मुआवजा

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मुआवजा अनुपम सिन्हा

“दे ख, यह ीं पन्नी ने मुझे प्रपोज किया था, रमी।“ लेखा चहि रह थी। आज उि​िी उन्मुक्तता अपने चरम पर थी। रमी बि चकित िा उि​िो

दे खता जा रहा था। हमेशा गींभीर और शाींत रहने वाल लेखा िा वह नया रूप उि​िो आश्चयय िे िागर िे बाहर ननिलने ह नह ीं दे रहा था। “प...पन्नी िौन?” “पन्नीss अरे .... प्रनव! तीिर क्लाि में मेरे िाथ पढ़ता था न! बताया तो था तुम्हे ! ि​ि िे झापड़ खाया था मुझिे!”

“उिे मालूम नह ीं होगा कि प्रपोज तुमिो पिींद नह ीं है।“ लेखा िा यह खुला रूप अब रमन िो मजेदार लग रहा था। उि​िा हिलाना खत्म हो गया था।

“अरे नह ीं। तब प्रपोज िा मतलब न उिे पता था न मुझे। कि​िी किल्म में दे खा होगा उिने! बि बैठिर, एि घट ु ना जमीन पर रख िे, िूल िी जगह हाथ में पिड़ी चािलेट िो

मेर

तरि बढ़ािर प्रपोज िरने लगा। मैंने हाथ बढ़ाया तो अपना हाथ पीछे खी​ींच िर चािलेट खद ु खाने लगा। मेरा पारा बि हाई हो गया।

एि झन्नाटे दार झापड़ रिीद किया उि​िो और रोते

रोते घर चल आई।“ “किर क्या हुआ?” रमन िो अपने िींपपट शन िा झापड़ खाना िन ु िर अच्छा लग रहा था। “किर क्या! एि घींटे में परू े मोहल्ले िो न्यज ू पता लग गई।“ लेखा िी

चहि बढ़ती जा रह

थी। “ किर उि​िी मम्मी उि​िो लेिर मेरे घर आई और राखी बँधवा द । मैटर क्लोज्ड!” रमन द वानों िी तरह लेखा िो अपलि ननहारे जा रहा था। आज उि​िो इि बात िा एहिाि हो रहा था कि लेखा ने अपने जीवन िे 23 िाल कितने दबाव में गज ु ारे थे। वह

जानता था कि यह दबाव लेखा पर कि​िी और ने नह ीं डाला नह ीं था, बल्ल्ि उिने खद ु अपने ऊपर सलया था। रमन, लेखा िो छः िालों िे जानता था। तब िे, जब दोनों ने डडजाइननींग िे क्रैश िोिय िे सलए

एि ह िोचचींग इींस्ट ट्यट ू ज्वाएन किया था। लेखा उतनी इींटेसलजेंट नह ीं

थी ल्जतनी मेहनती थी। जुझारूपन शायद उि​िे खन ू में था। वह अपनी मेहनत िे बल पर


अपने िाथ िे िई मेधावी छात्रों िो भी पीछे छोड़ दे ती थी। रमन उिी िमय िे लेखा िी खबू बयों पर मर समटा था। किर लेखा िा चयन भारत िे एि अच्छे

आकियटे क्चर इींस्ट ट्यट ू में स्िाॅलरसशप िे िाथ

हो गया, और रमन एि लोिल इींजीननयररींग िाॅलेज में बी. टे ि. िरने लगा। उिे बाहर िे िई नामी चगरामी िींस्थानों िे भी एडमीशन िे ऑिर आए थे पर उिने शहर में ह रहिर आगे पढ़ने िा ननर्यय सलया ताकि लेखा जब भी छुट्टटयों में घर आए तो वह उि​िे िाथ िमय बबता ि​िे।

रमन एि मध्यवगीय पररवार िा इिलौता पुत्र था। एि छोट बहन थी और माँ-बाप िी िोच रूटढ़वाद ! वे उि​िी शाद में दहे ज लेने िे पक्षधर थे ताकि वह दहे ज दे िर उि​िी छोट

बहन िी शाद िर ि​िें। रमन जानता था कि न लेखा िे घर िे दहे ज समलेगा और न अपने घरवालो द्वारा लेखा िे शाद िी इजाजत। उिे लेखा िे शाद िरने िे सलए अपने पैरों पर िुदृढ़ रूप िे खड़ा होना पड़ेगा। लेखा िे पपता िी मत्ृ यु, लेखा िे शैशव िाल में ह हो गई थी। लेखा िे पपता गभयवती अवस्था में ह दहेज िे िारर् उि​िी माँ िो

छोड़ िर चले गए थे और क्रोध में उि​िी माँ

ने उनिी िभी फोटो िो जला टदया था। िड़ि दघ य ना में उनिी मौत िी ख़बर भी मह नों ु ट

बाद उनति पहुींची थी। लेखा अपने पपता िी िरू त भी नह ीं दे ख पाई थी लेकिन िब उि​िो माँ िी िाबयन िॉपी िहते थे। लोगों िे मनहूि और िरमजल जैिे ताने िन ु िर उिने

अपनी बेट िो बड़ा किया था। वहाँ िे दहे ज समलने िी िल्पना भी नह ीं िर ि​िता था रमन ! पर ईश्वर शायद उि​िी प्रेम िहानी िे िाथ था। तभी तो िैम्पि इींटरव्यू में ह TCS ने रमन िो पाँच लाख िा पैिेज ऑिर िर टदया था। और आज वह घड़ी भी आ गई थी जब लेखा भी पाँच िाल िा आकियटे क्चर िोिय पूरा िरिे शहर वापि आ गई थी। आज रमन, लेखा िी माँ िे

समलने उि​िे घर जा रहा था। पर उिमें शायद अभी िमय

लगना था क्योंकि यह लेखा िा मुहल्ला था और वहाँ हर िदम पर बिी अपनी परु ानी यादों िो लेखा, रमन िे िाथ बाँटना चाहती थी।

“वो दे खो, वहाँ जो धल ू िे िनी एींबेिेडर खड़ी है न...” “वो... तम् ु हार है?”


“अरे नह ीं! वहाँ हम स्टापू खेलते थे। और पता है, वो जो लेटर बाॅक्ि है न, बीि िदम पे, वहाँ िौरभ, चन् ु नू, द पू िब लड़िे उिे पविेट बना िे कक्रिेट खेलते थे। िौरभ जानबझ ू िर बाॅल हमार तरि मारता था। “

“अब ये िौरभ िौन है? गाींगल ु ?” “अरे नह ीं!” लेखा ने रमन िे मजाकिया लहजे पर ध्यान ह नह ीं टदया। “मेरे िाथ ह पढ़ते थे िब! आठवी​ीं ति। मैंने मना भी किया उि​िो कि बाॅल इधर मत मार! पर उि​िो तो मजा आने लगा। किर मेरा भेजा किर गया!...” “तो तूने उि​िो धुन टदया होगा। है न?” “िाश िर पाती! पर वो िाइज़ में डबल था मुझिे! लेकिन मैंने भी उि​िी होमविय िाॅपी एि टदन उिी लेटर बाॅक्ि में घुिा द । खूब पपटा वह िर िे!” “बाप रे ! तुझिे तो दरू रहना ह अच्छा है!” “थैंि यू, थैंि य!ू ” लेखा ने चहि िर िामने िी तरि इशारा किया। “अब यह खुशखबर मेर

मम्मी िो भी िुना दो। वो रहा मेरा घर!”

रमन िे पैर एिाएि िाँपने लगे थे। एिदम िे उिे यह एहिाि हुआ था कि वह पहल बार लेखा िी माँ िे समलने जा रहा है। और लेखा उिे होने वाला पनत िे रूप में समलवाने जा रह है। “अ....लेखा, आज तेर मम्मी िे मेर िस्टय मीटटींग है। तो मैं िोच रहा था कि क्यूँ न .... बि आज िे सलए .....”

“ माँ िे शाद बात न िरें ।“ लेखा िी चहि गरु ायहट में बदल गई थी। “चुप रहो ! टालना क्यों

चाहते हो बात िो? िुन लो िान िाफ िर िे, आज तुम मेर मम्मी िे बात िरोगे और िल अपनी मम्मी िे! वनाय तुम्हे ह लेटर बाॅक्ि में घुिा दीं ग ू ी मैं!”

बोलते बोलते लेखा घर िा दरवाज़ा खटखटा चुिी थी। अब ररटायडय हटय होने िा टाइम जा

चुिा था। अब या तो बाॅल मैदान िे बाहर मारने िा या किर खुद मैदान िे बाहर जाने िा िमय था।

दरवाज़ा खुलते ह रमन आधा झि ु गया। “न...नमस्ते, आींट । मतलब, चरर् स्पशय, मम्मी! मैं ....”


“अरे िीधे हो।“ लेखा दाँत पीि​िर िुि​िुिा रह थी। “ इतने नवयि क्यँू हो रहे हो? ये हमारा िवेंट नन्हे है।“

“तम ु ने बताया िब कि तम् ु हारे यहाँ नौिर भी है!” रमन िीधा होते हुए िुि​िुिाया। “मम्मी िहाँ हैं, नन्हे ?” “डडराइींग रूम में , बबटटया।“ नन्हे रिोई िी तरि मड़ ु ते हुए बोला, “आप वह ीँ बैटठएगा न? हम चाय लेिर आते हैं।“

लेखा िे पीछे -पीछे ड्राइींग रूम िी तरि बढ़ता रमन अब शाींत था। एि बार

नवयि होने िे

बाद उि​िा िोटा शायद पूरा हो गया था। या नवयिनेि शायद अब लेखा पर सशफ्ट हो गई थी। “मम्मी, ये....ये मेरे िाथ ...! ” लेखा िी माँ ने हाथ में उठाई मैगज़ीन िो नीचे रखते हुए लेखा िो दे खते हुए आश्चयय िे भींवें उचिाईं। लेखा िा अटिना उि​िे िीररयि होने िा िुबूत दे रहा था। “आगे बोल।“ रमन हाथ जोड़ते हुए मुस्िुरा िर बोला। “ नमस्ते, आींट । मैं खुद अपना पररचय दे ता हूँ ।“ रमन िो अभी मम्मी िहिर पैर छूना थोड़ा जल्दबाजी लग रहा था। “मैं रमन वैद्य हूँ। लेखा और मैं अमन इींस्ट ट्यट ू में िोचचींग

िे िमय िे एि दि ू रे िो जानते हैं। पहले हम दोस्त थे, किर एि दि ू रे िो पिींद िरने लगे और अब हम शाद िरना चाहते हैं।“

“लेखा तुम्हारे बारे में बताती रहती है। पर मुझिे ये बात तो तम् ु हारे माता-पपता िो िरनी चाटहए थी।“

“ इि​िी उम्मीद मुझे िम है, आींट । हालाींकि उनिे मैने अभी िोई बात नह ीं िी है। पर वे जरा ....अ... परु ाने ख्यालों िे है।“ रमन खुलिर बोल रहा था। “वे जल्द मानें गे नह ीं।“

“शुक्र है तुमने यह नह ीं िहा कि वे िभी नह ीं मानें ग।े “ लेखा िी माँ हल्िा िा मुस्िुराई, “ पर तुमने अपने बारे में तो िुछ बताया ह नह ीं!”


“ओ िाॅर , आींट ।“ रमन महि​ि ू िर रहा था कि वह अभी भी नवयि था। “नाम...वो ह टदया है। मैंने यह ीं अग्रिेन इींजीननयररींग िालेज िे लास्ट ईयर

बी. टे ि. किया है।

तो बता

िींप्यट ू र िाइींि में । और .....” “ ये TCS में िाम िर रहा है, मम्मी!” लेखा बीच में बोल पड़ी। “पाँच लाख िा पैिेज है इि​िा!” “ लगता है तझ ु े इि​िे बारे में ज्यादा पता है। वैिे चार िा पैिेज तो तझ ु े खद ु भी समल जाएगा।“

“अच्छा है न, मम्मी! डबल इींिम आएगी। क्यों, है न, रमी....अ...रमन?” रमन चुपचाप िशय ताि रहा था। जैिे िुछ इींतज़ार िर रहा हो। लेखा िी माँ उि​िे अींतद्यवींद्व िा अींदाजा लगा रह थी। “रमन...रमी, मैं इि ररश्ते िे खखलाि नह ीं हूँ। इन िैक्ट, मैं उि कि​िी भी चीज़ िे खखलाि नह ीं हूँ ल्जि​िे लेखा प्यार िरती है।“ लेखा िी माँ ने बोलना शुरू किया। “ तुम कितना

जानते हो ये मुझे नह ीं पता, पर लेखा िे पपता िे मेरा अलगाव इि​िे जन्म िे भी पहले हो गया था। उि वक्त मुझे िाम िी िीमत िा अहिाि हुआ था क्योंकि िबने मेरा िाथ दे ने िे इींिार िर टदया था। मैं चाहती हूँ कि शाद िे पहले लेखा िुछ टदन िाम िरिे थोड़ा अनुभव प्राप्त िर ले। किर शाद िे बाद उि​िो जार रखे। ताकि उि​िो िम िे िम मेरे

जैिी बेबिी िा िामना िभी नह ीं िरना पड़े। और इि बीच तुम अपने पेरेन्ट्ि िे बात िरो, उन्हें िमझाने मनाने िी िोसशश िरो। मैं दे खते हैं क्या होता है!” लेखा िी रहा था।

माँ

िह

िमय पर उनिे खुद भी बात िरूँगी। किर

ने िुछ पलों िा पवराम सलया। रमन इि पूरे दौरान फशय िो ह तािता जा

“तुम लोग िुछ नह ीं िहोगे?” “आपने तो बात ह टाल द , मम्मी।“ लेखा िा मुींह लटि गया था। “ पैिा िमाना नौिर िरना, प्यार िे बढ़िर है क्या?” माँ ने लेखा िो गौर िे दे खा। “नह ीं। वह िुरक्षा िे सलए है। प्रेम िे

सलए जो जरूर है वह है िमय ! अगर उि िमय िो

जरूरतें परू िरने लायि पैिा िमाने िे सलए ह खचय िरते रहोगे तो प्यार अपने आप


अिींतोष में बदलता जाएगा। पैिा िम होने पर भी यह होगा। इि​िे सलए िींतल ु न बनाना िीखना जरूर है। वह िीख जाओगे।“

“किर भी, मम्मी, िुछ तो टाइम सलसमट ....!” रमन िे हाथ िे इशारे ने लेखा िो बीच में ह रोि टदया। “िल आया होता तो आपिी बात शायद िमझ में नह ीं आती, आींट । पर आज मैं आपिी बात िो िमझ भी ि​िता हूँ और महि​ि ू िर ि​िता हूँ।“ “िल और आज में ऐिा क्या हो गया?” लेखा िो िह ीं िे िपोटय न पा िे गस् ु िा चढ़ रहा

था। “तुम तो पहले ह िसमट िरने िे बच रहे थे। टाल रहे थे शाद ! अब मम्मी भी तम् ु हार तरि िे बोल रह हैं। यह िरना था तो आए क्यों थे मेरे िाथ?......”

“मेर नौिर चल गई है, लेखा! आज ह ! ” रमन िी ऊँची आवाज़ ने लेखा िो चप ु िरा

टदया। “ TCS में ग्लोबल डडप्रेशन िे िारर् 1657 लोगों िी छँ टनी हुई है। मैं भी उनमें िे एि हूँ। तुमिो यह बताने आया था। लेकिन तम् ु हार खुशी और एक्िाइटमेंट दे खिर बता नह ीं पाया! पर अब मैं आींट िो और तुमिो अींधेरे में नह ीं रख ि​िता। “

“तो...तो मैं जाॅब िरूँगी न!” लेखा िहमे स्वर में बोल । “किर तुम हमेशा जाॅबलेि थोड़े ह रहोगे। “

“यह तो आींट िह रह हैं, लेखा। हमिो थोड़ा और िमय चाटहए। मैं माँ पापा िो मना लँ ू, नई नौिर ढूँढ लँ ू, तुम्हार जाॅब लग जाए, किर तो िोई रुिावट ह नह ीं है। “

“तुम नौिर िा पहले बता दे ते तो मैं तुमिो मम्मी िे आज समलाती ह नह ीँ।“ लेखा थोड़ी शसमिंदगी महिूि िर रह थी।

“टाल दे ती तो मैं आींट िे समलता िैिे? और ये बात मेरे िमझ में आती िैिे? जो होता है, अच्छे िे सलए होता है।“ रमन बहुत हल्िा महिूि िर रहा था। “चलता हूँ, आींट ।“ लेखा िी माँ ने उिे मुस्िुरा िर दे खा। “आींट नह ीं, मम्मी बोला िरो मुझे।“ “मम्मी!” रमन िे चेहरे पर एि चौड़ी मस् ु िान िैल गई। वह तुरींत पीछे मुड़ा, झि ु िर लेखा िी माँ िे पैर छुए और तेजी िे बाहर ननिल गया।

“ऐ लो! मझ ु िे बाय ति नह ीं किया!” लेखा हतप्रभ िी दे खती रह गई।


“ वो तझ ु िो बाय िभी नह ीं िरे गा, लेखा। लिी है त!ू ” लेखा लपि​िर मम्मी िे सलपट गई।

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“तू पागल हो गया है क्या?” रमन िी माँ गस् ु िे िे बोल ति नह ीं पा रह थी। “ इतनी भी क्या बेताबी? हम दे ख रहे हैं न लड़िी तेरे सलए!“

“पर लेखा में क्या िमी है, माँ?” रमन ये बात तीिर बार बोल रहा था, “ तम ु तो दो बार समल भी चि ु ी हो उि​िे!”

“तेर दोस्त िी तरह! दोस्ती रख, हमने मना नह ीं किया।“ माँ ने किर िे िपड़े तहाने शरू ु िर टदए। “पर वह इि घर िी बहू नह ीं बन ि​िती।“

“ िीधा जवाब ह नह ीं दे रह ीं। यह तो मैं पूछ रहा हूँ कि क्यों नह ीं बन ि​िती!” “ िीधा िन ु ना है तो िुन!” माँ ने िपड़ा नीचे रख टदया। “ हमने थोड़ा बहुत बहुत पता किया था उि​िे पररवार िे बारे में । माँ उि​िी इींटर स्िूल में ट चर है। अिेल है! बाप िो िभी कि​िी ने दे खा ति नह !ीं िमाना िम, ख़चाय ज्यादा। वो सि​िय लड़िी दे ि​िती है। न इज्ज़त है न हैसियत! ऐिे घर िी लड़िी अपने

घर िैिे ले आएीं!”

“लड़िी िे गर् ु दे खो, माँ। “ रमन िोसशश जार रखे हुए था। वो। मेरे ल्जतनी िैलेर तो उिे िटाि िे समल जाएगी!”

“ वह खुद िमाएगी। टाॅपर है

“पर, बेटा, अभी तो तुम्हार िैलेर जीरो है।“ पीछे िे वह भार आवाज़ िन ु िर रमन घूमा। उि​िे पपताजी िल्जजयों िे भरा थैला नीचे रख रहे थे।

“भूल गए होगे।

अभी परिों ह तो टमीनेशन लेटर समला है तुमिो! अरे , पहले नौिर ढूँढने

पर ध्यान दो, किर ध्यान बचे तो पहले बहन िी िोचना, किर बीवी िी!”

“अभी मेरे पाि एि मह ने िा टमीनेशन पीररयड है, पापा। तब ति नई जाॅब ढूँढ लँ ग ू ा। “ रमन माँ िे तो वाद पववाद िर ि​िता था पर पापा िे िामने जाता था।

उि​िी जबान िो िाठ मार


रमन तेजी िे िमरे िे ननिल गया। िाश आज इतवार न होता तो वह आकि​ि चला जाता। यहाँ िे तो छुटिारा समलता! “लो, पानी पपयो।“ रमन अपनी छोट बहन गीतो यानन गीताींजसल िे इि गर् ु िा शरू ु िे ह िायल था। “तझ ु े हमेशा खद ु मझ ु िे पहले िैिे जान जाती है कि मझ ु े क्या चाटहए?” रमन िा गला िच में िख ू रहा था।

“इतना िमझाओगे माँ िो तो गला नह ीं िख ू ेगा क्या?” गीतो मींद मींद मस् ु िुरा रह थी। “िब किचन ति िाि िुनाई दे रहा था।“

गीतो, रमन िे वैिे तो ढाई िाल छोट थी, लेकिन िमझदार में जरा भी िम नह ीं थी। “पर माँ िमझी िहाँ, बहना ?” “उनिी ये िोच मेर वजह िे है, भइया। उनिो लगता है कि बबना दहे ज िे मैं तो टठिाने लगग ूीं ी नह ीँ, और वो दहे ज तेरे थ्रू ह आएगा!” “मैं िालों िे उनिी चथींकिीं ग जानता हूँ, गीतो। पर इि​िा हल क्या है? मैं तो दहेज िे खखलाि हूँ।“

“हल है न! जरा िा वेट िर लो! मुझे पढाई खत्म िरिे जाॅब िरने दो। किर माँ-पापा िो पता चल जाएगा कि मेरे सलए उनिो दहेज िी जाऊँगी।“ “चल, इिी बात पर ‘किचन ट्रे ननींग’ दे मुझे!” “ठीि है। मैगी िे शूरू िरें ?” “तेर तो! मजाि उड़ाती है मेरा! ठहर तो!

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जरूरत नह ीं पड़ेगी। मैं बजट में ह ननपट


नौिर समलना आिान नह ीं होता, यह रमन भी िीख रहा था और लेखा भी। “आज िमझ में आ रहा है कि मम्मी आकियटे क्चर पढ़ने िे इतना ज्यादा पवरुद्ध क्यों थी!” लेखा ने

मग ँू िल िे दानों िो रगड़ िर उनिा नछलिा उतारा और मँह ु में भर सलया।

“तेर मम्मी इि​िे खखलाि थी​ीं? पर क्यों?” रमन एि मग ँू िल चटिाते हुए बोला। “टदख नह ीँ रहा? धप ू में घम ू घम ू िर मेरा गोरा रीं ग िाींवला हो रहा है पर जाॅब समलने िा नाम नह ीं ले रह । मम्मी िो पहले िे ह ये आइडडया था।“

“बिवाि न िर! मेर तो इींजीननयररींग है। मझ ु े िौन िी समल रह है? टमीनेशन लेटर समले बीि टदन हो चुिे हैं।“

“मैं तो िहती हूँ इिी शहर में रहिर िाम िरने िी ल्जद छोड़ दे । बाहर भी एप्लाई िर। जहाँ जाॅब समले, ले ले !”

“अबेSS, आइडडया!” रमन एिाएि खड़ा हो गया। “क्या िर रहा है त? ू ” लेखा चचल्ला उठी। “िार मूँगिल चगरा द ीं।“ “अरे , अब िाजू खाना।“ रमन िो िोई यूरेिा जैिा आइडडया आ गया था। “ दे ख, तू है

टाॅपर! और इि शहर में बड़ी आकियटे क्ट िमय हैं नह ीं जो तेरे लेवल िे आि-पाि िी िैलेर ऑिर िर ि​िें। हमारे बगल में एि बड़ा शहर है। धामपुर! सि​िय 80 किलोमीटर दरू !” “ हाँ! िुछ बड़ी आकियटे क्ट िमय हैं तो वहाँ! गड ु आइडडया! मैं उनिो नेट पर िचय िरिे मेल भेजती हूँ!”

“80 किलोमीटर होता क्या है! अप डाउन िा जुगाड़ िर लेंगे।“ “ अपना भी िोच ले िुछ!”


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“ये इींडडया िी टाॅप टे न आकियटे क्चर िम्िय में आती है, रमी! शोभन, भनोट एींड एिोसिएट्ि यानी SBA !” लेखा ने चलते हुए रमन िे िान में िुि​िुिाया।“ “बताने िी जरूरत ह नह ीं है, याSSSर!” रमन चारो तरि गदय न उठािर जायजा ले रहा था। नीले टटींट िे शीशे वाल िेन्ट्रल एयरिींडीशींड पवशाल सिसलल्न्ड्रिल ईमारत कि​िी पवराट

एक्वेररयम िा आभाि दे रह थी। उि खाल िे पवशाल हाॅल में , िाींच िी द वारों िे िाथ, इींतज़ार िरने िे सलए लेदर िे गोलािार िोिे लगे हुए थे और िेन्र में वह ररिेप्शन डेस्ि थी ल्जि​िी तरि रमन और िाइल थामे लेखा बढ़ रहे थे। “यि, प्ल ज?” रमन ने ऐिी गलैमरि लेडीज िो सि​िय किल्मों में ह दे खा था। “मैं लेखा प्रधान हूँ, मै’म। मेरा आज इींटरव्यू है।“ “टें थ फ्लोर, िाॅन्रेंि हाॅल! जस्ट वेट। मैं आप दोनों िो पवल्जटर िार्डयि दे ती हूँ। जब ति इि बबल्ल्डींग में रटहएगा, पहन िर रटहएगा। वेलिम टू SBA, शोभन, भनोट एींड एिोसिएट्ि। रमन ने ऐिे सिक्योररट सिस्टम सि​िय TCS में दे खे थे। एि आकियटे क्ट िमय में उिे इि स्तर िी उम्मीद नह ीं थी। ये छोट -मोट िींपनी नह ीं थी। िाॅन्रेंि हाॅल में िर ब दि प्रत्याशी और थे। अचधितर SPA जैिे शीषय िींस्थानों िे थे। रमन िो लेखा में यह बदलाव दे खने िा मौिा पहल बार समला था। तगडे िींपपट शन िे

िामने उि​िे चेहरे पर आत्मपवश्वाि और दृढ़ता िाि नज़र आ रहे थे। िर ब िात प्रत्याशी और चार घींटे बाद लेखा िा नींबर आया।


पर उत्िाह िी जगह मायि ू ी ह हाथ लगी। लेखा िा इींटरव्यू बीि समनट में ह खत्म हो गया।

“िैिा रहा?” रमन बेिब्री िे लेखा िा इींतज़ार िर रहा था। “मेर पढ़ाई िा तो िुछ पछ ू ा ह नह ीं। अपनी इि बबल्ल्डींग िे बारे में ह पछ ू ते जा रहे थे। ये ऊँची दि ु ान, हम िीिे पिवान! अपनी दाल यहाँ नह ीं

गलनी। चल! कितने बजे िी बि

है?”

“ चलेंगे न! पहले तेरा मूड ठीि िर लें। बेस्ट पपक्चर हाॅल िौन िा है यहाँ िा, जानती है?” “ यहाँ िा तो वस्टय भी हमारे शहर िे टहिाब िे बेस्ट होगा। िबिे िस्ता ढूँढो, िींगाल िम्राट! वह ीं चलते हैं।“

रमन िो उम्मीदें तो िई जगहों िे थी​ीं पर एि मह ना बीतने िे बाद भी अभी ति कि​िी िा ऑिर लेटर उि​िो नह ीँ समला था। लेखा ने भी अपनी उम्मीद िे स्तर िो नीचा िरिे अपने शहर िे ह एि आकियटे क्चर िे यहाँ एपरें टटि िे सलया था।

तौर पर ज्वाइन िरने िा िैिला िर

अब दोनों ने आपि में शाद िी बात ति िरनी बींद िर द थी। पता नह ीं ये

ईश्वर िा िींिेत था या टदल्ल अभी दरू थी। पर िहते हैं न कि रात ल्जतनी अँधेर होगी, िब ु ह उतनी ह रोशन होगी। उि िुबह रमन िी नी​ींद मोबाइल िी घींट िे ह खल ु । ररींग टोन खाि थी। “हाँ बोल!” “िोने िा नाटि िर रहा है क्या?” “हाँ, िर रहा हूँ! तू बोल!” “ तेरा ‘एक्िेंचर’ िे िाॅल आया है।“ “िुन, मुझे एि िाल पहले िे पता है कि आज एि अप्रैल है।

ये तीर िह ीं और जािर चला!

अब िोने दे !”

“यानी तुझे पता था। यानी, नाटिबाज, अभी-अभी वो िोन तन ू े ह किया था।“ “अरे , िौन िा िोन?”


“ अभी लड़िी िी आवाज़ में तन ू े िोन नह ीं किया कि मेरा SBA में िेलेक्शन हो गया है? और िल मझ ु े ज्वाइन िरना है। 8 बजे ले जाने िो िैब आएगी !”

“क्याSSSS?” रमन चादर िेंि​िर बबस्तर पर बैठ गया। उि​िी नी​ींद िािूर हो चि ु ी थी। “अर पागल, वह िह िाॅल थी! मैंने तझ ु े िोई िोन नह ीं किया! िाींग्रेचल ु ेशींि! जा, मम्मी िो बता और प्रिाद चढ़ा!”

लेखा िे हाथ अचानि िाँपने लगे। िोन हाथ िे छूट िर बेड पर जा चगरा। मम्मी िे बताने

वाला मज़ाि रमी नह ीं िर ि​िता।

यानी....यानी उि​िा एप्वाइींटमें ट SBA में

हो गया था!

िच में ! “मम्मी”, वह चचल्लाई, पर आवाज़ में वह िाँपते पैरों िे बाहर भागी और

दम नह ीँ था। जािर मम्मी िे सलपट गई। उनिी तपस्या ि​िल हो

ग ्ई थी। “मेरा..... SBA में िेलेक्शन हो गया, मम्मी!”

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लेखा िो ल्जींदगी ने एि मौिा टदया था और लेखा वह मौिा परू तरह िे भुनाने िे सलए िटटबद्ध थी। मेहनत िी रे ि में

लेखा िो िोई पीछे नह ीं छोड़ ि​िता था। आज एि मह ने

िी ट्रे ननींग िे बाद नौिर पक्िी होने िा टदन था। लेकिन उि​िे भी बड़ी खबर ये थी कि खद ु मासलि और िेसलबब्रट आकियटे क्ट शोभन िरिार िभी ि​िल प्रत्यासशयों िो उनिा एप्वाइींटमें ट लेटर अपने हाथों िे दे ने वाले थे।

शोभन एि अत्यचधि आिषयि व्यल्क्तत्व िे मासलि थे। उनिा बातचीत िा तर िा भी उतना ह मींत्रमग्ु ध िर दे ने वाला था। दनु नया िी िईय नामचीन हल्स्तयों िे पियनल

प्रोजेक्ट

शोभन ह हैंडल िरते थे। उनिे पाटय नर द पि भनोट िमसशययल प्रोजेक्ट दे खते थे।

लेखा, शोभन िरिार िी उपलल्जधयों िे तो पहले ह प्रभापवत थी, पर आज उनिो अपने िामने िाक्षात बोलते दे खिर मींत्रमग्ु ध हो गई थी। शोभन ने स्वागत भाषर् खत्म िरिे हर एप्वाइींट िो परमानें ट जाॅब िा लेटर टदया और िबिे व्यल्क्तगत बातें िी​ीं। शोभन िरिार

िे बारे में प्रसिद्ध था कि वे ि​िाईिसमययों िटहत अपने िभी 1209 एमप्लायीज िो नाम िे जानते थे और नाम िे ह बुलाते थे। आयोजन खत्म होते ह िभी िूड िोटय िी तरि बढ़ चले। आज ि​िल प्रत्यासशयों िा लींच िमय िे चेयरमैन शोभन िरिार िे िाथ था। “लेखा!” लेखा टठठि िर पीछे मुड़ी। उि आवाज़ िो पहचानने में वह िोई ग़लती नह ीं िर ि​िती थी।

शोभन िरिार हाथ पीछे बाँधे उि​िे पीछे खड़े थे। “िम पवद मी टू माई ऑकि​ि!” बोलते बोलते शोभन पीछे मुड़ चि ु े थे।


पीछे चलती लेखा िा टदल िौ िी स्पीड पार िर चि ु ा था। उिे इतना अींदाजा था कि जब

एि नए िमयचार िो िप ु र बाॅि अपने ऑकि​ि में बल ु ाए तो न्यज ू या तो बहुत अच्छी होती है या बहुत खराब!

शोभन िा िेबबन आश्चययजनि रूप िे िाधारर् था। “िाधारर् िा िेबबन दे खिर आश्चयय हुआ न?” शोभन अपनी हुए बोले। “बैठो।“

ररवाॅल्ल्वींग चेयर पर बैठते

लेखा अभी भी िस्पें ि में थी। “ये चमि दमि क्लाइींट्ि िे सलए है। िाम तो मुझिे इि ऑकि​ि जैिी जगह में बैठ िर ह होता है।“ शोभन टे बल पर आगे

झुि​िर आराम िे बोलने लगे। “ हम सि​िय टाॅप

क्लाइींट्ि लेते हैं और उनिे सलए टाॅप स्टाि ररक्रूट िरते हैं। हमारा ररक्रूटमेंट प्रोिेि जानना चाहोगी?” लेखा ने

चुपचाप ‘हाँ’ में सिर टहला टदया। हाींलाकि वह जानती थी कि उि​िे िचमुच

में

पूछा नह ीं जा रहा था।

“ ल्जि िेिेंड िैं डडडेट हमार बबल्ल्डींग में घुिता है उि​िा आिलन शुरू हो जाता है। दे खो, यह तुम हो, इि बबल्ल्डींग में पहल बार आते हुए!” शोभन िींप्यूटर माॅनीटर, लेखा िी तरि घुमाते हुए बोला। “तुमिो याद होगा कि तुमिे सिफय इि बबल्ल्डींग िे िींबींचधत िवाल ह पूछे

गए थे। वह तुम्हारा रैं डम ऑबजरवेशन चेि िरने िे सलए था। एींड यू वर क्वाइट इम्प्रेसिव!” “थैंि यू, िर।“ “और पपछले एि मह ने में भी नए िैं डडडेट्ि में तुम्हारा िाम ह िबिे

इींम्प्रेसिव रहा है।

िो, मै तुमिो अपनी पियनल िोर ट म में इन्वाइट िरता हूँ। इज दै ट ओिे?” लेखा हड़बड़ा िर खड़ी हो गई। “ मैं जानता हूँ कि ये नए वियर िे सलए ज्यादा प्रेशर वाला िाम है। आई िैन अन्डरस्टैं ड इि यू डोंट वान्ट टू।“

“न..नह ीं, िर। मै तो चाहती हूँ। आपने इतने िम िमय में मुझे इि लायि िमझा, ये िोच िर मैं चौंि गई थी। इट इज़ ए ड्रीम िम ट्रू, िर!” “तो पक्िा रहा। वेलिम टू माई पियनल ट म।“


शोभन िरिार िे हाथ समलाते िमय खश ु ी िे लेखा िा गला रुीं धा हुआ था।

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जब उिने िोन पर रमन िे ‘एक्िेन्चर’ वाला प्रैंि किया था, तब शायद लेखा िी जीभ पर िरस्वती पवराज रह थी​ीं। क्योंकि जन ू बीतते न बीतते, रमन िो वहाँ िे िाॅल आ गया था। लेखा िो अपनी और रमन िी नई नौिर िेल ब्रेट िरने िा टाइम भी बहुत मुल्श्िल िे समला था। और ये बात रमन िो ितई अच्छी नह ीं लगी। “इतनी जल्द जा रह है? अभी तो आठ ह बजे हैं। तू आई ह िात बजे है, लेखा!” “पता है एि घींटा लगता है मुझे धामपरु िे आने में !” “ऑकि​ि िैब िी आराम िी िवार में िौन थिता है, यार!” “मैं थिती हूँ। अरे , खाना भी बनाना है मुझे। मम्मी िी तबबयत ढ ल है और बाहर िा खाना वो खाती नह ीं हैं। नन्हे भी छुट्ट पर है। िुन, िींडे छुट्ट है। परू ा टदन िाथ घूमेंगे।“ “एक्िेलेंट! िल कितने बजे?” “िल वाला िींडे नह ीं, उि​िे अगला वाला! िल तो शोभन िर िे िाथ िाइट पवल्जट पर जाना है।“ ओ, तो िल तू शोभन िर िे िाथ घूमेगी!” “घूमना नह ीं, िाम है, रमी! परू ट म रहे गी िाथ में । पता है, शोभन िर ने पूर िोर ट म िो छुट्ट िी ऑप्शन द थी, लेकिन िब ने मना िर टदया। उनिे िाथ िाम िरने िा मौिा

िोई छोड़ना नह ीं चाहता। और मुझे तो वो मना िरने िे बावजद ू लेिर ह जाते, क्योंकि मेरे बगैर तो वे एि िदम भी नह ीं चलते।“

“तू उनिी वाॅकिीं ग ल्स्टि है क्या? चलने वाल छड़ी? “एक्िक्यज ू मी?”


“जब िे तू सम. शोभन िे समल है तब िे

सिवाय शोभन िर ये, शोभन िर वो िे अलावा

हम िोई बात ह नह ीं िरते!”

“मझ ु े लगा कि मैं तम ु िे अपनी बातें , अपनी रुट न शेयर िर रह हूँ। और दि ू रे िल ग्ि िी बातें भी मैंने तम ु िो बताई हैं, पर तम ु ने सिफय शोभन िर पर ह ऐिा ररएक्ट क्यों किया? “ “िार यार! मझ ु े लगा

तू उि शोभन िे िुछ ज्यादा ह इम्प्रेि हो रह है! तू इतने इतने

टाइम दरू रहती है तो मैं बावला होने लगता हूँ।“

“ उि शोभन? हैं? तमीज आई नह ीँ तम् ु हे अभी ति!” लेखा थोड़ी मल ु ायम पड़ी थी। “ एींड यू आर जेलि? ओ माई गॉड! उनिी उम्र पता है तुझे?”

“ मुझे उि​िी एचीवमें ट्ि और बैंि बैलेंि पता है! इतना िािी है इन्िीररयोररट िाॅमप्लेक्ि िील िरने िे सलए!”

“ तुमने दब ु ारा उनिे सलए ‘उि​िा’ बोला तो मुँह तोड़ दीं ग ू ी!” “चल, शाद िर लेते हैं! अभी!” “तुम्हार माँ राजी हो गईं?” “यार....” “दे खो, रमी! मम्मी ने यह डडिीजन सलया है। बोलो तो मैं

मम्मी िे बात िरने िो िहूँ।“

“मैं िर लँ ूगा। गीतो िे िाइनल ईयर िे पेपर अभी खत्म हुए हैं। उि​िी जाॅब लगते ह िारा मामला पटर पर आ जाएगा!” “तब ति टदमाग ठीि िर ले। शोभन िर िो आप बोलना िीख ले।“

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किस्मत न जाने िौन िा खेल खेल रह थी। गीतो िा ररजल्ट, यूननवसियट में स्ट्राइि िी

वजह िे मह नों टल गया था और िाथ ह लेखा-रमन िी ख्याल शाद िी डेट भी! लेखा िी माँ िी तो हिरत परू हो रह थी। लेखा, िैररयर में अपने पैर मजबत ू ी िे जमा रह थी। उि​िी माँ किलहाल लेखा िो शाद िे सलए प्रेशर दे ने िे मड ू में बबल्िुल नह ीं थी।

लेखा ने अपना सिक्िा आठ-नौ मह नों में ह जमा सलया था। आज िी तार ख में वह शोभन िरिार िे दो प्रोजेक्ट्ि िो खद ु हैंडल िर रह थी और उि​िी िैलेर रमन िी तल ु ना में तीन गन ु ा थी। ऑकि​ि िे

िीननयर भी उि​िी िलाह िो गींभीरता िे लेते थे।

पर लेखा िा अिल टे स्ट होना तो अभी बािी था। दब ु ई में

पानी पर बनने वाल , दनु नया िी िबिे बड़ी रे ल्जडेंसशयल ईमारत िे नेगोसशएशींि िे

सलए वहाँ गए शोभन िरिार एि भीषर् िार एक्िीडेंट में बुर तरह घायल हो गए। जीपवत रहने िी िींभावना क्षीर् थी!

ऑकि​ि में यह खबर आते ह हड़िींप मच गया। द पि भनोट ने आनन िानन में िभी मैनेजमें ट एमप्लायीज िी मीटटींग बुलाई। मीटटींग में िबिे पहल चचाय प्रेि िाींरेंि बुलाने िी हुई।

लेखा ने इि एक्िीडेंट िी गींभीरता िो िम िरिे बताने िी िलाह द , ताकि क्लाइींट्ि पर और िींपनी पर इि​िा पवपर त अिर न पड़े। ये िलाह िभी िो िमझ में आई। यह भी तय हुआ कि िभी प्रोजेक्ट्ि पर ननबायध रूप िे िाम जार

रहे गा।

यह भी तय हुआ कि िोई भी एमप्लायी इि दघ ु यटना िी ित्यता िो अपने घर ति में तब ति नह ीँ बताएगा जब ति िोई भी पुख्ता खबर, दख ु द या िुखद, न आ जाए।


िबिे बड़ी बात यह तय हुई कि चँ कू ि इि िींडीशन में शोभन िरिार िो दब ु ई िे िह ीं सशफ्ट िरना िींभव नह ीं है, तो िोर ट म ि मेम्बर िी हैसियत िे लेखा बीच-बीच में दब ु ई जा िर शोभन िरिार िी प्रोग्रेि पर नजर रखेगी।

आनन िानन में वीिा लगा और लेखा उिी रात प्रोजेक्ट िे बहाने िे, दब ु ई रवाना हो गई। रमन िो भी लेखा ने यह बताया था परन्तु रमन िी छठी इींटरय ने

इिपर ितई यिीन

नह ीं किया। वह अींदाज लगा रहा था कि बात िुछ और है और गींभीर है। अब वह और इींतज़ार नह ीं िर ि​िता था। “ गीतो!” “ माँ िो बुला टदया है। पापा भी पीछे -पीछे आ ह जाएींगे। मैं भी बैठूीं डडस्िशन में या नह ीं?” “तू पक्िा पपछले जन्म में चुड़ल ै रह होगी। िैिे िमझ जाती है मेर िार बात बबना िहे ?” “पपछला क्यों, तेरे सलए तो इि जन्म में ह हूँ!” “तब तो तू डडस्िशन में जरूर बैठना।“ “ये क्या बचपना ह, रमन?” उि​िी माँ ने तश्तर में िट िल्जजयाीं रिोई िी तरि ले जाते हुए एि नजर भर मार । “अभी मुझे खाना बनाना है। और तेरा डडस्िशन मुझे पता है।“ “ तो मैं भागिर शाद िरूँ क्या? लेखा टदनों टदन मझ ु िे दरू होती जा रह है। इन िैक्ट, अब तो हमारे पाि बात िरने िे सलए टाॅपपि ति नह ीं होते।“

“भाग िर क्यों, धीरे धीरे चल िे जाना।“ पपता जी हमेशा िी तरह पाँच समनट बाद आ गए

थे। “और अपनी बहन िो भी िाथ लेते जाना। क्योंकि इि​िी शाद किर होगी नह ीं और हम ज्यादा टदनों ति रहें गे नह ीं।“ “पापा, मै और लेखा समलिर इतना िर लेंगे कि िाल दो िाल में हम गीतो िी शाद धूमधाम िे िर ि​िें।“ “जो अभी िे तुझिे दरू हो रह है वह गीतो िी शाद िे सलए पैिे क्यों दे गी? क्या

गारीं ट

है?” पपता जी अपना अनुभव िाझा िर रहे थे। “ हमने तो िभी नह ीं दे खा कि ज्यादा पैिे िमाने वाल लड़िी अपने िे िम िमाने वाले िे शाद िरे ।“ “लेखा ऐिा बबल्िुल नह ीं िोचती, पापा।“


“ तू अभी अींधा हो रहा है, रमी!” माँ बीच में ह बोल पड़ी। “ हम तेर पिींद िा पवरोध नह ीं

िरते। पर हमारे एि नह ीं दो बच्चे हैं। गीतो बि िम्मान िे अपने घर चल जाए, ऐिा िाम िर!” रमन चप ु हो गया। वह खद ु िल्न्वींि नह ीं

था कि लेखा िा लगाव उि​िे पहले जैिा ह था

या किर ये ‘वन िाइडेड लव’ बनता जा रहा था।

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लेखा दब ु ई िे, अमेररिन हाॅल्स्पटल िे उि प्राईवेट िइ ु ट में घि ु ते ह रो पड़ी। इींक्लाइींड बेड पर ट्रै क्शन में , पट्टटयों िे सलपटे शोभन िरिार पहचाने नह ीं जा रहे थे।

“िैिे है ये?” लेखा ने अपने आप पर िाबू पाते हुए, एटें डडींग डाॅक्टर िे पूछा। “िुछ िह नह ीँ ि​िते, समि! डैमेज 80 प्रनतशत है। अगले 36 घींटे बहुत क्रूसशयल है। आप किलहाल बाहर वेट िरें और दे खना हो तो ‘ग्लाि पवींडो िे दे खें। यहाँ इनिो पवल्जटिय िे ‘क्राॅि इन्िेक्शन’ िा खतरा है। “

बाहर आते ह लेखा, उि निय िे टिरा गई जो िागजों िा पुसलींदा थामे हुई थी। “आप इनिे िाथ हैं?” निय ने िमरे िी तरि इशारा िरते हुए पछ ू ा। “यि!” “तो आपिो इन अींडरटे किीं ग पेपिय पर िाइन िरने होंगे।“ निय पेपर बढ़ाते हुए बोल , “ और ग्राउीं ड फ्लोर पर जलड बैंि में

जािर जलड िा इींतजाम िरना होगा।“

िाइन िरते िरते SBA िे लोिल ऑकि​ि िा स्टाि भी आ गया था। उन्होंने पाि िे िाइव स्टार होटल में लेखा िे ठहरने िा

इींतजाम किया हुआ था पर लेखा ने अगले 36 घींटों ति िमरे िे बाहर पड़े िोिे िो ह अपना टठिाना बनाने िा िैिला िर सलया था। वहाँ िे वह ग्लाि पवींडो िे जररए शोभन िरिार पर हर पल नजर रख ि​िती थी।


अगले 36 घींटे लेखा ने सिफय पानी और चाय िाॅिी पर गज ु ारे , क्योंकि वहाँ पर िुछ भी

खाने िी मनाह थी। और चिरनघन्नी िी तरह अपने स्टाि िी मदद िे मेडडिल स्टाि िी माँगे पूर िराती रह । उि​िी मेहनत रीं ग लाई। जब शोभन ने आँखें खोल ीं, तो उिने िबिे पहले लेखा िो ह दे खा। “ आई न्यू, यू उड बी द िस्टय चथींग आई उड िी!” वह मुस्िुरा िर िराह उठा। उि​िा पूरा शर र िोड़े िी

तरह ददय

िर रहा था।

शोभन अब खतरे िे बाहर थे। अगले बीि टदनों ति शोभन ने अस्पताल में स्वास्​्य लाभ किया और लेखा

ने इि दौरान

तीन-तीन टदनों िी तीन टट्रप लगाईं। ये तीिर और आखखर टट्रप शोभन िो भारत वापि लाने िे सलए थी।

अभी भी

प्लास्टर और पट्टटयों में सलपटे

शोभन िरिार िो धामपुर में उनिे घर पर

छोड़ते वक्त लेखा ने नोटटि किया कि उनिे घर पर निों और नौिरों िी िौज िे अलावा, िोई घरवाला अथवा िींबींधी नह ीं था। “थैंि यू िाॅर एवर चथींग, लेखा।“ घर पर रखे हाॅल्स्पटल बेड पर लेटते ह शोभन धीरे िे बोले। “मैं अब बेहतर महिूि िर रहा हूँ। तुम घर जाओ और िल िी छुट्ट ले लेना।“ “ओिे, िर! पर.....” “क्या?” “ यहाँ आपिी दे खभाल िे सलए आपिी िैसमल िा िोई.....!” “ओह! िोई है ह नह ीं। शाद हुई पर िाम िे िीड़े ने डडवोिय िरा टदया। नो वाइि िो नो किर्डि! आई एम नाॅट एन इजी मैन टू सलव पवद!” “तो िर, आप िहें तो मैं थोड़े टदन....!” “अरे , नो नो! आएम यज् ू ड टू इट! बबल व मी। यू गो!” लेखा अपवश्वाि भरे िदमों िे बाहर खड़ी िैब िी तरि बढ़ने लगी। िैब में बैठते ह मम्मी िो

टे क्स्ट किया और रमन िो िाॅल लगाई।

उिने


“हे ल्लो जवाॅय, आएम बैि!” “वेलिम! िन ु ो, लेखा, मैं अभी जरा बबजी हूँ। बाद में िाॅल िरता हूँ तम ु िो।“ “िल छुट्ट ल है मैंने। तम ु भी ले लो न। िल िारा टदन िाथ रहें गे।“ “हाहाहा! यहाँ मेरा िोई शोभन िर नह ीं है जो छुट्ट ऑन डडमाींड दे । िल इम्पाॅसिबल है।“ “बाय!” लेखा ने िाॅल िाट द । आज रमन िे टोन में िामेसलट थी। और जवाब ठीं डे थे। अरे नह ीं, हो ि​िता है बात िरते वक्त िोई िीननयर पाि में खड़ा हो। और हो ि​िता है कि िल रमन िचमुच बबजी हो।

या.... हो ि​िता है कि समलना जुलना िम हो जाने िे उि​िी समलने िी इच्छा भी िम हो गई हो। लेखा िे टदमाग में िींफ्यज ू न बढ़ता जा रहा था। आगे बढ़ने िे सलए इि​िा ननरािरर् तो िरना ह था। लेखा ने

गीतो िो िोन समलाया।

“गीतो, लेखा टहयर! िैिी है?” “छोड़ो न िाॅरमेसलट ! िुनो, रमन िो िोई प्राॅजलम नह ीं है। बि तुम्हारे जाॅब में बबजी होने िे उदाि रहता है। प्राॅजलम माँ पापा िो है, मुझे और मेरे फ्यूचर िो लेिर! वो मैं दरू िर दँ ग ू ी। तुम भी

भईया िो मत िोन िरना। दे खें िब ति रह पाता है तुमिे बातें किए बबना!

वी आर गल्िय, यार! नाज नखरे टदखाना हमारा बथयराइट है। न झुिाया जवाॅयज िो तो थू है हमपर! मैं हूँ ना, िोई गड़बड़ नह ीं होने दँ ग ू ी।

“रमन िह िहता है कि तुम बबना िहे िमझ जाती हो। यू आर लाइि आॅक्िीजन, यार! थैंक्ि एींड बाय!”

गीतो ने नोटटि किया कि पहल बार लेखा ने रमी नह ीं, रमन िहा था। लेखा इि पपींग-पाँग ररश्ते िे

परे शान हो रह थी। वह अपनी िसमयाँ स्वीिारने िो तैयार थी

पर रमन िा व्यवहार उि​िो अपररपक्व लग रहा था। शायद वह अींजाने में रमन िो शोभन

िरिार िे व्यवहार िे िम्पेयर िर रह थी। ऐिा िरना ठीि नह ीं है। शायद मम्मी िो रमन िे घर भेजिर कि​िी िाइनल डडिीजन िा िमय आ गया था। लेकिन गीतो पर उिे भरोिा था। आखखरिार उिने दो मह नों ति और इींतज़ार िरने िा िैिला िर सलया था।


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दो मह ने पलि झपिते ह

बीत गए। रमन और लेखा िी दो बार मुलािात हुई। लेकिन तनाव घटने िे बजाय तब और बढ गया जब रमन ने लेखा िे पररवार िे जुड़ी ईज्जत िा ल्जक्र छे ड़ टदया। इि​िो सि​िय माँ िी िोच बताने िे भी बात नह ीं बनी।

इि दौरान शोभन भी िाफी ठीि हो गए थे। हालाींकि वह अभी भी व्ह लचेयर पर थे और उनिो लगी अींदरूनी चोटें अींगों िो रहे थे और वह भी

घर िे!

नुक्िान पहुींचा चुिी थी​ीं। वे थोड़ा बहुत िाम ह िर पा

उन्होंने अपनी िोर ट म िा ऑकि​ि, घर में ह बना सलया था। “लेखा, िमान्था िे टहल िािल हाउि िा नक्शा अप्रव ू ल िे सलए अथाॅररट ज िो भेजना था .......” “वह अप्रूव होिर मेल में आ गया है, िर।“ “िमाल है! इि बार उन्होंने िोई क्वेर ह नह ीं लगाई!” “लगाई थी​ीं, िर, तीन क्वेर ज। ररप्लाई तुरींत भेज टदया था।“ “दै ट्ि ग्रेट! मैं तो िोच रहा था कि परू ा हफ़्ता इिी में ननिलेगा। तुमिे िुछ जरूर डडस्िशन िरना है, लेखा। आज तुम आधा घींटा लेट हो जाओगी। चलेगा?” “नो प्राॅजलम, िर!” उि शाम स्टाि िे जाने िे बाद जब लेखा, शोभन िर िे िामने बैठी तो उिे शोभन िुछ

ज्यादा ह गींभीर टदखे। वे जो भी िहना चाहते थे वह बात ऑिीसशयल तो पक्िा नह ीं थी। “बताइए, िर!”


“लेखा, इि जानलेवा एक्िीडेंट ने मझ ु पर एि एहिान किया है। नई ल्जींदगी िे िाथ-िाथ एि नई िोच भी द है मझ ु िो!” “अ न्यू डडजाइन,िर?” “एग्जैक्टल ! अ न्यू डडजाइन ऑि लाइि!” शोभन िरिार ने एि लींबी िाींि भर । “इि

एक्िीडेंट ने मेर इींटरनल ऑगिंि पर बहुत बरु ा अिर डाला है। शायद अब मैं िभी अपने पैरों पर न चल पाऊँ। िब ति ल्जींदा रहूँगा, ये भी एि बड़ा िवाल है।“ “आई िाींट बबल व कि आप ऐिे टहम्मत हार रहे हैं, िर!” लेखा बोल । “आप एिदम पहले जैिे ठीि हो जाएँगे।“ “ मैं पहले जैिा होना ह तो नह ीं चाहता, लेखा! बबस्तर पर पड़े-पड़े मुझे िोचने िा बहुत िमय समला, लेखा। इतना िमय तो मुझे िभी समला ह नह ीं था। मैंने हमेशा अपने पर ह िोि​ि रखा। दि ू रों िे बारे में तो मैं “आई िाींट बबल व! ऐिा

तुमिे समलने िे बाद िोचने लगा। “

क्या किया मैंने? जो किया वह मेर र्डयूट थी, िर।“

“इट इज नाॅट व्हाट यू डू! इट इज हाऊ यू डू!” शोभन किलाॅिोकि​िल हो रहे थे। “ मुझे िुछ हो जाए, अचानि हो जाए, इि​िे पहले मैं अपने ननर्यय पर िाम िर लेना चाहता हूँ।“ “ बताइए, क्या िरना चाहते हैं, िर! मैं पूरा

ड्राफ्ट िटािट तैयार िर दँ ग ू ी!”

“ ड्राफ्ट तैयार है। तुमिो बि उिपर िाइन िरने हैं, लेखा!” “व्हाट?” “यि, लेखा! मैं अपने िारे शेयर तुमिो ट्राँि​िर िरना चाहता हूँ ! तुमिो िींपनी िी CEO बनाना चाहता हूँ।“

“ये....ये क्या िह रहे हैं, िर?” लेखा िे माथे पर ए िी में भी पिीना छलछला आया था। “आप िी दवाई िा टाइम हो गया है शायद !.......” “मैं पूरे

होशोहवाि में हूँ, लेखा! तुमिो परू तरह जाँच परख सलया है मैंने! तुममें एि ि​िल CEO बनने िे िारे गर् ु हैं। रह अनभ ु व िी बात, तो इिमें द पि तम् ु हार परू मदद िरे गा। और मैं अभी ररटायर नह ीं हो रहा हूँ। जबति िर ि​िूँगा, िाम िरता रहूँगा। मेरा िपोटय भी हमेशा तुम्हारे िाथ रहे गा।“ “बट, िर....”


“दे खो मना मत िरना। मैं अपनी ल्जींदगी भर िी मेहनत िो मख ू ों िो नह ीं िौंप ि​िता।“ “ये मामल डडिीजन नह ीं है, िर, जो मैं अिेले ले ि​िँू ।“ लेखा बात टालने िी िोसशश िर ू रह थी। “मझ ु े मम्मी िे बात िरनी पड़ेगी और मैं जानती हूँ कि वे िभी नह ीं मानें गी।“ “अगर वो न िहे , तो ल्जि िेिेंड वो न िहे , तम ु उिी िेिेंड मझ ु े िाॅल िरना। आऊँगा तम् ु हार मम्मी िे बात िरने! अब जाओ, वनाय लेट हो जाओगी।“

मैं खद ु

लौटते िमय लेखा िो िब िुछ बदला-बदला िा लग रहा था। वह िहाँ िे आ रह थी, िहाँ िे गज ु र रह थी और िहाँ जा रह थी, ये उि​िा टदमाग िमझ ह नह ीं पा रहा था। उि​िो यह भी नह ीं िमझ आ रहा था कि ये िब क्यों हो रहा है! वह बि जल्द िे जल्द घर

पहुँचना चाहती थी ताकि अपनी मम्मी िो िब िुछ बता िर अपने घूमते सिर िो िींतुसलत िर ि​िे।

लेखा िा पीला चेहरा दे ख िर उि​िी

मम्मी घबरा गई।

“क्या हुआ तुझे? तू लड़खड़ा क्यों रह है? क्या

खाया है तूने? नन्हे , पानी ला एि चगलाि!”

“ मैं ठीि हूँ, मम्मी। बि थि गई हूँ। अब आप िुछ बोलने दें तो मैं बोलूीं!” नन्हे ने पानी िा चगलाि टे बुल पर ला रखा। “चाय भी लाऊँ?” “नह ीं, तुम जाओ।“ लेखा ने नन्हे िे जाने िा इींतज़ार किया। पर बात शरू ु िी उि​िी मम्मी ने। “ आज लेट हो गई?” हाँ, मम्मी, शोभन िर ने रोि सलया था। मझ ु िे िुछ जरूर बात िर रहे थे।“ “मेरे जानने लायि बात है?” “वो अपने िारे शेयर मेरे नाम िरना चाहते हैं। मझ ु े िींपनी िी मालकिन बनाना चाहते हैं।“


“क्या? किर िे तो बोल!” “ वो अपनी िींपनी मेरे नाम िरना चाहते हैं!” “क्यों?” “क्योंकि उनिो लगता है कि वे िभी भी मर ि​िते हैं और क्योंकि उनिो लगता है कि मैं ह उनिी िींपनी िँभाल ि​िती हूँ!” “बदले में ?” बदले में क्या?” “अरे , बदले में वह क्या चाहते हैं?” “िुछ नह ीं। बि शेयर ट्राँि​िर िे सलए मेरे िाइन!” “ऐिा िह ीं होता है? तू िच-िच बता!” “मम्मी, मेरे सिर में ददय हो रहा है। उिे बढ़ाओ मत!” “तूने क्या िहा?” “ मैंने िहा मम्मी िे पछ ू िर बताऊँगी। बताओ, क्या िहूँ।“ लेखा अब थोड़ा हल्िा महिूि िर रह थी। “वैिे उन्होंने िहा है

कि अगर तुम मना िरोगी तो वो तुमिे समलने खुद आएींगे।“

“हैं? पर वो तो व्ह लचेयर पर हैं न?” “हाँ, तो व्ह लचेयर पर आएींगे!” “तू इस्तीिा दे दे !” “ये िैिा िाॅल्यूशन है?” “तो तू खुद ह िोच ले कि क्या िहना है। मुझे तो ये झींझट वाला िाम लग रहा है। “ “रमी िे भी िलाह लँ ू? दोस्त िी तरह!” “वो बात िह ीं िैला न दे ।“ “मना िर दँ ग ू ी उि​िे!”


“ठीि है। शोभन िर िी बात िो तू यँू हवा में भी तो नह ीं उड़ा ि​िती।“

रमन समलने में किर आनािानी िर रहा था। पर लेखा अब िीधी बात िरने लगी थी। “दे ख, अब मेरा तुझमें शाद िे सलए िोई खाि इींटरे स्ट नह ीँ है। ऐज ए रेंड तुझिे िलाह लेनी है। वह भी

नह ीं दे ि​िता तो बता दे ।“

रमन, लेखा िा मूड भाँप गया था। बात िो ज्यादा खी​ींच िर वह लेखा िो खोना नह ीं चाहता था।

“आऊँगा िल िुबह!”

लेखा ने ऑकि​ि िे एि हफ्ते िी छुट्ट ले ल थी ताकि वह इि मामले िो ननपटा ि​िे। उिे तो िोई जल्द नह ीं थी पर वह रमन िो री िर दे ना चाहती थी।

“तू पक्िा झूठ बोल रह है!” रमन लपि​िर खड़ा हो गया। “ि​िम खा मेर ।“ “तुम्हार ि​िम!” लेखा बोल , “ अब ये बचिानी हरित छोड़ो और बताओ कि मैं क्या िरूीं?” “अरे , िोचना क्या, हाँ बोल दे । लक्ष्मी जी तेरे पाि चलिर तो क्या, दौड़ िर आ रह हैं। और तू है कि उनिे और दरू भाग रह है।“ “ठीि है।“ “ठीि क्या? िोन लगा और हाँ बोल दे

अभी िे अभी!”

“तेर िलाह िुन ल मैंने! अब मुझे िोचने ति ह रखना! चल बाय!”

दे कि मुझे क्या िरना है। और हाँ, ये बात अपने

लेखा िमझ गई थी कि हल उिे ह ढूँढना है। िींपनी िी CEO बनने िे उिे िोई टदक्ित

नह ीं थी, पर तर िा उि​िी िमझ िे बाहर हो रहा था। िारे पक्ष और पवपक्ष िे तिय िोचने िे बाद उिने टदमाग िे बजाय टदल िा िहारा लेने िा िैिला किया। बि एि सिम्पल िा िवाल; वह ऐिा चाहती है या नह ीं! उिने आँखें बींद िी​ीं और जवाब उि​िे िामने आ गया। जवाब था ‘नह ीं ‘।


पर शोभन िर िे क्या िहूँगी? िह दँ ग ू ी कि मम्मी नह ीं मान रह हैं। आप एि ट्रस्ट बनािर मझ ु े उि​िा मेम्बर बना दें । हाँ, ये िह रहे गा। शोभन िर िी बात भी रह जाएगी और मेरे टदल िी भी हो जाएगी।

शोभन िरिार िो िाॅल लगाते िमय लेखा िा टदल धड़ि रहा था और ऊँगसलयाँ िाँप रह थी​ीं। आज पहल बार वह शोभन िर िो ‘न’ िहने जा रह थी।

शोभन िरिार ने बड़े धैयय िे लेखा िा

तिय िुना।

“तो तुम्हार मम्मी ने मना िर टदया है और यह ट्रस्ट वाला िजेशन टदया है। बि यह न?” “यि, िर!” “ट्रस्ट अच्छी चीज है। पर वह डडिेंसिव तर िा है। पैिे िुरक्षक्षत तो रह ि​िते हैं पर उनिी ग्रोथ नह ीं होती।“ शोभन ने शान्त स्वर में िमझाया। “मझ ु े तम् ु हारे जररए उि ऊँचाई पर

िींपनी िो पहुँचाना है जहाँ िे िपने मैंने दे खे हैं। और यह ऑिर तम् ु हार क्षमता िे आधार पर है , िोई एहिान नह ीं िर रहा है तम ु पर!”

“मम्मी िो डर लगता है। वो िभी नह ीं मानें गी, िर।“ “मैं यह भी िमझता हूँ। एि चगलाि पानी प्याि बझ ु ाता है। जरूरत िे ज्यादा हो जाए तो घर डुबो दे ता है। उि​िे सलए नद बनानी पड़ती है ताकि प्रवाह बना रहे । िैिे, यह मैं और द पि तुमिो सिखाएींगे।“ “प...पर, िर....!” “शायद िमय आ गया है, लेखा।“ “कि​ि चीज िा िमय, िर?“ “तुम्हार मम्मी िब समलेंगी?” लेखा िो इिी बात िा डर था। “म...मम्मी तो यहाँ है नह ीं, िर! वो...वो... हाँ, स्िूल टट्रप पर गईं हैं।“ शोभन हँिने लगे। “िहाँ गई हैं? जहाँ भी होंगी मैं वहाँ जािर आधे घींटे िे सलए उनिे समल लँ ूगा।“


“आर यू िीररयि, िर?” “यि, लेखा। इट्ि नाॅट अ गेम। बोलो, िब आऊँ?“ “मम्मी खद ु आपिे आिर समल लेंगी, िर।“ “उनिो तिल ि नह ीं दे नी। मैं आऊँगा। मेर आऊटटींग भी हो जाएगी। िब?“ “आज, िर? शभ ु स्य शीघ्रम ्।“ “डन। मै दि समनट में ननिलींग ू ा। तम् ु हारा एड्रेि है मेरे पाि!” लेखा इि दपु वधा िा हल ननिालने िो उतावल थी। यह अननश्चय िी ल्स्थनत उि​िी जान ले रह थी।

“मम्मी, शोभन िर आज ह आ रहे हैं। मीटटींग िो तैयार रहना।“

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आशा िे पवपर त, शोभन कि​िी महँगी गाड़ी में नह ीं, एि िाधारर् वैन में सि​िय एि ड्राईवर और एि मेल निय िे िाथ आए थे। व्ह लचेयर पर गाड़ी िे ननिलते ह लेखा िामने आ गई। “वेलिम, िर। वैिे आपिो अभी ि​िर नह ीँ िरना चाटहए था।“ लेखा िच में नाराज थी। “आप बहुत

ल्जद्द हैं।“

“ तुमिे िम!” “ मम्मी आपिा ह वेट िर रह हैं। आइए, मैं आपिो ले चलती हूँ।“ “नह ीं, लेखा। मैं उनिे अिेले समलूींगा। इि, दै ट इज ओिे पवद यू।“ “क्यों नह ीं, िर।“ लेखा िो यह बात अटपट तो लगी पर ज्यादा नह ीं। “टै ट्ि िाइन पवद मी।“ मेल निय िो भी शोभन ने ड्राँईंग रूम िे बाहर िे ह वापि भेज टदया। अींदर मीटटींग ज्यादा लींबी नह ीं चल । लगभग बीि समनट बाद शोभन खद ु व्ह लचेयर चलािर बाहर आए। मेल निय ने लपि​िर व्ह लचेयर िो थाम सलया।

“चलो, शींभन ू ाथ!” ड्राईवर िो ननदे श दे िर शोभन, लेखा िी तरि घम ू े। “तम् ु हार मम्मी तम ु िो बल ु ा रह है, लेखा।“

लेखा िे दो िदम अींदर रखते रखते वैन स्टाटय होिर वहाँ िे जा चि ु ी थी। लेखा िो कि​िी तूिान िे गज ु रने िा एहिाि हो रहा था।


ड्राइींग रूम में सिर झि ु ािर चप ु चाप बैठी उिी मम्मी और टे बबल पर रखा अनछुआ नाश्ते िा िामान इि​िी गवाह दे रहा था।

“क्या हुआ, मम्मी?” लेखा िी घबराहट बढ़ती जा रह थी। “शोभन िर भी बबना िुछ िहे आँधी िे ननिल सलए और यहाँ आप भी.....! िुछ गमायगमी हो गई क्या?”

मम्मी सिर झि ु ाए चप ु चाप बैठी रह । किर उन्होंने धीरे धीरे सिर उठाया। लाल आँखो िे आँिओ ु ीं िी आधी िख ू ी धार नीचे ति िैल हुई थी।

“मझ ु े तम् ु हार तबबयत गड़बड़ लग रह है। जो है बाद में बताना। अभी चलो डाॅक्टर िे पाि!”

“नह ीं र ! मैं ठीि हो जाऊँगी!” मम्मी जानती है?”

हल्िा िा मुस्िुराई। “ जीवन िो िागर क्यूँ िहते हैं,

लेखा ने मम्मी िे मुँह िे दाशयननिता िभी नह ीं िुनी थी। िमस्या उम्मीद िे ज्यादा बड़ी थी।

“नह ीँ। पवशाल होता है क्या इिसलए?“ “क्योंकि हम जीवन में िी गई गल्ल्तयों िो उि​िी लहरों में नछपाने िी िोसशश िरते हैं और िमुर िी तरह जीवन भी उन गल्ल्तयों िो दे र िबेर तट पर वापि िर जाता है।“ “िैिी गलती, मम्मी?” “ वह गलती नह ीं थी। तू मेरा नाम जानती है?” “हाँ। माला समश्रा।“ “िाॅलेज में स्टूडेंट्ि मुझे ‘माला मारडाला’ िहते थे। बबींदाि और बला िी खूबिूरत थी मैं, ऐिा मेरे रेन्र्डि िहते थे। मेरे घरवालों ने मेरे इि नेचर िो िभी स्वीिार नह ीं किया। मुझपर हमेशा पारीं पररि पहनावे और िम बोलने िा दबाव डाला जाता रहा। पर मैं

अपने

आप िो बदल नह ीं पाई।“

लेखा भौचक्िी थी। उिे अपनी मम्मी िे ऐिे पास्ट िी उम्मीद बबल्िुल नह ीं थी। वैिे कि​ि​िो होती है!

माला िी आँखें िपनील होती जा रह थी​ीं।


“िाॅलेज में मेरा बेस्ट रेंड िमल सशवपरु था। लोग मेरे िाथ उिे दे खिर ‘पटा सलया’ जैिी

िल्जतयाीं ि​िते थे, लेकिन न उि​िो ि​िय पड़ता था न मझ ु े। िमल ने िभी अपनी िीमा नह ीं लाँघी और न ह मैंने। पर धीरे -धीरे उि​िी इिी िोच ने मझ ु े अपना द वाना बना सलया। पर

वह प्रपोज वाला जमाना नह ीं था। लडकियों िे सलए तो ितई नह !ीं िमल िा ल्जगर रेंड था, शरत ् बोि। मैंने उि​िे जररए अपने टदल िी बात दबे छुपे लफ्ज़ों में िमल ति पहुँचाई। िमल ने खल ु िर तो िभी नह ीं िहा लेकिन हमारे बीच में एि हल्िी िुल्िी, उि जमाने

वाल रोमाींटटि ररलेशनसशप शरू ू हो गई। हम घम ू ने जाते थे तो शि िे बचने िे सलए शरत ् िो भी िाथ ले जाते थे। वह हमारा राजदार था।

वह हमारे ग्रेजुएशन िा िाइनल इयर था जब हमार गहर होती ररलेशनसशप में एि बड़ी दरार पैदा हो गई। िमल ने अपनी शाद तय होने िी खबर द । मेरे वो िारे

िपने टूट िर

बबखर गए जो मैंने िमल िे िाथ िजाए थे। मुझे िमल िे ऐिी उम्मीद नह ीं थी। शरत ् ने

भी िमल िो बहुत भला बरु ा िहा। उि​िे िींबध ीं ति तोड़ सलए। मेरा अब ज्यादातर वक़्त अिेले या शरत ् िे िाथ बीतता था। दे खते दे खते िमय बीत गया और िाइनल एग्जाम्ि ् िे बाद हमारा िेयरवेल डे भी आ गया। वह हम िबिे एि​िाथ समलने िा आखखर टदन था।

िबिी िबिे िाथ िोटो खी​ींचने िी होड़ लगी थी और मैं िमल िा िामना टालने िे रास्ते ढूँढ रह थी। तब शरत ् एि बार किर मेरा तारनहार बना। हम लोग खाने िी प्लेटें लेिर ऐिे िुनिान िोने में बैठ गए जहाँ िमल तो क्या, कि​िी िे भी आने िी िींभावना जीरो थी।

वहाँ मुझे ल्जींदगी िा दि ू रा झटिा लगा, पहले वाले िे भी बड़ा! शरत ् ने मुझे प्रपोज किया। मैं हक्िी-बक्िी रह गई। मैंने उि​िो डाँटा कि ऐिा तुमने िोचा ह िैिे! तब वह बेशमों िी तरह हँि िर बोला कि आज िे बाद तो समलना होगा नह ीं

इिीसलए तू आज ह िच िुन ले। उि​िे अनुिार वह पहले टदन िे ह मुझे चाहता था पर मै

उिे दे खती ति नह ीं थी। मैं उि वक्त थोड़ा बहुत बहुत िमल िे िाथ समलती थी तो उिने िमल िे मेरे सलए दोस्ती गाँठी। यह जानने िे बाद भी कि िमल में मेरे प्रनत िोई रोमाींटटि इींटरे स्ट नह ीँ है, उिने िमल िो रोमाींटटि ररलेशनसशप िे सलए सि​िय यह िहिर उि​िाया कि

वनाय मेरा टदल टूट जाएगा। पर िीधे िादे िमल िो यह िब ऑड लगता था तो उिने िमल िो शाद तय िा झठ ू ा आईडडया दे िर उि​िो री िरा टदया और मेरा टदल तोड़ टदया।

उि​िे टहिाब िे अब मैं उि​िी ओर आिृष्ट हो ि​िती थी। पर ऐिा हुआ नह ीँ। और अब मौिे िा िमय भी जा चि ु ा था। पर उि टदन शरत ् पर मझ ु े हासिल िरने िा भत ू िवार था।


उिने

भागने िे पहले ह

बलात्िार!”

मझ ु े उि िन ु िान िोने में जिड़ सलया और.....मेरा रे प किया!

माला िे मह ँु िे एि तेज सि​ि​िी िूट । पर उिने अपने आप िो िँभाल सलया। िहानी अभी बािी थी। लेखा अपनी मम्मी िे इि टहींि​ि पास्ट िो जानिर स्तजध रह गई थी। कितना िुछ िहा

था उि​िी मम्मी माला ने! पर इन िबिा शोभन िरिार िे ऑिर िे क्या िींबध ीं था? जवाब समलने वाला था। क्योंकि माला ने खोई खोई आवाज़ में िहानी जार रखी थी। “उि भयानि हादिे िे मैं बेहोश हो गई थी। जब मुझे

होश आया तो िेयरवेल खत्म हो

चुिी थी और िभी घर जा चि ु े थे। अस्त-व्यस्त हालत में मैं कि​िी तरह घर पहुँची। माँ

पापा और बहन िो िारा किस्िा िुनाया और शरत ् िे खखलाफ पुसलि िींप्लेंट िरने िे सलए उनिे मदद माँगी तो िबने मेर ड्रेिेज और नेचर िो िारर् बतािर मुझे ह दोषी ठहरा

टदया। उन्होंने पुसलि िींप्लेंट िरने िो ह मना िर टदया क्योंकि बात बाहर जाने िे मेर

और बहन िी शाद में रुिावट पड़ ि​िती थी। मैंने िमल िो िोन किया पर आवाज़ िुनते

ह िमल ने िोन िाट टदया। गस् ु िे में पागल होिर मैंने शरत ् िो िोन समलाया और उि​िो जमिर गासलयाँ िन ु ाईं। पुसलि िाययवाह िी धमिी िुनते ह उि​िे होश िाख्ता हो गए।

पर उिने एि बात िह ल्जिने मेरे िेि िो होपलेि बना टदया। वह बोला कि मैं िहूँगा कि तू खुद मुझे लेिर गई थी और ये िबने दे खा था। उि​िी बात में दम था। मैं िमझ गई थी कि पुसलि िेि िे िुछ हासिल नह ीं होगा।“ “किर क्या आपने हचथयार डाल टदए?” “डालने ह पड़े। पर िुछ हद ति मेरा िाम हो गया था। बाद में पता चला कि मेरे फोन और उिपर शरत ् िे ररएक्शन ने, अपने माता-पपता िे िामने उि​िी पोल खोल द थी।

उि​िो िब िुबूल िरना पड़ा और उि​िो इि िुिृत्य िे सलए घर िे ननिाल टदया गया

हालाींकि वह इिलौती िींतान था। इधर एि डेढ़ मह ने बाद पता चला कि मुझे गभय ठहर गया है।“

“किर क्या आपने एबाॅशयन िराया?” “इतना आिान िहाँ था? डॉक्टर िे पाि जाना भी ये न्यज़ ू ब्रोडिास्ट िराने जैिा था। पहले घर में ह पपीते िे बीज खाने

जैिे िई दे शी ईलाज चले। जब िब बेअिर रहे तो दरू िे

शहर में एि डॉक्टर िो पवल्जट किया गया। पहले तो डॉक्टर ने ज्यादा टदन हो जाने िे


िारर् िाि मना िर टदया लेकिन किर ज्यादा िहने पर एडसमट िरने िो राजी हो गया। पर उिने

माँ िो जान िो खतरा बताया तो मैंने मना िर टदया। मैंने िींतान िो जन्म दे ने

िी ठान ल थी। घर में इि​िा तेज पवरोध हुआ और आखखरिार मझ ु े घर िे ननिाल दे ने िी धमिी समल । मैंने एक्िेप्ट िर सलया और घर िे मेरे िारे िींबींध टूट गए। अब मेरे पाि एिमात्र टठिाना मेर बचपन िी िहे ल पष्ु पा थी।“ “पष्ु पा मौिी? वह अपनी पष्ु पा मौिी?”

“हाँ, वह अपनी पष्ु पा मौिी! उिने मझ ु े िार बातें

पहले न बताने पर बहुत डाँटा। किर उिने मझ ु े अपने

गाँव भेज टदया। जहाँ

लगभग छः

मह ने बाद तुम पैदा हुई।“

“मैं!” िहानी िुनने में लेखा यह भूल गई थी कि यह िार बात उिी िे िींदभय में हो रह थी।

यानी वह एि ‘रे प चाइल्ड’ थी, बलात्िार िी िींतान! उि​िे पपता उि​िे बचपन में ह मरे नह ीं थे। वह िार िहानी मनगढ़ीं त थी। “शाॅक्ड?” माला ने सिर उठािर लेखा िो दे खा। “पता नह ीं मुझे तुमिो ये िब बताना भी चाटहए था या नह ीं!” “ मैं

ऑबपवयिल शाॅक्ड हूँ। पर आप ल्जतनी नह ।ीं आपने जो डडिीजन सलया उिी िे

िारर् तो मैं आज हूँ। वनाय मैं तो इि दनु नया में आती ह नह ीं। किर क्या हुआ?”

“किर क्या होना था। िुछ टदन मैं गाँव में रह , िुछ टदन पुष्पा िे पाि और किर मेरे पाि यहाँ िे

स्िूल जाॅब िा ऑिर आ गया और मैं यहाँ आ गई। नन्हे भी गाँव िे ह मेरे

िाथ आ गया था। तो िोई खाि िमस्या नह ीं हुई।“ “और आपिी िैसमल ?”

“पुष्पा ने पता किया था। वो किराए िा घर था। छोड़िर िहाँ चले गए ये कि​िी िो नह ीं पता। और िच पछ ू ो तो मैं जानना भी नह ीं चाहती।“

मन िा गब ु ार ननिलने िे तनाव भी िम हो रहा था। दोनों हल्िा महिूि िर रहे थे। “मम्मी, आप.... िुपर वूमेन िे भी िुपर हैं।“ लेखा अपनी मम्मी िे परू तरह इम्प्रेि हो चि ु ी थी। “पर आपिी िहानी में शोभन िरिार िहाँ किट होते हैं?” “शरत ् िो जब घर िे

ननिाल टदया गया था तो उि​िे अपववाटहत ताऊ ने उिे अपने पाि

ब्रुिेल्ि बुला सलया था।“ माला अब पहले जैिी पवश्वाि िे भर नजर आ रह

थी। “कि​िी

भी पववाद िे बचने िे सलए उन्होंने अपने प्रभाव िे शरत ् बोि िा नाम ल गल बदलवा


िर...... शोभन िरिार िरा टदया। उि​िे ताऊजी एि आकियटे क्ट थे और शोभन ने भी ब्रि ु ेल्ि में आकियटे क्चर पढ़ने िे बाद उनिे अींडर में ह िाम शरू ु किया था। “

लेखा धम्म िे िोिे पर बैठ गई। उि​िे सलए ये झटिा ज्यादा बड़ा था कि शोभन िरिार उि​िा पपता था और वह एि रे पपस्ट था। “ये....ये तम ु िो

िैिे पता?”

“उिने खद ु बताया।“ अब माला िी बार थी लेखा िे सिर पर हाथ किराने िी! “ मैं उि​िो दे खते ह पहचान गई थी।“

“वो आपिो दे खिर नह ीं चौंिा?” “उिे पता था।“ “पता था? िैिे? और िबिे?” “ ल्जि टदन वह ‘वेलिम स्पीच’ दे ने आया और उिने तुमिो दे खा, तबिे! तुम भूल गई कि तुम मेरा यींगर वजयन लगती हो।” माला अपनी मुलािात िे डडटे ल दे रह थी। “शोभन िर....िार िो पता है कि मैं उनिी ह बेट हूँ?” “पता था।“ “िैिे?” लेखा िो इि बात पर गस् ु िा आ रहा था कि इतने टदनों ति वह इि ित्य िे

अींजान थी पर शोभन इि त्य िो जानता था। “ मैं तुम्हार बेट हूँ, जान गया, ठीि है, पर पपता वह है ये उिे िैिे पता?”

“तुम्हारे िाॅम्िय मे ‘पपता’ वाला िाॅलम खाल रहता है । और वह दो बार खद ु यहाँ आिर िार जानिार ले जा चुिा है। ऐिा उिन खुद िबल ू ा है।“

“यानी उि​िा मुझे शेयर दे ना अपनी बेट िो शेयर दे ना था!” “वह इि​िे इींिार िरता है। उि​िे अनुिार तुमिो नौिर अपने िारर् समल और तम् ु हारे प्रोबेशनर पीररयड िी ररपोटय उि​िे स्टाि ने बनाई, ल्जिमें तुम्हारे िाम िी जबरदस्त

तार ि थी।“ न जाने क्यों, लेखा िो लग रहा था मानो माला, शोभन िो डडिेंड िर रह हो। “

तुमिो िोर ट म में जगह भी सि​िय तुम्हारे टै लेंट िे िारर् समल । और रह शेयर ट्राँि​िर िी बात तो उि​िे अनुिार अगर उि​िा एक्िीडेंट नह ीं हुआ होता तो शेयर ट्राँि​िर िी बात िभी


उठती ह नह ीं। उिने यहाँ ति िहा कि अगर लेखा अपने िे ज्यादा डडजपविंग िैं डीडेट िा नाम बता दे तो शोभन, शेयर उिी िे नाम ट्राँि​िर िर दे गा।“ “उिने िाॅर बोला?” “एि बार भी नह !ीं ” लेखा िुछ पलों िे सलए गहर िोच में डूब गई। “इि मीटटींग िे बाद तम ु क्या चाहती हो, मम्मी?” “दे ख, जो

ननर्यय तू लेगी, वह डडिीजन मेरा होगा। िच्चाई जानने िे बाद मेरा िोई भी

डडिीजन पक्षपात वाला लगेगा। मैं चाहती थी।“

इिी टदन िे डर िे तुझे

आकियटे क्चर िे दरू रखना

“ठीि, मम्मी। बिमझ गई। मैं अपना डडिीजन ....” िोन िी उि खाि ररींगटोन ने लेखा िी बात िो बीच में ह रोि टदया। “िोई बहुत खाि बात हो तभी बोलना, रमी।“ लेखा ने हे लो बोलने ति िी जहमत नह ीं उठाई। “अरे , खाि िी भी खाि है! माँ मान गईं हैं हमार शाद िो।“ रमन खुशी िे मानो चीख रहा था। “वो आज ह तम् ु हार मम्मी िे समलना चाहती हैं। बोलो िब आएीं?”

“आज मम्मी जरा बबजी हैं। आज मैं और तुम समल लेते हैं। किर मल्म्मयाँ भी

समल लेंगी।

ठीि है?”

“अ... जैिा तुम िहो। समलते हैं किर तीन बजे!” “ऑल राइट। तीन बजे , नतलि चौि पपत्जा हट।“ लेखा बहुत बहुत तेजी िे बदलती दनु नया िे नए-नए रूप दे ख रह थी। और अब वह इि खेल िे ननयम भी िमझ रह थी।

“लेखा लेखा लेखा, मैं बता नह ीं ि​िता कि आज मैं कितना खुश हूँ!” रमन बैठै-बैठे भँगड़ा िर रहा था। “अब हमारे बीच में िोई द वार नह ीं है।“


“मैं भी तम ु िो एि खश ु खबर दे ना चाहती हूँ। ल्जि शोभन िरिार िे तम ु इतना जेलि िील िरते हो, मैंने उि​िी नौिर छोड़ने िा िैिला िर सलया है।“ “व्हाट! पागल हो गई हो क्या? अरे , वो तम् ु हारे नाम बबसलयींि िे शेयर ट्राँि​िर िर रहा है , और तम ु िींपनी छोड़ने िी बात िर रह हो! क्यों?” “क्योंकि शोभन िरिार एि रे पपस्ट है।

उिने। िालों पहले रे प किया था मेर मम्मी िा

और मैं उि रे प िा नतीजा हूँ; ए रे प चाइल्ड!” लेखा िी िुि​िुिाहट में एि चीख थी! “िालों पहले! और अब वो उि​िा प्रायल्श्चत िर रहा है। अरे , प्रायल्श्चत िा हि तो हत्यारे िो भी होता है किर ये तो सि​िय एि रे प था। मेरे ख्याल िे तो उि​िे शेयर न लेिर तुम उनिे िाथ अन्याय िरोगी। अरे , कि​ि बात िी है इतनी अिड़? जरा िोचो, अगर वह रे प नह ीं होता तो तुम भी नह ीं होती।“ लेखा बड़े गौर िे रमन िी बाॅडी लैंग्वेज दे ख रह

थी और एि एि शजद िन ु रह थी।

“िोई नह ीं!” लेखा िीररयि थी। “ अब तो मुझे जो िरना था मैंने िर टदया। अब माँ िो िब मेरे घर भेज रहे हो? िल मम्मी पूरा टदन री हैं।“ “ दे खता

हूँ। पहले मम्मी िो ये िार बातें बताऊँगा, किर दे खो वो क्या िहती हैं।“

“यानी तुमने मुझे अरबों िे शेयर समलने वाल बात भी माँ िो बता द थी। है न? मैंने तुमिे बात अपने ति ह रखने िो िहा था न!”

“माँ िो ह तो बताया न! तुमने भी तो अपनी मम्मी िो.....!” “छोडो न। िल माँ िो भेजने िा िोचो। कितने बजे? याSSS मै मम्मी िो भेज दँ ू तुम्हारे घर?”

“िोई िायदा नह ीं। अब मम्मी नह ीं

मानें गी।“

“तो चल भाग चलते हैं।“ “गीतो पर बीत जाएगी। और अब तेरे पाि तो जाॅब भी तो नह ीं रहे गी।“ “यानी अभी हमार शाद नह ीं हो ि​िती।“ “तुरींत तो नह ीं।“


“ठीि है, चलती हूँ। वैिे मैं यहाँ रे प िी वजह िे नह ीं हूँ, रमन। मैं इि वजह िे हूँ क्योंकि मेर मम्मी ने, अपने पररवार िे लड़िर मझ ु े इि दनु नया में लाने िा िाहि किया। और हाँ, बलात्िार िा िोई प्रायल्श्चत नह ीं होता, पववाह भी नह ीं! एि िैननि भी दश्ु मन िो जान िे

मारता है तो यश पाता है, पर दश्ु मन िी ल्स्त्रयों िा बलात्िार िरता है तो घर में भी अपयश ह पाता है। और रे प एि रे प ह होता है ‘सि​िय एि रे प’ िभी नह ीं होता। गड ु बाय, रमन!” लेखा जाते-जाते रुिी और रमन िे पाि वापि आई। “वैिे, मैंने शेयरों िो अभी न नह ीँ किया है। बि, चेि िर रह

थी तम् ु हे ! और ये रे प िो

जल्स्टिाई िरने वाल मानसि​िता छोड़ दो। वनाय मौिा समला तो िर बैठोगे।“ “अरे , लेखा, िन ु तो ...... िुनो तो...!”

पर इि बार लेखा नह ीं मुड़ी। उिने अब पीछे मुड़ िर न दे खने िा िैिला िर सलया था।

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“िर, लेखा जी आपिे समलने आई है।“ “ अींदर भेजो।“ शोभन िो िोई आश्चयय नह ीं हुआ। उि​िो पता था कि लेखा आज िा िाम, िल पर छोड़ने

वालों में िे नह ीँ है! और उिे लेखा िा जवाब भी पता था। अगर माला िा िोन पहले आया होता तो िुछ उम्मीद भी थी, पर अब नह ीं। वह लेखा िा स्वभाव जानता था। “गड ु माननिंग, िर।“ “वेलिम, लेखा। िीधे प्वाइींट पर आते हैं। क्या डडिीजन है तुम्हारा और तुम्हार माँ िा?” “मम्मी िो आपिे तिय िुछ हद ति िह लगे। तो उन्होंने िोई डडिीजन न लेिर मुझे अपनी पाॅवर ऑि एटॉनी दे द ।“ “तो अपना डडिीजन बताओ।“ “रे प िा िोई मआ ु वजा नह ीं होता, िर। न पैिा, न मान, न जान !” शोभन एि समनट ति सिर झि ु ा िर खामोश रहा। अपनी बेट िे मँह ु िे रे प िा ल्जक्र िन ु ना आिान नह ीं था। “यह मआ ु वजा नह ीं है।“ लेखा चप ु रह । “ये माला .... िाॅर , तुम्हार मम्मी िे पवचार हैं?” “ वे ऐिा िमझती​ीं तो न िह चि ु ी होती​ीं।“ “इि​िा कि​िी भी और घटना िे िोई िींबींध नह ीँ है।“ “अभी ति नह ीं, िर, पर हाँ िरूँगी तो हो जाएगा।“ “तो तुम शेयिय नह ीं लोगी, लेखा।“ “लँ ूगी।“ शोभन िो इतना आश्चयय जीवन में

पहले िभी नह ीं हुआ था।


“आई िाींट बबल व टदि!” “ आपने जो िुछ मम्मी िे िहा उिमें िच्चाई थी। पर मेर शतें पहले िन ु ल ल्जए।“ “एनीचथींग, एनीचथींग!” अप्रत्यासशत खश ु ी िे अनतरे ि में शोभन िी आँखें छलछला आई थी​ीं। गला रुीं ध गया था।

“आप शेयर मेरे नाम ट्राँि​िर नह ीं िरें गे, विीयत िरें गे, ताकि आपिे जीते जी शेयर मझ ु े न

समलें और आपिे पाि भी विीयत बदलने िा मौिा रहे । इि दौरान आप जानबझ ू िर मरने िी िोई िोसशश नह ीँ िरें गे। मझ ु े ऐिा लगा तो मैं आपिे बाद भी शेयर लेने िे इींिार िर दँ ग ू ी। मैं

इि िमय में पहले िी तरह िाम िरती रहूँगी।

सि​िय अपनी

और िबिे इम्पाॅरटें ट बात, मैं

मम्मी िी बेट हूँ। आप िी सि​िय एम्प्लाई हूँ। आप मुझिे या मम्मी िे िोई

ररश्ता जोड़ने िी िोसशश िभी नह ीं िरें गे।“ “डन!” शोभन रुीं धे हुए गले िे बोला। “ओिे, िर। मेर टुमारो, िर! “ लेखा िे िदमों िे

छुट्टटयों िैं िल िर द ल्जए। मैं िल िे र्डयूट ज्वाएन िर रह हूँ। िी यू दरवाजे िी तरि बढ़ चल ।

“लेखा!” लेखा ने मुड़ िर शोभन िो दे खा। “यि िर?” “ मैं जानता हूँ कि ये तुम्हारा ओररजनल डडिीजन नह ीँ था। व्हाट मेड यू चें ज योर डडिीजन? क्यों बदला इिे?”

“आपने मम्मी िे िाॅर नह ीँ िहा। मािी माींगने िी िोई िोसशश नह ीँ िी। आप मानते हैं कि रे प िी िोई

मािी नह ीं

होती। िोई मुआवजा नह ीं होता।“

इि बार भी लेखा ने पीछे मुड़िर नह ीं दे खा। ल्जींदगी पाींिे िेिती रहे , उिने बाजी जीतना िीख सलया था।

--------समाप्त---------



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