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Lord Krishna Aarti : जन्माष्टमीविशषाक (आरती)
गल म बजती माला, बजाव मरली मधर बाला । श्रवण म कण्डल झलकाला, नद क आनद नदलाला । गगन सम अग कातत काली, रातधका चमक रही आली । लतन म ठाढ बनमाली; भ्रमर सी अलक, कस्तरी ततलक, चद्र सी झलक; लतलत छतव श्यामा प्यारी की ॥ श्री तगररधर कष्णमरारी की… कनकमय मोर मकट तबलस, दवता दरसन को तरस । गगन सो समन रातस बरस; बज मरचग, मधर तमरदग, ग्वातलन सग; अतल रतत गोप कमारी की ॥ श्री तगररधर कष्णमरारी की… जहा त प्रकट भई गगा, कलष कतल हाररतण श्रीगगा । स्मरन त होत मोह भगा; बसी तसव सीस, जटा क बीच, हर अघ कीच; चरन छतव श्रीबनवारी की ॥ श्री तगररधर कष्णमरारी की… चमकती उज्ज्वल तट रन, बज रही वदावन बन । चह तदतस गोतप ग्वाल धन; हसत मद मद,चादनी चद, कटत भव फद; टर सन दीन तभखारी की ॥ श्री तगररधर कष्णमरारी की…
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