Maithili - Obadiah

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ओबदिया अध्याय 1 1 ओबदियाक िर्शन। परमेर् ् वर परमेर् ् वर एिोमक ववषय मे ई कहै त छथि। हम सभ परमेर् ् वरक दिस सँ एकटा अफवाह सन ु लहुँ आ गैर-जाततक बीच एकटा राजित ु ध मे उदठ जाउ।” ू पठाओल गेल अतछ जे, “उठू आ हम सभ ओकरा सँ यद् 2 िे खू, हम अहाँ केँ जातत-जातत मे छोट कऽ िे लहुँ।

3 हे चट्टानक िरार मे रहतनहार, जकर तनवास ऊँच अतछ, अहाँक हृियक घमंड अहाँ केँ धोखा िे लक। जे मोन मे कहै त अतछ जे, “हमरा के जमीन पर उतारत?”

4 जँ अहाँ गरुड़ जकाँ अपना केँ ऊपर उठबैत छी आ तारा सभक बीच अपन खोंता राखब, मि ु ा हम अहाँ केँ ओतदह सँ उतारब, परमेर् ् वर कहै त छथि।

5 जँ चोर अहाँक लग आबब गेल रहै त, जँ रातत मे डकैत अतछ, त’ की ओ सभ चोरी नदह क’ सकैत छल जाबत धरर ओकरा सभक भरमार नदह भ’ जाइत? जँ अंगूर बटोरतनहार सभ अहाँ लग आबब गेल तँ की ओ सभ ककछु अंगूर नदह छोडड़ िे त? 6 एसावक बात कोना खोजल जाइत अतछ! ओकर नक ु ायल चीज कोना खोजल जाइत छै क!

7 तोहर संघक सभ लोक तोरा सीमा धरर पहुँचा िे लक। तोहर रोटी खायबला सभ तोहर नीचाँ घाव लगा िे ने अतछ।

8 परमेर् ् वर कहै त छथि जे, की हम ओदह दिन एिोम सँ बुद्थधमान आ एसावक पहाड़ सँ बुद्थधमान लोकतन केँ नदह नष्ट कऽ िे ब?

9 हे तेमान, तोहर पराक्रमी सभ एतेक त्रस्त भऽ जेताह जे एसावक पहाड़ पर एक-एक गोटे वधक कारणेँ नष्ट भऽ जाएत। 10 ककएक तँ अहाँक भाय याकूब पर अहाँक दहंसा अहाँ केँ लज्जजत कऽ िे त आ अहाँ सिाक लेल कटै त रहब।

11 जादह दिन अहाँ िोसर कात ठाढ़ छलहुँ, जादह दिन परिे र्ी सभ हुनकर सेना केँ बंिी बना कऽ लऽ गेल छल आ परिे र्ी सभ हुनकर फाटक मे घुसस कऽ यरूर्लेम पर थचट्ठी खसौलतन, तखन अहाँ हुनका सभ मे सँ एक जकाँ छलहुँ।

12 मि ु ा जादह दिन भाय परिे र्ी भेल छल, तादह दिन अहाँ केँ नदह िे खबाक चाही छल। आ ने तोरा यहूिाक संतान सभक ववनार्क दिन पर आनज्दित होयब। आ ने अहाँ ववपविक दिन गवश सँ बाज्जतहुँ।

13 हमरा लोकक ववपविक दिन अहाँ केँ फाटक मे नदह प्रवेर् करबाक चाही छल। हँ, अहाँ केँ हुनका सभक ववपविक दिन हुनका सभक िुःु ख केँ नदह िे खबाक चाही छल, आ ने हुनका सभक ववपविक दिन हुनका सभक सम्पवि पर हाि राखबाक चाही छल;

14 आ ने अहाँ केँ चौराहा पर ठाढ़ भऽ कऽ हुनकर बचल लोक सभ केँ कादट िे बऽ नदह चाही छल। आ ने ओकर जे सभ ववपवि मे रदह गेल छल, ओकरा सभ केँ नदह सौंपबाक चाही।

15 ककएक तँ परमेर् ् वरक दिन समस्त जातत पर लग आबब गेल अतछ।

16 जदहना अहाँ सभ हमर पववत्र पहाड़ पर पीने छी, तदहना सभ जातत सभ तनरं तर पीबब रहल अतछ, हँ, ओ सभ पीत आ तनगलत, आ ओ सभ जेना नदह छल।

17 मुिा ससयोन पहाड़ पर उद्धार होयत आ पववत्रता होयत। याकूबक वंर्ज अपन सम ् पवि पर कब्जा कऽ लेत।”

18 याकूबक घर आथग, यूसफ ु क घर लौ आ एसावक घर कूड़ा-करकट बतन जायत, आ ओ सभ ओकरा सभ मे जरर कऽ भस्म कऽ िे त। एसावक घराना मे सँ ककयो बचल नदह रहत। ककएक तँ परमेर् ् वर ई बात कहने छथि।

19 िक्षिण दिसक लोक सभ एसावक पहाड़ पर कब्जा कऽ लेताह। मैिानक लोक सभ पसलस्ती सभ, एप्रैम आ सामररयाक खेत सभ पर कब्जा कऽ लेताह।

20 इस्राएलक एदह सेना सभक बंिी मे कनानक सेना, सरफात धरर पहुँथच जायत। आ यरूर्लेम जे सफराि मे बंिी मे राखल गेल अतछ, िक्षिण दिसक नगर सभ पर कब्जा कऽ लेत।

21 उद्धारकताश सभ ससयोन पहाड़ पर चदढ़ कऽ एसावक पहाड़ पर दयाय करथि। आ राजय परमेर् ् वरक होयत।


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