Oasis day 1

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Le`fr ओएसि​ि श्रख ं ला | सिवि 1 | अंक 2


संपादक की कलम से ओएसि​ि-2014 का आगाज हो चुका है |

थीम को हकीकत में तबदील करने के सलए ओएसि​ि िे

21 िे 26 अक्टू बर तक दीपावली की छु सियो​ों के दौरान के

जुड़े हर व्यक्ति को धन्यवाद सकया जाना चासहए| माररयो

सपलानी में और एक नवम्बर के सपलानी में बहुत अोंतर है |

िे फ़्रेंि् ि तक, पोकेमोन िे स्टारवािट तक, बचपन की हर

एक वीरान-िुनिान मरुस्थल अब जीवोंत शहर-िा लगता

एक धुोंधली याद को तारो-ताज़ा कर दे ने की यह कोसशश

है | रात के चार बजे भी कैम्पि में हर जगह प्रसतभासगयो​ों के

अगले कुछ सदनो​ों में अपने पूरे रों ग में होगी| सफर भी, अभी

िमूह जहा​ाँ अगले सदन की तैयाररयो​ों में जुटे हुए हैं , वहीों

तक के अनुभव िे व्यक्तिगत स्तर पर मेरा यह मानना है

क्लब सिपाटट मेंट इिके िफल आयोजन के अोंसतम चरणो​ों

सक शक्तिमान और िाउथ पाकट के प्रशाों शक थोड़ा सनराश

पर सवचार करते सदख जाते हैं |

जरूर हो​ोंगे|

इतनी िारी चीजो​ों में िे सकिको चुना जाए और सकिको

इि िब के बीच एक सशकायत भी है आपिे| नब्बे के

नकारा जाए, यह द्वों द्व एक प्रथम वर्षीय के ज़हन में होना

दशक को लेकर भावुक होने वाली जनता अनुभव की

लाज़मी है | खैर, इि प्रथम अनुभव के हर एक पल को

तौहीन बड़े ही आराम िे कर दे ती है | उद् घाटन िमारोह

स्मृसत के तौर पर िमेट लेने की कोसशश मात्र ही आपकी

के दौरान प्रो. बी. एन. जैन और मुख्य असतसथ के भार्षण के

िफलता दशाटती है |

दौरान िभागार में लोग खुद में ही मशबूल सदखे| यह

एक-दो सदन पहले बचपन में गाने िुनने के सलए उपयोग

सवचार सकया जाना चासहए सक बचपन की नादानी एक

में सलए जाने वाले ‘वॉकमैन’ की याद आ गयी थी, तबिे ही

तरफ होती है और जवानी की िभ्यता दू िरी ओर| दोनो​ों

यह िमझ में आ गया सक That ‘90s Show का सवचार

का िोंतुसलत होना ही एक िभ्य इों िान की सनशानी होती है |

अपने आप में ही अद्भुत क्ो​ों है | इि बात को पु ख्ता करने

भावनाओों में बहने के सलए माफी चाहाँ गा| एक बार सफर िे

के सलए यह भी काफी है सक इि थीम नें क्लब के पाि-

ओएसि​ि के अगले सदनो​ों के सलए िभी प्रसतभासगयो​ों एवों

आउट िीसनयिट को सपलानी की ओर खीोंच सलया| इि

सबट् सियन जनता को शुभकामनाएाँ |

90 के दशक में पन ु र्ा​ात्रा आज जो है हमारी िु बह थोड़ी दे र िे हुई, नाश्ते की जगह

को और दे र रात तक जगा कर कॉल-ऑफ-ड्यूटी

िीधे दोपहर का खाना खाकर जब हम अपने पैजामो​ों में

क्तखलवाने के सलए अपने िभी समत्रो​ों को कोिते हुए हम

कॉलेज भ्रमण के सलये सनकले तो बाहर की चहल-पहल

दौड़ते भागते क्लब रूम पहुाँ च गए। हमारा पूरा सदन गद्दे ,

और भरपूर मात्रा में नए चेहरो​ों को घूमता हुआ दे ख कर

दररया​ाँ , और रजाईया​ाँ ढोते हुए मस्ती में कटा। जैिे-जैिे

हमें कुछ असनष्ट की आशों का हुई। फोन उठा कर दे खा तो

शाम नज़दीक आ रही थी हमारा उत्साह और जोश बढ़ता

आशोंका िही सनकली, ओएसि​ि का आज पहला सदन था

जा रहा था, और भाई ऐिा क्ो​ों न हो आक्तखर हमारा

और क्लब के िदस्ो​ों की भर-भर के समिकॉल आई हुई थी। अब तो हमारी

पहला ओएसि​ि जो ठहरा। उि पर भी उद् घाटन िमारोह को चोंद घोंटे ही शेर्ष

हालत खराब, खैर रात में फोन की

थे। हा​ाँ जी, आपने िही िुना हम प्रथम

आवाज़ बोंद कर के िोने के सलए खुद

वर्षट के छात्र हैं और अब आप यहा​ाँ पर


हमारी ही नज़रो​ों िे ओएसि​ि की क्लब और िाों ि क्लब की प्रस्तुसतयो​ों की पहली झलक दे खेंगे। हमेशा िे ही सजिका हमें बेिब्री िे इों तज़ार था। 90 सनधाटररत िमय िे आधे -एक घण्टे सवलम्ब की दशक के गानो​ों पर प्रदसशटत सकए गए िे शुरू होने वाले आयोजनो​ों के आदी िाों ि क्लब के नृत्य को दशटको​ों ने खूब िराहा, सबट् सियोंि को आज भी कोई सनराशा नहीों हुई। िाढ़े छः िभागार में पीछे खड़े हमारे कुछ समत्रो​ों ने खुद भी नाचकर बजे के सनधाटररत िमय िे मात्र आधे घण्टे दे री िे आरम्भ अपनी िराहना सदखाने में कोई कोताही न की। ऐिे मौको​ों हुए िमारोह का िभी ने ज़ोरदार और औसचत्यहीन पर हम भी ठु मके लगाने में नहीों िकुचाते पर आि-पाि उद् घोर्ष िे स्वागत सकया। शाम की पहली प्रस्तुसत म्यूसज़क बैठे क्लब के वररष्ठ िदस्ो​ों का सलहाज करते हुए हमने क्लब ने दी, दे खें ज़रा-ज़रा और छै या​ाँ -छै या​ाँ िरीखे गीत अपनी िीट पर बैठे-बैठे ही थोड़ी कमर सहला ली। खैर गाकर हमें 90 के दशक की एक झलक सदखाई। इि वापि उद् घाटन िमारोह पर आते हैं , तो िाों ि क्लब की शुरुआती गाने -बजाने के बाद स्टू का के िदस्ो​ों और प्रस्तुसत के बाद माइम क्लब ने कुछ झेलने योग्य तो कुछ असतसथयो​ों

का

पररचय

अत्योंत

िराहनीय

माइम

दशटको​ों िे करवाया गया।

पेश की। सबट् ि के प्रथम

जहा​ाँ स्टू का के िदस्ो​ों के

वर्षट के छात्रो​ों की रातो​ों की

पररचय को अनौपचाररक

नीद ों

और मखौसलक बनाने की

जनरल बायोलॉजी के कोिट

कोसशश की गई तो वहीों

पर केंसित माइम को िभी

असतसथगणो​ों के पररचय के

ने बेहद पिोंद सकया और

दौरान उनकी हर एक सिग्री

भाई करे भी क्ो​ों न आक्तखर

और उप्लब्धी की जानकारी

हर बच्चा इि कोिट िे

दे ने में कोई किर नहीों छोड़ी

िताया हुआ जो था (घोट

हराम

करने

वाले

गई। इिके बाद आया मों च पर मौज़ूद असतसथयो​ों द्वारा कृपया बुरा न मानें)। िमारोह में आक्तखर में माइम क्लब दशटको​ों को िम्बोसधत करने का दौर। हाला​ाँ सक यह नहीों द्वारा श्क्क्लम जॉब समसलयनेयर नामक एक सवसियो प्रस्तुत कहा जा िकता सक हम िम्बोसधत होने को बड़े उत्सासहत सकया गया जो सक कैम्पि प्लेिमेन्ट पर आधाररत था। थे पर अब असधकाररक रूप िे ओएसि​ि के प्रारम्भ की इतने िब पर भी दशट को​ों को और दे खने की भूख थी वे तब घोर्षणा की घड़ी भी नज़दीक आ रही थी तो उत्साह तो तक वहा​ाँ बैठे रहे जब तक माइक पर िमारोह िमाक्ति बना हुआ ही था। दीप प्रज्ज्वलन और असतसथ िम्मान के की घोर्षणा नहीों की गई। पूरे आयोजन के दौरान दशटक

बाद छात्रिोंघ के अध्यक्ष िाई प्रणीत ने िभी का स्वागत मस्ती करते हुए सदखे। वे दशटक सजन्हें क्लबो​ों के सलए भारी करते हुए िफल ओएसि​ि के सलए छात्रो​ों िे िहयोग का मात्रा में आरसक्षत िीटो​ों के कारण बैठने की जगह नहीों आग्रह सकया। इिके बाद प्रसिद्ध बॉलीवुि सनदे शक समली भी पूरे जोश िे नाचते और सचल्लाते हुए सदखाई एि.आर. राघवन ने छात्र जीवन िे जुड़ी कई बातो​ों पर पड़े । हालाों सक कुछ िीसनयिट िे हुई हमारी बात िे यह भी चचाट की और मोंच छोड़ने िे पहले ओएसि​ि को ‘open’ पता चला सक यह उद् घाटन िमारोह सपछले कुछ वर्षों की घोसर्षत सकया। इिके बाद फैशन क्लब द्वारा सबट् ि अपे क्षा फीका रहा। अब भाई बुज़ुगट जो भी कहें हमारे मचेंिाईि प्रदसशटत की गई जो सक फैशन शो सलए तो यह एक अनोखा और मदमस्त करने की पद्धती पर आधाररत था। पूरे शो के वाला आयोजन था। उत्साह अब इि लेख दौरान दशट को​ों की िीसटया​ाँ कब रुकी रही की तरह ही िमाि हो रहा है और अब हो​ों हमें याद नहीों। अब बारी थी माईम हम चले नीोंद के आगोश में।


रूबरू:- ननरं जन गोस्वामी ओएसि​ि उदघाटन िमारोह के सवसशष्ट असतसथ पद्मश्री िम्मासनत, श्री सनरों जन गोस्वामी पारों पररक बाों ग्ला धोती-कुते में उदघाटन िमारोह में उपक्तस्थत हुए। सहन्दी प्रेि के िदस् जब उनिे समलने उनके कक्ष पहुों चे तो उनहो​ोंने नमस्कार िे स्वागत सकया एवों सवनम्रता िे बैठाया। वे सनःिोंकोच मुस्कराते हैं एवों उनका व्यक्तित्व भोले बालक के िमान है । अब वे कुताट पाजामा पहने हैं । हाँ ि कर दादा (बाों ग्ला में आदर िूचक) कहते हैं सक

बेल्ट वाली अोंग्रेज़ी पेंट तो उन्हे बहुत बाद में समली। एक महान कलाकार का इि तरह अपनेपन िे बात करना लाजवाब था। अपने बचपन को याद करते हुए उनहो​ोंने बताया की सथएटर उनहो​ोंने एक रुसच मात्र की तरह शु रू सकया था, जो आगे चलकर उनकी सजोंदगी की सदशा बन गया। हाई स्कूल तक तो वे सिकेट में भी रुसच रखते थे । वे बताते हैं सक सकि प्रकार टीम के चयन के दौरान उनके प्रसशक्षक ने तो उन्हें चुन सलया परों तु खेल िोंघ ने उन्हें नकार सदया। तब उनहो​ोंने माइम की और रुख सकया। उन सदनो​ों को याद करते हुये उन्हो​ोंने कहा सक ये कदम उनके सलए एक जुए के िमान था। सकस्मत िाथ रही और वे सवजयी रहे ।। बोंगाल में कला का स्वभासवक रुझान है , सजि कारण उनके माता-सपता भी िाथ दे ते रहे । उनके मातासपता को उनकी छु पी कला का पता तब चला जब उन्हें िरकार िे सथएटर में उच्च सशक्षा के सलए िोंस्कृसत मोंत्रालय िे छात्रवृसि समली। कॉलेज जाकर तो वे िम्पूणट रूप िे क्तखल गए। वे बताते हैं सक उन्हे लगने लगा सक उनके सलए माइम सवचारो​ों को प्रकट करने का िवोिम माध्यम है । उनका सथएटर कलकिा िे शु रू होकर भारत के दू िरे शहरो​ों में पहुाँ च गया। कारवाों बढ़ता गया एवों एक सदन अोंततः वे पद्मश्री िे नवाज़े गए। दादा कहते हैं सक पद्मश्री समलने के बाद भी वे उिी जोश िे सथएटर करते हैं। बोंगाल िे उनका बहुत लगाव है । उनका स्थायी सनवाि कलकिा ही है। बोंगाली लोगो​ों के बारे में वे कहते हैं सक आज भी वे कला िोंबोंधी आयोजनो​ों में बढ़-चढ़ कर सहस्सा लेते हैं। िासहत्य सलखना एवों कसवता करना नौजवानो​ों में आज भी लोकसप्रय है । दादा बताते हैं सक एक दौर में वे पेशेवर थे , परों तु अब वे पेशेवर होने के िाथ-िाथ सशक्षक भी हैं । वे मूक एवों बासधर व्यक्तियो​ों को भी प्रसशक्षण दे ने का िराहनीय कायट कर रहे हैं । उनका एक छात्र राष्टरपसत द्वारा िम्मासनत हुआ है । सबट् ि के कैम्पि के बारे में पूछने पर वे कहते हैं सक सबट् ि में वे कई बार आ चुके हैं एवों यहा​ाँ के माहौल िे िदा प्रभासवत होते हैं । वे दे खते हैं सक यहा​ाँ हर तरह सक रुसच को सनखारा जा िकता है। जब दादा िे उनके जीवन का मूल मोंत्र पूछा गया तो बड़े सवस्तार िे उन्हो​ोंने कहा सक िदा आशावादी रहें एवों स्पधाट को झे लें। स्वामी सववेकानन्द एवों प्रभुपाद ने कम िमय में ही महान एवों बड़े कायट सकए। वे कहते हैं सक पोंचतों त्र की कथा मानसिक बलवधटक हैं । दादा ने पोंचतों त्र की एक कहानी भी िुनाई सजिका िार है सक कभी मन को खाली न रखें। सजि कायट को करने में आनोंद आता हो उिे करें परों तु सदशाहीन होकर नहीों। जहा​ाँ

एक ओर भारत बदल रहा है , पाररवाररक मू ल्य घट रहे हैं , तनाव आम सजों दगी में प्रवेश कर चुका है , वहीों


दू िरी और कला को िरकार एवों आवाम सक और िे िमथट न भी समल रहा है । गोस्वामी जी कहते हैं सक,

दे खना होगा सक सकिका प्रभाव सकिपर असधक पड़ता है । अोंत में जब हमने उनिे एक सचत्र क्तखोंचवाने सक प्राथना सक तो वे अचानक अपने कलाकार रूप में आ गए। सकि दीवार के आगे, सकतनी रोशनी में, सकि मुिा में सचत्र हो को ले कर वे उत्सासहत हो गए। हम आश्चयटचसकत रह गए इतने महान कलाकार का बड़प्पन दे खकर। दादा स्वयों ही कहते हैं सक वे तो आज भी तासलया​ाँ िुनकर आों तररक खुशी पाते हैं । श्री सनरों जन गोस्वामी जै िे महान कलाकार इि दे श की अनुपम धरोहर हैं ।

रूबरू:- श्रीराम राघवन ओएसि​ि उद् घाटन िमारोह के मुख्य असतसथ श्रीराम राघवन ने ओएसि​ि सहों दी प्रेि के िाथ हुई वाताट में अपने कररयर िम्बन्धी व ओएसि​ि के आयोजन के बारे में बताया| ओएसि​ि के आयोजन में सबट् ि के छात्रो​ों द्वारा सकए गए कायट की उन्हो​ोंने काफी प्रशों िा की| उन्हो​ोंने कहा सक आयोजन में छात्रो​ों द्वारा की गई मेहनत िाफ़ झलक रही है | इतने

बड़े आयोजन को दे खते हुए लग रहा है सक आयोजक अपनी उम्र िे काफी बड़ा काम करते नज़र आ रहे हैं | सबट् ि का वातावरण भी काफी अच्छा है | यहा​ाँ का हर काम छात्रो​ों के द्वारा सकया जाता है जो छात्रो​ों के सलए उनकी जॉब में भी काफी िहायक होगा| अपने कररयर के बारे में वे बताते हैं सक प्रारों भ में उनकी मुलाकात मुकुल आनोंद जी िे हुई थी और उन्हें उनके िाथ कायट करने का मौका समला| वहा​ाँ कई महीनो​ों तक उन्हो​ोंने सबना वेतन के कायट सकया| राघवन जी ने इिके बाद अपनी पहली िॉक्ुमेंटरी रमन राघव का सनदे शन सकया जो की 1960 के िीररयल सकलर की कहानी पर आधाररत है | इिके सलए उन्हें राम गोपाल वमाट िे काफी िराहना भी समली| इिके बाद 2004 में उनकी पहली सफल्म “एक हिीना थी” आई सजिके सनमाटता राम गोपाल वमाट थे | परन्तु दशटको​ों ने उिे ज्यादा पिोंद नहीों सकया| इिके बाद आई उनकी अगली सफ़ल्म “जॉनी गद्दार” थी| उनका कहना है सक इि मूवी का प्रचार अच्छी तरह नहीों हो पाया था सजिके कारण एक अच्छी सफल्म दशट को​ों तक नहीों पहुाँ च िकीों| उिके बाद “एजें ट सवनोद” के भी अच्छे ररव्यूज़ नहीों समले | परन्तु उनकी आने वाली सफल्म “बदलापुर” के बारे में वे कहते हैं यह सफल्म आम सफल्मो​ों की तरह नहीों है | इिकी शै ली सबल्कुल अलग है | हाला​ाँ सक इिमें कॉमेिी, िरामा आसद हैं परन्तु यह लोगो​ों के सलए कम मनोरों जक होगी| सबट् सियोंि के सलए उन्हो​ोंने कहा सक अपनी रुची एवों कला को अपने अोंदर सजों दा रक्तखए और पढ़ाई के िाथ उन्हें भी पयाटि िमय दे ना चासहए|


अन्ताक्षरी ओएसि​ि का सवर्षय “THE 90’S SHOW” जो सक बचपन की यादो​ों को ताजा करने के उद्दे श्य को ले कर चुना गया था| उन्हीों यादो​ों को ताजा करने के सलए हैि ने ‘’अन्ताक्षरी’’ का आयोजन करवाया| अन्ताक्षरी की शाम का आयोजन FD2 QT में सकया गया सजिमें छात्रो​ों ने भारी िोंख्या में भाग सलया| िभी पोंजीकृत टीम िे पहले चरण में कुछ प्रश्न पूछे गए सजनके आधार पर 6 युगल टीम को आगे के चरण के सलए चुना गया| 6 टीम के बीच खेल िामान्य अन्ताक्षरी की भाों सत प्रारों भ हुआ| हर िही गाने पर टीम को 5 अोंक सदए गए|

इिके बाद बगटलर का दौर हुआ सजिमें एक ब्रजर दौर था| इिके बाद धुन एों ि अोंतरा का दौर हुआ सजिको िभी ने बड़े मजे िे खेला| इिके पश्चात बगटलर-2 का आयोजन हुआ| अगला चरण मैश-अप था सजिमें हर टीम को 8 90’S के गाने के अोंतरा सदए गए तथा उन अोंतरा के आधार पर िही गीत गाने के सलए कहा गया| बगटलर में जीतने वाली टीम सकिी भी अन्य टीम िे 20 अोंक ले िकती थी| इिी का लाभ उठाते हुए टीम 6 ने टीम 5 िे 20 अोंक सलए तथा दौर के अोंत में प्रथम पर पहुाँ च गई| तत्पश्चात िेगा नामक दौर आयोसजत सकया गया सजिमें िभी टीम को एक शब्द सदया तथा उि शब्द को ले कर 1 समनट के अोंतराल में असधक िे असधक गीत गाने के सनदे श सदए| समक्स एों ि मैच अगला चरण था| इिमें एक सवसियो चलाई गई पर उिकी िही ऑसियो के स्थान पर कोई और ऑसियो प्ले की गयी| टीम को अिली ऑसियो को पहचानना था| रे टर ो मेटरो कनेक्ट वाले दौर में हर टीम को अोंतरा सदया गया तथा गाने के अन्दर सछपी मूवी को पहचानना था| इि दौर के अोंत में टीम 3 (प्रशाों त सकरण तथा प्रशाों त सत्रपाठी) प्रथम रही| खेल के अोंसतम दौर बगटलर 4 सजिमें टीम 3 ने चालाकी िे खेलते हुए पहले ही बज़र दबा सदया सजि​िे कोई और टीम न जीत पाए| इि तरह अन्ताक्षरी का िमापन हुआ तथा प्रशाों त सकरण व प्रशाोंत सत्रपाठी की टीम ने सवजय प्राि की|

‘‘दैट नाइं टीस नववज़’’ – अनोखे दशक का एक अनोखा सफर प्रश्नोिरी का आयोजन करने के सलए िदै व ही तत्पर और उत्सासहत रहने वाली सबट् ि की इों क्तग्लश लै ि्वेज ऐक्तक्टसवटीि िोिाइटी (ईलाि) ने इि वर्षट ओएसि​ि की थीम को ध्यान में रखते हुए ‘दै ट नाइों टीि क्तिज़’ नामक एक प्रश्नोिरी का आयोजन सकया। ये केवल एक प्रश्नोिरी ही नहीों, असपतु बचपन की िुनहरी यादो​ों का एक िफर था। क्तिजमास्टर अोंगद, उत्सव, जयोंत और कासतट क का ये कहना था की इि प्रश्नोिरी का उद्दे श्य न केवल छात्रो​ों के ज्ञान को परखना था, असपतु इिके जररये 90 के दशक के कुछ रोमाों चक पलो​ों का सफर एक बार आनन्द ले ना भी था। इि प्रश्नोिरी का प्रारूप कुछ इि प्रकार था सक इिमें शु रुवाती दौर में 30 प्रश्न रखे गए थे


सजिमें िभी रुसचकर छात्र तीन के दल में पोंजीकरण करा कर भाग ले िकते थे । जै िी िभी की अपेक्षाएाँ थी वैिे ही प्रश्नो​ों को इि दौर में स्थान समला। 90 के दशक के कुछ प्रसिद्ध घटनाओों पर आधाररत ये प्रश्न बेहद ही रोमाों चक थे। इि दौर के बाद 6 दलो​ों को अोंसतम मुक़ाबले के सलए चुना गया था। अोंसतम मुक़ाबला पा​ाँ च चरणो​ों में बोंटा हुआ था, सजिमें िे तीन चरण सलक्तखत एवम दो अिीसमत पाउों ि के थे । अिीसमत पाउों ि में एक ही प्रश्न िभी दलो​ों िे बारी बारी पूछा जाता है जब तक िब को एक-एक मौका नहीों समल या जब तक को कोई दल को िही उिर नहीों दे दे ता। िभी पा​ाँ च चरण अपने िाथ अनूठे और अत्यसधक रोमाों चक प्रश्नो​ों सक दुसनया िमेटे हुए लाए थे। दशटको​ों का मानना था सक अोंसतम चरणो​ों के प्रश्न बेहद कसठन और सवचारपूणट थे । ऐिे ही एक दशट क ईशान का मानना था सक इन प्रश्नो​ों ने उन्हें यह एहिाि सदलाया सक सकतनी ही ऐिी घटनाएाँ थी सजनिे वे अवगत नहीों थे । उन्होनें क्तिज़मास्टर की अक्लमोंदी की बहुत तारीफ करी। प्रसतभासगयो​ों को भी अोंसतम दौर के प्रश्न

काफी पिोंद आए। उनका मानना था सक ओएसि​ि में सजि श्रेणी की प्रश्नोिरी की उम्मीद उन्हें थी, यह प्रश्नोिरी उन िभी उम्मीदो​ों पर खरी उतरी। इि प्रश्नोिरी के सवजेता कृष्णा अक्तखल एवों उनका दल रहा तथा दू िरा स्थान िोंजीत एवों उनके दल ने प्राि सकया। आयोजको​ों ने भी इि कायटिम को समली प्रसतसिया िे िोंतोर्ष जताते हुए कहा सक उन्हे प्रसतभासगयो​ों में उम्मीद िे ज़्यादा जोश और उत्साह सदखा। दशट को​ों ने भी इि कायटिम का जमकर लु त्फ उठाया। उन्होनें ये कहा सक वे आशा करते है सक आगे भी वह इिी प्रकार के रोमाों चक कायटिमो​ों का आयोजन करते रहेंगे।

अनतनिर्ों के नवचार ओएसि​ि 2014 का आगाज़ हो चुका है और जै िा सक हम िब जानते हैं , सवसभन्न कॉले ज के छात्र हमारे ओएसि​ि में भाग लेते हैं | ओएसि​ि सहों दी प्रेि सनकला कुछ ऐिे ही सवद्यासथटयो​ों के सबट् ि में अनुभव को जानने के सलए| हम समले मैत्री कॉलेज की तारुशी वमाट एवों स्वासत आयला िे| उन्हो​ोंने बताया सक सदल्ली िे सपलानी का िफर बहुत थकावट भरा था तथा यहा​ाँ पहुाँ चने के पश्चात भी उन्हें काफी मुक्तिलो​ों का िामना करना पड़ा| उन्हो​ोंने

बताया सक पोंजीकरण की प्रसिया काफी लम्बी तथा सचढ़ पैदा करने वाली थी| वे सबट् ि को काफी पिोंद कर रही हैं तथा उन्हें यहा​ाँ का माहौल काफी अच्छा तथा उत्सासहत करने वाला महिूि हो रहा है | उन्होनें बताया सक जो कमरा उन्हें रहने के सलए समला है वह काफी छोटा है क्ो​ोंसक वे 30 लोग हैं और कमरे में जगह कम है | इिको ले कर वे थोड़ी अिोंतोर्ष सदखाई दीों| IIT सदल्ली तथा IIM अहमदाबाद के िाों स्कृसतक कायटिमो​ों िे तु लना करते हुए उन्हो​ोंने बताया सक वहा​ाँ के िाों स्कृसतक कायटिमो​ों में पोंजीकरण की प्रसिया काफी िरल होती है परन्तु सबट् ि में उन्हें इिे ले कर काफी परे शानी उठानी पड़ी| इिके अलावा उन्हो​ोंने बताया सक ओएसि​ि की मस्ती सकिी भी कॉले ज के िाों स्कृसतक कायटिम िे बहुत बेहतर है क्ो​ोंसक यहा​ाँ के लोगो​ों का उत्साह दे खते ही बनता है | चूाँसक वे नृत्य प्रसतस्पधाट के सलए


आई हैं , इिसलए उन्हो​ोंने बताया सक वे अपनी प्रस्तुसत को ले कर काफी उत्सासहत हैं एवों पूरी तरह तै यार हैं | ऐिे ही घूमते हुए ओएसि​ि सहों दी प्रेि की बात आों ध्र के सवग्नान लारा कॉले ज के रुपेश कुमार िे हुई जो सक यहा​ाँ वाद-सववाद प्रसतयोसगता में भाग ले ने आए हैं | रुपेश ने बताया सक आन्ध्र िे सपलानी का िफर हालाों सक काफी लम्बा था परन्तु उन्हें बहुत आनोंद आया| वे सबट् ि को काफी पिोंद कर रहे हैं तथा यहा​ाँ के लोगो​ों के जोश को दे खकर वे खुद भी काफी उत्सासहत महिूि कर रहे हैं | परन्तु उन्हें मालवीय भवन में जो रहने के सलए कमरे सदए गए हैं उनिे वे काफी नाखुश सदखाई सदए| ओएसि​ि को ख़ाि बताते हुए उन्होनें कहा सक कोई भी कॉलेज 24 घोंटे कायटिम जारी नहीों रखता जबसक सबट् ि में ऐिा हो रहा है | हर कोने में कुछ नया दे खने को समल रहा है |

1. बेनी दयाल

दे खना न भूलें:-

2. ट्रे जर हं ट(एफ.डी.2)

3. रोकटे व्ज़(ऑडी)

ब्लफमास्टर हर इों िान के अनेक चेहरे , हर चेहरे का अलग रों ग| कब सकि चेहरे के पीछे कौन िा चेहरा छु पा हो, सकिे पता| िवालो​ों के टे ढ़े जवाब सजन्हें िुनते ही मुाँह खुले के खुले रह जाये और आाँ खें उत्साह और उमोंग िे भरी हो​ों| भीड़ में उि शख्ि को पहचानने की कोसशश सजिने इमानदारी का मुखौटा पहन रखा हो| वो शख्ि जो मुस्करा रहा है आपकी अनसभज्ञता पर, आपके बगल में बैठे| धोखा, चतु राई, इलज़ाम, अजीबोगरीब जवाब| ऐिा ही कुछ खेल है ब्लफमास्टर का| तो दे र सकि बात की? आइये और भाग लीसजए सहों दी प्रेि क्लब व है ि द्वारा आयोसजत ब्लफमास्टर में 2 नवम्बर को 5102 में दोपहर दो बजे |


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