Monthly Ubqari Magazine April 2016 in Hindi

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माहनामा अबक़री मैगज़ीन

अप्रैल 2016 के एहम मज़ामीन हहिं दी ज़बान में

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माहनामा अबक़री मैगज़ीन

अप्रैल 2016 के एहम मज़ामीन

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हहिं दी ज़बान में

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दफ़्तर माहनामा अबक़री

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मज़िंग चोंगी लाहौर पाहकस्ट्तान

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मरकज़ रूहाननयत व अम्न 78/3 अबक़री स्ट्रीट नज़्द क़ुततबा मस्स्ट्िद

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एहिटर: शैख़-उल-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मुहम्मद ताररक़

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महमूद मज्ज़ूबी चुग़ताई ‫دامت برکاتہم‬

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माहनामा अबक़री मैगज़ीन

अप्रैल 2016 के एहम मज़ामीन हहिं दी ज़बान में

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फ़ेहररस्ट्त गुनाहों से आज़ादी का आसान अमल.................................................................................................................. 3 हाल ए हदल...................................................................................................................................................... 4 दसत रूहाननयत व अम्न ..................................................................................................................................... 7

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उधर शेर ए ख़ुदा ‫ رضي الله عنه‬के हाथ दआ ु के नलए उठे , इधर माज़ूर तिंदरु ु स्ट्त .................................................... 11 बच्चे को होसला मन्द और हदलेर बनाइये ......................................................................................................... 14

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क़ुरआन पाक आँखों पर लगाने से रसोली ख़त्म................................................................................................. 18

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पैग़म्बर ए इस्ट्लाम का ग़ैर मुस्स्ट्लमों से हुस्ट्न सलूक........................................................................................... 20

मेरी स्ज़न्दगी कैसे बदली? ............................................................................................................................... 21

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राउट मछली को िान्ने वाले मुतवज्िह हों! ..................................................................................................... 25 िोड़ों, पट्ठों और गदत न का ददत, िाननये बेह्तरीन इलाि .................................................................................... 25

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पािंच बीमाररयािं एक टोfbteam000 ................................................................................................................. 29

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टका .............................................................................................................................................................. 29 ननकलता सूरि, ऊँगली का इशारा और हर मसला हल! आज़मूदह अमल ............................................................ 32 नफ़्स्ट्याती घरे लू उल्झनें और आज़मूदह यक़ीनी इलाि ..................................................................................... 39

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सिंब्लू से हर हक़स्ट्म का कैंसर ख़त्म! बारहा का आज़मूदह इलाि ......................................................................... 43

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मीठी नीिंद और सुकून के तरसे अफ़राद के नलए चन्द आज़मूदह टोटके ................................................................ 47

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फ़्रिज वक़्त और पैसा दोनो​ों की बचत... ................................................................................................................ 51

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गुनाहों से आज़ादी का आसान अमल

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नेकी, गुनाहों से आज़ादी का सबब: हज़रत उक़्बा बबन आनमर ‫ رضي الله عنه‬से ररवायत है हक नबी करीम

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‫ ﷺ‬ने फ़मातया: "िो शख़्स गुनाह करता हो, हिर नेकी करने लगे तो उस की नमसाल उस शख़्स की सी है

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स्िस ने इतनी तिंग क़मीज़ पहन रखी हो हक उस का गला घोंट रहा हो हिर वो नेकी का एक अमल करे

और उस का एक हल्क़ा खुल िाए हिर दस ू री नेकी करे और दस ू रा हल्क़ा भी खुल िाए यहाँ तक हक वो

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उस से आज़ाद हो कर ज़मीन पर ननकल आए। (मस्ट्नद् अह्मद बबन हिं बल) सख़्त हदल शख़्स का हठकाना

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िहन्नुम है : हज़रत सराक़ा ‫ رضي الله عنه‬से ररवायत है हक नबी करीम ‫ ﷺ‬ने उन से फ़मातया: "सराक़ा! क्या

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मैं तुम्हें अहल िन्नत और अहल िहन्नुम के बारे में ना बताऊँ" अज़त हकया: "क्यूँ नहीिं या रसूलल्लाह

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‫ﷺ‬, नबी करीम ‫ ﷺ‬इशातद फ़मातया: "िहन्नुमी तो हर वो शख़्स होगा िो सख़्त हदल, तिंद ख़ो और

मुतकस्ब्बर हो और िन्नती वो लोग होंगे िो कम्ज़ोर ् और मग़लूब हों।" (मस्ट्नद् अह्मद) क़ब्र का साथी:

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हज़रत अनस बबन मानलक ‫ رضي الله عنه‬से ररवायत है , फ़मातते हैं हक रसूलल्लाह ‫ ﷺ‬ने इशातद फ़मातया:

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"मय्यत के साथ तीन चीज़ें िाती हैं , दो वापस आ िाती हैं और एक वही​ीँ रह िाती है । वापस आने वाली

चीज़ें उस का माल और अहल (घर वाले) हैं िब हक उस के साथ रह िाने वाली चीज़ उस का अमल है । (िानमअ नतनमतज़ी शरीफ़ बाब १२८६) माल व िाह की हहसत: हज़रत कअब बबन मानलक अिंसारी ‫رضي الله‬

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‫ عنه‬अपने वानलद से आिंहज़रत ‫ ﷺ‬का ये इशातद नक़ल फ़मातते हैं हक अगर दो भूके भेहड़ये बकररयों पर छोड़

हदए िाएिं तो भी वो इतना फ़साद बपात ना करें स्ितना माल व िाह की हहसत इिं सान के दीन को ख़राब करती है ।। (िानमअ नतनमतज़ी शरीफ़ बाब १२८३)

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एहिटर के क़लम से

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हाल ए हदल

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वाल्दै न की िािंट और ग़ुस्ट्से के बाद:

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िो मैं ने दे खा सुना और सोचा

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क़ाररईन! इस वक़्त मेरे पास ख़तूत और मुलाक़ातों के ज़ररए स्ितने भी बेशुमार लोग नमलते हैं वो दख ु ी ही

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तो नमलते हैं , सुखी शायद कम ही मेरे पास आए। अगर दख ु ों के एअदाद व शुमार का मवाज़्ना हकया िाए

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तो औलाद का ग़म इस वक़्त सर फ़ेहररस्ट्त है और औलाद का दख ु बहुत हद्द से ज़्यादा बढ़ा हुआ है और स्ज़न्दगी औलाद के ग़म में मुबाल्ग़े से भी कहीिं ज़्यादा िू बी हुई है । इिं सान औलाद के नलए हकतनी हस्रतें

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और हिर ख़ास तौर पर बेटों के नलए करता है हिर वही बेटे िब स्ज़न्दगी का वबाल और वक़्त से पहले

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बुढ़ापे का ज़रीया बन िाए तो हिर रग रग और अिंग अिंग बबखर िाता है िहाँ इस के अस्ट्बाब इिं टरनेट और मोबाइल हैं और उन का बहुत ज़्यादा असर है वहािं वाल्दै न का रवय्या बहुत ज़्यादा इस पर असर अिंदाज़ होता है , वाल्दै न ख़ुद तो चाहते हैं हमारा अदब और एहतराम हो, मुआश्रह्, ररश्तेदार, घर वाले और ख़ास

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तौर पर औलाद हमारे अदब और एहतराम में झुके झुके िाएिं लेहकन उन्हें ख़बर नहीिं हक औलाद भी इज़्ज़त नफ़्स रखती है , ऊँट को बेददी से मारा, साल्हा साल के बाद ऊँट ने इन्तेक़ाम नलया, ये वाहक़आत बहुत मशहूर हैं । मालूम हुआ िान्वर भी इज़्ज़त नफ़्स रखता है । हिर इिं सान आस्ख़र क्यूँ नहीिं रखता? औलाद के साथ बे िा सख़्ती, हाँ पाबन्दी ज़रूरी है , लेहकन सख़्ती हनगतज़ हनगतज़ नहीिं और औलाद के साथ

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बे िा की नफ़रत, पल पल की िािंट िपट पल पल की रोक टॉक और लम्हा लम्हा की नोक झोंक, िहाँ और बेशुमार नफ़्स्ट्याती मसाइल और नफ़्स्ट्याती उल्झनें पैदा करने का ज़रीया बनती है वहाँ बग़ावत, नफ़रत और अिंदरूनी तौर पर वाल्दै न के नलए करातहत स्िस का चाहे इज़्हार हो या ना हो या हिर बअज़ औक़ात ना फ़मातनी की शकल में इस का इज़्हार होता है । मुसल्सल ये चीज़ अिंदर ही अिंदर बढ़ती चली िाती है या

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हिर बअज़ औक़ात वो करातहत और नफ़रत ख़ुद अपनी ज़ात की शकल में पैदा हो िाती है और इिं सान

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अपने आप को मुआश्रे का सब से कम्तर और बद्द तरीन इिं सान समझ कर सारे िहान को अपना दश्ु मन

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बना लेता है या समझ लेता है । मैं दो ख़त आप की स्ख़दमत में पेश करता हूँ क्या आप ग़ौर करें गे हक इन ख़तूत का एक एक लफ़्ज़ हदल के तार को ग़म्ज़्दह कर दे और आिंसू आहें , नसस्स्ट्कयािं, या कम अज़ कम

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ठिं िी सािंस तो ननकल्वा ही दें । क्या इन ख़तूत को पढ़ कर आप अपने हौसले बरक़रार रख सकेंगे? तो पढ़ें ।

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बराहे करम! बाप और माँ अपने रवय्ये, लेह्िे, अिंदाज़ और तरतीब को या दरु ु स्ट्त करें या बदलें, वरना

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अिंिाम आप के सामने है । अपनी नस्ट्लों को आप हकस अिंदाज़ पर ले कर िा रहे हैं । "अब मैं अपनी

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तफ़्सील आप को बताने लगी हूँ, वो ये हक मेरी वानलदा को बहुत ग़ुस्ट्सा आता है और ग़ुस्ट्से में बहुत ज़्यादा गानलयािं दे ती हैं और बस मुझ पर अपना सारा ग़ुस्ट्सा उतारती हैं , मैं बहुत कोनशश करती हूँ हक कुछ ना

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कहूँ उन को लेहकन मुझ से बदातश्त नहीिं होता और मैं ना चाहते हुए उन को बहुत कुछ कह दे ती हूँ और

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बाबा भी उन की हर बात मानते हैं और उन के कहने में आ कर वो भी मुझे छोटी छोटी सी बातों पर बहुत

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िािंटते हैं । मैं उन दोनों से बहुत तिंग आ गयी हूँ, मैं उन के साथ नहीिं रहना चाहती, प्लीज़ आप ग़लत ना समस्झयेगा लेहकन मैं उन के साथ नहीिं रहना चाहती। हर चीज़ में अपनी मज़ी करते हैं िो हक मुझे

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बबल्कुल पसिंद नहीिं, मेरा हदल करता है हक बस घर छोड़ कर चली िाऊिं या बस अपने आप को ख़त्म कर दिं ।ू मेरी मेरी वानलदा से बहुत लड़ाई होती है और एक महीने पहले हमारी बहुत लड़ाई हुई तो मैं ने ग़ुस्ट्से में आ कर Sleeping Pills भी खा ली थीिं लेहकन हिर मैदा वाश करवाया, तो ख़ैर मैं उन के साथ नहीिं रहना चाहती रोज़ रोज़ की लड़ाई से मेरा हदमाग़ ख़राब हो गया है । हर वक़्त अिीब सी टें शन रहती है और

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अगले महीने मेरे पेपसत भी हैं , चाह के भी नहीिं पढ़ पा रही हूँ।" क़ाररईन! एक और ख़त भी मुलाहहज़ा फ़मातएँ: "मुझे िॉक्टर नफ़्स्ट्याती मरीज़ कहते हैं और मैं नफ़्स्ट्याती दवाइयाँ खा खा कर तिंग आ चुका हूँ, मेरी बीमारी की दो विूहात हैं या मैं ख़ामोश हो िाता हूँ या हिर तेज़ी में चला िाता हूँ। ख़ामोशी की हालत में मेरी हालत ये होती है हक मुझे अपने आप का कोई पता नहीिं होता, ना मुझे हकसी की बात की कोई

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समझ आती है ना मुझे खाने की होश होती है ना पीने की होश है , ना मैं कपड़े बदलता हूँ और ना ही मैं

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नहाता हूँ। घर वाले ज़बरदस्ट्ती से कोई चीज़ दे दें तो खा लेता हूँ, मैं इतना बे हहस्ट्स हो चुका हूँ हक मेरी

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विह से वानलद साहब को तीन दफ़ा हदल का अटै क हुआ, मैं हकसी को कुछ नहीिं बता सका वो तड़प तड़प कर फ़ॉत हो गए लेहकन मैं कुछ ना कर सका। मेरे वानलद हमें पच्चीस लाख का मक़्रूज़ छोड़ कर इस दन्ु या

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से चले गए। मेरी तबीअत की ख़राबी में बहुत अमल दख़ल मेरे वानलद के रवय्यों का भी है । अब मुझे रोना

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आता है ना हिं सना, मेरा हदमाग़ बन्द हो चुका है , इस बीमारी की विह से घर के अिंदर बन्द कमरे में रहता

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हूँ, दो दो साल तक घर से बाहर नहीिं ननकलता, मेरा अपना मेहिकल स्ट्टोर था, फ़रोख़्त हो चुका है , मैं बहुत

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ही अज़ाब में हूँ। अब मैं एक मुह्ताि बन कर रह गया हूँ, मेरे भाई ने मेरे घर का ख़चत उठाया हुआ है । एक दफ़ा ख़ुदकशी की भी कोनशश कर चुका हूँ, अब िॉक्टर मुझे बबिली के झटके लगा रहे हैं स्िसे इिं स्ललश में

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ECT कहते हैं । दआ ु करें मैं इस अज़ाब से ननकल आऊिं और अपनी औलाद की स्ज़म्मा दारी ख़ुद उठा

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सकूँ।" ये दोनों ख़त पुकार पुकार कर वाल्दै न को एक पैग़ाम दे रहे हक ख़ुदारा कुछ एह्सास पैदा करें और

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अपने हदल की कैहफ़यतों को बेदार करें , वरना औलाद हाथों से ननकल कर मुआश्रे का एक नगरा पड़ा

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मुझातया हुआ पत्ता बन िाएगी।

माहनामा अबक़री अप्रैल 2016 शुमारा निंबर 118__________________pg 3

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दसत रूहाननयत व अम्न

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शैख़-उल-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मुहम्मद ताररक़ महमूद मज्ज़ूबी चुग़ताई‫دامت برکاتہم‬

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ग़ैर मुस्स्ट्लम से नफ़रत नहीिं, हहदायत के नलए दआ ु करें

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ग़ैर मुस्स्ट्लम से नफ़रत ना करें , उन की हहदायत के नलए दआ ु करें : मैं एक िाइिेस्ट्ट पढ़ता था। उस में हर दफ़ा कोई ना कोई ऐसी कहानी होती थी हक फ़लािं हहन्द ू ने ये कर हदया। बननए ने ये कर हदया। ईसाई ने ये

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कर हदया। यहूदी ने ये कर हदया। इस तरह की कहानीयािं पढ़ कर एक नफ़रत वाला ज़ेहन बन रहा था।

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अल्लाह िज़ाए ख़ैर दे मेरे मुनशतद हज्वैरी ‫ رحمة الله عليه‬को १९८४ में उन से बेअत हुआ हूँ। मेरी उन के साथ

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िब से ननस्ट्बतें िुड़ीिं तब ये नफ़रतें ख़त्म हुईं। उन्हों ने कहा नहीिं उन से नफ़रत नहीिं करना। ये सारे

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कम्ली वाले ‫ ﷺ‬के उम्मती हैं उन के साथ ख़ैर ख़्वाही वाला िज़्बा हो। उस हदन से मैं ने अपने अिंदर से वो सारी बात खुरच कर ननकाल दी हक मुसल्मान के नलए या मुसल्मान के हकसी हफ़रक़े के नलए हक ये

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तो नसफ़त मुसल्मान हैं बस मुसल्मान हैं ।

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बरे ल्वी है , ये दे वबन्द है , ये अहल्हदीस है , ये वह्हाबी है , ये हयाती है , ये ममाती है ! अरे नहीिं भई नहीिं! हम

कम्ली वाले ‫ ﷺ‬सख़ी हैं , आप भी सख़ी बनें!

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बस हमारा तम्ग़ा और हमारी पहचान मुसल्मान होना है और फ़क़ीर के कश्कोल के सारे नसक्के फ़क़ीर के ही होते हैं । खोटे नसक्के भी और खरे नसक्के भी। ये िज़्बा होना चाहहए हमारे अिंदर। हमारे मन में ये िज़्बा होना चाहहए और अगर ये िज़्बा होगा ना! तो हिर ग़ायबाना दआ ु एिं ननकलेंगी उन सब के नलए। अब आप वादा करें हक सब के नलए दआ ु करें गे। या हिर अकेले अपनी ज़ात को ले कर चलेंगे? सख़ी बनेंगे

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या बख़ील बनेंगे? आक़ा कम्ली वाले ‫ ﷺ‬से बढ़ कर सख़ी कोई है ? तो कम्ली वाले ‫ ﷺ‬का उम्मती भी सख़ी होगा ना! अल्लाह तबारक व तआला से दआ ु है हक वो आप सब को अपनी ज़ात से मािंगने वाला बनाए और कम्ली वाले ‫ ﷺ‬की उम्मत की ख़ैर ख़्वाही का िज़्बा आप के हदलों में िालें और आप के सदक़े अल्लाह मुझे भी अपने दर का फ़क़ीर और सवाली बनाए।

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कायनात का मानलक: मेरे मोहतरम दोस्ट्तो! अल्लाह करीम इस कायनात का ननज़ाम चलाने में मुकम्मल

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तौर पर यक्ता है । उस का कोई वज़ीर नहीिं, कोई मुशीर नहीिं िो ये ननज़ाम चलाए। िो कुछ हो रहा है वो सब

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कुछ उस के हुक्म से हो रहा। उस का हुक्म सारी कायनात पर ग़ानलब है और ग़ानलब रहे गा। अल्लाह

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ग़ानलब रहा है , ग़ानलब है और ग़ानलब रहे गा। अल्लाह ताक़त्वर रहा है , ताक़त्वर है और ताक़त्वर रहे गा।

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दन्ु या बक़दर मुक़द्दर: अल्लाह पाक िल्ल शानुहू ने हमें इस दन्ु या में कुछ आमाल बनाने के नलए भेिा है ।

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माल बनाना मोअनमन का काम नहीिं। मोअनमन को यक़ीन है हक माल मुक़द्दर का हहस्ट्सा है , बक़ौल

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अल्लाह वालों के: हक "दन्ु या बक़दर मुक़द्दर है और दीन बक़दर मुशक़्क़त है " ये दन्ु या ऐसे ही नहीिं बन

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गयी हक दन्ु या बन गयी तो हम भी बन गए, दन्ु या बबगड़ गयी तो हम भी बबगड़ िाएिंगे।

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अल्हाकुमु-त्तकासुर ् का मफ़हूम: अल्लाह िल्ल शानुहू का एक ननज़ाम है हक: अल्लाह पाक ने हमें हकसी

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मक़्सद के नलए बनाया है । अल्लाह पाक फ़मातते हैं हक: तुम क्या समझते हो हक हम ने तुम्हें बेकार बना

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हदया? तुम्हारी स्ज़न्दगी बेकार बना दी? "अल्हाकुमु-त्तकासुर"् बना हदया? अल्हाकुमु-त्तकासुर ् ये है हक बच्चों को ये पता नहीिं हक हम क्या खेल रहे हैं । घर बनाते हैं और बना कर तोड़ दे ते हैं । थोड़ी दे र खेलते हैं

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और हिर थोड़ी ही दे र में लड़ना शुरू कर दे ते हैं , हिर दोस्ट्ती भी कर लेते हैं । उन्हें पता ही नहीिं हक कब सुबह हुई कब शाम हुई। ना बच्चों को ररज़्क़ की हफ़क्र, ना हुक़ूक़ की हफ़क्र, ना कारोबार का हफ़क्र, ना फ़राइज़ की हफ़क्र, ना स्ज़म्मा दाररयों का हफ़क्र। बे ख़याली की स्ज़न्दगी, मन चाहह स्ज़न्दगी, अपने नमज़ाि से आना, अपने नमज़ाि से सोना, अपनी तबीअत से चलना इसे अल्हाकुमु-त्तकासुर ् कहते हैं । मेरा

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अल्लाह कहता है हक: "मेरे बन्दे तू अपनी तबीअत से अपने नमज़ाि से चल कर अपनी स्ज़न्दगी गुज़ार रहा है तुझे ख़बर ही नहीिं हक तू आया हकस मक़्सद के नलए है ?" आमाल का शौक़: स्ज़न्दगी के ननज़ाम में अल्लाह तआला ने इिं सान को कुछ ऐसी चीज़ें अता की हैं स्िन पर अमल करने से इिं सान अल्लाह तआला की ज़ात आली की तरफ़ मुतवज्िह हो िाता है और वो चीज़ें

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आमाल हैं । स्िस तरह बच्चे को अपनी तरफ़ मुतवज्िह करने के नलए कोई चमक्दार चीज़ दे ते हैं तो वो

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अपना शुग़ल छोड़ कर उस चीज़ की तरफ़ मुतवज्िह हो िाता है । इसी तरह अल्लाह पाक िल्ल शानुहू

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इिं सान को अपनी तरफ़ मुतवज्िह करने के नलए आमाल दे ते हैं । आमाल के फ़ज़ाइल और आमाल का

शौक़ दे ते हैं । िैसे बकरी को घास िालोगे तो बकरी क़रीब आएगी और अगर ि​िं िा हदखाओगे तो बकरी दरू

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भाग िाएगी। ये िान्वर का नमज़ाि है मगर इिं सान तो अफ़्ज़ल है । इिं सान को िब कोई चीज़ या नेअमत

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हदखाओ तो इिं सान भी मुतवज्िह हो िाता है । और अगर हकसी इिं सान को कोई मुसीबत हदखा दो तो

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इिं सान दरू चला िाता है । अल्लाह पाक िल्ल शानुहू ने इिं सान को अपनी तरफ़ मुतवज्िह करने के नलए

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आमाल हदए हैं । आमाल के फ़ज़ाइल और फ़वाइद हदए हैं हक: ये अमल करें गे तो ये हानसल होगा। इिं सान

के नमज़ाि में अल्लाह पाक ने नफ़ा रख हदया है । उसे िहाँ भी नफ़ा नज़र आएगा ये उस की तरफ़

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मुतवज्िह हो िाएगा। इिं सान के ख़मीर में अल्लाह पाक ने नफ़ा रखा है और आमाल दे कर अल्लाह पाक

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िल्ल शानुहू ने आमाल के नफ़े हदए हैं हक आमाल करोगे तो आमाल का नफ़ा नमलेगा। अमल को अमल

की फ़ज़ीलत से, कमाल से और उस के ज़ररए नमलने के यक़ीन के साथ करें ।

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बच्पन से पच्पन तक: बच्पन से पच्पन तक दन्ु या के फ़ज़ाइल और माल के फ़ज़ाइल सुने हैं । बच्चे ने नोट दे खा तो उसे नोट से क़ुल्फ़ी, टॉफ़ी, मीठी, नम्कीम चीज़ नमलती नज़र आई। बच्चे को माल के फ़ज़ाइल का तिुबात हो गया हक अगर मेरे पास इतना माल आ िाएगा तो मुझे ये तमाम चीज़ें नमल िाएिंगी। उसी बच्चे को हम ने आमाल के फ़ज़ाइल नहीिं नसखाये हक अगर आमाल करे गा तो तुझे अल्लाह की मुहब्बत और अल्लाह का तअल्लुक़ नसीब हो िाएगा। अल्लाह रब्बुल ्-इज़्ज़त का क़ुबत: वो लोग िो ये Page 9 of 54 www.ubqari.org

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चाहते हैं हक उन्हें अल्लाह पाक िल्ल शानुहू का क़ुबत, अल्लाह पाक िल्ल शानुहू का ध्यान, अल्लाह पाक िल्ल शानुहू का तअल्लुक़ नसीब हो िाए तो वो अमल को अमल की फ़ज़ीलत से, कमाल से और उस से नमलने के यक़ीन के साथ करें । (िारी है )

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दसत से फ़ैज़ पाने वाले मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! तहे हदल से दआ ु गो हूँ हक अल्लाह पाक आप और

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आप के अहल ख़ाना और तस्ट्बीह ख़ाना से वाबस्ट्ता हर फ़दत पर अपनी रहमतें, बरकतें, आहफ़यतें इनायत

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फ़मातए और इस तस्ट्बीह ख़ाना को स्िसे हदलों से ज़िंग उतारने का कारख़ाना कहूँ तो बे िा नहीिं, अल्लाह

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करीम उस की हहफ़ाज़त फ़मातए और क़यामत तक उस के ज़ररए मख़लूक़ की हहदायत व रहनुमाई फ़मातए।

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अल्लाह करीम आप और आप की नस्ट्लों की हहफ़ाज़त फ़मातए, आप की नस्ट्लों में वली पैदा फ़मातए और

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आप का साया हमारे और तमाम मख़लूक़ के सरों पर क़ाइम व दायम रखे। आमीन! मैं तक़रीबन हर

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िुमेरात को दसत में हाज़री दे ता हूँ, मैं ने आप के दसत में सुना था हक दो अमलों का सवाब अल्लाह पाक

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अपनी रहमत से पहले दन्ु या में दे ते हैं हिर इन ् शा अल्लाह आस्ख़रत में भी दें गे निंबर १: स्ख़दमत वाल्दै न,

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निंबर २: हज्ि बैतुल्लाह, तो मैं ने वाज़ेह महसूस हकया है हक मेरी स्ज़न्दगी में स्ख़दमत वाल्दै न ने ख़ास असर िाला है , तालीम बबल्कुल मामूली है लेहकन अब ग्रेि १६ की पोस्ट्ट पर हूँ और इन ् शा अल्लाह ग्रेि १७

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नमलने वाला है । आप के दसत में आने से मेरी स्ज़न्दगी की बहुत सी मुस्श्कलात ऐसी हल हो िाती हैं हक

मुझे पता भी नहीिं चलता। बस िो भी मुस्श्कल होती है िुमेरात का इिं तज़ार करता हूँ, दसत में आता हूँ, दआ ु

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करता हूँ और मुस्श्कल फ़ौरी हल। (म-ज़)

माहनामा अबक़री अप्रैल 2016 शुमारा निंबर 118___________________pg 4

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अप्रैल 2016 के एहम मज़ामीन हहिं दी ज़बान में

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उधर शेर ए ख़ुदा ‫ رضي الله عنه‬के हाथ दआ ु के नलए उठे , इधर माज़ूर तिंदरु ु स्ट्त (ऐ उस्ट्मान! ज़ानलमों ने पानी बन्द कर के तुम्हें प्यास से बेक़रार कर हदया है ? मैं ने अज़त हकया िी हाँ! तो फ़ौरन ही आप ‫ ﷺ‬ने दरीची में से एक िॉल मेरी तरफ़ लटका हदया िो ननहायत शीरीिं और ठिं िे पानी से

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(अबू लबीब शाज़्ली)

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भरा हुआ था मैं उस को पी कर सेराब हो गया)

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दो ग़ैबी शेर: ररवायत है हक बादशाह रूम का भेिा हुआ एक अज्मी काहफ़र मदीना मुनव्वरह आया और

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लोगों से हज़रत उमर ‫ رضي الله عنه‬का पता पूछा। लोगों ने बता हदया हक वो दोपेहेर को खिूर के बाग़ों में शहर

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से कुछ दरू क़ैलूला फ़मातते हुए तुम को नमलेंगे। ये ज़ख़्मी काहफ़र ढू िं िते ढू िं िते आप के पास पोहिं च गया और ये

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दे खा हक आप अपना चमड़े का दरु त ह अपने सर के नीचे रख कर ज़मीन पर गहरी नीिंद सो रहे हैं । अज्मी

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काहफ़र इस इरादे से तल्वार को न्याम से ननकाल कर आगे बढ़ा हक अमीरुल मुअनमनीन ‫ رضي الله عنه‬को

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क़तल कर के भाग िाए मगर वो िैसे ही आगे बढ़ा बबल्कुल ही अचानक उस ने ये दे खा हक दो शेर मुिंह िाड़े हुए उस पर हम्ला करने वाले हैं , ये ख़ौफ़नाक मन्ज़र दे ख कर वो ख़ौफ़ व दहशत से बबस्ल्बला कर चीख़ पड़ा

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और उस की चीख़ की आवाज़ से अमीरुल मुअनमनीन बेदार हो गए और ये दे खा हक अज्मी काहफ़र की निंगी

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तल्वार हाथ में नलए हुए थर थर काँप रहा है । आप ने उस की चीख़ और दहशत का सबब दरयाफ़्त फ़मातया तो उस ने सच सच सारा वाहक़आ बयान कर हदया और हिर बुलन्द आवाज़ से कल्मा पढ़ कर मुशरत फ़ ब

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इस्ट्लाम हो गया और अमीरुल मुअनमनीन ने उस के साथ ननहायत मुशफ़क़ाना बतातओ फ़मात कर उस के क़ुसूर को मुआफ़ कर हदया। (अज़ालत अल्ख़फ़ा मक़्सद २ स १७२ और तफ़्सीर कबीर ि ५ स४७८) ख़्वाब में पानी पी कर सेराब: हज़रत अब्दल् ु लाह बबन सलाम ‫ رضي الله عنه‬फ़मातते हैं हक स्िन हदनों बानग़यों ने हज़रत उस्ट्मान ग़नी ‫ رضي الله عنه‬के मकान का मुहासृह् कर नलया और उन के मुबारक घर में पानी की एक

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बूँद तक का िाना बन्द कर हदया था और हज़रत उस्ट्मान ग़नी ‫ رضي الله عنه‬प्यास की नशद्दत से तड़पते रहते थे। मैं आप की मुलाक़ात के नलए हास्ज़र हुआ तो आप उस हदन रोज़ादार थे। मुझको दे ख कर आप ‫ رضی اللہ عنہ‬ने फ़मातया हक ऐ अब्दल् ु लाह बबन सलाम! आि मैं हुज़ूर नबी अक्रम ‫ ﷺ‬के दीदार पुर

अन्वार से ख़्वाब में मुशरत फ़ हुआ तो आप ‫ ﷺ‬ने इिं तेहाई मुशफ़क़ाना लेह्िे में इशातद फ़मातया हक ऐ

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उस्ट्मान! ज़ानलमों ने पानी बन्द कर के तुम्हें प्यास से बेक़रार कर हदया है ? मैं ने अज़त हकया हक िी हाँ!

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तो फ़ौरन ही आप ‫ ﷺ‬ने दरीची में से एक िॉल मेरी तरफ़ लटका हदया िो ननहायत शीरीिं और ठिं िे

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पानी से भरा हुआ था मैं उस को पी कर सेराब हो गया और अब इस वक़्त बेदारी के हालत में भी उस पानी की ठिं िक मैं अपनी दोनों छानतयों और कन्धों के दरम्यािं महसूस करता हूँ। हिर हुज़ूर नबी अक्रम ‫ ﷺ‬ने मुझ

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से इशातद फ़मातया हक ऐ उस्ट्मान! अगर तुम्हारी ख़्वाहहश हो तो उन बानग़यों के मुक़ाब्ला में तुम्हारी इम्दाद व नुसरत करूँ और अगर तुम चाहो तो हमारे पास आ कर रोज़ा अफ़्तार करो। ऐ अब्दल् ु लाह बबन सलाम! मैं ने

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ख़ुश हो कर ये अज़त कर हदया हक या रसूलल्लाह ‫ !ﷺ‬आप ‫ ﷺ‬के दरबार पुर अन्वार में हास्ज़र हो

सलाम

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कर रोज़ा अफ़्तार करना ये स्ज़न्दगी के हज़ारों लाखों दिे ज़्यादा मुझे अज़ीज़ है । हज़रत अब्दल् ु लाह बबन ‫ رضي الله عنه‬फ़मातते हैं हक मैं उस के बाद रुख़्सत हो कर चला आया और उसी रात में बद्द बख़्त

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बानग़यों ने आप ‫ رضي الله عنه‬को शहीद कर हदया। (अल्बदाया वल्न्हाया ि ७ स १८२)

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फ़ोनलि ् ज़्दह अच्छा हो गया: अल्लामा तािुद्दीन सब्की ‫ رضي الله عنه‬ने अपनी हकताब (तबक़ात) में स्ज़क्र फ़मातया है हक एक मततबा अमीरुल मुअनमनीन हज़रत अली ‫ رضي الله عنه‬अपने दोनों शाहज़ादगािं हज़रत

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इमाम हसन व इमाम हुसैन ‫ رضي الله عنه‬के साथ हरम कअबा में हास्ज़र थे हक दरम्यानी रात में नानगहाँ ये सुना हक एक शख़्स बहुत ही नगड़नगड़ा कर अपनी हाित के नलए दआ ु मािंग रहा है और ज़ार ज़ार रो रहा है । आप ‫ رضي الله عنه‬ने हुक्म हदया हक उस शख़्स को मेरे पास लाओ। वो शख़्स इस हाल में हास्ज़र स्ख़दमत हुआ हक उस के बदन की एक करवट फ़ोनलि ज़्दह थी और वो ज़मीन पर घसीटता हुआ आप ‫ رضي الله عنه‬के सामने आया। आप ‫ رضي الله عنه‬ने उस का हक़स्ट्सा दरयाफ़्त फ़मातया तो उस ने अज़त हकया हक ऐ अमीरुल

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मुअनमनीन ‫ !رضي الله عنه‬मैं बहुत ही बे बाकी के साथ हक़स्ट्म हक़स्ट्म के गुनाहों में हदन रात मुन्हमक रहता था और मेरा बाप िो बहुत ही सालेह और पाबन्द शरीअत मुसल्मान था, बार बार मुझ को टोकता और गुनाहों से मना करता था मैं ने एक हदन अपने बाप की नसीहत से नाराज़ हो कर उस को मार हदया और मेरी मार खा कर मेरा बाप रिं ि व ग़म में िू बा हुआ हरम कअबा आया और मेरे नलए बद्द दआ ु करने लगा। अभी

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उस की दआ ु ख़त्म भी नहीिं हुई थी हक बबल्कुल ही अचानक मेरी एक करवट पर फ़ोनलि का असर हो गया

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और मैं ज़मीन पर नघसट कर चलने लगा। इस ग़ैबी सज़ा से मुझे बड़ी इब्रत हानसल हुई और मैं ने रो रो कर

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अपने बाप से अपने िुमत की मुआफ़ी तलब की और मेरे बाप ने अपनी शफ़क़त पदरी से मज्बूर हो कर मुझ पर रहम खाया और मुझे मुआफ़ कर हदया और कहा हक बेटा चल! िहाँ मैंने तेरे नलए बद्द दआ ु की थी उसी

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िगा अब मैं तेरे नलए सेहत व सलामती की दआ ु मािंगूिंगा। तो मैं अपने बाप को ऊिंटनी पर सवार कर के

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मक्का मुकरत मा ला रहा था हक रास्ट्ते में बबल्कुल ना नगहाँ ऊिंटनी एक मक़ाम पर बुदक कर भागने लगी और

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मेरा बाप उस की पीठ पर से नगर कर दो चट्टानों के दरम्यान हलाक हो गया और अब मैं अकेला ही हरम

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कअबा में आ कर हदन रात रो रो कर अल्लाह तआला से अपनी तिंदरु ु स्ट्ती के नलए दआ ु एिं मािंगता रहता हूँ।

अमीरुल मुअनमनीन ने सारी सर गुज़श्त सुन कर फ़मातया हक ऐ शख़्स अगर वाक़ई तेरा बाप तुझ से ख़ुश हो

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गया था तो इत्मीनान रख हक ख़ुदा करीम भी तुझ से ख़ुश हो गया है । उस ने कहा हक ऐ अमीरुल

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मुअनमनीन! मैं बहल्फ़ शरई क़सम खा कर कहता हूँ हक मेरा बाप मुझ से ख़ुश हो गया था। अमीरुल

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मुअनमनीन हज़रत अली ‫ رضي الله عنه‬ने उस शख़्स की हालत ज़ार पर रहम खा कर उस को तसल्ली दी और

चन्द रकअत नमाज़ पढ़ कर उस की तिंदरु ु स्ट्ती के नलए दआ ु मािंगी। हिर फ़मातया: ऐ शख़्स उठ खड़ा हो िा ये

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सुनते ही वो बबला तकल्लुफ़ उठ कर खड़ा हो गया और चलने लगा। आप ‫ رضي الله عنه‬ने फ़मातया हक ऐ शख़्स! अगर तू ने क़सम खा कर ये ना कहा होता हक तेरा बाप तुझ से ख़ुश हो गया था तो मैं हनगतज़ तेरे नलए दआ ु ना करता। (हुज्ितुल्लाह अलल ्आलमीन ि२ स८६३। करामात सहाबा स ७९)

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लूज़ मोशन का अिीब कमाल का आज़मूदह टोटका मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं एक दफ़्तर में नया गया तो वहािं मुझ से एक सीननयर थे िो मुझे काम नहीिं बताते थे स्िस की विह से मुझे बड़ी परे शानी होती थी, मैं ने दरूद शरीफ़ पढ़ पढ़ कर उसे हद्या करना शुरू कर हदया। हिर िब मैं उस से कुछ भी पूछता तो वो बहुत फ़राख़हदली के साथ बताता।

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मेरे पास लूज़ मोशन का एक आज़मूदह टोटका है िो मैं क़ाररईन अबक़री की नज़र करता हूँ:- हमारे घर में

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िब भी हकसी को लूज़ मोशन लगते हैं तो मेरी अम्मी केले पर चीनी लगा कर स्खला दे ती हैं और थोड़ी दे र

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माहनामा अबक़री अप्रैल 2016 शुमारा निंबर 118__________________pg 5

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बाद पेप्सी या कॉक की बोतल बपला दे ती हैं तो लूज़ मोशन फ़ौरी ठीक हो िाते हैं । (मुहम्मद उमर, लाहौर)

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माओिं के नलए चन्द मश्वरे

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बच्चे को होसला मन्द और हदलेर बनाइये

(ये फ़ैस्ट्ला भी बच्चा ख़ुद ही करता ये वो कब पेट के बल रें गने लगेगा कब खड़ा होगा और चलना शुरू

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करे गा पहले ज़माने में माओिं का ख़्याल था अगर बच्चे को िल्दी ही ना चलना नसखा हदया िाए तो उस

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की टािंगें टे ढ़ी हो िाती हैं लेहकन िदीद तहक़ीक़ात ने इस ख़्याल को मुस्ट्तरत द कर हदया है ) कहते हैं नो मोलूद बच्चा कम आमेज़ (Un-Sociable) होता है उसे अपनी ज़ात की ख़बर होती है , इस

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नलए वो दस ू रों से मेल िोल की बज़ाहहर कोई कोनशश नहीिं करता, लेहकन उस के अिंदर इस की पूरी सलाहहयत पाई िाती है , अगर उस की शख़्सी एह्सासात को समझने और मख़फ़ी सलाहहयतों को उभारने की कोनशश की िाए तो आदमी ख़ासा काम्याब रहता है पैदाइश के बाद िब बच्चा सिंभालता है तो वो हमक हमक कर माँ की गोद में िाने के नलए हाथ पाऊँ मारता है , ये दस ू रों के साथ उस के राब्ते की पहली कोनशश है , िब माँ उसे गोद में उठा कर पुकारती है तो बच्चा तह्त अल ्-शऊर में उसे अपना मेहरबान Page 14 of 54 www.ubqari.org

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समझने लगता है , स्िस स्िस अिंदाज़ से कोई उसे उठाता और बहलाता है उस के ज़ेहन में वेसे ही नक़ूश सबत होते चले िाते हैं । बच्चा इस सलूक को पूरी तरह समझता है हक उठाने वाला मुशक़्क़त और मुहब्बत से पेश आ रहा है या बे हदल्ली और ख़फ़गी के साथ बेगार टाल रहा है । पैदाइश के तिुबे से सिंभलने में नो मोलूद को कई हदन लगते हैं , उसे पहली बार भूक उस वक़्त महसूस होती है िब क़ुदरत की

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तरफ़ से माँ की छानतयों में उस की सेराबी का इिं तेज़ाम हो िाता है । अमूमन पैदाइश के तीसरे रोज़ माँ का

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दध ू उतर आता है िॉक्टर और हकीम बच्चे के नलए माँ के दध ू को सब से ज़्यादा मुफ़ीद और ना गुज़ीर

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बताते हैं । एक एहम सबब ये है बच्चा माँ की धड़कन और उन के हाथों के लम्स से बड़ी राहत महसूस करता है , इसी तरह अगर उसे हाथों में ले कर झुलाएिं या प्यार भरी लोररयाँ सुनाएिं तो वो बाग़ बाग़ हो

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िाता है । नो ज़ायदा बच्चे से हकसी दाननष्मिंदाना और अपनी मज़ी के मुताबबक़ रद्द अमल की तवक़्क़ुअ

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मुसस्ब्बत है िो माएिं बच्चे को हिं साने के नलए उसे स्झिंझोड़ती, दबोचती और गुदगुदाती हैं वो ग़लत फ़ेह्मी

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का नशकार हैं ,ऐन मुस्म्कन है हक माँ की इस हदल लगी से बच्चे के ज़ेहन पर ना गवार असर पड़े और वो

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स्खस्ल्खलाने की बिाए मुिंह बसोर कर रोना शुरू कर दे । शुरू में बच्चा तिुबे के तौर पर मुस्ट्कराता है िब अपने आस पास वालों को हँ सते दे खता है तो उन की नक़ाली करते हुए ख़ुद भी हिं सने लगता है । पैदाइश के

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बाद दो हफ़्ते तक बच्चा सोने और दध ू पीने के इलावा हकसी काम से आष्ना नहीिं होता। ना ही इस के बाद

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उन में इतनी क़ुव्वत होती है हक कोई काम कर सके रहम मादर में परवररश के दौरान वो कनशश सक़्ल से

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महफ़ूज़ रहता है , इस नलए पैदाइश के बाद िब कनशश सक़्ल से वास्ट्ता पड़ता है तो घबरा िाता है , आप ने

अक्सर दे खा होगा हक नहाते वक़्त बच्चा बड़ी राहत महसूस करता है , इस की विह पानी में तैरने की

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क़ुव्वत है स्िस की बदौलत कुछ दे र के नलए बच्चे को कनशश सक़्ल से ननिात नमल िाती है और वो गो ना मुसरत त का इज़्हार करता है । बच्चा दो हफ़्ते का हो िाए तो नीिंद कम, ग़ल्बा कम हो िाता है अब वो ख़ासा वक़्त िाग कर गुज़ारता है और मुख़्तनलफ़ चेहरों से स्खलने का इश्त्याक़ ज़ाहर करता है , माँ की छानतयाँ उस के नलए क़ुदरती स्खलौना हैं , इस नलए वो दध ू पीने के साथ साथ उन से खेलता भी रहता है ,

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मुनानसब ये है हक उस को खेल से ना रोका िाए, अलबत्ता िब वो उठने बैठने और घुटनों के बल चलने लगे तो हकसी दस ू रे स्खलोने से मानूस करा दीस्िये, लेहकन ये क़दम भी अचानक ही ना उठाइये बस्ल्क दध ू छुड़ाने की तरह आहहस्ट्ता आहहस्ट्ता उठाइये। क़दीम ज़माना में माएिं बच्चे को दे र तक रोने दे ती थीिं उन का ख़्याल था हक ज़्यादा रोये तो भूक ख़ूब लगती है लेहकन िदीद साइिं सी इिं कशाफ़ात ने इस नज़ररये

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को रद्द कर हदया है बच्चों के माहहर िॉक्टज़त का कहना है हक भूका बच्चा दे र तक रोता रहे तो उस का पेट

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हवा से भर िाता है और भूक मर िाती है िब उसे बाद अज़ ् वक़्त ख़ोराक नमलती है तो आधी खा कर मुिंह

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िुला लेता है , थोड़ी दे र बाद वो दब ु ारह रोने लगता है गोया कहता है मैं अभी भूका हूँ। ये फ़ैस्ट्ला भी बच्चा ख़ुद ही करता ये वो कब पेट के बल रें गने लगेगा, कब खड़ा होगा और चलना शुरू करे गा पहले ज़माने में

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माओिं का ख़्याल था अगर बच्चे को िल्दी ही ना चलना नसखा हदया िाए तो उस की टािंगें टे ढ़ी हो िाती हैं

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लेहकन िदीद तहक़ीक़ात ने इस ख़्याल को मुस्ट्तरत द कर हदया है , दर हक़ीक़त बच्चे की टािंगों में ख़म उस

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वक़्त आता है िब उसे चलने से पहले टािंगों पर बोझ िालने का मौक़ा नहीिं नमलता। तमाम सेहतमन्द

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बच्चे आग़ोश मादर ही में खड़ा होने की कोनशश करते हैं , उन्हें टािंगों को मज़्बूत करने और चलने की क़ुव्वत बढ़ाने की ज़रूरत होती है ता हक हस्डियािं मुनानसब तरीक़े से नशो व नुमा पा सकें स्िन बच्चों की

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कम्ज़ोर और तरक़्क़ी पज़ीर टािंगों पर पूरा वज़न पड़ िाता है वो अक्सर सूरतों में टे ढ़ी हो िाती हैं । बच्चों

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के नलए क़ुव्वत गोयाई का इस्ट्तेमाल सब से दश्व ु ार है इस नसस्ल्सले में उसे कई मराहहल तय करने होते हैं ,

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बअज़ बच्चे चन्द ही हफ़्ते बाद होंटों की िुिंबबश आवािं आवािं, ग़ािं ग़ूिं कर के बड़ों की नक़ल उतारने की

कोनशश करते हैं । बच्चे की ज़बान पर पहले "चूिं चूिं ग़र ग़र" के अल्फ़ाज़ आते हैं िब होंट भी इस अमल में

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शरीक हो िाते हैं "मामा" की आवाज़ उभरती है । यही विह है हक नो मोलूद की ज़बान से "िािा" (बाप) पहले और मामा (माँ)बाद में ननकलता है हालाँहक उसूली तौर पर मामा पहले आना चाहहए। बच्चे की पैदाइश और तबबतयत में माँ िो हकरदार अदा करती है बाप उस का उशर उशीर भी अिंिाम नहीिं दे ता। बच्चा हफ़त्रतिं नई चीज़ों से मुतआरुत फ़ होने का ख़्वाहहष्मन्द होता है इस मुआम्ले में वो बड़ी हदलेरी और

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िल्द बाज़ी का मुज़ाहहरह करता है , ये बात उस के इल्म में बतदरीि आती है हक ग़लत काम करने से सज़ा नमलती है । िवान आदमी की तरह बच्चे को भी बअज़ परे शाननयािं और मायुनसयािं बुरी तरह सताती हैं , ता हम इस से ये ना समस्झये हक मामूली शोरश और हल चल से बच्चे का ज़ेहन मुतानसर हो िाता है आम मुशाहहदा है हक स्िन घरानों में मशाग़ल का इख़्तलाफ़ और अफ़राद का बाहम टकराओ मौिूद होता

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है उन के बच्चे उन घरों की ननस्ट्बत ज़्यादा होस्ट्ला और हदलेर होते हैं िहाँ मस्ट्नूई सुकून की हफ़ज़ा पाई

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िाती है । ऐसे बच्चे बाहरी दन्ु या के उतार चढ़ाओ से आगाह नहीिं हो पाते और आइन्दा स्ज़न्दगी में

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नाकामी से दो चार होते हैं । इल्म की प्यास बच्चे की हफ़तरी में वदीअत होती है वो हर नई चीज़ की तरफ़ तेज़ी से लपक्ता है कुछ दे र उस से हदल बहलाने के बाद उसे हक़्क़ारत से परे िैंक दे ता है िो इस बात का

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मेरे दो आज़मूदह टोटके क़ाररईन के नलए

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बच्चा नव्वे सेकिंि में हर नए स्खलोने के बारे में ज़रूरी बातें िान लेता है ।

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एलान है हक मैं ने इस चीज़ के बारे में कुछ िान नलया है , अब कोई और चीज़ लाओ। माहहरीन कहते हैं

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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरे पास कुछ आज़मूदह टोटके हैं िो मैं क़ाररईन अबक़री की नज़र कर रही हूँ, ननहायत अिीब टोटका है आप कहीिं बाहर हैं और आप को बाथ रूम िाना है

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और क़रीब कहीिं वाश रूम नहीिं तो ऊँगली से अपना थूक लगा कर अपनी नाफ़ में लगाएिं। कुछ दे र के नलए

हाित रुक िाती है । अगर छीिंक रोकनी हो तो ऊपर वाले होंट को नाक से लगा दें , छीिंक रुक िाएगी। इन

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टोटकों से यक़ीनन क़ाररईन को फ़ायदा होगा। (साइमा)

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क़ुरआन पाक आँखों पर लगाने से रसोली ख़त्म (ये अमल मैं चन्द हफ़्ते करती रही स्िस की बदौलत अल्लाह पाक ने मुझे इस कलाम पाक के सदक़े से आहफ़यत बख़्शी और मेरी पलक के नीचे रसोली का ननशान तक ख़त्म हो गया। सुब्हानल्लाह। अल्लाह

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पाक हम सब को क़ुरआन पाक पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फ़मातए।)

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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरे पास क़ुरआन पाक से है रान कुन मुस्श्कल आसान

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करने वाला नुस्ट्ख़ा है िो मैं अबक़री क़ाररईन की स्ख़दमत में पेश कर रही हूँ। कुछ अरसा पहले मेरी दाईं

आँख की पलक के नीचे छोटी सी रसोली बनना शुरू हो गयी िो हदन ब हदन बढ़ती हुई नज़र आ रही थी स्िस

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का मुझे आँख पर तक्लीफ़ और बोझ भी महसूस होता था। हकसी ने कहा हक ये रसोली िब थोड़ी सी बड़ी हो

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गयी तो हिर इस का ऑपरे शन करवा लेना लेहकन हमारे घर के क़रीब एक मस्स्ट्िद है स्िस के क़ारी साहब

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रोज़ हमारे घर मुझे क़ुरआन पाक पढ़ाने आते थे। मेरी अम्मी िान ने मुझे कहा हक िब क़ुरआन पाक की

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नतलावत करने लगो तो क़ुरआन पाक के औराक़ को चूम कर अपनी आँखों की पलक पर लगा कर अल्लाह पाक से दआ ु करना हक वो हमारी इस मुस्श्कल को अपनी रहमत के सदक़े और इस मुक़द्दस औराक़ के सदक़े

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आसान कर दे और ऑपरे शन िैसी तक्लीफ़ से बचाए। ये अमल मैं चन्द हफ़्ते करती रही स्िस की बदौलत

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अल्लाह पाक ने मुझे इस कलाम पाक के सदक़े से आहफ़यत बख़्शी और मेरी पलक के नीचे से रसोली का

ननशाँ तक ख़त्म हो गया। सुब्हानल्लाह। अल्लाह पाक हम सब को क़ुरआन पाक पर अमल करने की

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तौफ़ीक़ अता फ़मातए और वो हमें पक्का सच्चा मुसल्मान बनाए। आमीन। (अक़्सा परवीन, हवेली लक्खा) एक छोटी सी आयत, बड़ा काम, क़ाररईन अबक़री के नाम

मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! ये मेरे घर का ही वाहक़आ है मेरे कज़न की शादी को तक़रीबन पािंच साल हो गए हैं स्िस घर में मेरे कज़न की शादी हुई है , लड़की के ख़ान्दान वालों का इरादा नहीिं

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माहनामा अबक़री मैगज़ीन

अप्रैल 2016 के एहम मज़ामीन हहिं दी ज़बान में

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था यानन इस ररश्ता के नलए लड़की की कुछ क़रीबी ररश्तेदार राज़ी नहीिं थीिं इस ररश्ता के नलए नसफ़त लड़की का बाप राज़ी था। लड़की की वो ररश्तेदार इस ररश्ते को अपने बच्चों के नलए लेना चाहती थीिं, िब उन के घर कोई ररश्ता लेने के नलए िाता वो उठ खड़ी होतीिं, आस्ख़रकार िब हम ररश्ता के नलए गए तो लड़की के बाप ने हाँ कर दी क्योंहक वो उन के इरादे भािंप चुका था और हम भी अल्लाह के करम से खाते पीते घराने से हैं , इस

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नलए फ़ौरी ररश्ता की हाँ हो गयी। आस्ख़रकार शादी हो गयी लेहकन शादी के बाद लड़की की वो ररश्तेदार

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आराम से ना बैठीिं और तावीज़ों के नलए दौड़ना शुरू कर हदया उन के अपने घर का ये हाल है हक उन के बच्चों

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को उम्रें काफ़ी ज़्यादा हो चुकी हैं , तक़रीबन चालीस चालीस साल के लग भग मगर उन के नलए कोई ररश्ता नहीिं आया। नलहाज़ा लड़की की ररश्तेदारों ने मेरे कज़न की बीवी पर तावीज़ व िाद ू शुरू करा हदए। आए हदन

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मेरे कज़न की बीवी बीमार रहने लगी, रात को सोते सोते िर िाती, बाद में असर ज़्यादा हो गया। इस के बाद

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उन के घर से कोई ना कोई चीज़ गुम हो िाती, आस्ख़र बाद में ऐसे होने लगा हक वो अपनी अल्मारी में िब

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अपने कपड़े रखती िब कुछ हदन बाद पहनने के नलए ननकालती तो वो काटे हुए नमलते हकसी के पाँचे काट

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हदए होते हकसी के बाज़ू वाली िगा ऐसे िैसे कोई क़ैन्ची से काटता है । उस के घर में भी स्ट्वाइ उस की सास साहहबा के और कोई नहीिं हक आदमी हकसी पर श्क करता आस्ख़रकार हम दम तावीज़ों के पास िाने लगे

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स्िस के पास भी िाते सब यही कहते हक इस पर िाद ू हकया गया है कोई तावीज़ दे ता कोई पानी दम कर के

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दे ता लेहकन कोई अफ़ाक़ा ना हुआ। आस्ख़रकार मुझे एक वज़ीफ़ा नमला वो मैं ने उन को नलख कर हदया।

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उन्हों ने वो वज़ीफ़ा हकया, अल्लाह का करम हुआ अब उन के घर कोई मसला भी नहीिं है । अब ना ही उन के कपड़े काटे िाते हैं और ना ही मेरे कज़न की बीवी िरती है । माशाअल्लाह अब वो सेहतमिंद है िैसे शादी से

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पहले थी। सूरह ताहा की आयत निंबर ६८,६९ लयारह हदन तक सो दफ़ा रोज़ाना पढ़ कर अपने ऊपर िूँक मारें , नमयािं बीवी दोनों करें और इस अमल के दौरान और कोई अमल ना करें । इस का अमल िाद ू के नलए इक्सीर है । इस के बाद िाद ू से मुकम्मल ननिात के नलए क़ुरआन शरीफ़ की आख़री दो सूरतें पढ़ते हैं , हमेशा के नलए

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कोई िाद ू असर नहीिं करे गा। मुबारक आयात ये हैं : क़ुल्ना ला तख़फ़् इन्नक अिंतल ्-अअला० व अस्ल्क़ मा फ़ी यमीननक तल्क़फ़् मा सनऊ इन्नमा सनऊ कैद ु साहहररन ् वला युस्फ़्लहु-स्ट्साहहरु है सु अता० (ताहा ६८-६९) ٰ ُ ْ ُ َ َ ٰ ُ ْ َ ْ ُ َ َ َ َ ْ ُ َ َ َ ْ َ ْ َ َ ْ َ ْ َ َْ َ ٰ َ ْ َ َْ َ َ ْ َ َ َ َ ُْ ُ ‫السح ُِر َح ْی‬ ٰ ‫ث َا ٰتی‬ ﴾۹۶‫﴿ط ٰہ‬ ‫ ہوال ِق ما فِی ی ِمی ِنک تلقف ما صنعوا اِنما صنعوا کید سح ٍِر و َلیف ِلح‬o ‫ت اَل ْعلی‬ ‫قلنا َلتخف اِنک ان‬

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(कलीमुल्लाह शैख़, पहाड़पुर)

पैग़म्बर ए इस्ट्लाम का ग़ैर मुस्स्ट्लमों से हुस्ट्न सलूक

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(हक़स्ट्त निंबर १०७)

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(इब्न ज़ेब नभकारी )

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इस्ट्लाम और रवादारी

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ग़ैर मुस्स्ट्लमों पर ज़ुल्म से इज्तनाब: सय्यदना अनस ‫ رضي الله عنه‬का बयान है हक हुज़ूर नबी करीम ‫ ﷺ‬ने

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फ़मातया: "मज़्लूम की बद्द दआ ु से बचो ख़्वाह वो काहफ़र ही हो क्योंहक उस की बद्द दआ ु की क़ुबूनलयत में कोई

रुकावट नहीिं" (मस्ट्नद् अह्मद १५३:३)। सय्यदना अबू बकर ‫ رضي الله عنه‬से ररवायत है हक हुज़ूर नबी

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करीम ‫ ﷺ‬ने फ़मातया: स्िस ने बग़ैर सबब के हकसी ज़स्म्म (काहफ़र) को क़तल हकया अल्लाह तआला

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ने उस पर िन्नत को हराम कर हदया है । (मस्ट्नद् अह्मद ३८/५)। इस की मज़ीद वज़ाहत यूँ की गयी हक

िन्नत की ख़ुश्बू भी वो नहीिं सूँघे गा िबहक उस की ख़ुश्बू चालीस साल की मसाफ़त से आएगी। (अल्बुख़ारी

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२९६५)। रसूल करीम ‫ ﷺ‬ने फ़मातया: "याद रखो! स्िस ने हकसी ज़स्म्म (काहफ़र) पर ज़ुल्म हकया या उस का मुआहहदा (ना िाइज़ तौर पर) तोड़ा या उस की ताक़त से बढ़ कर उस पर बोझ िाला या उस की ख़ुशी के बग़ैर उस से कोई चीज़ ले ली तो मैं रोज़ क़यामत उस की िाननब से झगड़ा करूँगा। (अबू दाऊद ३०५२)

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("पैग़म्बर इस्ट्लाम ‫ ﷺ‬का ग़ैर मुस्स्ट्लमों से हुस्ट्न सलूक" अब तमाम वाहक़आत हकताबी शकल में ज़रूर पढ़ें , नगफ़्ट करें और "ग़ैर मुस्स्ट्लमों की इबादतगाहें , उन के हक़ूक़ और हमारी स्ज़म्मा दाररयािं" हकताब उदत ू

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और इिं स्ललश में पढ़ना हनगतज़ ना भूलें।)

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कमी दध ू और कम्ज़ोरी से परे शान ख़वातीन के नलए

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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरे पास एक नतब्बी टोटका िो आज़मूदह है । हुवल ्शाफ़ी: अगर कलौंिी बपसी हुई ज़ीरो साइज़ कैप्सूल में भर कर सुबह ननहार मुिंह एक या दो कैप्सूल नीम

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गरम दध ू के साथ और शाम को ख़ाली पेट खाने से एक घिंटा पहले कुश्ता मिातन एक निंबर कैप्सूल नीम गरम

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दध ू से दें तो औरतों के दध ू के बारे में बहुत नफ़ा होता है और स्िस्ट्मानी थकावट वग़ैरा को भी फ़ायदा होता है ।

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(फ़ुरक़ान अह्मद, ओकाड़ा)

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माहनामा अबक़री अप्रैल 2016 शुमारा निंबर 118__________________pg 7

मेरी स्ज़न्दगी कैसे बदली?

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(क़ाररईन! हज़रत िी! के दसत, मोबाइल (मेमोरी काित ), नेट वग़ैरा पर सुनने से लाखों की स्ज़िंदनगयाँ बदल

रही हैं , अनोखी बात ये है चूहँ क दसत के साथ इस्ट्म आज़म पढ़ा िाता है िहाँ दसत चलता है वहािं घरे लू

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उल्झनें है रत अिंगेज़ तौर पर ख़त्म हो िाती हैं , आप भी दसत सुनें ख़्वाह थोड़ा सुनें, रोज़ सुनें, आप के घर, गाड़ी में हर वक़्त दसत हो)

(हक़स्ट्त निंबर ७)

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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरा ख़त नलखने का मक़्सद ये है मैं आप से अपने माज़ी में आने वाली गुस्ट्तास्ख़यों की मुआफ़ी मािंगना चाहती हूँ और इस मक़्सद का हल चाहती हूँ िो सालों से मेरे हदल में है । मैं िब भी वक़्त ले कर आप से नमली हदल की बात नहीिं कर सकी िो आि मैं ख़त के ज़ररए कर रही हूँ। मुझे एक मततबा मेरी एक दोस्ट्त ने आप का बताया, आप की वेब साईट का बताया, वेब

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साईट से दसत िाउनलोि कर के सुने तो आप के दसत सुनने से कुछ अपने मसले और मक़्सद का अदराक

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हुआ है , दसत ने मुझे एक सोच एक हक़ीक़त और एक मिंस्ज़ल बताई है । मेरी सोचों को रुख़ आप के दसत ने

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हदया है । मैं गुनेहगार नहीिं मरना चाहती। मैं ना हकसी की घर की इज़्ज़त बन सकी हूँ, ना शादी, ना घर, ना इज़्ज़त, घरे लू झगड़े , हर कोई बे इज़्ज़त करता है । पोषीदह अमराज़ में मुब्तला हो चुकी हूँ। उम्र ख़त्म

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होती िा रही है , कोई शादी करने वाला नहीिं है । क्या मेरी कभी शादी भी हो पाएगी? क्या बीमारी और

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मोटापा की विह से मैं कभी माँ नहीिं बन पाऊँगी? क्या मेरे नलए भी कभी कोई कमाएगा? क्या मैं हमेशा

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लोगों की मुहताि रहूिंगी? क्या ऐसे ही लोग मुझ से हमेशा नफ़रत करें गे? मोत का क्या करूिंगी? क़ब्र का

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क्या करूिंगी? क़यामत का क्या करुँ गी? िो गुनाह हुए उन का क्या करूिंगी? क्या मैं कभी काम्याब नहीिं हो

सकती? बहुत पछता रही हूँ। मुझे समझ नहीिं आ रही मैं क्या करूँ? िब से दसत सुनने शुरू हकये हैं ऐसे

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सवालात हर वक़्त ज़ेहन में गहदत श करते हैं हालाँहक इस से पहले मैं गुनाहों में िू बी हुई थी, हर वक़्त बुरी

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सोचें घेरे रखती थीिं। इिं सान एक बार ग़लती करता है बार बार नहीिं। मगर मैं ने बार बार गुनाह हकये हैं , मैं

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गुनेहगार नहीिं मरना चाहती। मैं गुज़श्ता बेवक़ूहफ़यों से बे हद्द शनमिंदह हूँ, िब अपने माज़ी में झािंकती हूँ

तो शमत से पानी पानी हो िाती हूँ। मैं अपने अल्लाह से रो रो कर तौबा करती हूँ। अब नमाज़ पढ़ना शुरू

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कर दी है । आप के दसत सुनने से मेरी स्ज़न्दगी बच गयी है । (पोशीदह) मेरी स्ज़न्दगी कैसे बदली?

मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं तस्ट्बीह ख़ाना लाहौर में गुज़श्ता माचत या अप्रैल से आ रहा हूँ। फ़रवरी से आप का दसत सुन्ना शुरू हकया बस्ल्क घर में लगता था तो कान में आवाज़ पड़ िाती Page 22 of 54 www.ubqari.org

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थी, क्या बरकतों वाली िगा है तस्ट्बीह ख़ाना, मेरी स्ज़न्दगी में इिं क़लाब आ गया। इस से पहले मेरी स्ज़न्दगी निंगी थी और दन्ु या मेरी फ़हश थी। मैं इिं टरनेट की गन्दगी के समुन्दर में िू ब चुका था। अब अल्लाह करीम ने मेरी स्ज़न्दगी का रुख़ बदला, वसीला आप की सुहानी आवाज़ बनी और तस्ट्बीह ख़ाना में अल्लाह की बरकत और अल्लाह की मज़ी से मैं अब इिं टरनेट पर वीहिओज़ तो क्या घर में टी वी तक नहीिं

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दे खता अब मोबाइल फ़ॉन है मगर उस में बस हज़रत हकीम साहब ही हज़रत हकीम साहब हैं । यही वो

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मोबाइल स्िस में पहले ऐसे ऐसे नाच गाने हक बस ना पूछें। मैं दावा कर के कह सकता हूँ स्ितनी उम्र में

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मैं ने हराम काम हकये शायद कोई सोच नहीिं सकता। स्ितना मैं ने "गुनाह" हकया है उतना शायद हकसी ने पचास साल में भी ना हकये हों। लड़हकयों से बातें, लड़हकयों को गलत फ़्रेंि बनाना, कोई ऐसी लड़की नहीिं थी

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स्िस का निंबर मेरे पास हो और वो मुझ से बच कर ननकल िाए, मेरे पास लड़हकयों को िाल में िँसाने के

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बेशुमार तरीक़े थे, बाज़ार में िब तक हकसी लड़की या औरत को सर से ले कर पाऊँ तक घूर कर ना दे ख

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लेता मुझे सुकून ना नमलता। यानन आप के दसत सुनने से पहले निंगी दन्ु या का मैं बादशाह था। मैं इस

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दन्ु या में इस क़दर नगरा हुआ था हक िो िो हराम काम मैं ने हकये हैं नोिवान नस्ट्ल शायद वो सोच भी

नहीिं सकती। अब हाल ये है हक बुरे लोगों से दोस्ट्ती ख़त्म, अब बस आप का दसत, दसत और नसफ़त दसत ही

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चलता है । दसत की बरकत से अल्लाह की मज़ी से अल्लाह का स्ज़क्र, नमाज़, तस्ट्बीह बस! हर वक़्त का

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बाज़ार में िाना ख़त्म, फ़हाशी से इस क़दर नफ़रत हो चुकी है हक नाम सुन कर ही स्िस्ट्म काँप िाता है ।

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अब मैं क्या बताऊँ हक आप के तस्ट्बीह ख़ाना, सहाबा (‫ )رضي الله عنه‬और अह्ल बैत (‫ )رضي الله عنه‬से ऐसी मुहब्बत है हक अब कभी अगर हकसी ना महरम पर नज़र अचानक पड़ भी िाए तो शमत से नज़र उसी

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वक़्त झुक िाती है , ख़्याल आता है हक ये वो औरतें हैं स्िन को अल्लाह ने सहाबबया (‫ )رضي الله عنها‬और वली ( ‫ )رحمة الله عليه‬बनाया। बस अब नज़रें नहीिं उठतीिं। हदल में बस अल्लाह से मुहब्बत नहीिं, इश्क़ हो गया है । अब हदल में वो रूहाननयत का समुन्दर आता महसूस कर रहा हूँ हक बस अल्लाह पाक मुझ से राज़ी हो रहे हैं । बस रूहाननयत से मेरे काम बन रहे हैं । अब भी अल्लाह की याद में गुम हो िाता हूँ और

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बस मैं क्या बताऊँ क्या कमाल बन रहा हूँ। अल्लाह पाक आप को िज़ाए ख़ैर दे मेरी आप को हदल से दआ ु है हक क़यामत वाले हदन आप, सहाबा इकराम, अह्ल बैत, शुहदाए कबतला के साथ हों। आस्ख़र में बस अल्लाह का शुक्र गुज़ार हूँ स्िस ने मुझे तस्ट्बीह ख़ाना की तरफ़ मुतवज्िह हकया और मेरी स्ज़न्दगी बदल गयी। ऐ काश सारी दन्ु या के लोग तस्ट्बीह ख़ाना की तरफ़ मुतवज्िह हो िाएिं, िो तस्ट्बीह ख़ाना में िुमा

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पढ़ाते हैं , नमाज़ पढ़ाते हैं , स्ख़दमत करते हैं , अनसस्ट्टें ट साहब, अबक़री रस्ट्ट, अबक़री दवाख़ाना इन सब

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पर अल्लाह की ख़ास रहमत मुतवज्िह हो। बस लफ़्ज़ों में तो नहीिं बता सकता हदल से दआ ु एिं ननकलती

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हैं , आप के नलए, आप की नस्ट्लों के नलए आप मेरी उम्र िान कर है रान होंगे हक लड़कपन में ही इतना सब कुछ दे ख और गुनाह कर नलया। अब तो मुझे अक्सर रोना आता है अपनी पुरानी स्ज़न्दगी पर। क्या

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‫برکاتہم‬। मेरी उम्र नसफ़त बीस साल है । (पोशीदह)

मेरी स्ज़न्दगी कैसे बदली?

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कमाल बचाया और बनाया है मुझे तस्ट्बीह ख़ाना और आप के दसत ने। स्ियो हज़रत हकीम साहब ‫دامت‬

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क़ाररईन! अगर आप के इदत नगदत मुआश्रे में कोई ऐसा ही भटका हुआ ख़ुदा का बन्दा या बन्दी सीधे रास्ट्ते

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पर आई है तो आप ज़रूर ज़रूर उस के राह रास्ट्त पर आने का मुकम्मल वाक़्या नलख कर एहिटर अबक़री

को भेिें। आप की नलखी हुई तहरीर मुकम्मल नाम पता और िगा तब्दील कर के नलखी िाएगी। अबक़री

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ररसाला हर मक्तबा हफ़क्र के हाँ पढ़ा िाता है क्या मालूम आप की नलखी हुई तहरीर से कोई अँधेरी ग़लीज़

गनलयों को छोड़ कर नूरानी आमाल पर आ िाए और ये आप और आप की नस्ट्लों के नलए सदक़ा ए

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िाररया बन िाए।

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राउट मछली को िान्ने वाले मुतवज्िह हों! मोहतरम क़ाररईन! इदारा अबक़री को राउट मछली के कािंटे चाहहयें स्िन अह्बाब के पास हों वो फ़ौरी तौर पर दफ़्तर माहनामा अबक़री नभज्वाऐिं। ये कािंटे अक्सर खाने वाले या शुमाली इलाक़ा िात के होटलों से नमल िाते हैं । मुख़नलसीन ज़रूर तवज्िह करें । इत्तलाअ के नलए इस निंबर पर नसफ़त मेसेि करें । ०३४३-

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मश्कूर होगा।

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िोड़ों, पट्ठों और गदत न का ददत , िाननये बेह्तरीन इलाि

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माहनामा अबक़री अप्रैल 2016 शुमारा निंबर 118_________________pg 15

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८७१०००९ (0343-8710009)। नॉट: अगर हकसी के पास इस के फ़ायदे हों तो ज़रूर नलखें, इदारा आप का

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(आराम तलब तज़त स्ज़न्दगी ने नए नए अव्वाररज़ को िन्म हदया है । लोगों में सेहत के मुतअस्ल्लक़

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बुन्यादी शऊर उिागर करने की ज़रूरत है । सोते वक़्त ऊिंचा तक्या रखने से भी रीढ़ की हडिी की क़ुदरती

(ज़ुनैरा हसन, लाहौर)

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साख़्त मुतानसर होती है । स्िन अफ़राद को गदत न में ददत की नशकायत हो उन्हें तक्ये के बग़ैर सोना चाहहए)

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हमारा मुआश्रह् बड़ी तेज़ रफ़्तारी से बदल रहा है । आलस्म्गररयत और कॉपोरे ट कल्चर ने नमअयार

स्ज़न्दगी भी बदल हदया है अब गाँव दीहात हों या शहर, स्ज़न्दगी गुज़ारने के ढिं ग बदल चुके हैं । फ़क़त नसफ़त

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इतना है हक शहरों में टे क्नोलॉिी की फ़रावानी ज़्यादा है यहाँ के लोग हदन भर मशीनों के िाल में िकड़े रहते हैं । घर, दफ़्तर और दीगर मामूलात स्ज़न्दगी के नलए मशीनों का सहारा लेना आदत से ज़्यादा ज़रूरत बन गया है । दफ़्तर में मुसल्सल बेठे रहना, बैठ कर खाना, खा कर बैठ िाना, थकन की हालत में भी काम करते रहना, ग़ैर सेहत बख़्श खाने, स्ट्नैक्स, चाय, कॉफ़ी और कम्प्यूटर का इस्ट्तेमाल सेहत के नलए मुज़र है । इस ज़मन ् में नीिंद की कमी भी बहुत से मसाइल खड़े कर सकती है । मुल्क की एक बड़ी और Page 25 of 54 www.ubqari.org

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मशहूर यूननवनसतटी के अनसस्ट्टें ट प्रोफ़ेसर के मुताबबक़ "रोज़ मरत ह मामुलात में शानमल बहुत सी आदात गदत न के ददत का बाइस बनती हैं । नमसाल के तौर पर घिंटों मेज़ पर झुक कर नलखते या पढ़ते रहना, टी वी या दीगर कामों के दौरान ऐसे अिंदाज़ में बैठना या लेटना स्िस से गदत न के ग़ैर हफ़तरी ज़ावीए बनें। टी वी या कम्प्यूटर स्ट्क्रीन को बहुत ऊपर या नीचे की तरफ़ गदत न कर के दे खना, ग़ैर आराम्दह हालत में सोना

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और िागना। वस्ज़तश के दौरान बे ऐह्त्याती करना वग़ैरा इन तमाम तरीक़ों से गदत न के ददत िैसे अव्वाररज़

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बढ़ रहे हैं ऐसी सूरत्हाल में ददत सब से पहले गदत न के पट्ठों को मुतानसर करता है । बैठने का ऐसा अिंदाज़

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स्िस में सर का रुख़ मुसल्सल एक तरफ़ रखा िाए गदत न के पट्ठों को अकड़ा दे ता है और उन में सूिन आ िाती है ऐसा गदत न का ददत बवक्स, बाम या ज़ैतून के तेल के मसाि से ठीक हो िाता है । बफ़त की

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नसकाई से भी काफ़ी आराम नमलता है । इस के इलावा बबल्तरतीब पहले बफ़त और इस्ट्तरी से गमत कर के

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कपड़े की नसकाई पिंद्रह से बीस नमनट तक मुसल्सल की िाए तो वो तक़रीबन ग़ायब हो िाता है । दोनों

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रीट्मेंट्स के दरम्यान एक घिंटे का वक़्फ़ा दे ना चाहहए।" मुआनलिीन का कहना है हक गदत न के मुख़्तनलफ़

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अिंदाज़ िैसे इसे हकसी िाननब मोड़ना, एक रुख़ में मुसल्सल रखना और सोते हुए मुख़्तनलफ़ अिंदाज़ इस

के पट्ठों को ईंठन की नशकायत में मुब्तला कर दे ते हैं । बज़ाहहर ये ददत है मगर इस का गहरा तअल्लुक़

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िदीद तज़त स्ज़न्दगी से िोड़ा िाता है , सिंगीन नोइयत की बीमारी, रीढ़ की हडिी पर पुराना ज़ख़्म या मुहरे

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हहल िाने के बाइस भी गदत न का ददत होता है । उम्र रसीद्गी भी स्िस्ट्म के मुख़्तनलफ़ पट्ठों को वक़्त के साथ

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साथ कम्ज़ोर ् कर दे ती हैं हडिी व िोड़ों के अमराज़ में भी इज़ाफ़े की एक विह ग़लत तज़त स्ज़न्दगी है । ऐसा ददत िो महज़ पट्ठों में बे क़ाइद्गी से हो उसे ददत कश उदय ू ात से क़ाबू हकया िा सकता है । शदीद ददत

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या पेचीदह सूरत्हाल में सॉफ़्ट कालर का भी ख़ास मुद्दत के नलए लगाया िाता है । पट्ठों में स्खिंचाव हो िाना आम है हकसी भी काम के दौरान ये हो िाता है । वस्ज़तशों के साथ ददत कश उदय ू ात बेह्तरीन इलाि हैं , फ़्रेक्चर (हडिी टू टना) की सूरत में मुआनलि ् एक्स रे से ननशािंदही करता है और मसले की नोइयत के पेश नज़र इलाि मुआल्िा मुतअय्युिं करता है । मुसाबक़त की दौड़ और ग़ैर सेहत बख़्स तज़त स्ज़न्दगी के

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साथ गदत न के ददत के इलावा स्िस्ट्म के दीगर एअज़ा मुतानसर होते हैं । रीढ़ की हडिी की बनावट में हकसी भी हक़स्ट्म की बाहरी या अिंदरूनी चोट या तक्लीफ़ की विह से भी गदत न तक ददत बढ़ सकता है । स्िस्ट्मानी कम्ज़ोरी ख़ुसूसिं बाज़ुओिं में ददत और दख ु न गदत न के ददत का बाइस बन सकता है । आराम तलब तज़त स्ज़न्दगी ने नए नए अव्वाररज़ को िनम हदया है । लोगों में सेहत के मुतअस्ल्लक़

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बुन्यादी शऊर उिागर करने की ज़रूरत है । सोते वक़्त ऊिंचा तक्या रखने से भी रीढ़ की हडिी की क़ुदरती

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साख़्त मुतानसर होती है । स्िन अफ़राद को गदत न में ददत की नशकायत हो उन्हें तक्ये के बग़ैर सोना चाहहए

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नेज़ ऑथोपेहिक सितन के मश्वरे से वस्ज़तशें मुक़रत र कर ली िाएिं। आम तौर पर लोग इस ददत को नज़र

अिंदाज़ करते हैं और तक्या बदलने या बवक्स में मसले का हल ढू िं िते हैं । ये तरीक़ा सरासर ग़लत है हक

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हकसी भी हक़स्ट्म के ददत , स्खिंचाव या तक्लीफ़ की सूरत में मुआनलि ् से मश्वरा करना ज़रूरी होता है ।

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एअसाबी तनाओ के साथ अमूर की अिंिाम दही, मुसल्सल एक ही पोज़ीशन में स्िस्ट्म कई घिंटों तक

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मसरूफ़ रखने और हकसी पुराने ददत को नज़र अिंदाज़ करने की सूरत में भी पट्ठों में मुस्ट्तक़ल ददत रहने

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लगता है ।

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इस तक्लीफ़ और ददत से बचने के नलए कुछ एह्त्याती तदाबीर की िा सकती हैं । दफ़्तर में काम के दौरान ऐसी कुसी इस्ट्तेमाल की िाए स्िस की पुश्त आराम्दह हो, कम्प्यूटर की स्ट्क्रीन की पोज़ीशन भी आँखों के

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मस्ट्बत ज़ावीए की पोहिं च में हो। काम की नोइयत में झुकना ज़रूरी हो तो थोड़े थोड़े वक़्फ़े से गदत न को

सीधा कर लेना चाहहए। तक्ये के इलावा मस्ट्हरी का मैरेस या पलिंग का गद्दा भी बहुत नरम और आराम्दह

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होना ज़रूरी है । याद रस्खये! हकसी भी हक़स्ट्म का दबाव या थकन गदत न में ददत का सबब बन सकती है नलहाज़ा बाक़ाइदह हल्की िुल्की वस्ज़तश और ऐह्त्याती तदाबीर को मामूलात में शानमल करना ही अक़लमिंदी है ।

वो टोटके स्िन्हों ने मुझे हसीन बनाया

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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरे पास कुछ टोटके हैं िो मैं अपनी अबक़री क़ाररईन बहनों के नलए लाई हूँ। ये टोटके मैं ने ख़ुद आज़्माए हैं और इन्हों ने मेरे हुस्ट्न को चार चाँद लगा हदए, क़ाररईन अबक़री आप भी आज़्माइये, इन ् शा अल्लाह आप भी ख़ूब पाएिंगी। हाथ पाऊँ की ख़ूबसूरती के नलए नीम गमत पानी में रोज़ाना रात को सरसों का थोड़ा सा तेल िाल कर हाथ पाऊँ उस में नसफ़त पािंच

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नमनट िु बोइये और बाद में तोनलये से ख़ुश्क कर लें। सेहत को बरक़रार रखने के नलए गाये भैंस का नहीिं

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नसफ़त बकरी का दध ू इस्ट्तेमाल करें हिर इस का कमाल दे खें। पपीता स्स्ट्कन के नलए बहुत बेह्तरीन है ,

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पपीता स्िल्द को ललो करता है , इस को मेष कर के चेहरे पर लगाना बहुत मुफ़ीद है । पपीता खाने से मोटापा कम होता है , क्लेंस्ज़िंग के नलए पपीता इस्ट्तेमाल करती हूँ लािवाब पाती हूँ। लीमों की नशकिंिबीिं

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एक नगलास रोज़ाना ज़रूर पीती हूँ। नफ़ासत के नलए एलो वेरा: एलोवेरा का एक छोटा सा टु कड़ा ले कर

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इस का गूदा ननकाल कर चेहरे पर मसाि करने से स्िल्द बहुत ज़्यादा ललो करती है , सेब का िूस एक

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नगलास रोज़ाना सुबह ज़रूर पीना चाहहए। मैदा हफ़ट और आप भी हफ़ट: काली हरीड़ दो सो ग्राम, दो चम्चे

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दे सी घी ले कर फ़्राई पेन में िाल कर चूल्हे पर रख दें , हरीड़ को भून कर उतार लें और पीस कर रख लें। एक चम्मच चाय वाला खाने से एक घिंटा पहले या बाद खा लें, कभी मैदा ख़राब ना होगा। बाल काले

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रोशन चेहरा: आम्ला के मुरब्बे को धो कर सुबह के वक़्त खाएिं और रात सोते वक़्त दध ू के साथ इस्ट्तेमाल

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करें , बाल काले होंगे और चेहरा रोशन। नायतल नसफ़त ख़वातीन के नलए: नायतल को कदक ू श कर के खीर

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बना लें, रोज़ाना खाएिं, कम्ज़ोरी के नलए सोना है , ख़वातीन को ज़रूर इस्ट्तेमाल करना चाहहए, इस को

ग्राइिं ि कर के इस्ट्तेमाल करें , हमेशा िवानी को बरक़रार रखता है , गाइनी के अमराज़ को दरू करता है , ५५

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साल के बाद भी बच्चा पैदा करने की सलाहहयत पैदा करता है । (आइशा, लाहौर)

माहनामा अबक़री अप्रैल 2016 शुमारा निंबर 118_________________pg 18

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पािंच बीमाररयािं एक टोटका शुगर के ऐसे मरीज़ िो दवाएिं खा खा कर थक गए हैं और हिर शुगर ने उन के िोड़ घुटने, पट्ठे , एअसाब, हदमाग़, नज़र, याद्दाश्त और क़ुव्वत ख़ास तक को मुतानसर हकया और मुआश्रे की एक कम्ज़ोर और बेज़ार अफ़राद की तरह स्ज़न्दगी गुज़ार रहे हैं ।)

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(क़ाररईन! आप के नलए क़ीमती मोती चुन कर लाता हूँ और छुपाता नहीिं, आप भी सख़ी बनें और ज़रूर

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नलखें। (एहिटर हकीम मुहम्मद ताररक़ महमूद मज्ज़ूबीचुग़ताई)

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क़ाररईन! नतब्ब दरअसल बादशाहों की गोद में पली है , बादशाह बहुत नाज़ुक नमज़ाि और नाज़ुक अिंदाम

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होते थे, वो दवाओिं के ज़ाइक़े, बू ख़ुश्बू हत्ता हक दवाई खाने के बाद के िकार को भी पसिंद और ना पसिंद

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करते थे। इसी अिंदाज़ को सामने रखते हुए शाही तबीबों ने ख़मीरा, चािंदी और सोने के वक़त और उस की पुर

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लुत्फ़ दवाओिं को ईिाद हकया, िहाँ इतने ख़मीरे िो आि हर बन्दे की पोहिं च से दरू हैं स्िस में अस्ट्सी

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हज़ार या िे ढ़ लाख की दस ग्राम दवाई िालीिं, लाखों रूपए हकलो का क़ीमती ज़ाफ़रान और महीनों खरल

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रगड़ाई हिर वहािं नतब्ब ने कुछ ऐसे मुतबादल भी हदए हैं हक िो क़ीमत में कम, इस्ट्तेमाल करने में आसान

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लेहकन फ़वाइद ऐसे है रत अिंगेज़ िो आसानी से आम इिं सान को समझ ना आए लेहकन इस्ट्तेमाल करने के

बाद हदल कह उठे हक वाक़ई सच है ! तमर हहिं दी स्िस को बड़ी इम्ली भी कहते हैं ऊपर गहरा सुख़त रिं ग का

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ख़ौल और अिंदर मग़ज़ होता है । िो नतब्ब की दवाओिं में अमूमन इस्ट्तेमाल होता है , इस को तोड़ कर इस

का मग़ज़ ननकाला िाता है बहुत सस्ट्ती दवाई है अगर ये दवाई पचास रूपए की भी लें तो छे माह का

हैं ।

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मुकम्मल इलाि है । आएये! हम आप को इस के इलाि मुआल्िे फ़ायदे और तरतीब की तरफ़ ले चलते

बस नसफ़त आप मग़ज़ तमर हहिं दी यानन बड़ी इम्ली का मग़ज़ यानन अिंदर का गूदा कूट पीस कर फ़ुल साइज़ के कैप्सूल भर लें, बस दवाई तय्यार है । अब इस के फ़ायदे सुननए। नसबवल सेक्रेरीट लाहौर में एक सातवें

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दिे के मुलास्ज़म हहक्मत और इलाि मुआल्िे का काम भी करते थे। बहुत साल हुए उदत ू बाज़ार लाहौर में मेरी उन से मुलाक़ात हुई वो ख़ुद मेरी ही हकताब ख़रीद रहे थे और मेरी साबबक़ा कुतब के एक नुस्ट्ख़े की बहुत तारीफ़ कर रहे थे। पस्ब्लशर ने मुस्ट्करा कर िवाब हदया हक साहब हकताब साथ खड़े हैं । बहुत प्यार और मुहब्बत से नमले, बातों ही बातों में मुझे कहने लगे ये कैप्सूल हैं (िेब में हाथ िाला, और तीस कैप्सूल

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की पैहकिंग सील वाले सफ़ेद नलफ़ाफ़े में से एक कैप्सूल ननकाला) हिर कैप्सूल खोला तो उस में पाउिर था,

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कहने लगे: ये मग़ज़ तमर हहिं दी है और कुछ नहीिं। मैं लोगों को ि​िं के की चोट पर ये कैप्सूल बेचता हूँ, तीस

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की पैहकिंग है , एक सुबह व शाम दे ता हूँ, खाने के दरम्यान या खाने के बाद पानी के हमराह मज़त ज़्यादा हो तो सुबह, दोपेहेर, शाम भी दे दे ता हूँ। इस के ररज़ल्ट बहुत अनोखे हैं , ख़ास तौर पर पािंच बीमाररयों में १-

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ऐसे मरीज़ स्िन के स्ट्पमत ख़त्म या कम्ज़ोर ् होते हैं और वो औलाद पैदा करने के क़ाबबल नहीिं होते। २-

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ऐसी ख़वातीन स्िन को नलकोररया दीमक की तरह चाट रहा होता है और वो अिंदर ही अिंदर खोखली हो रही

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होती हैं । बज़ाहहर तिंदरु ु स्ट्त लेहकन अिंदर से बीमार और कम्ज़ोर ् होती हैं । ३- सुगर के ऐसे मरीज़ िो दवाएिं

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खा खा कर थक गए हैं और हिर सुगर ने उन के िोड़ घुटने, पट्ठे , एअसाब, हदमाग़, नज़र, याद्दाश्त और क़ुव्वत ख़ास तक को मुतानसर हकया और मुआश्रे की एक कम्ज़ोर ् नातवािं और बेज़ार अफ़राद की तरह

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स्ज़न्दगी गुज़ार रहे हैं । मैं उन्हें ये कैप्सूल दध ू के साथ दे ता हूँ वरना मिबूरन पानी के साथ। हदन में दो

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बार, एक बार, या तीन बार। हस्ट्बे तबीअत हस्ट्बे नमज़ाि। ४- ऐसे लोग िो पेशाब के बाद क़तरों के और

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वज़ू ना ठहरने के और पाकी नापाकी के शाकी होते हैं उन लोगों के नलए इस का ररज़ल्ट बहुत बेह्तरीन ज़बरदस्ट्त और कारआमद है । ५- बवासीर के नलए भी इस का फ़ायदा ननहायत बेह्तरीन है ऐसे लोग िो

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पुरानी क़ब्ज़, बवासीर, अिाबत खुल कर ना आना और हर वक़्त बे चैनी और ख़ास तौर पर अिाबत के बाद तक्लीफ़ िलन और बेज़ारी को महसूस करते हुए इन तमाम मसाइल और अव्वाररज़ात में ये चीज़ बहुत ज़्यादा फ़ायदे मन्द है ।

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क़ाररईन! ये पािंच फ़ायदे उस सरकारी मुलास्ज़म ने मुझे बताए कैप्सूल का पैकेट मेरे हाथ में था, उन्हों ने िेब में हाथ िाला और मुझे चन्द पैकेट और दे हदए। कहने लगे: िहाँ आप लोगों पर इतना एह्सान करते हैं हक अपने हदल के राज़ खोल कर रख दे ते हैं , वहािं मैं आप पर एह्सान तो नहीिं कहता ये मेरी तरफ़ से एक हद्या और शुक्राना क़ुबूल करें और आप अपने मरीज़ों को दीस्ियेगा अगर वाक़ई आप को अच्छा ररज़ल्ट

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नमले तो आप बनाइये मुझे ख़ुशी होगी क्योंहक आप मेरे ग़ायबाना उस्ट्ताद थे और आि आप को

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बबल्मुशाफ़ा उस्ट्ताद मान नलया। मैं ने आप की हकताबों से बहुत पाया। क़ाररईन ये उस दौर की बात है िब

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अभी अबक़री ररसाला शुरू नहीिं हुआ था। (अबक़री की शुरुआत िून २००६ में हुई) मैं ने कैप्सूल का पैकेट िेब में िाला उदत ू बाज़ार में और कुछ अह्बाब से मुलाक़ात करनी थी, दौरान मुलाक़ात िो भी नमलता िहाँ

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और बातें होतीिं वहािं अपने मसाइल भी बयान करते अल्ग़ज़त वो पैकेट उदत ू बाज़ार ही में बाँट हदए। बािंटने के

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बाद मैं बात ही भूल गया लेहकन कुछ ही हफ़्तों के बाद एक साहब का पैग़ाम नमला हक वो कैप्सूल मुझे

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और चाहहयें, मैं पुरानी शुगर में मुब्तला था स्िस्ट्म बबल्कुल ख़त्म हो चुका था, वाक़ई मेरी दवाई और

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इिं सोलीन का इिं िेक्शन कम हो गया है और अपने स्िस्ट्म में क़ुव्वत का एह्सास भी है । मैं ने उन से वादा कर नलया हक मैं मज़ीद बना कर भेिूिं। काम में ऐसा मश्ग़ूल हुआ हक भूल गया, कुछ ही हदनों के बाद एक

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और साहब का फ़ॉन आया ये दवाई मैं ने उन्हें बवासीर के नलए दी थी, उन्हों ने भी बहुत तारीफ़ की और

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मज़ीद तलब बढ़ी। मैं ने फ़ौरन दवाई मिंगवाई और उसे बपस्ट्वा कर कैप्सूल भरवाये और उन सब को

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नभज्वा हदए और हिर इसे मुसल्सल मैं ने इनहे इस्ट्तेमाल कराना शुरू हकया। क़ुदरत रब्बी का क्या मुशाहहदह बताऊँ अल्लाह की इस नेअमत का क्या तिुबात बताऊँ हक है रत की इन्तहा ना रही। सुगर के

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मरीज़ों ने कुछ ही अरसा इस्ट्तेमाल हकया फ़ायदा हुआ, ऐसे मरीज़ स्िन्हों ने स्ट्पमत की दवाएिं खा खा कर दवाओिं से एतमाद हटा नलया था। उन्हों ने चन्द हफ़्ते चन्द महीने इस्ट्तेमाल हकया बहुत बेह्तरीन ररज़ल्ट नमला। एक तिुबात िो बार बार के इस्ट्तेमाल के बाद हुआ िो इस से पहले मुझे नहीिं नमला था वो ये है हक िोड़ों और कमर के ददत के मरीज़ भी इस से सेहत्याब होने लगे। बस हिर तिुबातत ही तिुबातत होते गए

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और फ़ायदे सामने आते गए, स्िस ने भी बाक़ाइदगी लगन, तवज्िह, यक़ीन, एतमाद से इस्ट्तेमाल कराया उसे बहुत फ़ायदा पोहिं चा, बहुत नफ़ा नमला और हद्द से ज़्यादा ररज़ल्ट नमले और वो नफ़ा फ़ायदा इतना नमला हक आप कमाल लफ़्ज़ इस्ट्तेनल करें हक ये लफ़्ज़ भी शायद इस के नलए छोटा और मुख़्तसर हो। क़ाररईन! ये छोटी सी चीज़ िो आि मैं आप के सामने लाया हूँ बज़ाहहर छोटी लेहकन फ़वाइद,

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कमालात, मुशाहहदात और तिुबातत में बहुत बेह्तरीन है । मेरा मश्वरा है हक अगर आप कोई दस ू री दवाएिं

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इस्ट्तेमाल कर रहे हैं तो फ़ौरन हनगतज़ ना छोड़ें लेहकन आि ही ये दवाई क़रीबी पिंसारी से ख़रीदें , हथौड़ी से

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इस का नछल्का तोड़ें अिंदर से नचप्टा सफ़ेदी माइल मग़ज़ ननकलेगा इसे कूट पीस कर चुटकी ले लें वरना कैप्सूल भर लें और इस्ट्तेमाल करें । अल्हम्दनु लल्लाह! मेरे पास इस के बहुत तिुबातत फ़ायदे और

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नशफ़ायाबी के ररज़ल्ट हैं आप को नमले तो नलखने में बुख़्ल ना करें , बताने में कोताही ना करें ।

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माहनामा अबक़री अप्रैल 2016 शुमारा निंबर 118_________________pg 24

ननकलता सूरि, ऊँगली का इशारा और हर मसला हल! आज़मूदह अमल

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(िो शख़्स ये तमन्ना करे हक वो लोगों में इज़्ज़त व एहतराम से रहे और लोग उस की इज़्ज़त करें और वो

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मततबा पढ़े ।)

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(बन्दा ए ख़ुदा, वाह कैंट)

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परे शाननयों से बचा रहे तो उस शख़्स को चाहहए हक वो नमाज़ फ़ज्र के बाद पहला कल्मा तय्यब दस

आि कल के दौर में कोई इिं सान मसाइल और परे शाननयों से ख़ाली नहीिं है । हर इिं सान मुख़्तनलफ़ हक़स्ट्म के मसाइल में िकड़ा हुआ है हकसी को औलाद, बेटे या बेटी की शादी के नलए परे शानी है और हकसी को अपना मकान बनाने की परे शानी है । हकसी को कारोबार में नुक़्सान हो रहा है तो कोई अपनी सेहत के हाथों परे शान है । कोई ब्रादरी के झगड़ों से तिंग है तो कोई िाद ू टोने के हाथों परे शान है । ग़ज़त कोई इिं सान

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सुकून में नहीिं है । हमारे मसाइल का हल अल्लाह पाक के क़ुरआन पाक में मौिूद है । लेहकन इस पर कानमल यक़ीन होना चाहहए हक मेरे तमाम हालात ऊपर से उतर रहे हैं क्योंहक हालात को बनाने और बबगाड़ने वाली ज़ात अल्लाह पाक की है , इसी का नाम तक़्दीर ् है हक इिं सान इस हक़स्ट्म के हालात को ये मान क़ुबूल कर ले हक मेरा अल्लाह यही चाहता है और उस की यही मज़ी है और बन्दा कानमल यक़ीन करे

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हक मेरा अल्लाह हालात कैसे भी हों हर मुआम्ले में मेरी बेह्तरी चाहता है । अगर वो मुझे बीमार रख रहा है

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तो मेरे गुनाह मुआफ़ हो रहे हैं अगर उस ने मुझे मुश्कलात और मसाइब ् में िाला हुआ है तो उस का ये

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अमल भी मेरे नलए गुनाह मुआफ़ करने का बाइस बन रहा है । िो लोग गुनाह नहीिं करते उन को इन हालात में रख कर उन के िन्नत में दिातत बुलन्द हो रहे हैं ग़ज़त अल्लाह पाक का कोई अमल हहक्मत से

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ख़ाली नहीिं है । अल्लाह पर कानमल यक़ीन रखें। अब मैं आप को एक बेह्तरीन अमल बता रहा हूँ स्िस के

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करने से आप के तमाम मसाइल हल हो िाएिंगे। फ़ज्र की नमाज़ पढ़ कर स्ज़क्र अज़्कार करते रहें और िब

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सूरि एक नेज़ा बुलन्द हो िाए तो क़ुरआन पाक से दे ख कर या ज़बानी सूरि की तरफ़ मुिंह कर के सूरह َ ُ ُ

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रहमान पढ़ना शुरू कर दें िब आयत "फ़बबअस्य्य आला-इ रस्ब्बकुमा तुकस्ज़्ज़बानन" (‫)ف ِبا ِی اَل ِء َر ِبک َما تک ِذ َ​َب ِن‬

पर पुहिंचें तो दाएिं हाथ की शहादत वाली ऊँगली से सूरि की तरफ़ इशारा कर दें हिर बाद में हिर ऊँगली

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खोल दें । अगली दफ़ा हिर इसी आयत को पढ़ कर ऊँगली से हिर सूरि की तरफ़ इशारा कर दें । ग़ज़त

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स्ितनी भी दफ़ा सूरह में ये आयत आती है उतने इशारे सूरि की तरफ़ कर हदया करें । यहाँ तक हक सूरत

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ख़त्म हो िाए। ये अमल कम अज़ कम चालीस हदन यानन एक नचल्ला तक करें । इन ् शा अल्लाह हर हक़स्ट्म के मसाइल पहले चालीस हदनों में ही ख़त्म हो िाएिंगे। अगर पहले चालीस हदन में सुकून ना नमले

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और मसाइल हल ना हों तो मज़ीद चालीस हदन करें । इन ् शा अल्लाह इस अमल की बरकतें ज़ाहहर होना शुरू हो िाएिंगे और हिर भी कुछ मसाइल रह िाएिं तो तीसरी दफ़ा चालीस हदन अमल करें । इन ् शा अल्लाह सो फ़ीसद मसाइल हल हो िाएिंगे। कानमल यक़ीन रखें। मसला के हल के बाद भी सूरह रहमान की रोज़ाना की नतलावत नमाज़ फ़ज्र के बाद मामूल बना लें। यानन सूरह यासीन के साथ सूरह रहमान भी

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पढ़ नलया करें । ये दोनों सूरतें हमारे रोज़ाना के मसाइल हल करने के साथ साथ हमारी दन्ु या व आस्ख़रत की स्ज़न्दगी पर ख़ुश्गवार असर िालती है । मैं ख़ुद ये अमल करता हूँ और लािवाब फ़ायदे पाता हूँ। इज़्ज़त व बुज़ुगी के नलए: िो शख़्स ये तमन्ना करे हक वो लोगों में इज़्ज़त व एहतराम से रहे और लोग उस की इज़्ज़त करें और वो परे शाननयों से बचा रहे तो उस शख़्स को चाहहए हक वो नमाज़ फ़ज्र के बाद

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पहला कल्मा यानन कल्मा तय्यब दस मततबा पढ़े । नमाज़ ज़ुहर के बाद बीस मततबा, नमाज़ असर के बाद

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तीस मततबा और नमाज़ मग़ररब के बाद चालीस मततबा और नमाज़ इशा के बाद साठ मततबा पढ़ने का

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मामूल बना ले। अमल बहुत मुख़्तनसर है लेहकन अपने अिर के नलहाज़ से बहुत बड़ा है । इस पर अमल करें और इस की बरकत से फ़ायदा उठाएिं। इस की बरकत से दन्ु यावी मसाइल भी हल होते हैं और क़ब्र की

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अल्लाह पाक से यक़ीन की दौलत से मािंगें इन ् शा अल्लाह नमलेगा।।

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स्ज़न्दगी भी बनती है क्योंहक तमाम अज़्कार में अफ़्ज़ल अस्ल्ज़क्र कल्मा तय्यब को कहा गया है ।

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घरे लू मसाइल का इिं साइक्लोपेहिया

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शौहर को अपना गवीदह करने का आसान अमल ْ

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इशा की नमाज़ के बाद लयारह सो (११००) मततबा "या मुअनमनु" (‫ ) َ​َی ُموم ُِن‬पढ़ कर आँखें बन्द कर के बैठ

िाएिं और ये तसव्वुर करें हक मैं अशत के साए में हूँ और शौहर नीचे है । िब ये तसव्वुर क़ाइम हो िाए तो

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शौहर के ऊपर िूँक मार दें । बात हकये बग़ैर बबस्ट्तर में चली िाएिं और शौहर का तसव्वुर करते करते सो िाएिं। इन ् शा अल्लाह ख़ावन्द की तरफ़ से बद्द इख़्लाक़ी, बुराई, ज़्यादती का इज़्हार नहीिं होगा। इस अमल

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की बरकत से शौहर बीवी का गवीदह हो िाता है । अगर हकसी शौहर के साथ बीवी का सलूक अच्छा ना हो तो ये अमल शौहर भी कर सकता है । नताइि दोनों सूरतों में एक िैसे मुरततब होंगे। कुछ मेरे आज़मूदह टोटके

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हदल की धड़कन तेज़ होना या ख़ौफ़ पैदा होना: इस के नलए ननहार मुिंह तीन अदद लेह्सन की िली लेनी शुरू कर दें । इन ् शा अल्लाह फ़ायदा होगा। बरस का आसान इलाि: आक पर िूल होते हैं । िूल के अिंदर लकड़ी नुमा (िूल िलड़ी और कुछ इसे लोंग कहते हैं ) एक तोला छाओिं में ख़ुश्क कर के इस का सफ़ूफ़ बना कर खाएिं (पानी के साथ) हिर साल बाद एक तोला पानी के साथ हिर तीसरे साल १ तोला पानी के

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साथ। ये बरस का इलाि है । इन ् शा अल्लाह नशफ़ा पाएगा। तमाम टोटके आज़्माए हुए हैं ।

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दायमी क़ब्ज़ या गैस मैदे की तेज़ाबबयत के नलए और आनतष्क के नलए रात को सोते वक़्त मक़् अद् के

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अिंदर के हहस्ट्से में तेल लगाते रहें । चन्द हदनों के बाद दायमी क़ब्ज़ और गैस से अफ़ाक़ा महसूस करें गे। बल्ग़म के ख़ात्मे के नलए: कलौंिी, सूिंठ हम्वज़न चन्द दाने हरीड़ और उन का आधा वज़न अज्वाइन

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सफ़ूफ़ बना कर १/२ चम्चा पानी के साथ लें। बल्ग़म बहुत िल्द साफ़ हो िाएगी। िो बुख़ार ना टू ट रहा हो

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तो मरीज़ को गुड़ या शक्कर स्खला दो इन ् शा अल्लाह बुख़ार टू ट िाएगा, आज़्माया हुआ है । मकूह के पत्ते

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उबाल कर िब पानी ठिं िा हो िाए तो मेहँदी काली या लाल मेहँदी नमला कर लगाएिं तो बहुत अच्छे नताइि

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ननकलते हैं । (अबक़री स्िल्द २)

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||अबक़री की साबबक़ा फ़ाइलों से मोती चुनें:

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घरे लू ना चाहक़यों, ररज़्क़ की तिंगी, परे शाननयों से ननिात के नलए और सहदयों से छुपे सदरी राज़ों और

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नतब्बी मालूमात से मुकम्मल तौर पर इस्ट्तेफ़ादह के नलए अबक़री के गुज़श्ता सालों के तमाम ररसाला िात मस्िल्द दीदा ज़ेब फ़ाइल की सूरत में दस्ट्तयाब हैं । ये ररसाला िात आप की नस्ट्लों के नलए रूहानी,

w

स्िस्ट्मानी, नफ़्स्ट्याती मुआनलि ् साबबत होंगे।

क़ीमत फ़ी स्िल्द ५००/- रूपए इलावा िाक ख़चत|| माहनामा अबक़री अप्रैल 2016 शुमारा निंबर 118_________________pg 26

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अप्रैल 2016 के एहम मज़ामीन हहिं दी ज़बान में

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पोदीना, प्याज़ की चटनी से अप्रैल का सेहतमन्दाना आग़ाज़ कीस्िये (रिं ग बरिं गे िूल स्खल कर अपनी बहार हदखाते हैं स्िन की ख़ूबसूरती ना नसफ़त बसारत और हदल व हदमाग़ को तक़्वीयत ् दे ती है बस्ल्क तरह तरह की ख़ुश्बूऐिं िेल कर हफ़ज़ा को मुअत्तर करती हैं स्िस के बाइस रूह

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इिं सानी बे हद्द मुसरत त हानसल करती हैं । ) (मयतम बाज्वह, रावलबपिंिी)

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सदी रुख़्सत हो गयी है और गमी की आमद आमद है । भारी भरकम बबस्ट्तरों में से नलहाफ़ और तोशक

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उठाये िा चुके हैं । इस माह के हदन बननस्ट्बत रातों के हकसी क़दर बड़े हो िाते हैं । मौसम के नमज़ाि में

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हरारत बढ़ िाती है स्िस की विह से इिं सानी अज्साम ् में क़ुव्वत ज़्यादा हो िाती है । ख़ून की हहद्दत में

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इज़ाफ़ा और तेज़ी हो िाती है । मौसमी तब्दीली इख़्लात पर असर अिंदाज़ होती है इस नलए बल्ग़मी

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अमराज़ मसलन खािंसी, विअ मफ़ानसल (गहठया रोग सम्बिंनधत), ज़ात अल्िनब ् (पाशवतशूल) वग़ैरा में

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कमी आ िाती है लेहकन मौसम गरमा के शुरूआती अमराज़ मसलन वबाई नज़्ला, ज़ुकाम और ख़स्रा

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वग़ैरा की नशकायात अक्सर दे खने में आती हैं । बहै नसयत मज्मूई ये महीना ख़ुश्गवार मौसम का हानमल

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होता है । दरख़्तों में नई नई कोंपलें और शगूफ़े िूटते हैं िो अनवाअ व अक़्साम के समरात की अफ़्ज़ाइश ् का बाइस बनते हैं । रिं ग बरिं गे िूल स्खल कर अपनी बहार हदखाते हैं स्िन की ख़ूबसूरती ना नसफ़त बसारत

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और हदल व हदमाग़ को तक़्वीयत दे ती है बस्ल्क तरह तरह की ख़ुश्बुएिं िेल कर हफ़ज़ा को मुअत्तर करती हैं स्िस के बाइस रूह इिं सानी बे हद्द मुसरत त हानसल करती हैं । मुरझाई तबीअतों में फ़रह व इिं बसात की

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फ़रावानी हो िाती है । इस महीना में अच्छी और ख़ूबसूरत नज़ारों की हानमल िगहों की सेर करनी चाहहए। साल भर की मेहनत व मुशक़्क़त के बाद चन्द हदन स्िस्ट्म और रूह को आराम हदया िाए तो थकावट और बे हदली कम हो कर इिं सान ताज़ह दम हो िाता है । यही विह है हक तरक़्क़ी याफ़्ता क़ौमों के अफ़राद इन हदनों मुख़्तनलफ़ झीलों, पहाड़ों और ि​िंगलों के पुर हफ़ज़ा मक़ामात पर चन्द हदन ज़रूर बसर करते हैं और यही चीज़ उन की तिंदरु ु स्ट्ती में मददगार व मुआबवन साबबत होती है । वेसे तो ररहाइशी िगहों Page 36 of 54 www.ubqari.org

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को साफ़ सुथरा रखना इिं सान का लाज़्मी फ़ज़त है मगर ख़ास तौर पर इन हदनों में ज़रा ज़्यादा ही तवज्िह दी िाए तो अपने आप को और अपने ख़ान्दान को मलेररया िैसे मूज़ी मज़त से महफ़ूज़ रखा िा सकता है क्योंहक गन्दी िगहों पर मछर की अफ़्राइश ् होती है । इसी तरह मस्खयािं भी िो हक है ज़े िैसी मुहलक वबा का बाइस होती हैं गन्दी िगहों पर पवतररश पाती हैं । इस नलए हमें चाहहए हक अपने घर में सफ़ेदी कराएिं,

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नानलयों में सफ़ाई के बाद फ़ेनाइल ् नछड़कें, सहन और कमरों के फ़शत को धोएिं और हमेशा साफ़ सुथरा रखें।

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कूड़े ककतट को ढकने वाले टीन में िमा करें । वक़्तन फ़वक़्तन अगरबत्ती या धूनी िलाएिं ता हक कमरों की

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गन्दी हवा साफ़ रह सके। सोते वक़्त मछर दानी का इस्ट्तेमाल ननहायत मुफ़ीद है । इस महीना में भुनी हुई चीज़ें, नशकार के गोश्त और नसरके की चीज़ें िैसे प्याज़ और नसरका या नसकिंिबीिं वग़ैरा इस्ट्तेमाल करनी

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चाहहयें। रोज़ाना ग़ुस्ट्ल करें और बदन पर रोग़न सरसों की मानलश करें । नलबास में ख़ुश्बू लगाना और

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ख़ुश्बूदार िूलों का सूँघना मुफ़ीद है । ननहार मुिंह पानी पीने से परहे ज़ करना चाहहए। अगचे इस मौसम में

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तेज़ मसाल्हा वाले भुनी हुई नग़ज़ाओिं को तबीअत चाहती है मगर ज़्यादा तेज़ मसाल्हा अच्छी चीज़ नहीिं है

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क्योंहक ये मैदे की चुन्नटों के फ़ेअल को बानतल करता है और ना ही हद्द से ज़्यादा भुना हुआ गोश्त मुफ़ीद है क्योंहक इस के तमाम हयातीन िल कर तबाह हो िाते हैं । इस नलए भुने हुए से मुराद दरम्याना दिात

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भूनना है । इस के इलावा िो लोग कड़ाही नतक्के के गोश्त के बेहद्द शौक़ीन होते हैं और रोज़ाना इस्ट्तेमाल

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करते हैं उन की भूक मर िाती है । सूए हज़म की नशकायत हो िाती है । स्िगर सालेह ख़ून पैदा नहीिं

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करता। आँतों का फ़ेअल ख़राब हो िाता है और हिर पेनचश, दस्ट्त और आस्ख़र में सिंग्रहनी िैसी मूज़ी और िानलेवा बीमारी के नशकार होते हैं नलहाज़ा थोड़ी दे र के मज़े के नलए िान दाव पर मत लगाइये। हाँ कभी

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कभार और बबल्कुल कम नमक़्दार में खाने से कोई नुक़्सान नहीिं पोहिं चता। पोदीना और प्याज़ की चटनी ना नसफ़त खाने ही को लज़ीज़ बनाती है बस्ल्क हज़म करने में भी मुआवन साबबत होती है । रात को खाना कम खाएिं और इस के बाद कुछ दे र चहल क़दनम करें । खाने के फ़ौरी बाद सोने के नलए ना िाएिं। मौसम बहार में मौसम की तब्दीली के साथ ही इिं सानी स्िस्ट्म में भी तब्दीली रोन्मा होना शुरू हो िाती है स्िस की

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विह से बहुत एहत्यात की ज़रूरत होती है । मौसम समात इख़्तताम ् पज़ीर होने के बाद मौसम बहार पूरी आब व ताब के साथ िल्वा गर है । ये मौसम हमारे हाँ माचत अप्रैल में होता है हदन और रात बराबर हैं । हर सू िूलों की महक है । बाग़ों में चहल पहल नज़र आती है और एक अिब ख़ुश्गवारी का एह्सास होता है , मगर इस के बाविूद बअज़ लोग ऐसे होते हैं स्िन के नलए मौसम तब्दील होने के अय्याम और ख़ुसूसिं

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मौसम बहार अस्ज़्ज़यत नाक होता है । एलस्ितक दमे के मरीज़ ऐसे ही लोगों में शानमल हैं । स्िन लोगों को

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एलस्ितक दमा है उन के नलए ये ख़ुश्गवार मौसम नाख़ुश्गवारी का पैग़ाम लाता है , क्योंहक बहार के

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अय्याम उन के नलए वबाल िान बन िाते हैं । सािंस लेते वक़्त शदीद मुस्श्कल पेश आती है , दम घुटता है और सीने में िकड़न महसूस होती है । कभी खािंसी होती है और ज़ोर लगा कर सािंस ख़ाित करना पड़ता है ।

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होती िाती है ।

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िूिं िूिं मौसम बहार ख़त्म होता और गमी अपना असर हदखाना शुरू करती है ऐसे लोगों की तबीअत बहाल

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मौसम बहार में एलस्ितक दमा: मौसम बहार में िूलों, घास और पादों के रे ज़े हफ़ज़ा में शानमल हो िाते हैं ।

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इस तरह ये बाररक ज़रे (बेरूनी मादे ) सािंस के ज़ररए से िैिड़ों में पोहिं च कर सोस्ज़श और वरम ् पैदा करते हैं स्िस से सािंस की नानलयािं तिंग होने से सािंस गुज़रने में हदक़्क़त होती है । इस के इलावा मौसम का सदत

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ख़ुश्क होना भी इस का सबब बन िाता है । इस तरह से बेरूनी मादों से होने वाले दमा को एलस्ितक दमा

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कहते हैं िो ये मौसम ख़त्म होने और हफ़ज़ा के साफ़ होने से ठीक हो िाता है । एहत्याती तदाबीर: सुबह

नमाज़ फ़ज्र खुले मैदान में आधे घिंटे तक लम्बे लम्बे सािंस लीस्िये। घर की सफ़ाई पर ख़ुसूसी तवज्िह

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दीस्िये। नगदत व ग़ुब्बार से महफ़ूज़ रहहये। खट्टी तेल वाली अश्या से एहत्यात कीस्िये।

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ददत गुदात और पथरी की दवाई मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! दित ज़ेल नुस्ट्ख़ा लाहौर में एक साहब लोगों को फ़्री बािंटते हैं , हज़ारों लोगों को इस से फ़ायदा हुआ। अबक़री क़ाररईन के नलए ख़ुसूसी तौर पर लाया हूँ ता हक लाखों क़ाररईन को इस से फ़ायदा हो और मेरे नलए सदक़ा ए िाररया बने। हुवल ्-शाफ़ी: बख्ड़ा एक छटािंक,

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सौंफ़ छे माशा, कािंसी छे माशा, अगर खािंसी ना हो तो ख़रबूज़े के बीि नछलके समेत छे माशा लें। तरकीब

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इस्ट्तेमाल: दो हकलो पानी में िाल कर उबाल लें, िब एक कप पानी रह िाए तो बारीक कपड़े से छान कर

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रात को सोते वक़्त इस्ट्तेमाल करें । इस को पीने के बाद कोई चीज़ नहीिं खानी, पानी ज़्यादा से ज़्यादा पीएिं, सुबह नाश्ते से पहले दब ु ारह इसी तरह पकाएिं और िब एक कप रह िाए तो बारीक कपड़े से छान कर

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नाश्ता करने से एक घिंटा पहले पी लें। परहे ज़: चाय, चावल, बड़ा गोश्त, मुग़ी, कलेिी गाय या बकरा, पोटा कलेिी मुग़ी, अदरक,टमाटर, लाल नमचत, बैंगन, दाल मसूर, वग़ैरा वग़ैरा। इस्ट्तेमाल करने वाली चीज़ें:

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(मुहम्मद ज़फ़र क़ुरै शी, लाहौर)

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छोटा गोश्त, काली नमचत, घ्या, हटिं िे, दही, लस्ट्सी चाटी, लस्ट्सी दध ू की, लस्ट्सी दही की ज़्यादा पानी वाली।

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माहनामा अबक़री अप्रैल 2016 शुमारा निंबर 118_________________pg 29

परे शान और बद्द हाल घरानों के उल्झे ख़तूत और सुल्झे िवाब

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नफ़्स्ट्याती घरे लू उल्झनें और आज़मूदह यक़ीनी इलाि

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(िवाबी नलफ़ाफ़ा ज़रूर भेिें, मुकम्मल पता नलखा हुआ। िवाब में िल्दी ना करें ।) ख़याली फ़क़त: मुझे अपने नफ़्स्ट्याती मसाइल में उल्झे हुए तक़रीबन एक साल हो गया है मसलन मुझे महसूस होता है हक मेरे सीधे पैर का वज़न उलटे पैर से ज़्यादा है और ये हक दोनों पैरों में फ़क़त है िब ये ख़्याल मेरे हदमाग़ में नहीिं होता तो मैं ऐसा कुछ भी महसूस नहीिं करती। मगर िब ये सोचती हूँ तो पढ़ाई मुतानसर होती है , मुझे मालूम है हक मैं अपने ननसाब में काफ़ी पीछे रह गयी हूँ। इस मसले से छुटकारा Page 39 of 54 www.ubqari.org

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चाहती हूँ, िानती हूँ मेरी बात बहुत अिीब है , एफ़ एस सी की तानलबा हूँ, उम्र १७ साल है (अनलफ़- ना मालूम) मश्वरा: फ़क़त को नज़र अिंदाज़ कर के तवाज़ुन को दे खें, क़ुदरत ने आप के दोनों पैरों में ख़ूबसूरत तवाज़ुन रखा है , इसी विह से चलने में, बैठने में और नलबास में, िूतों में कोई फ़क़त नहीिं होगा। इस से साबबत है

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हक पैरों में फ़क़त महज़ ख़याली है , दरअसल आप की उम्र की लड़हकयािं अपने बारे में ज़्यादा सोचती हैं , कोई

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चेहरे के ख़द व ख़ाल के बारे में हफ़क्रमन्द है तो कोई क़द् के हवाले से परे शान, हकसी को रिं ग के बारे में

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नशकायत है , ये सब मस्न्फ़ ख़यालात हैं िो इिं सान को सुकून से कोई काम नहीिं करने दे ते, इन को हदमाग़

में ठहरने ना दें , परे शानी दरू हो िाएगी, बहुत ज़्यादा ग़ौर व हफ़क्र ख़ास तौर पर अपनी ज़ात पर इिं सान को

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बे सुकून कर दे ता है , िो चीज़ें हम ने नहीिं बनाई और दन्ु या में अब तक कोई भी नहीिं बना सका, िब भी

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अपने पैरों के हवाले से ख़याल आए शुक्र करें । बे सुकूनन ख़त्म हो कर सुकून हानसल हो िाएगा।

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मुहब्बत नमली: मेरे भाई मुझ से बहुत मुहब्बत करते हैं क्योंहक मैं इकलोती हूँ, शौहर को भी ये बात

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मालूम थी हक घर में बहुत प्यार नमला, इस नलए वो भी ख़याल रखते हैं , अब मेरे ससुराल में सास और

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नन्द नाराज़ रहती हैं हक मेरे शौहर उन के साथ ऐसे क्यूँ नहीिं िैसे हक मेरे भाई मेरे साथ हैं हालािंहक मेरे शौहर भी इकलौते हैं उन को भी लाि नमला। उन्हें मेरे भाइयों िैसी तबबतयत नहीिं नमली, नलहाज़ा सब का

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ख़याल तो रखते हैं लेहकन रवय्ये में फ़क़त है । ये भी मसला है हक यहािं कोई तालीम याफ़्ता नहीिं, इस नलए इन लोगों में वो शऊर भी नहीिं िो मेरे मेके वालों में है । (स-अ-कराची)

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मश्वरा: शादी के बाद थोड़ी या बहुत हर लड़की की स्ज़न्दगी बदलती है , स्ज़न्दगी की ये तब्दीली हकसी इम्तेहान से कम नहीिं, ख़ास तौर पर उस वक़्त िब तालीम याफ़्ता घर की लड़की ग़ौर तालीम याफ़्ता माहोल में िाए तो बहुत सब्र और बदातश्त से काम लेने की ज़रूरत होती है । ख़ास तौर पर उस वक़्त िब मुक़ाबला हकया िा रहा हो, आप के नलए अच्छी बात ये है हक भाइयों की नमसाल अच्छाई में दी िा रही है ,

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इस तरह आप की और भाइयों की इज़्ज़त में इज़ाफ़ा हो रहा है , इन बातों को अपने नलए ताअना ना समझें, अपनी तरफ़ से नन्दों के साथ अच्छा सलूक करें और तोह्फ़े वग़ैरा दे ती रहें , इस तरह मुहब्बत बढ़ती है , ये नहीिं हो सकता हक हकसी शख़्स में कोई भी अच्छाई ना हो, ख़ानमयों को नज़र अिंदाज़ कर के ख़ूबबयों का एह्सास करने की ज़रूरत होती है , तब ही अपने इदत नगदत मुहब्बत की हफ़ज़ा क़ाइम की िा

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सकती है ।

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परे शान कुन ख़यालात: शादी से पहले ही मैं ने िॉब छोड़ दी थी, मुझे ख़ौफ़ था हक मेरा शौहर घर की

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स्ज़म्मा दाररयािं मुझ पर ना िाल दे , अब परे शान होती हूँ क्योंहक माली मसाइल हैं , शौहर मुलाज़्मत कर

रहे हैं , उन की आमदनी कम पड़ती है , मैं ने ननसिंग की रे ननिंग की हुई है , िॉब मसला नहीिं है , मसला ये है

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हक मेरे घर वाले मदद कर रहे हैं िो मेरे शौहर को नगराँ गुज़रती है , हदल ही हदल में सोचती हूँ मैं कमाऊिंगी

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तो वो आम्दनी भी शौहर को अच्छी ना लगेगी। अिीब अिीब परे शान कुन ख़यालात तिंग करते हैं , सेहत

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ख़राब हो रही है , नमज़ाि भी नचड़नचड़ा हो गया है । (सबाहत, कराची)

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मश्वरा: अगर आप को िॉब की इिाज़त हो और आम्दनी शौहर क़ुबूल ना करें तो इस में परे शानी की बात

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नहीिं ये तो उन की ख़ूबी होगी हक वो आप की रक़म को अपना ना समझें। अगर परे शानी का दे र पा हल चाहहए तो इिं तज़ार करें , अगर शौहर ज़्यादा बेह्तर िॉब कर लेते हैं तो आप के घरवालों को मदद नहीिं

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करनी पड़े गी, बहर हाल आप के िॉब करने और ना करने का फ़ैस्ट्ला अपना होना चाहहए और इस के साथ अपनी आम्दनी पर भी अपना अख़्त्यार होना ज़रूरी है , कोई ख़ातून चाहे तो अपनी ख़ुशी से घर में अपना

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पैसा ख़चत करे । उन्हें मज्बूर ना हकया िाए, परे शान कुन ख़यालात से ननिात हानसल करने के नलए ज़रूरी है हक अपने मसाइल का मुसस्ब्बत अिंदाज़ से मुक़ाब्ला करें । तिुबात नमला मगर: मैं ने हदल लगा कर पढ़ा, एम ् बी ए हकया और मुख़्तनलफ़ इदारों में बग़ैर मुआव्ज़ा स्ख़दमात अिंिाम दीिं हक तिुबात नमल िाएगा बाद में हकसी बड़े इदारे में आला ओह्दे पर काम कर सकूँगा

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मगर सारी मेहनत बेकार गयी। िब एक साल तक िॉब ना नमली, अब हहम्मत हार कर एक प्राइवेट कम्पनी में िॉब कर रहा हूँ, घर वाले ख़ुश हैं मगर मैं अिंदर ही अिंदर कुढ़ता रहता हूँ, ख़्वाह मख़्वाह मेहनत की, इतना पढ़ा कुछ हानसल ना हुआ। (एअिाज़ अह्मद, इस्ट्लाम आबाद) मश्वरा: आप ने अपनी मेहनत से अपने अिंदर िो सलाहहयत और क़ाबबनलयत पैदा की है वो अपनी क़दर व

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क़ीमत आप है , याद रखें मेहनत कभी बेकार नहीिं िाती बस्ल्क वो एक महफ़ूज़ ख़ज़ाना होती है , ऐसा

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ख़ज़ाना िो चोरी नहीिं हो सकता और ना ख़त्म हो सकता है नलहाज़ा फ़ौरी तौर पर मायूसी से बचें, आि

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अच्छी प्राइवेट कम्पनी में िॉब कर रहे हैं इस पर ख़ुश होने की ज़रूरत है क्योंहक बहुत से लोग इस िॉब

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भी नहीिं हक स्ज़न्दगी भर उन को अपनी मज़ी की िॉब ना नमले।

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के हवाले से मेहनत करते हैं लेहकन उन की ख़्वाहहश के मुताबबक़ ये िॉब उन को नहीिं नमलती और ऐसा

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घबराहट: िब मैं छोटी थी तो क्लास में हकसी सख़्त नमज़ाि टीचर के आ िाने से मेरा हदल घबराता था,

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पसीना आ िाता था और हदल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता था, अब मैं बी ए कर चुकी हूँ, हकसी मुलाज़्मत

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के बारे में नहीिं सोचा क्योंहक अब भी पहले वाली हालत होने से िरती हूँ, मैं मेहनत से पढ़ाउिं गी और हिर

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मेरी क्लास का ररज़ल्ट अच्छा ना आएगा, शरीर हक़स्ट्म के बच्चे मुझे तिंग करें गे यानन मैं बच्चों का भी

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नहीिं सामना कर सकती, यही मेरा नफ़्स्ट्याती मसला है । (अनशतया- है दर आबाद)

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मश्वरा: सख़्त नमज़ाि टीचर हो या सख़्त नमज़ाि वाल्दै न हों या घर का कोई और फ़दत मसलन बड़ा भाई, बहन, चच्चा, मामूँ वग़ैरा उन की विह से बच्चों को घबराहट होना आम नशकायत है , अक्सर बच्चों में बड़े

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होने के बाद बेह्तरी आ िाती है और वो ख़ुद को िज़्बाती तौर पर मुस्ट्तहहकम बना लेते हैं लेहकन बअज़ बच्चे बड़े होने के बाद भी इस कैहफ़यत को महसूस हकये बग़ैर नहीिं रहते। हफ़ल्हाल आप के साथ ऐसी कोई सूरत्हाल नहीिं लेहकन हिर भी घबराहट का एह्सास बाक़ी है और महज़ मफ़रूज़े ही हैं स्िन के सबब ये सोच नलया है हक बच्चों का सामना नहीिं कर सकतीिं। पहले घर में बच्चों को पढ़ाना शुरू करें , इस के बाद

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स्ट्कूल में पढ़ाना आसान हो िाएगा, कभी हकसी िगा घबराहट महसूस हो तो फ़ौरी तौर पर करने का अमल ये है हक ३ या ४ गहरे गहरे सािंस लें। साँसों के दरम्यान थोड़ा वक़्फ़ा दें , नाक के ज़ररए सािंस को आहहस्ट्ता आहहस्ट्ता अिंदर की तरफ़ खेंचें ३ या ४ सेकिंि तक सािंस को रोकें, हिर आहहस्ट्ता आहहस्ट्ता मुिंह के ज़ररए बाहर ननकालें। ४ या ५ बार इस तरह करने से फ़ौरी तौर पर घबराहट की कैहफ़यत में कमी आएगी,

माहनामा अबक़री अप्रैल 2016 शुमारा निंबर 118_________________pg 31

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इस के इलावा भी साँस की मष्क़ों से मदद ली िा सकती है ।

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सिंब्लू से हर हक़स्ट्म का कैंसर ख़त्म! बारहा का आज़मूदह इलाि

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(मैं ने पूछा हक हमारे इलाि से फ़ायदा हुआ या कहीिं और से इलाि करवाया है ? उन्हों ने िवाब हदया,

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अल्लाह के फ़ज़्ल से एक माह में बबल्कुल ठीक हो गईं।)

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िहाननयािं में हकीम अब्दल ु हमीद की बेटी नानसरह ने एक नुस्ट्ख़ा बताया था, वो इस्ट्तेमाल करवाया है ।

(मज़्मून: हकीम अब्दल् ु वहीद सुलैमानी साहब, इन्तख़ाब: शमीम फ़रीद)

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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! अबक़री दख ु ी इिं साननयत की मदद कर रहा है , अल्लाह

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आप को इस का अज़ीम अज्र अता फ़मातए। मैं एक िड़ी बूटी के फ़वाइद क़ाररईन अबक़री के नलए भेि रही हूँ, सिंब्लू बूटी शुमाली इलाक़ों की तरफ़ बहुत ज़्यादा होती है , इस के फ़ायदे मैं ने एक िाइिेस्ट्ट में पढ़े थे,

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इसे मेरे ससुराल और गाँव के लोगों ने भी ख़ूब आज़्माया और बहुत मुफ़ीद पाया, ये मोहतरम हकीम अब्दल् ु वहीद सुलैमानी साहब का मज़्मून था। िो वेसे ही शायअ करने के नलए भेि रही हूँ। "सात आठ साल पहले की बात है , मैं हस्ट्बे मामूल मतब में बैठा हुआ था। मरीज़ों का कुछ ज़्यादा हुिूम नहीिं था। अचानक फ़ॉन की घिंटी बिी। फ़ॉन उठाया तो एक बड़े अस्ट्पताल के िायरे क्टर बोल रहे थे। कहने लगे भाई! ये सिंब्लू बूटी क्या है ? मैं ने कहा: भाई िान! सुिंबला बूटी के बारे में तो पढ़ा है लेहकन सिंब्लू के बारे में

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कुछ नहीिं िानता। शायद इस को सिंब्लू कहते हों या हो सकता है कोई और बूटी हो। लेहकन आप बताएिं हक हक़स्ट्सा क्या है ? िॉक्टर साहब कहने लगे "मेरे पास िहाननयािं से एक िॉक्टर साहब दो साल से आ रहे थे स्िन की एहल्या को छाती का सरतान था और वो मुसल्सल मेरे ज़ेर इलाि थीिं। िॉक्टर साहब उन्हें ले कर मेरे पास आया करते थे। आि वो अकेले आये। मैं ने उनकी एहल्या का हाल पूछा, तो फ़मातया हक

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अल्हम्दनु लल्लाह वो बबल्कुल ठीक हैं । मैं ने पूछा हक हमारे इलाि से फ़ायदा हुआ या कहीिं और से इलाि

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करवाया है ? "उन्हों ने िवाब हदया, िहाननयािं में हकीम अब्दल ु हमीद साहब की बेटी नानसरह ने एक

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नुस्ट्ख़ा बताया था, वो इस्ट्तेमाल करवाया है । अल्लाह के फ़ज़्ल से एक माह में बबल्कुल ठीक हो गईं। मैं ने बाद में भाई अब्दल ु हमीद को फ़ॉन कर के पूछा तो वो कहने लगे, नानसरह अपने नमयािं ज़ुबैर अस्ट्लम के

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साथ कामरह में है लेहकन एक दफ़ा उन ख़ातून का स्ज़क्र हुआ तो उसी ने बतलाया था हक सिंब्लू इस्ट्तेमाल

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करवाई है आप नानसरह से पूछ कर मुझे भी बताएिं हक ये कौन सी बूटी है और कहाँ नमलती है "

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नानसरह िॉक्टर मक़्बूल शाहहद की भािंिी और मेरी भतीिी है । चन्द हदन बाद उस से राब्ता हुआ तो मैं ने

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सिंब्लू की बाबत दरयाफ़्त हकया। उस ने कहा "चच्चा िान! आि कल इस बूटी का मौसम नहीिं, ये फ़रवरी

के आस्ख़र से नसतम्बर अक्टू बर तक होती है लेहकन मेरे पास इस की िड़ पड़ी हुई है । चन्द हदन तक

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लाहौर आ रही हूँ, लेती आउिं गी।" चन्द हदन बाद वो मेरे पास आई तो एक मोटी सी पीले रिं ग की िड़

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नछल्के समेत मुझे दी, मैं ने पूछा "बेटे! तुम्हें इस में फ़ायदे का कैसे पता चला?" कहने लगीिं: "हमारे पड़ोस

में एक ख़ातून को छाती का सरतान हो गया था। उस के नमयािं ने कराची, लाहौर, इस्ट्लाम आबाद ग़ज़त हर

बड़े शहर के अस्ट्पताल से इलाि करवाया लेहकन मज़त बढ़ता गया िूिं िूिं दवा की। तिंग आ कर उस के शौहर

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ने सोचा हक उसे अमरीका ले िा कर इलाि करवाऊिं। वो वीज़े के चक्कर में थे हक मािंगने वाला कोई फ़क़ीर मोहल्ले में आया। िब उन के दरवाज़े पर उस ने सदा दी तो उन्हों ने फ़क़ीर को बड़ी झाड़ें बपलाईं और कहा "मेरी बीवी कैंसर में मुब्तला है और तुम्हें मािंगने की पड़ी है " फ़क़ीर ने उस से पूरी कैहफ़यत पूछी और कहा हक कल वो एक बूटी ला कर दे गा, उसे इस्ट्तेमाल कराएिं। इन ् शा अल्लाह अमरीका िाने की नोबत नहीिं

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आएगी। अगले रोज़ वो फ़क़ीर एक बूटी की िड़ के नछलके उतार कर उन के पास लाया और कहा सुबह को तीन माशे नछल्के एक प्याली पानी में नभगो दें और शाम को खाने के आधे घिंटे बाद पी लें। इसी तरह शाम को नभगो कर सुबह पीएिं। उन्हों ने ऐसा ही हकया एक महीने बाद बीमारी का विूद भी नहीिं था। अब मैं ने इस पीले रिं ग वाली बूटी को चखा तो इस का ज़ायक़ा इिं तेहाई कड़वा था, मैं इसे अपने मतलब में ले गया,

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ख़याल था हक इस में से लकड़ी का ि​िं ठल ननकाल कर नसफ़त नछल्के इस्ट्तेमाल में लाऊँगा क्योंहक सिंब्लू की

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िड़ का नछलका ही बतौर दवा इस्ट्तेमाल में आता है लेहकन होता वही है िो अल्लाह को मिंज़ूर हो। मैं ने

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अभी इसे मतब पर रखा ही था हक नशरक़्पुर से एक हकीम साहब तशरीफ़ ले आए। मैं ने ख़ैररयत दरयाफ़्त की तो िवाब हदया "वानलद साहब को हस्डियों का सरतान हो गया है और वो काफ़ी अरसे अस्ट्पताल में

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दास्ख़ल रहे , आि िॉक्टरों ने िवाब दे हदया है और अब हम उन्हें घर ले िा रहे हैं , अगर आप के पास कोई

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दवा हो तो इनायत फ़मात दें " मुझे फ़ौरी तौर पर ख़्याल आया हक अल्लाह ने आि ही सिंब्लू बूटी भेिी है

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और आि ही इस मज़त का मरीज़ भी आ गया। मैं ने उन्हें बताया हक ये बूटी शाहराह रे शम के इलाक़े में

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होती है । आधी आप रख लें और आधी मुझे वापस कर दें । इसे बारीक पीस कर िबल ज़ीरो के कैप्सूल भर

लें और सुबह व शाम बाद अज़ नग़ज़ा इस्ट्तेमाल कराएिं। थोड़ी दे र बाद वो आधी िड़ी बूटी मुझे वापस कर

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गए और आधी ले गए। अभी उन्हें गए हुए बमुस्श्कल एक घिंटा हुआ होगा हक ज़हूरुद्दीन बट साहब तश्रीफ़

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ले आए। बट साहब और मैं एक ही दौर में पिंिाब यूननवनसतटी में पढ़ते रहे थे इस नलए बे तकल्लुफ़ दोस्ट्त

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भी हैं । वो आए तो मेरे हाल पूछने पर बे अख़्त्यार रोने लगे। मैं ने विह पूछी तो कहने लगे "एहल्या को

स्िगर का सरतान हो गया है " बच्चे छोटे छोटे हैं , उन का क्या बनेगा" मैं ने सोचा हक अल्लाह तआला ने

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बाक़ी दवाई ग़ानलबन बट साहब ही के नलए रखवाई थी। मैं ने दवा उन्हें दे दी और वही तरकीब बताई। बाद को ज़हूर साहब वक़्तन फ़वक़्तन मरीज़ के बारे में बताते रहे । अल्हम्दनु लल्लाह उन की एहल्या की तबीअत बहाल हो गयी। शक़तपुर से मोहतरम हकीम साहब से तीन माह बाद नमलने आए। मैं ने उन से पहला सवाल ही ये हकया हक वानलद साहब के बारे में बताएिं उन्हों ने कहा "अल्हम्दनु लल्लाह! अब वो

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बबल्कुल ठीक हैं और अब तो मतब में भी बैठने लगे हैं " मैं ने उन से पूछा "नसफ़त सिंब्लू ही इस्ट्तेमाल करवाई थी या कुछ और भी?" फ़मातने लगे: ताक़त के नलए ख़मीरा गाओज़बािं अिंबरी वाला दे ता रहा हूँ लेहकन सरतान दरू करने के नलए नसफ़त यही बूटी इस्ट्तेमाल कराई है " मैं ने अल्लाह का शुक्र अदा हकया हक बूटी कारआमद रही।

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मुझे वो वक़्त याद आता है ---!!!

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ये १९५४ के क़रीब की बात है , सही याद नहीिं मैं बहुत छोटा सा था, गनमतयों का मौसम था, रमज़ान शरीफ़

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का महीना और ज़ुहर का वक़्त हमारे घर मोहल्ले की बस्च्चयािं क़ुरआन पाक पढ़ने आई हुई थीिं। मौसम

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गदला हो गया, पता चलता था आिंधी आने वाली है , तो मेरी बहन ने बस्च्चयों को छुट्टी दे दी, कुछ वक़्त

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बाद आिंधी आई और काली आिंधी का समािं हो गया। कुछ दे र बाद हमारे गाँव के मुअस्ज़्ज़न भाई (मरहूम

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की बहुत प्यारी आवाज़ थी) उन्हों ने समझा हक मग़ररब का वक़्त हो गया है उन्हों ने अज़ान दे दी, पूरे

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गाँव ने रोज़ा अफ़्तार कर नलया। (क्योंहक घहड़यों का दौर नहीिं था) बस आस्ट्मान दे ख कर वक़्त का अिंदाज़ा

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लगाया िाता था। बाद में िब मौसम साफ़ हुआ तो अभी असर का वक़्त हुआ था। मुझे अब ये वो हदन

शुगर और उस के ज़ख़्मों के नलए शत्यत तीर बहदफ़ टोटका

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याद आता है तो बे अख़्त्यार हिं सी आ िाती है हक एक वो दौर भी था और एक आि िदीद दौर भी है !!! (ग़-

मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! शुगर के नलए एक टोटका नलख रही हूँ िो टािंग में कट

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लग िाता है या कोई ज़ख़्म होता है उस का शत्यत इलाि है , ये मुझे अस्ट्पताल में हकसी ने हदया है उन हदनों में अपनी वानलदा के साथ अस्ट्पताल में थी, ये तीन चार लोगों पर आज़्माया लािवाब पाया है । हुवल ्-शाफ़ी: बड़े गोश्त की नली गोश्त समेत ले लें, उस की हडिी में िो मेख़ ् होती है वो ननकाल दें हिर इस के अिंदर साबुत हल्दी रख कर हडिी को दोनों तरफ़ से आटे से बिंद कर के इतना पानी िाल कर पकाएिं Page 46 of 54 www.ubqari.org

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हक आम गोश्त िो हडिी पर है वो गल िाए हिर उसे काली नमचत व नमक िाल कर भून कर खा लें। हल्दी ननकाल कर छोटी छोटी गोनलयािं बना कर रोज़ पानी से ननहार मुिंह खाएिं, शत्यत सुगर किंरोल हो िाएगी, ना कभी पाऊँ कटे गा ना कोई ज़ख़्म होगा। ये नुस्ट्ख़ा मैं ने अपने एक अज़ीज़ को बताया तो उस ने मुझे कहा हक हमारे पड़ोस में शुगर के मरीज़ की टािंग गल गयी थी िॉक्टरों ने तमाम गला हुआ गोश्त टािंग से उतार

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हदया था और ख़ाली हडिी काटने लगे थे लेहकन उन्हों ने ये नुस्ट्ख़ा इस्ट्तेमाल हकया और ज़ख़्म ठीक हो

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गया, उन्हों ने लाहौर से टािंग पर गोश्त लगवा नलया अब कोई नहीिं कह सकता हक ये टािंग कभी ख़राब भी

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हुई थी। स्िन से इलाि करवा रहे थे वो िॉक्टसत भी है रान रह गए हक इतना ख़तरनाक ज़ख़्म कैसे भर

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दआ ु ओिं में याद रखें। (राहीला ख़ान, लाहौर)

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गया। क़ाररईन! आप भी ये टोटका ज़रूर आज़माएिं और अबक़री में इस के फ़ायदे नलखें और हमें भी अपनी

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माहनामा अबक़री अप्रैल 2016 शुमारा निंबर 118_________________pg 37

मीठी नीिंद और सुकून के तरसे अफ़राद के नलए चन्द आज़मूदह टोटके

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(सब से पहले हम अपनी नीिंद का मामूल बनाएिं, नीिंद के नलए रात का टाइम सब से बेह्तर है अगर हम िल्द सोने और िल्द उठने का मामूल बनाएिंगे तो स्िस्ट्म हदमाग़ ख़ुद बख़ुद चुस्ट्त होंगे, सलाहहयत बढ़े गी

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कारकदत गी बेह्तर होगी और हफ़तरी नीिंद नमलेगी क्योंहक अल्लाह ने रात ही सुकून के नलए बनाई है , )

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(नज्मा आनमर गोिराँवाला)

आि कल के मशीनी, साइिं सी दौर ने इिं सान को सहुनलयात तो दी हैं मगर इस के साथ इिं सान ख़ुद भी एक मशीन बन गया है , मुसल्सल थकन बे चैनी का नशकार है स्िस की विह से उकताहट बढ़ गयी है , िो फ़दत ख़ुद ही थक िाए वो कैसे दस ू रे अफ़राद के नलए सुकून का बाइस बन सकता है , इस नलए हमें अपने अिंदाज़ स्ज़न्दगी में सुकून लाने के नलए तरीक़े अख़्त्यार करने होंगे। इिं सान के स्िस्ट्म की मशीन का एहम पुज़ात

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हदल हदमाग़ हैं िहािं इस्ल्मयत नलयाक़त और क़ाबबनलयत के िोहर होते हैं हदल के ज़ररए हर हहस्ट्से की नशो व नुमा होती है , हदमाग़ स्िस के ज़ररए पूरे स्िस्ट्म को ख़बरें नमलती हैं उस की तिंदरु ु स्ट्ती फ़्रेशनेस के नलए ऐसे उसूल व ज़वाबबत क़ाइम करने की ज़रूरत है स्िस से हदमाग़ को सुकून नमले और कारकदत गी बेह्तर हो सके। हदमाग़ के नलए सब से बेह्तर टॉननक क़ुदरती नीिंद है स्िस की हर बच्चे, िवान, बूढ़े, मदत ,

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औरत को ज़रूरत होती है , हर स्िस्ट्म में नीिंद पूरी करने की सलाहहयत मुख़्तनलफ़ होती है , कुछ लोग चार,

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कुछ छे , कुछ आठ, कुछ दस या बारह घिंटों में अपनी नीिंद पूरी करते हैं । बअज़ नीिंद के बाद भी फ़्रेश नहीिं

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होते स्िस से स्िस्ट्म में कम्ज़ोरी, थकावट, बेचन ै ी रहती है , आि हम कुछ ऐसे अवानमल का स्ज़क्र करें गे

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सकते हैं ।

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स्िस पर अमल पैरा हो कर हम पुर सुकून और गहरी नीिंद के ज़ररए अपने आप को चाक व चोबिंद बना

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मामूल क़ाइम करें : सब से पहले हम अपनी नीिंद का मामूल बनाएिं, नीिंद के नलए रात का वक़्त सब से

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बेह्तर है अगर हम िल्द सोने और िल्द उठने का मामूल बनाएिंगे तो स्िस्ट्म हदमाग़ ख़ुद बख़ुद चुस्ट्त

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होंगे, सलाहहयत बढ़े गी, कारकदत गी बेह्तर होगी और हफ़तरी नीिंद नमलेगी क्योंहक अल्लाह ने रात ही सुकून के नलए बनाई है , ग़लत औक़ात में सोने से परहे ज़ करें । स्ज़क्र इलाही और नीिंद: सुबह शाम अल्लाह

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की तस्ट्बीह तम्हीद करें , अल्लाह का ही तसव्वुर सोते वक़्त करें हक अल्लाह ने हमारे सुकून के नलए रात

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िैला दी हमें सुला कर ऊपर अल्लाह की हस्ट्ती स्िस को ना नीिंद है ना ऊिंघ वो ज़ात हमारी हहफ़ाज़त कर रही है , अल्लाह की ज़ात का तसव्वुर करें हक हम अल्लाह के साए तले आ गए फ़ौरन मीठी क़ुदरती हफ़तरी नीिंद ग़ानलब आ िाएगी। सेर वस्ज़तश: सुबह की ताज़ह हवा, सूरि की रौशनी से लुत्फ़ अन्दोज़ हों और

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हल्की िुल्की वस्ज़तश करें , क़ुदरती माहोल का अपने आप को आहद बनाएिं। मुतवाज़ुन नग़ज़ा: मुतवाज़ुन नग़ज़ा और वक़्त पर नग़ज़ा हमारे स्िस्ट्म की कारकदत गी के नलए बहुत एहम है । ज़्यादा नचकनाई और बद्द हज़्मी वाली नग़ज़ा से बचें, चाय कॉफ़ी कोला मश्रूब चॉकलेट शराब फ़ास्ट्ट फ़ूि से परहे ज़ करें िबहक दे सी क़दीम मश्रूबात लस्ट्सी, दध ू , शबतत बज़ूरी, सिंदल का शबतत, गन्ने का ताज़ह Page 48 of 54 www.ubqari.org

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िूस, लीमों के नसकिंिबीिं सुकून बख़्श हैं । सादह नग़ज़ाएँ, सस्ब्ज़याँ, िल, दालें इस्ट्तेमाल करें , सुबह नाश्ता बहुत अच्छा करें दोपेहेर नामतल खाना खाएिं और रात का खाना शाम होते ही हल्का िुल्का ज़ोद हज़म खाएिं, नमाज़ अदा करें और अल्लाह का स्ज़क्र करते हुए बबस्ट्तर पर आएिं सुन्नत के मुताबबक़ बबस्ट्तर झाड़ कर और सोने की दआ ु पढ़ कर सोएिं। माहोल: अपने माहोल में ख़ुद तब्दीली लाएिं िल्दी सोना अच्छी

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तबबतयत का हहस्ट्सा है , बच्चों को भी िल्द सोने का आहद बनाएिं वरना बच्चे टी वी कम्प्यूटर के साथ वक़्त

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ज़ायअ करें गे, सेहत भी ख़राब, तालीमी कारकदत गी मुतानसर होगी, हम आहिं ग माहोल पैदा करें , आपस में

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बैठ कर अच्छी बातों का इज़्हार करें िो मसाइल दरपेश हों नमल कर उन का बेह्तर हल तलाश करें । एक दस ू रे की स्ख़दमत मदद करें और अपने आप को सख़्ती से टाइम का पाबन्द करें िल्द ही आप की नीिंद भी

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मामूल पर आ िाएगी। टी वी दे खने से बच्चे बे ख़्वाबी का नशकार हो िाते हैं ऐसे मनास्ज़र उन के ज़ेहन

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पर नक़्श हो िाते हैं हिर वो भयानक ख़्वाब का रूप बन कर बच्चों की नीिंद मुतानसर करते हैं । बच्चा कुिंद

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ज़ेहन सुस्ट्त काहहल हो िाता है हर काम से घबराता है , बहुत अच्छे मशाग़ल अपनाएिं कोई खेल स्िस से

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स्िस्ट्मानी वस्ज़तश भी हो और ज़ेहनी कारकदत गी भी बढ़े इस तरह ज़ेहन चुस्ट्त होगा और गहरी पुर सुकून नीिंद आएगी। ननज़ाम तनफ़्फ़ुस का नीिंद से गहरा तअल्लुक़ है , सािंस की मश्क़ करें अपनी तवज्िह

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मरकूज़ कर के कल्मा का बवदत करें , इस से ख़राब नीिंद का ननज़ाम बहाल होगा, िब तक नीिंद में ना खो

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िाएिं मुसल्सल तवज्िह से कल्मा "ला इलाह इल्लल्लाहु" ( ‫ ) الله اال اله ال‬पढ़ते िाएिं हर सोच से हदमाग़ को

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ख़ाली रखें। अपने शऊर को किंरोल करें और पुर सुकून स्ज़न्दगी गुज़ारें , तकरार की मश्क़ दरअसल पुर सुकून होने की मश्क़ है । अल्लाह की ज़ात पर मुकम्मल भरोसा रखें हर हक़स्ट्म के हालात पर नसफ़त

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अल्लाह का अख़्त्यार है , इस नलए अपनी रोज़ मरह इबादात ख़ुशूअ ख़ुज़ूअ से अदा कीस्िये, अल्लाह से अपने नलए, अपने घर, अपने हम्साइयों और पूरी उम्मत की बेह्तरी की दआ ु कीस्िये।

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एक रूपए के ख़चत से छीिंकें, ज़ुकाम, नज़्ला ख़त्म मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! आप की ज़ेर सपतरस्ट्ती माहनामा अबक़री हर माह नवीद मुसरत त और पैग़ाम सेहत ले कर िल्वा अफ़रोज़ होता है तो बबला शुबा लाखों के हदल स्खल िाते हैं । दो अदद टोटके अरसाल स्ख़दमत हैं । एक रूपए के ख़चत से छीिंकें नज़्ला ज़ुकाम ख़त्म: इस ख़ाक्सार को

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तक़रीबन चालीस बरस से छीिंकें, ज़ुकाम, नज़्ला की बीमारी थी, सख़्त गनमतयों में भी हफ़्रि खोलते ही ये

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तस्क्लफ़ शुरू हो िाती, कुछ उदय ू ात, टोटके आज़्माता रहा नसफ़त वक़्ती अफ़ाक़ा होता। एक िगा पढ़ा हक

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सब्ज़ इलाइची बल्ग़म को छािंट दे ती है , ये आज़्माया तो नताइि ् है रत अिंगेज़ थे। तरीक़ा ये अख़्त्यार हकया हक रात को सोते वक़्त दािंत साफ़ कर के एक दाना सब्ज़ इलाइची चबा कर, ननगल कर सो गया।

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सुबह ख़ासा फ़क़त महसूस हो रहा था। हिर सुबह तहज्िुद के बाद एक दाना सब्ज़ इलाइची चबाते चबाते

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मस्स्ट्िद में चला गया। हमारे शहर का उन हदनों दिात हरारत चार हिग्री था, शायद हफ़्ता भर ये तरीक़ा

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अख़्त्यार हकया, अब नसफ़त रात को ज़ेर इस्ट्तेमाल है , अब छीिंकें, ज़ुकाम, नज़्ला और नाक से पानी के क़तरे

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नगरना बन्द हो गए, ये ननहायत सस्ट्ता और बे ज़रर टोटका है । अब गमी हो या सदी मुझे ये तक्लीफ़ नहीिं

नताइि ् फ़ौरी और अन्मोल।

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होती। एक दस रूपए के पैकेट में तक़रीबन दस दाने होते हैं और एक दाना एक रूपए का पड़ता है और

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पाऊँ की उँ गनलयों में फ़िंगस का ख़ात्मा: अक्सर लोगों की उिं गनलयािं फ़िंगस की विह से सफ़ेद हो िाती हैं , बअज़ को ज़ख़्म और ख़ाररश भी लग िाती है । मुझे भी १९९६ से ये नशकायत थी, चारसद्दह् के एक पठान भाई ने बताया हक ख़ानलस मेहँदी लगाओ, मैं ने मेहँदी के पत्ते ख़रीद कर साफ़ कर के बपस्ट्वा कर रख

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नलए। पहले पहल सुबह और रात को चुटकी भर िाल कर िुराबें पहन लीिं। गुज़श्ता साल गनमतयों और सहदत यों में भी उँ गनलयाँ तिंदरु ु स्ट्त रहीिं। नसफ़त रात को इस्ट्तेमाल कर रहा हूँ, मेहँदी बपस्ट्वा कर रख लें, कई साल ख़राब नहीिं होती। एहत्यात करें हक िब भी पाऊँ गीले हों तो हकसी नरम साफ़ कपड़े से ख़ुश्क कर लें। (शैख़ सेग़म, रावलबपिंिी)

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माहनामा अबक़री अप्रैल 2016 शुमारा निंबर 118_________________pg 42

फ़्रिज वक़्त और पैसा दोनो​ों की बचत...

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मगर कुछ एहत्यातें भी (सस्ब्ज़यों को फ़्रोज़न करने के नलए इन्हें हल्का सा उबाल कर फ़ौरन ठिं िे पानी से गुज़ार लेना चाहहए

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मुकम्मल तौर पर इन्हें गला कर फ़्रीज़र करने और हिर िी फ़्रॉस्ट्ट करने से उन का रिं ग और ज़ायक़ा ख़राब

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(अम्बर शहज़ाद, गोिराँवाला)

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आसानी दस्ट्तयाब हैं ।)

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हो िाता है । गोश्त (गाये, मुग़ी मछली) को धो कर हकसी प्लास्स्ट्टक और शीशे के किंटे नर हर बाज़ार में बा

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आप के घर और बावची ख़ाना में सब से कार आमद मशीनरी हफ़्रि है िो पैसे और वक़्त दोनों की बचत

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करती है । चालीस पचास साल पहले इस ईिाद का इस्ट्तेमाल बहुत कम घरों में हकया िाता था मगर आि

ये हर घर की ज़रूरत है । हफ़्रि या रीहफ़्रिरे टर की सहूलत ज़ेह्मत में उस वक़्त तब्दील होती है िब ये आए

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हदन ख़राब रहने लगता है या मतलूबा नताइि ् नहीिं दे ता। विह? ज़रूरत से ज़्यादा इस के अिंदर चीज़ें

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रखना और हफ़्रि को अल्मारी की तरह बार बार खोलना है । इसी नलए अश्या मुिंिनमद होती हैं ना ही ठीक तरह से ठिं िी होती हैं और हफ़्रि में रखने के बाविूद भी खाना ख़राब हो िाता है और अक्सर दध ू भी िट िाता है । हफ़्रि के साथ हर तरह की गाइि लाइन के नलए हकताब्चे हदए िाते हैं थमोस्ट्टै ट करने से ले कर

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हफ़्रि, िीप फ़्रीज़र की सफ़ाई से मुतअस्ल्लक़ तमाम ज़रूरी हहदायात और तरीक़े दित होते हैं । रीहफ़्रिरे टर के ननचले हहस्ट्से की सफ़ाई क़द्रे आसान होती है और इस के इस्ट्तेमाल में ख़ास हहदायात भी नहीिं दी िातीिं िब हक ऊपरी हहस्ट्से या फ़्रीज़र के इस्ट्तेमाल और सफ़ाई में ख़ास एहत्यात की ज़रूरत होती है । इसी हहस्ट्से में खानों और दीगर अश्या को तवील अरसे के नलए मुिंिनमद शक्ल में महफ़ूज़ हकया िाता है । ज़ेल में

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खाना फ़्रीज़ करते और उस हहस्ट्से की सफ़ाई से मुतअस्ल्लक़ कुछ ज़रूरी बातें दित की िा रही हैं मसलन ् खाने के मुिंिनमद होने के अमल में दरअसल इस में मौिूद पानी के ज़रातत एहम हकरदार अदा करते हैं िूिं िूिं ये ठन्िे होते िाते हैं खाना भी िमने लगता है नलहाज़ा िब खाना िी फ़्रॉस्ट्ट होता है नरम पड़ िाता है । खाना फ़्रीज़र में रखने के ज़मन में ये एहत्यात करें हक गरम गरम और बहुत सारा खाना रखने से सारा

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खाना मुकम्मल तौर पर ठिं िा नहीिं होता और ना मुनानसब नुक़्ता अिंिमाद (फ़्रीस्ज़िंग पॉइिं ट) की विह से वो

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िल्द ख़राब भी हो िाता है । एक वक़्त में थोड़ा खाना फ़्रीज़र करें और कोनशश करें हक इसे कमरे के दिात

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हरारत पर ठिं िा करने के बाद फ़्रीज़र में रखें। वो खाने और क़ुदरती नग़ज़ाएँ स्िन में पानी के िुज़ की

ज़्यादती पाई िाती है अच्छी तरह मुिंिनमद नहीिं होते कम पानी वाले खाने और क़ुदरती नग़ज़ाएँ िल्द ठिं िी

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होती हैं और तवील अरसे तक क़ाबबल इस्ट्तेमाल रहती हैं । इसी तरह सख़्त सस्ब्ज़याँ िैसे आलू, चुक़न्दर

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या नशल्िम वग़ैरा िल्द मुिंिनमद हो िाती हैं । गोश्त अपनी सख़्ती की विह से मुकम्मल तौर पर

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मुिंिनमद हो िाता है िब हक दध ू और मायोनीज़ इस फ़ेहररस्ट्त में शानमल नहीिं हकये िा सकते। मसाल्हों

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को भी फ़्रीज़ हकया िा सकता है मगर िी फ़्रॉस्ट्ट होने के बाद इन का ज़ायक़ा क्या होगा? ये कहना मुस्श्कल है । सब से पहले तो ये ख़याल ज़ेहन से ननकाल दीस्िये हक खाना फ़्रीज़ करने से उस में बन्ने वाले

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बैक्टीररया ख़त्म नहीिं होते बस्ल्क मुिंिनमद करने का अमल खाना ख़राब होने के अमल को सुस्ट्त कर दे ता

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है । ये बैक्टीररया का ख़ात्मा नहीिं करता है । सस्ब्ज़यों को फ़्रोज़न करने के नलए उन्हें हल्का सा उबाल कर फ़ौरन ठन्िे पानी से गुज़ार लेना चाहहए मुकम्मल तौर पर उन्हें गला कर फ़्रीज़र करने से उन का रिं ग और ज़ायक़ा ख़राब हो िाता है । गोश्त (गाये, मुग़ी मछली) को धो कर हकसी प्लास्स्ट्टक और शीशे के किंटे नर

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हर बाज़ार में बा आसानी दस्ट्तयाब हैं । ये किंटे नर हवा, नमी लीकेि और मुिंिनमद होने की सूरत में चतख़्ते नहीिं। इन के इलावा हर एक और धात के बने किंटे नर भी बेह्तरीन इन्तख़ाब हो सकते हैं । सैंिबवच्ज़ भी तय्यार कर के फ़्रीज़ हकये िा सकते हैं उन की फ़ीनलिंग के नलए मूिंग िली का मक्खन, गोश्त के पाचे, पनीर, सलाद की ड्रे नसिंग या माितरीन इस्ट्तेमाल करें । सैंिबवच फ़्रीज़ करने से कुछ पहले ये फ़ीनलिंग लगाएिं

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इन्हें फ़ोइल पेपर या एयर टाइट किंटे नर में रख कर फ़्रीज़ कर दें । िलों और सस्ब्ज़यों को छोटे हिम और रक़्बे वाले िब्बों में फ़्रीज़ करना चाहहए क्योंहक िब्बे का साइज़ स्िस क़दर बड़ा होगा उसी क़दर अश्या के मुिंिनमद होने का अमल सुस्ट्त होता है । प्रीज़वत खानों या सॉस को नॉन मैटेनलक रे पर में रखें क्योंहक घाटी काग़ज़ से इन खानों या सॉस में पहले से नमले कीमयाई अज्ज़ा नमल कर तेज़ाबबयत बढ़ा सकते हैं । खाने

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को गरम गरम फ़्रीज़र में नहीिं रखना चाहहए। फ़्रीज़र करने से पहले खाने को रीहफ़्रिरे टर में रख कर ठिं िा

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कर लें। इस तरह खाना िल्द ठिं िा हो कर तवील अरसा तक अपना ज़ायक़ा भी बरक़रार रखेगा। ताज़ह

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खाने को किंटे नर में िाल कर कुछ दे र कमरे के दिात हरारत में रखें हिर रीहफ़्रिरे टर मुकम्मल ठिं िा होने के बाद फ़्रीज़ करें । अगर आप के हफ़्रि में नमी किंरोल करने वाले दो हक्रस्ट्पर मौिूद हैं तो उन्हें हफ़्रि के साथ

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दीए गए हकताब्चा में दित हहदायात के तहत सेट करें । इस ज़मन ् में ये याद रस्खये हक पत्तों वाली सस्ब्ज़याँ

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िैसे सलाद के पत्तों के नलए कम नमी और नछल्के वाली सस्ब्ज़यों मसलन ् टमाटर और बैंगन, िूल गोभी

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और बन्द गोभी को ज़्यादा नमी की ज़रूरत होती है । सस्ब्ज़यों को रीहफ़्रिरे टर में रखने से पहले धोना नहीिं

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चाहहए ना ही उन्हें काग़ज़ की थैनलयों में बन्द कर के हफ़्रि में रखें इस तरह काग़ज़ रीहफ़्रिरे टर की सारी नमी िज़्ब कर लेता है । अक्सर ख़वातीन बाज़ार से गोश्त और पोल्री को उन्ही थैनलयों में लपेट कर या

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दस ू री प्लास्स्ट्टक की थैनलयों में महफ़ूज़ समझ कर उन्हें फ़्रीज़ कर दे ती हैं ये तरीक़ा सरासर ग़लत है

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नलहाज़ा गोश्त और पोल्री (मुग़ी) या मछली को साफ़ कर के धो लें हिर स्ज़प लॉक या फ़्रीज़र के नलए

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मख़्सूस प्लास्स्ट्टक के बततनों में उन्हें रखें। अगर आप का इरादा गोश्त और पोल्री को हफ़्तों या महीनों के नलए महफ़ूज़ करने का है तो उन्हें प्लास्स्ट्टक के मख़्सूस रे पर थैलों में इस्ट्तेमाल के मुताबबक़ हहस्ट्सों में

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तक़्सीम करें और हर पैकेट पर गोश्त की हक़स्ट्म और हकस सालन के नलए है और पैकेट बनाने की तारीख़ भी दित कर लें। इस तरह आप को गोश्त की मीआद याद रखने में आसानी रहे गी। हवा में मौिूद ख़दत िरसूमे फ़्रीज़र से ननकाले गए गोश्त में तेज़ी से इिं फ़ेक्शन का सबब बनते हैं और गोश्त में तेज़ाबी रतूबतों की असर अिंगेज़ी बढ़ने लगती है नलहाज़ा गोश्त को रीहफ़्रिरे टर में िी फ़्रॉस्ट्ट करें । फ़्रीज़र के अिंदर तरतीब

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से अश्या रखें, स्िस क़दर ये भरा होगा उसी क़दर वोल्टे ि खेंचेगा। फ़्रीज़र की गयी तमाम ख़ोराक की फ़ेहररस्ट्त बना लें चाहें तो उसे फ़्रीज़र पर नचस्ट्पािं कर दें या हिर हकचन में लगा लें। हर बार नई अश्या रखने से पहले उन की फ़्रीज़ करने की तारीख़ ज़रूर नलख लें और साथ थोड़े थोड़े अरसे बाद मुआइना करते रहें ता की ग़ैर ज़रूरी या ना क़ाबबल इस्ट्तेमाल ख़ोराक को ज़ायअ हकया िा सके। मुिंिनमद ख़ोराक को दे र

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तक इस्ट्तेमाल करने के नलए फ़्रीज़र का नुक़्ता अिंिमाद (फ़्रीस्ज़िंग पॉइिं ट) दरु ु स्ट्त होना ज़रूरी है । इस के

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नलए फ़्रीज़र के साथ आने वाली गाइि बुक का बारीक बीनी से मुतास्ल्लआ करें । अगर आप खाना पका कर

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मुिंिनमद करने का इरादा रखती हैं तो ये आईहिया भी बुरा नहीिं मगर एक किंटे नर में तमाम खाना मत िालें क्योंहक अक्सर ख़वातीन ये करती हैं किंटे नर को ओवन में रख कर खाना गमत करती हैं हिर थोड़ा सा खाना

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ले कर बाक़ी वापस फ़्रीज़ कर दे ती हैं और ये अमल कई बार दहु राया िाता है । ये अमल खाने की ताज़्गी,

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ज़ायक़ा और उस की अफ़ाहदयत को ज़ायअ कर दे ता है । नलहाज़ा छोटे छोटे िब्बों में खाने को फ़्रीज़ करें ता

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हक िब चाहें अपनी ज़रूरत के हहसाब से ननकाल कर इस्ट्तेमाल कर लें। याद रखें! रीहफ़्रिरे टर या फ़्रीज़र

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का दरु ु स्ट्त इस्ट्तेमाल आप के क़ीमती वक़्त और पैसे दोनों की बचत करता है अचानक मेहमानों की आमद

से घबराने की नोबत भी नहीिं आ सकेगी क्योंहक आप ने तो पहले ही खाना बना कर फ़्रीज़ हकया हुआ है ।

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तो क्या ख़याल है ? समझदारी के ये उसूल याद कर नलए िाएिं।

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माहनामा अबक़री अप्रैल 2016 शुमारा निंबर 118___________________pg 44

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