Monthly ubqari magazine feb 2016

Page 1

.u

w w

w bq i.o

rg

ar i.o

bq

ar

w w .u

w

rg


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

माहनामा अबक़री मैगज़ीन

फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन

rg

हहिंदी ज़बान में

ar i.o

दफ़्तर माहनामा अबक़री

i.o

bq

मज़ंग चोंगी लाहौर पाककस्ट्तान

rg

मरकज़ रूहाननयत व अम्न 78/3 अबक़री स्ट्रीट नज़्द क़ुततबा मस्स्ट्िद

ar

एडिटर: शैख़-उल-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मह ु म्मद ताररक़

bq

.u

contact@ubqari.org

WWW.UBQARI.ORG

w w

FACEBOOK.COM/UBQARI TWITTER.COM/UBQARI

w

w

w w .u

महमद ू मज्ज़ूबी चग़ ु ताई ‫دامت برکاتہم‬

Page 1 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

फ़ेहररस्त दर्स रूहाननयत व अम्न.................................................................................................................................. 3 आशिक़ ए रर्ल ू ‫ ﷺ‬की चादर ने आनति फ़फ़िा​ाँ ठिं डा कर हदया ................................................................... 6 बाग़याना तबीअत के बच्चों को र्ल् ु झाने के उर्ल ू ...................................................................................... 10

rg

मायर् ू ना हों! ............................................................................................................................................... 14 ज़ज़न्दगी को ज़ज़न्दगी की तरह बर्र करना र्ीख लें! ................................................................................. 14

ar i.o

र्दी का भरपरू मज़ह लेने वालों के शलए ला जवाब टोटके......................................................................... 18

rg

िाह ज़ोक़ी िाह ‫ رحمة هللا عليه‬के मस् ु तनद रूहानी वज़ाइफ़् ........................................................................ 20 मेरी ज़ज़न्दगी कैर्े बदली? ........................................................................................................................... 29

i.o

bq

फ़स्टस पोज़ीिन हाशर्ल करने का ख़ार् आज़मद ू ह अमल............................................................................. 33 बावची ख़ाना को बीमाररयों का घर नहीिं र्ेहत का ख़ज़ाना बनाएिं .............................................................. 37

ar

w w .u

आर्ान अमल! िादी भी हो गयी और क़ज़स भी उतर गया ......................................................................... 41

bq

क़ुदरती जड़ी बहू टयों का िान्दार क़ह्वा ....................................................................................................... 46

.u

w w w

w

नफ़्सस्याती घरे लू उल्झनें और आज़मद ू ह यक़ीनी इलाज ............................................................................... 49

Page 2 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

दर्स रूहाननयत व अम्न िैख़-उल-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मह ु म्मद ताररक़ महमद ू मज्ज़ब ू ी चग़ ु ताई‫دامت برکاتہم‬

rg

हलाल कमाएिं, चैन की नीिंद पाएिं अल्लाह र्े बातें करना र्ीख लें!: अल्लाह वालो! अल्लाह से बातें करना सीख लें , अल्लाह से राज़ व न्याज़

ar i.o

करना सीख लें ! चलते चलते बातें करें ! सोते सोते बातें करें ! िागते िागते बातें करें ! उठें तो बातें करें ! अरे

rg

पाकी में हैं तो बातें करें ! ना पाकी में हैं तो बातें करें ! वज़ू में हैं तो बातें करें ! बे वज़ू हैं तो बातें करें ! उस

i.o

करीम के साथ राज़ व न्याज़ करें ! उस करीम के साथ बातें करें ! उस को अपने दख ु ड़े सुनाएँ! अल्लाह िल्ल

bq

शानुहू से बातें करें ! नहीं आतीं तब भी करें ! बोलना नहीं आता तब भी बोलें ! एक वक़्त आएगा कक आप को

ar

बोलना आ िाएगा! एक वक़्त आएगा आप को करना आ िाएगा! किर एक वक़्त आएगा कक ससफ़त एक

w w .u

समस ् कॉल पर आप के सारे काम हो िाएंगे! िैसे उस अल्लाह के बन्दे ने एक तरफ़ खड़े हो कर ससफ़त समस ्

bq

कॉल दी थी कक उस का काम हो गया। लेककन उस का काम तब हुआ िब ननय्यत ठीक कर ली थी, उस ने फ़ैस्ट्ला कर सलया था कक उस ने हलाल खाना है । कोई बात नहीं अगर मेरे बच्चे मअयारी स्ट्कूलों से,

.u

क़ीमती सलबासों से, बेह्तरीन गाडड़यों से, उम्दह चीज़ों से और परु तकल्लफ़ ु आसाइशों से महरूम हैं कोई

w w

w

बात नहीं अगर मैं स्ज़न्दगी की आला आसाइशों और आला चीज़ों से महरूम रहूँ! कोई हित ही नहीं। अल्लाह शिफ़ा दे ने वाली और शिफ़ा लेने वाली ज़ात है : गुज़श्ता ददनों की बात है मैं एक मरीज़ के पास उस

w

की अयादत के सलए गया। तक़रीबन ३२,३३ ककलो उस का वज़न रह गया था। मैं ने िाते ही उन को तग़ीब दी कक आप बीमार हैं आप की दआ ु क़ुबूल होगी, सलहाज़ा आप दआ ु करें । उस अल्लाह के बन्दे ने इशा के वक़्त ऐसी दआ ु की। उस के हाथ ऊपर िाते और किर नीचे आते थे। उस की दआ ु एं उस के ददल की कैकफ़यतों से ननकल रही थीं और वो कैकफ़यात मुझे समझ नहीं आ रही थीं। िाने वो ददल ही ददल में अल्लाह से क्या मांग रहा था? वो मरीज़ िो बबस्ट्तर मगत पर है स्िस को कैंसर की विह से सारे िहाँ ने ला Page 3 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

इलाि क़रार ददया है । सशफ़ा दे ने वाला तो वो करीम है , बज़ादहर बस इंतज़ार हो रहा है । मैं भी दआ ु मांग रहा था, मरीज़ और मैं दोनों एक साथ आमीन कह रहे थे। काफ़ी दे र दआ ु मांगी। उस की आँखों से ही नहीं बस्ल्क उस के ददल से भी आंसू बह रहे थे और मैं ये महसस ू कर रहा था कक करीम की करीमी ऐसे अशे इलाही से बरस पड़ी है और मैं ददल में केह रहा था: "इलाही इस को आस्िज़ तू ने ककया है ! ये तो सेहत

rg

मन्द था! अल्लाह इस को मरीज़ तू ने बनाया है ! ये तो चलता किरता था! मेरे पास भी आता था! ऐ

ar i.o

अल्लाह! ये हड्डियों का ढांचा बन गया! इस के स्िस्ट्म की सारी ताक़तें सारी क़ुव्वतें तू ने ले लीं! दी हुई भी

‫ ﷺ‬के ज़ररए से कक िब मेरा बन्दा

rg

तेरी थीं। इलाही! तू ख़द ु तो फ़मातता है अपने हबीब सवतरर कौनैन

i.o

मरीज़ होता है और मेरे सामने आस्िज़ और बे बस होता है , और उस हाल में िब वो मुझ से सवाल करता

bq

है तो मैं उस का सवाल रद्द नहीं करता। इलाही! आि इस के सवाल को रद्द ना कर। उस शख़्स ने दआ ु के

ar

बाद हाथ मुंह पर िेरे । हाथ मुंह पर िेरने के बाद बड़ी दे र तक वो इन्हीं कैकफ़यतों में िूबा रहा। वो शख़्स

w w .u

आंसुओं में िूबा रहा। किर उस ने अपने रुमाल से अपने आंसू पोंछे और मैं ने उन से इिाज़त चाही और

bq

वापस आया तब मैं ने सोचा! आि की इबादत तो मझ ु े नफ़ा दे गयी।

.u

तू हो फ़कर्ी भी हाल में , मौला र्े लौ लगाए जा: अल्लाह वालो! अल्लाह से माँगना सीखो। उस के दर पर

w

मुहताि बन िाओ, उस के दर के फ़क़ीर बन िाओ। साअतें मांगने की आ गयी हैं। घडड़याँ मांगने की चल

w w

पड़ी हैं। उस करीम से माँगना सीखो। वो तो थोड़े से मांगने पर भी बहुत अता कर दे ता है । बड़ा करीम है !

बड़ा रहीम है ! यूँ अपनी ननय्यत को संवारो! यूँ अपने िज़्बे को संवारो! अपने अंदर द्यान्तदारी और

w

सच्चाई का िज़्बा पैदा करो। आख़ख़र एक ददन करीम की रहमत बरस पड़ती है और किर उस की अताएं बन्दों पर ऐसे आती हैं कक हम और आप सोच भी नहीं सकते। उस से माँगना सीखें। हलाल कमाएिं, चैन की नीिंद पाएिं: हलाल के रास्ट्तों की तरफ़ बढ़ें । हलाल से नस्ट्लें पल्ती हैं। हलाल से चैन आता है । हलाल से सक ु ू न आता है । कराची के एक तास्िर ने मझ ु े सामान ददखाया मैं ने पछ ू ा िनाब ये एक नंबर है या दो

Page 4 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

नंबर है ? मेरे हाथ से वो चीज़ वापस ले कर वो कहने लगा "भईया मैं ने रात को चैन से सोना है , ये एक नंबर है । इतने से लफ़्ज़ उस ने कहे मैं ने रात को चैन से सोना है , ये एक नंबर है "। ज़ज़न्दगी के ख़ि ु फ़क़स्मत र्ाथी: स्ज़न्दगी में अल्लाह ने एक मौक़ा ददया है अपनी आम्दनी का ख़्याल रखें

rg

कक इन नस्ट्लों को क्या ख़खला कर िा रहे हैं? इन नस्ट्लों को कैसे पाल रहे हैं? ककतनी ख़श ु कक़स्ट्मत बीवी है िो हलाल का तक़ाज़ा करे , शौहर की साथी बन िाए और वो दोनों हलाल के रास्ट्तों पर चल पड़ें। ककतना

ar i.o

ख़श ु नसीब शौहर है िो हलाल की कमाई ला कर अपनी बीवी का साथी बन िाए और वो दोनों हलाल के

rg

रास्ट्तों पर चल पड़ें। ककतना ख़श ु कक़स्ट्मत भाई है िो हलाल कमाई घर ला कर बहन का साथी बन िाए।

ककतनी ख़श ु कक़स्ट्मत बहन है िो अपने भाई को हलाल कमाने की तग़ीब दे कर अपने भाई की साथी बन

i.o

bq

िाए। अल्लाह वालो! आि हमें मौक़ा समला है । ककसी को माल पर बबठाया, ककसी को ख़ज़ाने पर बबठाया,

ar

ककसी को िीन्स पर बबठाया, ककसी को ककसी और चीज़ पर बबठाया। काम्याब कौन है ?: अब ये दे खें कक

w w .u

यहाँ कौन इन मवाकक़अ से फ़ायदा उठा कर अल्लाह के साथ अपने मआ ु म्लात को हलाल कर रहा है ।

bq

द्यानत व अमानत का मुआम्ला कर रहा है , सच्चाई और सदाक़त का मुआम्ला कर रहा है िो भी ये सब कर रहा है बस वो काम्याब हो गया। बच्चा फ़ाक़ों से बबलक रहा है मगर उस ने हलाल रोज़्गार ककया तो ये

.u

काम्याब हो गया। उस के बच्चे के हर रोने पर अशे इलाही से अल्लाह की रहमतें उतर रहीं। अगचे उस की

w w

w

ज़रूरतें पूरी नहीं हो रही हैं लेककन उस ने हलाल रोज़्गार करने का तय कर रखा है । उस ने हराम का तय नहीं ककया हुआ उस ने अपने इक़्तदार का ग़लत इस्ट्तेमाल नहीं ककया। (िारी है)

w

दर्स र्े फ़ैज़ पाने वाले

मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं पपछले दो साल से मुसल्सल आप के दसत सुनती आ रही हूँ। इस अरसे में दो मततबा आप से मुलाक़ात का शफ़त भी हाससल हुआ। मैं एक मुलास्ज़मत पैशा ख़ातून हूँ, मेरी स्ज़न्दगी में बहुत ज़्यादा दख ु थे, घर के सारे बोझ मेरे ऊपर और मैं अकेली करने वाली थी, कोई

Page 5 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

साथ दे ने वाला नहीं था। आप के दसत में मुसल्सल आने से मेरी स्ज़न्दगी का सब से बड़ा मसला हल हो गया। मेरा बेटा काम बबल्कुल नहीं करता था, दसत में आ कर रो रो कर दआ ु एं मांगने की बरकत से मेरे बेटे ने काम करना शरू ु कर ददया है । इस से पहले बबल्कुल भी कहने में नहीं था, दब ु ई भी गया मगर काम्याबी हाससल नहीं हुई, बाक़ी दो बेटे भी काम करते थे मगर नमाज़ी ना थे। एक बेटा मेरे साथ दसत में आना शुरू

rg

हुआ तो उस ने नमाज़ें भी पढ़ना शरू ु कर दीं और पहली मततबा गज़ ु श्ता रमज़ान के मक ु म्मल रोज़े रखे।

ar i.o

दसत में आने से पहले वो ननहायत बद्द तमीज़ ् था, मेरे साथ बहुत ही ऊंची आवाज़ में बात करता था। मेरा

rg

सब से छोटा बेटा बुरी सोसाइटी की विह से इंिेक्शन का नशा करना शुरू हो गया। उस की विह से मैं बहुत ज़्यादा परे शान थी, वो शादी शुदह है और उस ने अपनी मज़ी की शादी की थी। मैं हर दसत में उस के

i.o

सलए ज़रूर अल्लाह से मांगती और उस की ननय्यत कर के रूहानी ग़स्ट् ु ल करती स्िस की बरकत से उस ने

ar

bq

इंिेक्शन लगाने छोड़ ददए हैं और उस की तबीअत भी ददन ब ददन बेह्तर हो रही है । (य-न)

bq

w w .u

माहनामा अबक़री फ़रवरी 2016 िम ु ारा निंबर 116_______________pg 4

आशिक़ ए रर्ूल ‫ ﷺ‬की चादर ने आनति फ़फ़िा​ाँ ठिं डा कर हदया

.u

(िब मैं ने बारगाहे ररसालत में अिीब करामत का तज़्करह ककया तो हुज़ूर अक़्दस ‫ ﷺ‬ने इशातद फ़मातया कक ऐ

अबज़ ू र अल्लाह तआला के कुछ फ़ररश्ते ऐसे भी हैं िो ज़मीन में सेर करते रहते हैं। अल्लाह तआला ने उन

w

(अबू लबीब शाज़्ली)

w w

w

फ़ररश्तों की भी ड्यूटी फ़मात दी है कक वो मेरी आल की इम्दाद व अआनत करते रहें ।)

खाने में अज़ीम बरकत: हज़रत अब्दरु त हमान बबन अबू बकर ससद्दीक़ ‫ رضي هللا عنه‬का बयान है कक एक मततबा हज़रत अबूबकर ससद्दीक़ ‫ رضي هللا عنه‬बारगाहे ररसालत के तीन मेहमानों को अपने घर लाए और ख़द ु हुज़ूर अक्रम ‫ ﷺ‬की ख़ख़दमत अक़्दस में हास्ज़र हो गए और गफ़् ु तग ु ू में मसरूफ़ रहे यहाँ तक कक रात का खाना आप ‫ رضي هللا عنه‬ने दस्ट्तरख़्वान नुबुव्वत ‫ ﷺ‬पर खा सलया और बहुत ज़्यादा दे र गुज़र िाने के बाद मकान Page 6 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

पर वापस तश्रीफ़ लाए। उन की बीवी ने अज़त ककया कक आप ‫ رضي هللا عنه‬अपने घर पर मेहमानों को बुला कर कहाँ ग़ायब रहे ? हज़रत ससद्दीक़ अक्बर ‫ رضي هللا عنه‬ने फ़मातया कक क्या अब तक तुम ने मेहमानों को खाना नहीं ख़खलाया? बीवी सादहबा ने कहा कक मैं ने खाना पेश ककया मगर उन लोगों ने सादहब ख़ाना की ग़ैर मौिूदगी में खाना खाने से इंकार कर ददया। ये सुन कर आप अपने साहब्ज़ादे हज़रत अब्दरु त हमान

rg

‫ رضي هللا عنه‬पर बहुत ज़्यादा ख़फ़ा हुए और वो ख़ौफ़ व दहशत की विह से छुप गए और आप ‫ رضي هللا عنه‬के

ar i.o

सामने नहीं आये किर िब आप ‫ رضي هللا عنه‬का ग़स्ट् ु सा फ़रू हो गया तो आप मेहमानों के साथ खाने के सलए

rg

बैठ गए और सब मेहमानों ने ख़ब ू शकम सेर हो कर खाना खा सलया। उन मेहमानों का बयां है कक िब हम खाने के बततन में से लुक़्मा उठाते थे तो स्ितना खाना हाथ में आता था उस से कहीं ज़्यादा खाना बततन में

i.o

नीचे से उभर कर बढ़ िाता था और िब हम खाने से फ़ाररग़ हुए तो खाना बिाए कम होने के बततन में पेहले

bq

से ज़्यादा हो गया। हज़रत ससद्दीक़ अक्बर ‫ رضي هللا عنه‬ने मत ु अिब ु हो कर अपनी बीवी सादहबा से फ़मातया

ar

w w .u

कक ये क्या मुआम्ला है कक बततन में खाना पहले से कुछ ज़ाइद नज़र आता है । बीवी सादहबा ने क़सम खा कर

bq

कहा वाक़ई ये खाना तो पहले से तीन गन ु ा बढ़ गया है किर आप ‫ رضي هللا عنه‬उस खाने को उठा कर बारगाहे

ररसालत‫ ﷺ‬में ले गए िब सुबह हुई तो ना गगहाँ मेहमानों का एक क़ाफ़्ला दरबारे ररसालत ‫ ﷺ‬में उतरा

.u

स्िस में बारह क़बीलों के बारह सदातर थे और हर सदातर के साथ बहुत से दस ू रे सशतर सवार भी थे। उन सब

w

लोगों ने यही खाना खाया और क़ाफ़्ला के तमाम सदातर और तमाम मेहमानों का ग्रोह उस खाने को सशकम

मुख़्तसरं )

w w

सेर खा कर आसूदह हो गया लेककन किर भी उस बततन में खाना ख़त्म नहीं हुआ। (बुख़ारी शरीफ़ ि१ स ५०६

w

फ़ररश्तों ने चक्की चलाई: हज़रत अबूज़र ग़फ़्फ़ारी ‫ رضي هللا عنه‬का बयान है कक हुज़ूर अक़्दस ‫ ﷺ‬ने मुझे हज़रत अली ‫ كرم هللا وجهه‬को बुलाने के सलए उन के मकान पर भेिा तो मैं ने वहां ये दे खा कक उन के घर में चक्की बग़ैर ककसी चलाने वाले के ख़द ु बख़द ु चल रही है िब मैं ने बारगाहे ररसालत में अिीब करामत का तज़्करह ककया तो हुज़ूर अक़्दस ‫ ﷺ‬ने इशातद फ़मातया कक ऐ अबूज़र अल्लाह तआला के कुछ फ़ररश्ते ऐसे भी हैं

Page 7 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

िो ज़मीन में सेर करते रहते हैं। अल्लाह तआला ने उन फ़ररश्तों की भी ड्यूटी फ़मात दी है कक वो मेरी आल की इम्दाद व अआनत करते रहें । (अज़ालतुल ्-ख़फ़ा मक़्सद २ स २७३) क़ब्र वालों र्े गुफ़्सतुग:ू अमीरुल-मुअसमनीन हज़रत उमर फ़ारूक़ ‫ رضي هللا عنه‬एक मततबा एक नोिवान

rg

सासलह की क़ब्र पर तश्रीफ़ ले गए और फ़मातया कक ऐ फ़लाँ! अल्लाह तआला ने वादा फ़मातया है कक (‫( )ولمن خاف مقام ربہ جنتان‬यानन िो शख़्स अपने रब के हुज़ूर खड़े होने से िर गया उस के सलए दो िन्नतें हैं) ऐ

ar i.o

नोिवान! बता तेरा क़ब्र में क्या हाल है ? उस नोिवान सासलह ने क़ब्र के अंदर से आप ‫ رضي هللا عنه‬का नाम ले

rg

कर पक ु े अता फ़मात दी हैं। ु ारा और बआवाज़ बल ु न्द दो मततबा िवाब ददया कक मेरे रब ने ये दोनों िन्नतें मझ

i.o

(हुज्ितुल्लाह अल-ल ्आलमीन ि २ स ८६० बहवाला हाककम)

bq

मदीना की आवाज़ ननहावन्द तक: अमीरुल ्-मुअसमनीन हज़रत फ़ारूक़ आज़म ‫ رضي هللا عنه‬ने हज़रत

ar

साररया ‫ رضي هللا عنه‬को एक लश्कर का ससपह सालार बना कर ननहावन्द की सरज़मीन में स्िहाद के सलए

w w .u

रवाना फ़मात ददया। आप ‫ رضي هللا عنه‬स्िहाद में मसरूफ़ थे कक एक ददन हज़रत उमर ‫ رضي هللا عنه‬ने मस्स्ट्िद

bq

नब्वी के समंबर पर ख़त्ु बा पढ़ते हुए नागहां ये इशातद फ़मातया कक या साररयतल ्-स्िबल (यानन ऐ साररया!

.u

पहाड़ की तरफ़ अपनी पीठ कर लो) हास्ज़रीन मस्स्ट्िद है रान रह गए कक हज़रत साररया तो सरज़मीन

ननहावन्द में मसरूफ़ स्िहाद हैं और मदीना मुनव्वरह से सैंकड़ों मील की दरू ी पर हैं। आि अमीरुल ्-

w w

w

मुअसमनीन ने उन्हें क्यूँकर और कैसे पुकारा? लेककन ननहावन्द से िब हज़रत साररया ‫ رضي هللا عنه‬का क़ाससद आया तो उस ने ये ख़बर दी कक मैदाने िंग में िब कुफ़्फ़ार से मुक़ाब्ला हुआ तो हम को सशकस्ट्त होने

w

लगी। इतने में ना गहां एक चीख़ने वाले की आवाज़ आई िो गचल्ला गचल्ला कर कह रहा था कक ऐ साररया! तुम पहाड़ की तरफ़ अपनी पीठ कर लो। हज़रत साररया ‫ رضي هللا عنه‬ने फ़मातया कक ये तो अमीरुल ्मअ ु समनीन हज़रत फ़ारूक़ ए आज़म ‫ رضي هللا عنه‬की आवाज़ है । ये कहा और फ़ौरन ही उन्हों ने अपने लश्कर को पहाड़ की तरफ़ पुश्त कर के सफ़ बन्दी का हुक्म ददया और उस के बाद िो हमारे लश्कर की कुफ़्फ़ार से टक्कर हुई तो अचानक िंग का पांसा ही पलट गया और चश्म ज़्दन ने इस्ट्लामी लश्कर ने कुफ़्फ़ार की फ़ौिों Page 8 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

को रौंद िाला और असाकर इस्ट्लाम्या के क़ादहराना हमलों की ताब ना ला कर कुफ़्फ़ार का लश्कर मैदाने िंग छोड़ कर भाग ननकला और अफ़्वाि इस्ट्लाम ने फ़तह मुबीन का पचतम लहरा ददया। (मश्कात बाबु-अल ्करामात स५४६, हुज्ितल् ु लाह ि२ स८६०, तारीख़-अल ्-ख़ल ु फ़ा स८५)

rg

चादर दे ख कर आग बझ ु गयी: ररवायत में है कक हज़रत उमर फ़ारूक़ ‫ رضي هللا عنه‬की ख़ख़लाफ़त के दौर में एक मततबा ना गहां एक पहाड़ के ग़ार से एक बहुत ही ख़तरनाक आग नुमूदार हुई स्िस ने आस पास की तमाम

ar i.o

चीज़ों को िला कर राख का ढे र बना ददया िब लोगों ने दरबार ए ख़ख़लाफ़त में फ़यातद की तो अमीरुल ्-

rg

मुअसमनीन ने हज़रत तमीम दारी ‫ رضي هللا عنه‬को अपनी चादर मुबारक अता फ़मातई और इशातद फ़मातया कक

तुम मेरी ये चादर ले कर आग के पास चले िाओ। चन ु ाचे हज़रत तमीम दारी ‫ رضي هللا عنه‬उस मुक़द्दस चादर

i.o

bq

को ले कर रवाना हो गए और िैसे ही आग के क़रीब पोहं चे यका यक वो आग बुझने और पीछे हटने लगी यहाँ

ar

तक कक वो ग़ार के अंदर चली गयी और िब ये चादर ले कर ग़ार के अंदर दाख़ख़ल हो गए तो वो आग बबल्कुल

w w .u

ही बझ ु गयी और किर कभी भी ज़ादहर नहीं हुई। (अज़ालतल ु ्-ख़ल ु फ़ा मक़्सद २ स१७२)

bq

एक दरूद, र्ात बरकतें , अभी पढ़ें , अभी करें

.u

ये दरूद ससस्ल्सला क़ादररया के मामल ू ात में से है , िो शख़्स रोज़ाना पढ़ता है उस को सात नेअमतें हाससल

w

होती हैं। १- ररज़्क़ में बरकत। २- तमाम काम आसान। ३- नज़अ के वक़्त कल्मा नसीब। ४- िान कनी की

w w

सख़्ती से दहफ़ाज़त। ५- क़ब्र में वुसअत। ६- ककसी की मुहतािी ना हो। ७- मख़्लूक़ ए ख़द ु ा का ददल्दादह

हो। इस के इलावा हुज़ूर नबी करीम ‫ ﷺ‬की ज़्यारत के सलए मुिरत ब है । दरूद पाक ये है:- "अल्लाहुम्म

ِّ

w

सस्ल्ल अला सस्य्यददना व मौलाना मुहम्मददन ् मअदनन-ल ्-िूदद वल्करसम व आसलही व बाररक् व َ

ّٰ

َ ْ

ْ

َ ُ

َ

ِّ

َ ِّ ّٰ َ

ّٰ َ ‫۔ الل ُھ ِّم َصل‬ सस्ल्लम ्।" ‫لَع َس ِ ِّی ِد َ​َن َو َم ْوَل َ​َن ُم َ ِّم ٍد َم ْع َد ِن اْل ُ ْو ِد َوالک َر ِم َوالِہٖ َواب ِر ْک َو َس ِل ْم‬ ِ

(बशीर अह्मद राना, इस्ट्लाम आबाद)

Page 9 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

माहनामा अबक़री फ़रवरी 2016 िुमारा निंबर 116______________pg 5

बाग़याना तबीअत के बच्चों को र्ुल्झाने के उर्ूल (हाल्या दौर में बच्चों की नशो व नम ु ा के बारे में बहुत कुछ मालम ू ककया िा चक ु ा है वाल्दै न बेह्तर िानते

(उम्मे मैमूना, फ़ैसल आबाद)

ar i.o

और रुिहानात पर असर अंदाज़ होते हैं। )

rg

rg

हैं कक बच्चे कैसे सीखते हैं और ककस तरह बच्पन के एह्सासत व ख़्यालात, मुस्ट्तक़बबल की ख़्वादहशात

बच्चों की तबबतयत के हवाले से बदलते नज़ररयात ने समझदार वाल्दै न को अिीब मुग़ालते में िाल ददया

i.o

है । गज़ ु श्ता सदी के आग़ाज़ तक ये नज़ररया राइि था कक ताक़त इस्ट्तेमाल ना करने से बच्चे की तबबतयत

bq

में ख़राबबयां पैदा हो िाती हैं। दस ू रे अल्फ़ाज़ में घर के सरबराह की ताबबअ दारी और उस के हुक्म की

ar

w w .u

तामील लास्ज़म थी। बच्चों की ककसी ग़लती पर उज़्र सन ु ा नहीं िाता बस्ल्क सज़ा ही दी िाती थी। बच्चे

bq

बहुत कम वक़्त घर पर वाल्दै न के साथ गुज़ारते थे। अमीर घरानों में बच्चे आयाओं और नोकरों के रहम व करम पर होते थे िब कक ग़रीब घरानों के बच्चे स्िस्ट्मानी सरगसमतयों में या घर से बाहर खेतों वग़ैरा में

.u

खेल कूद में मसरूफ़ रहते थे। आि कल बच्चे ज़्यादा तर वक़्त वाल्दै न की क़ुबतत में गुज़ारते हैं। इस सलए

w w

w

बच्चों में नज़्म व ज़ब्त का मुआम्ला ज़्यादा एहसमयत अख़्त्यार कर गया है । हाल्या दौर में बच्चों की नशो व नुमा के बारे में बहुत कुछ मालूम ककया िा चक ु ा है वाल्दै न बेह्तर िानते हैं कक बच्चे कैसे सीखते हैं और ककस तरह बच्पन के एह्सासात व ख़्यालात, मस्ट् ु तक़बबल की ख़्वादहशात

w

और रुिहानात पर असर अंदाज़ होते हैं। ये िान्ने के बाद अब वाल्दै न परे शान हैं कक अच्छी तबबतयत के सलए सही तौर पर अमल क्यँक ू र और कैसे अख़्त्यार ककया िाए? बच्चों की नशो व नम ु ा के हवाले से मुख़्तसलफ़ फ़ल्सफ़ा, बहुत ज़्यादा नज़्म व ज़ब्त से ले कर बहुत कम नज़्म व ज़ब्त तक। इस ससस्ल्सले में वाल्दै न को ताकीद की गयी है कक वो अपनी Common sense इस्ट्तेमाल करें । बहुत ज़्यादा नज़्म व

Page 10 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

ज़ब्त भी नुक़्सान दह है और बहुत कम भी। इस बात के कई शवादहद मौिूद हैं कक िराइम पैशा अफ़राद का तअल्लुक़ ऐसे घरानों से होता है िहाँ बच्चे शफ़्क़त व मुहब्बत से महरूम रहते हैं। उन को मारा पीटा िाता है और बात बात पर सज़ा दे कर ग़ैर स्ज़म्मा दाराना रवय्या अख़्त्यार ककया िाता है । ये सब कुछ नज़्म व ज़ब्त के नाम पर ककया िाता है और िहाँ मुआम्ला इस के बर अक्स हो वहां भी नतीिे कुछ

rg

मख़् ु तसलफ़ नहीं हैं। बद्द कक़स्ट्मती से पहले तबक़े से मख़् ु तसलफ़ दस ू रे तबक़े के अफ़राद भी कुछ कम नहीं

ar i.o

हैं। बच्चों के साथ बे िा लाि प्यार कर के उन को ख़राब करने के असरात बलूग़त के बाद गचड़गचड़े पन, बे

rg

सुकूनी और बे इत्मीनानी की सूरत में ज़ादहर होते हैं। मज़्कूरा बाला दोनों रास्ट्तों के बिाए दरम्यानी रास्ट्ता अख़्त्यार करना इतना आसान काम नहीं है लेककन बा उसूल और मुस्ट्तक़ल समज़ाि वाल्दै न अपने

i.o

और बच्चों के दरम्यान बादहमी एतमाद और इज़्ज़त व एह्तराम की कफ़ज़ा पैदा कर के इस कोसशश का

bq

आग़ाज़ कर सकते हैं इस कक़स्ट्म की कफ़ज़ा में बच्चा परू े घर पर हुक्मरानी कर सकता है और ना ही

ar

w w .u

वाल्दै न बच्चे के ख़ख़लाफ़ महाज़ बना सकते हैं बस्ल्क बच्चे की मासूम ख़्वादहशात का एह्तराम ककया

bq

िाता है स्िस तरह माँ बच्चे की स्ज़न्दगी के इब्तदाई अय्याम में ख़द ु को बच्चे की ज़रूररयात के मत ु ाबबक़ ढाल लेती है , बच्चा भी ख़द ु को माँ की तवक़्क़ुआत के मुताबबक़ ख़द ु को ढालना सीख लेता है । िैसे िैसे वो

.u

बड़ा होता िाता है वो अपने िज़्बात पर क़ाबू रखना सीख िाता है , साबबर व शाककर हो िाता है , आदात व

w

अत्वार का मत्लब िानना शुरू कर दे ता है , ऐसे में वो बतद्रीि नज़्म व ज़ब्त का आदी हो िाता है । इन

w w

इब्तदाई सालों में वाल्दै न को मुस्ट्तक़ल समज़ाि होना चादहए। वो बादहमी रज़ा मन्दी के साथ उस मअयार का तअय्युन कर लें िो वो अपने घर में राइि करना चाहते हैं। अगर एक फ़रीक़ बहुत ही रहम ददल, नरम

w

समज़ाि और दस ू रा बहुत सख़्त समज़ाि हो तो अपने माहोल में एक मुन्तसशर समज़ाि और शरीर कक़स्ट्म का बच्चा ही हाससल हो सकता है । ऐसे में वाल्दै न अपने बच्चे को शरारती और बरु े बच्चे के अल्क़ाबात से नवाज़ते हैं या किर कहते हैं कक "हमें समझ नहीं आती कक इस बच्चे के साथ क्या करें "। असल में बच्चा ख़द ु भी नहीं िानता कक वो अपने साथ क्या करे । बअज़ औक़ात थोड़ी सी समझदारी और समझ बझ ू से

Page 11 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

नज़्म व ज़ब्त का मअयार बेह्तरीन अंदाज़ में मुक़रत र ककया िा सकता है । समसाल के तौर पर ना पसंदीदगी के िज़्बात का इज़्हार बहुत इब्तदाई उम्र में ही शुरू हो िाता है । दर हक़ीक़त बच्चा ये नहीं िानता कक वो अपने िज़्बात का इज़्हार ककस तरह करे । बच्चे की ये मस्ु श्कल आदहस्ट्ता आदहस्ट्ता आसान बनाई िा सकती है कक उसे ये समझने और सीखने में मदद दी िाए कक उस के वाल्दै न उस से उम्मीद

rg

करते हैं कक वो अपने िज़्बात का इज़्हार ग़लत रवय्ये से नहीं करे गा। मारना, बद्द समज़ािी या गचड़गचड़ा

ar i.o

पन, बाग़याना तबीअत की अलामत हैं। ऐसी सूरत में बच्चे की उम्र और ज़ेहनी सतह के मुताबबक़ उस को

rg

मुनाससब तरीक़े से Deal ककया िाए।

छोटे बच्चे में अदावती एह्सासात का होना अक्सर उस को तबाही तक ले िाता है । इस का हल ये है कक

i.o

bq

उस को कुछ ऐसे ख़खलोने और ग़ब्ु बारे ददए िाएं स्िन को तोड़ िोड़ कर के वो अपने अंदर की भड़ास

ar

ननकाल सके। अगर वो अपने और दस ू रों के ख़खलोने ग़लती से तोड़ दे ता है तो उस को सज़ा मत दें और

w w .u

अगर सज़ा दे ना ज़रूरी हो तो ये सज़ा बबला तवक़्क़ुफ़् और िम ु त से मत ु ाबबक़त रखने वाली हो ता कक बच्चा

bq

अपनी ग़लती को समझ सके और हक़ीक़त िान सके कक उस का इस कक़स्ट्म का रवय्या बदातश्त नहीं ककया िाएगा। सज़ा ना स्िस्ट्मानी हो और ना ही तवील। वाल्दै न को एक और बड़े मसले का सामना होता

.u

है और वो सवाल करते हैं कक "हमें बच्चे के साथ ककस हद्द तक बेहेस करनी चादहए या दलाइल के ज़ररए

w w

w

अपनी बात समझानी चादहए?" इस का िवाब बच्चे की उम्र, समज़ाि और आम घरे लू माहोल पर मुन्हससर होता है । बहुत छोटी उम्र में बच्चे को "नहीं" कहने की आदत होती है । उन की उम्र बेहेस मुबादहसे

के सलए बहुत कम होती है , इस सलए इस से गुरेज़ ही बेह्तर है । ककसी भी हुक्म के सलए सादह सी विह

w

बयां की िा सकती है लेककन वाल्दै न को ये भी ख़्याल रखना चादहए कक हुक्म या एह्कामात की नोइय्यत इसी तरह की हो कक उन की तामील हो िाए। सख़्त पासलसी रखना लाज़्मी है लेककन साथ साथ इस बात का भी ख़्याल रखना चादहए कक बच्चे की नशो व नम ु ा के इस मरहले पर उस से बहुत ज़्यादा तवक़्क़ुआत वाबबस्ट्ता ना की िाएं। वाल्दै न को चादहए कक बच्चे को काम से आगाह करें अगर उस को कोई एतराज़

Page 12 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

होगा तो वो फ़ौरन बता दे गा। बच्चा िूं िूं बड़ा होता िाता है एह्कामात को समझने की उस की सलादहयत में इज़ाफ़ा होता चला िाता है । मेरा ख़्याल है कक वाल्दै न में से कोई भी ये पसंद नहीं करे गा कक उन का बच्चा बग़ैर ककसी पस व पेश के अँधा धद ंु एह्कामात की तामील करने वाला हो। उन वाल्दै न के बच्चे उन का बहुत एह्तराम करते हैं िो बच्चों के एह्सासात को समझते हैं। नए नए तिुबातत की तरफ़

rg

उन के रुिहानात की क़दर करते हैं। अगर बच्चा मन ु ाससब दलील पेश करे तो वो अपना कोई भी हुक्म

ar i.o

वापस लेने को तय्यार हो िाते हैं। महज़ डिससस्प्लन की ख़ानतर बच्चे की ख़्वादहशात और रुिहानात का

rg

गला घोंटना अक़लमंदी नहीं है ।

i.o

ट्राउट मछली को जान्ने वाले मुतवज्जह हों!

bq

मोहतरम क़ाररईन! इदारा अबक़री को राउट मछली के कांटे चादहयें स्िन अह्बाब के पास हों वो फ़ौरी तौर

ar

पर दफ़्तर माहनामा अबक़री सभज्वाऐं। ये कांटे अक्सर खाने वाले या शुमाली इलाक़ा िात के होटलों से

w w .u

समल िाते हैं। मुख़सलसीन ज़रूर तवज्िह करें । इत्तलाअ के सलए इस नंबर पर ससफ़त मेसेि करें । ०३४३-

bq

८७१०००९ (0343-8710009)। नॉट: अगर ककसी के पास इस के फ़ायदे हों तो ज़रूर सलखें , इदारा आप का

.u

w w

w

मश्कूर होगा।

w

माहनामा अबक़री फ़रवरी 2016 िुमारा निंबर 116_______________pg 6

Page 13 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

मायर् ू ना हों! ज़ज़न्दगी को ज़ज़न्दगी की तरह बर्र करना र्ीख लें ! (आदमी को मग़्मूम रहने से एक ग़ैर कफ़तरी कक़स्ट्म की तम्माननयत महसूस होती है । आप ने अपने

rg

समलने िुलने वालों ही में ऐसे कई अफ़राद दे खे होंगे स्िन्हें बीमार रहने का शौक़ है उसी तरह बअज़ लोग रं ि व अल्म से लज़्ज़त हाससल करते हैं)

ar i.o

अह्मद पहलोंटी का बच्चा था। बाप कपड़े की एक छोटी सी दक ु ान का मासलक था िब बड़े समातयादार इस

rg

मैदान में उतरे तो उस का कारोबार ठप हो गया। इस मस ु ीबत का मदावा उस ने एक अिीब से एह्सास

i.o

बततरी में पाया, वो बड़े पैमाने की नतिारत को हक़्क़ारत से दे खने लगा, गोया कारोबार के मुतअस्ल्लक़

bq

मन्फ़ी ज़ाव्या नज़र का सबक़ उसे बच्पन ही में समल चुका था, उस की अपनी तो कोई छोटी दक ु ान थी

ar

नहीं मगर बाप के नक़्शे क़दम पर चलना ज़रूरी था तो उस ने एक छोटी दक ु ान पर नोकरी कर ली। बच्पन

bq

w w .u

में अह्मद अक्सर बीमार रहता चँ कू क पहला बच्चा था इस सलए माँ की सारी तवज्िुहात उसी पर मज़्कूर रहतीं लेककन चन्द साल बाद यक्के बाद दीगरे घर में एक बच्ची और बच्चे ने क़दम रखा और वाल्दै न की

.u

तवज्िह अब तीनों बच्चों में बट गयी अह्मद के सलए वो पहला सा इल्तफ़ात ना रहा, सो वो बे ज़ार रहने लगा, वाल्दै न समझे कक बच्चा वाक़ई बीमार है कुछ अरसे बाद उसे किर वैसी ही तवज्िह समलने लगी

w w

w

िैसी पहले समलती थी। उम्र के उस दौर में अह्मद ने दो ऐसे सबक़ सीखे िो मुस्ट्तक़बबल में उस के अत्वार

की बन् ु याद बन गए लेककन ये सबक़ थे बहुत नक़् ु सान दह। एक सबक़ ये था कक अपने ऊपर ख़ब ू

w

अफ़्सुदतगी और बे ज़ारी तारी कर लो तो तुम्हारी तरफ़ तवज्िह दी िाएगी, बच्पन में ये हबात काम्याब रहता है लेककन बड़े हो कर काम नहीं दे ता। आम लोग मुदात ददली को पसंद नहीं करते और ऐसे अफ़राद से कनी कतराते हैं। अह्मद को बड़े हो कर ये हक़ीक़त तस्ट्लीम कर लेनी चादहए थी लेककन उस ने ऐसा ना ककया। उस के तह्तुल ्-शऊर में लड़कपन की वही बातें िमी हुई थीं और अब भी उस के िज़्बात उसी

Page 14 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

बच्गाना उसूल के ताबबअ थे कक अब्बा अम्माँ की तवज्िह खेंचने के सलए मुंह बसूरना ज़रूरी है । वाल्दै न का साया सर से उठ गया मगर मुंह बसूरने की आदत ना गई। दस ू रा सबक़ उस ने बच्पन में ये सीखा कक आदमी को मग़्मम ू रहने से एक ग़ैर कफ़तरी कक़स्ट्म की तम्माननयत महसस ू होती है । आप ने अपने समलने िुलने वालों ही में ऐसे कई अफ़राद दे खे होंगे स्िन्हें बीमार रहने का शौक़ है उसी तरह बअज़ लोग रं ि व

rg

अल्म से लज़्ज़त हाससल करते हैं। ऐसे लोग दरअसल स्ज़न्दगी की हमगीरी से घबराते, उस के नशेब व

ar i.o

फ़राज़ से िरते और हक़्क़ाइक़ का सामना करने से िी चरु ाते हैं। हुज़्न व मलाल और यास व ना उम्मीदी

rg

की तारीककयों में हमवक़्त नघरे रहना ही उन्हें तस्ट्कीन दे ता है और यही वो लोग हैं िो अपने साथ दस ू रों को भी अफ़्सुदतगी और मायूसी के तारीक ग़ारों में धकेल दे ते हैं।

i.o

bq

मुसरत त और शगुफ़्तगी कोई ख़द ु ादाद अत्या नहीं। आदमी ख़्वाह ककसी हाल में हो वो चाहे तो ख़श ु ी और

ar

मुसरत त के सामान पैदा कर सकता है यही वो सबक़ था िो अह्मद को सीखना था लेककन उस के सलए

w w .u

ज़रूरी था कक बच्पन में रटे हुए अस्ट्बाक़ को फ़रामोश कर ददया िाए। ये तो हर शख़्स िानता है कक परु ानी

bq

आदत यक् लख़्त तकत कर दे ना आसान नहीं स्ज़न्दगी के मुतअस्ल्लक़ ज़ाव्या नज़र बदलना तो और भी मस्ु श्कल है , ता हम नई राहें कौन तलाश नहीं करता। स्ज़न्दगी संवारने के सलए हम में से हर एक को बारहा

.u

अपने तौर तरीक़े बदलने पड़ते हैं आख़ख़र हम इंसान हैं, झाड़ झंकार नहीं कक एक तौदाह ख़ाक में िड़ पकड़

w w

w

लें, तो उम्र भर के सलए वही​ीँ के हो रहें , ना पुख़्ता एह्सासात और बच्पन से ज़ेहन में बैठे हुए ग़लत तसव्वुरात को स्ज़न्दगी भर के सलए अपने ऊपर तारी कर लेने का नतीिा यही होता है कक इंसान एक ख़ख़ज़ाँ रसीदह दरख़्त की मानंद कुम्लाया मुझातया रहता है । हम में से अक्सर लोग छोटी छोटी सशकायात,

w

हक़ीर से तफ़क्कुरात और मामूली मामूली दश्ु वाररयों के मुक़ाब्ले में अज़्म्हलाल और यास व अल्म में मुब्तला रहने के आदद हो चक ु े हैं। कोई बात ज़रा भी ख़ख़लाफ़ समज़ाि हो िाए तो ख़द ु एतमादी को ठे स लगती महसस ू होती है । रफ़्ता रफ़्ता हर बात पर बेज़ारी का इज़्हार हमारे सलए वक़ार का मसला बन िाता है लेककन उदास और बेज़ार रहना स्ज़न्दगी की तौहीन है बस्ल्क क़ुफ़्ां नेअमत में दाख़ख़ल है । सेहतमन्दाना

Page 15 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

ज़ाव्या नज़ररया है कक आप स्ज़न्दगी को अल्लाह की अता करदह नेअमत तसव्वुर कीस्िये ऐसी नेअमत िो दब ु ारह ना समलेगी सलहाज़ा इसे बोझ ना समख़झये और इस के एक एक लम्हे को इंतहाई क़ीमती और बेष बहा िान कर काम में लाने की सई कीस्िये याद रख़खये! अगर हम स्ज़न्दगी को स्ज़न्दगी की तरह

rg

बसर करना सीख लें तो दन्ु या में हम से ज़्यादा मुत्मइन और ख़श ु व ख़रु त म इंसान कोई और ना होगा। इस हक़ीक़त को तस्ट्लीम कर लेने के बाद अह्मद के सलए बस एक आसान से नुस्ट्ख़े पर अमल करना

ar i.o

बाक़ी रह गया िब कोई मस्ु श्कल सर उठाती तो वो अपने आप से सवाल करता कक उसे ककस तरह हल कर

rg

सकता हूँ बहुत ग़ौर व कफ़क्र के बाद िो हल सामने आता उस के मुताबबक़ अमल करता। दरअसल

अफ़्सुदतगी और बेज़ारी के ज़ेहर का तयातक़ अमल से हाससल होता है । इस के साथ ही ये हक़ीक़त भी ज़ेहन

i.o

bq

पर नक़्श कर लेनी चादहए कक दन्ु या की सारी मुसीबतें आप ही के सलए ख़ास नहीं हैं। दस ू रों को भी ऐसे ही

ar

मसाइब का सामना करना पड़ता है और कोई भी मुस्श्कल ऐसी नहीं िो हल ना हो सके और कोई उक़्दह

w w .u

ऐसा नहीं िो वा ना हो सके।

bq

ज़रा कॉपी पें ससल ले कर बैदठये और उन चीज़ों की फ़ेहररस्ट्त बनाइये स्िन से महरूमी आप को सदमा

.u

पोहं चाएगी दे ख़खये ईमानदारी से काम लीस्िये इस फ़ेहररस्ट्त में वो चीज़ें भी सलख़खए स्िन से बअज़ औक़ात

आप को सशकायत होती है । इसी तरह फ़ेहररस्ट्त बनाते चले िाइए आप दे खेंगे कक ख़ासी तवील बन

w w

w

िाएगी बस्ल्क िब भी आप इस पर नज़र सानी करें गे इस में इज़ाफ़ा होगा। अब आप समलने िुलने वालों में से ककसी ऐसे शख़्स का इन्तख़ाब कीस्िये िो अमूमन शगुफ़्ता नज़र आता हो। उस के मुतअस्ल्लक़

w

ऐसी बातों की फ़ेहररस्ट्त तय्यार कीस्िये स्िन्हें वो बदातश्त करता हो लेककन ये बातें आप के नज़्दीक क़तई नाक़ाबबले बदातश्त हों, यहाँ ये अह्मक़ाना उज़्र पेश ना कीस्िये कक मैं तो आम लोगों से ज़्यादा हस्ट्सास वाकक़अ हुआ हूँ, ये क़ाबबले फ़ख़्र बात नहीं, इस का मत्लब ये कक आप स्ज़न्दगी बसर नहीं करते बस्ल्क उस के बख़्ये उधेड़ने में लगे हैं।

Page 16 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

इस में शक नहीं कक बअज़ लोग दस ू रों से ककसी क़दर ज़्यादा हस्ट्सास होते हैं लेककन हस्ट्सास होने का ये मत्लब कहाँ है कक आप तक्लीफ़ ही तक्लीफ़ महसूस करते िाएं हक़ीक़तन हस्ट्सास आदमी उसे कहें गे िो दस ू रों की ननस्ट्बत अगर तक्लीफ़ ज़्यादा महसस ू करता है तो ख़श ु ी के मोक़ए पर ख़श ु भी दस ू रों से ज़्यादा होता है , मसीबत नास्ज़ल हो तो ख़द ु को बद्द नसीब ठहराने के बिाए ये सोचने की कोसशश कीस्िये कक

rg

दन्ु या में आप से भी ज़्यादा बद्द नसीब लोग ना िाने ककतने होंगे किर ज़रा बरु नोित शाह के इस मक़ोले पर

ar i.o

ग़ौर फ़मातइये कक स्िस तरह आप को दौलत पैदा ककये बग़ैर इस से इस्ट्तेफ़ाह का हक़ नहीं उसी तरह

rg

मुसरत त के अस्ट्बाब पैदा ककये बग़ैर मसरूर होने का हक़ नहीं नहीं।

मशहूर मादहर नफ़्स्ट्यात एल्फ़ित एिलर के पास मालीख़ोसलया का मरीज़ आता तो वो मरीज़ से कहता:

i.o

bq

रोज़ाना कोई ऐसी तदबीर सोचो कक ककसी दस ू रे शख़्स को तुम्हारे बाइस ख़श ु ी और मुसरत त हाससल हो।

ar

अह्मद ने भी इस नुस्ट्ख़े पर अमल ककया। एक मततबा उस ने मुझे बताया: हर दम ख़श ु व ख़रु त म रहने की

w w .u

कोसशश करता हूँ और िब भी कोई मुस्श्कल सामने आती है तो सोचता हूँ घबराने की ज़रूरत नहीं, सब

bq

ठीक हो िाएगा लेककन इत्मीनान क़ल्ब किर भी नसीब नहीं होता। मझ ु े हं सी आ गयी। मैं ने उसे

.u

सम्झाया: भले आदमी, तुम ने बुज़ुगों का ये क़ौल नहीं सुना कक ईमान अमल के बग़ैर बेकार है , िो कुछ सोचते हो उस पर अमल भी तो ककया करो, महज़ ददल को इस बात का ददलासा दे ना काफ़ी नहीं कक सब

w w

w

ठीक हो िाएगा, उस के बाद अह्मद की शस्ख़्सयत में वाक़ई इंक़लाब सा आ गया। वो शादाँ व फ़रहां रहता

w

है और अपनी उम्र से ज़्यादा बूढ़ा नज़र नहीं आता।

माहनामा अबक़री फ़रवरी 2016 िुमारा निंबर 116_______________pg 8

Page 17 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

र्दी का भरपूर मज़ह लेने वालों के शलए ला जवाब टोटके (अपने पैरों को हमेशा गरम रखें क्योंकक पाऊँ की नतबई हालत स्िस्ट्म इंसानी पर असर अंदाज़ होती है अगर आप स्िस्ट्मानी तौर पर कम्ज़ोर हैं और मौसमी सशद्दत का मक़ ु ाब्ला नहीं कर सकते तो धप ू में बैठ कर नतलों के तेल की मासलश करें । अगर सेहतमन्द हैं तो नमाज़ फ़ज्र के बाद ज़रूररयात से फ़ाररग़ हो कर

rg

सेर ज़रूर करें ।)

ar i.o

(हकीम लक़ाबस्ट्ती चढ़वे वाला)

rg

अक्सर लोग वस्ट्त सदी यानन फ़रवरी के महीने में सख़्त परे शान होने लगते हैं, सदी का मज़ह लेने के

i.o

बिाए मौसम बहार और मौसम गमात के मन् ु तज़र रहते हैं। वो कहते हैं कक मौसम समात में हमारी तवानाई

bq

की सतह कम हो िाती है । हमारे मुदाकफ़अनत ननज़ाम में कम्ज़ोरी पैदा हो िाती है और हमारी कारकदत गी

ar

मताससर होती है । मौसमी तब्दीसलयों ख़ास तौर पर सदी का मक़ ु ाब्ला करने के सलए हमारे हाँ कई अश्या

w w .u

तन्हा या दीगर दवाओं और गग़ज़ाओं के साथ समल कर इस्ट्तेमाल की िाती हैं। उन में मेथी के बीि और

bq

सोया क़ाबबल ए स्ज़क्र हैं। सददत यों में मेथी के बीि पानी में सभगो कर ख़खचड़ी की तरह चावलों के साथ पका

.u

कर खाते हैं। िाड़ों में इस के इस्ट्तेमाल से स्िस्ट्म में बल्ग़म और रतूबत कम हो िाती है । मेथी को िदीद

तहक़ीक़ के मुताबबक़ ख़न ू क़ल्ब कोलेस्ट्रोल के इलावा राई ग्लेसरोइि कम करने की विह से िोड़ों और

w w

w

कमर के ददों के सलए बहुत मुफ़ीद सम्झा िाता है । मेथी में एअसाब क़वी करने की सलादहयत भी होती है । इसी तरह सोया के बीि िाड़ों में कसरत से इस्ट्तेमाल होते हैं। सोया में ददत को तस्ट्कीन पोहं चाने की

w

ख़स ु सू सयत होती है । इसे दीगर दवाओं और मग़ज़्यात के साथ शासमल कर के और सि ू ी समला कर लड्िू बना कर खाए िाते हैं।

मौसम समात में हवा के सदत और तर हो िाने से स्िस्ट्म के मुसामात बन्द हो िाते हैं स्िस से पसीना नहीं आता। इस तरह हरारत व तवानाई का ननज़ाम ठीक नहीं रहता। यही विह है कक स्िस्ट्म की हरारत को

Page 18 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

बक़तरार रखने के सलए ज़्यादा मक़वी गग़ज़ा की ज़रूरत होती है । इस सलए खाने पीने के शौक़ीन हज़रात को मुग़न त गग़ज़ाएँ, गरम अश्या एअतदाल के साथ इस्ट्तेमाल करनी चादहए। ख़श्ु क मेवे, बादाम, गचल्ग़ोज़ा, मंग ू िली, ककस्श्मश वग़ैरा का इस्ट्तेमाल स्िस्ट्म को हरारत मह ु य्या करता है । इस सलए िहाँ तक मस्ु म्कन हो बेह्तर से बेह्तर गग़ज़ा इस्ट्तेमाल कर सकते हैं ता कक नशो व नुमा का ये मौसम अमराज़ का ज़रीया ना

rg

बने। नाश्ते में हस्ट्बे इस्ट्तताअत दध ू , अंिा, दल्या, िबल रोटी मफ़ ु ीद व मन ु ाससब गग़ज़ा का इस्ट्तेमाल करें ।

ar i.o

दोपेहेर व शाम खाने में गोश्त, मछली, सस्ब्ज़याँ िल वग़ैरा इस्ट्तेमाल कर सकते हैं। अगर मुस्म्कन हो तो

rg

दोपेहेर को िल ज़्यादा ज़्यादा इस्ट्तेमाल करें । गािर स्िसे अत्तबा ने सस्ट्ता सेब क़रार ददया है । इस मौसम की अच्छी गग़ज़ा है । स्िस्ट्म के दिात हरारत को क़ाइम रखने के सलए मक़वी गग़ज़ाओं का इस्ट्तेमाल

i.o

ज़रूरी है । बशतेकक मुनाससब वस्ज़तश का ससस्ल्सला भी िारी रहे ता कक अज़्लात में चस्ट् ु त रहें और चबी ना

bq

बढ़े । िन्वरी और फ़रवरी के महीने में शदीद ठं िी हवाएं चल्ती चल्ती हैं, इस सलए सब ु ह और शाम बबला

ar

w w .u

ज़रूरत बाहर ना ननकलें। रात चँ कू क बहुत सदत और तवील होती है इस सलए खल ु े या बन्द कमरे में ना सोएं

bq

बस्ल्क ख़खड़की और रोशन दान हमेशा खल ु ा होना चादहए। अपने पैरों को हमेशा गरम रखें क्योंकक पाऊँ की नतबई हालत स्िस्ट्म इंसानी पर असर अंदाज़ होती है अगर आप स्िस्ट्मानी तौर पर कम्ज़ोर हैं और मौसमी

.u

सशद्दत का मक़ ु ाब्ला नहीं कर सकते तो धप ू में बैठ कर नतलों के तेल की मासलश करें । अगर सेहतमन्द हैं

w

तो नमाज़ फ़ज्र के बाद ज़रूररयात से फ़ाररग़ हो कर सेर ज़रूर करें अगर ये नहीं कर सकते तो सेहत के

w w

मुताबबक़ खल ु ी िगा में हल्की वस्ज़तश करें ता कक स्िस्ट्म में हरारत पैदा हो। मौसम समात में चेहरे की स्िल्द ज़्यादा मुताससर होती है । ख़स ु ूसन स्िन ददनों बफ़ातनी सदी पड़ती है दीगर एअज़ा तो कपड़ों, िूतों और

w

िुराबों में सलपटे होते हैं लेककन चेहरा खल ु ा होता है इस तरह चेहरे की स्िल्द ख़श्ु क हो कर िट िाती है । इस के सलए चेहरे पर स्ग्लसरीन और लीमों का रस लगाना मफ़ ु ीद है । अगर उस से चेहरे पर दाग़ पड़ िाएं तो चेहरा नीम गरम पानी से साबुन के साथ धो लें। बअज़ लोगों को स्िल्द पर ख़ाररश होती है ऐसी सूरत में स्ग्लसरीन, अक़त गल ु ाब में समला कर इस्ट्तेमाल करें । नज़्ला, ज़क ु ाम, खांसी मौसम समात के ख़ास

Page 19 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

अमराज़ हैं। इन के सलए ज़ेल का नुस्ट्ख़ा मुफ़ीद है । हुवल ्-िाफ़ी: गुल बनफ़्शा पांच ग्राम, गुल गाओज़बां पांच ग्राम, तुख़्म ख़त्मी पांच ग्राम, उनाब पांच दाने, सपपस्ट्तान पांच ग्राम, तमाम चीज़ें पानी में िोश दे कर चीनी समला कर ज़रूरत के मत ु ाबबक़ सब ु ह व शाम पी लें। मौसम समात एह्त्यात का तक़ाज़ा करता है । एह्त्यात के साथ िाड़े गुज़ाररये और सेहत बेह्तर बनाइये। अब ज़रा स्ज़क्र हो िाए कुछ ऐसे टोटकों का

rg

स्िन के इस्ट्तेमाल से ख़द ु भी सदी से महफ़ूज़ रह सकते हैं और घर में मौिद ू बच्चे भी। १- अद्रक का रस

ar i.o

और शहद एक चम्मच समला कर लेने से अफ़ाक़ा होता है । २- सूंठ, समस्री, नतल को िोश दे कर पीने से

rg

सदी व ज़ुकाम में फ़ायदा होता है । ३- रात सोते वक़्त गरम पानी में लीमों का रस समला कर पीने से सदी में अफ़ाक़ा होता है । ४- पोदीना, अद्रक का िोशांदह बना कर पीने से भी फ़ायदा होता है । ५- अगर सदी की

i.o

ar

bq

विह से तक्लीफ़ हो सदी ज़्यादा लग िाती हो तो शहद इस मुआम्ले में बे हद्द मुफ़ीद है ।

bq

w w .u

माहनामा अबक़री फ़रवरी 2016 िम ु ारा निंबर 116_______________pg 9

.u

िाह ज़ोक़ी िाह ‫ رحمة هللا عليه‬के मुस्तनद रूहानी वज़ाइफ़्

w w

w

(कभी घर से बाहर ननकल कर सोचता है कक मुझे कहाँ और ककस काम से िाना था। कभी ननस्ट्यां के बाइस दर दर की ठोकरें खाता है घर का पता नहीं समलता है । इस के सलए हर फ़ज़त नमाज़ के बाद एक सो मततबा

w

"अरत ह्मान"ु पढ़ कर दोनों हाथों पर दम कर के सर पर िेर ले।) ना फ़मासन औलाद को अताअत गज़ ु ार बनाना

अगर ककसी की औलाद ना फ़मातन हो और कहने सन ु ने को ना मानती हो और तरह तरह से स्ज़द करती हो और वाल्दै न के सलए मसला बनी हुई हो तो उस के सलए बा वज़ू अवल व आख़ख़र ग्यारह ग्यारह मततबा

Page 20 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

ُ

www.ubqari.org َِّ َ

दरूद शरीफ़ पढ़े और दरम्यान में एक हज़ार मततबा "अश्शहीद"ु (‫ ) الش ِھ ْید‬पढ़ कर पानी या समठाई पर दम कर के सब बच्चों को ख़खलाए और उन सब बच्चों पर दम करे । ये अमल ससफ़त एक मततबा करना है अगर अताअत में कुछ कमी दे खे तो एक मततबा और कर ले। इन ् शा अल्लाह तआला औलाद फ़मा​ांबदातर और

rg

अताअत गुज़ार बन िाएगी। र्र के ददस र्े आराम

ar i.o

अगर ककसी के पूरे सर में ददत रहता हो तो ददत सर दरू करने के सलए मंदिात ज़ेल हरूफ़ बा वज़ू सलख कर

(‫)هلمهمد‬

bq

आधे र्र का ददस

i.o

( 786 )

ar

w w .u

bq

िाएगा। वो हरूफ़ ये हैं।

rg

मॉम िामा कर के कपड़े में सी कर मरीज़ के सर में बांधे। इन ् शा अल्लाह तआला सर का ददत दरू हो

अगर ककसी शख़्स के आधे सर में ददत रहता हो तो उस के सलए बा वज़ू अवल व आख़ख़र तीन तीन मततबा

.u

दरूद शरीफ़ पढ़े और दरम्यान में ग्यारह मततबा ये आयत पढ़ कर सर पर दम ककया िाए। इन ् शा अल्लाह

w w

w

तआला आधे सर का ददत िाता रहे गा।

"ल्ला युसद्दऊन अन्हा व ला युस्न्ज़फ़ून" (अल्वाकक़अ १९) ُ ْ َ

َ

َِّ

w

ُ َ ْ َ ُ ِّ َ ُ‫)َل ی‬ (﴾۹۱‫ْنف ْو َن ﴿الواقعہ‬ ِ ‫صدع ْو َن عْنا َوَل ی‬

हदमाग़ की कम्ज़ोरी दरू करना

अगर ककसी बच्चे या बड़े का ददमाग़ कम्ज़ोर हो और वो ज़रा ज़रा सी बात भी भूल िाते हों या बच्चा अपने स्ट्कूल या मदरसा का सबक़ बार बार याद करने के बाविूद भूल िाता है तो उस के हाफ़्ज़े की Page 21 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

कम्ज़ोरी दरू करने और ददमाग़ की ताक़त और याद्दाश्त की मज़्बूती के सलए बा वज़ू मंदिात ज़ेल आयत "बबस्स्ट्मल्लादह-र्-रह्मानन-र्-रहीसम" के साथ एक काग़ज़ पर सलखें और मॉम िामा कर के कंु द ज़ेहन बच्चे या बड़े के गले में िाल ददया िाए। इन ् शा अल्लाह तआला इस अमल की बरकत से बच्चे का ज़ेहन चलने लगे गा और िो पढ़े गा याद रहे गा और बड़ा आदमी भी ज़अफ़ ददमाग़ से महफ़ूज़ हो िाएगा। वो आयत ये

َْ َ​َ

ٓ َ

ُ ُْ

rg

है :- "सनकु िउक फ़ला तन्सा० इल्ला मा शा-अल्लाहु" (अल ्-आअला ६) َِّ

ar i.o

َ ‫ َسنقرئ‬o 6‫(اَللَع‬ ُ ‫) اَِل َما شا َء‬ ّٰ (ۙ ‫ک فَل تن ّٰٰس‬ ‫ہللا‬ ِ

rg

भूल चक ू का मज़स

i.o

अगर ककसी शख़्स को भूल (ननस्ट्यां) का मज़त ला हक़ हो गया हो कक वो कभी घर का रास्ट्ता तक भूल िाता

bq

है । कभी घर से बाहर ननकल कर सोचता है कक मुझे कहाँ और ककस काम से िाना था। कभी ननस्ट्यां के

ar

बाइस दर दर की ठोकरें खाता है घर का पता नहीं समलता है । इस के सलए हर फ़ज़त नमाज़ के बाद एक सो َ

bq

w w .u

मततबा "अरत ह्मानु" (‫ ) ا َِّلر ْ ّْٰح ُن‬पढ़ कर दोनों हाथों पर दम कर के सर पर िेर ले। इन ् शा अल्लाह तआला िल्द ही ननस्ट्यां (भूल) के मज़त से ननिात हाससल होगी।

.u

बे ख़्वाबी का इलाज

w w

w

अगर ककसी को ददमाग़ी ख़श्ु की के बाइस रात भर नींद ना आती हो और बे ख़्वाबी के बाइस ददन भर उस का बदन सस्ट् ु त रहता हो और हर काम में रुकावट पैदा होती हो तो उस के सलए सरसों या खोपरे के तेल पर

w

बा वज़ू सात मततबा ये कसलमात पढ़ कर दम करे और सर में लगाए और िब तक नींद ना आए ये कसलमात पढ़ता रहे । इन ् शा अल्लाह तआला चन्द ददन अमल करने से बे ख़्वाबी का मज़त िाता रहे गा َ ُ

ِّ َ ‫) َ​َی‬ और पुर सुकून नींद आने लगे गी। वो कसलमात ये हैं। "या हय्यु या क़य्यूमु" ( ‫ح َ​َیق ُِّی ْو ُم۔‬

ख़ब ू गहरी नीिंद आना

Page 22 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

अगर ककसी आदमी को नींद ना आती हो और वो रात बे चैनी में गुज़ारता हो तो उस के सलए रात को सोते वक़्त ग्यारह बार ये आयत पढ़ कर दोनों हाथों पर दम कर के तमाम बदन पर िेर ले। इन ् शा अल्लाह तआला ख़ब ू गहरी नींद आएगी। वो आयत ये है ।

तस्ट्लीमन ्० (अल ्अह्ज़ाब ५६) َ

ِّ

ُِّ

َ

َِّ

ّٰ

َ

َ

َ

ُِّ

rg

"इन्नल्लाह व मलाइकतहू यस ु ल्लन ू अलन्नबबस्य्य याअय्यह ु -ल्लज़ीन आमनू सल्लू अलैदह व सस्ल्लमू

َ

َ

ar i.o

ِّ َ َ ْ َ ُ ٗ َ ّٰ َ َ َ ِّ َ ْ ‫ب َّٰی ُِّّیَا الذ‬ ِّ ِ ‫الن‬ (﴾۶۵‫ْی ا َم ُن ْوا َصل ْوا َعل ْی ِہ َو َس ِل ُم ْوا ت ْس ِل ْ امْی ﴿اَلحزاب‬ ِ ِ ‫)اِن ہللا ومل ٓ ِئکتہ یصلون لَع‬

rg

नज़्ला ज़ुकाम का इलाज

i.o

bq

अगर ककसी को नज़्ला ज़ुकाम ने तंग कर रखा हो और नज़्ला ज़ुकाम की सशद्दत की विह से परे शां हो और

ar

छींकों और नाक बहने से बहुत ज़्यादा मुसीबत में मुब्तला हो तो उस के सलए ग्यारह बार ये आयत बा वज़ू

w w .u

पढ़ कर ककसी खाने की चीज़ पर दम करे और मरीज़ को ख़खला दे । इन ् शा अल्लाह तआला चन्द ददन

bq

अमल करने से मरीज़ सेहत्याब हो िाएगा और नज़्ला ज़क ु ाम ख़त्म हो िाएगा। वो आयत ये है :-

َِّ ْ َ َ

ْ

َ َْ

َِّ

.u

"अल्हम्द ु सलल्लादह-ल्लज़ी अन्ज़ल अला अस्ब्ददह-स्ल्कताब व लम ् यि ्अल ्-ल्लहू इविन ्" (कहफ़ १) َْ

w w

w

ّٰ َ ‫)اْل َ ْم ُد ِلِل ِالذ ْی ا َْنل‬ َ ‫لَع َع ْب ِد ِہ الک ِّٰت‬ (﴾1‫ب َو َْل َْی َعل ل ٗہ ع َِو اجا﴿کھف‬ ِ

और सरू ह फ़ानतहा तीन मततबा पढ़ कर मरीज़ पर दम करे । ये नज़्ला ज़क ु ाम से ननिात का उम्दह अमल

w

है ।

ददस दािंत का अमल

Page 23 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

अगर ककसी के दांत में शदीद ददत हो और ककसी पल चैन ना आता हो तो अवल व आख़ख़र सात सात मततबा दरूद शरीफ़ इस के बाद इन कसलमात को दरम्यान में तीन मततबा पढ़ कर मरीज़ के दांतों पर दम कर दें । َ َْ

َْ

َ َْ

वो कसलमात ये हैं। "अल्क़ौन-यल्क़ौन-तल्क़ौन" (‫)الق ْو َن۔ یَلق ْو َن۔ تلق ْو َن‬

rg

हमल की हहफ़ाज़त अगर ककसी औरत का हमल क़ाइम ना रहता हो और बार बार गगर िाता हो तो उस के क़ाइम रहने और

ar i.o

बच्चे के सही व सालम पैदा होने के सलए ये आयात बा वज़ू सलख कर मॉम िामा कर के हमल के शुरू के

rg

ददनों में औरत की कमर में बाँध दें । ये चालीस रोज़ तक बाँधा रहे । चालीस रोज़ के बाद खोल कर रख दें ।

i.o

किर यही आयात वाला तावीज़ हमल का नवां महीना शरू ु होने पर बाँध दें । िब बच्चा पैदा हो िाए तो

bq

बच्चे को ग़स्ट् ु ल दे ने के बाद औरत की कमर से खोल कर बच्चे के गले में िाल दें और ये तावीज़ बच्चे के

ar

गले में सात साल तक बंधा रहे । सात साल परू े होने पर इस को ककसी पत्थर के साथ बाँध कर समन् ु दर,

w w .u

दयात, नहर, तालाब, झील में ठं िा कर दें (िाल दें ) अगर ऐसा मौक़ा ना हो तो इस को िंगल में ऐसी िगा

bq

दफ़न कर दें िहाँ लोगों के पाऊँ ना पड़ें। अल्लाह तआला के फ़ज़्ल व करम और इस तावीज़ की बरकत से

.u

इन ् शा अल्लाह तआला बच्चा स्ज़ंदा रहे गा और लम्बी उम्र पाएगा। वो आयात ये हैं।

w w

w

"वल्लती अह्सनत ् फ़ितहा फ़नफ़ख़्ना फ़ीदह सम-रूतदहना व सद्दक़त ् बबकसलमानत रस्ब्बहा व कुतुबबही व कानत ् समनल ्-क़ाननतीन०" (अल्तहरीम १२) ّٰ ْ

َ َ

ُ

َ

َ َِّ

ُ

َْ َ

َ

َ

َِّ

w

َ ‫ِت ا ْح‬ ْ ‫ت َر ِِّّبَا َوک ُتبہٖ َو َکن‬ ْ ‫ِم ِّر ْوح َِنا َو َصدق‬ ْ ‫ص َن‬ َ ِ‫ت‬ ْ ِ ‫ت ف ْر َج َھا ف َنفخ َنا ف ِْی ِہ‬ َ ْ ‫ِم الق ِن ِت‬ ْ ِ ‫) َوال‬ (11‫ْی (التحریم‬ ِ ‫َک ّٰم‬ ِ ‫ت ِب‬ ِ

मैदे के तमाम अमराज़ का आज़मूदह आर्ान इलाज

मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैदे के सलए लािवाब नुस्ट्ख़ा क़ाररईन की नज़र है । हुवल ्-िाफ़ी: बादयान ्, अज्वाइन, पोदीना, कफ़स्ल्फ़ल स्ट्याह,नमक स्ट्याह, नमक लाहौरी, सह ु ागा, ज़ंिबील

Page 24 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

हर एक हम्वज़न। दो तोला कफ़स्ल्फ़ल दराज़, दार चीनी हर एक तोला, नो शादर चार तोला। तमाम अज्ज़ा को अलग अलग सफ़ूफ़ बना कर समला लें। ख़ोराक: दो रत्ती से एक माशा, िुमला अमराज़ मैदा में तीर

rg

बहदफ़ है । क़ब्ज़, इस्ट्हाल, ददत मैदा, तेज़ाबबयत, तबख़ीर मैदा में मफ़ ु ीद है । (मह ु म्मद अशरफ़, रावलपपंिी)

माहनामा अबक़री फ़रवरी 2016 िम ु ारा निंबर 116_______________pg 11

rg

ar i.o

नतब्बी मश्वरे

i.o

bq

ज़जस्मानी बीमाररयों का िाफ़ी इलाज:

ar

(तवज्िह तलब अमूर के सलए पता सलखा हुआ िवाबी सलफ़ाफ़ा हमराह अरसाल करें और उस पर

w w .u

मुकम्मल पता वाज़ेह हो। िवाबी सलफ़ाफ़ा ना िालने की सूरत में िवाब अरसाल नहीं ककया िाएगा।

bq

सलखते हुए इज़ाफ़ी गोंद या टे प ना लगाएं स्ट्टे पलरज़ पपन इस्ट्तेमाल ना करें । राज़दारी का ख़्याल रखा

िाएगा। सफ़हे के एक तरफ़ सलखें। नाम और शहर का नाम या मुकम्मल पता और अपना मोबाइल फ़ॉन

.u

नंबर ख़त के आख़ख़र में ज़रूर तहरीर करें ।)

w w

w

चार बड़े ऑपरे िन और कम्ज़ोरी: मेरे चार बच्चे बड़े ऑपरे शन से हुए, आख़री ऑपरे शन पांच साल पहले

हुआ था इस के बाद से शदीद कम्ज़ोरी है । चकरा चकरा के गगरती हूँ, कई बार ज़ख़्मी हो गयी, सब ु ह

w

बबस्ट्तर से उठ कर खड़ी नहीं हो सकती। दोपेहेर को सो िाऊं तो मग़ररब तक सोई रहती हूँ, किर भी उठना मुस्श्कल होता है । िॉक्टर कैस्ल्शयम आयरन की कमी बताते हैं, आयरन की गोसलयों से ररएक्शन होने लगा। कैस्ल्शयम से गुदे में कंकरी बन गयी थी िो ख़रबूज़ा खाने से अब ननकल गयी। (अन ्अम, रावलपपंिी)

Page 25 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

मश्वरा: उम्दह आला कक़स्ट्म का रस वाला ताज़ह सेब पानी से धो कर खाएं या रस ननकाल कर पीएं। ये तदबीर रोज़ाना गग़ज़ा के बाद दोपेहेर और नाश्ते के साथ ही मुफ़ीद है । एक माह के बाद दब ु ारह कैकफ़यत सलखें।

rg

क़ब्ज़ और गैर्: मेरी उम्र १९ साल है पेट में बल पड़ते हैं अक्सर क़ब्ज़ और गैस हो िाती है अिाबत में ख़न ू आ िाता है रे शा आता है , ददन में चार पांच मततबा वाश रूम िाना पड़ता है , आप के मश्वरे से

ar i.o

िवाररश ऊद शीरीं खाई, इस से मझ ु े पचास फ़ीसद आराम है , क्या यही दवा और खाऊं या दस ददन से

rg

ज़्यादा नहीं खानी। (अहसानुल्लाह, क़ुएटा)

i.o

िाएगी।

bq

मश्वरा: मुस्ट्तक़ल सशफ़ायाबब तक िवाररश ऊद शीरीं खाते रहें दो तीन हफ़्ते में मुस्ट्तक़ल सशफ़ायाबब हो

ar

w w .u

दवा खाई और ररएक्िन िुरू: मेरी उम्र २५ साल है , इक्सीर स्िगर और एक कम्पनी की क़सत मलीन खाने

bq

से मंह ु में छाले ननकल आए स्िस्ट्म सख ू गया, सर में ख़श्ु की हो गयी बाल दो शाख़े हो गए और गगरने लगे,

क़ब्ज़ भी है । (सबाह नज़ारत)

.u

मश्वरा: दोनों वक़्त िवाररश शाही छे ग्राम गग़ज़ा के बाद खाएं, मफ़्ह बारद छे ग्राम सुबह व शाम खाएं,

w w

w

कत्था, तबाशीर, छोटी इलाइची के दाने बारीक पीस कर छालों पर नछड़कें। सोते वक़्त इस्ट्पग़ोल की भस ू ी दध ू में हल कर के पीएं। तीन हफ़्ते के बाद दब ु ारह सलखें। इन ् शा अल्लाह फ़ायदा होगा।

w

हाथों की जलन: मुझे मलेररया बुख़ार हुआ था। शुरू में तो पता नहीं चला कक ये मलेररया है बहुत टे स्ट्ट हुए मलेररया नहीं था, इस सलए टाइफ़ोइि के कोसत होते रहे , किर िॉक्टरों की समझ ने िवाब दे ददया मगर किर भी वो ससफ़त बुख़ार उतारने की दवाएं दे ते रहे । बबलआख़ख़र एक तिुबेकार िॉक्टर ने मलेररया कोसत करवाया स्िस से हफ़्ता भर में सशफ़ा समन ् िाननब अल्लाह हो गयी मगर हाथों की िलन ने परे शान ककया हुआ है । सख़्त सदी में भी हाथों पाऊँ को ठं िे पानी में रखना पड़ता है । (मश ्अल- कराची) Page 26 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

मश्वरा: गग़ज़ा के बाद दोनों वक़्त आड़ू खाएं, आड़ू का मौसम ना हो तो गन्ना चस ू ें, अंिा, गोश्त, मुग़,त मछली इस्ट्तेमाल ना करें । तीन हफ़्ते के बाद दब ु ारह सलखें। क़तरे आने की शिकायत: मुझे पेशाब के बाद क़तरे आने की सशकायत है इस की विह से मैं नमाज़ की

rg

पाबन्दी नहीं कर सकता हूँ, साथ साथ कम्ज़ोरी की भी सशकायत है स्िस्ट्म हड्डियों का ढाँचा बन गया है ठं िी चीज़ें मैं खा ही नहीं सकता। अगर ग़लती से खा लँ ू तो बुख़ार शुरू हो िाता है, गसमतयों में भी सदी

ar i.o

लगती है हड्डियों में भी ददत रहता है । (तौक़ील, रहीम यार ख़ान)

rg

मश्वरा: उम्दह बना हुआ बादाम का हल्वा खाएं, सुबह तवे की गरम रोटी पर ख़ासलस घी लगा कर खाएं,

i.o

ठं िी और खट्टी चीज़ें बबल्कुल ना खाएं।

bq

अमराज़ मैदा में मुब्तला: मेरी तबीअत अक्सर ख़राब रहती है , मुझे अक्सर गैस हो िाती है सर में शदीद

ar

w w .u

ददत के बाइस चक्कर आते हैं दो साल से मैदे में थोड़ा बहुत ददत होता है पस्स्ट्लयों के नीचे मैदे के मुंह वाली

bq

िगा और कभी कभार पीछे वाली िगा पर ददत और चभ ु न होती है , भक ू हर वक़्त लगती है टाइम पर

खाना ना समलने पर घबराहट और तबीअत बोझल होती है , यानन मैदा ख़ाली होने की सूरत में घबराहट

.u

और तबीअत ख़राब रहती है । (फ़ज़ीला, लाहौर)

w w

w

मश्वरा: इस्ट्पग़ोल की भस ू ी दो चम्मच रात को सोते वक़्त एक गगलास दध ू में समला कर पी लें। सब ु ह नाश्ते में दल्या खाएं, दोपेहेर, रात को कद्दू, तूरी, लोकी, मूली, सशल्िम पका कर रोटी से खाएं। समचत

w

मसाल्हे और खटाई से परहे ज़ करें ।

र्ािंर् लेने में दश्ु वारी: मुझे सांस की तक्लीफ़ है , सांस लेने में काफ़ी दश्ु वारी होती है , सददत यों में ये तक्लीफ़ बढ़ िाती है । (एम ्-के, शाहकोट)

Page 27 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

मश्वरा: लऊज़ सनोबर एक एक चम्मच आधा कप गरम पानी में समला कर सुबह व शाम पी लें। ठं िी और खट्टी चीज़ों से परहे ज़ रखें। अफ़ाक़ा नहीिं होता: मुझे तक़रीबन दो तीन सालों से एलिी की सशकायत है खि ु ाने से सुख़त धब्बे बन िाते

rg

हैं, गसमतयों में ये मज़त सशद्दत अख़्त्यार कर िाता है , बहुत सारी दवाइयाँ इस्ट्तेमाल कीं लेककन अफ़ाक़ा नहीं हुआ। (अह्मद अली, शेख़प ू ूरह)

rg

समचत, गोश्त से परहे ज़ करें ।

ar i.o

मश्वरा: शबतत नीलोफ़र एक एक औंस आधा गगलास पानी समला कर सुबह व शाम पी लें। गरम मसाल्हे ,

i.o

चेहरे र्े आग ननकलती है : मेरे स्िस्ट्म में बहुत ज़्यादा गमी है, चेहरे पर पीप वाले दाने ननकलते हैं। हाथ

bq

लगाने से ददत करते हैं और चेहरे से आग सी नकलती है , सारा स्िस्ट्म गरम रहता है पंखे में भी गमी लगती

ar

w w .u

है , ठं िी सस्ब्ज़याँ और ठं िे मश्रब ू ात भी इस्ट्तेमाल कर रही हूँ मगर किर भी गमी महसूस होती है ।

bq

मश्वरा: शबतत उनाब और नीलोफ़र एक एक औंस आधा गगलास पानी में समला कर सुबह व शाम पी लें।

रखें।

.u

गग़ज़ा में कद्दू, तरू ी, लोकी, मल ू ी, सशल्िम, गािर, खीरा पका कर रोटी से खाएं। गरम चीज़ों से परहे ज़

w w

w

बच्पन र्े नज़्ला ज़ुकाम: अरसा एक साल से सर में ददत रहता है , ददमाग़ दहल्ता महसूस होता है , बच्पन में मुझे अक्सर नज़्ला ज़ुकाम रहता था। इस सर ददत की विह से मैं बहुत परे शां हूँ, कंप्यूटर दे खूँ या ककताब

w

पढ़ँू तो सर में ददत शुरू हो िाता है । (मुहम्मद बबलाल, लाहौर) मश्वरा: पूरे अज्ज़ा से बना हुआ ख़मीरा गाओज़बान अंबरी िवादहर वाला छे ग्राम खाएं, सुबह नाश्ते में ख़ासलस अस्ट्ली मक्खन तोस पर लगा कर खाएं, रोज़ाना सात दाने बादाम, बीस दाने ककस्श्मश भी खाएं।

Page 28 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

टी वी और कंप्यूटर का इस्ट्तेमाल कम करें , ददमाग़ को आराम दे ने की कोसशश करें , र्र पर रोग़न लबूब ् र्ब ्आ की हर रोज़ माशलि करें । अबक़री का टोटका आज़्माया और फ़ौरी आराम आया

rg

मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं अबक़री ररसाला बड़े शौक़ से पढ़ती हूँ, मेरे समयां और मैं दसत घर में सन ु ते हैं, मेरे समयां नमाज़ और क़ुरआन नहीं पढ़ते थे दसत की बरकत से अब आमाल

ar i.o

और नमाज़ की तरफ़ आ गए हैं। मेरा मैदा हर वक़्त ख़राब रहता था, दवाएं खा खा कर थक गयी थी।

rg

अबक़री में एक दफ़ा एक टोटका छपा, मैं ने बनाया और खाया तो अल्लाह ने मुझे सेहत दे दी। टोटका ये

i.o

था: एक पाव चीनी, एक छटांक मीठा सोिा और एक तोला सत पोदीना तीनों समक्स कर के िक्की बना लें

bq

w w .u

गयी िो कक पहले लाख की भी ना बबकती थी। (साज्दह परवीन)

ar

bq

और खाने के बाद आधा चम्मच खाएं। दसत में सुन कर आमाल ककये तो हमारी मुंिी िेढ़ लाख की बबक

माहनामा अबक़री फ़रवरी 2016 िम ु ारा निंबर 116_______________pg 14

.u

मेरी ज़ज़न्दगी कैर्े बदली?

w w

w

(क़ाररईन! हज़रत िी! के दसत, मोबाइल (मेमोरी काित), नेट वग़ैरा पर सुनने से लाखों की स्ज़ंदगगयाँ बदल रही हैं, अनोखी बात ये है चँ कू क दसत के साथ इस्ट्म आज़म पढ़ा िाता है िहाँ दसत चलता है वहां घरे लू

w

उल्झनें है रत अंगेज़ तौर पर ख़त्म हो िाती हैं, आप भी दसत सुनें ख़्वाह थोड़ा सुनें, रोज़ सुनें, आप के घर, गाड़ी में हर वक़्त दसत हो) (कक़स्ट्त नंबर ५)

Page 29 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं ने इस ख़त में अपनी स्ज़न्दगी के राज़ सलखे हैं। मैं अबक़री में आये आमाल भी कर रहा हूँ और दसत भी सुन रहा हूँ। मोहतरम हज़रत हकीम साहब! आि आप को अपनी स्ज़न्दगी का एक ऐसा राज़ बताने लगा हूँ स्िस को अल्लाह रब्बल ु ्-इज़्ज़त के स्ट्वा कोई नहीं िानता। ये ख़त तो मैं आि सलख रहा हूँ मगर अबक़री से मैं बहुत अरसा से फ़ैज़ ले रहा हूँ। अब मैं

rg

आपको अपनी गस्ु ज़श्ता स्ज़न्दगी के नंगे और गन्दे हालात सलखता हूँ। मझ ु े पता नहीं क्यँू और कैसे नंगी

ar i.o

दन्ु या का सशकार हो गया, मेरे दोस्ट्त तो ऐसे नहीं थे और उस वक़्त मेरी उम्र भी ससफ़त १४ साल थी, शुरू

rg

शुरू में तो इस के बारे में पता भी नहीं था लेककन िैसे िैसे वक़्त गुज़रता गया इस का पता चला लेककन पता तब चला िब मैं बहुत दरू पोहं च चक ु ा था। मुझे नहीं मालूम क्या हुआ सब कुछ िानते हुए भी कक ये

i.o

बुरा है मैं ने अपने आप को इस दन्ु या के आगे बे बस पाया। मैं अभी आठवीं या नवीं िमाअत में था तो

bq

मझ ु े बहुत मार पड़ती, टीचर भी बहुत सख़्त और वासलदा भी बहुत सख़्त थीं। मैं ने बेहूदह कफ़ल्में दे खना

ar

w w .u

शुरू कर दीं, दे खने के बाद मेरा ज़मीर मुझे बहुत मलामत करता, अल्लाह से दआ ु की, अस्ट्तग़फ़ार ककया

bq

कक अब नहीं दे खग ँू ा और ददल से पक्का इरादा ककया कक अब तो बबल्कुल नहीं दे खँू मगर पता नहीं कौन सी ऐसी ताक़त थी िो सब वादे तोड़ दे ती थी और मैं किर वही काम करता किर वही काम करता और किर

.u

वही काम करता। वो शैतानी चीज़ घर में टी वी के नाम पर, कंप्यट ू र के नाम पर, नेट के नाम पर,

w w

w

मोबाइल के नाम पर मौिूद थी। इस सब के बा विूद मैं ने मेदरक बहुत अच्छे नंबरों से पास ककया। ददन रात ग़लत काम करने की विह से मेरी सेहत ख़राब होना शुरू हो गयी मैं स्िरयां और एह्तलाम के मज़त में मुब्तला हो गया, मेरे सर के बाल गगरने लगे, मेरा ददल इतनी ज़ोर से धड़कता है कक अभी बाहर

w

आ िाएगा। मैं बहुत कम्ज़ोर हो गया, यक़ातन तो पहले का था, ज़ेहन में ग़लत ख़्यालात आने, ददल गन्दा, ददमाग़ गन्दा, सोच गन्दी हो गयी थी। बात बात पर ग़स्ट् ु सा आता, मैं स्ज़न्दगी से तंग आ चक ु ा था, क्योंकक पहले तो अपनी मज़ी से यी काम दे खता और करता था लेककन बाद में पता चला और साथ इस का ससला भी समला बीमारी के नाम पर। लेककन ना चाहते हुए भी इस का सशकार हो िाता लेककन िब से

Page 30 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

तौबा की तब से मेरा ज़मीर इतनी मलामत करता कक अभी ज़मीन िट िाए और मैं उस के अंदर चला िाऊं। ऐसा लगता कोई ताक़त है िो इस तरफ़ ले कर िाती है और मैं उस के सामने बे बस हूँ। मुझे अबक़री समला और अबक़री में टोटके और वज़ीफ़े समले, आमाल शुरू ककये। दो अन्मोल ख़ज़ाना

rg

समले वो पढ़ना शरू ु ककया। हज़रत हकीम साहब! दो अन्मोल ख़ज़ाने मैं २०१३ के आख़ख़र से पढ़ रहा हूँ, दो अन्मोल ख़ज़ाने से बहुत फ़ायदा समला। अबक़री में तीन घूँट पानी वाला अमल पढ़ा वो आज़्माया मेरे सर

ar i.o

के बाल गगरना बन्द हो गए। अबक़री में पढ़ा स्िरयां के सलए चाय पीना छोड़ दें मैं ने चाय भी छोड़ दी,

rg

अचार वग़ैरा भी छोड़ ददया, तीन घूँट वाला अमल इस के सलए भी आज़्माया और नमाज़ में सूरह अलम ्

नश्रह् वाला अमल ककया। आदहस्ट्ता आदहस्ट्ता स्िरयां का मज़त भी ख़त्म हो गया। अबक़री में "या राकफ़उ"

i.o

bq

(‫ ) َ​َی َراف ُِع‬वाला अमल ककया कक इस के मुसल्सल पढ़ने से ग़लत आदात छूट िाती हैं। मैं ने टी वी के सलए

ar

ककया चालीस ददन तक, कुछ ही अरसे में टी वी ख़राब हो गया, कंप्यूटर पहले ही ख़राब कर चक ु ा था और

w w .u

मैं समझा कक अब शैतानी चीज़ें मैं ने ख़त्म कर दी हैं अब मैं ये काम नहीं करूँगा।

bq

२०१४ के आख़ख़र से आप का दसत सुन रहा हूँ एक सुकून समला एक अपना पन महसूस हुआ और कुछ

.u

अपना अपना सा लगने लगा। अब मेरी उम्र २० साल हो चक ु ी थी लेककन एह्तलाम ने मेरे गुनाहों की तरह मुझे पूरी सज़ा दी, इस बीमारी ने टें शन के नाम पर परे शानी के नाम पर बहुत तक्लीफ़ दी। मेरा मैदा

w w

w

बच्पन से ख़राब था अबक़री में से रूहानी िक्की का पढ़ कर इस्ट्तेमाल की इस से मैदा का मसला मुकम्मल हल हो गया और अभी तक दब ु ारह नहीं हुआ। दसत सुनने के बाद मैं ने नमाज़ में रो रो कर

w

अल्लाह से मआ ु फ़ी मांगी अपने गन ु ाहों का सोच कर बात बात पर रोने को ददल करता और रोता था क्योंकक वो गुनाह (नंगी व गन्दी दन्ु या) मैं करता नहीं था, मज्बूरन मुझ से होता था मैं आस्िज़ आ चक ु ा था मेरी टें शन और बीमारी उरूि पर थी अल्लाह की क़ुदरत मेरा मोबाइल भी ख़राब हो गया सब कुछ ख़राब हो गया लेककन किर भी ककसी ना ककसी ज़ररए से इस का सशकार हो िाता। २५-५-१५ वो तारीख़ है िब "मेरी स्ज़न्दगी बदली"। मैं ने अल्लाह से सच्ची तौबा की और तमाम बुरे काम छोड़ ददए। नेट पर आप Page 31 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

के दसत सुने उस में िो आप ने आमाल बताये थे वो ककये स्िस में वाश रूम की दआ ु , रूहानी ग़स्ट् ु ल, वाश َ

ُ

रूम को तफ़्सील से साफ़ करता और "या हफ़ीज़ु या सलामु" (‫ ) َ​َی َح ِف ْیظ َ​َی َسَل ُم‬वाला अमल ये सब मैं ने शुरू ककये।

rg

मोहतरम हज़रत हकीम साहब! मेरी स्ज़न्दगी से नंगी दन्ु या का बाब ख़त्म हो चक ु ा है , मैं अपने आप को नंगी दन्ु या से छुटकारा ददलाना ना मुस्म्कन समझता था लेककन दसत की बरकत से ऐसा लगा िैसे

ar i.o

मक्खन से बाल ननकला हो। ये सब दसत की बरकत से हुआ, आप से बैअत आप की दआ ु और आमाल की

rg

विह से हुआ। इस बार रमज़ान भी बहुत अच्छा गज़ ु रा, बहुत दआ ु एं कीं, कोई मौक़ा नहीं छोड़ा, िब

दआ ु एं ना की हों,मेरी सब दआ ु एं क़ुबूल हुईं। इस दौरान कंप्यूटर भी ठीक कर सलया, मोबाइल भी नया ले

i.o

bq

सलया, नेट भी है लेककन अब नंगी दन्ु या ख़त्म हो गयी है । ऐसा लगता है कक िैसे कभी कुछ हुआ ही नहीं।

ar

मोहतरम हज़रत हकीम साहब! आप का बहुत शुकक्रया मेरे पास अल्फ़ाज़ नहीं बस कक मैं आप का शुकक्रया

w w .u

कैसे अदा करूँ, इस का ससला आप को अल्लाह ही दे गा। आप के दसत ना होते तो ना मालम ू मैं इस वक़्त

bq

.u

w w

w

कहाँ होता। मैं आप के और आप की नस्ट्लों के सलए दआ ु गो हूँ।

मेरी ज़ज़न्दगी कैर्े बदली

क़ाररईन! अगर आप के इदत गगदत मुआश्रे में कोई ऐसा ही भटका हुआ ख़द ु ा का बन्दा या बन्दी सीधे रास्ट्ते

w

पर आई है तो आप ज़रूर ज़रूर उस के राह रास्ट्त पर आने का मक ु म्मल वाक़्या सलख कर एडिटर अबक़री को भेिें। आप की सलखी हुई तहरीर मुकम्मल नाम पता और िगा तब्दील कर के सलखी िाएगी। अबक़री ररसाला हर मक्तबा कफ़क्र के हाँ पढ़ा िाता है क्या मालूम आप की सलखी हुई तहरीर से कोई अँधेरी ग़लीज़

Page 32 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

गसलयों को छोड़ कर नूरानी आमाल पर आ िाए और ये आप और आप की नस्ट्लों के सलए सदक़ा ए िाररया बन िाए। बाल लम्बे करने का आर्ान तरीक़ा

rg

मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरे पास बाल लम्बे करने का एक शान्दार तरीक़ा है

ar i.o

िो दित ज़ेल है:-

rg

हुवल ्-िाफ़ी: ऐलो वेरा (कंु वार गंदल) के पत्ते को दरम्यान से काट कर दोनों में मेथी के दाने िाल कर तीन ददन छाओं में रखें और किर इसे ग्राइंि कर लें , कड़वे तेल में कास्ट्टर ऑइल समक्स कर के लगाएं। नेज़

i.o

ar

w w .u

bq

अंिा, दही बालों में एक महीना या हफ़्ते में एक ददन ज़रूर लगाएं। (म-म, भक्कर)

.u

bq

माहनामा अबक़री फ़रवरी 2016 िुमारा निंबर 116______________pg 15

फ़स्टस पोज़ीिन हाशर्ल करने का ख़ार् आज़मूदह अमल

w w

w

(इस की बरकत से पेपर अच्छे होने लगे मगर तीन पेपर थोड़े कम्ज़ोर हुए थे। ररज़ल्ट ऐसा शान्दार समला कक मैं है रान व सशषदर रह गया। मैं है रानी के आलम में दोस्ट्तों से कहता था कक मेरे नाम और रॉल नंबर के

w

सामने एह्त्यात ् से दे खो ककसी और का ररज़ल्ट ना हो)

फ़स्टस पोज़ीिन हाशर्ल करने का ख़ार् अमल

"अल्लाहुम्म नस्व्वर् क़ल्बी बबइस्ल्मक वस्ट्तअसमल ् बदनी बबताअनतक व बाररक् व सस्ल्लम ्" ِّ

ْ

َ

ْ

َْ

َ َ ِّ ّٰ

َ ْ ‫است ْعمل َب َد‬ َ ‫اعت‬ َ ‫)الل ُھ ِّم ِّن ْر قل ْب بعلم‬ ْ ‫ک َو‬ (‫ک َو َاب ِر ْک َو َس ِل ْم‬ ِ ‫ِن ِب َط‬ ِ ِ ِ ِ​ِ ِ ِ Page 33 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

एक दफ़ा माहनामा अबक़री में परंससपल (र) ग़ल ु ाम क़ाददर हराि साहब का मज़्मून छपा था स्िस में मज़्कूरह दआ ु के कररश्मे बयान ककये गए थे। फ़क़ीर का शोअबा भी तालीम व तदरीस ् ही है । िब ये मज़्मन ू पढ़ा तो उस से अगले ददन क्लास में हाज़री से पहले दआ ु ए मज़्कूरह तासलब इल्मों को पढ़ाना शरू ु कर दी, आदहस्ट्ता आदहस्ट्ता इस के नताइि आना शुरू हो गए। कम्ज़ोर तासलब इल्म भी पढ़ाई में

rg

ददल्चस्ट्पी लेने लगे और साथ साथ मअ ु दब भी होने लगे। ख़ैर इम्तेहान भी बोित का था। अल्लाह का करना

ar i.o

ऐसा हुआ कक तमाम बच्चे पास हुए और सत्रह बच्चों ने वज़ीफ़ा हाससल ककया। इतने अच्छे ररज़ल्ट पर

िो कक तमाम असात्ज़ह में तक़्सीम कर ददया गया ये सब इस दआ ु की बरकत थी।

rg

मेहक्मा की तरफ़ से स्ट्कूल को तो यानन सदटत कफ़केट समला और ६१ हज़ार रूपए नक़द इनआम भी समला

i.o

bq

इस के बाद मैं ने ख़द ु एम ् ए का इम्तेहान ददया और मज़्कूरह दआ ु ककताब खोलने से पहले बड़े एहत्माम

ar

से पढ़ना शुरू ककया और िब तक सवाल्नामा नहीं आता था ऐसे बेठा पढ़ता रहता था और इस की बरकत

w w .u

से पेपर अच्छे होने लगे मगर तीन पेपर थोड़े कम्ज़ोर हुए थे। ररज़ल्ट ऐसा शान्दार समला कक मैं है रान व

bq

सशषदर रह गया। मैं है रानी के आलम में दोस्ट्तों से कहता था कक मेरे नाम और रॉल नंबर के सामने एह्त्यात ् से दे खो ककसी और का ररज़ल्ट ना हो और वो बार बार कह रहे थे कक तम् ु हारा ही ररज़ल्ट है और

.u

तुम ने फ़स्ट्टत डिवीज़न हाससल की है । ये सब अल्लाह का करम और इस दआ ु ।का कररश्मा था।

w w

w

किर नई क्लास समली और उसे पढ़ाना शुरू ककया अब मेरी क्लास के बच्चों को ये दआ ु ज़बानी याद है िब

क्लास के कमरे में दाख़ख़ल होता हूँ बच्चे ये कहना शुरू कर दे ते हैं कक "उस्ट्ताद साहब! मैं ने दआ ु पढ़ ली है ,

w

मैं ने दआ ु पढ़ ली है " इस दआ ु की बरकत से बच्चों का ज़ेहन भी तेज़ होता है और अदब का इज़ाफ़ा होता है यानन मुअदब हो िाते हैं। दआ ु का तरीक़ा: अवल व आख़ख़र दरूद शरीफ़ दरम्यान में सात बार मज़्कूरह दआ ु , छे बार तो ये दआ ु "बबताअनतक" (‫ )بطاعتك‬तक और सातवीं बार "व बाररक् व सस्ल्लम ्" ( ‫) سلم و ابرك و‬ साथ पढ़ना है । (मुहम्मद अय्यूब शादहद, लतड़ा तोंसा शरीफ़)

Page 34 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

एक बेवह की दआ ु एक बेवह ने ख़द ु ये वाक़्या सन ु ाया और उस ने कहा कक िो दआ ु ददल से ननकलती है अल्लाह तआला उस को ज़रूर पूरा फ़मातते हैं। कहा कक मेरी शादी को अभी दस साल गुज़रे कक मेरी स्ज़न्दगी का गचराग़ बुझ

rg

गया, मेरा शौहर मझ ु े हमेशा के सलए छोड़ कर दारुल ्-बक़ा चला गया, चार बेदटयां और एक बेटा मझ ु े दे कर ख़द ु ा हाकफ़ज़ कह गया। अब मैं ने बच्चों की पवतररश की विह से दस ू री शादी ना की। मेरा सब से छोटा

ar i.o

बेटा था, वासलद की वफ़ात के वक़्त मेरे बेटे की उम्र तक़रीबन एक साल थी, मेरा बेटा मझ ु े बहुत प्यारा था

rg

उस के सलए मैं क्या कुछ ना करना चाहती थी। कुछ बड़ा हुआ, बोलने, खाने पीने की मुकम्मल समझ रख रहा था। हमारे घर में एक दरख़्त में एक शहद का छत्ता लगा हुआ था। मेरा बेटा उस को दे ख कर रोज़ाना

i.o

bq

मुझे कहता था कक अम्मी मुझे ये शहद ख़खलाओ। मुझे बेटा वेसे भी बहुत प्यारा किर उस के ये नख़रे और

ar

इतने प्यार से शहद का माँगना मैं ने मज्बूर हो कर अपने ररश्तेदार के बेटे को बुलाया और कहा कक ये

w w .u

शहद उतार कर मझ ु े दे िब वो दरख़्त पर चढ़ा तो मेरा दे वर आया और उस ने कहा कक ये शहद मश्ु तरका

bq

है तू अकेली इस को कैसे खाएगी और उस आदमी को िांट कर, पीट कर, दरख़्त से उतार ददया। मुझे इस बात से बहुत दख ु हुआ और बहुत रोई। उधर मेरा इकलौता बेटा रो रहा था और इधर दे वर का ज़ल् ु म और

.u

तीसरी बात कक मैं बेवह! मैं ने बहुत रो कर अल्लाह तआला से अज़त ककया कक मेरे रब! मुझ बेवह का तेरे

w w

w

स्ट्वा कौन है ? मेरा बच्चा शहद के सलए रो रहा है , मुझसे बदातश्त नहीं होता, मैं ने रो रो कर दआ ु की और

उस के बाद फ़ौरन अपने घर की छत पर ककसी काम के सलए चढ़ी तो क्या दे खती हूँ कक सामने दीवार के साथ अच्छा ख़ासा शहद का छत्ता पड़ा है मैं भाग कर नीचे गयी थाल लाई और थाल में शहद का छत्ता

w

भर लाई। ला कर अपने बेटे के सामने रख ददया िो तक़रीबन तीन माह तक मेरा बेटा खाता रहा। मैं ये बात वाज़ेह करती चलँ ू कक तक़रीबन दो घंटे पहले मैं छत पर गयी थी वहां ककसी छत्ते का नाम व ननशाँ नहीं था। मेरे रब ने मेरी फ़ौरी दआ ु क़ुबल ू की। अल्लाह तबारक व तआला का मझ ु पर ख़ास करम हुआ। (सलीमुल्लाह सूमरो, कंियारो)

Page 35 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

ररवाजी ज़ेहन (उस ने ख़्वाब में दे खा कक ककसी वहशी क़बीला के आदसमयों ने उस को पकड़ सलया है और उस को हुक्म ददया है कक वो चोबीस घन्टे के अंदर ससलाई की मशीन बना कर तय्यार करे ।)

rg

(मौलाना वहीदद्द ु ीन ख़ान)

ar i.o

एसलस हॉवे अमरीका के मशहूर शहर मसाचोस्ट्तस का एक मामूली कारीगर था। वो १८१९ में पैदा हुआ

rg

और ससफ़त ४८ साल की उम्र में उस का इन्तेक़ाल हो गया। मगर उस ने दन्ु या को एक ऐसी चीज़ दी स्िस

bq

की।

i.o

ने कपड़े की तय्यारी में एक इंक़लाब पैदा कर ददया। ये ससलाई की मशीन थी िो उस ने १८४५ में ईिाद

ar

एसलस हॉवे ने िो मशीन बनाई उस की सुई में धागा िालने के सलए इब्तदा में सुई की िड़ की तरफ़ छे द

w w .u

होता था िैसा कक आम तौर पर हाथ की सइ ु यों में होता है । हज़ारों बरस से इंसान सई ु की िड़ में छे द

bq

करता आ रहा था। इस सलए एसलस हॉवे ने िब ससलाई मशीन तय्यार की तो उस में भी आम ररवाि के मत ु ाबबक़ उस ने िड़ की तरफ़ छे द बनाया। इस की विह से उस की मशीन ठीक काम नहीं करती थी।

.u

शुरू में वो अपनी मशीन से ससफ़त िूता सी सकता था कपड़े की ससलाई इस मशीन पर मुस्म्कन ना थी।

w w

w

एसलस हॉवे एक अरसे तक इस उधेड़बन में रहा मगर उस की समझ में इस का कोई हल नहीं आता था।

आख़ख़रकार उस ने एक ख़्वाब दे खा। उस ख़्वाब ने उस का मसला हल कर ददया। उस ने ख़्वाब में दे खा कक ककसी वहशी क़बीला के आदसमयों ने उस को पकड़ सलया है और उस को हुक्म ददया है कक वो चोबीस घंटे

w

के अंदर ससलाई की मशीन बना कर तय्यार करे । वरना उस को क़त्ल कर ददया िाएगा। उस ने कोसशश की मगर मुक़रत रह वक़्त में वो मशीन तय्यार ना कर सका। िब वक़्त पूरा हो गया तो क़बीला के लोग उस को मारने के सलए दौड़ पड़े। उन के हाथ में बरछा था। हॉवे ने ग़ौर से दे खा तो हर बरछे की नोक पर एक सोराख़ था। यही दे खते हुए उस की नींद खल ु गयी। हॉवे को आग़ाज़ समल गया। उस ने बरछे की तरह

Page 36 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

अपनी सुई में नोक की तरफ़ छे द बनाया और उस में धागा िाला। अब मसला हल था। धागे का छे द ऊपर होने की विह से िो मशीन काम नहीं कर रही थी वो नीचे की तरफ़ छे द बनाने के बाद बख़ब ू ी काम करने लगी। हॉवे की मस्ु श्कल ये थी कक वो ररवािी ज़ेहन से ऊपर उठ कर सोच नहीं पाता था, वो समझ रहा था कक िो चीज़ हज़ारों साल से चली आ रही है वही सही है , िब उस के ला शऊर ने उस को तस्ट्वीर का दस ू रा

rg

रुख़ ददखाया उस वक़्त वो मआ ु म्ला को समझा और उस को फ़ौरन हल कर सलया िब आदमी अपने आप

i.o

माहनामा अबक़री फ़रवरी 2016 िुमारा निंबर 116________________pg 16

rg

ने पा सलया।

ar i.o

को हमतन ककसी काम में लगा दे तो वो इसी तरह उस के राज़ों को पा लेता है स्िस तरह मज़्कूरह शख़्स

bq

बावची ख़ाना को बीमाररयों का घर नहीिं र्ेहत का ख़ज़ाना बनाएिं

ar

(अफ़्सोसनाक अम्र ये है कक सेहत के बहुत से मसाइल ग़ैर सेहत बख़्श माहोल से िन्म लेते हैं स्िन में

bq

w w .u

ककचन का साफ़ सथ ु रा ना होना भी शासमल है । ककचन अप्लाइंससज़ के इस्ट्तेमाल और उन से होने वाले नुक़्सानात की िान्कारी ककसी ना गगहानी से बचा सकती है अपने घर का माहोल सेहत बख़्श बनाइये ता

w w

w

(दरख़्शाँ फ़ारूक़ी)

.u

कक मुस्म्कना ख़तरात से बचा िा सके।)

कुन्बे की सेहत का दारोमदार ख़ातून ख़ाना की एहम स्ज़म्मा दारी है घर के दस ू रे दहस्ट्सों की सफ़ाई सुथराई के साथ ककचन की सफ़ाई के सलए भी कुछ एह्त्यातें अख़्त्यार कर लेनी चादहयें, ख़ास कर आि के माहोल

w

में क्योंकक रोज़ मरह इस्ट्तेमाल की हर शै में केसमकल्ज़ की मौिूदगी ज़ादहर हो चक ु ी है । बावची ख़ाना ककसी भी घर में सेहत का मकतज़ होता है यहाँ होने वाली हर सरगमी से परू े कुन्बे की सेहत का गहरा तअल्लुक़ है मगर अफ़्सोसनाक अम्र ये है कक सेहत के बहुत से मसाइल ग़ैर सेहत बख़्श माहोल से िन्म लेते हैं स्िन में ककचन का साफ़ सुथरा ना होना भी शासमल है । ककचन अप्लाइंससज़ के इस्ट्तेमाल और उन

Page 37 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

से होने वाले नुक़्सानात की िान्कारी ककसी ना गगहानी से बचा सकती है अपने घर का माहोल सेहत बख़्श बनाइये ता कक मुस्म्कना ख़तरात से बचा िा सके। डडि क्लॉथ या र्ाफ़फ़या​ाँ: ककचन काउं टज़त, चल् ू हे , कैबबन्​्स और दीगर बावची ख़ाने के एहम दहस्ट्सों की

rg

सफ़ाई के सलए हर ककचन में मख़् ु तसलफ़ मटे ररयल साकफ़याँ इस्ट्तेमाल की िाती हैं हफ़्ते के इख़्तताम ् पर इन्हें बदल लेना चादहए। इन के फ़ी मुरब्बा इंच पर हज़ारों िरासीम (िो ख़द ु त बीन से दे खे िा सकते हैं)

ar i.o

अपना घर बना लेते हैं िंू िंू ये परु ाने होते िाते हैं उन पर मख़् ु तसलफ़ गग़ज़ाई अश्या की Contimation की

rg

विह से इंतहाई ख़तरनाक बैक्टीररया नशो व नुमा पाने लगते हैं। अगर आप फ़ौरी तौर पर नए ना ख़रीद

i.o

सकें तो इन्हें धो ज़रूर सलया करें ।

bq

फ़ूड पैकेज़जिंग: Oestrogen-like िैसे केसमकल्ज़ मसलन pthalates प्लास्स्ट्टक के कंटे नरों और गग़ज़ाई

ar

पैकेस्िंग में इस्ट्तेमाल होने वाले थैलों में शासमल होता है । ये िुज़ सरतां (कैंसर) के िरसूमों की पैदावार

w w .u

बढ़ाने में एहम ककरदार अदा करता है । ये हामला ख़वातीन और नो मोलूद बच्चों में पैचीदह बीमाररयों के

bq

इम्कान के साथ साथ तोलीदी सेहत भी मत ु ाससर करता है । कंटे नरों में पैक गग़ज़ा के इस्ट्तेमाल से

.u

मुस्म्कना हद्द तक ऐह्त्यात की िानी चादहए।

w

बच जाने वाला खाना: ये उसूल सब को याद रखना चादहए कक बच िाने वाला खाना (Leftover food)

w w

ससफ़त एक बार मज़ीद इस्ट्तेमाल ककया िा सकता है कभी भी पपघली हुई आइस क्रीम को दब ु ारह कफ़्ज़ ना करें , िब ये पपघल िाती है तो बैक्टीररया की अफ़्ज़ाइश ् के सलए समसासल घर की है ससयत अख़्त्यार कर

w

लेती है । कफ़्ज़ की हुई हर कक़स्ट्म की गग़ज़ा को ससफ़त एक बार पकाया या गरम ककया िा सकता है इन्हें दब ु ारह फ़्ीज़ कर के खाने से पैचीदह अमराज़ का ख़दशा बढ़ िाता है । टोस्टज़स: इन की सफ़ाई करना मस्ु श्कल है , इन को घरे लू क़ानतल भी कहा िाता है क्योंकक दन्ु या भर में हज़ारों अफ़राद को करं ट लगने और उन की मौत वाकक़अ होने में टोस्ट्टज़त का भी हाथ है । इस से लगने

Page 38 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

वाला इलेस्क्रक शॉक कम्ज़ोर अफ़राद के सलए मौत का पैग़ाम बन सकता है । नाश्ते के वक़्त िल्दी िल्दी में अक्सर ख़वातीन टोस्ट्टर से िबल रोटी को ननकालने के सलए छुरी या चम्मच इस्ट्तेमाल कर लेती हैं इलेस्क्रक से मेटल टकराता है तो बक़ी शआ ु ओं का अख़्राि ज़्यादा तेज़ी से होता है और यँू सामने वाला

rg

करं ट लगने से बच नहीं पाता। रीफ़्रीजरे टज़स: कफ़्ि की ख़रीदारी के वक़्त मअयार मद्द नज़र रखना ज़रूरी है क्योंकक मुशादहदे ने ये साबबत

ar i.o

ककया है कक कफ़्ि का मअयार उस की मज्मई ू कारकदत गी पर असर अंदाज़ होता है खाने को दीगर गग़ज़ाओं

rg

के साथ महफ़ूज़ रखने का अमल हर ब्रांि के कफ़्ि में मुख़्तसलफ़ होता है । बच्चों को समझाइये कक कफ़्ि

को अल्मारी ना समझें उसे बार बार खोलने से गुरेज़ करें वरना उस में रखा हुआ खाना और दीगर गग़ज़ाएँ

i.o

bq

बेरूनी िरासीम के हम्लों से महफ़ूज़ नहीं रह सकेंगी और कफ़्ि में रखे रखे भी ख़राब हो िाएंगी।

ar

माइक्रो वेव ओवन: मायाअ गग़ज़ाएँ और पानी को माइक्रोवेव में गरम करने के सलए उन के उबल्ने का

w w .u

इंतज़ार ना करें ससफ़त उन्हें इस हद्द तक गरम करें कक वो गरम हो िाएं ना कक उबल्ने लगें । अंिे पकाने के

bq

सलए भी माइक्रोवेव का इस्ट्तेमाल ख़तरनाक साबबत हो सकता है । खाना या चाय कॉफ़ी कुछ भी गरम

w

ख़तरनाक भी हो सकता है ।

.u

करना हो तो ढक कर गरम करें मगर एयर टाइट कंटे नर खाना माइक्रो वेव में गरम करने से गुरेज़ करें ये

w w

फ़्रोज़न फ़ूड: आि कल खानों को िमाने का ररवाि हर घर में है । बग़ैर पका हुआ गोश्त फ़्ीज़र में रखने की विह से भी कई बीमाररयां िन्म लेती हैं। अक्सर ख़वातीन फ़्ीज़र में गोश्त का ढे र लगाती रहती हैं

w

और पहले से रखा हुआ गोश्त ढे र में छुप िाता है इस तरह वो िल्द इस्ट्तेमाल नहीं हो पाता कभी ऐसा भी होता है कक फ़्ीज़र से गोश्त, मुग़ी या मछली पकाने के सलए ननकाली उसे पानी में िाल कर पपघलने के सलए रख ददया और ककसी विह से वो पकाई ना िा स्ट्की तो दब ु ारह कफ़्ज़ कर ददया। ये इंतहाई ख़तरनाक

Page 39 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

तज़त अमल है क्योंकक िमी हुई ख़ोराक का दिात हरारत िूं ही कम होता है बैक्टीररया की अफ़्ज़ाइश ् शुरू हो िाती है । शर्िंक: इस्ट्तेमाल शुदह बततनों की धल ु ाई के दौरान ससंक आलूदह हो िाता है उसे साफ़ रखना भी ना गुज़ीर

rg

है , ककचन के इस दहस्ट्से की सफ़ाई के सलए मअयारी और क़ाबबल भरोसा और माहोल दोस्ट्त क्लींज़सत आज़्माएं सफ़ेद ससकात और नमक की मदद से ससंक साफ़ कीस्िये। हर कक़स्ट्म के तेज़ाबी मह्लूल पर

दश्ु वारी पैदा करते हैं और बच्चों के इलावा बीमार अफ़राद के सलए ख़तरनाक होते हैं।

rg

ar i.o

मश्ु तसमल िेटरिें्स और गटर खोलने वाले या गचकनाई दरू करने वाले पाउिर और मह्लल ू सांस लेने में

i.o

बतसन और फ़नीचर फ़ैब्रब्रक्र्: PFOA नामी केसमकल िो नॉन स्स्ट्टक बततनों में पाया िाता है थाइरोइि की

w w .u

इस्ट्तेमाल ककया िा रहा है । सलहाज़ा ख़रीदारी में एह्त्यात कीस्िये।

ar

bq

बीमारी का सबब बन सकता है । ये ख़तरनाक केसमकल फ़नीचर कपड़ों और बअज़ फ़ूि पैककंग में भी

bq

एिंटी बैक्टीररया प्रोडक्​्र्: ककचन की सफ़ाई के सलए एंटी बैक्टीररया सलकुइड्स का इस्ट्तेमाल िरासीम से

मुकम्मल दहफ़ाज़त माना िाता है । इन में शासमल triclosan से िान्वरों में हामोंज़ के मसाइल दे खे गए

.u

हैं। auto-immune diseases यानन ऐसी बीमाररयां िो मद ु ाकफ़अती ननज़ाम के बर् ख़ख़लाफ़ काम करने

w

से होती हैं मसलन दम्मा और एग्ज़ीमा, बच्चों में इस की श्रह् बढ़ने का एक सबब एंटी बैक्टीररयल

w w

मस्ट्नूआत का इस्ट्तेमाल भी है इस के इलावा ये िरासीम कश मवाद पर मुश्तसमल मस्ट्नूआत बच्चों के

मनाइअनत ननज़ाम को बुरी तरह मुताससर करती हैं। बावची ख़ाना िरासीम से पाक रख़खये मगर साथ ही

w

साथ ये ख़्याल ज़रूरी है कक ककचन अप्लाइंससज़ के इस्ट्तेमाल और उन की सफ़ाई के सलए भी मुकम्मल एह्त्यात कीस्िये और अपने कुन्बे की सेहत का ख़्याल रख़खये। हज़रत हकीम र्ाहब ‫ دامت برکاتہم‬की ख़ार् दआ ु एिं लेने वाले

Page 40 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

एडिटर अबक़री तमाम मुख़सलसीन का ननहायत मशकूर हूँ कक मेरी दरख़्वास्ट्त पर दरब की िड़ भेिी। आप सब के सलए दआ ु गो हूँ, दन्ु या व आख़ख़रत की आला इज़्ज़तें , तरक़्क़ीयां, ररज़्क़ और काम्याबबयां समले। मज़ीद अगर कोई सभिवाना चाहे और या कोई मस ु ल्सल सभिवाता रहे तो ननहायत मश्कूर हूँगा। इस के फ़वाइद सुने हुए, पढ़े हुए, या आज़मूदह हों तो ज़रूर सलखें। मैं आप के फ़वाइद और तिुबातत का

ar i.o

तहक़ीक़ करें ।

i.o

bq

माहनामा अबक़री फ़रवरी 2016 िुमारा निंबर 116_______________pg 18

rg

rg

बहुत ज़्यादा मन् ु तस्ज़र हूँगा। अगर इल्म नहीं तो बढ़ ू े तिब ु ेकार या परु ाने दहक्मत िान्ने वालों से तलाश व

ar

आर्ान अमल! िादी भी हो गयी और क़ज़स भी उतर गया

bq

w w .u

(एक ददन बन्दा िम ु ेरात को घर आया और मस्स्ट्िद में नमाज़ पढ़ने गया तो दे खा कक एक बज़ ु ग ु त बहुत रो

रहे हैं। बन्दे ने सुकून के साथ नमाज़ पढ़ी और बुज़ुगत की तरफ़ मुतवज्िह हुआ कक बाबा क्यूँ रो रहे हो?

w w

w

(मुहम्मद अब्दरु त हमान, हरीपुर)

.u

तो बज़ ु ग ु त ने फ़मातया कक बेटा बेटी का ररश्ता करना है और दो तीन लाख रूपए क़ज़ात दे ना है )

बन्दा कुछ अरसे से सोच रहा था कक स्िस तरह हज़रत हकीम साहब ‫ دامت برکاتہم‬ने ददल खोल अबक़री के

w

अंदर सलख रहे हैं और ददल खोल कर अपने सीने के राज़ तमाम लोगों को बता रहे हैं िो ककसी ने ना बताए ना बाने के हैं। ऐसा सख़ी और ऐसा हमददत इंसान ज़माने में कम ही समलता है । अगर लोगों को क़दर हो तो बन्दे ने भी चाहा कक अपने वज़ाइफ़् व अमसलयात िो मि ु रत ब हैं अबक़री के अंदर सलखँू ता कक हर मुसल्मान फ़ायदा उठाए और स्ज़न्दगी के अंदर ऐश व इश्रत से रहे । बन्दे ने िो मुिरत ब आमाल सलखे हैं वो मस्ट्नन ू हैं। Page 41 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

िादी भी हो गयी और क़ज़स भी उतर गया: बन्दा िब एक तालीमी इदारे में पढ़ता था तो हॉस्ट्टल में ररहाइश पज़ीर था एक हफ़्ते बाद घर आता तो िासमअ मस्स्ट्िद के अंदर आ कर नमाज़ पढ़ता। एक ददन बन्दा िम ु ेरात को घर आया और मस्स्ट्िद में नमाज़ पढ़ने क्या गया तो दे खा कक एक बज़ ु ग ु त बहुत रो रहे हैं। बन्दे ने सुकून के साथ नमाज़ पढ़ी और बुज़ुगत की तरफ़ मुतवज्िह हुआ कक बाबा क्यूँ रो रहे हो? तो बुज़ुगत

rg

ने फ़मातया कक बेटा बेटी का ररश्ता करना है और दो तीन लाख रूपए क़ज़ात दे ना है औलाद साथ छोड़ गयी है

ar i.o

और बे बस हो चक ु ा हूँ तो बन्दे ने अज़त ककया कक बाबा क़ज़ात उतर िाएगा और बच्ची का ररश्ता भी हो

rg

िाएगा मैं आपको एक अमल बताता हूँ करना ज़रूर है । दख ु ी आदमी था तो उस ने कहा कक बताओ तो बन्दे ने िो उस को अमल बताया वो ये है कक रोज़ाना पांच सो मततबा "ला हौल व ला क़ुव्वत इल्ला َِّ َ ُ َ

َ

i.o

ُ ‫اء‬ َ ‫ ) َماش‬पढ़ना है तो िब मैं दब बबल्लादह" (‫ہللا َلق َِّوۃ اَِل ِابلِل‬ ु ारह आऊंगा तो बताना तो िब बन्दा दो हफ़्तों के बाद

bq

दब ु ारह आया तो वो बज़ ु ग ु त बहुत ख़श ु थे और बन्दे को बताने लगे कक बेटा स्िन लोगों के मैं ने पैसे दे ने थे

ar

w w .u

उन्हों ने मुआफ़ कर ददए हैं और बेटी की मंगनी भी हो गयी है । आि बन्दा स्िस वक़्त ये दआ ु सलख रहा है

bq

उस वक़्त वो बच्ची अपने घर सुकून के साथ रह रही है । अमल का तरीक़ा ये है : पहले सो मततबा दरूद ُ َ

‫َ ُ َ ا‬

ُ ‫ َج َزی‬किर पांच सो मततबा शरीफ़ "अल्लाहुम्म सस्ल्ल अला मुहम्मददन ् नबबस्य्य-रत ह्मनत" (‫ہللا َع ِّنا ُم َ ِّمدا َما ُھ َو ا ْھل ٗہ‬ َِّ َ ُ َ

َ

.u

ُ ‫اء‬ َ ‫) َماش‬। किर दरूद शरीफ़ सो मततबा पढ़े । ररज़्क़ की "ला हौल व ला क़ुव्वत इल्ला बबल्लादह" (‫ہللا َلق َِّوۃ اَِل ِابلِل‬

w w

w

तंगी, दश्ु मन का ख़ौफ़, ग़म मुसीबत से छुटकारा हत्ता कक िाद ू का तोड़ है । अमल करो और दआ ु दो, हज़रत हकीम साहब ‫ دامت برکاتہم‬को और अबक़री वालों को दआ ु एं दें । ररज़्क़ की बाररि: िो शख़्स अपने

घर में दाख़ख़ल होते वक़्त पहले सलाम करे किर दरूद शरीफ़ पढ़े और सूरह इख़्लास की नतलावत करे उस

w

के ऊपर अल्लाह तआला ररज़्क़ के दरवाज़े बाररश की तरह खोल दे गा। हर आफ़त र्े हहफ़ाज़त: िब सोने लगो तो सरू ह फ़ानतहा और सरू ह इख़्लास पढ़ो मौत के स्ट्वा हर चीज़ से दहफ़ाज़त होगी। (तोह्फ़ा हुफ़्फ़ाज़) जान माल औलाद की हहफ़ाज़त: िो शख़्स आयत अल ्-कुसी पढ़े वो

Page 42 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

उस की दहफ़ाज़त करे गी और उस की औलाद की उस के घर वालों की और उस के इदत गगदत के घरों की। (तोह्फ़ा हुफ़्फ़ाज़) नज़र बद्द र्े हहफ़ाज़त: िो चीज़ अच्छी लगे ये दआ ु पढ़े उस को नज़र नहीं लगेगी। "माशा अल्लाहु ला َِّ َ ُ َ

َ

rg

ُ ‫اء‬ َ ‫) َماش‬। क़ुव्वत इल्ला बबल्लादह" (‫ہللا َلق َِّوۃ اَِل ِابلِل‬

ज़मीनों और आर्मानों के अिंदर जो कुछ भी है उन र्ब र्े हहफ़ाज़त: िो बन्दा सुबह व शाम तीन तीन

ar i.o

मततबा आख़री तीन सूरतें पढ़े गा अल्लाह तआला ज़मीनों आसमानों, इंसानों और स्िन्नात के शर से ‫َ ُ َ ا‬

rg

ُ ‫َج َزی‬ ननिात अता फ़मातएँगे। िो बन्दा एक मततबा "िज़ल्लाहु अन्ना मुहम्मदन ् मा हुव अह्लुहू" ( ‫ہللا َع ِّنا ُم َ ِّمدا‬

i.o

ُ َ ‫ ) َما ُھ َو ا ْھل ٗہ‬पढ़े तो सत्तर फ़ररश्ते एक हज़ार ददन तक उस के नामा ए आमाल में नेककयाँ सलखते रहते हैं िो

bq

बन्दा रोज़ाना दस मततबा नमाज़ फ़ज्र के बाद दरूद शरीफ़ पढ़े गा बन्दे की रूह नबबयों और ससद्दीक़ीन की

ar

तरह ननकाली िाएगी। पुल ससरात से गुज़रने में आसानी होगी। फ़ररश्ता सज्दे में सर रख कर उस को

w w .u

िन्नत में दाख़ख़ल करवाएगा। हौज़ कौसर पर पानी पीने पर मदद की िाएगी। (अज़ ् अमसलयात के

bq

फ़ज़ाइल व बकातत ) लाख वज़ीफ़े एक तरफ़ दरूद वज़ीफ़ा एक तरफ़: हर वक़्त बावज़ू रहने की कोसशश करें

.u

रोज़ाना हज़ार मततबा दरूद शरीफ़ पढ़ने की कोसशश करें । ददन का आग़ाज़ दरूद शरीफ़ से करें और

w w

w

इख़्तताम ् भी दरूद शरीफ़ से करें । हर काम में आसानी और बरकत होगी। महमूद व अयाज़ और दवेि

w

(म-म, लाहौर)

एक मततबा सुल्तान महमूद ग़ज़्नवी ने अयाज़ से वादा ककया कक मैं तुझे अपना सलबास पहना कर अपनी िगा बबठा दं ग ू ा और तेरा सलबास पहन कर ख़द ु ग़ल ु ाम की िगा ले लँ ग ू ा, तो स्िस वक़्त सुल्तान महमूद हज़रत अबू अल्हसन से मल ु ाक़ात की ननय्यत से ख़क़ातन पोहं चा तो क़ाससद से ये कहा कक हज़रत अबू अल्हसन से ये कह दे ना कक मैं ससफ़त आप से मुलाक़ात की ग़ज़त से हास्ज़र हुआ हूँ सलहाज़ा आप ज़ेह्मत Page 43 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

फ़मात कर मेरे ख़ेमे तक तश्रीफ़ ले आएं और अगर वो आने से इंकार करें तो ये आयत नतलावत कर दे ना "तिम ुत ा: अल्लाह और उस के रसूल की अताअत के साथ अपनी क़ौम के हाककम की भी अताअत करते रहो" सो क़ाससद ने आप को िब ये पैग़ाम पोहं चाया तो आप ने मआ ु ज़रत तलब की स्िस पर क़ाससद ने मज़्कूरह बाला आयत नतलावत की। आप ने िवाब ददया कक महमूद से कह दे ना कक मैं तो अतीउल्लाह में

rg

ऐसा ग़क़त हूँ कक अतीउरत सल ू में भी ननदामत महसस ू करता हूँ। ऐसी हालत में हाककम की अताअत का तो

ar i.o

स्ज़क्र ही क्या? ये क़ौल स्िस वक़्त क़ाससद ने महमूद गज़्नवी को सुनाया तो उस ने कहा कक मैं तो उन्हें

rg

मामूली कक़स्ट्म का सूफ़ी तसव्वुर करता था, लेककन मालूम हुआ कक वो तो बहुत ही काम बुज़ुगत हैं, सलहाज़ा हम ख़द ु ही उन की ज़्यारत के सलए हास्ज़र होंगे। उस वक़्त महमूद ने अयाज़ का सलबास पहना और

i.o

अयाज़ को अपना सलबास पहनाया और ख़द ु दस कनीज़ों को मदातना सलबास पहना कर उन के साथ बतौर

bq

ग़ल ु ाम के मल ु ाक़ात करने पोहं च गया। आप ने उस के सलाम का िवाब तो दे ददया मगर तअज़ीम के

ar

w w .u

सलए खड़े नहीं हुए और महमूद िो ग़ल ु ाम के सलबास में मल्बूस था उस की तरफ़ मुतवज्िह हो गए।

bq

लेककन अयाज़ िो शाहाना सलबास में था उस िाननब क़त्तई तवज्िह ना दी और िब महमद ू ने िवाब

ददया कक ये दाम फ़रे ब तो ऐसा नहीं है स्िस में आप िैसे शाहबाज़ िँस सकें किर आप ने महमूद का हाथ

.u

थाम कर फ़मातया कक पहले इन ना महरमों को बाहर ननकाल दो, किर मझ ु से गफ़् ु तग ु ू करना। तो महमद ू

w

के इशारे पर तमाम कनीज़ें बाहर चली गईं और महमूद ने आप से फ़मातइश की कक हज़रत बा यज़ीद

w w

बस्ट्तामी ‫ علیہ هللا رحمت‬का कोई वाक़्या बयान फ़मातइए। आप ने फ़मातया कक हज़रत बा यज़ीद का क़ौल था कक स्िस ने मेरी ज़्यारत कर ली उस को बद्द बख़्ती से ननिात हाससल हो गयी, इस पर महमूद ने पूछा कक

w

"क्या उन का मततबा हुज़ूर अक्रम ‫ ﷺ‬से भी ज़्यादा बल ु न्द था? इस सलए कक हुज़ूर ‫ ﷺ‬को अबू िहल, अबू लहब िैसे मंकु करीन ने दे खा किर भी उन की बद्द बख़्ती दरू ना हो सकी" आप ने फ़मातया कक ऐ महमद ू ! अदब को मल्हूज़ रखते हुए अपनी पवलायत में तसरुत फ़ ना करो, क्योंकक हुज़ूर अक्रम ‫ ﷺ‬को ख़ल ु फ़ा ए अरबा और दीगर सहाबा इकराम के स्ट्वा ककसी ने नहीं दे खा स्िस की दलील ये आयत मब ु ारक है "तिम ुत ा:

Page 44 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

यानन ऐ नबी! ( ‫ ) ﷺ‬आप उन को दे खते हैं िो आप की िाननब नज़र करते हैं हालाँकक वो आप ( ‫) ﷺ‬ को नहीं दे ख सकते" ये सुन कर महमूद बहुत महज़ूज़ हुआ। किर आप से नसीहत करने की ख़्वादहश की तो आप ने फ़मातया: "न्वाही से इज्तनाब ् करते रहो, बा िमाअत नमाज़ अदा करते रहो, सख़ावत व शफ़्क़त को अपना सशआर बना लो, िब महमूद ने दआ ु की दरख़्वास्ट्त की तो फ़मातया कक मैं अल्लाह से

rg

हमेशा दआ ु करता हूँ कक मस ु ल्मान मदों और औरतों की मग़कफ़रत फ़मात दे । किर िब महमद ू ने अज़त

ar i.o

ककया कक मेरे सलए मख़्सूस दआ ु फ़मातइये तो आप ने कहा कक ऐ महमूद! तेरी आक़बत महमूद हो और िब

rg

महमूद ने अश्रकफ़यों का एक तोड़ा आप की ख़ख़दमत में पेश ककया तो आप ने िव की ख़श्ु क दटक्या उस के सामने रख कर िवाब ददया कक इस को खाओ, तो महमूद ने िब तोड़ कर मुंह में रखा और दे र तक चबाने

i.o

के बाविूद भी हलक़ से ना उतरा तो आप ने फ़मातया कक शायद ननवाला तुम्हारे हलक़ में अटकता है । उस

bq

ने कहा हाँ! तो फ़मातया: तम् ु हारी ये ख़्वादहश है कक अश्रकफ़यों का ये तोड़ा इसी तरह मेरे हलक़ में भी अटक

ar

w w .u

िाए सलहाज़ा इस को वापस ले लो क्योंकक मैं दन्ु यावी माल को तलाक़ दे चक ु ा हूँ। महमूद के बे हद्द इसरार

bq

के बाविद ू भी आप ने उस में से कुछ ना सलया। किर महमद ू ने ख़्वादहश की कक बतौर तबरुत क कोई चीज़

अता फ़मात दें । इस पर आप ने उस को अपना पेराहन दे ददया। किर महमूद ने रुख़्सत होते हुए अज़त की कक

.u

हज़रत आप की ख़ानक़ाह तो बहुत ख़ब ू सरू त है तो फ़मातया कक अल्लाह ने तझ ु े इतनी वसीअ सल्तनत

w

बख़्श दी है किर भी तुम्हारे अंदर तमाअ बाक़ी है और इस झोंपड़ी का भी ख़्वादहष्मन्द है । ये सुन कर उस

w w

को बे हद्द ननदामत हुई और िब वो रुख़्सत होने लगा तो आप ने तअज़ीम के सलए खड़े हो गए तो उस ने

पूछा कक मेरी आमद के वक़्त तो आप ने तअज़ीम नहीं की किर अब क्यूँ खड़े हो गए फ़मातया: उस वक़्त

w

तुम्हारे अंदर शाही तकब्बुर मौिूद था और मेरा इम्तेहान लेने आए थे लेककन अब अज्ज़ व दरवेसश की हालत में वापस िा रहे हो और ख़श ु ीद फ़ि तम् ु हारी पेशानी पर रख़्शन्दह है । इस के बाद महमद ू रुख़्सत हो गया। (तज़्करतुल ्-औसलया ससफ़हा ३८८)

Page 45 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

माहनामा अबक़री फ़रवरी 2016 िुमारा निंबर 116______________pg 20

क़ुदरती जड़ी बूहटयों का िान्दार क़ह्वा (यक़ीन िाननये ये एक ख़ान्दानी राज़ों में से एक राज़ है इस का एक छोटा सा वाक़्या सन ु ाऊँ। एक दज़ी थे

rg

िो शहर के बअज़ माल्दार लोगों के सलबास सीते थे िो शाही अंदाज़ के थे और उन का नज़राना और शुक्राना बहुत मेहंगा था)

ar i.o

क़ाररईन! आप के शलए क़ीमती मोती चन ु कर लाता हूाँ और छुपाता नहीिं, आप भी र्ख़ी बनें और ज़रूर

rg

शलखें (एडडटर हकीम मह ू मज्ज़ब ू ी चग़ ु ताई) ु म्मद ताररक़ महमद

i.o

एक बात बड़ों ने बताई और इस को बार बार सन ु ा कक स्िस दौर में चाय को मत ु आरुफ़ करवाया गया, उस

bq

दौर में ये बात मुसल्सल सुनने को समली और बे शुमार तहरीरों में भी ये बात आई है कक िब चाय के

ar

w w .u

आलमी तास्िरों ने चाय की नतिारत की तो उस को िगा िगा पका कर फ़्ी पपलाया गया हत्ता कक

bq

स्ट्टे शनों पर रे नों में भी इस को फ़्ी ददया गया। लोग इस को ननहायत पसंद करते थे लेककन इस्श्तहार भी चलते रहे फ़्ी भी चलता रहा। ये ससस्ल्सला आि से तक़रीबन अस्ट्सी (८०) साल क़ब्ल शुरू हुआ अब दन्ु या

.u

में खरबों िॉलर की चाय मज्बूरी और ज़रूरत बन गयी है । साल्हा साल की तहक़ीक़ के बाद पूरी दन्ु या चाय

w w

w

के नुक़्सानात और इस की विह से ददल, गुदे, मैदा और स्िगर के मसाइल को मुसल्सल बयान कर रही

है । साइंसदान इस तहक़ीक़ में लगे हुए हैं कक लोग ककसी तरह चाय छोड़ दें , कोई भी चीज़ हो उस का कभी कभार का इस्ट्तेमाल नुक़्सान नहीं दे ता, रोज़ाना मामूल बनाना और बअज़ लोगों को ख़द ु मैं ने दे खा कक

w

ददन में सोला से बीस कप चाय पीना उन का मामल ू है । वो कहते हैं चाय लब सोज़ हो (यानन लबों को िलाए) लब दोज़ हो (यानन घूँट भर के हो) और लब्रेज़ हो (यानन बततन और प्याले भरे हुए हों) बस यही लब सोज़, लब दोज़ और लब्रेज़ ने नस्ट्लों की नस्ट्लों को चाय पर लगा ददया है । क़ाररईन! आि क्यँू ना आप को ऐसा िड़ी बूदटयों का क़ह्वा दें िो ऐसा हो िो आप की सेहत, तंदरु ु स्ट्ती, नशो व नुमा, कफ़टनेस, िवानी,

Page 46 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

ददल व ददमाग़, एअसाब, पट्ठे इन तमाम के सलए एक रोशन और लािवाब चमकदार घूँट हो स्िस का हर घूँट आप के स्िस्ट्म को नई स्ज़न्दगी दे । कहीं ऐसा घूँट ना हो िो गुदे के िाइलेससज़ के मरीज़ बढ़ाए, कहीं ऐसा घँट ू ना हो िो ददल के अस्ट्पतालों को तामीर करने पर मज्बरू कर दे और ददल के अस्ट्पताल थोड़े पड़ते िाएं, कहीं ऐसा घूँट ना हो कक मैदे के अमराज़ का इलाि सब से शान्दार कारोबार बन िाए, कहीं ऐसा घूँट

rg

ना हो कक अज़्दवािी स्ज़न्दगी इतनी ख़त्म हो िाए कक औरत ककसी ग़ैर की तरफ़ झांकना या सोचना शरू ु

ar i.o

कर दे , कहीं ऐसा घूँट ना हो िो औरत को सलकोररया के नाम पर हड्डियां खोखली, ख़न ू की कमी और

rg

स्िस्ट्म में कम्ज़ोरी का तम्ग़ा दे । कहीं ऐसा घूँट ना हो िो तबीअत में गचड़गचड़ा पन, डिरेशन, टें शन, एग्ज़ाइटी, स्ट्रे स पैदा करे , कहीं ऐसा घूँट ना हो िो मुआश्रे को तशद्दुद और अदम बदातश्त की राहों पर लगा

i.o

दे । कहीं ऐसा घूँट ना हो िो िोड़ों के ददत , कमर के ददत और िोड़ों में मौिूद ग्रीस स्िस से िोड़ चटख़्ते नहीं,

bq

ददत नहीं करते उन को ख़श्ु क ना कर दे । सच पनू छये! ये िड़ी बदू टयों के वो घँट ू हैं िो इन सब बीमाररयों से

ar

w w .u

आप को बचाएंगे, इन सभी तक्लीफ़ों से आप को ननिात दें गे और ये सारी चीज़ें ऐसी होंगी स्िन से आप

bq

को कफ़टनेस भी समले और नक़् ु सानात से भी बचें गे। आइये! हम आप को एक ऐसे क़ुदरती िड़ी बदू टयों के

बे ज़रर और नुक़्सान से पाक क़ह्वा की तरफ़ मुतवज्िह करते हैं और इस क़ह्वा का तआरुफ़ कराते हैं।

.u

यक़ीन िाननये ये एक ख़ान्दानी राज़ों में से एक राज़ है इस का एक छोटा सा वाक़्या सन ु ाऊँ। एक दज़ी थे

w

िो शहर के बअज़ माल्दार लोगों के सलबास सीते थे िो शाही अंदाज़ के थे और उन का नज़राना और

w w

मुआव्ज़ा बहुत मेहंगा था, आम आदमी की पोहं च से दरू था। उन के पास िो शख़्स भी माप लेने या सलबास लेने आता था सदी हो या गमी वो ये क़ह्वा पेश करते थे िो भी पी कर िाता और अपनी तबीअत

w

में सुकून और अपने स्िस्ट्मानी मसाइल और मुस्श्कलात से एक कप से ही बहुत ज़्यादा ननिात पाता। उन से कई लोग पछ ू ते थे बस वो कहते थे आप को आम खाने से ग़ज़त है आम के दरख़्त यानन पेड़ गगनने से ग़ज़त नहीं। वो ककसी को इस का फ़ामल ूत ा यानन नुस्ट्ख़ा नहीं बताते थे उन के मरने के बाद एक ख़ातून को उन की बीवी से ये नस्ट् ु ख़ा समला क्योंकक उन की बीवी ही क़ह्वा बनाती थी। ये नस्ट् ु ख़ा मझ ु े इसी तरह घम ू ते

Page 47 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

घुमाते एक शख़्स से समला। िो इस के बहुत ददल्दादह थे और वो अक्सर इस क़ह्वा की तारीफ़ करते थे, उन के बक़ौल ये क़ह्वा पीने वाला अगर ककसी बीमारी में मुब्तला हुआ है चाहे वो मौसम गमात की बीमारी हो या समात की, वो बाररश की बीमारी हो या वबा की तो किर इस का क़ह्वा स्ज़न्दगी है, िान है , सेहत है , तंदरु ु स्ट्ती है और कमाल है ! आइये! अब आप को इस क़ह्वा के अज्ज़ा और इस की तरकीब का तआरुफ़

rg

कराते हैं: क़ह्वा बनाने की तरकीब: सब्ज़ चाय, सब्ज़ इलाइची, सौंफ़, पोदीना ख़श्ु क या सब्ज़, थोड़ी थोड़ी

ar i.o

समक़्दार में अगर क़ह्वा ज़्यादा बनाना हो तो ज़्यादा समक़्दार में ले कर उस को हल्की आंच पर उबालें

rg

बेह्तर यही है कक चीनी ना िालें वरना िैसे आप की तबीअत हो और इस को चस्ट् ु की चस्ट् ु की पीएं। ठं िा कर के भी पी सकते हैं और गरमा गमत भी नोश िान करें । क़ह्वा क्या है ? आप इस के अज्ज़ा पर ग़ौर करें

i.o

इलाइची मुग़ल बादशाहों की सेहत का राज़ रहा है । उन का पुलाऔ हो या ज़दात सालन हो या बबयातनी,

bq

क़ौमात हो या मीठी डिश हर मग़ ु ल बादशाह की हर गग़ज़ा में छोटी सब्ज़ इलाइची हमेशा रही है । दर असल

ar

w w .u

इलाइची को बररत सग़ीर के बादशाहों ने मुतआरुफ़ करवाया और आि पूरी दन्ु या में ये िहाँ दवाओं में

bq

इस्ट्तेमाल होती है वहां गग़ज़ाओं का िज़् ु व िान है । इस में औरत के पोशीदह एअज़ा की तक़्वीयत,

तंदरु ु स्ट्ती और सेहत बहुत ज़्यादा है । पोदीना आप की मौिूदह खाद, ज़हरीले पानी और आलूदगी से पली

.u

गग़ज़ाओं िलों और सस्ब्ज़यों का एक बेह्तरीन एंटी बायोदटक और एंटी सेस्प्टक यानन तयातक़ है स्िस मैदे

w

में पोदीना या पोदीने का अक़त होगा (यानन क़ह्वा) वो मैदा बीमाररयां पैदा नहीं करे गा वो मैदा रोग नहीं

w w

बनाएगा और वो मैदा बढ़े गा नहीं यानन पेट का बढ़ना मोटापे का होना, चबी का बढ़ना, कोलेस्ट्रोल यूररया,

यूररक एससि, वग़ैरा उस स्िस्ट्म में पैदा नहीं होंगे। सौंफ़ के "स" से सदा बहार, सेहत तंदरु ु स्ट्ती "व" से

w

वासलहाना कफ़टनेस और तंदरु ु स्ट्ती का राज़, "न" से हर बीमारी की नफ़ी और "फ़" से बड़े बड़े साइंसदानों का फ़ल्सफ़ा कक उन्हों ने इस दवाई से क्या पाया। आइये! इस क़ह्वा को अपने सलए, बच्चों और नस्ट्लों के सलए और आने वाले मेहमानों की तवाज़ुअ के सलए स्ज़न्दगी का साथी बनाएं नस्ट्ल दर नस्ट्ल इस को चलाएं इस मल् ु क को सेहतमंद और तंदरु ु स्ट्त बनाने में हम अपना भरपरू ककरदार अदा करें ।

Page 48 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

अन्दे खी मुर्ीबत र्े ननजात मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरे साथ एक अिीब व ग़रीब मसला था कक अगर मैं कभी शाम के वक़्त लेट िाऊं ऐसा महसूस होता था कोई मेरे ऊपर है , आँखें खोलने की लाख कोसशश करती मगर खल ु ती ना थीं, ज़ेहन में आता कक "ला हौल व ला क़ुव्वत इल्ला बबल्लादह-ल ्असलस्य्यْ

ْ

َِّ َ ُ َ َ

َ

rg

ِّ ِ ‫ )َل َح ْول َوَل ق َِّوۃ اَِل ِابلِل ِال َع‬पढ़ो, िैसे ही मैं पढ़ना शुरू करती फ़ौरन ही वो वज़न ख़त्म हो ल ्अज़ीसम" (‫ل ال َع ِظ ْی ِم‬ ِ

rg

ar i.o

िाता है और स्िस्ट्म बबल्कुल पुरसुकून हो िाता। (साददया कँवल)

i.o

क़द्द बढ़ र्कता है दे र कैर्ी?

bq

क़ाररईन! मैं हमेशा आप के तिुबातत व मुशादहदात की क़दर दानी करता हूँ। आप के पास कोई रूहानी,

ar

w w .u

नतब्बी या कोई टोटका क़द्द बढ़ाने के सलए हो तो ज़रूर सलखें। आप का सदक़ा ए िाररया और एह्सान

bq

होगा। एडिटर मुन्तस्ज़र रहे गा! आप ने हमेशा मेरी दरख़्वास्ट्त की क़दर दानी की, अपना तिुबात या ककसी

.u

w w

w

से मस्ट् ु तनद सन ु ा हो, तो ज़रूर सलखें !

माहनामा अबक़री फ़रवरी 2016 िुमारा निंबर 116______________pg 24

w

नफ़्सस्याती घरे लू उल्झनें और आज़मद ू ह यक़ीनी इलाज परे शान और बद्द हाल घरानों के उल्झे ख़तूत और सुल्झे िवाब

(जवाबी शलफ़ाफ़ा ज़रूर भेजें, मुकम्मल पता शलखा हुआ। जवाब में जल्दी ना करें )

Page 49 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

अब फ़ाररग़ रहना मुज़श्कल है : मैं ने सारी स्ज़न्दगी मेहनत की। स्ट्कूल की फ़ीस, किर कॉलेि की फ़ीस ख़द ु दी, शादी करना नहीं चाहती थी, माँ की ख़्वादहश के सामने मज्बूर हो गयी मगर िॉब नहीं छोड़ी। अब एक बच्चा है , शौहर चाहते हैं मैं िॉब छोड़ दँ ू और बच्चे का ख़्याल रख।ँू मझ ु े लगता है फ़ाररग़ रहना मेरे सलए मुस्श्कल होगा और किर अपने अख़्रािात के सलए शौहर से रक़म मांगनी पड़ेगी, कुछ समझ में नहीं आता।

rg

(शकीला, इस्ट्लाम आबाद)

ar i.o

जवाब: शौहर आप से बच्चे की ख़ानतर िॉब छुड़वाना चाहते हैं तो अख़्रािात का भी ख़्याल रखेंगे। आप की

rg

और बच्चे की स्ज़म्मा दारी उन्ही पर है । बच्चे का ये वक़्त दब ु ारह नहीं आएगा िब उस को आप की इतनी ज़रूरत हो और आप भी उस की एक एक बात को एन्िॉय कर सकेंगी। िॉब करने वाली ख़वातीन अपने

ar

समलते हैं। बच्चा बड़ा हो िाए तो दब ु ारह िॉब की िा सकती है ।

i.o

bq

बच्चों के साथ वो ख़ब ू सूरत लम्हात गुज़ारने से महरूम रह िाती हैं िो घर में रहने वाली ख़वातीन को

w w .u

ज़ेहनी मरीज़ा बहन: मेरी एक बहन ज़ेहनी मरीज़ा है । िब से मैं ने होश संभाला है उस को ऐसे ही दे खा।

bq

बच्चों िैसी स्ज़द, बच्चों की तरह रोना और घर से बाहर ननकल िाना, उस के सलए कोई बात ही नहीं।

.u

वाल्दै न हयात थे तब उस का हाल इस क़दर ख़राब ना था अब तो सब ही कहते हैं कक ये ऐसी ही रहे गी, घर से बाहर ननकलती है तो ननकलने दो, हम रोक नहीं सकते। मझ ु े मालम ू है इस तरह वो लोगों को पत्थर

w w

w

मारे गी मुझे लगता है कक हम ने कोताही की है शायद वो ठीक हो िाए। (अहसन अली, मुल्तान) जवाब: बहन की िो हालत आप ने बयां की है , उस से ज़ादहर हो रहा है कक वो ज़ेहनी कम्ज़ोर मरीज़ा है ।

w

ऐसे लोगों को उन के हाल पर छोड़ना उन के साथ ज़ुल्म है , इस तरह वो और ख़राब हो िाते हैं। िहाँ तक उन के ठीक हो िाने की बात है तो ये बबल्कुल ठीक नहीं होते, अल्बत्त कुछ बेह्तरी आ सकती है । बहन को घर पर रखने की ज़रूरत है । इंसानी हमददी के तहत दस ू री बहनें या भासभयाँ उस का ख़्याल रखें अगर वो तशद्दुद पर आमादह हो तो ददमाग़ के िॉक्टर से मश्वरा कर सकते हैं।

Page 50 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

अजीब लड़की है : एक माह क़ब्ल बड़ी बेटी ने मेरी नींद की दवा खा ली और ये ख़त सलख कर रखा कक "मुझे ककसी से कोई सशकायत नहीं लेककन मेरा स्ज़ंदा रहने को ददल नहीं चाहता" हालाँकक हम उस की हर ज़रूरत परू ी करते हैं ककसी लड़के वग़ैरा का चक्कर भी नहीं। काफ़ी ददन से गम् ु सम ु सी थी, मैं समझी इम्तेहान की कफ़क्र है लेककन ऐसा भी ना था उस ने तो इम्तेहान ही नहीं ददया। रोज़ घर से यूननफ़ॉमत पहन

rg

कर िाती रही, इतना बड़ा धोका वो भी माँ के साथ! उस के बाद दवा खा लेना समझ नहीं आता। िैसे ही मैं

ar i.o

ने उस के बबस्ट्तर पर अपनी दवा की ख़ाली शीशी दे खी उस को िगाने की कोसशश की किर फ़ौरन

rg

अस्ट्पताल ले गई, बेटों से छुपाया, अस्ट्पताल िा कर उन को मालूम हो गया। अिीब लड़की है , उस ने मुझे मुस्श्कल में िाल रखा है । (फ़रहाना बी बी, गुिरात)

i.o

bq

जवाब: िब मायूसी की कोई विह ना हो और इंसान मायूस रहे ककसी से सशकायत ना हो मगर स्ज़ंदा रहने

ar

को ददल ना चाहे , गुम्सुम रहे , तासलब इल्म है तो इम्तेहान ना दे , मुलाज़्मत पैशा है तो मुलाज़्मत छोड़ दे ,

w w .u

अपनी स्ज़म्मा दाररयों का एह्सास ना हो, कुछ अच्छा ना लगता हो, यहाँ तक कक स्ज़न्दगी भी, तो ये

bq

समझने में दे र नहीं करनी चादहए कक ऐसा लड़का या लड़की ज़ेहनी तौर पर ठीक नहीं, नफ़्स्ट्याती अमराज़ कभी तो ककसी नज़र आने वाली विह से और कभी बग़ैर विह के असर अंदाज़ हो िाते हैं। बेटी डिरेशन

.u

का सशकार मालूम होती है । अच्छी बात ये है कक िदीद इलाि इस मज़त से ननिात ददला दे ता है ।

w w

w

िादी बाद की परे िानी: मुझे घूमने किरने का शौक़ है । घर में कम ही रहता हूँ। एक लड़की से दोस्ट्ती है , अब वो शादी पर मज्बूर कर रही है । घर में स्ज़क्र ककया तो मायूसी हुई क्योंकक घर वालों का ख़्याल है मैं

w

ग़ैर स्ज़म्मादार हूँ। शादी के बाद परे शान हो िाऊंगा। फ़ौरी तौर पर तो इस बात पर बहुत ग़स्ट् ु सा आया, किर सोचा कक क्या करूँ, घर वालों को ये कैसे मालूम होगा कक मैं शादी के बाद बहुत ही स्ज़म्मा दार हो िाऊंगा। मसला ये है कक लड़की की मज़ी है अपने घरवालों को ले कर आओ, वरना मैं ने तो सोचा था कक दोस्ट्तों को बुला कर ननकाह कर लँ ग ू ा। (ग़, श)

Page 51 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

जवाब: अपनी ख़्वादहशात के मुआम्ले में आप का ददमाग़ बहुत तेज़ी से काम कर रहा है । लड़की आप के मुक़ाब्ले में समझदार मालूम होती है । ख़द ु को स्ज़म्मा दार साबबत करने के सलए घूमना किरना कम करें , घर के मआ ु म्लात को दे खें, संिीदह रवय्या अख़्त्यार करें । ननकाह कर लेना आसान है िब कक ननभाना मुस्श्कल है । ख़द ु को बहुत बदलना पड़ता है , एक ख़्वादहश की तकमील के सलए बहुत सी ख़्वादहशात और

rg

आज़ादी की क़ुबातनी दे नी होती है ।

ar i.o

अजब ख़्यालात: एम ् बी बी एस के चोथे साल की तासलबा हूँ, कुछ ददनों में फ़ाइनल पेपर होने वाले हैं।

rg

आि कल अिीब अिीब से ख़्यालात आते हैं। पढ़ने में ददल नहीं लगता। हर वक़्त लेटी रहती हूँ, रोने को बहुत ददल चाहता है । अम्मी ने अपनी तरफ़ से दम वग़ैरा भी करवाया। ददल में ख़्याल आता है कक मैं

i.o

bq

मेडिकल में पास नहीं हो सकती स्िस की विह से पढ़ने से िर लगता है । सोचती हूँ ख़ान्दान में इज़्ज़त

ar

कम हो िाएगी। ददल चाहता है कहीं अकेली ननकल िाऊं। (दद ु ातना उमर, लाहौर)

w w .u

जवाब: एम ् बी बी एस के चोथे साल तक आने के सलए पढ़ा होगा, अब तक पास हुई हैं तो आख़री साल में

bq

भी मेहनत और स्िद्द व िहद से काम्याबी हाससल हो िाएगी। साबबक़ा काम्याबबयों को दे खें और अपने

.u

आप से कहें कक मैं इस मततबा अच्छे नंबरों से पास हूँगी। िो मज़ामीन पढ़ने में मुस्श्कल या बेज़ारी हो रही है उन के सलए अपनी दोस्ट्तों से मदद लें, ग्रप ु में पढ़ें , एक दस ू रे को पढ़ाएं। समझाने से भी बहुत सी चीज़ें

w w

w

समझने में आसानी होती है क्योंकक हो सकता है िहाँ आप को मुस्श्कल हो रही हो, वहां दस ू री लड़की ने अच्छा समझ सलया हो। इसी तरह स्िस बात को लड़ककयां समझ ना पाई हों, वो आप समझ कर वज़ाहत

w

कर दें , अपने अच्छे मक़्सद की तकमील पर ननगाह रखें। इज़्ज़त ख़द ु ही बढ़ िाएगी। अकेली ननकल िाने की ख़्वादहश मायूसी का सबब है , मायूसी पर क़ाबू पाते ही ये कैकफ़यत ना रहे गी। शमयािं बीवी की मुहब्बत के शलए ख़ार्ुल ् ख़ार् अमल:

Page 52 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


माहनामा अबक़री मैगज़ीन फ़रवरी 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

www.ubqari.org

क़ाररईन! घरे लू ना चाक़ी, समयां बीवी की मुहब्बत, साल्हा साल बेदटयां माँ बाप के घर बैठी रहती हैं। अज़ ् राह करम! अपने ख़स ु ूसी तिुबातत और मुशादहदात में से कोई नक़्श हो वज़ीफ़ा हो या टोटका हो स्िस से समयां बीवी की मह ु ब्बत है रत अंगेज़ तौर पर बढ़ िाए। आप ने आज़्माया हो या आप के ककसी क़रीबी ने आज़्माया हो बस ससफ़त आज़्माया हुआ सलखें। ककताबों से नक़ल कर के ना भेिें। आप का ये अमल लाखों

rg

करोड़ों के सलए सदक़ा िाररया है । िो लोगों का घर बसाएगा अल्लाह उस का और उस की नस्ट्लों का घर

ar i.o

आबाद व शाद रखेगा। ज़रूर सलखें ! बज़रीआ ख़त, ई मेल या दित ज़ेल नंबर पर मेसेि करें , हगगतज़ ना भूलें

rg

०३४३-८७१०००९ इस नंबर पर ससफ़त मेसेि करें ।

ar bq

w w .u

bq

(एडिटर अबक़री की अपील)

i.o

ई मेल एड्रेस: contact@Ubqari.org

.u

w w w

w

माहनामा अबक़री फ़रवरी 2016 िुमारा निंबर 116______________ pg 25

Page 53 of 53 www.ubqari.org

facebook.com/ubqari

twitter.com/ubqari


Turn static files into dynamic content formats.

Create a flipbook
Issuu converts static files into: digital portfolios, online yearbooks, online catalogs, digital photo albums and more. Sign up and create your flipbook.