चुगलखोर टाइम्स, अंक 1

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महामारी के तीन साल, दननया जानना चाहती है नक नए कोरोनावायरस की पहली कुछ तसवीरें, यू.एस. मैरीलैंड के फोर्ट डैटरक से कयों आई, जजसमें 1943 से ले कर 1969 तक घातक जैवहनियार यानी बायोवैपन रखे जाते िे। वर्ष 1 ● अंक 1 ►नई दिल्ली ► जनवरली 23, 2023 Rs. 25/कोविड िायरस के फोटो भूतपूर्व टॉप-सीक्ट यू.एस. जैिहथियार संगठन से आए।क्यों? कोविड ने 2022 में जितने लोगों की िानें ली, भूख की ििह से उससे 10 गुना ज़ादा लोग मरे पढ़ें पृष्ठ 03 पर फाइिर ने अपनी कोविड िैक्ीन बिना िांच के िेची; क्ा दूसरों ने भी यही ककया? पढ़ें पृष्ठ 04 पर *Pop art in masthead “Designed by vectorpocket/Freepik” @EmpireDiaries पढ़ें पृष्ठ 12 पर (शेष पृष्ठ 02 पर ) Credit: NIAID Credit: Google Map screenshot फोर्ट डैट्रिक, मैरीलैंड, यू.एस. R.N.I. No: Applied For Editor-in-Chief: Dr. Biswaroop Roy Chowdhury रशिया vs यूक्न: चच िार, जिसके िारे में कोई िात नहीं कर रहा ग्रेट गम 2.0: भारत की इकोनॉमी को वफर से पाने के शलए एक गुप्त दौड़ पढ़ें पृष्ठ 10 पर व� ए�लू�सव व� ए�लू�सव
चुगलखोर टाइम्स नई दिल्ी, 23 जनररी, 2023 04 जनवरी 23, 2023: पहले भूतपूवमा ्ू.एस. प्रेिीडेंट बराक ओबामा ने खुलेआम ऐलान नक्ा नक कोरोनावा्रस वैकसीन को अरबों लोगों पर टेसट नक्ा ग्ा िा। नफर मपछले साल, अकटू बर में, टरॉप फाइिर एकिीक्ूट्टव िेनी समरॉल ने सावमािननक तौर पर माना नक उनकी कंपनी की कोनवड-19 वैकसीन को लोगों के थलए नबना इस टेसट के ही बाज़ारों में भेि ट्द्ा ग्ा िा नक ्ह रोग के संक्मण से बचाव करती िी ्ा नहीं। हालांनक ्ह भी सोचने वाली बात होगी नक टरॉप पोिीशन पर आने वाले लोग नबना टेसट के सामने आने वाली वैकसीन के थलए ऐसी शरमसिदगी से भरी ग़लनत्ाँ क्ों कर रहे हैं? कोई भी व्यक्कत ्ह अनुमान लगा सकता है अगर ्ह प्रभावशाली पदों पर बैठे लोगों की नीनत है नक वे िान कर इस नैरेट्टव को लोगों के बीच ला रहे हैं - तो सच में, इसे नबना नकसी टेसट के ही िनता के थलए पेश नक्ा ग्ा होगा। हम कभी नहीं िान सकेंगे नक ् दावे पहले से नन्ोजित ि नक िनता ्ह सुन कर भी चौकस न हो नक उसे ऐसी वैकसीन दी गई जिसे टेसट नहीं नक्ा ग्ा िा। ्ह बात तो और भी चचसिता का नवष् है नक अगर फाइिर का कोनवड वैकसीन नबना टेसट के लोगों के बीच आ्ा, तो दूसरे कोरोनावा्रस वैकसीन बनाने वाले मरॉडमाना, िरॉनसन एंड िरॉनसन, ऑकसफोडमा-एसरिािेनेका, स्पूतननक वी, सीनोफाममा, सीनोवाक आट्द ने भी शा्द ्ही अपराध नक्ा होगा। क्ा वे भी फाइिर की तरह ही गैरजिममेदाराना तरीके से, कोनवड वैकसीन को टेसट नकए नबना ही बािार में बेच रहे हैं? क्ा सभी वैकसीन बनाने वालों ने नबना नकसी महत्वपूणमा िांच के अपने कोरोनावा्रस इंिशिन हम पर िोप ट्दए? िेनी समरॉल ने सच में हमें इस संभावना पर नवचार करने को नववश कर ट्द्ा। ररॉब रूस, डच नेता और ्ूरोमप्न संसद सदस् (एमईपी) ने एक वीमड्ो शे्र नक्ा िो सोशल मीमड्ा पर वा्रल हो ग्ा। उस वीमड्ो में, फाइिर की इंटरनेशनल बाज़ार प्रेिीडेंट समरॉल खुलेआम सवीकार करती ट्दख रही हैं नक फाइिर वैकसीन को टेसट नहीं नक्ा ग्ा िा नक वह संक्मण से बचाव करता है ्ा नहीं। रूस की ओर से पूछे गए सवाल के िवाब में समरॉल ने ्ह माना, उस सम् वे ्ूरोमप्न ्ूनन्न संसद के आगे ब्ान दे रही िी। रूस ने सत्र के दौरान समरॉल से प्रश्न नक्ा, ‘क्ा फाइिर कोनवड वैकसीन को बाज़ार में उतारने से पहले ्ह टेसट नक्ा ग्ा िा नक वह रिांसमीशन को रोकने में सहा्क है ्ा नहीं?’ अगर नहीं तो कृप कहें। अगर हाँ, तो क् अपना डाटा शे सीधा िवाब पाना चाहता ह आपका उत्तर सुनने की प्रतीक् िेनी समरॉ चौंका देने वाली हम इसके बाज़ार में आने से पहले इम् के बारे में ि नक उसने गलती से शबद का प्र चाहती िी। नफर फाइ देते हुए कहा, ‘हमें पड़ा तानक वास क्ा हो रहा है।’ बाद में, रूस ने ट् जिसमें समरॉ फाइिर ने से 37 नबथल् टेसट की गई वैक उतपादों में से एक बना फाइिर ने अपनी कोविड िैक्ीन बिना िांच के िेची; क्ा दूसरों ने भी यही ककया? एंपायर डायरीज़ की स्पेशल रर पोर्ट
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नई दिल्ी, 23 जनररी, 2023 चुगलखोर टाइम्स 05 (शेष पृष्ठ 09 पर ) ्ह सवाल अकसर पूछा िाता रहा है नक सासमा-सीओवी 2 वा्रस प्राकृ नतक रूप से आ्ा िा ्ा इसे इंसानों ने प्र्ोगशाला में तै्ार नक्ा? हालांनक इस बहस के पक्ों को समझने के थलए नवषाणु-नवज्ान की अच्ी समझ का होना ज़रूरी है इसथलए हम इससे िु़डे़ एक प्रश्न की ही पड़ताल करेंगे: क्ा कोनवड-19 का डर सवाभानवक िा ्ा इसे पैदा नक्ा ग्ा िा? ्ह पता चला नक इस प्रश्न का उत्तर देना आसान िा क्ोंनक इसके थलए प्राइमरी सकू ल के गजणत से अमधक कुछ नहीं चानहए। मपछले 2.5 वषमा ्ानी अप्रैल 2020 से 2022 के मध् तक, ग्ह पर लोगों ने एक ही भाव को सबसे अमधक महसूस नक्ा - भ्। हालांनक बहुत से लोगों ने अपनों को खो्ा होगा पर क्ा कोनवड-19 के आंकड़े इससे फैलने वाले डर को िा्ज़ सानबत करते हैं? आइए दो प्रश्नों से इस पड़ताल को शुरू करते हैं। पहला प्रश्न: ननमनथलखखत चाटमा में ्ूएसए में 1-34 सपताह (अगसत के अंत तक) के बीच होने वाली मौतों के आंकड़े ट्दखाए गए हैं। इसमें वषमा 2020, 2021 और 2022 के आंकड़े ट्दखाए गए हैं पर ् क्मवार नहीं हैं। सवाल ्ह पैदा होता है: इनमें से कौन से आंकड़े नकस साल के हैं? (स्ोत -्ूएस सीडीसी एनसीएचएस) दूसरा प्रश्न: नीचे ट्दए गए एक और चाटमा में 1 से 34 सपताह के भीतर होने वाली मौतों का आंकड़ा, ्ूरोमोमो देशों के थलए है - ्ूरोप के 27 देश जिनमें सभी प्रमुख देश शाममल हैं। पहले की तरह ् आंकड़े भी क्मवार नहीं हैं। प्रश्न वही है : वषमा का ममलान मृत् दर से करें (स्ोत : ्ूरोमोमो) ननजचित रूप से, थसतंबर 2022 में मौत का डर लगभग न के बराबर (लगभग सामान्) िा? िबनक थसतंबर 2020 में ्ह बहुत ही भ्ानक िा। ्हाँ तक नक ्ूएस के प्रेज़ीडेंट बीडेन ने भी 18 थसतंबर 2022 को घोषणा की नक कोनवड-19 की महामारी खतम हो गई िी। अमधकतर ्ूरोप में, ्ूएसएस की तुलना में कोनवड-19 की पाबंदी और भ् पहले ही खतम हो गए िे। तो इस प्रश्न का उत्तर देना आसान होना चानहए। मैं पाठकों को प्रोतसानहत करना चाहगा नक वे आगे बढ़ने से पहले इसका ईमानदारी से उत्तर देने का प्र्ास करें। ननजचित तौर पर, वषमा 2020 में वषमा 2022 की तुलना में अमधक मौतें हुई होंगी? ग़लत! दोनों मामलों में, ्ूएसए और ्ूरोप में, वषमा 2022 में, वषमा 2020 के मुकाबले ज़्ादा मौतें हुईं। दोनों ही मामलों में, वषमा 2020, इन चाटषों में सबसे ऊँचे मापदंड पर नहीं है। ्ूएसए के मामले में, ्ह मापदंड 2021 है िबनक ्ूरोप में ्ह
ऐसा
हो
है नक जिस साल में मौतें ज़्ादा हुईं,
डर इतना नहीं िा? और वषमा
की संख्ा कम होने के बाविूद लोगों में डर की मात्रा बहुत ज़्ादा िी। वे डरे और घबराए हुए िे। ्ह ध्ान दें नक अब ् आंकड़े कोई रहस् नहीं हैं। ् सावमािननक रूप से उपलब्ध हैं और पंद्रह ममनट से भी कम सम् में, कोई हाई सकू ल तक पढ़ा हुआ व्यक्कत भी आसानी से इनकी पड़ताल कर सकता है। तो इसका एक ही अिमा है। कोनवड-19 का इतना अमधक डर पूरी तरह से पैदा नक्ा ग्ा िा। इस बात से इंकार नहीं कर सकते नक वा्रस के कारण लोगों की िानें गईं पर इस बात से लोगों की बीच फैली दहशत को िा्ज़ नहीं ठहरा्ा िा सकता। नवशेष तौर पर, इतनी अनत की पाबंट्द्ाँ लगाने की भी कोई तुक नहीं बनती िी। लरॉकडाउनस ने लोगों की आिीनवका नष्ट कर दी, सकू ल बंद कर ट्दए गए, जिससे बच्चों की सकू ली थशक्ा और मानथसक सेहत वगैरह पर बुरा असर पड़ा। कोनवड-19 के कारण नकस आ् वगमा को अमधक खतरा िा? ्ूरोप में आ् वगमा के अनुसार मृत् के आँकडे़ देखें तो इससे काफी कुछ िाना िा सकता है। ्हाँ मपछले चार साल (2018 से 2021) के आंकड़े देखे िा सकते हैं (स्ोत: ्ूरोमोमो) क्ा कोभवड-19 का डर पैदा किया गया िा? 2022 में मृत् दर अथिक रही पर िय नहीं िा, इसका क्ा अि है? कॉलम: भास्करन रमन Credit: Pixabay
2022 को ट्दखा रहा है। (उत्तर: अ- 2020, स- 2021, ब-2022, वाई2020, एक्स-2021, जैड-2022)
कैसे
सकता
उसमें
2020 में मौतों
चुगलखोर टाइम्स नई दिल्ी, 23 जनररी, 2023 06 (शेष पृष्ठ 07 पर ) कई देशों में, एक नई कोनवड लहर के आने की ररपोटमा आई, जिनमें ख़ासतौर पर चीन का नाम आ्ा। भारत के सवास्् मंत्राल् ने 20 ट्दसंबर 2022 को सारे राज् और केंद्र शाथसत प्रदेशों के नाम एक पत्र ननकाला, जिसमें कहा ग्ा नक भारत ने कोनवड के अनुरूप व्यवहार तिा पाँच-सूत्री् रणनीनत; टेसट-रिे क, रिीट और वैकसीनेट के माध्म से कोनवड वा्रस के प्रसार पर काबू पा थल्ा है। इस वषमा िून में िारी नकए गए इस पत्र में आगे थलखा िा नक कोनवड-19 की संशोमधत ननरीक्ण रणनीनत के थलए कौन सी गाइडलाइनस का पालन नक्ा िाए। जिसमें पहले से वा्रस का पता लगाना, रोगी को अकेले में रखना, परीक्ण और संभानवत रोनग्ों के मामलों का सम् से प्रबंधन करना शाममल िा तानक नए सासमा-सीओ वी-2 वेरीएंट के आने की पहचान और पुमष्ट हो सके। पत्र में राज्ों और केंद्र शाथसत प्रदेशों को ्ह सलाह भी दी गई िी नक वे त्शुदा प्र्ोगशालाओं के माध्म से िीनोम सीकवेंसससिग भी करें तानक नए वेरीएंट की सम् रहते पहचान करने में आसानी हो, जिससे अननवा्मा िन सवास्् से िुड़े कदम उठाने में आसानी हो सके। नेशनल पक्बलक परॉथलसी सिक टैंक नीनत आ्ोग के एक सदस्, डरॉ० वी.के. परॉल ने िनता से आग्ह नक्ा है नक वह बंद स्ानों पर चेहरे पर मासक का प्र्ोग करे और सावधानी के तौर पर कोरोनावा्रस वैकसीन लगवाए। इसके साि ही, सरकार ने त् नक्ा है नक वह देश के हवाई अड्ों पर इंटरनेशनल ्ानत्र्ों की रेन्डम टेससटग भी नफर से शुरू करेगी। क्ा ् सभी नबना सोचे-समझे दी िाने वाली प्रनतनक््ाएँ साक््ों पर आधाररत हैं? ्ह महामारी हमारे साि मपछले तीन साल से बनी हुई है। हमारे पास इन कामों के थलए प्ामापत साक्् मौिूद हैं, बशतगे हम उनकी ओर ध्ान दें। इसकी बिाए हम क्ा कर रहे हैं ? हमारे पास ऐसे नौकरशाही पत्र हैं िो उनहीं असफल रणनीनत्ों को दोहरा रहे हैं िो बहुत सारे कष्ट और उसकी विह से होने वाले नुकसान का माध्म रही हैं। नवज्ान को दबा कर, कममाकांड के थलए िगह बनाई िा रही है। हम महामारी के आरंजभक चरणों में होने वाली भूलों के थलए छूट दे सकते हैं क्ोंनक उस सम् प्ामापत मात्रा में प्रमाण मौिूद नहीं िे। हालांनक, अगर प्रमाण मौिूद होने के बाद भी ्ही भूलें बार-बार दोहराई िाती रहीं और वा्रस भी न्ा न हो, तो इस तरह की भूलों को आप क्ा नाम देना चाहेंगे? आइए, हम इन ननदगे शकों के पास उपलब्ध प्रमाणों पर ध्ान देते हैं। हमारा देश लोगों का महासमुद्र है जिसमें लोग बहुत ही भीड़-भाड़ वाली िगहों पर रहते हैं। इनमें से अमधकतर लोग मपछले तीन साल के दौरान, कोरोनावा्रस के सभी रूपों से प्राकृ नतक तौर पर होने वाले संक्मण से उबर चुके हैं। ्हाँ तक नक महामारी के आरंजभक चरण में भी, ‘टेसट, रिे स और आइसोलेट’ का मंत्र इंफे शिन के प्रसार पर कारगर नहीं रहा िा। इस रणनीनत से बहुत कम इंफे शिन ही पहचान में आ पाए िे। ्ह बहुत ही महंगी, सम् लेने वाली, श्रमसाध् और असुनवधािनक प्रनक््ा िी िो वा्रस के लक्णहीन लोगों पर भारी पड़ी। ्हाँ ्ाद रखना भी महत्व रखता है नक िून 2021 में इंमड्न काउं थसल ऑफ़ मेमडकल ररसचमा (आईसीएमआर) की ओर से हुए सवगेक्ण में भी ट्दखा्ा ग्ा नक 6.7 प्रनतशत भारती्ों के शरीर में एंटीबरॉडीज़ िीं। इससे ही अनुमान लगा सकते हैं नक 92 करोड़ से अमधक लोगों ने प्राकृ नतक तौर पर होने वाले संक्मण के बाद ही रोग प्रनतरोधक क्मता नवकथसत की और इनमें से बहुत िोड़ी संख्ा वैकसीन से रोगप्रनतरोधक क्मता पाने वालों की रही। ऐसा इसथलए हुआ क्ोंनक उस सम् तक केवल 5 प्रनतशत भारती् िनंसख्ा ही कोरोनावा्रस वैकसीन की दोनों खुराकें ले सकी िी। िून 2021 तक, कोरोनावा्रस की ‘टेसट रिे स और आइसोलेट’ की रणनीनत के माध्म से, केवल तीन करोड़ मामले पहचाने गए िे, जिनमें से 4 प्रनतशत उस सम् थछपे हुए िे। हमारी सबसे बेहतर कोथशशों के बाविूद, हम समुदा् में 96 प्रनतशत से चूक गए। इन आंकड़ों को देखते हुए कहा िा सकता है नक ‘टेसट, रिे स और आइसोलेट’ की ्ह औपचाररकता संक्मण की िांच करने में नाकाम रही। इसने केवल भ् और अपवाद को िनम ट्द्ा और आला अमधकारर्ों के हािों आम िनता का शोषण हुआ। पूरी िनसंख्ा के बीच फैली दहशत के सेहत पर बहुत बुरे असर हो सकते हैं। इसी तरह, हवाई अड्ों पर नवदेशों से आने वाले ्ानत्र्ों की वा्रस िांच करना ऐसा ही होगा मानो हम भूसे के ढेर में सुई खोि रहे हों, इससे ्ानत्र्ों को असुनवधा होगी और वे आसानी से शोषण का थशकार हो सकते हैं। ्ूएस सीडीसी (सेंटर फरॉर मडिीज़ कं रिोल एंड प्रीवेंशन) के पी्र-ररव्यूड पेपर ने पा्ा नक कोनवड-19 के कारण जिन 540,667 लोगों को अस्पताल में भतजी करवा्ा ग्ा, उनमें मोटापे के बाद बेचैनी और भ् से िुड़े मडसऑडमार िोखखम कोनवड के नफर से आने की चेतावनी नवज्ान की नहीं, कम्टकांड की देन िी कॉलम: िॉ. अममताभ बैनजजी Credit: Pixabay

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