What are Tantra and Mantra in Hindu Tradition.

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ततंत-महहावविजहान मम यन्त - what is the meaning of tantra and mantra in hindu tradition ततंत महहावविजहान कक परम्परहा मम यन्त कहा वविशशेष महत्वि हह , क्ययोंकक यतंत सम्बनन्न्धित दशे वितहा कहा रूप महानहा गयहा हह , नजिसकक सहान्धिक उपहासनहा करतहा हह । सहान्धिनहा मम यतंत-रूपप दशे वि शररीर मम अपनहा ध्यहान कशेनन्न्द्रित करतहा हह । ककलहारर्णवि ततंत मम ततंत कक व्यहाख्यहा इस प्रकहार कक गई हह -

यमभभतहादद सविर्णभ्यय मयशेभ्ययऽवप, ककलशेश्विरर ।

तहायतशे सततच्चहवि तस्महाद यन्त ममतपददतम म ॥

अरहार्णत म यम और समस्त प्रहाणरययों सशे तरहा सब प्रकहार कशे भययों सशे तहार करतहा हह । हशे कभलशेश्विररी ! सविर्णदहा तहार करनशे कशे कहारर हरी यह यतंत कहहा जिहातहा हह ।

यन्तयों कहा ननमहार्णर ज्यहाममनतक आन्धिहार पर वविमभन्न रशे खहाओतं, ततभकजियों, विगर और वित्व तयों सशे हयतहा हह । यन्त कहा महत्वि ककलहारर्णवि यन्त मम इस प्रकहार दशहार्णयहा गयहा हह “कहामकयन्धिहादद दयषयत्य सविर्णदद खननयन्तरहात म ।

यन्तममत्यहाहकरशे तनस्मन दशे वि प्रणरनत पभनजितद ।।” अरहार्णत म कहाम-ऋऋॊन्धिहादद दयषयों कशे समस्त दख क यों कहा ननयन्तर करनशे सशे इन्हम यन्त कहहा जिहातहा हह । यन्त कशे आन्धिहार पर पभजिन सशे दशे वितहा तकरन्त प्रसन्न हयतशे हह । “शश” यन्त यन्तयों मम सविर्णशशेष्ठ “शप” यन्त हह । इसकहा सम्बन्न्धि भगवितप ततपकरसकन्दररी सशे हह ।

(“ययगगनप हृदय” मम इसकशे आवविभहार्णवि कशे सम्बन्न्धि मम उल्लशेख हह कक परम्परहा शनक्त अपनशे सतंकल्प बल सशे वविश्वि ब्रह्महाण्ड कहा रूप न्धिहारर करतप हह और अपनहा रूप ननहहारतप हह तय ‘शप’ चत कहा आवविभहार्णवि हयतहा हह ।) शप यन्त मम ब्रह्महाण्ड कक उत्पनत्त एवितं वविकहास कहा प्रदशर्णन हह । इसमम शप कहा वविविशेचन ‘शयतशे यहा सहा शप:” अरहार्णत म जिय ननत्य परमब्रह्म कहा आशयर करतहा हह विह शप हह । जिहसशे प्रकहाश अरविहा गमर कक अनगन सशे और चन्न्द्रि कक चनन्न्द्रिकहा सशे अमभन्नतहा रहतप हह ।


उसप प्रकहार ब्रह्म और शनक्त कक अमभन्नतहा हह । आगम मम विरर्णन हह “न मशविशेन तबन दशे विय, न दशे व्यहा च तबनहा मशविद । नहान्ययरन्तर ककनञचच्चन्न्द्रिचनन्न्द्रिकययररवि ॥” अरहार्णत म मशवि कशे तबनहा दशे विप नहरीतं और दशे विप कशे तबनहा मशवि नहरीतं । इन दयनयों मम ककछ भप अतंतर नहरीतं हह जिहसशे चन्न्द्रि र चनन्न्द्रिकहा मम अन्तर नहरीतं हयतहा।

“शप” कशे कहारर हरी ब्रह्महा उत्पनत्त, नस्रनत और पहालन मम सहामरयर्ण प्रहाप्त करतहा हह । शतंकरहाचहायर्ण नशे कहहा हह मशविद शक्त्यहा यकक्तय तददमविनत शक्तद प्रभववितंतक। । न चशेदशेवितं दशे विय न खलक ककरलद स्पनन्दतकमवप ।।

अरहार्णत जिय मशवि-शनक्त सदहत हयतहा हह , विहरी शनक्तयकक्त एवितं सहामरयर्थ्यंविहान हयतहा हह । विह

यदद शनक्तहरीन हय तय बह स्पन्दन मम भप ययगय नहरीतं हयतहा। महहामदहमहामयप ततपकरसकन्दररी कशे शप यन्त मम अनशेक वित्व त हह । सबसशे भपतर विहालशे वित्व त कशे कशेन्न्द्रि मम एक तबन्द क हह । इस तबन्द क कशे चहारयों ओर नन ततकयर हह नजिनमम सशे पहातंच

ततकयरयों कक नयोंकशे नपचशे कक ओर शनक्त यकनक्तयहातं तरहा चहार ततकयरयों कक नयोंकशे ऊपर कक ओर मशवि यकनतयहातं हयतप हह । अन्धियमकखप पहातंचयों ततकयरयों पतंच पहार, पतंच जहानशेनन्न्द्रिययों, पतंच कमर्मेंनन्न्द्रिययों, पतंच तन्महातहा झरयर पतंच महहाभभतयों कशे प्रतपक हह ।

ऊध्विर्णमकखप चहारयों ततकयर शररीर मम जिपवि, प्रहार, शकक और मज्जिहा कशे दययतक हह । यशे ब्रह्महाण्ड मम मन, बवक द, गचत्त पनर अहतं कहार कशे दययतक हह ।

चहारयों ऊध्विर्णमकखप और पहातंचयों अन्धियमकखप ततकयर नन मकल प्रविनव तययों कशे प्रनतननगन्धि हह ।

शप यन्त मम एक अअ्रष्टदल कमल और दस भ रहा सयलह दल विहालहा कमल हह । अष्टदल कमल अन्दर बहालशे वित्व त कशे बहाहर और दस भ रहा उसकशे ऊपर बहालशे वित्व त कशे बहाहर हह । इनकहा विररन भगविहान शतंकरहाचहायर्ण नशे “प्रहानन्द लहररी” मम करतशे हकए बतहायहा हह – चतक ममभद शपकण्ठशे द मशवियकविनतमभद पतंचममरवप ।

प्रमभन्नहामभद शम्भयनतंबमभरवप मल भ प्रकवनतमम: ।


अयश्चत्विहा ददशदविसकदलकलहाब्जि ततविलयतं ।

ततरशे खहामभद सहान्धितं तवि भविन कयरद परररतहाद ।। अअ्रमरहात म चहार शपकण्डयों कशे पहातंच मशवि यकनतययों कशे शम्भक एवि शनक्त कक नन अमभन्न मभल

प्रकवनतययों कशे 42 विसकदल कलहाओतं कक ततविलय तपन रशे खहाओतं कशे सहार आपकशे भविन कयर मम पररणरत हयतशे हह ।

शप यन्त मम ऊध्विर्णमकखप ततकयर अनगन तत्वि कशे, वित्व त विहायक कशे, तबन्द क आकहाश कहा

घरहातल पर व विप तत्वि कहा ओर अरघयमकखप ततकयर जिल तत्वि कशे प्रतपक हह । यह यन्त

सनव ष्ट कम कहा दययतक हह । शकर और इनकशे मतहानकयहायप इसप यन्त कशे उपहासक हह । इनकशे मठयों मम इस शप यन्त कक वविशशेष प्रनतष्ठहा हह ।

कनल मत सम्बन्न्धिप “शप यन्त” मम जिय अन्तर हयतहा हह , इसमम पहातंचयों शनक्त ततकयर अन्धियमकखप और चहारयों मशवि सम्बन्न्धिप ततकयर ऊध्विर्णमकखप हयतशे हह । शप यतंत भहारतपय पनरहाणरक सतंस्कवनत कहा मख् क य उत्पहादन हह जिय आपकय भननतक न्धिन-

सतंपनत्त एवितं विहभवि प्रदहान करनशे कहा सहान्धिन हह । यदद यह आपकशे पहास हह तय बहकत उत्तम बहात हह परन्तक अगर नहरीतं हह तय आप हमहाररी विशेबसहाइट सशे इस खररीद सकतशे हह। क्यहा आपकहा शप यतंत जिहागत व हह ?

जिहागत व हयनशे कहा तहात्पयर्ण कई लयगयों कय लगतहा हह कक क्यहा शप यतंत कय पभजिन करकशे उसकहा अमभषशेक कर ददयहा गयहा हह एवितं प्रहार प्रनतष्ठहा कर दरी गई हह । परन्तक

Prayeveryday मम जिहागत व सशे तहात्पयर्ण खहालरी अमभषशेक करकशे प्रहार प्रनतष्ठहा करनहा हरी नहरीतं हह । जिहागत व हयनशे सशे हमहारहा तहात्पयर्ण हह कक क्यहा “शप” यतंत आपकय लहाभ दशे पहा रहहा हह कक नहरीतं?

यदद आपकय लगशे कक आपकय आशहा अनकसहार लहाभ नहरीतं हय रहहा तय आप अपनशे यतंत कय जिहागत व करम । ककैसस?

1. शप यन्त एक मशपन हह जिय आपकय न्धिन सतंपनत्त एवितं विहभवि प्रदहान करतप हह ।


2. इसकक प्रहार प्रनतष्ठहा करम । 3. प्रहार प्रनतष्ठहा करनशे कशे बहाद इस न्धिन और विहभवि प्रदहान करनशे विहालरी मशपन मम input डहालम अरहार्णत म raw material डहालम क्ययोंकक तबनहा raw material कशे कयई मशपन उत्पहादन नहरीतं कर सकतप।

4. शप यतंत कहा कच्चहा महाल (raw material) हह “दहान”, ननयममत रूप सशे ककछ दहान अविश्य करम । ननत्य पभजिन कशे बहाद ककछ दहान इस पर चढहाविम एवितं उस चढहाविम कय ककसप मतंददर मम यहा ककसप गररीब व्यनक्त कय सहहायतहा दशे नशे मम इस्तशेमहाल करम , जिहानविरयों कय दहानहा डहालम, चपदटययों कय दहानहा डहालम, ककत्तयों कय दन्धि भ वपलहाविम , जिबतक दहान कशे रूप मम raw material शप यन्त मम आप नहरीतं डहालमगशे तय शप यतंत जिहागत व नहरीतं हयगहा।


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