Madhushala

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मधश ु ाला भद ृ ु बावों के अॊगयू ों की आज फना रामा हारा,

प्रिमतभ, अऩने ही हाथों से आज प्रऩराऊॉगा प्मारा, ऩहरे बोग रगा रॉ ू तेया फपय िसाद जग ऩाएगा,

सफसे ऩहरे तेया स्वागत कयती भेयी भधुशारा।।१। प्मास तुझे तो, प्रवश्व तऩाकय ऩूणण ननकारॉ ग ू ा हारा, एक ऩाॉव से साकी फनकय नाचॉूगा रेकय प्मारा,

जीवन की भधुता तो तेये ऊऩय कफ का वाय चक ु ा,

आज ननछावय कय दॉ ग ू ा भैं तुझ ऩय जग की भधुशारा।।२। प्रिमतभ, तू भेयी हारा है, भैं तेया प्मासा प्मारा, अऩने को भझ ु भें बयकय तू फनता है ऩीनेवारा,

भैं तझ ु को छक छरका कयता, भस्त भझ ु े ऩी तू होता, एक दस ू ये की हभ दोनों आज ऩयस्ऩय भधश ु ारा।।३।


बावुकता अॊगयू रता से खीॊच कल्ऩना की हारा,

कप्रव साकी फनकय आमा है बयकय कप्रवता का प्मारा,

कबी न कण-बय खारी होगा राख प्रऩएॉ, दो राख प्रऩएॉ! ऩाठकगण हैं ऩीनेवारे, ऩुस्तक भेयी भधुशारा।।४।

भधुय बावनाओॊ की सुभधुय ननत्म फनाता हूॉ हारा, बयता हूॉ इस भधु से अऩने अॊतय का प्मासा प्मारा, उठा कल्ऩना के हाथों से स्वमॊ उसे ऩी जाता हूॉ, अऩने ही भें हूॉ भैं साकी, ऩीनेवारा, भधश ु ारा।।५। भददयारम जाने को घय से चरता है ऩीनेवरा,

'फकस ऩथ से जाऊॉ?' असभॊजस भें है वह बोराबारा,

अरग-अरग ऩथ फतराते सफ ऩय भैं मह फतराता हूॉ -

'याह ऩकड़ तू एक चरा चर, ऩा जाएगा भधुशारा।'। ६। चरने ही चरने भें फकतना जीवन, हाम, बफता डारा! 'दयू अबी है', ऩय, कहता है हय ऩथ फतरानेवारा,

दहम्भत है न फढूॉ आगे को साहस है न फपरॉ ऩीछे , फकॊकतणव्मप्रवभूढ़ भुझे कय दयू खड़ी है भधश ु ारा।।७।

भख ु से तू अप्रवयत कहता जा भधु, भददया, भादक हारा, हाथों भें अनब ु व कयता जा एक रलरत कल्ल्ऩत प्मारा,

ध्मान फकए जा भन भें सुभधुय सुखकय, सुॊदय साकी का,

औय फढ़ा चर, ऩथथक, न तुझको दयू रगेगी भधुशारा।।८। भददया ऩीने की अलबराषा ही फन जाए जफ हारा,

अधयों की आतुयता भें ही जफ आबालसत हो प्मारा, फने ध्मान ही कयते-कयते जफ साकी साकाय, सखे,

यहे न हारा, प्मारा, साकी, तुझे लभरेगी भधुशारा।।९।


सन ु , करकल़ , छरछल़ भधघ ु ट से थगयती प्मारों भें हारा, सुन, रूनझुन रूनझुन चर प्रवतयण कयती भधु साकीफारा, फस आ ऩहुॊच,े दयु नहीॊ कुछ, चाय कदभ अफ चरना है, चहक यहे , सुन, ऩीनेवारे, भहक यही, रे, भधश ु ारा।।१०। जरतयॊ ग फजता, जफ चुॊफन कयता प्मारे को प्मारा, वीणा झॊकृत होती, चरती जफ रूनझुन साकीफारा,

डाॉट डऩट भधुप्रवक्रेता की ध्वननत ऩखावज कयती है,

भधयु व से भधु की भादकता औय फढ़ाती भधश ु ारा।।११। भेंहदी यॊ ल्जत भद ु हथेरी ऩय भाणणक भधु का प्मारा, ृ र अॊगयू ी अवगॊठ ु न डारे स्वणण वणण साकीफारा, ऩाग फैंजनी, जाभा नीरा डाट डटे ऩीनेवारे,

इन्द्रधनुष से होड़ रगाती आज यॊ गीरी भधुशारा।।१२। हाथों भें आने से ऩहरे नाज़ ददखाएगा प्मारा,

अधयों ऩय आने से ऩहरे अदा ददखाएगी हारा,

फहुतये े इनकाय कये गा साकी आने से ऩहरे, ऩथथक, न घफया जाना, ऩहरे भान कये गी भधुशारा।।१३। रार सयु ा की धाय रऩट सी कह न इसे दे ना ज्वारा,

पेननर भददया है , भत इसको कह दे ना उय का छारा, ददण नशा है इस भददया का प्रवगत स्भनृ तमाॉ साकी हैं, ऩीड़ा भें आनॊद ल्जसे हो, आए भेयी भधुशारा।।१४।

जगती की शीतर हारा सी ऩथथक, नहीॊ भेयी हारा, जगती के ठॊ डे प्मारे सा ऩथथक, नहीॊ भेया प्मारा,

ज्वार सुया जरते प्मारे भें दग्ध हृदम की कप्रवता है,

जरने से बमबीत न जो हो, आए भेयी भधुशारा।।१५।


फहती हारा दे खी, दे खो रऩट उठाती अफ हारा, दे खो प्मारा अफ छूते ही होंठ जरा दे नेवारा,

'होंठ नहीॊ, सफ दे ह दहे , ऩय ऩीने को दो फॊद ू लभरे'

ऐसे भधु के दीवानों को आज फुराती भधश ु ारा।।१६। धभणग्रन्द्थ सफ जरा चुकी है, ल्जसके अॊतय की ज्वारा,

भॊददय, भसल्जद, थगरयजे, सफ को तोड़ चुका जो भतवारा, ऩॊडडत, भोलभन, ऩाददयमों के पॊदों को जो काट चक ु ा,

कय सकती है आज उसी का स्वागत भेयी भधुशारा।।१७। रारानमत अधयों से ल्जसने, हाम, नहीॊ चभ ू ी हारा,

हषण-प्रवकॊप्रऩत कय से ल्जसने, हा, न छुआ भधु का प्मारा, हाथ ऩकड़ रल्ज्जत साकी को ऩास नहीॊ ल्जसने खीॊचा,

व्मथण सख ु ा डारी जीवन की उसने भधभ ु म भधश ु ारा।।१८। फने ऩुजायी िेभी साकी, गॊगाजर ऩावन हारा,

यहे पेयता अप्रवयत गनत से भधु के प्मारों की भारा'

'औय लरमे जा, औय ऩीमे जा', इसी भॊत्र का जाऩ कये '

भैं लशव की िनतभा फन फैठूॊ, भॊददय हो मह भधुशारा।।१९। फजी न भॊददय भें घडड़मारी, चढ़ी न िनतभा ऩय भारा, फैठा अऩने बवन भुअल्ज्ज़न दे कय भल्स्जद भें तारा, रुटे ख़जाने नयप्रऩतमों के थगयीॊ गढ़ों की दीवायें ,

यहें भफ ु ायक ऩीनेवारे, खर ु ी यहे मह भधश ु ारा।।२०। फड़े फड़े प्रऩयवाय लभटें मों, एक न हो योनेवारा,

हो जाएॉ सुनसान भहर वे, जहाॉ थथयकतीॊ सुयफारा,

याज्म उरट जाएॉ, बूऩों की बाग्म सुरक्ष्भी सो जाए, जभे यहें गे ऩीनेवारे, जगा कये गी भधुशारा।।२१।


सफ लभट जाएॉ, फना यहे गा सुन्द्दय साकी, मभ कारा, सूखें सफ यस, फने यहें गे, फकन्द्त,ु हराहर औ' हारा,

धूभधाभ औ' चहर ऩहर के स्थान सबी सुनसान फनें,

झगा कये गा अप्रवयत भयघट, जगा कये गी भधुशारा।।२२। बुया सदा कहरामेगा जग भें फाॉका, भदचॊचर प्मारा, छै र छफीरा, यलसमा साकी, अरफेरा ऩीनेवारा,

ऩटे कहाॉ से, भधु औ' जग की जोड़ी ठीक नहीॊ, जग जजणय िनतदन, िनतऺण, ऩय ननत्म नवेरी भधश ु ारा।।२३।

बफना प्रऩमे जो भधुशारा को फुया कहे , वह भतवारा, ऩी रेने ऩय तो उसके भुह ऩय ऩड़ जाएगा तारा,

दास रोदहमों दोनों भें है जीत सुया की, प्मारे की,

प्रवश्वप्रवजनमनी फनकय जग भें आई भेयी भधुशारा।।२४। हया बया यहता भददयारम, जग ऩय ऩड़ जाए ऩारा,

वहाॉ भुहयण भ का तभ छाए, महाॉ होलरका की ज्वारा,

स्वगण रोक से सीधी उतयी वसुधा ऩय, दख ु क्मा जाने, ऩढ़े भलसणमा दनु नमा सायी, ईद भनाती भधश ु ारा।।२५। एक फयस भें, एक फाय ही जगती होरी की ज्वारा, एक फाय ही रगती फाज़ी, जरती दीऩों की भारा,

दनु नमावारों, फकन्द्तु, फकसी ददन आ भददयारम भें दे खो,

ददन को होरी, यात ददवारी, योज़ भनाती भधुशारा।।२६। नहीॊ जानता कौन, भनुज आमा फनकय ऩीनेवारा,

कौन अप्रऩरयचत उस साकी से, ल्जसने दध ू प्रऩरा ऩारा, जीवन ऩाकय भानव ऩीकय भस्त यहे , इस कायण ही,

जग भें आकय सफसे ऩहरे ऩाई उसने भधुशारा।।२७।


फनी यहें अॊगूय रताएॉ ल्जनसे लभरती है हारा,

फनी यहे वह लभटटी ल्जससे फनता है भधु का प्मारा, फनी यहे वह भददय प्रऩऩासा तप्ृ त न जो होना जाने, फनें यहें मे ऩीने वारे, फनी यहे मह भधुशारा।।२८।

सकुशर सभझो भझ ु को, सकुशर यहती मदद साकीफारा, भॊगर औय अभॊगर सभझे भस्ती भें क्मा भतवारा, लभत्रों, भेयी ऺेभ न ऩछ ू ो आकय, ऩय भधश ु ारा की, कहा कयो 'जम याभ' न लभरकय, कहा कयो 'जम भधश ु ारा'।।२९।

सूमण फने भधु का प्रवक्रेता, लसॊधु फने घट, जर, हारा,

फादर फन-फन आए साकी, बूलभ फने भधु का प्मारा,

झड़ी रगाकय फयसे भददया रयभणझभ, रयभणझभ, रयभणझभ कय,

फेलर, प्रवटऩ, तण ृ फन भैं ऩीऊॉ, वषाण ऋतु हो भधुशारा।।३०। तायक भणणमों से सल्ज्जत नब फन जाए भधु का प्मारा, सीधा कयके बय दी जाए उसभें सागयजर हारा,

भऻल्तऌा सभीयण साकी फनकय अधयों ऩय छरका जाए, पैरे हों जो सागय तट से प्रवश्व फने मह भधश ु ारा।।३१। अधयों ऩय हो कोई बी यस ल्जहवा ऩय रगती हारा, बाजन हो कोई हाथों भें रगता यक्खा है प्मारा,

हय सूयत साकी की सूयत भें ऩरयवनतणत हो जाती,

आॉखों के आगे हो कुछ बी, आॉखों भें है भधुशारा।।३२। ऩौधे आज फने हैं साकी रे रे पूरों का प्मारा,

बयी हुई है ल्जसके अॊदय प्रऩयभर-भधु-सुरयबत हारा, भाॉग भाॉगकय भ्रभयों के दर यस की भददया ऩीते हैं,


झभ ू झऩक भद-झॊप्रऩत होते, उऩवन क्मा है भधश ु ारा!।३३। िनत यसार तरू साकी सा है , िनत भॊजरयका है प्मारा, छरक यही है ल्जसके फाहय भादक सौयब की हारा, छक ल्जसको भतवारी कोमर कूक यही डारी डारी

हय भधुऋतु भें अभयाई भें जग उठती है भधुशारा।।३४। भॊद झकोयों के प्मारों भें भधुऋतु सौयब की हारा

बय बयकय है अननर प्रऩराता फनकय भध-ु भद-भतवारा, हये हये नव ऩल्रव, तरूगण, नत ू न डारें, वल्ररयमाॉ, छक छक, झक ु झक ु झभ ू यही हैं, भधफ ु न भें है भधश ु ारा।।३५।

साकी फन आती है िात् जफ अरणा ऊषा फारा,

तायक-भणण-भॊडडत चादय दे भोर धया रेती हारा, अगणणत कय-फकयणों से ल्जसको ऩी, खग ऩागर हो गाते,

िनत िबात भें ऩूणण िकृनत भें भुणखयत होती भधुशारा।।३६। उतय नशा जफ उसका जाता, आती है सॊध्मा फारा, फड़ी ऩुयानी, फड़ी नशीरी ननत्म ढरा जाती हारा,

जीवन के सॊताऩ शोक सफ इसको ऩीकय लभट जाते

सयु ा-सप्ु त होते भद-रोबी जागत ु ारा।।३७। ृ यहती भधश अॊधकाय है भधुप्रवक्रेता, सुन्द्दय साकी शलशफारा

फकयण फकयण भें जो छरकाती जाभ जुम्हाई का हारा, ऩीकय ल्जसको चेतनता खो रेने रगते हैं झऩकी

तायकदर से ऩीनेवारे, यात नहीॊ है, भधुशारा।।३८। फकसी ओय भैं आॉखें पेरूॉ, ददखराई दे ती हारा

फकसी ओय भैं आॉखें पेरूॉ, ददखराई दे ता प्मारा,

फकसी ओय भैं दे ख,ूॊ भुझको ददखराई दे ता साकी


फकसी ओय दे ख,ॊू ददखराई ऩड़ती भझ ु को भधश ु ारा।।३९। साकी फन भुयरी आई साथ लरए कय भें प्मारा,

ल्जनभें वह छरकाती राई अधय-सुधा-यस की हारा, मोथगयाज कय सॊगत उसकी नटवय नागय कहराए,

दे खो कैसों-कैसों को है नाच नचाती भधुशारा।।४०। वादक फन भधु का प्रवक्रेता रामा सुय-सुभधुय-हारा, याथगननमाॉ फन साकी आई बयकय तायों का प्मारा, प्रवक्रेता के सॊकेतों ऩय दौड़ रमों, आराऩों भें,

ऩान कयाती श्रोतागण को, झॊकृत वीणा भधश ु ारा।।४१। थचत्रकाय फन साकी आता रेकय तूरी का प्मारा,

ल्जसभें बयकय ऩान कयाता वह फहु यस-यॊ गी हारा, भन के थचत्र ल्जसे ऩी-ऩीकय यॊ ग-बफयॊ गे हो जाते, थचत्रऩटी ऩय नाच यही है एक भनोहय भधश ु ारा।।४२। घन श्माभर अॊगूय रता से णखॊच णखॊच मह आती हारा,

अरूण-कभर-कोभर कलरमों की प्मारी, पूरों का प्मारा, रोर दहरोयें साकी फन फन भाणणक भधु से बय जातीॊ,

हॊ स भऻल्तऌा होते ऩी ऩीकय भानसयोवय भधश ु ारा।।४३। दहभ श्रेणी अॊगयू रता-सी पैरी, दहभ जर है हारा,

चॊचर नददमाॉ साकी फनकय, बयकय रहयों का प्मारा, कोभर कूय-कयों भें अऩने छरकाती ननलशददन चरतीॊ, ऩीकय खेत खड़े रहयाते, बायत ऩावन भधश ु ारा।।४४।

धीय सुतों के हृदम यक्त की आज फना यल्क्तभ हारा, वीय सुतों के वय शीशों का हाथों भें रेकय प्मारा, अनत उदाय दानी साकी है आज फनी बायतभाता,

स्वतॊत्रता है तप्रृ षत कालरका फलरवेदी है भधुशारा।।४५।


दत ु काया भल्स्जद ने भुझको कहकय है ऩीनेवारा, ठुकयामा ठाकुयद्वाये ने दे ख हथेरी ऩय प्मारा,

कहाॉ दठकाना लभरता जग भें बरा अबागे काफपय को?

शयणस्थर फनकय न भुझे मदद अऩना रेती भधुशारा।।४६। ऩथथक फना भैं घूभ यहा हूॉ, सबी जगह लभरती हारा, सबी जगह लभर जाता साकी, सबी जगह लभरता प्मारा, भझ ु े ठहयने का, हे लभत्रों, कष्ट नहीॊ कुछ बी होता, लभरे न भॊददय, लभरे न भल्स्जद, लभर जाती है भधश ु ारा।।४७।

सजें न भल्स्जद औय नभाज़ी कहता है अल्रातारा,

सजधजकय, ऩय, साकी आता, फन ठनकय, ऩीनेवारा,

शेख, कहाॉ तुरना हो सकती भल्स्जद की भददयारम से

थचय प्रवधवा है भल्स्जद तेयी, सदा सुहाथगन भधुशारा।।४८। फजी नफीयी औय नभाज़ी बूर गमा अल्रातारा,

गाज थगयी, ऩय ध्मान सुया भें भग्न यहा ऩीनेवारा,

शेख, फुया भत भानो इसको, साफ कहूॉ तो भल्स्जद को अबी मग ु ों तक लसखराएगी ध्मान रगाना भधश ु ारा!।४९। भस ु रभान औ' दहन्द्द ू है दो, एक, भगय, उनका प्मारा,

एक, भगय, उनका भददयारम, एक, भगय, उनकी हारा, दोनों यहते एक न जफ तक भल्स्जद भल्न्द्दय भें जाते,

फैय फढ़ाते भल्स्जद भल्न्द्दय भेर कयाती भधुशारा!।५०। कोई बी हो शेख नभाज़ी मा ऩॊडडत जऩता भारा, फैय बाव चाहे ल्जतना हो भददया से यखनेवारा,

एक फाय फस भधुशारा के आगे से होकय ननकरे,

दे खूॉ कैसे थाभ न रेती दाभन उसका भधश ु ारा!।५१।


औय यसों भें स्वाद तबी तक, दयू जबी तक है हारा,

इतया रें सफ ऩात्र न जफ तक, आगे आता है प्मारा,

कय रें ऩूजा शेख, ऩुजायी तफ तक भल्स्जद भल्न्द्दय भें

घूघ ॉ ट का ऩट खोर न जफ तक झाॉक यही है भधुशारा।।५२। आज कये ऩयहे ज़ जगत, ऩय, कर ऩीनी होगी हारा,

आज कये इन्द्काय जगत ऩय कर ऩीना होगा प्मारा, होने दो ऩैदा भद का भहभद ू जगत भें कोई, फपय

जहाॉ अबी हैं भन ्ल् दय भल्स्जद वहाॉ फनेगी भधश ु ारा।।५३। मऻ अल्ग्न सी धधक यही है भधु की बटठी की ज्वारा, ऋप्रष सा ध्मान रगा फैठा है हय भददया ऩीने वारा, भुनन कन्द्माओॊ सी भधुघट रे फपयतीॊ साकीफाराएॉ,

फकसी तऩोवन से क्मा कभ है भेयी ऩावन भधुशारा।।५४। सोभ सुया ऩुयखे ऩीते थे, हभ कहते उसको हारा,

रोणकरश ल्जसको कहते थे, आज वही भधुघट आरा, वेददवदहत मह यस्भ न छोड़ो वेदों के ठे केदायों,

मुग मुग से है ऩुजती आई नई नहीॊ है भधुशारा।।५५। वही वारूणी जो थी सागय भथकय ननकरी अफ हारा, यॊ बा की सॊतान जगत भें कहराती 'साकीफारा', दे व अदे व ल्जसे रे आए, सॊत भहॊ त लभटा दें गे! फकसभें फकतना दभ खभ, इसको खफ ू सभझती भधुशारा।।५६।

कबी न सुन ऩड़ता, 'इसने, हा, छू दी भेयी हारा',

कबी न कोई कहता, 'उसने जूठा कय डारा प्मारा', सबी जानत के रोग महाॉ ऩय साथ फैठकय ऩीते हैं,

सौ सुधायकों का कयती है काभ अकेरे भधुशारा।।५७।


श्रभ, सॊकट, सॊताऩ, सबी तुभ बूरा कयते ऩी हारा,

सफक फड़ा तुभ सीख चुके मदद सीखा यहना भतवारा,

व्मथण फने जाते हो दहयजन, तुभ तो भधुजन ही अच्छे ,

ठुकयाते दहय भॊल् दयवारे, ऩरक बफछाती भधुशारा।।५८। एक तयह से सफका स्वागत कयती है साकीफारा,

अऻ प्रवऻ भें है क्मा अॊतय हो जाने ऩय भतवारा, यॊ क याव भें बेद हुआ है कबी नहीॊ भददयारम भें, साम्मवाद की िथभ िचायक है मह भेयी भधश ु ारा।।५९। फाय फाय भैंने आगे फढ़ आज नहीॊ भाॉगी हारा,

सभझ न रेना इससे भुझको साधायण ऩीने वारा, हो तो रेने दो ऐ साकी दयू िथभ सॊकोचों को,

भेये ही स्वय से फपय सायी गॉूज उठे गी भधश ु ारा।।६०। कर? कर ऩय प्रवश्वास फकमा कफ कयता है ऩीनेवारा

हो सकते कर कय जड़ ल्जनसे फपय फपय आज उठा प्मारा, आज हाथ भें था, वह खोमा, कर का कौन बयोसा है , कर की हो न भुझे भधुशारा कार कुदटर की भधश ु ारा।।६१।

आज लभरा अवसय, तफ फपय क्मों भैं न छकूॉ जी-बय हारा

आज लभरा भौका, तफ फपय क्मों ढार न रॉ ू जी-बय प्मारा, छे ड़छाड़ अऩने साकी से आज न क्मों जी-बय कय रॉ ,ू

एक फाय ही तो लभरनी है जीवन की मह भधुशारा।।६२। आज सजीव फना रो, िेमसी, अऩने अधयों का प्मारा,

बय रो, बय रो, बय रो इसभें, मौवन भधुयस की हारा, औय रगा भेये होठों से बूर हटाना तुभ जाओ,

अथक फनू भैं ऩीनेवारा, खुरे िणम की भधुशारा।।६३।


सुभुखी तुम्हाया, सुन्द्दय भुख ही, भुझको कन्द्चन का प्मारा छरक यही है ल्जसभॊ े भाणणक रूऩ भधुय भादक हारा, भैं ही साकी फनता, भैं ही ऩीने वारा फनता हूॉ

जहाॉ कहीॊ लभर फैठे हभ तुम़ वहीॊ गमी हो भधुशारा।।६४। दो ददन ही भधु भुझे प्रऩराकय ऊफ उठी साकीफारा, बयकय अफ णखसका दे ती है वह भेये आगे प्मारा,

नाज़, अदा, अॊदाजों से अफ, हाम प्रऩराना दयू हुआ, अफ तो कय दे ती है केवर फज़ण -अदाई भधश ु ारा।।६५। छोटे -से जीवन भें फकतना प्माय करॉ , ऩी रॉ ू हारा, आने के ही साथ जगत भें कहरामा 'जानेवारा', स्वागत के ही साथ प्रवदा की होती दे खी तैमायी,

फॊद रगी होने खुरते ही भेयी जीवन-भधुशारा।।६६। क्मा ऩीना, ननद्णवन्द्द न जफ तक ढारा प्मारों ऩय प्मारा, क्मा जीना, ननयॊ ल् चत न जफ तक साथ यहे साकीफारा, खोने का बम, हाम, रगा है ऩाने के सुख के ऩीछे ,

लभरने का आनॊद न दे ती लभरकय के बी भधुशारा।।६७। भझ ु े प्रऩराने को राए हो इतनी थोड़ी-सी हारा!

भझ ु े ददखाने को राए हो एक मही नछछरा प्मारा! इतनी ऩी जीने से अच्छा सागय की रे प्मास भरॉ ,

लसॊधॉ ु-तष ृ ा दी फकसने यचकय बफॊद-ु फयाफय भधुशारा।।६८। क्मा कहता है , यह न गई अफ तेये बाजन भें हारा,

क्मा कहता है , अफ न चरेगी भादक प्मारों की भारा, थोड़ी ऩीकय प्मास फढ़ी तो शेष नहीॊ कुछ ऩीने को,

प्मास फुझाने को फुरवाकय प्मास फढ़ाती भधुशारा।।६९।


लरखी बाग्म भें ल्जतनी फस उतनी ही ऩाएगा हारा, लरखा बाग्म भें जैसा फस वैसा ही ऩाएगा प्मारा,

राख ऩटक तू हाथ ऩाॉव, ऩय इससे कफ कुछ होने का,

लरखी बाग्म भें जो तेये फस वही लभरेगी भधुशारा।।७०। कय रे, कय रे कॊजस ू ी तू भुझको दे ने भें हारा,

दे रे, दे रे तू भुझको फस मह टूटा पूटा प्मारा, भैं तो सब्र इसी ऩय कयता, तू ऩीछे ऩछताएगी,

जफ न यहूॉगा भैं, तफ भेयी माद कये गी भधश ु ारा।।७१। ध्मान भान का, अऩभानों का छोड़ ददमा जफ ऩी हारा, गौयव बर ू ा, आमा कय भें जफ से लभट्टी का प्मारा,

साकी की अॊदाज़ बयी णझड़की भें क्मा अऩभान धया,

दनु नमा बय की ठोकय खाकय ऩाई भैंने भधुशारा।।७२। ऺीण, ऺुर, ऺणबॊगुय, दफ ण भानव लभटटी का प्मारा, ु र बयी हुई है ल्जसके अॊदय कटु-भधु जीवन की हारा, भत्ृ मु फनी है ननदण म साकी अऩने शत-शत कय पैरा,

कार िफर है ऩीनेवारा, सॊसनृ त है मह भधुशारा।।७३। प्मारे सा गढ़ हभें फकसी ने बय दी जीवन की हारा, नशा न बामा, ढारा हभने रे रेकय भधु का प्मारा, जफ जीवन का ददण उबयता उसे दफाते प्मारे से,

जगती के ऩहरे साकी से जूझ यही है भधश ु ारा।।७४। अऩने अॊगूयों से तन भें हभने बय री है हारा,

क्मा कहते हो, शेख, नयक भें हभें तऩाएगी ज्वारा, तफ तो भददया खूफ णखॊचेगी औय प्रऩएगा बी कोई,

हभें नभक की ज्वारा भें बी दीख ऩड़ेगी भधुशारा।।७५। मभ आएगा रेने जफ, तफ खूफ चरॉ ूगा ऩी हारा,


ऩीड़ा, सॊकट, कष्ट नयक के क्मा सभझेगा भतवारा, क्रूय, कठोय, कुदटर, कुप्रवचायी, अन्द्मामी मभयाजों के

डॊडों की जफ भाय ऩड़ेगी, आड़ कये गी भधश ु ारा।।७६। मदद इन अधयों से दो फातें िेभ बयी कयती हारा,

मदद इन खारी हाथों का जी ऩर बय फहराता प्मारा,

हानन फता, जग, तेयी क्मा है, व्मथण भुझे फदनाभ न कय, भेये टूटे ददर का है फस एक णखरौना भधुशारा।।७७। माद न आए दख ू भम जीवन इससे ऩी रेता हारा,

जग थचॊताओॊ से यहने को भक् ु त, उठा रेता प्मारा,

शौक, साध के औय स्वाद के हे तु प्रऩमा जग कयता है,

ऩय भै वह योगी हूॉ ल्जसकी एक दवा है भधुशारा।।७८। थगयती जाती है ददन िनतदन िणमनी िाणों की हारा बग्न हुआ जाता ददन िनतदन सुबगे भेया तन प्मारा, रूठ यहा है भझ ु से रूऩसी, ददन ददन मौवन का साकी

सूख यही है ददन ददन सुन्द्दयी, भेयी जीवन भधुशारा।।७९। मभ आमेगा साकी फनकय साथ लरए कारी हारा,

ऩी न होश भें फपय आएगा सयु ा-प्रवसध ु मह भतवारा,

मह अॊल् तभ फेहोशी, अॊनतभ साकी, अॊनतभ प्मारा है , ऩथथक, प्माय से ऩीना इसको फपय न लभरेगी भधश ु ारा।८०। ढरक यही है तन के घट से, सॊथगनी जफ जीवन हारा ऩत्र गयर का रे जफ अॊनतभ साकी है आनेवारा,

हाथ स्ऩशण बूरे प्मारे का, स्वाद सुया जीव्हा बूरे

कानो भें तुभ कहती यहना, भधु का प्मारा भधुशारा।।८१। भेये अधयों ऩय हो अॊल् तभ वस्तु न तुरसीदर प्मारा भेयी जीव्हा ऩय हो अॊनतभ वस्तु न गॊगाजर हारा,


भेये शव के ऩीछे चरने वारों माद इसे यखना याभ नाभ है सत्म न कहना, कहना सच्ची भधुशारा।।८२। भेये शव ऩय वह योमे, हो ल्जसके आॊसू भें हारा

आह बये वो, जो हो सुरयबत भददया ऩी कय भतवारा, दे भुझको वो कान्द्धा ल्जनके ऩग भद डगभग होते हों

औय जरूॊ उस ठौय जहाॊ ऩय कबी यही हो भधुशारा।।८३। औय थचता ऩय जामे उॊ ढे रा ऩत्र न नित का, ऩय प्मारा कॊठ फॊधे अॊगयू रता भें भध्म न जर हो, ऩय हारा, िाण प्रिमे मदद श्राध कयो तभ ु भेया तो ऐसे कयना

ऩीने वाराॊ े को फुरवा कऱ खर ु वा दे ना भधश ु ारा।।८४। नाभ अगय कोई ऩूछे तो, कहना फस ऩीनेवारा

काभ ढारना, औय ढारना सफको भददया का प्मारा, जानत प्रिमे, ऩूछे मदद कोई कह दे ना दीवानों की

धभण फताना प्मारों की रे भारा जऩना भधुशारा।।८५। ऻात हुआ मभ आने को है रे अऩनी कारी हारा, ऩॊल् डत अऩनी ऩोथी बर ू ा, साधू बूर गमा भारा, औय ऩुजायी बर ू ा ऩज ू ा, ऻान सबी ऻानी बर ू ा,

फकन्द्तु न बर ू ा भयकय के बी ऩीनेवारा भधश ु ारा।।८६। मभ रे चरता है भझ ु को तो, चरने दे रेकय हारा, चरने दे साकी को भेये साथ लरए कय भें प्मारा,

स्वगण, नयक मा जहाॉ कहीॊ बी तेया जी हो रेकय चर,

ठौय सबी हैं एक तयह के साथ यहे मदद भधुशारा।।८७। ऩाऩ अगय ऩीना, सभदोषी तो तीनों - साकी फारा, ननत्म प्रऩरानेवारा प्मारा, ऩी जानेवारी हारा,

साथ इन्द्हें बी रे चर भेये न्द्माम मही फतराता है,


कैद जहाॉ भैं हूॉ, की जाए कैद वहीॊ ऩय भधश ु ारा।।८८। शाॊत सकी हो अफ तक, साकी, ऩीकय फकस उय की ज्वारा, 'औय, औय' की यटन रगाता जाता हय ऩीनेवारा, फकतनी इच्छाएॉ हय जानेवारा छोड़ महाॉ जाता!

फकतने अयभानों की फनकय कब्र खड़ी है भधुशारा।।८९। जो हारा भैं चाह यहा था, वह न लभरी भझ ु को हारा,

जो प्मारा भैं भाॉग यहा था, वह न लभरा भझ ु को प्मारा, ल्जस साकी के ऩीछे भैं था दीवाना, न लभरा साकी,

ल्जसके ऩीछे था भैं ऩागर, हा न लभरी वह भधश ु ारा!।९०। दे ख यहा हूॉ अऩने आगे कफ से भाणणक-सी हारा,

दे ख यहा हूॉ अऩने आगे कफ से कॊचन का प्मारा,

'फस अफ ऩामा!'- कह-कह कफ से दौड़ यहा इसके ऩीछे , फकॊतु यही है दयू क्षऺनतज-सी भुझसे भेयी भधुशारा।।९१।

कबी ननयाशा का तभ नघयता, नछऩ जाता भधु का प्मारा, नछऩ जाती भददया की आबा, नछऩ जाती साकीफारा, कबी उजारा आशा कयके प्मारा फपय चभका जाती,

आॉणखभचौरी खेर यही है भझ ु से भेयी भधश ु ारा।।९२। 'आ आगे' कहकय कय ऩीछे कय रेती साकीफारा,

होंठ रगाने को कहकय हय फाय हटा रेती प्मारा,

नहीॊ भुझे भारूभ कहाॉ तक मह भुझको रे जाएगी,

फढ़ा फढ़ाकय भुझको आगे, ऩीछे हटती भधुशारा।।९३। हाथों भें आने-आने भें, हाम, फपसर जाता प्मारा, अधयों ऩय आने-आने भें हाम, ढुरक जाती हारा, दनु नमावारो, आकय भेयी फकस्भत की ख़फ ू ी दे खो,

यह-यह जाती है फस भुझको लभरते-ल् भरते भधुशारा।।९४।


िाप्म नही है तो, हो जाती रुप्त नहीॊ फपय क्मों हारा,

िाप्म नही है तो, हो जाता रुप्त नहीॊ फपय क्मों प्मारा, दयू न इतनी दहम्भत हारॉ , ऩास न इतनी ऩा जाऊॉ,

व्मथण भुझे दौड़ाती भर भें भग ृ जर फनकय भधुशारा।।९५। लभरे न, ऩय, ररचा ररचा क्मों आकुर कयती है हारा, लभरे न, ऩय, तयसा तयसाकय क्मों तड़ऩाता है प्मारा,

हाम, ननमनत की प्रवषभ रेखनी भस्तक ऩय मह खोद गई 'दयू यहे गी भधु की धाया, ऩास यहे गी भधश ु ारा!'।९६।

भददयारम भें कफ से फैठा, ऩी न सका अफ तक हारा, मत्न सदहत बयता हूॉ, कोई फकॊतु उरट दे ता प्मारा,

भानव-फर के आगे ननफणर बाग्म, सुना प्रवद्मारम भें,

'बाग्म िफर, भानव ननफणर' का ऩाठ ऩढ़ाती भधुशारा।।९७। फकस्भत भें था खारी खप्ऩय, खोज यहा था भैं प्मारा, ढूॉढ़ यहा था भैं भग ृ नमनी, फकस्भत भें थी भग ृ छारा,

फकसने अऩना बाग्म सभझने भें भुझसा धोखा खामा,

फकस्भत भें था अवघट भयघट, ढूॉढ़ यहा था भधुशारा।।९८। उस प्मारे से प्माय भझ ु े जो दयू हथेरी से प्मारा, उस हारा से चाव भझ ु े जो दयू अधय से है हारा, प्माय नहीॊ ऩा जाने भें है , ऩाने के अयभानों भें!

ऩा जाता तफ, हाम, न इतनी प्मायी रगती भधुशारा।।९९। साकी के ऩास है नतनक सी श्री, सुख, सॊप्रऩत की हारा, सफ जग है ऩीने को आतुय रे रे फकस्भत का प्मारा,

ये र ठे र कुछ आगे फढ़ते, फहुतये े दफकय भयते, जीवन का सॊघषण नहीॊ है , बीड़ बयी है भधश ु ारा।।१००।


साकी, जफ है ऩास तम् ु हाये इतनी थोड़ी सी हारा,

क्मों ऩीने की अलबरषा से, कयते सफको भतवारा,

हभ प्रऩस प्रऩसकय भयते हैं, तुभ नछऩ नछऩकय भुसकाते हो, हाम, हभायी ऩीड़ा से है क्रीड़ा कयती भधुशारा।।१०१।

साकी, भय खऩकय मदद कोई आगे कय ऩामा प्मारा, ऩी ऩामा केवर दो फूॊदों से न अथधक तेयी हारा,

जीवन बय का, हाम, प्रऩयश्रभ रूट लरमा दो फूॊदों ने,

बोरे भानव को ठगने के हे तु फनी है भधश ु ारा।।१०२। ल्जसने भझ ु को प्मासा यक्खा फनी यहे वह बी हारा, ल्जसने जीवन बय दौड़ामा फना यहे वह बी प्मारा,

भतवारों की ल्जहवा से हैं कबी ननकरते शाऩ नहीॊ,

दख ु ी फनाम ल्जसने भुझको सुखी यहे वह भधुशारा!।१०३। नहीॊ चाहता, आगे फढ़कय छीनॉू औयों की हारा,

नहीॊ चाहता, धक्के दे कय, छीनॉू औयों का प्मारा,

साकी, भेयी ओय न दे खो भुझको नतनक भरार नहीॊ,

इतना ही क्मा कभ आॉखों से दे ख यहा हूॉ भधुशारा।।१०४। भद, भददया, भध,ु हारा सन ु -सन ु कय ही जफ हूॉ भतवारा, क्मा गनत होगी अधयों के जफ नीचे आएगा प्मारा, साकी, भेये ऩास न आना भैं ऩागर हो जाऊॉगा,

प्मासा ही भैं भस्त, भुफायक हो तुभको ही भधुशारा।।१०५। क्मा भुझको आवश्मकता है साकी से भाॉगॉू हारा,

क्मा भुझको आवश्मकता है साकी से चाहूॉ प्मारा, ऩीकय भददया भस्त हुआ तो प्माय फकमा क्मा भददया से!

भैं तो ऩागर हो उठता हूॉ सुन रेता मदद भधुशारा।।१०६। दे ने को जो भझ ु े कहा था दे न सकी भुझको हारा,


दे ने को जो भझ ु े कहा था दे न सका भझ ु को प्मारा,

सभझ भनुज की दफ ण ता भैं कहा नहीॊ कुछ बी कयता, ु र

फकन्द्तु स्वमॊ ही दे ख भुझे अफ शयभा जाती भधुशारा।।१०७। एक सभम सॊतुष्ट फहुत था ऩा भैं थोड़ी-सी हारा, बोरा-सा था भेया साकी, छोटा-सा भेया प्मारा, छोटे -से इस जग की भेये स्वगण फराएॉ रेता था,

प्रवस्तत ृ जग भें, हाम, गई खो भेयी नन्द्ही भधुशारा!।१०८। फहुतये े भददयारम दे खे, फहुतये ी दे खी हारा, बाॉल् त बाॉल् त का आमा भेये हाथों भें भधु का प्मारा, एक एक से फढ़कय, सन्द् ु दय साकी ने सत्काय फकमा,

जॉची न आॉखों भें, ऩय, कोई ऩहरी जैसी भधुशारा।।१०९। एक सभम छरका कयती थी भेये अधयों ऩय हारा, एक सभम झूभा कयता था भेये हाथों ऩय प्मारा, एक सभम ऩीनेवारे, साकी आलरॊगन कयते थे,

आज फनी हूॉ ननजणन भयघट, एक सभम थी भधुशारा।।११०। जरा हृदम की बट्टी खीॊची भैंने आॉसू की हारा,

छरछर छरका कयता इससे ऩर ऩर ऩरकों का प्मारा, आॉखें आज फनी हैं साकी, गार गर ु ाफी ऩी होते,

कहो न प्रवयही भझ ु को, भैं हूॉ चरती फपयती भधश ु ारा!।१११। फकतनी जल्दी यॊ ग फदरती है अऩना चॊचर हारा,

फकतनी जल्दी नघसने रगता हाथों भें आकय प्मारा, फकतनी जल्दी साकी का आकषणण घटने रगता है ,

िात नहीॊ थी वैसी, जैसी यात रगी थी भधुशारा।।११२। फूॉद फूॉद के हे तु कबी तुझको तयसाएगी हारा,

कबी हाथ से नछन जाएगा तेया मह भादक प्मारा,


ऩीनेवारे, साकी की भीठी फातों भें भत आना, भेये बी गुण मों ही गाती एक ददवस थी भधुशारा।।११३। छोड़ा भैंने ऩथ भतों को तफ कहरामा भतवारा, चरी सुया भेया ऩग धोने तोड़ा जफ भैंने प्मारा, अफ भानी भधुशारा भेये ऩीछे ऩीछे फपयती है,

क्मा कायण? अफ छोड़ ददमा है भैंने जाना भधुशारा।।११४। मह न सभझना, प्रऩमा हराहर भैंन,े जफ न लभरी हारा, तफ भैंने खप्ऩय अऩनामा रे सकता था जफ प्मारा, जरे हृदम को औय जराना सझ ू ा, भैंने भयघट को

अऩनामा जफ इन चयणों भें रोट यही थी भधश ु ारा।।११५। फकतनी आई औय गई ऩी इस भददयारम भें हारा,

टूट चुकी अफ तक फकतने ही भादक प्मारों की भारा, फकतने साकी अऩना अऩना काभ खतभ कय दयू गए, फकतने ऩीनेवारे आए, फकन्द्तु वही है भधुशारा।।११६। फकतने होठों को यक्खेगी माद बरा भादक हारा,

फकतने हाथों को यक्खेगा माद बरा ऩागर प्मारा,

फकतनी शक्रों को यक्खेगा माद बरा बोरा साकी,

फकतने ऩीनेवारों भें है एक अकेरी भधुशारा।।११७। दय दय घूभ यहा था जफ भैं थचल्राता - हारा! हारा!

भुझे न लभरता था भददयारम, भुझे न लभरता था प्मारा, लभरन हुआ, ऩय नहीॊ लभरनसुख लरखा हुआ था फकस्भत भें,

भैं अफ जभकय फैठ गमा हॉ ,ू घूभ यही है भधुशारा।।११८। भैं भददयारम के अॊदय हूॉ, भेये हाथों भें प्मारा, प्मारे भें भददयारम बफॊल् फत कयनेवारी है हारा,


इस उधेड़-फुन भें ही भेया साया जीवन फीत गमा -

भैं भधुशारा के अॊदय मा भेये अॊदय भधुशारा!।११९। फकसे नहीॊ ऩीने से नाता, फकसे नहीॊ बाता प्मारा,

इस जगती के भददयारम भें तयह-तयह की है हारा, अऩनी-अऩनी इच्छा के अनुसाय सबी ऩी भदभाते,

एक सबी का भादक साकी, एक सबी की भधुशारा।।१२०। वह हारा, कय शाॊत सके जो भेये अॊतय की ज्वारा,

ल्जसभें भैं बफॊल् फत-िनतफॊल् फत िनतऩर, वह भेया प्मारा, भधश ु ारा वह नहीॊ जहाॉ ऩय भददया फेची जाती है ,

बेंट जहाॉ भस्ती की लभरती भेयी तो वह भधश ु ारा।।१२१। भतवाराऩन हारा से रे भैंने तज दी है हारा,

ऩागरऩन रेकय प्मारे से, भैंने त्माग ददमा प्मारा, साकी से लभर, साकी भें लभर अऩनाऩन भैं बूर गमा,

लभर भधुशारा की भधुता भें बूर गमा भैं भधुशारा।।१२२। भददयारम के द्वाय ठोंकता फकस्भत का छॊ छा प्मारा, गहयी, ठॊ डी साॊसें बय बय कहता था हय भतवारा,

फकतनी थोड़ी सी मौवन की हारा, हा, भैं ऩी ऩामा!

फॊद हो गई फकतनी जल्दी भेयी जीवन भधश ु ारा।।१२३। कहाॉ गमा वह स्वथगणक साकी, कहाॉ गमी सुरयबत हारा,

कहॉ ा गमा स्वप्रऩनर भददयारम, कहाॉ गमा स्वणणणभ प्मारा! ऩीनेवारों ने भददया का भूल्म, हाम, कफ ऩहचाना? पूट चुका जफ भधु का प्मारा, टूट चुकी जफ भधुशारा।।१२४।

अऩने मुग भें सफको अनऩ ु भ ऻात हुई अऩनी हारा, अऩने मुग भें सफको अदबुत ऻात हुआ अऩना प्मारा,


फपय बी वद्ध ू ा एक मही उऻल्तऌाय ऩामा ृ ों से जफ ऩछ

अफ न यहे वे ऩीनेवारे, अफ न यही वह भधुशारा!।१२५। 'भम' को कयके शुद्ध ददमा अफ नाभ गमा उसको, 'हारा'

'भीना' को 'भधुऩात्र' ददमा 'सागय' को नाभ गमा 'प्मारा', क्मों न भौरवी चौंकें, बफचकें नतरक-बत्रऩुॊडी ऩॊल् डत जी 'भम-भदहपर' अफ अऩना री है भैंने कयके 'भधुशारा'।।१२६।

फकतने भभण जता जाती है फाय-फाय आकय हारा,

फकतने बेद फता जाता है फाय-फाय आकय प्मारा, फकतने अथों को सॊकेतों से फतरा जाता साकी,

फपय बी ऩीनेवारों को है एक ऩहे री भधश ु ारा।।१२७। ल्जतनी ददर की गहयाई हो उतना गहया है प्मारा, ल्जतनी भन की भादकता हो उतनी भादक है हारा, ल्जतनी उय की बावुकता हो उतना सुन्द्दय साकी है ,

ल्जतना ही जो रयसक, उसे है उतनी यसभम भधुशारा।।१२८। ल्जन अधयों को छुए, फना दे भस्त उन्द्हें भेयी हारा,

ल्जस कय को छू ू दे , कय दे प्रवक्षऺप्त उसे भेया प्मारा, आॉख चाय हों ल्जसकी भेये साकी से दीवाना हो,

ऩागर फनकय नाचे वह जो आए भेयी भधश ु ारा।।१२९। हय ल्जहवा ऩय दे खी जाएगी भेयी भादक हारा हय कय भें दे खा जाएगा भेये साकी का प्मारा

हय घय भें चचाण अफ होगी भेये भधुप्रवक्रेता की

हय आॊगन भें गभक उठे गी भेयी सुरयबत भधुशारा।।१३०। भेयी हारा भें सफने ऩाई अऩनी-अऩनी हारा,

भेये प्मारे भें सफने ऩामा अऩना-अऩना प्मारा,


भेये साकी भें सफने अऩना प्माया साकी दे खा, ल्जसकी जैसी रल् च थी उसने वैसी दे खी भधुशारा।।१३१। मह भददयारम के आॉसू हैं, नहीॊ-नहीॊ भादक हारा,

मह भददयारम की आॉखें हैं, नहीॊ-नहीॊ भधु का प्मारा,

फकसी सभम की सुखदस्भनृ त है साकी फनकय नाच यही, नहीॊ-नहीॊ फकव का हृदमाॊगण, मह प्रवयहाकुर भधुशारा।।१३२।

कुचर हसयतें फकतनी अऩनी, हाम, फना ऩामा हारा, फकतने अयभानों को कयके ख़ाक फना ऩामा प्मारा! ऩी ऩीनेवारे चर दें गे, हाम, न कोई जानेगा,

फकतने भन के भहर ढहे तफ खड़ी हुई मह भधुशारा!।१३३। प्रवश्व तुम्हाये प्रवषभम जीवन भें रा ऩाएगी हारा मदद थोड़ी-सी बी मह भेयी भदभाती साकीफारा,

शून्द्म तुम्हायी घडड़माॉ कुछ बी मदद मह गुॊल्जत कय ऩाई,

जन्द्भ सपर सभझेगी जग भें अऩना भेयी भधुशारा।।१३४। फड़े-फड़े नाज़ों से भैंने ऩारी है साकीफारा,

फकरत कल्ऩना का ही इसने सदा उठामा है प्मारा, भान-दर ु ायों से ही यखना इस भेयी सक ु ु भायी को,

प्रवश्व, तम् ु हाये हाथों भें अफ सौंऩ यहा हूॉ भधश ु ारा।।१३५। प्रऩरयशष्ट से स्वमॊ नहीॊ ऩीता, औयों को, फकन्द्तु प्रऩरा दे ता हारा, स्वमॊ नहीॊ छूता, औयों को, ऩय ऩकड़ा दे ता प्मारा, ऩय उऩदे श कुशर फहुतये ों से भैंने मह सीखा है, स्वमॊ नहीॊ जाता, औयों को ऩहुॊचा दे ता भधुशारा।


भैं कामस्थ कुरोदबव भेये ऩुयखों ने इतना ढ़ारा,

भेये तन के रोहू भें है ऩचहऻल्तऌाय िनतशत हारा, ऩुश्तैनी अथधकाय भझ ु े है भददयारम के आॉगन ऩय, भेये दादों ऩयदादों के हाथ बफकी थी भधुशारा।

फहुतों के लसय चाय ददनों तक चढ़कय उतय गई हारा, फहुतों के हाथों भें दो ददन छरक झरक यीता प्मारा, ऩय फढ़ती तासीय सुया की साथ सभम के, इससे ही औय ऩुयानी होकय भेयी औय नशीरी भधश ु ारा।

प्रऩत्र ऩऺ भें ऩुत्र उठाना अध्मण न कय भें, ऩय प्मारा फैठ कहीॊ ऩय जाना, गॊगा सागय भें बयकय हारा

फकसी जगह की लभटटी बीगे, तल्ृ प्त भुझे लभर जाएगी तऩणण अऩणण कयना भुझको, ऩढ़ ऩढ़ कय के भधुशारा।

- बच्चन


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