. हां इस वकरदार के वलए रे्ज क्या होगी और मै्उसे वकतने यकीन से शारीवरक श्​्म बहुत करना पड्ा यह मै् वनभा पाऊंगा. मुझे उस वकरदार को अपनाने मानता हूं. यहां तक वक अपनी जान भी के वलए क्या-क्या करना होगा? जोविम मे् डालनी पड्ी. डॉक्ररो् ने साि िजन बढ्ाने के वलए आपने िही सब कर वदया था वक इस उम्​् मे् ऐसा प्​्योग काम वकये वजनके वलए डॉक्रर मना शरीर के साथ नही् वकया जाना चावहये. करते है्. आपने समोसा, बड्ा पाि, वजन बढऩे पर कोलेस्ट्ॉल, ब्लड प्​्ेशर, जलेबी, चीज बग्मर आवद खाये. अब शुगर सब बढ् जाते है्. वदल की समस्या हो आपका जी नही् ललचाता इन चीजो् को सकती है. 50 की उम्​् के बाद वैसे भी कई देखकर? ललचाता है. बहुत मुस्शकल है अपने तरह की वदक्​्ते् होती है्. जरा सी आपको काबू करना. िायी हुई चीज का असावधानी भारी पड् सकती है. वनद्​्ेशक स् व ाद दे ि ते ही जुबान पर आ जाता है. मन वनतेश वतवारी ने सुझाव वदया था वक शरीर को मारना पड्ता है. लगता है वक थोड्ा को मोरा वदिाने के वलए कृव्तम तरीके

पय्यावरण कय अनुपम

पेज 11 का बाकी भारत सरकार या राज्य सरकारो् को पय्ावा रण पर सलाह वह नही्देता. कमेवरयो् और प्व्तवनवधमंडलो् मे् शावमल नही् होता. गांधी शांवत प्व्तष्​्ान मे् चुपचाप वसर गड्ाये मनोयोग से काम करता रहता है. उसकी पुरानी कुस्ी के पीछे एक स्सरकर वचपका है - पॉवर ववदाउर परपज - सत्​्ा वबना प्य् ोजन के. अनुपम के पास प्य् ोजन ही नही्सत्​्ा का स्पश्ा भी नही् है. आज तक वैसे ही तंगी मे् यात्​्ा करता है जैसे हम जेपी आंदोलन के समय झोला लरकाये वकया करते थे. और ज्यादातर यात्​्ाये्बीहड, सुनसान, रेवगस्​्ान या जंगलो् से. अनुपम को लडकपन मे्वगलरी की रीबी हुई थी. इस बीच उसके वदल ने भवानी बाबू वाला रास्​्ा पकड वलया था. नारी कभी पचास हो जाये और कभी एक सौ पचास. वदल का चलना इतना अवनयवमत हो गया वक सब परेशान, कौन जाने कब क्या हो जाये! लड-

झगड कर डॉक्रर िलीलुलल ् ाह को वदिाया. उन्हो्ने गोली दी और कहा वक पेस मेकर लगवा लो. मन्ना यानी भवानी बाबू को लगा ही था. लेवकन अनुपम ने न गोली ली न पेस मेकर लगवाना मंजरू वकया. वनमोवनया कभी भी हो जाये. मुझे और बनवारी (जो वक अनुपम के कॉलेज के दोस्​्है)् को लगे वक अनुपम मे् शहीद होने की इच्छा है. लेवकन अनुपम अपनी बीमारी से पय्ावा रण काम करते हुए और वकताबे वनकालते हुए लड रहा है. वचट्​्ी वलखकर वकताब बेची 'देश का पय्ावा रण' उसने कोई नौ-दस साल पहले वनकाली. संपावदत है. लेवकन क्या तो जानकारी, क्या भाषा, क्या सज्​्ा और क्या सिाई! वजस वदलीप वचंचालकर ने ‘जनसत्​्ा’ का मास्रहेड बनाया, अिबार वडजाइन वकया उसी वदलीप ने इस वकताब का ले आऊर, स्कवे चंग और सज्​्ा की है. वहंदी मे्ही नही्,

आरमर खान की रिलंम 'दंगि' की कामयाबी पर उनसे बातचीत के कुछ अंश.

स्वाद तो वलया जा सकता है. यह सच है वक मै्ने छह महीने तक आम आदमी की तरह भरपूर वजंदगी जी. तमाम चीजो् का िूब लुत्ि वलया. इसकी एक वजह यह थी वक मुझे अपने न्यूट्ीवनस्र डॉ. वनविल धुरंधर पर पूरा भरोसा था. उनकी मदद से मै्अपने शरीर को दोबारा पुराने शेप मे् लाने मे् कामयाब रहा. इस काम मे् बॉडी ट्​्ेनरो् की भी बहुत भूवमका रही. 'दंगल' की शूवरंग कई तरह से मुद्ककल रही. आपको चोरे् भी काफी लगी्? हां, इस विल्म की शूवरंग के दौरान मै् बीच-बीच मे् चोवरल होता रहा. मेरी पीठ, कंधे और कोहनी मे् चोर आयी. मै् कम से कम सात बार घायल हुआ. एक बार तो डॉक्ररो् ने कह वदया वक कम से कम दो महीने तक वबस्​्र पर ही रहना होगा. लेवकन मै्ने दो सप्ताह मे् ही सुधार कर वलया. अगर आपको दोबारा कोई ऐसी वस्क्प्र वमली वजसमे् पहले से िजन बढ्ाना पड्े तो आप उसमे् काम करे्गे? अगर वस्क्प्र पसंद आ गयी तो वजन

इस देश मे्अंगज ्े ी मे्भी ऐसी वकताब वनकली हो तो बताना! लेवकन अनुपम ने वकताब वनकालने मे्भी शांवत प्व्तष्​्ान का पैसा नही्लगाया. िोल्डर छपाया. संसथ् ाओ्और पय्ावा रण मे्र्वच रिने वाले लोगो्से अव्​्गम कीमत मंगवायी. उसी से कागज़्िरीदा, छपाई करवायी. विर िुद ही वचट्​्ी वलि-वलि कर वकताब बेची. दो हजार छपाई थी, आठ हजार लागत लगी. दो लाि कमाकर अनुपम ने प्व्तष्​्ान मे्जमा कराया. चार साल बाद ‘हमारा पय्ावा रण’ वनकाली. ‘देश के पय्ावा रण’ से भी बेहतर इसका भी िोल्डर छपवाकर अव्​्गम कीमत इकट्​्ी की. इस बार िच्ाडेढ्लाि के आसपास हुआ. पुसक ् छपी 6 हजार. विर वचव्​्टयां वलिकर बेची. शांवत प्व्तष्​्ान मे्जमा कराये (कमा कर) नौ लाि र्पये. आज ये दोनो् वकताबे्दुलभा् है्और मजा यह है वक पय्ावा रण मंत्ालय ने इन पुसक ् ो्को नही्िरीदा.

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बढ्ाने घराने का काम मै्दोबारा कर सकता हूं लेवकन वकसी पहलवान का वकरदार इतनी जल्दी नही्दोहराऊंगा. ग्​्ामीण इलाको् मे् एक पुरानी कहाित है वक पहलिानो् की बुव्ि उनके घुरनो् मे् होती है. आपकी क्या राय है? सुना तो मै्ने भी यही था वक पहलवानो् की बुव्द तुलनात्मक र्प से कम होती है लेवकन यह सोच सही नही्. शायद शरीर और डीलडौल को देिकर यह कहावत बनी होगी. मै्ने तो यही पाया है वक अगर आप तीक्​्ण नही् है् तो आप पहलवानी कर ही नही् सकते. सचाई यह है वक पहलवान कभी मंदबुव्द नही् हो सकता. सिल पहलवान हमेशा बुव्दमान होगा. खेलो् पर आधावरत ज्यादातर वफल्मे् बॉक्स ऑवफस पर नाकाम क्यो् हो जाती है्? इसवलए क्यो्वक विल्मकार अक्सर िेलो् की लोकव्​्पयता को भुनाने के चक्​्र मे्रहता है. वह स्क्ीन प्ले पर ध्यान ही नही् दे पाता. हर कहानी की एक आत्मा होती है उसे नजरअंदाज नही् वकया जा सकता है. ज्यादातर िेल विल्मो्मे्आत्मा गायब रहती थी और अवतवरक्त चमक-दमक को तवज्​्ो दी जाती थी. लेवकन अब यह वमथ रूर रहा

विल्म ‘लगान’ ने भी वस्क्प्र के चलते ही ऐवतहावसक सिलता पायी थी. आपको लगता है वक ‘दंगल’ के बाद बेवरयो् के प्​्वत समाज की सोच बदलेगी? मुझे ववश्​्ास है वक इस विल्म के बाद लोग बेवरयो् पर गव्ा करे्गे. गीता और बबीता ने वजस तरह देश और अपने मातावपता का नाम रोशन वकया है, वह प्​्ेरणादायक है. मुझे लगता है वक इस विल्म के बाद माता-वपता और बेवरयो् के भीतर एक नया आत्मववश्​्ास पैदा होगा और वे अपने जीवन मे् कुछ बड्ा काम करने की सोचे्गी. पहलिान भी उम्मीद लगाये है् वक 'दंगल' के बाद उनकी भी दशा सुधरेगी. उन्हे् ग्लैमर वमलेगा और जीिन स्​्र मे् बदलाि आयेगा? मै् भी उम्मीद करता हूं वक ऐसा होगा. यह सही है वक हमारे देश मे्कभी पहलवानो् का बड्ा सम्मान था. लोग दारा वसंह या गामा पहलवान बनने के सपने देिते थे. कस्बो्और गांवो्मे्तो रोज शाम युवको्को पहलवानी वसिाई जाती थी. शरीर को मजबूत बनाने का पाठ पढ्ाया जाता था. लेवकन धीरे-धीरे यह संस्कृवत वमरने लगी.

है. हाल मे् वरलीज विल्म ‘सुल्तान’ भी सुपरवहर रही और ‘धोनी’ भी. दोनो् ही कहावनयो् मे् आत्मा है और वे अवतवरक्त चमकदमक से दूर है्. 15 साल पहले मेरी

पहलवानो् की उपेक्ा होने लगी. 'दंगल' के बाद गांव और कस्बो् मे् विर से जागर्कता पैदा होगी और युवको् का ध्यान पहलवानी की ओर आकव्षात होगा.

वहंदी के वकसी भी राज्य ने वकताबो् की सरकारी िरीद मे् इसे नही् िरीदा. वकसी प्क ् ाशक ने ववतरण और वबक्​्ी मे्कोई मदद नही्की. वपछले दस साल के देश के पय्ावा रण पर वहंदी मे्ऐसी वकताबे्नही्वनकली्. अनुपम ने न वसि्फवलिी और छापी, बेची भी और कोई 10 लाि र्पये कमाकर संसथ् ा को वदया. और अनुपम वमश्​् ने ‘आज भी िरे है् तालाब’ वनकाली है यह संपावदत नही् है अनुपम ने िुद वलिी है. नाम कही् अंदर है छोरा सा, लेवकन वहंदी के चोरी के ववद्​्ान ऐसी सीधी, सरल, आत्मीय और हरवाक्य मे्एक बात कहने वाली वहंदी तो जरा वलिकर बताये!् जानकारी की तो बात कर ही नही्रहा हू.ं अनुपम ने तालाब को भारतीय समाज मे् रि कर देिा है. समझा है. अद्त् जानकारी इकट्​्ी की है और उसे मोवतयो् की तरह की वपरोया है. कोई भारतीय ही तालाब के बारे मे्ऐसी

वकताब वलि सकता था. लेवकन भारतीय इंजीवनयर नही्, पय्ावा रणववद नही्, शोधक ववद्​्ान नही्, भारत के समाज और तालाब से उसके संबध ं को सम्मान से समझने वाला ववनम्​्भारतीय. ऐसी सामग्​्ी वहंदी मे्ही नही् अंगज ्े ी और वकसी भी भारतीय भाषा मे् आप को तलाब पर नही्वमलेगी. तालाब पानी का इंतजाम करने का पुणय् कम्ाहै जो इस देश के सभी लोगो्ने वकया है. उनको उनके ज्​्ान को और उनके समप्ण ा को बता सकने वाली एक यही वकताब है. आप चाहे् तो कोलकाता का राष्​्ीय सभागार देि ले.् यह वकताब भी दूसरी वकताबो् की तरह ही वनकली है. ‘वृक्वमत्​्पुरस्कार’ वजस साल चला अनुपम को वदया गया था. पय्ावा रण का अनुपम, अनुपम वमश्​्है. उसके जैसे व्यस्कत की पुणय् ाई पर हमारे जैसे लोग जी रहे है.् यह उसका और हमारा- दोनो् का सौभाग्य है.



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पर्ाटन

6 जनवरी - 12 जनवरी 2017

अंबरीश कुमार

बा

रह नवंबर की सुबह रायपुर के सव्करफ हाउस मे् नाश्ता कर ही रहा था वक अवनल चौबे आ गये. सव्करफ हाउस की कैरवरंग इंवडयन कािी हाउस संभालता है इसवलये िानपान पर दव्​्कण भारतीय असर ज्यादा रहता है. इडली डोसा का भारी नाश्ता वकया क्यो्वक वदन भर जंगल मे् रहना था. बारनवापारा वन्य जीव अभ्यारण्य के बीच जंगलात ववभाग के उस डाक बंगले की िोरो लेनी थी जो करीब डेढ सौ साल पुराना है. उसी वजह से यह यात्​्ा कर रहा था. उसके बाद उदंती वन्य जीव अभ्यारण्य के तौरंगा डाक बंगले की तरि जाना था. दरअसल उन डाक बंगलो्पर एक कािी रेबल बुक का मन बना है जो सौ साल से ज्यादा पुराने है् और जहां मै् र्क चुका हू.ं पुराने सहयोगी पत्क ् ार राजकुमार सोनी से पहले ही कहा था वक इन दोनो्जगहो्पर जाना है इसवलए वे न वसि्फसाथ चलेग् े बस्लक इन जगहो् पर ठहरने की व्यवस्था भी करा कर रिेग् .े यह इसवलए क्यो्वक बरसात के बाद वन्य जीव अभ्यारण्य नवंबर के पहले हफ्ते मे् ही िुलते है्और सैलावनयो्की भीड भी होती है. अगर पहले से बुवकंग न हो तो रात मे्र्कने मे् वदक्त् हो सकती है. हालांवक रायपुर मे् बारह तारीि को ही वदन मे्मुखय् मंत्ी रमन वसंह से मुलाकात का समय तय था पर देर रात ही अवनल चौबे ने उसे आगे बढा देने के वलए कह वदया था. िैर नोरबंदी के बाद का यह तीसरा वदन था और रायपुर एयरपोर्ापर िुद अल्लू चौबे गाडी लेकर आ गये थे इसवलए वदक्त् नही् हुई. दो हजार के कुछ नोर थे वजन्हे्बचा कर रिे हुए था. कािी हाउस का वबल भी स्वाइप मशीन से चुकता वकया. अब जंगल मे्तो यह सब चलने वाला नही् था. सोनी को घर से लेकर महासमुदं की तरि बढे तो सडक बदली हुई नजर आयी. नवंबर के दूसरे हफ्ते मे्हलकी ठंड तो थी पर चढते सूरज के साथ ठंड कम होती जा रही थी. शहर से वनकलते ही मुझे लिौली मे् वसंचाई ववभाग का वह डाक बंगला ध्यान आया वजसमे्हर रवववार अपनी मंडली जुरती थी. ग्यारह की शाम रायपुर प्स ्े क्लब ने िुद ही मेरी यात्​्ा संसम् रण पर आधावरत पुसक ् ‘घार घार का पानी’ का ववमोचन काय्क ा म् रिा था. इस काय्क ा म् मे्राजकुमार सोनी ने भी इस डाक बंगले मे् उन दावतो् का वजक्​् वकया जो मै् रायपुर मे् जनसत्​्ा का छतीसगढ संसक ् रण वनकालने के बाद वदया करता था. उस मंडली मे्अपने बंगाली साथी प्द् ीप मैत्जो उन वदनो् वहंदस ु ्ान राइम्स के ब्यरू ो चीि हुआ करते थे वे तो रहते ही साथ ही ओवडशा के रहने वाले पीरीआई के प्क ् ाश होता भी जर्र होते. इनके अलावा कई और वमत्​्भी. छतीसगढ मे्ताल तालाब बहुत है्और रोहू कािी होती है इसवलए हम सब भी इसके मुरीद थे. पर अल्लू चौबे ने बताया वक वह वनकल चुका है. तभी िल बेचती एक मवहला वदिी तो गाडी र्कवा ली. ताजे अमर्द और सेब ले वलए. दोनो्एक ही भाव थे सौ र्पये वकलो. दोपहर मे्कुछ न वमले तो इससे काम चल जायेगा यह सोच कर ले वलया था. गाडी से बाहर वनकले तो हल्की ठंड का अहसास हुआ. यह नयी बनी चार लेन की सडक मुबं ई कोलकाता राजमाग्ा संखय् ा छह थी जो ओवडशा के संबलपुर भुवनेशर् होते हुए

इक बंगला बना था नंयारा

कोलकाता की तरि जाती है. रायपुर से करीब सौ वकलोमीरर दूर वपथौरा से हमे् मुडना था. सडक के दोनो्और नये लगे पेड अब जंगल जैसे लगने लगे थे. वपछली बार जब इस वन्य जीव अभ्यारण्य मे्आया था तो बहुत कम पेड थे. जावहर है वक ये बाद मे् लगाये गये थे. दूर तक जाते ये जंगल अच्छे लगते है.् वपथौरा आया तो मुखय् सडक से बारनवापारा अभ्यारण्य के वलये मुडे ही थे वक गायो् का झुडं सामने आ गया. कुछ देर बाद ही आगे बढ पाये. इस बीच सोनी से पूछा वक बारनवापारा के डाक बंगले मे्र्कने के वलए बुवकंग करा ली है तो बात कर उन्हे्सूवचत कर दे्वक हम लोग घंरे भर मे् पहुच ं जायेग् .े इसके आगे मोबाइल वमलना मुसश् कल होगा. सोनी ने जंगलात ववभाग के वकसी अिसर से बात कर बताया वक वहां सूचना जा चुकी है. करीब आधे घंरे बाद हम बारनवापारा अभ्यारण्य के तेद् आ ु द्​्ार तक पहुच ं चुके थे. यहां से प्व् श े का परवमर वमलता. गेर पर पता चला वक उनके पास कोई संदश े भीतर के अवतवथ गृह से नही्आया है इसवलये परवमर नही्वमलेगा. दूसरे यहां मोबाइल काम नही्करता इसवलये रायपुर से वकसी संपक्फभी नही्हो सकता. गेर पर बैठे गाड्ाको बताया गया वक हम लोगो्की बुवकंग है पर वह सुनने को तैयार ही नही्. िैर कुछ देर की जद्​्ोजहद के बाद प्व् श े वमला तो वहां नकद देना था और कोई स्वाइप मशीन भी नही्. मेरे पास कुछ छुट्ा था इसवलए वदक्त् नही्आयी. भीतर प्व् श े करते ही दोनो् तरि घने जंगल और बीच से सीधी गुजरती कच्​्ी सडक थी. साल,सागौन, सरई, साजा, महुआ से लेकर हर्ा बहेडा तक. यह घना जंगल था. हर कुछ दूरी पर बार अभ्यारण्य की दूरी वदिाते साइन बोड्ालगे थे वजसपर वहरन, सांभर,चीतल से लेकर बाघ तक की िोरो लगी हुई थी. कुछ देर बाद ही हम बारनवापारा पय्रा क ग्​्ाम के चीतल रेसर् ां पहुच ं चुके थे. यह जंगल के बीच सैलावनयो्के ठहरने के वलए

जंगलात ववभाग का वरसार्ाथा वजसे कुछ साल पहले ही बनाया गया था. इसमे्कािी पय्रा क र्क सकते है्और रेसर् ां मे्िाने का अच्छा इंतजाम है. कुछ देर मे्ही जंगलात ववभाग के स्थानीय प्भ् ारी संजू वनहलानी आ गये और उन्हो्ने बताया वक हम लोगो् के र्कने की व्यवस्था का संदश े वमल चुका था पर संचार व्यवस्था गडबडा जाने की वजह से गेर पर जानकारी नही्दी जा सकी थी वजसके वलये िेद भी जताया. यह वरसार्ा वनहलानी के

इस डाक बंगिे का दो साि पहिे कायाकलंप रकया गया है. अब यह कई सुरवधाओंसे िैस है. यहां करीब सौ साि पहिे के उन अंगंेज अिसरों के िोटो भी हैंजो इस अंचि मेंतैनात रहे. वदमाग की ही उपज थी वजसे शुर् हुये तीन साल हुआ है. इस साल यह करीब चौहत्र् लाि र्पये की कमाई करने जा रहा है. इस पवरयोजना पर राज्य सरकार ने करीब पांच करोड िच्ा वकये थे वजसकी भरपाई इस साल ही हो जाने की उम्मीद है. यहां रौशनी की व्यवस्था सौर उज्ा​ा से की गयी है इसवलए वबजली आने जाने की कोई समस्या नही्है. कारेज कािी भव्य बनाये गये है्और उनके चारो्तरि सजावरी पेड पौधे और िूल भी लगाये गये है.् शाम होते ही पव्​्कयो्और जानवरो्की आवाज सुनाई पडने लगती है.् पय्रा क ग्​्ाम से हम िाना िाकर वनकले तो िारेसर् ववभाग के डाक बंगले मे्पहुच ं गये. इस डाक बंगले का दो साल पहले कायाकल्प वकया गया है वजसके बाद यह अत्याधुवनक सुववधाओ्से लैस हो चुका है. इस डाक बंगले मे् करीब सौ साल पहले के उन अंगज ्े अिसरो्का िोरो भी लगाया गया है जो मध्य

प्द् श े के इस अंचल मे्तैनात थे. उनका ब्यौरा भी वदया गया है. इस डाक बंगले मे्करीब डेढ दशक पहले र्का था. दीपावली के ठीक बाद की बात है. चारो्तरि साल के सूिे पत्​्ो्से वघरे इस डाक बंगले मे् डेकन् हेरल्ड के साथी अवमताभ के और अपने पवरवार के साथ देर शाम पहुच ं ा था क्यो्वक जंगल के बीच से गुजरने वाली कच्​्ी सडक बहुत ख़राब थी. तब आसपास कोई घर भी नही्था. इस डाक बंगले मे्पहुच ं कर बैठे ही थे वक एक बुजगु ा्िानसामा चाय लेकर हावजर हो गया. उसने रात के िाने के बारे मे्पूछा तो उसे बता वदया गया. तीन बच्​्े और चार वयस्क थे वजनमे्ज्यादातर शुद्शाकाहारी. मुझे और अवमताभ को छोडकर. तब यह डाक बंगला वकसी पुरानी रहस्य रोमांच वाली विल्म के सेर जैसा लग रहा था. डाक बंगला का वास्व्ुशल्प भी देश भर मे् एक जैसा ही होता है. सामने बरामदा. भीतर जाते ही भोजन कक्​्वजसमे्बैठने के वलए बडे सोिे भी होते है्और िायर प्लस े यह बताता है वक जाडो्मे् इस जंगल मे्वबना आग तापे रहना मुसश् कल होता है. इसी भोजन कक्​् से दो सूर अगल बगल जुडे रहते है.् रसोई करीब पचास िुर पीछे की तरि होती है. सभी डाक बंगलो्का वास्व्ुशल्प ऐसा ही होता है चाहे उतरािंड का चकराता हो या विर मध्य प्द् श े का बैतल ू . उस दौर मे् इस डाक बंगले मे् लालरेन की रौशनी मे्बैठना पडा. पुराने ढंग का िन्​्ीचर और पलंग था. विडकी के एक दो शीशे रूरे हुए थे वजनपर दफ्ती लगा कर रिा गया था. चौकीदार ने बता वदया था वक सावधानी बरतनी चावहये क्यो्वक जंगली जानवर के साथ सांप भी वनकल आते है.् कुछ समय पहले बरसात भी हो चुकी थी इसवलए सावधानी जर्री थी. घने जंगल के बीच इस पुराने डाक बंगले मे् जानवरो् की आवाज सुनाई पड रही थी. कुछ देर बाद हम सभी समय कारने के वलए पीछे बने रसोई घर मे् चले गये जहां िाना तैयार हो रहा था. लकडी से जलने वाले चार

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चूलह् ो् पर िाना बन रहा था. इस बीच एक आवदवासी महुआ की पहली धार वाली मवदरा ले आया वजसकी मांग अवमताभ ने की थी. उनका दावा था यह वकसी भी स्काच से बेहतर होती है और आवदवासी इसी का वनयवमत सेवन करते है.् मै्उस बुजगु ा्िानसामा दशरथ से बात करने लगा जो िडे मसाले भून रहा था. भूनने के बाद उसे वसलबट्​्ेपर पीसना था. वह बताने लगा वक इस डाक बंगले से उसका संबध ं साठ साल से ज्यादा का है. उसके वपता भी यही्पर िानसामा थे. उस दौर मे्इस डाक बंगले की कई कहावनयां सुनाई जाती थी्. अंगज ्े ो के दौर मे्यह अिसरो्का पसंदीदा वशकारगाह हुआ करता था. वे अिसर तीन चार वदन तक रहते और वशकार होता. तीतर बरेर, जंगली मुग,्े वहरन से लेकर जंगली सूअर तक बनता. आजादी के बाद भी कई सालो्तक वशकार होता रहा. यहां आना मुसश् कल होता था इसवलए बहुत कम अिसर आते थे. अपने साजो सामान के साथ. इस जंगल मे्बहुत से पक्​्ी है.् जंगली मुगा्,ा परकी, रगार, काला बगुला, वकलवकला, ब्​्ाह्मणी चील, लालमुवनया, हरेबा, वगद्,् वसल्ही, अंधा बगुला, तीतर, बरेर, कठिोड्वा, वकंगविशर आवद. पर ज्यादातर जंगली मुगा्ा ही इनके हत्थे चढता. िैर अब न वशकारी रहे न वशकार की परम्परा. पर ववकल्प मे् आसपास िासकर बिर जोन के गांवो्से देसी मुग्ेआ जाते है. कान्हा वन्य जीव अभ्यारण्य मे्भी देसी मुग्ो् का ज्यादा प्च ् लन है और हर होरल या वरसार्ा मे्आसानी से उपलब्ध हो जाता है. अल्लू चौबे ने यहां भी उसका इंतजाम कर रिा था. पर रात मे्िाना िाने वनकले तो एक बडा वबच्छू अवनल चौबे के पैर के नीचे आ गया. चप्पल पहने थे इसवलए बच गये. पर दहशत ऐसी की रसोई तक जाकर लौर आये. िाना कमरे पर ही देने को कह वदया. इससे पहले तीसरे पहर जंगल मे्वनकले तो वजप्सी से इतने वहचकोले लगे वक बैठना मुसश् कल हो गया. यह जंगल भी जंगल जैसा है. हर चार कदम पर वजप्सी के आसपास बडी मकडी का कोई न कोई जाला आ जाता. सूरज उतर रहा था. कही धूप कही छाया थी. जंगल के सामने के एक वहस्से मे्तालाब पर सूरज की रौशनी चमक रही थी. तालाब के एक तरि घोस्र ट्​्ी यानी भुतहा पेड था. इस पेड की सुनहरी शािाये् पव्​्तयां वगरने के बाद भुतही नजर आती है,् ऐसा साथ चल रहे िारेसर् गाड्ाने बताया. सामने एक गोल पत्थर पर बैठी वकंगविशर की िोरो लेने के वलए कैमरा वनकाला तो दोनो्साथी िोरो विंचने की मुद्ा मे्आ चुके थे. यह जंगल जानवरो्से भरा हुआ है. इस तालाब पर शाम होते होते कई जानवर पानी पीने आते है.् पर उस वदन कुछ पवरंदो्के अलावा कोई नजर नही् आया. ये उनका सौभाग्य भले हो अपना तो दुभा्गा य् था. पर जंगल ने वनराश नही् वकया. वहरन, चीतल और सांभर तो आसानी से वदिे पर रोमांचक रहा जंगली भालू और बायसन यानी जंगली भैस ् ा का दश्ना . जंगल से लौरते समय दो जंगली भालू वदिे जो दीमक िाने मे् इतने मशगूल थे वक वसर ऊपर ही नही्कर रहे थे. वजप्सी को ज्यादा पास ले जाना ठीक नही्था. िारेसर् गाड्ाने चेतावनी दी वक इनके िाने मे् ववघ्न डाला तो ये हमला कर सकते है.् तबतक जंगल धुध ं मे् डूबने लगा था. हम डाक बंगले मे्लौरे तो वह धुधं से वघरा हुआ था..


RNI- DELHIN/2015/ 65658

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