श्री
अच्युतं केशवम ् रामनारायणम ् कृष्ण दामोदरं वासुदेवं हरिरम ्
श्रीधरं माधवं गोिपिका वल्लभम ् जानकीनायकं रामचन्द्रं भजे
ॐ सहरनाववतु, सहरनौ भन ु क्तु सहर वीयर्यम ् करवावहरै तेजिनास्वनावधीतमस्तु मा िविषाद्वषावहरै ॐ शािनान्तः शािनान्तः शािनान्तः
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ॐ ब्रह्मापिर्यणं ब्रह्मा हरिवब्रर्यह्माग्नौ ब्रह्मणाहरुतं ब्रह्मैव तेना गन्तव्यंब्रह्म कमर्य समािधना।। ऊँ पिूणम र्य द: पिूणिर्य मदं पिूणार्यत्पिूणम र्य ुदच्यते। पिण र्य य पिण र्य ादाय पिण र्य ेवाविशष्यते।। ू स् ू म ू म इसके बाद तीन बार ऊँ शांित: शांित: शांित: बोलें । साथ हरी शारीिरक, मानिसक व आर्थिथर्यक पिरे शािनयो से छुटकारे की कामना करें ।
आसान उपाय: वक्त की कमी हो तो ये 32 नाम बोल करे दे वी भक्ति 봿क्त
(1)दग र्य च्छे िषादनी (5)दग र्य ािधनी (6)दग र्य ािशनी (7)दग र्य ोद्धािरणी ु ार्य (2)दग ु िर्य तर्यशमनी (3)दग ु ार्यपििषाद्विनवािरणी (4)दग ु म ु स ु न ु त (8)दग ु िर्य नहरन्त्री
(9)दग र्य ापिहरा ु म
(14)दग र्य ात्मस्वरूपिपिणी ु म (19)दग र्य ध्यानभािसनी ु म
(10)दग र्य ज्ञानदा ु म
(15)दग र्य ागर्यप्रदा ु म (20)दग र्य ोहरा ु म
(11)दग र्य ै त्यलोकदवानला ु द
(16)दग र्य िवद्या ु म
(21)दग र्य गा ु म
(12)दग र्य ा ु म
(17)दग र्य ािश्रता ु म
(22)दग र्य ाथर्यस्वरूपिपिणी ु म
(13)दग र्य ालोका ु म
(18)दग र्य ज्ञानसंस्थाना ु म
(23)दग र्य ासरु संहरन्त्री ु म
(24)दग र्य ायध र्य ांगी (26)दग र्य ता (27)दग र्य या (28)दग र्य ेश्वरी (29)दग र्य ीमा (30)दग र्य ामा ु धािरणी (25)दग ु म ु म ु म ु म् ु म ु भ ु भ (31)दग र्य ा (32)दग र्य ािरणी ु भ ु द
सायं ज्योितः पिरं ब्रह्म दीपिो ज्योितजर्यनादर्य नः । दीपिो हररतु मे पिापिं सन्ध्यादीपि नमोऽस्तु ते ।।
शभ ु ं करोतु कल्याणं आर्थरोग्यं सख ु सम्पिदाम ् । मम बुिद्धप्रकाशं च दीपिज्योितनर्यऽस्तु ते ।।
आर्थपिकी शादी, संतान, पिैसा, मत्ृ यु हरर बात मालुम हरो जाती हरै इनसे कंु डली, 12 खानो एक ऐसा चक हरै िनाजसमें हरमारा जीवन उलझा हरुआर्थ हरै । इन्हरीं 12 भागो में ग्रहरो की िनास्थित हरी हरमारा भाग्य बनाती हरै और िबगाड़ती भी हरै । जािनए कंु डली का कौन भाव हरमारे जीवन के कौन से क्षेत्र को प्रभािवत करता हरै -
कंु डली का प्रथम भाव अथार्यत ् लग्न को तनु कहरा जाता हरै । इस भाव से व्यिनाक्त का स्वरूपपि, जाित, आर्थयु, िववेक, िषादमाग, सुख-दख ु आर्थिषाद के संबंध में िवचार िकया जाता हरै । इस भाव का स्वामी सूयर्य हरै ।
िषाद्वतीय भाव को धन का भाव माना जाता हरै । इस घर का स्वामी गर ु ग्रहर हरै । धन भाव से हरमारी आर्थवाज, सौंदयर्य, आर्थंख, नाक, कान, प्रेम, कुल, िमत्र, सुख आर्थिषाद बातो पिर िवचार िकया जाता हरै ।
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तत ृ ीय भाव सहरज भाव कहरलाता हरै । इसका स्वामी मंगल हरै । इस भाव से पिराकम, कमर्य, साहरस, धैयर्य, शौयर्य, नौकर, दमा बीमारी आर्थिषाद पिर िवचार िकया जाता हरै ।
चतुथर्य भाव को सहृ ु द भाव कहरलाता हरै । इसका स्वामी चंद्र हरै । इस भाव से सख ु , घर, ग्राम, मकान, संपििनात्त, बागबगीचा, माता-िपिता का सुख, पिेट के रोग आर्थिषाद पिर िवचार िकया जाता हरै ।
पिंचम भाव को पित्र ु भाव कहरा जाता हरै । इसका स्वामी गर ु हरै । इस भाव से बिु द्ध, िवद्या, संतान, मामा का सख ु , धन िमलने का उपिाय, नौकरी आर्थिषाद पिर िवचार िकया जाता हरै ।
षष्ठ भाव को िरपिु भाव कहरा जाता हरै । इसका स्वामी मंगल ग्रहर हरै । इस भाव से शत्रु, िचंता, संदेहर, मामा की िनास्थित, यश, ददर्य , बीमािरयां आर्थिषाद पिर िवचार िकया जाता हरै ।
सप्तम भाव को स्त्री या जाया भाव कहरा जाता हरै । इस भाव से स्त्री, मत्ृ यु, काम की इच्छा, सहरवास, िववाहर, स्वास्थ्य, जननेंिषाद्रय, अंग िवभाग, व्यवसाय, बवासीर आर्थिषाद पिर िवचार िकया जाता हरै ।
अष्टम भाव को आर्थयु भाव कहरा जाता हरै । इस भाव का स्वामी शिन हरै । इस भाव से व्यिनाक्त की आर्थयु पिर िवचार िकया जाता हरै । साथ हरी जीवन, मत्ृ यु का कारण, िचंताएं, गप्ु त रोग के संबध ं में िवचार िकया जाता हरै ।
नवम भाव को धमर्य कहरा जाता हरै । इसका स्वामी गर ु हरै । इस भाव से धमर्य-कमर्य, िवद्या, तपि, भिनाक्त, तीथर्य यात्रा दान, िवचार, भाग्योदय, िपिता का सुख आर्थिषाद पिर िवचार िकया जाता हरै ।
दशम भाव को कमर्य भाव कहरा जाता हरै , इसका स्वामी बुध हरै । इस भाव से कमर्य, अिधकार, नेतत्ृ व क्षमता, ऐश्वयर्य, यश, मान-सम्मान, नौकरी आर्थिषाद पिर िवचार िकया जाता हरै ।
एकादश भाव को लाभ भाव कहरा जाता हरै । इसका स्वामी गर ु ग्रहर हरै । इसके द्वारा संपििनात्त, ऐश्वयर्य, मांगिलक कायर्य, वाहरन आर्थिषाद पिर िवचार िकया जाता हरै ।
द्वादश भाव को व्यय भाव कहरा जाता हरै । इसका स्वामी शिन हरै । इससे दं ड, व्यय, हरािन, रोग, दान, बाहररी संबध ं आर्थिषाद पिर िवचार िकया जाता हरै । आयुवेद एक सम्पूण र िवज्ञान ि 봿जिसमे हमारे खाने पीने से लेकर उठने बैठने के िनयमो को िदन एवं ऋतु के अनुसार िवस्तार से बताया गया है ,शायद ही कोई ऐसी िचिकिकत्सा पद्धतित हो ि 봿जिसका इतितहास जिीवन शैली के िनयमो की
बाध्यता से जिुड़ा हो, हमे इतस बात का गवर होना चिकािहए िक हम एक ऐसी संस्कृित के संवाहक है, ि 봿जिसका पूरी दिु नया दे र से ही सही अनुकरण करने को बाध्य होती है । ऐसी ही जिाड़ो मे आपकी िदनचिकयार और ऋतुचिकयार का सन्दभक्तर हम आयुवेद के महान ग्रन्थ वाग्भक्तट रिचिकत अष्टांग संग्रह सूत स्थान के ऋतुचिकयार नामक अध्याय से लेकर आये है,
ि 봿जिनका अनुपालन आपको केवल रोगो से ही मुक्त नहीं करे गा अिपतु शरीर को रोगो से लडऩे की क्षमता भक्ती प्रदान 3
करे गा। कहते है, िक जिाड़ो मे शरीर की उष्मा ठं डी हवा से तािड़़त होकर शरीर के अन्दर प्रवेश करती है ,यह उष्मा शरीर की
मूल अि 봿ग्न जिठराि 봿ग्न मे शांत िपंडीभक्तूत अि 봿ग्न कीउष्मा को और तेजि कर दे ती है ,अब आप ही सोिचिकए यिद आग तेजि हो तो उसकी ति 봿ृ प्त के िलए पुि 봿ष्ट दे ने वाले आहार की आवश्यकता तो पड़ेगी ही न और अगर ऐसा न हुआ तो तो
अि 봿ग्न की यह उष्मा या तो नष्ट हो जिायेगी या तीक्ष्ण होकर इतधर-उधर जिाकर शरीर की धातुओं को पचिकायेगी और धातुओं का क्षय करे गी।
ि 봿जिससे शरीर कमजिोर हो सकता है । साथ ही जिब मौसम मे पिरवतरन होता है तो बीमािरयां हावी हो जिाती है ।इतसिलए कहा गया है ,जिाड़ो मे ि 봿स्नग्ध,मधरु ,अम्ल एवं लवण रसो का सेवन करे , गड़ ु एवं गड़ ु से बने पदाथर जिैसे: चिकक्की,उड़द की दाल,दध ू मे ू से बनी िमठाईयो का सेवन करे । इतस ऋतु मे व्यायाम,उद्वतरन,अभ्यंग (मािलश ),अंजिन एवं धप बैठना चिकािहए, घर के भक्तीतर अंगीठी या आजिकल हीटर को शय्या के पास सावधानी से रखकर उष्ण ता का सेवन करना चिकािहए।
शरीर की शिु द्धत के िलए स्नान आिद िनत्य िक्रियायो मे उष्ण जिल का प्रयोग करना चिकािहए ..इततना ही नहीं इतस ऋतु मे पीनांगनांगसंसगर िनवािरत: िहमािनल:..कहकर स्ती संसगर को भक्ती उत्तम बताया गया है .,हाँ इतस ऋतु जिनवरी से लेकर फरवरी (माघ) और फरवरी से लेकर माचिकर (फाल्गुन ) मे सूयब र ल पूण र, चिकंद्रबल क्षीण ,भक्तम ू ंडल का स्वभक्ताव
रूक्ष,सारे द्रव्यो मे स्वाभक्तािवक रूप से ितक्त रस की विृ द्धत,प्रािण यो का बल श्रेष्ठ एवं कफदोष का संचिकय होता है , अत: इतसके अनुसार ही िदनचिकयार एवं ऋ तचिक ु यार का अनुपालन करना चिकािहए।
अश्वगंधा एक झाड़ीदार पौधा है ।
आयुवेद मे इतस पौधे को बहुत ही उपयोगी माना गया है । इतसकी जिड़े नर,नारी ,बालक ,बुजिुगर सबके िलए एक टॉनिनक का काम कर दे ती है । जिड़ो के चिकूण र का सेवन अगर तीन महीने तक बच्चिको को करवाया जिाए तो कमजिोर बच्चिको के
शरीर का सही िवकास होने लगता है । यह जिड़ी सभक्ती प्रकार के वीयर िवकारो को िमटा करके बल-वीयर बढाता है । साथ ही धातुओं को भक्ती पुष्ट करती है । साथ ही नसे भक्ती सग ु िठत हो जिाती है। लेिकन इतससे मोटापा नहीं आता। गिठया, धात,ु मत ू तथा पेट के रोगो के िलए
यह बहुत उपयोगी है । इतससे आप खांसी, सांस फूलना तथा खजि ु ली की भक्ती दवा बना सकते है । इतसका आप अगर
िनयिमत सेवन शरू ु कर दे तो आपकी रोग-प्रितरोधक क्षमता बढ जिायेगी ि 봿जिसका दरू गामी पिररण ाम यह होगा िक आप लंबे समय तक यव ु ा बने रहे गे बढ़ ु ापे के रोग आपसे काफी समय तक दरू रहे गे।
मिहलाओं िक बीमारी मे यह जिड़ काफी लाभक्तकारी है । इतसके िनयिमत उपयोग से नारी की गभक्तर-धारण की क्षमता बढती है ,प्रसव हो जिाने के उपरांत उनमे दध ू िक माता भक्ती बढती है तथा उनकी श्वेत प्रदर,कमर ददर एवं शारीिरक
कमजिोरी से जिड़ ु ी सारी समस्याएं दरू हो जिाती है। इतसके िनयिमत सेवन से िहमोग्लोिबन तथा लाल रक्त कण ो की सख्या मे विृ द्धत
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अनेक रोगो की एक दवा:घी के साथ खसखस का योग कर दे ग ा कमाल कुछ बीमािरयां ऐसी होती है , जिो लगातार दवाएं लेने के बाद भक्ती ठीक नहीं होती है । ऐसी बीमािरयो को दरू करने के
िलए आयुवेद मे कुछ योग बताएं गए है। गंभक्तीर बीमािरयो मे ये नुस्खे एक मात उम्मीद होते है। वाकई मे ये नुस्खे
काम भक्ती करते है इतन्हे आयुवेद की भक्ताषा मे रासायन कहा जिाता है । ऐसा ही एक योग है अमत ृ संजिीवनी रासायन योग ि 봿जिसे आप घर पर ही बनाकर कई जिानलेवा बीमािरयो का इतलाजि कर सकते है।
बनाने की िविध और सामग्री - अमत ृ ा, खस, नीम की छाल, मछे ली, अडूसा, गोबर मुदपण ी, सेमल, मूसली, शतावर,
सभक्ती को अलग-अलग कर एक िकलो लेकर जिौकुट करके आठ गुने पानी मे पकाएं। जिब पानी 4 भक्ताग शेष रह जिाएं। तब एक िकलो गड़ ु (िबना मसाले का) अडूसा, शतावरी, आंवला, मछे ली का कल्क प्रत्येक 160-160 ग्राम-काली गाय के घी मे धीमी आंचिक पर पकाएं।
घी मात जिब शेष रह जिाए तो छानकर खस, चिकंदन, ितजिातक, ितकुटा, ितफला, ितकेशर ( नागकेशर, कमल केशर)
वंश लोचिकन, चिकोरक, सफेद मुसली, असगंध, पाषाण भक्तेद, धिनया, अडूसा, अनारदाना, खजिूर, मुलैठी, दाख, िनलोफर, कपूर, शीलाजिीत, गंधक सभक्ती दस-दस ग्राम लेकर कपड़छन करके उपरोक्त घी मे िमला दे ।
माता-सब ु ह खाली पेट 10 ग्राम घत ू मे डालकर सेवन करे और एक घंटे तक कुछ भक्ती ना खाएं। ृ गौ- दध गुण -सभक्ती प्रकार के कै सर मे प्रथम व िद्वतीय अवस्था तक के अलग-अलग अनुपान से, पुराना गिठया, घुटनो मे
सुजिन व ददर , साइतिटका, अमाशय मे िपतरोग, नामदी, शुक्रिाण ु का अभक्ताव, शीघ पतन, पागलपन, अवसाद, िबगड़ी हुई खांसी, गलगंड, पीिलया, वात रोग, रक्तरोग, रसायन, वाजिीकरण , श्वास रोग, गले के रोग, हृदय रोग, िपताशय की
पथरी मे लाभक्तकारी। जिो स्ती रजिोदोष से पीिड़़त हो, ि 봿जिस स्ती के रजिनोप्रविृ त प्रारं भक्त ही न हुई हो, जिो कष्ट पीिड़़त हो तथा ि 봿जिन ि 봿स्तयो को बार-बार संतान होकर मर जिाती हो, उन सभक्ती को राहत िमलेगी। मािसक धमर शरू ु होकर
बीचिक मे ही बंद हो गया हो और अनेको औषधी व मंतो के प्रयोग से संतान उत्पन्न न हुई हो उन्हे िनि 봿श्चिकत ही संतान होगी।
हरींग और गुड़ का असरदार ये प्रयोग कर दे गा गैस और एसीिडटी की छुट्टी
कहते है अगर हींग का सही तरीके से उपयोग िकया जिाए तो यह कई बीमािरयो की दश्ु मन है । वैद्यो का मानना है िक हींग को हमेशा भक्तन ू कर उपयोग मे लाना चिकािहए।
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- एक कप गमर पानी मे एक चिकम्मचिक हींग का पाउडर घोले । इतस घोल मे सत ू ी कपड़े को िभक्तगोकर पेट के उस िहस्से की िसकाई करे जिहां ददर हो रहा है । थोड़ी ही दे र मे ददर से राहत िमलेगी।
- हींग मे जिरा सा कपरू िमलाकर ददर वाले स्थान पर लगाने से दांत ददर बंद हो जिाता है । - भक्तुनी हुई हींग , काली िमचिकर ,पीपल काला नमक समान माता मे लेकर पीस ले। रोजिाना चिकौथाई चिकम्मचिक यह चिकूण र गमर पानी से सेवन करे । पेट से जिुड़ी सारी समस्याएं खत्म हो जिाएंगी।
- एक ग्राम हींग ,पीसी हुई दस काली िमचिकर ,दस ग्राम गड ु मे सबको िमलाकर सुबह शाम खाएं।
- पांचिक ग्राम भक्तुनी हुई हींग, चिकार चिकम्मचिक अजिवाइतन, दस मन ु क्का, थोड़ा काला नमक सबको कूट पीसकर चिकौथाई चिकममचिक तीन बार िनत्य लेने से ,उल्टी होना ,जिी िमचिकलाना ठीक हो जिाता है ।
- अदरक की गांठ मे छे द करके इतसमे जिरा सा हींग डालकर काला नमक भक्तर कर ,खाने वाले पान के पत्ते मे लपेटकर धागा बांध कर गीली िमटटी का लेप कर दे । इतसे आग मे डाल कर जिला ले ,जिल जिाने पर पीसकर मग ूं फली के दाने के बराबर आकार की गोिलयां बना ले। एक एक गोली िदन मे चिकार बार चिकस ू े। पेट की प्राब्लम्स मे जिल्द ही आराम िमलेगा।
- पैर फटने पर नीम के तेल मे हींग डालकर लगाने से आराम िमलता है । - थोड़ी सी हींग को गड़ ु मे लपेटकर गरम पानी से ले । गैस व एसीिडटी का पेट ददर ठीक हो जिायेगा। - दांत ददर मे अफीम और हींग का फाहा रखे तो आराम िमलता है ।
- हींग को पानी मे घोलकर लेप बनाकर उस पर लगाने से चिकमर रोग मे आराम िमलता है ।
आंवले को आयुवेद मे गुण ो की खान माना गया है । आंवले के पेड़ की ऊचिकांई लगभक्तग 6 से 8 तक मीटर तक होती है । आंवले के पत्ते इतमली के पत्तो की तरह लगभक्तग आधा इतंचिक लंबे होते है। इतसके पुष्प हरे -पीले रं ग के बहुत छोटे
गुच्छो मे लगते है तथा फल गोलाकार लगभक्तग 2.5 से 5 सेमी व्यास के हरे , पीले रं ग के होते है। पके फलो का रं ग लािलमायुक्त होता है । यह कई बीमािरयो को दरू करता है । इतसका अपना पौि 봿ष्टक महत्व भक्ती है । संतरे से बीस गुना ज्यादा िवटािमन सी इतसमे पाया जिाता है। आंवले को गूजिबेरी के नाम से भक्ती जिाना जिाता है।
फूट नहरीं ये टॉनिनक हरै , कुछ िषादन इसे नाश्ते में लें तो सालभर सेहरतमंद रहरें गे आंवले का सबसे बड़ा गुण यह है िक इतसे पकाने के बाद भक्ती इतसमे मौजिद ू िवटािमन सी खत्म नहीं होता। आंवले मे क्रिोिमयम काफी माता मे होता है , जिो डायिबटीजि के मरीजिो के िलए फायदे मंद है । दरअसल, क्रिोिमयम इतंसुिलन
बनाने वाले सेल्स को ऐि 봿क्टवेट करता है और इतस हॉनमोन का काम शरीर मे ब्लड शग ु र को कंट्रोल करना होता है ।
आंवला हरा, ताजिा हो या सख ु ाया हुआ पुराना हो, इतसके गुण नष्ट नहीं होते। इतसकी अम्लता इतसके गण ु ो की रक्षा
करती है । आयुवेद मे आंवले को रसायन माना जिाता है । च्यवनप्राश आयुवेद का प्रिसद्धत रसायन है , जिो टॉनिनक के रूप मे आम आदमी भक्ती प्रयोग करता है । यह शरीर मे आरोग्य शि 봿क्त बढ़ाता है । त्वचिका, नेत रोग और बालो के िलए िवटािमन बहुत उपयोगी है ।
- आंवले के जिस ू मे शहद िमलाकर पीएं। यह मोितयािबंद की परे शानी मे भक्ती फायदे मंदरहता है । 6
- आंवला बॉनडी की इतम्युिनटी पावर बढ़ाकर उसे इतंफेक्शंस से लडऩे की स्ट्रे थ दे ता है। - सुबह नाश्ते मे आंवले का मरु ब्बा खाने से आप सालभक्तर स्वस्थ बने रहे गे। - आंवला हमारी आंखो के िलए भक्ती बहुत फायदे मंद होता है । -
आंवला हमारे पाचिकन तन्त और हमारी िकडनी को स्वस्थ रखता है । - आंवला अथरराइतिटस के ददर को कम करने मे भक्ती सहायक होता है ।
- आंवला हमारे शरीर की त्वचिका और हमारे बालो के िलए बहुत लाभक्तकारी होता है । - आंवला खाने से सदी, खांसी, जिक ु ाम जिैसी बीमािरयो से बचिका जिा सकता है ।
- िदल को सेहतमंद रखने के िलए रोजिा आंवला खाने की आदत डाले । इतससे आपके िदल की मांसपेिशयां
मजिबत ू होगी, ि 봿जिससे िदल शरीर को ज्यादा व साफ खन ू सप्लाई कर पाएगा। बेशक इतससे आप सेहतमंद रहे गे।
- आंवला बालो को मजिबूत बनाता है , इतनकी जिड़ो को मजिबूत करता है और बालो का झडऩा भक्ती काफी हद तक रोकता है ।
- आंवला खाने से कब्जि दरू होती है । यह डायिरया जिैसी परे शािनयो को दरू करने मे बहुत फायदे मंद है । - खाना खाने से पहले आंवले का पाउडर, शहद और मक्खन िमलाकर खाने से भक्तूख अच्छी लगती है ।
- एसीिडटी की समस्या है , तो एक ग्राम आंवला पाउडर और थोड़ी-सी चिकीनी को एक िगलास पानी या दध ू मे िमलाकर ले ।
- आंवला खाने को अच्छी तरह पचिकाने मे मदद करता है , ि 봿जिससे आपको खाने के तमाम न्यूिट्रएंट्स िमलते है।
स्वास्थ्य संबध ं ी छोटी-मोटी समस्याएं हर घर मे कभक्ती न कभक्ती घर के िकसी न िकसी सदस्य को हो ही जिाती है । ऐसे मे समय-असमय डॉनक्टर के पास जिाना या मामल ू ी तकलीफ के िलए िबना डॉनक्टर की सलाह िलए दवा लेना भक्ती ठीक नहीं होता। ऐसी छोटी-मोटी बीमािरयो का घरे लु इतलाजि करना ही बेहतर रहता है । भक्तारतीय िकचिकन के मसाले भक्ती िकसी औषिध से कम नहीं है आइतए हम बताते है आपको छोटी-मोटी बीमािरयो के कुछ मसालेदार इतलाजि:
- सदी ज्यादा परे शान कर रही हो तो छाती पर और िसर पर अजिवाइतन की पोटली से सेक करके ओढ़कर सो जिाएं। सदी से जिल्द ही राहत िमलेगी। - घी मे िसकी हुई लोग मह ंु मे रखे खांसी और खराश से छुटकारा िमलेगा। - पानी मे अजिवाइतन उबालकर इतस अजिवाइतन वाले पानी की भक्ताप घुटनो पर दे ने से घुटनो का ददर ठीक होता है । - थोड़ा-सा काला नमक, अजिवाइतन, सौंफ और िमलाकर चिकण ू र बनाकर खाएं पेटददर मे आराम िमलेगा। - एक िगलास दध ू मे इतलाइतचिकी पाउडर डालकर पीने से िसरददर बंद हो जिाता है । 7
- एक चिकम्मचिक सरसो के तेल मे एक चिकट ु की हल्दी और नमक िमलाकर दांतो पर हल्के-हल्के मािलश करने से दांत का ददर दस से पंद्रह िमनट मे ठीक हो जिाता है ।
- रात मे सोने से पहले नाक मे गाय के दध ू से बने घी की दो-दो बूंदे डालने से माइतग्रेन के ददर से मि 봿ु क्त िमलती है । बदलते मौसम के अनुसार कुछ लोगो का शरीर एडजिस्ट नहीं कर पाता है । ऐसे मे इतम्युिनटी पॉनवर कमजिोर होने के
कारण मौसमी रोगो का िशकार होने की संभक्तावना बढ़ जिाती है । मौसमी रोगो मे भक्ती जिुकाम एक ऐसा रोग है जिो सबसे अिधक लोगो को प्रभक्तािवत करता है । इतसीिलए आजि हम आपको बताने जिा रहे है कुछ ऐसे घरे लु नुस्खे ि 봿जिन्हे आजिमाकर आप मौसमी जिुकाम से जिल्द ही छुटकारा पा सकते है। -अिधक तेल घी यक् ु त पदाथर, अिधक मसाले, िमचिकर नहीं ले। -ठं डे पदाथर खाना तथा ठं डे पेय पीना भक्ती रोग बढ़ाते है। इतनसे बचिके । - नाक बंद है तो दालचिकीनी, कालीिमचिकर, इतलायचिकी और जिीरे के बीजिो को बराबर माता मे लेकर एक सूती कपड़े मे बांध ले और इतन्हे सघ ंू े ि 봿जिससे छींक आएगी।
- दो चिकम्मचिक गन ु गुना पानी ले । इतसमे चिकट ु की भक्तर नमक डाले । इतसे अपने दोनो नथुनो मे चिकढ़ाएं। - चिकनो की भक्ताप या नाक को सेक बहुत फायदा दे ती है । भक्तन ु े गरम चिकने या जिैसे भक्ती हो, खाने से भक्ती लाभक्त िमलता है । - 10 ग्राम गेहूं की भक्तूसी, पांचिक लौंग और कुछ नमक लेकर पानी मे िमलाकर इतसे उबाल ले और काढ़ा बनाएं। एक कप काढ़ा पीने से लाभक्त िमलेगा।
- सरसो के तेल को नाक मे लगाने से भक्ती काफी आराम िमलता है । जीरे और िमश्री को ऐसे खा लेने से पिथरी के हरो जाएंगे टुकड़े-टुकड़े
पथरी एक ऐसा रोग है ि 봿जिसमे रोगी को असहनीय पेट ददर होता है । कई बार पेशाब होना रुक जिाता है । मूत मागर मे संक्रिमण और पानी कम पीने से गुदे मे पथरी बनने के िलए अनुकूल पिरि 봿स्थितयां पैदा होती है। इतसके साथ ही रोजिमरार मे कुछ ऐसे खाद्य पदाथर भक्ती है, ि 봿जिनका सेवन पथरी बनने का कारण हो सकता है ।
उन्हीं के अंशो से स्टोन का रूप धारण करते जिाते है। धीरे -धीरे इतन छोटी पथिरयो पर िक्रिस्टल जिमा होते जिाते है और बड़ी पथरी का रूप धारण कर लेती है ।जिैसे खाने के चिकीजिो से पथरी हो सकती है ठीक उसी प्रकार खाने की चिकीजिो से ही पथरी का इतलाजि भक्ती हो सकता है । आजि हम आपको बताने जिा रहे है पथरी के इतलाजि के िलए कुछ ऐसी ही िटप्स... - तुलसी के बीजि का िहमजिीरा दानेदार शक्कर व दध ू के साथ लेने से मूत िपंड मे फंसी पथरी िनकल जिाती है । 8
- एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस-बीस ग्राम गाजिर शलगम के बीजि भक्तर दे , उसके बाद मूली को भक्तन ू ले ,उसके बाद मूली से बीजि िनकाल कर िसल पर पीस ले। सुबह पांचिक या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे ,पथरी और पेशाब वाली बीमािरयो मे फायदा िमलेगा।
- जिीरे को िमश्री की चिकाशनी बनाकर उसमे या शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ िनकल जिाती है । - यिद मूत िपंड मे पथरी हो और पेशाब रुक रुक कर आना चिकालू हो गया है तो एक गाजिर को िनत्य खाना चिकालू कर दे ना चिकािहये,इतससे मत ू ावरोध दरू होगा,और पेशाब खल ु कर साफ होगा,पेशाब के साथ ही पथरी घल ु कर िनकल जिायेगी।
- प्याजि पथरी के इतलाजि के िलए औषधीय गुण पाए जिाते है। अगर आप सही ढं ग से इतस घरे लू उपचिकार का पालन
करे गे तो आपको इतसका है रान कर दे ने वाला पिरण ाम िमलेगा। आपको इतसका रस पीना है लेिकन पके हुए प्याजि
का। इतसके िलए आप दो मध्यम आकर के प्याजि लेकर उन्हे अच्छी तरह से िछल ले। िफर एक बतरन मे एक ग्लास
पानी डाले और दोनो प्याजि को मध्यम आंचिक पर उसमे पका ले । जिब वे अच्छी तरह से पक जिाये तो उन्हे ठं डा होने दे िफर उन्हे ब्लेडर मे डालकर अच्छी तरह से ब्ले ड कर ले। उसके बाद उनके रस को छान ले एवं इतस रस का तीन िदनो तक लगातार सेवन करते रहे । यह घरे लू उपाय रामबाण का काम करता है ।
िशलाजीत के आर्थयव ु ेिषादक िषाटप्स : िमट जाएगी हरर तरहर की कमजोरी गारं टीड आयुवेद ने िशलाजिीत को बहुत लाभक्तकारी औषिध है ।अच्छा स्वास्थ्य हमारी मल ू आवश्यकता है और िशलाजिीत एक ऐसी ही औषिध जिो स्वस्थ रहने मे हमारी मदद करती है । यह पत्थर की िशलाओं मे ही पैदा होता है इतसिलए इतसे
िशलाजिीत कहा जिाता है । गमी के िदनो मे सूयर की तेजि िकरण ो से पवरत की िशलाओं से लाख की तरह िपघल कर यह बाहर िनकल आता है । यह चिकार प्रकार का होता है ।
रजित, स्वण र, लौह तथा ताम िशलाजिीत। प्रत्येक प्रकार की िशलाजिीत के गण ु अथवा लाभक्त अलग-अलग है। रजित
िशलाजिीत का स्वाद चिकरपरा होता है । यह िपत्त तथा कफ के िवकारो को दरू करता है । स्वण र िशलाजिीत मधरु , कसैला और कड़वा होता है जिो बात और िपत्तजििनत व्यािधयो का शमन करता है । लौह िशलाजिीत कड़वा तथा सौम्य होता है । ताम िशलाजिीत का स्वाद तीखा होता है । कफ जिन्य रोगो के इतलाजि के िलए यह आदशर है क्योिक इतसकी तासीर गमर होती है । लाभक्त- िशलाजिीत कफ, चिकबी, मधुमेह, श्वास, िमगी, बवासीर उन्माद, सजि ू न, कोढ़, पथरी, पेट के कीड़े तथा कई अन्य
रोगो को नष्ट करने मे सहायक होता है । यह जिरूरी नहीं है िक िशलाजिीत का सेवन तभक्ती िकया जिाए जिब कोई बीमारी हो स्वस्थ मनुष्य भक्ती इतसका सेवन कर सकता है । इतससे शरीर पुष्ट होता है और बल िमलता है । 9
प्रयोग- िशलाजिीत और बंगभक्तस्म 20-20 ग्राम, लौहभक्तस्म 10 ग्राम और अभ्रक भक्तस्म 5 ग्राम, सबको िमलाकर खरल बािरक पीस ले । इतसकी छोटी-छोटी 2-2 गोिलयां बना ले । सब ु ह-शाम एक-एक गोली दध ू के साथ सेवन करने से
स्वप्नदोष होना बंद होता है और शरीर मे बलपि 봿ु ष्ट आती है । यिद शीघपतन के रोगी िववािहत परु ु ष इतसे सेवन करे तो उनकी यह व्यािध नष्ट होती है ।
- शुद्धत िशलाजिीत 25 ग्राम, लौहभक्तस्म 10 ग्राम, केशर 2 ग्राम, अम्बर 2 ग्राम, सबको िमलाकर खरल मे खूब घुटाई
करके महीन कर ले और 1-1 रत्ती की गोिलयां बना ले। एक गोली सुबह-शाम दध ू के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष होना तो बंद होता ही है , साथ ही पाचिकनशि 봿क्त, स्मरण शि 봿क्त और शारीिरक शि 봿क्त मे भक्ती विृ द्धत होती है ।
घरे लू संजीवनी: ऐसे बनाएं कुछ िषादन खाएं कोई मौसमी बीमारी नहरीं हरोगी
बदलते मौसम के साथ अिधकतर लोगो को अक्सर बुखार और सदी, खांसी व स्नायुतंत जिैसी समस्याएं जिल्दी घेर लेती है। ऐसे मे बार-बार कई तरह की ऐलोपैिथक दवाई लेना भक्ती शरीर के िलए नक ु सानदायक होता है ।
इतसिलए बार-बार ि 봿क्लिनक के चिकक्कर लगाने से अच्छा है िक आप एक बार इतन समस्याओं को जिड़ से िमटाने के िलए नीचिके िलखा नस् ु खा जिरुर आजिमाएं।
सामग्री- गल ु ाब के फूल, तल ु सी के पत्ते, ब्राह्मी बट ू ी, खसखस, और शंखपष्ु पी 300-300 ग्राम। बनफशा,
मल ु हठी, सौंफ, तेजिपान, 100-100 ग्राम। लाल चिकंदन, बड़ी इतलाइतचिकी, दालचिकीनी, लौंग, सौंठ, बदयान, काली िमचिकर और असली केसर 10-10 ग्राम सबको अच्छी तरह पीसकर, छानकर बारीक चिकण ू र कर ले।
सेवन िविध- एक चिकम्मचिक चिकण ू र एक लीटर पानी मे डाल कर उबाले । उिचिकत माता मे चिकीनी और दध ु ह ू डालकर सब
खाली पेट एक िगलास पीएं। यह माता चिकार व्यि 봿क्त के िलए है ।
लाभक्त- इतसके सेवन से शरीर के आंतिरक दोष दरू होते है। मानिसक व शारीिरक थकावट व िनबरलता दरू होती
है । िसरददर , खांसी, गैस ज्वर, और उदर रोगो से छुटकारा िमलता है । स्मरण शि 봿क्त और िदमागी ताकत बढ़ती है। स्नायुदौबरल्य दरू होता है । दरअसल यह संजिीवनी बूटी की तरह लाभक्तकारी है ।
अदरक हरै काम की चीज: ऐसे खाएंगे तो संद ु रता और सेहरत दोनो बन जाएगी अदरक िसफर खाने और चिकाय का स्वाद ही नहीं बढ़ाता बि 봿ल्क आयुवेद के अनुसार ये सेहत का साथी है । अदरक मे
अनेको ऐसे गुण है ि 봿जिन्हे आयुवेद मे बहुत उपयोगी माना गया है । अदरक सिदर यो मे सेहत की बेहतरी के िलए
इतस्तेमाल िकया जिाता है । अदरक पाचिकनतंत के िलए लाभक्तकारी होता है । कब्जि और डायिरया जिैसी बीमािरयो से भक्ती बचिकाव करता है ।
-अपनी गमर तासीर की वजिह से अदरक हमेशा से सदी-जिक ु ाम की बेहतरीन दवाई मानी गई है । अगर आपको सदी
या जिक ु ाम की प्रॉनब्लम है , तो आप इतसे चिकाय मे उबालकर या िफ र सीधे शहद के साथ ले सकते है। साथ ही, इतससे हाटर बनर की परे शानी भक्ती दरू करता है ।
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- रोजि सब ु ह खाली पेट गन ु गुने पानी के साथ अदरक का एक टुकड़ा खाएं। इतससे खूबसूरती बढ़ती है ।
- अदरक का एक छोटा टुकड़ा छीले िबना (िछलकेसिहत) आग मे गमर करके िछलका उतार दे । इतसे मह ुं मे रख कर
आिहस्ता-आिहस्ता चिकबाते चिकस ू ते रहने से अन्दर जिमा और रुका हुआ बलगम िनकल जिाता है और सदी-खांसी ठीक हो जिाती है ।
-बहुत कम लोग जिानते है िक अदरक एक नेचिकरल पेन िकलर है , इतसिलए इतसे आथरराइतिटस और दस ू री बीमािरयो मे उपचिकार के तौर पर इतस्तेमाल िकया जिाता है । -अदरक कोलेस्ट्रॉनल को भक्ती कंट्रोल करता है । दरअसल, यह कोलेस्ट्रॉनल को बॉनडी मे एब्जिॉनवर होने से रोकता है । -कै सर मे भक्ती अदरक बेहतरीन दवाई मानी गई है । खासतौर पर ओवेिरयन कै सर मे यह काफी असरदार है । -यह हमारे पाचिकन तंत को िफट रखता है और अपचिक दरू करता है । -अदरक के इतस्तेमाल से ब्लड सकुरलेशन ठीक रहता है ।
-अदरक खाने से मुंह के हािनकारक बैक्टीिरया भक्ती मर जिाते है।
- अदरक और शहद का रस बराबर माता मे लेने से आराम िमलता है ।
खट्टे नींबू से पिाएं सेहरत: छोटी बीमािरयो के रामबाण उपिाय नींबू को स्वास्थ्य के िलए बहुत लाभक्तदायक माना जिाता है । िवशेषकर पेट से संबंिधत समस्याओं के िलए नींबू का
प्रयोग अनेक तरीको से िकया जिाता है । आजि हम आपको बताने जिा रहे है नींबू के ऐसे ही कुछ घरे लू प्रयोग ि 봿जिनसे आप कई छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं से िनजिात पा सकते है।
- पेट साफ नहीं हो रहा हो या पेिचिकश हो, तो प्याजि के रस मे कागजिी नींबू का रस िमलाएं। इतसमे थोड़ा-सा पानी डालकर पीएं, लाभक्त होगा।
- स्कवी रोग मे नींबू श्रेष्ठ दवा का काम करता है । एक भक्ताग नींबू का रस और आठ भक्ताग पानी िमलाकर रोजिाना िदन मे एक बार ले ।
- नींबू के रस मे थोड़ी शकर िमलाएं। इतसे गमर कर िसरपनुमा बना ले । इतसमे थोड़ा पानी िमलाकर िपएँ। िपत्त के िलए यह अचिकक ू औषिध है ।
आधे नींबू का रस और दो चिकम्मचिक शहद िमलाकर चिकाटने से तेजि खांसी, श्वास व जिुकाम मे लाभक्त होता है ।
- नींबू ज्ञान तंतुओं की उत्तेजिना को शांत करता है । इतससे हृदय की अिधक धड़कन सामान्य हो जिाती है । उच्चिक रक्तचिकाप के रोिगयो की रक्तवािहिनयो को यह शि 봿क्त दे ता है ।
- एक नींबू के रस मे तीन चिकम्मचिक शकर, दो चिकम्मचिक पानी िमलाकर, घोलकर बालो की जिड़ो मे लगाकर एक घंटे बाद अच्छे से िसर धोने से रूसी दरू हो जिाती है व बाल िगरना बंद हो जिाते है।
- एक िगलास पानी मे एक नींबू िनचिकोड़कर सेधा नमक िमलाकर सुबह-शाम दो बार िनत्य एक महीना पीने से पथरी िपघलकर िनकल जिाती है ।
- चिकेहरे की सद ुं रता बढ़ाने के िलए नींबू की कुछ बूंदे दध ू मे डाले । रूई िभक्तगोकर चिकेहरा चिकमकाएं। 11
- नींबू को नमक तथा काली िमचिकर के साथ चिकाटे । यह भक्तोजिन से पूवर चिकाटना है । तब अिधक भक्तूख लगा करे गी।
- यिद दस्त लगे हो तो दध ू मे नींबू का रस 8-10 बूंद डालकर िमलाकर रोगी को िपलाएं। यह बहुत लाभक्तकारी रहता है । िदन मे चिकार बार लेवे। अिधक फायदा होगा। एक िगलास पानी मे आधा नींबू िनचिकोड़े। रोगी इतसे पी ले। िदन मे चिकार बार ऐसी खरु ाक ले ।
- सब ु ह-शाम एक िगलास पानी मे एक नींबू िनचिकोड़कर पीने से मोटापा दरू होता है । -एक िगलास पानी मे एक नींबू िनचिकोड़कर पीते रहने से नेत ज्योित ठीक रहती है ।
तीन आर्थयव ु ेिषादक सत्र ू : इनसे कोई भी पिा सकता हरै चमचमाते सफेद दांत
खूबसूरती के मापदं ड मे चिकेहरे मे नयन और नक्श के बाद दांतो की बनावट और िदखावट का महत्वपूण र स्थान होता है । साफ सफेद और चिकमकते दांत िकसी भक्ती चिकेहरे की खूबसूरती मे चिकार चिकांद लगा सकते है।
- आजिकल के बच्चिको के दांत सफेदद-सुन्दर नहीं होते क्योिक टूथपेस्ट मे डले हुए फ्लोराईड से दांत और हमारे शरीर की हिड्डयां गलने, खराब होने लगती है। इतस पर अनेक शोध हो चिकक ु े है। अत: पेस्ट के स्थान पर िकसी आयुवेिदक या प्राकृितक जिड़ी-बूिटयो से बने हुए मंन्जिन का प्रयोग करना चिकािहये।
- कभक्ती-कभक्ती अवसर िमलने पर नीम, बबूल, िबल्व आिद पेड़ो से प्राप्त दांतुन भक्ती करते रहना चिकािहये।
- मल-मत ू त्याग के समय दांत दबाकर बैठे और बाद मे कुल्ला कर ले। इतससे भक्ती दांत मजिबूत बनते है। असल मे
मल-मत ू त्याग के समय हमारे दांतो की जिडो मे कुछ तेजिाबी पदाथर एकितत होकर उनकी जिडो को कमजिोर बना दे ते है। कुल्ला करने से ये तेजिाबी तत्व िनकल जिाते है। हमारे पूवजि र तभक्ती तो मल-मूत त्याग के बाद सदा कुल्ला िकया करते थे।
दालचीनी और शहरद का दमदार नुस्खा: उग आर्थएंगे गंजे िसर पिर भी बाल सामान्यत: दालचिकीनी मसालो के रूप मे काम मे ली जिाती है । लेिकन यह पेट रोग, इतंफ्यूएंजिा, टाइतफाइतड, टीबी और कै सर जिैसे रोगो मे उपयोगी पाई गई है । दालचिकीनी का तेल बनता है । दालचिकीनी,साबुन, दांतो के मंजिन, पेस्ट,
चिकाकलेट, सुगध ं व उत्तेजिक के रूप मे काम मे आती है । चिकाय, काफी मे दालचिकीनी डालकर पीने से स्वािदष्ट हो जिाती है तथा जिक ु ाम भक्ती ठीक हो जिाता है । आजि हम आपको बताने जिा रहे है दालचिकीनी के कुछ घरे लु प्रयोग जिो बहुत उपयोगी है।
- दालचिकीनी का तेल ददर , घावो और सजि ू न को नष्ट करता है ।
- दालचिकीनी को ितल के तेल, पानी, शहद मे िमलाकर उपयोग करना चिकािहए। ददर वाले स्थान पर मािलश करने के बाद इतसे रातभक्तर रहने दे ते है । मािलश अगर िदन मे करे तो 2-3 घंटे के बाद धोएं। - दालचिकीनी त्वचिका को िनखारती है तथा खुजिली के रोग को दरू करती है ।
- दालचिकीनी सेहत के िलए लाभक्तकारी है । यह पाचिकक रसो के स्ताव को भक्ती उत्तेि 봿जित करती है । दांतो की समस्याओं को दरू करने मे भक्ती यह उपयोगी है ।
- रात को सोते समय िनयिमत रूप से एक चिकट ु की दालचिकीनी पाउडर शहद के साथ िमलाकर लेने से मानिसक तनाव 12
मे राहत िमलती है और स्मरण शि 봿क्त बढ़ती है । - दालचिकीनी का िनयिमत प्रयोग मौसमी बीमािरयो को दरू रखता है ।
- ठं डी हवा से होने वाले िसरददर से राहत पाने के िलए दालचिकीनी के पाउडर को पानी मे िमलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं।
- दालचिकीनी पाउडर मे नीबू का रस िमलाकर लगाने से मह ंु ासे व ब्लैकहै ड्स दरू होते है। - दालचिकीनी, डायिरया व जिी िमचिकलाने मे भक्ती औषधी के रूप मे काम मे लाई जिाती है ।
- मंह ु से बदबू आने पर दालचिकीनी का छोटा टुकड़ा चिकस ू े। यह एक अच्छी माउथ फ्रेशनर भक्ती है ।
- दालचिकीनी मे एंटीएि 봿जिंग तत्त्व उपि 봿स्थत होते है। एक नीबू के रस मे दो बड़े चिकम्मचिक जिैतन ू का तेल, एक कप चिकीनी,
आधा कप दध ू , दो चिकम्मचिक दालचिकीनी पाउडर िमलाकर पांचिक िमनट के िलए शरीर पर लगाएं। इतसके बाद नहा ले, त्वचिका िखल उठे गी।
- दालचिकीनी पाउडर की तीन ग्राम माता सुबह-शाम पानी के साथ लेने पर दस्त बंद हो जिाते है - आथरराइतिटस का ददर दरू भक्तगाने मे शहद और दालचिकीनी का िमश्रण बड़ा कारगर है ।
-गंजिेपन या बालो के िगरने की समस्या बेहद आम है । इतससे छुटकारा पाने के िलए गरम जिैतून के तेल मे एक चिकम्मचिक शहद और एक चिकम्मचिक दालचिकीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं।
- एक चिकम्मचिक दालचिकीनी पाउडर और पांचिक चिकम्मचिक शहद िमलाकर बनाए गए पेस्ट को दांत के ददर वाली जिगह पर लगाने से फौरन राहत िमलती है ।
- सदी जिुकाम हो तो एक चिकम्मचिक शहद मे एक चिकौथाई चिकम्मचिक दालचिकीनी पाउडर िमलाकर िदन मे तीन बार खाएं। परु ाने कफ और सदी मे भक्ती राहत िमलेगी।
- पेट का ददर -शहद के साथ दालचिकीनी पाउडर लेने पर पेट के ददर से राहत िमलती है । - खाली पेट रोजिाना सब ु ह एक कप गरम पानी मे शहद और दालचिकीनी पाउडर िमलाकर पीने से फैट कम होता है । इतससे मोटे से मोटा व्यि 봿क्त भक्ती दब ु ला हो जिाता है ।
बादाम की इस अनजानी खूब ी को जानकर आप बोल उठे गे...ओह! अगर आप डायिबटीजि से परे शान है तो यह खबर आपके िलए खश ु खबर है िक अपने प्रितिदन के नाश्ते मे बादाम को भक्ती शािमल करे । अमेिरका के यिू नविसरटी ऑफ मेिडिसन तथा पेनिसल्वेिनया यिू नविसरटी के शोधकतारओं का कहना है िक बादाम खाने मे से हािन कारण कोलेस्ट्रॉनल का स्तर घटता है साथ ही इतंसुिलन को सिक्रिय करता है । इतससे ब्लड शग ु र का स्तर िनयंितत रहता है ।
भक्तारत मे इतस बीमारी से है रान-परे शान लोगो की संख्या िदनो-िदन बढ़ती ही जिा रही है । आंकड़े तो बताते है िक अकेले
भक्तारत दे श मे ही डायिबटीजि से ग्रिसत लोगो की संख्या 5 करोड़ के स्तर को पार कर चिकुकी है ।
बादाम डायिबटीजि मे फायदे मंद है यह बात तो हािलया शोध से पता चिकली है लेिकन इतसके दस ू रे कई चिकमत्कारी गुण ो के िवषय मे तो अिधकांश भक्तारतवासी पिरिचिकत है ही। कमजिोर स्मरण शि 봿क्त, मानिसक तनाव, स्नायुदौबरल्य, 13
हिड्डयो की कमजिोरी, बौिद्धतक क्षमता की कमी...आिद कई बेहद किठन समस्याओं मे भक्ती बादाम का प्रयोग बहुत ही फायदे मंद है ।
काली कोहरिनयो से पिरे शान लोगो के िलए ये हरै रामबाण उपिाय अगर आप अपनी सांवली रं गत से परे शान है और कई तरह के क्रिीम और दवाओं का उपयोग करने के बाद भक्ती रं गत मे कोई फकर महसूस नहीं हो रहा हो तो घबराइतए नहीं कुछ आसान आयुवेद नुस्खे ऐसे है ि 봿जिनसे आपका सांवलापन दरू हो सकता है ।
- एक बाल्टी ठण्डे या गन ु गुने पानी मे दो नींबू का रस िमलाकर गिमरयो मे कुछ महीने तक नहाने से त्वचिका का रं ग िनखरने लगता है (इतस िविध को करने से त्वचिका से सम्बन्धी कई रोग ठीक हो जिाते है )। - आंवले का मरु ब्बा रोजि एक नग खाने से दो तीन महीने मे ही रं ग िनखरने लगते है ।
- कोहिनयो का कालापन साफ करने के िलए गल ु ाब जिल व ि 봿ग्लसरीन मे नींबू रस िमलाकर लोशन तैयार करे । इतस
लोशन को पांचिक िमनट तक धप ू मे रखे। िफर कोहिनयो पर मले ।- गाजिर का रस आधा िगलास खाली पेट सब ु ह शाम लेने से एक महीने मे रं ग िनखरने लगता है ।
- दही से िसर धोने से केश मल ु ायम, घने, काले और चिकमकदार तथा लंबे होते है। - प्रितिदन खाने के बाद सोफ का सेवन करे ।
- पेट को हमेशा दरु ु स्त रखे, कब्जि न रहने दे ।
- दो छोटे चिकम्मचिक बेसन मे आधी छोटी चिकम्मचिक हल्दी िमलाकर खूब फेटे । िफर इतस लेप मे दस बूंद गुलाब जिल व दस बूंद नींबू िमलाकर खूब फेटे । स्नान से पूवर इतस लेप को चिकेहरे पर मले । आधे घंटे उपरांत चिकेहरे को धो ले। - अिधक से अिधक पानी पीएं।
- चिकाय-कॉनफी जिैसे धीमे जिहर से यथ संभक्तव दरू रहे ।
- हाथ पैर एवं चिकेहरे का सौंदयर बढ़ाने मे दही सवोत्तम है । दो बड़े चिकम्मचिक दही लेकर हाथ पैर एवं चिकेहरे पर मले । दस िमनट उपरांत धो ले। आपकी त्वचिका िचिककनी एवं साफ हो जिाएगी। यह प्रयोग तीन हफ्ते तक करने से आपकी सुंदरता मे गजिब का िनखार आने लगेगा।
- रोजिाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी माता मे सौंफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचिका की रं गत बदलने लगती है ।
मुंहर के छालो से छुटकारा चािषाहरए तो अपिनाएं ये 6 उपिाय आजि असंतुिलत खान-पान की वजिह से मुंह मे छाले होना, पेट का खराब होना आम समस्या हो गई है । कई तरह की दवाइतयां इतस्तेमाल करने के बाद भक्ती लोगो के मुंह के छाले ठीक नहीं हो पाते है। ऐसे मे घबराइतए नहीं जिो छाले िकसी भक्ती दवा से ठीक नहीं हो रहे है नीचिके िदए जिा रहे नुस्खो से िनि 봿श्चिकत ही ठीक हो जिाएंगे।
1. छोटी हरड़ को बारीक पीसकर छालो पर िदन मे दो तीन बार लगाने से मुंह तथा ि 봿जिव्हा दोनो के छाले ठीक हो जिाते है।
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2. छाले होने पर तल ु सी की चिकार पांचिक पि 봿त्तयां रोजिना सुबह और शाम को चिकबाकर ऊपर से थोड़ा पानी पी ले (ऐसा चिकार पांचिक िदनो तक करे )।
3. करीब दो ग्राम सह ु ागे का पावडर बनाकर थोड़ी सी ि 봿ग्लसरीन मे िमलाकर छालो पर िदन मे दो तीन बार लगाएं छालो मे जिल्दी फायदा होगा।
4. छाले होने पर प्रितिदन रात को सोने से पहले शहद और हरड़ का चिकण ू र िमलाएं और इतसे खा ले ।
5. छाले होने पर थोड़ी-थोड़ी दे र मे चिकमेली के पत्ते चिकबाएं और मंह ु मे बनने वाली लार थक ू दे ।िवशेष- ि 봿जिन लोगो को बार-बार छाले होने की िशकायत रहती उन्हे टमाटर ज्यादा खाने चिकािहए।
घरे लू अदरक पिाक, याददाश्त हरो जाएगी सुपिरफास्ट वैसे तो हमारी रसोई गण ु ो की खान है ,चिकाहे मसाले हो या चिकटनी मे प्रयुक्त धिनया हर एक के अपने औषधीय गुण
है,पर आपको हम अदरक से बनने वाले पाक को बनाने की िविध आपको बताते है बड़ा ही गुण कारी है यह पाक और
बनाना भक्ती आसान...बस अदरक के िछले हुए छोटे -छोटे टुकड़े 250 ग्राम की माता मे ले और इतसे उतनी ही माता मे गुड़ और गाय के घी मे लाल होने तक खूब भक्तुने ....अब गुड़ की चिकासनी बनाकर उसमे अदरक के टुकड़े
िमलाकर...जिीरा,काली िमचिकर,नागकेशर,दालचिकीनी ,तेजिपत,पीपल ,धिनया,कालाजिीरा ,पीपलामूल एवं वायिवडंग इतन सब को 6-6 ग्राम की माता मे कपड़छान िकया चिकण ू र िमला ले ...
अब इतस प्रकार बने पाक को सरु ित क्षत रख ले ......इतसे पांचिक से दस ग्राम की माता मे सब ु ह शाम िलया जिा सकता है यह पाक श्वास,खांसी,भक्तख ू न लगना ,याद न रहना जिैसी शारीिरक ि 봿स्थतयो मे गण ु कारी है ..वैसे भक्ती अदरक और सैधा नमक को भक्तोजिन से पूवर लेने की प्रथा हमारी संस्कृित मे सिदयो से चिकली आ रही है और हाल के कई शोध इतसे
प्रेगनेसी िसकनेस ,सिहत जिोड़ो के ददर एवं सूजिन से िनजिात िदलानेवाला मानते है ....तो आजि से ही िनयिमत रूप से सेवन करे अदरक पाक और पाएं अनेको लाभक्त ...!
लहसुन की अनोखी कीम: ऐसे बनाकर लगाएं तो मुह ं ासे साफ हो जाएं ग े लहसन ु का उपयोग यंू तो भक्तोजिन का स्वाद बढ़ाने मे िकया जिाता है , लेिकन यह औषिध के रूप मे भक्ती उतना ही
फायदे मंद है । लहसन ु कुदरती खिू बयो से भक्तरपरू है । लेिकन इतसे उिचिकत माता मे ही लेना चिकािहए। लहसन ु की तासीर काफी गमर और खश्ु क होती है । लेिकन इतसके सही तरीके से सेवन से कई तरह की बीमािरयां दरू होती है ।
लहसन ंु ासे भक्ती एक ऐसी ु का उपयोग िसफर खाकर ही नहीं बि 봿ल्क इतसे लगाकर भक्ती रोगो को दरू िकया जिा सकता है । मह समस्या है जिो अिधकतर यव ु ाओं को परे शान करता है । हम आपको बताने जिा रहे है लहसन ु का अनोखा प्रयोग इतसे अपनाएं तो मह ु ांसे साफ हो जिाएंगे।
- मंह ु ासे के िलए लहसन ु की दो किलयो को और एक छोटा चिकम्मचिक हल्दी पाउडर िमला कर क्रिीम बना ले इतसे मुहांसो पर और चिकेहरे पर लगाएं। मह ु ांसे साफ हो जिाएंगे।
- दो किलयां लहसुन की पीसकर एक िगलास दध ू मे उबाल ले व ठं डा करके सुबह शाम कुछ िदन िपए हृदय के रोगो
मे आराम िमलता है ।- लहसुन के िनयिमत सेवन पेट और भक्तोजिन की नली का कै सर और स्तन कै सर की सम्भक्तावना 15
को कम कर दे ताहै । - िनयिमत लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर िनयिमत होता है । एिसिडटी और गैि 봿स्टक ट्रबल मे इतसका प्रयोग फायदे मंद होता है । िदल की बीमािरयो के साथ यह तनाव को भक्ती िनयंितत करती है ।
चार चम्मच सरसो के तेल का ये उपिचार हरर चोट के घाव को भर दे गा आयुवेद और प्राकृितक िचिकिकत्सा से संबंिधत ग्रंथो मे घावो को जिल्दी भक्तरने के िलए अनेक प्रयोग बताए गए है।
लेिकन िफर भक्ती हर तरह के घाव को भक्तरने के िलए घरे लू हल्दी को चिकमत्कारी औषिध का दजिार िदया गया है । ि 봿जिस
बात को आयुवेद मे हजिारो साल पहले कह िदया था, उसकी सच्चिकाई और प्रामािण कता पर आजि िवज्ञान जिगत भक्ती
मुहर लगा रहा है । कै सर की रोकथाम, दिू षत खून की सफाई, िडमे िशया से छुटकारा, गिठया, हािनकारक बेक्टीिरया
और वायरस का सफाया, रोगो से लडऩे की क्षमता मे इतजिाफा ....जिैसे कई नायाब गुण ो के साथ ही हल्दी मे एक अन्य
िवशेष खूबी भक्ती पाई जिाती है । यिद कभक्ती िकसी को कोई चिकोट-मोचिक या जिकर लग जिाए तथा ददर , जिकडऩ और सूजिन की तकलीफ हो रही हो तो ऐसे मे हल्दी का यह प्रयोग अवश्य करना चिकािहये।
प्रयोग: चिकार चिकम्मचिक सरसो के तेल मे 1 चिकम्मचिक िपसी हल्दी लेकर धीमी आंचिक पर पका ले , इतसमे 4-5 किलयां लहसुन की भक्ती डाल दी जिाएं तो लाभक्त और भक्ती जिल्दी होता है । थोड़ा ठं डा या गन ु गना रहने पर िकसी साफ कॉनटन के साथ इतस तेल मे पकी हुई हल्दी को चिकोट के स्थान पर लगाकर बांध ले । कुछ ही घंटो मे चिकोट और सजि ू न मे काफी लाभक्त होगा। िफटकरी- घाव वाले स्थान पर िफटकरी को भक्तन ू कर लगाने से भक्ती घाव तेजिी से भक्तरने लगता है ।दध ू के साथ प्रयोग:
दो-तीन िदन लगातार दध ू मे 1-चिकम्मचिक हल्दी पाउडर डालकर पीने से भक्ती चिकोट-मोचिक, ददर और सूजिन मे तत्काल राहत िमलती है ।
कालीिमचर का फामूल र ा: इससे डे ड फ साफ हो जाएगा
बालो मे डेडफ एक आम समसया है। रसी के कारण अकसर बाल रखे और बेजान हो जाते है। डेडफ को दूर करने के िलए वतरमान मे बाजार मे कई तरह के एंटीडेडफ शैपू मौजूद है। लेिकन अकसर देखा जाता है िक ये एंटी डेडफ शैपू डेडफ को पूरी तरह से नही िमटा पाते है। इसीिलए िजदी डेडफ को जड से साफ करने के िलए घरेलू नुसखे आजमाना चािहए। आइए जानते है ऐसे ही कु छ घरे लु नुसखो के बारे मे..... - िपसी हई मेहद ं ी एक कप, थोडा सा कॉफी पाउडर, 1 चममचए दही, 1 चममचए नीबू का रस, 1 चममचए िपसा कतथा, 1 चममच आंवला चूणर, 1 चममच सूखे पुदीने का चूणर। िफर इन सभी को िमलाकर करीब दो घंटे रखे। बालो पर घंटा भर लगाकर धो ले। इसे बाल मुलायम व काले होगे। - काली िमटी बालो के बहत अचछी मानी जाती है, काली िमटी को दो घंटे पहले िभगोकर इससे िसर धोएं, इससे बाल मुलायम होते है। - नािरयल के तेल मे नीबू का रस िमलाकर बालो की जडो मे लगाने से बालो का असमय पकना और झडना रक जाता है। - बालो मे चमक पदान करने के िलए एक अंडे को खूब अचछी तरह फे ट ले, इसमे एक चममच नािरयल का तेल, एक चममच अरं डी का तेल, एक चममच िगलसरीन, एक चममच िसरका तथा थोडा सा शहद िमलाकर बालो को अचछी तरह लगा ले, दो घंटे बाद कु नकु ने पानी से धो ले। बाल इतने चमदार हो जाएंगे िजतने िकसी भी कं डीशनर से नही हो सकते। 16
- दही मे बेसन घोलकर बालो की जडो मे लगाकर एक घंटे बाद िसर धो ले। इससे बालो की चमक लौट आएगी और बालो की रसी की समसया से भी आपको िनजात िमलेगी। - रसी की िशकायत वाले बालो के िलए दही मे कालीिमचर का चूणर िमलाकर िसर धोए। यह हफते मे दो बार अवशय करे । इससे जहाँ बालो की रसी खतम होगी, वही बाल मुलायम, काले, लंबे व घने होगे जो आपकी सुंदरता मे चार चाँद लगाएँगे।
बेह द सरल उपाय: ये कबज के िलए रामबाण
शरीर चुसत-दुरसत हो तो इं सान का मन-मिसतषक भी पूरी तरह से सिकय बना रहता है। हमारे शरीर मे पेट एक ऐसा के नद है िजसको यिद िकनही उपायो से िफट-फाट रखा जा सके तो शरीर और मन दोनो जोश और उतसाह से भरपूर रहते है। आइये जाने उन बेहद सरल घरे लू उपायो को जो किबजयत को तो जड से िमटाते ही है साथ ही पेट के पहले जैसे पाकृ ितक सवरप को भी िफर से लोटाते है.... 1. गलत समय पर गलत खान-पान के चकर मे विक आए िदन कबज से परे शान रहता है, इससे बचने के िलए ितफला यानी हरड, बहेडा और आंवला के िमकसर चूणर को लगातार 6 माह तक बराबर पानी के साथ सोते समय लेने से कबज की परे शानी हमेशा के िलये दूर हो जाती है। 2. जो रोगी काफी कमजोर हो या बालक हो तो आंवला पीस कर नािभ के चारो और दीवाल सी बना दो, उसी के भीतर अदरक का रस भर दो, दो घंटे रोगी को लेटा रहने दो, जुलाब की बगैर िकसी तेज हािनकारक दवाई के ही महीनो पुराना सारा मल साफ हो जाता है। 3. सुबह खाली पेट गुनगुने गमर पानी मे एक चुटकी काला नमक डाले और उसे पीकर 15 िमनट तक घूम ले कबज मे अवशय ही राहत िमलेगी। 4. भोजन मे काला नमक, आधा नीबू, िसका जीरा, हीग, और मौसम के अनुसार उपलबध सलाद को शािमल करने से कबज और पेट की दूसरी तमाम समसयाओ से सथाई रप से छु टकारा पाया जा सकता है।
केला एक स्वािषादष्ट दवा:रोज खाना चाहरें गे जब जान लेंगे इसका जादईु असर
के ले को पूजा-पाठ से लेकर सौनदयर बढाने मे पाचीन समय से उपयोग मे लाया जा रहा है। के ला एक समपूणर आहार है यह वीयरवधरक, शुकवधरक है। नेत रोग मे लाभदायक है, यह एक शिकदायक आहार है। खाना खाने के बाद के ला खाने से भोजन आसानी से पच जाता है। कॉिनसटपेशन के मरीजो के िलए भी यह अचछा रहता है। पेट की सुजन मे के ला आसानी से पच जाता है जबिक दूसरे पदाथर मुिशकल से पचते है।टायफाइड तथा अनय जवरो मे के ले का पथय बहत लाभ देता है। आंतो के अलसर तथा दूसरे रोग हो जाने पर रोजाना 6 से 9 के ले िखलाने से लाभ होता है। खून की कमी को दूर करता है तथा गले की सुजन मे लाभकारी है। गाउट रोग मे यह मूत की यूिरक अमल घुलाने की शिक बढा देता है। रोज सुबह एक के ला और एक िगलास दूध पीने से वजन कं टोल मे रहता है और बार- बार भूख भी नही लगती। के ला खाने से हाई बलड पेशर और यूरीन की समसया को दूर करने मे मदद िमलती है कचे के ले को दूध मे िमलाकर लगाने से तवचा िनखर जाती है और चेहरे पर भी चमक आ जाती है। गभारवसथा मे मिहलाओ के िलए के ला बहत अचछा होता है कयोिक यह िवटािमन से भरपूर होता है। के ले को मैश करके बालो मे लगाने से बाल नमर , मुलायम और चमकदार हो जाते है। के ला बचो के िलए बहत अचछा होता है। के ले के तने के सफे द भाग के रस का िनयिमत सेवन डायिबटीज की बीमारी को धीरे -धीरे खतम कर देता है। इसके साथ ही रक शुिधदकरण, लकवा (पैरािलिसस), तवचा संबंधी रोग व डायिरया भी ठीक होता है। िसयो का पदर रोग ठीक होगा। दही मे के ला और पीसी हई िमशी िमलकर खाने से मोटापा बढता है। बलवृिद के िलए वायाम तथा खेलकू द के बाद के ले खाना चािहए। के ले मे काबोहाईडेट पयारप माता मे होता है यह खून मे वृिद करके शरीर की ताकत बढाता है। िनतय के ला का सेवन अगर दूध के साथ िकया जाय तो तो कु छ ही िदनो मे सवासथय पर अचछा पभाव देखा जा सकता है।
हाइबलडपेश र की घरे लू आयुव ेि दक दवा, ऐसे बनाकर खाएं ग े तो सवसथ हो जाएं ग े
हाइतब्लडप्रेशर एक ऐसी बीमारी है ि 봿जिसमे रोगी को रोजि दवाई खानी पड़ती है । लेिकन अगर इतसका आयुवेिदक तरीके से इतलाजि िकया जिाए तो इतसे प्रभक्तावी तरीके से िनयंितत िकया जिा सकता है ।आयुवेद मे कई ऐसी जिड़ी-बूिटयां है, जिो इतन रोगो पर िनयंतण करके शरीर को स्वस्थ बनाती है । कुछ ऐसी ही जिड़ी बूिटयो के िमश्रण से तैयार नुस्खा यहां
बताया जिा रहा है , जिो उच्चिकरक्तचिकाप, अिनद्रा, मानिसक तनाव, िदल की धड़कनो का बढऩा, शरीर मे जिलन सी रहना आिद व्यािधयो पर बहुत असरकारक है ।
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सामग्री- अश्वगंधा, जिटामांसी, नागरमोथा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, पुष्कर मूल, तगर, कपूर कचिकरी और बड़ी इतलायचिकी।
बनाने की िविध- इतन सबकी बराबर-बराबर माता लेकर कूट-पीसकर कपड़े से छान कर महीन चिकण ू र तैयार कर ले। बस तैयार है , अनमोल नस् ु खा। इतसे साफ -सख ू ी शीशी मे भक्तरकर रख दे । रोग तथा रोगी की ि 봿स्थित के अनस ु ार डेढ़ से 3
ग्राम तक की माता मे रात मे सोने से पहले पानी से ले। यिद रोग बढ़ा हुआ है , तब िदन मे भक्ती एक बार इततनी ही माता मे और ले सकते है। आयव ु ेिदक पद्धतित पर आधािरत उक्त नस् ु खा भक्तले ही तरु ं त असर न िदखाए लेिकन यह रोग की जिड़ पर प्रहार कर धीरे -धीरे उसे खत्म कर दे ता है ।
दे सी रामबाण : इतसे िसफर सूंघने से ही हो जिाएगा िसरददर का इतलाजि नींबू का अनोखा गण ु यह है िक इतसकी खट्टी खुशबू खाने से पहले ही मुंह मे पानी ला दे ती है । चिकांट हो या दाल कोई
भक्ती व्यंजिन इतसके प्रयोग से और भक्ती सस् ु वाद ु हो जिाता है । यह फल खट्टा होने के साथ-साथ बेहद गुण कारी भक्ती है । लेिकन बहुत कम लोग जिानते है िक नींबू के पत्ते भक्ती बहुत उपयोगी होते है। आजि हम आपको बताने जिा रहे है नींबू के पत्तो के कुछ ऐसे ही रामबाण प्रयोगो के बारे मे कृिम रोग-
10 ग्राम नींबू के पत्तो का रस (अकर) मे 10 ग्राम शहद िमलाकर पीने से 10-15 िदनो मे पेट के कीड़े मरकर नष्ट हो जिाते है। नींबू के बीजिो के चिकूण र की फं की लेने से कीड़ो का िवनाश होता है । िसरददर या माइतग्रेन-
नींबू के पत्तो का रस िनकालकर नाक से सूंघे, ि 봿जिस व्यि 봿क्त को हमेशा िसरददर बना रहता है , उसे भक्ती इतससे शीघ आराम िमलता है ।
नाक से खून आना-
ताजिे नींबू का रस िनकालकर नाक मे िपचिककारी दे ने से नाक से खून िगरता हो, तो बंद हो जिाएगा।
आर्थंखो का दोस्त हरै धिनया, ऐसे उपियोग करें गे तो आर्थंखें स्वस्थ हरो जाएंगी
धिनये का उपयोग खाने का स्वाद और सुगध ं बढ़ाने के िलए िकया जिाता है । लेिकन क्या आप जिानते है िक धिनया
आपको जिाने-अनजिाने कई बीमािरयो से िनजिात भक्ती िदलाता है । आइतये जिाने िक धिनया िकन-िकन बीमािरयो या परे शािनयो मे मददगार हो सकता है ... आंखो के रोग:
आंखो के िलए धिनया बड़ा गुण कारी होता है । थोड़ा सा धिनया कूट कर पानी मे उबाल कर ठं डा कर के, मोटे कपड़े से छान कर शीशी मे भक्तर ले। इतसकी दो बंद ू आंखो मे टपकाने से आंखो मे जिलन, ददर तथा पानी िगरना जिैसी समस्याएं दरू होती है। नकसीर:
हरा धिनया 20 ग्राम व चिकट ु की भक्तर कपरू िमला कर पीस ले। सारा रस िनचिकोड़ ले । इतस रस की दो बंद ू नाक मे दोनो तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर मलने से खन ू तरु ं त बंद हो जिाता है । गभक्तारवस्था मे जिी घबराना
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गभक्तर धारण करने के दो-तीन महीने तक गभक्तरवती मिहला को उि 봿ल्टयां आती है । ऐसे मे धिनया का काढ़ा बना कर एक कप काढ़े मे एक चिकम्मचिक िपसी िमश्री िमला कर पीने से जिी घबराना बंद होता है । िपत्ती:
शरीर मे िपत्ती की तकलीफ हो तो हरे धिनये के पत्तो का रस, शहद और रोगन गल ु तीनो को िमला कर लेप करने से िपत्ती की खजि ु ली मे तरु ं त आराम होता है ।
दहरी खाते समय साधारण बातें याद रखें...ये आर्थपिके िलए अमत ृ बन जाएगा आजि की भक्तागदौड भक्तरी ि 봿जिंदगी मे पेट की बीमािरयो से परे शान होने वाले लोगो की संख्या सब से ज्यादा होती है । इतस समस्या से परे शान लोग यिद अपनी डाइतट मे प्रचिकरू माता मे दही को शािमल करे तो अच्छा होगा। दही का िनयिमत सेवन करने से शरीर कई तरह की बीमािरयो से मक् ु त रहता है । दही मे अच्छी िकस्म के बैक्टीिरया पाए जिाते है, जिो
शरीर को कई तरह से लाभक्त पहुंचिकाते है लेिकन इतसके िलए जिरुरी है दही के सेवन के समय कुछ बातो का ध्यान रखना। आयुवेद मे माना गया है िक नीचिके िलखी बातो को ध्यान मे रखकर दही का सेवन करने पर वह शरीर के िलए अमत ृ के समान होता है ।
- दही हमेशा ताजिी ही प्रयोग करनी चिकािहए। - राित मे दही के सेवन को हल्का काला नमक,शक्कर या शहद के साथ ही िकया जिाना चिकािहए। - मांसाहार के साथ दही के सेवन को िवरुद्धत माना गया है ।
- दही दस्त या अितसार के रोिगयो मे मल को बांधनेवाली होती है ,पर सामान्य अवस्था मे अिभक्तस्यंदी अथारत कब्जि कर सकती है ।
- ग्रीष्मऋतु मे जिब लू चिकल रही हो तब दही क़ी लस्सी ऊजिार प्रदान करनेवाली तथा शरीर मे जिलीयांश की कमी को दरू करती है ।
- िनत्य सेवन से दही का प्रभक्ताव शरीर के िलए सात्म्य होकर गुण कारी हो जिाता है । - मधम ु ेह से पीिड़़त रोिगयो मे दही का सेवन संयम से करना चिकािहए। - दही का सेवन कुछ आयुवेिदक औषिधयो मे सह्पान के साथ कराने का भक्ती िवधान है , ि 봿जिससे दवा का प्रभक्ताव बढ़ जिाता है ।
- बच्चिको मे ताज़ी दही पेट सम्बंधी िवकारो को दरू करती है । - दही एवं कच्चिके केले को पकाकर आंवयक् ु त अितसार
(म्यक ु ोइतड स्टूल ) को रोका जिा सकता है । - जिब खांसी,जिख ु ाम,टांिसल्स एवं, सांस की तकलीफ हो तब दही का सेवन 19
न करे तो अच्छा। - दही सदै व ताज़ी एवं शद्धत ु घर मे िमटटी के बतरन क़ी बनी हो तो अत्यंत गण ु कारी होती है । - त्वचिका रोगो मे दही का सेवन सावधानी पूवक र िचिकिकत्सक के िनदे शन मे करना चिकािहए। - माता से अिधक दही के सेवन से बचिकना चिकािहए।
- अशर (पाईल्स ) के रोिगयो को भक्ती दही का सेवन सावधानीपूवक र करना चिकािहए। तो ऐसी है दही ,बड़ी गुण कारी,रोगो मे दवा पर सावधानी से करे प्रयोग।
कैसे भी मंहर ु ासे हरो, घर पिर बने इस आर्थयव ु ेिषादक तेल से साफ हरो जाएंगे : आयुवेद मे मह ु ांसो को यौवन पीिड़़का भक्ती कहा जिाता है । यौवन पीिड़़का यानी यौवन मे पीड़ा दे ने वाली यह
समस्या तकलीफ तो दे ती ही है साथ ही चिकेहरे भक्ती भक्तद्दा िदखाई दे ता है । इतस उम मे ि 봿जिन्हे मुंहासो की समस्या हो उन यव ु ाओं को अपने खाने मे तेजि िमचिकर मसाले वाले, खट्टे तीखे पदाथो को शािमल नहीं करना चिकािहए।
दोनो वक्त, सुबह उठने के बाद और रात को सोने से पहले पेट साफ होना आवश्यक है । भक्तोजिन करते समय खाना ठीक से चिकबाना चिकािहए। इततना करते हुए, मह ु ांसे ठीक करने के िलए, िनमिलिखत दवाई का सेवन करना चिकािहए।
सामग्री-पलाश के फूल, लाल चिकंदन, लाख, मजिीठ, मुलहठी, कुसुम, खस, पदमाख, नील, कमल,बड़ की जिटा, पाकड़ की मूल, कमल केशर, मे हदी, हल्दी, दारुहल्दी और अनन्तमूल-सभक्ती 16 द्रव्य 50-50 ग्राम। ितल का तैल 200ml बकरी का दध ू 200 ml और पानी 3 लीटर।
कैसे बनाएं-सब द्रव्यो को खूब कूट पीस कर महीन कपड़ छन चिकण ू र कर ले । िफर तीन लीटर पानी मे इतन्हे इततनी दे र
तक उबाले िक पानी एक चिकौथाई बचिके। इतसे छान ले। अलग से केशर, मजिीठ, मुलहठी, लाख व पतंग 10-10 ग्राम ले कर लुगदी बनाकर इतसमे डाल दे । िफर तैल व बकरी का दध ू डाल कर मंदी आंचिक पर पकाएं। जिब पानी व दध ू जिल जिाए, िसफर तैल बचिके, तब उतार कर ठं ड कर ले और छान कर बाटल मे भक्तर ले।
माता और सेवन िविध- अनािमका अंगल ु ी से तैल मह ु ांसो पर लगा कर चिकेहरे को मलना चिकािहए। एक बार सब ु ह स्नान
करने से आधा घंटा पहले और दस ू री बार रात को सोने से आधा घंटा पहले इतस तैल लगा कर मसाजि करे ।
बस दस िमनट....और कमरददर्य से छुटकारा
सामान्य िदखने वाली बेहद घातक बीमािरयो मे से ही एक बीमारी है कमर ददर । इतसके कई कारण होते है। एक बड़ा कारण आजि की आधुिनक जिीवनशैली है । अगर आप कमर ददर से परे शान है तो इतससे बचिकने के िलए रोजिाना
उत्तानशीषारसन व मकरासन करे । जिो िक बहुत कारगर तो है ही साथ ही इतनका कोई भक्ती साइतड इतफेक्ट भक्ती नहीं होता है । कमर ददर का िशकार रहे लोगो का कहना है िक डाक्टरो की सलाह के बजिाय इतस बीमारी मे योग अिधक कारगर िसद्धत होता है । अगर आप भक्ती कमरददर से परमानेट मुि 봿क्त चिकाहते है साथ ही पेनिकलसर के साइतड इतफैक्ट्स से भक्ती बचिकना चिकाहते है तो िनयिमत रूप से दस िमनट उत्तानशीषारसन और दस िमनट मकरासन करे । 20
उत्तानशीषारसन की िविध - सीधे शवासन मे लेटकर दोनो पैरो को मोड़कर रखे। दोनो हाथ दोनो ओर पाश्र्व मे फैलाकर रखे। श्वास अन्दर भक्तरते हुए पीठ को ऊपर की ओर खीचिके । िनतम्ब तथा कंधे भक्तिू म पर िटके हुए रहने दे । िफर श्वास छोड़ते हुए पीठ को नीचिके भक्तिू म पर दबाकर परू े सीधे हो जिाएं। इतस प्रकार यह अभ्यास 8-10 बार तक करे ।
मकरासन की िविध - पेट के बल लेट जिाइतए। दोनो पैरो को िमलाकर रिखए। अपने कंधे और िसर को उठाइतए और
दोनो हाथो की कलाई को िमलाकर ठुड्डी के नीचिके रखे।उं गिलयो को गाल के साथ लगाकर रिखए। दोनो कोहिनयो को िमलाकर रिखए। अगर गदर न या रीढ़ मे असहनीय िखंचिकाव आए तो उस ि 봿स्थित मे आप दोनो कोहिनयो के बीचिक मे
थोड़ा फासला दे सकते है। ऐसा करने पर िखंचिकाव को सहन िकया जिा सकेगा।अगर सरवाइतकल या गदर न िक िपछले िहस्से पर ददर है तो कोहिनयो को ठुड्डी के आगे रिखए, अगर कमर मे ददर या थकान है तो कोहिनयो को पीछे की
ओर यानी ठुड्डी की सीध मे जिमीन पर रिखए।ध्यान रीढ़ की ओर लगाकर रखे और िखंचिकाव को महसूस करे । िखंचिकाव सहन न िकया जिा सके तो दोनो हथेिलयो को ठुड्डी से हटाकर जिमीन पर रिखए।
दमदार नुस्खा...खून और कैिनाल्सयम की कमी का नेचुरल इलाज
िवश्व का सबसे मीठा फल अंजिीर स्वाद मे ि 봿जितना मीठा और स्वािदष्ट है । शरीर के िलए भक्ती उतना ही लाभक्तदायक है । कैि 봿ल्सयम, रे शो व िवटािमन ए, बी, सी से युक्त होता है और एक अंजिीर मे लगभक्तग 30 कैलोरी होती है। अंजिीर मे एंटीऑक्सीडेट तत्व प्रचिकुर माता मे पाए जिाते है, जिो संक्रिमण और रोग से लडऩे की क्षमता को बढ़ाते है। इतसमे
कैि 봿ल्सयम और लौह तत्व प्रचिकुर माता मे पाया जिाता है । यह िदमाग को शांत रखता है और शरीर को आराम दे ता है ।
डायिबटीजि मे अंजिीर बहुत उपयोगी होता है । अंजिीर मे आयरन और कैि 봿ल्सयम प्रचिकुर माता मे पाए जिाने के कारण यह एनीिमया मे लाभक्तप्रद होता है ।
अंजिीर मे िवटािमन्स ए, बी1, बी2, कैि 봿ल्सयम, आयरन, फास्फोरस, मैगनीजि, सोिडयम, पोटै िशयम और क्लोरीन पाया जिाता है । इतसका सेवन करने से डायिबटीजि, सदी-जिक ु ाम, अस्थमा और अपचिक जिैसी तमाम व्यािधयां दरू हो जिाती है। घरे लू उपचिकार मे ऐसा माना जिाता है िक स्थाई रुप से रहने वाली कब्जि अंजिीर खाने से दरू हो जिाती है ।
जिुकाम, फेफड़े के रोगो मे पांचिक अंजिीर पानी मे उबाल कर छानकर यह पानी सुबह-शाम पीना चिकािहए। दमा ि 봿जिसमे
कफ (बलगम) िनकलता हो उसमे अंजिीर खाना लाभक्तकारी है इतससे कफ बाहर आ जिाता है । सख ू े अंजिीर को उबालकर अच्छी तरह पीसकर गले की सूजिन या गांठ पर बांधा जिाए तो शीघ ही लाभक्त होता है ।
साधारण कब्जि की अवस्था मे गरम दध ू े अंजिीर उबालकर सेवन करने से प्रात:काल दस्त साफ आता है । ताजिे ू मे सख अंजिीर खाकर ऊपर से दध ू की खराबी मे सख ू े अंजिीर को दध ू पीना बहुत शि 봿क्त दे ने वाले होते है।खन ू एवं िमश्री के
साथ लगातार एक सप्ताह सेवन करने से खन ू के िवकार नष्ट हो जिाते है। मधम ु ेह रोग मे अन्य फलो की तल ु ना मे अंजिीर का सेवन िवशेष लाभक्तकारी होता है । अंजिीर को अिधक माता मे सेवन करना उपयोगी होता है ।अस्थमा की
बीमारी मे सब ु ह सख ू े अंजिीर का सेवन अच्छा माना गया है । टी.बी. के मरीजि को ताजिे अंजिीर खाना फायदे मंद है ।श्वेत प्रदर मे भक्ती इतसका उपयोग गण ु कारी है ।
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जब घर में घटने लगे ये 6 बातें !..तो हरो जाएं सावधान
िवश्वास, सहयोग, संतोष, मन और िवचिकारो मे तालमेल जिैसी बाते सख ु ी, शांत और लंबे गहृ स्थ जिीवन के िलए जिरूरी होती है। धमर की दृष्टि 봿ष्ट से गह ृ स्थ जिीवन चिकार पुरुषाथो को पाने का अहम चिकरण है । चिकंिू क वक्त के उतार-चिकढ़ाव से
गह ृ स्थ जिीवन मे भक्ती खुशी या गमो के क्षण ो से दो-चिकार होना पड़ता है । ि 봿जिसके िलए अहम होता है िक हर व्यि 봿क्त पूरी तरह से तैयार रहे ।
शास्तो मे कुछ ऐसी ही बाते उजिागर की गई है, जिो व्यावहािरक रूप से इतंसान को समय रहते आने वाले संकट की ओर इतशारा करती है । ि 봿जिनको पहचिकान कर अहम िनण रय लेकर समय रहते गहृ स्थी को मस ु ीबतो से बचिकाया जिा सकता है । जििनए, ऐसी ही 6 बाते । धमर उपदे शो मे बताई इतन बातो को अगर आप भक्ती गह ृ स्थ जिीवन मे घटता दे खे तो सावधान होकर इतनको सुलझाने की हर संभक्तव कोिशश करे । तभक्ती तनाव, कलहमुक्त जिीवन का लुत्फ संभक्तव होगा।
बुिद्धतहीन पुत - ऐसे पुत के गलत कामो, खराब आचिकरण और गंदे चिकिरत से पिरवार भक्ती लि 봿ज्जित और संकट मे पड़ जिाता है ।
कलहिप्रय स्ती - अशांत स्वभक्ताव की स्ती से घर मे कलह पैदा होता है । आपसी कटुता से ि 봿जिससे गहृ स्थी की गाड़ी
डगमगा जिाती है । रोग - बार-बार बीमारी का प्रकोप पिरवार के हर सदस्य को मानिसक, शारीिरक और आिथरक रूप से बुरा असर डालता है ।
दािरद्रय - घर या पिरवार के सदस्यो मे िकसी भक्ती रूप मे अपिवतता दिरद्रता के संकेत है , ि 봿जिससे पिरवार िवपि 봿त्तयो मे पड़ सकता है ।
कुअन्न का भक्तोजिन - आहार शिु द्धत ही तन, मन, व्यवहार और िवचिकार को पिवत बनाता है । िकं तु घर मे अशुद्धत, मांसाहार भक्तोजिन की अपिवतता परे शािनयो का कारण बन सकती है ।
कलंक - पिरवार और व्यि 봿क्त की प्रितष्ठा और मान-सम्मान एक-दस ु े होते है। इतसिलए िकसी भक्ती व्यि 봿क्त के ू रे से जिड़ गलत आचिकरण , चिकिरत से लगा कलंक पूरे पिरवार को िबखेर सकता है ।
आर्थयव ु ेिषादक िषाटप्स...जोड़ो के ददर्य का बेजोड़ इलाज
आजिकल जिोड़ो का ददर एक आम समस्या है । बहुत अिधक वकरलोड व थकान होने पर पयारप्त आराम न िमलने पर
या अन्य कारण ो से िकसी को भक्ती कम उम मे जिोड़ो का ददर परे शान कर सकता है । यिद आप जिोड़ो के ददर से परे शान है तो घबराने की जिरूरत नहीं है , आयुवेद मे ऐसे कई उपाय है ि 봿जिनसे आप जिोड़ो मे होने वाले ददर से िनजिात पा सकते है।
अगर आपके साथ भक्ती िकसी भक्ती तरह की जिोड़ो के ददर से जिुड़ी समस्या है , तो आप नीचिके िलखे आयुवेिदक उपाय एक बार जिरुर आजिमाएं।
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- सौंठ,मरीचिक एवं िपप्पली का प्रयोग ितकटु के रूप मे 1/2 चिकम्मचिक िनत्य गन ु गुने पानी से प्रयोग जिोड़ो के ददर मे राहत दे ता है ।
- अरं डी की जिड़ का चिकण ू र 1/2-1 चिकमच्चिक लेने से भक्ती गिठया के रोिगयो मे चिकमत्कािरक लाभक्त िमलता है । - प्रारं िभक्तक अवस्था मे यिद जिोड़ो के ददर की शरु ु आत हुई हो तो अरं डी के तेल के मािलश भक्ती अत्यंत प्रभक्तावी होते है । - केवल सौंठ का प्रयोग भक्ती पुराने से पुराने जिोड़ो के ददर मे लाभक्त दे ता है । - अश्वगंधा,शतावरी एवं आमलकी का चिकूण र जिोड़ो से ददर के कारण आयी कमजिोरी को दरू करता है । - यिद जिोड़ो का ददर बहुत पुराना हो तो बालू की पोटली का सेक भक्ती सूजिन से राहत िदलाता है । - दशमूल का का काढा भक्ती 10-15 एम.एल. की माता मे जिोड़ो के ददर मे लाभक्त पहुंचिकाता है । - जिोड़ो के ददर के साथ यिद सजि ू न हो तो एरं डी एवं िनगन् ुर डी के पत्तो की िसकाई ददर एवं सजि ू न को कम करती है । - यिद गिठयावात (आथरराईिटस) के ददर का कारण फेक्टर हो तो गुग्गुलु का प्रयोग िचिकिकत्सक के परामशर से करना
चिकािहए।
- गिठयावात के कारण उत्पन्न जिोड़ो के ददर मे पंचिककमर िचिकिकत्सा अत्यंत प्रभक्तावी है । कुछ छोटी -छोटी बातो एवं सावधािनयो का ध्यान रखकर हम जिोड़ो के ददर से रहत पा सकते है।
- यिद जिोड़ो के ददर का कारण यूिरक एिसड का बढऩा है तो भक्तोजिन मे प्रोटीन की माता कम कर दे नी चिकािहए। - सूजिन की अवस्था मे आसनो का प्रयोग नहीं करना चिकािहए। - गिठया की प्रारं िभक्तक अवस्था मे योग एवं प्राण ायाम का िनत्य प्रयोग संिधवात के कारण उत्पन्न जिोड़ो के ददर को कम करता है ।
- गिठया के रोिगयो को तले भक्तुने भक्तोजिन का सेवन नहीं करना चिकािहए।
- हरी पत्तेदार एम रे शेदार फल सि 봿ब्जियां योगी के कब्जि को ठीक कर जिोड़ो के ददर मे लाभक्त पहुंचिकाती है ।
मुंह के छालो के िलए बहुत अच्छे है ये 4 घरे लु नुस्खे
शीत ऋतु जिा चिकुकी है और ग्रीष्म ऋतु ने दस्तक दे दी है । ऐसा माना जिा रहा है िक इतस वषर गमी काफी अिधक रहे गी। गमी के िदनो मे खान-पान के संबध ं मे िवशेष सावधानी रखने की आवश्यकता होती है । अन्यथा कई प्रकार की स्वास्थ्य संबध ं ी परे शािनयो का सामना करना पड़ सकता है । खान-पान मे असावधानी के चिकलते पेट संबध ं ी
बीमािरयो के साथ ही कई लोगो को मह ंु मे छाले भक्ती हो जिाते है। खाने की चिकीजिो मे सावधानी के साथ ही छालो से 23
मुि 봿क्त के िलए अपनाएं ये खास उपाय1. छोटी हरड़ को बारीक पीसकर छालो पर िदन मे दो तीन बार लगाने से मुंह तथा ि 봿जिव्हा, दोनो के छाले ठीक हो जिाते है।
2. तुलसी की चिकार पांचिक पि 봿त्तयां रोजिना सब ु ह और शाम को चिकबाकर ऊपर से थोड़ा पानी पी ले (ऐसा चिकार पांचिक िदनो तक करे ) ।
3. करीब दो ग्राम सुहागे का पावडर बनाकर थोड़ी सी ि 봿ग्लसरीन मे िमलाकर छालो पर िदन मे दो तीन बार लगाएं छालो मे जिल्दी फायदा होगा।
ि 봿जिन लोगो को बार-बार छाले होने की िशकायत रहती उन्हे टमाटर जिादा खाने चिकािहए। टमाटर खाने से रक्त संबंधी कई िवकार शांत हो जिाते है और साथ ही छालो की समस्या से भक्ती िनजिात िमलती है ।
खूबसूरत और मजबूत मुस्कान के िलए...तीन आर्थयव ु ेिषादक सूत्र
चिकेहरे की सद ुं रता मे सबसे पहले नयन और नक्क्ष यानी आंख व नाक की सुंदरता के बाद दांतो की बनावट को
अहम ् माना जिाता है । अगर अच्छे नयन नक्क्ष के साथ ही दांत साफ व सफेद ओर मजिबूत दांत िकसी भक्ती चिकेहरे की खब ू सरू ती मे चिकार चिकांद लगा सकते है। आयव ु ेद के 3 कीमती सत ू :
1. आजिकल के बच्चिको के दांत सफ़ेद-सन् ु दर नहीं होते क्योिक टूथपेस्ट मे डले हुए फ्लोराईड से दांत और हमारे शरीर की हिड्डयां गलने, खराब होने लगती है। इतस पर अनेक शोध हो चिकक ु े है। अत: पेस्ट के स्थान पर िकसी आयव ु ेिदक या प्राकृितक जिड़ी-बिू टयो से बने हुए मन्जिन का प्रयोग करना चिकािहये।
2. कभक्ती-कभक्ती अवसर िमलने पर नीम, बबल ू , िबल्व आिद पेड़ो से प्राप्त दांतन ु भक्ती करते रहना चिकािहये।
3. मल-मत ू त्याग के समय दांत दबाकर बैठे और बाद मे कुल्ला कर ले। इतससे भक्ती दांत मजिबूत बनते है। असल मे मल-मूत त्याग के समय हमारे दांतो की जिडो मे कुछ तेजिाबी पदाथर एकितत होकर उनकी जिडो को कमजिोर बना दे ते है। कुल्ला करने से ये तेजिाबी तत्व िनकल जिाते है। हमारे पूवजि र तभक्ती तो मल-मत ू त्याग के बाद सदा
कुल्ला िकया करते थे। बचके रहे कभी धयान न दे ऐसी आवाजो परवरना सुन ते ही बदिकसमत हो जाएं ग े
आपको थोड़ा अजिीब जिरूर लग रहा होगा लेिकन ये सचिक है । कुछ आवाजिे ऐसी होती है जिो हम न सूने तो ही अच्छा है । आने वाले हमारे अच्छे और बुरे िदनो का एहसास सबसे पहले जिीव जिंतुओं को होता है । हमारे आस-पास रहने ये जिीव जिंतु हमको सावधान करते हुए कुछ न कुछ इतशारे जिरूर करते है। अगर हम इतन इतशारो को समझे तो बदिकस्मत होने से बचिक सकते है।
- कहीं जिा रहे हो और िबल्ली और कुत्ते के रोने की आवजिे अगर आपको सन ु ाई दे तो अपना बेड लक शुरू होना समझ ले ।
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- िसयार और लोमड़ी जिैसे जिानवरो के रोने की आवाजिे अक्सर रात मे ़ं सन ु ाई दे ती है । अगर ऐसी आवाजिे सन ु ाइत दे तो इतसे अशुभक्त समझना चिकािहए।
- िकसी शभक्त ु काम के बारे मे सोचिक िवचिकार चिकल रहा हो तब यिद िछपकली की आवाजि सन ु ाई दे तो कायर मे असफल होने की संभक्तावनाएं और बढ़ जिाती है ।
- अगर उल्लू के रोने की आवाजि भक्ती आपको सन ु ाई दे तो सावधान हो जिाएं और आवाजि को न सन ू े। उल्लू के रोने की आवाजि सन ू ने से धन संबंिधत नक ु सान होने के योग बनते है और बीमािरयो से सामना होता है ।
- अगर आपको घर की छत से चिकील और बाजि की आवाजि सन ू ाइत दे तो सम्भक्तल जिाएं, अगर ये आवाजिे रात मे सन ू ाई दे तो आपको खास तौर से सावधान हो जिाना चिकािहए। आपके साथ कुछ बरु ा हो सकता है ।
- चिकमगादड़ अगर आपके घर के आस-पास या घर की छत पर बैठकर आवाजिे िनकाले तो आपको सावधान होने की जिरूरत है ।
- आपके घर पर कबूतर की आवाजिे आने लगे तो तुरंत उन्हे उड़ा दे वरना कुछ ही िदनो मे िकस्मत साथ छोड़ दे ती है । वैसे तो आलू का चिकरबी बढ़ाने वाला वाला माना जिाता है ,लेिकन आलू के फायदे बहुत कम लोग जिानते है। हम बताते है आपको आलू के कुछ ऐसे ही गण ु जिो शायद आप नहीं जिानते होगे। आलू मे िवटािमन सी, बी कॉनम्पलेक्स तथा आयरन , कैि 봿ल्शयम, मैगनीजि, फास्फोरस तत्त्व होते है। आलू के प्रित 100 ग्राम मे 1.6 प्रितशत प्रोटीन, 22.6 प्रितशत काबोहाइतड्रेट, 0.1 प्रितशत वसा, 0.4 प्रितशत खिनजि और 97 प्रितशत कैलोरी ऊजिार पाई जिाती है ।
आलू से हो सकती है आपकी कायापलट....ये पढ़े गे तो जिान जिाएंगे -
आलू उबालने के बाद बचिके पानी मे एक आलू मसलकर बाल धोने से आश्चिकयरजिनक रूप से बाल चिकमकीले, मुलायम और जिड़ो से मजिबूत होगे। िसर मे खाजि, सफेद होना व गंजिापन तत्काल रुक जिाता है ।
- जिलने पर कच्चिका आलू कुचिकलकर जिले भक्ताग पर तुरंत लगा दे ने से आराम िमल जिाता है । - आलू को पीसकर त्वचिका पर मले । रं ग गोरा हो जिाएगा।
- आलू के रस मे नींबू रस की कुछ बूंदे िमलाकर लगाने से धब्बे हल्के हो जिाते है।
- आलू के टुकड़ो को गदर न, कुहिनयो आिद सख्त स्थानो पर रगडऩे से वहां की त्वचिका साफ एवं कोमल हो जिाती है ।
- आलू भक्तन ू कर नमक के साथ खाने से चिकबी की माता मे कमी होती है ।
- झाइतयो तथा झुिरर यो से छुटकारा पाने के िलए आलू के रस मे मल् ु तानी िमट्टी िमलाकर झाइतयो और झुिरर यो पर लगाएं। बीस िमनट बाद चिकेहरा पानी से साफ कर ले।
- भक्तुना हुआ आलू पुरानी कब्जि दरू करता है । आलू मे पोटे िशयम साल्ट होता है जिो अम्लिपत्त को रोकता है । - चिकार आलू सेक ले और िफर उनका िछलका उतार कर नमक, िमचिकर डालकर खाएँ। इतससे गिठया ठीक हो जिाता है ।
- उच्चिक रक्तचिकाप के रोगी भक्ती आलू खाएँ तो रक्तचिकाप को सामान्य बनाने मे लाभक्त करता है ।
- कच्चिका आलू पत्थर पर िघसकर सुबह-शाम काजिल की तरह लगाने से 5 से 6 वषर पुराना जिाला और 4 वषर तक का फूला 3 मास मे साफ हो जिाता है ।
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घाव कैसा भक्ती हो, ये आयुवेिदक नुस्खे ऐसे है जिो हर घाव को जिल्दी से भक्तर दे गे -
रोजिमरार के जिीवन मे छोटी-मोटी लापरवािहयो के चिकलते चिकोट लगना एक आम बात है । लेिकन कई बार ये छोटे -मोटे एक्सीडेट्स बड़ी परे शानी का का कारण बन सकते है। कुछ घाव ऐसे होते है जिो जिल्द भक्तर जिाते है
और कुछ को भक्तरने मे वक्त लगता है । ऐसे ही घावो को जिल्दी भक्तरने के िलए हम आपको बताने जिा रहे है कुछ आयुवेिदक उपाय।
िकसी भक्ती प्रकार का घाव हुआ हो, टांके लगवाये हो या ऑपरे शन का घाव हो, अंदरूनी घाव हो या बाहरी हो,
घाव पका हो या न पका हो लेिकन आपको प्रितजिैिवक लेकर जिठरा, आंतो, यकृत एवं गद ु ो को साइतड इतफेक्ट
द्वारा िबगाडऩे की कोई जिरूरत नहीं है बि 봿ल्क नीचिके िदये जिा रहे आसान घरे लू उपायो को अपनाकर िकसी भक्ती तरह के गहरे से गहरे घाव को जिड़ से िमटाया जिा सकता है -
- घाव को साफ करने के िलए ताजिे गोमत ू का उपयोग करे । बाद मे घाव पर हल्दी का लेप करे ।
- एक से तीन िदन तक उपवास रखे। ध्यान रखे िक उपवास के दौरान केवल उबालकर ठं डा िकया हुआ या गन ु गन ु ा गमर पानी ही पीना है , अन्य कोई भक्ती वस्तु खानी-पीनी नहीं है । दध ू भक्ती नहीं लेना है ।
- उपवास के बाद ि 봿जितने िदन उपवास िकया हो उतने िदन केवल मंग ू को उबाल कर जिो पानी बचिकता है वही पानी पीना है । मूंग का पानी धीरे -धीरे गाढ़ा करके िलया जिा सकता है । -
- मूंग के पानी के बाद धीरे -धीरे मग ूं , िखचिकड़ी, दाल-चिकावल, रोटी-सब्जिी इतस प्रकार सामान्य खुराक पर आना चिकािहये।
- कब्जि की िशकायत हो तो रोजि 1 चिकम्मचिक हरड़ का चिकण ू र सुबह अथवा रात को पानी के साथ ले ।
- ि 봿जिनके शरीर की प्रकृित ऐसी हो िक घाव होने पर तुरंत पक जिाता हो, उन्हे ितफला गग ू ल नामक 3-3 गोली िदन मे 3 बार पानी के साथ लेनी चिकािहए।
- सुबह 50 ग्राम गोमूत तथा िदन मे 2 बार 3-3 ग्राम हल्दी के चिकण ू र का सेवन करने से बहुत जिल्दी लाभक्त होता है । -
- पुराने घाव मे चिकन्द्रप्रभक्ता वटी की 2-2 गोिलयां िदन मे 2 बार ले।
- जिात्यािद तेल अथवा मलहम घाव पर लगाएं इतससे घाव जिल्दी से भक्तरने लगेगा।
कया कहता है आयुवेद?....खाने के साथ छाछ पीना चािहए या नही
कहते है छाछ बेहतरीन िडक या अिडशनल डाइट है। माना जाता है िक छाछ शरीर मे उपिसथत िवजातीय ततवो को बाहर िनकाल देती है। गिमयो मे छाछ शरीर के िलए अमृत के समान कायर करती है। यह शरीर की पितरोधक शिक को बढाती है। लेिकन छाछ मे घी नही होना चािहए। गाय के दूध से बनी छाछ सबसे अचछी मानी जाती है। छाछ का सेवन करने से जो रोग नष होते है। वे जीवन मे िफर दुबारा कभी नही होते है। छाछ खटी नही होनी चािहए। पेट के रोगो मे छाछ को िदन मे कई बार पीना चािहए। रोजाना नाशते और भोजन के बाद छाछ पीने से शिक बढती है। छाछ को पीने से िसर के बाल असमय मे सफे द नही होते है। खाने के साथ इसे लेने से खाने का पाचन भी अचछा होता है और शरीर को पोषण भी जयादा िमलता है। यह खुद भी आसानी से पच जाती है। इसमे अगर एक चुटकी काली िमचर, जीरा और सेधा नमक िमला िलया जाए तो और अचछा है। इसमे अचछे बैकटीिरया भी होते है, जो शरीर के िलए लाभदायक होती है। मीठी लससी पीने से फालतू कै लोरी िमलती है, इसिलए उससे बचना चािहए। छाछ खाने के साथ लेना या बाद मे लेना बेहतर है। पहले लेने से पाचक जूस डाइलयूट हो जाते है ऐसा माना जाता है।
घर पर बनाकर खाएं ये आयव ु ेिदक दवाएं, िबना एक्सरसाइतजि हो जिाएगा मोटापा 26
शादी होने या बच्चिके होने के बाद मिहलाएं अपनी सेहत को लेकर अक्सर लापरवाह हो जिाती है, ि 봿जिससे वह आसानी से मोटापे की िशकार होती चिकली जिाती है। डॉनक्टरो का मानना है िक जिब कमर की चिकौड़ाई 34 ईंचिक से अिधक होने
लगे तो सावधान हो जिाना चिकािहए। इतससे अिधक कमर की चिकौड़ाई होना मोटापे की िनशानी है । यहां हम कुछ ऐसे घरे लू नस् ु खे बता रहे है, ि 봿जिससे न केवल कमर की मोटाई कम की जिा सकती है , बि 봿ल्क उसे पतली और आकषरक बनाया जिा सकता है । नस् ु खा-1
पपीता के मौसम मे इतसे िनयिमत खाएं। लंबे समय तक पपीता के सेवन से कमर की न केवल अितिरक्त चिकबी कम होती है , बि 봿ल्क वह बेहद आकषरक हो जिाता है । नस् ु खा-2
छोटी पीपल का कपड़छान (यानी िकसी सूती कपड़े से छान लेना) कर चिकूण र बना ले । इतस चिकूण र को तीन ग्राम प्रितिदन सुबह के समय छाछ के साथ लेने से िनकला हुआ पेट दब जिाता है और कमर पतली हो जिाती है । नुस्खा-3
मालती की जिड़ को पीसकर उसे शहद मे िमलाएं और उसे छाछ के साथ पीएं। प्रसव के बाद बढऩे वाले मोटापे मे यह रामवाण की तरह काम करता है और कमर की चिकौड़ाई कम हो जिाती है ।
नुस्खा-4
आंवले व हल्दी को पीसकर चिकण ू र बना ले। इतस चिकण ू र को छाछ के साथ ले, पेट घट जिाएगा और कमर कमनीय हो जिाएगी। िवशेष:
िगरते बालो का हबरल इतलाजि: आसानी से िमलने वाली इतस जिड़ीबट ू ी से ऐसे करे शैम्पू िकसी भक्ती आयुवेिदक िक्रिया या औषिध को अपनाने से पहले स्विववेक से काम लेना चिकािहये और िकसी आयुवेद
के जिानकार िचिकिकत्सक से सलाह लेना सदै व िनरापद रहता है । िकसी भक्ती असुिवधा के िलये वेबसाइतट ि 봿जिम्मेदार नहीं होगी।
भक्तंग ृ राजि आस्टे रेसी कुल का पौधा है । यह प्राय: नम स्थानो मे उगता है । यह लगभक्तग परू े संसार मे पाया जिाता है ।
आयव ंु र बनाने के िलए ु ेद मे इतसका तेल बालो के िलये बहुत उपयोगी माना जिाता है । बालो को घने, काले और सद भक्तंग ं ृ राजि के कुछ ऐसे ही उपयोगी ृ राजि का उपयोग कई तरह से िकया जिाता है । हम बताने जिा रहे है आपको भक्तग प्रयोग.
- भक्तंग ृ राजि के पत्तो का रस िनकालकर बराबर का नािरयल तेल ले और धीमी आंचिक पर रखे। जिब केवल तेल रह
जिाए, तो बन जिाता है भक्तग ं ृ राजि केश तेल। अगर धीमी आंचिक पर रखने से पहले आंवले का रस िमला िलया जिाए तो और भक्ती अच्छा तेल बनेगा। बालो मे रूसी हो या िफर बाल झड़ते हो, तो इतसके पत्तो का रस 15-20 ग्राम ले ।
- थोडा सुहागे की खील, भक्तग ं ृ राजि और दही िमलाकर बालो की जिड़ मे लगाकर एक घंटे के िलए छोड़ दे । बाद मे धो ले िनयिमत रूप से ऐसा करने पर बाल सद ुं र घने और मजिबूत हो जिाते है। 27
- एिसिडटी होने पर भक्तंग ू र के साथ समान ृ राजि के पौधे को सुखाकर चिकूण र बना िलया जिाए और हरार के फलो के चिकण माता मे लेकर गड ु के साथ सेवन कर िलया जिाए तो एिसिडटी की समस्या से िनजिात िमल सकती है ।
- ितफला, नील और भक्तग ं ृ राजि तीनो एक एक चिकम्मचिक लेकर 50 िमली पानी मे िमलाकर रात को लोहे की कड़ाही मे रख दे ते है । प्रात: इतसे बालो मे लगाकर, इतसके सख ू जिाने के बाद नहाना चिकािहए। बाल नेचिकरु ली काले हो जिाएंगे।
- माईग्रेन या आधा सीसी ददर होने पर भक्तंग ू मे उबाला जिाए व इतस दध ू की कुछ ृ राजि की पि 봿त्तयो को बकरी के दध बँद ू े नाक मे डाली जिाए तो आराम िमलता है । हाथी पाँव हो गया हो तो इतसके पत्ते पीसकर सरसो का तेल िमलाकर लगाएं।
-भक्तंग ृ राजि एवं आंवले ले के ताजिे पत्तो को पीस कर बालो की जिड़ो मे लगाये ,साथ ही नीम,िशकाकाई ,आंवला,
कालाितल, रीठा इतन सब को साथ िमलाकर एक पेस्ट बना ले, यह आपके िलए एक हबरल शैम्पू का काम करे गा जिो बालो को कंिडशिनंग के साथ ही जिड़ो को मजिबूत बनाएगा। पेट साफ रखने के िलए केवल ितफला के चिकण ू र का प्रयोग करे ,यह आपके बालो के जिड़ो को भक्ती मजिबूती प्रदान करे गा।
जिटामासी के कुछ आयव ु ेिदक प्रयोग....
- एक चिकम्मचिक जिटामासी मे मधु िमश्री का घोल िमला कर इतसका सेवन करने से ब्लडप्रेशर को ठीक करके सामान्य स्तर पर लाया जिा सकता है ।
- दांतो मे ददर हो तो जिटामांसी के महीन पावडर से मंजिन कीि 봿जिए।
- इतसका शरबत िदल को मजिबूत बनाता है , और शरीर मे कहीं भक्ती जिमे हुए कफ को बाहर िनकालता है । - मािसक धमर के समय होने वाले कष्ट को जिटामांसी का काढा खत्म करता है ।
- मि 봿स्तष्क और नािडय़ो के रोगो के िलए ये राम बाण औषिध है , ये धीमे लेिकन प्रभक्तावशाली ढं ग से काम करती है ।
- पागलपन , िहस्टीिरया, मन बेचिकैन होना, याददाश्त कम होना.,इतन सारे रोगो की यही अचिकक ू दवा है । - ये ितदोष को भक्ती शांत करती है और सि 봿न्नपात के लक्षण खत्म करती है । - इतसके सेवन से बाल काले और लम्बे होते है ।
- इतसके काढ़े को रोजिाना पीने से आँखो की रोशनी बढ़ती है ।
- चिकमर रोग , सोरायिसस मे भक्ती इतसका लेप फायदा पहुंचिकाता है ।
हर इतंसान चिकाहता है िक वह बुढ़ापे तक स्वस्थ रहे तािक वह पूण त र ा के साथ और सारे सुख उठाते हुए जिीवन जिी सके। लेिकन कुछ आदते ऐसी होती है ि 봿जिनके कारण हम बार-बार बीमार हो जिाते है और हमारी उम कम हो जिाती है । आयुवेद के अनुसार जिो भक्ती व्यि 봿क्त नीचिके िलखी इतन दस बातो का ध्यान रखता है वह िचिकरायु रहता है ।
इतन दस बातो का ध्यान न रखने पर उम कम हो जिाती है
- भक्तोजिन के तुरंत बाद सोना या पिरश्रम करना, भक्तोजिन करते हुए बाते करना और भक्तोजिन के अंत जिल-पीना अपचिक और कब्जि करने वाले काम है। इतनसे बचिके ।
- भक्तूख लगे तब भक्तोजिन न करना, खूब चिकबाएं िबना िनगल जिाना, भक्तोजिन करने के बाद तीन घंटे के अंदर ही दोबारा खाना और अिधक माता मे खाना सुखद नहीं होता। 28
- ि 봿जिसे शौचिक से िनवत ृ होने मे एक िमनट से ज्यादा समय न लगता हो एक वह सबसे स्वस्थ होता है । मल िवसजिरन मे जिरा भक्ती िवलंब न होना अच्छी पाचिकनशि 봿क्त का सचिक ू क है तो वह व्यि 봿क्त शरीर से स्वस्थ और बलवान होगा ही। इतसिलए ध्यान रखे िक कब्जि न रहे ।
- जिल्दबाजिी करना अच्छा नहीं, िबना िवचिकारे बोलना या कोई काम करना अच्छा नहीं। िवचिकार कर बोलना श्रेष्ठता और बोलने के बाद सोचिकना मख र ा है । ऐसा व्यि 봿क्त मानिसक रूप से अस्वस्थ है । ू त
- पांचिक काम हमेशा ठीक समय पर करना चिकािहए। प्रात: उठना, शौचिक कायर, स्नान भक्तोजिन और सोना। - दे खे िबना जिल न पीएं, जिाने िबना िमतता न करे , हाथ धोएं िबना भक्तोजिन न करे , पछ ू े िबना राय न दे ।- िदनभक्तर मे कम से कम दस से बारह ग्लास पानी पीएं।
- अित व्यायाम, अित बोलना, अित पिरश्रम, अित जिागरण और अित मैथन ु इतन कमो से भक्ती आयु कम हो जिाती है ।
अमरबेल के खास नुस्खे: दांत और चिकेहरा दोनो हो जिाएंगे िचिककने और चिकमकदार अमरबेल मे कई ऐसे िदव्य गण ु पाए जिाते है ि 봿जिनसे रोगो का आसानी से घरे लू उपचिकार िकया जिा सकता है । ग्रामीण
अंचिकलो मे सरलता से पाए जिाने वाले इतस पौधे की कई िवशेषताए है। साथ ही कई रोगो के उपचिकार मे भक्ती इतसका प्रयोग िकया जिाता है ।
कैसे पिहरचाने- अमरबेल िबना जिड़ का पीले रं ग का परजिीवी पौधा है । यह पेड़ो के ऊपर अपने आप उग आती है । िबना जिड़ के पौधो पर ऊपर की ओर चिकढ़ता है । इतसमे गुच्छो मे सफेद फूल लगे होते है।
उपियोग- कैसी भक्ती खजि ु ली हो, अमरबेल पीसकर उस पर लेप करने से खजि ु ली खत्म हो जिाती है । - पेट फूलने एवं आफरा होने पर इतसके बीजि जिल मे उबालकर पीस ले। इतसका गाढ़ा लेप पेट पर लगाने से आफरा और उदर की पीड़ा खत्म होती है ।
- खन ू की खराबी होने पर कोमल ताजिी फिलयो के साथ तल ु सी की चिकार-पांचिक पि 봿त्तयां चिकबा-चिकबाकर चिकस ू ना चिकािहए। - इतसके पत्तो का रस पीने से मत ं ी िवकार दरू होते है। ू संबध - अमरबेल के फूलो का गल ु कंद बनाकर खाने से याददाश्त मे विृ द्धत होती है । - अमरबेल को पानी मे उबालकर उससे सजि ू न वाली जिगह की िसकाई करे । कुछ िदनो तक इतसका इतस्तेमाल करने पर सूजिन कम हो जिाती है ।
- इतसके पत्तो का रस मे सादा नमक िमलाकर दांतो पर मलने से दांत चिकमकीले होते है। 29
- अमरबेल की टहनी का दध ू चिकेहरे पर लगाने से गजिब का िनखार आता है । - यह प्रयोग करने से महावारी िनयिमत होती है । - अमरबेल के चिकण ू र को सोठ और घी िमलाकर लेप करने से पुराना घाव भक्तरता है या इतसके बीजिो को पीसकर पुराने घाव पर लेप करे , इतससे घाव ठीक हो जिाता है ।
छोटा सा नुसखा: िमचर को ऐसे लगाने से फुं सी जलदी से बैठ जाती है!
काली िमचिकर एक ऐसा मसाला है जिो स्वाद के साथ ही औषिधय गण ु ो से भक्ती भक्तरपरू है । इतसे सलाद, कटे फल या दाल
शाक पर बरु क कर उपयोग िलया जिाता है । इतसका उपयोग घरे लु इतलाजि मे भक्ती िकया जिा सकता है । आजि हम आपको बताने जिा रहे है कालीिमचिकर के कुछ ऐसे ही रामबाण प्रयोग।
- त्वचिका पर कहीं भक्ती फंु सी उठने पर, काली िमचिकर पानी के साथ पत्थर पर िघस कर अनािमका अंगल ु ी से िसफर फंु सी पर लगाने से फंु सी बैठ जिाती है ।
- काली िमचिकर को सई ु से छे द कर दीये की लौ से जिलाएं। जिब धआ ु ं उठे तो इतस धए ु ं को नाक से अंदर खीचिक ले। इतस प्रयोग से िसर ददर ठीक हो जिाता है । िहचिककी चिकलना भक्ती बंद हो जिाती है ।
- काली िमचिकर 20 ग्राम, जिीरा 10 ग्राम और शक्कर या िमश्री 15 ग्राम कूट पीस कर िमला ले। इतसे सब ु ह शाम पानी के साथ फं़ाक ले । बावासीर रोग मे लाभक्त होता है ।
- शहद मे िपसी काली िमचिकर िमलाकर िदन मे तीन बार चिकाटने से खांसी बंद हो जिाती है ।
- आधा चिकम्मचिक िपसी काली िमचिकर थोड़े से घी के साथ िमला कर रोजिाना सुबह-शाम िनयिमत खाने से नेत ज्योित बढ़ती है ।
- काली िमचिकर 20 ग्राम, सोठ पीपल, जिीरा व सेधा नमक सब 10-10 ग्राम माता मे पीस कर िमला ले। भक्तोजिन के बाद आधा चिकम्मचिक चिकूण र थोड़े से जिल के साथ फांकने से मंदािग्र दरू हो जिाती है ।
- चिकार-पांचिक दाने कालीिमचिकर के साथ 15 दाने िकशिमश चिकबाने से खांसी मे लाभक्त होता है । - कालीिमचिकर सभक्ती प्रकार के संक्रिमण मे लाभक्त दे ती है ।
- ब्लड प्रेशर लो रहता है , तो िदन मे दो-तीन बार पांचिक दाने कालीिमचिकर के साथ 21 दाने िकशिमश का सेवन करे । - बुखार मे तुलसी, कालीिमचिकर तथा िगलोय का काढ़ा लाभक्त करता है ।
तुलसी के कु छ पते ऐसे खाएं तो पेट से जुडी कोई बीमारी नही होगी
तुलसी को संजिीवनी बूटी कहा जिाता है । भक्तारतीय संस्कृित मे इतसे पूज्य पौधा माना गया है । आयुवेद मे कहा गया है िक तल ु सी वो औषिध है ि 봿जिससे अनिगनत बीमािरयो का इतलाजि संभक्तव है । इतसका सही तरीके से उपयोग करने पर
इतससे बहुत सारी बीमािरयो का इतलाजि संभक्तव है । तल ु सी मे 27 तरह के खिनजि पाए जिाते है। तल ु सी के पत्तो के एक ऐसे ही प्रयोग का आयुवेद मे वण रन है । इतस प्रयोग को िनयिमत रूप से करने पर पेट से जिड़ ु ी सभक्ती बीमािरयां दरू हो जिाती है।
प्रयोग- तुलसी की तीस पि 봿त्तयां पानी से धोकर पीसकर 20 ग्राम दही जिो खट्टा न हो या एक-दो चिकम्मचिक शहद के साथ सेवन करे । इतसके तीन महीने तक प्रयोग से भक्तूख खुलकर लगती है और कब्जि नहीं होती साथ ही िनयिमत रूप से इतसके सेवन से पेट से जिड़ ु ी कोई बीमारी नहीं होती।
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तेल को चिकेहरे पर मलने का अनोखा तरीका इतससे झुिरर यां गायब हो जिाएंगी नािरयल को शद्धत ु ता का प्रतीक माना जिाता है । इतसीिलए नािरयल का उपयोग पूजिा-पाठ मे भक्ती िकया जिाता है ।
नािरयल कई तरह औषिधय गुण ो से भक्तरपूर है। साथ ही सौंदयर िनखारने मे भक्ती नािरयल बहुत उपयोगी है । आइतए जिानते है नािरयल के कुछ ऐसे ही प्रयोग जिो आपकी खूबसूरती को िनखार दे गे।
- नािरयल पानी व खीरे का रस िमलाकर रोजिाना लगाने से। दाग धब्बे िमटते है, त्वचिका कांितमय लगने लगती है । नािरयल का दध ू बालो के बढऩे मे महत्वूण र भक्तिू मका अदा करता है । यह बालो को बेहतरीन पोषण प्रदान करता है ।
- खट्टे दही मे मल् ु तानी िमट्टी िमलाकर उस उबटन मे नािरयल के तेल की कुछ बंद ू े डालकर लगाने से बालो मे चिकमक और नई जिान आ जिाते है।
- रात को सोते समय चिकेहरे पर गरदन और झिु ररयो से प्रभक्तािवत भक्ताग मे नािरयल का तेल लगाएं। हाथो को ऊपर की
तरफ ले जिाते हुए मािलश करे । मािलश हल्के हाथ से करे । सवेरे उठकर चिकेहरे को साफ पानी से धो ले। झिु रर यां नष्ट हो जिाएंगी।
- रोजिाना 2 से 3 नािरयल पानी पीएं चिकेहरा ग्लो करने लगेगा। - नािरयल की िगरी खाने से रं ग िनखरने लगता है ।
चिकटपटे इतलाजि...अटपटे है लेिकन बड़े काम के है ये घरे लू फंडे
खाने को चिकटपटा बनाने के िलए लाल िमचिकर का प्रयोग भक्तारत मे सालो से होता आ रहा है । लेिकन आयव ु ेद के अनस ु ार
हमारे िकचिकन के हर एक मसाले मे कई औषिधय गण ु छुपे हुए है। इतनसे कई छोटी-मोटी परे शािनयो का इतलाजि िकया जिा सकता है । आजि हम बताने जिा रहे है लाल िमचिकर से कुछ ऐसे ही घरे लू उपचिकार....
- लाल िमचिकर के सेवन से मल-मूत मे आने वाली समस्याएं दरू हो जिाती है ।- लाल िमचिकर खाना मोटापा कम करने और भक्तोजिन के बाद अिधक कैलोरी जिलाने मे मददगार हो सकता है ।
- लाल िमचिकर पर िकए गए वैज्ञािनक शोध से पता चिकला है िक इतसमे से तत्व मौजिूद है जिो शरीर मे उठने वाले ददर के िनवारण के िलए लाभक्तदायक होती है ।
- लाल िमचिकर की लुगदी बना ले ि 봿जिस ओर की आंख लाल हो या ददर हो उसी पैर के अंगूठे पर व लग ु दी का लेप करे , यिद दोनो आंख मे हो रही हो तो दोनो मे करे - 2 घंटे मे आंख ठीक हो जिायेगी।
- अशुद्धत पानी से पेट मे होने वाली परे शानी है तो लाल िमचिकर की चिकटनी को घी मे छोककर खाने से गंदे पानी का
दष्ु प्रभक्ताव नहीं पड़ता है ।- अगर िकसी को सांप कांट ले तो िमचिकर कड़वी नहीं लगती । िमचिकर िखलाने से िवष खत्म होगा। - िवच्छू के काटने पर लाल िमचिकर का लेप लगाये ठं डक पड़ जिायेगी।
- गमी मे हरी िमचिकर खाने से इतसके बीजि अगर आपके पेट मे है तो है जिा का डर नहीं होता है । - हरी िमचिकर खाने के साथ खाएं। अचिकार खाएं इतसमे िवटािमन सी पयारप्त माता मे होता है ।
- यिद गले मे इतन्फेकशन हो गया हो या खांसी हो तो लाल िमचिकर की चिकटनी अवश्य ग्रहण करे ।- आपको ि 봿जिस तरह पसंद हो वैसे लाल िमचिकर खाएं। लाल िमचिकर बेसन मे डालकर पकोड़े बनाकर खाएं।
ये दवा कडवी जरर है , लेि कन इन जानलेव ा बीमािरयो मे अचूक रामबाण है 31
नीम को सारे रोगो का हकीम माना जिाता है । नीम की पि 봿त्तयो से अनिगनत रोगो के इतलाजि संभक्तव है । नीम का प्रयोग घाव, दाद, रक्तशोधन मे लाभक्तकारी होता है । नीम का पूरा पेड़ ही बहुत उपयोगी है । इतसकी पि 봿त्तयो का रस भक्ती बहुत गण ु कारी माना जिाता है । गिमरयो मे इतसका ज्यस ू िवशेष रूप से लाभक्तकारी होता है । - नीम जिस ू शरीर की रं गत िनखारने मे असरदार है ।
- प्रेगनेसी के दौरान नीम का रस योिन के ददर को कम करता है । कई प्रेगनेट औरते लेबर पेन से मक् ु ती पाने के िलये
नीम के रस से मसाजि करती है। गभक्तारशय और उसके आस-पास के अंगो का सजि ू न उतर जिाता है , भक्तख ू लगती है , दस्त साफ होता है , ज्वर नहीं आता, यिद आता भक्ती है तो उसका वेग अिधक नहीं होता।
- नीम की पि 봿त्तयो के रस और शहद को 2:1 के अनप ु ात मे पीने से पीिलया मे फायदा होता है , और इतसको कान मे डालने से कान के िवकारो मे भक्ती फायदा होता है ।
- नीम जिस ू पीने से, शरीर की गंदगी िनकल जिाती है । ि 봿जिससे बालो की क्वािलटी, त्वचिका और डायजिेशन अच्छा हो जिाता है ।
- इतसके अलावा नीम जिूस मधुमेह रोिगयो के िलये भक्ती फायदे मंद है । अगर आप रोजिाना नीम जिस ू पीएंगे तो आपका ब्लड़ शग ु र लेवल िबल्कुल कंट्रोल मे हो जिाएगा।
- नीम के रस की दो बूंदे आंखो मे डालने से आंखो की रौशनी बढ़ती है और अगर कन्जिंगक्टवाइतिटस हो गया है , तो वह भक्ती जिल्द ठीक हो जिाता है ।
- यह बुरे कैलेस्ट्रोल को कम या नष्ट करता है । नीम का महीने मे 10 िदन तक सेवन करते रहने से हाटर अटै क की
बीमारी दरू हो सकती है ।
- नीम के रस का फायदा मलेिरया रोग मे िकया जिाता है । नीम वाइतरस के िवकास को रोकता है और लीवर की कायरक्षमता को मजिबूत करता है ।
घर आर्थए ऐसे लोगो को जल्द करे दें िवदा! नहरीं तो सनातन धमर परं पराओं मे घर आए अितिथ को दे वता के समान माना जिाता है । घर आए व्यि 봿क्त की हर तरह से सेवा व सम्मान न केवल मानवीय धमर के नजििरए से श्रेष्ठ व पण् ु य का कायर होता है , बि 봿ल्क इतसमे व्यावहािरक रूप से भक्ती
सबक है िक जिीवन मे समाजि से कुछ भक्ती पाने के िलए पहले िन:स्वाथर भक्ताव से दे ने का संकल्प और इतरादा लेकर चिकले । इतंसानी जिीवन की साथरकता प्रेम, शांित, मेलजिोल, सहायता और परोपकार के िबना किठन है । घर आए अितिथ, इतष्टजिनो या कुटुंब के सदस्यो का सेवा-सत्कार भक्ती व्यथर कलह व अशांित को दरू रखने का बेहतर जििरया भक्ती है । क्योिक तमाम मेल-िमलाप ही नहीं, मतभक्तेद के बाद भक्ती वे अच्छे -बुरे वक्त के वे संगी होते है। वहीं इतस पहलू पर धमरग्रंथ महाभक्तारत की िवदरु नीित पर गौर करे तो संदेश है िक िन:संदेह अितिथ, राहगीर या बेसहारो की सेवा-
सहायता सबसे बड़ा धमर है । िकं तु कुछ ऐसे लोग भक्ती है जिो घर आने पर अपने बोल, वचिकन और व्यवहार के दोषो से सुख-सुकून बबारद कर सकते है व जिीवन को िनरथरक कलह मे उलझाते है।
यही कारण है िक िवदरु नीित मे िलखी इतस बात के जििरए ऐसे लोगो को घर से जिल्द से जिल्द िवदा करने का सबक िदया गया है । जिािनए, कौन-है ये लोग -
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अकमरशीलं चिक महाशनं चिक लोकिद्वष्टं बहुमायं नश ं म ्।अदे शकालज्ञमिनष्टवेश-मेतान ् गह ृ स ृ े न प्रितवासयेत।। सरल शब्दो मे अथर यही है िक क्लेश और अशांित से बचिकने के िलए इतन लोगो को घर मे कभक्ती भक्ती या अिधक दे र तक न रुकने दे । ये लोग है -
- अकमरण्य यानी आलसी या कामचिकोर - बहुत खाने वाले
- सबके प्रित द्वेष या शतत ु ा का भक्ताव रखने वाले
- अिधक मायावी या कुिटलता, छल-कपट भक्तरे मन के लोग
- दे शकाल यानी वक्त और हालात की समझ न रखने वाले या उसके मत ु ािबक न ढलने वाले।
सुखी वैवािहक जिीवन के है ये तीन सूत... - िनि 봿न्दत वेष रखने वाले यानी ि 봿जिनका रहन-सहन, पहनावा ढं ग का न हो। आजि पहले तो िववाह न होना बड़ी परे शानी है और िफर िववाह के बाद िनबाह होना उससे बड़ी परे शानी। अिधकांश लोगो की िशकायत है िक उनका दाम्पत्य जिीवन असहजि है । पित-पत्नी मे तकरार और अिवश्वास लगभक्तग हर
गह ु ी दाम्पत्य के तीन प्रमुख सत ू ो को भक्तूलते जिा रहे है ये सूत है ृ स्थी मे प्रवेश करता जिा रहा है । वास्तव मे हम सख आदर, िवश्वास और प्रेम।
सभक्ती चिकाहते है िक दाम्पत्य सख ु ी रहे । इतसके िलए खूब कोिशश भक्ती की जिाती है । सख ु दाम्पत्य का मल ू स्वभक्ताव है ।
चिकंिू क गह ृ स्थी मे हम मूल छोड़ आवरण पर िटक जिाते है इतस कारण सुख जिो है ही उसे बाहर से लाने के िलए प्रयास
करते है। दाम्पत्य मे सख ु िबल्कुल ऐसा है जिैसे कोई चिकीजि रखकर भक्तूल जिाएं। यिद ठीक से ढूंढ ले तो वस्तु िमल जिाती है उसे बाहर कहीं से लाना नहीं पड़ेगा या पैदा नहीं करना पड़ेगा।
वह पूवर से हमारे पास था, बस हम िवस्मत ु को ढूंढना है तो ृ कर गए, िबल्कुल ऐसा ही है पिरवार मे सुख। इतस सख
शुरुआत अपने भक्तीतर के प्रेम से की जिाए। हम ि 봿जितने प्रेम से भक्तरे होगे, पिरवार मे सुख की संभक्तावना उतनी ही बढ़ा
दे गे। जिीवन मे प्रेम उतरने के बाद िक्रियाएं करना नहीं पड़ती, होने लगती है।चिकिलए आजि िशव-पावरती के दाम्पत्य के एक प्रसंग के दशरन कर ले।
िववाह के बाद िशव कैलाश पर बैठे थे और पावरतीजिी का प्रवेश हुआ। इतस घटनाक्रिम के िलए तल ु सीदासजिी ने िलखा है जािन िप्रया आर्थदर अित कीन्हरा, बाम भाग आर्थसन हरर दीन्हरा अपनी िप्रया पत्नी को जिानकर बैठने के िलए आदर से बाएं भक्ताग मे स्थान िदया। िशव का अथर है कल्याण , जिो प्रेम
का ही प्रितिबंब है । यहां पावरतीजिी के आने पर िशव तीन काम करते िदखते है। इतस पंि 봿क्त मे तीन शब्द आए है-िप्रया, आदर और आसन। पत्नी को िप्रया माना। पित-पत्नी दोनो के बीचिक जिड़ ु ाव प्रेम होना चिकािहए, मजिबूरी नहीं। िफर आदर िदया।
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प्रेम का दावा करे और एक दस ू रे के प्रित आदर का भक्ताव न हो, गड़बड़ यहां से शुरु हो जिाती है । और िफर बाएं भक्ताग मे बराबर का आसन िदया। पित-पत्नी के बीचिक समानता का भक्ताव हो, बड़े-छोटे होने के इतरादे , एक ऐसी प्रितस्पधार को जिन्म दे ते है ि 봿जिससे वह अशांित का केन्द्र बन जिाती है । शास्तो ने िशव को िवश्वास और पावरती को श्रद्धता माना है ।
बेहतरीन आयुवेिदक उपाय...गैस - एसीिडटी से जलद राहत के िलए
चिकटपटा, मसालेदार खाना खाने से आप पेट की जिलन यानी एसीिडटी से परे शान से हो सकते है। अगर आपके पेट मे बार-बार ददर होता है , बेचिकैन रहते है, गले मे जिलन होती है , खाना खाने का मन नहीं करता। आप मे ये लक्षण है तो आप एसीिडटी से परे शान है। हम आपको बताएंगे की आप िकस तरीके से एिसिडटी से िनजिात पा सकते है। - िनयिमत रूप से 1-2 चिकम्मचिक सौंफ का प्रयोग अि 봿ग्न को दीप्त करता है ।
-1-1.5 ग्राम सौंठ,मरीचिक एवं िपप्पली चिकण ू र का प्रयोग भक्ती अरुिचिक एवं अि 봿ग्नमांद को दरू करता है ।
-कुटजि चिकण ू र, िवडंग चिकूण र एवं अिवपि 봿त्तकर चिकूण र को सममाता मे िमलाकर 1-1.5 ग्राम की माता मे लेना पेट की गड़बड़ी को दरू करता है ।
-िहन्ग्वाष्टक चिकूण र एवं लवण भक्तास्कर चिकूण र का प्रयोग 1.5 से तीन ग्राम की माता मे करना पेट मे अफरा या गैस बनाने के समस्या को दरू करता है ।
-पंचिकसकार चिकण ू र की 2.5 से 5 ग्राम की एक-एक माता मल को साफकर पेट को हल्का रखता है ।
-केवल ितफला चिकण ू र की िनयिमत 2.5-से 5 ग्राम की माता उदर िवकारो मे रामबाण औषिध है ।-एक हरड ,दो बहे ड़ा एवं चिकार आंवले का प्रयोग सभक्ती प्रकार की पेट से सम्बि 봿न्धत िवकृितयो को दरू करता है ।
-भक्तोजिन मे नमक की माता 24 घंटे मे 2.5 ग्राम से अिधक नहीं होनी चिकािहए ,साथ ही अत्यिधक चिकटपटे पदाथो के सेवन भक्ती बचिकना चिकािहए।
-भक्तोजिन ग्रहण करने के तत्काल बाद शयन की प्रविृ त से बचिकना चिकािहए। -भक्तोजिन के साथ जिल पीने के प्रविृ त से भक्ती बचिकना चिकािहए।
-भक्तोजिन बहुत जिल्दी -जिल्दी िबना चिकबाकर नहीं लेना चिकािहए। - पूरे िदन मे पयारप्त माता मे स्वच्छ जिल पीना चिकािहए।
-खाए जिाने योग्य एवं न खाए जिाने योग्य भक्तोजिन का ध्यान रखकर िकया गया, भक्तोजिन उदर रोगो को दरू रखता है ।
शहद खाएं तो इतन बातो का याद रखे वरना ये जिहर बन जिाएगा
शहद को आयव ु ेद मे अमत ृ माना गया है । माना जिाता है िक रोजिाना सही ढं ग से शहद लेना सेहत के िलए अच्छा
होता है । लेिकन शहद का सेवन करने से फायदे ही नहीं नक ु सान भक्ती हो सकते है। इतसिलए शहद का सेवन जिब भक्ती करे नीचिके िलखी बातो को जिरूर ध्यान रखे।
- चिकाय, कॉनफी मे शहद का उपयोग नहीं करना चिकािहए। शहद का इतनके साथ सेवन िवष के समान काम करता है । - अमरूद, गन्ना, अंगूर, खट्टे फलो के साथ शहद अमत ृ है । 34
- शहद खाकर िकसी तरह की परे शानी महसूस हो रही हो तो नींबू का सेवन करे । - इतसे आग पर कभक्ती न तपाये।
- मांस, मछली के साथ शहद का सेवन जिहर के समान है । - शहद मे पानी या दध ू बराबर माता मे हािनकारक है ।
- चिकीनी के साथ शहद िमलाना अमत ृ मे िवष िमलाने के समान है ।
- एक साथ अिधक माता मे शहद न ले । ऐसा करना नक ु सानदायक होता है । शहद िदन मे दो या तीन बार एक चिकम्मचिक ले।
- घी, तेल, मक्खन मे शहद जिहर के समान है ।
बाप रे बाप छोटे नींबू से हो सकता है इतन बड़ी प्रॉनब्लम्स का इतलाजि नींबू को िवटािमन ''सी'' का सबसे अच्छा स्तोत व स्वास्थ्य के िलए बहुत लाभक्तदायक माना जिाता है । िवशेषकर पेट से संबंिधत समस्याओं के िलए नींबू का प्रयोग अनेक तरीको से िकया जिाता है । आजि हम आपको बताने जिा रहे है नींबू के ऐसे ही कुछ प्रयोगो के बारे मे ि 봿जिनसे आप कई छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं से िनजिात पा सकते है।
नींबू की िशकंजिी, चिकीनी के िक बजिाय सेधा नमक डालकर बनाएं कब्जि दरू हो जिाएगी। स्कवी रोग मे नींबू कारगर है
एक भक्ताग नींबू का रस और आठ भक्ताग पानी िमलाकर रोजिाना िदन मे एक बार ले।नींबू के रस मे थोड़ी शकर िमलाएं।
इतसे गमर कर िसरप जिैसा बना ले। इतसमे थोड़ा पानी िमलाकर पीएं। िपत्त के िलए यह अचिकक ू औषिध है । आधे नींबू का रस और दो चिकम्मचिक शहद िमलाकर चिकाटने से तेजि खांसी व जिुकाम मे लाभक्त होता है । नींबू से हृदय की अिधक धड़कन सामान्य हो जिाती है ।
उच्चिक रक्तचिकाप के रोिगयो की रक्तवािहिनयो को यह शि 봿क्त दे ता है । एक नींबू के रस मे तीन चिकम्मचिक शकर, दो
चिकम्मचिक पानी िमलाकर, घोलकर बालो की जिड़ो मे लगाकर एक घंटे बाद अच्छे से िसर धोने से रूसी दरू हो जिाती है व बाल िगरना बंद हो जिाते है। बालो मे रूसी है तो बालो की जिड़ो मे नींबू का रस थोड़ी दे र के िलए लगाकर छोड़ दे । िफर कुछ दे र बाद िसर धो ले । रूसी से छुटकारा िमल जिाएगा। शैम्पू करने के बाद थोड़े-से पानी मे नींबू का रस िमलाकर बालो पर लगाएं। वे चिकमकदार व मुलायम हो जिाएंगे।
मोटापे से परे शान है तो सुबह हल्के गमर पानी मे नींबू का रस डालकर पीएं। िनरं तर प्रयोग से वजिन कम हो जिाएगा। मलेिरया और है जिा जिैसी बीमािरयो मे भक्ती नींबू पानी बहुत ही फायदे मंद है । काली कोहिनयो को साफ करने के िलए
नींबू को दो भक्तागो मे काटे और उस पर खाने वाला सोडा डालकर कोहिनयो पर रगड़े। मैल साफ हो जिाएगा, कोहिनयां मुलायम हो जिाएंगी।
नींबू के सेवन से सख ू ा रोग दरू होता है । नींबू का िछलका पीसकर उसका लेप माथे पर लगाने से माइतग्रेन ठीक होता है । नींबू मे िपसी काली िमचिकर िछड़क कर जिरा सा गमर करके चिकस ू ने से मलेिरया ज्वर मे आराम िमलता है । नींबू के
बीजि को पीसकर लगाने से गंजिापन दरू होता है । बहरापन हो तो नींबू के रस मे दालचिकीनी का तेल िमलाकर कान मे डाले । आधा कप गाजिर के रस मे नींबू का रस िमलाकर पीएं, खन ू की कमी दरू होगी। 35
जिािनए, स्वि 봿स्तक बनाने से कैसे और क्यो होते है शुभक्त प्रभक्ताव िहन्द ू धमर परं पराओं मे हर मांगिलक, धािमरक या नए काम की शरु ु आत स्वि 봿स्तक का िचिकन्ह बनाकर की जिाती है ।
स्वि 봿स्तक शभक्त ु व मंगल का प्रतीक माना जिाता है । धमरशास्तो मे स्वि 봿स्तक िचिकन्ह बनाने और शभक्त ु होने के पीछे खास कारण बताए गए है। जिािनए, ये खास बाते -
दरअसल, शास्तो मे स्वि 봿स्तक िवघहतार व मंगलमूितर भक्तगवान श्री गण ेश का साकार रूप माना गया है । स्वि 봿स्तक का बायां िहस्सा 'गं' बीजिमंत होता है , जिो भक्तगवान श्री गण ेश की शि 봿क्त व स्थान माना जिाता है । इतसमे , जिो चिकार िबि 봿न्दयां होती है, उनमे गौरी, पथ्ृ वी, कूमर यानी कछुआ और अनन्त दे वताओं का वास माना जिाता है ।
िवश्व के प्राचिकीनतम ग्रंथ वेदो मे भक्ती स्वि 봿स्तक के श्री गण ेश का स्वरूप होने की पुि 봿ष्ट होती है । िहन्द ू धमर की पूजिा-
उपासना मे बोले जिाने वाले वेदो के शांित पाठ मंत मे भक्ती भक्तगवान श्री गण ेश का स्वि 봿स्तक रूप मे स्मरण िकया गया है । यह शांित पाठ है
स्वि 봿स्त न इतन्द्रो वद्धत ृ श्रवा: स्वि 봿स्त न: पूषा िवश्ववेदा:
स्वि 봿स्तनस्ता रक्षो अिरष्टनेिम: स्वि 봿स्त नो बह ृ स्पितरदधातु
इतस मंत मे चिकार बार आए 'स्वि 봿स्त' शब्द चिकार बार मंगल और शभक्त ु की कामना से श्री गण ेश का ही ध्यान और आवाहन है ।
असल मे , स्वि 봿स्तक बनाने के पीछे व्यावहािरक दशरन यही है िक जिहां माहौल और संबंधो मे प्रेम, प्रसन्नता, श्री, उत्साह, उल्लास, सद्भाव, सौंदयर, िवश्वास, शभक्त ु , मंगल और कल्याण का भक्ताव होता है , वहीं श्री गण ेश का वास होता है और उनकी कृपा से अपार सख ु और सौभक्ताग्य प्राप्त होता है । चिकंिू क श्री गण ेश िवघहतार है, इतसिलए ऐसी मंगल
कामनाओं की िसिद्धत मे िवघो को दरू करने के िलए स्वि 봿स्तक रूप मे गण ेश स्थापना की जिाती है । इतसिलए श्री गण ेश को मंगलमिू तर भक्ती पक ु ारा जिाता है ।
दालचिकीनी का दे हाती नुस्खा....15 िमनट मे आथरराइतिटस का ददर दरू
भक्तारत मे आथरराइतिटस की बढ़ती समस्या के पीछे जिीवनशैली मे बदलाव एक बड़ा कारण है । मॉनडरन लाइतफ
स्टाइतल, काम का कोई समय नही और काम के िलए िदन-रात एक जिैसे। ऐसे मे अिधकतर लोग कम उम मे आथरराइतिटस के चिकक्कर मे आ रहे है। आथरराइतिटस से परे शान लोगो के िलए नीचिके एक दे सी नस् ु खा बताया जिा रहा है जिो िक यह आथरराइतिटस की समस्या मे रामबाण है
- आथरराइतिटस का ददर दरू भक्तगाने मे शहद और दालचिकीनी का िमश्रण बड़ा कारगर है । एक चिकम्मचिक दालचिकीनी पाउडर ले । इतसे दो ितहाई पानी और एक ितहाई शहद िमला ले । इतस लेप को ददर वाली जिगह पर लगाएं। 15 िमनट मे ददर गायब हो जिाएगा।
- शहद के साथ दालचिकीनी पाउडर लेने पर पेट के ददर से राहत िमलती है । ऐसे लोग ि 봿जिन्हे गैस की समस्या है उन्हे शहद और दालचिकीनी पाउडर बराबर माता मे िमलाकर सेवन करना चिकािहए।
- आधा लीटर चिकाय मे तीन चिकम्मचिक शहद और तीन चिकम्मचिक दालचिकीनी िमलाकर पीएं। दो घंटे के भक्तीतर रक्त मे कोलेस्ट्राल का स्तर घट जिाता है ।- दालचिकीनी त्वचिका को िनखारती है तथा खुजिली के रोग को दरू करती है । 36
- रात को सोते समय िनयिमत रूप से एक चिकट ु की दालचिकीनी पाउडर शहद के साथ िमलाकर लेने से मानिसक तनाव मे राहत िमलती है और स्मरण शि 봿क्त बढ़ती है ।
आयुवेिदक फामूल र ा... इतससे पेट से जिड़ ु ी छोटी-मोटी सारी बीमािरयां खत्म हो जिाएंगी
आयुवेद के अनुसार हमारे शरीर मे अिधकांश बीमािरयो का कारण पेट के रोग होते है और पेट रोग का प्रमुख कारण
कब्जि है । अगर आप भक्ती कब्जि और उससे होने वाली अन्य समस्याओं से ग्रस्त है तो घर पर ही करे अपनी कब्जि का इतलाजि इतस आयुवेिदक दवा से।
सामग्री- छोटी काली हरड़ 250 ग्राम। इतसे पानी मे डाले। जिो हरड़ पानी मे डूब जिाएं उसे लेना है । जिो ऊपर तैरते
रहे उसे फेक दे ना चिकािहए। डूबी हुई हरड़ को पानी से िनकाल ले । एक ग्लास खट्टी छाछ मे दो नींबू का छना हुआ रस डाल दे । िफर 10 ग्राम पीसा सेधा नमक डाल कर हरड़ डाल दे और 48 घंटे तक ढाक कर रखे। बाद मे हरड़ िनकाल कर धप ू मे सख ु ा कर कूट पीस कर महीन चिकण ू र कर ले ।इतस चिकण ू र को 1 कप गरम पानी के साथ एक
चिकम्मचिक रात को सोते समय ले। यिद कब्जि ज्यादा हो तो चिकण ू र और पानी की माता आवश्यकता के अनस ु ार बढ़ा ले । इतस प्रयोग को साल भक्तर तक यानी हमेशा रात को सोते समय लेते रहे । कोई भक्ती हािन नहीं होगी। हरड़ का प्रयोग उन लोगो के िलए एक वरदान ही है जिो हमेशा कब्जि के िशकार बने रहते है।
ि 봿जिन्हे न खुलकर भक्तूख लगती है और न दोनो वक्त ठीक से शौचिक होता है । यह पाचिकन शि 봿क्त ठीक रखने, गैस
बनना, पेट साफ रखने, भक्तख ू बढ़ाने और समस्त उदर रोगो को दरू रखने वाला श्रेष्ठ और बहुत गण ु कारी योग है । जिो ऊपर बताएं फामल ुर े का प्रयोग न भक्ती करे और केवल हरड़ का ही उपयोग करे क्योिक हरड़ के सेवन के भक्ती कई लाभक्त है।
जिब पहली बार हो प्रेग्नेन्सी
कहते है िकसी भक्ती औरत के िलए सबसे बड़ा सख ु मां बनने का एहसास होता है । जिब कोई मिहला पहली बार प्रेगनेट होती है तो उसे कई बातो का खास ख्याल रखना होता है । ऐसे मे खुद का ख्याल रखने के िलए डॉनक्टर की सलाह के
साथ ही घर के बड़ो की सलाह भक्ती लेना चिकािहए। आइतए जिाने गभक्तारवस्था मे स्वस्थ रहने के िलए ऐसे ही कुछ नुस्खो के बारे मे ...
- गभक्तरधारण के दौरान िनधारिरत कैलोरी और पौि 봿ष्टक आहार लेना बहुत जिरूरी है जिैसे अनाजि, सि 봿ब्जियां, फल, िबना चिकबी का मीट, कम वसा युक्त दध ू , नािरयल पानी आिद।
-गभक्तारवस्था मे ज्यादा माता मे फोिलक एिसड, आयरन, कैि 봿ल्सयम, िवटािमन ए एवं बी-12 की जिरूरत होती है । - पयारप्त माता मे पानी पीएं।
- समय-समय पर डॉनक्टर के संपकर मे रहे और हर महीने अपना चिकेकअप करवाती रहे । - तैलीय पदाथो का कम माता मे सेवन करे , जिूस, सलाद, सूप इतत्यािद तरल पदाथर अिधक ले ।- हल्के-फुल्के ढीलेढाले कपड़े ही पहने।
- गभक्तारवस्था के दौरान िसगरे ट व शराब जिैसे पदाथो का सेवन न करे । - गभक्तरवती मिहलाओं को िकसी भक्ती प्रकार की शारीिरक जिोिखम भक्तरे कायो से बचिकना चिकािहए, साथ ही भक्तारी सामान 37
उठाने से भक्ती बचिकना चिकािहए। - समय-समय पर टीके लगवाते रहना चिकािहए।
एसीिडटी से परे शान लोगो के िलए...आयुवेिदक नुस्खा
जिो लोग एसीिडटी से परे शान होते है उन्हे एसीिडटी के कारण पेट मे कई बार असहनीय जिलन होती है । अगर आपके साथ भक्ती ऐसी ही समस्या है तो जिरूर आजिमाएं ये आयुवेिदक उपाय। पेट की जिलन तुरंत दरू हो जिाएगी। आयुवेिदक उपाय- पुष्कर की जिड़, एरण्ड की जिड़, जिौ और धमासा- चिकारो को मोटा-मोटा कूट कर बोतल मे भक्तर
ले । एक िगलास पानी मे दो चिकम्मचिक चिकण ू र डाल कर उबाले । जिब पानी आधा कप बचिके तब उतार कर , आधा सब ु ह व आधा शाम को पी िलया करे । पेट की जिलन दरू हो जिाएगी। यह प्रयोग आठ िदनो तक करके बंद कर दे । क्या ध्यान रखे -इतस प्रयोग के साथ गिरष्ट भक्तोजिन से बचिके ।सब ु ह एक कप कच्चिका दध ू और एक कप पानी
िमलाकर इतसमे एक छोटी चिकम्मचिक िमश्री या चिकीनी डालकर फेट लगाएं और खाली पेट चिकाय व दध ू की जिगह पीएं। भक्तोजिन के अंत मे आगरे का पेठा या केला खाएं। सब ु ह-शाम आंवले का मरु ब्बा चिकबा चिकबाकर खाएं।
छोटे -छोटे घरे लू िटप्स: आधा िसरददर है तो इतन्हे ट्राय करे
अंगरू का रस एक कप रोजि सब ु ह सय ू र िनकलने से पहले पीने से आधे िसर का ददर ठीक हो जिाता है ।
- िसर का ददर सय ू र उदय के साथ घटता-बढ़ता हो तो सय ू ोदय के पहले गमर दध ू के साथ जिलेबी या रबड़ी खाएं। - आधा चिकम्मचिक नमक, आधा चिकम्मचिक शहद मे िमलाकर खाएं लाभक्त होगा।
- नाक मे 8 बंद ंू ने से आधे िसर का ददर शीघ बंद हो जिाता है । ू सरसो का तेल डालकर सघ
- आधे िसर का ददर सय ू र के साथ घटे -बढ़े तो 12 ग्राम गड़ ु को 6 ग्राम दे शी घी के साथ खाएं। - 12 ग्राम कालीिमचिकर चिकबा कर खाएं ऊपर से दे शी घी पीएं।
- तुलसी के पत्तो का रस और शहद के साथ सुबह चिकाटने से लाभक्त होगा।
ब्लडप्रेशर...??? ये पांचिक नस् ु खे अचिकक ू रामबाण है
अगर आपको कभक्ती भक्ती चिकक्कर आने लगते है, िसर घम ू ने लगता है , या िकसी िकसी काम मे मन नहीं लगता,
कमजिोरी महसस ू होती है और नींद भक्ती नहीं आती तो जिरा सावधान हो जिाइतए। वतरमान समय मे बढ़ते मानिसक तनाव और भक्तागदौड़ से लोगो मे हाई ब्लड प्रेशर की िशकायत होना आम हो गया है । थोड़ी सी टे शन या
जिम्मेदािरयो को पूरा न कर पाने का दबाव इतस बीमारी को लगातार बढ़ावा दे रहा है । आयुवेद के कुछ घरे लू नुस्खो को अपनाकर आप काफी हद तक इतस बीमारी से बचिक सकते है।
-प्याजि का रस और शद्धत ु शहद बराबर माता मे िमलाकर रोजि करीब दस ग्राम की माता मे ले ।- तरबूजि के बीजि की िगिर और खसखस दोनो को बराबर माता मे िमलाकर पीस ले रोजि सब ु ह-शाम एक चिकम्मचिक खाली पेट पानी के साथ ले। यह प्रयोग करीब एक महीने तक िनयिमत करे ।
- मेथीदाने के चिकूण र को रोजि एक चिकम्मचिक सब ु ह खाली पेट लेने से हाई ब्लडप्रेशर से बचिका जिा सकता है ।
- खाना खाने के बाद दो कच्चिके लहसुन की किलयां लेकर मन ु क्का के साथ चिकबाएं, ऐसा करने से हाई ब्लड प्रेशर की िशकायत नहीं होती।
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- 21 तुलसी के पत्ते तथा िसलबट्टे पर पीसकर एक िगलास दही मे िमलाकर सेवन करने से हाई ब्लडप्रेशर मे लाभक्त होता है ।
कोलेस्ट्रोल कंट्रोल करने के िलए
कोलेस्ट्रोल का स्तर जिब सामान्य से अिधक हो जिाता है तो वह रक्त वािहिनयो मे जिमने लगता है ि 봿जिसके कारण हृदय रोग होने की संभक्तावना बढ़ जिाती है । अगर आप भक्ती बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल या िदल की बीमारी से पीिड़त है तो नीचिके िलखे उपाय आपके बहुत लाभक्तदायक िसद्धत होगे। - कच्चिका लहसन ु रोजि सब ु ह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रोल कम होता है ।
- रोजि 50 ग्राम कच्चिका ग्वारपाठा खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रोल कम हो जिाता है । - अंकुिरत दाले भक्ती खाना आरं भक्त करे ।
- भक्तोजिन मे सोयाबीन का तेल जिरूर प्रयोग करे यह भक्ती एक उपचिकार है । - लहसन ु , प्याजि का रस भक्ती उपयोगी है।
- नींबू, आंवला जिैसे भक्ती ठीक लगे,प्रितिदन ले । - शराब या कोई नशा न करे ।
- ईसबगोल के बीजिो का तेल आधा चिकम्मचिक िदन मे दो बार ले कोलेस्ट्रोल कंट्रोल मे रहे गा। - दध ू मे दालचिकीनी डालकर पीएं तो कोलेस्ट्रोल कण्ट्रोल मे हो जिाएगा।
- रात के समय दो चिकम्मचिक धिनया एक िगलास पानी मे िभक्तगो दे । प्रात: िहलाकर पानी पी ले । धिनया भक्ती चिकबाकर िनगल जिाएं।
- तुलसी के पत्तो का रस और नींबू का रस िमलाकर पीने से भक्ती लाभक्त होता है ।
छोटे -छोटे घरे लू िटप्स- उल्टी मे तरु ं त आराम के िलए
- पका हुआ केला खाने से रक्त की उल्टी होना बंद हो जिाता है ।
- चिकार िपस्ता खाने से उल्टी व जिी -िमचिकलाना ठीक हो जिाता है । - धिनया उबाल कर िमश्री िमलाकर पीने से लाभक्त होता है । - हरड़ को पीसकर शहद के साथ पीने से लाभक्त होता है ।
- प्याजि के रस मे शहद िमलाकर चिकाटने से उल्टी बंद हो जिाती है । - लौंग को सेक कर चिकस ू ने से उल्टी बंद हो जिाती है ।
- पकी इतमली को पानी मे िभक्तगोकर रस पीने से उल्टी ठीक हो जिाती है । - गन्ने के रस मे शहद िमलाकर पीने से भक्ती लाभक्त होता है । - बफर चिकस ू ने से उल्टी बंद हो जिाती है ।
-उल्टी मे पोदीने का रस हर दो घंटे मे पीने से फायदा होता है ।
लेबर पिेन के बारे में ऐसी बातें जो आर्थपि शायद हरी जानते हरो 39
हर गभक्तरवती स्ती के िलए लेबर पेन का अनुभक्तव अलग होता है । लेबर पेन के समय को लेकर अिधकतर मिहलाओं के
मन मे कुछ डर तो कुछ खश ु ी सी रहती है । परन्तु लेबर के समय अगर थोड़ी सावधानी और समझदारी रखी जिाए तो िडलेवरी िक प्रोसेस को आसान बनाया जिा सकता है । आजि हम आपको बताने जिा रहे है लेबर के बारे मे कुछ ऐसी ही बाते जिो आप शायद ही जिानते होगे। लेबर की स्टे जि-
फस्टर स्टे जि:इतस समय गभक्तारशय का मंह ु खल ु ने लगता है । हल्का-हल्का संकुचिकन महसस ू होने लगता है ।
सेकेण्ड स्टे जि: इतस अवस्था मे संकुचिकन तेजि हो जिाता है । डॉनक्टर पश ु करने को कहते है। इतस प्रिक्रिया मे दो से ढाई घंटे लग सकते है। थडर स्टे जि:
बच्चिके के जिन्म हो जिाने के बाद भक्ती संकुचिकन होता रहता है और गभक्तरनाल िनकलता है । इतस समय ददर कम हो जिाता है । कब तुरंत डॉनक्टर के पास जिाएं: जिब गभक्तारशय मे तीव संकुचिकन महसूस हो। - कमर के िनचिकले िहस्से मे ददर की िशकायत हो। - रक्त स्ताव की समस्या हो रही हो। - बुखार, िसरददर या पेट मे ददर हो। आसान िडलेवरी -
- िरलेक्सेशन और िब्रिदंग टे ि 봿क्नक अपनाकर।
- इतन्ट्रावेनस ड्रग्स।
- एपीट्यूरल (एक इतंजिेक्शन जिो बॉनडी के िनचिकले िहस्से मे होने वाले ददर को रोक दे ता है)।
- स्पाइतनल एनेस्थीिसया (जिब फोरसेप्स के जििरए िडलीवरी करवाई जिाती है तो इतसका इतस्तेमाल होता है)। जिब प्रसव पीड़ा शरू ु होती है तो होने वाली मां को खुशी और घबराहट दोनो ही होती है । ऐसे मे प्रसव के समय अगर ददर को थोड़ी सहजिता से िलया जिाए और नीचिके िलखी बातो का ध्यान रखा जिाए तो प्रसव को आसान बनाया जिा सकता है ।
- प्रसव पीड़ा के समय छोटे -छोटे कदमो से धीरे -धीरे चिकलना चिकािहए। - अगर घुमने पर थकान महसूस हो तो वजिासन मे बैठना चिकािहए।
- प्रसव के समय कमर और पैरो मे ददर हो तो हल्के से मसाजि कर सकते है। मािलश के समय सबसे पहले घुटनो तक की हल्के हाथो से मसाजि करनी चिकािहए।अगर जिांघो मे ददर हो तो जिांघ पर भक्ती हल्के से मािलश करे । - िसर के नीचिके और दोनो पैरो के नीचिके तिकया रखना चिकािहए।
- जिब लेबर पेन हो तो पॉनजिीिटव िथंिकग रखे। इतससे प्रसव आसान हो जिाएगा। - ददर शुरू हो तो पेट के नीचिके के भक्ताग को हाथो से पकड़कर दबाना चिकािहए। - लेबर पेन शरु ु हो तो सहारे लेकर खड़ी रहे । - गहरी सांस ले और धीरे -धीरे पश ु करे ।
- नीचिके के शरीर को ढीला छोड़ दे ना चिकािहए। 40
- बच्चिकेदानी की मांसपेिशयो को दबाकर रखने से प्रसव मे रुकावट आती है । कोिशश करे िक ददर को सहजिता से ले िकसी भक्ती तरह का िखंचिकाव मांसपेिशयो पर न डाले।
पिथरी टूटकर बाहरर की िनकल जाती हरै । नािरयल पानी पीने से पथरी िनकल जिाती है ।
- जिीरे और चिकीनी को समान माता मे पीसकर एक-एक चिकम्मचिक ठं डे पानी से रोजि तीन बार लेने से लाभक्त होता है ।
- 15 दाने बड़ी इतलायचिकी के, एक चिकम्मचिक खरबूजिे के बीजि की िगरी और दो चिकम्मचिक िमश्री एक कप पानी मे िमलाकर सब ु ह-शाम दो बार रोजि पीते रहे ।
- जिौ का पानी पीने से भक्ती पथरी िनकल जिाती है । - सहजिन की सब्जिी खाने से गद ु े की पथरी टूटकर बाहर की िनकल जिाती है ।
- आम के पत्ते छांव मे सख ु ाकर बहुत बारीक पीस ले और आठ ग्राम रोजि पानी के साथ ले।- पका हुआ जिामन ु खाने से पथरी रोग मे आराम िमलता है ।
- आंवले का चिकण ू र मल ू ी के साथ खाने से मत ू ाशय की पथरी मे लाभक्त होता है ।
- िमश्री, सौंफ, सख ू ा धिनया सभक्ती 50-50 ग्राम को डेढ़ िकलो पानी मे रात को िभक्तगोकर रख दे । शाम को छानकर इतन्हे पीसकर इतसी पानी मे घोलकर छान कर पीएं। एक बार मे पूरा न पी पाएं तो कुछ समय बाद िफर पीएं।
कैसी भक्ती हो एलजिी, ये फामूल र े कर दे गे सबका इतलाजि
वतरमान समय मे वातावरण ीय प्रदष ु ता मे कमी के कारण एलजिी जिैसी बीमािरयां ू ण , खान-पान मे िमलावट व शद्धत बढ़ती ही जिा रही है। यहां तक िक नकली दवाओं का धंधा भक्ती िदन पर िदन बढ़ता जिा रहा है । हर तरह से स्वस्थ िदखाई दे ने वाले व्यि 봿क्त को भक्ती कई बार एलजिी हो जिाती है । अगर आप भक्ती एलजिी से जिझ ु रहे है तो अपनाएं ये रामबाण नुस्खे।
- दस ग्राम अमलतास का गूदा एवं पांचिक ग्राम वाय-िवड्ङ्ग का चिकण ू र पानी मे डालकर उबाल कर पानी से गरारे करने चिकािहए।
- रात को एक अंजिीर एवं एक छुहारा दध ू मे उबाल कर खाना चिकािहए। दध ू मे दो छोटे पीपल के पत्ते उबाल कर खाने एवं वह दध ू पीने से भक्ती लाभक्त होता है ।
- नीम चिकढ़ी िगलोय के डंठल को छोटे टुकड़ो मे काटकर इतसका रस हिरद्रा खंड चिकण ू र के साथ 1.5 से तीन ग्राम िनयिमत प्रयोग पुरानी से पुरानी एलजिी मे रामबाण औषिध है ।
- गुनगुने नींबू पानी का प्रात:काल िनयिमत प्रयोग करने से एलजिी के कारण होने वाले नजिला-जिुखाम दरू होता है । - अदरक,काली िमचिकर,तल ु सी के चिकार पत्ते ,लौंग एवं िमश्री को िमलाकर बनाइत गई हबरल चिकाय एलजिी से िनजिात िदलाती है ।
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- फल या सब्जिी के जिूस मे 5 बूंद कैस्टर ऑयल डालकर सुबह खाली पेट पीएं। चिकाहे तो फल व सब्जिी के जिूस के अलावा पानी भक्ती ले सकते है। इतससे आप आंतो, ि 봿स्कन और नाक की एलजिी से छुटकारा पा सकते है।
- आधे नींबू का रस और एक चिकम्मचिक शहद को एक िगलास गमर पानी मे िमला दे । इतसे आप रोजिाना सब ु ह कई महीनो तक पीएं। इतससे एलजिी से राहत िमलती है ।
कमर ददर से िमलेगी बड़ी राहत -एक चिकम्मचिक नींबू का रस, एक चिकम्मचिक लहसुन का रस, दो चिकम्मचिक पानी िमलाकर दो खुराक सुबह-शाम पीएं। कमर ददर ठीक हो जिाएगा।
- मेथी की सब्जिी खाने से कमरददर मे लाभक्त होता है । - कमरददर मे सहजिन की सब्जिी लाभक्तदायक है । - कमर के ददर मे छुहारा लाभक्तदायक है । सब ु ह-शाम खाएं। - 12 ग्राम गेहूं की राख इततने ही शहद मे िमला कर चिकाटने से कमर और जिोड़ो के ददर मे आराम होता है । गेहूं की रोटी
एक ओर से सेक ले और एक ओर से कच्चिकी रखे । कच्चिके वाले भक्ताग मे ितल का तेल लगा कर ददर वाले अंग पर बांध दे । इतससे ददर दरू हो जिाएगा। -कमर ददर होने पर एरण्ड के बीजि की िगरी दध ू मे पीसकर पीने से लाभक्त होता है । - जिायफल पानी मे िघसकर िफर ितल के तेल मे िमलाकर गमर करे ।अच्छी तरह ठण्डा होने पर कमर पर मािलश करे ददर मे लाभक्त होगा।
- अदरक के रस मे घी िमलाकर पीने से कमरददर मे आराम िमलता है । -एक या दो केले रोजि खाएं। अक्सर लोगो को िवशेष खाना खाने से ि 봿स्कन रै शजि े और अस्थमा हो जिाता है । इतससे बचिकने का तरीका है िक आप रोजिाना दो केले जिरूर खाएं। - 500 िमलीलीटर गाजिर का जिूस ले। िमक्स जिूस भक्ती ले सकते है, ि 봿जिसमे खीरे का 100 िमलीलीटर जिस ू , चिकुकंदर का 100 िमलीलीटर जिूस और 300 िमलीलीटर गाजिर का जिस ू ले । इतन्हे िमक्स करके रोजिाना एक बार ले ।
आंखो को ठं डक िमलेगी, प्रॉनब्लम्स खत्म हो जिाएंगी - रात को िमट्टी के बतरन मे दो चिकम्मचिक ितफला एक िगलास पानी मे िभक्तगो दे । सब ु ह छानकर उस पानी से आंखे धोने से आंखे स्वस्थ रहती है ।
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- रूई को गुलाबजिल मे िभक्तंगाकर आंखो पर एक घंटा रखने से गमी से होने वाले नेत रोगो मे आराम िमलता है । - रात को आठ बादाम की िगरी को पानी मे डालकर छोड़ दे । सब ु ह उसे पीस कर पानी िमलाकर पी जिाएं। - रुई को गमर दध ू मे िभक्तंगोकर ठं डा कर ले और िफर उसे आंखो पर रखे। आंखो को ठं डक िमलेगी - सख ू े नािरयल की िगरी और 60 ग्राम शक्कर िमलकर प्रितिदन एक सप्ताह तक खाने से आंखो के सामान्य रोगो मे लाभक्त होता है ।
- गन्ना व केला खाना आंखो के िलए िहतकारी है । - एक िगलास नींबू पानी रोजि पीने से आंखो की ज्योित बढ़ती है
नंबर कम करने के तरीके ज्यादा टी.वी. दे खने लगातार कम्प्यट ू र स्क्रिीन पर काम करने या अन्य कारण ो से अक्सर दे खने मे आता है िक कम उम के लोगो को भक्ती जिल्दी ही मोटे नम्बर का चिकश्मा चिकढ़ जिाता है । अगर आपको भक्ती चिकश्मा लगा है तो आपका चिकश्मा उतर सकता है । नीचिके बताए नस् ु खो को चिकालीस िदनो तक प्रयोग मे लाएं। िनि 봿श्चिकत ही चिकश्मा उतर जिाएगा साथ थी आंखो की रोशनी भक्ती तेजि होगी।.
- सब ु ह नंगे पैर घास पर मािनर्निंग वॉनक करे । - िनयिमत रूप से अनुलोम-िवलोम प्राण ायाम करे । - बादाम की िगरी, बड़ी सौंफ और िमश्री तीनो का पावडर बनाकर रोजि एक चिकम्मचिक एक िगलास दध ू के साथ रात को सोते समय ले।
- ितफला के पानी से आंखे धोने से आंखो की रोशनी तेजि होती है । - पैर के तलवो मे सरसो का तेल मािलश करने से आंखो की रोशनी तेजि होती है । - सुबह उठते ही मह ुं मे ठण्डा पानी भक्तरकर मुंह फुलाकर आंखो पर छींटे मारने से आंखो की रोशनी बढ़ती है । - प्याजि का रस आंखो मे डालने से आंखो की रोशनी बढ़ती है । - मसूर की दाल घी मे छौंक लगाकर खाने से भक्ती आंखो को शि 봿क्त िमलती है ।
आयव ु ेद मे नाड़ी चिकेक करके रोगो का पता कैसे लगाया जिाता है ? 43
िकसी भक्ती िचिकिकत्सा पद्धतित मे रोगो की पहचिकान ि 봿जिसे डायग्नोिसस भक्ती कहते है, आवश्यक होता है ।आयुवेद मे भक्ती रोगी की िचिकिकत्सा मे सफलता प्राप्त करने के िलए नाड़ी को परीित क्षत कर रोगो को पहचिकानने का िवधान रहा है । इतसे पल्स डायग्नोिसस के नाम से भक्ती जिाना जिाता है ।आयव ु ेिदक िचिकिकत्सको द्वारा सिदयो से रोगो को पहचिकानने मे इतस िवधा का प्रयोग होता आ रहा है । कहते है करस्यान्गष्ु ठमल ू े या धमनी अथारत हाथ के अंगठ ू े की जिड़ मे जिीवन का
साक्षात्कार करा दे ने वाली धमनी के स्पंदनो के द्वारा शरीर के रोगो के िवषय मे ली जिाने वाली जिानकारी ही नाड़ी परीक्षा है । कहा गया है , िकवायु के बढ़ जिाने पर इतसकी गित सांप की तरह हो जिाती है । जिबिक िपत्त के प्रकोप की अवस्था मे इतसकी गित मेढक के समान फु दकने सी हो जिाती है । जिबिक कफ के प्रकुिपत
होने पर यह हं स की चिकाल के समान हो जिाती है । नाड़ी की महत्ता ब्रह्मऋिष विशष्ठ ने भक्तस्ता का उदाहरण दे कर कुछ यंू समझाया है । ि 봿जिस प्रकार धोकनी वायु द्वारा फूलती है और िनकल जिाने पर िसकुड़ जिाती है । ठीक उसी प्रकार हृदय से िनकलने वाली नािडय़ां भक्ती फैलती और िसकुड़ती है। इतस िनरं तर होने वाले कमर को ही स्पंदन नाम िदया गया। ि 봿जिससे रोगो को पहचिकाना जिाता है ।
नाड़ी को िविभक्तन्न दोषो सम एवं प्रकोप की अवस्था मे समझाया गया है और अपने स्थान से हट जिाने पर
आसन्नमत्ृ यु का लक्षण भक्ती माना गया है । नाड़ी की गित को दे खकर रोगी के रोग की अवस्था सिहत िचिकिकत्सा िकये जिाने का िवधान सिदयो से चिकला आ रहा है । इतसका श्रेय रावण कृतग्रन्थ को जिाता है । ि 봿जिसे कालान्तर मे आचिकायर शारं गधर ने आचिकायर चिकरक एवं योग वािशष्ठ्य आिद के ग्रंथो से आप्त प्रमाण लेकर िवकिसत िकया गया है ।
कमरददर्य से छुटकारा चािषाहरए तो ये हरै कुछ अचक ू उपिाय अगर आप कमर ददर से परे शान है तो इतससे बचिकने के िलए आप के सामने प्रस्तुत है कुछ रामबाण नुस्खे जिो िक बहुत कारगर तो है ही साथ ही इतनका कोई भक्ती साइतड इतफेक्ट भक्ती नहीं होता है । कमर ददर के िलए रामबाण नुस्खे 1. अजिवाइतन को तवे के ऊपर थोड़ी धीमी आंचिक पर सेक ले तथा ठं डा होने पर धीरे -धीरे चिकबाते हुए िनगल जिाएं। लगातार 7 िदनो तक यह प्रयोग िकया जिाए तो आठवे िदन से कमर ददर मे 100 फीसदी लाभक्त होता है ।
2. जिहां ददर होता होता है हो वहाँ 5 िमनट तक गरम सेक, और दो िमनट ठं डा सेक दे ने से तत्काल लाभक्त पहुंचिकता है । 3. सुबह सय ू ोदय के समय 2-3 मील लंबी सैर पर जिाने वालो को कमर ददर की िशकायत कभक्ती नहीं होगी। 4. िनयिमत रूप से चिकक्रिासन करे । सावधािनयां- नीचिके िलखी बातो का भक्ती जिरुर ध्यान रखे। - िनयिमत रूप से पैदल चिकले। यह सवोत्तम व्यायाम है । 44
- अिधक समय तक स्टूल या कुसी पर झक ु कर न बैठे। - शारीिरक श्रम से जिी न चिकुराएं। शारीिरक श्रम से मांसपेिशयां पुष्ट होती है। - एक सी मद्र ु ा मे न तो अिधक दे र तक बैठे रहे और न ही खड़े रहे । - िकसी भक्ती सामान को उठाने या रखने मे जिल्दबाजिी न करे । - भक्तारी सामान को उठाकर रखने की बजिाय धकेल कर रखना चिकािहए।
टमाटर है इतन रोगो की जिबरदस्त दवा, ऐसे खाएंगे तो सेहत बन जिाएगी टमाटर खाइतए सेहत बनाइतए। जिी हां टमाटर कोई साधारण सब्जिी नहीं बि 봿ल्क हे ल्थ का डॉनक्टर है । टमाटर मे प्रोटीन, िवटािमन, वसा आिद तत्व िवद्यमान होते है। यह सेवफल व संतरा दोनो के गण ु ो से यक् ु त होता है । काबोहाइतड्रेट की माता कम होती है इतसके अलावा भक्ती टमाटर खाने से कई लाभक्त होते है। पौि 봿ष्टक तत्वो से भक्तरपरू टमाटर यंू तो हर
मौसम मे फायदे मंद है , लेिकन इतसमे मौजिद ू िवटािमन ए और सी गिमरयो मे इतसकी उपयोिगता को और महत्वपण ू र
बना दे ते है। आप चिकाहे इतसे सब्जिी मे डाले या सलाद के रूप मे या िकसी और रूप मे , यह आपके िलए बेहद फायदे मंद सािबत होगा। आइतए, जिाने टमाटर के फायदे
टमाटर के गद ू े मे दध ू व नींबू का रस िमलाकर चिकेहरे पर लगाने से चिकेहरे पर चिकमक आती है । टमाटर जिवां िदखेगे यह
झुिरर यो को कम करता है और रोम िछद्रो को बड़ा करता है । इतसके िलए टमाटर और शहद के िमश्रण वाला फेस पैक इतस्तेमाल करे । टमाटर के िछलके और बीजि को िनकाल दे । टमाटर िसफर एक सब्जिी नहीं बि 봿ल्क ये अपने आप मे
एक संपूण र औषधी है आइतए जिाने कैसे? इतसके सेवन से रोग प्रितरोधक क्षमता भक्ती बढ़ती है । टमाटर से पाचिकन शि 봿क्त बढ़ती है ।
भक्तोजिन करने से पहले दो या तीन पके टमाटरो को काटकर उसमे िपसी हुई कालीिमचिकर, सेधा नमक एवं हरा धिनया
िमलाकर खाएं। इतससे चिकेहरे पर लाली आती है व पौरूष शि 봿क्त बढ़ती है । पेट मे कीड़े होने पर सब ु ह खाली पेट टमाटर मे िपसी हुई कालीिमचिकर लगाकर खाने से लाभक्त होता है ।डाइतिबटीजि व िदल के रोगो मे भक्ती टमाटर बहुत उपयोगी होता
है । प्रात: िबना कुल्ला िकए पका टमाटर खाना स्वास्थ्य के िलए लाभक्तप्रद होता है । टमाटर खाने वालो को कैन्सर रोग नहीं होता। टमाटर के िनयिमत सेवन से पेट साफ रहता है ।
छोटे -छोटे घरे लू िटप्स: एक दम फेयर कलर के िलए 45
सुबह कच्चिके दध ू जिाने पर खाने वाला नमक लगाकर उससे अपनी त्वचिका रगड़े। ू से चिकेहरा मले और उसे थोड़ा सख
इतससे चिकेहरे पर जिमी मैल की अितिरक्त और मत ृ त्वचिका िनकल जिाएगी।
- 1/2 चिकम्मचिक िचिकरौंजिी को 2 चिकम्मचिक दध ू मे िभक्तगोकर पीसकर पेस्ट बनाकर लगाएं। १५ िमनट बाद धो दे । इतसे िनयिमत रूप से डेढ़ महीने लगाए जिाने पर रं ग िनखरता है ।
- बेसन, हल्दी, नींबू, दही, गल ु ाब को िमलाकर लेप बनाकर उसे सप्ताह मे एक बार लगाएं। - जिौ का आटा, हल्दी, सरसो का तैल पानी मे िमलाकर उबटन बना ले। रोजिाना शरीर मे मािलश कर गमर जिल से स्नान करे । दध ू को केसर मे िमलाकर पीएं।
- चिकार चिकम्मचिक मल् ु तानी िमट्टी, दो चिकम्मचिक शहद, दो चिकम्मचिक दही, एक नींबू का रस इतन सभक्ती को एक साथ िमलाकर त्वचिका पर लगाएं। आधे घंटे बाद धो डाले।
- खीरे का रस त्वचिका का सांवलापन दरू करने मे बहुत सहायक होता है । इतसके रस को िनकालकर केवल रस का ही प्रयोग िकया जिा सकता है ।
- दो चिकम्मचिक खीरे का रस व आधा चिकम्मचिक रस नींबू का रस िमलाकर उसमे चिकट ु की भक्तर हल्दी िमलाकर लगाएं।
दब ु लेपन व कमजिोरी से परे शान लोगो के िलए.... दब ु लापन एक ऐसी समस्या है , ि 봿जिससे ग्रिसत लोग अक्सर आत्मिवश्वास मे कमी महसूस करते है और हे ल्थ बढ़ाने
के िलए कुछ भक्ती करने को तैयार होते है। अगर आप भक्ती दब ु लेपन से परे शान है तो िनराश न हो आयुवेद और प्राकृितक िचिकिकत्सा के सि 봿म्मिलत प्रयासो से दब ु लेपन की समस्या के कारगर उपाय खोजि िनकाल िलए गए है। ये उपाय कुछ इतस तरह है...
- अध्वगंधा और शतावर का चिकूण र बराबर माता मे िमलाकर 1 से 2 चिकम्मचिक प्रितिदन शद्धत ु दध ू के साथ सोने से पहले सेवन करे ।
- दध ू मे उबालकर प्रितिदन 5 छुवारे यानी खारक का सेवन करे । - एक िगलास दध ू मे दो चिकम्मचिक शहद िमलाकर प्रितिदन सेवन करे । - भक्तोजिन मे सलाद, नाश्ते मे अंकुिरत अन्न, तथा फलो का प्रयोग प्रारं भक्त करे । - यथा संभक्तव नशीले पदाथो चिकाय, कॉनफी, गट ु का-तम्बाकू, िसगरे ट और शराब आिद से दरू रहे ।
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ऊपर बताए इतन प्रयोगो को यिद कोई लगातार दृष्टढ़ संकि 봿ल्पत होकर करे तो िनि 봿श्चिकत रूप से उसे दब ु लेपन और अन्य शारीिरक कमजिोिरयो से छुटकारा िमल जिाएगा।
नगुन् र डी यूँ तो हमारे आस पास कई औषधीय पौधे पाए जिाते है। लेिकन शायद पहचिकान और जिानकारी न होने के कारण हम उनके गुण ो से अनजिान होते है। ऐसा ही एक औषधीय पौधा है ि 봿जिसे िनगन् ुर डी कहते है। िनगन् ुर डी शरीर की रोगो से रक्षा करता है । इतसे वात से सम्बंिधत बीमािरयो मे रामबाण औषधी माना जिाता है ।
छह से बारह फुट उं चिका इतसका पौधा,झाड़ीनम ु ा सक्ष् ू म रोमो से ढका रहता है । पि 봿त्तयो की पहचिकान िकनारो से की जिा सकती है । इतसके फल छोटे ,गोल एवं सफेद होते है।
यह कफ वातशामक औषधी के रूप मे जिानी जिाती है ,ि 봿जिसे श्रेष्ठ वेदनास्थापन अथारत ददर को कम करने वाला माना गया है । यह घाव को िवसंक्रििमत करनेवाला ,भक्तरनेवाले गण ु ो से यक् ु त होता है ।
आइतए अब इतसके औषधीय प्रयोग से हम आपको रु-ब-रु कराते है। इतसके पत्तो को कूटकर िटिकया बनाकर यिद
पीड़ा वाले जिगह पर बाँध िदया जिाय तो यह ददर को तरु ं त कम कर दे ता है । इतसकी पि 봿त्तयो का काढा बनाकर कुल्ला
करने मात से गले का ददर दरू हो जिाता है । यिद िकसी को मह ंु मे छाले हो गए हो या गले मे िकसी प्रकार की सजि ू न हो,
तो हल्के से गुनगुने पानी मे िनगन् ुर डी तेल एवं थोड़ा सा नमक िमलाकर गरारे कराने से लाभक्त िमलता है । यिद होठ कटे हो तो भक्ती केवल इतसके तेल को लगाने से लाभक्त िमल जिाता है । िकसी भक्ती प्रकार का कान ददर हो तो िनगन् ुर डी की
पि 봿त्तयो के तेल को शहद के साथ िमलाकर एक से दो बँद ू की माता मे कानो मे डाल दे ,िनि 봿श्चिकत लाभक्त िमलेगा। धीमी आंचिक पर नगन् ुर डी के पत्तो को लगभक्तग आधा लीटर पानी मे पकाकर चिकौथाई शेष रहने पर 10-20 िमली की माता मे िदन मे दो से तीन बार खाली पेट दे ना सायिटका जिैसी ि 봿स्थित मे भक्ती प्रभक्तावी होता है ।
नगुन् र डी के चिकण ू र को शुंठी के चिकूण र के साथ बराबर माता मे िमलाकर लेना सेक्सुअल एि 봿क्टिवटी को बढ़ाने मे मददगार
होता है ।मांसपेिशयो की सूजिन मे िनगन् ुर डी की छाल का चिकण ू र पांचिक ग्राम माता मे दे ना लाभक्तकारी होता है । सदी, जिुकाम
और बुखार मे भक्ती इतसके तेल की मािलश रोगी को आराम दे ती है । शरीर के िकसी भक्ती िहस्से मे होनेवाली गांठ जिो प्राय: बंद हो तो केवल इतसके पत्तो को बांधने से बंद गाँठ खुल जिाती है और अन्दर ि 봿स्थत मवाद बाहर आ जिाता है ।
िनगन् ुर डी को यिद िशलाजिीत के साथ प्रयोग िकया जिाए तो इतसका प्रभक्ताव कई गन ु ा बढ़ जिाता है । िकसी भक्ती प्रकार का
सरददर हो या जिोड़ो की हो सजि ू न ,इतसके पत्तो को गरम कर बांध कर उपनाह दे ने से सूजिन और ददर मे कमी आती है । संिधवात ,आमवात ,संिधशोथ या अन्य संिधयो से सम्बंिधत िवकृितयो मे िनगन् ुर डी के पत्तो से बनाए गए तेल की मािलश से भक्ती लाभक्त िमलता है ।
चिकेहरे पर कैसे भक्ती दाग-धब्बे हो ठीक हो जिाएंगे 47
चिकेहरे के काले दागो को िमटाने के िलए टमाटर के रस मे रुई िभक्तगोकर दागो पर मले । काले धब्बे साफ हो जिाएंगे। - रोजिाना सुबह एक िगलास टमाटर के रस मे नमक, जिीरा, कालीिमचिकर िमलाकर पीएं। चिकेहरे पर नािरयल पानी लगाएं।
- आलू उबाल कर छीलकर इतसके िछलको को चिकेहरे पर रगड़े, इतससे मह ु ांसे ठीक हो जिाएंगे। - जिायफल को िघसकर दस पीसी काली िमचिकर व थोड़े कच्चिके दध ू मे िमलाकर पेस्ट बनाकर चिकेहरे पर लगाएं। दो घंटे बाद चिकेहरा धो ले ।
- त्वचिका पर जिहां कभक्ती चिककते हो उन पर नींबू का टुकड़ा रगड़े। नींबू मे िफटकरी भक्तरकर रगड़े। इतससे चिककते हल्के पड़ जिाएंगे और त्वचिका मे िनखार आएगा।
-नींबू के िछलके गदर न पर रगडऩे से गदर न का कालापन दरू होता है । - संतरे के िछलको को सुखाकर पीस ले । इतसमे नािरयल का तेल व थोड़ा सा गल ु ाब जिल िमलाकर चिकेहरे पर लगाने से त्वचिका कोमल बन जिाती है ।
- संतरे के िछलके व नींबू िछलके को बारीक पीसकर दध ू मे िमलाकर चिकेहरे पर लगाने से िनखार आ जिाता है । - मसूर की दाल और बरगद के पेड़ की नमर पि 봿त्तयां पीसकर लेप करे अथवा दालचिकीनी पीसकर दध ू की मलाई के साथ लगाएं।
- मुहांसो के दाग-धब्बे चिकेहरे पर ज्यादा हो तो दही को उबटन की तरह इतस्तेमाल करे ।
नािरयल के कुछ ऐसे चिकमत्कारी गण ु ि 봿जिन्हे कम ही लोग जिानते है नािरयल तेल मे बड़े ही चिकमत्कारी औषधीय गुण पाए जिाते है। यह तेल मधुमेह, एि 봿ल्जिमर, हाटर अटे क, िमगी...जिैसे
घातक रोगो को दबाने मे बेहद कारगर हो सकता है । एक िरसचिकर के अनुसार यह तेल िबना िपत्त के ही पचिक जिाता है
जिबिक अन्य तेल अमाशय मे िपत्त के साथ िमल कर पचिकना शुरू करते है। नािरयल-तेल िबना िपत्त के सीधा लीवर मे पहुंचिक जिाता है और वहां से रक्त प्रवाह मे और स्नायु कोिशकाओं मे 'कीटोन बॉनडीजि' के रूप मे पहुंचिककर ऊजिार की पूितर करता है ।
यह 'कीटोन बॉनडीजि' अत्यंत शि 봿क्तशाली ढं ग से नवीन कोिशकाओं का िनमारण करती है, ि 봿जिस के कारण शकररा, इतंसुिलन आिद की जिरूरत ही नहीं रह जिाती। इतसके इतस्तेमाल के बाद मधुमेह रोगी को िकसी भक्ती प्रकार दवा की
आवश्यक नहीं रह जिाती है । शरीर की रोग प्रितरोधक क्षमता मे विृ द्धत होती है और यह पूरी तरह से काम करने लगती है ि 봿जिसके कारण सभक्ती रोग धीरे -धीरे अपने आप ठीक होने लगते है। 48
केवल मधुमेह ही नहीं एि 봿ल्जिमर, िमगी, अधरं ग, हाटर अटै क, चिकोट आिद के कारण नष्ट हो चिकक ु ी कोिशकाएं भक्ती िफर से बनने लगती है तथा ये लाइतलाजि समझे जिाने वाले रोग भक्ती ठीक होने लगते है। प्रयोग िविध दवाई के रूप मे एक िदन मे लगभक्तग 45 िम.ली. नािरयल तेल का प्रयोग िकया जिाना चिकािहए। शरु ु आत केवल एक
चिकम्मचिक से करते हुए धीरे -धीरे माता बढ़ानी चिकािहए अन्यथा हाजिमा िबगड़ सकता है । दाल, सब्जिी मे कच्चिका डालकर या तड़के के रूप मे इतसका प्रयोग िकया जिा सकता है । गिमरयो मे ध्यान रखना चिकािहए िक इतसके अिधक प्रयोग से शरीर मे गमी न बढ़ जिाए।
कैसा भक्ती बख ु ार हो ये दे हाती नस् ु खा अचिकक ू है कैसा भक्ती बुखार हो िचिकरायता एक ऐसी दे हाती जिड़ी-बूटी मानी जिाती है जिो कुनैन की गोली से अिधक प्रभक्तावी होती है । एक प्रकार से यह एक दे हाती घरे लू नुस्खा है ।पहले िचिकरायते को घर मे सुखा कर बनाया जिाता था लेिकन आजिकल यह बाजिार मे कुटकी िचिकरायते के नाम से भक्ती िमलता है । लेिकन घर पर बना हुआ ताजिा और िवशुद्धत िचिकरायता ही अिधक कारगर होता है ।
िचिकरायता बनाने की िविध100 ग्राम सख ू ी तल ु सी के पत्ते का चिकण ू र, 100 ग्राम नीम की सूखी पि 봿त्तयो का चिकण ू र, 100 ग्राम सख ू े िचिकरायते का चिकण ू र लीि 봿जिए। इतन तीनो को समान माता मे िमलाकर एक बड़े िडब्बे मे भक्तर कर रख लीि 봿जिए। यह तैयार चिकूण र मलेिरया या अन्य बुखार होने की ि 봿स्थित मे िदन मे तीन बार दध ू से सेवन करे । मात दो िदन मे आश्चिकयरजिनक लाभक्त होगा। कारगर एंटीबॉनयोिटकबुखार ना होने की ि 봿स्थित मे भक्ती यिद इतसका एक चिकम्मचिक सेवन प्रितिदन करे तो यह चिकण ू र िकसी भक्ती प्रकार की बीमारी चिकाहे वह स्वाइतन फ्लू ही क्यो ना हो, उसे शरीर से दरू रखता है । इतसके सेवन से शरीर के सारे कीटाण ु मर जिाते है। यह रोग प्रितरोधक क्षमता बढ़ाने मे भक्ती सहायक है । इतसके सेवन से खून साफ होता है तथा धमिनयो मे रक्त प्रवाह सचिक ु ारू रूप से संचिकािलत होता है ।
गहरी चिकोट का घाव परे शान कर रहा हो तो ये करे .... 49
- नारं गी खाने से घाव जिल्दी भक्तर जिाता है । - िनयिमत रूप से अंगूर खाने से घाव जिल्दी भक्तर जिाते है। - सहजिन की पि 봿त्तयो को पीसकर लेप करने से घाव ठीक हो जिाता है । - गाजिर को उबालकर इतसकी लग ु दी बना ले । इतसे घाव पर लगाएं। घाव जिल्दी ठीक हो जिाएगा। - एरण्ड का तेल घाव पर लगाकर पट्टी बांध दे ने से लाभक्त होता है । - िपसी हल्दी मे घी या तेल िमलाकर गमर कर इतसमे रुई िभक्तगोकर घाव पर रोजिाना पट्टी बांधने से घाव भक्तर जिाता है । - शहद की पट्टी बांधने से भक्ती आराम िमलता है । - तल ंु ने से घाव मे लाभक्त होता है । ु सी के सख ू े पत्तो को पीसकर सघ - घाव होने पर ठं डे पानी से भक्तीगा हुआ कपड़ा बांध दे । - एक कटोरी पानी मे एक चिकम्मचिक दे शी घी डालकर गमर करे । इतस पानी से रुई को िभक्तगोकर िनचिकोड़कर घाव पर डाल दे । ऊपर से पान का पत्ता रखकर पट्टी बांध दे ।
- एक भक्ताग लहसुन का रस और दो भक्ताग पानी िमला कर रुई मे िभक्तगोकर घाव पर लगाने से जिल्द लाभक्त होता है ।
इतन पेड़ो की जिड़ है चिकमत्कारी, चिकमक सकती है आपकी िकस्मत ज्योितष एक िवज्ञान है जिो न केवल भक्तूत, भक्तिवष्य और वतरमान की जिानकारी दे ता है बि 봿ल्क जिीवन को सख ु ी और समिृ द्धतशाली बनाने का अचिकक ू उपाय भक्ती बताता है । जिन्मपितका के इतन घरो मे ग्रहो की अच्छी-बुरी ि 봿स्थित के
अनुसार ही हमारा जिीवन चिकलता है । यिद िकसी व्यि 봿क्त की कंु डली मे कोई ग्रह अशुभक्त ि 봿स्थित मे हो तो उसे कई प्रकार की परे शािनयो का सामना करना पड़ता है ।
अशभक्त ु फल दे ने वाले ग्रहो को अपने पक्ष मे करने के िलए कई प्रकार के उपाय बताए गए है। ज्योितष के अनुसार ग्रहो से शभक्त ु प्रभक्ताव प्राप्त करने के िलए संबंिधत ग्रह का रत्न पहनना भक्ती एक अचिकक ू उपाय है ।
सामान्यत: शुद्धत या असली रत्न काफी कीमती होते है जिो िक आम लोगो की पहुंचिक से काफी दरू होते है। इतसी वजिह से कई लोग रत्न पहनना तो चिकाहते है लेिकन धन अभक्ताव मे इतन्हे धारण नहीं कर पाते। ज्योितष के अनुसार रत्नो से
प्राप्त होने वाला शभक्त ु प्रभक्ताव अलग-अलग ग्रहो से संबंिधत पेड़ो की जिड़ो को धारण करने से भक्ती प्राप्त िकया जिा सकता है ।
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सभक्ती ग्रहो का अलग-अलग पेड़ो से सीधा संबध ं होता है । अत: इतन पेड़ो की जिड़ो को धारण करने मात से अशुभक्त ग्रहो के प्रभक्ताव नष्ट हो जिाएंगे और धन संबध ं ी परे शािनयां दरू होने लगे गी। साथ ही पैसा प्राप्त करने मे जिो रुकावटे आ रही है वे भक्ती दरू होने लगे गी।
- यिद िकसी व्यि 봿क्त की कंु डली मे सय ू र अशभक्त ु प्रभक्ताव दे रहा हो और सय ू र के िलए मािण क रत्न बताया गया है । मािण क के िवकल्प के रूप मे बेलपत की जिड़ लाल या गल ु ाबी धागे मे रिववार को धारण करे ।
- चिकंद्र के शभक्त ु प्रभक्ताव के िलए सोमवार को सफेद वस्त मे िखरनी की जिड़ सफेद धागे के साथ धारण करे । - मंगल को बलवान बनाने के िलए अनंत मल ू या खेर की जिड़ को लाल वस्त के साथ लाल धागे मे डालकर मंगलवार को धारण करे ।
- बध ु वार के िदन हरे वस्त के साथ िवधारा (आंधीझाड़ा) की जिड़ को हरे धागे मे पहनने से बध ु के अशभक्त ु प्रभक्ताव दरू होते है।
- गुरु ग्रह अशभक्त ु हो तो केले की जिड़ को पीले कपड़े मे बांधकर पीले धागे मे गुरुवार को धारण करे । - गुलर की जिड़ को सफेद वस्त मे लपेट कर शुक्रिवार को सफेद धागे के साथ गले मे धारण करने से शक्रि ु ग्रह से शभक्त ु फल प्राप्त होते है।
-शिन दे व को प्रसन्न करने के िलए शमी पेड़ की जिड़ को शिनवार के िदन नीले कपड़े मे बांधकर नीले धागे मे धारण करना चिकािहए।
-राहु को बल दे ने के िलए सफेद चिकंदन का टुकड़ा नीले धागे मे बध ु वार के िदन धारण करे । - केतु के शभक्त ु प्रभक्ताव के िलए अश्वगंधा की जिड़ नीले धागे मे गुरुवार के िदन धारण करे । ये सभक्ती जिड़े बाजिार से आसानी से प्राप्त की जिा सकती है। सामान्यत: ज्योितष संबध ं ी सामिग्रयो के िवक्रिेताओं के
यहां इतस प्रकार जिड़े िमल सकती है। इतसके अलावा कुछ वद्धत ृ लोगो को भक्ती इतन जिड़ो की जिानकारी हो सकती है । उनसे भक्ती इतस संबंध मदद प्राप्त की जिा सकती है ।
गमी के कारण होने वाले िसरददर को दरू करने के िलए... -दस ग्राम सूखा धिनया, गुठली रिहत पांचिक ग्राम सूखा आंवला रात को िमट्टी के पात मे एक िगलास पानी मे िभक्तगो दे । सुबह मसलकर िमश्री िमलाकर छानकर पी ले ।
- िसरददर मे धिनया पीसकर िसर पर लेप करने से लाभक्त होगा। 51
- एक चिकुटकी नमक जिीभक्त पर रखे, दस िमनट बाद एक िगलास ठं डा पानी पीएं िसरददर ठीक हो जिाएगा। - 62 ग्राम पानी मे 3 ग्राम या चिकने के बराबर नमक िमलाकर उस पानी को सूंघने से िसरददर मे आराम िमलेगा। - तेजिपत्ता डंठल सिहत पीसकर उसमे पानी िमलाकर पेस्ट बना ले। इतस पेस्ट को हल्का गमर करके ललाट पर लेप करने से लाभक्त होता है । - दालचिकीनी पानी मे पीसकर गमर करके कनपिटयो व ललाट पर लेप करने से लाभक्त होता है । - तल ंु ाने से िसरददर के रोगी को लाभक्त होता है । ु सी के पत्तो को छाया मे सख ु ाकर रख ले इतन्हे पीसकर सघ - तरबजि ू का गद ू ा मलमल के कपड़े पर डालकर िनचिकोड़े और रस को कांचिक के िगलास मे भक्तर ले। इतसमे िमश्री िमलाकर सब ु ह पीएं।
- िगली िमट्टी की पट्टी िसर पर रखने से िसरददर दरू होता है ।
हल्दी का प्राचिकीन आयव ु ेिदक प्रयोग: ये डायिबटीजि मे अचिकक ू दवा है प्राचिकीन आयव ु ेद ग्रंथो मे माना गया है िक डायिबटीजि के रोिगयो के िलए हल्दी का उपयोग संजिीवनी की तरह काम
करता है । हल्दी का सही तरीके से प्रयोग करने पर मधम ु ेह का रोग ठीक हो जिाता है । हल्दी एक फायदे मंद औषिध है । हल्दी िकसी भक्ती उम के व्यि 봿क्त को दी जिा सकती है चिकाहे वह बच्चिका हो, जिवान हो, बढ़ ू ा हो और यहां तक की गभक्तरवती मिहला ही क्यो न हो।
हल्दी मे प्रोटीन,वसा खिनजि पदाथर एरे शा, फाइतबर, मैगनीजि, पोटे िशयम, काबोहाइतड्रेट, कैि 봿ल्शयम,फास्फोरस, लोहा, ओमेगा, िवटािमन ए, बी, सी के स्रोत तथा कैलोरी भक्ती पाई जिाती है । माना जिाता है िक मधुमेह की रोकथाम के िलए हल्दी सबसे अच्छा इतलाजि है । रोजि आधा चिकम्मचिक हल्दी लेकर डायिबटीजि को कंट्रोल िकया जिा सकता है ।
- मधम ु ेह के रोिगयो को रोजिाना ताजिे आंवले के रस या सूखे आंवले के चिकण ू र मे हल्दी का चिकण ू र िमलाकर सेवन करने से बहुत अिधक लाभक्त िमलता है ।
- आंवले के रस मे हल्दी व शहद िमलाकर सेवन करने से भक्ती मधम ु ेह रोगी को फायदा िमलता है ।
भक्तांग नहीं है िसफर नशा, जिािनए इतसके कुछ बेहतरीन आयव ु ेिदक प्रयोग भक्तांग को सामान्यत: एक नशीला पौधा माना जिाता है , ि 봿जिसे लोग मस्ती के िलए उपयोग मे लाते है। लेिकन बहुत
कम लोग जिानते है िक िशवजिी को िप्रय भक्तांग का पौधा औषधीय गण ु ो से भक्तरा पड़ा है । भक्तांग के मादा पौधो मे ि 봿स्थत
मंजििरयो से िनकले राल से गांजिा प्राप्त िकया जिाता है । भक्तांग के पौधो मे केनािबनोल नामक रसायन पाया जिाता है । भक्तांग कफशामक एवं िपत्तकोपक होता है । आजि हम आपको इतसके औषधीय गुण ो से पिरिचिकत कराते है। 52
-नींद न आने की ि 봿स्थित मे इतसे िचिकिकत्सको द्वारा औषिध के रूप मे प्रयोग कराया जिाता है । - पि 봿त्तयो के स्वरस का अकर बनाकर कान मे 2-3 बँद ू डालना िसरददर के िलए अच्छी औषिध है । -मानिसक रोगो मे िचिकिकत्सक इतसे 125 िमलीग्राम की माता मे आधी माता हींग िमलाकर प्रयोग कराते है। -काली िमचिकर के साथ भक्तांग का चिकण ू र िचिकिकत्सकीय परामशर मे सब ु ह और शाम रोगी को चिकटाने मात से भक्तख ू बढ़ जिाती है । िचिकिकत्सक के परामशर से इतसे अन्य औषिधयो के साथ िनि 봿श्चिकत माता मे लेने से श्रेष्ठ वाजिीकारक (सेक्सअ ु ल -एि 봿क्टिवटी बढ़ाने वाला ) प्रभक्ताव प्राप्त होता है ।
-भक्तांग के पत्तो के चिकण ू र को घाव पर लगाने से घाव शीघ ही भक्तरने लगता है । -इतसके बीजिो से तेल प्राप्त कर जिोड़ो के ददर मे मािलश करने से भक्ती लाभक्त िमलता है । -भक्तांग के चिकण ू र से दग ु ी माता मे शंठ ु ी का चिकण ू र और चिकार गण ु ी माता मे जिीरा िमलाकर दे ने पर कोलाईटीस या बार -बार ु न मल त्याग करने (आंवयुक्त अितसार) मे लाभक्त िमलता है । ये तो रही इतसके औषधीय प्रयोग की बात, अगर इतसका
माता से अिधक सेवन िकया जिाए तो यह शरीर को कमजिोर एवं िवचिकारहीन बना दे ता है । अत: इतसका औषिध के रूप मे सेवन करने से अच्छे प्रभक्ताव और अिधक सेवन करने से दष्ु प्रभक्ताव दोनो ही िमलते है।
दाद-खाजि खजि ु ली से परे शान है??..तो इतन्हे ट्राय करे दाद पर अनार के पत्तो को पीसकर लगाने से लाभक्त होता है । - दाद को खुजिला कर िदन मे चिकार बार नींबू का रस लगाने से दाद ठीक हो जिाते है। - केले के गद ु े मे नींबू का रस िमलाकर लगाने से दाद ठीक हो जिाता है । - चिकमर रोग मे रोजि बथुआ उबालकर िनचिकोड़कर इतसका रस पीएं और सब्जिी खाएं। - गाजिर का बुरादा बारीक टुकड़े कर ले। इतसमे सेधा नमक डालकर सेके और िफर जिब हल्का गमर रह जिाए तो दाद पर डाल दे ।
- कच्चिके आलू का रस पीएं इतससे दाद ठीक हो जिाते है। - नींबू के रस मे सूखे िसंघाड़े को िघस कर लगाएं। पहले तो कुछ जिलन होगी िफर ठं डक िमल जिाएगी, कुछ िदन तक इतसे लगाने से दाद ठीक हो जिाता है ।
- तीन बार िदन मे एक बार रात को सोते समय हल्दी का लेप करते रहने से दाद ठीक हो जिाता है । 53
- दाद होने पर गमर पानी मे अजिवाइतन पीसकर लेप करे ।दाद एक सप्ताह मे ठीक हो जिाएगा। - अजिवाइतन को पानी मे िमलाकर दाद धोएं।
- दाद होने पर गल ु कंद और दध ू पीने से फायदा होगा। - नीम के पत्ती को दही के साथ पीसकर लगाने से दाद जिड़ से साफ हो जिाते है।
आम खाने के आठ बड़े फायदे यिद आप आम खाने के शौकीन है, तो आपके िलए ये खबर एक खश ु खबरी हो सकती है । िछलके सिहत आम खाना
आपको मोटापे से िनजिात िदला सकता है , लेिकन इतस समाचिकार के साथ एक चिकेतावनी भक्ती है , िक चिकयन सही आम का हो। क्वींसले ड िवश्विवद्यालय मे हुए इतस शोध के अनुसार आम की इतरिवन और नेम- डोक-मई िकस्मो मे कुछ ऐसे
तत्व पाए जिाते है, जिो इतंसानी फेट सेल्स के िनमारण को कम कर दे ते है,जिबिक इतसके िवपरीत केिसंग्टन प्राइतड नामक प्रजिाित के आम मे इतससे िवपरीत इतन फेट सेल्स को बढाने की क्षमता होती है । शोधकतारओं का कहना है , िक अगले
चिकरण मे इतन तत्वो के पहचिकान की जिाएगी जिो फेट सेल्स के िनमारण को बािधत कर दे ते है। इतसके अलावा आम खाने के और भक्ती ढे रो फायदे है।
1.कै सर रोधी : एंटीऑि 봿क्सड िवटािमन सी और फाइतबर की प्रचिकुरता की वजिह से कै सर का जिोिखम कम हो जिाता है । 2. नेत स्वास्थ्य : िवटािमन ए से नेत ज्योित बढ़ती है । खुजिली और आंखो मे जिलन नहीं होती। 3. वजिन :दध ू के साथ आम खाने से वजिन बढ़ता है । 4. एनीिमया मे लाभक्त : गभक्तरवती मिहलाओं और एनीिमया से पीिड़़त लोगो को एनीिमया (खून की कमी)मे राहत िमलती है ।
5. स्मिृ त बढऩा : ग्लूटािमन एिसड स्मिृ त बढ़ाता है , व ब्लड कोिशकाओं को सिक्रिय रखता है । 6. सेक्स मे : िवटािमन ई की वजिह से सेक्स हामोन बढ़ते है। सेक्स ड्राइतव को िविनयिमत करने मे मदद करता है । 7. गरमी से राहत : आम को जिीरा, सेधा नमक, चिकीनी के साथ जिस ू बनाकर पीने पर गमी से राहत िमलती है । 8. त्वचिका : आम के गद ू े को त्वचिका पर रगडऩे से त्वचिका मल ु ायम और चिकमकदार बनती है ।
अखरोट है इतन बीमािरयो का बेजिोड़ इतलाजि, ये है 54
दे वताओं की भक्तूिम िहमालय अपने अन्दर अनेक िदव्य औषिधयो को समेटे हुए है । दे वभक्तूिम शायद इतन औषधीय
वनस्पितयो की उपलब्धता के कारण ही प्राचिकीन काल से ही ऋिष मिु नयो की साधना व तपस्या का केद्र रही है । ऐसे ही कई गण ु ो को समेटे हुए एक वक्ष ु ो से यक् ु त होता है । ृ ि 봿जिसे हम अखरोट के नाम से जिानते है अनेक औषधीय गण
जिंगली अखरोट एवं कागजिी अखरोट नाम की दो जिाितयो से जिाना जिाने वाला यह वक्ष ृ अपने फलो के कारण प्रिसद्धत है । आइतए अब हम आपको इतसके कुछ औषधीय प्रयोग के बारे मे जिानकारी दे ते है
-अखरोट के फल के बाह्य कठोर आवरण को तोड़कर अन्दर की िगरी को 10 से 20 ग्राम क़ी माता मे गाय के
गन ु गन ु े दध ु ो से यक् ु त अथारत शारीिरक क्षय को रोकने वाला प्रभक्ताव दे ता है । ू से िनत्य सेवन करना रसायनगण -अखरोट के पेड़ की छाल को मंह ु मे रखकर चिकबाने से मख ु रोगो मे लाभक्त िमलता है तथा फल के बाहरी कठोर आवरण को चिकण ू र बनाकर आग मे जिलाकर भक्तस्मीकृत कर मंजिन के रूप मे भक्ती इतस्तेमाल िकया जिा सकता है । -अखरोट के प़ेड छाल का काढा पेट के कीड़े खत्म कर दे ता है । -मिहलाओं मे माहवारी से सम्बंिधत समस्याओं मे फल के कठोर आवरण को चिकण ू र बनाकर 20 से 25 िमली की माता
मे शहद के साथ िपलाने से लाभक्त िमलता है । इतसी काढ़े का प्रयोग सुबह शाम सेवन करने से मलबद्धतता(कानस्टीपेशन) को दरू होता है ।
-अखरोट के फलो की िगरी को पांचिक से दस ग्राम,छुहारे बीस से तीस ग्राम और बादाम पांचिक ग्राम की माता मे एक साथ
यवकूटकर गाय के घी मे भक्तन ू कर प्राप्त चिकण ू र मे थोड़ी िमश्री िमलाकर दस ग्राम िनत्य प्रात:काल सेवन, डाइतिबटीजि को दरू करता है ।
-अखरोट के फलो के कठोर आवरण को जिलाकर भक्तस्म प्राप्त करे तथा अब इतसमे पांचिक से दस ग्राम माता मे गड़ ु िमला दे ,अब इतसे पांचिक से दस ग्राम की माता मे प्री-मेच्युर-इतजिेकुलेशन से पीिड़़त रोगी को दे िनि 봿श्चिकत लाभक्त िमलेगा। -इतसकी छाल से प्राप्त काढ़े से घाव को धोने यह उसे शीघता से भक्तरने (हीिलंग ) का भक्ती काम करता है । -पाइतल्स से सम्बंिधत समस्या मे भक्ती इतसके तेल को गुदा मे रुई मे िभक्तंगोकर रखने मात से लाभक्त िमलता है । -ये तो इतसके चिकंद प्रयोग है , जिो हमने आपको बताए वैसे इतसे कई औषिधयो के साथ िमलाकर िचिकिकत्सक के िनदे शन मे लेना उपयोगी होता है ।
पेट को अंदर करना है
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सुन्दर, स्वस्थ व छरहरा बदन पाने की ख्वािहश सभक्ती की होती है क्योिक ि 봿जितनी खुशी इतंसान को सौन्दयर को दे ख
कर िमलती है , उतना ही सुख उसे खुद को खूबसूरत िदखाने मे हांिसल होता है तो आइतये एक बार आजिमा कर दे खे इतन छोटे मगर बेहद कारगर घरे लू उपायो को जिो सालो से 100 फीसदी असरदार व प्रामािण क िसद्धत होते रहे है... 1. सब ु ह सय ू ोदय के समय जिागकर रोजि 1-2 िगलास गन ु गन ु ा पानी पीएं और कुछ दे र टहले । 2. कम से कम एक नीबू अपनी डेली डाइतट मे अवश्य शािमल करे । 3. प्रितिदन सब ु ह या शाम के समय कम से कम 2-3 िक.मी. पैदल मगर तेजि गित के साथ घम ू ने के िलये अवश्य जिाएं।
4. सब ंू , चिकना, सोया.. आिद का ही सेवन करे । ु ह नाश्ते मे िसफर अंकुिरत अन्न- मग 5. फास्ट फूड, तले हुए, ज्यादा फेट वाले और िफ्रजि मे रखे हुए बासी भक्तोजिन सभक्ती से जिहां तक संभक्तव हो बचिककर रहे । 6. िदन मे सोना यथा संभक्तव छोड़ दे । 7. शाम का भक्तोजिन राित 8 बजिे से पहले ही कर ले। 8. चिकाय, काफी और कोलिड्रंक्स को ि 봿जितना हो सके कम से कम सेवन करे । 9. खाने के तत्काल बाद कभक्ती न सोएं। 10. पूरे िदन मे तीन या चिकार बार से अिधक कुछ न खाएं, दो बार नाश्ता और दो बार भक्तोजिन यह संख्या अिधकतम और अंितम होना चिकािहये।
11. प्रितिदन रात को अमत ू र का सेवन अवश्य करे । ृ के समान गुण कारी ितफला चिकण
काम बनाना है , तो इतन 5 तरीको से न करे बातचिकीत धमर और व्यवहार दोनो ही नजििरए से वाण ी की पावनता व िमठास भक्ती इतंसान की सफलता का सत ू माना गया है ।
बोल मे सत्य और मधुरता ही भक्तरोसेमंद बनाकर आगे बढऩे का मौका दे ते है। इतस तरह मन और कमर ही नहीं बि 봿ल्क बोल या शब्दो मे संयम व अनश ु ासन भक्ती जिीवन मे सख ु -द ु:ख िनयत करने वाले होते है।
धमरग्रंथो मे भक्ती यशस्वी और कामयाब जिीवन के िलए शब्द शि 봿क्त का महत्व बताते हुए सत्य वचिकन के
प्रित हमेशा
संकि 봿ल्पत और वचिकन दोष से सावधान रखने की सीख दी गई है । िकं तु व्यावहािरक जिीवन मे अक्सर स्वाथर या
िहतपूितर व असंयम के चिकलते इतंसान ऐसे कटु शब्द व वाण ी के उपयोग का अभ्यस्त हो जिाता है , जिो आिखरकार बुरे नतीजिो का कारण बनते है।
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िहन्द ू धमरग्रथ ं ो मे जिीवन के िलए बाधक व घातक बनने वाली ऐसी ही पांचिक तरह की बातो से बचिकना स्वयं के साथ
दस ू रो के िलए भक्ती िहतकारी बताया गया है । ये 5 वािचिकक पाप भक्ती कहे गए है। जिािनए बातचिकीत के दौरान कैसे 5 तरह के बोल से िकनारा कर ले -
- अिनयि 봿न्तत प्रलाप यानी िवषय से हटकर या अनावश्यक रूप से या आपि 봿त्त के बाद भक्ती लगातार अपनी बात ही बोलते चिकले जिाना। ऐसे बोल दस ू रो की परे शानी या कष्ट का कारण बनते है।
- अिप्रय यानी कटु, कठोर या अपशब्दो से भक्तरे बोल बोलकर दस ू रो को आहत करना। - असत्य यानी िकसी भक्ती स्वाथर, गलत कामो के दरु ाव-छुपाव या हािन पहुंचिकाने के िलए झठ ू बोलना। - परिनन्दा यानी ईष्यार, द्वेष, स्वाथरिसिद्धत या मानहािन के उद्देश्य से दस ू रो मे दोष दशरन। - िपशन ु ता या चिकग ु ली - लक्ष्य व स्वाथर िसिद्धत व िकसी की हािन की मंशा से एक व्यि 봿क्त से जिड़ ु ी बातो को तोड़-मरोड़, बढ़ा-चिकढ़ाकर या िशकायत के रूप मे दस ू रो तक पहुंचिकाना।
शास्त कहते है िक बातचिकीत के दौरान शब्दो को इतन 5 गलत तरीको व भक्तावनाओं से उजिागर करना मन व िवचिकारो मे हमेशा दोष व अशांित बनाए रखते है। इतनसे तत्कािलक या क्षिण क लाभक्त हो सकता है , िकं तु लंबे वक्त के िलए ऐसे शब्द अपयश व पतन का कारण बनते है।
10 बाते : इतन्हे याद रख लेगे तो कभक्ती डॉनक्टर के पास नहीं जिाना पड़ेगा हमेशा स्वस्थ और जिवां रहना कौन नहीं चिकाहता, सभक्ती अच्छा स्वास्थ्य और सद ुं र शरीर पाना चिकाहते है। जिो लोग
स्वास्थ्य को लेकर सावधान है वे योगा की सहारा अवश्य लेते है ि 봿जिससे उनका शरीर फीट रहता है लेिकन जिो लोग योग नहीं करते वे नीचिके िलखे िटप्स अपनाकर अपनी सेहत को बनाए रख सकते है। - प्रितिदन सुबह उठने के बाद ज्यादा से ज्यादा 2 घंटे मे नाश्ता अवश्य कर ले । नाश्ता मे कुछ भक्ती ले सकते है जिो आपके स्वास्थ्य के ठीक है ।
- खाने मे रोटी और चिकावल अलग-अलग समय पर खाएं। - प्रितिदन एक केला, सेब और फ्रूट ज्यूस अवश्य ले । िदनभक्तर थोड़ी-थोड़ी दे र मे फ्रूट आिद खाते रहे । - ज्यादा िमठाई ना खाएं। तली हुई चिकीजिो से भक्ती दरू रहे । - लंचिक और िडनर प्रितिदन समय पर ले। - प्रितिदन सुबह उठकर हल्की एक्सरसाइतजि या व्यायाम अवश्य करे । 57
- कम से कम 15-20 िमिनट प्रितिदन ध्यान लगाएं। आंख बंद करके शांत बैठे और मि 봿स्तष्क को आराम दे । - प्रितिदन सुबह या शाम को लॉनन्ग वॉनक पर जिाएं। - चिकटपटे खाने और मैदे से बनी खाने की चिकीजिो से दरू रहे । - खाने पहले सलाद अवश्य खाएं। खाने के बाद छाछ पीएं।
इतन रोगो का दमदार डॉनक्टर है एरं ड एरं ड का पौधा आठ से पंद्रह फुट लंबा होता है । इतसकी पि 봿त्तयो के िवशेष आकार के कारण इतसे गन्धवरहस्त के नाम से भक्ती जिाना जिाता है । चिकाहे इतसके बीजि हो या पि 봿त्तयां, और तो और इतसकी जिड़ो का भक्ती औषधीय प्रयोग होता आया है । आइतए इतसके कुछ औषधीय प्रयोगो को जिाने ....
- पांचिक िमली एरं ड की जिड़ के रस को पीने से पीिलया यानी कामला (जिौंिडस) मे लाभक्त िमलता है । - गिभक्तरण ी स्ती को सख र प्रसव कराने के िलए आठवे महीने के बाद पंद्रह िदनो के अंतर पर दस िमली एरं ड का ु पव ू क
तेल िपलाना चिकािहए और ठीक प्रसव के समय पच्चिकीस से तीस िमली केस्टर आयल को दध ू के साथ दे ने से शीघ प्रसव होता है ।
-एरं ड के पत्तो के 5 िमली रस को और समान माता मे घत ृ कुमारी स्वरस को िमलाकर यकृत व प्लीहा के रोगो मे लाभक्त होता है ।
-िफशर (पिरकितरका ) के रोग मे रोगी को एरं ड के तेल को िपलाना फायदे मंद होता है ।
-साइतिटका से पीिड़त रोगी मे एरं ड के बीजिो की िगरी को दस ग्राम की माता मे दध ू के साथ पकाकर हल्का शक्कर डाल खीर जिैसा बनाकर िखलाने मात से लाभक्त िमलता है ।
-एरं ड के बीजिो को पीसकर लेप सा बनाकर जिोड़ो मे लगाने से गिठया (आथरराइतिटस) मे बड़ा लाभक्त िमलता है । - एरं ड की जिड़ को दस से बीस ग्राम की माता मे लेकर आधा लीटर पानी मे खुले बतरन मे उबालकर चिकतुथार्निंश शेष रहने पर काढा बनाकर,रोगी को िचिकिकत्सक के िनदे शन मे खाली पेट िपलाने से त्वचिका रोगो मे लाभक्त िमलता है ।
- िकसी भक्ती प्रकार के सूजिन मे इतसके पत्तो को गरम कर उस स्थान पर बाँधने मात से सूजिन कम हो जिाती है । - परु ाने और ठीक न हो रहे घाव पर इतसके पत्तो को पीसकर लगाने से वण (घाव ) ठीक हो जिाता है । 58
-एरं ड के तेल का कल्प (कम माता से प्रारम्भक्त करते हुए िचिकिकत्सक के िनदे शन मे उच्चिक माता िफर उसे क्रिम से घटाना) वात रोगो की श्रेष्ठ िचिकिकत्सा है ,ि 봿जिसे कल्प िचिकिकत्सा के नाम से जिाना जिाता है ।
-एरं ड के तेल का प्रयोग ब्रेस्ट मसाजि आयल के रूप मे स्तनो को उभक्तारने मे भक्ती िकया जिाता है । साथ ही स्तन शोथ मे इतसके बीजिो की िगरी को िसरके मे एक साथ पीसकर लगाने से सजि ू न मे लाभक्त िमलता है ।
-प्रसूता स्ती मे जिब दध ू न आ रहा हो या स्तनो मे गाँठ पड़ गयी हो तो आधा िकलो एरं ड के पत्तो को लगभक्तग दस लीटर पानी मे एक घंटे तक उबाले । अब इतस प्रकार प्राप्त हल्के गरम पानी को धार के रूप मे स्तनो पर डाले तथा
लगातार एरं ड तेल की मािलश करे और शेष बचिके पत्तो की पल ु टीश को गाँठ वाले स्थान पर बाँध दे । गांठे कम होना प्रारम्भक्त हो जिाएंगी तथा स्तनो से पन ु : दध ू आने लगेगा।
-यिद रोगी पेट ददर से पीिड़त हो तो उसे रात मे सोने से पहले एक ग्लास गन ु गुने पानी मे एक नींबू का रस िनचिकोड़कर और साथ साथ दो चिकम्मचिक एरं ड तेल डालकर िपला दे ,िनि 봿श्चिकत लाभक्त िमलेगा।
-कोलाईटीस के रोगी को यिद मल के साथ म्यक ू स एवं खन ू आ रहा हो तो शरु ु आत मे ही एरं ड को िचिककत्सक के
परामशर से दे ने से लाभक्त िमलता है ।-यिद छोटे -छोटे ितल हो तो इतसके पि 봿त्तयो की डंठल पर थोड़ा चिकन ू ा लगाकर ितल पर िघसते रहने से ितल िनकल जिाता है ।
- यिद रोगी को अफरा (पेट मे वायु ) बन रहा हो तो एरं ड तेल के पांचिक से दस िमली की माता, मल ु ेठी चिकण ू र की पांचिक से
दस ग्राम की माता मे दे ने से लाभक्त िमलता है । ये तो इतसके कुछ गण ु ो का संित क्षप्त पिरचिकय मात है , आयुवेद के ग्रंथो मे इतसे िसंह की संज्ञा दी गई है , ि 봿जिसकी दहाड़ से रोग रूपी हाथी भक्ती घबरा जिाते है।
टोटका रिववार के िदन दोपहर के समय पांचिक कागजिी नींबू काटकर व्यवसाय स्थल पर रखकर उसके साथ एक मट्ठ ु ी काली
िमचिकर, एक मट्ट ु ी पीली सरसो रख दे । अगले िदन जिब दक ु ान या व्यवसाय स्थल खोले तो सभक्ती सामान कहीं दरू जिाकर सुनसान स्थान पर दबा दे । इतस प्रयोग से व्यवसाय चिकलने लगेगा या अगर िकसी की बुरी नजिर लगी होगी अथवा टोटका िकया होगा तो उसका प्रभक्ताव भक्ती समाप्त हो जिाएगा।
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अगर वैवािहक जिीवन से संतुष्ट नहीं है तो ये करके दे खे वतरमान समय मे भक्तागदौड़ भक्तरी जिीवनशैली के कारण वैवािहक जिीवन औपचिकािरकता भक्तर रह गया है । इतन्ही कारण ो से यौन संबध ं ो को लेकर असंतुष्ट युगलो की संख्या मे इतजिाफा हो रहा है , पिरण ाम झगड़े , तनाव अन्य कई तरह की
शारीिरक व मानिसक व्यािधयां। ऐसी ि 봿स्थित मे आयुवेद एवं आयुवेिदक औषिधयां मददगार हो सकती है तो आइतए जिानते है घर पर बनी कुछ ऐसी आयुवेिदक दवाओं के बारे मे जिो आपका वैवािहक जिीवन खुिशयो से भक्तर दे गी...
- असगंध ,िवधारा,शतावर ,सफेद मस ू ली ,तालमखाना के बीजि ,कौंचिक बीजि प्रत्येक 50-50 ग्राम की माता मे लेकर
दरदरा कर कपड़े से छान ले तथा 350 ग्राम िमश्री िमला ले, इतस नस् ु खे को 5-10 ग्राम की माता मे सब ु ह शाम ठन्डे दध ू से ले ,लगातार एक माह तक लेने से यौन सामथ्र्य मे विृ द्धत अवश्य होगी।
- दालचिकीनी ,अकरकरा ,मन ु क्का और श्वेतगंजि ु ा को एक साथ पीसकर इति 봿न्द्रय पर लेप करे तथा सम्भक्तोग के समय कपडे से पोछ डाले ,यह योग इति 봿न्द्रयो मे रक्त के संचिकरण को बढाता है ।
- शद्धत ु िशलाजिीत 500 िमलीग्राम की माता मे ठन्डे दध ु ह शाम पीने से भक्ती लाभक्त िमलता है । ू मे घोलकर सब - शीघपतन की िशकायत हो तो धाय के फूल ,मल ु ेठी ,नागकेशर ,बबल ू फली इतनको बराबर माता मे लेकर इतसमे आधी माता मे िमश्री िमलाकर ,इतस योग को 5-5 ग्राम की माता मे सेवन लगातार एक माह तक करे ,इतससे शीघपतन मे लाभक्त िमलता है ।
- कामोत्तेजिना का बढाने के िलए कौंचिकबीजि चिकूण र ,सफेद मूसली ,तालमखाना ,अस्वगंधा चिकूण र को बराबर माता मे
तैयार कर 10-10 ग्राम की माता मे ठन्डे दध ू से सेवन करे िनि 봿श्चिकत लाभक्त िमलेगा।ये चिकंद नुस्खे है, ि 봿जिनका प्रयोग यौनशि 봿क्त,यौनऊजिार एवं पुरुषाथर को बढाने मे मददगार है ।
जिामन ु खा ले और इतसकी गठ ु ली सम्भक्ताल कर रख ले जिामुन बरसात मे होने वाला फल है । इतसमे थोड़ा खारापन व रुखापन रहता है , ि 봿जिससे जिीभक्त मे ऐंठन हो जिाती है ।
इतसिलए यह कम माता मे खाया जिाता है । बड़े जिामुन स्वािदष्ट, भक्तारी, रूिचिककर व संकुिचिकत करने वाले होते है। और छोटे जिामुन ग्राही, रुखी और िपत्त, कफ रक्तिवकार और जिलन का शमन करने वाले होते है।। इतसकी गठ ु ली मल
बांधने वाली और मधम ु ेह रोगनाशक होती है । इतसमे प्रोिटन, िवटािमन ए, बी, सी, वसा खिनजि द्रव्य व पौि 봿ष्टक तत्व होते है।
प्रयोग-जिामुन का गूदा पानी मे घोलकर या शरबत बनाकर पीने से उल्टी, दस्त, जिी-िमचिकलाना, खूनी दस्त और खूनी बावासीर मे लाभक्त दे ता है ।
- जिामुन की गुठली के चिकण ू र 1-2 ग्राम पानी के साथ सुबह फांकने से मधुमेह रोग ठीक हो जिाता है । 60
- नए जित ू े पहनने पर पांव मे छाला या घाव हो जिाए तो इतस पर जिामुन की गुठली िघसकर लगाने से घाव ठीक हो जिाता है ।
- इतसके ताजिे, नरम पत्तो को गाय के पाव-भक्तर दध ु ह पीने से खन ू बवासीर मे लाभक्त होता ू मे घोट-पीसकर प्रितिदन सब है ।
- जिामन ु का रस, शहद, आँवले या गल ु ाब के फूल के रस को बराबर माता मे िमलाकर एक-दो माह तक प्रितिदन सब ु ह के वक्त सेवन करने से रक्त की कमी एवं शारीिरक दब र ता दरू होती है । यौन तथा स्मरण शि 봿क्त भक्ती बढ़ जिाती है । ु ल
-जिामन ु के एक िकलोग्राम ताजिे फलो का रस िनकालकर उसमे ढाई िकलोग्राम चिकीनी िमलाकर शरबत जिैसी चिकाशनी
बना ले। इतसे एक ढक्कनदार साफ बोतल मे भक्तरकर रख ले। जिब कभक्ती उल्टी-दस्त या है जिा जिैसी बीमारी की िशकायत हो, तब दो चिकम्मचिक शरबत और एक चिकम्मचिक अमत ृ धारा िमलाकर िपलाने से तरु ं त राहत िमल जिाती है । - जिामुन और आम का रस बराबर माता मे िमलाकर पीने से मधुमेह के रोिगयो को लाभक्त होता है । - जिामुन की गुठली के चिकण ू र को एक चिकम्मचिक माता मे िदन मे दो-तीन बार लेने पर पेिचिकश मे आराम िमलता है । - पथरी हो जिाने पर इतसके चिकूण र का उपयोग िचिकिकत्सकीय िनदे शन मे दही के साथ करे ।
- रक्तप्रदर की समस्या होने पर जिामुन की गुठली के चिकण ू र मे पच्चिकीस प्रितशत पीपल की छाल का चिकूण र िमलाएं और िदन मे दो से तीन बार एक चिकम्मचिक की माता मे ठं डे पानी से ले।
- गिठया के उपचिकार मे भक्ती जिामुन बहुत उपयोगी है । इतसकी छाल को खूब उबालकर बचिके हुए घोल का लेप घुटनो पर लगाने से गिठया मे आराम िमलता है ।
सोलह संस्कार शास्तो के अनुसार मनुष्य जिीवन के िलए कुछ आवश्यक िनयम बनाए गए है ि 봿जिनका पालन करना हमारे िलए
आवश्यक माना गया है । मनुष्य जिीवन मे हर व्यि 봿क्त को अिनवायर रूप से सोलह संस्कारो का पालन करना चिकािहए। यह संस्कार व्यि 봿क्त के जिन्म से मत्ृ यु तक अलग-अलग समय पर िकए जिाते है।
प्राचिकीन काल से इतन सोलह संस्कारो के िनवरहन की परं परा चिकली आ रही है । हर संस्कार का अपना अलग महत्व है । जिो व्यि 봿क्त इतन सोलह संस्कारो का िनवरहन नहीं करता है उसका जिीवन अधरू ा ही माना जिाता है । ये सोलह संस्कार क्या-क्या है जिानने के िलए यहां िदए गए फोटो पर ि 봿क्लक करे -
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गभक्तारधान संस्कार- यह ऐसा संस्कार है ि 봿जिससे हमे योग्य, गण ु वान और आदशर संतान प्राप्त होती है । शास्तो मे मनचिकाही संतान प्राप्त के िलए गभक्तरधारण संस्कार िकया जिाता है । इतसी संस्कार से वंश विृ द्धत होती है ।
पंस ु वन संस्कार- गभक्तरस्थ िशशु के बौिद्धतक और मानिसक िवकास के िलए यह संस्कार िकया जिाता है । पंस ु वन संस्कार के प्रमख ंु र गण ु लाभक्त ये है िक इतससे स्वस्थ, सद ु वान संतान की प्राि 봿प्त होती है ।
सीमन्तोन्नयन संस्कार- यह संस्कार गभक्तर के चिकौथे, छठवे और आठवे महीने मे िकया जिाता है । इतस समय गभक्तर मे पल रहा बच्चिका सीखने के कािबल हो जिाता है । उसमे अच्छे गण ु , स्वभक्ताव और कमर का ज्ञान आए, इतसके िलए मां उसी प्रकार आचिकार-िवचिकार, रहन-सहन और व्यवहार करती है ।
जिातकमर संस्कार- बालक का जिन्म होते ही इतस संस्कार को करने से िशशु के कई प्रकार के दोष दरू होते है। इतसके
अंतगरत िशशु को शहद और घी चिकटाया जिाता है साथ ही वैिदक मंतो का उच्चिकारण िकया जिाता है तािक बच्चिका स्वस्थ और दीघारयु हो।
नामकरण संस्कार- िशशु के जिन्म के बाद 11 वे िदन नामकरण संस्कार िकया जिाता है । ब्राह्मण द्वारा ज्योितष शास्त के अनुसार बच्चिके का नाम तय िकया जिाता है ।
िनष्क्रिमण संस्कार- िनष्क्रिमण का अथर है बाहर िनकालना। जिन्म के चिकौथे महीने मे यह संस्कार िकया जिाता है । हमारा शरीर पथ्ृ वी, जिल, अि 봿ग्न, वायु और आकाश ि 봿जिन्हे पंचिकभक्तूत कहा जिाता है , से बना है । इतसिलए िपता इतन
दे वताओं से बच्चिके के कल्याण की प्राथरना करते है। साथ ही कामना करते है िक िशशु दीघारयु रहे और स्वस्थ रहे । अन्नप्राशन संस्कार- यह संस्कार बच्चिके के दांत िनकलने के समय अथारत 6-7 महीने की उम मे िकया जिाता है । इतस संस्कार के बाद बच्चिके को अन्न िखलाने की शुरुआत हो जिाती है ।
मुंडन संस्कार- जिब िशशु की आयु एक वषर हो जिाती है तब या तीन वषर की आयु मे या पांचिकवे या सातवे वषर की आयु मे बच्चिके के बाल उतारे जिाते है ि 봿जिसे मड ुं न संस्कार कहा जिाता है । इतस संस्कार से बच्चिके का िसर मजिबूत होता है तथा बुिद्धत तेजि होती है । साथ ही िशशु के बालो मे िचिकपके कीटाण ु नष्ट होते है ि 봿जिससे िशशु को स्वास्थ्य लाभक्त प्राप्त होता है ।
िवद्या आरं भक्त संस्कार- इतस संस्कार के माध्यम से िशशु को उिचिकत िशक्षा दी जिाती है । िशशु को िशक्षा के प्रारं िभक्तक स्तर से पिरिचिकत कराया जिाता है ।
कण रवेध संस्कार- इतसका अथर है - कान छे दना। परं परा मे कान और नाक छे दे जिाते थे। इतसके दो कारण है, एक-
आभक्तूषण पहनने के िलए। दस ू रा- कान छे दने से एक्यूपंक्चिकर होता है । इतससे मि 봿स्तष्क तक जिाने वाली नसो मे रक्त का प्रवाह ठीक होता है । इतससे श्रवण शि 봿क्त बढ़ती है और कई रोगो की रोकथाम हो जिाती है ।
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उपनयन या यज्ञोपिवत संस्कार- उप यानी पास और नयन यानी ले जिाना। गरु ु के पास ले जिाने का अथर है उपनयन
संस्कार। आजि भक्ती यह परं परा है । जिनेऊ यािन यज्ञोपिवत मे तीन सत ू होते है। ये तीन दे वता- ब्रह्मा, िवष्ण ु, महे श के प्रतीक है। इतस संस्कार से िशशु को बल, ऊजिार और तेजि प्राप्त होता है ।
वेदारं भक्त संस्कार: इतसके अंतगरत व्यि 봿क्त को वेदो का ज्ञान िदया जिाता है । केशांत संस्कार- केशांत संस्कार अथर है केश यानी बालो का अंत करना, उन्हे समाप्त करना। िवद्या अध्ययन से पव ू र भक्ती केशांत िकया जिाता है । मान्यता है गभक्तर से बाहर आने के बाद बालक के िसर पर माता-िपता के िदए बाल ही रहते
है। इतन्हे काटने से शिु द्धत होती है । िशक्षा प्राि 봿प्त के पहले शिु द्धत जिरूरी है , तािक मि 봿स्तष्क ठीक िदशा मे काम करे । परु ाने मे गरु ु कुल से िशक्षा प्राि 봿प्त के बाद केशांत संस्कार िकया जिाता था।
समावतरन संस्कार- समावतरन संस्कार अथर है िफर से लौटना। आश्रम या गरु ु कुल से िशक्षा प्राि 봿प्त के बाद व्यि 봿क्त को िफर से समाजि मे लाने के िलए यह संस्कार िकया जिाता था। इतसका आशय है ब्रह्मचिकारी व्यि 봿क्त को मनोवैज्ञािनक रूप से जिीवन के संघषो के िलए तैयार िकया जिाना।
िववाह संस्कार- यह धमर का साधन है । िववाह संस्कार सवारिधक महत्वपूण र संस्कार माना जिाता है । इतसके अंतगरत
वर और वधू दोनो साथ रहकर धमर के पालन का संकल्प लेते हुए िववाह करते है। िववाह के द्वारा सि 봿ृ ष्ट के िवकास मे योगदान िदया जिाता है । इतसी संस्कार से व्यि 봿क्त िपतऋ ृ ण से मुक्त होता है ।
अंत्येष्टी संस्कार- अंत्येि 봿ष्ट संस्कार इतसका अथर है अंितम संस्कार। शास्तो के अनुसार इतंसान की मत्ृ यु यािन दे ह
त्याग के बाद मत ृ शरीर अि 봿ग्न को समिपरत िकया जिाता है । आजि भक्ती शवयाता के आगे घर से अि 봿ग्न जिलाकर ले जिाई जिाती है । इतसी से िचिकता जिलाई जिाती है । आशय है िववाह के बाद व्यि 봿क्त ने जिो अि 봿ग्न घर मे जिलाई थी उसी से उसके अंितम यज्ञ की अि 봿ग्न जिलाई जिाती है - कालीिमचिकर का चिकण ू र नाक मे डालने से बेहोशी दरू होती है ।
.थोड़ी सी कालीिमचिकर कर दे गी इतन सारे रोगो को ठीक - सूजिन पर कालीिमचिकर का लेप करने से वह ठीक हो जिाती है । - काली िमचिकर व तल ु सी के पत्ते का काढ़ा बनाकर छानकर उसमे बताशा िमलाकर पीने से जिुकाम ठीक होता है । - कालीिमचिकर व काला नमक अंदाजि से लेकर दही मे िमलाकर पीने से खाना न पचिकने की समस्या दरू होती है । - कालीिमचिकर को पीसकर पुराने गड़ ु के साथ दे ने से नाक से िगरने वाला खून बंद हो जिाता है । - कालीिमचिकर को घी मे िमलाकर या िमश्री के साथ सब ु ह उठते ही खाने से अनेक प्रकार के नेत रोग िमटते है। - कालीिमचिकर को पीसकर तेल मे िमलाकर लकवे के रोगी को लेप करने से लाभक्त होता है । 63
- त्वचिका पर कहीं भक्ती फुंसी होने पर, काली िमचिकर को पानी के साथ पत्थर पर िघस कर अनािमका अंगुली से िसफर फुंसी पर लगाने से फुंसी खत्म जिाती है ।
- काली िमचिकर को सई ु से छे द कर िदये की लौ से जिलाएं। जिब धआ ु ं उठे तो इतस धए ु ं को नाक से अंदर खीचिक ले । इतस प्रयोग से िसर ददर ठीक हो जिाता है । िहचिककी आना भक्ती भक्ती बंद हो जिाती है ।
- काली िमचिकर 20 ग्राम, जिीरा 10 ग्राम और शक्कर या िमश्री 15 ग्राम कूट पीस कर िमला ले। इतसे सब ु ह-शाम पानी के साथ फांक ले। बवासीर रोग मे लाभक्त होता है ।
- शहद मे िपसी काली िमचिकर िमलाकर िदन मे तीन बार चिकाटने से खांसी बंद हो जिाती है । - आधा चिकम्मचिक िपसी काली िमचिकर थोड़े से घी के साथ िमला कर रोजिाना सुबह-शाम िनयिमत खाने से नेत ज्योित बढ़ती है ।
- काली िमचिकर 20 ग्राम, सोठ, पीपल, जिीरा व सेधा नमक सब 10-10 ग्राम माता मे पीस कर िमला ले। भक्तोजिन के बाद आधा चिकम्मचिक चिकूण र थोड़े से जिल के साथ फांकने से मंदािग्र (खाना न पचिकना) दरू हो जिाती है । - चिकार-पांचिक दाने कालीिमचिकर के साथ 15 दाने िकशिमश चिकबाने से खांसी मे लाभक्त होता है । - कालीिमचिकर सभक्ती प्रकार के संक्रिमण मे लाभक्त दे ती है । - यिद आपका ब्लड प्रेशर लो रहता है , तो िदन मे दो-तीन बार पांचिक दाने कालीिमचिकर के साथ 21 दाने िकशिमश का सेवन करे ।
- बुखार मे तुलसी, कालीिमचिकर तथा िगलोय का काढ़ा लाभक्त करता है ।
जिीरे से करे इतलाजि ये है घर का वैद्य जिीरा, अजिवाइतन, सोठ, कालीिमचिकर, और काला नमक अंदाजि से लेकर चिकण ू र कर ले । इतसमे थोड़ी सी घी मे भक्तन ू ी हींग िमलाकर खाने से पाचिकन शि 봿क्त बढ़ती है । पेट का ददर ठीक हो जिाता है ।
- जिीरा, अजिवाइतन और काला नमक का चिकण ू र रोजिाना एक चिकम्मचिक खाने से तेजि भक्तूख लगती है और पेट की गैस शांत होती है ।
- 3 ग्राम जिीरा और 125 िम.ग्रा. िफटकरी पोटली मे बांधकर गल ु ाब जिल मे या उबाल कर ठं डा िकए हुए 10 ग्राम जिल
मे िभक्तगो दे । आंख मे ददर होने पर या लाल होने पर इतस रस को टपकाने से आराम िमलता है । 64
- दही मे भक्तरू े जिीरे का चिकूण र िमलाकर खाने से डायिरया िमटता है । - जिीरे को नींबू के रस मे िभक्तगोकर नमक िमलाकर गभक्तरवती स्ती को दे ने उसका जिी मचिकलाना बंद हो जिाता है । - िसरके के साथ जिीरा दे ने से िहचिककी बंद हो जिाती है । - जिीरे को गड़ ु के साथ खाने से मलेिरया मे लाभक्त पहुंचिकता है । - जिीरा आयरन का सबसे अच्छा स्तोत है , ि 봿जिसे िनयिमत रूप से खाने से खन ू की कमी दरू होती है । - एसीिडटी से तरु ं त राहत पाने के िलए, एक चिकट ु की कच्चिका जिीरा खाने से फायदा िमलता है । - ब्लड शग ु र को िनयंितत करने के िलए छोटा चिकम्मचिक िपसा जिीरा िदन मे दो बार पानी के साथ ले।
इतन पांचिक पौधो को घर मे लगाएं भक्तारतीय रसोई मे खाने को जिायकेदार बनाने के िलए कई चिकीजिे प्रयोग मे लाई जिाती है। ये चिकीजिे ऐसी होती है जिो खाने का स्वाद तो बढ़ाती ही है। साथ ही हे ल्थ भक्ती बना दे ती है। आजि हम आपको बताने जिा रहे है ऐसे पांचिक पौधो के बारे मे ि 봿जिन्हे घर मे लगाने के अनेक फायदे है और इतनसे कई रोगो का इतलाजि भक्ती संभक्तव है । अजिवाइतन- अगर िकसी को नींद न आ रही हो तो अजिवाइतन 3 ग्राम की माता मे पानी से िनगलवा दीि 봿जिए। इतससे मन भक्ती शांत होता है ,नींद भक्ती गहरी आती है और पेट भक्ती साफ़ हो जिाता है । शरु ु आत मे 2 ही ग्राम दीि 봿जिएगा। अगर पेट मे गैस परे शान करती है तो थोड़े से गुड मे 1-2 ग्राम अजिवाइतन िमलाकर गोली बनाएं और खा जिाएं। पेट मे कीड़े हो तो सुबह सवेरे थोड़ा सा गड ु खाइतए िफर 2 ग्राम खुरासी अजिवाइतन पानी से िनगल जिाइतए, बस 3 िदन काफी है ।
पुदीना - यह ह्दय को शि 봿क्त प्रदान करता है । कफ एवं खांसी को दरू करता है । पुदीना सजि ू न को नष्ट करता है ।
आमाशय को शि 봿क्त प्रदान करता है । यह वायु-नाशक औषिध है । पुदीना-िमिश्रत पानी से िदन भक्तर मे दो-तीन बार कुल्ले करते रहने से मख र दरू हो जिाती है । पुदीना हाई और लो दोनो ही ब्लडप्रेशर को िनयंितत करता है । ु की दग ु ध
धिनया - धिनए मे िवटािमन ए भक्तरपूर माता मे िमल है । इतसिलए इतसकी चिकटनी बनाकर या सब्जिी मे डालकर खाने से आंखो को कई फायदे होते है। आंखो के कई रोग भक्ती दरू होते है। हरे धिनए की पि 봿त्तयो को पीसकर िसर मे लेप करने से िसर ददर दरू होता है । शरीर के िकसी अंग मे सूजिन आने पर इतसका लेप करने से भक्ती लाभक्त होता है । बुखार आने पर शरीर की जिलन दरू करने मे भक्ती धिनया काफी लाभक्तकारी होता है ।
करी पत्ता - िनयिमत रूप से खाद्य पदाथो के साथ करी पत्ते का सेवन करते रहने से यह श्रेष्ठ टॉनिनक का कायर
करता है ।यह शरीर के िकसी भक्ती िहस्से मे हो रही जिलन को शांत कर दे ता है ।पेट के कीड़ो से मि 봿ु क्त िदलाता है ।सूजिन को दरू करता है ।िविवध प्रकार के रक्त संबंधी िवकारो जिैसे शरीर मे फोड़े-फुंिसयां होना, नकसीर, मुंह मे छाले होना, 65
चिकेहरे पर झांइतयां होना, शरीर पर ितल अिधक पैदा होना, दाद होना, सफेद दाग अथारत ् ल्यूकोडमार, खािरश-खुजिली, त्वचिका पर लाल-लाल चिककत्ते पैदा होना इतत्यािद रोगो के उपचिकार मे भक्ती यह लाभक्तप्रद औषिध है ।
लहसन ु - लहसन ु िदल के रोिगयो के िलए बहुत ही लाभक्तदायक है ।लहसन ु मे जिो एिलिसन पाया जिाता है वो िनकोटीन के प्रभक्ताव को कम करता है इतसिलए स्मोकरस को लहसन ु सब ु ह चिकबाने की राय दी जिाती है । लहसन ु के सेवन से घाव बहुत जिल्दी भक्तरना शरू ु हो जिायेगा।
रोजिाना तल ु सी के थोड़े से पत्ते खाने के है ये अनिगनत फायदे तुलसी मे कई ऐसे गुण है जिो बड़ी-बड़ी जििटल बीमािरयो को दरू करने और उनकी रोकथाम करने मे सहायक है ।
कहते है जिो लोग प्रितिदन तुलसी की पांचिक पि 봿त्तयां खा लेते है वे अनेक प्रकार के रोगो से सुरित क्षत रहते है। इतसका
तीन महीने तक सेवन करने से खांसी, सदी, बुखार, मलेिरया, कालाजिार, जिुकाम या काफ, जिन्मजिात जिुकाम, श्वास रोग, दमा, स्मरण शि 봿क्त का अभक्ताव, पुराना से पुराना िसरददर , नेत-पीड़ा, उच्चिक अथवा िनम्न रक्तचिकाप, ह्रदय रोग, शरीर का मोटापा, अम्लता, पेिचिकश, कब्जि, गैस, मन्दाि 봿ग्न,गुदे का ठीक से काम न करना, गुदे की पथरी खून की
कमी,दांतो का रोग, सफेद दाग तथा अन्य बीमािरयां, गिठया का ददर , वद्धत ृ ावस्था की कमजिोरी, िवटािमन ए और सी की कमी से उत्पन्न होने वाले रोग, सफेद दाग, कुष्ठ तथा चिकमर रोग, शरीर की झुिरर यां, पुरानी िबवाइतयां, मिहलाओं की बहुत सारी बीमािरयां, बुखार, खसरा आिद रोग दरू होते है ।
िसर, गले, नाक का ददर , आंख के रोग, सजि ू न, खुजिली, अजिीण र, उलटी , हृदयरोग, कृिम, फोड़े, मह ु ांसे, जिलन ,
बालतोड़, लू लगना, स्वप्नदोष, मूछार, िवष आिद तथा ि 봿स्तयो और बच्चिको के सामान्य रोगो का इतलाजि स्वयं ही िकया
जिा सकता है । तल ु सी के उपयोग से मनुष्यो मे रोग प्रितरोधक क्षमता तीवता से बढ़ती है और खाली पेट बीस-पच्चिकीस तुलसी के पत्तो का सेवन करने से स्वाईन फ्लू से बचिका जिा सकता है । तुलसी दमा टी.बी. मे भक्तीगुण कारी है ।
िसरददर दरू भक्तगाने के ये है 11 टे स्टी नुस्खे माइतग्रेन या आधा िसरददर आजिकल की अव्यवि 봿स्थत ि 봿जिंदगी की दे न है । ि 봿जिसमे हम अपने खानपान पर िनयिमत
ध्यान नहीं दे पाते है। पिरण ामस्वरूप जिाने-अनजिाने माइतग्रेन जिैसे रोगो के िशकार बन जिाते है। माइतग्रेन िसर के एक िहस्से से शरू ु होकर कई बार पूरे िसर को जिकड़ लेता है । माईग्रेन का ददर सुबह उठते ही प्रारं भक्त हो जिाता है और सरू जि के चिकढने के साथ रोग भक्ती बढ़ता जिाता है । दोपहर के समय इतस रोग के प्रभक्ताव मे कमी हो जिाती है । अगर आप भक्ती माइतग्रेन से परे शान है तो अपनाएं ये उपाय.... 66
- माइतग्रेन के रोिगयो के िलए बादाम बहुत फायदे मंद होती है । रोजिाना 10-12 नग बादाम खाएं। - रोजि सब ु ह खाली पेट 200 ग्राम गरम जिलेबी खाने से भक्ती रोिगयो को फायदा हुआ है । - बंद गोभक्ती का पेस्ट बनाकर उसे ललाट पर लगाएं। जिब गोभक्ती का पेस्ट सख ू ने लगे तो नया पेस्ट बनाककर पट्टी बांधे।
- अंगरू का रस 200 िम.ली. सब ु ह -शाम पीएं। यह एक बेहद कारगर नस् ु खा है । - नींबू के िछलके को पीसकर पेस्ट बनाएं ललाट पर लगाएं फायदा होगा। - गाजिर का रस और पालक का रस दोनो करीब 300 िम.ली. माता मे पीएं। यह आधाशीशी मे गण ु कारी है । - आधा चिकम्मचिक सरसो के बीजि का पाउडर 3 चिकम्मचिक पानी मे घोलकर नाक पर लगाएं। माईग्रेन का िसरददर कम हो जिाएगा।
- माईग्रेन रोगी दे र से पचिकने वाला और मसालेदार भक्तोजिन न करे । - िवटािमन बी से भक्तरपूर चिकीजिो का सेवन करे । यह िवटािमन माइतग्रेन रोिगयो के िलए आवश्यक माना गया है । - तनाव मक् ु त जिीवन शैली अपनाएं। - हरी सि 봿ब्जियो और फलो को अपने भक्तोजिन मे प्रचिकुरता से शािमल करे ।
शहद के आठ प्रयोग शहद को आयुवेद मे औषधीय गण ु ो का खजिाना माना गया है । शहद का अलग-अलग तरह से उपयोग कर हम हमारे शरीर की कई सारी समस्याओं को दरू भक्तगा सकते है। शहद मे यह गुण होता भक्ती है िक इतसका अलग-अलग वस्तुओं के साथ उपयोग करने पर इतसकी तासीर भक्ती िभक्तन्न हो जिाती है । आइतए जिानते है शहद के ऐसे ही कुछ गुण ो को.... -शहद को मसड़ ू ो पर मलने से पायिरया नहीं होता। -छोटे बच्चिको को दध ू िपलाने से पहले शहद चिकटा दे । िफर दध ू िपलाएं ये रोग िनरोधक क्षमता बढ़ाता है । - बेसन, मलाई मे शहद िमलाकर त्वचिका पर लगाएं। थोड़ी दे र बाद धो ले , चिकेहरा चिकमक उठे गा । - प्रितिदन 25 ग्राम शहद दध ू के साथ जिरूर ले । इतससे शरीर को ताकत िमलती है । - त्वचिका सम्बन्धी रोग हो या कहीं जिल-कट गया हो तो शहद लगाएं। जिाद ू सा असर िदखाई दे गा। 67
- रात को सोने से पहले दध ू के साथ शहद लेने पर बहुत अच्छी नींद आती है । - दध ू मे शक्कर की जिगह शहद लेने से गैस नहीं बनती और पेट के कीड़े भक्ती िनकल जिाते है। - जिक ु ाम होने पर शहद की भक्ताप ले व उसी पानी से कुल्ला करे ।
तेजि िदमाग और हे ल्दी बॉनडी दोनो के िलए ये दवा है कमाल की
ब्राह्मी एक ऐसी जिड़ी बूटी है ि 봿जिसे आयुवेद मे बहुत उपयोगी माना गया है । ब्राह्मी तराई वाले स्थानो पर उगती है । बुिद्धत तथा उम को बढ़ाती है । यह रसायन के समान होती है । ब्राह्मी मे एल्केलाइतड तथा सेपोिनन नामक दो मुख्य: जिैव सिक्रिय पदाथर पाए जिाते है। इतसमे पाए जिाने वाले दो मख् ु य एल्केलाइतड है ब्राह्मीन तथा हरपेि 봿स्टन जिबिक बेकोसाइतड ए तथा बी मुख्य सेपोिनन है।
गुण ो की दृष्टि 봿ष्ट से ब्राह्मी मे पाए जिाने वाले एल्केलाइतड ि 봿स्ट्रकनीन के समान है परन्तु यह उसकी तरह िवषाक्त नहीं
होती। ब्राह्मी मे बोटूिलक अम्ल, ि 봿स्टग्मा स्टे नॉनल, बीटा-साइतटोस्टीरॉनल तथा टे िनन आिद भक्ती पाए जिाते है। हरे पत्तो मे प्राय: एल्केलाइतड तथा उड़नशील तेल पाए जिाते है जिबिक सूखे पौधो मे सेण्टोइतक एिसड तथा सेण्टे िलंक एिसड भक्ती पाए जिाते है। बुखार को खत्म करती है । याददाश्त को बढ़ाती है ।
सफेद दाग, पीिलया, प्रमेह और खून की खराबी को दरू करती है । खांसी, िपत्त और सूजिन को रोकती है । बैठे हुए गले
को साफ करती है । ब्राह्मी का उपयोग िदल के िलए लाभक्तदायक होता है । यह मानिसक पागलपन को दरू करता है । सही माता के अनुसार इतसका सेवन करने से िनबद्धत ुर , ितकालदशी यानी भक्तूत, भक्तिवष्य और वतरमान सब िदखाई दे ने
लगते है। ब्राह्मी घत ृ , ब्राही रसायन, ब्राही पाक, ब्राह्मी तेल, सारस्वतािरष्ट, सारस्वत चिकूण र आिद के रूप मे प्रयोग
िकया जिाता है। वीक मेमोरी मे ब्राह्मी का रस या चिकूण र पानी के साथ रोगी को िदया जिाना चिकािहए। ब्राह्मी के तेल की मािलश से कमजिोर मि 봿स्तष्क मजिबूत हो जिाता है तथा बुिद्धत बढ़ती है ।
िहस्टीिरया जिैसे रोगो मे यह तुरन्त प्रभक्तावी होती है ि 봿जिससे सभक्ती लक्षण तुरन्त नष्ट हो जिाते है। िचिकन्ता तथा तनाव मे ठं डाई के रूप मे भक्ती इतसका प्रयोग िकया जिाता है । इतसके अितिरक्त िकसी बीमार या अन्य बीमारी के कारण आई
िनबरलता के िनवारण के िलए इतसका प्रयोग िकया जिाता है । कुष्ठ और चिकमर रोगो मे भक्ती यह उपयोगी है । खांसी तथा गला बैठने पर इतसके रस का सेवन काली िमचिकर तथा शहद के साथ करना चिकािहए।
जिािनए िकस महीने मे क्या नहीं खाना चिकािहए ? अच्छे भक्तोजिन से हमारा शरीर तंदरु ु स्त बना रहता है । जिल्दी थकान नहीं होती और साथ ही कई छोटी-छोटी बीमािरयां भक्ती पास नहीं आती है। आयुवेद मे शरीर को स्वस्थ रखने के िलए खाने से संबंिधत भक्ती कई िनयम बताए गए है। 68
इतन्ही िनयमो के अंतगरत पूरे साल के हर महीने के िलए कुछ ऐसी चिकीजिे बताई गई है, ि 봿जिन्हे अलग-अलग माह मे नहीं खाना चिकािहए।
परु ाने समय मे एक कहावत कही गई है
- चिकौते गड़ ु , वैशाखे तेल, जिेठ के पंथ, अषाढ़े बेल।
सावन साग, भक्तादो मही, कुवांर करे ला, काितरक दही। अगहन जिीरा, पस ू ै धना, माघै िमश्री, फाल्गन ु चिकना। जिो कोई इततने पिरहरै , ता घर बैद पैर निहं धरै । अक्टूबर-नवंबर: इतन दो महीनो मे भक्ती दही और दही से बनी अन्य चिकीजिे नहीं खाना चिकािहए।
िदसंबर-जिनवरी: इतन दोनो माह मे धिनया नहीं खाना चिकािहए क्योिक धिनये की प्रविृ त ठं डी मानी गई है और सामान्यत: इतस मौसम मे बहुत ठं ड होती है ।
अगस्त-िसतंबर: इतन दो महीनो मे छाछ, दही नहीं खाना चिकािहए। जिून-जिुलाई:हरी सि 봿ब्जियो के सेवन से बचिके ।
माचिकर-अप्रैल: इतस समय गड़ ु नहीं खाना चिकािहए।
नवंबर: िदसंबर: इतस समय मे भक्तोजिन मे जिीरे का उपयोग नहीं करना चिकािहए। िसतंबर-अक्टूबर: इतस माह मे करे ला वि 봿जिरत माना गया है ।
जिुलाई-अगस्त: दध ू व दध ू से बनी चिकीजिो के साथ ही हरी सि 봿ब्जियां भक्ती खाएं। साल के िकस महीने मे क्या न खाएं- जिनवरी-फरवरी: जिनवरी फरवरी मे िमश्री नहीं खाना चिकािहए। मई-जिून: इतन महीनो मे गमी का प्रकोप रहता है अत: ज्यादा घुमना-िफरना स्वास्थ्य के िलए हािनकारक है ।
मंग ू फली दाने खाने के ये फायदे जिानकर आप भक्ती कहे गे
मूंगफली एक पौि 봿ष्टक आहार है इतसीिलए इतसे गरीबो की बादाम भक्ती कहा जिाता है । एक अंडे की कीमत मे ि 봿जितनी
मूंगफली आती है , उसमे इततना प्रोटीन होता है ि 봿जितना दध ू और अंडे मे भक्ती नहीं होता है । यह आयरन, िनयािसन,
फोलेट, कैि 봿ल्शयम और ि 봿जिंक का अच्छा स्रोत है। आधी मट्ठ ु ी मग ूं फली के दानो मे 426 कैलोरीजि 5 ग्राम काबोहाइतड्रेट, 17 ग्राम प्रोटीन और 35 ग्राम वसा होती है । इतसमे िवटािमन ई, के और बी6 भक्ती भक्तरपूर माता मे पाए जिाते है । इतसिलए अगर आप ऊपर िलखे पोषण के साथ ही नीचिके िलखे फायदे भक्ती पाना चिकाहते है तो रोजिाना लाल िछलके वाले कम से कम 20 मग ूं फली के दाने खाएं...
1. मूंगफली मे तेल का अंश होने से यह गैस की बीमािरयो को नष्ट करती है तथा यह गीली खांसी मे भक्ती उपयोगी है । मूंगफली आमाशय और फेफड़े को बल दे ती है ।
2. मूंगफली पाचिकन शि 봿क्त को बढ़ाती है और रुिचिककर होती है । मूंगफली के तेल के गण ु आिलव ऑयल जिैसे ही है । मूंगफली गभक्तारवस्था मे िशशु के िवकास मे मदद करती है ।
3. त्वचिका का सख ू ापन दरू करती है क्योिक इतसमे िवटािमन ई भक्तरपूर माता मे पाया जिाता है जिो त्वचिका को हे ल्दी बनाता है ।
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4. रोजि थोड़ी माता मे मूंगफली खाने से दब ु ले-पतले लोगो का वजिन बढऩे लगता है । होठ भक्ती कोमल और गुलाबी हो जिाते है।
5. इतसे खाने से कोलेस्ट्रॉनल कंट्रोल मे रहता है । कोलेस्ट्रॉनल की माता मे 5.1 फीसदी की कमी आती है । इतसके अलावा कम घनत्व वाले िलपोप्रोटीन कोलेस्ट्राल (एलडीएलसी) की माता भक्ती 7.4 फीसदी घटती है । 6. प्रोटीन, लाभक्तदायक वसा, फाइतबर, खिनजि, िवटािमन और एंटीआक्सीडेट प्रचिकुर माता मे पाए जिाते है इतसिलए इतसके सेवन से ि 봿स्कन प्रॉनब्लम्स नहीं सताती। इतसमे कैि 봿ल्शयम और िवटािमन डी अिधक माता मे होता है इतसीिलए इतसे
खाने से हिड्डया मजिबूत बनती है और हिड्डयो से संबंिधत बीमािरयां नहीं होती है साथ ही दांत भक्ती मजिबूत होते है।
7.माना जिाता है िक रोजिाना थोड़ी माता मे मग ूं फली खाने से मिहलाओं और पुरुषो मे हामोन्स का संतल ु न बना रहता है ।
अगर आप ले रहे है 'िवटािमन'
एक नई स्टडी ने मेिडकल जिगत समेत आम लोगो मे हलचिकल मचिका दी है । इतसके मत ु ािबक अिधक माता मे िवटािमन
सप्लीमे ट्स सेहत के िलए अच्छे नहीं है। इतन्हे खाने से परु ु षो मे प्रोस्टे ट कै सर तो मिहलाओं मे ब्रेस्ट कै सर की आशंका बढ़ जिाती है ।
स्टडी मे शािमल िवशेषज्ञो के मुतािबक िवटािमन सप्लीमे ट्स लेने के बजिाय उनके प्राकृितक स्रोत यानी फल-
सि 봿ब्जियो का सेवन करना ज्यादा सही है । अगर सप्लीमे ट्स लेने की जिरूरत पड़े भक्ती, तो िवशेषज्ञ से सलाह-मशिवरा के बाद बताई गई माता मे ही उनका सेवन करे । िवटािमन ए से फ्रैक्चिकर
दावा:िवटािमन ए से िदल की बीमािरयो की आशंका बढ़ जिाती है । इतसकी ज्यादा माता से िहप फ्रैक्चिकर का खतरा भक्ती बढ़ता है , खासकर मिहलाओं मे ।
आधार: िवटािमन ए के ज्यादा सेवन से शरीर द्वारा कैि 봿ल्शयम को जिज्ब करने की क्षमता प्रभक्तािवत होती है । इतसका असर हिड्डयो की सेहत पर पड़ता है ।
जिरूरी क्यो:िवटािमन ए दृष्टि 봿ष्ट समेत शरीर के प्रितरोधी तंत के िलए बहुत जिरूरी है । ये ऊतको को स्वस्थ रखता है । इतसकी कमी से दृष्टि 봿ष्टदोष बढ़ता है । बेहतर होगा बीटा केरोिटन युक्त मल्टीिवटािमन खरीदे , जिो एक ऑगेिनक कंपाउं ड होता है ।
प्राकृितक स्रोत:गाजिर, पालक, लाल िमचिकर, टमाटर, नारं गी, आड़ू, अंडे और दग्ु ध उत्पाद। िवटािमन बी 6 से अिनद्रा
दावा:िवटािमन बी 6 का सेवन करने से न िसफर आधी रात को नींद खल ु जिाती है , बि 봿ल्क यह बेतरतीब सपनो का भक्ती कारण है ।
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आधार: िवटािमन बी 6 िट्रप्टोफैन को सेरोटोिनन हामोन मे बदलने मे मदद करता है । यह हामोन नींद के चिकक्रि को व्यवि 봿स्थत रखता है । इतसके स्राव मे गड़बड़ी से नींद की माता मे कमी आती है ।
जिरूरी क्यो: इतसकी कमी से त्वचिका, नाड़ी, म्यक ू स मैब्रेन और सकरुलेटरी िसस्टम प्रभक्तािवत होते है। ये ऊतको के िनमारण के िलए भक्ती जिरूरी है ।
प्राकृितक स्रोत:पनीर, अंडे, मेवे, साबत ु अनाजि, बींस और फलीदार सि 봿ब्जियां। िवटािमन सी से कै सर
दावा:िवटािमन सी के ज्यादा सेवन से डीएनए क्षितग्रस्त होते है। इतससे कै सर और आथरराइतिटस की आशंका बढ़ती है ।
आधार: 500 िमलीग्राम या इतससे ज्यादा होने पर िवटािमन सी प्रो-ऑक्सीडेट बन जिाता है । इतससे कोिशकाएं क्षितग्रस्त होती है।
जिरूरी क्यो: शरीर मे इतसकी कमी से त्वचिका से जिड़ ु ी समस्याएं सामने आती है। यही नहीं, हाटर अटै क समेत रक्त
वािहिनयो से जिड़ ु ी अन्य परे शािनयां भक्ती सामने आती है। थकान ज्यादा महसूस होती है और बीमारी जिल्दी-जिल्दी घेरती है ।
प्राकृितक स्रोत:अमरूद, िकवी, पपीता, नींबू, नारं गी और स्ट्रॉनबेरी। िवटािमन डी से िकडनी पर असर
दावा: िवटािमन डी की अिधक माता से िकडनी और उसके ऊतक क्षितग्रस्त होते है। इतससे फ्रैक्चिकर होने की आशंका बढ़ती है ।
आधार: िवटािमन डी की अिधकता से खन ू और पेशाब मे कैि 봿ल्शयम का स्तर बढ़ता है । इतससे िकडनी मे स्टोन बनते है।
जिरूरी क्यो: इतसकी कमी स्ट्रोक की आशंका बढ़ाती है । शरीर सही तरीके से काम नहीं करता, हाई ब्लड प्रेशर,
डायिबटीजि और मोटापे की समस्या आ घेरती है । यही नहीं, इतसकी कमी जिोड़ो मे ददर दे ने समेत हिड्डयो को कमजिोर (ऑि 봿स्टयोपोरोिसस रोग) बनाती है । िवटािमन के से िलवर पर असर
दावा:िवटािमन के कुछ एंटीऑक्सीडेट्स के काम मे रुकावट डालता है । इतसके सेवन से कोिशकाएं क्षितग्रस्त होने लगती है। ज्यादा माता एनीिमया, पीिलया और खून पतला होने की आशंका बढ़ाती है ।
आधार:खून मे इतसकी ज्यादा माता से लाल रक्त कोिशकाएं टूटने लगती है। इतसकी पिरण ित िलवर की समस्या के रूप मे सामने आती है ।
जिरूरी क्यो:यह हिड्डयो को मजिबूती दे ने समेत खून को गाढ़ा बनाए रखताहै । इतसकी कमी से ऑि 봿स्टयोपोरोिसस और ब्लीिडंग होने लगती है ।
कुछ नुस्खे: छोटे लहसुन के बड़े फायदे 71
लहसुन िसफर खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बि 봿ल्क शरीर के िलए एक औषधी की तरह भक्ती काम करता है ।इतसमे
प्रोटीन, िवटािमन, खिनजि, लवण और फॉनस्फोरस, आयरन व िवटािमन ए,बी व सी भक्ती पाए जिाते है। लहसुन शरीर की रोग प्रितरोधी क्षमता को बढ़ाता है । भक्तोजिन मे िकसी भक्ती तरह इतसका सेवन करना शरीर के िलए बेहद फायदे मंद होता है आजि हम बताने जिा रहे है आपको औषिधय गण ु से भक्तरपरू लहसन ु के कुछ ऐसे ही नस् ु खो के बारे मे जिो नीचिके िलखी स्वास्थ्य समस्याओं मे रामबाण है ।
- 100 ग्राम सरसो के तेल मे दो ग्राम (आधा चिकम्मचिक) अजिवाइतन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर
धीमी-धीमी आंचिक पर पकाएं। जिब लहसुन और अजिवाइतन काली हो जिाए तब तेल उतारकर ठं डा कर छान ले और बोतल मे भक्तर दे । इतस तेल को गुनगुना कर इतसकी मािलश करने से हर प्रकार का बदन का ददर दरू हो जिाता है ।
- लहसुन की एक कली छीलकर सब ु ह एक िगलास पानी से िनगल लेने से रक्त मे कोलेस्ट्रॉनल का स्तर िनयंितत रहता है ।साथ ही ब्लडप्रेशर भक्ती कंट्रोल मे रहता है ।
- लहसुन डायिबटीजि के रोिगयो के िलए भक्ती फायदे मंद होता है । यह शग ु र के स्तर को िनयंितत करने मे कारगर सािबत होता है ।
- खांसी और टीबी मे लहसुन बेहद फायदे मंद है । लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सदी ठीक हो जिाती है ।
- लहसुन दमा के इतलाजि मे कारगर सािबत होता है । 30 िमली लीटर दध ू मे लहसुन की पांचिक किलयां उबाले और इतस िमश्रण का हर रोजि सेवन करने से दमे मे शरु ु आती अवस्था मे काफी फायदा िमलता है । अदरक की गरम चिकाय मे लहसुन की दो िपसी किलयां िमलाकर पीने से भक्ती अस्थमा िनयंितत रहता है ।
- लहसन ु की दो किलयो को पीसकर उसमे और एक छोटा चिकम्मचिक हल्दी पाउडर िमला कर क्रिीम बना ले इतसे िसफर मह ु ांसो पर लगाएं। मह ु ांसे साफ हो जिाएंगे।
- लहसन ु की दो किलयां पीसकर एक िगलास दध ु ह शाम कुछ िदन पीएं िदल से ू मे उबाल ले और ठं डा करके सब संबंिधत बीमािरयो मे आराम िमलता है ।
- लहसन ु के िनयिमत सेवन से पेट और भक्तोजिन की नली का कै सर और स्तन कै सर की सम्भक्तावना कम हो जिाती है ।
- िनयिमत लहसन ु खाने से ब्लडप्रेशर िनयिमत रहता है । एसीिडटी और गैि 봿स्टक ट्रबल मे भक्ती इतसका प्रयोग फायदे मंद होता है । िदल की बीमािरयो के साथ यह तनाव को भक्ती िनयंितत करती है ।
- लहसुन की 5 किलयो को थोड़ा पानी डालकर पीस ले और उसमे 10 ग्राम शहद िमलाकर सुबह -शाम सेवन करे । इतस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जिाएंगे।
थह ु ेिदक गण ु ू र पौधे के गजिब के आयव आपने अक्सर गमलो मे लगी कांटेदार वनस्पित दे खी होगी जिो तीन,दस या बीस शाखाओं मे लगी होती है । लेिकन इतस पौधे को बहुत कम लोग जिानते है। इतस वनस्पित का नाम है सेहुंडद है ि 봿जिसे स्नुही या थह ू र के नाम से जिाना
जिाता है । कुछ लोग मानते है िक थूहर का पौधा घर मे लगाने से घर को नजिर नहीं लगती तो कुछ मानते है िक ि 봿जिस
घर छत पर थूहर लगी हो वहां आकाशीय िबजिली नहीं िगरती है । लेिकन बहुत कम लोग इतसके औषिधय गण ु ो के बारे 72
मे जिानते है। सम्पूण र भक्तारत मे सूखे स्थलो मे पाई जिाने वाली इतस वनस्पित को अपने परगेिटव गण ु ो के कारण जिाना जिाता है । इतस वनस्पित मे कमाल का दध ू पाया जिाता है ,जिो त्वचिका रोगो और पेट के कब्जि को दरू करने वाले गुण ो से यक् ु त होता है । आइतए हम बताते है, इतस वनस्पित के चिकमत्कािरक गण ु ो के लाइतव वीिडयो के माध्यम से ि 봿जिन्हे जिानकर आप भक्ती आश्चिकयर मे पड़ जिाएंगे।
- इतसके दो पत्तो को केवल आग पर गमर कर थोड़ा हाथो से मसल कर रस िनकालकर थोड़ा सा काला नमक िमलाकर पीएं और दे खे खांसी मे िकतना आराम िमलता है ।
-यिद बच्चिको मे कब्जि की िशकायत हो तो इतसके पतले कोमल डंडो को धीमी आंचिक पर गमर कर रस िनकालकर थोड़ा
सा गड़ ु िमलाकर पीला दे ।
-इतसकी पि 봿त्तयो को वासा (अडूसे) की पि 봿त्तयो के साथ पीसकर छोटी -छोटी गोिलयां बनाकर एक से दो गोली िदन मे दो से तीन बार चिकस ू ने से भक्ती खांसी मे आराम िमलता है ।
- कान मे ददर हो रहा हो तो केवल इतसके रस को गमर कर कानो मे दो -दो बँद ू डालने मात से कानो का ददर दरू होता है । - िकसी के दांत िहल रहे हो तो बस इतसके दध ू को िहलते हुए दांत पर लगाएं और लाभक्त दे खे। दांत सहजिता से िगर
जिाएंगे।-स्नूही (थूहर ) के दध ू मे हल्दी का पाउडर िमलाकर एक लेप जिैसा बना ले और इतसे अशर (पाइतल्स ) के मस्सो पर लगा दे मस्से समाप्त हो जिाएंगे।
-इतसकी जिड़ को हींग के साथ पीसकर बच्चिको के पेट पर लेप करने मात से उदर शल ू मे लाभक्त िमलता है ।
-बनारस िहन्द ू िवश्विवद्यालय मे हुआ एक शोध सवारइतकल एरोजिन के िलए इतसे इतलेि 봿क्ट्रक काटरी से बेहतर िवकल्प के रूप मे बतलाता है ।
-थूहर (स्नूही),अकर (मदार ),करं जि एवं चिकमेली की पि 봿त्तयो को गोमूत के साथ िकसी भक्ती प्रकार के घाव मे लेप करने से घाव भक्तर जिाते है।
-स्नूही के स्वरस को ितल के तेल मे िमलाकर सख ु ाकर काजिल जिैसा बनाकर आंखो पर लगाने से लाभक्त िमलता है ।
ऐसे अनेक गण ु ो से भक्तरपूर इतस औषिध को िवष के प्रभक्ताव को नष्ट करने वाला भक्ती बताया गया है । बस ध्यान यह रहे िक सका औषिधय प्रयोग केवल और केवल आयुवेिदक िचिकिकत्सक के िनदे शन मे हो।
FACTS: अगर िफ्रजि मे रखते है टमाटर तो पढ़ ले
टमाटर मे पाए जिाने वाला िवटािमन ए माता आंखो के िलए बेहद लाभक्तकारी है ।
यह लाइतकोपीनी का सबसे अच्छा स्रोत है , जिो पेट, आंतो व कई अन्य तरह के कै सर से बचिकाता है । इतसमे िवटािमन सी की माता भक्ती बहुत अिधक होती है , वह हमारे इतम्यून िसस्टम को मजिबूत बनाता है ।
वजिन कम करने के िलए सब ु ह एक िगलास टमाटर का जिस ू पीना फायदे मंद है । नाश्ते मे दो टमाटर संपण ू र भक्तोजिन के बराबर होते है।
खाने मे टमाटर की माता बढ़ाने से एिसिडटी की िशकायत दरू हो जिाती है ।
टमाटर मे मौजिद ू कैि 봿ल्शयम दांतो व हिड्डयो को मजिबत ू बनाता है । इतसमे फाइतबर की माता सबसे अिधक होती है जिो कोलेस्ट्रॉनल कम करने मे मदद करती है ।
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िफ्रजि मे रखने से इतसके पोषक तत्व कम या खत्म हो जिाते है और स्वाद पर भक्ती असर पड़ता है । इतसे सामान्य तापमान मे ही रखना चिकािहए।
टमाटर या टमाटर सॉनस से साफ क रने से तांबे के बतरन चिकमक जिाते है। टमाटर मसलकर उसमे थोड़ा-सा कच्चिक दध ू व नींबू का रस िमलाकरलगाने से चिकेहरे पर चिकमक आती है ।
टमाटर के जिस ू मे िनकोिटिनक एिसड होता है , जिो ब्लड कोलेस्ट्रॉनल कम करता है । इतससे िदल की बीमारी का खतरा
कम हो जिाता है । डायिबटीजि के मरीजिो के िलए भक्ती टमाटर बहुत उपयोगी है । इतसको खाने से शरीर की रोग प्रितरोधक क्षमता बढ़ती है ।
टमाटर का सबसे बड़ा उत्पादक दे श चिकीन है । भक्तारत चिकौथे पायदान पर है ।
स्पेन के बन ु ोल मे दिु नया का सबसे बड़ा ‘टोमैिटना फेि 봿स्टवल’ मनाया जिाता है । 19 दे शो मे इतस तरह के फेि 봿स्टवल आयोि 봿जित होते है।
प्याजि के कुछ बेहतरीन नुस्खे
प्याजि खाने को स्वािदष्ट बनाने का काम तो करता ही है । साथ ही यह एक बेहतरीन औषिध भक्ती है । कई बीमािरयो मे
यह रामबाण दवा के रूप मे काम करती है । हाटर प्रॉनब्लम, कोलेस्ट्रॉनल, ब्लडप्रेशर जिैसी बड़ी बीमािरयो के रोिगयो को
अपने भक्तोजिन मे प्याजि जिरूर शािमल करना चिकािहए। आजि हम आपको बताने जिा रहे है प्याजि के कुछ बेहतरीन घरे लू प्रयोग ि 봿जिनसे आप नीचिके िलखी समस्याओं मे जिरूर राहत महसूस करे गे।
- चिकेहरे पर मह ुं ासे हो तो मुंहासे पर प्याजि का रस लगाएं, झांई हो तो प्याजि का बीजि पीसकर उसमे शहद िमलाकर
लगाएं।
- प्याजि के रस मे शहद िमलाकर सेवन करने से शरीर मे खून की कमी बहुत जिल्दी दरू होती है । -जिलने पर प्याजि को कुचिकलकर जिले हुए स्थान पर लगाएं। तुरंत आराम िमलेगा। - कुत्ते के काटने पर, प्याजि पीसकर लगा दे । प्याजि का रस िपला दे खतरा नहीं रहे गा। - जिुकाम प्याजि का रस सूंघने से ठीक हो जिाएगा। - प्याजि के सेवन से हाटर अटै क और स्ट्रोक्स का खतरा कम हो जिाता है । - गिठया के ददर मे प्याजि के रस की मािलश करनी चिकािहए। -हाईब्लडप्रेशर के रोिगयो को कच्चिके प्याजि का सेवन अवश्य करना चिकािहए, क्योिक यह ब्लडप्रेशर कम करता है । - उि 봿ल्टयां हो रही हो या जिी िमचिकला रहा हो, तो प्याजि के टुकड़े मे नमक लगाकर खाने से राहत िमलती है । 74
- प्याजि के सेवन से आंखो की ज्योित बढ़ती है । - प्याजि के रस का नािभक्त पर लेप करने से पतले दस्त मे लाभक्त होता है । अपचिक की िशकायत होने पर प्याजि के रस मे थोड़ा-सा नमक िमलाकर सेवन करे ।
- सफेद प्याजि के रस मे शहद िमलाकर सेवन करना दमा रोग मे बहुत लाभक्तदायक है ।
7 दे सी तरीके: ये करे गे तो िसरददर मे दवा नहीं खानी पड़ेगी भक्तागदौड़ से भक्तरी लाइतफस्टाइतल और िरलेक्सेशन न िमलने के कारण या अन्य कई वजिहो से अक्सर िसरददर हो जिाया करता है । ऐसे मे ज्यादा पेन िकलर खाने पर िरएक्शन का डर बना रहता है । इतसीिलए िसरददर दरू करने के िलए आप इतन घरे लू उपायो का भक्ती प्रयोग कर सकते है।
- िसरददर मे खीरा काटकर सँघ ू ने एवं िसर पर रगडऩे से तुरंत आराम िमलता है । - िसरददर मे कच्चिके अमरूद को पीसकर सय ू ोदय से पहले िसर पर लेप लगाने से लाभक्त होता है । - लौकी का गूदा िसर पर लेप करने से िसरददर मे तुरंत आराम िमलता है ।
- िसरददर मे नींबू, आलूबुखारा या इतमली से बना शरबत िपलाने से काफी आराम िमलता है । िसर मे ठं डे पानी की धार िगराने से भक्ती ददर मे आराम िमलता है ।
-सुबह खाली पेट प्रितिदन एक सेब खाने से िसरददर की समस्या से छुटकारा िमलता है ।
-अदरक एक ददर िनवारक दवा के रूप मे भक्ती काम करती है । यिद िसरददर हो रहा हो तो सख ू ी अदरक को पानी के साथ पीसकर उसका पेस्ट बना ले और इतसे अपने माथे पर लगाएं। इतसे लगाने पर हल्की जिलन जिरूर होगी लेकीन यह िसरददर दरू करने मे मददगार होती है ।
एरं ड का ये पौधा
लड़िकयो और महीलाओं के िलए ये मामूली पौधा बहुत खास है । एरं ड का ये पौधा लड़िकयो और मिहलाओं की हर
तरह की बीमािरयो को दरू करता है । एरं ड का पौधा आठ से पंद्रह फीट लंबा होता है । इतसकी पि 봿त्तयो के िवशेष आकार के कारण इतसे गन्धवरहस्त के नाम से भक्ती जिाना जिाता है । चिकाहे इतसके बीजि हो या पि 봿त्तयां और तो और इतसकी जिड़ो का भक्ती औषधीय प्रयोग होता आया है । आइतए इतसके कुछ औषधीय प्रयोगो को जिाने....
- गभक्तरवती स्ती को सख र प्रसव कराने के िलए आठवे महीने के बाद पंद्रह िदनो के अंतर पर दस िमली लीटर एरं ड ु पूवक का तेल िपलाना चिकािहए और ठीक प्रसव के समय पच्चिकीस से तीस िमली लीटर केस्टर आयल को दध ू के साथ दे ने से शीघ प्रसव होता है ।
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-एरं ड के तेल का प्रयोग ब्रेस्ट मसाजि आयल के रूप मे स्तनो को उभक्तारने मे भक्ती िकया जिाता है । साथ ही स्तन शोथ मे इतसके बीजिो की िगरी को िसरके मे एक साथ पीसकर लगाने से सजि ू न मे लाभक्त िमलता है ।
-प्रसत ू ा स्ती मे जिब दध ू न आ रहा हो या स्तनो मे गाँठ पड़ गयी हो तो आधा िकलो एरं ड के पत्तो को लगभक्तग दस लीटर पानी मे एक घंटे तक उबाले । अब इतस प्रकार प्राप्त हल्के गरम पानी को धार के रूप मे स्तनो पर डाले तथा
लगातार एरं ड तेल की मािलश करे और शेष बचिके पत्तो की पल ु टीश को गाँठ वाले स्थान पर बाँध दे । गांठे कम होना प्रारम्भक्त हो जिाएंगी तथा स्तनो से पन ु : दध ू आने लगेगा।
-एरं ड के पत्तो के 5 िमली रस को और समान माता मे घत ृ कुमारी स्वरस को िमलाकर यकृत व प्लीहा के रोगो मे लाभक्त होता है ।
- िकसी भक्ती प्रकार के सजि ू न मे इतसके पत्तो को गरम कर उस स्थान पर बांधने मात से सजि ू न कम हो जिाती है । - पांचिक िमली एरं ड की जिड़ के रस को पीने से पीिलया यानी कामला (जिौंिडस) मे लाभक्त िमलता है । - िफशर (पिरकितरका ) के रोग मे रोगी को एरं ड के तेल को िपलाना फायदे मंद होता है ।
- पुराने और ठीक न हो रहे घाव पर इतसके पत्तो को पीसकर लगाने से वण (घाव ) ठीक हो जिाता है ।
लौंग है एक अनोखी दवा
लौंग को वैसे तो मसाले के रूप मे सिदयो से उपयोग मे लाया जिा रहा है । लेिकन िकचिकन मे उपि 봿स्थत इतस मसाले के अमूल्य औषधीय गुण ो के बारे मे कम ही लोग जिानते है। आजि हम बताने जिा रहे है लौंग के कुछ ऐसे ही औषधीय प्रयोगो के बारे मे .....
लौंग मे काबोहाइतड्रेट, नमी, प्रोटीन, वाष्पशील तेल, वसा जिैसे तत्वो से भक्तरपूर होता है । इतसके अलावा लौंग मे खिनजि पदाथर, हाइतड्रोक्लोिरक एिसड मे न घुलने वाली राख, कैि 봿ल्शयम, फास्फोरस, लोहा, सोिडयम, पोटे िशयम, िवटािमन सी और ए भक्ती प्रचिकरु माता मे पाया जिाता है । आजि हम आपको बताने जिा रहे है तीखी लोग के ऐसे ही कुछ प्रयोग जिो आपके िलए लाभक्तदायक िसद्धत हो सकते है।
- खाना खाने के बाद 1-1 लौंग सुबह-शाम खाने से एसीिडटी ठीक हो जिाती है । -15 ग्राम हरे आंवलो का रस, पांचिक िपसी हुई लौंग, एक चिकम्मचिक शहद और एक चिकम्मचिक चिकीनी िमलाकर रोगी को िपलाएं इतससे एसीिडटी ठीक हो जिाता है ।
- लौंग को गरम कर जिल मे िघसकर माथे पर लगाने से िसर ददर गायब हो जिाता है । - लौंग को पीसकर एक चिकम्मचिक शक्कर मे थोड़ा-सा पानी िमलाकर उबाल ले व ठं डा कर ले । इतसे पीने से उल्टी होना व
जिी िमचिकलाना बंद हो जिाता है ।
- लौंग सेककर मंह ु मे रखने से गले की सजि ू न व सख ू े कफ का नाश होता है । 76
- िसर ददर , दांत ददर व गिठया मे लौंग के तेल का लेप करने से शीघ लाभक्त िमलता है । - गभक्तरवती स्ती को अगर ज्यादा उि 봿ल्टयां हो रही हो तो लौंग का चिकूण र शहद के साथ चिकटाने से लाभक्त होता है । - लौंग का तेल िमश्री पर डालकर सेवन करने से पेटददर मे लाभक्त होता है । - एक लौंग पीस कर गमर पानी से फांक ले । इतस तरह तीन बार लेने से सामान्य बुखार दरू हो जिाएगा। - लौंग दमा रोिगयो के िलए िवशेषरूप से लाभक्तदायक है । लौंग नेतो के िलए िहतकारी, क्षय रोग का नाश करने वाली है । - लौंग और हल्दी पीस कर लगाने से नासूर िमटता है । - चिकार लौंग पीस कर पानी मे घोल कर िपलाने से बुखार ठीक हो जिाती है ।
एसीिडटी को जिड़ से िमटाने के ये है 7 आसान दे सी तरीके क्या आप पेट की गड़बड़ और एसीिडटी से परे शान है? आपको भक्तूख नहीं लगती, जिी मचिकलाने लगता है या पेट मे
जिलन होती है तो ये सब एसीिडटी की िनशानी है । एसीिडटी से िनजिात पाने के िलए लोग कई तरह की दवाईयां खाते
है। लेिकन दे सी नुस्खो से अच्छा एसीिडटी को जिड़ से िमटाने का कोई और तरीका नहीं है तो आइतए आजि हमबताते है कुछ ऐसी ही दे सी फंडो के बारे मे ि 봿जिन्हे उपयोग मे लाकर एसीिडटी को जिड़ से िमटाया जिा सकता है । - अपचिक या एसीिडटी आफरा होने पर खाने के बाद 250 ग्राम अमरूद खाना चिकािहए। - जिीरा, सौंठ, सेधा नमक, पीपल, काली िमचिकर, समान माता मे िमलाकर पीसकर उसमे एक चिकम्मचिक रोजि िदन मे तीन बार गमर पानी से फांकी ले ।
- खाना न पचिकने पर पपीता खाना अच्छा है । लगातार पीपता के सेवन से यह समस्या दरू होती है। - दध ू तथा दध ु उत्पादो का एसीिडटी के दौरान उपयोग करने से राहत िमलती है ।
- ताजिा पद ु ीने के रस का रोजि सेवन करना एसीिडटी के िलए एक बेहतर उपाय है ।
- एक ग्लास पानी मे दो चिकम्मचिक सेब का िसरका तथा दो चिकम्मचिक शहद िमलाकर खाने से पहले सेवन करे , यह भक्ती एक बेहतरीन उपाय है । - एक िगलास पानी मे साबत ु जिीरे को उबाले तथा छानकर भक्तोजिन करते समय साथ मे ले एसीिडटी खत्म हो जिाएगी।
नहीं खाते है ...तो जिान ले क्यो है 77
हे ल्थ बनाने के िलए अिधकतर लोग भक्तोजिन मे सलाद भक्ती शािमल करते है क्योिक माना जिाता है िक खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, चिकक ु न्दर, गोभक्ती आिद खाना स्वास्थ्य के िलए बहुत अच्छा है । लेिकन अगर पत्तेदार सब्जिी व सलाद
के साथ ही भक्तोजिन मे अंकुिरत अनाजि को शािमल िकया जिाए तो न िसफर यह बहुत फायदे मंद होता है क्योिक बीजिो के अंकुिरत होने के बाद इतनमे पाया जिाने वाला स्टाचिकर- ग्लक ू ोजि, फ्रक्टोजि एवं माल्टोजि मे बदल जिाता है ि 봿जिससे न िसफर इतनके स्वाद मे विृ द्धत होती है बि 봿ल्क इतनके पाचिकक एवं पोषक गण ु ो मे भक्ती विृ द्धत हो जिाती है । वैसे तो अंकुिरत दाल व अनाजि खाना लाभक्तदायक होता है ये तो सभक्ती जिानते है लेिकन आजि हम बताते है इतन्हे खाने के कुछ खास फायदे ि 봿जिन्हे आप शायद ही जिानते होगे.....
- अंकुिरत मग ंू , चिकना, मसरू , मग ंू फली के दाने आिद शरीर की शि 봿क्त बढ़ाते है।
- अंकुिरत दाले थकान, प्रदष ू ण व बाहर के खाने से उत्पन्न होने वाले ऐिसड्स को बेअसर कर दे तीं है और साथ ही ये ऊजिार के स्तर को भक्ती बढ़ा दे ती है।
- अंकुिरत भक्तोजिन क्लोरोिफल, िवटािमन ,कैि 봿ल्शयम, फास्फोरस, पोटै िशयम, मैगनीिशयम, आयरन, जिैसे खिनजिो का अच्छा स्रोत होता है ।
- अंकुिरत भक्तोजिन से काया कल्प करने वाला अमत ृ आहार कहा गया है यह शरीर को सुंदर व स्वस्थ बनाता है ।
- अंकुर उगे हुए गेहूं मे िवटािमन-ई भक्तरपूर माता मे होता है । शरीर की उवररक क्षमता बढ़ाने के िलए िवटािमन-ई एक
आवश्यक पोषक तत्व है । यही नहीं, इतस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचिका और बाल भक्ती चिकमकदार बने रहते है। िकडनी,
ग्रंिथयो, तंितका तंत की मजिबूत तथा नई रक्त कोिशकाओं के िनमारण मे भक्ती इतससे मदद िमलती है । अंकुिरत गेहुं मे मौजिूद तत्व शरीर से अितिरक्त वसा का भक्ती शोषण कर लेते है।
- अंकुिरत भक्तोजिन शरीर का मेटाबॉनिलज्म रे ट बढ़ता है । यह शरीर मे बनने वाले िवषैले तत्वो को बेअसर कर, रक्त को शुद्घ करता है । अंकुिरत गेहूं के दानो को चिकबाकर खाने से शरीर की कोिशकाएं शद् ु घ होती है और इतससे नई
कोिशकाओं के िनमारण मे भक्ती मदद िमलती है । अंकुिरत गेहूं मे उपि 봿स्थत फाइतबर के कारण इतसके िनयिमत सेवन से पाचिकन िक्रिया भक्ती सचिक ं ी समस्याएं हो उनके िलए भक्ती अंकुिरत गेहूं का ु ारु रहती है । अत: ि 봿जिन लोगो को पाचिकन संबध सेवन फायदे मंद है ।
- अंकुिरत खाने मे एंटीआक्सीडेट, िवटािमन ए, बी, सी, ई पाया जिाता है । इतससे कैि 봿ल्शयम, फॉनस्फोरस, मैग्नीिशयम, आयरन और ि 봿जिंक िमलता है । रे शे से भक्तरपूर अंकुिरत अनाजि पाचिकन तंत को सुदृष्टढ बनाते है।
- अंकुिरत भक्तोज्य पदाथर मे मौजिूद िवटािमन और प्रोटीन होते है तो शरीर को िफट रखते है और कैि 봿ल्शयम हिड्डयो को मजिबूत बनाता है ।
िदखना है ग्लोइतंग तो उबटन की जिगह अपनाइतए ये तरीका शादी के िदन ग्लोइतंग लुक पाने के िलए चिकंदन, हल्दी का उबटन जिैसी नेचिकुरल थैरेपी के बजिाय ज्यादातर दल् ु हने
कॉनस्मेिटक ट्रीटमे ट आजिमा रही है। ये ट्रीटमे ट ऐसे है, ि 봿जिनमे टाइतम कम लगता है और इतफेक्ट तरु ं त आता है ।
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िबजिी लाइतफस्टाइतल और कम समय मे इतफेक्ट फुल ि 봿स्कन पाने के िलए दल् ु हनो को ये शॉनटर कट पसंद आ रहा है । पहले
दल् ु हने शादी की तैयािरयां दो-तीन महीने पहले से शुरू कर दे ती थीं, इतसके िलए वे घर पर ही तरह-तरह के उबटन बनाकर लगाती थीं।
लेिकन इतनकी जिगह अब कॉनस्मेिटक ट्रीटमे ट्स ने ले ली है । मॉनडनर दल् ु हन वेिडंग सीजिन मे बोटॉनक्स से लेकर डी-टै िनंग और लाइतपोसक्शन तक करा रही है। दरअसल, उनका मानना है िक ट्रीटमे ट लेने से ि 봿स्कन फ्रेश िदखती है , तो पैसा खचिकर करने मे कोई बुराई नहीं है ।
यही वजिह है िक उनका ध्यान ऐसे कॉनस्मेिटक ऑप्शंस की तरफ बढ़ा है । इतसी कारण वेिडंग सीजिन शुरू होने के साथ शहर के ब्यूटीपालरर मे इतन ट्रीटमे ट को लेने वाली ऐसी युवितयो की संख्या बढ़ गई है , ि 봿जिनकी अगले कुछ महीने मे शादी है। ये हरै लेटेस्ट थैरेपिी
ओ थ्री फेिशयल- इतसमे मशीन के जििरए ि 봿स्कन के अंदर प्रेशर से ऑक्सीजिन डाली जिाती है । इतससे ि 봿स्कन हाइतड्रेट होकर स्मूथ हो जिाती है । यह ट्रीटमे ट छह से सात िसिटंग मे होता है । चिकाजिर 700-1400 रुपए।
न्यूिषाट्रिशिशयंस ट्रिशीटमें ट- प्रॉनडक्ट्स व डाइतट के जििरए न्यूिट्रिशयन िदया जिाता है । इतसमे िवटािमन ए, कैि 봿ल्सयम, फाइतबसर, ि 봿जिंक और आयरन पहुंचिकाया जिाता है । चिकाजिर 250-400 रुपए।
बोटॉनक्स ट्रिशीटमें ट- चिकेहरे को तरु ं त अट्रे ि 봿क्टव लक ु दे ने के िलए बोटॉनक्स का चिकलन तेजिी से बढ़ा है । यह चिकेहरे के िरंकल्स को िरमूव कर ि 봿स्कन को टाइतट कर दे ता है । चिकाजिर 250-450 रुपए िसिटंग।
जुवेडमर्य िफलसर्य- होठो को उभक्तारने के िलए इतस थैरेपी का यूजि िकया जिा रहा है । 350-500 रुपए िसिटंग। इस तरहर से हरुआर्थ चें ज रफ िनास्कन
अब- चिकॉनकलेट ट्रफल िडलाइतट- इतसमे चिकॉनकलेट का इतस्तेमाल िकया जिाता है । यह ट्रीटमे ट तीन से चिकार स्टे जि मे होता है । एक िसिटंग का चिकाजिर 300-500 रुपए है ।
तब- टमाटर का गूदा पीसकर, एक चिकम्मचिक शहद और चिकंदन िमलाकर उबटन लगाने से रफ ि 봿स्कन स्मूथ हो जिाती है , इतसे शादी से एक महीने पहले से करना जिरूरी है । िपिंपिल्स और स्पिॉनट्स
अब- डमार पीिलंग- केिमकल एि 봿प्लकेशन का यजि ू िकया जिाता है , जिो डैमेजि ि 봿स्कन की ऊपरी लेयर हटाकर ि 봿स्कन को रीजिनरे ट करता है , चिकाजिर 250-350 रु. प्रित िसिटंग।
तब- मुलतानी िमट्टी- मुलतानी िमट्टी और गुलाब जिल से तैयार फेसपैक िनयिमत लगाएं। ज्यादा िपंपल्स और स्पॉनट्स की ि 봿स्थित मे नींबू, दही और चिकंदन के उबटन का यूजि करे । िनास्कन केक
अब- िवटािमन थैरेपी- िवटािमंस सीरप और कैप्सूल फॉनमर मे भक्ती िमलने लगे है, ि 봿जिन्हे ि 봿स्कन पर एप्लाई िकया जिाता है । इतस थैरेपी का प्रित िसिटंग चिकाजिर 225 -375 रुपए है ।
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तब- शहद मे नींबू, मुलतानी िमट्टी, बेसन और कच्चिका दध ू िमलाकर प्रितिदन चिकेहरा धोने से ि 봿स्कन क्रिेक संबंधी प्रॉनब्लम नहीं होती है । इतसे सप्ताह मे तीन बार यूजि करे । डाकर्य सकर्यल
अब- एक्वा रे िडयेशन- जिेट स्प्रे टे क्नोलॉनजिी के जििरए सुपर हाई स्पीड से ि 봿स्कन के अंदर िवटािमंस और िमनरल्स डाले जिाते है। इतसकी प्रित िसिटं़ंग चिकाजिर 300 -450 रुपए है ।
तब- संतरे के िछलको को पीसकर चिकेहरे पर लगाने से डाकर सकरल की प्रॉनब्लम धीरे -धीरे दरू हो जिाती है । खीरा और आलू का रस िनयिमत लगाने से भक्ती असर पड़ता है
गैस या एसीिडटी के कारण हो पेटददर तो ये नस् ु खे रामबाण है.. अपचिक होने पर पेट भक्तारी होकर फूल जिाता है ,इतससे पेट ददर और बैचिकेनी जिलन और कभक्ती कभक्ती िमतली आने लगती है ,
खट्टी डकारे आती है ,पेट मे भक्तारीपन महसूस होता है , पेटददर और उल्टी आिद की िशकायते होती है । पेटददर िमटाने के िलए कड़वी दवाईयां ले लेकर आप परे शान हो चिकक ू े है तो आजिमाइतए पेट ददर दरू भक्तगाने वाले कुछ टे स्टी नुस्खे- दो चिकम्मचिक मेथी दाना मे नमक िमलाकर सब ु ह-शाम दो बार गमर पानी से ले। - सौंफ और सेधा नमक िमलाकर पीसकर दो चिकम्मचिक गमर पानी से ले।
- काली िमचिकर, हींग, सौंठ समान माता मे पीसकर सब ु ह शाम गमर पानी से आधा चिकम्मचिक ले । - िपसी लाल िमचिकर गड़ ु मे िमलाकर खाने से पेट ददर मे लाभक्त होता है । - दो इतलायचिकी पीसकर शहद िमलाकर चिकाटने से लाभक्त होता है । - अनार के दानो पर काली िमचिकर और नमक डाल कर चिकस ू े।
- नींबू की फांक पर काला नमक, काली िमचिकर व जिीरा डालकर गमर करके चिकस ू े। - 2 ग्राम अजिवाइतन मे एक ग्राम नमक िमलाकर गमर पानी से ले ।
BLOOD PRESSURE कंट्रोल के िलए तीन घरे लू उपाय ब्लडप्रेशर आजिकल एक आम बीमारी हो गई है । ब्लडप्रेशर को कंट्रोल मे रखने के िलए अिधकांश लोगो को रोजिाना टे बलेट लेनी पड़ती है । लेिकन िफर भक्ती कई लोगो का ब्लडप्रेशर कंट्रोल नहीं रहता है बार-बार घटता बढ़ता रहता है । अगर आप भक्ती ब्लडप्रेशर से परे शान है और उसे ऑलवेजि कंट्रोल मे रखना चिकाहते है तो एलोपेिथक दवाई के साथ ही इतन छोटे -छोट घरे लू नुस्खो को भक्ती जिरूर आजिमाइतए....
1.एक िदन उपवास, दो िदन रसाहार, चिकार-पांचिक िदन फलाहार जिो िक िदन मे दो तीन बार िदया जिाए। एक समय मे एक ही प्रकार का फल दे ना ठीक है , प्रयाग के दोरान दोनो समय एनीमा भक्ती लेना चिकािहए।
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2.िदन मे दो चिकार बार छोटे चिकम्मचिक भक्तर शहद पानी के साथ िनयिमन रूप से ले । प्रयोग के दोरान धीमी गित से टहलना लाभक्तकारी होता है । 3.स्वस्थ होने पर एक वक्त सब्जिी-रोटी, दस ू रे समय फल दध ू का भक्तोजिन लेना चिकािहए।
आलू खाने और लगाने के भक्ती है फायदे , ि 봿जिन्हे आप शायद जिानते होगे
आलू का चिकरबी बढ़ाने वाला वाला माना जिाता है ,लेिकन आलू खाने के फायदे बहुत कम लोग जिानते है। हम बताते है आपको आलू के कुछ ऐसे ही गण ु जिो शायद आप नहीं जिानते होगे।आलू मे िवटािमन सी, बी कॉनम्पलेक्स तथा आयरन , कैि 봿ल्शयम, मैगनीजि, फास्फोरस तत्त्व होते है। आलू के प्रित 100 ग्राम मे 1.6 प्रितशत प्रोटीन, 22.6 प्रितशत काबोहाइतड्रेट, 0.1 प्रितशत वसा, 0.4 प्रितशत खिनजि और 97 प्रितशत कैलोरी ऊजिार पाई जिाती है ।
- आलू उबालने के बाद बचिके पानी मे एक आलू मसलकर बाल धोने से आश्चिकयरजिनक रूप से बाल चिकमकीले, मुलायम और जिड़ो से मजिबूत होगे। िसर मे खाजि, सफेद होना व गंजिापन तत्काल रुक जिाता है ।
- जिलने पर कच्चिका आलू कुचिकलकर जिले भक्ताग पर तुरंत लगा दे ने से आराम िमल जिाता है । - आलू को पीसकर त्वचिका पर मले । रं ग गोरा हो जिाएगा।
- आलू के रस मे नींबू रस की कुछ बूंदे िमलाकर लगाने से धब्बे हल्के हो जिाते है।
- आलू के टुकड़ो को गदर न, कुहिनयो आिद सख्त स्थानो पर रगडऩे से वहां की त्वचिका साफ एवं कोमल हो जिाती है । - आलू भक्तन ू कर नमक के साथ खाने से चिकबी की माता मे कमी होती है ।
- झाइतयो तथा झुिरर यो से छुटकारा पाने के िलए आलू के रस मे मल् ु तानी िमट्टी िमलाकर झाइतयो और झुिरर यो पर लगाएं। बीस िमनट बाद चिकेहरा पानी से साफ कर ले।
- भक्तुना हुआ आलू पुरानी कब्जि दरू करता है । आलू मे पोटे िशयम साल्ट होता है जिो अम्लिपत्त को रोकता है ।
- चिकार आलू सेक ले और िफर उनका िछलका उतार कर नमक, िमचिकर डालकर खाएँ। इतससे गिठया ठीक हो जिाता है । - उच्चिक रक्तचिकाप के रोगी भक्ती आलू खाएँ तो रक्तचिकाप को सामान्य बनाने मे लाभक्त करता है ।
साइतिटका पेन मे तरु ं त आराम के िलए ट्राय करे ये आयव ु ेिदक नस् ु खे
साइतिटका रोग अिधकतर 40 वषर के बाद या उसके आसपास, िवशेषकर परु ु षो मे अिधक होता है । लेिकन कई बार
यह रोग कुछ कारण ो से यंग लोगो मे भक्ती दे खा जिाता है । साइतिटका रोग मख् ु य रूप से कमर या िनतंबो से शरु ु होकर पैर के टखने तक भक्तयंकर पीड़ा दे ता है । नाड़ी मे आघात, ददर या मोचिक होने से होता है । इतस रोग मे नाड़ी के भक्तीतरी भक्ताग मे कुछ सजि ू न आ जिाती है ि 봿जिससे नाड़ी मोटी और गल ु ाबी रं ग की हो जिाती है । आजि हम बताने जिा रहे है आपको कुछ ऐसे आयुवेिदक नुस्खे बताने जिा रहे है ि 봿जिन्हे अपनाकर आप साइतिटका पेन से राहत पा सकते है।
- तेल, घी, अदरक का रस और िबजिौरे नींबू के रस को समान माता मे िमलाकर उसमे गुड़ डालकर पीने से साइतिटका व अन्य तरह के ददर मे भक्ती राहत िमलती है ।
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- िछलके रिहत एरं ड के बीजिो को पीसकर 250 ग्राम दध ू मे पकाकर पीने से साइतिटका रोग मे बहुत राहत िमलती है । - सुबह एरं ड तेल को गोमूत के साथ एक महीने तक पीने साइतिटका रोग दरू हो जिाता है ।
- िनगुड र्निं ी के पत्तो का काड़ा बनाकर सब ु ह-शाम पीने से साइतिटका रोग नष्ट हो जिाता है ।
- अडूसा, दं ती और िचिकरायता का काढ़ा बनाकर उसमे एरं डी तेल िमलाकर पीने से बहुत कष्टदायी साइतिटका भक्ती दरू हो जिाता है ।
सरसो के तेल का ठं ड मे ऐसे करे उपयोग सरसो का तेल हमारे स्वास्थ्य के िलए बहुत ही फायदे मंद होता है । इतसे 'करामाती तेल Ó भक्ती कहा जिा सकता है । इतसमे कई
सारे ऐसे पोषक तत्व है जिो हमारी सेहत, बाल और त्वचिका आिद पर जिादई ु असर छोड़ते है। इतसिलए सरसो के तेल का उपयोग प्राचिकीन समय से ही खाने व शरीर पर लगाने मे भक्ती िकया जिाता है लेिकन बहुत कम लोग जिानते है िक सरसो का तेल बहुत ही अच्छे पेनिकलर की तरह भक्ती काम करता है आजि हम आपको बताने जिा रहे है सरसो के तेल के कुछ ऐसे ही नुस्खो के बारे मे जिो बहुत उपयोगी व रामबाण माने जिाते है...
- सरसो के तेल मे ददर नाशक गण ु है, यिद कान का ददर सताए तो दो बंद ू गन ु गन ु ा सरसो का तेल कान मे टपकाएं, चिकाहे तो
इतसमे दो चिकार किलयां लहसन ु की भक्ती िमला सकते है। यिद गिठया से परे शान हो तो सरसो के तेल मे कपरू िमलाकर
मािलश करने से ददर राहत िमलती है । यिद कमर ददर हो तो सरसो के तेल मे थोड़ी हींग, अजिवाइतन और लहसुन िमलाकर गमर कर ले और उसे कमर पर लगाएं, िपंडिलयो का ददर हो तो सरसो के तेल को गुनगुना करके मािलश करना चिकािहए।
-सरसो का तेल िदल को चिकुस्त-दरु ु स्त रखता है , कुछ समय पूवर एम्स, हावडर स्कूल ऑफ मेिडकल साइतंस तथा सेट जिॉनन मेिडकल कॉनलेजि मे एक साथ शोध की गई ि 봿जिससे पता चिकला िक सरसो का तेल खाने वाले 71 प्रितशत लोगो को िदल की
बीमारी नहीं हुई।नवजिात िशशु और प्रसत ू ा दोनो की मािलश करने के िलए सरसो का तेल सबसे अच्छा रहता है । सरसो के
तेल से मािलश करने के बाद नहाने से िशशु को सदी होने का खतरा नहीं रहता, अिपतु यिद बच्चिके का सदी लग गई हो तो सरसो के तेल से मािलश करने से दरू हो जिाती है ।
सरसो का तेल सौंदयरवधरक भक्ती है , रूप सौंदयर िनखारने के िलए दध ू सरसो को उबालकर उसमे गुलाबजिल िमलाकर
उबटन की तरह लगाएं,गौरा रं ग चिकाहने वालो के िलए बेसन, हल्दी मे सरसो का तेल डालकर लगाएं।यिद चिकेहरे पर कील
मुंहासे, झाइतयां, झिु रर यां, झिु रर यां हो तो सरसो का तेल बड़े काम की चिकीजि है सरसो के तेल से मािलश करने से शरीर पर
झिु रर यां नहीं पड़ती। सरसो के तेल से मािलश करने पर खन ू बढ़ता है । शरीर मे चिकस् ु ती-स्फूितर आती है । इतससे शारीिरक थकान भक्ती दरू होती है । चिकमररोगो मे भक्ती सरसो का तेल लाभक्तदाक है इतसके तेल मे आक पत्तो का रस और थोड़ी सी हल्दी िमलाकर गमर करके ठं डा होने पर लगाने से दाद, खाजि, खुजिली आिद नाश होता है । सरसो का तेल पाइतिरया िमटाने वाला है । इतसमे सेधा नमक िमलाकर दांतो और मसूड़ो पर लगाना चिकािहए।
गंजिे िसर पर बाल िफर उग आएंगे 82
आजिकल कम उम मे ही गंजिापन एक आम समस्या बन गई है ,चिकाहे मिहला हो या पुरुष, ये समस्या दोनो को हो सकती है।
गंजिापन को एलोपेिसया भक्ती कहते है। जिब असामान्य रूप से बहुत तेजिी से बाल झड़ने लगते है तो नये बाल उतनी तेजिी से
नहीं उग पाते या िफर वे पहले के बाल से अिधक पतले या कमजिोर उगते है। ऐसे मे आगे जिाकर गंजिे होने की संभक्तावना
अिधक हो जिाती है । अगर आप कम उम मे गंजिेपन से परे शान है या गंजिेपन से हमेशा बचिके रहना चिकाहते है तो इतन बातो पर जिरा गौर करे .....
िसर पर जिहां से बाल उड़ गए है या उड़ने लग गए है, वहां बालो मे नीम का तेल लगाने से भक्ती राहत िमलती है । बालो मे नीम का तेल लगाने से भक्ती राहत िमलती है । बालो का सीधा संबंध पेट से होता है । यिद पाचिकन तंत और हाजिमा ठीक नहीं है
तो बालो की जिड़े कमजिोर होगी और वे टूटने झड़ने लगे गे। इतसिलए अपने खान-पान और हाजिमे को हमेशा ठीक रखे।-
आपके बाल तैलीय है तो कंडीशनर का इतस्तेमाल न करे । बहुत कम अंतराल पर बालो मे कंघी न करे इतससे बाल ज्यादा तैलीय हो जिाते है। हरे धिनए का लेप ि 봿जिस स्थान पर बाल उड़ गए है, वहां करने से भक्ती बाल आने लगते है।उड़द की दाल उबाल कर पीस ले। इतसका सोते समय िसर पर जिहां से बाल उड़ गए है,वहां पर लेप करे ।
केले के गूदे को नींबू के रस मे पीस ले और लगाएं, इतससे लाभक्त होता है । अनार के पत्ते पानी मे पीसकर िसर पर लेप करने से गंजिापन दरू होता है । कम से कम सप्ताह मे एक िदन आंवला, रीठा और शंखपुष्पी से बना हुआ असली और शुद्धत चिकूण र
थोड़े से पानी मे िमलाकर बालो की जिड़ो मे लगाएं। थोड़ी सी मल ु हठी को दध ू मे पीसकर, िफर उसमे चिकुटकी भक्तर केसर
डाल कर उसका पेस्ट बनाकर सोते समय िसर मे लगाने से गंजिेपन की समस्या दरू होती है । गंजिेपन से परे शान लोगो के िलए तो यह संजिीवनी बूटी की तरह कारगर है ।
हमेशा शैम्पू करने से पहले बालो को हल्का गमर ऑिलव ऑयल या कोकोनट ऑयल से मसाजि करे । बालो को प्रितिदन
गुनगुने पानी से धोएं। बालो को धोने के िलए अच्छे शैम्पू का इतस्तेमाल करे । चिकाय, कॉनफी, पान-तंबाकू आिद नशीले पदाथो से दरू ही रहे । इतनके अिधक सेवन से कम उम मे ही बाल उड़ने लगते है।
-माण्डुकी मद्र ु ा की िविध- गंजिेपन से िनजिात पाने के िलए योग शास्त मे माण्डु की मद्र ु ा को सबसे श्रेष्ठ उपाय बताया गया
है । इतस मुद्रा के िलए िकसी शांत एवं स्वच्छ वातावरण वाले स्थान का चिकयन करे । शांित मे िकसी भक्ती सुिवधाजिनक आसन
मे बैठ जिाएं। अब मुंह बंद करके जिीभक्त को तालू मे घुमाएं और तालू से टपकती हुई बूंदो का जिीभक्त से पान करे । यह माण्डुकी मुद्रा है । इतससे बाल घने होते है और कम उम मे कभक्ती गंजिेपन की समस्या नहीं होती है ।
पीिलया हो जिाए तो ये आयुवेिदक नुस्खा रामबाण है ...... पीिलया रोग मे आंखे हल्दी के समान पीली िदखाई दे ती है । त्वचिका का रं ग पीला होना, मूत मे पीलापन, ज्वर,
कमजिोरी आिद लक्षण िदखाई दे ते है। यह रोग गमी की अपेक्षा सिदरयो मे अिधक दे खा जिाता है । इतसीिलए हम आपको बताने जिा रहे है पीिलया रोग मे बहुत उपयोगी सािबत होने वाले दो आयुवेिदक नुस्खे....
आवश्यक सामग्री- कुटकी 100 ग्राम, कालमेघ 15 ग्राम, द्रोण पुष्पी 15 ग्राम, अकरपुष्प का जिीरा 10 ग्राम, नौसादर 25 ग्राम, कलमीशोरा 15 ग्राम, हीरा कसीस भक्तस्म 10 ग्राम, मंडूर भक्तस्म 10 ग्राम- सभक्ती का सक्ष् ू म चिकूण र बनाकर एक साथ िमलाकर रख ले।
सेवन की िविध- बच्चिको को 1/2 ग्राम वयस्को को 1 ग्राम तक िदन मे तीन बार ताजिे पानी या ग्लूकोजि के पानी के साथ रोगी सेवन कराएं।
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ये चिकीजिे पीिलया रोगो को खाना चिकािहए- गन्ने का ताजिा रस, ग्लूकोजि का शबरत, मल ू ी का स्वरस लौकी, तोरई,
परवल, पालक आिद शाक, मौसम्मी संतरा, मीठा नींबू, सेब, खीरा, क कड़ी आिद फल जिौ, चिकना, गेहूं, मूंग, पुराना, अन्न आिद का सेवन िहतकारी है ।
ये नहीं खाना चिकािहए- आम अरहर की दाल, बैगन, अरबी लाल िमचिकर, गमर मसाले, िपत्त बढ़ाने वाली वस्तए ु ं, चिकाय,
कॉनफी, तली हुई चिकीजिे, तंबाकू का सेवन,गड़ ु तेल आिद नहीं खाना चिकािहए।
5 तरीको से ठं ड मे खाएं ितल इतन बीमािरयो की हो जिाएगी छुट्टी ितल का सेवन हमारे शरीर के िलए बहुत लाभक्तदायक होता है । सिदर यो मे ितल व उसके तेल दोनो का ही सेवन करना चिकािहए। भक्तारत मे तो सिदर यो मे ितल को ठं ड मे खाने की परं परा बहुत प्राचिकीन है क्योिक सिदर यो मे इतसे खाने से न केवल पेट के रोग बि 봿ल्क अन्य कई रोग भक्ती दरू होते है। ितल मे कैि 봿ल्शयम, आयरन, ऑक्जिेिलक एिसड, अमीनो एिसड, प्रोटीन, िवटािमन बी, सी तथा ई की प्रचिकुर माता होता है । काले ितल व सफेद ितल दोनो का ही उपयोग औषधीय रूप मे भक्ती िकया जिाता है । आजि हम आपको बताने जिा रहे है ठं ड मे ितल के उपयोग व इतसे खाने से होने वाले फायदो के बारे मे ....
प्रितिदन दो चिकम्मचिक काले ितल को चिकबाकर खाइतए और उसके बाद ठं डा पानी पीि 봿जिए। इतसका िनयिमत सेवन करने से पुराना बवासीर भक्ती ठीक हो जिाता है । बच्चिका सोते समय पेशाब करता हो़़ तो भक्तुने काले ितलो को गुड़ के साथ िमलाकर
उसका लड्डू बना लीि 봿जिए। बच्चिके को यह लड्डू हर रोजि रात मे सोने से पहले िखलाइतए, बच्चिका सोते वक्त पेशाब नही करे गा।
ठं ड मे ितल गुड़ दोनो समान माता मे लेकर िमला ले।उसके लड्डू बना ले। प्रितिदन 2 बार 1-1 लड्डू दध ू के साथ खाने से मानिसक दब र ता एंव तनाव दरू होते है । शि 봿क्त िमलती है । किठन शारीिरक श्रम करने पर सांस फूलना जिल्दी बढ़ ु ल ु ापा आना बन्द हो जिाता है । ितल व ितल के तेल के सेवन से व िसर मे इतसकी मािलश करने से न केवल बाल घने और चिकमकदार होते है बि 봿ल्क बालो का िगरना भक्ती कम हो जिाता है ।
पेट ददर - 20-25 ग्राम साफ चिकबाकर उपर से गमर पानी िपलाने से पेट का ददर ठीक हो जिाता है ।कब्जि होने पर 50 ग्राम ितल
भक्तूनकर उसे कूट लीि 봿जिए, इतसमे चिकीनी िमलाकर खाइतए। इतससे कब्जि दरू हो जिाती है । खांसी आने पर ितल का सेवन कीि 봿जिए खांसी ठीक हो जिाएगी। ितल व िमश्री को पानी मे उबाल कर पीने से सूखी खांसी भक्ती दरू हो जिाती है ।
- ितल का तेल एंटीऑक्सीडेट से भक्तरपरू होता है । वाइतरस, एि 봿जिंग और बैक्टीिरया से शरीर की रक्षा करता है । इतसीिलए ठं ड
मे ितल का सेवन जिरूर करना चिकािहए। यिद सदी के कारण सख ू ी खांसी हो तो 4-5 चिकम्मचिक िमश्री एंव इततने ही ितल िमिश्रत कर ले। इतन्हे एक िगलास मे आधा पानी रहने तक उबाले। इतसे िदनभक्तर मे तीन बार ले।एक स्टडी के मुतािबक ठं ड मे ितल व ितल के तेल का सेवन डायिबटीजि के पेशेन्ट्स के िलए दवा का काम करता है ।
लहसन ु खाएंगे तो इतन खतरनाक बीमािरयो का इतलाजि अपने आप हो जिाएगा लहसन ु के फायदे के बारे मे आयव ु ेद के साथ-साथ अब एलोपैिथक िवशेषज्ञ भक्ती समझते है। यही वजिह है िक िचिकिकत्सक
अक्सर डाइतट मे लहसुन के सेवन को फायदे मंद बताते है। आइतए जिाने क्या है लहसुन खाने के फायदे । आयुवेद मे लहसुन
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को जिवान बनाए रखने वाली औषिध माना गया है । यह जिोड़ो के ददर की भक्ती अचिकूक दवा है ।इतसीिलए आजि हम आपको बताने जिा रहे है लहसुन के कुछ खास प्रयोग.....
इतसे खाने से शरीर को िवटािमन ए, बी और सी के साथ आयोडीन, आयरन, पोटे िशयम, कैि 봿ल्शयम और मैग्नीिशयम जिैसे
कई पोषक तत्व िमलते है। कॉनलेस्ट्रोल की समस्या से पीिड़त लोगो के िलए लहसुन िकसी संजिीवनी बूटी से कम नहीं है ।
रोजिाना इतसे खाने से आपका कॉनलेस्ट्रोल लेवल १२ प्रितशत तक कम हो सकता है । लहसन ु ब्लड क्लॉनिटंग से बचिकाता है
लहसुन-लहसुन का सेवन उन लोगो के िलए भक्ती बहुत फायदे मंद है। ि 봿जिनका खून अिधक गाढ़ा होता है । यह ब्लड क्लॉनिटंग को रोकता है , खून पतला करता है और रक्त प्रवाह सुचिकारू करता है ।
इतसे खाने से शरीर को िवटािमन ए, बी और सी के साथ आयोडीन, आयरन, पोटे िशयम, कैि 봿ल्शयम और मैग्नीिशयम जिैसे कई पोषक तत्व िमलते है। कॉनलेस्ट्रोल की समस्या से पीिड़त लोगो के िलए लहसुन िकसी संजिीवनी बूटी से कम नहीं है ।
रोजिाना इतसे खाने से आपका कॉनलेस्ट्रोल लेवल १२ प्रितशत तक कम हो सकता है । लहसुन ब्लड क्लॉनिटंग से बचिकाता है
लहसन ु -लहसन ु का सेवन उन लोगो के िलए भक्ती बहुत फायदे मंद है। ि 봿जिनका खन ू अिधक गाढ़ा होता है । यह ब्लड क्लॉनिटंग को रोकता है , खून पतला करता है और रक्त प्रवाह सुचिकारू करता है ।
- लहसुन दमा के इतलाजि मे कारगर सािबत होता है । 30 िमली दध ू मे लहसुन की पांचिक किलयां उबाले और इतस िमश्रण का हर रोजि सेवन करने से दमे की शुरुआती अवस्था मे काफी फायदा िमलता है । अदरक की गरम चिकाय मे लहसुन की दो िपसी
किलयां िमलाकर पीने से भक्ती अस्थमा िनयंितत रहता है ।-लहसुन का सेवन करने वालो को टीबी रोग नहीं होता। लहसुन एक शानदार कीटाण ुनाशक है , यह एंटीबायोिटक दवाइतयो का अच्छा िवकल्प है . लहसुन से टीबी के कीटाण ु नष्ट हो जिाते है।
- 100 ग्राम सरसो के तेल मे दो ग्राम (आधा चिकम्मचिक) अजिवाइतन के दाने व एक लहसुन की किलयां डालकर धीमी आंचिक पर पकाएं। लहसन ु और अजिवाइतन काली हो जिाए तब तेल उतारकर ठं डा कर छान ले। तेल की मािलश करने से पहले इतसे हल्का गमर कर ले, जिब तेल गुनगुनी हो जिाए, तब इतसका इतस्तेमाल करे । हर प्रकार का बदन ददर दरू हो जिाएगा।
लहसुन मे िवटािमन सी होने से यह स्कवी रोग से भक्ती बचिकाता है ।यह आँतो के िछपे मल को भक्ती बाहर िनकाल दे ती है और
कब्जि से मुि 봿क्त िदलाती है । लहसुन का इतस्तेमाल जिोड़ो के ददर या गिठया मे भक्ती होता है तथा यह सूजिन का भक्ती नाश करती है । यिद काली खाँसी की िशकायत हो, तो लहसुन के रस की पाँचिक-पाँचिक बूंदे सुबह-शाम लेनी चिकािहए।
घी खाना न भक्तूले, इतसे खाने के ये BENEFITS है हम घी को सिदयो से अपने भक्तोजिन का अिभक्तन्न िहस्सा मानते रहे है। घी केवल रसायन ही नहीं यह आँखो की ज्योित को भक्ती बढाता है । ठं ड मे इतसके सेवन को िवशेष लाभक्तदायी माना गया है । इतसके अपने गुण ो के कारण ही
मक्खन की जिगह हम इतसका इतस्तेमाल कर सकते है। हमारे दे श मे बड़ी ही तसल्ली से मक्खन को धीमी आंचिक पर िपघलाते हुए पकाकर घी बनाया जिाता है ।
- घी बनाते समय घी के तीन लेयर बन जिाते है ,पहला लेयर पानी से युक्त होता है , ि 봿जिसे बाहर िनकाल िलया जिाता है
,इतसके बाद दध ू के ठोस भक्ताग को िनकाला जिाता है , जिो अपने पीछे एक सुनहरी सेचिकुरेटेड चिकबी को छोड़ जिाता है ,ि 봿जिसमे
कंजिुगेटेड लाईनोलीक एिसड पाया जिाता है । यह कंजिुगेटेड लाईनोलीक एिसड शरीर के संयोजिी उतको को लुब्रीकेट करने
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एवं वजिन कम होने से रोकने मे मददगार के रूप मे जिाना जिाता है । यह भक्ती एक सत्य है िक, घी एंटीआक्सीडेट गुण ो से भक्तरपूर होता है ।
घी का नाम आते ही उसकी खुशबू ,स्वाद और न जिाने क्या क्या हमारे िदलो िदमाग पर छा जिाता है , हो भक्ती क्यो न? हमने
अपनी परम्परा से जिो इतसे पाया है । भक्तले ही अंगरे जिी मे इतसे क्लेरीफायडबटर के नाम से जिाना जिाता हो, पर दे शी शुद्धत घी के अपने ही फायदे है। घी का एक उदाहरण िदया जिाता है िक , जिो संस्कारो द्वारा अपने गण ु ो को न छोडते हुए दस ू रो के गण ु ो को भक्ती अपने अन्दर समािहत कर लेता है । 16 वीं शताब्दी के ग्रन्थ भक्तावप्रकाश पर यिद नजिर डाला जिाए तो इतसे स्वाद को बढ़ाने वाला और ऊजिार प्रदान करने वाला माना गया है ।
- जिोड़ो का ददर हो, या हो त्वचिका का रूखापन, या कराना हो आयव ु ेदीय पंचिककमर मे शोधन, हर जिगह इतसका प्रयोग िनि 봿श्चिकत है । हम जिानते है, िक हमारा शरीर अिधकांशतया पानी मे घुलनशील हािनकारक पदाथो को बाहर िनकालता है । लेिकन घी
चिकबी मे घुलनशील हािनकारक रसायनो को हमारे आहारनाल से बाहर िनकालता है । घी को पचिकाना आसान होता है , साथ
ही इतसका शरीर मे एल्कलाईन फामर मे होनेवाला पिरवतरन अत्यिधक एिसिडक खान-पान के कारण होने वाले पेट की सूजिन (गेस्ट्राईटीस ) को भक्ती कम करता है ।
धीमी आंचिक पर गमर करने से दध ू के ठोस तत्व बाहर िनकल जिाते है, इतसिलए यह लेकटोजि फ्री होता है , और यह उन लोगो के िलए भक्ती खाने योग्य है ि 봿जिन्हे
साधारण डेयरी प्रोडक्ट हजिम नहीं होते है। घी मेध्य है ,अथारत हमारी बिु द्धतमता
(आई.क्यू,) को बढाता है ,और तंितकाओं को पोषण दे ता है ।इतन्ही गुण ो के कारण आयुवेिदक िचिकिकत्सक इतसे अवसाद,एंजिायटी,एपीलेप्सी आिद मानिसक ि 봿स्थितयो मे प्रयुक्त कराते है।इतसे गभक्तरवती मिहलाएं भक्ती ले सकती है तथा अपनी आनेवाली संतान को गुण वान एवं बुिद्धतमान प्राप्त कर सकती है।
सिदर यो मे गड़ ु खाने के ये है कुछ जिबरदस्त ADVANTAGES गुड़ का सेवन अिधकांश लोग ठं ड मे ही करते है वह भक्ती थोड़ी माता मे इतस सोचिक के साथ की ज्यादा गुड़ खाने से नुकसान
होता है और इतसकी प्रविृ त गमर होती है । लेिकन दरअसल ये एक गलतफहमी है गुड़ हर मौसम मे खाया जिा सकता है और
पुराना गुड़ हमेशा औषिध के रूप मे काम करता है । - गुड़ मे सुक्रिोजि 59.7 प्रितशत, ग्लूकोजि 21.8 प्रितशत, खिनजि तरल . 26 प्रितशत तथा जिल अंश 8.86 प्रितशत मौजिद ू होते है।इतसके अलावा गड़ ु मे कैि 봿ल्शयम, फास्फोरस, लोहा और ताम
तत्व भक्ती अच्छी माता मे िमलते है। इतसिलए चिकाहे हर मौसम मे आप गड़ ु खाना न पसन्द करे लेिकन ठं ड मे गड़ ु जिरूर खाएं आइतए हम आपको बताते है ठं ड मे रोजिाना गुड़ खाने के कुछ बेहतरीन फायदो के बारे मे ....
- यह सेलेिनयम के साथ एक एंटीऑक्सीडेट के रूप मे कायर करता है । गड़ ु मे मध्यम माता मे कैि 봿ल्शयम, फॉनस्फोरस व
जिस्ता पाया जिाता है यही कारण है िक इतसका रोजिाना सेवन करने वालो का इतम्यिु नटी पॉनवर अिधक होता है । गड़ ु मे
मेग्नीिशयम अिधक माता मे पाया जिाता है इतसिलए ये बॉनडी को िरचिकाजिर करता है साथ ही इतसे खाने से थकान भक्ती दरू होती है ।- गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शि 봿क्त बढ़ती है । शरीर से जिहरीले तत्वो को बाहर िनकालता है व सिदर यो मे , यह शरीर
के तापमान को िविनयिमत करने मे मदद करता है । भक्तोजिन के बाद गुड़ खा लेने से पेट मे गैस नहीं बनती है । यह लड़िकयो के मािसक धमर को िनयिमत करने यह मददगार होता है ।
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गुड़ और काले ितल के लड्डू खाने से सदी मे अस्थमा परे शान नहीं करता है । रोजिाना गुड़ का सेवन हाइतब्लडप्रेशर को
कंट्रोल करता है । ि 봿जिन लोगो को खून की कमी हो उन्हे रोजि थोड़ी माता मे गुड़ जिरूर खाना चिकािहए। इतससे शरीर मे िहमोग्लोिबन का स्तर बढ़ता है । गुड़ मे मेग्नीिशयम अिधक माता मे पाया जिाता है इतसिलए ये बॉनडी को िरचिकाजिर करता है साथ ही इतसे खाने से थकान भक्ती दरू होती है ।
उडऩे लगे बाल तो ये दे सी नुस्खे
आजिकल कम उम मे गंजिापन या बहुत अिधक बाल झड़ने की समस्या आम हो चिकली है । गंजिेपन के कारण कोई भक्ती व्यि 봿क्त अपनी उम से बड़ा िदखाई दे ने लगता है और एक बाल उड़ने शुरू हो जिाते है तो उन्हे रोकना बहुत मुि 봿श्कल होता है । वैसे तो बाल झड़ने के कई कारण हो सकते है लेिकन अनुवांिशक कारण ो के अलावा िवकार, िकसी िवष का सेवन कर लेने, उपदं श, दाद, एि 봿क्जिमा आिद के कारण ऐसा हो जिाता है । आजि हम बताने जिा रहे है आपको कुछ ऐसे नुस्खो के बारे मे जिो गंजिेपन की समस्या मे रामबाण है....
- नमक का अिधक सेवन करने से गंजिापन आ जिाता है । िपसा हुआ नमक व काली िमचिकर एक-एक चिकम्मचिक नािरयल का तेल पांचिक चिकम्मचिक िमलाकर गंजिेपन वाले स्थान पर लगाने से बाल आ जिाते है। कलौंजिी को पीसकर पानी मे िमला ले। इतस पानी से िसर को कुछ िदनो तक धोने से बाल झड़ना बंद हो जिाते है और बाल घने भक्ती होना शुरू हो जिाते है।
- अगर बालो का गुच्छा िकसी स्थान से उड़ जिाए तो गंजिे के स्थान पर नींबू रगड़ते रहने से बाल दब ु ारा आने लगते है। जिहां
से बाल उड़ जिाएं तो प्याजि का रस रगड़ते रहने से बाल आने लगते है। बालो मे नीम का तेल लगाने से भक्ती राहत िमलती
है ।
- बाल झड़ते है तो गरम जिैतन ू के तेल मे एक चिकम्मचिक शहद और एक चिकम्मचिक दालचिकीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इतस पेस्ट को िसर पर लगा ले। 15 िमनट बाद बाल गरम पानी से िसर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही िदनो बालो के झड़ने की समस्या दरू हो जिाएगी।
- लहसुन का खाने मे अिधक प्रयोग करे । उड़द की दाल उबाल कर पीस ले। इतसका सोते समय िसर पर गंजिेपन की जिगह लेप
करे । हरे धिनए का लेप करने से भक्ती बाल आने लगते है। केले के गद ू े को नींबू के रस के साथ पीस ले और लगाएं, इतससे लाभक्त होता है ।अनार के पत्ते पानी मे पीसकर िसर पर लेप करने से गंजिापन दरू होता है ।
आंकड़े का पौधा
क्या आप जिानते है कुछ ऐसे पौधे और फूल बताए गए है ि 봿जिनका चिकमत्कारी प्रभक्ताव होता है । इतनका यिद सही इतस्तेमाल
िकया जिाए तो व्यि 봿क्त की पैसो की तंगी हो या कोई बीमारी आश्चिकयरजिनक रूप से ठीक होने के योग बन जिाते है। यहां िदए गए फोटो मे जिािनए ऐसे ही एक चिकमत्कारी पौधे और उसके फूल से जिड़ ु ी खास बाते ...
कुछ पेड़-पौधे ऐसे है ि 봿जिनसे हम कई चिकमत्कािरक लाभक्त प्राप्त कर सकते है। हमारे घर या घर के आसपास होने पर ही इतनके फायदे प्राप्त होते है। इतन पेड़ो-पौधो मे आंकड़े का पौधा भक्ती शािमल है , यिद यह घर के सामने हो तो बहुत लाभक्त पहुंचिकाता है ।
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शास्तो अनुसार आंकड़े के फूल िशविलंग पर चिकढ़ाने से सभक्ती मनोकामनाएं पूण र हो जिाती है और अक्षय पुण्य की प्राि 봿प्त होती है । िशवजिी को आंकड़ा बहुत िप्रय है । इतसी वजिह से जिो भक्ती भक्तक्त िशवजिी को आंकड़े के फूल अिपरत करता है उससे वे शीघ प्रसन्न हो जिाते है।
िवद्वानो के अनुसार कुछ पुराने आंकड़ो की जिड़ मे श्रीगण ेश की प्रितकृित िनिमरत हो जिाती है । इतस प्रकार िनिमरत
श्रीगण ेश की पजि ू ा करने वाले भक्तक्त को चिकमत्कारी लाभक्त प्रदान करती है । उन लोगो के घरो मे िकसी भक्ती प्रकार की कोई परे शानी या पैसो की तंगी नहीं रहती है ।
ि 봿जिस घर के सामने या मुख्यद्वार के समीप आंकड़े का पौधा होता है वहां रहने वाले लोगो को तांितक बाधाएं कभक्ती नहीं
सताती। घर के आसपास सकारात्मक और पिवत वातावरण बना रहता है जिो िक हमे सुख-समिृ द्धत और धन प्रदान करता
है । ऐसे लोगो पर महालक्ष्मी की िवशेष कृपा रहती है और जिहां-जिहां से लोग कायर करते है वहीं से इतन्हे धन लाभक्त प्राप्त होता है ।
पेड़-पौधो का सबसे बड़ा फायदा है िक उनसे हमे सांस लेने के िलए ऑक्सीजिन प्राप्त होती है । इतसके अलावा प्राकृितक दृष्टि 봿ष्टकोण से भक्ती पेड़-पौधो का सवारिधक महत्व है । इतनके िबना वातावरण को संतिु लत िकया ही नहीं जिा सकता। हर
पिरि 봿स्थित मे हिरयाली हमारे िलए फायदे मंद ही है । इतन फायदो के साथ ही शास्तो के अनुसार कई धािमरक और ज्योितषीय महत्व भक्ती बताए गए है।
आंकड़े का पौधा मुख्यद्वार पर या घर के सामने हो तो बहुत शुभक्त माना जिाता है । इतसके फूल सामान्यत: सफेद रं ग के होते
है। ज्योितष के अनस ु ार ि 봿जिस घर के सामने या मख् ु यद्वार के समीप आंकड़े का पौधा होता है उस घर पर कभक्ती भक्ती िकसी नकारात्मक शि 봿क्त का प्रभक्ताव नहीं पड़ता है ।
नींबू के चिकमत्कार जिानेगे तो आप भक्ती मानेगे काम की चिकीजि है नींबू नींबू स्वास्थ्य के िलए बहुत फायदे मंद है । ये बात तो सभक्ती जिानते है लेिकन क्या आप जिानते है िक नींबू कुछ और कामो मे
भक्ती उपयोग िकया जिाता है । आप माने या ना माने लेिकन ि 봿जिन दस ू रे कामो मे नींबू का उपयोग िकया जिाता है वे िकसी चिकमत्कार से कम नहीं होते है। नींबू के ऐसे उपयोग परं परागत रूप से काफी परु ाने समय से िकए जिाते रहे है। यहां िदए गए फोटो मे जिािनए नींबू के ऐसे ही कुछ चिकमत्कारी काम...
तंत-मंत मे नींबू, तरबूजि, सफेद कद्दू और िमचिकर का िवशेष रूप से उपयोग िकया जिाता है । सामान्यत: नींबू का उपयोग बुरी नजिर से बचिकने के िलए िकया जिाता है । बुरी नजिर लगने का मुख्य कारण यह है िक जिब कोई व्यि 봿क्त िकसी दक ु ान को, िकसी चिकीजि को, िकसी बच्चिके या अन्य इतंसान को लगातार अिधक समय दे खता रहता है तो बुरी नजिर लग जिाती है ।
यिद िकसी बच्चिके को या बड़े इतंसान को बरु ी नजिर लग जिाए तो घर का कोई अन्य व्यि 봿क्त पीिड़़त व्यि 봿क्त के ऊपर से िसर
से पैर तक सात बार नींबू वार ले। इतसके बाद इतस नींबू के चिकार टुकड़े करके िकसी सन ु सान स्थान या िकसी ितराहे पर फेक आए। ध्यान रखे नींबू के टुकड़े फेकने के बाद पीछे न दे खे।
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तंत-मंत मे नींबू, तरबूजि, सफेद कद्दू और िमचिकर का िवशेष रूप से उपयोग िकया जिाता है । सामान्यत: नींबू का उपयोग बुरी नजिर से बचिकने के िलए िकया जिाता है । बुरी नजिर लगने का मुख्य कारण यह है िक जिब कोई व्यि 봿क्त िकसी दक ु ान को, िकसी चिकीजि को, िकसी बच्चिके या अन्य इतंसान को लगातार अिधक समय दे खता रहता है तो बुरी नजिर लग जिाती है ।
अगर आपको कड़ी मेहनत के बाद भक्ती िकसी महत्वपूण र कायर मे सफलता नहीं िमल पा रही है तो िकसी हनुमान मंिदर
जिाएं और अपने साथ एक नींबू और 4 लौंग लेकर जिाएं। इतसके बाद मंिदर मे पहुंचिककर नींबू के ऊपर चिकारो लौंग लगा दे । िफर हनुमान चिकालीसा का पाठ करे या हनुमानजिी के मंतो का जिप करे । इतसके बाद हनुमानजिी से सफलता िदलवाने की प्राथरना करे और वह नींबू लेकर कायर करे । मेहनत के साथ ही कायर मे सफलता िमलने की संभक्तावनाएं बढ़ जिाएंगी।
यिद िकसी व्यि 봿क्त का व्यापार ठीक से नहीं चिकल रहा हो उसे शिनवार के िदन नींबू का एक उपाय करना चिकािहए। उपाय के
अनुसार एक नींबू को दक ु ान की चिकारो दीवारो पर स्पशर कराएं। इतसके बाद नींबू को चिकार टुकड़ो मे अच्छे से काट ले और चिकारो मे िदशाओं मे नींबू का एक-एक टुकड़ा फेक दे । इतससे दक ु ान की नेगेिटव एनजिी नष्ट हो जिाएगी।
ि 봿जिस घर मे नींबू का पेड़ होता है वहां िकसी भक्त प्रकार की नकारात्मक ऊजिार सक्रिीय नहीं हो पाती है । नींबू के वक्ष ृ के
आसपास का वातावरण सकारात्मक ऊजिार से भक्तरपूर रहता है । इतसके साथ वास्तु के अनुसार नींबू का पेड़ घर के कई वास्तु दोष भक्ती दरू करता है ।
कभक्ती-कभक्ती रास्ते मे रोड पर नींबू-िमचिकर पड़ी रहती है या िकसी चिकौराहे या ितराहे पर कोई नींबू या नींबू के टुकड़े पड़े रहते है तो ध्यान रखे उन आपका पैर नहीं लगाना चिकािहए। हो सकता है िक ऐसे नींबू का उपयोग िकसी प्रकार के टोटके के िलए िकया गया हो। इतसका आपके ऊपर बरु ा प्रभक्ताव पड़ सकता है ।
बुरी नजिर लगने के बाद व्यि 봿क्त का चिकलता व्यवसाय बंद हो जिाता है , पैसो की तंगी आ जिाती है , स्वास्थ्य संबंधी परे शािनयां हो सकती है। इतससे बचिकने के िलए दक ु ानो और घरो के बाहर नींबू-िमचिकर टांग दी जिाती है । ऐसा करने से नींबू-
िमचिकर दे खने मात से ही नींबू का खट्टा और िमचिकर तीखा स्वाद बुरी नजिर वाले व्यि 봿क्त की एकाग्रता को भक्तंग कर दे ता है । ि 봿जिससे वह अिधक समय पर घर या दक ु ान को नहीं दे ख पाता।
ि 봿जिन्हे भक्ती पेटददर होता है ,उन्हे हो सकती है ये बड़ी बीमारी अमाशय व छोटी आंत मे होने वाले को पेि 봿प्टक अल्सर के नाम जिाता है । छोटी आंत का अल्सर पुरुषो मे लगभक्तग 25 वषर की उम मे व मिहलाओं मे 45 वषर की उम मे होता है । गेि 봿स्ट्रक अल्सर ड्यूडनल अल्सर के अनुपात मे 4 गुना कम होता है । यह मुख्य रूप से 55 से 65 उम के लोगो को होता है । आयुवेद मे यह रोग पिरण ाम शूल के नाम से जिाना जिाता है ।
कारण - आयुवेद मे इतसे मुख्यत: ितदोषजि यानी कफ, िपत्त व वात इतस तीनो के कारण ही यह रोग होता है । वात दोष के कारण भक्तोजिन के पचिकते समय पेट का ददर तेजि हो जिाता है । िपत, िमचिकर-मासालेदार आहार, कॉनफी, मद्यपान सेवन से यह
रोग होता है । संक्रिमण द्वारा भक्ती यह रोग होता है । ददर िनवारक दवा के अिधक प्रयोग से 30 प्रितशत लोगो को गेि 봿स्ट्रक अल्सर होता है । धुमपान से गेि 봿स्ट्रक अल्सर ड्यिडनल के अनुपात मे ज्यादा होता है । ओ ब्लड ग्रुप के व्यि 봿क्तयो को डूयुिडनल अल्सर व ए ग्रुप के व्यि 봿क्तयो को गेि 봿स्ट्रक अल्सर ज्यादा होना पाया गया है ।
परीक्षण - डॉनक्टर द्वारा रोगी के लक्षण ो खानपान की आदतो, शारीिरक परीक्षण ो और कुछ आवश्यक परीक्षण जिैसे एण्डोस्कोपी के आधार पर इतस रोग का िनदान िकया जिा सकता है ।
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िचिकिकत्सा- िचिकिकत्सक
की दे खरे ख
मे
नीचिके
औषिधयो
के सेवन
से इतस
रोग से
बचिकाव संभक्तव
है
प्रवालिपि 봿ष्ट 250 िमग्रा., कामदध ु ारस 250 िम.ग्रा., अिवपि 봿त्तकर चिकूण र 250 िम.ग्रा. गुडूचिकी सत्व 125 िम.ग्रा. ऐसी माता की
-उदम् ु बर
पुिढय़ा
अवलेह
बनाकर
1-1
चिकम्मचिक,
यि 봿ष्टमधु,
सुबह-शाम
क्षीरपाक
1-1
शहद
चिकम्मचिक
सुबह
शाम
से
दध ू
से
ले।
ले।
लक्षण - भक्तोजिन करने के कुछ समय बाद रोगी को पेट के आसपास, नािभक्त या छाती के बीचिक मे ददर होने लगता है । भक्तोजिन करने के बाद उल्टी हो जिाने पर या खाने के परू ी तरह से पचिक जिाने से ददर कम या शांत हो जिाता है । पेट का फूलना, पेट की गैस की आवाजि आना, िवबंध रहना, जिलन, बैचिकेनी और िकसी काम मे मन नहीं लगना।
क्या खाना चिकािहए- आंवला मुरब्बा, पेठा, गुलकंद व छे ना दे ना लाभक्तकारी होता है । गाय के ठं डा दध ू का सेवन करे । - अच्छे से पका केला, नाशपाती व अनार का सेवन करे । - नािरयल का पानी पीना चिकािहए।
- आहार मे सेधानमक का प्रयोग करे । - सौंफ और िमश्री का सेवन करे ।
क्या न करे - मैदे से बनी चिकीजिो को अवोइतड करे । - ितल गुड़ आिद का सेवन न करे ।,
- कच्चिका व अंकुिरत अनाजि का सेवन न करे । - मांसाहार से बचिके
- चिकाय, कॉनफी, धम ु पान, पान व तंबाकू का सेवन न करे ।
क्या करे - समय पर भक्तोजिन करे व बहुत दे र तक खाली पेट नहीं रहे और एक साथ अिधक माता मे भक्तोजिन न करे । - 2 के प्रितिदन राित मे 7 व 8 घंटे की अच्छी नींद ले।
- 3 िदन तक अनुलोम, िवलोम, शीतली, भ्रामरी प्राण ायाम, शवासन, योग िनद्रा व ध्यान करे । - 4 हमेशा प्रसन्निचिकत्त रहे व मीठा संगीत सुने।
- 5 प्रितिदन पेट पर िमट्टी की पट्टी 20 से 25 िमिनट रखना बहुत लाभक्तकारी होता है ।
6 चिकीजिे खाकर ब्लडप्रेशर को तरु ं त कंट्रोल िकया जिा सकता है .... आजि मोटापा, ब्लड प्रेशर से जिुड़ी बीमािरयां, डायिबटीजि जिैसी बीमािरयां आम हो चिकली है।अिनयिमत िदनचिकयार और जिीवन शैली की वजिह से होने वाला तनाव आजि शहरी आबादी और खासकर यव ु ाओं मे हाई ब्लड प्रेशर( हाईपरटे शन) की समस्या के रूप मे तेजिी से सामने आ रहा है । थोड़ी सी टे शन या जिम्मेदािरयो को पूरा न कर पाने का दबाव इतस बीमारी को लगातार बढ़ावा दे रहा है । आयुवेद के कुछ घरे लू नुस्खो को अपनाकर आप काफी हद तक इतस बीमारी से बचिक सकते है।
ताजिे दही को ब्लडप्रेशर पेशेन्ट्स के िलए बहुत फायदे मंद माना गया है । एक शोध के अनुसार ब्लडप्रेशर से परे शान लोगो को खाने के साथ दोनो समय ताजिा दही खाना चिकािहए। खाने मे उिचिकत माता या कुछ अिधक दही का सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को कम िकया जिा सकता है ।
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-खसखस का सेवन भक्ती ब्लडप्रेशर के रोिगयो के िलए बहुत फायदे मंद होता है । तरबूजि के बीजि की िगिर और खसखस दोनो
को बराबर माता मे िमलाकर पीस ले रोजि सुबह-शाम एक चिकम्मचिक खाली पेट पानी के साथ ले। यह प्रयोग करीब एक महीने तक िनयिमत करे ।
- हाल ही सामने आने वाले एक िचिकिकत्सा अनुसंधान मे बताया गया है िक लाल टमाटरो का प्रयोग उच्चिक रक्तचिकाप और खन ू मे पाए जिाने वाले कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करने मे सहायक िसद्धत होता है ।इतसीिलए उच्चिकरक्तचिकाप से पीिड़़त लोगो को रोजिाना खाने के साथ सलाद के रूप मे टमाटर जिरूर खाना चिकािहए।
रोजिाना 21 तल ु सी के पत्तो या तल ु सी का रस एक या दो चिकम्मचिक पानी मे िमलाकर खाली पेट सेवन करे । इतसके एक घंटे बाद तक कुछ भक्ती न खाएँ।ठं डे पानी से नहाने के बजिाय गुनगुने पानी से नहाए, साथ ही अिधक नमक व अिधक चिकीनी का इतस्तेमाल हािनकारक है ।
32 िकशिमश लेकर एक चिकीनी के बाउल मे पानी मे डालकर रात भक्तर िभक्तगोएं। सुबह उठकर भक्तूखे पेट एक-एक िकशिमश को खूब चिकबा-चिकबा कर खाएं,पूरे फायदे के िलए हर िकशिमश को बत्तीस बार चिकबाकर खाएं। इतस प्रयोग को िनयिमत बत्तीस िदन करने से लो ब्लडप्रेशर की िशकायत कभक्ती नहीं होगी।
- मेथीदाने के चिकण ू र को रोजि सब ु ह खाली पेट लेने से हाई ब्लडप्रेशर से बचिका जिा सकता है ।खाना खाने के बाद दो कच्चिके लहसन ु की किलयां लेकर मन ु क्का के साथ चिकबाएं, ऐसा करने से हाई ब्लड प्रेशर की िशकायत नहीं होती। प्याजि का रस और शुद्धत शहद बराबर माता मे िमलाकर रोजि करीब दस ग्राम की माता मे ले।
कैसे होता है कै सर
कै सर एक ऐसी बीमारी है ि 봿जिसका नाम सुनते ही मन मे एक अजिीब सी घबराहट होने लगती है । इतसका कारण यही है
िक अिधकांश लोग इतसे आजि भक्ती लाइतलाजि बीमारी मानते है। लेिकन िवशेषज्ञो का कहना है िक समय रहते यिद कै सर का पता चिकल जिाए तो न केवल उसे रोका जिा सकता है बि 봿ल्क उसका इतलाजि भक्ती िकया जिा सकता है । लेिकन यिद
अचिकानक अंितम स्टे जि पर जिाकर पता लगने पर डॉनक्टसर के िलए भक्ती मरीजि को मौत के चिकंगुल से छुड़ा पाना संभक्तव नहीं होता है ।
कैसे होता है कै सर
हमारे शरीर की सबसे छोटी यूिनट (इतकाई) सेल (कोिशका) है । शरीर मे 100 से 1000 खरब सेल्स होते है। हर पल ढे रो नए सेल बनते रहते है और पुराने व खराब सेल खत्म होते जिाते है। शरीर के िकसी भक्ती नॉनमरल िटश्यू मे ि 봿जितने नए
सेल्स पैदा होते है, उतने ही पुराने सेल्स खत्म हो जिाते है। इतस तरह िटश्यू मे संतुलन बना रहता है । कै सर के मरीजिो मे यह संतल ु न िबगड़ जिाता है और उनमे सेल्स की बेलगाम बढ़ोतरी होती रहती है ।
लक्षण - शोधकतारओं का कहना है िक कै सर के िकसी भक्ती लक्षण के िदखने पर उसकी जिांचिक तरु ं त करवाना चिकािहए। इतससे कै सर का पता चिकलने और उसे रोक पाने की कोिशशो मे आसानी होगी।
कै सर के आठ लक्षण प्रमुख रूप से माने गए है जिो िक मोट तौर पर आसानी से दे खे और पहचिकाने जिा सकते है... 1. पेशाब मे आने वाला खून 91
2. खून की कमी से होने वाली बीमारी एनीिमया 3. पखाने मे आने वाला खन ू 4. खांसी के दौरान खून का आना 5. मिहलाओं मे स्तन मे गाँठ 6. कुछ िनगलने मे िदक्कत होना 7. मीनोपॉनस के बाद खून आना 8. प्रोस्टे ट के परीक्षण के असामान्य पिरण ाम कै सर से बचिकने के असरदार घरे लू फंडे: आयुवेद और प्राकृितक िचिकिकत्सा मे कुछ ऐसे बेहद आसान उपाय बताए गए है जिो कै सर जिैसी बेहद घातक बीमारी मे भक्ती काफी असरदार और कारगर बताए गए है.... - डेली खालीपेट तल ु सी के पांचिक पत्ते खाएं। - िनयिमत रूप से हर रात सोने से पहले ितफला ि 봿जिसमे आंवला अवश्य हो, को गुनगुने पानी के साथ ले । - आसन-प्रण ायाम को अपनी िदनचिकयार मे जिरुर शािमल करे । - सूयोदय के समय ताजिी हवा मे 2-3 िक.मी. घूमने के िलए अवश्य जिाया करे । - नकारात्मक और िनराश करने वाले िवचिकारो को स्वयं से हमेशा दरू रखे।
शोधकतारओं ने यह भक्ती स्वीकारा है िक इतन कारण ो के अलावा कै सर के और दस ू रे कारण भक्ती हो सकते है।
टमाटर है हे ल्थ का डॉनक्टर टमाटर खाइतए सेहत बनाइतए। जिी हां टमाटर कोई साधारण सब्जिी नहीं बि 봿ल्क हे ल्थ का डॉनक्टर है । टमाटर मे प्रोटीन,
िवटािमन, वसा आिद तत्व िवद्यमान होते है। यह सेवफल व संतरा दोनो के गुण ो से युक्त होता है । काबोहाइतड्रेट की माता
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कम होती है इतसके अलावा भक्ती टमाटर खाने से कई लाभक्त होते है। पौि 봿ष्टक तत्वो से भक्तरपूर टमाटर यूं तो हर मौसम मे फायदे मंद है , लेिकन इतसमे मौजिूद िवटािमन ए और सी इतसकी उपयोिगता को और महत्वपूण र बना दे ते है।
आप चिकाहे इतसे सब्जिी मे डाले या सलाद के रूप मे या िकसी और रूप मे , यह आपके िलए बेहद फायदे मंद सािबत होगा। इतसमे लोह तत्व की माता दध ू की अपेक्षा दग ु न ु ी और अण्डे की अपेक्षा पांचिक गन ु ी होती है ।
िवटािमन ए, बी, सी, के अितिरक्त इतसमे पोटाश, सोिडयम चिकूना, व तांबा भक्ती पाए जिाते है। लोह तत्व की दृष्टि 봿ष्ट से अन्य
सभक्ती फलो मे सवरश्रेष्ठ होता है । खून की कमी दरू कर शरीर को पुष्ट, सुडौल, और फुतीला रखने के िलए इतसका सेवन उत्तम है ।आइतए, जिाने टमाटर के फायदे
माना जिाता है िक टमाटर इततने पौि 봿ष्टक होते है िक सुबह नाश्ते मे केवल दो टमाटर संपूण र भक्तोजिन के बराबर होते है इतनसे आपके वजिन मे जिरा भक्ती विृ द्धत नहीं होगी इतसके साथ-साथ यह पूरे शरीर के छोटे -मोटे िवकारो को दरू करता है इतसमे लोह तत्व की माता दध ू की अपेक्षा दग ु न ु ी और अण्डे की अपेक्षा पांचिक गन ु ी होती है । िवटािमन ए, बी, सी, के अितिरक्त इतसमे पोटाश, सोिडयम चिकूना, व तांबा भक्ती पाए जिाते है। लोह तत्व की दृष्टि 봿ष्ट से अन्य सभक्ती फलो मे सवरश्रेष्ठ होता है । खून की कमी दरू कर शरीर को पुष्ट, सुडौल, और फुतीला रखने के िलए इतसका सेवन उत्तम है ।
दस्त साफ और दांत व मसुड़ो की खराबी व कमजिोरी दरू करने और शरीर की िनबरलता दरू करने के िलए इतसका िनयिमत
सेवन िकया जिाना चिकािहए। बच्चिको मे सूखारोग को दरू करने के िलए पके लाल टमाटर का रस ही बच्चिको को िपलाना बहुत
लाभक्तदायक है । सब ु ह खाली पेट पके हुए 3-4 टमाटर कच्चिके ही खाना या इतनका रस पीना और बाद मे एक घंटे तक कुछ ना खाना पीना इतसे सेवन करने का अच्छा तरीका है । खाने से पहले पके लाल टमाटर काटकर इतन पर सेधा नमक व
कालीिमचिकर बारीक कतरी हुई अदरक के साथ ले िफर भक्तोजिन करे । इतसके िनयिमत सेवन से मुंह के छाले ठीक हो जिाते है।
पेट के रोग, मूत िवकार, मधुमेह और आंखो की कमजिोरी आिद रोग टमाटर के सेवन से दरू होते है। छोटे बच्चिको को टमाटर का रस अवश्य िपलाना चिकािहए तािक उनके शरीर का पूरा िवकास हो सके। गभक्तरवती स्ती और बूढ़े लोगो को भक्ती िनयिमत सुबह सेवन करना टािनक का काम करे गा।
टमाटर के गद ू े मे दध ू व नींबू का रस िमलाकर चिकेहरे पर लगाने से चिकेहरे पर चिकमक आती है । टमाटर जिवां िदखेगे यह
झुिरर यो को कम करता है और रोम िछद्रो को बड़ा करता है । इतसके िलए टमाटर और शहद के िमश्रण वाला फेस पैक इतस्तेमाल करे । टमाटर के िछलके और बीजि को िनकाल दे । टमाटर िसफर एक सब्जिी नहीं बि 봿ल्क ये अपने आप मे एक संपूण र औषधी है आइतए जिाने कैसे? इतसके सेवन से रोग प्रितरोधक क्षमता भक्ती बढ़ती है । टमाटर से पाचिकन शि 봿क्त बढ़ती है ।
साधारण जड़ीबूटी के खास प्रयोग... इससे ये बीमािरयां जड़ से ठीक हरो जाएंगी
िहन्द ू कमरकांड और यन्त लेखन मे अष्टगंध का प्रयोग होता है । शास्तो मे तीन प्रकार की अष्टगन्ध का वण रन है ,
जिोिक वैष्ण वपंथ मे पूजिन के िलए उपयोग मे लाए जिाते है।वैष्ण व अष्टगन्ध के रूप मे इतन आठ पदाथर को मानते है चिकन्दन, अगर, ह्रीवेर, कुष्ठ, कंु कुम, सेव्यका, जिटामांसी, मुर। ये आठ जिड़ीबूिटयां ऐसी है ि 봿जिन्हे दे वताओं की भक्ती िप्रय मानी जिाती है ।
इतसकी जिड़ मे जिटामे सान , जिटामािसक एिसड ,एक्टीनीदीन, टरपेन, एल्कोहाल , ल्यूिपयाल, जिटामेनसोन और कुछ तेल पाए जिाते है। इतस जिड़ को आयुवेिदक मे बहुत गुण कारी माना जिाता है आइतए जिानते है जिटामासी के कुछ आयुवेिदक प्रयोग....
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- एक चिकम्मचिक जिटामासी मे मधु िमश्री का घोल िमला कर इतसका सेवन करने से ब्लडप्रेशर को ठीक करके सामान्य स्तर पर लाया जिा सकता है ।
- दांतो मे ददर हो तो जिटामांसी के महीन पावडर से मंजिन कीि 봿जिए। - इतसका शरबत िदल को मजिबत ू बनाता है , और शरीर मे कहीं भक्ती जिमे हुए कफ को बाहर िनकालता है । - मािसक धमर के समय होने वाले कष्ट को जिटामांसी का काढा खत्म करता है ।
- मि 봿स्तष्क और नािडय़ो के रोगो के िलए ये राम बाण औषिध है , ये धीमे लेिकन प्रभक्तावशाली ढं ग से काम करती है । - पागलपन , िहस्टीिरया, मन बेचिकैन होना, याददाश्त कम होना.,इतन सारे रोगो की यही अचिकक ू दवा है । - ये ितदोष को भक्ती शांत करती है और सि 봿न्नपात के लक्षण खत्म करती है । - इतसके सेवन से बाल काले और लम्बे होते है ।
- इतसके काढ़े को रोजिाना पीने से आँखो की रोशनी बढ़ती है ।
- चिकमर रोग , सोरायिसस मे भक्ती इतसका लेप फायदा पहुंचिकाता है ।
10 िकशिमश रोजि ऐसे खाएं ये बीमािरयां अपने आप ठीक हो जिाएगी िकशिमश एक खट्टा-मीठा ड्रायफू ट है जिो अंगुर को सुखाकर तैयार िकया जिाता है । इतसमे भक्ती अंगूर के सारे गुण िवद्यमान होते है। दध ू के लगभक्तग सभक्ती तत्त्व िकशिमश मे पाए जिाते है। दध ू के अभक्ताव मे इतसका उपयोग िकया जिा सकता है ।
िकशिमश दध ू की अपेक्षा जिल्दी पचिकती है । मुनक्के के िनत्य सेवन से थोड़े ही िदनो मे रस, रक्त, शुक्रि आिद धातओ ु ं तथा
ओजि की विृ द्धत होती है । वद्धत ृ ावस्था मे िकशिमश या मुनक्के का प्रयोग न केवल स्वास्थ्य की रक्षा करता है बि 봿ल्क आयु को बढ़ाने मे भक्ती सहायक होता है । माना जिाता है िक िकसी भक्ती रोगी के िलए ये िवशेष रूप से लाभक्तदायक होती है । कई रोगो मे
इतसका उपयोग औषिध की तरह भक्ती िकया जिा सकता है आइतए जिाने मुनक्का के कुछ ऐसे ही औषिधय प्रयोगो के बारे मे ....
आंखो की ज्योित बढाने, नाखूनो की बीमारी होने पर, सफेद दाग, मिहलाओं मे गभक्तारशय की समस्या मे अंगूर लाभक्तप्रद
होते है। इतन समस्याओं मे मन ु क्का को दध ू मे पकाकर थोड़ा घी व िमश्री िमलाकर पीने से फायदा होता है । ि 봿जितना पचिक सके उतने मुनक्का रोजि खाने से सातो धातओ ु ं का पोषण होता है ।मुनक्का 12 नग, छुहारा पांचिक नग, छह नग फूल
मखाना दध ू मे िमलाकर खीर बनाकर सेवन करने से शरीर पुष्ट होता है ।ि 봿जिनका ब्लडप्रेशर कम रहता है , उन्हे हमेशा अपने पास नमक वाले मुनक्का रखना चिकािहए। यह ब्लडप्रेशर को सामान्य करने का सबसे आसान उपाय है ।
- एक मुनक्का का बीजि िनकालकर उसमे लहसुन की एक कली रखकर खाने से हाईब्लडप्रेशर मे आराम िमलता है ।
प्रितिदन सोने से एक घंटा पहले दध ू मे उबाली गई 11 मन ु क्का खब ू चिकबा-चिकबाकर खाएं और दध ू को भक्ती पी ले। इतस प्रयोग से कब्जि की समस्या मे तत्काल फायदा होता है ।
- रात मे लगभक्तग 10 या 12 मुनक्का को धोकर पानी मे िभक्तगो दे । इतसके बाद सुबह उठकर मुनक्का के बीजिो को
िनकालकर इतन मुनक्का को अच्छी तरह से चिकबाकर खाने से शरीर मे खून बढ़ता है । भक्तूख न लगती हो तो बराबर माता मे मुनक्का (बीजि िनकाल दे ), हरड़ और चिकीनी को पीसकर चिकटनी बना ले। इतसे पांचिक ग्राम की माता मे (एक छोटा चिकम्मचिक), थोड़ा शहद िमला कर खाने से पहले िदन मे दो बार चिकाटे ।रोजिाना मुनक्का का दध ू उबालकर उसमे घी व िमश्री डालकर पीने से वजिन बढ़ता है ।
- ि 봿जिनके गले मे िनरं तर खराश रहती है या नजिला एलजिी के कारण गले मे तकलीफ बनी रहती है , सुबह-शाम दोनो वक्त
चिकार- पांचिक मुनक्का को बीजि सिहत खूब चिकबाकर खा ले, लेिकन ऊपर से पानी ना िपएँ। दस िदनो तक िनरं तर ऐसा करे ।
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दस मुनक्का एक अंजिीर के साथ सुबह पानी मे िभक्तगोकर रख दे ।रात मे सोने से पहले मुनक्का और अंजिीर को दध ू के साथ उबालकर इतसका सेवन करे । ऐसा तीन िदन करे । िकतना भक्ती पुराना बुखार हो, ठीक हो जिाएगा।
अपनी उम से बहुत छोटे नजिर आना हो तो याद रखे ये छोटी-छोटी बाते
यिद आप पचिकास की उम को पार कर चिकक ु े है और आप अपने चिकेहरे के त्वचिका की चिकमक को बरकरार रखना चिकाहते है, तो आजि हम आपको कुछ िटप्स बताते है, ि 봿जिससे आप अपनी त्वचिका के क्षय को कम कर नेचिकरु ल हे ल्दी ग्लो ( प्राकृितक चिकमक ) को बरकारा रख पाएंगे।आप सब जिानते होगे क़ी पचिकास क़ी उम के बाद ऐसी कोई क्रिीम या लोशन नहीं है जिो हमारी त्वचिका
मे आने वाली स्वाभक्तािवक क्षय के कारण उत्पन्न होनेवाली समस्याओं जिैसे झिु रर यां पढऩा आिद को कम कर सके। हाँ
इततना जिरूर है क़ी जिीवन शैली को संयिमत रखकर और खान-पान मे पिरवतरन लाकर हम त्वचिका के स्वास्थ्य को बरकरार रख सकते है। आइतए ऐसे ही कुछ नुस्खे हम आपके िलए लेकर आए ि 봿जिनका प्रयोग आपके चिकेहरे की त्वचिका के स्वास्थ्य को बरकरार
रखेगा।
- सुबह दस से चिकार बजिे की बीचिक सीधे सूयर के प्रकाश से अपनी त्वचिका को बचिकाने का प्रयास करे ,अपने चिकेहरे ,गदर न एवं बाहो
को यथासंभक्तव पूरी बांह के कपडे , स्काफर या सनग्लासेजि लगाकर सीधे धूप से बचिकाने का प्रयास करे और चिकाहे तो कोई अच्छी नेचिकुरल सनस्क्रिीम लगाएं।
-आपकी त्वचिका को माईस्राइतजिर (नम ) करने का सबसे बेहतर समय स्नान के बाद का समय है । यथासंभक्तव चिकेहरे को धोने के िलए ठन्डे पानी का प्रयोग करे क्योिक गमर पानी चिकेहरे की स्वाभक्तािवक नमी को कम कर दे ता है । चिकेहरे के त्वचिका से मत ृ उतको को सप्ताह मे एक बार एक्स-फोलीयेट कर साफ करे । भक्तोजिन रे शो क़ी प्रचिकुर माता का अवश्य ही ध्यान रखे, ि 봿जिससे हािनकारक
पदाथर
(टोि 봿क्संस
)
शरीर
से
बाहर
िनकल
जिाएं।
-चिकेहरे पर भक्तारी भक्तरकम से फाउं डेशन एवं ब्लश को लगाने से बचिके ,इतससे शीघ झुिरर यां सामने आ जिाएंगी और स्थायी
िनशान बन सकते है। यिद चिकेहरे मे िकसी तरह के धाग या धब्बे(लीवर स्पाट्स ) बन रहे है तो शीघ त्वचिका रोग िवशेषज्ञ से संपकर करे ।
रुई की फाहे को नींबू के रस मे डुबोकर चिकेहरे पर आ रहे दाग या धब्बो वाले स्थान पर दस िमनट तक लगाकर छोड़ दे और चिकेहरा धो ले बस ध्यान रहे िक़़ चिकेहरा नींबू से सेिसिटव न हो। पके पपीते को अच्छी तरह से मसल ले,और इतसे चिकेहरे पर लगाकर लगभक्तग बीस िमनट तक छोड़ दे इतससे भक्ती लाभक्त िमलेगा।
-चिकेहरे की मसाजि एरं डी के तेल से गोलाकार रूप मे िनयिमत करे ,इतससे दाग धब्बे ठीक हो जिाते है। आप अपने चिकेहरे के त्वचिका की िनयिमत दे खभक्ताल कर अपनी पसरनािलटी को और अिधक िनखार सकते है।
कोलेस्ट्रॉनल को बेलेस रखने के ये है TOP 5 तरीके
कोलेस्ट्रॉनल, एक ऐसी समस्या है जिो अब आम बनती जिा रही है । कोलेस्ट्रॉनल का बढऩा कोई बड़ी बीमारी नहीं है लेिकन यह
खामोश खतरा है जिो ब्लड मे मौजिद ू होता है । यह बढ़कर बीपी िदल का रोग एवं िदल के दौरे का कारण बनता है ।अगर आप भक्ती बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉनल या िदल की बीमारी से पीिड़़त है तो नीचिके िलखे उपाय आपके बहुत लाभक्तदायक िसद्धत होगे। - कच्चिके लहसुन की दो-तीन किलयो को सुबह खाली पेट ठं डे पानी से िनगलने से कोलेस्ट्रॉनल कम होता है ।- एक िगलास ठं डे पानी मे 40 तल ु सी के पत्ते डाल ले और 1 नींबू िनचिकोड़ ले। तल ु सी के पत्तो को चिकबाते जिाएं और नींबू का पानी पीते
जिाएं।रात के समय दो चिकम्मचिक धिनया एक िगलास पानी मे िभक्तगो दे । सुबह िहलाकर पानी पी ले। धिनया भक्ती चिकबाकर िनगल जिाएं।दध ू मे थोड़ी सी दालचिकीनी डालकर पीने से भक्ती कोलेस्ट्रोल कंट्रोल मे रहता है ।
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- बटर , चिकीजि , क्रिीम , घी , फ्राइतड फूड्स जिैसे पूरी परांठा और समोसा पूरी तरह से अवॉनइतड करने की जिरूरत है । डॉन . सुनीता का कहना है िक स्वीट्स , खासकर फ्राइतड स्वीट्स , आइतसक्रिीम , केक , िपज्जिा , पास्ता , ड्राई फ्रूट और नट्स , रे ड मीट
और एग योक से भक्ती दरू ी बनाकर रखने की जिरूरत है । हां , िभक्तगोए हुए ऑमंड्स और वालनट्स ले सकते है। फ्रूट जिूस , स्क्वैशेजि और स्वीटे ड काबोनेट की तरफ भक्ती न दे खे। िरफाइतंड सीरीअल्स और इतसके प्रॉनडक्ट मैदा , वाइतट ब्रेड वगैरह भक्ती न खाएं।
- इतसबगोल के बीजिो का तेल आधा चिकम्मचिक िदन मे दो बार लेने से भक्ती फायदा होता है ।शराब या कोई नशा ना करे ।नींबू, आंवला जिैसे भक्ती ठीक लगे रोजिाना के भक्तोजिन मे शािमल करे । लहसुन, प्याजि के रस का सेवन भक्ती उपयोगी सािबत होता है ।
सोयाबीन का तेल प्रयोग करे यह भक्ती उपचिकार है । अंकुिरत दाले भक्ती खाना आरं भक्त करे ।रोजि 50 ग्राम कच्चिके ग्वार पाठे का सेवन िचिकिकत्सकीय िनदे शन मे करने पर लाभक्त होता है ।
- िनयिमत योग एवं व्यायाम करके तथा कम वसा यक् ु त एवं अिधक रे शेदार आहार ग्रहण करके एक साल मे ही कोलेस्ट्रॉनल का स्तर कम से कम 20 प्रितशत तक कम िकया जिा सकता है जिबिक अमरीका जिैसे दे शो मे दवाइतयो की मदद
से इततनी अविध के पश्चिकात ् कोलेस्ट्रॉनल के स्तर मे मात सात प्रितशत तक कमी आती है ।िनयिमत व्यायाम से िदल की काम-काजि की क्षमता बढ़ती है । इतससे रक्त मे हािनकारक कोलेस्ट्रॉनल की माता घटती है और स्वास्थ्यवद्धतरक एचिक डी एल कोलेस्ट्रॉनल की माता बढ़ती है ।
- आहार मे अिधक एंटी आक्सीडेट्स लेना चिकािहये। एंटी आक्सीडेट्स एथोिरक्लोरोिसस होने से रोकते है। ये िवटािमन सी, िवटािमन ई और बीटा कैरोिटन मे मौजिद ू होते है। अनेक तरह के फल एवं सि 봿ब्जियां भक्ती कोलेस्ट्रॉनल घटाने मे मददगार है।
आम तौर पर नट को हृदय रोग मे नुकसानदायक माना जिाता है । लेिकन दरअसल नट लाभक्तदायक है । हृदय रोिगयो को दध ू वाली चिकाय से परहे जि करना चिकािहये क्योिक इतसमे कैलोरी अिधक होती है। ऐसे रोिगयो के िलये िबना दध ू व चिकीनी की
चिकाय बहुत अिधक मुफीद है क्योिक इतसमे एंटी आक्सीडेट्स होते है। िदन भक्तर मे दो-तीन कप ऐसी चिकाय पीना लाभक्तदायक होता है ।
रोजिाना थोड़ा सा चिकक ु ं दर खाने से िमलने लगे गे ये गजिब
चिकक ु ं दर का सेवन अिधकतर लोग सलाद के रूप मे या जिस ू बनाकर करते है। इतसके लाल रं ग के कारण अिधकतर लोग
िसफर इतसे खून बढ़ाने वाली चिकीजि के रूप मे ही जिानते है और इतसका उपयोग भक्ती इतसीिलए करते है। लेिकन बहुत कम लोग जिानते है इतसे खाने के एक नहीं अनेक फायदे है। आजि हम बताने जिा रहे है कुछ ऐसे ही फायदो के बारे मे ...
गुण ो से भक्तरपूर- सोिडयम पोटे िशयम, फॉनस्फोरस, क्लोरीन, आयोडीन, आयरन और अन्य महत्वपूण र िवटािमन पाए जिाते है इतसे खाने से िहमोग्लोिबन बढ़ता है ।उम के साथ ऊजिार व शि 봿क्त कम होने लगती है , चिकुकंदर का सेवन अिधक उम वालो मे भक्ती ऊजिार का संचिकार करता है । इतसमे एंटीआक्सीडेट पाए जिाते है। जिो हमेशा जिवान बनाएं रखते है।
त्वचिका के िलए फायदे मंद- यिद आपको आलस महसस ू हो रही हो या िफर थकान लगे तो चिकक ु ं दर का खा लीि 봿जिये। इतसमे
काबोहाइतड्रेट होता है जिो शरीर की एनजिी बढाता है ।सफेद चिकुकंदर को पानी मे उबाल कर छान ले। यह पानी फोड़े, जिलन और मुहांसो के िलए काफी उपयोगी होता है । खसरा और बुखार मे भक्ती त्वचिका को साफ करने मे इतसका उपयोग िकया जिा सकता है ।
िदल की बीमािरयां- चिकुकंदर मे नाइतट्रे ट नामक रसायन होता है जिो रक्त के दबाव को काफी कम कर दे ता है और िदल की बीमारी के जिोिखम को भक्ती कम करता है । चिकक ु ं दर एनीिमया के उपचिकार मे बहुत उपयोगी माना जिाता है । यह शरीर मे रक्त
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बनाने की प्रिक्रिया मे सहायक होता है । आयरन की प्रचिकुरता के कारण यह लाल रक्त कोिशकाओं को सिक्रिय रखने की क्षमता को बढ़ा दे ता है । इतसके सेवन से शरीर की रोग प्रितरोधक क्षमता और घाव भक्तरने की क्षमता भक्ती बढ़ जिाती है ।
हाई ब्लड प्रेशर मे - लंदन यूिनविसरटी के शोधकतारओं ने रोजि चिकुकंदर का जिूस पीने वाले मरीजिो को अध्ययन मे शािमल
िकया। उन्होने रोजि चिकुकंदर का िमक्स जिूस [गाजिर या सेब के साथ] पीने वाले मरीजिो के हाई ब्लड प्रेशर मे कमी पाई। अध्ययन के मत ु ािबक रोजिाना केवल दो कप चिकक ु ं दर का िमक्स जिस ू पीने से ब्लड प्रेशर िनयंितत रहता है । हालांिक इतसका ज्यादा सेवन घातक सािबत हो सकता है ।
कब्जि और बवासीर-चिकुकंदर का िनयिमत सेवन करे गे, तो कब्जि की िशकायत नहीं होगी। बवासीर के रोिगयो के िलए भक्ती यह काफी फायदे मंद होता है । रात मे सोने से पहले एक िगलास या आधा िगलास जिूस दवा का काम करता है ।
लोग ि 봿जिम मे जिी तोड़ कर वकरआउट करते है उन्हे खाने के साथ चिकुकंदर खाना चिकािहए। इतससे शरीर मे एनजिी बढती है और थकान दरू होती है । साथ ही अगर हाई बीपी हो गया हो तो इतसे पीने से केवल 1 घंटे मे शरीर नामरल हो जिाता है ।
कालीिमचिकर है गजिब की दवा ऐसे USE करे और दे खे जिादईू असर काली िमचिकर खाने मे तो स्वाद बढ़ाने के िलए डाली जिाती है । लेिकन कम ही लोग जिानते होगे िक इतसके औषधीय गुण भक्ती है।
इतसीिलए िपसी काली िमचिकर सलाद, कटे फल या दाल या सब्जिी पर बुरक कर उपयोग मे ली जिाती है । इतसका उपयोग घरे लु इतलाजि मे भक्ती िकया जिा सकता है आजि हम आपको बताने जिा रहे है कालीिमचिकर के कुछ ऐसे ही रामबाण प्रयोग।
- आधा चिकम्मचिक िपसी काली िमचिकर थोड़े से घी के साथ िमला कर रोजिाना सुबह-शाम िनयिमत खाने से नेत ज्योित बढ़ती है ।चिकार-पांचिक दाने कालीिमचिकर के साथ 15 दाने िकशिमश चिकबाने से खांसी मे लाभक्त होता है । शहद मे िपसी काली िमचिकर िमलाकर िदन मे तीन बार चिकाटने से खांसी बंद हो जिाती है ।
- यह एक बिढ़या एंटीऑक्सीडेट है ।कालीिमचिकर एंटीबैक्टीिरयल की तरह काम करती है । यह मैगनीजि और आयरन जिैसे
पोषक तत्वो का बिढ़या स्रोत है , जिो शरीर के सुचिकारु रूप से कायर करने के िलए आवश्यक है । गैस के कारण पेट फूलने पर कालीिमचिकर असरदार होती है । इतससे गैस दरू होती है ।
- काली िमचिकर को सुई से छे द कर दीये की लौ से जिलाएं। जिब धआ ु ं उठे तो इतस धुएं को नाक से अंदर खीचिक ले। इतस प्रयोग से
िसर ददर ठीक हो जिाता है । िहचिककी चिकलना भक्ती बंद हो जिाती है ।काली िमचिकर 20 ग्राम, जिीरा 10 ग्राम और शक्कर या िमश्री 15 ग्राम कूट पीस कर िमला ले। इतसे सब ु ह शाम पानी के साथ फांक ले। बावासीर रोग मे लाभक्त होता है ।
- सफेद काली िमचिकर आंखो और मि 봿स्तष्क के िलए उपयोगी मानी जिाती है । आटे मे दे शी घी और शक्कर िमलाकर इतसमे
सफेद काली िमचिकर का पाउडर िमला ले। िफर इतसका सुबह-शाम सेवन करे ।त्वचिका पर कहीं भक्ती फुंसी उठने पर, काली िमचिकर पानी के साथ पत्थर पर िघस कर अनािमका अंगुली से िसफर फुंसी पर लगाने से फुंसी बैठ जिाती है ।
- यिद आपका ब्लड प्रेशर लो रहता है , तो िदन मे दो-तीन बार पांचिक दाने कालीिमचिकर के साथ 21 दाने िकशिमश का सेवन
करे । कालीिमचिकर, हींग, कपूर का (सभक्ती पांचिक-पांचिक ग्राम) िमश्रण बनाएं। िफर इतसकी राई के बराबर गोिलयां बना ले। हर तीन घंटे बाद एक गोली दे ने से उल्टी, दस्त बंद होते है ।
पुरुषो की कमजिोरी दरू करने वाले 6 रामबाण आयव ु ेिदक नुस्खे 97
यिद िकसी पुरुष मे कमजिोरी हो तो उसका वैवािहक जिीवन सुखी नहीं रह सकता है । अिधकांश लोगो को अत्यािधक स्वप्नदोष होने की परे शानी रहती है ।
वैसे तो यह एक सामान्य-सी बात है , लेिकन जिब ये समस्या हद से अिधक हो जिाए तो शारीिरक कमजिोरी उत्पन्न होने लगती है । परु ु षो की इतस कमजिोरी और परे शानी को दरू करने के िलए आयव ु ेद मे कई उपाय बताए गए है।
- अनार के िछलको को सुखाकर पीस ले। इतसके बाद प्रितिदन सुबह और शाम एक चिकम्मचिक इतस चिकूण र को खाएं। ि 봿जिन लोगो
को अत्यािधक स्वप्नदोष होने की समस्या है , वे प्रितिदन आंवले का मुरब्बा खाएं। केला पुरुष की शि 봿क्त बढ़ाने वाला फल है । प्रितिदन केले खाएं एवं संभक्तव हो तो केले खाने के बाद दध ू भक्ती पीएं।
असगंध, िवधारा, शतावर, सफेद मूसली, ताल मखाना के बीजि, कौंचिक बीजि प्रत्येक 50-50 ग्राम की माता मे लेकर दरदरा
कर कपड़े से छान ले तथा 350 ग्राम िमश्री िमला ले। इतस नुस्खे को 5-10 ग्राम की माता मे सुबह-शाम ठं डे दध ू से ले।
- शीघपतन की िशकायत हो तो धाय के फूल, मुलेठी, नागकेशर, बबूलफली बराबर माता मे लेकर इतसमे आधी माता मे
िमश्री िमलाकर, इतस योग को 5-5 ग्राम की माता मे सेवन लगातार एक माह तक करे । इतससे शीघपतन मे लाभक्त िमलता है । - इतस प्रकार की परे शानी मे आंवला बहुत फायदे मंद होता है । अत: प्रितिदन राित मे िगलास मे थोड़ा-सा सूखे आंवले का चिकूण र ले और उसमे पानी भक्तर दे । सुबह उठने के बाद इतस पानी मे हल्दी िमलाएं एवं छानकर पीएं। - शुद्धत िशलाजिीत 500 िमलीग्राम की माता मे ठं डे दध ू मे घोलकर सब ु ह-शाम पीने से भक्ती लाभक्त िमलता है ।
- रोजि रात को सोने से पहले लहसुन की दो किलयां िनगल ले। इतसके बाद थोड़ा सा पानी पीएं। आंवले के चिकूण र मे िमश्री
पीसकर िमलाएं। इतसके बाद प्रितिदन रात को सोने से पहले करीब एक चिकम्मचिक इतस िमिश्रत चिकूण र का सेवन करे । इतसके बाद थोड़ा-सा पानी पीएं।
- कामोत्तेजिना बढ़ाने के िलए कौंचिकबीजि चिकूण र, सफेद मूसली, ताल मखाना, अश्वगंध चिकूण र को बराबर माता मे तैयार कर 10-10 ग्राम की माता मे ठं डे दध ू से सेवन करे । िनि 봿श्चिकत लाभक्त िमलेगा।
अपनाएंगे तरीके तो झड़े हुए बाल िफर से आ जिाएंगे सामान्यत: बालो से जिुड़ी कुछ समस्याएं जिैसे-बालो का िगरना, सफेद बाल, डैण्ड्रफ, िसर की त्वचिका के रोग आिद
परे शािनयो से हम थोड़ी सावधानी बरतकर इतन्हे आसानी से दरू कर सकते है। अगर आपके साथ भक्ती यही समस्या है बाल रूखे दो मंह ु े और बेजिान हो गए है। कम बालो का असर आपके व्यि 봿क्तत्व पर पड़ने लगा है आप कम उम मे ही अिधक उम के िदखाई दे ने लगे है तो आगे िदए आयव ु ेिदक फंडे एक बार जिरूर अपनाएं...
- कई बार मौसम बदलने या िफर जिगह बदलने के कारण भक्ती बाल झड़ने लगते है, ऐसे मे आपको अपने बालो की केयर
करते रहनी चिकािहए और बालो को सप्ताह मे दो-तीन बार जिरूर धोना चिकािहए।बाल के झड़ने को रोकने के िलए आपका
सेहतमंद होना बहुत जिरूरी है । इतसके िलए आपको अपनी डाइतट का खास ख्याल रखना होगा और अपने बालो की सही दे खभक्ताल करनी होगी।
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- िनयिमत रूप से नािरयल पानी पीएं। अमरबेल को नािरयल तेल मे उबालकर बालो मे लगाएं।अमरबेल डालकर नहाने के िलए पानी उबाले और उसे उबालकर एक चिकौथाई करके िसर मे डाले।
- आजि बहुत से लोग बालो के झड़ने की समस्या से परे शान है । यह सब िसफर बालो के प्रित लापरवाही के कारण होता है । बाल झड़ने का एक मख् ु य कारण स्ट्रे सफुल लाइतफ भक्ती है । आजिकल लोगो पर काम का इततना ज्यादा बोझ है ि 봿जिससे वे
तनाव मे आ जिाते है। ऐसे मे हमे बालो को झड़ने से बचिकाने के िलए तनाव से दरू रहना चिकािहए और कोिशश करनी चिकािहए िक अिधक से अिधक खुशनुमा माहौल मे रहे ।
- कई बार मौसम बदलने या िफर जिगह बदलने के कारण भक्ती बाल झड़ने लगते है, ऐसे मे आपको अपने बालो की केयर
करते रहनी चिकािहए और बालो को सप्ताह मे दो-तीन बार जिरूर धोना चिकािहए। सामान्यत: सभक्ती के यहां शहद आसानी से िमल जिाता है । शहद के औषिधय गुण सभक्ती जिानते है। शहद की तासीर ठं डी होती है और यह कई बीमािरयो को दरू करने मे सक्षम है । शहद का सेवन कर बालो का झडऩा भक्ती रोका जिा सकता है ।
- नािरयल के तेल मे कपूर िमलाएं और यह तेल अच्छी तरह बालो मे तथा िसर पर लगाएं। कुछ ही िदनो डेड्रफ की
समस्या से राहत िमलेगी और बाल नहीं झड़ेगे। बालो को धोने के बाद तरु ं त गीले बालो मे कंघी न करे । िकसी अन्य का टॉनवेल या कंघी कभक्ती यूजि न करे ।
जिवानी मे गंजिेपन का िशकार हो रहे हो तो ऐसे करे
आजिकल कम उम मे गंजिापन या बहुत अिधक बाल झड़ने की समस्या आम हो चिकली है । गंजिेपन के कारण कोई भक्ती व्यि 봿क्त अपनी उम से बड़ा िदखाई दे ने लगता है और एक बाल उड़ने शुरू हो जिाते है तो उन्हे रोकना बहुत मुि 봿श्कल होता है ।
वैसे तो बाल झड़ने के कई कारण हो सकते है लेिकन अनुवांिशक कारण ो के अलावा रक्त िवकार, िकसी िवष का सेवन कर लेने, उपदं श, दाद, एि 봿क्जिमा आिद के कारण ऐसा हो जिाता है । आजि हम बताने जिा रहे है आपको कुछ ऐसे नुस्खो के बारे मे जिो गंजिेपन की समस्या मे रामबाण है....
- नमक का अिधक सेवन करने से गंजिापन आ जिाता है । िपसा हुआ नमक व काली िमचिकर एक-एक चिकम्मचिक नािरयल का तेल पांचिक चिकम्मचिक िमलाकर गंजिेपन वाले स्थान पर लगाने से बाल आ जिाते है।कलौंजिी को पीसकर पानी मे िमला ले। इतस पानी से िसर को कुछ िदनो तक धोने से बाल झड़ना बंद हो जिाते है और बाल घने भक्ती होना शुरू हो जिाते है।
- अगर बालो का गुच्छा िकसी स्थान से उड़ जिाए तो गंजिे के स्थान पर नींबू रगड़ते रहने से बाल दब ु ारा आने लगते है। जिहां
से बाल उड़ जिाएं तो प्याजि का रस रगड़ते रहने से बाल आने लगते है। बालो मे नीम का तेल लगाने से भक्ती राहत िमलती है । लहसुन का खाने मे अिधक प्रयोग करे ।
- नीम की पि 봿त्तयो और आंवले के चिकण ू र को पानी मे डालकर उबाल ले और सप्ताह मे कम से कम एक बार इतस पानी से
िसर को धोएं। ऐसा करने से कुछ ही समय मे बाल झडऩा बंद हो जिाता है ।उड़द की दाल उबाल कर पीस ले। इतसका सोते समय िसर पर गंजिेपन की जिगह लेप करे ।
- हरे धिनए का लेप करने से भक्ती बाल आने लगते है।केले के गूदे को नींबू के रस के साथ पीस ले और लगाएं, इतससे लाभक्त होता है ।अनार के पत्ते पानी मे पीसकर िसर पर लेप करने से गंजिापन दरू होता है ।
- बाल झड़ते है तो गरम जिैतन ू के तेल मे एक चिकम्मचिक शहद और एक चिकम्मचिक दालचिकीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इतस पेस्ट को िसर पर लगा ले। 15 िमनट बाद बाल गरम पानी से िसर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही िदनो बालो के झड़ने की समस्या दरू हो जिाएगी।
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बूढ़े नहीं िदखना चिकाहते तो ये दमदार नुस्खे आजिमाएं यिद आप पचिकास की उम को पार कर चिकुके है और आप अपने चिकेहरे के त्वचिका की चिकमक को बरकरार रखना चिकाहते है, तो
आजि हम आपको कुछ िटप्स बताते है, ि 봿जिससे आप अपनी त्वचिका के क्षय को कम कर नेचिकुरल हे ल्दी ग्लो ( प्राकृितक चिकमक ) को बरकारा रख पाएंगे।
आप सब जिानते होगे क़ी पचिकास क़ी उम के बाद ऐसी कोई क्रिीम या लोशन नहीं है जिो हमारी त्वचिका मे आने वाली
स्वाभक्तािवक क्षय के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं जिैसे झिु रर यां पढऩा आिद को कम कर सके। हाँ इततना जिरूर है क़ी जिीवन शैली को संयिमत रखकर और खान-पान मे पिरवतरन लाकर हम त्वचिका के स्वास्थ्य को बरकरार रख सकते है। आइतए ऐसे ही कुछ नुस्खे हम आपके िलए लेकर आए ि 봿जिनका प्रयोग आपके चिकेहरे की त्वचिका के स्वास्थ्य को बरकरार रखेगा।
चिकेहरे के त्वचिका से मत ृ उतको को सप्ताह मे एक बार एक्स-फोलीयेट कर साफ करे । भक्तोजिन रे शो क़ी प्रचिकुर माता का अवश्य
ही ध्यान रखे, ि 봿जिससे हािनकारक पदाथर (टोि 봿क्संस ) शरीर से बाहर िनकल जिाएं। चिकेहरे पर भक्तारी भक्तरकम से फाउं डेशन एवं ब्लश को लगाने से बचिके ,इतससे शीघ झुिरर यां सामने आ जिाएंगी और स्थायी िनशान बन सकते है।
-आपकी त्वचिका को माईस्राइतजिर (नम ) करने का सबसे बेहतर समय स्नान के बाद का समय है ।यथासंभक्तव चिकेहरे को धोने के िलए ठन्डे पानी का प्रयोग करे क्योिक गमर पानी चिकेहरे की स्वाभक्तािवक नमी को कम कर दे ता है ।
-यिद चिकेहरे मे िकसी तरह के धाग या धब्बे (लीवर स्पाट्स ) बन रहे है तो शीघ त्वचिका रोग िवशेषज्ञ से संपकर करे । रुई की
फाहे को नींबू के रस मे डुबोकर चिकेहरे पर आ रहे दाग या धब्बो वाले स्थान पर दस िमनट तक लगाकर छोड़ दे और चिकेहरा धो ले बस ध्यान रहे िक़़ चिकेहरा नींबू से सेिसिटव न हो।
-पके पपीते को अच्छी तरह से मसल ले,और इतसे चिकेहरे पर लगाकर लगभक्तग बीस िमनट तक छोड़ दे इतससे भक्ती लाभक्त
िमलेगा। चिकेहरे की मसाजि केस्टर आयल (एरं डी के तेल ) से गोलाकार रूप मे िनयिमत करे ,इतससे दाग धब्बे ठीक हो जिाते है। आप अपने चिकेहरे के त्वचिका की िनयिमत दे खभक्ताल कर अपनी पसरनािलटी को और अिधक िनखार सकते है।
- सुबह दस से चिकार बजिे की बीचिक सीधे सूयर के प्रकाश से अपनी त्वचिका को बचिकाने का प्रयास करे ,अपने चिकेहरे ,गदर न एवं बाहो को यथासंभक्तव पूरी बांह के कपड़े, स्काफर या सनग्लासेजि लगाकर सीधे धूप से बचिकाने का प्रयास करे और चिकाहे तो कोई अच्छी नेचिकुरल सनस्क्रिीम लगाएं।
हरोली की पिूजन िविध इस प्रकार हरै -
एक थाली मे पजि ू न की सारी सामग्री ले और साथ मे एक पानी का लोटा भक्ती ले। इतसके पश्चिकात होली पजि ू न के स्थान पर पहुंचिककर नीचिके िलखे मंत का उच्चिकारण करते हुए स्वयं पर और पूजिन सामग्री पर थोड़ा जिल िछड़केऊँ पिुण्डरीकाक्ष: पिुनात,ु ऊँ पिुण्डरीकाक्ष: पिुनात,ु
ऊँ पिुण्डरीकाक्ष: पिुनात।ु
अब हाथ मे पानी, चिकावल, फूल एवं कुछ दित क्षण ा लेकर नीचिके िलखे मंत का उच्चिकारण करे -
ऊँ िवष्ण:ु िवष्ण:ु िवष्ण:ु श्रीमद्भगवतो महरापिर ु षस्य िवष्णोराज्ञया अद्य िषादवसे िवश्वावसु नाम संवत्सरे संवत ् 2069
फाल्गुन मासे शुभे शुक्लपिक्षे पिूिणर्यमायां शुभ ितिथ मंगलवासरे ----------गौत्र(अपिने गौत्र का नाम लें) उत्पिन्ना----------
(अपिने नाम का उच्चारण करें ) मम इहर जन्मिन जन्मान्तरे वा सवर्यपिापिक्षयपिूवक र्य दीघार्ययुिवपिुलधनधान्यं शत्रुपिराजय मम ्
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दै िषाहरक दै िवक भौितक ित्रिवध तापि िनवत्ृ यथर सदभीष्टिसद्धयथे प्रह्लादनिृ संहरहरोली इत्यादीनां पिूजनमहरं किरष्यािम। गणेश-अंिबका पिूजन
सवरप्रथम हाथ मे फूल व चिकावल लेकर भक्तगवान गण ेश का ध्यान करे गजाननं भूतगणािषादसेिवतं
किपित्थजम्बफ ू लचारभक्षणम ्। उमासत ु ं शोकिवनाशकारकं
नमािम िवघ्नेश्वरपिादपिमजम ्।।
ऊँ गं गणपितये नम: पिंचोपिचाराथे गंधाक्षतपिुष्पिािण समपिर्ययािम।।
अब भक्तगवान गण पित को एक पुष्प पर रोली एवं अक्षत लगाकर समिपरत कर दे । ऊँ अिनाम्बकायै नम: पिंचोपिचाराथे गंधाक्षतपिुष्पिािण समर्यपियािम।।
मां अंिबका का ध्यान करते हुए पंचिकोपचिकार पूजिा के िलए गंध, चिकावल एवं फूल चिकढ़ाएं। ऊँ निृ संहराय नम: पिंचोपिचाराथे गंधाक्षतपिष्ु पिािण समपिर्ययािम।।
भक्तगवान निृ संह का ध्यान करते हुए पंचिकोपचिकार पूजिा के िलए गंध, चिकावल व फूल चिकढ़ाएं। ऊँ प्रह्लादाय नम: पिंचोपिचाराथे गंधाक्षतपिुष्पिािण समपिर्ययािम।।
प्रह्लाद का स्मरण करते हुए नमस्कार करे और पंचिकोपचिकार हे तु गंध, चिकावल व फूल चिकढ़ाएं।
अब नीचिके िलखे मंत का उच्चिकारण करते हुए होली के सामने दोनो हाथ जिोड़कर खड़े हो जिाएं तथा अपनी मनोकामनाएं की पिू तर के िलए िनवेदन करे -
असक् ू ियष्यािम भत ू े भिू तप्रदा भव:।। ृ पिाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं हरोिल बािलशै: अतस्त्वां पिज
अब गंध, चिकावल, फूल, साबूत मूंग, साबूत हल्दी, नािरयल एवं बड़कुले(भक्तरभक्तोिलए) होली के डांडे के समीप छोड़े। कच्चिका
सूत उस पर बांधे और िफर हाथ जिोड़ते हुए होली की तीन, पांचिक या सात पिरक्रिमा करे । पिरक्रिमा के बाद लोटे मे भक्तरा पानी वहीं चिकढ़ा दे ।
एलोवेरा के जिबरदस्त गण ु एलोवेरा का उपयोग इतसके गुण ो के कारण वतरमान समय मे बहुत बढ़ गया है । यह बिढय़ा एंटीबायोिटक और एंटीसेि 봿प्टक
के रूप मे काम करता है । एलोवेरा को घत ृ कुमारी व घी ग्वार भक्ती कहा जिाता है । एलोवेरा के कई नाम है, जिैसे संजिीवनी बूटी, साइतलेट हीलर, चिकमत्कारी औषिध, ग्वारपाठा, घत ु ारा जिाता है । कब्जि से लेकर कै सर ृ कुमारी, कुमारी, घी-ग्वार आिद से पक तक के मरीजिो के िलए एक अत्यंत लाभक्तकारी औषिध है । आजि हम आपको बताने जिा रहे है ऐसे कुछ प्रयोगो व गुण ो के बारे मे ि 봿जिन्हे जिानने के बाद आप एलोवेरा का उपयोग जिरूर करना चिकाहे गे...
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आर्थगे की स्लाइड्स में पिढें एलोवेरा के खास प्रयोग... 1. दरू करता हरै खून की कमी
2. डायिबटीज कंट्रिशोल करता हरै
3. िनास्कन प्रॉनब्लम्स की बेजोड़ दवा 4. पिेट के रोगो में हरै रामबाण
5. बालो को बनाएं चमकदार
1. दरू करता हरै खून की कमी
- एलोवेरा मे 18 धातु, 15 एिमनो एिसड और 12 िवटािमन मौजिूद होते है जिो खून की कमी को दरू कर रोग-प्रितरोधक क्षमता बढाता है ।
- एलोवेरा के कांटेदार पि 봿त्तयो को छीलकर रस िनकाला जिाता है । 3 से 4 चिकम्मचिक रस सुबह खाली पेट लेने से िदन-भक्तर शरीर मे चिकुस्ती व स्फूितर बनी रहती है ।
-ऐलोवेरा शरीर के कोमल तत्वो को नुकसान नहीं पहुंचिकने दे ता। ि 봿जिन तत्वो से बुढापा आता है ऐलोवेरा उन्हे नष्ट कर दे ता है ।
2. डायिबटीज कंट्रिशोल करता हरै
- एलोवेरा का जिूस पीने से शरीर मे शुगर का स्तर उिचिकत रूप से बना रहता है ।
-एलोवेरा का ज्यूस बवासीर, डायिबटीजि, गभक्तारशय के रोग व पेट के िवकारो को दरू करता है । एलोवेरा का जिूस पीने से
त्वचिका की खराबी, मह ु ांसे, रूखी त्वचिका, धप ू से झल ु सी त्वचिका, झिु रर यां, चिकेहरे के दाग धब्बो, काले घेरो को दरू िकया जिा सकता है । -एलोवेरा का ज्यूस पीने से मच्छर काटने पर फैलने वाले इतन्फेक्शन को कम िकया जिा सकता है ।
-एलोवेरा का ज्यूस ब्लड को प्यूरीफाई करता है साथ ही हीमोग्लोिबन की कमी को पूरा करता है । शरीर मे वहाईट ब्लड सेल्स की संख्या को बढाता है ।
3. िनास्कन प्रॉनब्लम्स की बेजोड़ दवा
- एलोवेरा को एक्ने ि 봿स्कन क्लींजिर के रूप मे भक्ती प्रयोग िकया जिाता है । इतसको लगाने से िपंपल और एक्ने से राहत िमलती है ।
-1 टुकड़ा एलोवेरा लेकर उसे पानी मे उबाल ले। इतसके बाद उसे िमक्सी मे पीस कर उसमे शहद िमला कर अपने चिकेहरे पर लगाएं।
खास कर िपंपल और एक्ने पर इतसे 15 िमनट तक के िलए सूखने दे और िफर हल्के हाथ से ठं डे पानी से धो ले। 4. पिेट के रोगो में हरै रामबाण
- एलोवेरा जिस ू पेशाब संबन्धी समस्याओं मे काफी अच्छा होता है ।
मिहलाओं मे िलकोिरया, माहवारी आिद िबमािरयो मे लाभक्तदायक है ।
- पेट के िवकारो से पनपने वाले कई रोगो जिैसे मधुमेह आिद के इतलाजि मे भक्ती इतसकी उपयोिगता सािबत हो चिकुकी है ।
- शरीर मे दब र ता, अपचिकन, चिकक्कर आना, पेट के िवकार, हाथ-पांव मे जिलन या झुनझन ु ल ु ाहट होना मानिसक रूप से अस्वस्थ आिद कई लक्षण का पूण र िनदान हो सकता है ।
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5. बालो को बनाएं चमकदार
- आप भक्ती बालो के बहुत अिधक झडऩे, गंजिेपन या रूखेपन से परे शान है तो ऐलोवरा का उपयोग करे ।
- एलोवेरा बालो के िलए संजिीवनी के समान काम करता है । एलोवेरा के फायदे बहुत है। यह ना िसफर आपके बालो को खूबसूरत और चिकमकदार बनाता है बि 봿ल्क बालो की जिड़ो को मजिबूत करता है और बालो मे जिान डालने के िलए भक्ती कारगर है ।
- बालो को खूबसूरत बनाने के िलए एलोवरा जिेल को िसर मे लगाएं और आधे घंटे रखने के बाद िसर धो ले या आप एलोवेरा से बने शैम्पू व कंिडशनर का उपयोग भक्ती कर सकते है।
-एलोवेरा जिेल से बालो मे चिकमक तो आती ही है साथ ही बालो की जिड़े मजिबूत होती है व गंजिेपन व बहुत अिधक बाल झडऩे की समस्या भक्ती समाप्त हो जिाती है ।
कुछ ऐसी दे सी दवाएं जिो गहरे घावो को भक्ती जिल्दी से भक्तर दे गी आजिकल की भक्तागदौड़ भक्तरी ि 봿जिंदगी छोटी-मोटी दघ र ना होना या चिकोट लगना एक आम बात है । ऐसे मे चिकोट लगने पर ु ट अगर घाव हो जिाए तो दे सी इतलाजि से अच्छा कोई उपाय नहीं है । िकसी भक्ती प्रकार का घाव हुआ हो, टांके लगवाये हो
या ऑपरे शन का घाव हो, अंदरूनी घाव हो या बाहरी हो, घाव पका हो या न पका हो लेिकन आपको प्रितजिैिवक लेकर जिठरा, आंतो, यकृत एवं गद ु ो को साइतड इतफेक्ट द्वारा िबगाडऩे की कोई जिरूरत नहीं है बि 봿ल्क नीचिके िदये जिा रहे आसान घरे लू उपायो को अपनाकर िकसी भक्ती तरह के गहरे से गहरे घाव को जिड़ से िमटाया जिा सकता है - घाव को साफ करने के िलए ताजिे गोमूत का उपयोग करे । बाद मे घाव पर हल्दी का लेप करे ।
- ि 봿जिनके शरीर की प्रकृित ऐसी हो िक घाव होने पर तुरंत पक जिाता हो, उन्हे ितफला गग ू ल नामक 3-3 गोली िदन मे 3 बार पानी के साथ लेनी चिकािहए।
- सब ु ह 50 ग्राम गोमत ू तथा िदन मे 2 बार 3-3 ग्राम हल्दी के चिकण ू र का सेवन करने से बहुत जिल्दी लाभक्त होता है । - पुराने घाव मे चिकन्द्रप्रभक्ता वटी की 2-2 गोिलयां िदन मे 2 बार ले। - एक से तीन िदन तक उपवास रखे। ध्यान रखे िक उपवास के दौरान केवल उबालकर ठं डा िकया हुआ या गन ु गुना गमर पानी ही पीना है , अन्य कोई भक्ती वस्तु खानी-पीनी नहीं है । दध ू भक्ती नहीं लेना है ।
- उपवास के बाद ि 봿जितने िदन उपवास िकया हो उतने िदन केवल मूंग को उबाल कर जिो पानी बचिकता है वही पानी पीना है । मंग ू का पानी धीरे -धीरे गाढ़ा करके िलया जिा सकता है ।
- मूंग के पानी के बाद धीरे -धीरे मग ूं , िखचिकड़ी, दाल-चिकावल, रोटी-सब्जिी इतस प्रकार सामान्य खुराक पर आना चिकािहये। - कब्जि की िशकायत हो तो रोजि 1 चिकम्मचिक हरड़ का चिकण ू र सुबह अथवा रात को पानी के साथ ले । 103
वजिन कम
आधा चिकम्मचिक सौंफ लेकर एक कप खौलते पानी मे डाल दी जिाए और 10 िमिनट तक इतसे ढांककर रखा जिाए और बाद मे ठं डा होने पर पी िलया जिाए। ऐसा तीन माह तक लगातार िकया जिाना चिकािहए, वजिन कम होने लगता है ।
ताजिी पत्ता गोभक्ती का रस भक्ती वजिन कम करने मे काफी मदद करता है । आिदवािसयो के अनुसार प्रितिदन रोजि सुबह
ताजिी हरी पत्ता गोभक्ती को पीसकर रस तैयार िकया जिाए और िपया जिाए तो यह शरीर की चिकबी को गलाने मे मदद करता है । रोचिकक बात यह भक्ती है िक आधुिनक िवज्ञान भक्ती इतस बात की पैरवी करता है िक कच्चिकी पत्ता गोभक्ती शकररा और अन्य काबोहाइतड्रेट को वसा मे बदलने से रोकती है और यह वजिन कम करने मे सहायक है ।
लटजिीरा या िचिकरिचिकटा के बीजिो को एकत करके, िकसी िमट्टी के बतरन मे हल्की आंचिक पर भक्तून िलया जिाए और एक-एक चिकम्मचिक िदन मे दो बार फांकी मार ली जिाए, बस दे िखए िकतनी तेजिी से फायदा होता है ।
करे ले की अध कच्चिकी सब्जिी भक्ती वजिन कम करने मे काफी मदद करती है , उत्तर मध्यप्रदे श के आिदवासी सहजिन या मन ु गा की फिलयो की सब्जिी को मोटापा कम करने मे असरकारक मानते है।
गाजिर का भक्तरपूर सेवन िकया जिाना चिकािहए खास तौर से खाना खाने से पहले। आधुिनक िवज्ञान भक्ती गाजिर को मोटापा कम करने मे कारगर मानता है ।
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