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भारत में कीमत : 150 रुपए ।। बाकी दुनिया में 3 डॉलर
यह पुस्तक क्यों भारतीय समाज में मनहलाओं िे सुघड़ता से घरे लू मोर्ाा संभालकर पुरुषों को पररवार की दैिंददि जवाबदाररयों से मुक्त दकया फलत: पुरुष समाज में इज्जत व संपदा जुटा पाए। पुरुषों िे अपिी ऐसी उपलनधियों के नलए खूब वाहवाही पाई, पर Page | 2 मनहलाओं को क्या नमला? घर की र्हारदीवारी!
इि सबसे अहम् हैं सामानजक व राष्ट्रीय क्षनत। ऊजाावाि व उत्पादक आिी से ज्यादा मािव संपदा का दोहि ही िहीं हुआ। सोर्ें दक मनहलाएं घर-पररवार में जो दानयत्व संभालती हैं, उसका माके ट मूल्य में पुरुषों को पाररश्रनमक र्ुकािा पड़े तो दकतिा होता?
यह प्रनतपूर्तत तो दफर भी संभव है, पर मनहलाओं िे पुरुषों को जो मािनसकता संबल प्रदाि दकया है, उसका तो मूल्यांकि भी िहीं हुआ।
‘िारी िारायणी है। िर और िारायण दोिों उसकी कोख से जन्म लेते हैं- जैसे िारे तो हमिे खूब लगाए, पर निजी जीवि में िारी को बिाया िौकरािी या नबछौिा।’
इस पुस्तक की िानयकाएं मािती हैं दक कोई दकसी को सम्माि व संपदा तश्तरी में भेंट िहीं करता। यह तो स्वयं कमािा पड़ता है। स्वानभमाि बाजार में िहीं नबकता। इसकी बुनियाद है आत्मनिभारता। और आत्मनिभार बििे के नलए जरूरी है अपिा भनवष्य खुद र्ुिें और खुद ही बुिें।
मनहलाएं अपिा भनवष्य खुद र्ुिें और खुद ही बुिें Page | 3 मुझे समझ िहीं आता दक लोग क्यों कहते हैं- ‘मनहला और पुरुष में कोई फका िहीं है। यह कहकर वे दोिों के बीर् के खूबसूरत अंतर को िकारते हैं। ईश्वर िे सबको वरदाि ददए हैं, पर ये एक जैसे िहीं होते। जो मैं कर सकती हं, वो तुम िहीं कर सकते, जो तुम कर सकते हो वो मैं िहीं कर सकती।’ -मदर टेरेसा
सही कहा है मां टेरेसा िे। मनहला और पुरुष में फका है। मूलभूत फका है। नविाता की ये दोिों स्वतंत्र कृ नतयां हैं। उिकी उत्पनत का प्रयोजि अलग-अलग है। तद्िुसार ही दोिों की शरीर रर्िा अलग-अलग है। और अलग-अलग है दोिों की मािनसकता। दोिों में समािता खोजिा ‘बेनसक्स’ से भटकिा है। नविाता के कामकाज में खोट निकालिा है। मनहला और पुरुष समाि है- यह दलील वस्तुत: पुरुष प्रिाि समाज की सानजश है। इस कथि को बारं बार दोहरा कर ही सहस्रों वषों से पुरुष मनहलाओं का दोहि-शोषण कर रहे हैं। कभी ‘सॉफ्ट सेक्स’ कहकर उन्हें ददलासा देते हैं तो कभी यह दलील देकर भरमाते हैं दक दोिों को समाि अनिकार नमलिा र्ानहए, क्योंदक ये दोिों एक नसक्के के दो पहलू हैं, एक-दूसरे के पूरक हैं। पुरुषों की ऐसी उदारता प्रथमदृष्टया बड़ी कणानप्रय लगती है, पर इसमें छु पी ध्वनि पर गौर करें - ‘मनहलाएं पुरुषों के बराबर हो सकती हैं, बेहतर िहीं।’ सच्चाई यह है दक दकसी के दकसी से भी बेहतर होिे में ‘जेंडर’ का कोई लेिा-देिा िहीं है। प्रनतभा के वल ‘प्रनतभा’ होती है, पुरुष या मनहला िहीं। नवज्ञाि और मिोनवज्ञाि के अिुसार भी प्रकृ नत सेक्स आिाररत कोई पक्षपात िहीं करती। वस्तुत: इसके पीछे पुरुषों की छु पी मंशा है- ‘मनहलाओं को मुख्य िारा (इस पुस्तक के संदभा में कारोबारी जगत/प्रनतस्पिाा) से दूर रखिा।’ नवडंबिा यह है दक मनहलाओं को इस सानजश का सबसे पहले व सबसे ज्यादा नशकार बिािे वाले लोग हैं- उिके ही नपता, पनत, भाई और पुत्र। अपिे आसपास िजर दौड़ा लें। भारतीय समाज में मनहलाओं िे हमेशा सुघड़ता से घरे लू मोर्ाा संभाला है। वे बच्चों को जन्म देती हैं। उिका लालि-पालि करती हैं। उन्हें संस्काररत करती हैं। बुजग ु ों की देखभाल करती हैं। ऐसी अहम् जवाबदाररयां संभालकर ही मनहलाओं िे पुरुषों को घरे लू मोर्े से मुक्त दकया है। फलत: वे समाज में सम्माि व संपदा जुटा पाए। पुरुषों िे खूब वाह-वाही पाई पर मनहलाओं को क्या नमला? घर की र्ाहरदीवारी! मनहलाओं िे क्या खोया? आत्मनिभारता, अपिी निजी महत्वाकांक्षा! इि सबसे अहम् है सामानजक क्षनत। प्रनतभावाि मनहलाएं गृनहनणयां बिकर रह गईं, जबदक वे अपिा कै ररयर संवारतीं तो अपिे पररवार व अपिे देश का ज्यादा भला करतीं। ऊजाावाि व उत्पादक आिी से ज्यादा मािव संपदा का दोहि ही िहीं हुआ। सोर्ें दक होममेकर की हैनसयत से मनहलाएं घर-पररवार में जो दानयत्व संभालती हैं, उसका माके ट मूल्य से पुरुषों को पाररश्रनमक र्ुकािा पड़े तो दकतिा होगा? यह प्रनतपूर्तत तो दफर भी संभव है, पर मनहलाओं िे पुरुषों को जो मािनसक
संबल प्रदाि दकया है, उसका तो मूल्यांकि भी िहीं हो सकता। इस सच्चाई से बर्िे के नलए भारतीय पुरुषों िे मनहलाओं का स्वतंत्र अनस्तत्व नवकनसत ही िहीं होिे ददया और उिसे छीि ली उिकी आत्मनिभारता। गौरतलब है दक आज भी हमारे समाज में वह पीढी मौजूद है, जो मािती है दक लड़दकयों को पढािा खासकर उन्हें उच्च नशक्षा ददलवािा पररवार का पैसा व उिका समय बबााद करिा है। पुत्र, पुत्री से तुलिात्मक रूप से कम बुनिमाि है, वह Page | 4 पढऩा िहीं र्ाहता पर उसे जबरि पढाओ। पुत्री ज्यादा प्रनतभावाि है, पढऩा र्ाहती है, पर उसे घरे लू कामकाज नसखाओ, क्योंदक परं परािुसार उसकी नियनत है- पत्नी बिे, मां बिे, जीविपयंत अपिे नपता, भाई, पनत व पुत्रों की सेवासुश्रुषा करे । न्यू जिरे शि वुमेि इस निष्कषा से सहमत िहीं होगी। मैं भी उिकी इस दलील से सहमत हं दक मनहलाओं में नशक्षा के प्रनत सतका ता बढऩे के बाद समाज में उिकी हैनसयत एवं उिके प्रनत िारणा बदली है। इसका बेहतरीि उदाहरण है स्व. इं ददरा गांिी। उिके प्रनतद्वंद्वी भी कहते थे दक संसद में कोई पुरुष है तो इं ददरा गांिी। पर मैं नजस सच्चाई की ओर ध्याि आकर्तषत करिा र्ाहता हं, वह यह है दक नशनक्षत व शहरी पररवारों की युवनतयां/मनहलाएं आत्मनिभारता का महत्व समझिे लगी हैं, ककतु हमारे देश की बहुसंख्यक मनहलाएं, खासकर ग्रामीण मनहलाएं आज भी नशक्षा एवं अथाव्यवस्था की मुख्य िारा से दूर ही हैं। हालांदक पुश्तैिी खेतीबाड़ी या पशुपालि की जवाबदारी ग्रामीण मनहलाओं िे सुघड़ता से संभाली है। स्पष्ट कर दूं दक मैं समाजशास्त्री िहीं हं ि ही मेरी इस पुस्तक का उद्देश्य है िारी स्वतंत्रता या िारी समािता की पैरवी। मेरा नप्रय नवषय है Business world, जहां प्रनतभा पुरस्कृ त की जाती है, मनहला या पुरुष िहीं। यही कारण है दक मेरी इस पुस्तक की िानयकाएं वे उद्यमी मनहलाएं हैं, जो मािती हैं दक कोई दकसी को सम्माि व संपदा तश्तरी में भेंट िहीं करता। यह तो स्वयं कमािा पड़ता है। स्वानभमाि बाजार में िहीं नबकता। इसकी बुनियाद है आत्मनिभारता। और आत्मनिभार बििे के नलए जरूरी है अपिा भनवष्य खुद र्ुिें और खुद ही बुिें। अत्यंत तीखे व तीव्र प्रनतस्पिी माके ट में सफलता का परर्म फहरािे वाली इि उद्यनमयों की सबको सलाह है दक आम मनहला सबसे पहले अपिा माइं ड सेट बदले। मसलि पेप्सीको की सीईओ इं द्रा िूयी कहती हैं- ‘मैं दूसरों से ज्यादा स्माटा हं, क्योंदक मैं मनहला हं। मनहलाओं की क्षमताओं की कोई सीमा िहीं होती, जब वे अपिी ताकत पहर्ाि लेती हैं तो उन्हें कोई परास्त िहीं कर सकता।’ या दक एर्एसबीसी की कं ट्री हेड िैिालाल दकदवई का कहिा है- ‘कृ पया मुझे वुमेि एक्जीक्यूरटव ि कहें, मैं एक प्रोफे शिल एक्जीक्यूरटव हं और अपिी प्रोदफनसयंशी का पूरा मूल्य वसूल करती हं।’ ऐसे उदाहरणों की सूर्ी लंबी हैं नजन्हें इस पुस्तक में यथोनर्त संदभा के साथ आप आगे पढेंगे ही। संक्षेप में कहें तो इस पुस्तक की िानयकाएं मनहलाओं से जुड़े सामानजक नवरोिाभासों से पहले मुक्त हुई हैं, उन्होंिे मनहला होिे के नवशेषानिकार िहीं मांगे हैं, क्योंदक वे मािती हैं दक मािवानिकार मांगिे से िहीं नमलते। इसके नलए तो स्वयं मोर्े पर सबसे आगे पहुंर्िा पड़ता है। मुझे नवश्वास है दक मेरी पुस्तकें (शून्य से नशखर, लोकल से ग्लोबल -भारतीय उद्योगपनत, 25 सुपर ब्ांड्स, जी! नवतमंत्रीजी एवं इस्पात पुरुष लक्ष्मी नम तल, द बॉस (मानलक बिें िौकर िहीं) की तरह मेरे इस प्रयास को भी प्रबुि पाठक पसंद करें गे। इस पुस्तक का निनहताथा है- उद्यमशीलता का कोई नवकल्प िहीं है, पुरुष हो या मनहला, अपिी प्रनतभा का प्रनतस्पिी दोहि करें तो नशखर छू सकते हैं।
मुझे गवा है दक मैंिे अपिी पुस्तकों में पहली बार कॉरपोरे ट-इनतहास को हहदी में नलनपबि दकया है और पाठकों िे मेरी इस कोनशश को पसंद दकया है । इस काया में मुझे नजिका संबल नमला है, उिमें उल्लेखिीय है- श्री सुिीर अग्रवाल/डॉ. भारत अग्रवाल (भास्कर समूह)/श्री अशोक पाटिी (आर.के . माबाल ग्रुप)/ श्री श्रवण गगा (जागरण ग्रुप)/ स्व. श्री कन्हैयालाल फरक्या/ श्री प्रमोद फरक्या (नवनजलेंस पनधलनसटी), श्री निशीथ शरण (कॉरपोरे ट कं सल्टेंट), श्री नवजयशंकर मेहता (जीवि प्रबंिि समूह, उज्जैि), श्री अशोक गुप्ता (िेशिल इं डस्ट्रीज, भोपाल), िरे न्द्र मौया के साथ दामाद-पुत्रद्वय मिीष भाटी एवं कमलेश माहेश्वरी तथा पुत्रीद्वय अंशु एवं अंर्ल। आग्रह है दक पुस्तक पढें, प्रशंसा पत्र र्ाहे ि भेजें पर कमी पाएं तो अवश्य बताएं।
प्रकाश नबयाणी संपका : सुरनभ, 34 रनविगर (श्रीिगर) इं दौर-452018 फोि : 0731-2560777, मो. (0) 9303223928 ई-मेल : prakashbiyani@yahoo.co.in
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कु छ पन्ने रोशिी के िाम राम खीर खा। सीता काम कर। भुवि पाठशाला जा, नशक्षक से पढ। गीता पािी ला, नपताजी को खािा दे। मदि, बगीर्े में खेल। मीिा, मााँ की मदद कर। वषों से र्ले आ रहे प्राथनमक स्कू लों की पाठ्यपुस्तकों के इस पाठ को देखकर आपको समझ आ जाएगा दक इशारा दकस ओर है। इस पाठ को आज के वैनश्वक प्रनतस्पिाा के दौर को ध्याि में लाकर यह नवर्ार कीनजए दक हमारे देश की मनहलाओं में दकस बात की कमी है ? शनक्त रूप में पूजी जािे वाली भारतीय िारी को आनखर इतिे हल्के वजि से क्यों तोला जाता है ? कु छ ऐसे ही सवालों के जवाब को एक उद्यमी िजररये से ढू ंढिे का रर्िाकमा इस पुस्तक के रूप में जन्मा है। इस दकताब की 25 िानयकाएं देश के corporate world में सदिय वे हनस्तयां हैं नजन्होंिे अपिे दम पर अपिी पहर्ाि बिाई है। यकीिि इस बात से आप भी सहमत होंगे हमारे पारं पररक भारतीय समाज में मनहलाओं के योगदाि का सही मूल्यांकि िहीं होता। उिका त्याग, संयम, सहिशीलता, सूझबूझ जैसे तमाम मािवीय मूल्यों का सही श्रेय उन्हें उिकी हजदगी में िहीं नमल पाता। ऐसा िहीं है दक इसके नलए नसफा पुरुष प्रिाि समाज ही दोषी है। बहुत हद तक इसके नलए स्वयं वे मनहलाएं भी दोषी हैं जो पररवार की िुरी बििे के बाद खुद को दरदकिार कर लेती हैं। वे भूल जाती हैं दक उिकी भी एक हजदगी है। र्ाहे िौकरी हो या गृहस्थी या दफर कोई अन्य उद्यम भारतीय िारी हाथ में नलए काम को बहुत ही समपाण भाव से करती है। कई सवेक्षणों और वैज्ञानिक अध्ययिों में भी यह उभरकर आया है दक भारतीय मनहलाएं अपिे नलए कम और पररवार के नलए ज्यादा समय देती हैं। कु ल नमलाकर उिकी तुलिा उस मोमब ती से की जा सकती है जो खुद नपघलकर दूसरों को रोशि करती है। इसी तथ्य को सकारात्मक सोर् के साथ लेकर हमारी पुस्तक की िानयकाओं िे अपिी प्रनतभा, प्रज्ञा व उद्यमशीलता का इस तरह सदुपयोग दकया है दक वे पररवार के साथ खुद को भी स्थानपत कर पािे में सफल हुई हैं। कहिा होगा दक उि सभी के नलए अपिा नमशि इतिा आसाि िहीं था नजतिा दक आज उन्हें देखकर लगता है। उिके सामिे भी शरीर, मि और समाज के बिाए उसूलों के दायरे आए थे। लेदकि, ये दायरे उिके पैरों में बेनडय़ां िहीं बिे, बनल्क ऐसी प्रेरणा में रूपांतररत हुए नजिके दम पर वे िए मुकामों और मंनजलों की ओर बढ सकीं। इस पुस्तक की िानयकाओं सनहत हमारे समाज में कई मनहलाएं हैं नजन्होंिे नसि दकया है दक हम दकसी से कम िहीं। दुनिया में कोई काम आसाि िहीं होता और कोई काम इतिा मुनश्कल भी िहीं दक उसे असंभव कहा जा सके । इं सािी सभ्यता और मािव जानत के इसी मूलभूत गुण को मनहलाओं िे समझा तो है पर उसे व्यवहार में र्ुहिदा मनहलाएं ही ला पाई हैं। नजि मनहलाओं िे मुनश्कलों की आग में खुद को तपाया है आज वे कुं दि बिी हैं। इस सबके बीर् हमारी कोनशश
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महज इतिी है दक इस दकताब के पाठक ‘कॉरपोरे ट कुं दि’ बिी इि मनहला उद्यनमयों और प्रबंिकों से सकारात्मक प्रेरणा व ऊजाा प्राप्त करें । इस कोनशश के जररये हम भारतीय िारी का वह र्ेहरा सामिे लािा र्ाहते हैं जो आज तक िकारा गया है। देश के कॉरपोरे ट-प्रबंिि क्षेत्र में आ रहे िए बदलावों के साथ िई पीढी मैदाि में आई है। इस िई पीढी की िारी अपिे दायरों से निकलिे में कामयाब हो रही है। उिके तेवर साफ और सोर् खुली है- जो दक उन्हें खुले नवश्व में पहर्ाि ददला रही है। वतामाि दौर सूर्िा-िांनत का है और ज्ञाि आिाररत अथाव्यवस्था इसकी िींव है। ऐसे में हर एक राष्ट्र को ऐसे प्रबंिक व उद्यमी र्ानहए जो इस खुले ऑफर का भरपूर फायदा उठा सकें । उजले संकेत हैं दक भारत में ऐसी पीढी तैयार हो गई है जो सभी पूवााग्रहों और बंििों से परे लक्ष्यभेद कर रही है। इस पीढी की प्रनतभासंपन्न मनहलाएं आज हर र्ुिौती को सहज ढंग से लेकर कररश्माई ितीजे दे रही हैं। जरूरत है तो इतिी दक इि र्ुहिदा मनहलाओं की सफलता उि हजारों-लाखों आंखों तक पहुंर्-े जो अभी खुली िहीं हैं। एक अध्ययि के मुतानबक यदद भारत को नवकनसत राष्ट्र की कतार में शानमल होिा है तो इसकी नजम्मेदारी युवा पीढी को लेिी होगी और मनहलाओं को इसमें अहम भूनमका निभािी होगी। पूवा राष्ट्रपनत और महाि वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अधदुल कलाम द्वारा स्थानपत नवजि 2020 में भी इसी संकल्प का नजि दकया गया है। प्रनतभा और गुणों को ताले में बंद करके िहीं रखा जा सकता, लेदकि उन्हें छु पाकर रखिे में नजतिा उसके िारक का िुकसाि है- उतिा ही देश और समाज का। हम इि 25 सफल मनहलाओं की हजदगी के पन्नों के कु छ अंश आपके सामिे इस आशा से प्रस्तुत कर रहे हैं दक हो सकता है इिसे आपकी या आपसे जुड़े दकसी अन्य मनहला, पुरुष या बच्चे की हजदगी को िई ददशा व रोशिी नमले और सोर्ेंWe have begun to raise daughters like sons... But few have the courage to raise sons more like daughters.
कमलेश माहेश्वरी संपका : 9320390340 / maheshwari.kamlesh@gmail.com
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अध्याय अिुिम 1. अिु आगा - खरा सोिा, तपा सोिा, पूवा र्ेअरपसाि, थमेक्स 2. दकरण मजूमदार शॉ : मनलका-ए-बायोटेक ,सीएमडी, बॉयोकोि इं नडया 3. शोभिा भरनतया : हहदुस्ताि की अच्छी खबर वाइस र्ेअरपसाि, एर्. टी. मीनडया 4. मनल्लका श्रीनिवासि : सीईओ ट्रैक्टर वाली डायरे क्टर, टेफै 5. सुलज्जा दफरोददया मोटवािी : काया पलट इं जीनियर एमडी, कायिेरटक इं जी. 6. एकता कपूर : बुद्िू बक्से की शानतर नखलाड़ी, दिएरटव डायरे क्टर, बालाजी दफल्म्स 7. नवद्या मुरकम्बी : बेलगाम की यशोदा मां, र्ेअरपसाि, रे णुका शुगसा नलनमटेड 8. राजश्री पाथी : कोयम्बटू र की सीप में सच्चा मोती,सीएमडी, राजश्री शुगसा एंड के नमकल्स 9. प्रीथा रे ड्डी : अपोलो के ददल की आवाज, मैिेहजग डायरे क्टर, अपोलो हॉनस्पटल्स ग्रुप 10. नप्रया पाल : मानहर मेजबाि-ि थके , ि थमे र्ेअरपसाि, एपीजे सुरेंद्र पाका होटल्स 11. ज्योनत िाइक : नलज्जत की लज्जत प्रेनसडेंट, श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ 12. शहिाज हुसैि : इं नडयि हबाल क्वीि, संस्थापक-र्ेअरपसाि, शाहिाज हुसैि ग्रुप 13. ररतु िंदा : बीमा ब्ांड एम्बेसेडर, संस्थापक-र्ेअरपसाि, इस्को लाइफ 14. इं द्रा िूयी : पूरब की कली, पनिम में नखली, सीईओ, पेनप्सको 15. िैिालाल दकदवई : र्तुर-र्पल मिी मैिेजर, सीईओ, एर्एसबीसी ग्रुप (इं नडया) 16. रं जिा कु मार : िो र्ैलेंज टू नबग, पूवा सतका ता आयुक्त, कें द्रीय सतका ता आयोग 17. लनलता गुप्त:े लीडर नवद नडफरें स, पूवा सीओओ, आईसीआईसीआई 18. कल्पिा मोरपाररया : सफलता की हकीकत, नडप्टी एम.डी., आईसीआईसीआई 19. र्ंदा कोर्र : सफलता की रोशिी, मैिेहजग डायरे क्टर, आईसीआईसीआई 20. रे णक ु ा रामिाथ : मि की मौजी, काम से फौजी, सीईओ, आईसीआईसीआई वेंर्र 21. नविीता बाली : नबनस्कट से बुलंदी तक, मैिेहजग डायरे क्टर, नब्टानिया (इं नडया) 22. रे णु सूद किााड : सुघड़-सुजाि, घरवाली, मैिेहजग डायरे क्टर, एर्डीएफसी 23. फाल्गुिी िायर : कामयाबी का र्ोखा रं ग, पूवा एम.डी., कोटक महहद्रा फाइिेंस 24. शांनत एकम्बरम : काम से गठबंिि, आराम से तलाक, डायरे क्टर, कोटक महहद्रा कै नपटल 25. मिीषा नगरोत्रा : कॉपोरे ट हंटर, र्ेअरपसाि-एमडी, यूबीएस
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अिु आगा तपा सोिा, खरा सोिा िारी को नविाता से नमला है, िरा-सा िैया, िदी-सी र्ंर्लता, सुबह के सूरज-सी गुिगुिाती गरमी, पूर्तणमा के र्ंद्रमा-सा सौंदया, पवात-सी गगिर्ुम्बी ऊंर्ाइयां, अनि-सा तेज, िीर-सी नमलिसाररता, ओस-सी निग्िता, फू लों-सी कोमलता। कोमलता िारी का बाह्य रूप है अन्यथा िारी इतिी मजबूत भी है दक उग्र हो तो सूया के ताप को थका दे, नवस्फोटक हो जाए तो देश व समाज को तबाह कर दे, बनस्तयां बहा दे और शमा को शर्ममदा कर दे। मां सरस्वती रूप में िारी संतोषी है तो दुगाा व काली के रूप में असुरों का संहार भी दकया है िारी िे। िारी की कोख से के वल िर ही िहीं, िारायण भी जन्मे हैं। इिके बहािे ही जन्मी व पिपी है- सभ्यता, संस्कृ नत व संस्कार। जन्म: मुंबई/ नशक्षा: टाटा इंनस्टट्यूट ऑफ सोशल साइंस से अथाशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशि/ संप्रनत: थमेक्स की पूवा र्ेअरपसाि, सीआईआई व बाम्बे मैिेजमेंट एसोनसएशि की पूवा वररष्ठ पदानिकारी व नििाि वंनर्त बच्चों की नशक्षा से जुड़ी संस्थाओं की उदार मददगार/एिजीओ आकांक्षा की ट्रस्टी।
अिु आगा : तपा सोिा, खरा सोिा नविाता की हर कृ नत उत्कृ ष्ट व अिमोल है। दकसी का कोई सािी िहीं, कोई मुकाबला िहीं। हर कृ नत अपिे आप में संपूणा है, पर इि सबमें नसरमौर है- िारी। िारी की कोख से के वल िर ही िहीं, िारायण भी जन्मे हैं। इिके बहािे ही जन्मी व पिपी है- सभ्यता, संस्कृ नत व संस्कार। संक्षेप में कहें तो नविाता से पुरुषों को कठोरता व पौरुष नमला है तो इससे भी ज्यादा उदारता के साथ नविाता िे मनहलाओं को ममता, कोमलता व िैया प्रदाि दकया है। यही कारण है दक मनहला अपिे पररवार का लालि-पालि करती है तो जरूरत पडऩे पर उि जवाबदाररयों को भी बेहद सुघड़ता से संभाल लेती है जो पुरुषों के काम और दानयत्व मािे गए हैं। देश की नवश्वनवख्यात एिजी, एिवायरोंमेंटल इक्यूपमेंट्स (ऊजाा व पयाावरणीय उपकरण) एवं सॉल्यूशन्स कं पिी थमेक्स की पूवा र्ेयरपसाि श्रीमती अिु आगा इसका जीवंत व प्रेरक प्रमाण हैं दक गररमा व अनस्तत्व की लड़ाई हो तो मनहलाएं भगवाि व भाग्य का भी पूरी बहादुरी से सामिा कर सकती हैं। अिु आगा िे अपिे व्यनक्तत्व व कृ नतत्व से सानबत दकया है दक नविाता की हर परीक्षा में मनहला हो या पुरुष अच्छे अंकों से उत्तीणा हो सकते हैं। शता है, िैया ि खोएं और पूरे आत्मनवश्वास के साथ प्रनतकू ल पररनस्थनतयों से जूझें। सुख व दु:ख दोिों ही परीक्षा की घड़ी हैं। जो सुख व संपदा पाकर बौरा जाते हैं, वे भी हारते हैं और जो दु:ख में िैया व संयम खो देते हैं, वे भी हारते हैं। श्रीमती अिु आगा के ददवंगत पनत रोनहिटि आगा का ब्ेि र्ाइल्ड (मािस-पुत्र) है- थमेक्स समूह, नजसकी जड़ें ‘वािसि इं जीनियररग’ से जुड़ी हुई हैं। पुणे के एक पारसी शख्स स्व. ए.डी. बाथेिा िे बायलसा बिािे व बेर्िे के नलए ‘वािसि’ की स्थापिा की थी। श्री बाथेिा की पुत्री अरिवाज (अिु) िे टाटा इं नस्टट्यूट ऑफ सोशल साइन्स से पोस्ट ग्रेजुएशि करिे के बाद रोनहिटि ििजी शा आगा से नववाह दकया तो स्व. बाथेिा िे िीरे -िीरे अपिे दामाद को वािसि इं जीनियररग सौंप दी। रोनहिटि आगा िे कं पिी का िया िामकरण दकया-‘थमेक्स।’ श्रीमती अिु आगा िे भी पररवार द्वारा नियंनत्रत थमेक्स को सि् 1985 में मािव संसािि नवभाग के एक एक्जीक्यूरटव के रूप में जॉइि कर नलया। रोनहिटि आगा िे थमेक्स को अपिे क्षेत्र की नवश्वनवख्यात कं पिी बिा ददया, पर 16 फरवरी, 1996 को वज्रपात हुआ। थमेक्स के मुंबई नस्थत गेस्ट हाउस में रोनहिटि आगा का हृदयाघात से असामनयक नििि हो गया। आगा दंपनत के पुत्र कु रुष व पुत्री मेहर (पी.एि. पद्मजी से नववानहत) उि ददिों इं ग्लैंड में थे। पनत के नर्र नवयोग से व्याकु ल श्रीमती अिु आगा के आगे एक बड़ा संकट था- थमेक्स का सूत्रिार दकसे बिाएं, बच्चे तो छोटे हैं। एक साक्षात्कार में उन्होंिे तब कहा भी था- ‘‘मैं तो मािव संसािि नवभाग देख रही थी। रोनहिटि अिायास छोड़ गए तो मैं इिकी जगह लेिे को मािनसक रूप से तैयार िहीं थी। नहर्क यह िहीं थी दक मैं मनहला हं। ऊहापोह यह था दक मैं थमेक्स जैसी जरटल इं जीनियररग कं पिी को संभाल पाऊंगी? अिायास एक नवर्ार कौंिा दक रोनहिटि भी तो इं जीनियर िहीं थे। हमारे पास अच्छे व नवश्वसिीय लोगों की टीम है। यह मेरी मदद करें गे तो मैं पीछे क्यों हटूाँ?’’ पनत के नििि के तीि ददि बाद 19 फरवरी, 1996 को श्रीमती आगा िे थमेक्स के सूत्र साँभाले। नवनि का नविाि देनखए, उन्होंिे कं पिी का कामकाज समझिा शुरू दकया ही था दक दफर एक वज्रपात हुआ। एक साल बाद कार दुघाटिा में पच्चीस वषीय पुत्र कु रुष का नििि हो गया। सि् 1996 से 2000 के र्ार साल अिुजी के शधदों में जीवि के सबसे करठि परीक्षा
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के वषा थे। वे कहती हैं- ‘‘मैं अके ली थी और थमेक्स अन्य इं जीनियररग कं पनियों की तरह उि ददिों बुरे दौर से गुजर रही थी। थमेक्स की आत्मा रोनहिटि भी मेरे साथ िहीं थे। पररवार व नमत्रों का मुझे भरपूर संबल नमला और ध्याि (नवपश्यिा पिनत) िे मािनसक बल ददया। मुझे भगवाि पर भरोसा है, पर मैं अंि भक्त िहीं हाँ। दुर्ददिों से मैंिे सीखा दक भगवाि ही जािता है दक हमारे नलए अच्छा क्या है। अत: वह जो दे, उसे हमें सहषा स्वीकार कर लेिा र्ानहए।’’ एक Page | 11 साक्षात्कार में अिु आगा िे कहा है- ‘‘सूयाास्त को हम प्राकृ नतक व्यवस्था मािते हैं। इसी तरह मृत्यु भी प्राकृ नतक प्रदिया है, संकट िहीं। हरे क को जािा है। वह जाएगा ही।’’ (Anu Aga compared life and death to the rising and setting of the sun! When the sun sets, it is accepted as a natural process. Similarly death is not a tragedy; when one has to go, one will go. I don’t want to sound like a saint, but at least, I am aware that I am on this earth for a short time and I plan to make good use of every moment.)
फरवरी 96 से अक्टू बर 2004 तक साढे आठ साल अिु आगा िे थमेक्स को कै से साँभाला व पुरुष प्रिाि देश के कापोरे ट वल्र्ड में अपिा कद दकस ऊाँर्ाई पर पहुाँर्ाया, इसकी र्र्ाा करिे के पूवा यह दोहरािा प्रासंनगक होगा दक स्व. रोनहिटि आगा िे अपिे ससुर की नवरासत अपिी पत्नी को दकि हालात में लौटाई थी। रोनहिटि आगा को थमेक्स छोटे बाइलर बिािे वाली कं पिी के रूप में नमली थी। समय के साथ कदमताल करते हुए थमेक्स को उन्होंिे देश का सबसे बड़ा एिजी व एिवायरोंमेंट मैिेजमेंट/सॉल्यूशन्स व उपकरण ग्रुप बिाया। थमेक्स हर दकस्म के बायलरों के अलावा Absorption
, वेपर
Eqipments, Water Softening System, वाटर ट्रीटमेंट के नमकल्स, पॉवर कं ट्रोल्स, इलेक्ट्रॉनिक कं पोिेंट्स,
एयर पॉल्यूशि कं ट्रोल इक्यूपमेंट्स बिािे लगी। रोनहिटि िे पुणे के िजदीक हपपरी-हर्र्वाड़ में बड़े प्रमुख कारखािे सनहत अन्य र्ार स्थलों पर 14 प्लांट लगाए। इि-हाउस आर एंड डी सुनविा जुटाई। रोनहिटि आगा िे नवश्व की 15 बड़ी कं पनियों से तकिीकी व माके रटग गठबंिि दकया। ये सब अमेररका, इं ग्लैंड, जापाि, डेिमाका , इटली जैसे संपन्न देशों की अपिे-अपिे क्षेत्रों की महारथी कं पनियां हैं। अमेररकि व जापािी कं पनियों के साथ रोनहिटि िे संयुक्त वेंर्सा भी स्थानपत दकए। थमेक्स के प्लांट्स को अंतरराष्टरीय मान्यताएं ददलवाईं। जैसे-अमेररकि सोसायटी ऑफ मैकेनिकल इं जीनियसा के स्टेम्स (अिुमोदि) व आईएसओ, डीआईएि, जीओएसटी और एसबीएस प्रमाणि। थमेक्स के इं डनस्ट्रयल क्लाइं ट्स दुनिया के एक दजाि से ज्यादा देशों में फै ले हुए हैं। 3500 करोड़ रुपए (रोनहिटि आगा के नििि वषा में 600 करोड़) का थमेक्स समूह नवनशष्ट काया संस्कृ नत के नलए नवख्यात है। रोनहिटि आगा के जमािे तक एक परम्परा रही है दक ईमािदारी संदेहास्पद ि हो तो दकसी भी कमार्ारी को िौकरी से ि निकाला जाए। यहां तक दक अंडर परफामार (अयोग्य) भी दकसी ि दकसी तरह, कहीं ि कहीं समायोनजत कर नलए जाएं। इसका खानमयाजा भी थमेक्स िे भुगता है। युवा इं जीनियरों को प्रनशनक्षत करिे व उिकी निपुणता बढािे के नलए थमेक्स जािा जाता है। टेक्नोिे ट्स ब्ेि को लुभािे व रोकिे के नलए थमेक्स मशहर है। इं जीनियररग के युवा छात्र थमेक्स को ‘ग्रेट प्लेस ऑफ वका ’ कहते हैं और यहां से अपिा कै ररयर शुरू करिा र्ाहते हैं। यही कारण है दक थमेक्स िे कई उद्योगों को अत्यंत कु शल टेक्नोिे ट्स ददए हैं। नजि लोगों िे एक बार भी थमेक्स में काम दकया और बाद में अपिी कं पिी खोली या अन्यत्र िौकरी की, वे आज भी मािते हैं दक थमेक्स ‘अंडपोषण प्रयोगशाला’ (इिक्यूबेशि लैब) है। अपिी कं पनियां स्थानपत कर र्ुके थमेनक्शयि-अजय कश्यप,
ददलीप र्ौहाि, राजू हलवे, गगि एम. पटविाि, सुरेंद्र के . र्टजी, प्रसाद एम. कु मार, जूझेर एस. कोठारी, आर.ए. वेंकटार्लम, नविायक देशपांडे, संजय सौंिी खुद को थमेक्स ग्रेजुएट मािते हैं। एक्स थमेनक्शयि नियनमत रूप से कं पिी के न्यूज लेटर में नलखते हैं। वे प्राय: नमलते भी हैं। ऐसी ही एक सोशल मीरटग में अिु आगा िे कहा है- ‘‘मेरे नलए यह अद्भुत अिुभूनत है दक पूवा सहयोगी अन्यत्र काम करते हुए भी हमें भूले िहीं हैं। मैं भावुक हो जाती हं-जब वे कहते हैं दक Page | 12 थमेक्स आज भी हमारा लास्टिेम (गोत्र) है।’’ नबजिेस इं नडया को एक साक्षात्कार में नविायक देशपांडे (एमडी, टाटा हिीवेल) िे कहा है-‘‘एक बार मुझे श्री आगा िे नडिर व हिंक के नलए निमंत्रण ददया। खुद कार िंाइव करके वे मुझे होटल ले गए, वहां मुझे अच्छे परफारमेंस के प्रोत्साहि स्वरूप र्ेक भेंट दकया। यह मेरे नलए आज तक अमूल्य प्रेरणा बिा हुआ है। वे आगे बताते हैं दक कई बार ऐसा हुआ दक हम देर रात तक काम करिे के बाद घर के नलए निकलते थे तो श्री बाथेिा या श्री आगा खुद हमें घर छोडऩे जाते थे।’’ रोनहिटि आगा सािारण आदमी को असािारण उद्यमी बिा देते थे। उिके नबजिेस का प्रयोजि के वल ििोपाजाि िहीं था। उिके सहयोगी कभी भी उिसे टेलीफोि पर बात कर लेते थे। वे जूनियर को भी जरटल व बड़ी जवाबदारी सौंप देते थे। वस्तुत: स्व. आगा ज्योत से ज्योत जलािे वाली हर्गारी थे। नविाता नजतिा िू र है, उससे ज्यादा उदार भी। नपता व पनत द्वारा स्थानपत ऐसा प्रनतनष्ठत पर अिूठा इं जीनियररग समूह उसिे श्रीमती आगा को नबिा पूवााभास व तैयारी के सौंपा तो उन्हें वे गुण व दृढ शनक्त भी दी दक वे इसे संभाल सकें । रठगिे कद की हमारे इस आलेख की िानयका अिुजी को िजदीक से जाििे वाले लोग कहते हैं दक प्रथम दृष्टया वे पुरुषोनर्त रूखे व कठोर स्वभाव वाली एक्जीक्यूरटव ददखती हैं, पर जैसे ही बोलिा शुरू करती हैं-आतंक का सारा आवरण तार-तार हो जाता है। अिुजी उस ऑदफस बॉय के हाल-र्ाल पूछिा िहीं भूलतीं, जो उिके नलए दरवाजा खोलता है। वे के वल पूछताछ ही िहीं करतीं, एक क्षण रठठककर उसका जवाब भी सुिती हैं। उिके ही शधदों में कहें तो ‘Leader should treat people as people.’ वे मािती हैं दक आसपास बेरोजगार या अन्न को तरसते लोग हों तो संपन्न व्यनक्त कै से सुरनक्षत रह सकता है। सच्चा व असली उद्यमी वह है, जो कमाता है तो कमाई का एक नहस्सा समाज कल्याण के कायों पर खर्ा करे । पीआईआई व बॉम्बे मैिेजमेंट एसोनसएशि की पूवा वररष्ठ पदानिकारी व सदिय सदस्य अिुजी नििाि व वंनर्त बच्चों की नशक्षा से जुड़ी कई संस्थाओं की उदार मददगार हैं। गुजरात के दंगों पर सीआईआई द्वारा आयोनजत एक बैठक में वे बेहद भावुक हो गई थीं, पर इतिा खुलकर बोलीं दक राजिेता व उद्योग जगत की उन्होंिे िींद उड़ा दी। गुजरात में दंगों पर उिके बेबाक संबोिि को सुिकर नमत्र-पररजिों िे उन्हें बाद में सलाह दी दक वे संयनमत रहें। आपका पररवार है, आप कारोबार करती हैं- अकारण जोनखम ि उठाएं। अिु आगा का जवाब था- ‘‘मैं अपिे पनत व पुत्र की मौत देख र्ुकी हं। इससे ज्यादा अवसादपूणा अवस्था और क्या होगी? खाली ऐसे ही मर जािे से क्या फायदा?’’ (My husband died in 1996. I lost my only son in a car accident a year later. When you have faced death, what else can you face that is more traumatic: Says Anu Aga)
अिु आगा के साहस का एक और उदाहरण है दक सि् 2001 में रक्षा मंत्रालय में उच्चस्तरीय भ्रष्टार्ार को तहलका िे उजागर दकया तो उन्होंिे खुलआ े म तहलका को एक सहयोग रानश र्ेक के माफा त भेजी। नबजिेस टू डे (नसतंबर 2006) िे
नलखा है- ‘भारतीय उद्योग जगत में रति टाटा, राहुल बजाज, या िारायणमूर्तत जैसे कई पुरुष उद्यमी हैं, नजन्होंिे अपिे व्यनक्तत्व व कृ नतत्व से आसमािी ऊंर्ाइयों को छु आ है, पर मनहला उद्यमी एक ही है- अिु आगा। वे जब बोलती हैं तो दुनिया सुिती है क्योंदक वे ददल से बोलती हैं।’ देश के corporate world में सम्मािजिक हैनसयत जुटािे के पहले अपिा घर (थमेक्स) संवारिे में भी श्रीमती आगा को Page | 13 संघषा करिा पड़ा है। पनत के नििि के बाद नवनभन्न कारणों से थमेक्स का कारोबार व मुिाफा घटिे लगा था। असंगत क्षेत्रों में थमेक्स के नवस्तार िे उिका संकट बढाया था। सि् 1996 से देश में बुनियादी सुनविाओं के नवस्तार हेतु सरकारी स्तर पर खर्ा घटा था। कै नपटल गुड्स क्षेत्र-टेक्सटाइल, पेपर, खाद्य व सीमेंट मंदी की नगरफ्त में आए तो उन्होंिे अपिी नवस्तार पररयोजिाएं रोक दी थीं। स्व. रोनहिटि आगा जहां मािवीय स्तर पर ‘सॉफ्ट’ थे, वहीं वानणनज्यक स्तर पर जरूरत पडऩे पर बेहद ‘हाडा’ भी हो जाते थे। 1984-86 में कं पिी में िकद आवक घटिे पर रोनहिटि िे एक क्षण में तीि एक्जीक्यूरटव डायरे क्टरों से त्यागपत्र मांग नलए थे। श्रीमती अिु आगा को यह बात समझिे में दो साल लग गए दक कोई भी उद्योग ऐसी र्ेररटेबल संस्था िहीं हो सकता, जो िॉि परफॉरमसा का पार्ककग प्लेस बि जाए। इस बीर् कहा गया दक थमेक्स जैसे जरटल इं जीनियररग समूह को संभालिा श्रीमती आगा के बूते की बात िहीं है। वे बहुत जल्दी अपिे शेयर (करीब 60 फीसदी) बेर्कर इं ग्लैंड र्ली जाएंगी। ऐसे लोगों को पूरी नविम्रता व दृढता के साथ अिु आगा िे तब जवाब ददया था-‘’थमेक्स मेरे नपता व पनत की कमाभूनम है। मेरे पास इसके सबसे ज्यादा शेयर हैं। अपिे व अपिे शेयर िारकों के नलए इसे र्लािा मेरे नहत में है और मेरा िमा भी। संयोग से मैं उि नगिे-र्ुिे लोगों में हाँ नजिके नलए काम करिा या कमािा अनिवाया जरूरत या मजबूरी िहीं हो’’। थमेक्स की लौह मनहला र्ीफ श्रीमती आगा िे लोगों की व्यंग्योनक्त का तो माकू ल जवाब ददया, पर खुद हर्ति दकया तो पाया दक मैिेहजग डायरे क्टर कं पिी के बोडा के सामिे साल के अंत में अपिी ररपोटा पेश करता है दक क्या होिा था और क्या हुआ? बोडा उससे सवाल-जवाब करता है, पर उिके साथ ऐसा िहीं हो रहा है। इसका कारण शायद यह है दक वे थमेक्स की मानलक व र्ेअरपसाि भी हैं। अत: बोडा के सदस्य उिसे पूछताछ करिे में नहर्दकर्ाते हैं ।
कं पिी के कामकाज की वास्तनवक व निष्पक्ष समीक्षा हो, इसनलए जुलाई, 1999 में श्रीमती आगा िे एक्जीक्यूरटव जवाबदारी छोड़ दी और थमेक्स के दो दशक पुरािे एक्जीक्यूरटव अभय िलवाड़े को मैिेहजग डायरे क्टर व सीईओ बिाया। इसके बाद भी अपेनक्षत पररणाम िहीं नमले तो उन्होंिे बोस्टि कं सल्टेंसी ग्रुप की मदद ली। इस ग्रुप की सलाह पर भारतीय corporate world के इनतहास में पहली बार थमेक्स के पूरे नियंत्रक मंडल िे एक साथ त्यागपत्र ददया। इसमें कं पिी के एमडी व सीईओ श्री िलवाड़े के अलावा आगा दंपनत की पुत्री मेहर पदमजी व दामाद पी.एि. पदमजी भी शानमल थे। िए नियंत्रक मंडल का पुिगाठि करते समय श्रीमती अिु आगा िे जॉइं ट मैिेहजग डायरे क्टर प्रकाश कु लकणी को पदोन्नत कर मैिेहजग डायरे क्टर बिाया। उिका दूसरा कदम था-थमेक्स को उि व्यवसायों से अलग करिा, जो लाभदायक िहीं हैं। तद्िुसार इलेक्ट्रॉनिक्स, सॉफ्टवेयर, सरफे स कोरटग, फाइिेंस, वाटर सर्तवसेस व माइिो टरबाइं स से थमेक्स मुक्त हुआ। तीि हजार कार्तमकों की बड़ी फौज को घटािे के नलए उदार स्वैनच्छक सेवानिवृनत्त योजिा लागू की गई।
इस योजिा के तहत 466 लोगों को सेवा निवृनत्त देिे के नलए थमेक्स को 17 करोड़ रुपए खर्ा करिा पड़े। शेयर माके ट िे दुर्ददिों में थमेक्स का साथ िहीं ददया। रोनहिटि आगा के नििि के तत्काल बाद थमेक्स के शेयर का मूल्य 400 रुपए से घटकर मात्र 36 रुपए रह गया था। शेयरों के मूल्य नगरे , पर अिु आगा िे तब भी लाभांश नवतरण िहीं घटाया। नवत्तवषा 1999 में भी 1998 की तरह पैंतीस फीसदी लाभांश ददया। थमेक्स का ररजवा भी इि सालों में 294.56 करोड़ रुपए से बढक़र 323.92 हो गया। स्व. रोनहिटि आगा के कायाकाल में नवत्त वषा 1996 सबसे उत्कृ ष्ट रहा था, तब कं पिी िे नबिी व अन्य आय पेटे 437.66 करोड़ रुपए जुटाए थे और शुि मुिाफा कमाया था 45.17 करोड़ रुपए। श्रीमती अिु आगा के दौर में कं पिी का सबसे खराब साल रहा नवत्त वषा 2000, जब कं पिी िे 313.77 करोड़ रुपए की नबिी पेटे 32.34 करोड़ मुिाफा दशााया। एक दशक में अिु आगा िे सारी नस्थनतयां बदल दीं। आज थमेक्स सालािा 3500 करोड़ रुपए का कारोबार कर रहा है। सम्माि और सत्ता प्राप्त करिे से ज्यादा करठि है इिके मोहजाल से मुक्त होिा। साहसी शख्स ही वीतरागी की तरह इिका सम्मोहि छोड़ पाते हैं। अिु आगा ऐसी ही मनहला उद्यमी हैं। पररनस्थनतयों के परािीि होकर उन्होंिे थमेक्स की बागडोर संभाली थी तो 62 वषा की उम्र में यह दानयत्व उन्होंिे अपिी पुत्री मेहर पद्मजी को ऐसे सौंप ददया मािो थमेक्स से कोई िाता ररश्ता िहीं है। अक्टू बर 2004 में अपिी सेवानिवृनत्त की घोषणा करते हुए उन्होंिे कहा- मैं एर्.आर. शख्स हं। मेरा सोर् है दक हर व्यनक्त को पद तब स्वेच्छा से छोड़ देिा र्ानहए जब उसकी मांग हो। समझदार लोग उस ददि की प्रतीक्षा िहीं करते, जब लोग कहें दक हम आप से ऊब गए हैं। दूसरे , मैं यह िहीं र्ाहती दक मेरे मरिे के बाद अिायास मेरी पुत्री को थमेक्स संभालिा पड़े। मैं इस पीड़ा की भुक्तभोगी हं। इस संदभा में नबजिेस लाइि में प्रकानशत एक साक्षात्कार और थमेक्स की हाउस मैगजीि में अिु आगा द्वारा नलखे गए समापि लेख (Finish) का सार दोहरािा भी प्रासंनगक होगा। वे कहती हैं- ‘‘थमेक्स जॉइि करिे के पहले मैं मिमौजी (Butterfly)
मनहला थी। वे ददि बड़े मजेदार थे, जो रोनहिटि को रास िहीं आए। उन्होंिे मुझे टोकिा शुरू दकया- जब तुम
काम िहीं करती हो तो बहुत बोर लगती हो।’’ अिु आगा कहती हैं- ‘‘उिके इस अंदाज िे ही मुझे वर्ककग वुमेि बिाया था। नविाता िे कड़ी परीक्षा ली। मुझे थमेक्स की बागडोर संभालिा पड़ी। दुर्ददि गुजर गए हैं। मेरे पेट में समाई नततली दफर फडफ़ड़ािे लगी है। ऐसे कई काम करिा हैं, नजन्हें करिे का अब तक समय िहीं नमला। सबसे पहले तो मैं अपिी बेटी की नशकायत दूर करूंगी। वे कहती हैं मैं अपिे िानतयों की ‘हाय एंड बॉय’’ िािी हं। अब मैं अपिे िानतयों के साथ रहिा र्ाहती हं। पढऩा, नलखिा और घूमिा मेरी हॉबी है। मैं समाजसेवा से सीिे जुडऩा र्ाहती हं। थमेक्स के मुिाफे का एक फीसदी नहस्सा समाज सेवा के नलए खर्ा करूंगी। एिजीओ आकांक्षा (मुब ं ई नस्थत एक एिजीओ) की मैं ट्रस्टी हं। हम नििाि बनस्तयों के बच्चों की नशक्षा का प्रबंिि करिा र्ाहते हैं।’’
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मेहर पदमजी 11 अक्टू बर 1966 को जन्मी मेहर पदमजी िे िौरसजी वानडया कॉलेज पुणे से हायर सेकंडरी परीक्षा उत्तीणा करिे के बाद इम्पीररयर कॉलेज ऑफ इं जीनियररग एंड टेक्नालॉजी लंदि से के नमकल इं जीनियररग की नडग्री प्राप्त की है। र्ार साल की उच्च नशक्षा के बाद अगस्त, 1990 में उन्होंिे थमेक्स को ट्रेिी इं जीनियर के रूप में ज्वॉइि दकया था। उिके पनत दफरोज पदमजी एमबीए हैं। उन्होंिे स्टेिफोडा यूनिवर्तसटी से ऑटोमोबाइल टेक्नालॉजी में नडप्लोमा भी प्राप्त दकया है। अप्रैल, 1991 में रोनहिटि आगा िे पुत्री व दामाद को थमेक्स की इं ग्लैंड नस्थत सहयोगी कं पिी की जवाबदारी सौंपी थी। वहां इस युवा दम्पनत िे माके रटग के साथ फै क्ट्री व कं पिी प्रबंिि का व्यावहाररक अिुभव जुटाया। सि् 1996 में रोनहिटि आगा के नििि के बाद मेहर व दफरोज भारत आए और उन्होंिे थमेक्स में मां के साथ कई जवाबदाररयां संभालीं। सि् 2001 में थमेक्स के नियंत्रक मंडल िे मेहर को एक्जीक्यूरटव डायरे क्टर और सि् 2002 में वाइस र्ेअरपसाि नियुक्त करके संकेत दे ददया था दक वे अिुजी की कॉरपोरे ट उत्तरानिकारी भी हैं। सही भी है थमेक्स को दुर्ददिों से उबारिे में बेटी िे मां की खूब मदद की है। अपिे ऊजाावाि 16 वषा मेहर िे थमेक्स में ही व्यतीत दकए हैं। उिके ही प्रयासों से एक नबनलयि डॉलर से कम कारोबार करिे वाली एनशयि कं पनियों की Forbes की सूर्ी (2005) में थमेक्स िे इं ट्री ली है। कं पिी का सालािा टिा ओवर 3500 करोड़ से ज्यादा हो र्ुका है। आगा दंपनत िे अपिी कापोरे ट नवरासत और कॉरपोरे ट संस्कृ नत के नलए बेटी व दामाद को योजिाबि तरीके से तैयार दकया है। मेहर पदमजी िे वेस्टिा क्लानसक म्यूनजक का नवनिवत् प्रनशक्षण नलया है। वे अच्छी गानयका व नपयािो वादक भी हैं। मां-बेटी (अिु आगा व मेहर पदमजी) की के नमस्ट्री को समझिा आसाि िहीं है पर यह समझिा आसाि है दक मनहलाओं की संयुक्त शनक्त पुरुषों की तुलिा में ज्यादा पररणामोन्मुखी होती है।
अध्याय 2
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दकरण मजूमदार शॉ मनलका-ए-बायोटेक मनहला या पुरुष में प्रकृ नत कोई पक्षपात िहीं करती। यह तो पुरुषों की सानजश है, नजसके पीछे छु पी मंशा हैमनहलाओं को मुख्यिारा एवं कारोबारी प्रनतस्पिाा से दूर रखिा। नजि मनहलाओं िे इस सानजश को समझ नलया, उन्होंिे हमारे समाज में सददयों से व्याप्त नमथक (मनहलाएं वीकर सेक्स) को नछन्न-नभन्न करके अपिे काया क्षेत्र में पुरुषों को अपिा अिुगामी व अिुयायी बिा नलया है। इसका बेहतरीि उदाहरण हैं स्व. इंददरा गांिी। उिके प्रनतद्वंद्वी भी कहते थे दक संसद में कोई पुरुष है तो इंददरा गांिी। ऐसी ही दबंग व दु:साहसी उद्यमी हैं, नजन्हें Business world िे ‘मदर ऑफ इन्वेंशि’ और ‘बायोटेक क्वीि’ जैसे नवशेषणों से िवाजा है। नशक्षा : बैंगलोर के Bishop cotton Girls School और माउं ट कॉलेज से प्रारं नभक नशक्षा, ऑस्ट्रेनलया की बेलाडा यूनिवर्तसटी से ब्ेइंग में ग्रेजुएशि/ संप्रनत: बॉयोकॉि इंनडया की सीईओ। एसोनसएशि ऑफ बायोटेक इंटरप्राइजेस की प्रेनसडेंट। पद्यमश्री और पद्मभूषण से सम्मानित। इकॉिानमक टाइम्स के वूमेि ऑफ द ईयर से सम्मानित। इंनडयि फाउं डेशि का कारपोरे ट लीडरनशव अवाडा, Forbes मैगजीि के अिुसार दुनिया की 50 पावरफु ल हस्ती (2006) में से एक।
दकरण मजूमदार शॉ : मनलका -ए-बायोटेक प्रकृ नत िे मनहलाओं को पुरुषों की तुलिा में ज्यादा सहिशील या पुरुषों को मनहलाओं की तुलिा में ज्यादा साहसी बिाया है? नवज्ञाि और मिोनवज्ञाि के अिुसार प्रकृ नत सेक्स आिाररत ऐसा कोई पक्षपात िहीं करती। यह तो पुरुषों की सानजश है। ऐसी ही दबंग व दु:साहसी उद्यमी हैं दकरण मजूमदार शॉ नजन्हें Business world िे ‘मदर ऑफ इन्वेंशि’ और ‘बायोटेक क्वीि’ जैसे नवशेषणों से िवाजा है। 80 का दशक याद करें । पंजाब आतंक की प्रर्ंड आग से झुलस रहा था। 27 वषीय एक युवती र्ंडीगढ से कपूरथला जािे वाली बस में सवार हुई । उसिे देखा दक बस में वह अके ली मनहला है शेष सारे कृ पाण व तलवारिारी नसक्ख हैं। उस युवती िे नबिा डरे वह यात्रा पूरी की। वह मनहला थी-दकरण मजूमदार शॉ, जो आज देश की सबसे ज्यादा ििाढ्य स्वयंभू (Self made first generation) मनहला उद्यमी हैं। एक मध्यमवगीय महाराष्ट्रीयि पररवार में जन्मी बॉयोकॉि इं नडया की संस्थापक र्ेअरमैि दकरण मजूमदार जन्म से ही दबंग व्यनक्तत्व की ििी हैं। उिके इस गुण को उिके नपता आर.आई. मजूमदार िे बर्पि में ही पहर्ाि नलया था। यूिाइटेड ब्ेवरीज (नवजय माल्या के नबजिेस ग्रुप) में कायारत नपता िे पुत्री का इसीनलए लीक से हटकर लालि-पालि दकया। स्कू ली नशक्षा पूरी होते ही दकरण उच्च नशक्षा के नलए ऑस्ट्रेनलया र्ली गईं। वे डॉक्टर बििा र्ाहती थीं, पर मेनडकल कॉलेज में प्रवेश िहीं नमला। नियनत उिसे नर्दकत्सकों से भी ज्यादा िोबल काया जो करवािा र्ाहती थी। मेलबोिा की बेलाडा यूनिवर्तसटी से 25 साल की उम्र में बीएससी (ब्ेइंग ब्ेवरे जेस की रसायनिक प्रदिया) की ऑस्ट्रेनलयि नडग्री लेकर दकरण स्वदेश लौटीं तब वे देश की पहली ‘ब्ेवनमस्ट्रे्रस’ थीं। इस एक्सक्लूनसव एजुकेशि के कारण ब्ेवरे ज कं पनियों में उन्हें अच्छी िौकरी नमल सकती थी, पर दकरण को तो उिके नपता िे बर्पि में नसखाया था दक वैज्ञानिक ज्ञाि ‘हाडा करं सी’ है जो सबको िहीं नमलती। पुरुष हो या मनहला यदद अपिी बौनिक संपदा का प्रयोजिशील उपयोग िहीं करते हैं तो वे अपिे से ज्यादा अपिे देश का िुकसाि करते हैं। दकसी भी प्रबुि व्यनक्त को अपिी सामथ्र्य अकारण बबााद करिे का हक िहीं है। यही हुआ!
(My late father, R.I. Mazumdar believed that scientific knowledge is hard currency. Not everyone has these intellectual assets. He also encouraged me to pursue a career by applying my knowledge in a gainful manner. He believed that women who did not utilize their education in a meaningful manner had in essence destroyed valuable intellectual capital for the country. Says Kiran Mazumdar Shaw in an Interview published in the Businessworld woman)
दकरण मजूमदार िे सि् 1978 में बैंगलोर के िजदीक कोरमांगला में एक छोटे से शेड में 10 हजार रुपए की पूंजी से लीकर फरमेंटेशि के नलए एंजाइम बिािा शुरू दकया। नपता अपिी सारी सेहवग्स एक गलत निवेश में गं वा र्ुके थे, फलत: दकरण मजूमदार के पास पूंजी िहीं थी। उिके इस प्रोजेक्ट में भागीदार बिीं आयरलैंड की बॉयोकॉि के नमकल्स। थोड़े ही ददिों में बॉयोकॉि के नमकल्स की इदक्वटी यूिीलीवर िे खरीद ली और वह दकरण मजूमदार की िई भागीदार बि गई। यह पाटािरनशप दकरण मजूमदार के पैरों में बेड़ी बि गई। लीवर िे उन्हें कोई अन्य उत्पाद पर शोि करिे या बिािे
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की अिुमनत िहीं दी। 25 साल तक बॉयोकॉि इं नडया ‘वि प्रोडक्ट’ कं पिी बिी रही। दकरण मजूमदार के िैया की प्रशंसा करते हुए उिके बाल-सखा नवजय माल्या कहते हैं- ‘‘70 के दशक में उद्यमी पुरुष भी एक अिजािे सेक्टर में निवेश करिे या दांव लगािे से डरते थे, पर दकरण बॉयो टेक्नोलॉजी सेक्टर में डटी रहीं। दकरण मजूमदार िे तब जो दकया वह अपिे आप में एक अद्भुत नमसाल है।’’ सि् 1998 में दकरण मजूमदार को इस बंिि से मुनक्त नमली। वस्तुत: यह उिके जीवि का ‘टर्मिग ईयर’ भी था। कहते हैंनववाह स्वगा में तय होते हैं, नमलि िरती पर। कभी-कभी इिके बीर् लंबी दूरी होती है। दकरण मजूमदार के साथ भी यही हुआ है। सि् 1998 में 45 वषा की उम्र में उन्होंिे स्कॉटलैंड के मूल निवासी जॉि शॉ से नववाह दकया। जॉि शॉ तब मदुरा कोट्स के मैिेहजग डायरे क्टर थे। जॉि शॉ िे अपिी पत्नी को पहली सौगात दी- यूिीलीवर की पकड़ से मुनक्त। अपिी सारी बर्त निवेश करके व अपिी सारी नवत्तीय सूझबूझ का दोहि करके जॉि शॉ िे यूिीलीवर से बॉयोकॉि इं नडया की 25 फीसदी इदक्वटी खरीद ली। इसके साथ दकरण मजूमदार शॉ को पंख लग गए। अपिी स्थापिा से 20 साल (1978-1999) में बॉयोकॉि इं नडया का टिा ओवर 54 करोड़ रु. पहुंर् पाया था, जो बाद के छह साल (1999-2005) में 700 करोड़ रु. हो गया। (नवत्त वषा 2010 में 865 करोड़ रु. ) ददलर्स्प बात यह है दक लगभग अिजाि बॉयोकॉि इं नडया को मात्र पांर् साल में देश की सबसे बड़ी बायो टेक्नोलोजी कं पिी बिािे में अहम् भूनमका निभािे वाले अत्यंत लो प्रोफाइल जॉि शॉ सारा श्रेय दकरण मजूमदार की उद्यमशीलता और उिकी टीम को देते हैं। वे कहते हैं- Kiran is married to her top team. ध्याि दें दक जॉि शॉ मजादकया अंदाज में बॉयोकॉि इं नडया की एर्आर पॉनलसी (मािव संसािि रणिीनत) बयाि कर गए हैं। इसका निनहताथा दकरण मजूमदार शॉ के एक साक्षात्कार में उजागर हुआ है। वे कहती हैं- ‘‘बॉयोकॉि की जीत का मंत्र है सही समय पर सही व्यनक्त को सही जवाबदारी। खुले माहौल, पारदशी नमलिसाररता िे मेरे और मेरे स्टाफ के बीर् एक अत्यंत मजबूत सेतु बिाया है। मैं अपिे संगी सानथयों से कहती हं दक भ्रष्ट लेिदेि िहीं करें और संगठि की अखंडता को मजबूत करें ।’’ (The right job for the right person is a winning formula. I suppose my open and frank approach in dealing with people that has built up a strong trust level between me and my colleagues. I encourage my people not to give in to corrupt practices and urge them to preserve the integrity of our organization at all times. Says Kiran Mazumdar Shaw)
दकरण िे 26 वषा की उम्र में बायो टेक्नोलोजी को पूरी तरह समझे नबिा बॉयोकॉि इं नडया की स्थापिा की थी। यह उिकी बौनिक संपदा, दूरदृनष्ट व उद्यमशीलता थी, पर उिकी एक और नवशेषता है दक वे पलक झपकते ही व्यनक्त की प्रनतभा व प्रनतभा की गहराई पहर्ाि लेती हैं और मौका नमलते ही प्रनतभावाि व्यनक्त को ऐसे जकड़ती हैं दक वह उिके नशकं जे (पढेंसंसगा) से दफर मुक्त िहीं हो पाता (पढें- िहीं होिा र्ाहता)। 80 के दशक का एक प्रसंग है- आईआईटी मद्रास के एक छात्र श्रीकु मार सूयािारायण दकरण मजूमदार से नमलिे आए। उन्हें एक एजुकेशिल प्रोजेक्ट के नलए एंजाइम की जरूरत थी। उि ददिों एंजाइम की कीमत 300 रुपए होती थी जो एक छात्र के नलए र्ुकािा आसाि िहीं था। दकरण मजूमदार िे नबिा
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शुल्क उन्हें एंजाइम दे ददया पर जाते-जाते कहा- ‘‘नमलते रहिा।’’ दो साल बाद एमटेक की नडग्री से लैस सूयािारायण दकरण मजूमदार से नमलिे आए और उन्हें बताया दक मुझे स्कॉलरनशप नमल गई है। मैं पीएर्डी करिे अमेररका जा रहा हं। जवाब नमला- ‘‘आप यहीं रहें और बायोटेक के नलए ररसर्ा करें ।’’ यही हुआ। बॉयोकॉि इं नडया में ऐसे कई उदाहरण हैं। अमेररका के एक टेक्नोलॉजी इं नस्टट्यूट से पीएर्डी अरुण र्ंदावरकर के नपता Page | 19 हहदुस्ताि लीवर में काम करते थे। अरुण को भी लीवर से अच्छे वेति पर जॉब का ऑफर था, पर उन्होंिे कम वेति पर बॉयोकॉि इं नडया को जॉइि दकया। Business world में दकरण मजूमदार की सक्सेस स्टोरी पढक़र अजय भारद्वाज िे मेक्स इं नडया की िौकरी छोड़ी। मुरली कृ ष्णि सि् 1988 में सीए की पढाई कर रहे थे। दकरण मजूमदार िे उिकी नवत्तीय सूझबूझ को परख नलया और जॉब ऑफर कर दी। मुरली कृ ष्णि दकरण मजूमदार के र्ुंबकीय व्यनक्तत्व से इतिे सम्मोनहत हुए दक सीए की पढाई अिूरी छोड़ दी। बॉयोकॉि इं नडया की सहयोगी कं पिी (Subsidiary) नक्लजेि के सीईओ ए.एस. अरहवद बताते हैं दक मैं माल्या हॉनस्पटल बैंगलोर में डायरे क्टर था और एक आमाशय रोग नर्दकत्सक के रूप में प्रेनक्टस कर रहा था। एक ददि दकरण मजूमदार मेरे घर आईं। उन्होंिे जॉब ऑफर की। उिका तरीका, सलीका व अंदाज देखकर मैं िा िहीं कर सका। हम दकसी दूसरी कं पिी में िौकरी करिे के बारे में सोर् भी िहीं पाते। ऐसा खुला वका कल्र्र कहीं हो ही िहीं सकता। दकरण मजूमदार शॉ िीनत नििाारण के बाद खुद को कं पिी के एम्बेसडर की भूनमका तक सीनमत रखती हैं और नबजिेस हेड्स स्वतंत्र उद्यमी की तरह काया करते हैं। ये सारे उदाहरण सानबत करते हैं दक भारत की ‘नबलेनियर बायोटेक क्वीि’ दकरण मजूमदार शॉ के व्यनक्तत्व में ऐसा सम्मोहि है जो लोगों को खींर्ता है। इसे र्ाहें तो प्रनतभा का प्रनतभा के प्रनत स्वाभानवक आकषाण कह सकते हैं। पर वास्तनवकता यह है दक बॉयोकॉि इं नडया में दकरण मजूमदार िे ऐसा वका कल्र्र बिाया है, जो इससे जुड़े लोगों का इसके अनतररक्त सोर् ही कुं द कर देता है। बॉयोकॉि इं नडया की 60.90 फीसदी शेयर होहल्डग (नसतंबर 2006 में माके ट मूल्य 2716.55 करोड़ रुपए) के स्वामी हैं- दकरण मजूमदार शॉ और जॉि शॉ तो 15 फीसदी शेयर स्टाफ के पास हैं। इस शेयर होहल्डग के कारण दकरण मजूमदार शॉ व जॉि शॉ को नडनवडेंट सबसे ज्यादा नमलता है, पर उिका वेति व अन्य सुनविाएं अन्य सानथयों के समाि हैं। मजूमदार शॉ दंपनत के 17 हजार वगाफीट पर फै ले बैंगलोर नस्थत बंगले का एक नहस्सा छोड़ दें तो सारी कोठी वररष्ठ स्टाफ के नलए 24 घंटे खुली रहती है। होसुर रोड बैंगलोर नस्थत कोठी ग्लेिमॉर जॉि शॉ की अपिी पत्नी को दूसरी बड़ी सौगात है। इस कोठी को उन्होंिे स्वयं बिवाया है। इस कोठी की स्टार-लॉबी होटल जैसी भव्य व नवशाल है। यहां कई डायहिग हॉल, गेस्ट रूम, लाइब्ेरी व नजम्नेनशयम है। इसकी छत के रल की परं परागत वास्तुकला को ध्याि में रखकर नडजाइि की गई है तो कं ट्री याडा स्पेनिश है। िायाब कलात्मक वस्तुओं की शौकीि दकरण मजूमदार शॉ के द्वारा समय-समय पर खरीदी कई पेंरटग्स से सजी हुई है यह कोठी। वे कहती हैं- ‘‘इिमें से कई पेंरटग्स मैंिे तब खरीदी थी जब हाथ तंग था। हुसैि साहब की एक पेंरटग की कीमत तो उन्हें तब तीि दकस्तों में र्ुकाई थी।’’ बॉयोकॉि इं नडया की कोर टीम यहां ददिभर नबजिेस बैठक करती है और घर लौटिे में देर हो जाए तो नडिर के नलए पररवार को भी ग्लेिमोर में ही आमंनत्रत कर लेती हैं। जॉि शॉ दंपनत ग्लेिमॉर का घर, दफ्तर, ररसोटा, नबजिेस मीट, समारोह स्थल व होटल की तरह संयुक्त उपयोग करते हैं। यहीं बॉयोकॉि इं नडया के नबजिेस गेस्ट ठहरते हैं। कं पिी स्टार
होटलों में आयोजि या अनतनथयों के आवास का खर्ा बर्ा लेती है। और अनतनथ भारतीय आत्मीयता से गद्गद् होकर कहते हैं- ‘‘अद्भुत है बॉयोकॉि इं नडया और उससे भी ज्यादा अद्भुत है दकरण मजूमदार शॉ।’’ दकरण मजूमदार शॉ अपिी उद्यमशीलता एवं बायोटेक इं नडया की सफलता को लेकर अत्यंत हाई प्रोफाइल हैं तो अपिी निजी संपदा को लेकर लो प्रोफाइल होिे के साथ नमतव्ययी भी हैं। वे देश की सबसे ज्यादा ििाढ्य मनहला उद्यमी बि गई Page | 20 हैं, पर अपिे मध्यमवगीय लालि-पालि को िहीं भूली हैं और आज भी सोर् समझकर पैसा खर्ा करती हैं। वे मर्तसडीज में घूमती है क्योंदक यह व्यवसाय की जरूरत है पर दकफायती ज्वेलरी िहीं खरीदती हैं क्योंदक यह लक्जरी है। इसका आशय यह िहीं है दक वे सामानजक सरोकार की उपेक्षा करती हैं और इस मामले में कं जूस हैं। बैंगलोर से उन्हें खास लगाव है। यहां ट्रैदफक को लेकर जागरूकता के संबंि में वे कई अनभयाि र्ला र्ुकी हैं। बैंगलोररयि को ‘एगेटेररयि’ बिािे में वे सदिय हैं। बैंगलोर के सौंदया के नलए एकमुश्त एक करोड़ रुपया खर्ा कर र्ुकी हैं। दकरण मजूमदार शॉ के अिुसार कै ररयर की ऊंर्ाई पर पहुंर्िे के नलए हर मनहला को पररवार का समथाि र्ानहए। वर्ककग वुमेि की जवाबदारी दोहरी होती है। कामकाजी जवाबदारी के साथ उसे पररवार की देखरे ख भी करिा पड़ती है। वे कहती हैं - ‘‘यह सर् है दक मैं हसगल थी तब मैंिे बॉयोकॉि इं नडया की स्थापिा की थी। पर इसकी ग्रोथ तब ही हुई जब मैंिे नववाह दकया। मेरी सफलता में मेरे पनत िे अहम् भूनमका निभाई है।’’ दूसरे शधदों में दकरण मजूमदार शॉ कह रही हैं‘‘एक सफल मनहला के पीछे एक पुरुष होता है।’’ (It is important to have family support and co-operation to succeed in one’s career. For women specially, balancing home and work life may become difficult without adequate support from the family. It is true that I was single when I built Biocon, the real growth came when I got married. My husband has played a vital role in our success today. In fact my husband has invested in me in every way. Says Kiran Mazumdar Shaw)
बायोटेक्नोलॉजी व बॉयोकॉि इं नडया Biotech is all about the use of living organism to make or modify products, plants and animals, or to develop micro organisms for specific purposes.
बायोलॉजी व टेक्नोलॉजी का योग है बायोटेक्नोलॉजी। इस योग से वैज्ञानिक जीनवत कोनशकाओं को इस तरह रूपांतररत करते हैं दक जरटल रोगों का सस्ता व कारगर उपर्ार हो सके , कृ नष उत्पादि बढे और प्रदूषण नियंनत्रत हो। बॉयोकॉि इं नडया िे बायोटेक्नोलॉजी को आिार बिाकर शोि व अिुसंिाि से कोलेस्ट्रॉल घटािे, मिुमेह नियंनत्रत करिे, दकडिी रोग के उपर्ार व कैं सर से बर्ाव के फामूालेशंस खोजे हैं। गौरतलब है दक दूरंदेशी उद्यमी दकरण मजूमदार शॉ िे 90 के दशक की शुरुआत में आकलि कर नलया था दक जो जीवि शैली हम अपिा रहे हैं, उसके कारण भनवष्य में कोलेस्ट्रॉल घटािे वाली औषनियों की मांग बढेगी, फलत: दूसरी फामाा कं पनियों से बहुत पहले उन्होंिे स्टेरटि लांर् कर दी। यही िहीं, इसकी सप्लाय का दीघाावनि अिुबंि कर नलया। पररणाम लोवास्टेरटि या नसल्वास्टेरटि के मूल्य घटिे के बावजूद बॉयोकॉि इं नडया को स्टेरटि (Cholesterols lowering
drug)
के पूवा नििााररत मूल्य नमले। डायनबटीज भनवष्य में आम रोग हो जाएगा-यह अिुमाि लगाकर बॉयोकॉि इं नडया िे
इसके उपर्ार के नलए सतत् शोि दकया। ह्यूमि इं सुजेि लांर् दकया और ओरल इं सुनलि पर शोि जारी रखा। सि् 2006 में बॉयोकॉि इं नडया की िई कैं सर प्रनतरोिक औषनि बायोमेब की नसिेस्टार शाहरुख खाि िे लांहर्ग की है। इसकी लांहर्ग के अवसर पर बैंगलोर में उन्होंिे पूरा ददि बॉयोकॉि इं नडया की टीम के साथ व्यतीत दकया। वे दकरण मजूमदार से इतिे प्रभानवत थे दक इस प्रोफे शिल नसिे अनभिेता िे बॉयोकॉि से कोई पैसा िहीं नलया बनल्क वे बोले ‘‘दकरण मजूमदार शॉ व उिकी टीम कैं सर रोग से पीनडत रोगी व उिके पररजि के नहताथा सराहिीय काया कर रहे हैं। मुझे याद है दक मेरे नपता का गले के कैं सर से जब नििि हुआ था, तब हम दकतिे बेबस थे। ऐसी कोई औषनि उपलधि िहीं थी जो उन्हें राहत पहुंर्ाए और मौत के नशकं जे से मुक्त करे ।’’ गौरतलब है दक कई सालों तक बॉयोकॉि इं नडया िे फामाास्युरटकल कं पनियों को इिग्रेनडएंट्स बेर्े हैं। कं पिी जब सीिे माके ट में आई तो इसे नवश्व स्तर पर कड़ी प्रनतस्पिाा का सामिा करिा पड़ा। पर बॉयोकॉि इं नडया की टीम िे हर मोर्े पर सानबत दकया दक भारतीय दकसी से कम िहीं हैं। इस शृंखला में अप्रैल 2003 में दकरण िे छह नमनलयि डॉलर निवेश करके िोबेक्स कॉरपोरे शि को अनिग्रनहत दकया है, जो ररसर्ा आिाररत कं पिी है। बॉयोकॉि इं नडया मूलत: ररसर्ा कं पिी है, पर कारोबारी तथ्यों पर गौर करें तो यह वस्तुत: बायोटेक्नोलॉनजकल फामाास्युरटकल कं पिी है। िोबेक्स का शानधदक अथा है- कोई बािा िहीं। िोबेक्स िे नवगत 11 वषों में 300 पेटेंट्स फाइल दकए हैं। िोबेक्स के अनिग्रहण से बॉयोकॉि इं नडया की िंग ररसर्ा क्षमता व पेटेंट capabilty कई गुिा बढ गई है। बॉयोकॉि इं नडया के 15 संयंत्र मािव स्वास्थ्य के नलए बॉयो-मानलक्यूल्स, इं डस्ट्रीयल एंजाइम, िंग्स इं टरमीनजएट्स, फू ड् इिग्रेनडएंट्स व प्रोसेहसग एड्स बिाते हैं। इसकी दो सहयोगी कं पनियां- नसनिजेि एवं नक्लजेि टेस्ट ररसर्ा, अली िंग्स डेवलेपमेंट व क्लीनिकल ट्रायल्स करती हैं। कं पिी के पास 130 से ज्यादा पेटेंट्स हैं। इिमें िोबेक्स के पेंटेट्स जुडऩे के बाद बॉयोकॉि इं नडया देश के बायोटेक्नोलॉनजकल सेक्टर की सबसे बड़ी पेटेंटिारी कं पिी हो गई है। एर्एसबीसी की वाइस र्ेअरमैि िैिा लाल दकदवई िे तो सि् 2003 में ही कह ददया था- ‘‘दकरण सोिे की खदाि पर बैठी हैं।’’ बॉयोकॉि इं नडया की सफलता का श्रेय भारत के प्रनतभावाि वैज्ञानिकों को देते हुए दकरण मजूमदार शॉ कहती हैं‘‘हमारे देश में करीब 200 बायोटेक्नोलॉजी कं पनियां हैं। देश में 40 से ज्यादा िेशिल ररसर्ा लेबोरे टरीज हैं। इि कं पनियों व प्रयोगशालाओं में 25 हजार वैज्ञानिक सतत् शोि कर रहे हैं। देश में 300 से ज्यादा इं नस्टट्यूट हैं जो बायोटेक्नोलॉजी की नडग्री/नडप्लोमा दे रहे हैं। यहां पांर् लाख छात्र अध्ययिरत् हैं। देश में 1000 से ज्यादा मेनडकल कॉलेज हैं, जो हर साल 10 हजार नर्दकत्सक तैयार कर रहे हैं। इि सबके बलबूते पर हम कम से कम लागत पर मािव उपर्ार की िई खोज कर सकते हैं। कम लागत पर नक्लनिकल ररसर्ा की भारत में प्रर्ुर संभाविाएं हैं, जो अभी भी अदोनहत हैं। देश के बायोटेक्नोलॉजी सेक्टर का टिा ओवर हम आसािी से 25 हजार करोड़ रुपए पहुंर्ा सकते हैं और लाखों लोगों को सम्मािजिक रोजगार दे सकते हैं।’’
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नवश्व प्रनसि िेर्र मैगजीि के नवश्वव्यापी सवे (2006) का निष्कषा है दक दकरण मजूमदार शॉ बायोटेक का परर्म फहरा रही हैं और अमेररका और यूरोप के बाहर सारी दुनिया में इस सेक्टर की सबसे पॉवरफु ल हस्ती हैं। एसोनसएशि ऑफ बायोटेक इं टरप्राइजेस की प्रेनसडेंट दकरण मजूमदार शॉ का लक्ष्य है - बॉयोकॉि इं नडया को नबनलयि डॉलर की बायोफामाास्यूरटकल्स कं पिी बिािा और दुनिया के बायोटेक्नोलॉनजकल सेक्टर की टॉप फाइव कं पनियों में शानमल होिा। इस उपलनधि को दकरण मजूमदार शॉ इं नडयि बायोटेक को नवश्वव्यापी मान्यता बताती हैं। कौंनसल ऑफ साइं रटदफक एंड इं डनस्ट्रयल ररसर्ा के डायरे क्टर जिरल आर.ए. मसेलकर कहते हैं- ‘‘मैं दकरण मजूमदार शॉ की एकाग्रनर्तता से अत्यंत प्रभानवत हं। एक दशक पहले बॉयोकॉि इं नडया िे बड़ी कं पिी बििे के संकेत दे ददए थे। लोग सही कहते हैं दक दकरण बायोटेक सेक्टर की िारायण मूर्तत हैं और बायोटेक इं नडया इस सेक्टर की इन्फोनसस।’’ (Over the years, I have been very impressed with her (Kiran Mazumdar Shaw) ability to remain focused. Some people have already referred to Kiran as Narayan Murthy of Biotech! Yet, she has remained a totally humble, humane and warm human. Says R.A.Mashelkar, Director General of Council of Scientific and Industrial Research)
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अध्याय 3
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शोभिा भरनतया हहदुस्ताि की अच्छी खबर भारतीय मनहलाओं खासकर मारवाड़ी पररवार की मनहलाओं की भूनमका पररवार की देखरे ख तक सीनमत रही है। पररवार को एकजुट रखिे के मनहलाओं के प्रयासों का भी कभी सही मूल्यांकि िहीं हुआ है। कई मारवाड़ी पुरुष ििोपाजाि के नलए परदेस गए और उि सब िे दफर पलटकर नवपन्नता िहीं देखी, पर इसका श्रेय उि अनशनक्षत मनहलाओं को िहीं नमला, नजन्होंिे युवा अवस्था में पनत नवयोग सहा। नशशुओं व बुजुगों की देखरे ख की। परदेस में पररवार के संघषारत पुरुषों को बेदफि रखा। हहदुस्ताि टाइम्स की वाइस र्ेअरमैि व एक्जीक्यूरटव डायरे क्टर शोभिा भरनतया ऐसे ही मारवाड़ी (नबडला पररवार) की पहली पुत्री हैं जो स्वेच्छा से ‘वुमेि इंटरप्रीिर’ बिी हैं। नशक्षा : कोलकाता के टोिी लोरे टो हाउस स्कू ल से कान्वेंट नशक्षा,लोरे टो कॉलेज से ग्रेजए ु शि, इंटीररयर डेकोरे शि का कोसा/ संप्रनत : एर्टी मीनडया की र्ेयरमैि/ उपलनधि : नबड़ला पररवार की पहली पुत्री जो स्वेच्छा से न्यू एज वुमेि इंटरप्रीिर बिी। एर्टी समूह नवदेशी निवेश जुटािे वाला देश का पहला हप्रट मीनडया समूह है। राज्य सभा सदस्य व भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित। 620 नमनलयि डॉलर संपदा के साथ देश की 93वीं ििी मनहला (2012)।
शोभिा भरनतया : हहदुस्ताि की अच्छी खबर भारतीय मनहलाओं की भूनमका नशशु जन्म व लालि-पालि, पररवार की देखरे ख एवं बुजग ु ों की सार-संभाल तक सीनमत रही है। यही िहीं, इस जवाबदारी का सलीके से निवाहि करके पररवार को एकजुट रखिे और एक मजबूत आर्तथक आिार प्रदाि करिे के मनहलाओं के प्रयासों का भी कभी सही मूल्यांकि िहीं हुआ है। सि् 1865 में नबड़ला पररवार के नपतामह नशविारायणजी नबड़ला संपन्नता की खोज में नपलािी (राजस्थाि) से ‘ददसावरी’ (मारवाड़ी समुदाय में जन्मभूनम छोडक़र रोजगार की तलाश में माइग्रेशि को तब ददसावरी या मुसादफरी कहते थे।) पर निकले थे। उिकी देखा-देखी अन्य मारवाड़ी भी ििोपाजाि के नलए परदेस गए और उि सब िे दफर पलटकर नवपन्नता िहीं देखी, पर इसका श्रेय उि अनशनक्षत मनहलाओं को िहीं नमला, नजन्होंिे युवा अवस्था में पनत नवयोग सहा। नशशुओं व बुजुगों की देखरे ख की। परदेस में पररवार के संघषारत पुरुषों को बेदफि रखा। बसंतकु मार नबडला (जी.डी. नबडला के तीि पुत्रों में सबसे छोटे पुत्र हैं- बसंतकु मार नबडला, अन्य दो पुत्र थे- स्व. लक्ष्मीनिवास नबडला एवं कृ ष्णकु मार नबडला) की िमापत्नी सरलादेवी नबडला पररवार की पहली नशनक्षत मनहला हैं। नववाह पूवा सरलादेवी िे पूिा के फगूासि कॉलेज में पढाई की पर रुग्णता के कारण वे ग्रेजुएशि िहीं कर पाईं। उिके बाद स्व. आददत्य नविम नबडला की पत्नी श्रीमती राजश्री नबडला पररवार की पहली ग्रेजुएट हैं, नजन्होंिे कारोबारी क्षेत्र में प्रवेश दकया, हालांदक यह पररनस्थनतजन्य है। पनत के नििि के बाद उन्हें पुत्र कु मार मंगलम की मदद के नलए आददत्य नविम नबडला समूह की कं पनियों में डायरे क्टरनशप स्वीकार करिा पड़ी है। इस िजररये से हहदुस्ताि टाइम्स की वाइस र्ेअरमैि व एक्जीक्यूरटव डायरे क्टर शोभिा भरनतया नबडला पररवार की पहली पुत्री हैं जो दो बच्चों की मां बििे के बाद स्वेच्छा से ‘वुमेि इं टरप्रीिर’ बिी हैं। यही िहीं, मीनडया जैसे हाई प्रोफाइल सेक्टर की सीईओ शोभिा भरनतया अत्यंत लो-प्रोफाइल ददखती हैं, पर यह सर् िहीं है। शोभिा भरनतया वस्तुत: नबडला संस्कारों के र्लते अकारण पनधलक एक्सपोजर से परहेज करती हैं। निजी जीवि से जुड़े सवालों को वे सलीके से टाल जाती हैं। अत: उिका अंतरमि टटोलिा आसाि िहीं है। वस्तुत: वे उि नबरले लोगों में हैं, जो र्ुप्पी का हनथयार की तरह उपयोग करिे में मानहर होते हैं। ऐसे लोग गुमसुम ददखकर (होकर िहीं) अपिे नवरोनियों को गफलत में डाल देते हैं। उिका ‘अंडरवेलुएशि’ करिे वाले उिके प्रनतद्वंद्वी तब र्ौंक उठते हैं जब जोर का झटका आनहस्ता से लगता है। 4 जिवरी, 1957 को कोलकाता (तब कलकत्ता) में जन्मी शोभिा भरनतया का नबडला पररवार की परं परािुसार (मयााददत सावाजनिक सदियता के साथ पाररवाररक माहौल) लालि-पालि हुआ है। के .के . ‘नबडला िे अपिी तीिों पुनत्रयों को नबडला समूह के स्कू लों में अध्ययि के नलए इसनलए िहीं भेजा दक नबडला पुनत्रयां होिे से वहां नवशेषानिकार व ररयायतें नमलेंगी। फलत: उन्हें स्वावलंबी व प्रनतस्पिी होिे का वह मंत्र िहीं नमलेगा, जो स्कू ली नशक्षा का पहला सबक है। (के .के . नबडला नबडला घरािे के पहले इं टर उत्तीणा शख्स थे। 18 वषा की उम्र में जी.डी. नबडला िे उन्हें टेक्समो का नियंत्रण सौंप ददया था । सि् 1983 में जी.डी. नबडला िे लाइि ऑफ कं ट्रोल के आिार पर संयुक्त नबडला समूह का
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नवभाजि दकया तो के .के . नबडला को नवरासत में वे कं पनियां नमलीं नजन्हें उन्होंिे स्थानपत दकया था या जो उिके नियंत्रणािीि थीं। के .के . नबडला राज्यसभा के सदस्य भी रहे। के .के . नबडला िे अपिे जीवि काल में ही नवरासत में नमली अपिी कं पनियां अपिी नववानहत पुनत्रयों को संर्ालि हेतु सौंप दी थी। बड़ी पुत्री िंददिी का पररवार अपर गंगा शुगसा, सतलज इं डस्ट्रीज, इं नडया स्टीमनशप व के .के . नबडला समूह के शकर कारखािों का नियंत्रण संभाले हुए हैं। ज्योत्सिा के नियंत्रणािीि है गोहवद शुगर और जुआरी एग्रो। सबसे छोटी पुत्री शोभिा भरनतया के नियंत्रण में है- एर्टी मीनडया, Page | 25 जो हहदुस्ताि टाइम्स, हहदुस्ताि, कादंनबिी एवं िंदि तथा एर्टी हमट प्रकानशत करता है।) शोभिा िे टोिी लोरे टो हाऊस से कान्वेंट स्कू ल में नशक्षा एवं लोरे टो कॉलेज से िातक नडग्री प्राप्त की है। इसके बाद उन्होंिे इं टीररयर डेकोरे शि का कोसा दकया। एक साक्षात्कार में शोभिा भरनतया िे कहा है- ‘‘ददल्ली की तरह कोलकाता में स्टेटस पर ज्यादा गौर िहीं दकया जाता है। मैं देश के एक प्रमुख कारोबारी पररवार में जन्मी हं, जो हमेशा लो प्रोफाइल रहा है। नबडला संतािों को अन्य अमीर बच्चों की तरह ‘हाई-फाई होिे की कभी अिुमनत िहीं नमली। नबडला पुत्री होिे से कई बार कान्वेंट स्कू ल में मुझे असुनविाजिक नस्थनतयों का भी सामिा करिा पड़ा। मसलि स्कू ली नशक्षा के दौराि मां से हमें प्रनत सप्ताह के वल तीि रुपए पॉके ट मिी नमलती थी।’’ (Being a Birla didn’t really matter while we were at school. Calcutta is not as status conscious as Delhi. Sure, we were a respected family, but in Calcutta, there were many old families, and we were equally respected. The Birlas were never flamboyant. The family has always maintained a very low profile. In fact, at convent school, it was a disadvantage being a Birla because you were always apologetic about who you were. My mother kept a strict check on us. Even pocket money apparently Rs. three, was limited. Says Shobhna Bhartia)
नबडला पररवार की पुनत्रयों व पुत्रविुओं के नलए कारोबारी दुनिया में प्रवेश लगभग वर्तजत था। हालांदक उन्हें कभी फालतू भी िहीं बैठिे ददया गया। उन्हें प्रेररत दकया जाता था दक गृनहणी की जवाबदारी के साथ वे समाजसेवा करें , जैसे नबडला घरािों के स्कू ल/अस्पतालों की देखरे ख। वर र्यि में सहमनत के साथ युवा होते ही नबडला पुनत्रयों का नववाह कर ददया जाता था। शोभिा का भी 18 वषा की उम्र में एक संपन्न उद्योगपनत भरनतया पररवार (वामा आगेनिक ग्रुप) के श्याम भरनतया (जन्म 1952) से नववाह हो गया, जो आज ज्यूनबनलयेंट ग्रुप के सूत्रिार हैं।
(Shyam Bhartia, Chairman & Managing Director of Jubilant Organosys is a commerce graduate. He did his ICWA from the Institute of Cost & Works Accountants of India. He has vast experience in specialty chemicals and biotechnology, food, Information technology and other sectors. Jubilant Organosys Limited is an integrated pharmaceutical company providing products and services to the global life sciences industry. Jubilant has a presence across the value chain from drug discovery services to finished dosage forms and including Custom Research and Manufacturing Services (CRAMS), Active Pharmaceutical Ingredients (APIs) and Contract Research Services.)
एक दशक तक शोभिा भरनतया िे गृनहणी की जवाबदारी का अत्यंत सलीके से निवाहि दकया। सि् 1976 में नप्रयव्रत व सि् 1979 में शानमत- दो पुत्र जन्मे। सि् 1981 में श्याम भरनतया िे उत्तर प्रदेश में एक औद्योनगक इकाई स्थानपत की जो ‘लकी’ सानबत हुई। इसके साथ भरनतया दंपनत ददल्ली आ गए। ददल्ली ऐसा शहर है जो सोशल व्यनक्त को स्वत: राजिीनत की ओर िके ल देता है। 80 के दशक में भरनतया दंपनत के पुत्र स्वावलंबी होिे लगे थे। शोभिा भरनतया के पास समय था। Page | 26 के .के . नबडला अपिे समूह की कं पनियां अपिी पुनत्रयों को सौंपिे की मािनसकता बिा र्ुके थे। उन्होंिे शोभिा भरनतया की राजिीनत में रुनर् देखी तो उन्हें हहदुस्ताि टाइम्स की बागडोर संभालिे को कहा। सि् 1986 में शोभिा भरनतया की एर्टी मीनडया में डायरे क्टर की हैनसयत से इं ट्री हुई। इसके साथ ही वे ऐसी पहली नबडला पुत्री भी हो गईं, नजन्होंिे पहली बार दकसी कारोबारी इकाई का स्वतंत्र व प्रत्यक्ष दानयत्व संभाला है। एर्टी मीनडया की र्ेअर परसि शोभिा भरनतया दकसी राष्ट्रीय समार्ार पत्र की भी पहली व अके ली सीईओ हैं। इस दानयत्व के उिके द्वारा निवाहि पर र्र्ाा के पहले समार्ार पत्र उद्योग और एर्टी मीनडया समूह का इनतहास दोहरािा प्रासंनगक होगा।
हहदुस्ताि टाइम्स सि् 1924 में नबडला समूह के समार्ार पत्र हहदुस्ताि टाइम्स के िई ददल्ली संस्करण की महात्मा गांिी िे लांहर्ग की तो कलकत्ता के मारवाड़ी र्ौंक उठे थे। बापू के साथ जी.डी. नबडला की निकटता का उन्हें आभास था। पर र्ौंकािे वाली बात यह थी दक अंग्रेजों के शासिकाल में उिके नवरुि जारी संग्राम में शानमल होिे की खुलेआम घोषणा थी- हहदुस्ताि टाइम्स की लांहर्ग और लांहर्ग समारोह में स्वयं महात्मा गांिी की उपनस्थनत। मारवाडी समुदाय के र्ौंकिे का एक और कारण था। दकसी भी िए उद्योग/व्यापार में प्रवेश करते समय अपिे मुिाफे के प्रनत अत्यंत सतका नबडलाज़ िे अत्यंत करतबी कारोबार (Tricky Business) में इं ट्री ली थी। यह अंदरुिी सर् तब बहुत कम लोग जािते थे दक स्वतंत्रता संग्राम जब संपूणा ताप पर पहुंर्ा तब महात्मा गांिी िे अपिे अमीर नमत्रों व अिुयानययों से आह्वाि दकया दक वे अपिे-अपिे क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर का समार्ार पत्र शुरू करें , जो जिमािस में आजादी की र्ाह पैदा करे , क्योंदक हररजि (महात्मा गांिी द्वारा संपाददत समार्ार पत्र) की पहुंर् सीनमत थी। देश में उि ददिों एक ही िेशिल न्यूज पेपर था- टाइम्स ऑफ इं नडया जो तब अंग्रेजों के नियंत्रणािीि था और इसकी पहुंर् भी अंग्रेजीदां भारतीय पाठकों तक सीनमत थी। बापू के आह्वाि को सबसे पहले मूतारूप ददया- जी.डी. नबडला िे और जन्मा हहदुस्ताि टाइम्स। दूसरे शख्स थे- समार्ार पत्र उद्योग में लौह पुरुष के नवशेषण से संबोनित स्व. रामिाथ गोयिका । अपिे बड़े पुत्र के .के . नबडला की राजिीनतक व सावाजनिक जीवि में रुनर् देखकर जी.डी. नबडला िे हहदुस्ताि का नियंत्रण उन्हें सौंप ददया। हहदुस्ताि टाइम्स के पहले संपादक के .एम. पन्नीकर िे स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े लोगों को वाणी प्रदाि की। अपिे शुरुआती दौर में हहदुस्ताि टाइम्स महात्मा गांिी व स्वदेशी रं ग से सराबोर था। 40 के दशक में महात्मा गांिी के पुत्र देवदास गांिी िे भी इस समार्ार पत्र का संपादकीय दानयत्व संभाला। हहदुस्ताि टाइम्स से जुडऩे वाली कई अन्य जािी-मािी हनस्तयों में उल्लेखिीय हैं- एस. मुलगांवकर (सि् 1962 में इं डोर्ीि युि के दौराि सुरक्षा मंत्री कृ ष्ण मेिि की तीखी आलोर्िा के नलए मशहर), अजीत भट्टार्ाया, बी.जी. बर्तगस (नसदक्कम िीनत के नलए इं ददरा गांिी के कटु
आलोर्क), एि.सी. मेिि, नहरणमय कारलेकर, र्ंदि नमत्रा और खुशवंत हसह। भारतीय समार्ार पत्र उद्योग में संपादकीय स्वतंत्रता की बुनियाद रखिेवाली इि हनस्तयों के संयुक्त साहस व प्रयासों से हहदुस्ताि टाइम्स िे देश में ‘फ्रीप्रेस’ (स्वतंत्र मीनडया) की संकल्पिा स्थानपत की है। एर्टी के ददल्ली संस्करण के बारे में ककवदंती है दक- ‘यह शहर के साथ और शहर इसके साथ बढा है।’ गौरतलब है दक आजादी के शुरुआती दो दशक में देश में समार्ार पत्र उद्योग िे ‘फ्री-प्रेस’ की जो संकल्पिा साकार की, उसका आिार था- अखबार प्रकाशि व प्रसारण शुि व्यवसाय िहीं है वरि् यह राष्ट्रीय व सामानजक सरोकार से जुड़ी महती जवाबदारी है। आदशा नस्थनत भी कभी संपूणा िहीं होती। समार्ार पत्रों से भी तब एक भूल हुई। आजादी की खुमारी एवं जवाहरलाल िेहरू के व्यनक्तत्व-सम्मोहि से वशीभूत समार्ार पत्रों िे उिके समाजवादी मॉडल के गुणगाि तो खूब दकए, पर भूलों को भूल गए। 70 के दशक के बाद देश के हर क्षेत्र में पॉवर प्रानप्त का प्रलोभि बढ गया। समार्ार पत्र भी इस बुराई से िहीं बर् सके । इं ददराजी के बाद देश को कभी राजिीनतक नस्थरता िहीं नमली, फलत: देश की अथाव्यवस्था नछन्न-नभन्न हो गई। समार्ार पत्र उद्योग से जुड़े लोगों िे भी येि-के ि-प्रकारे ण ििोपाजाि की बुराई अपिा ली। समार्ार पत्र बाजारोन्मुखी हो गए। अखबार उत्पाद बि गए। पहले अखबार पाठक खरीदते थे अब नडटरजेंट पावडर व टू थपेस्ट जैसे ‘एफएमसीजी प्रॉडक्ट्स’ की तरह बेर्े जाते हैं। फलत: रीडसा का नडमांहडग होिा स्वाभानवक था। उन्हें लु भािे के नलए न्यूजहप्रट की क्वानलटी व हप्ररटग इतिी रं गीि होती गई दक अब पाठक से प्राप्त मूल्य से इं क की लागत भी िहीं निकलती है। समार्ार पत्र अपिे खर्ा व मुिाफे के नलए पूरी तरह नवज्ञापि पर आनश्रत हो र्ुके हैं। अखबार की प्राइस-टेग ददखावा है। कई बाजारोन्मुखी समार्ार पत्रों के मानलक तो पाठकों तक नबिा मूल्य अखबार पहुंर्ािे को तैयार हैं। उपहार, उत्सव, प्रनतयोनगता व पुरस्कार इसका थोड़ा-सा पररष्कृ त स्वरूप है। इस बहािे एक के साथ एक फ्री का बहुप्रर्नलत माके रटग फं डा समार्ार पत्र उद्योग िे अपिा नलया है। यही िहीं, उस नसस्टम की खोज हो रही है जो नबिा मूल्य अखबार पाठकों तक पहुंर्ा दे। ऊहापोह यह है दक कहीं प्राइस-लेस न्यूज पेपर पाठक से पहले रद्दीघर ि पहुंर् जाए। प्रतीक्षा करें बहुत जल्दी शमा का यह महीि पदाा उठिे ही वाला है। समार्ार पत्र उद्योग के बदलते हालात एक संपण ू ा पुस्तक का नवस्तृत व नववाददत मुद्दा है, इस पुस्तक का नवषय िहीं है अत: आइए हम तो इस संनक्षप्त पृष्ठभूनम के साथ जािें दक शोभिा भरनतया िे जब हहदुस्ताि टाइम्स का स्वतंत्र नियंत्रण संभाला, तब उिके समक्ष पररनस्थनतजन्य र्ुिौनतयां क्या थीं और उन्होंिे इसका कै से सामिा दकया? शोभिा भरनतया की पहली अहम् र्ुिौती थी- हहदुस्ताि टाइम्स की परं पराएं और उिकी अपिी पृष्ठभूनम। देश के एक प्रनतनष्ठत व पुरािे औद्योनगक घरािे में जन्मी हैं- शोभिा भरनतया। नस्थरता, प्रनतबिता, परं परा व प्रनतष्ठा अथाात भीड़ से अलग होिे के कई फायदे हैं तो कई िुकसाि भी। एक साक्षात्कार में शोभिा भरनतया िे यह बात इि शधदों में कही है‘‘ठोस बुनियाद वाले परं परावादी संस्थाि में बदलाव बहुत बड़ी जोनखम है। मेरे नलए िया अखबार शुरू करिा आसाि था क्योंदक वहां िई टेक्नालॉजी व िए लोगों से शुरुआत होती। स्वमेव ऐसा नसस्टम बि जाता, जो समय के साथ कदमताल
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करे । हहदुस्ताि टाइम्स में परं परा व प्रनतबिता के कारण हमें स्थानयत्व से जुड़ी कमजोररयां भी दूर करिा पड़ी हैं। मसलि एर्टी के कम्प्यूटरीकरण में ही कई साल लग गए।’’ (While stability has its advantage, the disadvantage is that in an establishment, change takes much longer than usual. If I were to start from scratch, I would have new technology, younger people, and an atmosphere were keeping space is not difficult. It took Fleet Street 18 years to computerize HT. Says Shobhna Bhartia)
नबडलाज़ की उद्योग/कारोबार प्रबंिि शैली (उत्पाद की लागत पर निगरािी रखते हुए मुिाफा अजाि) के अिुसार के .के . नबडला ‘मैदाि से दूर रहकर मैदाि पर िजर रखिे वाले’ कारोबारी थे। तद्िुसार वे हहदुस्ताि टाइम्स के दैिंददिी कामकाज से कभी सीिे िहीं जुड़े। इसके नवपरीत उिकी पुत्री शोभिा भरनतया ‘न्यू एज वुमेि इं टरप्रीिर’ हैं, जो मोर्े पर तैिात होकर सैन्य संर्ालि करते हैं। समार्ार पत्र उद्योग में शोभिा भरनतया की इं ट्री को देश के जािे मािे काटू ानिस्ट एवं दो दशक से ज्यादा हहदुस्ताि टाइम्स से जुड़े रहे सुिीर िर िे अपिे ददलर्स्प अंदाज में व्यक्त करते हुए कहा है- ‘‘मैं जब एर्टी में आया था तो मैंिे यहां ओल्डगाडा स्टाइल की परं परागत कायाप्रणाली देखी थी। अर्ािक एक ददि एक मोहक व्यनक्तत्व की नमलिसार व नमत्रवत मनहला िे इं ट्री ली और मुझे क्लीि बोल्ड कर ददया। शोभिा भरनतया के प्रबंिि संभालते ही हहदुस्ताि टाइम्स में सारा माहौल स्वत: बदल गया। ’’ गौरतलब है दक दकसी समार्ार पत्र मानलक के नलए अपिे दकसी सहयोगी के ऐसे कॉनम्प्लमेंट्स दुलाभ हैं। समार्ार पत्र उद्योग में तो मानलक की स्थानपत छनव है- ‘दंभी व नर्ड़नर्ड़ा’- ऐसा शख्स जो के वल िुक्तार्ीिी करे और बात-बात में रौब गांठे। काटू ानिस्ट सुिीर िर की तरह हहदुस्ताि टाइम्स में लंबा समय गुजारिे वाले र्ंदि नमत्रा कहते है- ‘‘संपादक के नलए आदशा मानलक हैं शोभिा भरनतया। वे खबरों में गहि रुनर् के साथ राजिीनतक पररदृश्य पर िजर रखिे वाली जमीि से जुड़ी शनख्सयत की ििी हैं। संपादकीय स्टाफ पूरी स्वतंत्रता लेकर भी उन्हें गुमराह िहीं कर सकता। ’’ (I would say she (Shobhna Bhartia) is an ideal proprietor for an editor. She is down-to-earth, politically very alert and has a great interest in news. Unlike K.K.Birla, she has a hands-on-style of functioning, and she is very approachable. Like, I could call her at any time of the night if we had a problem. I would never dream of bothering KK late at night. Says Chandan Mitra)
शोभिा भरनतया िे एर्टी का प्रबंिि संभाला, तब यह ददल्ली का नसरमौर समार्ार पत्र था, पर टाइम्स ऑफ इं नडया िे इसके माके ट में सेंि लगािा शुरू कर दी थी। शोभिा भरनतया िे शुरुआती वषों में समार्ार पत्र उद्योग को कोई संकेत िहीं ददए, पर वे गुपर्ुप आंतररक व्यवस्था सुिारिे में जुटी रहीं। जैसा दक पहले कहा गया है, उिके इस लो-प्रोफाइल तरीके िे गफलत पैदा की। आंतररक व्यवस्था को अपडेट करके हहदुस्ताि टाइम्स िे आिामक रुख अनख्तयार दकया तो प्रनतद्वंद्वी हतप्रभ रह गए। उि ददिों हहदुस्ताि टाइम्स व टाइम्स ऑफ इं नडया के बीर् ददल्ली के गनलयारों में जो गुररल्ला युि हुआ था वह समार्ार पत्र उद्योग शायद ही भूल पाएगा। नि:संदेह इसका फायदा दोिों समार्ार पत्रों को नमला।
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हहदुस्ताि टाइम्स का सकुा लेशि दोगुिा (5 लाख से 10 लाख) हो गया। पहली जीत शोभिा भरनतया के नलए एक पड़ाव थी। मंनजल तो मुंबई थी- टाइम्स ऑफ इं नडया का गढ। आप र्ाहें तो इसे ‘ईंट का जवाब पत्थर’ कह सकते हैं। शोभिा भरनतया िे िई ददल्ली में ि के वल हहदुस्ताि टाइम्स का वर्ास्व बर्ा नलया वरि् कई िए संस्करण भी लांर् करिे की योजिा बिाई। इस तारतम्य में उल्लेखिीय है दक समार्ार पत्र के फै लाव के नलए पूंजी प्रबंिि उिकी सबसे बड़ी र्ुिौती है। यही िहीं, यह ऐसा पोटाफोनलयो था, नजसके नलए शोभिा भरनतया खुलकर नजि दो लोगों से बात कर सकती थीं वे थे- नपता कृ ष्णकु मार नबडला और अब पनत श्याम भरनतया। श्याम भरनतया के बारे में यहां उिकी एक रटप्पणी दोहरािा प्रासंनगक होगा- ‘‘वे अत्यंत नववेकी व बुनिमाि शख्स हैं तथा मेरे ऐसे नहमायती, नजिसे मैं दकसी भी नवषय पर बातर्ीत कर सकती हं।’’ अगस्त, 2005 में हहदुस्ताि टाइम्स के मुंबई संस्करण की लांहर्ग के संकेत देते हुए एर्टी मीनडया िे पूंजी माके ट में दस्तक दी। एर्टी मीनडया का पनधलक इश्यू जब आया था, तब हहदुस्ताि टाइम्स के संस्करण थे- िई ददल्ली, लखिऊ, पटिा, रांर्ी, कोलकाता। अके ले िई ददल्ली संस्करण (अंग्रेजी) की उि ददिों 10 लाख प्रनतयां प्रकानशत हो रही थीं। हहदुस्ताि (हहदी समार्ार पत्र) के पटिा, रांर्ी, लखिऊ व ददल्ली संस्करणों की भी संयुक्त प्रसारण संख्या थी करीब 10 लाख। उन्हीं ददिों एर्टी समूह की 20 फीसदी इदक्वटी शोभिा भरनतया िे हेंडरसि ग्लोबल (ऑस्ट्रेनलया की बैंककग, बीमा व पेंशि क्षेत्र में सदिय कं पिी) एवं नसटी ग्रुप को बेर्ी। इसके साथ यह देश का पहला हप्रट मीनडया समूह हो गया, नजसिे सबसे पहले नवदेशी निवेश जुटाया। गौरतलब है दक शोभिा भरनतया िे ऐसे नवत्तीय निवेशकों से पूंजी प्राप्त की है जो मीनडया में सदिय िहीं हैं। दूसरे शधदों में वे मुिाफे में भागीदार हैं। एर्टी मीनडया समूह िे अपिी संपादकीय स्वतंत्रता दांव पर िहीं लगाई है। सि् 2005 में ही एर्टी मीनडया समूह िे मुंबई में हहदुस्ताि टाइम्स की लांहर्ग की। यहां दफर ददल्ली जैसी जंग हुई। शोभिा भरनतया िे अपिे प्रबल प्रनतद्वंनद्वयों को स्पष्ट संकेत ददया है दक मनहला उद्यमी भी जोनखम उठािे में पुरुषों से पीछे िहीं हैं। बनल्क मनहलाओं के शालीि स्वभाव के अिुरूप उिकी रणिीनत तुलिात्मक रूप से ज्यादा सटीक है। संक्षेप में कहें तो शोभिा भरनतया िे अपिी रे खा बड़ी की है। दूसरों का कद काटकर बड़प्पि िहीं जुटाया है। इसका एक और उदाहरण है उिके तरकश का िया तीर। एर्टी समूह िे वॉल स्ट्रीट जरिल के साथ कं टेंट्स शेयररग अिुबंि दकया है। इसके तहत शोभिा भरनतया िे इकॉिानमक टाइम्स, नबजिेस स्टेंडडा व नबजिेस लाइि के नवरुि मोर्ाा खोलते हुए अंग्रेजी नबजिेस समार्ार पत्र हमट लांर् दकया है। एर्टी मीनडया के नबजिेस न्यूज पेपर के िाम में वॉल स्ट्रीट जरिल शधद शानमल िहीं है। यह तो के वल िए समार्ार पत्र का ब्ांड एम्बेसडर है। शोभिा भरनतया िे ददल्ली में मेट्रो िाउ लांर् दकया है तो वर्तजि रे नडयो के साथ लांर् एफएम र्ैिल फीवर 104 ददल्ली, मुम्बई व मैंगलोर के श्रोता शौक से सुि रहे हैं । र्ाणक्य सी र्ालें र्लते हुए शोभिा भरनतया िे अपिे दादा जी.डी. नबडला एवं नपता के .के . नबडला के स्वप्न (एक स्वदेशी पर मॉडिा समार्ार पत्र समूह) को मूता रूप दे ददया है, पर उिके ‘भोलेपि’ पर गौर करें , वे कहती हैं- ‘‘मेरे नलए यह शौक (passion) है। मुझे यह काम करिे में मजा आता है। मैं अपिे आसपास होिे वाली घटिाओं का नहस्सा (पात्र) बििा र्ाहती हं।
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गौरतलब है दक संयुक्त पररवार में व्यनक्तयों का समूह कच्ची डोर से बंिा होता है। इस डोर का िागा टू टते ही पररवार का सारा तािाबािा नबखर जाता है। पररवार के मुनखया को इस नबखराव की पीड़ा का सबसे ज्यादा अहसास होता है। नबडला समूह के संस्थापक सूत्रिार जी.डी. नबडला को 80 के दशक में ि के वल पररवार के टूटिे की पीड़ा वरि पररवार की संपदा (उद्योग-व्यापार) के नवभाजि में पक्षपात का आरोप भी सहिा पड़ा था। कहा गया दक जी.डी. नबडला िे समूह की स्टार कं पनियां बसंतकु मार नबडला व उिके पुत्र आददत्य नविम नबडला को सौंपीं। यह आरोप बेबुनियाद िहीं है तो Page | 30 यह भी सर् है दक जी.डी. नबडला िे आददत्य नविम नबडला में अपिी युवा अवस्था देख ली थी। आददत्य नविम नबडला के पुत्र कु मार मंगलम नबडला के अलावा नबडला घरािे का आज यदद कोई वास्तनवक िामलेवा बर्ा है तो वह है हहदुस्ताि टाइम्स। नि:संदेह एर्टी मीनडया समूह व आददत्य नविम नबडला समूह के आकार में नवशाल अंतर है, पर शोभिा भरनतया िे सानबत दकया है दक के वल पुत्र ही पररवार की प्रनतष्ठा के पोषक िहीं होते। पुनत्रयॉं या पुत्रविुएाँ भी पररवार की प्रनतष्ठा को‘ शून्य से नशखर’ पर पहुंर्ा सकती हैं।
अध्याय 4
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मनल्लका श्रीनिवासि ट्रैक्टर वाली सीईओ
नपता या पनत के असमय नििि या पुत्र के अवयस्क होिे पर पररनस्थनतजन्य नवकल्प के रूप में ही मनहलाओं िे पाररवाररक उद्योग/कारोबार की बागडोर संभाली है। पुत्री को पुत्र तुल्य मािकर उद्योग संर्ालि के नलए बर्पि से ही तैयार करिे एवं उपयुक्त मौके पर संपूणा दानयत्व सौंपिे के दुलाभ उदाहरणों में एक है- दनक्षण भारत के 70 साल पुरािे बहुप्रनतनष्ठत अमलगमेशन्स ग्रुप की नसरमौर कं पिी टेफे की सीईओ मनल्लका श्रीनिवासि। वे कहती हैं- कारोबार कोई भी हो सबकी अनिवाया व न्यूितम जरूरत समाि है। मैंिे इस नवश्वास के साथ टेफे में शुरुआत की थी दक ट्रैक्टर हो या कोई अन्य कारोबार कोई फका िहीं पड़ता।
नशक्षा : व्हॉटाि स्कू ल ऑफ नबजिेस से एमबीए/ संप्रनत : अमलगमेशंस ग्रुप की नसरमौर कं पिी टेफे की सीईओ/ उपलनधि : बीबीसी द्वारा प्रवर्ततत नबजिेस वुमेि ऑफ द ईयर (1999), इकोिानमक टाइम्स का नबजिेस वुमेि ऑफ द ईयर अवाडा, लक्ष्मीपनत हसघानिया-आईआईएम लखिऊ िेशिल लीडरनशप अवाडा इंनडयि स्कू ल ऑफ हैदराबाद के एक्जीक्यूरटव बोडा की मिोिीत सदस्य, ट्रैक्टसा मैन्युफेक्र्रसा एसो.की पहली मनहला प्रेनसडेंट।
मनल्लका श्रीनिवासि :ट्रैक्टर वाली सीईओ
भारतीय मनहलाओं को अपिी उद्यमशीलता के बलबूते पर उद्योग जगत के कनथत ‘ऑिसा-ओ-झोि’ (सीईओ/सीओओ) में पहुंर्िे के अवसर अपवाद स्वरूप ही नमले हैं। नपता या पनत के असमय नििि या पुत्र के अवयस्क होिे पर पररनस्थनतजन्य Page | 32 नवकल्प के रूप में ही मनहलाओं िे पाररवाररक उद्योग/कारोबार की बागडोर संभाली है। पुत्री को पुत्र तुल्य मािकर उद्योग संर्ालि के नलए बर्पि से ही तैयार करिे एवं उपयुक्त मौके पर संपण ू ा दानयत्व सौंपिे के दुलाभ उदाहरणों में एक हैदनक्षण भारत के 70 साल पुरािे बहुप्रनतनष्ठत अमलगमेशन्स ग्रुप की नसरमौर कं पिी टेफे की सीईओ मनल्लका श्रीनिवासि। (सौ साल पहले टाटा-नबडला की तरह दनक्षण भारत में भी कई ट्रेहडग समूह जन्मे। जैसे- मुरुगप्पा, िानम्बयार,
नर्दंबरम, मानप्पलाई और अमलगमेशन्स। अमलगमेशन्स के संस्थापक स्व. एस. अिंतरामाकृ ष्णि (1908-64) िे एक यूरोनपयि फमा नसम्पसंस में सािारण एक्जीक्यूरटव की हैनसयत से कै ररयर शुरू दकया था। मेहित व लगि से बहुत जल्दी वे कई पायदाि र्ढ गए, पर लंबी छलांग लगाई सि् 1938 में। नसम्पसंस का आंनशक भारतीयकरण हुआ तो कु छ शेयर खरीदकर कं पिी के नियंत्रक मंडल में पहुंर् गए। देश छोड़ते समय अंग्रेजों से अिंतरामाकृ ष्णि िे नसम्पसंस का सारा भारतीय कारोबार खरीद नलया। वे मात्र 56 वषा जीये । सि् 1964 में उिके नििि के समय अमलगमेशन्स समूह की तीि दजाि से ज्यादा कं पनियां ट्रैक्टसा, ऑटो कम्पोिेंट्स, बैटरीज, फर्टटलाइजर, प्लांटेशि, पेंट्स, फाइिेंस नबजिेस के अलावा बुक्स ररटेहलग व द मेल िाम से समार्ार पत्र प्रकानशत कर रहा था।) स्व. एस. अिंतरामाकृ ष्णि के पुत्र स्व. ए. नसवासेलम (नििि 2011) की दो पुनत्रयां हैं- मनल्लका (टीवीएस मोटसा व सुंदर क्लेटॉि के र्ेअरमैि-मैिेहजग डायरे क्टर वेणु श्रीनिवासि से नववानहत) एवं जयश्री (मुरली वेंकटरमि से नववानहत)। नसवासेलम िे मनल्लका व जयश्री को बर्पि से ही अपिे उत्तरानिकारी के रूप में तैयार दकया। बड़ी पुत्री मनल्लका को तो नपता िे ‘नबजिेस वुमेि’ के रूप में ऐसा गढा है जैसे कु म्हार कच्ची माटी से कलश बिाता है। मनल्लका श्रीनिवासि िे एक साक्षात्कार में कहा है- ‘‘भगवाि से हमें जो हजदगी नमली है उसका सदुपयोग करिा र्ानहए, क्योंदक बीता समय िहीं लौटता है। मेरे नपता र्ाहते थे दक मैं पररवार का कारोबार संभालूं। नबजिेस लाइि र्ुििे के अलावा अन्य सभी क्षेत्रों में मुझे भरपूर आजादी नमली।’’ जो वक्त की कद्र करते हैं, वक्त भी उिका हाथ कसकर पकड़ लेता है। यही हुआ। मनल्लका को प्रगनतशील व दूरंदेशी नपता नमले तो जीविसाथी के रूप में नमले वेणु श्रीनिवासि। मनल्लका स्व. श्री अिंतरामाकृ ष्णि की पौत्री हैं तो उिके ही समकक्ष एक अन्य दनक्षण भारतीय नबजिेस टायकू ि स्व. जी. सुंदरआयंगर के पौत्र हैं वेणु श्रीनिवासि। दोिों को स्थानपत औद्योनगक साम्राज्य के साथ नवरासत में नमली है उद्यमशीलता। संयोग की इस अिूठी शृंखला में कई अन्य कनडय़ां भी हैं। मसलि, मनल्लका सारे देश में मेसी फगूासि ट्रैक्टर के नलए जािी जाती हैं तो वेणु श्रीनिवासि टीवीएस बाइक्स के साथ ‘मोपेड मन्नार’ (मोपेड्स ककग) हैं। टेफे का देश के ट्रैक्टर उद्योग में दूसरा िम (प्रथम महहद्रा एंड महहद्रा) है तो टीवीएस मोटसा देश की तीसरी बड़ी टू व्हीलर (प्रथम हीरो होण्डा व नद्वतीय बजाज ऑटो) कं पिी है। दोिों कं पनियों िे अपिे -अपिे सेक्टर में यह हैनसयत टेक्नोलॉजी और आर. एंड डी. के बलबूते पर जुटाई है।
वेणु श्रीनिवासि िे पुडूा यूनिवर्तसटी अमेररका में नबजिेस मैिेजमेंट की पढाई करते समय स्वावलंबी बििे के नलए अवकाश के ददि घर-घर दस्तक देकर बाइनबल्स बेर्ी थी और 26 वषा की उम्र में सुंदर क्लेटोि से अपिा कै ररयर शुरू दकया था। मनल्लका श्रीनिवासि भी उिकी ही तरह वका हॉनलक हैं। उन्होंिे कारपोरे ट कै ररयर में स्वावलंबी बििे के नलए दस माह की िवजात पुत्री को अपिी मां व पनत के भरोसे छोडक़र व्हाटाि स्कू ल ऑफ नबजिेस से एमबीए की पढाई की। वे कहती हैं- ‘‘मेरी मां और वेणु साथ िहीं देते तो यह संभव िहीं था।’’ मनल्लका श्रीनिवासि एवं वेणु श्रीनिवासि की अद्भुत संगत व संयोग का सार है दक पनत-पत्नी एक दूसरे के पूरक बि जाएं तो वे दुनिया के रोल मॉडल हो जाते हैं। ददलर्स्प बात यह है दक अपिी संतािों (एक पुत्री व एक पुत्र) में से नवदेश में उच्च नशक्षा प्राप्त (अथाशास्त्र में िातक एवं वार्तवक यूनिवर्तसटी इं ग्लैंड से पीएर्डी) पुत्री लक्ष्मी को वैसे ही तराशा है जैसे उन्हें तराशा गया था। आइए, इस पररप्रेक्ष्य में जािें दक हमारे इस आलेख की िानयका मनल्लका श्रीनिवासि िे मात्र दो दशक में अमलगमेशन्स ग्रुप की नसरमौर कं पिी टेफे का सालािा कारोबार कै से कई गुिा (80 करोड़ से 4000 करोड़ रुपए) पहुंर्ा ददया। क्या है वह कारोबारी रणिीनत व सूझबूझ नजसके कारण टेफे ट्रैक्टसा व इं जीनियररग प्लानस्टक जैसे जरटल सेगमेंट के साथ हायिंॉनलक पंप, पेिल्स इं स्ूमेंट्स, नगयसा, ऑटोमोरटव बैटरीज और कृ नष उपकरण जैसे उद्योगों में सफलता से सदिय हैं। 19 िवंबर, 1959 को जन्मी मनल्लका श्रीनिवासि िे सि् 1986 में 27 वषा की उम्र में जिरल मैिेजर की हैनसयत से जब टेफे को जॉइि दकया था तब उिके नपता िे उिसे कहा था- ‘‘पूरा पररवार तुम्हारे साथ है। कारोबार को आगे बढािे के नलए कोई भी निणाय लेिे की तुम्हें पूरी आजादी है।’’ मनल्लका श्रीनिवासि कहती हैं- ‘‘मुझे पता था कारोबार कोई भी हो सबकी अनिवाया व न्यूितम जरूरत समाि है। अत: मैंिे इस नवश्वास के साथ टेफे में शुरुआत की थी दक ट्रैक्टर हो या कोई अन्य कारोबार कोई फका िहीं पड़ता।’’ मनल्लका श्रीनिवासि िे सहज व सानत्वक कारोबारी रणिीनत अपिाई- अपिी रे खा बड़ी करो। यह रे खा भी उन्होंिे सीिी खींर्ी और सबसे पहले दकसािों से जािा दक वे कै सा ट्रैक्टर र्ाहते हैं। इसके नलए टेफे िे तब सारे देश में कस्टमर के यर सेंटर स्थानपत दकए और यहां से प्राप्त ररस्पांस को कं पिी िे पूरी गंभीरता से लागू दकया। यह ‘गेम प्लाि’ तब उतिा आसाि िहीं था, नजतिा आज ददखाई देता है। मनल्लका श्रीनिवासि के शधदों में कहें तो- ‘‘भारतीय दकसाि नडमांहडग हैं और अपिा पैसा खर्ा करिे के मामले में अत्यंत र्तुर । तद्िुसार हमारे सामिे सबसे बड़ी र्ुिौती थी ट्रैक्टर की सालों पुरािी तकिीक, नडजाइि व मॉडल को बदलिा। उिमें िए-िए फीर्सा जोडऩा, पर लागत व मूल्य िहीं बढऩे देिा।’’ टेफे के ट्रैक्टर की परफारमेंस के मामले में कोई सािी िहीं है, पर भारतीय कृ नष उद्योग तो नवनविताओं से सराबोर है। हमारे देश के बड़े रकबे वाले संपन्न दकसाि व अन्य उद्योग ज्यादा पॉवरफु ल ट्रैक्टसा र्ाहते हैं तो बहुसंख्यक मध्यम आकार के दकसाि कम हॉसा पॉवर का ऐसा ट्रैक्टर जो दकफायती हो, पीढी-दर-पीढी झंझटमुक्त सेवा प्रदाि करे । हमारे देश में सडक़ों व खेतों के हालात भी 100 से 200 दकलोमीटर में ही पूरी तरह बदल जाते हैं। यही िहीं, जब एक क्षेत्र में अकाल पड़ता है तो िजदीक के दूसरे क्षेत्र में बाढ। तद्िुसार ट्रैक्टसा का उपयोग एवं उसके सहायक टू ल्स व एप्लीके शन्स भी बदल जाते हैं। मनल्लका श्रीनिवासि िे जब ट्रैक्टर उद्योग में शुरुआत की थी तब 21 से 30 हॉसा पॉवर के ट्रैक्टर खूब नबकते थे। मनल्लका िे एक ही उत्पाद श्रेणी पर निभारता के बजाय टेफे का प्रॉडक्ट पोटाफोनलयो बड़ा दकया और टेफे 75 हॉसा पॉवर
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तक के ट्रैक्टर बिािे लगी। हालांदक तब उिका माके ट बहुत छोटा था। कं पिी िे 100 करोड़ रुपए उत्पादि संयंत्रों के उन्नयि पर खर्ा दकए। इि-हाउस आर.एंड डी. सुनविा जुटाई। अपिे ग्राहकों को ‘टोटल ट्रैक्टर पैकेज’ देिे के नलए कई सहायक कं पनियां स्थानपत की। टेफे एक्ससेस नलनमटेड िे फ्रंट एंड लोडसा, स्पेयसा, ट्रीलसा आदद वेंडसा से बिवाकर टेफे के डीलसा को ट्रैक्टर के साथ नबिी के नलए उपलधि करवाए। कं पिी िे ट्रैक्टसा एसेसरीज के अलावा ऑटोमोरटव ऐसेसरीज Page | 34 जैसे हायिंॉनलक पंप, मैकेनिकल व इलेनक्ट्रक्ल ऑटो मीटसा भी बिािा शुरू दकए। टेफे द्वारा सि् 1993 में स्थानपत पॉवर सोसा नडनवजि दो व र्ार पनहया वाहिों की बैटरीज (एमको) बिा रहा है। टेफे एक ऐसी गैरसूर्ीबि कम्पिी है नजसके पास पयााप्त ररजाव है पर कजा लगभग शून्य। मनल्लका श्रीनिवासि की इं जीनियर प्लानस्टक के उत्पादि की पहल को स्व. आददत्य नविम नबडला िे भी सराहा था। एक नबजिेस मीरटग में लंर् के दौराि मनल्लका श्रीनिवासि को शाबासी देते हुए श्री नबडला िे कहा था- ‘‘देश में प्लानस्टक इं जीनियररग की मांग बढेगी। आपिे सही क्षेत्र में सही समय पर प्रवेश दकया है। यही हुआ। टेफे के इं जीनियररग प्लानस्टक नडवीजि द्वारा निर्तमत इं जीनियररग प्लानस्टक का आज ऑटोमोबाइल, इं फामेशि टेक्नोलॉजी व कन्ज्यूमर यूरूरेबल सेगमेंट भरपूर उपयोग कर रहे हैं। टेफे प्लानस्टक इं जीनियररग की देश की सबसे बड़ी कं पिी है। नबजिेस सहजता से बहिे वाली सररता िहीं है। इस िदी में पािी सूखता है तो बाढ भी आती है। दुर्ददिों में जो बौखलाते िहीं और अच्छे ददिों में जो बौराते िहीं, वे ही यहां लंबी पारी खेलते हैं। पुरुष नबजिेस मैि इसे ‘नबजिेस ररस्क’ कहते हैं और दावा करते हैं दक इस मामले में मनहलाएं उिका मुकाबला िहीं कर सकतीं। मनल्लका श्रीनिवासि िे पुरुषों के इस बड़बोलेपि को मैदाि में झुठलाया है। 90 के दशक में ट्रैक्टसा माके ट भी मंदी की नगरफ्त में फं स गया था। अन्य ट्रैक्टसा निमााताओं िे जहां नबिी बढािे के नलए अपिे डीलसा पर दबाव डाला वहीं मनल्लका श्रीनिवासि िे दफर सीिी रे खा खींर्ी। उन्होंिे नबजिेस ग्रोथ, टिा ओवर व मार्तजि को दांव पर लगाया और प्रोडक्शि घटा ददया। टेफे के डीलसा िे महसूस दकया दक उिका पैतृक संस्थाि प्रनतकू ल नस्थनतयों में भी उिका साथ िहीं छोड़ता है। ‘साथ जीयेंगे-साथ मरें ग’े वाले इस सोर् िे टेफे की माके ट में साख बर्ाई। मनल्लका श्रीनिवासि कहती हैं- ‘‘हमिे डीलसा को िा तो जबरि सप्लाय भेजी और ि नबहलग की। डीलसा को आश्वस्त दकया दक दुर्ददिों में िैया ि खोएं। जो नबजिेस आता है उस पर फोकस करें । कं पिी िे िए मॉडल्स व िई योजिाएं लांर् की। प्रमोशि प्रोग्राम भी र्ालू रखा। प्रानप्तयों को नियंनत्रत रखा और कजा की मात्रा व लागत िहीं बढऩे दी। अन्य कं पनियों िे उि ददिों कागजी मुिाफा ददखाया पर टेफे िे वास्तनवक कमाई की।’’ (When markets went down and everyone else in the industry continues to bill, filling up the pipeline with stocks right up to the farmer, we decided to follow the market with a fair degree of caution. Tafe decided to out back, offered support to dealers to tide through the rough period and kept the focus on business. It was a delicate balance between the whole sole share and the retail share. We kept the retail promotion going, offering new models, schemes, and kept our retail market share. As a result, we have been able to control receivables, brought down our debt yet, and kept new products going. We have kept healthy profits. Whoever weathers this storm with financial strength, survives. Says Mallika Srinivasan)
मनल्लका श्रीनिवासि के ऐसे सामनयक फै सलों व तात्कानलक सूझबूझ का सुफल है दक अपिी स्थापिा से आज तक कं पिी को कभी घाटा िहीं हुआ है। मनल्लका श्रीनिवासि के शधदों में कहें तो- ‘‘पतली रस्सी पर र्लिे की क्षमता यानि बैलेंहसग कला मनहलाओं को स्वभाव से नमलती है।’’ मनल्लका श्रीनिवासि मूलत: अंतमुाखी हैं। दनक्षण भारतीय उद्योग जगत स्वभाव से ही अत्यंत लो प्रोफाइल है। टेफे इि Page | 35 दोिों के संस्कारों से प्रभानवत है, पर इसका आशय यह िहीं है दक वानणनज्यक महत्वाकांक्षाओं की पूर्तत करिा हो तो मनल्लका श्रीनिवासि आिामक रुख अनख्तयार ही िहीं करती हैं। सि् 2005 में ऐसे ही तेवर ददखाते हुए उन्होंिे आयशर के ट्रैक्टसा इं जि व गीयसा कारोबार को 310 करोड़ रुपए में खरीदा । इससे टेफे की नहमार्ल प्रदेश, राजस्थाि व मध्यप्रदेश यािी उत्तर भारत के राज्यों में भी सदियता सघि हुई है। कं पिी को यहां तीि स्थानपत मैन्युफैक्र्ररग प्लांट्स ‘रे डी-टू -यूज’ अवस्था में नमले हैं। मनल्लका श्रीनिवासि इिके िवीिीकरण व तकिीकी उन्नयि पर 100 करोड़ रुपए निवेश दकए । वस्तुत: आयशर के इस नबजिेस के अनिग्रहण से टेफे को दो फायदे हुए हैं। एक, कम हॉसा पॉवर के ट्रैक्टर माके ट में इं ट्री और दूसरे , अमेररकि माके ट में घुसपैठ। अब कं पिी दनक्षण भारत आिाररत ि रहकर राष्ट्रीय पहर्ाि बिा र्ुकी है। इि सबसे ज्यादा उल्लेखिीय यह है दक टेफे की ट्रैक्टर माके ट में कु ल नहस्सेदारी इस उद्योग के सबसे अव्वल नखलाड़ी महहद्रा एंड महहद्रा के अत्यंत िजदीक पहुंर् गई हैं । मनल्लका श्रीनिवासि व वेणु श्रीनिवासि की इि सबसे महत्वपूणा उपलनधि यह है दक आज संयुक्त रूप से वे दनक्षण भारत की उद्योग परं परा के देश ही िहीं, दुनिया में ध्वजारोहक हैं। निजी जीवि एवं वानणनज्यक जीवि के बीर् महीि पर गररमामय परदे की कट्टर पक्षिर मनल्लका श्रीनिवासि कई ऐसे अवाड्सा से भी िवाजी गई हैं, जो दकसी भी भारतीय नबजिेस वुमेि को पहली बार प्राप्त हुए हैं। इिमें से कु छ हैं- बीबीसी द्वारा प्रवर्ततत नबजिेस वुमेि ऑफ द ईयर (1999), इकोिानमक टाइम्स का नबजिेस वुमेि ऑफ द ईयर अवाडा, लक्ष्मीपनत हसघानिया-आईआईएम लखिऊ िेशिल लीडरनशप अवाडा (यंग लीडर इि नबजिेस) के अलावा वे राजस्थाि सरकार के बोडा ऑफ ट्रेड एंड इकॉिानमक डेवलपमेंट तथा इं नडयि स्कू ल ऑफ हैदराबाद के एक्जीक्यूरटव बोडा की भी मिोिीत सदस्य हैं। ट्रैक्टसा मैन्युफैक्र्रसा एसोनसएशि, मद्रास मैिेजमेंट एसोनसएशि तथा मद्रास र्ैम्म्बर ऑफ कॉमसा एंड इं डस्ट्री की पहली मनहला प्रेनसडेंट होिे का गौरव भी उन्हें हानसल है। टेफे कई स्कू ल व अस्पतालों का भी संर्ालि करती है। मनल्लका श्रीनिवासि के अिुसार कारोबार के सुर्ारू संर्ालि के नलए आसपास जरूरी है नशनक्षत व स्वस्थ आबादी। तद्िुसार कोई भी नबजिेसमेि, सामानजक सरोकार व जवाबदाररयों की उपेक्षा िहीं कर सकता। मनहला होिे से मनल्लका श्रीनिवासि की नबजिेस दफलॉसफी समाजोन्मुखी है। वे कहती हैं‘‘एक ही काम को करिे के कई तरीके हैं पर िैनतकता को लेकर मतान्तर िहीं हो सकता। व्यवसाय में मुिाफा कमािा जरूरी है, पर इसका यह आशय तो िहीं है दक के वल पैसे के नलए ही कारोबार करें । हमारा स्वप्न होिा र्ानहए- एक ग्रेट इं नस्टट्यूट और एक ग्रेट टीम का निमााण। कारोबार का उद्देश्य बड़ा हो और हो उस उद्देश्य को पूरा करिे के नलए अर्तजत पूंजी खर्ा करिे की इच्छाशनक्त।’’ (There might be different perspectives, opinions and ways of doing the same thing. But when it comes to ethics, there can be no two ways of looking at all. Profits are important, but only for sustaining a business. You don’t need to love money to run a business. You have to have a dream to build an institution, to build centers of excellence, to
create a great team. Business has a larger purpose. And return on capital employed is important to serve that purpose.’ Says Mallika Srinivasan)
मनहला शनक्त की कट्टर पक्षिर मनल्लका श्रीनिवासि के अिुसार राष्ट्र व समाज में मनहलाओं के योगदाि के आकलि के नलए कारपोरे ट जगत में उिकी भूनमका एक बहुत छोटा मापदंड है। बच्चों को नशनक्षत करिे में मनहलाएं जो भूनमका Page | 36 निभाती हैं, वह इससे भी ज्यादा महत्वपूणा है। हर मनहला को अपिा लक्ष्य/अपिी नियनत स्वयं र्ुििा र्ानहए। वह काम करिा र्ानहए नजसे करिे में वे ज्यादा सक्षम हों। इसे अपिाते समय जो भी र्ुिौती आए उससें ि तो डरिा र्ानहए और ि ही मां-नपता या अन्य दकसी के दबाव में अपिा फै सला बदलिा र्ानहए। महत्वाकांक्षा आकाश को छू िे की हो, पर जड़ें जमीि से जुड़ी रहें। और अंत में एक रोर्क प्रसंग- इकॉिोनमक टाइम्स के वुमेि ऑफ द ईयर अवाडा से िवाजे जािे के बाद मीनडया िे मनल्लका श्रीनिवासि से फोटो सेशि के नलए आग्रह दकया तो जवाब नमला- ‘‘मैं बॉलीवुड की िानयका िहीं हं। यह अवाडा मुझे िहीं मेरी टीम को नमला है।’’
अध्याय 5
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सुलज्जा दफरोददया मोटवािी काया पलट इंजीनियर
अरुण दफरोददया ऐसे मारवाड़ी उद्योगपनत हैं, नजन्होंिे अपिी पुनत्रयों का पुत्र तुल्य लालि-पालि दकया और उन्हें स्वावलंबी बिाया है। उिकी बड़ी पुत्री नववाहोपरांत अमेररका में सेटल हो गई हैं। अन्य दो पुनत्रयों सुलज्जा व नवस्मया को नपता िे नवदेश में उच्च नशक्षा ददलवाई, पर पाररवाररक कारोबार में जवाबदार पद तब ही सौंपा है जब उन्होंिे दूसरे उद्योग में कायाािुभव प्राप्त दकया तादक वे उन्हें अपिी कमजोरी व अपिी ताकत का आभास हो। वे प्रनतकू ल पररनस्थनतयों का सामिा कर सकें । अरुण दफरोददया िे बेरटयों को भी बेटे के समाि हक, समाि अवसर व समाि जवाबदारी सौंपी है।
नशक्षा: पुणे यूनिवर्तसटी से कॉमसा में ग्रेजुएशि, अमेररका की कारिेगी मेलोि यूनिवर्तसटी से नबजिेस एडनमनिस्ट्रेशि में मास्टर नडग्री/ संप्रनत : काइिेरटक इंजीनियररग की प्रबंि निदेशक। सोसायटी यंग द्वारा अर्ीवसा अवाडा फॉर नबजिेस (2002), इंनस्टट्यूट ऑफ माके रटग एंड मैिेजमेंट का टॉप वुमेि सीईओ अवाडा, ओजनस्विी फाउं डेशि का युवा ओजनस्विी अवाडा तथा World Economic Forum द्वारा सि् 2002 में ग्लोबल लीडर ऑफ टूमारो की मान्यता।
सुलज्जा दफरोददया मोटवािी : काया पलट इं जीनियर
सुलज्जा का अथा है- ‘Beautifully shy’ या कहें शालीि शमा। कायिेरटक की मैिेहजग डायरे क्टर सुलज्जा दफरोददया मोटवािी अपिे िाम के अिुरूप शालीि हैं। पर मूलत: वे एक ‘हाडा कोर नबजिेस वुमेि’ हैं, नजिके बारे में उिके सहयोगी कहते हैं- ‘‘उिमें मनहलाओं की संवेदिा है तो बॉस बििे का सलीका भी।’’ उिके ही श दों में कहें तो- ‘‘मैं बेर्ैि स्वभाव की शख्स हं। नडिर टेबल पर मैं अपिे दादा (एर्.के . दफरोददया ) व नपता (अरुण दफरोददया) के बीर् नबजिेस की बातें सुिते हुए बड़ी हुई हं। मैंिे हमेशा कायिेरटक ग्रुप का नहस्सा बििे का स्वप्न संजोया था।’’ (Says Sulajja Firodia Motwani: I had always wanted to be a part of the Kinetic group. I have grown up listening to the discussions being held at the dinner table about the business and the biggest motivating factor has been to work along with my father and grandfather.’)
सुलज्जा दफरोददया मोटवािी की नबजिेस वुमेि बििे की र्ाह सि् 1997 में पूरी हुई। कायिेरटक का अनस्तत्व तब दांव पर लगा हुआ था। मोपेड लूिा और न्यू जिरे शि गीयरलेस स्कू टरों के नलए मशहर कायिेरटक ग्रुप के र्ेअरमैि अरुण दफरोददया पर उि ददिों होंडा जापाि का दबाव था। होंडा जापाि भागीदारी समाप्त करिा र्ाहता था। बाइक्स की लोकनप्रयता तेजी से बढ रही थी। सडक़ों पर से मोपेड्स व स्कू टरों का एकानिकार समाप्त हो रहा था। प्रनतकू ल पररनस्थनतयों का सामिा करते हुए नपता-पुत्र की इस जोड़ी िे कायिेरटक ग्रुप का स्वतंत्र अनस्तत्व कै से स्थानपत दकया, इसे जाििे के पूवा आइए जािें कायिेरटक का संनक्षप्त इनतहास। कायिेरटक ग्रुप की जड़ें बजाज ग्रुप से जुड़ी हुई हैं। िवल के . दफरोददया (एर्.के . दफरोददया के बड़े भाई) िे 40 के दशक में बछराज एंड कं पिी (बजाज ऑटो की पैतृक संस्था) में 500 रुपए माहवारी वेति पर िौकरी की थी। सि् 1964 में राहुल बजाज िे नडप्टी जिरल मैिेजर की हैनसयत से बजाज ऑटो को जॉइि दकया तो िवल के . दफरोददया कं पिी में भागीदार थे और बजाज ऑटो के सीईओ व बजाज टेम्पो के मैिेहजग डायरे क्टर। 60 के ही दशक में दफरोददया-बजाज के बीर् नवभाजि हुआ तो दफरोददया पररवार को नमली बजाज टेम्पो। एर्.के . दफरोददया िे अपिे पुत्र के साथ सि् 1972 में कायिेरटक इं जीनियररग की स्थापिा की और लूिा लांर् की। अत्यंत सस्ती व पररर्ालि में दकफायती देश की इस पहली पैडल-पेट्रोल-बाइक लूिा उि ददिों इतिी लोकनप्रय हुई दक इसकी नडलेवरी के नलए ग्राहकों िे प्रतीक्षा की। लूिा िे ही एर्.के . दफरोददया को भारत के दोपनहया वाहि उद्योग में नपतामह का दजाा ददलवाया।
देश के वररष्ठ टेक्नोइं टरप्रीिर अरुण दफरोददया िे आईआईटी मुब ं ई से सि् 1965 में बी.टेक. (इलेनक्ट्रकल इं जीनियररग) की नडग्री लेिे के बाद एम.आई.टी. (मैसाच्यूसेट्स इं नस्टट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) यूएस. से एमएस तथा स्लोि स्कू ल ऑफ मैिेजमेंट यूएस. से मैिेजमेंट की नडग्री प्राप्त की है। सि् 1983-84 में होंडा जापाि िे भारत के दोपनहया माके ट में अप्रत्यक्ष इं ट्री ली और स्कू टर बिािे के नलए कायिेरटक और बाइक बिािे के नलए हीरो ग्रुप को अपिा जूनियर भागीदार बिाया।
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कायिेरटक होंडा मोटसा नलनमटेड िे होंडा की तकिीक से देश में पहली बार न्यू जिरे शि गीयरलेस स्कू टर लांर् दकया, नजसिे लूिा की तरह तत्काल माके ट लपक नलया। मनहलाओं और प्रौढ लोगों के बीर् तो कायिेरटक होंडा स्कू टर इतिा लोकनप्रय हुआ दक बजाज ऑटो को स्कू टर माके ट में अपिा एकानिकार बर्ािे के नलए िए मॉडल्स लांर् करिा पड़े अन्यथा बजाज िे सालों साल नगिे-र्ुिे स्कू टर ही बिाए थे। यही िहीं, बजाज स्कू टरों की प्रतीक्षा अवनि भी तब इतिी लंबी थी दक लोगों िे अपिे नववाह के समय जो स्कू टर बुक दकया, उसे बेटी के दहेज में ददया। उि ददिों कायिेरटक अके ला ऐसा ग्रुप था जो अत्यंत सािारण पररवारों के नलए जहां दकफायती लूिा बिाता था वहीं महंगे दोपनहया स्कू टर खरीदिे वाले ग्राहकों के नलए गीयरलेस स्कू टर। 90 के दशक में हीरो होंडा मोटरसायकल िे स्कू टर माके ट में गहरी सेंि लगाई। ईंिि खपत के मामले में अत्यंत दकफायती होिे और राजदूत एवं यामाहा की तुलिा में सुदशािीय होिे से हीरो होंडा बाइक्स की लोकनप्रयता ऐसी बढी दक हीरो होंडा देखते-देखते दोहनपया वाहि उद्योग की लीडर कं पिी बि गई। बजाज ऑटो को तो कई साल दूसरे िम पर पहुंर्िे के नलए भी संघषा करिा पड़ा।
संक्षेप में कहें तो अरुण दफरोददया ऐसे मारवाड़ी उद्योगपनत हैं, नजन्होंिे युवा अवस्था में लूिा को दोपनहया वाहि उद्योग का ‘माइल स्टोि’ बिाया तो प्रौढ अवस्था में पहली बार देश में न्यू जरिरे शि स्कू टर लांर् करिे का गौरव जुटाया। प्रेरणास्पद यह है दक एक सफल उद्योगपनत की ही तरह अरुण दफरोददया एक आदशा नपता भी हैं, नजन्होंिे अपिी पुनत्रयों का पुत्र तुल्य लालि-पालि दकया और उन्हें स्वावलंबी बिाया है। उिकी बड़ी पुत्री नववाहोपरांत अमेररका में सेटल हो गई हैं। अन्य दो पुनत्रयों सुलज्जा व नवस्मया को नपता िे नवदेश में उच्च नशक्षा ददलवाई, पर पाररवाररक कारोबार में जवाबदार पद तब ही सौंपा है जब उन्होंिे दूसरे उद्योग में कायाािुभव प्राप्त दकया। गौरतलब है दक कोई दूरंदेशी उद्योगपनत यदद अपिी संतािों को अपिे उद्योग के सूत्र सौंपिे के पूवा उिसे दकसी अन्य संस्थाि में िौकरी करवाए तो इसका आशय समझिा करठि िहीं है। वह र्ाहता है दक पाररवाररक उद्योग संभालिे के पूवा उिकी संताि ऐसे माहौल में कारोबारी संस्कृ नत समझे, जहां उन्हें ‘ऑिसा’ होिे का नवशेषानिकार प्राप्त िहीं हो। उन्हें भी अन्य सािारण कमार्ारी की तरह अपिी योग्यता व उपयोनगता सानबत करिा पड़े। वे दूसरों से काम करवािा सीखें। वे यह भी जािें दक पूंजी प्रबंिि से ज्यादा करठि है मािव संसाििों का यथोनर्त दोहि। माके रटग से ज्यादा मुनश्कल है अपिे प्रनतस्पिी की र्ालों को समझिा। अपिी कमजोरी व अपिी ताकत का आभास हो तादक वे प्रनतकू ल पररनस्थनतयों का सामिा कर सकें । अरुण दफरोददया िे बेरटयों को भी बेटे के समाि हक, समाि अवसर व समाि जवाबदारी सौंपी है, पर इसके पहले उन्हें प्रनतस्पिी बिाया है, खूब तपाया है।
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सुलज्जा दफरोददया मोटवािी अपिे बहुआयामी व्यनक्तत्व व कृ नतत्व से अपिी उम्र को झुठलािे वाली सुलज्जा िे स्कू ली नशक्षा गरवारे स्कू ल पुणे में प्राप्त Page | 40 की है। 12वीं बोडा की टॉपर सुलज्जा िे सि् 1990 में पुणे यूनिवर्तसटी से कॉमसा िातक की नडग्री भी सेकंड टॉपर के पदक के साथ जुटाई है। इस दौर में बैडहमटि के र्ार स्टेट लेवल टू िाामेंट खेलते हुए सि् 1989 में वे िेशिल र्ैनम्पयिनशप तक पहुंर् गई थीं। नियनमत एक्सरसाइज व स्पोटसा उिकी कमजोरी है, पर नियनत िहीं। उन्हें दादा व नपता से हर दकस्म की आजादी नमली, पर यह संकेत भी नमले दक वे खुद को एक नबजिेस वुमेि के रूप में तराशें। तद्िुसार कॉमसा ग्रेजुएशि के बाद सुलज्जा िे कारिेगी मेलि यूनिवर्तसटी यूएस. को नबजिेस एडनमनिस्ट्रेशि की मास्टर नडग्री के नलए ज्वाईि दकया। एक साक्षात्कार में उन्होंिे कहा है- ‘‘क्लास में मे लडक़े ज्यादा थे। अके ली एनशयि गला होिे से मेरे प्रनत तो माहौल कु छ ज्यादा ही पूवााग्रही था। इि हालात िे मुझे नसखाया- खुद का बर्ाव करो, अपिे सोर् पर दृढ रहो और जो कहो वही करो।’’ सुलज्जा दफरोददया को सि् 1992 में एमबीए की अमेररकि नडग्री नमल गई, पर वे स्वदेश िहीं लौटीं। कारोबारी अिुभव प्राप्त करिे के नलए उन्होंिे कै नलफोर्तिया की बराा इं टरिेशिल को जॉइि कर नलया। इस कं पिी िे सुलज्जा से खूब फीहल्डग करवाई। कई नवभागों में काम करवािे के बाद उन्हें सेल्स नडपाटामेंट में ‘सेटल’ दकया। इस िौकरी में सुलज्जा को अपिे हाई-टास्क मास्टर नपता खूब याद आए। पुरुष प्रिाि तत्कालीि Finance Sector में काम करिे के इस दौर को याद करते हुए एक साक्षात्कार में उन्होंिे कहा है- ‘‘बराा इं टरिेशिल में मनहलाएं भी थीं पर वे ‘टीनपकल व्हाइट’ (श्वेत) थीं। मैं वहां अके ली गैर अमरीकि िॉि व्हाइट लडक़ी थी। उम्र में भी मैं सबसे छोटी थी। मुझे जब अच्छा काम करिे की शाबासी नमलती थी तो बड़ा मजा आता था।’’ इस कायाकाल की अपिी एक मनहला बॉस को याद करते हुए सुलज्जा कहती हैं- ‘‘वे नबिा प्रयोजि िहीं बोलती थीं। उिके पेशेवर अंदाज (प्रोफे शिेनलज्म) की मैं आज भी कायल हं। ’’ बराा इं टरिेशिल की िौकरी में सुलज्जा को खूब ट्रेवहलग भी करिा पड़ी। उन्होंिे खुद अपिे हवाई रटकट बुक करवाए, होटल में ररजवेशि प्राप्त की और रें टर कारों के नलए भागदौड़ की। पराये देश के एक अिजाि शहर में एक खूबसूरत एनशयि युवती के नलए यह करठि ही िहीं, जोनखमयुक्त भी था। ऐसा ही एक प्रसंग सुलज्जा आज तक िहीं भूली हैं। वे नबजिेस टू र पर लास एंनजल्स गई थीं। वहां कई असुरनक्षत क्षेत्र हैं। ऐसी ही एक जगह नबजिेस मीरटग में शाम हो गई। सुलज्जा को होटल पहुंर्कर आराम करिा था। खाली समय का उपयोग करिे के नलए वे आदति एक नजम्नेनशयम में पहुंर् गई। रात आठ बजे नजम से निकलीं तो उस पार्ककग प्लेस का रास्ता भूल गईं, जहां उन्होंिे अपिी रें टल कार छोड़ी थी। एक शख्स से उन्होंिे रास्ता पूछा तो उसिे ि के वल गलत ददशा बतलाई वरि् वह उिके साथ ही हो नलया। वह जबरि बनतयािे लगा तो उसकी िीयत भांपकर सुलज्जा िे अपिे शू छोड़े और वे तेजी से दौड़ पड़ीं। वह व्यनक्त भी उिके पीछे लपक नलया। सुलज्जा िे भागते-भागते एक दफ्तर खुला देखा तो वे उसमें घुस गईं। वहां कायारत एक व्यनक्त िे उन्हें ढाढस बंिाया और पार्ककग प्लेस तक छोडक़र आया।
अमेररका में नशक्षा व िौकरी के ऐसे ही अिुभवों िे सुलज्जा का व्यनक्तत्व तराशा है। मनहला होिे से नि:संदेह वे संवेदिशील हैं, पर मनहला होिे का ि तो स्वयं फायदा लेती हैं और ि ही दकसी को फायदा लेिे की अिुमनत देती हैं। एक बार कायिेरटक के एक वररष्ठ सहयोगी िे अपिे बर्ाव के नलए परं परागत शाटाकट अपिाते हुए कहा- ‘‘आप मेरी बेटी की तरह हैं।’’ उन्हें तत्काल जवाब नमला- ‘‘जी िहीं, मैं आपकी बेटी की तरह िहीं हं। मैं बेटी िहीं, आपकी बॉस हं। मैं यहां Page | 41 आपका जवाब सुििे के नलए हं। आपकी समस्या जाििा और उसके कारण दूर करिा मेरा काम है।’’ इसी तरह दकसी मनहला कमार्ारी का भी ऐसा ही शाटाकट अपिािा सुलज्जा को रास िहीं आता है। वे कहती हैं- ‘‘Office घर िहीं है। वहां भावावेश में ि बहें। जो मनहला कमार्ारी अपिे सानथयों के सामिे रोकर सहािुभूनत पािा र्ाहती हैं, वे वास्तव में अपिी कमजोरी दशााती हैं। वे अपिा प्रोफे शिल माि-सम्माि भी खो देती हैं। हमारे देश की मनहला एक्जीक्यूरटव को तो अन्यथा भी खुद को सानबत करिा पड़ता है। वे जब गुस्सा करें गी तो लोग कहेंगे घमंडी है, नहटलर है। पुरुष बॉस गुस्सा करे गा तो लोग कहेंगे अरे साहब को गुस्सा आ गया। मािो पररनस्थनत िे उन्हें नववश दकया हो।’’ सुलज्जा के अिुसार भारतीय मूलत: बुनिमाि हैं, पर स्वभाव से नशनथल और लापरवाह। हमारे देश की मनहलाएं तो बहुत कम में संतुष्ट हो जाती हैं। पुरुष हो या मनहला, कायाालयीि जवाबदारी के प्रनत लापरवाही का कारण है घर से Office तक नमलिे वाली अनतररक्त सुरक्षा। इसके नवपरीत अमेररका में वही सुरनक्षत है, जो लापरवाह िहीं है। वहां सबको कायाालयीि अपेक्षाएं पूरी करिा पड़ती हैं। स्पष्ट है दक नवदेश में अध्ययि और कायाािुभव िे सुलज्जा को पूरी तरह प्रोफे शिल व व्यावहाररक बिा ददया है। अपिे स्टाफ को उिके निदेश हैं दक वे जब भी दफ तर में घूमती हैं कोई कमार्ारी खड़ा ि हो। उन्हें कोई भी व्यनक्त एयरपोटा पर ररसीव करिे िहीं आए। कायिेरटक में उन्हें कोई ‘सुलज्जाजी या मैडम’ संबोिि से याद िहीं करे । वे यहां के वल एमडी हैं। सुलज्जा दफरोददया के निकटवती लोग कहते हैं दक वे नजतिी ‘हाडा बॉस’ हैं उतिी ही हजदाददल व साहसी मनहला हैं। नपट्सबगा में नबजिेस स्कू ल में पढाई करते हुए उन्होंिे Skiing, Scuba diving, , Mountain biking जैसे एडवेंर्सा खेलों में ि के वल नहस्सा नलया है वरि् दक्षता हानसल की है। इि खेलों में नशरकत की पहली शता है हजदगी दांव पर लगाओ। ग्लाइहडग करते हुए सुलज्जा िे वमोर, एस्पेि और लेकटाउि के ग्रीि, धल्यू व धलेक ढलाि पार दकए हैं। ऊंर्ाई से िीर्े लुढक़िे और दफर ऊपर पहुंर्िे की रोमांर्क अिुभूनत के नलए आठ घंटे लगातार माउं टेि बाइककग करते हुए सेि फ्रांनसस्को से व्हाया गोल्डि गेट नब्ज वे साओसलीतो पहुंर्ी हैं। सि् 1992 में कै रीनबएि आइलैंड्स की रट्रप के दौराि पांर् ददि तक उन्होंिे महासागर में जमकर गोताखोरी की। समुद्र की गहराई में डु बकी लगािे का रोमांर् बताते हुए वे कहती है‘‘वहां होती है .... सहस्रों सालों से मौि सािक शैल र्ट्टिें... उिके साथ अठखेनलयां करतीं अिनगित रं ग-नबरं गी मछनलयां.... और इस अद्भुत संसार में गोताखोर का एकाकीपि।’’
ददलर्स्प बात यह है दक सुलज्जा एक पुत्र की मां बि गई हैं, पर एडवेंर्सा के प्रनत उिका रुझाि कम िहीं हुआ है। आज भी सालािा अवकाश पर वे यूरोप जाती हैं तो एडवेंर्र स्पोट्र्स से खुद को दूर िहीं रख पाती हैं। वे बंजी जंहपग करिा र्ाहती हैं और ग्लाइहडग की डबल डायमंड मास्टर बििा उिकी इच्छा है। सुलज्जा दफरोददया मोटवािी की सास सही कहती हैं- ‘‘तीि बार कलाई में फ्रैक्र्र, एक बार नसर पर र्ोट और आठ सप्ताह तक बैसाखी के सहारे र्लिे के बावजूद सुलज्जा जोनखम उठािे से बाज िहीं आती। मैं तो र्दकत हं दक वह हजदा कै से है ।’’ कारपोरट इं नडया में रति टाटा या नवजयपत हसघानिया जैसे पुरुष उद्यमी हैं, नजन्होंिे रोमांर् की र्ाह पूरी करिे के नलए अपिी हजदगी दांव पर लगाई है, पर मनहला उद्यमी एक ही है सुलज्जा दफरोददया मोटवािी जो कहती हैं- ‘‘यह मौत से मुकाबला िहीं है। यह तो हजदा होिे का उत्सव (Celebration of being alive) है।’’ सर् है गहरे गोताखोर को ही वह सीप नमलती है नजसमें होता है मोती। सि् 1992 में एक एडवेंर्र रट्रप में दुघाटिाग्रस्त सुलज्जा की कै नलफोर्तिया हाई-वे पर मिीष मोटवािी से भेंट हुई। स्टेिफोडा से इं जीनियर हैदराबाद के हसिी युवक मिीष को सि् 1993 में उन्होंिे अपिा जीवि साथी बिा नलया। मिीष कहते हैं- ‘‘सुलज्जा से नमलिे के बाद मेरे जीवि में कभी कोई उबाऊ पल िहीं आया है। ’’
पुत्री द्वारा नपता के कारोबार का कायाकल्प दफरोददयाज़ की शायद नियनत ही है दक भाग्य बार-बार उिके पुरुषाथा की परीक्षा लेता है तो यह उिके नपतामहों का पुण्य प्रताप है दक हर बार एक न्यू जिरे शि दफरोददया पुश्तैिी कारोबार का कायाकल्प करता है। सि् 1948 में बछराज ट्रेहडग कं पिी को दोपनहया व तीि पनहया वाहि असेंबल करिे व 60 के दशक में बजाज ऑटो व बजाज टेम्पो की स्थापिा में भागीदार की हैनसयत से दफरोददया बंिु (स्व. िवल के . दफरोददया व स्व. एर्.के . दफरोददया) िे अहम् भूनमका निभाई थी। सि् 1968 में राहुल बजाज के साथ मतांतर के कारण बजाज और दफरोददया के बीर् नवभाजि हुआ तो दोिों र्ाहते थे दक उन्हें स्टार कं पिी बजाज ऑटो नमले पर मैदािी व अदालती लड़ाई के बाद दफरोददयाज़ को बजाज टेम्पो से संतोष करिा पड़ा। कालांतर में दफरोददया बंिु अलग हुए तो एर्.के . दफरोददया िे स्िे र् से शुरू करते हुए कायिेरटक की स्थापिा की। अपिे युवा टेक्नोिे ट पुत्र अरुण दफरोददया के साथ एर्.के . दफरोददया िे लूिा लांर् की, जो खूब लोकनप्रय हुई। इसके बाद होंडा के साथ निर्तमत नगयरलेस स्कू टरों िे कायिेरटक को िई पहर्ाि दी, पर सि् 1998 में यह भागीदारी समाप्त हुई तो कायिेरटक का अनस्तत्व खतरे में पड़ गया। इस बार अरुण दफरोददया की पुत्री सुलज्जा दफरोददया मोटवािी िे मोर्ाा संभाला। आइए, उस घटिािम को जािें नजसिे कायिेरटक का कायाकल्प दकया है। सि् 1996 में सुलज्जा दफरोददया बराा इं टरिेशिल का सीनियर कं सल्टेंसी जॉब छोडक़र स्वदेश लौटीं तो उन्हें तत्काल दु:खद नस्थनत व र्ुिौती का सामिा करिा पड़ा। उिके आगमि के तीि ददि बाद ही उिके दादाजी एर्.के . दफरोददया का कैं सर के कारण नििि हो गया, जो उिके रोल मॉडल थे। सुलज्जा िे स्वदेश लौटिे पर कायिेरटक ग्रुप की एक वेहल्डग
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मशीि निमााता कं पिी जयहहद इं डस्ट्रीज से शुरुआत की। वे र्ाहती थीं दक पहले वे कायिेरटक ग्रुप की कायासंस्कृ नत जािें, मािव संसािि को समझें, दफर समूह के प्रमुख कारोबार से जुड़ें, पर उन्हें बहुत जल्दी नपता का सहयोगी बििा पड़ा। 90 के दशक में दोपनहया वाहि उद्योग के नलए टर्मिग पॉइं ट था। मोटरसाइकलों की तेजी से बढती लोकनप्रयता िे बजाज ऑटो को पीछे िके ल कर हीरो होंडा को माके ट लीडर बिा ददया था। मोपेड व गीयरलेस स्कू टर माके ट (दोपनहया वाहि Page | 43 उद्योग के सब-सेगमेंट) मे सदिय होिे से कायिेरटक की माके ट नहस्सेदारी पर वैसा हमला तो िहीं हुआ था, पर अरुण दफरोददया के सामिे संकट था- होंडा जापाि की भारतीय माके ट में सीिे इं ट्री की तैयारी। होंडा िे इसनलए दबाव बढा रखा था दक दफरोददया संयुक्त वेंर्र -कायिेरटक होंडा मोटसा नलनमटेड की अपिी इदक्वटी या तो होंडा को बेर् दे या उसकी इदक्वटी खरीद ले। सुलज्जा दफरोददया िे एक साक्षात्कार में कहा है- ‘‘अपिी इक्वटी होंडा को बेर्िे का मतलब था हम कायिेरटक ब्ांड िेम, प्लांट व माके रटग िेटवका होंडा को सौंपकर दफर स्िे र् से शुरू करें ।’’ दफरोददयाज़ के नलए यह कारोबारी आत्महत्या होती पर दूसरी तरफ र्ुिौती थी- होंडा के तकिीकी सहयोग के नबिा उस स्कू टर माके ट में प्रनतस्पिी बिे रहिा जो अन्यथा भी नसकु डऩे लगा था। यह आशंका भी थी दक समाि उत्पाद के साथ होंडा जब माके ट में आएगा तो कायिेरटक को भी एलएमएल की तरह निगल जाएगा। भारी दबाव के बीर् अरुण दफरोददया अगस्त, 98 में जापाि पहुंर्े। मारवाड़ी समझौता परस्ती व सूझबूझ के साथ ‘हाडा बागेहिग’ करते हुए उन्होंिे होंडा की कायिेरटक में 51 फीसदी होहल्डग 35 करोड़ रुपए में खरीद ली। तत्कालीि माके ट मूल्य (90 रु. प्रनत शेयर) से लगभग आिी कीमत पर होंडा की इदक्वटी प्राप्त करिे के अलावा वे यह अिुबंि करिे में भी सफल रहे दक रॉयल्टी र्ुकाकर होंडा तकिीक से बि रहे स्कू टरों का कायिेरटक समूह उत्पादि जारी रख सके गा। दफरोददयाज़ के कट्टर प्रनतद्वंद्वी बजाज ऑटो के राहुल बजाज िे भी इस सौदे की प्रशंसा करते हुए तब कहा था- ‘‘नपता (स्व. एर्.के . दफरोददया) के नििि के बाद अरुण दफरोददया का यह सबसे बड़ा व सबसे साहसी फै सला है। मैं खुश हं दक एक भारतीय कं पिी िे एक बहुराष्टरीय कं पिी की इदक्वटी खरीद ली। 358 करोड़ (तब) की कं पिी का 35 करोड़ रुपए में नियंत्रण खरीद लेिा नि:संदेह एक सस्ता सौदा है।’’ होंडा को इतिा िादाि समझिा िासमझी होगी। 13 वषों की भागीदारी के दौराि रॉयल्टी व टेक्नोलॉजी फी के अलावा स्पेयसा की नबिी से कायिेरटक से अपिे निवेश से कई गुिा रानश होंडा पहले ही वसूल कर र्ुका था। इदक्वटी का िकद मूल्य 35 करोड़ रुपए बोिस था और होंडा जैसे महारथी के नलए ऊंट के मुंह में जीरा। सर्ाई यह है दक होंडा िे भारत के दोपनहया माके ट में हो रहे बदलाव का आकलि कर नलया था। देश की ‘ओपि’ हो रही इकॉिामी भी उसके नलए मददगार थी। इस समय की प्रतीक्षा करते हुए ही होंडा जापाि िे अपिे भारतीय भागीदारों (कायिेरटक व हीरो ग्रुप) को हमेशा सीनमत टेक्नोलॉजी व सीनमत कारोबारी आजादी दी थी। भारतीय माके ट में सीिे इं ट्री का उपयुक्त समय आया तो होंडा िे पहले कायिेरटक से भागीदारी समाप्त की। ऑटो टेक्नोलॉजी के नलए नवश्व प्रनसि होंडा को एक और भरोसा था दक कायिेरटक या कोई भी भारतीय कं पिी न्यू जिरे शि वाहि बिािे में उसका मुकाबला िहीं कर पाएगी। इस पूरे घटिािम का ि ददखिे वाला पर ददलर्स्प सर् यह भी है दक अरुण दफरोददया खासकर सुलज्जा दफरोददया मोटवािी भी होंडा की नगरफ्त से मुक्त होिा र्ाहते थे। उन्हें नशकायत थी दक होंडा जापाि िे िई तकिीक देिे में हमेशा आिाकािी की है। उन्हें िए मॉडल्स लांर् िहीं करिे ददए हैं। बाइक बिािे व नियाात करिे की अिुमनत िहीं दी है। इि प्रनतबंिों के कारण कायिेरटक सालोसाल वि प्रोडक्ट कं पिी ही बिी रही।
जैसा दक हम पढ र्ुके हैं ऊंर्े पहाड़ों में स्वतंत्र नवर्रण से लेकर सागर की गहराई में गोताखोरी करिे वाली सुलज्जा का तो स्वभाव ही है- उन्मुक्तता। कारोबारी कै ररयर में होंडा से भागीदारी के ये बंिि उन्हें कै से रास आते? पर उिके स्व. दादाजी िे यह भी नसखाया है दक नबजिेस में हड़बड़ी वर्तजत है। नवरासत में नमले नबजिेस के र्ुिौतीपूणा हालात के संदभा Page | 44 में सुलज्जा कहती हैं- ‘‘पुश्तैिी िरोहर वरदाि होती है पर यह खाली हाथ िहीं नमलती।’’ सि् 1998 में कायिेरटक में फु ल टाइम एक्जीक्यूरटव बिते ही सुलज्जा िे सबसे पहले पुश्तैिी िरोहर के बोझ को पररवार के क्लॉक रूम (स्मृनत कोष; स्मृनतयों को याद रखें पर उिसे बंिे िहीं) में जमा दकया और अपिा पसािल बैग बैगेजेस कं िों पर लादा। उन्हें पता था दक उिके टेक्नोिे ट नपता की ताकत है टेक्नोलॉजी, पर कमजोरी है माके रटग। इस मोर्े को मजबूत करिे के नलए सुलज्जा देशाटि पर निकल पड़ीं। माह में 20 से 25 ददि दौरे करके उन्होंिे कायिेरटक के देशव्यापी डीलरों से मुलाकात की और जािा दक लूिा या गीयरलेस स्कू टर यथानस्थनत में कायिेरटक का ज्यादा ददि साथ िहीं निभाएंगे। मोपेड व स्कू टर निमााता अन्य कं पनियों की तरह कायिेरटक को भी बाइक माके ट में इं ट्री लेिा पड़ेगी, पर यहां मजबूत प्रनतद्वंनद्वयों से मुकाबला करिा पड़ेगा। कायिेरटक को अब दोपनहया वाहि उद्योग में हमेशा अनिकतम तीसरे या र्ौथे पायदाि से संतोष जुटािा पड़ेगा। नबजिेस टू डे (िवंबर 2005) िे नलखा है- ‘‘बाइक माके ट में तीखी व तीव्र प्रनतस्पिाा देखकर कायिेरटक िे बुनिमता ददखाई और वह लड़ाई िहीं लड़ी जो जीती िहीं जा सकती।’’ नपता-पुत्री िे सामनयक रणिीनत बिाई। सबसे पहले नपता िे पुत्री को कायिेरटक की पहर्ाि व आवाज (Public face and voice) बिाया। अरुण दफरोददया िे खुद को ग्रुप के टेक्नोलॉजी पोटाफोनलयो तक सीनमत करते हुए समस्त दैिंददि जवाबदाररयां (प्लाहिग, सेल्स, माके रटग, फाइिेंस, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, लांहर्ग, कम्युनिके शंस) पुत्री को सौंप दीं। सुलज्जा िे भी भाई-बहि (नवस्मया व अहजध्या) व पनत मिीष मोटवािी की एक नवश्वस्त टीम बिाई और सबके बीर् वका पोटाफोनलयो बांट ददए। होंडा जापाि से भागीदारी समाप्त होिे के बाद कायिेरटक िे हर सेगमेंट (मोपेड, स्कू टर व बाइक) में हर क्षमता, हर लुक व हर मूल्य के कई वाहि लांर् दकए , पर बाइक माके ट में शुरू हुई तीखी व तीव्र प्रनतस्पिाा के कारण कायिेरटक का सुिहरा दौर िहीं लौटा। होंडा जापाि नबिा भारतीय भागीदार माके ट में कू द पड़ी। बजाज ऑटो िे स्कू टर को ‘गुड बाय’ कहा और बाइक माके ट में पूरे दमखम के साथ सदिय हो गई। सुलज्जा दफरोददया मोटवािी के नलए मैदाि इतिा रपटीला हो गया दक उन्हें दोपनहया वाहि नबजिेस, प्लांट, ब्ांड, माके रटग िेटवका सनहत मनहन्द्रा एंड मनहन्द्रा को सौंपिा पड़ा। सुलज्जा िे एक साक्षात्कार (नबजिेस इं नडया 8 नसतंबर 2008) में कहा हैमेरे नलए अपिे दादाजी व नपताजी द्वारा स्थानपत कं पिी दकसी और को सौंप देिा आसाि िहीं था, पर हम क्या करते? कजा का बढता बोझ और हर माह 5 करोड़ रुपए का घाटा कं पिी की सारी िेटवथा बबााद कर देता। ऐसे हालात में हमिे जो निणाय नलया, वह हमारे वेंडसा व नडनस्ट्रधयूटसा सनहत सबके नलए ‘नवि-नवि’ सानबत होगा। िई कं पिी में हमारी नहस्सेदारी 20 फीसदी है। मनहन्द्रा एंड मनहन्द्रा ऑटोमोरटव उद्योग की अिुभवी नखलाड़ी है। वह दोपनहया वाहि में भी
प्रनतस्पिाा का सामिा करे गी। हम अब ऑटोमोरटव कम्पोिेंट्स की इं जीनियररग पर ध्याि देंगे, नजसमें हम सक्षम हैं। हमारे द्वारा बिाए इं जि िीदरलैंड की टोमोज, इटली की अगस्ता के अलावा भारत में फोसा, टाटा मोटसा, करारो, नवस्टोि खरीद रहे हैं। शाफ्ट्स, एक्सेल, िे क शाफ्ट्स, नसलेंडर हैड्स, कै म्प शाफ्ट्स आदद बिािे में भी हम दक्ष हैं। काइिेरटक कई कं पनियों के नलए संपूणा वाहि भी असेम्बल कर रही है। सुलज्जा दफरोददया मोटवािी को मलाल है दक एक लाख रुपए Page | 45 मूल्य की कार बिािे का उिके स्व. दादाजी का स्वप्न पूरा िहीं हुआ। पौत्री रति टाटा की िैिो के जरटल कम्पोिेंट्स नगयसा टाटा समूह को सप्लाय कर रही है। सुलज्जा दफरोददया मोटवािी िे िैया के साथ अपिे पररवार के परं परा प्रेररत कारोबार को पुरािे ढरे से बाहर निकाल ददया है। इस संदभा में उिकी तुलिा कु मार मंगलम नबडला से की जा सकती हैं, नजन्होंिे आददत्य नविम नबडला समूह को आमूल बदलकर ‘नमस्टर र्ेंज’ का नखताब पाया है। सुलज्जा िे सानबत कर ददया है दक मौका दें तो पुत्री नपता की वास्तनवक वाररस बि सकती है और पररवार को िई ऊंर्ाइयों पर पहुंर्ा सकती है। इसका प्रमाण है सुलज्जा को सोसायटी यंग द्वारा अर्ीवसा अवाडा फॉर नबजिेस (2002), इं नस्टट्यूट ऑफ माके रटग एंड मैिेजमेंट का टॉप वुमेि सीईओ अवाडा, ओजनस्विी फाउं डेशि का युवा ओजनस्विी अवाडा तथा world इकॉिानमक फोरम द्वारा सि् 2002 में ग्लोबल लीडर ऑफ टू मारो की मान्यता।
सुलज्जा कहती हैं- ‘‘मुझे संतोष है दक मैंिे अपिे नपता को बोझमुक्त कर ददया है।’’
अध्याय 6
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एकता कपूर बुद्िू बक्से की शानतर नखलाड़ी
‘भाग्य’ और ‘पुरुषाथा’ का मेल सोिे पे सुहागा है। नजिके जीवि में ऐसा योग होता है वे आसािी से ‘नशखर आरोही’ हो जाते हैं। अपिे जमािे के नसिे-नसतारे जीतेंद्र ऐसे ही सौभाग्यशाली शख्स हैं। एक बड़ा दशाक वगा उिका प्रशंसक रहा, पर अवाडा देिे वालों को वे पसंद िहीं आए। कई गंभीर दफल्मों में उन्होंिे प्रभावी अनभिय दकया, पर कभी ‘सीररयस अनभिेता’ िहीं बि पाए। पुत्री सुश्री एकता कपूर िे छोटे परदे से एक दशक में जो सुयश कमाया, वह जीतेंद्र को बड़े पदे से तीि दशक में भी िहीं नमला। जीतेंद्र के नलए यह हषा-नमनश्रत अर्रज होगा दक मीनडया से एकता को ‘छोटे परदे की महारािी’, ‘फे यरीटेल ऑफ टीवी’, ‘इंटरटेिमेंट क्वीि’ जैसे संबोिि नमले हैं।
नशक्षा : बॉम्बे स्कॉरटश स्कू ल से स्कू ली पढाई, मुंबई यूनिवर्तसटी से ग्रेजुएशि/ संप्रनत : बालाजी टेलीदफल्म्स की दिएरटव हेड/ उपलनधि: 28 वषा की उम्र में कॉनन्फडरे शि ऑफ इंनडया (सीआईआई) की िेशिल इंटरटेिमेंट कमेटी की र्ेअरपसाि, एनशया वीक द्वारा एनशया के सवाानिक 50 कम्युनिके टसा की सूर्ी में उल्लेख।
एकता कपूर : बुद्िू बक्से की शानतर नखलाड़ी
जब कोई पुत्री अपिे मां-नपता का दाह संस्कार करती है तो मीनडया के नलए यह एक खबर होती है। समार्ार पत्र ऐसी खबर इस िजररए के साथ पेश करते हैं दक हमारे परं परागत समाज में अब मनहलाओं को भी वे अनिकार नमलिे लगे हैं, Page | 47 नजिसे उन्हें अब तक वंनर्त रखा गया था। एक िजररया यह भी होता है दक लड़दकयां भी अपिे नपता की वाररस होती हैं और उिका िाम रोशि कर सकती हैं। नपता की संपदा में लड़दकयों का वाररस होिा कािूिी मसला है, तो समाज से इसे मान्यता नमलिा मिोनवज्ञाि से जुड़ा मुद्दा। हम मािें या ि मािें, पर अपवाद स्वरूप ही सही, कई मनहलाओं िे अपिे मांनपता को वृिावस्था में ि के वल अवसाद से बर्ाया है, वरि् वह माि-सम्माि ददलवाया है, नजससे वे जीविभर वंनर्त रहे। बालाजी टेलीदफल्म्स की एकता कपूर ऐसी ही उद्यमी मनहला हैं, नजन्होंिे अपिे नपता को प्रौढावस्था में वह सम्माि व संपदा ददलाई है, जो उिके नपता अपिे कायाक्षेत्र में अत्यंत सफलता के बावजूद जीविपयंत िहीं जुटा पाए। यह शख्स हैं- अपिे जमािे के नसिे नसतारे ‘जहम्पग जैक’ जीतेंद्र। ‘भाग्य’ और ‘पुरुषाथा’ का मेल सोिे पे सुहागा है। नजिके जीवि में ऐसा योग होता है वे आसािी से ‘नशखर आरोही’ हो जाते हैं। अपिे जमािे के नसिे-नसतारे जीतेंद्र ऐसे ही सौभाग्यशाली शख्स हैं। कभी के वल ‘भाग्य’ तो कभी के वल ‘पुरुषाथा’ और कभी दोिों िे, जवािी से प्रौढावस्था तक उन्हें भरपूर सफलता, संपन्नता व सुयश ददलवाया है। ददलर्स्प बात यह है दक उिके जमािे में नजतिे लोगों िे उन्हें र्ाहा, उतिे ही लोगों िे उन्हें िकारा। एक बड़ा दशाक वगा उिका प्रशंसक रहा, पर अवाडा देिे वालों को वे पसंद िहीं आए। कई गंभीर दफल्मों में उन्होंिे प्रभावी अनभिय दकया, पर कभी ‘सीररयस अनभिेता’ िहीं बि पाए। असल जीवि में भी इस स्टार के ‘स्टासा’ िे नवनर्त्र आंख नमर्ौली की। पुत्र तुषार कपूर अभी संघषा कर रहे हैं, तो पुत्री सुश्री एकता कपूर िे छोटे परदे से एक दशक में जो सुयश कमाया, वह जीतेंद्र को बड़े पदे से तीि दशक में भी िहीं नमला। जीतेंद्र के नलए निनित ही यह हषा-नमनश्रत अर्रज होगा दक करीब 275 दफल्मों में अनभिय करिे के बावजूद वे राष्ट्रीय स्तर का अवाडा िहीं ले पाए, जबदक उिकी पुत्री िे 28 साल की उम्र में देश के कारपोरे ट वल्र्ड के प्रनतनष्ठत संस्थाि कॉनन्फडरे शि ऑफ इं नडया (सीआईआई) की िेशिल इं टरटेिमेंट कमेटी की र्ेयर पसाि बििे का गौरव जुटाया। एनशया वीक िे एनशया के सवाानिक प्रभावी पर्ास कम्युनिके टसा की सूर्ी में एकता कपूर को शानमल दकया। इस सूर्ी में शानमल होिे वाले अन्य दो भारतीय हैं- इन्फोनसस टेक्नालॉजीस के संस्थापक श्री एि.आर. िारायणमूर्तत व तहलका वेबसाइट के सीईओ श्री तरुण तेजपाल। सुश्री एकता कपूर ‘अिास्ट व यंग इं टरनप्रिर अवाडा-2002’ (स्टाटा अप) से भी िवाजी गई हैं। अपिे उम्र व अिुभव की तुलिा में सुश्री एकता कपूर िे दिएरटनवटी, माके रटग व मैिेजमेंट के बहुआयामी व बहु-प्रनतस्पिी क्षेत्र में जो कल्पिाशीलता दशाायी है, उससे प्रभानवत मीनडया से उन्हें ‘छोटे परदे की महारािी’, ‘फे यरीटेल ऑफ टीवी’, ‘इं टरटेिमेंट क्वीि’ जैसे संबोिि नमले हैं। यह उिकी निजी उपलनधि है तो उिके द्वारा स्थानपत कं पिी ‘बालाजी टेलीदफल्म्स’ िे उिके पररवार को Corporate World में सम्मािजिक हैनसयत ददलवाई है। जीतेंद्र की िमापत्नी श्रीमती
शोभा कपूर जीवि पयंत गृनहणी रहीं, पर आज वे बालाजी टेलीदफल्म्स की सदिय प्रबंि निदेशक हैं और कं पिी का प्रोडक्शि नबजिेस संभालती हैं। Corporate World से नबल्कु ल अपररनर्त श्री जीतेंद्र कपूर कं पिी के र्ेयरमैि हैं और कहते हैं- ‘‘राज कपूर िे जब भी दफल्म बिाई, वे ददवानलया हो गए, पर दफल्म ररलीज होिे पर दफर मालामाल। इसी तरह एकता िे सानबत दकया है दक पैसे का पीछा मत करो। काम के पीछे दौड़ोगे तो पैसा आपका पीछा करे गा।’’ जीतेंद्र कपूर के इस कथि की बालाजी दफल्म्स के नवत्तीय पररणाम पुनष्ट करते हैं। कं पिी जब पनधलक इश्यू लाई थी तब टिाओवर था 13 करोड़ रुपए व मुिाफा 2.79 करोड़ रुपए। मात्र दस करोड़ रुपए की छोटी-सी इदक्वटी वाली बालाजी टेलीदफल्म्स आज इं टरटेिमेंट उद्योग की लीडर कं पिी है। इि सबसे बड़ी बात यह है दक सुश्री एकता कपूर िे उस उद्योग (दफल्म/इं टरटेिमेंट) को ‘कारपोरे ट कल्र्र’ नसखाया है, पारदशी कारोबार करिे की प्रेरणा दी है, जो नवत्तीय अिुशासि व अंडर-टेबल लेिदेि के नलए नवख्यात(?) है। कहते हैं दक सुश्री एकता कपूर दकशोरावस्था से ही उद्यमशील रही हैं। हालांदक, बर्पि में वे बेहद मोटी और सुस्त थीं। परीक्षा में कम अंक नमलिे के कारण स्कू ल से भी निकाली गई हैं- एकता। 17 साल की उम्र में उन्होंिे संघषारत् मॉडल्स के नलए एड दफल्मों में को-ऑर्तडिेटर का काम दकया और मॉडल्स की र्ूनडय़ां व पररिािों की व्यवस्था संभाली। सि् 1995 में एकता िे कपूर हाउस के गैरेज में पांर् कमार्ाररयों के साथ बालाजी टेलीदफल्म की स्थापिा की। प्रारं नभक वषा बेहद संघषापण ू ा गुजरे । आत्मनवश्वास की कमी व गलत फै सलों के कारण एकता िे खूब पैसा डु बोया। उिके ही शधदों में कहें- ‘‘शुरुआती दौर में भारी घाटा उठािे के बाद मैं डैडी के पास पहुंर्ी और कहा दक इस बार भी सारा पैसा डू ब गया है तो वे बोले मैं तुम्हें और पैसा दूग ं ा और वह डू ब जाएगा तो दफर और दूंगा। मैं डैडी को देखती रह गई। आज मैं नजस मुकाम पर हं, उसका श्रेय डैडी को है। एक नपता, एक आलोर्क एवं एक सलाहकार के तौर पर उन्होंिे मुझे हमेशा सही सलाह दी है।’’ पहली सफलता एकता को ‘हम पांर्’ िारावानहक से नमली, नजसे ‘क्योंदक सास भी कभी बह थी’ िे उच्चतम पायदाि पर पहुंर्ा ददया। यह सीररयल इतिा लोकनप्रय हुआ दक रील लाइफ में इसका हीरो ‘नमनहर’ मरा तो लाखों मनहलाएं रीयल राइफ में रोईं और उन्होंिे एकता कपूर को खूब कोसा। सारे देश िे मातम मिाया तो एकता को नमनहर को दफर हजदा करिा पड़ा। एकता िे एक साक्षात्कार में कहा भी है- ‘‘अिजाि लोग जब राह र्लते हुए पूछते हैं दक फलां सीररयल में आगे क्या होगा तो मुझे बड़ी खुशी होती है। ऐसे लोग ही मेरी प्रेरणा और मेरा हौसला हैं।’’ इं टरटेिमेंट उद्योग से जुड़े लोग सुश्री एकता कपूर को ‘शानतर’ व्यवसायी मनहला कहते हैं। उिके अिुसार- ‘वे बेहद अक्खड़ हैं, गुस्सैल हैं, बेबाक हैं।’ यािी बहुत साफ-साफ बोलती हैं। नबजिेस बैठक में उन्हें कोई बीर् में टोक दे तो वे अपिा आपा खो देती हैं, पर अपिे काम में वे बेहद मानहर हैं। भारतीय गृनहनणयों की िधज उन्होंिे कस कर पकड़ रखी है। उिके सीररयल/प्रोग्राम स्टार पर रोज प्रसाररत होते हैं। एक अिुमाि के मुतानबक इन्हें हर रोज दो करोड़ से ज्यादा लोग देख रहे हैं। स्टार व सोिी र्ैिल की लोकनप्रयता में सुश्री एकता कपूर की भूनमका अहम् है। बालाजी टेली दफल्म्स के िारावानहकों के कायािमों के कारण ही स्टार र्ैिल िे नवदेशी र्ैिल होिे की पहर्ाि से मुनक्त पाई और इलेक्ट्रॉनिक मीनडया में सवोपरर होिे का गौरव जुटाया है। एकता कपूर इतिी करतबी कारोबारी हैं दक उन्होंिे स्टार टीवी से अपिा हक वसूल
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दकया है। ब्ॉडकाहस्टग कं पनियां जो आय जुटाती हैं, उसमें भी बालाजी टेलीदफल्म की नहस्सेदारी है। बालाजी टेलीदफल्म्स यूएई की एक कं पिी को अपिे तनमल व तेलुगू िारावानहक सप्लाई करती है। किाडा की एक कं पिी के साथ बालाजी टेलीदफल्म्स का सॉफ्टवेयर लायब्ेरी का नवतरण अिुबंि है। Page | 49 सुश्री एकता कपूर के संगी-साथी व प्रनतद्वंद्वी कहते हैं- ‘‘इस यंग लेडी के पास मैनजक है।’’ टीवी के प्राइम टाइम पर उिका लगभग एकानिकार भी रहा है। सप्ताह के तीस घंटे उिके बिाए कायािमों पर प्रमुख र्ैिल निभार रहे हैं। कमाल तो यह है दक उिके िारावानहक के ‘ररपीट टेलीकास्ट’ को भी दशाक और नवज्ञापि दोिों नमलते हैं। दशाकों का कहिा है दक इसका श्रेय उिके िारावानहकों के मनहला र्ररत्र व उिकी प्रस्तुनत को है। सुश्री एकता कपूर के ही शधदों में कहें तो ‘‘अनिकांश भारतीय मनहलाओं िे गृनहणी बििा खुद र्ुिा है। ऐसा करते हुए वे अपिे पनत की पहली सहायक बिी हैं। उन्होंिे ही पररवारों को बिाया, बढाया और संभाला है। भारत में आज भी पररवार परं परा सबसे प्रमुख है। हमारे यहां हर ररश्ते के नलए अलग संबोिि (दादी, िािी, बुआ, काकी, मौसी व भाभी आदद) हैं। एकल पररवारों के दौर में भी भारत में पररवार की संकल्पिा ि के वल बर्ी हुई है, वरि् मजबूत हुई है।’’ सुश्री एकता कहती हैं दक हम र्ूदं क अपिे ररश्तेदार िहीं र्ुि सकते, इसनलए ये अच्छे व बुरे दोिों होते हैं। िौकरी में, पदोन्ननत पािे में या पैसा कमािे से वास्तनवक खुशी िहीं नमलती। खुशी तब नमलती है, जब हम अपिी सफलता अपिे पररवार के साथ ‘शेयर’ करते हैं।
ध्याि दें, बालाजी टेलीदफल्म्स के सारे िारावानहक ‘पररवार’ को एक िुरी बिाकर ही आगे बढते हैं और यही कारण है दक भारतीय दशाक खासकर मनहलाओं के ममा को वे िजदीक से छू ते हैं। इसे र्ाहे जो िाम दें (जैसे ‘एकता मैनजक’) पर इसका रहस्य सुलझाते हुए सुश्री एकता कहती हैं- ‘‘मैंिे हमेशा अपिे डैडी की दफल्में पसंद की थीं। उि दफल्मों के पाररवाररक मूल्य, संस्कार और आदशा मेरे इि सीररयलों की भी प्रेरणा हैं। बालाजी टेलीदफल्म्स को नमलिे वाली ढेर सारी प्रनतदियाओं से मुझे लगता है दक मैंिे ‘परं परा’ में ‘आिुनिकता’ को जोडक़र ठीक दकया है। बुजुगों के साथ युवाओं िे इसीनलए बालाजी टेलीदफल्म्स के िारावानहकों को पसंद दकया है। ’’
एकता कपूर के अिुसार हमारे सीररयल गुजराती थाली हैं, नजसमें हरे क के नलए कु छ ि कु छ है। यही कारण है दक सालों से रोज प्रसाररत होिे के बावजूद इिमें दशाकों को बांििे की गनत व लय है। बालाजी के हर सीररयल में लंबे-र्ौड़े खािदाि हैं, नजिकी वजह से मुख्य कथा के साथ उपकथा व गुप्त कथा ही िहीं कॉमेडी, इमोशि व कु र्ि के नलए भी पयााप्त जगह है। बालाजी के िारावानहक में करुणा बहुत ज्यादा होती है। ये उच्च वगा के पररवारों पर कें दद्रत हैं, जो मध्यम वगा की लालसा है। यही कारण है दक इिकी फं तासी सािारण पररवारों को लुभाती है। गौरतलब है दक एकता कपूर िे छोटे परदे पर एवीएम व जैनमिी जैसी पुरािी दफल्म निमााता कं पनियों के इनतहास को दोहराया है। इिकी पाररवाररक दफल्में खूब िाम व िामा (prosperity and prestige) कमाती थीं। आज छोटे परदे पर पाररवाररक सीररयल यही काया कर रहे हैं। ध्याि दें दक इिकी मुख्य मनहला पात्र सीररयलों में मंगलसूत्र ऐसे पहिती हैं
मािो वीरता पदक हों। हमारे तेजी से बदलते समाज में पुरािी परं परा के प्रनत सिक की हद तक यह मोह दकतिा भाविा प्रिाि है और दकतिा वास्तनवक- यह समाज शानस्त्रयों के नलए शोि का मुद्दा है। ददलर्स्प बात यह है दक बालाजी टेलीदफल्म्स के प्रमुख सूत्र भी मनहलाएं ही संभाले हुए हैं। सामान्यत: कं पनियों के संर्ालि में पुरुषों का वर्ास्व होता है, पर एकता की टीम में पर्हत्तर फीसदी मनहलाएं हैं। वे स्वयं दिएरटव डायरे क्टर हैं । उिके अिुसार मनहलाएं ि के वल संवेदिशील होती हैं, वरि् ज्यादा मेहिती भी। मनहलाओं की महत्वाकांक्षा भी दीघाावनि व बड़ी होती हैं। इसका उदाहरण देते हुए सुश्री एकता कहती हैं- ‘‘जब दकसी पुरुष की आय बढती है तो वह कार खरीदता है और मनहला के पास पैसा आता है तो वह अपिे घर और अपिे पररवार के बारे में सोर्ती है।’’
सुश्री एकता कपूर िे छोटी उम्र व थोड़े समय में टीवी उद्योग को ही बदल डाला है। इसके नलए उन्होंिे कभी भी महंगे या लोकनप्रय र्ेहरों का सहारा िहीं नलया है। उिके अनिकांश कलाकार आज तो अत्यंत लोकनप्रय हैं पर वे कभी मराठी व गुजराती मंर् पर अनभिय दकया करते थे। एकता कपूर कहती हैं- ‘‘ये ही मेरे नलए उपयुक्त हैं।’’ वे खुद दिएरटव हैं। स्थानपत व लोकनप्रय कलाकार पाररश्रनमक में ही प्रोजेक्ट के बजट का र्ालीस फीसदी नहस्सा ले जाते हैं, पर संतष्ट ु िहीं होते। यही िहीं, वे कहािी, र्ररत्र व प्लाट्स पर भी अपिा कं ट्रोल र्ाहते हैं और डायरे क्टर के काम में अकारण छे ड़छाड़ करते हैं। इसके नवपरीत िए र्ेहरे अपिे काम से मतलब रखते हैं। बालाजी टेलीदफल्म्स कलाकारों पर दकया जािे वाला जो खर्ा बर्ाती है, उसे सेट व प्रोडक्शि की वैल्यू बढािे पर व्यय करती है।
सुश्री एकता की मान्यता है दक टीवी, डायरे क्टर व लेखक का माध्यम है। छोटे परदे के स्टार वे ही हैं। अत: उन्हें वांनछत प्रनतपूर्तत (पैसा) व आजादी नमलिा र्ानहए और कलाकारों को उिकी कठपुतली की तरह काम करिा र्ानहए। बालाजी टेलीदफल्म्स अपिे लेखकों को र्ुििे में भी साविाि है । सुश्री एकता कपूर िे कई लोगों को लेखक बिाया है। ऐसे ही एक शख्स जो पैंतीस साल अकाउं टेंट रहे, अब बालाजी टेलीदफल्म्स के िारावानहक लेखक हैं। एक अनभिेता में उन्होंिे लेखि क्षमता व सूझबूझ देखी तो उसे जबरि कै मरे के आगे से खींर्कर पीछे खड़ा कर ददया। यह शख्स आज बालाजी टेलीदफल्म्स के दिएरटव हेड हैं।
‘कलाकारों के प्रनत एकता िू र हैं’ -यह कथि सही है या गलत, यह अलग मुद्दा है। सर्ाई यह है दक बालाजी टेलीदफल्म्स िे कलाकारों के भुगताि की एक िई परं परा डाली है। कं पिी कलाकारों को प्रनत एनपसोड भुगताि िहीं करती है, वरि् प्रनतददि का मुआवजा देती है। एक कलाकार से एक ही ददि में एक से ज्यादा सीररयल के नलए अनभिय करवाती है। यही िहीं, सुश्री एकता कपूर उिकी शता ि माििे वाले कलाकार को सीररयल से निकालिे में भी देर िहीं करतीं। वे उसकी लोकनप्रयता से भी प्रभानवत िहीं होती हैं। ‘क्योंदक सास भी कभी बह थी’ के नमनहर को उन्होंिे दशाकों की मांग पर हजदा दकया था तो उस पात्र को पदे पर दोहरािे वाले कलाकार को सीररयल से नबदा करिे में भी संकोर् िहीं दकया। क्योंदक सास भी... की िडक़ि तुलसी (स्मृनत ईरािी) को भी एकता कपूर िे िारावानहक से नवदा करिे में कोई संकोर् िहीं दकया। मीनडया िे स्मृनत ईरािी की इस रुसवाई पर कई पन्ने रं ग ददए। मनहला दशाकों िे तो यहां तक कह ददया- बस बहुत
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हुआ एकता। तुलसी िहीं तो क्योंदक सास... भी िहीं। पर एकता अनवर्नलत रहीं। वास्तनवकता यह है दक लोकनप्रय और लंबे सीररयल से कलाकारों को बदलिे का सुश्री एकता कपूर िे ऐसा ररकाडा बिाया है दक कलाकार उन्हें ‘िू र’ कहिे लगे हैं। बालाजी टेलीदफल्म्स की इस कायाप्रणाली के कारण सुश्री एकता कपूर को उिके संगी-साथी ‘श्रूड नबजिेस वूमि े ’ कहते हैं। जो करतबी कारोबारी ‘नशखर आरोही’ होते हैं, उि पर ऐसे आरोप सामान्य बात है तो उिके यश की भी खूब र्र्ाा होती है, पर नपरानमड पर बैठे उस शख्स की मि:नस्थनत के वल वही जािता है।
सुश्री एकता कपूर के शधदों में कहें तो ‘‘मैं जैनमिी (नमथुि- एक अन्य अथा तारामंडल) हं, नजसे कोई भी र्ीज एक या दो ददि लुभाती है। इसी तरह मैं एक साथ या तो एक दजाि काम करती हं या कु छ िहीं करती।’’ सुश्री एकता कपूर के इस कथि से नमलता-जुलता एक और रहस्य है दक सि् 2001 में एकता का ‘गुडलक’ तब शुरू हुआ है, जब उन्होंिे अपिे िाम की स्पेहलग में ‘ई’ के बाद ‘ए’ जोड़ा है। अपिे सीररयल के नलए ‘क’ शधद से उिके लगाव का भी यही कारण है। एकता कपूर िे कपूर पररवार (जीतेंद्र) की साख, संपन्नता व यश ही िहीं बढाया है, वरि् उन्होंिे सानबत दकया है दक उद्यमी मनहलाएं यदद अपिी कल्पिाशीलता का ‘बोल्ड’ दोहि करें तो दुनिया में कोई काम ऐसा िहीं है, जो वे पुरुषों से बेहतर ि कर सकें । उिके प्रसंग में तो यह बात तब और वजिदार हो जाती है दक मनहलाएं जोनखम उठाएं तो नशक्षा, उम्र व अिुभव भी बािा िहीं बिते।
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अध्याय 7
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नवद्या मुरकम्बी बेलगाम की यशोदा मां
दुनिया के हर ररश्ते से कम से कम िौ माह तो बड़ा होता ही है- मां का ररश्ता। बेलगाम (किााटक) के हजारों दकसािों की यशोदा मैया हैं- श्रीमती नवद्या मुरकम्बी। उन्होंिे एवं उिके पुत्र िरें द्र मुरकम्बी िे मात्र एक दशक में बेलगाम के गन्ना उत्पादक हजारों दकसािों को ‘नमलेनियर’ बिाकर इस क्षेत्र की सारी इकॉिामी को बदल डाला है। शुगर नमल स्थानपत करिे के नलए नवद्या मुरकम्बी नजले के 80 गांवों में भटकीं। हजारों दकसािों से नमलीं और उन्हें समझाया दक वे उिकी शुगर नमल में निवेश करें और मुिाफे में भागीदार बिें। आज ये दकसाि भी नमलेनियर हैं।
नशक्षा: किााटक यूनिवर्तसटी से रसायिशास्त्र में ग्रेजुएशि/ संप्रनत: श्री रे णुका शुगसा की एक्जक्यूरटव र्ेअरपसाि/ बेलगाम इलाके के गन्ना उत्पादक/ दकसािों का जीवि खुशहाल बिाया। दकसािों को नसखाया दक खूब कमाओ पर खर्ा सोर् समझकर करो। रे णुका शुगसा को देश की सबसे बड़ी शकर व इथॉिॉल निमााता-नियाातक कं पिी बिाया।
नवद्या मुरकम्बी : बेलगाम की यशोदा मां
िर और िरािम ही िहीं, िारायण को भी जन्म लेिे के नलए र्ानहए- मां की कोख। देवकी दकसी नववशतावश लालिपालि िहीं कर पाए तो हर कन्हैया को र्ानहए- मां यशोदा की गोद। दकसी िे सर् कहा है- दुनिया के हर ररश्ते से कम से Page | 53 कम िौ माह तो बड़ा होता ही है- मां का ररश्ता। बेलगाम (किााटक) के हजारों दकसािों की यशोदा मैया हैं- श्रीमती नवद्या मुरकम्बी। उन्होंिे एवं उिके पुत्र िरें द्र मुरकम्बी िे मात्र एक दशक में बेलगाम के गन्ना उत्पादक हजारों दकसािों को ‘नमलेनियर’ बिाकर इस क्षेत्र की सारी इकॉिामी को बदल डाला है। मां-बेटे का यह कररश्मा नवश्व प्रनसि यूिाइटेड स्टील कारपोरे शि, यूएस की जन्म कथा याद ददलाता है। तो आइए, नवद्या मुरकम्बी की ‘ररयल लाइफ स्टोरी’ इस कहािी से ही शुरू करें । 12 ददसंबर, 1900 को करीब 100 अमेररकि कु बेरपनत Charles M. Swab को सुििे आए थे, जो मात्र एक औपर्ाररकता थी। आयोजकों िे श्वाब को पहले ही र्ेता ददया था दक न्यूयाका के अमीर उद्योगपनत अपिी सफलता व सम्पन्नता के वशीभूत इतिे आत्ममुग्ि हो र्ुके हैं दक अब उन्हें कोई िया आइनडया िहीं लुभाता। वे लंबे भाषण पसंद िहीं करते हैं अत: श्वाब 15-20 नमिट ही बोले। श्वाब 90 नमिट बोले और खूब बोले। उिके भाषण का सार था दक नबनस्कट, नवस्की, शुगर, रबर या ऑइल की तरह स्टील कं पनियों का भी एक कॉरपोरे शि होिा र्ानहए। दमदार दलीलों और वजिदार आंकड़ों के साथ श्वाब िे कहा- ‘‘एकजुट होिे से सबकी क्षमता बढेगी, नवशेषज्ञता बढेगी, एकाग्रनर्तता बढेगी और एक मजबूत नसस्टम बिेगा जो नवश्व स्टील माके ट का बड़ा नहस्सा हनथयािे में मददगार होगा।’’ श्वाब की रणिीनत पारदशी और प्रभावी थी, पर लंबी ऊहापोह व कई महीिों की जद्दोजहद के बाद यूिाइटेड स्टील कॉरपोरे शि जन्मा, नजसिे अमेरदकि स्टील उद्योग को आर्तथक नस्थरता प्रदाि की। एक व्यनक्त के एक सोर् िे अमेररका के सबसे समृि (6,00,000,000 डॉलर; आज के डॉलर मूल्य के आिार पर 2,70,00,000,000 रुपए) व सशक्त औद्योनगक समूह को जन्म ददया। सि् 1930 तक श्वाब िे यूिाइटेड स्टील कॉरपोरे शि का प्रेनसडेंट का दानयत्व संभाला। कु छ ऐसी ही संकल्पिा, संकल्प और सद्इच्छा से जन्मी है- बेलगाम (किााटक) नस्थत श्री रे णुका शुगसा, नजसकी र्ेअरपसाि हैं- नवद्या मुरकम्बी और मैिेहजग डायरे क्टर हैं- उिके पुत्र िरें द्र मुरकम्बी। िरें द्र मुरकम्बी के नपता पररवार के टाटा टी एवं टाटा के नमकल्स के नवतरण कारोबार की देखरे ख करते थे। प्राय: नपता-पुत्र को नबजिेस टूर पर साथ ले जाते थे, फलत: िरें द्र को दकशोर उम्र में आसाम के र्ाय बागाि और पंजाब में गेहं की खेती देखिे का सुअवसर नमला। इं जीनियररग की नडग्री लेिे के बाद सि् 1994 में उन्होंिे आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए की नशक्षा ली और ईको-फ्रेंडली पेस्ट कं ट्रोल बिािा शुरू दकए। श्रीमती नवद्या मुरकम्बी िे पुत्र के कारोबारी ‘गुरु-गाइड’ की जवाबदारी संभाली। थोड़े ही ददिों में मांबेटे पेस्ट कं ट्रोल कारोबार से ऊब गए। बेलगाम में गन्ने की खूब पैदावार होती है। वे यहां शुगर नमल स्थानपत करिे का स्वप्न देखिे लगे। संयोग से आंध्रप्रदेश सरकार अिंतपुर नस्थत एक रुग्ण सहकारी शुगर नमल बेर्िा र्ाहती थी, नजसकी प्राइज टेग थी 55 करोड़ रुपए। मां-बेटे िे भारी जद्दोजहद के बाद आईडीबीआई से 33 करोड़ रुपए का कजा एवं शुगर डेवलपमेंट फं ड से 8.25 करोड़ रुपए इदक्वटी के रूप में स्वीकृ त करवा नलए। शेष 14 करोड़ रुपए के नलए उन्होंिे पररवार
की सारी संपदा व प्रनतष्ठा दांव पर लगा दी, पर पांर् करोड़ रुपए की कमी रह गई। दकिारे पर पहुंर्कर कश्ती डू बती देख िरें द्र मुरकम्बी हताश हो गए, पर नवद्या मुरकम्बी िे हौसला िहीं छोड़ा। सहकारी शुगर नमलों का पूंजीगत आिार है- सदस्य दकसािों का निवेश। नवद्या मुरकम्बी को दकसािों से अपिे वेंर्र में भी निवेश की उम्मीद थी, हालांदक निवेश का उिका आइनडया दकसािों के नलए पूरी तरह गैर परं परागत था। इसे ‘सेल’ Page | 54 करिे के नलए वे बेलगाम नजले के 80 गांवों में भटकीं। 10 हजार से ज्यादा दकसािों से बार-बार नमलीं और उन्हें समझाया दक बेलगाम में शुगर नमल होगी तो दकसािों को गन्ने की नडलेवरी के नलए 60 से 70 दकमी दूर रामबागा िहीं जािा पड़ेगा और ि ही गन्ने का भुगताि प्राप्त करिे के नलए बार-बार र्क्कर लगािा पड़ेंगे। स्थािीय शुगर नमल उन्हें तत्काल भुगताि करे गी जबदक अभी वे प्राय: िॉि पेमेंट के नशकार भी हो जाते हैं। नवद्या मुरकम्बी िे दकसािों से आग्रह दकया दक प्रत्येक दकसाि बेलगाम नजले में उिके द्वारा स्थानपत की जा रही श्री रे णुका शुगर नमल के 500 शेयर 10 रु. मूल्य पर खरीद ले। यह शुगर नमल उिसे ही गन्ना खरीदेगी और नमल में निवेश के बदले उन्हें अपिे मुिाफे में भी भागीदार बिाएगी। दकसािों िे उिकी बात तो सुिी पर वे रे णुका शुगसा के शेयर खरीदिे के नलए तब ही तैयार हुए जब िरें द्र मुरकम्बी निजाम शुगर फै क्ट्री की 2000 टि से भी ज्यादा वजि की मशीिरी अिंतपुर (आंध्रप्रदेश) से उठाकर बेलगाम से 70 दकमी दूर नशडोंगी लाए और उसे यहां स्थानपत कर ददया। मां-बेटे का स्वप्न साकार हुआ। नवद्या मुरकम्बी के नलए दकसािों का यह आर्तथक सहयोग वह ‘टर्मिग पॉइं ट’ है नजसिे उन्हें मनहला उद्यमी बििे का गौरव ददलाया है। श्री रे णुका शुगसा िे सि् 1998 में 1250 टि प्रनतददि गन्ना नपराई (crushing) क्षमता के साथ शकर उत्पादि शुरू दकया। सि् 2004 में कं पिी िे 2500 टि गन्ना नपराई क्षमता की महाराष्ट्र नस्थत अजारा कोऑपरे रटव फै क्ट्री भी लीज आिार पर संर्ालि के नलए प्राप्त कर ली। इस सफलता िे नवद्या व िरें द्र मुरकम्बी की महत्वाकांक्षा को िए पंख लगा ददए। श्री रे णुका शुगसा के कारोबारी नवस्तार के नलए अक्टू बर, 2005 में उन्होंिे पूंजी माके ट में दस्तक दी। एक बार दफर यह सबसे अलग दकस्म का जि निगाम था। शेयर माके ट में सूर्ीबिता के पहले ही कं पिी के 9900 ऐसे शेयर िारक थे, जो नवगत 4 वषों से कं पिी को कच्चा माल- गन्ना सप्लाय कर रहे थे। उन्होंिे कं पिी के प्रमोटरों की नवश्वसिीयता पर मोहर लगाई और श्री रे णुका शुगसा के जि निगाम को निवेशकों का भरपूर समथाि प्राप्त हुआ। अपिे दकस्म के इस अिूठे जि निगाम के दस्तावेज में दशााया गया था दक श्री रे णुका शुगसा िे नजि रुग्ण सहकारी शुगर नमलों का लीज आिार पर प्रबंिि संभाला है, वे मुिाफा अजाि कर रही हैं। श्री रे णुका शुगसा के देश में दस स्थािों पर नस्थत संयंत्रों की दैनिक िहशग क्षमता 35 हजार टि हो गई है। कं पिी सबसे बड़ी इथॉिाल निमााता है। ब्ाजील नस्थत संयंत्र द्वारा उत्पाददत शकर की ग्लोबल ट्रेड के नलए दुबई में हब स्थानपत दकया है। रे णुका शुगसा गन्ने के अलावा आयानतत रॉ शुगर से हाईग्रेड शकर भी बिाती है, नजसके ग्राहक हैं र्ॉकलेट, च्युंगम, साफ्ट हिंक्स व ब्ेवरे जेस जैसे उत्पाद बिािे वाले उद्योग, जो के वल सल्फरलेस शुगर ही उपयोग करते हैं। श्री रे णुका शुगसा के कु ल उत्पादि का दो नतहाई नहस्सा ये संस्थागत ग्राहक खरीद रहे हैं यानि दफनिश्ड प्रोडक्ट की नबिी में कोई बािा िहीं है। निवेशक होिे से गन्ना उत्पादक दकसाि कच्चे माल की आपूर्तत सुनिनित करते हैं। कं पिी हाइग्रेड शुगर नियाात भी करती है। बंदरगाह के िजदीक नस्थत होिे से रे णुका शुगसा के नलए शकर जैसी कमोनडटी का नियाात भी आसाि है। कं पिी इथॉिॉल एवं नबजली उत्पादि भी कर रही है। नजिका कच्चा माल है गन्ने का सूखा र्ूरा (Bagasse) और शीरा (Molasses)। ये दोिों शकर उद्योग के बाय
प्रोडक्ट्स हैं अथाात वेस्ट के रूप में निकलते हैं यािी नबिा लागत प्राप्त होते हैं पर मुिाफा अजाि करते हैं। जि निगाम वाले वषा में रे णुका शुगसा िे इि उत्पादों की नबिी से 420 करोड़ रुपए जुटाए और 32 करोड़ रुपए मुिाफा अजाि दकया। 100 करोड़ रुपए के जि निगाम के दस्तावेज में रे णुका शुगसा के प्रमोटरों िे यह भी दशााया था दक कं पिी िे मोहििगर (महाराष्ट्र) में तीसरी रुग्ण शुगर नमल अनिग्रनहत की है, नजसकी उत्पादि क्षमता है 2500 टि गन्ना नपराई प्रनतददि। Page | 55 इसका उत्पादि बढाकर 4000 टि दकया जा रहा है। मुिोली इकाई की गन्ना नपराई क्षमता भी बढाई जा रही है और कं पिी हल्दीया में 2000 टि क्षमता की एक िई शुगर ररफाइिरी लगा रही है। रे णुका शुगर का लक्ष्य है वषा 2006-07 तक गन्ना नपराई क्षमता 12,500 टि प्रनतददि पहुंर्ा देिा। तद्िुसार एथेिॉल व ऊजाा का उत्पादि भी बढािा। रे णुका शुगसा के
300 रु. प्रनत शेयर ऑफर मूल्य को निवेशकों का अच्छा समथाि नमला। अक्टू बर 2005 में नवद्या
मुरकम्बी िे बेलगाम के एक गन्ना उत्पादक दकसाि से ही कस्टमरी बेल बजवाकर रे णुका शुगसा के शेयर के स्टॉक एक्सर्ेंज में सूर्ीबि होिे की घोषणा करवाई। कं पिी के शेयरों की खरीद-फरोख्त के पहले ही ददि 90 के दशक में श्री रे णुका शुगसा में निवेश करिे वाले 9900 दकसाि 129 करोड़ रुपए के मानलक बि गए। पांर् करोड़ रुपए का उिका निवेश अप्रैल, 2006 में तो बढक़र 811 करोड़ रुपए हो गया। हर गन्ना उत्पादक दकसाि के 5000 रुपए छह साल में 7.80 लाख रुपए हो गए थे। सही कहते हैं बेलगाम के गन्ना उत्पादक दकसाि- हमारे नलए मां से भी बढक़र हैं नवद्या मुरकम्बी, नजन्होंिे हमारा और हमारे पररवार का जीवि बदल डाला है। उन्होंिे हमें अच्छी गुणवत्ता के बीज व खाद खरीदिे के नलए कजा ददलवाया। हमें कोयम्बटू र भेजकर माडिा खेती का प्रनशक्षण ददलवाया। वे आज भी कृ नष वैज्ञानिकों के साथ स्वयं हमारे खेतों में आती हैं। हमारी फसल देखती हैं और हमें सलाह देती हैं। कभी हम प्रनत एकड़ 30 से 40 टि गन्ना उत्पादि कर रहे थे। अब यह औसति 50 से 60 टि हो गया है, जो कभी-कभी तो 70 टि प्रनत एकड़ भी हो जाता है। ‘नवद्या मां’ से ही हमिे सीखा है दक खूब कमाओ पर खर्ा भी खूब सोर् समझकर करो। तद्िुसार हमिे जमीिें खरीदी हैं। हसर्ाई सािि बढाए हैं। मकाि बिवाए हैं। बच्चों को उच्च नशक्षा ददलवाई है। हमारे कु छ प्रनतभावाि बच्चे तो नवदेशों में भी पढ रहे हैं। अब हमारे पास मोटर कारें हैं। एक दकसाि रायप्पा मालप्पा कहते हैं- ‘‘सि् 2004 में मैं 40 एकड़ भूनम पर मक्का पैदा करता था। सालािा एक लाख रुपए कमाता था। इस आय से पररवार का भरण-पोषण मुनश्कल था। आज मेरे पास 100 एकड़ भूनम है। मैं प्रनत एकड़ 20 से 30 लाख रुपए हर साल कमा रहा हं, इं नडका में घूमता हं।’’ वे मजादकया अंदाज में कहते हैं- ‘‘काश अम्मा की बात मािकर मैंिे रे णुका शुगसा के ज्यादा शेयर ले नलए होते तो आज मैं एरोप्लेि में उड़ता।’’ इस पररप्रेक्ष्य में यह जाििे की नजज्ञासा स्वाभानवक है दक श्रीमती नवद्या मुरकम्बी एवं िरें द्र मुरकम्बी की शेयर होहल्डग का मूल्य दकतिा होगा। उिके पास श्री रे णुका शुगसा के 46.87 फीसदी शेयर हैं। ददलर्स्प बात यह है दक िवकु बेर नवद्या मुरकम्बी आज भी बेलगाम में ही रहती हैं। उिकी जीविशैली व ददिर्याा िहीं बदली है। और िरें द्र मुरकम्बी! जब मीनडया उन्हें िवोददत कु बेर कहता है तो वे जवाब देते हैं- ‘‘यह गौण है दक मेरी संपदा दकतिी है। गवा की बात यह है दक हमारी जरूरत के समय हमारा साथ देिे वाले दकसाि हमारे साथ-साथ संपन्न हुए हैं। रे णक ु ा शुगसा आज प्रनतददि 50 हजार दकसािों से गन्ना खरीद रही है। हम कभी भी इसका समय पर भुगताि करिे से िहीं र्ूके हैं, बनल्क हमिे सहकारी
शुगर नमलों से औसति प्रनत टि ज्यादा भुगताि ही दकया है।’’ वस्तुत: िरें द्र मुरकम्बी को भी मां से संस्कार नमले हैं- ‘‘जड़ों से िाता मत तोड़ो। जड़ से जुड़े रहोगे तो खूब फलोगे-फू लोगे।’’ यही कारण है दक िरें द्र मुरकम्बी कई साल तक वली सीफे स मुंबई में दकराए के एक छोटे फ्लैट में रहे हैं। साउथ मुंबई में फ्लैट खरीदिा र्ाहा पर प्रभादेवी (मुंबई) में खरीदा क्योंदक यह तुलिात्मक रूप से सस्ता था और बड़ा भी। किााटक के बेलगाम नजले में मां रे णुका (स्थािीय देवी) की अगाि Page | 56 श्रिा के साथ पूजा-अर्ािा की जाती है। नवद्या मुरकम्बी िे भी अपिे वेंर्र का िामकरण दकया है श्री रे णुका शुगसा। उि पर मां की कृ पा भी हुई, क्योंदक एक दूरंदश े ी मनहला िे 10 हजार दकसािों के सौभाग्य के साथ अपिा व अपिे पुत्र का भाग्य जो जोड़ ददया था। पुरुषाथा से भाग्य के इस अद्भुत मेल में पुत्र के पुरुषाथा को दोहरािा भी प्रासंनगक होगा।
िरें द्र मुरकम्बी
सालािा 30 हजार करोड़ रुपए का भारतीय शकर उद्योग दो नहस्सों में बंटा हुआ है। उत्तर भारत में निजी हाथों िे इसके सूत्र संभाले हुए हैं तो किााटक और महाराष्ट्र में यह उद्योग सहकारी संस्थाओं के नियंत्रण में है। सहकारी क्षेत्र की अपिी कायाप्रणाली है, नजिका परं परागत दोष है- िॉि प्रोफे शिल नसस्टम। मसलि, सहकारी शुगर नमलें पूरी तरह के वल गन्ने की फसल पर निभार हैं। दकसी साल यदद गन्ना उत्पादि कम हो तो उिका शकर उत्पादि भी घट जाता है। उत्पादि में गुणवता के यूरोपीय मापदंडों (उदाहरणाथा- शकर में सल्फर तत्व कम से कम हो) का ये अिुपालि िहीं करती हैं, नजसके कारण औद्योनगक िे ता (कोका कोला, के डबरी आदद) इिसे खरीद िहीं करते हैं। सहकारी शुगर नमलों की तीसरी बड़ी समस्या है- उत्पादि घटिे से रुग्णता और फलस्वरूप दकसािों को गन्ने के भुगताि में नवलंब या िॉि पेमेंट। सहकारी शुगर नमलों िे नवत्तीय संस्थािों से भारी कजा लेकर अपिी इस रुग्णता को और भी गंभीर बिाया है। श्री रे णुका शुगसा का िरें द्र मुरकम्बी िे प्रोफे शिल संर्ालि दकया है। लीज पर सहकारी शुगर क्षेत्र की नमलों का अनिग्रहण व कायाकल्प उिकी पहली अद्भुत पहल है। सहकारी शुगर नमलें लीज पर प्राप्त करिे से कं पिी को दो फायदे हुए हैं। एक, कम लागत में उत्पादि क्षमता बढ गई। दूसरे , िई नमल स्थानपत करिे का समय, श्रम व पूंजी बर्ी। शुगर नमलें नमल गईं तो िरें द्र िे सबसे पहले उत्पादि के दोिों स्रोत एक साथ खोले। गन्ने के अलावा उन्होंिे इम्पोरटेड रॉ शुगर का भी कच्चे माल की तरह उपयोग दकया और उत्पादि पांर् गुिा बढा ददया । रॉ शुगर से बिी हाई ग्रेड शुगर कं पिी िे औद्योनगक खरीदारों को बेर्ी या नियाात की। कं पिी की कु ल नबिी में संस्थागत खरीददारों की नहस्सेदारी दो नतहाई है। इस सीिी
नबिी से कं पिी का मुिाफा बढा और भुगताि भी समय पर प्राप्त हुआ। कई अन्य फायदे हुए, जैसे- प्रनतबि खरीदारों, उिके द्वारा नििााररत समय पर निनित खरीद के साथ मूल्य के मूवमेंट की जोनखम से मुनक्त, सीनमत कायाशील पूंजी से ज्यादा व्यापार और ब्ोकसा से छु टकारा। पररणाम। श्री रे णुका शुगसा आज देश की बड़ी शकर व इथॉिॉल उत्पादक कं पिी है। शकर व इथॉिॉल के अलावा ऊजाा उत्पादि व शकर ट्रेहडग में िरें द्र मुरकम्बी सदिय है, हालांदक उत्पादि के िजररए से Page | 57 इसके नबग ब्दसा (पढें प्रनतस्पिी) हैं- नशनशर बजाज व कु शाग्र बजाज द्वारा संर्ानलत बजाज हहदुस्ताि एवं मीिाक्षी सरावगी द्वारा संर्ानलत बनलराम र्ीिी । िरें द्र मुरकम्बी नवश्व शकर माके ट के प्राइस मूवमेंट पर भी सतत िजर रखते हैं। इस माके ट के बड़े नखलानडय़ों मसलि यूके की Tate & Lyle plc.,UK के साथ श्री रे णुका शुगसा के वानणनज्यक ररश्ते हैं। यह दुनिया की सबसे बड़ी शुगर ट्रेहडग कं पिी है। वल्र्ड शुगर माके ट की समझ व रुझाि को पकडऩे के कारण िरें द्र मुरकम्बी की एिसीडीईएक्स (Sugar Future market) में भी खास साख है। शकर उद्योग के बाय प्रोडक्ट एथेिॉल के माके ट पर भी श्री रे णक ु ा शुगसा की िजर है। िरें द्र मुरकम्बी की प्रबंिकीय सूझबूझ और नवद्या मुरकम्बी की िमोन्मेशी पहल का सुफल है दक नवदेशी निवेशक श्री रे णुका शुगसा की इदक्वटी में भागीदार बििे लगे हैं। रे णुका शुगसा कमोनडटी उद्योग की ऐसी के श-ररर् कं पिी है, नजसकी शेयर माके ट और अपिे शेयर िारक खासकर गन्ना उत्पादक दकसािों के बीर् खूब साख है। नवद्या मुरकम्बी िे प्रौढावस्था में सानबत दकया है दक प्रकृ नत से पुरुषों की तरह ही मनहलाओं को उद्यमशीलता नमली है। वे पररवार के कृ नत्रम सुरक्षा कवर् से बाहर निकलिे का साहस जुटा लें तो उद्योग व कारोबार के क्षेत्र में भी पुरुषों को परास्त कर सकती है । Business World के ‘द न्यू नबलेनियसा’ पर फोकस 4 नसतंबर 2006 के अंक में प्रकानशत लेख में आिंद एवं िेल्सि नविोद मोजेस िे नवद्या मुरकम्बी को ‘रं क से राजा’ बििे के नवशेषण से िवाजा है।
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राजश्री पाथी कोयंबतूर की सीप में सच्चा मोती
भगवाि दकसी को भी दुनिया में खाली हाथ िहीं भेजता। दुनिया में ऐसा एक भी शख्स िहीं है नजसे मां की कोख से कोई प्रनतभा या गुण िहीं नमला हो।’’ प्रनतभा को निखारिे में पररवेश अहम् भूनमका निभाता है यानि ‘जैसा संग वैसा रं ग।’ यही कारण है दक नजन्हें सकारात्मक पररवेश नमलता है, उिका व्यनक्तत्व बहुआयामी हो जाता है, अन्यथा िैसर्तगक प्रनतभा िूनमल हो जाती है। अनिकांश भारतीय मनहलाओं के साथ यही हुआ है। अपवाद स्वरूप कु छ मनहलाओं िे अपिी जन्मजात प्रनतभा को बहुआयामी बिाते हुए अलग पहर्ाि बिाई है। अपिे व्यनक्तत्व को अपिी महत्वाकांक्षा के अिुरूप संवारिे वाली ऐसी ही मनहला उद्यमी हैं- राजश्री पाथी।
किााटक/ नशक्षा: कॉमसा में ग्रेजुएट, हॉवडा नबजिेस स्कू ल से प्रबंिि में नडग्री, फ्रांस के नबजिेस स्कू ल से रणिीनतक गठबंिि एवं कॉरपोरे ट मूल्यों का कोसा/ संप्रनत: कोयंबतूर के राजश्री ग्रुप की र्ेअरपसाि व मैिेहजग डायरे क्टर/ उपलनधि : दफक्की द्वारा लेडीज आगािाइजेशि के वुमेि ऑफ द ईयर अवाडा, सि् 1996 में ग्लोबल लीडर ऑफ टूमारो अवाडा।
राजश्री पाथी : कोयंबतूर की सीप में सच्चा मोती ‘‘हम जब जन्म लेते हैं तो हथेनलयां बंिी होती है, पर हम जब दुनिया छोड़ते हैं तो खुली होती हैं। ’’ नविाता के इस नविाि (फामूाल)े की दाशानिकों िे अलग-अलग व्याख्या की है। ओशो कहते हैं – ‘‘भगवाि भूल िहीं करता। वह दकसी को भी दुनिया में खाली हाथ िहीं भेजता। दुनिया में ऐसा एक भी शख्स िहीं है नजसे मां की कोख से कोई प्रनतभा या गुण िहीं नमला हो।’’ प्रनतभा को निखारिे में पररवेश अहम् भूनमका निभाता है । यही कारण है दक नजन्हें सकारात्मक पररवेश नमलता है, उिका व्यनक्तत्व बहुआयामी हो जाता है, अन्यथा िैसर्तगक प्रनतभा िूनमल हो जाती है। अपिी र्मक खो देती है।भारतीय मनहलाओं के साथ यही हुआ है। पाररवाररक परं पराओं व सामानजक पररनस्थनतयों िे उन्हें वह मौका या आजादी िहीं दी, जो व्यनक्तत्व को बहुआयामी व िारदार बिाती है। नवडंबिा यह है दक मनहलाओं िे भी सहजता से समझौता कर नलया। बर्पि में नपता, युवा अवस्था में पनत और प्रौढावस्था में पुत्र का संरक्षण उन्हें इतिा रास आया दक इस सुरक्षा कवर् के बदले उन्होंिे शारीररक शोषण व मािनसक दोहि को अपिी नियनत माि नलया। नि:संदेह, अपवाद स्वरूप ही सही पर हमारे समाज में भी ऐसी मनहलाएं हैं, नजन्होंिे अपिी जन्मजात प्रनतभा को बहुआयामी बिाते हुए अपिी अलग पहर्ाि बिाई है। अपिे व्यनक्तत्व व अपिे कृ नतत्व को अपिी महत्वाकांक्षा के अिुरूप संवारिे वाली ऐसी ही एक उद्यमी हैं- इस आलेख की िानयका राजश्री पाथी। कोयम्बटू र के राजश्री ग्रुप की र्ेअरमैि-मैिेहजग डायरे क्टर राजश्री पाथी को देखकर यह नवश्वास िहीं होता दक वे वयस्क पुत्री व पुत्र की मां हैं। एक साक्षात्कार में राजश्री िे कहा है- ‘‘हहदुस्ताि टाइम्स की डायरे क्टर शोभिा भरनतया एवं मेरे बीर् एक समझौता हुआ है दक हम दोिों पत्रकारों को अपिी उम्र िहीं बताएंगे’’। नवगत 16 वषों से राजश्री ग्रुप के टेक्सटाइल, कृ नष, फू ड्स, कॉटि यािा, एिजी, अर्ल संपदा, ऑटोमोरटव, ट्रेवल्स व फाइिेंस कारोबार का अके ले संर्ालि करते हुए राजश्री पाथी िे अपिे सारे शौक भी पूरे मिोयोग से पूरे दकए हैं। फामूल ा ा वि (कार रे स) के नलए मशहर िारायण कार्ततके य के नपता की कजि राजश्री पाथी शोलावरम में नहस्सा ले र्ुकी हैं। Scuba Dive (अंतरजलीय गोताखोरी) करते हुए उन्होंिे समुद्र की गहराई के रोमांर् को महसूस दकया है तो अंडर वाटर जीवि को अपिे कै मरे में कै द दकया है। वे कोयम्बटू र नस्थत सेंटर फॉर परफॉमेंस आट्र्स से जुड़ी हुई हैं और यंग आर्टटस्ट खासकर ग्रामीण कलाकारों की मददगार व प्रमोटर हैं। राजश्री पाथी का कला-प्रेम उिके व्यावसानयक जीवि में भी ददखाई देता है। कोयम्बटू र नस्थत उिके दफ्तर का िाम है- उनफ्फजी (Uuffizi)। यह िामकरण फ्लोरें स नस्थत नवश्व प्रनसि म्यूनजयम गेलरी से के वल प्रेररत ही िहीं है, वरि् यहां भी वे खूबसूरत व दुलाभ पेंरटग्स देखी जा सकती हैं, नजन्हें राजश्री िे सारी दुनिया से र्ुि-र्ुिकर खरीदा है। कोयम्बटू र एयरपोटा मागा पर नस्थत िाररयल के वृक्षों से आच्छाददत 25 एकड़ भूखड ं पर निर्तमत उिके आवास
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के आर्दकटेक्र्र एवं इं टीररयर डेकोरे शि की नमलाि आर्दकटेक्र्र डायजेस्ट िे प्रशंसा की है। यह भारत का दूसरा निजी आवास है नजसकी नवश्व प्रनसि आर्दकटेक्र्र मैगजीि में नवस्तार से र्र्ाा हुई है। राजश्री पाथी का कहिा है दक उन्होंिे अपिे घर को सजािे पर मात्र तीस लाख रुपए खर्ा दकए हैं यानि सलीके से रहिे व जीिे के नलए पैसा जरूरी िहीं है। सही कहती हैं राजश्री पाथी। प्रनतभावाि महत्वाकांक्षी शख्स- मनहला हो या पुरुष बंिी हथेनलयां में समाए िैसर्तगक/जन्मजात गुणों को वैसे ही निखार लेते हैं जैसे सीप में मोती। वस्तुत: राजश्री पाथी का दूसरा िाम है हौसला। Page | 60 उिके नबजिेस कै ररयर पर थॉमस फु लर का यह कथि अक्षरश: र्ररताथा होता है- व्यवसाय की पहली, दूसरी व तीसरी जरूरत है... नहम्मत, नहम्मत और नहम्मत। (Boldness in business is first, second and third things) तो आइए, इस पररप्रेक्ष्य में मूल नवषय पर लौटें और जािें दक राजश्री पाथी कै से बिी हैं नबजिेस टायकू ि और इस रपटीले कै ररयर को उन्होंिे दकस बहादुरी से इस मुकाम पर पहुंर्ा ददया दक दफक्की को उन्हें ‘वुमेि ऑफ द ईयर’ अवाडा से िवाजिा पड़ा। मजेदार बात यह है दक इस अवाडा समारोह में राजश्री पाथी िे कहा था- ‘‘जब बैलेंसशीट में िहीं नलखा होता दक इसे मनहला या पुरुष र्ेअर परसि में से दकसिे बिाया है, तो Business World मनहला सीईओ या पुरुष सीईओ में अंतर क्यों करता है। मनहला उद्यमी को अलग अवाडा क्यों?’’ (Says Rajshree Pathy: I rebel against awards for the woman entrepreneur. If it is not written in the company’s balance sheet, whether it is headed by a man or a woman, why should business community differentiate between male or female CEO.)
कारोबारी गुर (सूझबूझ) राजश्री पाथी को अपिे पैतृक पररवार से नवरासत में नमला है। उिके दादा पीएसजी िायडू िे सि् 1911 में एक जीहिग फै क्ट्री स्थानपत की थी। उिके नपता वरदराज िे इस कारोबार का नवस्तार करते हुए सि् 1957 में गंगा टेक्सटाइल नलनमटेड और सि् 1980 में राजश्री स्पीहिग नमल्स की स्थापिा की। वरदराज के ‘राज’ व राजश्री पाथी की मां ‘श्री’ के योग से बिा है- शधद राजश्री (समूह)। स्कू ली नशक्षा पूरी करिे के बाद राजश्री पाथी जेजे स्कू ल में आटा और आर्दकटेक्र्र की नडग्री लेिा र्ाहती थीं। पर मां भावुक हो गई दक बेटी घर से दूर अके ली रहेगी। मां की भाविा का आदर करते हुए राजश्री िे कोयम्बटू र िहीं छोड़ा। कॉमसा ग्रेजुएशि की पढाई करते हुए 80 के दशक में वे और उिकी बहि जयश्री कारोबार में नपता की मददगार बि गईं। जवािी की दहलीज पर कदम रखते ही कोयम्बटू र के पाथी पररवार (लक्ष्मी नमल के नलए मशहर) में राजश्री का नववाह हो गया।
सि् 1990 में वज्रपात हुआ। राजश्री पाथी के नपता एवं राज्यसभा सदस्य जी. विाराज एम्सटडाम में सांध्य भोज में एक रटक्का (Steak; a slice of meat or a large fish) निगल गए । दस ददि कोमा में रहिे के बाद 52 वषा की उम्र में उिका नििि हो गया। राजश्री कहती हैं- मां यह सदमा बदााश्त िहीं कर पाईं। पहले उन्होंिे याददाश्त खोई दफर हमें अके ला छोड़ गईं। अिायास ही मां-नपता िहीं रहे, तो कारोबार का सारा बोझ राजश्री के कं िों पर आ पड़ा। राजश्री पाथी तब एक परं परागत बह और एक िन्हे नशशु की मां थी। उन्होंिे तत्कालीि र्ुिौती का कै से सामिा दकया इसे उिके इि
शधदों से समझा जा सकता है- “Life is a roller coaster ride-
enjoy the high and survive the lows. इसे
हहदी में दोहराएं तो‘‘जीवि है समुद्र की लहरों पर सवार िौका लहरों पर झूलिे का सुिहरा मौका जीवि है हर पल भारी होड़ पल-पल रोमांर् तो जीवि बर्ािे की दौड़’’ राजश्री को पैतृक पररवार से नवरासत में नमला था- टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल व शुगर नबजिेस। एक साक्षात्कार (नबजिेस स्टैंडडा, ददसंबर 2005) में उन्होंिे कहा है- ‘‘भावुकता के क्षणों में मेरे नपता िे अपिे नमत्र स्व. एमजी रामर्ंद्रि के र्ुिाव क्षेत्र अंडीपट्टी (तनमलिाडु ) में एक शुगर फै क्ट्री स्थानपत कर दी थी, जो उि ददिों गन्ने की फसल लगातार कमजोर होिे से हमारे नलए भारी घाटे का कारोबार थी। जब मैंिे जवाबदारी संभाली तो इस शुगर नमल के पास इतिा पैसा भी िहीं था दक वेति र्ुका सके । दो वषा तक मैंिे कोयम्बटू र से बार-बार अंडीपट्टी तक दौड़ लगाई। उसी दौर में दूसरी संताि को भी जन्म ददया। तनमलिाडु के शकर उद्योग से जुड़े महारथी- ईआईडी पेरी, शनक्त आदद िे इस रुग्ण शुगर नमल को खरीदिे की पेशकश की। मैंिे मिा कर ददया तो उन्होंिे मेरे ससुराल से संपका दकया। नमत्र पररजि िे मुझे समझाया दक तुम कारोबार की बारीदकयां िहीं जािती हो। राजश्री ग्रुप की बागडोर समुदाय के दकसी प्रोफे शिल पुरुष को सौंप दो।’’
राजश्री पाथी िे दकसी की बात िहीं सुिी। लोगों िे उन्हें अक्खड़ (Arrogant) कहा और अपिे हाल पर छोड़ ददया। मांनपता के जीवि-काल में उन्हें शािदार व आरामदेह जीवि नमला था। राजश्री को तब भी नववादों और प्रनतकू ल पररनस्थनतयों से रूबरू होिे में खूब मजा आता था। गैर परं परागत आयनडया उन्हें उकसाते थे। दकसी िे सर् ही कहा है दक सकारात्मक सोर् के साथ लीक से हटकर र्लिे वाले ही वह सफलता प्राप्त करते हैं जो नवरलों को नमलती है। यही हुआ। राजश्री पाथी िे नपता से नवरासत में नमले 60 करोड़ रुपए के कारोबार को डेढ दशक में 400 करोड़ रुपए कर ददया है। उिके िेतृत्व में राजश्री ग्रुप िे ि के वल रुग्ण शुगर इकाइयों को पुिजीनवत दकया वरि् एक िई शुगर नमल और एक मॉडािा टेक्सटाइल यूनिट भी स्थानपत की है। राजश्री शुगसा एंड के नमकल्स िे शकर के बॉय प्रोडक्ट्स बेगासीस से नबजली और मोलानसस से इं डनस्ट्रयल अल्कोहल बिािा शुरू दकया। हाइग्रेड शुगर (ब्ाउि) डेमरे ारा ब्ांड िाम से लांर् की। राजश्री कहती हैं- ‘‘मैं वातािुकूनलत दफ्तर में बैठकर आईटी जैसे नबजिेस के नलए िहीं बिी हं। मुझे तो गन्ने के खेत अच्छे लगते हैं। दकसािों से बात करिा मुझे पसंद है। मैं नि:संकोर् उिके घर में घुस जाती हं।’’
और राजश्री पाथी की नमत्र मनल्लका साराभाई कहती हैं- ‘‘राजश्री पाथी जब तनमलिाडु के दूरदराज के गांवों में भटकती थी। खेतों में दकसािों से नमलती थीं और उन्हें गन्ना बोिे के नलए उकसाती थीं तब वे तनमल व तेलग ु ू िहीं जािती थीं, पर अब तो गांवों की बोली भी वे फराटे से बोलती हैं।’’ (Says soul mate Mallika Sarabhai: Rajshree’s persona has definitely evolved over the past eight years as she moved from the role of the socialite bahu of the Pathy family to one of Tamilnadu’s leading woman
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entrepreneurs. Rajshree couldn’t even speak Tamil and Telugu properly when she launched into the venture. Now she’s perfectly comfortable with the village dialects.
नजज्ञासाओं का समािाि खोजिा राजश्री पाथी का गुण भी है और कमजोरी भी। ज्ञाि प्रानप्त में उम्र व पररनस्थनतयां उिके नलए बािा िहीं बिी हैं। Corporate World में सदिय हुई तो राजश्री को लगा दक उिके पास प्रोफे शिल नशक्षा होिा र्ानहए। बस, हावाडा नबजिेस स्कू ल से तीि वषीय आिसा/प्रेनसडेंट मैिेजमेंट प्रोग्राम (1994-96) उन्होंिे जॉइि कर नलया। सि् 1999 में फ्रांस के एक नबजिेस स्कू ल से (रणिैनतक गठबंिि एवं कॉरपोरे ट मूल्यों) की पढाई की। नवलंब से प्राप्त की गई इस मॉडिा नशक्षा-दीक्षा के बारे में राजश्री का कहिा है दक- ‘‘इि कोसेस खासकर ऑिसा मैिेजमेंट कोसा िे मेरा आत्मनवश्वास बढाया है। दूसरे देशों के नबजिेस ऑिसा इस कोसा में मेरे सहपाठी थे। हमिे परस्पर अिुभव शेअर दकए। फलत: हम र्ीजों को िए अंदाज से देखिे लगे।’’ गौरतलब है दक समय के साथ आए बदलाव के अिुरूप ही बदला है राजश्री ग्रुप। राजश्री पाथी कहती हैं- ‘‘मुझे यह देखकर संतुनष्ट नमलती है दक तनमलिाडु के नजस नपछड़े व वीराि क्षेत्र में हमिे शुगर नमल स्थानपत की थी, वह अब र्हल-पहल से सराबोर एक खुशहाल इं डनस्ट्रयल एररया है। ‘‘राजश्री पाथी तब भावुक हो उठती हैं जब गन्ना उत्पादक दकसाि रुआंसे होकर कहते हैं- ‘‘आपिे तो हमें भी करोड़पनत बिा ददया है।’’ (Says Rajeshree Pathy: See that what was barren land 13 years ago is now transformed into lush sugarcane farms with prosperous owners who supply cane to us. For me it was a great moment when a farmer wept with joy and told me I had made him a crorepati.)
राजश्री पाथी के एक नबजिेस प्रोजेक्ट की अमेररकि पनत्रका वोग (Vogue) में र्र्ाा हुई है। सुप्रनसि ग्रादफक्स व प्रोडक्ट नडजाइिर नववेक साहिी के साथ सि् 2002 में राजश्री पाथी िे एक कं पिी लांर् की थी- कामा आयुवेद। इस कं पिी के हबाल कॉस्मेरटक उत्पादों पर वोग में प्रकानशत लेख में कहा गया है- ‘‘कामा आयुवेद के उत्पाद भारत सनहत दुनिया के कई देशों के नवश्व प्रनसि स्पॉ व स्टार होटलों में उपयोग हो रहे हैं।’’
नवश्व प्रनसि पनत्रका वोग में कामा आयुवेद के हबाल कॉस्मेरटक उत्पादों की र्र्ाा सारे देश के नलए गौरव की बात है। राजश्री पाथी िे Corporate world से भी मान्यता व माि-सम्माि पाया िहीं, कमाया है। साउथ इं नडयि शुगर नमल एसोनसएशि के बैिर तले उन्होंिे शुगर इं डस्ट्री के नलए तो कॉन्फीडरे शि ऑफ इं नडयि इं डस्ट्री (सीआईआई) के बैिर तले टेक्सटाइल उद्योग के नलए जमकर लॉहबग की है। इं नडयि शुगर नमल एसोनसएशि िे 2004-05 में पहली बार दकसी मनहला उद्यमी को अपिा प्रेनसडेंट मिोिीत दकया। इस कायाकाल में राजश्री पाथी िे भारत में इथोिॉल धलेंडेड ऑटो ईंिि (Fuel) का र्लि बढािे के नलए भारत सरकार को तैयार दकया। उिकी दलील थी दक इससे सरकार का िू ड आइल का आयात खर्ा घटेगा और ईको फ्रेंडली ईंिि का उपयोग बढऩे से जि सािारण का भी भला होगा। शुगर इं डस्ट्री के नलए तो यह फायदे का सौदा है ही क्योंदक इथोिॉल का कच्चा माल शकर उद्योग का वेस्ट या कहें दक बॉय प्रोडक्ट है। राजश्री पाथी के प्रयासों से ही भारत सरकार िे इथोिॉल प्रोग्राम को योजिा आयोग के अजेंडा में शानमल दकया है।
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राजश्री पाथी के नलए दफक्की के लेडीज आगािाइजेशि के ‘वुमेि आफ द ईयर’ अवाडा से ज्यादा महत्वपूणा है सि् 1996 में डेवोस में आयोनजत World इकािोनमक फोरम में ‘ग्लोबल लीडर ऑफ टू मारो अवाडा’ (Global leader of tomorrow award) । इस अवसर पर सारी दुनिया में इथोिॉल को ऑटो यूल के रूप में मान्यता ददलवािे के नलए राजश्री पाथी िे Page | 63 ग्लोबल शुगर एलायंस के गठबंिि में भी अहम् भूनमका निभाई थी। राजश्री पाथी के नमत्र कहते हैं दक दोस्त बिािे व दोस्ती निभािे की कला में मानहर हैं राजश्री। कारपोरे ट कायाालय में वे नजतिी देर बैठती हैं उससे ज्यादा समय गन्ने के खेतों में व्यतीत करती हैं। नबजिेस टू र उन्हें खूब पसंद हैं। जहां जाती हैं, वहां प्रबुि लोगों खासकर कलािमी हनस्तयों को अपिा निजी नमत्र बिा लेती हैं। उिका दनक्षण भारतीय कु क हमेशा उिके साथ होता है। नमत्रों को वे अपिी पसंद की दनक्षण भारतीय नडशेस बड़े र्ाव से सवा करती हैं। राजश्री पाथी के व्यनक्तत्व व कृ नतत्व को कम से कम शधदों में समेटिा हो तो अंग्रेजी में एक शधद है- workerettes - ऐसा शख्स जो प्रयोजि नवशेष के नलए काम करे । राजश्री पाथी के अिुसार समाज को कु छ लौटािा कारपोरे ट सेक्टर की सबसे बड़ी उपलनधि है। बॉटम लाइि या शेयर होल्डर वेल्यू जैसे शधद जुगाली (Buzzwords) हैं जो मुझे िहीं लुभाते। मुझे तो संतुनष्ट तब नमलती है जब लोग कहते हैं दक आपके प्रयासों से हम भी आज शािदार जीवि जी रहे हैं। अपिे दो बच्चों के साथ मैं एक साल तक गांव में भी रही हं। दकसािों को गन्ना पैदा करिे की प्रेरणा देिे के नलए उि ददिों में लगातार दौड़ी हं। यही मेरी सफलता का राज है।
अध्याय 9
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प्रीथा रे ड्डी अपोलो के ददल की आवाज मनहला हो या पुरुष नविाता दकसी में भेदभाव िहीं करता। यह तो मािव निर्तमत समाज व्यवस्था है जो इिकी िैसर्तगक प्रनतभा को िारदार बिाती है या कुं रठत कर देती है। प्रनतभा को संवारिे के मामले में भारतीय समाज िे मनहलाओं के साथ अन्याय दकया है। पुत्र व पुत्री के लालि-पालि एवं नशक्षा-दीक्षा में भेदभाव के कारण मनहलाओं की ऊजाा व योग्यता का समुनर्त नवकास िहीं हुआ है। ऊजाा का दोहि ि करके दकतिी राष्ट्रीय व सामानजक क्षनत हुई है, इसका अिुमाि लगािा भी असंभव है। इसकी एक झलक उि मनहलाओं के कररश्मों से देखी जा सकती है, नजन्हें पुरुषों के बराबर अवसर नमले। पररवार की उपलनधियों को गगिर्ुंबी बिािे वाली ऐसी ही मनहला उद्यमी हैं- प्रीथा रे ड्डी और उिकी तीि बहिें सुिीता, शोभिा और संगीता। नशक्षा : रसायि शास्त्र में ग्रेजुएशि, स्टेिफोडा यूनिवर्तसटी से मेनडको मैिेजमेंट कोसा और रुक्मणी अरुं डले डांस स्कू ल से िृत्य नशक्षा/ संप्रनत : अपोलो हानस्पटल्स इंटरप्राइजेस नलनमटेड की प्रबंि निदेशक/उपलनधि :संपूणा एनशया का सबसे बड़ा एवं दुनिया का पांर्वां सवोच्च उन्नत नर्दकत्सा सेवा प्रदायकताा संस्थाि अपोलो हानस्पटल्स इंटरप्राइजेस नलनमटेड (एएर्ईएल) का संर्ालि। हानस्पटल िेटवर्ककग मेनडको नबजिेस प्रोसेस आऊट सोर्मसग, फामेसी और टेलीमेनडसि जैसी गनतनवनियों में सदिय।
प्रीथा रे ड्डी : अपोलो के ददल की आवाज हर व्यनक्त में कोई ि कोई िैसर्तगक प्रनतभा होती है। नविाता दुनिया में दकसी को खाली हाथ िहीं भेजता। वह यह भेदभाव भी िहीं करता दक पुरुष ज्यादा प्रनतभावाि हो और मनहला कम। यह तो मािव निर्तमत समाज व्यवस्था है जो इिकी िैसर्तगक प्रनतभा को िारदार बिाती है या कुं रठत कर देती है। इस प्रनतभा को संवारिे के मामले में भारतीय समाज िे मनहलाओं के साथ अन्याय दकया है। पुत्र व पुत्री के लालि-पालि एवं नशक्षा-दीक्षा में भेदभाव के कारण मनहलाओं की ऊजाा व योग्यता का समुनर्त नवकास िहीं हुआ है। ऊजाा का दोहि ि करके दकतिी क्षनत हुई है, इसका अिुमाि लगािा भी असंभव है। इसकी एक झलक उि मनहलाओं के कररश्मों से देखी जा सकती है, नजन्हें पुरुषों के बराबर अवसर नमले। अपिे नपता या पररवार की उपलनधियों को गगिर्ुंबी बिािे वाली ऐसी ही मनहला उद्यमी हैं- प्रीथा रे ड्डी और उिकी तीि बहिें सुिीता, शोभिा और संगीता। इिके नपता हैं- अपोलो हॉनस्पटल्स ग्रुप के संस्थापक र्ेअरमैि डॉ. प्रताप सी. रे ड्डी नजन्हें देश में पहली बार कॉरपोराइज्ड हेल्थ के अर की शुरुआत करिे का गौरव हानसल है। रे ड्डी नसस्टसा की उद्यमशीलता व कारोबारी सूझ-बूझ की र्र्ाा के पूवा उिके नपता की उस जद्दोजहद का नजि जरूरी है, नजसिे देश में world क्लास मेनडको सर्तवसेस को जन्म ददया और पुनत्रयों को संभालिे का मौका नमला। आंध्रप्रदेश में जन्मे प्रताप सी. रे ड्डी के दूरंदेशी दकसाि नपता िे पुत्र को नर्दकत्सकीय नशक्षा ददलवाई थी। सि् 1957 में स्टेिले मेनडकल कॉलेज से मेनडको ग्रेजुएट (एमबीबीएस) की नडग्री प्राप्त करिे के बाद डॉ. प्रताप सी. रे ड्डी िे कु छ साल र्ेन्नई में प्रैनक्टस की। इसके बाद उन्हें मैसाच्यूसेट्स जिरल हॉनस्पटल यूके में फै लोनशप नमल गई तो वे इं ग्लैंड र्ले गए। फै लोनशप पूरी होते ही डॉ. रे ड्डी िे अमेररका के नमसौरी जिरल हॉनस्पटल एवं नमसौरी स्टेट र्ेस्ट हॉनस्पटल में 1967 से 1970 तक कार्तडयोलॉनजस्ट के रूप में िाम कमाया और कई ररसर्ा प्रोग्राम्स का िेतृत्व संभाला। एक ददि नपता के एक पत्र िे पुत्र को झकझोर ददया। नपता िे पत्र में नलखा था- ‘मैं प्रसन्न हं दक तुम अमेररका में खूब पैसा व प्रनतष्ठा कमा रहे हो। इससे तुम और तुम्हारा पररवार खुश होगा। पर तुम जो वहां कर रहे हो वह यहां करते तो तुम्हारे देश के कई लोगों को राहत नमलती। प्रसन्नता प्राप्त होती।’ एक सािारण नशक्षा प्राप्त नपता के प्रनत असािारण श्रिाभाव रखिे वाले डॉ. रे ड्डी िे तत्काल बोररया-नबस्तर बांिा और स्वदेश लौट आए। र्ेन्नई में उन्होंिे दफर से प्रेनक्टस शुरू की और देखते-देखते जािे-मािे हाटा स्पेशनलस्ट बि गए। दफर एक ऐसा प्रसंग हुआ नजसके कारण डॉ. रे ड्डी हाटा स्पेशनलस्ट से इं टरप्रीिर बिे और उन्होंिे भारत के नर्दकत्सकीय इनतहास में एक िया अध्याय जोड़ ददया। आइए, यह घटिा उिके ही शधदों में पढें। ‘‘भारत में तब ओपि हाटा सजारी िहीं होती थी। अपिे रोनगयों को इसके नलए मुझे टेक्सास मेनडकल सेंटर भेजिा पड़ता था। सि् 1979 में एक युवा हृदय रोगी को मैंिे अमेररका में ओपि हाटा सजारी करवािे की सलाह दी। वह इसका खर्ा िहीं जुटा पाया और उसका नििि हो गया। उसकी युवा पत्नी, र्ार वषीय पुत्र और दो वषीय पुत्री के रुदि िे मुझे कं पकं पा
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ददया। मैंिे संकल्प नलया दक नवश्व की उत्कृ ष्ट नर्दकत्सा तकिीक व हमारे देश के मेनडको ब्ेि के तालमेल से मैं अपिे देश में ऐसी world class हेल्थ के अर सुनविाएं उपलधि करवाऊंगा जो ‘अफोरडेबल’ हो।’’ समय पूवा नलए गए दकसी भी संकल्प को पूरा करिे में कई बािाओं का सामिा करिा पड़ता है। दृढ इच्छाशनक्त के दूरंदेशी लोग हार िहीं मािते और इनतहास रर्ते हैं। यही हुआ। डॉ. रे ड्डी िे 80 के दशक में अमेररका जैसे कॉरपोरे ट हॉनस्पटल की Page | 66 अपिी संकल्पिा जब लोगों को बताई तो उन्हें सुििा पड़ा- ‘‘डॉ. साहब फॉरे ि ररटिा हैं अब अपिे देश के गरीबों को लूटेंगे। ’’ डॉ. रे ड्डी ऐसी व्यंग्योनक्तयां सुिकर तब र्ुप ही रहे। र्ेन्नई के एक जािे-मािे एडवोके ट एवं डॉ. रे ड्डी के नमत्र हबीबुल्ला बाशा िे एक साक्षात्कार (सि् 2000) में कहा है-‘‘मुझे और उद्योगपनत ओबुल रे ड्डी को जब डॉ. रे ड्डी िे निजी क्षेत्र की अत्यािुनिक हानस्पटल्स शृंखला की अपिी योजिा बताई तो हमें भी यह अनवश्वसिीय लगी। देश में तब कॉरपोरे ट हॉनस्पटल का सोर् कल्पिातीत था। जरटल रोगों के उपर्ार या सजारी के नलए आज जैसे प्राइवेट िर्मसग होम िहीं थे। सरकार का दानयत्व था दक वह आम आदमी को स्वास्थ्य सुनविाएं उपलधि करवाए। पर डॉ. रे ड्डी अद्भुत ‘फाइटर’ हैं। एडवोके ट बाशा और उद्योगपनत ओबुल रे ड्डी जैसे नमत्रों िे अनवश्वास करिे के बावजूद डॉ. रे ड्डी का हौसला बढाया। डॉ. रे ड्डी िे नमत्र पररजि से कजा लेकर दकसी तरह 17 लाख रुपए जुटाए और िीलामी में र्ेन्नई नस्थत एक भूखंड खरीद नलया। एक स्थािीय स्कू ल यहां खेल का मैदाि बिािा र्ाहता था। उसिे आपनत्त दजा करवाई। तनमलिाडु के तत्कालीि मुख्यमंत्री एम.जी. रामर्ंद्रि िे डॉ. रे ड्डी के प्रायवेट हानस्पटल का लायसेंस रद्द कर ददया। प्रकरण अदालत पहुंर्ा जहां डॉ. रे ड्डी के पक्ष में फै सला हुआ। इसके साथ सि् 1983 में र्ेन्नई में पहले अपोलो हानस्पटल का जन्म हुआ। एक र्ीिी कहावत है दक हजारों मील की यात्रा एक िन्हे कदम से शुरू होती है। डॉ. रे ड्डी का लक्ष्य भी एक िर्मसग होम िहीं था। वे तो देश में कॉरपोरे ट हॉनस्पटल्स की शृंखला स्थानपत करिा र्ाहते थे। किााटक व आंध्रप्रदेश की सरकारों से उन्होंिे इसके नलए जमीि मांगी तो उन्हें जवाब नमला- ‘अरबि सीहलग एक्ट के अिुसार वे अनिकतम 500 वगामीटर जमीि ही खरीद सकते हैं।’ सावाजनिक नहत के नलए जमीि खरीद रहा हं अत: यह नियम मुझ पर लागू िहीं होिा र्ानहए - उिकी इस दलील की सुिवाई िहीं हुई तो डॉ. रे ड्डी संपका बिाते हुए तत्कालीि प्रिािमंत्री इं ददरा गांिी तक पहुंर् गए। डॉ. रे ड्डी की उन्नत नर्दकत्सा सुनविा की योजिा से इं ददरा गांिी प्रभानवत हुईं। उिके हस्तक्षेप पर इि राज्य सरकारों िे डॉ. रे ड्डी को भूखंड आवंरटत कर ददए। बािाएं यहीं खत्म िहीं हुईं। अभी और करठि पड़ाव डॉ. रे ड्डी को पार करिा थे। मसलि, आयानतत मॉडिा मेनडको मशीि की प्रानप्त। उि ददिों एक मशीि आयात करिे के नलए नवनभन्न सरकारी नवभागों से एक दजाि से ज्यादा अिुमनतयां लेिा पड़ती थीं। डॉ. रे ड्डी को तो 340 मशीिें आयात करिा थीं। लाइसेंस परनमट राज्य का वह दौर याद करें और कल्पिा करें दक डॉ. रे ड्डी को दकतिे सरकारी दफ्तरों में दकतिी बार र्क्कर लगािा पड़े होंगे। वहां उस अफसरशाही से कै से सामिा हुआ होगा नजिके नलए कॉरपोरे ट हॉनस्पटल्स तब मात्र एक अजूबा थे? अपिे प्रोजेक्ट के नलए पूंजी संग्रहण हेतु भी डॉ. रे ड्डी को कड़ा संघषा करिा पड़ा था। नवत्तीय संस्थाि कजा देिे को तैयार िहीं थे। बैंकों का सोर् था दक भारत में हेल्थ के अर से मुिाफा अजाि हो ही िहीं सकता, यािी कजा डू ब जाएगा। डॉ. रे ड्डी िे पनधलक व इं नस्टट्यूशिल फं ड जुटािे की अिुमनत प्राप्त करिे के नलए भी खूब संघषा दकया। पूंजी माके ट से पूंजी संग्रहण के नलए डॉ. रे ड्डी िे पांर् साल (1979 से 1984) तक कें द्र सरकार से पत्रार्ार दकया। राजिािी के सैकड़ों र्क्कर लगाए। अंत में सि् 1984 में प्रिािमंत्री राजीव गांिी िे उिके इस संघषा को नवराम ददया। इसके बाद डॉ. रे ड्डी िे पलटकर िहीं
देखा है। वे कहते हैं- ‘‘मैं जािता हं, मुझे क्या र्ानहए? मैं यह भी जािता हं दक सही व्यनक्त से सही समय पर सही पररणाम कै से प्राप्त दकया जाए।’’ दृढ इच्छाशनक्त के शख्स कड़ी परीक्षा में भी खरा सोिा सानबत होते हैं। सौ बेड्स के र्ेन्नई से शुरू हुए एक अस्पताल से आज अपोलो हानस्पटल्स इं टरप्राइजेस नलनमटेड (एएर्ईएल) देश ही िहीं, संपूणा एनशया का सबसे बड़ा एवं दुनिया का Page | 67 पांर्वां सवोच्च उन्नत नर्दकत्सा सेवा प्रदायकताा है, नजसिे 1.20 करोड़ (सि् 2006 तक) लोगों को उपर्ार उपलधि करवाया है। भारत के अलावा श्रीलंका, यूएई, सऊदी अरब व कु वैत सनहत कई देशों में 41 अस्पतालों के 8000 बेड्स की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष देखरे ख करिे वाला एएर्ईएल 30 हेल्थ एवं लाइफ स्टाइल नक्लनिक एवं 7 िर्मसग कॉलेजों का भी संर्ालि कर रहा है। भारत नस्थत 30 अपोलो हॉनस्पटल्स में से र्ार को ज्वाइं ट कमीशि इं टरिेशिल (मुख्यालय यूएसए) से गोल्ड स्टेंडडा नमला हुआ है। हॉनस्पटल िेटवर्ककग, मेनडको नबजिेस प्रोसेस आऊट सोर्मसग, फामेसी और टेलीमेनडसि जैसी सहायक मेनडको गनतनवनियों में संलि है। इि सबसे महत्वपूणा तथ्य यह है दक ‘अपोलो’ नर्दकत्सा सेवा उद्योग का वह पावरफु ल ब्ांड िेम है, नजसिे भारत में निजी क्षेत्र की नर्दकत्सा सेवा को उत्प्रेररत दकया है। पररणाम। देश में 70 फीसदी जरटल उपर्ार/सजारी प्रायवेट सेक्टर के वे कारपोरे ट हॉनस्पटल कर रहे हैं जो अपोलो की तजा पर जन्मे हैं। यही िहीं, इि सबके संयक्त ु प्रयासों िे भारत को दुनिया का अव्वल मेनडको टू ररस्ट डेनस्टिेशि भी बिा ददया है। संक्षेप में कहें तो, डॉ. रे ड्डी भारत के उि दुलाभ टेक्नोनप्रिसा (तकिीकी उद्योगपनत) में एक हैं- जो स्वप्न देखते हैं और उन्हें पूरा करिे में जुट जाते हैं। उिसे भी वे एक मामले में नबलकु ल अलग हैं। बुनि से शुि ििोपाजाि िहीं, बनल्क जिसेवा के साथ ििोपाजाि का बेहतरीि उदाहरण है- एएर्ईएल। 80 के दशक में कॉरपोरे टाइज्ड नर्दकत्सा सेवा की उिकी संकल्पिा का मखौल उड़ािे वालों को डॉ. रे ड्डी आज नविम्रता से जवाब देते हैं- ‘‘मेरे उस ददवगंत हृदय रोगी की युवा पत्नी व मासूम पुत्र व पुत्री की तरह अपिों के खोिे का अहसास करें तो आप भी कहेंगे- थैंक्यू डॉ. अपोलो रे ड्डी। ’’जी हां, डॉ. रे ड्डी अपिे शहर व अपिे नमत्रों के बीर् अब अपोलो रे ड्डी के िाम से मशहर हैं। (Says Dr.Pratap C. Reddy: I would tell such people: Imagine yourself in the place of the relatives of that man who died in 1979. Would you then curse me or thank you?)
रे ड्डी नसस्टसा ‘फाइटर’ मां-नपता की संताि पुत्र हो या पुत्री फाइटर होती है। शता है उिके लालि-पालि व उिकी नशक्षा-दीक्षा में कोई भेदभाव ि हो। डॉ. प्रताप सी. रे ड्डी पुत्र के नपता िहीं बिे, पर भाग्य को कोसिे के बजाय उन्होंिे अपिी र्ारों बेरटयों का पुत्रों की तरह लालि-पालि दकया। इस मामले में वे नजतिे ‘सॉफ्ट’ हैं उतिे ही ‘हाडा’ भी। उिके ही गुरु मंत्र का पररणाम है दक उिकी पुनत्रयां दो दशक की उिकी मैराथि दौड़ में मजबूत नखलाड़ी सानबत हुई हैं।
डॉ. प्रताप सी. रे ड्डी की सबसे बड़ी पुत्री प्रीथा रे ड्डी एएर्ईएल की प्रबंि निदेशक हैं। उिका दानयत्व है एनशया की सबसे बड़ी हेल्थके अर शृंखला की दैिदं दि गनतनवनियों का संर्ालि। डॉ. रे ड्डी िे अपिी पुनत्रयों की िैसर्तगक प्रनतभा व उिके स्वभाव को नर्नह्ित करके पहले उन्हें नबजिेस के गुर नसखाए हैं और दफर उन्हें अलग-अलग जवाबदाररयां सौंपी हैं। प्रीथा रे ड्डी यह बात इि शधदों में दोहराती हैं- ‘‘हम बहिें जब छोटी थीं तब पापा िे नस्वहमग पूल में िक्का देकर हमें तैरिा नसखाया था। वे तब भी हमेशा हमारे आसपास होते थे, आज भी। हमिे तो के वल उिके िीनत निदेशों एवं निणायों को दियानन्वत दकया है। उिके नलए हेल्थ के अर तपस्या है। हमारे नलए तरं ग।’’ (Says Preetha Reddy: Healthcare is an obsession for him, and we learnt by omosis.)
डॉ. रे ड्डी िे प्रीथा रे ड्डी को सि् 1989 में एएर्ईएल की बागडोर अत्यंत िाटकीय अंदाज में सौंपी थी। प्रीथा का स्वप्न था नपता की तरह नर्दकत्सक बििा। स्कू ली पढाई पूरी करिे के बाद अपिी यह महत्वाकांक्षा उन्होंिे डॉ. रे ड्डी को बताई तो रूखा-सा जवाब नमला- ‘‘मेनडकल कॉलेज में प्रवेश में मैं कोई मदद िहीं करूंगा।’’ दकशोर उम्र की प्रीथा िे खूब मेहित की और प्री-यूनिवर्तसटी परीक्षा (मेनडकल कॉलेज की प्रवेश परीक्षा) में 96 फीसदी अंक के साथ मद्रास मेडीकल कॉलेज में अपिे नलए सीट जुटा ली। डॉ. रे ड्डी से जब उन्होंिे अिुमनत मांगी तो इस बार भी र्ौंकािे वाला जवाब नमला- ‘‘मैं िहीं र्ाहता दक तुम डॉक्टर बिो।’’ नर्दकत्सकों का सफे द कोट पहििे को बेताब प्रीथा को नपता के इस जवाब से इतिी निराशा हुई दक उन्होंिे एक साल पढाई को ही ब्ेक दे ददया और कला क्षेत्र, मद्रास (रुक्मणी अरुं डले द्वारा स्थानपत डांस स्कू ल) में िृत्य सीखा। इसके बाद प्रीथा जब साइं स ग्रेजुएशि की पढाई कर रही थीं, तब डॉ. रे ड्डी िे उिका अपिे उद्योगपनत नमत्र पी. ओगुल रे ड्डी के पुत्र से नववाह कर ददया। ‘गृनहणी बििा ही नियनत है’ यह सोर्कर प्रीथा ‘रे ड्डीपररवार’ की परं परागत बह और मां बि गईं, पर नर्दकत्सक ि बि पािे की टीस उन्हें हमेशा कटोर्ती रही। उि ददिों उिकी बहि संगीता नपता की प्रमुख सहयोगी थीं। संगीता का नववाह हुआ और वे हैदराबाद नशफ्ट हो गईं। एक शाम नपता व ससुर िे प्रीथा को आदेश ददया दक तुम्हें कल से अपोलो हॉनस्पटल में संगीता की जवाबदारी संभालिा है। प्रीथा रे ड्डी िे एक साक्षात्कार में कहा है- ‘‘मुझसे सहमनत िहीं मांगी गई थी। मैं ि नर्दकत्सक थी और ि ही मैंिे मैिेजमेंट की नशक्षा प्राप्त की थी। मेरी मिोदशा तब ऐसी थी दक मैं र्ार-पांर् लोगों के सामिे बात करिे से भी डरती थी। मुझे तो नपता और ससुर से सीिे आदेश नमला था। अपिे बुजग ु ों का यह निणाय सुिकर मैं हतप्रभ रह गई।’’ स्टेला मोररस कॉलेज की साइं स िातक एवं िृत्य कला में पारं गत प्रीथा रे ड्डी को अगले ददि अपोलो हॉनस्पटल्स के मुख्यालय पहुंर्िे पर आभास हुआ दक बड़े लक्ष्य तक पहुंर्िे के नलए छोटी-छोटी लालसाओं का मोह छोडऩा पड़ता है। वषों बाद वह पुरािी गुत्थी भी सुलझी दक नपता िे उन्हें मेनडकल कॉलेज में पढाई के नलए क्यों िहीं भेजा था। वे नर्दकत्सक बि जातीं तो उिका ध्याि और उिकी व्यस्तता मेनडको प्रैनक्टस तक सीनमत रह जाती। नपता तो र्ाहते थे दक पुत्री का गृहस्थ जीवि सेटल हो जाए तो वे उससे ऐसे नर्दकत्सा सेवा समूह का संर्ालि करवाएं, जहां एक िहीं हजारों नर्दकत्सक कायारत हों। प्रारं नभक नहर्दकर्ाहट के बाद प्रीथा रे ड्डी अस्पताल की जीवि-रे खा से जुड़ीं तो अंतरमि की परतों में छु पा आत्मनवश्वास भी नखलिे लगा। स्टेिफोडा यूनिवर्तसटी में मेनडको मैिेजमेंट के उन्होंिे शाटा कोसेस अटेंड दकए पर उिका वास्तनवक ट्रेहिग ग्राउं ड है- अपोलो हॉनस्पटल्स एवं उिके वास्तनवक गुरु हैं नपता। डॉ. रे ड्डी िे भी के वल उन्हें जवाबदाररयां ही िहीं सौंपी हैं,
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वरि् प्रोफे शिल एक्सपट्र्स की ऐसी टीम भी दी है, नजसमें देश के सुप्रनसि नर्दकत्सकों के अलावा अन्य प्रबंिकीय नवशेषज्ञ भी शानमल हैं। ददलर्स्प बात यह है दक ये ही प्रीथा रे ड्डी की सबसे बड़ी र्ुिौती बिे हैं। अन्य उद्योग व कारोबार की तुलिा में नर्दकत्सा सेवा क्षेत्र में मािव संसािि को संभालिा सबसे टेढी खीर है। टेक्नोलॉनजस्ट, िर्मसग, स्वीहपग, नसक्यूररटी, फ्रंट ऑदफस, अकाउं ट्स और हॉउसकीहपग जैसी नवनभन्न फै कल्टी के असामान्य कार्तमकों के अलावा अलग- Page | 69 अलग स्तर की नशक्षा, आयु, अिुभव व उपलनधियों वाले ‘मेनडको पीपुल्स’ इसमें शानमल हैं। इिसे नबजिेस की दैिंददि जरूरतें पूरी करवािे के नलए आत्मीय व गररमामय और कामकाजी व पारदशी वानणनज्यक ररश्ते बिािा व लंबे समय तक बिाए रखिा दकतिा करठि काम है, यह प्रीथा रे ड्डी ही दोहरा सकती हैं, नजन्होंिे ‘ऑिसा अहम्’ (मालदकयत का घमंड) से बर्ते हुए यह र्ुिौती आसाि की है। वे कहती हैं- ‘‘नर्दकत्सक कलाकार की तरह होते हैं। उिकी जरूरतों को उिके िजररए से समझिा, उिके प्रनत सम्माि भाव होिा व संवेदिशील होिा- उिसे व्यवहार की पहली अनिवाया शता है। अपोलो में इसीनलए हमिे कई परं पराएं डाली हैं, जैसे- अनप्रय मुद्दों या फै सलों पर हम पहले मौनखक बातर्ीत करते हैं, इसके बाद ही नलखा-पढी। मेरी करठि परीक्षा तो हर रोज उस डायहिग टेबल बैठक पर होती है, नजसके अध्यक्ष हैं मेरे नपता। हमिे हमेशा यहीं बड़े िीनतगत निणाय नलए हैं।’’ (Says Preeth Reddy: Doctores are like artists. We have to be very sensitive to their needs. In the 7-8 years I have been here, we have had no major conflicts. Even unpalatable decisions are first conveyed in person, and notes sent later. We respect our professionals. There are these dinner tables brainstorming sessions when we all get together, with dad presiding.)
दूसरी पुत्री सुिीता रे ड्डी को ग्रुप की डायरे क्टर (फायिेंस) बिािे के पूवा नवत्त की जरटलताओं को समझिे के नलए डॉ. रे ड्डी िे उन्हें हावाडा नबजिेस स्कू ल में फायिेंस प्लाहिग का कोसा करवाया था। सुिीता रे ड्डी िे समूह के पनधलक इश्यू के साथ ग्लोबल नडपॉनजटरी ररनसप्ट (जीडीआर इश्यू-75 नमनलयि डॉलर) का बखूबी प्रबंिि दकया है। गौरतलब है दक कभी डॉ. प्रताप रे ड्डी को अपिे देश में पनधलक फं ड प्राप्त करिे के नलए जूझिा पड़ा था। आज देश के हेल्थ के अर सेक्टर में एएर्ईएल अके ली ऐसी कं पिी है नजसकी इदक्वटी में नवदेशी संस्थागत निवेशकों का सवाानिक निवेश है। इसका श्रेय सुिीता रे ड्डी को है, नजिके बारे में डॉ. रे ड्डी कहते हैं- ‘‘सुिीता िे ही मेरे वेंर्र का िामकरण दकया था-अपोलो हॉनस्पटल इं टरप्राइजेस, नजसमें हमारे पररवार के अंक ज्योनतनष िे बाद में ‘एस’ जोड़ ददया।’’ अपोलो हॉनस्पटल्स के फामाा नडनवजि की इं र्ाजा हैंशोभिा रे ड्डी (कामीिेिी) नजन्हें डॉ. रे ड्डी बेटी िहीं अपिा बेटा कहते हैं। र्ौथी पुत्री संगीता रे ड्डी इन्फॉमेशि टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट एवं एर्.आर. की देखभाल करती हैं। अथाात वे अपोलो हॉनस्पटल्स से जुड़े करीब तीि हजार नर्दकत्सक एवं बीस हजार अन्य सहयोगी कार्तमकों की इं र्ाजा हैं, नजसमें दुनिया के जािे-मािे नर्दकत्सक भी शानमल हैं। आई.टी. की मदद से संगीता रे ड्डी िे ही ऑि लाइि नर्दकत्सा सेवा, आउट सोर्मसग मेनडको नबजिेस व टेलीमेनडनसन्स जैसे मुिाफा देय कारोबार अपोलो हॉनस्पटल्स समूह की गनतनवनियों का नहस्सा बिाए हं। संगीता रे ड्डी का कहिा है दक एक हेल्थ के अर कं पिी की स्थापिा और उसे world क्लास बिा देिा- यह सबक दकसी क्लासरूम में िहीं सीखा जा सकता। मैदाि में एकजुट होकर ही यह दक्षता नमल सकती है, जो हमें नमली है। हम सबकी योग्यतािुसार हमारी भूनमका तय हो गई है। यह क्षमता हमिे काम करते हुए जुटाई है। बहिें होिे से हम समस्या के हर पहलू पर खुलकर बात करती हैं और निदाि खोज लेती हैं।
और डॉ. रे ड्डी कहते हैं- ‘‘अपोलो की सबसे बड़ी ताकत है टीम और टीम के हर सदस्य के बीर् अद्भुत सामंजस्य। हेल्थ के अर सेक्टर की पहली शता है शत प्रनतशत गुणवत्ता। अन्य उद्योग में कोई उत्पाद गुणवत्तायुक्त ि हो तो ररजेक्ट हो जाता है, पर हमारी एक छोटी-सी त्रुरट एक मरीज की जाि ले लेती है। अत: हमारा लक्ष्य है हम हर समय सही हों-पहली बार से आनखरी बार तक...। ‘‘ (Says Dr. Pratap C. Reddy: The biggest strength Apollo has today is a team with synergy. Out moto is, we should do our job right every time and get it right the first time. This is very important because healthcare is not like any other industry. Elsewhere, if 99 percent of the products are right, one per cent can be rejected. But you can’t say ‘reject’ at the cost of a patient life.)
डॉ. रे ड्डी की समूह को एक और प्रबंिकीय देि है- अलग-अलग फै कल्टी के नवशेषज्ञ प्रोफे शिल्स की उच्चस्तरीय कमेरटयां नजिके बीर् ‘इं फेक्शि से इनथक्स’ तक की जवाबदाररयां बंटी हुई हैं। प्रीथा रे ड्डी िे पहले इि कमेरटयों का नवश्वास जीता, दफर उन्हें काम करिे व निणाय लेिे की पूरी जवाबदारी सौंपी। अपिे सीिे नियंत्रण में प्रीथा रे ड्डी िे के वल वे नसस्टम रखे हैं नजिके अिुपालि के नलए ग्रुप में सब समाि रूप से जवाबदेह हैं। अपोलो समूह की दैिंददि गनतनवनियों को ऑटो रि बिा देिे वाले डॉ. प्रताप रे ड्डी मजादकया अंदाज में अपिी पुनत्रयों से कहते हैं- ‘‘मैं समूह का पॉवरलेस र्ेअरमैि हं। बहुत जल्दी तुम सबको भी वाइस र्ेअरमैि बिाकर तुम्हारे भी सारे अनिकार छीि लूंगा।’’ (Says Dr. Pratap C. Reddy: I run a very de-centralised operation. I always tell my daughters- your chairman is powerless and very soon I will make all of you vice-chairpersons and then you too will be powerless.)
प्रीथा रे ड्डी के अिुसार डॉ. प्रताप सी. रे ड्डी के नवजि- ‘सबके सहयोग से सबको स्वास्थ्य सुनविा’ (Health for all with the help of all) को मूतारूप देिे के नलए हमें सबसे पहले नर्दकत्सकों को समझािा पड़ा दक अपोलो उपर्ार/सजारी का खर्ा एक स्तर से ज्यादा िहीं बढा सकता। इसी तरह हमिे जिमािस को समझाया दक अपोलो की नर्दकत्सा सेवा थोड़ी महंगी ददखती है, पर हम उन्हें उिके पैसे का पूरा मूल्य लौटाते हैं। भारतीय कॉरपोरे ट अस्पतालों में उपर्ार खर्ा भारतीयों को महंगा प्रतीत होता है, पर नवदेशी इसे दुनिया का सबसे सस्ता उपर्ार मािते हैं। मैकेन्जी की एक ररपोटा प्रीथा रे ड्डी के कथि की पुनष्ट करती है। इस अध्ययि के अिुसार भारत में अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता की स्वास्थ्य सुनविाएं अत्यंत दकफायती होिे के कारण नवदेशी उपर्ार/सजारी हेतु भारत आते हैं । हेल्थ के अर डेनस्टिेशि के नलए उिके द्वारा भारत को र्ुििे के कई कारण हैं। मसलि, अपोलो जैसे कॉरपोरे ट हॉनस्पटल्स िे दुनिया का यह भ्रम दूर कर ददया है दक भारतीय दुनिया के सबसे निपुण नर्दकत्सक हैं पर वे भारत के बाहर ही कमाल करते हैं। या दक... भारतीय अस्पतालों में साफ-सफाई व सजारी उपरांत साविािी स्तरीय िहीं है। अके ले अपोलो हॉनस्पटल्स िे हाटा सजारी 98.50 सफलता के साथ की हैं। भारत में जरटल रोगों के उपर्ार या सजारी के नलए प्रतीक्षा िहीं करिा पड़ती। नब्टेि में िागररकों को नि:शुल्क उपर्ार सुनविा उपलधि है पर इसके नलए उन्हें लंबी प्रतीक्षा करिी पड़ती है। अमेररका में नर्दकत्सा सुनविा बीमा आिाररत है पर यह सुनविा जरटल सजारी के नलए ही नमलती है। कॉस्मेरटक उपर्ार के नलए िहीं,
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जो वहां अत्यंत महंगी है। अपोलो िे नवदेनशयों के नलए जो हेल्थ के अर पैकेज नडजाइि दकया है, उसिे उन्हें इि सब परे शानियों से मुक्त कर ददया है। इस पैकेज में नवश्वस्तरीय एवं दकफायती हेल्थ के अर और शानमल है- यात्रा संबंनित दस्तावेजों की प्रोसेहसग, यात्रा का प्रबंि, अटेंडेंट्स की के अर से लेकर उपर्ार उपरांत घर तक सकु शल पहुंर्ािे की गारं टी। यही िहीं, टेलीमेनडसि सुनविा के कारण उपर्ार के पहले व उपर्ार के उपरांत अपोलो के रोगी नर्दकत्सकों के संपका में Page | 71 रहते हैं। िेट पर डायिोनस्टक ररपोट्र्स अिलोड करके वे अपिे नर्दकत्सक से सामनयक परामशा प्राप्त कर सकते हैं। अपोलो जैसे कारपोरे ट हॉनस्पटल्स की ऐसी सुनविाओं के कारण ही भारत में मेनडकल टू ररज्म तीव्र गनत से बढ रहा है। मैकेन्जी के अिुसार भारतीय हेल्थ के अर माके ट का आकार 3,20,000 करोड़ रुपए है। अपोलो िे तीव्र गनत से प्रगनत कर रहे हेल्थ के अर माके ट में अपिे शेयर को सुनिनित करिे के नलए समय पूवा बड़े पैमािे पर तैयारी की है। डॉ. रे ड्डी कहते हैं- ‘मेनडको पीपुल व पेरामेनडक्स (िसा आदद) के नियाात से देश नजतिी नवदेशी मुद्रा अप्रत्यक्ष रूप से कमाता है उससे ज्यादा आय नवदेनशयों का भारत में उपर्ार करके जुटाई जा सकती है। इससे भी ज्यादा आय का स्रोत हैआई.टी. सर्तवसेस। अमेररकि अस्पताल अपिे कु ल खर्ा की 6 से 7 फीसदी रानश डायिोनसस नसस्टम्स, नबहलग, ररपोर्टटग जैसे मद पर खर्ा करते हैं। एएर्ईएल िे उिके नलए भारत में नबहलग एवं रे नडयोलॉजी, एक्सरे , अल्ट्रासाउं ड, सीटीएस, एमआरआई की ररपोर्टटग के नलए एक सहायक कं पिी स्थानपत की है। हमारे पास मेनडको ब्ेि है। अंग्रेजी जािकार स्टाफ है और जब वहां रात होती है तब यहां ददि। इि सब कारणों से हमारी आउट सोर्मसग मेनडको सर्तवसेस अमेररकि अस्पतालों को रास आती है।’ (Says Dr. Pratap C. Reddy- By sending medico personnel out you will get a mere $1 billion, $2 billion or $3 billion, but by bringing patients from other countries for treatment in our country, you will get $20 billion. But if you provide medico outsourcing services to them you can get $100 billion. According to one estimate, about six to seven per cent of the expenditure of US hospitals goes on the diagnosis procedure, writing of reports and the like and the total amount exceeds a trillion dollars. The potential is huge as there are thousands of hospitals in the US. Other then time difference, our medico brains, English language and other IT capabilities give us immense opprotunity.)
प्रीथा रे ड्डी कहती हैं- ‘‘अपोलो की प्रोफे शिल मैिेजमेंट टीम समय की मांग समय के पूवा समझ लेती है। िीनतगत निणायों पर अमल करिे में यह टीम अत्यंत मानहर हो र्ुकी है। डॉ. रे ड्डी िे हमें अपोलो कैं सर हॉनस्पटल स्थानपत करिे के नलए एक साल का समय ददया था। हमिे समय पूवा ि के वल यह प्रोजेक्ट पूरा दकया वरि इसके नलए आईएसओ प्रमाणपत्र भी प्राप्त कर नलया। जो सानबत करता है दक- We love our work.
अध्याय 10
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नप्रया पाल मानहर मेजबाि- ि थके , ि थमे सत्तर के दशक में इंददरा गांिी के प्रादुभााव के साथ के वल देश का राजिीनतक माहौल ही िहीं बदला, वरि् सामानजक जीवि में भी एक अदृश्य ‘अंडर करं ट’ फै ला, नजसिे मनहलाओं में स्वावलंबी होिे का सोर् पैदा दकया। जो लोग बदलाव की आहट सुिकर जाग उठे उन्होंिे अपिी पुनत्रयों को मॉडिा एजुकेशि के नलए नवदेश भेजा। ऐसे ही एक दूरंदश े ी नपता सुरेंद्र पाल िे दो दशक पहले अपिे पुत्र-पुनत्रयों का नबिा भेदभाव नवदेशी नबजिेस स्कू ल में दानखला ददलवाया। सुरेंद्र पाल की पुत्री नप्रया पाल देश के आनतथ्य सत्कार उद्योग की ऐसी पहली मनहला सीईओ हैं, नजन्होंिे िए आर्तथक पररवेश (भारतीय माके ट के वैश्वीकरण) के बाद होटल्स व रे स्त्रां कारोबार को िई ददशा प्रदाि की। नशक्षा: अमेररका के वेल्सले कॉलेज से अथाशास्त्र में ग्रेजए ु शि।/ संप्रनत: पाका होटल्स शृंखला की र्ेअरपसाि/ उपलनधि: साउथ एनशया वुमंस फं ड, द फोडा फाउं डेशि की सदस्य, आईआईएम
लखिऊ की सलाहकार
निदेशक और वषा 2003 एवं 2004 में नबजिेस टुडे की 25 पावरफु ल नबजिेस वुमेि सूर्ी में उल्लेख, वषा 1999-2000 में यंग इंटरप्रीिर अवाडा (फे डरे शि ऑफ होटल एवं रे स्त्रां एसोनसएशि) ।
नप्रया पाल : मानहर मेजबाि- ि थके , ि थमे सत्तर के दशक में इं ददरा गांिी िे मनहलाओं में स्वावलंबी होिे का सोर् पैदा दकया। जो लोग बदलाव की आहट सुिकर जाग उठते हैं, उन्होंिे अपिी पुनत्रयों को सािारण गृनहनणयां बिािे के बजाय मॉडिा एजुकेशि के नलए देश-नवदेश के महानवद्यालयों में भेजिा शुरू दकया। ऐसे ही एक दूरंदेशी नपता सुरेंद्र पाल िे दो दशक पहले अपिे पुत्र-पुनत्रयों का नबिा भेदभाव लालि-पालि दकया और नवदेशी नबजिेस स्कू ल में दानखला ददलवाया। सि् 1990 में आतंकवाददयों िे एक ददि सुरेंद्र पाल को शूट कर ददया। उिके असामनयक नििि के बाद उिकी पत्नी श्रीमती नशररि पाल िे एपीजे सुरेंद्र समूह की 14 साल (1990-2004) बागडोर संभाली और ग्रुप के बहुआयामी नबजिेस के तीि नडवीजि पुत्र व पुनत्रयों को दैिंददि देखरे ख के नलए सौंपे। तद्िुसार, ब्ाउि यूनिवर्तसटी यूएस से नशनक्षत करण पाल एपीजे सुरेंद्र ग्रुप के र्ाय, शीहपग व फाइिेंस पोटाफोनलयो की देखरे ख करते हैं। सि् 2004 में वे ग्रुप के र्ेअरमैि बिा ददए गए, पर पूवा में नवभानजत वका पोटाफोनलयो के अिुसार नप्रया पाल पाका होटल शृंखला एवं दूसरी पुत्री प्रीनत पाल (हावाडा यूनिवर्तसटी एवं मैसाच्यूसेट्स इं नस्टट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से नशनक्षत) अर्ल संपदा, नडजाइि नडवीजि और ररटेल नबजिेस (एपीजे ऑक्सफोडा बुक स्टोसा) की र्ेअरपसाि हैं। श्रीमती नशररि पाल के अिुसार समूह के संस्थापकों स्व. प्यारे लाल और स्व. सुरेंद्र पाल िे पररवार की िई पीढी को इतिे सलीके से नशनक्षत व संस्काररत दकया है दक व्यनक्तगत स्तर पर एकजुटता के साथ उन्होंिे जहां ग्रुप के स्थानपत कारोबार को िई ऊंर्ाइयों पर पहुंर्ाया, वहीं कई िए क्षेत्रों में भी प्रवेश दकया है। एपीजे सुरेंद्र समूह अपिी सामानजक नजम्मेदाररयों के निवाहि के नलए भी मशहर है। एपीजे एजुकेशि सोसायटी कोलकाता, बल्लभगढ, ददल्ली, जालंिर, मुंबई, िोएडा, दादरी, रे वाड़ी में कई स्कू लों का संर्ालि कर रही है। Girles college के अलावा दिएरटव व प्रोडनक्टव आटा का एक फाइि आटा कॉलेज भी ग्रुप की जिकल्याणकारी गनतनवनियों का नहस्सा है। नप्रया पाल के नियंत्रणािीि पाका होटल्स ददल्ली िे स्वेच्छा से जंतर-मंतर के सौंदयीकरण, पुिरोिार और रख-रखाव का दानयत्व स्वीकार दकया है। समूह इं नडयि इं नस्टट्यूट ऑफ मैिेजमेंट (आईआईएम) अहमदाबाद, बैंगलोर, लखिऊ के प्रनतभावाि छात्रों को छात्रवृनत्त प्रदाि करता है। आईआईएम बैंगलोर में सुरेंद्र पाल मेमोररयल र्ेअर की स्थापिा की गई है। एपीजे सुरेंद्र समूह प्रनतभावाि व पात्र छात्रों को स्वतंत्र छात्रवृनत्त भी प्रदाि करता है, जो देश या नवदेश में नशक्षा प्राप्त करिा र्ाहते हैं। वस्तुत: नििाि व प्रनतभावाि छात्रों को उच्च नशक्षा के नलए संरक्षण देिा एपीजे सुरेंद्र समूह का नवजि व नमशि है।
एपीजे सुरेंद्र समूह एपीजे सुरेंद्र समूह की जड़ें सि् 1910 में जालंिर में स्थानपत एक फमा अमीिर्ंद प्यारे लाल से जुड़ी हुई हैं (‘ए’ अमीिर्ंद का, ‘पी’ प्यारे लाल का और ‘जे’ जालंिर का प्रतीक हैं, नजिकी संनि से बिा है एपीजे)। देशभक्त स्व. प्यारे लाल िे आजादी के पहले भारतीय दकसािों की जरूरत ‘स्टील गुड्स’ बिािे के नलए इस फमा की स्थापिा की थी। नद्वतीय नवश्वयुि के दौराि उन्होंिे इतिा कारोबार बढाया दक उिके लघु उद्योग में 100 से ज्यादा लोग काम करिे लगे। प्यारे लाल के नििि के बाद उिके र्ार पुत्रों- सत्य पाल, नजत पाल, स्वराज पाल एवं सुरेंद्र पाल िे एपीजे ग्रुप के बैिर तले नपता द्वारा
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स्थानपत कारोबार को कई िए आयाम ददए। 50 के दशक में आजाद भारत की सरकार िे इन्फ्रास्ट्रक्र्र सेक्टर (बुनियादी सुनविा क्षेत्र) में बड़े निमााण काया शुरू दकए, नजससे देश में स्टील की मांग बढी। एपीजे ग्रुप प्रथम भारतीय स्टील आयातकों में से एक है, नजसिे यूरोपीय देशों के बजाय यूएसएसआर, र्ेकोस्लोवादकया, हंगरी, पॉलैंड, पूवा जमािी व र्ीि से स्टील की खरीद की। समूह अंतरराष्ट्रीय बाजारों में दफनिस्ड स्टील उत्पादों व कोयले की ट्रेहडग भी करिे लगा। पाल Page | 74 बंिुओं िे नबिा दकसी नवदेशी गठबंिि के स्टेिलेस स्टील बिािे के नलए कोलकाता में एक मॉडिा नमल भी स्थानपत की, जो बहुत जल्दी इं ग्लैंड व जापाि को स्टील नियाात करिे लगी। उि ददिों भारतीय स्टील नियाातकों में एपीजे ग्रुप का िम तीसरा (प्रथम हहदुस्ताि स्टील व नद्वतीय रटस्को-अब टाटा स्टील) हो गया था। लंबे अंतराल के बाद नशहपग नबजिेस में प्रवेश करिे वाला पहला भारतीय समूह भी है- एपीजे। सि् 1960 में एपीजे ग्रुप िे अर्ल संपदा कं स्ट्रक्शि व फामाास्युरटकल्स नबजिेस भी शुरू दकया तो सि् 1967 में सुरेंद्र पाल िे कलकत्ता (अब कोलकाता) में ‘द पाका ’ िाम से एक स्टार होटल स्थानपत दकया। सि् 1980 में उन्होंिे असम में र्ाय बागाि खरीदे। (स्वराज पाल- सि् 1931 में जालंिर में जन्मे स्वराज पाल िे पंजाब युनिवर्तसटी से िातक एवं मैसीच्यूसेट्स इं नस्टट्यूट ऑफ टेक्नालाजी यूएस से मैकेनिकल इं जीनियररग की िातकोत्तर नडग्री प्राप्त करिे के बाद एपीजे ग्रुप से ही अपिा कै ररयर शुरू दकया था। 60 के दशक में अपिी पुत्री का उपर्ार करवािे वे लंदि गए तो वहीं बस गए और एपीजे ओवरसीज की देखरे ख करिे लगे। सि् 1978 में पाररवाररक नवभाजि के बाद स्वराज पाल िे कपारो ग्रुप की स्थापिा की। आज वे इं ग्लैंड में लाडा स्वराज पाल के िाम से नवख्यात हैं और नब्टेि के ििी व्यनक्तयों में एक हैं। लाडा स्वराज पाल को भारत सरकार िे भी सि् 1983 में पद्म भूषण से िवाजा है।) सि् 1978 में एपीजे ग्रुप का नवभाजि हुआ। सि् 1982 में सुरेंद्र पाल के र्ेअरमैि बििे के बाद भारतीय कारोबार को िया बैिर नमला- एपीजे सुरेंद्र समूह। सि् 1990 में उिके असामनयक नििि के समय यह समूह नशहपग, अर्ल संपदा, र्ाय, कं स्ट्रक्शि, आनतथ्य सत्कार उद्योग (हॉनस्पटैनलटी), फाइिेंस व ररटेल जैसे कई सेक्टरों में सदिय था। नविाता िे श्रीमती नशररि पाल पर अिायास नवशाल कारोबार का बोझ लाद ददया पर साथ ही उन्हें एक योग्य पुत्र व दो पुनत्रयां भी सहयोगी के रूप में प्रदाि की। श्रीमती पाल िे अपिे पनत से सीखा है- ‘पुत्र व पुनत्रयों में फका मत करो।’ तद्िुसार उन्होंिे अपिी तीिों संतािों को उिकी दक्षता अिुरूप अलग-अलग दानयत्व सौंपे। अपिी मां के िेतृत्व में पुत्र-पुनत्रयों िे 40 हजार से ज्यादा कमार्ाररयों के समूह को 14 साल में दकस ऊंर्ाई पर पहुंर्ाया है, इसकी एक झलक ग्रुप के आनतथ्य सत्कार कारोबार की प्रगनत से देखी जा सकती है, नजसकी र्ेअरपसाि हैं- श्रीमती नप्रया पाल।)
नप्रया पाल अपिे जमािे के ग्लोबल नवजिरी नबजिेस टायकू ि स्व. सुरेंद्र पाल की पुत्री नप्रया पाल देश के आनतथ्य सत्कार उद्योग की ऐसी पहली मनहला सीईओ हैं, नजन्होंिे िए आर्तथक पररवेश (भारतीय माके ट के वैश्वीकरण) के बाद होटल्स व रे स्त्रां कारोबार को िई ददशा प्रदाि की। यंग इं टरप्रीिर -1999-2000 (फे डरे शि ऑफ होटल एवं रे स्त्रां एसोनसएशि का अवाडा) एवं नबजिस पसाि ऑफ ईयर- 2002-2003 (इकॉिानमक टाइम्स) अवाडा से नवभूनषत नप्रया पाल िे ही सबसे पहले भारत
में बुरटक होटल्स एवं ‘नडजाइि होटल्स’ की संकल्पिा को मूता रूप ददया। भारतीय होटहलग व्यवसाय को मात्र एक दशक में World class बिा देिे वाली नप्रया पाल अभी भी थमी िहीं है और कहती हैं- ‘‘थकिा या थमिा मेरी नियनत िहीं है। कारोबारी नक्षनतज छू िे की प्यास कभी पूरी िहीं होती।’’
(Says Priya Pal: The quest to reach higher is unending and we will always keep trying.) एपीजे सुरेंद्र समूह के आनतथ्य सत्कार नबजिेस को नप्रया पाल िे मात्र एक दशक में कै से बदला यह जाििे के पहले जािें दक दकि हालात में उन्होंिे इस उद्योग क्षेत्र में इं ट्री ली थी। 60 के दशक के अंत में नप्रया पाल एवं पाका होटल साथ-साथ जन्मे थे। स्व. सुरेंद्र पाल िे एक िवंबर, 1967 में कोलकाता में 150 कमरों का पाका होटल स्थानपत करके आनतथ्य सत्कार उद्योग में प्रवेश दकया था। सि् 1968 में एपीजे सुरेंद्र समूह की दूसरी होटल नवशाखापत्तिम में जन्मी जो आंध्र प्रदेश की पहली डीलक्स होटल है। सि् 1987 में सुरेंद्र पाल िे पार्तलयामेंट स्ट्रीट िई ददल्ली में 224 कमरों की तीसरी स्टार होटल लांर् की, तब नप्रया पाल अमेररका में पढाई कर रही थीं। एक साल बाद वे वेल्स्टैक्स कॉलेज यूएसए की बैर्लर नडग्री के साथ स्वदेश लौटीं तो नपता िे पुत्री को ग्रुप के आनतथ्य सत्कार कारोबार का जिरल मैिेजर माके रटग नियुक्त दकया। वे र्ाहते थे दक नप्रया पाल पाका होटल के अनतनथ ग्राहकों की मािनसकता को समझें , दफर बड़ी जवाबदारी संभालें पर नियनत को यह मंजूर िहीं था। नपता के असामनयक नििि के बाद ग्रुप र्ेअरमैि श्रीमती नशररि पाल िे नप्रया पाल को समूह के निदेशक मंडल में शानमल दकया तो उिका ओहदा हो गया- ‘प्रेसीडेंट- द पाका होटल’ शृंखला। आज वे पाका होटल्स शृंखला की र्ेअरपसाि हैं। सि् 1991 में तत्कालीि नवत्तमंत्री डॉ. मिमोहिहसह िे भारतीय अथाव्यवस्था का वैश्वीकरण दकया। उस समय पाका होटल शृंखला की प्रेनसडेंट नप्रया पाल को होटल उद्योग का मात्र तीि साल का मैदािी अिुभव था, पर एपीजे सुरेंद्र समूह इस उद्योग में 25 वषों (तब) से सदिय था। देश की अथाव्यवस्था िे िई करवट ली तो नप्रया पाल को आभास हुआ दक भारत का परं परागत आनतथ्य सत्कार उद्योग भी अब आमूल बदलेगा। भारतीय माके ट प्रनतस्पिी होंगे तो घरे लू और नवदेशी नबजिेस टू ररस्ट बढेंगे। उन्हें संतष्ट ु (लॉयल कस्टमर बिािे) रखिे के नलए होटल उद्योग को World class बिािा पड़ेगा इस सोर् के साथ नप्रया पाल िे एपीजे सुरेंद्र ग्रुप की पाका होटल शृंखला के िवीिीकरण के साथ उिकी सेवाओं को समसामनयक बिािे की तैयारी करते हुए एक साक्षात्कार (नसतंबर 1992) में कहा था- ‘‘व्यावसानयक माहौल अिायास रोमांर्क हो जािे से कारोबारी जगत में आशंका व उत्साह दोिों समाए हुए हैं। देश के आनतथ्य सत्कार उद्योग में यह मौका छोडऩा ‘बस’ नमस करिा होगा।’’ डायिानमक व ररस्क-टेकर नबजिस पसाि- पुरुष हो या मनहला, आहट सुिकर र्ौकन्ने हो जाते हैं। ऐसे दूरंदेशी उद्योगपनत ही इनतहास रर्ते हैं। यही हुआ। नप्रया पाल िे एक साथ दो मोर्ों पर तेजी से मार्ापास्ट शुरू दकया। एक मोर्ाा था नपता द्वारा स्थानपत तीिों पाका होटल्स (कलकत्ता, नवशाखापत्तिम और िई ददल्ली) का िवीिीकरण और िए होटल्स की स्थापिा। कहते हैं दक नप्रया पाल िे जब पाका होटल शृंखला को गैर परं परागत लुक देिा शुरू दकया तो हॉनस्पटैनलटी उद्योग से जुड़े लोगों िे उन्हें ‘िे जी’ कहा। उिके अिुसार होटल का लुक बदलिा आसाि है, पर अनतनथ ग्राहकों का सोर्
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बदलिा मुनश्कल काम है। हमारे देश में स्टार होटलों में रुकिा स्टेटस नसम्बॉल है। स्टार होटलों में लोग मौज-मजे व आराम के नलए आते हैं पर वे अपिी हैनसयत के साथ समझौता िहीं करते। इसके नवपरीत नप्रया पाल का सोर् था दक होटहलग अब रोमांर् की खोज बि गई है। गौरतलब है दक नप्रया पाल का सारा सोर् यूरोप व अमेररका की बुरटक व नडजाइि होटल्स से प्रेररत था, जो तब हमारे Page | 76 देश के नलए नबलकु ल िई संकल्पिा थी। नप्रया पाल िे नवदेशों में इि होटलों को देखा था। उन्हें अपिी सीमाओं का भी आभास था। वे जािती थीं दक भारतीय पररवताि पसंद करते हैं पर िीमी गनत से। उन्हें यह भी पता था दक दुनिया की बुरटक होटल्स की तुलिा में उिकी प्रॉपटीज आकार में बहुत छोटी हैं, अत: उन्हें यहां नवदेशी मॉडल का देसी संस्करण खोजिा पड़ेगा। ‘बड़े ही बेहतर होते हैं’- इस िारणा को ध्वस्त करते हुए पाका होटल्स को जब नप्रया पाल िे स्मॉल लक्जरी होटल बिा ददया और बुरटक होटल्स की मान्यता प्राप्त कर ली तो आनतथ्य सत्कार से जुड़े लोग र्ौंक उठे । पर नप्रया पाल का जवाब था- ‘‘नि:संदेह यूरोप व अमेररका के बुरटक होटल्स आकार में हमसे कई गुिा बड़े हैं, पर उिके िन्हें मॉडल होकर भी हम उिसे नजि मामलों में अलग हैं वे हैं- सेवा का स्तर एवं अनतनथयों के साथ सम्मािजिक आत्मीयता।’’ वस्तुत: नप्रया पाल िे भारत की पुराति परं परा ‘अनतनथ देवो भव:’ को 21वीं सदी में दोहराकर आनतथ्य सत्कार उद्योग में ‘अली बड्र्स’ होिे का फायदा जुटाया है। (Says Priya Pal: There are boutique hotels in the US and Europe who are of a large size. But we have very intimate level of service and a close connection with the customers and our staff. So moving forward and becoming larger, one has to really see how to balance the two.)
संक्षेप में कहें तो देश के स्टार होटलों में िाइट क्लब, थीम पाटी, फू ड फे नस्टवल, लक्जरी िौका, नस्वहमग पूल, स्पॉ, ओपि स्कॉय रे स्टोरें ट, एक्वा पाका , सोिा बाथ, मसाज, हेल्थ के अर, हेयर एंड धयूटी ट्रीटमेंट, बोडारूम गेम्स, इि रूम सेिेटेररएट (फै क्स, इं टरिेट, फ्री टेलीफोि), जकू झी, कू जन्स, नवनभन्न देशों के फू ड नडशेस, ब्ेवरे जेस, शाहपग, फै शि शो, इवेंट्स, वेलकम कॉकटेल/मोकटेल, काडा रूम, एयरपोटा ट्रांसपोटेशि से लेकर होटल में नववाह और होटल के बाहर रे स्त्रां शृंखला जैसी सेवाएं स्टार होटलों में शुरू करिे का श्रेय नप्रया पाल को है। ददलर्स्प बात यह है दक मुद्रास्फीनत के अिुपात में भी रूम रें ट बढाए नबिा वैल्यू एडेड सर्तवसेस के जररए पाका होटल्स िे कारोबार व मुिाफा दोिों बढाया है। इि सुनविाओं को जुटािे पर एपीजे सुरेंद्र ग्रुप िे दकतिा निवेश दकया यह तो नप्रया पाल जािें, पर उन्होंिे सानबत कर ददया दक उन्होंिे इकॉिानमक्स की के वल नवदेशी नडग्री ही िहीं ली है, वरि् फाइिेंस के मैदािी गुर भी सीखे हैं। वे डायिेनमक, दूरंदेशी और स्माटा नबजिेस वुमेि हैं। अपिे अनतनथ ग्राहकों को लॉयल बिािे के साथ उिके वैलेट को नप्रया पाल िे र्तुराई से हल्का दकया है। पाका होटल्स को बुरटक होटल्स का दजाा नमलिे के बाद अन्य स्टार होटलों िे भी अपिी होटल प्रापटीज में ये सारी वैल्यू एडेड सुनविाएं सेवाएं जुटाईं पर पॉयोनियर होिे का गौरव नप्रया पाल को नमला। वस्तुत: सोर्ी-समझी रणिीनत के साथ नप्रया पाल िे नमड लेवल कॉरपोरे ट्स पर फोकस दकया और उिका नवश्वास जीता। उिके शधदों में कहें तो- ‘‘हम (आनतथ्य सत्कार उद्योग) तो सपिों के सौदागर हैं। स्वप्न जो कभी खत्म िहीं होते। होटल उद्योग अपिे अनतनथयों की एक इच्छा पूरी करता है तो दूसरी जन्म ले लेती है। जो इस स्वप्न संसार का पूवााभास कर लेते हैं वही आनतथ्य सत्कार उद्योग में लंबी पारी
खेलते हैं। हमिे अपिे हर अनतनथ को एक्सक्लूनजव मािा है। हमें पता है वे आराम व मौज-मजे के नलए होटल आए हैं। हमिे उन्हें यह माहौल ददया और सानबत दकया दक भारतीय स्टार होटल भी आरामदेह व World class हो गए हैं।’’ (Says Priya Pal: You are recreating dreams. Just when you think you have created the perfect X, Y, Z dream, you find your tastes and ideas have evolved, and you go beyond that to yet another dream.)
एपीजे सुरेंद्र ग्रुप की पूवा स्थानपत होटल्स को समयािुकूल बिािे के साथ ही नप्रया पाल िे सि् 2000 में बैंगलोर में 109 कमरों एवं अन्नासेलाई, र्ेन्नई (तनमलिाडु ) में 215 कमरों की दो िई होटलें भी बिवाईं। उन्होंिे स्वतंत्र रे स्त्रां शृंखला भी लांर् की। सि् 2003 एवं 2004 में नबजिेस टु डे की 25 पावरफु ल नबजिेस वुमेि सूर्ी में िमश: ‘बुरटक लेडी’ और ‘नमस हॉनस्पटैनलटी’ नप्रया पाल की कमजोरी है- दकर्ि व कु ककग। वे कहती हैं- ‘‘मैंिे 15 वषा की उम्र में लंदि में कु ककग कोसा कॉदां धलू (Cordon Bleu, London) अटेंड दकया था। फू ड्स व कु ककग का इनतहास व तकिीक जाििे का मुझे शौक है। मेरे पास कु ककग बुक्स का बड़ा कलेक्शि है। कु ककग में मुझे खूब मजा आता है। पाका होटल्स के सारे मीिू मैंिे ही नडजाइि दकए हैं।’’ सर्ाई यह है दक जब भी पाका होटल का िया मीिू बिता है तो नप्रया पाल अपिे दकर्ि स्टाफ को थका देती हैं। वे उन्हें र्ौंकािे वाले िए-िए सुझाव देती हैं। नप्रया पाल के अिुसार हम फू ड्स की गुणवत्ता व स्वाद से समझौता िहीं कर सकते। अच्छे रे स्टोरें ट से ज्यादा जरूरी है अच्छा फू ड सवा करिा। नप्रया पाल उि मनहला उद्यनमयों में एक हैं, नजन्होंिे पहले अपिा कै ररयर संवारा, अपिे पुश्तैिी कारोबार को िई ददशा दी दफर गृहस्थी बसाई। सि् 2003 में एक साक्षात्कार में नप्रया पॉल िे मजादकया अंदाज में कहा था- ‘‘मुझे अपिा मंगेतर नमल गया है।’’ सि् 2004 में उन्होंिे र्ेन्नई के नबजिेसमैि सेतू वैद्यिाथि से नववाह करिे के बाद कहा- ‘‘अब मेरा समय र्ेन्नई व ददल्ली में बंट गया है। ददल्ली से मैं कारोबार की देखरे ख करती हं तो सप्ताहांत अपिे पनत के साथ र्ेन्नई में व्यतीत करती हं।’’ इसी साक्षात्कार में उिसे पाका होटल्स की ग्रोथ के बारे में पूछा गया तो मजेदार जवाब नमला- ‘‘मैं मां बिूंगी।’’ बड़े ददलर्स्प व्यनक्तत्व की ििी हैं नप्रया पाल। सबसे अलग और सबसे नमलिसार। अपिे लक्ष्य के प्रनत िीर-गंभीर तो अपिे निकटस्थ नमत्र मंडली के बीर् मौज-मस्ती के नलए मशहर।
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ज्योनत िाइक नलज्जत की लज्जत एक बार समुद्र की छोटी मछनलयों िे समुद्र से नशकायत की- ‘हमें बड़ी मछनलयां निगल जाती हैं। इन्हें बाहर कर दो।’ िीर-गंभीर समुद्र िे मुस्कु राते हुए कहा- ‘मेरी बनच्चयों, यह िहीं हो सकता। मेरा स्वभाव है दक जो भी मेरी शरण में आता है- मैं उसे स्वीकार कर लेता हं। जैसे तुम मेरे नबिा िहीं जी सकतीं। वैसे ही बाहर निकालते ही बड़ी मछनलयां भी मर जाएंगी।’ प्रकृ नत का नियम मािो। बड़ी मछनलयों से बर्कर जीिा सीखो। मरिे से मत डरो। जब तक हजदा हो, जीिे का मजा लो। छोटी मछनलयों िे समुद्र की बात माि ली। सहस्रों वषों से वे जीिे के नलए संघषा करते हुए समुद्र में अठखेनलयां कर रही हैं और बहुत खुश हैं। नशक्षा : पोस्ट ग्रेजुएट/ उपलनधि: श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ की प्रेनसडेंट/ सि् 2001-02 में नबजिेस वुमेि ऑफ द ईयर अवाडा। श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ को उत्कृ ष्ट ग्रामीण उद्योग अवाडा। देश में नलज्जत पापड़ ब्ांड कश्मीर से लेकर कन्याकु मारी तक मशहर । सोसायटी के 40 फीसदी उत्पाद अमेररका, इंग्लैंड, हसगापुर, हांगकांग, जापाि के अलावा मध्यपूवा के कई देशों में नियाात ।
ज्योनत िाइक : नलज्जत की लज्जत ‘प्रकृ नत का नियम मािो। बड़ी मछनलयों से बर्कर जीिा सीखो। मरिे से मत डरो। जब तक हजदा हो, जीिे का मजा लो। यह कहािी नजतिी सहज है, इसमें समाया सबक उतिा ही गूढ।’ मजेदार बात यह है दक कनथत मैिेजमेंट गुरु नबजिेस स्कू ल के छात्रों को ‘समूह में काम करिे’ का जो सबक सप्रयास नसखाते हैं- उसे हमारे देश की हजारों मनहलाओं िे ऐसी ही लघु कथाओं से जािा ही िहीं, आत्मसात् भी दकया है। इसका बेहतरीि उदाहरण है- श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ से जुड़ी 40 हजार से भी अनिक मनहलाएं। समाज के अत्यंत सािारण पररवार की नितांत निरीह, िादाि व िासमझ समझी जािे वाली ये मनहलाएं नवगत 50 वषों से उस अत्यंत प्रनतस्पिी बहुप्रर्नलत उपभोक्ता सामाि माके ट (Fast Moving Consumer Goods Market) में सफलता से सदिय हैं। जहां लीवर जैसी बहुराष्ट्रीय कं पिी के कनथत मॉडिा मैिज े मेंट नशक्षा प्राप्त एक्जीक्यूरटव्स को भी बार-बार मुंह की खािी पड़ी है। मसलि, करसि भाई पटेल (निरमा) िे सि् 1989 में नडटजेंट माके ट में जो प्रहार दकया था, उसे हहदुस्ताि लीवर 18 सालों से सहला रहा है, पर घाव है दक ररसिा बंद ही िहीं होता। नलज्जत के जन्म की कहािी तो निरमा से भी ज्यादा ददलर्स्प है। 48 साल पहले (सि् 1959) मुंबई की एक नििाि बस्ती नगरगांव की कु छ मनहलाओं की ददिर्याा का नहस्सा था- घरवाले को काम के नलए रवािा करिे और घर का काम निपटािे के बाद र्ाल की गैलरी में गपशप करिा। उि सबके आर्तथक हालात समाि थे। पैसे की तंगी से सब हलकाि थीं। मार्ा माह की तपती दोपहरी में एक ददि ‘आइस मेल्ट’ हो गया। उन्हें पररवार के आर्तथक हालात सुिारिे का तरीका नमल गया- वे सब नमलकर पापड़ बिाएंगी। उिके आर्तथक हालात ऐसे थे दक इस छोटे से काम को शुरू करिे के नलए भी उन्हें पठािी धयाज पर 80 रुपए का कजा लेिा पड़ा। िीयत साफ थी। भाग्य िे साथ ददया। एकजुट होकर पापड़ बिािे वाली सात मनहलाओं िे बहुत जल्दी ि के वल सूद सनहत कजा र्ुका ददया, बनल्क वे पररवार के नलए अनतररक्त आय भी जुटािे लगीं। सबसे बड़ी बात यह है दक उन्हें एकजुटता की ताकत का आभास हो गया। देखते-देखते उस गरीब बस्ती की अन्य मनहलाएं उिसे जुडऩे लगीं। वे 7 से 70 हुईं अथाात समूह बिा तो नित िई समस्याएं भी जन्म लेिे लगीं। उिके नलए यह तो संभव िहीं था दक वे मुंबई में जगह लेकर एक कारखािा खोलें और एक साथ नमलकर पापड़ बिाएं। इस समस्या का निदाि निकाला गया दक मनहलाएं अपिे-अपिे घर में पापड़ बिाएं, पर नबिी एक साथ करें । ऐसा करिे में भी एक जोनखम थी- अलग-अलग मनहलाओं द्वारा बिाए पापड़ का अलग-अलग स्वाद और गुणवत्ता का गड़बड़ा जािा। इस समस्या का हल निकाला गया दक पापड़ बिािे का कच्चा माल (लोया) एक जगह तैयार दकया जाए और मनहलाएं के वल पापड़ बेलें (Roll)। मनहलाओं को पापड़ बेलिे की मजदूरी तो काम के आिार पर रोज दे दी जाए पर नबिी से प्राप्त मुिाफा साल में एक बार नवतररत दकया जाए। समूह के द्वारा उत्पाददत पापड़ एक ही िाम से बेर्िे का निणाय नलया गया तो जन्मा ब्ांड िेम नलज्जत यािी सुस्वादु (Tasty)। सात साल तक इि मौनखक नियमों के आिार पर ये मनहलाएं पापड़ बिाती व बेर्ती रहीं। यह ग्रुप बड़ा हो गया तो कई संस्थाओं िे स्वैनच्छक सहयोग व भागीदारी के नलए हाथ बढाया पर नलज्जत पापड़ की नििाि पर स्वानभमािी सात संस्थापक मनहलाओं िे सारे प्रस्ताव िकार ददए। उन्होंिे भूलों से सीखा पर िैया िहीं खोया।
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संयोग से इि मनहलाओं को नमल गए दो समाजसेवी- श्री छगिलाल करशी पाररख और दामोदर दत्तािी। 25 जुलाई 1966 को श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ िाम से एक सोसायटी और पनधलक ट्रस्ट का पंजीकरण हुआ। इसके पीछे मंशा थी दक मनहलाओं की सामूनहक उद्यमशीलता को एक कािूिी बैिर के तले एकजुट और मजबूत करिा। खादी ग्रामोद्योग के यू.एि. ढेबर इि मनहलाओं की उद्यमशीलता व गांिीवादी कायाप्रणाली (ट्रस्टीनशप) से इतिे प्रभानवत हुए दक उन्होंिे सोसायटी को ग्रामीण उद्योग के रूप में मान्यता दे दी। श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ की लगभग अनशनक्षत संस्थापक मनहलाओं िे लोक व्यवहार एवं अपिे अिुभव के आिार पर सोसायटी का संनविाि गहि हर्ति-मिि के साथ रर्ा है। मसलि, सोसायटी की सदस्यता नबिा उम्र बंिि के के वल उि मनहलाओं के नलए ररजवा है- जो पापड़ बेल सकें । कोई भी पुरुष सोसायटी का सदस्य िहीं बि सकता। पैकेहजग, माके रटग, ट्रांसपोटेशि के नलए सोसायटी पुरुष कार्तमक नियुक्त करती है, जो के वल वेति (मुिाफे के िहीं) के हकदार हैं। सोसायटी के मनहला सदस्यों को आत्मीय संबोिि ‘बेिजी’ के िाम से पुकारा जाता है। ये ही संस्था की सदस्य-मानलक (Owner-member) हैं, नजिके बीर् श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ का सालािा मुिाफा नवतररत दकया जाता है। सोसायटी के संनविाि के अिुसार सािारण सभा में ही िीनतगत निणाय नलए जाते हैं। कोई भी सदस्य इस बैठक में अपिा नवरोि दजा करवा सकती हैं। सािारण सभा में सदस्यों की सदिय नहस्सेदारी सुनिनित करिे के नलए हरे क सदस्य को सीनमत वीटो अनिकार प्राप्त हैं। सािारण सभा िीनतगत निणायों के दियान्वयि व दैिंददि कामकाज के नलए 21 सदस्यीय कायाकाररणी सनमनत र्ुिती है। इन्हें संर्ानलका कहा जाता है। इि संर्ानलकाओं में से छह पदानिकारी र्ुिी जाती हैं- एक प्रेनसडेंट, एक वाइस प्रेनसडेंट, दो सनर्व और दो कोषाध्यक्ष। श्रीमती ज्योनत िाईक संस्था की संस्थापक मनहलाओं में से एक जसवंती बेि पोपट की पुत्री हैं। पर उन्हें पद अपिी मां से नवरासत में िहीं नमला है। ज्योनत िाईक कहती हैं- ‘‘सदस्य हो या संर्ानलका- नलज्जत में शून्य से नशखर पर पहुंर्िे की पात्रता , नशक्षा, सम्पन्नता, पाररवाररक पृष्ठभूनम या नवरासत िहीं है। जो भी मनहला पापड़ बेल सकती है वह नलज्जत की प्रेनसडेंट (सीईओ) बि सकती है।’’ ज्योनत िाईक िे अपिी मां जसवंती बेि को सुबह र्ार बजे उठकर पापड़ बेलते देखा है। वे थोड़ी बड़ी हुईं तो मां के साथ पापड़ रोल करिे लगीं। सि् 1971 में 15 साल की उम्र में वे सोसायटी के दफ्तर में आिे-जािे लगी थीं। 23 साल की उम्र में ज्योनत िाईक नलज्जत की स्वतंत्र सदस्य बिीं। नववाहोपरांत भी उन्होंिे पापड़ बेलिा बंद िहीं दकया, बनल्क सोसायटी के संर्ालि में व्यस्त हुईं तो उिके पनत िे स्वैनच्छक सेवानिवृनत्त लेकर घर की जवाबदारी संभाल ली। ज्योनत िाईक दो पुत्र व एक पुत्री की मां हैं और कहती हैं दक मैं घर से बाहर होती हं तो मेरे पनत घर संभालते हैं। उिका सहयोग व समथाि मेरी सबसे बड़ी ताकत है। सािारण सदस्य हो या संर्ानलका नलज्जत में जवाबदारी के निवाहि में लापरवाही से बर्ाव के नलए कोई बहािा िहीं र्लता। कोई भी मनहला सदस्य पापड़ रोल करिे के साथ स्वेच्छा से कायाालयीि कामकाज की जवाबदारी भी संभाल सकती है। शता एक ही है- ईमािदारी से अपिे काम को अंजाम दो। तद्िुसार, ज्योनत िाईक िे सोसायटी के स्टोर, नवतरण नवभाग सनहत कई जवाबदाररयां संभाली हैं। उिके काम के मूल्यांकि के बाद ही सोसायटी की सािारण सभा िे सि्
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2000 में उन्हें श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ का प्रेनसडेंट मिोिीत दकया। ज्योनत िाईक कहती हैं - ‘‘श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ की संस्थापक सात मनहलाएं हैं। सोसायटी स्व. छगि बापा की ऋणी है जो जीविपयंत (सि् 1968 में नििि) हमारे पथ प्रदशाक बिे रहे।’’ श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ िे अपिे जन्म से आज तक नजि तीि सूत्रों को सवोपरर मािा है- वे हैं- संस्था के सारे अनिकारों की एकमात्र मानलक संस्था है। हर हाल में नलज्जत पापड़ की गुणवत्ता उत्कृ ष्ट बिी रहिी र्ानहए। नहसाब-दकताब रोज नलखा जािा र्ानहए तादक कोई भी सदस्य कभी भी देख सके ।’ श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ के शाखा कायाालय सुबह 6 से 10.30 बजे तक खुले रहते हैं। इस अवनि में सोसायटी की मनहला सदस्य पहले ददि नवतररत कच्चे माल से बिे पापड़ जमा करवाती हैं। उन्हें इसकी बिवाई (मेहितािा) तत्काल र्ुका दी जाती है। इसके साथ ही उन्हें उस ददि पापड़ बिािे के नलए लोया नवतररत दकया जाता है। ज्योनत िाईक के अिुसार छह घंटे घर पर पापड़ रोल करिे वाली मनहला दो से तीि हजार रुपए महीिा आसािी से कमा लेती है। नलज्जत के सालािा मुिाफे में उिकी नहस्सेदारी उिकी अनतररक्त आय है। नलज्जत का अपिा पापड़ पैककग नडवीजि है तथा नवतरक व सेल्समैि को नबिी के नलए सौंपता है। इस मामले में जरा-सी र्ूक हो जािे पर संर्ानलकाएं सोसायटी की मनहला सदस्यों को इस काम पर तैिात कर देती हैं। हम सोसायटी की मानलक हैं-इस भाविा के कारण हर मनहला हर जवाबदारी संभालिे को सदैव तत्पर रहती है। दूसरे शधदों में, श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ ऐसी स्वावलंबी संस्था है, नजसकी सदस्य ही उसकी मानलक है तो िौकर भी। नलज्जत पापड़ की सबसे बड़ी ताकत है- स्वाद व गुणवत्ता तथा ग्राहकों का पुख्ता नवश्वास। इसे सुनिनित करिे के नलए सोसायटी कच्चे माल (मसाला, आटा आदद) की सेंट्रल परर्ेहसग (एकमुश्त एक साथ) करती है। श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ की 50 साल पहले मुंबई में मनहलाओं द्वारा पापड़ बिािे व बेर्िे के नलए स्थापिा हुई थी। पर अब यह ब्ांड कश्मीर से कन्याकु मारी तक मशहर है। सोसायटी देश के नवनभन्न माके ट की मांग के अिुसार र्पाती, खारी, काकरी, र्ाय मसाला, के ला नर्प्स ही िहीं नडटरजेंट भी बिािे लगी है। यही िहीं, सोसायटी के 30 से 35 फीसदी उत्पाद अमेररका, इं ग्लैंड, हसगापुर, हांगकांग, जापाि, मध्यपूवा के देशों सनहत कई देशों को नियाात होिे लगे हैं। प्रेरणास्पद यह है दक श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ कभी भी लक्ष्य से िहीं भटकी है। यह लक्ष्य है- संस्था र्ाहे ‘नमलेनियर’ िहीं हो, इससे जुड़ी हर मनहला की आय बढऩा र्ानहए। गांिीवादी ट्रस्टीनशप के नसिांत पर र्लते हुए श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ िे 40 हजार से ज्यादा पररवारों का जीविस्तर सुिारा है। सोसायटी की एक सदस्य कमलाबेि कहती हैं दक 30 साल पहले मेरे पनत 80 रुपए कमाते थे। मैं नलज्जत से जुड़ी तो इतिा कमािे लगी दक हमिे अच्छी हजदगी जी है। दफल्म-मेकर प्रसूि पांडे इकॉनमक्स टाइम्स के कारपोरे ट अवाडा समारोह को याद करते हुए कहते हैं- ‘‘सि् 2001-02 में जब ज्योनत िाईक को ‘नबजिेस वुमेि ऑफ द ईयर’ अवाडा से िवाजा गया तो वे नलज्जत से जुड़ी कई मनहलाओं के साथ अवाडा लेिे मंर् पर पहुंर्ीं। उिके सम्माि में देश के कॉरपोरे ट जगत की बड़ी-बड़ी हनस्तयों िे खड़े होकर ताली बजािा शुरू की तो मेरी इच्छा हुई दक मैं नर्ल्ला पड़ूं, खुशी से रोिे लगूं।’’
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ऐसा ही एक और प्रसंग है। जसवंतबेि पोपट िे बीबीसी के अवाडा समारोह में भावुक होकर कहा था- ‘‘नलज्जत की प्रगनत से मैं खुश हं, पर मुझे ज्यादा खुशी तब होती जब आज नलज्जत की मेरी अन्य संस्थापक सहेनलयां भी यहां उपनस्थत होतीं।’’ 1998 से 2001 तक भारत सरकार िे श्री मनहला गृह उद्योग नलज्जत पापड़ को उत्कृ ष्ट ग्रामीण उद्योग अवाडा से िवाजा है। सि् 1959 में 6,196 रुपए का सालािा कारोबार इि मनहलाओं िे दकया था। यह टिाओवर 500 करोड़ रुपए Page | 82 से ज्यादा हो गया है। इि सबसे महत्वपूणा बात यह है दक नलज्जत की यह यात्रा सात मनहलाओं से शुरू हुई थी, जो आज 40 हजार से ज्यादा हो गई है। अब आप ही तय करें दक भारतीय मनहलाओं की उद्यमशीलता का संपण ू ा प्रनतनिनित्व कौि करता है- नलज्जत की ये हजारों मनहलाएं जो सािारण पररवार की सदस्य हैं, अनशनक्षत है, यािी निरीह और िादाि हैं अथवा कोई दकरण मजूमदार शॉ या इं द्रा िूयी, नजन्हें बर्पि में ऐसा पररवार नमला नजन्होंिे उन्हें नशनक्षत दकया और बाद में ऐसा माहौल नमला दक वे नशखर पर पहुंर् गईं।
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शहिाज हुसैि इंनडयि हबाल क्वीि मुनस्लम मनहलाएं नशक्षा-दीक्षा से वंनर्त रखी गई हैं, पर नजि प्रगनतशील मां-नपता िे अपिी बेरटयों को प्रोत्सानहत दकया, उन्होंिे सािारण नशक्षा के बावजूद सानबत दकया है दक मुनस्लम युवनतयां भी लीक से हटकर कारोबार करके आत्मसम्माि के साथ स्वावलंबी जीवि जी सकती है यािी िार्तमक परं पराएं भी प्रनतभा को उड़ाि भरिे से रोक िहीं सकती। शता है आप में हो आगे बढऩे का जज्बा, जोश और जुिूि। संयोग से नजि मुनस्लम युवनतयों को प्रगनतशील मां-नपता नमले हैं, उन्होंिे तो नशखर छु आ है। नशक्षा :स्कू ली नशक्षा के अलावा अंतरराष्ट्रीय धयूटी के अर प्रनशक्षण कें द्रों से प्रमाण-पत्र।/संप्रनत : र्ेयरमैि, शहिाज हुसैि ग्रुप/ कई अंतरराष्ट्रीय अवॉड्र्स जैसे world’s ग्रेटेस्ट वुमेि इंटरनप्रन्योर, उद्योग ज्योनत अवॉडा, राजीव गांिी अवॉडा, लता मंगेशकर अवॉडा, गोल्डि नपकॉक नबजिेस वुमेि अवॉडा, नप्रयदशािी अवॉडा फॉर इंटरनप्रन्योर, ग्लोबल नबजिेस वुमि नमलेनियर अवॉडा
शहिाज हुसैि : इं नडयि हबाल क्वीि तुम भारत में जन्मी हो, यहीं तुम्हें दफि होिा है। यदद तुम्हें अपिे मां-बाप से प्यार है तो नवदेशी िागररकता मत लेिा।’ नपता िे पुत्री को यह नर्ट्ठी तब भेजी थी, जब उन्हें पता र्ला दक बेटी ईराि की िागररकता लेिे जा रही है। बेटी को नपता Page | 84 की नर्ट्ठी िे ऐसा झकझोरा दक उसिे घर का सारा सामाि औिे-पौिे में बेर्ा। ईराि की मुद्रा तब किवर्टटबल िहीं थी। दूसरे देश में इसका कोई मूल्य िहीं था। बेटी िे फ्रेंर् फिीर्र व ईरािी कालीि खरीदे। स्वदेश लौटकर िई ददल्ली नस्थत ग्रेटर कै लाश में एक बेडरूम के मकाि के बरांडे को ईरािी कालीि व फिीर्र से सजाकर यहां िेर्र ट्रीटमेंट धयूटी के अर सैलूि खोला, नजसे देखकर मीनडया िे नलखा था-अद्भुत। भारत में पेररस की झलक...! जी हां, यह शहिाज हुसैि का भारत में पहला िेर्र के अर सैलूि था। शहिाज हुसैि आज हबाल के अर क्वीि के िाम से सारी दुनिया में मशहर हैं, नजन्होंिे इं ददरा गांिी और हप्रसेस डायिा का लुक संवारा है और नजन्हें बॉलीवुड दफल्म निमााता कं पिी First Lite Entertainment िे अपिी 10 करोड़ डॉलर की दफल्म ‘ताजमहल-एक लवस्टोरी’ में िूरजहां बेगम का रोल ऑफर दकया। उिकी व्यस्तता देखकर कं पिी िे यह भी कहा दक उिके सारे दृश्यों के सेट ददल्ली में लगाए जाएंगे यािी यहीं शूरटग होगी। शहिाज हुसैि िे एक करोड़ डॉलर की पेशकश यह कहकर ठु करा दी दक वे जो कर रही हैं , उससे बहुत खुश हैं और अपिा ध्याि भंग करिा िहीं र्ाहतीं। इतिी ही ददलर्स्प दम्पनत की संताि हैं- 5 िवंबर, 1941 को हैदराबाद में जन्मी- शहिाज हुसैि। वकील पररवार के उिके नपता स्व. एि.यू. बेग िे कै नम्ब्ज में नशक्षा प्राप्त की थी। वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायािीश रहे। शहिाज के र्ार्ा एर्.यू. बेग भारतीय सुप्रीम कोटा के मुख्य न्यायािीश रहे। उिकी मां हैदराबाद के िवाब (निजाम) की वंशज थीं और मुनस्लम परं पराओं की कट्टर पक्षिर। शहिाज हुसैि के दादाजी मीर यार जंग हैदराबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायािीश और िागपुर के गविार रहे। िािाजी फौज में जिरल थे। उन्होंिे हैदराबाद में प्रनतनियुक्त भारतीय फौज का भी िेतृत्व संभाला। शहिाज के नपता िे पुत्री को बाल्यकाल में ही ऐसे संस्कार ददए दक वे रॉयल व सेनलब्ेटी फै नमली के ग्लैमर में ि फं सें और खुद को एक सरकारी अनिकारी की बेटी मािें। वे बताती हैं दक नपता शेव करते समय मुझे कीट्स व शेक्सनपयर की कनवताएं याद करवाते, सुिते और खुद कनवता नलखिे को कहते। बर्पि में उिके नलए यह सब पहेली थी। जब अंतरराष्ट्रीय धयूटी कॉन्फ्रेंस और प्रेस कॉन्फ्रेंसेस पहुंर्ीं तो उन्हें आभास हुआ दक नपता से उन्होंिे क्या सीखा है। शहिाज हुसैि के मां-नपता को हैदराबाद और लखिऊ में रहिा पड़ता था, अत: उन्होंिे बेटी और बेटे को लखिऊ के लॉमार्टटनियरे बोर्मडग स्कू ल में दानखला ददलवा ददया। हालांदक शहिाज की मां का सोर्िा था दक लड़दकयों को नववाह पूवा लडक़ों से िहीं नमलिा र्ानहए, दोस्ती िहीं करिी र्ानहए। शहिाज की जब उम्र थी 10 वषा, तब उिके नपता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायािीश बिे और पररवार इलाहाबाद नशफ्ट हुआ। शहिाज को यहााँ उन्होंिे कॉन्वेंट स्कू ल में दानखला ददलवाया। मां बेटी को परदे लगी कार से स्कू ल भेजतीं। दुनिया देखिे की ललक में स्कू ल आते -जाते शहिाज परदे से ताक-झांक करतीं। एक मुनस्लम युवक िे एक ददि ऐसी ही ताक-झांक करते हुए शहिाज को देखा तो उन्हें लगा दक यही उिकी ‘िंीम गला’ है। उन्होंिे शहिाज के पररवार का पता लगाया और वानलद से बोले- मैं शहिाज से नववाह करिा र्ाहता हं। मुनस्लम परं परा अिुसार वर पक्ष विू पररवार में नववाह का प्रस्ताव भेजता है। यही हुआ। शहिाज हुसैि के नपता र्ाहते थे दक नववाह के पहले बेटी खूब पढे और अपिे पैरों पर खड़ी हो। शहिाज तब आठवीं कक्षा में पढ रही थीं।
वर पररवार िे इसके जवाब में कहा- शहिाज को नववाह के बाद भी पढिे ददया जाएगा। शहिाज की मां िे पनत से कहायह नववाह होिे दें। मुझे पता है दक यह नववाह िहीं हुआ तो आप बेटी को पढऩे के नलए नवदेश भेज देंगे और वह कभी देश िहीं लौटेगी। वे यह भी जािती थीं दक उिके पनत दीि-ए-इलाही* मत के प्रगनतशील शख्स हैं। वे मुनस्लम परं पराओं की अवहेलिा करिे से भी परहेज िहीं करें गे। शहिाज हुसैि की मां िे नपता को नववश कर ददया। 14 वषा की उम्र में शहिाज की सगाई हुई और 15 वषा की उम्र (तब लड़दकयों के नववाह की न्यूितम वैिानिक उम्र) में नववाह हो गया। 16 वषा की उम्र में शहिाज हुसैि एक पुत्री निलोफर की मां बि गई, नजसे वे एक रोमांर्क अिुभव मािती हैं और कहती हैं दक अपिी बेटी के साथ मैं भी ‘ग्रो’ हुईं। एक सहेली की तरह। हमें कभी अहसास ही िहीं हुआ दक हम मां-बेटी हैं। निलोफर के जन्म के 16 साल बाद शहिाज बेटे समीर की मां बिीं। नववाह के बाद शहिाज हुसैि के पनत मध्य-पूवा देशों के डायरे क्टर (फॉरे ि ट्रेड) बिा ददए गए और पररवार तेहराि नशफ्ट हो गया। वहां शहिाज हुसैि को नपता की र्ाह पूरा करिे का मौका नमला। वे कहती हैं दक पढाई अिूरी छोडक़र मेरा नववाह करवािे की नववशता से मेरे नपता ग्लानि महसूस करते थे। वे र्ाहते थे दक मैं दकसी अंतरराष्ट्रीय अदालत की न्यायािीश बिूं। ऐसा िहीं हुआ। नववाह के बाद उन्होंिे कहा था दक पढाई करिा और अपिे पैरों खड़े होिा, तादक कभी हाथ िहीं फै लािा पड़े। नववाह के एक साल बाद ही मां बििे के साथ मेरे नलए लॉ या मेनडको कॉलेज के दरवाजे बंद हो गए थे। मैं तो ग्रेजुएट भी िहीं थी। मैंिे तय दकया दक मैं धयूटी के अर का प्रनशक्षण लेकर पैरामेनडकल क्षेत्र में काया करूंगी। तेहराि में यह मौका नमला। वे पुत्री के साथ लंदि आईं, वहां भारतीय उच्चायुक्त उिके नपता के नमत्र थे। उिके घर में रहकर शहिाज हुसैि िे धयूटी के अर प्रनशक्षण प्राप्त दकया। शहिाज के पनत र्ार साल तेहराि में रहे। इस दौराि उन्होंिे लंदि, जमािी व पेररस के जािे-मािे धयूटी के अर प्रनशक्षण कें द्रों में कॉस्मेटोलॉजी व कॉस्मेरटक के नमस्ट्री पढी। यह प्रनशक्षण प्राप्त करते हुए शहिाज हुसैि िे जािा दक हसथेरटक कॉस्मेरटक्स िुकसािदेह है। बर्पि में उन्होंिे अपिे दादाजी की हबाल्स में रुनर् देखी थी। इि दोिों अिुभवों से वे इस निष्कषा पर पहुंर्ीं दक जड़ी-बूरटयां हमारी िेर्ुरल के अर करती हैं। भारत की पुराति आयुवेददक नर्दकत्सा नविा सबके नलए अत्यंत फायदेमंद है। उन्होंिे पेररस, न्यूयॉका और लंदि में कई इं टरिेशिल धयूटी कॉन्फ्रेंसेस में भी नहस्सा नलया और वहां हबाल धयूटी के अर प्रोडक्ट्स को मान्यता व प्रमोशि के नलए इं टरिेशिल हसथेरटक्स कॉस्मेरटक कं पनियों से जूझीं। शहिाज हुसैि के अिुसार खूबसूरती संवारिे में कॉस्मेरटक्स 20 प्रनतशत मदद करते हैं तो 70-80 प्रनतशत हमारी दफटिेस (इं टरिल स्ट्रेंथ)। खूबसूरत र्ेहरे िहीं, बनल्क खूबसूरत ब्ेि सही मायिे में हमें खूबसूरत बिाता है। वे इसे धयूटी पावर कहती हैं। यह धयूटी पावर ही वह सम्मोहि है, नजससे शहिाज हुसैि दूसरों से अपिी बात मिवा लेती हैं। िाक का कांटा और घिे बाल उिके सम्मोहि को और भी लुभाविा बिा देते हैं। शहिाज के इस धयूटी पावर को दुनिया से पहले उिके पनत िे समझा था। नववाह के तुरंत बाद वे समझ गए थे दक शहिाज दृढ इच्छाशनक्त की ििी हैं। वे जो करिा र्ाहती हैं, वह करिे का मौका िहीं ददया गया तो बागी भी हो सकती हैं। शहिाज कहती हैं दक मैं भाग्यशाली हं दक मेरे पनत मेरे काम में कभी बािा िहीं बिे, बनल्क उन्होंिे मुझे प्रोत्सानहत दकया। तेहराि में शहिाज हुसैि िे एक धयूटी सैलूि खोला। वे फै शि मैगजीन्स में भी नियनमत रूप से नलखिे लगीं। वे कहती हैं दक इसके पीछे मेरी तब मंशा थी दक नवदेश में महंगे प्रनशक्षण कोसेस का खर्ा खुद जुटाऊं। उि ददिों नवदेश में पढाई के
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नलए भारत सरकार से मात्र 50 डॉलर नमलते थे। तेहराि में शहिाज हुसैि िे ईराि रट्रधयूि के नलए खूब नलखा ही िहीं, पनत्रका को ही खरीद नलया। यह उिके नलए फायदे का सौदा सानबत हुआ। पनत्रका से उन्होंिे उि ददिों अच्छा पैसा कमाया। दफर परीक्षा की घड़ी आई, एक बड़े प्रलोभि के साथ। शहिाज हुसैि के पनत को ईराि ऑयल के सीईओ बििे का प्रस्ताव Page | 86 नमला। पनत के नलए यह िंीम जॉब था तो वे भी अच्छा पैसा कमा रही थीं। उन्हें ईराि की िागररकता भी नमल रही थी। शहिाज हुसैि िे अपिे नपता को हमेशा की तरह यह बात नलखी तो जो जवाब नमला, वह झकझोरिे वाला था। नपता िे पुत्री को नलखा- हम लॉयल (देशभक्त) लोग हैं, पलायिवादी िहीं। यदद तुम्हारे शरीर में मेरा रक्त है तो तुम जहां जन्मी हो, उसे ही अपिी कमाभूनम बिाओ। यही हुआ। शहिाज हुसैि स्वदेश लौट आईं। ग्रेटर कै लाश, िई ददल्ली में उन्होंिे पहला िेर्ुरल के अर सैलि ू खोला और इसके साथ उिका लक्ष्य हो गया 5000 साल पुरािी आयुवेददक खोजों और जड़ी-बूरटयों से ऐसे हबाल कॉस्मेरटक्स और हेल्थ प्रोडक्ट्स बिािा और लोकनप्रय बिािा, जो लोगों को हसथेरटक उत्पादों के दुष्प्रभावों से बर्ाए। इसके साथ वे सारी दुनिया में इं नडयि हबाल्स की ब्ांड एम्बेसेडर बि गईं। शहिाज हुसैि स्वदेश लौटी थीं तो उन्होंिे अपिे नपता को न्यूयॉका , पेररस व लंदि नस्थत नवश्वप्रनसि धयूटी के अर प्रनशक्षण कें द्रों से प्राप्त प्रमाण-पत्र ददखाते हुए कहा था- नगिीज ररकॉडा के लोग यह पता लगा रहे हैं दक क्या दुनिया में मेरी उम्र की इतिी उच्चस्तरीय धयूटी के अर प्रनशक्षण प्राप्त दूसरी मनहला है? यह प्रसंग याद करते हुए वे कहती हैं- नपता को प्रमाण-पत्र ददखािे के पीछे मेरी मंशा यह थी दक उन्हें ग्लानि से मुक्त करूं दक उिकी बेटी का छोटी उम्र में नववाह होिे से वह उच्च नशक्षा िहीं प्राप्त कर पाई और आत्मनिभार िहीं बि पाई। नपता िे पुत्री की पीठ थपथपाई पर इसके साथ ही जीिे का मकसद नसखाते हुए कहा- यदद के वल अपिे फायदे के नलए काम करोगी तो खुशी िहीं नमलेगी। अल्लाह िे हमें यहां इसनलए भेजा है दक हम यहां अपिे अनस्तत्व को सानबत करें । हम इस दुनिया में थोड़े समय ही रहेंगे। यह हमारा घर िहीं, एक पड़ाव है। लोग यहां रहिे के तो सारे तामझाम जुटा लेते हैं, पर अपिे स्थायी घर के नलए कु छ िहीं करते। अपिे ज्ञाि, अपिे िि से लोगों को लाभानन्वत करिा उस घर की सजावट है। शहिाज हुसैि को नपता के इस दूसरे सबक िे दफर झकझोरा। उन्होंिे मूक-बनिरों का ऐसा स्कू ल खोला जो उन्हें स्वावलंबी बिाए। दस साल बाद तत्कालीि राष्ट्रपनत जैलहसह इस स्कू ल में आए और शहिाज से बोले- तुम्हारे जैसा छोटा उद्यमी परोपकार के ऐसे काम कर रहा है जो दूसरों के नलए प्रेरणा बिे। शहिाज का इस शाबाशी िे हौसला बढाया, पर उन्हें रं ज है दक मूक-बनिर स्कू ल के नवनिवत् शुभारं भ के पहले उिके नपता दुनिया को अलनवदा कह गए थे। आज यह स्कू ल मूक-बनिरों के साथ िेत्रहीि बच्चों के जीवि को भी रौशि कर रहा है। हसथेरटक कॉस्मेरटक खूबसूरती बढाते िहीं, नबगाड़ते हैं और हबाल धयूटी के अर खूबसूरती नबगडऩे से बर्ाते हैं और संवारते हैं, यह भरोसा हो जािे पर शहिाज हुसैि िे भारतीय हबाल पर हुई पुराति खोजों का अध्ययि दकया और िेर्र के अर फॉमूालश े ंस व सॉल्युशंस नवकनसत करिा शुरू दकया। नवदेशों में प्राप्त कॉस्मेटोलॉजी व कॉस्मेरटक के नमस्ट्री के ज्ञाि से पुराति हबाल्स को रे डी टू यूज फॉमूालेशंस में नवकनसत करिे में भी शहिाज हुसैि को तब खूब मशक्कत करिी पड़ी। इस आर एंड डी में सफलता नमली तो के अर प्रोडक्ट्स लोगों तक पहुंर्ािे ही िहीं, उिका सही तरीके से उपयोग करिे के नलए शहिाज हुसैि िे एक िेटवका बिािा शुरू दकया। सि् 1970 में उन्होंिे पहला िेर्र के अर सैलि ू स्थानपत दकया था। इसका
नवस्तार अके ले अपिी बेटी निलोफर के साथ संभव िहीं था, इसनलए फ्रेंर्ाइजी नसस्टम अपिाया गया। शहिाज हुसैि िे इं नडयि हबाल िेर्र के अर प्रोडक्ट्स को प्रमोट करिे के नलए भी भारी मेहित ही िहीं, साहस का पररर्य ददया है। उिका मुकाबला ग्लोबल हसथेरटक कॉस्मेरटक्स निमााताओं से था, जो भारी ििरानश उत्पादों की पैकेहजग और प्रर्ार-प्रसार पर खर्ा करते हैं। शहिाज हुसैि की दृढ इच्छाशनक्त का कड़ा परीक्षण हुआ। वे अपिे खर्े से नवदेशों में आयोनजत धयूटी Page | 87 कॉन्फ्रेंस में पहुंर्तीं। वहां कड़े शधदों में हसथेरटक उत्पादों के दुष्प्रभाव की प्रमानणत जािकारी लोगों को बतातीं और समझातीं दक हबाल उत्पाद इिके नवपरीत प्रोटेनक्टव, नप्रवेंरटव और करे नक्टव हैं। ये आंतररक सुंदरता बर्ाते व बढाते हैं। सही मायिे में खूबसूरत बिाते हैं। उम्र बढऩे के दुष्प्रभाव से बर्ाते हैं। इस अनभयाि िे शहिाज हुसैि को साहसी बिा ददया। हबाल कॉस्मेरटक्स व हेल्थ के अर उत्पादों को मान्यता नमलिे लगी तो और आर एंड डी करिे का हौसला बढा। निलोफर की मदद से शहिाज हुसैि िे फ्रेंर्ाइजी िेर्र के अर नक्लनिक की शृंखला बढाई। पररणाम... शहिाज हुसैि ग्रुप आज िेर्रु ल धयूटी और एंटी एहजग उपर्ार का ग्लोबल समूह है। समूह आयुवेददक के अर और क्योर के करीब 400 फॉमूालेशंस व सॉल्युशंस बिा रहा है। इिमें से 80 नस्कि व बॉडी के अर हैं तो शेष आयुवेददक फॉमूल ा ेशंस। शहिाज हुसैि औषनियां, हेल्थ के अर, हेल्थ हिंक, हबाल टी के अलावा पुरुषों के नलए भी एक्सक्लूनसव धयूटी व हेल्थ प्रोडक्ट्स बिा रही हैं। िैसर्तगक गुणवत्ता का कच्चा माल प्राप्त करिे के नलए समूह हबाल खेती भी करता है। समूह के िेर्र के अर सैलूि की फ्रेंर्ाइजी संख्या भी 400 से ज्यादा हो गई है, जो दुनिया के 138 देशों में लोगों की आंतररक धयूटी को बर्ाते हुए बाह्य लुक संवार रहे हैं, उम्र के बढते प्रभाव से बर्ा रहे हैं और उन्हें र्ुस्त-दुरुस्त रख रहे हैं। ट्रेंड धयूटीनशयि की पयााप्त उपलनधि के नलए ग्रूप धयूटी के अर ट्रेहिग इं नस्टट्यूट का भी संर्ालि कर रहा है। सारी दुनिया के धयूटी माके ट में हबाल िांनत की जिक शहिाज हुसैि कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय अवाड्र्स से िवाजी गई हैं, नजिमें उल्लेखिीय है- Worlds ग्रेटेस्ट वुमि इं टरनप्रन्योर अवाडा (सक्सेस मैगजीि, यूएसए), उद्योग ज्योनत अवाडा (1992), राजीव गांिी अवाडा (1995), लता मंगेशकर अवाडा (2000), गोल्डि नपकाक नबजिेस वुमेि अवाडा, नप्रयदर्तशिी अवाडा फॉर वुमेि इं टरनप्रन्योर नमलेनियम (2000), आउटस्टैंहडग इं टरिेशिल पसािानलटी अवाडा, ग्लोबल क्वानलटी मैिेजमेंट अवाडा, आउटस्टैंहडग वुमेि इं टरनप्रन्योर (यूके 2003), ग्लोबल इं नडयि वुमेि नमलेनियम अवाडा (यूएसए)। शहिाज हुसैि के अिुसार इि सबसे ज्यादा महत्वपूणा है- िेर्र के अर उत्पादों के प्रमोशि का अनभयाि जो जिनहतैषी व्यापार बिकर मेरे रक्त के कण-कण में समा गया है। शहिाज हुसैि की बेटी निलोफर व ग्रांड सि शरीक उिके ऐसे कारोबारी सहयोगी हैं, नजि पर उन्हें भरोसा है दक वे उिके इस अनभयाि को थमिे िहीं देंगे। सेवानिवृनत्त के बारे में पूछिे पर शहिाज हुसैि कहती हैं- ‘जल्दी क्या है! जब तक दम है, तब तक हम हैं।’
अध्याय 13
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ररतु िंदा ब्ांडड े बीमा एजेंट नवलक्षण प्रनतभा के ििी राजकपूर अपिी दफल्मों में नजतिे प्रगनतशील थे, अपिे पाररवाररक जीवि में उतिे ही परं परा प्रेमी। उि जीविकाल में कपूर पररवार की बेरटयों को दफल्मी दुनिया में इंट्री िहीं नमली। अपिी इकलौती बेटी ररतु का उन्होंिे नववाह दकया तो इसके पहले उन्हें कू ककग व के टररग इंनस्टट्यूट में दानखला ददलवाया। ररतु सुघड़ गृनहणी व ममतामयी मां बिी तो वे दकसी भी नसिे स्टार की पहली पुत्री हैं, नजन्होंिे खुद ि के वल अपिा कारोबार स्थानपत दकया, बनल्क अपिे कारोबार में नवश्व कीर्ततमाि बिाया और बि गई जीवि बीमा ब्ांड एंबेसडर। नशक्षा : कॉलेज िंापर/ संप्रनत :संस्थापक-र्ेयरमैि इस्कोलाइफ/ उपलनधि : एक ही ददि में सवाानिक बीमा पानलसी बेर्िे के नलए नगिीज वल्र्ड ररकाडा में शानमल। भारतीय जीवि बीमा निगम द्वारा बेस्ट इंश्योरें स एजेंट नडके ड ररकॉडा से सम्मानित और भारतीय जीवि बीमा निगम की ब्ांड एंबेसेडर। 75 हजार से ज्यादा बीमा एजेंट्स ब्ोकसा को ट्रेहिग।
ररतु िंदा : ब्ांडड े बीमा एजेंट सुप्रनसि कॉरपोरे ट इनतहासकार डॉ. गीता पीरामल िे कहा हैIt is tough being a son of Tata, Birla & Ambani. इस कथि का आशय है सफलतम नपता की संताि होिा एक र्ुिौती है। सफलतम नपता यदद celebreties भी हो तो यह र्ुिौती और बड़ी हो जाती है यािी राजकपूर जैसी हस्ती हो तो.. और संताि भी पुत्र िहीं, पुत्री हो तो..। शायद यही कारण है दक राजकपूर अपिे स्टार पुत्र, पौत्र, पौनत्रयों से तो पहर्ािे जाते हैं, पर बहुत कम लोगों को पता है दक उिकी एक पुत्री ररतु िंदा (एस्कॉटा ग्रुप के र्ेयरमैि राजि िंदा की पत्नी) िे अपिे भाइयों से ज्यादा शालीि व शािदार जीवि ही िहीं जीया, बनल्क वह उपलनधि जुटाई है, जो देश के दकसी अन्य स्टार नपता की कोई संताि िहीं जुटा पाई है। एक ही ददि में 17 हजार बीमा पानलनसयां बेर्िे के नलए नगिीज ररकॉडसा में शानमल की गई है ररतु िंदा। भारतीय जीवि बीमा निगम िे उन्हें बेस्ट इं श्योरें स एजेंट नडके ड ररकॉडा से िवाजा है और अपिा ब्ांड एंबेसेडर बिाया है। ररतु िंदा एस्कोलाइफ की संस्थापक-र्ेयरमैि भी है। यह ऐसी कं पिी है, जो बीमा सेक्टर में सदिय है। उिके द्वारा स्थानपत आरएिआईएस कॉलेज ऑफ इं श्योरें स एंड मैिेजमेंट िे 75 हजार से ज्यादा लोगों को बीमा एजेंट व ब्ोकर बििे की ट्रेहिग दी है। ररतु िंदा द्वारा स्थानपत ररमारी कॉरपोरे ट आटा सर्तवस ऐसी फमा है जो आर्दकटेक्ट्स, इं टीररयर नडजाइिसा, होटल्स व कॉरपोरे ट्स को एक्सक्लूनसव सेवाएं प्रदाि करती है। ददलर्स्प बात यह है दक ररतु िंदा नजि क्षेत्रों में सदिय हैं, उिका ककहरा भी िा तो िंदा पररवार जािता है और िा ही कपूर पररवार। इससे भी ज्यादा ददलर्स्प बात तो यह है दक ररतु िंदा इि सबसे पहले दो वयस्क संतािों (निनखल व िताशा) की ममतामयी मां और िंदा पररवार की सुघड़ गृनहणी हैं और कहती हैं दक यह संस्कार उन्हें अपिी मां कृ ष्णा कपूर से नमले हैं। 30 अक्टू बर 1948 को जन्मी ररतु िे वालहसगम हाईस्कू ल में स्कू ली नशक्षा प्राप्त की, पर वे कहती हैं दक कपूर पररवार में बच्चों की पढाई को औपर्ाररकता मािा जाता था। पापा सबसे ज्यादा मुझे र्ाहते थे, पर वे दफल्मी दुनिया में इतिे व्यस्त रहते थे दक हम सो जाते तब घर लौटते थे। वे उठते इसके पहले हम स्कू ल र्ले जाते थे। मुझे याद है दक मैंिे अपिी बथा -डे नगफ्ट उिसे नर्ट्ठी नलखकर मांगी थी। एक ददि उिके तदकए के िीर्े मैंिे एक नर्ट छोड़ दी थी दक मुझे बथा-डे पर प्यािो र्ानहए। दूसरे ददि सुबह मेरे बेड के पास एक खूबसूरत प्यािो रखा था। नजसे पापा िे दोस्त.. दोस्त िा रहा.. गीत के दृश्य में बजाया था। ररतु की बाल्यकालीि यादों में शानमल है पहली और आनखरी बार बड़े परदे पर अपिी इं ट्री। श्री 420 के लोकनप्रय गीत प्यार हुआ इकरार हुआ.. के एक दृश्य में ररतु, रणिीर व ऋनष को भी शूट दकया गया था। तीिों बच्चे रे िकोट पहिकर सड़क िॉस करते हुए ददखाए गए थे। ररतु कहती हैं दक शूरटग के ददि हम स्कू ल िहीं गए थे और इिाम में हमें नमले थे- रे िकोट्स।
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ररतु को स्कू ली पढाई के बाद सेंट जेनवयर कॉलेज में दानखला ददलवाया गया, पर वे ग्रेजुएशि नडग्री िहीं ले पाई। ररतु पढाई में होनशयार थी, पर वे जब ग्रेजुएशि कोसा के अंनतम वषा की परीक्षा की तैयारी कर रही थी, तब उिका राजि िंदा से ररश्ता तय हो गया। ग्लैमर उद्योग में सबसे अव्वल होिे के बावजूद कपूर पररवार खासकर राजकपूर का सोर् था दक पररवार की लड़दकयों को सुघड़ गृनहणी बििा र्ानहए, नसिेस्टार िहीं। सगाई के बाद नपता िे पुत्री को सेंट जेनवयर कॉलेज से निकालकर द इं नस्टट्यूट ऑफ कै टररग टेक्नोलॉजी एंड एप्लाइड न्यूट्रीशि में दानखला ददलवा ददया। वे र्ाहते थे दक ररतु कू ककग में एक्सपटा हो और अपिे बच्चों का सलीके से लालि-पालि करे । नपता िहीं जािते थे दक वे स्वप्नदशी अद्भुत कलाकार हैं तो उिकी पुत्री ररतु में प्रोफे शिल बििे की क्षमता छु पी हुई है, नजसे एक हर्गारी की प्रतीक्षा है और अिजािे में एक उद्यमी पररवार में धयाह करके उन्होंिे इस छु पी संभाविा को उजागर होिे का मौका दे ददया है। यही हुआ। नववाह के बाद ररतु िे िंदा पररवार का दकर्ि संभाल नलया। एक ददि एलपीजी टंकी खत्म हो गई तो राजि िंदा िे हंसते हुए कहा दक ऐसा स्टोव होिा र्ानहए, जो गैस और नबजली दोिों से जलाया जा सके । ररतु िंदा िे 5000 रुपए निवेश करके इलेक्ट्रो-गैस र्ूल्हा बिवाया और हररयाणा में इसके वानणनज्यक उत्पादि के नलए एक संयंत्र स्थानपत दकया। इसके साथ जन्मी एक कं पिी निकीताशा (पुत्र निनखल व िताशा के िाम का योग)। यह कं पिी बहुत जल्दी इलेक्ट्रो गैस बिार के साथ दूसरे घरे लू उपकरण भी बिािे लगी। कं पिी का टिाओवर तेजी से बढा पर द्रुत गनत और हररयाणा सरकार के भारी करारोपण िे कं पिी को नमस मैिेजमेंट का नशकार बिा ददया। ररतु िंदा को अपिा उपिम राजि िंदा को सौंपिा पड़ा। एक साक्षात्कार में उन्होंिे कहा है दक मैंिे जीवि में पहली बार अफसरशाही का तौर-तरीका िजदीक से देखा और यह सीखा दक नबिा योजिा बिाए तेजी से दौडऩा िहीं र्ानहए। इस पहली प्रोफे शिल असफलता से मैंिे यह भी सीखा दक अकारण कु छ िही होता। दुर्ददि व दुघाटिा भी एक सबक है और जो हम सीखते हैं, उसे भूले िहीं तो हमारा अगला कदम मजबूत होता है और हमें नशखर पर पहुंर्ा देता है। हताशा व निराशा के दौर में एक मनहला नमत्र िे उन्हें सुझाया दक वे भारतीय जीवि बीमा निगम की एजेंसी क्यों िहीं ले लेती? िंदा पररवार की बह और राजकपूर की बेटी एजेंट बिे यह सोर् भी हास्यास्पद था। उि ददिों तो जो लोग कु छ िहीं कर पाते थे या जो अनतररक्त पैसा कमािा र्ाहते थे, वे ही पाटा टाइम बीमा पानलनसयां बेर्ते थे। ररतु िंदा िे इसे ही र्ुिौती मािा और तय दकया दक वे इस व्यवसाय को सम्मािजिक रोजगार बिाएगी। ररतु िंदा बीमा एजेंट बिी। निकीताशा के अिुभव का दोहि करते हुए उन्होंिे Corporate world में बीमा पानलनसयां बेर्िा शुरू की। देखते-देखते वे भारतीय जीवि बीमा निगम की स्टार एजेंट बि गई। भारतीय जीवि बीमा निगम िे उन्हें Brand Ambassador और Best Insurance Advisor of the Decade से िवाजा। वे Top the Table और 14 साल नमनलयि डॉलर राउं ड टेबलज् एसोनसएशि की मेंबर र्ुिी गईं। एक ही ददि में उन्होंिे 17 हजार पेंशि पानलसी बेर्ी तो उिका िाम नगिीज ररकॉडा में शानमल दकया गया। इसके अलावा ररतु िंदा िे एक कं पिी स्थानपत की इस्कोलाइफ नजसकी वे आज सीईओ हैं। उन्होंिे आरएिआईएस कॉलेज ऑफ इं श्योरें स एंड मैिेजमेंट की भी स्थापिा की, नजसिे 75 हजार लोगों को बीमा कारोबार करिे की ट्रेहिग दी है। ददलर्स्प बात यह है दक ररतु िंदा ग्रेजुएट ि होिे से अपिा ही इं नस्टट्यूट ज्वाइि िहीं कर पाई। उन्होंिे आरएिआईएस व इरडा द्वारा प्रमानणत सर्टटफाइड फाइिेंनशयल प्लािर कोसा अटेंड दकया और इस्कोलाइफ का इं श्योरें स पोटाल बिवाया, जो बीमा सेवाओं के नलए मशहर है। इसे दुनिया के र्ार सवाश्रष्ठ े इं श्योरें स पोटाल का दजाा भी नमला हुआ है।
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ररतु िंदा की एक और एक्सक्लूनसव फमा है ररयारी कॉरपोरे ट आटा सर्तवस। एक स्वप्नदशी कलाकार की पुत्री होिे से वे जािती हैं दक दिएरटव व्यनक्त की अपिी कृ नत बेर्िे के नलए भारी संघषा करिा पड़ता है। ररयारी ऐसे ही दिएरटव लोगों की मदद करता है। ररयारी करीब 200 कलाकार की कृ नतयां Corporate world को बेर्ती है। ररतु िंदा के कै ररयर का एक और ददलर्स्प प्रसंद है-पापा पर उिकी पुस्तक राजकपूर स्पीक्स। उन्होंिे कहा है- 2 जूि 1988 को पापा के नििि के बाद मेरे एक कारोबारी नमत्र सुमि सेगल िे कहा था दक रूस में राजकपूर के लाखों प्रसंसक हैं, जो उि पर एक पुस्तक पढऩा र्ाहेंगे। मैंिे पापा की आत्मकथा Rajkapoor: The Fabulous Showman के लेखक बन्नी रूबेि से संपका दकया, पर बात िहीं बिी। नसमी ग्रेवाल पापा पर बीबीसी के नलए एक डाक्यूमेंट्री Rajkapoor the Living legend बिा र्ुकी थी, पर मास्को नस्थत प्रकाशक िे नसमी की शतों को िहीं मािा। इि प्रयासों की असफलता के बाद मैंिे स्वयं पापा पर एक फोटोग्रादफक पुस्तक बिािे की संकल्पिा संजोई, नजसे प्रकाशक िे स्वीकार भी कर नलया। संकल्पिा तो मैंिे संजो ली थी, पर उसे मूता रूप देिा आसाि िहीं था। अपिे प्रकाशक नमत्र अरुण पुरी (इं नडया टुडे/ आजतक) से मैंिे संपका दकया और कहा दक वे कोई लेखक सुझाए तो वे बोले- तुम खुद क्यों िहीं नलखती। उि ददिों मेरे भाई पापा की अिूरी दफल्म Hina पूरी कर रहे थे। उिके सहयोगी निदेशक खानलद से मैंिे कहा- वे मुझे गाइड करें , पर अनतव्यस्तता के कारण वे वादा िहीं निभा पाए। मास्को में प्रकाशक िे पुस्तक के लोकापाण समारोह की नतनथ तय कर दी, पर मैं असमंजस में थी। एक ददि मैं पापा के कमरे में पहुंर्ी और रोिे लगी। उदास मि से मैंिे साईं बाबा को याद दकया। उि पर नलखी पुस्तक साईं सद्र्ररत्र मुझे याद आ गई। उस पुस्तक के लेखक िे पहले अध्याय में नलखा है- आप प्रभु हैं, मैं सािारण इं साि। आप पर मैं पुस्तक कै से नलख सकता हं। जवाब नमला था- तुम शुरू करो। मैं तुम्हारी कलम से खुद नलख दूग ं ा। ररतु िंदा कहती हैं दक बस रास्ता सूझ गया। पापा खुद नलखेंगे और पुस्तक का िाम होगा- Rajkapoor Speaks. राजकपूर पर नजतिी भी पुस्तकें छपी हैं, उिमें बेस्ट सेलर है ररतु िंदा की यह पुस्तक। तो अब जब भी राजकपूर को याद करें तो उिके नसिे कलाकार वंशज- रणिीर कपूर, ऋनष कपूर, कररश्मा कपूर, करीिा कपूर या रणबीर कपूर के साथ यह भी याद रखें दक वे उस ररतु िंदा के भी नपता हैं, नजन्होंिे अपिे मायके व ससुराल दोिों की पहर्ाि से अलग कदमताल करके अपिी अलग पहर्ाि बिाई है और सानबत दकया है दक वे नपता की प्रनतकृ नत (लुक से हबह राजकपूर) ही िहीं, उिकी अद्भुत कृ नत भी हैं।
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अध्याय 14
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इं द्रा िूयी पूरब की कली पनिम में नखली बर्पि में इंद्रा िूयी को देश के राष्टपनत बििे का अनभिय करिा पड़ता था। मां की मंशा थी दक िन्हीं इंद्रा इससे कम ओहदे का स्वप्न भी ि देखे। अमेररकि िागररक बि जािे से इंद्रा िूयी मां का यह स्वप्न तो हबह पूरा िहीं कर पाएगी पर उिकी मां को संतोष होगा दक बेटी िे बांि ली है- र्ोटी में दुनिया। जी हां, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कोला कं पिी पेप्सीको के शीषा पर पहुंर्िे वाली पहली मनहला हैं भारतवंशी इंद्रा िूयी नजन्हें Forbes मैगजीि िे दुनिया की सवाानिक पॉवरफु ल नबजिेस वुमेि के रूप में मान्य दकया है। वे फार्ूि ा -500 कं पिी की सवेसवाा हैं उिका सालािा पैकेज है करीब 60 लाख डॉलर। यािी उिकी एक ददि की आय है 10 लाख रुपए से ज्यादा। नशक्षा: मद्रास दिनियि कॉलेज से रसायिशास्त्र में ग्रेजुएशि, आईआईएम-कोलकाता से प्रबंिि की पोस्ट ग्रेजुएट नडग्री, अमेररका की यले स्कू ल ऑफ मैिेजमेंट से मास्टर ऑफ प लक मैिेजमेंट की नडग्री/ संप्रनत : पैनप्सको की सीईओ/ Forbes मैगजीि की दुनिया की सवाानिक पावरफु ल नबजिेस वुमेि सूर्ी में शानमल, वॉल स्ट्रीट जिाल की 2005 की 50 शीषा मनहलाओं में शुमार। 2007 में टाइम मैगजीि की दुनिया की 100 प्रभावशाली हनस्तयों में शानमल, भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित।
इं द्रा िूयी : पूरब की कली पनिम में नखली इं द्रा िूयी को इं ददरा गांिी के समकक्ष माििा कई लोगों को रास िहीं आएगा। पर एक इं ददरा िे भारतीय मनहलाओं के सददयों से सुप्त आत्मनवश्वास को जगाया और उन्हें अहसास करवाया दक गुनडय़ा माििे वालों के नवरुि संघषा करें , तो वे सारे देश को झझकोर सकती हैं। दूसरी इं द्रा िे उन्हें नसखाया दक मनहलाएं आत्मनिभार बिें तो अपिी प्रनतभा, प्रज्ञा और प्रनतबिता के बलबूते पर मुट्ठी में बांि सकती हैं दुनिया। इं ददराद्वय वस्तुत: रोजा दफल्म की कनवता छोटी-सी आशा की वे िानयका हैं जो समझाती हैं दक यह गीत हर मनहला को हर रोज गुिगुिािा र्ानहए तादक उिकी बेरटयों को भी कं ठस्थ हो जाए। यही दकया था, हमारे इस आलेख की िानयका इं द्रा िूयी की मां िे। उन्होंिे अपिी बेरटयों के नलए एक खेल ईजाद दकया था। इस खेल में इं द्रा िूयी को देश के राष्ट्रपनत बििे का अनभिय (स्वांग) करिा पड़ता था। मां की मंशा थी दक िन्ही इं द्रा इससे कम ओहदे का स्वप्न भी ि देखे। अमेररकि िागररक बि जािे से इं द्रा िूयी मां का यह स्वप्न तो हबह पूरा िहीं कर पाएगी पर उिकी मां को संतोष होगा दक बेटी िे बांि ली हैर्ोटी में दुनिया। जी हां, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कोला कं पिी पेप्सीको के शीषा पर पहुंर्िे वाली पहली मनहला हैं भारतवंशी इं द्रा िूयी नजन्हें Forbes मैगजीि िे दुनिया की सवाानिक पॉवरफु ल नबजिेस वुमेि के रूप में मान्य दकया है। वे नजस फार्ूाि500 कं पिी की सवेसवाा हैं उसमें डेढ लाख कमार्ारी काम करते हैं और नजसका माके ट मूल्य है 100 नबनलयि डॉलर (करीब 4,75,000 करोड़ रुपए)। और इं द्रा िूयी एक ददि की आय है 10 लाख रुपए से ज्यादा। इं द्रा िूयी कहती हैं- युवा अवस्था में मैंिे न्यूयाका के एक समार्ार-पत्र में होरे स ग्रीली की सलाह पढी थी- Young man, go west to grows मैं िादाि थी। मैंिे समझ नलया दक वे यंग वुमेि को भी वेस्ट पहुंर्िे की सलाह दे रहे हैं। उिकी सलाह मािकर मैं वेस्ट पहुंर् गई और यहां तक आ गई हं। ददलर्स्प बात यह है दक पनिम को अपिी कमाभूनम बिािे वाली इं द्रा िूयी िे पािात्य संस्कार िहीं अपिाए हैं। वे आज भी भारतीय वेशभूषा-साड़ी पहिकर पेप्सीको की बोडा मीरटग में शानमल होती हैं। उिके लक-दक दफ्तर में गणेश प्रनतमा नवरानजत है। अपिे कं सलटेंट पनत राजदकशोर व अपिी दो पुनत्रयों के साथ ग्रीि नवर् किेनक्टकट नस्थत नजस भव्य कोठी में वे रहती हैं वहां प्रवेश पूवा अनतनथयों को शूज उतारिा पड़ते हैं। उिके निजी उपासिा कक्ष में हमेशा दीपक प्रज्ज्वनलत रहता है। पेप्सीको के सालािा जलसे में पूरे मौज-मजे के साथ वे हहदी दफल्मों के गािे गाती हैं तो नगटार भी बजाती हैं। अंतरराष्ट्रीय मनहला ददवस (सि् 2006) पर दफनिक्स कन्वेंशि सेंटर पर आयोनजत एक समारोह में अपिी सफलता का रहस्य उजागर करते हुए इं द्रा िूयी िे कहा था- Be yourself का मंत्र मुझे अमेररका में नमला। यले यूनिवर्तसटी में पढाई के नलए खर्ा जुटािे हेतु मैंिे रानत्रकालीि िौकरी करिा र्ाही थी। ररसेप्शनिस्ट की िौकरी के नलए साक्षात्कार था। मैंिे 50 डालर खर्ा करके एक वेस्टिा सूट खरीदा। यह रे डीमेड िंेस थोड़ी बेिाप थी। उसे पहिकर मैं असहज महसूस कर रही थी और इं टरव्यू में फे ल हो गई। भीगे िेत्रों के साथ अपिे एक प्रोफे सर के पास सलाह-मशनवरे के नलए पहुंर्ी तो उन्होंिे मेरी वेशभूषा देखकर मेरी भूल पकड़ ली। प्रोफे सर िे पूछा- यह इं टरव्यू भारत में होता तो मैं क्या पहिती? मैंिे जवाब ददया-
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साड़ी। प्रोफे सर िे कहा- खुद को कम्फरटेबल महसूस करो वही पहिा करो। जो हो वही ददखो। जो लोग तुम्हें यथानस्थनत में स्वीकार िहीं कर सकते वे तुम्हारा उपयोग भी िहीं कर सकते। यह उिकी क्षनत होगी तुम्हारी िहीं। इसके बाद इं ददरा िूयी िे उस समारोह में उपनस्थत करीब डेढ हजार लोगों को बताया दक अगले इं टरव्यू में मैं साड़ी पहिकर गई और नियुनक्त पत्र लेकर आई। आप सबको मेरी सलाह है दक इस बात पर कभी शर्तमदा ि हों दक आप कौि हैं, Page | 94 आप कै सी हैं, आप कै सी ददखती हैं। याद रखें दक हम सब नविाता की एक्सक्लूनसव कृ नतयां हैं। पैसा, प्रनतष्ठा व पद प्राप्त करिा असली सफलता िहीं है। यह के वल स्वसंपन्नता है। असली संपन्नता है- आंतररक आिंद, उत्साह व उमंग। अपिा समय, अपिी ऊजाा उस काम को समर्तपत कर दो जो आपको सबसे अनिक पसंद हो। मेरी मां िे यही दकया था। उन्होंिे हम बहिों का खूब मिोयोग से लालि-पालि दकया। हमें आगे बढऩे की प्रेरणा दी। अपिा भनवष्य संवारिे की आजादी दी। उिके ही कारण मुझे हमेशा यह याद रहता है दक मैं दूसरों से ज्यादा स्माटा हं क्योंदक मैं मनहला हं। मनहलाओं की क्षमता की कोई सीमा िहीं होती। वे जब अपिी ताकत पहर्ाि लेती हैं तो उन्हें कोई परास्त िहीं कर सकता। स्पष्ट है दक इं द्रा िूयी अमेररकि िागररक बि गई हैं पर अपिी जड़ों से जुड़ी हुई हैं। वे कहती हैं - पराये संस्कृ नत, पराये संस्कार या तो पूरी तरह आत्मसात् करो अन्यथा अपिे पररवेश पर दृढ रहो। अमेररका में साड़ी पहििे, शाकाहारी होिे, मैंगो लस्सी पीिे या पूजा-अर्ािा करिे से हम छोटे िहीं हो जाते। अकारण अपराि बोि से ग्रनसत होकर हम बर्ाव करिे लगते हैं और अपिी ऊजाा व क्षमता िष्ट कर देते हैं। र्ेन्नई के एक सािारण मध्यमवगीय पररवार में सि् 1957 में जन्मी इं द्रा िूयी िे मद्रास दिनियि कॉलेज से रसायि शास्त्र नवषय के साथ बैर्लर नडग्री प्राप्त की है । इं नडयि इं नस्टट्यूट ऑफ मैिेजमेंट कोलकाता से मैिेजमेंट की पोस्ट ग्रेजुएशि पढाई पूरी करिे के बाद भारत में मेत्युर नबअडासेल एंड जॉिसि एंड जॉिसि में उन्होंिे िौकरी की। इस िौकरी के दौराि उन्हें आभास हुआ दक यदद कै ररयर को संवारिा है तो अपिी प्रनतभा को और िारदार बिािा पड़ेगा तथा नबजिेस एडनमनिस्ट्रेशि की इं टरिेशिल एजुकेशि प्राप्त करिा होगी। तद्िुसार, इं द्रा िूयी िे यले यूनिवर्तसटी यूएसए में पनधलक व प्रायवेट मैिेजमेंट की मास्टर नडग्री के नलए प्रवेश नलया और अमेररका प्रवास का खर्ा पाटा-टाइम जॉब से जुटाया। इस नशक्षा के बाद अमेररका में ही उन्होंिे बॉस्टोि कं सलटेंसी से नवनिवत कै ररयर शुरू दकया, पर सि् 1986 में एक कार दुघाटिा से ऐसी आहत हुई दक उन्होंिे कं सलटेंसी सेगमेंट को नतलांजनल देकर कॉरपोरे ट स्ट्रेटेजी (कारोबारी रणिीनत) को र्ुि नलया। मोटोरोला और दफर एबीबी को उन्होंिे ज्वाइि दकया और बहुत जल्दी वहां मैिेजर ग्रेड तक पहुंर् गईं। सि् 1994 में उन्हें पेप्सीको का ऑफर नमला नजसे इं द्रा िूयी िे पहले तो इस आशंका के साथ िकार ददया दक पेप्सीको में गैर अमेररकि एक सीमा तक ही पदोन्ननत प्राप्त करते हैं। पेप्सीको के तत्कालीि सीईओ वेि कॉलोवे इं द्रा िूयी की सहजता व संप्रेषणीयता से इतिे प्रभानवत हुए थे दक उन्होंिे समझाया- पेप्सीको में सफलता के नलए धल्यू आई धवाय (Blue eye Blonde) होिा जरूरी िहीं है। काम करो और आगे बढो - यह आश्वासि नमलिे के बाद दृढ इच्छाशनक्त की ििी इं द्रा िूयी को पंख लग गए। 90 का दशक याद करें ... दुनिया के कोला माके ट में कोका-कोला का वर्ास्व था। इस एकानिकार को नछन्न-नभन्न करिे का बीड़ा उठाया इं द्रा िूयी िे। उन्होंिे पेप्सीको के नवस्तारीकरण व नवनवनिकरण की रणिीनत बिाई। पेप्सीको के नबखरे कारोबार को एक Bouquet में समेटिे की उिकी कोनशश पर शुरू में दकसी िे नवशेष ध्याि िहीं ददया। इं द्रा िूयी िे 10 नबनलयि डॉलर के
पेप्सीको के रे स्त्रां नबजिेस (Now known as Yum Brands) के िवीिीकरण की जरूरत पेप्सीको के बोडा को समझाई। उिकी दलील थी दक हम ररटेलर िहीं हैं। हमारे पास ररटेल सेगमेंट की नवशेषज्ञता िहीं है। के एफसी, टेकोबेल व नपज्जा हट का संर्ालि हमारे नलए उनर्त िहीं है। हम अपिी ऊजाा िष्ट कर रहे हैं। इं द्रा िूयी िे पेप्सीको की बॉटहलग इकाई (पेप्सीको-बॉटहलग) को भी सुगरठत दकया। पेप्सीको के इि-हाउस िवीिीकरण के बाद इं द्रा िूयी कॉरपोरे ट हॉट में खरीदी करिे निकलीं। सि् 1998 में ट्रोपीकािा ज्यूसेस (Tropicana Juices) को 2.3 नबनलयि डॉलर में खरीदा। सि् 2001 में 13.1 नबनलयि डालर निवेश करके उन्होंिे Quaker Oats का अनिग्रहण दकया। इससे पेप्सीको को स्पोट्र्स हिंक माके ट में जबरदस्त इं ट्री नमली। इि पुिगाठि एवं लगभग एक दजाि अनिग्रहण के कारण पेप्सीको को कोका-कोला का जबरदस्त प्रनतद्वंद्वी बिािे का श्रेय कं पिी के तत्कालीि र्ीफ रॉजर एिररको को नमला। उन्होंिे तब कहा था पेप्सीको के इनतहास में पहली बार हमिे कई ऐनतहानसक पहल की हैं। सि् 1998 में एिररको भारत आए थे। नबजिेस इं नडया को एक साक्षात्कार में उन्होंिे बतायापेप्सीको को 100 नबनलयि डॉलर (माके ट मूल्य) कं पिी बिािे में इं द्रा िूयी िे अहम् भूनमका निभाई है। वे पेनप्सको की सबसे स्माटा एक्जीक्यूरटव हैं। वस्तुत: इिररको इं द्रा िूयी के परफॉमेंस से इतिे अनभभूत थे दक कं पिी की र्ेअरमैिनशप छोडऩे से एक वषा पूवा सि् 2000 में उन्होंिे इं द्रा िूयी को पेप्सीको का सीएफओ (र्ीफ फाइिेंनसयल ऑदफसर) बिा ददया। सि् 2001 में एिररको सेवानिवृत्त हुए और स्टीव रे िमुड ं िे पेप्सीको के र्ेअरमैि का दानयत्व संभाला। वे भी इं द्रा िूयी के कामकाज से इतिे प्रभानवत हुए दक एक ददि उन्होंिे सीिे पूछ नलया- पेप्सीको के िेतृत्व में वे उिकी भागीदार बििा र्ाहेंगी? इं द्रा िूयी िे उि क्षणों को याद करते हुए एक साक्षात्कार में कहा है- मैं हतप्रभ रह गई । रे िमुंड का अंदाज इतिा हृदयस्पशी था दक इच्छा हुई- मैं रो पड़ूं। इं द्रा िूयी पेप्सीको की प्रेनसडेंट बिा दी गईं और कं पिी के नियंत्रक मंडल में पहुंर् गईं। इस पदोन्ननत के साथ मीनडया के नलए भी सुखी बि गईं- इं द्रा िूयी। सि् 2003 में फोब्र्स िे General-in-waiting (भावी र्ीफ) शीषाक से एक कवर स्टोरी छापी, नजसमें इं द्रा िूयी को पेप्सीको का अगला सीईओ बताया गया। इं नडया टूडे िे जिवरी 2003 में प्रकानशत अपिे नवशेषांक (कामयाब कदमों के निशां : िई लीक के राही) में नलखा है- अमेररकि बहुराष्टरीय कं पिी में दूसरे स्थाि पर पहुंर्िे वाली पहली भारतीय मनहला और अमेररका की सबसे पॉवरफु ल र्ौथी नबजिेस वुमेि इं द्रा िूयी िे पेप्सीको के सालािा कारोबार को 30 अरब डॉलर (तब करीब 1,44,000 करोड़ रुपए) पहुंर्ािे और पेप्सीको को 200 से ज्यादा देशों में फै लािे में अहम् भूनमका निभाई है। 26 अरब डॉलर मूल्य की पेप्सीको में इं द्रा िूयी का भारी दबदबा है। पेप्सीको की नवत्तीय रणिीनत, मािव संसािि की देखरे ख, कािूि, संर्ार और सूर्िा टेक्नोलॉजी उिकी प्रत्यक्ष जवाबदारी है। इं नडया टूडे िे अपिी रटप्पणी का समापि करते हुए नलखा- इं द्रा िूयी के अिुसार भारत अभी भी दुनिया का सबसे रहस्यमय बाजार बिा हुआ है। भारतीय िेताओं को र्ानहए दक वे भारत को अप्रासंनगक ि बििे दें। स्पष्ट है दक रे िमुड ं के िेतृत्व में इं द्रा िूयी व उिके संगी सानथयों िे कोका कोला के साथ तगड़ी प्रनतस्पिाा की है। इस बाबत नबजिेस लाइि (द हहदू) से र्र्ाा करते हुए इं द्रा िूयी िे एक साक्षात्कार में कहा- पेनप्सको व कोका-कोला के बीर् जो तीव्र
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व तीखी प्रनतस्पिाा सतत जारी है उसिे ही दोिों को Great Companies बिाया है। नवजयी होिे की प्रनतस्पिाा से ही तो उत्कृ ष्टता जन्म लेती है। माके ट में उत्तेजिा फै लती है तो माके ट Grow होता है। ग्राहक को रे फरी बििे का मौका नमलता है और, सि् 2006 में देश की आजादी की वषागांठ की पूवा संध्या पर एक भारतीय मां का स्वप्न पूरा हुआ। 14 अगस्त 2006 Page | 96 को पेप्सीको के र्ेअरमैि व सीईओ रे िमुंड िे एक अंतरराष्ट्रीय पत्रकार वाताा में घोषणा की दक वे समय पूवा सेवानिवृत्त हो रहे हैं। अब मेरी उत्तरानिकारी होंगी- इं द्रा िूयी। वे अक्टू बर 2006 में पेनप्सको की बागडोर संभाल लेंगी। इसके साथ ही इं द्रा िूयी की प्रशंसा करते हुए पेनप्सको के तत्कालीि सीईओ िे कहा- पेनप्सको के िए अवतार के आप सब साक्षी हैं और यही इं द्रा िूयी के परफॉमेंस की कहािी भी है। मेरे साथ उिकी पाटािरनशप को एक ही शधद में दोहराऊं तो वह हैअमूल्य। इं द्रा में ि के वल नवजि है वरि् उसे मूतरू ा प देिे का अद्भुत Ability भी। वे ि ददखिे वाले आयनडया को भी भांप लेती हैं और उन्हें साकार भी कर देती हैं। पेप्सीको की बौनिक ऊजाा हैं- इं द्रा िूयी। उन्होंिे मेरे साथ सालों काम दकया है। मेरा आकलि है दक वे नजतिी पढी हैं उससे ज्यादा गुणी हैं। मुझे नवश्वास है दक उिके िेतृत्व में पेप्सीको के आगामी ददि और भी सुिहरे होंगे। इं द्रा िूयी को नवगत दस सालों से जाििे वाले 98 नबनलयि डॉलर नबिी वाले एरट्रया ग्रुप के र्ीफ फाइिेंनसयल ऑदफसर डेन्या नडनवत्रे िे इस घोषणा के बाद कहा- यह भारत के नलए, इं द्रा के नलए और पेनप्सको के नलए एक ग्रेट मौका है। (This is great for India, great for Indra and great for Pepsico ) सही कहते हैं नडनवत्रे- भारत व भारतीयों के नलए नि:संदेह यह गवा की बात है दक ग्लोबल Corporate world की सारी ग्लास सीहलग तोडऩे वाली इं द्रा िूयी एक भारतीय पररवार में जन्मी हैं। वह भारतीय मध्यमवगीय समुदाय नजसिे मनहलाओं की क्षमता का कभी सही मूल्यांकि िहीं दकया। हमेशा उन्हें घर की र्हारदीवारी में ही सीनमत रखा। 41 साल के पेनप्सको के इनतहास में ऐसे पररवार की मनहला का मात्र एक दशक में शीषा पर पहुंर्िा यह सानबत करता है दक भारतीय मनहलाएं दकसी से कम िहीं हैं। कमी है तो उस आत्मनवश्वास की, नजसकी जीवंत नमसाल हैं- इं द्रा िूयी। भारतीय माके ट में अपिी कं पिी के नलए जबरदस्त संभाविाओं को देखते हुए इं द्रा िूयी का कहिा है दक भारत में दो र्ीजें प्रर्ुर मात्रा में मौजूद हैं। एक कच्चा माल और दूसरे प्रनतभावाि मािव संपदा। पेप्सीको के उत्पाद तीि श्रेनणयों में बंटे हुए हैं- फि फॉर यू (पेप्सी, लेज, रफे ल्स या फ्राइटोस), बेटर फॉर यू (बेक्ड, लेज, डाइट पेप्सी) और गुड फॉर यू (ट्रानपकािा या एक्वाफीिा। सारी दुनिया में भारत का िाम रोशि करिे वाली इं द्रा िूयी का अपिी जन्मभूनम के बारे में सोर् नजतिा नवरोिाभासी है, उतिा ही तथ्यात्मक। उिके अिुसार पनिम के नलए भारत अभी भी रहस्यमय बिा हुआ है। भारतीय िेता इसे नवश्व अथाव्यवस्था में प्रासंनगक िहीं बििे दे रहे हैं। र्ीि और भारत की र्र्ाा करते हुए वे कहती हैं- र्ीि की अथाव्यवस्था िे िई करवट ले ली है और वहां Clean New york ददखिे लगा है। मैं िहीं सोर्ती दक मेरे जीविकाल में मेरा देश ऐसा हो पाएगा। यहां प्रजातंत्र है, नजसमें छोटी-छोटी बातों के नलए खूब शोर मर्ता है और सबकी सहमनत जुटािा पड़ती है, जो लंबी प्रदिया है। दूसरे , भारत में बुनियादी सुनविाएं कालातीत हो र्ुकी हैं, नजन्हें बदलिा आसाि िहीं है। मुझे संतोष है दक भारत की युवा पीढी बदलाव की मांग करिे लगी है।
अध्याय 15
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िैिा लाल दकदवई र्तुर-र्पल मिी मैिज े र
भारतीय समाज में उम्र दराज होिा बुनिमाि होिा मािा जाता है। ऐसे हालात में वररष्ठ व्यनक्त को आदेश देिा और उिसे आदेशों का पालि करवािा मनहलाओं के नलए एक करठि काम है। मनहला बॉस को ररपोटा करिा या उिके आदेश सुििा, भारतीय पुरुषों को आज भी रास िहीं आता है। दकसी भी मनहला के अिीि काम करिे में पुरुष खुद को अपमानित महसूस करते हैं। एर्एसबीसी को Good Monday feel company (ऐसी कं पिी नजसके कार्तमक सप्ताहांत के बाद दफ्तर खुलिे की प्रतीक्षा करें ) बिा देिे वाली िैिा लाल दकदवई का मैिेजमेंट मंत्र सहज व सरल है- काम का मजा लो। नशक्षा ; इकॉिानमक्स में बैर्लर नडग्री (ददल्ली नवश्वनवद्यालय), र्ाटाडा अकाउं टेंट एवं नबजिेस एडनमनिस्ट्रेशि में पोस्ट ग्रेजुएट (हॉवाडा नबजिेस स्कू ल)।/ संप्रनत; र्ीफ एक्जीक्यूरटव ऑदफसर एवं र्ीफ जिरल मैिेजर एर्एसबीसी/ अवाड्सा कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय अवाड्सा एवं भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित ।
िैिा लाल दकदवई : र्तुर-र्पल मिी मैिज े र भारतीय जॉब माके ट में पुरुषों के एकानिकार को नशनक्षत मनहलाओं िे 70 के दशक के बाद सेंि लगािा शुरू दकया। न्यू जिरे शि वूमेि िे इस घुसपैठ को गहरा तो दकया पर मनहलाओं की आबादी के अिुपात में यह गनत अभी भी िीमी ही है। यही िहीं, जॉब माके ट के नवनभन्न सेगमेंट्स में संभाविाओं के अिुरूप मनहलाओं की नहस्सेदारी भी व्यापक िहीं है। उदाहरणाथा- फाइिेंस जैसे पुरुष प्रिाि जरटल कायाक्षेत्र में जहां मनहलाएं शीषा पर पहुंर्ी हैं, वहीं मैन्यूफैक्र्ररग सेगमेंट में अभी भी नगिी र्ुिी वुमेि मैिेजर ही ददखाई देती हैं। नवत्तीय काया क्षेत्र में मनहलाओं की अगुवाई करिे वालों में सबसे अव्वल हैं- िैिा लाल दकदवई। ददलर्स्प बात यह है दक उन्हें जो बातें िा-पसंद हैं, उिमें एक है- वुमेि एक्जीक्यूरटव संबोिि। मीनडया िे सि् 2003 में नलखा दक मागाि स्टेिली की िैिा लाल दकदवई भारत में सवाानिक पे-पैकेज पािे वाली एक्जीक्यूरटव हैं, जो इं नडयि वर्ककग वुमेि के नलए गवा की बात है तो िैिा लाल का जवाब था- अपिी प्रोफीनसयेंसी (निपुणता/ कायाकुशलता) का मैं पूरा मूल्य वसूल करती हं पर कृ पया मुझे वुमेि एक्जीक्यूरटव ि कहें, मैं एक प्रोफे शिल एक्जीक्यूरटव हं। (Says Naina Lal Kidwai: I don’t mind getting a handsome salary as long as I am getting it as a competent professional. But please do not call me the highest paid woman executive. )
िैिा लाल दकदवई जो दूसरी बात पसंद िहीं करतीं, वह है- उिकी थापर पररवार से ररश्तेदारी याद ददलािा। यह सही है दक उिकी मां श्रीमती प्रेमलाल स्व. करमर्ंद थापर की पुत्री एवं एम.एल. थापर की बहि हैं। तद्िुसार वे बल्लारपुर इं डस्ट्रीज के वाइस र्ेअरमैि व मैिेहजग डायरे क्टर गौतम थापर की कनजि हैं, पर उिका कहिा है दक यह दूर का ररश्ता है। वस्तुत: िैिा लाल दकदवई स्वयंभू हैं और उन्हें यह पहर्ाि सबसे ज्यादा नप्रय है। वे मािती हैं दक निवेश बैंककग पुरुष प्रिाि कायाक्षेत्र है पर उन्हें यहां कभी भी प्रनतकू ल पररनस्थनतयों का सामिा िहीं करिा पड़ा। इसके साथ ही वे यह भी मािती हैं दक आज भी हमारे देश में कारोबारी संगठि में शीषा पर आसीि मनहला को अजूबा मािा जाता है। ऐसी मनहलाओं की मुनश्कल तब और बढ जाती है जब उिकी उम्र भी कम हो। भारतीय समाज आज भी उम्र दराज होिा, बुनिमाि होिा मािा जाता है। ऐसे हालात में वररष्ठ व्यनक्त को आदेश देिा और उिसे आदेशों का पालि करवािा मनहलाओं के नलए एक करठि काम है। िैिा लाल दकदवई नजस सर्ाई की ओर संकेत कर रही हैं, वह है- मनहला बॉस को ररपोटा करिा या उिके आदेश सुििा, भारतीय पुरुषों को आज भी रास िहीं आता है। दकसी भी मनहला के अिीि काम करिे में पुरुष खुद को अपमानित महसूस करते हैं। आइए, इस पृष्ठभूनम में जािें दक िैिा लाल दकदवई नवगत 25 सालों में कै से बिीं, ऐसी सफलतम भारतीय निवेश बैंकर, नजन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मीनडया Shrewd Negotiator या र्तुर सौदागर जैसी उपानियों से िवाजता है। 70 के दशक में 16 वषा की कच्ची उम्र की कोई भारतीय लड़की अपिे नलए कोई बड़ा लक्ष्य तय कर ले और 25 वषा की उम्र में लक्ष्य भेद भी कर दे तो नि:संदेह उन्हें यह कहिे का हक है दक उम्र का बुनिमत्ता से कोई लेिा-देिा िहीं होता। जी हां, 70 के दशक में अपिे नपता सुरेंद्र लाल के दफ्तर को देखकर िैिा िे दकशोर उम्र में स्वप्न संजोया था दक कभी उिका भी ऐसा ही लक-दक दफ्तर होगा। िैिा को आभास था दक बड़े स्वप्न पूरे करिे के नलए उन्हें कड़ी मेहित करिा पड़ेगी। सतत् साििा करिा होगी। तद्िुसार तीक्ष्ण प्रज्ञा (बुनि) की ििी िैिा िे अपिी बुनियाद बिािा शुरू की।
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लोरे टो कान्वेंट स्कू ल नशमला से साइं स व मेथ्स में नवशेष योग्यता के साथ उन्होंिे सेकंडरी स्कू ल की हर परीक्षा टॉपर के रूप में उत्तीणा की। वाद-नववाद व खेलकू द में भी अपिे स्कू ल का प्रनतनिनित्व दकया। सि् 1974 में िैिा लाल िे इकॉिानमक्स की िातक पढाई के नलए लेडी श्रीराम कॉलेज (ददल्ली यूनिवर्तसटी) को ज्वाइि दकया। वे कॉलेज के स्टू डेंट यूनियि की प्रेनसडेंट रहीं और कॉलेज लीडरनशप अवॉडा से िवाजी गईं। Page | 99 निशािे पर निगाहें रटकी हों तो व्यनक्त भ्रनमत िहीं होता। सि् 1977 में बेर्लर नडग्री नमलते ही िैिा लाल िे र्ाटाडा अकाउं टेंसी की तैयारी शुरू कर दी और साथ ही ट्रेिी की हैनसयत से प्राइस वॉटरहाउस (अब प्राइस वॉटरहाउस कू पर) को ज्वाइि कर नलया। यहां एक पाटािर िे तब उन्हें कहा- प्राइस वॉटरहाउस कू पर में तुम पहली मनहला हो। हमें यह तय करिा पड़ेगा दक तुम्हें क्या जवाबदारी दें। िैिा लाल िे बहुत जल्दी कं पिी के क्लाइं ट्स के अकाउं ट्स व फायिेंस ररकाड्सा का स्वतंत्र ऑनडट करके अपिे प्रनत सारे पूवााग्रह या भ्रम नछन्न-नभन्न कर ददए। तीि साल (1977 -1980) तक प्राइस वॉटर हाउस में िैिा लाल िे अकाउं ट्स की बारीदकयां ही िहीं, वरि् संबंनित रीनत-िीनत व कािूिों का भी गहि अध्ययि दकया। इसके साथ उन्हें यह आभास हुआ दक बर्पि के स्वप्न को पूरा करिा है, तो नबजिेस एडनमनिस्ट्रेशि की इं टरिेशिल एजुकेशि भी उन्हें प्राप्त करिा होगी। िैिा लाल पहली भारतीय मनहला हैं, नजन्होंिे हावाडा नबजिेस स्कू ल से व्यवसाय प्रबंिि की मास्टर नडग्री प्राप्त की है। सि् 1982 में यह नडग्री नमलते ही उन्हें अमेररका में कई जॉब ऑफसा नमले पर वे स्वदेश लौट आईं। टाइम मैगजीि को एक साक्षात्कार में उन्होंिे कहा है- अपिे आकलि के नलए मैंिे अमेररका में कई इं टरव्यू का सामिा दकया पर दकसी को ज्वाइि िहीं दकया। क्योंदक मैं अपिे देश में ही काम करिा र्ाहती थी। गौरतलब है दक 80 के दशक में देश के फाइिेंस सेक्टर में आज जैसे अवसर व भारी पे-पैकेज उपलधि िहीं थे, पर िैिा लाल इस सोर् के साथ स्वदेश लौट आईं दक अपिों के साथ अपिों के बीर् सफलता सेनलब्ेट करिे का आिंद सबको िहीं नमलता। जो यह मौका र्ूक जाते हैं, वे नवदेश में बड़ा पद व पैसा प्राप्त करके भी खाली मि-खाली हाथ ही जीते और मरते हैं। भारत में सि् 1982 में िैिा लाल िे एएिजेड हग्रडलेज से अपिा कै ररयर शुरू दकया। पुरुषाथी- पुरुष हो या मनहला, भाग्य ज्यादा ददि उिकी उपेक्षा िहीं कर सकता। मात्र तीि साल में ही िैिा लाल हग्रडलेज के पनिमांर्ल की मर्ेंट बैंककग सर्तवसेस की इं र्ाजा बि गईं। सि् 1989 में हग्रडलेज िे उन्हें देश के निवेश बैंककग नडवीजि का प्रभारी बिा ददया। निवेश बैंककग में उिकी निपुणता से प्रभानवत हग्रडलेज का नियंत्रक मंडल सि् 1991 में िैिा लाल की यह मांग सुिकर र्ौंक पड़ा दक वे ररटेल बैंककग नडवीजि में काया करिा र्ाहती हैं। उन्हें िैिा लाल की मंशा पता िहीं थी। िैिा लाल का सोर् था दक दकसी भी सेक्टर के शीषा पर पहुंर्िा है, तो उसकी जड़ों को जाििा र्ानहए। ररटेल बैंककग की जवाबदारी संभालते ही िैिा लाल िे हग्रडलेज बैंक की ग्लोबल एिआरआई सर्तवसेस स्थानपत की। खाड़ी युि के दौर में हग्रडलेज के एिआरआई नडपानजट्स 633 करोड़ रुपए (मार्ा 1991 में) से बढकर 1748 करोड़ रुपए (नसतंबर 1992) हो गए, पर इस कायाकाल की िैिा लाल की निजी उपलनधि थी- नबनभन्न संस्कृ नत व संस्कारों के बहुभाषा-भाषी 1000 से ज्यादा बैंक कार्तमकों की फौज की लीडरनशप और बैंक के हजारों ररटेल ग्राहकों से सीिा संपका । सि् 1994 में िैिा लाल दकदवई तब पहली बार मीनडया स्टार बिीं जब उन्होंिे एएिजेड, हग्रडलेज से त्यागपत्र देकर अमेररकि इन्वेस्टमेंट बैंककग कं पिी मागाि स्टेिली को ज्वाइि दकया। उदारीकरण के बाद मागाि स्टेिली भारत में अपिी शॉप खोलिा र्ाहती थी। मागाि स्टेिली िे िैिा लाल को अप्रोर् दकया तो वे भी एक ग्लोबल फायिेंनसयल इं नस्टट्यूट से
जुडऩे के प्रलोभि से िहीं बर् सकीं। मागाि स्टेिली को िैिा लाल िे वाइस र्ेअरमैि की हैनसयत से ज्वाइि दकया और इसके साथ ही उिकी इन्वेस्टमेंट बैंककग में भी वापसी हुई। मागाि स्टेिली का भारत में तब कारोबार बहुत छोटा था। इसे कं पिी की अंतरराष्ट्रीय ख्यानत के अिुरूप बिािे के नलए िैिा लाल िे निमेश कम्पिी के जेएम फाइिेंनशयल ग्रुप के साथ गठबंिि दकया। इसके तहत इन्वेस्टमेंट बैंककग और नसक्यूररटीज नबजिेस के दो संयुक्त वेंर्र जन्मे। इन्वेस्टमेंट बैंक की सीईओ बििे के साथ िैिा लाल संयुक्त वेंर्सा के नियंत्रक मंडल में मागाि स्टेिली के प्रनतनिनि की हैनसयत से शानमल की गईं। सि् 2003 में िैिा लाल के नक्षनतज छू िे वाले अमेररकि पे-पैकेज का अिुमाि लगाते हुए कॉमसा मीनडया िे नलखा दक वे भारत में सवाानिक वेति पािे वाली एक्जीक्यूरटव (मनहला-पुरुषों में) हैं। इसके साथ ही िैिा लाल पत्र- पनत्रकाओं की सुखी व युवाओं की रोल मॉडल बि गईं। उिकी हर नबजिेस डील की उद्योग जगत में र्र्ाा होिे लगी। निवेश, नवनिवेश, नवलयि, अनिग्रहण और रणिीनतक गठबंिि के िैिा लाल दकदवई िे उि ददिों इतिे सौदे करवाए दक देखते-देखते जेएम मागाि स्टेिली देश की सबसे बड़ी मर्ेंट बैंकर बि गई। िैिा लाल िे सि् 2002 में दफर सबको र्ौंकाया। उन्होंिे मागाि स्टेिली जैसे ग्लोबल फायिेंनसयल इं स्टीट्यूट की िौकरी छोड़कर एर्एसबीसी (Hongkong and Shanghai Banking Corporation) ज्वाइि करिे की घोषणा की। िवंबर 2002 में एर्एसबीसी नसक्यूररटीज एंड कै नपटल माके ट के वाइस र्ेअरमैि व मैिेहजग डायरे क्टर का पद संभालते हुए िैिा लाल दकदवई िे कहा- मैरी कमजोरी है लीडरनशप। मुझे ट्रेहडग व नसक्यूररटी नबजिेस का बड़ा स्वतंत्र प्लेटफामा नमल रहा है। मैं अपिे कै ररयर के उस मुकाम पर हं, जहां पैसा कोई मायिे िहीं रखता। एर्एसबीसी में भी िैिा लाल दकदवई िे जम्प प्रमोशि नलए हैं। सि् 2004 में वे बैंककग ऑपरे शि की नडप्टी सीईओ, सि् 2006 में हांगकांग एंड शंघाई बैंककग कॉरपोरे शि नलनमटेड (इं नडया) की सीईओ और एर्एसबीसी इं नडया की कं ट्री हेड बिा दी गईं। िैिा लाल दकदवई के नियंत्रणािीि एर्एसबीसी बैंक में आज 6000 से ज्यादा कमार्ारी कायारत हैं। पूरे संगठि के कार्तमकों की संख्या 27 हजार से भी ज्यादा है। एर्एसबीसी की एक असेट मैिेजमेंट कं पिी एवं नसक्यूररटीज आउटदफट भी है। पूिा में साफ्टवेअर डेवलपमेंट सेंटर के अलावा बैंगलोर, हैदराबाद, नवशाखापट्टिम व कोलकाता में आउट सोर्मसग हब है। सि् 1947 में देश को राजिीनतक आजादी नमली पर उद्योग/कारोबारी जगत राजिेताओं व अफसरशाही की नगरफ्त से सि् 1991 में मुक्त हुआ। तद्िुसार 45 वषा (1947-1991) तक भारतीय उद्योगपनतयों को नवत्त सनहत सारे संसाििों के उपयोग की सीनमत अिुमनत ही नमली। फलत: उत्पादि भी सीनमत हुआ। प्रनतस्पिाा के अभाव में Quality & Quantity दोिों ही पैमािे पर भारतीय उत्पाद World क्लास िहीं होिे से इस दौर में Made in India को ग्लोबल माके ट में हेय िजरों से देखा गया। सि् 1991 के बाद देश की अथाव्यवस्था में आमूल पररवताि होिे लगा तो भारतीय उद्योगपनतयों िे भी कमर कसी। न्यू जिरे शि टेक्नोलॉजी और माडिा मैिेजमेंट नसस्टम अपिािे के नलए उन्होंिे कम लागत की पूंजी के िए स्रोत खोजिा शुरू दकए। इसके साथ इिवेस्टमेंट व मर्ेंट बैंककग भी 45 साल की भ्रूणावस्था से बाहर निकली। निवेश, नवनिवेश, अनिग्रहण और गठबंिि का अंतहीि (आज तक जारी) दौर शुरू हुआ।
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िैिा लाल दकदवई िे सि् 1989 में एिएिजेड हग्रडलेज में मर्ेंट बैंककग की जवाबदारी के साथ देश के नवत्तीय सेक्टर में प्रवेश दकया था। तब इस सेगमेंट में सीनमत कामकाज से उकताकर दो साल बाद उन्होंिे स्वेच्छा से ररटेल बैंककग पर फोकस दकया, पर सही समय पर सही अवसर लपकिे में मानहर िैिा लाल दकदवई िे सि् 1994 में मागाि स्टेिली के बैिर तले ि के वल इन्वेस्टमेंट व मर्ेंट बैंककग में पुि: इं ट्री ली, पर िुआंिार बैरटग भी की। मागाि स्टेिली में उिका कायाकाल उिके कै ररयर का सुिहरा दौर है। यहां उिके परफॉमेंस िे उन्हें कई राष्टरीय व अंतराष्टरीय अवाडा व मान्यताएं ददलवाई हैं। ददलर्स्प बात यह है दक सि् 1992 में मागाि स्टेिली जैसी ग्लोबल कं पिी को छोड़कर एर्एसबीसी ज्वाइि करिे में भी िैिा लाल दकदवई िे देर िहीं की क्योंदक यहां उन्हें समाि वका पोटाफोनलयो के साथ नमल रही थीलीडरनशप, जो उिका शौक िहीं, स्वभाव है। कमजोरी िहीं, ताकत है। इिवेस्टमेंट व मर्ेंट बैंकर के 25 साल के यशस्वी कै ररयर में िैिा लाल दकदवई िे भारतीय उद्योग जगत के नलए ि के वल अरबों रुपया इक_ दकया वरि् कई भारतीय कं पनियों को World class बििे में भी मदद की है। उिके कायाकाल के जिनिगाम, अनिग्रहण, नवलयि व गठबंिि ( टाटा-वीएसएिएल का गठबंिि, नवप्रो की न्यूयाका स्टॉक एक्सर्ेंज में नलहस्टग, कै डबरी का बॉयबेक इश्यू, भारती इं टरप्राइजेस (एयरटेल) व मारुनत का जि निगाम, नबडला-टाटाएटीएंडटी सेल्युलर डील, गुजरात अम्बुजा के द्वारा डीएलएफ सीमेंट व एसीसी का अनिग्रहण, गैस अथॉररटी ऑफ इं नडया का ग्लोबल नडपॉनजटरी रसीद इश्यू अथवा इन्फोनसस, टाटा, ररलायंस, आददत्य नविम नबडला समूह एवं वॉक हाडाट्स द्वारा नवदेशी कं पनियों की खरीद-फरोख्त) प्रमानणत करते हैं दक कॉरपोरे ट सौदेबाजी व सौदागरी में िैिा लाल दकदवई का कोई सािी िहीं है। इसका एक और प्रमाण है- राष्टरीय और अंतरराष्टरीय मीनडया और संस्थािों द्वारा उन्हें कई अवाडा/मान्यताएं। उदाहरणाथा1. Fortune मैगजीि की 50 कॉरपोरे ट वुमेि सूर्ी में एनशया की सवाानिक प्रभावशाली मनहलाओं में तीसरा िम। Fortune िे सि् 2000 में पहली बार यह सवे दकया था। सि् 2002, 2003 एवं 2006 में भी िैिा लाल इस सूर्ी में शानमल की गईं। 2. टाइम मैगजीि की दुनिया की 15 प्रभावशाली हनस्तयों की सूर्ी (सि् 2002) में उल्लेख। 3.वॉल स्ट्रीट जरिल द्वारा िवंबर 2004 में प्रकानशत दुनिया की 50 सवोच्च नबजिेस वुमेि सूर्ी में 34वां िम। 4. नबजिेस टू डे की 25 पावरफु ल भारतीय नबजिेस वुमेि सूर्ी में हैटरट्रक। िैिा लाल दकदवई की बुनिमत्ता, दूरंदेशी व िेतृत्व क्षमता को मान्य करते हुए कई राष्टरीय-अंतरराष्टरीय संस्थािों िे उन्हें अपिे नियंत्रक मंडल में ससम्माि मिोिीत दकया है। उिमें से उल्लेखिीय है1. बहुराष्टरीय कं पिी िेस्ले के ग्लोबल बोडा में इं ट्री। (सि् 2007 में एर्एसबीसी बैंक की र्ेअरमैि बििे के बाद िैिा लाल दकदवई को यह पद छोडऩा पड़ा है क्योंदक इं नडयि बैंककग रे ग्युलेशि एक्ट के अिुसार भारत में कायारत दकसी भी बैंक का र्ेअरमैि या मैिेहजग डायरे क्टर दकसी ऐसी कं पिी के बोडा में शानमल िहीं हो सकता जो मुिाफा अजाि के नलए कारोबार करती हो।) 2. इं नडयि बोडा ऑफ जोन्स हॉपककस स्कू ल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज यूएसए के बोडा की सदस्यता। 3. भारत सरकार के िेशिल साइं स एंड टेक्नोलॉजी इं टरनप्रिरनशप डेवलपमेंट बोडा में मिोियि। 4. भारत सरकार द्वारा सि् 2007 में पद्मश्री से सम्मानित। िैिा लाल दकदवई की Firsts की सूर्ी है -
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1. हावाडा नबजिेस स्कू ल में नशक्षा प्राप्त करिे वाली पहली भारतीय मनहला। 2. प्राइस वाटर हाउस एवं मागाि स्टेिली यूएस को ज्वाइि करिे वाली पहली भारतीय मनहला। 3. दकसी नवदेशी बैंक की पहली भारतीय मनहला सीईओ। 4.इं नडयि जमाि कं सलटेरटव ग्रुप में भारत का प्रनतनिनित्व। िैिा लाल दकदवई के कायाक्षेत्र की जरटलता उिकी इि उपलनधियों को वजिदार बिाती है। इिवेस्टमेंट व मर्ेंट बैंकर अलग-अलग हैनसयत (स्टेटस), सूझबूझ (नवजि), लक्ष्य (नमशि) के लोगों को एक टेबल पर इक_ करते हैं। उिके अलग-अलग निजी नहतों को समेटते हैं। कई उलझिों को सुलझािे के बाद महीिों के िैया के बाद एक Deal close होती है। िैिा लाल दकदवई कहती हैं- यह टीम वका है। ऐसी फु टबाल टीम नजसका हर नखलाड़ी मैदाि में अलग खेलता है (Play as I) पर यह याद रखता है दक वह टीम के नलए (Play as we) खेल रहा है। ऐसी टीम का नखलाड़ी बििे व उिका िेतृत्व संभालिे में मुझे मजा आता है। र्ेहरे पर स्थायी मुस्काि की ििी िैिा लाल दकदवई के साथ काम कर र्ुके उिके संगी-साथी कहते हैं दक बहुत जल्दी सुबह हांगकांग के कॉल से वे जो ददि शुरू करती हैं उसे देर रात को अमेररकि कॉल से नवराम नमलता है। 16 घंटे काम करिे वाली िैिा लाल ि थकती हैं और ि ही नर्ड़नर्ड़ाती हैं। दफ्तर में वे सबको First name से बुलाती हैं और अपिे नलए भी ऐसा ही संबोिि पसंद करती हैं। एर्एसबीसी को Good Monday Feel Compnay (ऐसी कं पिी नजसके कार्तमक सप्ताहांत के बाद दफ्तर खुलिे की प्रतीक्षा करें ) बिा देिे वाली िैिा लाल दकदवई का मैिेजमेंट मंत्र सहज व सरल है- काम का मजा लो। रशीद दकदवई से नववानहत दो संतािों की मां िैिा लाल दकदवई के सालािा अवकाश की पसंद है- नहमालय में ट्रैककग या ररजवा फारे स्ट में एकांतवास। जी हां, वाइल्ड लाइफ उिकी कमजोरी है तो मािनसक थकाि नमटािे के नलए वे वेस्टिा व शास्त्रीय संगीत सुििा पसंद करती हैं। ददलर्स्प बात यह है दक अपिे कै ररयर में हाईली पेड और हाई प्रोफाइल िैिा लाल दकदवई से आप कहीं भी नमलें- देश या नवदेश में आप उन्हें भारतीय वेशभूषा- साड़ी एवं कम से कम आभूषण में पाएंगे। परं परागत गृनहणी-सा उिका लुक देखकर यह पता िहीं र्लता दक िैिा लाल दकदवई का कॉरपोरे ट बोडारूम्स से दलाल स्ट्रीट एवं िाथा व साउथ धलाक में दकतिा दबदबा है।
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अध्याय 16
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रं जिा कु मार िो र्ैलज ें टू नबग आजादी के 50 साल बाद तक हमारे देश के नवत्तीय सेक्टर में सावाजनिक बैंकों का एकानिकार रहा। इि बैंकों िे लाखों लोगों को रोजगार के अवसर प्रदाि दकए। इिमें हजारों मनहला-पुरुषों में अर्ीवसा बििे की सामथ्र्य थी, पर वररष्ठता के आिार पर पदोन्ननत नमलिे से समय िे उिकी िार को कुं द कर ददया। वे 9 से 5 बजे की िौकरी करते हुए ढरे की हजदगी जीिे लगे और गुमिामी के अंिेरे में खो गए। ऐसे गैर प्रनतस्पिी माहौल में कोई अर्ीवसा जन्म ले और वह भी मनहला हो तो Salute करिा ही पड़ता है। कें द्रीय सतका ता आयोग की आयुक्त रं जिा कु मार ऐसी ही अर्ीवसा हैं, जो मूलत: देश के बैंककग सेक्टर में Turn Around Queen के िाम से भी जािी जाती हैं। नशक्षा : हैदराबाद वुमेि कॉलेज से बीए की नडग्री, उस्मानिया नवश्वनवद्यालय से पनधलक एडनमनिस्ट्रेशि में पोस्ट ग्रेजुएशि, नहन्दी में नवशारद, संगीत-भूषण प्रमाण-पत्र, भरतिाट्यम और कत्थक िृत्य/ कें द्रीय सतका ता आयोग की आयुक्त (2005)। डायरे क्टर िेशिल स्टॉक एक्सर्ेंज, टाटा ग्लोबल, बेवरे जेस व कोरोमंडल इंटरिेशिल नलनमटेड/ उपलनधि : के जी फाउं डेशि द्वारा पसािैनलटी ऑफ नडके ड अवाडा, इंनस्टट्यूट ऑफ डायरे क्टसा िई ददल्ली द्वारा Golden नपकाक वुमेि नबजिेस लीडरनशप अवाडा (2001), समाज सेवा के नलए सि् 2004 में सद्गुरु ज्ञािािंद िेशिल अवाडा।
रं जिा कु मार : िो र्ैलज ें टू नबग अर्ीवसा कै से जन्म लेते हैं, इस सवाल के जवाब में मैिेजमेंट गुरु कई सुझाव देते हैं, पर इसका मूल मंत्र है- मनहला हो या पुरुष, योग्य व्यनक्त को स्वस्थ प्रनतयोनगता के साथ समुनर्त अवसर नमले तो वह खुद को सानबत कर ही देता है। रं जिा कु मार ऐसी ही अर्ीवसा हैं। रं जिा कु मार आज वयस्क बच्चों की िािी-दादी हैं पर वे कहती हैं- मेरी दादी िे नववाह के बाद मुझे एक सीख दी थी दक पनत जब शाम को घर लौटे तो हमेशा उिका सज-संवरकर ही स्वागत करिा। तद्िुसार मैं हमेशा अपिे पनत से पहले घर पहुंर्ी। परं तु यह के वल एक माह र्ला। एक बार दफ्तर में अत्यनिक काम था और मेरे नलए संभव िहीं था दक मैं उिके पहले घर लौट सकूं । मैंिे उन्हें फोि करके देर से घर आिे को कहा और घर पहुंर् गई। उन्होंिे मेरी बात तो माि ली पर घर लौटते ही इसका कारण पूछा। मैंिे राज खोला तो वे हंस पड़े। तत्पिात जल्दी आिे का दबाव मेरे मनस्तष्क से हमेशा के नलए हट गया। यह प्रसंग दशााता है दक रं जिा कु मार का परं परागत पाररवाररक माहौल में लालि-पालि हुआ है। फौजी (वायुसेिा कार्तमक) होिे से रं जिा कु मार के नपता िे पुत्र व पुत्री में भेदभाव दकए नबिा अपिे दो पुत्र व एकमात्र पुत्री को अिुशासि के साथ बड़ा दकया। नपता के लगातार तबादले के कारण रं जिा कु मार को स्कू ल में िवागंतुक होिे का अच्छा अिुभव है, नजसिे उन्हें वर्ककग वुमि े के रूप में िए पररवेश से तालमेल करिे में भी मानहर बिा ददया है। नपता के तबादलों के कारण रं जिा कु मार िे मुंबई, कोलकाता, कािपुर और कोयम्बटू र में स्कू ली नशक्षा प्राप्त की। वे तो डॉक्टर बििा र्ाहती थीं, पर आंध्र की मूल निवासी ि होिे के कारण उन्हें मेनडकल कॉलेज में प्रवेश िहीं नमला और इससे देश के बैंककग सेक्टर का भला हो गया। हैदराबाद के एक वुमि े कॉलेज से रं जिा कु मार िे बीए की नडग्री प्राप्त की है। इस दौराि उन्होंिे नहन्दी में नवशारद के साथ संगीत-भूषण प्रमाण-पत्र प्राप्त दकया और भरतिाट्यम और कत्थक िृत्य सीखा। उस्मानिया नवश्वनवद्यालय में पनधलक एडनमनिस्ट्रेशि में पोस्ट ग्रेजुएशि की पढाई करते समय जब उिके सहपाठी मौज-मस्ती में व्यस्त थे, तब वे जॉब सर्ा कर रही थीं। 20 वषा की अल्पायु में ही आत्मनिभार बििे का स्वप्न साकार हुआ और रं जिा कु मार िे फरवरी 1966 में बैंक ऑफ इं नडया को प्रोबेशिरी अनिकारी की हैनसयत से ज्वाइि कर नलया। वे कहती हैंHave a good head on your shoulders and you will see sunfire success.
मनहला व पुरुष नविाता की दो अलग-अलग कृ नतयां हैं। उिकी शारीररक बिावट ही िहीं मािनसक बुिावट भी नबलकु ल जुदा है। पुरुषों की तुलिा में मनहलाएं एक ही समय में एक से ज्यादा जवाबदारी का बखूबी निवाहि कर लेती हैं। यही कारण है दक घर और कै ररयर दोिों को पुरुषों की तुलिा में वे ज्यादा कु शलता से संभाल लेती हैं। रं जिा कु मार िे अपिे इस कथि को अपिे जीवि में र्ररताथा दकया है। वे नजतिी निपुण बैंकर हैं उतिी ही ममतामय दादी-िािी। बैंकों में प्रोबेशिरी ऑदफसर से आशय है- सीिे अफसर की हैनसयत से कै ररयर की शुरुआत। प्रारं नभक वषों में इि जूनियर अनिकाररयों को बैंक नवनभन्न शाखाओं में नवनभन्न डेस्कों पर काम करवाती है, तादक वे बैंककग समझें और दफर बड़ी जवाबदारी संभालें। रं जिा कु मार को भी तद्िुसार िौकरी के प्रारं नभक वषों में कई जगहों पर काम करिा पड़ा। उिके कै ररयर को बड़ा ब्ेक तब नमला जब बैंक िे उन्हें अमेररकि कारोबार का प्रभारी बिाकर न्यूयॉका भेजा। स्पष्ट है दक हर सामान्य वर्ककग वुमेि की तरह रं जिा कु मार िे दो भूनमकाएं एक साथ निभाई हैं। घर में वे संयक्त ु पररवार की सुघड़ बह थीं तो दफ्तर में सीनियर बैंकर। तबादलों के कारण उन्हें कई बार पनत व बच्चों से दूर रहिा पड़ा। सप्ताहांत
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पर पररवार से नमलिे के नलए एक बार बैंगलोर से हैदराबाद यात्रा के दौराि वे ऐसी दुघाटिाग्रस्त हुईं दक उन्हें सात ददि आईसीयू में गुजारिा पड़े। पररनस्थनतयों िे उिके मनहलोनर्त स्वभाव को रफ-टफ बिाया है। हालांदक उिके संगी-सानथयों का कहिा है- She is great motivator. न्यूयॉका में रं जिा कु मार की प्रनतभा को पंख लगे। उन्होंिे वहां अंतरराष्ट्रीय कारोबारी जगत व बैंककग देखी और सीखी। बैंक ऑफ इं नडया को वहां उन्होंिे एक गौरव भी ददलवाया। 20 साल के कायाकाल में पहली बार बैंक को अमेररका में उत्कृ ष्ट Rating नमली। इसके अलावा उन्होंिे बैंक पर, अमेररकी सरकार के कर नवभाग द्वारा लगाए गए 3 नमनलयि डॉलर का कर, जो दो साल पहले लगा था- अपिी समझदारी और कु शल संर्ालि से रद्द करवा ददया। वास्तव में इसी मामले में अमेररका के कर नवभाग िे बैंक को 51,000 डॉलर का िे नडट भी ददया। इस काया में उिका निजी प्रयास ही एक असंभव काया को संभव बिा पाया, नजसकी सराहिा बैंक के प्रिाि कायाालय िे भी की। अमेररका से वापसी के बाद रं जिा कु मार बैंक ऑफ इं नडया की एक्जीक्यूरटव डायरे क्टर बिा दी गईं, पर न्यूयॉका पोहस्टग के दौराि िाथा धलाक (नवत्त मंत्रालय) का उन्होंिे ध्याि खींर् नलया था। वे कै िरा बैंक की सीएमडी (र्ेअरमैि व मैिेहजग डायरे क्टर) बिा दी गईं। इं टरिेशिल बैंककग के अिुभव के कारण उन्हें कै िरा बैंक की सहयोगी कं पिी इं डो हांगकांग इं टरिेशिल फाइिेंस नलनमटेड का भी दानयत्व सौंपा गया। नबजिेस इं नडया (12 जूि 2000) िे No challenge too big (कोई भी र्ुिौती बड़ी िहीं होती) शीषाक से प्रकानशत लेख में तब नलखा- रं जिा कु मार ऐसी बैंकर हैं नजन्होंिे बैंक ऑफ इं नडया के हालात सुिारे तो कै िरा बैंक की मुिाफा अजाि क्षमता कई गुिा बढाई है। इस सुपर बैंकर को वॉर् करें । नबजिेस इं नडया का संकेत था दक रं जिा कु मार कई छलांगें लगाएंगी। सि् 2000 में ही यह हो गया। नवत्त मंत्रालय िे उन्हें इं नडयि बैंक का सीएमडी बिाया तो बैंककग उद्योग से जुड़े उिके संगी-सानथयों िे कहा यह तो सजा (Punishment) है, जबदक आप तो इिाम की हकदार हैं। नमत्रों िे उन्हें सलाह दी दक वे यह दानयत्व िहीं स्वीकारें , तो रं जिा कु मार िे जवाब ददया- नि:संदेह जोनखमभरी जवाबदारी तो है पर मैं पीछे िहीं हटूंगी। 95 साल पुरािी एक मजबूत बुनियाद वाली बैंक डू ब रही है, तो क्या हम उसे बट्टे खाते में डाल दें? मैं प्रयास करूंगी दक इं नडयि बैंक को अपिा सुिहरा दौर वापस नमले। Only an incorrigible optimist and die-hard doer like Ranjana Kumar would have staked her career to take up an assignment to resuscitate a bank that had sustained lossess for eight years, if she did not succeed it would have marred her resume, otherwise impressive with notable achiements. ‘It was a risky proposition indeed, but once I took over there was no looking back.’ Says the gutsy banker (Ranjana Kumar: Business India August 4-12, 2003) नमत्रों की सलाह में नि:संदेह कायरता छु पी हुई थी, पर उिकी आशंका पूरी तरह निरािार भी िहीं थी। रं जिा कु मार को जब इं नडयि बैंक सौंपी गई तब यह बैंक आईसीयू में अंनतम सांसें नगि रही थी। बैंक का सकल घाटा (1336 करोड़ रुपए) संपूणा िेटवथा निगल र्ुका था। िॉि परफार्ममग असेट्स (एिपीए; वसूली में संदेहास्पद कजा) कु ल नवतररत ऋण का 44
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फीसदी हो र्ुका था। पूंजी पयााप्तता अिुपात िकारात्मक स्तर को छू रहा था। इि सबसे बड़ी मुसीबत थी बैंक की रुग्णता जो राजिीनतक नववादों में उलझी हुई थी। नवत्त मंत्रालय द्वारा एर्डीएफसी के र्ेअरमैि दीपक पाररख के िेतृत्व में गरठत सलाहकार समूह िे सरकार को सलाह दी थी दक इं नडयि बैंक को ऐसा लीडर (सीएमडी) र्ानहए जो अिुभवी हो, साहसी हो और हो दूरंदेशी। उसके पास नवजि हो Page | 106 और जो नवजि को ही नमशि मािकर बैंक को संभाले। इं नडयि वर्ककग वुमेि के नलए गवा की बात है दक सावाजनिक क्षेत्र की दो दजाि से ज्यादा बैंकों के सैकड़ों वररष्ठतम अनिकाररयों में से नवत्त मंत्रालय को रं जिा कु मार में ही ये सब गुणिमा ददखाई ददए। यही िहीं, जब अन्य बैंकरों िे पलायि कर ददया तो रं जिा कु मार िे इस र्ुिौती को आगे बढकर स्वीकार दकया। उन्होंिे असफलता की नस्थनत में अपिे पाक-साफ कै ररयर को दागदार बिािे की भारी जोनखम उठाई थी। इं नडयि बैंक को सही ट्रैक पर लािे के नलए रं जिा कु मार को नवत्त मंत्रालय से तीि साल नमले थे। रं जिा कु मार िे दो ही साल में लक्ष्य भेद कै से कर ददया यह नबजिेस स्कू ल के छात्रों के नलए एक लंबी के स स्टडी है। आइए, हम इसकी एक झलक देखें। रं जिा कु मार िे इं नडयि बैंक के नलए टिा अराउं ड प्लाि बिाया, पर इसके नलए बाह्य परामशा के बजाय बैंक के ही वररष्ठ अनिकाररयों पर भरोसा दकया। तद्िुसार कायायोजिा बिी दक सबसे पहले स्टाफ को च्मोटीवेट करो, संस्था का ढांर्ा बदलो, खर्ा घटाओ, कायाक्षमता बढाओ और काया प्रणाली के नलए टेदक्नकल सपोटा जुटाओ। रं जिा कु मार जािती थीं दक वातािुकूनलत कमरे में बैठकर कायायोजिा बिािा आसाि है, पर उसे दियानन्वत करिा करठि काम है। सबसे पहले उन्होंिे अपिा बैग बैगेज उठाया और वे बैंक की 1376 शाखाओं के निरीक्षण के नलए निकल पड़ीं। बैंक के प्रत्येक शाखा प्रबंिक से वे स्वयं नमलीं और उन्हें ललकारा- आप कै से कारोबारी शख्स हैं, जो अपिा ही पैसा डू बते हुए देख रहे हैं? (We made sure the cost of deposits, the return on advances, the total expenditure, and likely slippages on which they (Branch Managers) should keep an eye. We make them profit-conscious and taught them to treat each branch as a profit centre. In my meetings with them I would tell them: ‘You are a businessman and you can’t afford to lose money’: Ranjana Kumar in an interview to Business India in August, 2003)
उिके इस शंखिाद िे इं नडयि बैंक के स्टाफ की अंतरआत्मा को झकझोर ददया और र्ूककताा कजादारों के नवरुि बैंक स्टाफ िे युि के नबगुल बजा ददए। रं जिा कु मार िे रोग का कारण ही िहीं खोजा था, उसका निदाि भी सुझाया। बैंक अनिकाररयों को उन्होंिे कहा दक धयाज र्ाहें माफ कर देिा पर मूलिि पूरा वसूल करिा। कजादारों को बुलाया गया उिसे वसूली समझौते होिे लगे, जो िहीं आए उन्हें कािूिी िोरटस जारी दकए गए। इस अनभयाि का सुफल नमला। तीि नवत्तीय वषा (2000-01, 2001-02 और 2002-03) में इं नडयि बैंक िे र्ूककताा कजादारों से 1003 करोड़ रुपया वसूल दकया। बैंक का एिपीए घटकर मात्र 6.15 फीसदी रह गया। इतिे कम समय में इतिे अनिक र्ूककताा कजादारों से इतिी अनिक वसूली बैंककग उद्योग में अपिे आप में एक अपूवा कीर्ततमाि है। रं जिा कु मार के टिा अराउं ड अनभयाि का दूसरा नहस्सा था- खर्ा घटािे के साथ स्टाफ की कायाक्षमता बढािा। मािव संसािि से जुड़ी इस कायायोजिा को लागू करिा तो और भी करठि था। रं जिा कु मार िे योजिाबि तरीके से इसे भी दियानन्वत दकया। उन्होंिे इं नडयि बैंक की शाखाओं को
र्ार नहस्सों में बांटा- कॉरपोरे ट, वानणनज्यक, वैयनक्तक और ग्रामीण शाखाएं। इस श्रेणी के तहत बैंक की 119 शाखाओं का उन्होंिे नवनलयि(Merger) दकया अथवा उन्हें अपिे-अपिे कायाक्षेत्र के नलए युनक्त संगत बिाया। स्वैनच्छक सेवानिवृनत्त योजिा के तहत 3295 कमार्ाररयों को कायामुक्त करके रं जिा कु मार िे सालािा 80 करोड़ रुपयों की बर्त की। नवजि जब नमशि बि जाए तो व्यनक्त का ध्याि भंग िहीं होता। रं जिा कु मार िे (2001-2003) तीि वषों में दकतिे फै सले नलए यह तो वे ही जािें पर उन्होंिे बैंक के आंतररक ढांर्े में सुिार करिे के साथ ही Front Office से अपिा ध्याि िहीं हटिे ददया। ररटेल बैंककग के कई िए उत्पाद लांर् करके बैंक के ग्राहकों को पलायि से रोका तो िए ग्राहकों का भी ध्याि खींर्ा। कं ज्यूमर लोि, होम लोि, सेलेरी लोि, व्हीकल लोि, पसािल लोि जैसी िई-िई सेवाएं लांर् की तथा उन्हें स्वीकृ त करिे के अनिकार भी शाखा प्रबंिकों को सौंप ददए। बैंक की दकसाि बाइक योजिा ग्रामीण अंर्ल में खूब लोकनप्रय हुई, नजसके नवज्ञापि में बैंक िे ग्रामीण ग्राहकों को संदेश ददया था- र्लो, बैलगाड़ी युग से बाइक युग में प्रवेश करें । रं जिा कु मार िे एर्डीएफसी स्टेंडडा लाइफ से गठबंिि करके इं नडयि बैंक की शाखाओं के काउं टर से जीवि बीमा पॉनलनसयां भी बेर्ीं। ग्राहक सुनविा के नलए जगह-जगह एटीएम स्थानपत दकए और सायंकालीि शाखाएं खोलीं। रं जिा कु मार िे बैंक स्टाफ को इतिा उत्सानहत कर ददया था दक उन्होंिे कायाालयीि समयावनि के बाद एवं अवकाश के ददिों में भी काम दकया, दौरे दकए । रं जिा कु मार िे सरकार से तीि साल में इं नडयि बैंक को पुिगारठत व पुिजीनवत करिे का वादा दकया था, पर उन्होंिे 22 माह में ही बैंक के हालात सुिार ददए। नवत्त वषा 2001-02 में बैंक िे छह साल बाद 33.22 करोड़ रुपए का शुि मुिाफा (नवत्त वषा 2000-01 में 274 करोड़ रुपए घाटे की तुलिा में) कमाया तो मार्ा 2002 में कें द्र सरकार िे पुिर्तवत्त योजिा के तहत 1300 करोड़ रुपए की पहली दकस्त जारी कर दी। नवत्त वषा 2002-03 में बैंक िे 40 हजार करोड़ रुपए के कारोबार के साथ 189 करोड़ रुपए (पूवा वषा से 468 फीसदी ज्यादा) मुिाफा कमाया तो नवत्त मंत्रालय िे भी सहषा दूसरी दकस्त 700 करोड़ रुपए जारी कर दी। नबजिेस इं नडया (अगस्त 2003) िे नलखा है- रं जिा कु मार की प्रयोजिात्मक दूरंदेशी कायाशल ै ी एवं मािव प्रबंिि योग्यता िे इं नडयि बैंक को डू बिे से बर्ा नलया है। तीि साल में पूरी होिे वाली कायायोजिा दो साल में ही कै से पूरी हो गई, इसके जवाब में तब रं जिा कु मार िे कहा था- अच्छे समय में सब हेलो-हेलो के मूड में रहते हैं। इस शोर में बुरी बातें छु प जाती हैं तो बुरे समय में अच्छाई भी बुराई ही ददखाई देती है। (Says Ranjana Kumar: In good times, the halo around the organisation hides everything bad within; and in best times, the halo hides everything good.)
ददलर्स्प बात यह है दक हमारे इस आलेख की िानयका रं जिा कु मार को इसके बाद भी नवश्राम िहीं नमला है। बैंक से सेवानिवृनत्त के बाद कें द्र सरकार िे उन्हें िाबाडा का र्ेअरपसाि बिा ददया और 2005 में इससे भी महती जवाबदारी सौंपी। वे भारत सरकार के कें द्रीय सतका ता आयोग की नवनजलेंस कनमश्नर बिा दी गईं। आइए, िाबाडा में भी उिके कररश्मे पर एक िजर डालें।
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िाबाडा यािी िेशिल बैंक फॉर एग्रीकल्र्र एंड रूरल डेवलपमेंट (कृ नष और ग्रामीण नवकास राष्टरीय बैंक) का प्रयोजि हैकृ नष नवत्तयि को समथाि देिा। िाबाडा संस्थागत कृ नष साहकारों (सामान्यत: सरकारी व निजी एवं वानणनज्यक व सहकारी बैंक) को पुिर्तवत्त (ग्रामीण कजा पेटे कम धयाज पर पूज ं ी) प्रदाि करता है। जिसािारण से सीिे संपका ि होिे से िाबाडा के र्ेअरमैि का पद बैंककग उद्योग में अत्यंत लो-प्रोफाइल है। रं जिा कु मार िे इस दानयत्व को संभालिे के बाद जो कायायोजिा बिाई उसके कु छ उल्लेखिीय मुद्दे थे। -स्थािीय जरूरतों के अिुसार ग्रामीण स्तर पर बुनियादी सुनविाएं। रं जिा कु मार के अिुसार कोल्ड स्टोरे ज, गोडाउि व सड़क जैसी जरूरी सुनविाएं ग्रामीण अंर्लों में बढऩे से दकसाि उनर्त मूल्य नमलिे तक अपिे उत्पादि संग्रहण कर सकें गे। - दकसािों को मुक्त माके रटग सुनविा। रं जिा कु मार के अिुसार दकसाि व उपभोक्ता के बीर् मध्यस्थता समाप्त होिा र्ानहए। अभी मध्यस्थ दकसािों की कमाई का बड़ा नहस्सा बीर् में ही हड़प लेते हैं। - ग्रामीण स्तर पर अिाज और बीज बैंक की स्थापिा। रं जिा कु मार िे र्ाहा दक ग्राम पंर्ायतें दकसािों को उन्नत बीज उपलधि करवाएं। वे ही फसलों को होिे वाली क्षनत का आकलि करें । फसल नवनवनिकरण के साथ आगेनिक फार्ममग को बढावा दें। रं जिा कु मार का सोर् माडल नवलेज नवकनसत करिा था। - िाबाडा िे सेल्फ-हेल्प ग्रुप बिवाए, जो ग्रामीण मनहलाओं में उद्यमशीलता को बढावा दे। ये ग्रुप ग्रामीण मनहलाओं को गांवों में ही कारोबार करिे का प्रनशक्षण दे। यही िहीं, उन्हें कम धयाज पर कजा भी प्रदाि करे । उिके कायाकाल में िाबाडा िे एक एिजीओ इस प्रयोजि के नलए गरठत दकया। - िाबाडा िे िेशिल इं नस्टट्यूट ऑफ फै शि टेक्नोलॉजी से एक अिुबंि दकया है। इसके तहत इं नस्टट्यूट की छात्राएं ग्रामीण मनहलाओं को फै नब्क नडजाइहिग नसखािे लगी हैं। रं जिा कु मार िे िाबाडा की अपिी कायायोजिा को Think Global, Plan National and Act Local कहा। िाबाडा एवं बैंकसा इं नस्टट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट की र्ेअरमैि होिे के साथ रं जिा कु मार िेशिल कमोनडटी एंड डेवलपमेंट एक्सर्ेंज नलनमटेड (एिसीडीईएक्स), नडपानजट इं श्यूरेंस एंड िे नडट गारं टी कॉरपोरे शि नलनमटेड, एग्रीकल्र्र फाइिेंस कॉरपोरे शि नलनमटेड की भी बोडा मेम्बर रही। भारतीय ररजवा बैंक की एडवाइजरी कमेटी (कृ नष एवं संबंनित गनतनवनियों के नलए साख प्रवाह) की वे स्थायी रूप से आमंनत्रत सदस्य हैं। इं टरप्रीिरनशप डेवलपमेंट इं नस्टट्यूट ऑफ इं नडया के नियंत्रक मंडल की वे सदिय सदस्य हैं। के जी फाउं डेशि िे पसािैनलटी ऑफ नडके ड अवाडाज,् इं नस्टट्यूट ऑफ डायरे क्टसा िई ददल्ली िे Golden नपकाक वुमेि नबजिस लीडरनशप अवाडा (2001) के अलावा रं जिा कु मार को कई संस्थािों िे Best प्रोफे शिल मैिेजर अवाडा या Best बैंकर अवाडा से कई बार िवाजा है। समाज सेवा के नलए सि् 2004 में उन्हें सद्गुरु ज्ञािािंद िेशिल अवाडा भी प्रदाि दकया गया है। वे कहती हैं- जब भी कोई अवाडा नमलता है तो मुझे अहसास होता है दक मेरी जवाबदारी और बढ गई है क्योंदक हर अवाडा के साथ लोगों की अपेक्षाएं बढ जाती हैं। मैं र्ाहती हं दक नजतिी मजबूती के साथ मैं जमीि से जुड़ी रहं उतिा ही मजबूत हो मेरा मि व मनस्तष्क।
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रं जिा का शानधदक अथा है- खुश रहो। रं जिा कु मार अपिे िाम के भावों को ि के वल जीती हैं, उन्हें र्ररताथा भी करती हैं। पर उन्हें एक रं ज है दक अत्यनिक व्यस्तता के कारण वे अपिे बच्चों के साथ उतिा समय व्यतीत िहीं कर पाईं, नजतिा उन्हें उिकी मां या दादी से नमला था। वे कहती हैं- मेरी मां िे तो एक स्कू ल भी स्थानपत दकया था और तीस वषा तक उसका संर्ालि भी दकया। मैंिे उिसे ही सीखा है दक अपिी भूलों की भूल-भुलैया में मत भटको और मौका नमलते ही उन्हें सुिार लो। उिके अिुसार मािनसक व शारीररक रूप से मजबूत व स्वस्थ बिे रहिे के नलए पररवार में प्रसन्नता होिा र्ानहए। मैं सौभाग्यशाली हं दक मुझे पनत और संतािें ऐसी नमली हैं नजन्होंिे मेरे कै ररयर की व्यस्तता को सही अथों में समझा। सही कहती हैं रं जिा कु मार। घर के बाहर उिका Status र्ाहे जो रहा हो, पर अपिे पररवार में वे आज भी परं परागत गृनहणी ही हैं।
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अध्याय 17
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लनलता गुप्ते लीडर नवथ नडफरें स आईसीआईसीआई देश का अके ला ऐसा नवत्तीय समूह (आईसीआईसीआई बैंक, आईसीआईसीआई लोम्बाडाबीमा कं पिी, प्रूडनें शयल आईसीआईसीआई-म्यूच्युअल फं ड, आईसीआईसीआई नसक्यूररटीज- निवेश बैंककग और आईसीआईसीआई वेंर्सा- निजी इदक्वटी) है- जहां मनहलाएं पुरुषों के बराबर उच्चपदेि जवाबदाररयां संभाले हुए हैं। आईसीआईसीआई की पहली मनहला कार्तमक लनलता गुप्ते कहती हैं-यह कोई अजूबा िहीं है। तीस साल पहले हमें ऐसा दूरंदश े ी िेतत्ृ व नमला था नजसिे कार्तमक नियुनक्त में पुरुषों व मनहलाओं को समाि अवसर प्रदाि दकया। उिका सोर् था दक देश की आबादी में मनहलाओं की संख्या आिी है। प्रनतभा के इस स्रोत की उपेक्षा करिा अपिे पैरों पर कु ल्हाड़ी मारिा है। नशक्षा : ददल्ली के नमरांडा हाउस से इकॉिानमक्स मे ग्रेजुएशि, मुंबई के जमिालाल बजाज इंनस्टट्यूट ऑफ मैिेजमेंट स्टडीज से एमबीए/ संप्रनत : आईसीईसीआई वेंर्सा की र्ेअरपसाि/ उपलनधि: फार्ूाि मैगजीि की दुनिया की सवाानिक पावरफु ल नबजिेस वुमेि सूर्ी में शानमल, वुमेि अर्ीवसा अवाडा- 2001 (वुमेि ग्रेजुएट्स यूनियि) एवं वुमेि ऑफ द ईयर-2002 से सम्मानित (इंटरिेशिल वुमेंस एसोनसएशि)।
लनलता गुप्ते : लीडर नवथ नडफरें स सि् 1971 में जब आईसीआईसीआई के तत्कालीि र्ेअरमैि श्री सुरेश एस. िाडकणी िे मुंबई के जमिालाल बजाज इं नस्टट्यूट ऑफ मैिेजमेंट की एमएमएस फाइिल की छात्रा लनलता गुप्ते का कै म्पस इं टरव्यू में र्यि दकया, तब आईसीआईसीआई एक सािारण नवकासोन्मुखी नवत्तीय संस्थाि था। इसकी गनतनवनियां प्रोजेक्ट फाइिेंहसग तक सीनमत थीं। िाथा धलॉक, ररजवा बैंक व अफसरशाही की नगरफ्त इतिी मजबूत थी दक इं श्योरें स नबजिेस को तो भूल ही जाइए, आईसीआईसीआई के नलए ररटेल बैंककग की ओर देखिा भी वर्तजत था। आईसीआईसीआई का क्लाइं ट बेस इतिा छोटा था दक देश के महािगरों में तद्िुसार इसके नगिे-र्ुिे दफ तर थे। आज जैसी देसी-नवदेशी शाखाएं और वहां उमड़ती भीड़ तब आईसीआईसीआई के नलए कल्पिातीत थी। लनलता गुप्ते का र्यि तो हो गया पर वे असमंजस में उलझ गईं। दुनविा थी दक नवत्त क्षेत्र जरटल है, पुरुष प्रिाि है...... आईसीआईसीआई में वे पहली वुमेि एक्जीक्यूरटव होंगी..... माहौल के साथ सामंजस्य कै से स्थानपत होगा! एक साक्षात्कार में लनलता गुप्ते िे कहा है- िाडकणी नवजिरी लीडर थे। उन्होंिे मेरे ऊहापोह को भांप नलया, पर मुझे आश्वासि देिे के बजाय कहा दक यदद आप मेरे संगठि में काम िहीं कर पाईं तो मैं माि लूग ं ा दक आईसीआईसीआई मनहलाओं के नलए उपयुक्त वका प्लेस िहीं है। इनतहास बिािा हो तो इनतहास का नहस्सा बििा पड़ता है। ऐनतहानसक लोग (मनहला या पुरुष) वे होते हैं जो लीक से हटकर र्लते हैं। देश की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेिािी महारािी लक्ष्मीबाई को याद करें । स्वतंत्रता मेरा जन्मनसि अनिकार है- यह संदेश जब उन्होंिे देश के जिमािस में पहुंर्ाया तब कोई बालगंगािर नतलक, महात्मा गांिी, सुभाषर्ंद्र बोस, र्ंद्रशेखर आजाद या शहीद भगतहसह िहीं जन्मे थे। देश को आजादी ददलािे का श्रेय लेिे वाले राजिीनतक दल या राजिेता ध्याि दें दक यदद अपिे दुिमुंहे नशशु को अपिी पीठ पर बांिकर दुगाारूपेण महारािी लक्ष्मीबाई िे अंग्रेजों के नवरुि शंखिाद ि दकया होता तो दकतिी मां, बहि, पनत्नयां अपिे पुत्र, भाई व पनतयों को स्वतंत्रता संग्राम में आहनत देिे के नलए प्रेररत करतीं? पाठक इस नवषयांतर के नलए क्षमा करें । आइए, नवषय पर लौटें और लनलता गुप्ते के कै ररयर ग्राफ पर एक िजर डालें। लनलता गुप्ते ऐसे प्रगनतशील पररवार में जन्मी हैं जो पुत्र-पुत्री में कोई भेदभाव िहीं करता है। इं नडयि नसनवल सर्तवस (अब आईएएस) से अपिा कै ररयर शुरू करिे वाले उिके नपता कै नबिेट सेिेटरी की हैनसयत से सेवानिवृत्त हुए हैं। लनलता गुप्ते की मां एक समाजसेवी मनहला थीं, जो 50 के दशक में महाराष्ट्र स्टेट वुमेि काउं नसल की प्रेनसडेंट रहीं और आशा सदि (मनहलाओं व बच्चों के कल्याणाथा कायारत मुंबई का एक समाजसेवी संगठि) से जीविपयंत जुड़ी रहीं। लनलता गुप्ते की बड़ी बहि नवजया आिंद मनहला रोग नर्दकत्सक और दूसरी बहि शारदा नद्ववेदी िे इनतहासकार के रूप में ख्यानत पाई । भाई िे सुपर कम्प्यूटर परम के नवकास में अहम् भूनमका निभाई। लनलता गुप्ते की स्कू ली पढाई मुब ं ई व ददल्ली (क्वीन्स मेरी, जीसस व मेरी कान्वेंट) में हुई। ददल्ली के नमरांडा हाउस से इकॉिानमक्स में ग्रेजुएशि करिे के बाद उन्होंिे जमिालाल बजाज इं नस्टट्यूट ऑफ मैिेजमेंट स्टडीज से एमबीए की नडग्री प्राप्त की। भारतीय िौसेिा के एक अनिकारी से नववानहत लनलता गुप्ते कहती हैं- ददलीप नजतिे बदढय़ा नपता हैं उतिे ही बेहतरीि पनत। मैं भाग्यशाली हं दक मेरे बच्चे भी बुनिमाि व संतुनलत व्यनक्तत्व के ििी हैं। ददलीप और मैंिे उिकी गनत व
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उिके सोर् के अिुसार उन्हें बड़ा दकया है। वे बर्पि में ही समझ गए थे दक उिके मां-नपता कामकाजी हैं। सब मनहलाओं को मां बििे का वरदाि नमला है पर वे माएं भाग्यशाली होती हैं नजन्हें समझदार बच्चे नमलते हैं। सि् 1971 में एक ट्रेिी की हैनसयत से आईसीआईसीआई को ज्वाइि करिे वाली लनलता गुप्ते िे अपिे जीवि के 35 सुिहरे वषा एक ही संस्था को समर्तपत दकए हैं। उन्हें इसका यथोनर्त पुरस्कार भी नमला है। सि् 2004 में वे आईसीआईसीआई के ज्वाइं ट मैिेहजग डायरे क्टर व सीओओ के पद से सेवामुक्त अवश्य हो गई हैं, पर आज भी वे भारत फोजा, फायर स्टोि सालुसंस या दकलोस्कर ब्दसा जैसी कं पनियों की बोडा मेम्बर हैं। दुनिया की सबसे बड़ी हैंडसेट निमााता कं पिी िोदकया िे भी उिके इं टरिेशिल बैंककग कायाािुभव को मान्यता देते हुए उन्हें अपिे नियंत्रक मंडल में मिोिीत दकया है। आईसीआईसीआई िे भी अपिी इस अिुभवी वुमेि एक्जीक्यूरटव को पूरी तरह मुक्त िहीं दकया है। वे आज भी आईसीआईसीआई वेंर्सा की र्ेअरपसाि हैं। लनलता गुप्ते के दो दशक (1971-1991) का परफॉमेंस उस दौर की नियंनत्रत नवत्तीय गनतनवनियों तक सीनमत रहा, पर इस अवनि में भी उन्होंिे आईसीआईसीआई के दियाकलापों में मूल्य संविाि (value addition) दकया, फलत: सि् 1984 में वे आईसीआईसीआई की पहली मनहला एक्जीक्यूरटव डायरे क्टर बिीं। सि् 1991 में उन्हें तत्कालीि प्रबंिक मंडल िे कं पिी की पहली मनहला ज्वाइं ट मैिेहजग डायरे क्टर व सीओओ बििे का गौरव प्रदाि दकया। लनलता गुप्ते िे अपिे यशस्वी कै ररयर के अंनतम वषों में अपिी कं पिी को जो सौगात दी है- वह है आईसीआईसीआई को अंतरराष्ट्रीय पहर्ाि। सि् 2002 में आईसीआईसीआई समूह के मैिेहजग डायरे क्टर व सीईओ के .वी. कामथ िे उन्हें अंतरराष्टरीय िेटवका स्थानपत करिे की जवाबदारी सौंपी थी। इं टरिेशिल नबजिेस ग्रुप के हेड की हैनसयत से लनलता गुप्ते िे र्ार वषों तक माह में 15 ददि नवदेश में व्यतीत दकए और 15 नवनभन्न देशों की 70 िास -कल्र्र (बहु संस्कृ नत) एक्जीक्यूरटव टीम का कु शलता से िेतृत्व संभाला। नब्टेि, रनशया व किाडा में आईसीआईसीआई के स्वानमत्व की तीि सहायक कं पनियां स्थानपत की। हसगापुर, बहरीि, दुबई, श्रीलंका, हांगकांग और बेनल्जयम में शाखाएं तथा अमेररका, र्ीि, बांग्लादेश, दनक्षण अफ्रीका, इं डोिेनशया, थाईलैंड व मलेनशया में प्रनतनिनि कायाालय खोले। आईसीआईसीआई बैंक का यह अंतरराष्टरीय िेटवका आज अप्रवासी भारतीयों की नवत्तीय जरूरतें (निवेश व निनि हस्तांतरण) पूरी करता है तो भारतीय कं पनियों को नवदेश व्यापार से जुड़ी सेवाएं तथा नवदेश में कारोबार करिे के नलए पूंजी उपलधि करवाता है। लनलता गुप्ते िे आईसीआईसीआई की हसगापुर शाखा को एनशया महाद्वीप के हब के रूप में नवकनसत दकया है, नजसका दानयत्व है हसगापुर सनहत एनशया महाद्वीप के देशों के साथ भारतीय कारोबार की नवत्तीय जरूरतें पूरी करिा। आईसीआईसीआई बैंक यूके नलनमटेड ररटेल व कॉरपोरे ट बैंककग गनतनवनियों में संलि है। आईसीआईसीआई बैंक किाडा संपूणा नवत्तीय सेवा प्रदाि करिे वाली स्वतंत्र बैंक है। लनलता गुप्ते द्वारा मात्र पांर् सालों में स्थानपत इस इं टरिेशिल िेटवका िे ही आईसीआईसीआई को देश का दूसरा सबसे बड़ा फाइिेंनशयल पॉवर हाउस बिाया है। सारी दुनिया को आईसीआईसीआई का प्ले-ग्राउं ड बिािे वाली लनलता गुप्ते कहती हैं- यह मेरे जीवि का सबसे अद्भुत अिुभव व सुिहरा दौर है।
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फार्ूाि मैगजीि की दुनिया की सवाानिक पावरफु ल नबजिेस वुमेि सूर्ी में शानमल, वुमेि अर्ीवसा अवाडा- 2001 (वुमेि ग्रेजुएट्स यूनियि) एवं वुमि े ऑफ द ईयर-2002 (इं टरिेशिल वुमेंस एसोनसएशि) से सम्मानित लनलता गुप्ते िे अपिे 35 साल के कायाकाल में हजारों युवा छात्रों को नवत्त नवशेषज्ञ बिाया है। आईसीआईसीआई के Trainee युवक-युवनतयों का बच्चा िामकरण करिे वाली और उन्हें वैसा ही ट्रीटमेंट देिे वाली लनलता गुप्ते के अिुसार आईसीआईसीआई को जेंडर न्यूट्रल काया संस्कृ नत आत्मसात करिे में वषों लगे हैं। इस काया में कई लोगों िे अहम भूनमका निभाई है। उन्होंिे जवाबदारी, आवंटि या पदोन्ननत के नलए ऐसी रीनतिीनत बिाई दक वर्ककग वुमेि अपिे पररवार की भी समुनर्त देखरे ख कर सके । वर्ककग वुमेि मां बिेगी तो लंबे अवकाश पर भी जाएगी। आईसीआईसीआई में मातृत्व अवकाश को कै ररयर या पदोन्ननत में स्टाप िहीं पॉज मािा जाता है। लंबे अवकाश के बाद जब मनहला कार्तमक लौटती है तो उन्हें वही जवाबदारी, वही वेति और पदोन्ननतयां नमलती हैं नजसकी वे हकदार हैं। लनलता गुप्ते के अिुसार आईसीआईसीआई िे उन्हें सफल वर्ककग वुमेि ही िहीं Best mother भी बिाया है।
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अध्याय 18
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कल्पिा मोरपाररया सफलता की हकीकत बर्पि में गुड्ड-े गुड्डी का नववाह रर्ाते समय हर सामान्य भारतीय लड़की स्वप्न संजोती है दक एक ददि एक खूबसूरत राजकु मार घोड़े पर सवार होकर आएगा, उससे नववाह करे गा, वह गृहस्थी बसाएगी और मां बिेगी। कल्पिा मोरपाररया भी परं परागत गृनहणी बििा र्ाहती थीं। इसके नलए ज्यादा पढऩा-नलखिा जरूरी िहीं है, अत: उन्होंिे सोर्ा था दक वे के वल मैरट्रक तक पढेंगी और इसके बाद बस्ते को बाय- बाय कर देगी। पर कल्पिा िे नवज्ञाि में िातक व एलएलबी की नडग्री ली और अपिी मेहित व समपाण से देश के बड़े नवत्तीय सेवा समूह में बड़ी-बड़ी जवाबदाररयां बखूबी संभाली। नशक्षा : मुंबई यूनिवर्तसटी से साइंस ग्रेजुएट और लॉ की नडग्री/ संप्रनत : सीईओ, जेपी मागाि र्ेज एंड कं पिी/ उपलनधि : द इंनडयि मर्ेंट र्ैंबर द्वारा 1999 में वुमेि अर्ीवसा अवॉडा। कई कं पनियों की बोडा मेम्बर, आईसीआईसीआई बैंक की पूवा ज्वाइंट मैिेहजग डायरे क्टर।
कल्पिा मोरपाररया : सफलता की हकीकत Page | 115 सि् 1971 में लनलता गुप्ते िे पहली मनहला कार्तमक के रूप में आईसीआईसीआई को ज्वाइि दकया तो सि् 1975 में कल्पिा मोरपाररया िे। तद्िुसार एक आईसीआईसीआई की मनहला शनक्त की गंगोत्री है तो दूसरी जमिोत्री। कल्पिा मोरपाररया नजतिे ददलर्स्प व्यनक्तत्व की ििी हैं, उतिा ही मजेदार है उिका वर्ककग वुमेि बििा। सि् 1966 में कल्पिा िे मैरट्रक परीक्षा उत्तीणा की और प्रतीक्षा करिे लगी दक मां उिका नववाह करे । नविवा मां िे बेटी को समझाया दक नववाह करिे के नलए पढाई को Lock करिा िादािी होगी। वे ग्रेज्युएट हो जाएंगी तो नववाह करिा ज्यादा आसाि हो जाएगा। (Says Kalpana Morporia:A happily married life with a handsome man and lovely children, was the usual life that I dreamt of. Matriculations, I thought, would do. When I finished my matriculation in 1966, it meant end of education. But my mother, a widow, was adamant that I complete a degree course.)
कल्पिा िे साइं स कॉलेज ज्वाइि कर नलया। मां समझा-बुझाकर बेटी को कॉलेज तो भेज सकती थी, पर पढऩे को कै से नववश करतीं? कल्पिा को डर था दक यदद अच्छे अंकों से बीएससी की परीक्षा उत्तीणा करें गी तो मां दबाव डालेगी दक डॉक्टर बि जाओ, अच्छा पनत नमलेगा। कल्पिा िे इसनलए मौज-मजे के साथ ग्रेजुएशि की नडग्री ली पर दफर एक दुघाटिा (?) हो गई। नबिा प्रयास दकए उन्हें एक स्कू ल में िौकरी नमल गई। इस बार भाग्य िे साथ ददया। स्वरदोष के कारण बहुत जल्दी वह िौकरी छू ट गई। अब कल्पिा िे मां को समझाया दक मुझे गृनहणी बििा है, मैं िौकरी िहीं करूंगी, अत: घर का कामकाज नसखाओ। मां र्ुप रहीं। वे जािती थीं दक घरे लू कामकाज एक समाि (Monotonous) होिे से उिकी बुनिमाि व उद्यमी बेटी बहुत जल्दी ऊब जाएगी। यही हुआ भी। कल्पिा मोरपाररया िे समय व्यतीत करिे के नलए इस बार गविामेंट लॉ कॉलेज में दानखला ले नलया। एल.एल.बी. के दूसरे वषा की पढाई के दौराि प्रतीक्षा समाप्त हुई। उिका नववाह हुआ। वे खुश थीं दक र्लो अब दकताबों से पीछा छू टेगा, पर इस बार पनत िे नववश कर ददया दक अिूरी पढाई से क्या फायदा? एल.एल.बी. की नडग्री ले लो, वकालत मत करिा। एल.एल.बी. की नडग्री के साथ ही कल्पिा मोरपाररया को एक लॉ-फमा में जॉब भी नमल गया। वे कहती हैं- मैं बहुत खुश थी। सािारण िौकरी थी। मेरी भी कोई अपेक्षा िहीं थी। दकसी से कोई नगला-नशकवा िहीं होिे से हजदगी मौज-मजे के साथ दौडऩे लगी। पर यह नसलनसला भी बहुत जल्दी थम गया। इस बार देवर मुसीबत (?) बिा। (Says Kalpana Morporia:I was extremely glad when I got married. It was a long-held dream. But to my horror, my husband took on the role of my mother and insisted I complete my studies. Then, I was again
happy working at the law firm. When does not have any expectations from a job, one has no complaints. It was my brother-in law who told me of a vacancy in the legal department of erstwhile ICICI.) आईसीआईसीआई के लॉ नडपाटामेंट में वैकेंसी है। भाभी के पास एल.एल.बी. की नडग्री है उन्हें कोनशश करिा र्ानहए। देवर का यह प्रस्ताव घर वालों को रास आया। कल्पिा को आवेदि भेजिा पड़ा। नियनत की िीयत कौि जाि सका है? बड़े कारोबारी के िवास पर काम करिे का भाग्य िे तािा-बािा बुि ददया। सि् 1975 में आईसीआईसीआई को ज्वाइि करिे के बाद वहां के माहौल िे कल्पिा मोरपाररया का सारा सोर्, सारा व्यनक्तत्व बदल डाला। वे आज निनित ही अपिी मां, पनत व देवर को कहती होंगी- Thank you । कल्पिा मोरपाररया िे फाइिेंस की पढाई िहीं की है। दकसी नबजिेस स्कू ल से व्यवसाय प्रबंिि की नडग्री भी िहीं ली है। तद्िुसार शुरुआती कु छ वषा तो उन्हें नवत्तीय कामकाज को समझिे और लोगों के साथ कामकाजी व्यवहार सीखिे में खर्ा करिा पड़े। वे कहती हैं- मैं लकी हं दक आईसीआईसीआई िे मुझे हमेशा आउट ऑफ टिा बड़ी जवाबदाररयां सौंपी। मसलि सि् 1991 में कं पिी िे इं टरिेशिल बॉण्ड इश्यू लांर् दकया। नवनि नवभाग के कई वररष्ठ लोगों के बजाय इस इश्यू की कािूिी जवाबदारी मुझे सौंपी गई। इसके नलए अफसरशाही से एवं सेबी के पदानिकाररयों से नमलिे व र्र्ाा िे मेरे व्यनक्तत्व की सारी परतें हटा दीं। मुझे आभास हुआ दक अपिी बात समझािे व मिवािे में मैं मानहर हं। समाजशास्त्री कहते हैं दक नविाता से मनहलाओं को के वल खूबसूरती ही िहीं नमली है। वे मि व मािस पढऩे में भी मानहर होती हैं। बर्पि से पाररवाररक समस्याओं का सबसे पहले सामिा करके वे हर मुद्दे के हर पहलू को गौर से देखिे लगती हैं। पुरुष जहां समस्या का सामान्य व सहज हल खोजते हैं, मनहलाएं लीक से हटकर सोर्ती हैं और िए निदाि सुझाती हैं। दकशोर उम्र वाली कल्पिा शिै:-शिै: बदलिे लगीं और कल्पिा मोरपाररया में ऐसी वर्ककग वुमि े जन्मी, नजसिे 70 के दशक की गुमिाम सी सरकारी प्रोजेक्ट फाइिेंस कं पिी आईसीआईसीआई को देश का प्रमुख नवत्तीय सेवा संस्थाि बिािे में अहम् भूनमका निभाई है। सि 1982 के बाद 14 वषों तक आईसीआईसीआई िे जो भी िया प्रोडक्ट/िई सेवा लांर् की उसे सही पररप्रेक्ष्य में ग्राहकों तक कल्पिा मोरपाररया िे ही पहुंर्ाया है। उन्हें इसका यथोनर्त पुरस्कार भी नमला है। सि् 1996 में आईसीआईसीआई के सीईओ के .वी. कामथ िे कल्पिा मोरपाररया को ट्रेजरी हेड एवं कं पिी का पनधलक फे स बिा ददया। उिका ओहदा हो गया- जिरल मैिेजर (लॉ-अफे यसा, प्लाहिग, ट्रेजरी व कॉरपोरे ट कम्युनिके शंस)। सि् 1998 में इस वका पोटा-फोनलयो में बढोतरी हुई और कल्पिा मोरपाररया मािव संसािि, स्ट्रेटेनजक सपोटा और स्पेशल प्रोजेक्ट्स भी संभालिे लगीं। सि् 2001 में उन्होंिे वह पदोन्ननत पाई जो हर प्रोफे शिल एक्जीक्यूरटव्स की पहली र्ाह होती है। आईसीआईसीआई के एक्जीक्यूरटव डायरे क्टर की हैनसयत से कल्पिा मोरपाररया ग्रुप की नवनभन्न इकाइयों के बीर् तालमेल और संस्थागत नवकासोन्मुखी रणिीनत की रर्िाकार बिा दी गईं। सि् 2007 में नडप्टी मैिेहजग डायरे क्टर के पद से सेवानिवृत्त होिे वाली कल्पिा मोरपाररया कई कं पनियों की सम्माििीय बोडा मेम्बर हैं। इि सबसे बड़ी उिकी उपलनधि हैआईसीआईसीआई की वे ऐसी संकटमोर्क (Problem shooter) हैं, नजि पर मारग्रेट थैर्र का यह कथि अक्षरश: लागू
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होता है- यदद कोई सुझाव र्ानहए तो पुरुषों को याद करें , वे बातें करें ग,े पर यदद दकसी समस्या का निदाि र्ानहए तो मनहला को याद करें वह समस्या सुलझाएगी। बे-मि से वर्ककग वुमेि बििे वाली कल्पिा मोरपाररया हॉई फ्लायर सानबत हुई हैं। कायाालयीि दानयत्व संभालिे में वे नजतिी िीर-गंभीर हैं, निजी हजदगी में उतिी ही सहज व सरल। सर् यह है दक दकशोर उम्र वाली कल्पिा उिके व्यनक्तत्व Page | 117 में आज भी नवद्यमाि है, जो मौका नमलते ही उन्हें उकसा देती है। प्रौढावस्था में भी उिका अल्हड़पि देखते ही बिता है। अपिे status कवर् को नछन्न-नभन्न करके वे प्राय: दकसी नसिेमा हॉल या मॉल में पहुंर् जाती हैं। ररलीज के पहले सप्ताह में दफल्म देखिा उिकी कमजोरी है, तो नबजिेस टू र दकतिा भी Tight हो वे शाहपग करिे का समय र्ुरा ही लेती हैं। शािदार कपड़े पहििा और पूरे मिोयोग से सजिा- संवरिा उिका स्वभाव है। Kalpana Morporia isn’t afraid to present herself as the very opposite of the archetypal career woman. She likes shopping, cooking and dressing up. She is a compulsive shopper and still find the times to shop with a tight schedule during tours. She likes to watch films the week they are released. As per Kalpana: ‘If you treat your job as work, you tend to be mediocre. कल्पिा मोरपाररया को कोई रं ज है तो वह है- मां िहीं बि पािा। वे कहती हैं- मैं यह कमी कभी िहीं भूल पाती हं कल्पिा मोरपाररया उि मनहलाओं के नलए प्रेरणास्रोत हैं, जो पढाई की कमी के कारण िौकरी से बर्ती हैं, या सािारण िौकरी करिा र्ाहती हैं। वे कहती हैं- मैंिे नवज्ञाि में िातक की नडग्री ली जो फाइिेंस कै ररयर के नलए पूरी तरह गैरजरूरी ही िहीं, बेकार सानबत हुई। मैंिे नबजिेस मैिेजमेंट की पढाई िहीं की पर अपिी मेहित व समपाण से देश के बड़े नवत्तीय सेवा समूह में बड़ी-बड़ी जवाबदाररयां बखूबी संभाली। सेवानिवृनत्त के बाद उन्होंिे कहा है- मेरे नलए अपिे िाम से आईसीआईसीआई को हटािा संभव ही िहीं है। मेरा पूरा िाम है- कल्पिा मोरपाररया आईसीआईसीआई। मैं यह भी माििे को तैयार िहीं हं दक वर्ककग वुमेि की हैनसयत से मेरी पारी पूरी हो गई है। सेवानिवृत्त होिे अथाात बूट उतारिे जैसी उम्र िहीं है मेरी। मैं अपिे कै ररयर की दूसरी पारी शुरू करूंगी। Says Kalpana Morporia : (Before retirement) : It will be a sad day for me when I leave ICICI. I have always said my name is Kalpana Morporia ICICI. I will start a second career. I am too young to retire and hang up my foots.
कल्पिा मोरपाररया िे यही दकया। 30 साल आईसीआईसीआई में गुजारिे के बाद सि् 2009 में उन्होंिे जे.पी. मागाि इं नडया की सीईओ की हैनसयत से ज्वाइि करके 65 वषा की उम्र में िई पारी शुरू की है।
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र्ंदा कोर्र सफलता की रोशिी सि् 2009 में श्री के .वी. कामथ सेवानिवृत्त हुए। आईसीआईसीआई के 50 साल के इनतहास में पहली बार कोई मनहला िे देश के दूसरे सबसे बड़े नवत्त सेवा समूह की बागडोर संभाली, क्योंदक आईसीआईसीआई का नियंत्रक मंडल र्ंदा कोर्र की उपलनधियों पर आिाररत दावे को आसािी से िजरअंदाज िहीं कर पाया। सि् 2004 में वे एक्जीक्यूरटव डायरे क्टर और पांर् साल बाद ही नडप्टी मैिेहजग डायरे क्टर बि गई थी। ददलर्स्प बात यह है दक वे अभी 40- एज ग्रुप में हैं। अथाात उिके पास वर्ककग एज का लगभग आिा समय शेष है। नशक्षा : मुंबई के जयहहद कॉलेज से ग्रेजुएशि, जमिालाल बजाज
इंनस्टट्यूट ऑफ मैिेजमेंट से मैिेजमेंट नडग्री
तथा Institute of Cost & Works Accountancts of India से नडग्री कोसा/ संप्रनत : एमडी-सीईओ आईसीआईसीआई।/ उपलनधि: 2006 में ररटेल बैंकर इंटरिेशिल द्वारा राइहजग स्टार अवाडा, 2005 व 2006 की सवाानिक प्रभावशाली मनहलाओं की Fortune सूर्ी में िमश: 47 व 37वां स्थाि, 2005 में इकॉिानमक टाइम्स द्वारा नबजिेस वुमेि ऑफ द इयर अवाडा।
र्ंदा कोर्र : सफलता की रोशिी आईसीआईसीआई में मनहला और पुरुष एक्जीक्यूरटव्स के बीर् पदोन्ननत की होड़ में प्राय: मनहलाओं िे पुरुषों को परास्त दकया है। यह ि तो संयोग है और ि ही पक्षपात। आईसीआईसीआई के सीईओ कुं डापुर वामि कामथ के अिुसार द्रुतगनत से दौडऩे वाले प्रनतस्पिी नबजिेस ग्रुप बुनिमाि व दूरंदेशी लीडर खोजते हैं- मनहला या पुरुष िहीं। इस खोज में आईसीआईसीआई में मनहलाएं अव्वल रही हैं तो इसका कारण है उिकी प्रनतभा व प्रनतबिता। श्री कामथ के अिुसार मनहलाएं पुरुषों से अलग सोर्ती हैं। वे टीम को ज्यादा सलीके से lead करती हैं। पुरुषों की Loyalty का आिार होता हैप्रानप्तयां (पे-पैकेज), जबदक मनहलाएं जॉब संतुनष्ट को प्राथनमकता देती हैं। यही कारण है दक जहां भी कामकाजी माहौल नमला है, मनहलाएं पुरुषों से ज्यादा सक्षम मैिेजर सानबत हुई हैं। (Says Kundapur Vaman Kamath: Almost all the leaders we have picked have succeeded, and most have been women. It is clearly result of merit and of not distinguishing between a man and woman. Out criteria has been to pick leaders with ability, intellect and the entrepreneurial ability to lead teams. Women have ability to think in a much more detached manner than man.)
ददलर्स्प बात यह है दक सि् 2009 में श्री कामथ के सेवानिवृत्त (60 वषा) होिे के पूवा मीनडया में उिके उत्तरानिकारी की र्र्ाा होिे लगी थी। इस होड़ में सबसे अव्वल थी- नडप्टी मैिेहजग डायरे क्टर र्ंदा कोर्र, नजन्होंिे ररटेल बैंककग के हेड की हैनसयत से आईसीआईसीआई को देश का सबसे बड़ा Retail Banker & Best Bank बिािे में अहम् भूनमका निभाई है। आईसीआईसीआई की ज्वाइं ट मैिेहजग डायरे क्टर लनलता गुप्ते की सेवानिवृनत्त (अक्टू बर 2006) के बाद वे आईसीआईसीआई के इं टरिेशिल पोटाफोनलयो को संभाल रही थी। आईसीआईसीआई के 50 साल के इनतहास में पहली बार कोई मनहला देश के दूसरे सबसे बड़े नवत्तीय सेवा समूह की बागडोर संभाली। आईसीआईसीआई का नियंत्रक मंडल र्ंदा कोर्र की उपलनधियों पर आिाररत दावे को आसािी से िजर अंदाज िहीं कर पाया। 23 साल के अपिे अल्पावनि कै ररयर में वे र्ौंकािे वाली द्रुत गनत से दौड़ी हैं। सि् 1984 में र्ंदा कोर्र िे आईसीआईसीआई को मैिेजमेंट ट्रेिी के रूप में ज्वाइि दकया था। सि् 2004 में वे एक्जीक्यूरटव डायरे क्टर बि गईं। जोिपुर में जन्मी र्ंदा कोर्र एक नशक्षानवद् की पुत्री हैं। उिके नपता जयपुर इं जीनियररग कॉलेज के संस्थापक हप्रनसपल थे। अपिी दो पुत्री व एक पुत्र की नशक्षा पर उन्होंिे नवशेष ध्याि ददया और बर्पि से ही पुनत्रयों को भी कै ररयर सर्ेतक (Career Conscious) बिाया। दुभााग्य से पररवार पर वज्रपात हुआ। 13 वषा की उम्र में र्ंदा कोर्र िे नपता को खो ददया। सारे िजदीकी ररश्तेदार मुंबई में होिे से मां अपिे बच्चों के साथ जयपुर से मुंबई नशफ्ट हो गईं। र्ंदा कोर्र िे यहां जयहहद कॉलेज से बेर्लर नडग्री ली। इसके बाद जमिालाल बजाज इं नस्टट्यूट ऑफ मैिेजमेंट से मैिेजमेंट नडग्री तथा Institute of Cost & Works Accountancts of India से नडग्री कोसा दकया। बर्पि में र्ंदा कोर्र िे आईएएस बििे का स्वप्न संजोया था, पर नियनत उन्हें नवत्तीय क्षेत्र में खींर् लाई। नशक्षा पूरी करते ही उन्होंिे आईसीआईसीआई को ज्वाइि कर नलया।
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आईसीआईसीआई में र्ंदा कोर्र िे प्रोजेक्ट फाइिेंस नडपाटामेंट से शुरुआत की। यही तब इस नवकासोन्मुखी सरकारी नवत्तीय संस्थाि का मुख्य कारोबार था। देश का नवत्तीय सेक्टर सि् 1991 में प्रनतबंिों से मुक्त होिे लगा तो आईसीआईसीआई िे इन्फ्रास्ट्रक्र्र प्रोजेक्ट फाइिेंस नडवीजि की स्थापिा की। 32 वषा की उम्र में र्ंदा कोर्र आईसीआईसीआई की कामर्तशयल बैंककग नबजिेस लांर् करिे वाली कोर टीम की लीडर बिा दी गईं। दस साल तक उन्होंिे कॉरपोरे ट िे नडट्स, इन्फ्रास्ट्रक्र्र फाइिेंहसग, ई-कॉमसा, स्ट्रेटेजी तथा कै नपटल फाइिेंहसग का अिुभव प्राप्त दकया। सि् 2000 में वररष्ठ जिरल मैिज े र की पदोन्ननत के साथ र्ंदा कोर्र को ररटेल नबजिेस की जवाबदारी भी दी गई। नबजिेस इं नडया को एक साक्षात्कार (ददसंबर 2006) में उन्होंिे कहा था नवकासोन्मुखी नवत्तीय संस्थाि होिे से आईसीआईसीआई का दानयत्व था- औद्योनगक प्रोजेक्ट्स के नलए दीघाावनि कजा उपलधि करवािा। आईसीआईसीआई का तब कोई स्वतंत्र पूंजी स्रोत िहीं था। उदारीकरण के बाद आईसीआईसीआई को नवनभन्न नवत्तीय सेवाएं लांर् करिे की अिुमनत नमली। इि नवत्तीय सेवा क्षेत्रों में हम (आईसीआईसीआई ) नवरासत व परं पराओं के बोझ से मुक्त थे। फलत: आईसीआईसीआई की हर कोर टीम को जो भी िई जवाबदारी सौंपी गई, उसे उन्होंिे अपिे अंदाज में स्थानपत दकया। ररटेल नबजिेस की भी ऐसी ही Tricky लांहर्ग हुई। मैं आईसीआईसीआई के कॉरपोरे ट कायाालय के भव्य के नबि से उठकर ऐसे कमरे में पहुंर् गई, जहां पहले दस्तावेज रखे जाते थे। गैरेजिुमा के नबि एवं एक जूनियर सहायक के साथ काम करते हुए देखकर एक मेरे पुरािे पररनर्त ग्राहक को लगा था दक मेरी पदाविनत हो गई है। यह सजा (Punishment posting) है। (Says Chanda Kochar: ICICI’s entrepreneurial culture, seeded by its early leaders, remains part of corporate DNA. People charged with building new businesses are thrown at the deep end. This is something ingrained in ICICI. When you start something new, you don’t inherit anything but have to set yourself up in business on your own. When I was given the retail mandate in 1999 I had to move from the plush office of the major clients group, where I was working, to a room that was used to store documents. It was almost like a garage start-up. A client who came to meet me thought I had been demoted. (Business India: February 12, 2006)
र्ंदा कोर्र िे आईसीआईसीआई को देश की दूसरी सबसे बड़ी ररटेल बैंक (प्रथम-स्टेट बैंक समूह) कै से बिाया है- इसकी र्र्ाा के पूवा तत्कालीि नवत्तीय पररदृश्य पर एक िजर डालिा प्रासंनगक होगा। 90 के दशक के पहले बैंकों का प्रमुख कामकाज था- लोगों से कम धयाज पर पैसा (जमा रानश) प्राप्त करिा और ज्यादा से ज्यादा धयाज पर उद्योगों को कजा देिा। आम लोगों के नलए सुरनक्षत बर्त का तब एक मात्र स्रोत थे बैंक, जो उद्योग जगत के नलए भी पूंजी प्रानप्त के अत्यंत सीनमत स्रोतों में से एक थे। एकानिकार के कारण अपिे ग्राहकों से व्यापार व्यवहार करते थे, मािों अहसाि कर रहे हों। उदारीकरण के बाद हालात बदलिे लगे। उद्योगपनतयों को कै नपटल माके ट जैसे माध्यमों से कम लागत की पूंजी आसािी से नमलिे लगी। इससे उिकी बैंकों पर से निभारता घट गई। आजादी के बाद र्ार दशक तक बैंकों िे जहां 16 फीसदी की धयाज दर से कजा ददया था, वहीं उदारीकरण के बाद उन्हें 10 फीसदी धयाज दर पर भी कजादार नमलिा मुनश्कल हो गया। ररटेल ग्राहकों से जमा के रूप में संग्रनहत रानश के निवेश के नलए बैंक ररटेल ग्राहकों पर ही निभार हो गए हैं। फलत: बैंकों
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िे सालों साल नजि खुदरा ग्राहकों की उपेक्षा की थी वे उिके नलए रातोरात VIP हो गए, बदले माहौल िे ग्राहकों को King बिा ददया, तो उिकी अपेक्षाएं भी नक्षनतज छू िे लगी हैं। आईसीआईसीआई तो तब दोहरे संकट के साथ र्ौराहे पर खड़ी थी। एक तरफ जहां देश का नवत्तीय ढांर्ा बदल रहा था, वहीं आर्तथक सुिार कायािम के साथ सरकार िे आईसीआईसीआई जैसी नवकासोन्मुखी नवत्तीय कं पनियों को र्ेताविी दे दी थी दक उन्हें भी अपिे पैरों पर खड़ा होिा पड़ेगा। अब उन्हें सरकारी संरक्षण (कम लागत की दीघाावनि पूंजी) िहीं नमलेगा। तद्िुसार, आईसीआईसीआई को भी Single Product (प्रोजेक्ट फायिेंहसग) कं पिी से मल्टी प्रॉडक्ट फाइिेंस कं पिी बििे को नववश होिा पड़ा। ददलर्स्प बात यह है दक बदलते हालात में ही आईसीआईसीआई का आईसीआईसीआई बैंक में नवलयि हुआ, तो मीनडया िे नलखा- बेटे िे बाप को गोद नलया है। अब बेटे को सानबत करिा पड़ेगा दक वह बाप का बाप है। स्पष्ट है दक अत्यंत र्ुिौतीपूणा माहौल में र्ंदा कोर्र िे ररटेल बैंककग की जवाबदारी संभाली थी। उिकी सारी रणिीनत पर गौर करें तो कह सकते हैं दक मार्तजि, हाई वाल्यूम नबजिेस, टेक्नोलॉजी आिाररत कायाप्रणाली, नवत्तीय सेवाओं की Cross selling (एक ही ग्राहक को एक से ज्यादा सेवाओं की नबिी) और ग्राहकोन्मुखी उत्पाद (होम लोन्स, व्हीकल लोन्स, इं श्योरें स, म्यूर्ुअल फं ड्स आदद) पर र्ंदा कोर्र िे फोकस दकया। वे कहती हैं- आईसीआईसीआई की र्ार ताकत है- नवत्तयि, तकिीक, मािव संसािि और गनत। हमें नसखाया गया है दक हमेशा बड़ा सोर्ो और जल्दी सोर्ो। (Says Chanda Kochar: At ICICI there are four core capital- financial, technology, human capital and speed. Kamath has brought in- thinking big. He is not satisfied with small steps. Every step must be a big step.)
आईसीआईसीआई िे सबसे पहले न्यू जिरे शि टेक्नोलॉजी को त्वररत व सुनविाजिक ग्राहक सेवा का जररया बिाया। ग्राहकों को बैंक काउं टरों पर प्रतीक्षा ि करिा पड़े इसके नलए दो साल में दो हजार एटीएम का िेटवका खड़ा कर ददया। इस मामले में र्ंदा कोर्र की दूरंदेशी का एक उदाहरण है- आईसीआईसीआई द्वारा ऑफ साइट एटीएम (शाखा पररसर के बाहर) की इन्फोनसस, बैंगलोर के कै म्पस में स्थापिा। बैंककग उद्योग से जुड़े लोगों िे तब कहा था दक एक ही कं पिी के स्टाफ को सेवा प्रदाि करिे के नलए 12 लाख रुपयों का खर्ा िासमझी है। इसके संर्ालि का भी खर्ा िहीं निकलेगा। पर यह सोर् सतही सानबत हुआ। कं पिी पररसर में ही एटीएम उपलधि हो जािे के कारण इन्फोनसस के स्टाफ िे अपिे बैंक खातों से एकमुश्त रकम निकालिा बंद कर दी। जरूरत अिुसार थोड़ा-थोड़ा पैसा खाते से निकालिे के कारण बैंक को नबिा धयाज की पूंजी नमली। इन्फोनसस के कै म्पस में स्थानपत एटीएम िे छह माह में ही अप्रत्यक्ष रूप से अपिी लागत र्ुका दी। ( बर्त/र्ालू खाते के शेष बैलेंस को बैंक कॉल नडपानजट्स कहते हैं और इि पर कम से कम धयाज देते हैं। सावनि जमा टाइम नडपानजट्स हैं नजि पर ग्राहकों को ज्यादा धयाज नमलता है)। ग्राहक संतुनष्ट से जुड़ा एक दूसरा प्रसंग के .वी. कामथ के शधदों में पढें जो उन्हें इन्फोनसस के संस्थापक र्ेअरमैि एि.आर. िारायणमूर्तत िे अपिी आप बीती के रूप में सुिाया था। श्री कामथ कहते हैं- एक बार िारायणमूर्तत इन्फोनसस पररसर में नस्थत एटीएम की Queue में खड़े थे। वहां अपिे से पहले प्रतीक्षारत इन्फोनसस के एक जूनियर स्टाफ से िारायणमूर्तत िे कौतूहलवश पूछा दक यहां एटीएम लगिे से क्या फायदा हुआ। जवाब नमला- समय व पेट्रोल बर्िे लगा है। िारायणमूर्तत
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िे आदति (गहराई में गोता लगािे) पूछा- बस? अब वह जूनियर स्टाफ मुस्कु राते हुए बोला- िो सर बस िहीं। यदद आप और मैं बैंक में इसी तरह खड़े होते तो बैंक स्टाफ मेरी उपेक्षा करके आपको पहले अटेंड करता। एटीएम ऐसी हरकत िहीं करे गा। सर् यह है दक टेक्नोलॉजी आिाररत कायाप्रणाली से आईसीआईसीआई िे ग्राहकों को बैंक ही िहीं एटीएम तक पहुंर्िे की झंझट से भी मुक्त कर ददया है। देश में टेली बैंककग, मोबाइल बैंककग, वीनडयो कान्फ्रेंहसग, इं टरिेट बैंककग शुरू करिे के साथ ग्राहकों को इिका अभ्यस्त बिािे का श्रेय आईसीआईसीआई को है। र्ंदा कोर्र की ही टीम का कररश्मा है दक आज हम अपिे िंाइं गरूम में बैठे-बैठे अपिे पसािल कम्प्यूटर से रे ल या हवाई यात्रा के रटकट बुक कर सकते हैं। होटल में कमरा ररजवा कर सकते हैं। इससे दकतिा मािवीय श्रम व समय बर्ा है, यह शोि का मुद्दा है। पर र्ंदा कोर्र के नलए महत्वपूणा यह है दक पेपरलेस बैंककग िे आईसीआईसीआई का पररर्ालि व्यय घटाया है और ग्राहक सेवा को जेट गनत प्रदाि की है। आईसीआईसीआई के ही नडप्टी मैिेहजग डायरे क्टर िनर्के त मोर तो र्दकत हैं दक नजि ग्रामीण ग्राहकों को हम िादाि व िासमझ मािते हैं उन्होंिे भी तकिीक आिाररत बैंककग सेवाओं को पसंद दकया है। वे कहते हैं दक आईसीआईसीआई के 18 फीसदी ग्रामीण ग्राहक ऑि लाइि लेि-देि करिे लगे हैं। र्ंदा कोर्र की दूसरी िवोन्मेषी पहल है- बैंक के ररटेल ग्राहकों को नवत्तीय सेवाओं की Cross-selling. बैंक िे ररटेल बैंककग उत्पादों के साथ-साथ ग्राहकों को होम लोन्स, कार लोन्स व िे नडट काडा बेर्े हैं, नजससे आईसीआईसीआई का नवनभन्न नबजिेस सेगमेंट्स में कारोबार कई गुिा बढ गया है। नबजिेस इं नडया िे आईसीआईसीआई के सीईओ के .वी. कामथ को नबजिेस मैि ऑफ द ईयर अवाडा (2005) से िवाजते समय नलखा था- ररटेल बैंककग में आईसीआईसीआई िे सबको पीछे छोड़ ददया है। देश में होम माटागेज की शुरुआत करिे वाली एर्डीएफसी होम लोन्स सेगमेंट में आईसीआईसीआई से नपछडऩे लगी है। िे नडट काडा जारी करिे में आईसीआईसीआई नसटी ग्रुप से आगे निकल गया है। आईसीआईसीआई प्रूडेंनशयल लाइफ इं श्युरेंस एवं आईसीआईसीआई लोम्बाडा िमश: जीवि बीमा व सामान्य बीमा सेक्टर की निजी क्षेत्र की कं पनियों में सबसे अव्वल है। प्रूडेंनशयल आईसीआईसीआई निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी संपदा प्रबंिि कं पिी हो गई है। आईसीआईसीआई वेंर्र भी देश की सबसे बड़ी वेंर्र कै नपटल फमा है। इि सबसे ज्यादा उल्लेखिीय यह है दक आईसीआईसीआई बैंक िे देश की दूसरी सबसे बड़ी बैंक होिे का गौरव जुटाया है। डीएिए मिी के एक अध्ययि के अिुसार आईसीआईसीआई की संपदा (बैंककग उद्योग में नवतररत कजा को संपदा कहते हैं) 31 मार्ा 2007 को 3,44,658 करोड़ रुपए हो गई थी, जो मार्ा 2004 में मात्र 1,25,000 करोड़ रुपए थी। जबदक 100 साल पुरािे देश के सबसे बड़े बैंक समूह भारतीय स्टेट बैंक की संपदा 31 मार्ा 2007 को 5,54,573 करोड़ रुपए थी। गौरतलब है दक स्टेट बैंक समूह की देश में 13 हजार से ज्यादा शाखाएं हैं और इसके कमार्ाररयों की संख्या है करीब 2 लाख। आंकड़ों से उपलनधियों को दोहरािा आसाि है, पर आंकड़े यह िहीं बताते दक उपलनधियों को जुटािे के नलए दकसिे दकतिी कड़ी मेहित की है। बहुत कम लोग जािते हैं दक आईसीआईसीआई के के .वी. कामथ, र्ंदा कोर्र एवं उिकी टीम िे त्वररत ग्राहक सेवा का व्यावहाररक फामूाला खोजिे के नलए ह्यडई व फोडा मोटसा की शॉप फ्लोर पर असेम्बली लाइि ऑपरे शि का अध्ययि दकया तादक वे बैंकों में भी clockwise खाता खोलिे का नसस्टम नडजाइि कर सकें । जेट एयरवेज के स्टाफ से बातर्ीत की तादक वे बैंक स्टाफ को नसखा सकें दक ग्राहकों का बैंक काउं टरों पर कै से स्वागत करें । वॉल माटा के
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ररटेल स्टोसा एवं लॉनजनस्टक कं पनियों के नसस्टम को समझा तादक आईसीआईसीआई में पेपर मूवमेंट सुव्यवनस्थत व गनतमाि हो सके । खेल खेलते हुए खेल को अपिे अिुकूल बिािे से भी ज्यादा करठि है, खेल के सारे नियम बदल देिा और उन्हें अपिे प्रनतद्वंनद्वयों से भी मिवा लेिा। नि:संदेह आईसीआईसीआई बैंक िे ररटेल बैंककग में नवलंब से इं ट्री ली है। पर र्ंदा कोर्र व Page | 123 उिकी टीम िे सानबत कर ददया है दक अच्छे काम में कभी देर िहीं होती और बुरे काम में नवलंब हमेशा अच्छा ही सानबत होता है। गौरतलब है दक आईसीआईसीआई को एक डेवलपमेंट फायिेंनसयल इं नस्टट्यूट से नवश्वस्तरीय न्यू एज उपभोक्ता बैंक बिािे में र्ंदा कोर्र व उिकी सहयोनगयों िे तो मात्र एक दशक से भी कम समय खर्ा दकया है। ददलर्स्प व्यनक्तत्व की ििी र्ंदा कोर्र अपिी सफलता का श्रेय भारत की पररवार व्यवस्था को देती हैं और कहती हैं हमारे देश के सामानजक पररवेश व संयुक्त पररवार प्रणाली से नमले समथाि के बलबूते पर भारतीय मनहलाओं िे घरे लू जवाबदाररयों का बखूबी निवाहि दकया है। नजि मनहलाओं को मौका नमला है उन्होंिे इस समथाि का घर के बाहर भी अच्छा दोहि दकया है। यह सुनविा दूसरे देश की दकसी भी मनहला को उपलधि िहीं है। (Says Chanda Kochar: People tend to listen when a woman shows fortitude and asserts their point of view. A resource of Indian ethnicity, the joint family culture serves as a backbone and an additional support system to help women tackle their domestic responsibilities- one which women from other corners of the world cannot readily avail of.)
सही कह रही हैं र्ंदा कोर्र। वे भाग्यशाली हैं दक उन्हें ऐसे माता-नपता नमले नजन्होंिे बर्पि में ही अपिे कै ररयर के प्रनत उन्हें सर्ेत कर ददया। आईसीआईसीआई को ज्वाइि दकया तो यहां ऐसा कामकाजी माहौल नमला नजसमें मनहलाओं को पुरुषों के बराबर जवाबदाररयां सौंपी जाती हैं तथा दोिों को आगे बढऩे के समाि अवसर नमलते हैं। र्ंदा कोर्र कहती हैंमैं अपिे पहले नशशु के जन्म से तीि माह बाद लौटी थी तो आईसीआईसीआई के तत्कालीि र्ेअरमैि एस.एस. िाडकणी स्वयं मेरे कै नबि में आए थे और उन्होंिे कहा था- तुम आज काम का दबाव संभाल लोगी तो कभी पलटकर िहीं देखोगी। दूसरे शधदों में, काम को इं ज्वाय करें तो कभी पलटकर िहीं देखिा पड़ता है। (Says Chanda Kochar: Pressure is a way of life at ICICI. I remember reporting to a work, three months after my first child and S.S. Nadkarni (former chairman of ICICI) pushing me right again. He told me that unless I could handle the pressure then, I would never be able to handle them later. We have a culture of working hard; I enjoy it; that’s why I am here.)
अध्याय 20
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रे णक ु ा रामिाथ मि की मौजी, काम की फौजी मनहलाएं कायरता छोड़कर अपिा सोर् बदलें और यह समझ लें दक मनहला हो या पुरुष दोिों को हक है दक वे जैसा जीिा र्ाहें, वैसे जीएं। आईसीआईसीआई वेंर्र की मैिेहजग डायरे क्टर व सीईओ रे णुका रामिाथ िे अपिे कै ररयर की ददशा तय करिे में कभी कोई समझौता िहीं दकया। मिमौजी वे इतिी हैं दक आईसीआईसीआई को भी उन्होंिे िा-िुकुर के बाद ज्वाइि दकया। मैिेजमेंट की पढाई करते समय वे समर ट्रेहिग के नलए आईसीआईसीआई में आईं थीं। उिकी प्रनतभा को देखकर उन्हें यहां िौकरी करिे का ऑफर नमला तो उन्होंिे रूखा-सा जवाब ददया दक मैंिे इंजीनियररग की पढाई की है। मैं मैन्युफैक्र्ररग सेक्टर में काम करूंगी। फाइिेंस में मेरी रुनर् िहीं है। नशक्षा : नवक्टोररया जुवली टेदक्नकल इंनस्टट्यूट मुंबई से टेक्सटाइल इंजीनियररग की बैर्लर नडग्री, मुंबई यूनिवर्तसटी से एमबीए, हावाडा इंटरिेशिल नबजिेस स्कू ल से नवशेष कोसा/ संप्रनत : आईसीआईसीई बैंर्र की मैिेहजग डायरे क्टर व सीईओ/ उपलनधि : आईआईएम बेस्ट वुमेि इंटरप्रीिर अवाडा (2002)। आईसीआईसीआई की कोर टीम की महत्वपूणा सदस्य। आईसीआईसीआई के नलए करोड़ों रु. का नवदेशी निवेश जुटाया।
रे णक ु ा रामिाथ : मि की मौजी, काम की फौजी भारतीय मनहलाएं दूसरों के नलए जीती हैं। सबको खुश करिे की कोनशश में वे जीविपयंत अपिी खुनशयां दांव पर लगाती Page | 125 हैं। नवडंबिा यह है दक अंत में वे पाती हैं दक दूसरे भी उिसे खुश िहीं हैं। पररवार या समाज की बंददश बहािा है। मनहलाएं कायरता छोड़कर अपिा सोर् बदलें और यह समझ लें दक मनहला हो या पुरुष दोिों को हक है दक वे जैसा जीिा र्ाहें, वैसे जीएं। 40 वषा की उम्र में आईसीआईसीआई वेंर्र की मैिेहजग डायरे क्टर व सीईओ बि जािे वाली रे णुका रामिाथ का यह दकताबी अिुभव िहीं है। सही मायिे में उन्होंिे अपिे अंदाज से अपिी हजदगी जी है और यही कारण है दक युवावस्था में उन्होंिे पनत खोया, पर जो िहीं खोया, वह है- अपिी और अपिे बच्चों की खुशी। दनक्षण भारत के एक परं परागत मध्यमवगीय पररवार में 14 नसतंबर 1961 को जन्मी रे णुका िे अपिे कै ररयर की ददशा तय करिे के मामले में कभी कोई समझौता िहीं दकया। उिके दादाजी नर्दकत्सक थे, अत: दादी िहीं र्ाहती थीं दक पोती नर्दकत्सक बिे, जबदक उिके नपता िारायण स्वामी अप्पा स्वामी की इच्छा थी दक बेटी दादा के ही पदनर्ह्िों पर र्ले। रे णुका मैथ्स में मानहर थीं। उन्होंिे इं जीनियररग की पढाई की, पर फायिेंस में अपिा कै ररयर संवारा। मिमौजी वे इतिी हैं दक आईसीआईसीआई को भी उन्होंिे िा-िुकुर करिे के बाद ज्वाइि दकया। मैिेजमेंट की पढाई करते समय वे समर ट्रेहिग के नलए आईसीआईसीआई में आई थीं। उिकी प्रनतभा को देखकर उन्हें यहां िौकरी करिे का ऑफर नमला तो उन्होंिे रूखा-सा जवाब ददया दक मैंिे इं जीनियररग की पढाई की है। मैं मैन्युफैक्र्ररग सेक्टर में काम करूंगी। फाइिेंस में मेरी रुनर् िहीं है। ददलर्स्प बात यह है दक दो साल िाम्प्टि ग्रीव्ज में िौकरी करिे के बाद वे ऊब गईं तो उन्होंिे स्वेच्छा से आईसीआईसीआई को ज्वाइि दकया। हर नडग्री टॉपर की हैनसयत से प्राप्त करिे वाली रे णुका यहां भी बाज(?) िहीं आईं और मात्र 15 साल में आईसीआईसीआई की एक सहयोगी कं पिी के शीषा पर पहुंर् गईं। वस्तुत: लीक से हटकर र्लिे वाली रे णुका रामिाथ का स्वभाव है- जो भी करो वह उत्कृ ष्ट ही हो। उद्यमी और प्रनतस्पिी होिे से दकशोर उम्र में ही उन्होंिे नसलाई, पेंरटग व कु ककग में महारत हानसल कर ली थी। अपिे व अपिे भाई बहि के फ्रॉक्स व स्कट्सा शौदकया तौर पर उन्होंिे खुद नसए हैं। स्कू ली पढाई पूरी करिे के बाद नवक्टोररया जुबली टेदक्नकल इं नस्टट्यूट (वीजेटीआई) मुंबई में टेक्सटाइल इं जीनियररग की बैर्लर नडग्री के नलए प्रवेश लेिे पहुंर्ी तो कॉलेज के हप्रनसपल िे उन्हें समझाया दक यह कोसा वुमेि फ्रेंडली िहीं है। वे इसे ज्वाइि ि करें । रे णुका िहीं मािीं। वे क्लास में पहुंर्ी तो पता र्ला दक 92 साल के कॉलेज के इनतहास में टेक्सटाइल इं जीनियररग का बैर्लर कोसा करिे वाली वे र्ौथी मनहला हैं। वे कहती हैं- मैं कक्षा के बीस लड़कों में अके ली लड़की थी। मेरी कक्षा के लड़के सोर्ते थे मैंिे एक लड़के की सीट छीिी है जो नडग्री लेकर पररवार का भरणपोषण करता, जबदक मैं शादी करके घर बसा लूंगी। पूवााग्रनहत व्यवहार की कक्षा में मैं बार-बार नशकार हुई। एक ददि मेरी घड़ी बंद हो गई तो दकसी िे भी मुझे समय तक िहीं बताया। सर् यह है दक क्लास के लड़कों का व्यवहार ऐसा था मािों मैं उिकी सहपाठी िहीं हं। मैंिे तय दकया दक मैं इस माहौल को बदल दूंगी।
(Says Renuka Ramnath: I found that I was the fourth girl in 92 years to do this course at VJTI- it was probably the most masculine faculties. I was the only girl student in a class of 20. There was a feeling that I had snatched a seat from a boy who would have been a breadwinner whereas I would probably end up getting married. Many students in my classroom could not understand that a woman might actually make a career for herself. The challenge is not to say that you must be treated differently but to meld into the Page | 126 environment. The experience of those years taught me that nothing is difficult if you are focussed and you endure your environment. (Business India: October 1-14, 2001)
इं जीनियररग कोसा के दूसरे वषा में समर ट्रेहिग के दौराि रे णुका िे नबिा दकसी की मदद के कपड़ा नमल की मशीिें ऑपरे ट की, तब लड़कों िे उन्हें अपिा सहपाठी मािा। वे कहती हैं- इस घटिा से मैंिे यह सबक सीखा दक हम लक्ष्य से िहीं भटकें और पररनस्थनतयों के अिुकूल होिे तक िैया ि छोड़ें तो कोई भी काम करठि िहीं है। सि् 1982 में इं जीनियर बििे के बाद रे णुका ररसर्ा करिा र्ाहती थीं। पीएर्डी के नलए उन्होंिे टेक्सास यूनिवर्तसटी में दानखला भी ले नलया पर नपता िे पुत्री को अमेररका जािे की अिुमनत िहीं दी। उिकी शता थी दक नववाह करो, दफर जाओ या यहीं पढाई जारी रखो। रे णुका को मजबूरि मुंबई यूनिवर्तसटी का मैिेजमेंट स्टडी कोसा ज्वाइि करिा पड़ा। सि् 1984 में उिके पास नडनग्रयां हो गईं- बीई टेक्सटाइल और एमबीए। िाम्प्टि ग्रीव्ज में उन्हें आसािी से िौकरी नमल गई। पर एक साल बाद ही उन्हें लगा यहां वे ऐसा कु छ िहीं कर पाएंगी, जो उिके कै ररयर और उिकी कं पिी के नलए उपयोगी सानबत हो। सि् 1986 में रे णुका रामिाथ िे आईसीआईसीआई को ज्वाइि कर नलया। यहां उन्होंिे इं टरव्यू बोडा से कहा दक वे ऑपरे शंस साइड में काम करिा र्ाहती हैं तो उन्हें जवाब नमला दक यह फै सला हम पर छोड़ दो। आईसीआईसीआई िे उन्हें मर्ेंट बैंककग नडवीजि का प्रभारी बिाया। यहां उन्हें टेक्सटाइल के अलावा फामाास्युरटकल्स, हेल्थ के अर, सीमेंट जैसे नवनभन्न सेगमेंट में अच्छा कारोबारी एक्सपोजर नमला। उिकी प्राथनमक जवाबदारी थी- क्लाइं ट्स को समझािा और उिसे अनिकतम फीस वसूल करिा। सि् 1992 में आईसीआईसीआई िे उन्हें जेपी मागाि स्टेिली के साथ स्थानपत संयुक्त वेंर्र कं पिी आई नसक्युररटीज (आई-सेक) का ग्रुप मैिेजर बिा ददया। इसके साथ उिका जॉब प्रोफाइल बदल गया। मर्ेंट बैंककग के बजाय वे अब कॉरपोरे ट बैंककग संभालिे लगीं। रे णुका आईसीआईसीआई की उस कोर टीम की महत्वपूणा सदस्य सानबत हुईं, नजसिे आई सेक को स्थानपत दकया और तीि सालों में कं पिी की आय र्ार करोड़ से बढाकर 25 करोड़ कर दी। इस कायाकाल में रे णुका को कई संयुक्त वेंर्सा को मूतारूप देिे के साथ कई बड़े अनिग्रहण व नवनलयि सौदे करवािे का मौका नमला। सि् 1995 में वे आई-सेक की हेड बिा दी गईं। सि् 1997 में िई र्ुिौती के साथ रे णुका की पैतृक कं पिी में वापसी हुई। उन्हें सीनियर वाइस प्रेनसडेंट की हैनसयत देते हुए आईसीआईसीआई की स्ट्रक्र्डा फाइिेंस टीम का सदस्य बिाया गया। एक साक्षात्कार में उन्होंिे कहा है- यह िया सोर् और िया कारोबार था। मैं िहीं जािती थी दक स्टक्र्डा फाइिेंस क्या है। रे णुका र्ाहे जो कहें, पर सर् यह है दक िई जवाबदारी के तहत उन्होंिे भारतीय पूंजी बाजार को कई िवोन्मेषी उत्पाद ददए है, जैसे- संपदा पेटे कजा, िकद प्रवाह
पेटे कजा और प्रनतभूनतकरण (Securitisation)। वस्तुत: रे णुका की तब प्राथनमक जवाबदारी थी- आईसीआईसीआई के नलए ऐसा उत्कृ ष्ट संपदा आिार तैयार करिा दक कजा कम से कम डू बे। (नवत्तीय संस्थािों की लेखा पुस्तकों में कजा को संपदा मािा जाता है)। सि् 1991 में आईसीआईसीआई िे रे णुका को र्ार माह का एडवांस मैिेजमेंट कोसा करिे के नलए हावाडा इं टरिेशिल नबजिेस स्कू ल भेजा। वे तब आईसीआईसीआई की उस टीम की सदस्य थीं जो संस्थाि को कजा प्रदायकताा से नवत्तीय निराकरण कं पिी बिा रहा था। यह इं टरिेशिल नबजिेस कोसा उिके व उिकी टीम के नलए बहुउपयोगी सानबत हुआ है। िई सहस्त्राधदी की शुरुआत में रे णुका रामिाथ को मिर्ाही सौगात नमली। सि् 2001 में वे आईसीआईसीआई वेंर्र की मैिेहजग डायरे क्टर व सीईओ बिा दी गईं। रे णुका रामिाथ के िेतृत्व में आईसीआईसीआई वेंर्र िे करोड़ों रुपए का नवदेशी निवेश एकनत्रत दकया है। इिमें उल्लेखिीय है- इं नडया एडवांटेज फं ड के माध्यम से 750 करोड़ रुपए का संग्रहण। रे णुका रामिाथ कहती हैं- आईसीआईसीआई वेंर्र िे कई भारतीय कं पनियों को World class बिाया है। मैं कम से कम ऐसी 25 कं पनियां नर्नह्ित कर सकती हं जो अपिे-अपिे क्षेत्र की कल की ररलायंस, इन्फोनसस या नवप्रो है। मुझे उम्मीद है दक मैं अपिे कै ररयर में उन्हें शीषा पर देख पाऊंगी। सही कहती हैं- रे णुका रामिाथ। पूंजी माके ट में आज उिकी हैनसयत ऐसी है दक वे जो कहती हैं उसे निवेशक नबिा बहस मान्य करते हैं। उिकी सलाह पर निवेनशत पूंजी का अपेनक्षत मूल्य संविाि हुआ है। उिके द्वारा Close की गई Deals के िे ता नविे ता दोिों ही नविर सानबत हुए हैं। नविाता दोिों हाथ से देता है तो एक हाथ से वापस भी ले लेता है। रे णुका रामिाथ को के अर-कं सिा करिे वाला पनत नमला था, पर दुभााग्य से युवावस्था में उिका नििि हो गया। रे णुका रामिाथ िे इस सदमे को कै से सहि दकया, यह तो वे ही जािें, पर नजि दो र्ीजों को उन्होंिे प्रभानवत िहीं होिे ददया, वे हैं- अपिे बच्चे और अपिा कै ररयर। यह दोहरािा तो बेमािी है दक इि दोिों के बीर् तालमेल पतली रस्सी पर पद संर्ालि जैसा करठि काम है, पर रे णुका िे यह दानयत्व भी बखूबी संभाला है। पुत्र व पुत्री मां की व्यस्तता को समझें, अत: वे सप्ताहांत में उन्हें द फतर ले आती हैं। मां िे उन्हें आभास करवाया है दक द फतर में वे दकतिी व्यस्त हैं। यहां उिकी हैनसयत क्या है, उिकी जवाबदारी क्या है। घर में वे यदद दो बच्चों का लालि-पालि करती हैं तो द फतर में उन्हें कई बच्चों (आईसीआईसीआई में सीनियसा, जूनियर स्टाफ को इसी िाम से संबोनित करते हैं) की देखरे ख करिा पड़ती है। रे णुका कहती हैं दक द फतर आिे-जािे से मेरा दकशोर बेटा व नबरटया भी शेयर माके ट को समझिे लगे हैं। मैं अब उिसे दकसी समस्या पर बातर्ीत करती हं तो वे मुझे बड़े मजेदार हल व सुझाव देते हैं। रे णुका िामिाथ अपिी हैनसयत व वररष्ठता का बोझ द फतर में ही छोड़ जाती हैं। घर में आप उन्हें कु ककग करते हुए पाएंगे। वे कहती हैं पुरािे कपड़ों में खुद को सहज पाती हं। दकशोर उम्र में रे णुका िे शास्त्रीय संगीत सीखा था जो आज उिकी कमजोरी है। आईआईएम बेस्ट वुमेि इं टरप्रीिर अवाडा (2002) से िवाजी गईं रे णुका रामिाथ की एक र्ाह अभी भी बाकी है। वे पीएर्डी करिा र्ाहती थीं पर िहीं कर पाईं। मजादकया अंदाज में वे कहती हैं- अब तो मैं ददि में ४८ घंटे काम करती हं और मुझे िहीं लगता दक ररसर्ा करिे के नलए मैं कभी समय र्ुरा पाऊंगी।
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आईसीआईसीआई को रे णुका ऐसा संस्थाि मािती हैं जो अपिे स्टाफ को हमेशा र्ुिौतीपूणा जवाबदाररयां सौंपता है। उन्हें गलनतयों से सीखिे का मौका देता है। पर गलनतयों के कारण िाि परफॉमर िहीं बििे देता। वे कहती हैंआईसीआईसीआई िे ही मुझे महत्वाकांक्षी प्रोफे शिल से स्वप्नदशी उद्यमी बिाया है, जो हर मनहला बि सकती है। शता है वह जैसा जीिा र्ाहे वैसे जीिे का आत्मनवश्वास पैदा करे । Page | 128 (Says Renuka Ramnath: ICICI encourages you to think like a professional and dream like an entrepreneur. It also gives a change to experience freely; the idea is to learn from mistakes but not to stand still fearing errors. It is your dream that takes you forward and it is hard work and patience that materialises your dreams.)
अध्याय 21 Page | 129
नविीता बाली नबनस्कट से बुलद ं ी तक मनहलाओं िे अपिे िैसर्तगक गुण-िमा (िैय,ा संयम, सद्भाव व सनहष्णुता) का कारोबारी क्षेत्र में भी अच्छा उपयोग दकया है। वानडया समूह (िुस्ली वानडया) के नियंत्रणािीि नब्टानिया इंडस्ट्रीज की एमडी सुश्री नविीता बाली Kite kind of magic के नलए मशहर लो प्रोफाइल वर्ककग वुमेि हैं। भारत भ्रमण के दौराि मुज फरिगर के एक स्कू ल में लड़के -लड़दकयों की समाि संख्या देखकर उन्होंिे कहा- मनहलाओं की बढती ताकत की खूब र्र्ाा होिे लगी है। मैं जब स्कू ल जाती थी, तब क्लास में लड़दकयों की संख्या लड़कों से कम होती थी। अब यह ि के वल बराबर हो गई है वरि् लड़दकयां, लड़कों को पढाई में परास्त भी करिे लगी हैं। नशक्षा : ददल्ली यूनिवर्तसटी से इकोिानमक्स में ग्रेजुएट, नमनशगि स्टेट यूनिवर्तसटी से मैिेजमेंट कोसा और मुंबई के जमिालाल बजाज इंनस्टट्यूट से एमबीए। संप्रनत : नब्टानिया इंडस्ट्रीज की एमडी। दुनिया के 45 से अनिक देशों में काया करिे का अिुभव।
नविीता बाली : नबनस्कट से बुलंदी तक पाररवाररक संकट के समय मनहलाओं िे सबसे ज्यादा तकलीफें सही हैं तो नबिा शोर मर्ाए पररवार को आपदा से उबरिे में भी सबसे ज्यादा मदद की है। मनहलाओं िे अपिे िैसर्तगक गुण-िमा से पररवार ही िहीं, पररवार के कारोबार को भी बर्ाया। नविीता बाली ऐसी ही लो प्रोफाइल वर्ककग वुमेि हैं। सि् 2003 में नब्टानिया के नियंत्रक मंडल िे कं पिी के हाई प्रोफाइल मैिेहजग डायरे क्टर व सीईओ सुिील अलघ को नव तीय अनियनमतता के आरोप के साथ समय पूवा पदच्युत कर ददया तो खूब शोर हुआ। एक साल तक नब्टानिया में कोई सीईओ िहीं रहा। िुस्ली वानडया यह जवाबदारी दकसी ग्लोबल नबजिेस एक्जीक्यूरटव को सौंपिा र्ाहते थे। सुश्री नविीता बाली पर उिकी खोज पूरी हुई। अप्रैल, 2004 में नब्टानिया के नियंत्रक मंडल िे सुश्री नविीता बाली को यह जवाबदारी सौंपी। सुिील अलघ के हटाए जािे के बाद नब्टानिया के वररष्ठ एक्जीक्यूरटव दो खेमों में बंट गए थे। उन्हें अपिा गुरु व गाइड माििे वाले उिके निष्कासि के तरीके से असहमत थे। िवीि र्ोपड़ा (माके रटग हेड), जे. राजगोपाल (कं पिी सेिेटरी), प्रवीण मनलक व नगरीश कु मार (िमश: सीईओ व माके रटग हेड नब्टानिया न्यूजीलैंड फू ड्स), एल. िरोन्हा (प्रॉडक्ट मैिेजर), आर.र्ंद्रशेखर (ग्रुप प्रॉडक्ट मैिेजर) सनहत कई एक्जीक्यूरटव नब्टानिया छोड़ गए। निनखल सेि (सीओओ) को उम्मीद थी दक उन्हें सीईओ का पद नमलेगा। नविीता बाली िे नब्टानिया के सीईओ की जवाबदारी संभाली तो उिकी पहली प्राथनमकता थी- सीनियर एक्जीक्यूरटव के बीर् व्याप्त असंतोष, अराजकता व अफरा-तफरी को दूर करिा और नब्टानिया बोडा को एकजुट रखिा। नबनस्कट व बेकरी माके ट (संगरठत) की लीडर कं पिी है- नब्टानिया। इसके परं परागत कारोबारी प्रनतद्वंद्वी हैं- पारले व आईटीसी। सुश्री नविीता बाली की दूसरी प्राथनमकता थी इस प्रनतस्पिाा में नब्टानिया का माके ट शेयर ि के वल बर्ािा वरि उसे बढािा, नजसे रीजिल ब्ांड्स (मसलि-सूयाा फू ड एंड एग्रो का नप्रया गोल्ड) व कई लोकल ब्ांड्स भी ललकारिे लगे थे। सुश्री नविीता बाली नवगत तीि सालों (2004-2007) में नब्टानिया को कै से सही टै्क पर लाई हैं- इसकी र्र्ाा के पहले जािें उिकी पृष्ठभूनम। सुश्री नविीता बाली उि भारतीय मनहला एक्जीक्यूरटव्स में एक हैं, जो नब्टानिया ज्वाइि करिे के पूवा नवदेशों में बहुराष्ट्रीय कं पनियों से जुड़ी रही हैं। कुं दिलाल बाली की पुत्री सुश्री नविीता बाली व उिके भाई नववेक बाली अलग ही दकस्म के प्रोफे शिल्स हैं। भाई-बहि ददल्ली में जन्मे, पढे और बड़े हुए हैं। पांर् फीट आठ इं र् लंबी नविीता बाली ररम-लैस (फ्रेम नवहीि) र्श्मा पहिती हैं। सजिा-िजिा व आभूषण पहििा उन्हें कतई पसंद िहीं है। नमतभाषी होिे से उिकी गहराई प्रथम दृष्टया ददखाई िहीं देती, बनल्क वे एक स्कू ल टीर्र ही िजर आती हैं। अपिा कै ररयर संवारिे के नलए दुनिया के 45 से ज्यादा देशों में काया कर र्ुकी सुश्री बाली िे नववाह िहीं दकया
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है। नब्टानिया में उिकी नियुनक्त के बाद एड एजेंसी ओ एंड एम के डायरे क्टर पीयूष पांडे िे सही कहा है दक सफल भारतीय प्रोफे शिल्स की स्वदेश वापसी का हम सबको बांहें फै लाकर स्वागत करिा र्ानहए। सुश्री नविीता बाली को एफएमसीजी (बहुप्रर्नलत उपभोक्ता उत्पादों) को इं टरिेशिल माके ट में स्थानपत करिे का गहि अिुभव है। वे कारोबारी रणिीनत बिािे में तथा उसे लागू करिे मे भी अत्यंत प्रवीण हैं। ददल्ली से कान्वेंटी नशक्षा प्राप्त सुश्री नविीता बाली िे लेडी श्रीराम कॉलेज से इकॉिानमक्स में बैर्लर नडग्री प्राप्त की है। प्रारं नभक नशक्षा पूरी करिे के बाद उिके सामिे कई नवकल्प थे। ददल्ली स्कू ल ऑफ इकॉिानमक्स, जवाहरलाल यूनिवर्तसटी अथवा इं नडयि इं नस्टट्यूट ऑफ मैिेजमेंट कोलकाता से एमबीए की नडग्री प्राप्त करे । मजादकया अंदाज में वे कहती हैंददल्ली में ही रुक जाती तो शायद मैं कम्युनिस्ट बि जाती और झोला लटकाकर छात्र राजिीनत करती। पर मुंबई में सेटल हो र्ुके मेरे कनजि िे सलाह दी दक यहां आ जाओ। तुम्हें धलास्ट होिे का मौका नमलेगा। यही हुआ। सुश्री नविीता बाली िे जमिालाल बजाज इं नस्टट्यूट ऑफ मैिज े मेंट से एमबीए की नडग्री प्राप्त की, पर इतिी नशक्षा-दीक्षा से वे संतुष्ट िहीं हुईं। रोटरी फाउं डेशि से स्कॉलरनशप प्राप्त करके उन्होंिे मीदकगि स्टेट यूनिवर्तसटी यूएस में नबजिेस व इकॉिानमक्स का पोस्ट ग्रेजुएशि कोसा ज्वाइि कर नलया। 70 के दशक के अंत में सुश्री नविीता बाली िे टाटा ग्रुप से अपिा कै ररयर शुरू दकया। टाटा ग्रुप की वोल्टास की वे शुरुआती वुमेि माके रटयसा में एक हैं। कै डबरी इं नडया के सीईओ सी.वाय. पाई वोल्टास में उिके परफॉमेंस से इतिे प्रभानवत हुए दक सि् 1980 में उन्होंिे सुश्री नविीता बाली को जॉब ऑफर दकया। इसके साथ सुश्री बाली की इं ग्लैंड, िाइजीररया और दनक्षण अफ्रीका से दुनिया के एफएमसीजी माके ट में इं ट्री हुई। सि् 1984 में वे कै डबरी इं ग्लैंड से जुड़ गईं। सि् 1986 में जिरल मैिज े र माके रटग की हैनसयत से वे भारत लौटीं। पर बहुत जल्दी उन्हें दनक्षण अफ्रीका का माके रटग हेड बिा ददया गया। 14 साल (1980 से 1994) तक दुनिया के कई देशों में कै डबरी की माके रटग िे सुश्री नविीता बाली को नवश्व की एफएमसीजी कं पनियों के बीर् अलग पहर्ाि ददलवाई। सि् 1994 में कोका-कोला िे Head Hunting (उपयुक्त पद के नलए उपयुक्त मािव संपदा की खोज) करते हुए सुश्री नविीता बाली को अप्रोर् दकया। यह ऑफर इतिा लुभाविा था दक उन्होंिे कै डबरी को छोड़ कोका-कोला अटलांटा को ज्वाइि कर नलया। यहां भी नविीता बाली िे कई जम्प प्रमोशि नलए। सि् 1997 में लेरटि अमेररका कोका-कोला की वे वाइस प्रेनसडेंट (माके रटग) बिा दी गईं तो दो साल बाद ही उिके पोटाफोनलयो में पेरु, नर्नल, इक्वाडोर और कोलंनबया जैसे देश भी जुड़ गए। सि् 2003 में सुश्री नविीता बाली के कै ररयर में दफर एक टर्मिग प्वाइं ट आया। कोका-कोला के पूवा माके रटग हेड सर्तजओ जाइमैि िे कोक की िौकरी छोड़कर अटलांटा में अपिा एक माके रटग वेंर्र स्थानपत दकया। वे सुश्री नविीता बाली के नमत्र तथा गुरु एवं गाइड भी हैं। सर्तजओ र्ाहते थे दक नविीता भी कोक छोड़कर उन्हें ज्वाइि करें । एक साक्षात्कार में सुश्री नविीता बाली िे कहा है- मैंिे कभी जॉब िहीं खोजा। जॉब िे हमेशा मुझे खोजा है। मैं वोल्टास िहीं छोडऩा र्ाहती थीं, पर पाई सर (सी.वाई. पाई) िे ऐसा ऑफर ददया दक मैं मिा िहीं कर सकी और कै डबरी में आ गई। कै डबरी से कोक तक की यात्रा में भी यही हुआ। इस बार सर्तजओ िे बार-बार फोि करके मुझे नववश कर ददया। सि् 2000 में मुझे उिके माके रटग ग्रुप को ज्वाइि करिा पड़ा। सुश्री नविीता बाली यहां लंबी पारी िहीं खेल पाईं। भारत में मां अस्वस्थ थीं। वे
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उिके साथ रहिा र्ाहती थीं। संयोग से िुस्ली वानडया का नब्टानिया ज्वाइि करिे का प्रस्ताव नमला तो सि् 2004 में भारत लौट आईं।
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नब्टानिया और नविीता बाली भारतीय नबनस्कट, बैकरी व िेक्स उद्योग दो नहस्सों में बंटा हुआ है- संगरठत व असंगरठत। संगरठत माके ट के तीि बड़े नखलाड़ी हैं- नब्टानिया, पारले और आईटीसी। ग्लूकोज नबनस्कट माके ट को छोड़कर नब्टानिया संगरठत नबनस्कट माके ट की लीडर कं पिी है। ब्ेड्स और के क्स माके ट में भी यह िेशिल ब्ांड है। एक साल में नब्टानिया िे साठ नबनलयि नबनस्कट (6 नबनलयि पेक्स) बेर्िे का कीर्ततमाि बिाया है। इतिे उत्पादि के नलए नब्टानिया की सारे देश में 50 से ज्यादा उत्पादक इकाइयां हैं। सुश्री नविीता बाली िे नब्टानिया के सीईओ का पदभार संभाला तब उन्हें नब्टानिया की आंतररक क्षमता व ब्ांड पॉवर का आभास था। सबसे पहले उन्होंिे कं पिी के दो खेमे में बंटे हुए अनिकाररयों को एकजुट दकया। इसके बाद कई िए ब्ांड्स लांर् दकए जैस-े मेरी गोल्ड डबल्स, छोटा टाइगर, 50-50, पेप्पर, र्क्कर, 50-50 र्ुटकु ले, ट्रीट फ्रूट रोल्ज, न्यूट्री च्वाइस डायजेनस्टव और न्यूट्री च्वाइस शुगर आउट (नबिा शकर का देश में पहला नबनस्कट)। नब्टानिया के शेयर िारकों की सालािा सभा (नवत्तवषा 2005) को संबोनित करते हुए नब्टानिया के र्ेअरमैि िुस्ली वानडया िे कहा- नब्टानिया के नसरमौर उत्पाद नबनस्कट्स की 60 हजार करोड़ रुपए के एफएमसीजी माके ट में 12 फीसदी नहस्सेदारी है। हमारे देश में प्रनत व्यनक्त सालािा नबनस्कट खपत मात्र 2.1 दकलो है, जबदक अमेररका, इं ग्लैंड व अन्य देशों में 10 दकलो। यहां तक दक दनक्षण पूवी एनशयाई देशों में भी यह खपत 4.25 दकलो है। तद्िुसार कारोबार बढािे की हमारे नलए पयााप्त गुज ं ाइश है। नवनिता बाली िे इस अवसर पर शेयर िारकों को बताया दक नवगत 10 सालों में नब्टानिया िे ग्रोथ तो ली है पर वृनि की दर नस्थर हो र्ुकी है। हमारी सबसे बड़ी र्ुिौती है ररजिल व लोकल ब्ांड्स। इिसे प्रनतस्पिाा के नलए लागत घटािा जरूरी है जो संगरठत क्षेत्र के उद्योगों के नलए एक करठि काम है। सुश्री नविीता बाली के अिुसार भारत में नबनस्कट का दूसरा िाम है नब्टानिया। मेरी गोल्ड, गुड-डे, 50-50, ट्रीट, नमल्क नबदकज व टाइगर घर-घर में मशहर है। िए माके ट की खोज में नविीता बाली िे सरकार के मध्याह्ि भोजि कायािम पर फोकस दकया है। िांदी-फाउं डेशि और ग्लोबल अलायंस फॉर इं प्रूव्ड न्यूट्रीसि (गेि) के सहयोग से नब्टानिया हैदराबाद के 1000 स्कू लों के 1.30 लाख छात्रों को मध्याह्ि भोजि योजिा के तहत हर रोज फोरटीफाइड नबनस्कट्स नवतररत कर रही है। ये नबनस्कट्स अफगानिस्ताि व अफ्रीका जैसे कई देशों में यूिाइटेड िेशंस के world food प्रोग्राम के तहत भी नवतररत दकए जा रहे हैं।
सुश्री बाली िे िए माके ट में नब्टानिया को इं ट्री ददलवािे के नलए बैंगलोर की डेली ब्ेड को भी अनिग्रनहत दकया है। इससे कं पिी को प्रीनमयम क्वानलटी के िेक्स माके ट में इं ट्री नमली है। खीमजी रामदास ग्रुप की भागीदारी में नब्टानिया िे मध्यपूवा के देशों में दो बेकरी कं पनियां भी स्थानपत की हैं। सुश्री नविीता बाली िे दुबई की स्ट्रेटेनजक फू ड्स इं टरिेशिल और ओमाि की ए.एल. सुल्ताि फू ड इं डस्ट्रीज की 70 फीसदी इदक्वटी भी खरीद ली है। र्ीज वैराइटी जैसे मोत्जारे टा और हाई अरोमा घी भी नब्टानिया िे लांर् दकया है। इि सबका सुफल कं पिी को नमला है। नवत्तवषा 2005-06 में नब्टानिया िे 1817.9 करोड़ रुपए का कारोबार दकया, जो नवत्त वषा 2004-05 में 1615.4 करोड़ रुपए और नवत्त वषा 2003-04 (सुिील अलघ के कायाकाल) में 1470 करोड़ रुपए हुआ था। ये आंकड़े दशााते हैं दक सुश्री नविीता बाली के कायाकाल में नब्टानिया का कारोबार औसति 27 फीसदी की सालािा दर से आगे बढा है। नविीता बाली का आगामी लक्ष्य है- िेक्स माके ट में नब्टानिया की पकड़ मजबूत करिा और नमल्स फू ड हिंक्स माके ट में प्रवेश ददलवािा, जहां अभी कॉमप्लाि का एकानिकार है। हाल ही में नविीता बाली िे नब्टानिया के मैन्यूफैक्र्ररग प्लांट्स को पयाावरण नहतैषी बिािा शुरू दकया है। ये प्लांट्स अब बायोफ्यूल का उपयोग कर रहे हैं तो नब्टानिया का बैंगलुरू मुख्यालय कर्रे की रीसायदकहलग करके उसका पुिउा पयोग करिे लगा है। सुश्री नविीता बाली के पूवा बॉस और कै डबरी के र्ेअरमैि सी.वी. पाई का कहिा है दक वे एक सक्षम मैिेजर व ऐसी निपुण माके रटग प्रोफे शिल हैं जो लक्ष्यभेद का कोई मौका िहीं छोड़तीं। कोका-कोला में काया करते समय सुश्री नविीता बाली माह में 15 ददि नवदेशों में घूमती थीं। नब्टानिया में भी वे दफ्तर में कम बैठती हैं। भारत भ्रमण के तहत सि् 2006 में वे उतरप्रदेश के मुजफ्फरिगर के एक स्कू ल में पहुंर्ी थीं। वहां लड़के -लड़दकयों की समाि संख्या देखकर उन्होंिे कहा- मनहलाओं की बढती ताकत की खूब र्र्ाा होिे लगी है, पर मीनडया को इसकी वास्तनवकता स्कू लों में देखिा र्ानहए। मैं जब स्कू ल जाती थी, तब क्लास में लड़दकयों की संख्या लड़कों से कम होती थी। अब यह ि के वल बराबर हो गई है वरि् लड़दकयां, लड़कों को पढाई में परास्त भी करिे लगी हैं। सुश्री नविीता बाली के निनहताथा पर ध्याि दें। वे कह रही हैं- देश में कई नविीताज् जन्म ले रही हैं जो आगामी ददिों में नबजिेस world में भी पुरुषों के वर्ास्व को नछन्न-नभन्न कर देंगी।
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रे णु सूद किााड सुघड़-सुजाि ‘घर’ वाली
एर्डीएफसी की एमडी रे णु सूद किााड नबजिेस स्कू ल की छात्रा िहीं हैं। गररमामय गृनहणी लुक के साथ वे सलीके से साड़ी पहिती हैं, तो उिके ललाट पर हमेशा होती है- एक र्मर्माती हबददया। यह सुहाग नर्ह्ि उि कनथत मनहला सुिारकों के नलए सबक है, जो कहते हैं दक हबददया और मंगलसूत्र मनहलाओं की गुलामी के प्रतीक हैं। अपिे रहि-सहि, व्यवहार व परफारमेंस के साथ रे णु सूद किााड िे सानबत दकया है दक प्रतीकों व परं पराओं की लड़ाई में उलझिे के बजाय मनहलाएं अपिी प्रज्ञा व प्रनतभा से आत्मनिभार व स्वावलंबी बि जाएं तो िर क्या िारायण को भी उिका सम्माि करिा पड़ता है। नशक्षा : मुंबई यूनिवर्तसटी से दिनमिोलॉजी में लॉ ग्रेजुएट और ददल्ली स्कू ल ऑफ इकॉिानमक्स से एम.ए. (इकॉिानमक्स)।/ संप्रनत : एर्डीएफसी में एमडी। उपलनधि: एर्डीएफसी की पहली मनहला एक्जीक्यूरटव, एर्डीएफसी के ररटेल व कॉरपोरे ट नबजिेस की स्वतंत्र सूत्रिार। भारत के हाउहसग माटागेज उद्योग की महत्वपूणा हस्ती। सि् 1978 से एक ही संस्था में कायारत।
रे णु सूद किााड : सुघड़-सुजाि ‘घर’ वाली आज कजा लेकर घर बिािा बेहद आसाि हो गया है, पर वे ददि ज्यादा पुरािे िहीं हुए हैं जब देश के बहुसंख्यक मध्यमवगीय पररवारों के बीर् के .एल. सहगल का यह गािा लोकनप्रय था- एक बंगला बिे न्यारा। उि ददिों हाउहसग डेवलपमेंट कॉपोरे शि (एर्डीएफसी) देश में एकमात्र कं पिी थी, जो मध्यमवगीय पररवारों के अपिे घर का स्वप्न पूरा करती थी। इसका श्रेय एर्डीएफसी के संस्थापक हाँसमुखलाल ठाकोरदास पाररख (एर्टी के िाम से मशहर) को है। पर्ास के दशक में लंदि स्कू ल ऑफ इकॉिानमक्स में पढाई करते समय श्री पाररख िे देखा दक इं ग्लैंड की हाउहसग बैंक (नब्रटश नबहल्डग सोसायटी) की मदद से अंग्रेज युवा अवस्था में अपिे घर के मानलक हो जाते हैं, जबदक उिके अपिे देश में अनिकांश लोगों का यह स्वप्न कभी पूरा िहीं होता या प्रौढावस्था में वे दकसी तरह अपिा मकाि बिा पाते हैं। एर्.टी पाररख िे छात्र जीवि में स्वप्न संजोया था दक वे भारत के आम आदमी को आसाि शतों पर हाउहसग लोि उपलधि करवाएंगे। The son of a banker, finance came naturally to Hansmukh T. Parikh. He went to the London School of Economics when Fabian socialism was still the reigning ideology. What really fascinated Parekh were the British building societies, the housing finance banks that made it possible for most Britishers to afford a house during their lifetime. Back in India, he joined a Bombay stockbrokerage and learned the ropes of both the stock market and th e money market. Then came a job at the then newly-established ICICI in 1956. He ran it for two decades, making it the best-run development bank in the developing world. Then came HDFC in the 1970s. In a biographical article for Business India in 1987, H.T.Parekh wrote: “…One of my long cherished ambitions- to institutionalise the finance arrangements for shelter for people- was realised when I got a golden opportunity to promote HDFC, which… has grown as I wanted it to.”)
सि् 1977 में एर्.टी पाररख िे एर्डीएफसी की स्थापिा की तब उन्हें ऐसे सहयोगी खोजिा पड़े, जो पात्र लोगों को कजा देकर घर बिािे के नलए प्रोत्सानहत करें । र्ौंदकए िहीं! ऋणम् कृ त्वा, घृतम् नपवेत वाली ककवदंती 90 के दशक के पहले एक व्यंग्योनक्त मािी जाती थी। हमारे बुजुगा पहले बर्त करते थे, दफर खरीद। इसके नवपरीत आज की युवा पीढी बर्त करिे की अवनि तक उपभोक्ता सामाि से वंनर्त िहीं रहिा र्ाहती। वह कजा लेकर सामाि खरीद लेती है और दकस्तों में मूल्य र्ुकाती है। उिकी िजर में यह बर्त का Reverse Engineering model है। कजा लेिा बुराई है- इस सोर् के कारण 70 के दशक में एर्डीएफसी को पात्र कजादार (जो वेति से दकस्त भर सके ) खोजिा पड़े थे। एर्डीएफसी को उन्हें समझािा पड़ा था दक कजा लेकर आज मकाि बिा ले, क्योंदक कल यही संपदा महंगी व मूल्यवाि हो जाएगी। तद्िुसार, एर्.टी पारीख को एर्डीएफसी के नलए 70 के दशक में ऐसे सहयोगी जुटािे पड़े, जो ग्राहकों को कजा लेिे के नलए तैयार करे । श्री पारीख िे सबसे पहले नवदेश में कायारत अपिे भतीजे दीपक पाररख की अंतरआत्मा को झकझोरा दक उिकी नशक्षा व सूझबूझ की उिके देश को ज्यादा जरूरत है। सि् 1978 में दीपक पाररख के साथ एर्डीएफसी को सीनियर अनसस्टेंट के रूप में ज्वाइि करिे वाली पहली मनहला रे णु सूद किााड आज एर्डीएफसी की मैिेहजग डायरे क्टर हैं व ररटेल व कॉरपोरे ट नबजिेस की वे सूत्रिार हैं। भारत के हाउहसग माटागेज उद्योग (संपदा रे हि पेटे कजा नवतरण) की वे ऐसी महत्वपूणा हस्ती हैं, नजन्हें कॉमसा मीनडया दीपक
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पाररख के उत्तरानिकारी (एर्डीएफसी के अगले र्ेअरमैि) के रूप में नर्नह्ित करता है। इि सबसे ज्यादा महत्वपूणा यह है दक रे णु सूद किााड िे एर्डीएफसी को कजादार फ्रेंडली (ऋणी नहतैषी) नवत्तीय संस्थाि बिािे के दीपक पाररख के नवजि को एक नमशि के रूप में आत्मसात दकया है। वे कहती हैं- सि् 1978 में एर्टी सर से मुलाकात िे मेरा जीवि बदल डाला। वर्ककग वुमेि के मेरे लंबे कायाािुभव का सार Page | 136 है- मनहलाओं को प्राप्त जन्मजात गुण- वेदिा व संवेदिा दकसी भी द तर का कायाकल्प कर सकती है। मनहला घर की तरह द फतर को भी औपर्ाररक नियंत्रण व निदेशों की नगर फत से मुक्त करके कस्टमर फ्रैंडली वका प्लेस बिा सकती है। सही कह रही हैं- रे णु सूद किााड। एर्डीएफसी के कु ल स्टाफ में 20 फीसदी से ज्यादा मनहलाएं हैं, नजन्होंिे एर्डीएफसी के माध्यम से 25 लाख से ज्यादा भारतीयों का अपिे घर का स्वप्न पूरा दकया है, पर नजस फीहलग्स की रे णु र्र्ाा कर रही हैं उसे एि.आर. िारायणमूर्तत का यह कथि सही लय-ताल में व्यक्त करता है। िारायणमूर्तत कहते हैं- 80 के दशक में हम िौकरी (िारायण मूर्तत पाटिी कम्प्यूटसा में और सुिा िारायण मूर्तत टाटा समूह की टेल्को में) कर रहे थे। हम मुंबई में अपिा Flat खरीदिा र्ाहते थे। एर्डीएफसी के स्टाफ िे हमारा नजस आत्मीयता से स्वागत दकया, उसे हम कभी िहीं भूल सकते। एर्डीएफसी के ही कारण हम अपिे घर का स्वप्न पूरा कर सके हैं। इन्फोनसस टेक्नोलॉजी के संस्थापक िारायणमूर्तत आज र्ाहें तो एर्डीएफसी ही खरीद लें, पर उस फीहलग्स को िहीं लौटा सकते जो उिके मिमािस में बस गई है। (Says Deepak Parekh: Twenty years ago Narayan Murthy, the Infosys chairman, took a loan of Rs. 1,70,000 for a small flat. His wife was standing there and praying. He didn’t know anybody, but without paying a bribe or using influence, he got the money. Today Narayan Murthy could buy HDFC. But he will remember his experience with us. One’s home is the single biggest asset purchased by any human being in his lifetime. The happiness, the thrill, the satisfaction: It’s magnificent. Seeing clients satisfied is where we derive our inspiration from. Not spirituality.
ध्याि दें दक हम कजा लेते हैं, कजा लौटा भी देते हैं और उऋण होिे का दावा करिे लगते हैं, पर क्या यह दावा सर् है? स र्ाई यह है दक हम कजा में प्राप्त मुद्रा मात्र लौटाते हैं, पर कजादार बििे की नववशता (पररनस्थनतयां) िहीं लौटा पाते हैं। एर्डीएफसी के दीपक पाररख या रे णु सूद किााड या उिके अन्य सहयोनगयों को हम दकतिे ही अवाडा दे दें, पर इि सबका लाइफ टाइम अर्ीवमेंट तो वह भाविा है, जो उन्होंिे एर्डीएफसी के हर कजादार के ददलो-ददमाग में स्थायी रूप से प्लांट् कर दी है। एक ही संस्थाि में 29 साल से कायारत बाम्बे यूनिवर्तसटी से दिनमिोलॉजी में लॉ ग्रेजुएट और ददल्ली स्कू ल ऑफ इकॉिानमक्स से एम.ए. (इकॉिानमक्स) रे णु सूद किााड परफॉमेंस के आिार पर एर्डीएफसी में पदोन्ननत लेते हुए 1 जिवरी 2010 को मैिेहजग डायरे क्टर बिी हैं। वे एर्डीएफसी के ररटेल व कॉरपोरे ट फाइिेंहसग नबजिेस की ब्ांड गार्तजयि भी हैं। एर्डीएफसी की इन्वेस्टमेंट कमेटी की सदस्य होिे से वे िीनतगत निणायों को भी शेयर करती हैं।
रे णु सूद किााड िे भारत के हाउहसग फाइिेंस उद्योग के दो नवरोिाभासी कालखंड देखे हैं। एक जब सरकार गृह निमााण के नलए कजा को हतोत्सानहत करती थी और दूसरा आज जब बैंकें हाउहसग लोि बेर्िे के नलए रोड शो और लोि मेला आयोनजत कर रहे हैं। वस्तुत: रे णु सूद किााड उस पररवेश की भी साक्षी हैं जब सरकार व भारतीय ररजवा बैंक की िजर में गृह निमााण के नलए कजा लेिा-देिा सट्टात्मक कारोबार था। पररणाम! हाउहसग फायिेंस साहकार संस्थािों को तब आज जैसा कािूिी समथाि उपलधि िहीं था। उन्हें पुिर्तवत्त या रे हि रखे दस्तावेजों के सरकारी नवभागों में पंजीकरण की सुनविा उपलधि िहीं थी। मानसक दकस्तों के अनग्रम र्ेक का तो आइनडया भी िहीं जन्मा था। र्ेक बाउं स होिे पर कािूिी मान्यता प्राप्त वसूली अनिकार उपलधि िहीं थे। ऐसे माहौल में एर्डीएफसी का हाउहसग लोि माके ट में एकानिकार स्थानपत करिे में रे णु सूद किााड िे दीपक पाररख के िेतृत्व में ऐनतहानसक भूनमका निभाई है। यही िहीं, आज भी एर्डीएफसी हाउहसग लोि माके ट की लीडर कं पिी है। यह ऐसी हाउहसग लोि कं पिी भी है नजसका सवाानिक ऋण नवतरण के बावजूद एिपीए (अिुत्पादक संपदा; ि वसूला जािे वाला कजा) सबसे कम (1 फीसदी) है। रे णु सूद किााड िे 3 रट्रनलयि रुपए हाउहसग लोि नवतररत करिे का कीर्ततमाि बिाया है, पर वे गफलत में िहीं हैं और कहती हैं- एर्डीएफसी की खूबी है- बदलाव को आत्मसात् करिा। प्रनतस्पिाा के बाद हमिे अपिी माके रटग रणिीनत को बदलते हुए एक नडनस्ट्रधयूशि सहयोगी कं पिी होम लोम सर्तवसेस इं नडया प्रा.नल. की भी स्थापिा की है। यह छोटे शहरों में होम लोि प्रोडक्ट्स को प्रमोट करिे के साथ बीमा और म्यूर्अ ु ल फं ड्स की भी माके रटग कर रही है। कभी एर्डीएफसी की शाखाएं ए-ग्रेड शहरों तक सीनमत थी। अब बी और सी श्रेणी के शहरों में भी कं पिी की शाखाएं हैं। इि सबसे महत्वपूणा यह है दक हाउहसग लोि िे ही वह बुनियाद तैयार की है नजसके बलबूते पर दीपक पाररख िे एर्डीएफसी को वि स्टाफ फाइिेंनशयल सर्तवसेस ऑगािाइजेशि बिाया है। यह आज ऐसा नवत्तीय समूह है, जो कॉरपोरे ट व ररटेल बैंककग, इं श्योरें स, म्यूर्ुअल फं ड, इन्वेस्टमेंट जैसी सारी नवत्तीय सेवाएं प्रदाि कर रहा है। रे णु सूद किााड एर्डीएफसी प्रॉपटी वेंर्र की भी र्ेयरपसाि हैं तो एक्जो िोबल इं नडया, बॉस नलनमटेड, िे नडट इन्फॉमेशि धयूरो फीडबेक वेंर्र, जी-4एस कॉरपोरे टस सर्तवसेस, इं द्रप्रस्थ मेनडकल कॉरपोरे शि, लफाजे एंड स्पशा बीपीओ सर्तवसेस जैसी कई प्रनतनष्ठत कं पनियों के नियंत्रण मंडल की भी सदस्य हैं। रे णु सूद किाडा ऐसी नबजिेस ट्रेवलर हं दक वे माह में 15 ददि टू र पर रहती हैं और कहती हैं - मुझे काम करिे में मजा आता है । घर में रहिा मुझे अच्छा िहीं लगता। पत्रकार से स्ट्रेटेनजक मामलों के नवशेषज्ञ बिे उिके प्रोफे सर पनत भरत किााड सेंट्रल फॉर पॉनलसी ररसर्ा में कायारत हैं। इस दंपनत की दो संतािें हैं।
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फाल्गुिी िायर कामयाबी का र्ोखा रं ग
पुरुष प्रिाि समाज में परं परागत सामानजक ढांर्ा मनहलाओं को सीनमत अवसर व सीनमत आजादी प्रदाि करता है, पर कामकाजी मनहलाओं की उन्ननत में असली अड़र्ि है- मनहलाओं का अपिा सोर्। हमारे देश में अनिकांश मनहलाएं आर्तथक रूप से स्वावलंबी बििे या अपिा कै ररयर संवारिे के नलए जॉब माके ट में इंट्री िहीं लेती हैं । नववाह होते ही अथवा मां बिते ही वे या तो िौकरी छोड़ देती हैं या इतिा लंबा अवकाश ले लेती हैं दक मुख्यिारा से ही अलग हो जाती हैं। कामकाजी युगल अपिे-अपिे कै ररयर को निखारते हुए पाररवाररक जवाबदारी का संयुक्त रूप से कै से निवाहि करें , इसका उत्कृ ष्ट उदाहरण है- फाल्गुिी िायर व संजय िायर। नशक्षा : मुंबई यूनिवर्तसटी के नसडिेहम कॉलेज ऑफ कॉमसा एंड इकॉिानमक्स से बी.काम. की नडग्री, इंनडयि इंनस्टट्यूट ऑफ मैिेजमेंट अहमदाबाद से फाइिेंस में एमबीए।/ संप्रनत : पूवा एमडी कोटक इन्वेस्टमेंट बैंक। उपलनधि : 25 पावरफु ल वुमेि इि इंनडयि नबजिेस सूर्ी में शानमल, इंग्लैंड और अमेररका में कोटक की फ्रेंर्ाइजी की स्थापिा।
फाल्गुिी िायर : कामयाबी का र्ोखा रं ग फाल्गुिी िायर कोटक महहद्रा कै नपटल की पूवा मैिेहजग डायरे क्टर हैं, तो संजय िायर नसटी ग्रुप (इं नडया) के सीईओ। फाल्गुिी कहती है- पनत-पत्नी होिे के साथ हम प्रोफे शिल नमत्र भी हैं। एक-दूसरे से हम कामकाजी सलाह-मशनवरा करते हैं, पर मैं अपिी जवाबदारी संभालती हं, संजय अपिी। आज के प्रनतस्पिी युग में हर एक को अपिी लड़ाई खुद लडऩा पड़ती है। लोग प्राय: मुझसे पूछते हैं दक कामकाजी मनहला होिे के साथ मैं बच्चों की साल-संभाल कै से करती हं। ये लोग संजय से क्यों िहीं पूछते दक वह फु ल टाइम िौकरी के साथ बच्चों की देख-रे ख कै से करते हैं। मैं बच्चों की मां हं, तो वे नपता हैं। (Says Falguni Nair: I do not have a privileged background. Of course I did not have to stay deep in the suburbs or cook. Privileged perhaps may be from a mindset point of view which acknowledged that women have a right how they lead their lives. Nobody asks my husband how he manages the kids. My husband has the same kids! My husband is very supportive of my career. Both of us are professionals. He advises me as a friend, but at the end of the day, it is my call. He does his work and I do mine. (Business India: July 18-31, 2005)
फाल्गुिी िायर के इस कथि का निनहत संदेश है- वर्ककग वुमेि को सबसे पहले यह भूलिा र्ानहए दक वे मनहला हैं। उन्हें यह अपेक्षा िहीं करिा र्ानहए दक उन्हें स्पेशल ट्रीटमेंट नमलेगा। मनहला होिे से लोग उिकी लापरवाही पर ध्याि िहीं देंगे या प्रनतस्पिी उन्हें वॉकओवर दे देंगे। निजी क्षेत्र में पुरुष हो या मनहला िौकरी पािे या उन्ननत करिे का एकमात्र उपाय है- उपयोनगता, उत्पादकता और प्रनतबिता। बड़ी ददलर्स्प है फाल्गुिी और संजय की जोड़ी! साथ-साथ र्लते हुए दोिों अल्पावनि में अपिी-अपिी कं पिी के शीषा पर पहुंर् गए । फाल्गुिी िे सि् 1983 में नसडेिहैम कॉलेज ऑफ कॉमसा एंड इकॉिानमक्स (बॉम्बे यूनिवर्तसटी) से बी.कॉम. की नडग्री प्राप्त की। संजय िे ददल्ली यूनिवर्तसटी से मैकेनिकल इं जीनियररग में बैर्लर नडग्री ली है। इसके बाद दोिों इं नडयि इं नस्टट्यूट ऑफ मैिेजमेंट अहमदाबाद के कै म्पस में नमले, जहां दोिों िे फाइिेंस में एमबीए की पढाई की। इसके बाद दोिों ही अपिी-अपिी राह पर र्ल पड़े, पर संपका िहीं टू टा। सि् 1985 में फाल्गुिी िे देश की सबसे बड़ी (तब) कं सल्टेंसी फमा एएफ फगुासि एंड कं पिी को ज्वाइि दकया। यहां उन्हें नवत्त क्षेत्र में माके रटग व संगठिात्मक रणिीनत की जवाबदारी सौंपी गई। अपिी कमाठता व प्रनतभा के बलबूते पर फाल्गुिी बहुत जल्दी मैिेजर ग्रेड में पहुंर् गईं। उन्हें स्वतंत्र रूप से नबजिेस खोजिे और उन्हें संपाददत करिे की आजादी नमल गई। संजय िायर िे इं ग्लैंड में नडजाइि इं जीनियररग की हैनसयत से कै ररयर शुरू दकया पर बहुत जल्दी वे भी मैन्युफैक्र्ररग सेगमेंट छोड़कर फाइिेंस माके ट में आ गए। उन्होंिे नसटी बैंक को ज्वाइि दकया, जहां उन्हें कॉरपोरे ट व ट्रांजेक्शि बैंककग की जवाबदारी सौंपी गई। संजय िे भी तेजी से प्रमोशि नलए और वे कॉरपोरे ट फाइिेंस व कै नपटल माके ट हेड बिा ददए गए। सि् 1994 में फाल्गुिी और संजय िे नववाह कर नलया, पर इसके एक वषा पहले फाल्गुिी एएफ फगुासि को छोड़कर कोटक महहद्रा फाइिेंस में आ गई थीं।
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नबजिेस इं नडया (जुलाई 18-31, 2 2005) को एक साक्षात्कार में फाल्गुिी िे कहा है- मैं नवत्त क्षेत्र में काम करिे की इच्छु क थी। अत: कोटक महहद्रा से मुझे अनिग्रहण, नवलयि और प्रोजेक्ट एडवाइजर हेड का ऑफर नमला तो मैं िा िहीं कर सकी। हालांदक इि जरटल कायों का तब मुझे कोई खास अिुभव िहीं था और ि ही था कोई रोल मॉडल। मैंिे अपिी राह खुद बिाई। िए क्लाइं ट्स खोजे और पूरी गनत से काम करिे की समझ जुटाई ही थी दक एक ददि लंदि से संजय का कॉल आया। मैंिे वहां जािे का निणाय ले नलया। उदय कोटक िे मुझे समझाया, पर इस मामले में मैं परं परावादी हं। मेरा सोर् है दक पनत-पत्नी को एक साथ रहिा र्ानहए। भाग्य िे भी साथ ददया। उदय कोटक िे मौका ददया दक मैं इं ग्लैंड में कोटक इं नस्टट्यूशिल इदक्वटीज फ्रेंर्ाइज की स्थापिा करूं। गौरतलब है दक 90 के दशक में तत्कालीि नवत्त मंत्री मिमोहि हसह िे देश की अथा व्यवस्था को खोलिा शुरू दकया ही था। भारतीय कं पनियां वैनश्वक प्रनतस्पिाा में शानमल होिे का मािस बिा रही थीं। उिकी इदक्वटी में नवदेशी निवेशकों की रुनर् पैदा करिा तब एक र्ुिौती थी, क्योंदक इसके पूवा के र्ार दशक तक भारतीय कॉरपोरे ट व भारतीय उत्पादों को दुनिया के माके ट में हेय िजरों से देखा जाता था। फाल्गुिी िायर िे संस्थागत इदक्वटी फ्रेंर्ाइज की स्थापिा के साथ नब्टेि में मजबूत क्लाइं ट्स आिार स्थानपत दकया। नवदेशी निवेशकों की भारतीय कं पनियों की इदक्वटी में रुनर् बढाई। पररणाम! कोटक महहद्रा यूके नलनमटेड आज नब्टेि की भारत कें दद्रत प्रमुख रनजस्टडा ब्ोकर व मिी-मैिेजर फमा है। संजय िायर भी अपिी पत्नी की तरह ही हाई जंपर हैं। अपिे कै ररयर को ऊंर्ाई देिे का वे कोई अवसर िहीं छोड़ते। सि् 1996 में उन्हें सोलोमि नस्मथ बािी के इमर्मजग माके ट्स इदक्वटी नबजिेस को संभालिे का अवसर नमला तो वे तत्काल अमेररका नशफ्ट हो गए। फाल्गुिी िायर भी उिके पीछे पीछे अमेररका पहुंर् गईं। सि् 1997 में उन्होंिे वहां गोल्डमेि शेक को ज्वाइि दकया। आठ माह बाद ही कोटक महहद्रा फाइिेंस िे भारतीय कं पनियों की इदक्वटी वहां बेर्िे तथा उिकी वहां के स्टॉक एक्सर्ेंजों में सूर्ीबिता के नलए अपिा कायाालय और िास्डॉक रनजस्टडा ब्ोकर फमा स्थानपत करिे का निणाय नलया। उदय कोटक फाल्गुिी िायर का नब्टेि में परफॉमेंस भूले िहीं थे। वे नवदेशी माके ट में फाल्गुिी की प्रनतभा व प्रनतबिता परख र्ुके थे। उन्होंिे फाल्गुिी को ही अमेररका में भी कोटक महहद्रा की ब्ोकर फमा स्थानपत करिे की जवाबदारी सौंपी और उन्हें कं पिी के नियंत्रक मंडल में शानमल कर नलया। तद्िुसार, 34 वषा (जन्म 19 फरवरी 1963) की उम्र में फाल्गुिी िायर भारत की एक अग्रणी निवेश व मर्ेंट बैंकर कं पिी के अमेररकि कारोबार की सीईओ बि गईं। र्ार सालों में फाल्गुिी िे न्यूयाका में कोटक महहद्रा का ऐसा मजबूत संस्थागत फ्रेंर्ाइज स्थानपत कर ददया दक आज कं पिी के कु ल कारोबार में इस फमा की नहस्सेदारी 40 फीसदी से भी ज्यादा है। अमेररका में फाल्गुिी िे अमेररकि अकाउं रटग नसस्टम को भी िजदीक से देखा व समझा। उन्हें वहां वॉल स्ट्रीट की एक बड़ी कारोबारी हस्ती एबी जोसेफ कोहेि के साथ इदक्वटी कारोबार करिे का मौका नमला। अपिे इस अिुभव को अपिे कै ररयर के नलए बहुमूल्य बताते हुए फाल्गुिी कहती हैं- अमेररकि प्रोफे शिल्स अपिे काम से मतलब रखते हैं। वे सारगर्तभत बातें करते हैं। मुझे वहां लुभािे वाले कई जॉब ऑफर नमले। पर मैं उदय कोटक से प्रभानवत हं। उन्होंिे हमेशा मुझ पर नवश्वास दकया है। मैंिे कोटक महहद्रा को िहीं छोड़ा। फाल्गुिी िायर को इस लॉयल्टी का पांर् साल बाद उनर्त पुस्कार भी नमला।
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(Says Falguni Nair: My stints abroad taught me a lot. The experience in the US in particular was a real learning experience. They have a very professional work ethic and are very precise in their communication. And that is something we have to learn.)
सि् 2000 में पनत-पत्नी िे स्वदेश लौटिे का मािस बिाया। पहले फाल्गुिी िायर भारत लौटीं। इदक्वटी माके ट और इसके प्रवताि की जवाबदारी के साथ वे कोटक इं नस्ट्ट्यूशिल की इदक्वटीज की सह प्रमुख बिा दी गईं। फाल्गुिी िे स्वेच्छा से इदक्वटी ट्रेहडग की जवाबदारी भी संभाल ली। वषा 2002 में उन्होंिे कोटक महहद्रा का क्लाइं ट्स आिार बढाया। प्रोडक्ट्स ररसर्ा को मजबूत करिे की रणिीनत िे कं पिी का टिा ओवर व मुिाफा बढा ददया। गोल्डमेि शेक के साथ कोटक महहद्रा का संयुक्त वेंर्र भी फाल्गुिी िायर िे मजबूत दकया। सि् 2003 में फाल्गुिी की टीम िे इदक्वटी प्रोडक्ट्स ऑफर दकए। ग्लोबल नडपॉनजटरी रसीदों, कन्वटीबल्स, प्राइवेट इदक्वटी और धलॉक डील्स के साथ नवदेशों में भारतीय कं पनियों की नलहस्टग पर फोकस दकया। तयशुदा लक्ष्य पर समयािुसार फोकस के कारण लक्ष्यभेद हुआ। इदक्वटी का Future & Option नबजिेस इतिा बढा दक कोटक महहद्रा देश के पूंजी माके ट की टॉप थ्री ब्ोकर फमा में से एक हो गई। मजबूत बुनियाद बि गई तो सि् 2005 की शुरुआत में फाल्गुिी िायर िे भारतीय कॉरपोरे ट की यशोगाथा नवदेशों में बेर्िा शुरू की। गोल्डमेि शेक के साथ फरवरी 2005 में उन्होंिे न्यूयाका मेंभारत उदय; एक युग का सूत्रपात (India Unplugged: Promise of a New Era) शीषाक से एक इं टरिेशिल इन्वेस्टर कॉन्फ्रेंस आयोनजत की। इस कॉन्फ्रेंस में अमेररका नस्थत 150 संस्थागत निवेशकों, ग्लोबल व इमर्मजग माके ट फं ड्स, हेज फं ड्स व इदक्वटी निवेशकों िे नहस्सा नलया। सि् 2005 में अजय सोढी की नवदाई के बाद कोटक इन्वेस्टमेंट बैंक के शीषा पद के नलए उपयुक्त शख्स की खोज शुरू हुई। कई लोग इस दौड़ में थे, पर राज्यानभषेक फाल्गुिी िायर का हुआ। जूि 2005 में कोटक महहद्रा कै नपटल कं पिी नलनमटेड के मैिेहजग डायरे क्टर बिाए जािे पर फाल्गुिी िायर िे कहा- हा, मैं इस दौड़ में शानमल थी पर कई और लोग भी थे। मुझे उम्मीद िहीं थी। मैंिे प्रयास भी िहीं दकए, अत: जब यह हुआ तो मैं र्ौंक उठी। (Says Falguni Nair: I was not expecting the job to come my way. It was not that I was never in the picture, but I know that there were others around as well. And I did not lobby for it either. So when it did happen, it was, indeed, a surprise.)
फाल्गुिी िायर प्रनतभावाि व प्रनतबि वर्ककग वुमेि हैं। पर उिके कै ररयर ग्राफ पर िजर डालें तो माििा पड़ेगा दक प्रज्ञा व पुरुषाथा को भाग्य का भी अच्छा साथ नमला है। यह उिका Good luck ही तो है दक उन्हें उिके जैसा ही प्रनतभावाि ही िहीं प्रोत्सानहत करिे वाला जीविसाथी नमला...... पनत-पत्नी इं ग्लैंड गए तो वहां और जब अमेररका गए तो वहां भी महहद्रा फाइिेंस िे अपिा ब्ोकरे ज कायाालय खोलिे की जवाबदारी फाल्गुिी िायर को सौंपी..... और सि् 2000-01 में भारत लौटी तो यहां भी उन्हें लंबे समय पनत नवयोग िहीं सहिा पड़ा। अक्टू बर 2002 में संजय िायर नसटी ग्रुप के कं ट्री
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ऑदफसर (सीसीओ), कॉरपोरे ट व इन्वेस्टमेंट बैंककग के प्रमुख और श्रीलंका, बांग्लादेश और िेपाल कारोबार के एररया हेड बिकर भारत आ गए। इस दंपनत की आज देश के नवत्तीय सेवा उद्योग में खास साख व भारी िाक है। नबजिेस टूडे की देश की 25 पॉवरफु ल वुमेि इि इं नडयि नबजिेस सूर्ी में शानमल फाल्गुिी िायर का कहिा है- भारत हमारी ताकत है। अपिे देश को हमसे बेहतर कोई िहीं जाि सकता। इकॉिानमक टाइम्स द्वारा प्रवर्ततत कॉरपोरे ट इं नडया के सवोच्च अवाडास के नलए दो बार मिोनित ज्यूरी- संजय िायर भी इं डो अमेररकि सोसायटी, इं डो अमेररकि र्ैंबसा ऑफ कॉमसा, यूिाइटेड वे ऑफ मुंबई, नसक्युररटीज एंड एक्सर्ेंज बोडा ऑफ इं नडया की स्माल टास्क फोसा और भारतीय ररजवा बैंक की िेशिल पैमेंट्स कौंनसल के मिोिीत सदस्य हैं। फाल्गुिी िायर और संजय िायर दोिों में से दकसकी जन्म कुं डली में शुि की महादशा है यह तो वे ही जािें। पर इस दंपनत िे एक बात सानबत कर दी है दक साथ-साथ र्लें तो लंबी यात्रा भी िन्हे कदमों से बहुत िन्ही बि जाती है। यह पता ही िहीं र्लता दक कब मंनजल पर पहुंर् गए। फाल्गुिी व संजय दोिों ही आज शीषा पर पदासीि हैं। फरवरी 2012 में फाल्गुिी िायर िे कोटेक मनहन्द्रा की प्रनतनष्ठत िौकरी छोड़कर अपिा खुद का वेंर्र शुरू दकया है। फाल्गुिी मािती हैं दक कै ररयर और पररवार की जवाबदारी साथ-साथ संभालिा करठि काम है। हमिे दो बच्चों को साथसाथ बड़ा दकया है। हालांदक यह कोई अपवाद िहीं है। मेरा बर्पि खूब ऐशो-आराम से िहीं गुजरा है। मेरे मध्यमवगीय नपता अपिी बर्त शेयर माके ट में निवेश करते थे। वे मुझे कहते थे दक समार्ार पत्रों में शेयरों के प्रॉदफट/अर्मिग मार्तजि को देखूं। ऐसा करते हुए मैंिे दकशोरावस्था में निणाय नलया दक मैं फाइिेंस की पढाई करूंगी और इसी क्षेत्र में ही कै ररयर संवारूंगी। ददलर्स्प बात यह है दक फाइिेंस जैसे जरटलतम कायाक्षेत्र में अत्यनिक व्यस्तता के बावजूद फाल्गुिी िायर नियनमत टेनिस खेलती हैं, हहदी दफल्में देखती हैं और नस्वहमग भी करती हैं।
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अध्याय 24
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शांनत एकम्बरम काम से गठबंिि, आराम से तलाक उदारीकरण और आर्तथक सुिार कायािम के बाद सरकार िे नवत्तीय सेक्टर को अपिी गनतनवनियां फै लािे की अिुमनत दी। भारतीय कं पनियों को भी देसी-नवदेशी माके ट में प्रर्ंड प्रनतस्पिाा करिा पड़ी। पूंजीगत व नवत्तीय सेवा जरूरतें बढऩे लगीं। कोटक मनहन्द्रा को ज्वाइि करिे की जोनखम िे ही शांनत एकम्बरम को सि् 1991 में देश के नवत्तीय सेगमेंट में आई िांनत का एक नहस्सा बिाया। वे उि नगिी-र्ुिी वर्ककग वुमेि में एक हैं, नजन्होंिे जॉब को ही अपिा जीविसाथी बिा नलया है। दूसरे शधदों में, वे जॉब में इतिी रम गई हैं दक उन्हें नववाह करिे की भी फु रसत िहीं नमली है। वे कहती हैं- मैं घर और द फतर के बीर् बैलेंस करिे के झंझट से मुक्त हं । नशक्षा : हसगिेहम कॉलेज, मुंबई में सी.ए. एवं Cost & Works अकाउं टेंसी का सर्टटदफके ट/ संप्रनत :ग्रुप हेड, होलसेल बैंककग, कोटक मनहन्द्रा बैंक।/ उपलनधि : फाइिेंस एनशया मैगजीि बेस्ट आई बैंकर अवाडा। डेढ दजाि से ज्यादा बड़े अनिग्रहण व नवलयि सौदे की लीडर, कोटक मनहन्द्रा कै नपटल को देसी-नवदेशी माके ट में स्थानपत करिे में अहम् भूनमका।
शांनत एकम्बरम : काम से गठबंिि, आराम से तलाक सत्तर के दशक में बैंक की िौकरी में आज जैसी आपािापी िहीं थी। 9 से 5 बजे के जॉब में कोई खास तिाव िहीं था। गृह निमााण एवं वाहि खरीदिे हेतु कजा, नर्दकत्सा खर्ा की प्रनतपूर्तत एवं ओवरटाइम जैसी सुनविाओं के अलावा सुरक्षा एवं मातृत्व अवकाश िे तब मनहलाओं को सावाजनिक क्षेत्र की बैंक की िौकरी के नलए ललर्ाया। यही कारण है दक अन्य सेगमेंट्स की तुलिा में मेनडको व फाइिेंस क्षेत्र में सवाानिक मनहलाएं ददखाई देती हैं। अपिे-अपिे संगठिों में इिकी पदोन्ननत व इिकी उपनस्थनत से जन्मी काया-संस्कृ नत (मनहला कार्तमकों को समाि अवसर) िे नशक्षा प्राप्त युवनतयों के नलए भी फाइिेंस सेक्टर को आकषाक बिाया है। कोटक मनहन्द्रा कै नपटल की एक्जीक्यूरटव डायरे क्टर शांनत एकम्बरम उि मनहलाओं में िहीं हैं, नजन्होंिे सुरक्षा व सुनविा के नलए फाइिेंस सेक्टर को र्ुिा है। वे र्ाहतीं तो 80 के दशक में दकसी भी सरकारी बैंक में प्रोबेशिरी ऑदफसर बि जातीं और आज संभवतया उस बैंक की सीनियर एक्जीक्यूरटव होतीं, पर उन्होंिे निजी क्षेत्र को र्ुिा, जहां िौकरी करिे या पदोन्ननत पािे की पहली शता है- कमाठता। अपिी प्रज्ञा व प्रनतबिता के बलबूते पर कोटक मनहन्द्रा कै नपटल के शीषा पद पर पहुंर्िे वाली शांनत एकम्बरम के पास वर्ककग एज के 15 साल अभी भी बाकी हैं। कल्पिा करें दक वे इसी गनत से आगे बढीं तो कहां नवराम लेंगी? वस्तुत: शांनत एकम्बरम उि नगिी-र्ुिी वर्ककग वुमेि में एक हैं, नजन्होंिे अपिे जॉब को ही अपिा जीविसाथी बिा नलया है। शांनत एकम्बरम िे स्कू ली पढाई के दौराि ही तय कर नलया था दक वे फाइिेंस सेक्टर में कै ररयर बिाएंगी। मैथ्स में मानहर होिे से उिके अध्यापक र्ाहते थे दक वे इं जीनियर बिें। पर उन्होंिे नसडिेहम ै कॉलेज, मुंबई में दानखला नलया तो उिके मां-नपता को भी अहमदाबाद से मुंबई नश ट होिा पड़ा। सी.ए. एवं cost & works अकाउं टेंसी का सर्टटदफके ट नमलिे के बाद सि् 1987 में शांनत एकम्बरम को बड़े ददलर्स्प अंदाज में पहली िौकरी नमली। उिके एक नमत्र को बैंक ऑफ िोवा स्कोनशया का इं टरव्यू कॉल आया। पर वह इसके पहले ही दूसरी िौकरी ज्वाइि कर र्ुका था और अपिे जॉब से संतुष्ट था। उिके दोस्त िे शांनत को अपिा कॉल लेटर देते हुए कहा- तुम इं टरव्यू के नलए जाओ? देखते हैं, मेरी जगह तुम कै से इं ट्री लेती हो। शांनत अपिे दोस्त का कॉल लेटर लेकर बैंक पहुंर्ीं और हकीकत बताते हुए बोलीं- मैं िौकरी करिा र्ाहती हं और इं टरव्यू देिे आई हं। साक्षात्कारकताा उिकी यह गैरपरं परागत पेशकश से र्ौंक उठे ? कौतूहलवश वे शांनत से बातर्ीत करिे को तैयार हो गए। थोड़ी ही देर में शांनत िे इं टरव्यू बोडा को अपिी बुनिमत्ता व हानजर-जवाबी से ऐसा लुभाया दक उन्हें तत्काल नियुनक्त पत्र नमल गया। शांनत एकम्बरम कहती हैं- मैंिे प्लाि बिाकर अपिा कै ररयर िहीं संवारा है। मुझे अिायास ही अवसर नमले। मैंिे जोनखम उठाई और उन्हें लपक नलया। सही कहती हैं वे, दूसरी बार भी ऐसा ही हुआ। कोटक समूह के उदय कोटक बैंक ऑफ िोवा स्कोरटया के क्लाइं ट थे। एक नबजिेस मीरटग के बाद मध्याह्ि भोज में उिसे बनतयाते हुए शांनत एकम्बरम िे अिजािे में कहा- मुझे अपिी िौकरी में मजा िहीं आ रहा है। एक अन्य नवदेशी बैंक का ऑफर मुझे नमला है। मैं बहुत जल्दी जॉब बदल दूग ं ी। उदय कोटक शांनत एकम्बरम की बुनिमत्ता व बातर्ीत करिे के तरीके से इतिे प्रभानवत थे दक उन्होंिे जवाब ददया- कोटक ग्रुप ज्वाइि करिा र्ाहो तो तुम्हारा स्वागत है।
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शांनत एकम्बरम िे उदय कोटक का ऑफर स्वीकार करिे का फै सला नलया तो नमत्रों िे उन्हें समझाया दक नवदेशी बैंक की िौकरी छोडऩा या ऐसे दकसी दूसरे ऑफर को िकारिा िासमझी होगी। वे ऐसा िहीं करें । यह सलाह आिारहीि िहीं थी। उि ददिों निजी क्षेत्र की नवत्तीय कं पनियों का िाममात्र का अनस्तत्व था। कोटक मनहन्द्रा ग्रुप भी अपिा अनस्तत्व बर्ािे के नलए संघषा कर रहा था। एक साक्षात्कार में शांनत एकम्बरम िे कहा है- नवदेशी बैंक के अच्छे पे-पैकेज को छोड़कर एक िवोददत भारतीय नवत्तीय कं पिी की िौकरी नि:संदेह तब जोनखम थीं। पर आज मैं यह सकती हं दक मैंिे यह जोनखम िहीं उठाई होती तो मैं मौका र्ूक जाती। मेरे कै ररयर का यह सबसे उत्कृ ष्ट फै सला सानबत हुआ है। (Says Shanti Ekambaram: I left a foreign bank job and other foreign bank offer to join a finance company. In 1991 finance companies were hardly known and Kotak Mahindra was just emerging. So to leave a safe and secure job to join an entrepreneurial organisation was itself a major risk at that time but the risk adjusted return has been phenomenal. (Business India: April 26-May 9, 2004)
गौरतलब है दक उदारीकरण और आर्तथक सुिार कायािम के बाद सरकार िे नवत्तीय सेक्टर को अपिी गनतनवनियां फै लािे की अिुमनत दी। भारतीय कं पनियों को भी देसी-नवदेशी माके ट में प्रर्ंड प्रनतस्पिाा का सामिा करिे के नलए तैयारी करिा पड़ी। तद्िुसार, उिकी पूंजीगत व नवत्तीय सेवा जरूरतें बढऩे लगीं। कोटक महहद्रा को ज्वाइि करिे की जोनखम िे ही शांनत एकम्बरम को सि् 1991 में देश के नवत्तीय सेगमेंट में आई िांनत का एक नहस्सा बिाया और वतामाि ऊंर्ाई पर पहुंर्ाया है। कोटक मनहन्द्रा में उदय कोटक िे शांनत एकम्बरम को ट्रेड फाइिेंहसग की जवाबदारी सौंपी। इस पुरुष प्रिाि कायाक्षेत्र में इं ट्री लेते ही शांनत एकम्बरम िे ऐसी िुआि ं ार बैरटग की दक मीनडया िे उिका िामकरण दकया- नबहलग क्वीि (नबहलग फाइिेंस से आशय है-कारोबारी दस्तावेजों के पेटे लघु अवनि कजा नवतरण)। देखते-देखते शांनत एकम्बरम िे उदय कोटक को इतिा प्रभानवत कर नलया दक दो साल बाद ही उन्हें गोल्डमेि शेक (कोटक मनहन्द्रा के स्ट्रेटेनजक नबजिेस पाटािर) के साथ अंतरराष्ट्रीय कै नपटल माके ट में कारोबार करिे की जवाबदारी सौंप दी गई। इस दानयत्व िे शांनत एकम्बरम को मिर्ाहा एक्सपोजर ददया, नजसिे ददि-प्रनतददि उिकी प्रनतभा को ज्यादा िारदार बिाया। नवगत एक दशक से देश और दुनिया के कै नपटल माके ट में सफलता के साथ सदिय शांनत एकम्बरम कहती हैं- कै नपटल माके ट में तब िए-िए प्रॉडक्ट्स जन्म ले रहे थे। भारतीय उद्योगपनतयों व निवेशकों के नलए वे िमोन्मेषी थे। भारतीय पूंजी बाजार अंतरराष्ट्रीय कै नपटल माके ट के साथ कदमताल कर रहा था। हमिे इस दौर में कई बड़ी Deals क्लोज करवाईं। इिसे भारतीय कं पनियों को कम लागत की पूंजी नमली। दो नवत्तीय वषा (1996-1998) में पूंजी माके ट िे गोता लगाया। निवेशकों के नलए हताशा व निराशा के उस दौर में कोटक महहद्रा िे अपिे क्लाइं ट्स को बेहतरीि सेवाएं प्रदाि की और मंदी के दौर में उिके भरोसे को कायम रखा। पररणामस्वरूप जब माके ट िे टिा नलया तब कोटक महहद्रा उस ऊंर्ाई पर पहुंर् गया, जो एक इनतहास है। (Says Shanti Ekambaram: The market was ripe for new ideas, innovation, changes in synch with the global markets and we invested time and effort in building the business during the low phase of 1996-98. Thereafter when the markets turned we were there to tap the opportunities and the rest is history.)
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शांनत एकम्बरम नजसे इनतहास कह रही हैं आइए, उसकी एक झलक भी देखें। सि् 1992 में भारतीय कं पनियों को एडीआर माके ट में पूंजी संग्रहण की अिुमनत नमली तो कोटक मनहन्द्रा िे इसे सुिहरा अवसर मािते हुए शांनत एकम्बरम को नवदेशी संस्थागत निवेश की डेस्क सौंप दी। शांनत एकम्बरम िे भी इं टरिेशिल माके ट में अपिी व अपिी कं पिी की पुख्ता पहर्ाि स्थानपत की। Page | 146 सि् 1995 में उन्हें घरे लू पूंजी माके ट में ट्रेहडग करिे को कहा गया। वे कहती हैं दक कोटक महहद्रा देसी-नवदेशी माके ट्स में िवागंतुक था। परं परा का बोझ िहीं होिे से िए-िए प्रयोग और िए-िए प्रॉडक्ट्स लांर् करिे की आजादी नमली। इस नस्थनत का लाभ लेते हुए कं पिी िे भी कई बड़ी-बड़ी Deals करवाई। इिमें उल्लेखिीय है- गोदरे ज द्वारा गुड िाइट ब्ांड का अनिग्रहण, ह्यूज साफ्टवेयर की बुक नबहल्डग डील, 225 नमनलयि डॉलर का हुर्ीसि द्वारा फॉस्कल और ऊषा मार्टटि का अनिग्रहण, 19 नमनलयि डालर का ह्यूज टेलीकॉम का आईपीओ। कं पिी के 2000-01 के परफॉमेंस पर िजर डालें तो 5800 करोड़ रुपए के डेढ दजाि से ज्यादा अनिग्रहण व नवनलयि सौदों को संपन्न करवािे में शांनत एकम्बरम िे अहम भूनमका निभाई है। वे कहती हैं- फाइिेंस डील एक्सक्लूनसव होती है मेरे नलए। छोटी हो या बड़ी कोई फका िहीं पड़ता, क्योंदक हरे क से एक िया अिुभव नमलता है। शांनत एकम्बरम कोटक मनहन्द्रा में टीम लीडरनशप के नलए जािी जाती हैं। इस बाबत् उिकी सोर् सुस्पष्ट है। वे कहती हैंटीम के दकसी एक शख्स के पास एक िया आइनडया हो सकता है। पर वह उसे अके ले दियानन्वत िहीं कर सकता। उसे एक समर्तपत टीम र्ानहए। कोटक की मेरी टीम िे हर जवाबदारी में मुझे अपिा बहुमूल्य सहयोग प्रदाि दकया है। बॉस व अनििस्थ वाला ररश्ता कालातीत हो र्ुका है। अब दोिों ही एक टीम का नहस्सा होते हैं- एक सीनियर, एक जूनियर। (Says Shanti Ekambaram: My career with Kotak has been all about a great level of team work and hell of a fascinating journey. I am living in the energy of the future as I work mentally at least 24 hours a day, 365 days a year. You can have the best ideas, but you can’t deliver without a team. People management is one of the biggest challenges. To ensure the right amount of empowerment, and keep the team motivated and upbeat 24x7 has been perhaps the biggest challenge. I am delighted to have been part of team that brings international practices to the Indian capital market.)
सही कहती हैं शांनत एकम्बरम। डेढ दशक में कोटक मनहन्द्रा बैंककग, जीवि बीमा, निवेश बैंककग, स्टॉक ब्ोककग, म्यूर्ुअल फं ड, ऑटो फाइिेंस, प्राइवेट इदक्वटी, अर्ल संपदा व वेंर्र कै नपटल के क्षेत्र में एक अग्रणी ग्रुप बि गया है। नि:संदेह इसका श्रेय कोटक मनहन्द्रा की टीम को है, नजसके रर्िाकार हैं- उदय कोटक। शांनत एकम्बरम के अिुसार वे कोटक समूह के वका कल्र्र का नहस्सा हो र्ुकी हैं। यह ऐसा च्ग्रेट वका प्लेस है जहां मनहला हो या पुरुष- स्वप्न देख सकते हैं और उन्हें पूरा कर सकते हैं। यही कारण है दक 365 ददि 24 घंटे कम करके भी मैं ि तो थकती हं और ि ही ऊबती हं। प्रोजेक्ट एिानलस्ट से एक्जीक्यूरटव डायरे क्टर बििे वाली शांनत एकम्बरम फाइिेंस एनशया मैगजीि के अिुसार भारत की Best Banker हैं। वका होनलक शांनत एकम्बरम िे दकशोर उम्र में भरतिाट्यम सीखा था। यह शौक आज उन्हें जहां मािनसक शांनत प्रदाि करता है वहीं नियनमत शारीररक कसरत भी करवाता है। संगीत सुििा व दफल्म देखिा उन्हें खूब पसंद है तो अपिे भतीजों (भाई के बच्चों) के साथ वे जब उिम मर्ाती हैं तो घर वाले कह उठते हैं- शांनत!
अध्याय 25
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मिीषा नगरोत्रा कॉरपोरे ट हंटर भारतीय मनहलाओं िे स्वेच्छा से पुरुषों की अिुगामी बिकर अपिी पहर्ाि खोई तो पररवार, समाज व देश को भी क्षनत पहुंर्ाई है। नि:संदह े िई पीढी की मनहलाएं सर्ेत हो गई हैं। ऐसी नगिी-र्ुिी सतका मनहलाओं में से एक हैं मिीषा नगरोत्रा। वे घर की र्हारदीवारी में पनत -नप्रया हैं तो कारोबारी हजदगी में पनत की मजबूत प्रनतस्पिी। पनत-पत्नी ऐसी अलग-अलग ग्लोबल फाइिेंस कं पनियों को लीड करते हैं, जो एक-दूसरे की प्रनतद्वंद्वी है। ददलर्स्प बात यह है दक दोिों से यदद पूछें दक आपमें से बेहतर बैंकर कौि है तो समाि जवाब नमलेगा- मैं.. नशक्षा : टॉपर ग्रेजुएट ,ददल्ली स्कू ल ऑफ इकॉिानमक्स/ संप्रनत :
र्ेयरपसाि-एमडी, यूिाइटेड बैंक ऑफ
नस्ट्जरलैंड (यूबीएस)/ उपलनधि : कॉरपोरे ट हंरटग (अनिग्रहण व नवलयि) में मानहर। एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की बड़ी कॉरपोरे ट खरीद-फरोख्त में अहम भूनमका निभािे वाली ऐसी इन्वेस्टमेंट बैंकर, जो बोडा रूम में प्रवेश करती है तो लगता है बॉलरूम से आई हैं।
मिीषा नगरोत्रा : कॉरपोरे ट हंटर इस आलेख को इस पुस्तक का अंनतम अध्याय सोर्-समझकर बिाया गया है। पुस्तक में कई कामकाजी जोड़ों की यशोगाथा हमिे पढी। दकरण मजूमदार शॉ-जॉि शा, शोभिा भरनतया-श्याम भरनतया, मनल्लका श्रीनिवासि-वेणु श्रीनिवासि, सुलज्जा दफरोददया मोटवािी-मिीष मोटवािी, िैिालाल दकदवई-रशीद दकदवई, लनलता गुप्त-े ददलीप गुप्त,े रे णु सूद किााड-भरत किााड, फाल्गुिी िायर-संजय िायर.. इि सबका निजी जीवि व कारोबारी सफलता नि:संदेह प्रेरक है, पर मिीषा नगरोत्रा (र्ेयरमैि एमडी यूिाइटेड बैंक ऑफ नस्वट्जरलैंड यूबीएस व संजय अग्रवाल (एमडी, ग्लोबल कॉरपोरे टर फाइिेंस यूरूर् बैंक इं नडया) ऐसे दम्पनत हैं,नजिकी रीयल लाइफ स्टोरी प्रेरक होिे के साथ ददलर्स्प भी है। इस आलेख में ऐसे कई प्रसंग आप पढेंगे, जो अपिी पहर्ाि बिािे की मनहलाओं की दबी-छु पी र्ाह दशााते हैं तो पुरुषों पर लगाए जािे वाले इस आरोप का भी जवाब है दक उन्होंिे मनहलाओं को Grow िहीं होिे ददया। मिीषा नगरोत्रा के अिुसार सि् 1992 में जब ददल्ली में मैं सावाजनिक क्षेत्र की कं पनियों के दफ्तर में पहुंर्ती थी तो लोग मेरे हाथ बढािे पर िमस्ते कहते थे। वे समझते थे दक मैं दकसी उद्योगपनत की सेिेटरी हं। वे पूछते थे दक साहब कब आएंगे। अब ऐसा िहीं होता। संजय अग्रवाल यह बात इि शधदों में दोहराते हैं दक हमारे नववाह को 17 साल (सि् 1994) हो गए हैं। हम अपिी पसािल प्रोफे शिल लाइफ पूरी स्वतंत्रता के साथ जीिा सीख गए हैं। मुझे पता होता है दक मिीषा कहां है, पर यह िहीं पता होता दक वे दकससे नमल रही हैं। मिीषा और संजय यह पता करिे की कोनशश भी िहीं करते। वे दोिों जािते हैं दक वे ऐसी इन्वेस्टमेंट बैंककग फमा को लीड कर रहे हैं और परस्पर प्रनतस्पिी है। दोिों ही होमवका घर िहीं लाते। यही िहीं, क्लाइं ट का फोि आ जाए तो घर से बाहर निकलकर या अपिे-अपिे बाथरूम में जाकर बात करते हैं। जी हां, उिके अलग-अलग साउं ड प्रूफ बाथरूम है और इिमें डबल बेरल डोअसा लगे हुए हैं। दोिों इतिे इनथकल प्रोफे शिल हैं दक सि् 2005 में दोिों इन्फोनसस टेक्नोलॉनजस की एडीआर नलहस्टग नबजिेस के नलए दोिों में होड़ हुई, पर प्रायहजग तय िहीं होिे तक इन्फोनसस के सहसंस्थापक िंदि िीलके णी को भी पता िहीं र्ला दक मिीषा और संजय पनत-पत्नी हैं। ऐसा ही नवलक्षण तालमेल दोिों िे अपिे पाररवाररक जीवि में भी स्थानपत दकया है, नजसकी िूरी है उिकी इकलौती पुत्री तारा। पुत्री को लेकर दोिों के बीर् एक ही बार बहस हुई है। मुद्दा था िामकरण। मिीषा र्ाहती थी दक बेटी का िाम माया हो, पर संजय सहमत िहीं थे। उिकी इस दलील िे मिीषा को परास्त कर ददया दक घर के बाहर तो हम ददिभर दूसरों के नलए माया प्रबंिि (फाइिेंस मैिेजमेंट) कर ही रहे हैं, कम से कम घर में तो माया-मोह से बर्ें। मिीषा माि गई और बेटी का िामकरण हुआ- तारा। आइए अब पढें मिीषा नगरोत्री कै से बिे देश की अग्रणी डील मेकर इन्वेस्टमेंट बैंकर, पर इसके पहले उिके इस कै ररयर की बुनियाद।
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यूिाइटेड कामर्तशयल बैंक (यूको बैंक) के पूवा र्ेयरमैि सतीश नगरोत्रा की पुत्री है मिीषा। सि् 1969 में र्ंडीगढ में जन्मी मिीषा को नपता के स्थािांतरण के कारण नशमला, ददल्ली, मुंबई और लंदि में स्कू ली नशक्षा नमली। स्टीफि कॉलेज िई ददल्ली में अथाशास्त्र में ग्रेजुएशि नडग्री लेिे के बाद सि् 1992 में उन्होंिे मैिेजमेंट ट्रेिी की हैनसयत से एएिजेड नग्रन्डलेज को ज्वाइि दकया। बैंककग सेक्टर को कररयर का मैदाि र्ुििे के बाबत मजादकया अंदाज में वे कहती हैं दक नगरीत्रा पररवार िे कभी भी नवनवि कारोबार (Diversification) की ररस्क िहीं उठाई। मेरे नपता बैंकर रहे, मेरे भाई व भाभी बैंकर हैं,मैंिे भी यही दकया। हालांदक मां कहती हैं दक जब मैं तीि साल की थी, तब कहती थी दक हेयर िंेसर बिूग ं ी। संयोग से मुझे पनत (संजय अग्रवाल) भी बैंकर ही नमले। जी हां, मिीषा और संजय बैंक में ही नमले थे, पर एक रोर्क व रोमांरटक प्रसंग के साथ। मिीषा िे एक पुरािे साक्षात्कार में कहा है- सि् 1992 में संजय एएिजेड नग्रन्डलेज के मर्ेंट बैंककग नडवीजि के हैड थे और मैं ट्रेिी। 50 प्रनशक्षणार्तथयों में 20 लड़दकयां थीं। संजय को हमिे बैसाखी के सहारे र्लते देखा। हम लड़दकयों को इम्प्रेस करिे के नलए उन्होंिे बतायाश्रीलंका में नलट्टे के समूह के साथ एक मुठभेड़ में वे घायल हुए हैं। बैर् की कु छ भोली-भाली लड़दकयों िे तो बहादुर मािकर उिके पैर छु ए। मिीषा हंसते हुए कहती हैं दक यह तो बाद में पता र्ला दक यह कोरी गप्प थी और संजय एक दुघाटिा में घायल हुए थे। मिीषा को संजय की यह शरारत त्वररत बुनिमत्ता लगी। संजय भी मिीषा से पहली मुलाकात िहीं भूले हैं। उिके अिुसार मुझे मिीषा का साहस अच्छा लगा। वे दकसी भी नवषय पर ठोस दलीलों के साथ बोलती हैं और अपिी बात मिवा ही लेती हैं। ददलर्स्प बात यह है दक दोिों एक-दूसरे के प्रशंसक थे, पर दोिों िे माता-नपता के इस प्रस्ताव को पहले िकार ददया दक नववाह कर लो। दो साल की प्रतीक्षा के बाद सि् 1994 में दोिों सहमत हुए। मिीषा नगरोत्रा िे एक ही साल एएिजेड नग्रन्डलेज में िौकरी की और दफर बका लेज की इन्वेस्टमेंट इकाई को ज्वाइि कर नलया। सि् 1996 में यह िौकरी छोड़कर वे स्वीस बैंक यूबीएस में आ गई और अपिे परफॉमेंस के बलबूते 15 साल में शीषा पर पहुंर् गई। यूबीएस को मिीषा िे मागाि स्टेिले, जेपी मोगाि, नसटी ग्रुप और पेरील हलर् जैसे ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंकसा के समकक्ष पहुंर्ा ददया है। वे कहती हैं दक वे ददि ज्यादा पुरािे िहीं हुए हैं, जब भारतीय कं पनियों की वैनश्वक अनिग्रहण /नवलयि माके ट में कोई औकात िहीं थी। आज तो पररदृश्य पूरी तरह यू-टिा ले र्ुका है और आज ग्लोबल कॉरपोरे ट सेल नडपाटामेंट के मेरे सहयोगी सबसे पहले हमसे पूछताछ करते हैं दक फलां कं पिी नबक रही है, भारत में इसका खरीदार खोजो। संयम के साथ कदमताल करते हुए मिीषा नगरोत्रा िे एक लाख करोड़ रुपयों की िास बाडार डील्स में अहम भूनमका निभाई है। वोडाफोि द्वारा हर्-एस्सार, हहडाल्को द्वारा िॉवेनलस, यूिाइटेड नस्प्रट्स द्वारा बाइट एंड मेके, एस्सार द्वारा एल्गोमा स्टील, जेएसडधल्यू स्टील्स द्वारा इस्पात इं डस्ट्रीज की इदक्वटी, रे दकट बेंदकशसा द्वारा पारस ,टाटा के नमकल्स द्वारा नब्रटश साल्ट, भारती एयरटेल द्वारा जेि की खरीद से लेकर पाटिी कम्प्यूटसा की नबिी और ऑस्ट्रेनलया की ररवसा डील मायहिग के सौदे में मिीषा नगरोत्रा िे अहम भूनमका निभाई है। इि सौदों के नलए जहां कु मारमंगलम नबड़ला जैसे कं जरवेरटव उद्यमी उिके क्लाइं ट थे तो नवजय माल्या जैसे हाई प्रोफाइल और हाई फ्लायर उद्योगपनत भी।
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मिीषा जैसी ही डील मेकर िैिालाल दकदवई िे कहा है दक इन्वेस्टमेंट व मर्ेंट बैंककग क्षेत्र में आज तीखी व तीव्र प्रनतस्पिाा हो रही है। हम मध्यस्थ अलग-अलग हैनसयत, सूझबूझ के उद्यमी को एक टेबल पर इकट्ठा करते हैं। उिके अलगअलग नहतों को एक Bouqet में समेटते हैं। ऐसी कई उलझिों को सुलझािे के बाद एक डील क्लोज होती है। वही इन्वेस्टमेंट बैंकर सफल होता है, नजसके पास िैया हो और हो सबकी सुिकर सबको एक बात पर सहमत करवािे की क्षमता। मिीषा नगरोत्रा अपिी सबसे करठि डील आईपीसीएल का नवनिवेश मािती हैं। उिके अिुसार यह नवनिवेश दो साल में संभव हुआ। इस बीर् कई ग्लोबल निवेशक मैदाि छोड़ गए। इस नवनिवेश में कई मंत्रालय शानमल थे, सरकारी तंत्र में इस दौराि फे रबदल हुए, आईपीसीएल के मूल्यांकि, बोली और इदक्वटी बेर्िे की प्रदिया को लेकर कई लोगों को समझािा पड़ा। उि ददिों मैंिे जो सीखा, उसिे मुझे सही मायिे में इन्वेस्टमेंट बैंकर बिाया है। कं ट्री हैड की हैनसयत से मिीषा नगरोत्रा अब इन्वेस्टमेंट बैंककग के अलावा यूबीएस को बैंककग सेक्टर के अन्य क्षेत्रों में सदिय कर रही है। वेल्थ मैिेजमेंट सर्तवसेस, म्यूर्ुअल फं ड कारोबार के अलावा लम्बी जद्दोजहद के बाद स्वीस बैंक यूबीएस को भारतीय ररजवा बैंक िे ररटेल बैंककग की अिुमनत दे दी है। देखिा है दक संपूणा बैंकर की हैनसयत से वे दकस ऊंर्ाई पर पहुंर्ती हैं। संजय और मिीषा उि दस फीसदी भारतीय दम्पनतयों में एक है, नजन्होंिे िौकरी से पैसा कमाया है। मिीषा नगरोत्रा तो उि एक फीसदी कामकाजी मनहलाओं में एक हैं जो िौकरी करते हुए नमलेनियर बिी हैं। वे कहती हैं दक मैं भाग्यशाली हं। मैंिे वह सब पास पाया, जो र्ाहा। मुझे खुशी है दक मुझे ऐसा जीविसाथी नमला, नजसिे मुझे अर्ीवर बििे में मदद की और एक व्यनक्त के रूप में मान्य दकया। मिीषा की एक र्ाह बाकी है पीएर्डी के नलए ररसर्ा।
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Page | 151 कारॅ पोरे ट इनतहासकार प्रकाश नबयाणी की यह 11वीं पुस्तक है। श्री नबयाणी की पुस्तकों में बहुपरठत है- शून्य से नशखर, जी! नवत्तमंत्री जी, इस्पात पुरुष लक्ष्मी नमत्तल, इं नडयि नबजिेस वुमेि, 25 सुपर ब्ांड्स, द बॉस (मानलक बिें िौकर िहीं) एवं खदाि से ख्वाबों तक संगमरमर। Business world पर हहदी में पहली बार प्रकानशत इि पुस्तकों को प्रबुि पाठकों नवशेषकर बी-स्कू ल के छात्रों िे खूब सराहा है। श्री नबयाणी की पुस्तकों के गुजराती, मराठी संस्करण भी लोकनप्रय हुए हैं। दकशोर उम्र से लेखि काया कर रहे श्री नबयाणी िे 25 वषा (1968-93) भारतीय स्टेट बैंक में महती जवाबदाररयां संभालिे के बाद दस वषा (1994-2003) भास्कर समूह में कॉरपोरे ट संपादक का दानयत्व संभाला है। उिके दो हजार से ज्यादा लेख, साक्षात्कार नवनभन्न पत्र-पनत्रकाओं में प्रकानशत हो र्ुके हैं। सि् 2003 से फ्रीलांस लेखक के रूप में कायारत श्री नबयाणी नवनभन्न पत्र-पनत्रकाओं के नियनमत स्तम्भ लेखक भी हैं। Mobile – 9303223928 prakashbiyani@yahoo.co.in/ www.prakashbiyani.com
कमलेश माहेश्वरी िई पीढी के टेक्नोिे ट जिानलस्ट हैं। दैनिक भास्कर पत्रकाररता अकादमी से प्रनशनक्षत श्री माहेश्वरी नपछले 13 वषों से मीनडया में सदिय हैं। दैनिक भास्कर के भोपाल संस्करण से अपिा कररयर शुरू करिे वाले श्री माहेश्वरी के दो हजार से ज्यादा लेख-आलेख नवनभन्न पत्र-पनत्रकाओं में प्रकानशत हो र्ुके हैं। भास्कर समूह की बहुर्र्तर्त पनत्रका ‘अहा! हजदगी’ के संपादक मंडल में सदिय सदस्य रहे श्री माहेश्वरी वतामाि में मुम्बई नस्थत देश के एक प्रनतनष्ठत कॉरपोरे ट हाउस में कायारत हैं। प्रकाश नबयाणी की पुस्तकों के सहलेखक कमलेश माहेश्वरी का सोर् है दक िॉलेज इकािॉमी के वतामाि युग में तकिीक आिाररत ज्ञाि से मीनडया वल्डा में िए आयाम स्थानपत दकए जा सकते हैं। Mobile- 9320390340 / maheshwari.kamlesh@gmail.com