चुगलखोर टाइम्स, अंक 3

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इस महीने महामारी को पूरे तीन वर्ष होने जा रहे हैं। दुननया न् नॉम्षल की आदी हो रही है पर हर रोज़ ऐसे सवाल अब भी उठ रहे हैं जजनके उत्तर आज भी नदारद हैं। एंपायर डायरीज़ ने कुछ टॉप डॉक्टरों और नवशेरज्ों से संपक्ष नकया और ऐसे प्रश्ों की सूची तैयार की, जजनके उत्तर आलोचक नवद्ान WHO से जानना चाहते हैं। Rs. 25/क्या शिमलया अगलया जोिीमठ है? समय हयाथ से निकल रहया है? पढ़ें पृष्ठ 08 पर िेचुरल असेट कंपनियया क़ययामत कया दिि लयाएँगीं, डॉ. वंििया शिवया चेतयाविी िेती हैं पढ़ें पृष्ठ 11 पर @EmpireDiaries पढ़ें पृष्ठ 06 पर (दूसरा पन्ा खोलें) Credit: Pixabay मुख्य संपादक: डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी चीि के सयाथ ₹8.2 ट्रिशलयि कया व्यापयार घयाटया वैक्ीििि, बढ़ती हुई मौतें और झूठया िैरेट्टव पढ़ें पृष्ठ 04 पर WHO, जवाब दो वर्ष 1  अंक 3 दिल्ली (NCR)  मार 1, 2023 (Fortnightly)

श्जयोपॉललटिकस

अपनी सीमाओं की सुरक्षा का जुनून वकसी काम नहीं आने वाला। ऐसा इसललए कयञोंवक आपने लापरवाही से अपना एक दूसरा

दरवाज़ा खुला छोड़ टदया है। जब आप अपनी दूरबीनें लगाए, सीमापार से वकनहीं िैंकञों के आने की संभावना से खेल रहे थे, तभी उसी एंपायर के सूिेड-बूिेड वबज़नेसमैन आपके पीछे से, दबे

पाँव आपकी नाजुक इकोनॉमी में प्रवेश कर गए। विर वे धीरे-धीरे

आपका सारा पैसा देश से बाहर ले जाने लगे।

नतीजा? आपको इस ओर धयान न देने की भारी की़मत अदा

करनी पड़ी और आपके देश को भारी धकका लगा। सबसे महत्वपूर मानी जाने वाली इकोनॉमी को गहरा धकका! यह तो वही बात

हुई, ‘अशरिंयञों की लूि और कोयलञों पर मुहर’।

सुनने में भले ही अजीब और ववरललत करने वाला लगे पर यही

सर है। आपको जो उदाहरर टदया गया, वह कोई कालपवनक

उदाहरर नहीं बकलक भारत और रीन के आरथंक संबंधञों के ललए

पूरी तरह से सर है। रीन वनश्चित रूप से कोई बहुत अच्ा पड़ोसी

नहीं है। यह दुवनया की राजनीवत का ऐसा रहसय है श्जसे सभी

जानते हैं और हम पहले भी कई बार इसका सामना कर रुके हैं।

भारत अच्छी तरह जानता है वक रीन लगातार अपनी सीमा

रेखा पर भी इसके साथ साश्ज़शें करता रहा है इसललए इसके साथ अपनी सीमाओं की सुरक्षा एक सहज वनरय है। अगर रीन

करते आए हैं। नहीं, कभी नहीं। हमारी इकोनॉमी भी रीन के साथ हमारी सीमा श्जतना ही महत्व रखती है। और आरथंक मोरदे पर जीतना भी, सीमा पर लड़े जानी वाली जंग श्जतनी अहषमयत रखता है। यह आरथंक जंग, एक ऐसी जंग है श्जसे आप देख नहीं पाते। यह इंिरनेशनल ट्ड वार है। यहीं रीन हमसे इतना आगे है वक हमें जलद ही कोई कदम उठाना होगा। ₹8,226,220,232,000! - ये कुल षमला कर ₹8.23 टट्ललयन होते हैं। यूएस डॉलस्ष में ये 101.02 डॉलस्ष हैं। यह वर्ष 2022 के ललए भारत का व्यापार

व्यापार घािा 100 वबललयन डॉलर का आंकड़ा भी पार कर गया है। यह भारतीय इकोनॉमी का ऐसा घािा है श्जसके

चुगलखोर टाइम्स दिल्ली (NCR), मार्च 1, 2023 | वर 1 • अंक 3 06 (शेष पृष्ठ 09 पर ) 1 मार्च, 2023:
की गलाकाि प्रवतस्पधा्ष में ट्ड वार, इन रीज़ञों के काम करने का अहम वहससा है। आइए, इसे एक कालपवनक उदाहरर की मदद से समझें। मान लेते हैं वक आपका कोई पड़ोसी एंपायर है और आपको संदेह है वक वह आप पर हमला करने की साश्ज़श कर रहा है। आप घबरा कर, अपने सभी साधनञों को सुरक्षा के ललए तैनात कर देते हैं। आपकी पहली प्रवतवरिया यही होगी वक अपनी सीमाओं की सुरक्षा के ललए भारी बलञों को लगा टदया जाए। आप उनह हलथयारबंद करके, सीमाओं पर रौकस खड़ा कर देते हैं और उनह पलक तक झपकाने की मनाही होती है। पर यहीं तो आप कुछ समझने से रूक गए। आपकी
के घुसपैटठए रवैए को देखा जाए तो इस बारे में कोई दोराय नहीं है। पर जहाँ हम सैनय दृषष्ट से इस छोर पर सुरश्क्षत हैं, वहीं हमने आरथंक तौर पर होने वाली जंग को इतनी गंभीरता से नहीं ललया है - कई लोग इसे हमारी सुरक्षा और सलामती के आगे मामूली मान कर उपेश्क्षत
घािा है जो रीन के साथ व्यापार में हुआ है। ऐसा पहली बार हुआ है वक भारत का रीन के साथ यह
ललए ज़लद ही सुधार करना आवशयक हो गया है। आइए, 2021 के आंकड़ञों से इस संखया की तुलना करें। उस समय रीन के साथ भारत का व्यापार घािा 69.38 वबललयन डॉलर था जो आजकल ₹5.65 टट्ललयन या 5,649,793,788,000 रूपए हो गया है। दोसतो, अब हालात बदल गए हैं। वे लोग खेल में जीत रहे हैं। अगर हम इसी तरह लगातार िनञों-िन रीनी माल को अपने देश में भरते रहे तो हम इसी तरह हारते रहेंगे। उनमें से अषधकतर उतपाद तो ऐसे हैं श्जनह हम अपने ही देश में आसानी से बना सकते हैं। आइए ज़रा थोड़ा ठहरें और देखें वक हम रीन को वकतनी मारिा जो युद्ध आपको दद खाया नहीं जाता: चीन के सार ₹8.2 टरललयन का व्ापार र्ारा चीन लगातार इंररनेशनल रड में भारत पर कब्ा करने की कोशशश में है। भारत इस आररटक जंग में अपनी हार नहीं सह सकेगा। —नदीम ससराज

चॉरलेट रा राला चेहरा

1 मार्च, 2023:

टद आप अपने पयारे बच्ञों या षप्रय साथी को डाक्ष रॉकलेि का उपहार देना पसंद करते हैं तो इस बात की अषधक संभावना है वक आप उनह खाने के ललए ज़हर का षडबबाबंद उपहार

दे रहे हैं। यह सुनने में भले ही कड़वा लगे पर अगर आप वनयषमत

रूप से ऐसा कर रहे

जाने पर हमारी सेहत को नुकसान

पहुँरा रही हञों। असल में, वे लैड (सीसा) और कैडषमयम की भारी

खुराक से लैस हो सकती हैं

यूएस स्थित कं ज़यूमर शोध संगठन के वैज्ावनकञों ने पाया वक

य ब्ांड्स द्ारा बनाई जा रही रॉकलेि बास्ष में इन दो ववरैले

भारी धातुओं की मारिा, अनुमवत प्रापत अषधकतम सीमा

से कहीं अषधक है। लैड और कैडषमयम दोनञों ही इंसानञों

के ललए बहुत ज़यादा ज़हरीले हो सकते हैं, भले ही उनह

कम मारिा में कयञों न ललया जा रहा हो।

डाक्ष रॉकलेि में इन दोनञों ववरैले तत्वञों की अषधक

मारिा होने से सेहत संबंधी परेशावनयाँ हो सकती हैं। अगर

बच् और गभ्षवती स्सरियाँ इनका अषधक मारिा में सेवन

कर रहे हैं, तो यह उनके ललए नुकसानदायक हो सकता

है। वासतव में, एक और चरंताजनक तथय यह है वक ये दो

भारी धातु अनय कई खाने की वसतुओं में भी पाए जाते हैं

जैसे शकरकंदी, पालक और गाजर। इस प्रकार, मनुषय के

शरीर में कई स्ोतञों से इन दो ववरैले तत्वञों के छोिे-छोि अंश

खतरनाक सतर तक आ सकते हैं। इसी बात को धयान में

रखते हुए आवशयक है वक इनकी मारिा को ततकाल घिाया

जाए और इनके वनयषमत सेवन को कम वकया जाए तावक

इनके कारर कोई दीघ्षकालीन दुषप्रभाव न हञों।

आँखें खोल देने वाली सिडी कं ज़यूमर ररपोि्ष (सीआर) की ओर से की गई। यह नयू यॉक्ष

उनके एक आउंस का सेवन वकया जाए तो इससे वयसक, इन दो धातुओं में से वकसी एक के ललए ख़तरनाक ज़ोन में आ जाएगा। और 23 बास्ष में से, 5 बार में कैडषमयम और लैड की मारिा सवीकृ वत सीमाओं से अषधक वनकली। सीआर भोजन सुरक्षा शोधकता्ष िंडे एवकनलेई छानबीन का नेतृतव कर रहे थे, उनके अनुसार इन दो धातुओं के वनयषमत संपक्ष से बच्ञों का आई कयू कम होता है और उनके मस्सतषक के ववकास में कमी आ सकती है। वयसक प्रायः लैड के संपक्ष में आते हैं, श्जसकी छोिी से छोिी मारिा भी हावनकारक हो सकती है। वे नव्षस लससिम षडसऑड्षस्ष, हाई बलड प्रेशर, वकडनी और प्रजनन तंरि को नुकसान जैसे रोगञों से ग्सत हो सकते हैं। हालांवक इस कहानी का उजला पहलू यह है वक 28 में से श्जन 5 बास्ष की जांर हुई, यह पाया गया वक उनमें लैड और कैडषमयम के सतर बहुत कम थे, श्जससे संकेत षमलता है वक रॉकलेि कंपवनयाँ सुरश्क्षत डाक्ष रॉकलेि तैयार करते हुए अच्ा व्यवसाय कर सकती हैं। तो प्रश्न यह उठता है वक डाक्ष रॉकलेि में इन भारी धातुओं को डाला ही कयञों जाता है, और एक वनमा्षता अपने उतपादञों में लैड और कैडषमयम जैसे ववरैले और हावनकारक तत्वञों की मारिा को कम कैसे कर सकता है? इसे समझने के ललए, पहले यह समझने की रष्टा करें वक डाक्ष रॉकलेि ि कया है या विर रॉकलेि

दिल्ली (NCR), मार्च 1, 2023 | वर 1 • अंक 3 चुगलखोर टाइम्स 07 (शेष पृष्ठ 09 पर )
है। हाल ही में हुए एक अधययन में पता
हमें जो ब्ांडेड डाक्ष रॉकलेि्स इतनी सवाटदष्ट लगती हैं, हो सकता है वक वे बार-बार सेवन
हैं, तो यह बात बढ़ा-रढ़ा कर नहीं कही गई
रला वक
वकए
यह
के यॉकस्ष में स्थित एक रि गैर लाभकारी संथिा है, जो ग्ाहकञों के साथ सर को जानने के ललए काम करती है और बाज़ार में वनषपक्षता और शंता बनाए रखने के ललए संकलपबधि है। इसने 28 डाक्ष ॉकलेि बास्ष में भारी धातुओं की मारिा को मापा और यह पाया उन सबमें लैड और कैडषमयम की रौंका देने वाली मारिा मौजूद थी। न 23 रॉकलेि बास्ष को रुना गया, उनसे यह पता रला वक अगर प्रवतटदन
कया है? रॉकलेिञों का अस्सततव षपछले 3,000 वरषों से रला आ रहा है। इनह कोकाओ से बनाया जाता है जो लथयोब्ोमा कोकाओ (Theobroma cacao) के बीजञों से षमलता है, ये पेड़ मधय और दश्क्षरी अमेररका में पाए जाते हैं। ग्ीक शबद लथयोब्ोमा का शाखबदक अथ्ष है, ‘देवताओं का भोजन’। पहले-पहल रॉकलेि को एक चड्ंक की तरह तैयार वकया गया
डार्क
अमेररकी वाचडॉग ‘कंज़मर रपोर्णस ’ की ओर से ववचललत कर देने वाली छानबीन में पता चला कक हम जो ब्ांडेड डाक्ण चॉकलेरस खरीदते हैं, उनमें से असधकतर में लैड और कैडवमयम के अंश पाए जाते हैं, जो हमारे शरीरनों के ललए ववषाक्त हो सकते हैं। —एक ववशेष ररपोर
Credit: Pixabay

1 मार्च, 2023:

मेररकी लेखक माइक डेववस ने, 2006 में, अपने मासिरपीस, ‘पलेनेि ऑि सलमस’ में ववसतार से ललखा वक

वकस तरह दुवनया भर में बड़े पैमाने पर झुगगी-झञोंपड़ी के इलाकञों

और कसबञों का ववकास के नाम पर अंधाधुंध और असंतुललत

शहरीकरर हो रहा है, श्जनमें एक वबललयन से भी अषधक वनवासी

बहुत ही तकलीफ़देह जजंदगी जी रहे हैं, श्जसका संपन्नता से दूरदूर तक कोई वासता नहीं है।

आज उत्तर भारतीय राजय उत्तराखंड के लोकषप्रय वहमालयी

नगर जोशीमठ में जो भी हुआ, ऐसा लगता है वक इस विताब

ने बहुत पहले ही उसकी भववषयवारी कर दी थी। जोशीमठ का बोझ से लदा और अस्थिर नगर धीरे-धीरे ज़मीन में धंस रहा है।

यह जानकारी षमलते ही जोशीमठ के वनवालसयञों को उस जगह से वनकाला जा रहा है। इसके ललए आंलशक तौर पर उस ‘ववकास’ को धनयवाद टदया जा सकता है, श्जसके बारे में डेववस अपनी विताब

में शोक प्रकि कर रहे थे।

जोशीमठ 6,150 फ़ीि की ऊँ राई पर बसा है और यहाँ लगभग

25,000 लोगञों की आबादी होगी। इसे बदरीनाथ जैसे तीथ्षथिलञों

और कई लोकषप्रय पव्षतारोहर अश्भयानञों के ललए प्रवेश द्ार

माना जाता है। षपछले वर्ष में, जब इस जगह के वनवालसयञों ने कई

इमारतञों और सड़कञों पर दरारें देखीं तो वे रौंके। अब तक 700

से अषधक मकानञों को नुकसान पहुँर रुका है, प्रशासन ने उनमें से

कईयञों को ढहाने का वनरय ललया है, श्जनमें दो होिल भी शाषमल

हैं।

जोखखमग्सत इलाकञों में प्रभाववत लोगञों को भी बाहर वनकाल

ललया गया है।

इसी महीने में कुछ टदन पहले, देहरादून स्थित इंषडयन

इंसिीट्ूि ऑफ़ ररमोि सेंससंग ने पाया वक जोशीमठ और उसके

आसपास के इलाके प्रवतवर्ष 6.5 सें.मी. की गवत से धंस रहे हैं।

इस दौरान, कुछ भूकंपववज्ावनयञों का तक्ष है वक यह ववनाश धंसने

की वजह से नहीं बकलक धीरे-धीरे उत्तरोतर होने वाले लैंडसलाइड्स

की वजह से है।

यही माना जाता है वक जोशीमठ राजय सरकार की ओर से

रलाए जा रही ववशाल इंफ्ासट्करर पररयोजनाओं और वनजी कंपवनयञों की ओर से रलाए गए रेसरिाँ और कुकरमुत्तञों की तरह उग आए होिलञों की वजह से ही एक सुंदर पहाड़ी इलाके से आपदाग्सत

वहमालय की दश्क्षर-पश्चिम श्ेश्रयञों में अंतरा्षष्ट्रीय रूप से ववखयात

पहाड़ी पय्षिन थिल है। यह उत्तर भारतीय राजय वहमारल प्रदेश

की राजधानी

चुगलखोर
दिल्ली (NCR), मार्च 1, 2023 | वर 1 • अंक 3 08
टाइम्स
जोखखम क्षेरि में बदल गया है।
दी है वक अगर पहाड़ञों पर शहरञों की तरह छेड़छाड़ बंद नहीं की गई तो वनरले वहमालय के सारे इलाकञों के नाजुक ईकोलससिम को जोशीमठ जैसे संकि का सामना करना होगा। शशमला में सब ठीक नहीं है इस समय मेनसट्ीम मीषडया जोशीमठ की ख़बरे टदखाने में लगा है, तो बेहतर होगा वक हम एक और भारतीय वहल सिे शन को देख सकें जो अंधाधुंध शहरीकरर के कारर घुिा जा रहा है। लशमला सड़क माग्ष से जोशीमठ से 500 वक.मी. की दूरी पर है और
ववशेरज्ञों ने रेतावनी
है। यह 7467 फ़ीि की ऊँ राई पर बसा है, यह अंग्ज हमलावरञों के कुशासन के दौरान ग्ीषम राजधानी का काम करता था। क्ा
ननकल
एक मिशेष ररपोर्ट (शेष पृष्ठ 09 पर ) ऐसी तस्ीरें जो दिखाती हैं पि शशमला तेज़ी से एि बिसूरत शहर में बिल रहा है (फ़ोटो क्ेपिटः एंपायर िायरीज़)
शशमला अगला जोशीमठ है? समय हार से
रहा है

है।

अकसर मजदूरी पर जीने वाले मजदूरञों को यही कहा

टदलली के तुगलकाबाद वकले के इलाके में रहने वाले

की भी यही कहानी है। 4 िरवरी, 2023, जब टदलली मेयर

चुगलखोर टाइम्स दिल्ली (NCR), मार्च 1, 2023 | वर 1 • अंक 3 10 1 मार्च, 2023: यह एक ववडंबना है वक श्जन लोगञों ने आधुवनक सोसायटियञों के वनमा्षर में सहायता की हो, प्रायः उनह ही ज़रूरत ख़तम होने पर बोररया-वबसतर समेिने को कह टदया जाता है। ‘इस सुंदर एंपायर को खड़ा करने के ललए शुवरिया- अब तुम जा सकते हो।’ बड़े शहरञों में
रुनावञों के साथ व्यसत थी, तो तुगलकाबाद गाँव के दज्षनञों असहाय वनवासी, राजधानी के बीरञों-बीर जंतर-मंतर पहुँर और उस वनकाले के आदेश के खख़लाफ़ ववरोध वकया, जो षपछले महीने एएसआई (आरकंलॉश्जकल सवदे ऑि इंषडया) की ओर से भेजा गया था। उनका कुसूर? अवतरिमर। पर वही लोग उस जगह पर बरसञों से रहते आए हैं। उनके पास वैद् दसतावेज़ हैं, वे वनयषमत रूप से अपने वबलञों का भुगतान करते हैं और टदहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरञों, कलीनरञों, मरममत का काम करने वालञों, घरेलू सहायक या दरबान के तौर पर पड़ोसी मुहललञों को अपनी सेवाएँ देते आए हैं। अब उनह उनके ही घरञों से वनकलने का आदेश टदया गया है, शायद उनके घरञों को ढहा टदया जाएगा। एककिववज़म ग्प मजूदर आवास संघर्ष सषमवत के वनम्षल गोरारा, उन एक हज़ार पररवारञों के साथ हैं, श्जनह पुराततव ववभाग की ओर से घरञों को छोड़ने का आदेश षमला है। वे उनह कानूनी मदद देने के अलावा, सममानपूव्षक पुनवा्षस के ललए भी मदद कर रहे हैं। एंपायर डायरीज़ आपके ललए उस टदन जंतर मंतर पर हो रहे ववरोध की कुछ जीती-जागती तसवीरें ले कर आई है। दिल्ली तुगलकाबाि गाँव के आँसुओं से जगमग है एंपायर डायरीज़ रीम 4 फर्री, 2023, तुगलिाबाि गाँ् ि प्रोधिता्च दिलली में जंतर मंतर पर जमा हुए। ् नारे लगाते हुए, अपने घरों से पनिाले जाने ि बाि अपने पुन्ा्चस ि शलए आ्ाज़ उठा रहे थे (शरत्ः एंपायर िायरीज़)
जाता
दश्क्षरी
लोगञों
के

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