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(پی ایچ ڈی امریکہ)
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हाल ए दिल: दहरन और जानवरों के शिकारी ज़रूर पढ़ें !
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जो मैं ने िे खा सन ु ा और सोचा
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एडिटर के क़लम से
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मैं अपने आप को सेहरा नश ीं कहूँ या सेहरा गर्द बहर हाल व रानों, तन्हाइयों और उन जगहों पर जहाूँ इींसान ज़िन्र्ग नह ीं हर तरफ़ ह का आलम है मुझे कुछ नह ीं बज़कक कुछ ज़्यार्ा ह उन
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जगहों से प्यार, मह ु ब्बत, उकफ़त और शशनासाई है । जाता हूँ और बहुत जाता हूँ । सेहेराओीं में कह ीं र्र ऐस जगह जहाूँ इींसान नह ीं होते ता हद्दे निर रे त ह रे त---- ट ले ह ट ले हाूँ----
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सदर्यों आबार् क़ुर्रु त तालाबों (टोबों) पर आबार् वो सेहरा नश न जो नस्ल र्र नस्ल यहाूँ रह
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रहे हैं ज़जन्हें अभ तक जर् र् मुआशरे की वो तहि ब, ख़श्ु ब, हवाएीं और बेवफ़ाई नह ीं पोहीं च ।
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उन बार्ह नश नों के र्रम्यान बैठ कर हक़ और ह की आवािें जब दर्ल से ननकलत हैं तो दर्ल
पक ु ार उठता है कक िरद ह िरद ह उस हक़ और आवािे दर्ल का साथ र्े रहा है बज़कक िरद ह िरद ह भ उस आवाि में मेरे साथ शाशमल है । व रानों ने मुझे कुछ पैग़ाम दर्ए वो पैग़ाम किर मैं
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आबादर्यों में आ कर अपने र्सद में बबकमुशाफ़ा और ग़ायबाना यानन इींटरनेट के िररये भ पर र्न्ु या तक पोहीं चाता हूँ और वो आवािें लोग बहुत दर्लचस्प से सुनते हैं। उन में सबक़ भ ,
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मज़न्िल भ , रास्ता भ और इब्रत भ ---- अगर बात इब्रत की चल तो एक बात बताता चलूँ मैं
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पाककस्तान सेहेराओीं की उन पदियों तक जाता हूँ जहाूँ शसवाए पररींर्ों शशकार और दहरन के शशकार के और कोई ि रूह जा नह ीं सकता। मेरे पास शशकाररयों के बेशुमार वाक़्यात हैं एक नह ीं कई---- क्योंकक इींसान जब शशकार के शलए बींर्क़ ताने रात के अूँधेरे में ताक़तवर ज पों के िररये सेहरा में गदर्द श कर रहा होता है , उस की आूँखों में शशकार के नशे की एक पि होत है जो उस वक़्त खल ु त है जब तड़पता हुआ दहरन उस के सामने होता है और उसकी बाछें िट हुई होत हैं, उसकी आूँखों में चमक होत है लेककन उस वक़्त उस दहरन की आूँखों की चमक िाइल हो चक ु ी होत है , जात वो चमक एक पैग़ाम िरूर र्े त है कक तुझे ख़्याल आया--- कक त ने Page 2 of 26
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शसफ़द ये शशकार िरूरत के शलए नह ीं ख़्वादहश के शलए ककया है । हाूँ! मैं शशकार को हराम नह ीं कहता लेककन िरूरत और ख़्वादहश के शशकार में फ़क़द है और बेशुमार शशकार गाइड मुझे ऐसे शमले, ककतने लोगों को फ़ाशलज हुआ, ककतनों की टाींगें कट ीं, अक्सर अींधे हो जाते हैं और ककतने ऐसे थे जो अरब पत थे आज वो फ़क़ीर हैं। मुझे ख़र् ु शशकाररयों ने और उन के गाइडों ने ये
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बात बताई कक जब गोल चलत है तो गोल ये नह ीं र्े खत कक सामने दहरन हैं या दहरन--हामला है या बच्चों को र्ध प्लाने वाल । बस गोल चलत है ---- और ये उस िख़्म दहरन पर
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र्ौड़ता है और जा कर उस की गर्द न पर िब ह के नाम पर छुर चलाता है लेककन उस के अींर्र
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से ननकलने वाल आह ज़जस के बच्चे माूँ के र्ध के प्यासे या किर ज़जस का पेट जब चाक करते हैं अींर्र से बच्चे जो उनके ककस काम के नह ीं होते वो तड़पते तड़पते उन के सामने मर जाते हैं
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क्या उन्हें कोई पैग़ाम नह ीं शमलता, उन्हें शमले ना शमले अशद वाले को एक पैग़ाम र्े कर ये बेठे उनकी बोदटयाूँ नोच रहे होते हैं और हर बोट का िरद ह िरद ह पुकार रहा होता है कक ख़्याल कर
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तेर कक़स्मत के फ़ैसले बर्ल चक ु े हैं, तेरा नस ब अूँधेर रात में खो रहा, तेर चाींर्न डब गय है ,
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तेर र्ौलत नछन गय है , तेर सेहत को िवाल आ गया है और ऐसा होता है मेरे क़र ब के
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ररश्तेर्ार ज़जस को दर्न रात बस शशकार का शौक़ था, वो बड़े बड़े अफ़्सरों को दहरन के बच्चे
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र्े ना और उनको गगफ़्ट करना अपने शलए एअिाि समझता था मुझे पता है आज वो एक कराये के मकान में ननहायत ज़िकलत की ज़िन्र्ग गुिार रहा बज़कक पपछले दर्नों वो एक कराये के
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मोटर साइककल पर जा रहा था क़िद लेने वालों ने मोटर साइककल पकड़ ल उसे थप्पड़ मारे
उसका मोटर साइककल रख शलया बहुत लोगों ने उसको र्े खा और सन ु ा एक बार मैं ने ख़र् ु उसे
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कहा बहुत और मश्ग़ल ु े पड़े हैं ये दहरन मारने का माश्ग़ल ु ा छोड़ र्े । मेर बात को ननहायत
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ज़िकलत आमेि मिाक़ के साथ उसने हवाओीं में उड़ा दर्या। मैं ख़ामोश हो गया लेककन वक़्त
ख़ामोश ना हुआ वक़्त के धारे बर्कते गए और छाओीं धप ु में हत्ता कक ऐस धप ु कड़ धप ु ज़जस धप ु में दहरनों की आहें , उनके बच्चों की शससककयाूँ, उनकी प्यासें, रे त में तड़पना, उस के क़हक़हे , उसकी हड्डडयाीं चबाने की आवािें, गोश्त नोचने की कैकफ़य्यत---- ये सब कुछ इस धप ु में शाशमल थे लेककन कुछ ह अरसे के बार् इस धप ु ने र्े खा और आस्माीं ने इस की गवाह र् ये शससक शससक कर रोया, ये बबलक बबलक कर तड़पा लेककन उसे दहरन की माूँ, दहरन के बच्चों और ख़र् ु दहरन की शससककयाूँ सुनाई ना र् ीं। ए काश! उस को पहले समझ आ जात मुझे Page 3 of 26
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ककतने लोग ऐसे शमले ज़जन की टाींगें कट ,ीं बिादहर ककस ब मार के नाम पर लेककन बुन्यार् उस दहरन की शससककयाूँ, तड़प और चभ ु न थ । वो आक़ा मर् ने वाले ﷺका वाक़्या यार् आया कक ककस ने दहरन को पकड़ कर र्रख़्त के न चे बाूँधा हुआ था और मर् ने वाले ﷺने र्र से या रसलकलाह ﷺया रसलकलाह ﷺया रसलकलाह ﷺकी आवाि सुन । आप ﷺतशर फ़ ले गए। इस
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वाक़्या का मफ़हम है उस दहरन ने अिद ककया आप ﷺमुझे छोड़ र्ें मैं बच्चों को र्ध पपला कर वापस आ जाउीं ग आप ﷺने पछा अगर त वापस ना आई तो दहरन ने कहा मुझे वो सिा र्
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जाये जो टै क्स वालों को क़यामत के दर्न शमले। मैं जब भ सेहेराओीं में जाता हूँ, मुझे वो सिा
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यार् आत है किर वहाीं मक़ाम लोग मझ ु े वाक़्यात सन ु ाते हैं। शशकार लोग जो मझ ु े र्र्द भर
कहाननयाीं सन ु ाते हैं मझ ु े है रत होत है कक हमें र्सरों के अींजाम से इब्रत आख़ख़र क्यूँ नह ीं होत ?
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र्सरों का अींजाम आख़ख़र क्यूँ भल जाते हैं? क्या शौक़ और इश्क़ आूँखों पर पि डाल र्े ते हैं?
अगर जाइि तर क़ों से शौक़ है तो मैं इस का ख़र् ु रवा हूँ लेककन मेर र्रख़्वास्त है ना शसस्काएूँ,
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ना तड़पायें कोई और जाइि शौक़ पुरे कर लें। लेककन---! जानवरों का शशकार और दहरन के
शशकार को शौक़ ना बनायें। वरना अशी फ़ैसले तेरे ख़ख़लाफ़ हो जायेंगे, फ़शी ननिाम तझ ु पर
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शसमट जाये गा। र्न्ु या तझ ु से रूठ जायेग , इज़्ित को खो बेठे गा, शह ु रत से गम् ु नाम में और गुम्नाम से ज़िकलत की तरफ़ तेरे क़र्म उठना शरू ु हो जायेंगे। आ---! जकर् कर अपन सोचों
को बर्ल, अपन सोचों और जज़्बों को बर्ल। मैं बअि औक़ात ककस रास्ते से गुिरता हूँ ,
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बिादहर कुछ निर नह ीं आता लेककन मुझे कानों में कुछ शससककयाीं महसस होत हैं, मैं इधर
उधर र्े खता हूँ कुछ नह ीं होता लेककन मेरा पवजर्ाीं और मेरे दर्ल की आवाि मझ ु े इस का जवाब
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र्े त है ये ककस ऐस हामला दहरन की शससककयाूँ हैं या ककस ऐस र्ध पपलाने वाल दहरन की
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आहें हैं जो ननकल थ बच्चों की ख़ोराक के शलए कक कुछ पान और घास खा कर किर जा कर उन्हें र्ध पपलाऊींग और ककस शशकार की अींध गोल का शशकार बन गय और वो तड़पते
तड़पते अपन आहों और बेिुबान बर् र्आ ु ओीं के िररये इस गोल मारने और शौक़ से सरशार शख़्स का नस ब डुबो गय । तो क्या ख़्याल है ----!!! नस ब बचाना है या डुबोना है --माहनामा अबक़र अप्रैल 2015 शुमारा नींबर 106__________________________________Page 3 Page 4 of 26
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िसस रूहाननयत व अम्न सवसरर करीम ﷺकी उँ गशलयों से ननक्ला पानी अफ़्ज़ल तरीन:
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िैख़ुल वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मह ु म्मि ताररक़ महमि ू मज्ज़ूबी चग़ ु ताई دامت برکاتہم
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हफ़्तवार िसस से इक़्तबास
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मुनाफ़फ़क़ीन की मुनाफ़फ़क़त के बाि सहाबा رضی ہللا عنہمका इश्क़: अचानक तबक के शलए ज़जहार् का
हुक्म जार हो गया---! इस में अक़ल वालों के शलए एक नुक्ता है ---! इश्क़ वालों के शलए एक कैकफ़य्यत है -
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--! पर र् वानों के शलए एक दर्ल लग है ---! जो हर हाल में और हर कैकफ़य्यत में चलेगा, दर्ल माने या ना माने तब अत चाहे या ना चाहे , ररज़्क़, हालात, कारोबार, सेहत और तब अत इजाित र्े या ना र्े जो हर
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हाल में और हर कैकफ़य्यत में अकलाह और उस के रसल ﷺकी बताई हुई ज़िन्र्ग पर चलेगा, उसे
अकलाह जकल शानुह कभ महरूम नह ीं फ़मादएूँगे---! अकलाह सुब्हान व तआला ना शसफ़द उसे बज़कक उस फ़मादते रहें गे और ये अकलाह का अिल से वार्ा है ।
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की नस्लों को भ पालेंगे। और उसके ररज़्क़ व सेहत में बरकत और इज़्ित व रूहाननयत में हमेशा इिाफ़ा
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भूके प्यासे सहाबी رضی ہللا عنہ: सहाबा कराम رضوان ہللا تعالی علیھم اجمعینककमा हक़ के शलए जौक़ र्र जौक़ ननक्ले, जो थोड़ा बहुत सामाने सफ़र था वो ख़त्म हो गया, कैकफ़य्यत ये हो गय कक सहाबा कराम
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رضوان ہللا تعالی علیھم اجمعینका भक और प्यास के सबब बरु ा हाल हो चक ु ा था, सहाबा कराम की क़ीमत
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ज़िन्र्गगयों को बचाने की ख़ानतर एक ऊूँट िबह ककया गया। उसकी ओझड़ ननकाल और उस ओझड़ को
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ननचोड़ कर उस से गन्र्ा बर्बर्ार पान ननकाला और उस पान को प या। उमर رضی ہللا عنہकी शसफ़ाररि और सवसरर कौनैन ﷺकी िफ़क़त: हिरत उमर फ़ारूक़ رضی ہللا عنہ फ़ौरन नब कर म ﷺकी ख़ख़र्मत में हाज़िर हुए अिद ककया कक या रसलकलाह ﷺअब तो अकलाह की मर्र् के शलए र्आ ु फ़मादएूँ! भक और प्यास की कैकफ़य्यत ने मज ु ादहर् न को बर् हाल कर दर्या है । तो आप ﷺने फ़मादया अच्छा ऐसा करो सहाबा कराम رضوان ہللا تعالی علیھم اجمعینमें ज़जस के पास जो कुछ भ है वो सब लाओ और यहाूँ ला कर ढे र लगाओ। ककस के पास से सखा टुकड़ा शमला, ककस के पास Page 5 of 26
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से एक खजर शमल , ककस से पन र का टुकड़ा शमला इस तरह करते करते वो गग़िा का एक छोटा सा ढे र बन गया। मश्कीिों के एक एक घूँट पान को जमा करने से बतदन में इतना पान हो गया कक आप ﷺके हाथ से ऊपर हो गया। आप ﷺने उूँ गशलयाूँ उठाईं और उूँ गशलयों से पान के चश्मे बह ननक्ले, जो ख़ोराक का ढे र जमा ककया था ज़जस में पन र, खजर और रोट थ , उन सब को चार्र से ढाींप दर्या और
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किर नब कर म ﷺने फ़मादया कक एक एक कर के आओ और आ कर इस ढे र से अपन अपन झोशलयाूँ भर लो, हर एक ने अपन बसात से बढ़ कर शलया। मझ ु जेसे कुछ मर ि लोग ज़्यार्ा लेने वाले भ होते थे,
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सहाबा رضوان ہللا تعالی علیھم اجمعینतो वेसे भ सारे इश्क़ के मर ि थे, अकलाह की इबार्त में , रसलकलाह
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ﷺकी मुहब्बत में , अकलाह के तअकलुक़ में और कम्ल वाले ﷺकी अता में कक ये बरकत वाल
ख़ोराक और ये रसलकलाह ﷺकी उूँ गशलयों से ननक्ला हुआ पान जाने किर नस ब हो या ना हो, वो
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भरते ह चले गए! उधर पान से मशकीिे भ भरे जा रहे हैं, जानवरों को भ पपलाया जा रहा है और कुछ
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पान िख़ रा भ ककया जा रहा है!
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अफ़्िल तर न पान सवदरर कौनैन ﷺकी उूँ गशलयों से ननक्ला हुआ पान है: अक्सर उलमा शलखते हैं
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र्न्ु या का सब से बेह्तर न अफ़्िल और मुतबर्रदक पान वह पान है जो मेरे आक़ा मुबारक ﷺके हाथ
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मब ु ारक से ननक्ला है । सोचो तो सह इतन वफ़ाएीं करने वाले हब ब ﷺऔर उन के साथ हम इस तरह से बढ़ कर कोन बेअक़ल होगा?
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बेवफ़ाई करें ! उन की बताई हुई राहों को छोड़ कर अलग राहों में हम अपन काम्याब याीं तलाश करें तो हम
िजर व हजर जजन के इिारों पर अमल करें : सवदरर कौनैन ﷺतशर फ़ ले जा रहे थे, हिरत
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जाबबर رضی ہللا عنہसे फ़मादया: जाबबर رضی ہللا عنہमझ ु े हाजत के शलए जाना है यहाूँ कोई ओढ़ नह ीं है ,
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सामने जो झाडड़याूँ हैं उनको जा कर कह र्ो कक अकलाह के नब ﷺके शलए ओढ़ बनाओ, आप ﷺने इतना ह फ़मादया। हिरत जाबबर رضی ہللا عنہने उन झाडड़यों के पास जा कर ये पैग़ाम दर्या, अकलाहु अक्बर! आज भ आसमान गवाह है , उन झाडड़यों को चश्मे फ़लक ने र्े खा वो झाडड़याूँ ऐसे चलत हुई आईं और सार झाडड़यों ने सवदरर कौनैन ﷺके शलए ओढ़ बनाई और आप ﷺने तक़ािा फ़मादया और जब आप ﷺतशर फ़ ले गए तो सार झाडड़याूँ हट ीं वापस अपन जगह पर जा कर िम न में पेवस्त हो गय ीं। Page 6 of 26
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टहनी का पैग़म्बरे इस्लाम की िहाित का इक़रार: एक बद्द आ रहा था, आप ﷺने उस बद्द से फ़मादया त मुझ पर ईमान नह ीं लाता और फ़मादया कक सामने र्रख़्त की जो टहन है अगर वो अपन शाख़ से कट कर चलत हुई यहाूँ मेरे पास आये और मेर ररसालत और नुबुव्वत की गवाह र्े र्े तो क्या तुम ईमान ले आओ गे? बद्द ने जवाब दर्या कक हाूँ मैं आप पर ईमान ले आऊींगा। आप ﷺने उस टहन को ऊूँगल से
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इशारा फ़मादया तो अकलाह के अमर से वो टहन अपन शाख़ से जुर्ा हो कर चलत हुई आप ﷺके पास आई, िम न च रत हुई आई और आप ﷺने पछा मैं कोन हूँ? उस टहन ने आप ﷺकी नुबुव्वत की
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गवाह र् कक आप आख़र नब ﷺहैं, आप ﷺने र्ब ु ारह पछा मैं कौन हूँ? किर उसने आप ﷺकी
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और शसफ़्फ़त बयान की और नुबुव्वत की गवाह र् , आप ﷺने किर पछा मैं कौन हूँ ? उसने आपकी
त सर शसफ़्फ़त बयान की और नुबुव्वत की गवाह र् , आप ﷺने बद्द से फ़मादया कक अब त मान गया?
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ला शर क लह व अशहर् ु अन्न मह ु म्मर्न अब्र्हु व रसलह ु
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ُ ُٗ ًَ ُ ََ ُ َْ َ َ ْ َ ََٗ َُْ َ َٰ َ َْ َُ َْ ک ل ٗہ َواش َھد ان ُمَمد َع ْبدہ َو َر ُس ْول ٗہ َشی ِ اشھدان َل اٖ لہ اَِلہّٰللا وحدہ َل
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वो टहन अभ वह ीँ खड़ थ । उस बद्द ने इक़रार करते हुए कहा: "अशहर् ु अकला इलाह इकलकलाहु वह्र्ह
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आप ﷺने टहन को हुक्म फ़मादया कक चल जाओ वो टहन वेसे चलत हुई गय और वेसे ह उस
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र्रख़्त से लग गय , ना जोड़ ना झोल, पता ह ना चला कक टहन कहाूँ से टट थ । ऐस मुहब्बत करने
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वाले हब ब ﷺके साथ बेवफ़ाई करने को जाने ये दर्ल कैसे मान जाता है ! (जार है )
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िसस से फ़ैज़ पाने वाले
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माहनामा अबक़र अप्रैल 2015 शम ु ारा नींबर 106_________________________Page 4
मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! अकलाह तआला आप पर करोड़ों रहमतें नाज़िल करे , आप के अहल व अयाल पर, आप के मख़ ु शलस न पर करोड़ों रहमतें नाज़िल करे । आम न! आप ने हम जेसे गन ु ाहगारों को अकलाह से शमलाया और आप की वजह से हमारा अकलाह से मिबत तअकलक़ ु बना। र्सद में आने के बार् दर्ल के हालात बर्ल गए, अकलाह तआला से बातें करने में लत्ु फ़ आने लगा। आप ने एक र्सद में शक्र ु करने का बताया। सर के बालों से ले कर पाऊूँ के नाख़ुनों तक अकलाह का शक्र ु अर्ा ककया, शक्र ु से वो मिा आया कक जो पहले कभ ना आया, बस दर्ल कर रहा था बेठी रहूँ और अकलाह का शक्र ु अर्ा करत रहूँ, अकलाह का एहसान करत रहूँ, मेरे अकलाह का Page 7 of 26
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ककतना एहसान है कक उस ने र्सद की बरकत से मेर गन ु ेहगार िबान को अपना ज़िक्र करने की तौफ़ीक़ बख़्श । मैं तो शक्र ु अर्ा कर ह नह ीं सकत । मैं तो खोटा शसक्का थ आप के र्रूस ने मझ ु े पोशलश ककया। आप के र्सद मेरे दर्ल को पोशलश कर रहे हैं। मेर मरहमा माूँ का शकु क्रया जो हमें तस्ब ह ख़ाना से जोड़ गय । हमारे घर के बहुत से मसाइल र्सद सन् ु ने की बरकत से हल हो रहे हैं, ररज़्क़ के मसाइल हल हो रहे हैं। अकहम्र्शु लकलाह! र्सद की बरकत से
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हम ख़ुशहाल की जाननब गामिन हैं। ( आसमा)
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हिरत हकीम साहब دامت برکاتہمके साथ रमिान के फ़ायर्ै
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मेने पपछला रमिान सारा तस्ब ह ख़ाना में गुिारा है और दहर्ायत को पाया है , आप के क़र ब रह कर मैं अब बहुत पुरसुकन हूँ ।
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अपने अींर्र अकलाह और नब ﷺके इश्क़ का जुनन समाया है । मेर बहुत स परे शाननयाीं हल हुईं और
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तस्बीह ख़ाना में आमाल का पता चला:
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मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! अकलाह तआला आप को सार र्न्ु या के सारे इींसानों और
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ज़जन्नों की दहर्ायत का िर या बनाये। आम न! अकहम्र्शु लकलाह गुिश्ता रमिान-उल-मुबारक भ
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तस्ब ह ख़ाना में गुिारा और अपने वक़्त को बहुत ज़्यार्ा क़ीमत बना शलया। आमाल ककये तो आप के र्सों में उन की क़ीमत का पता चला, ज़जस वजह से अमल करना आसान हुआ, ये सब आप की बरकत है ।
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रमिान-उल-मुबारक में रोिाना एक पारह नवाकफ़ल और तसब हात का एहतमाम रहा था। तसब हात ज़िक्र जहर , ख़फ़ी, सरह यास न, एक पारह नतलावत, मरु ाक़बा ता र्म तहर र (अब तक) बराबर जार है ।
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रमिान में आप के हाूँ जो खाना शमलता था वो बहुत ह लि ि था, बक़ोल आपके "सार्ह मगर कुशार्ह"
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मैं उम्म र् करता हूँ कक ये सार्ग और कुशार्ग हमेशा क़ाइम रहे ग । मेने गुिश्ता और इस से पहले
रमिान में अफ़्तार के बार् ककस को क़ै करते या ज़्यार्ा र्ध प ने की वजह से ब मार होते या तब अत की ख़राब का ज़िक्र करते नह ीं सुना जब कक कुछ लोग आप से अफ़्तार के वक़्त समोसे, पकोड़े की रे ढ़ लगाने की इजाित माींग रहे थे आप ने इजाित नह ीं र् । रमिान-उल-मब ु ारक में ज़जस तरह आप ने हमारा ज़जस्मान गग़िा और रूहान गग़िा का ख़्याल रखा था हम सब आप के मशकर हैं। (ख़ाशलर् महमर् खोसा, डेरा ग़ाि ख़ान)
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तस्बीह ख़ाना में अल्लाह और नबी ﷺका इश्क़ पा शलया: मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! अकलाह आप को और आप की नस्लों को हमेशा ख़श ु रखे और हमेशा राि रहे और इींसाननयत की दहर्ायत का िर या बनाये रखे, आम न।
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अकलाह रब्बल ु इज़्ित हिरत ख़्वाजा सय्यर् मह ु म्मर् अब्र्क ु लाह दहज्वेर رحمت ہللا علیہकी क़ब्र पर करोड़ों रहमतें नाज़िल फ़मादये और जन्नतुल कफ़रर्ौस में आला तर न मक़ाम अता फ़मादये और नब कर म
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ﷺका साथ नस ब फ़मादये। मैं ने पपछला रमिान सारा तस्ब ह ख़ाना में गुिारा है और दहर्ायत को बहुत स परे शाननयाीं हल हुईं और मैं अब बहुत पुरसुकन हूँ । ( मुहम्मर् शोएब, लाहौर)
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तस्बीह ख़ाना की बरकत, घर और रोज़गार शमल गया:
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पाया है, आप के क़र ब रह कर अपने अींर्र अकलाह और नब ﷺके इश्क़ का जुनन समाया है । मेर
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मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! अकलाह पाक आप को सेहत अता फ़मादये और काम्याब याीं
अता फ़मादये। मोहतरम हकीम साहब! मैं अरसा ६ माह से बेरोिगार था। इस र्ौरान रमिान आ गया तो
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मैं ने रमिान तस्ब ह ख़ाना में गुिारा, ख़ब इबार्ात हुईं, अकलाह से रो रो कर माूँगा। जो र्आ ु एीं माींग ीं ईर् के फ़ौर बार् उन की क़ुबशलयत के आसार निर आना शुरू हो गए। मुझे मेरे घर के क़र ब ह बेह्तर न नोकर शमल गय ज़जस की मुझे उम्म र् ह ना थ । मेरा घर छोटा था, अकलाह ने मुझे १४ मले का वस अ
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और कुशार्ाह घर दर्या। मेरे र्ो बच्चों का स्कल र्ाख़्ला का मसला था, अकहम्र्शु लकलाह इस वक़्त ड एच
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शुजाअत अल , लाहौर)
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मेरी रमज़ान कैफ़फ़य्यात:
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ए के बेह्तर न स्कल में र्ाख़्ला शमल गया है । ये सब तस्ब ह ख़ाना में माींग गय र्आ ु ओीं का नत जा है । (
मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! गुिश्ता रमिान मैं ने तस्ब ह ख़ाना में गुिारा, ये रमिान ज़िन्र्ग का बेह्तर न रमिान गि ु रा, इस से पहले अक्सर रमिान-उल-मब ु ारक में मझ ु से गन ु ाह हो जाते थे, इस रमिान में अकलाह पाक ने आूँखों के गन ु ाह से महफ़ि रखा ज़जस की बरकत से मैं बाक़ी गन ु ाहों से भ महफ़ि रहा। तस्ब ह ख़ाना में रह कर कई बार आप की ख़्वाब में ज़्यारत की। २४ रमिान को तब अत बहुत ज़्यार्ा ख़राब, सर में इतना शर् र् र्र्द कक सज्र्ा भ नह ीं ककया जा रहा था, िुहर की नमाि के बार् Page 9 of 26
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ताल म में शाशमल ना हो सका, ऊपर वाल मींज़िल पर जा कर सो गया, असर पढ़ , ज़िक्र ख़ास में भ शाशमल ना हुआ, तब अत अज ब स हो रह थ , हमारे फ़्लोर पर एक अस्स साल के बुिुगद थे, अकलाह ने उनकी ख़ख़र्मत की सआर्त र् , उनके कपड़े धोने चला गया, धोने बेठा ह था कक अचानक अकलाह से बातें करने लग गया, ऐस कैकफ़य्यत बन जो ज़िक्र ख़ास में र्आ ु के वक़्त बनत है । किर अकलाह से
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कहने लगा या अकलाह! मैं बेबस हूँ, त बेबस नह ीं। आूँखों से आींस जार थे र्े र तक रोता रहा, किर अकलाह पाक ने शशफ़ा अता फ़माद र् । अब ऐसे महसस होता है जैसे अकलाह ने बहुत कुछ अता कर दर्या है । मेरा
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मौला ककस को ख़ाल हाथ नह ीं लौटाता। सब को झोशलयाूँ भर भर कर र्े ता है , हमारे गुमान से भ ज़्यार्ा।
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( जल ल अहमर्, है र्रआबार्)
माहनामा अबक़र अप्रैल 2015 शुमारा नींबर
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खाने के बाि थोड़ा सा गुड़ फ़िर कमाल िे खें:
क़ाररईन! आप के शलए क़ीमत मोत चन ु कर लाता हूँ और छुपाता नह ,ीं आप भ सख़ बनें और िरूर
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शलखें (एडडटर हकीम मुहम्मर् ताररक़ महमर् मज्िब चग़ ु ताई)
परु ान र त रवायतें ज़िन्र्ग के अींर्ाि चाल चलन सब ख़त्म हुए, नई डडशें, नए खाने और नए िाइक़ै
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िबान ने जब चखे एहतजाज तो बहुत ककया--- पर हम कहाूँ मानने वाले थे और किर मैर्े ने भ एहतजाज
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ककया--- तेिाबबयत, गैस, तबख़ र, पेट का बढ़ना, मोटापा, कोलेस्रोल और ख़तरनाक अनोख ब माररयों
की शक्ल में --- हम किर भ ना माने--- नए अनोखे िाइक़ै दर्न ब दर्न बढ़ाते चले गए, िाइक़ै तो बढ़ गए पर ज़िन्र्ग ख़र् ु बर् िाइक़ा हो गय और ज़िन्र्ग का मिा ह ख़त्म हो गया। हमने अनोखे िाइक़ों को बार ब क्य, फ़ास्ट फ़ड्स और बेकर का नाम दर्या। वेसे भ "ब" से ज़जतन भ च िें हैं उन में अक्सर ख़तरनाक सरत अख़्तयार कर चक ु ी हैं। "ब" से ब्राइलर, "ब" से बोतल, "ब" से बगदर, "ब" से बेकर और बेशुमार च िें और "च" ने तो ज़िन्र्ग को तो चकना चर कर Page 10 of 26
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दर्या। "च" से च न , "च" से गचकनाई, "च" से चटख़ारे अकग़िद ज़िन्र्ग थक गय , अस्पताल बढ़ गए, डॉक्टर और मेडडकल स्टोसद हर गल में ऐसे कक जेसे सब्ि या कक्रयाने की र्क ु ानें भ कम होंग । क्यूँ हुआ----? ये हम ने क्यूँ ना सोचा---! मालम हुआ हम ख़र् ु मज ु ररम हैं, सार्ह गग़िाओीं ने क्या शसफ़द हमार ब मार का इींतिार करना है कक मुआशलज ् कहे गा कक सार्ह गग़िाएूँ खाएीं वाह वाह--- क्या अनोखा अींर्ाि
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है कक सार्ह गग़िाएूँ, कफ़तर नेमतें मर िों के शलए और अनोखे चटख़ारे सेहत मींर्ों के शलए--- लौट आएीं वरना तो---- मर ि बन कर सार्ह गग़िाएूँ लेना ज़िन्र्ग का मिा तो ना रहा---
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मैं पपछले दर्नों कुछ मेहमानों के साथ बेठा उन्हें खाना ख़खला रहा था, खाने के बार् मैं ने रे पेश की ज़जस
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में र्े स गुड़ खाने के बार् पेश ककया। कुछ के चेहरों पर ना गवार आई लेककन एक शख़्स का हाथ लप्का और इकट्ठे र्ो टुकड़े उठाये, एक मुींह में डाला, चींर् लम्हों के बार् र्सरा मुींह में डाला, मैं ने र्सरों की ना
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गवार की तरफ़ तवज्जह नह ीं की लेककन उस खाने वाले से सवाल ककया आप ने इसको क्यूँ खाया---?
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ठीं ड आह भर कर कहने लगा कक साकहा साल बाबी गग़िायें और खाने ख़ब खाये, बाहर की गग़िाओीं और
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खानों ने मुझे थका दर्या, थक हार् कर जब मैं अपन ज़िन्र्ग को मौत में बर्लने का सोचने लगा तो मेरे ससुर मेरे घर आये, आना जाना लगा रहता था। खाने से पहले मेर ब व ने र्वाएीं र् ीं, खाने के र्रम्यान
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गोशलयाीं र् ीं और खाने के बार् एक शसरप दर्या। है रत से ख़ामोश र्े खते रहे क्योंकक मेरे शमिाज को
समझते थे कक मैंने हर कफ़तर टोटके को ख़त्म कर र्े ना है लेककन दहम्मत कर के बोले बेटा क्यूँ अपन ज़िन्र्ग को जलाने में और अपने पैसों को िीं कने में लगे हुए हो। मझ ु े बेट ने बताया तम् ु हारा दर्ल बहुत
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मुताशसर हो गया है, साूँस िलता है, पट्ठे आअसाब कमिोर हैं, मैर्ा काम करना छोड़ गया है और मैर्े को
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उस के काम पर लाने के शलए अब आप धक्का स्टाटद र्वाओीं से गुिारा कर रहे हैं मुझे इकम है मेरे मौजर्ह
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टोटके को भ आप ने मिाक़ की ठोकर से उड़ा र्े ना है आप ऐसा करें बािार से ऐसा गुड़ ढीं ड कर ले आएीं
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जो सफ़ेर् ना हो ब्राउन या ब्लैक हो यानन केशमकल से पाक हो हर खाने के बार् थोड़ा सा यानन एक बड़ टॉफ़ी के बराबर ले शलया करो उसको चसते रहो चबाते रहो आप चींर् दर्न इस को कर के र्े खो। मुझे अपने ससुर के ख़ल ु स का एहसास था लेककन मैं क्योंकक र्ामार् था और र्ामार् और बहनोई को ससुरालों को तींग करने का वेसे भ मिा आता है । मैं ने कहा ठीक है मैं गड़ ीं ा ठीं ड आह भर ु ले लूँ गा लेककन र्वाएीं नह ीं छोड़ग कर कहने लगे ठीक है मैंने कहा लेककन अगर गुड़ फ़ायर्ा र्े तो किर छोड़ र्ीं गा। ब व ने झट से कहा अब्बा ज गड़ ु पहले ह र्े गए हैं वो पपशावर चारसद्दह् से एक र्े स गड़ ु मींगवाते हैं ज़जस के छोटे छोटे टुकड़े होते हैं जो केशमकल से पाक होता है सफ़ेर् नह ीं होता ननहायत डाकद ब्राउन होता है मैं ख़र् ु भ खात हूँ और आप Page 11 of 26
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जो उस दर्न ज़जस चाय की तार फ़ कर रहे थे, वो इस गुड़ से बन हुई थ मैं ने उस वक़्त खाने के बार् एक गुड़ का टुकड़ा खा शलया बज़कक टॉफ़ी से ज़्यार्ा ह खा शलया चींर् दर्न इस्तेमाल ककया हर खाने और नाश्ते के बार् गड़ ु का इस्तेमाल मैं ने लाज़िम समझा बस चींर् ह दर्न बार् मेर र्वाएीं आदहस्ता आदहस्ता मझ ु से ख़त्म होने लग ीं और आज झट से मैं ने गुड़ पर हाथ इस शलए डाला है ये गुड़ नह ीं मेरा मोहशसन है ज़जस
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ने मुझे पाींच ब माररयों से ननकाला है नींबर एक मोटापा और पैट का बढ़ना। २- ख़ास मरर्ाना कमिोर । ३मैर्े की तेिाबबयत गैस तबख़ र और बर् हज़्म । ४- पपींडडशलयों पट्ठों और आअसाब के र्र्ों और झटकों से।
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५- गला हमेशा ठीक रहा आवाि में बेह्तर न खनक रह जो रे शा गगरता था उस से बहुत ज़्यार्ा मुझे
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फ़ायर्ा हुआ। मैं मौसफ़ की बात सन ु रहा था और उस को टुकटुकी बाूँध कर र्े ख रहा था अभ मैं ने अपना साींस भ परा नह ीं शलया था र्ो ना गवार र्ोस्तों ने गुड़ की तरफ़ हाथ बढ़ाया और ननहायत शौक़ से त न
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टॉकफ़यों के बक़र्र गुड़ खा गए बात आई गय हो गय मह ना डेढ़ के बार् वो ना गवार र्ोस्त शमले और कहने लगे क्या कमाल च ि थ ? मैं ने आप को बताया नह ीं लेककन एक सच बात यह है कक मैं अपन
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अज़्र्वाज ज़िन्र्ग से ननहायत ग़ैर मुतमइन और घर में झगड़े, मैर्ा, पट्ठे और आअसाब आदहस्ता
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आदहस्ता जवाब र्े रहे थे हालाींकक मेर इतन उम्र नह ीं थ जब से ये केशमकल से पाक र्े स गड़ ु हर खाने के
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बार् मैं ने इस्तेमाल ककया और चाय भ र्े स गुड़ की प मैं है रान हुआ अपन बातों का ताना बाना ना
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तोड़ते हुए मि र् कहने लगे कक गले के रे शे और बलग़म के शलए वाक़ई जो उन्हों ने बताया था मैं ने कई
लोगों को बताया और ननहायत मुफ़ीर् रहा कई र्ोस्तों को मैर्े के शलए बताया कई र्ोस्तों को पट्ठों
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आअसाब के शलए बताया बस वो बोलते चले जा रहे थे मैं सोचने लगा हाए अफ़सोस! कक हम ररवायत र्े स और कफ़तर टोटकों से क्यूँ र्र हो गए---??? जब वापस पलटे तो कफ़तर ज़िन्र्ग ने हमारा ज भर
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कर इस्तक़बाल ककया और हमें ठीं ड साूँसों के साथ अपने कुशार्ह स ने से लगाया कफ़तरत ज भर कर गले
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लग कर रोई लेककन जाते जाते सेहत जेस अि म नेमत और तींर्र्र ु स्त जैसा अन्मोल तोहफ़ा हमें र्े कर गय । क़ाररईन! आप के शलए तोहफ़े ढीं ड ढीं ड कर कहाूँ कहाूँ से लाता हूँ , च न से पलट कर र्े स गुड़ की तरफ़ आ जाओ वैसे भ कफ़तरत की तरफ़ हम सब लौट रहे हैं लेर्र के नाम पर, कॉटन के नाम पर, मद्धम लाइटों के नाम पर, प्रेशर हॉनद से बचने के नाम पर, परु सक ु न सोसाइदटयों के नाम पर और टाट के शलबास
पपटसन का इस्तेमाल ये सब कफ़तरत को आवािें हैं। गुड़ कफ़तरत है लेककन हो कफ़तर उस में केशमकल ना हो कर के र्े खें जवान , ताक़त, आअसाब, मैर्ा, आींतें, र्ायम क़ब्ि, पुरान तबख़ र, मोटापा, बर् हिम , ज़जस्म का बढ़ना, आअसाब ख़खचाव, इन सब और बहुत और बहुत और बहुत ये त न बार मैं इस शलए Page 12 of 26
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शलख रहा हूँ कक आप को एहसास हो गुड़ खाने वाले बान की चार पाई पर सोने वाले और कफ़तर ज़िन्र्ग गुिारने वाले सेहत मींर् हैं या आप--- आप अभ से अपने साथ ईमानर्ार कीज़जये और फ़ौरन अपने गरे बाूँ में नह ीं दर्ल में झाींककए---!
फ़क़स्त नंबर ११
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एडिटर के क़लम से
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गुम्िि ु ाह चीज़, फ़िस और सरमाया पाने का वज़ीफ़ा:
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माहनामा अबक़र अप्रैल 2015 शुमारा नींबर 106_____________________page 44
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क़ाररईन! हर माह हिरत हकीम साहब का रूहान रािों से लब्रेि मुन्फ़ररर् अींर्ाि पदढ़ए
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क़ाररईन! रोिाना की डाक में दर्न ब दर्न या रज़ब्ब मसा या रज़ब्ब कल म बबज़स्मकलादह-रह्मानन-रह म َ َ ْٰ َ ِ ٰ )َی َر َب َ के कमालात के ख़त बढ़ते जा रहे हैं। इन्ह ख़तों में से आप की موٰس ََی َر َِب َک ِْیم بِ ْس ِم ہّٰللا الر (ْح ِن الر ِح ْی ِم ِ अमानत आप तक लोटा रहा हूँ :-
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मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! तक़र बन त न माह हो गए हैं आपका ररसाला अबक़र पढ़
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रह हूँ अबक़र पढ़ा तो दर्ल को बहुत सुकन महसस हुआ है । माशाअकलाह आप का ररसाला बहुत अच्छा
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है ज़जस से हमने विाइफ़् ककये और बहुत मुफ़ीर् पाया। अबक़र जब घर में आया तो यूँ महसस हुआ कक
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कोई मस हा शमल गया है । अबक़र में एक वि फ़ा छप रहा है या रज़ब्ब मसा या रज़ब्ब कल म َ َ ْٰ َ ِ ٰ )َی َر َب َ वो शरू बबज़स्मकलादह-रह्मानन-रह म (ْح ِن الر ِح ْی ِم موٰس ََی َر َِب َک ِْیم ِب ْس ِم ہّٰللا الر ु ककया। हर वक़्त खल ु ा पढ़ा। ِ शुरू शुरू में जब ये वि फ़ा पढ़ा तो एक दर्न शर् र् सर्ी की वजह से मुझे सख़्त बुख़ार हो गया, मेने कोई र्वाई नह ीं खाय शसफ़द यह वि फ़ा पढ़त रह तो बग़ैर र्वाई के बख़ ु ार ख़र् ु ब ख़र् ु ठीक हो गया। जब से
वि फ़ा शुरू ककया पहले र्ाईं जाननब कुहन में र्र्द था जो बार् में शर् र् हो गया मगर अब कम हो रहा है । ख़्वाब में मुख़्तशलफ़ शक्लें निर आना शुरू हो गय ीं जो कक इींसान हैं लेककन उन में से कुछ अच्छी भ हैं Page 13 of 26
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मगर अब आदहस्ता आदहस्ता उनकी शक्लें इींतेहाई बुर और अज ब व ग़र ब कक़स्म की है । अक्सर ख़्वाब में बोने ज़जन निर आना शुरू हो गए हैं जो मेर चार पाय के इर्द गगर्द खड़े होते हैं अब जेसे जेसे ये वि फ़ा पढ़ रह हूँ वो ला ग़र और कमिोर दर्खाई र्े ने लगे हैं। एक ख़्वाब र्े खा कक एक श शा सामने है ज़जस में मुख़्तशलफ़ सरतें बर्ल बर्ल कर आ रह हैं और उन में औरतें और मर्द शाशमल हैं और शसफ़द उनके चेहरे
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की हालत बहुत ख़राब होत जा रह है , ककस की आूँख ख़राब है और ककस के चेहरे का कोई दहस्सा अब भ ख़्वाबों का शसलशसला जार है और ऐस च िें तड़पत हुई निर आ रह हैं और दर्न ब दर्न मेर
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तब अत में बेह्तर आत जा रह है ।
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िौहर राह रास्त पर आ गया:
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मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मेर शार् को सात साल हो गए हैं मेर लाख कोशशश के
बावजर् मेरे शौहर दर्ल से मेरे ना हो सके। हर बात में मैं ह ग़लत होत हूँ , हालाींकक उनकी हर िरूरत पर
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करत हूँ, हर बात मानत हूँ किर भ उनको मेर कोई परवाह नह ,ीं मुझे उनसे कुछ नह ीं चादहए था बस
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बच्चों की िरूरतें पर करें मुझे कुछ ना र्ें बस मेरे साथ प्यार से रहें , मैं उनके प्यार को तरस्त उन के
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मस् ु कुराते हुए चेहरे को तरस्त । मगर उनके दर्ल में िरा तरस नह ीं आता था। उन के इस रवय्ये की वजह
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से बहुत ज़्यार्ा गचड़ गचड़ हो गय थ हर वक़्त बच्चों को मारत , गाशलयाीं र्े त , मेरे शौहर को ना मेर और ना ह बच्चों की कोई परवाह थ । किर एक दर्न मेर अम्म ने मुझे आप का ररसाले अबक़र में बताया
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हुआ वि फ़ा या रज़ब्ब मसा या रज़ब्ब कल म बबज़स्मकलादह-रह्मानन-रह म
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َ َ ْٰ َ ِ ٰ )َی َر َب َ बताया। मैं उस दर्न से यह वि फ़ा पढ़ रह हूँ। इस वि फ़े की موٰس ََی َر َِب َک ِْیم ِب ْس ِم ہّٰللا الر (ْح ِن الر ِح ْی ِم ِ
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वजह से मेर ज़िन्र्ग में ख़शु शयाूँ लोट रह हैं। मेरे शौहर का रवय्या पहले से बहुत ज़्यार्ा तब्र् ल हो गया
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है । अभ मेरा वि फ़ा भ जार है और मेरे शौहर भ पहले से बेह्तर हैं।
गुम्िि ु ाह फ़िस शमल गया:
मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! अकलाह कर म आप की उम्र में , आप की िात, आप के इकम, आप के फ़ैि, आप की औलार्, आप के ररज़्क़ और आप के पैग़ाम में बरकतें अता फ़मादये। मेरा र्ो साल Page 14 of 26
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का भाींजा गुम हो गया था सब लोग उसे ढूँ डने ननकले, मैं भ या रज़ब्ब मसा या रज़ब्ब कल म बबज़स्मकलादहَ َ ْٰ َ ِ ٰ )َی َر َب َ पढ़ते हए उसे ढूँ डने ननकला और सब घरवालों को रह्मानन-रह म (ْح ِن الر ِح ْی ِم موٰس ََی َر َِب َک ِْیم بِ ْس ِم ہّٰللا الر ु ِ भ कहा कक सब यह वि फ़ा पढ़ें । अभ ये वि फ़ा पढ़ते हुए कुछ ह र्े र हुई थ कक मेरा गुम्शुर्ाह भाींजा
कोई ख़र् ु ह घर छोड़ गया। मोहतरम हकीम साहब हमें तो लगता है कक र्सद और अबक़र की सरत में हमें
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अग़वा िि ु ाह बच्चा ख़ि ु ही भाग आया:
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इकम कीमया शमल गया है ।
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मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! हमारे पड़ोस में र्स साल का बच्चा अग़वा हो गया, उस के मेने उन सब को या रज़ब्ब मसा या रज़ब्ब कल म बबज़स्मकलादह-रह्मानन-रह म
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वाशलर्ै न और अि ि व अक़ाररब का परे शान से बुरा हाल था, माूँ की हालत तो बहुत ह ज़्यार्ा ख़राब थ ,
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َ َ ْٰ َ ِ ٰ )َی َر َب َ और बबज़स्मकलादह तवक्ककतु अलकलादह ला हौल व ला क़ुव्वत موٰس ََی َر َِب َک ِْیم بِ ْس ِم ہّٰللا الر (ْح ِن الر ِح ْی ِم ِ َ َ َُ َ َ َ ََ ُ َْ ََ )بِ ْس ِم ہّٰللاِ َتَکबच्चे की दहफ़ाित और बदहफ़ाित वापस की इकला बबकलाह (ت لَع ہّٰللاِ َل َح ْول َوَل قوۃ اَِل ِِبہّٰلل
ननय्यत से पढ़ने को कहा। उन्हों ने रोते रोते पढ़ना शुरू कर दर्या। सुबह से वो लोग ढूँ ड ढूँ ड कर थक गए
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थे ये र्आ ु पढ़ते हुए अभ र्स पींद्रह शमनट ह हुए थे कक बच्चे के शमलने की इत्तला आ गय । अकलाह ने उस बच्चे की दहफ़ाित फ़मादई और वो छोटा सा र्स साल का कमिोर सा बच्चा अकलाह ने उसको ऐस
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ताक़त अता फ़मादई कक वो अग़वा करने वालों से अपने आप को बचा कर भाग ननकला उस के वाशलर्ै न ने
बहुत शुक्र अर्ा ककया और कहा कक वो इन र्ोनों र्आ ु ओीं की फ़ोटो कॉप करवा कर ख़र् ु मोहकले के सारे
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घरों में तक़स म करें गे। यूँ इन र्आ ु ओीं की बरकत से अकलाह तआला ने उस र्स साल के बच्चे को
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ख़तरनाक अग़वा कारों से अपन दहफ़ाित में रखा और बदहफ़ाित घर पोहीं चा दर्या। मैं अकलाह तआला
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की बेहर् मशकर हूँ कक उसने मझ ु े अबक़र के साथ और हिरत साहब के साथ जोड़ा और अपन तरफ़ जाने वाले रास्ते को आसान और रोशन बनाया। अकलाह अबक़र की रौशन को क़यामत तक रोशन रखे
ता कक ये लोगों के दर्लों को रोशन करता रहे उन की ज़िन्र्गगयों में दहर्ायत के गचराग़ जलते रहें । आम न! (क़ाररईन! मैं आप के सीने की अमानत आप तक पोहं चा रहा हूँ, आप को इस वज़ीफ़े से जो फ़ायिा पोहं चे, ज़रूर अमानत समझ कर मुझे शलखें। एडिटर!) माहनामा अबक़र अप्रैल 2015 शुमारा नींबर 106___________________________Page 47 Page 15 of 26
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अल्लाह तआला ऐसे लोगों को पसंि फ़मासते हैं जो --अकलाह तआला का अपने रसल ﷺसे ख़ख़ताब है : और ईमान वालों के शलए अपने बाि झुकाए रख़खए
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यानन मस ु कमानों पर शफ़क़त रख़खए। (हजर)☆ अकलाह तआला का इशादर् है : और अपने रब की बज़ख़्शश की तरफ़ र्ौड़ो और नेि उस जन्नत की तरफ़ ज़जस की चौड़ाई ऐस है जैसे आसमानों का और िम नों का
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िैलाओ जो अकलाह तआला से डरने वालों के शलए तय्यार की गय है ( यानन उन आला र्जाद के
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मुसकमानों के शलए है ) जो ख़श ु हाल और तींगर्स्त र्ोनों हालतों में नैक कामों में ख़चद करते रहते हैं और
ग़स् ु से को िब्त करने वाले हैं और लोगों को मुआफ़ करने वाले हैं और अकलाह तआला ऐसे नैक लोगों को
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पसींर् करते हैं। (आल इमरान) ☆ एक जगह इशादर् है: और रहमान के (ख़ास) बन्र्े वो हैं जो िम न पर
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आज़जि के साथ चलते हैं। ☆ अकलाह तआला का इशादर् है : (और बराबर का बर्ला लेने के शलए हम ने
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इजाित र्े रख है कक) बुराई का बर्ला तो उस तरह की बुराई है (लेककन इस के बावजर्) जो शख़्स
र्रगुिर करे और (बादहम मुआमला की ) इस्लाह कर ले (ज़जस से र्श्ु मन ख़त्म हो जाये और र्ोस्त हो
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जाये कक ये मुआफ़ी से बढ़ कर है ) तो इस का सवाब अकलाह तआला के ज़िम्मा है (और जो बर्ला लेने में ज़ियार्त करने लगे तो सन ु ले कक) वाक़ई अकलाह तआला िाशलमों को पसींर् नह ीं करते। (शरा) ☆
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अकलाह तआला का इशादर् है : और जब ग़स् ु सा होते हैं तो मुआफ़ कर र्े ते हैं। (शरा)
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हाल ए दिल टी वी का हक़ या बीवी का जो मैंने िे खा सुना और सोचा
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एडिटर के क़लम से
बारहा ये बात मैं अपने र्सद और तहर रों में बयान कर चक ु ा हूँ कक बराहे करम अपन ब पवयों को वक़्त र्े ने
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के शलए अपने कारोबार ज़िन्र्ग , अपने मशागग़ल को तरत ब र्ें । अगर ऐसा ना ककया तो ज़िन्र्ग में
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हार्से, परे शाननयाीं, मुज़श्कलात, घरे ल उलझनें और झगड़े ऐसे ऐसे रोन्मा होंगे कक पपछल तार ख़ में ना
र्े खे, ना सुन,े ना पढ़े और ना महसस ककये। मेरे पास एक नह ीं सैंकड़ों नह ीं हिारों ख़ान्र्ान ऐसे आये ज़जन
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की घरे ल उलझनों की बुन्यार् वजह शौहर और ब व की हम आहीं ग ना होना थ । ब व सारा दर्न शौहर
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का इींतिार करत है जब वो आता है तो या मोबाइल--- या कींप्यटर--- या इींटरनेट--- बस! मालम होता है
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उसका ननकाह ब व से नह ीं इन त न च िों से है । मझ ु े एक साहब कहने लगे कक मैं सब ु ह के उजाले से
पहले कारोबार पर वाशलर् के साथ जाता हूँ और रात गए घर आता हूँ । जुम्मा के दर्न छुि होत थ लेककन
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हमारे हाूँ छुि का कोई गुमान और ख़्याल नह ीं होता था। एक र्फ़ा ईर् की छुि थ जब कक हमारे हाूँ ईर् की छुि भ नह ीं होत थ काम, पैसा, कारोबार और बस--- ककस फ़ोतग पर मेर वाशलर्ा ने मुझे
अचानक र्े खा तो कहने लग ीं: हाए बेटा! तेर तो मछें भ ननकलना शरू ु हो गय हैं। ये बिादहर छोट स
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बात थ लेककन बहुत अनोख बात है ज़जस घर में माूँ और बेटा इकट्ठे रहते हों उस घर में माूँ बेटे को वक़्त ना र्े पाये और र्े खे इतन ताख़ र हो गय कक माूँ ककतने सालों के बार् ज भर कर बेटे को र्े ख सकी और
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उसकी हाए ननकल ---! अब आगे सुनें:- कुछ ह असाद पहले उन की वाशलर्ा फ़ॉत हो गय हैं। मेरे पास वो
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साहब आये जो कक अब ख़र् ु पोतों के वाररस हैं। कहने लगे: एक बड़ परे शान है हम नो बेहन भाई हैं कोई माूँ को रखने पर तय्यार नह ीं--- क्या ये िक ीं मैं ने कहा: नह ीं इींसाफ़ है ! कहने लगे: कैसे? मैं ने ु म नह ? कहा: इस शलए कक माूँ ने पहले दर्न ह औलार् को माल की मुहब्बत र् थ , अकलाह और उस के हब ब ﷺऔर माूँ बाप की मुहब्बत शसखाई ह नह ीं थ । पहले दर्न से बेटे को ताज़जर बनाया, मुसकमान बनाया ह नह ीं था। इस के शसले में तमाम औलार् के शलए माूँ अब बोझ बन गय है , आख़र वक़्त तक माूँ बोझ रह --- यूँ उसका बोझल ज़जस्म क़ब्र के अींर्र चला गया। एक माूँ की कहान नह ीं लाखों करोड़ों माओीं की कहाननयाीं हैं। माएीं औलार् को वक़्त र्ें , बाप औलार् को वक़्त र्ें , बाप ब व और औलार् को वक़्त र्ें । मैं Page 17 of 26
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आप की शमन्नत करता हूँ , मेरे पास घरे ल ज़जन्स गींर्गगयाीं और गग़लाितों की ऐस अफ़सोसनाक कहाननयाूँ हैं कक ककतने वाकक़आत तो शसफ़द स ना र्र स ना क़ब्रों में चले जाते हैं। मर्ो!!! यार् रखो! औरतें वक़्त माींगत हैं, हम वक़्त का तअकलक़ ु शसफ़द अज़्र्वाज ख़ख़कवत को समझते हैं, ये तम् ु हार भल है , उस के र्ख ु सुनो, उस के ग़म सुनो, उस के र्ख ु ड़े सुनो, उस को वक़्त र्ो, हाूँ वक़्त र्े ते हुए उलझाओ पैर्ा ना हो
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क्योंकक उस की बातें थोड़ स स ध बहुत ज़्यार्ा उलट होंग ज़जस पर ख़्वाह मख़्वाह ग़स् ु सा आ ह जाता है । वहाीं बर्ादश्त कर के किर उसकी सुनो। घर सींवर जायेगा, ज़िन्र्ग ख़शु शयाूँ, काम्यबबयाीं और बरकतों
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का टाइटल बन जायेग । अगर आप ने ब पवयों को वक़्त ना दर्या वो वक़्त कारोबार पर दर्या, कारोबार
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बहुत आगे ननकल जायेगा ब व और बच्चे प छे रह जायेंगे। ठन्डे दर्ल से सोचें कारोबार तो उस औलार् के शलए ककया जायेगा जब औलार् ह इस क़ाबबल नह ीं होग कक वो आप के ख़न पस ने की कमाई को और
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तरक़्क़ी को सींभाल सके और ब व ह इस क़ाबबल नह ीं होग कक उसे हर वक़्त मश्वरे में शाशमल ककया
जाये। उस को हर वक़्त प्यार मुहब्बत के अपने वाकक़आत सुनाए जाएूँ, उस की सुन जाए, उस के दर्न
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रात को सुना जाए, अपने दर्न रात को सुनाया जाए और यूँ ज़िन्र्ग को सींवारा जाए। जज़्बात मुर्ादह उस
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वक़्त होते हैं जब ब व को वक़्त ना दर्या जाए। हर वक़्त बबिननस, र्फ़्तर, र्न्ु या और उस से भ अनोख
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च ि वो वक़्त जो ब व को र्े ना होता है वो र्ोस्तों के साथ गेम खेलने, ताश खेलने, केरम खेलने, स्नोकर
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खेलने या किर कोई और आउदटींग के मशाग़ल और किर घर में झगड़े, लड़ाइयाूँ, ब माररयाीं, परे शाननयाीं, मुज़श्कलात ऐसे शुरू होते हैं कक उन को सींभालते सींभालते सींवारते सींवारते ज़िींर्गगयाूँ गुिर जात हैं किर
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मुझे औलार् आ कर कहत है कक हम ने सार ज़िन्र्ग वाशलर्ै न को लड़ते र्े खा है और उस लड़ाई का
औलार् की ज़िन्र्ग पर ककतना बरु ा असर पड़ता है किर यूँ मआ ु शरा सेहतमींर् जवान नह ीं र्े ता बज़कक
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ब मार िेहन और ब मार सोच की नस्लें पैर्ा करता है । किर इकिाम हुकमतों और हुक्मरानों को र्े ते हैं
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जब कक ग़लत अपन और बहुत ह ज़्यार्ा अपन होत है । मेर आप से र्रख़्वास्त है बराहे करम ब व
बच्चों को वक़्त र्ें । मग़ररब या ज़्यार्ा से ज़्यार्ा इशा इस के बार् घर, आप, बच्चे और म ठी बातें ---- और हाूँ! एक बात यार् रख़खयेगा इशा के बार् अपने मोबाइल को सल ु ा र्े ना है , इींटरनेट को लॉक लगा र्े ना है , ट व को बाए बाए कर र्े ना है क्योंकक एक तरफ़ ट व र्सर तरफ़ ब व ! ट व कहता है मेरा हक़ ब व कहत है मेरा हक़! आप सोचें ककस का हक़ ज़्यार्ा है उम्म र् है आप इींसाफ़ करें गे----! माहनामा अबक़र मई 2015 शम ु ारा नींबर 107______________Page 3 Page 18 of 26
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िसस रूहाननयत व अम्न
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अल्लाह अपने िोस्तों की लाज ऐसे रखता है
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िैख़-उल-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मुहम्मि ताररक़ महमूि मज्ज़ूबी चग़ ु ताई دامت برکاتہم
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हफ़्तवार िसस से इक़्तबास
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इशारों इशारों में बात हो गय : माशलक बबन र् नार رحمۃ ہللا علیہएक बार कश्त में सफ़र कर रहे थे। र्ौरान सफ़र एक बन्र्े का लाल गम ु हो गया उस ने सब कश्त वालों पर निर डाल और निर डालने के बार्
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माशलक बबन र् नार رحمۃ ہللا علیہकी तरफ़ इशारा करते हुए कहने लगा कक: इस शख़्स ने मेरा लाल चोर
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ककया है । वह ीं एक जवान और र्ाना आर्म भ बेठा था। रब कर म ज़जस को चाहे जवान में अपन
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माअररफ़त अता कर र्े और यार् रख़खयेगा! मेरे सय्यर् व मुशशदर् दहज्वैर رحمۃ ہللا علیہफ़मादते थे कक मुझे
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ऐसे लोग अपन ज़िन्र्ग में शमले हैं ज़जन को जवान में अकलाह की माअररफ़त और अकलाह का इश्क़ अता हुआ है । अगर शैख़ के बारे में मरु र् का एतमार् और एअतक़ार् काशमल है तो अकलाह जवान में वो
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सब अता कर र्े ता है जो बुढ़ाप्पे में और अस्स साल में भ ऐस पवलायत ना शमल सके, ये तजुबाद और मुशादहर्ा भ है ।उस र्ाना आर्म ने जो कश्त में ह बेठा था। माशलक बबन र् नार رحمۃ ہللا علیہकी तरफ़
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इशारा करते हुए कहा: इस जवान से पछने तो र्ें ऐसा ना हो कक कह ीं इस जवान ने लाल चोर ह ना ककया
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हो? किर उस र्ाना ने माशलक बबन र् नार رحمۃ ہللا علیہसे पछा कक जवान सच बता त मझ ु े ऐसा निर तो
नह ीं आता, मैंने भ र्न्ु या र्े ख है और क़ुर्रत ने मझ ु े भ कुछ समझ अता की हुई है अकहम्र्शु लकलाह!। क्या तुझसे ऐस ग़लत हुई है ? क्या इस का मोत तने चोर ककया है ? माशलक बबन र् नारرحمۃ ہللا علیہ क्योंकक अकलाह की माअररफ़त की तलाश में थे और अकलाह जकल शानुह की माअररफ़त की तलाश में उन्हों ने सार ज़िन्र्ग गुिार र् थ और इस तरह ज़िन्र्ग गुिारने का अहर् कुछ ऐसा कर रखा था कक अकलाह अगर सो साल की ज़िन्र्ग भ र्े गा तब भ मैं इन सो सालों में तेर माअररफ़त को तलाश करूूँगा और माशलक बबन र् नार رحمۃ ہللا علیہने सार चाहतों को छोड़ कर रब को अपना साथ बना शलया था। Page 19 of 26
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इस शलए वो कुछ ना बोले, बस आसमान की तरफ़ र्े खा---! जब मुहब्बत ज़्यार्ा होत है तो आूँखों ह आूँखों में बात हो जात है । िबान ख़ामोश रहत है और दर्ल ह दर्ल में बात हो जात है । मुझे एक र्ोस्त जो कौन्सलर थे बताने लगे कक र्ौराने इन्तख़ाब पोशलींग स्टे शन में उम्म र्वार को अींर्र जाने की इजाित नह ीं थ , शसफ़द वोटसद ह पोशलींग स्टे शन के अींर्र जा सकते थे। एक बन्र्ा वोट डालने के शलए आ रहा था
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मैंने क़र ब खड़ साइककल की तरफ़ इशारा कर दर्या। वो कौन्सलर मुझ से कहने लगे कक बस आूँख से आूँख शमल थ उस ने साइककल पर मुहर लगा र् । किर बार् में वो वोटर मुझे कहने लगा कक ऐसा
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तअकलुक़ की वजह से करना पड़ा। उधर माशलक बबन र् नार رحمۃ ہللا علیہका आूँख से आूँख शमलाना
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र्े ख़खये और इधर साइककल पर मह ु र लगाना र्े ख़खये तो माशलक बबन र् नार رحمۃ ہللا علیہने भ बस
आसमान की तरफ़ र्े खा और िबान से कुछ नह ीं कहा बस अकलाह ने अपने र्ोस्त की लाज रख और
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कश्त के चारों तरफ़ पान के ऊपर मछशलयाूँ अपने मुींह में लाल ले कर आ गय ,ीं माशलक बबन र् नार
رحمۃ ہللا علیہने उन में से एक के मुींह से लाल शलया और किर उस शख़्स से पछा क्या यह तुम्हारा लाल
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है ? ये मींिर र्े ख कर वो शख़्स ज़जस ने लाल चोर ककया था खड़ा हो कर कहने लगा बस त ने मुझे रब की
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मह ु ब्बत शसखा र् , तेरा तो रब से इतना तअकलक़ ु है ---! मैं कैस गम्र ु ाह यों में पड़ा हुआ हूँ ---! इस का लाल
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मैंने चोर ककया था और इकिाम तुझ फ़क़ीर पर आया। तेरे पास जो लाल है वो इस का नह ीं है , लाल ये है ।
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मुआमला तय हो जाने पर माशलक बबन र् नार رحمۃ ہللا علیہने वो लाल किर वापस समुन्र्र में डाल दर्या। अकलाह वालो---! ये र्ास्तानें परु ान नह ीं हैं बज़कक हमने तो आज कल भ ऐसे अब्र्क ु लाह मज्िब ज़जन
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का असल नाम अब्र्ल ु हम र् था तो उन की ऐसे कई लाल वाल कहाननयाीं र्े ख ीं। बस बात इतन स है कक
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कोई माअररफ़त का सच्चा मुत्तलाश हो। कोई माअररफ़त को सच्चा तलाश करने वाला हो। रब से सच्च
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मुहब्बत करने वाला, रब से सच्च चाहत चाहने वाला हो। आज भ वह रब है ---! आज भ उसकी अताएूँ
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वह अताएूँ हैं---! आज भ उसकी वह शफ़क़तें हैं---! आज भ उस की वह मह ु ब्बतें हैं---! आज भ वह रब है जो पहले था। बस बात शसफ़द इतन है कक हमार चाहत में कम आ गय है ---! हमारे माींगने में कम आ गय है --! हमार मुहब्बत में कम आ गय है ।
मावां ठं डियां छावां: उम्मे ऐमन رضی ہللا عنہاजो हिरत ब ब आमना رضی ہللا عنہاकी ख़ाद्मा थ ीं। फ़मादत हैं कक हिरत ब ब आमना رضی ہللا عنہاकी शार् उन्न स साल की उम्र में हुई और चोब स पच्च स साल की उम्र में उन का पवसाल हुआ। उन्न स साल की उम्र में क़ुर्रत ने उनकी मुबारक गोर् में अपना नर भर Page 20 of 26
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दर्या था। आप के पवसाल के वक़्त सवादरर कौनैन ﷺशसफ़द ६ साल के थे। हिरत अब्र्क ु लाह رضی ہللا تعالی عنہतो आप ﷺकी पैर्ाइश से पहले ह फ़ॉत हो गए थे। हिरत आमना, सवादरर कौनैन ﷺ
और उम्मे ऐमन رضی ہللا عنہاपर मश्ु तशमल ये मख़् ु तशसर सा क़ाफ़्ला हिरत अब्र्क ु लाह رضی ہللا عنہاकी क़ब्र की ज़्यारत के बार् वापस मक्का मुकरद मा जाते हुए अब्वा की सींग्लाख़ वादर्यों में पोहीं चा तो वहाूँ
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हिरत ब ब आमना رضی ہللا عنہاवाशसल बहक़ हो गय ीं। उम्मे ऐमन رضی ہللا عنہاकुछ एअराब बद्दुओीं को बुला कर ले आईं ज़जन के साथ कुछ औरतें भ आईं, उन्हों ने आप को ग़स ु ुल दर्या, तजह ि व तकफ़ीन
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कर के आप को र्फ़न कर दर्या। उम्मे ऐमन رضی ہللا عنہاकहत हैं कक मैं वापस एक छोट पहाड़ से न चे
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उतर तो मझ ु े शससककयों की आवािें आईं, मैंने सोचा पता नह ीं कौन है । वहाीं जा कर र्े खा तो अज ब मींिर कक ६ साल का मासम बच्चा माूँ की क़ब्र से शलप्टा हुआ है और वो अि म बच्चा तो मुहम्मर् ﷺह है जो
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था---! आप साथ छोड़ गईं---! अब मैं अम्माूँ ककस को कहूँ गा? (जार है)
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माहनामा अबक़र मई 2015 शुमारा नींबर
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अपना हाल ए दर्ल क़ब्र में शलप्ट माूँ को सुना रहे हैं कक अम्माूँ आपका और मेरा तो ज ने मरने का साथ
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िसस से फ़ैज़ पाने वाले
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मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! आप से पहल मल ु ाक़ात तस्ब ह ख़ाना में हुई, तब से अब तक
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जो विाइफ़् आप ने दर्ए बाक़ाइर्ग से कर रह हूँ। र्सर बार मुलाक़ात हुई तो आप ने जुमेरात के रोि
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तस्ब ह ख़ाना में होने वाले र्सद में शशकदत करने का कहा, तब से आज तक जुमेरात का र्सद िरूर सुनत
हूँ , अगर ककस मजबर की वजह से तस्ब ह ख़ाना ना आ सकूँ तो नेट पर िरूर सुनत हूँ । र्सद सुनते हुए
मेर जो कैकफ़य्यत होत है मैं बता नह ीं सकत कक ककतन परु सक ु न और परु कैफ़ होत है । मझ ु े ऐसा महसस होता है कक मैं अकेल बेठी हूँ और आप मझ ु े नस हत फ़माद रहे हैं। अकहम्र्शु लकलाह! र्सद सन् ु ने से बहुत बहुत बहुत मसाइल हल हो रहे हैं। पाींच वक़्त की नमाि पढ़न शुरू कर र् है , रोिाना क़ुरआन पाक की नतलावत भ मामल है । शजरह तय्यबा, मुींतख़ख़ब अहार् स भ िरूर पढ़त हूँ। ररज़्क़ के मुआमलात काफ़ी हल हुए हैं। एक बेटा अकहम्र्शु लकलाह जमदन चला गया। एक बेट की शार् हो गय वो भ Page 21 of 26
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माशाअकलाह अपने घर बहुत ख़श ु है । घर में सुकन आ गया है । अब तो हर मह ने अबक़र में छपने वाल रूहान महकफ़ल भ करत हूँ । (रे हाना सआर्त, लाहौर)
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६ भयानक अमराज़ से ननजात पाएं
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नाख़ुन पर सरसों का तेल लगाएं,
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क़ाररईन! आप के शलए क़ीमत मोत चन ु कर लाता हूँ और छुपाता नह ,ीं आप भ सख़ बनें और िरूर
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शलखें (एडडटर हकीम मुहम्मर् ताररक़ महमर् मज्िब चग़ ु ताई)
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बहुत पुरान बात है एक बाबा ज को र्े खा नाख़न ु काटने के बार् अपने नाख़न ु ों को सर पर इस तरह मल
रहे जैसे सर खज ु ाते हैं किर मलते हैं, किर नाख़न ु ों को र्े खते हैं , सर दहला कर कहते हैं नह ीं अभ थोड़ा है
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किर नाख़न ु ु सर पर मलते हैं। इस तरह हाथ सर के बालों में िेर कर वह तेल वाले हाथ पाऊूँ के नाख़न
जो अभ काटे थे, उन पर लगाते। मैं ये र्े ख रहा था क्योंकक शमिाज में जुस्तुज और ररसचद पैर्ाइश और अिल है । मजबर हो कर पछ बेठा कक बाबा ज ये आप क्या कर रहे हैं? बाबा ज कहने लगे: इस से
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फ़ायर्ा होता है, ये जवाब मेरे दर्ल में उतरा नह ीं।
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ठीक रहता है , बन्र्ा पागल नह ीं होता।
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मैंने पछा क्या फ़ायर्ा होता है ? कहने लगे दर्ल दर्माग़ मिबत होता है, निर कम्िोर नह ीं होत , हाकफ़िा
मैंने अगला सवाल ककया कक आप को कैसे पता चला? कहने लगे मेरे नाना इब्तर्ाई जवान में आूँखें र्े बेठे, बहुत इलाज ककये, उस वक़्त दहींर्स् ु तान पाककस्तान एक था, मथरा इींडडया में एक जगा का नाम है ,
वहाीं आूँखों का एक मशहर डॉक्टर था, बहुत लम्बा सफ़र कर के वहाीं पोहीं च।े उस ने भ इलाज ककया लेककन फ़ायर्ा ना हुआ। ककस ने कहा इस को र्ो काम कराओ एक बार्ामों की इक्कीस गररयाीं रात को पान में शभगो र्ें , और उस के साथ एक खाने वाला चम्मच सौंफ़ का भ शभगोर्ें , र्ोनों च िें सुबह उठ कर चबा चबा कर खाएीं और हर त सरे दर्न हाथों और पाऊूँ के नाख़न ु काटें चाहें थोड़े थोड़े ह क्यूँ ना हों और Page 22 of 26
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उन पर तेल लगाएीं क्योंकक हर इलाज मुआकजे से थक चक ु े थे, ये इलाज आसान सस्ता भ था और उम्म र् भ थ --- शायर् कुछ हो जाये, शलहािा शुरू कर दर्या। र्ो त न माह ककया लेककन फ़ायर्ा ना हुआ, उन से जा कर किर शमले। कहने लगे: घबराएीं नह ीं आप को िरूर फ़ायर्ा होगा और आप का बच्चा (यानन मेरे नाना) सो फ़ीसर् ठीक हो जायेगा। हमें तसकल र् और ख़र् ु कई वाक़्यात सुनाये कक आप ये काम करें
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आप को फ़ायर्ा होगा। उनकी तसकल पर और वाक़्यात पर किर भरोसा कर के बार्ामों की गररयाीं और सौंफ़ का नुस्ख़ा और हाथ पाऊूँ के नाख़न ु ों पर तेल लगाना शुरू ककया।
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कम अि कम सात माह ये लगाते रहे , एक दर्न मेरे नाना कहने लगे वो र्े खो भैंसें ( ज़जन में एक भैंस
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लींगड़ थ ) किर कहने लगे वो र्े खो एक लींगड़ भैंस जा रह है । हम ने कहा शायर् अींर्ािे से कह रहा है ।
पछा ककस तरफ़ र्ाएूँ या बाएीं उन्हों ने वो शसम्त बता र् और तमाम भैंसों की तअर्ार् बता र् । मेरे नाना
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के वाशलर् की हाए ननकल गय ---! कक अकहम्र्शु लकलाह मेरा बेटा ठीक हो गया। इस के बार् उन्हों ने इस
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र्वा को यानन बार्ाम सौंफ़ और नाख़न ु ों पर तेल मि र् त न साल इस्तेमाल करवाया। मेरे नाना अस्स
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साल से ज़्यार्ा की उम्र में फ़ॉत हुए। उनकी याद्दाश्त बहुत मिबत, हाकफ़िा क़व एअसाब मिबत थे घर
की लकडड़याूँ कुकहाड़े से ख़र् ु तोड़ते, काटते। ख़च्चर पर र्र जींगल एक खींडर से शमि लाते, घर की शलपाई
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के शलए उस ख़च्चर पर र्र चश्मे से पान लाते। घर की गींर्म ु मेर नान प स्त ीं कभ मेहमान आते या शार् होत तो बोररयों की बोररयाीं ख़र् ु प स्ते। अस्स साल की उम्र में ख़ब मेहनत मश ु क़्क़त करते। चाूँर्
की रौशन में पढ़ लेते थे। हाकफ़िा महफ़ि, सेहत लाजवाब, घट ु ने मिबत और ज़जस्म ऐसे जैसे टािदन---
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तो बाबा ज मि र् कहने लगे ये च ि मैंने अपने नाना से ल है । आज मेर उम्र भ सत्तर से ऊपर और
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आप के सामने है ।
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मुझे भ कोई रोग और तकल फ़ नह ीं और मैं अकहम्र्शु लकलाह सो फ़ीसर् तींर्र्र ु स्त हूँ और मेर तींर्र्र ु स्त
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और वाक़ई बाबा ज की तींर्र्र ु स्त के चचे थे लोग शमसाल र्े ते थे कक बाबा ज ने पुराने वक़्तों का र्े स घ
खाया है लेककन उस र्े स घ का राि आज खल ु ा! जब बाबा ज नाख़न ु से अपना सर खज ु ा रहे थे। क़ाररईन! ये टोटका बिादहर छोटा बबककुल मामल लेककन अपन क़ीमत और ताक़त के एतबार से बहुत बड़ा है । साकहा साल से मैं ख़र् ु भ कर रहा हूँ और बेशुमार लोगों को बता भ रहा हूँ ज़जस को भ मैंने ये बताया उस को मैंने इस के है रत अींगेि कमालात पाते र्े खा क्योंकक ये टोटका आप को क़ब्ल अि वक़्त बढ़ा होने से रोके गा। आप मर्द हैं या औरत कोई भ बढ़ ु ाप्पा नह ीं चाहता और बढ़ा होना कफ़तर अमल है Page 23 of 26
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लेककन क़ब्ल अि वक़्त बुढ़ाप्पा रोग होता है और इस से ज़िींर्गगयाूँ ननढाल हो जात हैं और इींसान की क़ीमत और वक़ार नह ीं रहता जो कक होना था। आइये! इस टोटके को आिमाएीं, अपन नस्लों में ररवाज र्ें क्योंकक छोट च ि को निर अींर्ाि कर के
माहनामा अबक़र मई 2015 शुमारा नींबर
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इींसान बड़ ब माररयाीं बड़े र्ख ु और रोग अपने गले लगा लेता है ।
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एडिटर के क़लम से
फ़क़स्त नंबर १२
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गुम्िि ु ाह चीज़, फ़िस और समासया पाने का वज़ीफ़ा
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क़ाररईन! हर माह हिरत हकीम साहब का रूहान रािों से लबरे ि मुींफ़ररर् अींर्ाि पदढ़ए।
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मामल का ज़क्लननक जार था कक एक मर िा आईं ज़जन्हों ने आते ह अबक़र और या रज़ब्ब मसा या रज़ब्ब َ َ ْٰ َ ِ ٰ ََی َر َبके फ़ायर्े बताने शरू कर موٰس ََی َر َِب َک ِْیم بِ ْس ِم ہّٰللا الر कल म बबज़स्मकलादह-रह्मानन-रह शम ْح ِن الر ِح ْی ِم ु ِ
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दर्ए, मैं ने वक़्त की कम की वजह से कहा कक आप को माहनामा अबक़र से जो भ फ़ायर्े शमले हैं वो
शलख कर र्फ़्तर में र्े जाएूँ मैं पढ़ लूँ गा, आज जब उस लड़की का ख़त मेरे सामने आया तो वो कुछ इस
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तरह शलखा था:- मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! सर्ा सख ु और ताहयात सलामत रहें ,
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अकलाह तआला आप की ज़िन्र्ग मैं दर्न र्ग्ु न रात चग्ु न तरक़्क़ी व बरकात अता फ़मादए। मैंने इस
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ररसाला में से बहुत तजुबादत ककये और उन्हें आिमाया और बहुत से लोगों, र्ोस्तों और र्ख ु इींसानों को भ बताया मैं तक़र बन एक साल से अबक़र की क़ाररया हूँ, मेरा अबक़र से तआर्रफ़ मेर ख़ाला की वजह से अप्रैल २०१४ से हुआ। तब से ले कर अब तक लगातार अबक़र ररसाला लेत हूँ और पढ़त हूँ । मझ ु े यक़ीन नह ीं आता कक आज कल आप जैसे फ़ररश्ता शसफ़्फ़त लोग भ हैं। मैंने ररसाले से बहुत से विाइफ़् पढ़े उन पर अमल भ ककया ज़जस मैं र्ो अन्मोल ख़िाना और या रज़ब्ब मसा या रज़ब्ब कल म َ َ ْٰ َ ِ ٰ ََی َر َبकी बात ह अलग है । मैंने अपन बबज़स्मकलादह-रह्मानन-रह शम ْح ِن الر ِح ْی ِم موٰس ََی َر َِب َک ِْیم بِ ْس ِم ہّٰللا الر ِ Page 24 of 26
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पड़ोसन को भ बताया वो भ अब लगातार ररसाला अबक़र पढ़त है और र्सद भ सुनत है और अक्सर आ कर बे शुमार फ़ायर्े बतात है । मैं ने सरह शम्स और काफ़-हा-या-ऐन-स्वार् کھیعصको भ र्ो बड़े मसाइल के शलए पढ़ा और भरपर फ़ायर्ा उठाया। इस के इलावा आख़र ६ सरतें भ अक्सर पढ़ फ़ायर्े हाशसल करत हूँ । अबक़र ने मेर ज़िन्र्ग बनार् या मुझे ज ने की राह दर्खा र् , शायर् अबक़र ना
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शमलता तो मैं मर चक ु ी होत । मेरे बहुत बहुत बहुत मसाइल हल हुए। मुझे तो रूहान िक्की से भ बेहर् फ़ायर्े हाशसल हुए।
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मोहतरम हकीम साहब! मेर एक जान्ने वाल का शौहर उसे बेहर् तींग करता था, बात बात पर लड़ाई
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झगड़ा, गालम गलोच अक्सर बात मार कुटाई तक पोहीं चत , ख़चाद ना र्े ता, हुक़क़ परे ना करता, हर वक़्त बेचार रोत रहत । एक दर्न मुझे शमल तो रोना शुरू कर दर्या मैंने वजह पछी तो अपन र्ख ु भर सार
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र्ास्ताूँ मझ ु ीं के साथ सन ु ा र् । कहने लग मैं तो नाम ननहार् अख़बार प रों फ़क़ीरों के पास ु े बहते आींसओ
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जा जा कर थक चक ु ी हूँ पता नह ीं ककस ने क्या करवाया हुआ है , मेर तो ज़िन्र्ग जहन्नम ु बन चक ु ी है ।
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कहने लग ख़र् ु ारा मेर मर्र् करो, नह ीं तो मेरे पास ख़ुर् कुश के इलावा र्सरा कोई रास्ता नह ीं है । मैंने
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उसे यह या रज़ब्ब मसा या रज़ब्ब कल म बबज़स्मकलादह-रह्मानन-रह शम
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َ َ ْٰ َ ِ ٰ ََی َر َبवाला वि फ़ा बताया। मैंने कहा यह वि फ़ा है जो तम्हार ज़िन्र्ग موٰس ََی َر َِب َک ِْیم ِب ْس ِم ہّٰللا الر ْح ِن الر ِح ْی ِم ु ِ
को जहन्नम ु से ननकाल कर जन्नत में ले जायेगा। बस यक़ीन, तवज्जह और मस् ु तक़ल शमिाज से हर
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वक़्त पढ़त रहो। अभ चींर् दर्न पहले ह उस का फ़ोन आया तो उस ने कहा वाक़ई तुमने सच कहा था इस वि फ़े ने मेर ज़िन्र्ग को जहन्नुम से ननकाल कर जन्नत में डाल दर्या है । मेरे शौहर में नाक़ाबबल ए
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यक़ीन हर् तक मुसज़ब्बत तब्र् शलयाीं आ चक ु ी हैं। अब मैं अपने घर में बहुत ख़श ु व ख़रु द म हूँ। मेरे शौहर
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अब मेरा बहुत ख़्याल रखते हैं और पपछल ज़िन्र्ग से तौबा और मझ ु से मआ ु फ़ी भ माींग चक ु े हैं। र्सरा ख़त: तमाम तर रहमतें नाज़िल हों आख़ख़र्र-ज़्िमान नब रे हमत हिरत मुहम्मर् ﷺपर और उन की आल पर। आम न सुम्म आम न। मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मेर शार् को बारह साल हो गए हैं लेककन अभ तक मैं औलार् की नेमत से महरूम हूँ र्आ ु है कक अकलाह तआला ककस र्श्ु मन को भ इस नेमत से महरूम ना करे । मेरा अबक़र ररसाले से तआर्रफ़ कैसे हुआ ये आप भ पदढ़ए। मैं पैशे के एतबार से लेड हे कथ पवज़िटर हूँ। एक दर्न एक पड़ोसन के घर में उन की अम्माूँ की तब अत ख़राब हो गय । मैं ब प चेक करने गय , परे शान तो दर्ल में थ , ब प चेक करने के र्ौरान अम्माूँ ने Page 25 of 26
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मुझ से पछा तुम्हारे ककतने बच्चे हैं मैंने कहा अम्माूँ अभ तो नह ीं है । अम्माूँ बोल : अकलाह माशलक है इींशाअकलाह वो िरूर र्े गा। बेटा परे शाीं ना हो, अकलाह मेहरबान है , ये ररसाला लो तुम्हार तमाम परे शाननयों का हल इस में है । मैंने सोचा पता नह ीं कैसा ररसाला होगा? कोई कफ़कम मैगि न ना हो, ककस तरह घर आई, ररसाला कमरे में बेड पर िैंक कर ख़र् ु कामों में मसरूफ़ हो गय । किर जब फ़ाररग़
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हुई तो मैं ने सोचा इस को एक बार पढ़ना तो चादहए जब मैंने पढ़ा तो पढ़त ह चल गय और एक की बजाये त न बार मुकम्मल ररसाला एक ननशस्त पर ह पढ़ शलया और बार् में अपन गन्र् सोच पर ख़र् ु
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ह शशमिंर्ा होने लग । मैंने सोचा अकलाह इस र्न्ु या में अभ तक नैक लोग मौजर् हैं अकलाह आप को इस
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का अज्र अि म िरूर र्े गा। मोहतरम हकीम साहब! मैंने इस ररसाला में से एक वि फ़ा पढ़ा--- वि फ़ा
क्या था जैसे मसाइल हल करने की चाब हाथ लग गय । इधर चाब घुमाओ उधर मसला हल। यानन इधर
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वि फ़ा पढ़ा उधर मसला हल। मैं ने जो वि फ़ा पढ़ा वो या रज़ब्ब मसा या रज़ब्ब कल म बबज़स्मकलादहَ َ ْٰ َ ِ ٰ ََی َر َبइस वि फ़े ने मेर ज़िन्र्ग , घरे ल हालात बहत موٰس ََی َر َِب َک ِْیم بِ ْس ِم ہّٰللا الر रह्मानन-रह शम ْح ِن الر ِح ْی ِم ु ِ
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बेह्तर कर दर्ए हैं। मेरे शौहर एक सरकार महकमे में ऑफ़ीसर हैं हमार पोज़स्टीं ग हमारे शहर से काफ़ी र्र
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हो गय मैं ख़र् ु भ जॉब करत थ मगर मुझे अपने शौहर के साथ जाना पड़ा, हम ने अपने शहर पोज़स्टीं ग
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के शलए बड़ कोशशश की मगर महकमा हमें वापस शहर भेजने को तय्यार ना था। मैंने इस मसले के हल के शलए यह र्जद बाला वि फ़ा पढ़ा और ऑफ़ीसर साहब को एक ख़त शलखा कक मैं ख़र् ु जॉब करत हूँ
आप हमार पोज़स्टीं ग र्ब ु ारह हमारे शहर में कर र्ें । एक हफ़्ता बार् ऑफ़ीसर साहब ने फ़ोन ककया और बोले
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कक बेटा आप को हम वापस भेज रहे हैं। अकहम्र्शु लकलाह! इस वि फ़े ने मेर ज़िन्र्ग का इतना बड़ा
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बावजर् नह ीं मान रहे थे।
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मसला इतन आसान से हल कर दर्या। हालाींकक वि फ़ा पढ़ने से पहले यह ऑफ़ीसर लाख शमन्नतों के
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क़ाररईन! मैं आप के स ने की अमानत आप तक पोहीं चा रहा हूँ , आप को इस वि फ़े से जो फ़ायर्ा पोहीं चे, िरूर अमानत समझ कर मझ ु े शलखें , इींतिार रहे गा। एडडटर! माहनामा अबक़र मई 2015 शुमारा नींबर
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