अंग कथा
पुस्तक परिचय पुस्तक शिीि के विभिन्न अंग उपांगों की कथा कहती है , अंगों की ही
ज़ब ु ानी. थोड़ी िोचक, थोड़ी ज्ञानिर्धक कुछ काम के बात तो कुछ बस िाषायी कौशल.
समपधण यह पस् ु तक समवपधत है हहंदी अखबािों के उन फीचि
संपादकों को जो चोिी की सामग्री को पिू ी सीनाजोिी औि थोड़े से संपादकीय कौशल से पाठकों को पिोसने के सत्कायध में सतत लगे हैं.
पुस्तक का सिाधधर्काि पाठकों के पास है . िे इसकी
सामग्री को ककसी िी रूप में, तिीके या माध्यम से प्रयोग किने के भलये पिू ी तिह से स्ितंत्र हैं.
प्रकाशक : स्ियंिू प्रकाशन संजयसज ृ न, म.नं. 514, सेक्टि-5 गाज़ज़याबाद मल् ू य -10 रूपये मात्र प्रथम संस्किण: माचध 2015 लेखन, संपादन, प्रकाशन औि सीभमत क्षेत्र में वितिण. द्िािा संजय श्रीिास्ति
िूभमका यह ककताब एक नमूना िि है उस विस्तत ृ पुस्तक की ज़जसके कुछ पाठों की सूची नीचे दी गयी है . इनमें से कुछ को इस ई
बुक में शाभमल ककया गया है . यह ई बुक िी प्रायोधगक तौि पि बनायी गयी है िह िी तज़ब ु े के बतौि. पिू े विधर् विर्ान से
बनेगी तो कफि आपके सामने अलग औि बेहति रूप में पेश होगी,तब इसके कुछ दाम िी होंगे पि कफलहाल यह नमन ू े की प्रतत मफ् ु त है .
विषय सूची 1. केश – ये हैं कमाल के 2.. हदमाग- एक िहस्यमयी मशीन 3. आंखें : हम हैं तो जहां है 4. मैं हूं नाक 5. कान - अपने कुछ सुना क्या? 5. दांत- हम न होते तो क्या होता 6. जीि- 32 के बीच अकेली 6. मैं आपका गला बोल िहा हूं 7. फेफड़े- सबसे बड़े छनिैया 8. स्तन – वििेद औि पहचान 9.
यकृत - इतना काम कोई नहीं किता
10. हदल – गाता िहे आपका हदल 11. गद ु ाध – सबसे बडा कफल्टि
12. आंत- छोटी की बड़ी कहानी 13. पेट – सिांभलए औि पाभलए 14. घुटने – हमें कहीं न टे ककए 15. पैि- ज़जस पि िहा ज़जस्म
फिलहाल इन्हें पढें
कथा- 1 पेट - अथ उदि कथा कथा- 2 पैि - चिण धचंतन
कथा- 3 िीढ - बैक बोन की बातें कथा- 4 घुटने - हमें कहीं न टे ककए
कथा- 5 फेफड़ा – महज हिाबाज़ी नहीं कथा- 6 जीि - जब ु ान की जब ु ानी कथा- 7 आखें
– हम हैं तो ज़हां है
पेट
अथ उदर कथा अिी अिी आपने िात का खाना खाया. यह कहने के भलए क्षमा कीज़जए कक आप ने ििपेट नहीं बज़ल्क भशकमसेि यानी पेट िि से ज्यादा , ठूंस ठूंस कि खाया औि तुिंत लेट गए, यह ठीक नहीं. हालांकक तनयम तो खाकि कम से कम शतपद यानी सौ कदम चलने का है मगि आप बस यंू ही थोड़ा सा िी टहल लेते, थोड़ा दो चाि कदम चल लेते तो मेिे ऊपि िहम किते. िहम तो आप शुरुआत से ही नहीं किते मझ ु पि, गि किते तो यह हाल होती? आज जो आप यह सोच कि हलकान हो िहे हैं कक यह स्थल ू काय विशाल उदि न होता तो शायद काम के क्षेत्र औि क्रीड़ा के मैदान में कुछ कमाल कि हदखाता पि हि जगह यह नामिु ाद पेट आड़े आ जाता है , सच है आप जहां जहां जाते हैं आपसे पहले आपका विशाल उदि आपका अग्रदत ू बना िहता है . अब अप यह सोच कि झपकी लेने की
तैयािी में हैं कक कल सुबह उठते ही सैि पि जाउं गा औि कफि िहां िास्ते में पड़ने िाले ज़जम में इंस्रक्टि से बात करूंगा, इस पेट के फैलाि के भलए कुछ किना ही होगा, ठहरिए, इसके पहले कक आप कब्जीयत िगाने
िाले चूणध की फ़ंकी लगा कि औि गैस हिने िाली गोली खाकि अंटागाकफल हो खिाधटे लेने लगें मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं. नहीं नींद में ज्यादा
दे ि तक बार्क नहीं बनंग ू ा न ही आपको उपदे श दं ग ू ा न चेताउं गा कक पेट ही सब िोगों की जड़ है . लक ु मान हकीम के नुस्खे िी
नहीं बताऊंगा, मैं तो बस अपने बािे में थोड़ा सा कहूंगा बाकी आप खद ु समझदाि हैं.
मैं हूं आपका पेट, कई नाम हैं मेिे, होंगे क्यों नहीं लगिग हि जीि का मैं अभिन्न अंग जो हूं.
हदल,
गुदे, ज़जगि, आंख, नाक, कान अपने मुंह भमयां भमट्ठू िले ही बनते िहे कक सबसे महत्िपूणध अंग िे ही हैं पि सच तो यह है कक दतु नया में सािे लोग जीिन के सािे उपक्रम मेिे भलए ही किते हैं. मेिा अज़स्तत्ि न हो तो संसाि के तकिीबन सािे कायध व्यापाि लगिग ठप पड़ जाएं. आप लोगों को कहते सुना है , िई पेट के भलए आदमी क्या नहीं किता. यकीन न हो तो आप जिा दो चाि हदन मेिी उपेक्षा कि के दे खखए, आपको एहसास हो जाएगा. जब मैं नािाज हो जाता हूं या आपकी िाषा में खिाब हो जाता हूं, जब मेिी हालत पतली होती है
तब जिा सोधचए आप ककतने खस्ताहाल होते हैं. मैं आपके शिीि के मध्य िाग में ज़स्थत हूं. नहीं, नहीं, यहां नहीं, यहां तो आंत िहती है थोड़ा ऊपि आइए, सीने के ठीक नीचे, जी जनाब मैं यहीं से शुरू होता हूं. मैं जहां िहता
हूं उसे उदि गह ु ा कहते हैं. ऊपि ग्रसनी या एसोफेगस औि नीचे छोटी आंत से जड़ ु ा हुआ बड़ी सी ककंधचत लंबोतिी नाशपाती सिीखा, या कहें अंिेजी के
जे के आकाि िाला यह मांसल िचना मैं ही हूं. मैं आपके पाचन तंत्र औि शिीि सौष्ठि का महत्िपण ू ध हहस्सा हूं .कल्पना कीज़जए कक आपके हाथ पैि हक्यभूध लस या स्िाजधनेगि की तिह सबल औि कठोि उििी मांसपेभशयों
िाले हैं लेककन पेट बलन ू की तिह फूला हुआ, तो कैसा लगेगा औि कफि बबना मेिी सहायता के आप शिीि बना ही नहीं सकते. खाएंगे पचाएंगे
तिी तो ताकत पाएंगे. अिे ! आपकी तो आंखें मंुदने लगी ठीक है मै सीर्े अपनी बात पि आता हूं.
दे खखए मेिा काम है , खाए गए खाने को इकट्ठा किना
,
उसे पचने जाने
लायक बनाना, इसको विसंक्रभमत किना, पाचन में सहयोग दे ना, बस! पि यह सब इतना आसान नहीं है . आपने ककसी तिह से खाने की चीज मुंह में डाली, दांतों से थोड़ा काटा, तोड़ा, दो चाि बाि इर्ि से उर्ि हहलायाड़ुलाया औि तनगल गए. थूक या सलाइिा भमला यह खाद्य पदाथध जीि द्िािा ग्रसनी की ओि ढकेल हदया जाता है . ग्रसनी के ऊपिी हहस्से पि
लगा कपाट बंद हो जाता है , तनगलने के तकिीबन 3-4 सेकेंड बाद चबाया हुआ खाद्य पदाथध 10 इंच लंबी नली यानी एसोफेगस या ग्रसनी से होता हुआ मेिे पास आता है . ग्रसनी में चबाया खाद्यपदाथध खखंचता हुआ आता
है . यानी कक चबाया खाना थोड़ा सा ही सही औि टूट जाता है पि ककसी गफलत में मत िहहएगा, मेिे पास आई ज्यादाति सामग्री ऐसी होती है जो हड़बड़ी, आदत या ककसी िी िजह से बस यूं ही तनगली हुई होती है , माफ कीज़जएगा आप िी ऐसा ही किते हैं.
मझ ु े दो तिह के लोगों से जबिदस्त भशकायत है , एक तो उनसे जो दांत का काम मझ ु से या मेिे साथी आंत से लेना चहते हैं. दस ू िे िे जो मेिी औकात से ज्यादा खाते हैं. मेिा औसत आकाि 12इंच लंबा औि 6इंच चौड़ा होता है . जानते हैं मेिी क्षमता महज एक लीटि इकट्ठा कि के िखने की है जबकक लोग मझ ु पि तीन गन ु ा से ज्यादा बोझ लाद दे ते हूं. मैं इसे
झेल जाता हूं पि कई तो 6-8 गन ु ा खाते हैं बच्चों में मेिी क्षमता महज
30 एम.एल है पि माएं उन्हें ठुंसाती िहती हैं. मझ ु े लगता है पालन पोषण में यही कमी बाद में आदत बन जाती है . झेलना मझ ु े पड़ता है . सब कुछ झेलते जाने के भलए इतना मजबूत औि कायधकुशल इसभलए हूं कक मैं ऊपिी हहस्से को भमलाकि मैं पांच पितों से बना हूं. पहला म्यक ू ोसा दस ू िा
सबम्यूकोसा तीसिा मस्क्युभलस एक्सटमाध ज़जसमें टे ढी, ग़ोलाईदाि औि खड़ी मांसपेभशयों की पित होती है . चौथी सब सेिोसा जो मस्क्युभलस एक्सटमाध के ठीक ऊपि औि सबसे बाहिी पित सेिोसा होती है .
िैसे तो मेिे विभिन्न 12 हहस्से हैं लेककन मेिे चाि मुख्य हहस्से हैं पहला सबसे ऊपि िाला हहस्सा कर्डधया कहलाता है ग्रसनी से िोजन आकि यहीं से मुझ में प्रिेश किता है . फंडस मेिे उस हहस्से को पुकािते हैं जो ऊपिी घुमाि पि थोड़ा उििा हहस्सा होता है , नीचे आएं तो मेिा मुख्य औि सबसे बड़ा हहस्सा आता है यहां िोजन इकट्ठा होता है औि इस इकट्ठे िोजन को मेिी पेभशयां विभिन्न तंबत्रकाओं के तनदे श पि मथने का काम किती हैं, मेिे िीति िसायनों-िसों का प्रिाह औि मेिा संचलन तथा तनयंत्रण विभिन्न तंबत्रकाओं द्िािा होता है . मेिी तीन तिह की लंबी, टे ढी औि गोलकि पेभशयां यही काम किती हैं. यहीं पि पेज़ससन सिीखे कई हािमोन या अंत:स्रािी िस औि हाइड्रोक्लोरिक अम्ल सिीखे कुछ एभसड भमलते है
ज़जनका तेज़ाबी असि खाने को बैक्टीरिया इत्याहद से मुक्त किते हैं. मेिे ही िहां जी सेल के द्िािा तनकला गैज़स्रन नामक हामोन पाया जाता है जो हायड्रोक्लोरिक एभसड या एचसीएल की मात्रा को तनयंबत्रत कि के कोलेकायोस्टे केतनन अथिा वपत्ताशय की थैली को भसकुडने के भलए प्रेरित
किता ताकक उसके अलािा अग्नन्याशय से तनकला िस िी यहां पहुंचे औि
खासे अम्लीय लग ु दी को संतभु लत कि न्यर ू ल बनाए. इसके अलािा सेक्रेहटन, इंराल्यभु मनल हामोन, राइभसन जैसे कुछ अन्य िस िी यहां पाचन कक्रया में सहायक बनते हैं. ग्रसनी से आया िोजन यह तकिीबन 40 भमनट से एक सिा घंटा िहता है . तनगला िोजन महीन टुकडों में लुगदी बना कि क्रमाकंु चन गतत की सहायता से नीचे की ओि मेिे पायलोरिस हहस्से की तिफ प्रेवषत किते हैं. पायलोिस मेिा सबसे तनचला हहस्सा है जो छोटी आंत में खुलता है मुझसे से तनकला िोजन इसी पायलोरिस िाले हहस्से से होता हुआ यहां छोटी
आंत तक पहुंचता है . मैं छोटी आंत को िोजन तिी िेजता हूं जब िह
अपने काम में व्यस्त न हो औि अगला कायध लेने के भलए तैयाि हो. अन्यथा अपना बोझ मैं खुद संिाले िखता हूं. अब आप तनंदासे हैं. मै बस यह कह कि अपनी बात खत्म करूंगा कक आप हड़बड़ी में आर्ा अर्ूिा चबा कि नहीं बज़ल्क खूब चबा कि खाएं, जीि की सुनें पि मेिी अनदे खी न किे सीभमत मात्रा में खाएं. िले ही कई बाि में खाएं. पानी खूब पीयें औि िे शेदाि चीजें ििपूि लें थोड़ा टहलें मेिी िी एक्सिसाइज कििाएं. ये कब्ज िगैिह की दिाइयां तो क्या है कक जब तक मजबिू ी न हो हि तिह की दिाइयों से विमख ु िहें . अगि इतना िी आपने
कि भलया तो समखझए मझ ु े िी िोग से बचाएंगे औि आप िी नीिोग िहें गे.
पैर
चरण चचिंतन
अब बहस कोई चाहे ककतनी कि ले लेककन सच तो यह है कक ककसी का िी हो, आदमी हो या औित, दोपाया हो या चौपाया उसका सािा िजूद मुझ पि ही हटका होता है . सािे अंग अपना अपना काम ठीक तिीके से कि िी िहे हों तो क्या लाि मैं जिा सा साथ न दं ू तो पिू ा शिीि र्ड़ाम से र्िाशाई हो जाएगा, सािे के सािे सिू मा अंगों समेत. जी हां! मैं शिीि का सबसे उपेक्षक्षत हहस्सा हूं, मैं पैि हूं.
शिीि का तनचला िाग मझ ु से ही पिू ा होता है . कूल्हे की आखीि से शरू ु औि तलिे पि खत्म, बीच में जांघ,ें पैि औि एडी. ये डॉक्टि लोग कहते हैं कक घट ु ने से नीचे एडी औि तलिे तक का हहस्सा ही मेिा िजद ू है याने बस इतने को ही िे पैि मानते हैं. िे मानते होंगे पि मैं तो जांघ को अपने से अलग किी नहीं समझता, आपका क्या ख्याल है ? मेिा एड़ी से ऊपि औि घुटने के नीचे का अगला हहस्सा तो भशन कहलाता है जबकक वपछले
हहस्से को कॉफ कहते हैं. याद िखखए, आदमी पहले चौपाया था िह आदमी बना है तो भसफध मेिी बदौलत, अगि मैं अपने ऊपि उसका सािा बोझ न उठाता तो उसके हाथ मक् ु त न होते न, न ही उसका हदमाग पेट के समांनांति से उठ कि सबसे ऊपि, शीषध पि होता. जाहहि है न उसकी हदमागी श्रेष्ठता साबबत हो पाती न िह कोई कोई कािसाज कितब कि पाता, अशिफुल मखलक ू ात कहलाने का हक उसे भसफध मेिी िजह से भमला. जानते हैं, मैं अगि जिा ख्याल न िखूं तो आपकी एस की आकाि िाली िीढ को इतने झटके लगें गे कक हदमाग खिाब हो जाए. अब यह तो आप िी जानते हैं कक शिीि के तमाम अंगों से संबंधर्त तंबत्रकाएं जो हदमाग तक जाती हैं इसी िास्ते से गुजिती हैं. आपको शायद यह नहीं पता होगा कक औिें ग उटान की टांगें उसकी उदि िाले हहस्से से आनुपाततक तौि पि 111
प्रततशत, धचंपाजी की
आनुपाततक प्रततशत
171
128
प्रततशत बडी होती हैं जबकक आपमें मेिा
है , महज इसभलए कक मैं आप को बेहति संतुलन
औि गतत दे सकंू साथ ही साथ िीढ की हड्डी को सहािा दे सकंू . ऐंड़ी से जुडी मांसपेभशयां हों या कफि भशन अथिा काफ की यह सब इसीभलए इतने
बेहति तिीके से परििततधत हुई हैं ताकक आप दो पाया बन कि सािे जानििों
में अपनी श्रेष्ठता, दबदबा कायम कि सकें. बस इतना ही किना है कक भशन काफ दरु ु स्त िखें . चंक ू ी मैं बना ही हूं ऊपिी शिीि का बोझ ढोने के भलए साथ ही मझ ु े पिू े शिीि को गतत िी दे नी है इसभलए न भसफध मझ ु े पयाधसत मजबत ू होना है
बज़ल्क इतना चपल िी कक इस शिीि के बोझ को लेकि फिाधटा िी िि सकंू . अगि कोई र्ािक
10
सेकेंड से िी कम समय में
100
मीटि की दिू ी
नाप लेता है तो मेिी हड्र्डयों, मासपेभशयों तथा खास बनािट के ही चलते, यहद िािोत्तोलक
400
ककलो से ज्यादा का िाि उठा कि खड़ा हो जाता है ,
खड़ा िह पाता है तो उसकी इस किामात में मेिा योगदान िी कुछ कम
नहीं होता. मेिी मजबत ू हड्र्डयां, बेहति लचीली मांसपेभशयां औि मेिी खास बनािट ही मेिी जान हैं. जांघ की हड्डी जो फीमि कहाती है ज़जसका एक भसिा कूल्हे के जोड़ से भमलता है तो दस ू िा घुटने में जोड़ पि, जहां घुटने के जोड़ के ऊपि पटे ला या घुटने की टोपी िाली हड्डी होती है , उसके नीचे
दो हड्र्डयां होती हैं, जो घुटने से नीचे हमािा आर्ाि बनती हैं पहले बडी हड्डी हटबबया या भशन बोन औि उसके ठीक नीचे से जुड़ी पि उससे छोटी कफबुला यानी कॉफ बोन.
ये हड्र्डयां औि इनकी संधर्य़ां शिीरिक बनािट की उत्कृष्टतम नमूना है . जांघ की मांसपेभशयों को उनकी जगह के अनुसाि आगे, पीछे औि बीच के हहस्से की मांसपेशी कहा जाता है , फ्लेक्शॉन. एक्स्टें शॉन, िे फ्लेक्शॉन सबकी बनािट औि खाभसयत जुदा जुदा होती है . आप अपनी टांगों को अधर्कतम 174
र्डग्री के कोण तक मोड़ सकें ऐसी व्यिस्था िहती है यह व्यिस्था उम्र
औि अिस्था के अनुसाि बदलती है . निजात, युिा औि िद् ृ र्ािस्था में इस कोण में फकध आ जाता है . ऐंड़ी से घुटने तक औि कफि घुटने से ले कि जांघ के ऊपिी हहस्से यानी कूल्हे के जोड़ तक, अगि यह अनप ु ात अथिा
कोण बदल जाता है तब मान भलया जाता है मेिी हालत में कुछ गड़बड़ है . यह अनप ु ात ही मेिी कायधकुशलता का पैमाना होता है . आपने दे खा होगा कुछ बढ ू ों की टांगें फैल जाती हैं या घट ु नों के पास से झक ु सी जाती
है अथिा िीढ़ झक ु कि कमान बन जाती है . यह सब इसी की तो तनशातनयां
हैं. हड्डी, िक्त िाहहतनयों, विशेष तंबत्रकाओं तथा ढे ि सािी मांसपेभशयों की विविर्ता का समह ू हूं मैं. मेिी मांसपेभशयों की तन्यता यानी लचीलापन औि कायध वििाजन पिू ी तिह पि ू ध तनयत है पि एक ही तिह की पेभशयां
ककस तिह स्थान बदलने औि आिश्यकता पड़ने पि अपनी िभू मका बदल लेती हैं यह समच ू े शिीि में इतने बड़े पैमाने पि बस मेिे िहां ही इतनी विविर्ता के साथ दे खा जा सकता है . सोधचए कक आप खड़े हैं या कफि फुटबाल खेल िहे हैं या कफि सीहढयां चढ िहे , नाच िहे हैं या चहलकदमी कि िहे हैं, सिी दशाओं में एक ही जगह की मांसपेशी अलग अलग िूभमका का अलग अलग तिह से व्यिहाि किती है . अगि मांसपेभशयों की विविर्ता के बािे में बात किने लगूंगा तो पूिी ककताब ही भलख जाएगी. दो दजधन से अधर्क विभशष्ट मासपेभशयों के साथ शिीि के सािे हहस्से या अंगों में अव्िल िहूंगा. मेिा कनेक्शन आपकी सेहत औि ककस्मत से है िी है . जैसे हाथ की िे खाओं को दे ख कि ज्योततषी िाग्नय बांचते हैं मेिी िे खाएं िी आपके िविष्य के बािे में कुछ कहती हैं, यह जीिन िे खा, हृदय िे खा औि न जाने
क्या क्या मुझे तो नहीं पता पि आप ज्योततषी से बात किके दे खखए सब बताएगा. अगि मेिे नाखूनों के आकाि में अपको कोई बदलाि नजि आ िहा हो, ििु ििु े हो िहे हों, उन पि सफेद तनशान हों तो मान लीज़जए कक आपके शिीि में लोहा कम है . आप एनीभमया के किीब हैं. 40 साल से ज्यादा की महहला के शिीि में मेिा ठं ड़ा िहना मतलब थायिॉयड का कम सकक्रय होना है . मेिा बड़ा अंगठ ू ा अगि सामान्य से ज्यादा बड़ा हदख िहा है तो मातनए कक यरू िक एभसड बढ गया औि आप जल्द ही
गहठया के
भशकाि होने िाले हैं. सच एक बाि मेिी तिफ िि आंख दे खखए तो सही आपको अपने बािे में जाने क्या क्या पता चल जाएगा. बिटे न की मैनचेस्टि यतू निभसधटी के सायकॉलज़जस्ट प्रफेसि ज़जयोफ्रे बीटी ने तो मेिे बािे में अद्िुत शोर् ककया है . उनके हहसाब से दस ू िों के हदल
में अपने भलए चाहत को जांचने के भलए मेिी ओि दे खें आंखों में नहीं. अगि लड़की आपसे प्रिावित होगी तो उसके पैि खुले पैिों िाले मुद्रा में हदखें गे नहीं तो यहद क्रॉस मुद्रा में होगी यानी पैि एक दस ू िे के ऊपि किके बैठना.
विभशष्ट महहला, पुरुष,दबंग, बड़बोले, बहहमुख ध ी
औि घमंडी लोग
पद संचालन कम किते हैं जबकक शमीले लोग ज्यादा. खैि यह मैं नहीं शोर्ाथी महोदय कह िहे थे, मैं तो बस बता िहा था. खूब पानी पीज़जए औि खाने में कैज़ल्शयम, पोटाभशयम ि मैज़ग्ननभशयम की भमकदाि बढा दें नहीं तो मैं चटखने फटने लगता हूं मैं, दारू ज्यादा पीने से या कफि मर्ुमेह जैसे िोग के चलते मुझे सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता
है . कृपया बैठे बैठे मुझे हहलाते िहने की आदत को िी त्याग दें . दादाजी कहते हैं इससे लक्ष्मी रूठ जाती है पि मैं आपको बताता हूं मेिी नसें खखचती है , मुझमें ददध पैदा होता है , जोड़ों को कष्ट होता है . कफि आपकी इस हिकत से आपका हदल िी प्रिावित होता है .
थोडा एक्सिसाइज कीज़जए, भलफ्ट के बजाए सीढी का प्रयोग कीज़जए, जत ू े, चसपल, मोजे खिीदते, बितते समय जिा मेिी तकलीफ औि सवु िर्ा का ध्यान िखखए, हाई हील को त्याग दीज़जए, हफ्ते में कम से कम एक बाि मेिी तिफ िी तनगाह फेरिए. अधर्कति लोग अपने चेहिे औि बालों की बड़ी जतन किते हैं, उन पि खब ू समय औि र्न खचधते हैं लेककन मेिी
दे खिाल नजि अंदाज कि दे ते हैं औि बाल, दांत, चेहिे की िौनक सब एक उम्र के बाद साथ छोड़ दे ते हैं यहद आप चाहते हैं कक आप उम्र बढने पि िी सीना तान कि अपने पैिों पि खड़े िहें तो जिा मेिी कफक्र किें , मझ ु े आपकी बहुत कफक्र है .
रीढ
बैक बोन की बातें पीठ ददध से थोड़ा आिाम भमला? बस सीर्े लेटे िहहए, खैि, अगि आप सीर्े बैठते, सीर्े हो कि चलते, सही तिीके से उठते, लेटते तो शायद यह नौबत ही नहीं आती. कोई बात नहीं ददध जल्द ही खत्म हो जाएगा, पि अब आगे से ख्याल िखखएगा, कफलहाल तो इस पीठ ददध को िुलाने के भलए मैं आपको कुछ सुनाती हूं. अिे ! नहीं पहचाना मुझे? चभलए कुछ संकेत दे ती हूं. मैं न िहूं तो आप मानि ही न कहलाएं, शायद िें गते हुए चलें . मेिे िहने के कािण ही आप सीर्े खड़े िह सकते हैं, आपके तमाम अंग हदमाग के इशािे
समझ पाते हैं. क्या? अिी िी नहीं बूझ पाए? हां, पहचानेंगे िी कैसे मैं किी आपके सामने तो पड़ती नहीं, आर्ाि या नींि की ईंट की तिह पीछे औि नीचे जो िहती हूं. मैं आपके शिीि का आर्ाि हूं, मुझ पि ही हटके हैं
आप औि मुझे ही नहीं जानते. मुझे लगता है कक आपका ददध िुलाने के भलए बजाए मैं कोई दस ू िी कथा कहूं, अपने बािे में ही कुछ बताऊं िही बेहति िहे गा.
मैं आपकी िीढ हूं. मझ ु े कशेरुक दं ड, मेरु दं ड़, िटीिल कॉलम, बैक बोन या स्पाइन िी कहते हैं. जिा अपनी पीठ के बीचोबीच हाथ फेि कि दे खखए
ऊपि गिदन से लेकि कमि के नीचे तक यह मैं ही हूं, इसी मेरुदं ड़ में
ज़स्थत मेरुनाल या स्पाइनल केनाल के िीति मेरु िज्जु या स्पाइनल कॉडध सिु क्षक्षत िहती है . अब जिा उं गभलया कफिा कि दे खखए उििी हुई गठीली सी मेिी संिचना जो ऊपि से नीचे जाती लगती है औि यह अहसास
हदलाती है कक अलग अलग खंडो में बटी है . हां, मैं एक सत्र ू से जुड़ी तो हूं पि सचमुच मेिे कई खंड़ है , कुल भमला कि 26
पि
33.
इन्हें िटीिी कहते हैं, यह
छोटी छोटी हड्र्डयों से भमल कि बनी है . गदध न पि 5.
7
पीठ पि
12
साथ ही सैंक्रम अथिा बत्रकाज़स्थ एिं कोसेजी ये तो हुई कुल
बत्रकाज़स्थ में
5
हड्र्डयां फ्यूज्ड िहती है तो कोसेजी में
3.
कमि
26.
अब
सही मायने में
मैं चाि मुख्य क्षेत्रों बटी हुई हूं. सिाधइकल (गदध न), थोिै भसक (छाती), लम्बि (पीठ का तनचला हहस्सा) औि सैक्रल.
गदध न के आसपास का मेिा हहस्सा सिाधइकल स्पाइन कहलाता है . इस क्षेत्र में सात कशेरुकायें या िटीिी होती हैं, ज़जन्हें ऊपि से नीचे जी-1से जी -7 तक का नाम हदया जाता है . ये कशेरुकायें मज़स्तष्क को सुषुम्ना से जोड़ने िाले हहस्से औि सुषुम्ना की िक्षा किती हैं, खोपड़ी को सहािा दे ती हैं, औि सि को इर्ि उर्ि हहलाने में सहायक बनती हैं. मेिी पहली सिाधइकल कशेरुका (जी1) को अँगठ ू ी.की
एटलस आकाि
कहा
जाता
िाली
है .
एटलस
खोपड़ी को सहािा दे ती है . गोलकाि औि िोथिे खंूटी जैसे उिाि िाले जी2
को एज़क्सस कहा जाता है . आप सि घम ु ा सकते हैं तो बस मेिी एटलस
औि एज़क्सस की बदौलत ही. र्डब्बों के आकाि िाली सिाधइकल की दस ू िी कशेरुकायें (जी-3 से जी -7 तक) में उँ गभलयों जैसे उिाि होते हैं जो
कशेरुकाओं की पीठ से तनकले होते हैं. मेिी अंततम सिाधइकल कशेरुका के नीचे थोिै भसक स्पाइन की 12 कशेरुकायें होती हैं. ऊपि से नीचे धगनें तो टी -1 से टी-12 तक. इसमें टी-1 सबसे छोटी औि टी-12 सबसे बड़ी है , मेिी थोिै भसक कशेरुकायें सिाधइकल हड्र्डयों से बड़ी, लंबी औि अधर्क उिाि िाली होती हैं. पसभलयों से जुड़ी होने के कािण ये अधर्क मज़बूत िी होती हैं. जाहहि है , मेिे थोिै भसक स्पाइन की हहलने-डुलने की क्षमता सीभमत होती है लेककन िह खास अंगों की सुिक्षा बेहति तिीके से किती है . मेिे ज़जस तनचले हहस्से को लम्बि स्पाइन कहते हैं उसमें 5 कशेरुकायें हैं,धचककत्सक इन्हें एल-1 से एल-5 के रूप में पहचानते हैं. मेिी हि लम्बि कशेरुका को ऐसे बनाया गया है कक िह शिीि का तकिीबन पूिा बोझ ढो सके. मेिी लम्बि स्पाइन की गततशीलता, थोिै भसक स्पाइन से ज्यादा लेककन सिाधइकल स्पाइन की तुलना में कम होती है . अब बािी है सैक्रम की तो यह कमि के पीछे ज़स्थत होती है . यह एस -1 से लेकि एस-5 तक की पहचान िाली पाँच हड्र्डयाँ भमल कि बनती हैं. दोनों कूल्हे की हड्र्डयों के बीच ज़स्थत िह कि िीढ़ को कमि से जोड़ती है . अंततम लम्बि कशेरुका एल -5 सैक्रम के साथ घम ू ती है . सैंक्रम के ठीक नीचे इतनी ही औि हड्र्डयाँ भमलकि टे लबोन बनाती हैं.
शरु ु आती दो सिाधइकल कशेरुकाओं के मेिी सिी कशेरुकाओं की बतु नयादी संिचना एक सी होती है . मेिी हि कशेरुका के िीति कैं सेलस नामक हड्डी होती है , कैं सेलस हड्डी की कैविटी में अज़स्थ मज्जा पाई जाती है , जो िक्त की लाल कोभशकाओं औि कुछ प्रकाि की श्िेत कोभशकाओं का तनमाधण
किती है . मेिी सािी कशेरुकाएं आपस में इस तिह जड़ ु े िहते हैं कक झक ु ने, घूमने, औि विभिन्न हदशाओं में गततशीलता संिि बनाते हैं साथ ही अत्यधर्क गततशीलता, ज़्यादा फैलने औि ज़्यादा भसकुड़ने पि अंकुश िी लगाते हैं. मेिे सिी जोड़ आपस में जुड़े हुए ऊतकों की कैससूल से तघिे
होते हैं, जोड़ों को पुष्ट तथा धचकना िखने के भलए फ़्लुइड का इंतजाम िी िहता है . मेिी सतहों पि लगे काहटध लेज घूमने में मददगाि है . मेिी हि कशेरुका के बाद औि दो के बीच एक इंटििटीिल र्डस्क नामक “कुशन होता है जो मुझ पि पि पड़ने िाले दबाि औि झटके बदाधश्त किती है
औि कशेरुकाओं को एक-दस ू िे की िगड़ से बचाती है . किी झटके में यह
हट जाती है तो कहते हैं ज़स्लप र्डस्क हो गया. हदमाग से के ठीक नीचे से शुरू हुई औि मेिे बीच से गुजिती छोटी उँ गली के बिाबि की सुषुम्ना कमि तक जाती है . मज़स्तष्क औि सुषुम्ना जब तक न भमलें केंद्रीय तंबत्रका
तंत्र पूिा नहीं होता. मेिी सिी कशेरुकाओं के बीच छोटे छोटे छे द होते हैं, इन्हें फ़ोिामैन कहते हैं. इन्हीं “छे दों” से तंबत्रकायें बाहि तनकलती है औि शाखाओं में फैलकि परिसिीय तंबत्रका प्रणाली बनाती हैं. चलो, कमि औि पीठ सीर्ी कि के चलो ििना कूबड तनकल आएगा. बचपन
से जिानी तक खब ू सन ु ा होगा यह उपदे श. सबको लगता है कक मैं बबल्कुल सति सीर्ी हूं. अगि मैं पिू ी तिह स्िस्थ हूं तो सामने की ओि से दे खने
से मैं सीर्ी ही नजि आती हूं पि सच तो यह है कक बगल की ओि से
दे खने पि मझ ु में चाि स्पष्ट झक ु ाि हदखते हैं. ओह लगता है इतनी दे ि लेट जाने औि ददध की कमी के चलते आप तनंदासे हो िहे हैं या कफि अपनी जहटल संिचना बता कि मैं आपको बोि कि िही हूं. सच तो यह है कक यह बताना कुछ िी नहीं आप थोड़ा ठीक हो लें तो जिा मेिे बािे में
जानने की कोभशश किें िास्ति में मेिी िचना बेहद जहटल है , पि साथ ही यह िी सच है कक अगि मेिी बनािट औि मेिे कामकाज की बुतनयादी जानकािी लोगों को हो तो तमाम िोगों, संकटों से समय िहते बचा जा सकता है . यह बोि होना आपके भलए फायदे का सौदा है . खैि , मैं अब ज्यादा कुछ औि न कहते हुए बस इतना िि बताना चाहूंगी कक शिीि का शायद ही कोई ऐसा अंग हो ज़जसका संबंर् मेिे विभिन्न हहस्सों के साथ
न हो अगि ककसी अंग को कायध किते िहना है तो मेिा स्िास््य तथा अटूट िहना जरूिी है , मेिे ज़जस िी हहस्से से ज़जस िी अंग का संबंर् है , अगि मेिा िह हहस्सा क्षततग्रस्त हो जाए तो िह अंग विशेष काम काज ठप कि दे गा. आप शिीि के अंगों को सबल बनाने के भलए जाने ककतनी कसित किते हैं पि क्या मेिे भलए िी ऐसा किने की कोभशश की, नहीं न, आप पत्तों को सींचते हैं औि जड़ ही िल ू जाते हैं. कसित से पहले मेिे बािे में जानें औि ककसी से सही तिीके से बैठने, झक ु ने, उठने, सामान उठाने,सोने औि सो कि उठने इत्याहद का तिीका जानें औि इस पि अमल किें . पीठ या मेिी कसित के भलए योग बेहद फायदे मंद है . ककसी विश्िस्त औि योग्नय योग गरू ु से योगमद्र ु ासन सीखें . योगमुद्रासन आगे झक ु ने िाला आसन है . इससे
से पीठ की मांसपेभशयों का तनाि दिू होता है औि मुझ में लचीलापन आता है . इसभलए जब िी आप कोई पीछे झक ु ने िाला आसन जैसे
िज ु ंगासन, उष्टासन आहद किें तो इन आसनों को किने के पश्चात योगमद्र ु ासन का अभ्यास जरूि किें . गोमख ु ासन किने से िी से किी कमि या पीठ ददध नहीं होता. एक्यप्र ू ेशि विशेषज्ञ यह िली प्रकाि जानते हैं कक मेिे ककस हहस्से में दबाि दे कि ककस अंग का ददध या बीमािी का इलाज की जा सकती है . मेिे बािे में यह फैलाया जा िहा है कक मैं अब बूढों, बुजुगों को ही नहीं बच्चों को िी पिे शान किती हूं, यह बात सच िी है पि क्या करूं बच्चों के पीठ पि इतना िािी बस्ता कफि उनको पोटै टो काउच बनाने से पहले
उन्हें आपने बैठने की सही मुद्रा तो भसखाई नहीं अब अतत का प्रिाि बुिा तो होगा ही. कफलहाल कुछ शुि सूचनाएं िी भमली हैं कक िैज्ञातनकों ने मेिे इलाज औि शल्य धचककत्सा के क्षेत्र में अद्िुत खोजें की हैं,यहां तक
कक कृबत्रम बनाने तक औि मुझमें टूट-फूट आने पि शािीरिक अपंगता को ठीक किने तक. सो, अिी तो सो लीज़जए पि जागने औि पीठ ददध से
उबिने के बाद मेिे बािे में जानने की कोभशश कीज़जए,यह जानकािी आगे चलकि आपके बड़े काम आएगी.
घट ु ने
हमें कहीिं न टे फकए सािी दे ह का बोझ हम उठाते हैं. हम न हों तो लोग िें गने पि मजबूि हो जाएं. बड़े बड़े सूिमा जो सीना ताने गिध से माथा ऊंचा ककए अपनी िीिता या दस ू िी उपलज़ब्र्यों पि इतिाते हुए अकड़ू मुद्रा में खड़े हदखते हैं, सब मेिी बदौलत. हदमाग, दे ह ,जज्बा, जुनून कुछ िी किा ले पि आपको अपने
पैिों पि तो मैं ही खड़ा किता हूं. मैं जिा सा साथ छोड़ दं ू तो बड़े बड़े शूििीि घुटने पि आ जाएं, ििििा कि ढह जाएं .
जी हां मैं आपका घुटना बोल िहा हूं. सालों साल खामोशी बितने का यह भसला है कक आपने किी मुझ पि कोई ध्यान ही नहीं हदया. माथा जिा
गिमाया तो धचंताकुल हो लेट गए, जिा ददध हुआ तो लगे उसे तेल लगाने, चंपी कि खुशामदी हाथ फेिने, पि मेिा क्या, मुझे िी किी आपने इस तिह
सयाि हदया? मेिी खैिख्िाही में कुछ ककया? दे खिाल बिती, किी नहीं. ठीक है कक मैं आपका बोझ ढोने का काम किता हूं सही बात तो यह है कक
िाि ढोने िाले गिीब कुभलयों की िला कौन कद्र किता है . कफि मैं हदमाग की तिह शीषध पि तो हूं नहीं, मेिा स्थान नीचा है . पि कुछ िी हो, मेिी िी शिीि में खास अहभमयत है .
जाहहि है , मेिा बोलना बेजा नहीं. जानता हूं मेिे बोलने से आपको पीड़ा पहुंचती है पि अब मेिा थोड़ा सा बोलना हम आपके हक में है . हो सकता है कक मेिे बोलने से आपको मेिे बािे में िह सब पता चले ज़जसके बािे में
आपने मेिी उपेक्षािश जानने की किी जरूित ही नहीं समझी. मैं आपके पैिों के बीचोबीच हूं, जंघा औि टांग को आपस में मैं ही जोड़ता हूं. मैं इस
तिह बना हूं कक आप चल-कफि सकें, दौड़ सकें, पालथी माि के या उकड़ूं बैठ सकें. कहने का सबब यह कक मेिी तकनीक इतनी लाजिाब है कक आपको सीर्े खड़े िहने में मदद किती है तो झुकने औि बैठने में िी. यह जो तकिीबन गोल सी संिचना दे खते हैं, इसके िीति दो अज़स्थ संधर्यां मौजूद हैं. दो अज़स्थयों की संधर् होने के नाते मैं शिीि की सबसे बड़ी अज़स्थ संधर् हूं औि जहटल िी. यह जो विशाल जांघ है इसके िीति बड़ी
मजबूत हड्डी होती है ज़जसे फीमि कहते हैं इसका सबसे तनचला भसिा मेिे िीति आकि टांग की हड्डी हटबबया या कहें भशनबोन से भमलता है तो पेटेला जो ककंधचत गहिी चकती जैसी संिचना होती है औि ज़जसे लोग मेिी टोपी या नीकैप कहते हैं से, यही फीमि दस ू िी संधर् किती है . मेिा काम इन झूलती संधर्यों या जोडों को न भसफध बिकिाि िखना है बज़ल्क इसका
ख्याल िखना है कक ये संधर्या गततशील िहें , कािआमद बनी िहें , टूटें नहीं. मेिे तमाम तंतु, भलगमें ट्स इसमें सहायता किते हैं, एक बेहद महत्िपण ू ध हहस्से के योगदान को तो मैं ताउम्र नहीं िल ू सकता यह है , भमतनस्कस. ये दो तिह की होती हैं या कहें स्थान विशेष पि उपज़स्थत होने के कािण इनके दो नाम है , लेरल या पाश्िध भमतनस्कस औि मेर्डय़ॅल या मध्य में पाई जाने िाली भमतनस्कस. हटबबया औि फीमि के बीच गद्दे दाि कुशन
का काम किने िाले इस काहटध लेज का काम इन हड्र्डयों के भसिों को तघसने से बचाने का होता है , साथ ही ये चलने- कफिने, कूदने- फांदने के समय इन हड्र्डयों की संधर्यों को लगने िाले झटकों से िी िक्षा किती
है . मेिे तीन तिह के भलगामें ट, एंटीरियि क्रूभसएट भलगामें ट यानी एसीएल, जो पैि को ककस हद तक आगे बढना है औि इसके ठीक पीछे ज़स्थत पोस्टीरियि क्यूिेहटि भलगमें ट या पीसीएल जो पैि के पीछे जाने की सीमा तनर्ाधरित किती है इसके अलािा कोलेरल भलगमें ट पैि के अगल बगल के मूिमें ट की सीमा तय किती है . क्िाड्रीसेप मांसपेभशयां आगे की ओि औि है मज़स्रं ग मांसपेभशयां पैि को पीछे की ओि मुडने के सहायक बनती है . कुल भमला कि आपके पैिों को लड़्खड़ाने, गलत तिीके से आगे पीछे पड़ने, अगल बगल मुड़ने
से मैं ही िोकता हूं अब इसके बािजूद आपके कदम
औि कािण से बहक जाएं तो मैं कि ही क्या सकता हूं. कुछ मांशपेभशयां
औि हमािे ये हहस्से इतनी बखूबी औि खमोशी से लगाताि काम किते िहते हैं कक आप खूब चलने खेलने कूदने के बािजूद ज्यादा थकते न ही धगिते पड़ते हैं.किी किाि कोई मोच िगैिह आ जाए तो जल्द ही ठीक हो जाती है . मैं बेहद कुशलता से कायध किता हूं पि आखखि मेिी िी एक सीमा है , आप
बबल्कुल ही मेिी दे खिाल नहीं किें गे तो कैसे चलेगा? उपेक्षा तो सह िी ली जाए पि कई बाि ज्यादततयां सही नहीं जातीं, कफि मेिे िी तो कई
हहस्से हैं मैं सब को एक किके. सब को मना कि तिी िख सकंू गा जब
आपका सहयोग समथधन भमलेगा. अब एक िी हहस्सा नािाज, नासाज हुआ
तो कफि आप समझ सकते हैं क्या होगा. तमाम लोग जिानी बीती नहीं कक अपने िजन की धचंता ही छोड़ दे ते हैं औि इसे बेतहाशा बढने दे ते हैं, अब बोझ तो हमें उठाना पड़ता है बड़ी तकलीफ होती है . कुछ लोग
काि,िाहन के इतने आदी हो जाते हैं कक चलना -टहलना या छोटी मोटी एक्सिसाइज िी छोड़ दे ते हैं, बास्केटबॉल, फुटबॉल, खेलने िाले, दौड़ कूद
प्रततयोधगता में िाग लेने िाले र्ािक, स्कीइंग किने िाले, कुश्ती लड़्ने िाले अकसि अपने भलगामें ट्स या काहटध लेज घायल कििा बैठते हैं.
खैि, मेिी कई अतनयभमतताओं, बीमारियों का इलाज बबना ऑपिे शन ककए संिि है पि दो बातें याद िख लें एक तो इलाज के बाद मैं पहले ज़जतना समथध नहीं िह जाता दस ू िे मेिा ददध बहुत तकलीफदे ह होती है , सो बेहति
यही होगा कक ऐसी नौबत ही न आने दें . कफि िी यह कहने में मुझे कोई गुिेज नहीं कक मेिे चोहटल होने की आशंका बहुत ज्यादा होती है , जो िी आगे आगे िहे गा चोट िी तो िही झेलेगा. सार्ािण चोट लगे, सामान्य ददध
हो तो पट्टी बांर्ना औि कुछ समय के भलए मूिमें ट िोक मुझे आिाम
दे ना, अथिा िाइस यानी आिआईसीई अथिा िे स्ट (आिाम) आइस (सूजन न होने दे ने के भलए बफध से भसंकाई) कंप्रेशन (पट्टी से बांर्ना पि इतना कस कि के नहीं कक ददध बढ जाए) औि एलीिेशन यानी मेिी ज़स्थतत हमेशा ऊपि की ओि बनाए िखना बहुत कािगि है . पि ये सामान्य उपचाि हैं अगि ददध ज्यादा हो चोहटल हहस्से में सूजन बढती जा िही हो, पैि बबल्कुल हहलाया डुलाया न जा िहा हो, हहलाने डुलाने
पि कसक हो या आिाज आ िही हो तो तिु ं त अज़स्थिोग विशेषज्ञ से संपकध
कि मेिी पीड़ा हिें . गहठया, र्हयम ूध ेटाईडॅ अथधिाइहटस, ओज़स्टयो अथधिाइहटस जैसी तकिीबन दो दजधन प्रमख ु बीमारियों में से कुछ िी हो सकता है , धचककत्सक आपके बताए अनस ु ाि लक्षण,स्थान, कािण तय किे गा औि उसी
के अनरू ु प तनदान ढूंढेगा, इलाज किे गा. हो सकता है ओपिे शन किना पडे या कफि इसके बगैि बात महज दिा या कफज़जयो धथिै पी से बन जाए. मैं आपको िो तमाम लक्षण बता तो सकता हूं ज़जससे आपको यह समझना आसान होगा कक दि असल आपको हुआ क्या है . पि ज्यादा मुमककन है कक आप भ्रभमत हो जाएं सो बेहति है डॉक्टि से ही पूछें.
आजकल तो लोग जन्म से साथ िहे घुटने को बबना कोई ख्याल ककए बनािटी घुटने से बदलिा लेते हैं, महहलाओं में यह आम होता जा िहा है . खैि, मजी आपकी लेककन इतना बता दं ू नया नौ हदन पुिाना सौ हदन, औि अब तो दे श के ही िैज्ञातनकों ने ऐसी तकनीकक विकभसत कि ली है कक िे
पुिाने को ही सस्ते में ठीक कि दें गे, बस जिा खोजबीन किने की जरूित है . कहने को तो बहुत कुछ है पि मैं इस गुजारिश के साथ अपनी बात
खत्म करूंगा कक मेिा ख्याल िखखए सलीज, कहीं ऐसा न हो कक इस लापििाही के चलते आपको ज़जंदगी के असली मौज मजों के आगे घुटने टे कने पड़ जाएं.
िेिडा
महज हवाबाजी नहीिं
जिा कल्पना किके दे खखए कक अचानक एक बाि आपकी सांस बाहि आती है तो कफि िीति नहीं जाती. पूिे दस भमनट तक, सांस फूल गई न आपकी यह सोच कि. होंगे बड़े तकनीकककुशल औि सुंदि अंग आप के शिीि में , पि मेिी बिाबिी के नहीं. जमीन या आकाश में िहने, हिा में सांस लेने िाले हि जीि का सबसे महत्त्िपूणध अंग हूं मैं,ऐसे कुछ लोग हो सकते हैं जो पानी पि जीते हैं, अन्न नहीं खाते पि मैं, यानी आपका लंग या कहें
फेफड़ा अथिा धचककत्सकीय या कफि् विज्ञानी हहंदी में फुफ्फुस,यह शतध लगाता हूं कक फलां ने कई महीने से सांस नहीं ली, ऐसा नहीं सुना होगा आपने. महानुिाि मेिा काम अपने िीति ही खून को साफ किना या कहें
उसमें प्राण िायु भमलाना है , अगि यह न हो तो द्स पांच भमनट में जीिन
का सािा कािोबाि ठप पड जाएगा. सबसे पहले हदमाग, अगि िहां खन ू के जरिए ऑक्सीजन नहीं पहुंची तो न िह ककसी की सन ु ेगा न तो ककसी को कोई तनदे श दे गा, बाकी अंग िी ठप पड़ जाएंगे. हो गया न सािा खेल
खत्म, तो िाई साब मेिा, मख् ु य कायध िाताििण से ऑक्सीजन लेकि उसे खन ू के दौिान में शाभमल किाना है औि इसके उलट िी यानी िक्त से काबधन डाइऑक्साइड को सोख कि कि उसे िाताििण में छोड़ना िी मेिा ही काम है . गैसों का यह लेन दे न मेिी दीिाि में बनी असंख्य छोटी दीिािों िाली खानेदाि िचनाओं के जरिए होता है ज़जन्हें 'अज़ल्ियोली' कहा जाता है , इसी के चलते मेिी संिचना मर्ुमक्खी के छत्ते के समान गद्दे दाि या स्पंजी हो जाती है . मैं जोड़े से होता हूं. बाकी टीिी पि आपने र्ूम्रपान के
खखलाफ तछड़े अभियान में तो दे खा ही होगा. खैि, अपनी बात पूिी कि लूं, मैं ऑक्सीजन भमला शुद्र् िक्त पल्मोनिी र्मनी द्िािा हदल में पहुँचा दे ता हूं, जहाँ से यह कफि से शिीि के विभिन्न हहस्सों में पहुँचा हदया जाता है .
अब इस बात का कोई मतलब आपके भलए नहीं है कक मेिा दायां हहस्सा बाएं से हमेशा से एक इंच छोटा िहता है कफि िी िह बाएं से िािी िहता है या कफि मेम साब के फेफड़े आपसे हल्के हैं. यह बताने का िी कोई अथध नहीं कक आप जब सांस खींचते हैं औि जब बाहि तनकालते हैं तो मैं कैसे फूलता वपचकता हूं. अथिा मैं जिानी में मटमैला औि बुढापे में गहिा
नीला या काला सा क्यों हो जाता हूं. औि अगि मैं अपनी गहन कहठन तकनीकक कक्रयाविधर् आपको समझाने लगंग ू ा तो िह िी आपके ककसी
मतलब की नहीं होगी, मैं तो बस आपको कुछ मतलब की बात बताना चाहता हूं. िह आपके औि मेिे दोनों के भलए फायदे मंद हो.
दिअसल आप ज़जस र्ल ू गदध , र्ंए ु से ििे औि हरियाली विहीन िाताििण में जी िहे हैं. ज़जस बेददी से बीडी, भसगिे ट खींचे औि दारू दाबे जा िहे हैं. िह क्या कहि बिपाएगा आप को इसका इमकान िी नहीं है . आबोहिा पहले जैसी साफ नहीं िही न खान पान, न जमाना िह िहा न आपकी उम्र. आप यह सब किते हुए कतई नहीं समझ िहे कक आप मुझ पि औि
साथ ही अपने िविष्य पि क्या जुल्म कि िहे हैं, औि इसका अंजाम क्या होगा. सच तो यह कक मैं िीति हूं, हदखता नहीं हूं तो आप को ख्याल ही
नहीं िहता मेिा, ततस पि प्रकृतत ने मझ ु े बनाया िी बहुत सहनशील है . पि आखखि मैं कब तक सहन करूं? शायद आप मेिी सहनशीलता से िाककफ
है औि इसे आप मेिी स्ििाविक मजबूिी समझ िहे हैं पि ऐसा है नही, संिित: आप यह नहीं जानते कक मैं एक बाि बबगड जाऊं तो कफि दरु ु स्त मुज़श्कल से ही होता हूं. इसभलए ज्यादा कुछ न कह कि कुछ मोटी बातें आप से कहना चाहूंगा.
क्या आप मेिी इस बात पि यकीन किें गे कक दांतों की गंदगी ि बीमािी मुझ तक तक पहुंचकि मुझे संक्रभमत कि सकती है . मेिी कायध क्षमता प्रिावित हो जाती है , कुछ िी खाने ि पेय पीने के बाद कुल्ला कि मंह ु
साफ किना चाहहए जबकक हदन िि में दो समय दांतों की तनयभमत सफाई किनी चाहहए. आप ने भसगिे ट पीना कम कि हदया है , यह अच्छी बात है लेककन आप सडक पि आर् घंटे िी बाहि िहते हैं तो दो तीन भसगिे ट के बिाबि र्ंआ लील जाते हैं. ऐसे में आप भसगिे ट बंद ही क्यों नहीं कि दे त.े ु
जानते हैं इसके चलते मैं िायु स्फीतत का भशकाि हो सकता हूं. उफ्फ यह बड़ी ियंकि ज़स्थतत है जैसे ककसी गब्ु बािे में महीन छे द हो जाएं, ऐसे में
मैं न तो सांस पिू ी तिह िीति िख पाता हूं औि न ही मजबत ू ी से खींच
ही सकता हूं. यह मैडम जो लगाताि गिध तनिोर्क गोभलयां खाती जा िहीं हैं इन्हें चेताइये कही पल्मोनिी एंबॉभलज्म की भशकाि न हो जाएं, अजी िो
क्या भशकाि होंगी मुसीबत तो उनके फेफड़े की आयेगी न. फेफड़ों में खून का दौिान जाम हो जाएगा. हालांकक यह दस ू िे कई कािणों से िी हो सकता
है , उम्र बढना ,मोटापा, बड़ा ऑपिे शन, या हदल का बहुत बािीक दौिा, ककसी तिह से जमा खून यहां थक्का बन पहुंचा तो हुई मुसीबत. ऐसे में दस ू िों पि िश नहीं तो गोभलयों का विकल्प तो ढूंढ ही सकते हैं. सच मातनए
इसका तनदान औि इलाज दोनों बेहद कहठन हैं साथ ही इसे झेलना िी. मेिे दोनों हहस्सों के बीच में हदल िहता है . प्रत्येक हहस्से पि एक खझल्ली भलपटी िहती है ताकक फूलते औि भसकुड़ते िक्त िे बबना ककसी िगड़ के काम कि सकें. इस खझल्ली में गड़बड़ी हो जाने पि इसमें सूजन आ जाती है , ज़जसे सलुरिसी नामक िोग होना कहते हैं, समय समय पि मेिी खबि लेते िहें गे तो इसका समय िहते पता चल जाएगा. आसान इलाज हो जाएगा ििना फंस जाएंगे. कैं सि का आघात मुझ पि कई तिीके से होता है . ज्यादा आक्रामक है छोटे सेल काभसधनोमा इसे 'ओट सेल काभसधनोमा" िी कहा जाता है , इसका सीर्ा रिश्ता र्ूम्रपान से है , गैि छोटे सेल काभसधनोमा, यह आम हैं ये दो तिह के होते हैं पहला, स्क्िेमस सेल काभसधनोमा, परु ु षों में आम है औि यह िी
र्म्र ू पान से होता है . लेककन थोड़ा कम आक्रामक है . दस ू िा एर्डनोकाभसधनोमा. यह कैं सि की महहलाओं में सबसे आम औि जो लोग र्म्र ू पान नहीं किते उनमें िी हो सकता है . जाहहि है र्म्र ू पान मेिे भलए काल समान है .
कुछ व्यिसाय उनके स्थान, कायध की प्रकृतत औि िाताििण मेिे भलए
अधर्क खतिा बनते हैं; इससे मझ ु े बेतिह नक ु सान हो सकता है . कािखानों में , अभ्रक के बािीक के िे शों के बीच लंबे समय तक िहने उन्हें साँस के जरिए तनगलते िहने,कोयले की र्ूल सँूघने से गंिीि स्कारिंग औि फाइिोभसस हो जाता है , इसे एस्बेस्टॉभसस िी कहते हैं. खदानों, पत्थि, भमट्टी, कांच ढलाई कािखानों में काम किने िालों में भसलीकोभसस औि तपेहदक बीमारियों का खतिा बढ़ जाता है , जो िाित में बहुत आम है , विशेष रूप से सन, जूट जैसे िे शों के बीच या कपड़ा उद्योग से संबंधर्त
इकाइयों में काम किने िालों में बायोभसनोभसस या, हाईपिसेंभसहटविटी तनमोतनया का िी खूब दे खा जा िहा है . यहां पि कई कामगि अस्थमा तो कुछ कमधचािी िॉकाइहटस के भशकाि हो जाते हैं अब काम किना मजबूिी है पि सांस की तकलीफ तो तुिंत पता चलती है अगि पहले से ही विशेषज्ञ धचककत्सक को हदखा कि बचाि के तौि तिीके जान औि अपना भलए जाएं तो सांस जोखखम में क्यों पड़े लेककन नहीं, सेहत संबंर्ी फैसलेलेते समय, मेिे यानी फेफड़े के स्िास्थय की हमेशा ही उपेक्षा ही की जाती िही है . आई.आि.एस.) ने, दो साल पहले कैनकन, मेज़क्सको में (ऍफ़.‘ यतू नयन
40
िल्डध
िें फोिम फॉि इंटिनेशनल िे ज़स्पिे टािी सोसाईटी कॉन्फिें स ऑन
लंग
हे ल्थ’
में िषध
2010
को
‘ईयि ऑफ द लंग’ घोवषत ककया. पि उससे हुआ क्या. जन जगरूकता
तो िैसी की िैसी ही है . विश्ि िि में किोड़ों
व्यज़क्त
टी.बी., अस्थमा,
तनमोतनया, लंग कैं सि, एिम ् श्िास संबंर्ी अन्य जहटल बीमारियों से पीर्ड़त
हैं, जबकक
इन सिी िोगों का उपचाि एिम िोकथाम संिि है .
हि 18 सेकण्ड में टीबी से एक आदमी मिता है , प्रत्येक 15 सेकण्ड में एक बच्चा तनमोतनया का भशकाि होता है ; हि 13 सेकण्ड में एक व्यज़क्त र्ूम्रपान से पैदा बीमारियों के चलते मौत होती है . िास्ति में मेिे भलए तंबाकू सबसे मािक है ,इसके कािण विश्ि में 50 लाख मौतें हि बिस होती हैं, भसगिे ट पीने से, मेिी टी.बी. का खतिा दोगुना हो जाता है . तम्बाकू का
र्ुँआ, तनमोतनया का िी मुख्यकािण है . यहद तम्बाकू के साथ भलया जाय तो औि िी खिाब इससे टी. बी. का जोखखम औि िी बढ़ जाता है . दमे का िोग िी मेिे भलए चुनौती है . इसमें श्िासनली में सूजन आ जाती
है ,
ज़जसके कािण मैं बेहद भसकुड़ जाता हूं. मेिी कायध क्षमता बुिी तिह प्रिावित होती है .
जीभ
जब ु ान की जब ु ानी
जी, िो कहते हैं न, बद अच्छा बदनाम बुिा, िही बात मेिे साथ है . लोग कहते हैं मैं कतिनी कैं ची की तिह कचि कचि चलती हूं, कुछ ज्यादा ही बोलती हूं, दिअसल सोचता हदमाग है , मैं तो महज उस
सोच को आिाज दे ती हूं. अब ककसी का हदमाग दस ू िों से तेज चले तो उसके भलए मैं क्या करूं.
खैि, लोगों की जब ु ान है , जब ु ान को कौन पकड़ सकता है . जब ु ान को बहुत सोच समझ कि प्रयोग किें , जब ु ान की कमान से जो बात एक बाि तनकल
गई िह किी लौट नहीं सकती, कई बाि जब ु ान की गलती से भसि को जतू तयां खानी पड़ती हैं. यह सब दरु ु ान को जकड़ कि काबू ु स्त है पि जब में ही िखना चाहहए मैं इस बात की हहमायती नहीं. जुबान जंग कििाती
है तो जंग ज़जतिाती िी है . बेजब ु ान, चसु पे लोग ज़जंदगी में आगे हों कम
ही होता है . उधचत समय पि जब ु ान खोलना बेहद जरूिी है . नहीं, यह बात नहीं है , मैं आपकी जीि बोल िही हूं इसीभलए जब ु ान की तिफदािी नहीं
कि िही हूं. बस एक बाि सोच कि दे खखए आप कुछ कह िहे हैं औि पास खड़े लोग ठठा कि हं स पड़ते है क्योंकक आपके मंह ु से आिाज तो तनकल िही है पि िह क्या है ? आप क्या कहना चाहते हैं? िह उनके पल्ले नहीं पड़ िहा ततस पि आिाज िी बड़ी बेढंगी औि तुतलाती हुई. बबना मेिे इस्तेमाल के बोलने की जिा कोभशश कि के तो दे खखए.
आप के सामने तमाम तिह के लजीज व्यंजन सजे हुए हैं, सािे िस मौजूद
हैं, खािा, खट्टा, तीता, तीखा, मीठा, सबिस पि आपको ककसी िस की अनुिूतत नहीं होती. आप सब्जी के शोिबे में डूबे चमचे की तिह हो चुके हैं. आपका मनपसंद पकिान बेस्िाद है . आप को पता ही होगा कॉफी, शिाब, िाइन औि इसी तिह की चीजें टे स्ट किने िाले खास लोग ककतने किोड कमाते हैं औि जीिन िस का क्या क्या आनंद लेते हैं भसफध मेिी बदौलत. खान पान औि बतिस ही क्या लगेगा का जीिन सािा िस ही सूख गया. मेिे बबन आप जी तो लें गे पि िह जीना िी कोई जीना होगा क्या
?
सच तो यह है कक मैं ककसी हदन रूठ जाऊं, हहलने इंकाि कि दं ,ू जिा सा लड़खड़ा जाऊं, नखिे हदखाऊं सूज जाऊं तो शायद आपको मेिे होने का अहसास हो, पि मैं तो बबना ककसी अपेक्षा के अहतनधश आपकी सेिा में लगी िहती हूं, बबना भशकायत. इसीभलए मेिा कोई मोल नहीं. आज सोचती
हूं कक जब आपसे गफ् ु तगू शरू ु हुई ही है तो क्यों न मैं अपने बािे में थोड़ी बातें बता ही ड़ालंू शायद मेिे बािे में जानने के बाद मेिे बािे में आप का
नजरिया बदले औि मैं िी शिीि के बाकी अंगों की तिह ही आपकी वप्रय हो सकंू . यकीन जातनए मैं जब ु ान मेिा मतलब है बात छोटी ही िखंग ू ी. मंह ु के िीति मैं औसतन
10
सेमी या
4
इंच की एक पेशी हूं.
मेिा काम
िोजन को मंह ु के िीति इर्ि उर्ि घुमाना, स्िाद लेना औि उसका अनुिि हदमाग तक पहुंचाना, स्िि को तनयंबत्रत किना, साथ ही दांतों की सफाई
किते िहना िी मेिा अततरिक्त कायध है . मैं बेहद संिेदनशील हूं, खाने या पेय पदाथध के जिा सा गिम या ज्यादा सदध होने का मैं तुिंत पता दे ती हूं. मेिी संिेदनशीलता का काम काम कला के तनष्णात बेहति तिीके से जानते बखानते हैं.
धचककत्सक िी कहते हैं कक मेिे सबसे अगले हहस्से औि
उसके के नीचे का सब-भलंगुअल क्षेत्र ऐसी जगह है , ज़जसपि भशिाओं का घना जाल बबछा िहता है . कुछ खास तिह के त्िरित उपचाि में दिा यहां से ही दी जाती है . एंजाइना पेक्टोरिस, हदल के आशंककत दौिे या सीने के
ददध के िोधगयों में नाइरोज़ग्नलसिीन दे ने का यह आसान तथा प्रिािशाली तिीका है . हां, मैं बबना हड्डी की प्रकृतत की दस ू िी सिधश्रेष्ठ िचना हूं. हूं तो महज एक पेशी, पि यह बात इतनी सार्ािण नहीं है . मैं आठ विभिन्न पेभशयों का समूह हूं ज़जसमें से चाि हड्र्डयों से जुड़ी होती हैं चाि नहीं, ये चाि पेभशयां
मझ ु े जरूित के अनस ु ाि छोटा किने, चौड़ा, चपटा, संकिा, लंबा औि गोल किने या मोड़ने के काम आती हैं. मैं हि तिह के स्िाद पहचान सकंू औि आपको आस्िाद का शानदाि अनि ु ि दे सकंू इसके भलए मेिे ऊपि छोटे
छोटे उिािों िाले लगिग 10,000 स्िाद कभलकाएँ होती हैं. ये मल ू त: चाि अलग अलग तिह की होती हैं इनकी सहायता से मैं भसफध जीि मीठा,
खट्टा, नमकीन, तीखा औि चटपटा जैसे पांच मख् ु य स्िाद का ही नहीं मांस के स्िाद तथा िसा यानी चबी या तेल के विभशष्ट स्िाद का िी पता लगा सकती हूं. यह बात मझ ु े तो पहले से ही पता थी पि िैज्ञातनकों को अिी हाल ही में पता चली. जब खाना या पेय पदाथध मंह ु के िीति या मेिे संपकध में आता है तो उस का कुछ िाग जीि की लाि में घल ु जाता
है . ये घुले हुए कण स्िाद कभलकाओं की संिेदी कोभशकाओं के संिेदी िोमों
को छूते हैं तंबत्रकाओं के भसिे उनसे भमले संकेत को हदमाग तक पहुँच दे ते हैं. हदमाग हमें इन संकेतों को पढ कि स्िाद बता दे ता है .
जब से ढे ि सािे मेर्डकल टे स्ट किाने का जमाना आया तो यह कम हो गया पि पहले डॉक्टि के पास बैठे नहीं कक पहला आदे श होता था जीि हदखाओ, जीि हदखाओ. सबसे पहले मेिा ही नंबि आता था. यानी मैं कफट तो आप कफट. यानी मुझ पि ही उकेिी िहती सेहत की सािी दास्तान सच है ढे िों बीमारियों का पता मुझे सबसे पहले चल जाता है अब आप मुझ पि िोज िश किते ध्यान दे ते तो आपको पता िहता कक मेिी ज़स्थतत कब क्या है तथा उसके जरिए मैं क्या कह िही हूं तो आप बीमािी के बािे
में समय से सतकध हो जाते, न पिे शान होते न इतना िक्त औि पैसा इलाज में खचध होता. चभलए कुछ चीजें तो मैं आज ही बताए दे ती हूं- मझ ु े गौि से दे खखए. टाचध जला कि दे खखए शीशे में . मैं अगि, हल्की पीली सपाट औि अधर्क धचकनी हदखती हूं तो शिीि में आयिन की कमी है . अगि यह लाल हदख िही है
तो जरूि खान पान पि ध्यान हट गया है औि यहद मेिी िं ग स्रॉबिी सिीखा है , तो आपको स्कािलेट फीिि है . जीि पि सफेद र्ब्बे फीिि,
र्डहाइड्रेशन की तनशानी है या कफि ज्यादा र्म्र ू पान की दे न. मझ ु पि छोटे ि ददध किने िाले छाले तनाि, अिसाद, हामोनल बदलाि, एलजी, िायिस इंफेक्शन औि इम्यन ू र्डस ्ऑडधि, पेट औि लीिि की खिाबी से होते हैं. घबिाने की बात तब तक नहीं है जब तक कक मेिे ककसी एक तिफ कोई छाला या गांठ बड़ी न हो िही हो, ऐसा है तो इसे फौिन डॉक्टि को हदखाएं. यह कैं सि हो सकता है . एंहटबॉयोहटक का जमकि प्रयोग या कफि पिऑक्साइड िाला माउथिॉश खूब इस्तेमाल किने की िजह से आपको किी किी ऐसा महसूस होने लगेगा कक मुंह में में जहां जीि कफिाओ बाल हैं. यहद यह थ्रश जैसा कोई फंगल इंफेक्शन नहीं है तो कफि एंटी बायोहटक्स के है िीडोज या माउथ िाश के अततशय प्रयोग को कंरोल कीज़जए मैं ठीक हो जाऊंगी. आमतौि पि मुझमें हमेशा ही नमी बनी िहती है ऐसे में मुझ पि पि सूखापन महसूस किने का साफ मतलब है आपको र्डहाइड्रेशन यानी पनी की कमी है औि सलाइििी ग्नलैंड (थूक या लाि बनने िाली ग्रंधथ) में ज़रूि कोई गड़्बड़ी है . किी किी मेिा आकाि बबगड़ जाता, बढ़ जाता है . डॉक्टिों को इसे
मैक्रोग्नलोभसया कहते सुना है . यह थायोिाइड ि
हॉमोन से जुड़ी गड़बर्डयों का एक लक्षण है .
डॉक्टि तो क्या ज्योततषी िी हाथ के अलािा जीि दे ख कि बहुत कुछ
पता लगा लेते हैं. मैंने उन्हें कहते सुना है कक केिल मुझे दे खकि ककसी का ित ू , िविष्य औि ितधमान बता सकते हैं. मेिा लाल िं ग र्न, सख ु सवु िर्ाओं से संपन्नता का संकेत है तो सफेद गिीबी, तंगहाली की, काली जीि बीमािी का द्योतक है . खैि, उनकी बात िे ही जानें. मैंने ने तो यह दे खा है कक ज्यादा खाऊ होने औि चटोिपन सेहत के भलए ठीक नहीं औि
इसका सािा दोष मेिे मत्थे मढा जाता है . तो अब मैं आपको बता ही दं ू कक इसमें मेिा कोई दोष नहीं, यह तो आपकी पििरिश आदत आत्मानुशासन का दोष है िला मैं दोषी होती तो क्या खद ु अपने ही को खाने का स्िाद लगने दे ती. जी हां ढे िों लोग जायका चखने िाली मझ ु जीि को ही अपना जायका बनाए हुए हैं. कई जानििों की जीि मजे ले कि खाई जाती है .
बिटे न में गाय की जीि लोकवप्रय है तो अमेरिका के कोशि र्डभलकेटें स हॉट टॉन्ग सैंडविच खूब बबकता है . स्पेतनश,, चीन चेक रिपज़ब्लक, पूिी स्लाविक दे शों, पोलैंड औि मेज़क्सको में कई तिह के जानििों की जैसे गाय, सूिि, िेड़ बत्तख इतयाहद की जीि बेहद मंहगी बबकती है . यह यहां उबाल औि तल कि तथा विभिन्न तिह के व्यंजन बना कि खायी जाती है . नािे
तथा न्यूफाउं डलैंड में कॉड की
तली हुई जीि मछली के व्यंजनों में काफी आम है .
आप यह नहीं खाते
अच्छा किते हैं पि सबसे अच्छी बात तो तब होगी जब आप भसगिे ट, पान, तंबाकू सुिती, खैनी, तेज मसाले औि दारू िी छोड़ दें गे. बस मुंह की साफ सफाई िखें पालक, टमाटि खाएं, शिीि में लौह तत्ि यानी आयिन बनाए िखें , पेट औि लीिि गड़बड़ न होने दें . जब िी िश किें तो मुझ पि एक नजि डालें औि हि दस ू िे तीसिे हदन मुझे साफ किें , अगि मैं जिा सा िी
असमान्य हदखंू तो डॉक्टि को हदखाने में कोई कोताही न बितें . ठीक है , ठीक है जब ु ान का ज्यादा जब ु ान चलाना आपको बिु ा लगता है , उपदे श आपको िैसे िी पसंद नहीं.
पि मैं बस इतनी सी गज ु ारिश करूंगी कक,’
मेिा ख्याल िखखएगा तो फायदे में िहहएगा’ .
आखें
हम हैं तो ज़हािं भी है आंख है तो जहान है , आंख के बबना क्या जीना. अब ऐसा क्या कक आप बबना आंख के जी नहीं सकते, जरूि जी सकते हैं पि िो जीना िी कोई जीना होगा, लल्लू? सॉिी, मझ ु े ज्यादा इतिाने की आदत तो है नहीं पि इतना जरूि कहूंगी कक सािी दतु नया के साहहत्यकािों औि शायिों ने सबसे ज्यादा
कलम मुझ पि ही तोड़ी है ककसी ने मुझे कंिल कहा तो ककसी ने झील ही कह ड़ाला, ककसी ने पैमाना कहा तो बहुतों ने मुझे पूिा मयखाना ही बना ड़ाला. तीि तलिाि खंजि जाने क्या क्या कहा गया मुझे. ढे िों
मुहाििे लोकोज़क्तयां मुझ पि गढी गई, कहाितें बनीं क्या शिीि के ककसी िी दस ू िे अंग पि इतनी तिज्जो दी गई है , नहीं न. ज़ाहहि है दस ू िों के मुकाबले मेिी अहभमयत कहीं तो ज्यादा होगी. तमाम बड़ाइयों को सुनदे ख मैं इतिाने लगूं तो आप मग ृ नयनी की बजाए िें गी नयनी कहलाने
लगें गी. दिअस्ल मुझे अपने भलए दी जाने िाली शानदाि उपमा से ज्यादा उपादे यता पि गिध है . संद ु िता से कहीं ज्यादा सक्षमता पि विश्िास है . आप माने न माने मेिा मानना है कक मैं प्राकृततक की तकनीकक
कािीगिी का आश्चयधचककत किने िाला अप्रततम नमन ू ा हूं, ज़जतना कुछ िी दृश्य जगत है औि यहद िह आपके भलए साथधक है तो भसफध औि
भसफध मेिे बूते. यह सुिमई उजाला औि िे शमी अंर्ेिा, यह र्ूप- छांि ये िं ग बबिं गी छवियां सब मेिे ही चलते हैं. आप सोचती होंगी की यह मेिी गिोज़क्त है पि जिा हदमाग पि जोि दीज़जए मैं सच कह िही हूं. मुझे
घमंड़ ही किना होता तो मैं आए हदन अपनी अहभमयत जताती िहती पि अब आप ही सोधचए कक मैं ककतनी संयत हूं, शांततपूिक ध बबना कोई
अहसान जताए इतनी लो प्रोफाइल िह कि काम किती िहती हूं कक मेिे
इतना महत्िपूणध काम किने के बािजूद मेिे बािे में आप आखखि ककतना जानते हैं? सच मातनए,बहुत कम. चभलए आज मैं अपने बािे में कुछ आम-खास बातें बताती हूं.
थोड़ा टे क्नीकल हो जाऊं तो, मैं एक ऐसा उपकिण हूं जो प्रकाश को
पहचानती हूं औि उसे इलेक्रोकेभमकल इंपल्स या संिेगों में बदल कि
उसे न्यूिान या खास तंबत्रकाओं के जरिए एक संदेश के रूप में हदमाग
ं को रॉसभमट किती हूं. िस्तुओं का आकाि, िं ग तथा गतत औि िी तमाम
चीजों का सच्चा अहसास मेिे बबना कोई औि पिू ी तिह नहीं किा सकता. टे तनस टे बबल की बॉल सिीखी सफेद गोलाकाि संिचना हूं मैं जो खोपड़ी के दो ककंधचत गहिे कोटिों में र्ंसी िहती हूं. जिा शीशे को मेिे सामने लाईए,अब मैं हदख िही हूं न, मेिी पलकें, िौंहें , बिौतनयां सब हदख िही
होंगी. यह सब मझ ु े र्ल ू , र्आ ु ं चोट औि बाहिी हमले से बचाने के भलए हैं. आखखि बेहद नाजक ु ठहिी मैं. जिा तेज िोशनी में जाईए. पलकें कम खल ु ें गी, कोई दोस्त आपकी आंखों की तिफ उं गली लाए तो पलक तिु ं त झपक जाएगी. आप चाह कि िी मेिी पलकों को झक ु ा सकते हैं पि अनचाहे िी ये झपकती िहती है . पलकों, की धचलमन उठाकि के िीति झांककए यह मैं हूं. मेिा नेत्र गोलक िाला हहस्सा सफेद हहस्से पि हदखाई दे गा. मेिा सबसे बड़ा हहस्सा. यह स्कलेिा नामक कठोि चीज का बना हुआ है . इस पि
कुछ र्ारियां िी हदखाई दें गी पीली, थोड़ी लाल, यह िक्त नभलकाएं हैं जो यहां तक खून पहुंचाती हैं. इस गोलक पि गुंबद की तिह उििा पािदशी हहस्सा है इसे कॉतनधया कहते हैं. इसे आप दे ख नहीं पाओगी क्योंकक यह पूिी तिह पािदशी ऊतकों से तनभमधत है . साफ शफ्फाक शीशे की तिह. सबसे पहले प्रकाश इसी पि पड़ता है औि इसी के जरिए िीति जाता है . दतु नया को दे खने की खखड़की है यह. इसके ठीक पीछे होती है पुतली,
आंख का तािा या कहें आईरिस. यही तय किता है कक ककतना प्रकाश िीति जाना चाहहए ककतना नहीं. तेज प्रकाश में यह भसकुड़ कि छोटा हो
जाता है औि कम िोशनी में समुधचत प्रकाश िीति पहुंचे इसके भलए यह फैल जाता है . यह िं गीन हो सकता है ककसी की आंख में ििू ा तो ककसी का नीला िैसे काला तो सामान्य है ही. कॉतनधया औि आइरिस के बीच जो जगह होती है उसे एंटीरियि चेम्बि कहते है औि इसमें एक खास पािदशी तिल होता है जो मझ ु े िोजन उपलब्र् किाता है मझ ु े स्िस्थ िखता है .
इस िचना के ठीक बाद होता है लेंस. मेिा बेहद खास औि बड़े काम औि कमाल का हहस्सा. इसका काम होता है आइरिस से गज ु ि कि आए हुए प्रकाश को केंहद्रत किना औि उसे मेिे सबसे वपछले हहस्से या ज़जसे
लोग आंख का पदाध िी कहते हैं औि जो िे हटना के नाम से जाना जाता है , िहां िेजना. यह िी कक्रस्टलीन प्रोटीन का बना पिू ी तिह पािदशी, िं गिहहत होता है . यह कमाल का काम किता है , इसकी ज़जम्मेदािी प्रकाश को िे हटना पि केंहद्रत किने का है औि प्रकाश को एक बबंद ु या स्थान
विशेष पि केंहद्रत किने के भलए जरूिी है कक दिू ी का ध्यान िखा जाए,
अिी आप मेज पि िखी ककताब को तनहाि िहे है तुिंत बाद आप खखड़की से बाहि सुदिू दे खने लगते हैं दोनों ही ज़स्थततयों को सही सही हदखाना है तो मेिे लेंस को अपना आकाि बदलना पड़ेगा, नजदीक की चीज दे खने के भलए उसे मोटा औि दिू के भलए पतला होना होगा, पािदशी भसभलयि मांशपेभशयों से बना यह लें स यह काम इतनी फुती से किता है कक दतु नया की तीव्रतम मशीनें शिमा जाएं.
यह केंहद्रत प्रकाश िे हटना को िेजता है . यहां मेिे द्िािा दे खी गई चीज के उलटी तस्िीि बनती है यह तस्िीि क्या होती है इलेक्रॉकेभमकल िाषा में भलखा एक धचत्र संकेत समखझए. इस संकेत को मैं एक संिाद के रूप में िे हटना पि उपज़स्थत लाखों प्रकाश संिेदी कोभशकाओं के जरिए समझती हूं औि ठीक पीछे लगे ऑसटीकल निध के जरिए हदमाग में
िेजने का प्रबंर् कि दे ती हूं,अब बाकी का काम उसका है , िह जाने कक मैंने क्या दे खा, उस पि क्या प्रततकक्रया उधचत है . मेिा काम अब यहीं खत्म होता है .
पि यह सब कुछ इतना आसान िी नहीं है . जिा नमन ू ा दे खखए, िे हटना
पि बनी कोई तस्िीि िं गीन है या श्िेत श्याम इसका तनर्ाधिण किने के भलए िे हटना के पास ड़ंडे (िॉड) औि शंकु (कोन) के आकाि की िचनाओं
का एक बड़ा समह ू होता है .ये प्रकाश का प्रसंस्किण किती हैं. हि व्यज़क्त की आंख में इन कोन या शंकु के आकाि की िचनाओं की संख्या
70
लाख औि डंडेनुमा संिचना या िॉड की संख्या एक किोड़ बीस लाख होती है . िॉडस काले सफेद हहस्से को औि कोन िं गीन हहस्से के तनर्ाधिण में मदद किते हैं. कोन खास तीन तिह के होते है , मोटे तौि पि इन्हें ग्रीन, िे ड, ब्ल्यू . इन्हीं के संयोजन से िे श्िेत श्याम के लाखों शेड बनाते है औि किोडों िं गीन कंबीनेशन या संयोजन को समझते पहचानते हैं. एक चीज तो मैं बताना िूल ही गई. मेिा जो सबसे बड़ा हहस्सा है िह है विहरयस बॉडी यह मेिे पूिे आकाि का दो ततहाई िाग होता है तथा विहरयस र्हयूमि नामक एक द्रि से ििा होता है जो शूगि, साल्ट कुछ खास तिह के प्रोटीन औि दस ू िे िसायनों
के साथ पानी भमधश्रत एक जेलीनुमा संिचना होती है . इससे मुझे आकाि भमलता है , यह बाहिी हमलों से लड़ने में मदद दे ती है औि लें स से द्िािा कंहद्रत होने के बाद प्रकाश इसी माध्यम से हो कि गुजिता हुआ िे हटना पि पड़ता है . एक बात औि ककसकी आंख ककतनी तेज है औि िह
ककतनी बािीक चीज दे ख लेगी इसका तनर्ाधिण साइककल पि र्डग्री के अंक से आंका जाता है , कम ही जानिि हैं जो मनुष्य की बिाबिी किें
घोड़े जैसे कुछ जानिि किते िी है पि कफि िी मनष्ु य की आंखे सिधश्रेष्ठ हैं.
सही बात तो यह है कक सब की जरूित के मुताबबक प्रकृतत ने उन्हें
आंखें बख्शी हैं, ककसी को अंर्ेिे में दे खना है तो ककसी को पानी में , ककसी को सामने दे खना है तो ककसी को साइड में तो ककसी को चहुंओि. इस
आर्ाि पि िगीकृत किें तो दस तिह की आंखों का तनर्ाधिण िैज्ञातनकों
ने ककया है . औि सबकी अपने अपनी चककत कि दे ने िाली विषेषताएं हैं लेककन सिी कुछ भमला जुला कि दे खें तो मनुष्य की आंखें प्रकृतत की
अनुपम उपहाि हैं. जाहहि है उपहाि संजो कि िखने के भलए होते हैं इस भलए आप िी मुझे जिा संिाल कि िखें .