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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के दिसम्बर 2015 के एहम मज़ामीन दहिंिी ज़बान में
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन
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के दिसम्बर 2015 के एहम मज़ामीन
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दहिंिी ज़बान में
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दफ़्तर माहनामा अबक़री
मज़ंग चोंगी लाहौर पाककस्ट्तान
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मरकज़ रूहाननयत व अम्न 78/3 अबक़री स्ट्रीट नज़्द क़ुततबा मस्स्ट्िद
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महमूद मज्ज़ूबी चग़ ु ताई دامت برکاتہم
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एडिटर: शैख़-उल-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मुहम्मद ताररक़
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फ़ेहररस्त ला इलाज कैं सर का मरीज़ तीस दिन में तिंिरु ु स्त: ..................................................................................... 11 ज़ेहनी िबाओ से ननजात मम्ु म्कन है कुछ उसल ू अपना लीम्जये: ................................................................ 15 शाह ससद्दीक़ िे हल्वी ؒ
के मस् ु तनि रूहानी वज़ाइफ़् .............................................................................. 19
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नतब्बी मश्वरे ................................................................................................................................................ 24 म्जस्मानी बीमाररयों का शाफ़ी इलाज: ......................................................................................................... 24
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मम्ु श्कलात िरू , हाजात मनवाने का आसान टोटका: .................................................................................... 27 रोज़ी में फ़राख़ी के सलए मज ु रर ब तरीन अमल: ............................................................................................ 31
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पिंद्रह रूपए की िार चीनी से शग ु र हमेशा के सलए ख़त्म: ........................................................................... 35 फ़फ़ट्नेस और जवानी पाने के ९ राज़........................................................................................................... 38
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ना चूहे, ना नछपकली, ना लाल बेग, लाजवाब आज़मि ू ह आसान अमल: .................................................. 42 मझ ु े जागती आँखों से म्जन्नात नज़र आते हैं: ........................................................................................... 46
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शाह ग़ौस ऊच्वी ؒ के मस् ु तनि रूहानी वज़ाइफ़् : .................................................................................... 66
सदिर यों में आप के बाल तवज्जह चाहते हैं!................................................................................................. 69
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Facebook नहीिं!......................................................................................................................................... 73 अहल ख़ाना को वक़्त िें और फ़िर सक ु ू न िे खें: .......................................................................................... 73
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मत ु वाज़ुन ग़ग़ज़ा से भरपरू लड़कपन, जवानी और शान्िार बढ़ ु ापा: ............................................................. 76
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हासमला ख़वातीन के सलए इल्हामी नस् ु ख़ा! बच्चा उम्र भर तिंिरु ु स्त: .......................................................... 79
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फ़फ़टनेस और जवानी पाने के ९ राज़: ......................................................................................................... 82 ससरु ाली झगड़ों से ननजात का गारें टी शि ु ह अमल: .................................................................................... 85 घरे लू मसाइल का इिंसाइक्लो पेडिया: ........................................................................................................... 87 बालों का टूटना और उन का इलाज ............................................................................................................ 87 बच्चे ने आयत-अल ्-कुसी पढ़ी! िाकू रक़म वापस कर गए: ........................................................................ 89 क़ाररईन की ख़ुसस ू ी और आज़मि ू ह तहरीरें : ................................................................................................ 92
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चिंि दिनों में स्माटर , म्स्लम और परु कसशश बन्ने का नस् ु ख़ा: .................................................................... 98 इस्लाम के िस्तरख़वाँ के ये नो वाररि मेहमान:........................................................................................ 102 िाई इस्लाम हज़रत मौलाना मह ु म्मि कलीम ससद्दीक़ी دامت برکاتہم........................................................... 102 या क़ह्हार पढ़ा अज़्िवाजी मसाइल बबल्कुल ख़त्म: .................................................................................. 105
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क़ाररईन लाए अनोखे और आज़मि ू ह टोटके: ............................................................................................. 109
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अल्लाह की मुहब्बत म्जन के सलए वाम्जब है !
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हज़रत इबादह बबन सामत رضی ہللا تعالی عنہहुज़ूर नबी अक्रम ﷺसे हदीस क़ुद्सी में अल्लाह तआला
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का ये इशातद नक़ल फ़मातते हैं: "मेरी मह ु ब्बत उन लोगों के ललए वास्िब है िो मेरी विह से एक दस ू रे से मुहब्बत रखते हैं, मेरी मुहब्बत उन लोगों के ललए वास्िब है िो मेरी विह से एक दस ू रे की ख़ैर ख़्वाही
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करते हैं, मेरी मह ु ब्बत उन लोगों के ललए वास्िब है िो मेरी विह से एक दस ू रे से मल ु ाक़ात करते हैं और
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मेरी मुहब्बत उन लोगों के ललए वास्िब है िो मेरी विह से एक दस ू रे पर ख़चत करते हैं। वो नूर के लमंबरों
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पर होंगे उन के ख़ास मततबा की विह से अंब्या और लसद्दीक़ीन उन पर रश्क करें गे। (इब्न हयान)☆
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रसूलल्लाह ﷺने इशातद फ़मातया स्िस बन्दे ने अल्लाह तआला के ललए ककसी बन्दे से मुहब्बत की, उस
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हाल ए दिल
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ने अपने रब ज़ुल्िलाल की तअज़ीम की। (मस्ट्नद् अह्मद)
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जो मैं ने िे खा सुना और सोचा
एक िख ु ी ख़त मेरे नाम:
"बहुत दख ु ी ददल के साथ आप को बता रही हूूँ, मेरे शौहर ने मेरे साथ पसंद की शादी की थी अल्लाह तआला ने दो बेटे और एक बेटी दी। शौहर शरू ु ही से गरम लमज़ाि, इतना गरम लमज़ाि कक ये भी नहीं
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दे खते थे कक मैं ककस के सामने और कहाूँ हूूँ? मैं सब कुछ बदातश्त करती रही, मेरे शौहर एक शुअबे में मुलाज़्मत करते थे मुनालसब गुज़ारा हो रहा था लेककन उन के ग़स्ट् ु से और गरम लमज़ािी ने उन की वो िॉब छुड़ा दी कक मेरा इस पर गज़ ु ारा नहीं होता और उन लोगों का रवय्या मेरे साथ अच्छा नहीं हालांकक ख़द ु उन का रवय्या उन लोगों के साथ अच्छा नहीं था। किर उन्हों ने अपने दोस्ट्तों के साथ लमल कर एक
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और बबज़्नेस शरू ु ककया लेककन नंबर दो बबज़्नेस, नंबर एक नोकरी छोड़ कर नंबर दो बबज़्नेस ककया। हालात तो अच्छे हो गए कारोबार, चहल पहल, ललबास, कपड़े, खाना पीना बज़ादहर ररज़्क़ की फ़रावानी
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लेककन उधर से घर की बबातदी शुरू हो गयी। मेरे शौहर अपने आप को ज़मीन का ख़द ु ा समझने लगे। माूँ
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बाप बहन भाइयों के साथ ननहायत गुस्ट्ताख़ाना और बद्द तमीज़ी का रवय्या। माूँ को िी भर कर दख ु ददया और माूँ की िी भर कर बे इज़्ज़ती की, माूँ प्यासी और लससक्ती नज़रों से उसे दे खती रहती कक शायद
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कभी अच्छे लहिे और अच्छे रवय्ये से ये शख़्स मझ ु े दे ख ले लेककन आि तक उस बन्दे ने ना मीठा बोल बोला, ना मीठी आूँखें दे खीं और ना मीठी चाल चला। उस की चाल में तकब्बुर, ग़रू ु र, बद्द तमीज़ी और
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अकड़ थी, उस के बोलों में कड़वाहट थी, उस के लहिे में खटास थी, आख़ख़र इसी हालत में माूँ अल्लाह को प्यारी हो गयी, यूूँ ये घरवालों से और दरू हो गया। उस के इसी ग़स्ट् ु से, अकड़पन, तकब्बुर, ग़रू ु र और
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लमज़ाि की तल्ख़ी और तेज़ी की विह से तमाम घरवाले हत्ता कक ररश्तेदार सब उस से दरू हो गए। उस का वही दो नंबर काम चलता रहा। किर उस की स्ज़न्दगी में एक ग़ैर मज़्हब लड़की आ गयी, िो उस के
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बहुत क़रीब हो गयी, होटलों में मुलाक़ातें होना शुरू हो गयीं। किर शौहर को ना मालूम क्या हुआ उस ने
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तमाम लोगों का पैसा इकट्ठा ककया िो पैंतालीस लाख से ज़्यादा था और बेरून मुल्क हमें रोता, लससक्ता छोड़ कर चला गया और यहाूँ तक कक भूल गया कक मेरी बीवी बच्चे भी थे, वहां ये सारा पैसा उिाड़ कर आख़ख़र कार पाककस्ट्तान उस लड़की के साथ वापस आ गया। उस लड़की के वाल्दै न ने लड़की को अपने घर बबठा ललया और बहुत बड़ी रक़म का मुतालबा करने लगे, अब आलम ये है कक ये पाककस्ट्तान के एक छोटे से शहर में छुप कर रह रहा है हर वक़्त लोगों से झट ू बोलता है , धोका दे ता फ़रे ब करता है । उसे अपने
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ख़ान्दान की, अपने घर की, अपनी बीवी की, अपनी औलाद की कोई परवाह नहीं। सड़क बाज़ार, घर ब्रादरी हर िगा, हर ककसी की बे इज़्ज़ती करता है । ये नहीं दे खता कक सामने कौन है , क्या है ? बस उस का लमज़ाि वही है हालाूँकक वो औरत भी उस से दरू हो गयी। दौलत, माल, चीज़ें दो नंबर िहाूँ से आईं थीं, वहां वापस चली गयीं। ये ख़ाली और फ़क़ीरों की तरह सड़कों के गश्त करता है , अब तो मेरे बच्चे बड़े हो गए हैं
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कहते हैं मामा, बाबा को घर ना आने दें । बच्चे बाप से नफ़रत करते हैं। चकंू क मैं आप के तस्ट्बीह ख़ाना से मुतअस्ल्लक़ हूूँ, मैं ने बच्चों की तबबतयत बहुत अच्छी की है बच्चों के अंदर बाप वाला लमज़ाि नहीं है
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लेककन मेरी स्ज़न्दगी अिीरन हो गयी है । मेरा सुख लुट गया है , मेरा चैन लुट गया है । ऐ काश! मैं मुहब्बत
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की शादी ना करती! एक ख़्वाब मुझे बार बार आता है और कई बार आया है किर ये ख़्वाब ख़यालों की
शक्ल में मेरे ज़ेहन में हर वक़्त सवार रहता है । इस मुहब्बत की शादी में मेरा बाप मुझ से नाराज़ था, मेरे
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बहन भाई और ख़ास तौर पर मेरी माूँ बहुत नाराज़ और दख ु ी थी, आि भी वो आंस,ू वो आहें , वो लसस्स्ट्कयां िो शायद अब मेरा मुक़द्दर बन कर रह गयी हैं, मैं ने बे शुमार बार अपनी माूँ के चेहरे पर दे खीं। हज़रत
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हकीम साहब! मझ ु एं खा गयीं, मझ ु े बाप की आहें खा गयीं मैं हर मह ु ब्बत करने वाली बेटी ु े माूँ की बद्द दआ
और भाई से कहूूँगी ख़द ु ारा तस्ट्बीह ख़ाना से िुड़ िाएं आप िहाूँ भी हैं, मोबाइल के ज़ररए मुसल्सल
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तस्ट्बीह ख़ाना के दसत सन ु ें और कभी भी प्यार और मह ु ब्बत की शादी ना करें । अपना सब कुछ अपने वाल्दै न के हवाले कर दें और अपने लमज़ाि में धीमा पन, ठं िा पन पैदा करें और ग़स्ट् ु से को ख़त्म कर दें ।
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बस! ऐ काश वो ददन क्या था िब ये ग़स्ट् ु से वाला शख़्स मेरी स्ज़न्दगी में आया उस ने मुझे बहुत ख़्वाब
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ददखाए, मैं अपनी प्यारी माूँ को भूल बेठी, मैं अपने अज़ीम बाप को फ़रामोश कर बेठी, मैं साथ खेलने वाले बहन भाइयों को नफ़रत से दे खने लगी, मुझे लसफ़त उस शख़्स से मुहब्बत थी, बाक़ी सारे मुआश्रे से नफ़रत थी। ऐ काश! ऐसा ना करती, या अल्लाह! इस ज़ल् ु म की सज़ा िो तू ने मझ ु े दी है , मेरी नस्ट्लों को बचा, हर ककसी की बेटी और बेटे को प्यार इश्क़ और मुहब्बत की शादी से बचा ले। हकीम साहब! ख़द ु ारा मुझे सुकून चादहए, मझ ु े चैन चादहए, मझ ु े अम्न और आकफ़यत चादहए। क्या ये लमल सकता है ? मझ ु े इल्म है आप
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मुझे कहें गे माूँ बाप को राज़ी कर, बहन भाइयों को मना और अगर तेरी माूँ स्ज़ंदा है और बाप हयात है तो उन को इतना राज़ी कर इतना राज़ी कर इतना राज़ी कर कक वो ददल से तुझे मुआफ़ कर दें और अंदर से उठने वाली आहें हैं वो दआ ु ओं में बदल िाएं तब तो तेरा कोई काम बन सकता है वरना हर्गतज़ नहीं!" क़ाररईन! ये ख़त मैं ने आप की ख़ख़दमत में पेश ककया है इस का िवाब मैं क्या दं ू मुझे आप से इस का
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िवाब चादहए मआ ु श्रे में लौ, मह ु ब्बत, प्यार, मेसेि और नेट की शादी का िो ररवाि चल पड़ा है इस शादी का आख़ख़र अंिाम क्या होता है ? सैंकड़ों नहीं हज़ारों लमसालें हमारे मुआश्रे में भरी हुई हैं, कभी इस मुआश्रे
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की लमसालों को नज़र अंदाज़ ना कीस्िये बस्ल्क हर वक़्त इस लमसाल को लमसाल समझें क्योंकक ये
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िसर रूहाननयत व अम्न
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माहनामा अबक़री दिसम्बर 2015 शुमारा निंबर 114_____________pg3
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लमसालें स्िन में इब्रत, अंिाम और मकाफ़ात होता है हमेशा बे लमसाल होती हैं।
अल्लाह से बातें करने का इनआम ्:
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शैख़-उल-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मुहम्मि ताररक़ महमूि मज्ज़ूबी चग़ ु ताईدامت برکاتہم
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(हफ़्तवार दसत से इक़्तबास)
(हज़रत िी के हर दसत में गूंगे हज़रात साथ लाएं। दसत का इशारों में तिुम त ा होगा।) अल्लाह से बातें करने का इनआम: एक अल्लाह वाले ख़त में ललखते हैं अक्टूबर २००५ के क़यामत ख़ेज़ ज़ल्ज़ले के मत ु ालसरीन को मफ़् ु त मआ ु व्ज़े की अदायगी के ललए हुकूमत ने यनू नयन कौंसल की वस ु ातत से
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सरकारी मुलास्ज़मीन पर मुश्तलमल कमेदटयां तश्कील दीं िो आमी की मुआव्नत से ज़ल्ज़ला से मुतासरह घरानों को मुआव्ज़ा और Death Clame िारी करती थी। राकक़म भी एक ऐसी टीम का चेयरमैन मुक़रत र हुआ। टूटे हुए मकानात के मआ ु व्ज़े की इब्तदाई कक़स्ट्त पच्चीस हज़ार रूपए और ऐसे घराने स्िन के हाूँ अम्वात हुई थीं उन के ललए फ़ी आदमी एक लाख रूपए Death Clame मुक़रत र हुआ। एक ददन Death
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Clame का एक लाख रूपए वाला चेक गम ु हो गया। मैं बहुत परे शान हुआ क्योंकक वहां तो िअल्साज़ी का ख़तरा था। तमाम ननज़ाम डिस्ट्टबत थे। ज़ल्ज़ले ने सब कुछ तेह व बाला कर ददया था। ऐसा चेक कोई भी
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कैश करवा सकता था। मैं सोच रहा था कक कल डिप्टी कलमश्नर को मक्तूब ललखग ूं ा कक फ़लां नंबर का
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चेक मन्सूख़ कर दें कहीं ऐसा ना हो कक कोई बन्दा उस चेक को कैश करवा ले। दो तीन रोज़ के बाद
अचानक मैं ने वास्ट्कट चेक की तो वो चेक मेरी िेब मैं मौिूद था हालांकक मैं पहले चेक कर चक ु ा था। कोई
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बन्दा िाल गया था। अल्लाह िल्ल शानह ु ू ने ककसी स्िन्न की ड्यट ू ी लगाई थी कक िाओ वो चरु ा कर ले
गया था उस चोर वास्ट्कट से उसकी वास्ट्कट में िाल दें । रब आक़ा है । सारी ख़द ु ाई उस के मातहत है । रब
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कुछ भी कर सकता है, रब सब कुछ कर सकता है उस के बाद वो साहब ख़त में ललखते हैं कक "मैं ने अपनी
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सोच के धारे बदल ददए।"
ग़ैबी इम्िाि का िस ू रा वाक़्या: पहली कक़स्ट्त तक़्सीम होने के बाद दब ु ारह िी सी ऑकफ़स मुज़फ़्फ़र आबाद
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गया ता कक मज़ीद रक़म, चेक ला कर फ़ेहररस्ट्त के मुताबबक़ तक़्सीम करूूँ, मुज़फ़्फ़र आबाद िी सी
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ऑकफ़स से पच्चीस लाख रूपए कैश और पन्रह लाख रूपए के Death Clame चेक ले कर मैं ने अपने
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कपड़े के थैले में पैक कर के अपनी मोटर साइककल के पीछे रख ददए ता कक नेशनल बैंक से वो Death Clame के चेक कैश करवा लूँ ू िब मैं अपने चचा के घर पोहं चा, तो दे खा कक मोटर साइककल से तो वो थैला िो पीछे बाूँधा हुआ था ग़ायब था। स्िस थैले में पच्चीस लाख रूपए नक़द और पन्रह लाख रूपए के चेक थे।
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गुम्शुिह २५ लाख नक़ि और १५ लाख के चेक की तलाश: अब मैं उसी रस्ट्ते से वापस िी सी ऑकफ़स की िाननब से रवाना हुआ िहाूँ से आ रहा था। रास्ट्ते में िगा िगा मोटर साइककल खड़ी कर के बाज़ार में , दक ु ान्दारों से और दीगर पैदल चलने वाले अफ़राद से पछ ू ता रहा कक आप ने यहाूँ रोि पर कोई र्गरा हुआ थैला तो नहीं दे खा? सब ने इंकार ककया।
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हवास बाख़ता की रब से फ़यारि: एक लम्हे के ललए ऐसे महसूस हुआ कक मैं कोई ख़्वाब दे ख रहा हूूँ क्योंकक
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इतनी बड़ी गम् ु शद ु ह रक़म ने मझ ु े हवास बाख़्ता कर ददया था। मैं काफ़ी परे शान हो गया। मैं िब तलाश
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बस्ट्यार के बाविूद मुकम्मल मायूस हुआ तो हुिूम से ज़रा हट कर खड़े हो कर रब से बातें कीं कक "ऐ
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अल्लाह अगर मैं ने स्ज़न्दगी में कोई ऐसा काम ककया िो तुझे पसंद हो तो मुझ पर रहम कर क्योंकक मैं
अब मज्बूर हूूँ और मेरी सारी िायदाद भी इतनी नहीं कक मैं रक़म की अदायगी कर सकूँू और किर बात ये
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है कक मज्बूर लोगों का माल है और रक़म की गुमशुद्गी पर मेरा कोई यक़ीन नहीं करे गा। या अल्लाह तू
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ही मेरा मौला है । बस तू ही मझ ु पर करम फ़मात।" (अल्लाह वालो! अल्लाह से बातें करना सीख लो।)
और मेरी रक़म मझ ु मांग कर मैं उसी रास्ट्ते पर एक ु े समल गयी!: साहब ख़त में मज़ीद ललखते हैं कक दआ
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बार किर मोटर साइककल ले कर ननकला स्िस रास्ट्ते पर पहले ढून्ि ढाूँि कर आया था। उसी रास्ट्ते में
लड़कों की एक टोली के पास रुका, उन से पछ ू ा यहाूँ इस रं ग का कोई थैला तो नहीं दे खा? तो उन में से
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ककसी ने कहा हाूँ दे खा है । अभी कोई ३० लमनट पहले एक लड़का वो थैला फ़लां ख़ैमा बस्ट्ती में ले कर गया
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है । मैं उस लड़के की ननशांदही पर उस बच्चे के साथ ख़ैमा बस्ट्ती गया। मुतअल्लक़ा ख़ैमे के बाहर खड़े हो
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कर आवाज़ दे ने लगा कक वो मेरा थैला िो तुम्हारे बच्चे को लमला है मुझे वापस दो और वो थैला इस रं ग का है । अंदर ख़ातून मौिूद थी, मैं ने उस ख़ातून से कहा कक अभी कुछ दे र पहले तुम्हारा बच्चा िो थैला ले कर आया है वो मेरा है वो मझ ु े दे दो।
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रक़म सही सलामत थी: कोई ३० सेकंि के इंतज़ार के बाद दब ु ारह उस ख़ातून के हाथ में वही थैला था और बबल्कुल खल ु ा हुआ नहीं था और उस में वो सब कुछ मौिूद था िो मेरा था और स्िस का मैं अमीन था और िो मझ ु े ज़ल्ज़ला से मत ु ास्रह बे घर लोगों तक पोहंचाना था। आगे ललखते हैं कक "थैला दे ख कर बे अख़्त्यार मेरी आूँखों से शुक्र के आंसू ननकले।" सुब्हानल्लाह! सच्चे ददल से और ररज़्क़ हलाल खा कर
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मांगी हुई दआ ु कभी रद्द नहीं होती। आगे ललखते हैं मेरी अमानत मझ ु े लमल गयी। वो लड़का स्िस ने थैले की ननशांददह की थी पहले उस से िब मैं पहले चक्कर पर आया था तब भी मैं ने उस से पूछा था उस ने
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तब भी इंकार ककया था। लेककन दआ ु के बाद उस ने ननशांददह की।
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मौलाना ज़हूर अह्मि बघ्वी رحمة هللا عليهका ख़ादिम "मुनीर अह्मि"
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सरगोधा के साथ भीरा का मक़ाम है वहां मौलाना ज़हूर अह्मद बघ्वी साहब رحمة هللا عليهबड़े आललम गुज़रे
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हैं। उन का एक सफ़ीर था िो उन का ख़ाददम भी था, उस का नाम मुनीर अह्मद था। बड़ा मज़ादहया था।
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बअज़ बन्दे ऐसे मज़ादहया होते हैं कक बात से बात ननकालते हैं। अक़ल को दीवाना और है रान कर दे ते हैं। वो मज़ाह करता था। एक दफ़ा कहने लगा "मड़ ु ज़हूर अह्मदा" उन को मौलाना ज़हूर अह्मद की बिाए
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ज़हूर अह्मदा कहता था बड़ा बे तकल्लुफ़ था। कल्कत्ता और मुम्बई के इतने बड़े बड़े सेठ तेरे मुरीद हैं ककसी को कह कर हज्ि करवा" फ़क़ीर नूं सोहने ﷺदा रोज़ा ते ववखां"। "मैं वी अल्लाह दे घर दा दीदार
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करां" मौलाना ज़हूर अह्मद साहब رحمة هللا عليهफ़मातने लगे कक "ते मुड़ बक्वास बन्द करे सीं" हत्ता कक तय
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हुआ कक स्ट्टाम्प पेपर पर स्ट्टाम्प ललख कर दे कक अब तू मज़ाक़ नहीं करे गा तो मैं तेरे हज्ि का बंदोबस्ट्त
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करता हूूँ इस पर बाक़ाइदा स्ट्टाम्प ललखा गया मुनीर अह्मद ने उस पर अंगूठा लगाया अनपढ़ था। (िारी
िसर से फ़ैज़ पाने वाले:
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मैं आप का दसत बहुत शौक़ से सुनती हूूँ, आप के दसत की तो मैं सच में दीवानी हो गयी हूूँ। हम ने ज़ादल ु ्-ताललबीन में हदीस मुबारका पढ़ी थी स्िस का मफ़्हूम है कक बअज़ लोग बयान के एतबार से बहुत असर रखते हैं, अब मझ ु े अंदाज़ा होता है कक ये हदीस आप के ललए ही है । आप के अंदाज़ पर तो मैं क़ुबातन िाती हूूँ और पता नहीं आप के दसत के अल्फ़ाज़ में क्या असर
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है कक अल्लाह तआला फ़ौरन करने की तौफ़ीक़ भी अता फ़मात दे ते हैं। दसत में बताए गए आमाल मैं करती रहती हूूँ स्िन के मुझे बे शुमार फ़वाइद लमले हैं। अब तो सुबह से ले कर शाम तक हर काम के शुरू में
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मस्ट्नून दआ ु एं ज़बान पर िारी रहती हैं। आप के दसत की बरकत से मेरी बहुत सी परे शाननयां, मुस्श्कलात
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और घरे लू उल्झनें ख़त्म हुई हैं। मेरे लमयां के कारोबारी हालात बहुत बेह्तर हुए हैं। मैं ने आि तक आप को दे खा नहीं मगर दसत की विह से आप से इतनी अक़ीदत हो गयी है कक क्या बताऊूँ? अब तक ४५
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मततबा आप को ख़्वाब में दे ख चक ु ी हूूँ हालाूँकक मैंने आप को हक़ीक़त में नहीं दे खा।
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माहनामा अबक़री दिसम्बर 2015 शम ु ारा निंबर 114_________________pg 4
ला इलाज कैं सर का मरीज़ तीस दिन में तिंिरु ु स्त:
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(मज़त का ये आलम था कक आवाज़ बन्द हो चक ु ी थी और कैंसर िैिड़ों और खाने की नाली में पूरी तरह िैल चक ु ा था। मगर अल्लाह के कलाम में वो तासीर है िो नाक़ाबबल बयान है । अमल ये हैं:- सूरह
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है ।)
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मोअलमनून की आख़री चार आयात और अज़ान सात सात मततबा ददन में पांच मततबा पढ़ कर दम करनी
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मैं अपने कुछ मसाइल के हल के ललए फ़ॉन पर वक़्त ले कर आप से लमलने लाहौर आई थी। आप से मुलाक़ात के बाद बहुत सुकून मुयस्ट्सर आया। आप की दी हुई पढ़ाई और दवाई से बहुत अफ़ाक़ा हुआ है । शौहर की तबीअत भी अब बेह्तर रहने लगी है । सर में ददत
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िहाूँ रोज़ सुबह उठते ही शुरू हो िाता था अब हफ़्ते में लसफ़त एक दफ़ा ये लशकायत होती है । इन ् शा अल्लाह अल ्अज़ीज़, अल्लाह के पाक कलाम से वो भी ठीक होगा। (आमीन) िब मैं लाहौर आई थी तो वाललदा का ख़त आप तक पोहं चाया था स्िस में उन्हों ने मदीना में अफ़हलसब्तम ु और अज़ान वाले अमल की तक़्सीम और उस के फ़ायदे ललखे थे। इस बारे में ये बताना
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चाहती हूूँ कक इस अमल को हम अपने ज़ाती तिुबे में ला चक ु े हैं। ये बात अबक़री से तअल्लुक़ बन्ने से दो
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साल पहले की है । मेरे सस ु र को "कैंसर" का मज़त तश्ख़ीस हुआ था। साल्हा साल इलाि के बाद िॉक्टरों ने
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िवाब दे ददया था। उस वक़्त हम ने दित ज़ेल अमल अपनाए थे स्िस के बाद वो एक माह के बाद ही
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सेहत्यात होना शुरू हो गए और अगले सी टी स्ट्कैन पर िॉक्टरों ने बताया कक आप का मज़त ख़द ु ब ख़द ु
ख़त्म हो रहा है । अब आप को कैंसर के इलाि के ललए केमो थेरेपी और रे डियो थेरेपी की कोई ज़रूरत नहीं।
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मज़त का ये आलम था कक आवाज़ बन्द हो चक ु ी थी और कैंसर िैिड़ों और खाने की नाली में पूरी तरह िेल
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चक ु ा था। मगर अल्लाह के कलाम में वो तासीर है िो नाक़ाबबल बयान है । अमल ये हैं:- सरू ह मोअलमनन ू
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की आख़री चार आयात और अज़ान सात सात मततबा ददन में पांच मततबा पढ़ कर दोनों कानों में दम
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करनी है । २- सरू ह रह्मान और सरू ह यासीन की नतलावत को बग़ौर सन् ु ना। ३- सरू ह बक़रह की नतलावत और उस का दम ककया हुआ पानी वपलाना। ये वो अमल हैं िो हम ने बाक़ाइदगी से ककये और मज़त अब
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तक बफ़ज़्ल ख़द ु ा लोट कर नहीं आया। इसी ललए िब अबक़री से मुन्सललक हुए। इस के क़ारी के तौर पर
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तो लसफ़त इस ही एक बात ने उस को बाक़ाइदगी से अपनाने पर मज्बूर ककया वो ये थी कक िो बयान ककया
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िाता है । वो हक़ की बुन्याद पर और सब से एहम बात ये कक लोगों को तस्ट्बीह और मुसल्ले की तरफ़
लगाया ना कक तावीज़ और धागों के चक्करों में िाला। सारी बात बयान करने का मक़्सद लसफ़त ये है कक कलामे इलाही और इस का साथ ही सुपर पॉवर है । (साइमा वक़ार, वाह कैंट) सूरह क़ुरै श का कमाल
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! गुज़श्ता ददनों घर से ननकला तो मेरी िेब में कोई पैसे ना थे। घरवालों को नाश्ता भी मैं दक ु ान से उधार ला कर ददया और दोपेहेर के ललए चने की दाल वग़ैरा। मैं सेकरे ट में मल ु ास्ज़म हूूँ। बग़ैर पैसों के स्ट्टॉप पर आ कर खड़ा हो गया क्योंकक हमारी सरकारी बस हमें लेने आती है । अपने वक़्त पर मैं स्ट्टॉप पर खड़ा रहा मगर अल्लाह की करनी के आि बस भी नहीं आई। मैं ने
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एक दोस्ट्त को फ़ॉन ककया कक वो मोटर साइककल पर िाता है मझ ु े साथ लेता िाए मगर उस ने भी फ़ॉन ना उठाया। िब मैं मायूस हो गया तो सूरह क़ुरै श की नतलावत शुरू कर दी और चल पड़ा कक मेरे घर से
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कुछ फ़ास्ट्ले पर एक सेक्शन ऑकफ़सर रहते हैं मैं ने सोचा कक वो गाड़ी पर िाते हैं। उन के साथ चला िाऊं।
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सूरह क़ुरै श की नतलावत िारी थी कक आगे एक बस खड़ी थी और भी बसें आ रही थीं मगर मेरे पास तो
पैसे ही नहीं थे। मैं सूरह क़ुरै श पढ़ता हुआ आगे बढ़ा तो बस के आगे एक मोटर साइककल रुकी हुई थी उस
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बन्दे ने हे लमेट पहन रखा था और मड़ ु कर मेरी िाननब दे ख रहा था मैं क़रीब पोहं चा तो उस ने मझ ु से
पूछा कक सेकरे ट िाना है मैं ने हाूँ में सर दहलाया तो मुझे कहा बैठ िाओ मैं भी वहीीँ िा रहा हूूँ। रास्ट्ते में
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उस ने बताया कक मैं भी सेकरे ट का मल ु ास्ज़म हूूँ हालाूँकक मैं उसे नहीं िानता था और इस तरह अल्लाह ने
सूरह क़ुरै श की बरकत से मुझे बस से पहले ही अपने दफ़्तर बग़ैर पैसों के पोहं चा ददया। रास्ट्ते में मैं ने
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सरू ह फ़ानतहा की तस्ट्बीह की और अल्लाह का लाख लाख शक्र ु अदा ककया और सरू ह फ़ानतहा की तस्ट्बीह
इस्लाम और रवािारी
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आप को हद्या कर दी, अल्लाह तआला आप का हामी नालसर हो। (फ़याज़ अह्मद, लाहौर)
(कक़स्ट्त नंबर १०१)
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पैग़म्बर ﷺइस्लाम का ग़ैर मुम्स्लमों से हुस्न सलूक:
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(बहै लसय्यत मस ु ल्मान हम स्िस बा इख़्लाक़ नबी ﷺके पेरोकार हैं उन का ग़ैर मस्ु स्ट्लमों से क्या लमसाली सलूक था, आप ने साबबक़ा अक़्सात में पढ़ा अब उन के िान्वरों से हुस्ट्न सलूक के चंद वाक़्यात पढ़ें ।) (इब्न ज़ैद लभकारी)
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हज़रत अबू हुरैरा رضی هللا عنہसे ररवायत है कक हुज़ूर पुरनूर ﷺने फ़मातया एक बद्दकार औरत इस ललए
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बख़्श दी गयी कक एक दफ़ा उस ने एक कुत्ते को एक कूँु वें की मुंिरे (ककनारे ) पर दे खा कक ज़बान ननकाल रहा है क़रीब है कक प्यास उसे बेदम कर दे । उस ने अपनी िूती ननकाली और उसे अपनी ओढ़नी (दोपट्टा)
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से बाूँधा और उस के ललए पानी खींचा (और उस को ननचोड़ ननचोड़ कर प्यासे कुत्ते को पानी वपलाया) तो
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वो अपने इस नेक काम की विह से बख़्श दी गयी (इस पर) हुज़ूर पुरनूर ﷺसे ककसी ने पूछा क्या
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चीज़ (ज़ी रूह) पर रहम करने से सवाब लमलता है । (बुख़ारी व मुस्स्ट्लम)
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िान्वरों पर रहम करने से भी सवाब लमलता है ? हुज़रू अकरम ﷺने इशातद फ़मातया हर तर िगा वाली
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("पैग़म्बर इस्लाम ﷺका ग़ैर मुम्स्लमों से हुस्न सलूक" अब तमाम वाक़्यात फ़कताबी शकल में ज़रूर पढ़ें , ग़गफ़्ट करें और "ग़ैर मुम्स्लमों की इबाित गाहें , उन के हुक़ूक़ और हमारी म्ज़म्मा िाररयािं" फ़कताब उिर ू
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और इिंम्ललश में पढ़ना हग़गरज़ ना भूलें!)
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बवासीर फ़कसी भी फ़क़स्म की हो, आज़मूिह इलाज:
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मेरे पास बवासीर का एक रूहानी इलाि है िो सो फ़ीसद तीर बहदफ़ है । क़ाररईन अबक़री के ललए मेरी तरफ़ से हद्या है । हुवल ्-शाफ़ी: सख़ ु त रं ग का सत ू का धागा गज़ ् २१ तार ले कर सूरह लहब पढ़ कर गह ृ लगाएं और इसी तरह हर धागा पर एक दफ़ा सूरह लहब पढ़ते िाएं और इक्कीस गह ृ लगाएं। किर उल्टी तरफ़ से "ला इलाह इल्ला अन्त सब्ु हानक इन्नी कुन्तु Page 14 of 116 www.ubqari.org
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लमन-ज़्ज़ाललमीन। रस्ब्ब इन्नी मस्ट्सननय-ज़्ज़ुरत व अन्त अहत मु-रातदहमीन" ْ ا ٰ ا َا ا ْ ا ْ ْ ا ا ا َ ْ ْ ْ ا ْ ٰ َ ْ ا َ ا َ ا َا ا َ ْ َ ْ ا ا ْ ا ا ْ ا الر ِمِح ْ ا َ ٰ َح )َل اِلہ اَِل انت بُسانک ا ِِِن کنت ِِم الظ ِل ِمْی۔ر ِب ا ِِن مس ِِن الض و انت ارकिर सीधी तरफ़ से "या-अज़ुत-ब्लई मा-अकक ( ِْی
व यासमाउ अस्क़्लई व ग़ीज़-ल ्-माउ व क़ुस्ज़य-ल ्अम्रु वस्ट्तवत ् अल-ल ्-िदू दस्य्य व क़ील बअ ु द-स्ल्लल ्क़ौलम-ज़्ज़ाललमीन" (हूद
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४४)
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َٰ ْ ٰ ا ْ ْ ْ ا ْ ا ٓ ا ا ٰ ا ا ٓ ْ ا ْ ْ ا ْ ا ْ ا ٓ ْ ا ْ ا ْ ا ْ ْ ا ْ ا ا ْ ا ا ْ ْ ْ َ ا ْ ا ْ ْ ً َ ْ ا الظلِ ِم ْ ا ٰیرض ابل ِِع ماء ِک و یسماء اق ِل ِِع وغِیض الماء وق ِِض اَلمر واستوت لَع اْلو ِد ِی و ِقیَ بْدا لِلقو ِم ﴾۴۴ْی ﴿ھود
माहनामा अबक़री दिसम्बर 2015 शम ु ारा निंबर 114_______________pg 7
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और धागा मरीज़ अपनी कमर में बाूँध ले, इन ् शा अल्लाह लशफ़ा होगी। आज़मूदह है । (अताउल्मुस्ट्तफ़ा)
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ज़ेहनी िबाओ से ननजात मुम्म्कन है कुछ उसूल अपना लीम्जये:
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(आम तौर पर मायूस इंसान को पसंद नहीं ककया िाता, मुआलशरती तक़ाज़ा है कक िो शख़्स ख़श ु बाश हो वही महकफ़लों की िान हुआ करता है । चल् ु बुला पन, शोख़ अंदाज़, पुर िोश तबीअत ककस को पसंद नहीं।
(शुमाइला अह्मद, महर शाह)
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मगर ख़ख़ल्वत और िल्वत में एक िैसी तबीअत और शस्ख़्सयत का माललक हर कोई नहीं होता।)
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दबाओ ककसी भी कक़स्ट्म का हो, ज़ेहनी और स्िस्ट्मानी अदम तवाज़ुन का बाइस बनता है , मोिूदह दौर की
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मस्रकू फ़यात ने हर हर शख़्स को थका ददया है , एक बच्चा भी दबाओ के बाइस र्चड़र्चड़ा हो िाता है । अगर दबाओ की लमक़्दार कम है तो ये इंसानी सेहत के ललए मुज़्र नहीं होता बस्ल्क इंसान को कुछ ना कुछ करने की तग़ीब दे ता है लेककन दबाओ का हद्द से ज़्यादा प्रेशर इंसानी सेहत के ललए ख़तरे की अलामत है । दबाओ को लशकस्ट्त दे ना बहुत आसान है बस मंदिात ज़ेल छे बातों पर अमल को अपना मामूल बना लें और किर दे ख़खये दबाओ कैसे दम ु दबा कर भागता है । आराम कीम्जये: दबाओ से ननिात के ललए ज़रूरी है
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कक आप आराम करें , साथ ही अपनी सांस को भी कंरोल में रखें , िब सांस अंदर खेंचें और बाहर िैंकें तो पांच लमनट तक इस अमल पर अपनी तवज्िह मरकूज़ रख़खये और इस अमल को मुकम्मल तौर पर महसस ू कीस्िये आप फ़ौरी तौर पर दबाओ में कमी महसस ू करने लगें गी। मस ु म्ब्बत अिंिाज़ फ़फ़क्र अपनाइये: हालात ककतना ही मन्फ़ी रुख़ अख़्त्यार क्यूूँ ना कर लें उन्हें ख़द ु पर हावी ना आने दें बस्ल्क हर
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वक़्त ये सोचें कक आप ख़श ु हैं, मसाइल हल हो िाएंगे वग़ैरा! अगर आप मस ु स्ब्बत अंदाज़ कफ़क्र अपनाने के आदद हैं तो दबाओ आप का कुछ नहीं बबगाड़ सकेगा। िोस्त को राज़्िार बना लें : अगर कोई शख़्स आप
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को मुसल्सल परे शान कर रहा है तो उस के बारे में अपने शौहर या दोस्ट्त को ज़रूर एतमाद में लीस्िये,
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आप ख़द ु को हल्का िुल्का महसूस करें गी। अगर आप ककसी को हम्राज़ नहीं बनाना चाहतीं तो किर कमरा बन्द कर के ज़ोर ज़ोर से चीख़ें मारें इस तरह सारा ग़स्ट् ु सा और दबाओ बेह ननकलेगा और आप ख़द ु को
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हशाश ् बशाश ् महसस ू करें गी। ख़ि ु को वक़्त िीम्जये: अपनी शस्ख़्सयत पर तवज्िह दे ना ज़रूरी है । साथ
ही ख़द ु को आराम भी पोहं चाइये, आराम पोहं चाने का अमल इंतहाई सादह है , ककसी भी पुरसुकून िगा पर
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लेट कर कुछ वक़्त गज़ ु म्मल तौर पर ख़ाली छोड़ दें , इस अमल के बाद ु ाररए इस दौरान ज़ेहन को मक अगर कोई पुर कफ़ज़ा पाकत में िाना चाहें तो िाइए वरना कोई अच्छी सी ककताब भी मुफ़ीद हो सकती है ।
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अगर पसंद करें तो अपना पसंदीदा मश्ग़ल ु ा भी अपना सकती हैं। मसलन कुककंग या पादों की दे ख भाल वग़ैरा। मुतवाज़ुन ग़ग़ज़ा मुन्तख़ख़ब कीम्जये: याद रख़खये! आप की र्ग़ज़ा दबाओ से लड़ने का एहम तरीन
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हथ्यार है , ललहाज़ा इस का मुतवाज़ुन होना और ताक़त्वर होना बहुत ज़रूरी है । िल, तरकारी और सूप
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वग़ैरा को र्ग़ज़ा का मुस्ट्तक़ल दहस्ट्सा बना लें। शक्कर और कैफ़ीन की लमक़्दार कम करना ज़रूरी है । अगर पान या लसगरे ट पीती हैं तो फ़ौरी तौर पर इस से बाज़ आ िाएं। ज़रूरत से ज़्यािा उम्मीि ना रखें : स्ज़न्दगी को हक़ीक़त पसंदद की ऐनक लगा कर दे खें कभी ककसी से ग़ैर ज़रूरी उम्मीद ना बांधें, हक़ीक़त पसंद लोग स्ज़न्दगी में कम ही दख ु उठाते हैं। साथ ही इस बात का भी तअय्युन कर लें कक आप स्ज़न्दगी से क्या चाहती हैं? और किर अपने मक़्सद के हुसूल में मसरूफ़ हो
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िाइए िो बात ना मुस्म्कन है उसे मुस्म्कन बनाने की कोलशश ना करें क्योंकक नाकामी की सूरत में आप पर दबाओ बढ़ िाएगा और ये दबाओ ककसी भी सूरत आप के ललए मुफ़ीद नहीं। डिप्रेशन से बचने और ख़श ु रहने के उसूल: दर हक़ीक़त डिप्रेशन या मायूसी आम लोगों की बिाए, पढ़े ललखे, क़ाबबल, नेक व मुख़ललस, पैशा वर
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हज़रात, ख़स ु स ू न वो लोग िो अरसा दराज़ से बीमार रहे हों या ककसी हादसे का लशकार हुए हों, फ़ाररग़
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रहने वाले और तन्हा लोगों का ज़्यादा मुक़द्दर बनती है । आम तौर पर मायूस इंसान को पसंद नहीं ककया िाता, मुआलशरती तक़ाज़ा है कक िो शख़्स ख़श ु बाश हो वही महकफ़लों की िान हुआ करता है । चल् ु बुला
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पन, शोख़ अंदाज़, पुर िोश तबीअत ककस को पसंद नहीं। मगर ख़ख़ल्वत और िल्वत में एक िैसी
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तबीअत और शस्ख़्सयत का माललक हर कोई नहीं होता। इस का दौराननया लम्हों, घंटों, ददनों, हफ़्तों और
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महीनों पर मुहीत हो सकता है मगर डिप्रेशन से ननिात हालसल करना ना मुस्म्कन हर्गतज़ नहीं। अलामात:
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अकेलापन, खोये खोये रहना, लोगों से नफ़रत लड़ाई झगड़ा, ककसी एक िाननब दे खते रहना, हर बात पर परे शानी का इज़्हार, रोना और मन्फ़ी सोचों में मब्ु तला रहना वग़ैरा शालमल है । नींद ना आने का सब से
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बड़ा सबब डिप्रेशन है । अक़्साम: आम तौर पर इसकी दो कक़स्ट्में हैं। १- वक़्ती या आज़ी। २- दायमी। कुछ लोग वक़्ती तौर पर इस का लशकार हो िाते हैं मगर इस पर क़ाबू पाना ननहायत आसान है मसलन कोई
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शख़्स अगर ककसी माल्दार को दे खता है और उस की आसाइशें दे ख कर एह्सास कम्तरर महसूस करता है
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तो उसे चादहए कक वो अपनी नेअमतों को बग़ौर दे खे और अपने से कम्तर बन्दे की स्ज़न्दगी का मुशादहदा
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करे । फ़ौरन सोच में तब्दीली इस आज़ी डिप्रेशन को ख़त्म कर दे ती है मगर यही कैकफ़यत आगे िा कर दायमी मज़त अख़्त्यार कर लेती है िो महीनों और सालों तक रहती है अगर ककसी नफ़्स्ट्याती मुआललि ् या मज़्हबी स्ट्कॉलर से राब्ता ना ककया िाए तो सरू त बबगड़ िाती है । इंसान नफ़्स्ट्याती मरीज़ कहलाता है । मंदिात ज़ेल तिावीज़ पर अमल कर के डिप्रेशन पर काफ़ी हद्द तक क़ाबू पाया िा सकता है । १- नमाज़ की पाबन्दी करें और सज्दे में ज़रूर रोएूँ। २- अच्छे दोस्ट्तों, बज़ ु ग ु ों और उल्लमा की सह् ु बत ज़रूर अख़्त्यार Page 17 of 116 www.ubqari.org
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करें । ३- मुराक़्बा करें (तरीक़ा हर महीने माहनामा "अबक़री" में मौिूद होता है ।) ४- मन्फ़ी सोचों से दरू रहें , ना शुकक्र से बचें , अल्लाह का हर वक़्त शुक्र अदा करें तौबा अस्ट्तग़फ़ार को अपना शुआर बनाएं। ५सरू ह रह्मान की नतलावत सन ु ें । ६- ख़श्ु गवार यादें दहु राएं, अपने ललए िीना सीखें। ७- बाग़बानी करें , नई नई िगा की सैर व तफ़रीह करें । ८- सूरह अलम ् नश्रह् तिम ुत ा के साथ ददन में एक मततबा पढ़ें । ९- अपनी
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र्ग़ज़ा पर तवज्िह दें , सक़ील और बादी अश्या तकत कर दें , ज़्यादा फ़ाररग़ मत बैठें। १०- बल ु ंद आवाज़ में हम्द व नआत और क़ुरआन ख़्वानी करें । ११- ककसी अल्लाह वाले से मुंसललक रहें , हर िुमेरात को हज़रत
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हकीम साहब دامت برکاتہمके होने वाले दसत रूहाननयत व अम्न को बाद अज़ ् नमाज़ मग़ररब ज़रूर सुनें।
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अगर लाहौर में हैं तो तस्ट्बीह ख़ाना िा कर सुनें अगर नहीं तो नेट पर ऑन लाइन लाज़्मी सुनें। १२-
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लूज़ मोशन के सलए छोटा सा मगर तीर बहिफ़ टोटका:
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अच्छी अच्छी कुतब का मुतास्ल्लआ करें , घर में तारीख़ी व इस्ट्लामी कुतब की लाइब्रेरी बनाएं।
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मेरे पास लूज़ मोशन के ललए एक आज़मूदह टोटका है । एक पाव दही में एक चम्मच लसरका िाल कर रख दें , थोड़े थोड़े वक़्फ़े से एक चम्मच खा लें तो लज़ ू
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मोशन स्िस में इंसान ननढाल हो िाता है और ककसी भी चीज़ से फ़क़त ना पड़ रहा हो तो लूज़ मोशन ठीक हो िाते हैं। बहुत तीर बहदफ़ टोटका है , हमारे ख़ान्दान का आज़मद ू ह है । आज़्माएं और दआ ु ओं में याद
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रखें। (साइमा, इस्ट्लाम आबाद)
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जोहर सशफ़ा मिीना का क़ह्वा लाजवाब है :
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! िब भी मुझे शदीद खांसी हो रही हो या गला ख़राब हो तो मेरा ज़ेहन फ़ौरन िोहर लशफ़ा मदीना के क़ह्वा की तरफ़ िाता है । मैं िूंदह ये क़ह्वा हल्का सा मीठा िाल कर पीती हूूँ तो मेरा गला ठीक और खांसी ख़त्म हो िाती है । बहुत लािवाब है । एक ददन मेरे पेट में
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ददत बहुत शदीद ददत हो रहा था मैं ने िोहर लशफ़ा मदीना का क़ह्वा बना के वपया तो मेरा पेट का ददत ठीक हो गया। (फ़रहत, लाहौर)
के मुस्तनि रूहानी वज़ाइफ़्
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शाह ससद्दीक़ िे हल्वी
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माहनामा अबक़री दिसम्बर 2015 शुमारा निंबर 114________________pg8
(अगर ककसी शख़्स या बच्चे को लमगी का दौरा पड़ता हो तो उस के ललए मंदिात ज़ेल हरुफ़ मुक़त्तआत
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बावज़ू पढ़ कर मरीज़ के ऊपर दम करे और िूँू क मारे पहली मततबा दम करने से आराम आ िाए तो ठीक
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है वरना ये हरुफ़ बार बार पढ़ कर मरीज़ पर दम करता रहे ।)
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नज़्ला ज़क ु ाम का इलाज:
अगर ककसी को नज़्ला ज़क ु ाम ने िकड़ ललया और हर कक़स्ट्म की दवाई से फ़ायदा नहीं हो रहा है तो उस के
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ललए अवल तीन मततबा दरूद शरीफ़ पढ़े इस के बाद तीन मततबा सूरह फ़ानतहा पढ़े । आख़ख़र में तीन मततबा
दरूद शरीफ़ पढ़ कर मरीज़ पर दम करे । अगर ग़ैर औरत है तो पानी पर दम कर के दे दे वो पानी पी ले। ये
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औलाि नरीना के सलए:
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अमल तीन ददन करे इन ् शा अल्लाह तआला नज़्ला व ज़ुकाम से ननिात हालसल होगी।
अगर कोई शख़्स औलाद से महरूम हो और उस के हाूँ औलाद ना होती हो तो उस के ललए ये अमल बहुत मुिरत ब और तीर बहदफ़ है । बाद नमाज़ इशा बावज़ू सात बार एक सफ़ेद काग़ज़ पर "काफ़-हा-या-ऐन ्ٓ
सआ ु द्" ( ) ک ٰھ ٰی ْٓ ٓصललखे और आबे ज़म्ज़म या बाररश के पानी या पाक व साफ़ पानी से धो कर लमयां बीवी
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पी लें और इसी तरह रोज़ाना ललख कर सात ददन तक वपएूँ। इन ् शा अल्लाह तआला, अल्लाह तआला के फ़ज़्ल व करम से औलाद नरीना पैदा होगी। कुत्ते काटे का इलाज: अगर ककसी को कुत्ता काट ले और अस्ट्पताल क़रीब ना हो तो उस के ललए फ़ौरन चीनी की प्लेट पर मंदिात ज़ेल मफ़ ु रत द हरुफ़ बावज़ू ललखे और रोग़न ज़ैतन ू से धो कर उस शख़्स को
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समगी का बेह्तरीन अमल:
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( )ا ب ج ع ہ ہ د اب ب ہللا
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अललफ़ बे िीम अललफ़ ऐन ् हे हे बा बे अल्लाह
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प्लाए। इन ् शा अल्लाह तआला कुत्ते का ज़हर ख़त्म हो िाएगा। मुिरत ब अमल है । वो मुफ़रत द हरुफ़ ये हैं।
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अगर ककसी शख़्स या बच्चे को लमगी का दौरा पड़ता हो तो उस के ललए मंदिात ज़ेल हरुफ़ मुक़त्तआत
बावज़ू पढ़ कर मरीज़ के ऊपर दम करे और िूँू क मारे पहली मततबा दम करने से आराम आ िाए तो ठीक
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है वरना बार बार पढ़ कर मरीज़ पर दम करता रहे । इन ् शा अल्लाह दब ु ारह दौरा नहीं पड़ेगा। वो हरूफ़
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मक़ ु त्तआत ये हैं:-
"अललफ़् -लाम ्-मीम ् , अललफ़् -लाम ्-म्मीम ्-सआ ु द्, अललफ़् -लाम ्-म्मीम-रा, काफ़् -हा-या-ऐन ्-सआ ु द्, ता-
वल्क़ललम वमा यस्ट्तुरून। ٓ ٰ
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हा, या-सीन ् वल्क़ुरआनन-ल्हकीलम, सुआद्, ता-सीन ्-म्मीम ्, ता-सीन ्, हा-मीम ्, ऐन ्-सीन ्-क़ाफ़् , क़ाफ़् , नून ्
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शुगर का इलाज:
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ٓ َٓ ٓ ْ َٓ ٰ ٰ ٓ ٓ ٰ ٰ ٰ ٓ ا (ان اْلاک ِْی ِم۔ ص۔ ٰط ٓس َٓم۔ ٰط ٓس۔ َح۔ ِ )آل۔ المص۔ المر۔ کھیْص۔ طہ۔ یس والقر
अगर ककसी शख़्स को ज़्याबेनतस (शुगर) हो गयी हो तो उस के ललए मंदिात ज़ेल आयत बावज़ू नमाज़ असर के बाद तीन मततबा पढ़ कर पानी पर दम करें और पी लें। इन ् शा अल्लाह तआला ज़्याबेनतस से
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ननिात हालसल होगी। ये अमल इक्तालीस ददन मुसल्सल करें । आयत दित ज़ेल है :- "व क़ु-रत स्ब्ब अद्ख़ख़ल्नी मुद्ख़ल लसद्कक़ं-व्व अख़िज्नी मुिि लसद्कक़ं-व्व-ि ्अल ्-ल्ली लमल्लदन्ु क सुल्तान-न्नसीरन ्। (सरू ह बनी इस्राईल ८०) ا ْ ْ َا َ ا ْ ْ ْ ْ ا ا ْ َا ا ْ ْ ْ ْ ا ا ْ َا ْ ا ْ َ ْ ْ َا ْ ْ ا ْ ً َا ًْص ْ ِ )و قَ ر ِب ادخِل ْ ِ ِن مدخَ ِصد ٍق و اخ ِرج ِ ِن ُمرج ِصد ٍق و اجَْ ِّل ﴾۰۸َْیا ﴿بِن ارسائی ِ ِم لدنک ْسل ٰطنا ن
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हर फ़क़स्म की तलब हाजत:
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िो शख़्स कोई हाित रखता हो और उस को पूरा करने की तलब हो तो उस के ललए बावज़ू बाद नमाज़ फ़ज्र सूरह मुज़स्म्मल पढ़े और पढ़ते पढ़ते इन आयात पर आए तो इन आयात को तीन तीन बार पढ़े ।
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ْ ا َْ ا (ْش ِق او ال امغ ِر ِب َل اِلٰ اہ اَِل ْہ او فاّتِذہ اوک ِْیل ِ )رب الم
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वल्लाहु यक़ ू दद्दरु-ल्लैल वन्नहार ا
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यब्तग़न ू लमन ् फ़स्ज़्लल्लादह ْ
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ْ ِ )یا ْب اتغ ْو ان ( ِِم فض َِ ہللا
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ہللا یْق َد ْر ال ْیَ او َ ا ْ ) او الّن ا (ار ِ
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आयात ये हैं:- रब्बु-ल ्-मर्श्रकक़ व-ल ्-मग़ररबब ला इलाह इल्ला हुव फ़त्तख़ख़ज़्हु वकीलन ्
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ہللا ا َِن ا استغ ِف ْروا ا ْ ) او (ہللا غف ْو ٌر َرح ِْی ٌم
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वस्ट्तस्फ़फ़रुल्लाह इन्नल्लाह ग़फ़ूरु-रत हीमन ु ्
इस अमल के अवल व आख़ख़र दरूद शरीफ़ तीन तीन मततबा पढ़े और इस अमल का सवाब हुज़रू नबी अकरम ﷺ
की रूह अक़्दस को हद्या पेश करे । इस के बाद अल्लाह तआला से अपनी हाित पूरा होने
की दआ ु करे ।
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चोरी से माल की दहफ़ाज़त: अगर ककसी शख़्स ने घर या दक ु ान में माल या नक़्दी या सामान मवेशी रखे हैं हर वक़्त ख़तरा चोरी िाके का रहता है उस के ललए एक सफ़ेद काग़ज़ पर सूरह रअद पारह नंबर १३ की पहली तीन आयात बावज़ू ललखे और ये पचात माल में रख दे । इसी तरह इन आयात को बावज़ू मोम िामा कर के बाड़े या मवेशी
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रखने की िगा के दरवाज़े में या दीवार में खोद कर रख कर बन्द कर दे और यही सूरह रअद की पहली
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तीन आयात सात मततबा पढ़ कर घर या दक ु ान के चारों कोनों में िूँू क मार दे । अल्लाह तआला के फ़ज़्ल व
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करम से घर या दक ु ान और उस में मौिूद तमाम माल महफ़ूज़ रहे गा और चोर चोरी ना कर सकेगा। इस
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कलाम पाक की बरकत से घर या दक ु ान या बाड़े में ख़ैर व बरकत होगी और बाड़ा आग, िान्वरों की
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बीमाररयों से महफ़ूज़ रहे गा।
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हमल की दहफ़ाज़त के सलए:
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अगर ककसी औरत का हमल र्गर िाता हो तो उस के ललए आयत ज़ेल बावज़ू एक काग़ज़ पर ललख कर मॉम िामा कर के औरत के गले में िाल दे । इन ् शा अल्लाह हमल हर कक़स्ट्म के हम्ले से महफ़ूज़ रहे गा
(कहफ़ २५)
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और क़ाइम रहे गा। वो आयत ये है : "व लबबसू फ़ी कस्ह्फ़दहम ् सलास लमअनतन ् लसनीन वज़्दाद ू नतस ्अन ्
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ْ اا ْْ ْ اْ ْ اٰ ا ا ٍ ْ ا ْ ا ﴾۵۲ْی اوازداد ْوا ت ِْس ًْا ﴿کھف )و ل ِبثوا ِِف کھ ِف ِھم ثلث مِائۃ ِس ِن
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कुत्ते के काटने और उस के हम्ले से दहफ़ाज़त:
अगर ककसी शख़्स पर कुत्ता हम्ला कर दे या ककसी को िर हो कक कुत्ता उसे काट लेगा तो ये आयत ग्यारह बार पढ़ कर अपने ऊपर दम कर ले इन ् शा अल्लाह तआला कुत्ते के हम्ले से महफ़ूज़ रहे गा। वो
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आयत ये है:- व कल्बुहुम ् बालसतुन ् स्ज़राऐदह बबल्वसीदद। (कहफ़१८) ْ
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ُب ْم ٰبس ٌط ذ ار ا ْ ْ ) اوَک ( اع ْی ِہ ِابل او ِص ْی ِد ِ ِ
हर मुम्श्कल काम के सलए आसान वज़ीफ़ा: िाइज़ काम अटका हुआ हो मसलन बेगुनाह मुक़द्दमा बाज़ी में िूँस िाए, कोई वादा कर के मुकर िाए,
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ररश्ता दे ने से इन्कार कर दे , कोई भी मस्ु श्कल हो इन ् शा अल्लाह ये वज़ीफ़ा मि ु रत ब है । बाद नमाज़ ज़ह ु र
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ग्यारह आदमी इक्कठे हो कर हर बन्दा ग्यारह दफ़ा सूरह फ़तह पढ़ें । अवल व आख़ख़र सात दफ़ा दरूद
हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मेरे पास एक रूहानी अमल है कक ककसी का
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नाफ़ में तेल लगाने से खािंसी का ख़ात्मा:
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इब्राहीमी पढ़ लें। इन ् शा अल्लाह फ़तह होगी। (मह ु म्मद फ़ारान अशतद भट्टी, ख़ान गढ़)मोहतरम हज़रत
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मेरी अम्मी को बहुत ज़्यादा खांसी थी, इतनी ज़्यादा
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कक उल्टी आने लग िाती, बहुत इलाि करवाया लेककन वक़्ती आराम आता किर वही हाल होता। एक
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ददन मेरे ज़ेहन में आया कक अम्मी को कहूूँ कक नाफ़ में तेल लगाए क्योंकक रात को भी बहुत खांसी आती थी, सो नहीं पाती थीं। अम्मी ने रात को नाफ़ में तेल लगाया, यक़ीन करें उस रात अम्मी को बबल्कुल खांसी नहीं हुई, ना ही परू ा ददन, अब मेरी अम्मी नाफ़ में तेल इस्ट्तेमाल कर रही हैं और मेरी आंटी को भी
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खांसी थी, ख़श्ु क खांसी और बुख़ार भी वो भी तंग आ गयी थी तो मैं ने उन्हें भी बताया उन्हों ने भी नाफ़ में
है । (ज़ारा ख़ान)
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तेल लगाया तो अगले ददन उन्हें खांसी नहीं थी, मुझे कहती हैं कक तुम ने तो कोई िाद ू वाली चीज़ बता दी
माहनामा अबक़री दिसम्बर 2015 शुमारा निंबर 114______________pg11
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नतब्बी मश्वरे म्जस्मानी बीमाररयों का शाफ़ी इलाज: (तवज्िह तलब अमूर के ललए पता ललखा हुआ िवाबी ललफ़ाफ़ा हमराह अरसाल करें और उस पर
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मुकम्मल पता वाज़ेह हो। िवाबी ललफ़ाफ़ा ना िालने की सूरत में िवाब अरसाल नहीं ककया िाएगा। ललखते हुए इज़ाफ़ी गोंद या टे प ना लगाएं स्ट्टे पलरज़ वपन इस्ट्तेमाल ना करें । राज़दारी का ख़्याल रखा
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िाएगा। सफ़हे के एक तरफ़ ललखें। नाम और शहर का नाम या मुकम्मल पता और अपना मोबाइल फ़ॉन
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नंबर ख़त के आख़ख़र में ज़रूर तहरीर करें ।)
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िटे होंट: मेरे होंट बहुत िटे हुए हैं स्िन में िटने की विह से बहुत ददत होता है, ये मसला शरू ु से है , मेरी
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उम्र बीस साल है , कोई क्रीम बताएं स्िस से मेरे होंट िटने ठीक हो िाएं। मेरा दस ू रा मसला ये है कक मेरे
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मंह ु पर बेहद्द पसीना आता है । ख़न ू की गददत श पैरों और हाथों में ठीक से होती है लेककन चेहरा किर भी
लाड़काना)
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मुझातया हुआ रहता है िबकक मुंह और आूँखों के नीचे छोटे छोटे सफ़ेद दाने भी ननकलते हैं। (नवाब दीन,
मश्वरा: शबतत उनाब इस्ट्तेमाल कर के दे खें। सुबह व शाम एक दो चम्चे पानी में लमला कर पीएं। मछली,
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अंिा, मुग़ी, गरम मसाल्हा, गाये का गोश्त, ड्राई फ़्रूट से परहे ज़ रखें। नछले हुए होंटों पर कोई सी भी
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वेज़्लीन लगाया करें या गाये का ताज़ह मक्खन लगाएं। काली पीली रिं गत: मैं ने स्िगर समेत हर टे स्ट्ट करवाया है । इस के बाविूद मैं ददन ब ददन कम्ज़ोर होती
िा रही हूूँ और रं गत भी काली और पीली होती िा रही है िबकक मेरी ख़ोराक बबल्कुल ठीक है । इस के बाविूद स्िगर ख़न ू नहीं बनाता ख़ोराक स्ितनी ज़्यादा खाती हूूँ उतनी ही ज़्यादा सेहत कम्ज़ोर होती िा रही है । नींद भी कम आती है और गलमतयों में अिाबत ठीक नहीं होती। इस्ट्पग़ोल का नछल्का, गल् ु क़न्द,
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क़ब्ज़ होने पर खाती हूूँ। इन चीज़ों के साथ और क़ब्ज़ हो िाता है । मेरी उम्र बीस साल है , शादी नहीं हुई, अगर ताक़त की दवाई या ख़ोराक लेती हूूँ तो अिाबत में मरोड़ शुरू हो िाता है । मैदा भी वज़्नी रहता है गैस भी है , ये मज़त मझ ु े पांच सालों से है । (सरु य्या, रावलवपंिी) मश्वरा: आप ने िो टे स्ट्ट करवाए हैं उन की ररपोटत नहीं ललखी। हमारे ख़्याल में आप की आूँतों में सोस्ज़श
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है , इस्ट्पग़ोल का इस्ट्तेमाल िारी रखें। अस्ट्ली गुल्क़न्द र्ग़ज़ा के बाद खाएं। सुबह व शाम बेल गरी का
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मरु ब्बा खा लें। लमचत मसाल्हे , अंिा, मग़ ु ी, मछली, आलू और दालों से परहे ज़ रखें । ख़ास तौर पर लमचत,
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खटाई, मसाल्हे से परहे ज़ ज़रूरी है ।
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पेट बढ़ गया: मेरी उम्र ५४ साल है । मसला ये है कक पेट बढ़ गया है । िॉक्टर ने कहा है कक पेट में चबी आ
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गयी है । अल्रा साउं ि भी करवाया, ररपोटत ठीक है । आप ने पहले िवाररश कमोनी कबीर ललखी थी मगर
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शुगर भी है इस ललए नहीं खाई, शुगर की विह से बहुत दब ु ली हो गयी हूूँ, इस की दवा रोज़ाना खाती हूूँ,
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शुगर टे स्ट्ट करवाती रहती हूूँ, अमूमन तो नामतल रहती है लेककन कभी कभी ये कम भी हो िाती है , क़ब्ज़ बहुत रहता है मैं चाहती हूूँ कक स्िस्ट्म पर गोश्त चढ़ िाए और शग ु र की विह से ज़्यादा नक़् ु सान ना हो इस
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की भी कोई दवा बता दें , आप मोटा होने के ललए बकरे का गोश्त, दे सी घी, मक्खन और दस ू री चीज़ें बताते हैं। अगर कोई ये चीज़ें ख़रीदने की क़ुव्वत ना रख सके तो वो क्या करे । चाय मीठी नहीं पीनी, शग ु र के
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ललए परहे ज़ भी करती हूूँ। (रुक़य्या, मुल्तान)
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मश्वरा: शुगर के मरीज़ों के ललए हमारा मश्वरा ये है कक ककसी अच्छे मुआललि ् के रूबरू मश्वरा करें और मुनालसब वक़्फ़ों से अपने मुआललि ् की दहदायत के मुताबबक़ ख़न ू में शुगर बाक़ाइदा लेबोररी से टे स्ट्ट करवाएं स्िस में वो लसररंि में ख़न ू ले कर टे स्ट्ट करते हैं। शुगर के मरीज़ों को बाक़ाइदा वॉक या वस्ज़तश की भी ज़रूरत होती है िो अपने मुआललि ् की ज़ेर दहदायत लाज़्मी करनी चादहए। पेट छोटा करने के ललए
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वस्ज़तश या वॉक बहुत मुफ़ीद है स्िस्ट्म की नशो व नुमा और तामीर में लसफ़त र्ग़ज़ा का ककरदार है दवा का उस से कोई तअल्लुक़ नहीं स्िस्ट्म का मटे ररयल र्ग़ज़ा और लसफ़त र्ग़ज़ा है । ख़ाररश का इलाज: मेरी वाललदा की उम्र ५६ साल है , उन्हें शुगर, ब्लि प्रेशर, ददल का आज़ात और वपत्ते में पथरी है । इस के साथ ही वो हे पटाइदटस बी की भी मरीज़ा हैं, हफ़्ते में दो मततबा उन का िाइलेलसज़ भी
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होता है । चार महीनों से शदीद ख़ाररश का मसला दरपेश है । पूरे स्िस्ट्म में ख़ाररश होती है ख़ाररश की विह
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से ख़न ू भी ननकल आता है , ज़ख़्म सख ू ते भी नहीं कक दब ु ारह ख़ाररश होती है । िॉक्टर दवाएं बदल बदल
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कर थक गए हैं लेककन कोई अफ़ाक़ा नहीं हुआ िब तक अम्मी ठं िी हवा में रहती हैं तब तक ख़ाररश कम
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कराची)
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होती है ख़ाररश करने से अम्मी की उूँ गललयाूँ और बाज़ू में तक्लीफ़ रहने लगी है । (सना शकील, न्यू
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मश्वरा: अस्ट्ली सफ़ेद संदल का पाउिर िो इसी मक़्सद के ललए होता है स्िस्ट्म पर ख़ाररश की िगा पर
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मलें इन ् शा अल्लाह फ़ायदा होगा। गरम चीज़ें ना खाएं। सफ़ेद सूती ललबास पहनें। केलमकल्ज़ से दरू रहें ,
होता है ।
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बाक़ी इलाि िो कर रहे हैं वो करते रहें । ऐसे पैचीदह अमराज़ में मक़ ु ामी मआ ु ललि ् से रूबरू मश्वरा मफ़ ु ीद
साँस आना बन्ि: अक्सर सांस आना बन्द हो िाता है , छाती में बल्ग़म है इस का एक्सरे भी करवाया था,
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िॉक्टर ने कहा सब ठीक है मगर छाती में बल्ग़म है स्िस की विह से साूँस लेने में मुस्श्कल होती है कोई
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ऐसा इलाि बता दें स्िस से बल्ग़म बाहर आ िाए मेरे स्िस्ट्म में गमी बदातश्त करने की ताक़त बहुत कम है , ठं िी चीज़ें में इस्ट्तेमाल नहीं कर सकता। मैं अपने इस मज़त से बहुत ज़्यादा परे शान हूूँ। (रे हान, लाहौर)
मश्वरा: एक चम्ची सालम इस्ट्पग़ोल एक कप में लभगो दें और शबतत बनफ़्शा एक ऑन्स लमला कर पी लें। र्ग़ज़ा में बकरे का गोश्त कद्दू, तरू ी, लोकी, लशल्िम में से ककसी सब्ज़ी में िाल कर पका कर रोटी से खा लें। दस ददन बाद दब ु ारह ललखें।
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मुहब्बत की शािी, बािंझपन और इक्सीर नुस्ख़ा: सात साल शादी को हो गए, हमारी मुहब्बत की शादी है । तालीम याफ़्ता हूूँ, ख़ब ू सूरत, स्ट्माटत और एथलेट रही हूूँ। शौहर मुझ से भी ज़्यादा ख़ब ू सूरत स्ट्माटत हैं, ख़खलाड़ी रहे हैं। बड़े इदारे के माललक हैं। हमारी बद्द नसीबी ये है कक मैं बाूँझ हूूँ, िॉक्टरों गाय्नो कोलॉस्िस्ट्ट स्ट्पेशललस्ट्ट की यही राय है , बाहर भी गए हैं वहां से भी यही राय लमली है । (सुरय्या, लाहौर)
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मश्वरा: एक बहुत मुफ़ीद और इक्सीरी नुस्ट्ख़ा आप की और क़ाररईन की नज़र है । क़ल्ब हिर अस्ट्ली, बेख़ ्
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मरिान उम्दह हम्वज़न पहले अलग अलग हावन दस्ट्ते में सफ़ूफ़ बना लें किर समाक़ की खरल में
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हम्वज़न दोनों को िाल कर अक़त गुलाब में इस क़दर खरल करें कक पुश्टा बन िाए। हफ़्ता भर खरल करना
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काफ़ी है । किर वज़न कर के चार चार रत्ती की पूडड़याूँ बना लें। अय्याम से फ़राग़त के बाद सुबह व शाम
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एक एक पुडड़या पानी से िांकें लसफ़त सात ददन तक। किर इस नुस्ट्ख़े का कमाल दे खें।
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पाव िध ू से पािंच फ़कलो िध ू की ताक़त:
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मैं ने एक मततबा अबक़री में पढ़ा था कक एक पाव गरम दध ू की ताक़त पैदा हो िाती है । ू को अगर चालीस मततबा िैंटा िाए तो उस में पांच ककलो दध
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आज़्माया और बबल्कुल ऐसा ही पाया। (नालसर बट, मद ु स्स्ट्सर ख़ान, लाहौर)
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माहनामा अबक़री दिसम्बर 2015 शुमारा निंबर 114_______________pg 14
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मम्ु श्कलात िरू , हाजात मनवाने का आसान टोटका:
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(कहने लगे कक अल्लाह पाक से दआ ु एं यक़ीन के साथ मांगो और दआ ु शुरू करते हुए अल्लाह तआला को उस के मख़् ु तललफ़ नामों से पक ु ारा करो, स्ितने नाम आते हों उतने नामों से पक ु ारा करो। किर बताया कक अपनी तमाम हाितें अल्लाह से माूँगा करो कक ऐ अल्लाह! मेरी हाितें पूरी फ़मात) (शहज़ाद मज्ज़ूबी, कराची)
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एक बुज़ुगत रमज़ान-उल ्-मुबारक के आख़री अशरे में एतकाफ़ में बैठे थे, मैं उन से िा कर लमला, तआरुफ़ हुआ, किर वो मुझ से दीनी बातें करने लगे, कहने लगे कक अल्लाह पाक से दआ ु एं यक़ीन के साथ मांगो और दआ ु शरू ु करते हुए अल्लाह तआला को उस के मख़् ु तललफ़ नामों से पक ु ारा करो, स्ितने नाम आते हों उतने नामों से पुकारा करो। किर बताया कक अपनी तमाम हाितें अल्लाह से माूँगा करो कक ऐ अल्लाह!
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मेरी हाितें परू ी फ़मात। मैं भी अल्लाह से यही दआ ु करता रहता हूूँ कक ऐ अल्लाह तू मेरी हाितें परू ी फ़मात और अल्लाह तआला मेरी हाितें पूरी फ़मातता है । मैं मोटर साइककल पर कहीं िा रहा होता हूूँ और टायर
rg
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पंक्चर हो िाता है िेब में पैसे नहीं होते पंक्चर वाले की दक ु ान के सामने से गुज़र होता है तो दक ु ान वाला
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ख़द ु पूछता है । अंकल क्या हुआ? मैं बताता हूूँ कक टायर पंक्चर हो गया है वो कहता है कक ले आएं मैं
पंक्चर लगा दे ता हूूँ। मैं कहता हूूँ कक मेरे पास पैसे नहीं हैं, दक ु ान वाला कहता है कक कोई बात नहीं किर दे
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िाइयेगा और वो पंक्चर लगा दे ता है , ऐसा कई बार हुआ है । मैं सब ु ह बच्चों को स्ट्कूल छोड़ने िाता हूूँ और अक्सर ऐसा भी हो िाता है कक मोटर साइककल में पेरोल ख़त्म हो िाता है , मैं पेरोल पम्प पर िाता हूूँ
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और बता दे ता हूूँ कक इस वक़्त मेरे पास पैसे नहीं हैं और पेरोल ख़त्म हो गया है पेरोल पम्प वाला मझ ु से
मेरी मंस्ज़ल पूछता है और उतना पेरोल िाल दे ता है कक मैं बच्चों को स्ट्कूल छोड़ कर बा आसानी घर वापस
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पोहं च िाता हूूँ। कहने लगे कक अल्लाह तआला इस तरह मेरी हािात परू ी करता है , मेरा कभी उस पेरोल
पम्प या पंक्चर वाले की दक ु ान की तरफ़ दब ु ारह चक्कर लगे तो मैं पैसे ज़रूर दे आता हूूँ मगर ये है कक
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ज़रूरत के वक़्त अल्लाह मेरी ज़रूरत पूरी करता है । किर बताने लगे कक मैं एक कारख़ाना में काम करता
w
हूूँ, सप्लाई और स्ट्टॉक का काम मेरी स्ज़म्मा दारी है । एक मततबा ऐसा हुआ कक माल सप्लाई ककया, आगे िब ख़रीदार के पास पोहं चा तो उस का फ़ॉन आया कक तीन िब्बे कम हैं, मैं ने कहा कक दब ु ारह चेक करें उन्हों ने चेक ककया मगर तीन िब्बे कम थे, मैं ने अपना स्ट्टॉक चेक ककया तो उस में भी कोई फ़ाल्तू िब्बा ना था अब मैं परे शान हो गया क्योंकक हमारे कारख़ाने का माललक बहुत सख़्त आदमी था और वो तनख़्वाह से पैसे काट लेता था। ईद क़रीब आ रही थी और मेरी परे शानी बढ़ती िा रही थी तनख़्वाह पहले
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ही थोड़ी थी अब अगर उस में कटौती हो िाती तो ईद पर बहुत मुस्श्कल बन िाती। मैं ने अल्लाह से दआ ु करना शुरू कर दी उस के मुख़्तललफ़ लसफ़्फ़ाती नामों से उस को पुकारता रहा और कहता रहा कक ऐ अल्लाह! तू िानता है कक मैं ने बे ईमानी नहीं की तू मेरी मदद फ़मात। मैं मस ु ल्सल कई ददन तक दआ ु करता रहा मगर िब्बों का कुछ पता ना चला, आख़ख़र तनख़्वाह लमलने का वक़्त आ गया। मुझे माललक ने
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बल ु ाया मैं िरते िरते अंदर गया मझ ु े मेरी तनख़्वाह लमली मैं ने बाहर आ कर दे खा तो तनख़्वाह परू ी थी, माललक ने तो ये पूछा कक िब्बे कहाूँ हैं? ना िांट िपट की और ना ही तनख़्वाह से पैसे काटे हालाूँकक मुझ से
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पुराने मुलाज़मीन को भी माललक नहीं छोड़ता था। मैं ने अल्लाह रब्बुल ् इज़्ज़त का शुक्र अदा ककया कक
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उस ने मेरी दआ ु क़ुबूल फ़मातई और मेरी मदद फ़मातई। इंसान अगर सच्चे ददल से और यक़ीन से दआ ु करे तो अल्लाह ज़रूर सुनता है ।
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एक मततबा एक साहब ने एक वाक़्या सुनाया कक ककसी गाूँव में एक ख़ातून का इन्तेक़ाल हो गया उस के
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ललए क़ब्र खोदी गयी तो क़ब्र खोदने वाले ने दे खा कक क़ब्र की दीवार में एक रूपए के लसक्के के बराबर
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सोराख़ है और उस से बहुत तेज़ रौशनी बाहर आ रही है उस ने सोराख़ से झाूँक कर दे खा तो दस ू री तरफ़
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एक औरत बेठी क़ुरआन पाक की नतलावत कर रही थी और उस की परू ी क़ब्र में रौशनी ही रौशनी थी उस
बन्दे ने नतलावत की आवाज़ अपने कानों से सुनी। हालाूँकक उस क़ब्र का बज़ादहर कोई नाम व ननशाूँ ना था
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मगर उस में औरत बैठी नतलावत कर रही थी। उन्हों ने इलाक़े के उलमा से मश्वरा ककया तो उन्हों ने कहा
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कक आप सोराख़ बन्द कर दें और अपनी मय्यत को दफ़न कर दें । सुना था कक िो शख़्स स्ज़न्दगी में
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कसरत से िो अमल करे या वो दआ ु करे कक मरने के बाद भी अल्लाह उसे उस अमल की तौफ़ीक़ दे तो
अल्लाह तआला क़ब्र में भी उसे वही अमल करने की तौफ़ीक़ दे ता है । (वल्लाहु आअलम) मैं वेब साईट पर ऑन लाइन हज़रत हकीम साहब دامت برکاتہمका दसत सुन रहा था, दसत के बाद दआ ु हुई बड़ी ररक़्क़त आमेज़ दआ ु थी, िहाूँ मैं ने और दआ ु एं मांगीं वहां अपने मामूँू की ररहाई के ललए भी दआ ु मांगी, वो एक नािाइज़ मुक़द्दमे में िंसे हुए थे। िि ना तो सज़ा दे रहा था और ना ही ररहा कर रहा था। बस मुसल्सल
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पेलशयां पड़ रही थीं मैं ने दसत के बाद दआ ु की तो दो घंटे के बाद इत्तला आई कक मामूँू ररहा हो कर बाहर आ गए थे। मुझे यक़ीन है कक िहाूँ अल्लाह तआला ने मेरी ये दआ ु क़ुबूल फ़मातई है वहीीँ मेरी बाक़ी दआ ु एं भी क़ुबल ू की हैं बस्ल्क िो मिमआ ु तस्ट्बीह ख़ाना लाहौर में बैठा था या िो िहाूँ भी इंटरनेट के ज़ररए उन दआ ु ओं में शालमल था अल्लाह तआला ने सब की दआ ु एं क़ुबूल फ़मातई हैं। अल्लाह पाक हमारे हज़रत को
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िज़ा ए ख़ैर अता फ़मातए और उन को ख़श्ु हाललयां और तरक़्क़ीयां अता फ़मातए। आमीन
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(मौलाना वहीदद्द ु ीन ख़ान)
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नमी और तहम्मुल समज़ाजी:
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नमी और तहम्मुल लमज़ािी कोई बुज़ददली की बात नहीं, ये स्ज़न्दगी का एक एहम उसूल है िो ख़द ु
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ख़ाललक़ कफ़त्रत ने तमाम मख़्लूक़ात को लसखाया है । अरबी का एक लमसल है : "अस्ट्समाह दबाह" यानन
मुआम्लात में नमी और वुसअत ज़फ़त का तरीक़ा हमेशा मुफ़ीद होता है । इंसान ने हज़ारों बरस के दौरान
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दोनों कक़स्ट्म का तिब ु ात ककया। नरम रवय्ये का भी और सख़्त रवय्ये का भी। आख़ख़रकार तिब ु ातत से
साबबत हुआ कक सख़्त रवय्या उल्टा नतीिा पैदा करता है । इस के मुक़ाब्ले में नरम रवय्या ऐसा नतीिा
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पैदा करता है िो आप के ललए मफ़ ु ीद हो। रे लवे स्ट्टे शन पर दो आदमी चल रहे थे। एक आदमी आगे था। दस ू रा आदमी पीछे । पीछे वाले के हाथ में एक बड़ा बक्स था। तेज़ी से आगे बढ़ते हुए उस का बक्स अगले
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आदमी के पाऊूँ से टकरा गया। वो प्लेटफ़ामत पर र्गर पड़ा। पीछे वाला आदमी फ़ौरन ठहर गया और
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शलमतन्दगी के साथ बोला कक मुझे मुआफ़ कीस्िये, आगे वाले आदमी ने इस को सुना तो वो भी ठं िा पड़
गया। उस ने कहा कोई हित नहीं और किर दोनों उठ कर अपनी अपनी मंस्ज़ल की तरफ़ रवाना हो गए। दस ू री सूरत ये है कक इस कक़स्ट्म की कोई ना ख़श्ु गवार सूरत पेश आए तो दोनों बबगड़ िाएं, एक कहे कक तम ु अंधे हो, दस ू रा कहे कक तम ु बद्द तमीज़ हो, तम ु को बोलना नहीं आता वग़ैरा। अगर ऐसे मोक़ए पर दोनों इस कक़स्ट्म की बोली बोलने लगें तो बात बढ़े गी। यहाूँ तक कक दोनों लड़ पड़ेंगे। पहले अगर उन के
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स्िस्ट्म पर लमट्टी लग गयी थी तो अब उन के स्िस्ट्म से ख़न ू बहे गा। पहले अगर उन के कपड़े िटे थे तो अब उन की हड्डियां तोड़ी िाएंगी। ख़्वाह घरे लू स्ज़न्दगी का मुआम्ला हो या घर के बाहर का मुआम्ला हो। ख़्वाह एक क़ौम के अफ़राद का झगड़ा हो या दो क़ौमों के अफ़राद का झगड़ा। हर िगा नरम रवव और आला ज़फ़ी से मसले ख़त्म होते हैं और इस के बरअक्स रवय्या अख़्त्यार करने से मसले और बढ़ िाते हैं।
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रोज़ी में फ़राख़ी के सलए मज ु ररब तरीन अमल:
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पहला तरीक़ा आग को बझ ु ाता है और दस ू रा तरीक़ा आग को मज़ीद भड़का दे ता है ।
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(अगर कोई शख़्स मक़्रूज़ हो और उस का क़ज़त ककसी सूरत ना उतर रहा हो तो ननहायत आसान अमल ये
है कक फ़ज्र की नमाज़ के बाद तीन मततबा सरू ह तकासरु बावज़ू पढ़ ललया करें । इन ् शा अल्लाह तआला उस
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का तमाम क़ज़त अदा हो िाएगा। अमल आसान है , इस ललए उस की मुस्ट्तक़ल आदत बना लें।)
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(बन्दा ख़द ु ा, वाह कैंट)
आि कल हर बन्दा रोज़ी की विह से परे शान है और दन्ु यावी दौलत के हुसूल के ललए हर िाइज़ व ना
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िाइज़ काम कर रहा है । बअज़ लोगों ने तो अपना ख़द ु ा तक रोज़ी को बना ललया है कक ये होगी तो सारे
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मसाइल हल हो िाएंगे। इस ग़लत यक़ीन की विह से ख़राबबयां पैदा हो रही हैं और स्ज़न्दगी से सुकून
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ननकल गया है । अगर आि ही हम ये तहय्या कर लें और अपने यक़ीन को दौलत से हटा कर अल्लाह
पाक की ज़ात की तरफ़ कर दें तो यक़ीनन हमारे मसाइल भी अल्लाह पाक आदहस्ट्ता आदहस्ट्ता हल कर दें गे और स्ज़न्दगी में सुकून भी हो िाएगा। आज़्मा कर दे ख लें। ये तीन काम करें और रोज़ी के मुआम्ले में बेकफ़क्र हो िाएं।
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असलफ़: पुख़्ता यक़ीन करें कक रोज़ी लसफ़त अल्लाह तआला दे ता है । दक ु ान, मुलास्ज़मत, खेती बाड़ी या नतिारत नहीं यानन रज़्ज़ाक़ लसफ़त अल्लाह तआला को िानें इन अस्ट्बाब को नहीं। बे: कैसे भी हालात हो िाएं और ककतनी भी तंगदस्ट्ती हो िाए ये पक्का अहद कर लें कक मैं ने हराम नहीं खाना है , लसफ़त और लसफ़त ररज़्क़ हलाल खाना है । जीम: थोड़ा या ज़्यादा स्ितना ररज़्क़ लमले उस में से सब से पहले अल्लाह
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रब्बल ु ् इज़्ज़त का दहस्ट्सा ननकाल दें यानन अढ़ाई फ़ीसद के दहसाब से सदक़ा ज़रूर कर दें । किर इस अमल
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की बरकत दे खें। ननहायत आज़मूदह है ।
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रिं ज व ग़म से छुटकारा और क़ज़र की अिायगी के सलए बेह्तरीन अमल:
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अगर कोई शख़्स मक़्रूज़ हो और उस का क़ज़त ककसी सूरत ना उतर रहा हो तो ननहायत आसान अमल ये है
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कक फ़ज्र की नमाज़ के बाद तीन मततबा सूरह तकासुर बा वज़ू पढ़ ललया करें । इन ् शा अल्लाह तआला उस
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का तमाम क़ज़त अदा हो िाएगा। अमल आसान है , इस ललए इस की मुस्ट्तक़ल आदत बना लें। बाररश का
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पानी इक्कठा कर लें मगर ये पानी ज़मीन से नहीं लेना है । िब बाररश हो रही हो तो ककसी खल ु े बततन में इक्कठा कर लें और सरू ह तकासरु (पारह ३०) इक्तालीस मततबा पढ़ कर इस पानी पर दम कर लें , किर इस
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पानी की बोतल में िाल कर संभाल लें। इस बोतल से थोड़ा थोड़ा पानी घरवाले पी ललया करें अगर इस
पानी में थोड़ा सा आबे ज़म्ज़म भी शालमल कर लें तो उस की तासीर ज़्यादा हो िाएगी। अगर पानी कम
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हो िाए तो मज़ीद िाल ददया करें । इस पाक पानी की बरकत से अल्लाह पाक आप के घर से रं ि व ग़म,
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परे शाननयां, बीमाररयां दरू कर दे गा िो लोग पहले से बीमार हैं उन की बीमारी रुक िाएगी और मज़ीद
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आगे नहीं बढ़े गी। बहुत से लोगों का आज़मूदह है ।
बच्चे की लाग़री और म्जस्मानी कम्ज़ोरी िरू करने के सलए: बअज़ बच्चे पैदाइशी कम्ज़ोर होते हैं और बअज़ उम्र के साथ साथ कम्ज़ोर होना शरू ु हो िाते हैं। ऐसे बच्चों के ललए ये अमल बहुत मुफ़ीद है । इस अमल से अल्लाह पाक उन की सेहत बेह्तर कर दे ते हैं और
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बच्चे रोना पीटना बन्द कर दे ते हैं। ये बड़ा मुिरत ब अमल है । बहुत से लोगों ने इस से फ़ायदा उठाया है । आप भी करें और इन ् शा अल्लाह ये अमल आप को मायूस नहीं करे गा। इक्कीस बेरी के पत्ते ले कर उन पर ग्यारह मततबा दरूद शरीफ़ पढ़ें इस के बाद सरू ह तकासरु एक मततबा पढ़ें , किर सरू ह कौसर एक मततबा, सूरह फ़ानतहा एक मततबा, आयत-अल ्-कुसी एक मततबा और चारों क़ुल एक एक मततबा पढ़ कर किर
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ग्यारह मततबा दरूद शरीफ़ पढ़ें और उन पत्तों पर दम कर दें । ये पत्ते पानी वाली बोतल में िाल कर रखें। इक्कीस ददन तक बच्चे को वपलायें, पानी कम हो िाए तो साथ साथ पानी बढ़ाते चले िाएं। बच्चे को
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नहलाते वक़्त भी इस पानी के कुछ क़तरे उस में िाल दें । इन ् शा अल्लाह तआला बच्चे की िुम्ला
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मुस्श्कलात ख़त्म हो िाएंगी और सेहत बेह्तरी की तरफ़ गाम्ज़न हो िाएगी।
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शहि और िार चीनी का कमाल:
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! हम आप का ररसाला बहुत शौक़ से पढ़ते हैं। इस
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ररसाले ने हमारे बहुत से मसाइल ददनों में हल कर ददए हैं। मैं ने आप की एक ककताब "शहद के कररश्मात" दफ़्तर माहनामा अबक़री से ख़रीदी, उस में एक नस्ट् ु ख़ा शहद और दार चीनी हम्वज़न लमक्स कर के सब ु ह
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व शाम एक चम्मच लेना है । मैं ने और मेरे ख़ावन्द ने इस्ट्तेमाल ककया नज़र, पेट का उल्सर, पट्ठों के ललए
इतना सस्ट्ता और काम्याब नस्ट् ु ख़ा नहीं होगा। अल्हम्दलु लल्लाह! अब हमें और ककसी दवाई की ज़रूरत ही
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नहीं पड़ती। (शास्ज़या असद)
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बन्िा परवरी सीख ले:
(इंिीननयर ज़फ़रयाब शाह, लसयालकोट)
नवाब इमादल् ु मल् ु क सख़ावत में अपना सानी ना रखता था उस की ररआया उस से बड़ी ख़श ु थी उस के पांच सो ग़ल ु ाम थे और नवाब उन को अपने बेटों से भी ज़्यादा अज़ीज़ रखता था और वो नवाब से बड़े ख़श ु
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थे, नवाब ने अपने ग़ल ु ामों की गदत नों में सोने के तारों से बने हुए तौक़ बना कर िाले हुए थे, उन ग़ल ु ामों के सरों पर हर वक़्त इंतहाई क़ीमती टोवपयां रहती थीं उन का ललबास इतना नफ़ीस और ख़ब ू सूरत होता था कक अत्लस व कमख़्वाब से तय्यार ककया गया होता था उन ग़ल ु ामों के कमर बन्द भी सोने की तारों से बने हुए थे ग़ज़तयकक उन ग़ल ु ामों की एक अलैदहदह ही शान और ठाठ बाठ थी।
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ये ग़ल ु ाम अपनी शान व शौकत के साथ बाज़ार से गुज़र रहे थे कक एक नंग धड़ंग शख़्स स्िस ने बदन पर
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लसफ़त लंगोटी बाूँधी हुई थी उन को दे खा तो उस के ददल में बड़ा ख़्याल गज़ ु रा ये शख़्स था बड़ा बेबाक। बात
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करने से िरता ना था, उस शख़्स ने िब ये दे खा कक नवाब इमादल् ु मुल्क के ग़ल ु ाम इस क़दर ठाठ बाठ से
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िा रहे हैं कक स्िस्ट्मों पर इंतहाई क़ीमती ललबास है और एक मैं हूूँ कक पहनने को कोई कपड़ा नहीं है ना
पाऊूँ में िूती है और ना सर पर टोपी है अपना और ग़ल ु ामों का म्वाज़ना करते हुए उस शख़्स ने आसमान
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की तरफ़ ननगाह उठाई और लशक्वा करते हुए बोला: ऐ अल्लाह! मेरे स्िस्ट्म पर तो कपड़ा नहीं खाने को
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कुछ लमलता नहीं, अिब तंगी के ददन गज़ ु र रहे हैं तू मेरा परवददत गार है , ज़रा इमादल् ु मल् ु क से बन्दा परवरी
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सीख। (नऊज़ुबबल्लाह) इस बात को एक मुद्दत गुज़र गयी, इत्तफ़ाक़ से इमादल् ु मुल्क का ज़वाल शुरू हो
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गया, बादशाह ने ककसी बात से नाराज़ हो कर इमादल् ु मल् ु क को िेल में िाल ददया और उस के ग़ल ु ामों को भी क़ैदी बना ललया। बादशाह दरअसल इमादल् ु मुल्क के ख़ज़ाने का पता चलाना चाहता था िो कक
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बादशाह की दानस्ट्त में इमादल् ु मुल्क ने कहीं छुपा रखा था बादशाह ने इमादल् ु मुल्क के सब ग़ल ु ामों से इस
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बारे में मालूमात कीं मगर ककसी ने बादशाह को इस भेद से आगाही ना दी बादशाह ने उन ग़ल ु ामों को बे
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इंतहा अस्ज़य्यत नाक सज़ाएं दीं लेककन एक भी अपने आक़ा से बे वफ़ाई करने पर रज़ा मन्द ना हुआ हालाूँकक इमादल् ु मुल्क के ख़ज़ाने का राज़ सब को मालूम था। उस बेबाक आदमी ने ग़ल ु ामों के साथ ककया िाने वाला ये सलूक दे खा तो उसे ग़ैब से ननदा आई कक दे ख तू भी इन ग़ल ु ामों से बन्दा बनना सीख कक बे इंतहा तकालीफ़ बदातश्त कर के भी साबबत क़दम हैं अपने आक़ा को नहीं भल ू े और एक तम ु हो कक मामल ू ी
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सी तक्लीफ़ आ िाने पर अल्लाह तआला से लशक्वा लशकायत शुरू कर दे ते हो, ऐ इंसान, पहले तू इमादल् ु मुल्क के ग़ल ु ामों से बन्दा बनना सीख।
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माहनामा अबक़री दिसम्बर 2015 शुमारा निंबर 114______________pg20
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पिंद्रह रूपए की िार चीनी से शुगर हमेशा के सलए ख़त्म:
(एक दस ू रे साहब पास बैठे हुए फ़मातने लगे कक मुझे काफ़ी सालों से शुगर की तक्लीफ़ थी, कड़वी चीज़ें खा
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खा कर तंग आ गया था, हर वक़्त मायूसी छायी रहती। िॉक्टरी इलाि के ललए पैसे भी ना थे। िॉक्टर की
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फ़ीस पांच सो और कुछ टे स्ट्ट वग़ैरा और दवाइयों के अिािात अदा करने मस्ु श्कल थे।)
चन्द ददन क़ब्ल हमारे एक ररश्तेदार का इन्तेक़ाल हुआ, दआ ु के ललए मझ ु े भी िाना पड़ा। दआ ु के बाद
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खाने के ललए एक कमरे में लाया गया। मरहूम का एक दामाद है िो नतब्ब से ददल्चस्ट्पी रखता है , मुझ से
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पछ ू ा कक मेरी बच्ची को ख़ाररश है, कई उदय ू ात अंग्रेज़ी और दे सी इस्ट्तेमाल करवा चक ु ा हूूँ कोई फ़ायदा
नहीं हुआ। आप कोई रहनुमाई करें । मैं ने चन्द क़तरे बताए तो वो कहने लगे कक ये भी कर चक ु ा हूूँ। मेरे ज़ेहन में कोई ऐसी दवा ना आई िो बता दे ता। वादा ककया कक िायरी से दे ख कर बता दं ग ू ा। उन्हों ने
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फ़मातया कक मरहूम ददल के आज़ात में मुब्तला थे। काफ़ी अरसे से िॉक्टरी उदय ू ात ले रहे थे। कहने लगे कक
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मेरे पास नतब्ब नब्वी ( )ﷺकी एक ककताब है । उस में एक नुस्ट्ख़ा ललखा था वो बना कर ददया उन को आराम आ गया। वो नस्ट् ु ख़ा ये था कक सात अदद खिरू ों की घट ु ली ननकाल कर ककसी तवे पर या फ़्राई पैन में रख कर आग पर िला लें। किर घुटललयों को खिूरों में लमला कर ककसी खरल में कूट कर अच्छी तरह लमला लें। (यानन उसी खिरू में घट ु ललयां लमला कर खरल करें स्िन से घट ु ललयां ननकाली थीं।) सब ु ह ननहार
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मुंह एक या दो चम्मच ख़खला दें । रोज़ाना इसी तरह चन्द ददन ख़खलाने से ददल की हर कक़स्ट्म की तक्लीफ़ ख़त्म हो िाती है । एक दस ू रे साहब पास बैठे हुए फ़मातने लगे कक मुझे काफ़ी सालों से शुगर की तक्लीफ़ थी, कड़वी चीज़ें खा खा कर तंग आ गया था, हर वक़्त मायस ू ी छायी रहती। िॉक्टरी इलाि के ललए पैसे भी ना थे। िॉक्टर की
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फ़ीस पांच सो और कुछ टे स्ट्ट वग़ैरा और दवाइयों के अिािात अदा करने मुस्श्कल थे। बहर हाल िान
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बचाने के ललए क़ज़त ले कर गज़ ु ारा करना पड़ता था। हर दस पंरह ददन बाद िॉक्टर साहब के पास िाना
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पड़ता। कहने लगे: एक ददन में िॉक्टर साहब के पास वेदटंग रूम में बैठा अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा
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था और भी लोग नंबर का इंतज़ार कर रहे थे एक दस ू रे से तक्लीफ़ों यानन बीमाररयों का पूछने लगे। मेरे पास एक शख़्स बैठा था। उस ने मुझ से पूछा आप को क्या तक्लीफ़ है ? मैं ने िवाब ददया कक शुगर ना
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मुराद ने परे शान कर रखा है । उस शख़्स ने कहा कक तम ु अंदर मत िाओ, ख़्वाह मख़्वाह पैसे ज़ायअ कर
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रहे हो, मैं एक नस्ट् ु ख़ा बताता हूूँ चन्द ददन खाओ आराम आ िाएगा। उस आदमी ने बताया कक दार चीनी
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एक छटांक ले लो, बारीक सफ़ूफ़ कर के ककसी शीशी में िाल दो। आधा चम्मच चाय वाला सुबह ननहार
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मंह ु , आधा चम्मच चाय वाला रात को सोते वक़्त पानी से खा ललया करो। वो साहब फ़मातने लगे मैं उसी
वक़्त वहां से उठा। पंसारी की दक ु ान पर आया। पंरह रूपए की दार चीनी ली। घर आ कर कूट कर सफ़ूफ़
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बना ललया। रात को भी ली और सुबह भी ली। लसफ़त एक माह के इस्ट्तेमाल से मैं बबल्कुल ठीक हो गया।
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टे स्ट्ट करवाया बबल्कुल सेहत्याब था। माललक उल ् मुल्क का शुक्र अदा करता हूूँ कक पंरह रूपए में उस ने
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लशफ़ा दे दी। ये नुस्ट्ख़ा ददों के ललए भी लािवाब है , वो दोस्ट्त हर शख़्स को बताते रहते हैं। ससफ़र सूिंघें! नज़्ला ज़ुकाम और ििर शक़ीक़ा से ननजात पाएिं:
चन्द हफ़्ते क़ब्ल मैं ने िेहलुम के एक हकीम साहब का एक नुस्ट्ख़ा बराए सर ददत ललखा था िो नो शादर वग़ैरा सूँघ ू ता था। एक ककताब के मत ु ास्ल्लआ के दौरान ककताबी नस्ट् ु ख़ा ललख कर रवाना कर रहा हूूँ िो
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के दिसम्बर 2015 के एहम मज़ामीन दहिंिी ज़बान में
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बहुत ही आसान है । हकीम साहब के अल्फ़ाज़:- इस मुअज्ज़ा नुमा दवाई की मैं ख़द ु तारीफ़ नहीं करता। िो साहब इस को तय्यार कर के इस का तिुबात करें गे वो ख़द ु ही इस की तारीफ़ करने में िूले ना समाएंगे। आप भी बना कर तिब ू ा क़ल्लई हम्वज़न लें। दोनों को अलग अलग ु ात करें । हुवल ्-शाफ़ी: नोशादर और चन पीस कर शीशी में भर लें। बवक़्त ज़रूरत मरीज़ को शीशी का मुंह खोल कर सूँघ ु ाएं। इन ् शा अल्लाह दो ही
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लमनट में ददत सर से आराम आ िाएगा। इस के इलावा ददत उल, ददत शक़ीक़ा और नज़्ला व ज़क ु ाम की बे ख़ता दवा है । मगर याद रखें कक पहले एक चीज़ को बारीक पीस कर शीशी में िालें बाद में दस ू री। बोतल
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को अच्छी तरह दहला कर लमला लें। ज़्यादा दे र तक शीशी का मुंह खल ु ा ना रखें। वरना दवा का असर
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"लक्कड़ हज़म, पत्थर हज़म" हक़ीक़त में मुम्म्कन है !
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घंटे धप ू में रखें। उतना ही असर किर हो िाएगा। (नसीर अह्मद, एबट आबाद)
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ज़ाइल हो िाएगा। अगर ककसी सबब से असर ज़ाइल हो िाए और पूरा असर ना हो तो बोतल को घन्टा दो
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मैं अरसा दराज़ से मैदे के मसाइल में यानन बद्द
हज़्मी, गैस, तबख़ीर, िकार, खाना कम खाने के बाविद ू हज़म ना होना और मस ु ल्सल क़ब्ज़ का रहना,
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पट्ठों में ददत , सीने में िलन और ददत , बाज़ू में ददत ननकलना और िॉक्टरों को चेक करवाया तो उन्हों ने ददल का मसला बताया। एलोपेर्थक और होम्यो उदय ू ात बहुत अरसा इस्ट्तेमाल करता रहा लेककन मैदे के
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मसाइल हल होने की बिाए बढ़ते गए।
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किर एक मततबा मैं ने एक बुक स्ट्टाल से अबक़री ख़रीदा स्िस में एक है डिंग "लक्कड़ हज़म, पत्थर हज़म हक़ीक़त में मुस्म्कन है !" ने मुझे चोंका ददया। मैं वो ररसाला ले कर घर आ गया और घर आ कर वो नुस्ट्ख़ा बनाया और उस के साथ मैं खाने की दआ ु ओं का एह्त्माम ् भी करने लगा। पहले तो मैं बमुस्श्कल आधी रोटी एक वक़्त में खाता था और हाज़्मा ख़राब हो िाता था अब अल्हम्दलु लल्लाह एक से दो रोटी खा लेता
हूूँ और लक्कड़ हज़म, पत्थर हज़म वाले नस्ट् ु ख़े से हज़म हो िाती है और मैदा भी ठीक रहता है और दस ू रे
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वक़्त, वक़्त से पहले भूक लग िाती है :- हुवल ्-शाफ़ी: नोशादर, अनार दाना, लमचत स्ट्याह, अज्वाइन ् दे सी, सौंफ़, गुलरुख़, ज़ीरा सफ़ेद, पोदीना, इलाइची कलां, नमक ख़ोरदनन, इलाइची ख़ोरद, स्ट्याह नमक तमाम चीज़ें दो तोला और सत लीमों एक तोला ले कर इन तमाम अश्या को बारीक पीस लें। पोदीना और गल ु रुख़ आप घर में भी सुखा सकते हैं। खाने के बाद चाय का चम्मच एक अदद पानी के साथ खाएं हमेशा के ललए
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मैदे की तक्लीफ़ से महफ़ूज़ रहें । इस अन्मोल तोह्फ़े से फ़ायदा ज़रूर उठाएं। (दित बाला नस्ट् ु ख़ा माहनामा अबक़री िुलाई २०११ लसफ़हा नंबर ४२ पर लग चक ु ा है ) इस के इलावा अबक़री से मेरे बहुत से रूहानी
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मसाइल भी हल हुए हैं, मेरी स्ज़न्दगी आमाल पर आ गयी है और आमाल की बरकत से मेरी सोच वसीअ
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हो गयी है । ख़ास सूरह कौसर सुबह व शाम १२९ मततबा पढ़ने से मुझे बरकत ही बरकत लमली है अब तो िेब में हाथ िालूँ ू तो पहले िैसे शलमतन्दगी नहीं होती। (क़, र)
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रूहानी िक्की से आधे सर का ििर बबल्कुल ख़त्म:
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मैं वपछले तीन माह से आप के ररसाले अबक़री से मस्ट् ु तफ़ीद हो रही हूूँ। मैं सब ू ा ख़ैबर पख़्तन ू ख़्वाह के दरू दराज़ इलाक़े बनूँू की रहने वाली हूूँ। मेरी उम्र बावन
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साल है । मुझे बच्पन से आधे सर के ददत की लशकायत थी। मुझे ककसी ने आप के इदारा अबक़री दवाख़ाना
की तय्यार करदह "रूहानी िक्की" इस्ट्तेमाल करने को दी, मैं ने कुछ अरसा मस्ट् ु तक़ल लमज़ािी से
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इस्ट्तेमाल की तो बच्पन से लाहक़ आधे सर के ददत से ननिात लमल गयी। (रोमीना, बनूँ)ू
माहनामा अबक़री दिसम्बर 2015 शुमारा निंबर 114________________pg 23
फ़फ़ट्नेस और जवानी पाने के ९ राज़ मख़लक़ ू ए ख़ि ु ा ने आज़्माया फ़ायिा और फ़ायिा ही पाया लोगों के धमाका ख़ेज़ इिंकशाफ़ात दिल्चस्पी से पदढ़ए
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(कक़स्ट्त नंबर २) (क़ाररईन! आप के ललए क़ीमती मोती चन ु कर लाता हूूँ और छुपाता नहीं, आप भी सख़ी बनें और ज़रूर ललखें (एडिटर हकीम मुहम्मद ताररक़ महमूद मज्ज़ूबी चग़ ु ताई) मुफ़ल्या दौर के कफ़ट्नेस और िवानी के ९ राज़ और क़ाररईन की पसंदीदगी और अपने मुशादहदात का
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इज़्हार! है रत की बात लाखों से कहीं ज़्यादा लोगों ने पसंद ककया और अपने तिब ु ातत बतौर सदक़ा ए
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िाररया भेिे आप भी नेकी के काम में पीछे ना रहें ।
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मुफ़ल्या दौर के ९ राज़ और क़ाररईन के धमाका ख़ेज़ इंकशाफ़ात
१- एक ख़ातून ने ललखा कक मेरे नाना ८७ साल के फ़ॉत हुए, ना कमर झुकी, ना िोड़ों में ददत , ना सर ददत ,
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ना दांत ख़त्म, एक बार बातों बातों में बताने लगे कक मुझे एक स्ट्याने ने मश्वरा ददया था उस वक़्त िब में
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कल्कत्ता में रे लवे लाइन पर पत्थर िालने की नोकरी कर रहा था कक सोते वक़्त अपने पाऊूँ के तल्वों पर
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तेल लगाया करें । बस यही अमल मेरी लशफ़ा और कफ़ट्नेस का ज़रीया है । (पोशीदह) २- एक स्ट्टूिेंट ने
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बताया कक मेरी वाललदा इसी तरह तेल लगाने की ताकीद करती हैं किर ख़द ु बताया कक बच्पन में मेरी
यानन वाललदा की नज़र बबल्कुल कम्ज़ोर हो गयी थी िब ये अमल मुसल्सल ककया तो मेरी नज़र
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आदहस्ट्ता आदहस्ट्ता बबल्कुल मक ु म्मल और सेहतमंद हो गयी। (न, च) ३- एक साहब िो कक तास्िर हैं ने
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ललखा मैं र्चत्राल में सैर व तफ़रीह करने गया हुआ था वहां एक होटल में सोया मुझे नींद नहीं आ रही थी
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मैं ने बाहर घूमना शुरू कर ददया, बाहर बैठना, रात का वक़्त, बूढ़ा चोकीदार मुझे कहने लगा क्या बात है ?
मैं ने कहा नींद नहीं आ रही! मुस्ट्करा कर कहने लगा आप के पास कोई तेल है । मैं ने कहा नहीं। वो गया और तेल लाया और कहा अपने पाऊूँ के तल्वों पर चन्द लमनट माललश करें , बस किर क्या था मैं ख़राटे लेने लगा अब मैं ने मामल ू बना ललया है । (ब, ि) ४- मैं ने रात को सोने से पहले पाऊूँ के तल्वों पर तेल की माललश का ये टोटका आज़्माया इस से नींद बहुत अच्छी आती है और थकावट ख़त्म हो िाती है ।
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(मुहम्मद िावेद) ५- अल्लाह आप को िज़ाए ख़ैर अता फ़मातए मुझे मैदे का मसला था पाऊूँ के तल्वों पर तेल की माललश से २ ददन में ही मेरा मैदे का मसला ठीक हो गया। (श, म) ६- वाक़ई!! इस अमल में िाद ू है मैं ने रात को सोने से पहले पाऊूँ के तल्वों पर तेल की माललश के इस अमल की विह से मझ ु े बहुत पुरसुकून नींद आई (नोरीन िावेद) ७- मैं ये टोटका तक़रीबन वपछले १५ साल से कर रही हूूँ मुझे इस से
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बहुत परु सक ु ू न नींद आती है । मैं अपने छोटे बच्चों के पाऊूँ के तल्वों पर भी तेल से माललश करती हूूँ इस से वो बहुत ख़श ु होते हैं और सेहतमंद रहते हैं। (फ़ानतमा ज़हरा) ८- मेरे पाऊूँ में ददत रहता था मैं ने रोज़ाना
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ज़ैतून के तेल से रात को सोने से पहले २ लमनट पाऊूँ के तल्वों की माललश करना शुरू कर दी इस अमल से
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मेरे पाऊूँ का ददत ख़त्म हो गया। (त, म) ९- हज़रत हकीम साहब! मेरे पाऊूँ में हमेशा सोस्ज़श रहती थी िब चलती थी तो थकन से चरू हो िाती थी मैं ने रात को सोने से पहले के तल्वों पर तेल की माललश का ये
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अमल शरू ु ककया लसफ़त २ ददनों में मेरे पाऊूँ की सोस्ज़श दरू हो गयी। (उम्मे ररज़्वान शाह)। १०- मैं ने
अबक़री के फ़ेस बुक पेि पर रात को सोने से पहले पाऊूँ के तल्वों पर तेल की माललश का टोटका दे ख कर
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इसे करना शरू ु े बहुत सक ु ू न की नींद आती है । (स, न)। ११- ज़बदत स्ट्त कमाल की चीज़ ु कर ददया इस से मझ
है । पुरसुकून नींद के ललए नींद की गोललयों से बेह्तर काम करता है ये टोटका। मैं अब रोज़ाना रात को
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पाऊूँ के तल्वों पर तेल की माललश कर के सोती हूूँ। (लमलसज़ िम्शेद) १२- मेरे दादा हुज़रू के तल्वों में बहुत
गमातहट व िलन और सर में ददत रहता था। िब से उन्हों ने लोकी का तेल तल्वों में लगाना शुरू ककया
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तक्लीफ़ लसरे से दरू हो गयी। (फ़ौस्ज़या बानो) १३- मैं थॉयरोइि की मरीज़ा थी मेरी टांगों में हर वक़्त ददत
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रहता था वपछले साल मुझे ककसी ने रात को सोने से पहले पाऊूँ के तल्वों पर तेल की माललश का ये टोटका बताया। मैं ये मुस्ट्तक़ल कर रही हूूँ अब मैं अमूमन पुरसुकून रहती हूूँ। (साइमा) १४- मेरे पाऊूँ सुन ् हो रहे थे मैं चार ददन से रात को सोने से पहले पाऊूँ के तल्वों पर तेल से माललश कर रहा हूूँ बहुत ज़्यादा फ़क़त है ।
(मुहम्मद वहीद)
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१५- १२, १३ साल पहले मुझे बवासीर थी, मेरा दोस्ट्त मुझे एक हकीम साहब के पास ले गया स्िन की उम्र ९० साल थी उन्हों ने मुझे दवा के साथ साथ रात को सोने से पहले पाऊूँ के तल्वों पर, उूँ गललयों के दरम्यान और नाख़न ु ों पर तेल की माललश करने का मश्वरा ददया और कहा नाफ़ में ४, ५ क़तरे तेल के िाल कर सोना है । मैं ने हकीम साहब के इस मश्वरे पर अमल करना शुरू ककया इस से मेरी ख़न ू ी बवासीर
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में काफ़ी हद्द तक आराम आ गया। इस टोटके से मेरा क़ब्ज़ का मसला भी हल हो गया, मेरे स्िस्ट्म की थकावट भी दरू हो िाती है और पुरसुकून नींद आती है और बक़ोल हज़रत हकीम साहब دامت برکاتہمके
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नाक के अंदर सरसों का तेल लगा कर सोने से ख़राटे आने बन्द हो िाते हैं। (शाह नवाज़ अह्मद) १६- हक़
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हक़ हक़ बहुत अच्छी नींद आई। मैं ने रात को सोने से पहले पाऊूँ के तल्वों पर तेल की माललश का ये
टोटका आज़्माया (अब्दल् ु लाह) १७- पाऊूँ के तल्वों पर तेल की माललश का टोटका मेरा आज़मूदह है । हज्ि
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पर तवाफ़ करने के बाद मैं पाऊूँ के तल्वों पर तेल की माललश करती थी। इस से मेरी थकन उतर िाती थी और मैं फ़्रेश हो िाती थी। (सहर बानो) १८- मेरे पैरों और घुटनों में ददत रहता था मैं ने अबक़री के फ़ेस बुक
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पेि से रात को सोने से पहले पाऊूँ के तल्वों पर तेल की माललश का टोटका पढ़ा। अब मैं ये रोज़ाना करता
हूूँ इस से मुझे पुरसुकून नींद आती है । (रईस अंसारी) १९- मुझे कमर में बहुत ददत था िब से मैं ने रात को
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सोने से पहले पाऊूँ के तल्वों पर तेल की माललश का ये टोटका इस्ट्तेमाल करना शरू ु ककया है कमर का ददत
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कम हो गया है और अल्लाह का शुक्र है बहुत अच्छी नींद आती है । (अम्िद)
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वो मुग़्लल्या राज़ िजर ज़ेल है : वो राज़ बबल्कुल आसान ननहायत मुख़्तसर, हर िगा और हर शख़्स के ललए
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करना बहुत आसान। कोई सा भी तेल सरसों या ज़ैतून वग़ैरा। पाऊूँ के तल्वों और पूरे पाऊूँ पर लगाएं,
ख़ास तौर पर तल्वों पर। तीन लमनट तक दाएं पाऊूँ के तल्वे और तीन लमनट बाएं पाऊूँ के तल्वे पर रात को सोते वक़्त माललश करना कभी ना भूलें--- और बच्चों की भी इसी तरह माललश ज़रूर करें । सारी स्ज़न्दगी का मामल ू बना लें , किर क़ुदरत का कमाल दे खें। आप सारी स्ज़न्दगी सर में कंघी करते हैं, ित ू े साफ़ करते हैं तो सोते वक़्त पाऊूँ के तल्वों पर तेल क्यूूँ नहीं लगाते??? (िारी है )
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माहनामा अबक़री दिसम्बर 2015 शुमारा निंबर 114______________pg 24
ना चूहे, ना नछपकली, ना लाल बेग, लाजवाब आज़मूिह आसान अमल: (ये लोबान िहाूँ नछपकललयां हों वहां वहां दवातज़,े ख़खड़ककयां बन्द कर के धन ू ी दें ता कक धव ु ां बाहर ना
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ननकलने पाए, नछपकललयां आप के घर से भाग िाएंगी। मुद्दत िम: ग्यारह रोज़ तक दम ककया हुआ
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(वक़ार अज़ीम, रावलवपंिी)
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लोबान से धन ू ी दें ।)
घर में बे इिंतहा नछपकसलयािं: घर में हद्द से ज़्यादा नछपकललयां हों तो लोबान बाज़ार से ख़रीद लें और उस
अल्लाहु या मुरीद ु या बदीअ-ल ्अिाइबब बबल्ख़ैरर या बदीउ" ْا
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के छोटे छोटे टुकड़े कर लें और टुकड़ों को इक्कठा कर के उन के ऊपर ग्यारह सो मततबा "या रहीमु या
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ْ ا ا ْ ْ ا ْا ْ ْْ اا ْا ا ا (َْ ْی اٰی اب ِد ْی ِ ِِْ ِاب ِ ) ٰیرحِیم ٰیہللا ٰیم ِرید ٰیب ِدیَ الَْائपढ़ कर दम कर दें । ये लोबान िहाूँ नछपकललयां हों वहां वहां दवातज़े,
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ख़खड़ककयां बन्द कर के धन ू ी दें ता कक धव ु ां बाहर ना ननकलने पाए, नछपकललयां आप के घर से भाग िाएंगी। मुद्दत िम: ग्यारह रोज़ तक दम ककया हुआ लोबान से धन ू ी दें । नछपकली से िरना: लमट्टी की कटोरी स्िस में फ़ीननत खाई िाती है लें और उस में पानी भर लें पानी में दो चम्मच अक़त गल ु ाब िाल दें और
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तीन मततबा ( ) ٰی یح قبَ لک یشपढ़ कर दम करें और ननहार मुंह पी लें िब कभी नछपकली नज़र आए तो घर
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में इधर उधर की मक्खी पर नज़र िालें और उसे दे खना शुरू कर दें और अगर मक्खी ना हो तो अपने सीधे पाऊूँ के अंगूठे के नाख़न ु पर िेढ़ से दो लमनट तक नज़र िमा ददया करें । घर में नछपकसलयािं: अंिे का ख़ाली ख़ोल ले कर दीवार पर िहाूँ नछपकललयां ज़्यादा हों लटका दें , नछपकललयां भाग िाएंगी। सर की जूओिं का इलाज: सर में अगर िूएं हों तो प्याज़ ् के पानी से सर को दो से तीन मततबा धो लें िूएं ख़त्म हो िाएंगी। घर में हशरात-ु ल ्अज़र की ज़्यािती: िब घर के फ़शत को धोएूँ तो धल ु ाई से क़ब्ल पानी में नमक
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लमला ददया करें , हशरात-ु ल ्अज़त नमक लमले हुए पानी की धल ु ाई से भाग िाते हैं। सािंप के कािंटने के बाि सर का भारी रहना: चन्द ननम्कोललयां पानी में पीस कर ननहार मुंह वपला दें दो से तीन रोज़ में सही हो िाएगा। च्यिंदू टयािं भगाना: अगर ककसी िगा च्यूँट ू ीयों की कसरत हो और वो नक़् ु सान पोहं चानत हों उन को भगाने के ललए ये आयत बा वज़ू तीन बार पढ़ कर रे त, लमट्टी पर दम करें और उन के बबलों के नज़्दीक
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िैला दें । इन ् शा अल्लाह उस िगा से च्यूँट ू ीयां चली िाएंगी। वो आयत ये है : "याअय्यह ु -न्नम्लु-द्ख़ल ु ू मसाककनकुम ् ला यह्तनतमन्नकुम ् सुलैमानु व िुनूदहु ू व हुम ् ला यश ्उरून" (नम्मल १८) ْ
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ْ ْ
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ْ ْ َ ٰ َْ ا ْ ادخل ْوا ام ٰسک اِنک ْم َل َْی ِط ام َنک ْم ْسل ْی ٰم ْن او ْج ْن ْو ْدہ او َ )ٰیّیا النمसािंप बबछू और मूज़ी जान्वरों से दहफ़ाज़त: ( ﴾۸۰َُہ َل یاش ْْ ْر ْو ان ﴿من
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अगर कोई शख़्स ऐसी िगा हो, िहाूँ मज़ ू ी िान्वर कसरत से हों और ख़तरा हो कक वो नक़् ु सान पोहं चाएंगे तो उस के ललए ये दआ ु बाद नमाज़ मग़ररब सो मततबा पढ़ कर अपने दोनों हाथों की हथेललयों पर दम करे
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और तमाम बदन पर िेर ले और सीने पर दम कर ले और चारों तरफ़ िूँू क मार दे । "अऊज़ु ْ ا
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ِ ْ َ ا ا َ ِ)ا ْع ْوذ بَک امات ہللا। चोर िाक और हर َ الت बबकललमानतल्लादह-त्ताम्मानत लमन ् शररत मा ख़लक़" (اخل اق شم ِ ام ِ ِ ِ ू ِ ات ِم
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मूज़ी जान्वर से दहफ़ाज़त: मसलन सांप, बबछू, कन खिूरे या दीगर िान्वर। इलाज: अवल व आख़ख़र
तीन बार दरूद शरीफ़ और दरम्यान में सूरह बक़रह की आख़री दो आयात पढ़ने के बाद सो रहे और ककसी
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से बात ना करे । ज़हरीले जान्वर के ज़हर का असर ज़ाइल करना: ज़हरीले िान्वर या कीड़े मसलन सांप,
बबछू, लभड़, शहद की मक्खी वग़ैरा या दवा या इंिेक्शन का ररएक्शन या फ़ूि पॉइस्ज़्नंग से ख़न ू ज़हरीला
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हो िाए और मरीज़ के स्िस्ट्म पर धपड़ पड़ िाते हैं कभी कभी वपत्त भी ननकल आती है । असर गहरा हो
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िाए तो मरीज़ ददमाग़ के अंदर चभ ु न भी महसस ू करता है और बदन में तशंि महसस ू करता है । दवा के
इस मुज़र असर से बेहोशी भी तारी हो िाती है इन विूहात की बबना पर अगर ख़न ू मुतालसर हो िाए तो एक मततबा "बबस्स्ट्मल्लादह-र्-रह्मानन-र्-रहीलम। या रहीमु या अल्लाहु या मुरीद ु या रहीमु या अल्लाहु या मुरीद ु या रहीमु या अल्लाहु या मुरीद ु या बदीअ-ल ्अिाइबब बबल्ख़ैरर या बदीउ"
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ِ َا ْ ٰ َا ْ ہللا اٰی ْمر ْی ْد اٰی ابد ْی اَ ْال اْ اَائ ْ ا ْ ہللا اٰی ْمر ْی ْد اٰی ارح ِْی ْم اٰی ا ْ ہللا اٰی ْمر ْی ْد اٰی ارح ِْی ْم اٰی ا ْ ۔ٰی ارح ِْی ْم اٰی ا الرح ِْی ِم ا َْ ْی اٰی اب ِد ْی ِب ْس ِم ہللا الرمِح ِنपढ़ें ِ ِِْ ِاب ِ ِ ِ ِ ِ
मुिरत ब है । इस के इलावा
अगर िगा िगा सांप या सांप के बच्चे नज़र आना, तमाम घर में नछपकललयां या हशरात-ु ल ्अज़त रें गना । इलाज: एक पाव अज्वाइन ् लें ग्यारह सो मततबा "बबस्स्ट्मल्लादह-र्-रह्मानन-र्-रहीलम। या रहीमु या अल्लाहु ا
ِ َا ْ ٰ َا ْ ۔ٰی ارح ِْی ْم اٰی الرح ِْی ِم ا या मुरीद"ु (ہللا اٰی ْم ِر ْی ْد ( )بِ ْس ِم ہللا الرمِح ِنतीन मततबा पढ़ें ) रोज़ एक मततबा "या बदीअ-ल ्अिाइबब ْا
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ْ اا ْا اا बबल्ख़ैरर या बदीउ" (َْ ْی اٰی اب ِد ْی ِ ِِْ ِاب ِ ) ٰیب ِدیَ الَْائपढ़ कर दम करें और कोयलों पर इस अज्वाइन ् की सुबह व
शाम धन ू ी दें । मद्द ु त अमल: चालीस रोज़। ज़हरीली मकड़ी का काटना: चोलाई का सब्ज़ या ख़श्ु क साग या
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तो पानी या किर लसके में घोट कर लेप दें ज़हरीले असरात दरू हो िाएंगे। तीन ददन तक। नॉट: हर अमल
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करने से पहले अपनी है लसयत के मत ु ाबबक़ ख़ैरात करें और इस दौरान स्ितनी िम ु ेरात आएं ख़ैरात की िो लमक़्दार अमल शुरू करने से पहले दी थी वही करें और िब आप अपना मक़्सद हालसल कर लें तो कम
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अज़ कम दो या पांच या अपनी है लसयत के मुताबबक़ ग़रीबों को खाना ख़खला ददया करें ।
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घरे लू मसाइल का इिंसाइक्लो पेडिया सलकोररया से यक़ीनी ननजात:
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वेसे तो अबक़री में ललकोररया के बहुत से नुस्ट्ख़े पढ़ते रहते हैं लेककन मैं िो नुस्ट्ख़ा भेि रही हूूँ वो आब ज़र से ललखने के क़ाबबल है , इतना ज़बरदस्ट्त ररज़ल्ट कक इन ् शा अल्लाह दआ ु दे ने पर मज्बरू हो िाएंगे,
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ननहायत ही कम माललयत में नुस्ट्ख़ा तय्यार और ददनों में आराम। हुवल ्-शाफ़ी: माएं, मािो, गुल धावा,
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ख़श्ु क अनार का नछल्का, किटकड़ी सफ़ेद ये तमाम अश्या हम्वज़न ले कर किटकड़ी को तवे पर खल करें । दवाई बारीक पीस कर बड़े साइज़ के कैप्सूल भर लें , दध ू या िूस से लें क्योंकक दवाई ख़श्ु क है । ददन में दो
मततबा एक एक कैप्सूल सुबह खाना खाने से एक घंटे पहले और रात को खाना खाने के एक घंटे बाद। रात को दवाई खाने के बाद कोई चीज़ नहीं खानी। सूरह फ़ानतहा और िरूि इब्राहीमी का कमाल:
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मेरी बच्ची का उस के सुसर और सास ने िीना हराम ककया हुआ था चार दफ़ा अवल व आख़ख़र दरूद इब्राहीमी फ़ज्र के फ़ज़ों के बाद मेरी बच्ची पढ़ती रही, कुछ ही अरसे बाद मेरी बच्ची ख़श्ु हाल हो गयी और सस ु र सास ने तंग करना छोड़ ददया। मेरी एक भांिी के ख़ावन्द ने दस ू री शादी कर ली उस बच्ची ने एक माह पढ़ा पहले उसे यक़ीन नहीं आता था उस के ख़ावन्द ने आख़ख़र उस फ़ादहषा औरत को तलाक़ दे दी
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उस का ख़ावन्द राह रास्ट्त पर आ गया। एक और फ़ायदा हुआ कक भांिी पांच वक़्त की नमाज़ी बन गयी। मेरे एक दोस्ट्त की बीवी फ़ॉत हो गयी वो एक िगा शादी करना चाहता था, हराम नहीं करना चाहता था।
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उस बच्ची ने उस के पैग़ाम ननकाह को क़ुबूल कर ललया आख़ख़र बा इज़्ज़त शादी हो गयी। सूरह फ़ानतहा
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चालीस बार नमाज़ फ़ज्र के बाद पढ़ी चालीस ददन। (हर िाइज़ मक़्सद के ललए)
ग्यारह साल से एक केस था सूरह अल्फ़ानतहा से काम्याबी हुई, केस में पांच आदमी थे सब बरी हो गए।
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एक दोस्ट्त का ज़मीन का मुक़द्दमा सुप्रीम कोटत में था। उस ने ख़द ु , उस की बीवी बच्चों सब ने पढ़े । मुक़द्दमे का फ़ैस्ट्ला उस के हक़ में आया। अवल व आख़ख़र दरूद इब्राहीमी ग्यारह मततबा "व अल्क़ैतु अलैक ا
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ت اعل ْی ا ٰ ک َم ا َبۃ َِم َِِن اول ِْت ْص ان اَ ا ْ ) الق ْیक़सद का तसव्वुर हो, ३१३ बार महब्बत-स्म्मन्नी व ललतुस्ट्नअ अला ऐनी" (لَع اع ْی ِِن
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पढ़ें । हर िाइज़ मक़्सद के ललए। (बहवाला स्िल्द अबक़री स्िल्द ५)
||अबक़री की साबबक़ा फ़ाइलों से मोती चन ु ें :
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घरे लू ना चाकक़यों, ररज़्क़ की तंगी, परे शाननयों से ननिात के ललए और सददयों से छुपे सदरी राज़ों और
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नतब्बी मालम ू ात से मक ु म्मल तौर पर इस्ट्तेफ़ादह के ललए अबक़री के गज़ ु श्ता सालों के तमाम ररसाला िात मस्िल्द दीदा ज़ेब फ़ाइल की सूरत में दस्ट्तयाब हैं। ये ररसाला िात आप की नस्ट्लों के ललए रूहानी, स्िस्ट्मानी, नफ़्स्ट्याती मआ ु ललि ् साबबत होंगे। क़ीमत फ़ी स्िल्द ५००/- रूपए इलावा िाक ख़चत||
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माहनामा अबक़री दिसम्बर 2015 शुमारा निंबर 114______________pg 26
मुझे जागती आँखों से म्जन्नात नज़र आते हैं: (एक ददन यह ूूँ ी मज़ाक़ में हम ने बात की कक "तम ु रात में चोरों की तरह क्यूूँ आते हो?" तो दस ू रे ददन सब ु ह दस बिे भाबी को दौरा पड़ गया और कहने लगे लो हम लोग आि ददन में भी आ गए हैं क्योंकक तुम लोग
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ख़द ु ही कहते हो कक चोरों की तरह रात में आते हो।)
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(न, न)
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मेरे हाथ में अबक़री का ररसाला है िो कक िन्वरी
२०११ का है ये ररसाला मझ ु े एक दोस्ट्त से लमला है , ररसाला पढ़ कर मझ ु े बहुत होसला हुआ और मायस ू
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ददल को इत्मीनान लमला और ईमान को क़ुव्वत नसीब हुई कक अभी ये ज़मीन अल्लाह के महबूब बन्दों से ख़ाली नहीं हुई कुछ अल्लाह के बन्दे अभी भी हैं िो ददल में इंसाननयत के ललए तड़प रखते हैं। मोहतरम
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हज़रत हकीम साहब! हमारे घराने में कुछ अरसा से स्िन्नात ने उद्यम मचाए रखा स्िस की तफ़्सील दित है :- हम एक छोटे से गाूँव में रहते हैं। मेरे वाललद खेती बाड़ी करते हैं और भाई सरकारी मुलास्ज़म हैं। हम
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तमाम भाई बहन एक ही घर में रहते हैं। आि से एक साल पहले की बात है कक हम लोग कमरे में बैठे थे, बच्चे खेल रहे थे कक भाबी भी उसी कमरे में आ कर लेट गयीं, अचानक ही उठ कर भाबी ने चीख़ना शुरू
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कर ददया, चीख़ें इतनी ज़ोरदार थीं कक हमारे ददल दहल गए, हम है रान व परे शां, उन को आवाज़ें दे रहे थे
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मगर वो ककसी की आवाज़ नहीं सुन रही थीं, बस लसफ़त चीख़ती, कभी उठती, कभी बैठती और बेि के नीचे
हाथ मारती, सोफ़ों के नीचे झांकती और हम तीनों माूँ बेदटयां उसे पकड़ने में नाकाम थीं। इसी कैकफ़यत में आधा घन्टा गुज़रा, इतनी दे र में गाूँव ही के एक इमाम मस्स्ट्िद को अब्बू बुला कर ले आए। िब इमाम साहब घर में पोहं चे तो उन की आवाज़ सन ु ते ही उसी वक़्त होश में आ गयी और आराम से बैठ गयी और है रत से हमारी तरफ़ दे खने लगी कक क्या हुआ है क्यूूँ परे शान हो? िब क़ारी साहब ने दम ककया और पूछा
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कक क्यूूँ चीख़ रही थी क्या दे खा तो कहने लगी कक िब मैं बैठती हूूँ तो अभी पूरी तरह आूँख भी नहीं लगी कक मुझे चार आदमी नज़र आए िो चारों तरफ़ से मुझे घेरे हुए हैं, मैं उन से बच कर ननकलना चाहती हूूँ, कभी उठती हूूँ, कभी बैठती हूूँ लेककन कोई रास्ट्ता नहीं लमल रहा, बड़ी दे र बाद उन से बच कर ननकली हूूँ तो आगे समुन्दर है िो मुझे अपनी तरफ़ खेंच रहा है और मैं चीख़ती हूूँ, दौड़ती हूूँ, इस के बाद मुझे होश आ
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गया। मोहतरम हज़रत हकीम साहब! इस के बाद परू े २८ ददन गज़ ु र गए, कोई दौरा नहीं पड़ा लेककन ख़्वाब में कुछ लोग नज़र आते रहे , स्िन्हों ने चादर नुमा टोवपयां पहन रखी थीं और वो टोवपयां इतनी
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लम्बी थीं कक उन के पाऊूँ तक पोहं च रही थीं। किर अठाईस ददन के बाद रात को दौरा पड़ गया और हल्की
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हल्की चीख़ें सुनने से हमारी आूँख खल ु ी, किर उन्ही क़ारी साहब से दम करवाने के बाद बीस लमनट में होश आ गया। अगले ददन हम उन्हें शहर के बड़े क़ारी साहब के पास ले गए स्िन्हों ने दम ककया और तावीज़
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वग़ैरा ददए उस के हफ़्ते बाद से दौरा रोज़ाना पड़ने लगा और िागती आूँखों से भी स्िन्नात नज़र आने
लगे किर भाबी ने उन के पीछे दौड़ना शुरू कर ददया, कभी बे होश हो िातीं, दौरा अक्सर रात के औक़ात में
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ही पड़ता। एक ददन यूँह ू ी मज़ाक़ में हम ने बात की कक "तम ु रात में चोरों की तरह क्यूँू आते हो?" तो दस ू रे ददन सुबह दस बिे भाभी को दौरा पड़ गया और कहने लगे लो हम लोग आि ददन में भी आ गए क्योंकक
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तम ु ही कहते हो कक चोरों की तरह रात में आते हो। इस के बाद हर रोज़ ददन में दो या तीन बार ु लोग ख़द
आते, एक ददन भाभी चल् ू हे में आग लगाने लगी अभी चल् ू हा िलाया भी नहीं था कक भाभी के कपड़ों को
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आग लग गयी और वो चीख़ने लगी, अल्लाह के फ़ज़्ल से हम ने आग पर क़ाबू पा ललया। इस के बाद िब
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भी मेरी भाभी अब चल् ू हे के पास िाती है उन को ख़द ु ब ख़द ु आग लग िाती। अब ये कैकफ़यत थी कक
हमारे घर में उन को रोज़ाना ददन में दो या तीन मततबा दौरा पड़ता यानन स्िन्नात की हाज़री होती मगर िब अपने मैके िाती तो पंरह बीस ददन बाद दौरा पड़ता, ये तो भाभी की कैकफ़यत थी अब मैं अपनी तरफ़ आती हूूँ, एक ददन मैं खड़ी थी तो अचानक मेरे रोंगटे खड़े हो गए तमाम स्िस्ट्म ठं िा हो गया, ख़ौफ़ महसस ू होने लगा और स्िस्ट्म में एक थरथरी सी मची रहती है । हूँ सने, बोलने को ददल नहीं करता, टांगें
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काूँपती रहती, िब चलती तो ऐसे लगता कोई मेरे पीछे है और मुझे दबोच लेगा और कभी यूूँही रोने को ददल करता, कभी बैठे बैठे ऐसा लगता है कोई चीज़ सर के अंदर चली गयी है और कभी ऐसा लगता है कक कोई चीज़ सर के अंदर चली गयी है । कभी सोते में स्िस्ट्म पर वज़न पड़ िाता, ना मैं दहल सकती ना ही बोल सकती और स्िस्ट्म काूँपता महसूस होता, िैसे करं ट लगने से काूँपता है , किर थोड़ी दे र बाद मुझे होश
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आ िाता और मैं कल्मा पढ़ना शरू ु कर दे ती। अक्सर घर में पफ़्यम ूत की ख़श्ु बू आती और कभी बू महसस ू होती िैसे कोई तार िल रही हो। कभी घर में ककसी के चलने की आवाज़ आती। एक ददन मैं ने चीख़ कर
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कहा तुम कौन हो? तो मेरे सर के पीछे ककसी ने ज़ोर से थप्पड़ मारा, मैंने इधर उधर दे खा तो कोई भी ना
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था। किर हम घरवालों ने पांच वक़्त की नमाज़ पढ़ना शुरू कर दी, घर के हर कमरे में एम ् पी थ्री ऑडियो
से हर वक़्त सूरह बक़रह और रह्मान की नतलावत चला के रखी। घर के सारे फ़दत फ़ज्र की नमाज़ के बाद
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ऊंची आवाज़ में नतलावत क़ुरआन पाक करते और मंस्ज़ल भी पाबन्दी से रोज़ाना पढ़ते हैं स्िस की बरकत से अब हमारे घर में काफ़ी सुकून है । स्िन्नात की चहल पहल घर से ख़त्म होती िा रही है । िो बद्बू और
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कभी ख़श्ु बू आती थी वो आना बन्द हो गयी है , भाभी की तबीअत भी ददन ब ददन बेह्तर हो रही है ।
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सरे राह मजसलस के आिाब:
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हुक्म है )
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(मख़्दम ू यूसुफ़ अज़ीज़)
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(आदाब की रू से रस्ट्ते से गज़ ु रने वाले आदमी को बैठे हुए आदलमयों को सलाम करने में पहल करने का
हज़रत सईद अल्ख़री से ररवायत है कक रसूल करीम ﷺने इशातद फ़मातया: "ख़बदातर रास्ट्तों के ककनारों पर ना बेठा करो" सहाबा कराम رضوان ہللا عليه أجمعينने अज़त ककया: या रसूलल्लाह ﷺहमें अपनी इन मस्ज्लसों से चारा नहीं, हम उन में बातें करते हैं" आप ﷺने इशातद फ़मातया: "अगर नहीं रह सकते तो रास्ट्ते का हक़ अदा ककया करो" सहाबा رضوان ہللا عليه أجمعينने अज़त ककया: "या रसूलल्लाह ﷺरास्ट्ते का
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हक़ क्या है ?" आप ﷺने इशातद फ़मातया: "आूँख झक ु ाना और ईज़ा रोकना और सलाम का िवाब दे ना और नेकी का हुक्म दे ना और बुराई से रोकना।" ननशस्ट्त गाहें बबल ्उमूम सरे राह होती हैं उन में कुछ नक़् ु सान हैं मसलन ्: गज़ ु रने वालों पर ननगाह रहती है , उन में औरतें भी होती हैं उन्हें गज़ ु रने में मस्ु श्कल पेश आती है । बअज़ दफ़ा ननशस्ट्त गाह में झाड़ू लगा कर कूड़ा बाहर िैंक ददया िाता है लेककन अगर
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ककसी मज्बरू ी से ननशस्ट्त गाह सरे राह ही हो तो औरतों के गज़ ु रते वक़्त ननगाह नीची कर ली िाए या िेर ली िाए, कोई ईज़ा रसां चीज़ सरे राह ना िैंकी िाए, आने िाने वाले सलाम करें तो उस का बुलंद आवाज़
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में िवाब दें , आदाब की रू से रस्ट्ते से गुज़रने वाले आदमी को बैठे हुए आदलमयों को सलाम करने में पहल
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करने का हुक्म है अगर उन्हें िवाब ना ददया िाए तो ददल लशकनी होगी। इस के इलावा ननशस्ट्त गाह वालों पर ये स्ज़म्मा दारी आइद होती है कक अगर राह चलने वालों ने कोई एतराज़ की बात दे खें तो
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ननहायत सल् ु झे हुए तरीक़े से उसे मना करें । अपनी मिललस में ना शाइस्ट्ता कलाम ना करें बस्ल्क ऐसी गुफ़्तुगू करें कक कोई अगर उसे सुन ले तो उस का ददल अच्छाई की तरफ़ माइल हो और हर्गतज़ ऐसा
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कलाम ना करें िो दायरा इस्ट्लाम या दायरा इख़्लाक़ से बाहर हो, हमेशा ऐसी बात करें िो सच्ची और
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अक़्वाल हज़रत अली كرم هللا وجهه
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इस्ट्लाम के मुतअस्ल्लक़ हो।
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☆ इल्म वो शिर है िो ददल में उगता है , ददमाग़ में िलता है और ज़बान से िल दे ता है । ☆ कम्ज़ोर का
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यही ज़ोर चलता है कक वो पीठ पीछे बुराई करे । ☆ अपने भाई को मुख़ललसाना नसीहत करो उसे अच्छी लगी या बरु ी। (नेहा इरीस, वाह कैंट)
माहनामा अबक़री दिसम्बर 2015 शम ु ारा निंबर 114_______________pg 28
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वाल्िै न के घर बेठी शािी शि ु ह ख़वातीन के सलए तावीज़ मह ु ब्बत: (पोशीिह)
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(क़ाररईन! अबक़री में छपे या ककसी भी अमल, वज़ीफ़े के करने से आप को िाद ू स्िन्नात से छुटकारा लमला हो या आप पर ककया गया िाद ू टूटा हुआ हो तो वो मुकम्मल अमल और उस की मुकम्मल रूअदाद तफ़्सील
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के साथ दफ़्तर माहनामा अबक़री में भेस्िए। आप का ये अमल लाखों के ललए फ़ायदा मन्द साबबत होगा
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और आप के ललए सदक़ा िाररया होगा।)
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! अवल ददन से आख़ख़र ददन तक स्ितनी भी नेक और
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अच्छी दआ ु एं मांगी िाएंगी वो सब की सब आप, आप के अह्ल व अयाल, आप की टीम के ललए। आमीन
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सम् ु म आमीन। आप को अपने तिब ु ातत व मश ु ादहदात अक्सर बताती रहती हूूँ। मगर आि मैं ये तहरीर
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बबल्ख़स ु ूस अपनी उन बहनों के ललए ललख रही हूूँ िो अपने घर के हालात से बहुत ज़्यादा परे शान हैं, स्िन के
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शौहर उन को बल ु ाना तो दर ककनार दे खना भी पसंद नहीं करते, स्िन के शौहर उन्हें मारते हैं, ख़चात नहीं दे ते या वो बहनें िो माूँ बाप के घर बैठी हैं। अब मैं आती हूूँ अपने मुशादहदात की तरफ़। मैं ने दफ़्तर माहनामा
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अबक़री से आप की शहरा आफ़ाक़ ककताब "मझ ु े लशफ़ा कैसे लमली?" उस में एक तावीज़ मह ु ब्बत था, मैं ने
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और मेरी कज़न ने लसफ़त और लसफ़त ग़रीब बे सहारा और िो इस तावीज़ की हक़दार थीं, उन्हें ये तावीज़ ददया।
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब! आप यक़ीन िाननये बहुत बहुत औरतों को फ़ायदा हुआ, मेरी कस्ज़न हे ल्थ
वकतर है वो औरतों के मसाइल बताती है तो मैं ये तावीज़ उसे दे ती हूूँ तो मेरी कस्ज़न बताती हैं कक लोग तुम्हें बहुत दआ ु एं दे ते हैं। मेरी एक कस्ज़न के शौहर पर ककसी ने काला िाद ू करवाया हुआ था, उस का और उस के शौहर का बात बात पर झगड़ा होता था, मार कुटाई रहती। हर दस ू रे ददन मेरे पास आती और अपने स्िस्ट्म पर पड़े नील ददखाती। तो मैं ने उसे ये तावीज़ दे ददया तो उस का शौहर अब उस की हर बात छोटे बच्चों की
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तरह मानता है । उस कस्ज़न की वाललदा मुझे दआ ु एं दे ती है कक शुक्र है मेरे घर दामाद और मेरी बेटी की स्ज़न्दगी में सुकून आया, किर यही तावीज़ एक और औरत को ददया उस का शौहर ख़चत नहीं दे ता था, मारता था, घर से आधी आधी रात मार के बाहर ननकाल दे ता था, सास मारती थी वो अपनी माूँ के घर से बच्चों और ख़द ु को पाल रही थी किर उसे ये तावीज़ ददया तो आि उस का शौहर उसे ख़चत दे रहा है , बच्चों का अलग उस
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का अलग, उस की सास िो गाली के इलावा बात नहीं करती थी वही अब "मेरी बेटी मेरी बेटी" कह कर बुलाती है । उसी मेरी दोस्ट्त के भाई और भाबी में हर वक़्त लड़ाई झगड़ा रहता, पता करवाने पर मालूम हुआ
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कक ककसी ने कुछ करवाया हुआ है, बीवी हर वक़्त झगड़ती, बात ना मानती, नमाज़, स्ज़क्र, क़ुरआन कुछ भी
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नहीं। उस के शौहर ने यही तावीज़ बाूँधा तो अब उस के घर में आराम और सुकून है , वो नमाज़ पढ़ना सीख रही है । अल्हम्दलु लल्लाह! बहुत सी मेरी ग़रीब और नादार बहनें िो इस की हक़दार थीं उन को मैं ने ये
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तावीज़ ददया तो उन को िाद ू स्िन्नात से छुटकारा लमला, घर में सक ु ू न आया, घरे लू झगड़ों से ननिात लमली। नॉट: स्िन ख़वातीन की शादी में रुकावट हो वो भी ये तावीज़ गले में िाल सकती हैं। आख़ख़र में
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तावीज़ मह ु ब्बत तहरीर करती हूूँ। सोला ख़ाने बना कर नंबर वार तहरीर करना है ।
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ٰ ً َْ ا ا ٰ ا َا ْ ا ْ ( اٰی اغ َافख़ाना २) ِ ِ ہللا َ ِ ( َْی َِْب ْو اَنْ ْم کا ْحबक़रह आयत १६५) नीचे اٰی ارح ِْی ْمइस तरह وال ِذनीचे ار (ख़ाना १) ِ ْی ا ام ْن ْوااشد ْح َبا َِ َِل
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ً ا اْ ا ْ ْ ا ا ْ ا ا ا (ख़ाना ३) ک َم ا َابۃ َِم َِنْی والقیت علیनीचे اٰیک ِر ْی ْمवग़ैरा नक़्शा हास्ज़र ख़ख़दमत है ।
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दाएं बाज़ू पर बाूँध कर इत्तर व ख़श्ु बू लगाएं ये अमल हर िाइज़ मुहब्बत के ललए ककया िा सकता है ख़ास
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तौर पर लमयां बीवी (मख़ ु ाललफ़त ज़ोिैन के ललए मफ़ ु ीद है ) दस ू री िगा िाइज़ नहीं बस्ल्क हराम है ।
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नॉट: ना िाइज़ करने वाला सख़्त नक़् ु सान उठाएगा।
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ख़ि ु एतमािी ना होने की वजह: (स्िस इंसान में ख़द ु एतमादी नहीं होती वो हर नाकामी को अपनी तक़्दीर् का नोश्ता क़रार दे कर पस्ट्त तर पस्ट्त होता चला िाता है )
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(शैख़ असतलान, शुमाली लाहौर) एक मादहर नस्फ़्सयात ख़द ु एतमादी ना होने के अस्ट्बाब से मुतअस्ल्लक़ तफ़्सील से ललखते हैं िो
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इख़्तसार के साथ पेश ए ख़ख़दमत है । ललखते हैं कक अपने आप पर यक़ीन रखना स्िहाद का िज़्बा रखता है मगर स्िन लोगों में ख़द ु एतमादी नहीं होती, उन के ददलों में यक़ीन की हरारत पैदा नहीं होती। वो
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इंसान िो अपनी सलादहयतों पर यक़ीन रखता है । नाकामी को आख़री और हत्मी मानने से इंकार कर
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दे ता है और हुसूल मक़्सद के ललए मुसल्सल स्िद्द व िहद करता रहता है । स्िस इंसान में ख़द ु एतमादी नहीं होती वो हर नाकामी को अपनी तक़्दीर् का नोश्ता क़रार दे कर पस्ट्त तर पस्ट्त होता चला िाता है ।
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ख़द ु एतमादी का कफ़क़्दान अमली स्ज़न्दगी में ककस शक्ल में नम ु द ू ार होता है? अगर आप इस एहम सवाल का िवाब ज़ेहन नशीन कर लें तो आप को अपने ककदातर का नुक़्स दरू करने में बड़ी मदद लमलेगी
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और इस की हज़ारों बस्ल्क लाखों करोड़ों शक्लें हो सकती हैं मगर उन सब में एक चीज़ मश्कूक होती है ।
ख़द ु एतमादी ना रखने वाले इस वहम में पड़े रहते हैं कक ना मालूम लोग उस के बारे में क्या सोच रहे हैं या
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फ़लां मोक़ए पर क्या सोचें गे और वो इस वहम को अपने ललए एक मुस्ट्तक़ल रुकावट बना लेते हैं! अगर
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आप में ख़द ु एतमादी का कफ़क़्दान है और आप अपने हालात पर ग़ौर करें तो आप को भी अपनी स्ज़न्दगी में यही ऐब नज़र आ िाएगा आप को या तो ककसी की अलामत का ख़ौफ़ होगा या आप ककसी की नज़रों में एह्मक़ बनने से ख़ाइफ़् होंगे। अगर आप को इसी तरह की ज़ेहनी आदत है तो गोया आप एक अज़ाब में
मुब्तला हैं िो आप के क़ल्ब और ददमाग़ को मुसल्सल बेकार ककये हुए है । आप को इस अज़ाब में मुब्तला होने की हालत में ये भी महसस ू हो रहा होगा कक और लोग ख़श ु व ख़रु त म और मत्ु मइन हैं और लसफ़त आप
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परे शान हैं आप उन िैसा बनने की आरज़ू करें गे मगर ये उस वक़्त तक मुस्म्कन नहीं िब तक आप अपने अंदर ख़द ु एतमादी पैदा ना कर लें मगर इस का मत्लब ये नहीं है कक ये कोई मुस्श्कल या ना मुस्म्कन काम है आप भी औरों की तरह बे कफ़क्र और ख़श ु व ख़रु त म रह सकते हैं। ये ख़्याल हर्गतज़ ददल में ना लाइए कक आप में िो ख़राबी पाई िाती है ये आप का लमज़ाि का ख़ासा है और आप इस से ककसी तरह भी पीछा
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नहीं छुड़ा सकते, आप भी ख़द ु एतमाद बन सकते हैं। शतत लसफ़त ये है कक आप इस के ललए कोलशश करने
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पर ह्मतं आमादा हों।
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(िलत)
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िाई इस्लाम हज़रत मौलाना मुहम्मि कलीम ससद्दीक़ी دامت برکاتہم
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ननय्यत की एहम्यत:
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माहनामा अबक़री दिसम्बर 2015 शुमारा निंबर 114_______________pg 41
(हज़रत मौलाना دامت برکاتہمआलम ए इस्ट्लाम के अज़ीम दाई हैं स्िन के हाथ पर तक़रीबन ५ लाख से
झोंके" पढ़ने के क़ाबबल है ।)
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ज़ाइद अफ़राद इस्ट्लाम क़ुबूल कर चक ु े हैं। उन की नाम्वर शहरा आफ़ाक़ ककताब "नसीम दहदायत के
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बज़्म अमीन की दहंदी मिललस में इस नो साला बच्ची ने तक़रीर की तो ददल व ददमाग़ के दरीचे खोल ददए, उस ने तक़रीर शुरू की तो बोली: आप ककसी बस में सवार हुए, कंिेक्टर आया, आप ने उस को पैसे
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ददए कक दटकट दे दो, कंिेक्टर ने पछ ू ा कहाूँ का? आप ने कहा ये तो पता नहीं कहाूँ िाना है ? कहीं का भी दे दो, आप सफ़र कर रहे हैं और आप को ये भी पता नहीं कक दटकट कहाूँ का लेना है तो आप सफ़र ककस तरह करें गे? यही हाल उस इंसान का है िो स्ज़न्दगी के इस सफ़र में अमल तो कर रहा है मगर उस अमल में उस की ननय्यत कुछ भी नहीं है बस्ल्क बे ननय्यत मुसाकफ़र का हाल, सच्ची बात ये है कक बे दटकट
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मुसाकफ़र का है , आप ने दे खा होगा िगा िगा बसों पर स्ट्टे शनों पर बस अड्िा पर ललखा रहता है , तस्ख़्तयां लगी रहती हैं "बबना दटकट यात्री होश्यार, कड़ी सज़ा लमलेगी" बे दटकट सफ़र करने वाला मुसाकफ़र सज़ा का मस्ट् ु तदहक़ है । इसी तरह बे ननय्यत अमल करने वाले का हाल भी है कक अल्लाह का ददया हुआ वक़्त और सलादहयत, आदमी बे ननय्यत ककसी अमल पर ख़चत कर रहा है तो उस का वक़्त और सारी
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सलादहयत व क़ुव्वत बे मक़्सद ज़ायअ हो रही है । यही सज़ा क्या कम है किर दस ू री बात ये है कक अगर ननय्यत सही कर के इख़्लास ननय्यत के साथ ये काम करता तो ककतना अज्र लमलता, ये अज्र व सवाब
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उस को नहीं लमलेगा यानन होने वाले नफ़ा से भी आदमी महरून रहे गा तो बे ननय्यत की अज्र व सवाब से
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महरूमी और वक़्त व सलादहयत का ज़्याअ दोहरी सज़ा हुई और ग़लत और बुरी ननय्यत करने वाला बद्द ननय्यत आदमी तो ग़लत दटकट ले कर सवार होने वाले की तरह है , िाना तो दे हली है और दटकट
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सहारनपरु का ले कर बस पर बैठ गया तो उसे बे दटकट सफ़र करने का िम ु ातना तो दे ना ही पड़ेगा और
सहारनपुर के दटकट के पैसे मज़ीद बबातद गए, ये तो और भी ख़सारा हुआ। इसी तरह घर और मंस्ज़ल तो है
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अल्लाह की रज़ा और अल्लाह की रज़ा की िगा िन्नत और िन्नत में आमाल पर अज्र व सवाब के वादे
हैं तो अगर आदमी इस की ननय्यत ना करे , नाम व नुमूद, ददखावा और रयाकारी के ललए अमल करे तो
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उस की मेहनत तो ज़ायअ होगी ही, अल्लाह की तरफ़ से ऐसे आमाल पर सज़ा भी लमलेगी हम ने फ़ज़ाइल
आमाल में पढ़ा है कक मैदान मह्शर में सब से पहले तीन लोगों का दहसाब होगा, इस में एक आललम होगा,
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उस से पूछा िाएगा तुझे इल्म ददया गया तू ने उस का क्या हक़ अदा ककया? वो कहे गा इलाही! मैं ने इल्म
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हालसल ककया और बहुत लोगों को पढ़ाया और वअज़ व तक़रीर भी की, हुक्म होगा तू झूटा है ये सब इस ललए ककया कक लोग आललम कहें , सो कहा िा चक ु ा और मुंह के बल िहन्नुम में िाल ददया िाएगा। किर माल्दार को बल ु ाया िाएगा उस से भी सवाल होगा हम ने तझ ु े माल ददया उस में हमारा क्या हक़ अदा ककया? वो कहे गा मैं ने माल, ग़रीबों ज़रूरत मंदों और ख़ैर के कामों में ख़चत ककया, हुक्म होगा झूटा है तू ने ये सब इस ललए ख़चत ककया कक सख़ी कहा िाए, सो कहा िा चक ु ा और मंह ु के बल िहन्नम ु में िाल ददया
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िाएगा। इस के बाद एक शहीद को बुलाया िाएगा उस से भी सवाल होगा, हम ने तुझे िवानी दी थी उस में हमारा क्या हक़ अदा ककया? वो अज़त करे गा, मैं ने तेरे रास्ट्ते में स्िहाद ककया और अपनी िान क़ुबातन कर दी, हुक्म होगा, झट ू ा है , ये सब इस ललए ककया कक शहीद कहा िाए सो कहा िा चक ु ा और उस को मंह ु के बल िहन्नुम में िाल ददया िाएगा, अल्लाह तआला मुआफ़ फ़मातएूँ। तो बे ननय्यती और बद्द ननय्यती
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ककस क़दर महरूमी और बद्द बख़्ती की बात है । चन्द साल पहले ये तक़रीर अपनी बच्ची से बज़्म अमीन की मिललस में मैं ने सुनी थी। ककतनी बार इस तक़रीर ने मुझे ख़बदातर की, बार बार ददल की गेहराई से,
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बस्ल्क रुएूँ रुएूँ से दआ ु ननकली, (، )اْلمدِل الذی ہداان لھذا وماکنا لّنتدی لوَل ان ہداان ہللاमौलाए करीम ने दीन इस्ट्लाम
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में , दावत को हमारा मक़्सदी फ़रीज़ा बना कर ददल ददमाग़ और इल्म व अमल के दरीचे खोलने का कैसा मुबारक ननज़ाम बनाया, िब आदमी दावत की राह में क़दम रखता है और दावत सीखने के ललए पर
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तोल्ता है तो ना लसफ़त उस की अमली स्ज़न्दगी संवती है बस्ल्क उस पर अल्लाह की रहमत से इल्म व
दहक्मत के अिीब व ग़रीब दरीचे खल ु ते हैं इस नो साला बच्ची ने इख़्लास ननय्यत की एहम्यत और बद्द
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ननय्यती और बे ननय्यती के लसस्ल्सले में एक ऐसी लमसाल से बात समझाई िो ना ककसी ककताब में पढ़ी,
कलीद है ।
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टोटकों की भरमार:
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ना ककसी हकीम से इस से पहले सुनी। बबला शुबा दावत स्ज़न्दगी के हर मोड़ और हर मसले के ललए शाह
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बीमारी से ननजात: "या मास्िद"ु ( ) اٰی اما ِج ْد१० बार पढ़ कर शबतत पर दम कर के िो पी ललया करे इन ् शा
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अल्लाह अज़्ज़ व िल ् बीमार ना होगा। जो उमरा के िरवाज़े पर आया: िो उमरा के दरवाज़े पर आया, वो कफ़त्ने में पड़ा, स्िस क़दर उस के नज़्दीक हुआ उतना ही ख़द ु ा तआला से दरू हुआ। ☆ ईमान दो ननस्ट्फ़ हैं। ननस्ट्फ़ सब्र और ननस्ट्फ़ शुक्र है । नज़र कम्ज़ोर नहीिं होगी: ग़स्ट् ु ल करने से पहले पाऊूँ के अंगूठों पर सरसों का तेल मललए। कभी नज़र कम्ज़ोर ना होगी चाहे उम्र सो साल से तिावुज़ कर िाए। रहमतों के साये में : ْ
"या मुक़्तददरु" ( ) اٰی ْمق ات ِد ْر२० बार िो रोज़ाना पढ़ ललया करे गा इन ् शा अल्लाह अज़्ज़ व िल ् रहमतों के Page 56 of 116 www.ubqari.org
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साये में रहे गा। जन्नत का ज़ासमन: स्िस शख़्स ने अपनी ज़बान और शमतगाह को क़ाबू में रखा मैं (मुहम्मद )ﷺउस के वास्ट्ते िन्नत का ज़ालमन होता हूूँ, िो कोई क़ुसूर करे गा उसी से उस का म्वाख़्ज़ह ककया िाएगा। ईमानिार आिमी: के शायान शान नहीं कक अपने आप को ज़लील करे । यानन उस बला में हाथ िाले स्िस के मुक़ाब्ले की उस में ताक़त ना हो। लू का इलाज: अगर लू लग िाए तो पालक कच्ची
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लीस्िये और उसे पीस कर उस में ज़रा सा पानी लमला लीस्िये और इसे पी लीस्िये ऐसा करने से फ़ौरन
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फ़ायदा हालसल होगा।
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लाया अनोखे और लाजवाब टोटके" (म्जल्ि अवल, िोइम) लाइए, आज़मूिह टोटके पाइए। समयािं बीवी की मुहब्बत के सलए ख़ासुल ् ख़ास अमल:
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मज़ीि रूहानी व म्जस्मानी टोटके पाने के सलए आज ही िफ़्तर माहनामा अबक़री से फ़कताब "अबक़री
क़ाररईन! घरे लू ना चाक़ी, लमयां बीवी की मुहब्बत, साल्हा साल बेदटयां माूँ बाप के घर बैठी रहती हैं। अज़ ्
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राह करम! अपने ख़स ु स ू ी तिब ु ातत और मश ु ादहदात में से कोई नक़्श हो वज़ीफ़ा हो या टोटका हो स्िस से
लमयां बीवी की मुहब्बत है रत अंगेज़ तौर पर बढ़ िाए ज़रूर ललखें ! हर्गतज़ ना भूलें। आप ने आज़्माया हो
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या आप के ककसी क़रीबी ने आज़्माया हो बस लसफ़त आज़्माया हुआ ललखें। ककताबों से नक़ल कर के ना
भेिें। आप का ये अमल लाखों करोड़ों के ललए सदक़ा िाररया है । िो लोगों का घर बसाएगा अल्लाह उस
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का और उस की नस्ट्लों का घर आबाद व शाद रखेगा। (एडिटर अबक़री की अपील)
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माहनामा अबक़री दिसम्बर 2015 शुमारा निंबर 114________________pg 43
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क़ाररईन लाए अनोखे और आज़मूिह टोटके: क़ाररईन ने बार बार आज़्माया किर अबक़री के ललए सीने के राज़ खोले और लाखों लोगों की ख़ख़दमत के ललए आप की नज़र में
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आएिं तिंिरु स्ती के राज़ पाएिं: मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! अल्लाह पाक आप को लम्बी सेहत और तंदरु ु स्ट्ती
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वाली स्ज़न्दगी अता फ़मातए और हम िैसे भटके हुओं और गुनहगारों पर आप की शफ़्क़त और दआ ु एं
हमेशा रहें । आमीन सुम्म आमीन। मैं और मेरी वाललदा आप से नेट के ज़ररये बैअत हुए हैं। मेरी आप के
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दसत सुनने और अबक़री पढ़ने के बाद ये ख़्वादहश पूरी हुई कक मैं दस ू रों के काम आ सकूँू क्योंकक अब आप
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के बताए वज़ाइफ़् मैं एस एम ् एस के ज़ररए और कॉल के ज़ररए दस ू रों को बता सकता हूूँ और माशा
अल्लाह बताता भी हूूँ। अबक़री से तअल्लुक़ िुड़ने से पहले मैं बहुत से अमराज़ का लशकार था स्िन सब
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से बड़ा मसला स्ियातन ् और पेशाब के बाद क़तरों और कभी कभी ककसी भी वक़्त क़तरे ख़ाित हो िाते स्िस की विह से नमाज़ रह िाती। एक मततबा अबक़री में अप का आदटत कल "आएं तंदरु ु स्ट्ती के राज़ पाएं" में
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एक नस्ट् ु ख़ा छपा था स्िस के िहाूँ और बेशम ु ार फ़वाइद थे साथ ये दवा पेशाब के बाद क़तरों के ललए भी
लािवाब थी। मैं ने ये नुस्ट्ख़ा बनाया तो इस के लािवाब ररज़ल्ट लमले। िैसे ही मैं ने इस दवा का
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इस्ट्तेमाल शुरू ककया मेरे क़तरों का मसला बबल्कुल ठीक हो गया। नुस्ट्ख़ा दित ज़ेल है :-
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हुवल ्-शाफ़ी:- किटकरी ख़ाम यानन िूल ना करें बस्ल्क अस्ट्ली हालत में १० ग्राम, कबाब चीनी १०० ग्राम
दोनों ननहायत बारीक कर के पीस लें। चौथाई छोटा चम्मच ददन में ४ बार या हस्ट्बे ज़रूरत ६ बार कच्ची लस्ट्सी या पानी के हमराह दें । बस एक एह्त्यात लास्ज़म और ननहायत तवज्िह तलब है इस वक़्त कबाब चीनी की बिाए एक और दवाई है । अस्ट्ली कबाब चीनी की ननशानी ये है कक उस के साथ िंिी होगी ये काली लमचत की तरह के बीि होते हैं अगर िंिी ना हो तो हर्गतज़ हर्गतज़ ना लें। इस दवा के मज़ीद फ़ायदे ये
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हैं:- ददल के मरीज़ों को स्िन्हें दौरा पड़ चक ु ा हो या दौरे के असरात और अलामात हों उन्हें बहुत फ़ायदा हुआ। मैदे के इन्फ़ेक्शन उल्सर, तेज़ाबबयत, झल्ली का सुकड़ िाना या गैस तबख़ीर ने आस्िज़ कर ददया हो, र्ग़ज़ा की नाली िलती रहती हो, ऐसी हालत में ये दवा लािवाब असर रखती है । हाथ पाऊूँ की िलन, सीने की िलन, मैदे की िलन, तबीअत में बेचन ै ी, सांस िूलना वग़ैरा के ललए स्िस स्िस ने आज़्माया
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मफ़ ु ीद पाया। स्िस्ट्म में यरू रक एलसि की ज़्यादती हत्ता कक ऐसे मरीज़ों ने आज़्माया िो यरू रक एलसि को ख़त्म करने की हर दवा से आस्िज़ आ चक ु े थे। यूररक एलसि के मरीज़ों के ललए लािवाब टॉननक। पेशाब
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की बीमाररयों में ये पयामे लशफ़ा से कम नहीं, पेशाब की िलन, क़तरा क़तरा आना, पेशाब की रुकावट,
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हत्ता कक पथरी के ललए भी। पेशाब से पहले या बाद में क़तरा र्गरना। स्िगर के अमराज़, इन सब
अव्वाररज़ात के ललए ये एक ननहायत मुफ़ीद और मुअस्ट्सर दवाई है । मज़ीद ये नुस्ट्ख़ा चालीस बीमाररयों
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आज़्माया है लािवाब पाया है । (मुहम्मद शुऐब, ववहाड़ी) एक महीने में ननकाह हो गया:
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का आज़मद ू ह इलाि है । ये नस्ट् ु ख़ा मैं ने काफ़ी लोगों को ददया है अल्हम्दलु लल्लाह स्िस स्िस ने भी
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मेरी एक दोस्ट्त है उस की मंगनी हुई थी लेककन उस का मंगेतर दस ू री लड़ककयों के चक्कर में था और उस में बबल्कुल भी ददल्चस्ट्पी नहीं लेता था और कोई
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राब्ता उस के घरवालों के साथ नहीं रखता था और मंगनी ख़त्म करना चाहता था। मैं ने अपनी दोस्ट्त को
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बताया कक तुम हर दो घन्टे बाद सात मततबा अज़ान और सात मततबा सूरह मोअलमनून की आख़री चार
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आयात अपने मंगेतर का तसव्वुर कर के पढ़ कर उसे दम कर ददया करो और साथ रूहानी ग़स्ट् ु ल भी बताया। कुछ ही ददन ये अमल ककया था कक वो लड़का बदल गया। लड़ककयों से दोस्ट्ती छोड़ दी और राब्ता करने लगा। मंगनी को काफ़ी अरसा हो गया था लड़के वाले शादी का नहीं बता रहे थे मेरी दोस्ट्त ने सरू ह फ़ानतहा और इख़्लास वाला अमल ककया। यानन अवल व आख़ख़र तीन मततबा दरूद शरीफ़, एक मततबा सरू ह फ़ानतहा और तीन मततबा सरू ह इख़्लास पढ़ें । ये अमल ककसी का ददल नरम करने के ललए भी ककया Page 59 of 116 www.ubqari.org
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िा सकता है और एक दसत में आप دامت بركاتهمने बताया था स्िन लड़ककयों की शादी में रुकावट हो या लड़के वाले तारीख़ ना दे रहे हों या स्िन की शादी ना हो रही हो वो कर सकते हैं और ससुराल वालों को हद्या शरू ु कर ददया एक महीने के अंदर अंदर उन्हों ने ननकाह कर ददया। अल्लाह तआला अब उस को ख़श ु रखे। आमीन। (सारह अफ़्ज़ल)
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या सलाम से इिंटरव्यू में काम्याबी:
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अवल व आख़ख़र दरूद शरीफ़ के साथ सो बार "या सलामु" ( ) اٰی اسل ْمपढ़ना है । इन ् शा अल्लाह हर मक़्सद में काम्याबी होती है । ये मेरा आज़मूदह है । मैं ने कहीं नोकरी के ललए काग़ज़ात िमा करवाए थे, िब उन्हों
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ने इंटरव्यू के ललए बल ु ाया तो मेरे कज़न ने मझ ु े बताया कक िाने से पहले दित बाला अमल कर लेना
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इंटरव्यू िैसा भी हो मगर तुम्हारी िॉब पक्की है । मुझे ये अमल ककसी बुज़ुगत ने बताया है । मैंने इंटरव्यू से
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कुछ दे र पहले ये अमल कर ललया। (ये अमल रास्ट्ते में नहीं करना वहां पोहं च कर करना है ।) मेरा इंटरव्यू
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बबल्कुल भी सही नहीं हुआ मगर चन्द ददन बाद उन का फ़ॉन आ गया कक आप नोकरी पर आ िाएं। इस ا
के इलावा "या सलामु" ( ) اٰی اسل ْمका ववदत अगर हमेशा रखा िाए तो सलामती ख़लु शयाूँ, आकफ़यत, सुकून
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और रोशन मस्ट् ू ह अमल है कक िो कक ु तक़बबल मक़ ु द्दर बन िाती हैं। इस के इलावा मेरा एक आज़मद
चालीस ददनों पर मुश्तलमल है । अगर ननय्यत और तवज्िह से ककया िाए तो चालीस ददन से पहले भी
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काम हो िाता है । अमल ये है :
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ا ا ا ْ َ ) اको इशा की नमाज़ के बाद ْ ّی ْی "अम्मं-य्यि ु ीब-ु ल ्-मज़् ु तरत इज़ा दआहु (अल्नम्मल ६२) ( ِ ال ْمض اط َر اِذا دعاہ ِ ِم
एक तस्ट्बीह पढ़नी है । (शीरीं रह्मान)
शग ु र ख़त्म करने का बेह्तरीन टोटका: मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! यूँू तो शग ु र के बहुत से टोटके हैं मगर िो टोटका आि क़ाररईन के ललए ललख रही हूूँ ये बहुत ही आसान और कमाल का नुस्ट्ख़ा है । शुगर को ख़त्म करने के Page 60 of 116 www.ubqari.org
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ललए घुटनों में लुआब कम हो िाता है । किर बहुत से मज़त हो िाते हैं तो उन अमराज़ के ललए भी ये नुस्ट्ख़ा बहुत नाकफ़अ है । हुवल ्-शाफ़ी: लमट्टी का एक प्याला लीस्िये उस में शाम पांच बिे पानी िाल दीस्िये, इतना पानी िाललये कक उस में सात लभन्िी िालने की गंि ु ाइश हो। अब सात अदद लभन्िी के िंठल (लभन्िी का साइज़ बहुत
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छोटा ना हो) छुरी से दोनों तरफ़ से काट लें। अब िो प्याला पानी में रखा उस में िाल दें , प्याला कफ़्रि में
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रखें। (एक लभन्िी के पांच पीस बनाने हैं, सात लभन्िी के ३५ पीस बनाने हैं। इन ् शा अल्लाह लशफ़ा होगी)
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सुबह को प्याला लें उन लभस्न्ियों को हाथ से अच्छी तरह दबा कर प्याले में ननचोड़ लें और लभस्न्ियों को
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िैंक दें । अब पानी में नमक िाल कर पी लें। छे माह मुसल्सल इस्ट्तेमाल करें , शुगर ख़त्म हो िाएगी।
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अगर घुटनों में ददत होगा तो वो भी ख़त्म हो िाएगा।
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उतारें िंठल के साथ काट लें। बहुत छोटे पीस कर लें।
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नुस्ख़ा शुगर किंट्रोल: ताज़ह बड़े साइज़ के करे ले एक ककलो लीस्िये, उन को धो कर सुखा लें। नछल्के ना
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माहनामा अबक़री दिसम्बर 2015 शुमारा निंबर 114_______________pg45
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धप ू में नहीं छाओं में सुखा लें। पंखे के नीचे बहुत िल्द सूखते हैं। िब सूख िाएं तो हावन दस्ट्ते में कूट कर
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बारीक पीस लें। बड़े साइज़ के ख़ाली कैप्सल ू लें और उस में करे लों का सफ़ूफ़ भर लें। सब ु ह, दोपेहेर, शाम दो कैप्सूल पानी के साथ खाएं स्िन अफ़राद के चेहरे पर दाने ननकलते वो भी इसी तरीक़े से इस्ट्तेमाल करें । एलिी और ख़ाररश के ललए बे हद्द मुफ़ीद हैं। (ज़ककया इक़्तदार, बहावल्नगर) दिमाग़ी काम करनेवालों के सलए आला िजार का सस्ता नुस्ख़ा:
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के दिसम्बर 2015 के एहम मज़ामीन दहिंिी ज़बान में
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एक हकीम साहब ने ननस्ट्यान के ललए एक नुस्ट्ख़ा बनाया है । उन्हों ने फ़मातया कक इस की अफ़ाददयत का पता इस्ट्तेमाल करने के बाद ही मालूम होगा। सोने चांदी और िवाहरात के मुरक्कबात से आप इस को हद्द दिात बेह्तर पाएंगे। क़ीमती ववलायती या दे सी उदय ू ात को इस नस्ट् ु ख़े के सामने हीच तसव्वरु करें गे। हुवल ्शाफ़ी: ब्रह्मी ताज़ह बूटी यानन पुरानी ना हो सात तोला सफ़ूफ़ बना लें , शहद ख़ाललस एक पाव, वक़त नक़्रह
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अस्ट्ली एक दफ़्तरी लमला लें। तरीक़ा इस्तेमाल: छे माशा सब ु ह, छे माशा शाम हमराह दध ू गाये आधा ककलो के साथ खाएं। अगर गाये का दध ू ना लमले तो भैंस का दध ू ही इस्ट्तेमाल करें । बच्चों को तीन तीन
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माशा इस्ट्तेमाल करवाएं। ताललब इल्मों, वकीलों और ददमाग़ी काम करने वाले क्लकत सादहबान के ललए
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आला दिात की कम लागत और कम मेहनत दवा है । नुस्ट्ख़ा वाक़ई बहुत अच्छा है , मैं ने एक दफ़ा थोड़ी सी ताज़ह ब्रह्मी बूटी, लमचत स्ट्याह, तीन दाने के साथ रगड़ कर सुबह ननहार मुंह पी ली थी, ददमाग़ वाक़ई
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बहुत तेज़ हो िाता है । भल ू ी बातें याद आने लगती हैं।
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क़यामत के रोज़ सब से अफ़्ज़ल अमल:
हदीस शरीफ़ में आता है कक िो शख़्स सो मततबा "सब्ु हानल्लादह व बबहस्म्दही" ( ) بُسان ہللا وحبمدهपढ़ ले
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अल्लाह तआला उस के सारे गुनाह बख़्श दे ते हैं, अगरचे वो समुन्दर की झाग से ज़्यादा हों और िो शख़्स
रोज़ाना पढ़े गा क़यामत के ददन कोई उस से अफ़्ज़ल अमल वाला नहीं होगा मगर वो स्िस ने इस लमक़्दार
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या इस से ज़ाइद ये दआ ु पढ़ी। (मुस्स्ट्लम, नतलमतज़ी, ननसाई) मज़ीि: इस दआ ु के बारे में हज़रत इब्न
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अब्बास رضی هللا عنہहुज़ूर नबी करीम ﷺका ये इशातद पाक नक़ल फ़मातते हैं कक िो शख़्स ककसी ददन ये
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कललमात एक हज़ार मततबा पढ़ ले उस ने अल्लाह तआला से अपना नफ़्स ख़रीद कर अज़ाबे इलाही (अज़ाबे ख़द ु ा) से बचा ललया और स्ज़न्दगी के आख़री ददन वो अतीक़ुल्लाह (अल्लाह का आज़ाद ककया हुआ) के लक़ब से मल ु क़ब ् होगा। फ़ायिा: ये बहुत बड़ा फ़ायदा और सआदत की बात है स्िस शख़्स को अतीक़ुल्लाह का लक़ब हालसल हो िाए वो तो काम्याब है इस ललए हमें इस पर अमल करना चादहए। (सोबन अली, लाहौर) Page 62 of 116 www.ubqari.org
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कान के हर मसले का आज़मूिह व यक़ीनी हल: मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मैं ने आप की ककताब "मझ ु े लशफ़ा कैसे लमली?" दफ़्तर माहनामा अबक़री से ख़रीदी, क्या लािवाब ककताब है । इस के तो एक एक सफ़हे पर लाखों का नस्ट् ु ख़ा है । इसी ककताब में से मैं ने एक इलाि पढ़ा, बनाया इस्ट्तेमाल ककया और अल्लाह ने मझ ु े लशफ़ा दे
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दी, वगरना मैं ने तो बहुत इलाि करवाए मगर आराम नहीं आया, लाखों ख़चत कर चक ु ा था। िो लोग कान
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के मसाइल में हैं स्िन को पीप आती हो, सन ु ाई ना दे ता हो, वो इस्ट्तेमाल करें इन ् शा अल्लाह तआला
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अल्लाह लशफ़ा दे गा। नुस्ट्ख़ा ये है । हुवल ्-शाफ़ी: लमल्ठी, हल्दी, सौंफ़ हम्वज़न और काला नमक हस्ट्बे
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ज़रूरत ले कर बारीक कर के छान लें ये िक्की बन िाएगी। आधा चम्मच ददन में तीन बार खाने के बाद स्िन को दायमी नज़्ला ज़ुकाम है , दायमी रे शा है इस्ट्तेमाल करें इन ् शा अल्लाह आराम आ िाएगा एक
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माह मुसल्सल इस्ट्तेमाल करें । (ज़्याउल्हक़)
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िलाइल-उल ्-ख़ैरात पढ़ने का इनआम:
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! आि के दौर में िब हर तरफ़ परे शाननयां ही
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परे शाननयां हैं। माहनामा अबक़री की ख़ख़दमत ना क़ाबबल ए फ़रामोश हैं। अल्लाह इस को तरक़्क़ी अता फ़मातए। आमीन! और आप को लम्बी उम्र व सेहत अता फ़मातए। आप के मुलशतद सय्यद मुहम्मद
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अब्दल् ु लाह हज्वैरी رحمة هللا عليهको ख़ज़ाना ए अशत से ख़ास रहमत अता करे । आमीन।
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बन्दा नाचीज़ काफ़ी अरसे से रूहानी इल्म का ताललब इल्म रहा, काफ़ी वज़ाइफ़् और कुतब पढ़ीं। किर
कहीं से अबक़री के ररसाले पर नज़र पड़ी, तमाम कुतब छूट गईं। तीन साल से पढ़ रहा हूूँ इस की वेब साईट से काफ़ी इल्म का ख़ज़ाना हाथ लगा। बन्दा काफ़ी अरसे से दलाइल-उल ्-ख़ैरात पढ़ता रहा स्िस की बरकत से हुज़रू नबी करीम ﷺका दीदार का शफ़त हालसल हुआ। एक बहुत बड़ा इनआम और ख़श ु कक़स्ट्मती है स्िस की हर मुसल्मान को ख़्वादहश होती है । ररसाले से आप से मुलाक़ात का नंबर ले कर
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फ़ॉन कर के आप से मुलाक़ात का टाइम ललया। िब मुलाक़ात हुई और अपने घरे लू मसाइल बयान ककये, आप ने चन्द वज़ाइफ़् पढ़ने को बताए। अल्हम्दलु लल्लाह! मसाइल काम्याबी की तरफ़ गाम्ज़न हैं। िब से मैं ने आप के ददए वज़ाइफ़् शरू ु ककये हैं मेरे बहुत से मसाइल हल हो चक ु े हैं िैसा कक मेरी बीवी का रवय्या मेरी कम आमदनी की विह से मेरे साथ कुछ अच्छा ना था, हर वक़्त नोक झोंक रहती थी। मगर अब
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ऐसा बबल्कुल भी नहीं है । एक ददन बे चैनी और सख़्त ग़स्ट् ु से के मि ू में िबकक बीवी के साथ थोड़ी तल्ख़ कलामी हुई। मैं ने चार रकअत नमाज़ हाित पढ़ी और हर सज्दे में चालीस दफ़ा आयत करीमा पढ़ी।
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ख़्वाब में अिीब व ग़रीब शकल के इंसान थे, उन को बरु ी तरह मरे हुए दे खा, ककसी का पेट िाड़ ददया गया
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था और ककसी के मुंह से अंतडड़यां ननकाली गयी थीं। िंग का समां था। इसी तरह मैं दरूद ख़ख़ज़्रा बहुत
शौक़ से पढ़ता हूूँ तो कुछ अरसा पहले मुझे ख़्वाब में दीदार ए रसूल अक्रम ﷺहुआ। ख़्वाब में मैं ने आक़ा
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दो िहाूँ हुज़रू नबी करीम ﷺसे अज़त ककया हुज़रू ﷺगस्ट् ु ताख़ी मआ ु फ़ हो, मैं ऊंची आवाज़ में बात करता हूूँ, आप ﷺने फ़मातया ये दरूद पढ़ा करो, आप ﷺके सामने एक प्याला था। उस में लेलमनेशन काित थे
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स्िन पर दरूद शरीफ़ ललखा था। एक काित पकड़ा और मुझे दे ददया। मैं ने कहा हुज़ूर ﷺमैं फ़लां दरूद
पढ़ता हूूँ। आप ﷺने फ़मातया मैं िो तम् ु हें कह रहा हूूँ वो करो। वो दरूद ये था: व सल्लल्लाहु अलٓ
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आएिं टोटके आज़्माएिं और िैलाएिं!
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न्नबीस्य्य उम्मी व आललही। (( ) وصيل ہللا لَع النيب ايم و آلہमुहम्मद ज़ीशान अन्वर)
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मेरे पास चन्द टोटके हैं िो हमारे ख़ान्दानी आज़मूदह
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हैं क़ाररईन की ख़ख़दमत में पेश हैं। १- स्िस आूँख में तक्लीफ़ हो उस के मुख़ाललफ़ पैर के नाख़न ु पर आक का दध ू िाल कर मलें , तक्लीफ़ ख़त्म हो िाएगी। २- पेट बढ़ रहा हो तो सोते वक़्त सरसों का तेल नाफ़ में लगा कर सोएं। ३- सर में शदीद ददत हो रहा हो तो प्याज़ काट कर उस को सूंघें, सर ददत फ़ौरी दरू हो िाएगा। ४- उूँ गललयों के दरम्यानी ख़ला को ददन में दो से पांच बार मसल कर दबाएं, हर कक़स्ट्म के अमराज़ से ननिात पाएं। Page 64 of 116 www.ubqari.org
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(हािी मुहम्मद बबलाल यारोखोसा, िेरा ग़ाज़ी ख़ान)
अबक़री में टोटका सेक्शन का क़्याम
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इस कार ख़ैर में आप भी दहस्ट्सा दार बनें क़ाररईन! बअज़ औक़ात लाइलाि बीमाररयों में िहाूँ बड़ी बड़ी उदय ू ात और महं गे इलाि नाकाम हो िाते
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हैं वहां छोटे छोटे टोटके कारगर साबबत होते हैं स्िन्हें बज़ादहर कोई एह्मयत नहीं दी िाती तो क़ाररईन
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आप मुस्ट्तक़ल बड़े बूढ़ों के वो टोटके सुने या आज़्माए हुए ज़रूर ललखें , अबक़री ने एक टोटका सेक्शन क़ाइम ककया है ता कक मख़्लूक़ की ख़ख़दमत हो और इंसाननयत को नफ़ा पोहं च।े नॉट: ऐसे टोटके भेिें
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स्िन में उदय ू ात का इस्ट्तेमाल ना हो और कहीं ऐसा ना हो कक टोटकों वाली ककताब उठा कर सारे टोटके
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ललख कर भेिें ऐसा हर्गतज़ ना करें । लसफ़त आज़मूदह और सीने का राज़ टोटके ही भेिें।
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के दिसम्बर 2015 के एहम मज़ामीन दहिंिी ज़बान में
शाह ग़ौस ऊच्वी
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के मस् ु तनि रूहानी वज़ाइफ़् :
(अगर कोई आदमी ना हक़ ज़ुल्म करता है या कोई शख़्स बबला विह शरारत कर के तंग करता है और ऐसे लोग अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आते तो उन के ललए ये अमल बहुत मुफ़ीद और मुिरत ब है । इस अमल की बरकत से इन शा अल्लाह तआला ज़ाललम हमेशा हमेशा के ललए ज़ुल्म से रुक िाएगा और
मुम्श्कलात, बीमारी, परे शानी से ननजात:
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ज़ुल्म ना कर सकेगा।)
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अगर कोई शख़्स मुस्श्कलात में िूँस गया हो बीमारी ने घेर ललया हो, घर में कभी कोई बीमार, बीमारी से िान ककसी तौर ना छूटती हो या नार्गहानी परे शानी पैदा होती रहती हो। उस के ललए अवल व आख़ख़र
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दरूद इब्राहीमी चालीस मततबा पढ़ें । इस के बाद सूरह तोबा की आख़री दो आयात तीन सो मततबा पढ़ें । ये अमल चालीस ददन तक बबला नाग़ा करें । नेज़ इस अमल के दौरान हस्ट्बे है लसय्यत सदक़ा व ख़ैरात भी
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बराबर करते रहें । इन शा अल्लाह तआला चालीस ददन के अंदर अंदर ही हालात बेह्तर होते िाएंगे।
मस्ु श्कलात हल होना शरू ु होंगी, बीमाररयां दरू हो िाएंगी और परे शाननयां अज़्ख़द ु ख़त्म होती िाएंगी।
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मुिरत ब अमल है । सूरह तोबा की आख़री आयात ये हैं:- "लक़द् िा-अ कुम ् रसूलु-स्म्मन ् अन्फ़ुलसकुम ्
अज़ीज़ुन ् अलैदह मा अननत्तुम ् हरीसुन ् अलैकुम ् बबल्मुअलमनीन रऊफ़ु-र्-रहीमुन ्० फ़इन ् तवल्लौ फ़क़ुल ्
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हस्स्ट्बयल्लाहु ला इलाह इल्ला हुव अलैदह तवक्कल्तु व हुव रब्बु-ल ्-अलशत-ल ्-अज़ीलम० (तौबा १२७,१२८)
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ْ ٓ ْ ا ْ ا ا َا ْ ا ْ ْ ا ْ ا ْ ا ٓ ٰ ا َا ْ ا ا ا ْ ا ا َا ْ ْ ْ ْ ا ا ٌ ا ِم اا ْن ْفس ْک ْم اعز ْ ٌْی اعلا ْی ِہ ام ا َ ٌ اع ِن َْت ْم احر ْی ٌص اعلا ْی ْک ْم ِاب ْل ْم ْو ِم ِن ْ ا ْی ار ْء ْوف َرح ِْی ٌم ف ِان َتلوا فقَ حس ِيب ہللا َل اِلہ اَِلہو علی ِہ َتَک ِ ْ ِ لقد اجا اءک ْم ار ْس ْولo ت اوہ او ار َب ِ ِ ْ ْ 721،721 ال اْ ْر ِش ال اْ ِظ ْی ِم۔(َتبہ
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शरारती आिमी की शरारत से दहफ़ाज़त:
अगर कोई आदमी नाहक़ ज़ुल्म करता है या कोई शख़्स बबला विह शरारत कर के तंग करता है और ऐसे लोग अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आते तो उन के ललए ये अमल बहुत मुफ़ीद और मुिरत ब है । इस अमल की बरकत से इन शा अल्लाह तआला ज़ाललम हमेशा हमेशा के ललए ज़ुल्म से रुक िाएगा और ज़ुल्म ना कर सकेगा। इसी तरह हालसद शरारत से रुक िाएगा और िो हक़ ना दे ता हो बख़श ु ी राज़ी हक़ दे गा।
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अमल के अवल व आख़ख़र में दरूद शरीफ़ पढ़ें । दरम्यान में सूरह आल ् इम्रान की आख़री आयत को चालीस मततबा पढ़ें । ये अमल मुसल्सल बबला नाग़ा दो माह तक यानन साठ ददन करें और इस दौरान हराम के लक़् ु मे से बचें , हलाल रोज़ी कमाएं और हलाल रोज़ी खाएं। सरू ह आल ् इम्रान की आख़री आयत ये है :याअय्युह-ल्लज़ीन आमनु-स्स्ट्बरू व साबबरू व राबबतू वत्तक़ुल्लाह लअल्लकुम ् तुस्फ़्लहून (आल ् इम्रान २००) ْْ
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اِب ْوا او اراب ْط ْوا اواتقوا ا ) ٰٰی َّْیاا الذ ْ ا ْ ْی ا ام ْنوا ْ ِ اص ْ ِ ِب ْوا او اص (﴾۵۸۸ہللا ل اْلک ْم تف ِل ْح ْو ان ﴿ال معران ِ ِ
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बाँझ औरत के औलाि होना:
अगर कोई शख़्स औलाद से महरूम हो और औरत बाूँझ हो इस के औलाद ना होती हो तो उस के ललए ये
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अमल बहुत मुिरत ब है । इंिीर के दस दाने ले कर धो ले और दरूद शरीफ़ दस मततबा अवल व आख़ख़र और
दरम्यान सूरह वस्ट्समाअ वत्ताररक़ (पूरी सूरत) दस मततबा पढ़ कर इंिीर के दानों पर दम करे और ये दस
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इंिीर के दाने औरत रात को सोते वक़्त खा कर एक पाव दध ू पी ले। ये अमल सत्तर ददन करना है इस
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दौरान औरत दो रकअत नमाज़ सलातुल ् हाित पढ़ती रहे । इस अमल की बरकत से इन शा अल्लाह
पसिंि की शािी:
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तआला बाूँझ पन ख़त्म होगा और औलाद होगी।
अगर कोई शख़्स ककसी मज्बूरी से ककसी ररश्ते में उलझ गया है और चाहता है कक उसी िगा शादी हो तो
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उस को चादहए कक ये अमल करे । इन शा अल्लाह तआला ज़रूर काम्याबी होगी ये अमल बार बार का
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तिुबात शुदह है कभी ख़ता नहीं हुआ। अमल ये है : अवल पाक कपड़े पहन कर उन कपड़ों पर इत्तर गुलाब
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लगाएं, इस के बाद एक सो बार दरूद शरीफ़ पढ़ें , इस के बाद तीन मततबा सूरह यासीन शरीफ़ पूरी सूरह पढ़ें । इस के बाद दो रकअत नमाज़ नस्फ़्फ़ल सलातुल ् हाित की ननय्यत कर के पढ़ें और उसी नमाज़ की िगा पढ़ कर आयत करीमा चालीस मततबा पढ़ें और काम्याबी की दआ ु करें ।
मन पसिंि जगा ररश्ता के सलए:
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अगर कोई शख़्स ककसी ख़ास लड़की से ररश्ता करना चाहता हो और लड़की वाले ररश्ता दे ने से इंकार करते हैं या लड़की राज़ी नहीं है तो उस सूरत में अवल व आख़ख़र ग्यारह ग्यारह मततबा दरूद शरीफ़ पढ़ें और दरम्यान में एक सो बार "या मक़ ु स्ल्लब-ल्क़ुलबू ब क़स्ल्लब क़ल्बहा इलय्या" اا
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ِ قل ا ا َ ُبا ا ْ ِ القل ْو ِب ق ِل ) اٰی ْمق ِل اपढ़ें और स्िस की चाहत ददल में है उस का तसव्वर (ِّل ु करें । ये अमल नमाज़ फ़ज्र के
बाद करें और दस ू री मततबा बाद नमाज़ इशा करें । नाग़ा ना करें । इन शा अल्लाह तआला एक सो बीस ददन
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में ररश्ता हो िाएगा। नािाइज़ करने वाला सख़्त नुक़्सान उठाएगा।
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बद्द समज़ाज औरत या मिर में मुहब्बत पैिा करना:
औरत बद्द लमज़ाि है और बात बात पर शौहर से झगड़ती है , घर में लड़ाई झगड़े का दस्ट्तूर बना रखा है
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िब शौहर थका हारा घर में दाख़ख़ल हुआ उस ने ग़लत बातें शरू ु कर दीं और र्चल्लाना शरू ु कर ददया, या
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शौहर बद्द लमज़ाि है िब भी घर में दाख़ख़ल होता है लड़ाई, झगड़ा, मार पीट शुरू कर दे ता है , औरत को घर
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में ना इज़्ज़त से रखता है ना उस की ज़रूररयात का ख़्याल रखता है । ये अमल बद्द लमज़ाि औरत का
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ख़ावन्द कर ले या बद्द लमज़ाि ख़ावन्द के ललए औरत कर ले दोनों तरह सही होगा। लड़ाई झगड़ा ख़त्म
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और लमयां बीवी में लमसालल मुहब्बत पैदा हो िाएगी। अमल ये है : मीठी चीज़ मसलन चीनी, लमस्री,
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लमठाई, खिूर, अंगूर, शहद या गुड़ पर पढ़ कर दम कर के अगर बीवी बद्द लमज़ाि है तो उस को ख़खला दे या अगर मदत बद्द लमज़ाि है तो उस को ख़खला दे । ये अमल बाद नमाज़ फ़ज्र करें या बाद नमाज़ इशा करें ।
इन दोनों वक़्तों के इलावा ककसी और वक़्त ना करें । ये अमल इक्कीस ददन करना है । अवल व आख़ख़र ْ
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ْ ْ ग्यारह बार दरूद शरीफ़ पढ़ें । "या लतीफ़ु या वदद ू "ु ( ) اٰیل ِط ْیف اٰی اود ْودपढ़ने के दौरान िब एक सो बार ये
कललमात पढ़ ललए िाएं तो उस मीठी चीज़ पर दम कर दें (यानन हर एक सो बार पढ़ कर) लमठाई पर दम
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करना है यानन ग्यारह बार दम करना है । आख़ख़र में ग्यारह बार दरूद शरीफ़ पढ़ें । ये अमल इक्कीस ददन मुसल्सल बबला नाग़ा पाबन्दी के साथ करना है । इस दौरान नमाज़ की पाबन्दी करें । हमल की दहफ़ाज़त का अमल: स्िस औरत का हमल र्गर िाता हो और ठहरता ना हो तो उस के ललए ये अमल बहुत मुिरत ब और तिुबात शुदह है । िब लमट्टी का मटका लेने बाज़ार िाएं तो बा वज़ू िाएं और बा वज़ू मटके को घर लाएं। बग़ैर वज़ू Page 68 of 116 www.ubqari.org
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उस मटके को हाथ ना लगाएं। घर ला कर बावज़ू उस को धो कर पानी से भर दें । सुबह को वो सब पानी िैंक दें । सुबह उठ कर बा वज़ू ताज़ह पानी से दब ु ारह मटका भर दें । इस के बाद बा वज़ू नो मततबा दरूद शरीफ़ पढ़ें और पानी पर िूँू क मारें किर नो मततबा सरू ह इंशक़ाक़ (प३०) पढ़ें और हर मततबा िब सज्दा की आयत पढ़ें सज्दा करें और सूरह ख़त्म करें । िब नो मततबा सूरह पढ़ ली िाए पानी पर दम कर दें । इस के बाद नो मततबा दरूद शरीफ़ पढ़ कर पानी पर दम करें । इस तरह तीन मततबा पानी पर िूँू क मारनी है । िब
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औरत पानी वपए बा वज़ू वपए बग़ैर वज़ू के पानी के मटके को हाथ ना लगाए और ना बग़ैर वज़ू पानी वपए। ये पानी औरत को चार वक़्त वपलाना है । सुबह नमाज़ के बाद, बाद नमाज़ ज़ुहर, बाद नमाज़ असर, बाद
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नमाज़ इशा, इस दौरान औरत नमाज़ की पाबन्दी करे । इन शा अल्लाह तआला हमल क़ाइम रहे गा और
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बच्चा सही और तंदरु ु स्ट्त पैदा होगा।
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सदिर यों में आप के बाल तवज्जह चाहते हैं!
(सददत यों के मौसम में हम चाहते हैं कक बालों को िल्द से िल्द ख़श्ु क कर लें ता कक ठं िक और नमी के असरात से ननिात लमल सके। इस का सब से आसान हल ज़ादहर है कक ब्लो ड्राई है लेककन बालों को ब्लो
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ड्राई करते हुए ये ख़्याल रखें कक ये तक़रीबन ख़श्ु क हो चक ु े हैं।)
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(बीननष ् िंिुआ, इस्ट्लाम आबाद)
मौसम समात के दौरान अक्सर ख़वातीन बाल र्गरने की लशकायत करती ददखाई दे ती हैं। इस का सबब आम तौर से मौसम की तब्दीली और उस के तक़ाज़े हैं। हम चकंू क मौसम के तक़ाज़ों को नज़र अंदाज़ कर दे ते हैं और अपने बालों की दहफ़ाज़त का ख़्याल नहीं रखते, इस ललए बाल कम्ज़ोर हो कर टूटने लगते हैं।
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इन सतूर में आप के ललए कुछ अहत्याती तदाबीर हास्ज़र हैं, स्िन पर अमल कर के आप अपने बालों की खोई सेहत बहाल कर सकते हैं। बालों में तेल लगाएिं: बालों की दहफ़ाज़त के ललए उन में तेल लगाना सददयों पुराना और इंतहाई कारगर नस्ट् ु ख़ा है । लेककन अब बालों में तेल लगाने का ररवाि तक़रीबन ख़त्म हो गया है स्िस के नतीिे में हम बहुत से फ़वाइद से महरूम रह िाते हैं। तेल से ना लसफ़त बालों की कंडिशननंग होती है और उन में क़ुदरती
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चमक आ िाती है बस्ल्क ये बालों से ख़श्ु की का ख़ात्मा भी करता है । ललहाज़ा हमारे हाूँ की बड़ी बदू ढ़यों का
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ये कहना ग़लत नहीं कक तेल लगाने से ददमाग़ को तक़्वीयत हालसल होती है और बाल तेज़ी से बढ़ते हैं।
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यही विह है कक आि के दौर से तअल्लुक़ रखने वाले मादहरीन को भी बालों में तेल लगाने को ज़रूरी
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क़रार दे ते हैं। यूूँ तो अब ब्यूटी सेलोन्ज़ में भी ऑइल रीटमें ट का बा क़ाइदा इंतज़ाम मौिूद है लेककन आप
चाहें तो घर पर ख़द ु ही ये नुस्ट्ख़ा आज़्मा कर तेल की गूना गूं ख़बू बयों से मुस्ट्तफ़ीद हो सकती हैं। सददत यों के
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मौसम में सर की माललश के ललए ज़ैतन ू या नाररयल का तेल बहुत मफ़ ु ीद पाया िाता है और सरसों का तेल भी अगर ख़ाललस हो तो बालों में लगाने के ललए बेह्तरीन साबबत होता है ।
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बाल धोने की अहत्यातें: गो कक बालों की दहफ़ाज़त का उसूल है कक उन्हें रोज़ाना धोया िाए लेककन अगर आप अपने लाइफ़ स्ट्टाइल या बालों की साख़्त, िैसे कक उन के र्चकने होने के बाइस रोज़ाना धोना ज़रूरी
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समझती हैं तो थोड़ी सी अहत्यात के साथ ये काम अंिाम दे सकती हैं। इस के ललए सब से पहले अपने
बालों को अच्छी तरह गीला करें किर ककसी अच्छे ब्रांि का साबन ु या हबतल शैम्पू ले कर उस की मत्लब ू ा
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लमक़्दार सर की स्िल्द पर मलें क्योंकक यहीं सीबम और गन्दगी िमा होती है । इस के बाद ख़ास तौर पर
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ये अहत्यात कक बालों को तेज़ गरम पानी के बिाए क़रे ठन्िे पानी से धोएं। गरम पानी बालों के ललए
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नुक़्सान दह साबबत होता है । इस ललए मौसम ठं िा ही क्यूूँ ना हो बाल धोने के ललए हमेशा हल्का सा गरम या ठं िा पानी इस्ट्तेमाल करें ।
नरमी से ख़श्ु क करें : सददत यों के मौसम में हम चाहते हैं कक बालों को िल्द से िल्द ख़श्ु क कर लें ता कक ठं िक और नमी के असरात से ननिात लमल सके। इस का सब से आसान हल ज़ादहर है कक ब्लो ड्राई है लेककन बालों को ब्लो ड्राई करते हुए ये ख़्याल रखें कक ये तक़रीबन ख़श्ु क हो चक ु े हैं क्योंकक पानी टपकते
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हुए बालों को ड्रायर से ख़श्ु क करना सख़्त नुक़्सान दह साबबत होता है । ताहम बालों को ख़श्ु क करने के ललए उन्हें तोल्या से रगड़ना भी मुनालसब नहीं। इस से बाल रूखे, कम्ज़ोर और दो शाख़ा हो कर टूटने लगते हैं। ललहाज़ा मन ु ालसब यही है कक बालों पर थोड़ी दे र तोल्या लपेटें और किर उन्हें हल्के से थपथपा कर क़ुदरती हवा में क़रे ख़श्ु क होने दें । ड्रायर इस्ट्तेमाल करते हुए उस का नोस्ज़ल बालों से तक़रीबन दो इंच दरू रखें और इस दौरान गोल ब्रश के बिाए र्चपटा ब्रश ही इस्ट्तेमाल करें । नेज़ ब्लो ड्राई करने से पहले
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बालों में हीट प्रोटे स्क्टव (Heat Protective) सीरम या स्ट्प्रे ज़रूर लगाएं। तवज्िह और मुहब्बत भी दें : यूूँ तो बाल हर मौसम में आप की तवज्िह चाहते हैं लेककन सददत यों के मौसम में उन्हें ख़ास तौर से अपनी
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मुहब्बत का मह्वर बनाएं क्योंकक इस ला परवाई ने उन्हें ना क़ाबबल तलाफ़ी नुक़्सान से दो चार कर
सकती है । स्िल्द की तरह हमारे बाल भी ना मोज़ूं लाइफ़ स्ट्टाइल और माहोल्याती असरात से मुतालसर
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होते हैं ललहाज़ा रूखे और कम्ज़ोर हो िाते हैं। बालों की अच्छी सेहत के ललए उन्हें भी र्ग़ज़ाइयत और
क्लेस्न्ज़ंग की ज़रूरत होती है इस ललए अच्छा हबतल शैम्पू और िीप कंडिशनर या िीप कंडिशननंग मास्ट्क
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लगाएं लेककन इस के बाविूद आप के बाल रूखे या बे िान नज़र आएं और बदस्ट्तरू र्गरते रहें तो ककसी
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मादहर अमराज़ स्िल्द या हे यर एक्सपटत से मश्वरा करें ता कक वो आप के बालों और सर की स्िल्द का
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मआ ु इना कर के कोई मन ु ालसब हल आप को तज्वीज़ कर सकें।
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क़ाररईन अबक़री के सलए चिंि ब्यट ू ी दटप्स:
दानों वाली स्िल्द के ललए: १- करे ले िब भी पकाएं तो उस का पानी कभी ज़ायअ ना करें बस्ल्क छान कर
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बोतल में िाल कर कफ़्रि में महफ़ूज़ कर लें और किर उस पानी में बेसन लमला कर स्िल्द पर लगाएं स्िल्द
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ननखरती भी है और दाने भी बैठ िाते हैं ये मेरा आज़मूदह है । २- १/४ चाय वाला चम्मच बेसन, एक चाय
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वाला चम्मच दल्या को अक़त गुलाब में लभगो दें । िब दल्या नरम हो िाए तो बेसन शालमल कर के ५-१० लमनट तक चेहरे पर लगाएं। दाने कभी नहीं ननकलेंगे। गोरी रिं गत के सलए: बहुत पका हुआ अमरूद का गूदा २-३ चम्मच, एक खाने वाला चम्मच सूखा दध ू लमला कर मंह ु पर मास्ट्क लगाएं। चंद ददन ये टोटका इस्ट्तेमाल करने से रं गत ननखरी ननखरी और गोरी हो िाएगी।
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कुहननयों और पाऊूँ के काले ननशानों के ललए: बहुत पका हुआ अमरूद ले कर उसे ब्लेंि करें । दो, तीन चम्मच ले लें उस में तीन, चार केले के नछल्के और एक दो कीनू के नछल्के इन को तवे पर सूखा कर ब्लेंि कर लें किर उन में एक चम्मच मलाई भी शालमल कर लें कुहननयों और पाऊूँ पर मेल से बने काले ननशानों पर लगाएं। इन शा अल्लाह तआला अफ़ाक़ा होगा। बालों के ललए: १- सब्ज़ चाय एक कप में ककस्श्मश २ खाने के चम्मच। तीन कप इस्ट्पग़ोल में इतना पानी िालें कक ये िूल िाए। किर इन तीनों चीज़ों को
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अच्छी तरह ब्लेंि कर के बालों पर लगाएं। बाल चमक्दार हो िाएंगे। २- सेब के लसरके को पानी में लमक्स कर के बालों पर से बहा लें। बाल चमक उठें गे। ३- अगर बाल बढ़ ना रहे हों और मसाम बन्द हो गए हों तो
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तीन तौललयों को पानी में लभगो कर अच्छी तरह ननचोड़ कर एक एक कर के सर पर रखें और ९ लमनट
तक रखा रहने दें और किर तेल लगा लें बाल तेज़ी से बढ़ें गे। ४- बालों की नशो व नुमा के ललए चक़ ु न्दर को
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नछल्कों समेत ब्लेंिर कर के बालों पर लगाएं और १ घन्टे बाद बेसन के पानी से धो लें। (बेसन को सारी
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रात पानी में लभगो दें किर सुबह िो पानी ऊपर आए इस पानी से बालों को धो लें )। हर हाजत पूरी, मेरा आज़मूिह अमल:
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! इस अमल से मुझे िो हाित होती है वो पूरी हो िाती
है । हर फ़ज़त नमाज़ के बाद सज्दे में िा कर अवल व आख़ख़र दरूद शरीफ़ के बाद २१ बार "या ज़ल्िलालल ْ ْ
ا ْ ا
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ا ا वल ्इक्रालम" ( ام ِ اَلک ار ु मांगें क़ुबूल होगी, मेरी रोज़ मरह की िो भी ِ ) اٰیذااْلل ِل وपढ़ें और पढ़ कर िो भी दआ
छोटी छोटी हािात होती हैं वो ज़रूर पूरी होती हैं। (ककश्वर शफ़ीअ)
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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112___________pg18
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Facebook नहीिं! अहल ख़ाना को वक़्त िें और फ़िर सक ु ू न िे खें: (घर की काम्याब स्ज़न्दगी दोनों की बादहलम रज़ा मन्दी, इख़्लाक़, तआवुन, अह्तराम और मुहब्बत से ही
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मुस्म्कन है । अहल ख़ाना को भी चादहए कक मदत के साथ तआवुन करें ता कक वो काम्याबी से घर का ननज़ाम चला सके और घर में सुकून की कफ़ज़ा क़ाइम रह सके)
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दीन इस्ट्लाम मुकम्मल ज़ाब्ता हयात है हमारी मुआशी, मुआलशरती, मादी, इक़्तसादी, इज्तमाई और इंफ़्रादी स्ज़न्दगी का दारोमदार इस्ट्लामी तालीमात पर अमल पैरा होने में है । इंसानी मुआश्रत का
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लसस्ल्सला हज़रत आदम عليہ السالمऔर हज़रत हवा عليہ السالمसे शरू ु हो कर करोड़ों अरबों ख़ान्दानों पर
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मुहीत हो गया। इशातद रब्बानी है: तिम ुत ा: "ऐ इंसानों! तुम सब को अल्लाह ने एक मदत और एक औरत से
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पैदा ककया और तम ु को ख़ान्दान, क़बीला, इस ललए बना ददया कक तम ु एक दस ू रे को पहचान सको"
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(अल्हिरात:१३) औरत और मदत के अज़्दवािी तअल्लुक़ का बेह्तर सतह पर इस्ट्तवार होना पूरे मुआश्रे
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की बक़ा के ललए ननहायत एहम है । इस्ट्लाम ने मदत को औरत की कफ़ालत और उस के साथ मारूफ़ तरीक़े
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से पेश आने का हुक्म ददया है सूरह बक़रह में है "वो (लमयां बीवी) अल्लाह की हुदद ू को क़ाइम रखेंगे"। एक
और िगा इशातद फ़मातया: और उन औरतों के साथ भले तरीक़े से स्ज़न्दगी बसर करो। (अस्ल्नसा १९) मदत
को औरत पर फ़ज़ीलत दी गयी क्योंकक वो कमाता है इस का ये मत्लब नहीं कक वो औरत को अपनी
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िागीर या ज़र ख़रीद लोंिी समझ ले, बीवी को तंग करना, िबरन महर मुआफ़ करवाना, उन के हुक़ूक़
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अदा ना करना, औरतों को तरह तरह की अस्ज़य्यतें दे ना, मारना पीटना, घर से ननकाल दे ना या घर में
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रहते हुए बात चीत बन्द कर दे ना, दस ू रों के सामने ख़ास कर बच्चों के सामने गालम गलोच करना, मारना पीटना वग़ैरा ये मदत के ललए क़तअन िाइज़ नहीं। मदत पर इस्ट्लाम दित ज़ेल स्ज़म्मा दाररयां बीवी के हवाले से आइद करता है ।★मदत बीवी के साथ बतरीक़ अह्सन तअल्लुक़ ननभाए। ★बीवी की मुआशी ज़रूररयात परू ी करे । ★तफ़रीह के िाइज़ मवाकक़अ फ़राहम करे । ★बीवी के अज़ीज़ व अक़ारब का अह्सान ् मन्द रहे और उन्हें इज़्ज़त व एह्तराम दे । ★अज़्दवािी मुआम्लात में अदल व तवाज़ुन क़ाइम रखे। ★औलाद की
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तालीम व तबबतयत के ललए बीवी से मुशाववरत करे । शौहर और बीवी एक दस ू रे का ललबास हैं स्िस तरह ललबास सतर पोशी करता है उसी तरह लमयां बीवी एक दस ू रे के ललए पदात, ज़ीनत और राहत हों। बीवी की िासस ू ी करना, बह ु तां तराशी करना, उस की ग़ैर मौिद ू गी में लोगों के सामने उस की बे इज़्ज़ती करना मदत को ज़ेब नहीं दे ता। नबी करीम ﷺका ये इशातद बड़ा दहक्मत ख़ेज़ है । "औरत टे ढ़ी पस्ट्ली से पैदा हुई है , अगर तुम इस को
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सीधा करने की कोलशश करोगे तो तोड़ िालोगे, इस ललए इस किी के बाविूद इस से फ़ायदा उठाते रहो।"
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(बुख़ारी ककताब अल ्अंब्या)
इस लसस्ल्सला में मुझे एक वाक़्या याद आ रहा है कहीं पढ़ा था कक ककसी महकफ़ल में एक मदत ने कहा
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"औरत ज़ात बड़ी शरीर होती है " उसी महकफ़ल में एक हास्ज़र िवाब औरत ने फ़ौरन िवाब ददया: "औरत मदत की पस्ट्ली से पैदा हुई है िब कक मदत की एक पस्ट्ली के अंदर इतनी शरारत मौिद ू है बाक़ी स्िस्ट्म का
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क्या हाल होगा" अगर औरतें घरे लू कफ़ालत के साथ साथ मुआशी कफ़ालत का बाइस भी हों तो ये उन का क़वी हक़ है कक शौहर उन के आराम व सक ु ू न, तआम और उस की ज़रूररयात का ख़्याल रखे। घर के काम
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काि में बीवी की मदद करे । आूँहज़रत ﷺअपनी पौशाक मुबारक ख़द ु धो लेत,े पेवन्द लगा लेते, बकरी का दध ू धो लेते, ग़ज़त ये कक वो अपने काम ख़द ु अपने मुबारक हाथ से करते। औरत को अच्छा ललबास
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और अच्छी ख़ोराक दे ना मदत की स्ज़म्मा दारी है । िैसा ख़द ु खाए वैसा उसे ख़खलाए। उस के चेहरे पर कभी ना मारे । अगर तकत तअल्लुक़ करे तो लसफ़त घर में करे अपनी औलाद और बीवी के हुक़ूक़ अह्सन तरीक़े से
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पूरा करे । औरत को अपनी ज़ाती कफ़ालत के ललए स्ितनी रक़म ज़रूरी है शौहर की स्ज़म्मा दारी है कक
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अपनी इस्ट्तताअत के मुताबबक़ नान व नफ़्क़ा अदा करे । मदत को चादहए कक वो कफ़रऑन ना बने, घर में
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अपनी बीवी और बच्चों से हुस्ट्न सलक ू से पेश आए, घर की काम्याब स्ज़न्दगी दोनों की बादहमी
रज़ामन्दी, इख़्लाक़, तआवन ु , एह्तराम और मुहब्बत से ही मुस्म्कन है । अहल ख़ाना को भी चादहए कक मदत के साथ तआवन ु करें ता कक वो काम्याबी से घर का ननज़ाम चला सके और घर में सक ु ू न की कफ़ज़ा क़ाइम रह सके िो कक एक पुर अम्न मुआश्रे की बक़ा के लोए ननहायत एहम है । (दहरा रमज़ान, अख़्तर आबाद)
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मसला ख़ास की तरफ़ तवज्िह! मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! अल्लाह पाक आप को और आप की तमाम नस्ट्लों को ख़श ु और आबाद रखे। मैं एक मसले की तरफ़ क़ाररईन की तवज्िह ददलाना चाहती हूूँ िो आि कल हर घर में आम है । एक तो ये कक घरों से दीन लमटता िा रहा है । पहले घर के बड़े बज़ ु ग ु त शाम या रात में
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तमाम घर वालों को ले कर बैठते थे और अल्लाह और उस के रसूल ﷺकी बातें बताते, दीनी मसले मसाइल सम्झाते थे स्िस की विह से ख़ान्दान इस बहाने लमल िुल कर बैठता था और सब लोग इकठे
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हो िाते थे मगर अब इस की िगा मोबाइल, टी वी, इंटरनेट, फ़ेसबुक और वाट्स एप िैसी फ़ुज़ूल चीज़ों ने ले ली है । ख़ान्दान का हर फ़दत इन्फ़रादद तौर पर अपने अपने मोबाइल पर मसरूफ़ गुफ़्तुगू रहता है ।
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तमाम दन्ु या से राब्ते में रहते हैं, दरू बैठने वालों को तस्ट्वीरें भेिी और मंगवाई िाती हैं मगर घर में रहने वाले अफ़राद के बारे में ख़बर नहीं कक उन को कोई तक्लीफ़ है या परे शानी है । बअज़ शादी शुदह हज़रात
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शादी शद ु ह होते हुए भी इंटरनेट पर दोस्स्ट्तयां बढ़ाते हैं, बीवी पास बेठी शौहर के दो मीठे बोल सन ु ने को तरस रही होती है और शौहर फ़ेसबुक पर ककसी अज्नबी से हं स हं स कर बातें चैट कर रहा होता है । इन
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चीज़ों की विह से हमारे मआ ु श्रे में घरे लू हालात ददन ब ददन कशीदा होते िा रहे हैं। तलाक़ की श्रह् बढ़ती िा रही है । ऐ काश के लोग किर से अपने अहल ख़ाना को वक़्त दे ना शुरू कर दें । मैं बअज़ औक़ात सोचती
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हूूँ कक लोग अपनों को छोड़ कर ग़ैर अज्नबबयों को वक़्त दे कर ककतना घाटे का सौदा करते हैं। कभी अपनों के साथ बैठ कर चंद बातें कर के तो दे खें आप की बे चैन रूह को ककतना सुरूर आए गा कक कभी
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आप फ़ेसबुक का फ़ेस भी नहीं दे खेंगे। मोहतरम हज़रत हकीम साहब मेरा नाम शायअ ना कीस्ियेगा।
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समज़ाज में बेह्तरी और वसाववस ् िरू :
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरी बहन (अ) की ससुराली ररश्तेदार हद्द दिात तेज़ है , उस ने घर में िो फ़साद िालना शरू ु कर ददया था, हमें तो ख़तरा था कक कहीं (अ) कुछ कर ही ना ले। वो (अ) को हमारे बारे में भी इतना वहम में िालती, छोटी छोटी बातों पर उस को ख़ब ू रुलाती। (अ) हम बहनों से भी बद्द ज़न हो गयी थी। हम ने आप को ख़त ललखा तो आप ने अवल व आख़ख़र तीन मततबा दरूद शरीफ़, एक बार सूरह फ़ानतहा और तीन मततबा सूरह इख़्लास पढ़ कर (अ) को दम करने का कहा। हम ने
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यही अमल चालीस ददन तक ककया तो काफ़ी बेह्तरी नज़र आई, (अ) हम से घुल लमल सी गयी, शक्ल व सूरत भी काफ़ी बेह्तर हो गयी है । अब वो ससुराली ररश्तेदार कुछ अपने मसाइल में ऐसी उल्झी है कक उस की तवज्िह (अ) से बबल्कुल हट गयी है और उस के घर में सक ु ू न आ गया है । (च, ग़)
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मत ु वाज़न ु ग़ग़ज़ा से भरपरू लड़कपन, जवानी और शान्िार बढ़ ु ापा: (ये वो दौर होता है िब आप अपने सरापे पर बहुत ज़्यादा तवज्िह दे ने लगते हैं और अपने चेहरे का दस ू रे
(मशकूरुरत ह्मान)
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बदलते हैं।)
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अफ़राद के चेहरों से मवाज़्ना करते हैं। इसी तरह आप के ललबास में फ़ैशन के अंदाज़ और रं ग ढं ग भी
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लड़कपन में र्ग़ज़ा के मुआम्ले में दो बातें एहम होती हैं। मअयार और लमक़्दार। लड़कपन और बलूग़त का दौर इंसानी स्िस्ट्म में ननहायत एहम तब्दीललयों का दौर होता है । नो से अठारह साल के लड़के और
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लड़ककयां इस उम्र में ही तब्दीललयों के असरात से गुज़रते हैं। इसी दौर में हॉमोंज़ की सतह में तब्दीली से
स्िस्ट्म की नशो व नुमा बेह्तर अंदाज़ में होती है ताहम हॉमोंज़ की तब्दीली से कभी कभार मसाइल भी
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खड़े हो िाते हैं। मसलन इस दौरान अक्सर नोिवानों के चेहरे पर कील दाने और मुहासे उभर आते हैं और लमज़ाि में तब्दीली आ िाती है । ऐसे में कभी कभी तो आप बहुत अच्छा महसूस करते हैं और ख़श ु ी से
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िूले नहीं समाते और कभी कभी आप पर ग़मगीन कैकफ़य्यत तारी हो िाती है आप को ऐसे लगता है िैसे
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आप का चेहरा पुरकलशश नहीं रहा। ये वो दौर होता है िब आप अपने सरापे पर बहुत ज़्यादा तवज्िह दे ने
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लगते हैं और अपने चेहरे का दस ू रे अफ़राद के चेहरों से मवाज़्ना करते हैं। इसी तरह आप के ललबास में
फ़ैशन के अंदाज़ और रं ग ढं ग भी बदलते हैं। यही उम्र होती है िब आप मुख़्तललफ़ ककताबें और रसाइल दे खते हैं और पढ़ते हैं इस उम्र में सब से ज़्यादा स्िस चीज़ की आप को ज़रूरत महसस ू होती है वो मुतवाज़ुन ख़ोराक है । स्ितना मुस्म्कन हो सके मुख़्तललफ़ अज्ज़ा पर मुश्तलमल र्ग़ज़ाओं का इस्ट्तेमाल करें िब ही आप अपने स्िस्ट्म में होने वाली हॉमोंज़ की तब्दीललयों के मुज़र असरात से बच सकेंगे। अक्सर नोिवानों की र्ग़ज़ाई आदात वाललदै न को परे शानी में मुब्तला कर दे ती हैं। मसलन नाश्ता ना Page 76 of 116 www.ubqari.org
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करना, वज़न कम करने वाली र्ग़ज़ा खाना या उस के बरअक्स ज़्यादा हरारे दार मुग़न त व शीरीं या फ़ौरी तय्यार होने वाली र्ग़ज़ाएूँ, फ़ास्ट्ट फ़ूड्ज़ का शौक़ व रग़बत से इस्ट्तेमाल। नोिवानों की ज़रूरत र्ग़ज़ा ज़्यादा और इश्तहा बढ़ िाती है क्योंकक लड़कपन में हरकत व फ़आललयत उरूि पर होती है । आइन्दा स्ज़न्दगी की तय्यारी और तंदरु ु स्ट्ती का दार व मदार भी इसी दौर की र्ग़ज़ा पर है। मुनालसब र्ग़ज़ा से लड़कपन की नशो व नम ु ा भी मन ु ालसब रहती है । ये नशो व नम ु ा इस क़दर ज़्यादा होती है िो मास्ट्वा
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ज़माना शीर ख़्वार्गत के ककसी और ज़माने में नहीं होती।
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लड़कपन में स्िस्ट्मानी नशो व नुमा या बलूग़त की तकमील होती है । इस दौरान स्िस्ट्म को ख़ब ू
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र्ग़ज़ाइयत चादहए। इस उम्र के लड़कों में अज़्लात पट्ठों और हड्डियों की नशो व नुमा में इज़ाफ़ा होता है ।
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लड़ककयों को २१०० से २२०० और लड़कों को २८०० तक हरारों की ज़रूरत रोज़ाना होती है । बबल ्उमूम ये
कहा िा सकता है कक लड़कपन में इसी क़दर र्ग़ज़ा की ज़रूरत है स्िस क़दर सख़्त स्िस्ट्मानी मेहनत कश
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की यानन २५०० से ३००० हरारे रोज़ाना भी हो सकते हैं। बेहर हाल इस का इनह्सार स्िस्ट्मानी फ़आललयत पर है । फ़ुट बॉल खेलने वाले लड़कों को चार हज़ार हरारे रोज़ाना की ज़रूरत पड़ सकती है यानन लड़कपन
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में सेहत की बहाली और बढ़ोतरी और नशो व नम ु ा ग्रोथ के ललए इन अज्ज़ा का ख़्याल रखना चादहए। प्रोटीन: प्रोटीन से आप के स्िस्ट्म को तवानाई लमलती है , ये गोश्त, मछली, बादाम, अख़रोट, दालों, दध ू ,
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दही और पनीर में होते हैं। काबो हाइड्रेट्स: इस में शक्कर और ननशास्ट्ता ये दोनों शालमल हैं। शक्कर:इस से स्िस्ट्म में क़ुव्वत व बालीदगी पैदा होती है । ये सफ़ेद चीनी, राब, शहद, लमठाइयां, कफ़रनन, खीर, पुडिंग
और हल्वा इन के इलावा गन्ना और दस ू रे शीरीं िल, िैम िेली और मुरब्बा िात भी शक्कर के ज़म्रे में
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ही आते हैं, ख़श्ु क मेवा िात में ककस्श्मश, खिूर और इंिीर का शुमार भी शक्कर ही की कक़स्ट्म में होता है ।
ननशास्ट्ता: इस से स्िस्ट्म में हरारत और एनिी पैदा होती है । दाल, चावल और मुख़्तललफ़ अनािों में
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ननशास्ट्ता अच्छा ख़ासा मौिूद होता है । सेवय्याूँ , मैदा, बेसन के पकवान, आलू, अरवी, शक्कर क़न्द वग़ैरा भी ननशास्ट्ता के ज़म्रे में आते हैं। बअज़ र्ग़ज़ाओं में ननशास्ट्ता व शक्कर मुश्तरक तौर पर पाए िाते हैं िैसे मीठे चावल, कफ़रनन, खीर, पडु िंग और हल्वा वग़ैरा। रे शादार र्ग़ज़ाएूँ: अच्छी सेहत के ललए र्ग़ज़ाई रे शे की बड़ी एह्मयत है ख़ास तौर पर लड़कपन में र्ग़ज़ाई रे शा पर मुश्तलमल र्ग़ज़ाओं के इस्ट्तेमाल से हज़म का ननज़ाम चस्ट् ु त रहता है । र्ग़ज़ाई रे शे के इस्ट्तेमाल से ख़न ू में कोलेस्ट्रोल की सतह भी कम रहती है
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के दिसम्बर 2015 के एहम मज़ामीन दहिंिी ज़बान में
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क्योंकक ये र्ग़ज़ा में शालमल रहने वाली फ़ास्ज़ल र्चकनाइयों को ख़ब ू िज़्ब कर के उन्हें ख़न ू में शालमल होने से रोकता है । सस्ब्ज़याूँ, अनाि, पनीर, बादाम, अख़रोट, िल र्ग़ज़ाई रे शे के अच्छे ज़ररये हैं। मआ ु ललिीन रोज़ाना ददन में तीन सस्ब्ज़याूँ और दो िलों के इलावा बे छने आटे की रोटी खाने का मश्वरा दे ते हैं। िलों में आम तौर पर आड़ू, कीनू, मौसमी, माल्टा, सेब, बही और केले ज़्यादा खाए िाते हैं। र्चकनाई वाली र्ग़ज़ाएूँ: आप के स्िस्ट्म को थोड़ी र्चकनाई की भी ज़रूरत पड़ती है । इस ललए र्चकनाई
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वाली र्ग़ज़ाओं का इस्ट्तेमाल भी ज़रूरी है मगर इस की लमक़्दार ज़्यादा नहीं होनी चादहए। वरना ये ना लसफ़त आप की चबी बढ़ा कर मोटा करें गी बस्ल्क ददल पर भी इस के मुज़र असरात मरतब होंगे। र्चकनाई
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वाली र्ग़ज़ाओं में मक्खन, पनीर, दध ू , गोश्त, कुछ सॉस और फ़्राइि फ़ूड्ज़ शालमल हैं। ववटालमन:
ववटालमन ऐसे कीमयाई मादे होते हैं स्िन का र्ग़ज़ा में मुनालसब लमक़्दार में होना बहुत ज़रूरी है वरना
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सेहत में फ़क़त आ िाता है इस की विह ये है कक ववटालमन स्िस्ट्म के अंदर बहुत कम लमक़्दार में पैदा होते
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हैं चन ु ाचे र्ग़ज़ा में इन की इतनी लमक़्दार होनी चादहए स्िस से सेहत क़ाइम रखी िा सके। िँसी, िानों से म्ज़न्िगी भर के सलए ननजात:
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरे पास एक नुस्ट्ख़ा है िो मैं क़ाररईन अबक़री के ललए हदया कर रही हूूँ। हुवल-शाफ़ी: नर कचरू हकीमों से लमल िाता है, इस को पीस कर बारीक रख लें ,
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अक्सर बच्चों और बड़ों को पीप वाले दाने ननकलते हैं, पीप वाले दानों की बहुत तक्लीफ़ होती है , अगर नर कचरू सब ु ह व शाम चौथाई चाय वाला चम्मच पानी से एक माह तक खा लें तो इन शा अल्लाह आइन्दा
िन्ु या कैसे ताबबअ हुई?
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और बेह्तरीन है । (ि, र)
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स्ज़न्दगी भर के ललए इन से ननिात लमल िाएगी। ये नस्ट् ु ख़ा मेरी बहन ने बताया था उस का आज़मूदह
मोत के वक़्त लसकंदर बादशाह से लोगों ने पूछा, आप ने इस थोड़ी सी स्ज़न्दगी में ककस तरह पूरी दन्ु या को ताबबअ ककया। लसकंदर कहने लगा: लसफ़त दो कामों से। पहला ये कक दश्ु मनों को मैं ने मज्बरू कर ददया कक वो मेरे दोस्ट्त बन िाएं और मैं ने दोस्ट्तों को हर्गतज़ नहीं छोड़ा कक कहीं वो मेरे दश्ु मन ना बन िाएं। स्ज़न्दगी खाने के ललए नहीं: हकीम िालीनस ू से लोगों ने पछ ू ा कक कौन सी र्ग़ज़ा बदन को दरु ु स्ट्त करती
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है ? उस ने कहा कक भूक। और ये भी कहते थे कक खाना स्ज़न्दगी के ललए ना कक स्ज़न्दगी खाने के ललए। भाइयों के साथ दश्ु मनी: िो शख़्स भाइयों के साथ दश्ु मनी करे वो भाई बन्ने के लाइक़ नहीं है ।
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(सलीमल् ु लाह सम ू रो, कंडियारो)
माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112____________pg 20
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हासमला ख़वातीन के सलए इल्हामी नुस्ख़ा! बच्चा उम्र भर तिंिरु ु स्त:
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(ये इल्हामी नुस्ट्ख़ा दो साल से मेरे पास है । यही नुस्ट्ख़ा बच्चों को इस्ट्तेमाल करवाया, स्िन बच्चों को कांच
ननकलने का मज़त था इसी तरह से हाथों को रानों के दरम्यान में रखवाया उन बच्चों का बग़ैर दवा के ये मज़त
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ख़त्म हो गया, बच्चों की क़ब्ज़ ख़त्म हुई, िो ख़वातीन घट ु नों के ददत का लशकार हैं वो ये नस्ट् ु ख़ा इस्ट्तेमाल
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करें ।) (ज़ककया इक़्तदार, बहावल्नगर)
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आि एक ख़ातून से मुलाक़ात हुई, उन्हों ने कुछ वाक़्यात बताऐ। एक इल्हामी नुस्ट्ख़ा बताया। यही नुस्ट्ख़ा
ला तअदाद अफ़राद को राक़मा ने बताया। इस नस्ट् ु ख़े को इस्ट्तेमाल करने के फ़वाइद लमले। अबक़री के
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हवाले ये नुस्ट्ख़ा है । वो बताती हैं कक कभी कभी उन्हें क़ब्ज़ का मसला हो िाता था। एक रोज़ असर का वक़्त था, बरवक़्त नमाज़ अदा करने की आदत थी लेककन बाथ रूम िाना ज़रूरी भी था। यूूँ बाथ रूम पोहं च गयी।
लेककन कुछ ऐसी शदीद तक्लीफ़ हुई, वो बताती हैं कक मुझे यूूँ लगता था कक मेरी मोत वाकक़अ हो िाएगी।
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मोत के बाद लोग मुझे ककस हाल में यहाूँ से उठाएंगे यहाूँ तो कल्मा भी नहीं पढ़ सकती। इस से बड़ी बद्द
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नसीबी क्या होगी? िगा भी ऐसी है मदद के ललए भी पुकारा नहीं िा सकता। यही सोचा कक अचानक
अल्लाह ने ज़ेहन में एक तरीक़ा िाल ददया कक ऐ मेरी बन्दी अपने हाथों को वपंिललयों और रानों के दरम्यान में रख लो और इस तरह रखो कक हाथों का उल्टा दहस्ट्सा वपंिललयों की तरफ़ हो और हथेली रानों की तरफ़ और अपना वज़न हाथों पर दो अभी मुस्श्कल आसान हो िाएगी। वाक़ई अल्लाह की मदद आई और चंद सेकंिज़ में इस बड़ी मस ु ीबत से ननकल गयी वरना तो मैं अपना िनाज़ा ही दे ख रही थी। सदक़ा ख़ैरात ककया, ٰ
शुक्र अदा ककया। बाहर आ कर ये दआ ु पढ़ी।( ) وجَْ خْی معری اخرہ وخْی معيل خواتیمہ خْی اٰیيم ویم القال فیہ۔और करना Page 79 of 116 www.ubqari.org
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के दिसम्बर 2015 के एहम मज़ामीन दहिंिी ज़बान में
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बेह्तरीन उम्र मेरी आख़री दहस्ट्सा इस का और बेह्तरीन अमल मेरा वपछले अमल और सब से बेह्तर मेरे ददनों का वो ददन स्िस में तझ ु से लमलूं। (मनािात मक़्बूल लसफ़हा ४०) ये इल्हामी नुस्ट्ख़ा दो साल से मेरे पास है । यही नुस्ट्ख़ा बच्चों को इस्ट्तेमाल करवाया, स्िन बच्चों को कांच ननकलने का मज़त था इसी तरह से हाथों को रानों के दरम्यान में रखवाया उन बच्चों का बग़ैर दवा के ये मज़त ख़त्म हो गया, बच्चों की क़ब्ज़ ख़त्म हुई, िो ख़वातीन घुटनों के ददत का लशकार हैं वो ये नुस्ट्ख़ा इस्ट्तेमाल
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करें । ददत में अफ़ाक़ा होगा। स्िन ख़वातीन को हमल हो चक ु ा था उन्हें ये नस्ट् ु ख़ा इस्ट्तेमाल करवाया। ररज़ल्ट
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सो फ़ीसद रहा, ख़वातीन हमल से हैं वो ये इल्हामी नुस्ट्ख़ा इस्ट्तेमाल करें । हुवल-शाफ़ी: कीकर की गोंद एक
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पाव लें इस को दो र्गलास पानी में हुवल ्-शाफ़ी कह कर लभगो दें और सुबह को पतीली में िाल कर धीमी आंच
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पर पकाएं, गोंद घुल िाए तो पतीली को चल् ू हे से उतार लीस्िये। ठं िा होने के बाद छलनी में छान कर शीशे के िार में िाल कर कफ़्रि में ठं िा कर के रख दें । इस्ट्तेमाल करने का तरीक़ा: सुबह ननहार मुंह एक कप दध ू या
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चाय में एक कप िालें और पी लें। गलमतयों में ठं िा पानी पी लें एक लीमों ननचोड़ लें , चीनी हस्ट्बे ज़रूरत िालें
और पी लें। एक माह में एक पाव गोंद इस्ट्तेमाल करें । ज़्यादा भी कर सकती हैं। गोंद के इस्ट्तेमाल से बच्चे की
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नशो व नम ु ा बहुत ही अच्छी होती है । गोंद के इस्ट्तेमाल से बच्चे में क़ुव्वत मद ु ाकफ़अत पैदा होती है । नो माह
ये नुस्ट्ख़ा इस्ट्तेमाल करें स्ज़न्दगी भर मामूल बना लें तो स्ज़न्दगी की आम बीमाररयां नज़्ला, खांसी, सर ददत ,
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कमर ददत , एअसाबी थकन गोंद का इस्ट्तेमाल तमाम बीमाररयों को चस ू लेता है । िड़ से ख़ात्मा करता है ।
बच्चे की पैदाइश का वक़्त (ददत ज़ह) हो तो आधा पाव गोंद पानी में पका कर तीन मततबा दध ू में िाल कर वक़्फ़े वक़्फ़े से वपला दें । है रत अंगेज़ तौर पर बच्चे की नामतल पैदाइश होगी। दस ू रा नुस्ट्ख़ा: कीकर की छाल
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दो ककलो ले लें, इस को तीन ककलो पानी में पकाएं, िब पानी दो ककलो रह िाए तो पहले उस को चल् ू हे से उतार लें। ठं िा हो िाए तो इस की छाल ननकाल कर िैंक दें और इस के पानी को छान लीस्िए, गलमतयों में
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कफ़्रि में रख कर इस्ट्तेमाल करें ददन में तीन र्गलास पानी पीएं। अगर इस दौरान मोशन हो िाएं तो चावल की ख़खचड़ी नछल्के वाली मूंग की दाल िाल कर पकाएं और इस को साथ खाएं। दस ू री बार कभी मोशन नहीं होंगे। महीने में एक बार ये ख़खचड़ी खा ललया करें तो आने वाला नो मोलद ू पेट की तमाम बीमाररयों से महफ़ूज़ रहे गा। याद रख़खये स्िस ददन ख़खचड़ी खाएं उस रोज़ दो नस्फ़्फ़ल पढ़ें ख़ब ू र्गयात व बका करें हस्ट्बे तौफ़ीक़ सदक़ा दें । छाल का पानी पीने से बच्चे की हड्डियां बहुत मज़्बत ू होंगी। बच्चे को घट्ट ु ी दे ने के फ़ौरन
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बाद ड्रॉपर भर कर उसे एक एक क़तरा तीन मततबा वपलाएं, ये अमल मुसल्सल िारी रखें। बच्चा तीन माह का हो िाए तो फ़ीिर में छाल का पानी लें चीनी िालें , सुबह, दोपेहेर, शाम तीन तीन खाने का चम्मच वपला दें । इन शा अल्लाह बच्चा हमेशा ननमोननया से महफ़ूज़ रहे गा, उसे पेट की कोई बीमारी नहीं होगी। दांत बहुत िल्द बग़ैर तक्लीफ़ के ननकालेगा। कीकर की िललयां स्िन में बीि ना पड़ा हो कच्ची हों को छाओं में सुखा कर पाउिर बना लें। िब बच्चा दांत ननकाले तो पाउिर में शहद लमला कर बच्चे के मसढ़ ू ों पर अच्छी तरह माूँ
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अपनी ऊूँगली से मले, किर बच्चे को पानी वपला दे । ददन में तीन बार ये अमल करे । रात को भी, इस के फ़वाइद िब लमलेंगे तो यक़ीन करना मुस्श्कल होगा। हमल के दौरान दांतों में हमेशा कीकर की लमस्ट्वाक करें
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इस का फ़ायदा लसफ़त एक ख़ातून का बता रही हूूँ। उस ख़ातून की बीस साल क़ब्ल ननगाह कम्ज़ोर हो गयी
और ऐनक लग गयी। उन्हों ने भरोसे से लसफ़त दो साल लमस्ट्वाक सुबह व शाम की। दांतों के मज़त तो ख़त्म हुए
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मसलन पाइयोररया था, के िब्ल्यू टी थी ख़त्म हो गयी। ननगाह अल्लाह ने इतनी तेज़ कर दी कक ऐनक उतर गयी। ये सब नबी करीम ﷺकी सुन्नत पर अमल करने की विह से हुआ। वो कसरत से आप ﷺपर
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दरूद व सलाम भेिती रहती थी। बच्चों को लमस्ट्वाक करना लसखाएं, अपने दांतों से पहले लमस्ट्वाक को नरम
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करें किर बच्चों को बताएं कक लमस्ट्वाक ककस तरह करते हैं। बच्चों को दांतों के अस्ट्पताल में पोहं चाने वाली
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उन की माएूँ हैं। बच्चों को तंदरु ू को ु स्ट्त रखें हमेशा उन्हें लमस्ट्वाक का इस्ट्तेमाल करवाएं। सत्तर साला ख़ातन
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दे खा स्िन के दांत ननहायत मज़्बूत और चमक्दार थे उन्हों ने सारी स्ज़न्दगी लसफ़त लमस्ट्वाक की थी।
हे पटाइदटस ए, बी, सी के सलए अक्सीर नुस्ख़ा:
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हुवल ्-शाफ़ी: तुख़्म कास्ट्नी ३० ग्राम, िड़ कास्ट्नी ३० ग्राम, कास्ट्नी के पत्ते ३० ग्राम, कलौंिी पांच ग्राम।
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तमाम अश्या को कूट छान कर सफ़ूफ़ बना लें। ख़ोराक: आधी चम्मच सुबह व शाम शबतत कास्ट्नी या
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शहद ख़ाललस एक चम्मच एक र्गलास पानी में लमक्स कर के इस्ट्तेमाल करें । कास्ट्नी एक ऐसी बा बरकत बूटी है स्िस की अफ़ाददयत के बारे में इशातद होता है कक "स्िस ने कास्ट्नी खा ली और सो गया उस पर िाद ू और ज़ेहर भी असर नहीं करता, किर फ़मातया: तम् ु हारे ललए कास्ट्नी मौिद ू है ऐसा कोई ददन नहीं गज़ ु रता कक िब िन्नत के पानी के क़तरे इस पौदे पर ना र्गरते हों। अत्तबा क़दीम ने िन्नत के पानी वाली बात
को इतनी एहलमयत दी कक कास्ट्नी के पत्ते िब भी ककसी दवाई में इस्ट्तेमाल ककये िाएं तो उन को धोया नहीं िाता। िदीद तहक़ीक़ से पता चला है कक िब इन पत्तों को धो ललया िाए तो ये बूटी असर नहीं Page 81 of 116 www.ubqari.org
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के दिसम्बर 2015 के एहम मज़ामीन दहिंिी ज़बान में
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करती। इस ललए कक कास्ट्नी के पत्तों को धोना नहीं चादहए। कास्ट्नी हे पटाइदटस का शाफ़ी इलाि है और चंद ददन ही खाने से हे पटाइदटस का िड़ से ख़ात्मा हो िाता है । (हकीम फ़ारूक़ चढ़वे वाला) माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112_________________ pg23
फ़फ़टनेस और जवानी पाने के ९ राज़:
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(इस राज़ को पाने के ललए मुहम्मद शाह रं गीला ने आग्रह से काबुल तक हफ़्तों का सफ़र घोड़े पर ककया। वहां एक अज़ीम साइंस दान लमला उस ने ये राज़ ददया, यूूँ ये राज़ पुरानी क़ल्मी (हाथ की ललखी) ककताब
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से बहुत तलाश व तहक़ीक़ के बाद मैं ने पाया।)
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क़ाररईन! आप के ललए क़ीमती मोती चन ु कर लाता हूूँ और छुपाता नहीं, आप भी सख़ी बनें और ज़रूर ललखें (एडिटर हकीम मुहम्मद ताररक़ महमूद मज्ज़ूबी चग़ ु ताई)
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ना क़ीमत, ना रक़म, ना ख़चात, बबल्कुल मुफ़्त और करना इतना आसान िैसा कक लुक़्मा तोड़ना। १) ऐसा करने से कभी ऐनक ना लगे। २) कभी सर ददत और टें शन ना हो। ३) कभी ददमाग़ी कम्ज़ोरी और याद्दाश्त
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ख़त्म ना हो। ४) कभी चेहरे पर झुररत यां और वक़्त से पहले बुढ़ापा ना हो। ५) कभी रं गत स्ट्याह ना हो,
हमेशा ताज़्गी हुस्ट्न व िमाल और ख़ब ू सूरती बुढ़ापे तक रहे । ६) घुटनों का ददत ना हो, कमर का ददत
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बबल्कुल क़रीब ना आए। ७) घंटों काम करने से भी ना थकें और बबल्कुल तर व ताज़ह रहें । ८) िवानी,
शबाब, ताक़त और क़ुव्वत हमेशा बाक़ी रहे । ९) स्िस्ट्म ना झुके, कमर बल ना खाए, ददल के दौरे से
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महफ़ूज़ रहें , दहम्मत, ताक़त, क़ुव्वत िवाब ना दे । इस राज़ को पाने के ललए मुहम्मद शाह रं गीला ने
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आग्रह से काबुल तक हफ़्तों का सफ़र घोड़े पर ककया। वहां एक अज़ीम साइंस दान लमला उस ने ये राज़
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ददया, यूँू ये राज़ परु ानी क़ल्मी (हाथ की ललखी) ककताब से बहुत तलाश व तहक़ीक़ के बाद मैं ने पाया, अब
वो कफ़टनेस और हसीन िवानी का ये राज़ अपने लाखों, करोड़ों मुहब्बत और अक़ीदत करने वालों को दे ना चाहता हूूँ। क्या आप लेना चाहते हैं? एक ऐसा सवाल है स्िस की तलाश में लाखों लोग सर गरम हो गए हैं कौन नहीं चाहता घर बेठे बबठाए सेहत, तंदरु ु स्ट्ती, कफ़टनेस और हक़ीक़ी कमाल एक पल में लमल िाए। आख़ख़र ककस की चाहत नहीं? कक मैं उन काम्याब लोगों में हो िाऊं स्िन की स्ज़न्दगी क़ाबबल ए रश्क और स्िन की ज़ादहर सेहत शान्दार और अंदरूनी सेहत िान्दार हो। Page 82 of 116 www.ubqari.org
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एक बाबा िी लमले ना कमर झुकी हुई, ना लाठी थामी हुई, ना पाऊूँ घसीट कर चल रहे , उन की हड्िी पस्ट्ली बबल्कुल ठीक, उन के मुंह में दांत, उन के पेट में आंत, वो सेहत के शाहकार थे। लमलन्सार, ख़श्ु बद ू ार, ख़द ु ही कहने लगे मेरी सेहत का राज़ ये है मैं ने हमेशा रात को सोते हुए अपने पाऊूँ के तल्वों को लसफ़त पांच लमनट ददए हैं, मैं चोंक पड़ा, समझ नहीं आई, मैं ने ठं िी सांस भरते हुए मुतलाशी नज़रों से उन्हें दे खा तो फ़मातने लगे अभी सम्झा दे ता हूूँ। बस तेल लें कोई सा भी हो, ज़ैतन ू का सरसों का तारा मीरा, दे सी
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घी, हल्का सा हाथ पर लगाएं और पूरे पाऊूँ की ख़ास तौर पर तल्वों की चंद लमनट माललश करें , इस तरह दोनों पाऊूँ की माललश कर के आप तसल्ली से सो िाएं उस रात की नींद उस रात का सुकून, और उस रात
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के बाद सुबह उठने के बाद स्िस्ट्म का हल्का िुल्का होना और साब्क़ा रातों का आप म्वाज़ना कर लें आप
को ख़द ु एह्सास होगा। कहने लगे: मेरे वाललद की नसीहत थी कक बेटा हमेशा बड़ों के पास बेठना, अपने से
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छोटों के पास ना बेठना, बड़ों के पास बैठोगे, राज़, नसीहत, वसीयत तिुबातत मुशादहदात और मोती
लमलेंगे। मैं अभी छोटा ही था बड़े बूढ़े बेठे थे। बात चल पड़ी तेल लगाने की, एक बाबा िी ने बताया मेरे
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गम ु ान के मत ु ाबबक़ उस वक़्त उन की उम्र ७५ या ८० से ज़्यादा होगी और इस वक़्त मैं ख़द ु ७८ साल का हूूँ।
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बाबा िी अपने तिुबातत बताते हुए महकफ़ल की तरफ़ मुतवज्िह हुए और कहने लगे कक मैं आप सब से
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सेहत मन्द हूूँ, शायद मैं आप सब से बड़ा हूूँ किर तमाम अहल महकफ़ल स्िस में छे सात सब बढ़ ू े बैठे थे
अपनी उम्रों का म्वाज़ना करने लगे पता चला कक वाक़ई बाबा िी सब से बड़े हैं लेककन है रत अंगेज़ तौर पर
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सब से सेहतमन्द हैं। बाबा िी ख़द ु ही कहने लगे कक मेरी स्ज़न्दगी का राज़ ये है कक मझ ु े माूँ ने हमेशा पाऊूँ के तल्वों पर तेल लगवाया पहले तो मुझे समझ ना आई अम्माूँ ऐसा क्यूूँ करती है? िब मैं ने शऊर में
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क़दम रखा तो माूँ ने बताया बेटा अगर तू अपनी स्ज़न्दगी में पाऊूँ के तल्वों को सोते वक़्त तेल मल्ता रहा
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तो तुझे ये नो राज़ लमलेंगे। बाबा िी कहने लगे ये नो राज़ तो बताने के हैं मुझे तो वो राज़ लमले हैं कक मैं
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आप को बताऊूँ आप ख़द ु शमात उठें गे कक बुढ़ापे में बाबा िी िवानी की बातें करते हैं। मैं ने अपनी वाललदा को (बाबा िी ने तमाम बढ़ ू ों को ख़झंझोड़ते हुए कहा) हमेशा अपने पाऊूँ की और अपनी औलाद के पाऊूँ के तल्वों को तेल लगाते हुए दे खा और मेरी वाललदा का खाना छूट िाए स्ज़न्दगी का कोई काम इधर से उधर हो िाए पर ये अमल बहुत एतमाद और एह्तमाम से करती थीं और इस अमल में मैं ने वाललदा को बहुत
कुछ पाते और बहुत कुछ लेते दे खा।
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क़ाररईन! एक छोटा सा अमल स्िस पर क़ीमत कुछ नहीं लगती वक़्त बबल्कुल नहीं, मुशक़्क़त नाम की चीज़ नहीं तो क्या ख़्याल है ये छोटा सा अमल आप को ककतनी बड़ी मुशक़्क़तों, बीमाररयों तक्लीफ़ों बुढ़ापे की माज़रू रयों और बढ़ ु ापे की ग़ल ु ालमयों से बचा दे गा। आप की उम्र सो साल से ज़्यादा हो, आप बबल्कुल यक़ीन और ऐनुल्यक़ीन से ये बात लोगों को बता सकते हैं कक मेरी स्ज़न्दगी के राज़ों में िो राज़ है वो लसफ़त पाऊूँ के तल्वों पर सोते वक़्त तेल, तेल और तेल है । एक स्ट्यासी आदमी िो मल् ु क के मशहूर हैं, मझ ु े लमले
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अपनी नींद, टें शन, परे शानी, ज़ेहनी उल्झनें , ग़स्ट् ु सा, झुंझलाहट, उक्ताहट और परे शननयों का हाल बयान ककया। मैं ने उन्हें लसफ़त यही टोटका बताया उन का बार बार इसरार था कक कोई दवाई बताएं, मैं ने उन्हें
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अज़त ककया आप इस से पहले ख़द ु बहुत ज़्यादा दवाएं इस्ट्तेमाल कर रहे हैं इतनी बड़ी दवाओं के बाद अब
आप को ककसी और दवाई की हर्गतज़ ज़रूरत नहीं आप लसफ़त और लसफ़त यही दवाई यानन तेल वाला टोटका
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इस्ट्तेमाल करें इन शा अल्लाह आप को इस के बाद और ककसी दवाई की हर्गतज़ हर्गतज़ ज़रूरत नहीं पड़ेगी। बड़ी मुस्श्कल के बाद उन्हें मेरी बात समझ आई तो मान गए, मानने के बाद कुछ ही माह गुज़रे थे
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मल ु ाक़ात हुई, कहने लगे पहले पहल तो मैं ने बे यक़ीनी से ये अमल ककया और कभी कभी छोड़ भी दे ता
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था लेककन बे यक़ीनी से ककया हुआ अमल वाक़ई मुझे ताक़त, तासीर और बहुत फ़ायदा दे गया और मुझे
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एह्सास हुआ कक मैं एक है रत अंगेज़ ताक़त और फ़ायदा और तासीर पा चक ु ा हूूँ। अब मेरी हालत बदल गयी है , ज़ेहन उस की उल्झनें , लमज़ाि तबीअत और तमाम कैकफ़य्यात बहुत ज़्यादा बदल कर और मैं
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एक पहले से ज़्यादा नामतल और सेहत मन्द इंसान बन गया हूूँ। आप ज़रूर बताएं बस्ल्क अस्ट्सेम्ब्ली के
इज्लास में िब भी मुझे लाहौर िाना होता है और बहुत से लोगों को मैं ये बताता हूूँ। स्ितनों ने भी ककया
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सूरह नास पढ़ी और सब ठीक:
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सब ने नफ़ा और फ़ायदा पाया क्या कमाल की चीज़ है , मैं आप का ननहायत मश्कूर हूूँ।
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! कल रात एक अिीब बात हुई, मैं अपने बबस्ट्तर पर सो रही थी कक अचानक मझ ु े महसस ू हुआ कक मेरे स्िस्ट्म की हरकत ख़त्म हो गयी और एक मझ ु े बहुत तेज़ हवा सी महसूस हुई िो नीचे से मेरे ऊपर आ रही थी। समझ नहीं आया कक वो क्या थी? मुझे अिीब लगा, मैं हरकत कर नहीं पा रही थी, किर मैं ने कल्मा पढ़ा तब कुछ फ़क़त महसस ू हुआ मगर वो हवा ना गयी,
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के दिसम्बर 2015 के एहम मज़ामीन दहिंिी ज़बान में
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किर मैं ने सूरह नास पढ़ी और वो कैकफ़य्यत फ़ौरन ख़त्म हो गयी और मेरी सांस में सांस आई। (न-अ, कराची) माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112___________pg24
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ससुराली झगड़ों से ननजात का गारें टी शुिह अमल:
ससुराली झगड़ों और मसाइल से ननिात का नायाब व मुिरत ब अमल, ख़वातीन इस अमल से अपना
(नईमल् ु हसन ्, लाहौर)
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मज ु रर ब अमल बा ख़बर रूहानी:
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साथ ऐसा मुआम्ला पेश आए कक उस के ससुराल वाले उस की इज़्ज़त ना करते हों।)
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मसला हल कर सकती हैं, गारें टी शुदह है । ससुराल में लोग ख़ब ू इज़्ज़त से पेश आएूँगे। अगर ककसी के
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ये अमल नई आने वाली ककताब तस्ट्ख़ीरात व अमललयात की रूहानी दन्ु या दहस्ट्सा अवल से दे रहा हूूँ िो पढ़े गा वो इस अमल को कर सकता है । ये अमल इस्ट्तख़ारह के ललए है । मंदिात ज़ेल इस्ट्तख़ारह ख़द ु ककया,
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दोस्ट्तों और ज़रूरत मन्दों को बताया बड़ा ज़ोद असर और वज़ाहत से िल्द ही बाख़बर
करता है । मदत तरीक़ा पर दो नस्फ़्फ़ल इस्ट्तख़ारह अदा कर के रोज़ाना चार ज़ानू बैठ कर अपने मक़्सद का
तसव्वुर कर के एक सो एक मततबा पढ़ें । इन शा अल्लाह तीन रोज़ में ख़्वाब में हल मालूम होगा। अमल: ْ
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"या हफ़ीज़"ु ( ) اٰی اح ِف ْیظतीन मततबा "या बदीउ" (َْ ) اٰی اب ِد ْیतीन मततबा "या बदीअ-ल ्-अिाइबब बबल्ख़ैरर या बदीउ"
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ْ اا ْا ا ا (َْ ْی اٰی اب ِد ْی ِ ِِْ ِاب ِ )ٰیب ِدیَ الَْائतीन मततबा अवल व आख़ख़र दरूद शरीफ़ ग्यारह ग्यारह मततबा पढ़ें और उसी िगा
सो िाएं, बबस्ट्तर पाक साफ़ होना चादहए।
मख़्लूक़ को मेहरबान करने के ललए: िो शख़्स रोज़ाना हर नमाज़ के बाद सो मततबा पढ़े वो तमाम दन ु ेवी आफ़तों से महफ़ूज़ रहे गा और तमाम मख़्लूक़ उस पर मेहरबान होगी। वो इस्ट्म ये है: "या रहीमु" () اٰی ارح ِْی ْم। इिाज़त आम है ।
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के दिसम्बर 2015 के एहम मज़ामीन दहिंिी ज़बान में
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बीवी को बा ह्या और बा पदात बनाने का अमल: इन कललमात को एक सो पच्चीस मततबा अवल व आख़ख़र दरूद शरीफ़ तीन तीन मततबा पढ़ कर श्रीनी पर दम कर के बीवी को ख़खलाएं। इन शा अल्लाह बा पदात हो िाएगी। कललमात ये हैं: "शदहदल्लाहु अन्नहू ला इलाह इल्ला हुव वल्मलाइकतु व उल-ु ल ्इस्ल्म क़ाइमम ् बबस्ल्क़स्स्ट्त ला इलाह इल्ला हुव-ल ्अज़ीज़ु-ल्हकीमु (आल इम्रान १८) ْ
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ْ )شھ اد (ہللا ان ٗہ َل ا ِٰل اہ اَِل ْہ او اوال املٰ ٓ ِئکۃ او اولوا ال ِْل ِم قا ِئًًۢا ِابل ِق ْس ِط َل ا ِٰل اہ اَِل ْہ او ال اْ ِز ْ ْْی اْلاک ِْی ْم ِ
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बद्द इख़्लाक़ शौहर या बीवी की इस्ट्लाह का अमल: कललमात: "या रह्मान कुस्ल्ल शैइन ् व रादहमहू" ْ َ ا
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ٰ ْ ) اٰی ار। सफ़ेद रे शम के टकड़े पर मश्क व ज़ाफ़रान से ये कललमात ललख कर नाम मअ वाललदा ْ لک (یش ٍء او ار ِامِحا ٗہ ِ مِح ان ु ु
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िाएगी।
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ललखें और उस घर में ककसी पाक िगा दफ़न कर दें । इन शा अल्लाह इख़्लाक़ में दरु ु स्ट्तगी आना शुरू हो
शौहर या बीवी को राह रास्ट्त पर लाने का अमल: इस अमल को मदत के इलावा औरत भी कर सकती है
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अगर बीवी को शौहर ख़चात ना दे उस को अच्छा ना सम्झे और बुरा भला कहता हो तो औरत को चादहए इस अमल को इिाज़त ले कर अमल को शुरू करे अगर बीवी को राह रास्ट्त पर लाना हो या शौहर को
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रास्ट्त पर लाना हो तो दित ज़ेल आयत को इक्तालीस मततबा ग्यारह ददन ककसी खाने या पीने की चीज़ पर
दम कर के ख़खलाएं। इन शा अल्लाह बहुत िल्द काम्याबी होगी। वो आयत ये है ।: क़ुल ्-ल्ला यस्ट्तवव-ल ्तुस्फ़्लहून (अल्माइदा) ْْ
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ख़बीसु वत्तस्य्यबु व लौ अअिबक कस्रतु-ल ्-ख़बीलस फ़त्तक़ुल्लाह याउलल-ल ्-अल्बाबब लअल्लकुम ्
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ِ اول ْو اْع اب ا ْ ا کک ا َ ْ ْ ا ْا ْ الط َی (﴾۸۸۸وّل اَل ل ٰب ِِ ل اْلک ْم تف ِل ْح ْو ان ﴿المائدہ ِ ث ۚ فاتقوا ہللا ٰٰی ِ ْثۃ اْ ِبی ِ ) قَ َل یست ِوی اْ ِبیث و।
िल्द शादी का अमल: ये अमल शादी के ललए तहरीर ककया िा रहा है और अगर लड़ककयों की शादी में ये
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अमल कारगर है । इस अमल का कसरत से ववदत करते रहने से लड़ककयों की शादी के मुआम्ले में मुस्श्कलात दरू हो कर आसाननयां पैदा होती हैं एक दस ू रा तरीक़ा ये है की पांच सो बार बाद अज़ नमाज़ इशा अवल व आख़ख़र दरूद शरीफ़ सात सात मततबा पढ़ें । अमल की मुद्दत इक्कीस या इक्तालीस यौम तक ْ
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है । अमल ये है : "या लतीफ़ु या हलीमु" ( ) اٰیل ِط ْیف اٰی اح ِل ْی ْمऔरत या लड़की ख़द ु करे ।
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शादी के ललए मुिरत ब इस्ट्तख़ारह का अमल: इस अमल को वो लड़की या औरत स्िस की शादी या ननकाह का मसला है वो सोने से क़ब्ल दो रकअत नस्फ़्फ़ल पढ़ें और सलाम के बाद अवल व आख़ख़र दरूद शरीफ़ ग्यारह ग्यारह मततबा के साथ ३८२ मततबा अमल "इय्याक नअबद ु ु व इय्याक नस्ट्तईन।ु ا ا
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ک ن ْْ ْبد او ا َِٰی ا ) ا َِٰی ا। किर बात ककये बग़ैर सो िाएं। ْ ْ ِْ ک ن ْست (ْی
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ससुराली झगड़ों से ननजात का गारें टी शुिह अमल:
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मसला हल कर सकती हैं, गारें टी शुदह है । ससुराल में लोग ख़ब ू इज़्ज़त से पेश आएूँगे।
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ससुराली झगड़ों और मसाइल से ननिात का नायाब व मुिरत ब अमल, ख़वातीन इस अमल से अपना
आगर ककसी के साथ ऐसा मुआम्ला पेश आए कक उस के ससुराल वाले उस की इज़्ज़त ना करते हों।
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तआने दे ते हों या बरु ा रवय्या रखते हों तो दित ज़ेल कललमात को पांच सो मततबा रोज़ाना अवल व आख़ख़र
दरूद शरीफ़ ग्यारह ग्यारह मततबा के साथ पढ़ें । कललमात ये हैं:- "या बदीअ-ल ्अिाइबब बबल्ख़ैरर या बदीउ"
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ْ ) اٰی ابد ْی اَ ْال اْ اَائ ْ ا। ( َْ ْی اٰی اب ِد ْی ِ ِِْ ِاب ِ ِ
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घरे लू मसाइल का इिंसाइक्लो पेडिया:
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बालों का टूटना और उन का इलाज
आि कल बालों का टूटना, र्गरना और बालों की कम्ज़ोरी आम लशकायत में से एक है इस की विह रं ग
बरं गे केलमकल लमले शैम्पू और हे यर िाई होने के साथ साथ तेल ना लगाना भी है , लड़ककयों में आि कल
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बालों को रूँ गने के ललए पॉलतर िा कर मस्ट्नूई केलमकल से बने हे यर िाइज़ ् से बाल िाई करवाना फ़ैशन बन
गया है । वक़्ती तौर पर तो बाल अच्छी "लुक" दे ते हैं मगर किर बाद में बालों का िो हाल होता है वो अपनी
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असल रं गत भी खो दे ते हैं और उन में रूखापन आ िाता है आि आप को बालों की ख़ब ू सूरती के मत ु अस्ल्लक़ और उन की सेहत के ललए चंद टोटके बताती हूूँ: घेक्वार का पोदा बहुत आम है , दो तीन इंच का एक टुकड़ा ले कर उस में से गूदा ननकाल लें उस गूदे को बालों की िड़ों में अच्छी तरह लगा कर मस्ट्साि करें और दो घंटे तक लगा रहने दें किर बाल धो लें बाल धोने के ललए वपसे हुए रीठे इस्ट्तेमाल करें हर कक़स्ट्म के शॅम्पूज़ का इस्ट्तेमाल बन्द कर दें , गीले बालों में कभी भी कंघा ना करें ख़श्ु क होने दें किर
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आदहस्ट्तगी से कंघा या ब्रश करें । ये अमल हफ़्ते में दो मततबा करना है , दो माह के बाद आप अपने बालों को िाूँदार, ख़ब ू सूरत, लसल्की और लम्बे होते हुए महसूस करें गी। इस से बालों की नशो व नुमा में इज़ाफ़ा होता है । ख़श्ु की दरू होती है सरसों के तेल में चौथाई दहस्ट्सा कैस्ट्टर ऑइल लमला कर रख लें ये बालों के ललए बेह्तरीन तेल है । इस से बाल घने ओर लम्बे हो िाते हैं।
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अमराज़ से लशफ़ा: अश्शाफ़ी ( )الشافي: इस इस्ट्म में बीमाररयों से लशफ़ा पाने की ख़ास तासीर है इस के ज़ाककर को अल्लाह
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तआला हर ऐब व नुक़्स व मज़त से महफ़ूज़ रखता है अगर मरीज़ पर ४३ बार ये इस्ट्म पढ़ कर दम करें तो वो मरीज़ लशफ़ा पाता है । दआ ु ये है : अल्लाहुम्म अन्त-श्शाफ़ी ला लशफ़ाअ इल्ला लशफ़ाउक या अल्लाहु
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लशफ़ाअन ् ला युग़ाददरु सक़मन ् वला अलमन ्।
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اِف َلشفا اء اَِل شفائْ ا ْ ک اٰی )الل ْھ َم ان ا (ہللا ِشفائً َلیْغا ِد ْر اسق ًما اوَل الما ِ ِ ْ ِ ت الش
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ْ ا َالرق ِْی: اइस इस्ट्म के ज़ाककर पर अल्लाह तआला अपनी बे पनाह बरकतें नास्ज़ल फ़मातता है । (बहवाला: ِ
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माहनामा अबक़री स्िल्द नंबर ५)
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||अबक़री की साबबक़ा फ़ाइलों से मोती चन ु ें :
घरे लू ना चाकक़यों, ररज़्क़ की तंगी, परे शाननयों से ननिात के ललए और सददयों से छुपे सदरी राज़ों और
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नतब्बी मालूमात से मुकम्मल तौर पर इस्ट्तेफ़ादह के ललए अबक़री के गुज़श्ता सालों के तमाम ररसाला िात मस्िल्द दीदा ज़ेब फ़ाइल की सूरत में दस्ट्तयाब हैं। ये ररसाला िात आप की नस्ट्लों के ललए रूहानी,
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स्िस्ट्मानी, नफ़्स्ट्याती मुआललि ् साबबत होंगे।
क़ीमत फ़ी स्िल्द ५००/- रूपए इलावा िाक ख़चत||
माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112____________pg26
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बच्चे ने आयत-अल ्-कुसी पढ़ी! िाकू रक़म वापस कर गए: (हाककम की ये अिीब व ग़रीब बात सुन कर तमाम लोग परे शान हो गए। नो िवान ककसान स्िस ने अपने बूढ़े बाप को मकान की छत वाले कमरे में छुपा रखा था घर आ कर अपने वाललद से कहने लगा: आि हाककम ने हुक्म ददया है कक सब राख का रस्ट्सा बना कर लाएं। भला राख से भी ककसी ने रस्ट्सा
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बनाया है ) (बच्चों का लसफ़हा)
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ये एक सददत यों की स्ट्याह रात थी। तारीकी और ख़ामोशी अपनी हदों को छू रही थी। हवा के झक्कड़ पत्तों को दहलाते और दरख़्तों को झक ु ाते हुए गज़ ु र िाते। बाहर की हर चीज़ िमने लगी। लोग अपने घरों के
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महफ़ूज़ कमरों में सो रहे थे। ऐसा ददखाई दे ता था कक लम्बी सदत रात ने वक़्त को िमा ददया है । र्गदत व
न्वाह में एक सड़क के क़रीब परु इसरार नक़ल व हरकत थी। चार साए वपस्ट्तौल हाथ में पकड़े हरकत कर
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रहे थे वो आपस में सरगोलशयों में बात कर रहे थे। वो एक माल्दार तास्िर के घर पोहं च गए। अब वो अंदर िाने के रास्ट्तों के बारे में सोचने लगे। घर के अंदर िाने के रास्ट्तों के बारे में सोचने लगे। घर के अंदर
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हम्ज़ा, उन की माूँ, उन की बीवी और बच्चा अब्दल् ु लाह िाकुओं से बे ख़बर चैन की नींद सो रहे थे। एक िाकू ने दीवार िुलांर्ग और दस ू रे सार्थयों के ललए दरवाज़ा खोल ददया। िाकुओं ने ख़ामोशी के साथ उस
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कमरे के सामने अपनी िगहें मुक़रत र कर लीं स्िस में हम्ज़ा का ख़ान्दान सो रहा था। उन्हों ने दरवाज़े को तोड़ा और कमरे में दाख़ख़ल हो गए। हम्ज़ा का ख़ान्दान िटी िटी ननगाहों से िाकुओं को दे खने लगे। एक
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िाकू ने सख़्त आवाज़ में उन्हें चप ु रहने के ललए कहा। ख़ामोशी के ये चंद ना क़ाबबल बदातश्त लम्हे थे। एक
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करख़्त आवाज़ दब ु ारह उभरी। अगर ककसी ने मदद तलब की तो उसे इस की सज़ा भुगतनी पड़ेगी। किर
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सरदार ने हुक्म ददया कक क़ीमती अश्या िमा करें । हम्ज़ा ने एक िाकू से कहा: ये तम ु ग़लत कर रहे हो
तुम्हें ऐसा नहीं करना चादहए ख़द ु ा का ख़ौफ़ करो। िवाबन िाकू ने अपनी बंदक़ ू हम्ज़ा की कनपटी पर रख दी और दहाड़ कर कहा "ख़ामोश" उस ख़ौफ़नाक मंज़र ने तमाम घर के अफ़राद में ख़ौफ़ पैदा कर ददया। हम्ज़ा का बेटा ख़ौफ़ के आलम में अपनी माूँ का बाज़ू पकड़ कर खड़ा था। उस का छोटा सा ज़ेहन अपने ख़ान्दान पर बीतने वाली मुसीबत का अहाता नहीं कर सकता था। वो है रान था कक उस के घर में दाख़ख़ल होने वाले और हर चीज़ ले िाने वाले ये कौन लोग हैं? वो रोने लगा और अपने वाललद से पूछा: "बाबा ये Page 89 of 116 www.ubqari.org
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गन्दे लोग कौन हैं?" उस के वाललद ने िवाब ददया: मेरे प्यारे बेटे! ये चोर हैं, ये इंसानों का ख़्याल नहीं रखते, ये सुन कर िाकू हं स पड़े और िाने के ललए मुड़।े अब्दल् ु लाह बोला: बाबा लेककन दादी अम्माूँ ने मुझे बताया था अगर मैं सोने से पहले आयत-अल ्-कुसी पढ़ लूँ ू तो कोई बरु ाई हमारे घर में दाख़ख़ल नहीं होगी और अल्लाह तआला हमें अपनी दहफ़ाज़त में ले लेगा। बाबा मैं ने सोने से पहले आयत-अल ्-कुसी पढ़ ली थी। ये सब कुछ क्यूँू हो रहा है । ये बरु े लोग हमारे घर में कैसे दाख़ख़ल हुए। क्या अल्लाह तआला ने हमें
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अपनी दहफ़ाज़त में नहीं ललया। ये सवाल इतनी मासूलमयत से ककया गया था कक िाकुओं के सरदार के पाऊूँ िम गए। एक ख़ौफ़ स्िसे वो पहले कभी नहीं िानता था उसे ला हक़ हो गया। वो कांपने लगा, पसीने
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से शराबोर हो गया िैसा कक वो ककसी अनदे खी क़ुव्वत के क़ाबू में हो। वो बोझल क़दमों के साथ
अब्दल् ु लाह के क़रीब पोहं चा और पूछा: "क्या तुम आयत-अल ्-कुसी िानते हो" अब्दल् ु लाह ने सर दहलाया
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और आयत-अल ्-कुसी को ददल की गेहराई से पढ़ने लगा: उस के पढ़ने के साथ सरदार अपने आप को गुनाहों के बोझ तले कम्ज़ोर महसूस कर रहा था। िब अब्दल् ु लाह ने नतलावत ख़त्म की तो िाकू की
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करख़्त आवाज़ एक कम्ज़ोर आवाज़ में बदल गयी। उस ने अपने सार्थयों से कहा: तमाम अश्या वहां रख
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दें िहाूँ से उठाई गयी हैं" किर सरदार ने अब्दल् ु लाह से कहा: बेशक तुम अल्लाह की दहफ़ाज़त में हो। वो
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बेह्तरीन दहफ़ाज़त करने वाला है िो लोग अल्लाह का नाम ददल की उथाह गहराइयों से लेते हैं उन्हें कोई
नुक़्सान नहीं होता। हमें मुआफ़ कर दो और हमारे ललए दआ ु मांगो। तुम ने हमें वो रास्ट्ता ददखाया है स्िसे
िाकुओं को आि भी याद करता है ।
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हम काफ़ी अरसा से भल ू चक ु े थे। सरदार चप ु चाप अपने सार्थयों समेत घर से चला गया अब्दल् ु लाह उन
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(इन्तख़ाब: सांवल चग़ ु ताई, रान्झू चग़ ु ताई, अम्माूँ ज़ेबू चग़ ु ताई, भूरल चग़ ु ताई, अहमद पुर लशरक़्या)
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बुज़ुगत ककसान की दानाई और राख का रस्ट्सा:
प्यारे बच्चो! कहा िाता है कक आि से सददयों पहले चीन में िब कोई शख़्स साठ साल की उम्र को पोहं च िाता तो उसे एक पहाड़ी के पीछे खाई में िैंक आते थे। उसी इलाक़े में एक ककसान भी रहता था स्िस की उम्र साठ साल हो गयी थी चन ु ाचे वहाूँ के हाककम ने हुक्म ददया कक ये ककसान अपनी उम्र को पोहं च चक ु ा है इस ललए इसे वहां खाई में िैंक ददया िाए ककसान के बेटे का िी तो नहीं चाहता था कक अपने बूढ़े बाप
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को पहाड़ों में िैंक आए लेककन हाककम का हुक्म था वो मज्बूर था। उस ने अपने वाललद को कन्धों पर उठाया और पहाड़ों की तरफ़ चल पड़ा, नोिवान ककसान अपने वाललद को उठाए पहाड़ों की तरफ़ चला िा रहा था। बढ़ ू ा ककसान उस के कन्धों पर बेठा था और रास्ट्ते में आने वाले दरख़्तों की शाख़ें तोड़ तोड़ कर िैंकता िा रहा था। िब नोिवान ककसान ने उसे इस तरह टहननयां िैंकते हुए दे खा तो पूछने लगा: अब्बा िान! ये आप क्या कर रहे हैं? िवाब में बढ़ ू ा ककसान बोला: मेरे बेटे मैं रास्ट्ते में शाख़ें इस ललए िैंकता आ
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रहा हूूँ ता कक िब तुम मुझे िैंक कर वापस िाओ तो रास्ट्ता ना भूल िाओ। बेटे ने िब बूढ़े ककसान की ये बात सुनी तो अपने ददल में सोचने लगा कक मेरे वाललद ककस क़दर रहमददल हैं! उन्हें मुझसे ककतनी
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मुहब्बत है , मैं इन्हें कैसे पहाड़ों में िैंक दूँ ,ू चन ु ाचे उस ने उन्हें पहाड़ी की खाई में िैंकने का इरादा तकत कर
ददया और ख़ामोशी से घर वापस ले आया। घर आ कर उस ने बूढ़े ककसान को मकान के एक कोने में छुपा
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ददया ता कक ककसी को इस का इल्म ना हो सके। इस बात को कुछ ही अरसा गुज़रा था कक वहां के हाककम ने गाूँव के तमाम ककसानों को तलब ककया। िब वो सब िमा हो गए तो हाककम कहने लगा कक तुम में से
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हर एक को हुक्म ददया िाता है कक ऐसा रस्ट्सा लाओ िो राख से बनाया गया हो। हाककम की ये अिीब व
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ग़रीब बात सुन कर तमाम लोग परे शान हो गए। नोिवान ककसान स्िस ने अपने बूढ़े बाप को मकान की
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छत वाले कमरे में छुपा रखा था घर आ कर अपने वाललद से कहने लगा: आि हाककम ने हुक्म ददया है कक
सब राख का रस्ट्सा बना कर लाएं। भला राख से भी ककसी ने रस्ट्सा बनाया है । ये कैसे मुस्म्कन है , उस का
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वाललद अगर चे बढ़ ु एक रस्ट्सा ू ा था मगर इंतहाई ज़हीन और तिब ु ातकार था। उस ने अपने बेटे से कहा: तम
इस तरह बटौ कक उस की र्गरहें सख़्ती से कसी हुई हों किर उस रस्ट्से को इस तरह िलाओ कक वो
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आदहस्ट्ता आदहस्ट्ता राख में तब्दील हो िाए। किर िब पूरा रस्ट्सा िल िाए तो उसे बड़ी एहत्यात से
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हाककम के पास ले िाओ। नोिवान ककसान अपने वाललद की बात सुन कर बहुत ख़श ु हुआ। उस ने इसी
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तरह ककया। हाककम ने नोिवान ककसान की बहुत ख़ुश हुआ। उस ने इसी तरह ककया। हाककम ने नोिवान
ककसान की बहुत तारीफ़ की और ज़हानत की दाद दी और कहा ऐ नोिवान ककसान! तम ु ने ये मस्ु श्कल काम कैसे कर ललया? िवाब में ककसान अदब से बोला: अगर आप मुझे मुआफ़ कर दें तो मैं आप को सच सच बताता हूूँ। बादशाह ने कहा तम ु सच सच बताओ तम् ु हें कोई तक्लीफ़ नहीं दी िाएगी। ककसान ने तमाम वाक़्या सुना ददया। हाककम नोिवान की बात सुन कर बहुत मुतालसर हुआ। उस ने अपने ददल में
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सोचा कक बूढ़े लोग बहुत ज़हीन और तिुबातकार होते हैं। उन्हें पहाड़ों में िैंकने की बिाए उन की पूरी पूरी दहफ़ाज़त करनी चादहए और किर उसी रोज़ हाककम ने ये ऐलान करवा ददया। आि से साठ साल की उम्र को पोहं चने वाले बढ़ ू े लोगों को पहाड़ी खाई में िैंकना बन्द कर ददया िाए और उनकी परू ी परू ी दे ख भाल की िाए ता कक उन की ज़हानत और तिुबे से फ़ायदा उठाया िा सके। (मुहम्मद ज़ादहद, साहे वाल)
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क़ाररईन की ख़ुसूसी और आज़मूिह तहरीरें :
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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112____________pg 27
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(क़ाररईन! आप भी बुख़ल ु शुक्नी करें आप ने कोई रूहानी, स्िस्ट्मानी नुस्ट्ख़ा, टोटका आज़्माया हो और उस
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के फ़वाइद सामने आये हों या आप ने कोई है रत अंगेज़ वाक़्या दे खा या सन ु ा हो तो अबक़री के लसफ़हात
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आप के ललए हास्ज़र हैं, अपने मामूली से तिुबे को भी बेकार ना समख़झये, ये दस ू रे के ललए मुस्श्कल का
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हल साबबत हो सकता है और आप के ललए सदक़ा िाररया। चाहे बे रब्त ही ललखें लसफ़हात के एक तरफ़
चाइनीज़ का जान्वरों से प्यार:
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ललखें , नोक पलक हम ख़द ु ही संवार लेंगे।)
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! ये वाक़्या मेरी बेटी ने मुझे सुनाया, मेरी बेटी
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इस्ट्लालमक यूननवलसतटी में पढ़ती है । वो मुझे कहने लगी कक हमारे साथ कुछ चाइनीज़ लड़ककयां भी पढ़ती
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हैं और वो इस क़दर ख़द ु ा तरस हैं कक एक ददन मैं और मेरी दोस्ट्त हॉस्ट्टल से तय्यार हो कर यनू नवलसतटी
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िा रही थीं स्िस रास्ट्ते से हम िाती थीं वहां रास्ट्ते में एक कुत्ते का छोटा सा बच्चा मरा हुआ पड़ा था और हम अपने आप को बचा कर बड़े ध्यान से नाक पर हाथ रख कर िल्दी से वहां से गज़ ु र रही थीं कक उधर से दो चाइनीज़ लड़ककयां बड़ी कफ़ट फ़ाट तय्यार थीं, यानन िीन्ज़ िोगज़त वग़ैरा पहने हुए और वो गुज़र रही थीं कक उन की नज़र भी उस कुत्ते के बच्चे पर पड़ी। उन्हों ने फ़ौरन एक दरख़्त से छोटी सी टहनी तोड़ी
और ज़मीन खोदनी शुरू कर दी। पहले तो हमें समझ ना आई और किर िब समझ आई तो हमारे में भी िज़्बा िाग उठा और हम हाथों से शुरू हो पड़े और एक गढ़ा तय्यार ककया। उधर साथ ही उस कुत्ते की माूँ Page 92 of 116 www.ubqari.org
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भी पास आ कर खड़ी हो गयी। उन चाइनीज़ ने उन टहननयों के साथ बड़े आराम से उस कुत्ते के बच्चे को गढ़े में िाला और उस के ऊपर लमट्टी िाल कर दबा ददया और कुत्ते की माूँ सारा वक़्त पास खड़ी हो कर दे खती रही कक ये मेरे बच्चे के साथ क्या करें गी? चाइनीज़ ने उस बच्चे को दफ़न करने के बाद बड़े प्यार से उस कुनतया पर हाथ िेरा, िैसे उसे ददलासा दे रही हों और कुनतया उन्हें यूूँ शुकक्रया अदा करने वाली नज़रों से दे ख रही थी और मेरी बेटी बताती है कक अम्मी! उन का ये काम मझ ु े भल ु ाए नहीं भल ू ता कक उन
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लड़ककयों ने उस कुत्ते के बच्चे को दफ़न ककया ही है लेककन स्िस तरह तरीक़े से कुनतया के साथ अफ़्सोस और हमददी का इज़्हार ककया है कक िैसे हम इंसानों से करते हैं। अल्लाह पाक उन से ककतना ख़श ु हुए
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होंगे अल्लाह उन को इस का अज्र ज़रूर दे गा और हमें भी ऐसा काम करने की तौफ़ीक़ अता फ़मातए। ये वाक़्या मेरे अपने घर का है । मेरी दे वरानी और मैं िो एक घर में रहते हैं, ऊपर वाली मंस्ज़ल पर मेरी
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दे वरानी और बच्चे रहते हैं। वो काफ़ी अरसा से एक इंची दीवार पर एक बड़े से प्याले में रोज़ाना बची हुई रोटी तोड़ कर और िबल रोटी के पीस वग़ैरा बचे हुए चावल वग़ैरा उस प्याले में िाल दे ती है और पररंदे
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ख़ास कर कव्वे वहां आते हैं और सारा ददन प्याले से खाते रहते हैं। एक ददन कव्वों ने मार कर प्याला
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दीवार से नीचे र्गरा ददया और टूट गया तो उस ने वहां खाना रखना छोड़ ददया। उस ने ख़्वाब में दे खा कक
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एक कव्वा आया है और उस की बाज़ू पर बैठ गया है और उस की टांग टूटी हुई है और वो उसे उस के हाथ
में दे ता है कक इसे िोड़ दो और वो ख़्वाब में उस की टांग िोड़ दे ती है । तो उस ने मुझे ख़्वाब सुनाया कक
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बािी ये मझ ु वहां पर कोई बततन रख कर उस में पहले ु े कैसा ख़्वाब आया है ? तो मैं ने उस से कहा कक तम
की तरह खाना रखा करो। क्योंकक िब से बततन टूटा था रोज़ कव्वे आ कर शोर मचाते थे आख़ख़र ख़्वाब में
हैं। (नाहीद, अटक)
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आ कर उन्हों ने याद दहानी करवा दी है और उस ने दब ु ारह वो काम शुरू कर ददया और पररंदे रोज़ आते
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हे पटाइदटस से ननजात कैसे समली?:
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! सब से पहले तो हमें ये समझ में नहीं आता हम ककस तरह आप का शुकक्रया अदा करें । अल्फ़ाज़ साथ नहीं दे रहे ना ही कुछ समझ आ रहा है, क्या ललखूूँ! अबक़री से हमारा तआरुफ़ सात माह पहले हुआ, हुआ कुछ यूँू कक मेरे कुछ घरे लू हालात ख़राब हुए इस दौरान मेरे कज़न िो कक कराची में रहते हैं उन्हों ने नेट से मुझे आप के कुछ वज़ाइफ़् , अन्मोल ख़ज़ाने Page 93 of 116 www.ubqari.org
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वाला वज़ीफ़ा ददया िो मैं हर नमाज़ के बाद पढ़ती थी और कज़न ने ये भी बताया कक एक मैगज़ीन अबक़री भी आता है । बहर हाल उन्हों ने मुझे एक नंबर भी ददया, मैं ने वहां फ़ॉन ककया, उन साहब से मैं ने पछ ू ा भाई क्या हकीम साहब ख़त का िवाब दे ते हैं उन्हों ने कहा हाूँ बहन बबल्कुल िवाब दे ते हैं। उन से मैं ने कहा भाई मेरे पास एड्रेस वग़ैरा कुछ भी नहीं आप मुझे मेरे नंबर पर एड्रेस भेिें। उन्हों ने मुझे एड्रेस भेिा, मैं ने अल्लाह पाक का नाम ले कर हकीम साहब को ख़त ललखा। अल्हम्दलु लल्लाह! उन्हों ने िवाब
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भी भेिा, चंद वज़ीफ़े भी ददए िो मैं पढ़ रही हूूँ। तब हमें पता चला माशा अल्लाह हकीम साहब की इतनी ककताबें भी हैं। किर मेरे भाई ने अबक़री मंगवाया। अब हर महीने अबक़री हमारे घर आता है मैं ने इस
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तहरीर में अपनी कहानी इस ललए ललखी है क्योंकक मेरी कहानी की विह से ही हमें अबक़री और हज़रत हकीम साहब िैसे नेक ददल बुज़ुगत का पता चला। िब इस माह का अबक़री हमारे पास आया तो उस में
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हे पटाइदटस ननिात लसरप स्िस की दस बोतलों का मुकम्मल कोसत का तआरुफ़ था। मेरी अम्मी को
हे पटाइदटस था बहुत इलाि करवाया, लाखों ख़चत ककये मगर कोई फ़ायदा नहीं हुआ, अम्मी को सर ददत ,
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बख़ ु ार, मैदे का ददत , अम्मी बहुत बीमार थीं। हम ने अल्लाह का नाम ले कर अबक़री के दफ़्तर फ़ॉन
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ककया। पहले पांच बोतलें मंगवाईं अम्मी ने पीनी शुरू कीं। हकीम साहब क्या ललखूं अम्मी तेज़ी से
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सेहत्याब हो रही थीं। बख़ ु ार, सर ददत सब ख़त्म! परू ा मक ु म्मल कोसत ककया। इस दौरान अबक़री में एक बहन ने भी दो वज़ीफ़े बताए थे। यक़ातन के। (सूरह अम ् पारह ३०) सात दफ़ा पानी पर दम कर के वपए और
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सरू ह तग़ाबन ु तीन दफ़ा मैदा और पेट पर दम करे । पाबन्दी के साथ। हम ने वो भी ककया। किर एक इलाि भी था हम ने वो भी ककया। हे पटाइदटस का इलाि: मको २४ ग्राम, सौंफ़ १२ ग्राम, कास्ट्नी के बीि २४
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ग्राम, शबतत दीनार दो चम्मच, इस की तरतीब ये है कक एक ककलो पानी लें और ऊपर की तीनों चीज़ें पकने
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के ललए रख दें िब एक कप रह िाए तो नीचे उतार कर शबतत दीनार लमला कर नीम गरम पी लें। सुबह
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नाश्ते से दो घन्टे बाद और शाम को खाने से दो घन्टे पहले पंरह ददन इस्ट्तेमाल के बाद टे स्ट्ट करवा लें ,
इन शा अल्लाह अफ़ाक़ा होगा। हम ने सब कुछ ककया, िब अम्मी ने मक ु म्मल इलाि के बाद टे स्ट्ट करवाए, हमारी ख़श ु ी की तो इंतहा ना रही, ररपोटत बबल्कुल साफ़ थी, कुछ भी नहीं था। वहां एक बन्दा था उन्हों ने भाई को कहा आप ने कौन सा इलाि करवाया था, भाई ने सब बताया हम ने अल्लाह का शक्र ु अदा ककया और आप हज़रत हकीम साहब का। मैं ने िल्दी िल्दी अपने मोहलसन अबक़री के दफ़्तर फ़ॉन
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ककया, वहां बताया, असल ख़श ु ी के हक़्दार आप हैं। वो इतने ख़श ु हुए उन्हों ने कहा सुब्हानल्लाह! बहन आप हमें ललख कर भेस्िए हम ज़रूर शायअ करें गे।
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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112____________pg35
हज़रत हकीम साहब! आप के ललए ददल से दआ ु एं ननकलती हैं और आप के िो साथी हैं सब को ददल बहुत
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दआ ु एं दे ता है । आप कुछ भी नहीं छुपाते अपने तिुबातत, अपने वज़ाइफ़् सब अबक़री के क़ाररईन को
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बताते हैं। एक और वज़ीफ़ा भी अबक़री में आया था। "या हाददयु या रहीमु"
( ) اٰی اھا ِد ْی اٰی ارح ِْی ْمवो भी हम ने अपने एक मसले के ललए पढ़ा था और सज्दे में दआ ु की, वो मसला भी हल हो
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गया। मोहतरम हकीम साहब! दन्ु या में आि भी आप िैसे बज़ ु ग ु त लोग मौिद ू हैं िो अल्लाह की रज़ा के ललए उस के बन्दों की ख़ख़दमत करते हैं। हमारा पूरा घर बहुत ख़श ु है और ये ख़श ु ी अबक़री की विह से
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लमली है ! मेरा अबक़री के क़ाररईन के ललए ये पैग़ाम है कक हकीम साहब دامت برکاتہمकी दी गयी उदय ू ात और वज़ाइफ़् ज़रूर इस्ट्तेमाल करें , इतना फ़ायदा होगा स्ितना हम सोच भी नहीं सकते। अब हम अबक़री
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अपने ख़ान्दान और पड़ोस वालों को भी पढ़ने के ललए दे ते हैं। आप का अह्सान स्ज़न्दगी भर नहीं भल ू ें गे। मेरा नाम ज़रूर शायअ कीस्ियेगा। (मेहववष क़ुरै शी, ठठा लसंध)
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कल्मा तय्यबा और कल्मा शहाित का वविर :
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आि से तक़रीबन सात आठ साल पहले िुमा के ख़त्ु बे में एक बुज़ुगत ने फ़मातया कक िब कोई इंसान ख़ल ु ूस
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के साथ कल्मा तय्यबा पढ़ता है और कल्मा शहादत पढ़ता है तो अल्लाह पाक उस के सारे गुनाह मुआफ़ फ़मात दे ते हैं और चार हज़ार नेककयाूँ उस के नामा आमाल में ललख दी िाती हैं। मैं ज़ाती तौर पर ककसी भी मस्ु श्कल के वक़्त अपने आप को गन ु ाहों की ग़लाज़त में महसस ू करता हूूँ इस ललए कल्मा तय्यब और कल्मा शहादत पढ़ता हूूँ और ज़ेहन और ददल में यक़ीन करता हूूँ कक अब मैं पाक साफ़ हो गया और गन ु ाहों की नहूसत से दरू हो गया और नेककयों की बहार में हूूँ। इस के बाद तीन मततबा
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ِ َا ْ ٰ َا ) ِب ْس ِم ہللا الرمِح ِنऔर इस के बाद और हर मततबा अवल में "बबस्स्ट्मल्लादह-र्-रह्मानन-र्-रहीम" ( الرح ِْیم
ا ا ا "इन्ना ललल्लादह व इन्ना इलैदह रास्िऊन" ( ) ا َِان ِِل ِ اوا َِاناِل ْی ِہ ارا ِج ْْ ْو انपढ़ता हूूँ और यक़ीन के दिे में रखता हूूँ
कक मेरा अल्लाह पाक मेरी दस्ट्त ग़ैब से बेह्तरीन अंदाज़ में दस्ट्तगीरी करे गा और इनायत करे गा। एक दफ़ा मेरे घर का कुछ दहस्ट्सा में मरम्मती काम चल रहा था। उस िगा एक क़रीबी क़स्ट्बा का एलेस्क्रशन, बबज्ली का काम कर रहा था और दस ू रे लमस्ट्तरी मज़ूर भी थे। ज़ुहर के बाद मैं क़रीबी शहर गया और
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मग़ररब के बाद लोटा तो वो एलेस्क्रशन और लमस्ट्तरी मज़्दरू भी थे। मैं ने कहा भाई (एलेस्क्रशन) आप अपने (िो हमारे घर से दरू क़स्ट्बे में था) घर नहीं गए तो कहने लगा कक मेरे पैसे और काित वग़ैरा यहाूँ र्गर
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गए हैं आप की ओताक़ में और ककसी ने उस को उठा ललया है । इस ललए आप का इंतज़ार कर रहा था। मैं ने लमस्ट्तरी साहब से उस के मज़्दरू ों के बारे में पूछा तो उस ने बताया कक वो सब चले गए हैं। मैं ने
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एलेस्क्रशन को कहा भाई आप भी अल्लाह से मांगें मैं भी मांगता हूूँ। मैं ने ऊपर बयान ककया अमल पढ़ा
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और ददल में अपने मुसल्मान भाई के नुक़्सान पर अफ़्सोस भी ककया। हम दोनों ने ख़ब ू स्ज़क्र ककया तो
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अगली सुबह उस एलेस्क्रशन के पास और काित वहीं क़रीब से लमल गए। हालांकक कल काफ़ी वक़्त वो उसी
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िगा ढूंिता रहा था। कलौंिी के तिुबातत: दौरान मुलास्ज़मत (कराची की ररहाइश के दौरान) लशद्दत के
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साथ और इस से पहले अपने मुक़ाम है दर आबाद में दरम्यानी सतह के साथ साूँस लेने में बहुत तक्लीफ़
होती थी और सर में ददत की लहरें भी उठती थीं। इस के ललए बहुत ही मादहरीन हज़रात से इलाि कराया
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मगर ररज़ल्ट नेक्स्ट्ट टु नॉट, किर आक्यू पंक्चर भी कराची के एक मशहूर स्क्लननक से कराया मगर कोई
ख़ास फ़ायदा ना हुआ। इस के इलावा बहुत ही और मसाइल में िकड़ा हुआ। ककसी काम के लसस्ल्सले में
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लाहौर आया वहां मोहतरम हज़रत हकीम साहब دامت برکاتہمसे मुलाक़ात भी हो गयी। वहां से उन की एक
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ककताब "कलौंिी के कररश्मात" लमली। उस में से मैं ने सब से आसान नस्ट् ु ख़ा "कलौंिी का क़ह्वा" स्िस में
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कभी कभी बगत बांसा भी थोड़ा लमलाता था। पीने के ललए शुरू ककया। दौरान मुलास्ज़मत सऊदी अरब में भी मेरा दफ़्तर में चाय के वक़्त यही मामूल था। अल्हम्दलु लल्लाह! मेरा ऊपर बयान ककया हुआ सारा मसला अल्लाह पाक ने हकीम साहब के इख़्लास के तुफ़ैल हल कर ददया। (ि, है दर आबाद) ववत्र नमाज़ के बाि एक मुजरर ब अमल:
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! ये अमल हमारी टीचर ने तोह्फ़ा के तौर पर ददया और सब ताललबात ने इस को नॉट कर ललया, आि तक मैं पाबन्दी से ये अमल करती हूूँ। अमल: रात इशा की नमाज़ में ववत्र नमाज़ के बाद दो सज्दे इस तरीक़े से करें कक पहले सज्दे में पांच बार (सब्ु बह ू ु न ् क़ुद्दूसन ु ् ا
ْ ٌ ْْ ٌ ا
ْ
َ َْ ا ٰ ْ ) ْس َبوح قد ْوس َر َْب انا او ار َب ال امل ٓ ِئک ِۃ و। पढ़ें , किर बैठ कर दोनों सज्दों के रब्बना व रब्बुल ्-मलाइकनत वरूतदह ) (الر ْو ِح
दरम्यान एक बार आयत-अल ्-कुसी और किर दस ू रे सज्दे में इस तरह दित बाला अल्फ़ाज़ पढ़ें । इस तरह
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दो सज्दों के अंदर दस बार और दो सज्दों के दरम्यान एक बार, आयत-अल ्-कुसी पढ़ी िाएगी। फ़ज़ीलत इस की ये है कक इस वज़ीफ़े को पढ़ने वाला िाए नमाज़ पर बैठता है , उठने से क़ब्ल अल्लाह तआला की
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रहमत का नज़ ु ल ू और सत्तर फ़ररश्ते उस के ललए दआ ु ए मग़कफ़रत करते हैं और उस के गन ु ाह मआ ु फ़ हो िाते हैं और कल्मा तय्यबा नसीब होता है और शहादत की मोत नसीब होती है, िो इस के पढ़ने के बाद
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दआ ु मांगता है तो अल्लाह रब्बल ु ् इज़्ज़त के दरबार आललया में क़ुबल ू होती है बशतेकक इख़्लास ननय्यत से अमल करे । इन शा अल्लाह अल ्अज़ीज़ ये फ़ज़ीलत पाएगा। अल्लाह तआला उस को महरूम नहीं
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करें गे। सब्ु हानल्लाह! एक और अमल: ववत्र के बाद दो नस्फ़्फ़ल में पहली रकअत में सरू ह अस्ल्ज़ल्ज़ाल
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और दस ू री रकअत में सूरह काकफ़रून पढ़े । फ़ज़ीलत: इस के पढ़ने से पूरी रात मक़्बूल इबादत के बराबर
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सवाब ललखा िाता है गोया कक उस ने पूरी रात इबादत की। सुब्हानल्लाह! िब िन्नत का तज़्क्रह् आए या ْ
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ْ ْ اج اْل انا م ْ )ا اَلل ْھ َم। आख़ख़रत के मुतअस्ल्लक़ ककसी इनाम का तो कहे ( अल्लाहुम्म-ि ्अल्ना लमन्हुम ् ) (ِّن ْم ْ ا َٰ ا ا ا
ْ ْ َت اْل انا م ْ )الل ْھ َم َل लमन्हुम ् ) (ِّن ْم
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छोटा सा वज़ीफ़ा और बड़ी काम्याबी:
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और िब िहन्नुम या ककसी आख़ख़रत के अज़ाब का तज़्क्रह् आए तो कहे (अल्लाहुम्म ला ति ्अल्ना
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! आप पर अल्लाह तआला अपनी रहमत का साया
क़ाइम रखे, आप और आप के तमाम साथी िो इस कार ख़ैर में आप के साथ हैं उन सब के ललए नेक तमन्नाएूँ और ढे रों दआ ु एं। ये वज़ीफ़ा मैं ख़ास अबक़री के क़ाररईन के ललए भेि रही हूूँ। मेरी बेटी ने िब ْ ) اٰی اح ِس ْیका वज़ीफ़ा तीन भी पेपज़त ददए और हर बार पेपज़त दे ने के बाद ११ हज़ार बार रोज़ाना (या हसीब)ु (ِ
ददन पढ़ती है तो बहुत अच्छे नम्बरज़ से पास हो िाती है । इस बार उस ने एम ् ए के पेपज़त ददए और यही वज़ीफ़ा ककया तो बहुत अच्छे नम्बरज़ आए। (फ़यातल सय्यद) Page 97 of 116 www.ubqari.org
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वज़ू के आिाब: वज़ू के दौरान इन आदाब का ख़्याल रखें, इन शा अल्लाह फ़लाह दारै न हालसल होगी। १-वज़ू शरू ु करने से पहले हाथ धो कर लमस्ट्वाक कर लें, लमस्ट्वाक करने से नमाज़ का सवाब सत्तर गुना ज़्यादा हो िाता है और िान कनी के वक़्त अल्लाह पाक उसे कल्मा याद ददलाते हैं। २- परू ी बबस्स्ट्मल्लाह शरीफ़ पढ़ लें और ْا
साथ ही "बबस्स्ट्मल्लादह वल्हम्दलु लल्लादह" (ِ ) بِ ْس ِم ہللا اْل ا ْم ْد ِِلपढ़ लें। िब तक वज़ू रहे गा हमारे मुहाकफ़ज़
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फ़ररश्ते हमारे ललए दआ ु करते रहें गे। ३- वज़ू के दौरान एक दफ़ा कल्मा शहादत पढ़ लें। िन्नत के आठ
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दरवाज़े अल्लाह पाक खोल दे ते हैं। स्िस दरवाज़े से चाहो दाख़ख़ल हो िाओ, िब वज़ू मुकम्मल हो िाए तो ا
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ْا ا
ْ َا ا
ا َا
ْا
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किर फ़ौरी तौर पर चार दआ ु एं पढ़ लें। १- एक दफ़ा (सुब्हानक-ल्लाहुम्म व बबहस्म्दक अश्हद ु अल्ला इलाह
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بُس ان ا ا ک الل ْھ َم او ِحبا ْمد ا ٰ ْ ْ )। १-एक दफ़ा ک اش اھ ْد ا ْن َل اِلٰ اہ اَِل ان ا इल्ला अन्त अस्ट्तस्फ़फ़रुक व अतब ू ु इलैक्) (ت ا ْستغ ِف ْر اک اوا َْت ْب اِل ْیک ِ
कोई सा भी दरूद शरीफ़। ३- तीन दफ़ा सूरह क़दर पढ़ लें। ४- तीन दफ़ा सूरह इख़्लास पढ़ लें। वज़ू के
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आदाब मुकम्मल हो गए। आप नमाज़ नतलावत शुरू कर दें । (ग़, क़)
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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शम ु ारा निंबर 112____________pg36
चिंि दिनों में स्माटर , म्स्लम और पुर कसशश बन्ने का नुस्ख़ा: (स्िस्ट्म के ख़खचे हुए सख़्त दहस्ट्सों को मख़्सूस वस्ज़तशों के ज़ररये से नरम और बेह्तर ककया िाता है । उन में गदत न और पुश्त क़ाबबल ए स्ज़क्र हैं। वस्ज़तशों से ये लच्कीले बनाए िा सकते हैं। लचक पैदा करने के
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के दिसम्बर 2015 के एहम मज़ामीन दहिंिी ज़बान में
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ललए की िाने वाली िैलाओ और ख़खंचाव की वस्ज़तशों से सख़्त पट्ठे नरम और ढीले हो कर आराम पोहं चाते हैं।) (आररफ़ अंिुम) हसीन से हसीन औरत भी अगर मुतनासुब अल ्एअज़ा नहीं है और उस की कमर कूल्हों से दस इंच छोटी नहीं है , पेट सीने से छे इंच अंदर नहीं होगा तो वो उस औरत से ज़्यादा कलशश और िास्ज़ब नज़र नहीं होगी िो हुस्ट्न व ख़ब ू सूरती में उस से कहीं ज़्यादा कम है लेककन उस का सरापा इन एअदाद व शुमार पर
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परू ा उतर आता है िो ऊपर बयान ककये गए हैं तो बबला ख़ौफ़ तरदीद ये कहा िा सकता है कक अगर आप
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स्ट्माटत और स्स्ट्लम हैं तो आप को ऐसी नेअमत हालसल है िो दन्ु या िहाूँ की दौलत से बढ़ कर है आप भी
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अपने सरापा को मज़ीद मुतनासुब बनाना चाहती हैं तो आप के ललए एक आसान नुस्ट्ख़ा हास्ज़र है स्िस
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पर अमल कर के आप महज़ चंद ददनों में मज़ीद स्ट्माटत , स्स्ट्लम, पुर कलशश और िास्ज़ब नज़र बन सकती हैं। इस प्रोग्राम पर अमल कर के आप अपने बदन से ज़ाइद चबी कम कर सकती हैं स्िस के नतीिे में
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आप ज़्यादा परु कलशश और िास्ज़ब नज़र हो िाएंगी और ख़द ु को मज़ीद हल्का िुल्का महसस ू करें गी, इस पर अमल करने के ललए चार हफ़्तों पर मुश्तलमल एक वककिंग चाटत तरतीब ददया गया है इस पर
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मरहला वार अमल करें गी तो इस के नताइि आप को िल्द ही नज़र आने लगें गे। पहला और दस ू रा
हफ़्ता: इस दौरान दरम्यानी रफ़्तार से चलने का मतलब ये है कक आप को ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़
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रही। कोलशश कीस्िये कक इस दौरान आप बीस लमनट में एक मील का फ़ास्ट्ला तय करें , वस्ज़तश के ललए
पांच से दस लमनट तक मुख़्तलसर फ़ास्ट्ले की वॉक के ज़ररए ख़द ु को वामत अप कीस्िए। गदत न, बाज़ू, पुश्त, कूल्हे , रानें, वपंडिललयां वग़ैरा िैलाएं और किर इसी तरह समेट लें इस दौरान मुक़रत र वक़्त में ज़्यादा तेज़
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रफ़्तारी से चलना शुरू कीस्िये, आप को ये महसूस होना चादहए कक आप मक़्सद के हुसूल के ललए वाकक़अतन मुशक़्क़त कर रही हैं लेककन अभी आप मज़ीद चल सकती हैं और इस दौरान कोई और
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मसरूकफ़यत भी अख़्त्यार कीस्िये िैसा कक चाटत में तज्वीज़ ककया गया है । ये मसरूकफ़यत पेराकी या कुछ भी हो सकती है । अगर आप ककसी पहाड़ या पहाड़ी के क़रीब ररहाइश पज़ीर हैं तो आप दहल रै ककंग भी कर सकते हैं। इस से आप के बदन को इज़ाफ़ी मश ु क़्क़त का सामना होगा और इस के नतीिे में ज़्यादा कैलोरीज़ ज़ायअ होंगी। दरु ु स्ट्त लसम्त में सही अक़्दाम: १- िायरी रख़खये, ख़द ु को मुतह्हरक रखने का ये बेह्तरीन तरीक़ा है , एक माह में आप स्ितना वज़न घटाना चाहती हैं उस का हदफ़ मक़ ु रत र कर लें इस के
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साथ अपनी ख़ोराक का चाटत मततब करें स्िस में सदाक़त हो कक क्या खाती हैं और ककतना खाती हैं, ककतनी तेज़ चलें और ककतनी दरू चलें और क्या महसूस ककया? इस तरह आप को अपनी कम्ज़ोररयों और इस्ट्तअदाद का अंदाज़ा हो िाएगा स्िस की रौशनी में आप अपनी ख़ोराक को मत ु वाज़न ु और वककिंग को मतलूबा दिात तक पोहंचाने में काम्याब हो िाएंगी। २- ददल्चस्ट्पी और तवज्िह रख़खये, अपने वककिंग रुट में यक्साननयत का लशकार ना हों बस्ल्क उसे बदल्ती रहें । ऐसी िगहों का इन्तख़ाब कीस्िये िहाूँ इदत
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र्गदत के मंज़र में वाज़ेह फ़क़त पाया िाता है । मसलन ककसी पाकत का इन्तख़ाब ककया िाए तो कभी ककसी और लेिीज़ पाकत भी ननकला िा सकता है अगर रात को वॉक करना चाह रही हैं तो घर में एक िगा
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मुक़रत र कर लें या छत पर तेज़ तेज़ चक्कर काटें । ३- खाना अच्छी तरह खाइये। अपने बदन को तब्दील
करने के ललए आप को सेहत बख़्श र्ग़ज़ा और वस्ज़तश की ज़रूरत है । ख़ब त र्ग़ज़ाओं को ू पकी हुई और मुग़न
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आदहस्ट्ता आदहस्ट्ता तकत कर के उन का मुतबादल अख़्त्यार कीस्िये मसलन सफ़ेद चावल की िगा भूरे
चावल, सस्ब्ज़यों की लमक़्दार में इज़ाफ़ा कर दें । ग़ल्ला और दालें ख़ब ू खाएं। अगर ज़रूरत महसूस करें तो
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खाने की लमक़्दार में थोड़ी बहुत कमी कर सकती हैं ता हम नाश्ता ज़रूर करें ता कक आप का ननज़ाम
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हाज़्मा र्ग़ज़ा का िुज़्व बदन बनाने के ललए हरकत में रह सके, ढे रों पानी पीएं। क़ुदरत की ये बेश बहा
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नेअमत स्ितनी ज़्यादा अपने हलक़ में उं िेल सकती हैं उं िेलें, चबी और शक्कर पर नज़र रखें। ४- चाल में तसल्सुल रखें, आप को रोज़ाना दस हज़ार क़दम उठाने चादहयें स्िन में चार हज़ार से छे हज़ार तक
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मस ु ल्सल होने चादहयें। एक बेरोमीटर के ज़ररये ये दहसाब ककताब रखा िा सकता है कक आप ने ककतने
क़दम उठाए और ककतनी कैलोरीज़ िलाईं। वककिंग की सही तक्नीक ये है कक इस तरह चलें गोया आप
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एक सीध में नशेब में उतर रहे हैं। अपने क़दम एक दस ू रे के बबल्कुल सामने रख़खये इस से वक़्त भी बचेगा
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और तवानाई भी महफ़ूज़ रहे गी। वस्ज़तश से आप के हाथ पाऊूँ सिोल और सिीले हो िाते हैं। अज़्लात ठोस
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हो कर बेह्तर तौर पर काम करने लगते हैं। आप ख़द ु को ज़ेहनी और स्िस्ट्मानी तौर पर बेह्तर महसूस
करते हैं बस्ल्क दस ू रों को भी बेह्तर नज़र आने लगते हैं। अच्छे सिोल िेल िॉल के ललए अज़्लात िैलाने और लचकाने वाली वस्ज़तशें भी बहुत अच्छी और मुफ़ीद साबबत होती हैं। उन से हाथ पाऊूँ वग़ैरा मुलायम रहते हैं। उन का मोड़ना और बल दे ना आसान हो िाता है । स्िस्ट्मानी लचक बढ़ िाती है , स्िस्ट्म के ज़ख़्मी
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होने का ख़तरा कम हो िाता है , स्िस्ट्म में तवाज़ुन बरक़रार रखने की सलादहयत बढ़ती और एअज़ा में ताल मेल बढ़ िाता है । स्िस्ट्म के ख़खंचे हुए सख़्त दहस्ट्सों को मख़्सूस वस्ज़तशों के ज़ररये से नरम और बेह्तर ककया िाता है । उन में गदत न और पश्ु त क़ाबबल ए स्ज़क्र हैं। वस्ज़तशों से ये लचकीले बनाए िा सकते हैं। लचक पैदा करने के ललए की िाने वाली िैलाओ और ख़खंचाव की वस्ज़तशों से सख़्त पट्ठे नरम और ढीले हो कर आराम पोहं चाते हैं।
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वस्ज़तश का एक और एहम फ़ायदा ये है कक इस से वज़न कम होता है और स्िस्ट्म में िमा ज़ाइद हरारे
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इस्ट्तेमाल हो िाते हैं स्िस से वज़न कम होने लगता है । हरारों की ज़्यादा लमक़्दार स्िस्ट्म में दाख़ख़ल हो भी
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िाए तो उसे वस्ज़तश के ज़ररये से दठकाने लगा कर वज़न में इज़ाफ़े से बचा िा सकता है । ये एक बड़ा
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अच्छा और सीधा तरीक़ा है। इस तरह ज़्यादा खा कर भी इंसान कम वज़न और स्ट्माटत रह सकता है ।
अगर आप एक दफ़ा वस्ज़तश शुरू कर दें और मुस्ट्तक़ल लमज़ािी से इस शुग़ल को िारी रखें तो इस के
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फ़ायदा आप ख़द ु महसस ू करने लगें गी और ख़द ु इस की अफ़ाददयत की क़ायल हो िाएंगी। स्ज़न्दगी
बेह्तर महसूस होने लगेगी और वो ज़्यादा पुर लुत्फ़ होती िाएगी। वस्ज़तश ज़ेहनी दबाओ भी कम करती है ,
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लमज़ाि बेह्तर हो िाता है और अच्छी नींद आती है । आप स्ज़न्दगी किर ज़्यादा चाक़ व चौबन्द, िवान और स्ट्माटत नज़र आएंगी। सेहत और सदा िवानी के ललए वस्ज़तश से बेह्तर कोई शै नहीं है । तज्दीद और
भक ू बढ़ी सेहत बनी:
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सबात शबाब का ये आज़मद ू ह तरीक़ा है ।
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं भूक की कमी का लशकार थी, हर वक़्त पेट गैस से
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भरा रहता था मैं ने अबक़री में आया एक नुस्ट्ख़ा आज़्माया और बबल्कुल ठीक हो गयी, भूक बढ़ी और
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लािवाब सेहत पाई। नुस्ट्ख़ा ये है : सो पत्ते नीम के दरख़्त से ताज़ह उतार लें और उस में सो काली लमचत लमला कर कूट कर छोटी छोटी गोललयां बना कर सुबह, दोपेहेर, शाम दो दो गोललयां इस्ट्तेमाल करें । (अ-न, कराची)
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इस्लाम के िस्तरख़वाँ के ये नो वाररि मेहमान: िाई इस्लाम हज़रत मौलाना मह ु म्मि कलीम ससद्दीक़ी دامت برکاتہم (िलत) (हज़रत मौलाना دامت برکاتہمआलम ए इस्ट्लाम के अज़ीम दाई हैं स्िन के हाथ पर तक़रीबन ५ लाख से
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ज़ाइद अफ़राद इस्ट्लाम क़ुबल ू कर चक ु े हैं। उन की नाम्वर शहरा आफ़ाक़ ककताब "नसीम दहदायत के
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झोंके" पढ़ने के क़ाबबल है ।)
मदरसे से चले वो दोनों नो िवान गाड़ी के क़रीब आए, कहा मुफ़्ती साहब ने हुक्म ददया है कक हम आप से
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इिाज़त ले कर आप की गाड़ी में बैठ कर आप के साथ कुछ वक़्त गज़ ु ारें , इस हक़ीर ने कहा: शौक़ से
तश्रीफ़ लाइए, दो तीन लमनट के सकूत के बाद एक नोिवान बोला: हम आप से कोई सवाल कर सकते हैं?
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मैं ने कहा: ज़रूर क्यूूँ नहीं! बोला: अल्लाह तआला ने अपने कलाम में हम से वादा ककया है मुझ से सवाल
करो मैं पूरा करूूँगा तो क्या हम अल्लाह से िो ख़्वादहश हो उस का सवाल कर सकते हैं? मैं ने कहा: ज़रूर
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क्यूूँ नहीं! बोला: अल्लाह तआला ने अपने कलाम में हम से वादा ककया है मुझसे सवाल करो मैं पूरा करूूँगा
तो क्या हम अल्लाह से िो ख़्वादहश हो उस का सवाल कर सकते हैं? इस हक़ीर ने अज़त ककया हाूँ ज़रूर!
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बस आदत अल्लाह के ख़ख़लाफ़ सवाल नहीं करना चादहए। वो बोले: आदत अल्लाह के ख़ख़लाफ़ तो नहीं
बस ये सोचते हैं कक हमारे प्यारे नबी मह ु म्मद ﷺिन्नत में तश्रीफ़ ले िाएंगे, ऊंटनी पर सवार हो कर तश्रीफ़ ले िाएंगे आप ﷺकी नुकेल पकड़ने वाला तो तय है मगर पीछे बैठने वाला तो तय नहीं है अगर
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हम अल्लाह से दआ ु करें कक हमारे नबी ﷺिब िन्नत में तश्रीफ़ ले िाएं तो अल्लाह मेरे ललए ये
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मुक़द्दर कर दें कक आप ﷺफ़मातएूँ कक आ बेटे अब्दल् ु लाह! तू मेरे पीछे सवार हो िाओ तो क्या अल्लाह ये
बात पूरी फ़मात दें गे? मैं ने अज़त ककया, बबल्कुल दआ ु कर सकते हो। किर बोला अच्छा स्िस से बहुत मह ु ब्बत हो, आदमी उस के साथ िन्नत में रहे गा, तो इन शा अल्लाह हमारे प्यारे नबी करीम ﷺके क़दमों में हमें िन्नत में िगा लमलेगी ना? मैं ने अज़त ककया िब मुहब्बत है तो ज़रूर लमलेगी, अच्छा हज़रत! हमारे प्यारे नबी ﷺवहां हम से कुछ ख़ख़दमत भी ले लेंगे ना? अज़त ककया: ये िो दावत का काम कर रहे हो इस ख़ख़दमत के बदले में िन्नत में हर ख़्वादहश इन शा अल्लाह पूरी होगी। ये दोनों नो िवान Page 102 of 116 www.ubqari.org
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मंददरों के शहर िमूं के ब्राह्मण ख़ान्दान के हैं स्िन्हें चंद साल पहले अल्लाह तआला ने दहदायत अता फ़मातई है । दो घन्टे इस हक़ीर के साथ रहे वो बस िन्नत, अल्लाह और उस के रसूल ﷺका स्ज़क्र करते रहे । मझ ु े ख़्याल आया कक सहाबा رضوان هللا اجمعينके बारे में ये पढ़ते आए हैं कक वो स्िस्ट्म से दन्ु या में रहते थे मगर ददल व ददमाग़ से हर वक़्त आख़ख़रत में रहते थे और िन्नत व दोज़ख़ का यक़ीन इस तरह का था कक आूँखों से दे ख लें तो कोई इज़ाफ़ा ना हो। हम बे िान मस ु ल्मानों और किस्स्ट्िसे ईमान वालों में
मालूम करते कक क्या हमारे नबी ﷺ
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ये नया ख़न ू बबल्कुल सहाबा رضوان هللا اجمعينकी याद ताज़ह कर रहा है । बार बार वो आलशक़ाना तौर पर को इल्म होगा कक हम उन को ककस तरह चाहते हैं? हमारे घर में
तरफ़ से पाऊूँ मैं दबाता हूूँ दस ू री तरफ़ से बड़े भाई मेरे सीने पर पाऊूँ रख कर मेरे नबी ﷺ
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हमारे साथ क्या मुआम्ला होता है ? एक बोला हज़रत! मेरे वाललद मेरे भाई दोनों मुझे नीचे ललटाते हैं, एक की सुन्नत
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(दाढ़ी) के साथ ज़ल् ु े रात को तहज्िद ु पढ़ते दे खते हैं तो कोई चीज़ सर पर दे मारते हैं, मैं तो ु म करते हैं मझ
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लसफ़त आप के हुक्म की विह से घर रहता हूूँ, दावत हमारे नबी ﷺकी सब से बड़ी सुन्नत है , वरना मेरे
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ललए मेरा घर दोज़ख़ है िहाूँ मेरे नबी ﷺकी सुन्नत के मुताबबक़ स्ज़न्दगी गुज़ारना नसीब ना हो, थोड़ी
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दे र में बोला, ये तो सुना है कक बुज़ुगों से बड़े दिात की तमन्ना और दआ ु नहीं करनी चादहए मगर प्यारे नबी
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ﷺकी मुहब्बत में आप ﷺकी नक़ल तो कर सकते हैं, अगर मैं अपने दो दांत ननकल्वा दूँ ू तो कैसा है ?
मेरा ददल बहुत चाहता है , हम इतना तो कर सकते हैं। फ़्लाइट का वक़्त क़रीब था मझ ु े पकड़ कर कमरे में
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ले गया और दरवाज़ा बन्द कर के बोला! प्यारे नबी ﷺके सहाबा رضوان هللا اجمعينइस तरह करते थे, आप पहले हमारे ललए दआ ु कीस्िये मैं आमीन कहूूँ, किर मैं दआ ु करूूँगा आप आमीन कहें । मैं ने कहा
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बताओ क्या दआ ु करूूँ? बोला ये दआ ु कीस्िये अल्लाह तआला मुझे ऐसा नूरानी मुसल्मान बना दे कक िो
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मुझे दे ख ले वो मुसल्मान हो िाए। मैं ने दआ ु की वो दाई बन िाए, ददल की गेहराई से आमीन कह कर
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सुब्हानल्लाह कहा, किर दे र तक अल्हा व ज़ारी के साथ दआ ु करता रहा मेरे अल्लाह अपनी ऐसी मुहब्बत, ऐसा इश्क़, ऐसी दीवानगी अता फ़मात दे कक बस आप के इलावा कोई ददखाई ना दे । उन दोनों नो िवानों के साथ कुछ वक़्त गुज़ार कर ऐसा लगा िैसे ईमान पर आब आ गयी हो, पुराना ख़न ू िब मुदात और ख़राब हो िाए तो उस को नई स्ज़न्दगी, नया ख़न ू ही अता कर सकता है । इस्ट्लाम के दस्ट्तरख़्वान के इन नो वाररद मेहमानों में से हर एक का हाल एक से बढ़ कर एक ददखाई दे ता है , हम परु ाने मस ु ल्मान िहाूँ मकतज़ी
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सुन्नतों को अपनी ग़फ़्लत का ननशाना बनाते हैं वहां एक एक सुन्नत का िज़्बा रखने वाले दन्ु या को नबी रहमत-अल ्-ललल ्आलमीन ﷺकी सुन्नतों के साये में लाने वाले रोज़ आते िा रहे हैं। काश! हम ननगाह इब्रत खोल कर इस से सबक़ हालसल करें । टोटकों की भरमार:
लमनटों में ही आप काफ़ी आराम महसूस करें गे।)
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(अगर हाथ या स्िस्ट्म का कोई दहस्ट्सा भाप से िल िाए तो कच्चा आलू पीस कर लगा दीस्िये। चंद
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ْ ا ْ َا शैतान के शर से दहफ़ाज़त: हुवल्लाहु-र्-रहीमु (الرح ِْی ْم ط ) ھوہللاिो हर नमाज़ के बाद सात बार पढ़ ललया
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करे गा इन शा अल्लाह अज़्ज़ ् व िल ् शैतान के शर से बचा रहे गा और उस का ईमान पर ख़ात्मा होगा।
वो मेरी उम्मत में से नहीं: अल्लाह के नज़्दीक इस से ज़्यादा कोई इबादत नहीं कक तू ककसी मुसल्मान
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भाई का ददल ख़श ु कर दे । ☆स्िस को मस ु ल्मान का ग़म ना हो वो मेरी उम्मत में से नहीं। लशकत के बाद बद्द तरीन गुनाह ईज़ा रसाई ख़ल्क़ है ।
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लमगी का आज़ात हमेशा के ललए ख़त्म: लमचत स्ट्याह दो तोला और दस तोला मंिी बट ू ी लें। इसे गाये के दध ू
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में लमला लें। छे माशे मरीज़ को ख़खलाएं। लमगी का आज़ात ख़त्म हो िाएगा।
ْ ) اٰی اما ل९० बार रोज़ाना िो नादार पढ़ा करे इन शा अल्लाह अज़्ज़ ् व िल ् ग़रु बत से ननिात: "या माललकु" (ِک
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ग़रु बत से ननिात पा कर माल्दार होगा।
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सलाम में सबक़त: सलाम में सबक़त वाले को ३० (तीस) और िवाब दे ने वाले को दस नेककयाूँ लमलती हैं
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☆ ईमान के बाद अफ़्ज़ल तरीन नेकी ख़ल्क़ को आराम दे ना है । हक़ हम्साएगी दिात वार चालीस घरों तक है यानन चारों तरफ़ से चालीस घर।
पथरी का इलाि: एक पोदा है स्िस का नाम है "पत्थर चटा" इस के पत्ते तोड़ लें और उन्हें खाते रहें । पथरी ख़त्म करने के ललए ये सब से अक्सीर इलाि है ।
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बीमार पर दम ककया और लशफ़ा लमली: "या सलामु" ( ) اٰی اسل ْم१११ बार पढ़ कर बीमार पर दम करने से इन शा अल्लाह अज़्ज़ ् व िल ् लशफ़ा हालसल होगी। ग़मज़्दह पढ़े ग़म दरू : "या मुहैलमनु" ( ) اٰی ْم اھ ْی ِم ْن२९ बार रोज़ाना िो कोई ग़मज़्दह पढ़ ले, इन शा अल्लाह अज़्ज़ ् व िल ् उस का ग़म दरू होगा।
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भाप के िले का इलाि: अगर हाथ या स्िस्ट्म का कोई दहस्ट्सा भाप से िल िाए तो कच्चा आलू पीस कर लगा दीस्िये। चंद लमनटों में ही आप काफ़ी आराम महसस ू करें गे।
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यक़ातन के ललए मि ु रत ब अमल: मेहूँदी की पस्त्तयां दो तोले रात को पानी में लभगो रखें। सब ु ह को छान कर
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वपलाएं, चंद रोज़ के इस्ट्तेमाल से यक़ातन दरू हो िाता है ।
(मज़ीद रूहानी व स्िस्ट्मानी टोटके पाने के ललए आि ही दफ़्तर माहनामा अबक़री से ककताब "अबक़री
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लाया अनोखे और लािवाब टोटके" (स्िल्द अवल, दोइम) लाइए, आज़मूदह टोटके पाइए।)
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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112___________pg43
या क़ह्हार पढ़ा अज़्िवाजी मसाइल बबल्कुल ख़त्म:
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(मेरा एक और दोस्ट्त स्िस की बहन की अज़्दवािी स्ज़न्दगी में बहुत मसाइल थे, हर वक़्त घर में शौहर के
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साथ लड़ाई झगड़ों ने उस की स्ज़न्दगी अिीरन बना दी थी। मैं ने अपने दोस्ट्त को ये वज़ीफ़ा बताया कक
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ْ "ٰی اق َاھ اको खल अपनी बहन को कहो कक सारा ददन " ار ु ा पढ़े ।) हज़ार साल उम्र की म्जन्ननी या क़ह्हार का वार ना सेह सकी: मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! स्िस तरह आप और अल्लामा लाहूती पुर इसरारी साहब दख ु ी इंसाननयत की ख़ख़दमत कर रहे हैं अल्लाह तआला आप दोनों को अपनी शान के मत ु ाबबक़ दीन और दन्ु या की बेह्तरीन नेअमतों से नवाज़े। आमीन! ग्यारह साल पहले मेरी दोस्ट्त ने मुझे दो Page 105 of 116
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अन्मोल ख़ज़ाने का हदया ददया। उस वक़्त से ये हर नमाज़ में मेरा पढ़ने का मामूल है । इस साल रमज़ान से एक ददन पहले ककसी की अयादत के ललए गयी तो वहां अबक़री पढ़ने को लमला। उस वक़्त से आख़री छे सरू तें भी सन् ु नतों में पढ़ने का अल्हम्दलु लल्लाह मामल ू बन गया है । अबक़री की वपछली स्िल्दें मैं और मेरी बहन िो अमरीका में हैं पढ़ रहे हैं। आप की उदय ू ात, शहद और इत्तर इस्ट्तेमाल कर रहे हैं। अल्हम्दलु लल्लाह! मैं और मेरी बहन अल्लामा लाहूती साहब का मज़्मन ू "स्िन्नात का पैदाइशी दोस्ट्त"
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बहुत शौक़ से पढ़ते हैं और हमारे ददल आप की एक एक बात की गवाही दे ते हैं कक ये सब हक़ है । आप अल्लाह तआला के चन ु े हुए बन्दे हैं, अल्लाह तआला हम दोनों बहनों को आप से फ़ैज़याब होने की तौफ़ीक़
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अता फ़मातए। आमीन! अल्लामा साहब की ककताब "स्िन्नात का पैदाइशी दोस्ट्त" स्िल्द अवल स्िल्द दोम (२) बार बार पढ़ी मगर प्यास नहीं बुझती और इंतज़ार है कक कब अगली स्िल्द शायअ होगी। ददल चाहता
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है कक अल्लामा साहब के बताए हुए सारे वज़ाइफ़् अपने मामूल में ले आऊं। बहुत से वज़ाइफ़् हमारे मामूल
में आ भी चक ु े हैं। अल्लामा साहब की दआ ु ओं के ताललब हैं कक अल्लाह तआला हमारे वक़्त में बरकत िाल
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दें और बड़ी हसरत है कक मोती मस्स्ट्िद का अमल मोती मस्स्ट्िद में ही अल्लाह तआला करवा दें क्योंकक
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ْ )ٰی اق َاھ اका अमल भी हम दोनों बहनें कर रही हैं कोई महरम नहीं स्िन के साथ लाहौर िाएं। "या क़ह्हारु" (ار
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और लमलने वालों को भी बता रही हैं। मेरी बहुत ही क़रीबी लमलने वाली िो तक़वा वाली दीन्दार औरत हैं। उन के घर में दीन की तालीम भी होती है । उन की बेटी पर काफ़ी सालों से एक स्िन्न औरत थी। उस की
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उम्र हज़ार साल थी। उस स्िन्न औरत ने ख़द ु ये बात बच्ची की माूँ को ख़्वाब में बताई। बच्ची की माूँ को ْ ) اٰی اق َاھका अमल बताया, अभी उन्हें शरू भी "या क़ह्हारु" ( ار ु ककये दस ू रा ही ददन था कक बेटी ने माूँ से कहा
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कक अम्मी आप ने कोई अमल शुरू ककया है , माूँ के बताने पर बेटी बोली कक आप ये अमल छोड़ दें , ये
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अमल मुझे मार दे गा। माूँ ने िवाब में कहा कक दे खना बेटी मैं लसफ़त ग्यारह ददन ही ये अमल करूंगी और
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इन शा अल्लाह तम ु ठीक हो िाओगी। उस की माूँ ने लसफ़त तीन ददन ही ये अमल ककया कक इस अमल की ْ ) اٰی اق َاھका मुक़ाब्ला लसफ़त तीन ददन कर सकी बरकत से वो हज़ार साल की स्िन्न औरत "या क़ह्हारु" (ار और चोथे ददन हलाक हो गयी। (स,अ,ह)
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लयारह सो बार या क़ह्हार पढ़ा और म्जन्न भाग गया: मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! ख़श ु रहें , लम्बी उम्र पाएं। आमीन! अज़त है कक मैं और मेरे घर वाले अबक़री के कम अज़ कम सात साल से क़ारी हैं। हमें आप से मुलाक़ात का बहुत शौक़ था लेककन हमारा लाहौर में कोई नहीं रहता था, किर लाहौर में मेरी छोटी बहन की शादी हुई और हम लोग लाहौर आए, वहां मोती मस्स्ट्िद गए नवाकफ़ल अदा ककये, बेटी ने भी नवाकफ़ल अदा ककये। किर हम वापस
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रावलवपंिी आ गए। कुछ ददन बाद मेरी बेटी छत पर थी कक उस की तबीअत ख़राब हो गयी, उस पर कोई
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चीज़ आ गयी थी कक ये मुझे पसंद है । उस की ख़ाला उस को लाहौर ले आईं, आप से मुलाक़ात करनी चाही
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ना हो स्ट्की। आप के अलसस्ट्टें ट साहब से मुलाक़ात हुई, उन्हों ने बताया कक इस बच्ची पर असर है , उन्हों ने
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हमें दब ु ारह मोती मस्स्ट्िद में िा कर नवाकफ़ल अदा करने का कहा, वो हम ने ककया और बच्ची को
ْ )ٰی اق َاھ اसुबह व शाम ग्यारह िुमेरात को दसत में ले कर आए। अलसस्ट्टें ट साहब ने बच्ची को "या क़ह्हारु" (ار
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सो बार पढ़ने को बताया और अफ़हलसब्तुम का अमल यानन स्िस में सात बार सूरह मोलमनून की आख़री
चार आयात और सात बार अज़ान पढ़नी है और ये अमल ददन में कई बार करने को कहा। बच्ची कुछ ददन
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ْ ) اٰی اق َاھऔर अफ़हलसब्तुम वाला लाहौर में ही अपनी ख़ाला के घर रही और कुछ ददन ही "या क़ह्हारु" (ار अमल करने के बाद बबल्कुल ठीक हो कर रावलवपंिी वापस आ गयी। (श,ग़)
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या क़ह्हार पढ़ा अज़्दवािी मसाइल बबल्कुल ख़त्म:
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! आप का ररसाला अबक़री काफ़ी अरसा से पढ़ रहा हूूँ,
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आप दीन की ख़ख़दमत और दख ु ी इंसाननयत की फ़लाह के ललए गराूँ क़दर ख़ख़दमात सर अंिाम दे रहे हैं। अल्लाह पाक आप को और आप की तहरीक को ददन दग्ु नी रात चग्ु नी तरक़्क़ी अता फ़मातए। "या क़ह्हारु"
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ْ ) اٰی اق َاھका वज़ीफ़ा मझ (ار ु े मेरे एक दोस्ट्त ने बताया स्िस से मझ ु े बहुत अफ़ाक़ा हुआ, मेरा एक और दोस्ट्त स्िस की बहन की अज़्दवािी स्ज़न्दगी में बहुत मसाइल थे, हर वक़्त घर में शौहर के साथ लड़ाई झगड़ों ने उस की स्ज़न्दगी अिीरन बना दी थी। मैं ने अपने दोस्ट्त को ये वज़ीफ़ा बताया कक अपनी बहन को कहो कक सारा ददन "या क़ह्हारु" को खल ु ा पढ़े । उस की बहन ने चंद ददन ही या क़ह्हार सारा ददन खल ु ा पढ़ा तो इस ववदत की बरकत से उस के तमाम अज़्दवािी मसाइल, उल्झनें , झगड़े बबल्कुल ख़त्म हो गए। अब वो
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अपने घर में शौहर के साथ बहुत ख़श ु है , उस के शौहर अब उस का बहुत ख़्याल रखते हैं। (िहांज़ेब अब्बास, िी एच ए, लाहौर) अगर पाऊँ में मोच आ जाए तो: हुवल ्-शाफ़ी: एक टे बल स्ट्पून आटा, हाफ़ टी स्ट्पून हल्दी, एक चट ु की चन ू ा एक बततन में िालें अब इस में
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थोड़ा सा पानी िाल कर घोल लें किर इस को चल् ू हे पर पकाएं िब गाढ़ा पेस्ट्ट बन िाए तो एक कपड़े पर लगाएं स्िस िगा पट्टी बांधना हो पहले उस िगा थोड़ा सा सरसों का तेल लगाएं अब स्िस कपड़े पर पेस्ट्ट
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लगाया है उसे पाऊूँ पर रखें और पट्टी बाूँध लें। पेस्ट्ट नीम गरम हो तब पाऊूँ पर वो कपड़ा रखना है और
पट्टी बांधनी है , बहुत िल्द फ़ायदा होगा। ककसी िॉक्टर या िराह के पास िाना नहीं पड़ेगा। पाऊूँ घर में ही
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ठीक हो िाएगा। अगर ददत ज़्यादा हो तो ये अमल तीन ददन मुसल्सल करें , हमारा बारहा का आज़्माया
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हुआ है । हमें बहुत फ़ायदा लमला।
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अगर कोई चीज़ गुम हो जाए तो:
अगर आप की कोई चीज़ गम ु गयी है या आप रख कर भूल गए हैं तो दीवार से थोड़ा फ़ास्ट्ले पर खड़े हो कर ا
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उं गली के इशारे से दीवार पर ७८६ ललख कर किर ( या रस्ब्ब मूसा या रस्ब्ब कलीम ् बबस्स्ट्मल्लादह-र्रह्मानन-र्-रहीलम) ( ) اٰی ار َِب ْم ْو ٰٰس اٰی ار َِب َک ِْیمललखें। दीवार पर उं गली नहीं लगानी बस इशारे से ललखें। किर िो
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चीज़ खोई है उस को ढूंिना शरू ु कर दें , फ़ौरन लमल िाएगी। आप यक़ीन करें , हमारी कोई भी चीज़ गम ु
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हुई है या रख कर भूल िाते हैं तो हमें ऐसा करने से फ़ौरन लमल िाती है , चाहे पैसे हों या सोने की कोई है दर आबाद लसंध)
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चीज़ हो, िब आप की चीज़ लमल िाए तो हाथ के इशारे से आप ने िो ललखा है वो लमटा दें । (शहनीला,
माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112____________pg44
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क़ाररईन लाए अनोखे और आज़मूिह टोटके: (क़ाररईन ने बार बार आज़्माया किर अबक़री के ललए सीने के राज़ खोले और लाखों लोगों की ख़ख़दमत के ललए आप की नज़र में )
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नुस्ख़ा दिमाग़ और कमी ख़ून का इलाज:
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हुवल ्-शाफ़ी: ख़श्ख़ाश एक पाव, मग़ज़ वपस्ट्ता पचास ग्राम, मग़ज़ अख़रोट सो ग्राम, ख़श्ु क धन्या िेढ़ सो
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ग्राम। तबाशीर अस्ट्ली सो ग्राम, इलाइची बीस ग्राम, चार मग़ज़ पचास ग्राम, मग़ज़ बादाम सो ग्राम, चीनी
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एक ककलो। िेढ़ ककलो का िब्बा लें और ये नुस्ट्ख़ा बनाएं। तरीक़ा: ख़श्ख़ाश को अच्छी तरह साफ़ कर लें
किर ख़श्ख़ाश में पानी िाल कर आग के ऊपर रखें िब पानी उबाले खाने लगे तो उस के ऊपर मक्खन सा
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ननकलेगा मेल सी लगे गी लेककन इस को ज़ायअ नहीं करना वो ननकाल लें और किर चीनी का शीरा बनाएं और तमाम चीज़ें पीस कर लमक्स करें और शीरा समेत अच्छी तरह लमला लें और वो मक्खन भी शालमल
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कर लें। मािन ू तय्यार है । रोज़ाना मरीज़ को ननहार मंह ु एक चम्मच दें । ये नस्ट् ु ख़ा मेरी वो बहन िो चार माह चार पाई पर रही। उस को ख़द ु आलमल हज़रात स्िन्हों ने उस का इलाि ककया बना कर उस को ददया
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िबकक बहन में बबल्कुल ख़न ू ना था, पाऊूँ भी ज़मीन पर ना रख सकती थी अब अल्लाह पाक के फ़ज़्ल व
करम से सेहतमन्द है । नुस्ट्ख़ा के दौरान इस्ट्तेमाल चट पटी और खटी चीज़ें हर्गतज़ ना खाएं और मुझ ना
हर मज़र का आख़री इलाज:
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चीज़ को दआ ु ओं में याद रखें। (ि,ि, सक्खर)
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हज़रत स्िब्राईल عليہ السالمका दम: ये दआ ु िाद,ू टोना, नज़र बद्द, कसल, कादहली वग़ैरा के ललए मुिरत ब है । वज़ू कर के सात बार पढ़ कर मरीज़ पर सुबह व शाम िूंकें और पानी पर दम कर के चेहरे पर छींटे ٰ मारें , अल्लाह बहुत िल्द लशफ़ा दे गा। हज़रत अबू सईद ख़दर تعالی عنہ رضی هللاसे ररवायत है कक हज़रत स्िब्राईल عليہ السالمरसल ू ल्लाह ﷺ
के पास तश्रीफ़ लाए और कहा: या रसल ू ल्लाह ﷺ
ﷺबीमार हैं? आप ﷺने इशातद फ़मातया: हाूँ! तो स्िब्राईल
क्या आप
عليہ السالمने (आप ﷺ
की बीमारी
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से लशफ़ा के ललए) ये पढ़ा: "बबस्स्ट्मल्लादह अक़ीक लमन ् कुस्ल्ल शैइ-ं य्युअज़ीक लमन ् शररत कुस्ल्ल नस्फ़्सन ् ا
ْا ْ َ ا
ْ
ْ َ ا
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ِم لک ْ َ ْ ْ ا ا ْْ ا َ ِم औ ऐननन ् हालसददन ्। अल्लाहु यश्फ़ीक बबस्स्ट्मल्लादह अक़ीक। ( ْی ِ ش ِ ْ ِ بِ ْس ِم ہللاِ ا ْرق ِْیک ِ ْ ِ یش ٍء وی ِذیک ٍ لک نف ٍس او ع ک ب ْسم ہللاِ اا ْرق ِْی ا ا ْاْ ا ک ِ ( ) احमश्क्वात) तिम ुत ा: अल्लाह के नाम से कलाम पढ़ता हूूँ आप पर हर चीज़ से िो ِ ِ اس ٍد۔ ہللا یش ِف ْی
ईज़ा दे आप को, हर िान की बदी से या हसद करने वाले की आूँख से अल्लाह लशफ़ा दे आप को। अल्लाह के नाम से कलाम पढ़ता हूूँ आप पर।" (शफ़्क़तुल्लाह, लाला मूसा)
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आप के अपने फ़कचन में इलाज:
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! आप का अबक़री ररसाला हम हर माह पढ़ते हैं, इस में बहुत अच्छी अच्छी बातें होती हैं। बड़े अच्छे टोटके, बीमाररयों के इलाि और भी बहुत कुछ। अमरुद खाने
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से क़ब्ज़ की लशकायत दरू होती है और पेट की चबी कम होती है । शुगर कंरोल होती है , कोलेस्ट्रोल कंरोल
होता है , अगर दांतों में ख़ास कर बच्चों के दांतों में कीड़ा लगा हो तो चंद पत्ते पानी में उबाल कर उस पानी
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से सुबह व शाम कुललयां करें तो कीड़ा भी ख़त्म, मसूढ़े भी सही और दांतों का ददत भी ख़त्म हो िाता है ।
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आप के अपने ककचन में इलाि: अगर ककसी की नज़र ख़राब हो, नींद ना आती हो, सर में ददत रहता हो,
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हाफ़ज़ा कम्ज़ोर हो, दहफ़्ज़ करने वाले बच्चों के ललए भी बेह्तरीन है इस के इलावा बाल र्गरते हों, ददमाग़
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में कीरा र्गरता हो, एअसाब कम्ज़ोर हों और सब से बड़ी बात मेदा कम्ज़ोर हो, खाना हज़म ना होता हो तो ये स्ट्वीट डिश बनाएं ज़ाइक़ा के साथ सब बीमाररयों से इलाि भी पाएं। हुवल ्-शाफ़ी: सौंफ़ आधा पाव, कूट
कर िक उतार लें। ख़श्ख़ाश आधा पाव, धो कर साफ़ कर लें। दध ू एक ककलो, उबाल कर ठं िा कर लें।
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सौंफ़, ख़श्ख़ाश को रात को दध ू में लभगो दें , किर सुबह इस को हल्की आंच पर पकाएं िब सारा दध ू ख़श्ु क हो िाए तो उस में घी आधा पाव दे सी िाल कर ख़ब ू अच्छी तरह भन ू लें िब अच्छी तरह सौंफ़ भन ू िाए
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तो हस्ट्बे ज़रूरत चीनी िाल कर चल् ू हा बन्द कर दें , किर उस में चारों मग़ज़ आधा पाव, बादाम आधा पाव मोटे मोटे कूट कर, खोपड़ा आधा पाव कदक ू श कर लें। इन तीनों चीज़ों को भी इस पके हुए आमेज़े में िाल कर दहलाएं अब ये तीन चार चम्मच सुबह व शाम दध ू पत्ती के साथ इस्ट्तेमाल करें । (ि, शाह आलम माककतट लाहौर) छोटी सी िआ ु से कैंसर बबल्कुल ख़त्म:
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! अज़त है कक हमारे बैंक के पास एक लड़का बैठा है िो कक पेन्शन फ़ॉमत भरता है , तक़रीबन िेढ़ साल से उस को िैिड़ों का कैंसर था, कैंसर के ललए मैं ने उस को अबक़री ररसाला में आया वज़ीफ़ा बताया और अबक़री ररसाला र्गफ़्ट ककया, वो बच्चा पढ़ता है अल्हम्दलु लल्लाह उस को बहुत िल्द फ़ायदा हुआ है । यही दआ ु मैं ने अपनी एक दोस्ट्त को दी थी िो कक अरसा पांच साल से कैंसर में मब्ु तला थी और व्हील चेयर पर आई और किर बेि पर लग गयी थी।
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब! माशा अल्लाह उस ने ये दआ ु ख़ब ू पढ़ी और लसफ़त तीन माह में वो अपने पैरों पर चल कर पाकत में सुबह की वॉक के ललए आई थी। उस ने ये दआ ु "रस्ब्ब इन्नी मफ़लूबुन ् फ़न्तलसर्
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ْ ا َ َْ ا ْ ْْ ٌ ا ْ ِ ان ات ﴾۸۸ِص ﴿القمر ( )ر ِب ا ِِِن مغلوب فअल्क़मर १०) को बे दहसाब ख़ब ू ख़ब ू पढ़ा था वो अब बबल्कुल ठीक है और
सीदढ़यां भी उतर चढ़ रही है । वाक़ई अल्लाह के बाद अबक़री की दआ ु से वो तंदरु ु स्ट्त हो गयी है । स्िस से
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खाया वपया नहीं िाता था और हर वक़्त उस्ल्टयाूँ या मोशन करती और करवट उस को ददलवाना पड़ती थी मगर अब तंदरु ु स्ट्त और सेहत भी अच्छी ख़ासी हो गयी है और बहुत दआ ु एं दे रही है । अबक़री वाक़ई
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लािवाब है स्िस को भी अबक़री का वज़ीफ़ा या टोटका बताया काम्याब रहा और अब तो अबक़री के
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वज़ीफ़े के बाद लोग पूछते हैं कक आप का आस्ट्ताना कहाूँ है तो मैं उन्हें तस्ट्बीह ख़ाना का बता दे ती हूूँ या
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अबक़री ररसाला उन के हाथ में थमा दे ती हूूँ। मेरे पास तो अबक़री के इतने तिुबातत िमा हो गए हैं कक िो
मैं ललखने बैठूं तो एक मोटी ककताब बन िाए। अल्लाह का करम है ककसी को कोई बीमारी हो कोई
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परे शानी हो फ़ौरन मेरे ददमाग़ में कोई ना कोई अबक़री में छपा वज़ीफ़ा या टोटका आ िाता है । लोग कहते
हैं कक ददमाग़ है या कंप्यूटर! अरे आंटी! आप की आई साईट भी ठीक और ददमाग़ भी ठीक किर भी अपने
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आप को बूढ़ी क्यूूँ कहती हैं? मैं कहती हूूँ कक ये दोनों चीज़ें ख़द ु ा की तरफ़ से तोह्फ़ा हैं कक मैं चलते किरते
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सकता है? (अनीसा,कराची)
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हर वक़्त दरूद पाक पढ़ती हूूँ तो क्या आलशक़ ए मस्ट् ु तफ़ा ﷺकी आूँखें या ददमाग़ भी कभी कम्ज़ोर हो
हर फ़क़स्म के जाि ू से दहफ़ाज़त:
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! ये अमल मुझे कहीं से लमला था, मैं ने एक दोस्ट्त को बताया उस का मसला इस को पढ़ने की बरकत से हल हो गया। अब मैं ये अमल अबक़री के लाखों ٰ क़ाररईन को हदया कर रहा हूूँ। अमल ये है :- हज़रत कअब अल ्अहबार تعالی عنہ رضی هللاफ़मातते हैं कक चंद Page 111 of 116 www.ubqari.org
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कललमात अगर मैं ना कहता तो यहूद मुझ को गधा बना दे ते। ककसी ने पूछा वो कललमात क्या हैं? उन्हों ने ये बताए "अऊज़ु बबवस्ज्हल्लादह-ल ्-अज़ीलम-ल्लज़ी लैस शैउन ् अअज़म लमन्हु व बबकललमानत-ल्लादहत्ताम्मानत-ल्लती ला यि ु ाववज़ु हुन्न बरुिं -व्व ला फ़ास्िरुं -व्व बबअस्ट्माइ-ल्लादह-ल ्-हुस्ट्ना मा अललम्तु लमन्हा व मा लम ् अअलम ् लमन ् शररत मा ख़लक़ व ज़रअ व बरअ। ْ
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ْ ْ ْ ْ ْ ل ْی اس ِت َلّیااوز ْھ َان ا ٌَِب َوَلفاج ٌر َو ْ ا ء ہللاِ اْل ْ ْس ِٰن ام ا ْ َ تم ْ ا ْ اع ِل ْم ْ ِّنا او ام ْ ِ آل ا ْعل ْم ْ ِ ات ال ( ِم اع ْوذ ِ اِب ْج ِہ ہللاِ ال اْ ِظ ْی ِم ال ِذی ِ َک ام ِ ات ہللاِ التا َم ِ یش ٌء اعظ ام مِنہ او ِب ِ ِ ِابْسا ِ
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इस को इमाम माललक رحمت هللا عليہने ररवायत ककया है । (मश्क्वात) (य, लाहौर)
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सरू ह इख़लास ् की फ़ज़ीलत:
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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112________pg45
स्िस बन्दे ने सूरह इख़्लास को तीन बार पढ़ा वो ऐसे है कक उस ने पूरा क़ुरआन शरीफ़ पढ़ ललया और स्िस
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ٰ ने दो बार पढ़ा वो िन्नत अस्ल्फ़रदोस में रहे गा। हज़रत कअब ٗ تعالی عنہ رضی هللاफ़मातते हैं कक िो बन्दा सरू ह इख़्लास ् को पढ़ता है अल्लाह तआला उस के गोश्त को आग पर हराम कर दे ते हैं और िो
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बन्दा रोज़ाना रात और ददन में दस बार सूरह इख़्लास और आयत अल ्-कुसी पढ़ने पर म्वाज़्बत करे गा वो अल्लाह तआला की ख़श्ु नोदद को वास्िब करता है और क़यामत के ददन वो अंब्या عليہ السالمके साथ
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होगा। (मश्क्वात शरीफ़, स४२३,४२४) एक ररवायत में है कक हुज़ूर नबी करीम ﷺ
ने इशातद फ़मातया: िो
ने फ़मातया: स्िस ने नमाज़ की तरह, कालमल वज़ू तहारत के साथ, सूरह फ़ानतहा से
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िदीद) आप ﷺ
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बन्दा इस सूरह को दो सो बार पढ़ता है उसे पांच सो साल इबादत का सवाब लमलता है । (मज़ादहर हक़
इब्तदा कर के सो बार सूरह इख़्लास ् पढ़ी, अल्लाह तआला उस के ललए हर हफ़त पर दस नेककयाूँ ललखेंगे हर हफ़त पर दस बरु ाइयां लमटाएंगे हर हफ़त पर दस दिातत बल ु न्द फ़मातएूँगे और उस के ललए िन्नत में एक महल बनाएंगे और उस ददन उस के ललए सारे बनी आदम के आमाल के बराबर सवाब ललखेंगे। (कन्ज़ुल ्आमाल हदीस नंबर ६२३८)
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ْْ ْْْا ا ا ا بُس ا ا ) بُسان ہللا ِو ِحبم ِد ٖہ: अल्लाह तआला को ये सुब्हानल्लादह व बबहस्म्दही सुब्हानल्लादह-ल ्अज़ीम ् ( ان ہللاِ ال اْ ِظ ْیم
कलाम पहाड़ों की लमक़्दार सोना ख़चत करने से भी ज़्यादा महबूब है । दहकायत: एक बुज़ुगत फ़मातते हैं मैं मौसम बहार में बाहर ननकला और यूूँ गोया हुआ या अल्लाह पाक! दरूद भेि अपने हबीब ﷺपर दरख़्तों के पत्तों के बराबर, या अल्लाह दरूद भेि अपने नबी ﷺ
पर िूलों और िूलों की र्गन्ती के बराबर, या
अल्लाह! दरूद भेि अपने नबी ﷺपर समंदरों के क़तरों की तअदाद के बराबर, या अल्लाह! दरूद भेि
rg
आप ﷺपर रे र्गस्ट्तान की रे त के ज़रों के बराबर, या अल्लाह! दरूद भेि अपने हबीब ﷺपर उन चीज़ों की र्गन्ती के बराबर िो समंदरों और ख़श्ु की में । तो हानतफ़ से आवाज़ आई, ऐ बन्दे ! तू ने नेककयाूँ ललखने
rg
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वाले फ़ररश्तों को क़यामत तक के ललए थका ददया है और तू रब करीम की बारगाह से िन्नत अदन का
हक़्दार हुआ और वो बहुत अच्छा घर है । (नुज़्हत-अल्मिाललस स्िल्द दोम (२)) हम्द अज़ीम का सवाब:
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रसूल करीम ﷺने फ़मातया: िो कोई सवाब की ननय्यत से कहे सारी हम्द उस ख़ुदा के ललए है स्िस की
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इज़्ज़त के सामने हर शै ज़लील है और सारी हम्द उस ख़द ु ा के ललए है स्िस के सामने हर शै अदना दिे
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की है और सारी हम्द उस ख़द ु ा की ज़ात के ललए है स्िस की क़ुदरत की हर शै ताबबअ फ़मातन ् है तो ख़द ु ा
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उस के ललए हज़ार नेककयाूँ ललखेगा उस के हज़ार दिे बुलन्द करे गा और सत्तर हज़ार फ़ररश्ते मुक़रत र
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करे गा िो उस के ललए क़यामत तक मुआफ़ी मांगते रहें गे। (रवाह अस्ल्तब्रानी) "बबस्स्ट्मल्लादह-र्-रह्मानन-
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र्-रहीलम ला हौल व ला क़ुव्वत इल्ला बबल्लादह-ल ्अललस्य्य-ल ्अज़ीलम।
ا ا ا ْ ْا ِ َا ْ ٰ َا َ ِ ْالرح ِْی ِم اَل اح ْول او اَل ْق َاوۃ ا ََِل ِابِل ِ ال يل ال اْ ِظ ْی ِم ِب ْس ِم ہللا الرمِح ِنफ़ज्र की नमाज़ के बाद दस बार पढ़ने वाला ऐसा हो िाता है ِ
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िैसे उसे अभी उस की माूँ ने िना हो। (नुज़्हत-अल्मिाललस)
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एह्तलाम, जरयािं और सलकोररया का आज़मूिह इलाज:
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अगर मदातना स्ट्पमत कम्ज़ोर् हों और मत्लूबा लमक़्दार ना हो तो कुश्ता सदफ़ दरसमर बरगद एक से तीन रत्ती सुबह व शाम दध ू या शबतत से खाएं। दो माह मुसल्सल खाएं। मदत के अंदर मादा मनोया में तोलीदी िरासीम मज़्बत ू हो कर औलाद का िल लमलेगा। परहे ज़: आलू, खटाई, अचार, िूल गोभी, बेंगन, उबले हुए चावल, चाय, तली हुई सस्ब्ज़याूँ। इस के इलावा बकरे का गोश्त, कलेिी, मग़ज़, दे सी मुग़ी का गोश्त, यख़नी वग़ैरा खाएं। दध ू ,मक्खन, दे सी घी का इस्ट्तेमाल ज़्यादा करें । मब ु ाश्रत से दो माह परहे ज़ लास्ज़म
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के दिसम्बर 2015 के एहम मज़ामीन दहिंिी ज़बान में
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है । इस के इलावा यही नुस्ट्ख़ा एह्तलाम, िरयां और ललकोररया का आज़मूदह इलाि है । मैदे का अल्सर, वज़न में कमी: रोज़ाना ख़ाली पेट नाश्ता से आधा घन्टा पहले और रात सोने से पहले िब पेट ख़ाली हो खाना हज़म हो चक ु ा हो, रात का खाना मग़ररब के बाद एक चम्मच बड़ा खाने वाला शहद खा लें ता कक सोते वक़्त ये नुस्ट्ख़ा इस्ट्तेमाल कर सकें। ये दो वक़्त इस्ट्तेमाल करना है । शहद छोटा हो या बड़ा कोई हित नहीं और दार चीनी का एक टुकड़ा एक इंच एक कप पानी में उबाल लें और चाय की तरह पीएं इस में चीनी
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हर्गतज़ नहीं लमलानी। ये नस्ट् त र्ग़ज़ा खाने से पहले स्िस्ट्म पर ु ख़ा मुस्ट्तक़ल इस्ट्तेमाल करते रहने से मुग़न चबी िमा नहीं होगी लेककन पहले दो माह गोश्त मुग़न त खाने से परहे ज़ करना बेह्तर है । मैदे में गैस पैदा
मेरे समयािं की शुगर हुई बबल्कुल ख़त्म:
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लमले। (ि,प)
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नहीं होगी और मैदे के अल्सर को िड़ से ख़त्म कर दे गा। इस से आसान नुस्ट्ख़ा शायद ही आप को कहीं
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! सब से पहले अबक़री िैसा माहनामा ननकालने पर
और उस की काम्याबी पर मब ु ारकबाद दे ती हूूँ, लाखों लोगों को फ़ायदा पोहं च रहा है और आप को दआ ु एं
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दे ते हैं। अल्लाह तआला आप को िज़ा ए ख़ैर अता फ़मातए। मेरे शौहर को शुगर थी उन की शुगर इतनी हाई हुई कक कंरोल होना मस्ु श्कल हो गयी। मैं ने अबक़री के एक गज़ ु श्ता शम ु ारे में शग ु र के बारे में एक
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नुस्ट्ख़ा पढ़ा, दो माह इस्ट्तेमाल ककया तो मेरे शौहर की शुगर िो कक पंरह साल पुरानी है और वो इन्सोललन लगाते थे इस नस्ट् ु ख़ा की बरकत से कंरोल हो गयी है । शग ु र का नस्ट् ु ख़ा ये है :- हुवल ्-शाफ़ी: अन्राइन,
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तुख़्म सरस, गोंद कीकर, कलौंिी हम्वज़न लेनी है । इन ् तमाम चीज़ों को बारीक पीस कर सुबह व शाम
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आधा चाय का चम्मच पानी के साथ इस्ट्तेमाल ककया िाए। (क़,प)
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ज़्यारत ए नबी करीम ﷺऔर बे शुमार नेअमतें पाएं: अल्लामा दमीरी رحمة هللا عليهने हयात-अल्है वान में ललखा है कक िो शख़्स िुमा के ददन िुमा की नमाज़ के ْ
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ْ ْ ٌ बाद बा वज़ू एक पचात पर "मह ु म्मद-ु र्-रसल ू ल् ु लादह अह्मद-ु र्-रसल ू ल् ु लाह ( ) َم ا َمد َر ْس ْول ہللاِ امِحاد َر ْس ْول ہللا३५
मततबा ललखे और इस पचात को अपने साथ रखे अल्लाह िल्ल शानुहू उस को ताअत पर क़ुव्वत अता फ़मातता है और उस की बरकत में मदद फ़मातता है और शयातीन के वसावस से दहफ़ाज़त फ़मातता है और
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अगर इस पचात को रोज़ तुलअ ू आफ़्ताब के वक़्त दरूद शरीफ़ पढ़ते हुए ग़ौर से दे खता रहे तो नबी करीम ﷺकी ज़्यारत ख़्वाब में कसरत से हुआ करे गी। (बहवाला: फ़ज़ाइल दरूद शरीफ़, फ़स्ट्ल दोम (२) लसफ़हा नंबर ५०)
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िरूि शरीफ़ की कसरत ने भाई की शािी करवा िी: मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! इस दआ ु के साथ आग़ाज़ है कक अल्लाह आप को
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हमेशा ख़श ु व ख़रु त म रखे िो इन्साननयत की ख़ख़दमत का बीड़ा आप ने उठा रखा है अल्लाह ख़द ु ही आप को िज़ा ए ख़ैर अता फ़मातए। आमीन सुम्म आमीन। मोहतरम हज़रत हकीम साहब! मैं अपनी हर ْْ ا
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परे शानी के ललए दरूद शरीफ़ "सल्लल्लाहु अला मह ु म्मद्, सल्लल्लाहु अलैदह व आललही व सस्ल्लम" َا
ٰ ہللا ا ْ ) اصيلका वज़ीफ़ा कसरत से पढ़ रही हूँ स्िस का एक ननसाब मैं परा कर चकी हूँ ( صيل ہللا علیہ والہٖ وسلمک،لَع َم ا َمد ू ु ू ू
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और दस ू रा मुकम्मल होने वाला है अगर मैं यहाूँ अपने बारे में कुछ ललखूूँ तो शायद अल्फ़ाज़ ख़त्म हो
िाएं, गन ु ाह्गारों में सब से आगे, अगर कोई मझ ु से अच्छे तरीक़े से या इज़्ज़त से पेश आए तो िर लगता
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है कक मैं इस क़ाबबल ही नहीं, िो मुझे लमल रहा है बस ये उसी ग़फ़ूरु-रत हीम का करम है िो मेरी िैसी गन ु ह्गार पर नज़्र करम रखे हुए है , मेरी स्ज़न्दगी में बहुत हादसे आए किर इस दरूद पाक की बरकत से
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अल्लाह ने मुझे कैसे ननकाला बस हम ही ना शुक्रे और ना फ़मातन बने किरते हैं, अल्लाह हम सब को दहदायत कालमल नसीब फ़मातए। मझ ु े िब भी कोई परे शानी पड़ी है तो दरूद पाक पढ़ते या नमाज़ पढ़ने के
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बाद वज़ीफ़ा दरूद करते ही यक्दम कुछ पल के ललए मुझे समझ नहीं आती कक क्या होता है , ऐसे लगता है
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ख़्वाब में होती हूूँ और मेरे मसले का हल लमल िाता है , ये वज़ीफ़ा मैं ने अबक़री से पढ़ा था, मेरे भाई की
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शादी का दरू दरू तक कोई इम्कान नहीं था, अल्लाह ने दरूद की बरकत से करम ककया और ददनों के अंदर शादी हो गयी। (उज़्मा,हज़ारा)
माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112____________pg46
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