सीएनएस दृष्टिकोण हमारे पररप्रेक्ष्य में विश्ि टीबी ररपोटट 2012 के क्या मायने हैं?
सीएनएस दृष्टटकोण सीएनएस द्वारा प्रस्तुत शंखला है िो स्वास््य से िड़ ु े सामययक प्रकाशनों का हमारे पररप्रेक्ष्य में ववश्लेषण प्रस्तुत करती है । स्थानीय, राटरीय, क्षेत्रीय एवं अंतरााटरीय स्वास््य कायाक्रम, स्वास््य कायानीयत, समुिाय पररप्रेक्ष्य, आदि ऐसे बबन्ि ु हैं
ष्िन्हें आपस में िोड़ना आवश्यक है । यह प्रकाशन, ससदिज़न न्यूज़ सववास (सीएनएस), एवं उसके सहयोगी - िनासलस्ट्सस अगेन्स्ि िीबी, स्वास््य को वोि असभयान, िन आंिोलनों का
राटरीय समन्वय, आशा पररवार, एवं ववश्व स्िॉप-िीबी ई-फोरम - द्वारा संयुक्त रूप से िारी ककया गया है ।
अक्तूबर 2012 यह प्रकाशन ‘कक्रएदिव कामन्स’ लाइसेन्स के अंतगात प्रकासशत है ।
सीएनएस संपादिका शोभा शक् ु ला व उनकी िीम:
भारती घनश्याम, बाबी रमाकांत, राहुल द्वववेिी, ररतेश आयाा
ससदिज़न न्यूज़ सववास के लेखन मण्डल के सिस्य उन्हीं मुद्दों के बारे में सलखते हैं ष्िनके साथ वो रोिाना ष्ज़ंिगी ज़ी रहे हैं या
उनसे प्रभाववत हैं। सीएनएस के लेख अँग्रेिी और अन्य स्थानीय भाषाओं में अनेक िे शों में ववसभन्न मीडडया में (वप्रंि, ऑनलाइन
आदि) प्रकासशत होते हैं। सीएनएस, स्वास््य और ववकास से िड़ ु े मद्द ु ों पर मीडडया, सच ू ना एवं संचार से िड़ ु ी अनेक सेवाएँ भी प्रिान करता है ।
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ससटटज़न न्यज़ ू सविटस (सीएनएस/ CNS)
सी-2211,विश्ि सी-ब्लॉक चौराहा, इष्न्िरा नगर, लखनऊ-226016। भारत 2 | सीएनएस दृष्टटकोण: टीबी ररपोटट 2012
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टीबी कायटक्रम अपने 2015 के लक्ष्य की ओर अग्रसर 2011 में ववश्व में अनम ु ायनत 87 लाख िीबी के नए रोगी थे ष्िनमें से केवल 58 लाख को उपचार समल सका। यह कुल अनुमायनत िीबी रोगगयों का 66 प्रयतशत है । यायन कक 2011 में 34 प्रयतशत या 30 लाख ऐसे िीबी रोगी थे ष्िन्हें या तो कोई उपचार समला ही नहीं या उगचत
उपचार सेवा नहीं प्राप्त हुई। िुःु ख की बात है कक यह संख्या वपछले 3 सालों से एकसमान रही है । 2011 में , भारत में िीबी के 22 लाख रोगी थे हालांकक यह वपछले साल के मक़ ु ाबले 1 लाख कम थी। कफर भी भारत ववश्व का सबसे अगिक िीबी भार वहन करता है (26 प्रयतशत) और िस ू रे नंबर पर चीन है । पहली बार, इस ररपोिा में , बाल-िीबी पर आंकड़ें प्रस्तुत ककए गए
2011 में 34
प्रततशत या 30 लाख ऐसे टीबी रोगी थे ष्िन्हें या तो कोई उपचार समला ही नहीीं
हैं ष्िनके अनुसार 2011 में 5 लाख बच्चे िीबी से ग्रससत थे
या उचचत उपचार
1990 से अब तक िीबी की मत्यु िर में 41% की कमी आई है
सेिा नहीीं प्राप्त हुई। दुःु ख की बात है कक
तथा 64,000 की मत्यु हो गयी।
और ऐसा प्रतीत होता है कक स्िॉप-िीबी ग्लोबल प्लान (20112015) के लक्ष्य के अनुसार 2015 तक िीबी मत्यु िर 50 प्रयतशत कम हो सकेगी। 1995 और 2011 के बीच में 5.1 करोड़ िीबी रोगगयों को सफलतापूवक ा उगचत िीबी उपचार समल सका ष्िसके कारण 2 करोड़ िीवन बचाए िा सके।
यह सींख्या वपछले 3 सालों से एकसमान रही है ।
दिा प्रततरोधक टीबी (एमडीआर-टीबी) पर ये आशावािी आंकड़ें िवा प्रयतरोिक िीबी (एमडीआर-िीबी) पर नहीं लागू होते हैं ष्िसका प्रकोप यनरं तर बना हुआ है । ववश्व स्तर पर 2015 तक सभी एमडीआर-िीबी के रोगगयों को उगचत िांच और उपचार प्रिान करने का तथा कम-से-कम 75% ‘उपचार सफलता िर’ प्राप्त करने का लक्ष्य है । परं तु वतामान में 107 में से केवल 30 िे शों में ही उपचार सफलता िर 75 प्रयतशत या
उससे अगिक है , और 77 िे शों में यह िर बहुत ही कम है । यह भी नहीं पता है कक 27 अगिक एमडीआर-िीबी (िवा प्रयतरोिक िीबी) वाले गचष्ननत िे शों में उपचार सफलता िर क्या है ? 3 | सीएनएस दृष्टटकोण: विश्ि टीबी ररपोटट 2012
ववश्व स्तर पर 2011 में 440,000 अनुमायनत एमडीआर-िीबी (िवा प्रयतरोिक िीबी) रोगगयों में से केवल 60,000 (14 प्रयतशत) रोगगयों को गचष्ननत ककया गया है ।
भारत में 4% से भी कम एमडीआर-िीबी रोगगयों को उपचार प्राप्त हो रहा है । 96% एमडीआर-िीबी रोगगयों को बबना-िांच- बबना उपचार छोडना िन स्वास््य और सामाष्िक न्याय िोनों की ही अवमानना है । स्िॉप-िीबी
ग्लोबल
प्लान
के
अनुसार
सभी
27
अगिक
एमडीआर-िीबी वाले िे शों में उनके उपचार संबि ं ी ऑनलाइन आंकड़ों का संकलन 2015 तक बन िाना चादहए। 20 िे शों ने ऐसा कर भी सलया है परं तु भारत, िो ववश्व का िस ू रा सबसे
अगिक एमडीआर-िीबी भार वहन करता है , वहाँ पर अभी तक यह एमडीआर-िीबी संबंिी आंकड़ें ऑनलाइन नहीं हैं। भारत में िवा-प्रयतरोिक िीबी की िांच करने के सलए केवल 37 ऐसी प्रयोगशालाएँ हैं ष्िन्हें डीएसिी लैब कहते हैं। इसका अथा यह हुआ कक प्रत्येक 5 करोड़ िन संख्या के सलए केवल 1 डीएसिी लैब है । िबकक ववश्व स्वास््य संगठन का मानना है कक प्रत्येक 50 लाख लोगों के सलए एक डीएसिी लैब होनी चादहए। भारत सरकार के पुनरीक्षक्षत राटरीय िीबी यनयंत्रण कायाक्रम की योिना आयोग को िी गयी 2011 ररपोिा के अनुसार भारत में
प्रयत वषा 99,000 एमडीआर-िीबी या िवा प्रयतरोिक िीबी के नए रोगी अनुमायनत हैं, परं तु 2007 में शुरू की गईं ‘डाट्ससप्लस’ सेवाओं के अंतगात अभी तक केवल 19,178 िीबी रोगगयों
भारत में 4% से भी कम एमडीआर-िीबी रोगगयों को उपचार प्राप्त हो रहा है । 96% एमडीआरिीबी रोगगयों को बबना-िांच- बबना उपचार छोडना िन स्वास््य और सामाष्िक न्याय िोनों की ही अवमानना है ।
की एमडीआर-िीबी के सलए िांच की गयी ष्िनमें से 5365 को एमडीआर-िीबी थी और इनमें से मात्र 3610 को उपचार शुरू ककया गया। ववश्व िीबी ररपोिा 2012 के अनुसार, 2011 में भारत में 4237 लोगों में एमडीआर-िीबी पायी गयी ष्िनमें से केवल 3384 का उपचार शुरू ककया
गया। प्रश्न यह है कक िब प्रयतवषा 99,000 एमडीआर-िीबी रोगी अनुमायनत हैं तो केवल 3-4% को ही इलाि क्यों उपलब्ि हो पा रहा है ? इसका सीिा तात्पया यह है कक प्रयतवषा लगभग 4 | सीएनएस दृष्टटकोण: विश्ि टीबी ररपोटट 2012
97,000 लोग एमडीआर-िीबी के उपचार से वंगचत है । यह भारत और ववश्व िीबी यनयंत्रण के सलए एक शमानाक ष्स्थयत है ।
2012 में , भारत में टीबी सीरोलाष्िक टे स्ट पर लगा प्रततबींध भारत सरकार ने 7 िून 2012 के बाि से िीबी
सीरोलोष्िकल िे स्ि के इस्तेमाल, बबक्री, आयात, या यनमााण पर प्रयतबंि लगा दिया है क्योंकक यह िे स्ि अत्यगिक महं गा होने के साथ-साथ िीबी परीक्षण के सलए उपयुक्त भी नहीं है । भारत के पुनरीक्षक्षत राटरीय िीबी
यनयंत्रण
कायाक्रम
ने
कभी
भी
इन
िीबी
सीरोलोष्िकल िे स्ि को समथान नहीं दिया है । ववश्व स्वास््य संगठन ने भी िुलाई 2011 को इन िीबी सीरोलोष्िकल िे स्ि के उपयोग के ववरोि में भसू मका ली। लखनऊ और बैंग्लोर में सीएनएस लेखकों की
ररपोिा के अनुसार अनेक यनिी ‘पैथोलािी’ केंि यह िे स्ि अभी भी कर रहे हैं और अन्य शहरों में भी
शायि यही हाल हो। यह अत्यंत आवश्यक है कक इस कानन ू को सरकार सख्ती से लागू करे ष्िससे कक िीबी यनयंत्रण कायाक्रम अगिक सफल हो सके, िीबी िवाओं
के प्रयत िवा-प्रयतरोिकता कम हो सके, बबना मतलब
भारत सरकार ने 7 िन ू 2012 के बाि से िीबी
सीरोलोष्िकल िे स्ि के इस्तेमाल, बबक्री, आयात, या यनमााण पर प्रयतबंि लगा दिया है क्योंकक यह िे स्ि अत्यगिक महं गा होने के साथ-साथ िीबी परीक्षण के सलए उपयुक्त भी नहीं है
लोग िीबी िवा न लें और िीबी रोगगयों का पैसा व्यथा न िाये।
एक्सडीआर-टीबी (अतत-दिा प्रततरोधक टीबी) एक्सडीआर-टीबी (अतत-दिा प्रततरोधक टीबी): ववश्व िीबी ररपोिा 2012 के अनुसार, भारत समेत 84 िे शों में अब तक ‘एक्सडीआर-िीबी’ के रोगी पाये गए हैं। अनुमानत: 9% एमडीआर-िीबी (िवा प्रयतरोिक िीबी) के मरीिों को एक्सडीआर-िीबी (अयत-िवा प्रयतरोिक िीबी) है ।
5 | सीएनएस दृष्टटकोण: विश्ि टीबी ररपोटट 2012
टीबी-एचआईिी सह-सींक्रमण टीबी-एचआईिी सह-सींक्रमण: 2011 में अनम ु ायनत 87 लाख िीबी रोगगयों में से 11 लाख एचआईवी से सह-संक्रसमत थे। इनमें से केवल 48% को ही ऐंिीरे रोवाइरल िवाएं नसीब हो पायीं
िबकक डबल्यए ू चओ का मानना है कक सभी (100%) िीबी-एचआईवी सह-संक्रसमत रोगगयों को बबना ववलंब ऐंिीरे रोवाइरल िवाएं समलनी चादहयेँ, िो उनके सीडी-4 काउं ि पर यनभार न हो।
ववश्व के पाँच सबसे अगिक िीबी-एचआईवी सह-संक्रमण से िझ ू रहे िे शों में से भारत भी एक िे श है । 2011 में भारत में 6.89 लाख लोग िीबी-एचआईवी से सह-संक्रसमत थे। भारत में
अनुमायनत िीबी रोगगयों (22 लाख) में से ससफा 45% का ही एचआईवी परीक्षण हुआ ष्िनमें से 45,000 िीबी रोगी (6.5%) एचआईवी से ग्रससत पाये गए। इन 45,000 िीबी-एचआईवी सहसंक्रसमत रोगगयों में से केवल 59% को ऐंिीरे रोवाइरल उपचार (एआरिी) शुरू ककया िा सका।
टीबी की नयी दिाएीं टीबी की नयी दिाएीं: इस समय 11 नयी िवाएं तथा 12 नयी ‘वैक्सीन’ (िीबी प्रयतरोिक िीका) शोि प्रकक्रया के ववसभन्न चरणों में हैं।
टीबी कायटक्रम का वित्त पोषण टीबी कायटक्रम का वित्त पोषण: वतामान में 2013-2015 के सलए अंतरााटरीय िीबी यनयंत्रण के सलए अमरीकी डालर 8 अरब की िरूरत है ष्िसमें से अमरीकी डालर 5 अरब हैं , और अमरीकी डालर 3 अरब की कमी है । 2010 में िीबी की नयी िाँचें, िवाएं और वैक्सीन आदि के शोि के सलए अमरीकी डालर 2 अरब की िरूरत थी ष्िसमें से अमरीकी डालर 60 करोड़ तो उपलब्ि हो पाये परं तु अमरीकी डालर 1.4 अरब की कमी रही। 2011 में भारत में िीबी यनयंत्रण का कुल बिि अमरीकी डालर 13.9 करोड़ था िो पूणत ा : उपलब्ि रहा, कमी नहीं रही और इस अमरीकी डालर 13.9 करोड़ में से 44% भारत सरकार
और िे सी िाता संस्थाओं से प्राप्त हुआ और 49% “ग्लोबल फ़ंड िू फाइि एड्स, िीबी एंड मलेररया” द्वारा उपलब्ि कराया गया। 6 | सीएनएस दृष्टटकोण: विश्ि टीबी ररपोटट 2012
िीबी की सबसे प्रचसलत िांच, ‘स्पूिम माइक्रोस्कोपी’, 100 साल से भी परु ानी ववगि है ।
इससे ससफा आिे िीबी रोगी गचष्ननत हो पाते
हैं। एचआईवी के साथ िीववत लोगों में िीबी परीक्षण के सलए ही यह िांच उपयोगी नहीं है । िीबी की अगिकांश दिाएीं 40 साल या अगिक परु ानी हैं ष्िन्हें कमसे-कम 6-9 महीने लेना पड़ता है । ररफेमवपससन, िो िीबी उपचार
के सलए सबसे प्रभावशाली िवा है , को एचआईवी के साथ िीववत लोगों को िीबी उपचार के सलए इससलए नहीं दिया िाता क्योंकक वो अनेक ऐंिीरे रोवाइरल िवाओं के साथ सही नहीं बैठती। िीबी िैक्सीन ‘बीसीिी’ 85 साल से अगिक पुरानी है । यह बच्चों
को कुछ अत्यंत गंभीर िीबी से बचाती है पर फेफड़े के िीबी से नहीं बचाती।
7 | सीएनएस दृष्टटकोण: विश्ि टीबी ररपोटट 2012
मीडडया सींिाद सीएनएस द्वारा समन्वययत स्वास््य को वोि असभयान द्वारा मीडडया संवाि
अनेक स्वास््य और ववकास से िुड़े मद्द ु ों पर आयोष्ित होता रहा है । 22 अक्तूबर 2012 को मीडडया संवाि ववश्व िीबी ररपोिा 2012 पर आयोष्ित हुआ ष्िसमें ववसभन्न समाचार पत्रों और अन्य मीडडया से 14 पत्रकारों ने भाग सलया। इसमें
कुछ लोगों ने ‘वेबबनार’ द्वारा भी भाग सलया। वररटठ पत्रकार और िनासलस्ट्सस
अगेन्स्ि िीबी का नेतत्व कर रहीं भारती घनश्याम और सीएनएस संपादिका शोभा शक् ु ला इस मीडडया संवाि में मख् ु य वक्ता रहे ।
इस मीडडया संवाि में नवीनतम ववश्व िीबी ररपोिा 2012 को भारतीय पन ु रीक्षक्षत
राटरीय िीबी यनयंत्रण कायाक्रम, स्िॉप-िीबी ग्लोबल प्लान (2011-2015) और वपछले सालों की िीबी ररपोिों के पररप्रेक्ष्य में प्रस्तुत ककया गया और चचाा हुई। इसको ससदिज़न न्यज़ ू सववास ने अनेक सहयोगगयों के साथ आयोष्ित ककया था िो इस प्रकार हैं: िनासलस्ट्सस अगेन्स्ि िीबी, स्वास््य को वोि असभयान, हे ल्थ राइिसा, आशा पररवार, िन आंिोलनों का राटरीय समन्वय और ग्लोबल स्िॉप-िीबी ई-
फॉरम। हम इस प्रकाशन में इस मीडडया संवाि के बाि, दहन्िी और अँग्रेिी समाचार पत्रों में प्रकासशत संबष्न्ित समाचार की प्रयतयाँ प्रस्तत ु कर रहे हैं।
अचधक िानकारी के सलए सींपकट करें : राहुल द्वििेदी – सीएनएस ईमेल: rahul@citizen-news.org | फोन: +91-983-999-0966 | फ़ैक्स: +91-(0)-522-2358230
8 | सीएनएस दृष्टटकोण: विश्ि टीबी ररपोटट 2012
9 | सीएनएस दृष्टटकोण: विश्ि टीबी ररपोटट 2012
10 | सीएनएस दृष्टटकोण: विश्ि टीबी ररपोटट 2012
11 | सीएनएस दृष्टटकोण: विश्ि टीबी ररपोटट 2012
12 | सीएनएस दृष्टटकोण: विश्ि टीबी ररपोटट 2012
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विश्ि स्तर पर टीबी तनयींत्रण लक्ष्य ितटमान में टीबी तनयींत्रण कहााँ हैं
ितटमान में टीबी तनयींत्रण कहााँ होना चाटहये 2011
मानक
2011 लक्ष्य
2015 लक्ष्य
61 लाख
69 लाख
6%
40%
100%
60,000
130,000
270,000
48%
82%
100%
40%
100%
100%
उन लोगों की संख्या ष्िनकी 58 लाख िीबी िांच हुई और उपचार हुआ ककतने प्रयतशत पुराने िीबी रोगगयों में एमडीआर-िीबी पायी गयी? उन एमडीआर-िीबी रोगगयों की संख्या ष्िनको डबल्यए ू चओ मागािशान
(गाइडलाइन) के अनस ु ार उपचार समला
ककतने प्रयतशत िीबीएचआईवी सह-संक्रसमत लोगों को ऐंिीरे रोवाइरल िवा समली? ककतने प्रयतशत िीबी रोगगयों की ही िांच हुई?
NOTE: This table (and image below) is part of the snapshot of the global TB pandemic and gaps in funding which was published by the Stop TB Partnership and WHO. It is available online at: http://www.stoptb.org/assets/documents/news/TB_CurableA4folded.pdf
15 | सीएनएस दृष्टटकोण: विश्ि टीबी ररपोटट 2012
हम
टीबी
को खत्म कर सकते हैं अपनी बात अिश्य कहें ! िीबी ऑनलाइन संवाि के सलए कपया ग्लोबल स्टॉप-टीबी ई-फोरम से िड़ ु ें: Stop-TB-subscribe@yahoogroups.com
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