The Book of Prophet Habakkuk-Bhojpuri

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हबक्क ्

्े

नाम

से

15 ऊ सब ्े ्ोण से उठा ्े अपना जाल मे प्ड ्े अपना घसीहत बहोर लेले, एही से उ लोग खरश हो्े खरश होखेले। 16 एही से उ लोग अपना जाल मे बवल िढावेले अवररी अपना घसीहत

जानल जाला

धकप जरावेले। ्ाहे क् ओह लोग ्े वहयसा मोह बा आ ओह लोग ्े मांस

अध्ा् 1 ्े बा

छोवडहे?

1 जवन बोझ हबक्क ् भववष्ववा देखले रहले।

अध्ा् 2 ्े बा

2 हे पभर, हम ्ब त् विलला​ाब आ तक ना सरनबऽ! ाहाँ त् क् तोहरा से हहंसा ्े विललाहह, त तक बिाव ना ्रब! 3 तक हमरा पर अधम् ्ाहे देखावत बाडऽ आ हमरा ्े दरख देखावत बाडऽ? ्ाहे क् हमरा सोझा लकहपाह आ हहंसा बा, आ झगडा आ वववाद पैदा ्रे वाला लोग बा। 4 एह से ववयवा ढील हो गाल बा आ न्ा् ्बो ना होला, ्ाहे क् दरष धम् ्े िारो ओर घकमेला। एह से गलत फै सला िलेला। 5 तक लोग गैर-्हदी लोग ्े बीि मे देखऽ, देखऽ आ आश्​्िक्त हो्े देखऽ, ्ाहेक् हम तोहनी ्े कदन मे एगो ्ाम ्रब, जवना पर तोहनी ्े ववशास ना होखब, भले ही तोहनी ्े ई बात बतावल जाव। 6 हम ्लदी्न ्े , ऊ ्ड़आ आ जलदबाजी वाला राष ्े उठावत बानी, जवन देश ्े िौडाई मे िल ्े ओह वनवासयवानन पर ्बजा ्री, जवन ओह लोग ्े ना ह। 7 ऊ भ्ान् आ भ्ावह हवे, उन्र न्ा् आ म्ा्दा अपने से वन्ली। 8 ओह लोग ्े घोडा तेदआ र से तेज होले आ साँझ ्े भेवड्ा से भी तेज होले आ उन्र घरडसवार लोग पसर जाई आ उन्र घरडसवार दकर से आ जाहे। खाए मे जलदबाजी ्रे वाला िील वन्र उड जाहे। 9 ऊ सब हहंसा खावतर अाहे, उन्र मरँह पकरब ्े हवा वन्र सरगाई ्रीहे आ बंदी लोग ्े बालक वन्र बहोर लीहे। 10 ऊ लोग राजा लोग ्े मजा् उडाई आ राज्र मार लोग ओह लोग ्े वतरय्ार ्री, हर गढ ्े मजा् उडाई। ्ाहे क् ऊ लोग धकल ्े ढेर लगा ्े ओ्रा ्े ले लीहे. 11 तब ओ्र मन बदल जाई आ ऊ ओवह पार से गरजर ्े आपन शवव ्े अपना देवता ्े मान ्े दोषी ठहराई। 12 हे हमार परमेस् वर, हमार पवबतर, ्ा तक अननत से नाखऽ? हमनी ्े ना मरब जा। हे पभर, तकँ ओह लोग ्े न्ा् खावतर वन्रव ्ाले बाडऽ। आ हे पराकमी भगवान, तकँ ओह लोग ्े सरधारे खावतर यवावपत ्ाले बाडऽ। 13 तक बरराई ्े देखे से भी शरद आँख वाला हउअ आ अधम् ्े नईखी देख स्त, जब दरष ओ्रा से ज्ादा धम् आदमी ्े खा जाला त तक ववशासघात ्रे वाला लोग ्े ्ाहे देखत बाडक आ आपन जीभ प्डले बाडक? 14 ्ा आदमी ्े समरंदर ्े मछरी आ रे गत मछरी वन्र बनावेला, जवना पर ्वनो राज ना होखे?

भरपकर बा. 17 ्ा उ लोग आपन जाल खाली ्र ्े राषन ्े मारे मे लगातार ना

1 हम अपना पहरा पर खडा हो्े बरज् पर बाठा ्े देखत रहब क् ऊ हमरा से ्ा ्हसर आ जब हमरा ्े डांहल जाई त हम ्ा जवाब देब। 2 तब परमेश् वर हमरा ्े जवाब कदहलन आ ्हलन क्, “दृवष वलख ्े पाही पर साफ ्र दी, ताक् ऊ पढे वाला दौड स्े ।” 3 ्ाहे क् दश्न अभी त् सम् खावतर बा, लेक्न अंत मे उ बोली, लेक्न झकठ ना बोली। ्ाहे क् ई जरर आई, ऊ देर ना ्री। 4 देखऽ, ओ्र आतमा जवन ऊपर उठल बा ऊ ओ्रा मे सीधा नाखे, लेक्न धम् अपना ववशास से हजंदा रही। 5 हँ, ्ाहे क् ऊ शराब से उललंघन ्रे ला, ऊ एगो घमंडी आदमी हवे, ना घर मे रहेला, जे आपन ाचछा ्े नर् वन्र बढा देला, आ मौत वन्र होला, आ तृप ना हो स्े ला, बलर् ओ्रा लगे सब राष ्े ए्टा ्रे ला, आ ओ्रा सब ्े ढेर ्रे ला लोग: 6 ्ा ई सब ओ्रा वखलाफ दृषांत आ ताना मारे वाला ्हावत ना ्ह ्े ्हसर क्, “हा् जे आपन ना होखे ओ्रा ्े बढावेला!” ्ब त् ्े बा? आ जे अपना पर मोह माही ्े बोझ डालत बा ओ्रा खावतर! 7 ्ा ऊ लोग अिान् ना उठी जे तोहरा ्े ्ाह लेव आ तोहरा ्े परे शान ्रे वाला जागल आ तक ओह लोग खावतर लकह ्े ्ाम ना होखऽ? 8 तक बहत जावत ्े लकहला ्े िलते लोग ्े सब बिे वाला लोग तोहरा ्े लकह ली। आदमी ्े खकन ्े िलते अवररी देश, शहर अवररी ओ्रा मे रहेवाला सभ ्े हहंसा ्े िलते। 9 वधकार बा क् जे अपना घर ्े बररा लालि ्े लालि ्रे ला, ताक् ऊ आपन घोसला ऊँि ्र स्े , ताक् ऊ बरराई ्े शवव से मरव हो स्े । 10 तक बहत लोग ्े ्ाह ्े अपना घर ्े लाज ्े बात ्ईले बाडक अवररी अपना जान ्े वखलाफ पाप ्ईले बाडक। 11 ्ाहेक् पतवर देवाल से वन्ली आ ल्डी ्े बीम ओ्रा ्े जवाब कदही। 12 वधकार बा क् जे खकन से शहर बनावेला आ अधम् से शहर ्े मजबकत ्रे ला! 13 देखऽ, ्ा सेना ्े ्होवा ्े ओर से नाखे क् लोग आग मे ही मेहनत ्री आ लोग बहत आडंबर खावतर व् जाई? 14 ्ाहे क् धरती परमेश् वर ्े मवहमा ्े जान से भरल होई, जासे पानी समरंदर ्े ढं् लेला।


15 वधकार बा क् जे अपना पडोसी ्े पी ्े ओ्रा मे आपन बोतल

12 तकँ कोध से देश मे िलल, कोध से गैर-्हदी लोग ्े ्र हनी।

डाल ्े ओ्रा ्े नशा मे धरत ्र देला ताक् तक ओह लोग ्े नंगापन ्े

13 तक अपना अवभवषव लोग ्े सावे आपन लोग ्े उदार खावतर

देख स्ीले!

वन्लल रहलक। तक गरदन त् ्े नीव ्े खोज ्र्े दरषन ्े घर से वसर

16 तक मवहमा खावतर लाज से भरल बाडक, तक भी पी लऽ आ तोहार

्े घा्ल ्र देले बाडक। सेलाह ्े बा।

अगिम् उघार होखे दी, पभर ्े दावहना हाव ्े प्ाला तोहरा ओर

14 तक ओ्रा लाठी से ओ्र गाँव ्े वसर ्े मार कदहलऽ, ऊ लोग हमरा

घरमावल जाई आ तोहरा मवहमा पर शम्ना् उगलल जाई।

्े वततर-वबतर ्रे खावतर बवंडर वन्र वन्लल, ओ्र खरशी ओासन

17 ्ाहे क् लेबनान ्े हहंसा तोहरा आ जानवरन ्े लकह ्े ढं् दी

रहे जासे गरीबन ्े िरप्े से खा जाला।

जवन आदमी ्े खकन आ देश, शहर आ ओ्रा मे रहे वाला सब लोग ्े

15 तक अपना घोडा ्े सावे समरंदर ्े बीि से गरजरत रहलक।

हहंसा ्े िलते ओह लोग ्े डेरा कदहलस।

16 सरन ्े हमार पेह ्ाँप गाल। आवाज से हमार होठ ्ाँप गाल, हमरा

18 उ्े रल मकरत् ्े ्ा फा्दा बा क् ओ्र बनावे वाला ओ्रा ्े

हडी मे सडलपन घरस गाल आ हम अपना मे ्ाँप गानी क् हम सं्ह ्े

उ्े रले बा। वपघलल मकरत् आ झकठ ्े गरर, क् आपन ्ाम बनावे वाला

कदन आराम ्र स्ीले, जब ऊ लोग ्े लगे िहँप जाई त ऊ अपना सेना

ओ्रा पर भरोसा ्रे ला क् ऊ गकंगा मकरत् बनावे?

्े सावे ओह लोग पर आकमण ्री।

19 वधकार बा क् जे ल्डी से ्हत बा क् जाग जा। गकंगा पतवर ्े ,

17 भले ही अंजीर ्े पेड ना फक ली, ना ही बेल मे फल होई। जैतकन ्े

उठऽ, ऊ वसखावेला! देखऽ, सोना-िाँदी से वबछल बा आ ओ्रा बीि मे

मेहनत खतम हो जाई आ खेत से ्वनो अन ना वन्ली। झरंड ्े झरंड से

्वनो साँस नाखे।

्ाह कदहल जाई, आ ठे ला मे ्वनो झरंड ना होई।

20 लेक्न पभर अपना पववत मंकदर मे बाडे, पकरा धरती उनर्ा सोझा िरप

18 तबो हम पभर मे आनवनदत रहब, हम अपना उदार देवे वाला

रहस।

परमेशर मे आनवनदत होखब।

अध्ा् 3 ्े बा 1 वशवग्ोनोव पर हबक्क ् भववष्ववा ्े एगो पाव्ना। 2 हे ्होवा, हम तोहार बात सरन ्े डेरा गईनी, हे पभर, सालन ्े बीि मे आपन ्ाम ्े हजंदा ्रऽ, सालन ्े बीि मे आपन ्ाम ्े हजंदा ्रऽ। कोध मे द्ा ्े ्ाद ्री। 3 भगवान तेमान से आ पववत परन पहाड से आ गालन। सेलाह ्े बा। उन्र मवहमा आ्ाश ्े ढं् कदहलस आ धरती उन्र यतरवत से भरल रहे। 4 उन्र िम् रोशनी वन्र रहे। ओ्रा हाव से सीग वन्लल रहे, आ उहाँ ओ्र शवव ्े वछपल रहे। 5 ओ्रा से पवहले महामारी िलल आ ओ्रा गोड से जरत ्ो्ला वन्लल। 6 ऊ खडा हो्े धरती ्े नाप ्े देखलस आ राषन ्े भगा कदहलस। आ अननत पहाड वबखर गाल, सनातन पहाड पणाम ्ालस, ओ्र रायता अननत बा। 7 हम ्र शान ्े डेरा ्े ्ष मे देखनी, आ वमदान ्े परदा ्ाँप गईल। 8 ्ा पभर नदी से नाराज रहले? ्ा तोहार कोध नदी ्े वखलाफ रहे? ्ा तोहार कोध समरंदर पर रहे क् तक अपना घोडा आ अपना उदार ्े रव पर सवार हो गाल रहलक? 9 गोत ्े ्सम ्े अनरसार तोहार धनरष ए्दम नंगा हो गईल रहे। सेलाह ्े बा। तकँ धरती ्े नदी से फाड कदहलऽ। 10 पहाड तोहरा ्े देख ्े ्ाँप गाल, पानी ्े उफान से गरजरत रहे, गवहराह आवाज उठवलस आ ऊँि ऊपर हाव उठवलस। 11 सकरज आ िाँद अपना आवास मे वयवर रहे, तोहरा तीर ्े रोशनी मे आ तोहार िम्त भाला ्े िम् से िलत रहे।

19 परमेस् वर ्होवा हमार ता्त हवे, उ हमरा गोड ्े वपछडा ्े गोड वनहन बना कदहे अवररी हमरा ऊँि जगह प िलवा कदहे। हमरा तार वाला वाद्ंत पर मरख् गा्​् ्े ।


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