ह द
याकरण
ान क
वे शका
ह द याकरण TAT ,
TET-I, II
HTAT
भाषा
, वण- वचार, श द- वचार, पद- वचार, सं ा के वकारक त व, वचन, कारक, सवनाम, वशेषण, या, काल, वा य, यावशेषण, संबंधबोधक अ यय, समु यबोधक अ यय, व मया दबोधक अ यय, श द-रचना, यय, सं ध, समास, पद-प रचय, श द- ान, वराम- च न, वा य- करण, अशु वा य के शु प, मुहावरे और लोकोि तयाँ भाषा
याकरण और बोल
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यह पु तक
ह द
याकरण
ान क
वे शका है ।
आशा है क पाठकगण इसका समु चत लाभ उठा पायगे। य द आप इस प ृ ठ पर कोई
ु ट दे ख तो हमे अव य
लख ता क भूल सुधार करके सह सम
ान पाठक
के
तुत कया जा सके। - ध यवाद
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वषयानु म णका 1.
भाषा, याकरण और बोल
2.
वण- वचार
3.
श द- वचार
4.
पद- वचार
5.
सं ा के वकारक त व
6.
वचन
7.
कारक
8.
सवनाम
9.
वशेषण
10.
या
11.
काल
12.
वा य
13.
या- वशेषण
14.
संबंधबोधक अ यय
15.
समु यबोधक अ यय
16. 17. 18.
व मया दबोधक अ यय श द-रचना यय
19.
सं ध
20.
समास
21.
पद-प रचय
22.
श द- ान
23.
वराम- च न
24.
वा य- करण
25.
अशु वा य के शु
26.
मुहावरे और लोकोि तयाँ
प
अ याय 1 भाषा, याकरण और बोल [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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प रभाषाभाषा अ भ यि त का एक ऐसा समथ साधन है िजसके दस ू र पर
वारा मनु य अपने वचार को
कट कर सकता है और दस ू र के वचार जाना सकता है ।
संसार म अनेक भाषाएँ ह। जैसे1.
ह द
6.
पंजाबी
11.
च
2.
सं कृत
7.
उद ू
12.
चीनी
3.
अं ेजी
8.
तेलुगु
13.
जमन इ या द।
4.
बँगला
9.
मलयालम
5.
गुजराती
10.
क नड़
भाषा के
कार- भाषा दो
कार क होती है-
1. मौ खक भाषा। 2. ल खत भाषा। आमने-सामने बैठे यि त पर पर बातचीत करते ह अथवा कोई यि त भाषण आ द वचार
कट करता है तो उसे भाषा का मौ खक
जब यि त कसी दरू बैठे यि त को प वचार
प कहते ह।
वारा अथवा पु तक एवं प -प काओं म लेख
कट करता है तब उसे भाषा का ल खत
वारा अपने वारा अपने
प कहते ह।
याकरण मनु य मौ खक एवं ल खत भाषा म अपने वचार कट कर सकता है और करता रहा है क तु इससे भाषा का कोई नि चत एवं शु नि चत करने के लए नयमब
व प ि थर नह ं हो सकता। भाषा के शु
और
योजना क आव यकता होती है और उस नयमब
थायी
प को
योजना को हम
याकरण कहते ह।
प रभाषा-
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याकरण वह शा एवं शु
योग का वशद
भाषा का पण ू
है िजसके
वारा कसी भी भाषा के श द और वा य के शु
व प
ान कराया जाता है । भाषा और याकरण का संबंध- कोई भी मनु य शु
ान याकरण के बना
ा त नह ं कर सकता। अतः भाषा और याकरण का घ न ठ
संबंध ह वह भाषा म उ चारण, श द- योग, वा य-गठन तथा अथ के योग के
प को नि चत करता
है । याकरण के वभाग- याकरण के चार अंग नधा रत कये गये ह1. वण- वचार।
3. पद- वचार।
2. श द- वचार।
4. वा य वचार।
बोल भाषा का
े ीय
प बोल कहलाता है । अथात ् दे श के व भ न भाग म बोल जाने वाल
भाषा बोल कहलाती है और कसी भी
े ीय बोल का ल खत प म ि थर सा ह य वहाँ क भाषा
कहलाता है ।
लप कसी भी भाषा के लखने क ह द और सं कृत भाषा क
व ध को ‘ ल प’ कहते ह।
ल प का नाम दे वनागर है ।
अं ेजी भाषा क ल प ‘रोमन’, उद ू भाषा क
ल प फारसी,
पंजाबी भाषा क
ल प गु मुखी है ।
सा ह य ान-रा श का सं चत कोश ह सा ह य है । सा ह य ह जीवंत रखने का- उसके अतीत वभ न प
को
प को दशाने का एकमा
प ट करता है और पाठक एवं
कसी भी दे श, जा त और वग को
सा य होता है । यह मानव क अनुभू त के
ोताओं के
दय म एक अलौ कक अ नवचनीय
आनंद क अनुभू त उ प न करता है ।
अ याय 2 प रभाषा- ह द भाषा म
वण- वचार यु त सबसे छोट
व न वण कहलाती है । जैसे-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, क् , ख ् आ द।
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वणमाला वण के समुदाय को ह वणमाला कहते ह। ह द वणमाला म 44 वण ह। उ चारण और योग के आधार पर ह द वणमाला के दो भेद कए गए ह-
1. वर 2. यंजन वर
िजन वण का उ चारण ह वे
वतं
प से होता हो और जो यंजन के उ चारण म सहायक
वर कहलाते है । ये सं या म यारह हअ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
उ चारण के समय क व
वर।
2. द घ
वर।
1.
3. लत ु 1.
ि ट से
वर के तीन भेद कए गए ह-
वर।
व वर िजन
वर के उ चारण म कम-से-कम समय लगता ह उ ह
ह- अ, इ, उ, ऋ। इ ह मूल
व
वर कहते ह। ये चार
वर भी कहते ह।
2. द घ वर िजन
वर के उ चारण म
व
वर से दग ु ुना समय लगता है उ ह द घ
ह द म सात ह- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ। वशेष- द घ चा हए। यहाँ द घ श द का 3. लुत
ायः इनका
व
वर का द घ
प नह ं समझना
योग उ चारण म लगने वाले समय को आधार मानकर कया गया है ।
वर
िजन ह।
वर को
वर कहते ह। ये
वर के उ चारण म द घ
वर से भी अ धक समय लगता है उ ह लुत
वर कहते
योग दरू से बुलाने म कया जाता है ।
[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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मा ाएँ
वर के बदले हुए व प को मा ा कहते ह वर मा ाएँ श द:-
वर क मा ाएँ न न ल खत ह-
अ × कम
ऋ ◌ृ तण ृ
आ ◌ा काम
ए ◌े केश
इ ि◌ कसलय
ऐ ◌ै है
ई ◌ी खीर
ओ ◌ो चोर
उ ◌ु गुलाब
औ ◌ौ चौख
ऊ ◌ू भूल अ वण ( वर) क कोई मा ा नह ं होती। यंजन का अपना क् च ्
व प न न ल खत ह-
ज ् झ ् त ् थ ् ध ् आ द।
अ लगने पर यंजन के नीचे का (हल) च न हट जाता है । तब ये इस
कार लखे जाते ह-
क च छ ज झ त थ ध आ द।
यंजन िजन वण के पूण उ चारण के लए अथात यंजन बना
वर क सहायता ल जाती है वे यंजन कहलाते ह।
वर क सहायता के बोले ह नह ं जा सकते। ये सं या म 33 ह। इसके
न न ल खत तीन भेद ह-
1. पश 2. अंतः थ 3. ऊ म
1. पश इ ह पाँच वग म रखा गया है और हर वग म पाँच-पाँच यंजन ह। हर वग का नाम पहले वग के अनुसार रखा गया है जैसे[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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क वग- क् ख ् ग ् घ ् च वग- च ्
ज् झ् ञ्
ट वग त वग- त ् थ ्
ण् (
)
ध् न्
प वग- प ् फ् ब ् भ ् म ् 2. अंतः थ ये न न ल खत चार ह-
य ् र् ल ् व ् 3. ऊ म ये न न ल खत चार ह-
श् ष् स् वैसे तो जहाँ भी दो अथवा दो से अ धक यंजन मल जाते ह वे संयु त यंजन कहलाते ह, क तु दे वनागर
ल प म संयोग के बाद
प-प रवतन हो जाने के कारण इन तीन को गनाया गया
है । ये दो-दो यंजन से मलकर बने ह। जैसे- =क् +ष अ र, ् और उ चत
=ज ्+ञ
ान, =त ्+र न
कुछ लोग
्
् को भी ह द वणमाला म गनते ह, पर ये संयु त यंजन ह। अतः इ ह वणमाला म गनना तीत नह ं होता।
अनु वार इसका
योग पंचम वण के
थान पर होता है । इसका च ह (◌ं) है । जैसे- स भव=संभव,
स जय=संजय, ग गा=गंगा।
वसग इसका उ चारण
के समान होता है । इसका च न (:) है । जैसे-अतः, ातः।
चं बंद ु [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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जब कसी
वर का उ चारण ना सका और मुख दोन से कया जाता है तब उसके
ऊपर चं बंद ु (◌ँ) लगा दया जाता है । यह अनुना सक कहलाता है । जैसे-हँसना, आँख। ह द वणमाला म 11 वर तथा 33 यंजन गनाए जाते ह, पर तु इनम ,
अं तथा अः जोड़ने पर ह द के वण क कुल सं या 48 हो जाती है ।
हलंत जब कभी यंजन का
योग
वर से र हत कया जाता है तब उसके नीचे एक तरछ
रे खा (◌्) लगा द जाती है । यह रे खा हल कहलाती है । हलयु त यंजन हलंत वण कहलाता है । जैसे- व या।
वण के उ चारण- थान मुख के िजस भाग से िजस वण का उ चारण होता है उसे उस वण का उ चारण थान कहते ह।
उ चारण म
थान ता लका
वण
उ चारण
1.
अ आ क् ख ् ग ् घ ्
2.
इ ई च्
3.
ऋ
4.
त् थ्
5.
े णी
वसग कंठ और जीभ का नचला भाग कंठ थ
ज् झ् ञ् य् श
तालु और जीभ
ताल य
मूधा और जीभ
मूध य
दाँत और जीभ
दं य
उ ऊ प ् फ् ब ् भ ् म
दोन ह ठ
ओ
6.
ए ऐ
कंठ तालु और जीभ
कंठताल य
7.
ओ औ
दाँत जीभ और ह ठ
कंठो
8.
व्
दाँत जीभ और ह ठ
दं तोष ्
ण्
र् ष ्
ध् न् ल् स्
य य
अ याय 3 श द- वचार
प रभाषा-
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एक या अ धक वण से बनी हुई वतं साथक व न श द कहलाता है । जैसे- एक वण से न मत श द-न (नह ं) व (और) अनेक वण से न मत श द-कु ता, शेर,कमल, नयन, ासाद, सव यापी, परमा मा।
श द-भेद यु पि त (बनावट) के आधार पर श द-भेदयु पि त (बनावट) के आधार पर श द के न न ल खत तीन भेद ह1. ढ़ 2. यौ गक 3. योग ढ़ 1. ढ़ जो श द क ह ं अ य श द के योग से न बने ह और कसी वशेष अथ को तथा िजनके टुकड़ का कोई अथ नह ं होता, वे
कट करते ह
ढ़ कहलाते ह। जैसे-कल, पर। इनम क, ल, प, र का टुकड़े
करने पर कुछ अथ नह ं ह। अतः ये नरथक ह। 2. यौ गक जो श द कई साथक श द के मेल से बने ह ,वे यौ गक कहलाते ह। जैसेदे वालय=दे व+आलय
हमालय= हम+आलय
राजपु ष=राज+पु ष
दे वदत ू =दे व+दत ू आ द।
ये सभी श द दो साथक श द के मेल से बने ह। 3. योग ढ़ वे श द, जो यौ गक तो ह, क तु सामा य अथ को न
कट कर कसी वशेष अथ को
कट करते ह, योग ढ़ कहलाते ह। जैसे-पंकज, दशानन आ द। पंकज=पंक+ज (क चड़ म उ प न होने वाला) सामा य अथ म म
च लत न होकर कमल के अथ
ढ़ हो गया है । अतः पंकज श द योग ढ़ है ।
इसी कार दश (दस) आनन (मुख) वाला रावण के अथ म
[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
स
है ।
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उ पि त के आधार पर श द-भेद उ पि त के आधार पर श द के न न ल खत चार भेद ह1. त सम-
3. दे शज-
2. त व-
4. वदे शी या वदे शज-
1. त समजो श द सं कृत भाषा से ह द म बना कसी प रवतन के ले लए गए ह वे त सम कहलाते ह। जैसे-अि न,
े , वायु, रा , सूय आ द।
2. त वजो श द
प बदलने के बाद सं कृत से ह द म आए ह वे त व कहलाते ह।
जैसे-आग (अि न), खेत( े ), रात (रा ), सूरज (सूय) आ द।
3. दे शजजो श द
े ीय
भाव के कारण प रि थ त व आव यकतानुसार बनकर
च लत हो गए ह वे
दे शज कहलाते ह। जैसे-पगड़ी, गाड़ी, थैला, पेट, खटखटाना आ द।
4. वदे शी या वदे शजवदे शी जा तय के संपक से उनक भाषा के बहुत से श द ह द म यु त होने लगे ह। ऐसे श द वदे शी अथवा वदे शज कहलाते ह। जैसे- कूल, अनार, आम, कची,अचार, पु लस, टे ल फोन, र शा आ द। ऐसे कुछ वदे शी श द क सूची नीचे द जा रह है । अं ेजी- कॉलेज, प सल, रे डयो, टे ल वजन, डॉ टर, लैटरब स, पैन, टकट, मशीन, सगरे ट, साइ कल, बोतल आ द। फारसी- अनार,च मा, जमींदार, दक ु ान, दरबार, नमक, नमूना, बीमार, बरफ, माल, आदमी, चुगलखोर, गंदगी, चापलूसी आ द। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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अरबी- औलाद, अमीर, क ल, कलम, कानून, खत, फक र, र वत, औरत, कैद , मा लक, गर ब आ द। तुक - कची, चाकू, तोप, बा द, लाश, दारोगा, बहादरु आ द। पत ु गाल - अचार, आलपीन, कारतूस, गमला, चाबी, तजोर , तौ लया, फ ता, साबुन, तंबाकू, कॉफ , कमीज आ द।
ांसीसी- पु लस, काटून, इं जी नयर, क यू, बगुल आ द।
चीनी- तूफान, ल ची, चाय, पटाखा आ द। यूनानी- टे ल फोन, टे ल ाफ, ऐटम, डे टा आ द। जापानी- र शा आ द।
योग के आधार पर श द-भेद
योग के आधार पर श द के न न ल खत आठ भेद है 1. सं ा 2. सवनाम 3. वशेषण 4.
या
5.
या- वशेषण
6. संबंधबोधक 7. समु चयबोधक 8. व मया दबोधक इन उपयु त आठ
कार के श द को भी वकार क
ि ट से दो भाग म बाँटा जा सकता है -
1. वकार 2. अ वकार
1. वकार श द िजन श द का
प-प रवतन होता रहता है वे वकार श द कहलाते ह।
जैसे कु ता, कु ते, कु त , म मझ ु े,हम अ छा, अ छे खाता है , खाती है , खाते ह। इनम सं ा, सवनाम, वशेषण और
या वकार श द ह।
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2. अ वकार श द िजन श द के
प म कभी कोई प रवतन नह ं होता है वे अ वकार श द कहलाते ह।
जैसेयहाँ, क तु, न य, और, हे अरे आ द। इनम
या- वशेषण, संबंधबोधक, समु चयबोधक और व मया दबोधक आ द ह।
अथ क अथ क
ि ट से श द-भेद
ि ट से श द के दो भेद ह-
1. साथक 2. नरथक 1. साथक श द िजन श द का कुछ-न-कुछ अथ हो वे श द साथक श द कहलाते ह। जैसेरोट , पानी, ममता, डंडा आ द। 2. नरथक श द िजन श द का कोई अथ नह ं होता है वे श द नरथक कहलाते ह। जैसेरोट -वोट , पानी-वानी, डंडा-वंडा इनम वोट , वानी, वंडा आ द नरथक श द ह। वशेष- नरथक श द पर याकरण म कोई वचार नह ं कया जाता है ।
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अ याय 4 पद- वचार [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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साथक वण-समूह श द कहलाता है , पर जब इसका योग वा य म होता है तो वह रहता बि क याकरण के नयम म बँध जाता है और श द वा य म
ायः इसका
वतं
नह ं
प भी बदल जाता है । जब कोई
यु त होता है तो उसे श द न कहकर पद कहा जाता है ।
ह द म पद पाँच
कार के होते ह-
1. सं ा
4.
या
2. सवनाम
5. अ यय
3. वशेषण 1. सं ा कसी यि त, थान, व तु आ द तथा नाम के गुण, धम, वभाव का बोध कराने वाले श द सं ा कहलाते ह। जैसे- याम, आम, मठास, हाथी आ द। सं ा के
कार- सं ा के तीन भेद ह-
1. यि तवाचक सं ा। 2. जा तवाचक सं ा। 3. भाववाचक सं ा। 1. यि तवाचक सं ा िजस सं ा श द से कसी वशेष, यि त, ाणी, व तु अथवा
थान का बोध हो उसे यि तवाचक सं ा
कहते ह।जैसे-जय काश नारायण, ीकृ ण, रामायण, ताजमहल, कुतुबमीनार, लाल कला हमालय आ द। 2. जा तवाचक सं ा िजस सं ा श द से उसक संपूण जा त का बोध हो उसे जा तवाचक सं ा कहते ह। जैसे-मनु य, नद , नगर, पवत, पशु, प ी, लड़का, कु ता, गाय, घोड़ा, भस, बकर , नार , गाँव आ द। 3. भाववाचक सं ा िजस सं ा श द से पदाथ क अव था, गुण-दोष, धम आ द का बोध हो उसे भाववाचक सं ा कहते ह। जैसे-बुढ़ापा, मठास, बचपन, मोटापा, चढ़ाई, थकावट आ द। वशेष व त य- कुछ व वान अं ेजी याकरण के
भाव के कारण सं ा श द के दो भेद और बतलाते
ह1. समद ु ायवाचक सं ा। 2.
यवाचक सं ा।
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1. समुदायवाचक सं ा िजन सं ा श द से यि तय , व तुओं आ द के समूह का बोध हो उ ह समुदायवाचक सं ा कहते ह। जैसे-सभा, क ा, सेना, भीड़, पु तकालय दल आ द। 2.
यवाचक सं ा
िजन सं ा-श द से कसी धातु,
य आ द पदाथ का बोध हो उ ह
यवाचक सं ा कहते ह।
जैसे-घी, तेल, सोना, चाँद ,पीतल, चावल, गेहूँ, कोयला, लोहा आ द। इस
कार सं ा के पाँच भेद हो गए, क तु अनेक व वान समुदायवाचक और
जा तवाचक सं ा के अंतगत ह मानते ह, और यह उ चत भी भाववाचक सं ा बनाना- भाववाचक सं ाएँ चार
यवाचक सं ाओं को
तीत होता है ।
कार के श द से बनती ह। जैसे-
1. जा तवाचक सं ाओं से दास दासता पं डत पां ड य बंधु बंधु व य
पु ष पु ष व भु
भुता
पशु पशुता,पशु व य व
ा मण
ा मण व
म
म ता
बालक बालकपन ब चा बचपन नार नार व
2. सवनाम से अपना अपनापन, अपन व नज नज व, नजता
व
व व
सव सव व
अहं अहं कार मम मम व,ममता
पराया परायापन 3. वशेषण से मीठा मठास
मधुर माधुय
चतुर चातुय, चतुराई
सद ंु र स दय, सद ुं रता
हरा ह रयाल
खेलना खेल
लेना-दे ना लेन-दे न
मुसकाना मुसकान
थकना थकावट
पढ़ना पढ़ाई
कमाना कमाई
मलना मेल
उतरना उतराई
4.
नबल नबलता सफेद सफेद
या से
लखना लेख, लखाई हँसना हँसी
चढ़ना चढ़ाई
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उड़ना उड़ान Page 16
रहना-सहना रहन-सहन
दे खना-भालना दे ख-भाल
अ याय 5 सं ा के वकारक त व
िजन त व के आधार पर सं ा (सं ा, सवनाम, वशेषण) का
पांतर होता है वे वकारक त व
कहलाते ह।
वा य म श द क ि थ त के आधार पर ह उनम वकार आते ह। यह वकार लंग, वचन और
कारक के कारण ह होता है ।
जैसे-लड़का श द के चार
प- 1.लड़का, 2.लड़के, 3.लड़क , 4.लड़को-केवल वचन और कारक के
कारण बनते ह।
लंग- िजस च न से यह बोध होता हो क अमुक श द पु ष जा त का है अथवा
ी जा त का
वह लंग कहलाता है [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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प रभाषाश द के िजस का
प से कसी यि त, व तु आ द के पु ष जा त अथवा
ी जा त के होने
ान हो उसे लंग कहते ह।
जैसे-लड़का, लड़क , नर, नार आ द। इनम ‘लड़का’ और ‘नर’ पुि लंग तथा लड़क और ‘नार ’
ी लंग ह।
ह द म लंग के दो भेद ह1. पिु लंग। 2.
ी लंग।
1. पुि लंग िजन सं ा श द से पु ष जा त का बोध हो अथवा जो श द पु ष जा त के अंतगत माने जाते ह वे पुि लंग ह। जैसे-कु ता, लड़का, पेड़, संह, बैल, घर आ द। पुि लंग क पहचान 1. आ, आव, पा, पन न ये
यय िजन श द के अंत म ह वे
ायः पिु लंग होते ह। जैसे- मोटा, चढ़ाव,
बुढ़ापा, लड़कपन लेन-दे न। 2. पवत, मास, वार और कुछ
ह के नाम पुि लंग होते ह जैसे- वं याचल, हमालय, वैशाख, सूय, चं ,
मंगल, बुध, राहु, केतु ( ह)। 3. पेड़ के नाम पुि लंग होते ह। जैसे-पीपल, नीम, आम, शीशम, सागौन, जामुन, बरगद आ द। 4. अनाज के नाम पुि लंग होते ह। जैसे-बाजरा, गेहूँ, चावल, चना, मटर, जौ, उड़द आ द। 5. व पदाथ के नाम पुि लंग होते ह। जैसे-पानी, सोना, ताँबा, लोहा, घी, तेल आ द। 6. र न के नाम पुि लंग होते ह। जैसे-ह रा, प ना, मूँगा, मोती मा णक आ द। 7. दे ह के अवयव के नाम पुि लंग होते ह। जैसे- सर, म तक, दाँत, मुख, कान, गला, हाथ, पाँव, ह ठ, तालु, नख, रोम आ द। 8. जल, थान और भूमंडल के भाग के नाम पिु लंग होते ह। जैसे-समु , भारत, दे श, नगर, वीप, आकाश, पाताल, घर, सरोवर आ द। 9. वणमाला के अनेक अ र के नाम पुि लंग होते ह। जैसे-अ,उ,ए,ओ,क,ख,ग,घ, च,छ,य,र,ल,व,श आ द।
2.
ी लंग
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Page 18
िजन सं ा श द से
ी जा त का बोध हो अथवा जो श द
ी जा त के अंतगत माने जाते ह वे
ी लंग ह। जैसे-गाय, घड़ी, लड़क , कुरसी, छड़ी, नार आ द। ी लंग क पहचान 1. िजन सं ा श द के अंत म ख होते है , वे
ी लंग कहलाते ह। जैसे-ईख, भूख, चोख, राख, कोख, लाख,
दे खरे ख आ द। 2. िजन भाववाचक सं ाओं के अंत म ट, वट, या हट होता है , वे
ी लंग कहलाती ह। जैसे-झंझट, आहट,
चकनाहट, बनावट, सजावट आ द। 3. अनु वारांत, ईकारांत, ऊकारांत, तकारांत, सकारांत सं ाएँ
ी लंग कहलाती है । जैसे-रोट , टोपी, नद , च ी,
उदासी, रात, बात, छत, भीत, लू, बालू, दा , सरस , खड़ाऊँ, यास, वास, साँस आ द। 4. भाषा, बोल और ल पय के नाम
ी लंग होते ह। जैसे- ह द , सं कृत, दे वनागर , पहाड़ी, तेलुगु पंजाबी
गु मख ु ी। 5. िजन श द के अंत म इया आता है वे 6. न दय के नाम
ी लंग होते ह। जैसे-गंगा, यमुना, गोदावर , सर वती आ द।
7. तार ख और त थय के नाम 8. प ृ वी 9. न
ह
ी लंग होते ह। जैसे-कु टया, ख टया, च ड़या आ द।
ी लंग होते ह। जैसे-पहल , दस ू र,
तपदा, पू णमा आ द।
ी लंग होते ह।
के नाम
ी लंग होते ह। जैसे-अि वनी, भरणी, रो हणी आ द। श द का लंग-प रवतन
यय ई
पुि लंग
लु टया
माल
मा लन
घोड़ी
दे व
दे वी
कहार
कहा रन
दादा
दाद
सुनार
सुना रन
लड़का
लड़क
लुहार
लुहा रन
धोबी
धो बन
मोर
मोरनी
हाथी
हा थन
संह
संहनी
नौकर
नौकरानी
ा मणी
नर
नार
बकरा
बकर
चूहा
चु हया
चड़ा
इन
लोटा
घोड़ा
ा मण
इया
ी लंग
च ड़या
नी
आनी
बेटा
ब टया
चौधर
चौधरानी
गु डा
गु ड़या
दे वर
दे वरानी
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आइन आ
अक को इका
सेठ
सेठानी
जेठ
जेठानी
अ यापक
अ या पका
पं डत
पं डताइन
बालक
बा लका
ठाकुर
ठाकुराइन
लेखक
ले खका
बाल
बाला
सेवक
से वका
सत ु
सत ु ा
तप वी
तपि वनी
छा
छा ा
इनी (इणी)
पाठक
पा ठका
परोपकार
ी लंग
स ाट
स ा ी
भाई
भाभी
पु ष
ी
नर
मादा
बैल
गाय
राजा
रानी
युवक
युवती
वशेष व त य- जो
ा णवाचक सदा श द ह
ी लंग ह अथवा जो सदा ह पुि लंग ह उनके पुि लंग
ी लंग जताने के लए उनके साथ ‘नर’ व ‘मादा’ श द लगा दे ते ह। जैसेपिु लंग
खटमल
मादा खटमल
म खी
नर म खी
चील
नर चील
कोयल
नर कोयल
कछुआ
नर कछुआ
नर गलहर
कौआ
नर कौआ
नर मैना
भे ड़या
मादा भे ड़या
नर ततल
उ लू
मादा उ लू
मादा बाज
म छर
मादा म छर
गलहर मैना ततल बाज
परोपका रनी
ी लंग म बलकुल ह बदल जाते ह।
माता
ी लंग
वा मनी
वामी
सास
अथवा
हतका रनी
श या
ससुर
पता
हतकार
श य
कुछ वशेष श द जो पुि लंग
करके
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अ याय 6 वचन
प रभाषाश द के िजस
प से उसके एक अथवा अनेक होने का बोध हो उसे वचन कहते ह।
ह द म वचन दो होते ह1. एकवचन 2. बहुवचन एकवचन श द के िजस
प से एक ह व तु का बोध हो, उसे एकवचन कहते ह। जैसे-लड़का, गाय, सपाह ,
ब चा, कपड़ा, माता, माला, पु तक,
ी, टोपी बंदर, मोर आ द।
बहुवचन श द के िजस
प से अनेकता का बोध हो उसे बहुवचन कहते ह।
जैसे-लड़के, गाय, कपड़े, टो पयाँ, मालाएँ, माताएँ, पु तक, वधुएँ, गु जन, रो टयाँ, ि एकवचन के
थान पर बहुवचन का
याँ, लताएँ, बेटे आ द।
योग
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(क) आदर के लए भी बहुवचन का योग होता है । जैसे(1) भी म पतामह तो मचार थे। (2) गु जी आज नह ं आये। (3) शवाजी स चे वीर थे। (ख) बड़ पन दशाने के लए कुछ लोग वह के
थान पर वे और म के
थान हम का
योग करते ह
जैसे(1) मा लक ने कमचार से कहा, हम मी टंग म जा रहे ह। (2) आज गु जी आए तो वे
स न दखाई दे रहे थे।
(ग) केश, रोम, अ ु, ाण, दशन, लोग, दशक, समाचार, दाम, होश, भा य आ द ऐसे श द ह िजनका
योग
बहुधा बहुवचन म ह होता है । जैसे(1) तु हारे केश बड़े सु दर ह। (2) लोग कहते ह। बहुवचन के थान पर एकवचन का योग (क) तू एकवचन है िजसका बहुवचन है तुम क तु स य लोग आजकल लोक- यवहार म एकवचन के लए तुम का ह
योग करते ह जैसे-
(1) म , तुम कब आए। (2) या तुमने खाना खा लया। (ख) वग, वंद ृ , दल, गण, जा त आ द श द अनेकता को
कट करने वाले ह, क तु इनका यवहार
एकवचन के समान होता है । जैसे(1) सै नक दल श ु का दमन कर रहा है । (2)
ी जा त संघष कर रह है ।
(ग) जा तवाचक श द का
योग एकवचन म कया जा सकता है । जैसे-
(1) सोना बहुमू य व तु है । (2) मंब ु ई का आम वा द ट होता है । बहुवचन बनाने के नयम (1) अकारांत ी लंग श द के अं तम अ को एँ कर दे ने से श द बहुवचन म बदल जाते ह। जैसेएकवचन
सड़क
सड़के
आँख
बहुवचन आँख
गाय
गाय
बहन
बहन
बात
बात
पु तक
पु तक
(2) आकारांत पुि लंग श द के अं तम ‘आ’ को ‘ए’ कर दे ने से श द बहुवचन म बदल जाते ह। जैसेएकवचन
बहुवचन
एकवचन
बहुवचन
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घोड़ा
घोड़े
कौआ
कौए
कु ता
कु ते
गधा
गधे
केला
केले
बेटा
बेटे
(3) आकारांत
ी लंग श द के अं तम ‘आ’ के आगे ‘एँ’ लगा दे ने से श द बहुवचन म बदल जाते ह।
जैसेएकवचन
एकवचन
क या
बहुवचन क याएँ
अ या पका
बहुवचन अ या पकाएँ
कला
कलाएँ
माता
माताएँ
क वता
क वताएँ
लता
लताएँ
(4) इकारांत अथवा ईकारांत
ी लंग श द के अंत म ‘याँ’ लगा दे ने से और द घ ई को
व इ कर दे ने
से श द बहुवचन म बदल जाते ह। जैसेएकवचन
एकवचन
बु
बहुवचन बु याँ
गत
बहुवचन ग तयाँ
कल
क लयाँ
नी त
नी तयाँ
कॉपी
कॉ पयाँ
लड़क
लड़ कयाँ
थाल
था लयाँ
नार
ना रयाँ
(5) िजन
ी लंग श द के अंत म या है उनके अं तम आ को आँ कर दे ने से वे बहुवचन बन जाते ह।
जैसेएकवचन
एकवचन
गु ड़या
बहुवचन गु ड़याँ
ब टया
बहुवचन ब टयाँ
चु हया
चु हयाँ
कु तया
कु तयाँ
ख टया
ख टयाँ
गैया
गैयाँ
च ड़या बु ढ़या
च ड़याँ बु ढ़याँ
(6) कुछ श द म अं तम उ, ऊ और औ के साथ एँ लगा दे ते ह और द घ ऊ के साथन पर
व उ हो
जाता है । जैसेएकवचन गौ
बहुवचन गौएँ
एकवचन
वधू
वधूएँ
बहू व तु
धेनु
धेनुएँ
धातु
बहुवचन बहूएँ व तुएँ धातुएँ
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(7) दल, वंद ृ , वग, जन लोग, गण आ द श द जोड़कर भी श द का बहुवचन बना दे ते ह। जैसेएकवचन अ यापक
बहुवचन अ यापकवंद ृ
व याथ
व याथ गण
आप
आप लोग
ोता
ोताजन
(8) कुछ श द के
एकवचन म
बहुवचन म वग
सेना
सेनादल
गु
गु जन
गर ब
गर ब लोग
प ‘एकवचन’ और ‘बहुवचन’ दोनो म समान होते ह। जैसे-
एकवचन
बहुवचन मा
मा जल
जल
गर राजा
एकवचन नेता
बहुवचन नेता
ेम
ेम
गर
ोध
ोध
राजा
पानी
पानी
वशेष- (1) जब सं ाओं के साथ ने, को, से आ द परसग लगे होते ह तो सं ाओं का बहुवचन बनाने के लए उनम ‘ओ’ लगाया जाता है । जैसेएकवचन लड़के को बल ु ाओ
बहुवचन लड़को को बुलाओ
नद का जल ठं डा है न दय का जल
एकवचन ब चे ने गाना गाया
बहुवचन ब च ने गाना गाया
आदमी से पूछ लो
आद मय से पछ ू लो
ठं डा है (2) संबोधन म ‘ओ’ जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है । जैसेब च !
यान से सुनो।
भाइय ! मेहनत करो। बहनो ! अपना कत य नभाओ।
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अ याय 7 कारक प रभाषा-सं ा या सवनाम के िजस
प से उसका सीधा संबंध
या के साथ
ात हो वह कारक कहलाता है । जैसे-गीता ने दध ू पीया। इस वा य म ‘गीता’ पीना
या का कता है और दध ू उसका कम। अतः ‘गीता’
कता कारक है और ‘दध ू ’ कम कारक। कारक वभि त- सं ा अथवा सवनाम श द के बाद ‘ने, को, से, के लए’, आ द जो च न लगते ह वे च न कारक वभि त कहलाते ह। ह द म आठ कारक होते ह। उ ह वभि त च न स हत नीचे दे खा जा सकता है कारक वभि त च न (परसग) 1. कता
ने
2. कम
को
3. करण
से, के साथ, के
4. सं दान
के लए, को
5. अपादान
से (पथ ृ क)
6. संबंध
का, के, क
7. अ धकरण
म, पर
8. संबोधन
हे ! हरे !
कारक च न कता ने अ
वारा
मरण करने के लए इस पद क रचना क गई हकम को, करण र त से जान।
सं दान को, के लए, अपादान से मान।। का, के, क , संबंध ह, अ धकरणा दक म मान। रे ! हे ! हो ! संबोधन, म
धरहु यह
यान।।
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वशेष-कता से अ धकरण तक वभि त च न (परसग) श द के अंत म लगाए जाते ह, क तु संबोधन कारक के च न-हे , रे , आ द
ायः श द से पव ू लगाए जाते ह।
1. कता कारक िजस
प से
या (काय) के करने वाले का बोध होता है वह ‘कता’ कारक कहलाता है । इसका वभि त-
च न ‘ने’ है । इस ‘ने’ च न का वतमानकाल और भ व यकाल म धातुओं के साथ भूतकाल म पहले वा य म ‘मारा’ भूतकाल क
योग नह ं होता है । इसका सकमक
योग होता है । जैसे- 1.राम ने रावण को मारा। 2.लड़क
कूल जाती है ।
या का कता राम है । इसम ‘ने’ कता कारक का वभि त- च न है । इस वा य म या है । ‘ने’ का
योग
ायः भूतकाल म होता है । दस ू रे वा य म वतमानकाल क
या का कता लड़क है । इसम ‘ने’ वभि त का वशेष- (1) भूतकाल म अकमक
योग नह ं हुआ है ।
या के कता के साथ भी ने परसग ( वभि त च न) नह ं लगता है ।
जैसे-वह हँसा। (2) वतमानकाल व भ व यतकाल क सकमक
या के कता के साथ ने परसग का
योग नह ं होता है ।
जैसे-वह फल खाता है । वह फल खाएगा। (3) कभी-कभी कता के साथ ‘को’ तथा ‘स’ का
योग भी कया जाता है । जैसे-
(अ) बालक को सो जाना चा हए। (आ) सीता से पु तक पढ़ गई। (इ) रोगी से चला भी नह ं जाता। (ई) उससे श द लखा नह ं गया। 2. कम कारक या के काय का फल िजस पर पड़ता है , वह कम कारक कहलाता है । इसका वभि त- च न ‘को’ है । यह च न भी बहुत-से थान पर नह ं लगता। जैसे- 1. मोहन ने साँप को मारा। 2. लड़क ने प लखा। पहले वा य म ‘मारने’ क या का फल साँप पर पड़ा है । अतः साँप कम कारक है । इसके साथ परसग ‘को’ लगा है । दस ू रे वा य म ‘ लखने’ क
या का फल प
पर पड़ा। अतः प
कम कारक है । इसम कम कारक का
वभि त च न ‘को’ नह ं लगा। 3. करण कारक सं ा आ द श द के िजस
प से
या के करने के साधन का बोध हो अथात ् िजसक सहायता से काय
संप न हो वह करण कारक कहलाता है । इसके वभि त- च न ‘से’ के ‘ वारा’ है । जैसे- 1.अजुन ने [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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जय थ को बाण से मारा। 2.बालक गद से खेल रहे है । पहले वा य म कता अजुन ने मारने का काय ‘बाण’ से कया। अतः ‘बाण से’ करण कारक है । दस ू रे वा य म कता बालक खेलने का काय ‘गद से’ कर रहे ह। अतः ‘गद से’ करण कारक है । 4. सं दान कारक सं दान का अथ है -दे ना। अथात कता िजसके लए कुछ काय करता है , अथवा िजसे कुछ दे ता है उसे य त करने वाले 1. वा
प को सं दान कारक कहते ह। इसके वभि त च न ‘के लए’ को ह।
य के लए सूय को नम कार करो। 2.गु जी को फल दो।
इन दो वा य म ‘ वा
य के लए’ और ‘गु जी को’ सं दान कारक ह।
5. अपादान कारक सं ा के िजस
प से एक व तु का दस ू र से अलग होना पाया जाए वह अपादान कारक कहलाता है ।
इसका वभि त- च न ‘से’ है । जैसे- 1.ब चा छत से गर पड़ा। 2.संगीता घोड़े से गर पड़ी। इन दोन वा य म ‘छत से’ और घोड़े ‘से’ गरने म अलग होना
कट होता है । अतः घोड़े से और छत
से अपादान कारक ह। 6. संबंध कारक श द के िजस
प से कसी एक व तु का दस ू र व तु से संबंध
कट हो वह संबंध कारक कहलाता है ।
इसका वभि त च न ‘का’, ‘के’, ‘क ’, ‘रा’, ‘रे ’, ‘र ’ है । जैसे- 1.यह राधे याम का बेटा है । 2.यह कमला क गाय है । इन दोन वा य म ‘राधे याम का बेटे’ से और ‘कमला का’ गाय से संबंध
कट हो रहा है । अतः यहाँ
संबंध कारक है । 7. अ धकरण कारक श द के िजस
प से
या के आधार का बोध होता है उसे अ धकरण कारक कहते ह। इसके वभि त-
च न ‘म’, ‘पर’ ह। जैसे- 1.भँवरा फूल पर मँडरा रहा है । 2.कमरे म ट .वी. रखा है । इन दोन वा य म ‘फूल पर’ और ‘कमरे म’ अ धकरण कारक है । 8. संबोधन कारक
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िजससे कसी को बुलाने अथवा सचेत करने का भाव कट हो उसे संबोधन कारक कहते है और संबोधन च न (!) लगाया जाता है । जैसे- 1.अरे भैया !
य रो रहे हो ? 2.हे गोपाल ! यहाँ आओ।
इन वा य म ‘अरे भैया’ और ‘हे गोपाल’ ! संबोधन कारक है ।
अ याय 8 सवनाम सवनाम-सं ा के
थान पर
यु त होने वाले श द को सवनाम कहते है । सं ा क
पुन ि त को दरू करने के लए ह सवनाम का
योग कया जाता है । जैसे-म, हम, तू, तुम, वह, यह, आप,
कौन, कोई, जो आ द। सवनाम के भेद- सवनाम के छह भेद ह1. पु षवाचक सवनाम। 2. न चयवाचक सवनाम। 3. अ न चयवाचक सवनाम। 4. संबंधवाचक सवनाम। 5.
नवाचक सवनाम।
6. नजवाचक सवनाम। 1. पु षवाचक सवनाम िजस सवनाम का
योग व ता या लेखक
वयं अपने लए अथवा
ोता या पाठक के लए अथवा कसी
अ य के लए करता है वह पु षवाचक सवनाम कहलाता है । पु षवाचक सवनाम तीन (1) उ तम पु षवाचक सवनाम- िजस सवनाम का
कार के होते ह-
योग बोलने वाला अपने लए करे , उसे उ तम
पु षवाचक सवनाम कहते ह। जैसे-म, हम, मझ ु े, हमारा आ द। (2) म यम पु षवाचक सवनाम- िजस सवनाम का
योग बोलने वाला सुनने वाले के लए करे , उसे
म यम पु षवाचक सवनाम कहते ह। जैसे-तू, तुम,तुझे, तु हारा आ द। (3) अ य पु षवाचक सवनाम- िजस सवनाम का
योग बोलने वाला सुनने वाले के अ त र त कसी
अ य पु ष के लए करे उसे अ य पु षवाचक सवनाम कहते ह। जैसे-वह, वे, उसने, यह, ये, इसने, आ द। 2. न चयवाचक सवनाम जो सवनाम कसी यि त व तु आ द क ओर न चयपूवक संकेत कर वे न चयवाचक सवनाम कहलाते ह। इनम ‘यह’, ‘वह’, ‘वे’ सवनाम श द कसी वशेष यि त आ द का न चयपूवक बोध करा रहे ह, अतः ये न चयवाचक सवनाम है । [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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3. अ न चयवाचक सवनाम िजस सवनाम श द के
वारा कसी नि चत यि त अथवा व तु का बोध न हो वे
अ न चयवाचक सवनाम कहलाते ह। इनम ‘कोई’ और ‘कुछ’ सवनाम श द से कसी वशेष यि त अथवा व तु का न चय नह ं हो रहा है । अतः ऐसे श द अ न चयवाचक सवनाम कहलाते ह। 4. संबंधवाचक सवनाम पर पर एक-दस ू र बात का संबंध बतलाने के लए िजन सवनाम का
योग होता है उ ह संबंधवाचक
सवनाम कहते ह। इनम ‘जो’, ‘वह’, ‘िजसक ’, ‘उसक ’, ‘जैसा’, ‘वैसा’-ये दो-दो श द पर पर संबंध का बोध करा रहे ह। ऐसे श द संबंधवाचक सवनाम कहलाते ह। 5.
नवाचक सवनाम
जो सवनाम सं ा श द के
थान पर तो आते ह है , क तु वा य को
नवाचक भी बनाते ह वे
नवाचक सवनाम कहलाते ह। जैसे- या, कौन आ द। इनम ‘ या’ और ‘कौन’ श द ह, य क इन सवनाम के
वारा वा य
नवाचक सवनाम
नवाचक बन जाते ह।
6. नजवाचक सवनाम जहाँ अपने लए ‘आप’ श द ‘अपना’ श द अथवा ‘अपने’ ‘आप’ श द का योग हो वहाँ नजवाचक सवनाम होता है । इनम ‘अपना’ और ‘आप’ श द उ तम, पु ष म यम पु ष और अ य पु ष के ( वयं का) अपने आप का बोध करा रहे ह। ऐसे श द नजवाचक सवनाम कहलाते ह। वशेष-जहाँ केवल ‘आप’ श द का
योग
ोता के लए हो वहाँ यह आदर-सूचक म यम पु ष होता है
और जहाँ ‘आप’ श द का
योग अपने लए हो वहाँ नजवाचक होता है ।
सवनाम श द के वशेष
योग
(1) आप, वे, ये, हम, तुम श द बहुवचन के यि त के लए भी होता है । (2) ‘आप’ श द
वयं के अथ म भी
प म ह, क तु आदर
कट करने के लए इनका
योग एक
यु त हो जाता है । जैसे-म यह काय आप ह कर लँ ूगा।
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अ याय 9 वशेषण वशेषण क प रभाषा- सं ा अथवा सवनाम श द क
वशेषता (गुण, दोष, सं या,
प रमाण आ द) बताने वाले श द ‘ वशेषण’ कहलाते ह। जैसे-बड़ा, काला, लंबा, दयाल,ु भार , सु दर, कायर, टे ढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आ द। वशे य- िजस सं ा अथवा सवनाम श द क
वशेषता बताई जाए वह वशे य कहलाता है । यथा- गीता
सु दर है । इसम ‘सु दर’ वशेषण है और ‘गीता’ वशे य है । वशेषण श द वशे य से पूव भी आते ह और उसके बाद भी। पूव म, जैसे- (1) थोड़ा-सा जल लाओ। (2) एक मीटर कपड़ा ले आना। बाद म, जैसे- (1) यह रा ता लंबा है । (2) खीरा कड़वा है । वशेषण के भेद- वशेषण के चार भेद ह1. गण ु वाचक। 2. प रमाणवाचक। 3. सं यावाचक। 4. संकेतवाचक अथवा सावना मक। 1. गुणवाचक वशेषण िजन वशेषण श द से सं ा अथवा सवनाम श द के गुण-दोष का बोध हो वे गुणवाचक वशेषण कहलाते ह। जैसे(1) भाव- अ छा, बरु ा, कायर, वीर, डरपोक आ द। (2) रं ग- लाल, हरा, पीला, सफेद, काला, चमक ला, फ का आ द। (3) दशा- पतला, मोटा, सख ू ा, गाढ़ा, पघला, भार , गीला, गर ब, अमीर, रोगी, व थ, पालतू आ द। (4) आकार- गोल, सुडौल, नुक ला, समान, पोला आ द। (5) समय- अगला, पछला, दोपहर, सं या, सवेरा आ द। (6) थान- भीतर , बाहर , पंजाबी, जापानी, पुराना, ताजा, आगामी आ द। (7) गुण- भला, बुरा, सु दर, मीठा, ख ा, दानी,सच, झूठ, सीधा आ द। (8) दशा- उ तर , द
णी, पूव , पि चमी आ द।
2. प रमाणवाचक वशेषण िजन वशेषण श द से सं ा या सवनाम क मा ा अथवा नाप-तोल का
ान हो वे प रमाणवाचक
वशेषण कहलाते ह। प रमाणवाचक वशेषण के दो उपभेद है[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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(1) नि चत प रमाणवाचक वशेषण- िजन वशेषण श द से व तु क
नि चत मा ा का
ान हो। जैसे-
(क) मेरे सूट म साढ़े तीन मीटर कपड़ा लगेगा। (ख) दस कलो चीनी ले आओ। (ग) दो लटर दध ू गरम करो। (2) अ नि चत प रमाणवाचक वशेषण- िजन वशेषण श द से व तु क अ नि चत मा ा का
ान हो।
जैसे(क) थोड़ी-सी नमक न व तु ले आओ। (ख) कुछ आम दे दो। (ग) थोड़ा-सा दध ू गरम कर दो। 3. सं यावाचक वशेषण िजन वशेषण श द से सं ा या सवनाम क सं या का बोध हो वे सं यावाचक वशेषण कहलाते ह। जैसे-एक, दो,
वतीय, दग ु ुना, चौगुना, पाँच आ द।
सं यावाचक वशेषण के दो उपभेद ह(1) नि चत सं यावाचक वशेषण- िजन वशेषण श द से नि चत सं या का बोध हो। जैसे-दो पु तक मेरे लए ले आना। नि चत सं यावाचक के न न ल खत चार भेद ह(क) गणवाचक- िजन श द के (1) एक लड़का (2) प चीस
वारा गनती का बोध हो। जैसे-
कूल जा रहा है।
पये द िजए।
(3) कल मेरे यहाँ दो म
आएँगे।
(4) चार आम लाओ। (ख)
मवाचक- िजन श द के
वारा सं या के
म का बोध हो। जैसे-
(1) पहला लड़का यहाँ आए। (2) दस ू रा लड़का वहाँ बैठे। (3) राम क ा म (4) याम
थम रहा।
वतीय
ेणी म पास हुआ है । (ग) आविृ तवाचक- िजन श द के वारा केवल आविृ त का बोध हो। जैसे(1) मोहन तुमसे चौगुना काम करता है । (2) गोपाल तुमसे दग ु ुना मोटा है । (घ) समुदायवाचक- िजन श द के
वारा केवल सामू हक सं या का बोध हो। जैसे-
(1) तुम तीन को जाना पड़ेगा। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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(2) यहाँ से चार चले जाओ। (2) अ नि चत सं यावाचक वशेषण- िजन वशेषण श द से नि चत सं या का बोध न हो। जैसे-कुछ ब चे पाक म खेल रहे ह। 4. संकेतवाचक ( नदशक) वशेषण जो सवनाम संकेत
वारा सं ा या सवनाम क
वशेषता बतलाते ह वे संकेतवाचक वशेषण कहलाते ह।
वशेष- य क संकेतवाचक वशेषण सवनाम श द से बनते ह, अतः ये सावना मक वशेषण कहलाते ह। इ ह नदशक भी कहते ह। (1) प रमाणवाचक वशेषण और सं यावाचक वशेषण म अंतर- िजन व तुओं क नाप-तोल क जा सके उनके वाचक श द प रमाणवाचक वशेषण कहलाते ह। जैसे-‘कुछ दध ू लाओ’। इसम ‘कुछ’ श द तोल के लए आया है । इस लए यह प रमाणवाचक वशेषण है । 2.िजन व तुओं क गनती क जा सके उनके वाचक श द सं यावाचक वशेषण कहलाते ह। जैसे-कुछ ब चे इधर आओ। यहाँ पर ‘कुछ’ ब च क गनती के लए आया है । इस लए यह सं यावाचक वशेषण है । प रमाणवाचक वशेषण के बाद
य
अथवा पदाथवाचक सं ाएँ आएँगी जब क सं यावाचक वशेषण के बाद जा तवाचक सं ाएँ आती ह। (2) सवनाम और सावना मक वशेषण म अंतर- िजस श द का
योग सं ा श द के
सवनाम कहते ह। जैसे-वह मुंबई गया। इस वा य म वह सवनाम है । िजस श द का अथवा बाद म वशेषण के
थान पर हो उसे योग सं ा से पूव
प म कया गया हो उसे सावना मक वशेषण कहते ह। जैसे-वह रथ आ रहा
है । इसम वह श द रथ का वशेषण है । अतः यह सावना मक वशेषण है । वशेषण क अव थाएँ वशेषण श द कसी सं ा या सवनाम क वशेषता बतलाते ह। वशेषता बताई जाने वाल व तुओं के गुण-दोष कम- यादा होते ह। गुण-दोष के इस कम- यादा होने को तुलना मक ढं ग से ह जाना जा सकता है । तुलना क
ि ट से वशेषण क
न न ल खत तीन अव थाएँ होती ह-
(1) मूलाव था (2) उ तराव था (3) उ तमाव था
(1) मूलाव था
[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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मूलाव था म वशेषण का तुलना मक
प नह ं होता है । वह केवल सामा य वशेषता ह
कट करता है ।
जैसे- 1.सा व ी संद ु र लड़क है । 2.सरु े श अ छा लड़का है । 3.सय ू तेज वी है । (2) उ तराव था जब दो यि तय या व तुओं के गुण-दोष क तुलना क जाती है तब वशेषण उ तराव था म होता है । जैसे- 1.रवी
यु त
चेतन से अ धक बु मान है । 2.स वता रमा क अपे ा अ धक सु दर है ।
(3) उ तमाव था उ तमाव था म दो से अ धक यि तय एवं व तुओं क तुलना करके कसी एक को सबसे अ धक अथवा सबसे कम बताया गया है । जैसे- 1.पंजाब म अ धकतम अ न होता है । 2.संद प नकृ टतम बालक है । वशेष-केवल गुणवाचक एवं अ नि चत सं यावाचक तथा नि चत प रमाणवाचक वशेषण क ह ये तुलना मक अव थाएँ होती ह, अ य वशेषण क नह ं। अव थाओं के
प-
(1) अ धक और सबसे अ धक श द का
योग करके उ तराव था और उ तमाव था के
प बनाए जा
सकते ह। जैसेमूलाव था उ तराव था उ तमाव था अ छ अ धक अ छ सबसे अ छ चतुर अ धक चतुर सबसे अ धक चतुर बु मान अ धक बु मान सबसे अ धक बु मान बलवान अ धक बलवान सबसे अ धक बलवान इसी
कार दस ू रे वशेषण श द के
प भी बनाए जा सकते ह।
(2) त सम श द म मल ू ाव था म वशेषण का मूल
प, उ तराव था म ‘तर’ और उ तमाव था म ‘तम’
का योग होता है । जैसेमल ू ाव था
उ तराव था
उ तमाव था
यून
यूनतर
उ च
उ चतर
उ चतम
लघु
लघुतर
लघुतम
कठोर
कठोरतर
कठोरतम
ती
ती तर
ती तम
गु
गु तर
गु तम
वशाल
महान,
मह तर,
मह तम
उ कृ ट
उ कृ टर
उ कृ तम
महानतर
महानतम
सद ंु र
सद ंु रतर
सद ंु रतम
वशालतर
यनूतम
वशालतम
वशेषण क रचना
[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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कुछ श द मूल प म ह
वशेषण होते ह, क तु कुछ वशेषण श द क रचना सं ा, सवनाम एवं
या
श द से क जाती है (1) सं ा से वशेषण बनाना यय क
इत
इल इम
सं ा
वशेषण
सं ा
वशेषण
अंश
आं शक
धम
धा मक
अलंकार
आलंका रक
नी त
नै तक
अथ
आ थक
दन
दै नक
इ तहास
ऐ तहा सक
दे व
अंक
अं कत
कुसुम
सुर भ
सुर भत
ुधा
ु धत
जटा फेन वण
दै वक कुसु मत वन
व नत
तरं ग
तरं गत
ज टल
पंक
पं कल
फे नल
उम
उ मल
र त
रि तम
भोग
भोगी
व णम
ई
रोग
रोगी
ईन,ईण
कुल
कुल न
ईय
आ मा
आ मीय
जा त
जातीय
आलु
ा
ालु
ई या
ई यालु
ाम
ामीण
वी
मनस
मन वी
तपस
तप वी
मय
सुख
सुखमय
दख ु
दख ु मय
वान
प
पवान
गुण
गुणवान
गुण
गुणवती
पु
पु वती
बु
बु मान
वती( मान मती (
ी)
ी
ीमती
ी
ीमान
बु
बु मती
ी)
रत
धम
धमरत
कम
कमरत
थ
समीप
समीप थ
दे ह
दे ह थ
न ठ
धम
धम न ठ
कम
कम न ठ
(2) सवनाम से वशेषण बनाना सवनाम वह
वशेषण वैसा
सवनाम यह
[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
वशेषण ऐसा
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(3)
या से वशेषण बनाना
या
वशेषण
या
वशेषण
पत
प तत
पूज
पूजनीय
पठ
प ठत
वंद
वंदनीय
भागना
भागने वाला
पालना
पालने वाला
अ याय 10
या या- िजस श द अथवा श द-समूह के
करने का बोध हो उसे
वारा कसी काय के होने अथवा
या कहते ह। जैसे-
(1) गीता नाच रह है । [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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(2) ब चा दध ू पी रहा है । (3) राकेश कॉलेज जा रहा है। (4) गौरव बु मान है । (5) शवाजी बहुत वीर थे। इनम ‘नाच रह है ’, ‘पी रहा है ’, ‘जा रहा है ’ श द काय- यापार का बोध करा रहे ह। जब क ‘है ’, ‘थे’ श द होने का। इन सभी से कसी काय के करने अथवा होने का बोध हो रहा है । अतः ये
याएँ ह।
धातु या का मल ू पढ़ता, आ द
प धातु कहलाता है । जैसे- लख, पढ़, जा, खा, गा, रो, पा आ द। इ ह ं धातुओं से लखता, याएँ बनती ह।
या के भेद-
या के दो भेद ह-
(1) अकमक
या।
(2) सकमक
या।
1. अकमक िजन
या
याओं का फल सीधा कता पर ह पड़े वे अकमक
कम क आव यकता नह ं होती। अकमक
या कहलाती ह। ऐसी अकमक
याओं को
याओं के अ य उदाहरण ह-
(1) गौरव रोता है । (2) साँप रगता है । (3) रे लगाड़ी चलती है । कुछ अकमक
याएँ- लजाना, होना, बढ़ना, सोना, खेलना, अकड़ना, डरना, बैठना, हँसना, उगना, जीना, दौड़ना,
रोना, ठहरना, चमकना, डोलना, मरना, घटना, फाँदना, जागना, बरसना, उछलना, कूदना आ द।
2. सकमक िजन
या
याओं का फल (कता को छोड़कर) कम पर पड़ता है वे सकमक
म कम का होना आव यक ह, सकमक
या कहलाती ह। इन
याओं
याओं के अ य उदाहरण ह-
(1) म लेख लखता हूँ। (2) रमेश मठाई खाता है । [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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(3) स वता फल लाती है । (4) भँवरा फूल का रस पीता है । 3. वकमक िजन
या
याओं के दो कम होते ह, वे
वकमक
याएँ कहलाती ह।
वकमक
याओं के उदाहरण ह-
(1) मने याम को पु तक द । (2) सीता ने राधा को
पये दए।
ऊपर के वा य म ‘दे ना’
या के दो कम ह। अतः दे ना
योग क
ि ट से
या के भेद
योग क
ि ट से
या के न न ल खत पाँच भेद ह-
1.सामा य
या- जहाँ केवल एक
या का
वकमक
या ह।
योग होता है वह सामा य
या कहलाती है । जैसे-
1. आप आए। 2.वह नहाया आ द। 2.संयु त
या- जहाँ दो अथवा अ धक
याओं का साथ-साथ
योग हो वे संयु त
या कहलाती ह।
जैसे1.स वता महाभारत पढ़ने लगी। 2.वह खा चुका। 3.नामधातु
या- सं ा, सवनाम अथवा वशेषण श द से बने
यापद नामधातु
या कहलाते ह। जैसे-
ह थयाना, शरमाना, अपनाना, लजाना, चकनाना, झुठलाना आ द। 4. ेरणाथक
या- िजस
को करने क
ेरणा दे ता है वह
कता- ेरणा
ेरणाथक
5.पूवका लक
ेरणाथक
वयं काय को न करके कसी अ य को उस काय
या कहलाती है । ऐसी
याओं के दो कता होते ह- (1) ेरक
दान करने वाला। (2) े रत कता- ेरणा लेने वाला। जैसे- यामा राधा से प
इसम वा तव म प या
या से पता चले क कता
तो राधा लखती है , क तु उसको लखने क या है । इस वा य म यामा
या- कसी
कहलाती है । जैसे- म अभी सोकर उठा हूँ। इसम ‘उठा हूँ’ अतः ‘सोकर’ पूवका लक या है । वशेष- पूवका लक
या या तो
या के सामा य
अथवा ‘करके’ लगा दे ने से पूवका लक
ेरणा दे ती है यामा। अतः ‘ लखवाना’
ेरक कता है और राधा
या से पूव य द कोई दस ू र
प म
या
लखवाती है ।
े रत कता।
यु त हो तो वह पूवका लक
या से पूव ‘सोकर’
या का
या
योग हुआ है ।
यु त होती है अथवा धातु के अंत म ‘कर’
या बन जाती है । जैसे-
(1) ब चा दध ू पीते ह सो गया। (2) लड़ कयाँ पु तक पढ़कर जाएँगी। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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अपूण
या कई बार वा य म
या के होते हुए भी उसका अथ प ट नह ं हो पाता। ऐसी या कहलाती ह। जैसे-गाँधीजी थे। तुम हो। ये याएँ अपण याएँ है । अब इ ह ं ू
याएँ अपण ू
वा य को फर से प ढ़एगांधीजी रा
पता थे। तुम बु मान हो।
इन वा य म
मशः ‘रा
पता’ और ‘बु मान’ श द के
योग से
प टता आ गई। ये सभी श द
‘पूरक’ ह। अपूण
या के अथ को पूरा करने के लए िजन श द का
योग कया जाता है उ ह पूरक कहते ह।
अ याय 11 काल काल या के िजस
प से काय संप न होने का समय (काल)
ात हो वह काल कहलाता है । काल के
न न ल खत तीन भेद ह1. भूतकाल।
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2. वतमानकाल। 3. भ व यकाल। 1. भूतकाल या के िजस
प से बीते हुए समय (अतीत) म काय संप न होने का बोध हो वह भूतकाल कहलाता
है । जैसे(1) ब चा गया। (2) ब चा गया है । (3) ब चा जा चुका था। ये सब भूतकाल क
याएँ ह, य क ‘गया’, ‘गया है ’, ‘जा चुका था’,
याएँ भूतकाल का बोध कराती
है । भत ू काल के न न ल खत छह भेद ह1. सामा य भत ू । 2. आस न भूत। 3. अपूण भूत। 4. पूण भूत। 5. सं द ध भूत। 6. हे तुहेतुमद भूत। 1.सामा य भूतका
या के िजस
प से बीते हुए समय म काय के होने का बोध हो क तु ठ क समय ान न हो, वहाँ सामा य भूत होता है । जैसे-
(1) ब चा गया। (2) याम ने प
लखा।
(3) कमल आया। 2.आस न भूत-
या के िजस
प से अभी-अभी नकट भत ू काल म
या का होना
कट हो, वहाँ
आस न भूत होता है । जैसे(1) ब चा आया है । (2) यान ने प
लखा है ।
(3) कमल गया है । 3.अपूण भूत-
या के िजस
प से काय का होना बीते समय म
कट हो, पर पूरा होना
कट न हो
वहाँ अपूण भूत होता है । जैसे(1) ब चा आ रहा था। (2) याम प
लख रहा था।
[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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(3) कमल जा रहा था। 4.पूण भूत-
या के िजस
प से यह
ात हो क काय समा त हुए बहुत समय बीत चक ु ा है उसे पण ू
भत ू कहते ह। जैसे(1) याम ने प
लखा था।
(2) ब चा आया था। (3) कमल गया था। 5.सं द ध भूत-
या के िजस
प से भूतकाल का बोध तो हो क तु काय के होने म संदेह हो वहाँ
सं द ध भूत होता है । जैसे(1) ब चा आया होगा। (2) याम ने प
लखा होगा।
(3) कमल गया होगा। 6.हे तुहेतुमद भूतआ
या के िजस
त हो अथवा एक
प से बीते समय म एक
या के न होने पर दस ू र
या के होने पर दस ू र
या का न होना आ
या का होना
त हो वहाँ हे तुहेतुमद भत ू होता
है । जैसे(1) य द याम ने प
लखा होता तो म अव य आता।
(2) य द वषा होती तो फसल अ छ होती। 2. वतमान काल या के िजस
प से काय का वतमान काल म होना पाया जाए उसे वतमान काल कहते ह। जैसे-
(1) मु न माला फेरता है । (2) याम प
लखता होगा।
इन सब म वतमान काल क
याएँ ह, य क ‘फेरता है ’, ‘ लखता होगा’,
याएँ वतमान काल का बोध
कराती ह। इसके न न ल खत तीन भेद ह(1) सामा य वतमान। (2) अपूण वतमान। (3) सं द ध वतमान। 1.सामा य वतमान-
या के िजस
प से यह बोध हो क काय वतमान काल म सामा य
प से होता
है वहाँ सामा य वतमान होता है । जैसे(1) ब चा रोता है । (2) याम प
लखता है।
(3) कमल आता है । [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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2.अपूण वतमान-
या के िजस
प से यह बोध हो क काय अभी चल ह रहा है , समा त नह ं हुआ है
वहाँ अपण ू वतमान होता है । जैसे(1) ब चा रो रहा है । (2) याम प
लख रहा है ।
(3) कमल आ रहा है । 3.सं द ध वतमान-
या के िजस
प से वतमान म काय के होने म संदेह का बोध हो वहाँ सं द ध
वतमान होता है। जैसे(1) अब ब चा रोता होगा। (2) याम इस समय प
लखता होगा।
3. भ व यत काल या के िजस याम प
प से यह
ात हो क काय भ व य म होगा वह भ व यत काल कहलाता है । जैसे- (1)
लखेगा। (2) शायद आज सं या को वह आए।
इन दोन म भ व यत काल क
याएँ ह, य क लखेगा और आए
याएँ भ व यत काल का बोध
कराती ह। इसके न न ल खत दो भेद ह1. सामा य भ व यत। 2. संभा य भ व यत। 1.सामा य भ व यत-
या के िजस
प से काय के भ व य म होने का बोध हो उसे सामा य भ व यत
कहते ह। जैसे(1) याम प
लखेगा।
(2) हम घूमने जाएँगे। 2.संभा य भ व यत-
या के िजस
प से काय के भ व य म होने क संभावना का बोध हो वहाँ
संभा य भ व यत होता है जैसे(1) शायद आज वह आए। (2) संभव है याम प
लखे।
(3) कदा चत सं या तक पानी पड़े।
[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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अ याय 12 वा य वा य-
या के िजस
प से यह
ात हो क वा य म
या
वारा संपा दत वधान का वषय कता है ,
कम है , अथवा भाव है , उसे वा य कहते ह। वा य के तीन
कार ह-
1. कतवा ृ य। 2. कमवा य। 3. भाववा य। 1.कतवा ृ य-
या के िजस
है । इसम लंग एवं वचन
प से वा य के उ े य (
या के कता) का बोध हो, वह कतवा ृ य कहलाता
ायः कता के अनुसार होते ह। जैसे-
1.ब चा खेलता है । [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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2.घोड़ा भागता है । इन वा य म ‘ब चा’, ‘घोड़ा’ कता ह तथा वा य म कता क ह
धानता है । अतः ‘खेलता है ’, ‘भागता
है ’ ये कतवा ृ य ह। 2.कमवा य-
या के िजस
1.भारत-पाक यु
म सह
वारा नाटक
2.छा
3.पु तक मेरे
प से वा य का उ े य ‘कम’ धान हो उसे कमवा य कहते ह। जैसेसै नक मारे गए।
तुत कया जा रहा है ।
वारा पढ़ गई।
4.ब च के वारा नबंध पढ़े गए। इन वा य म
याओं म ‘कम’ क
धानता दशाई गई है । उनक
प-रचना भी कम के लंग, वचन और
पु ष के अनुसार हुई है । या के ऐसे प ‘कमवा य’ कहलाते ह। 3.भाववा य- या के िजस प से वा य का उ े य केवल भाव ( भाववा य होता है। इसम कता या कम क योग होता है और साथ ह
या का अथ) ह जाना जाए वहाँ
धानता नह ं होती है । इसम मु यतः अकमक
ायः नषेधाथक वा य ह भाववा य म
या का ह
यु त होते ह। इसम
या सदै व
पिु लंग, अ य पु ष के एक वचन क होती है । योग योग तीन 1. कत र
योग।
2. कम ण 3. भावे
कार के होते हयोग।
योग।
1.कत र
योग- जब कता के लंग, वचन और पु ष के अनु प
या हो तो वह ‘कत र
योग’ कहलाता
है । जैसे1.लड़का प
लखता है ।
2.लड़ कयाँ प
लखती है ।
इन वा य म ‘लड़का’ एकवचन, पुि लंग और अ य पु ष है और उसके साथ
या भी ‘ लखता है ’
एकवचन, पुि लंग और अ य पु ष है । इसी तरह ‘लड़ कयाँ प ी लंग और अ य पु ष है तथा उसक 2.कम ण
योग- जब
लखती ह’ दस ू रे वा य म कता बहुवचन, या भी ‘ लखती ह’ बहुवचन ी लंग और अ य पु ष है ।
या कम के लंग, वचन और पु ष के अनु प हो तो वह ‘कम ण
योग’ कहलाता
है । जैसे- 1.उप यास मेरे वारा पढ़ा गया। 2.छा 3.यु
से नबंध लखे गए। म हजार सै नक मारे गए।
इन वा य म ‘उप यास’, ‘सै नक’, कम कता क ि थ त म ह अतः उनक [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
धानता है । इनम
या का Page 43
प कम के लंग, वचन और पु ष के अनु प बदला है , अतः यहाँ ‘कम ण योग- कत र वा य क सकमक
3.भावे
योग’ के अंतगत आती ह। इसी
‘भावे
योग’ है ।
याएँ, जब उनके कता और कम दोन कार भाववा य क सभी
वभि तयु त ह तो वे
याएँ भी भावे
योग म मानी जाती
है । जैसे1.अनीता ने बेल को सींचा। 2.लड़क ने प
को दे खा है ।
3.लड़ कय ने पु तक को पढ़ा है । 4.अब उससे चला नह ं जाता है । इन वा य क
याओं के लंग, वचन और पु ष न कता के अनुसार ह और न ह कम के अनुसार,
अ पतु वे एकवचन, पुि लंग और अ य पु ष ह। इस
कार के ‘ योग भावे’ योग कहलाते ह।
वा य प रवतन 1.कतवा ृ य से कमवा य बनाना(1) कतवा ृ य क
या को सामा य भूतकाल म बदलना चा हए।
(2) उस प रव तत
या- प के साथ काल, पु ष, वचन और लंग के अनु प जाना
या का
प जोड़ना
चा हए। (3) इनम ‘से’ अथवा ‘के
वारा’ का
योग करना चा हए। जैसे-
कतवा ृ य कमवा य 1. यामा उप यास लखती है । यामा से उप यास लखा जाता है । 2. यामा ने उप यास लखा। यामा से उप यास लखा गया। 3. यामा उप यास लखेगी। यामा से (के
वारा) उप यास लखा जाएगा।
2.कतवा ृ य से भाववा य बनाना(1) इसके लए
या अ य पु ष और एकवचन म रखनी चा हए।
(2) कता म करण कारक क (3)
वभि त लगानी चा हए।
या को सामा य भूतकाल म लाकर उसके काल के अनु प जाना
(4) आव यकतानुसार नषेधसूचक ‘नह ं’ का
या का प जोड़ना चा हए।
योग करना चा हए। जैसे-
कतवा ृ य भाववा य 1.ब चे नह ं दौड़ते। ब च से दौड़ा नह ं जाता। 2.प ी नह ं उड़ते। प
य से उड़ा नह ं जाता।
3.ब चा नह ं सोया। ब चे से सोया नह ं जाता।
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अ याय 13
या- वशेषण या- वशेषण- जो श द
या क
वशेषता कट करते ह वे
कहलाते ह। जैसे- 1.सोहन सुंदर लखता है । 2.गौरव यहाँ रहता है । 3.संगीता वा य म ‘सु दर’, ‘यहाँ’ और ‘ त दन’ श द
या क
या- वशेषण
त दन पढ़ती है । इन
वशेषता बतला रहे ह। अतः ये श द
या-
वशेषण ह। अथानुसार
या- वशेषण के न न ल खत चार भेद ह-
1. कालवाचक
या- वशेषण।
2. थानवाचक
या- वशेषण।
3. प रमाणवाचक
या- वशेषण।
4. र तवाचक
या- वशेषण।
1.कालवाचक
या- वशेषण-
िजस
या- वशेषण श द से काय के होने का समय
इसम बहुधा ये श द
ात हो वह कालवाचक
या- वशेषण कहलाता है ।
योग म आते ह- यदा, कदा, जब, तब, हमेशा, तभी, त काल, नरं तर, शी , पूव, बाद,
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पीछे , घड़ी-घड़ी, अब, त प चात ्, तदनंतर, कल, कई बार, अभी फर कभी आ द। 2. थानवाचक िजस
या- वशेषण-
या- वशेषण श द
वारा
या के होने के
थान का बोध हो वह
थानवाचक
या- वशेषण
कहलाता है । इसम बहुधा ये श द योग म आते ह- भीतर, बाहर, अंदर, यहाँ, वहाँ, कधर, उधर, इधर, कहाँ, जहाँ, पास, दरू , अ य , इस ओर, उस ओर, दाएँ, बाएँ, ऊपर, नीचे आ द। 3.प रमाणवाचक जो श द
या- वशेषण-
या का प रमाण बतलाते ह वे ‘प रमाणवाचक
या- वशेषण’ कहलाते ह। इसम बहुधा थोड़ाथोड़ा, अ यंत, अ धक, अ प, बहुत, कुछ, पया त, भूत, कम, यून, बूँद-बूँद, व प, केवल, ायः अनुमानतः,
सवथा आ द श द कुछ श द का
योग म आते ह।
योग प रमाणवाचक वशेषण और प रमाणवाचक
या- वशेषण दोन म समान
प से
कया जाता है । जैसे-थोड़ा, कम, कुछ काफ आ द। 4.र तवाचक
या- वशेषण-
िजन श द के
वारा
या के संप न होने क र त का बोध होता है वे ‘र तवाचक
या- वशेषण’
कहलाते ह। इनम बहुधा ये श द योग म आते ह- अचानक, सहसा, एकाएक, झटपट, आप ह , यानपूवक, धड़ाधड़, यथा, तथा, ठ क, सचमुच, अव य, वा तव म, न संदेह, बेशक, शायद, संभव ह, कदा चत ्, बहुत करके, हाँ, ठ क, सच, जी, ज र, अतएव, कस लए, य क, नह ं, न, मत, कभी नह ं, कदा प नह ं आ द।
अ याय 14 संबंधबोधक अ यय संबंधबोधक अ यय- िजन अ यय श द से सं ा अथवा सवनाम का वा य के दस ू रे श द के साथ संबंध जाना जाता है , वे संबंधबोधक अ यय कहलाते ह। जैसे- 1. उसका साथ छोड़ द िजए। 2.मेरे सामने से हट जा। 3.लाल कले पर तरं गा लहरा रहा है । 4.वीर अ भम यु अंत तक श ु से लोहा लेता रहा। इनम ‘साथ’, ‘सामने’, ‘पर’, ‘तक’ श द सं ा अथवा सवनाम श द के साथ आकर उनका संबंध वा य के दस ू रे श द के साथ बता रहे ह। अतः वे संबंधबोधक अ यय है । अथ के अनुसार संबंधबोधक अ यय के न न ल खत भेद ह1. कालवाचक- पहले, बाद, आगे, पीछे । 2. थानवाचक- बाहर, भीतर, बीच, ऊपर, नीचे। 3. दशावाचक- नकट, समीप, ओर, सामने। 4. साधनवाचक- न म त, वारा, ज रये। 5. वरोधसच ू क- उलटे , व
,
तकूल।
6. समतासूचक- अनुसार, स श, समान, तु य, तरह। 7. हे तुवाचक- र हत, अथवा, सवा, अ त र त। 8. सहचरसूचक- समेत, संग, साथ। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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9. वषयवाचक- वषय, बाबत, लेख। 10. सं वाचक- समेत, भर, तक। या- वशेषण और संबंधबोधक अ यय म अंतर जब इनका या क
योग सं ा अथवा सवनाम के साथ होता है तब ये संबंधबोधक अ यय होते ह और जब ये वशेषता
(1) अंदर जाओ। (
कट करते ह तब
या- वशेषण होते ह। जैसे-
या वशेषण)
(2) दक ु ान के भीतर जाओ। (संबंधबोधक अ यय)
अ याय 15 समु चयबोधक अ यय समु चयबोधक अ यय- दो श द , वा यांश या वा य को मलाने वाले अ यय समु चयबोधक अ यय कहलाते ह। इ ह ‘योजक’ भी कहते ह। जैसे(1) ु त और गुंजन पढ़ रहे ह। (2) मुझे टे प रकाडर या घड़ी चा हए। (3) सीता ने बहुत मेहनत क क तु फर भी सफल न हो सक । (4) बेशक वह धनवान है पर तु है कंजूस। इनम ‘और’, ‘या’, ‘ क तु’, ‘पर तु’ श द आए ह जो क दो श द अथवा दो वा य को मला रहे ह। अतः ये समु चयबोधक अ यय ह। समु चयबोधक के दो भेद ह1. समाना धकरण समु चयबोधक। 2. य धकरण समु चयबोधक। 1. समाना धकरण समु चयबोधक
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िजन समु चयबोधक श द के
वारा दो समान वा यांश पद और वा य को पर पर जोड़ा जाता है , उ ह
समाना धकरण समु चयबोधक कहते ह। जैसे- 1.सुनंदा खड़ी थी और अलका बैठ थी। 2.ऋतेश गाएगा तो ऋतु तबला बजाएगी। इन वा य म और, तो समु चयबोधक श द
वारा दो समान श द और वा य
पर पर जुड़े ह। समाना धकरण समु चयबोधक के भेद- समाना धकरण समु चयबोधक चार
कार के होते ह-
(क) संयोजक। (ख) वभाजक। (ग) वरोधसूचक। (घ) प रणामसूचक। (क) संयोजक- जो श द , वा यांश और उपवा य को पर पर जोड़ने वाले श द संयोजक कहलाते ह। और, तथा, एवं व आ द संयोजक श द ह। (ख) वभाजक- श द , वा यांश और उपवा य म पर पर वभाजन और वक प कट करने वाले श द वभाजक या वक पक कहलाते ह। जैसे-या, चाहे अथवा, अ यथा, वा आ द। (ग) वरोधसूचक- दो पर पर वरोधी कथन और उपवा य को जोड़ने वाले श द वरोधसूचक कहलाते ह। जैसे-पर तु, पर, क तु, मगर, बि क, ले कन आ द। (घ) प रणामसूचक- दो उपवा य को पर पर जोड़कर प रणाम को दशाने वाले श द प रणामसूचक कहलाते ह। जैसे-फलतः, प रणाम व प, इस लए, अतः, अतएव, फल व प, अ यथा आ द। 2. य धकरण समु चयबोधक कसी वा य के
धान और आ
त उपवा य को पर पर जोड़ने वाले श द य धकरण समु चयबोधक
कहलाते ह। य धकरण समु चयबोधक के भेद- य धकरण समु चयबोधक चार (क) कारणसूचक। (ख) संकेतसूचक। (ग) उ े यसूचक। (घ)
कार के होते ह-
व पसूचक।
(क) कारणसूचक- दो उपवा य को पर पर जोड़कर होने वाले काय का कारण प ट करने वाले श द को कारणसूचक कहते ह। जैसे- क, य क, इस लए, चँू क, ता क आ द। (ख) संकेतसच ू क- जो दो योजक श द दो उपवा य को जोड़ने का काय करते ह, उ ह संकेतसूचक कहते ह। जैसे- य द....तो, जा...तो, य य प....तथा प, य य प...पर तु आ द। (ग) उदे यसच ू क- दो उपवा य को पर पर जोड़कर उनका उ े य
प ट करने वाले श द उ े यसच ू क
कहलाते ह। जैसे- इस लए क, ता क, िजससे क आ द। (घ)
व पसूचक- मु य उपवा य का अथ
प ट करने वाले श द
व पसूचक कहलाते ह। जैसे-यानी,
मानो, क, अथात ् आ द। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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अ याय 16 व मया दबोधक अ यय व मया दबोधक अ यय- िजन श द म हष, शोक, व मय, ला न, घण ृ ा, ल जा आ द भाव
कट होते ह
वे व मया दबोधक अ यय कहलाते ह। इ ह ‘ योतक’ भी कहते ह। जैसे1.अहा !
या मौसम है ।
2.उफ ! कतनी गरमी पड़ रह है । 3. अरे ! आप आ गए ? 4.बाप रे बाप ! यह
या कर डाला ?
5. छः- छः ! ध कार है तु हारे नाम को। इनम ‘अहा’, ‘उफ’, ‘अरे ’, ‘बाप-रे -बाप’, ‘ छः- छः’ श द आए ह। ये सभी अनेक भाव को य त कर रहे ह। अतः ये व मया दबोधक अ यय है । इन श द के बाद व मया दबोधक च न (!) लगता है । कट होने वाले भाव के आधार पर इसके न न ल खत भेद ह(1) हषबोधक- अहा ! ध य !, वाह-वाह !, ओह ! वाह ! शाबाश ! (2) शोकबोधक- आह !, हाय !, हाय-हाय !, हा, ा ह- ा ह !, बाप रे ! (3) व मया दबोधक- ह !, ऐं !, ओहो !, अरे , वाह ! (4) तर कारबोधक- छः !, हट !, धक् , धत ् !, छः छः !, चप ु ! (5) वीकृ तबोधक- हाँ-हाँ !, अ छा !, ठ क !, जी हाँ !, बहुत अ छा ! [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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(6) संबोधनबोधक- रे !, र !, अरे !, अर !, ओ !, अजी !, है लो ! (7) आशीवादबोधक- द घायु हो !, जीते रहो !
अ याय 17 श द-रचना श द-रचना-हम
वभावतः भाषा- यवहार म कम-से-कम श द का
योग करके
अ धक-से-अ धक काम चलाना चाहते ह। अतः श द के आरं भ अथवा अंत म कुछ जोड़कर अथवा उनक मा ाओं या
वर म कुछ प रवतन करके नवीन-से-नवीन अथ-बोध कराना चाहते ह। कभी-कभी दो अथवा
अ धक श दांश को जोड़कर नए अथ-बोध को
वीकारते ह। इस तरह एक श द से कई अथ क
अ भ यि त हे तु जो नए-नए श द बनाए जाते ह उसे श द-रचना कहते ह। श द रचना के चार
कार ह-
1. उपसग लगाकर 2.
यय लगाकर
3. सं ध 4. समास
वारा वारा
उपसग वे श दांश जो कसी श द के आरं भ म लगकर उनके अथ म वशेषता ला दे ते ह अथवा उसके अथ को बदल दे ते ह, उपसग कहलाते ह। जैसे-परा-परा म, पराजय, पराभव, पराधीन, पराभूत। उपसग को चार भाग म बाँटा जा सकता ह[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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(क) सं कृत के उपसग (ख) ह द के उपसग (ग) उद ू के उपसग (घ) उपसग क तरह
यु त होने वाले सं कृत के अ यय
(क) सं कृत के उपसग उपसग
अथ (म)
श द- प
अत
अ धक, ऊपर
अ यंत, अ यु तम, अ त र त
अध
ऊपर, धानता
अ धकार, अ य , अ धप त
अनु
पीछे , समान
अनु प, अनुज, अनुकरण
अप
बुरा, ह न
अपमान, अपयश, अपकार
अभ
सामने, अ धक पास
अ भयोग, अ भमान, अ भभावक
अव
बुरा, नीचे
अवन त, अवगुण, अवशेष
आ
तक से, लेकर, उलटा
आज म, आगमन, आकाश
उत ्
ऊपर, े ठ
उ कंठा, उ कष, उ प न
उप
नकट, गौण
उपकार, उपदे श, उपचार, उपा य
दरु ्
बुरा, क ठन
दज ु न, दद ु शा, दग ु म
दस ु ्
बुरा
द ु च र , द ु साहस, दग ु म
न
अभाव, वशेष
नयु त, नबंध, नम न
नर्
बना
नवाह, नमल, नजन
नस ्
बना
न चल, न छल, नि चत
परा
पीछे , उलटा
परामश, पराधीन, परा म
पर
सब ओर
प रपूण, प रजन, प रवतन
आगे, अ धक, उ कृ ट त
सामने, उलटा, हरएक
व
ह नता, वशेष
य न, बल, तकूल,
स
येक,
य
वयोग, वशेष, वधवा
सम ्
पूण, अ छा
संचय, संग त, सं कार
सु
अ छा, सरल
सुगम, सुयश, वागत
(ख) ह द के उपसग ये
ायः सं कृत उपसग के अप ंश मा ह ह।
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उपसग
अथ (म)
श द- प
अ
अभाव, नषेध
अजर, अछूत, अकाल
अन
र हत
अनपढ़, अनबन, अनजान
अध
आधा
अधमरा, अध खला, अधपका
औ
र हत
औगुन, औतार, औघट
कु
बरु ाई
कुसंग, कुकम, कुम त
न
अभाव
नडर, नह था, नक मा
उपसग
अथ (म)
श द- प
कम
थोड़ा
कमब त, कमजोर, कम सन
(ग) उद ू के उपसग
खुश
स न, अ छा
खुशबू, खुश दल, खुश मजाज
गैर
नषेध
गैरहािजर, गैरकानूनी, गैरकौम
दर
म
दरअसल, दरकार, दर मयान
ना
नषेध
नालायक, नापसंद, नामुम कन
बा
अनुसार
बामौका, बाकायदा, बाइ जत
बद
बुरा
बदनाम, बदमाश, बदचलन
बे
बना
ला
र हत
लापरवाह, लाचार, लावा रस
सर
मु य
सरकार, सरदार, सरपंच
हम
साथ
हमदद , हमराज, हमदम
हर
त
(घ) उपसग क तरह उपसग
बेईमान, बेचारा, बेअ ल
हर दन, हरएक,हरसाल
यु त होने वाले सं कृत अ यय अथ (म)
श द- प
अ ( यंजन से पूव)
नषेध
अ ान, अभाव, अचेत
अन ् ( वर से पूव)
नषेध
अनागत, अनथ, अना द
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स
स हत
सजल, सकल, सहष
अधः
नीचे
अधःपतन, अधोग त, अधोमुख
चर
बहुत दे र भीतर
अंतर
चरायु, चरकाल, चरं तन अंतरा मा, अंतरा
पुनः
फर
परु ा
परु ाना
परु ात व, परु ातन
पुरस ्
आगे
पुर कार, पुर कृत
तरस ्
पुनगमन, पुनज म, पुन मलन
बुरा, ह न
सत ्
तर कार, तरोभाव
े ठ
अ याय 18
य, अंतजातीय
स कार, स जन, स काय
यय
यय- जो श दांश श द के अंत म लगकर उनके अथ को बदल दे ते ह वे
यय कहलाते ह। जैसे-
जलज, पंकज आ द। जल=पानी तथा ज=ज म लेने वाला। पानी म ज म लेने वाला अथात ् कमल। इसी कार पंक श द म ज 1. कृत
जो
यय दो
कार के होते ह-
यय।
2. त त 1. कृत
यय लगकर पंकज अथात कमल कर दे ता है ।
यय। यय
यय धातुओं के अंत म लगते ह वे कृत
यय कहलाते ह। कृत
यय के योग से बने श द को
(कृत+अंत) कृदं त कहते ह। जैसे-राखन+हारा=राखनहारा, घट+इया=घ टया, लख+आवट= लखावट आ द। (क) कतवाचक कृदं त- िजस ृ
यय से बने श द से काय करने वाले अथात कता का बोध हो, वह
कतवाचक कृदं त कहलाता है। जैसे-‘पढ़ना’। इस सामा य ृ
या के साथ वाला
यय लगाने से
‘पढ़नेवाला’ श द बना। यय श द- प वाला
पढ़नेवाला, लखनेवाला,रखवाला
यय
श द- प
हारा
राखनहारा, खेवनहारा, पालनहारा
आऊ
बकाऊ, टकाऊ, चलाऊ
आक
तैराक
आका
लड़का, धड़ाका, धमाका
आड़ी
अनाड़ी, खलाड़ी, अगाड़ी
आलू
आलु, झगड़ालू, दयाल,ु कृपालु
ऊ
उड़ाऊ, कमाऊ, खाऊ
एरा
लट ु े रा, सपेरा
इया
ब ढ़या, घ टया
ऐया
गवैया, रखैया, लट ु ै या
अक
धावक, सहायक, पालक
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(ख) कमवाचक कृदं त- िजस है । जैसे-गा म ना
यय से बने श द से कसी कम का बोध हो वह कमवाचक कृदं त कहलाता
यय लगाने से गाना, सूँघ म ना
यय लगाने से सूँघना और बछ म औना
यय
लगाने से बछौना बना है । (ग) करणवाचक कृदं त- िजस
यय से बने श द से
करणवाचक कृदं त कहलाता है । जैसे-रे त म ई यय
श द- प
या के साधन अथात करण का बोध हो वह
यय लगाने से रे ती बना। यय
श द- प
आ
भटका, भूला, झूला
ई
रे ती, फाँसी, भार
ऊ
झाड़़ ू
न
बेलन, झाड़न, बंधन
नी
ध कनी करतनी, सु मरनी
(घ) भाववाचक कृदं त- िजस
यय से बने श द से भाव अथात ्
भाववाचक कृदं त कहलाता है । जैसे-सजा म आवट यय
श द- प
यय
अन
चलन, मनन, मलन
औती
आवा
भुलावा,छलावा, दखावा
अंत
आई
कमाई, चढ़ाई, लड़ाई
आवट
आहट
घबराहट, च लाहट
(ड़)
यावाचक कृदं त- िजस
यय से बने श द से
या के यापार का बोध हो वह
यय लगाने से सजावट बना। श द- प मनौती, फरौती, चुनौती भड़ंत, गढ़ं त सजावट, बनावट, कावट
या के होने का भाव कट हो वह
यावाचक
कृदं त कहलाता है । जैसे-भागता हुआ, लखता हुआ आ द। इसम मूल धातु के साथ ता लगाकर बाद म हुआ लगा दे ने से वतमानका लक यावाचक कृदं त बन जाता है । यावाचक कृदं त केवल पुि लंग और एकवचन म यय
यु त होता है ।
श द- प
यय
श द- प
ता
डूबता, बहता, रमता, चलता
ता
या
खोया, बोया
आ
हुआ आता हुआ, पढ़ता हुआ सूखा, भूला, बैठा
कर
जाकर, दे खकर
ना
दौड़ना, सोना
2. त त जो
यय
यय सं ा, सवनाम अथवा वशेषण के अंत म लगकर नए श द बनाते ह त त
यय कहलाते ह।
इनके योग से बने श द को ‘त तांत’ अथवा त त श द कहते ह। जैसे-अपना+पन=अपनापन,
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दानव+ता=दानवता आ द। (क) कतवाचक त त- िजससे कसी काय के करने वाले का बोध हो। जैसे- सुनार, कहार आ द। ृ यय
श द- प
यय
श द- प
क
पाठक, लेखक, ल पक
आर
सुनार, लुहार, कहार
कार
प कार, कलाकार, च कार
इया
सु वधा, द ु खया, आढ़ तया
एरा
सपेरा, ठठे रा, चतेरा
आ
मछुआ, गे आ, ठलुआ
वाला
टोपीवाला घरवाला, गाड़ीवाला
दार
ईमानदार, दक ु ानदार, कजदार
हारा
लकड़हारा, प नहारा, म नहार
ची
मशालची, खजानची, मोची
गर
कार गर, बाजीगर, जादग ू र
(ख) भाववाचक त त- िजससे भाव य त हो। जैसे-सराफा, बुढ़ापा, संगत, भुता आ द। यय
श द- प
यय
श द- प
पन
बचपन, लड़कपन, बालपन
आ
बुलावा, सराफा
आई
भलाई, बुराई, ढठाई
आहट
इमा
ला लमा, म हमा, अ णमा
पा
बढ़ ु ापा, मोटापा
ई
गरमी, सरद ,गर बी
औती
बपौती
चकनाहट, कड़वाहट, घबराहट
(ग) संबंधवाचक त त- िजससे संबंध का बोध हो। जैसे-ससुराल, भतीजा, चचेरा आ द। यय
श द- प
यय
श द- प
आल
ससुराल, न नहाल
एरा
ममेरा,चचेरा, फुफेरा
जा
भानजा, भतीजा
इक
नै तक, धा मक, आ थक
(घ) ऊनता (लघुता) वाचक त त- िजससे लघुता का बोध हो। जैसे-लु टया। ययय
श द- प
यय
श द- प
इया
लु टया, ड बया, ख टया
ई
कोठर , टोकनी, ढोलक
ट , टा
लँ गोट , कछौट ,कलूटा
ड़ी, ड़ा
पगड़ी, टुकड़ी, बछड़ा
(ड़) गणनावाचक त त- िजससे सं या का बोध हो। जैसे-इकहरा, पहला, पाँचवाँ आ द। यय
श द- प
यय
श द- प
हरा
इकहरा, दह ु रा, तहरा
ला
पहला
रा
दस ू रा, तीसरा
था
चौथा
(च) सा
यवाचक त त- िजससे समता का बोध हो। जैसे-सुनहरा।
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यय सा
श द- प
यय
पीला-सा, नीला-सा, काला-सा
श द- प
हरा
सुनहरा, पहरा
(छ) गुणवाचक त त- िजससे कसी गुण का बोध हो। जैसे-भूख, वषैला, कुलवंत आ द। यय
श द- प
यय
श द- प
आ
भख ू ा, यासा, ठं डा,मीठा
ई
धनी, लोभी,
ईय
वांछनीय, अनुकरणीय
ईला
रं गीला, सजीला
लु
कृपालु, दयालु
वान
गुणवान, पवान
ऐला
वषैला, कसैला
वंत
दयावंत, कुलवंत
(ज)
थानवाचक त त- िजससे
यय
थान का बोध हो. जैसे-पंजाबी, जबलपु रया, द ल वाला आ द।
श द- प
यय
ई
पंजाबी, बंगाल , गुजराती
वाल
वाला डेरेवाला, द ल वाला
कृत
यय और त त
कृत
यय- जो
ोधी
इया
श द- प कलक तया, जबलपु रया
यय म अंतर
यय धातु या
या के अंत म जड़ ु कर नया श द बनाते ह कृत
यय कहलाते ह।
जैसे- लखना, लखाई, लखावट। त त
यय- जो
यय सं ा, सवनाम या वशेषण म जुड़कर नया श द बनाते हं वे त त
कहलाते ह। जैसे-नी त-नै तक, काला-का लमा, रा
-रा
यय
यता आ द।
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अ याय 19 सं ध सं ध-सं ध श द का अथ है मेल। दो नकटवत वण के पर पर मेल से जो वकार (प रवतन) होता है वह सं ध कहलाता है । जैसे-सम ्+तोष=संतोष। दे व+इं =दे व । भानु+उदय=भानूदय। सं ध के भेद-सं ध तीन
कार क होती ह-
1. वर सं ध। 2. यंजन सं ध। 3. वसग सं ध। 1. वर सं ध दो
वर के मेल से होने वाले वकार (प रवतन) को
वर-सं ध पाँच
वर-सं ध कहते ह। जैसे- व या+आलय= व यालय।
कार क होती ह-
(क) द घ सं ध व या द घ अ, इ, उ के बाद य द
व या द घ अ, इ, उ आ जाएँ तो दोन
मलकर द घ आ, ई, और ऊ
हो जाते ह। जैसे(क) अ+अ=आ धम+अथ=धमाथ, अ+आ=आ- हम+आलय= हमालय। आ+अ=आ आ व या+अथ = व याथ आ+आ=आ- व या+आलय= व यालय। (ख) इ और ई क सं धइ+इ=ई- र व+इं =रवीं , मु न+इं =मुनीं । इ+ई=ई- ग र+ईश= गर श मु न+ईश=मुनीश। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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ई+इ=ई- मह +इं =मह ं
नार +इंद= ु नार ंद ु
ई+ई=ई- नद +ईश=नद श मह +ईश=मह श (ग) उ और ऊ क सं धउ+उ=ऊ- भानु+उदय=भानूदय वधु+उदय= वधद ू य उ+ऊ=ऊ- लघु+ऊ म=लघू म सधु+ऊ म= संधू म ऊ+उ=ऊ- वधू+उ सव=वधू सव वधू+उ लेख=वधू लेख ऊ+ऊ=ऊ- भू+ऊ व=भू व वधू+ऊजा=वधूजा (ख) गुण सं ध इसम अ, आ के आगे इ, ई हो तो ए, उ, ऊ हो तो ओ, तथा ऋ हो तो अर् हो जाता है । इसे गुण-सं ध कहते ह जैसे(क) अ+इ=ए- नर+इं =नर आ+इ=ए- महा+इं =मह (ख) अ+ई=ओ
अ+ई=ए- नर+ईश=नरे श
आ+ई=ए महा+ईश=महे श
ान+उपदे श= ानोपदे श आ+उ=ओ महा+उ सव=महो सव
अ+ऊ=ओ जल+ऊ म=जलो म आ+ऊ=ओ महा+ऊ म=महो म (ग) अ+ऋ=अर् दे व+ऋ ष=दे व ष (घ) आ+ऋ=अर् महा+ऋ ष=मह ष (ग) व ृ
सं ध
अ आ का ए ऐ से मेल होने पर ऐ अ आ का ओ, औ से मेल होने पर औ हो जाता है । इसे व ृ
सं ध
कहते ह। जैसे(क) अ+ए=ऐ एक+एक=एकैक अ+ऐ=ऐ मत+ऐ य=मतै य आ+ए=ऐ सदा+एव=सदै व आ+ऐ=ऐ महा+ऐ वय=महै वय (ख) अ+ओ=औ वन+ओष ध=वनौष ध आ+ओ=औ महा+औषध=महौष ध अ+औ=औ परम+औषध=परमौषध आ+औ=औ महा+औषध=महौषध (घ) यण सं ध (क) इ, ई के आगे कोई वजातीय (असमान) कसी वजातीय
वर होने पर इ ई को ‘य ्’ हो जाता है । (ख) उ, ऊ के आगे
वर के आने पर उ ऊ को ‘व ्’ हो जाता है । (ग) ‘ऋ’ के आगे कसी वजातीय
वर के
आने पर ऋ को ‘र्’ हो जाता है । इ ह यण-सं ध कहते ह। इ+अ=य ्+अ य द+अ प=य य प ई+आ=य ्+आ इ त+आ द=इ या द। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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ई+अ=य ्+अ नद +अपण=न यपण ई+आ=य ्+आ दे वी+आगमन=दे यागमन (घ) उ+अ=व ्+अ अनु+अय=अ वय उ+आ=व ्+आ सु+आगत= वागत उ+ए=व ्+ए अनु+एषण=अ वेषण ऋ+अ=र्+आ पत+ ृ आ ा= प ा ा (ड़) अया द सं ध- ए, ऐ और ओ औ से परे कसी भी
वर के होने पर
मशः अय ्, आय ्, अव ् और आव ्
हो जाता है । इसे अया द सं ध कहते ह। (क) ए+अ=अय ्+अ ने+अन+नयन (ख) ऐ+अ=आय ्+अ गै+अक=गायक (ग) ओ+अ=अव ्+अ पो+अन=पवन (घ) औ+अ=आव ्+अ पौ+अक=पावक औ+इ=आव ्+इ नौ+इक=ना वक 2. यंजन सं ध यंजन का यंजन से अथवा कसी
वर से मेल होने पर जो प रवतन होता है उसे यंजन सं ध कहते ह।
जैसे-शरत ्+चं =शर चं । (क) कसी वग के पहले वण क् , च ्, , त ्, प ् का मेल कसी वग के तीसरे अथवा चौथे वण या य ्, र्, ल ्, व ्, ह या कसी
वर से हो जाए तो क् को ग ् च ् को ज ्,
को
और प ् को ब ् हो जाता है । जैसे-
क् +ग= ग दक् +गज= द गज। क् +ई=गी वाक् +ईश=वागीश च ्+अ=ज ् अच ्+अंत=अजंत
+आ=डा ष +आनन=षडानन
प+ज+ ज अप ्+ज=अ ज (ख) य द कसी वग के पहले वण (क् , च ्, , त ्, प ्) का मेल न ् या म ् वण से हो तो उसके
थान पर उसी
वग का पाँचवाँ वण हो जाता है । जैसेक् +म=
वाक् +मय=वा मय च ्+न=ञ ् अच ्+नाश=अ नाश
+म=ण ् ष +मास=ष मास त ्+न=न ् उत ्+नयन=उ नयन प ्+म ्=म ् अप ्+मय=अ मय (ग) त ् का मेल ग, घ, द, ध, ब, भ, य, र, व या कसी
वर से हो जाए तो
त ्+भ=
सत ्+भावना=स ावना त ्+ई=द जगत ्+ईश=जगद श
त ्+भ=
भगवत ्+भि त=भगव ि त त ्+र=
त ्+ध=
सत ्+धम=स म
(घ) त ् से परे च ् या
हो जाता है । जैसे-
तत ्+ प=त प ू
होने पर च, ज ् या झ ् होने पर ज ्,
या
होने पर ,
या
होने पर
और
ल होने पर ल ् हो जाता है । जैसेत ्+च= च उत ्+चारण=उ चारण त ्+ज= ज सत ्+जन=स जन त ्+झ= झ उत ्+झ टका=उ झ टका त ्+ट=
तत ्+ट का=त ीका
त ्+ड= ड उत ्+डयन=उ डयन त ्+ल= ल उत ्+लास=उ लास (ड़) त ् का मेल य द श ् से हो तो त ् को च ् और श ् का
बन जाता है । जैसे-
[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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त ्+श ्= छ उत ्+ वास=उ त ्+श= छ सत ्+शा
वास त ्+श= छ उत ्+ श ट=उि छ ट
=स छा
(च) त ् का मेल य द
से हो तो त ् का
त ्+ह=
उत ्+हार=उ ार त ्+ह=
त ्+ह=
तत ्+ हत=त त
(छ)
वर के बाद य द
अ+छ=अ छ
और
का ध ् हो जाता है । जैसे-
उत ्+हरण=उ रण
वण आ जाए तो
से पहले च ् वण बढ़ा दया जाता है । जैसे-
व+छं द= व छं द आ+छ=आ छ आ+छादन=आ छादन
इ+छ=इ छ सं ध+छे द=सं ध छे द उ+छ=उ छ अनु+छे द=अनु छे द (ज) य द म ् के बाद क् से म ् तक कोई यंजन हो तो म ् अनु वार म बदल जाता है । जैसेम ्+च ्=◌ं कम ्+ चत= कं चत म ्+क=◌ं कम ्+कर= कं कर म ्+क=◌ं सम ्+क प=संक प म ्+च=◌ं सम ्+चय=संचय म ्+त=◌ं सम ्+तोष=संतोष म ्+ब=◌ं सम ्+बंध=संबंध म ्+प=◌ं सम ्+पण ू =संपण ू (झ) म ् के बाद म का
व व हो जाता है । जैसे-
म ्+म= म सम ्+म त=स म त म ्+म= म सम ्+मान=स मान (ञ) म ् के बाद य ्, र्, ल ्, व ्, श ्, ष ्, स ्,
म से कोई यंजन होने पर म ् का अनु वार हो जाता है । जैसे-
म ्+य=◌ं सम ्+योग=संयोग म ्+र=◌ं सम ्+र ण=संर ण म ्+व=◌ं सम ्+ वधान=सं वधान म ्+व=◌ं सम ्+वाद=संवाद म ्+श=◌ं सम ्+शय=संशय म ्+ल=◌ं सम ्+ल न=संल न म ्+स=◌ं सम ्+सार=संसार (ट) ऋ,र्, ष ् से परे न ् का ण ् हो जाता है । पर तु चवग, टवग, तवग, श और स का यवधान हो जाने पर न ् का ण ् नह ं होता। जैसेर्+न=ण प र+नाम=प रणाम र्+म=ण
+मान= माण
(ठ) स ् से पहले अ, आ से भ न कोई
वर आ जाए तो स ् को ष हो जाता है । जैसे-
भ ्+स ्=ष अ भ+सेक=अ भषेक न+ स = न ष
व+सम+ वषम
3. वसग-सं ध वसग (:) के बाद
वर या यंजन आने पर वसग म जो वकार होता है उसे वसग-सं ध कहते ह। जैसे-
मनः+अनुकूल=मनोनुकूल। (क) वसग के पहले य द ‘अ’ और बाद म भी ‘अ’ अथवा वग के तीसरे , चौथे पाँचव वण, अथवा य, र, ल, व हो तो वसग का ओ हो जाता है। जैसे[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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मनः+अनुकूल=मनोनुकूल अधः+ग त=अधोग त मनः+बल=मनोबल (ख) वसग से पहले अ, आ को छोड़कर कोई
वर हो और बाद म कोई
वर हो, वग के तीसरे , चौथे,
पाँचव वण अथवा य ्, र, ल, व, ह म से कोई हो तो वसग का र या र् हो जाता है । जैसेनः+आहार= नराहार नः+आशा= नराशा नः+धन= नधन (ग) वसग से पहले कोई
वर हो और बाद म च, छ या श हो तो वसग का श हो जाता है । जैसे-
नः+चल= न चल नः+छल= न छल दःु +शासन=द ु शासन (घ) वसग के बाद य द त या स हो तो वसग स ् बन जाता है । जैसेनमः+ते=नम ते नः+संतान= न संतान दःु +साहस=द ु साहस (ड़) वसग से पहले इ, उ और बाद म क, ख, ट, ठ, प, फ म से कोई वण हो तो वसग का ष हो जाता है । जैसेनः+कलंक= न कलंक चतुः+पाद=चतु पाद नः+फल= न फल (ड) वसग से पहले अ, आ हो और बाद म कोई भ न
वर हो तो वसग का लोप हो जाता है । जैसे-
नः+रोग= नरोग नः+रस=नीरस (छ) वसग के बाद क, ख अथवा प, फ होने पर वसग म कोई प रवतन नह ं होता। जैसेअंतः+करण=अंतःकरण
[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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अ याय 20 समास समास का ता पय है ‘सं
तीकरण’। दो या दो से अ धक श द से मलकर बने हुए एक नवीन एवं साथक श द को समास कहते ह। जैसे-‘रसोई के लए घर’ इसे हम ‘रसोईघर’ भी कह सकते ह। सामा सक श द- समास के नयम से न मत श द सामा सक श द कहलाता है । इसे सम तपद भी कहते ह। समास होने के बाद वभि तय के च न (परसग) लु त हो जाते ह। जैसे-राजपु । समास- व ह- सामा सक श द के बीच के संबंध को
प ट करना समास- व ह कहलाता है । जैसे-
राजपु -राजा का पु । पूवपद और उ तरपद- समास म दो पद (श द) होते ह। पहले पद को पूवपद और दस ू रे पद को उ तरपद कहते ह। जैसे-गंगाजल। इसम गंगा पूवपद और जल उ तरपद है । समास के भेद समास के चार भेद ह1. अ ययीभाव समास। 2. त पु ष समास। 3. वं व समास। 4. बहु ी ह समास। 1. अ ययीभाव समास िजस समास का पहला पद
धान हो और वह अ यय हो उसे अ ययीभाव समास कहते ह। जैसे-यथाम त
(म त के अनुसार), आमरण (म ृ यु कर) इनम यथा और आ अ यय ह। कुछ अ य उदाहरणआजीवन - जीवन-भर, यथासाम य - साम य के अनुसार यथाशि त - शि त के अनुसार, यथा व ध व ध के अनुसार यथा म -
म के अनुसार, भरपेट पेट भरकर
हररोज़ - रोज़-रोज़, हाथ हाथ - हाथ ह हाथ म रात रात - रात ह रात म,
त दन -
येक दन
बेशक - शक के बना, नडर - डर के बना न संदेह - संदेह के बना, हरसाल - हरे क साल [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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अ ययीभाव समास क पहचान- इसम सम त पद अ यय बन जाता है अथात समास होने के बाद उसका प कभी नह ं बदलता है । इसके साथ वभि त च न भी नह ं लगता। जैसे-ऊपर के सम त श द है । 2. त पु ष समास िजस समास का उ तरपद तुलसीदासकृत=तुलसी
धान हो और पूवपद गौण हो उसे त पु ष समास कहते ह। जैसे-
वारा कृत (र चत)
ात य- व ह म जो कारक
कट हो उसी कारक वाला वह समास होता है । वभि तय के नाम के
अनुसार इसके छह भेद ह(1) कम त पु ष गरहकट गरह को काटने वाला (2) करण त पु ष मनचाहा मन से चाहा (3) सं दान त पु ष रसोईघर रसोई के लए घर (4) अपादान त पु ष दे श नकाला दे श से नकाला (5) संबंध त पु ष गंगाजल गंगा का जल (6) अ धकरण त पु ष नगरवास नगर म वास (क) नञ त पु ष समास िजस समास म पहला पद नषेधा मक हो उसे नञ त पु ष समास कहते ह। जैसेसम त पद समास- व ह सम त पद समास- व ह अस य न स य अनंत न अंत अना द न आ द असंभव न संभव (ख) कमधारय समास िजस समास का उ तरपद
धान हो और पूववद व उ तरपद म वशेषण- वशे य अथवा उपमान-उपमेय
का संबंध हो वह कमधारय समास कहलाता है । जैसेसम त
समास- व ह
सम त पद
समात व ह
चं मुख
चं
जैसा मुख
कमलनयन
कमल के समान नयन
दे हलता
दे ह
पी लता
दह बड़ा
दह म डूबा बड़ा
नीलकमल
नीला कमल
पीतांबर
पीला अंबर (व
स जन
सत ् (अ छा) जन
नर संह
नर म संह के समान
पद
[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
)
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(ग)
वगु समास
िजस समास का पूवपद सं यावाचक वशेषण हो उसे
वगु समास कहते ह। इससे समूह अथवा समाहार
का बोध होता है । जैसेसम त
समात- व ह
सम त पद
समास व ह
नौ
ह का मसूह
दोपहर
दो पहर का समाहार
तीन लोक का समाहार
चौमासा
चार मास का समूह
नवरा
नौ रा य का समूह
शता द
सौ अ दो (साल ) का समूह
अठ नी
आठ आन का समूह
पद नव ह लोक
3. वं व समास िजस समास के दोन पद
धान होते ह तथा व ह करने पर ‘और’, अथवा, ‘या’, एवं लगता है , वह
वं व
समास कहलाता है । जैसेसम त पद
समास- व ह
सम त पद
समास- व ह
पाप-पु य
पाप और पु य
अ न-जल
अ न और जल
सीता-राम
सीता और राम
खरा-खोटा
खरा और खोटा
ऊँच-नीच
ऊँच और नीच
राधा-कृ ण
राधा और कृ ण
4. बहु ी ह समास िजस समास के दोन पद अ धान ह और सम तपद के अथ के अ त र त कोई सांके तक अथ
धान हो
उसे बहु ी ह समास कहते ह। जैसेसम त पद
समास- व ह
दशानन
दश है आनन (मुख) िजसके अथात ् रावण
नीलकंठ
नीला है कंठ िजसका अथात ् शव
सल ु ोचना
सद ंु र है लोचन िजसके अथात ् मेघनाद क प नी
पीतांबर
पीले है अ बर (व
लंबोदर
लंबा है उदर (पेट) िजसका अथात ् गणेशजी
दरु ा मा
बुर आ मा वाला (कोई द ु ट)
वेतांबर
) िजसके अथात ्
वेत है िजसके अंबर (व
ीकृ ण
) अथात ् सर वती
[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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सं ध और समास म अंतर सं ध वण म होती है । इसम वभि त या श द का लोप नह ं होता है । जैसे-दे व+आलय=दे वालय। समास दो पद म होता है । समास होने पर वभि त या श द का लोप भी हो जाता है । जैसे-माता- पता=माता और पता। कमधारय और बहु ी ह समास म अंतर- कमधारय म सम त-पद का एक पद दस ू रे का वशेषण होता है । इसम श दाथ धान होता है । जैसे-नीलकंठ=नीला कंठ। बहु ी ह म सम त पद के दोन पद म वशेषणवशे य का संबंध नह ं होता अ पतु वह सम त पद ह साथ ह श दाथ गौण होता है और कोई भ नाथ ह
कसी अ य सं ा द का वशेषण होता है । इसके धान हो जाता है । जैसे-नील+कंठ=नीला है कंठ
िजसका अथात शव।
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अ याय 21 पद-प रचय पद-प रचय- वा यगत श द के
प और उनका पार प रक संबंध बताने म िजस
या क आव यकता पड़ती है वह पद-प रचय या श दबोध कहलाता है । प रभाषा-वा यगत
ये क पद (श द) का याकरण क
ि ट से पूण प रचय दे ना ह पद-प रचय
कहलाता है । श द आठ
कार के होते ह-
1.सं ा- भेद, लंग, वचन, कारक,
या अथवा अ य श द से संबंध।
2.सवनाम- भेद, पु ष, लंग, वचन, कारक,
या अथवा अ य श द से संबंध। कस सं ा के
थान पर
आया है (य द पता हो)। 3.
या- भेद, लंग, वचन, योग, धातु, काल, वा य, कता और कम से संबंध।
4. वशेषण- भेद, लंग, वचन और वशे य क 5.
या- वशेषण- भेद, िजस
या क
वशेषता।
वशेषता बताई गई हो उसके बारे म नदश।
6.संबंधबोधक- भेद, िजससे संबंध है उसका नदश। 7.समु चयबोधक- भेद, अि वत श द, वा यांश या वा य। 8. व मया दबोधक- भेद अथात कौन-सा भाव
प ट कर रहा है ।
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अ याय 22 श द- ान 1. पयायवाची श द कसी श द- वशेष के लए
यु त समानाथक श द को पयायवाची श द कहते ह। य य प पयायवाची
श द समानाथ होते ह क तु भाव म एक-दस ू रे से कं चत भ न होते ह। 1.अमत ृ - सुधा, सोम, पीयूष, अ मय। 2.असुर- रा स, दै य, दानव, नशाचर। 3.अि न- आग, अनल, पावक, वि न। 4.अ व- घोड़ा, हय, तुरंग, बाजी। 5.आकाश- गगन, नभ, आसमान, योम, अंबर। 6.आँख- ने , ग, नयन, लोचन। 7.इ छा- आकां ा, चाह, अ भलाषा, कामना। 8.इं - सुरेश, दे व , दे वराज, पुरंदर। 9.ई वर-
भु, परमे वर, भगवान, परमा मा।
10.कमल- जलज, पंकज, सरोज, राजीव, अर व द। 11.गरमी-
ी म, ताप, नदाघ, ऊ मा।
12.गह ृ - घर, नकेतन, भवन, आलय। 13.गंगा- सुरस र,
पथगा, दे वनद , जा नवी, भागीरथी।
14.चं - चाँद, चं मा, वधु, श श, राकेश। 15.जल- वा र, पानी, नीर, स लल, तोय। 16.नद - स रता, त टनी, तरं गणी, नझ रणी। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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17.पवन- वायु, समीर, हवा, अ नल। 18.प नी- भाया, दारा, अधा गनी, वामा। 19.पु - बेटा, सत ु , तनय, आ मज। 20.पु ी-बेट , सत ु ा, तनया, आ मजा। 21.प ृ वी- धरा, मह , धरती, वसुधा, भू म, वसुंधरा। 22.पवत- शैल, नग, भूधर, पहाड़। 23. बजल - चपला, चंचला, दा मनी, सौदामनी। 24.मेघ- बादल, जलधर, पयोद, पयोधर, घन। 25.राजा- नप ृ , नप ृ त, भूप त, नरप त। 26.रजनी- रा , नशा, या मनी, वभावर । 27.सप- सांप, अ ह, भुजंग, वषधर। 28.सागर- समु , उद ध, जल ध, वा र ध। 29. संह- शेर, वनराज, शादल, ू मग ृ राज। 30.सय ू - र व, दनकर, सरू ज, भा कर। 31.
ी- ललना, नार , का मनी, रमणी, म हला।
32. श क- गु , अ यापक, आचाय, उपा याय। 33.हाथी- कंु जर, गज,
वप, कर , ह ती।
2. अनेक श द के लए एक श द 1
िजसे दे खकर डर (भय) लगे
2
जो ि थर रहे
3
डरावना, भयानक थावर
ान दे ने वाल
ानदा
4
भूत-वतमान-भ व य को दे खने (जानने) वाले
5
जानने क इ छा रखने वाला
िज ासु
6
िजसे
अ
य
7
पं ह दन म एक बार होने वाला
पा
क
8
अ छे च र
स चर
9
आ ा का पालन करने वाला
10
रोगी क
11
स य बोलने वाला
स यवाद
12
दस ू र पर उपकार करने वाला
उपकार
13
िजसे कभी बुढ़ापा न आये
अजर
मा न कया जा सके वाला
च क सा करने वाला
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कालदश
आ ाकार च क सक
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14
दया करने वाला
15
िजसका आकार न हो
16
जो आँख के सामने हो
17
जहाँ पहुँचा न जा सके
अगम, अग य
18
िजसे बहुत कम ान हो, थोड़ा जानने वाला मास म एक बार आने वाला
अ प
19
दयालु नराकार य
मा सक
20
िजसके कोई संतान न हो
21
जो कभी न मरे
अमर
22
िजसका आचरण अ छा न हो
दरु ाचार
23
िजसका कोई मू य न हो
अमू य
24
जो वन म घूमता हो
वनचर
25
जो इस लोक से बाहर क बात हो
अलौ कक
26
जो इस लोक क बात हो
लौ कक
27
िजसके नीचे रे खा हो
रे खां कत
28
िजसका संबंध पि चम से हो
पा चा य
29
जो ि थर रहे
थावर
30
दख ु ांत नाटक
ासद
31
जो
न संतान
मा करने के यो य हो
य
32
हंसा करने वाला
हंसक
33
हत चाहने वाला
हतैषी
34 35
हाथ से लखा हुआ सब कुछ जानने वाला
36
जो
ह त ल खत सव
वयं पैदा हुआ हो जो शरण म आया हो
शरणागत
38
िजसका वणन न कया जा सके
वणनातीत
39
फल-फूल खाने वाला
शाकाहार
40
िजसक प नी मर गई हो
वधुर
41
िजसका प त मर गया हो
वधवा
42
सौतेल माँ
वमाता
37
43
याकरण जाननेवाला
वयंभू
वैयाकरण
44
रचना करने वाला
रच यता
45
खून से रँगा हुआ
र तरं िजत
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46
अ यंत सु दर
47
क तमान पु ष
48
कम खच करने वाला
49
मछल क तरह आँख वाल
मीना ी
50
मयूर क तरह आँख वाल
मयूरा ी
51
ब च के लए काम क व तु
बालोपयोगी
52
िजसक बहुत अ धक चचा हो िजस ी के कभी संतान न हुई हो
बहुच चत वं या (बाँझ)
फेन से भरा हुआ य बोलने वाल
फे नल
53 54 55
ी
पसी यश वी मत ययी
ी
यंवदा
56
िजसक उपमा न हो
57
जो थोड़ी दे र पहले पैदा हुआ हो िजसका कोई आधार न हो
नवजात
59
नगर म वास करने वाला
नाग रक
60
रात म घूमने वाला
61
ई वर पर व वास न रखने वाला
62
मांस न खाने वाला
58
63
बलकुल बरबाद हो गया हो
न पम नराधार नशाचर नाि तक नरा मष व त
64
िजसक धम म न ठा हो
धम न ठ
65
दे खने यो य
दशनीय
66
बहुत तेज चलने वाला जो कसी प म न हो
तट थ
68
त
त
69
तप करने वाला
तप वी
70
जो ज म से अंधा हो
ज मांध
71
िजसने इं य को जीत लया हो
िजत य
72 73
चंता म डूबा हुआ जो बहुत समय कर ठहरे
74
िजसक चार भुजाएँ ह
चतुभुज
75
हाथ म च
च पा ण
76
िजससे घण ृ ा क जाए
घ ृ णत
77
िजसे गु त रखा जाए
गोपनीय
67
तव को जानने वाला
धारण करनेवाला
[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
त ु गामी तव
चं तत चर थायी
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78
ग णत का
79
आकाश को चूमने वाला
गगनचुंबी
80
जो टुकड़े-टुकड़े हो गया हो
खं डत
ाता
ग णत
818 आकाश म उड़ने वाला 82 तेज बु वाला 83 क पना से परे हो
कुशा बु
84
जो उपकार मानता है
कृत
85
कसी क हँसी उड़ाना
86
नभचर क पनातीत उपहास
ऊपर कहा हुआ ऊपर लखा गया
उपयु त
88
िजस पर उपकार कया गया हो
उपकृत
89
इ तहास का
अ तहास
90
आलोचना करने वाला
आलोचक
91
ई वर म आ था रखने वाला
आि तक
87
92
उप र ल खत
ाता
बना वेतन का
अवैत नक
93
जो कहा न जा सके
अकथनीय
94
जो गना न जा सके
अग णत
95
िजसका कोई श ु ह न ज मा हो
अजातश ु
96
िजसके समान कोई दस ू रा न हो
अ वतीय
97
जो प र चत न हो
अप र चत
98
िजसक कोई उपमा न हो
अनुपम
3. वपर ताथक ( वलोम श द) श द अथ
वलोम इत
आ मष
नरा मष
अनुकूल
तकूल
श द
वलोम
श द
वलोम
आ वभाव
तरोभाव
आकषण
वकषण
अभ
अन भ
आजाद
गुलामी
आ
शु क
अनुराग
वराग
आहार
नराहार
अ प
अ धक
अ नवाय
वैकि पक
अमत ृ
वष
अगम
स ुग म
अ भमान
न ता
आकाश
पाताल
आशा
नराशा
अथ
अनथ
अ पायु
द घायु
अनु ह
व ह
अपमान
स मान
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आ
त
नरा
त
अंधकार
काश
अ ज
आदान
दान
अवाचीन
ाचीन
अ च
च
आद
आरं भ
अंत
आय
यय
अवन त
उ नत
कटु
मधुर
अवनी
अंबर
या
त
कृत
कृत न
आदर
अनादर
या
अंत
अनुज
कड़वा
मीठा
आलोक
अंधकार
उदय
अ त
य
व य
शा त ु
आयात
नयात
खलना
मुरझाना
कम
न कम
अनुपि थत
उपि थत
आल य
फू त
खुशी
दख ु , गम
आय
अनाय
गहरा
उथला
अ तविृ ट
अनाविृ ट
गु
लघु
आद
अना द
जीवन
मरण
इ छा
अ न छा
गुण
दोष
इ ट
अन ट
गर ब
अमीर
इि छत
अ नि छत
घर
बाहर
इहलोक
परलोक
चर
अचर
उपकार
अपकार
छूत
अछूत
उदार
अनुदार
जल
थल
उ तीण
अनु तीण
जड़
चेतन
उधार
नकद
जीवन
मरण
उ थान
पतन
जंगम
उ कष
अपकष
उ तर
द
ज टल
सरस
गु त
एक
अनेक
तु छ
महान
ऐसा
वैसा
रात
दे व
दानव
दरु ाचार
सदाचार
मानवता
दानवता
धम
अधम
महा मा
दरु ा मा
धीर
अधीर
मान
अपमान
धूप
छाँव
श ु
नूतन
पुरातन
मधुर
कटु
दन
म नकल मौ खक नकट प त ता
ण
असल ल खत
स य
नमाण
आि तक
नाि तक
दरू
र क
भ क
कुलटा
राजा
रं क
पाप
लय
सिृ ट
रा
लाभ
हा न
राग
वेष
पव
अप व
ेम
घण ृ ा
पूण
अपूण समथन
वरोध
म या
थावर
मो
कट
वनाश बंधन
नंदा
तु त पु य दवस
वधवा
सधवा
पराजय
न
उ तर
वसंत
पतझर
परतं
वतं
बाढ़
सूखा
शूर
कायर
वजय
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बंधन
मुि त
शयन
जागरण
शीत
उ ण
भाव
मंगल
अमंगल
सौभा य
शु ल
कृ ण
हत
भलाई
अभाव
वग
नरक
दभ ु ा य
वीकृत
अ वीकृत
अ हत
सा र
नर र
शोक
हंसा
अ हंसा
शा वत
साधु
असाधु
वदे श
वदे श
वाधीन
पराधीन
ान
अ ान
सुजन
दज ु न
शुभ
अशुभ
सुपु
कुपु
सुम त
कुम त
सरस
नीरस
सच
झूठ
साकार
तु त
नंदा
वषम
सम
4. एकाथक 1. अ श
हष
बुराई
णक
नराकार
वशु
द ू षत
सुर
असुर
म
व ाम
सजीव
नज व
व वान
मूख
तीत होने वाले श द
- जो ह थयार हाथ से फककर चलाया जाए। जैसे-बाण। - जो ह थयार हाथ म पकड़े-पकड़े चलाया जाए। जैसे-कृपाण।
2. अलौ कक- जो इस जगत म क ठनाई से अ वाभा वक- जो मानव
ा त हो। लोको तर।
वभाव के वपर त हो।
असाधारण- सांसा रक होकर भी अ धकता से न मले। वशेष। 3. अमू य- जो चीज मू य दे कर भी
ा त न हो सके।
बहुमू य- िजस चीज का बहुत मू य दे ना पड़ा। 4. आनंद- खश ु ी का थायी और गंभीर भाव। आ लाद-
णक एवं ती
आनंद।
उ लास- सुख- ाि त क अ पका लक
या, उमंग।
स नता-साधारण आनंद का भाव। 5. ई या- दस ू रे क उ न त को सहन न कर सकना। डाह-ई यायु त जलन। वेष- श ुता का भाव। पधा- दस ू र क उ न त दे खकर
वयं उ न त करने का
यास करना।
6. अपराध- सामािजक एवं सरकार कानून का उ लंघन। पाप- नै तक एवं धा मक नयम को तोड़ना। 7. अनुनय- कसी बात पर सहमत होने क
ाथना।
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वनय- अनुशासन एवं श टतापूण नवेदन। आवेदन-यो यतानुसार कसी पद के लए कथन वारा ाथना- कसी काय- स
तुत होना।
के लए वन तापूण कथन।
8. आ ा-बड़ का छोट को कुछ करने के लए आदे श। अनुम त- ाथना करने पर बड़
वारा द गई सहम त।
9. इ छा- कसी व तु को चाहना। उ कंठा-
ती ायु त
ाि त क ती
इ छा।
आशा- ाि त क संभावना के साथ इ छा का सम वय। पह ृ ा-उ कृ ट इ छा। 10. सद ुं र- आकषक व तु। चा - प व
और सुंदर व तु।
चर-सु च जा त करने वाल सुंदर व तु। मनोहर- मन को लुभाने वाल व तु। 11. म - समवय क, जो अपने
त यार रखता हो।
सखा-साथ रहने वाला समवय क। सगा-आ मीयता रखने वाला। सु दय-सुंदर
दय वाला, िजसका यवहार अ छा हो।
12. अंतःकरण- मन, च त, बु , और अहं कार क समि ट। च त-
म ृ त, व म ृ त, व न आ द गुणधार
च त।
मन- सुख-दख ु क अनुभू त करने वाला। 13. म हला- कुल न घराने क प नी- अपनी ववा हत
ी।
ी।
ी- नार जा त क बोधक। 14. नम ते- समान अव था वालो को अ भवादन। नम कार- समान अव था वाल को अ भवादन। णाम- अपने से बड़ को अ भवादन। अ भवादन- स माननीय यि त को हाथ जोड़ना। 15. अनुज- छोटा भाई। अ ज- बड़ा भाई। भाई- छोटे -बड़े दोन के लए। 16. वागत- कसी के आगमन पर स मान। अ भनंदन- अपने से बड़ का व धवत स मान। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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17. अहं कार- अपने गुण पर घमंड करना। अ भमान- अपने को बड़ा और दस ू रे को छोटा समझना। दं भ- अयो य होते हुए भी अ भमान करना। 18. मं णा- गोपनीय प से परामश करना। परामश- पूणतया कसी वषय पर वचार- वमश कर मत
कट करना।
5.समो च रत श द 1. अनल=आग
13. अ ल= मर
अ नल=हवा, वायु
आल =सखी
2. उपकार=भलाई, भला करना
14. कृ म=क ट
अपकार=बुराई, बरु ा करना
कृ ष=खेती
3. अ न=अनाज
15. अपचार=अपराध उपचार=इलाज
अ य=दस ू रा
16. अ याय=गैर-इंसाफ अ या य=दस ू रे -दस ू रे
4. अणु=कण
17. कृ त=रचना
अनु=प चात
कृती= नपुण, प र मी
5. ओर=तरफ
18. आमरण=म ृ युपयत
और=तथा
आभरण=गहना
6. अ सत=काला
19. अवसान=अंत
अ शत=खाया हुआ 7. अपे ा=तुलना म
आसान=सरल
उपे ा= नरादर, लापरवाह
कल =अध खला फूल
8. कल=सद ुं र, पुरजा
21. इतर=दस ू रा
काल=समय
इ =सुगं धत
9. अंदर=भीतर
22.
अंतर=भेद
23. प ष=कठोर
10. अंक=गोद
पु ष=आदमी
अंग=दे ह का भाग
24. कुट=घर, कला
11. कुल=वंश
कूट=पवत
कूल= कनारा
25. कुच= तन
12. अ व=घोड़ा
कूच=
अ म=प थर
26. साद=कृपा
20. क ल=क लयुग, झगड़ा
य
म= सल सला कम=काम
थान
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ासादा=महल
43. दन= दवस
27. कुजन=दज ु न
द न=द र
कूजन=प
44. भी त=भय
य का कलरव
28. गत=बीता हुआ ग त=चाल 29. पानी=जल पा ण=हाथ
भि त=द वार 45. दशा=हालत दशा=तरफ़
30. गुर=उपाय
46. व=तरल पदार
गु = श क, भार
अथ
31. ह=सूय,चं
47. भाषण= या यान
गह ृ =घर
भीषण=भयंकर
32. कार=तरह
48. धरा=प ृ वी
ाकार= कला, घेरा
य=धन
धारा= वाह
33. चरण=पैर
49. नय=नी त
चारण=भाट
नव=नया
34. चर=पुराना
50. नवाण=मो नमाण=बनाना
चीर=व 35. फन=साँप का फन
51. नजर=दे वता नझर=झरना
फ़न=कला
52. मत=राय
36. छ =छाया
म त=बु
=
य,शि त
53. नेक=अ छा
37. ढ ठ=द ु ट,िज ी
नेकु=त नक
डीठ= ि ट
54. पथ=राह
38. बदन=दे ह
प य=रोगी का आहार
वदन=मख ु
55. मद=म ती
39. तर ण=सूय
म य=म दरा
तरणी=नौका
56. प रणाम=फल
40. तरं ग=लहर
प रमाण=वजन
तुरंग=घोड़ा
57. म ण=र न
41. भवन=घर
फणी=सप
भुवन=संसार
58. म लन=मैला
42. त त=गरम
लान=मुरझाया हुआ 59. मात= ृ माता
त ृ त=संतु ट
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मा =केवल
72. शम=संयम
60. र त=तर का
सम=बराबर
र ता=खाल
73. च वाक=चकवा
61. राज=शासन
च वात=बवंडर
राज=रह य
74. शूर=वीर
62. ल लत=सुंदर
सूर=अंधा
ल लता=गोपी
75. सु ध= मरण
63. ल य=उ े य
सुधी=बु मान
ल =लाख
76. अभेद=अंतर नह ं
64. व =छाती
अभे य=न टूटने यो य
व ृ =पेड़
77. संघ=समुदाय
65. वसन=व
संग=साथ
यसन=नशा, आदत
78. सग=अ याय
66. वासना=कुि सत
वग=एक लोक
वचार बास=गंध
79. णय= ेम
67. व तु=चीज
प रणय= ववाह
वा तु=मकान
80. समथ=स म
68. वजन=सुनसान
साम य=शि त
यजन=पंखा
81. क टबंध=कमरबंध
69. शंकर= शव
क टब =तैयार
संकर= म
82.
त
70. हय= दय
ां त= व ोह
लां त=थकावट
हय=घोड़ा
83. इं दरा=ल मी
71. शर=बाण
इं ा=इं ाणी
सर=तालाब 6. अनेकाथक श द 1. अ र= न ट न होने वाला, वण, ई वर, शव। 2. अथ= धन, ऐ वय, योजन, हे तु। 3. आराम= बाग, व ाम, रोग का दरू होना। 4. कर= हाथ, करण, टै स, हाथी क सूँड़। 5. काल= समय, म ृ यु, यमराज। 6. काम= काय, पेशा, धंधा, वासना, कामदे व। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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7. गुण= कौशल, शील, र सी, वभाव, धनुष क डोर । 8. घन= बादल, भार , हथौड़ा, घना। 9. जलज= कमल, मोती, मछल , चं मा, शंख। 10. तात= पता, भाई, बड़ा, पू य, यारा, म । 11. दल= समूह, सेना, प ता, ह सा, प , भाग, चड़ी। 12. नग= पवत, व ृ , नगीना। 13. पयोधर= बादल, तन, पवत, ग ना। 14. फल= लाभ, मेवा, नतीजा, भाले क नोक। 15. बाल= बालक, केश, बाला, दानेयु त डंठल। 16. मधु= शहद, म दरा, चैत मास, एक दै य, वसंत। 17. राग=
ेम, लाल रं ग, संगीत क
व न।
18. रा श= समूह, मेष, कक, विृ चक आ द रा शयाँ। 19. ल य= नशान, उ े य। 20. वण= अ र, रं ग, ा मण आ द जा तयाँ। 21. सारं ग= मोर, सप, मेघ, हरन, पपीहा, राजहं स, हाथी, कोयल, कामदे व, संह, धनुष भ रा, मधुम खी, कमल। 22. सर= अमत ू , पानी, गंगा, मधु, प ृ वी, तालाब। ृ , दध 23.
े = दे ह, खेत, तीथ, सदा त बाँटने का
थान।
24. शव= भा यशाल , महादे व, ग ृ ाल, दे व, मंगल। 25. ह र= हाथी, व णु, इं , पहाड़, संह, घोड़ा, सप, वानर, मेढक, यमराज, 7. पशु-प
मा, शव, कोयल, करण, हं स।
य क बो लयाँ
पशु
बोल
पशु
बोल
पशु
बोल
ऊँट
बलबलाना
कोयल
कूकना
गाय
रँभाना
चहचहाना
भस
डकराना (रँभाना)
बकर
म मयाना
कुहकना
घोड़ा
तोता
ट-ट करना
साँप
फुफकारना
च ड़या मोर हाथी शेर टटहर
चघाड़ना
िज वा
कौआ
दहाड़ना
सारस
ट ं-ट ं करना
कु ता
8. कुछ जड़ पदाथ क
वशेष
लपलपाना
हन हनाना
व नयाँ या
काँव-काँव करना -
करना
भ कना
म खी
भन भनाना
याएँ दाँत
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कट कटाना Page 78
दय
धड़कना
पैर
पटकना
अ ु
छलछलाना
घड़ी
पंख
फड़फड़ाना
तारे
जगमगाना
नौका
डगमगाना
मेघ
गरजना
टक- टक करना
9. कुछ सामा य अशु याँ अशु
शु
अशु
अगामी
आगामी
संसा रक
सांसा रक
यूँ
य
योहार
यवहार
बरात
बारात
लखायी
शु लखाई
द ु नयां
द ु नया
तथी
तथ
अ तथी
अतथ
नीती
नी त
आ शवाद
आशीवाद
शताि द
शता द
लड़ायी
सा म ी
साम ी
दस ु रा अनु दत
शु
अशु
स ता हक
सा ता हक
अलो कक अलौ कक
आधीन
अधीन
ह ता ेप
उप या सक औप या सक
शु ह त ेप
ीय
य
काल दास
का लदास
पूरती
गह ृ णी
ग ृ हणी
प रि थत प रि थ त
बमार
बीमार
पि न
लड़ाई
थाई
थायी
ीम त
ीमती
वा पस
वापस
द शनी
दशनी
ऊ थान
उ थान
दस ू रा
साधू
साधु
रे णू
रे णु
नुपुर
नूपुर
अनू दत
जाद ु
जाद ू
बज ृ
ज
दाइ व
दा य व
से नक
सै नक
सैना
सेना
ाप
शाप
बन प त
वन प त
बन
वन
इ तहा सक ऐ तहा सक घबड़ाना
अशु
घबराना
नर ण
नर
ण
थक
पू त प नी
पथ ृ क
वना
बना
बसंत
वसंत
अमाव या
अमाव या
शाद
साद
हं सया
हँ सया
गंवार
गँवार
असोक
अशोक
न वाथ
नः वाथ
द ु कर
द ु कर
मु यवान मू यवान
ीमान
महाअन
महान
नवम ्
नवम
ा
छा
मा
आदश
आदश
ष टम ्
ष ठ
ंतु
परं तु
ी ा
पर
मरयादा
मयादा
दद ु शा
दद ु शा
कव य ी
मा मा
परमा मा
घन ट
घन ठ
राज भषेक
रा या भषेक
यतीत
कृ या
कृपा
यि तक
वैयि तक
कव ी पयास
यास
सर मान छमा
वतीत
ा
मां सक
मान सक समवाद
संवाद
संप त
संपि त
मूलतयः
मूलतः
सहास
साहस
वषेश
वशेष
शाशन
शासन
दःु ख
दख ु
पओ
पयो
हुये चरन
हुए चरण
ल ये
लए
रनभू म
रणभू म
रसायण
रसायन
मरन
मरण
क यान
क याण
पडता
पड़ता
झाडू
झाड़ू
मढ़क
मेढक
े ट
े ठ
रामायन ान ढ़े र
रामायण ाण ढे र
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ष ट
ष ठ
वा थ मह व
न टा
न ठा
वा
य
पांडे
पांडय े
मह
व
आ हाद
आ लाद
सिृ ठ
सिृ ट
वतं ा
वतं ता
उ वल
उ जवल
इ ठ
इ ट
उपल
उपल य
य क
वय क
अ याय 23 वराम- च न वराम- च न- ‘ वराम’ श द का अथ है ‘ कना’। जब हम अपने भाव को भाषा के वारा य त करते ह तब एक भाव क अ भ यि त के बाद कुछ दे र
कते ह, यह
कना ह वराम
कहलाता है । इस वराम को इस
कट करने हे तु िजन कुछ च न का
योग कया जाता है , वराम- च न कहलाते ह। वे
कार ह-
1. अ प वराम (,)- पढ़ते अथवा बोलते समय बहुत थोड़ा कने के लए अ प वराम- च न का योग कया जाता है । जैसे-सीता, गीता और ल मी। यह सद ुं र थल, जो आप दे ख रहे ह, बापू क समा ध है । हा न-लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश व ध हाथ। 2. अध वराम (;)- जहाँ अ प वराम क अपे ा कुछ च न का
यादा दे र तक
कना हो वहाँ इस अध- वराम
योग कया जाता है । जैसे-सूय दय हो गया; अंधकार न जाने कहाँ लु त हो गया।
3. पूण वराम (।)- जहाँ वा य पूण होता है वहाँ पूण वराम- च न का योग कया जाता है । जैसे-मोहन पु तक पढ़ रहा है । वह फूल तोड़ता है । 4. व मया दबोधक च न (!)- व मय, हष, शोक, घण ृ ा आ द भाव को दशाने वाले श द के बाद अथवा कभी-कभी ऐसे वा यांश या वा य के अंत म भी व मया दबोधक च न का
योग कया जाता है । जैसे-
हाय ! वह बेचारा मारा गया। वह तो अ यंत सुशील था ! बड़ा अफ़सोस है ! 5.
नवाचक च न (?)-
नवाचक वा य के अंत म
नवाचक च न का
योग कया जाता है । जैसे-
कधर चले ? तुम कहाँ रहते हो ? 6. को ठक ()- इसका
योग पद (श द) का अथ
कट करने हे तु,
म-बोध और नाटक या एकांक म
अ भनय के भाव को य त करने के लए कया जाता है । जैसे- नरं तर (लगातार) यायाम करते रहने से दे ह (शर र)
व थ रहता है । व व के महान रा
म (1) अमे रका, (2) स, (3) चीन, (4)
टे न आ द ह।
नल-( ख न होकर) ओर मेरे दभ ु ा य ! तूने दमयंती को मेरे साथ बाँधकर उसे भी जीवन-भर क ट दया। 7. नदशक च न (-)- इसका
योग वषय- वभाग संबंधी
येक शीषक के आगे, वा य , वा यांश अथवा
पद के म य वचार अथवा भाव को व श ट प से य त करने हे तु, उदाहरण अथवा जैसे के बाद, उ रण के अंत म, लेखक के नाम के पूव और कथोपकथन म नाम के आगे कया जाता है । जैसे-सम त जीव-जंतु-घोड़ा, ऊँट, बैल, कोयल, च ड़या सभी याकुल थे। तुम सो रहे हो- अ छा, सोओ। वारपाल-भगवन ! एक दब ु ला-पतला
ा मण
वार पर खड़ा है ।
8. उ रण च न (‘‘ ’’)- जब कसी अ य क उि त को बना कसी प रवतन के [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
य -का- य रखा जाता Page 80
है , तब वहाँ इस च न का
योग कया जाता है । इसके पूव अ प वराम- च न लगता है । जैसे-नेताजी ने
कहा था, ‘‘तुम हम खून दो, हम तु ह आजाद दगे।’’, ‘‘ ‘रामच रत मानस’ तुलसी का अमर का य
ंथ
है ।’’ 9. आदे श च न (:- )- कसी वषय को योग कया जाता है । जैसे-सवनाम के
म से लखना हो तो वषय- म य त करने से पूव इसका मुख पाँच भेद ह :-
(1) पु षवाचक, (2) न चयवाचक, (3) अ न चयवाचक, (4) संबंधवाचक, (5) 10. योजक च न (-)- सम त कए हुए श द म िजस च न का कहलाता है । जैसे-माता- पता, दाल-भात, सुख-दख ु , पाप-पु य।
नवाचक।
योग कया जाता है , वह योजक च न
11. लाघव च न (.)- कसी बड़े श द को सं ेप म लखने के लए उस श द का
थम अ र लखकर
उसके आगे शू य लगा दे ते ह। जैसे-पं डत=पं., डॉ टर=डॉ., ोफेसर= ो.।
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अ याय 24 वा य- करण वा य- एक वचार को पूणता से
कट करने वाला श द-समूह वा य कहलाता है । जैसे- 1. याम दध ू पी
रहा है । 2. म भागते-भागते थक गया। 3. यह कतना सद ुं र उपवन है । 4. ओह ! आज तो गरमी के कारण ाण नकले जा रहे ह। 5. वह मेहनत करता तो पास हो जाता। ये सभी मुख से नकलने वाल साथक
व नय के समूह ह। अतः ये वा य ह। वा य भाषा का चरम
अवयव है । वा य-खंड वा य के
मख ु दो खंड ह-
1. उ े य। 2. वधेय। 1. उ े य- िजसके वषय म कुछ कहा जाता है उसे सूच क करने वाले श द को उ े य कहते ह। जैसे1. अजुन ने जय थ को मारा। 2. कु ता भ क रहा है । 3. तोता डाल पर बैठा है । इनम अजुन ने, कु ता, तोता उ े य ह; इनके वषय म कुछ कहा गया है । अथवा य कह सकते ह क वा य म जो कता हो उसे उ े य कह सकते ह
य क कसी
या को करने के कारण वह मु य होता
है । 2. वधेय- उ े य के वषय म जो कुछ कहा जाता है , अथवा उ े य (कता) जो कुछ काय करता है वह सब वधेय कहलाता है । जैसे1. अजुन ने जय थ को मारा। 2. कु ता भ क रहा है । 3. तोता डाल पर बैठा है । इनम ‘जय थ को मारा’, ‘भ क रहा है ’, ‘डाल पर बैठा है ’ वधेय ह उ े य (कताओं) के काय के वषय म
य क अजुन ने, कु ता, तोता,-इन
मशः मारा, भ क रहा है , बैठा है , ये वधान कए गए ह, अतः
इ ह वधेय कहते ह। उ े य का व तार- कई बार वा य म उसका प रचय दे ने वाले अ य श द भी साथ आए होते ह। ये अ य श द उ े य का व तार कहलाते ह। जैसे1. सद ुं र प ी डाल पर बैठा है । [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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2. काला साँप पेड़ के नीचे बैठा है । इनम संुदर और काला श द उ े य का व तार ह। उ े य म न न ल खत श द-भेद का
योग होता है -
(1) सं ा- घोड़ा भागता है । (2) सवनाम- वह जाता है । (3) वशेषण- व वान क सव (4)
पूजा होती है ।
या- वशेषण- (िजसका) भीतर-बाहर एक-सा हो।
(5) वा यांश- झूठ बोलना पाप है । वा य के साधारण उ े य म वशेषणा द जोड़कर उसका व तार करते ह। उ े य का व तार नीचे लखे श द के
वारा
कट होता है -
(1) वशेषण से- अ छा बालक आ ा का पालन करता है । (2) संबंध कारक से- दशक क भीड़ ने उसे घेर लया। (3) वा यांश से- काम सीखा हुआ कार गर क ठनाई से मलता है । वधेय का व तार- मल वधेय को पण ू ू करने के लए िजन श द का
योग कया जाता है वे वधेय का
व तार कहलाते ह। जैसे-वह अपने पैन से लखता है । इसम अपने वधेय का व तार है । कम का व तार- इसी तरह कम का व तार हो सकता है । जैसे- म , अ छ पु तक पढ़ो। इसम अ छ कम का व तार है । या का व तार- इसी तरह लगाकर
या का भी व तार हो सकता है । जैसे- ेय मन लगाकर पढ़ता है । मन
या का व तार है ।
वा य-भेद रचना के अनुसार वा य के न न ल खत भेद ह1. साधारण वा य। 2. संयु त वा य। 3. म
त वा य।
1. साधारण वा य िजस वा य म केवल एक ह उ े य (कता) और एक ह समा पका
या हो, वह साधारण वा य कहलाता
है । जैसे- 1. ब चा दध ू पीता है । 2. कमल गद से खेलता है । 3. मद ु ा पु तक पढ़ रह ह। ृ ल वशेष-इसम कता के साथ उसके व तारक वशेषण और
या के साथ व तारक स हत कम एवं
या-
वशेषण आ सकते ह। जैसे-अ छा ब चा मीठा दध ू अ छ तरह पीता है । यह भी साधारण वा य है ।
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2. संयु त वा य दो अथवा दो से अ धक साधारण वा य जब सामाना धकरण समु चयबोधक जैसे- (पर, क तु, और, या आ द) से जुड़े होते ह, तो वे संयु त वा य कहलाते ह। ये चार (1) संयोजक- जब एक साधारण वा य दस ू रे साधारण या म
कार के होते ह। त वा य से संयोजक अ यय
वारा जुड़ा
होता है । जैसे-गीता गई और सीता आई। (2) वभाजक- जब साधारण अथवा म
वा य का पर पर भेद या वरोध का संबंध रहता है । जैसे-वह
मेहनत तो बहुत करता है पर फल नह ं मलता। (3) वक पसूचक- जब दो बात म से कसी एक को
वीकार करना होता है । जैसे- या तो उसे म अखाड़े
म पछाड़ूँगा या अखाड़े म उतरना ह छोड़ दँ ग ू ा। (4) प रणामबोधक- जब एक साधारण वा य दसूरे साधारण या म
त वा य का प रणाम होता है । जैसे-
आज मुझे बहुत काम है इस लए म तु हारे पास नह ं आ सकूँगा। 3. म
त वा य
जब कसी वषय पर पूण वचार
कट करने के लए कई साधारण वा य को मलाकर एक वा य क
रचना करनी पड़ती है तब ऐसे र चत वा य ह वशेष- (1) इन वा य म एक मु य या
म
त वा य कहलाते ह।
धान उपवा य और एक अथवा अ धक आ
त उपवा य होते
ह जो समु चयबोधक अ यय से जुड़े होते ह। (2) मु य उपवा य क पिु ट, समथन, प टता अथवा व तार हे तु ह आ आ
त वा य तीन
त वा य आते है ।
कार के होते ह-
(1) सं ा उपवा य। (2) वशेषण उपवा य। (3)
या- वशेषण उपवा य।
1. सं ा उपवा य- जब आ
त उपवा य कसी सं ा अथवा सवनाम के
थान पर आता है तब वह सं ा
उपवा य कहलाता है । जैसे- वह चाहता है क म यहाँ कभी न आऊँ। यहाँ क म कभी न आऊँ, यह सं ा उपवा य है । 2. वशेषण उपवा य- जो आ
त उपवा य मु य उपवा य क सं ा श द अथवा सवनाम श द क
वशेषता बतलाता है वह वशेषण उपवा य कहलाता है । जैसे- जो घड़ी मेज पर रखी है वह मझ ु े परु कार व प मल है । यहाँ जो घड़ी मेज पर रखी है यह वशेषण उपवा य है । 3. वह
या- वशेषण उपवा य- जब आ
त उपवा य
धान उपवा य क
या क वशेषता बतलाता है तब
या- वशेषण उपवा य कहलाता है । जैसे- जब वह मेरे पास आया तब म सो रहा था। यहाँ पर जब
वह मेरे पास आया यह
या- वशेषण उपवा य है।
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वा य-प रवतन वा य के अथ म कसी तरह का प रवतन कए बना उसे एक
कार के वा य से दस ू रे
कार के वा य
म प रवतन करना वा य-प रवतन कहलाता है । (1) साधारण वा य का संयु त वा य म प रवतनसाधारण वा य संयु त वा य 1. म दध ू पीकर सो गया। मने दध ू पया और सो गया। 2. वह पढ़ने के अलावा अखबार भी बेचता है । वह पढ़ता भी है और अखबार भी बेचता है 3. मने घर पहुँचकर सब ब च को खेलते हुए दे खा। मने घर पहुँचकर दे खा क सब ब चे खेल रहे थे। 4. वा य ठ क न होने से म काशी नह ं जा सका। मेरा वा य ठ क नह ं था इस लए म काशी नह ं जा सका। 5. सवेरे तेज वषा होने के कारण म द तर दे र से पहुँचा। सवेरे तेज वषा हो रह थी इस लए म द तर दे र से पहुँचा। (2) संयु त वा य का साधारण वा य म प रवतनसंयु त वा य साधारण वा य 1. पताजी अ व थ ह इस लए मझ ु े जाना ह पड़ेगा। पताजी के अ व थ होने के कारण मझ ु े जाना ह पड़ेगा। 2. उसने कहा और म मान गया। उसके कहने से म मान गया। 3. वह केवल उप यासकार ह नह ं अ पतु अ छा व ता भी है । वह उप यासकार के अ त र त अ छा व ता भी है । 4. लू चल रह थी इस लए म घर से बाहर नह ं नकल सका। लू चलने के कारण म घर से बाहर नह ं नकल सका। 5. गाड ने सीट द और े न चल पड़ी। गाड के सीट दे ने पर (3) साधारण वा य का म साधारण वा य म
े न चल पड़ी।
त वा य म प रवतन-
त वा य
1. हर संगार को दे खते ह मझ ु े गीता क याद आ जाती है । जब म हर संगार क ओर दे खता हूँ तब मझ ु े गीता क याद आ जाती है । 2. रा
के लए मर मटने वाला यि त स चा रा
भ त है । वह यि त स चा रा
भ त है जो रा
के लए मर मटे । 3. पैसे के बना इंसान कुछ नह ं कर सकता। य द इंसान के पास पैसा नह ं है तो वह कुछ नह ं कर सकता। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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4. आधी रात होते-होते मने काम करना बंद कर दया।
य ह आधी रात हुई य ह मने काम करना बंद
कर दया। (4) म म
त वा य का साधारण वा य म प रवतन-
त वा य साधारण वा य
1. जो संतोषी होते ह वे सदै व सुखी रहते ह संतोषी सदै व सुखी रहते ह। 2. य द तुम नह ं पढ़ोगे तो पर
ा म सफल नह ं होगे। न पढ़ने क दशा म तुम पर
ा म सफल नह ं
होगे। 3. तुम नह ं जानते क वह कौन है ? तुम उसे नह ं जानते। 4. जब जेबकतरे ने मुझे दे खा तो वह भाग गया। मुझे दे खकर जेबकतरा भाग गया। 5. जो व वान है , उसका सव
आदर होता है । व वान का सव
आदर होता है ।
वा य- व लेषण वा य म आए हुए श द अथवा वा य-खंड को अलग-अलग करके उनका पार प रक संबंध बताना वा यव लेषण कहलाता है । साधारण वा य का व लेषण 1. हमारा रा
सम ृ शाल है ।
2. हम नय मत
प से व यालय आना चा हए।
3. अशोक, सोहन का बड़ा पु , पु तकालय म अ छ पु तक छाँट रहा है । उ े य वधेय वा य उ े य उ े य का 1. रा
या कम कम का पूरक वधेय
हमारा है - - सम ृ
-
2. हम - आना व यालय - शाल चा हए
मांक कता व तार व तार का व तार
नय मत
प से
3. अशोक सोहन का छाँट रहा पु तक अ छ पु तकालय बड़ा पु म
है म
त वा य का व लेषण-
1. जो यि त जैसा होता है वह दस ू र को भी वैसा ह समझता है । 2. जब-जब धम क
त होती है तब-तब ई वर का अवतार होता है ।
3. मालूम होता है क आज वषा होगी। 4. जो संतोषी होत ह वे सदै व सुखी रहते ह। 5. दाश नक कहते ह क जीवन पानी का बुलबुला है । संयु त वा य का व लेषण[Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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1. तेज वषा हो रह थी इस लए परस म तु हारे घर नह ं आ सका। 2. म तु हार राह दे खता रहा पर तुम नह ं आए। 3. अपनी
ग त करो और दस ू र का हत भी करो तथा
अथ के अनुसार वा य के
वाथ म न हचको।
कार
अथानुसार वा य के न न ल खत आठ भेद ह1. वधानाथक वा य। 2. नषेधाथक वा य। 3. आ ाथक वा य। 4.
नाथक वा य।
5. इ छाथक वा य। 6. संदेथक वा य। 7. संकेताथक वा य। 8. व मयबोधक वा य। 1. वधानाथक वा य-िजन वा य म
या के करने या होने का सामा य कथन हो। जैसे-म कल द ल
जाऊँगा। प ृ वी गोल है । 2. नषेधाथक वा य- िजस वा य से कसी बात के न होने का बोध हो। जैसे-म कसी से लड़ाई मोल नह ं लेना चाहता। 3. आ ाथक वा य- िजस वा य से आ ा उपदे श अथवा आदे श दे ने का बोध हो। जैसे-शी
जाओ वरना
गाड़ी छूट जाएगी। आप जा सकते ह। 4.
नाथक वा य- िजस वा य म
न कया जाए। जैसे-वह कौन ह उसका नाम
या है ।
5. इ छाथक वा य- िजस वा य से इ छा या आशा के भाव का बोध हो। जैसे-द घायु हो। धनवान हो। 6. संदेहाथक वा य- िजस वा य से संदेह का बोध हो। जैसे-शायद आज वषा हो। अब तक पताजी जा चक ु े ह गे। 7. संकेताथक वा य- िजस वा य से संकेत का बोध हो। जैसे-य द तुम क याकुमार चलो तो म भी चलँ ू। 8. व मयबोधक वा य-िजस वा य से व मय के भाव
कट ह । जैसे-अहा ! कैसा सुहावना मौसम है ।
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अ याय 25 अशु
वा य के शु वा य
(1) वचन-संबंधी अशु याँ अशु
शु
1. पा क तान ने गोले और तोप से आ मण कया। पा क तान ने गोल और तोप से आ मण कया। 2. उसने अनेक
ंथ लखे। उसने अनेक
ंथ लखे।
3. महाभारत अठारह दन तक चलता रहा। महाभारत अठारह दन तक चलता रहा। 4. तेर बात सुनते-सुनते कान पक गए। तेर बात सुनते-सुनते कान पक गए। 5. पेड़ पर तोता बैठा है । पेड़ पर तोता बैठा है । (2) लंग संबंधी अशु याँअशु
शु
1. उसने संतोष का साँस ल । उसने संतोष क साँस ल । 2. स वता ने जोर से हँस दया। स वता जोर से हँ स द । 3. मुझे बहुत आनंद आती है । मुझे बहुत आनंद आता है । 4. वह धीमी वर म बोला। वह धीमे वर म बोला। 5. राम और सीता वन को गई। राम और सीता वन को गए। (3) वभि त-संबंधी अशु अशु
याँ-
शु
1. म यह काम नह ं कया हूँ। मने यह काम नह ं कया है । 2. म पु तक को पढ़ता हूँ। म पु तक पढ़ता हूँ। 3. हमने इस वषय को वचार कया। हमने इस वषय पर वचार कया 4. आठ बजने को दस मनट है । आठ बजने म दस मनट है । 5. वह दे र म सोकर उठता है । वह दे र से सोकर उठता है । (4) सं ा संबंधी अशु याँअशु
शु
1. म र ववार के दन तु हारे घर आऊँगा। म र ववार को तु हारे घर आऊँगा। 2. कु ता रकता है । कु ता भ कता है । 3. मझ ु े सफल होने क
नराशा है । मुझे सफल होने क आशा नह ं है ।
4. गले म गुलामी क बे ड़याँ पड़ गई। पैर म गुलामी क बे ड़याँ पड़ गई। (5) सवनाम क अशु याँअशु
शु
1. गीता आई और कहा। गीता आई और उसने कहा। 2. मने तेरे को कतना समझाया। मने तुझे कतना समझाया। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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3. वह
या जाने क म कैसे जी वत हूँ। वह
या जाने क म कैसे जी रहा हूँ।
(6) वशेषण-संबंधी अशु याँअशु
शु
1. कसी और लड़के को बल ु ाओ। कसी दस ू रे लड़के को बल ु ाओ। 2. संह बड़ा बीभ स होता है । संह बड़ा भयानक होता है । 3. उसे भार दख ु हुआ। उसे बहुत दख ु हुआ। 4. सब लोग अपना काम करो। सब लोग अपना-अपना काम करो। (7)
या-संबंधी अशु याँ-
अशु
शु
1. या यह संभव हो सकता है ? या यह संभव है ? 2. म दशन दे ने आया था। म दशन करने आया था। 3. वह पढ़ना माँगता है । वह पढ़ना चाहता है । 4. बस तुम इतने 5. तुम
ठ उठे बस, तुम इतने म
या काम करता है ? तुम
ठ गए।
या काम करते हो ?
(8) मुहावरे -संबंधी अशु याँअशु
शु
1. युग क माँग का यह बीड़ा कौन चबाता है युग क माँग का यह बीड़ा कौन उठाता है । 2. वह याम पर बरस गया। वह याम पर बरस पड़ा। 3. उसक अ ल च कर खा गई। उसक अ ल चकरा गई। 4. उस पर घड़ पानी गर गया। उस पर घड़ पानी पड़ गया। (9)
या- वशेषण-संबंधी अशु याँ-
अशु
शु
1. वह लगभग दौड़ रहा था। वह दौड़ रहा था। 2. सार रात भर म जागता रहा। म सार रात जागता रहा। 3. तुम बड़ा आगे बढ़ गया। तुम बहुत आगे बढ़ गए. 4. इस पवतीय े म सव व शां त है। इस पवतीय े
म सव
शां त है ।
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अ याय 26 मुहावरे और लोकोि तयाँ मुहावरा- कोई भी ऐसा वा यांश जो अपने साधारण अथ को छोड़कर कसी वशेष अथ को य त करे उसे मुहावरा कहते ह। लोकोि त- लोकोि तयाँ लोक-अनुभव से बनती ह। कसी समाज ने जो कुछ अपने लंबे अनुभव से सीखा है उसे एक वा य म बाँध दया है । ऐसे वा य को ह लोकोि त कहते ह। इसे कहावत, जन ु त आ द भी कहते ह। मुहावरा और लोकोि त म अंतर- मुहावरा वा यांश है और इसका सकता। लोकोि त संपूण वा य है और इसका
योग वतं
वतं
प से
योग नह ं कया जा
प से कया जा सकता है । जैसे-‘होश उड़
जाना’ मुहावरा है । ‘बकरे क माँ कब तक खैर मनाएगी’ लोकोि त है । कुछ
च लत मुहावरे
1. अंग संबंधी मुहावरे 1. अंग छूटा- (कसम खाना) म अंग छूकर कहता हूँ साहब, मैने पाजेब नह ं दे खी। 2. अंग-अंग मुसकाना-(बहुत
स न होना)- आज उसका अंग-अंग मुसकरा रहा था।
3. अंग-अंग टूटना-(सारे बदन म दद होना)-इस
वर ने तो मेरा अंग-अंग तोड़कर रख दया।
4. अंग-अंग ढ ला होना-(बहुत थक जाना)- तु हारे साथ कल चलँ ूगा। आज तो मेरा अंग-अंग ढ ला हो रहा है । 2. अ ल-संबंधी मुहावरे 1. अ ल का द ु मन-(मूख)- वह तो नरा अ ल का द ु मन नकला। 2. अ ल चकराना-(कुछ समझ म न आना)-
न-प
दे खते ह मेर अ ल चकरा गई।
3. अ ल के पीछे लठ लए फरना (समझाने पर भी न मानना)- तुम तो सदै व अ ल के पीछे लठ लए फरते हो। 4. अ ल के घोड़े दौड़ाना-(तरह-तरह के वचार करना)- बड़े-बड़े वै ा नक ने अ ल के घोड़े दौड़ाए, तब कह ं वे अणुबम बना सके। 3. आँख-संबंधी मुहावरे 1. आँख दखाना-(गु से से दे खना)- जो हम आँख दखाएगा, हम उसक आँख फोड़ दे ग। 2. आँख म गरना-(स मानर हत होना)- कुरसी क होड़ ने जनता सरकार को जनता क आँख म गरा दया। 3. आँख म धूल झ कना-(धोखा दे ना)- शवाजी मुगल पहरे दार क आँख म धूल झ ककर बंद गह ृ से [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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बाहर नकल गए। 4. आँख चुराना-( छपना)- आजकल वह मझ ु से आँख चुराता फरता है । 5. आँख मारना-(इशारा करना)-गवाह मेरे भाई का म व
नकला, उसने उसे आँख मार , अ यथा वह मेरे
गवाह दे दे ता।
6. आँख तरसना-(दे खने के लाला यत होना)- तु ह दे खने के लए तो मेर आँख तरस गई। 7. आँख फेर लेना-( तकूल होना)- उसने आजकल मेर ओर से आँख फेर ल ह। 8. आँख बछाना-( ती ा करना)- लोकनायक जय काश नारायण िजधर जाते थे उधर ह जनता उनके लए आँख बछाए खड़ी होती थी। 9. आँख सकना-(सुंदर व तु को दे खते रहना)- आँख सकते रहोगे या कुछ करोगे भी 10. आँख चार होना-( ेम होना,आमना-सामना होना)- आँख चार होते ह वह खड़क पर से हट गई। 11. आँख का तारा-(अ त य)-आशीष अपनी माँ क आँख का तारा है । 12. आँख उठाना-(दे खने का साहस करना)- अब वह कभी भी मेरे सामने आँख नह ं उठा सकेगा। 13. आँख खल ु ना-(होश आना)- जब संबं धय ने उसक सार संपि त हड़प ल तब उसक आँख खल ु ं। 14. आँख लगना-(नींद आना अथवा यार होना)- बड़ी मिु कल से अब उसक आँख लगी है । आजकल आँख लगते दे र नह ं होती। 15. आँख पर परदा पड़ना-(लोभ के कारण सचाई न द खना)- जो दस ू र को ठगा करते ह, उनक आँख पर परदा पड़ा हुआ है । इसका फल उ ह अव य मलेगा। 16. आँख का काटा-(अ य यि त)- अपनी कु विृ तय के कारण राजन पताजी क आँख का काँटा बन गया। 17. आँख म समाना-( दल म बस जाना)- गरधर मीरा क आँ ख म समा गया। 4. कलेजा-संबंधी कुछ मुहावरे 1. कलेजे पर हाथ रखना-(अपने दल से पूछना)- अपने कलेजे पर हाथ रखकर कहो क या तुमने पैन नह ं तोड़ा। 2. कलेजा जलना-(ती
असंतोष होना)- उसक बात सुनकर मेरा कलेजा जल उठा।
3. कलेजा ठं डा होना-(संतोष हो जाना)- डाकुओं को पकड़ा हुआ दे खकर गाँव वाल का कलेजा ठं ढा हो गया। 4. कलेजा थामना-(जी कड़ा करना)- अपने एकमा
युवा पु
क म ृ यु पर माता- पता कलेजा थामकर रह
गए। 5. कलेजे पर प थर रखना-(दख ु म भी धीरज रखना)- उस बेचारे क
या कहते ह , उसने तो कलेजे पर
प थर रख लया है ।
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6. कलेजे पर साँप लोटना-(ई या से जलना)-
ीराम के रा या भषेक का समाचार सुनकर दासी मंथरा के
कलेजे पर साँप लोटने लगा। 5. कान-संबंधी कुछ मुहावरे 1. कान भरना-(चुगल करना)- अपने सा थय के व
अ यापक के कान भरने वाले व याथ अ छे नह ं
होते। 2. कान कतरना-(बहुत चतुर होना)- वह तो अभी से बड़े-बड़ के कान कतरता है । 3. कान का क चा-(सुनते ह कसी बात पर व वास करना)- जो मा लक कान के क चे होते ह वे भले कमचा रय पर भी व वास नह ं करते। 4. कान पर जँू तक न रगना-(कुछ असर न होना)-माँ ने गौरव को बहुत समझाया, क तु उसके कान पर जँू तक नह ं रगी। 5. कान कान खबर न होना-( बलकुल पता न चलना)-सोने के ये ब कुट ले जाओ, कसी को कान कान खबर न हो। 6. नाक-संबंधी कुछ मुहावरे 1. नाक म दम करना-(बहुत तंग करना)- आतंकवा दय ने सरकार क नाक म दम कर रखा है । 2. नाक रखना-(मान रखना)- सच पूछो तो उसने सच कहकर मेर नाक रख ल । 3. नाक रगड़ना-(द नता दखाना)- गरहकट ने सपाह के सामने खूब नाक रगड़ी, पर उसने उसे छोड़ा नह ं। 4. नाक पर म खी न बैठने दे ना-(अपने पर आँच न आने दे ना)- कतनी ह मुसीबत उठाई, पर उसने नाक पर म खी न बैठने द । 5. नाक कटना-( त ठा न ट होना)- अरे भैया आजकल क औलाद तो खानदान क नाक काटकर रख दे ती है । 7. मुँह-संबंधी कुछ मुहावरे 1. मुँह क खाना-(हार मानना)-पड़ोसी के घर के मामले म दखल दे कर हर वार को मुँह क खानी पड़ी। 2. मुँह म पानी भर आना-( दल ललचाना)- ल डुओं का नाम सुनते ह पं डतजी के मुँह म पानी भर आया। 3. मुँह खून लगना-( र वत लेने क आदत पड़ जाना)- उसके मुँह खून लगा है , बना लए वह काम नह ं करे गा। 4. मँुह छपाना-(लि जत होना)- मँुह छपाने से काम नह ं बनेगा, कुछ करके भी दखाओ। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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5. मुँह रखना-(मान रखना)-म तु हारा मुँह रखने के लए ह
मोद के पास गया था, अ यथा मुझे
या
आव यकता थी। 6. मँुहतोड़ जवाब दे ना-(कड़ा उ तर दे ना)- याम मँुहतोड़ जवाब सुनकर फर कुछ नह ं बोला। 7. मँुह पर का लख पोतना-(कलंक लगाना)-बेटा तु हारे कुकम ने मेरे मँुह पर का लख पोत द है । 8. मुँह उतरना-(उदास होना)-आज तु हारा मुँह
य उतरा हुआ है । 9. मुँह ताकना-(दस ू रे पर आ त होना)-अब गेहूँ के लए हम अमे रका का मुँह नह ं ताकना पड़ेगा। 10. मुँह बंद करना-(चुप कर दे ना)-आजकल र वत ने बड़े-बड़े अफसर का मुँह बंद कर रखा है । 8. दाँत-संबंधी मुहावरे 1. दाँत पीसना-(बहुत है ।
यादा गु सा करना)- भला मुझ पर दाँत
य पीसते हो? शीशा तो शंकर ने तोड़ा
2. दाँत ख े करना-(बुर तरह हराना)- भारतीय सै नक ने पा क तानी सै नक के दाँत ख े कर दए। 3. दाँत काट रोट -(घ न ठता, प क
म ता)- कभी राम और याम म दाँत काट रोट थी पर आज एक-
दस ू रे के जानी द ु मन है । 9. गरदन-संबंधी मुहावरे 1. गरदन झुकाना-(लि जत होना)- मेरा सामना होते ह उसक गरदन झुक गई। 2. गरदन पर सवार होना-(पीछे पड़ना)- मेर गरदन पर सवार होने से तु हारा काम नह ं बनने वाला है । 3. गरदन पर छुर फेरना-(अ याचार करना)-उस बेचारे क गरदन पर छुर फेरते तु ह शरम नह ं आती, भगवान इसके लए तु ह कभी
मा नह ं करगे।
10. गले-संबंधी मुहावरे 1. गला घ टना-(अ याचार करना)- जो सरकार गर ब का गला घ टती है वह दे र तक नह ं टक सकती। 2. गला फँसाना-(बंधन म पड़ना)- दस ू र के मामले म गला फँसाने से कुछ हाथ नह ं आएगा। 3. गले मढ़ना-(जबरद ती कसी को कोई काम स पना)- इस बु ू को मेरे गले मढ़कर लालाजी ने तो मुझे तंग कर डाला है । 4. गले का हार-(बहुत यारा)- तुम तो उसके गले का हार हो, भला वह तु हारे काम को लगा।
य मना करने
11. सर-संबंधी मुहावरे
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1. सर पर भूत सवार होना-(धुन लगाना)-तु हारे सर पर तो हर समय भूत सवार रहता है । 2. सर पर मौत खेलना-(मृ यु समीप होना)- वभीषण ने रावण को संबो धत करते हुए कहा, ‘भैया ! मझ ु े या डरा रहे हो ? तु हारे सर पर तो मौत खेल रह है ‘। 3. सर पर खन ू सवार होना-(मरने-मारने को तैयार होना)- अरे , बदमाश क
या बात करते हो ? उसके
सर पर तो हर समय खून सवार रहता है । 4. सर-धड़ क बाजी लगाना-( ाण क भी परवाह न करना)- भारतीय वीर दे श क र ा के लए सर-धड़ क बाजी लगा दे ते ह। 5. सर नीचा करना-(लजा जाना)-मुझे दे खते ह उसने सर नीचा कर लया। 12. हाथ-संबंधी मुहावरे 1. हाथ खाल होना-( पया-पैसा न होना)- जुआ खेलने के कारण राजा नल का हाथ खाल हो गया था। 2. हाथ खींचना-(साथ न दे ना)-मस ु ीबत के समय नकल
म
हाथ खींच लेते ह।
3. हाथ पे हाथ धरकर बैठना-( नक मा होना)- उ यमी कभी भी हाथ पर हाथ धरकर नह ं बैठते ह, वे तो कुछ करके ह
दखाते ह।
4. हाथ के तोते उड़ना-(दख ु से है रान होना)- भाई के नधन का समाचार पाते ह उसके हाथ के तोते उड़ गए। 5. हाथ हाथ-(बहुत ज द )-यह काम हाथ हाथ हो जाना चा हए। 6. हाथ मलते रह जाना-(पछताना)- जो बना सोचे-समझे काम शु
करते है वे अंत म हाथ मलते रह
जाते ह। 7. हाथ साफ करना-(चुरा लेना)- ओह ! कसी ने मेर जेब पर हाथ साफ कर दया। 8. हाथ-पाँव मारना-( यास करना)- हाथ-पाँव मारने वाला यि त अंत म अव य सफलता 9. हाथ डालना-(शु
ा त करता है ।
करना)- कसी भी काम म हाथ डालने से पव ू उसके अ छे या बुरे फल पर वचार
कर लेना चा हए। 13. हवा-संबंधी मुहावरे 1. हवा लगना-(असर पड़ना)-आजकल भारतीय को भी पि चम क हवा लग चुक है । 2. हवा से बात करना-(बहुत तेज दौड़ना)- राणा लगा।
ताप ने
य ह लगाम हलाई, चेतक हवा से बात करने
3. हवाई कले बनाना-(झूठ क पनाएँ करना)- हवाई कले ह बनाते रहोगे या कुछ करोगे भी ? 4. हवा हो जाना-(गायब हो जाना)- दे खते-ह -दे खते मेर साइ कल न जाने कहाँ हवा हो गई ? 14. पानी-संबंधी मुहावरे [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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1. पानी-पानी होना-(लि जत होना)- य ह सोहन ने माताजी के पस म हाथ डाला क ऊपर से माताजी आ गई। बस, उ ह दे खते ह वह पानी-पानी हो गया। 2. पानी म आग लगाना-(शां त भंग कर दे ना)-तुमने तो सदा पानी म आग लगाने का ह काम कया है । 3. पानी फेर दे ना-( नराश कर दे ना)-उसने तो मेर आशाओं पर पानी पेर दया। 4. पानी भरना-(तु छ लगना)-तुमने तो जीवन-भर पानी ह भरा है । 15. कुछ मले-जुले मुहावरे 1. अँगूठा दखाना-(दे ने से साफ इनकार कर दे ना)-सेठ रामलाल ने धमशाला के लए पाँच हजार
पए
दान दे ने को कहा था, क तु जब मैनेजर उनसे मांगने गया तो उ ह ने अँगूठा दखा दया। 2. अगर-मगर करना-(टालमटोल करना)-अगर-मगर करने से अब काम चलने वाला नह ं है । बंधु ! 3. अंगारे बरसाना-(अ यंत गु से से दे खना)-अ भम यु वध क सूचना पाते ह अजुन के ने
अंगारे
बरसाने लगे। 4. आड़े हाथ लेना-(अ छ तरह काबू करना)- ीकृ ण ने कंस को आड़े हाथ लया। 5. आकाश से बात करना-(बहुत ऊँचा होना)-ट .वी.टावर तो आकाश से बाते करती है । 6. ईद का चाँद-(बहुत कम द खना)- म आजकल तो तुम ईद का चाँद हो गए हो, कहाँ रहते हो ? 7. उँ गल पर नचाना-(वश म करना)-आजकल क औरत अपने प तय को उँ ग लय पर नचाती ह। 8. कलई खुलना-(रह य
कट हो जाना)-उसने तो तु हार कलई खोलकर रख द ।
9. काम तमाम करना-(मार दे ना)- रानी ल मीबाई ने पीछा करने वाले दोन अं ेज का काम तमाम कर दया। 10. कु ते क मौत करना-(बुर तरह से मरना)-रा
ोह सदा कु ते क मौत मरते ह।
11. को हू का बैल-( नरं तर काम म लगे रहना)-को हू का बैल बनकर भी लोग आज भरपेट भोजन नह ं पा सकते। 12. खाक छानना-(दर-दर भटकना)-खाक छानने से तो अ छा है एक जगह जमकर काम करो। 13. गड़े मरु दे उखाड़ना-( पछल बात को याद करना)-गड़े मरु दे उखाड़ने से तो अ छा है क अब हम चप ु हो जाएँ। 14. गुलछर उड़ाना-(मौज करना)-आजकल तुम तो दस ू रे के माल पर गुलछर उड़ा रहे हो। 15. घास खोदना-(फुजूल समय बताना)-सार उ
तुमने घास ह खोद है ।
16. चंपत होना-(भाग जाना)-चोर पु लस को दे खते ह चंपत हो गए। 17. चौकड़ी भरना-(छलाँगे लगाना)- हरन चौकड़ी भरते हुए कह ं से कह ं जा पहुँचे। 18. छ के छुडाना-(ब ़ ुर तरह परािजत करना)-प ृ वीराज चौहान ने मुह मद गोर के छ के छुड़ा दए। 19. टका-सा जवाब दे ना-(कोरा उ तर दे ना)-आशा थी क कह ं वह मेर जी वका का बंध कर दे गा, पर उसने तो दे खते ह टका-सा जवाब दे दया। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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20. टोपी उछालना-(अपमा नत करना)-मेर टोपी उछालने से उसे
या मलेगा?
21. तलवे चाटने-(खुशामद करना)-तलवे चाटकर नौकर करने से तो कह ं डूब मरना अ छा है । 22. थाल का बगन-(अि थर वचार वाला)- जो लोग थाल के बैगन होते ह, वे कसी के स चे म
नह ं
होते। 23. दाने-दाने को तरसना-(अ यंत गर ब होना)-बचपन म म दाने-दाने को तरसता फरा, आज ई वर क कृपा है । 24. दौड़-धूप करना-(कठोर 25. धि जयाँ उड़ाना-(न ट-
म करना)-आज के युग म दौड़-धूप करने से ह कुछ काम बन पाता है । ट करना)-य द कोई भी रा
हमार
वतं ता को हड़पना चाहे गा तो हम
उसक धि जयाँ उड़ा दगे। 26. नमक- मच लगाना-(बढ़ा-चढ़ाकर कहना)-आजकल समाचारप
कसी भी बात को इस
कार नमक-
मच लगाकर लखते ह क जनसाधारण उस पर व वास करने लग जाता है । 27. नौ-दो यारह होना-(भाग जाना)- ब ल को दे खते ह चूहे नौ-दो यारह हो गए। 28. फूँक-फूँककर कदम रखना-(सोच-समझकर कदम बढ़ाना)-जवानी म फँू क-फँू ककर कदम रखना चा हए। 29. बाल-बाल बचना-(बड़ी क ठनाई से बचना)-गाड़ी क ट कर होने पर मेरा म बाल-बाल बच गया। 30. भाड़ झ कना-(य ह समय बताना)- द ल म आकर भी तुमने तीस साल तक भाड़ ह झ का है । 31. मि खयाँ मारना-( नक मे रहकर समय बताना)-यह समय मि खयाँ मारने का नह ं है , घर का कुछ काम-काज ह कर लो। 32. माथा ठनकना-(संदेह होना)- संह के पंज के नशान रे त पर दे खते ह गीदड़ का माथा ठनक गया। 33. म ी खराब करना-(बुरा हाल करना)-आजकल के नौजवान ने बूढ़ क म ी खराब कर रखी है । 34. रं ग उड़ाना-(घबरा जाना)-काले नाग को दे खते ह मेरा रं ग उड़ गया। 35. रफूच कर होना-(भाग जाना)-पु लस को दे खते ह बदमाश रफूच कर हो गए। 36. लोहे के चने चबाना-(बहुत क ठनाई से सामना करना)- मुगल स ाट अकबर को राणा ताप के साथ ट कर लेते समय लोहे के चने चबाने पड़े। 37. वष उगलना-(बरु ा-भला कहना)-दय ु धन को गांडीव धनुष का अपमान करते दे ख अजुन वष उगलने लगा। 38. ीगणेश करना-(शु
करना)-आज बहृ प तवार है , नए वष क पढाई का ीगणेश कर लो।
39. हजामत बनाना-(ठगना)-ये ह पी न जाने कतने भारतीय क हजामत बना चुके ह। 40. शैतान के कान कतरना-(बहुत चालाक होना)-तुम तो शैतान के भी कान कतरने वाले हो, बेचारे रामनाथ क तु हारे सामने बसात ह या है ? 41. राई का पहाड़ बनाना-(छोट -सी बात को बहुत बढ़ा दे ना)- त नक-सी बात के लए तुमने राई का पहाड़ बना दया।
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कुछ
च लत लोकोि तयाँ
1. अधजल गगर छलकत जाए-(कम गुण वाला यि त दखावा बहुत करता है )- याम बात तो ऐसी करता है जैसे हर वषय म मा टर हो, वा तव म उसे कसी वषय का भी पूरा ान नह ं-अधजल गगर छलकत जाए। 2. अब पछताए होत
या, जब च ड़याँ चुग गई खेत-(समय नकल जाने पर पछताने से
या लाभ)- सारा
साल तुमने पु तक खोलकर नह ं दे खीं। अब पछताए होत या, जब च ड़याँ चुग गई खेत। 3. आम के आम गुठ लय के दाम-(दग ु ुना लाभ)- ह द पढ़ने से एक तो आप नई भाषा सीखकर नौकर पर पदो न त कर सकते ह, दस ू रे ह द के उ च सा ह य का रसा वादन कर सकते ह, इसे कहते ह-आम के आम गुठ लय के दाम। 4. ऊँची दक ु ान फ का पकवान-(केवल ऊपर
दखावा करना)- कनॉट लेस के अनेक टोर बड़े
स
है , पर
सब घ टया दज का माल बेचते ह। सच है , ऊँची दक ु ान फ का पकवान। 5. घर का भेद लंका ढाए-(आपसी फूट के कारण भेद खोलना)-कई यि त पहले कां ेस म थे, अब जनता (एस) पाट म मलकर का स क बुराई करते ह। सच है , घर का भेद लंका ढाए। 6. िजसक लाठ उसक भस-(शि तशाल क
वजय होती है )- अं ेज ने सेना के बल पर बंगाल पर
अ धकार कर लया था-िजसक लाठ उसक भस। 7. जल म रहकर मगर से वैर-( कसी के आ य म रहकर उससे श ुता मोल लेना)- जो भारत म रहकर वदे श का गुणगान करते ह, उनके लए वह कहावत है क जल म रहकर मगर से वैर। 8. थोथा चना बाजे घना-(िजसम सत नह ं होता वह दखावा करता है )- गज ने अभी दसवीं क पर
ा
पास क है , और आलोचना अपने बड़े-बड़े गु जन क करता है । थोथा चना बाजे घना। 9. दध ू का दध ू पानी का पानी-(सच और झूठ का ठ क फैसला)- सरपंच ने दध ू का दध ू ,पानी का पानी कर दखाया, असल दोषी मंगू को ह दं ड मला। 10. दरू के ढोल सुहावने-(जो चीज दरू से अ छ लगती ह )- उनके मसूर वाले बंगले क बहुत शंसा सुनते थे क तु वहाँ दग ु ध के मारे तंग आकर हमारे मुख से नकल ह गया-दरू के ढोल सुहावने। 11. न रहे गा बाँस, न बजेगी बाँसुर -(कारण के न ट होने पर काय न होना)- सारा दन लड़के आम के लए प थर मारते रहते थे। हमने आँगन म से आम का व ृ
क कटवा दया। न रहे गा बाँस, न बजेगी
बाँसुर । 12. नाच न जाने आँगन टे ढ़ा-(काम करना नह ं आना और बहाने बनाना)-जब रवीं ने कहा क कोई गीत सुनाइए, तो सुनील बोला, ‘आज समय नह ं है ’। फर कसी दन कहा तो कहने लगा, ‘आज मूड नह ं है ’। सच है , नाच न जाने आँगन टे ढ़ा। 13. बन माँगे मोती मले, माँगे मले न भीख-(माँगे बना अ छ व तु क
ाि त हो जाती है , माँगने पर
साधारण भी नह ं मलती)- अ यापक ने माँग के लए हड़ताल कर द , पर उ ह
या मला ? इनसे तो
बैक कमचार अ छे रहे , उनका भ ता बढ़ा दया गया। बन माँगे मोती मले, माँगे मले न भीख। [Ahalgama Aashwin v 9904643643 www.ashwin100.webs.com
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14. मान न मान म तेरा मेहमान-(जबरद ती कसी का मेहमान बनना)-एक अमे रकन कहने लगा, म एक मास आपके पास रहकर आपके रहन-सहन का अ ययन क ँ गा। मने मन म कहा, अजब आदमी है , मान न मान म तेरा मेहमान। 15. मन चंगा तो कठौती म गंगा-(य द मन प व
है तो घर ह तीथ है )-भैया रामे वरम जाकर
या
करोगे ? घर पर ह ईश तु त करो। मन चंगा तो कठौती म गंगा। 16. दोन हाथ म ल डू-(दोन ओर लाभ)- मह
को इधर उ च पद मल रहा था और उधर अमे रका से
वजीफा उसके तो दोन हाथ म ल डू थे। 17. नया नौ दन पुराना सौ दन-(नई व तुओं का व वास नह ं होता, पुरानी व तु टकाऊ होती है )- अब भारतीय जनता का यह व वास है क इस सरकार से तो पहल सरकार फर भी अ छ थी। नया नौ दन, पुराना नौ दन। 18. बगल म छुर मुँह म राम-राम-(भीतर से श ुता और ऊपर से मीठ बात)- सा ा यवाद आज भी कुछ रा
को उ न त क आशा दलाकर उ ह अपने अधीन रखना चाहते ह, पर तु अब सभी दे श समझ
गए ह क उनक बगल म छुर और मँुह म राम-राम है । 19. लात के भत ू बात से नह ं मानते-(शरारती समझाने से वश म नह ं आते)- सल म बड़ा शरारती है , पर उसके अ बा उसे यार से समझाना चाहते ह। क तु वे नह ं जानते क लात के भूत बात से नह ं मानते। 20. सहज पके जो मीठा होय-(धीरे -धीरे कए जाने वाला काय
थायी फलदायक होता है )- वनोबा भावे
का वचार था क भू म सुधार धीरे -धीरे और शां तपूवक लाना चा हए
य क सहज पके सो मीठा होय।
21. साँप मरे लाठ न टूटे -(हा न भी न हो और काम भी बन जाए)- घन याम को उसक द ु टता का ऐसा मजा चखाओ क बदनामी भी न हो और उसे दं ड भी मल जाए। बस यह समझो क साँप भी मर जाए और लाठ भी न टूटे । 22. अंत भला सो भला-(िजसका प रणाम अ छा है , वह सव तम है )- याम पढ़ने म कमजोर था, ले कन पर
ा का समय आते -आते परू तैयार कर ल और पर
ा थम
ेणी म उ तीण क । इसी को कहते ह
अंत भला सो भला। 23. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए-(बहुत कंजूस होना)-मह पाल अपने बेटे को अ छे कपड़े तक भी सलवाकर नह ं दे ता। उसका तो यह स ा त है क चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए। 24. सौ सुनार क एक लुहार क -( नबल क सैकड़ चोट क सबल एक ह चोट से मुकाबला कर दे ते है )कौरव ने भीम को बहुत तंग कया तो वह कौरव को गदा से पीटने लगा-सौ सुनार क एक लुहार क । 25. सावन हरे न भाद सूखे-(सदै व एक-सी ि थ त म रहना)- गत चार वष म हमारे वेतन व भ ते म एक सौ
पए क बढ़ो तर हुई है । उधर 25 क सावन हरे न भाग सूखे
तशत दाम बढ़ गए ह-भैया हमार तो यह ि थ त रह है
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