वैज्ञानिक अंक जुलाई सितम्बर 22

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ISSN: 2456 4818 वैज्ञानिक जुलाई-नसतंबि -2022 वषष -54 अंक-3 निन्दीनवज्ञािसानित्यपरिषद्कीपनिका प्रधािमंिीश्री ििेंद्रमोदीद्वािा नसतम्बि, 2022को स्वदेशी नवमािवािक आईएिएसनवक्ांत िा कोसमनपषतकितेहुए
वैज्ञानिक (त्रैमानिक)पनत्रका- िनमनि िंपादि –मंडल डॉसंजयकुमारपाठक श्री राजेशकुमार श्रीप्रवीणदब श्रीकृष्णकुमारवमाा व्यवस्थापक –मंडल श्रीिवीिनत्रपाठी श्रीबी.एन. ममश्र श्रीअनिलअनिरवार श्रीप्रकाशकश्यप श्रीराजेशकुमारममश्र

के बादपरमाणु ऊजाषके क्षेिमेंप्रगनत

निपाठी

मंकीपॉक्सएकदलभबीमारी

बीएिनमश्र

11.नवज्ञािके क्षेिमें भारतकािामरोशिकरिेवालीभारतीयमनिलाएँ 34 मिीर्श्रीवास्तव

12.आईएिएिनवक्रांतकी युद्धमें भूनमकावनवक्रांतकाियाअवतार 41 डॉमीिाक्षीपाठक

नचनकत्सामें लाभदायकिै िपषगंधा

प्रेमचन्द्रश्रीवास्तव

प्राचीिभारतीय

वैज्ञानिक2w वर्ष54अंक 3 जुलाई नितंबर 2022 *मुख्यिंपादक* श्रीराजेशकुमारनमश्र *संपादनमंडल* डॉिंजयकुमारपाठक श्री राजेशकुमार श्रीप्रवीणदब श्रीकृष्णकुमारवमाष * मुख्यव्यवस्थापक* श्रीिंजयगोस्वामी * व्यवस्थापकमंडल * श्रीिवीिनिपाठी श्रीबी.एि. नमश्र श्रीअनिलअनिरवार श्रीप्रकाशकश्यप आजीवििदस्यताशुल्क व्यक्तिगत: रु 1000/ िंस्थागत: रु 2000/ सदस्यता हेतु कृपया स्टेट बैंक आफ इंडडया खाता संख्या : 34185199589, IFSC : SBIN0001268 कृते : डहन्दी डवज्ञान साडहत्य परिषद” ई भुगतान की िसीद ईमेल से नीचे दी गई पते पि स्कैन कि भेजें * कायाालय* निंदीनवज्ञाििानित्यपररर्द 16 िी, कंचिजंगा, अणुशक्तििगर, मुंबई 400094 फोििंबर-022-255920285 Emailid hvsp1968@rediffmail.com/ hvsp.india1968@yahoo.com िभीपदअवैतनिकिै। वैज्ञानिक’ में छपे लेखोंका दानयत्व लेखकोंका िै ISSN: 2456 4818 . अिुक्रमनणका िंपादकीय 1 नवज्ञाि लेख 1. भारत में शिरी बाढ़: कारण और प्रभाव 3 डॉ दीपक कोिली 2.देशभिवैज्ञानिक:आचायष प्रफुल्लचंद्ररे 6 डॉ िेमलतापन्त 3. वैनदककालीिनशक्षामेंपयाषवरणअनतउत्तम 10 डॉिरोजशुक्ला 4.प्राचीिभारतीयग्रंथोंमें पदाथष नवज्ञाि: एकझलक 13 डा जगदीशचन्द्रव्याि 5 निंदीिैराष्ट्ीयताकाप्रतीक 17 डॉ०दयाशंकरनिपाठी 6. िाशीजीवरिायिोंिेमृदाप्रदर्ण 20 डॉ. नदिेशमनण 7.ऊजाषिंकटकािवषश्रेष्ठिलिैजैवऊजाष 23 डॉ. अंनकतानमश्रा 8 मौिमपररवतषि (क्लाईमेटचेंज) िबिेबड़ािमस्या 25 लनलतकुमारनिंघानिया 9 आजादी
28 िवीि
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मौिम नवज्ञाििेमेघकाज्ञाि 46 डा0 वेंकटेर्भारद्वाज 15पाठशालामेंिररतवातावरण (इकोग्रीि) क्लब 50 डॉ. अनिलनभ. वलिंगकर 16वैनिकस्तरपरखाद्यअिुरक्षाकािंकट 56 उत्तमनिंिगिरवार 17 िमारे जीविमेंप्रकाशकामित्व 58 डॉ. मिीर्मोििगोरे 18 उच्चरिचाप:िावधािीिीबचाव 62 िंजयगोस्वामी 19ओजोिपरतके क्षयकोरोकिाबहूतज़रूरी 67 प्रकाशकश्यप नवज्ञाि िमाचार 1 5 जीप्रौद्योनगकीऔरनडनजटलिमावेशि 69 डॉदीपककोिली 2. जैवनवनवधताकाह्राि 71 मिीर्श्रीवास्तव 3.शरीरकीरक्षाकरतीिै प्रनतरक्षाप्रणालीवअन्यनवज्ञाि िमाचार 72 नवजयलक्ष्मीनगरर पुस्तकिमीक्षा 5 नवज्ञािकनवताएँ िंजयगोस्वामी 33/76 नवनवध(नशक्षकनदवि का आयोजि 78 मनोगत 77

और 5 G का नजक्र तकया िधािमोंिी िरेंद्र म दी अपिे भाषण में कई अहम नवषय क िानमल नकया, नजिमें 5जी और आत्मनिभवर भारत िमेत कई मुद्दे िानमल रहे. िधािमोंिी िे कहा, ‘‘मैं युवाओों िे देि के नवकाि के नलए अपिे जीवि के अर्ले 25 वषव िमनपवत करिे का आग्रह करता हों, हम मािवता के पूणव नवकाि के नलए काम करेंर्े हमारा ियाि है नक देि के युवाओों क अिीम अोंतररक्ष िे लेकर िमोंदर की र्हराई तक अिुिोंधाि के नलए भरपूर मदद नमले, इिनलए हम अोंतररक्ष नमिि, र्हरे िमुद्र िे जुडे नमिि का नवस्तार कर रहे हैं. अोंतररक्ष और िमोंदर की र्हराई में ही हमारे भनवष्य के नलए जरूरी िमाधाि हैं. ’’। अतः आिे वाले 25 िाल में िभी वैज्ञानिक िोंस्थािें, वैज्ञानिक, और युवा देि क नवज्ञाि के क्षेि में आत्म निभावर

वैज्ञानिक 1 जुलाई-सितंबर- 2022 िंपादकीय निय पाठक , यह वैज्ञानिक पनिका (िैमानिक) जुलाई नितोंबर 2022 का अोंक हैं । पूवव की भाोंनत इिमें िकानित िामग्री वैज्ञानिक नवषय पर राजभाषा नहोंदी में ख्याति प्राप्त नवज्ञाि लेखक द्वारा नलखी है । आजादी के अमृत मह त्सव नवशेषाोंक के अोंतर्वत ये नवज्ञाि लेख िमिामनयक हैं । 75 वें स्वतोंिता नदवि (15 अर्स्त 2022) के पनवि अविर पर िभी देिवानिय िे राष्ट् िेम की भाविा िे िभी देिवानिय िे स्वतोंिता िोंग्राम में अपिे िाण की आहुनत देिे वाले आजादी के य द्धाओों की याद में हषोल्लाि िे मिाया हर देिवािी िे इि नदि नतरोंर्ा फहराकर र्वव महिूि नकया. भारत निनिि िािि के 200 िाल की र्ुलामी के बाद 15 अर्स्त, 1947 क आजाद हुआ. देि की स्वतोंिता के नलए अनतिनि वीर िे अपिी कुबाविी दी है। भारत माों क बोंधि िे मुक्त करिे के नलए महाि स्वतोंिता िेिानिय जैिे रािी लक्ष्मीबाई, वीर कुोंवर निोंह, तात्या िपे, महात्मा र्ाोंधी, िुभाष चन्द्र ब ि, िरदार वल्लभभाई पिेल,दादाभाई िौर जी,नविायक दाम दर िावरकर, भर्त निोंह,लाल बहादुर िास्त्री, िािा िाहेब,चोंद्रिेखर आजाद, जवाहरलाल िेहरू,अिफाकउला खााँ, आचायव जे पी कृपलािी, मौलािा आजाद,लाला लाजपत राय,राम ििाद नबस्मिल,बाल र्ोंर्ाधर नतलक,नबनपि चोंद्र पाल,नचतरोंजि दाि, खुदीराम ब ि आनद महापुरुष महािायक , महािानयकाओों वीर िपूत एवों अिोंख्य देिभक्त , िे अपिा अपिा बनलदाि देकर महाि भूनमका निभाई. देि की आजादी में उि िबके महाि यर्दाि के नलए िभी भारतवािी ऋणी हैं. उि िभी महाि य द्धाओों और स्वतोंिता िेिानिय क िमि करते हैं नजन् ोंिे भारत क एक स्वतोंि राष्ट् बिािे के नलए अपिे िाण की आहुनत दे दी। उि िभी क ित् ित् िमि । 15 अर्स्त 2022 क अपिे वीर स्वतोंिता िेिानिय क िमि करते हुए, आजादी का अमृत मह त्सव के रूप में स्वतोंिता नदवि के अविर िधािमोंिी श्री िरेंद्र मदी िे लाल नकले िे जय जवाि िे जय अिुिोंधाि तक, 5 िण
भारत की ओर अग्रिर रहें य़ही कामिा करता हुुँ । स्वतोंि भारत की इि नवकाि यािा में नवज्ञाि और िौद्य नर्की के क्षेि में हमारी नवशेषतायें व उपलस्मियाों वैनिक पिल पर देि के कुिल वैज्ञानिक के अथक ियाि के कारण अोंनकत हुई हैं। आजादी के नवज्ञाि की यािा में बाद देि के कुिल वैज्ञानिक, जैिे डॉ हमी भाभा , डॉ नवक्रम िाराभाई, डॉ िी वी रमि, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, डॉ एि चोंद्रिेखर, डॉ वेंकिरमण राधाकृष्णि, डॉक्टर पीिी रे, डॉ ित्येंद्र िाथ ब ि, डॉ नविेिरैया, डॉ ििान्त चन्द्र महलिनबि डॉ हरर्नबोंद खुरािा, डॉ श्रीनिवाि रामािुजि् आनद, भारतीय वैज्ञानिक िे नवज्ञाि और िौद्य नर्की के कई क्षेि, जेिे विस्पनत, भौनतकी, र्नणत, रिायि, याोंनिकी, नचनकत्सा नवज्ञाि, खर् ल नवज्ञाि आनद में महत्वपूणव य र्दाि के बल पर नवज्ञाि के क्षेि में देि आजादी के बाद और अनधक ताकतवर बिा नवज्ञाि के िमस्त क्षेि में आज भारत आत्मानिभवर की ओर अग्रिर है. इिके नलए हम मनहला वैज्ञानिक के िवोत्तम य र्दाि क भी िहीोंभूल िकते हैं . अतः इि हेतु मिीष श्रीवास्तव द्वारा मनहला वैज्ञानिक के य र्दाि पर नलखा र्या लेख क इि अोंक में िानमल नकया र्या है पूवव की तरह इि अोंक में नवज्ञाि लेख, वैज्ञानिक जािकारी, व इि अवधी में राजभाषा िे िम्बोंनधत लेख व इि अोंतराल में आिे वाले अन्य वैज्ञानिक र्नतनवनधय के ऊपर नवज्ञाि लेखक द्वारा िेनषत लेख क पनिका में स्थाि नदया र्या है। इि अोंक के अोंतर्वत िकानित लेख में डॉ मीिाक्षी पाठक के द्वारा लेख “आईएिएि नवक्राोंत की युद्ध में भूनमका व नवक्राोंत का िया अवतार” क पनिका में स्थाि नदया र्या है आवरण पृष्ठ िे िोंबोंनधत लेख है ज िमुद्री िाकि एवों िेवी में आत्मनिभवर भारत की ओर एक ऐनतहानिक कदम है नजिे हाल ही में िधािमोंिी िरेंद्र म दी द्वारा भारत के स्वदेिी नवमािवाहक पत आईएिएि नवक्राोंत (INS Vikrant) क लॉन्च नकया इिे 2 नितोंबर 2022 क कचीि निपयाडव नलनमिेड(CSL) में लॉन्च नकया र्या था। इिके अलावा अन्य जैिे डॉ दीपक क हली द्वारा “भारत में िहरी बाढ़ कारण और िभाव” के बारे में बाढ़ िे बचिे के कारण के बारे में जािकारी दी र्यी है।

आजादी के बाद परमाणु ऊजाव के क्षेि में िर्नत हुई है , श्री िवीि निपाठी का लेख परमाणु ऊजाव के महत्व क बताती है 16 नितोंबर क पूरी दुनिया में नवि ओज ि नदवि मिाया जाता है, जीवि के नलए ऑक्सीजि िे ज्यादा जरूरी ओज ि है। मुख्यत: इि नदवि का आय जि करिे की वजह यह है नक ओज ि परत के बारे में ल र् क जार्रूक करना बहत ज़रूरी है इिी नदवि िे िम्बोंनधत श्री िकाि कश्यप का लेख है, इिके अलावा अन्य लेख जैिे 5 जी िौद्य नर्की का महत्व, वैनिक स्तर पर खाद्य अिुरक्षा का िोंकि, स्वास्थ्य, भारतीय ग्रोंथ में पदाथव नवज्ञाि ,मृदा िदूषण ,िाचीि भारतीय मौिम नवज्ञाि, िपवर्ोंधा, जैव ऊजाव आनद जैिे नवज्ञाि लेख क िमानहत नकया

वैज्ञानिक 2 जुलाई-सितंबर- 2022 वैज्ञानिक िोंिरण के स्तम्भ में “आचायव िफुल्ल चोंद्र रे …” डॉ हेमलता पन्त द्वारा उिके वैज्ञानिक जीवि के िोंघषव व देििेम क उजार्र नकया है. भारत देि में हर वषव 5 नितोंबर क निक्षक नदवि मिाया जाता है अतः आज निक्षक और छाि के बीच एक र्ुरु व निष्य जैिा िोंबोंध ह उिपर ज र देिे के नलए डॉ िर ज िुक्ला का लेख “वैनदककालीि निक्षा में पयाववरण अनत उत्तम” क िानमल नकया र्या है। हर िाल 16मई क अतराष्ट्ीय िकाि नदवि मिाया जाता है, भौनतकनवज्ञािी, नथयड रमैमिद्वारा 1960 मेंलेजरके पहले िफलिोंचालि की वषवर्ाोंठ क नचनित करिे के नलए ित्येक वषव 16 मई क अतराष्ट्ीय िकाि नदवि (International Day of Light) मिाया जाता है। डॉ मिीष म हि र्रे का लेख “हमारे जीवि में िकाि का महत्व” इि नदवि पर िकाि की महत्व क बताता है आज मौिम पररवतवि (क्लाईमेि चेंज) िबिे बडा िमस्या उत्पन्न ह रही है ज नवि के नलए िोंकि की घडी है इि नवषय िे िम्बोंनधत श्री लनलत कुमार निोंघानिया व डॉ. अनिल नभ. वलिोंर्कर के लेख के माध्यम िे पयाववरण के िनत जार्रूक बिािे के उद्देश्य िे इि अोंक में िानमल नकया र्या है, जैिा की मालूम है हर िाल 14नितम्बर क राजभाषा क बढ़ावा देिे के नलए नहोंदी नदवि मिाया जाता है भाषा और िोंस्कृनत ही उि देि की अपिी पहचाि हती है। भाषा ही एक ऐिा जररया है, नजिकी मद्द िे हम अपिे नवचार का आदाि िदाि कर िकते है। भारत दुनिया के िबिेज्यादा नवनवध िोंस्कृनतय वाला देि है। धमव, परम्पराओों और भाषा में इिकी नवनवधता के बावजूद यहाों के ल र् एकता में नविाि रखते है। नहन्दी भारत की िबिे िमुख भाषा है, ज देि के िभी ल र् क एकता के िूि में नपर ती है। इिनलए राष्ट्नपता महात्मा र्ाोंधी िे नहोंदी क जिमािि की भाषा कहा था । नहन्दी महज भारत की िहीोंदुनिया की िमुख भाषाओों में एक है नहन्दी भाषा इतिी िरल है नक ज िब्द का उच्चारण हता है वहीोंिब्द नलस्मखत रूप में हता है। जबनक अन्य भाषाओों में िब्द के उच्चारण व लेखि में काफी नभन्नता पाई जाती है। नहन्दी िभी भाषाओों क अपिा लेिे के बावजूद कभी अपिा मूल िहीों ख ती है। यह एकता में अिेकता,अखण्डता, िमन्वय तथा राष्ट्ीय र्ौरव की भाषा है। डॉ० दया िोंकर निपाठी का लेख “नहोंदी है राष्ट्ीयता का ितीक” इिी िे िम्बोंनधत है।
र्या है। नवज्ञाि क नहोंदी में जििमाि तक पहुोंचािे का भरपूर ियाि नकया र्या है हमारा यह ियाि लेखक के य र्दाि के नबिा, एक कदम भी िही बढ़ िकता है । लेखक के य र्दाि िे ही हम वैज्ञानिक क यहाों तक लाये हैं और आर्े भी ले जायेंर्ें । इि िब जािकाररय के िाथ राजभाषा में नवज्ञाि व तकिीकी लेखि जहाों हमारा मार्वदिवि करेर्ा वहीोंवैनिक पिल पर नहन्दी की स्मस्थनत की जािकारी हमें र्ौरव की अिुभूनत िदाि करेर्ी । हमें आिा ही िहीोंपूणव नविाि है नक ये िभी रचिाएों आप िभी पाठक और खाितौर पर हमारे युवा नवज्ञाि पाठक क जरुर पिोंद आएर्ी। हमेिा की तरह आपके िुझाव और िनतनक्रयाओों की हम प्रिीक्षा करेंिे। नहन्दी नवज्ञाि की ल कनिय पनिका, वैज्ञानिक िे जुडे आप िभी नवज्ञाि लेखक पाठक और िृजििील व्यस्मक्तय के निरोंतर िहय र्, स्नेह, नविाि और लर्ाव के नलए धन्यवाद । शुभकामना िसित! राजेशकुमारसमश्र मुख्यिम्पादक, वैज्ञानिक

में माििूि मौिम में आई ऐिी ही बाढ़ की कई घििाओों का िाक्षी बिा है। िहरी बाढ़ एक निनमवत पररवेि में, नविेष रूप िे िहर जैिे घिी आबादी वाले क्षेि में, भूनम या िोंपनत्त के जलमि हिे की स्मस्थनत है ज िायः तब उत्पन्न हती है जब वषाव के कारण जलजमाव वहाुँ की जल निकािी िणानलय की क्षमता पर भारी पडता है। ग्रामीण बाढ़, एक िमतल या निचले क्षेि

उत्पन्न ह रही हैं। जलवायु पररवतवि के कारण निम्न अवनध में भारी वषाव की आवृनत्त में वृस्मद्ध हुई है, नजिके पररणामस्वरूप उच्च जल अपवाह की स्मस्थनत बिती है।िािा के अध्ययि िे िोंकेत नमलता है नक िर्रीय ऊष्मा द्वीप या ‘अबवि हीि आइलैंड’ के िभाव िे भी िहरी क्षेि में वषाव की वृस्मद्ध हती है ज नफर बाढ़ की स्मस्थनत उत्पन्न करती है।जब भी वषाव युक्त बादल अबवि हीि आइलैंड के ऊपर िे र्ुज़रते हैं त वहाुँ की र्मव हवा उन्ें ऊपर धकेल देती है, नजिके पररणामस्वरूप अत्यनधक स्थािीयकृत वषाव हती है ज कभी कभी उच्च तीव्रता की भी ह िकती है। अनिय नजत पयविि र्नतनवनधयाुँ: पयविि नवकाि के नलये जल निकाय का उपयर् एक आकषवण के रूप में लोंबे िमय िे नकया जाता रहा है। अपवाह र्नत क

वैज्ञानिक 3 जुलाई-सितंबर- 2022 भारतमेंशिरीबाढ़: कारणऔरप्रभाव डॉ दीपक कोिली िोंयुक्त िनचव,पयाववरण,वि एवों जलवायु पररवतवि नवभार्, उत्तरिदेि िािि,5 /104,नवपुल खोंड, र्मती िर्र,लखिऊ 226010 भारत मुख्यतः ग्रामीण िे िहरी िमाज में िोंक्रमण के चरम नबोंदु की ओर आर्े बढ़ रहा है, िहरीकरण नवकाि के नलये अोंतनिवनहत तत्त्व ह र्या है और िायः आनथवक नवकाि के िमुख चालक के रूप में कायव करता है। अिुमाि है नक वषव 2030 तक देि की 40.76 िनतित आबादी िहरी क्षेि में निवाि कर रही ह र्ी िहर स्तर पर एक एकीकृत बाढ़ नियोंिण कायावन्वयि एजेंिी का निमावण करिा आवश्यक है, नजिमें िहर के ििािनिक अनधकारी, नचनकत्सक, पुनलि, अनििामक,र्ैर िरकारी िोंर्ठि और अन्य आपातकालीि िेवा िदाता िानमल हैं। प्रस्तावना: िहरीकरण नवकाि के नलये, िहरी निय जि तोंि भी उिी र्नत िे नवकनित िहीों हुआ है नजि र्नत िे िहरीकरण और तकिीकी िर्नत का नवकाि ह रहा है। अनिय नजत नवकाि और जलवायु पररवतवि िहरी बाढ़ िनहत कई आपदाकारी घििाओों का कारण बि रहे हैं, नजि पर र्ोंभीरता िे ध्याि देिे की आवश्यकता है। हैदराबाद में आई बाढ़ में हाज़ार घर जलमि ह र्ए थे। चेन्नई की बाढ़ इि बात की याद नदलाती है नक िहरीकरण नकि तेज़ी िे िहर क िहरी बाढ़ के नलये िवण बिाता जा रहा है। वतवमाि में वषव 2022 में नितोंबर में बोंर्लूरु
में भारी बाररि के कारण उत्पन्न, के नवपरीत िहरी बाढ़ ि केवल उच्च वषाव के कारण बस्मि ऐिे अनिय नजत िहरीकरण के कारण उत्पन्न हती है ज बाढ़ की चरमता क 1.8 िे बढ़ाकर 8 र्ुिा कर देता है,बाढ़ की मािा क 6 र्ुिा तक बढ़ा देता है। प्रमुख कारण : सनकािी चैनलों का असतक्रमण: भारतीय िहर और कस् में भूनम के बढ़ते मूल् और मुख्य िहर में भूनम की कमी के कारण िए नवकाि कायव निचले इलाक में ह रहे हैं, नजिके नलये आमतौर पर झील , आद्रवभूनम तथा िदी के तिवती इलाक आनद का अनतक्रमण नकया जा रहा है। आदिवत: हिा यह चानहये था नक िाकृनतक अपवानहकाओों क चौडा नकया जाता जैिे बढ़ते हुए यातायात के िाथ िडक चौडीकरण नकया जाता है, तानक तूफािी जल के उच्च िवाह क िमायनजत नकया जा िके। लेनकि वस्तुस्मस्थनत इिके नवपरीत है जहाुँ इि िाकृनतक अपवाह तोंि क चौडा करिे के बजाय बडे पैमािे पर इिका अनतक्रमण कर नलया र्या है। पररणामस्वरूप उिकी अपवाह क्षमता कम ह र्ई है, नजििे बाढ़ की स्मस्थनत बिती है। जलवायु पररवततन: जलवायु पररवतवि िे स्मस्थनत और नबर्ाड दी है नजििे चरम मौिमी घििाएुँ
कम करिे में भूनमका निभािे वाले जल निकाय क िनदय और झील िे अलर् नकया जा रहा है तानक पयविि र्नतनवनधय क बिाए रखा जा िके।धानमवक और िाोंस्कृनतक र्नतनवनधय के दौराि िनदय और झील में र्ैर जैव अपघििीय पदाथव फेंके जािे िे जल की र्ुणवत्ता कम ह जाती है। बाढ़ की स्मस्थनत में ये निलोंनबत कण और िदूषक िहर में स्वास्थ्य ज स्मखम पैदा करते हैं। उदाहरण के नलये, केरल के कल्लम में अष्ट्मुडी झील िाव िे हिे वाले तेल ररिाव िे िदूनषत ह र्ई है। बााँधों िे सबना पूवत चेतावनी के जल छोड़ना: बाुँध और झील िे अनिय नजत तरीके िे और अचािक जल छ डे जािे िे भी िहरी क्षेि में बाढ़ आती है, जहाुँ लर् क

चैिल की िमय िमय पर िफाई और उन्ें र्हरा करिा आनद कुछ ऐिे उपाय हैं नजन्ें केवल िहरी क्षेि के बजाय िमग्र िदी बेनिि में अपिाया जािा चानहये। िडक के नकिारे बाय स्वेल बिाए जा िकते हैं तानक िडक िे बाररि का पािी उिकी ओर बहे और िीचे चला जाए।इिके िाथ ही, जल निकाय के जलग्रहण क्षेि क अच्छी तरह िे बिाए रखा जािा चानहये और इन्ें अनतक्रमण एवों िदूषण िे मुक्त हिा चानहये, इि िकार जल के मार्व क अवर ध िे मुक्त रखा जािा चानहये। आपदा प्रत्यास्थी िावतजसनक प्रसतष्ठान : अस्पताल और स्कूल जैिे िाववजनिक िनतष्ठाि तथा भ जि, जल, स्वास्थ्य और स्वच्छता जैिी बुनियादी िेवाओों क आपदा ित्यास्थी बिाया जािा चानहये। उन्ें

वैज्ञानिक 4 जुलाई-सितंबर- 2022 नकिी उपाय के नलये पयावप्त िमय भी िहीों नदया जाता है।उदाहरण के नलये, चेंबरमबक्कम झील िे जल छडे जािे के कारण वषव 2015 में चेन्नई में बाढ़ आई थी। अवैध खनन गसतसवसधयााँ: भवि निमावण में उपयर् के नलये िदी की रेत और क्वािवजाइि का अवैध खिि िनदय और झील के िाकृनतक तल क िष्ट् कर देता है। यह मृदा किाव का कारण बिता है और जल निकाय की जलधारण क्षमता क कम कर देता है नजििे जल िवाह की र्नत और पैमािे में वृस्मद्ध हती है।उदाहरण के नलये, जयिमोंद झील ज धपुर, कावेरी िदी तनमलिाडु। प्रभाव ➢ जीवन और िंपसि की क्षसत: िहरी बाढ़ िायः जीवि की क्षनत और िारीररक आघात का कारण बिती है। ऐिा बाढ़ के ित्यक्ष िभाव या बाढ़ की अवनध के दौराि फैलिे वाले जलजनित र र् के िोंक्रमण िे हता है। िहरी बाढ़ िे इमारत , िोंपनत्त, फिल की िोंरचिात्मक क्षनत जैिे कई स्थािीय िभाव उत्पन्न हते हैं। इिके अलावा यह जल आपूनतव, िीवरेज, नबजली एवों पारेषण लाइि , िोंचार, यातायात िडक और रेलवे तथा अविोंरचिात्मक व्यवधाि का कारण बिता है। *पाररस्मस्थनतक िभाव: बाढ़ की चरम घििाओों के दौराि तेज़ र्नत िे िवानहत बाढ़ जल के कारण पेड पौधे बह जाते हैं और तिवती इलाक का किाव हता है। ➢ पशु और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव: स्थािीय इलाक में जलजमाव और पेयजल के दूनषत हिे िे नवनभन्न स्वास्थ्य िमस्याएुँ उत्पन्न हती हैं नजििे महामारी की स्मस्थनत भी बि िकती है। घर में और उिके आिपाि िीवेज और ठि अपनिष्ट् के जमा हिे भी कई तरह की बीमाररयाुँ फैलती हैं। ➢ मनोवैज्ञासनक प्रभाव:घर और िर्े िोंबोंनधय की हानि बाढ़ में फुँिे हुए ल र् के मािनिक स्वास्थ्य पर बुरा अिर डालती है। ऐिी घििाओों के मामले में ररकवरी की िनक्रया एक ब नझल और िमय लेिे वाली िनक्रया हती है ज िायः लोंबे िमय तक बिे रहिे वाले मि वैज्ञानिक आघात की ओर ले जाती है। आगे की राि : िील हररत अविोंरचिा का नवकाि करिा: िील हररत अविोंरचिा िहरी और जलवायु िोंबोंधी चुिौनतय के नलये एक िोंवहिीय िाकृनतक िमाधाि िदाि करिे का एक िभावी तरीका है।अनधक िुखद, कम तिावपूणव पररवेि के िृजि के नलये जल िबोंधि और िुदृढ़ बुनियादी ढाुँचे के नवकाि पर एकिमाि रूप िे बल नदया जािा चानहये। इिके िाथ ही यह िुनिनित नकया जािा चानहये नक िहर के ित्येक भवि में भवि उपयनर्ता के अनभन्न अोंर् के रूप में वषाव जल िोंचयि (Rainwater Harvesting) का िबोंध ह।िील हररत अविोंरचिा में िील िदी और जलािय जैिे जल निकाय क इोंनर्त करता है, जबनक हररत वृक्ष, उद्याि और बर्ीच क इोंनर्त करता है। बाढ़ िंवेदनशीलता मानसचत्रण : िहरी स्तर पर स्थलाकृनत और बाढ़ के ऐनतहानिक आुँकड के नवश्लेषण के माध्यम िे िोंवेदििील क्षेि की पहचाि की जा िकती है।िहर और ग्राम के स्तर पर िभी जल निकाय और आद्रवभूनम का ररकॉडव बिाए रखिा बाढ़ िे बचिे, उिका िामिा कर िकिे और लचीलापि पािे के नलये िमाि रूप िे महत्त्वपूणव हर्ा। प्रभावी वाटर-शेड प्रबंधन: फ्लड वाल का निमावण, बाढ़ िवण िदी घानिय के नकिारे ऊुँचे प्लेिफॉमव बिािा, जल निकािी
इि तरह स्थानपत या पुिस्थावनपत नकया जािा चानहये नक वे बाढ़ के दौराि नबिा नकिी बाधा के कायव करिे में िक्षम बिे रहें। िंवेदीकरण और पुनवाति: िनतनक्रया अभ्याि के िाथ ही बाढ़ हेतु पूवव तैयारी और िमि उपाय के बारे में जार्रूकता पैदा की जािी चानहये। अपवानहकाओों और जल निकाय के नकिारे अवैध निमावण िे िोंलि ज स्मखम के बारे में निवानिय क जार्रूक नकया जािा आवश्यक है।िरकार क र्रीब क अन्य क्षेि में स्थािाोंतररत करिे पर भी नवचार करिा चानहये।

िे रक्तचाप, धमिीय िणाली, मािव हृदय की कायविणाली, उच्च एवों निम्न रक्तचाप, उच्च रक्तचाप एवों र्ुदे का र र्, उच्चरक्तचाप औरमूि र र्, नदल कादौराऔरहृदय र्नतकारुकिाआनदिे िोंबोंनधतमहत्वपूणव जािकाररयाुँ दीर्ई हैं। पुस्तक के अन्त में नहन्दी और अोंग्रेजी के िचनलत िब्द क भी िुनवधा के नलए नदया र्या है, आवश्यकता अिुिार जर्ह जर्ह

वैज्ञानिक 5 जुलाई-सितंबर- 2022 पुस्तकिमीक्षा पुस्तक : 'रक्तचाप : लक्षण, कारणएवंसनवारण' लेखक: डॉदयाशंकरसत्रपाठी प्रकाशक : सिंदीप्रकाशनिसमसत, बीएचयू, वाराणिी िंस्करण – 2022 मूल्य: 200 रुपये पृष्ठिं 192 िनिद्ध नवज्ञाि लेखक डॉ दया िोंकर निपाठी द्वारा नलस्मखत पुस्तक 'रक्तचाप : लक्षण, कारण एवं सनवारण' , निक्षक तथा छाि के नलए बहुत महत्वपूणव पुस्तक है िमाज और आमजि के स्वास्थ्य रक्षण के नलए यह पुस्तक क काफी उपयर्ी है। वतवमाि िमय में उच्च रक्तचाप मृत्यु का वैनिक कारण मािा जा रहा है। रक्तचाप वह र र् है नजिमें हृदयके िोंकुचिकीअवस्थामें रक्त वानहकाओों में रक्त का दबाव पारे के 140 mm िे ज्यादा या हृदय के नवस्तारण की अवस्था में 90 mm िे ज्यादा रहता है या दि अवस्थाओों में ज्यादा रहता है। यह द िकार का हता है। पहला िमुख ( Essential) उच्च रक्तचाप नजिमें हम रक्तचाप बढ़िे का कई कारण िहीों ढूोंढ़ पाते हैं, रक्तचाप के 85% िे 90% र र्ी इिी क्षेणी में आते हैं। अर्ला है नद्वतीयक (Secondary) उच्च रक्तचापनजिमें रक्तचापकाउपचारयग्य कईकारणनवद्यमािरहताहै।चूोंनकआरोंनभकअवस्थामें रर्ी में कई लक्षण िहीों हते हैं, इिनलए इिे “मूक कानतल” भी कहते हैं।मधुमेह और उच्च रक्तचाप दि ही र र् में हृदय र र्, वृक्क र र् तथा अन्य घातक जनिलताओों का ज स्मखम रहता है। यह नदल का दौरा, आघात (स्ट्र क), हृदय र्नत का रुक जािा, नदल की अनियनमत धडकि, वृक्क र र् और िोंज्ञािात्मक नर्रावि जैिे र र् का िमुख कारण है। िामान्य स्मस्थनत में उच्च रक्तचाप कई लक्षण िकि िहीोंकरता, परन्तु इििे हृदय, र र् मस्मस्तष्क रर्, वृक्क र र् और अन्य र र् के पैदा हिे का खतरा बिा रहता है। हालाोंनक, उच्च रक्तचाप के ज्यादा बढ़िे पर निर ददव, धुोंधला नदखिा, िाक िे खूि निकलिा, िाोंि लेिे में तकलीफ हिा, छाती में ददव, हृदय की अनियनमत धडकि, मूि में रक्त आिा, भ्रम की स्मस्थनत, तथा छाती, र्दवि और काि में तेज ददव महिूि हता है। रक्तचाप: लक्षण कारण एवों निवारण पुस्तक आज के पररपेक्ष में ल क पय र्ी और मार्वदिवक है। यह पुस्तक कुल 192 पेज की है नजिमें छ िे बडे कुल 19 अध्याय हैं। पुस्तक में मुख्य रूप
परतानलकाऔरनचि क भीिमानहतनकयार्याहै। िंपकत िूत्र:डॉ. दयाशंकरसत्रपाठी, बी 2/63 िी-1के , भदैनी, वाराणिी 221001 सिन्दीसदवि14 सितंबर2022के अविरपरकाशीसिदसवश्वसवद्यालयके सिन्दीप्रकाशनिसमसतद्वाराप्रकासशतपुस्तक 'रक्तचाप: लक्षण, कारणएवंसनवारण' कालोकापतण

रुनच

खुल्िा नज़ले

िाम िे जािा जाता है। उिके नपता हररिोंद्र रे इि र्ाुँव के िनतनष्ठत ज़मीोंदार थे। वे िनर्तिील तथा खुले नदमार् के व्यस्मक्त थे। आचायव रे की माुँ भुविम नहिी देवी भी एक िखर चेतिा िम्पन्न मनहला थीों। जानहर है, िफुल्ल पर इिका िभाव पडा था। आचायव

के

बारह िाल की उम्र में ही चार बजे िुबह उठ जाते थे। पाठ्य पुस्तक के अलावा वे इनतहाि तथा जीवनिय में अनधक रुनच रखते थे। 'चैम्बिव बाय ग्राफी' उन् ोंिे कई बार पढ़ी थी। वे िर डब्ल्यू. एम. ज न्स, जॉिलेडेिऔरउिकीभाषायीउपलस्मिय , तथा फ्रैंकनलि के जीवि िे काफ़ी िभानवत थे। िि् 1879 में उन् ोंिे दिवीों की परीक्षा उत्तीणव की। नफर आर्े की पढ़ाई मेिर प नलिि कॉलेज (अब नवद्यािार्र कॉलेज) में िुरू की। यह एक राष्ट्ीय निक्षण िोंस्था थी तथायहाुँ फीि भी कम थी। परोंतु वहाुँ दास्मखला उन् ोंिे निफव आनथवक कारण िे िहीों नलया था बस्मिउि िमयपूजिीय मािे जािे वाले िुरेन्द्रिाथ बिजी वहाों अोंग्रेज़ी र्द्य के ि फेिर थे और ििाोंत कुमार लानहडी वहाुँ अोंग्रेज़ी कनवता पढ़ाते थे। उि िमय रिायि

वैज्ञानिक 6 जुलाई-सितंबर- 2022 िंस्मरण वैज्ञासनक:आचायत प्रफुल्लचंद्ररे (अगस्त, 1861- जून, 1944) डॉ. िेमलतापन्त ििायकप्रोफेिर जूलॉजीसवभाग िीएमपीसडग्रीकॉलेज,इलािाबादसवश्वसवद्यालय, प्रयागराज आचायव िफुल्लचोंद्ररे (अोंग्रेज़ी: Prafulla Chandra Ray) भारतमेंरिायिनवज्ञािके जिकमािेजाते हैं।वे एक िादर्ीपिोंदतथादेिभक्तवैज्ञानिकथे, नजन् ोंिेरिायििौद्य नर्कीमेंदेिके स्वावलोंबिके नलएअिनतमियािनकए। 'िादाजीविउच्चनवचार' वाले उिके बहुआयामीव्यस्मक्तत्विे िभानवतह करमहात्मार्ाोंधीिेकहाथा, "िुद्धभारतीयपररधािमेंआवेनष्ट्तइििरलव्यस्मक्तक देखकरनविािही िहीोंह तानकवहएकमहाि्वैज्ञानिकह िकताहै।" िफुल्लचोंद्ररे कीिनतभाइतिीनवलक्षणथीनकउिकीआत्मकथा "लाइफ़एण्डएक्सपीररयेंिेि ऑफ़बोंर्ालीकेनमस्ट्" (एकबोंर्ालीरिायिज्ञकाजीविएवों अिुभव) के िकानितह िेपरअनतिनतनष्ठतअतरराष्ट्ीयनवज्ञािपनिका "िेचर" िे उन्ें श्रद्धािुमिअनपवतकरते हुएनलखाथानक "नलनपबद्धकरिेके नलएिोंभवत: िफुल्लचोंद्ररे िे अनधकनवनिष्ट्जीविचररिनकिीऔरकाह हीिहीों िकता।" जीवन पररचय: िफुल्लचोंद्र रे का जन्म 2 अर्स्त, 1861 ई. में जैि र नज़ले के ररौली र्ाोंव में हुआ था। यह स्थाि अब बाोंग्लादेि में है तथा
के
रे
नपताकाअपिापुस्तकालयथा।उिकाझकावअोंग्रेज़ीनिक्षा की ओर था। इिनलए उन् ोंिे अपिे र्ाोंव में एक मॉडल स्कूल की स्थापिा की थी नजिमें िफुल्ल िे िाथनमक निक्षा पायी। बाद में उन् ोंिे अल्बिव स्कूल में दास्मखला नलया। िि 1871 में िफुल्ल िे अपिे बडे भाई िनलिीकाोंत के िाथ डेनवड हेयर के स्कूल में िवेि नलया। डेनवड हेयर खुद निनक्षत िहीों थे परोंतु उन् ोंिे बोंर्ाल में पनिमी निक्षा के ििार में महत्वपूणव भूनमका निभाई। िफुल्लचोंद्र रे िे अपिी आत्मकथा में नज़क्र नकयाहै नकनकितरहहेयरस्कूलमें उिके िहपाठीउिकी स्मखल्ली उडाया करते थे। छाि उन्ें 'बोंर्ाल' उपिाम िे नचढ़ािे थे। िफुल्लचोंद्र रे उि स्कूल में ज़्यादा नदि िहीोंपढ़ िके। बीमारी के कारण उन्ें ि निफव स्कूल छ डिा पडा बस्मिनियनमतपढ़ाईभीछडदेिीपडी।लेनकिउिदौराि उन् ोंिे अोंग्रेज़ी क्लानिक्स और बाोंग्ला की ऐनतहानिक और िानहस्मत्यकरचिाओोंकाअध्ययिनकया। प्रारम्भिकसशक्षा आचायव रे की अध्ययि में बडी
थी। वे
नवज्ञाि ग्यारहवीोंकक्षा का एक अनिवायव नवषय था। वहीोंपर पेडलर महािय की उत्कृष्ठ ियर्ात्मक क्षमता देखकर धीरे धीरे वे रिायि नवज्ञाि की ओर उन्मुख हुए। अब िफुल्ल चोंद्र रे िे रिायिनवज्ञािक अपिा मुख्य नवषयबिािे कानिणवय कर नलया था। पाि में िेनिडेंिी कॉलेज में नवज्ञाि की पढ़ाई का अच्छा इोंतज़ाम था इिनलए वह बाहरी छाि के रूप में वहाुँ भी जािे लर्े। िफुल्ल चोंद्र के मि में नर्लक्राइस्ट् छािवृनत्त के इम्तहाि में बैठिे की इच्छा जर्ी। यह इम्तहाि लोंदि नविनवद्यालय की मैनिरक परीक्षा के बराबर मािा जाता था। इि इम्तहाि में लैनिि या ग्रीक, तथा जमवि भाषाओों का ज्ञाि ह िा ज़रूरी था। अपिे भाषा ज्ञाि क आज़मािे का िफुल्ल के नलए यह अच्छा अविर था। इि इम्तहाि में िफल ह िे पर उन्ें छािवृनत्त नमल जाती और आर्े के

रिायि ि िायिी िे उिक अपिा उपाध्यक्ष चुिा। तदपरान्त वे छह िाल बाद भारत वापि आए। उिका उद्देश्य रिायि नवज्ञाि में अपिा ि धकायव जारी रखिा था। अर्स्त 1888 िे जूि 1889 के बीच लर्भर् एक िाल तक डॉ. पी. िी. रे क िौकरी िहीों नमली थी। यह िमय उन् ोंिे कलकत्ता में जर्दीि चोंद्र

के अिेकनवज्ञाििोंर्ठि के िदस्यरहे।

व्यम्भक्तत्त्व: आचायव पी. िी. रे क ग्राम्य जीवि बहुत आकनषवत करता था। वे अक्सर ग्रामीण िे उिका िुख दु:ख, हालचाल नलया करते थे।वे अपिीमाुँ के भोंडारे िे अच्छीअच्छीखाद्यिामग्री ले जाकर ग्रामीण में बाोंि

वैज्ञानिक 7 जुलाई-सितंबर- 2022 अध्ययि के नलए वह इोंग्लैंड जा िकते थे। आस्मखर अपिी लर्ि एवों मेहित िे वह इि परीक्षा में कामयाब रहे। इि िकार वे इोंग्लैंड के नलए रवािा ह र्ए। िया देि, िए रीनत ररवाज़, पर िफुल्लचोंद्र इि िबिे ज़रा भी नचोंनतत िहीोंहुए। अोंग्रेज़ की िकल उतारिा उन्ें पिोंद िहीोंथा, उन् ोंिे च र्ा औरचपकिबिवाईऔरइिीवेिमें इोंग्लैंडर्ए।उििमय वहाुँ लोंदि में जर्दीि चोंद्र बिु अध्ययि कर रहे थे। रे और बिु मेंपरस्परनमिताह र्ई। उच्चसशक्षा: िफुल्लचोंद्ररे क एनडिबरानविनवद्यालयमें अध्ययिकरिा था ज नवज्ञाि की पढ़ाई के नलए मिहर था। वषव 1885 में उन् ोंिे पी.एच.डीकाि धकायव पूरानकया।तदिोंतर 1887 में "ताम्र और मैिीनियम िमूह के 'कॉन्जुर्ेिेड' िल्फेि " के बारे में नकए र्ए उिके कायों क मान्यता देते हुए एनडिबरा नविनवद्यालयिे उन्ें डीएि िीकीउपानधिदािकी।उिके उत्कृष्ट् कायों के नलए उन्ें एक िाल की अध्येतावृनत्त नमली तथा एनडिबरा नविनवद्यालय की
ब ि के घर पर व्यतीत नकया। इि दौराि खाली रहिे पर उन् ोंिे रिायि नवज्ञाि तथा विस्पनत नवज्ञाि की पुस्तक का अध्ययि नकया और रॉक्सब र्व की 'फ्ल रा इोंनडका' और हॉकर की 'जेिेरा प्लाण्टेरम' की िहायता िे कई पेड पौध कीिजानतय क पहचािाएवों िोंग्रहीतनकया। व्याविासयकजीवन: िफुल्ल चोंद्र रे क जुलाई 1889 में िेनिडेंिी कॉलेज में 250 रुपये मानिक वेति पर रिायिनवज्ञाि के िहायक िफेिर के पद पर नियुक्त नकया र्या। यहीोंिे उिके जीवि का एक िया अध्याय िुरू हुआ। िि् 1911 में वे ि फेिर बिे। उिी वषव निनिि िरकार िे उन्ें 'िाइि' की उपानध िे िम्मानित नकया।िि् 1916 मेंवे िेनिडेंिीकॉलेजिे रिायिनवज्ञािके नवभार्ाध्यक्ष के पद िे िेवानिवृत्त हुए। नफर 1916 िे 1936 तक उिी जर्ह एमेररिि ि फेिर के तौर पर कायवरत रहे। िि् 1933 में कािी नहन्दू नविनवद्यालय के िोंस्थापक पस्मण्डत मदि म हि मालवीय िे आचायव िफुल्ल चोंद्र रे क डी.एि िी की मािद उपानध िे नवभूनषत नकया। वे देि नवदेि
देते थे। िि् 1922 के बोंर्ाल के अकालके दौरािरे कीभूनमकाअनविरणीयहै। 'मैिचेस्ट्र र्ानडवयि' के एक िोंवाददाता िे नलखा था; “इि पररस्मस्थनतय में रिायि नवज्ञाि के एक िफेिर पी. िी. रे के िामिे आए और उन् ोंिे िरकार की चूक क िुधारिे के नलए देिवानिय का आह्वाि नकया। उिके इि आह्वाि क काफ़ी उत्साहजिकिनतिादनमला।बोंर्ालकीजितािे एकमहीिे में ही तीि लाख रूपए की मदद की। धिाढ्य पररवार की मनहलाओों िे निि के वस्त्र एवों र्हिे तक दाि कर नदए। िैकड युवाओोंिे र्ाुँव में लर् क िहायता िामग्री नवतररत की। डॉ. िफुल्ल चोंद्र रे की अपील का इतिा उत्साहजिक ित्युत्तरनमलिे काएककारणत बोंर्ाल कीजिताके मिमें मौजूद नवदेिी िरकार क नधक्कारिे की इच्छा थी। इिका आोंनिक कारण पीनडत के िनत उपजी स्वाभानवक िहािुभूनत थी, पर काफ़ी हद तक उिका कारण पी. िी. रे

इििे मर्क्ूवरि िाइिरेि िामक पदाथव बिता है। इि ियर् के िमय डॉ रे क कुछ पीले पीले नक्रस्ट्ल नदखाई नदए। वह पदाथव लवण भी था तथा िाइिरेि भी। यह ख ज बडे महत्त्व की थी। वैज्ञानिक क तब इि पदाथव तथा उिके र्ुणधमों के बारे में पता िहीोंथा। उिकी ख जिकानितहुईत दुनियाभरमेंडॉ. रे क ख्यानतनमली। उन् ोंिे एकऔरमहत्वपूणव कायव नकयाथा। वह था अम नियम

वैज्ञानिक 8 जुलाई-सितंबर- 2022 का अिाधारण व्यस्मक्तत्व एवों उिकी िामानजक िनतष्ठा थी। वहअच्छे निक्षकके िाथएकिफलिोंर्ठिकताव भीथे। स्वतंत्रताआंदोलनमेंयोगदान: आचायव पी. िी. रे िे स्वतोंिता आोंद लि में भी िनक्रय भार्ीदारी निभाई। र्पाल कृष्ण र्खले िे लेकर महात्मा र्ाुँधीतकिे उिकानमलिाजुलिाथा।कलकत्तामें र्ाोंधीजी की पहली िभा करािे का श्रेय डॉ. पी. िी. रे क ही जाता है। रे एक िच्चे देिभक्त थे उिका कहिा था; "सवज्ञान प्रतीक्षाकरिकतािै , परस्वराजनिीं "। वह स्वतोंिता आन्द लि में एक िनक्रय भार्ीदार थे। उन् ोंिे अिहयर् आन्द लि के दौराि भारतीय राष्ट्ीय काुँग्रेि के रचिात्मक कायों में मुक्तहस्त आनथवक िहायता दी। उन् ोंिे अपिे एक भाषण में कहा था "मैं रिायििाला का िाणी हुँ। मर्र ऐिे भीमौके आते हैं जबवक्तकातकाज़ाह ताहै नकिेस्ट् ट्यूब छ डकरदेिकीपुकारिुिीजाए"। अमोसनयमनाइटराइटकािंश्लेषण: एक नदि आचायव रे अपिी ियर्िाला में पारे और तेजाब िे ियर् कर रहे थे।
िाइिराइि का उिके नविुद्ध रूप में िोंश्लेषण। इिके पहले मािा जाता था नक अमनियम िाइिराइि का तेज़ीिे तापीय नवघिि ह ता है तथा यह अस्थायी ह ता है। रे िे अपिे इि निष्कषों क नफर िे लोंदि कीकेनमकलि िायिीकीबैठकमेंिस्तुतनकया। स्वदेशीउद्योगकीनींव: उि िमय भारत का कच्चा माल िस्ती दर पर इोंग्लैंड जाता था। वहाुँ िे तैयार वस्तुएों हमारे देि में आती थीों और ऊुँचे दाम परबेचीजातीथीों।इििमस्याके निराकरणके उद्देश्य िे आचायव रे िे स्वदेिी उद्य र् की िीोंव डाली। उन् ोंिे 1892 में अपिे घर में ही एक छ िा िा कारखािा निनमवत नकया। उिका माििा था नक इििे बेर ज़र्ार युवक क मदद नमलेर्ी। इिके नलए उन्ें कनठि पररश्रम करिा पडा। वे हर नदि कॉलेज िे िाम तक लौिते, नफर कारखािे के काम में लर्जाते।यहिुनिनितकरते नकपहले के आडवरपूरे हुएनक िहीों। डॉ िफुल्ल चोंद्र रे क इि कायव में थकाि के बावजूद आिोंद आता था। उन् ोंिे एक लघु उद्यर् के रूप में देिी िामग्री की मदद िे औषनधय का निमावण िुरू नकया। बाद में इििे एक बडे कारखािे का स्वरूप ग्रहण नकया ज आज "बोंर्ाल केनमकल्स ऐण्ड फामावस्यूनिकल वक्सव" के िाम िे िुिनिद्ध है। उिके द्वारा स्थानपत स्वदेिी उद्यर् में िौदेपुर में र्ोंधक िे तेजाब बिािे का कारखािा, कलकत्ता पॉिरी वक्सव, बोंर्ालएिामेलवक्सव, तथास्ट्ीमिेनवर्ेिि, िमुखहैं। आचायव पी िी रे के िम्माि में डाक निकि शोधग्रंथ: ि ध िम्बन्धी जिवल में रे के लर्भर् 200 ि ध पि िकानित हुए। इिके अलावा उन् ोंिे कई दुलवभ भारतीय खनिज क िूचीबद्ध नकया। उिका उद्देश्य मेंडलीफ की आवतव िारणी में छूिे हुए तत्व क ख जिा था। उिका य र्दाि निफव रिायि नवज्ञाि िम्बोंधी ख ज तथा लेख तक िीनमत िहीोंहै। उन् ोंिे अिेक युवक क रिायि नवज्ञाि की तरफ िेररत नकया। आचायव रे िे एक और महत्त्वपूणव काम नकया। उन् ोंिे द खण्ड में 'नहस्ट्री ऑफ़ नहन्दू केनमस्ट्री' िामक महत्त्वपूणव ग्रोंथ नलखा। इििे दुनिया क पहली बार

जाता

नक

िनतित दाि

में उन्

ष मुखजी के िाम

नदया। िि् 1922 में उन् ोंिे महाि् भारतीय कीनमयार्ार िार्ाजुवि के िाम पर वानषवक पुरस्कार िुरू करिे के नलए दि हज़ार रुपये

वैज्ञानिक 9 जुलाई-सितंबर- 2022 यह जािकारी नमली नक िाचीि भारत में रिायि नवज्ञाि नकतिा िमुन्नत था। इिका िथम खण्ड िि् 1902 में िकानित हुआ तथा नद्वतीय खण्ड 1908 में। इि कृनतय क रिायि नवज्ञाि के एक अिूठे अवदाि के रूप में मािा जाता है। आचायव रे िे बाोंग्ला तथा अोंग्रेज़ी, द ि भाषाओों में लेखि नकया। िि 1893 में उन् ोंिे 'निम्पल ज़ुआलजी' िामक पुस्तक नलखी, नजिके नलए उन् ोंिे जीव नवज्ञाि की मािक पुस्तकें पढ़ीों, तथा नचनडयाघर और िोंग्रहालय का स्वयों दौरा नकया। उन् ोंिे 'बािुमनत', 'भारतवषव', 'बोंर्बािी', 'बाोंग्लारबािी', 'िवािी', 'आिोंदबाज़ार पनिका' और 'माििी' जैिी पनिकाओों में बहुत िारे लेख नलखे। ऐिा कहा
है
उन् ोंिे अपिी आय का 90
कर
नदए। िि 1936
ोंिे आिुत
पर भी एक ि ध पुरस्कार िुरू करिे के नलए दि हज़ार नदए। कलकत्ता नविनवद्यालय क उन् ोंिे रिायि नवभार् के नवस्तार तथा नवकाि के नलए 1,80,000 रूपए का अिुदाि नदया। सनधन: 16 जूि, 1944 क आचायव िफुल्लचोंद्र रे का कलकत्ता में देहाविाि ह र्या। उिके बारे में यूनिवनिविी कॉलेज आफ िाइोंि, लोंदि के ि फेिर एफ. जी. ड िाि िे नलखा था : "िर पी. िी. रे जीवि भर केवल एक िोंकीणव दायरे में बुँधे ियर्िाला नविेषज्ञ बि कर िहीों रहे। अपिे देि की तरक्की तथा आत्मनिभवरता हमेिा उिके आदिव रहे। उन् ोंिे अपिे नलए कुछ िहीों चाहा, तथा िादर्ी एवों नमतव्यनयता का कठ र जीवि जीया। राष्ट् एवों िमाज िेवा उिके नलए िवोपरर रहा । वे भारतीय नवज्ञाि के िणेता थे । उन् ोंिे िन्न्यस्त तथा व्रती का जीवि नबताया। उन् ोंिे पररवार हीोंबिाया, तथा आजीवि अनववानहत रहे। िाोंिाररक बोंधि तथा म हमाया एवों पररग्रह िे अपिे क क ि दूर रखा। अपिे देहाविाि िे पूवव आचायव िफुल्ल चोंद्र रे िे अपिी िमस्तिोंपनत्तिामानजककायोंके नलएदािकरदीथी।ऐिा था ऋनषतुल् एवों िेरणादायी उिका व्यस्मक्तत्व एवों कृनतत्व। िचमुच, वेभारतीयनवज्ञािजर्त् के ज्वाजल्माििक्षिहैं। (िफुल्ल चोंद्र राय पर उिकी 150वीोंजयोंती (2 अर्स्त 2011) पर िाइोंि नििी, कलकातामें एकिदिविीआय नजतकीर्ई।)

के पति तक) नवकनित ह ती रही. इिे ‘िाह्मण निक्षा पद्धनत’ , ‘निक्षा की नहोंदू िणाली’ और निक्षा की ‘र्ुरुकुल िणाली’ भी कहा जाता है भारतवषव मैं रहिे वाली िवविथम जानत आयव थी और वैनदक िोंस्कृनत आयों की अपिी िोंस्कृनत थी | वैनदक िोंस्कृनत ित्य, ििाति है और वेद क अिानद अथवा ईिरीय मािा र्या है , र्क् ोंनक मिुष्य और उिकी िभ्यता के बारे में िबिे िाचीि इनतहाि भी इिी िोंस्कृनत की देि है | नजिमें ऋनषय द्धारामािविमाजक

परा नवद्या

मक्ष िाप्त

. म क्ष निक्षा का अोंनतम उद्देश्य ह र्या. लेनकि यह लक्ष्य आदिव ही रहा ह र्ा, ि की व्यावहाररक, र्क् ोंनक म क्ष िभी के नलए िाध्य िहीों ह िकता. इनतहािकार ए.एि.अल्तेकर िे वैनदक

व्यावहाररक उद्देश्य

वैज्ञानिक 10 जुलाई-सितंबर- 2022 सशक्षा (टीचर डे, 5सितंबर-22 परसवशेष) वैसदककालीनसशक्षामेंपयातवरणअसतउिम डॉिरोजशुक्ला ,KA 94/628, कुरमाोंचलिर्र, इोंनदरा िर्र के पाि लखिऊ 226016 “वैनदक कालीि निक्षा द्वारा मिुष्य का िारीररक, बौस्मद्धक, िैनतक, िाोंस्कृनतक, व्याविानयक तथा आध्यास्मत्मक नवकाि नकया जाता था। वैनदक कालीि निक्षा की पाठ्यचयाव व्यापक थी। वैनदक काल में मिुष्य के िाकृनतक, िामानजक और आध्यास्मत्मक तीि पक्ष के नवकाि पर बल नदया जाता था। इिके नलए निक्षा की पाठ्यचयाव में भौनतक तथा आध्यास्मत्मक द ि िकार के नवषय क िस्मम्मनलत नकया जाता था। आज की हमारी निक्षा में आध्यास्मत्मक तत्त्व ि ह िे के कारण हमारे नदल नदमार् िे िामानजक िोंवेदिा नवलुप्त ह ती जा रही है व पयाववरण खतरे में है ।” वैनदक काल (लर्भर् 1700 900 ई.पू.) िे भारत में निक्षा की िुरुआत माि िकते हैं ‘वैनदक निक्षा’ िब्द का िय र् इि अवनध में ियुक्त निक्षण पद्धनत के अथव में नकया जाता है. एक व्यापक अथव में इि िब्द का िय र् उि निक्षा पद्धनत के नलए नकया जाता है ज पूवव वैनदक काल में िारोंभ हुई और लर्भर् 550 ई. (र्ुप्त िाम्राज्य
ब्यवस्मस्थततरीके िे चलािे के नलये मयावनदत आचरण की ब्यवस्था दी र्यी |वैनदक निक्षा िणालीकीखािनविेषताथीर्ुरुकुल [ िास्मब्दकअथवनिक्षक का घर ‘] की िणाली छाि क निक्षा के पूरे काल के नलए निक्षकऔरउिके पररवारके िाथरहिाआवश्यकथा. कुछ र्ुरुकुलएकाोंतवि क्षेि में हते थे, लेनकिनिद्धाोंतएकहीथा नवद्यानथवय क र्ुरु (निक्षक) / र्ुरु और उिके पररवार के िाथ रहिा ह ता था. यह िणाली लर्भर् 2500 वषों तक यथावत चलती रही पाठिालाओों तथा निक्षण िोंस्थाओों का नवकािबहुतबादमेंहुआ निक्षा के उद्देश्य का पहला उल्लेख ऋग्वेद के 10 वें मोंडल में पाया जाता है. इि मोंडल के एक िूक्त में कहा र्या है नक नवद्या का उद्देश्य वेद तथा कमवकाोंड के ज्ञाि के अनतररक्त िमाज में िम्माि िाप्त करिा, िभा िनमनत में बलिे में िक्षम ह िा, उनचत अिुनचत का ब ध आनद है इििे ितीत ह ता है की पूवव वैनदक युर् में निक्षा के उद्देश्य व्यावहाररक थे बाद में, उपनिषद काल में, ज्ञाि का उद्देश्य अनधक िूक्ष्म ह र्या नवद्या क द भार् में बाोंिा र्या परा नवद्या और अपरा नवद्या. अपरा नवद्या में िायः िमस्त पुस्तकीय तथा व्यावहाररक ज्ञाि आ र्या केवल िह्म नवद्या क
मािा र्या. परा नवद्या श्रेष्ठ मािी र्ई र्क् ोंनक उििे
ह ता है
निक्षा के
बताये हैं ज निम्ननलस्मखत हैं. 1) चररत्र सनमातण: ित्यवानदता , िोंयम , व्यस्मक्तर्त िील , िफाई , िाोंत स्वभाव और उदारता आनद अच्हे चररि के र्ुण नकिी भी पेिे पुर नहत , निक्षक , नचनकत्सक , राजिेवक, व्यापारी या िैनिक के नलए बुनियादी आवश्यकता के रूप में िाचीि ग्रोंथ में निधावररत नकये र्ए हैं. निक्षा का उद्देश्य इि र्ुण का नवकाि करिा था मिुिृनत में कहा र्या है नक निमवल चररि का िाह्मण िभी वेद का ज्ञाि रखिे वाले दुिररि िाह्मण िे अच्छा ह ता है. निक्षा आरम्भ करिे के पूवव उपियि िोंस्कार ह ता था नजिमें भावी नवद्याथी क िैनतक आचरण के नियम का पालि करिे का उपदेि नदया जाता था. इिी तरह निक्षा के िमापि पर भी र्ुरु उपदेि देता था.

और आध्यास्मत्मक कायाकल्प कर देता है 3) कायत क्षमता और नागररक सजम्मेदारी का सवकाि: निक्षा क र्ृहस्थ जीवि

भूनमका मािा जाता था. र्ृहस्थ

अनतररक्त िभी अन्य आश्रम वाले

के यम तथा िौच , िोंत ष , स्वाध्याय , ईिर िानणधाि , तपवैनदकिोंस्कृनतके नियमहै। वैनदक िोंस्कृनत में यह बताया र्या है नक इि यम नियम की ज मिुष्य अवहेलिा करता है, उिका कल्ाण अिम्भव है , ठीक उिी तरह नजि तरह इि यम नियम की अवहेलिा करिे िे कई भी धानमवक कायव निद्ध िहीोंह ता अथावत यम नियम ही आध्यास्मत्मक जर्त में वैनदक िोंस्कृनत का पहला पाठ व भवि की िीोंव के पत्थर के िमाि है और इिी कारण िे भारतवषव क िम्पूणव नवि, "धमवर्ुरु" कहता आया है |इिके अलावा वैनदक िोंस्कृनत र् नवन्द चन्द्र पाण्डे का नलखा एक महत्वरूप ग्रन्थ भी है नजिका िकािि िि् 2001 में ल क भारती, इलाहाबाद िे नकया | वैनदक िोंस्कृनत

वैज्ञानिक 11 जुलाई-सितंबर- 2022 उदाहरण के नलए तैनत्तरीय उपनिषद िे दीक्षाोंत भाषण एक अोंि उद्धृत है : िच ब ल , धमव का आचरण कर , वेद का िनतनदि अभ्याि कर , माता नपता क देवतुल् िमझ , र्ुरु क देवतुल् िमझ . अनतनथ क देवतुल् िमझ . ” 2) व्यम्भक्तत्व का सवकाि: ित्येक निक्षाथी क आत्मनिभवरता, आत्म िोंयम और जीवि में वणव और आश्रम के अिुरूप आचरण करिे का कौिल निखाया जाता था. नवद्याथी नभक्षा माोंर्कर और िारीररक श्रम करके अपिा और र्ुरु के पररवार का भरण पषण करते थे. इििे आत्म निभवरता उत्पन्न ह ती थी. िोंयम नवद्याथी जीवि ही िहीों िमस्त जीवि का अनिवायव अोंर् था और निक्षा जीवि में इि पर बहुत बल नदया जाता था अपिे वणव िे िम्बोंनधत कायव कुिल ढोंर् िे कर पािे की िामर्थ्व निक्षा द्वारा दी जाती थी. िाथ ही यह भी निखाया जाता था नक नवनभन्न आश्रम [र्ृहस्थ, वाििस्थ, िोंन्याि] में नकि तरह आचरण करिा ह र्ा. अथवववेद के िह्मचयव िूक्त में कहा र्या है की र्ुरु, निक्षाथी क दुबारा जन्म देता है, अथावत उिका मािनिक, िैनतक
की
के
व्यस्मक्त अपिी भौनतक आवश्यकताओों के नलए र्ृहस्थ पर निभवर ह ते थे इि तरह र्ृहस्थ ि केवल अपिे पररवार बस्मि अन्य वणों का भी पालि करता था. र्ुरु निक्षाथी क िमाज में अपिी यह भूनमका निभािे में िक्षम बिाता था. इिके अनतररक्त िमाज क चलािे के नलए आवश्यक राजिेवक, न्यायाधीि, व्यापारी, पुर नहत तथा अन्य कुिल व्यस्मक्त र्ुरुकुल द्वारा ही तैयार नकये जाते थे 4) सवराित और िंस्कृसत का िंरक्षण: आरम्भ में आयों क नलनप का ज्ञाि िहीोंथा िमाज के िामिे चुिौती थी की नकि तरह मौस्मखक रूप िे पीढ़ी दर पीढ़ी वेद क अपिे मूल रूप में िुरनक्षत रखा जाय भारत के िाचीि र्ुरुकुल की यह नवलक्षण उपलस्मि थी नक वैनदक िानहत्य लर्भर् द हजार िाल तक मौस्मखक रूप में जीनवत ही िहीों, अक्षुण्ण भी रखा. वैनदक निक्षा व्यापक िाोंस्कृनतक दृनष्ट् पर बल देती थी निनक्षत व्यस्मक्त क िानहत्य, कला, िोंर्ीत आनद की िमझ हिी चानहए. उिे जीवि के उच्च आदिों का ज्ञाि भी ह िा चानहए. माि जीनवक पाजवि निक्षा का उद्देश्य िहीों है कानलदाि िे कहा है नक ज नवद्या का उपय र् केवल कमाई के नलए करते हैं वे नवद्या के व्यापारी हैं नजिकी नवद्या नबकाऊ माल भर है. वैनदक िोंस्कृनत िे आज भी कालान्तर िे आज तक अपिे अस्मस्तत्व क बिाये रखा है , िोंस्कृनत आज भी उतिी ही ििक्त , िुब्यवस्मस्थत , िुिोंर्नठत और अिुिानित है, नजतिी नक िृनष्ट् के उदय के िमय ज आियवजिक परन्तु अिल ित्य भी है |वैनदक िोंस्कृनत निन्धु घािी िभ्यता के बाद अस्मस्तत्व में आई, इिकी जािकारी वेद िे नमलिे के कारण इिे वैनदक िोंस्कृनत कहा जाताहै।वैनदकनिक्षाभारतकीिबिे िाचीिनिक्षाव्यवस्था है। भारत में अतीत िे ही वैनदक निक्षा का िचलि था। नजि िमय नवि में निक्षा िाम की क ई चीज िहीों थी उि िमय भारतीयिमाजमें वैनदकनिक्षाकािचलिथा।वैनदकनिक्षा र्ुरुकुल में हुआ करती थी, निष्य अपिे र्ुरु के िानिध्य में रहकरनिक्षािाप्तनकयाकरताथा। वैसदक िंस्कृसतमेंपांचयम औरपांचसनयम : ित्य, अनहोंिा , अस्तेय , िह्मचयव , अपररग्रह यह वैनदक िोंस्कृनत
, धमव, दिवि और नवज्ञाि की अधुिाति िामग्री के नवश्लेषि में आधुनिक पािात्य एवों पारम्मपररक द ि िकार की व्याख्याओों की िमस्मन्वत िमीक्षा वैनदक िोंस्कृनत में की र्यी है।वैनदक निक्षा िणाली के अिेक र्ुण थे। इि र्ुण का तत्व आज भी िािोंनर्क है। वैनदककालीि निक्षा नि:िुि थी, र्ुरुकु ल में निष्य िे नकिी भी िकार का िुि िहीों नलया जाता था। उिके आवाि, वस्त्र तथा भ जि की व्यवस्था भी नि:िुि हती थी। वैनदक काल की निक्षा पर ह िे वाले व्यय की पूनतव िािि, धिाढ्य लर् तथा नभक्षािि एवों र्ुरु दनक्षणा िे की जाती थी। वैनदककालीि निक्षा द्वारा मिुष्य का िारीररक, बौस्मद्धक, िैनतक, िाोंस्कृनतक, व्याविानयक तथा आध्यास्मत्मकनवकािनकयाजाताथा।वैनदककालीिनिक्षाका पाठ्यक्रम व्यापक था। वैनदक काल में मिुष्य के िाकृनतक, िामानजक और आध्यास्मत्मक तीि पक्ष के नवकाि पर बल नदयाजाताथाऔरइिके नलएनिक्षाके पाठ्यक्रममें भौनतक तथा आध्यास्मत्मक द ि िकार के नवषय क िस्मम्मनलत नकया

, ियर् एवों अयाि, िािक एवों कहािी इत्यानद वैज्ञानिक एवों मि वैज्ञानिक नवनधय

, व्यस्मक्तत्व का नवकाि, कायवक्षमता और िार्ररक का नवकाि और नवराित व िोंस्कृनत का िोंरक्षण िानमल हैं। वैनदक कालीि निक्षा नििुि थी। र्ुरुकुल में निष्य िे नकिी भी िकार का िुि िहीों नलया जाता था। उिके आवाि, वस्त्र तथा भ जि की व्यवस्था भी नििुि ह ती थी। वैनदक काल की निक्षापरह िे वाले व्ययकी पूनतव राज, धिाढ्यल र् तथा नभक्षािि एवों र्ुरु

का महत्व और भी बढ़ जाता है। वैनदककालीि जीवि पद्धनत िोंस्कार िधाि थी। वैनदक निक्षा िणाली पूणवत: द ष रनहत थी ऐिा कहिा कनठि है, वैनदककालीि निक्षा में राज्य का नियोंिण या उत्तरदानयत्व िहीों था। तत्कालीि निक्षा व्यवस्था पूणवत: व्यस्मक्तर्तनियोंिणमें थी, ज पूणवत: र्ुरुकुल तकिीनमतथी। अत: इििे जि निक्षा की अवहेलिा हती थी। वैनदककालीि निक्षा में आय की िुनिनित एवों नवनधवत् व्यवस्था िहीों थी। यद्यनप

िादाजीविउच्चनवचारपरआधाररतथी।वैनदक कालीि निक्षा में र्ुरु तथा निष्य के मध्य मधुर िोंबोंध थे। द ि के मध्य स्नेह तथा श्रद्धा का िोंबोंध था। द ि एक दूिरे के िनतत्यार्कीभाविारखते थे तथानिक्षक के बीचमािि नपता पुिके िोंबोंधथे। र्क्ा आज ऐिे ररश्ते वाोंनछत िहीोंहैं? वैनदक कालीि निक्षा में र्ुरुकुल का पयाववरण अनत उत्तम था। र्ुरुकुल िकृनत के स्वच्छवातावरणिे युक्तस्थल में ह ते थे, जहाों जिकलाहल िहीों था तथा जल तथा वायु िुद्ध िाप्त हती थी। आज हम छाि क नकि हालात में निनक्षत कर रहे हैं? वस्तुतः मिीि के जररए दी जा रही निक्षा मिुष्य रूपी छाि क अिोंवेदििील रब ि के रूप में नवकनित कर रही है। यहाों परिाोंस्कृनतकनिक्षाकामहत्त्वऔरभीबढ़जाताहै।वैनदक कालीि जीवि पद्धनत िोंस्कार िधाि थी। वैनदक जमािे की तरह आज भी अमरीका और अिेक देि में उच्च निक्षा िोंस्थाओोंकीररिचव फोंनडोंर्अमीरलर्करते हैं लेनकिहमारे यहाों कीस्मस्थनतदयिीयहै।

वैज्ञानिक 12 जुलाई-सितंबर- 2022 जाता था। हमारी आज की निक्षा में आध्यास्मत्मक तत्व ि ह िे के कारण हमारे नदल नदमार् िे िामानजक िोंवेदिा नवलुप्त ह ती जा रही है। वैनदककालीि निक्षा में उत्तम निक्षण नवनधय का ियर् नकया जाता था। अिुकरण, व्या याि, वाद नववाद, िश्न त्तर, तकव , नवचार नवमिव, नचोंति मिि, निस्मद्धध्यािि
का नवकाि नकया जा चुका था। इिक पुि: हमारे निक्षण में िानमल करिे की जरूरत है।वैनदक काल में र्ुरु तथा निष्य का जीवि अत्योंत िोंयनमत और अिुिानित हता था। उिकी जीवििैली िादा जीवि उच्च नवचार पर आधाररत थी। वैनदककालीि निक्षा में र्ुरु तथा निष्य के मध्य मधुर िोंबोंध थे। दि के मध्य स्नेह तथा श्रद्धा का िोंबोंध था। दि एक दूिरे के िनत त्यार् की भाविा रखते थे तथा निक्षक के बीच मािि नपता पुि के िोंबोंधथे।वैनदककालीिनिक्षामें र्ुरुकुल कापयाववरणअनत उत्तमथा।र्ुरुकुलिकृनतकीस्वच्छवातावरणिे युक्तस्थल में हते थे, जहाों जि कलाहल िहीों था तथा जल तथा वायु िुद्ध िाप्त हती थी। आज हम छाि क नकि हालात में निनक्षतकररहे हैं।वस्तुत: मिीि के जररएदीजारहीनिक्षा मिुष्य रूपी छाि क अिोंवेदििील र बि के रूप में नवकनित कर रही है। यहाों पर िाोंस्कृनतक निक्षा
वैनदककालीि निक्षा का व्यय राजा, धिी लर्, नभक्षािि तथा र्ुरु दनक्षणा िे पूरा नकया जाता था, नकोंतु इि िब का क ई निनित िमय, मािा के ि ह िे िे अिमोंजि की स्मस्थनत रहती थी। वैनदककालीि निक्षा में रििे पर नविेष बल नदया जाता था। यद्यनप उि िमय उत्तम निक्षा नवनधय का नवकाि ह चुका था, नकोंतु नलखिे की िमुनचत व्यवस्था का अभाव ह िे के कारण याद रखिे पर नविेष बल नदया जाता था। वैनदककालीि निक्षा की अिुिािि व्यवस्था अत्योंत कठ र थी। वैनदक निक्षा के व्यावहाररक उद्देश्य रहे हैं, नजिकी आज बहुत जरूरत है। इिमें चररि निमावण
दनक्षणा िे की जाती थी। वैनदक कालीि निक्षा में उत्तम निक्षण नवनधय का िय र् नकया जाता था। अिुकरण, व्याख्याि, वाद नववाद, िश्न त्तर, तकव , नवचार नवमिव, नचोंति मिि, निस्मद्ध, िय र् एवों अभ्याि, िािक एवों कहािी इत्यानद वैज्ञानिक एवों मि वैज्ञानिक नवनधय का नवकािनकयाजाचुकाथा।इिक द बारािे हमारे निक्षणमें िानमलकरिे कीजरूरतहै।वैनदक कालमें र्ुरुतथानिष्य का जीवि अत्योंत िोंयनमत और अिुिानित हता था। उिकी जीवििैली

ि कर साधन तनमाशण करने की तवधा है भारिीय दशशन में िकश औरतवज्ञानक प्राथतमकिातमली . ज्ञानों तवज्ञान सतहिों … (भिवि िीिा 9/1) एक स्पष्ट् जीिा जाििासन्दभश भारिीय षड दशशन में न्याय एवों वैशेतषक दशशन िकश और तवज्ञान के आधारभूि स्र ि ग्रोंथ.सवश सामान्य लकतप्रय काव्य ग्रोंथ में भी तवज्ञान व िकश का समावेश तकन्तु पूणश प्राचीन सातहत्य

, रामायण और महाभारि महाकाव्य (भिवि िीिा), अध्यात्म रामायण, ईशातद िेरह उपतनषद् (शोंकर भाष्य आधाररि), इत्यातद से

पाने काप्रयत्नकरेंिे।

वैज्ञानिक 13 जुलाई-सितंबर- 2022 प्राचीनभारतीयग्रंथोंमेंपदाथतसवज्ञान : एकझलक डा. जिदीशचन्द्रव्यास सेवातनवृत्तवैज्ञातनक, भाभापरमाणु अनुसोंधानकेंद्र, मुोंबई ज्ञान तवज्ञान की साधना अति प्राचीन काल से भारिीय तवचार पद्यति का भाि थी. तवचार में समग्रिा का भाव, भारिीय दशशन की तवशेषिा रही है। सम्पुणश तवश्व एक कुटुम्ब या पररवार है इसके घ ष वाक्य हैं, “िि त्वों अतस” . “स ऽहों” . “ सवं खलु इदों ब्रम्हों” , इत्यातद, “वसुधैव कुटुम्बकम” . सभी (प्राणीमात्र) सुखी ह , “सवेअतप सुखखन सन्तु ..” बलवान के साथ साथ अन्य सभी प्राणी भी यहाों सुख से रह सकिे है . प्रकृति का द हन ह , श षण नही ( Nature has everything for your need, but not for the greed). तवज्ञान वैतश्वक तवधा है . िोंत्रज्ञान (Technology) उसका उपय
आज उपलब्ध नहीों (तवदेशी आक्रामक ने चुन चुन कर स्थानीय तवश्व तवद्यालय और तशक्षा केन्द्र क जला डाला, नष्ट्तकया). तवदेशी भाषा में शासकीय कायश हने लिे स्थानीय सोंस्कृि भाषा व मूल सातहत्य, सामान्य तवद्याथी अथवा अध्येिा की पकड़ से दूर हिा चला िया। तवदेशी आक्रामक के दरबारी तपट्ठू (स्वदेशी और तवदेशी) तिर भी प्रश्न उठािे रहे: क्या कभी भारि में तवज्ञान या वैज्ञातनक अनुसोंधान पर कायश हुआ था? ◼ हमारीमहत्वपूणश तवरासि: कुछउदाहरण आयशभट्ट एवों आयशभटीय(499 ईस्वी) की पृथ्वी के भूिल एवों स्व अक्ष पर घूणशन सोंबखिि मान्यिाए. परन्तु, दरबारी मानतसकिा में रमे अोंग्रेजीभाषा आधाररि आधुतनक भारिीय तशक्षण सोंस्थान के तवद्यातथशय क इस खज का जनक कपरतनकसहीबिायािया यहीतसलतसलाभारिके स्विोंत्र हने के बाद भी बना रहा. स्मरण रहे, आयशभट्ट, कपरतनकस के जीवन काल से पूरे 1000 वषश पहले, इस धरिी पर आ चुके थे। यही खस्थति दशमलव पद्यति, बौधायन (Pythogorus) प्रमेय के साथ भी रही विशमान काल में डा जिदीश चन्द्र ब स के साथघटीघटनाभीइसीिथ्यक उजािरकरािीहै. प्राचीन ग्रोंथ की शोंखला टूट जाने के कारण केवल ल कतप्रय सातहत्य के बचे खुचे ग्रोंथ िक ही हमारी पहुोंच है। अिः हम कुछ प्रमुख ग्रोंथ न्याय एवों वैशेतषक दशशन
इसझलकक
◼ तवज्ञानयापदाथशतवज्ञान: ित्कालीनधारणाए हमआपक तवज्ञानकीएकपररभाषासे पररचयकरािे है ज तवज्ञानपरतलखीपुस्तकसे नहीोंहै। येनज्ञानेनसोंतवत्ते िज्ज्ञानम् तनतििम् चमे। तवज्ञानों च िदैवेिि् साक्षादनुभव वैद्यदा ।। (अद्यात्मरामायण / अरण्यकाण्ड / 4 / 39) इसकाशब्दशः अथश है: तजस ज्ञान (या जानकारी) क अतजशि कर उसकी पुतष्ट्की जा सके (उस जानकारी क प्रामातणकिा या प्रय ि की कसौटी पर परखा जा सके ), िथा इस जानकारी क स्वयों भी (अपने

करने एवों प्रभातवि करने वाली महत्वपूणश रातशयााँ हैं, यहसमझतवकतसिहुई।

यह सूत्र ि पहले से इन्हें ऐसा दशाश रहा है। यह सूत्र आियशजनक है, इिना ही कहना य ग्य हिा। ऐसा लििा है, जैसे सूत्र रचनाकार सापेक्षिा के तसद्ाोंि से भी पररतचि रहा हिा, अन्यथा पदाथश के अतिररक्त प्रकार का वणशन लाना सोंभव नहीों लििा. यहााँ यह समझ पाना कतठन है तक कैसे उस काल में अनुसोंधान किाशओों / आचायों ने इन िुण क सूत्र रूप में एकतत्रि करके सोंतहिाओों का तनमाशण तकया हिा समग्रिा की दृतष्ट् से मन और आत्मा क भी तवचारक (सूत्रकार) ने

वैज्ञानिक 14 जुलाई-सितंबर- 2022 प्रय ि या प्रय ि द्वारा) प्रत्यक्ष अनुभव तकया जा सके , उसे तवज्ञानकहाजािाहै। स्मरण रहे, विशमान वैज्ञातनक मान्यिाए भी तकसी प्रय ि या अनेक प्रय ि द्वारा सत्यातपि पररणाम की व्यवखस्थि समझ परहीआधाररिहै. ◼ पदाथश तवज्ञान द्रव्य अथाशि पदाथश क्या है ? इस बाि का तवचार लेकर एक दशशन बना तजसे वैशेतषक दशशन कहिे है आचायश कणाद ने इससोंतहिाकीरचनाअथवासोंपादनतकयाहै तजसमें पृथकिा का िुण पररलतक्षि हिा है वह पदाथश है इसके अनेकप्रकारहै पृथ्वी: आपिेज (वैशेतषकदशशन 1/5) अथाशि, पृथ्वी (ठस अवस्था), आप: (जल या द्रव अवस्था), िेज (ऊजाश अवस्था), वायु (िैसीय अवस्था), आकाश (वस्तु या तपोंड की उपखस्थति से उत्पन्न तवभव या बल क्षेत्र/क्षेत्र से पररवेतष्ट्ि अोंिररक्षीय भाि), काल (समय), तदक् (तदशा), मन औरआत्मा, ये नौप्रकारके पदाथश है. ठस, द्रव, और िैस अवस्थाओों से ि हम सब पररतचि है (विशमान तवज्ञान सम्मि िथ्य) तकन्तु, आकाश (space filled with potential of an object) भी पदाथश का ही एक रूप है, यह समझ तवद्युि और चुोंबकीय िुण की पदाथश में खज हने के बाद ही बनी।यहााँ आकाश और अोंिररक्ष के भेद क भी समझना आवश्यक है. जैसे, तकसी वस्तु के भार (ज तक उसवस्तु परपृथ्वीके िुरुत्वीयबलक दशाशिाहै) एवों सोंहति (mass) में अोंिर हिा है, लिभि इसी प्रकार का अोंिर आकाशएवों अोंिररक्षमें है। भिवि िीिा (अद्याय 13) में क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ की चचाश इस आकाश तनमाशण से सीधे ही समझी जा सकिी है याद रहे, सभी प्राचीन सातहखत्यक रचनाओों के दैतहक (आद्याखत्मक), दैतवक, और भौतिक ऐसे िीन अलि अलि अथश तकये जाना सम्भवहै. इसी प्रकार से तदशा का ज्ञान सतदश रातशय के तलए अति महत्वपूणश तवधा है, तकन्तु यह पदाथश का एक रूप भी ह सकिा है, यह जानकारी ि विशमान तवज्ञान में आइोंस्टीन के सापेक्षिावाद के तसद्ाोंि द्वारा ही आयी िेज अथाशि ऊजाश भी पदाथश का ही एक प्रकार है, यह िथ्य भी आइोंस्टीन के सापेक्षिावाद तसद्ाोंि के बाद ही समझ में आया। इसी तसद्ाोंि के बाद ही समय और आकाश (space time) भी पदाथश क पररभातषि
पर
पदाथश की श्रेणी में रखा है, आधुतनक तवज्ञान में हम इन्हे अबिक पदाथश की अवस्था नहीोंमानिे है। सोंक्षेप में कहें ि मन अपरा जिि क परा जिि से ज ड़ने वालीकड़ी है जबतक आत्मा परा प्रकृति का मूल तवषय है परा भौतिकी के तवषयहने से हमइनपरयहााँ चचाश नहीोंकरेंिे। ◼ पदाथश तनमाशण पदाथश उत्पन्न भी हिा है, इस िथ्य क आज से तसिश एक सौ वषश पहले के ित्कालीन तवज्ञान में कल्पना मात्र समझा जािा था, परन्तु अब हम जानने लिे हैं तक पदाथश, ऊजाश में या ऊजाश, पदाथश में तवशेष अवस्थाओ में पररखस्थति के अनुसार बदलसकिे हैं।हजार वषश पूवश कायहदशशनक्याकहिाहै

तसद्ाोंि से जानिे हैं। तकन्तु, स्मरण रहे, इस तनयम के अोंििशि भी ऊजाश से पदाथश या पदाथश से ऊजाश बनाने (तनकलने) कीतक्रयाएचलिीरहेंिी पदाथशिि आपसी तक्रयाए तवतभन्न पदाथो की पारस्पररक तक्रया की तदशा और इससे तनतमशि अोंतिम खस्थति की अवस्था (दशा)कातनयम

वैज्ञानिक 15 जुलाई-सितंबर- 2022 धमश तवशेष प्रसुदाि द्रव्य िुण कमश (वैशेतषक दशशन 1/4) अथाशि, तवशेष पररखस्थतिय (की अवस्था) में (धमश तवशेष) पदाथश (या पदाथों), िुण, कमश … आतद उत्पन्न (प्रसुदाि) हुए हैं। लिभि इसी प्रकार का वणशन महाभारि के आतद पवश में भी अतधक तवस्तार से तदया है। इसके अलावा उपतनषद में भी सोंसार के आतवभाशव का वणशन है इन तववरण में थ ड़ा अोंिरहिे हुएभीमूलिथ्यएकजैसाहीहै. भिवििीिाके अनुसारज पैदाहुएहैं, वे नष्ट्भीह ोंिे ही। जािस्य ही ध्रुव मृत्यु , ध्रुवों जन्म मृिस्य च (भ िी 2/27) अथाशि, पदाथश आतद द्रव्य हमेशा बने रहने वाले नहीों हैं, परन्तु, इनका समूल नाश हमेशा के तलए असोंभव है, यह प्रकृति का एक तनयम है। अथाशि प्रकृति में हमेशा के तलए कुछ भी नष्ट् नहीों हिा, केवल रूप बदलने की तक्रयाए चलिीरहिीहै. तवज्ञान में आज हम इसे दूसरे शब्द में पदाथश और ऊजाश की सखम्मतलि अतवनातशिा के
(अथाशिधमश)क्याहै। यि अभ्युदयतनश्रेयसतसखद्:सधमश(वै द 1/2) अथाशि, ज अभ्युदय (प्रकातशि या उत्कषश की अवस्था) की ओर ले जाने वाला, तन:श्रेयस (म क्ष या पूणश साम्यावस्था) प्राप्त (उपलब्ध) करािाहै, वहधमश है. धमश क यहााँ एक प्राकृतिक तनयम के रूप में स्पष्ट् तकया है. िौर से देखे ि यह न्यूनिम स्विोंत्र ऊजाश (minimum free energy) अवस्था का तसद्ाोंि है, ज आज के तवज्ञान में रीढ़ स्तम्भ (मेरुदोंड) कीिरहस्थातपिसवश मान्यतसद्ाोंिहै, और सभी रासायतनक अथवा भौतिक तक्रयाओों के तदशा तनदेशन कीआधारतशलाभी. स्पष्ट् है तक यह तसद्ाोंि भारिीय आचायो ने हजार वषश पूवश ढूढतलयाथा ◼ पदाथोंकीअनुभूति महिअथाशिबड़े पररमाणमें हीद्रव्यके रूप,रस,और स्पशशकीउपलखब्धयाअनुभूतिहिीहै कहाहै महत्यनेकद्रव्यवि ....(वै द. 4/6) सामान्यि पदाथश तपोंड बड़े आकार में ही तदख सकिे है. सूक्ष्म खस्थतिमेंपदाथश हमारीआाँख के तलएअदृश्यसेहै (यहकथन सही है. क्य तक हम अब जानिे है तक हम अपने आसपास 0.5 माइक्र मीटर से छ टे कण क अपनी आाँख नहीोंदेख सकिेहै.अथाशिसूक्ष्मपदाथशक हमनहीोंदेखसकिेहै). ◼ यहअनुभूतिअनेकद्रव्य के समवायसे हिीहै। अनेकद्रव्यसमवाय …… (वै. द. 4/8 ) पदाथश के रूप की अनुभूति प्रकाश या अन्य सोंकेि द्वारा प्राप्त हिी है, तकन्तु यह प्रत्यक्ष तपोंड का दशशन नहीों। तपोंड द्वारा सम्प्रेतषि, या तवतकररि प्रकाश इस छतब का तनमाशण हमारे नेत्र के दृतष्ट् पटल पर करिा है। अि: तचत्र तनमाशण में य ग्य मात्र में प्रकाश एवों तपोंड द न (अथाशि समवाय) का हनाआवश्यकहै ◼ अदृश्य सूक्ष्म पदाथश (अणु परमाणु ) की पहचान क्याहै ? सूक्ष्मपदाथश कीपहचानके तचन्हयासोंकेि अण : महिि पलखब्ध अनुपलखब्ध तनत्ये व्याख्यािे (वै द 7/8) अणु और महि की पहचान उपलखब्ध और अनुपलखब्ध से की जािी है महि अवस्थाए सदा देख पाने के तलए उपलब्ध है परन्तु, तनत्य हने पर भी अणु अवस्था (अदृश्य हने से)
वैज्ञानिक 16 जुलाई-सितंबर- 2022 अनुपलब्ध हिी है। तकन्तु, अदृश्य मात्र हने से अणु हिे ही नहीों, यहधारणािलिहै सामान्यिः जैसे जैसे पदाथश कण सूक्ष्मिा की ओर बढ़िा है , कण की िति बढ़िी जािी है, और उन्हें पकड़ पाना दुष्कर हिा जािा है, इसे आचायश ने तवशेष अथो से प्रकट तकया है. सूक्ष्म अवस्थाए तनत्य है और पररमण्डलाकार िति से युक्त है। तनत्यों पररमण्डलम् (वै द. 7 /20 ) आखिक सूक्ष्म अवस्था की पहचान इस िथ्य से हिी है तक कभी वे अोंतकि (तवधा) हैं, ि कभी वे लुप्त (अतवधा) खस्थति में हैं। अतवधाचतवधातलोंिम् (वै. द. 7 / 21 ) ध्यान देंिे ि ऐसा लििा है की यहााँ सोंभावना की चचाश की जा रही है। यह पहले कहा जा चूका है तक पदाथश में पूणश स्थातयत्व असोंभव है, स्थातयत्व यहााँ खस्थति के भाव में है। सुक्ष्म अवस्था में पदाथश क 100 % अोंतकि कर पाना असोंभव है। लेतकन इस सूत्र का एक और अथश यह भी है की सूक्ष्म अवस्थामें पदाथश द हरे व्यवहारक प्रदतशशिकरने लििाहै. साधारण रूप से कण माने जाने वाला पदाथश कण के साथ साथ िरोंि जैसे िुण (जैसे व्यतिकरण) भी प्रदतशशि करने लि जािा है। इसी प्रकार से िरोंि का व्यवहार तदखाने वाली प्रकाश की तकरणें उच्चिर ऊजाश की अवस्था में, कणवि व्यवहार भी तदखाने लि जािी है। जब ऐसा हिा है िब हम ल िइसे द हराव्यवहारकहिे है। यह द हरा व्यवहार भी सूक्ष्म पदाथश की पहचान का तचन्ह या सोंकेिहै यहभावभीइससूत्रमें अन्ततनशतहिहै अणु परमाणु नकििे िभानवतह िकते हैं। तवभवान्महान आकाश: िथा च आत्मा (वै द. 7 /22) ◼ वैज्ञातनकितितवतधय में प्रय ि कामहत्व दृष्ट्ानाों दृष्ट् प्रय जनानाम् दृष्ट्ाभावे प्रय ि अभ्युदयाय (10 /8 ) अथाशि प्रत्यक्ष देखने या जानने के तलए, अन्य क दशाशने के उद्देश्य से या स्वयों के तलये अतधक िहराई से जानकारी की पुतष्ट् के तलए, प्रय िकरने (करिे रहने ) से अभ्युदय का मािश प्रशस्त हिा है यह सूत्र एक अनुसिान किाश ही अपने सातथय या तवद्यातथशय क दे सकिा है ज भतवष्य के तलए एक तदशा या अनुसिान किाशओों के तलए पूणश वैज्ञातनक दृतष्ट् से मािश दशशनकरिाहै. (राष्ट्ीयजम्मूिोंर् ष्ठी 25 27 िवम्बर 2015 िाररकािेिभार)

क मिाया जाता है। भारतीय िोंनवधाि िभा िे 14 नितोंबर 1949 क राजभाषा का दजाव नदया, जबनक भारतीय िोंनवधाि 26 जिवरी 1950 में लार्ू नकया र्या। नहोंदी भाषा क स्कूल, कॉलेज, बैंक, कायावलयआनदमें मुख्यरूपिे ियर्लाया जाता है। भारत की िमुख भाषा नहोंदी है, नजिे िबिे अनधक ब ला, पढ़ा व िमझा जाता है। भारत में नहोंदी नदवि बडे हषोल्लाि के िाथ मिाया जाता है, नजिे नहोंदी पखवाडा भी कहा जाता है। नजिमें नहोंदी नदवि पर निबोंध (Essay On Hindi Diwas), भाषण (Speech On Hindi Diwas), लेख (Article On Hindi Diwas), कनवता

िमझता और ब लता है। 10 वीों कक्षा तक की पढ़ाई के नलए स्कूल में नहोंदी अनिवायव है। नहोंदी भाषा क भारत में

नितोंबर, 1949 क एक उच्च दजाव नमला, जब इिे भारत की आनधकाररक भाषा के रूप में स्वीकार नकया र्या। नहोंदी भाषाका काउदय लर्भर् 300 िालपहले ह चुका है। हम नहोंदी नदवि क िैक्षनणक िोंस्थाि , स्कूल , कॉलेज और िरकारी कायावलय में भी बडे उत्साह के िाथमिाते हैं।यहिकेवललर् क अपिीजड क याद रखिे के नलए ि त्सानहत करता है, बस्मि नहोंदी भाषा क भी बढ़ावा देता है। इिके अलावा, ऐिे लाख लर् ऐिे भी हैं ज अपिी मातृभाषा यािी नहोंदी भाषा में ब लिे िमव महिूि करते हैं। नहोंदी नदवि हमें यह एहिाि नदलािे में भी महत्वपूणव

वैज्ञानिक 17 जुलाई-सितंबर- 2022 14 सितंबर22,सिंदीसदविपरसवशेष सिंदीिै राष्ट्ीयताकाप्रतीक डॉ०दयाशंकरसत्रपाठी बी 2/63 िी-1के , भदैनी वाराणिी - 221 001 “ भारतदुनियामेंिबिेज्यादानवनवधिोंस्कृनतयोंवालादेिहै।धमव , परोंपराओोंऔरभाषामेंइिकीनवनवधताकेबावजूदयहाोंकेलर्एकतामें नविािरखतेहैं।नहोंदीभारतकीिबिेिमुखभाषाहै।14 नितोंबरवहनदिहैनजिेहमभारतमेंआनधकाररकनहोंदीनदविकेरूपमेंमिातेहैं। आजनहोंदीराष्ट्के "राष्ट्भाषा" कार्ौरवास्मन्वतकररहीहै।बहुतिेलर्ोंकेमिमेंिवालहताहैनकभारतकीराष्ट्भाषार्क्ाहै? तआपक बतादेंनकनहोंदीराष्ट् र भाषािहीोंहै , नहोंदी'राजभाषा ' है।नजिे14 नितोंबर1949 मेंभारतीयिोंनवधाििेिोंवैधानिकदजावनदयाथा।नहोंदीभाषाका इनतहाि12वीोंिताब्दीकाहै।नहोंदीनदविमिािेकाउद्देश्यनहोंदीभाषाकादेिके िाथिाथपूरेनविमेंिचारििारकरिाहै।“ भारतमें 14 नितोंबरक हरिालनहोंदीनदविमिायाजाता है, जबनक नवि नहोंदी नदवि 10 जिवरी
(Hindi Diwas Poem), िायरी (Hindi Diwas Shayari) आनद की िनतय नर्ताएों आय नजतकीजातीहै।नहोंदीभाषाक भारत की मातृभाषा बिािे की माोंर् काफी िमय िे उठती रही है। नहोंदी भारत में िबिे ज्यादा ब ली जािे वाली भाषा है। नहोंदीक मातृभाषाके तौरपरबढ़ावादेिे के नलएहरिाल 14 नितोंबर क नहोंदी नदवि मिाया जाता है। भारत में पहली बार नहोंदी नदवि 14 नितोंबर 1953 में मिाया र्या था। भारत पूरी दुनिया में िबिे नवनवध देि में िे एक है। भारत में कई धमव, रीनत ररवाज, परोंपराएों , व्योंजि और भाषाएों हैं। वषव 2001 के ररकॉडव के अिुिार, नहोंदी भाषा भारत की िबिे िमुख भाषाओों में िे एक है। भारत में नहोंदी भाषा के लर्भर् 26 कर ड मूल वक्ता हैं। नहोंदी भारतमें िबिे अनधकब लीजािे वालीभाषाओोंमें िे एक है। हमारे देि में नहोंदी भाषा क हर क ई आिािी िे
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भूनमका निभाता है नक नहोंदी भाषा पूरी दुनिया में िबिे पुरािी और िबिे िाचीि और िभाविाली भाषाओों में िे एक है और ऐिे में हमें अपिी मातृभाषा यािी नहोंदी भाषा में ब लिे में र्वव महिूि करिा चानहए। वषव 1917 में महात्मा र्ाोंधी िे एक भाषण में नहोंदी भाषाके महत्वक रेखाोंनकतनकयाथा।उन् ोंिे र्ुजरातके भरूच में आय नजत र्ुजरात निक्षा िम्मेलि में इिके बारे में अपिे नवचार व्यक्त नकए थे। उि नविेष िम्मेलि में महात्मा र्ाोंधी िे कहा नक चूोंनक अनधकाोंि भारतीय नहोंदी भाषा ब ल रहे हैं, इिनलए हम इिे अपिे राष्ट् की राष्ट्ीय भाषा के रूप में अपिा िकते हैं। उन् ोंिे आर्े नहोंदी भाषा के महत्व क रेखाोंनकत नकया। उन् ोंिे कहा नक हम इिे धानमवक, राजिीनतक और आनथवक िोंचार नलोंक के रूप में भी उपयर् कर िकते हैं। नहोंदी भाषा में कई िानहस्मत्यक

त्यार् नकया। नहोंदी एक राष्ट्भाषा के रूप में भारत क एक िाथ रखता है औरभारतकीअखोंडताऔरएकताक बिाएरखिे के नलए िही िमाधाि िानबत ह ता है।त , आइए हम एक िाथ कहें नक हमें नहोंदी भाषी ह िे पर र्वव है। भारत में नहोंदीनदविहरिाल 14 नितोंबरक मिायाजाताहै।नहोंदी नदवि नहोंदी भाषा के महत्व क दिावती है और अपिे िमृद्ध इनतहाि और िामानजक राजिीनतक महत्व

िे 21 नितोंबर तक नहोंदी नदवि के अविर पर राजभाषा िप्ताह या नहोंदी िप्ताह मिाया जाता है। इि िप्ताह में नवनभन्न िनतय नर्ताओोंका आय जि नकया जाता है। नहोंदीके िनत लर् क िेररत करिे के नलए नहोंदी नदवि पर भाषा िम्माि देिा िुरू नकया र्या। नहोंदी नदवि का इनतहाि और महत्व हजारी ििाद नद्ववेदी, राजेन्द्र निोंहा,, काका कालेलकर, मैनथली िरण र्ुप्त और िेठ र्नवोंद दाि जैिे नदग्गज िे भारत की आनधकाररक भाषा बिाए जािे के नलएनहोंदीके पक्षमेंकडीपैरवीकी। 14 नितोंबर 1949 क नहोंदी नवद्वाि राजेंद्र व्यौहार राजेन्द्र निोंहा

वैज्ञानिक 18 जुलाई-सितंबर- 2022 कृनतयाों उपलि हैं। रामचररतमािि िबिे बडी नहोंदी िानहस्मत्यक कृनतय में िे एक है। 16वीों िताब्दी में र्स्वामी तुलिीदाि िे रामचररतमािि नलखी। नहोंदी में कईबडे लेखकहुएहैं, जैिे पोंनडतरामकृष्णिमाव आचायव रामधारी निोंह नदिकर,हररवोंि रॉय बच्चि और श्री मुोंिी िेमचोंद जी आनद। कुल नमलाकर हम जािते हैं नक नहोंदी भाषा िबिे पुरािी भाषाओों में िे एक है। नहोंदी भाषा आधुनिक इोंड आयवि भाषाओों में िे आती है। वास्तव में नहोंदी भाषा क अोंग्रेजी भाषा के िाथ भारत की आनधकाररकभाषाके रूपमें चुिार्याथा।चूोंनकयहदेि कीएकमािऐिीभाषाथीज पूरे देिमेंब लीऔरिमझी जाती है। “िोंस्कृत िे िोंस्कृनत हमारी, नहोंदी िे नहोंदुस्ताि हमारा।" नहोंदीक राष्ट्ीयभाषाके रूपमें घ नषतकरिेके िाथ, नहोंदी नदवि है हर िाल 14 नितोंबर क मिाया जाता है। यह भारत िोंघ में नहोंदी भाषा के महत्व क दिावता है। नहोंदी का महत्व काका कालेकर जैिे बहादुर पुरुष के िेतृत्व में लोंबे और व्यापकअनभयाि में निनहत है, नजन् ोंिे अपिी स्वतोंिता िाप्त करिे के नलए बहुत
क िदनिवत करती है। इोंड आयवि भाषा के िन्दभव में भारत की िोंनवधाि िभा िे 1949 में िवर्नठत राष्ट् की आनधकाररक भाषा के रूप में नहोंदी क मान्यता दी थी। जब भारत स्वतोंि हुआ, त िरकार द्वारा भाषा की पहुुँच क व्यापकबिािे के ियािनकएर्ए।लेनकिउििे ठीक पहले 1925 में अपिे कराची अनधवेिि में भारतीय राष्ट्ीय काोंग्रेि िे नहोंदुस्तािी नहोंदी और उदूव भाषा क एक िाथ नमलािे का फैिला नकया था। लेनकि बाद में िोंि नधत नकया र्या और नहोंदी िानहत्य िम्मेलि में यह िुझाव नदया र्या था नक अकेले नहोंदी क राष्ट्ीय भाषा बिाया जाए। एक भाषा के रूप में नहोंदी ि केवल िम्माि का आदेि देती है, बस्मि व्यापक रूप िे ब ली जाती है। हम नहोंदी नदवि मिाते हैं र्क् ोंनक 2021 की जिर्णिा के अिुिार हमभारतमें 46.6 िनतितवक्ताओोंद्वाराब लीजािे वाली भाषा के महत्व क स्वीकार करते हैं, ज नहोंदी क मातृभाषा के रूप में पहचािते हैं। नहोंदी भारत में िबिे अनधक ब ली जािे वाली भाषा है। देि के लर्भर् 78% लर् नहोंदी ब लते और िमझते हैं। नहोंदी के बारे में िबिे नदलचस्प तर्थ् यह है नक "नहोंदी" मूल रूप िे एक फारिी भाषा का िब्द है और पहली नहोंदी कनवता िख्यात कनव "अमीर खुिर " द्वारा नलखीर्ई थी। आपक यह जािकर आियव ह र्ानकनहोंदीभाषाके इनतहािपरपहलािानहत्य एक फ्राोंिीिी लेखक "ग्रेनिम द तािी" द्वारा रचा र्या था। . पहली बार 1977 में पूवव िधािमोंिी व नवदेि मोंिी अिल नबहारी वाजपेयी िे िोंयुक्त राष्ट् महािभा क नहोंदी में िोंब नधत नकया था।भारत में आज नहोंदी भाषा िबिे अनधकइस्तेमालनकयाजािे वालािब्दहै। 1918 में नहोंदी िानहत्यिम्मेलिमें महात्मार्ाोंधीिे पहलीबारनहोंदीभाषा क राष्ट्भाषा बिािे की बात की। र्ाोंधीजी िे नहोंदी क जिता की भाषा भी कहा था। 26 जिवरी 1950 क िोंनवधाि के अिुच्छेद 343 में नहोंदी क आनधकाररक भाषा के रूप में मान्यता दी र्ई थी। हर िाल 14 नितोंबर
के 50वें जन्मनदि क नहोंदी नदवि के रूप में मिािे का फैिला नकया र्या। नहोंदी नदवि कैिे मिाते हैं स्कूल और कॉलेज भाषा के महत्व क िदनिवत करिे के नलए नहोंदी नदवि मिाते हैं। अनधकाोंि निक्षण िोंस्थाि कनवता, निबोंध और पाठि िनतय नर्ताओों का आय जि करते हैं और छाि क भार् लेिे के नलए ि त्सानहतकरते हैं। नहोंदी नदवि पर हर िाल, भारत के राष्ट्पनत नदल्ली में एक िमार ह में नहोंदी भाषाके िनत अपिे य र्दाि के नलए लर् क राजभाषा पुरस्कार िदाि करते हैं, नहोंदी नदवि क भारत की दूिरी आनधकाररकभाषाओोंमेंिे एकके रूपमेंदेविार्रीनलनप में नहोंदी की िुरुआत के रूप में मिाया जाता है। नहोंदी नदवि लर् द्वारा नहोंदी ब लिे की स्वतोंिता का भी ितीक है। 14 नितोंबर क नहोंदी क आनधकाररक तौर पर भारत की िोंनवधाि िभा द्वारा अपिी आनधकाररक भाषाओोंमें िे एक के रूप में अपिाया र्या था। इिका मतलब था नक

निनमवत िानहत्य क िाववजनिक रूप िे पढ़ा जाता है। इि में क ई िोंदेह िहीों ह िकता है नक नहोंदी भारत में िबिे व्यापक रूप िे ज्ञात भाषाओों में िे एक है और लर् इि भाषा क ब लिे में र्वव महिूि करते हैं। राजेन्द्र निोंहा और हजारी ििाद नद्ववेदी जैिे महापुरुष

के नलए ि त्सानहतनकयाजाताहै।नहोंदीएकमहत्वपूणव भाषाहै, ज देिव्यापीिोंचारमेंमददकरतीहै। नहोंदी नदवि महत्वपूणव है र्क् ोंनक यह भारतीय के अपिी मातृभाषा ब लिे के िोंघषव का ितीक है। हर भाषा अिम लहै औरइिे िोंरनक्षतनकयाजािाचानहए।

वैज्ञानिक 19 जुलाई-सितंबर- 2022 नहोंदी में नलखी र्ई क ई भी ररप िव या नबल िोंिद में स्वीकायव ह । िाचीि काल िे ही िोंस्कृत और पाली की िहायता िे नहन्दी का निरोंतर नवकाि हुआ है। आधुनिक िमय की नहोंदी का िोंस्कृत पर महत्वपूणव िभाव है और कई नहोंदी िब्द िोंस्कृत भाषा िे नलए र्ए हैं। नहोंदी वास्तव में एक ऐिी भाषा है ज बहुत िमृद्ध है और इििे िानहत्य के क्षेि में िमुख य र्दाि नदया है। यह िबिे प्यारी भाषाओों में िे एक है और इिे िबिे लकनिय भाषाओोंमें िे एक मािा जाता है। नहन्दी की िरलता और िुन्दरताके कारण अिेक िनिद्ध नवद्वाि िे नहन्दी क स्वीकार नकया है।यहिामान्यलर् क िमझिे औरआत्मिातकरिे के नलएिरलिब्द मेंिुभ िोंदेिदेताहै। 14 नितोंबर क नहोंदीनदविबहुतधूमधामिे मिायाजाता है र्क् ोंनक लर् भाषा के यर्दाि क स्वीकार करते हैं। भाषा क स्वीकार करिे के नलए नवनभन्न कायवक्रम आय नजत नकए जाते हैं। तुलिीदाि, कबीरदाि, पोंनडत राम कृष्ण िमाव आचायव और मुोंिी िेमचोंद िनहत नहोंदी लेखक द्वारा
िे भारत में नहोंदी क आनधकाररक भाषा के रूप में माििे के पक्षमें एकमजबूतअनभयािकािेतृत्वनकया। 14 नितोंबर 1949 क राजेन्द्र निोंहा के 50वें जन्मनदि क नहोंदी नदवि के रूप में मिािे का फैिला नकया र्या था। अनधकाोंि निक्षणिोंस्थािइिनदिकायवक्रमआय नजतकरते हैं और छाि क भार् लेिे के नलए ि त्सानहत करते हैं। िैक्षनणक िोंस्थाि में, छाि कनवता का पाठ करते हैं, र्ीत र्ाते हैं और निबोंध लेखि िनतय नर्ताओों में भार् लेते हैं। नहोंदी दवि पर पुरस्कार िमार ह भी आय नजत नकए जाते हैं। भारत की िोंनवधाि िभा द्वारा नहोंदी क दूिरी आनधकाररक भाषाओों में िे एक के रूप में अपिािे के नलएपूरे भारतमेंनहोंदीनदविमिायाजाताहै।भारतमें 14 नितोंबरक नहोंदीनदविमिायाजाताहै। 26 जिवरी 1950 क िोंनवधाि क औपचाररक रूप िे स्वीकार नकया र्या और लार्ू नकया र्या। नहोंदी नदवि हजारी ििाद नद्ववेदी जैिे नदग्गज के महाि ियाि के कारण मिाया जा रहा है। नहोंदी िे देि क एक मजबूत िोंघ के रूप में एक िाथ ज डिे में मदद की। इि नदि क कई निक्षण िोंस्थाि में बडे बडे आय जि नकये जाते हैं। छाि नहोंदी में ब लिे और नहोंदी की नवनभन्न िनतय नर्ता में भार् लेिे

नक वास्तनवक हानिकारक कीि के अनतररक्त अन्य जीव क भी िष्ट् कर नदया र्या नजिका पररणाम यह हुआ नक कीि का जैनवक नियोंिण िभानवत हुआ और कीि में रािायनिक कीििािक के नलए िनतर ध उत्पन्न ह र्या, कीि पुिः बडी िोंख्या में उत्पन्न हुए, नद्वतीयक हानिकारक कीि भी उत्पन्न ह र्ए और पयाववरणिदूषणकीिमस्याउत्पन्नह र्ई।

जीव जर्त में पौधभक्षी

रिायि

मण्डल

अिोंतुनलत नकये रहते हैं। पीडकिािी ऐिे रिायि हैं ज पौध क क्षनत पहुोंचािे वाले कीि , कवक , िूिकृनमय , कृन्तक एवों खरपतवार क िष्ट् करते हैं, या उि पर नियन्त्रण रखते हैं। पीडकिानिय क उिके िकार और उपयर् के आधार पर कीििािी, कवकिािी, िूिकृनमिािी, खरपतवारिािी, िाकिािी आनद वर्ों में वर्ीकृत नकया र्या है।फिल िे अनधक उत्पादि िाप्त करिे हेतु फिल िोंरक्षण में िािीजीव रिायि का ियर् बहुत िमय िे ह रहा है। आरम्भ में ये रिायि बहुत ही िभावी निद्ध हुए, नकन्तु नवर्त कुछ दिक िे इिकी मारक क्षमता में कमी आई है तथा इिके अत्यनधक ियर् के फलस्वरूप पयाववरण िदूषण की िमस्या भी उत्पन्न ह र्ई है। पयाववरण

वैज्ञानिक 20 जुलाई-सितंबर- 2022 नाशीजीवरिायनोंिेमृदाप्रदषण डॉ. नदिेिमनण, डीनफल, डीएि िी 35/3, जवाहरलालिेहरूर ड जाजव िाउि, इलाहाबाद- 211002 “नवर्तकईदिक िे खेतीमेंपीडकिानिय यथा कीििािी, िाकिािीखरपतवारिािी, पादपवृस्मद्धनियामक इत्यानदकाअत्यनधकएवों अिोंतुनलतिय र्नकयाजारहाहैनजिके फलस्वरूपमृदास्वास्थ्यपरिनतकूलिभावपडरहाहै।इिरिायि के िय र्िे खरपतवारकीिव र र्त नियोंनितह जाते हैं, परन्तुइिनवषैले रिायि कामृदाके भौनतक, रािायनिकएवों जैनवकर्ुण परिनतकूलिभावपडताहै।नकिाि क इिरिायि के िय र्कीिहीजािकारीिह िेके कारणआजउववरभूनमबोंजरभूनममेंबदलतीजारहीहै।िाथहीनमलाविीविकलीकृनष रिायि के िय र्िेभीमृदाकास्वास्थ्यनबर्डताजारहाहै।“ रॉिेल कािवि िे अपिी िनिद्ध पुस्तक ‘‘द िाइलेण्ट स्मरोंर्’’ में नबिा ि चे िमझे कीििािक के अोंधाधुोंध िय र् के बारे में नवस्तार िे वणवि नकया है। उन् ोंिे बताया नक कीििािक का इतिी लापरवाही िे ियर् नकया र्या है
कीि 26 िनतित एवों निकारी, परजीवी, परार्णकमी तथा िफाईकमी कीि 31 िनतित हैं। पौधभक्षी अथवा िािीकीि की केवल एक िनतित जानतयाुँ ही क्षनत हुोंचाती हैं। नवि में माि 3500 कीि की जानतयाुँ ही िािीकीि के रूप में पहचािी र्ई हैं। हमारे देि में कीि की लर्भर् 1000 जानतयाुँ ही फिल एवों फिल उत्पादिक खेत में अथवा भोंडारणमें क्षनतपहुुँचातीहैं। कृनष में ियुक्त नकये जािे वाले नवनभन्न कीििािी िाकिािी कवकिािी आनद रिायि का भूनम में नवघिि ह ता रहता है और इिके तरह तरह के कम नवषैले या नवषरनहत अविेष पदाथव बिते रहते हैं, परन्तु इिमें िे कुछ रिायि दीघवस्थायी ह ते हैं और इिके अविेष पदाथव मृदा जैव, मण्डल क बहुत िमय तक िदूनषत नकये रहते हैं। इि रिायि के अविेष उत्पाद मृदा िूक्ष्मजीव क (ज नक मृदा की उववरता के नलये उत्तरदायी ह ते हैं) िभानवत करते हैं और उिकी कायविीलता क कम कर देते हैं।जब तक नक इिका पूणव क्षय िहीों ह जाता ये
तब तक मृदा जैव
के नवनभन्न घिक यथा मृदा, जल, वायु, पौधे, जीवजन्तु दूध, अोंडा, माुँि तथा अन्य खाद्य पदाथव िभी में इि रिायि के अविेष पाये जा रहे हैं। इि िमस्याओोंके निराकरण हेतु रिायि के कम िे कम इस्तेमाल पर बल नदयाजारहाहै। वाष्पीकरण वाष्प त्सजवि जल अपघिि िकाि अपघिि (फि नलनिि), पौध की उपापचयी नक्रया निक्षालि िूक्ष्मजीव द्वारा नवच्छेदि तथा अन्य रािायनिक नक्रयाओोंके अनतररक्तमृदा के कण तथाकाबवनिकपदाथव द्वारा इि नवषाक्त रिायि का अनधि षण ह जाता है। कुछ रिायि तथा उिके अविेष इतिे स्थायी देखे र्ए हैं नक एक बार उपयर् करिे के उपरान्त मृदा में वषों तक नवद्यमाि रहते हैं और मृदा जीव के नलए अत्यन्त नवषाक्त बिे रहते हैं। मृदा में आर्ेि क्ल रीि वर्व के कीििािक का स्थानयत्वकाल काफी लम्बा ह ता है। इिमें िे

ह ते हैं) क िभानवत करते हैं और उिकी कायविीलता क कम कर देते हैं। ये रिायि तब तक नमट्टी के जैवमण्डल क अिोंतुनलत नकये रहते हैं, जब तक नक इिका पूणव क्षय िहीोंह जाता । वाष्पीकरण, वाष्प त्सजविफि नलनिि, पौध कीमेिाबनलकनक्रयाओों, निक्षालि, िूक्ष्मजीव द्वारा नवच्छेदि जल अपघिि तथा अन्य रािायनिक नक्रयाओों आनद के अनतररक्त मृदा में कण तथा काबवनिक पदाथव द्वारा इि नवषाक्त रिायि का अनधि षण ह जाता है। कुछ रिायि तथा

कीििािी िाकिािी तथा कवकिािीमृदामें नमलकरनवघनितह ते हैं त तरह तरह के नवषैले या नवषरनहत अविेष पदाथव बिते रहते हैं परन्तु इिमें िे कुछ रिायि दीघवकाल तक मृदा में अपररवनतवत रह जाते हैं। इििे ि केवल मृदा अनपतु मृदा जैवमण्डल भीिदूनषतह ताहै। मृदा में आर्ेि क्ल रीि वर्व के कीििानिय का स्थानयत्व काल काफी लोंबा है। इिमें िे डीडीिी के अविेष िवावनधक काल तक 2 िे 5 वषव तक नवषाक्त रूप में रहते हैं।यनदये कीििािीदीघवकालतकमिुष्ययापिु िरीर में िोंनचत ह ते रहे त कालाोंतर में अिेक र र् ह िकते हैं।

वैज्ञानिक 21 जुलाई-सितंबर- 2022 डीडीिी त काफी अल कनिय ह चुका है। इिके अविेष कई वषों तक मृदा में नवषाक्त रूप में पडेे़ रहते हैं। इिके इिी अवर्ुण के कारण ही अिेक नवकनित एवों नवकाििील देि में इिके उपयर् पर िनतबन्ध लर्ा नदयार्याहै। यद्यनप कृनष में ियुक्त नकये जािे वाले नवनभन्न कीििािी, िाकिािी, कवकिािी आनद रिायि का भूनम में नवघिि ह ता रहता है, और इििे तरह तरह के कम नवषैले या नवष रनहत अविेष पदाथव बिते रहते हैं, परन्तु इिमें िे कुछ रिायिदीघव स्थायी ह ते हैं और इिके अविेष पदाथव मृदा जैव मण्डल क बहुत िमय तक िदूनषत नकये रहते हैं। इि रिायि के अविेष पदाथव नमट्टी में पाये जािे वाले िूक्ष्मजीव क (ज नक नमट्टी की उववरता के नलये उत्तरदायी
उिके अविेष पदाथव इतिे स्थायी देखे र्ये हैं नक एक बार उपय र् करिे के उपरान्त उिके अविेषपदाथव वषोंतक नमट्टीमें मौजूद रहते हैं और मृदा जीव के नलये अत्यन्त नवषाक्त बिे रहते हैं। नमट्टी में आर्ेि क्ल रीि वर्व के कीििािक का स्थानयत्वकाल काफी लम्बा ह ता है इिमें िे डी.डी.िी. त काफी बदिाम ह चुका है। इिके अविेष कई वषों तक मृदा में नवषाक्त रूप में पडे रहते हैं। इिके इिी र्ुण के कारण नवकनित देि में इिके उपयर् पर िनतबन्ध लर्ा नदया र्या है नकन्तु नवकाििील देि में इिका ियर् जारी है। भनवष्य में इन्ें भी डीडीिी पर िनतबन्ध लर्ािा ह र्ाअन्यथामृदािदूषणमेंबढ़ त्तरीह तीजायेर्ी।मृदामें आर्ेि क्ल रीि कीििानिय के स्थानयत्व पर बहुत ि धकायव हुआ है। इिके दीघव स्थायी ह िे के कारण ही आर्ेि फॉस्फेि, िोंश्लेनषत पायरेथ्राइड आनद अनत नवषाक्त, अल्पस्थायी रिायि की ख ज हुई ज आर्ेि क्ल रीि रिायि की अपेक्षा अल्पस्थायी त हैं पर इिके तीक्ष्ण नवष मृदा जीव एवों जीवाणुओों के नलए और भीहानिकारकहै औरपयाववरणक िोंदूनषतकरते हैं। दीघवस्थायी रिायि तब तक मृदा जैव मोंडल क अिोंतुनलत नकये रहते हैं जब तक ये पूणव रूप िे िष्ट् िहीों ह जाते।मृदाके कण तथाकाबवनिकक लाइड द्वाराइि नवषाक्त जीविािी रिायि का अनधि षण उि रिायि की उपलस्मि उिकी जैनवक नक्रया, जीवाणु के िनत िनहष्णुता और जीवाणु द्वारा उपापचयी नक्रया आनद क त िभानवत करती ही है िाथ ही मृदा में काबवनिक पदाथों का अपक्षण िाइिर जि, स्मस्थरीकरण फास्फ रि तथा िल्फर के नवलयिीकरण आनद िे िम्बस्मन्धत महत्वपूणव नक्रयायें भी इििे िभानवत ह ती हैं। चूोंनक नकिी खेत की मृदा में ियुक्त कीििािी रिायि िदूषण का मुख्य कारक बिता है, अतः इि रिायि के स्थािाोंतरण का अध्ययि उिके दीघव स्थानयत्व की जाुँच के नलए आवश्यकहै। कृनष में ियुक्त नवनभन्न
पाररस्मस्थनतक िनतनक्रयाओों के कारण बहुत िे कीि में उिके नियोंिण के नलए ियुक्त ह िे वाले कीििानिय के िनत िनतर ध उत्पन्न ह िे लर्ा। इिके पररणामस्वरूप कीि नियोंिण के उपाय िभावहीि हिे लर्े। िाथ ही अत्योंत आनवषालु दीघवस्थायी और व्यापक िभाव वाले कीििानिय के अोंधाधुोंध ियर् िे अलनक्षत तथा लाभदायक कीि जैिे परजीनवय परभनक्षय तथा परार्ण कीि पर िभाव डाला और उिकी िोंख्या घििे लर्ी। इििे कम हानि पहुुँचािे वाले िािक कीि अनधक हानि पहुुँचािे वाले िािक कीि में पररवनतवत ह र्ए। इिका िादुभावव बार बार ह िे लर्ा र्क् ोंनक िाकृनतक ििुओों की िोंख्या कम ह जािे के कारण िाकृनतक नियोंिण में बाधा पहुुँची। इि पररस्मस्थनतय िे रािायनिक नियोंिण नवनध क ऐिे द राहे पर लाकर खडा कर नदया नक नपछले अिुभव के आधार पर इि उपाय पर पुिनववचार एवों र्हि परीक्षण आवश्यक ह र्या। फलतः

िाथहीयहभी उतिा ही महत्वपूणव है नक नकिी पाररस्मस्थनतक तोंि में कीििानिय के निवेि

(Engineer’s Day) के रूप में मिाया जाता है वषव 1967 में भारत िरकार िे देि के महाि इोंजीनियरडॉ म क्षर्ुोंडमनविेिरैयाजीद्वारानकएर्एउिके कायोंक िम्मानितकरिे के नलए 15 नितोंबर

वैज्ञानिक 22 जुलाई-सितंबर- 2022 इििे यह निष्कषव निकालिे के नलए बाध्य ह िा पडा नक िािक कीि नियोंिण का अोंनतम हलऐिे उपाय में निनहत है नजिमें कीि नियोंिण में ियुक्त ह िे वाले नवनभन्न उपाय का िोंर्त और िोंतुनलत िमन्वय नकया जाये। इिे िमस्मन्वत,िमेनकत,एकीकृत कीि िबोंधि का िाम नदया र्या। कीििािी रिायि इि व्यवस्था के महत्वपूणव अोंर् हैं। लेनकि उिके उपयर् के नलए यह आवश्यक ह र्या नक उन्ें अनधक तकवपूणव और िोंतुनलत रूप में ियुक्त नकयाजायनजििे लाभकारीकीि परकमिे कमिभाव पडे।पीडकिानिय के दीघवस्थानयत्व िे ह िे वाले िदूषण िे बचाव के नलए इिके नवकल्प जैिे जैनवक नियोंिण, कृषीय नक्रयाओों द्वारा नियोंिण, भौनतक या याुँनिक उपाय क अपिाया जािा आवश्यक है। वािपनतक उत्पनत्त वाले कीििानिय जैिे निक िीि पाइरेनथ्रि, र िेिि, अजानडरेस्मक्टि के इस्तेमाल क ि त्साहि देिे की आवश्यकता है र्क् ोंनक इिका जैव नवच्छेदि आिािी िे ह जाता है और ये क ई नवषैले अविेष पदाथव िहीोंछडते हैं। इि िकार पीडकिानिय द्वारा ह िे वाले िदूषण िे बचा जा िकता है।कीििानिय क बार बार उपयर् में ि लाकर यनद आवश्यकतािुिार व्यवहार में लायें त इिकी मािाक कमनकयाजािकताहैं।इिीके
की मािा क भी कम नकया जाय। ऐिा देखा र्या है नक अनधकतम उपयुक्त पररस्मस्थनतय के अोंतर्वत भी ियर् की र्ई कीििािी धूल का 10 िे 20 िनतित ही पौध की ितह पर पहुुँचता है, नजिका एक िनतितिे भीकमभार्लक्ष्यकीितकपहुुँचताहै। इििे यहनिष्कषव निकलताहै नककीििानिय के उपयर् के नलए ियुक्त की जािे वाली नवनधय में पयावप्त िुधारकीिोंभाविाहै।िाथहीउिके िोंरूपणफामूवलेिि और उि उपकरण में भी िुधार की आवश्यकता है नजिके द्वारा उन्ें लक्ष्य तक पहुुँचाया जाता है। इििे कीििानिय की निवेनित मािा में अवश्य कमी आएर्ी तथा पयाववरण िदूषण भी कम नकया जा िकेर्ा। राष्ट्ीय इंजीसनयर सदवि 15 सितम्बर- 2022 िोंकलि िोंजय र्स्वामी वषव 1967 में भारतरत्निे िम्मानितदेिके महािइोंजीनियरिरमक्षर्ुोंडमनविेिरैयाजीकीिृनतमें 15 नितम्बरक उिकी जयोंती क राष्ट्ीय अनभयोंता नदवि
क उिकीजयोंतीपर अनभयन्ता नदवि मिािे की घषणा की थी।निोंचाई, बाुँध व बाढ़ नियोंिण के क्षेि में नकए र्ए उिके अिाधारण व उल्लेखिीय कायों के नलए उन्ें आज भी याद नकया जाता है।एम् नविेिरैया क आधुनिक भारत का नविकमाव (रचिाकार) भी मािाजाता है उन् ोंिे अपिी िनतभा की बदौलत भारत क एक िया रूप नदया।एम. नविेिरैया जी क 1955 में उत्कृष्ट् इोंनजनियर के तौर पर िफलतम कायव करिे के नलए भारत रत्न िे िम्मानित नकया र्या था। उन्ें ‘फादर ऑफ़ इोंनडयि इोंजीनियररोंर्’ भी कहा जाता है।इोंजीनियर डे मिािे का मुख्य उद्देश्य राष्ट् निमावण में भूनमका निभािे वाले देि के िमस्त इोंनजनियर क िम्मानित करिा और देि के उत्थाि में नकए र्ए उिके य र्दाि की िराहिा करिा है।िाथ ही इिका लक्ष्य हमारे देि के युवाओों क इोंजीनियररोंर् के कररयर के िनत िेररत करिा, तथा िनिद्ध भारतीय अनभयोंता एम. नविेिरैया जी की उपलस्मिय क मान्यता देिा और उिके द्वारा नकए र्ए कायों क याद करते हुए उन्ें श्रद्धाोंजनल अनपवत करिा है।

िनतित

पर बहुत अनधक मािा में नवदेिी मुद्रा खचव करिी पडती ह।अतराष्ट्ीय बाजार में खनिज तेल, र्ैि व क यले के मूल् में ह रही लर्ातार बढ़ त्तरी व इिकी घिती उपलिता के कारण भनवष्य में आिे वाला ऊजाव िोंकि हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। इिके अलावा खनिज तेल व क यला

वातावरण पर नकिी िकार का िनतकूल िभाव िहीों पडता है, बस्मि वातावरण में िुधार ह ता है। अतः ये पयाववरण नहतैषी नहतैषी हैं। जैिा नक जैव िाम िे नवनदत है, जब जैव ऊजाव का उपयर् बाय र्ैि के रूप में ह ता है, तब ि केवल हमें अच्छी ऊजाव नमलती है, अनपतु अनत उत्तम खाद भी िाप्त ह ती है, नजिके उपय र् िे ि केवल नमट्टी का स्वास्थ्य अच्छा बिा रहता है, अनपतु वातावरण स्वच्छ बिता है। इिकी उपलिता वैिे त पूरे देि में है, लेनकि दूरदराज के क्षेि में अनधक है, जहाों पारोंपररक ऊजाव क पहुोंचािे में काफी खचव व कनठिाई आती है। िवीकरणीय ह िे के कारण इिकी उपलिता ि केवल िदैव बिी रहेर्ी, अनपतु इिकी उपलिता क कुछ ियाि करके

वैज्ञानिक 23 जुलाई-सितंबर- 2022 ऊजात िंकटका िवतश्रेष्ठिल िै जैव ऊजात डॉ. अंसकतासमश्रा िंपादक, आसवष्कार, इन्वेंशनइंटेलीजेंि, एनआरडीिी, नईसदल्ली नकिी भी देि में आनथवक व िामानजक नवकाि के नलए ऊजाव आधारभूत आवश्यकता है। भारतीय अथवव्यवस्था के ित्येक क्षेि जैिे कृनष, उद्यर्, पररवहि, घरेलू व रक्षा के नवकाि के नलए भी ऊजाव की आवश्यकता पडती है। इि कारण िे ऊजाव की नवनभन्न रूप में माोंर् लर्ातार बढ़ती जा रही है। िौर ऊजाव की बढ़ती हुई माोंर् क पूरा करिे में देि की निभवरता खनिज तेल, क यला एवों र्ैि पर निरोंतर बढ़ती जा रही है। ऊजाव स्र त की देि में बहुत कम उपलिता एवों उत्पादि ह िे के कारण इिका 80
नवदेि िे आयात करिा पड रहा है, नजि
िे िाप्त ह िे वाली ऊजाव िे स्थािीय व वैनिक पयाववरण पर िनतकूल िभाव पड रहा है। पयाववरण नविेषज्ञ इििे ह िे वाले िदूषण क वैनिक ऊष्मि का कारण भी मािते हैं। जलवायु पररवतवि ह िे िे िाकृनतक आपदाओों की ि केवल आवृनत्त बढ़ रही है, बस्मि इिकी तीव्रता िे काफी जािमाल का भी िुकिाि ह रहा है।देि में र्ैर पारोंपररक ऊजाव स्र त मुख्य रूप िे िूयव, पवि, जल नवद्युत एवों जैव पदाथव की िाकृनतक उपलिता काफी अच्छी है। िहरी कचरे एवों उद्य र् िे निकलिे वाले अपनिष्ठ भी ऊजाव के अच्छे स्र त ह िकते हैं। इिका उनचत िबोंधि ि ह िे िे ये र्ोंदर्ी व बीमाररय का मुख्य कारण बिे हुए हैं। र्ैर परम्परार्त ऊजाव स्र त के नवकाि एवों उपय र् िे पयाववरण क लाभ िाप्त ह ते हैं।फिल, पेड , पौध , र्बर, मािव मल आनद जैनवक वस्तुओों (बाय माि) में निनहत ऊजाव क जैव ऊजाव कहते हैं। इिका िय र् करके उष्मा, नवद्युत या र्नतज ऊजाव उत्पन्न की जा िकती है। जैव ऊजाव स्र त अन्य ऊजाव स्र त , खािकर पारोंपररक स्र त की अपेक्षाकृत अनधक िस्ते एवों निकाऊ ह ते हैं। इििे िाप्त ऊजाव के ियर् िे
बढ़ाया भी जा िकता है। जैव ऊजाव के उनचत िबोंधि व उपय र् िे आनदवािी एवों दूरदराज के क्षेि क ऊजाव स्वावलोंबी भी बिाया जा िकता है। इििे िाप्त ह िे वाली ऊजाव का ियर् लघु एवों कुिीर उद्यर् क बढ़ािे में नकया जा िकता है। जैव ऊजाव हमें पौध व अन्य जैव अवनिष्ठ िे िाप्त ह ती है। इिके अोंतर्वत् कृनष व जोंर्ल िे िाप्त ह िे वाले अवनिष्ठ, पिुओों व मािव अपनिष्ठ िहरी व उद्य र् िे िाप्त ह िे वाले अपनिष्ठ इत्यानद िमुख हैं। ये िभी जैव ऊजाव स्र त स्थािीय रूप िे उपलि ह ते हैं। स्थािीय लर् के िहयर् व आधुनिक तकिीक के उपयर् व िबोंधि िे ऊजाव िुरक्षा िदाि की जा िकती है। आधुनिक तकिीक के िय र् िे आवश्यकतािुिार ऊजाव उपयर् के नलए इिक नवनभन्न अव्यवस्थाअें में जैिे र्ैि अथवा तरल में पररवनतवत करके ताप, नबजली अथवा याोंनिक ऊजाव के रूप में िय र् करके अनधक दक्षता पूणव

नवकाि कायों में लर्ाएों। इििे देि का नवकाि भी ह र्ा और नवदेि पर निभवरता भी कम ह र्ी।जैव ऊजाव स्र त में बाय र्ैि तकिीक का महत्व अन्य जैव ऊजाव तकिीक िे कहीों ज्यादा है, र्क् ोंनक इििे ि केवल हमें उत्तम नकि की र्ैि के रूप में ऊजाव नमलती है, बस्मि इििे िाप्त

बाय र्ैि तकिीक का उपय र् नविेष महत्व रखता है। इििे हमारे िदी िाले व िमस्त वातावरण क िदूषण िे भी बचाया जा िकता है। बाय स्लरी क खाद के रूप में ियर् करिे िे अित्यक्ष रूप िे काफी मािा में ऊजाव की बचत भी ह ती है। इििे िाप्त ह िे वाली प षक तत्व में िाइिर जि िमुख है, नजिकी हमारी अनधकाोंि मृदाओों में कमी है।

वैज्ञानिक 24 जुलाई-सितंबर- 2022 ियर् नकया जा िकता है। जैव ऊजाव स्र त के आधुनिक तकिीक ियर् िे नवनभन्न रूप में ऊजाव िाप्त की जा िकती है। इि स्र त क निम्न रूप िे िाप्त नकया जा िकता है। (क) ठ ि अवस्था जैिे वेकि एवों चारक ल (ख) तरल अवस्था में जैिे वािस्पनतक व करोंज का तेल, जिर फा, इथेिाल इत्यानद। (र्) र्ैि के रूप में बाय र्ैि व जैव पदाथों क छ िे वाष्पीकरण योंि द्वारा उत्पादक र्ैि में पररवनतवत कर िय र् करिा। देि में िचुर मािा में जैव पदाथव व अपनिष्ठ उपलि हैं। ऊजाव के पारम्पररक स्र त की कमी तथा निकि भनवष्य में िमाप्त ह जािे की िम्भाविा के कारण वैज्ञानिक िे यह अिुमाि लर्ाया है नक बाय डीजल ही भनवष्य में तरल ईधि का एकमाि नवकल्प है। िमय की माोंर् है नक हम इिका िही उपय र् व िबोंधि करते हुए उत्तम नकि की ऊजाव िाप्त कर देि में स्थायी
ह िे वाली बाय र्ैि स्लरी एक उत्तम खाद है। बाय र्ैि स्लरी में ि केवल िम्पूणव मािा में प षक तत्व उपलि ह ते हैं, अनपतु इििे नमट्टी की जैनवक, भौनतक व रािायनिक दिा में भी िुधार ह ता है। बाय र्ैि स्लरी में कई िकार के पादप हारम ि व वृस्मद्धकारक भी ह ते हैं, नजिका िीधा िभाव पौध की वृस्मद्ध पर पडता है। इिके ियर् िे भूनम में प षक तत्व व जल दक्षता में िुधार ह ता है और 15 20 िनतित निोंचाई जल की बचत की जा िकती है।बाय र्ैि स्लरी तरल अवस्था में िाप्त ह िे वाली खाद है और इिका उपयर् खडी फिल में निोंचाई जल के िाथ करिे िे ज्यादा उत्साहवधवक पररणाम नमले हैं। इि खाद के लर्ातार ियर् करिे िे फिल में खरपतवार, बीमारी व कीि के ियर् में काफी कमी आिे िे नकिाि का रिायि पर ह िे वाला खचव भी बच जाता है और वातावरण भी िदूनषत ह िे िे बच जाता है ।बाय र्ैि तकिीक एक वातावरण नहतैषी तकिीक है। इिके उपय र् िे वातावरण पर िकारात्मक िभाव पडता है। आज इिकी िाथवकता और भी अनधक है, र्क् ोंनक िहरी एवों ग्रामीण अपनिष्ट् का उनचत िबोंधि ि ह िे के कारण जल स्र त एवों वातावरण िदूषण िे मािव, पिुओों व फिल में बीमारी व कीि का िकप बढ़ रहा है। इििे जल स्र त िबिे अनधक िभानवत ह ते हैं, र्क् ोंनक अपनिष्ठ पदाथों क नबिा ि धि के िदी िाल में डाल नदया जाता है। उनचत उपय र् व िबोंधि िे ये अपनिष्ठ ऊजाव व खाद के अच्छे स्र त बि िकते हैं। इि दृनष्ट् िे

lcls igys la{ksi esa ;s le>rs gSa fd] DykbZesV psat D;k gS\ DykbZesV psat D;ksa gks jgk gS\ vkSj bls ge dSls fu;af=r dj ldrs gSa\ blds dkj.kksa esa tkus ij ikrs gSa fd dqN rks ^^çk—frd dkj.k** gSa] ftuesa ge dqN Hkh gLr{ksi ugha dj ldrsA ijUrq] vU; tks ^^ekuo fufeZr dkj.k** gSa] muesa ge gLr{ksi vo'; dj ldrs gSaA D;ksafd os gekjs }kjk fufeZr gSa vkSj gesa mu dkj.kksa dks lekIr djus ds fy, dksf'k'k djuk cgqr t:jh gSA vkt varjkZ"Vªh; ç;kl tks py jgs gSa] os mlh fn'kk esa gSaA ;s dksf'k'k] 1960 ls 1970 ds n'kd esa oSKkfudksa dks rkieku esa o`f) ds –<+ ladsr çkIr gq,] mlds ckn baVjxouZesaV iSuy vku DykbZesV psat us 1990 ds n'kd esa vius çfrosnu esa lqfuf'pr fd;k fd Xykscy okfeZax xzhu gkml beh'ku ds dkj.k gks jgh gSA 1994 esa lEiUu D;ksVks çksVksdky dh cSBd esa bl ij xaHkhjrk ls fparu vkjaHk gqvkA mlds ckn UNFCCC dh 'kq:vkr gqbZA rc ls vHkh rd varjkZ"Vªh; Lrj ij lHkh nsksa ds çeq[ksa }kjk jktuhfrd le>kSrksa ds }kjk ;s ç;kl tkjh gSaA yxHkx gj lky ;s cSBd gksrh gSA vHkh 26oha cSBd gks pqdh gS] ftls dkaÝsl vkQ ikVÊt dgrs gSa] tks Xyklxks esa laikfnr gqbZA pWwafd] ;s cgqr gh cM+k fo"k; gS] fo'kky fo"k; gSA bl fo"k; ij ,d NksVs ls ys[k ds vanj dqN xaHkhj fu"d"kZ rd igqapuk 'kk;n dfBu gksA fdUrq ,d fn'kk ge fuèkkZfjr dj ldrs gSa fd dSls gesa] gekjs fparu dks bl fn'kk esa c<+kuk pkfg,\ vkSj dSls gekjs Lrj ij lekèkku fodflr djuk pkfg,A bl leL;k ds dkjdksa esa tks eq[; fcanq] eSa vius thoudky ls vuqHko esa crkuk pkg jgk gwa] og gSa&

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वैज्ञानिक 25 जुलाई-सितंबर- 2022 पयाववरण मौिमपररवततन (क्लाईमेटचेंज) िबिेबड़ािमस्या लसलतकुमारसिंघासनया िंचालक , पयातवरणऊजातफाउंडेशन (Enviornmentenergy foundation) , रायपुर मौिमपररवतवि (क्लाईमेिचेंज) के िम्बन्धमें, मेरायहलेखअपिेअिुभवपरआधाररतमौनलकभावहै।इोंिरिेिकीदुनिया, अतराष्ट्ीय िमाचार, दूरदृश्यइत्यानदमाध्यम परउपलिजािकारीएवों ज्ञािके िाथअपिेजीविकालके कठरअिुभव के आधारपर, इिनवषय परमेरे भावव्यक्तहैं।

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वैज्ञानिक

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26 जुलाई-सितंबर- 2022

वैज्ञानिक

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27 जुलाई-सितंबर- 2022
(यह लेख नदिाोंक 14 नदिम्बर 2021 क रनविोंकर नविनवद्यालय, रायपुर में इोंनडयि पस्मिकएडनमिेस्ट्रििएिनियेििके िमक्षर् ष्ठीमेंिस्तुतनवचार परआधाररतहै)

के िाथ अनतररक्त न्यूिरॉि भी निकलते हैं, ज अन्य यूरेनियम िानभक क नवखोंडि का कारण मे िक्षम था । नजि िे एक आत्मनिभवर श्रृोंखला िनतनक्रया ह ती है, ज ऊजाव के एक नविाल ररलीज के नलए अग्रणी ह ती है। कुछ नदिौोंके बाद इिे ज लीि और उिके िहकनमवय िे िय र्ात्मक रूप िे पुनष्ट् नकया । िानभकीय नवखण्डि के दौराि उत्पन्न ऊजाव क िानभकीय या परमाणु ऊजाव कहा जाता है । िबिे पहली िानभकीय नवखण्डि अनभनक्रया, अमेररकी वैज्ञानिक स्ट्रॉिमैि

जब एक अनभनक्रया िे स्वतः

‘श्रृोंखला अनभनक्रया’ ह ती है

श्रृोंखला अनभनक्रया

जाता है ।श्रृोंखला अनभनक्रया द िकार की ह ती हैं अनियस्मन्त्रत श्रृोंखला अनभनक्रया एवों नियस्मन्त्रत श्रृोंखला अनभनक्रया । अनियस्मन्त्रत श्रृोंखला अनभनक्रया में तीि िए निकलिे वाले हि पर नियन्त्रण िहीों ह ता, नजिके कारण िानभक के नवखण्डि की दर 3,9,27….. के अिुिार ह ती हे, फलस्वरूप ऊजाव अत्यन्त तीव्र र्ीत िे उत्पन्न ह ती है ।इिी निद्धान्त के आधार पर परमाणु ररएक्टर का निमावण नकया जाता है । नियस्मन्त्रत श्रृोंखला अनभनक्रया धीरे धीरे ह ती है तथा इििे िाप्त ऊजाव का उपयर् लाभदायक कायों के

वैज्ञानिक 28 जुलाई-सितंबर- 2022 ऊजात आजादीके बाद परमाणु ऊजात के क्षेत्रमें प्रगसत नवीन सत्रपाठी िीएनआईडी, आरिीएनडी सबम्भडंग, बीएआरिी, मुंबई-94 “परमाणु ऊजाव ऊजाव काएकस्रतहै नजिके कईफायदे हैं।परमाणु ऊजाव कमखचीलीहै र्क् ोंनक यहयूरेनियमपर आधाररत है।यूरेनियम कीथडीिीमािािे बडी मािा में ऊजाव का उत्पादि नकया जा िकता है। यह नर्ििे के नलए एक नविििीय स्रत है, र्क् ोंनक पृथ्वी की पपडी पर इिकी महत्वपूणव मािा है। एक महत्वपूणव लाभ यह है नक परमाणु ऊजाव का उपयर् करके ऊजाव का उत्पादि करिे िे ग्रीिहाउि र्ैिें िहीों निकलती हैं। ग्रीि हाउि र्ैिें ,काबवि डाइऑक्साइड और िल्फर डाइऑक्साइड जैिी र्ैिें हैं, ज ग्रीिहाउि िभाव या ग्लबल वानमिंर् में य र्दाि दे रही हैं।परमाणु िस्मक्त का िबिे बडा लाभ परमाणु नचनकत्सा में की र्ई खज है, जैिे कैंिर नचनकत्सा, कैि स्कैि और एमआरआई मिीि और फल, प्याज और मिाला के जरूरत िे ज्यादा नदि तक रखिे पर बैक्टीररयाक मारिे के नलएनवनकरणके रूपमें आइििप उपयर् हताहै।“ हैि और स्ट्रैिमैि िे नदखाया नक नवखोंडि िे बहुत अनधक ऊजाव(Energy)
एवों ऑि हीि िे िदनिवत की, इन् िे जब यूरेनियम 235 परमाणु पर न्यूिरि की बमबारी की, त पाया नक इिके िानभक द खण्ड में नवभानजत ह र्ए । जब यूरेनियम पर न्यूिर ि की बमबारी की जाती है, त एक यूरेनियम िानभकीय नवखण्डि के फलस्वरूप बहुत अनधक ऊजाव व तीि िए न्यूिरि उत्सनजवत ह ते हैं ।ये िव उत्सनजवत न्यूिराि, यूरेनियम के अन्य िानभक क नवखस्मण्डत करते हैं । इि िकार यूरेनियम िानभक के नवखण्डि की एक श्रृोंखला बि जाती है । इिी श्रृोंखला अनभनक्रया क नियस्मन्त्रत कर परमाणु ररएक्टर में परमाणु ऊजाव का उत्पादि नकया जाता है िानभकीय नवखण्डि वह रािायनिक अनभनक्रया है, नजिमें एक भारी िानभक द भार् में िूिता है । िानभकीय नबखण्डि अनभनक्रया
दूिरी अनभनक्रया ह ती है, त उिे
कहा
नलए नकया जाता है परमाणु ऊजाव के उत्पादि के नलए िानभकीय ररएक्टर में यही अनभनक्रया अपिाई जाती है । यूरेनियम पर न्यूिरॉि की िक्कर करािे िे यूरेनियम अस्थायी ह कर द हिे

या प्लूि नियम का ियर् नकया जाता है ।

क नियस्मन्त्रत करिे के नलए मन्दक के रूप में भारी जल या ग्रेफाइि का ियर् नकया जाता है । मन्दक ररएक्टर में न्यूिराि की र्नत क धीमा करता है ।ररएक्टर में नियन्त्रक छड के रूप में कैडनमयम या ब रॉि का ियर् नकया जाता है । यह छड िानभक के नवखण्डि के दौराि निकलिे वाले तीि िए न्यूिराि में िे द क अवि

में अिुिन्धाि, नवकाि तथा इिके अिुियर् के उद्देश्य हेतु 10 अर्स्त, 1948 क डॉ. ह मी जहाुँर्ीर भाभा की अध्यक्षता में परमाणु उजाव आय र् (एईिी) की स्थापिा की र्ई । इि आय र् िे अपिी िीनतय के नक्रयान्वयि के नलए वषव 1954 में परमाणु ऊजाव नवभार् की स्थापिा की ।इि नवभार् के अन्तर्वत कई ि ध िोंस्थाि हैं, िाथ ही आवश्यकता पढ़िे पर यह अन्य ि ध िोंस्थाि िे भी िहयर् लेता है । वषव 1956 में मुम्बई के निकि परमाणु ऊजाव के उत्पादि के उद्देश्य िे भारत में ‘अप्सरा’ िामक िथम परमाणु ि ध ररएक्टर बिाया र्या था । वतवमाि में यहाुँ जरलीिा,

वैज्ञानिक 29 जुलाई-सितंबर- 2022 तत्व में िूि जाता है इि अनभनक्रया(reaction) में 2 या 3 न्यूिरॉि और नवनकरण के िाथ अपार मािा में ऊजाव निकलती है, नजिे परमाणु ऊजाव (nuclear energy) कहते है। नविेष रूप िे इिका उपयर् बडे पैमािे पर परमाणु नबजलीघरौों में नबजली उत्पादि करिे के नलए ह ता है। ।िानभकीय ररएक्टर म ईधि क रूप म यूरेनियम
अनभनक्रया
नषत कर लेती है, नजििे अनभनक्रया नियस्मन्त्रत ह जाती है और उत्पानदत परमाणु ऊजाव क नवद्युत ऊजाव के रूप में पररवनतवत कर इिका िय र् लाभदायक कायों के नलए नकया जाता है । िानभकीय ररएक्टर िे कई िकार के नवनकरण उत्सनजवत ह ते हैं, ज ररएक्टर के िमीप कायव करिे वाल क िुकिाि पहुुँचा िकते है, इिनलए ररएक्टर के चार ओर कोंक्रीि की म िी म िी दीवारें बिाई जाती हैं, नजन्ें परररक्षक कहा जाता है । परमाणु ररएक्टर का उपय र् मूल रूप िे नवद्युत उत्पादि के नलए नकया जाता है। िानभकीय ररएक्टर म ईधि की कम मािा ि ही अपार ऊष्मा का उत्पादि नकया जा िकता है, जहाुँ 1,000 MW के थमवल पावर ियन्त्र क चलािे के नलए 300 लाख िि क यले की आवश्यकता ह ती है, वहीों इतिा ही नवद्युत उत्पादि िानभकीय ररएक्टर में माि 30 िि यूरेनियम िे िम्भव है ररएक्टर िे िाप्त नवद्युत ऊजाव का उपयर् नवनभन्न उद्यर् में नकया जाता है । चीि क ित्येक वषव 60 हजार मेर्ावाि नवद्युत हेतु िए ररएक्टर का निमावण करिा पड रहा है । नवद्युत हेतु अब तक क यले पर निभवर रहिे वाला देि प लैण्ड भी परमाणु ऊजाव की ओर आकनषवत ह िे लर्ा है । यूर पीय देि में क्राि में िवावनधक परमाणु ररएक्टर हैं । वतवमाि िमय में नवि के 30 देि में 5 िौ के आि पाि परमाणु ररएक्टर है । भारत में परमाणु उजाव के क्षेि
ध्रुव तथा िाइरि िामक तीि अन्य ररएक्टर कायवरत हैं ।वषव 1957 में िरॉम्बे में परमाणु ऊजाव िनतष्ठाि की स्थापिा की र्ई, नजिे अब भाभा परमाणु अिुिन्धाि केन्द्र (BARC) कहा जाता है । िानभकीय नवखण्डि की अनभनक्रयाओों में श्रृोंखला अनभनक्रया क निरन्तर जारी रखिे के नलए न्यूिराि मन्दक के रूप में भारी जल का उत्पादि वषव 1962 में िारम्भ हुआ । भारत अब भारी जल के उत्पादि में ि निफव आत्मनिभवर है, बस्मि अन्य देि क भी इिका नियावत कर रहा है ।

का लक्ष्य रखा है । परमाणु ऊजाव के नबकाि के नलए भारत िमय िमय पर अन्य देि िे भी िहय र् लेता रहा है । भारत में वतवमाि िमय में 21 परमाणु ररएक्टर िचालिरत हैं एवों कई ररएक्टर का निमावण कायव भी चल रहा है । 21 िचानलत ररएक्टर में 2 ब्बॉयनलोंर् वािर ररएक्टर, 18 िेिराइज्ड हैवीवािर ररएक्टर एवों 1 िेिराइज्ड लाइि ररएक्टर हैं, नजिमें लर्भर् 3,900 मेर्ावाि नवद्युत पैदा ह ती है, ज देि में कुल उत्पानदत नवद्युत का 3% है । वषव 1981 में राजस्थाि में

बढती ऊजाव की आवश्यकताओों के नलए नवनभन्न देि िे तेल एवों अन्य िोंिाधि का आयात करिा पडता है यद्यनप नपछले कुछ वषों िे भारत में ऊजाव के र्ैर पारम्पररक स्र त क भी ऊजाव उत्पादि के नलए नविेष महत्व नदया जा रहा है, नफर भी ऊजाव की कुल आवश्यकता के दृनष्ट्क ण िे परमाणु ऊजाव का उत्पादि नवद्युत पैदा के नलए िमय की माुँर् है ।

वैज्ञानिक 30 जुलाई-सितंबर- 2022 भारत में परमाणु नवद्युत ियन्त्र के निमावण तथा रख रखाव का काम िम्मालिे वाले भारतीय िानभकीय ऊजाव निर्म नलनमिेड िे वषव 2023 तक परमाणु नवद्युत उत्पादि की क्षमता क 21,000 मेर्ावाि तक पहुुँचािे
क िा के निकि रावतभािा में भारत के दूिरे परमाणु नवद्युत ियन्त्र ‘राजस्थाि परमाणु नवद्युत ियन्त्र’ िे कायव करिा िुरू नकया । इिके बाद वषव 1983 में परमाणु ऊजाव नियामक ब डव की स्थापिा की र्ई । इिी वषव 23 जुलाई क मद्राि (अब चेन्नई) के निकि कलपक्कम में भारत के तीिरे परमाणु नवकृत ियन्त्र की स्थापिा की र्ई । वषव 1987 में परमाणु कायवक्रम के नवस्तार के नलए भारतीय परमाणु नवद्युत निर्म नलनमिेड की स्थापिा की र्ई । बढती जििोंख्या हेतु ऊजाव की आपूनतव करिा भारत के नलए एक िमस्या का रूप लेता जा रहा है । आिे बाले िमय में देि में ऊजाव की माुँर् 5.2% की वृस्मद्ध दर िे बढिे का अिुमाि है। बढती जििोंख्या, फलती फूलती अथवव्यवस्था और अच्छे जीवि स्तर की चाह के कारण िाथनमक उजाव खपत में भी वृस्मद्ध हुई है । ऐिी स्मस्थनत में भारत के नलए परमाणु ऊजाव क नविेष महत्व देिा अनिवायव ह र्या है भारत में ऊजाव आपूनतव में वृस्मद्ध और स्र त का द हि ऊजाव की बढती माुँर् के अिुरूप िहीों ह रहा है, इिनलए हमारा देि ऊजाव िकि की स्मस्थनत का िामिा कर रहा है । परमाणु ररएक्टर में अिेक तत्व के कृनिम िमस्थानिक (आइि ि प) भी बिाए जाते हैं । इि िमस्थानिक का उपय र् नचनकत्सा, कृनष, जीव नवज्ञाि तथा अन्य वैज्ञानिक ि ध में नकया जाता है । आज नवि के िभी नवकनित व नवकाििील देि नबजली उत्पादि हेतु परमाणु ररएक्टर के निमावण में नदलचस्पी ले रहे हैं । वषव 2011 में जापाि के फुकुनिमा में हुए परमाणु हादिे के बावजूद दुनियाभर में परमाणु ऊजाव क ऊजाव आपूनतव का महत्वपूणव नवकल्प मािा जा रहा है । भारत क अपिी

बात

तय है नक क रिा अब तक की िबिे घातक महामारी है। क र िाके बादअभीहालहीमें मोंकीपॉक्सिामक

) औरकाउपॉक्सवायरिभीिानमलहैं।”

मोंकीपॉक्स (एमपीएक्स) एक वायरल जूि निक बीमारी है नजिमें चेचक के िमाि लक्षण ह ते हैं, हालाोंनक यह चेचक कीअपेक्षाकमर्ोंभीरह ताहै। मोंकीपॉक्स क पहली बार 1958 में बोंदर की कॉलनिय में ख जा र्या था इिनलए इिका िाम ‘मोंकीपॉक्स’ पडा। मोंकीपॉक्स का पहला मािव मामला 1970 में काोंर् लकताोंनिक र्णराज्य

वैज्ञानिक 31 जुलाई-सितंबर- 2022 मंकीपॉक्सएकदलभबीमारी बीएनसमश्र एनआरबी, बीएआरिी, मुंबई-85 दुनिया में िमय िमय पर महामाररयाों आई हैं, नफर चाहे व छठवीोंिताब्दी में इनजप्ट (आधुनिक नमस्र) में आई प्लेर् की महामारी ह या एनिया में 2000 िाल पहले आई प्लेर् की महामारी ह , नजिक इनतहािकार िे “िैकडेथ” कीिोंज्ञा दी। 2020 में क र िा महामारी आई नजििे दुनियाभर में लर्भर् 64 लाख लर् क अपिा निकार बिाई। हालाोंनक क र िा के मामले अभी भी र ज आ रहे हैं। इििे पहले नजतिी भी महामारी आई उन् ोंिे नकिी देि या महाद्वीप नविेष क अपिा निकार बिाया लेनकि क र िा िे पूरी दुनिया में अपिा िभाव नदखाया। क र िा िे जुडे अभी भी बहुत िारे राज हैं ज दुनिया िे नछपे हुए हैं, लेनकि यह
वायरि िे दुनिया में क हराम मचा के रखा हुआ है, हालाोंनक इिकी िोंक्रमणक्षमताक र िाके मुकाबले आधीभीिहीहै लेनकि यहक र िाकीअपेक्षाकईर्ोंभीर खतरे पैदाकरिकताहै, नजिके कारण ही वर्ल्व हेल्थ ऑर्ेिाइजेिि िे इिक एक नचोंताजिकइमरजेंिीकहाहै। मोंकी पॉक्स के मामले नितोंबर 2018 में िाइजीररया िे इज़राइलजािेवालेयानिय मेंनितोंबर 2018, नदिोंबर 2019, मई 2021 औरमई 2022 मेंयूिाइिेडनकोंर्डममें मई 2019 में निोंर्ापुर में ररप िव नकए र्ए हैं। और जुलाई और िवोंबर 2021 में िोंयुक्त राज्य अमेररका में। मई 2022 में, कई र्ैर स्थानिक देि में मोंकीपॉक्स के कई मामल की पहचाि की र्ई थी। वैज्ञानिक और नविेषज्ञ इिके िोंक्रमण के स्र त और िोंचरण पैििव क और िमझिे के नलए वतवमाि में ज्यादा िे ज्यादा अध्ययि कर रहे हैं। मोंकी पॉक्स पिु िे मािव (ज़ूि निक) रक्त िोंचरण, िारीररक तरल पदाथव, या िोंक्रनमत जािवर के त्वचीय या श्लेष्म घाव के िीधे िोंपकव िे ह िकताहै। “मोंकीपॉक्सएकदुलवभबीमारीहै ज मोंकीपॉक्सवायरिके िोंक्रमण के कारण ह ती है। मोंकीपॉक्स वायरि Poxviridae पररवार में ऑथोपॉक्सवायरि (Orthopoxvirus) जीिि िे िोंबोंनधत है। ऑथोपॉक्सवायरि जीिि में वेररय ला वायरि (ज चेचक का कारण बिता है), वैक्सीनिया वायरि (चेचक के िीके मेंियुक्त
(DRC) में ररप िव नकया र्या था। मोंकीपॉक्स वायरि मुख्य रूप िे मध्य और पनिम अफ्रीका मेंलर् क िोंक्रनमतकरताहै। 2003 में, अफ्रीका के बाहर पहला मोंकी पॉक्स का मामला िोंयुक्तराज्यअमेररकामेंआयाथाज िोंक्रनमतपालतू िेयरी कुत्त के िोंपकव िे जुडाथा।इिपालतू जािवर क र्ैस्मम्बयि पाउच वाले चूह औरडॉनमवि के िाथरखा र्याथा ज घािा िे िोंयुक्तराज्यअमेररकामेंआयातनकएर्एथे।

का िकप िोंयुक्त राज्य अमेररका में हुआ था और इिे िोंक्रनमत पालतू िैरी कुत्त के िोंपकव िे जडा र्या था। इि पालतू जािवर क र्ैस्मम्बयि पाउच वाले चूह और डॉनमवि के

िहीों है नक र्क्ा बोंदर में नविेष रूप िे यौि िोंचरण मार्ों के माध्यम िे मोंकी पॉक्स का िोंक्रमण ह िकता है। इि ज स्मखम क बेहतर ढोंर् िे िमझिे के नलए अभीऔरअध्ययिकीआवश्यकताहै। मोंकीपॉक्सके इोंफेक्शिके बाद (ज आमतौरपर 0 5 नदि के बीच रहती है) बुखार, तीव्र निरददव, नलम्फैडेिपैथी (नलम्फ ि ड्ि की िूजि), पीठ ददव, मायालनर्या (माोंिपेनिय में ददव) और तीव्र अस्मस्थ (ऊजाव की कमी) का अिुभव ह िकता है। नलम्फैडेि

वैज्ञानिक 32 जुलाई-सितंबर- 2022 मािव मोंकीपॉक्स की पहचाि पहली बार 1970 में काोंर् लकताोंनिक र्णराज्य में 9 महीिे के एक लडके में हुई थी, जहाों 1968 में चेचक क िमाप्त कर नदया र्या था। तब िे, अनधकाोंिमामलेग्रामीण, वषावविक्षेि िेिामिे आएहैं। काोंर् बेनिि, नविेष रूप िे काोंर् लकताोंनिक र्णराज्य में और पूरे मध्य और पनिम अफ्रीका में मोंकी पॉक्स के मामले तेजीिे िामिे आएहैं। 2017 के बाद िे, िाइजीररया में मोंकी पॉक्स के मामल का नवस्फ ि हुआ, नजिमें 500 िे अनधक िोंनदग्ध मामले और 200 िे अनधक मामल की पुनष्ट् नकए र्ए और इि मामल की फैिनलिी दर लर्भर् 3% थी। हालाोंनक िाईजीररया में आजतकताजे मामल कीररप िव आरहीहै। मोंकीपॉक्स वैनिक िाववजनिक स्वास्थ्य महत्व की बीमारी है र्क् ोंनक यह ि केवल पनिम और मध्य अफ्रीका के देि क िभानवत करती है, बस्मि दुनिया के बाकी नहस् क भी िभानवतकरतीहै। 2003 में, अफ्रीका के बाहर पहला मोंकीपॉक्स
िाथ रखा र्या था नजन्ें घािा िे देि में आयात नकया र्या था। इि िकप के कारण यूएि में मोंकीपॉक्स के 70 िे अनधक मामलेपाएर्ए। अफ्रीका में, र प नर्लहरी, पेड नर्लहरी, र्ैस्मम्बयि प चेड चूह , बोंदर की नवनभन्न िजानतय और अन्य कई जािवर में मोंकीपॉक्स वायरि के िोंक्रमण के िबूत पाए र्ए हैं। मोंकीपॉक्सके िाकृनतकनिवािस्थािकीअभीतकपहचाि िहीोंकीर्ईहै, हालाोंनकयह िोंभाविाव्यक्तकीजातीहै नक यह र डेंि्ि में पाए जाते हैं। अपयावप्त रूप िे पका हुआ माोंिऔरिोंक्रनमतजािवर के माोंियाउत्पाद वअन्यपिु उत्पाद के िेवि िे मोंकी पॉक्स फैल िकता है। विाच्छानदत क्षेि में या उिके आि पाि रहिे वाले लर् क िोंक्रनमत जािवर िे अित्यक्ष या निम्न स्तर का ज स्मखम ह िकता है। मािव िे मािव िराोंिनमिि ििि के कण, एक िोंक्रनमत व्यस्मक्त की त्वचा के घाव या हाल ही में दूनषत वस्तुओोंके िाथ निकि िोंपकव के पररणामस्वरूप ह िकता है। छ िी बूोंद ििि कण के माध्यम िे िोंचरण में आमतौर पर लोंबे िमय तक आमिे िामिे िोंपकव की आवश्यकता ह ती है, ज स्वास्थ्य कायवकतावओों, घर के िदस्य और िनक्रय मामल के अन्य करीबी िोंपकों क अनधक ज स्मखम में डालता है। हालाोंनक, एक िमुदाय में िोंचरण की िबिे लोंबी उस्मल्लस्मखत श्रृोंखला हालके वषों में 6 िे 9 क्रनमकव्यस्मक्त िे व्यस्मक्त िोंक्रमण िे बढ़ी है। यह िोंक्रमण दर में वृस्मद्ध चेचक के िीकाकरण की िमास्मप्त के कारण िभी िमुदाय में घिती िनतरक्षा के कारण ह िकती है। िराोंिनमिि प्लेिेंिा के माध्यमिे माुँ िे भ्रूणतक (ज जन्मजातबोंदर क जन्मदे िकता है) या जन्म के दौराि और बाद में निकि िोंपकव के दौरािह िकताहै।जबनकनिकििारीररकिोंपकव िोंचरण के नलएएकिामान्यज स्मखमकारकहै। यह स्पष्ट्
पैथी अन्य बीमाररय की तुलिा में मोंकीपॉक्स की एक नवनिष्ट् नविेषता है ज िुरू में नचकिपॉक्स, खिरा, चेचकके िमािनदखाईदे िकतीहै। त्वचा का फििा आमतौर पर बुखार नदखिे के 1 3 नदि के भीतर िुरू ह जाता है। दािे र्दवि के बजाय चेहरे और हाथ पाोंव पर अनधक मािा में ह ते हैं। यह चेहरे (95% मामल में), और हाथ की हथेनलय और पैर के तलव (75% मामल में) क िभानवत करता है। मुख में स्मस्थत श्लेष्मा नझल्ली (70% मामल में), जििाोंर् (30%), और कोंजोंस्मक्टवा (20%), िाथ ही कॉनिवया भी िभानवत ह ते हैं। दािे मैर्क्ूल्स (एक िकार का घाव ज उभरा िही ह ता बस्मि िपाि रहता है) िे पैप्यूल्स (थडा उभरे हुए फमव घाव), वेनिकल्स (स्पष्ट् तरल पदाथव िे भरे घाव), पस्ट्यूल (पीले रोंर् के तरल पदाथव िे भरे घाव), और क्रस्ट् ज िूख

िोंक्रमण

तकनदखिकते है, लेनकिकुछनविेषपररस्मस्थनतय में

लक्षण

िे

नदि तकनदखिकते

के स्मखलाफिीकाकरण कई

एोंिीवायरलएजेंि नजिे िेक नवररमैि के रूप में जािा जाता है, नजिे चेचक के नलए नवकनित नकया र्या था, क यूर पीय मेनडनिि एजेंिी (ईएमए) द्वारा 2022 में मोंकीपॉक्स के नलए जािवर और मािव अध्ययि के आोंकड के आधारपरलाइिेंिनदयार्याहै।यहअभीतक व्यापक रूप िे उपलि

वैज्ञानिक 33 जुलाई-सितंबर- 2022 कर नर्र जाते हैं, िे क्रनमक रूप िे नवकनित ह ते हैं। नभन्न नभन्न मामल में घाव की िोंख्या कुछ िे कई हजार तक ह िकती है। र्ोंभीर मामल में, घाव तब तक जमा ह िकते हैं जबतकनकत्वचाकाबडानहस्ाढीलािह जाए। मोंकीपॉक्स आमतौर पर 2 िे 4 िप्ताह तक चलिे वाले लक्षण के िाथ एक स्व िीनमत बीमारी है। र्ोंभीर मामले आमतौरपरबच्च मेंअनधकह ते हैं औरवायरिके जस्मखम की िीमा, र र्ी के स्वास्थ्य की स्मस्थनत और जनिलताओों की िकृनतपरनिभवरकरतीहैं।िनतरक्षािणालीकीकमज रीिे र्ोंभीर पररणाम ह िकते हैं। हालाोंनक चेचक के स्मखलाफ िीकाकरणपहले के िमयमें िुरक्षात्मकथा, आज 40 िे 50 वषव िे कम उम्र के व्यस्मक्त (देि के आधार पर) बीमारी के उन्मूलि के बाद नवि स्तर पर चेचक के िीकाकरण अनभयाि की िमास्मप्तके कारण मोंकीपॉक्स के िनत अनधक िोंवेदििील ह िकते हैं। मोंकीपॉक्स की जनिलताओों में माध्यनमक िोंक्रमण, ि न्क पमनिया, िेस्मप्सि, एन्सेफलाइनिि और दृनष्ट् की हानि के िाथ कॉनिवया का िोंक्रमण िानमल ह िकते हैं। हालाोंनक अभी यह वैज्ञानिक क यह िही मालूम ह िका है नक अनिोंपि मैनिक िोंक्रमण नकतिा र्ोंभीर ह िकता है। मोंकीपॉक्स वायरि के लक्षण (
िे लक्षण की िुरुआत तक) आमतौर पर 6 िे 13 नदि
यह
5
24
है। चेचक
अवल कि अध्ययि के माध्यम िे मोंकीपॉक्स क र किे में लर्भर् 85% िभावी हुआ था।इि िकार, पूवव चेचक िीकाकरण के पररणामस्वरूप मामूली बीमारी ह िकती है। चेचक के स्मखलाफ पूवव िीकाकरण के िाक्ष्य आमतौर पर ऊपरी बाोंह पर नििाि के रूप में पाए जा िकते हैं। वतवमाि िमय में, मूल (पहली पीढ़ी) चेचक के िीके आम जिता के नलए उपलििहीोंहैं। 2019 में मोंकीपॉक्स की र कथाम के नलए िोंि नधत एिेन्युएिेड वैक्सीनिया वायरि (अोंकारा स्ट्रेि) पर आधाररत एक िए िीके क मोंजूरी दी र्ई थी। यह द खुराक वाला िीका है नजिकी उपलिता िीनमत है। मोंकी पॉक्स का उपचार वतवमाि में मोंकी पॉक्स का क ई नविेष उपचारिहीों है, लेनकि एक
िहीों है। सवज्ञानकसवता ओजोनपरतकोबचाओ ओजोनके कारणिैधरतीस्वगत, सबनाइिके बनजाएगीनकत . ओजोनपरतकोबचाओ, िभीकाजीवन बचाओ. ओजोनकरतािमिबकीरक्षा, िमेंदेनीिोगी इिेिुरक्षा. ओजोनसदविकोिमिबमनाएं , ओजोनकीजागरूकताबढ़ाएं . ओजोनतोिैअनमोलरत्न, इिेबचानेकाकरे प्रयत्न. ओजोनबचानेके कररएकाम, पृथ्वीकीिैयेशान. िमसजतनाप्रदषणिटायेंगे, उतनाओजोनकोबचापाएंगे. बीमाररयोंिेिमेंबचाता, ओजोनऐिाकामिैकरता. ओजोनलेयरतभीबचेगी, जबवैज्ञासनक करेंगे िरकोसशश . सिफत नामकानिींिै, िमझोइिेमनानेकामकिद , मनाओ ओजोनसदवि, बचाओ ओजोनपरत िोंजयर्स्वामी, यमुिा, जी 13, अणुषस्मक्तिर्र, मुोंबई 94

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वैज्ञानिक 34 जुलाई-सितंबर- 2022
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, ज बडी आिािी िे मेंिल कैलर्क्ूलेिि करती थीों। उन्ें मैथ की दुनिया में ह्यूमि कोंप्यूिर की िाम िे जािा जाता था। िकुोंतला देवी का जन्म िाल 1929 में बैंर्ल र में हुआ, बचपि िे ही िकुोंतला कैलर्क्ूलेिि करिे में मानहर थीों। नजि कारण व मैथ कैलर्क्ूलेिि िे जुडे िवाल का जवाब देकर पैिे कमाया करतीथीों।कुछिाल तकदेिमें रहिे के बादिकुोंतलालोंदि चली र्ई, जहाों पर उन् ोंिे नवदेनिय क भी अपिे मैथ्ि िे दीवािा बिा नदया। िाल 1982 में िकुोंतला देवी कैलर्क्ूलेिि िेजुडानर्िीजवर्ल्व ररकॉडव अपिे िामनकया।

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वैज्ञानिक 35 जुलाई-सितंबर- 2022
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• 2008 esa Hkkjr ljdkj }kjk i|
ls lEekfur fd;k x;kA शकुंतलादेवी िाल 2021 में मैथमेनिनियि िकुोंतला देवी के जीवि पर आधाररत एक नफल्म आई थी, नजिमें एक्टरेि नवद्या बालि िे िकुोंतला देवी का नकरदार निभाया था। बता दें नक िकुोंतला देवी एक िनिद्ध मैथमेनिनियि थीों

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वैज्ञानिक 36 जुलाई-सितंबर- 2022

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वैज्ञानिक

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37 जुलाई-सितंबर- 2022

भारतकीदूिरीमनहलानफनजनियिके तौर पर भी जािा जाता है। उिका जन्म 18 जुलाई, 1861 क नबहार के भार्लपुर में हुआ था। 1892 में मेनडनिि की उच्च निक्षा हानिल करिे के नलए वे इोंग्लैंड र्ई और वहाों िे वापि

नकया

अक्टूबर

वैज्ञानिक 38 जुलाई-सितंबर- 2022 eksckby ,lksfl,’ku dh mik/;{k in ij Hkh viuh lsok,¡ nh gSaA दशतन रंगनाथन दिवि रोंर्िाथि भारत की मिहर रिायि वैज्ञानिक थीों। उिका जन्म 4 जूि, 1941 क नदल्ली में हुआ। उिकी उच्च निक्षा नदल्ली यूनिवनिविी िे हुई। वे नदल्ली यूनिवनिविी के नमराोंडा कॉलेज में कई वषों तक रिायि नवज्ञाि नवभार् की अध्यक्ष रहीों। इन्ह िे अपिे कायव के दौराि यूररया चक्र और ििीि िोंरचिा पर कई खज की। जूि 2001 में िेस्ट् कैंिर िे उिकी मृत्यु ह र्ई। कादम्भम्बनीगांगुली कादस्मम्बिीर्ाोंर्ुलीक
लौििे के बाद डफररि अस्पताल में काम करिा िुरू
और कई ख ज की । 3
, 1923 क उिका निधि ह र्या। जानकीअम्माल जािकी अम्माल क विस्पनत नवज्ञाि में डॉक्टरेि की नडग्री हानिल करिे वाली पहली मनहला के तौर पर भी जािा जाता है। इिका जन्म 4 िवोंबर, 1897 क केरल के कुन्नुर नजले में हुआ था। उन् ोंिे अमेररका के नमनिर्ि नविनवद्यालय िे बॉििी में एम.एििी. और पीएचडी. की नडग्री हानिल की। इिकी र्न्न की हाइनिड िजानत ख ज और क्रॉि िीनडोंर् पर ि ध क पूरी दुनिया में मान्यता नमली। 7 फरवरी, 1984 क उिकानिधिह र्या। अन्नामसण अन्ना मनण क मिहर मौिम वैज्ञानिक के तौर पर जािा जाता है। इिका का जन्म 23 अर्स्त, 1918 क केरल के िावणकर में हुआ था। िरकार के स्कॉलरनिप पर वे मौिम नवज्ञाि में उच्च अध्ययि करिे के नलए लोंदि र्ई और वापि लौि कर भारतीय मौिम नवज्ञाि नवभार् में काम करिा िुरू नकया। उन् ोंिे िौर नवनकरण, ओज ि परत और वायु ऊजाव के क्षेि में उल्लेखिीय कायव नकया। 16 अर्स्त 2001 क उिका निधि ह र्या। रमनपररमाला रमि पररमाला का जन्म 21 िवोंबर, 1948 क तनमलिाडु में हुआ। इन्हिे मद्राि यूनिवनिविी िे पस्ट् ग्रेजुएिि नकया और बॉम्बे यूनिवनिविी िे डॉक्टरेि की नडग्री हानिल की। वे कई वषो तक मुोंबई के िािा इोंस्ट्ीट्यूि ऑफ फोंडामेंिल ररिचव में िफेिररहीों।इन्ह िे र्नणतके क्षेिमें कामनकयाहै। 1987 में उन्ें िाोंनत स्वरूप भििार्र पुरस्कार और 2003 में उन्ें श्रीनिवाि रामािुजि जन्म िताब्दी पुरस्कार दे कर िम्मानित नकयार्या।

बमाव

इि बात क र्लत िानबत नकया। डॉक्टर मोंर्ला िे अपिी बीए और एम ए की पढ़ाई र्नणत नवषय िे ही की। एम ए के बाद मोंर्ला कैंनिज चलीों र्ई और वहाों िे उन् ोंिे अपिी र्नणत की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करिे के बाद मोंर्ला िे भारत के कई कॉलेज में िफेिर के पद पर पढ़ाया, िाथ की मोंर्ला िे झग्गी झपडी वाले इलाक में जार्र वहाों की लडनकय क मैथ्ि पढ़ाई। मोंर्ला िे मैथ्ि िे जुडी कई नकताबें भी नलखी, वहीों कुछ िाल के नलए मोंर्ला क बालभारती िोंस्था का चेयरमैि भी बिाया र्या।

नीनागुप्ता

वैज्ञानिक 39 जुलाई-सितंबर- 2022 राजेश्वरीचटजी किाविक की पहली मनहला इोंजीनियर के तौर पर पहचाि बिािे वाली राजेिरी चिजी का जन्म 24 जिवरी, 1922 क हुआ था। उन् ोंिे अमेररका िे डॉक्टरेि की नडग्री हानिल की। वे बेंर्लुरु के भारतीय नवज्ञाि िोंस्थाि में िफेिर रहीों। इलेस्मक्टरकल कम्युनिकेिि इोंजीनियररोंर् नवभार् की वे अध्यक्ष भी रहीों। उन् ोंिे माइक्र वेव तकिीक के क्षेि में उल्लेखिीय कामनकया।उिकानिधि 3 नितोंबर, 2010 क ह र्या। राजेश्वरीचटजी इरावतीकवे इिदेिकीिमुखमािववैज्ञानिक में िे एकइरावतीकवे का भी िाम दजव है। एक िानहत्यकार के रूप में भी उिका स्थाि काफी ऊोंचा मािा जाता है। उिका जन्म म्याोंमार (
) में हुआथा।वे पुणे के डेक्किकॉलेजमें िमाजिास्त्रऔरमािव नवज्ञािनवभार्कीअध्यक्षरहीों।इिनवषय में उन् ोंिे महत्वपूणव ि धकायवनकया।उन् ोंिेअोंग्रेजीके अलावामराठीभाषामेंभी लेखि नकया है। िानहस्मत्यक रचिा 'युर्ान्त' के नलए उन्ें िानहत्य अकादमी का पुरस्कार नमला। उिका निधि 11 अर्स्त 1970 क हुआ। सबभाचौधरी कलकत्ता में िि् 1913 में जन्मी नबभा चौधरी कलकत्ता नविनवद्यालय िे भौनतक नवज्ञाि में एम.एि.िी. करिे वाली पहली मनहला थीों। उन् ोंिे हमी जहाोंर्ीर भाभा और नवक्रम िाराभाई के िाथ भी काम नकया। उन् ोंिे देवेन्द्र म हि बि के िाथनमलकरब ि िकणकीखजकी।उन् ोंिे मैिचेस्ट्र यूनिवनिविीिे डॉक्टरेिकीनडग्रीहानिलकी।उिके कईिध पि देि नवदेि के िमुख जिवल्स में िकानित हुए। उिका निधि 2 जूि, 1991 क हुआ। डॉ.मंगलानरसलकर अपिे बचपि और कॉलेज के नदि में डॉक्टर मोंर्ला िे कई बार िुिा था नक लडनकयाों र्नणत में अच्छी िहीों हतीों, मर्र िाल बाद उन् ोंिे
डॉ.

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MkW dykblsYoh rfeyukMq ds djÃdqMh esaa oSKkfud vkSj vkS|ksfxd vuqla/kku ifj"kn dh laLFkk dsaæh; fo|qr jklk;fud vuqlaèkku laLFkku ¼CECRI CSIR) esa funs'kd in ij dke dhA mUgksaus fyfFk;e vk;u cSVjh ds {ks= esa dke djrs gq, ns’kHkj esa fo’ks"k igpku cukbZ gSA fo’ks"k ckr ;g gS fd mUgksaus 25 o"kZ igys CSIR ls gh dke dh 'kq#vkr dh FkhA vius mRd`"V vuqla/kku dk;ksZa ls mUgksau egRoiw.kZ igpku cukbZ vkSj blh dkj.k os Qjojh 2019 esa िीएिआईआर िीईिीआरआई (CSIR CECRI) dk usr`Ro djus okyh igyh efgyk cuÈA rfeyukMq esa fLFkr fr#usyosYyh ftys ds NksVs ls xkao vackleqnze dh jgus okyh dykblsYoh us vius thou esa ,d csgn yach vkSj lEekutud ;k=k r; dh gSAdykblsYoh vius vuqla/kkukRed dk;ksZa dk fiNys 25 ls Hkh T;knk o"kks± ls dj jgh gSaA muds 'kksèk dk;Z eq[; :i ls bysDVªksdsfedy ikoj flLVe vkSj fo’ks"kdj bysDVªksdsfedy ds ewY;kadu ds fy, ,utÊ LVksjst fMokbl ,lsacyh esa dke vkus okys bysDVªksM lkexzh ij vkèkkfjr jgs gSas lksfM;e&vk;u@fyfFk;e&lYQj cSVjh vkSj lqijdSisflVj ds fodkl ij dke dh gSa] ftl ij dke djrs gq, mUgksaus ^us'kuy fe'ku Q‚j bysfDVªd eksfcfyVh* esa viuk vge ;ksxnku fn;kA muds vc rd 125 ls T;knk 'kksèk i=ksa dk izdk’ku gks pqdk gS vkSj 6 isVsaV os vius uke dj pqdh gSaAns’k dh 'kh"kZLFk oSKkfud vuqla/kku laLFkk oSKkfud vkSj vkS|ksfxd vuqla/kku ifj"kn dk izeq[k(Director General) ,d efgyk dks cuk;s tkus ij ns’kHkj ds oSKkfudksa] foKku tkudkjksa vkSj foKku izsfe;ksa us [kq’kh trkbZA

वैज्ञानिक 40 जुलाई-सितंबर- 2022 र्नणतज्ञ िीिा र्ुप्ता इि िमय कलकाता नविनवद्यालय में स्ट्ैनिक मैथमैनिक्स पढ़ाती हैं। िीिा र्ुप्ता िे अलजेनिक ज्य मेिरी और कम्यूनिव अल्जेिा में अपिा य र्दाि नदया है। िाल 2021 में िीिा र्ुप्ता क रामािुजि पुरस्कार िे िावाजा र्या। िीिा इि पुरस्कार क पािे वाली चौथी भारतीय हैं। इि पुरस्कार क पािे के बाद िे ही िीिा र्ुप्ता ि िल मीनडया पर िरेंड कर रहीोंहैं। बता दें की िीिा पनिम बोंर्ाल की रहिे वाली हैं और उन् ोंिे यहीोंिे अपिी िुरुआती निक्षा पूरी की, इिके बाद िीिा िे आई एि आई िे र्नणत में मास्ट्र और पीएचडी भी पूरी की। MkW uYykFkEch dykblsYoh gky
MkW uYykFkEch dykblsYoh

भारतीय िौिेिा का वह जहाज था नजििे पानकस्ताि इि कद्र खौफ खाता था नक नकिी भी कीमत पर उिक तबाह कर देिा चाहता था। भारतीय िौिेिा िे आईएिएि नवक्राोंत के जरीये पानकस्ताि पर एक मि वैज्ञानिक दबाव बिाया था। िाल 1961 में 4 माचव क इिे भारतीय िौिेिा की िेवा में िानमल नकया र्या था।. इि जहाज का निमावण नििेि के नवकिव आमवस्ट्रॉन्र् निपयाडव पर हुआ था। िुरू में इिका िाम एचएमएि (हर मजेस्ट्ी निप) हकुवलि था। यह नििेि के मजेस्मस्ट्क क्लाि का पत था नजिे िाल 1945 में निनिि िौिेिाकीिेवामें िानमलनकयार्या।जहाजक िनक्रयिैन्य अनभयाि

नकया र्या। बाद में इिका िाम नवक्राोंत नकया र्या नजिका िोंस्कृतमें मतलबअपराजेयऔरिाहिीहताहै।आईएिएि नवक्राोंत के भारतीय िौिेिा में िानमल हिे क कुछ पक्ष की ओर िे िही िजर िे िहीों देखा र्या। उि िमय के रूिी राजिनयक िे निनिि युद्धप त क भारतीय िौिेिा में िानमल हिे

िवाल उठाए। वहीोंभारतीय िेिा के कुछ अनधकारी इिजहाज

वैज्ञानिक 41 जुलाई-सितंबर- 2022 आईएनएिसवक्रांत की युद्धमेंभूसमकावसवक्रांतकानयाअवतार डॉमीनाक्षीपाठक पीएचडी, आईआईटी, मुंबई “िौिेिाकािीनतवार्क्है िोंि वरुण:।इिकामतलबहै नकजलके देवतावरुणहमारे नलएमोंर्लकारीरहें।आजादीके बादिेिौिेिािे अपिीिस्मक्तय में लर्ातारइजाफानकयाहै।हमारे युद्धपतऔरनमिाइलें िमुद्रके िीचे, िमुद्रके ऊपरऔरिमुद्रीितहपरलक्ष्यभेदकरिकतीहैं। िनिफव ति कीरक्षाबस्मि िईतकिीकतैयारकरिे औरआपदाके िमयराहतकायोंमें भीिौिेिाहमेिाआर्ेरहतीहै। तीि िेिाओोंमें मेकइिइोंनडयाकानिद्धाोंतिबिेपहले िौिेिािे हीिुरूनकया।थलिेिाववायुिेिाके मुकाबले िौिेिामें अनधकस्वदेिीलडाकू उपकरणहैं।पुरािा नवक्राोंत जहाों 28 हजार िि का था वहीोंिए नवक्राोंत का वजि 44 हजार िि का है। इिमें लर्ी तार क अर्र जडा जाए त कची िे कािी तक पहुोंच जाएर्ी। आइएिएि नवक्राोंत की मारक क्षमता चार नदिाओोंमें 1100 नकल मीिर दूरी तक है।“ भारतीय िौिेिा का जहाज नवक्राोंत नजिे िोंस्कृत में नवक्राोंत का मतलब , "िाहिी" हता है आईएिएि नवक्राोंत
में तैिातनकयाजाता, उििे पहले हीदूिरानवियुद्ध िमाप्त ह र्या। उिके बाद िौिेिा की िनक्रय ड्यूिी िे इि जहाज क हिा नदया र्या और नफर िाल 1957 में भारतीय िौिेिा क बेच नदया र्या। आयररि हारलैंड और वल्फ निपयाडव में उिका जीणोद्धार नकया र्या तानक भारतीय िौिेिा की जरूरत के अिुरूप जहाज क ढाला जा िके। 4 माचव, 1961 क इिक भारतीयिौिेिामें िानमलनकयार्या। भारत का िमुद्री इनतहाि काफी िमृद्ध है और र्ौरव िे भरा है। देि के िमुद्री और िैन्य इनतहाि का र्ौरव बढ़ािे में िौिेिा के पत का अहम य र्दाि रहा है। जब भारतीय िौिेिाके जहाज के य र्दािक यादनकयाजाताहै त उिमें एक िाम आईएिएि (इोंनडयि िेवल निप) नवक्राोंत का िाम िीषव पर आता है। िाल 1961 में इि नवमािवाहक जहाज क आईएिएि नवजयलक्ष्मी पोंनडत के िाम िे िेवा में िानमल
पर
के िदिविक लेकरआिोंनकतथे। पुरािा आईएिएि नवक्राोंत 1971 के युद्धमेंभूसमका नवक्राोंत के कारण भारत का िमुद्र में दबदबा बढ़ र्या था। हालाोंनक इि पत के एक बॉयलिव में कुछ िमस्या थी और िीनमतरफ्तारमें इिक कामकरिापडताथा, नफरभी 1971 में भारत पाक युद्ध में इि नवमाि वाहक पत के कारण पानकस्ताि के पिीिे छूि र्एथे। आईएिएि नवक्राोंत के निफव िाम िे ही पानकस्ताि के मि में इतिा खौफ बि चुका था नक वह नकिी भी हाल में इि नवमाि वाहक पत क िष्ट् करिा चाहता था। 1971 के युद्ध के दौराि पाक कीओर िे पिडुब्बी पीएिएि र्ाजी क इस्तेमाल करिे का फैिला नकया र्या।

आईएनएिसवक्रांतसफरिेबनायाबनायागया: हाल ही में िधािमोंिी श्री िरेंद्र म दी द्वारा भारत के स्वदेिी नवमािवाहक पत, आईएिएि नवक्राोंत (INS Vikrant) क लॉन्च नकया ज आत्मनिभवर भारत अनभयाि की तरफ एक महत्वपूणव कदम है। इिे 2 नितोंबर 2022 क कचीि निपयाडव नलनमिेड (CSL) में लॉन्च नकया र्या था। आईएिएि नवक्राोंत भारत द्वारा बिाया र्या पहला स्वदेिी और िबिे

के तहत एक िाववजनिक क्षेि का निपयाडव, नवक्राोंत क अत्याधुनिक ऑिमेिि िुनवधाओों

वैज्ञानिक 42 जुलाई-सितंबर- 2022 आईएिएि नवक्राोंत क यनद क्षनत पहुोंचती त पाक िेिा पर भारतीय िेिा िे इि नवमाि वाहक पत के जररए ज मि वैज्ञानिकखौफपैदानकयाथावहखत्मह जाता।भारतीय िौिेिा िे पानकस्ताि क चकमा नदया और आईएिएि राजपूत क आईएिएि नवक्राोंत बिाकर पेि नकया। जब पानकस्तािी पिडुब्बी र्ाजी िे आईएिएि राजपूत पर नवक्राोंत िमझकर हमाल नकया त आईएिएि राजपूत िे र्ाजी क तबाह कर नदया था। युद्ध के बाद आईएिएि नवक्राोंत के इोंजि, बॉयलर और अन्य तकिीकी उपकरण की मरम्मत करके जहाज का जीणोद्धार नकया र्या। लेनकि कुछ िाल तकिेवामें रहिे के बादइिकािदिवििोंतषजिकिहीोंरहा नजि वजह िे 1997 में इिे िेवामुक्त कर नदया र्या। िेवामुस्मक्त के बाद भी आईएिएि नवक्राोंत आकषवण का केंद्र रहा है। िभी देि िे ल र् इिे देखिे के नलए आते थे। इिकी ल कनियता क देखते हुए भारत िरकार िे इिे तैरते हुए िोंग्रहालय में बदलिे का फैिला नकया। मौजूदा िमय में यह जहाज मुोंबई में र्ेिवे ऑफ इोंनडया के पाि है। अब इिका िाम बदलकर आईएमएि नवक्राोंत कर नदया र्या है। आईएमएिकापूरािामइोंनडयिम्युनजयमनिपहै।
बडा जहाज है नजिमें भारतीय िौिेिा के नलए स्वदेिी नडजाइि और नवमाि वाहक िानमल हैं। अब, भारत उि एलीि देि की नलस्ट् में िानमल ह र्या नजिके पाि अपिे नविाल पावर निप है। कस्मच्चमें नवक्राोंतकीकमीिनिोंर्िेरेमिीक ऐनतहानिकऔर र्वव का पल बताते हुए िधाि मोंिी श्री िरेंद्र म दी िे कहा नक नहोंद महािार्र और इोंड पैिेनफक रीजिमें िाोंनत और िुरक्षा िदाि करिे में स्वदेिी एयरक्राफ्ट कैररयर, आईएिएि नवक्राोंत एक अहम भूनमका निभाएर्ा पीएम िे ये भी कहा था नक इोंड पैनिनफक रीजि और इोंनडयि ओनियि में िुरक्षा नचोंताओों क लोंबे िमय तक िजरअोंदाज नकया जाता रहा, लेनकि अब ये क्षेि हमारे नलए देि की बडी रक्षा िाथनमकता है. इिनलए हम िौिेिा के नलए बजि बढ़ािे िे लेकर िैन्य क्षमताबढ़ािे तकहरनदिामेंकामकररहे हैं. िमुद्री इसतिाि में सनसमतत अब तक का िबिे बड़ा जिाज:आईएिएि नवक्राोंत भारतीय िौिेिा के इि हाउि वॉरनिपनडज़ाइिब्यूर (WDB) द्वारानडज़ाइिनकयार्याऔर कचीि निपयाडव नलनमिेड द्वारा निनमवत, पिव, निनपोंर् और जलमार्व मोंिालय
के िाथ बिाया र्या है. यह भारत के िमुद्री इनतहाि में निनमवत अब तक का िबिे बडा जहाज है लर्भर् 20,000 कर ड रुपये की लार्त िे बिे आईएिएि नवक्राोंत िे नपछले महीिे िमुद्री िरायल्स के अपिे चौथे औरअोंनतमचरणक िफलतापूववकपूरानकयाथा. 'नवक्राोंत' के निमावण के िाथ, भारत उि चुनिोंदा देि के िमूह में िानमल ह र्या है, नजिके पाि स्वदेिी रूप िे नवमािवाहक पत का नडजाइि और निमावण करिे की क्षमता है आईएिएिनवक्राोंतक िधािमोंिीद्वाराराष्ट्क िमनपवतनकयार्या इि ऐनतहानिक अविर पर िौिेिाअध्यक्षएडनमरलश्रीआरहररकुमारद्वारा िधािमोंिीश्रीिरेंद्रमदीक िृनतनचोंहिदािकरते हुए जिाजकीखासियत आईएिएि नवक्राोंत, 25 िॉि्ि यािी 25 िमुद्री मील िनत घोंिा की रफ्तार िे चलता था। बाद में तकिीकी िमस्याओों के कारणइिकीरफ्तारकरीब 12 िॉि्िया 12 िमुद्रीमीलिनत घोंिा ह र्ई। इिकी लोंबाई 192 मीिर, बीम 24.4 मीिर और डराफ्ट 7.3 मीिर था। इि पत क द महावीर चक्र और 12 वीर चक्र नमल चुके हैं। आईएिएि नवक्राोंत िाम िे भारत का एक स्वदेिी नवमािवाहक जहाज बिाया र्या ।इि जहाज में 18 फ्ल र, 14 डेक और 2,300 कोंपािवमेंि हैं यही कारण है नक इिे फ्ल निोंर् नििी भी कहा जाता है। भारत का पहला स्वदेिी जहाज आईएिएि नवक्राोंत 1, 500 िमुद्री यद्धा क ढ िकता है।देि का पहला स्वदिी एरक्राफ्ट कैररयर है आईएिएि नवक्राोंत। जहाज में हैं 2,300 कोंपािवमेंि।इिे 20,000 कर ड रुपये के निवेि िे बिाया र्या है।आईएिएि नवक्राोंत का िाम भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैररयर िे नलया र्या है नजिका इस्तेमाल वषव 1971 में पानकस्ताि के स्मखलाफ युद्ध में नकया र्या था।

नौिेनाकीनईपताका: िौिेिा की िई पताका के ऊपरी कैंिि (ऊपरी बाएों किे) पर राष्ट्ीय ध्वज नतरोंर्ा है. इिके िाथ एक िीला अष्ट्कण है नजिमें राष्ट्ीय ितीक एक लोंर्र के ऊपर

वैज्ञानिक 43 जुलाई-सितंबर- 2022 देि के पहले स्वदेिी जहाज के नवषय में कुछ महत्वपूणव जािकाररयाों। 1 भारतीय िौिेिा जहाज की लोंबाई और चौडाई क्रमिः 262 मीिर और 62 मीिर निनदवष्ट् करती है। यह आईएिएि नवक्राोंत क नवस्थानपत करता है और यह 45,000 िि क 28 िमुद्री मील की नडज़ाइि र्नत के िाथ नवस्थानपत करता है, ज 7,500 िमुद्री मील है। 2 इि जहाज में 18 फ्ल र, 14 डेक और 2,300 कोंपािवमेंि हैं यही कारण है नक इिे फ्ल निोंर् नििी भी कहा जाता है। इिके िाथ ही यह इतिी नबजली िड्यूि कर िकता है ज 500 घर क रिि कर िकता है। महािार्रमें िएआईएिएिनवक्राोंतके िस्मक्तकाजायजालेतेहुए िधािमोंिीश्रीिरेंद्रम दी, रक्षामोंिीश्रीराजिाथनिोंह , िौिेिाअध्यक्ष एडनमरलश्री आरहररकुमारऔरअन्यअनधकारी 3 भारत का पहला स्वदेिी जहाज 1, 500 िमुद्री यद्धाओों क ढ िकता है और इिके नकचि में 10,000 र नियाों बिाई जा िकती हैं। 4 आईएिएि नवक्राोंत क इोंनडयि िेवी के इि हाउि वॉरनिप नडजाइि ब्यूर द्वारा नडजाइि नकया र्या है ज कचीि निपयाडव के तहत कायव करता है। 5 आप यह जािकर हैराि ह जाएोंर्े नक यह जहाज इतिा बडा है नक इिमें द फुिबॉल फीर्ल् िमानहत ह िकता है। 6 इिके िाथ ही आईएिएि नवक्राोंत MIG 29K फाइिर जेि, MH 60R मल्टीर ल हेलीकॉप्टर, Kamov 31 एडवाोंि लाइि हेलीकॉप्टर और कॉम्बेि एयरक्राफ्ट जैिे 30 एयरक्राफ्ट ढ िकता है। 7 जहाज के भीतर 16 हॉस्मस्पिल बेड, 250 फ्यूल िैंकर और 2,400 कोंपािवमेंि है। इिके िाथ ही यह 1,600 मनहला अफिर और िानवक क ढ िकता है। 8 यह जहाज 45,000 िि का युद्धप त है नजिे 20,000 कर ड रुपये के निवेि िे बिाया र्या है। आईएिएि नवक्राोंत (INS Vikrant) के कमीिि हिे पर भारतीय िौिेिा (Indian Navy) के िए पताका (ध्वज) का अिावरण नकया िधािमोंिी मदी िे कहा नक िए िौिेिा ध्वज (New Naval Insign) पर छिपनत निवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) की मुहर है उिकी िौिेिा िे उिके दुश्मि की रात की िीोंद हराम कर दी थी. छिपनत निवाजी महाराज के नचन् िे िजे हुए ध्वज क भारतीय िौिेिा अब आकाि और िमुद्र में र्वव िे उडाएर्ी रक्षामंत्रीश्रीराजनाथसिंि व नौिेनाअध्यक्षएडसमरलश्रीआरिररकुमार भारतीय नौिेना, नए ध्वज और आईएनएि सवक्रांत के छत्रपसतसशवाजीमिाराजिेररश्ते भारतीय
अोंनकत है. देविार्री में लोंर्र, दृढ़ता का नचिण, िौिेिा के आदिव वार्क् 'िों ि वरुण:' के िाथ खुदे हुए ढाल पर लर्ाया र्या है अष्ट्कणीय आकारआठनदिाओोंकािनतनिनधत्वकरताहै, ज िौिेिाकी बहु नदिात्मक पहुोंच और पररचालि क्षमता का ितीक है. स्वणव डबल बॉडवर वाला अष्ट्कण, मराठा िम्राि छिपनत निवाजी महाराज की राजा मुद्रा मुहर िे िेररत है, नजिे तब अपिायार्याथाजबवहकेवल 16 वषव के थे.

िावला में आईएिएि निवाजी के रूप में एक िनिक्षण िनतष्ठाि और पनिमी िौिेिा कमाि, मुोंबई के एक ति आधाररत रिद और ििािनिक केंद्र क िनिद्ध मराठा िौिेिा कमाोंडर कान्जी आोंग्रे (1669 1729) की याद में आईएिएिआोंग्रेके रूपमेंिानमतनकयाहै. िौिेिा की िई पताका पर निवाजी की मुहर के अष्ट्कणीय नडजाइि का उपयर् मराठा िाम्राज्य की िौिेिा के िाथ भारतीय िौिेिा के र्भविाल िोंबोंध पर एक औपचाररक मुहर है भारतीय िौिेिा का एक दस्तावेज कहता है

अन्य जहाज जैिे र्ुरब, तारोंडे, र्लबत, निबाद और पाल िानमल थे मध्ययुर्ीि भारत में,

की िौिेिा िे अपिी

स्वाद तब चखा जब उन् ोंिे आज के

में कुोंडापुरा के पाि बिुरु पर हमला करिे के नलए 85 जहाज का इस्तेमाल नकया और एक बडी जीत के िाथ लौिे निवाजी िे 1653 में िौिेिा नकले, नवजयदुर्व और निोंधुदुर्व नकले के निमावण का भी आदेि नदया. 1653 और 1680 के बीच, निवाजी िे निोंधुदुर्व और कलाबा जैिे अनधक िौिैनिकनकल कानिमावणनकया.निवाजीके बिाएकईनकले अजेयरहे िमुद्रके रास्ते आिेवाले दुश्मि परिजररखिेके नलए मराठ द्वारा रणिीनतक उद्देश्य के नलए इिका उपयर् नकया जाता था. उत्तर क ोंकण का कल्ाण और नभवोंडी, ज बीजापुर क्षेि का नहस्ा थे, 1657 तक निवाजी के नियोंिण में आ र्ए थे. आोंग्रे

वैज्ञानिक 44 जुलाई-सितंबर- 2022 भारतीय िौिेिा क र्ुलामी के नििाि िे आस्मखरकार आजादी नमल र्ई है। िधािमोंिी िरेंद्र म दी िे िौिेिा के ध्वज के िए नििाि का अिावरण कर नदया है। िौिेिा के िए ध्वज िे क्राि क हिा नदया र्या है। िाथ ही िौिैनिक क्रेस्ि क नफर िे झोंडे में िानमल नकया र्या है। इि पर नलखा है िों ि वरुण:। पीएम म दी िे इि अविर पर कहा नक िौिेिा िे आज र्ुलामी का एक नििाि अपिे िीिे िे उतार नदया है। पीएम म दी िे इि दौराि INS नवक्राोंत (INS Vikrant) क भारतीय िौिेिा क िौोंप नदया है। िए िौिेिा ध्वज के कैंिि में िेंि जॉजव क्रॉि क नतरोंर्े के िाथ ले जािे वाले क बदल नदया है. वह पताका अनिवायव रूप िे भारतीय िौिेिा के पूवव स्वतोंिता ध्वज का उत्तरानधकारी था. उिके ऊपरी बाएों किे पर यूिाइिेड नकोंर्डम के यूनियि जैक के िाथ िफेद पृष्ठभूनमपरलालजॉजवक्रॉिबिाहुआथा. भारतीयनौिेनाऔरमराठािाम्राज्य भारतीय िौिेिा िे हमेिा निवाजी के अधीि और बाद में मराठािाम्राज्यकीिमुद्री उडािक्षमताक स्वीकारनकयाहै इििे ल
: “निवाजी के अधीि िौिेिा इतिी मजबूत थी नक मराठा निनिि, पुतवर्ाली और डच के स्मखलाफ अपिी पकड बिा िकते थे. निवाजी िे एक िुरनक्षत तिरेखा और निद्दी के बेडे के हमल िे पनिमी क ोंकणतिकीरक्षाकरिे के महत्वक महिूिनकयाथा. सशवाजीमिाराजकीनौिेना: निवाजी का िाम्राज्य 1656 57 के बाद पनिमी ति पर पहुोंच र्या, जब उिके िभुत्व िे निखर क छुआ. उिी वषव, उन् ोंिे निनद्दय िे अपिे क्षेि की रक्षा के नलए एक िौिेिा स्थानपत करिे काफैिलानकया. बोंदरर्ाह औरव्यापाररकजहाज क िुरनक्षत रखिे के नलए कदम बढ़ाया था तानक राजस्व और िीमािुिमें िुचारूिमुद्रीव्यापारिुनिनितनकयाजािके अपिी िेिा के एक िौिैनिक नवोंर् की स्थापिा के नलए उिकी दृनष्ट् "जलमेव यस्य, बलमेव तस्य" में उिके नविाि पर आधाररत थी, नजिका अिुवाद है "वह ज िमुद्र पर िािि करता है वह िवव िस्मक्तिाली है". मराठा िाम्राज्य का िौिैनिक नवोंर् 1661 और 1663 के बीच अस्मस्तत्व में आया, और इिके चरम पर नवनभन्न िकार और आकार के 400 नवषम जहाज िानमल थे. इिमें युद्धप त और अलर् अलर् आकार और उद्देश्य के
मुस्मस्लम िािक (जैिे दक्कि िल्तित और मुर्ल िल्तित ) िे ज्यादातरअपिे िैन्यबल की िौिैनिकिाखाकीअिदेखी की थी। ऐिा इिनलए ह िकता है र्क् ोंनक वे उत्तर िे आए थे और भूनम की लडाई में निणावयक रूप िे जीते थे। हालाुँनक, यह पररदृश्य बदल र्या, जब पुतवर्ाली भारत आए और महाद्वीप के पनिमी ति पर व्यापार पर एकानधकार और नियोंिण करिा िुरू कर नदया। छिपनत निवाजी क एक मजबूत िौिेिा के महत्व का एहिाि हुआ; मराठा िौिैनिक पत की पहली कीललर्भर् १६५४ में कल्ाणके निकिएक िालेमें रखीर्ईथी। नौिेनाकीजीतकासिलसिला बी के आप्टे की िमुख पुस्तक 'ए नहस्ट्री ऑफ द मराठा िेवी एोंड मचेंिनिप' के अिुिार, निवाजी
पहली िफलता का
किाविक
जैिे एडनमरल के िेतृत्व में निवाजी के बाद भी मराठा िौिेिा एक दुजेय बल बिी रही मराठा िाम्राज्य िे िमुद्र में मुर्ल , डच और अोंग्रेज िे लडाई लडी और उि िभीके स्मखलाफअपिीमजबूतपकडबिालीथी सवजयदगसकलाव छत्रपसतसशवाजी मिाराज

मुफीदहै, इितर्थ्काखुलािाइलाहाबाद केन्द्रीय नवष्वनवद्यालय के भौनतकी नवभार् के ि फेिर डॉ के .एि.उत्तम और उिकी द ि ध छािाओों ष्वेता िमाव और अनभिाररकाभारतीके ि धिे हुआहै । ि ध निदेषक डॉ. के .एि.उत्तम िे बताया नक िपवर्ोंधा मि नवदलि िामक मािनिक र र्

पस्मिनषोंर् हाउि द्वारा िकानषत अतराष्ट्ीय ि ध पनिका ‘िेषिल अकादमी िाइोंि लेििव’ के जिवरी 2020 के अोंक में िकानषत करिे के नलए चुिा र्या है। िूचिा के अिुिार 55 िे अनधक क्षार िपवर्ोंधा की जड में पाये जाते हैं और इिका 80 िनतषत जड की छाल में क्षार पाये जाते हैं । इि िकार िपवर्ोंधा की जड में िवावनधक क्षार पाये जाता है। िपवर्ोंधा उष्ण कनिबोंधीय नहमालय तथा नहमालय के निचले िदेष में निस्मक्कम तक नवतररत है । इिके अनतररक्त अिम

वैज्ञानिक 45 जुलाई-सितंबर- 2022 नचनकत्सा सचसकत्सामें लाभदायकिै िपतगंधा &izsepUnz JhokLro vuqdEik*]okbZ 2 lh 115@6 f=os.khiqje~] >wW¡lh, bykgkckn&19¼m-iz-½ िपवर्ोंधा पादप का वािस्पनतक िाम राउस्मल्फया िपेंनििा है । यह एप िाइिेिी कुल का िदस्य है । िपवर्ोंधा िाम िे चौोंनकए िहीों। िपव िे इिका क ई िोंबोंध िहीोंहै । लर्भर् 70 80 वषों िे िपवर्ोंधा एक ओषधीय पादप के रूप में नवख्यात है । इिकी जड के अकव िे उच्चरक्त चाप की दवा वषों िे बिाई जाती रही है । नहस्ट्ीररया की नचनकत्सा में भी लाभदायक है । पनत्तय का रि आुँख की र षिी बढ़ािे में कारर्रह ताहै । िपवर्ोंधापरख ज िपवर्ोंधा एक बार पुिः अपिे औषधीय र्ुण के कारण अखबार की िुस्मखवय में है । िपवर्ोंधा पादप अब मािनिक र र् के नलएभी
की भी औषनध है । यही िहीों, कईअन्यर र् के नलएभीिपवर्ोंधालाभदायकहै।डॉ. उत्तम िे आर्े बताते हुए कहा नक उिके निदेषि में ि धछािा िेता िमाव और अनभिाररका भारती िे नमलकर स्पेक्टर स्क पी तकिीक का इस्तेमाल करते हुए िपवर्ोंधा में पाये जािे वाले तत्व का परीक्षण करिे के दौराि पाया नक िपवर्ोंधा में ि नडयम, प िैनषयम, मैिीज, लहा, कैस्मल्षयमए मैर्िीनषयमए म नलब्डेिम, अल्ुनमनियम आनद तत्व पाये जाते हैं । मानसिक रोगोंपर उपर क्त तत्व की उपस्मस्थनत के कारण िपवर्ोंधा एण्टीहाइपरिेंनिव और िरॉस्मक्कलाइनजोंर्एजेण्ट के रूप में इस्तेमाल नकया जाता है । ‘‘इि तत्व की जाोंँुँच के नलए ियर्षाला में एकनदष धारा आकव िकानषक उत्सजवि स्पेक्टर स्क पी का निमावण नकया र्या । इिके बाद िपवर्ोंधा कीपत्तीऔरबीजक र्मवभट्टीमें डालकरपािीक वास्मष्पत कर पाउडर के रूप में पररवनतवत नकया । इिके बाद पाउडर क काबवि इलेक्टर ड में भरकर उच्चताप पर र्मव नकया र्या । उत्सनजवत नवनकरण का नवष्लेषण नकया र्या । अब मािनिक र नर्य के नलए दवा तैयार की र्ई ।’’ ि धानथवय िे बल देकर कहा नक यह दवा निजफ्रेनिया जैिीर्ोंभीरबीमारीक नियोंनितकरिकतीहै । िपतगंधा के क्षार डॉ. उत्तम के अिुिार इि ि धपि क स्मरोंर् िेचर
, र्रखपुर िायदीपीय भारत में पस्मष्चमी ति, श्रीलोंका, म्यािमार,मलेनषया, इण्डिेनषया, चीि तथा जापाि में भी पाये जाते हैं ।इि ि ध के नलए डॉ उत्तम और उिकी द ि ि ध छािाए िाधुवाद की पाि हैं । अब ओषनध निमावण कम्पनिय क आर्े आकर व्यापाररक स्तर पर दवा क जि कल्ाणके नलएबिािाचानहए।यहिमयकीमॉर्भीहै ।

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वैज्ञानिक 47 जुलाई-सितंबर- 2022

वैज्ञानिक

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48 जुलाई-सितंबर- 2022

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QkYxqu ‘kq0 ;k pS= d`”.k esa xHkZ gksus ij 24 fnuksa rd A pS= ‘kqDy ;k oS’kk[k d`”.k esa xHkZ gksus ij 20 fnuksa rd A ¼vk½ ftl u{k= esa xHkZ gks] o”kkZ ds le; ml u{k= ij ‘kfu] eaxy tSls dwj xzg gksa rks o”kkZ ds lkFk vkWa/kh] rwQku] vksyk] fctyh fxjuk vkfn minzo Hkh gksxsaA ¼b½ tks xHkZ vius fufnZ”V le; ij u cjls] og mlh xHkZ xzg.k ds fnu vksys ds #i esa cjlrk gS ¼,d o”kZ gksus ij tSls ekxZ’kh”kZ ‘kqDy 1 dk vxys o”kZ yxHkx mlh frfFk dks og u{k= vkus ij cjlsxk½A

वैज्ञानिक 49 जुलाई-सितंबर- 2022

र्नत का एक आलेख (ग्रानफक) तैयार ह ता है। िमुद्र नवज्ञाि िास्त्र में, `इक ’ का मतलब `इक

), वस्तुएों (ऑब्जेक्टि), या ितेुँ (कोंनडिन्स), नजििे क ई नघरा हुआ (िराउोंडेड) है।`पयाववरण’ की पररभाषा कुछ ऐिी ह ती है, “ िारीररक (नफनजकल), रािायनिक (केनमकल), और जैनवक (बाय निक) नमश्रीत कारक (फैक्टिव; जैिे जलवायु, नमट्टी, और जीनवत चीज ) का पररिर, ज नकिी भी एक जीव या एक पाररस्मस्थनतक िमुदाय (इक लॉनजकल कम्युनििी) पर कायव करता है, और अोंततः उिके रूप और अस्मस्तत्व की स्मस्थनत निधावररत करता है, नजिमें एक व्यस्मक्त

वैज्ञानिक 50 जुलाई-सितंबर- 2022 पाठशाला में िररत वातावरण (इको ग्रीन) क्लब डॉ. अनिलनभ. वलिोंर्कर िेवानिवृत्तवैज्ञानिक (एक्सिायोंनिस्ट्) राष्ट्ीयिमुद्रनवज्ञाििोंस्थाि, द िा पौला, र् वा 403004 िाराोंि: पाठिालाओों में हररत वातावरण यािे `इक ग्रीि' क्लब हते है। िकृनत के िजदीक आिे के नलए इिका महत्वपूणव य र्दाि ह ता है। मर्र, इि `इक ग्रीि क्लब' की भूनमका केवल पेड पौधे लर्ािे तक ही िीनमत रहती है। इिकी यथाथव में कैिी भूनमका ह िी चानहए, इिका मार्वदिवि िस्तुत लेख में नकयार्या है। हम अक्सर `इक ' िब्द क िुिते आए हैं और अक्सर उिका उपय र् करते हैं । `इक ’ का वास्तनवक अथव अलर् अलर् नवषय में अलर् अलर् ह ता है | जैिे नक, भौनतकी िास्त्र में, `इक ’ का अथव एक ध्वनि ह ता है | ध्वनि क द हराया (ररपीि) जा िकता है | र्क् ोंनक, ध्वनि तरोंर् 17 नमिर अोंतर पर िे िकराकर पररलनक्षत (ररफ्लेक्ट) ह ती हैं। मेनडकल (नचनकत्सा) िब्दावली में, `इक ’ का अथव इक कानडवय ग्राम ह ता है | यहाों, ध्वनि तरोंर् के उपय र् िे हृदय की
िाउोंडर’ उपकरण ह ता है |यह उपकरण, िमुद्र की र्हराई मापिे के नलए ध्वनि तरोंर् का उपयर् करता है। हम अपिी नदि िनतनदि जीवि में भी इि `इक ’ िब्द का उपयर् अलर् अलर् तरीक िे करते हैं। जैिे नक, पयाववरण पयविि (`इक ’ िूररजम) में उि पयविक क खािपाि की िेवा नमलती है, ज िाकृनतक (िेचुरल) पयाववरण का अिुभव लेते िमय स्थािीय आवाि (हैनबिैि) क नबर्ाडिे की या उन्ें िुकिाि पहुोंचािे की चेष्ट्ा िहीों करते। वैिेही, `इक ’ कार एक ऐिा वाहि है, ज पेिर ल या डीजल पर चलिे वाले वाहि की तुलिा में पयाववरण के नलए कम हानिकारक िभाव पैदा करता है| उिी तरह, `इक फ्रेंडली’ का अथव `पयाववरण के नलये `अिुकूल वातावरण’ ह ता है| `वातावरण’ (एिवािवमेंि) का अथव है 'पररवेि' अथवा ऐिी पररस्मस्थनतयाुँ (िरकमस्ट्ाोंिेि
, जािवर, या पौधा रहता है या िोंचानलत (ओपेरि्) ह ता है”। स्कूल में हम आमतौर पर `पाररस्मस्थनतकी तोंि’ (`इक निस्ट्म’) िब्द का उपयर् करते हैं | पाररस्मस्थनतकी तोंि’ (इक निस्ट्म) एक भौर् नलक (नजय ग्रानफक) क्षेि ह ता है जहाों पौधे, जािवर और अन्य जीव, तथा मौिम, पािी और पररदृश्य (लैंडस्कैप्स), जीवि के बुलबुले (बबल ऑफ़ लाइफ) बिािे के नलए नमलकर काम करते हैं। `इक निस्ट्म’ में बाय निक (जीनवत) के िाथ िाथ एब निक (निजीव) भार् भी िानमल ह ते हैं। ` उदािरण जैसवक: जीसवत (पौधे, जानवर, इत्यासद), काबतसनक (आगातसनक) पदाथत, मछली, प्लवक (प्लैंकटन), इत्यासद. सनजीव: अजीसवत, जलवायु , िूयतप्रकाश , तापमान, पोषक तत्व (न्यूसटरयंट), समट्टी, वायु इत्यासद
वैज्ञानिक 51 जुलाई-सितंबर- 2022 जैनवक कारक (फ़ैक्टर) क जीनवत रहिे के नलए निनजवव (एब निक) कारक पर निभवर रहिा पडता है। 1) पाररस्मस्थनतक तोंि (इक निस्ट्म) के िकार / नवभाजि / वर्ीकरण 2) पाररस्मस्थनतकतोंि (इक निस्ट्म) एकजनिलिनक्रयाहै | इिमेंकईनकिें (वरायिी) हतीहै | और, वेअिेकमापदोंड (पैरामीिर) परनिभवर (नडपेंड) करतेहै | आिानीिेिमझानेके सलए, यिांएकिरलनमूना (मॉडल) प्रस्तुतसकयािै | मापदोंड (पैरामीिर) के आधार पर पाररस्मस्थनतक तोंि (इक निस्ट्म) के िकार अ) पाररस्मस्थनतकी तोंि की ब) पाररस्मस्थनतक तोंि की क) पाररस्मस्थनतकी तोंि का िकृनत (िेचर) अवनध (ड्यूरेिि) आकार (िाइज) अ) पाररस्मस्थनतकी तोंि की िकृनत (िेचर)पर आधाररत: यह द िकार केह ते हैं | 1) िाकृनतक (िैचरल): 2) कृनिम (आनिवनफनियल) यहबडे (लाजव) औरस्थायी (परमिोंि) ह ते हैं | यािेमिुष्यद्वाराबिाएहुए (उदा. रेनर्स्ताि, जोंर्ल, महािार्र) (उदा. मछलीघर (एक्वेररयम), फिलक्षेि, बाोंध/ धरण, बर्ीचे, नचनडयाघर (झू), पाकव ) अ 1) िाकृनतक (िैचरल) पाररस्मस्थनतकी तोंि: इिमें द िकार हते हैं | स्थलीय जलीय (भूनम पर आधाररत) (पािी पर आधाररत) [उदा जोंर्ल/ वि, घाि (ग्राि) के मैदाि, रेनर्स्ताि (डेििव)] िमुद्री (खारा पािी) मीठा पािी (उदा िमुद्र, महािार्र, खाडी, इ.) (उदा तालाब, झील, िनदयाुँ, धारा, इ.)
वैज्ञानिक 52 जुलाई-सितंबर- 2022 अ 2) कृनिम / मािव निनमवत (आनिवनफनियल): िाकृनतक की तुलिा में यह छ िे हते हैं | जैिे की, [मछलीघर (एक्वेररयम), फिल (क्रप) के क्षेि/ खेत, फूल का नबस्तर (बेड)] ब) पाररस्मस्थनतक तोंि की अवनध (ड्यूरेिि) पर: यह ज्यादातर िाकृनतक और स्थायी हते हैं | इिके द िकार हते हैं | अस्थायी (िेम्पररी) स्थायी (परमािेंि) (उदा. वषाव आधाररत तालाब, िूक्ष्म जीव (मायक्रब) की कलचर िय र्िाला) [उदा. जोंर्ल, झील (लेक)] क) पाररस्मस्थनतकी तोंि का आकार (िाईज) पर: यह द िकार के हते हैं | छ िा (माइक्र ) नविाल (मैक्र ) (उदा. फूलदाि, लॉग्स, झाडी, इ.) (उदा. महािार्र, रेनर्स्ताि) 3) िोंक्षेप में पाररस्मस्थनतक तोंि (इकनिस्ट्म) के िकार: स्थलीय भूनम आधाररत: (वि, घाि के मैदाि, रेनर्स्ताि) िाकृनतक जलीय िमुद्री (िमुद्र, महािार्र, खानडयाों) पाररस्मस्थनतकी तोंि बड़े और स्थायी मीठा पानी: (तालाब, झीलें, नसदयााँ )

) का अध्ययि र्क् करिा चानहए? िकृनत मे, जीनवत जीव (नलनवोंर् ऑर्वनिज़मि) और निजीव (िॉि नलनवोंर्) घिक एक दूिरे क ऊजाव (एिजी) हस्ताोंतरण (िराोंिफर) और घिक (कोंपिेंि्ि) की चालि चक्र (िायकल) की िनक्रयाओों िे जुडे (नलोंक) हते हैं। इिनलए, हमें यह जुडे हुए नलोंक िनक्रयाओों क िमझिे की आवश्यकता है | अन्यथा हम क्षनत (डैमेज) क िीनमत िहीोंकर िकते, और िोंरक्षण या पुिस्थावपिा (ररस्ट् र) बहाल िहीोंकर िकते। इि जीनवत जीव (नलनवोंर् ऑर्वनिज़मि) और उिके भौनतक वातावरण (नफनजकल एिवायरिमेंि) के बीच िोंबोंध

मुख्य कायव (फोंक्शि/)/ मुख्य भूनमका (रल) र्क्ा है? पाररस्मस्थनतकी तोंि का मुख्य कायव हैं खाद्य श्रृोंखला (फ़ड चैि) में ऊजाव (एिजी) और पषक तत्व (िुनिरएोंि्ि) का आदाि िदाि करिा | धरती पर पौधे और पिु जीवि क बिाए रखिा | और, काबवनिक (आर्ेनिक) पदाथों का अपघिि (नडकम्प जीिि) और बाय माि का उत्पादि करिा। iv) र्क्ा हम पाररस्मस्थनतकी तोंि क िभानवत (अफेक्ट) करते हैं? मिुष्य अपिे अिेक कमों िे भौनतक वातावरण (नफनजकल एिवायरिमेंि) पर िभाव डालता है | जैिे की, जििोंख्या बढाकर | िदूषण फैलाकर | जीवाश्म ईधि (फॉनिल फ्यूएल) यािे पेिर ल

पाररस्मस्थनतकी तोंि

वैज्ञानिक 53 जुलाई-सितंबर- 2022 अ) पाररस्मस्थनतकी तोंि की िकृनत कृनिम (मािव निनमवत): (मछलीघर, फिल क्षेि) अस्थायी: (वषाव के तालाब, िय र्िाला, ) व स्थायी: (वि, झीलें) पाररस्मस्थनतकी तोंि ब) पाररस्मस्थनतक तोंि की अवनध (इक निस्ट्म) क) पाररस्मस्थनतक तोंि का आकार लघु (िूक्ष्म): (फूल के बतवि, लॉर्, झानडयाुँ) बडे (मैक्र ): (महािार्र, रेनर्स्ताि) i) हमें पाररस्मस्थनतकी तोंि (इकनिस्ट्म
के अध्ययि क 'पाररस्मस्थनतकी' (इकलॉजी) कहा जाता है। ii) पाररस्मस्थनतकी तोंि क िमजिा हर एक के नलए इतिा महत्वपूणव र्क् हैं? पाररस्मस्थनतकी तोंि हमारे नलए महत्वपूणव इिनलए हैं र्क् ोंनक, हम िब एक िमाज में रहते हैं और, इिनलए हमें जरूरत हती है िाोंि लेिे के नलए िुद्ध वायु की और पीिे के नलए िुद्ध पािी की | जीनवत रहिे के नलए अच्छी स्वच्छ िस्मब्जय और नकरािे (ग्रिरी) वस्तुओों की | मजबूत िनतरक्षा (इम्यूि) िणाली (निस्ट्म) के नलए काबोहाइडरेि, ििीि, चरबी (फैि), और खनिज (नमिरल्स) की | निवाय, रहिे के नलए मकाि की, और घर के आि पाि एक अच्छा जल निकािी (डरेिेज), स्वच्छता (हाइजीि), और स्वच्छता िणाली (िैनििेिि निस्ट्म) की जरूरत हती है | iii)
का
, नडिल, रॉकेल, कयला, लकडी जलाकर | और, जोंर्ल/ वि क कािकर | इि पररवतवि (चेंजेि) के कारण जलवायु पररवतवि (क्लाइमेि चेंज) में ध्याि देिे य ग्य पररवतवि हुए हैं | नमट्टी का किाव (इर जि) में बढ़त्तरी हुई हैं | हवा की र्ुणवत्ता में खराबी आयी हैं | और, नपिे का पािी की र्ुणवत्ता (क्वानलिी) में कमी हिे की िुरवात हुई है | v) पाठिाला (स्कूल) में छाि और अध्यापक क र्क्ा करिा चानहए? छाि (स्ट्ूडेंि्ि) नवनभन्न नवषय क िीखिे के नलए स्कूल जाते हैं | पाठिाला एक पाररस्मस्थनतक तोंि (इकनिस्ट्म) है, र्क् ोंनक वहाों र्ैर जीनवत (िॉि लीनवोंर्) और जीनवत घिक (कोंपिेंि्ि) के बीच बातचीत हती रहती है। इिनलए, कुछ `िीखिा’ िबिे

हररत मार्व (ग्रीि वे) िुरू करें | जैिे की कमवचारी कार्ज का उपयर् कम करवा िकते हैं, और िोंर्णक िे जुडिे िे नडनजिल बि िकते हैं। िभी हरी िस्मब्जयाों खाएों , नजिके कारण, काबवि पदनचन् (फूिनिोंि्ि) कम ह िकते है । हमेंिा तीि आर का िय र् करें | यािे पािी की बबावदी कम करें, कार्ज (पेपर) या प्लास्मस्ट्क के बतवि क निपिािे (नडस्पि) िे बचें, और, प्लास्मस्ट्क कचरे क पुि:चनक्रत (रीिायकल) करें| छाि क और बच्च क िकृनत

द स्ती करिे

उन्ें, बेकार (वेस्ट्

क अच्छा बिाए रखिे

नलए (िस्ट्ेिेबल क्लास्रूम्स) छाि / बच्च िे रचिात्मक (नक्रएनिव) नवचार िाप्त करें। िकृनत (िेचर) क देखिे की (ऑब्जवव) और िमझिे की (ररएलाइज) करिे की आदत डानलए | उदाहरण कैिे और र्क् हते है पृथ्वी के तीि मौिम (िीज़ि)?, नदि रात र्क् हते है? पृथ्वी र्क् घूमती है?, ज्वार भािा (िाइड) का र्क्ा कारण है?, िूरज की रििी, और ऊजाव स्थािाोंतररत हिे िे जािवर और पौध का नवकाि (ग्रथ) कैिा हता है? आनद.

िोंक्षेप में उन्ें

चिे व, िमझिे के नलए तथा पालि करिे के नलए निखाया जािा चानहए

वैज्ञानिक 54 जुलाई-सितंबर- 2022 अच्छा तब हता है जब िकारात्मक दृनष्ट्कण (पॉनजनिव एनििूड) और धारणाओों (पिेप्िन्स) के नवकाि (डेवलपमेंि) क हर निक्षण कायव का नहस्ा बिाया जाता है। पाठिाला में छाि अपिे बारे में, अपिे िानथय के बारे में, और नजि िामग्री (मिेररयल) िे नवषय िीख रहे हैं उिके बारे में िकारात्मक ि चिा (नथोंक पनििीवेली) िीखते है। इिनलए, हर एक कक्षा में ित्येक छाि के िाथ एक िोंबोंध स्थानपत करिा अध्यापक (िीचर) क जरुरी हता है। इिके िाथ, अध्यापक (निक्षक ) चानहए की वे िकारात्मक कक्षा व्यवहार (पॉनजनिव क्लािरूम नबहेनवयर) का भी अभ्याि (िैस्मक्टि) करें। vi) पयाववरण के अिुकूल (इक फ्रेंडली) और बिाए रखिेवाले (िस्ट्ेिेबल) पाठिाला के नलए िस्तानवत र्नतनवनधयाुँ (एस्मक्टनविीज) इि तरह ह िकती है: छाि क एक िाथ, नमलजुल कर चलिे का ियाि करिे के नलए ित्सानहत करें यािे हररत मार्व (ग्रीि वे)| इििे, उन्ें ताज़ी हवा नमलेर्ी, व्यायाम हर्ा, उत्साह बढ़ेर्ा, और आिोंद नमलेर्ा। पाठिाला के कायवलय में
िे
के नलए, और पेड पौधे उर्ािे के नलए (ग्र ििवरी) ित्सानहत करें,
) या पुरािे िाकाऊ वस्तु िे उत्तम और निकाऊ वस्तु बिािा निखाएों | जैिे की रचिात्मक (नक्रएनिव) र्नतनवनध (एस्मक्टनविी) के नलए छाि ोंक और बच्च क पुरािी वस्तुओों िे कुछ िया और उपयर्ी बिािे के नलए कहें और उद्दीप्त करें। ऊजाव बचािेकी कनिि करें | जैिे जब काम िा ह , या लम्बा अन्तर (र्ॅप) ह त िोंर्णक (कोंप्यूिर), पोंखा आनद बोंद करें | ज्यादातर, एलईडी रििी (लाइि) का उपयर् करें | िाफ िुथरा (क्लीि) और हररत पयाववरण (इक ग्रीि) के िाथीदार हिे के नलए पाठिाला में फिव की िफाई के नलए हमेंिा पयाववरण के अिुकूल तरल (नलस्मक्वड िलूिन्स) का उपयर् करें | इिके कारण, अस्थमा और एलजी जैिे परेिािी कम ह िकती है | कक्षाओों
के
|
ि
| तालाब का पाररम्भस्थसतकी तंत्र
वैज्ञानिक 55 जुलाई-सितंबर- 2022 वैज्ञासनक पररवारकीओरिे िासदतक शुभकामनाएं वअनेकानेक बधाई!

50 फीिदीनहस्ायूक्रेििेआताहै। ग्ल बल अलायोंि फार द फ्यूचर आफ फूड (जीएएफएफ) की एक िई ररप िव के अिुिार, खाद्य अिुरक्षा और आयात पर निभवरता की वजह अस्मस्थरखाद्य िणानलयाों हैं। इििे वैनिकस्तर परतापमािभीबढ़ताहै।इिररप िव िे पताचलताहै नकदुनिया में ग्रीिहाउि र्ैि (जीएचजी) के एक नतहाई उत्सजवि के नलए खाद्य िणानलयाों नजम्मेदार

2050 तक काबवि उत्सजविक िून्यकरिे काज लक्ष्यरखार्याहै, उिे पूराकरिे में इिबदलावका

वैज्ञानिक 56 जुलाई-सितंबर- 2022 वैसश्वकस्तरपरखाद्यअिुरक्षाकािंकट उिमसिंिगिरवार 205, िमताकॉलोनी, रायपुर “यूक्रेिरूिज24फरवरीिेिुरूहुआअबबढ़ताजारहाहैइिकायेितीजाहैनकदुनियाभरके नवकाििीलदेिोंमेंखाद्यिोंकिपैदाहर्याहैयूक्रेििे खाद्यनियावतबोंदहिेिेपहलेिेमौजूदहालातऔरबदतरहर्एहैंकनवडमहामारीकेबादभजिकीमाोंर् ,मौिमकीमुस्मिलस्मस्थनत ,आपूनतवश्रृोंखलाकी बाधाओोंऔरनियावतिनतबोंधोंिेखाद्यबाजारकिकारात्मकरूपिेिभानवतनकयाहैइिआक्रमणिेदुनियाभरमेंखाद्यकीमतोंमेंव्यापकमुद्रास्फीनतक जडाहै .रूियूक्रेियुद्धकीवजहिेदुनियाकेकईदेिोंमेंखाद्यअिुरक्षाकािोंकिबढ़र्याहै।एकररपिवकेमुतानबक , हमजकुछखातेहैं , उिकास्थायीऔर स्थािीयतौरपरउत्पादिकरकेिेजलवायुपररवतवििेलडाजािकताहै।“ रूि और यूक्रेि के बीच चल रहे युद्ध के जल्द खत्म हिे के आिार िहीों नदख रहे हैं। जैिे जैिे युद्ध का िमय बढ़ रहा है, वैिे वैिे दुनिया के िामिे खाद्य िुरक्षा िे जुडी नचोंताएों बढ़ती जा रही हैं। मध्य पूवी और उत्तरी अफ्रीकी देि के नलए अिाज की ज्यादातर आपूनतव रूि और यूक्रेि िे ही हती है। नमस्र क दुनिया का िबिे बडा र्ेहों आयातक देि मािा जाता है। नमस्र िे नपछले िाल अपिे र्ेहों का 80 फीिदी नहस्ा इन्ीोंद देि िे खरीदाथा।वहीोंिोंयुक्तराष्ट्नविखाद्यकायवक्रमकाभीकहिाहै नक वह दुनिया में जरूरतमोंद ल र् क स्मखलािे के नलए ज अिाजखरीदताहै, उिका
हैं। ज्यादातर राष्ट्ीय जलवायु लक्ष्य (एिडीिी) में अब तक खाद्य िणानलय की वजह िे हिे वाले उत्सजविक िानमलिहीोंनकयार्याहै। ररप िव में इि बात पर नविेष ध्याि नदया र्या है नक नकि तरह काबवि का ज्यादा इस्तेमाल करिे वाले म ि कल्चर खेती पर आधाररत खाद्य िणानलयाों कई स्तर पर जलवायु पररवतवि क तेज कर रही हैं। इिमें वि की किाई और जैव नवनवधता के िुकिाि िे लेकर खाद्याि क हजार नकलमीिर दूर तक आयात करिा िानमल हैं। ये खाद्य िणानलयाों ि त जलवायु पररवतविके नहिाबिेअिुकूलहैं औरिहीयुद्धके नलहाजिे। बनलवि स्मस्थत क्लाइमेि नथोंक िैंक, क्लाइमेि फकि के वररष्ठ िलाहकार और ररप िव के िमुख लेखक हिीब बख्तरी के अिुिार, ‘‘खाद्य िणानलय पर स्थािीय और वैनिक स्तर पर िोंकि के बादल मोंडरा रहे हैं।’’ उन् ोंिे इिके िमाधाि पर बात करते हुएकहा नकस्थािीयस्तर पर ऐिीखाद्यिणाली नवकनित करिीहर्ीज जलवायु के अिुकूलह औरआयातपरनिभवरता कम करे। िाथ ही भ जि की बबावदी रकिी हर्ी और काबवि काकमइस्तेमालकरिे वालेभ जिक बढ़ावादेिाहर्ा। बख्तरी इि बदलाव क ‘िकृनत के नलहाज िे ज्यादा अिुकूल’ बताते हैं। उिके मुतानबक, वैनिक स्तर पर
अहमय र्दािह िकताहै।इिबदलावक लार्ू करिे िे काबवि उत्सजवि में 20 फीिदी िे ज्यादा की कमी ह िकतीहै। जीएएफएफ के अध्ययि िे पता चलता है नक नमस्र में इि िाल के िवोंबर में आय नजत हिे वाले काप27 में 14 देि नकि तरह िे खाद्य िणाली में बदलाव की बात क िानमल कर िकते हैं। चारदेि में त बदलावकीिनक्रयापहले िेजारीहै। 1. बाोंग्लादेि मौिमी चक्रवात और ज्वार िे बाोंग्लादेि के बाढ़ िभानवत नहस्े में नियनमत िुकिाि हता है। इिी इलाके में मछली पालि और धाि की खेती हती है। हाल के नदि में आयी बाढ़ िे दुनिया के इि तीिरे िबिे बडे चावल उत्पादक देि क मजबूर कर नदया नकउिेबाहरिेअिाजकाआयातबढ़ािापडा। बाोंग्लादेि िमुद्रतल िे ऊोंचाई के मामले में दुनिया के िबिे निचले देि में िे एक है। यहाों के हर दिवें आदमी के िामिे भ जि का िोंकि है। अब इि देि में बाढ़ िभानवत इलाक का बेहतर िबोंधि नकया जा रहा है। इििे बाोंग्लादेि जलवायु के नहिाब िे खुद क बदल भी रहा है और चावल मछली क एक िाथ पैदा करिे की िणाली क भी बेहतर बिा रहा है।

foKkuh vkSj bathfu;j] fFk;ksMksj eSeu }kjk 1960 esa ystj ds igys lQy lapkyu dh o"kZxkaB dks fpfàr djus ds fy, çR;sd o"kZ 16 ebZ dks varjkZ"Vªh; çdk'k fnol euk;k tkrk gSA ;g fnu oSKkfud lg;ksx dks etcwr djus vkSj 'kkafr vkSj lrr fodkl dks c<+kok nsus ds fy, bldh {kerk dk nksgu djus dk vkºoku gSA ystj bl ckr dk ,d vkn'kZ mnkgj.k gS fd dSl ,d oSKkfud [kkst lapkj] LokLF; ns[kHkky vkSj dbZ vU; {ks=ksa esa lekt dks Økafrdkjh ykHk çnku dj ldrh gSA çdk'k dk varjkZ"Vªh; fnol foKku] laL—fr vkSj dyk] f'k{kk] vkSj lrr fodkl] vkSj fpfdRlk] lapkj vkSj ÅtkZ ds :i esa fofo/k {ks=ksa esa çdk'k dh Hkwfedk dk t'u eukrk gSA mRlo nqfu;k Hkj esa lekt ds dbZ vyx&vyx {ks=ksa dks xfrfof/k;ksa esa Hkkx ysus dh vuqefr nsxk tks çnf'kZr djrk gS fd dSls foKku] çkS|ksfxdh] dyk vkSj laL—fr ;wusLdks ds y{;ksa vFkkZr~ 'kkafriw.kZ lektksa dh uhao dk fuekZ.k dks çkIr djus esa enn dj ldrh gSA izdk'k gekjs thou esa egRo dks n`f"Vxr j[krs fo'o ds vla[; oSKkfud] 'kSf{kd] izkS|ksfxdh fudk;ksa] ukWu&izkWfQV laLFkkvksa rFkk futh {ks= ds lgHkkfx;ksa dh egRoiw.kZ Hkwfedk jgh gSAizkphu dky ls izdk'k dks ysdj yksxksa ds eu esa rjg&rjg ds dkSrwgy O;kIr jgs gSaA izdk'k dh oSKkfud vfHkO;fDr ds fy, cgqr iqjkus le; ls nk'kZfudksa vkSj oSKkfudksa us le;&le; ij vius fopkj izLrqr fd, gSaA dqN oSKkfudksa us izdk'k dks

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वैज्ञानिक 58 जुलाई-सितंबर- 2022 varjkZ"Vªh; çdk'k fnol 16 ebZ, 2022 पर सवशेष gekjs thou esa çdk'k dk egRo M‚- euh"k eksgu xksjs वररष्ठ वैज्ञानिक,राष्ट्ीयनवज्ञाििोंचारएवोंिीनतअिुिोंधाििोंस्थाि, वैज्ञातनक एवों औद्यतिक अनुसोंधान पररषद (सीएसआईआर) िईनदल्ली 110012 HkkSfrd
FkkWel ;ax
¼1773&1829½

वैज्ञानिक

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59 जुलाई-सितंबर- 2022
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वैज्ञानिक

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60 जुलाई-सितंबर- 2022
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वैज्ञानिक

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61 जुलाई-सितंबर- 2022
izdkf'kd lw{en'khZ ,Mhlu kkWel vYok ,Mhlu ¼1847&1931½

gekjs 'kjhj esa CyM dk çgko èkefu;ksa ls gksrk gSA vkSj bl CyM dks iwjs 'kjhj esa iagqpkus ds fy, gkVZ@ºzn; dks CyM dks iai djuk iM+rk gS ftlls èkefu;ksa dh vkarfjd fnokjksa ij çs'kj@ncko iM+rk gS ftls ge CyM çs'kj@ jäpki ds uke ls tkurs A CyM çs'kj dks ekius ds fy, jänkcekih dk mi;ksx fd;k tkrk gSA LoLFk O;fä dk CyM çs'kj 120@80 mmhg rd gksrk gSA 120 mm hg flLVksfyd CyM çs'kj gS vkSj 80 mmhg Mk;LVksfyd CyM çs'kj gSAtc ºzn;@gkVZ CyM dks èkefu;ksa esa iai djrk gS ml le; CyM ds çgko ls èkefu;ksa dh vkarfjd fnokjksa ij tks çs'kj gksrk mls flLVksfyd CyM çs'kj dgrs gSA bls mijh jäpki Hkh dgrs gS vkSj tc gkVZ fjySDl djrk gS ml le; èkefu;k ds vanj ncko@çs'kj dks Mk;LVksfyd CyM çs'kj ;k fupyk jäpki dgrs gSA mPp jäpki ;kuh gkbZ chih ds çdkj dqN bl çdkj gSa: çkbejh : ;g mPp jäpki dk 'kq#vkrh çdkj gSA ;g mez c<+us ds lkFk&lkFk gksrk gSA vfèkdrj yksx bldk f'kdkj gksrs gSaA

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वैज्ञानिक 62 जुलाई-सितंबर- 2022 स्वास्थ्य mPp jäpki:lkoèkkuh gh cpko lat; xksLokeh ;equk th/13] v.kq'kfäuxj] eqacbZ जबधमसनयोंमेंरक्तकाप्रवाििोतािैंऔरइिप्रवािकादबावधमनीकीसदवालपरसकतनािोतािैंइिदबावकोिीरक्तचापकितेिैं। उम्रके सलिाजिेयिदबावकमअसधकिोतारितािैं।ब्लडप्रेशरआजके िमयकीबहुतघिीरिमस्यािै।इििमस्यािेिमाजका कोईभीवगतअछूतानिींअबवोचािेएकयुवािोयाबुढ़ाव्यम्भक्तिरकोईब्लडप्रेशरकीिमस्यािेजूझरिािै।ब्लडिेपूरेशरीरकोऊजात औरशम्भक्तकीआपूसततिोतीिै।िाईब्लडप्रेशरकोअगरसबनाध्यानसदएछोड़सदयाजाएतोिाटतस्ट्रोकएअटैकएसकडनीखराबिोनेया सडमेंसशयाकाखतरािोिकतािै।यसदआपकाब्लडप्रेशर140@80 mmhg याइििेअसधकिोतािैतोिाइपरटेंशनकीबीमारीिोिकती िैयसदसनयसमतरूपिेइिकोमापाजाएतोअनेकसबमारीयोंकोआरंभमेंिीपकड़ाजािकतािैं।

वैज्ञानिक

• thou 'kSyh, èkweziku, 'kjkc dk lsou, eksVkik 'kkjhfjd xfrfofèk;ksa esa dehA Hkkstu esa vR;fèkd uedA ruko vkSj Fkk;jkbMA xqnZs ls tqM+k iqjkuk jksxA ,fMªuy ¼xqnZs ds Åij fLFkr xzafFk;ka½ lacaèkh ijs'kkuhA

• Lyhi ,ifu;k ¼xaHkhj uhan fodkj½A dkj.k ftUgsa ge cny ldrs gSaA 1& LFkwyrk 2& lksfM;e laosnu'khyrk 3& efnjkiku 4& xHkZ fujks/kd xksfy;ka 5& 'kkjhfjd fuf"Ø;rk 6& nokb;kaA

'kkjhfjd vkSj ekufld O;k;ke uk djds ge gj fnu CyM çs'kj dks c<+us dk U;ksrk nsrs gSA

• mez c<+us ds lkFk gkVZ@ºzn; dh dk;Z{kerk de gks tkrh gSA

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• mPp jäpki ds y{k.k fny dh èkM+du vfu;fer gks tkrh gS ftldh otg ls lkal ysus es rdyhQ gksrh gSAxaHkhj fljnnZ vkSj Nkrh esa nnZ gksrk gSAtYnh Fkdku eglwl gksrh gS vkSj udlhj ckj&ckj vkrh gSAvfr mPp jäpki es dHkh&dHkh ew= es [kwu vkrk gSA

CyM çs'kj c<+us dh eq[; otg ]CyM dk xk<+kiu T;knk gksuk vkSj èkefu;ksa dh vkarfjd lrg ij dksyksLVªksy tek gksus ls èkefu;ksa fldqM+ tkrh gS bldh otg ls ºzn;@gkVZ dks CyM iai djus ds fy, T;knk çs'kj yxuk iM+rk gS| bl fLFkfr es CyM çs'kj c<+rk gSA

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• vR;fèkd vkSj fujarj 'kjkc dk lsou, vuko';d ruko] vfuæk vkSj fpark mPp jäpki ds y{k.k gSA

gkbZ chih lscpko HkhM+ ls rqjar nwj gks tk,a gkbZ chih gksus ij lcls igyk dke ;s djsa fd HkhM+ ls rqjar vyx gV tk,a D;ksafd tc chih gkbZ gksrk gS rks HkhM+ ds dkj.k ?kcjkgV c<+ ldrh gS lkFk gh yksxksa dh vkokt vkSj VªSfQd bR;kfn dk 'kksj czsu ij vfrfjä çs'kj fØ,sV djrk gS] tks gkVZ vVSd tSlh xaHkhj fLFkfr;ksa ds dkjd curs gSa rkth&[kqyh gok esa cSBsa vc rkth vkSj [kqyh gok esa cSB tk,a ;k ysV tk,a ,lh ;k QSu v‚u dj ysa vkSj xgjh lkal ysa- viuk è;ku lHkh phtksa ls gVkdj flQZ viuh lkal ij dsafær djus dk ç;kl djsa xgjh lkalsa ysa : è;ku j[ksa fd xgjh lkal ysrs le; ukd ls lkal Hkjsa vkSj eqag ls fudkysa ,slk djus ls vkidks ruko eqä gksus vkSj czhfnax dks u‚eZy djus esa enn feysxh 'kjhj esa v‚Dlhtu dk Lrj c<+sxk blls gkVZ chV vkSj CyM ¶yks tYnh daVªksy gksaxs

63 जुलाई-सितंबर- 2022

rktk ikuh fi,a

lkal ysus esa dqN lgtrk gksus ij vki ,d fxykl rktk ikuh fi,a- ikuh xquxquk Hkh ugha gksuk pkfg, vkSj ,dne BaMk Hkh ugha :e Vsaçspj ij j[kk gqvk ikuh fi,a ;k fQj blesa FkksM+k&lk BaMk ikuh feykdj fi,a rkfd lhus vkSi isV esa BaMd vk, vka[ksa can djds ysV tk,a ;fn vki igys ls gkbZ chih dh nok ys jgs gSa rks ml nok dk lsou djsa ;fn igyh ckj bl rjg dh leL;k gqbZ gS ;k vHkh rd vkius bl chekjh dk bykt 'kq: ugha fd;k gS rks vc vki 'kkafr ds lkFk de ls de vkèkk ?kaVs ds fy, ysV tk,a blds ckn fcuk ued vkSj 'kqxj dh NkN fi,a ] Qhdk vkSj BaMk nwèk fi,a ;k fQj ukfj;y ikuh fi,a vkSj blds ckn rqjar tkdj M‚DVj dks t:j fn[kk,a Mk;fcVht ds jksxh esa mPp jäpki jksx dk mipkj vkjaHk djus ds igys eSa vkidks crykuk pkgrk gwa fd ;g mPp jäpki dk dkj.k dgha vYi&jä'kdZjk ¼Hypoglycemia½ rks ugha gSaA dHkh&dHkh Mk;fcVht ds jksxh dh jk=h esa 'kdZjk de gks tkrh gS ftlds QyLo:i lqcg jäpki c<+ tkrk gS vkSj uhan ls tkxrs gh ljnnZ gks ldrk gSA bldk dkj.k vYi jä&'kdZjk dh otg ls ,Mªhusfyu] dksfVZtksy] xzksFk gkeksaZu] Xyqdkxksu vkfn gkeksaZUl ds lzko dk c<+uk gSA vr% nokbZ;ka ;k bUlqfyu ysus okys Mk;fcVht ds jksxh esa jäpki dk mipkj 'kq: djus ds igys ;g lqfuf'pr dj ysa fd mPp jäpki dk dkj.k dgha gkbiksXykblhfe;k rks ugha gSA

CyM çs'kj dks [kRe djus ds mik;

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• CyM çs'kj dks tM+ ls [kRe djus dk mik; esa vfèkd iksVsf'k;e vkSj de lksfM;e okyk Hkkstu [kk,a vkSj 3 ls 4 equDdk ;k fd'kfe'k dks jkr esa ikuh esa fHkxks j[k ns vkSj fQj lqcg ds le; bls vPNh rjg pckdj [kkus ls dqN gh fnuksa mPp jäpki tM+ ls [kRe gks tk,xk|

• mPp jäpki ds mipkj ds fy, M‚DVj ds ijke'kZ ij CyM çs'kj dh xksyh ds :i esa chih VScysV ] Vk;xkVSy 40 VScysV ]vksesxk &3 vkfn ys ldrs gSA

gkbZ CyM çs'kj dk ?kjsyw mipkj ds :i es yglqu dks ikuh es fHkxks dj [kkuk cgqr gh ykHkdkjh gS jäpki og jksx gS ftlesa ân; ds ladqpu dh voLFkk esa jä okfgdkvksa esa jä dk ncko ikjs ds 140 mm ls T;knk ;k ân; ds foLrkj.k dh voLFkk esa 90 mm ls T;knk jgrk gS ;k nksuk voLFkkvksa esa T;knk jgrk gSA ;g nks çdkj dk gksrk gSA igyk çeq[k ¼Essential½ mPp&jäpki ftlesa ge jäpki c<+us dk dksbZ dkj.k ugha <wa<+ ikrs gSa] jäpki ds 85% ls 90% jksxh blh {ks.kh esa vkrs gSaA vxyk gS f}rh;d mPp&jäpki ftlesa jäpki dk mipkj ;ksX; dksbZ dkj.k fo|eku jgrk gSA pwafd vkjafHkd voLFkk esa jksxh esa dksbZ y{k.k ugha gksrs gSa] blfy, bls Þewd dkfryß Hkh dgrs gSaAe/kqesg vkSj mPp&jäpki nksuksa gh jksxksa esa ân; jksx] o`Dd jksx rFkk vU; ?kkrd tfVyrkvksa dk tksf[ke jgrk gSA ;fn jksxh esa nksuksa ,d lkFk Msjk Mky ysa rks mijksä tfVyrkvksa dk tksf[ke nqxquk ugha cfYd ,d vkSj ,d X;kjg dh rtZ ij c<+sxkA nqHkkZX; o'k mPp jäpki jksx dh laHkkouk lkekU; O;fä dh vis{kk Mk;fcVht ds jksxh esa dgha T;knk jgrh gSA e/kqesg vkSj mPp jäpki ds lkFk ;fn jksxh esa jä&olk dh fo—fr;ka] dsUæh; LFkwyrk vkSj ,FksjksfLDyjksfll fo|eku gks rks bl voLFkk dks flUMªkse&,Dl dgrs gSaA ;fn Mk;fcVht ds jksxh dks mä jäpki gS rks dksjksujh /keuh jksx] gkVZ QsY;j ;k ân;okr] isjhÝy osLdwyj jksx] {kf.kd vjärk nkSjk ¼Transient Ischemic Attack½ vkSj LVªksd dk tksf[ke vis{kk—r dkQh T;knk jgrk gSA Mk;fcVht ds jksxh esa mPp jäpki jksx dh mifLFkfr usÝksiSFkh] jsVhuksiSFkh vkfn tfVyrkvksa dh laHkkouk dks vkSj çcy cukrh gSA ;fn Mk;fcVht ds jksxh dks mPp jäpki jksx Hkh gS rks jsVhuksiSFkh ds y{k.k tYnh fn[kkbZ nsrs gSaA ;fn jäpki

वैज्ञानिक 64 जुलाई-सितंबर- 2022

वैज्ञानिक

ij dM+k fu;a=.k j[kk tk;s rks jsVhuksiSFkh dh çxfr /khjs gksxhA Mk;fcVht ds jksxh dks ;fn mPp jäpki Hkh gks rks usÝksiSFkh rsth ls çxfr djsxhA usÝksiSFkh dk vkjafHkd y{k.k ekbØks,YC;qfeuqfj;k gSA ,slk ns[kk x;k gS fd ;fn jäpki T;knk gS rks ew= esa ,YC;qfeu dk lzko Hkh T;knk gksxkA

;fn jäpki vkSj jä 'kdZjk dk fu;a=.k çHkko'kkyh gS rks ew= esa ,YC;qfeu dk lzko :d tk;sxk ;k U;wure gks tk;sxkA ;fn Mk;fcVht ds mu jksfx;ksa] ftuesa igys ls gh o`Dd jksx çxfr'khy gS] vkSj mUgsa mPp jäpki jksx Hkh gks tkrk gS vkSj vfu;af=r NksM+ fn;k tkrk gS rks mlesa o`Dd jksx vfUre voLFkk dh vksj dkQh 'kh?kzrk ls çxfr djsxkA

ckn esa –f"V esa /kqa/kykiu] 'okld"V ¼Dysnoea½] ân;k?kkr ¼Heart Attack½] ânikr ¼Heart Failure½] {kf.kd vjärk nkSjk ¼Transient Ischemic Attack½] o`Ddikr] –f"V ghurk] ifjljh; okfgdh; jksx ¼Peripheral Vascular Disease½ ds dkj.k pyrs le; iSjksa esa nnZ vkfnA

mPp&jäpki ds yxHkx 90% jksxh rHkh fpfdRld ls laidZ djrs gSa tc jäpki cgqr c<+ tkrk gS ftls nqnZe mPp&jäpki ¼Malignant Hypertension½ dgrs gSaA nqnZe mPp&jäpki esa foLrkj.k jäpki 140 mm ls Åij jgrk gS vkSj LVªksd ;k jälzko dk cgqr tksf[ke jgrk gS A bl voLFkk dk rqjar l?ku mipkj vko';d gSA

vkjafHkd y{k.k: vkjafHkd voLFkk esa lkekU;r% dksbZ y{k.k ugha gksrs gSaA dqN jksxh 'kq: esa pDdj] psgjk rerekuk] ljnnZ] FkdkoV] fepyh] oeu] udlhj vkSj cSpsuh tSls y{k.k crkrs gSaA pkSFkh ân; /ofu Hkh vkjafHkd ladsr gSaA

jäpki o"kksaZ rd pqipki y{k.k jfgr cuk jg ldrk gS vkSj 'kjhj ds egRoiw.kZ vaxksa tSls ân;] vk¡[ksa] o`Dd] efLr"d vkfn dks pqipki {kfrxzLr djrk jgrk gSA dbZ ckj gesa jäpki gksus dh tkudkjh rHkh fuyrh gS tc gesa gkVZ vVsd ;k LVªksd gksrk gS ;k ';ksjs djus ds fy;s gsrq jäpki uiokrs gSaA Mk;fcVht ds dqN jksfx;ksa esa v‚Vksuksfed U;wjksiSFkh ds dkj.k iksLpqjy gkbiksVsa'ku gksrk gSA ;fn ,slh laHkkouk dk vkHkkl gks rks fpfdRld dks pkfg;s fd og jäpki dk eki nksuksa ckgksa esa jksxh dks ysVkdj cSBk dj vkSj [kM+k djds rhuksa voLFkkvksa esa ysA Mk;fcVht esa jksxh ds jäpki dk dM+k fu;a=.k j[kuk gekjh loksZPp çkFkfedrk gksuh pkfg;sA fpfdRld dks gj ckj Mk;fcVht ds jksxh dk jäpki ukiuk pkfg,A jksxh dks Li"V fgnk;r ns nsuh pkfg, fd mls viuh 'kdZjk vkSj jäpki vkthou fu;a=.k esa j[kus gSA tgka rd laHko gks jäpki 120/80 ds vkl&ikl j[kuk pkfg,A

65 जुलाई-सितंबर- 2022

वैज्ञानिक

nqHkkZX;o'k dbZ jksxh ,slk lksprs gSa fd ;fn mUgsa jäpki ds lkekU; y{k.k tSls lj nnZ vkfn ugha gS rks jäpki lkekU; gh gksxk vkSj os nok ysuk cUn dj nsrs gSaA ysfdu ;g xyr gS mPp jäpki 'kkar jgdj okj djus okyk 'k=q gSA dbZ ckj jäpki cgqr T;knk gksrs gq;s Hkh jksxh esa dksbZ y{k.k ugha gksrsA ;fn ge ;g lksps fd jäpki ds y{k.k fn[kkbZ nsus ij mipkj 'kq: djsaxs rks ;g cM+k =qfV iw.kZ fu.kZ; gksxk D;ksafd rc rd og 'kjhj dks dkQh {kfr igqapk pqdk gksrk gSA jäpki ukius ds laca/k esa lko/kkfu;k%& viuk jä pki fu;fer uiokrs jgsa ;fn jäpki T;knk ;k de gks rks fpfdRld ls lEidZ djsaA jäpki ekius ds fy;s ikjs okyk ;k Mk;y okyk ;a= gh lcls vPNk ekuk x;k gSA bysDVªkfud jäpki ;a= ij Hkjkslk

u djsa] ;g dbZ ckj xyr fu.kZ; nsrk gSA jäpki ukius ds igys ;g lqfuf'pr dj ys fd jksxh us fiNys 30 feuV esa dsQhu] xqV[kk] chM+h ;k flxjsV dk lsou u fd;k gksA

• jäpki ekius ds igys jksxh dks 'kkar okrkoj.k esa 5&10 feuV foJke djus dks dgsaA

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66 जुलाई-सितंबर- 2022
(नकिीभीदवायाव्यायामकरिेिे पहले कृपयाडॉक्टर कीिलाह अवश्यलें)

.इि द पदाथों के अनतररक्त काबवि िरेिाक्ल राइड, नमथाइल क्लर फामव, नमथाइल ि माइड जैिे रािायनिक पदाथव भी ओजि परत के क्षरण के नलए नजम्मेदार रहे है.ग्रीि हाउि इफेक्ट के कारण भी ओज ि परत क क्षनत पहुची हैं. पृथ्वी पर िीधे आिे वाली िौर ऊजाव की बडी मािा अवरक्त नकरण के रूप में पृथ्वी के वातावरण िे बाहर चली जाती हैं इि ऊजाव की कुछ मािा ग्रीि हाउि

, नजििेपयाववरणिोंतुलिभीनबर्डेर्ा. जलवायु पररवतवि, बढ़ते िदूषणएवों ग्ल बलवानमिंर्क देखते हुए बीिवीों िताब्दी में िोंयुक्त राष्ट् एवों अन्य वैनिक िोंर्ठि िे पयाववरण की िुरक्षा की बात करिा िुरू नकया.ओज ि परत के क्षय के नवषय में पहली बार िि १९७६ में िोंयुक्त राष्ट् पयाववरण कायवक्रम की ििािनिक पररषद् में नवचार नवमिव नकया र्या इिके बाद िि १९७७ में ओज ि परत के नविेषज्ञ वैज्ञानिक की बैठकआय नजतकीर्ईऔरयू एिईपीएवों नविमौिमिोंर्ठि िे िमय िमय पर ओज ि परत में हिे वाले क्षय क जाििे के नलए ओजि परत िमन्वय िनमनत का र्ठि नकया.ओजि परत के िोंरक्षणके नलएिि१९८५में

वैज्ञानिक 67 जुलाई-सितंबर- 2022 16 सितंबर, 22 सवश्वओजोनसदवि परसवशेष ओजोनपरतके क्षयकोरोकनाबहूतज़रूरी प्रकाशकश्यप िीडीएम,बीएआरिी, मुंबई-85 ओजोन पृथ्वीपरआनेवालीिूयतकीखतरनाकपराबैंगनीसकरणोंकाअवशोषणकरतीिैं. िूयतकीयेपैराबैग्नीसकरणेंप्रासणयोंकीत्वचा के सलएअत्यंतघातकिैं.इितरििमकििकतेिैंसकओजोनपरतपृथ्वीके िुरक्षाकवचकाकायतकरतीिैं. सपछलेकुछवषोंके दौरान ओजोनपरतमेंक्षरणकीम्भस्थसतपाईगईिैं. सजििेपयातवरणिंतुलन सबगड़ेगा ओज ि परत के क्षय के कई कारण हैं औद्य नर्कीकरण के बाद िे वातावरण के दूनषत हिे के कारण पृथ्वी के इि िुरक्षा कवच के क्षरण हुआ हैं. ओज ि परत के क्षरण के नलए िवावनधक नजम्मेदार क्ल र फ्लर काबवि एवों हाइडर क्ल र फ्लर काबवि जैिे रािायनिक पदाथव रहे हैं
र्ैि द्वारा अवि नषत हकर पुिः पृथ्वी पर पहुच जाती हैं, नजिके तापक्रम अिुकूल बिा रहता है ग्रीि हाउि र्ैि में मीथेि, काबवि डाई ऑक्साइड, िाइिरि ऑक्साइड इत्यानद हैं.वातावरण में ग्रीि हाउि र्ैि का हिा अच्छा हैं नकन्तु जब इिकी मािा बढ़ जाती हैं त तापमाि में वृस्मद्ध हिे लर्ती हैं.इिके कारण पृथ्वी के धुवों के ऊपरओज िपरतक भारीक्षनतपहुोंचीहैं नपछले पचािवषों में इिकी क्षनत में वृस्मद्ध की दर अनधक रही हैं.िोंयुक्त राज्य अमेररका की नवनभन्न ररप िों के अिुिार पृथ्वी के वायुमोंडल में ओज ि परत में द बडे बडे नछद्र ह र्ये हैं. एक अोंिाकवनिका महािार्र के ऊपर एवों दूिरा आकवनिक महािार्र के ऊपरओज ि परत के क्षरण के कई घातक पररणाम अब िामिे आएहैं. यनदइिकाक्षयर कािहीोंर्यात इिके औरभीघातक पररणाम िामिे आिे की आिोंका हैं इिके कारण पृथ्वी परआिे वाली िूयव की पराबैंर्िी नकरण की मािा बढ़ जाएर्ी, नजिके कारण जीव जन्तुओों क त्वचा िम्बन्धी अिेक िकार के र्म्भीर र र् का िामिा करिा पडेर्ापेड पौध का नवकाि बानधतहिे िे अिेकिकारकीकनठिाईयाुँ उत्पन्नहर्ी पृथ्वीके तापमािमें अत्यनधकवृस्मद्धहर्ी
नवयिािम्मेलिहुआएवों इिकी िीनतय क नवि के अनधकतर देि िे िि १९८८ में लार्ू नकया हुआ.ओज ि परत के क्षरण के नलए िवावनधक नजम्मेदार क्ल र फ्ल र काबवि एवों हाइडर क्लर फ्ल र काबवि जैिे रािायनिक पदाथों के उत्पादि तथा खपत कम करिे के नलए आवश्यक उपाय पर चचाव की र्ई.इिके बाद इि नवषय िे िम्बस्मन्धत कई िमझौते एवों िम्मेलि नवि के कई िहर में नकये र्ये ओज ि परत का क्षय र किे के नलए हमें कई आवश्यक उपाय करिे ह ोंर्े. ओज ि परत पृथ्वी की िुरक्षा परत हैं. इिनलए इिका िोंरक्षण आवश्यक हैं इिके नलए िबिे पहले त हमें जििोंख्या क स्मस्थर बिाए रखिे की आवश्यकता हैं. स्वाभानवक हैं नक जििोंख्या बढ़ेर्ी, त उिके नलए उत्पाद एवों रजर्ार के नलए उद्य र् धोंध क स्थानपत करिा हर्ा.उद्यर् धोंधे िदूषण क बढ़ावा देंर्े ज ओज ि के क्षरण के कारण बिेर्ा अतः यनद हम चाहते हैं नक िदूषण कम ह एवों पयाव वरण की िुरक्षा के िाथ िाथ िोंतुनलत नवकाि भी ह त इिके नलए हमें िवीि िद्यनर्की

में वृस्मद्ध हर्ी नजि कारण जहरीले धूमकहरे कानिमावणहर्ा. लर् में त्वचाकैंिरर र्बढ़जाएर्ा मािव िरीर की र र्िनतरधक क्षमता में कमी आएर्ी. पररणामस्वरूप लर् में िोंक्रामक तथा छूत के र र् का िकप बढ़ जाएर्ा.भूमध्य रेखीय िदेि में ओजि क्षय के कारण तापमाि में अनधक वृस्मद्ध के कारण ल र् का िारीररक और मािनिक नवकाि और अनधक अवरुद्ध हर्ाजहरीले धूम कहरे के कारण मािव िरीर के ििि तोंि पर कुिभाव पडेर्ा.फिलें िष्ट् हिे व् िार्र में अनधकाोंि मछनलय के मर जािे िे मािव िमुदाय के नलए खाद्य िोंकि उत्पन्न हर्ाजैव िमुदाय पर िभावतापमाि में वृस्मद्ध के कारण िकाि िोंश्लेषण, जल उपय र् क्षमता

वैज्ञानिक 68 जुलाई-सितंबर- 2022 का िय र् करिा हर्ा. ल र् क ओज ि परत के क्षरण के भावी खतरे िे जार्रूक करिा हर्ा. ओजि अपक्षय का अथव है िमताप मोंडल में ओजि की मािा में कमी हिा हैं ऑक्सीजि के तीि अणुओों िे बिी र्ैि क ओज ि कहते हैं.यह हिे िीले रोंर् की हैं और इिकी र्ोंध तीखी हती हैं. ओज ि का िवावनधक िाोंद्रण उच्च अक्षाोंि के ऊपर तथा न्यूितम िाोंद्रण भूमध्य रेखा के ऊपरपायाजाताहैं.ओज िपरतिार्रिे 12 िे 35 नकमीकी ऊुँचाई तक क ओजि मोंडल या ओजि परत या िमताप मोंडलीय ओजि परत कहते हैं इि परत में ओज ि र्ैि का अनधकतम िाोंद्रण पाया जाता हैं.ओज ि परत िूयव की पराबैंर्िी नकरण क पृथ्वी के वायुमोंडल में आिे िे र कती हैं अतः इिे पृथ्वी का रक्षा कवच या पृथ्वी का छाता कहते हैं. िमताप मोंडल में स्मस्थत ओज ि परत का जीव मोंडल में िभी िकार के जीव के नलए अत्यनधक महत्व हैं. इि र्ैि की परत के अभाव में जीवमोंडल में नकिी िकार का जीवि िम्भव िहीों ह िकतार्क् ोंनक इि ओज ि परत के अभाव में िौर नवनकरण की िभी पराबैर्िी नकरणें भूतल पर आ जाएर्ी. नजििे भूतल का तापमाि अत्यनधक हिे के कारण िमस्त जीव िष्ट् ह जाएर्े.ओज ि परत में ओजि र्ैि के अपक्षय के कारण बिे ओज ि रनहत छ िे छ िे क्षेि (Ozoneless Paches) क ओजि नछद्र कहा जाता हैं. दनक्षणी धुवव में अोंिाकवनिका क्षेि के ऊपर िबिे बडा ओजि नछद्र देखा र्या हैं इि िाल वर्ल्व ओजि डे की थीम थी 'ओजि फॉरलाइफ' यािी धरती पर जीवि के नलए इिकाहिाजरूरीहै ओज ि की अल्पता तथा नविाि के मुख्य द षी कारक हैल जनिक र्ैिें हैं. इि हैल जनिक र्ैि के अोंतर्वत क्लूर फ्लूर काबवि, हैलन्स तथा िाइिर जि ऑक्साइड िमुख हैं इिके अनतररक्तनमथाइलक्ल र फामव वकाबवििरेिाक्ल राइडआनदभी ओज ि नविाि के कारण हैं क्ल र फ्लर काबवि क िामान्य रूप में क्ल ररि, फ़्ल ररि, काबवि के िाम िे जािा जाता हैं.निआि 11 व निआि 12 cfc र्ैिें हैं. इि र्ैि की ख ज िवविथम अमेररकी वैज्ञानिक थ मि नमद्गले जूनियर िे 1930 में की CFC र्ैिें िकाि रािायनिक िनक्रया द्वाराओजि परत का नविाि करती हैं. CFC र्ैिें रेफ्रीजरेिर, अनििमि रे, िेनवोंर् क्रीमविौन्दयवििाधिमें कामआतीहैं. ओज ि अल्पता के कारण वायुमोंडल में िौनयवक पराबैर्िी नवकीरणकान्यूितमअवि षणहर्ा, पररणामस्वरूपअनधकिे अनधक मािा में पराबैंर्िी नवनकरण धरातल पर पहुुँच जाएर्ा नजि कारण भूतल का तापमाि / ग्ल बल वानमिंर् बढ़ेर्ािमताप मोंडल में ओज ि की अल्पताके कारण क्षभ मोंडल में हाइडर जि पैराक्साइड में वृस्मद्ध हर्ी नजि कारण अम्ल वषाव का अनवभावव हर्ा. ओज ि अल्पता तथा पराबैर्िी नवनकरण में वृस्मद्ध हिे िे िकाि रािायनिक िनक्रयाओों
, पौध की उत्पादकता एवों उत्पादि में भारी कमी हर्ीजलीय ितह तथा नमििी की िमी का अनधक वाष्पीकरण हिे िे फिलें िूखिे लर्ेर्ी व फिल के उत्पादि में भारी कमी ह जाएर्ी.पाररस्मस्थनतकी अिोंतुलि पैदा हर्ा.ऊजाव तथा नवनकरण िोंतुलि में अव्यवस्था हिे िे जीवधाररय का अस्मस्तत्व खतरे में पडजाएर्ा.

और ऑर्मेंिेड ररयनलिी

पररय जिा क िमावेिी बिािे के नलये इोंिरिेि किेस्मक्टनविी महत्त्वपूणव है। इिके िाथ ही, देि के दूरस्थ नहस् तक में ऑनप्टकल फाइबर का व्यापक उपय र् यह िुनिनित करिे के नलये महत्त्वपूणव है नक क ई भी इि ियाि में पीछे ि छूि जाए।इि िोंदभव में 5 जी और ऑनप्टकल फाइबर की बुनियादी बात िे अवर्त ह िा हमारे नलये िािोंनर्क ह र्ा। 5 जी िेिवकव 5वीों पीढ़ी का म बाइल िेिवकव है। यह 1जी, 2जी, 3 जी और 4 जी िेिवकव के बाद िवीितम वैनिक

िू मिीि इोंिरेक्शि’:5 जी मिीि िू मिीि िोंचार की िुनवधा िदाि करिे वाली पहली िौद्यनर्की ह र्ी, ज इोंिरिेि ऑफ नथोंग्स की िीोंव है।IoT, क्लाउड, नबर् डेिा, AI और एज कोंप्यूनिोंर् के िाथ 5G चौथी औद्यनर्क क्राोंनत का एक महत्त्वपूणव िवतवक निद्ध ह िकता है। 4.अथवव्यवस्था क बढ़ावा:िरकार द्वारा नियुक्त पैिल (वषव 2018) की एक ररप िव के अिुिार, 5 जी वषव 2035 तक भारत में 1 निरनलयि अमेररकी डॉलर का िोंचयी आनथवक िभाव उत्पन्न कर िकता है।यह मिीि और नवनभन्न क्षेि के बीच किेस्मक्टनविी बढ़ाकर भारत क व्यापक रूप िे आनथवक बढ़ावा देर्ा ज नफर दक्षता में वृस्मद्ध करेर्ा।उत्पादि में भी वृस्मद्ध ह र्ी नजििे भारी राजस्व िोंग्रह िाप्त ह र्ा। 5.िहयर्ी िेिवकव पररनिय जि:5 जी के कारण ऐिा

वैज्ञानिक 69 जुलाई-सितंबर- 2022 सवज्ञान िमाचार 1. 5 जीप्रौद्योसगकीऔरसडसजटलिमावेशन र्क्ा आप िभी क मालूम है नक 5 जी िौद्यनर्की बहुत जल्द ही भारत में अपिी पैठ बिािे जा रही है? जी हाों, यह नबिुल िच है। भारत के िीषव िािवफि निमावताओों िे त इिके स्वार्त में 5 जी क्षमता युक्त फि भी जारी कर नदये हैं। 117 कर ड िे अनधक दूरिोंचार उपयर्कत्तावओों और 82 कर ड िे अनधक इोंिरिेि ग्राहक के िाथ, भारत नडनजिल उपभ क्ताओों के नलये िबिे तेज़ी िे नवकाि करते बाज़ार में िे एक है। भौनतक और पारोंपररक अविोंरचिाओों के िाथ िमेनकत रूप िे एकीकृत नडनजिल अविोंरचिा भारत की नवकाि र्ाथा और आत्मनिभवरता की ओर देि की तेज़ बढ़त के नलये महत्त्वपूणव है। ‘नडनजिल इोंनडया’
वायरलेि मािक है। 5 जी िेिवकव 3 बैंड (ल, नमड और हाई िीक्वेंिी स्पेक्टरम) में कायव करता है, नजिमें िे िभी के अपिे अलर् अलर् उपय र् और अपिी िीमाएुँ हैं।यह एक िए िकार के िेिवकव क िक्षम बिाता है नजिे मिीि ों, वस्तुओों और उपकरण िनहत लर्भर् िभी क और िब कुछ क एक िाथ ज डिे के नलये नडज़ाइि नकया र्या है। भारत में िैिकॉम इोंडस्ट्री एि निएिि इोंनडया िे 5 जी स्पेक्टरम िीलामी में नमलीमीिर बैंड क िानमल करिे की िरकार की य जिा पर नचोंता व्यक्त की है। 5 जी प्रौद्योसगकी िे अनेक लाभ िैं1. उन्नत म बाइल िॉडबैंड :हमारे िािवफि क बेहतर बिािे के अलावा 5 जी म बाइल िौद्यनर्की तेज़ र्नत, अनधक िमरूप डेिा दर, निम्न लेिेंिी और निम्न िनत नबि लार्त के िाथ वचुवअल ररयनलिी
जैिे िए इमनिवव अिुभव की िुरुआत कर िकती है। 2.हाई स्पीड िौद्यनर्की:5जी म बाइल िेिवकव पर डाउिलनडोंर् और अपलनडोंर् स्पीड क बढ़ा देर्ा। 5जी के हाई बैंड स्पेक्टरम में इोंिरिेि की र्नत परीक्षण स्तर पर 20 र्ीर्ानबि िनत िेकोंड तक उच्च पाई र्ई। इिकी तुलिा में 4 जी की अनधकतम इोंिरिेि डेिा र्नत 1 जीबीपीएि दजव की र्ई थी। 5 जी लेिेंिी या नवलोंबता , िेिवकव द्वारा िनतनक्रया देिे में लर्िे वाला िमय, क भी कम करेर्ा। 3.मिीि
पहली बार ह र्ा नक िेिवकव पररनिय जि के नलये व्याविानयक कायवक्षेि और िौद्यनर्की कायवक्षेि एक िाथ कायव करेंर्े।पहले दूरिोंचार आोंतररक चचाव करता था और िेिवकव तैिात करता था, लेनकि अब व्यविाय,िौद्यनर्की कोंपनियाुँ और िाइबर नविेषज्ञ िेिवकव की तैिाती के नलये एक िाथ आएुँर्े।ऑनप्टकल फाइबर नकि िकार लाभ की मािा निधावररत कर िकता है? 6. ‘हाई स्पीड’:फाइबर अनधक बैंडनवड्थ िदाि करता है और 10 Gbps और उििे अनधक तक मािकीकृत िदिवि करता है। ताोंबे के उपयर् के िाथ इिे िाप्त कर िकिा अिोंभव है।अनधक बैंडनवड्थ का मतलब है नक फाइबर ताोंबे के तार की तुलिा में कहीोंअनधक दक्षता के िाथ अनधक िूचिाओोंका वहि कर िकता है।

पर कायव करता

नकरण का उपय र्

मािा में डेिा िोंचाररत करिे के नलये नकया जा िकता है (नबिा नकिी म ड के लोंबे िीधे तार के मामले में)।यनद तार में म ड ह त ऑनप्टकल केबल क इि तरह िे नडज़ाइि नकया र्या है नक वे िभी िकाि नकरण क TIR का उपय र् कर अोंदर की ओर म डते हैं सनम्न चुनौसतयााँ िैं: 1. ‘फाइबराइजेिि फुिनिोंि’:भारत में फाइबर किेस्मक्टनविी क अपग्रेड करिे की आवश्यकता है, ज वतवमाि में भारत के केवल 30% दूरिोंचार िावर

3.इष्ट्तम 5G प्रौद्योसगकी मानक का चयन:5G िौद्यनर्की कायावन्वयि में तेज़ी

मािक

नलये घरेलू

बीच

आवश्यकता है।5Gi के अपिे स्पष्ट् लाभ हैं, लेनकि यह िेलीकॉम के नलये 5G इोंनडया की लॉन्च की लार्त

िमाप्त

पर अनधकाोंि 5G िौद्यनर्की नवकाि निभवर करता है, पर िनतबोंध स्वयों में एक अवर ध उत्पन्न करता है। 5.कम िरकारी िस्मिडी:मौजूदा राजक षीय घािे के बीच स्पेक्टरम िीलामी के नलये िरकार द्वारा निधावररत उच्च आरनक्षत मूल् के अतीत क देखते हुए िरकारी िस्मिडी की िोंभाविा बेहद कम है। 6.स्वास्थ्य और पयाववरणीय अिफलताएुँ:मािव स्वास्थ्य पर 5 जी और निम्न तीव्रता के रेनडय फ्रीक्वेंिी इलेक्टरॉनिक चुोंबकीय क्षेि नवनकरण के िभाव और इिके पयाववरणीय िभाव के बारे में नवनभन्न वैज्ञानिक द्वारा नचोंता व्यक्त की र्ई है। कहा र्या है नक वायरफ्री र्ैजेि्ि और िेिवकव िेल िावर िे 5 जी िौद्यनर्की और िोंबद्ध आर एफ नवनकरण ‘लर् और पिु पनक्षय के स्वास्थ्य और िेहत के नलये बेहद खतरिाक और हानिकारक ह र्ा।बहुत उच्च स्तर का नवनकरण, नजिे आयिकारी नवनकरण भी कहा जाता

वैज्ञानिक 70 जुलाई-सितंबर- 2022 7.िराोंिनमिि की रेंज:चूुँनक फाइबर ऑनप्टक केबल्स में डेिा िकाि के रूप में र्ुज़रता है, िराोंिनमिि के दौराि अत्योंत कम नििल हानि ह ती है और डेिा उच्च र्नत िे तथा अनधक दूरी तक स्थािाोंतररत ह िकता है। 8.स्थानयत्व:फाइबर ऑनप्टक केबल उि नवनभन्न पयाववरणीय कारक िे अिभानवत रहता है ज कॉपर केबल क िभानवत करते हैं।कर काुँच िे बिा ह ता है ज एक कुचालक/इन्सुलेिर है, इिनलये इििे क ई नवद्युत धारा िवानहत िहीोंह िकती है। ऑनप्टकल फाइबर िे हमारा र्क्ा तात्पयव है?ऑनप्टकल फाइबर नडनजिल अविोंरचिा की रीढ़ है; डेिा पतले फाइबर के लोंबे स्ट्रैंड के माध्यम िे यािा करिे वाले िकाि स्पोंद (Light Pulses) द्वारा िेनषत ह ता है।फाइबर कम्युनिकेिि में िोंचरण के नलये धातु के तार क िाथनमकता दी जाती है र्क् ोंनक इिमें नििल कम हानि के िाथ यािा करते हैं।ऑनप्टकल फाइबर पूणव आोंतररक परावतवि (Total Internal Reflection TIR) के निद्धाोंत
है।िकाि
बडी
क िोंयुक्त करता है।भारत िे अिैल, 2020 और िवोंबर, 2021 के बीच 132 िे अनधक देि क 138 नमनलयि डॉलर के ऑनप्टकल फाइबर का नियावत नकया।भारतीय ऑनप्टकल फाइबर केबल की खपत वषव 2021 में 17 नमनलयि फाइबर नकमी. िे बढ़कर वषव 2026 तक 33 नमनलयि फाइबर नकमी. ह जािे का अिुमाि है।लर्भर् 30% म बाइल िावर में ही फाइबर किेस्मक्टनविी है; इिे कम िे कम 80% तक बढ़ािे की ज़रूरत है। 2.अन्य देशों द्वारा डंसपंग:चीि, इोंडिेनिया और दनक्षण क ररया जैिे देि भारत में अपिे फाइबर उत्पाद क बाज़ार मूल् िे कम दर पर डोंप कर रहे हैं।नवि व्यापार िोंर्ठि ‘डोंनपोंर्’ क एक ऐि अतराष्ट्ीय मल् भदभाव की स्मस्थनत के रूप में पररभानषत करता है नजिमें आयातक देि में पेि नकए र्ए उत्पाद की कीमत नियावतक देि के बाज़ार में उि उत्पाद की कीमत िे कम ह ती है।
लािे के
5Gi मािक और वैनिक 3GPP
के
िकराव क
करिे की
बढ़ाता है िाथ ही, इोंिरऑपरेनबनलिी िमस्याएुँ भी उत्पन्न करता है।3GPP रेनडय एक्सेि िौद्यनर्नकय और ग्ल बल निस्ट्म फॉर म बाइल कम्युनिकेिोंि नवनिदेि के आधार पर वैनिक म बाइल 3G वायरलेि निस्ट्म क औपचाररक रूप िदाि करिे के नलये दूरिोंचार उद्य र् भार्ीदार (िोंर्ठिात्मक भार्ीदार ों) के बीच िोंपन्न एक िहय र्ी पररय जिा िमझौता है। 4.‘मेक इि इोंनडया’ हाडववेयर चुिौती:कुछ नवदेिी दूरिोंचार मूल उपकरण निमावताओों नजि
है, हमारे ऊतक क र्मव करता है और अोंततः कैंिर का कारण बि िकता है। नडनजिल िमावेिि के िोंबोंध में भारत की पहल: 1.भारतिेि :यह ऑनप्टकल फाइबर का उपय र् करिे वाला नवि का िबिे बडा ग्रामीण िॉडबैंड किेस्मक्टनविी कायवक्रम है औरभारत िॉडबैंड िेिवकव नलनमिेड द्वारा कायावस्मन्वत एक िमुख नमिि है।यह राज्य और निजी क्षेि की िाझेदारी मेंनडनजिल इोंनडया के नवज़ि क िाकार करिे हेतु एक उच्च मापिीय िेिवकव अविोंरचिा है नजिे र्ैर भेदभावपूणव आधार पर िभी घर के नलये 2 एमबीपीएि िे 20 एमबीपीएि तथा िभी िोंस्थाि क उिकी माोंर् क्षमता के अिुिार िस्ती िॉडबैंड किेस्मक्टनविी िदाि करिे के नलये एक्सेि नकया जा

करेर्ी।यह भारतिेि पहल के कायावन्वयि के िाथ स्थािीय कनमवय की भती कर स्थािीय र ज़र्ार िृजि क भी बढ़ावा दे िकेर्ी। 5 जी िौद्यनर्की की आर्े की राह हेतु निम्ननलस्मखत ियाि

चानहए

क चीि, इोंड िेनिया आनद

जि के नलये इिे आनथवक रूप िे व्यवहायव बिािे की आवश्यकता है अन्यथा ग्रामीण एकीकरण एक क रा स्वप्न ही रह जाएर्ा।इिके िाथ ही, 5 जी िौद्यनर्की क दूरिोंचार ऑपरेिर के नलये भीव्यवहायव

वैज्ञानिक 71 जुलाई-सितंबर- 2022 िकता है।इिे िोंचार मोंिालय के तहत दूरिोंचार नवभार् द्वारा कायावस्मन्वत नकया जा रहा है। 2.राष्ट्ीय िॉडबड नमिि :राष्ट्ीय िॉडबैंड नमिि देि भर में, नविेष रूप िे ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेि में, िॉडबैंड िेवाओों के नलये िाववभौनमक और िमाि पहुुँच क िुनवधाजिक बिाएर्ा।नमिि का उद्देश्य नडनजिल नवभाजि क दूर करिा, नडनजिल ििस्मक्तकरण एवों िमावेिि की िुनवधा िदाि करिा और िभी के नलये िॉडबैंड तक िस्ती एवों िाववभौनमक पहुुँच िुनिनित करिा है। 3.घर तक फाइबर य जिा :घर तक फाइबर य जिा नबहार के िभी 45,945 ग्राम क हाई स्पीड ऑनप्टकल फाइबर िे ज डिे का लक्ष्य रखता है।यजिा के तहत नबहार क िनत ग्राम कम िे कम पाुँच फाइबर िू द ह म किेक्शि और िनत ग्राम कम िे कम एक वाईफाई हॉिस्पॉि िदाि करिा है। यह य जिा नबहार में ई निक्षा, ई कृनष, िेली मेनडनिि, िेली लॉ जैिी नडनजिल िेवाओों और अन्य िामानजक िुरक्षा य जिाओों का िेतृत्व करेर्ी तथा राज्य के िभी निवानिय के नलये आिाि पहुुँच िुनिनित
नकये जािे
1.एोंिी डोंनपोंर् िुि:भारत
देि िे िस्ते फाइबर उत्पाद के आयात पर एोंिी डोंनपोंर् िुि अनधर नपत करिा चानहये। 2.उत्पादि िोंबद्ध ि त्साहि :ऑनप्टकल फाइबर के घरेलू नवनिमावण क बढ़ावा देिे के नलये िरकार क एक उत्पादि िोंबद्ध ि त्साहि य जिा िुरू करिे पर नवचार करिा चानहये, ज घरेलू इकाइय में निनमवत ऑनप्टकल फाइबर िे नबक्री में वृस्मद्ध पर कोंपनिय क ि त्साहि देिे पर लनक्षत ह । 3.ग्रामीण िहरी अोंतराल क दूर करिा:5 जी क अलर् अलर् बैंड स्पेक्टरम पर तैिात नकया जा िकता है और निम्न बैंड स्पेक्टरम पर रेंज काफी लोंबी ह ती है ज ग्रामीण क्षेि के नलये मददर्ार ह ती है। 4.िरकार की ओर िे िहायता:इिपुि पर िरकार का पूरा नियोंिण है। 5 जी के िमुख इिपुि में िे एक बैंड स्पेक्टरम है। स्पेक्टरम के नडज़ाइि का िबोंधि कर िरकार लर् द्वारा भुर्ताि नकये जािे वाले मूल् क नियोंनित कर िकती है। िरकार क दूरिोंचार कोंपनिय क ऐिे िेिवकव िुरू करिे में िहायता करिी चानहये ज ल र् के नलये वहिीय और िोंवहिीय ह । 5.उपभ क्ताओों के दृनष्ट्क ण िे व्यवहायव िौद्यनर्की: व्यापक 5 जी पररनिय
ह िा चानहये। डॉ दीपककोिली, िंयुक्तिसचव, उिरप्रदेश िसचवालय,5/104, सवपुलखंड,गोमती नगरलखनऊ -226010( उिरप्रदेश) ---------------------------------------xx------------------------------------------------2.जैव सवसवधता का ह्राि जैव नवनवधता का नजि तरह िे ह्राि हुआ है उिका िनतकूल अिर मािव पर भी पडा है। उन् ोंिे नचोंता जताते हुए कहा है नक अर्र ईक निस्ट्म्स में इिी तरह अिोंतुलि की स्मस्थनत रही त पृथ्वी पर मािव िभ्यता का अोंत भयावह ह र्ा और अोंतररक्ष में उपग्रह कालनियाों बिाकर रहिे का ही नवकल्प बच जाएर्ा। नवलुप्त ह ती िजानतय िे मािव अस्मस्तत्व पर िोंकि र्हराता जा रहा है.

हज़ार

विस्पनतय

ज़्यादा

भी है। वैनिक स्तर

नवलुस्मप्त

है। िाल िे इि अिोंतुलि के िनत जार्रूकता लािे का क्रम चला आ रहा है। िायद इिीनलए िोंयुक्त राष्ट् महािभा द्वारा नवि वन्य जीव नदवि 3 माचव के अविर पर िाल 2022 की थीम पाररस्मस्थनतकी तोंि की बहाली के नलए िमुख िजानतय क बहाल करिा रखा र्या है। जीवजोंतुओों के लुप्त ह िे िे पाररस्मस्थनतकी तोंि में अिोंतुलि क नर्द्ध के उदाहरण िे िमझा जा िकता है। पहले बहुतायत में नर्द्ध पाए जाते थे। इन्ें िकृनत

द स्त कहकर पुकारा जाता था र्क् ोंनक

की कमी, िाकृनतक िोंिाधि का अनतिषण वैनिक िदूषण और जलवायु पररवतवि क नर्िाया है। डॉ. हेिरी िे िजानतय की नवलुस्मप्त का ज मुद्दा उठाया है वह महत्वपूणव है। हमें ि चिा ह र्ा नक इि िमस्या का िमाधाि मािव नवकाि का िकृनत के िाथ िोंतुलि स्थानपत कर निकाला जा िकता है

तरीके िे।

वैज्ञानिक 72 जुलाई-सितंबर- 2022 नवि नवख्यात जिवल िेचर के जीव नवज्ञाि नवभार् के वररष्ठ िोंपादक डॉ. हेिरी जी िे नवलुप्तिाय िजानतय के मुद्दे क हाल ही में पुि उठाया है। उन् ोंिे यह दावा नकया है नक दुनिया भर में 5400 स्तिधारी िजानतय में िे लर्भर् 1000 िजानतयाों नवलुस्मप्त की कर्ार पर आ र्ई हैं। र्ेंडा बोंदर और हाथी जैिे जीव िबिे तेज़ी िे लुप्त ह िे वाली िजानत बििे की ओर बढ़ रहे हैं। पयाववरण के ईक निस्ट्म्स में आ रहे इि भयािक अिोंतुलि क पहली बार िहीों रेखाोंनकत नकया र्या
का
इिका भ जि मरे हुए पिु पनक्षय का माोंि ह ता है। यहाों तक नक ये जािवर की 90 िनतित हनिय तक क हजम करिे की क्षमता रखते हैं। नकोंतु अब ये लुप्तिाय िजानत की श्रेणी में आ र्ए हैं और आज इिके िोंरक्षण के नलए नविेष ियाि करिे की ज़रूरत आि पडी है। यही हाल िाकृनतक
का
पर तीि
िे भी
विस्पनतयाों
की श्रेणी में आ चुकी हैं। भारत में पौध की लर्भर् पैंतालीि हज़ार िजानतयाों पाई जाती हैं नजिमें िे लर्भर् 1300 िे ज़्यादा नवलुप्तिाय हैं। वैनिक ियाि के िाथ भारत िे जैव नवनवधता के िोंरक्षण में िनतबद्धता दिावई है। इि िमय भारत में िात िाकृनतक नवि धर हर स्थल 18 बाय स्फीयर ररज़वव और 49 रामिर स्थल हैं जहाों नवि स्तर पर लुप्त ह रही िजानतय का ि निफव िोंरक्षण ह रहा है बस्मि उिकी िोंख्या में वृस्मद्ध भी दजव की र्ई है।िोंयुक्त राष्ट् िे जैव नवनवधता के िष्ट् ह िे के महत्वपूणव कारण में िहरीकरण िाकृनतक आवाि
या नकिी और
मनीषश्रीवास्तव आइिेक्ट, सवद्यानगर, भोपाल, मप्र xx 3.शरीरकीरक्षाकरतीिै प्रसतरक्षाप्रणाली िनतरक्षा िणाली, िोंक्रमण िे िरीर की रक्षा करती है। नविेष कनिकाओों, ऊतक और अोंर् का एक िेिवकव ज िरीर क "िुकिाि पहुोंचािे वाल " कीएक नकि या र र्ाणुओोंिे बचािे के नलए एक िाथ काम करता है। इि रर्ाणुओों या कीिाणुओों में जीवाणु, परजीवी, नवषाणु और फफूोंदी िानमल हैं। ज़्यादातर मामल में, िरीर हानिकारक हमल िे खुद का बचाव कर िकता है। कुछ ल र् की िनतरक्षा िणाली इतिी कमज़र हती है नकर र्ाणुओोंिे भीिहीोंलडिकती।िनतरक्षािणालीमें रक्षा की पहली पोंस्मक्त एक ऐिी ढाल है ज र र्ाणुओों क िरीर में िवेि करिे िे र कती है। त्वचा िरीर का मुख्य कवच है ज हमले के स्मखलाफ़ एक िारीररक बाधा के रूप में काम करती है। ििि तोंि और पाचि (श्लेष्मा नझल्ली) की ऊपरी परतें भी हानिकारक र र्ाणुओों क अोंदर आिे िे र कती हैं।िफेद रक्त कनिकाएों , नजन्ें न्यूिर नफ़ल कहा जाता है, िरीर की पहरेदारी करती हैं। िाथ ही, बीमारी का कारण बििे वाले कीिाणुओोंया र र्ाणुओों क देखिे और िष्ट् करिे के नलए खूि और लनिका

कई

इलाज, िोंक्रमण

निकाओों की िोंख्या क कम कर िकता है।रेनडएिि और कुछ दवाइयाों िनहत कैंिर का इलाज, त्वचा या नझल्ली क कमज़ र कर िकते हैं ज मुोंहऔरपाचितोंिक िभानवतकरते हैं।नचनकत्सा िनक्रयाएों और उपकरण जैिे नक िली, ऐिी जर्ह बिा देते हैं जहाों िेर र्ाणुिरीरमें िवेिकरिकतेहैं।

िोंख्या क मापिे का परीक्षण है। िफेद रक्त कनिकाओों की कम िोंख्या नकिी व्यस्मक्त के नलए िोंक्रमण का ज स्मखम बढ़ा देती हैं। यह उदाहरण एक लडके के लनिका तोंि के िामाोंनकत अोंर् क दिावता है: र्दवि की र्ाुँठ, लनिका वानहकाएों , बर्ल में र्ाुँठ, ऊिोंधी िोंबोंनधत र्ाोंठ, नतल्ली/प्लीहा, बाल्ग्रस्मन्थ और िॉस्मन्सल। लनिका तोंि र्ाुँठ, ग्रोंनथय और वानहकाओों का एक जाल हता है ज िोंक्रमण िे लडिे के नलए पूरे िरीरमें िफेदरक्तकनिकाओोंक भेजताहै। रेंगनेकीसक्रयाकरते जीवाश्म: कुछजीवाश्मस्थलअक्सरखर च औरऐिेनििाि िेभरे हते हैं ज िोंभवत: नकिी चलते नफरते जीव द्वारा छडे र्ए हते हैं।

नििाि

बिािे

वैज्ञानिक 73 जुलाई-सितंबर- 2022 तोंि के माध्यम िे पूरे िरीर में घूमती हैं। अर्र एक र र्जिक हमलावर ढाल क पार कर जाता है, त र्क्ा हता है? िरीर, रक्षा की अर्ली पोंस्मक्त के िाथ िनतनक्रया करता है। िनतरक्षा िणाली की नविेष कनिकाएों , िरीर की पहरेदारी करती हैं। िाथ ही, रर्ाणुओों क देखिे और िष्ट् करिे के नलए खूि और लनिका तोंि के माध्यम िे पूरे िरीर में घूमती हैं।एक बाहरी आक्रमणकारी ज िनतरक्षा िणाली में िनतनक्रया का कारण बिता है उिे एोंिीजि कहा जाता है। कुछ िनतरक्षा कनिकाएों नकिी भी आक्रमणकारी र र्जिक पर हमला करिे के नलए कायव करती हैं। अन्य कनिकाएों नवनिष्ट् र र्जिक क पहचाििे और याद रखिे के नलए िनिनक्षत हती हैं। िनतरक्षा िणाली एोंिीबॉडी का उत्पादि करती है ज नवनिष्ट् एोंिीजि क र कती हैं, तानक वे िष्ट् ह िकें। इि तरह िे यह नविेष बीमाररय िे बचािे के नलए िनतरक्षा िणाली या िीकाकरण काम करता है।कुछ र नर्य क हवा के र र्ाणु या धूल और बीजाणुओों िे बचिे के नलए नविेष मास्क पहििे की आवश्यकता ह िकती है।ऐिे कई तरीके हैं नजििे कैं िर, रर् िनतर धक िस्मक्त क कम कर िकता है:कैंिर या कैंिर का
िेलडिे के नलएउपलििनतरक्षाक
कारण िे कमज़ र िनतरक्षा िणाली वाले कैंिर र नर्य के नलए िोंक्रमण बहुत खतरिाक ह िकता है।िोंक्रमण के लक्षण क पहचाििा मुस्मिल ह िकता है। िोंक्रमण के िामान्य िोंकेत में लानलमा, िूजि, ददव और बुखारिानमलहैं। कम रर् िनतर धक िस्मक्त वाले र नर्य में, िोंक्रमण का एकमाि लक्षण बुखारह िकताहै।ह िकताहै, िोंक्रमणहिे परिरीरजल्दी िनतनक्रयािदे।इििे बीमारीलोंबे िमयतकबिीरहिकतीहै र्क् ोंनक िनतरक्षा िणाली भी काम िहीों करती है।कभी कभी, िोंक्रमण जल्दी िे फैल िकता है र्क् ोंनक िोंक्रमण िे लडिे के नलए पयावप्त िफेद रक्त कनिकाएों िहीों हती हैं। कमज र िनतरक्षािणालीवाले ल र् क िोंक्रमणके नकिीभीिोंकेत पर नचनकत्सा देखभाल लेिी चानहए।िफेद रक्त कनिकाएों (ल्ूकिाइि्ि) िनतरक्षा िणाली की िबिे महत्वपूणव कनिकाओों में िे एक हैं। िफेद रक्त कनिकाएों ब ि मैर (हिीके अोंदरजहाों खूिबिताहै) में बितीहैं, औरवे पूरे िरीर में लनिका तोंि के माध्यम िे घूमती हैं। उिका मुख्य कायव िोंक्रमण और बीमारी िे लडिा है। िफेद रक्त कनिका की र्णिा (डब्बलयूबीिी) नकिी र र्ी के खूि में िफेद रक्त कनिकाओों की
इि
के स्र त की पुनष्ट् िहीोंह पाती र्क् ोंनक उन्ें
वाले जीव अब पाए िहीोंजाते हैं।लेनकि हाल ही में वैज्ञानिक िे एकअपवादख जनिकालाहै।एकजीवाश्मकापतालर्ायाहै ज रेंर्िे की नक्रया करते अश्मीभूत हुआ है। यह चट्टाि लर्भर् 56 करड वषव पुरािी चट्टाि है यािी लर्भर् उतिी ही पुरािी नजतिे नक जोंतु हैं। यह छ िे छ िे अिेक पैर वाला एक चपिा िा खोंनडत िरीर वाला जीव है ज काफी कुछ आधुनिक किखजूरे जैिानदखताहै लेनकिइिकािरीरिमव मालूमहता है। इि जीवाश्म के पीछे की चट्टाि में एक लम्बी खाोंचेदार नकिार की लकीर िी नदखाई देती है। िधकतावओों िे इिे नयनलोंनर्या स्पाइिीफॉनमवि िाम नदया है। र्ौरतलब है नक नयनलोंनर्या िाम याोंर्ेज़ िदी घािी के िाम िे नलया र्या है जहाों यह जीवाश्म पाया र्या, और स्पाइिीफॉनमवि िाम जीव के काोंिेदार िरीर के कारण नदया र्या है। इिके ित्येक खोंड में तीिभार्हैं, एकबडाकेंद्रीयभार्नजिके द ि ओरछ िे छ िे पीछे कीओरमुडे हुएभार्जुडे हुएहैं।वहाों नमले 35 नयनलोंनर्या

देखिे और अध्ययि करिे का मौका ज़रूर नमल र्या। यह िय र् ज़ीिॉि िहय र् है। इिमें एक बड िी िोंकी में 3200 नकलग्राम ज़ीिॉि र्ैि भरी है। ज़ीिॉि एक अनक्रय र्ैि है और नवनकरण िे िुरनक्षत है। इिनलए ऐिा मािा जाता है नक यनद िाहृाोंड में कण की क ई अत्योंत दुलवभ अोंतनक्रवया हुई त ज़ीिॉि की इि िोंकी में उिे कैद करिा और उिका अध्ययि करिा िबिे बनढ़या

करे त भी पता िहीों चलता।बहरहाल, नवखोंडि की इि िनक्रया में ऊजाव मुक्त ह ती है ज एक्स रे के रूप में निकलती है। ज़ीिॉि िहयर् के दल िे इिी एक्स रे के आधार पर पता लर्ाया है नक ज़ीिॉि की िोंकी में यह दुलवभ नवखोंडि हुआ है। इिकी मदद िे उन् ोंिे इि नक्रया के िमय का मापि भी नकया है। इिके आधार पर वे ज़ीिॉि 124 की अधव आयु निकालिे में िफल रहे हैं। यह ियर् द्वारा निकाली र्ई िबिे लोंबी अधव आयु है। वैिे इििे अनधक अधव आयु िेलुररयम

वैज्ञानिक 74 जुलाई-सितंबर- 2022 िमूि में िबिे लम्बा 27 िेंिीमीिर लम्बा था ज एक वयस्क मािव पैर की लोंबाई के बराबर है। िेचर में िकानित ररप िव के अिुिार जीवाश्म की िारीररक रचिा और उिके पदनचन् के आधार पर, इि जर्ह पाए र्ए अन्य पदनचन् भी इिी तरह की ज डवाली िाोंर् वाले जीव द्वारा बिाए र्ए ह ोंर्े। यह नविेषता िुरुआती नवकनित हते जीव िे मेल िहीों खाती और उिके नहिाबिे काफीआर्े कीहै।ज डदारपैर वाले अनधकाोंिजोंतु त इिके 15 करड िाल बाद तक नवकनित िहीों हुए थे। वैज्ञानिक का मत है नक इि खोंड का नवकाि जीव क चलिे नफरिे में मददकरताथा।इििनक्रयाके पररणामस्वरूपजीव के नवनवधीकरण में मदद नमली। वास्तव में, ि धकतावओों क लर्ता है नक यह जीवाश्म नबिा खोंड वाले जीव (जैिे िाधारण कृनम) और ज डवाली िाोंर् वाले जीव (जैिे कीडे और झीोंर्ा मछनलय ) के बीचकीलापताकडीह िकताहै। डाकत मैटर की खोज: इिली के एक पववत के अोंदर बैठकर वैज्ञानिक का एक दल डाकव मैिर की ख ज में जुिा है। उन्ें अभी तक डाकव मैिर यािी अदृश्य पदाथव के ‘दिवि’ त िहीोंहुए हैं लेनकि एक दुलवभ नकि के परमाणु नवखोंडि की िनक्रया क
ढोंर् िे ह िकेर्ा।अलबत्ता, ऐिी क ई अोंतनक्रवया त देखी िहीों र्ई है ज अदृश्य पदाथव का िुरार् दे िके लेनकि ज़ीिॉि के परमाणु का नवखोंडि ज़रूर देख नलया र्या है ज अपिे आप में एक दुलवभ घििा है। इि घििा की दुलवभता क िमझिे के नलए यह आोंकडा पयावप्त ह र्ा नक ज़ीिॉि 124 की अधव आयु 1.8×1022 वषव है। यह िाहृाोंड की वतवमाि उम्र िे लर्भर् 1 खरब र्ुिा है। अधव आयु का मतलब ह ता है नक नकिी पदाथव के नजतिे परमाणु हैं उिमें िे आधे के नवखोंडि में लर्िे वाला िमय। ज़ीिॉि का परमाणु भार 124 है और इिके केंद्रक में 54 ि िॉि ह ते हैं। इिके परमाणु का नवखोंडि ह ता है त एक अन्य तत्व िेलुररयम 124 बिता है। यह नवखोंडि िामान्य नवखोंडि िहीोंहै बस्मि थ डा अिाधारण है। ज़ीिॉि 124 के नवखोंडि में ह ता यह है नक उिके केंद्रक के इदव नर्दव घूम रहे 54 इलेक्टरॉि में िे 2 केंद्रक में िवेि कर जाते हैं। केंद्रक में पहुोंचकर ये द ि एक एक ि िॉि िे जुडकर उन्ें न्यूिरॉि में बदल देते हैं। इि िनक्रया में न्यूनिरि िामक कण मुक्त ह ते हैं। न्यूनिरि एक रहस्यमय कण है नजि पर क ई आवेि िहीों ह ता और नजिका द्रव्यमाि भी िर्ण्य ह ता है। इिनलए यह कण अन्य कण िे क ई अोंतनक्रवया
128 की है नकोंतु उिे िय र् द्वारा िहीोंनिकाला र्या है बस्मि उिकी र्णिा ही की र्ई है। सवजयलक्ष्मीसगरर वाघोली,पुणे (शैसक्षक उद्देश्य के सलएअसधकांशतस्वीरें गूगल िे जनसित में ली गई िै मुख्य व्यवस्थापक वैज्ञासनक)
वैज्ञानिक 75 जुलाई सितंबर 2022 तहोंदीतवज्ञानसातहत्यपररषद् (मुम्बई) तहोंदीनवज्ञािकीअस्मखलभारतीयस्तरपरएकिीषविोंस्थाि (पोंजीकृिसोंख्या: BOM/64/70/G.B.B.S. F 2005) पिाचारकापता: 16 िी. कोंचिजोंर्ा. अणुिस्मक्तिर्र. मुोंबई 400094 फ ििोंबर 022 255592205. Mob. 9869306364. email id: hvsp1968@rediffmail.com/hvsp.india1968@yahoo.com नईकायतकाररणीिसमसत(2022-24) अध्यक्ष श्रीमती म्भस्मता मनोिर, सनदेशक, एनआरजी, बीएआरिी उपाध्यक्ष डॉराकेशकुमार बाजपेयी सतचव श्रीित्यप्रभातप्रभाकर सहसतचव श्रीराजेशकुमार क षाध्यक्ष श्रीकृष्णकुमारवमात िंयुक्तकोषाध्यक्ष श्रीबी.एन.समश्र पदेनिदस्य (मुख्यसोंपादक, वैज्ञातनक) श्रीराजेशकुमारतमश्र िदस्य श्रीप्रकाशकश्यप िदस्य श्री असमतसटकाररया िदस्य श्री िंजयगोस्वामी िदस्य श्रीराजेशकुमारिचान िदस्य श्रीशेरसिंिमीना िदस्य श्रीडीएिराजापुरे िदस्य श्रीसनसतनवीचौगुले िदस्य श्रीके डी गुप्ता
वैज्ञानिक 76 जुलाई-सितंबर- 2022 नवज्ञािकनवता अधतचालककायुग िंजयगोस्वामी यमुनाजी 13, अणुशम्भक्तनगर, मुंबई 94

हुआ

की तरह ज्ञािवद्धवक लेख

अोंक में िई कायविनमनत बििे की िूचिा दी र्ई है, उम्मीद

नवज्ञाि िोंचार का कायव नबिा नवराम के

श्रीवास्तव, भ पाल, मि नवज्ञाि िोंबोंनधत पनिका

का अिैल जूि 2022 vad vkd"kZd vkSj ubZ lkexzh ls laiUu gSAif=dk dk doj csgn vkd"kZd gSA lHkh ys[k csgn iBuh; vkSj tkudkjhijd gSA foKku laca/kh ys[k ç'kalk ds ;ksX; gSA ftls i<+dj eu

वैज्ञानिक 77 जुलाई-सितंबर- 2022 मि र्त िवीितम व ज्ञािवधवक अोंक वैज्ञासनकअप्रैलजून -2022 के अंकमेंप्रकासशतिभीलेख/कसवतावास्तव मेंबहुतिीज्ञानवधतकऔरउत्कृष्ट्िैं।वैज्ञासनकके एकशानदारअंकके सलए वास्तवमेंआपको धन्यबाद व बधाई। डॉदीपककोिली, लखनऊ वैज्ञासनक अंक समली खुशी हुई आपकीपनिकावैज्ञानिकअिैल जूि 2022 अोंक नमलीबहुतहीर चक, जािकारी युक्तआलेख, आनिवकलपढ़े. बहुतखुिीहुई| िादर! िरीफखाि, क िा सवज्ञान िे पररपूणत पनिकामेंिारे लेखअत्योंतर चकवनवज्ञािकीनवनभन्नजािकारी िे पररपूणव है िूफभीकाफ़ीअच्छाहै. पनिकाके महत्वपूणव अोंक क निरन्तरताबिाये रखें डॉवेंकिेिभारद्वाज काफ़ी अच्छी है वैज्ञानिक पनिका वैज्ञानिक अिैलजूि 2022 काअोंक पढ़िेक नमलीकाफी अच्छालर्ापनिकाआजहीनमलीकाफीर चकतर्थ्वनवज्ञाि िोंबोंनधतपनिकाहैिारे लेखअच्छे हैंऔरकलेवरभीअच्छालर्ा /kU;okn! डाराजीवरोंजि,फैजाबाद िेरणादायक अोंक वैज्ञानिकपनिकाके अिैलजूि 2022 अोंकमेंलर्भर्िभीलेख पढ़े।लेखअत्योंतउच्चस्तरीय, िराहिीयतथािारर्नभवतहैं। िुभकामिाएों िनहत! डॉिर जिुक्ला नवज्ञाि की नवनभन्न जािकारी वैज्ञानिक पनिका का अिैल जूि 2022 अोंक व नवज्ञाि की नवनभन्न जािकारी िे पररपूणव है आपकी पनिका जिमािि में नवज्ञाि के िनत जार्रूक पैदाकरिे का अि खाियािनिरोंतरजारी है ।इि हेतु आभार व्यक्त करता हों व ज्ञाि के नवकाि के नलए आपके ियाि िराहिीयतथािारर्नभवतहै। िुभकामिाएों िनहत! श्रीउत्तमनिोंहर्हरवार,रायपुर उच्च स्तरीय पसत्रका यि तो बहुतअच्छी पसत्रका िै। इिपसत्रका का कंटेंट उच्च स्तरीयिै। बधाई! कुाँवरराजआस्थाना नवज्ञाि के िनत जार्रूक करती पनिका वैज्ञानिकपनिकाकाअिैलजूि 2022 अोंक ज्ञािवद्धवक तर्थ्व नवज्ञाििोंबोंनधत िारे लेखअच्छे हैं पनिका नवज्ञािके िनत जार्रूक करती है। िुभकामिािनहत! डॉनदिेिकुमार, किा आपकीपसत्रकावैज्ञासनकअप्रैल जून 2022 अंक समला पढा , अच्छा लगा । धन्यबाद , आभारी हूाँ िेमचोंद श्रीवास्तव ज्ञािवद्धवक अोंक वैज्ञानिक का िया अोंक,अिैलजूि 2022 िाप्त ह र्या है। पुस्तक िमीक्षा और आलेख िकािि के नलये धन्यवाद। इि अोंक में हमेिा
का िकािि
है।
है अब पनिका निरोंतर िकानित ह ते हुए
करती रहेर्ी। धन्यवाद! मिीष
वैज्ञानिक
foKku ls gf"kZr gks x;k vDlj vPNs foKku ys[kd foKku ds ckjs esa cgqr dqN fy[k ldrs gSaA if=dk ds ek/;e ls fganh esa foKku ds çfr vfHk:fp iSnk djus dk dk;Z fd;k tk jgk gS tks cgqr ljkguh; dk;Z gSA laikndh; dh iwjh Vhe dks esjh vksj ls gkfnZd 'kqHkdkeuk,aA आिीषििाद , पििा वैज्ञानिक जािकारी िे पररपूणव 'वैज्ञानिक' काअिैलजूि 2022 का e कॉपीअोंक पढ़ाइिअोंकमेंिभीलेख वैज्ञानिकजािकारीिे पररपूणव है. पनिकाजिमाििमेंनवज्ञािके िनतजार्रूक पैदा कर नवज्ञाि िोंचार का अि खा काम कर रही है िभी बधाई के पाि है िई कायविनमनत बि र्ई है ज कर िा िे चुिाव पर र क था अब िई िनमनत अच्छा काम करेर्ी िुभकामिािनहत! उमेशकुमार सिंि,एनआरबी, मुंबई

निक्षकनदविमिायार्या इि अविर पर मुख्य अनतनथ डॉ र्ेिािेह अलेमु कैिलॉनर्ोंर् और मेिाडेिा लाइिेररयि िॉलेंि यूनिवनिविी नजन्े पुस्तकालय में बीि वषों िे अनधक के अिुभव व अतरराष्ट्ीय ख्यानत लाइिेररयि के रूप में जािे जाते हैं ज कैिलॉनर्ोंर् और मेिाडेिा के नवषय पर काफी व्याखाि दे चुके हैं उन् ोंिे मेिाडेिाके बारे में लाइिेरीिाइोंिमें एकिई नवषय पर व्याख्याि नदया अत्याधुनिक मेिाडेिा मािक के बारे में बताया और कैिे मेिाडेिा नकिी नडनजिल दस्तावेज़ की िुरक्षा , पहचाि और िामानणकता िुनिनित

िोंग्रह में रख िकता है। यह इलेक्टरॉनिक िोंिाधि क व्यवस्मस्थत करिे, नडनजिल पहचाि िदाि करिे और िोंिाधि क िोंग्रनहत करिे और िोंरनक्षत करिे में भी मदद करता है।डॉ िबी हिि, मेिाडािा एक्सपिव िमुख केंद्रीय पुस्तकालय,िे बताया नक पुस्तकालय कैिलॉर् में मेिाडेिा का उपयर् करते हैं , ज आमतौर पर एक एकीकृत पुस्तकालय िबोंधि िणाली के नहस्े के रूप में ह ता है । है।डॉ िबी हिि िे इि कायवक्रम की अध्यक्षता की व मेिा डािा पर अपिे नवचार िस्तुत नकए िुश्री वनिता खािचोंदािी िहायक पुस्तकालयाध्यक्ष, िेंिरल लाइिेरी आई आई िी, नदल्ली िे िह अध्यक्षता की, व मेिा डािा के बारे में जािकारी िदाि कर िुचिा नवज्ञाि व लाइिेरी िाइोंि के फीर्ल् में िई जािकारी िदाि की लाइिेरी िाइोंि िे िम्बोंनधत देि के नवख्यात लाइिेरी िे जुडे लाइिेररयि, निक्षक, निक्षानवद, नवद्याथी व िुचिा नवज्ञाि िे िम्बोंनधत

वैज्ञानिक 78 जुलाई-सितंबर- 2022 सवसवध आईआईटी, सदल्लीद्वारा सशक्षकसदवि(05/09/22) का िफलआयोजन िेंिरल लाइिेरी आईआईिी, नदल्ली द्वारा 5 नितोंबर 22 क अस्मखल भारतीय स्तर पर ऑिलाइि पुस्तक पररचचाव(पररिोंवाद) के माध्यमिे
करिे में मदद करता है।इि कायवक्रम में श्री िोंजय र् स्वामी, मुोंबई िे पुस्तकालय में मेिाडेिा के िॉफ्टवेयर नवकाि पर अपिे नवचारिकिनकए२१वीोंिदीमें, मेिाडेिाआमतौरपर नडनजिल रूप क िोंदनभवत करता है, लेनकि पारोंपररक काडव कैिलॉर् में मेिाडेिा हता है, नजिमें एक पुस्तकालय (लेखक, िीषवक, नवषय, आनद) में पुस्तक के बारे में जािकारी रखिे वाले काडव ह ते हैं।यह उपय र्कतावओों क िािोंनर्क जािकारी ख जिे और िोंिाधि की खज करिे में मदद करता है।नडनजिल और एिालॉर् द ि स्वरूप में पुस्तकालय में वस्तुओों क िूचीबद्ध करिे के िाधि के रूप में मेिाडेिा का नवनभन्न तरीक िे उपय र् नकया र्या है। इि तरह के डेिा एक नविेष पुस्तक, डीवीडी, पनिका या नकिी भी वस्तु क वर्ीकृत करिे, एकि करिे, पहचाििे और ख जिे में मदद करते हैं ज एक पुस्तकालय अपिे
नवज्ञािी व ि धाथी िे भार् नलया कायवक्रम के िफल आय जि हेतु िेंिरल लाइिेरी, आई आई िी, नदल्ली के िमुख बधाईके पािहैं ज निक्षकनदविके अविरपरपुस्तकालय के बढ़ते उपय र् क एक िई र्नत िदाि नकया र्या व डॉ िववपल्ली राधाकृष्णि क याद नकया र्या, भारतीय इनतहाि में राधाकृष्णि भारत के पहले उपराष्ट्पनत और दूिरे राष्ट्पनत के तौर पर डॉ िववपल्ली राधाकृष्णि का िाम आता है है. वे दिवििास्त्र का भी बहुत ज्ञाि रखते थे. राधाकृष्णि कुिलनिक्षकभीथे, 5 नितोंबरक डॉिववपल्लीराधाकृष्णि का जन्म हुआ था और यही वजह है, उन्ीोंके िम्माि में इि नदिक 'निक्षकनदवि' के रूपमेंमिायाजाताहै। िोंजयर्स्वामी
वैज्ञानिक (त्रैमानिक) RNI. No.:18862/70 निल्ली, ियीनिल्ली, महाराष्ट्, नहमाचल प्रिेश, राजस्थाि व उप्र के नशक्षा नवभाग द्वारा स्कूल व कॉलेज के नलए स्वीकृत। वैज्ञानिक’ में लेखक द्वारा व्यक्त नवचार िे िोंपािि मोंडल का िहमत हिा आवश्यक िहीोंहै वैज्ञानिक में प्रकानशत िमस्त िामग्री के िवाानिकार नहों.नव.िा.पररषि के पाि िुरनक्षत हैं. ‘वैज्ञानिक’ एवों नहों.नव.िा.पररषि िे िोंबोंनित िभी नववाि का निर्ाय मुोंबई के न्यायालय में ही हगा. ‘वैज्ञानिक’ में प्रकानशत िामग्री का आप नबिा अिुमनत नलए उपयग करिकतेहैं. परोंतुइिबातकाउल्लेखकरिा अनिवायाहगानकअमुक िामग्री ‘वैज्ञानिक’ िेिाभार हिंदीहिज्ञानसाहत्यपरिषद ्, मिंबईके हिएमख्यसिंपादकश्रीिाजेशकमािहमश्रद्वािासम्पाहदत , मख्य व्यिस्थापक: श्रीसिंजयगोस्वामीद्वािाप्रकाहशत . मद्रण-ऑनिाइन

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