bq
.u
w
w w ar i.o
rg
i.o
ar
bq
.u
w
w
w
rg
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
rg
के मई 2016 के एहम मज़ामीन
ar i.o
हहिंदी ज़बान में दफ़्तर माहनामा अबक़री
w .u
मज़िंग चोंगी लाहौर पाककस्ट्तान
contact@ubqari.org
i.o
ar
महमद ू मज्ज़ब ू ी चग़ ु ताई دامت برکاتہم
bq
w w
एडिटर: शैख़-उल-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मह ु म्मद ताररक़
rg
bq
मरकज़ रूहाननयत व अम्न 78/3 अबक़री स्ट्रीट नज़्द क़ुततबा मस्स्ट्िद
WWW.UBQARI.ORG
.u
FACEBOOK.COM/UBQARI
w
w
w
TWITTER.COM/UBQARI
Page 1 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
फ़ेहररस्ट्त सहाबा
ؓ
व अह्ल बैत
ؓ की ख़श ु ी ककस में है ?............................................................................... 3
rg
करामत ए शेर ए ख़ुदा !رضي هللا عنهअसा का इशारा और शदीद सेलाब ख़त्म ........................................ 7 बच्चे को घर में पड़ी उदय ू ात से बचाने के गरु ........................................................................................... 11
ar i.o
ज़ेहनी दबाओ से याद्दाश्त में इज़ाफ़ा! ना क़ाबबल तरदीद ररसचत ................................................................. 15 ज़ेहनी दबाओ से ननिात पाने के आसान गरु ............................................................................................. 17 गमी का तोड़ घरे लू आज़मद ू ह ठिं िे टोटकों से कीस्िये ................................................................................. 19 क़ाररईन के नतब्बी और रूहानी सवाल, ससफ़त क़ाररईन के िवाब................................................................. 22
bq
क़ाररईन के सवाल क़ाररईन के िवाब .......................................................................................................... 26
rg
मेरी स्ज़न्दगी कैसे बदली? ........................................................................................................................... 26
w .u
आइये! शादी के चन्द सामान इब्रत वाकक़आत पढ़ें ! .................................................................................... 30
i.o
नज़र बद्द से ननिात का एक अमल आप की ख़ख़दमत में .......................................................................... 33
नाख़ुन से बीमारी की सो फ़ीसद दरु ु स्ट्त तश्ख़ीस! है ना हदल्चस्ट्प! ............................................................. 33
ar
w w
१५ हदन में २० साल परु ानी टी बी ख़त्म .................................................................................................... 33 नफ़्स्ट्याती घरे लू उल्झनें और आज़मद ू ह यक़ीनी इलाि ............................................................................... 37
bq
िन ू का रमज़ान! सत्तू से सारा हदन ठिं िक का एह्सास ............................................................................. 41
बढ़ती उम्र और बढ़ ु ापा ससफ़त चहल क़दमी से भगाइए ................................................................................. 45
w
w
w
.u
पहढ़ए कल्मे का ननसाब! नेअमतें , बरकतें, रहमतें पाइए बे हहसाब ............................................................. 48
Page 2 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
rg
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
ar i.o
दसत रूहाननयत व अम्न
शैख़-उल-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मुहम्मद ताररक़ महमूद मज्ज़ूबी चग़ ु ताईدامت برکاتہم
सहाबा
व अह्ल बैत
ؓ
ؓ
की ख़श ु ी ककस में है ?
bq
आमाल की ससफ़्फ़त: हमारी पानी वाली टैंकी बन रही थी मैं सोचने लगा कक सख़्त गमी और तप्ती धप ू में
rg
मज़्दरू काम कर रहे हैं वो कोनसी चीज़ है िो सख़्त गमी में उन से काम करवा रही है? दरअसल उन्हें
w .u
यक़ीन है कक शाम को िब काम ख़त्म होगा तो हमें मज़्दरू ी समलेगी इसी यक़ीन की विह से वो तप्ती धप ू
i.o
में काम कर रहे हैं अगर उन्हें कहा िाए कक शाम को कुछ नहीिं समलेगा तो क्या मज़्दरू काम करें गे? नहीिं
w w
करें गे। शाम को समलने वाला नफ़ा ही मज़्दरू को सारा हदन गमी में मश ु क़्क़त करवाता है । एक बन्दा
ar
सख़्त गमी, सख़्त बाररश, सख़्त तूफ़ान में अपनी मज़्दरू ी पर अपनी मुलाज़्मत पर िहािं कहीिं भी िाता है
bq
उस के बदले में समलने वाले नफ़ा की विह से िाता है क्योंकक हमारे पेश नज़र इस के बदले में समलने वाला नफ़ा होता है िो हमें हदखाया गया है , इसी तरह अगर हमारे पेश नज़र आमाल की ससफ़्फ़त हो कक
.u
हम अमल करें गे तो हमें फ़ायदा समलेगा तो हम वो अमल शौक़ व ज़ौक़ से और अिंदर की तड़प से करें गे
w
और उस में एक िज़्बा होगा।
w
अल्लाह वालों की मेस्ह्फ़ल: एक बन्दा हज़रत ख़्वािा क़ुत्बुद्दीन बख़्त्यार काकी رحمة هللا عليهकी ख़ख़दमत
w
में हास्ज़र हुआ और कहने लगा: "हज़रत मुझे सूरह इख़्लास से बहुत मुहब्बत है " आप ने फ़मातया कक: क़ुरआन तो सारे का सारा मुहब्बत करने के क़ाबबल है तुझे ससफ़त सूरह इख़्लास से ही क्यूूँ मुहब्बत है ?" उस ने कहा कक: "मैं ने सूरह इख़्लास के फ़ज़ाइल सुने थे" आप ने फ़मातया कक: "आदमी स्िस चीज़ के फ़ज़ाइल
Page 3 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
सुन ले चाहे वो दन्ु या के हों या आख़ख़रत के उस की तरफ़ माइल हो िाता है ।" अल्लाह वाले हज़रात आमाल से समलने वाले नफ़े को बताया करते थे और अब भी बताते हैं। क़ुरआन ससखाता है कक दन्ु या के
rg
नफ़ा भी मािंगो और आख़ख़रत के नफ़े का भी सवाल करो। "रब्बना आनतना कफ़-द्दुन्या हसनतिं-व्व कफ़ल ्आख़ख़रनत हसनतिं-व्व कक़ना अज़ाब-न्नार्"(अल्बक़रह)
नफ़े भी बताया करते थे।
ar i.o
َ َ َ َ َ َ ً َ َ َ َ ٓ ْ ْ َ ً َ َ َ َ ْ ُّ ْ َ ٰ َ َ َ ْ الن )ربنا اتِنا ِِف الدنیا حسنۃ و ِِف اْلخِرۃ ِحسنۃ وقِنا عذابचन ار (البقرہ ु ाचे अल्लाह वाले दन्ु या के नफ़े भी और आख़ख़रत के
सहाबा व अह्ल बैत رضي هللا عنهकी ख़श ु ी: अमल के फ़ायदे और इस से समलने वाले नफ़े सामने हों तो उस
bq
की ख़श ु ी और बढ़ िाती है । िैसे नमाज़ का हुक्म आया तो सहाबा कराम رضي هللا عنهऔर अह्ल बैत
rg
رضي هللا عنهइतने ख़श ु और है रान हुए कक हम इस अमल से वाक़ई अल्लाह तआला से मल ु ाक़ात कर लेंगे?
i.o
w .u
सहाबा कराम رضوان هللا عليهم أجمعينका समज़ाि ऐसा बन चक ु ा था कक हम नमाज़ से, आमाल से अल्लाह
पाक िल्ल शानुहू का दीदार कर लेंगे, अल्लाह से बातें कर लेंगे, उस के क़दमों में सर रख दें गे और ये कक
ar
w w
अल्लाह हमें दे ख रहा है , हमारी बातें सुन रहा है । सहाबा कराम رضوان هللا عليهم أجمعينको इन बातों का
यक़ीन था वो आमाल की नेअमत समलने पर ख़श ु थे और इस िुस्ट्तुिू में रहते थे कक कोनसे आमाल ऐसे
bq
हैं स्िन से हम इस दन्ु या में भी और आख़ख़रत में भी क़ुबत ख़द ु ा वन्दी और नफ़ा पाएिं।
.u
स्ज़क्र ख़ास के फ़वाइद: हम िो स्ज़क्र ख़ास करते हैं (हर िम ु ेरात को दसत रूहाननयत व अम्न के बाद हज़रत हकीम साहब دامت برکاتہمस्ज़क्र ख़ास करवाते हैं स्िस में मस्ट्नून व मासूर दआ ु एिं पढ़ते हैं िो कक
w
क़ुरआन व सन् ु नत से साबबत हैं इस के बहुत से फ़वाइद और ख़वास हैं) स्ज़क्र ख़ास से अल्लाह पाक िल्ल
w
शानुहू की मुहबबत, दन्ु या और आख़ख़रत की राहतें समलती हैं, मुसीबतें दरू होती हैं, मुस्श्कलें हल होती हैं,
w
दन्ु या और आख़ख़रत की राहत समलती है । एक साहब मझ ु से कहने लगे: कक इिंसान के अिंदर अल्लाह पाक ने तमअ और नफ़ा रखा है आप हमें आमाल के फ़वाइद बताएिं क्योंकक इिंसान को अगर चीज़ों के नफ़े की ख़बर हो कक मैं ये अमल कर रहा हूूँ इस का ये नफ़ा है तो उस का शौक़ उस अमल में मज़ीद बढ़ िाता है । Page 4 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
आमाल के नफ़ा तलाश करें !: अल्लाह वालो! िो आमाल करते हो उन के फ़ायदे , उन के नफ़े तलाश करते रहा करो। कारोबारी हज़रात हर वक़्त अपने माल की, अपनी चीज़ों की क़ीमत बढ़ने की तलाश में रहते हैं
rg
कक क़ीमत बढ़ी है कक नहीिं! ज़मीन और प्लाट ले कर रखा है उस की क़ीमत बढ़ी है कक नहीिं! ये दन्ु या की चीज़ों के नफ़े की तलाश में रहते हैं। हम सब भी आमाल को तलाश करें और आमाल के फ़ायदों को तलाश
ar i.o
ककया करें । हम िो क़ीमती आमाल करते हैं उस का दन्ु या और आख़ख़रत में क्या फ़ायदा है । हम आमाल के नफ़े तलाश नहीिं करते स्िस की विह से कुछ अरसे के बाद अमल छूट िाता है , बन्दा अमल में ढीला पड़ िाता है , बन्दे का िज़्बा मािंद पड़ िाता है , उस के िज़्बे के अिंदर वो ताक़त नहीिं रहती वो कैकफ़यत
bq
नहीिं रहती िो होनी चाहहए। इस सलए अल्लाह वालो! आमाल के नफ़े तलाश ककया करें । सूरह फ़ानतहा के
rg
फ़ज़ाइल: हम स्ज़क्र ख़ास में सब से पहले सूरह फ़ानतहा पढ़ते हैं। सूरह फ़ानतहा पढ़ने की विह ये है कक
w .u
अल्लाह रब्बुल ्-इज़्ज़त को अपनी शान, अपनी अज़्मत और अपनी तारीफ़ बहुत पसिंद है । और सूरह
i.o
फ़ानतहा अल्लाह तआला से लेने का एक गुर, एक तरीक़ा है कक हम अपने रब से कैसे लें और हमारा रब
w w
हमें कैसे अता करे गा। एक अल्लाह वाले फ़मातते हैं कक: "िो कुछ पपछली ककताबों में था वो सब क़ुरआन
ar
पाक में आ गया, िो कुछ क़ुरआन मिीद में है वो सब सूरह फ़ानतहा में आ गया, िो कुछ सूरह फ़ानतहा में
bq
है वो सब इस की बबस्स्ट्मल्लाह में आ गया और िो कुछ बबस्स्ट्मल्लाह में है वो सब उस की "ब" में आ गया।" एक ररवायत में है कक सवतरर कौनैन ﷺने इशातद फ़मातया कक: "उस ज़ात की क़सम स्िस के
.u
क़ब्ज़े में मेरी िान है इस िैसी सूरत ना इिंिील में है , ना तौरात में है, ना ज़बूर में है और ना बक़्या
w
क़ुरआन में नास्ज़ल हुई है । सरू ह फ़ानतहा के फ़वाइद: मशाइख़ ् ने सलखा है कक िो सरू ह फ़ानतहा को ईमान और यक़ीन की ताक़त के साथ पढ़े गा वो हर बीमारी से सशफ़ा पाएगा। बीमारी रूहानी हो या स्िस्ट्मानी हो,
w
ज़ाहहरी हो या बातनी हो, ज़ेहनी हो या नफ़्स्ट्याती इन सब बीमाररयों से सशफ़ा पाएगा। सािंप और बबछू से
w
हहफ़ाज़त: सहाबा कराम رضوان هللا عليهم أجمعينसािंप के काटने पर, बबछू के काटने पर, समगी के दौरे पर,
Page 5 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
दीवाने या पागल मरीज़ पर सूरह फ़ानतहा पढ़ कर दम करते तो वो मरीज़ ठीक हो िाते और नबी करीम ﷺने इस को िाइज़ क़रार हदया है । (िारी है )
rg
दसत से फ़ैज़ पाने वाले
ar i.o
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं ससपवल इिंिीननयररिंग का तासलब हूूँ। मैं काफ़ी अरसा हर िम ु ेरात को दसत रूहाननयत व अम्न सन ु ने के सलए तस्ट्बीह ख़ाना में हास्ज़र होता हूूँ। तस्ट्बीह ख़ाना में मुझे मेरा दोस्ट्त एक मततबा ज़बरदस्ट्ती ले कर आया था, तब से मैं हर िुमेरात तस्ट्बीह ख़ाना में
bq
हास्ज़र होता हूूँ। माहनामा अबक़री भी हर माह ले कर पढ़ता हूूँ। दसत सन ु में बहुत ु ने की बरकत से मझ तब्दीसलयािं आई हैं। मैं सुबह घर से ननकलते हुए घर से ननकलने की मस्ट्नून दआ ु , आख़री छे सूरतें और
w .u
rg
गाड़ी पर सवार होने की मस्ट्नून दआ ु पढ़ता हूूँ। दसत सुनने की बरकत से मैं नमाज़ पढ़ने का पाबन्द हो
i.o
गया हूूँ, हर नमाज़ के बाद आख़री छे सूरतें और अज़ान पढ़ता हूूँ। दसत में अपने मोबाइल फ़ॉन में काित अप लोि कर के तमाम घरवालों को सुनाता हूूँ स्िस की विह से हमारे घर में बहुत सुकून आ गया है । बे चैनी
ar
w w
बे क़रारी ख़त्म होती िा रही है । दसत के बाद होने वाले स्ज़क्र ख़ास के बाद दआ ु में अपने अब्बू के कारोबार
bq
के सलए दआ ु करता हूूँ स्िस की बरकत से मेरे अब्बू का कारोबार हदन ब हदन बेह्तर हो रहा है । रात को
सोने से पहले आयत अल ् कुसी, या बाइसु या नरु ू और सािंस रोक कर थोड़ी दे र अल्लाह हू का स्ज़क्र करता
.u
हूूँ। हर वक़्त बा वज़ू रहता हूूँ। पहले मेरा पढ़ाई में बबल्कुल भी हदल नहीिं लगता था, हर वक़्त आवारा गदी
w
w
मगर अब मैं ख़ब ू हदल लगा कर पढ़ता हूूँ। (ज़ाहहद अली, लाहौर)
w
माहनामा अबक़री मई 2016 शुमारा नम्बर 119__________________pg 4
Page 6 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
करामत ए शेर ए ख़द ु ा
www.ubqari.org
!رضي هللا عنهअसा का इशारा और शदीद सेलाब
ख़त्म
rg
(उन्हें दे ख कर सब को ये एतराफ़ करना पड़ा कक वाक़ई अमीरुल ्-मअ ु समनीन हज़रत ससद्दीक़ अक्बर رضي هللا عنهकी ननगाह करामत ने हज़रत अश ्अस ् बबन क़ैस رضي هللا عنهकी ज़ात में छुपे हुए कमालात के
ar i.o
स्िन अन्मोल िोहरों को बरसों पहले दे ख सलया था वो और ककसी को नज़र नहीिं आये थे।)
ननगाह करामत: हुज़ूर नबी करीम ﷺकी वफ़ात हसरत आयात के बाद िो क़बाइल अरब मुतद त हो कर इस्ट्लाम से किर गए थे, उन में क़बीला किंु दह भी था। चन ु ाचे अमीरुल ्-मअ ु समनीन हज़रत
bq
अबू बकर ससद्दीक़ رضي هللا عنهने इस क़बीला वालों से भी स्िहाद फ़मातया और मुिाहहदीन
rg
इस्ट्लाम ने इस क़बीला के सदातर आज़म यानन अश ्अस ् बबन क़ैस को गगरफ़्तार कर सलया और
w .u
लोहे की ज़िंिीरों में िकड़ कर उस को दरबार ख़ख़लाफ़त में पेश ककया। अमीरुल ्-मुअसमनीन के
i.o
सामने आते ही अश ्अस बबन क़ैस ने बआवाज़ बुलन्द अपने िुमत इततदाद का इक़रार कर सलया
ar
w w
और किर फ़ौरन ही तौबा कर के ससद्क़ हदल से इस्ट्लाम क़ुबल ू कर सलया। अमीरुल ्-मुअसमनीन
ने ख़श ु हो कर उस का क़ुसूर मुआफ़ कर हदया और अपनी बहन हज़रत "उम्मे फ़वतह" رضي هللا
bq
عنهاसे उस का ननकाह कर के उस को अपनी कक़स्ट्म कक़स्ट्म की इनायतों और नवास्ज़शों से सरफ़राज़ कर हदया। तमाम हाज़रीन दरबार है रान रह गए कक मुतद त ीन का सदातर स्िस ने मुतद त
.u
हो कर अमीरुल ्-मुअसमनीन से बग़ावत और ििंग की और बहुत से मुिाहहदीन इस्ट्लाम का ख़न ू
w
ना हक़ ककया। ऐसे ख़ख़् ूूँ वार बाग़ी और इतने बड़े ख़तरनाक मुिररम को अमीरुल ्-मुअसमनीन ने
w
इस क़दर क्यूूँ नवाज़ा? लेककन िब अश ्अस ् बबन क़ैस رضي هللا عنهने साहदक़ अल ्इस्ट्लाम हो कर इराक़ के स्िहादों में अपना सर हथेली पर रख कर ऐसे ऐसे मुिाहहदाना कारनामे अिंिाम हदए
w
कक इराक़ की फ़तह का सेहरा उन्ही के सर रहा और किर हज़रत उमर
رضي هللا عنهके दौर
ख़ख़लाफ़त में ििंग क़ादससया और कक़ल्ला मदाइन व िलल ू ा व ननहावन्द की लड़ाइयों में उन्हों ने
Page 7 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
सरफ़रोशी और िाूँबाज़ी के िो है रत नाक मनास्ज़र पेश ककये। उन्हें दे ख कर सब को ये एतराफ़ करना पड़ा कक वाक़ई अमीरुल ्-मुअसमनीन हज़रत ससद्दीक़ अक्बर رضي هللا عنهकी ननगाह करामत
rg
ने हज़रत अश ्अस बबन क़ैस رضي هللا عنهकी ज़ात में छुपे हुए कमालात के स्िन अन्मोल िोहरों को बरसों पहले दे ख सलया था वो और ककसी को नज़र नहीिं आए थे। यक़ीनन ये अमीरुल ्-
ar i.o
मअ ू कर ससद्दीक़ رضي هللا عنهकी एक बहुत बड़ी करामत है । (अज़ालत ु समनीन हज़रत अबब अल्ख़फ़ा मक़्सद निंबर २ स३९) इसी सलए मशहूर सहाबी हज़रत अब्दल् ु लाह बबन मसऊद رضي هللا عنهआम तौर पर ये फ़मातया करते थे कक मेरे इल्म में तीन हस्स्ट्तयािं ऐसी गज़ ु री हैं िो
bq
फ़रासत के बुलन्द तरीन मुक़ाम पर पोहिं ची हुई थीिं। अवल: हज़रत अबू बकर ससद्दीक़ رضي هللا عنه
rg
कक उन की ननगाह करामत की नूरी फ़रासत ने हज़रत उमर رضي هللا عنهके कमालात को ताड़
w .u
सलया और आप ने हज़रत उमर को अपने बाद ख़ख़लाफ़त के सलए मुन्तख़ख़ब फ़मातया स्िस को
i.o
तमाम दन्ु या के मुअरत ख़ीन और दाननश्वरों ने बेह्तरीन क़रार हदया। दौम: हज़रत मूसा عليه السالم
w w
की बीवी हज़रत सफ़ूरा رضي هللا عنهاकक उन्हों ने हज़रत मस ू ा عليه السالمके रोशन मस्ट् ु तक़बबल
عليه السالمसे अज़त ककया कक
ar
को अपनी फ़रासत से भािंप सलया और अपने वासलद हज़रत शुऐब
bq
आप इस िवान को बतौर अिीर अपने घर पर रख लें। चन ु ाचे बाद में हज़रत शऐ ु ब عليه السالمने आप की ख़बू बयों को दे ख कर उन के कमालात से मुताससर हो कर अपनी साहब्ज़ादी हज़रत बीबी
.u
सफ़ूरा का उन से ननकाह कर हदया। सोइम: अज़ीज़ समस्र कक उन्हों ने अपनी बीवी हज़रत
w
ज़ुलेख़ा को हुक्म हदया कक अगचे हज़रत यूसुफ़ عليه السالمहमारे ज़र ख़रीद ग़ल ु ाम बन कर हमारे घर में आए हैं मगर ख़बदातर तुम उन के एअज़ाज़ व इक्राम का ख़ास तौर पर एह्तमाम व
w
इिंतज़ाम रखना क्योंकक अज़ीज़ समस्र ने अपनी ननगाह फ़रासत से हज़रत यूसुफ़ عليه السالمके
w
शान्दार मुस्ट्तक़बबल को समझ सलया था कक गोया आि ग़ल ु ाम हैं मगर ये एक हदन समस्र के बादशाह होंगे। (तारीख़ अल्ख़ल ु फ़ा स५७, अज़ालत अल्ख़फ़ा मक़्सद नम्बर २ स२३)
Page 8 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
इशारा से दयात की तुग़्यानी ख़त्म: एक मततबा नेहर फ़रात में ऐसी ख़ौफ़्नाक तुग़्यानी आ गयी कक सेलाब में तमाम खेनतयाूँ ग़क़ातब हो गईं लोगों ने हज़रत अली رضي هللا عنهके दरबार गोहर में
rg
फ़यातद् की। आप رضي هللا عنهफ़ौरन ही उठ खड़े हुए और रसल ू ल्लाह ﷺका िब्ु बा मब ु ारक व इमामा मुक़द्दसा व चादर मुबारका ज़ेब तन फ़मात कर घोड़े पर सवार हुए और आदसमयों की एक رضي هللا عنهभी थे। आप के साथ
ar i.o
िमाअत स्िस में हज़रत इमाम हसन व इमाम हुसैन
चल पड़े। आप ने पुल पर पोहिं च कर अपने असा मुबारक से नहर फ़रात की तरफ़ इशारा ककया तो नेहर का पानी एक गज़ कम हो गया। किर दस ू री मततबा इशारा फ़मातया तो मज़ीद एक गज़
bq
कम हो गया िब तीसरी मततबा इशारा ककया तो तीन गज़ पानी उतर गया और सेलाब ख़त्म हो
rg
गया। लोगों ने शौर मचाया कक अमीरुल ्-मुअसमनीन! बस कीस्िये यही काफ़ी है । (शवाहहद
i.o
w .u
अल्नब ु व्ू वत स १६२)
गगरती हुई दीवार थम गयी: हज़रत इमाम िाफ़र साहदक़ رحمة هللا عليهरावी हैं कक एक मततबा
ar
w w
अमीरुल ्-मुअसमनीन हज़रत अली رضي هللا عنهएक दीवार के साए में एक मुक़द्दमा का फ़ैस्ट्ला
फ़मातने के सलए बैठ गए। दरम्यान मक़ ु द्दमा में लोगों ने शोर मचाया कक ऐ अमीरुल ्-मुअसमनीन!
bq
यहाूँ से उठ िाइए, ये दीवार गगर रही है । आप ने ननहायत सुकून व इत्मीनान के साथ फ़मातया
कक मुक़द्दमा की कारत वाई िारी रखो। अल्लाह तआला बेह्तरीन हाकफ़ज़ व नाससर व ननगेहबान है ।
.u
चन ु ाचे इत्मीनान के साथ आप उस मुक़द्दमा का फ़ैस्ट्ला फ़मात कर िब वहािं से चल हदए तो फ़ौरन
w
ही वो दीवार गगर गयी। (अज़ालत अल्ख़फ़ा मक़्सद २ स२७३)
w
स्ज़नाकार आूँखें: अल्लामा तािुद्दीन सब्की رضي هللا عنهने अपनी ककताब "तब्क़ात" में तहरीर
w
फ़मातया है कक एक शख़्स ने रास्ट्ता चलते हुए एक अज्नबी औरत को घरू घरू कर ग़लत ननगाहों से दे खा। इस के बाद ये शख़्स अमीरुल ्-मुअसमनीन हज़रत उस्ट्मान ग़नी رضي هللا عنهकी ख़ख़दमत अक़्दस में हास्ज़र हुआ। उस शख़्स को दे ख कर हज़रत अमीरुल ्-मअ ु समनीन ने ननहायत ही परु Page 9 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
िलाल लेह्िे में फ़मातया कक तुम लोग ऐसी हालत में मेरे सामने आते हो कक तुम्हारी आूँखों में स्ज़ना के असरात होते हैं। शख़्स मज़्कूर ने (िल भुन कर) कहा कक क्या रसूलल्लाह ﷺके बाद
rg
आप पर वही उतरने लगी है ? आप को ये कैसे मालम ू हो गया कक मेरी आूँखों में स्ज़ना के असरात हैं? अमीरुल ्-मुअसमनीन ने इशातद फ़मातया कक मेरे ऊपर वही तो नहीिं नास्ज़ल होती है
ar i.o
लेककन मैं ने िो कुछ कहा है ये बबल्कुल ही क़ौल हक़ और सच्ची बात है और ख़द ु ावन्द क़ुद्दूस ने मुझे एक ऐसी फ़रासत (नूरानी बसीरत) अता फ़मातई है स्िस से मैं लोगों के हदलों के हालात व ख़यालात को मालूम कर सलया करता हूूँ। (हुज्ितुल्लाह अलल ्-आलमीन ि२ स८६२, अज़ालत
bq
अल्ख़फ़ा मक़्सद २ स२२७)
w .u
rg
हदमाग़ी सेहत व सफ़ाई और हाकफ़ज़ा के सलए लािवाब
i.o
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरे पास एक लािवाब नुस्ट्ख़ा है िो कक
हदमाग़ी सेहत व सफ़ाई, हाकफ़ज़ा, नज़्ला ज़ुकाम और छीिंकों के सलए लािवाब है । ये नुस्ट्ख़ा तासलब
ar
w w
इल्मों और हदमाग़ी काम करने वालों के सलए मेरी तरफ़ से एक अन्मोल तोह्फ़ा है । हुवल ्-शाफ़ी:
bq
मग़ज़ बादाम पचास ग्राम, काली समचत पचास ग्राम, इस्ट्तख़दोस पचास ग्राम, समस्री पचास ग्राम। ये तमाम चीज़ें पीस कर सफ़ूफ़ बना लें और पािंच ग्राम सब ु ह व शाम दध ू के साथ इस्ट्तेमाल करें ।
w
.u
(मुहम्मद शब्बीर, बहावल्पुर)
w
w
माहनामा अबक़री मई 2016 सुमारा नम्बर 119_________________pg 5
Page 10 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
बच्चे को घर में पड़ी उदय ू ात से बचाने के गुर
rg
(फ़ौरी तौर पर िाइज़ा लें कक बच्चे ने कौनसी दवा खाई है , अिंदाज़न उस की समक़्दार ककया हो सकती है । ★िाइज़ा में ज़्यादा वक़्त सफ़त ना करें और बच्चे को फ़ौरी तौर पर अस्ट्पताल ले िाएिं। ★वो बोतल या िब्बा
ar i.o
भी साथ ले िाए ता कक मआ ु सलि ् को इलाि तज्वीज़ करने में आसानी हो।)
आम तौर पर बीमार पड़ने पर बच्चे दवा नहीिं खाते हैं एक हिं गामा मचा दे ते हैं, बच्चों की बड़ी तअदाद बीमारी की सूरत में िॉक्टर के पास िाते हुए कतराती है , ग़ासलबन इिंिेक्शन का िर उन्हें लज़ात दे ता है ।
bq
दस ू री तरफ़ आम हालात में घर में "दवा" रखना और उन्हें बच्चों की पोहिं च से दरू रखना ख़ासा कड़ा
w .u
rg
मरहला होता है । बच्चे घरों में िो खेल खेलते हैं उन में "िॉक्टर, िॉक्टर" बहुत मक़्बूल है । एक बच्चा
i.o
िॉक्टर बन िाता है , बाक़ी बच्चे मरीज़, दवा के तौर पर रिं ग बरिं गी गोसलयािं और रिं ग दार पानी या शबतत
इस्ट्तेमाल ककया िाता है । इस बात का इम्कान भी रहता है कक बच्चे खेल के सलए घर में मौिद ू उदय ू ात ही
ar
w w
इस्ट्तेमाल ना कर बैठें। कहीिं ऐसा ना हो कक "िॉक्टर साहब" मरीज़ को अपने ही सामने "दवा" खाने का
हुक्म दें और बेचारा मरीज़ कोई नक़् ु सान्दह दवा खाने पे मज्बरू हो िाए। "दवाएिं बच्चों की पोहिं च से दरू
bq
रखें " बज़ाहहर ये आम सा िुम्ला है लेककन ये अमल बेहद्द ज़रूरी है । यूूँ तो हमारे बड़ों की अक्सररयत भी
.u
ऐसी है स्िन की पोहिं च से दवाएिं दरू रहना बस्ल्क रखना ज़रूरी है । बच्चे, बड़ों की नक़ल करते हैं वो चप्ु के चप्ु के बड़ों की हरकतों का मुशाहहदह करते रहते हैं। अब हुआ ये कक अब्बा िान को खािंसी हुई उन्हों ने
w
ससगरे ट नोशी छोड़ने के बिाए घर में मौिूद खािंसी की वो दवा तलब की िो चन्द माह क़ब्ल िॉक्टर साहब
w
ने ककसी और के सलए तज्वीज़ की थी। उन्हों ने सोचा कक खाने की दवा तो है िो रखे रखे ज़ायअ हो
w
िाएगी, क्यूूँ ना इस्ट्तेमाल कर ली िाए, अब उन्हें इस से फ़ायदा हो या ना हो बच्चे ने सीख सलया कक खािंसी हो तो उस का इलाि क्या है ? समझ में आने वाले ददत के सलए ददत दरू करने वाली उदय ू ात का इस्ट्तेमाल भी एक ऐसी ही समसाल है कुछ लोग तो अपने तौर पर मुख़्तसलफ़ अमराज़ की उदय ू ात घर में Page 11 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
लाज़्मी तौर पर रखते हैं और बड़े एतमाद के साथ ये उदय ू ात सब को तज्वीज़ करते रहते हैं। कुछ उदय ू ात बड़ों के सलए होती हैं, ये बच्चों को नहीिं दी िाती हैं मगर बड़े अक्सर इस का ख़्याल नहीिं रखते हैं, कभी
rg
कभी ये भी होता है कक वो कोई फ़नी महारत ना रखने वाले दक ु ान्दार के मश्वरे से "तीर बहदफ़ दवा" इस्ट्तेमाल कर लेते हैं। बच्चे अपनी नादानी में या खेल खेल में कोई भी दवा खा या पी सकते हैं, ये होती भी
ar i.o
तो रिं ग बरिं गी और मख़् ु तसलफ़ ज़ाइक़ों वाली हैं। बबल्कुल बच्चों की पसिंदीदह स्ट्वीट्स और शबतत की तरह, कुछ वाल्दै न दवा ना पीने वाले बीमार बच्चों को लालच दे ते हैं कक ये दवा नहीिं बिंटी है या मज़े मज़े का शबतत है । मश ु ाबबहत से बच्चों को धोका हदया िा सकता है लेककन वो इसे सच समझ लेते हैं। अब वो
bq
ककसी वक़्त दवा की गोसलयािं बिंटी समझ कर खा लें या मज़े मज़े का शबतत अपने तौर पर पी लें तो उन्हें
rg
क़ुसूरवार ठहराना ना इन्साफ़ी है । बच्चे तो बच्चे होते हैं, कुछ भी कर सकते हैं, मगर आप तो बच्चे नहीिं,
w .u
सलहाज़ा आप ख़्याल रखें कक ★घर में बबला ज़रूरत उदय ू ात िमा ना हों। ★ज़रूरी उदय ू ात महफ़ूज़ तरीक़े
i.o
पर रखी िाएिं। ★बच्चों को क़ाबबल फ़ेह्म अिंदाज़ में समझाएिं कक ये दवाएिं हैं। खाने पीने की अश्या नहीिं हैं।
w w
★इस्ट्तेमाल में ना आने वाली उदय ू ात को ज़ायअ कर दें । ★बच रह िाने वाले रफ़ाही इदारों को ऐसी
ar
उदय ू ात दी िा सकती हैं। ★मेडिकल की मुफ़्त सहूलत को अपना लाज़्मी हक़ ना समझें और घर को दवा
bq
ख़ाना मत बनाएिं। ★रखी गयी उदय ू ात को पाबन्दी से चेक करें , उन के इस्ट्तेमाल की हत्मी मद्द ु त का
ख़्याल रखें ता कक वक़्त गुज़रने के बाद उन्हें ज़ायअ ककया िा सके। ★उदय ू ात उस के िब्बे में रखें ,
.u
उदय ू ात की बोतलों और मौिद ू लेबल ििंू का तिंू रहने दें । ये मस्ु म्कन है कक आप की एहत्यात के बाविद ू
w
कोई बच्चा अपनी हहमाक़त या भोले पन में कोई दवा खा ले, इस सूरत में उसे बुरा भला कहने या मारने पीटने के बिाए आप वो करें िो आप के और बच्चे के हक़ में ज़रूरी है । ★फ़ौरी तौर पर िाइज़ा लें कक बच्चे
w
ने कोनसी दवा खाई है , अिंदाज़न उस की समक़्दार क्या हो सकती है । ★िाइज़ा में ज़्यादा वक़्त सफ़त ना करें
w
और बच्चे को फ़ौरी तौर पर अस्ट्पताल ले िाएिं। ★वो बोतल या िब्बा भी साथ ले िाएिं ता कक मुआसलि ् को इलाि तज्वीज़ करने में आसानी हो। ★अपने तौर पर कोई तद्बीर करने की कोसशश मत करें । ★
Page 12 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
बअज़ औक़ात मुग़ाल्ते में दवा की िगा कोई और दवा या कोई नुक़्सान्दह शे खाई िा सकती है, इस सूरत में मुआसलि ् से फ़ौरी राब्ता और उसे हक़ीक़त से आगाह करना ज़रूरी है । मोिूदह दौर के बच्चे ज़हीन हैं,
rg
भली बुरी बातों को आसानी से समझ सकते हैं। आप उन्हें दवाओिं से दरू रहने पर आमादह कर सकते हैं। आप उन्हें दवाओिं से दरू रहने पर आमादह कर सकते हैं। अगर वो "िॉक्टर िॉक्टर" खेलना ही चाहते हैं तो
ar i.o
उन्हें ख़खलौना आलात हदलाए िा सकते हैं। एक एहम बात ये है कक इस खेल में इिंिेक्शन के सलए इस्ट्तेमाल शुदह ससररिंि ननहायत ही ख़तरनाक इम्कानात रखती है । ये ससररिंि बच्चे कहीिं से भी हाससल कर सकते हैं, सलहाज़ा उन्हें सख़्ती से तूँब्या कीस्िये कक वो ऐसी हरकत ना करें , ये ज़ाहहर है कक आप घर
bq
में इस्ट्तेमाल शुदह या ग़ैर इस्ट्तेमाल शुदह ससररिंि क्यूूँ रखने लगे? (ज़ुनैरा बशीर, समुिंदरी)
rg
w .u
बच्चों को नाश्ता कराने के आसान तरीक़े
i.o
तमाम माहहरीन सेहत व तालीम इस बात से मुत्तकफ़क़् हैं कक नाश्ता बच्चों के सलए ईंधन की है ससयत
रखता है िो बच्चे को पूरा हदन ज़ेहनी और स्िस्ट्मानी तौर पर चाक व चोबिंद रखता है । हाल्या ररसचत से भी
ar
w w
ये बात साबबत हुई है कक नाश्ता कर के स्ट्कूल िाने वाले बच्चे बग़ैर नाश्ता ककये स्ट्कूल िाने वाले बच्चों के
bq
मुक़ाब्ले में अच्छी कारकदत गी का मुज़ाहहरा करते हैं। आि हम आपको बताते हैं कक बच्चों को नाश्ते में रग़बत हदलाने के सलए कौन से तरीक़े मअ ु स्ट्सर रहते हैं। हमेशा हल्की िुल्की गग़ज़ा दीस्िये: ऐसे तमाम
.u
खाने स्िन में गचकनाई की ज़्यादती होती है वो बच्चों में सुस्ट्ती पैदा करते हैं इस सलए ज़्यादा तले और भारी खानों से परहे ज़ कीस्िये, इस के इलावा तेज़ समचत मसाल्हों के खानों से भी बच्चों को दरू रखें।
w
कोसशश करें कक उन्हें ताज़ह िल, दध ू या िूस वग़ैरा वग़ैरा फ़राहम करें । ये बच्चे ज़्यादा शौक़ से खाएिंगे।
w
बच्चे की पसिंद को मद्द नज़र रखें : बच्चों को नाश्ता दे ने के सलए इस बात का ख़्याल ज़रूर रख़खये कक आप
w
का बच्चा ककस तरह का खाना पसिंद करता है । अगर आप िल दे ना चाह रही हैं तो बच्चे की पसिंद पूछ लीस्िये। इसी तरह अगर बच्चा ससफ़त सादह दध ू पीना पसिंद नहीिं करता तो उस में ओव्लेहटन वग़ैरा िाल दीस्िये। बच्चों की पसिंद में रहनम ु ाई कीस्िये: अगर आप का बच्चा ससफ़त अपनी पसिंदीदह चीज़ ही खाने Page 13 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
पर इसरार करता है और ये उस का मामूल बन चक ु ा है तो अब ज़रूरत इस बात की है कक उस की पसिंद में ख़ानतर ख़्वाह तब्दीली लाई िाए। आप अपने बच्चे को अपने साथ बाज़ार ले िाएिं और ऐसी तमाम चीज़ें
rg
स्िन को खाने में हदल्चस्ट्पी का मुज़ाहहरा नहीिं करता उन के फ़वाइद से उन्हें आगाह करें । सेहत की एहसमयत से आगाह करें : उन्हें बताएिं कक ससफ़त चॉकलेट और टॉकफ़याूँ खा कर ही सेहतमन्द नहीिं रहा िा
ar i.o
सकता। उन्हें कहें कक नाश्ता करने से वो िल्द बड़ा हो िाएगा, उस की हड्डियािं मज़्बत ू होंगी और स्ट्कूल का काम भी िल्द और बग़ैर थके मुकम्मल कर सलया करे गा वग़ैरा वग़ैरा। नए ज़ाइक़े मुताअरुफ़ कराएिं: बच्चे के ज़ेहन में ये चीज़ बबठाएूँ कक आप उस से ककतना प्यार करती हैं, उस की सेहत की आप को कफ़क्र
bq
रहती है और ये कक उस का सेहतमन्द रहना आप के सलए बहुत ज़रूरी है । हफ़्तावार शेड्यूल बनाएिं:
rg
मुस्म्कन हो तो हफ़्तावार शेड्यूल बनाएिं और उसे केसलन्िर की तरह दीवार पर लटका दें और बच्चे की
w .u
खाने की चीज़ों के सामने उन की तस्ट्वीरें वग़ैरा लगा दें ता कक उन्हें खाने में रग़बत पैदा हो सके। बच्चे
i.o
चूँ कू क पढ़ नहीिं सकते लेककन साथ तसावीर दे ख कर वो खाने पर आमादह होंगे। नाश्ते की तय्यारी में मदद
w w
लें: बावची ख़ाने के छोटे छोटे कामों में बच्चों से मदद लें। समसाल के तौर पर अगर आप िबल रोटी के
ar
स्ट्लाइस काट रही हैं तो उन्हें भी यही करने दें । उन्हें कहें कक अपना तय्यार ककया स्ट्लाइस ख़द ु खाओ,
bq
दे खना ककतना मज़ा आएगा। साथ बैठा कर नाश्ता करा लें :कोसशश करें कक बच्चों को साथ बबठा कर नाश्ता कराया िाए। इस से बच्चों में माूँ बाप की शफ़्क़त का एह्सास रहता है । वो आप को नाश्ता करते
.u
दे ख कर ख़द ु भी खाने के सलए तय्यार हो िाएिंगे।
w
w
w
माहनामा अबक़री मई 2016 शुमारा नम्बर 119__________________pg 6
Page 14 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
ज़ेहनी दबाओ से याद्दाश्त में इज़ाफ़ा! ना क़ाबबल तरदीद ररसचत (समसाल के तौर पर एक तासलब इल्म ख़ब ू तय्यारी कर के इम्तेहान दे ने गया। लेककन वो हस्ट्बे तवक़्क़ुअ
rg
अच्छा इम्तेहानी पचात नहीिं दे सका। दौरान इम्तेहान वो िवाबात के एहम हहस्ट्से भल ू गया। वो किर उसे
ar i.o
कई घिंटों बाद याद आए। याद्दाश्त खोने की एक बड़ी विह वो ज़ेहनी दबाओ था।) (तह्सीन बानो)
सवेरे आप घर से ननकले, तो एक हादसे से बाल बाल बचे। दफ़्तर पोहिं च,े तो वहािं ककसी मसले और एक
bq
साथी से उलझ गए। शाम को घर वाररद हुए तो सुई गैस और बबज्ली के बबल हाथ में पकड़े बीवी ने इस्ट्तक़बाल ककया। बस अब सब्र का पैमाना लब्रेज़ हो गया, ज़ेहनी दबाओ का ऐसा मसला हुआ कक आप
w .u
rg
सर पकड़ कर बैठ गए। िवान हो या बूढ़ा और बच्चा, हर इिंसान को हदन में कभी ना कभी ज़ेहनी दबाओ
i.o
से वास्ट्ता पड़ता है । ये दबाओ किर ख़यालात पर असर अिंदाज़ होता और सरू त्हाल तक तब्दील करने की
क़ुद्रत रखता है लेककन बात यहीिं ख़त्म नहीिं होती, ज़ेहनी दबाओ हमारे अिंदर स्िस्ट्मानी तब्दीसलयािं भी पैदा
ar
w w
करता है । तब इिंसानी स्िस्ट्म मख़् ु तसलफ़ हामोन ख़ाित करता है िो हमें हम्ला करने पर तय्यार करते या
bq
फ़रार होने पे उक्साते हैं। यही कीम्याई मादे किर हमारा ब्लि प्रेशर बढ़ाते और हदल की धड़कन बढ़ा दे ते
हैं, यूूँ हम तेज़ तेज़ सािंस लेने लगते हैं। मज़ीद बरािं यही हालत हमारी यादों और सीखने की सलाहहयत पर
.u
भी असरात मततब करती है ।
w
समसाल के तौर पर एक तासलब इल्म ख़ब ू तय्यारी कर के इम्तेहान दे ने गया लेककन वो हस्ट्बे तवक़्क़ुअ अच्छा इम्तेहानी पचात नहीिं दे सका। दौरान इम्तेहान वो िवाबात के एहम हहस्ट्से भूल गया। वो किर उसे
w
कई घिंटों बाद याद आए। याद्दाश्त खोने की एक बड़ी विह वो ज़ेहनी दबाओ था िो इम्तेहान से ख़ौफ़ खाने
w
के बाइस पैदा हुआ। उस ने आज़ी तौर पर तासलब इल्म के हवास मख़्तल कर हदए। ज़ेहनी दबाओ के ये असरात माहहरीन नफ़्स्ट्यात को अरसा दराज़ से मालम ू हैं लेककन अब तहक़ीक़ से इिंकशाफ़ हुआ है कक ये
Page 15 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
नफ़्स्ट्याती व स्िस्ट्मानी कैकफ़यत दरअसल मन्फ़ी और मस्ट्बत दोनों पहलू रखती है । तिुबातत से पता चला है कक मख़्सूस हालात में ज़ेहनी दबाओ हमारी क़ुव्वत याद्दाश्त बढ़ा दे ता है, अगचे ज़रूरी नहीिं कक हमें वो
rg
मालूमात याद आए िो हम को काम्याब कर दे बस्ल्क िो तासलब इल्म दौरान इम्तेहान सबक़ याद ना कर
ar i.o
पाएिं, उन्हें ये ज़रूर याद रहता है कक उस वक़्त ज़ेहनी दबाओ, परे शानी और "टें शन" से गुज़रे थे। माहहरीन नफ़्स्ट्यात ् ने दरयाफ़्त ककया है कक िज़्बाती तौर पर है िान अिंगेज़ लम्हात, चाहे वो मन्फ़ी हों या मस्ट्बत ग़ैर मामल ू ी तौर पर याद्दाश्त में महफ़ूज़ रहते हैं। मस्ट्लन आप पपछले एक साल के दौरान अपने नुमायािं तिुबातत याद कीस्िये, बेश्तर का तअल्लुक़ ख़श ु ी, तक्लीफ़, ज़ेहनी दबाओ, ग़म वग़ैरा से होगा।
bq
तवील अरसे से माहहरीन ये िान्ने की कोसशश में थे कक िज़्बात याद्दाश्त की तश्कील व तश्रीह में क्या
rg
ककदातर अदा करते हैं। अब पपछले चन्द बरसों में तहक़ीक़ व तिुबों से ये साबबत कर चक ु े हैं कक ज़ेहनी
i.o
w .u
दबाओ के असरात का इनह्सार वक़्त और मुद्दत पर होता है । इन दोनों की तफ़्सील िान कर मालूम
करना मुस्म्कन है कक ज़ेहनी दबाओ याद्दाश्त बढ़ाएगा या घटाएगा। माहहरीन पर ये भी इिंकशाफ़ हुआ है
ar
w w
कक ख़ास मुद्दत से गुज़र कर ज़ेहनी दबाओ नुक़्सान्दह बन िाता है ।
bq
हमारा हदफ़ाई ननज़ाम: िब हम ख़द ु को नाज़ुक या ख़तरनाक सूरत्हाल में पाएिं, तो हमारे स्िस्ट्म का
क़ुदरती हदफ़ाई ननज़ाम बेदार हो िाता है । पहली ननशानी के तौर पर हमारे हदमाग़ की गेहराई में वाकक़अ
.u
एक उज़्व, ज़ेर अिंदरून हरम (Hypothalamus) अलामत बिा दे ता है । उस अलामत के बाइस किर वक़्फ़े वक़्फ़े से तहरीकेँ िनम लेती हैं। पहली सरगमी मख़्सस ू हामोन ख़ाित करती इस के बाद दस ू री सरगमी
w
मुख़्तसलफ़ हामोनों का सेट छोड़ती है । ये दोनों सर गसमतयािं दरअसल हमारे हदफ़ाई हथ्यार हैं। उन्ही के
w
ज़ररए हम ना ससफ़त ज़ेहनी दबाओ की सूरत्हाल का मुक़ाब्ला करने को तय्यार होते हैं बस्ल्क ये हमारी
उह्दाबरा हो सकें।
w
याद्दाश्त भी बेह्तर बना दे ती हैं ता कक मुस्ट्तक़बबल में ऐसी ककसी सूरत्हाल का साम्ना हो, तो उस से बख़ब ू ी
www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
Page 16 of 52 twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
पहली सरगमी: सब से पहले ज़ेर अन्दरून हरम, शाकी ननज़ाम एअसाब के ज़ररए बगतदतह रासल्ख़ना को एक इशारा (ससग्नल) बबझवाता है । ये मक़ाम गुदे के ऊपर वाकक़अ बगतदतह ग़दह के मकतज़ में मौिूद है ।
rg
बगतदतह रासल्ख़ना किर ज़ेहनी दबाओ से वाबस्ट्ता दो हामोन अड्रेनालाइन और नोरअड्रेनालाइन ख़ाित करता है । यही हामोन स्िस्ट्म को "मुक़ाब्ला करने या फ़रार होने" का रद्द अमल ज़ाहहर करने पे आमादह
ar i.o
करते हैं। ये हामोन किर बदन में मौिद ू तवानाई के ज़ख़ाइर् मत ु हरत क करते, ख़न ू का दबाओ बढ़ाते और हदल की धड़कन बढ़ाते हैं ता कक एअसाब को ज़्यादा गग़ज़ाइयत समले, सािंस तेज़ चलाते हैं ता कक हदमाग़ तक ज़्यादा ऑक्सीिन पोहिं च,े बतौर हदफ़ाअ ददत ख़त्म करने वाले क़ुदरती दाकफ़अ तक्लीफ़ मादे
bq
मुतअल्लक़ा एअज़ा से ख़ाित कराते और प्लेटलेट भी सरगमत करते हैं ता कक ज़ख़्म लगने की सूरत में
rg
कम से कम ख़न ू बहे । दस ू री सरगमी: कुछ मुद्दत बाद हमारा स्िस्ट्म तीन एअज़ा ज़ेर अन्दरून हरम, ग़दह
w .u
नख़ासमया और बगतदतह क़शर के ज़ररए मज़ीद हामोन ख़ाित करता है । सब से पहले ज़ेर अन्दरून हरम से
i.o
कोटीकोरोफ़ीन ररलीस्ज़िंग हामोन ननकल कर बारीक रे शों के ख़स ु ूसी ननज़ाम होते हुए ग़दह नख़ाम्या में
w w
कोटीकोफ़्रोफ़ीन के बाइस दस ू रा हामोन, एडड्रनो कोटीकोरोकफ़क हामोन ख़ाित होता है । ये दस ू रा हामोन
ar
ख़न ू के ज़ररए बेहता हुआ बगतदतह रासल्नख़ा तक पोहिं चता और तीसरा हामोन, कोटीसोल ख़ाित कराता है ।
bq
यही कोटीसोल ज़ेहनी दबाओ से मत ु अस्ल्लक़ सब से एहम हामोन है । कोटीसल, एडड्रनालाइन और
नॉरएडड्रनालाइन को तक़्वीयत पोहिं चाता और साथ साथ हमारे स्िस्ट्म को मामूल को हालत पर लाता है । ये
w
ता कक तवानाई के ज़ख़ाइर् किर से भर सकें।
.u
बदन के हदफ़ाई ननज़ाम को मज़्बत ू बनाता और गग़ज़ाई गचकनाई (Fats) को ग्लाइकोस्िम में बदलता है
w
ज़ेहनी दबाओ से ननिात पाने के आसान गुर
w
हदन में मामल ू ी के काम काि करते हुए हर इिंसान कभी ना कभी ज़ेहनी दबाओ से दो चार होता है लेककन आदमी अगर रोज़ाना छे छोटी सी हहक्मत अमसलयािं अपना ले, तो बख़ब ू ी ज़ेहनी दबाओ का मुक़ाब्ला कर सकता है । (१) िानो और छुटकारा पाओ: हदन में ककसी फ़ाररग़ वक़्त इन चीज़ों या बातों को िान्ने की
Page 17 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
कोसशश कीस्िये िो आप को परे शानी और दबाओ का सशकार बनाती हैं। मस्ट्लन मोटर साइककल की ब्रेक ख़राब है , तो ब्रेक शू बदल दीस्िये, मोबाइल फ़ॉन की बेरी तिंग करती है तो नई ख़रीद लीस्िये। (२) मस्ट्बत
rg
अिंदाज़ कफ़क्र रख़खये: हमारे हाूँ लोगों की अक्सररयत नक़् ु सान्दह तरीक़े अपना कर ज़ेहनी दबाओ का मुक़ाब्ला करती है । मस्ट्लन ससगरे ट पीना, पान लेना, ज़रूरत से ज़ाइद खाना, टी वी दे खना वग़ैरा। चन ु ाचे
ar i.o
ये ननहायत ज़रूरी है कक अगर आप कभी ज़ेहनी दबाओ का सशकार हों तो इस का मक़ ु ाब्ला मस्ट्बत तज़त कफ़क्र और सेहतमन्द तरीक़ों से कीस्िये। मस्ट्लन सेर करने ननकल िाइए, योगा कीस्िये, ककसी हमददत से मश्वरा लें। इस तरह ज़ेहनी दबाओ आप को कम से कम ज़ेहनी व स्िस्ट्मानी नक़् ु सान पोहिं चाएगा। (३)
bq
अपने सेक्रेटरी ख़द ु बननए: दे खा गया है कक िो लोग अपने कामों की फ़ेहररस्ट्त बना कर रखें , वो वाकक़अतिं
rg
दस ू रों से ज़्यादा काम करते हैं। अब तो आप मोबाइल फ़ॉन पर कामों की फ़ेहररस्ट्त बना सकते हैं। या किर
w .u
ककसी िायरी से मदद लीस्िये। हत्ता कक फ़ेहररस्ट्त बटवे में भी रख़खये। यूूँ आप को इस हादसे का सामना
i.o
नहीिं करना पड़ेगा कक सुपर माककतट िो ख़रीदने गए थे, उसे ही ख़रीदे बग़ैर घर वापस चले आए। (४) ख़द ु
w w
को मज़्बत ू बनाइये: इिंसान अगर बाक़ाइदगी से वस्ज़तश करे , रोज़ाना कुछ वक़्त ग़ौर व कफ़क्र पर लगाए
ar
और सुकून दे ने वाली तकनीकों की मश्क़ करे तो ज़ेहनी दबाओ का सामना बख़ब ू ी कर लेता है । आख़ख़र
bq
बब्बर शेर सध ु ारने और उन से सकतस में कततब हदखाने वाले भी दौरान कार परु सक ु ू न रहते हैं। हक़ीक़त ये है कक अगर इिंसान ज़ेहनी दबाओ का मुक़ाब्ला करने की तय्यारी कर ले तो वो हर मुस्श्कल से दो दो हाथ
w
.u
कर सकता है ।
w
w
माहनामा अबक़री मई 2016 शुमारा नम्बर 119________________pg 8
Page 18 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
गमी का तोड़ घरे लू आज़मूदह ठिं िे टोटकों से कीस्िये (गसमतयों के मौसम में शबतत सिंदल बेह्तरीन मश्रब ू है , इस के साथ ऐसी चीज़ िो स्िस्ट्म में पानी को क़ाइम
rg
रखने में मआ ु पवन साबबत हों। मस्ट्लन गोंद कतेरा, सत समल्ठी भी स्िस्ट्म में पानी को क़ाइम रखने में
ar i.o
मदद दे ती है । कच्चे आम का रस मुफ़ीद मश्रब ू है, िो लू के असरात को ख़त्म करता है ।) (माररया अली)
गसमतयों के मौसम के िहाूँ बहुत से फ़वाइद हैं वहािं झुल्सा दे ने वाली गमी से चररिंद पररन्द और इिंसान
bq
आस्िज़ भी आ िाते हैं। इिंसान गमी से बचने के सलए बहुत सी तदाबीर अख़्त्यार करता है और ज़्यादा से ज़्यादा ठिं िे बाज़ारी मस्ट्नूई मश्रब ू ात पी कर प्यास कम करता है । इस तरह वो गमी से बचाओ की ख़ानतर बे
w .u
rg
एतदाली का रास्ट्ता भी चन ु लेता है स्िस से वो मैदा के अव्वाररज़ में मुब्तला हो िाता है । अगर गमी से
i.o
पैदा होने वाले ख़तरात का समझदारी से मक़ ु ाब्ला ककया िाए और ऐसी सस्ट्ती और आसान गग़ज़ाओिं को इस्ट्तेमाल ककया िाए िो हमारी स्ज़न्दगी में आम मुयस्ट्सर हैं तो कोई विह नहीिं कक इिंसान उन की
ar
w w
बदौलत गमी का मन ु ाससब और बेह्तर तोड़ कर सके। गमी लगने से सर ददत , सर का चकराना और
bq
थकावट के बाद बे होशी हो सकती है । नब्ज़ की रफ़्तार बढ़ िाती है । इन अलामात में मरीज़ के स्िस्ट्म को ठिं िा रखना ज़रूरी है । नीम ठिं िा पानी इस्ट्तेमाल करना चाहहए। ज़्यादा ठिं िा पानी नुक़्सान पोहिं चा सकता
.u
है । गसमतयों के मौसम में शबतत सिंदल बेह्तरीन मश्रब ू है, इस के साथ ऐसी चीज़ िो स्िस्ट्म में पानी को क़ाइम रखने में मुआपवन साबबत हों। मस्ट्लन गोंद कतेरा, सत समल्ठी भी स्िस्ट्म में पानी को क़ाइम रखने
w
में मदद दे ती है । कच्चे आम का रस मफ़ ु ीद मश्रब ू है , िो लू के असरात को ख़त्म करता है , माहहरीन कहते
w
हैं कक १: गसमतयों के मौसम में पानी का इस्ट्तेमाल ज़्यादा करें और कम अज़ कम १३ गगलास पानी रोज़ाना
w
इस्ट्तेमाल करें । २: चाय, कॉफ़ी, कोला और दस ू रे पेशाब आवर मश्रब ू ात के इस्ट्तेमाल से गरु े ज़ करना चाहहए। ३: सर को ढािंप कर बाहर ननकलना चाहहए और कपड़े या टोपी का रिं ग सफ़ेद होना चाहहए। ४: बाहर ननकलने से पहले पानी ज़रूर पी कर िाएिं। ५: घर में दाख़ख़ल होते ही पानी ज़रूर इस्ट्तेमाल करें । ६: Page 19 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
कच्ची लस्ट्सी और पक्की लस्ट्सी गसमतयों के बेह्तरीन मश्रब ू हैं। इन का इस्ट्तेमाल आप को लू से बचा सकता है । ७: गसमतयों में गहरे रिं गों के कपड़े इस्ट्तेमाल ना करें क्योंकक ये हरारत को बहुत ज़्यादा िज़्ब
rg
करते हैं। सफ़ेद और हल्के रिं ग मस्ट्लन गुलाबी, आस्ट्मानी, नीले रिं ग के कपड़े इस्ट्तेमाल करें । ८: गसमतयों में चमड़े के तले वाले िूते इस्ट्तेमाल करें क्योंकक उन से हरारत पाऊूँ तक कम पोहिं चती है । ९: गसमतयों में
ar i.o
अपने मेहमानों की ख़ानतर अपने ररवायती मश्रब ू ात से करें । १०: शबतत सिंदल, शबतत बज़रू ी का इस्ट्तेमाल िारी रखें। ११: गोंद कतेरा, इस्ट्पग़ोल का नछल्का, सत्त,ू बालिंगो समला शबतत हदन में एक बार ज़रूर इस्ट्तेमाल करें । १२: अगर आप का मिंह ु ख़श्ु क रहता हो और पानी पीने के फ़ौरन बाद पेशाब की हाित हो
bq
िाती हो तो इस सूरत में गिंदम ु के दाने के बराबर सत समल्ठी हदन में तीन चार दफ़ा ज़रूर चस ू लें। ये
rg
इिंसानी स्िस्ट्म में पानी को बाहर ननकालने में क़द्रे रुकावट पैदा करती है । १३: तबज़ ूत गमी का बेह्तरीन
w .u
तोड़ है लेककन इस का इस्ट्तेमाल काली समचत नमक का सफ़ूफ़ ज़रूर इस्ट्तेमाल करें । ब्लि प्रेशर के लोग
i.o
ससफ़त काली समचत का सफ़ूफ़ इस्ट्तेमाल में लाएिं। गसमतयों के मौसम में इिंसानी स्िस्ट्म पर मुख़्तसलफ़
w w
असरात मततब होते हैं। बरु े असरात को ख़त्म करने के सलए अल्लाह तआला की ज़ात ने मख़् ु तसलफ़ कक़स्ट्म
ar
के िूस और िड़ी बूहटयाूँ पैदा की हैं िो इिंसान को मौसमी असरात से दरू रखती हैं। पाककस्ट्तान के मौसम
bq
को मद्द नज़र रखते हुए वक़्त के साथ साथ सहदयों से बहुत से मश्रब ू बनाए गए और उन का आम
इस्ट्तेमाल हुआ। उन क़दीम मश्रब ू ात की फ़ेहररस्ट्त मिंदिात ज़ेल है । १: लस्ट्सी पक्की और कच्ची। २:गन्ने
.u
का रस। ३: सिंदल का शबतत। ४:लाल मश्रब ू ात। ५: बज़रू ी का शबतत। ६: सत्तू का शबतत। गसमतयों की हहद्दत
w
की विह से इिंसानी स्िस्ट्म में पानी और नस्म्कयात की कमी वाकक़अ होने का अिंदेशा रहता है । ककसी ना ककसी तरीक़े से स्िस्ट्म के अिंदर और बाहर स्िस्ट्म को ठिं िक का एह्सास दे ने वाले मश्रब ू ात का भी
w
इस्ट्तेमाल ज़रूरी है । अल्बत्ता दौर िदीद के मश्रब ू ात मस्ट्लन: कोला मश्रब ू ात। २: काबोनेट मश्रब ू ात।
w
३:िूस पर मुब्नी मश्रब ू ात से गुरेज़ करें । आसान गग़ज़ाई तदाबीर: क़ुल्फ़ा: ये फ़रहत बख़्श सदत समज़ाि मौसमी बट ू ी रतब ू तों में इज़ाफ़ा कर के पेशाब की तअदाद बढ़ाती है । गसमतयों में ददत के साथ पेशाब आए या
Page 20 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
ज़्यादा पसीना आने की विह से पेशाब की समक़्दार कम हो िाए तो मरीज़ को क़ुल्फ़ा के बीि का िोशािंदा पपलाया िा सकता है । एक चाय का चम्मच बीि का रोग़न कच्चे नायतल के एक गगलास पानी में िाल कर
rg
हदन में तीन बार पपलाने से पेशाब की तक्लीफ़, मसाने की सोस्ज़श और िलन दरू हो िाती है । मौसम समात गमात में स्िस्ट्म को हहद्दत से बचाने और बदन ठिं िा रखने के सलए क़ुल्फ़ा के तने का रस इस्ट्तेमाल
ar i.o
करने से गमी दानों और हाथ पाऊूँ में िलन की सशकायत दरू हो िाती है । इस के पत्तों का लेप ककया िाऐ तो तब भी बदन को ठिं िक मुहय्या होती है । मेहूँदी: मेहूँदी के पत्तों में अगर रिं ग चढ़ाने वाले एससड्ज़ पाए िाते हैं तो उस के पत्ते और बीि भी ऐसे नतब्बी असरात रखते हैं स्िस से स्िल्द के अमराज़ से तहफ़्फ़ुज़
bq
और गमी की हहद्दत से ननिात हाससल होती है । मौसम गमात में गमी दाने बहुत तिंग करते हैं। मेहूँदी के
rg
पत्तों को पानी में पीस कर मुतासरह हहस्ट्सों पर लगाया िाए तो गमी दाने ख़त्म हो िाते हैं। गमी में पाऊूँ
w .u
िल्ते हैं, सलहाज़ा ऐसे अफ़राद को चाहहए कक पाऊूँ के तल्वों पर मेहूँदी घोल कर लगाई िाए। गमी से सर
i.o
ददत होने लगे तो मेहूँदी के िूलों और ससरके से बने प्लास्ट्टर को पेशानी पर लगाया िाए तो सर ददत ख़त्म
w w
हो िाती है और बदन से हहद्दत ख़ाित हो िाती है । सिंदल: सिंदल सफ़ेद ख़श्ु बद ू ार िड़ी बट ू ी होती है । ये हदल
ar
के सलए फ़रहत बख़्श टॉननक है तो गसमतयों में इस का शबतत गमी से पैदा होने वाले अव्वाररज़ से बचाता
bq
है । गसमतयों में पैदा होने वाले गमी दानों के सलए सिंदल की लकड़ी का लेप बहुत ज़्यादा मफ़ ु ीद है । हहद्दत से झुल्सी स्िल्द पर ये आज़मूदह नुस्ट्ख़ा लगाया िाए तो बेिा बहने वाला पसीना रुक िाता और ठिं िक का
.u
एह्सास पैदा करता है , इस के सलए सिंदल की ख़श्ु क लकड़ी का सफ़ूफ़ अक़त गल ु ाब में समला कर स्िस्ट्म के
w
मुतासरह हहस्ट्सों पर लगाया िाता है । सिंदल का तेल गमत समज़ाि अफ़राद के हदल और मैदा को तक़्वीयत दे ता और गमत वरमों को तह्लील करता है । छोटी इलाइची: सब्ज़ इलाइची को पानी में पीस कर उस का
w
शबतत हस्ट्बे ज़रूरत मीठा समला कर ठिं िा कर के हदन में दो बार पी सलया िाऐ तो बदन की हहद्दत कम होती
w
और पेशाब खल ु कर आता है । इस के इलावा अगर इलाइची के बीिों को पीस कर खाने का एक चम्मच केले के पत्तों और आमले का रस समला कर हदन में तीन बार पपलाया िाए तो पेशाब के िम् ु ला अमराज़,
Page 21 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
सोस्ज़श मसाना, सोस्ज़श गुदात से अफ़ाक़ा होता है । गसमतयों के मौसम में इलाइची का ख़ासलस मश्रब ू फ़रहत क़ल्ब का बाइस बनता और पसीने से पैदा होने वाली ना गवार बद्बू को दरू करता है । धन्या: गसमतयों में
rg
धन्ये का मश्रब ू में कोलेस्ट्रोल कम करता, पेशाब लाता और गुदों को ू बाक़ाइदह पपया िाए तो ये ख़न मुतहररत क रखता है । धन्ये का मश्रब ू बनाने का तरीक़ा ये है : ख़श्ु क बीि पानी में उबाल कर छान लें और
ar i.o
ठिं िा होने पर इस को इस्ट्तेमाल कर सकते हैं। इस्ट्पग़ोल: इस्ट्पग़ोल मस्ट्कन सदत समज़ाि और मामल ू ी सा मसहल है ये पेशाब आवर स्िल्दी बाफ़्तों पर ख़श्ु गवार असरात मततब करता है । गसमतयों में सुबह नाश्ते के वक़्त या शाम के वक़्त इस्ट्पग़ोल, गोंद कतेरा दध ू में समला कर पपया िाए तो तबीअत ख़श्ु गवार होती और
rg
w .u
bq
बदन गमी की कसाफ़तों से महफ़ूज़ रहता है ।
i.o
माहनामा अबक़री मई 2016 शुमारा नम्बर 119________________pg 10
क़ाररईन के नतब्बी और रूहानी सवाल, ससफ़त क़ाररईन के िवाब
ar
w w
तीन मसाइल तीन हल: मेरा पहला मसला ये है कक मेरे चेहरे पर काले नतल होने के साथ साथ ब्राउन नतल
bq
भी बहुत ज़्यादा हैं, िॉक्टरों के पास चक्कर लगा लगा कर तिंग आ गयी हूूँ अब तो िॉक्टसत भी कहते हैं कक
ये ठीक नहीिं होंगे, मैं बहुत परे शान हूूँ। मसला २: मेरे बाज़ओ ु िं, टािंगों, सीने और हाथों पर बहुत बाल हैं, िो
.u
बहुत ही ज़्यादा हैं। पूरे स्िस्ट्म पर मदों की तरह बाल हैं। मसला ३: मेरी बहन के सर में बहुत िुएिं और लीखें हैं, कोई मश्वरा दें कक वो बबल्कुल ख़त्म हो िाएिं मज़ीद उस के सर के बाल बहुत छोटे हैं, ग्रोथ
w
w
बबल्कुल कम है , कुछ बताएिं कक मेरे बाल बहुत िल्दी और लम्बे हो िाएिं। (अ, अ) िवाब: बहन! आप पहले और दस ू रे मसले के सलए दफ़्तर माहनामा अबक़री से ख़न ू सफ़ा और हामोन्स
w
सशफ़ा ले कर कुछ अरसा मुस्ट्तक़ल समज़ािी से इस्ट्तेमाल करें । मुझे इन दोनों मसाइल के साथ कुछ पोषीदह मसाइल भी थे अल्हम्दसु लल्लाह अब मैं ७० फ़ीसद ठीक हो चक ु ी हूूँ। तीसरे मसले के सलए अपनी
Page 22 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
बहन से कहें कक बालों में लीमों अच्छी तरह लगा कर दो घिंटे बाद बाल धो लें। बालों की ग्रोथ के सलए अपनी गग़ज़ा पर ख़ास तवज्िह दें । (सवेरा बबलाल, रावलपपिंिी)
rg
िोड़ों में ददत : मोहतरम क़ाररईन! गुज़ाररश है कक मैं एक मसला आप के गोष गुज़ार करना चाहता हूूँ। मेरे
ar i.o
दोनों बाज़ओ ु िं में किंधे के िोड़ से ले कर कुहनी तक यानन बाज़ओ ु िं में िब भी मैं हाथ ऊपर उठाता हूूँ या सुज़ूकी में चढ़ते वक़्त शदीद ददत उठता है । किर दो समनट के बाद आराम आ िाता है । यही बीमारी गज़ ु श्ता पािंच छे माह से है । (उस्ट्मान, कोहाट)
bq
िवाब: तीन अदद ख़ब ू ानी और एक अदद छुहारा रात को एक गगलास दध ू में टुकड़े कर के सभगो दें , सब ु ह उठ कर ख़ब ू ानी और छुहारा खा लें और दध ू पी लें। ये टोटका कम अज़ कम चालीस हदन इस्ट्तेमाल करें ।
w .u
rg
मेरे साथ भी यही मसला था अब अल्हम्दसु लल्लाह मैं बबल्कुल ठीक हूूँ। (शाककरुल्लाह, भुम्बर आज़ाद
i.o
कश्मीर)
आूँतों का मसला: मोहतरम क़ाररईन! मेरी उम्र ७० साल है , मेरी आूँतों में से कुछ मवाद रुक िाता है स्िस
ar
w w
की विह से रोटी खाने के बाद चला नहीिं िाता, ख़ाली पेट चल सकता हूूँ। सीने में िलन होती है , काफ़ी
bq
दवाएिं इस्ट्तेमाल की हैं, िब कास्ट्टर ऑइल लेता हूूँ तो आिंतें साफ़ हो िाती हैं मगर दस्ट्त बहुत आते हैं। बराह मेहरबानी! मेरे सलए कोई दवाई और परहे ज़ बता दें , शुकक्रया! (वक़ास, हज़रू)
.u
िवाब: भाई! आप पिंसारी की दक ु ान से एक पाव मेथरे (िो अचार में िालते हैं) और एक पाव छोटी
w
इलाइची ले कर दोनों को इकट्ठा बारीक पपस्ट्वा लें , िब्बे में महफ़ूज़ रखें , एक चम्मच सुबह और एक शाम
w
को इस्ट्तेमाल करें । ये टोटका मैं ने हज़रत हकीम साहब की शहरा आफ़ाक़ ककताब "मेरे नतब्बी राज़ों का
w
ख़ज़ाना" से सलया था कमाल फ़ायदा हुआ। (उम्मे आफ़ाक़, लाहौर) क़ज़त से ननिात: मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! पहले तो मैं आप का शुकक्रया अदा करती हूूँ आप इतना अच्छा माहनामा ननकाल रहे हैं। िब से मैं ने अबक़री सलया है दस ू रे ररसाले पढ़ने Page 23 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
छोड़ हदए हैं, िी चाहता है माहनामा अबक़री महीना में दो बार समले, मैं ने इस की गुज़श्ता फ़ाइलें और आप की कुतब भी ख़रीद ली हैं। उदय ू ात भी इस्ट्तेमाल कीिं सब को बेह्तरीन पाया है , अल्लाह तआला आप
rg
को दोनों िहािं की ख़सु शयाूँ दे आमीन। पहली बात तो क़ाररईन से ये पूछनी है कक अगर ककसी ने क़ज़ात दे ना हो या अपने ऊपर क़ज़ात हो तो रूहानी वज़ीफ़ा बताइये, दस ू रा कारोबार ख़ब ू चले, मैं ने घर में छोटा सा
ar i.o
स्ट्टोर खोला हुआ है उस के सलए वज़ीफ़ा बताएिं। (समससज़ मज़्हर, समयािंवाली)
िवाब: बहन! आप दित ज़ेल दआ ु सब ु ह व शाम ७८६ मततबा पढ़ें और क़ज़ात से ननिात और कारोबार के सलए ख़ब ू दआ ु करें , आज़मूदह है । "अल्लाहुम्म-स्क्फ़नी बबहलासलक अन ् हरासमक, व अस्ग़्ननी बबफ़स्ज़्लक ََ
َْ
ْ َ
ْ َ ٰ َ
َ
bq
َ َ ْ َ َ َع َح َرام َ ِن ِبََلل ْ َ ِك َواغ ِن ِِن ِبفض ِلك عن ِسو،ِك अम्मन ् ससवाक" (اك ِ ْ ِ ( )الل ُّهم اك ِفकैप्टे न हबीब, गोिराूँवाला)
w .u
rg
बेटे की मुहब्बत: क़ाररईन! मेरा सब से छोटा बेटा स्िस का एक लड़की के साथ तअल्लुक़ है । उन की
i.o
आपस में मल ु ाक़ातें भी होती हैं, और उन का ये तअल्लुक़ पपछले बारह साल से चल रहा है मगर बात शादी
w w
तक नहीिं पोहिं च पा रही। क़ाररईन! उन की शादी के सलए कोई वज़ीफ़ा बताएिं। (श-र)
ar
िवाब: आप ख़द ु और आप का बेटा सुबह व शाम ग्यारह मततबा अवल आख़ख़र तीन तीन मततबा दरूद
bq
शरीफ़ के साथ सरू ह मअ ु समनन ू की आख़री चार आयात और अज़ान पढ़ कर अपने दोनों कन्धों पर दम करें और अल्लाह से मसले के हल के सलए दआ ु करें । (मुहम्मद शकील, िेहलम)
.u
मूज़ी मज़त: मोहतरम क़ाररईन! मेरी उम्र बाईस साल है । मुझे क़ब्ज़ की बीमारी है , बड़ा पेशाब दो हदन के
w
बाद आता है और बहुत ज़ोर लगा कर आता है और बड़े पेशाब के साथ गचकनाहट सी भी आती है और
w
एहतलाम भी बहुत ज़्यादा होता है और उस के साथ मेरा हाकफ़ज़ा भी बहुत कम्ज़ोर् होता िा रहा है और
w
दस ू री बात ये है कक मैं गुज़श्ता दस साल से आदत बद्द में मुब्तला हूूँ, बहुत कोसशश की कक इस मूज़ी मज़त से मेरी िान छूट िाए लेककन नहीिं हो रहा। मोहतरम क़ाररईन! कोई ऐसी तकीब या कोई ऐसा मि ु रत ब नुस्ट्ख़ा मुझे बता दें ता कक मुझे इस बीमारी से ननिात समल िाए। (अ-म-अ)
Page 24 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
िवाब: आप इिंिीर ३ दाने, सौंफ़ १/२ चम्मच चाय वाला, सब्ज़ पोदीना दे सी, (पत्ते और शाख़ समेत) एक अदद पोदीना और इिंिीर टुकड़े टुकड़े कर के २ कप पानी में सभगो दें । सुबह उबालें िब एक कप बाक़ी बचे
rg
तो उतार कर ठिं िा कर के ख़ब ु की चस्ट् ु की या ू मल छान कर हस्ट्बे ज़रूरत मीठा समलाएिं वरना ऐसे ही चस्ट् घोंट घोंट पीएिं। ऐसा हदन में ३ से ४ बार इस्ट्तेमाल करें चन्द हफ़्ते मौसम गरमा में इसी तरह रात को तेज़
ar i.o
उबलते पानी में सभगो दें सब ु ह ख़ब ू मल छान कर मीठा समलाएिं ऐसे ही पी लें गरम ना करें । ये क़ह्वा स्िस्ट्म के हर मसले का लािवाब हल है । आज़्माएिं और दआ ु एिं दें । (मुहम्मद याक़ूब बट, गोिराूँवाला) बदन में गमी: मेरे बदन में बहुत ज़्यादा गमी है , गसमतयों का मौसम है , मेरी परे शानी बढ़ती िा रही है ,
bq
बराह मेहरबानी कोई नुस्ट्ख़ा बताएिं। (मुहम्मद िावेद)
w .u
rg
िवाब: िावेद साहब! शबतत दीनार रोज़ाना सुबह ननहार मुिंह दो चम्मच एक गगलास पानी में समला कर
i.o
पीएिं। इन ् शा अल्लाह तआला आप के बदन की गमी रफ़्ता रफ़्ता कम होती िाएगी। नेज़ सदक़ा व नमाज़
का भी एह्तमाम कीस्िये ता कक आप की स्िस्ट्मानी व रूहानी बीमाररयािं अल्लाह तआला दरू फ़मात दे ।
ar
w w
(फ़ख़र आलम, पपशावर)
bq
मेरे घरे लू मसाइल: मेरे बड़े बेटे की बीवी, मेरी बहु बहुत ज़्यादा तेज़ है और उस में ग़स्ट् ु सा बहुत ज़्यादा है और बड़ों का अदब व एह्तराम भी नहीिं करती। बात पूछने पर भी ग़स्ट् ु सा करती है , ग़स्ट् ु सा हद्द से ज़्यादा
.u
आता है , उस के ग़स्ट् ु से से ननिात और आपस में प्यार मह ु ब्बत के सलए क़ाररईन कोई वज़ीफ़ा बताएिं। (एक
w
सास)
w
िवाब: आप सारा हदन उठते बैठते ससफ़त "या हय्यु या क़य्यूमु इय्याक नअबुद ु व इय्याक नस्ट्तईनु َ َ
َ َ
َ
َ
َ
َ ُّ
w
ُّ ک ا ْستغ ْی َ ِب ْْحَت ُّ ) ََی َح ََیق ُّیपढ़ें । इन ् शा अल्लाह चन्द ही हदनों में َ ک ن ْع ُّب ُّد َو اَِی َ وم اَِی ُّ ْ ک ن ْست ِع बबरह्मनतक अस्ट्तग़ीसु" (ث ِ ِ َ ِ ْی
आप के घर में अम्न व सक ु ू न आ िाएगा और लड़ाई झगड़े बबल्कुल ही ख़त्म हो िाएिंगे। (शास्ज़या इक्राम, कोइटा)
Page 25 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
क़ाररईन के सवाल क़ाररईन के िवाब "क़ाररईन के सवाल व िवाब" का ससस्ल्सला बहुत पसिंद ककया गया ख़तूत का ढे र लग गया, मश्वरे से तय
rg
हुआ पपछला ररकॉित पहले क़ाररईन तक पोहिं चाया िाए िब तक ये ख़त्म नहीिं होता उस वक़्त तक
ar i.o
साबबक़ा तरतीब कफ़ल्हाल कुछ अरसा के सलए मुअख़र कर दी िाए।
माहनामा अबक़री मई 2016 शुमरा नम 119_________________pg 13
मेरी स्ज़न्दगी कैसे बदली?
bq
(क़ाररईन! हज़रत िी! के दसत, मोबाइल (मेमोरी काित), नेट वग़ैरा पर सन ु ने से लाखों की स्ज़िंदगगयाूँ बदल रही हैं, अनोखी बात ये है चूँकू क दसत के साथ इस्ट्म आज़म पढ़ा िाता है िहाूँ दसत चलता है वहािं घरे लू
rg
गाड़ी में हर वक़्त दसत हो)
i.o
w .u
उल्झनें है रत अिंगेज़ तौर पर ख़त्म हो िाती हैं, आप भी दसत सन ु ें ख़्वाह थोड़ा सन ु ें , रोज़ सन ु ें , आप के घर,
ar
w w
(कक़स्ट्त निंबर ८)
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! अल्लाह रब्बुल ्-इज़्ज़त आप को और आप की नस्ट्लों
bq
को ता क़यामत शाद व आबाद रखे और मेरी नस्ट्लों को और मुझे तस्ट्बीह ख़ाना से ता क़यामत मुिंससलक
.u
रखे। आमीन! मोहतरम हज़रत हकीम साहब! मेरी समझ में नहीिं आ रहा कक मैं अपनी कहानी कहाूँ से शुरू करूूँ। मोहतरम! मैं गुनाहों के अूँधेरे समुन्दर में िूबी हुई वो लाश हूूँ स्िसे तस्ट्बीह ख़ाना ने "नई स्ज़न्दगी"
w
दी है । मैं ने मोत से बद्द तर स्ज़न्दगी गज़ ु ारी है मेरे गन ु ाहों का शम ु ार नहीिं। मेरा अदना तरीन गन ु ाह हम
w
स्ििंस परस्ट्ती थी। िो मेरे नज़्दीक गुनाह ही नहीिं था। बी एस सी ककया, स्ट्कूल,कॉलेि में बेह्तरीन
w
पोस्ज़शन होल्िर, घरे लू मज़्हबी माहोल मगर अूँधेरी राहों की मस ु ाकफ़र! मेरे इतने गन ु ाह, इतनी ख़ताएिं लेककन किर भी अल्लाह ने स्ज़न्दगी का शरीक सफ़र इतना अच्छा हदया, नमाज़ी, परहे ज़गार्, मुहब्बत करने वाला, मुझे इज़्ज़त दी, अल्लाह ने उस के नसीब की औलाद दो बेटे हदए। किर भी मेरी स्ज़न्दगी
Page 26 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
अिंधेरों में बसर हो रही थी, स्िन से शयातीन ख़ब ू लुत्फ़ अन्दोज़ और ख़श ु हो रहे थे। अगर कभी नमाज़ पढ़ने की कोसशश करती, घर में लड़ाई झगड़े शुरू हो िाते, छोड़ दे ती, मुझे याद नहीिं बारह साल से रोज़े
rg
नहीिं रख सकी। नमाज़ नहीिं पढ़ सकी, दआ ु ज़रूर मािंगती रही, या अल्लाह तू मुझे अिंधेरों से ननकाल दे । शायद मेरी यही दआ ु क़ुबूल हुई कक मुझे कूड़े के ढे र से अबक़री समला, चन्द वक़त थे, धोया साफ़ ककया,
ar i.o
पढ़ा, स्ज़न्दगी समलने लगी। दो साल इसी को पढ़ती रही। किर पता नहीिं था कक अबक़री कहाूँ से समलेगा? दो साल इसी को बार बार पढ़ती रही, ससफ़त चन्द वक़त थे िो मुझे ज़बानी याद हो चक ु े थे। किर पता चला कक मेरे समयाूँ की दक ु ान के पास से समलता है । मेरे समयािं की गाडड़यों के स्ट्पीयर पाट्तस की दक ु ान है । वहािं
bq
से मैगज़ीन मिंगवाया, पढ़ा स्ज़न्दगी बदलने लगी। तस्ट्बीह ख़ाना लाहौर अपनी सास और नन्द के साथ
rg
आई। दसत सुना, बस यहाूँ से स्ज़न्दगी स्ज़िंदा होने लगी। ३३ साल उम्र है , इतने साल ग़फ़्लत में गुज़ार हदए,
w .u
पता नहीिं ककस की दआ ु से मुझे तस्ट्बीह ख़ाना समला, दसत समला। वहाूँ से आती हुई दसत वाले मेमोरी काित
i.o
ख़रीद लाई, दसत सुनने लगी, कलेिा िटने लगा। मैं ने कैसी स्ज़न्दगी गुज़ार दी। या अल्लाह! मैं कैसी
w w
ग़फ़्लत में पड़ी रही, दआ ु एिं याद कीिं। वो पढ़ने लगी, दोनों बेटों को याद करवाईं, पता चला मैं ने अपने
ar
बच्चों की कोई तबबतयत ही नहीिं की। सारा हदन दसत सुनती हूूँ, अपनी ग़लनतयों की मुआफ़ी मािंगती हूूँ। अब
bq
नमाज़ में हदल लगने लगा है , अल्लाह तआला तहज्िद ु के सलए भी उठा दे ता है । हर वक़्त एक ख़ौफ़ एक
िर मुसल्लत रहता है कहीिं मुझ से तस्ट्बीह ख़ाना की ननस्ट्बत ना नछन िाए, मुझ बे आसरा को िो ये
.u
आसरा समला है खो ना िाए। मोहतरम! मैं आप को हदल चीर कर कैसे हदखाऊिं कक ये ननस्ट्बत मझ ु े ककतनी
w
अज़ीज़ हो रही लेककन हर वक़्त ख़ौफ़ रहता है । हज़रत साहब! अपनी स्िस्ट्मानी और रूहानी बीमाररयों के सलए छे सूरतों वाला अमल करती हूूँ। बस दसत सुनती हूूँ। मैं अपनी हालत और कैकफ़यत शायद बयान ना
w
कर सकूँू मेरे पास अल्फ़ाज़ ही नहीिं। पूछ पूछ कर करती िा और कर कर के भूलती िा। मुझे बताएिं मैं
w
क्या करूूँ कक स्ज़न्दगी का ये मुस्श्कल सफ़र और आख़ख़रत का कहठन दौर आसानी से कट िाए। मेरे सलए दआ ु करें । मझ ु े कोई वज़ीफ़ा दें । बस मेरी ननस्ट्बत क़ाइम रह िाए िो स्ज़न्दगी स्ज़िंदा हुई है उसे मौत ना
Page 27 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
आए। दन्ु या और आख़ख़रत की भलाईयािं दामन में आती िाएिं। कभी सोचती हूूँ मैं औरत हूूँ और वो भी इिंतहा की गुनहगार पता नहीिं नज़र करम के क़ाबबल भी हूूँ कक नहीिं। कई महीनों की कोसशश के बाद ये ख़त
rg
सलख रही हूूँ। रहे सलामत तम् ु हारी ननस्ट्बत मेरा तो इक आसरा यही है । (च,अ-झिंग)
ar i.o
स्ज़न्दगी कैसे बदली?
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! तस्ट्बीह ख़ाना में आया तो एक ऐसी अक़ामत सन ु ी स्िस से मेरा पूरा विूद हहल कर रह गया और इतना सरूर समला कक मैं लफ़्ज़ों में बयान नहीिं कर सकता।
bq
इस से पहले कभी मैं ने ऐसी अक़ामत कहीिं नहीिं सन ु ी, किर मैं हर रोज़ हर नमाज़ में उस अक़ामत का इिंतज़ार करने लगा। किर पपछले साल १६ रमज़ान को किर मुझे वही अक़ामत सुनने को समली तो मैं ने
w .u
rg
सोचा कक नज़र उठा कर दे खूूँ तो सही कक इतनी पुर सुरूर आवाज़ में अक़ामत कौन पढ़ता है तो िब दे खा
i.o
तो पता चला कक ये अक़ामत तो अपने हज़रत हकीम साहब دامت برکاتہمपढ़ते हैं। हज़रत हकीम साहब! मैं
बहुत गुनहगार इिंसान हूूँ, मालूम नहीिं मुझे तस्ट्बीह ख़ाने में माह रमज़ान गुज़ारने का कैसे मौक़ा समल गया
ar
w w
वहािं पर सब नेक इिंसान मौिद ू थे और एक मैं ही ऐसा गन ु हगार इिंसान था िो उन सब नेक लोगों में
bq
मौिूद था बस यही सोच सोच कर सारा रमज़ान मैं शसमिंदह होता रहता था। मोहतरम हज़रत हकीम साहब! मेरी ननस्ट्बत तस्ट्बीह ख़ाना से बहुत दे र से िड़ ु ी, ऐ काश मैं अबक़री, तस्ट्बीह ख़ाना को कुछ साल
.u
पहले हाससल कर लेता तो मेरी स्ज़न्दगी इतनी बबातद ना होती स्ितनी हो चक ु ी है। इस का अफ़्सोस मुझे सारी स्ज़न्दगी रहे गा। मैं ने स्ज़न्दगी में बहुत गन ु ाह ककये हैं, ये कहूूँ तो ज़्यादा बेह्तर होगा कक मेरी
w
गुज़श्ता स्ज़न्दगी का एक एक लम्हा गुनाहों में िूबा हुआ था। लोग मेरे गुनाहों की विह से मुझ से नफ़रत
w
करते थे, हत्ता कक मेरे घरवाले, मेरी बीवी तक मुझसे नफ़रत करना शुरू हो गयी। मोहतरम हज़रत हकीम
w
साहब! मैं चाह कर भी यहािं अपने गुनाह सलख नहीिं पा रहा। मेरा क़लम काूँप िाता है । बस आप के दसत सुने और सुनता ही चला गया और मेरी स्ज़न्दगी बदलना शुरू हो गयी। बस आप से हदल्ली गुज़ाररश है कक दआ ु कीस्िये कक अल्लाह तआला मौत तक मझ ु े तस्ट्बीह ख़ाना से िोड़े रखे ता कक मैं अल्लाह का क़ुबत Page 28 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
हाससल कर सकूँू स्िस तरह हज़रत मूसा عليه السالمके बकररयों के रे वड़ में से बकररयािं दाएिं बाएिं हो िाती थीिं बस मेरी समसाल भी उन बकररयों िैसी है । अगर मैं कहीिं दाएिं बाएिं होने लगूिं तो आप मुझे दाएिं बाएिं ना
ar i.o
तरह एक छोटा बच्चा चलना सीख िाता है ।
rg
होने दे ना। आप के तस्ट्बीह ख़ाना के साथ चलता रहूिंगा तो इन ् शा अल्लाह मुझे चलना आ िाएगा स्िस
मेरी स्ज़न्दगी कैसे बदली
क़ाररईन! अगर आप के इदत गगदत मुआश्रे में कोई ऐसा ही भटका हुआ ख़द ु ा का बन्दा या बन्दी सीधे रास्ट्ते
bq
पर आई है तो आप ज़रूर ज़रूर उस के राह रास्ट्त पर आने का मक ु म्मल वाक़्या सलख कर एडिटर अबक़री को भेिें। आप की सलखी हुई तहरीर मुकम्मल नाम पता और िगा तब्दील कर के सलखी िाएगी। अबक़री
w .u
rg
ररसाला हर मक्तबा कफ़क्र के हाूँ पढ़ा िाता है क्या मालूम आप की सलखी हुई तहरीर से कोई अूँधेरी ग़लीज़
राउट मछली को िान्ने वाले मुतवज्िह हों!
ar
w w
िाररया बन िाए।
i.o
गसलयों को छोड़ कर नूरानी आमाल पर आ िाए और ये आप और आप की नस्ट्लों के सलए सदक़ा ए
bq
मोहतरम क़ाररईन! इदारा अबक़री को राउट मछली के कािंटे चाहहयें स्िन अह्बाब के पास हों वो फ़ौरी तौर
पर दफ़्तर माहनामा अबक़री सभज्वाऐिं। ये कािंटे अक्सर खाने वाले या शम ु ाली इलाक़ा िात के होटलों से
.u
समल िाते हैं। मुख़सलसीन ज़रूर तवज्िह करें । इत्तलाअ के सलए इस निंबर पर ससफ़त मेसेि करें । ०३४३-
w
मश्कूर होगा।
w
८७१०००९ (0343-8710009)। नॉट: अगर ककसी के पास इस के फ़ायदे हों तो ज़रूर सलखें , इदारा आप का
w
माहनामा अबक़री मई 2016 शुमरा नम्बर 119________________pg 15
Page 29 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
आइये! शादी के चन्द सामान इब्रत वाकक़आत पढ़ें ! (म्यूस्ज़कल बैंि तो था ही मज़ीद इिंफ़राहदयत के सलए पैशा वर नाचने वासलयों का नाच गाना भी रखा गया
rg
और रात भर शबाब व शराब का दौर चलता रहा। इस ख़द ु ाई बग़ावत का वबाल ये पड़ा कक लड़के को कुछ
ar i.o
अरसा बाद हे रोइन की चाट लग गयी। बीवी ने ख़ल ु ा का मुक़द्दमा दायर कर हदया।) (राबबया-लाहौर)
एक साहब कहने लगे आि कल ररश्तों का बुहरािं तो है लेककन तश्वीश्नाक बात ये है कक िो ररश्ते होते हैं
bq
वो महफ़ूज़ और दे र पा नहीिं रहे । अक्सर व बेश्तर तलाक़ तक नोबत पोहिं च िाती है । उन्हों ने मज़ीद बताया कक गुज़श्ता चन्द साल में उन के मुहल्ले की आठ दस बस्च्चयों की शाहदयािं हुईं उन में से दो तीन
w .u
rg
के ससवा सब को तलाक़ हो गयी। है रत की बात ये है कक उन में से अक्सर शाहदयािं क़रीबी ररश्तेदारों में हुई
i.o
थीिं। वो कहते हैं मैं इन नाकाम शाहदयों की विह ू ात तो मालम ू ना कर सका लेककन कई समसालों की
रौशनी में ये गुमान रखता हूूँ कक स्िन शाहदयों में नुमाइश और फ़ज़ूल ख़ची का मुज़ाहहरह होता है बे पदत गी
ar
w w
और नाच गाने का कल्चर अख़्त्यार ककया िाता है वहािं लाज़्मी तौर पर अल्लाह की नाराज़गी उतरती है
bq
और बरकत उठ िाती है । एक िॉक्टर साहब की दो बेहटयािं और एक बेटा है , उन्हों ने बड़ी बेटी की शादी
बड़ी धम ू धाम से की और दल् ू हा के मुताल्बे पर बरात बबल्टन होटल में ठहरी..... िॉक्टर साहब ने ख़ब ू हदल
.u
खोल कर पैसा बहाया, खाने में इस क़दर पवराइटी की कक ससफ़त मीठी चीज़ों की आठ डिशें थीिं। हर कक़स्ट्म के गोश्त थे, इिंतहाई तेज़ रोशननयों और कैमरों के िल्वे में दल् ु हन अपने ख़ान्दान के साथ हाल में दाख़ख़ल
w
हुई, हर तरफ़ बे पदत गी और बद्द नज़री का मज़ ु ाहहरह था। एक साल बाद अचानक िॉक्टर साहब से
w
मुलाक़ात हुई तो मालूम हुआ कक ससफ़त छे माह बाद बड़ी बेटी को तलाक़ हो गयी थी। मैं ने ये सुन कर
w
सोचा काश मैं िॉक्टर साहब को बता सकता कक अल्लाह की तक़्दीर् अिंधी बेहरी नहीिं बस्ल्क ये इिंसानों के अच्छे बुरे आमाल के तनाज़रु में हरकत करती है । िो शख़्स िानते बूझते सशरई अहकाम को पस पुश्त
Page 30 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
िाल दे ता है तो अल्लाह की रहमत भी ऐसे शख़्स से रूठ िाती है किर परे शाननयािं और मुस्श्कलात ऐसे रास्ट्तों से उस पर हम्ला आवर होती हैं कक स्िन का आम हालात में तसव्वुर नहीिं ककया िा सकता।
rg
एक साहब ने बताया कक पड़ोस में एक ज़मीिंदार घराने ने मकान ख़रीदा स्िसे वो अमीर कबीर लोग महज़
ar i.o
रे स्ट्ट हाउस के तौर पर इस्ट्तेमाल करते और महीने में एक आधा बार आते थे। दोस्ट्त ने बताया कक उन के ख़ान्दान में दो बेटे और चार बेहटयािं थीिं उन्हों ने बड़े बेटे की शादी बड़ी धम ू धाम से की, सैंकड़ों लोग बरात और वलीमा में शरीक हुए। म्यस्ू ज़कल बैंि तो था ही मज़ीद इिंफ़राहदयत के सलए पैशा वर नाचने वासलयों का नाच गाना भी रखा गया और रात भर शबाब व शराब का दौर चलता रहा। इस ख़द ु ाई बग़ावत का
bq
वबाल ये पड़ा कक लड़के को कुछ अरसा बाद हे रोइन की चाट लग गयी। बीवी ने ख़ल ु ा का मुक़द्दमा दायर
rg
कर हदया और बड़ी बेटी की शादी हुई तो उस के दो बच्चे एक के बाद एक ज़ेहनी एतबार से माज़ूर पैदा
i.o
w .u
हुए। छोटी बेटी की शादी हुई तो वो औलाद से महरूम रही। मज़ीद ये कक उस ख़ान्दान की िायदादें और कारोबार ख़त्म हो गया। रे स्ट्ट हाउस भी बेचना पड़ा, भूक, तिंगदस्ट्ती और स्ज़ल्लत उस ख़ान्दान की
ar
w w
पहचान बन गया। मेरे मामूँू का मुआम्ला भी कुछ ऐसे ही है उन्हों ने अपनी दोनों बेहटयों की शादी एक ही
घर में की दोनों भाइयों से, अपनी सारी ख़्वाहहशात परू ी कीिं, अपनी हहम्मत के मत ु ाबबक़ हर चीज़ आला ले
bq
कर दी, िहे ज़ में कोई चीज़ ना छोड़ी एक एक चीज़ ले कर दी। स्ट्लेंिर तक ले कर हदए और ख़ब ू धम ू धाम
से शाहदयािं कीिं। शादी की भी १२ रबीउलअवल के हदन थीिं। १२ रबीउलअवल को मेहूँदी थी हम ने बहुत
.u
मना ककया आि १२ रबीउलअवल है इस हदन की लाि रख लें नबी करीम ﷺनाराज़ हो रहे हैं। उन्हों ने
w
कहा हमारी मेहूँदी ख़राब ना करो, कुछ नहीिं होता, हमारी ख़सु शयों को नज़र ना लगाओ, तुम लोग िेलस
w
हो रहे हो। म्यूस्ज़क उरूि पर था और ढोलक भी रखी हुई थी। शुक्र हुआ लड़के वाले नहीिं आए उन्हों ने
w
अपने घर में ही नाच गाना ककया। वलीमे में भी बहुत म्यूस्ज़क था और िािंस था, इन सारी बातों का ननचोड़ ये ननकला कक पपछले साल िन्वरी में शादी हुई थी और एक बेटी को अल्लाह ने बेटा हदया एक के घर कोई औलाद नहीिं है, एक बेटी डिलीवरी से पहले वाल्दै न के घर आ गयी और छे माह का बेटा िब हुआ तो घर
Page 31 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
गयी। दस ू रे हदन या ग़ासलबन दो हफ़्ते रही होगी दोनों बहनें वापस आ गईं और नोबत तलाक़ तक पोहिं ची हुई है । मेरे मामूँू समझते थे चीज़ों से घर बनते हैं, ख़सु शयाूँ दौलत से नहीिं ख़रीदी िा सकतीिं, और ना ही
rg
औलाद से ख़रीदी िा सकती हैं। िो रवय्या उन्हों ने अपनी भाभी के साथ बरता वेसे ही सेम उन के साथ हुआ। बस फ़क़त इतना है कक उन की भाभी ग़रीब घराने की थी िहे ज़ वग़ैरा कुछ नहीिं लाई थीिं और क़ुदरत
ar i.o
ने उन्हें औलाद नहीिं दी उस के शौहर में नक़् ु स था, सारा हदन घर के काम काि करती और रवय्या उस के साथ बहुत बुरा। खाना वग़ैरा पक्वा लेना और िब खाने की बारी आती ऐसे एक लुक़्मा भी ना दे ना, नोकरों से भी बद्द तर सलक ू , शौहर ने आना है रात को खाना बाज़ार से लाना है तो खाना है वरना भक ू ा ही सो
bq
िाना है ककसी ने नहीिं पूछना। हमारे िैसे अगर कोई चला गया और पूछ लेना वो वहािं से उठ कर चली
rg
िाती। बस घरवालों ने कहना कक ये तो ड्रामे करती है । बबल्कुल यही सलूक उन के साथ हुआ उन्हें बदातश्त
w .u
ना हुआ स्िस स्िस बात के ताने उन्हों ने हदए और अपनी भाभी को मारती थी और औलाद ना होने के
i.o
ताने और सारा हदन काम लेना और खाने को ना पूछना ख़द ु पास बैठ कर खा लेना। इसी तरह ही उन के
w w
साथ हुआ अल्लाह ने उन्हें हदखा हदया अल्लाह की लाठी बड़ी बे आवाज़ है । क्या शादी इसी का नाम है
ar
चन्द समनट या चन्द घिंटे लुत्फ़ अन्दोज़ होने की ख़ानतर अपनी दन्ु या व आख़ख़रत बबातद कर बैठें। दस ू रों
bq
की बेहटयों को तक्लीफ़ पोहिं चा कर अपनी ख़सु शयाूँ तलाश करें , ये ना मस्ु म्कन है । दस ू रा मेरे मामूँू की िब
शादी हुई हर वक़्त उन की शादी की मूवी लगा कर बैठे रहना, िब भी फ़ॉन करना मूवी दे ख रहे हैं।
.u
म्यस्ू ज़क इतना ऊिंचा होता कक सारे घर में धमाल होती, िब भी सन् ु ना मव ू ी दे ख रहे हैं। कोई मेहमान चला
w
िाए उन्हें भी मूवी हदखानी, अब मूवी की िान छूट गयी होगी क्योंकक अब मुआम्लात तलाक़ तक पोहिं च गए हैं। ना अज़ान की परवा ना नमाज़ की, हम भी अपने इदत गगदत का िायज़ा लें तो कई ऐसे घराने समलेंगे
w
िो सामान इब्रत हों। हदीस में है कक ऐसे शख़्स को सआदतमन्द कहा गया है िो दस ू रों को दे ख कर इब्रत
w
पकड़े, इस सलए ये वाकक़आत कहानी नहीिं बस्ल्क हमारी इस्ट्लाह का ज़रीया बन सकते हैं।
Page 32 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
नज़र बद्द से ननिात का एक अमल आप की ख़ख़दमत में मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! िैसा कक आप अक्सर फ़मातते हैं कक नज़र बद्द बर हक़
rg
है । नज़र बद्द ऊूँट को हािंिी और इिंसान को क़ब्र में पोहिं चा दे ती है । ऐसे ही िाद ू भी बर हक़ है । मेरे पास इन से ननिात का एक आज़मूदह अमल है िो मैं क़ाररईन अबक़री की नज़र कर रही हूूँ। सात दफ़ा चारों क़ुल,
ar i.o
सात दफ़ा आयत अल्कुसी सब ु ह व शाम पढ़ कर दम करें और दम शद ु ह पानी पपलाएिं। िाद ू स्िन्नात के सलए: मिंस्ज़ल एक दफ़ा, तीन दफ़ा या सात दफ़ा रोज़ाना सुबह व शाम पढ़ कर दम करें और पानी पर दम
i.o
w .u
माहनामा अबक़री मई 2016 शुमारा नम्बर 119_________________pg 19
rg
bq
कर के पपलाएिं। (मुक़द्दसा हैदर)
नाख़न ु से बीमारी की सो फ़ीसद दरु ु स्ट्त तश्ख़ीस! है ना हदल्चस्ट्प!
ar
w w
(गमी से या गमी के मौसम में नाख़न ु और तेज़ी से बढ़ते हैं इस सलए रात के मुक़ाब्ले में हदन में नाख़न ु
bq
ज़्यादा तेज़ी से बढ़ते हैं एक हदल्चस्ट्प हक़ीक़त ये है कक अगर आप सीधे हाथ से काम करने वाले हैं तो
(िॉक्टर मुहम्मद नईम इक़्बाल, मुल्तान)
.u
आप के सीधे हाथ के नाख़न ु उल्टे हाथ के मुक़ाब्ले में तेज़ी से बढ़ते हैं)
w
१५ हदन में २० साल पुरानी टी बी ख़त्म
w
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! अल्लाह पाक आप का साया हमेशा हमारे सर पर
w
क़ाइम रखे, मुझे अबक़री पढ़ते चार माह हो गए हैं, अब तो हर माह अबक़री का बड़ी सशद्दत से इिंतज़ार रहता है । मोहतरम हज़रत हकीम साहब! मेरे पास टी बी का ननहायत ही मुफ़ीद आज़मूदह और सस्ट्ता नुस्ट्ख़ा है । मैं चाहता हूूँ कक अबक़री के ज़ररए से इस को मख़्लूक़ ए ख़द ु ा तक पोहिं चा दूँ ।ू मेरी वासलदा को Page 33 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
२० साल पहले टी बी की सशकायत लाहक़ हो गयी थी, हम ने बड़ा इलाि करवाया, पािंच साल िॉक्टरों के इलाि के बाद सशफ़ायाब हुईं। पपछले साल किर मेरी वासलदा को खािंसी और बल्ग़म में ख़न ू आना शुरू हो
rg
गया। सकातरी अस्ट्पताल से चेक अप करवाया तो दब ु ारह टी बी की सशकायत ननकली। किर इलाि मुआल्िा शुरू मगर अफ़ाक़ा ना हुआ। इत्तफ़ाक़ से उन्ही हदनों मेरा एक काम के ससस्ल्सले में एक बुज़ुगत
ar i.o
के पास िाना हुआ िो ससस्ल्सला गचस्श्तया कादररया से मिंस ु सलक हैं और ख़्वािा मई ु नद्द ु ीन गचश्ती अिमेरी رحمة هللا عليهसे फ़ैज़याब हैं। तो मैं ने उन बुज़ुगत को अपनी वासलदा की बीमारी बताई तो उन्हों ने टी बी के सलए ये नस्ट् ु ख़ा बताया मेरी वासलदा ने पिंद्रह हदन इस्ट्तेमाल ककया, टी बी बबल्कुल ही ख़त्म हो
bq
गयी। अब अल्लाह पाक के फ़ज़्ल व करम से मेरी वासलदा बबल्कुल ठीक हैं। नुस्ट्ख़ा बराए टी बी: गिंदम ु के
rg
पठे सवा दो ककलो, सौंफ़ एक पाव, अज्वाइन ् एक पाव, काली समचत आधा छटािंक, गुड़ अस्ट्ली दे सी एक
w .u
पाव, पानी आठ ककलो। बनाने का तरीक़ा: िब गिंदम ु िान्वरों के चारे के क़ाबबल हो िाए यानन क़द एक
i.o
फ़ुट हो िाए तो उस को काट कर छोटे छोटे टुकड़े कर लें। एक बड़ा सा बततन ले कर उस में आठ ककलो
w w
पानी िाल कर ये तमाम चीज़ें िाल दें । गड़ ु को कूट कर िालना है और नीचे आग िला दें । आग तेज़
ar
िलानी है । िब पानी आधा यानन चार ककलो रह िाए तो आग से नीचे उतार लें और ठिं िा होने के सलए रख
bq
दें । ठिं िा होने के बाद बारीक कपड़े से छान लें और इस शबतत को साफ़ सथ ु री बोतलों में महफ़ूज़ कर लें। आधा कप सुबह ननहार मुिंह और आधा कप असर के वक़्त इस्ट्तेमाल करें । मुझे भी दआ ु ओिं में याद रखें।
.u
(एिाज़ अह्मद, तला गिंग)
w
आप के नाख़न ु आप के मुआसलि ्
w
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! उम्मीद करता हूूँ कक आप बख़ैर व आकफ़यत होंगे और
w
मख़्लूक़ ए ख़द ु ा की ख़ख़दमत में मसरूफ़ होंगे। आप ने हमेशा ये फ़मातया कक आप के पास अगर कोई नतब्बी या रूहानी टोटके हों तो सलखें मैं आप को दोनों ही सलख कर भेि रहा हूूँ, ख़ैर ख़्वाही के िज़्बे से कक आप ने अपने दसत में भी फ़मातया था कक मख़्लक़ ू ए ख़द ु ा की ख़ैर ख़्वाही करने से अल्लाह तआला आप की Page 34 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
मुस्श्कलात भी हल फ़मात दे ता है सब से पहले मैं आप को नतब्बी सलख कर भेि रहा हूूँ िो कक मैं अपनी हहक्मत या िॉक्टर में भी इस्ट्तेमाल करता हूूँ। नाख़न ु बीमाररयों की तश्ख़ीस में मदद दे ते हैं, ये एक कराची
rg
के िॉक्टर थे उन से मझ ु े १४ साल पहले समली थी।
ar i.o
नाख़न ु : नाख़न ु ों का अगर कीम्याई तज्ज़या ककया िाए तो ये बालों से मश ु ाबा होते हैं स्िस में ज़्यादा प्रोटीन होता है । स्िसे केरोहटन कहते हैं, ये सल्फ़र से भरपूर होता है । हड्डियों और दािंतों के मुक़ाब्ले में नाख़न ु ज़्यादा सख़्त होते हैं क्योंकक इन में ससफ़त दस फ़ीसद पानी होता है ताहम इन में िज़्ब करने की सलाहहयत होती है िब उन को पानी में िुबोया िाए तो ये अिंदरूनी तौर पर पानी िज़्ब कर के नरम पड़
bq
िाते हैं। नाख़न ु की इब्तदा नरम िेली की तरह के ख़सलयों से होती है िो मुड़ कर सख़्त और एक दस ू रे के
rg
क़रीब हो िाते हैं िैसे कक ज़ाहहर होते हैं। नाख़न ु ों के िड़ के ऊपर एक cuticle िो कक स्िल्द का ऊपर का
i.o
w .u
हहस्ट्सा होती है वो नाख़न ु ों को बेरूनी असरात मस्ट्लन िरासीम वग़ैरा से महफ़ूज़ रखती है । नामतल नाख़न ु
गुलाबी माइल होते हैं स्िस की बुनयादी विह नाख़न ु ों के नीचे बारीक बारीक ख़न ू की नासलयािं होती हैं
ar
w w
स्िस के बाइस नाख़न ु गुलाबी नज़र आते हैं नाख़न ु एक हफ़्ते में ०.५ समली मीटर से १.२ मीटर तक बढ़ते
हैं हाथों के नाख़न ु पैरों के नाख़न ु के मक़ ु ाब्ले में तक़रीबन चार गन ु ा ज़्यादा तेज़ी से बढ़ते हैं, गमी से या
bq
गमी के मौसम में नाख़न ु और तेज़ी से बढ़ते हैं इस सलए रात के मुक़ाब्ले में हदन में नाख़न ु ज़्यादा तेज़ी से बढ़ते हैं एक हदल्चस्ट्प हक़ीक़त ये है कक अगर आप सीधे हाथ से काम करने वाले हैं तो आप के सीधे हाथ
.u
के नाख़न ु उल्टे हाथ के मुक़ाब्ले में तेज़ी से बढ़ते हैं और अगर आप बाएिं हाथ से काम करने वाले हैं तो
w
किर बाएिं हाथ के नाख़न ु दाहहने के मुक़ाब्ले में ज़्यादा तेज़ी से बढ़ते हैं। स्िस तरह हमारी सेहत में
w
मुतवाज़ुन गग़ज़ा का ककदातर एहम होता है बबल्कुल इसी तरह नाख़न ु ों की नशो व नुमा पर भी इस का असर
w
होता है सलहाज़ा अगर तग़्ज़्या नाक़स है या फ़ाक़े ककये िा रहे हैं नाख़न ु की नशो व नुमा सुस्ट्त पड़ िाएगी और उन पर नतरछी लकीरें पड़ िाएिंगी स्िन्हें Beasus Lines कहते हैं नाक़स गग़ज़ाई विह से ये कम्ज़ोर् हो िाते हैं और टूटने लगते हैं।
Page 35 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
दौरान ख़न ू कम होने से नाख़न ु ों की नशो व नुमा कम हो िाती है । स्िस से वो मोटे , भद्दे, पीले, धब्बेदार हो िाते हैं। अक्सर ज़्याबतीस और हदल की बीमाररयों में भी ऐसे हो िाते हैं। नेल पोसलश के इस्ट्तेमाल से
rg
नाख़न ु सख़्त हो िाते और पोसलश साफ़ करने के केसमकल से ख़श्ु क हो िाते हैं स्िस से ये कम्ज़ोर् पड़
ar i.o
िाते हैं इस के इलावा घरे लू व सन ्अती इस्ट्तेमाल के केसमकल भी नाख़न ु ों की चमक को ख़त्म कर दे ते हैं। क्लेंग: इस में नाख़न ु के ऊपर की तरफ़ उभार आ िाता है और ऊूँगली की नोक की तरफ़ बढ़ िाता है ये क्लेंग कहलाती है िो इस बात को ज़ाहहर करती है । तप दक़, हदल, सशरयानों की बीमारी, आूँतों की बीमारी, या स्िगर की बीमारी। नीला चाूँद: नाख़न ु की िड़ में िहाूँ से नाख़न ु शुरू होता है वहािं एक नीले
rg
w .u
सकती है ।
bq
रिं ग का चाूँद हो तो ये ननशािंदही करे गा कक ननज़ाम दौरान ख़न ू में कोई ख़राबी है , हदल की कोई बीमारी हो
i.o
चम्चा नुमा नाख़न ु : ऐसे नाख़न ु अिंदर की तरफ़ हदए हुए या हम्वार् या बेल्चा नुमा होते हैं िो इस बात की ननशािंदही कर रहे होते हैं कक ख़न ू में फ़ौलाद की कमी है , थोइरोइि की कोई ख़राबी है या बुख़ार है । ब्राउन
bq
हो िाता है िबकक ननचला हहस्ट्सा िड़ के पास से सफ़ेद हो िाता है ।
ar
w w
या गल ु ाबी नाख़न ु : िब गद ु ों का मज़त परु ाना हो चक ु ा हो तो ऐसी सरू त में नाख़न ु का ससरा ब्राउन या गल ु ाबी
Tenyis Nail: स्िगर की सख़्ती में नाख़न ु का ज़्यादा तर हहस्ट्सा सफ़ेद हो िाता है , गुलाबी रिं ग ससफ़त एक
.u
कमान की सरू त में नाख़न ु के ससरे पर नज़र आती है । पीले नाख़न ु : क्रोननक तनफ़्फ़ुस, थोइरोइि
w
बीमाररयों में नाख़न ु की नशो व नुमा सुस्ट्त पड़ िाती है , नाख़न ु मोटे और सख़्त हो िाते हैं उन की रिं गत पीली या ज़दत हो िाती है । ऐसे नाख़न ु िो हथोड़े की शक्ल के होते हैं बाल झड़ने की एक बीमारी Alopecia
w
w
Areata स्िस में बाल थोड़े या मुकम्मल गगर िाते हैं।
माहनामा अबक़री मई 2016 शुमारा नम्बर 119____________pg 23
Page 36 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
नफ़्स्ट्याती घरे लू उल्झनें और आज़मूदह यक़ीनी इलाि परे शान और बद्द हाल घरानों के उल्झे ख़तूत और सुल्झे िवाब
rg
िवाबी सलफ़ाफ़ा ज़रूर भेिें, मुकम्मल पता सलखा हुआ। िवाब में िल्दी ना करें ।
ar i.o
माली मुस्श्कलात: मैं ने अपनी पसिंद पर शादी कर ली। ख़सु शयाूँ भी समलीिं लेककन माली मुस्श्कलात ने ना छोड़ा, अब एक बेटी है उस को अच्छी तालीम हदलवाने के ख़्वाब दे खती हूूँ और िर िाती हूूँ कक कहीिं उस की स्ज़न्दगी भी मेरी तरह वाल्दै न को नाराज़ कर के ना गुज़रे , ये अकेली ना रह िाए। इस के मुस्ट्तक़बबल
bq
के अिंदेशे मेरे आि का सुकून छीन रहे हैं, ककतनी ही दे र ख़ामोश बैठी इदत गगदत गम ु हो िाती हूूँ, बच्ची रोते रोते कन्धा हहलाती है तो चोंक कर उसे गोद में ले लेती हूूँ। अिीब कक़स्ट्म का ख़ौफ़ मुझे घेरे रखता है ।
w .u
rg
(आससया-नारोवाल)
i.o
िवाब: अक्सर लोग मुस्ट्तक़बबल के हवाले से ख़ौफ़ का सशकार होते हैं लेककन उन को मालूम नहीिं होता कक
w w
इस तरह वो आि की ख़सु शयों या सक ु ू न से महरूम हो रहे हैं, आप को इस बात का एह्सास है सलहाज़ा
ar
अपनी इस कैकफ़यत से ननिात हाससल करने की कोसशश करें । इदत गगदत से गुम हो िाना, ख़ामोशी और
bq
बच्ची से बे ख़बरी ज़ेहनी सेहत के सलए भी ठीक नहीिं। मस्ट् ु तक़बबल के हवाले से ककसी को कुछ मालम ू नहीिं होता। बहुत सी परे शाननयािं वक़्त के साथ ख़त्म हो िाती हैं। िो लोग आि में स्ज़िंदा रहते हैं और आि
.u
मेहनत करते हैं, इल्म हाससल कर के ख़द ु को ककसी लाइक़ बनाते हैं उन का आने वाला कल भी अच्छा हो
w
िाता है ।
w
सास्ज़शों का एह्सास: मेरे शौहर ने दस साल अच्छी मुलाज़्मत की, पता ही नहीिं चला कक ककस तरह
w
अख़रािात पूरे होते रहे , गुज़श्ता एक साल से उन की तबीअत ख़राब रहने लगी। सब से ज़्यादा मसला मेरे साथ ही ककया, मझ ु पर शक करते हैं ककसी से बात नहीिं करने दे ते, ख़ास तौर पर टे लीफ़ॉन नहीिं कर सकती। िरते हैं कक मेरे ख़ख़लाफ़ लोग सास्ज़श कर रहे हैं, मुझे मरवाना चाहते हैं, मैं ख़द ु नफ़्स्ट्याती मरीज़ा
Page 37 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
बन्ने लगी हूूँ, समलने िुलने वाले कहते हैं कक इन के साथ नफ़्स्ट्याती मसला हो गया है । मगर उन्हों ने सारी उम्र स्ज़म्मेदाररयाूँ ननभाते गुज़ारी। ये अचानक इतनी िल्दी सब कुछ कैसे हो गया। मैं ने दे खा अगर
rg
ककसी के साथ हदमाग़ का कोई मसला होता है तो वो लोग शरू ु ही से अिीब होते हैं। (शास्ज़या, बेस्ल्ियम)
ar i.o
िवाब: हर ज़ेहनी व नफ़्स्ट्याती मरीज़ पैदाइशी तौर पर आम लोगों से मख़् ु तसलफ़ नहीिं होता। उन में ज़्यादा तर वो लोग होते हैं स्िन की ज़ेहनी नशो व नुमा सही नहीिं होती। इस सलए वो ककसी ना ककसी हद्द तक मरीज़ ही रहते हैं लेककन वो लोग िो मामल ू के मत ु ाबबक़ स्ज़न्दगी गज़ ु ारते आये हों ककसी ज़ेहनी बीमारी के ला हक़ हो िाने से अपने और अहल ख़ाना के सलए मसला बन िाते हैं। शक शुबा, बुरा गुमान, वेह्म बे
rg
w .u
हैं।
bq
सुकूनन, बे चैनी, बे ख़्वाबी और बेरोज़गारी ये ज़ाहहर करती है कक आप के शोहर ज़ेहनी तौर पर ठीक नहीिं
i.o
कोई सुनने वाला हो: मेरा हदल चाहता है िो चाहे बोलूँ ू बस्ल्क बोलता रहूूँ। कोई सुनने वाला हो िो
सिंिीदगी से मेरी बातें सुने, बाद में मज़ाक़ ना उड़ाए और ना ककसी से कहे । इसी तरह मेरा हदल हल्का
ar
w w
होगा, बड़ा बोझ है हदमाग़ पर और बहुत से लोगों की तरह मैं ने भी मह ु ब्बत की मगर ख़ामोश रहा। कुछ
bq
बन िाऊिं किर इज़्हार करूूँ लेककन अच्छी लड़ककयािं कहाूँ इिंतज़ार कर पाती हैं। इतनी िल्दी उस लड़की की शादी हुई और अब वो बाहर है , पता चलता रहता है वो ख़श ु नहीिं। तन्हाई से परे शान है । उस का शौहर बद्द
.u
समज़ाि है । ऐसी दौलत का कोई क्या करे । िब हदल ही ख़श ु ना हो। शायद सूरत्हाल कुछ और होती, अगर उस की मझ ु से शादी हो िाती, ककस को बताऊूँ ये बात और बहुत सी बातें , अगर उस की मझ ु से शादी हो
w
िाती, ककस को बताऊूँ ये बात और बहुत सी बातें , बहुत से मसाइल, नाकाम तमन्नाएूँ, अधरू ी ख़्वाहहशें,
w
आज़ुए त ूँ, हसरतें और खल ु ी आूँखों दे खे िाने वाले ख़्वाब। (इरफ़ान, इछरह लाहौर)
w
िवाब: आम तौर पर सुनने वाले इतने बुदतबार और राज़ रखने वाले नहीिं होते कक ककसी की बातों को सिंिीदह लें। दस ू रों के राज़ों की हहफ़ाज़त करें । यही विह है कक बात कह दे ने से पराई होती है । हदल का
Page 38 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
बोझ हल्का करने के और भी तरीक़े हैं, उन में अच्छा तरीक़ा सलखना है । सादह काग़ज़ों पर नम्बर िाल कर अपने मसाइल सलखते िाएिं, बाद में एक एक बात पढ़ें और उस का िवाब सलखें या ज़ेहन में सोच लें।
rg
हर िुम्ले के साथ इत्मीनान महसूस करें । बअज़ औक़ात हदल ज़्यादा परे शान होता है , ऐसी सूरत में िो तबीअत में आए, ग़म ग़स्ट् ु सा, ख़्वाहहश, ख़्वाब, आरज़ूएिं सब सलखते िाएिं। अपने राज़ की हहफ़ाज़त के
ar i.o
सलए िो कुछ सलखा है उस को समटा दें या काग़ज़ों को िाड़ दें । ज़ेहनी बोझ हल्का महसस ू होगा। स्िस लड़की से मुहब्बत की उस के बारे में अच्छा ना सुनने की ला शऊरी ख़्वाहहश भी है । इस पर क़ाबू पाएिं और
हो सकती है ।
bq
उस की स्ज़न्दगी के हवाले से कुछ भी ना सोचें । वो कक़स्ट्मत में ना थी उस िैसी ककसी और लड़की से शादी
rg
नसीहत के असरात: अमूमन हम सब घरवाले शाम के खाने पर साथ होते हैं, इसी दौरान बच्चों से गुफ़्तग ु ू
i.o
w .u
होती है , कोई ग़लत बात मालूम होती है तो वो भी ज़ेर बहस आती है । बड़ा बेटा काफ़ी हस्ट्सास वाकक़अ
हुआ है , वो चाहता है उस के हवाले से कोई भी स्ज़क्र घरवालों के सामने भी ना ककया िाए। िैसे ही हम उस
ar
w w
की तरफ़ बात करने के सलए दे खते हैं वो उठ कर चला िाता है और बाद में भी खाना नहीिं खाता िबकक
दस ू रे बेटे को िो भी नसीहत करें वो सन ु ता है और बरु ा नहीिं मानता। मझ ु े लगता है बड़े के साथ ज़रूर कोई
.u
सलए और ज़्यादा परे शानी की है । (एम ्, गोिराूँवाला)
bq
ऐसी बात है स्िसे वो छुपाना चाहता है । अब उस ने रात को दे र से घर आना शुरू कर हदया है । ये बात मेरे
िवाब: हर बच्चे पर नसीहत के असरात मख़् ु तसलफ़ होते हैं, आप माूँ हैं, बेटे के एह्सासात और आदात से
w
वाकक़फ़ होंगी। बच्चे िब बड़े हो िाएिं तो उन के साथ नमी, ख़ल ु ूस और हमददी से पेश आना ज़रूरी होता
w
है , उन्हें एह्सास हदलाना होता है कक वाल्दै न उन पर बहुत ज़्यादा एतमाद करते हैं। ख़ास तौर पर खाने के
w
वक़्त ककसी ना ख़श्ु गवार बहस व तक्रार में उलझने से गुरेज़ ज़रूरी है , वरना बच्चे खाए पीए बग़ैर उठ कर िा सकते हैं। इस मौक़े पर सब घरवाले ख़श्ु गवार और पुर लुत्फ़ माहोल में खाना खाएिं। कोई एहम मसला
Page 39 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
हो तो बच्चों को अपने कमरे में बुला कर या उन के कमरे में िा कर बात करें । मुख़्तसर अल्फ़ाज़ की नसीहत ज़्यादा असर रखती है ।
rg
ससुराल की स्ट्यासत: १६ साल की उम्र में मेरी शादी हो गयी। दन्ु या के बारे में कुछ मालूम ना था, ससुराल
ar i.o
में अिीब कक़स्ट्म की स्ट्यासत थी, मेरी समझ में कुछ ना आया, एक बेटी भी हो गयी, सास उस को अपने पास रखती हैं, किर बेटा हो गया, उस को मैं ने ही सिंभाला। मुझे िर लगता है बेटी मुझे बुरा ना समझे, क्योंकक वो मेरी कोई बात नहीिं सन ु ती। उस की उम्र ३ साल है , मैं िाूँटूिं तो मझ ु े मारती है , ग़स्ट् ु सा आता है लेककन बदातश्त कर लेती हूूँ। उस को घर के दस ू रे लोग बबगाड़ रहे हैं और मेरे शौहर का कहना है कक मैं चप ु
bq
रहूूँ, वरना तअल्लुक़ात ख़राब होंगे। वो एक, एक माह दस ू रे शहर में रहते हैं इस दौरान मैं दो बच्चों के साथ
w .u
rg
यहािं रहने पर मज्बूर हूूँ। (अ- मदातन)
i.o
िवाब: समज़ाि में बुदतबारी और रवय्ये में पुख़्तगी पैदा करने के सलए ज़रूरी है । इस वक़्त आप पर दो
बच्चों की परवररश और तबबतयत की स्ज़म्मेदारी है , शौहर भी इस स्ज़म्मेदारी की तक्मील में पूरी तरह
ar
w w
साथ नहीिं दे सकते क्योंकक उन को लम्बे अरसे के सलए घर से दरू रहना होता है । ३ साल की बच्ची ग़स्ट् ु से
bq
से आप के पास ना आएगी। ज़रूरी है कक उस से मुहब्बत से पेश आया िाए। उस के सलए खाने पीने की चीज़ें ला कर रखें। उसे अपने छोटे भाई से मह ु ब्बत करना ससखाएिं, कुछ अरसे में वो स्ट्कूल िाना शरू ु कर
w
.u
दे गी, आप स्ट्कूल के हवाले से उस का ख़्याल रख़खयेगा मस्ट्लन होम वकत वग़ैरा करवाना।
w
w
माहनामा अबक़री मई 2016 शुमरा नम्बर 119_____________pg 25
Page 40 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
िून का रमज़ान! सत्तू से सारा हदन ठिं िक का एह्सास
rg
(गमी के रोज़ों में बवक़्त सेहरी और अफ़्तारी इस्ट्तेमाल ककया िा सकता है । एक गगलास सत्तू का शबतत पीने से फ़ौरी प्यास बुझने के इलावा एक रोटी के बराबर गग़ज़ाइयत हमारे स्िस्ट्म में दाख़ख़ल हो िाती है
(शैख़ सेग़म, रावलपपिंिी)
ar i.o
और कम व बेष दो घिंटे तक हमें कुछ खाने की ज़रूरत नहीिं रहती।)
bq
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! माह रमज़ान अल्मुबारक की आमद आमद है । चूँ कू क
rg
गसमतयों का मौसम है , लोग इस मौसम में अफ़्तारी में तरह तरह के सोिा समले मश्रब ू इस्ट्तेमाल करते हैं
w .u
स्िस से प्यास बुझने की बिाए मज़ीद लग िाती है । आि मैं क़ाररईन के सलए ख़ास तौर पर रमज़ान का
i.o
तोह्फ़ा लाया हूूँ। एक ऐसा नब्वी ﷺमश्रब ू स्िस के ससफ़त फ़वाइद ही फ़वाइद हैं। क़ाररईन! वो मश्रब ू सत्तू
से बनता है । आि भी हमारे दीहात ् में सत्तू शौक़ व ज़ौक़ से पपया िाता है । एलान ए नुबुव्वत से पहले भी
ar
w w
हमारे नबी करीम ﷺसत्तू और पानी ग़ार हहरा में ले कर तश्रीफ़ ले िाते िहाूँ उन का क़्याम हफ़्तों और
bq
बसा औक़ात महीना भर पर मुहीत होता। ये ससस्ल्सला एक मश्हूर ककताब "महबूब के हुस्ट्न व िमाल का
मिंज़र" के मत ु ाबबक़ पाूँच साल तक िारी रहा। मज्मई ू तौर से सत्तू पीने के बारे में इक्कीस हदीसें ररवायत
.u
की गयी हैं। अस्ल्नसाई और मस्ट्नद् अह्मद बबन हिं बल के मत ु ाबबक़ आक़ा ﷺने अफ़्तारी में अक्सर
w
सत्तू का शबतत नोश फ़मातया है । फ़तह ख़ैबर के मौक़े पर आक़ा ﷺने हज़रत सकफ़या رضي هللا عنهاसे ननकाह फ़मातया और अगले रोज़ सत्त,ू खिूरें और बअज़ ररवायात के मुताबबक़ मक्खन भी दावत वलीमा
w
में शासमल था। दौरान ििंग भी मि ु ाहहदीन के राशन में सत्तू और खिरू ें शासमल होतीिं स्िस से उन की
w
प्यास भी बुझती और तवानाई भी ख़ब ू समलती इस सलए सफ़र की मुस्श्कलात के इलावा कुफ़्फ़ार से मक़ ु ाब्ला के मौक़े पर सहाबा इक्राम رضوان هللا عليهم أجمعينकी कारकदत गी स्िस्ट्मानी तौर पर बेह्तर साबबत
Page 41 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
होती। एक मअकात में कुफ़्फ़ार भी सत्तू की बोररयािं ले आया िो सहाबा इक्राम رضوان هللا عليهم أجمعينकी ईमानी क़ुव्वत के सामने बेकार साबबत हुईं और ये बोररयािं छोड़ कर मैदान ििंग से भाग गया। चूँ कू क सत्तू
rg
को अरबी में तस्ट्वीक़ कहते हैं इस सलए उस ििंग का नाम ििंग तस्ट्वीक़ रखा गया।
ar i.o
सत्तू में मक्खन, घी, शक्कर, चीनी िाल कर खा सकते हैं चूँ कू क सत्तू में गमी को तस्ट्कीन दे ने की ख़ब ू ी मौिूद है इस सलए इस को मौसम गमात में पानी, चीनी, शक्कर, समला कर प्यास ख़त्म करने के सलए ककसी भी वक़्त इस्ट्तेमाल ककया िा सकता है । इसी तरह गमी के रोज़ों में बवक़्त सेहरी और अफ़्तारी इस्ट्तेमाल ककया िा सकता है । एक गगलास सत्तू का शबतत पीने से फ़ौरी प्यास बुझने के इलावा एक रोटी
bq
के बराबर गग़ज़ाईयत हमारे स्िस्ट्म में दाख़ख़ल हो िाती है और कम व बेष दो घिंटे तक हमें कुछ खाने की
rg
ज़रूरत नहीिं रहती। नाज़ुक समज़ाि लोग सत्तू को पानी में सभगो कर साफ़ पानी ननथार कर समस्री,
i.o
w .u
शक्कर, चीनी समला कर इस्ट्तेमाल कर सकते हैं लेककन वो फ़ाइबर िैसी चीज़ से महरूम रह िाएिंगे।
अल्बत्ता सदत समज़ाि लोगों को एहत्यात से काम लेना चाहहए। आूँतों की एक बीमारी में गग़ज़ा आूँतों या
ar
w w
मैदे में ज़्यादा दे र नहीिं ठहरती बस्ल्क हज़म का अमल मुकम्मल होने से पहले ही किसल कर ख़ाित हो
िाती है इस सलए ऐसे मरीज़ों को खाने के फ़ौरन बाद बाथ रूम में िाना पड़ता है । इस सरू त्हाल में सत्तू
bq
आूँतों की किस्ट्लन को ख़त्म कर के क़ब्ज़ िैसे हालात पैदा कर के मरीज़ को नामतल कर दे ते हैं। िव को हल्की आिंच पर भन ू कर पपसवा कर सत्तू बनाए िाते हैं िव के आटे को भी हल्की आिंच पर भन ू लें तो
.u
सत्तू तय्यार है । बरसात के मौसम में सत्तू में सुरसुरी और घुन पड़ िाते हैं। इस सुरत्हाल से बचने के
w
सलए तेज़ पात के कुछ पत्ते साफ़ कर के सत्तू में रख हदए िाएिं तो सत्तू में सुरसुरी और घुन नहीिं पड़ता।
w
मुिंफ़ररद एह्सास पाएिं।
w
क़ाररईन! इस गरम तरीन रमज़ान का इस्ट्तक़्बाल सत्तू के साथ कीस्िये और ठिं िक और ताक़त का
Page 42 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
खाना और इस्ट्लामी आदाब
rg
(तुम में से कोई शख़्स बाएिं हाथ से ना खाए और ना कभी बाएिं हाथ से पीए इस सलए कक शैतान बाएूँ हाथ
ar i.o
से खाता और पीता है ।)
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! माशा अल्लाह अबक़री बहुत अच्छा िा रहा है स्िस के सलए आप को मब ु ारक बाद दे ता हूूँ। अल्लाह तआला आप की उम्र दराज़ करे । क़ाररईन के सलए कुछ
bq
मोती भेि रहा हूूँ यक़ीनन क़ाररईन पसिंद फ़मातएूँगे। सय्यदना हुज़ैफ़ा رضي هللا عنهसे मवी है "हमें िब कभी हुज़ूर नबी करीम ﷺके साथ खाने का शफ़त हाससल होता तो हम आप ﷺके खाना शुरू करने से पहले
w .u
rg
खाने में हाथ ना िालते, एक बार हम आप ﷺके साथ खाने में शरीक थे कक एक लड़की इस तरह दौड़ती
i.o
हुई आई िैसे कोई दौड़ा रहा हो, किर वो खाने में हाथ िालने के सलए लप्की, आप ﷺने उस का हाथ
पकड़ सलया, किर एक एअराबी दौड़ता हुआ आया िैसे उसे कोई दौड़ा रहा हो, हुज़ूर नबी करीम ﷺने उस
ar
w w
का हाथ भी पकड़ सलया और फ़मातया "शैतान उस खाने को अपने सलए हलाल समझता है स्िस पर
bq
अल्लाह तआला का नाम नहीिं सलया िाता" इस सलए पहले वो लड़की को ले कर आया ता कक उस के ज़ररए
खाना खा ले मैं ने उस का हाथ पकड़ सलया किर वो एअराबी को ले आया ता कक उस के ज़ररए खाना हलाल
.u
कर ले मैं ने उस का भी हाथ पकड़ सलया, उस ज़ात की क़सम स्िस के हाथ में मेरी िान है उन दोनों के
w
हाथों के साथ शैतान का हाथ भी मेरे हाथ में है । किर आप ﷺने बबस्स्ट्मल्लाह कहा और खाना तनावुल फ़मातने लगे" हुज़ूर नबी करीम ﷺने इशातद फ़मातया: "तुम में से कोई शख़्स बाएिं हाथ से ना खाये और ना
w
कभी बाएिं हाथ से पीए इस सलए कक शैतान बाएिं हाथ से खाता और पीता है ।" रसूल करीम ﷺहर चीज़ में
w
दाहहने हाथ का इस्ट्तेमाल पसिंद फ़मातते और इसी पर दस ू रे लोगों को भी रागग़ब फ़मातते थे। इमाम बुख़ारी, इमाम मस्ु स्ट्लम और इमाम मासलक رحمة هللا عليهने सय्यदना अनस رضي هللا عنهसे ररवायत बयान की है
Page 43 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
कक "रसल ू लाया गया स्िस में कूँु वें का पानी समलाया गया था। आप ﷺकी ू ल्लाह ﷺके पास दध दाहहनी तरफ़ एक एअराबी था और बाएिं तरफ़ सय्यदना अबू बकर رضي هللا عنهपहले आप ﷺने पानी
rg
पपया किर एअराबी को हदया और किर फ़मातया पहले दाएिं तरफ़ का आदमी किर उस के बाद का। आप َ ْٰ َ ِ ﷺने बबस्स्ट्मल्लाहह-रत ह्मानन-रत हीसम (الرح ِْی ِم ) بِ ْس ِم ہللا الرْح ِنकह कर और दाएिं हाथ से खाने के सथ साथ
ar i.o
अपने सामने से खाने का भी हुक्म हदया है । (कलीमल् ु लाह शैख़, पहाड़परु ) बैंगन खाएिं! सेहतमिंद हो िाएिं
bq
बैंगन एक ऐसी ही सब्ज़ी है स्िसे ज़्यादा तर अफ़राद खाना पसिंद नहीिं करते लेककन एक हाल्या तहक़ीक़ के मुताबबक़ बैंगन इिंसानी मैदे को ताक़त दे ने के साथ साथ भूक में भी इज़ाफ़ा करता है स्िसे गैस और
w .u
rg
तेज़ाबबयत के मरीज़ बतौर क़ब्ज़ कुशा दवा के इस्ट्तेमाल करते हैं। इिंसानी स्िल्द के सलए इिंतहाई मुफ़ीद
i.o
सब्ज़ी बैंगन में ऐसे क़ुदरती अज्ज़ा भी कसरत से पाए िाते िो कैंसर िैसे मूज़ी अमराज़ से महफ़ूज़ रखने
में ननहायत मददगार साबबत होते हैं। ससफ़त यही नहीिं इस बेष फ़ायदा सब्ज़ी में मौिूद पोटै सशयम हदल को
bq
ख़ख़लाफ़ क़ुव्वत मुदाकफ़अत में भी इज़ाफ़ा करता है । (श-ग़)
ar
w w
तक़्वीयत बख़्शता है िबकक बैंगन क़ुव्वत हाकफ़ज़ा की कम्ज़ोरी को दरू करते हुए दीगर कई बीमाररयों के
w
w
w
.u
माहनामा अबक़री मई 2016 शुमारा नम्बर 119_________________pg34
Page 44 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
बढ़ती उम्र और बढ़ ु ापा ससफ़त चहल क़दमी से भगाइए (बढ़ती हुई उम्र में चहल क़दमी और वस्ज़तश के साथ साथ मुतवाज़ुन क़ुदरती गग़ज़ाएूँ खानी चाहहयें स्िन में
rg
अनाि, सस्ब्ज़याूँ और िल ज़्यादा और गोश्त कम होना चाहहए।)
ar i.o
(मह ु म्मद रे हान हाश्मी, मल् ु तान)
अगर आप अपनी उम्र से पिंद्रह साल छोटे या िवान नज़र आना चाहते हैं या चाहती हैं तो कुसी और पलिंग पर आराम से बैठे रहने की आदत कम कीस्िये और तेज़ चहल क़दम के सलए आराम्दह िूते ख़रीद
bq
लीस्िये, ये तो एक सरसरी सा मश्वरा था, लेककन आप वस्ज़तश की एहसमयत पर स्िस क़दर ग़ौर करें गे उसी क़दर आप इस की अफ़ाहदयत के क़ाइल हो िाएिंगे, वस्ज़तश यूूँ तो हर उम्र के लोगों के सलए ज़रूरी और
w .u
rg
मुफ़ीद है लेककन चालीस बरस से ऊपर के लोगों के सलए ये एक लाज़्मी सी ज़रूरत बन िाती है । वस्ज़तश
i.o
का मतलब यही नहीिं कक ििंटर पेले िाएिं, बैठकें लगाई िाएिं या भारी वज़न उठाया िाए बस्ल्क अमम ू न
हल्की वस्ज़तश, ख़ास तौर पर कोई स्िस्ट्मानी काम और चहल क़दमी बेह्तरीन कक़स्ट्म की वस्ज़तशें हैं। लोग
ar
w w
अमम ू न ये ख़्याल करते हैं कक िैसे िैसे उम्र बढ़ती और िवानी ढलती िाती है इिंसान को ज़्यादा आराम
bq
करने और सुस्ट्त रहने की ज़रूरत होती है । ये ख़्याल सरासर ग़लत है , बे हरकती, सुस्ट्ती, मेहनत ना करने
और पैदल ना चलने से इस उम्र में ज़्यादा नुक़्सानात होते हैं। अमूमन ररवायती नज़ररयात और
.u
तसव्वुरात भी यही हैं कक आदमी को िवानी के बाद स्ज़न्दगी आराम से गुज़ारनी चाहहए या ये कक आदमी इस उम्र में मेहनत के क़ाबबल नहीिं रहता। इस के बर अक्स स्ज़न्दगी में काम्याब और ख़श ु व ख़रु त म लोगों
w
के सलए स्ज़न्दगी का ये ज़माना तन दही, मेहनत और स्िस्ट्मानी काम का दौर होता है । लोग अमम ू न
w
चालीस साल की उम्र में स्िस्ट्मानी काम, पैदल चलने या वस्ज़तश करने से शमातते हैं हालाूँकक मुआशी हालात
w
चाहे कैसे ही हों, हर उम्र में और ख़ास तौर पर िवानी के इख़्तताम ् के अरसे में बेह्तर सेहत के सलए ज़्यादा स्िस्ट्मानी काम, चस्ट् ु ती और िुती की ज़रूरत है , अक्सर बूढ़े या उधेड़ उम्र के लोग सुस्ट्त रवी और हर काम में तसाहहल के क़ायल नहीिं होते मगर ररवायात और मआ ु शती हालात बबल ्उमम ू उन्हें घर के Page 45 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
कोने में मुक़ीद कर दे ते हैं। इस के नतीिे में ये लोग अपनी सेहत ख़राब कर लेते हैं और वक़्त से पहले बूढ़े और कम्ज़ोर् हो िाते हैं। मग़ररबी मुल्कों में लोग उधेड़ उम्र में ज़्यादा चस्ट् ु त और िुतीले हो िाते हैं और
rg
ख़ाली वक़्त में वस्ज़तश और चहल क़दमी या ककसी और खेल को तरिीह दे ते हैं। माहहरीन सेहत का मश्वरा तो हर उम्र के लोगों के सलए यही है कक ज़्यादा स्िस्ट्मानी काम, चहल क़दमी और मेहनत की िाए लेककन
ar i.o
उधेड़ या बढ़ ू े लोगों को कभी समाि के ख़यालात और नज़ररयात से हदल बदातश्ता हो कर स्िस्ट्मानी मेहनत और वस्ज़तश महज़ शमात कर तकत नहीिं करनी चाहहए। ऐसी सूरत में लोग सेहत ख़राब कर के दवाओिं का सहारा लेने पर मज्बरू हो िाते हैं या किर बढ़ ु ापे के अय्याम अपनी मदद आप पर हहम्मत स्ज़न्दगी के
bq
बिाए दस ू रों के सहारे अज़ीज़ व अक़ारब के हाूँ या नससिंग होम में गुज़ारते हैं। हाल्या ररसचत की रौशनी में
rg
ये कहा िा सकता है कक ज़्यादा उम्र का मत्लब बुढ़ापा नहीिं होता और अक्सर औक़ात इसी हहस्ट्से में
w .u
मेहनत और हल्की वस्ज़तश ज़्यादा आसान और पुर मुसरत त होती है । ससफ़त थोड़ी सी मुस्ट्तक़ल समज़ािी और
i.o
हौसले की ज़रूरत होती है । उम्र बढ़ने और िवानी के ढलने का मत्लब हगगतज़ ये नहीिं कक चहल क़दमी,
w w
स्िस्ट्मानी काम और हल्की वस्ज़तश को ख़ैर बाद कह हदया िाए। इसी ररसचत से पता चला है कक वस्ज़तश से
ar
ख़सलयात की कम्ज़ोरी दरू होती है और वस्ज़तश की बदौलत दराज़ी उम्र और एह्याए शबाब भी मुस्म्कन
bq
होता है । इस का एक वाज़ेह साइिंसी सबब है । अगचे ऑक्सीिन की ज़्यादा से ज़्यादा समक़्दार की ज़रूरत
रहती है , लेककन समक़्दार इिंिज़ाब में उम्र के साथ साथ ऑक्सीिन की समक़्दार व हिम में हर साल
.u
तक़रीबन एक फ़ीसद की कमी हो िाती है । इस का मत्लब ये हुआ कक ककसी ग़ैर फ़आल बढ़ ू े या बड़ी उम्र
w
के शख़्स के स्िस्ट्म के हर हहस्ट्से को वक़्त के साथ साथ ख़सलयात को तक़्वीयत व तग़्ज़्या बख़्शने वाली ऑक्सीिन की कम तर समक़्दारें समल रही हैं। बहर हाल अगर ऐसा शख़्स सुस्ट्त बैठे रहने के बिाए चहल
w
क़दमी और स्िस्ट्मानी मेहनत व काम पर आमादह हो कर फ़आल हो िाए तो उस के स्िस्ट्म में
w
ऑक्सीिन का इिंिज़ाब दब ु ारह बढ़ सकता है और उस के ख़यालात की कहिं गी और बुढ़ापे के आसार ख़त्म हो सकते हैं। बड़ी उम्र के लोग मेहनत स्िस्ट्मानी, वस्ज़तश और चहल क़दमी वग़ैरा के ज़ररए से ज़्यादा
Page 46 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
समक़्दार में ऑक्सीिन िज़्ब कर सकते हैं। इस तरह उन के ख़सलयात में कहिं गी और कम्ज़ोरी नहीिं आती और वो अपनी उम्र से पिंद्रह साल कम मालूम होते हैं। वस्ज़तश और चहल क़दमी वग़ैरा से क़ल्ब का अमल,
rg
िैिड़ों की सलाहहयत और ख़न ू की समक़्दार दरु ु स्ट्त और सेहतमिंद होती है । वस्ज़तश से उधेड़ उम्र के लोगों के एअसाब और मअकूसात (ररफ़्लेस्क्सस) चस्ट् ु त और सेहतमिंद रहते हैं। उन में बूढ़े लोगों के बर अक्स
ar i.o
िवानों की तरह फ़ौरी रद्द अमल और चस्ट् ु ती व हरकत बरक़रार रहती है । वो अज़्लात के काम लेने और उन को हरकत दे ने के दरु ु स्ट्त और बरवक़्त फ़ैस्ट्ले कर सकते हैं। हल्की वस्ज़तशों में तेज़ चहल क़दमी, कभी कभी थोड़ा सा दौड़ना, सीहढ़यों पर चढ़ना, आहहस्ट्ता आहहस्ट्ता साइककल चलाना, घर के बाग़ीचे में काम
bq
करना और घरे लू काम, नेज़ छोटी मोटी मरम्मत वग़ैरा शासमल हैं। वस्ज़तश का सब से एहम फ़ायदा ये है
rg
कक इस से सशरयानों में ख़न ू में चबी (कोलेस्ट्रोल) की समक़्दार नहीिं बढ़ती और सशरयानें साफ़ रहती हैं और
w .u
क़ल्ब को आराम समलता है । बे िा एअसाबी दबाओ और तनाओ से ननिात रहती है , हर रोज़ हल्की
i.o
वस्ज़तश या पैदल चलने से क़ल्ब के अमराज़ के ख़तरात है रत अिंगेज़ तौर पर कम हो िाते हैं, पवलिंदीज़ी
w w
साइिंसदानों के एक सवे के मत ु ाबबक़ सब से ज़्यादा ख़तरात उन लोगों को ला हक़ होते हैं िो सारा हदन बैठे
ar
रहते हैं। उन को दफ़्तर या घर में हरकत और चलने किरने का मौक़ा या ज़रूरत पेश नहीिं आती। ये लोग
bq
अगर फ़बतहह की तरफ़ माइल हैं तो उन्हें ये याद रखना चाहहए कक उन्हें हाज़्मे की ख़राबी, गहठया और
क़ल्ब के अमराज़ के सख़्त ख़तरात ला हक़ हैं। इन में से उन लोगों को मज़ीद ख़तरात दरपेश हैं िो हदन
.u
भर में दो घिंटे के सलए भी चलते किरते या हरकत नहीिं करते हैं। अमराज़ क़ल्ब (हदल की बीमाररयों) से
w
बचने के सलए रोज़ाना कम से कम ननस्ट्फ़ घिंटे तक ककसी ना ककसी कक़स्ट्म की वस्ज़तश ज़रूर करनी चाहहए। इसी तरह उन लोगों के ख़सलयात में ताज़ह हवा और ऑक्सीिन का इिंिज़ाब मुनाससब समक़्दार में होने
w
लगेगा, ना ससफ़त ये बस्ल्क इस से सशरयानों और क़ल्ब की कोलेस्ट्रोल से भी ननिात समल िाएगी। बढ़ती
w
हुई उम्र में चहल क़दमी और वस्ज़तश के साथ साथ मुतवाज़ुन क़ुदरती गग़ज़ाएूँ खानी चाहहयें स्िन में अनाि, सस्ब्ज़याूँ और िल ज़्यादा और गोश्त कम होना चाहहए। गोश्त चबी से पाक होना चाहहए इस के
Page 47 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
इलावा थोड़ा सा शहद बहुत कम शक्कर और ननशास्ट्ते वाली गग़ज़ाएूँ और बहुत कम समक़्दार में नमक
rg
इस्ट्तेमाल करना चाहहए।
ar i.o
माहनामा अबक़री मई 2016 शुमारा नम्बर 119___________________pg 42
पहढ़ए कल्मे का ननसाब! नेअमतें , बरकतें , रहमतें पाइए बे हहसाब (मुझे अल्लामा लाहूती पुर इसरारी का मज़्मून "स्िन्नात का पैदाइशी दोस्ट्त" बहुत अच्छा लगता है , िब
bq
अबक़री आता है तो मैं सब से पहले "स्िन्नात का पैदाइशी दोस्ट्त" ही पढ़ती हूूँ। इस ससस्ल्सले से बहुत
rg
लोगों को फ़ैज़ समल रहा है । हमें भी इस मज़्मून से बहुत फ़ैज़ समला)
i.o
w .u
चाूँद को दे ख कर सूरह शम्स पढ़ी और मसला हल
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! अज़त है कक मैं पपछले चार माह से अबक़री ररसाला
ar
w w
मुसल्सल पढ़ रहा हूूँ और अल्हम्दसु लल्लाह काफ़ी फ़ायदा हाससल हुआ है । अल्लाह तबारक व तआला से
दआ ु है कक अल्लाह तआला आप को और अल्लामा लाहूती परु इसरारी साहब को हमेशा काम्याब व
bq
कामरान और ख़श ु व ख़रु त म रखे। आमीन! अल्हम्दसु लल्लाह! मैं ने आप के ररसाला अबक़री से बहुत कुछ ََ
.u
ُّ ) ََیقهमुसल्सल पढ़ने से मेरी बहत सी हाससल ककया। ख़स ु ूसिं चाूँद का अमल करने और "या क़ह्हारु" (ار ु
मुस्श्कलात हल हुई हैं। अल्हम्दसु लल्लाह! चाूँद का अमल करने की विह से मेरा मेरे पसिंदीदह कॉलेि में
w
दाख़्ला हो गया हालाूँकक इस से पहले मैं ने बहुत कोसशशें कीिं मगर हमेशा नाकाम रहा मगर चाूँद का अमल
w
करने की विह से अल्लाह ने मेरी सन ु ली। चाूँद का अमल: िब चािंदनी रात हो तो चाूँद को दे खते हुए
w
अगर सूरह शम्स इक्तालीस बार पढ़ें और स्ितने हदन भी चाूँद अपनी चािंदनी में रहे यानन उस की चािंदनी वाज़ेह हो उस को दे खते हुए इक्तालीस दफ़ा पढ़ें हर दफ़ा बबस्स्ट्मल्लाह अवल व आख़ख़र सात दफ़ा दरूद शरीफ़ ज़रूर पढ़ें । (मुहम्मद सज्िाद, हज़रू) Page 48 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
या क़ह्हारु ने आसेब से ननिात हदला दी मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! हम माहनामा अबक़री बहुत शौक़ से पढ़ते हैं ख़ास
rg
तौर पर "स्िन्नात का पैदाइशी दोस्ट्त" हमारा पसिंदीदह ससस्ल्सला है । हमें बहुत से घरे लू मसाइल के साथ
ar i.o
साथ एक सब से बड़ा मसला ये था कक मेरी बेटी के साथ आसेब का मआ ु म्ला था। हम ने बहुत इलाि ََ
ُّ ) ََیقهका पवदत शरू करवाया मगर कहीिं से भी आराम ना आ रहा था। हम ने अबक़री से "या क़ह्हारु" (ار ु
ककया था और आप से ख़त के ज़ररए इिाज़त भी ली थी और आप ने दसत सुनने की हहदायत की थी और हम ने ९० हदन या क़ह्हारु का पवदत सारा हदन उठते बैठते वज़ू बे वज़ू पाक नापाक पढ़ा और ननहायत ही
bq
यक़ीन के साथ पढ़ा और दसत भी इिंटरनेट से िाउनलोि कर के सुना। ये वज़ीफ़ा मैं ने अपनी बेटी के सलए
rg
शरू ु ककया था। उस की तबीअत हदन ब हदन बेह्तर होती िा रही है । अब तो हम से बातें भी करती है और
i.o
w .u
मुस्ट्कराती भी है । (श-अ, गि ु रात)
w w
पैदाइशी दोस्ट्त से अल्लाह की मख़्लूक़ को फ़ैज़ समल रहा
ar
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! अल्लाह पाक आप के इल्म में इज़ाफ़ा करे , आप को
bq
सेहत और सलामती अता फ़मातए। आमीन। मैं तक़रीबन दो साल से अबक़री ररसाला पढ़ रही हूूँ। हर माह अबक़री का सशद्दत से इिंतज़ार रहता है । मैं तो महीने की पच्चीस तारीख़ से ही बार बार बुक स्ट्टाल पर िा
.u
कर अबक़री मैगज़ीन के बारे में पूछना शुरू कर दे ती हूूँ। मुझे अल्लामा लाहूती पुर इसरारी का मज़्मून
w
"स्िन्नात का पैदाइशी दोस्ट्त" बहुत अच्छा लगता है , िब अबक़री आता है तो मैं सब से पहले स्िन्नात का पैदाइशी दोस्ट्त ही पढ़ती हूूँ। इस ससस्ल्सला से बहुत लोगों को फ़ैज़ समल रहा है । हमें भी इस मज़्मून से
w
बहुत फ़ैज़ समला, हमारी बहुत सी मआ ु शी और घरे लू परे शाननयािं, उल्झनें ख़त्म हुईं। घर से झगड़े ख़त्म
w
हुए। हम सब घर वाले इस मज़्मून में आने वाले वज़ाइफ़् करते हैं और सुकून पाते हैं। (र,न-साहे वाल) कल्मा के ननसाब से परे शाननयािं हल
Page 49 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं अबक़री ररसाला गुज़श्ता एक साल से पढ़ रहा हूूँ, स्िस में "स्िन्नात का पैदाइशी दोस्ट्त" बहुत ही ज़्यादा शौक़ से पढ़ता हूूँ। मुझे ये मज़्मून बहुत पसिंद है ।
rg
इस में िो भी आमाल बताए िाते हैं मैं वो पढ़ता रहता हूूँ। मगर िो मैं ने आि तक सब से ज़्यादा अमल ककया है वो है कल्मे का ननसाब! अब तक तक़रीबन चार लाख तक कल्मा पढ़ चक ु ा हूूँ मुझे इतना सरूर
ar i.o
और मज़ा आता है कक मैं इन ् शा अल्लाह लाखों के लाखों पढ़ना चाहता हूूँ। मझ ु े िो मसला आता है कल्मा का ननसाब पढ़ता हूूँ तमाम मुस्स्ट्लमीन मुस्स्ट्लमात, मुअसमनीन मुअसमनात िो दन्ु या फ़ानी से रुख़्सत हो गए हैं उन की अरवाह को बख़्षता हूूँ मेरा मसला हल हो िाता है । (म, श,ख़)
bq
बड़ी मुस्श्कलात के सलए छोटा सा वज़ीफ़ा
w .u
rg
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं काफ़ी अरसा से आप का माहनामा अबक़री पढ़ रही
i.o
हूूँ, यक़ीन करें इस में से कुछ मसाइल ऐसे होते हैं कक िैसे ये मसला हमारे साथ ही है । मैं इन में से कुछ वज़ाइफ़् को पढ़ती हूूँ यक़ीन करें कक मेरा मसला हल हो िाता है । ख़ास तौर पर "स्िन्नात का पैदाइशी
ar
w w
दोस्ट्त" में मौिद ू वज़ाइफ़् बहुत कमाल होते हैं। मैं अल्लामा लाहूती परु इसरारी साहब का बताया वज़ीफ़ा ََ
bq
ُّ ) ََیقهबहत शौक़ से पढ़ती हूँ । इस छोटे से वज़ीफ़े से वज़ीफ़े को पढ़ने से हमारी बहत बड़ी "या क़ह्हारु" (ار ु ू ु
बड़ी मुस्श्कलात हल हुईं। अल्लाह आप को सेहत दे और आप िैसी हस्ट्ती का साया हम गुनहगारों पर
.u
हमेशा रखे। आप को सेहत व तिंदरु ु स्ट्ती के साथ लम्बी स्ज़न्दगी अता फ़मातए। आमीन सुम्म आमीन। (श,
w
फ़ैसल आबाद)
w
या क़ह्हारु से तिंग करने वाली ग़ैबी चीज़ों की शामत
w
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! सदा बहार, सदा सलामत ता क़यामत! उम्मीद है कक आप सही सलामत होंगे, मेरी दआ ु है कक आप और अल्लामा लाहूती परु इसरारी साहब और आप के बच्चे और लाहूती साहब के बच्चे और आप की काबीना के तमाम अफ़राद को अल्लाह तआला अपनी हहफ़ाज़त
Page 50 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari
माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के मई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
में रखे। अल्लाह तआला आप को और अल्लामा लाहूती पुर इसरारी साहब को बे हहसाब स्ज़न्दगी अता फ़मातए कक आप ने और अल्लामा लाहूती पुर इसरारी साहब ने हम बे कसों का बेड़ा उठा रखा है । अढ़ाई
rg
साल पहले अख़्बार माकेट मरी रोि रावलपपिंिी से पहली मततबा अबक़री ख़रीदा और अब हर माह घर में अबक़री ला रहा हूूँ, यक़ीन करें कक आप के सलए और अल्लामा लाहूती पुर इसरारी साहब के सलए ख़द ु ब
ar i.o
ख़द ु े या क़ह्हारु का वज़ीफ़ा पढ़ते हुए आठ माह हो चक ु े हैं, हज़रत हकीम साहब! ु दआ ु एिं ननकलती हैं। मझ ََ
ُّ ) ََیقهकी तो क्या ही बात है ! तक़रीबन पािंच छे महीने पहले ग़ैबी चीज़ों ने बहत तिंग ककया "या क़ह्हारु" (ار ु
मगर मैं या क़ह्हारु पढ़ता गया तो हज़रत हकीम साहब! अब हालात बबल्कुल ठीक हो गए हैं। "स्िन्नात
bq
का पैदाइशी दोस्ट्त" में आए वज़ाइफ़् से मेरी बहुत सी परे शाननयािं हल हुई हैं। मैं पैदाइशी दोस्ट्त बहुत शौक़
rg
से पढ़ता हूूँ और लोगों को भी इस में मौिूद वज़ाइफ़् के बारे में बताता हूूँ स्िस से मख़्लूक़ ख़द ु ा के मसाइल
मेरा दस साल से आज़मद ू ह नस्ट् ु ख़ा अबक़री के सलए
i.o
w .u
भी हल हो रहे हैं। (ि, र)
ar
w w
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं कुछ अरसा से अबक़री ररसाले की क़ारी हूूँ, अल्लाह
bq
तआला आप को और अबक़री को हमेशा तरक़्क़ी दे । आमीन! अबक़री के सलए एक नुस्ट्ख़ा हास्ज़र ख़ख़दमत
है िो मेरा बरसों का आज़मूदह है । ख़ाररश के सलए: हुवल-शाफ़ी: बाज़ार से दस रूपए की गिंधक लें और
.u
दस रूपए का नीला थोथा। गिंधक में नीला थोथा शासमल कर के पीस लें और सरसों के तेल में समक्स कर के स्िस्ट्म के स्िस हहस्ट्से पर भी ख़ाररश हो, लगा लें। हत्ता कक िान्वरों को भी लगाएिं, इन ् शा अल्लाह
w
ख़ाररश ख़श्ु क हो या तर ठीक हो िाएगी, मेरा आज़मूदह और मुिरत ब है । अल्लाह आप का ख़ात्मा ईमान
w
पर करे और िन्नत अस्ल्फ़रदौस ् के आला मक़ाम पर फ़ाइज़ करे , दन्ु या और आख़ख़रत की रुस्ट्वाई से
w
बचाए। आमीन! (रफ़अत सल् ु ताना, क्लोरकोट)
माहनामा अबक़री मई 2016 शम ु रा नम्बर 119_________________pg 44
Page 51 of 52 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari