माहनामा अबक़री मैगज़ीन अक्टूबर 2015 के एहम मज़ामीन हिंदी ज़बान में

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माहनामा अबक़री मैगज़ीन अक्टूबर 2015 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

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माहनामा अबक़री मैगज़ीन

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अक्टूबर 2015 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

मज़ंग चोंगी लाहौर पाककस्ट्तान

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मरकज़ रूहाननयत व अम्न 78/3 अबक़री स्ट्रीट नज़्द क़ुततबा मस्स्ट्िद

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दफ़्तर माहनामा अबक़री

महमद ू मज्ज़ब ू ी चुग़ताई ‫دامت برکاتہم‬

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एडिटर: शैख़-उल-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मह ु म्मद ताररक़

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माहनामा अबक़री मैगज़ीन अक्टूबर 2015 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

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फ़ेहररस्त फ़ुक़रा से मुहब्बत करो और उन के साथ बेठो:............................................................................................. 4

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एडिटर के क़लम से हाल ए हदल जो मैं ने दे खा सुना और सोचा ................................................................ 5 सूद के बाद फिर क्या हुआ? ......................................................................................................................... 5

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दसस रूहाननयत व अम्न शैख़-उल ्-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मुहम्मद ................................................................ 7 ताररक़ महमूद मज्ज़ूबी चुग़ताई ( ‫ )برکاتہم دامت‬हदल की आँखें तुझे फ़क़ीरों से ममलें गी:.............................. 7 दर्त र्े फ़ैज़ पाने वाले .................................................................................................................................... 9 एअसाबी तनाओ, थकावट और बे ख़्वाबी हमेशा के मलए दरू ..................................................................... 10

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आज़मद ू ह दे सी टोटकों से ख़श्ु गवार समास गज़ ु ाररये: ..................................................................................... 13 ؒ

के मुस्तनद रूहानी वज़ाइफ़् : .................................................................................... 16

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शाह ग़ौस ऊच्वी

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सहदस यों में आप के बाल तवज्जह चाहते हैं!................................................................................................. 20

Facebook नहीिं!......................................................................................................................................... 23 अहल ख़ाना को वक़्त दें और फिर सुकून दे खें: .......................................................................................... 23

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मत ु वाज़न ु ग़ग़ज़ा से भरपरू लड़कपन, जवानी और शान्दार बढ़ ु ापा: ............................................................. 27

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हाममला ख़वातीन के मलए इल्हामी नुस्ख़ा! बच्चा उम्र भर तिंदरु ु स्त:........................................................... 30

फफ़टनेस और जवानी पाने के ९ राज़: ......................................................................................................... 33

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ससुराली झगड़ों से ननजात का गारें टी शद ु ह अमल: .................................................................................... 36 घरे लू मसाइल का इिंसाइक्लो पेडिया: ........................................................................................................... 39

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बालों का टूटना और उन का इलाज ............................................................................................................ 39

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बच्चे ने आयत-अल ्-कुसी पढ़ी! िाकू रक़म वापस कर गए: ........................................................................ 40 क़ाररईन की ख़ुसूसी और आज़मूदह तहरीरें : ................................................................................................ 43

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चिंद हदनों में स्माटस , स्स्लम और पुर कमशश बन्ने का नुस्ख़ा: .................................................................... 50 इस्लाम के दस्तरख़्वाँ के ये नो वाररद मेहमान:.......................................................................................... 53 दाई इस्लाम हज़रत मौलाना मुहम्मद कलीम मसद्दीक़ी ‫دامت برکاتہم‬............................................................. 53

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या क़ह्हार पढ़ा अज़्दवाजी मसाइल बबल्कुल ख़त्म: .................................................................................... 57

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क़ाररईन लाए अनोखे और आज़मद ू ह टोटके: ............................................................................................... 60

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फ़ुक़रा से मुहब्बत करो और उन के साथ बेठो: हज़रत अबू र्ईद ‫ دضی ہللا عنہ‬र्े ररवायत है कक मैं ने रर्ल ू ल्लाह ‫ﷺ‬

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को इशातद फ़मातते हुए र्न ु ा: या

अल्लाह! मझ ु े ममस्ट्कीन (तबीअत) बना कर स्ज़ंदा रखिये, ममस्ट्कीनी की हालत में दन्ु या र्े उठाइये और

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मेरा हषर् ममस्ट्कीनों की िमाअत में फ़मातइये। (मस्ट्तद्रक हाककम) ☆ हज़रत र्ईद बबन अबी र्ईद ‫دضی‬ ‫ ہللا عنہ‬फ़मातते हैं कक हज़रत अबू र्ईद ख़द्रद्र ‫ دضی ہللا عنہ‬ने रर्ल ू ल्लाह

‫ ﷺ‬र्े अपनी (तंगदस्ट्ती

और) ज़रूरत का इज़्हार ककया। रर्ल ू ल्लाह ‫ ﷺ‬ने इशातद फ़मातया: अबू र्ईद! र्ब्र करो, तुम में र्े िो मझ ु र्े मह ु ब्बत करता है , फ़क़्र उर् पर ऐर्ी तेज़ी र्े आता है िैर्ी तेज़ी र्े र्ेलाब का पानी वादी की ऊँचाई र्े

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और पहाड़ों की बुलद ं ी र्े नीचे की तरफ़ आता है । (मस्ट् ु तनद अहमद, मिमआ ु अल्ज़वाइद) ☆ हज़रत

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राकफ़उ बबन ख़दीि ‫ دضی ہللا عنہ‬ररवायत करते हैं कक रर्ल ू ल्लाह ‫ ﷺ‬ने इशातद फ़मातया: िब अल्लाह

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तआला ककर्ी बन्दे र्े मह ु ब्बत फ़मातते हैं तो उर् को दन्ु या र्े इर् तरह बचाते हैं स्िर् तरह तुम में र्े कोई

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शख़्र् अपने मरीज़ को पानी र्े बचाता है । (मिमआ ु अल्ज़वाइद) ☆ हज़रत अबू हुरैरा ‫دضی ہللا عنہ‬

ररवायत करते हैं कक रर्ल ू ल्लाह ‫ ﷺ‬ने इशातद फ़मातया: फ़ुक़रा र्े मह ु ब्बत करो और उन के र्ाथ बैठो।

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रोक दें । (मस्ट्तद्रक हाककम)

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अरबों र्े द्रदल र्े मह ू हैं वो तुम्हें दर् ू रों पर तअन ् व तषनीअ करने र्े ु ब्बत करो और िो ऐब तुम में मौिद

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एडिटर के क़लम से हाल ए हदल जो मैं ने दे खा सन ु ा और सोचा सद ू के बाद फिर क्या हुआ?

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एक र्ाहब मझ ु े चुभते चुभते उलझ्ते उलझ्ते और उक्ताए उक्ताए लहिे के र्ाथ कहने लगे आप अपने दर्त में र्द ू की बातें करते हैं, र्ारी दन्ु या की मईशत र्द ू पर चल रही है आखख़र ये र्द ू काकफ़रों को

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नुक़्र्ान क्यूँ नहीं दे ता? और मर् ु ल्मानों को क्यूँ दे ता है ? और किर ख़ुद कहने लगे वाक़ई मर् ु ल्मानों को भी नहीं दे ता, मअ ु ज़रत र्े कहता हूँ ये आप का फ़ोबबया है ! (यानन दर् ू रे लफ़्ज़ों में आप ख़द ु भी पागल हैं और लोगों को भी पागल बना रहे हैं।) उन की बात र्न ु कर मैं ने ठं िी आह भरी और मोअदबाना दरख़्वास्ट्त की कक शायद आप आलमी मीडिया र्े राब्ता कम रिते हैं, इतना ज़्यादा राब्ता मेरा भी नहीं

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लेककन स्ितना राब्ता है उर् राब्ते ने इंटरनेशनल तास्िरों को ये र्ोचने पर मज्बूर कर द्रदया है कक र्द ू

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ककर्ी मज़्हब में भी िाइज़ नहीं, वो द्रहन्द ू मज़्हब हो, मर्ि मज़्हब हो, ईर्ाई मज़्हब हो, यहूदी मज़्हब हो

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या इस्ट्लाम हो--- तो र्द ू र्े अगर छुटकारा पाना चाहते हैं तो तमाम मज़ाद्रहब का मत ु ामलआ करें । वरना

किर हमारी बात मान िाएं। कुछ अरर्ा पहले रीिर िाइिेस्ट्ट िो कक इंटरनेशनल लािों में छपने वाला

वाद्रहद मैगज़ीन है और स्िर् में ग़ैर मर् ु द्दक़ा तहरीर छपना ककर्ी ने आि तक गम ु ान भी नहीं ककया कक

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इर् में कोई इधर उधर की बात छप र्कती है र्ब तहरीरें उर् में तस्ट्दीक़ शुदह होती हैं। उर् में एक

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तज्ज़या था िो मझ ु े एक मअ ु तबर आदमी ने ररर्ाले र्मेत बताया कक अगर नाइन एलेवन के बाद िो आलमी हालात पैदा हुए हैं मआ ु मश बुहरां, िंगें, नफ़रतें और ग़रु बत और मेहंगाई का बढ़ता हुआ एक

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र्ेलाब। यानन अगर इर् र्े छुटकारा हामर्ल करना है तो अपनी आलमी मईशत को र्द ू र्े पाक करें । िब मैं ने उन को ये बात कही उन्हें मेरी बात का यक़ीन ना आया कक ये बात अँगरे ज़ भी कभी कह र्कता है या

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उर् के मह ंु र्े कभी ननकल र्कती है । मैं ने उर्े कहा कक वो ख़द ु हवाला तलाश करें आखख़र वो िोिी

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हवाला तलाश कर के ले आया और है रान व परे शान बेठा था उर् के बाद ना मालम ू उर्े क्या हुआ नेट की दन्ु या में घूमा और उर् ने किर िो र्द ू के बारे में आलमी दन्ु या के तार्रु ात तस्ज्ज़ये तिब ु ातत और मन्फ़ी

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रवय्ये तलाश कर के मझ ु े द्रदए वो तो इतने थे कक इंर्ान र्ारे काम छोड़ कर बर् उर्ी को पढ़ने बैठ िाए। र्द ू के बाद स्ज़न्दगी में क्या हं गामे बबातद्रदयां तूफ़ान मर्ाइल और मस्ु ककलात पैदा होते हैं उर् का छोटा र्ा अक्र् मैं इर् ख़त की मख़् ु तर्र तहरीर र्े आप के र्ामने पेश करता हूँ:- मेरा घर पुराने धोबी घाट के Page 5 of 68 www.ubqari.org

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क़रीब है , मैं इर् रास्ट्ते में ज़ाती तीन मरले के मकान में रहती हूँ। मेरे र्ामने फ़लां क़ौम के लोग रहते हैं र्द ू पर पैर्ा लेना दे ना उन का एक ख़ान्दानी काम है । इर् की नहूर्त िहाँ उन के घर में पोहं ची वहां मेरे घर में भी पोहं च रही है उन के घर में र्ारा द्रदन लड़ाई, झगड़ा, छोटी बड़ी बात पर बहुत बड़ी और गन्दी

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गाली दे ना उन के मलए कोई हित नहीं। एक दर् ू रे पर हाथ उठाना आम र्ा मकग़ल ु ा है मदत औरत कोई अदब मलहाज़ शमत हया उन के क़रीब र्े नहीं गज़ ु रा। उन के घर का र्रबराह गाली के बग़ैर बात नहीं करता। उर्

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ने र्ब घरवालों को नतस्नन का नाच नचाया हुआ है । र्ारा द्रदन ऊंची आवाज़ में बेटा गाने लगाता है झम ू ता है गाता है नाचता है नेट की दन्ु या में र्ारा द्रदन िूबा रहता है नशे की आदत और लत पड़ गयी है । अगर हम उन को आवाज़ आद्रहस्ट्ता करने के मलए कहें तो उन के कान पर िूं तक नहीं रें गती, लड़ने मरने और

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मारने पर आ िाते हैं। उन्हों ने गली को गन्दगी का ढे र बनाया हुआ है । ये तो उन के घर का मख़् ु तर्र र्ा

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हाल है और िो मेरा हाल है वो ये है कक उन की नहूर्त र्े मेरी औलाद की तबबतयत में कमी पैदा हो रही और मेरी नस्ट्लें मत ु ामर्र हो रही हैं, हर वक़्त मेरे बच्चे उन के बच्चों को दे िते हैं और उन के बच्चे िो

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करते हैं वही मेरे बच्चे करने की कोमशश करते हैं। मैं ने महर्र् ू ककया है िब र्े मैं ने यहाँ तीन मरले का

घर बनाया है मेरे घर में ररज़्क़ आता है ना मालम ू कहाँ िाता है स्िर्े मैं बे बरकती कहूँ। हर वक़्त कफ़त्ना,

फ़र्ाद, झगड़े, परे शाननयां, बीमाररयां, दि ु , तक्लीफ़ें मर्ाइल और मस्ु ककलात ये र्ारी चीज़ें मेरे घर में

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इतनी हो गयी हैं कक मैं ने स्ज़न्दगी भर कभी र्ोचा नहीं था कक ऐर्े कभी हो भी र्कता है मैं र्मझ्ती हूँ ये

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बरु े पड़ोर्ी की नहूर्त और उन के बरु े ररज़्क़, बरु ी र्ोचें , बरु े ख़्याल और बरु े ककरदार की ज़ल् ु मत है िो मेरे घर में आ रही है । आप दआ ु फ़मातएँ मैं ये घर फ़रोख़्त कर के ककर्ी और िगा चली िाऊं, मैं थक गयी हूँ

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उक्ता गयी हूँ, परे शान हूँ, मैं क्या करूँ? र्च है बड़ों र्े र्न ु ा था कक घर ढूँिने र्े पहले अच्छा पड़ोर्ी ढूंिें,

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कभी ना लेना।

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बुरा पड़ोर्ी िहाँ हो और कोडड़यों के भाव तुम्हें ताि महल भी ममल रहा हो कभी ना लेना, कभी ना लेना,

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112_____________pg 3

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दसस रूहाननयत व अम्न शैख़-उल ्-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मह ु म्मद ताररक़ महमद ू मज्ज़ब ू ी चग़ ु ताई ( ‫ )برکاتہم دامت‬हदल की आँखें तझ ु े

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फ़क़ीरों से ममलेंगी:

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(हफ़्तवार दर्त र्े इक़्तबार्)

(हज़रत िी के हर दर्त में गँग त ा होगा) ू े मदत र्ाथ लाएं। दर्त का इशारों में तिुम

मामलक बबन दीनार ‫ رحمتہ ہللا علیہ‬का अपने रब र्े बातें करना: मामलक बबन दीनार ‫ رحمتہ ہللا علیہ‬एक मततबा ककती में िा रहे थे। कुछ दीनार उन की िेब में थे बअज़ ररवायात में आता है िेब में कुछ नहीं था।

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एक और ररवायत में आता है कक उन के दीनार र्मन् ु दर में गगर गए थे। अब ककती वाला र्ब र्े ककराया ले

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रहा था, िब उन की बारी आई तो िेब में हाथ िाला, िेब में कुछ नहीं था, ककती बान ने कहा पैर्े? "मामलक

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बबन दीनार ‫ رحمتہ ہللا علیہ‬कहने लगे रुकें!! मैं ककराया दे ता हूँ" पहले औरों र्े ले लो ये कह कर द्रदल ही द्रदल

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में अल्लाह र्े बातें करना शुरू कर दी कक: "ऐ अल्लाह तू िानता है फ़लाँ मोक़ए पर हराम का मौक़ा आया था, मैं ने वो मौक़ा तेरी विह र्े छोड़ द्रदया था। अल्लाह उर् वक़्त मझ ु े कोई नहीं दे ि रहा था, उर् वक़्त मेरी

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नज़र मर्फ़त तेरी मह ु ब्बत पर थी। या अल्लाह! फ़लां मोक़ए पर कुछ ना िाइज़ लक़् ु मा मेरे र्ामने आया था,

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मैंने वो लक़् ु े उर् वक़्त भक ू भी शदीद लगी हुई थी। ऐ अल्लाह! ु मा तेरी विह र्े छोड़ द्रदया था हालांकक मझ

मेरी नज़रें कभी हराम के मलए नहीं उठ ं। मैं ने अपना र्र मर्फ़त तेरी रज़ा के मलए झक ु ाया था। अल्लाह यहाँ

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इदत गगदत पानी है , यहाँ मेरा कोई भी नहीं है , ऐ अल्लाह मझ ु े ये ककती र्े उतार तो नहीं र्कते, मझ ु े ककती र्े

िैं क तो नहीं र्कते लेककन िब ककनारे पर पोहं चेंगे तो मेरा गरे बान ज़रूर पकड़ेंगे और ऐ मेरे अल्लाह! मेरे

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र्ाथ तेरे नाम की मह ु ब्बत है । लोग मझ ु े वली और दरवेश कहते हैं। या अल्लाह मझ ु े आि की स्ज़ल्लत र्े

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बचा ले, इर् तरह अल्लाह र्े बातें करना शरू ु कीं और अल्लाह र्े राज़ व ननयाज़ शरू ु ककया। ररवायात में आता है कक र्मन् ु दर की मछमलयाँ अपने मह ुं में दीनार ले कर ककती के चारों तरफ़ र्े पानी की र्तह पर आ

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गईं और हर मछली की ये ख़्वाद्रहश थी कक मामलक बबन दीनार ‫ رحمتہ ہللا علیہ‬मेरा दीनार ले लें। अह्र्ानात गगनवाओ: मेरे शैख़ हज़रत र्य्यद मह ु म्मद अब्दल् ु लाह हज्वैरी ‫ رحمتہ ہللا علیہ‬फ़मातते थे: अल्लाह िल्ल शानुहू को उर् के अह्र्ानात गगनवाओ कक या अल्लाह तू ने तो यूनुर् Page 7 of 68 www.ubqari.org

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‫ علیہ السالم‬पर इतना अह्र्ान ककया कक उन को मछली के पेट र्े ननकाल द्रदया था। या अल्लाह अयूब ‫علیہ‬ ‫ السالم‬की बीमारी र्े र्ेहत्याब होने की कोई उम्मीद नहीं थी, इलाही तू ने उन्हें र्ेहत्याब कर द्रदया था। अल्लाह तू ने नह ू ‫ علیہ السالم‬को र्मन् ु दर के तफ़ ू ान र्े बचा द्रदया था। मर् ू ा

‫ علیہ السالم‬को कफ़रऔन के

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लककर र्े बचा द्रदया था। इलाही ग़ार के द्रदहाने पर मकड़ी को ककर् ने कहा था कक िाला तान? अल्लाह ग़ार के द्रदहाने पर कबत ू री को ककर् ने हुक्म द्रदया था कक अंिे दे । ऐ अल्लाह मैं वो तो नहीं हूँ लेककन तेरे हबीब

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‫ ﷺ‬का अदना उम्मती हूँ स्िर् तरह तू ने उन र्े मह ु ब्बत की थी और स्िर् तरह तू ने उन की मदद की थी, ऐ मेरे अल्लाह आि मेरी मदद को आ िा। अल्लाह आि मेरी मदद कर दे । अल्लाह आि मझ ु े इर् मस्ु ककल र्े ननकाल दे । अल्लाह मझ ु े इर् परे शानी र्े ननिात दे । ख़त में वो र्ाहब मलिते हैं कक "रक़म गम ु होने की

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विह र्े मैं अल्लाह र्े ज़ाररयां करने लग गया और अल्लाह र्े बातें करना शुरू कर दीं कक अल्लाह तू ने मझ ु े

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लािों करोड़ों का अमीन बनाया है और मझ ु े इन लट ु े हुए बे घर घरानों की र्र परस्ट्ती करने की र्आदत

बख़्शी है । या अल्लाह ये उिड़े हुए घराने हैं स्िन का र्ब कुछ ख़त्म हो गया, या अल्लाह मैं ने तेरे बन्दों के

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र्ाथ कोई तमअ नफ़्र्ानी नहीं रिी। अपनी ख़्वाद्रहषात को कभी परू ा नहीं ककया। इन शा अल्लाह उन बे घरों की अमानत उन तक पूरी लोटाऊंगा।

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इब्राहीम बबन अधम ‫ رحمتہ ہللا علیہ‬की फ़क़ीरी: इब्राहीम बबन अधम ‫ رحمتہ ہللا علیہ‬ने बादशाहत छोड़ी, मल् ु क

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छोड़ा, माल छोड़ा, नस्ट्ल दर नस्ट्ल उन की ख़ान्दानी हुकूमत चली आ रही थी िैर्े शाह ईरान की ख़ान्दानी

हुकूमत थी और शाह ईरान र्े तक़्दीर् ने इक़्तदार छ ना और इब्राहीम बबन अधम ‫ رحمتہ ہللا علیہ‬ने कानतब तक़्दीर् के मलए इक़्तदार छोड़ा। एक दफ़ा दयात के ककनारे धूप में बैठे अपनी र्ई ु र्े अपने कुते को र्ी रहे थे।

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एक वज़ीर को ख़्याल आया हमारे बादशाह इब्राहीम बबन अधम ‫ رحمتہ ہللا علیہ‬ने बादशाहत छोड़ी है , ज़रा इन

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का हाल तो दे िें कक ककर् हाल में हैं? आए दे िा फ़क़्र व फ़ाक़ा, तंग दस्ट्ती, मस्ु फ़्लर्ी और ग़रु बत, अिीब हाल है । वज़ीर कहने लगे: "आप ने ये क्या हाल बना मलया है ? आप की तो आबाओ अज्दाद की हुकूमत थी, बड़ी

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र्ल्तनत थी, र्ब कुछ छोड़ द्रदया, ये आप को क्या हुआ?" इब्राहीम बबन अधम ‫ رحمتہ ہللا علیہ‬ने र्र झक ु ाया

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हुआ था र्र उठा कर कहने लगे: "मैं ने छोटी हुकूमत छोड़ी अब अल्लाह ने मझ ु े इर् र्े बड़ी हुकूमत दे दी।" वो वज़ीर कहने लगा कक "ये कैर्ी हुकूमत है ? आप के कपड़े िटे हुए हैं और आप ख़ुद र्ई ु र्े अपने कपड़े र्ी रहे हैं और धप ू में दयात के ककनारे बैठे हुए हैं, ग़रु बत और फ़क़्र व फ़ाक़ा आप के मलबार् र्े अयाँ है । पहले तो

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आप ज़क़त बक़त मलबार् में होते थे। ताि व तख़्त आप के ज़ेर नगीं होते थे। लोग आ कर आप को फ़शी र्लाम ककया करते थे, आप अपनी आँि के इशारे र्े मआ ु फ़ कर दे ते थे और स्िर्े चाहते तह ख़ाने में क़ैद कर दे ते थे। वो हुकूमत थी। वो इक़्तदार था। ये आप क्या कहते हैं कक मैं ने छोटे इक़्तदार को छोड़ कर बड़े इक़्तदार

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को ले मलया है । ये क्या है ?

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ज़ाद्रहरी चका चोंद के मारे : बअज़ लोग फ़क़ीरों के र्ाथ चेहरे की आँिों को ले कर चलते हैं और िब चेहरे की आँिों र्े उन्हें कुछ नज़र नहीं आता तो किर अपनी मज़ी के फ़त्वे लगा दे ते हैं। चेहरे की आँिें कुछ नहीं होतीं, द्रदल की आँिें अल्लाह र्े मांगनी चाद्रहयें। चेहरे की आँिें तो तुझे वो द्रदिा दे ती हैं िो बअज़ औक़ात बन्दा बाद में ख़ुद कहता है कक अरे --!! मझ ु े तो ग़लत फ़ह्मी हुई थी। मैं ने दे िा क्या था? हुआ क्या है ? और द्रदल की

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दर्त र्े फ़ैज़ पाने वाले

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आँिें कभी तुझे धोका नहीं दें गी और वो द्रदल की आँिें तुझे फ़क़ीरों र्े ममलेंगी। (िारी है )

मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! अल्लाह तबारक व तआला की बे शुमार रहमतें आप पर

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नास्ज़ल हों, आज़माइशों और परे शाननयों के इर् दौर में आप की काववश "अबक़री" अपनी ममर्ाल आप है ।

मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब! मैं आप का माहनामा अबक़री बा क़ाइदगी र्े पढ़ती हूँ और दर्त हर िम ु ेरात

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बाक़ाइदगी र्े र्न ु ती हूँ, मैं ने आप के दर्त और शाहकार अबक़री र्े बहुत कुछ र्ीिा है , बहुत कुछ पाया है

और आप के मश ु कफ़क़ाना र्लक ू और हद्द दिात मह ु ब्बत के पेश नज़र मैं क़लम उठाने पर मज्बूर हुई। आप के

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दर्त र्े बहुत कुछ र्ीिने को ममलता है और आप र्ोचने पर मज्बूर करते हैं कक हमारी स्ज़न्दगी का मतन

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क्या है ? मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब! आप को स्ितनी दआ ु एं दं ू कम हैं, आप के अठारह अप्रैल के दर्त र्े मैं ने ये ननय्यत की कक इन शा अल्लाह फ़ज़त नमाज़ों के र्ाथ र्ाथ नमाज़ तहज्िद ु की भी पाबन्दी करूंगी।

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बहाउद्दीन)

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आप के दर्त की विह र्े हमारी बहुत र्ी मआ ु शी व घरे लू उल्झनें ख़त्म हुई हैं। (मयतम अफ़्ज़ल, मंिी

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एअसाबी तनाओ, थकावट और बे ख़्वाबी हमेशा के मलए दरू

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(अच्छ नींद के मलए ज़रूरी है कक माहोल पुरर्क ु ू न और बबस्ट्तर आराम दह हो। र्ोते वक़्त परे शान कुन ् ख़्यालात ज़ेहन र्े ननकाल दे ने चाद्रहयें। एक आम आदमी के मलए छे र्े आठ घन्टे की नींद काफ़ी होती है ।

(क़ाज़ी एम ् ए ख़ामलद)

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बहुत र्े लोगों को मआ ु शी परे शाननयों या ककर्ी और विह र्े नींद िल्द नहीं आती।)

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दौर हास्ज़र में हमारी मस्रकू फ़यात इतनी बढ़ गयी हैं कक हर वक़्त कोई ना कोई काम कोई ना कोई स्ज़म्मा

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दारी मर् ु ल्लत रहती है । आराम व र्क ु ू न हम र्े रुख़्र्त हो चुका है और र्बब ग़ैर मामल ू ी मेहनत व

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मश ु क़्क़त को क़रार दे ते हैं हालाँकक ये बात र्ो फ़ीर्द दरु ु स्ट्त नहीं। अल्लाह तआला ने इंर्ान को काम करने की ला मह्दद ू र्लाद्रहयत अता की है बशते ये कक वो अपने स्िस्ट्मानी एअज़ा को एक हद्द तक

इस्ट्तेमाल करें और थकावट उर् वक़्त महर्र् ू होती है िब कोई काम करते करते तबीअत उक्ता िाती है

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और किर उर् काम में िी नहीं लगता। इर् थकावट का तअल्लक़ ु स्िस्ट्म र्े ज़्यादा ज़ेहन र्े होता है और

bq

इर् मर्स्ल्र्ले में काम करते वक़्त अगर द्रदमाग़ को कुछ र्क ू नहीं ु ू न पोहं चा लें तो िल्द थकावट महर्र्

होगी। इर् के मलए ज़रूरी है कक अपने द्रदमाग़ र्े वो तमाम मन्फ़ी ख़्यालात दरू कर मलए िाएं िो

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अफ़्र्द ु त गी पैदा करने का बाइर् बनते हैं। आम तौर पर हर शख़्र् ऐर्ा ही काम करना चाहता है स्िर् में

उर् का द्रदल लगता हो। इर् कक़स्ट्म का काम वो ज़्यादा बेह्तर तरीक़े र्े र्र अंिाम दे र्कता है लेककन

w

इर् दन्ु या में हम तमाम बातें और काम अपनी मज़ी और ख़्वाद्रहश के मत ु ाबबक़ नहीं कर र्कते। बअज़

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औक़ात हमें ऐर्े कामों के करने पर भी मज्बूर होना पड़ता है स्िन को हम ना पर्ंद करते हैं। काम ख़्वाह ककतने ही मामल ू ी क्यूँ ना हों नफ़रत और ना पर्ंदीदगी की विह र्े हमारे मलए बोझ बन िाते हैं और हम

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िल्दी ही थक िाते हैं। माद्रहरीन के मत ु ाबबक़ ये थकावट स्िस्ट्मानी नहीं बस्ल्क ज़ेहनी होती है और उर्े दरू करने का वाद्रहद ज़रीआ ये है कक द्रदमाग़ को कुछ आराम व र्क ु ू न पोहं चाने की कोमशश की िाए। एअर्ाब को ढीला छोड़ द्रदया िाए उर् के मलए कुछ दे र तक आराम कुर्ी या बबस्ट्तर पर पाऊँ िेला कर लेटना Page 10 of 68 www.ubqari.org

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मफ़ ु ीद र्ाबबत होता है । थकावट को दरू करने में िेलों की एस्ह्मयत बहुत ज़्यादा है , द्रदमाग़ व एअर्ाब को आराम पोहं चाने के मलए बेह्तरीन तरीक़ा ये है कक कोई ऐर्ा िेल िेला िाए स्िर् में ताक़त कम र्े कम र्फ़त हो और तफ़्रीह ज़्यादा र्े ज़्यादा।

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माद्रहरीन की तवील तहक़ीक़ र्े ये बात र्ाबबत होती है कक िेलने र्े एअर्ाबी तनाओ (ज़ेहनी दबाओ) दरू

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हो िाता है क्योंकक िेल िज़्बाती घुटन के अख़्राि में मआ ु वन होते हैं। मक़ ु ाब्ले के िेलों में ना मर्फ़त द्रदल्चस्ट्पी का अन्र्र ज़्यादा होता है बस्ल्क उन की विह र्े दर् ू रे लोगों र्े ममलने िल ु ने और बेह्तर तअल्लक़ ु ात क़ाइम करने का भी मौक़ा ममलता है । िेलते वक़्त ज़ेहन र्े हर तरह के मन्फ़ी ख़्यालात ननकल िाते हैं और स्ज़न्दगी र्े एक नई द्रदल्चस्ट्पी पैदा हो िाती है लेककन इर् में अहत्यात ये लास्ज़म है

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कक आप अपने मलए िो िेल मन् ु तखख़ब करें वो ऐर्े हों कक आप र्ही मायनों में द्रदल्चस्ट्पी ले र्कें और

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अपनी थकावट दरू कर र्कें। अगर आप भाग दौड़ या स्िस्ट्मानी मेहनत मश ु क़्क़त का काम करते हैं तो

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ऐर्े िेल का इन्तख़ाब करें स्िर् में स्िस्ट्मानी मश ु क़्क़त ना करनी पड़े। इर्ी तरह अगर आप द्रदमाग़ी

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काम करते हों तो आप के मलए ऐर्े िेल मन ु ामर्ब रहें गे स्िन र्े कुछ हल्की वस्ज़तश भी हो िाए और आप

को िल ु ास्ज़मत पर फ़ाइज़ रहने ु ी कफ़ज़ा में रहने का मौक़ा ममले। बअज़ लोग िो एक मद्द ु त तक ककर्ी मल

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के बाद ररटायर होते हैं तो र्ाल्हा र्ाल की मस्रफ़ ू स्ज़न्दगी के बाद िब बेकारी का दौर आता है तो ये

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बेकारी उन्हें ज़ेहनी तौर पर इतना थका दे ती है कक वो स्ज़न्दगी भर काम करते हुए नहीं थके होते। ऐर्े

अकख़ार् के मलए ज़रूरी है कक वो कोई मकग़ल ु ा अख़्त्यार कर लें तो ये ज़ेहनी थकावट उन पर मर् ु ल्लत नहीं होगी। इर् मक़्र्द के मलए िब तक कोई मकग़ल ु ा मआ ु वन र्ाबबत हो ठ क है वरना इर् के बाद उर्े

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तकत कर के कोई और मकग़ल ु ा अख़्त्यार कर लेना चाद्रहए। यहाँ ये याद रिना भी ज़रूरी है कक मज़्हबी

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रुज्हान, मरु ाक़बा और इबादात र्े िो ज़ेहनी र्क ु ू न हामर्ल हो र्कता है वो दन्ु या भर के मशागग़ल अपना कर भी हामर्ल नहीं ककया िा र्कता। स्िस्ट्मानी और ज़ेहनी दोनों कक़स्ट्म की थकावटों को दरू करने के

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मलए नींद बे हद्द ज़रूरी है । अच्छ और पुर र्क ु ू न नींद हमारी बहुत र्ी एअर्ाबी बीमाररयों का वाद्रहद

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इलाि है । अच्छ नींद के मलए ज़रूरी है कक माहोल परु र्क ु ू न और बबस्ट्तर आराम दह हो। र्ोते वक़्त परे शान कुन ख़्यालात ज़ेहन र्े ननकाल दे ने चाद्रहयें। एक आम आदमी के मलए छे र्े आठ घन्टे की नींद काफ़ी होती है । बहुत र्े लोगों को मआ ु शी परे शाननयों या ककर्ी और विह र्े नींद िल्द नहीं आती और वो

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बबस्ट्तर पर पड़े दे र तक करवटें बदलते रहते हैं। ऐर्े लोगों को चाद्रहए कक वो बबस्ट्तर पर करवटें बदलने के बिाए अपने हाथ पाऊँ पूरी तरह िेला लें। इर् तरह एअर्ाबी तनाओ दरू हो िाने र्े उन्हें बहुत िल्द नींद आ िाएगी। हाथ र्ीने पर रि कर और पाऊँ र्क ु े ड़ कर र्ोने र्े स्िस्ट्म और एअर्ाब को परू ी तरह र्क ु ून

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हामर्ल नहीं हो पाता इर् मलए इर् हालत में र्ोने र्े इज्तनाब करना चाद्रहए। एअर्ाबी तनाओ, ज़ेहनी व स्िस्ट्मानी थकावट, ज़अफ़ द्रदमाग़ और ज़ेहनी र्क ु ू न के मलए ज़ेल में र्द्रदयों परु ाना एक नस्ट् ु ख़ा तहरीर

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ककया िा रहा है स्िर् की अफ़ाद्रदयत र्े नतब्ब क़दीम व िदीद के मआ ु मलिीन मअ ु तररफ़् हैं। मग़ज़ बादाम पांच अदद, मग़ज़ तुख़्म कद्दू शीरीं, तुख़्म ख़कख़ाश, नतल र्फ़ेद हर एक तीन ग्राम पानी या दध ू की मदद र्े तमाम अकया को बारीक पीर् लें या ब्लेंिर कर लें और हस्ट्बे ज़रूरत पानी या दध ू का इज़ाफ़ा कर

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के छान लें और ककर्ी शबतत या चीनी र्े मीठा कर के या बबला मीठा ककये र्ब ु ह ख़ाली पेट इस्ट्तेमाल करें ।

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इर् नुस्ट्ख़ा के मस्ट् ु तक़ल इस्ट्तेमाल र्े द्रदमाग़ व नज़र को ताक़त हामर्ल होती है । एअर्ाबी तनाओ,

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थकावट और बे ख़्वाबी दरू हो कर मक ु म्मल र्क ु ू न हामर्ल हो िाता है ।

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बतदरीज ख़ुद कुशी करने वाले:

मर्गरे ट का धुवां दित ज़ेल ज़ेहरों पर मकु तममल होता है । १- ननकोटे न: मर्गरे ट का मह् ु लक् तरीन ज़ेहर एक

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आम मर्गरे ट में २० ममली ग्राम है । २- काबतन मोनो ऑक्र्ाइि: मर्गरे ट के धव ु ें में एक र्े अढ़ाई फ़ीर्द

मोटरों र्े ख़ारि होने वाले धुवें में मौिद ू स्िर् र्े र्ांर् रुकता है और मौत वाकक़अ होती है । ३-

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काबतनोज्नेज़: कैं र्र का मौस्िब। ४- भाप बन कर उड़ िाने वाले तेज़ाब: फ़ोररक एमर्ि, अलेद्रटक एमर्ि

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बेन्ज़वाक् एमर्ि ये तमाम मह् ु लक् ज़ेहरों का दिात रिते हैं। ५- फ़ेनोल और अल्कोहल: ये एक कॉस्स्ट्टक ज़ेहर है िो स्ज़ंदा बाफ़्तों को िला दे ता है और िांर्ी के शदीद दौरे होते हैं। ६- क्रेर्ोल: फ़ेनोल र्े चार गन ु ा

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ज़्यादा मह् ु लक् । ७- र्ायानोइि: चंद क़तरात र्घ ूं ने र्े एक दो ममनट में मौत वाकक़अ हो िाती है । ८-

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र्ंख्या: कीड़े मारने और िंगली िान्वरों को तलफ़् करने के काम आता है िान्वर ज़मीन के ऊपर तड़प तड़प कर मरता है । ९- अमोननया: ककममयाई िाद और धमाका दार अकया बनाने में इस्ट्तेमाल होती है , दम घुटता है , िैिड़ों को िला कर दाइमी तक्लीफ़ का मौिब। १०- कोल्तार: िैिड़ों की अंदरूनी स्िल्द

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को नुक़्र्ान दे ती है । एक मर्गरे ट पीने र्े स्ज़न्दगी तक़रीबन अठारह ममनट कम हो िाती है । (वप्रंमर्पल (र) ग़ल ु ाम क़ाद्रदर हराि, झंग र्दर)

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हज़रत हकीम र्ाहब ‫ دامت برکاتہم‬को खख़लाफ़त व इिाज़त: तीन मर्तम्बर २०१५ बरोज़ िम ु तमम ् िाममआ मंज़रू ु ेरात पीर र्ैफ़ुल्लाह ख़ामलद र्ाहब ‫( دامت برکاتہم‬मह्

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अलइस्ट्लाममया, र्द्दर लाहौर कैं ट) ने हज़रत हकीम र्ाहब ‫ دامت برکاتہم‬को इिाज़त और खख़लाफ़त र्े नवाज़ा है ।

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आज़मद ू ह दे सी टोटकों से ख़श्ु गवार समास गज़ ु ाररये:

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112____________pg8

(अगर हलक़ में ज़्यादा र्ोस्ज़श और ख़राश हो तो उनाब, बही दाना, शरबत बनफ़्शा में ममला कर पीने र्े र्ोस्ज़श और ख़राश ख़त्म हो िाती है । नज़्ला और ज़क ु ाम में भन ु े हुए चने नछल्के र्मेत िाना भी बहुत

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मफ़ ु ीद है लेककन ऊपर चाय या पानी नहीं पीना चाद्रहए।)

अक्टूबर चल रहा है और र्द्रदत यों की आमद आमद है और इर् में नज़्ला और ज़क ु ाम स्िर् र्े हर एक का वास्ट्ता पड़ता है , आम हो िाता है । उर्े छूत दार बीमारी कहा िाता है िो एक र्े दर् ू रे को लग िाती है ।

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इर् मलए छ ंकने या िमाई लेते वक़्त मह ुं पर रुमाल या हाथ रिने की द्रहदायत की िाती है । ये बहुत आम

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मज़त है इर् के िरार्ीम ही इर् का र्बब हैं। नज़्ला और ज़क ु ाम में फ़क़त: इन में फ़क़त ये है कक िब नाक र्े पतली रतूबत ननकले और नाक में हल्की िलन हो तो उर्े ज़क ु ाम कहते हैं िब कक रतूबत या मादा हलक़

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में गगरे तो उर्े नज़्ला कहते हैं। नज़्ला और ज़क ु ाम की इब्तदा में गले में हल्की ख़राश, र्ीने में िलन,

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छ ंकों का आना, िांर्ी का आना और िब ये मज़त शदीद हो तो एअर्ाब मशस्क्न, नब्ज़ का तेज़ और प्यार् का लगना है । इलाि: नतब की दन्ु या में इर् का कोई फ़ौरी और मअ ु स्ट्र्र इलाि मौिद ू नहीं है इर् के िरार्ीमों पर कोई दवा अर्र नहीं करती। इर् का अर्ल इलाि अहत्यात और आराम है । अत्तबा की राय

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में नज़्ले की बुन्यादी विह थकन है इर् मलए इर् का बुन्यादी इलाि आराम ही है । इर् के आर्ार होते ही बबस्ट्तर में आराम र्े लेट िाना चाद्रहए, इर् के इलावा र्दी र्े बचना, ठं िा पानी और ठन्िे मश्रूबात के इस्ट्तेमाल र्े परहे ज़ है । पानी हल्का गरम कर के इस्ट्तेमाल ककया िाए, िोशांदा या बनफ़्शा की चाय

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इस्ट्तेमाल करनी चाद्रहए। अगर हलक़ में ज़्यादा र्ोस्ज़श और ख़राश हो तो उनाब, बही दाना, शबतत बनफ़्शा में ममला कर पीने र्े र्ोस्ज़श और ख़राश ख़त्म हो िाती है । नज़्ला और ज़क ु ाम में भन ु े हुए चने

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नछल्के र्मेत िाना भी मफ़ ु ीद है लेककन ऊपर चाय या पानी नहीं पीना चाद्रहए। नज़्ला का दे र्ी इलाि: एक तोला र्ौंफ़ और पांच र्े आठ दाने लौंग दो ककलो पानी में िाल कर चूल्हे पर िोश दीस्िये और िब पानी २५० ग्राम बाक़ी रह िाए तो किर इर् में ममस्री िाल कर चाय की तरह पीने र्े नज़्ला ज़क ु ाम दरू हो

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िाता है । नज़्ला िोलने के मलए: बअज़ औक़ात नज़्ला की मशद्दत र्े नाक बन्द हो िाती है तो उर् के मलए

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दहकते कोइलों पर वपर्ी हुई हल्दी िाल कर धूनी लेने से नाक खुल जाती है । ग़ग़ज़ाई अश्या: गग़ज़ाई अकया में गचकनी गग़ज़ाएँ, दध ू और तुशत चीज़ों र्े बचना चाद्रहए, बकरी के गोकत की यख़नी और काले चने की

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यख़नी लेनी चाद्रहए ता कक पानी के र्ाथ र्ाथ ज़ोद् हज़म ख़ोराक भी ममलती रहे । ज़क ु ाम का हमला बच्चों

पर ज़्यादा होता है , बच्चों के मलए मअ ु स्ट्र्र दवा है , मछली का तेल है िो द्रदन में तक़रीबन तीन तीन

क़तरे दो र्े तीन बार कुछ द्रदन लगातार वपलाने र्े नज़्ला ज़क ु ाम में आराम आ िाता है । (कलीमल् ु लाह

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शैख़, पहाड़ परु )

सहदस याँ! ज़क ू ह टोटके: ु ाम और मेरे आज़मद

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मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! अल्लाह तआला आप को अपने इर् फ़लाही ममशन के मलए हमेशा अपनी रे हमत व करम के ज़ेर र्ाया रिे, आमीन र्म् ु म आमीन। मोहतरम! मैं २०११ र्े

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क़ज़त अदा करना चाहती हूँ।

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अबक़री की क़ारी हूँ, हर माह इर् के आने का मशद्दत र्े इंतज़ार रहता है र्ब र्े पहले तो मैं अबक़री का

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िैर्ा कक मौर्म र्मात की आमद है और हर छोटा बड़ा नज़्ला व ज़क ु ाम व िांर्ी का मशकार है मेरे पार् चंद आज़मद ू ह नस्ट् ु ख़ा िात हैं िो ननहायत फ़ायदा मन्द हैं, उन्हें मैं ने वक़्तन फ़वक़्तन ख़द ु इस्ट्तेमाल ककया है । छ ंकें, गले में ख़राश, िांर्ी: यानन िब नज़्ला ज़क ु ाम की इब्तदा हो या नज़्ला ज़क ु ाम हो गया हो तो

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िेढ़ कप पानी लें, आधे इंच के दो या तीन टुकड़े अदरक और छोटा र्ा टुकड़ा दार चीनी ले कर पानी में िोश दें िब तक़रीबन एक कप रह िाए थोड़ी र्ी र्ब्ज़ चाय की पत्ती िाल कर उतार लें। तीन चार ममनट के बाद कप में छान कर शहद दो चम्मच िाल कर वपएँ। इन शा अल्लाह नाक र्े पानी बहना बन्द हो

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िाएगा और गले में वाज़ेह फ़क़त महर्र् ू होगा। ये चाय तीन चार द्रदन तक र्ब ु ह व शाम लें , इन शा अल्लाह ककर्ी दवाई की नोबत नहीं आएगी। ख़कु क िांर्ी िो रात को र्ोने ना दे : दो कप पानी में दो

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चम्मच ख़ुकक धन्या और एक इंच का टुकड़ा दार चीनी िाल कर उबालें , िब पानी एक कप रह िाए उर् में दो कप दध ू और हस्ट्बे ज़ाइक़ा चीनी िाल कर तीन िोश दें किर नीम गरम रात र्ोते वक़्त और र्ब ु ह ननहार मह ुं लें, इन शा अल्लाह ठ क होंगे। र्ख़्त िांर्ी के मलए: एक चम्मच शहद लें और छे र्ात दाने

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काली ममचत पीर् कर ममला कर िाएं, इन शा अल्लाह िांर्ी में र्क ु ू न ममलेगा और चंद द्रदन इस्ट्तेमाल र्े

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ख़त्म हो िाएगी। नज़्ला ज़ुकाम और बल्ग़म के मलए: एक गगलार् दध ू को उबालें इर् के बाद पांच मीनट तक थोड़ा ठं िा करें , किर ब्लेंिर में िाल दें और एक अदद अंिा कच्चा िाल दें और मन ु ामर्ब चीनी, छोटी

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इलाइची के दाने िाल कर ममल्क शेक की तरह बना लें और चाय की तरह गरम गरम पी कर र्ो िाएं और

र्ब ु ह ननहार मह ुं भी लें, मज़ेदार दध ू , ताक़त्वर भी और बेह्तरीन इलाि भी, बल्ग़म पक कर ख़ाररि होगा,

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चंद द्रदन इस्ट्तेमाल के बाद नज़्ला भी ठ क हो िाएगा। इन शा अल्लाह।

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ज़क ु ाम और िांर्ी की हर कक़स्ट्म के मलए: पांच िाने के चम्मच ख़कख़ाश, बादाम छे अदद, छोटी इलाइची

दो अदद, ख़कख़ाश को र्ाफ़ कर के बादाम और इलाइची के र्ाथ घोटा बादाम की तरह ख़ूब रगड़ें किर एक गगलार् पानी िाल कर उबालें िब आधा गगलार् पानी रह िाए, आधा ककलो दध ू िाल कर तीन िोश दें ।

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याद रहे चीनी स्ितनी द्रदल चाहे िालें, नीम गरम दध ू छान कर रात को आधा र्ोते वक़्त पी लें , आधा

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र्ब ु ह ननहार मह ुं लें। इन शा अल्लाह मज़ेदार और र्क ु ू न बख़्श दध ू र्े र्क ु ू न पाएं। पेट का ददत , गैर् और र्ि ू न के मलए: आज़मद ू ह मि ु रत ब टोटका, ख़ुकक धन्या एक प्याली, र्ौंफ़ एक प्याली, छोटी इलाइची छे

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अदद, काली ममचत दर् अदद, र्ब चीज़ों को र्ाफ़ कर के पीर् लें और मन ु ामर्ब मीठा यानन चीनी या ममस्री

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ममला कर रि लें। बवक़्त ज़रूरत एक िाने वाला चम्मच पानी के र्ाथ लें। मेरे बच्चे हॉस्स्ट्टल में अपने र्ाथ रिते हैं, र्ब बच्चे उन र्े ले कर इस्ट्तेमाल करते हैं। फ़ायदा पा कर नुस्ट्ख़ा पूछते हैं कक ये तो िाद ू की तरह है , मैं तो ये र्फ़ूफ़ कपड़े में छान कर नो मोलद ू बच्चों को भी गैर्, उिारे और पेट के ददत की र्रू त

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में दे ती हूँ। अल्हम्दमु लल्लाह थोड़ी दे र में ठ क हो िाते हैं। छोटे बच्चों को माँ के दध ू या अक़त र्ौंफ़ के र्ाथ दे ती हूँ।

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सर के बालों का ग़गरना या ख़ाररश एलजी की सरू त में : १- िाबर आम्ला हे यर ऑइल िो यू ए ई यानन अरब मम ु ामलक का हो। २- र्रर्ों का तेल। ३- ज़ैतून का तेल

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तीनों हम्वज़न हों, ममला कर रि लें, हफ़्ता में तीन द्रदन नहाने र्े िेढ़ दो घंटा पहले लगाएं, किर नहा लें। इन शा अल्लाह बाल गगरना बन्द हो िाएंगे और घने और चमक्दार भी होंगे। इन शा अल्लाह आइन्दा भी

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112_____________pg 9

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क़ाररईन के मलए आज़मद ू ह नुस्ट्ख़ा िात ज़रूर भेिग ूं ी। (वामलदा मह ु म्मद उमर, िी िी ख़ान)

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शाह ग़ौस ऊच्वी ؒ के मस् ु तनद रूहानी वज़ाइफ़् :

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(अगर कोई आदमी ना हक़ ज़ल् ु म करता है या कोई शख़्र् बबला विह शरारत कर के तंग करता है और

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ऐर्े लोग अपनी हरकतों र्े बाज़ नहीं आते तो उन के मलए ये अमल बहुत मफ़ ु ीद और मि ु रत ब है । इर् अमल की बरकत र्े इन शा अल्लाह तआला ज़ामलम हमेशा हमेशा के मलए ज़ल् ु म र्े रुक िाएगा और ज़ल् ु म ना कर र्केगा।)

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माहनामा अबक़री मैगज़ीन अक्टूबर 2015 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

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मस्ु श्कलात, बीमारी, परे शानी से ननजात: अगर कोई शख़्र् मस्ु ककलात में िँर् गया हो बीमारी ने घेर मलया हो, घर में कभी कोई बीमार, बीमारी र्े िान ककर्ी तौर ना छूटती हो या नागगहानी परे शानी पैदा होती रहती हो। उर् के मलए अवल व आखख़र

rg

दरूद इब्राहीमी चालीर् मततबा पढ़ें । इर् के बाद र्रू ह तोबा की आख़री दो आयात तीन र्ो मततबा पढ़ें । ये

ar i.o

अमल चालीर् द्रदन तक बबला नाग़ा करें । नेज़ इर् अमल के दौरान हस्ट्बे है मर्य्यत र्दक़ा व ख़ैरात भी बराबर करते रहें । इन शा अल्लाह तआला चालीर् द्रदन के अंदर अंदर ही हालात बेह्तर होते िाएंगे। मस्ु ककलात हल होना शुरू होंगी, बीमाररयां दरू हो िाएंगी और परे शाननयां अज़्ख़ुद ख़त्म होती िाएंगी। मि ु रत ब अमल है । र्रू ह तोबा की आख़री आयात ये हैं:- "लक़द् िा-अ कुम ् रर्ल ू -ु स्म्मन ् अन्फ़ुमर्कुम ्

bq

अज़ीज़न ु ् अलैद्रह मा अननत्तुम ् हरीर्न ु ् अलैकुम ् बबल्मअ ु ममनीन रऊफ़ु-र्-रहीमन ु ्० फ़इन ् तवल्लौ फ़क़ुल ्

rg

हस्स्ट्बयल्लाहु ला इलाह इल्ला हुव अलैद्रह तवक्कल्तु व हुव रब्ब-ु ल ्-अमशत-ल ्-अज़ीमम० (तौबा १२७,१२८)

ar i.o

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ُ ُْ ْ ِ ٌْ ُ ُْ ٓ ْ ُْ ِ ٌ ِْ ُ ِ ٰ ٓ ُ ْ ْ ُ ُ ‫ّک‬ ‫لَقدَجاءکمَرسول ن‬o َ‫تَو ُہوَر ُِب‬ َ‫َّمَانف نسک ْمَع نز ْ ٌْیَعل ْی نہَماع نن ِت ْمَح نر ْی ٌصَعل ْیک ْم نَِبل ُمو نم نن ْ​ْیَر ُء ْوف َِرَح ْنی ٌم‬ ‫ف نا ْنَ​َتل ْواَفقلَح ْس نِب‬ ‫َہللاَ​َ​َلَانلہَانَل ُہوَعل ْی نہَ​َت‬ ْ ْ 721،721َ‫الع ْر نشَالع نظ ْی نم۔(َتبہ‬

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शरारती आदमी की शरारत से हहफ़ाज़त:

अगर कोई आदमी नाहक़ ज़ल् ु म करता है या कोई शख़्र् बबला विह शरारत कर के तंग करता है और ऐर्े

bq

लोग अपनी हरकतों र्े बाज़ नहीं आते तो उन के मलए ये अमल बहुत मफ़ ु ीद और मि ु रत ब है । इर् अमल

की बरकत र्े इन शा अल्लाह तआला ज़ामलम हमेशा हमेशा के मलए ज़ल् ु म र्े रुक िाएगा और ज़ल् ु म ना

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कर र्केगा। इर्ी तरह हामर्द शरारत र्े रुक िाएगा और िो हक़ ना दे ता हो बख़ुशी राज़ी हक़ दे गा।

w

अमल के अवल व आखख़र में दरूद शरीफ़ पढ़ें । दरम्यान में र्रू ह आल ् इम्रान की आख़री आयत को

w

चालीर् मततबा पढ़ें । ये अमल मर् ु ल्र्ल बबला नाग़ा दो माह तक यानन र्ाठ द्रदन करें और इर् दौरान हराम के लक़् ु मे र्े बचें , हलाल रोज़ी कमाएं और हलाल रोज़ी िाएं। र्रू ह आल ् इम्रान की आख़री आयत ये है :-

२००)

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याअय्यह ु -ल्लज़ीन आमन-ु स्स्ट्बरू व र्ाबबरू व राबबतू वत्तक़ुल्लाह लअल्लकुम ् तस्ु फ़्लहून (आल ् इम्रान

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माहनामा अबक़री मैगज़ीन अक्टूबर 2015 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

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ُ ْ ‫َال نذ ْ​ْیَام ُنوا‬ ُ ‫َاص ن‬ ُ ‫ِب ْواَوص ن‬ (﴾۰۲۲‫اِب ْواَورا نب ُط ْواَواتقواَہللاَلعلک ْمَتف نل ُح ْونَ﴿الَمعران‬ َ ‫) ٰ​ٰی ِّیا‬

बाँझ औरत के औलाद होना:

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अगर कोई शख़्र् औलाद र्े महरूम हो और औरत बाँझ हो इर् के औलाद ना होती हो तो उर् के मलए ये अमल बहुत मि ु रत ब है । इंिीर के दर् दाने ले कर धो ले और दरूद शरीफ़ दर् मततबा अवल व आखख़र और

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दरम्यान र्रू ह वस्ट्र्माअ वत्ताररक़ (परू ी र्रू त) दर् मततबा पढ़ कर इंिीर के दानों पर दम करे और ये दर् इंिीर के दाने औरत रात को र्ोते वक़्त िा कर एक पाव दध ू पी ले। ये अमल र्त्तर द्रदन करना है इर् दौरान औरत दो रकअत नमाज़ र्लातुल ् हाित पढ़ती रहे । इर् अमल की बरकत र्े इन शा अल्लाह

bq

तआला बाँझ पन ख़त्म होगा और औलाद होगी।

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पसिंद की शादी:

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अगर कोई शख़्र् ककर्ी मज्बरू ी र्े ककर्ी ररकते में उलझ गया है और चाहता है कक उर्ी िगा शादी हो तो

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उर् को चाद्रहए कक ये अमल करे । इन शा अल्लाह तआला ज़रूर काम्याबी होगी ये अमल बार बार का

तिब ु ाब ु ात शद ु ह है कभी ख़ता नहीं हुआ। अमल ये है : अवल पाक कपड़े पहन कर उन कपड़ों पर इत्तर गल

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लगाएं, इर् के बाद एक र्ो बार दरूद शरीफ़ पढ़ें , इर् के बाद तीन मततबा र्रू ह यार्ीन शरीफ़ पूरी र्रू ह

bq

पढ़ें । इर् के बाद दो रकअत नमाज़ नस्फ़्फ़ल र्लातल ु ् हाित की ननय्यत कर के पढ़ें और उर्ी नमाज़ की िगा पढ़ कर आयत करीमा चालीर् मततबा पढ़ें और काम्याबी की दआ ु करें ।

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मन पसिंद जगा ररश्ता के मलए:

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अगर कोई शख़्र् ककर्ी ख़ार् लड़की र्े ररकता करना चाहता हो और लड़की वाले ररकता दे ने र्े इंकार करते हैं या लड़की राज़ी नहीं है तो उर् र्रू त में अवल व आखख़र नयारह नयारह मततबा दरूद शरीफ़ पढ़ें और

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दरम्यान में एक र्ो बार "या मक़ ु स्ल्लब-ल्क़ुलबू ब क़स्ल्लब क़ल्बहा इलय्या"

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ْ ‫ )ٰی ُمق نلبَالقل ْو نبَق نل‬पढ़ें और स्िर् की चाहत द्रदल में है उर् का तर्व्वर (‫نل‬ َِ ‫بَقلَباَا‬ ु करें । ये अमल नमाज़ फ़ज्र के

बाद करें और दर् ू री मततबा बाद नमाज़ इशा करें । नाग़ा ना करें । इन शा अल्लाह तआला एक र्ो बीर् द्रदन में ररकता हो िाएगा। नािाइज़ करने वाला र्ख़्त नुक़्र्ान उठाएगा।

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माहनामा अबक़री मैगज़ीन अक्टूबर 2015 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

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बद्द ममज़ाज औरत या मदस में मह ु ब्बत पैदा करना: औरत बद्द ममज़ाि है और बात बात पर शौहर र्े झगड़ती है , घर में लड़ाई झगड़े का दस्ट्तरू बना रिा है िब शौहर थका हारा घर में दाखख़ल हुआ उर् ने ग़लत बातें शुरू कर दीं और गचल्लाना शुरू कर द्रदया, या

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शौहर बद्द ममज़ाि है िब भी घर में दाखख़ल होता है लड़ाई, झगड़ा, मार पीट शरू ु कर दे ता है , औरत को घर

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में ना इज़्ज़त र्े रिता है ना उर् की ज़रूररयात का ख़्याल रिता है । ये अमल बद्द ममज़ाि औरत का ख़ावन्द कर ले या बद्द ममज़ाि ख़ावन्द के मलए औरत कर ले दोनों तरह र्ही होगा। लड़ाई झगड़ा ख़त्म और ममयां बीवी में ममर्ामल मह ु ब्बत पैदा हो िाएगी। अमल ये है : मीठ चीज़ मर्लन चीनी, ममस्री, ममठाई, ि​िरू , अंगरू , शहद या गड़ ु पर पढ़ कर दम कर के अगर बीवी बद्द ममज़ाि है तो उर् को खिला दे

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या अगर मदत बद्द ममज़ाि है तो उर् को खिला दे । ये अमल बाद नमाज़ फ़ज्र करें या बाद नमाज़ इशा करें ।

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इन दोनों वक़्तों के इलावा ककर्ी और वक़्त ना करें । ये अमल इक्कीर् द्रदन करना है । अवल व आखख़र ُ

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ُ ُ नयारह बार दरूद शरीफ़ पढ़ें । "या लतीफ़ु या वदद ू "ु (َُ ‫ )ٰیل نط ْیفَٰیَوُ ْو‬पढ़ने के दौरान िब एक र्ो बार ये

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कमलमात पढ़ मलए िाएं तो उर् मीठ चीज़ पर दम कर दें (यानन हर एक र्ो बार पढ़ कर) ममठाई पर दम करना है यानन नयारह बार दम करना है । आखख़र में नयारह बार दरूद शरीफ़ पढ़ें । ये अमल इक्कीर् द्रदन

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मर् ु ल्र्ल बबला नाग़ा पाबन्दी के र्ाथ करना है । इर् दौरान नमाज़ की पाबन्दी करें ।

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हमल की हहफ़ाज़त का अमल:

स्िर् औरत का हमल गगर िाता हो और ठहरता ना हो तो उर् के मलए ये अमल बहुत मि ु रत ब और तिब ु ात

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शुदह है । िब ममट्टी का मटका लेने बाज़ार िाएं तो बा वज़ू िाएं और बा वज़ू मटके को घर लाएं। बग़ैर वज़ू

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उर् मटके को हाथ ना लगाएं। घर ला कर बावज़ू उर् को धो कर पानी र्े भर दें । र्ब ु ह को वो र्ब पानी िैं क दें । र्ब ु ह उठ कर बा वज़ू ताज़ह पानी र्े दब ु ारह मटका भर दें । इर् के बाद बा वज़ू नो मततबा दरूद

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शरीफ़ पढ़ें और पानी पर िँू क मारें किर नो मततबा र्रू ह इंशक़ाक़ (प३०) पढ़ें और हर मततबा िब र्ज्दा की

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आयत पढ़ें र्ज्दा करें और र्रू ह ख़त्म करें । िब नो मततबा र्रू ह पढ़ ली िाए पानी पर दम कर दें । इर् के बाद नो मततबा दरूद शरीफ़ पढ़ कर पानी पर दम करें । इर् तरह तीन मततबा पानी पर िँू क मारनी है । िब औरत पानी वपए बा वज़ू वपए बग़ैर वज़ू के पानी के मटके को हाथ ना लगाए और ना बग़ैर वज़ू पानी वपए।

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माहनामा अबक़री मैगज़ीन अक्टूबर 2015 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

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ये पानी औरत को चार वक़्त वपलाना है । र्ब ु ह नमाज़ के बाद, बाद नमाज़ ज़ह ु र, बाद नमाज़ अर्र, बाद नमाज़ इशा, इर् दौरान औरत नमाज़ की पाबन्दी करे । इन शा अल्लाह तआला हमल क़ाइम रहे गा और

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बच्चा र्ही और तंदरु ु स्ट्त पैदा होगा।

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112___________pg11

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सहदस यों में आप के बाल तवज्जह चाहते हैं!

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(र्द्रदत यों के मौर्म में हम चाहते हैं कक बालों को िल्द र्े िल्द ख़ुकक कर लें ता कक ठं िक और नमी के

अर्रात र्े ननिात ममल र्के। इर् का र्ब र्े आर्ान हल ज़ाद्रहर है कक ब्लो ड्राई है लेककन बालों को ब्लो ड्राई करते हुए ये ख़्याल रिें कक ये तक़रीबन ख़ुकक हो चुके हैं।)

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(बीननष ् िंिुआ, इस्ट्लाम आबाद)

मौर्म र्मात के दौरान अक्र्र ख़वातीन बाल गगरने की मशकायत करती द्रदिाई दे ती हैं। इर् का र्बब

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आम तौर र्े मौर्म की तब्दीली और उर् के तक़ाज़े हैं। हम चूंकक मौर्म के तक़ाज़ों को नज़र अंदाज़ कर

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दे ते हैं और अपने बालों की द्रहफ़ाज़त का ख़्याल नहीं रिते, इर् मलए बाल कम्ज़ोर हो कर टूटने लगते हैं। इन र्तूर में आप के मलए कुछ अहत्याती तदाबीर हास्ज़र हैं, स्िन पर अमल कर के आप अपने बालों की

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िोई र्ेहत बहाल कर र्कते हैं।

बालों में तेल लगाएिं: बालों की द्रहफ़ाज़त के मलए उन में तेल लगाना र्द्रदयों पुराना और इंतहाई कारगर नुस्ट्ख़ा है । लेककन अब बालों में तेल लगाने का ररवाि तक़रीबन ख़त्म हो गया है स्िर् के नतीिे में हम Page 20 of 68 www.ubqari.org

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बहुत र्े फ़वाइद र्े महरूम रह िाते हैं। तेल र्े ना मर्फ़त बालों की कंडिशननंग होती है और उन में क़ुदरती चमक आ िाती है बस्ल्क ये बालों र्े ख़कु की का ख़ात्मा भी करता है । मलहाज़ा हमारे हाँ की बड़ी बूद्रढ़यों का ये कहना ग़लत नहीं कक तेल लगाने र्े द्रदमाग़ को तक़्वीयत हामर्ल होती है और बाल तेज़ी र्े बढ़ते हैं।

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यही विह है कक आि के दौर र्े तअल्लक़ ु रिने वाले माद्रहरीन को भी बालों में तेल लगाने को ज़रूरी क़रार दे ते हैं। यँू तो अब ब्यट ू ी र्ेलोन्ज़ में भी ऑइल रीटमें ट का बा क़ाइदा इंतज़ाम मौिद ू है लेककन आप

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चाहें तो घर पर ख़ुद ही ये नुस्ट्ख़ा आज़्मा कर तेल की गन ू ा गूं ख़ूबबयों र्े मस्ट् ु तफ़ीद हो र्कती हैं। र्द्रदतयों के मौर्म में र्र की मामलश के मलए ज़ैतून या नाररयल का तेल बहुत मफ़ ु ीद पाया िाता है और र्रर्ों का तेल भी अगर ख़ामलर् हो तो बालों में लगाने के मलए बेह्तरीन र्ाबबत होता है ।

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बाल धोने की अहत्यातें : गो कक बालों की द्रहफ़ाज़त का उर्ल ू है कक उन्हें रोज़ाना धोया िाए लेककन अगर

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आप अपने लाइफ़ स्ट्टाइल या बालों की र्ाख़्त, िैर्े कक उन के गचकने होने के बाइर् रोज़ाना धोना ज़रूरी

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र्मझती हैं तो थोड़ी र्ी अहत्यात के र्ाथ ये काम अंिाम दे र्कती हैं। इर् के मलए र्ब र्े पहले अपने

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बालों को अच्छ तरह गीला करें किर ककर्ी अच्छे ब्रांि का र्ाबुन या हबतल शैम्पू ले कर उर् की मत्लब ू ा

ममक़्दार र्र की स्िल्द पर मलें क्योंकक यहीं र्ीबम और गन्दगी िमा होती है । इर् के बाद ख़ार् तौर पर

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ये अहत्यात कक बालों को तेज़ गरम पानी के बिाए क़द्रे ठन्िे पानी र्े धोएं। गरम पानी बालों के मलए

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नक़् ु र्ान दह र्ाबबत होता है । इर् मलए मौर्म ठं िा ही क्यँू ना हो बाल धोने के मलए हमेशा हल्का र्ा गरम या ठं िा पानी इस्ट्तेमाल करें ।

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नरमी से ख़ुश्क करें : र्द्रदत यों के मौर्म में हम चाहते हैं कक बालों को िल्द र्े िल्द ख़ुकक कर लें ता कक ठं िक और नमी के अर्रात र्े ननिात ममल र्के। इर् का र्ब र्े आर्ान हल ज़ाद्रहर है कक ब्लो ड्राई है

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लेककन बालों को ब्लो ड्राई करते हुए ये ख़्याल रिें कक ये तक़रीबन ख़ुकक हो चुके हैं क्योंकक पानी टपकते

w

हुए बालों को ड्रायर र्े ख़ुकक करना र्ख़्त नुक़्र्ान दह र्ाबबत होता है । ताहम बालों को ख़ुकक करने के मलए उन्हें तोल्या र्े रगड़ना भी मन ु ामर्ब नहीं। इर् र्े बाल रूिे, कम्ज़ोर और दो शाख़ा हो कर टूटने

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लगते हैं। मलहाज़ा मन ु ामर्ब यही है कक बालों पर थोड़ी दे र तोल्या लपेटें और किर उन्हें हल्के र्े थपथपा कर क़ुदरती हवा में क़द्रे ख़कु क होने दें । ड्रायर इस्ट्तेमाल करते हुए उर् का नोस्ज़ल बालों र्े तक़रीबन दो इंच दरू रिें और इर् दौरान गोल ब्रश के बिाए गचपटा ब्रश ही इस्ट्तेमाल करें । नेज़ ब्लो ड्राई करने र्े पहले Page 21 of 68 www.ubqari.org

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बालों में हीट प्रोटे स्क्टव (Heat Protective) र्ीरम या स्ट्प्रे ज़रूर लगाएं। तवज्िह और मह ु ब्बत भी दें : यूँ तो बाल हर मौर्म में आप की तवज्िह चाहते हैं लेककन र्द्रदत यों के मौर्म में उन्हें ख़ार् तौर र्े अपनी मह ु ब्बत का मह्वर बनाएं क्योंकक इर् ला परवाई ने उन्हें ना क़ाबबल तलाफ़ी नक़् ु र्ान र्े दो चार कर

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र्कती है । स्िल्द की तरह हमारे बाल भी ना मोज़ूं लाइफ़ स्ट्टाइल और माहोल्याती अर्रात र्े मत ु ामर्र होते हैं मलहाज़ा रूिे और कम्ज़ोर हो िाते हैं। बालों की अच्छ र्ेहत के मलए उन्हें भी गग़ज़ाइयत और

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क्लेस्न्ज़ंग की ज़रूरत होती है इर् मलए अच्छा हबतल शैम्पू और िीप कंडिशनर या िीप कंडिशननंग मास्ट्क लगाएं लेककन इर् के बाविद ू आप के बाल रूिे या बे िान नज़र आएं और बदस्ट्तूर गगरते रहें तो ककर्ी माद्रहर अमराज़ स्िल्द या हे यर एक्र्पटत र्े मकवरा करें ता कक वो आप के बालों और र्र की स्िल्द का

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मआ ु इना कर के कोई मन ु ामर्ब हल आप को तज्वीज़ कर र्कें।

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क़ाररईन अबक़री के मलए चिंद ब्यूटी हटप्स:

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दानों वाली स्िल्द के मलए: १- करे ले िब भी पकाएं तो उर् का पानी कभी ज़ायअ ना करें बस्ल्क छान कर

बोतल में िाल कर कफ़्रि में महफ़ूज़ कर लें और किर उर् पानी में बेर्न ममला कर स्िल्द पर लगाएं स्िल्द ननिरती भी है और दाने भी बैठ िाते हैं ये मेरा आज़मद ू ह है । २- १/४ चाय वाला चम्मच बेर्न, एक चाय

ममनट तक चेहरे पर लगाएं। दाने कभी नहीं ननकलेंगे।

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वाला चम्मच दल्या को अक़त गल ु ाब में मभगो दें । िब दल्या नरम हो िाए तो बेर्न शाममल कर के ५-१०

गोरी रिं गत के मलए: बहुत पका हुआ अमरूद का गद ू ा २-३ चम्मच, एक िाने वाला चम्मच र्ि ू ा दध ू ममला

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कर मह ुं पर मास्ट्क लगाएं। चंद द्रदन ये टोटका इस्ट्तेमाल करने र्े रं गत ननिरी ननिरी और गोरी हो

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िाएगी।

कुहननयों और पाऊँ के काले ननशानों के मलए: बहुत पका हुआ अमरूद ले कर उर्े ब्लेंि करें । दो, तीन

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चम्मच ले लें उर् में तीन, चार केले के नछल्के और एक दो कीनू के नछल्के इन को तवे पर र्ि ू ा कर ब्लेंि

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कर लें किर उन में एक चम्मच मलाई भी शाममल कर लें कुहननयों और पाऊँ पर मेल र्े बने काले ननशानों पर लगाएं। इन शा अल्लाह तआला अफ़ाक़ा होगा। बालों के मलए: १- र्ब्ज़ चाय एक कप में ककस्कमश २ िाने के चम्मच। तीन कप इस्ट्पग़ोल में इतना पानी िालें कक ये िूल िाए। किर इन तीनों चीज़ों को

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अच्छ तरह ब्लेंि कर के बालों पर लगाएं। बाल चमक्दार हो िाएंगे। २- र्ेब के मर्रके को पानी में ममक्र् कर के बालों पर र्े बहा लें। बाल चमक उठें गे। ३- अगर बाल बढ़ ना रहे हों और मर्ाम बन्द हो गए हों तो तीन तौमलयों को पानी में मभगो कर अच्छ तरह ननचोड़ कर एक एक कर के र्र पर रिें और ९ ममनट

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तक रिा रहने दें और किर तेल लगा लें बाल तेज़ी र्े बढ़ें गे। ४- बालों की नशो व नुमा के मलए चुक़न्दर को नछल्कों र्मेत ब्लेंिर कर के बालों पर लगाएं और १ घन्टे बाद बेर्न के पानी र्े धो लें। (बेर्न को र्ारी

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रात पानी में मभगो दें किर र्ब ु ह िो पानी ऊपर आए इर् पानी र्े बालों को धो लें )। हर हाजत पूरी, मेरा आज़मद ू ह अमल:

मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! इर् अमल र्े मझ ु े िो हाित होती है वो पूरी हो िाती

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है । हर फ़ज़त नमाज़ के बाद र्ज्दे में िा कर अवल व आखख़र दरूद शरीफ़ के बाद २१ बार "या ज़ल्िलामल ْ

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छोटी छोटी हािात होती हैं वो ज़रूर पूरी होती हैं। (कककवर शफ़ीअ)

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वल ्इक्रामम" ( َ‫اَلکر نام‬ ु मांगें क़ुबूल होगी, मेरी रोज़ मरह की िो भी ‫ ) ٰیذااْلَل نلَو ن‬पढ़ें और पढ़ कर िो भी दआ

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शम ु ारा निंबर 112___________pg18

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Facebook नहीिं!

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अहल ख़ाना को वक़्त दें और फिर सुकून दे खें:

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(घर की काम्याब स्ज़न्दगी दोनों की बाद्रहमम रज़ा मन्दी, इख़्लाक़, तआवन ु , अह्तराम और मह ु ब्बत र्े ही मस्ु म्कन है । अहल ख़ाना को भी चाद्रहए कक मदत के र्ाथ तआवुन करें ता कक वो काम्याबी र्े घर का ननज़ाम चला र्के और घर में र्क ु ू न की कफ़ज़ा क़ाइम रह र्के) Page 23 of 68 www.ubqari.org

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दीन इस्ट्लाम मक ु म्मल ज़ाब्ता हयात है हमारी मआ ु शी, मआ ु मशरती, मादी, इक़्तर्ादी, इज्तमाई और इंफ़्रादी स्ज़न्दगी का दारोमदार इस्ट्लामी तालीमात पर अमल पैरा होने में है । इंर्ानी मआ ु श्रत का मर्स्ल्र्ला हज़रत आदम ‫ علیہ السالم‬और हज़रत हवा ‫ علیہ السالم‬र्े शरू ु हो कर करोड़ों अरबों ख़ान्दानों पर

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मह ु ीत हो गया। इशातद रब्बानी है : तिम ुत ा: "ऐ इंर्ानों! तुम र्ब को अल्लाह ने एक मदत और एक औरत र्े पैदा ककया और तम ु को ख़ान्दान, क़बीला, इर् मलए बना द्रदया कक तम ु एक दर् ू रे को पहचान र्को"

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(अल्हिरात:१३) औरत और मदत के अज़्दवािी तअल्लक़ ु श्रे ु का बेह्तर र्तह पर इस्ट्तवार होना पूरे मआ की बक़ा के मलए ननहायत एहम है । इस्ट्लाम ने मदत को औरत की कफ़ालत और उर् के र्ाथ मारूफ़ तरीक़े र्े पेश आने का हुक्म द्रदया है र्रू ह बक़रह में है "वो (ममयां बीवी) अल्लाह की हुदद ू को क़ाइम रिेंगे"। एक

bq

और िगा इशातद फ़मातया: और उन औरतों के र्ाथ भले तरीक़े र्े स्ज़न्दगी बर्र करो। (अस्ल्नर्ा १९) मदत

rg

को औरत पर फ़ज़ीलत दी गयी क्योंकक वो कमाता है इर् का ये मत्लब नहीं कक वो औरत को अपनी िागीर या ज़र ख़रीद लोंिी र्मझ ले, बीवी को तंग करना, िबरन महर मआ ु फ़ करवाना, उन के हुक़ूक़

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अदा ना करना, औरतों को तरह तरह की अस्ज़य्यतें दे ना, मारना पीटना, घर र्े ननकाल दे ना या घर में

रहते हुए बात चीत बन्द कर दे ना, दर् ू रों के र्ामने ख़ार् कर बच्चों के र्ामने गालम गलोच करना, मारना

पीटना वग़ैरा ये मदत के मलए क़तअन िाइज़ नहीं। मदत पर इस्ट्लाम दित ज़ेल स्ज़म्मा दाररयां बीवी के हवाले

w w

र्े आइद करता है ।★मदत बीवी के र्ाथ बतरीक़ अह्र्न तअल्लक़ ु ननभाए। ★बीवी की मआ ु शी ज़रूररयात

bq

परू ी करे । ★तफ़रीह के िाइज़ मवाकक़अ फ़राहम करे । ★बीवी के अज़ीज़ व अक़ारब का अह्र्ान ् मन्द रहे

और उन्हें इज़्ज़त व एह्तराम दे । ★अज़्दवािी मआ ु म्लात में अदल व तवाज़न ु क़ाइम रिे। ★औलाद की

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तालीम व तबबतयत के मलए बीवी र्े मश ु ाववरत करे । शौहर और बीवी एक दर् ू रे का मलबार् हैं स्िर् तरह मलबार् र्तर पोशी करता है उर्ी तरह ममयां बीवी एक दर् ू रे के मलए पदात, ज़ीनत और राहत हों। बीवी की

w

िार्र् ू ी करना, बुहतां तराशी करना, उर् की ग़ैर मौिद ू गी में लोगों के र्ामने उर् की बे इज़्ज़ती करना

w

मदत को ज़ेब नहीं दे ता।

w

नबी करीम ‫ ﷺ‬का ये इशातद बड़ा द्रहक्मत ख़ेज़ है । "औरत टे ढ़ी पस्ट्ली र्े पैदा हुई है , अगर तम ु इर् को र्ीधा करने की कोमशश करोगे तो तोड़ िालोगे, इर् मलए इर् किी के बाविद ू इर् र्े फ़ायदा उठाते रहो।" (बख़ ु ारी ककताब अल ्अंब्या)

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इर् मर्स्ल्र्ला में मझ ु े एक वाक़्या याद आ रहा है कहीं पढ़ा था कक ककर्ी महकफ़ल में एक मदत ने कहा "औरत ज़ात बड़ी शरीर होती है " उर्ी महकफ़ल में एक हास्ज़र िवाब औरत ने फ़ौरन िवाब द्रदया: "औरत मदत की पस्ट्ली र्े पैदा हुई है िब कक मदत की एक पस्ट्ली के अंदर इतनी शरारत मौिद ू है बाक़ी स्िस्ट्म का

rg

क्या हाल होगा" अगर औरतें घरे लू कफ़ालत के र्ाथ र्ाथ मआ ु शी कफ़ालत का बाइर् भी हों तो ये उन का क़वी हक़ है कक शौहर उन के आराम व र्क ु ू न, तआम और उर् की ज़रूररयात का ख़्याल रिे। घर के काम

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काि में बीवी की मदद करे । आँहज़रत ‫ ﷺ‬अपनी पौशाक मब ु ारक ख़ुद धो लेते, पेवन्द लगा लेते, बकरी का दध ु ारक हाथ र्े करते। औरत को अच्छा मलबार् ू धो लेते, ग़ज़त ये कक वो अपने काम ख़ुद अपने मब और अच्छ ख़ोराक दे ना मदत की स्ज़म्मा दारी है । िैर्ा ख़ुद िाए वैर्ा उर्े खिलाए। उर् के चेहरे पर कभी

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ना मारे । अगर तकत तअल्लक़ ु करे तो मर्फ़त घर में करे अपनी औलाद और बीवी के हुक़ूक़ अह्र्न तरीक़े र्े

rg

पूरा करे । औरत को अपनी ज़ाती कफ़ालत के मलए स्ितनी रक़म ज़रूरी है शौहर की स्ज़म्मा दारी है कक अपनी इस्ट्तताअत के मत ु ाबबक़ नान व नफ़्क़ा अदा करे । मदत को चाद्रहए कक वो कफ़रऑन ना बने, घर में

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अपनी बीवी और बच्चों र्े हुस्ट्न र्लक ू र्े पेश आए, घर की काम्याब स्ज़न्दगी दोनों की बाद्रहमी

रज़ामन्दी, इख़्लाक़, तआवुन, एह्तराम और मह ु ब्बत र्े ही मस्ु म्कन है । अहल ख़ाना को भी चाद्रहए कक

मदत के र्ाथ तआवन ु करें ता कक वो काम्याबी र्े घर का ननज़ाम चला र्के और घर में र्क ु ू न की कफ़ज़ा

w w

क़ाइम रह र्के िो कक एक पुर अम्न मआ ु श्रे की बक़ा के लोए ननहायत एहम है । (द्रहरा रमज़ान, अख़्तर

bq

आबाद)

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मर्ला ख़ार् की तरफ़ तवज्िह!

मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! अल्लाह पाक आप को और आप की तमाम नस्ट्लों को

w

ख़श ु और आबाद रिे। मैं एक मर्ले की तरफ़ क़ाररईन की तवज्िह द्रदलाना चाहती हूँ िो आि कल हर

w

घर में आम है । एक तो ये कक घरों र्े दीन ममटता िा रहा है । पहले घर के बड़े बुज़ग ु त शाम या रात में तमाम घर वालों को ले कर बैठते थे और अल्लाह और उर् के रर्ल ू ‫ ﷺ‬की बातें बताते, दीनी मर्ले

w

मर्ाइल र्म्झाते थे स्िर् की विह र्े ख़ान्दान इर् बहाने ममल िल ु कर बैठता था और र्ब लोग इकठे हो िाते थे मगर अब इर् की िगा मोबाइल, टी वी, इंटरनेट, फ़ेर्बुक और वाट्र् एप िैर्ी फ़ुज़ल ू चीज़ों ने ले ली है । ख़ान्दान का हर फ़दत इन्फ़राद्रद तौर पर अपने अपने मोबाइल पर मर्रूफ़ गफ़् ु तुगू रहता है । Page 25 of 68 www.ubqari.org

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तमाम दन्ु या र्े राब्ते में रहते हैं, दरू बैठने वालों को तस्ट्वीरें भेिी और मंगवाई िाती हैं मगर घर में रहने वाले अफ़राद के बारे में ख़बर नहीं कक उन को कोई तक्लीफ़ है या परे शानी है । बअज़ शादी शुदह हज़रात शादी शद ु ह होते हुए भी इंटरनेट पर दोस्स्ट्तयां बढ़ाते हैं, बीवी पार् बेठ शौहर के दो मीठे बोल र्न ु ने को

rg

तरर् रही होती है और शौहर फ़ेर्बुक पर ककर्ी अज्नबी र्े हं र् हं र् कर बातें चैट कर रहा होता है । इन चीज़ों की विह र्े हमारे मआ ु श्रे में घरे लू हालात द्रदन ब द्रदन कशीदा होते िा रहे हैं। तलाक़ की श्रह् बढ़ती

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िा रही है । ऐ काश के लोग किर र्े अपने अहल ख़ाना को वक़्त दे ना शुरू कर दें । मैं बअज़ औक़ात र्ोचती हूँ कक लोग अपनों को छोड़ कर ग़ैर अज्नबबयों को वक़्त दे कर ककतना घाटे का र्ौदा करते हैं। कभी अपनों के र्ाथ बैठ कर चंद बातें कर के तो दे िें आप की बे चैन रूह को ककतना र्रू ु र आए गा कक कभी

bq

आप फ़ेर्बुक का फ़ेर् भी नहीं दे िेंगे। मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब मेरा नाम शायअ ना कीस्ियेगा।

rg

ममज़ाज में बेह्तरी और वसाववस ् दरू :

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मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! मेरी बहन (अ) की र्र्रु ाली ररकतेदार हद्द दिात तेज़ है , उर् ने घर में िो फ़र्ाद िालना शरू ु कर द्रदया था, हमें तो ख़तरा था कक कहीं (अ) कुछ कर ही ना ले। वो

(अ) को हमारे बारे में भी इतना वहम में िालती, छोटी छोटी बातों पर उर् को ख़ूब रुलाती। (अ) हम बहनों

w w

र्े भी बद्द ज़न हो गयी थी। हम ने आप को ख़त मलिा तो आप ने अवल व आखख़र तीन मततबा दरूद

bq

शरीफ़, एक बार र्रू ह फ़ानतहा और तीन मततबा र्रू ह इख़्लार् पढ़ कर (अ) को दम करने का कहा। हम ने

यही अमल चालीर् द्रदन तक ककया तो काफ़ी बेह्तरी नज़र आई, (अ) हम र्े घल ु ममल र्ी गयी, शक्ल व

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र्रू त भी काफ़ी बेह्तर हो गयी है । अब वो र्र्रु ाली ररकतेदार कुछ अपने मर्ाइल में ऐर्ी उल्झी है कक उर्

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की तवज्िह (अ) र्े बबल्कुल हट गयी है और उर् के घर में र्क ु ू न आ गया है । (च, ग़)

माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112___________pg 19

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मुतवाज़ुन ग़ग़ज़ा से भरपूर लड़कपन, जवानी और शान्दार बुढ़ापा:

rg

(ये वो दौर होता है िब आप अपने र्रापे पर बहुत ज़्यादा तवज्िह दे ने लगते हैं और अपने चेहरे का दर् ू रे बदलते हैं।) (मशकूरुरत ह्मान)

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अफ़राद के चेहरों र्े मवाज़्ना करते हैं। इर्ी तरह आप के मलबार् में फ़ैशन के अंदाज़ और रं ग ढं ग भी

लड़कपन में गग़ज़ा के मआ ू त का ु म्ले में दो बातें एहम होती हैं। मअयार और ममक़्दार। लड़कपन और बलग़

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दौर इंर्ानी स्िस्ट्म में ननहायत एहम तब्दीमलयों का दौर होता है । नो र्े अठारह र्ाल के लड़के और

rg

लड़ककयां इर् उम्र में ही तब्दीमलयों के अर्रात र्े गज़ ु रते हैं। इर्ी दौर में हॉमोंज़ की र्तह में तब्दीली र्े

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स्िस्ट्म की नशो व नुमा बेह्तर अंदाज़ में होती है ताहम हॉमोंज़ की तब्दीली र्े कभी कभार मर्ाइल भी

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िड़े हो िाते हैं। मर्लन इर् दौरान अक्र्र नोिवानों के चेहरे पर कील दाने और मह ु ार्े उभर आते हैं और ममज़ाि में तब्दीली आ िाती है । ऐर्े में कभी कभी तो आप बहुत अच्छा महर्र् ू करते हैं और ख़ुशी र्े

w w

िूले नहीं र्माते और कभी कभी आप पर ग़मगीन कैकफ़य्यत तारी हो िाती है आप को ऐर्े लगता है िैर्े

आप का चेहरा परु कमशश नहीं रहा। ये वो दौर होता है िब आप अपने र्रापे पर बहुत ज़्यादा तवज्िह दे ने

bq

लगते हैं और अपने चेहरे का दर् ू रे अफ़राद के चेहरों र्े मवाज़्ना करते हैं। इर्ी तरह आप के मलबार् में

फ़ैशन के अंदाज़ और रं ग ढं ग भी बदलते हैं। यही उम्र होती है िब आप मख़् ु तमलफ़ ककताबें और रर्ाइल

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दे िते हैं और पढ़ते हैं इर् उम्र में र्ब र्े ज़्यादा स्िर् चीज़ की आप को ज़रूरत महर्र् ू होती है वो

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मत ु वाज़न ु ख़ोराक है । स्ितना मस्ु म्कन हो र्के मख़् ु तमलफ़ अज्ज़ा पर मकु तममल गग़ज़ाओं का इस्ट्तेमाल करें िब ही आप अपने स्िस्ट्म में होने वाली हॉमोंज़ की तब्दीमलयों के मज़ ु र अर्रात र्े बच र्केंगे।

w

अक्र्र नोिवानों की गग़ज़ाई आदात वामलदै न को परे शानी में मब्ु तला कर दे ती हैं। मर्लन नाकता ना

w

त व शीरीं या फ़ौरी करना, वज़न कम करने वाली गग़ज़ा िाना या उर् के बरअक्र् ज़्यादा हरारे दार मग़ ु न तय्यार होने वाली गग़ज़ाएँ, फ़ास्ट्ट फ़ूड्ज़ का शौक़ व रग़बत र्े इस्ट्तेमाल। नोिवानों की ज़रूरत गग़ज़ा ज़्यादा और इकतहा बढ़ िाती है क्योंकक लड़कपन में हरकत व फ़आमलयत उरूि पर होती है । आइन्दा

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स्ज़न्दगी की तय्यारी और तंदरु ु स्ट्ती का दार व मदार भी इर्ी दौर की गग़ज़ा पर है । मन ु ामर्ब गग़ज़ा र्े लड़कपन की नशो व नुमा भी मन ु ामर्ब रहती है । ये नशो व नुमा इर् क़दर ज़्यादा होती है िो मास्ट्वा ज़माना शीर ख़्वागगत के ककर्ी और ज़माने में नहीं होती।

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लड़कपन में स्िस्ट्मानी नशो व नम ु ा या बलग़ ू त की तकमील होती है । इर् दौरान स्िस्ट्म को ख़ब ू

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गग़ज़ाइयत चाद्रहए। इर् उम्र के लड़कों में अज़्लात पट्ठों और हड्डियों की नशो व नुमा में इज़ाफ़ा होता है । लड़ककयों को २१०० र्े २२०० और लड़कों को २८०० तक हरारों की ज़रूरत रोज़ाना होती है । बबल ्उमम ू ये कहा िा र्कता है कक लड़कपन में इर्ी क़दर गग़ज़ा की ज़रूरत है स्िर् क़दर र्ख़्त स्िस्ट्मानी मेहनत कश की यानन २५०० र्े ३००० हरारे रोज़ाना भी हो र्कते हैं। बेहर हाल इर् का इनह्र्ार स्िस्ट्मानी फ़आमलयत

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पर है । फ़ुट बॉल िेलने वाले लड़कों को चार हज़ार हरारे रोज़ाना की ज़रूरत पड़ र्कती है यानन लड़कपन

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में र्ेहत की बहाली और बढ़ोतरी और नशो व नुमा ग्रोथ के मलए इन अज्ज़ा का ख़्याल रिना चाद्रहए।

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प्रोटीन: प्रोटीन र्े आप के स्िस्ट्म को तवानाई ममलती है , ये गोकत, मछली, बादाम, अख़रोट, दालों, दध ू ,

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दही और पनीर में होते हैं। काबो हाइड्रेट्र्: इर् में शक्कर और ननशास्ट्ता ये दोनों शाममल हैं। शक्कर:इर्

र्े स्िस्ट्म में क़ुव्वत व बालीदगी पैदा होती है । ये र्फ़ेद चीनी, राब, शहद, ममठाइयां, कफ़रनन, िीर, पडु िंग

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और हल्वा इन के इलावा गन्ना और दर् ू रे शीरीं िल, िैम िेली और मरु ब्बा िात भी शक्कर के ज़म्रे में

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ही आते हैं, ख़कु क मेवा िात में ककस्कमश, ि​िरू और इंिीर का शम ु ार भी शक्कर ही की कक़स्ट्म में होता है ।

ननशास्ट्ता: इर् र्े स्िस्ट्म में हरारत और एनिी पैदा होती है । दाल, चावल और मख़् ु तमलफ़ अनािों में ननशास्ट्ता अच्छा ख़ार्ा मौिद ू होता है । र्ेवय्याँ , मैदा, बेर्न के पकवान, आल,ू अरवी, शक्कर क़न्द

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वग़ैरा भी ननशास्ट्ता के ज़म्रे में आते हैं। बअज़ गग़ज़ाओं में ननशास्ट्ता व शक्कर मकु तरक तौर पर पाए िाते

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हैं िैर्े मीठे चावल, कफ़रनन, िीर, पुडिंग और हल्वा वग़ैरा। रे शादार गग़ज़ाएँ: अच्छ र्ेहत के मलए गग़ज़ाई रे शे की बड़ी एह्मयत है ख़ार् तौर पर लड़कपन में गग़ज़ाई रे शा पर मकु तममल गग़ज़ाओं के इस्ट्तेमाल र्े

w

हज़म का ननज़ाम चुस्ट्त रहता है । गग़ज़ाई रे शे के इस्ट्तेमाल र्े ख़न ू में कोलेस्ट्रोल की र्तह भी कम रहती है

w

क्योंकक ये गग़ज़ा में शाममल रहने वाली फ़ास्ज़ल गचकनाइयों को ख़ब ू िज़्ब कर के उन्हें ख़न ू में शाममल होने र्े रोकता है । र्स्ब्ज़याँ, अनाि, पनीर, बादाम, अख़रोट, िल गग़ज़ाई रे शे के अच्छे ज़ररये हैं। मआ ु मलिीन रोज़ाना द्रदन में तीन र्स्ब्ज़याँ और दो िलों के इलावा बे छने आटे की रोटी िाने का मकवरा

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दे ते हैं। िलों में आम तौर पर आड़ू, कीनू, मौर्मी, माल्टा, र्ेब, बही और केले ज़्यादा िाए िाते हैं। गचकनाई वाली गग़ज़ाएँ: आप के स्िस्ट्म को थोड़ी गचकनाई की भी ज़रूरत पड़ती है । इर् मलए गचकनाई वाली गग़ज़ाओं का इस्ट्तेमाल भी ज़रूरी है मगर इर् की ममक़्दार ज़्यादा नहीं होनी चाद्रहए। वरना ये ना

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मर्फ़त आप की चबी बढ़ा कर मोटा करें गी बस्ल्क द्रदल पर भी इर् के मज़ ु र अर्रात मरतब होंगे। गचकनाई वाली गग़ज़ाओं में मक्िन, पनीर, दध ू , गोकत, कुछ र्ॉर् और फ़्राइि फ़ूड्ज़ शाममल हैं। ववटाममन:

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ववटाममन ऐर्े कीमयाई मादे होते हैं स्िन का गग़ज़ा में मन ु ामर्ब ममक़्दार में होना बहुत ज़रूरी है वरना र्ेहत में फ़क़त आ िाता है इर् की विह ये है कक ववटाममन स्िस्ट्म के अंदर बहुत कम ममक़्दार में पैदा होते हैं चुनाचे गग़ज़ा में इन की इतनी ममक़्दार होनी चाद्रहए स्िर् र्े र्ेहत क़ाइम रिी िा र्के।

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िँसी, दानों से स्ज़न्दगी भर के मलए ननजात:

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मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! मेरे पार् एक नुस्ट्ख़ा है िो मैं क़ाररईन अबक़री के

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मलए हदया कर रही हूँ। हुवल-शाफ़ी: नर कचूर हकीमों र्े ममल िाता है , इर् को पीर् कर बारीक रि लें ,

अक्र्र बच्चों और बड़ों को पीप वाले दाने ननकलते हैं, पीप वाले दानों की बहुत तक्लीफ़ होती है , अगर नर

कचूर र्ब ु ह व शाम चौथाई चाय वाला चम्मच पानी र्े एक माह तक िा लें तो इन शा अल्लाह आइन्दा

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स्ज़न्दगी भर के मलए इन र्े ननिात ममल िाएगी। ये नस्ट् ु ख़ा मेरी बहन ने बताया था उर् का आज़मद ू ह

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और बेह्तरीन है । (ि, र)

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दन्ु या कैसे ताबबअ हुई?

मोत के वक़्त मर्कंदर बादशाह र्े लोगों ने पूछा, आप ने इर् थोड़ी र्ी स्ज़न्दगी में ककर् तरह पूरी दन्ु या

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को ताबबअ ककया। मर्कंदर कहने लगा: मर्फ़त दो कामों र्े। पहला ये कक दकु मनों को मैं ने मज्बूर कर द्रदया कक वो मेरे दोस्ट्त बन िाएं और मैं ने दोस्ट्तों को हगगतज़ नहीं छोड़ा कक कहीं वो मेरे दकु मन ना बन िाएं।

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स्ज़न्दगी िाने के मलए नहीं: हकीम िालीनूर् र्े लोगों ने पूछा कक कौन र्ी गग़ज़ा बदन को दरु ु स्ट्त करती

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है ? उर् ने कहा कक भक ू । और ये भी कहते थे कक िाना स्ज़न्दगी के मलए ना कक स्ज़न्दगी िाने के मलए। भाइयों के र्ाथ दकु मनी: िो शख़्र् भाइयों के र्ाथ दकु मनी करे वो भाई बन्ने के लाइक़ नहीं है । (र्लीमल् ु लाह र्म ू रो, कंडियारो)

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112____________pg 20

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हाममला ख़वातीन के मलए इल्हामी नुस्ख़ा! बच्चा उम्र भर तिंदरु ु स्त:

(ये इल्हामी नुस्ट्ख़ा दो र्ाल र्े मेरे पार् है । यही नुस्ट्ख़ा बच्चों को इस्ट्तेमाल करवाया, स्िन बच्चों को कांच

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ननकलने का मज़त था इर्ी तरह र्े हाथों को रानों के दरम्यान में रिवाया उन बच्चों का बग़ैर दवा के ये मज़त

करें ।) (ज़ककया इक़्तदार, बहावल्नगर)

w

ख़त्म हो गया, बच्चों की क़ब्ज़ ख़त्म हुई, िो ख़वातीन घुटनों के ददत का मशकार हैं वो ये नुस्ट्ख़ा इस्ट्तेमाल

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आि एक ख़ातून र्े मल ु ाक़ात हुई, उन्हों ने कुछ वाक़्यात बताऐ। एक इल्हामी नुस्ट्ख़ा बताया। यही नुस्ट्ख़ा

w

ला तअदाद अफ़राद को राक़मा ने बताया। इर् नस्ट् ु ख़े को इस्ट्तेमाल करने के फ़वाइद ममले। अबक़री के हवाले ये नुस्ट्ख़ा है । वो बताती हैं कक कभी कभी उन्हें क़ब्ज़ का मर्ला हो िाता था। एक रोज़ अर्र का वक़्त था, बरवक़्त नमाज़ अदा करने की आदत थी लेककन बाथ रूम िाना ज़रूरी भी था। यँू बाथ रूम पोहं च गयी।

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लेककन कुछ ऐर्ी शदीद तक्लीफ़ हुई, वो बताती हैं कक मझ ु े यूँ लगता था कक मेरी मोत वाकक़अ हो िाएगी। मोत के बाद लोग मझ ु े ककर् हाल में यहाँ र्े उठाएंगे यहाँ तो कल्मा भी नहीं पढ़ र्कती। इर् र्े बड़ी बद्द नर्ीबी क्या होगी? िगा भी ऐर्ी है मदद के मलए भी पक ु ारा नहीं िा र्कता। यही र्ोचा कक अचानक

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अल्लाह ने ज़ेहन में एक तरीक़ा िाल द्रदया कक ऐ मेरी बन्दी अपने हाथों को वपंिमलयों और रानों के दरम्यान में रि लो और इर् तरह रिो कक हाथों का उल्टा द्रहस्ट्र्ा वपंिमलयों की तरफ़ हो और हथेली रानों की तरफ़

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और अपना वज़न हाथों पर दो अभी मस्ु ककल आर्ान हो िाएगी। वाक़ई अल्लाह की मदद आई और चंद र्ेकंिज़ में इर् बड़ी मर् ु ीबत र्े ननकल गयी वरना तो मैं अपना िनाज़ा ही दे ि रही थी। र्दक़ा ख़ैरात ककया, शुक्र अदा ककया। बाहर आ कर ये दआ ु पढ़ी।

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( ‫ ) وجعلَخریَمعریَاخرہَوخریَمعیلَخواتیمہَخریَاٰییمَویمَالقالَفیہ۔‬और

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करना बेह्तरीन उम्र मेरी आख़री द्रहस्ट्र्ा इर् का और बेह्तरीन अमल मेरा वपछले अमल और र्ब र्े बेह्तर (मनािात मक़्बल ू मर्फ़हा ४०)

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मेरे द्रदनों का वो द्रदन स्िर् में तझ ु र्े ममल।ंू

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ये इल्हामी नस्ट् ु ख़ा दो र्ाल र्े मेरे पार् है । यही नस्ट् ु ख़ा बच्चों को इस्ट्तेमाल करवाया, स्िन बच्चों को कांच

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ननकलने का मज़त था इर्ी तरह र्े हाथों को रानों के दरम्यान में रिवाया उन बच्चों का बग़ैर दवा के ये मज़त ख़त्म हो गया, बच्चों की क़ब्ज़ ख़त्म हुई, िो ख़वातीन घट ु नों के ददत का मशकार हैं वो ये नस्ट् ु ख़ा इस्ट्तेमाल

w w

करें । ददत में अफ़ाक़ा होगा। स्िन ख़वातीन को हमल हो चुका था उन्हें ये नुस्ट्ख़ा इस्ट्तेमाल करवाया। ररज़ल्ट

bq

र्ो फ़ीर्द रहा, ख़वातीन हमल र्े हैं वो ये इल्हामी नुस्ट्ख़ा इस्ट्तेमाल करें । हुवल-शाफ़ी: कीकर की गोंद एक

पाव लें इर् को दो गगलार् पानी में हुवल ्-शाफ़ी कह कर मभगो दें और र्ब ु ह को पतीली में िाल कर धीमी आंच

पर पकाएं, गोंद घुल िाए तो पतीली को चूल्हे र्े उतार लीस्िये। ठं िा होने के बाद छलनी में छान कर शीशे के

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िार में िाल कर कफ़्रि में ठं िा कर के रि दें । इस्ट्तेमाल करने का तरीक़ा: र्ब ंु एक कप दध ु ह ननहार मह ू या

w

चाय में एक कप िालें और पी लें। गममतयों में ठं िा पानी पी लें एक लीमों ननचोड़ लें , चीनी हस्ट्बे ज़रूरत िालें और पी लें। एक माह में एक पाव गोंद इस्ट्तेमाल करें । ज़्यादा भी कर र्कती हैं। गोंद के इस्ट्तेमाल र्े बच्चे की

w

नशो व नुमा बहुत ही अच्छ होती है । गोंद के इस्ट्तेमाल र्े बच्चे में क़ुव्वत मद ु ाकफ़अत पैदा होती है । नो माह

w

ये नस्ट् ु ख़ा इस्ट्तेमाल करें स्ज़न्दगी भर मामल ू बना लें तो स्ज़न्दगी की आम बीमाररयां नज़्ला, िांर्ी, र्र ददत , कमर ददत , एअर्ाबी थकन गोंद का इस्ट्तेमाल तमाम बीमाररयों को चूर् लेता है । िड़ र्े ख़ात्मा करता है । बच्चे की पैदाइश का वक़्त (ददत ज़ह) हो तो आधा पाव गोंद पानी में पका कर तीन मततबा दध ू में िाल कर

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वक़्फ़े वक़्फ़े र्े वपला दें । है रत अंगेज़ तौर पर बच्चे की नामतल पैदाइश होगी। दर् ू रा नुस्ट्ख़ा: कीकर की छाल दो ककलो ले लें , इर् को तीन ककलो पानी में पकाएं, िब पानी दो ककलो रह िाए तो पहले उर् को चूल्हे र्े उतार लें। ठं िा हो िाए तो इर् की छाल ननकाल कर िैं क दें और इर् के पानी को छान लीस्िए, गममतयों में

rg

कफ़्रि में रि कर इस्ट्तेमाल करें द्रदन में तीन गगलार् पानी पीएं। अगर इर् दौरान मोशन हो िाएं तो चावल की खिचड़ी नछल्के वाली मग ंू की दाल िाल कर पकाएं और इर् को र्ाथ िाएं। दर् ू री बार कभी मोशन नहीं

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होंगे। महीने में एक बार ये खिचड़ी िा मलया करें तो आने वाला नो मोलद ू पेट की तमाम बीमाररयों र्े महफ़ूज़ रहे गा। याद रखिये स्िर् द्रदन खिचड़ी िाएं उर् रोज़ दो नस्फ़्फ़ल पढ़ें ख़ूब गगयात व बका करें हस्ट्बे तौफ़ीक़ र्दक़ा दें । छाल का पानी पीने र्े बच्चे की हड्डियां बहुत मज़्बूत होंगी। बच्चे को घुट्टी दे ने के फ़ौरन

bq

बाद ड्रॉपर भर कर उर्े एक एक क़तरा तीन मततबा वपलाएं, ये अमल मर् ु ल्र्ल िारी रिें । बच्चा तीन माह

rg

का हो िाए तो फ़ीिर में छाल का पानी लें चीनी िालें, र्ब ु ह, दोपेहेर, शाम तीन तीन िाने का चम्मच वपला दें । इन शा अल्लाह बच्चा हमेशा ननमोननया र्े महफ़ूज़ रहे गा, उर्े पेट की कोई बीमारी नहीं होगी। दांत बहुत

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िल्द बग़ैर तक्लीफ़ के ननकालेगा। कीकर की िमलयां स्िन में बीि ना पड़ा हो कच्ची हों को छाओं में र्ि ु ा

कर पाउिर बना लें। िब बच्चा दांत ननकाले तो पाउिर में शहद ममला कर बच्चे के मर्ढ़ ू ों पर अच्छ तरह माँ

अपनी ऊँगली र्े मले, किर बच्चे को पानी वपला दे । द्रदन में तीन बार ये अमल करे । रात को भी, इर् के

w w

फ़वाइद िब ममलेंगे तो यक़ीन करना मस्ु ककल होगा। हमल के दौरान दांतों में हमेशा कीकर की ममस्ट्वाक करें

bq

इर् का फ़ायदा मर्फ़त एक ख़ातन ू का बता रही हूँ। उर् ख़ातन ू की बीर् र्ाल क़ब्ल ननगाह कम्ज़ोर हो गयी

और ऐनक लग गयी। उन्हों ने भरोर्े र्े मर्फ़त दो र्ाल ममस्ट्वाक र्ब ु ह व शाम की। दांतों के मज़त तो ख़त्म हुए

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मर्लन पाइयोररया था, के िब्ल्यू टी थी ख़त्म हो गयी। ननगाह अल्लाह ने इतनी तेज़ कर दी कक ऐनक उतर गयी। ये र्ब नबी करीम ‫ ﷺ‬की र्न् ु नत पर अमल करने की विह र्े हुआ। वो कर्रत र्े आप ‫ ﷺ‬पर दरूद

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व र्लाम भेिती रहती थी। बच्चों को ममस्ट्वाक करना मर्िाएं, अपने दांतों र्े पहले ममस्ट्वाक को नरम करें

w

किर बच्चों को बताएं कक ममस्ट्वाक ककर् तरह करते हैं। बच्चों को दांतों के अस्ट्पताल में पोहं चाने वाली उन

w

की माएँ हैं। बच्चों को तंदरु ु स्ट्त रिें हमेशा उन्हें ममस्ट्वाक का इस्ट्तेमाल करवाएं। र्त्तर र्ाला ख़ातून को दे िा स्िन के दांत ननहायत मज़्बत ू और चमक्दार थे उन्हों ने र्ारी स्ज़न्दगी मर्फ़त ममस्ट्वाक की थी। हे पटाइहटस ए, बी, सी के मलए अक्सीर नस् ु ख़ा:

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हुवल ्-शाफ़ी: तुख़्म कास्ट्नी ३० ग्राम, िड़ कास्ट्नी ३० ग्राम, कास्ट्नी के पत्ते ३० ग्राम, कलौंिी पांच ग्राम। तमाम अकया को कूट छान कर र्फ़ूफ़ बना लें। ख़ोराक: आधी चम्मच र्ब ु ह व शाम शबतत कास्ट्नी या शहद ख़ामलर् एक चम्मच एक गगलार् पानी में ममक्र् कर के इस्ट्तेमाल करें । कास्ट्नी एक ऐर्ी बा बरकत

rg

बूटी है स्िर् की अफ़ाद्रदयत के बारे में इशातद होता है कक "स्िर् ने कास्ट्नी िा ली और र्ो गया उर् पर िाद ू और ज़ेहर भी अर्र नहीं करता, किर फ़मातया: तम् ु हारे मलए कास्ट्नी मौिद ू है ऐर्ा कोई द्रदन नहीं गज़ ु रता

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कक िब िन्नत के पानी के क़तरे इर् पौदे पर ना गगरते हों। अत्तबा क़दीम ने िन्नत के पानी वाली बात को इतनी एहममयत दी कक कास्ट्नी के पत्ते िब भी ककर्ी दवाई में इस्ट्तेमाल ककये िाएं तो उन को धोया नहीं िाता। िदीद तहक़ीक़ र्े पता चला है कक िब इन पत्तों को धो मलया िाए तो ये बूटी अर्र नहीं

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करती। इर् मलए कक कास्ट्नी के पत्तों को धोना नहीं चाद्रहए। कास्ट्नी हे पटाइद्रटर् का शाफ़ी इलाि है और

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112_________________ pg23

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चंद द्रदन ही िाने र्े हे पटाइद्रटर् का िड़ र्े ख़ात्मा हो िाता है । (हकीम फ़ारूक़ चढ़वे वाला)

फफ़टनेस और जवानी पाने के ९ राज़:

(इर् राज़ को पाने के मलए मह ु म्मद शाह रं गीला ने आग्रह र्े काबुल तक हफ़्तों का र्फ़र घोड़े पर ककया।

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वहां एक अज़ीम र्ाइंर् दान ममला उर् ने ये राज़ द्रदया, यूँ ये राज़ पुरानी क़ल्मी (हाथ की मलिी) ककताब

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र्े बहुत तलाश व तहक़ीक़ के बाद मैं ने पाया।)

क़ाररईन! आप के मलए क़ीमती मोती चुन कर लाता हूँ और छुपाता नहीं, आप भी र्ख़ी बनें और ज़रूर

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मलिें (एडिटर हकीम मह ु म्मद ताररक़ महमद ू मज्ज़ब ू ी चुग़ताई)

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ना क़ीमत, ना रक़म, ना ख़चात, बबल्कुल मफ़् ु त और करना इतना आर्ान िैर्ा कक लक़् ु मा तोड़ना। १) ऐर्ा

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करने र्े कभी ऐनक ना लगे। २) कभी र्र ददत और टें शन ना हो। ३) कभी द्रदमाग़ी कम्ज़ोरी और याद्दाकत ख़त्म ना हो। ४) कभी चेहरे पर झरु रत यां और वक़्त र्े पहले बढ़ ु ापा ना हो। ५) कभी रं गत स्ट्याह ना हो,

w

हमेशा ताज़्गी हुस्ट्न व िमाल और ख़ूबर्रू ती बुढ़ापे तक रहे । ६) घट ु नों का ददत ना हो, कमर का ददत बबल्कुल क़रीब ना आए। ७) घंटों काम करने र्े भी ना थकें और बबल्कुल तर व ताज़ह रहें । ८) िवानी, शबाब, ताक़त और क़ुव्वत हमेशा बाक़ी रहे । ९) स्िस्ट्म ना झुके, कमर बल ना िाए, द्रदल के दौरे र्े Page 33 of 68 www.ubqari.org

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महफ़ूज़ रहें , द्रहम्मत, ताक़त, क़ुव्वत िवाब ना दे । इर् राज़ को पाने के मलए मह ु म्मद शाह रं गीला ने आग्रह र्े काबुल तक हफ़्तों का र्फ़र घोड़े पर ककया। वहां एक अज़ीम र्ाइंर् दान ममला उर् ने ये राज़ द्रदया, यँू ये राज़ परु ानी क़ल्मी (हाथ की मलिी) ककताब र्े बहुत तलाश व तहक़ीक़ के बाद मैं ने पाया, अब

rg

वो कफ़टनेर् और हर्ीन िवानी का ये राज़ अपने लािों, करोड़ों मह ु ब्बत और अक़ीदत करने वालों को दे ना चाहता हूँ। क्या आप लेना चाहते हैं? एक ऐर्ा र्वाल है स्िर् की तलाश में लािों लोग र्र गरम हो गए हैं

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कौन नहीं चाहता घर बेठे बबठाए र्ेहत, तंदरु ु स्ट्ती, कफ़टनेर् और हक़ीक़ी कमाल एक पल में ममल िाए। आखख़र ककर् की चाहत नहीं? कक मैं उन काम्याब लोगों में हो िाऊं स्िन की स्ज़न्दगी क़ाबबल ए रकक और स्िन की ज़ाद्रहर र्ेहत शान्दार और अंदरूनी र्ेहत िान्दार हो।

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एक बाबा िी ममले ना कमर झक ु ी हुई, ना लाठ थामी हुई, ना पाऊँ घर्ीट कर चल रहे , उन की हड्िी

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पस्ट्ली बबल्कुल ठ क, उन के मह ुं में दांत, उन के पेट में आंत, वो र्ेहत के शाहकार थे। ममलन्र्ार,

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ख़ुकबूदार, ख़ुद ही कहने लगे मेरी र्ेहत का राज़ ये है मैं ने हमेशा रात को र्ोते हुए अपने पाऊँ के तल्वों को

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मर्फ़त पांच ममनट द्रदए हैं, मैं चोंक पड़ा, र्मझ नहीं आई, मैं ने ठं िी र्ांर् भरते हुए मत ु लाशी नज़रों र्े उन्हें दे िा तो फ़मातने लगे अभी र्म्झा दे ता हूँ। बर् तेल लें कोई र्ा भी हो, ज़ैतन ू का र्रर्ों का तारा मीरा, दे र्ी

w w

घी, हल्का र्ा हाथ पर लगाएं और पूरे पाऊँ की ख़ार् तौर पर तल्वों की चंद ममनट मामलश करें , इर् तरह

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दोनों पाऊँ की मामलश कर के आप तर्ल्ली र्े र्ो िाएं उर् रात की नींद उर् रात का र्क ु ू न, और उर् रात के बाद र्ब ु ह उठने के बाद स्िस्ट्म का हल्का िुल्का होना और र्ाब्क़ा रातों का आप म्वाज़ना कर लें आप

को ख़ुद एह्र्ार् होगा। कहने लगे: मेरे वामलद की नर्ीहत थी कक बेटा हमेशा बड़ों के पार् बेठना, अपने र्े

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छोटों के पार् ना बेठना, बड़ों के पार् बैठोगे, राज़, नर्ीहत, वर्ीयत तिब ु ातत मश ु ाद्रहदात और मोती

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ममलेंगे। मैं अभी छोटा ही था बड़े बूढ़े बेठे थे। बात चल पड़ी तेल लगाने की, एक बाबा िी ने बताया मेरे गम ु ान के मत ु ाबबक़ उर् वक़्त उन की उम्र ७५ या ८० र्े ज़्यादा होगी और इर् वक़्त मैं ख़ुद ७८ र्ाल का हूँ।

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बाबा िी अपने तिब ु ातत बताते हुए महकफ़ल की तरफ़ मत ु वज्िह हुए और कहने लगे कक मैं आप र्ब र्े

w

र्ेहत मन्द हूँ, शायद मैं आप र्ब र्े बड़ा हूँ किर तमाम अहल महकफ़ल स्िर् में छे र्ात र्ब बढ़ ू े बैठे थे अपनी उम्रों का म्वाज़ना करने लगे पता चला कक वाक़ई बाबा िी र्ब र्े बड़े हैं लेककन है रत अंगेज़ तौर पर र्ब र्े र्ेहतमन्द हैं। बाबा िी ख़द ु ही कहने लगे कक मेरी स्ज़न्दगी का राज़ ये है कक मझ ु े माँ ने हमेशा पाऊँ

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के तल्वों पर तेल लगवाया पहले तो मुझे र्मझ ना आई अम्माँ ऐर्ा क्यूँ करती है ? िब मैं ने शऊर में क़दम रिा तो माँ ने बताया बेटा अगर तू अपनी स्ज़न्दगी में पाऊँ के तल्वों को र्ोते वक़्त तेल मल्ता रहा तो तझ ु े ये नो राज़ ममलेंगे। बाबा िी कहने लगे ये नो राज़ तो बताने के हैं मझ ु े तो वो राज़ ममले हैं कक मैं

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आप को बताऊँ आप ख़ुद शमात उठें गे कक बुढ़ापे में बाबा िी िवानी की बातें करते हैं। मैं ने अपनी वामलदा को (बाबा िी ने तमाम बढ़ ू ों को खझंझोड़ते हुए कहा) हमेशा अपने पाऊँ की और अपनी औलाद के पाऊँ के

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तल्वों को तेल लगाते हुए दे िा और मेरी वामलदा का िाना छूट िाए स्ज़न्दगी का कोई काम इधर र्े उधर हो िाए पर ये अमल बहुत एतमाद और एह्तमाम र्े करती थीं और इर् अमल में मैं ने वामलदा को बहुत कुछ पाते और बहुत कुछ लेते दे िा।

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क़ाररईन! एक छोटा र्ा अमल स्िर् पर क़ीमत कुछ नहीं लगती वक़्त बबल्कुल नहीं, मश ु क़्क़त नाम की

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चीज़ नहीं तो क्या ख़्याल है ये छोटा र्ा अमल आप को ककतनी बड़ी मश ु क़्क़तों, बीमाररयों तक्लीफ़ों बुढ़ापे

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की माज़रू रयों और बुढ़ापे की ग़ल ु ाममयों र्े बचा दे गा। आप की उम्र र्ो र्ाल र्े ज़्यादा हो, आप बबल्कुल

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यक़ीन और ऐनुल्यक़ीन र्े ये बात लोगों को बता र्कते हैं कक मेरी स्ज़न्दगी के राज़ों में िो राज़ है वो मर्फ़त पाऊँ के तल्वों पर र्ोते वक़्त तेल, तेल और तेल है । एक स्ट्यार्ी आदमी िो मल् ु क के मशहूर हैं, मझ ु े ममले

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अपनी नींद, टें शन, परे शानी, ज़ेहनी उल्झनें , ग़स्ट् ु र्ा, झझ ुं लाहट, उक्ताहट और परे शननयों का हाल बयान

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ककया। मैं ने उन्हें मर्फ़त यही टोटका बताया उन का बार बार इर्रार था कक कोई दवाई बताएं, मैं ने उन्हें

अज़त ककया आप इर् र्े पहले ख़ुद बहुत ज़्यादा दवाएं इस्ट्तेमाल कर रहे हैं इतनी बड़ी दवाओं के बाद अब आप को ककर्ी और दवाई की हगगतज़ ज़रूरत नहीं आप मर्फ़त और मर्फ़त यही दवाई यानन तेल वाला टोटका

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इस्ट्तेमाल करें इन शा अल्लाह आप को इर् के बाद और ककर्ी दवाई की हगगतज़ हगगतज़ ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

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बड़ी मस्ु ककल के बाद उन्हें मेरी बात र्मझ आई तो मान गए, मानने के बाद कुछ ही माह गज़ ु रे थे मल ु ाक़ात हुई, कहने लगे पहले पहल तो मैं ने बे यक़ीनी र्े ये अमल ककया और कभी कभी छोड़ भी दे ता

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था लेककन बे यक़ीनी र्े ककया हुआ अमल वाक़ई मझ ु े ताक़त, तार्ीर और बहुत फ़ायदा दे गया और मझ ु े

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एह्र्ार् हुआ कक मैं एक है रत अंगेज़ ताक़त और फ़ायदा और तार्ीर पा चक ु ा हूँ। अब मेरी हालत बदल गयी है , ज़ेहन उर् की उल्झनें , ममज़ाि तबीअत और तमाम कैकफ़य्यात बहुत ज़्यादा बदल कर और मैं एक पहले र्े ज़्यादा नामतल और र्ेहत मन्द इंर्ान बन गया हूँ। आप ज़रूर बताएं बस्ल्क अस्ट्र्ेम्ब्ली के

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इज्लार् में िब भी मझ ु े लाहौर िाना होता है और बहुत र्े लोगों को मैं ये बताता हूँ। स्ितनों ने भी ककया र्ब ने नफ़ा और फ़ायदा पाया क्या कमाल की चीज़ है , मैं आप का ननहायत मककूर हूँ।

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सरू ह नास पढ़ी और सब ठीक: मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! कल रात एक अिीब बात हुई, मैं अपने बबस्ट्तर पर र्ो

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रही थी कक अचानक मझ ु े महर्र् ू हुआ कक मेरे स्िस्ट्म की हरकत ख़त्म हो गयी और एक मझ ु े बहुत तेज़ हवा र्ी महर्र् ु े अिीब लगा, ू हुई िो नीचे र्े मेरे ऊपर आ रही थी। र्मझ नहीं आया कक वो क्या थी? मझ मैं हरकत कर नहीं पा रही थी, किर मैं ने कल्मा पढ़ा तब कुछ फ़क़त महर्र् ू हुआ मगर वो हवा ना गयी,

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112___________pg24

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कराची)

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किर मैं ने र्रू ह नार् पढ़ी और वो कैकफ़य्यत फ़ौरन ख़त्म हो गयी और मेरी र्ांर् में र्ांर् आई। (न-अ,

ससरु ाली झगड़ों से ननजात का गारें टी शद ु ह अमल:

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र्र्रु ाली झगड़ों और मर्ाइल र्े ननिात का नायाब व मि ु रत ब अमल, ख़वातीन इर् अमल र्े अपना

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मर्ला हल कर र्कती हैं, गारें टी शद ू इज़्ज़त र्े पेश आएँगे। अगर ककर्ी के ु ह है । र्र्रु ाल में लोग ख़ब र्ाथ ऐर्ा मआ ु म्ला पेश आए कक उर् के र्र्रु ाल वाले उर् की इज़्ज़त ना करते हों।)

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मज ु रस ब अमल बा ख़बर रूहानी:

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(नईमल् ु हर्न ्, लाहौर)

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ये अमल नई आने वाली ककताब तस्ट्ख़ीरात व अममलयात की रूहानी दन्ु या द्रहस्ट्र्ा अवल र्े दे रहा हूँ िो

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पढ़े गा वो इर् अमल को कर र्कता है । ये अमल इस्ट्तख़ारह के मलए है । मंदिात ज़ेल इस्ट्तख़ारह ख़ुद ककया, दोस्ट्तों और ज़रूरत मन्दों को बताया बड़ा ज़ोद अर्र और वज़ाहत र्े िल्द ही बाख़बर

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करता है । मदत तरीक़ा पर दो नस्फ़्फ़ल इस्ट्तख़ारह अदा कर के रोज़ाना चार ज़ानू बैठ कर अपने मक़्र्द का तर्व्वुर कर के एक र्ो एक मततबा पढ़ें । इन शा अल्लाह तीन रोज़ में ख़्वाब में हल मालम ू होगा। अमल: ُ

"या हफ़ीज़ु" (‫ظ‬ َ ‫ )ٰیَح نَف َْی‬तीन मततबा "या बदीउ" (‫ )ٰیَب ن َد َْی ُ َع‬तीन मततबा "या बदीअ-ल ्-अिाइबब बबल्ख़ैरर या बदीउ" ْ

ْ

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ْ ْ (‫ریَٰیَب ن َد َْی ُ َع‬ ‫نب نَِبلَ ن‬ ‫ )ٰیَب ن َد َیعَ َالعجائ ن‬तीन मततबा अवल व आखख़र दरूद शरीफ़ नयारह नयारह मततबा पढ़ें और उर्ी िगा

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र्ो िाएं, बबस्ट्तर पाक र्ाफ़ होना चाद्रहए।

मख़्लक़ ू को मेहरबान करने के मलए: िो शख़्र् रोज़ाना हर नमाज़ के बाद र्ो मततबा पढ़े वो तमाम दन ु ेवी َ ُ ‫)ٰیَر نَح َْی‬। आफ़तों र्े महफ़ूज़ रहे गा और तमाम मख़्लक़ ू उर् पर मेहरबान होगी। वो इस्ट्म ये है : "या रहीम"ु (‫م‬

इिाज़त आम है ।

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बीवी को बा ह्या और बा पदात बनाने का अमल: इन कमलमात को एक र्ो पच्चीर् मततबा अवल व आखख़र

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दरूद शरीफ़ तीन तीन मततबा पढ़ कर श्रीनी पर दम कर के बीवी को खिलाएं। इन शा अल्लाह बा पदात हो

बबस्ल्क़स्स्ट्त ला इलाह इल्ला हुव-ल ्अज़ीज़ु-ल्हकीमु (आल इम्रान १८) ْ

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ٰ ٰ ٰ ٗ ُ (‫م‬ َ ُ ‫ک َْی‬ َ‫َہللاَانہَ​َلَانلہَانَل َُہوَوالمل ٓ نئکَۃَوَاولواَال نعل نمَقا نئمًۢا نَِبل نق ْس نطَ​َلَانلہَانَل َُہوَالع ن َز ْ ُْیَاْل ن‬ ‫)ش نہد‬

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िाएगी। कमलमात ये हैं: "शद्रहदल्लाहु अन्नहू ला इलाह इल्ला हुव वल्मलाइकतु व उल-ु ल ्इस्ल्म क़ाइमम ्

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बद्द इख़्लाक़ शौहर या बीवी की इस्ट्लाह का अमल: कमलमात: "या रह्मान कुस्ल्ल शैइन ् व राद्रहमहू" ِ ُ

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ٰ ْ ‫)ٰیَر‬। र्फ़ेद रे शम के टकड़े पर मकक व ज़ाफ़रान र्े ये कमलमात मलि कर नाम मअ वामलदा ْ ‫ک‬ (‫َشَ ٍءَور ناْ ٗ َہ‬ ‫َْ​َ ن‬ ु ु

मलिें और उर् घर में ककर्ी पाक िगा दफ़न कर दें । इन शा अल्लाह इख़्लाक़ में दरु ु स्ट्तगी आना शुरू हो

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िाएगी।

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शौहर या बीवी को राह रास्ट्त पर लाने का अमल: इर् अमल को मदत के इलावा औरत भी कर र्कती है अगर बीवी को शौहर ख़चात ना दे उर् को अच्छा ना र्म्झे और बुरा भला कहता हो तो औरत को चाद्रहए

w

इर् अमल को इिाज़त ले कर अमल को शरू ु करे अगर बीवी को राह रास्ट्त पर लाना हो या शौहर को

w

रास्ट्त पर लाना हो तो दित ज़ेल आयत को इक्तालीर् मततबा नयारह द्रदन ककर्ी िाने या पीने की चीज़ पर दम कर के खिलाएं। इन शा अल्लाह बहुत िल्द काम्याबी होगी। वो आयत ये है ।: क़ुल ्-ल्ला यस्ट्तवव-ल ्-

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ख़बीर्ु वत्तस्य्यबु व लौ अअिबक कस्रतु-ल ्-ख़बीमर् फ़त्तक़ुल्लाह याउमल-ल ्-अल्बाबब लअल्लकुम ् तुस्फ़्लहून (अल्माइदा) ُْ

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ْ ِ ُ ْ ْ ُ ‫الط َِی‬ (﴾۰۲۲‫ولَاَلَل ٰب نبَلعلک ْمَتف نل ُح ْونَ﴿المائدہ‬ ‫ثََۚفاتقواَہللاَ ٰ َٰی ن‬ ‫بَول ْوَاْعبکَکثَۃَال ن َب َی ن‬ ‫) قلَ​َلَیَست ن َویَال ن َب َیثَو َ ن‬।

िल्द शादी का अमल: ये अमल शादी के मलए तहरीर ककया िा रहा है और अगर लड़ककयों की शादी में ये

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अमल कारगर है । इर् अमल का कर्रत र्े ववदत करते रहने र्े लड़ककयों की शादी के मआ ु म्ले में मस्ु ककलात दरू हो कर आर्ाननयां पैदा होती हैं एक दर् ू रा तरीक़ा ये है की पांच र्ो बार बाद अज़ नमाज़ इशा अवल व आखख़र दरूद शरीफ़ र्ात र्ात मततबा पढ़ें । अमल की मद्द ु त इक्कीर् या इक्तालीर् यौम तक ُ

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َ ُ ‫ )ٰیَل ن َط َْیفَٰیَح نَل َْی‬औरत या लड़की ख़ुद करे । है । अमल ये है : "या लतीफ़ु या हलीम"ु (‫م‬

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शादी के मलए मि ु रत ब इस्ट्तख़ारह का अमल: इर् अमल को वो लड़की या औरत स्िर् की शादी या ननकाह

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का मर्ला है वो र्ोने र्े क़ब्ल दो रकअत नस्फ़्फ़ल पढ़ें और र्लाम के बाद अवल व आखख़र दरूद शरीफ़

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नयारह नयारह मततबा के र्ाथ ३८२ मततबा अमल "इय्याक नअबुद ु व इय्याक नस्ट्तईनु। ُ (‫ْی‬ َ ُ ْ ‫) نَا ِ َٰیکَن ْع ُبدَوَ نَا ِ َٰیکَن ْست نَع‬। किर बात ककये बग़ैर र्ो िाएं।

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ससरु ाली झगड़ों से ननजात का गारें टी शद ु ह अमल:

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र्र्रु ाली झगड़ों और मर्ाइल र्े ननिात का नायाब व मि ु रत ब अमल, ख़वातीन इर् अमल र्े अपना

मर्ला हल कर र्कती हैं, गारें टी शुदह है । र्र्रु ाल में लोग ख़ूब इज़्ज़त र्े पेश आएँगे।

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आगर ककर्ी के र्ाथ ऐर्ा मआ ु म्ला पेश आए कक उर् के र्र्रु ाल वाले उर् की इज़्ज़त ना करते हों।

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तआने दे ते हों या बुरा रवय्या रिते हों तो दित ज़ेल कमलमात को पांच र्ो मततबा रोज़ाना अवल व आखख़र

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ْ ْ ‫)ٰیَب َد َْیعَ َ ْالعجائ‬। ( ‫ریَٰیَب ن َد ْیَ ُ َع‬ ‫نب نَِبلَ ن‬ ‫ن‬ ‫ن‬

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दरूद शरीफ़ नयारह नयारह मततबा के र्ाथ पढ़ें । कमलमात ये हैं:- "या बदीअ-ल ्अिाइबब बबल्ख़ैरर या बदीउ"

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घरे लू मसाइल का इिंसाइक्लो पेडिया: बालों का टूटना और उन का इलाज

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आि कल बालों का टूटना, गगरना और बालों की कम्ज़ोरी आम मशकायत में र्े एक है इर् की विह रं ग बरं गे केममकल ममले शैम्पू और हे यर िाई होने के र्ाथ र्ाथ तेल ना लगाना भी है , लड़ककयों में आि कल

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बालों को रँ गने के मलए पॉलतर िा कर मस्ट्नूई केममकल र्े बने हे यर िाइज़ ् र्े बाल िाई करवाना फ़ैशन बन गया है । वक़्ती तौर पर तो बाल अच्छ "लक ु " दे ते हैं मगर किर बाद में बालों का िो हाल होता है वो अपनी अर्ल रं गत भी िो दे ते हैं और उन में रूिापन आ िाता है आि आप को बालों की ख़ूबर्रू ती के मत ु अस्ल्लक़ और उन की र्ेहत के मलए चंद टोटके बताती हूँ: घेक्वार का पोदा बहुत आम है , दो तीन इंच

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का एक टुकड़ा ले कर उर् में र्े गद ू ा ननकाल लें उर् गद ू े को बालों की िड़ों में अच्छ तरह लगा कर

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मस्ट्र्ाि करें और दो घंटे तक लगा रहने दें किर बाल धो लें बाल धोने के मलए वपर्े हुए रीठे इस्ट्तेमाल करें

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हर कक़स्ट्म के शॅम्पूज़ का इस्ट्तेमाल बन्द कर दें , गीले बालों में कभी भी कंघा ना करें ख़ुकक होने दें किर

आद्रहस्ट्तगी र्े कंघा या ब्रश करें । ये अमल हफ़्ते में दो मततबा करना है , दो माह के बाद आप अपने बालों

को िाँदार, ख़ब ू र्रू त, मर्ल्की और लम्बे होते हुए महर्र् ू करें गी। इर् र्े बालों की नशो व नम ु ा में इज़ाफ़ा

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होता है । ख़ुककी दरू होती है र्रर्ों के तेल में चौथाई द्रहस्ट्र्ा कैस्ट्टर ऑइल ममला कर रि लें ये बालों के

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मलए बेह्तरीन तेल है । इर् र्े बाल घने ओर लम्बे हो िाते हैं।

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अमराज़ र्े मशफ़ा:

अकशाफ़ी ( ‫)الشافي‬: इर् इस्ट्म में बीमाररयों र्े मशफ़ा पाने की ख़ार् तार्ीर है इर् के ज़ाककर को अल्लाह

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तआला हर ऐब व नुक़्र् व मज़त र्े महफ़ूज़ रिता है अगर मरीज़ पर ४३ बार ये इस्ट्म पढ़ कर दम करें तो

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वो मरीज़ मशफ़ा पाता है । दआ ु ये है : अल्लाहुम्म अन्त-कशाफ़ी ला मशफ़ाअ इल्ला मशफ़ाउक या अल्लाहु मशफ़ाअन ् ला युग़ाद्रदरु र्क़मन ् वला अलमन ्। ‫م‬

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ُ َ‫افَ​َلشفاءَانَلَشفائَُکَٰی‬ ُ (‫ما‬ َ ‫ہللاَ نشفا مئَ​َلَ َیُغا نُ ُرَسق مماَوَلَال‬ ‫ن‬ ‫)اللہ ِمَانتَالش ن ْ ن‬

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ُ ‫ا ِلر نَق َْی‬: इर् इस्ट्म के ज़ाककर पर अल्लाह तआला अपनी बे पनाह बरकतें नास्ज़ल फ़मातता है । (बहवाला: َ‫ب‬

||अबक़री की र्ाबबक़ा फ़ाइलों र्े मोती चुनें:

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माहनामा अबक़री स्िल्द नंबर ५)

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घरे लू ना चाकक़यों, ररज़्क़ की तंगी, परे शाननयों र्े ननिात के मलए और र्द्रदयों र्े छुपे र्दरी राज़ों और नतब्बी मालम ु कता र्ालों के तमाम ररर्ाला ू ात र्े मक ु म्मल तौर पर इस्ट्तेफ़ादह के मलए अबक़री के गज़ िात मस्िल्द दीदा ज़ेब फ़ाइल की र्रू त में दस्ट्तयाब हैं। ये ररर्ाला िात आप की नस्ट्लों के मलए रूहानी,

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स्िस्ट्मानी, नफ़्स्ट्याती मुआमलि ् र्ाबबत होंगे।

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क़ीमत फ़ी स्िल्द ५००/- रूपए इलावा िाक ख़चत||

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112____________pg26

बच्चे ने आयत-अल ्-कुसी पढ़ी! िाकू रक़म वापस कर गए:

(हाककम की ये अिीब व ग़रीब बात र्ुन कर तमाम लोग परे शान हो गए। नो िवान ककर्ान स्िर् ने

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अपने बूढ़े बाप को मकान की छत वाले कमरे में छुपा रिा था घर आ कर अपने वामलद र्े कहने लगा: आि हाककम ने हुक्म द्रदया है कक र्ब राि का रस्ट्र्ा बना कर लाएं। भला राि र्े भी ककर्ी ने रस्ट्र्ा

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(बच्चों का मर्फ़हा)

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बनाया है )

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ये एक र्द्रदत यों की स्ट्याह रात थी। तारीकी और ख़ामोशी अपनी हदों को छू रही थी। हवा के झक्कड़ पत्तों

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को द्रहलाते और दरख़्तों को झक ु ाते हुए गज़ ु र िाते। बाहर की हर चीज़ िमने लगी। लोग अपने घरों के महफ़ूज़ कमरों में र्ो रहे थे। ऐर्ा द्रदिाई दे ता था कक लम्बी र्दत रात ने वक़्त को िमा द्रदया है । गगदत व न्वाह में एक र्ड़क के क़रीब पुर इर्रार नक़ल व हरकत थी। चार र्ाए वपस्ट्तौल हाथ में पकड़े हरकत कर

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रहे थे वो आपर् में र्रगोमशयों में बात कर रहे थे। वो एक माल्दार तास्िर के घर पोहं च गए। अब वो अंदर िाने के रास्ट्तों के बारे में र्ोचने लगे। घर के अंदर िाने के रास्ट्तों के बारे में र्ोचने लगे। घर के अंदर हम्ज़ा, उन की माँ, उन की बीवी और बच्चा अब्दल् ु लाह िाकुओं र्े बे ख़बर चैन की नींद र्ो रहे थे। एक

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िाकू ने दीवार िुलांगग और दर् ू रे र्ागथयों के मलए दरवाज़ा िोल द्रदया। िाकुओं ने ख़ामोशी के र्ाथ उर् कमरे के र्ामने अपनी िगहें मक़ ु रत र कर लीं स्िर् में हम्ज़ा का ख़ान्दान र्ो रहा था। उन्हों ने दरवाज़े को

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तोड़ा और कमरे में दाखख़ल हो गए। हम्ज़ा का ख़ान्दान िटी िटी ननगाहों र्े िाकुओं को दे िने लगे। एक िाकू ने र्ख़्त आवाज़ में उन्हें चुप रहने के मलए कहा। ख़ामोशी के ये चंद ना क़ाबबल बदातकत लम्हे थे। एक करख़्त आवाज़ दब ु तनी पड़ेगी। किर ु ारह उभरी। अगर ककर्ी ने मदद तलब की तो उर्े इर् की र्ज़ा भग

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र्रदार ने हुक्म द्रदया कक क़ीमती अकया िमा करें । हम्ज़ा ने एक िाकू र्े कहा: ये तुम ग़लत कर रहे हो

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तुम्हें ऐर्ा नहीं करना चाद्रहए ख़ुदा का ख़ौफ़ करो। िवाबन िाकू ने अपनी बंदक़ ू हम्ज़ा की कनपटी पर रि दी और दहाड़ कर कहा "ख़ामोश" उर् ख़ौफ़नाक मंज़र ने तमाम घर के अफ़राद में ख़ौफ़ पैदा कर द्रदया।

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हम्ज़ा का बेटा ख़ौफ़ के आलम में अपनी माँ का बाज़ू पकड़ कर िड़ा था। उर् का छोटा र्ा ज़ेहन अपने

ख़ान्दान पर बीतने वाली मर् ु ीबत का अहाता नहीं कर र्कता था। वो है रान था कक उर् के घर में दाखख़ल होने वाले और हर चीज़ ले िाने वाले ये कौन लोग हैं? वो रोने लगा और अपने वामलद र्े पछ ू ा: "बाबा ये

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गन्दे लोग कौन हैं?" उर् के वामलद ने िवाब द्रदया: मेरे प्यारे बेटे! ये चोर हैं, ये इंर्ानों का ख़्याल नहीं

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रिते, ये र्न ु कर िाकू हं र् पड़े और िाने के मलए मड़ ु ।े अब्दल् ु लाह बोला: बाबा लेककन दादी अम्माँ ने मझ ु े बताया था अगर मैं र्ोने र्े पहले आयत-अल ्-कुर्ी पढ़ लँ ू तो कोई बुराई हमारे घर में दाखख़ल नहीं होगी

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और अल्लाह तआला हमें अपनी द्रहफ़ाज़त में ले लेगा। बाबा मैं ने र्ोने र्े पहले आयत-अल ्-कुर्ी पढ़ ली थी। ये र्ब कुछ क्यूँ हो रहा है । ये बुरे लोग हमारे घर में कैर्े दाखख़ल हुए। क्या अल्लाह तआला ने हमें

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अपनी द्रहफ़ाज़त में नहीं मलया। ये र्वाल इतनी मार्मू मयत र्े ककया गया था कक िाकुओं के र्रदार के

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पाऊँ िम गए। एक ख़ौफ़ स्िर्े वो पहले कभी नहीं िानता था उर्े ला हक़ हो गया। वो कांपने लगा, पर्ीने

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र्े शराबोर हो गया िैर्ा कक वो ककर्ी अनदे िी क़ुव्वत के क़ाबू में हो। वो बोझल क़दमों के र्ाथ अब्दल् ु लाह के क़रीब पोहं चा और पछ ू ा: "क्या तम ु आयत-अल ्-कुर्ी िानते हो" अब्दल् ु लाह ने र्र द्रहलाया और आयत-अल ्-कुर्ी को द्रदल की गेहराई र्े पढ़ने लगा: उर् के पढ़ने के र्ाथ र्रदार अपने आप को

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गन ु ाहों के बोझ तले कम्ज़ोर महर्र् ू कर रहा था। िब अब्दल् ु लाह ने नतलावत ख़त्म की तो िाकू की करख़्त आवाज़ एक कम्ज़ोर आवाज़ में बदल गयी। उर् ने अपने र्ागथयों र्े कहा: तमाम अकया वहां रि दें िहाँ र्े उठाई गयी हैं" किर र्रदार ने अब्दल् ु लाह र्े कहा: बेशक तम ु अल्लाह की द्रहफ़ाज़त में हो। वो

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बेह्तरीन द्रहफ़ाज़त करने वाला है िो लोग अल्लाह का नाम द्रदल की उथाह गहराइयों र्े लेते हैं उन्हें कोई नक़् ु र्ान नहीं होता। हमें मआ ु फ़ कर दो और हमारे मलए दआ ु मांगो। तम ु ने हमें वो रास्ट्ता द्रदिाया है स्िर्े

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हम काफ़ी अरर्ा र्े भल ु लाह उन ू चुके थे। र्रदार चुप चाप अपने र्ागथयों र्मेत घर र्े चला गया अब्दल् िाकुओं को आि भी याद करता है ।

(इन्तख़ाब: र्ांवल चुग़ताई, रान्झू चुग़ताई, अम्माँ ज़ेबू चुग़ताई, भरू ल चुग़ताई, अहमद पुर मशरक़्या)

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बुज़ग ु त ककर्ान की दानाई और राि का रस्ट्र्ा:

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प्यारे बच्चो! कहा िाता है कक आि र्े र्द्रदयों पहले चीन में िब कोई शख़्र् र्ाठ र्ाल की उम्र को पोहं च

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िाता तो उर्े एक पहाड़ी के पीछे िाई में िैं क आते थे। उर्ी इलाक़े में एक ककर्ान भी रहता था स्िर् की

उम्र र्ाठ र्ाल हो गयी थी चुनाचे वहाँ के हाककम ने हुक्म द्रदया कक ये ककर्ान अपनी उम्र को पोहं च चुका

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है इर् मलए इर्े वहां िाई में िैं क द्रदया िाए ककर्ान के बेटे का िी तो नहीं चाहता था कक अपने बढ़ ू े बाप

को पहाड़ों में िैं क आए लेककन हाककम का हुक्म था वो मज्बूर था। उर् ने अपने वामलद को कन्धों पर

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उठाया और पहाड़ों की तरफ़ चल पड़ा, नोिवान ककर्ान अपने वामलद को उठाए पहाड़ों की तरफ़ चला िा

रहा था। बूढ़ा ककर्ान उर् के कन्धों पर बेठा था और रास्ट्ते में आने वाले दरख़्तों की शाख़ें तोड़ तोड़ कर

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िैं कता िा रहा था। िब नोिवान ककर्ान ने उर्े इर् तरह टहननयां िैं कते हुए दे िा तो पूछने लगा: अब्बा

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िान! ये आप क्या कर रहे हैं? िवाब में बूढ़ा ककर्ान बोला: मेरे बेटे मैं रास्ट्ते में शाख़ें इर् मलए िैं कता आ रहा हूँ ता कक िब तुम मझ ु े िैं क कर वापर् िाओ तो रास्ट्ता ना भल ू िाओ। बेटे ने िब बूढ़े ककर्ान की ये

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बात र्न ु ी तो अपने द्रदल में र्ोचने लगा कक मेरे वामलद ककर् क़दर रहमद्रदल हैं! उन्हें मझ ु र्े ककतनी

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मह ु ब्बत है , मैं इन्हें कैर्े पहाड़ों में िैं क दँ ,ू चुनाचे उर् ने उन्हें पहाड़ी की िाई में िैं कने का इरादा तकत कर द्रदया और ख़ामोशी र्े घर वापर् ले आया। घर आ कर उर् ने बढ़ ू े ककर्ान को मकान के एक कोने में छुपा द्रदया ता कक ककर्ी को इर् का इल्म ना हो र्के। इर् बात को कुछ ही अरर्ा गज़ ु रा था कक वहां के हाककम

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ने गाँव के तमाम ककर्ानों को तलब ककया। िब वो र्ब िमा हो गए तो हाककम कहने लगा कक तुम में र्े हर एक को हुक्म द्रदया िाता है कक ऐर्ा रस्ट्र्ा लाओ िो राि र्े बनाया गया हो। हाककम की ये अिीब व ग़रीब बात र्न ु कर तमाम लोग परे शान हो गए। नोिवान ककर्ान स्िर् ने अपने बढ़ ू े बाप को मकान की

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छत वाले कमरे में छुपा रिा था घर आ कर अपने वामलद र्े कहने लगा: आि हाककम ने हुक्म द्रदया है कक र्ब राि का रस्ट्र्ा बना कर लाएं। भला राि र्े भी ककर्ी ने रस्ट्र्ा बनाया है । ये कैर्े मस्ु म्कन है , उर् का

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वामलद अगर चे बूढ़ा था मगर इंतहाई ज़हीन और तिब ु ातकार था। उर् ने अपने बेटे र्े कहा: तुम एक रस्ट्र्ा इर् तरह बटौ कक उर् की गगरहें र्ख़्ती र्े कर्ी हुई हों किर उर् रस्ट्र्े को इर् तरह िलाओ कक वो आद्रहस्ट्ता आद्रहस्ट्ता राि में तब्दील हो िाए। किर िब पूरा रस्ट्र्ा िल िाए तो उर्े बड़ी एहत्यात र्े

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हाककम के पार् ले िाओ। नोिवान ककर्ान अपने वामलद की बात र्न ु कर बहुत ख़ुश हुआ। उर् ने इर्ी

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तरह ककया। हाककम ने नोिवान ककर्ान की बहुत ख़ुश हुआ। उर् ने इर्ी तरह ककया। हाककम ने नोिवान ककर्ान की बहुत तारीफ़ की और ज़हानत की दाद दी और कहा ऐ नोिवान ककर्ान! तुम ने ये मस्ु ककल

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काम कैर्े कर मलया? िवाब में ककर्ान अदब र्े बोला: अगर आप मझ ु े मआ ु फ़ कर दें तो मैं आप को र्च र्च बताता हूँ। बादशाह ने कहा तुम र्च र्च बताओ तुम्हें कोई तक्लीफ़ नहीं दी िाएगी। ककर्ान ने

तमाम वाक़्या र्न ु ा द्रदया। हाककम नोिवान की बात र्न ु कर बहुत मत ु ामर्र हुआ। उर् ने अपने द्रदल में

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र्ोचा कक बूढ़े लोग बहुत ज़हीन और तिब ु ातकार होते हैं। उन्हें पहाड़ों में िैं कने की बिाए उन की पूरी पूरी

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द्रहफ़ाज़त करनी चाद्रहए और किर उर्ी रोज़ हाककम ने ये ऐलान करवा द्रदया। आि र्े र्ाठ र्ाल की उम्र को पोहं चने वाले बूढ़े लोगों को पहाड़ी िाई में िैं कना बन्द कर द्रदया िाए और उनकी पूरी पूरी दे ि भाल

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की िाए ता कक उन की ज़हानत और तिब ु े र्े फ़ायदा उठाया िा र्के। (मह ु म्मद ज़ाद्रहद, र्ाहे वाल)

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112____________pg 27

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क़ाररईन की ख़ुसूसी और आज़मूदह तहरीरें :

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(क़ाररईन! आप भी बुख़ुल शुक्नी करें आप ने कोई रूहानी, स्िस्ट्मानी नुस्ट्ख़ा, टोटका आज़्माया हो और उर् के फ़वाइद र्ामने आये हों या आप ने कोई है रत अंगेज़ वाक़्या दे िा या र्न ु ा हो तो अबक़री के मर्फ़हात आप के मलए हास्ज़र हैं, अपने मामल ू ी र्े तिब ु े को भी बेकार ना र्मखझये, ये दर् ू रे के मलए मस्ु ककल का

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मलिें, नोक पलक हम ख़द ु ही र्ंवार लेंगे।)

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हल र्ाबबत हो र्कता है और आप के मलए र्दक़ा िाररया। चाहे बे रब्त ही मलिें मर्फ़हात के एक तरफ़

चाइनीज़ का जान्वरों से प्यार:

मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! ये वाक़्या मेरी बेटी ने मझ ु े र्न ु ाया, मेरी बेटी इस्ट्लाममक यूननवमर्तटी में पढ़ती है । वो मझ ु े कहने लगी कक हमारे र्ाथ कुछ चाइनीज़ लड़ककयां भी पढ़ती

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हैं और वो इर् क़दर ख़ुदा तरर् हैं कक एक द्रदन मैं और मेरी दोस्ट्त हॉस्ट्टल र्े तय्यार हो कर यूननवमर्तटी

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िा रही थीं स्िर् रास्ट्ते र्े हम िाती थीं वहां रास्ट्ते में एक कुत्ते का छोटा र्ा बच्चा मरा हुआ पड़ा था और

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हम अपने आप को बचा कर बड़े ध्यान र्े नाक पर हाथ रि कर िल्दी र्े वहां र्े गज़ ु र रही थीं कक उधर र्े दो चाइनीज़ लड़ककयां बड़ी कफ़ट फ़ाट तय्यार थीं, यानन िीन्ज़ िोगज़त वग़ैरा पहने हुए और वो गज़ ु र रही थीं कक उन की नज़र भी उर् कुत्ते के बच्चे पर पड़ी। उन्हों ने फ़ौरन एक दरख़्त र्े छोटी र्ी टहनी तोड़ी

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और ज़मीन िोदनी शरू ु कर दी। पहले तो हमें र्मझ ना आई और किर िब र्मझ आई तो हमारे में भी

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िज़्बा िाग उठा और हम हाथों र्े शुरू हो पड़े और एक गढ़ा तय्यार ककया। उधर र्ाथ ही उर् कुत्ते की माँ

भी पार् आ कर िड़ी हो गयी। उन चाइनीज़ ने उन टहननयों के र्ाथ बड़े आराम र्े उर् कुत्ते के बच्चे को

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गढ़े में िाला और उर् के ऊपर ममट्टी िाल कर दबा द्रदया और कुत्ते की माँ र्ारा वक़्त पार् िड़ी हो कर

दे िती रही कक ये मेरे बच्चे के र्ाथ क्या करें गी? चाइनीज़ ने उर् बच्चे को दफ़न करने के बाद बड़े प्यार

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र्े उर् कुनतया पर हाथ िेरा, िैर्े उर्े द्रदलार्ा दे रही हों और कुनतया उन्हें यूँ शुकक्रया अदा करने वाली

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नज़रों र्े दे ि रही थी और मेरी बेटी बताती है कक अम्मी! उन का ये काम मझ ु े भल ु ाए नहीं भल ू ता कक उन लड़ककयों ने उर् कुत्ते के बच्चे को दफ़न ककया ही है लेककन स्िर् तरह तरीक़े र्े कुनतया के र्ाथ अफ़्र्ोर्

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और हमददी का इज़्हार ककया है कक िैर्े हम इंर्ानों र्े करते हैं। अल्लाह पाक उन र्े ककतना ख़ुश हुए होंगे अल्लाह उन को इर् का अज्र ज़रूर दे गा और हमें भी ऐर्ा काम करने की तौफ़ीक़ अता फ़मातए। ये वाक़्या मेरे अपने घर का है । मेरी दे वरानी और मैं िो एक घर में रहते हैं, ऊपर वाली मंस्ज़ल पर मेरी Page 44 of 68 www.ubqari.org

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दे वरानी और बच्चे रहते हैं। वो काफ़ी अरर्ा र्े एक इंची दीवार पर एक बड़े र्े प्याले में रोज़ाना बची हुई रोटी तोड़ कर और िबल रोटी के पीर् वग़ैरा बचे हुए चावल वग़ैरा उर् प्याले में िाल दे ती है और पररंदे ख़ार् कर कव्वे वहां आते हैं और र्ारा द्रदन प्याले र्े िाते रहते हैं। एक द्रदन कव्वों ने मार कर प्याला

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दीवार र्े नीचे गगरा द्रदया और टूट गया तो उर् ने वहां िाना रिना छोड़ द्रदया। उर् ने ख़्वाब में दे िा कक एक कव्वा आया है और उर् की बाज़ू पर बैठ गया है और उर् की टांग टूटी हुई है और वो उर्े उर् के हाथ

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में दे ता है कक इर्े िोड़ दो और वो ख़्वाब में उर् की टांग िोड़ दे ती है । तो उर् ने मझ ु े ख़्वाब र्न ु ाया कक बािी ये मझ ु े कैर्ा ख़्वाब आया है ? तो मैं ने उर् र्े कहा कक तुम वहां पर कोई बततन रि कर उर् में पहले की तरह िाना रिा करो। क्योंकक िब र्े बततन टूटा था रोज़ कव्वे आ कर शोर मचाते थे आखख़र ख़्वाब में

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आ कर उन्हों ने याद दहानी करवा दी है और उर् ने दब ु ारह वो काम शुरू कर द्रदया और पररंदे रोज़ आते

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हैं। (नाहीद, अटक)

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हे पटाइहटस से ननजात कैसे ममली?:

मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! र्ब र्े पहले तो हमें ये र्मझ में नहीं आता हम ककर्

तरह आप का शुकक्रया अदा करें । अल्फ़ाज़ र्ाथ नहीं दे रहे ना ही कुछ र्मझ आ रहा है , क्या मलि!ूँ

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अबक़री र्े हमारा तआरुफ़ र्ात माह पहले हुआ, हुआ कुछ यँू कक मेरे कुछ घरे लू हालात ख़राब हुए इर्

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दौरान मेरे कज़न िो कक कराची में रहते हैं उन्हों ने नेट र्े मझ ु े आप के कुछ वज़ाइफ़् , अन्मोल ख़ज़ाने वाला वज़ीफ़ा द्रदया िो मैं हर नमाज़ के बाद पढ़ती थी और कज़न ने ये भी बताया कक एक मैगज़ीन

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अबक़री भी आता है । बहर हाल उन्हों ने मझ ु े एक नंबर भी द्रदया, मैं ने वहां फ़ॉन ककया, उन र्ाहब र्े मैं ने पूछा भाई क्या हकीम र्ाहब ख़त का िवाब दे ते हैं उन्हों ने कहा हाँ बहन बबल्कुल िवाब दे ते हैं। उन र्े मैं

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ने कहा भाई मेरे पार् एड्रेर् वग़ैरा कुछ भी नहीं आप मझ ु े मेरे नंबर पर एड्रेर् भेिें। उन्हों ने मझ ु े एड्रेर्

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भेिा, मैं ने अल्लाह पाक का नाम ले कर हकीम र्ाहब को ख़त मलिा। अल्हम्दमु लल्लाह! उन्हों ने िवाब भी भेिा, चंद वज़ीफ़े भी द्रदए िो मैं पढ़ रही हूँ। तब हमें पता चला माशा अल्लाह हकीम र्ाहब की इतनी

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ककताबें भी हैं। किर मेरे भाई ने अबक़री मंगवाया। अब हर महीने अबक़री हमारे घर आता है मैं ने इर् तहरीर में अपनी कहानी इर् मलए मलिी है क्योंकक मेरी कहानी की विह र्े ही हमें अबक़री और हज़रत हकीम र्ाहब िैर्े नेक द्रदल बुज़ग ु त का पता चला। िब इर् माह का अबक़री हमारे पार् आया तो उर् में Page 45 of 68 www.ubqari.org

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हे पटाइद्रटर् ननिात मर्रप स्िर् की दर् बोतलों का मक ु म्मल कोर्त का तआरुफ़ था। मेरी अम्मी को हे पटाइद्रटर् था बहुत इलाि करवाया, लािों ख़चत ककये मगर कोई फ़ायदा नहीं हुआ, अम्मी को र्र ददत , बख़ ु ार, मैदे का ददत, अम्मी बहुत बीमार थीं। हम ने अल्लाह का नाम ले कर अबक़री के दफ़्तर फ़ॉन

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ककया। पहले पांच बोतलें मंगवाईं अम्मी ने पीनी शुरू कीं। हकीम र्ाहब क्या मलिूं अम्मी तेज़ी र्े र्ेहत्याब हो रही थीं। बख़ ु ार, र्र ददत र्ब ख़त्म! परू ा मक ु म्मल कोर्त ककया। इर् दौरान अबक़री में एक

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बहन ने भी दो वज़ीफ़े बताए थे। यक़ातन के। (र्रू ह अम ् पारह ३०) र्ात दफ़ा पानी पर दम कर के वपए और र्रू ह तग़ाबुन तीन दफ़ा मैदा और पेट पर दम करे । पाबन्दी के र्ाथ। हम ने वो भी ककया। किर एक इलाि भी था हम ने वो भी ककया। हे पटाइद्रटर् का इलाि: मको २४ ग्राम, र्ौंफ़ १२ ग्राम, कास्ट्नी के बीि २४

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ग्राम, शबतत दीनार दो चम्मच, इर् की तरतीब ये है कक एक ककलो पानी लें और ऊपर की तीनों चीज़ें पकने

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के मलए रि दें िब एक कप रह िाए तो नीचे उतार कर शबतत दीनार ममला कर नीम गरम पी लें। र्ब ु ह नाकते र्े दो घन्टे बाद और शाम को िाने र्े दो घन्टे पहले पंद्रह द्रदन इस्ट्तेमाल के बाद टे स्ट्ट करवा लें ,

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इन शा अल्लाह अफ़ाक़ा होगा। हम ने र्ब कुछ ककया, िब अम्मी ने मक ु म्मल इलाि के बाद टे स्ट्ट

करवाए, हमारी ख़ुशी की तो इंतहा ना रही, ररपोटत बबल्कुल र्ाफ़ थी, कुछ भी नहीं था। वहां एक बन्दा था उन्हों ने भाई को कहा आप ने कौन र्ा इलाि करवाया था, भाई ने र्ब बताया हम ने अल्लाह का शक्र ु

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अदा ककया और आप हज़रत हकीम र्ाहब का। मैं ने िल्दी िल्दी अपने मोहमर्न अबक़री के दफ़्तर फ़ॉन

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ककया, वहां बताया, अर्ल ख़श ु ी के हक़्दार आप हैं। वो इतने ख़श ु हुए उन्हों ने कहा र्ब्ु हानल्लाह! बहन

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आप हमें मलि कर भेस्िए हम ज़रूर शायअ करें गे।

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शम ु ारा निंबर 112____________pg35

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हज़रत हकीम र्ाहब! आप के मलए द्रदल र्े दआ ु एं ननकलती हैं और आप के िो र्ाथी हैं र्ब को द्रदल बहुत दआ ु एं दे ता है । आप कुछ भी नहीं छुपाते अपने तिब ु ातत, अपने वज़ाइफ़् र्ब अबक़री के क़ाररईन को बताते हैं। एक और वज़ीफ़ा भी अबक़री में आया था। "या हाद्रदयु या रहीम"ु

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(‫م‬ َ ُ ‫ )ٰیَ​َھا نَُ ُیَٰیَر نَح َْی‬वो भी हम ने अपने एक मर्ले के मलए पढ़ा था और र्ज्दे में दआ ु की, वो मर्ला भी हल हो गया। मोहतरम हकीम र्ाहब! दन्ु या में आि भी आप िैर्े बुज़ग ु त लोग मौिद ू हैं िो अल्लाह की रज़ा के मलए उर् के बन्दों की खख़दमत करते हैं। हमारा परू ा घर बहुत ख़श ु ी अबक़री की विह र्े ु है और ये ख़श

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ममली है ! मेरा अबक़री के क़ाररईन के मलए ये पैग़ाम है कक हकीम र्ाहब ‫ برکاتہم دامت‬की दी गयी उदय ू ात और वज़ाइफ़् ज़रूर इस्ट्तेमाल करें , इतना फ़ायदा होगा स्ितना हम र्ोच भी नहीं र्कते। अब हम अबक़री

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अपने ख़ान्दान और पड़ोर् वालों को भी पढ़ने के मलए दे ते हैं। आप का अह्र्ान स्ज़न्दगी भर नहीं भल ू ें गे। मेरा नाम ज़रूर शायअ कीस्ियेगा। (मेहववष क़ुरै शी, ठठा मर्ंध) कल्मा तय्यबा और कल्मा शहादत का ववदस :

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आि र्े तक़रीबन र्ात आठ र्ाल पहले िम ु ा के ख़ुत्बे में एक बुज़ग ु त ने फ़मातया कक िब कोई इंर्ान ख़ुलर् ू

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फ़मात दे ते हैं और चार हज़ार नेककयाँ उर् के नामा आमाल में मलि दी िाती हैं।

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के र्ाथ कल्मा तय्यबा पढ़ता है और कल्मा शहादत पढ़ता है तो अल्लाह पाक उर् के र्ारे गन ु ाह मआ ु फ़

मैं ज़ाती तौर पर ककर्ी भी मस्ु ककल के वक़्त अपने आप को गन ु ाहों की ग़लाज़त में महर्र् ू करता हूँ इर्

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मलए कल्मा तय्यब और कल्मा शहादत पढ़ता हूँ और ज़ेहन और द्रदल में यक़ीन करता हूँ कक अब मैं पाक र्ाफ़ हो गया और गन ु ाहों की नहूर्त र्े दरू हो गया और नेककयों की बहार में हूँ। इर् के बाद तीन मततबा

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ْٰ ِ ْ ِ َْ और हर मततबा अवल में "बबस्स्ट्मल्लाद्रह-र्-रह्मानन-र्-रहीम" ( ‫َالر نَح َْیم‬ ‫ ) نبس نمَہللانَالر ن‬और इर् के बाद

"इन्ना मलल्लाद्रह व इन्ना इलैद्रह रास्िऊन" ( َ‫ ) ا ِنّن نَلِلنَوا ِ َنّنانلَ َْی نہَرا نج ُع ْون‬पढ़ता हूँ और यक़ीन के दिे में रिता हूँ

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कक मेरा अल्लाह पाक मेरी दस्ट्त ग़ैब र्े बेह्तरीन अंदाज़ में दस्ट्तगीरी करे गा और इनायत करे गा। एक

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दफ़ा मेरे घर का कुछ द्रहस्ट्र्ा में मरम्मती काम चल रहा था। उर् िगा एक क़रीबी क़स्ट्बा का एलेस्क्रशन, बबज्ली का काम कर रहा था और दर् ू रे ममस्ट्तरी मज़रू भी थे। ज़ह ु र के बाद मैं क़रीबी शहर गया और

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मग़ररब के बाद लोटा तो वो एलेस्क्रशन और ममस्ट्तरी मज़्दरू भी थे। मैं ने कहा भाई (एलेस्क्रशन) आप

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अपने (िो हमारे घर र्े दरू क़स्ट्बे में था) घर नहीं गए तो कहने लगा कक मेरे पैर्े और काित वग़ैरा यहाँ गगर गए हैं आप की ओताक़ में और ककर्ी ने उर् को उठा मलया है । इर् मलए आप का इंतज़ार कर रहा था। मैं ने ममस्ट्तरी र्ाहब र्े उर् के मज़्दरू ों के बारे में पछ ू ा तो उर् ने बताया कक वो र्ब चले गए हैं। मैं ने

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एलेस्क्रशन को कहा भाई आप भी अल्लाह र्े मांगें मैं भी मांगता हूँ। मैं ने ऊपर बयान ककया अमल पढ़ा और द्रदल में अपने मर् ु ल्मान भाई के नक़् ु र्ान पर अफ़्र्ोर् भी ककया। हम दोनों ने ख़ूब स्ज़क्र ककया तो अगली र्ब ु ह उर् एलेस्क्रशन के पार् और काित वहीं क़रीब र्े ममल गए। हालांकक कल काफ़ी वक़्त वो उर्ी

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िगा ढूंिता रहा था। कलौंिी के तिब ु ातत: दौरान मल ु ास्ज़मत (कराची की ररहाइश के दौरान) मशद्दत के र्ाथ और इर् र्े पहले अपने मक़ ु ाम है दर आबाद में दरम्यानी र्तह के र्ाथ र्ाँर् लेने में बहुत तक्लीफ़

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होती थी और र्र में ददत की लहरें भी उठती थीं। इर् के मलए बहुत ही माद्रहरीन हज़रात र्े इलाि कराया मगर ररज़ल्ट नेक्स्ट्ट टु नॉट, किर आक्यू पंक्चर भी कराची के एक मशहूर स्क्लननक र्े कराया मगर कोई ख़ार् फ़ायदा ना हुआ। इर् के इलावा बहुत ही और मर्ाइल में िकड़ा हुआ। ककर्ी काम के मर्स्ल्र्ले में

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लाहौर आया वहां मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब ‫ دامت برکاتہم‬र्े मल ु ाक़ात भी हो गयी। वहां र्े उन की एक

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ककताब "कलौंिी के कररकमात" ममली। उर् में र्े मैं ने र्ब र्े आर्ान नुस्ट्ख़ा "कलौंिी का क़ह्वा" स्िर् में कभी कभी बगत बांर्ा भी थोड़ा ममलाता था। पीने के मलए शुरू ककया। दौरान मल ु ास्ज़मत र्ऊदी अरब में भी

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मेरा दफ़्तर में चाय के वक़्त यही मामल ू था। अल्हम्दमु लल्लाह! मेरा ऊपर बयान ककया हुआ र्ारा मर्ला

अल्लाह पाक ने हकीम र्ाहब के इख़्लार् के तुफ़ैल हल कर द्रदया। (ि, है दर आबाद)

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ववत्र नमाज़ के बाद एक मज ु रस ब अमल:

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मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! ये अमल हमारी टीचर ने तोह्फ़ा के तौर पर द्रदया और

र्ब तामलबात ने इर् को नॉट कर मलया, आि तक मैं पाबन्दी र्े ये अमल करती हूँ। अमल: रात इशा की

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नमाज़ में ववत्र नमाज़ के बाद दो र्ज्दे इर् तरीक़े र्े करें कक पहले र्ज्दे में पांच बार (र्ब्ु बूहुन ् क़ुद्दूर्न ु ् ٌ ُ​ُ ٌ ُ

ْ ُ

ِ ُِ ٰ रब्बना व रब्बल َ ‫الر ْو ن‬ ‫) ُس ِبوحَقد ْوس َِر ُِبناَور ِبَالمل ٓ نئکَ نۃَو‬। पढ़ें , किर बैठ कर दोनों र्ज्दों के ु ्-मलाइकनत वरूतद्रह ) (‫ح‬

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दरम्यान एक बार आयत-अल ्-कुर्ी और किर दर् ू रे र्ज्दे में इर् तरह दित बाला अल्फ़ाज़ पढ़ें । इर् तरह

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दो र्ज्दों के अंदर दर् बार और दो र्ज्दों के दरम्यान एक बार, आयत-अल ्-कुर्ी पढ़ी िाएगी। फ़ज़ीलत इर् की ये है कक इर् वज़ीफ़े को पढ़ने वाला िाए नमाज़ पर बैठता है , उठने र्े क़ब्ल अल्लाह तआला की

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रहमत का नुज़ल ू और र्त्तर फ़ररकते उर् के मलए दआ ु ए मग़कफ़रत करते हैं और उर् के गन ु ाह मआ ु फ़ हो िाते हैं और कल्मा तय्यबा नर्ीब होता है और शहादत की मोत नर्ीब होती है , िो इर् के पढ़ने के बाद दआ ु मांगता है तो अल्लाह रब्बुल ् इज़्ज़त के दरबार आमलया में क़ुबूल होती है बशतेकक इख़्लार् ननय्यत Page 48 of 68 www.ubqari.org

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र्े अमल करे । इन शा अल्लाह अल ्अज़ीज़ ये फ़ज़ीलत पाएगा। अल्लाह तआला उर् को महरूम नहीं करें गे। र्ब्ु हानल्लाह! एक और अमल: ववत्र के बाद दो नस्फ़्फ़ल में पहली रकअत में र्रू ह अस्ल्ज़ल्ज़ाल और दर् ू री रकअत में र्रू ह काकफ़रून पढ़े । फ़ज़ीलत: इर् के पढ़ने र्े परू ी रात मक़्बल ू इबादत के बराबर

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र्वाब मलिा िाता है गोया कक उर् ने पूरी रात इबादत की। र्ब्ु हानल्लाह! िब िन्नत का तज़्क्रह् आए या ْ

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ُ ْ ‫َاجعلناَم‬ ْ ‫)اَلل ُہ ِم‬। आखख़रत के मत َ ْ ‫نْن‬ ु अस्ल्लक़ ककर्ी इनाम का तो कहे ( अल्लाहुम्म-ि ्अल्ना ममन्हुम ् ) (‫م‬ ْ

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ُ ْ ‫َتعلناَم‬ ْ ‫)الل ُہ ِمَ​َل‬ ममन्हुम ् ) (‫م‬ َ ْ ‫نْن‬

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और िब िहन्नुम या ककर्ी आखख़रत के अज़ाब का तज़्क्रह् आए तो कहे (अल्लाहुम्म ला ति ्अल्ना

छोटा सा वज़ीफ़ा और बड़ी काम्याबी:

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मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! आप पर अल्लाह तआला अपनी रहमत का र्ाया

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क़ाइम रिे, आप और आप के तमाम र्ाथी िो इर् कार ख़ैर में आप के र्ाथ हैं उन र्ब के मलए नेक

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तमन्नाएँ और ढे रों दआ ु एं। ये वज़ीफ़ा मैं ख़ार् अबक़री के क़ाररईन के मलए भेि रही हूँ। मेरी बेटी ने िब

َ ُ ‫س َْی‬ َ ‫ ) ٰیَح ن‬का वज़ीफ़ा तीन भी पेपज़त द्रदए और हर बार पेपज़त दे ने के बाद ११ हज़ार बार रोज़ाना (या हर्ीबु) (‫ب‬

द्रदन पढ़ती है तो बहुत अच्छे नम्बरज़ र्े पार् हो िाती है । इर् बार उर् ने एम ् ए के पेपज़त द्रदए और यही

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वज़ीफ़ा ककया तो बहुत अच्छे नम्बरज़ आए। (फ़यातल र्य्यद)

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वज़ू के आदाब:

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वज़ू के दौरान इन आदाब का ख़्याल रिें , इन शा अल्लाह फ़लाह दारै न हामर्ल होगी। १-वज़ू शुरू करने र्े पहले हाथ धो कर ममस्ट्वाक कर लें, ममस्ट्वाक करने र्े नमाज़ का र्वाब र्त्तर गन ु ा ज़्यादा हो िाता है

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और िान कनी के वक़्त अल्लाह पाक उर्े कल्मा याद द्रदलाते हैं। २- पूरी बबस्स्ट्मल्लाह शरीफ़ पढ़ लें और ْ

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ُ र्ाथ ही "बबस्स्ट्मल्लाद्रह वल्हम्दमु लल्लाद्रह" (‫لِل ن‬ َ ‫ ) نب ْس نمَہللاَاْل ْمد ن‬पढ़ लें । िब तक वज़ू रहे गा हमारे मह ु ाकफ़ज़

फ़ररकते हमारे मलए दआ ु करते रहें गे। ३- वज़ू के दौरान एक दफ़ा कल्मा शहादत पढ़ लें। िन्नत के आठ

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दरवाज़े अल्लाह पाक िोल दे ते हैं। स्िर् दरवाज़े र्े चाहो दाखख़ल हो िाओ, िब वज़ू मक ु म्मल हो िाए तो किर फ़ौरी तौर पर चार दआ ु एं पढ़ लें। १- एक दफ़ा (र्ब्ु हानक-ल्लाहुम्म व बबहस्म्दक अकहद ु अल्ला इलाह ُ

ْ

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ٰ ْ ُ )। १-एक दफ़ा इल्ला अन्त अस्ट्तस्फ़फ़रुक व अतूबु इलैक्) (َ‫بُسنکَالل ُہ ِمَو نِب ْم ندکَاشہ ُدَا ْنَ​َلَا ٰنلہَانَلَانتَا ْستغ نف ُرکَوا َْت ُبَانلَ َْیک‬

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कोई र्ा भी दरूद शरीफ़। ३- तीन दफ़ा र्रू ह क़दर पढ़ लें। ४- तीन दफ़ा र्रू ह इख़्लार् पढ़ लें। वज़ू के

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आदाब मक ु म्मल हो गए। आप नमाज़ नतलावत शुरू कर दें । (ग़, क़)

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112____________pg36

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चिंद हदनों में स्माटस , स्स्लम और पुर कमशश बन्ने का नुस्ख़ा:

(स्िस्ट्म के खिचे हुए र्ख़्त द्रहस्ट्र्ों को मख़्र्र् ू वस्ज़तशों के ज़ररये र्े नरम और बेह्तर ककया िाता है । उन में गदत न और पुकत क़ाबबल ए स्ज़क्र हैं। वस्ज़तशों र्े ये लच्कीले बनाए िा र्कते हैं। लचक पैदा करने के

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मलए की िाने वाली िैलाओ और खिंचाव की वस्ज़तशों र्े र्ख़्त पट्ठे नरम और ढीले हो कर आराम पोहं चाते

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हैं।) (आररफ़ अंिम ु )

हर्ीन र्े हर्ीन औरत भी अगर मत ु नार्ब ु अल ्एअज़ा नहीं है और उर् की कमर कूल्हों र्े दर् इंच छोटी

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नहीं है , पेट र्ीने र्े छे इंच अंदर नहीं होगा तो वो उर् औरत र्े ज़्यादा कमशश और िास्ज़ब नज़र नहीं

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होगी िो हुस्ट्न व ख़ूबर्रू ती में उर् र्े कहीं ज़्यादा कम है लेककन उर् का र्रापा इन एअदाद व शुमार पर पूरा उतर आता है िो ऊपर बयान ककये गए हैं तो बबला ख़ौफ़ तरदीद ये कहा िा र्कता है कक अगर आप

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स्ट्माटत और स्स्ट्लम हैं तो आप को ऐर्ी नेअमत हामर्ल है िो दन्ु या िहाँ की दौलत र्े बढ़ कर है आप भी

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अपने र्रापा को मज़ीद मत ु नार्ब ु बनाना चाहती हैं तो आप के मलए एक आर्ान नुस्ट्ख़ा हास्ज़र है स्िर् पर अमल कर के आप महज़ चंद द्रदनों में मज़ीद स्ट्माटत , स्स्ट्लम, परु कमशश और िास्ज़ब नज़र बन र्कती हैं। इर् प्रोग्राम पर अमल कर के आप अपने बदन र्े ज़ाइद चबी कम कर र्कती हैं स्िर् के नतीिे में

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आप ज़्यादा पुर कमशश और िास्ज़ब नज़र हो िाएंगी और ख़ुद को मज़ीद हल्का िुल्का महर्र् ू करें गी, इर् पर अमल करने के मलए चार हफ़्तों पर मकु तममल एक वककिंग चाटत तरतीब द्रदया गया है इर् पर मरहला वार अमल करें गी तो इर् के नताइि आप को िल्द ही नज़र आने लगें गे। पहला और दर् ू रा

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हफ़्ता: इर् दौरान दरम्यानी रफ़्तार र्े चलने का मतलब ये है कक आप को ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ रही। कोमशश कीस्िये कक इर् दौरान आप बीर् ममनट में एक मील का फ़ास्ट्ला तय करें , वस्ज़तश के मलए

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पांच र्े दर् ममनट तक मख़् ु तमर्र फ़ास्ट्ले की वॉक के ज़ररए ख़ुद को वामत अप कीस्िए। गदत न, बाज़,ू पुकत, कूल्हे , रानें, वपंडिमलयां वग़ैरा िैलाएं और किर इर्ी तरह र्मेट लें इर् दौरान मक़ ु रत र वक़्त में ज़्यादा तेज़ रफ़्तारी र्े चलना शुरू कीस्िये, आप को ये महर्र् ू होना चाद्रहए कक आप मक़्र्द के हुर्ल ू के मलए

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वाकक़अतन मश ु क़्क़त कर रही हैं लेककन अभी आप मज़ीद चल र्कती हैं और इर् दौरान कोई और

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मर्रूकफ़यत भी अख़्त्यार कीस्िये िैर्ा कक चाटत में तज्वीज़ ककया गया है । ये मर्रूकफ़यत पेराकी या कुछ भी हो र्कती है । अगर आप ककर्ी पहाड़ या पहाड़ी के क़रीब ररहाइश पज़ीर हैं तो आप द्रहल रै ककंग भी कर

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र्कते हैं। इर् र्े आप के बदन को इज़ाफ़ी मश ु क़्क़त का र्ामना होगा और इर् के नतीिे में ज़्यादा

कैलोरीज़ ज़ायअ होंगी। दरु ु स्ट्त मर्म्त में र्ही अक़्दाम: १- िायरी रखिये, ख़ुद को मत ु ह्हरक रिने का ये बेह्तरीन तरीक़ा है , एक माह में आप स्ितना वज़न घटाना चाहती हैं उर् का हदफ़ मक़ ु रत र कर लें इर् के

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र्ाथ अपनी ख़ोराक का चाटत मततब करें स्िर् में र्दाक़त हो कक क्या िाती हैं और ककतना िाती हैं,

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ककतनी तेज़ चलें और ककतनी दरू चलें और क्या महर्र् ू ककया? इर् तरह आप को अपनी कम्ज़ोररयों

और इस्ट्तअदाद का अंदाज़ा हो िाएगा स्िर् की रौशनी में आप अपनी ख़ोराक को मत ु वाज़न ु और वककिंग

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को मतलब ू ा दिात तक पोहं चाने में काम्याब हो िाएंगी। २- द्रदल्चस्ट्पी और तवज्िह रखिये, अपने वककिंग रुट में यक्र्ाननयत का मशकार ना हों बस्ल्क उर्े बदल्ती रहें । ऐर्ी िगहों का इन्तख़ाब कीस्िये िहाँ इदत

w

गगदत के मंज़र में वाज़ेह फ़क़त पाया िाता है । मर्लन ककर्ी पाकत का इन्तख़ाब ककया िाए तो कभी ककर्ी

w

और लेिीज़ पाकत भी ननकला िा र्कता है अगर रात को वॉक करना चाह रही हैं तो घर में एक िगा

w

मक़ ु रत र कर लें या छत पर तेज़ तेज़ चक्कर काटें । ३- िाना अच्छ तरह िाइये। अपने बदन को तब्दील करने के मलए आप को र्ेहत बख़्श गग़ज़ा और वस्ज़तश की ज़रूरत है । ख़ब त गग़ज़ाओं को ू पकी हुई और मग़ ु न आद्रहस्ट्ता आद्रहस्ट्ता तकत कर के उन का मत ु बादल अख़्त्यार कीस्िये मर्लन र्फ़ेद चावल की िगा भरू े

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चावल, र्स्ब्ज़यों की ममक़्दार में इज़ाफ़ा कर दें । ग़ल्ला और दालें ख़ूब िाएं। अगर ज़रूरत महर्र् ू करें तो िाने की ममक़्दार में थोड़ी बहुत कमी कर र्कती हैं ता हम नाकता ज़रूर करें ता कक आप का ननज़ाम हाज़्मा गग़ज़ा का िज़् ु व बदन बनाने के मलए हरकत में रह र्के, ढे रों पानी पीएं। क़ुदरत की ये बेश बहा

rg

नेअमत स्ितनी ज़्यादा अपने हलक़ में उं िेल र्कती हैं उं िेलें, चबी और शक्कर पर नज़र रिें। ४- चाल में तर्ल्र्ल ु रिें, आप को रोज़ाना दर् हज़ार क़दम उठाने चाद्रहयें स्िन में चार हज़ार र्े छे हज़ार तक

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मर् ु ल्र्ल होने चाद्रहयें। एक बेरोमीटर के ज़ररये ये द्रहर्ाब ककताब रिा िा र्कता है कक आप ने ककतने क़दम उठाए और ककतनी कैलोरीज़ िलाईं। वककिंग की र्ही तक्नीक ये है कक इर् तरह चलें गोया आप एक र्ीध में नशेब में उतर रहे हैं। अपने क़दम एक दर् ू रे के बबल्कुल र्ामने रखिये इर् र्े वक़्त भी बचेगा

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और तवानाई भी महफ़ूज़ रहे गी। वस्ज़तश र्े आप के हाथ पाऊँ र्िोल और र्िीले हो िाते हैं। अज़्लात ठोर्

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हो कर बेह्तर तौर पर काम करने लगते हैं। आप ख़ुद को ज़ेहनी और स्िस्ट्मानी तौर पर बेह्तर महर्र् ू करते हैं बस्ल्क दर् ू रों को भी बेह्तर नज़र आने लगते हैं। अच्छे र्िोल िेल िॉल के मलए अज़्लात िैलाने

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और लचकाने वाली वस्ज़तशें भी बहुत अच्छ और मफ़ ु ीद र्ाबबत होती हैं। उन र्े हाथ पाऊँ वग़ैरा मल ु ायम

रहते हैं। उन का मोड़ना और बल दे ना आर्ान हो िाता है । स्िस्ट्मानी लचक बढ़ िाती है , स्िस्ट्म के ज़ख़्मी होने का ख़तरा कम हो िाता है , स्िस्ट्म में तवाज़न ु बरक़रार रिने की र्लाद्रहयत बढ़ती और एअज़ा में

bq

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ताल मेल बढ़ िाता है ।

स्िस्ट्म के खिंचे हुए र्ख़्त द्रहस्ट्र्ों को मख़्र्र् ू वस्ज़तशों के ज़ररये र्े नरम और बेह्तर ककया िाता है । उन में

गदत न और पुकत क़ाबबल ए स्ज़क्र हैं। वस्ज़तशों र्े ये लचकीले बनाए िा र्कते हैं। लचक पैदा करने के मलए

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की िाने वाली िैलाओ और खिंचाव की वस्ज़तशों र्े र्ख़्त पट्ठे नरम और ढीले हो कर आराम पोहं चाते हैं।

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वस्ज़तश का एक और एहम फ़ायदा ये है कक इर् र्े वज़न कम होता है और स्िस्ट्म में िमा ज़ाइद हरारे इस्ट्तेमाल हो िाते हैं स्िर् र्े वज़न कम होने लगता है । हरारों की ज़्यादा ममक़्दार स्िस्ट्म में दाखख़ल हो भी

w

िाए तो उर्े वस्ज़तश के ज़ररये र्े द्रठकाने लगा कर वज़न में इज़ाफ़े र्े बचा िा र्कता है । ये एक बड़ा

w

अच्छा और र्ीधा तरीक़ा है । इर् तरह ज़्यादा िा कर भी इंर्ान कम वज़न और स्ट्माटत रह र्कता है । अगर आप एक दफ़ा वस्ज़तश शुरू कर दें और मस्ट् ु तक़ल ममज़ािी र्े इर् शुग़ल को िारी रिें तो इर् के फ़ायदा आप ख़द ु महर्र् ू करने लगें गी और ख़द ु इर् की अफ़ाद्रदयत की क़ायल हो िाएंगी। स्ज़न्दगी

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बेह्तर महर्र् ू होने लगेगी और वो ज़्यादा पुर लत्ु फ़ होती िाएगी। वस्ज़तश ज़ेहनी दबाओ भी कम करती है , ममज़ाि बेह्तर हो िाता है और अच्छ नींद आती है । आप स्ज़न्दगी किर ज़्यादा चाक़ व चौबन्द, िवान और स्ट्माटत नज़र आएंगी। र्ेहत और र्दा िवानी के मलए वस्ज़तश र्े बेह्तर कोई शै नहीं है । तज्दीद और

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भक ू बढ़ी र्ेहत बनी:

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र्बात शबाब का ये आज़मूदह तरीक़ा है ।

मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! मैं भक ू की कमी का मशकार थी, हर वक़्त पेट गैर् र्े भरा रहता था मैं ने अबक़री में आया एक नुस्ट्ख़ा आज़्माया और बबल्कुल ठ क हो गयी, भक ू बढ़ी और लािवाब र्ेहत पाई। नुस्ट्ख़ा ये है : र्ो पत्ते नीम के दरख़्त र्े ताज़ह उतार लें और उर् में र्ो काली ममचत

rg ar i.o

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कराची)

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ममला कर कूट कर छोटी छोटी गोमलयां बना कर र्ब ु ह, दोपेहेर, शाम दो दो गोमलयां इस्ट्तेमाल करें । (अ-न,

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शम ु ारा निंबर 112______________pg42

इस्लाम के दस्तरख़्वाँ के ये नो वाररद मेहमान:

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(िलत)

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दाई इस्लाम हज़रत मौलाना मुहम्मद कलीम मसद्दीक़ी ‫دامت برکاتہم‬

(हज़रत मौलाना ‫ دامت برکاتہم‬आलम ए इस्ट्लाम के अज़ीम दाई हैं स्िन के हाथ पर तक़रीबन ५ लाि र्े

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झोंके" पढ़ने के क़ाबबल है ।)

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ज़ाइद अफ़राद इस्ट्लाम क़ुबूल कर चुके हैं। उन की नाम्वर शहरा आफ़ाक़ ककताब "नर्ीम द्रहदायत के

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मदरर्े र्े चले वो दोनों नो िवान गाड़ी के क़रीब आए, कहा मफ़् ु ती र्ाहब ने हुक्म द्रदया है कक हम आप र्े इिाज़त ले कर आप की गाड़ी में बैठ कर आप के र्ाथ कुछ वक़्त गज़ ु ारें , इर् हक़ीर ने कहा: शौक़ र्े तश्रीफ़ लाइए, दो तीन ममनट के र्कूत के बाद एक नोिवान बोला: हम आप र्े कोई र्वाल कर र्कते हैं?

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मैं ने कहा: ज़रूर क्यूँ नहीं! बोला: अल्लाह तआला ने अपने कलाम में हम र्े वादा ककया है मझ ु र्े र्वाल करो मैं पूरा करूँगा तो क्या हम अल्लाह र्े िो ख़्वाद्रहश हो उर् का र्वाल कर र्कते हैं? मैं ने कहा: ज़रूर क्यँू नहीं! बोला: अल्लाह तआला ने अपने कलाम में हम र्े वादा ककया है मझ ु र्े र्वाल करो मैं परू ा करूँगा

rg

तो क्या हम अल्लाह र्े िो ख़्वाद्रहश हो उर् का र्वाल कर र्कते हैं? इर् हक़ीर ने अज़त ककया हाँ ज़रूर! बर् आदत अल्लाह के खख़लाफ़ र्वाल नहीं करना चाद्रहए। वो बोले: आदत अल्लाह के खख़लाफ़ तो नहीं

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बर् ये र्ोचते हैं कक हमारे प्यारे नबी मह ु म्मद ‫ ﷺ‬िन्नत में तश्रीफ़ ले िाएंगे, ऊंटनी पर र्वार हो कर तश्रीफ़ ले िाएंगे आप ‫ ﷺ‬की नुकेल पकड़ने वाला तो तय है मगर पीछे बैठने वाला तो तय नहीं है अगर हम अल्लाह र्े दआ ु करें कक हमारे नबी ‫ ﷺ‬िब िन्नत में तश्रीफ़ ले िाएं तो अल्लाह मेरे मलए ये

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मक़ ु द्दर कर दें कक आप ‫ ﷺ‬फ़मातएँ कक आ बेटे अब्दल् ु लाह! तू मेरे पीछे र्वार हो िाओ तो क्या अल्लाह ये

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बात परू ी फ़मात दें गे? मैं ने अज़त ककया, बबल्कुल दआ ु कर र्कते हो। किर बोला अच्छा स्िर् र्े बहुत

मह ु ब्बत हो, आदमी उर् के र्ाथ िन्नत में रहे गा, तो इन शा अल्लाह हमारे प्यारे नबी करीम ‫ ﷺ‬के

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क़दमों में हमें िन्नत में िगा ममलेगी ना? मैं ने अज़त ककया िब मह ु ब्बत है तो ज़रूर ममलेगी, अच्छा

हज़रत! हमारे प्यारे नबी ‫ ﷺ‬वहां हम र्े कुछ खख़दमत भी ले लेंगे ना? अज़त ककया: ये िो दावत का काम कर रहे हो इर् खख़दमत के बदले में िन्नत में हर ख़्वाद्रहश इन शा अल्लाह पूरी होगी। ये दोनों नो िवान

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मंद्रदरों के शहर िमंू के ब्राह्मण ख़ान्दान के हैं स्िन्हें चंद र्ाल पहले अल्लाह तआला ने द्रहदायत अता

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फ़मातई है । दो घन्टे इर् हक़ीर के र्ाथ रहे वो बर् िन्नत, अल्लाह और उर् के रर्ल ू ‫ ﷺ‬का स्ज़क्र करते रहे । मझ ु े ख़्याल आया कक र्हाबा ‫ رضوان ہللا اجمعین‬के बारे में ये पढ़ते आए हैं कक वो स्िस्ट्म र्े दन्ु या में

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रहते थे मगर द्रदल व द्रदमाग़ र्े हर वक़्त आखख़रत में रहते थे और िन्नत व दोज़ख़ का यक़ीन इर् तरह का था कक आँिों र्े दे ि लें तो कोई इज़ाफ़ा ना हो। हम बे िान मर् ु ल्मानों और किस्स्ट्िर्े ईमान वालों में

को इल्म होगा कक हम उन को ककर् तरह चाहते हैं? हमारे घर में

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मालम ू करते कक क्या हमारे नबी ‫ﷺ‬

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ये नया ख़ून बबल्कुल र्हाबा ‫ رضوان ہللا اجمعین‬की याद ताज़ह कर रहा है । बार बार वो आमशक़ाना तौर पर

w

हमारे र्ाथ क्या मआ ु म्ला होता है ? एक बोला हज़रत! मेरे वामलद मेरे भाई दोनों मझ ु े नीचे मलटाते हैं, एक तरफ़ र्े पाऊँ मैं दबाता हूँ दर् ू री तरफ़ र्े बड़े भाई मेरे र्ीने पर पाऊँ रि कर मेरे नबी ‫ﷺ‬

की र्न् ु नत

(दाढ़ी) के र्ाथ ज़ल् ु म करते हैं मझ ु े रात को तहज्िद ु पढ़ते दे िते हैं तो कोई चीज़ र्र पर दे मारते हैं, मैं तो

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मर्फ़त आप के हुक्म की विह र्े घर रहता हूँ, दावत हमारे नबी ‫ ﷺ‬की र्ब र्े बड़ी र्न् ु नत है , वरना मेरे मलए मेरा घर दोज़ख़ है िहाँ मेरे नबी ‫ ﷺ‬की र्न् ु नत के मत ु ाबबक़ स्ज़न्दगी गज़ ु ारना नर्ीब ना हो, थोड़ी दे र में बोला, ये तो र्न ु ा है कक बज़ ु ग ु ों र्े बड़े दिात की तमन्ना और दआ ु नहीं करनी चाद्रहए मगर प्यारे नबी ‫ ﷺ‬की नक़ल तो कर र्कते हैं, अगर मैं अपने दो दांत ननकल्वा दँ ू तो

rg

‫ ﷺ‬की मह ु ब्बत में आप

कैर्ा है ? मेरा द्रदल बहुत चाहता है , हम इतना तो कर र्कते हैं। फ़्लाइट का वक़्त क़रीब था मझ ु े पकड़ कर

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कमरे में ले गया और दरवाज़ा बन्द कर के बोला! प्यारे नबी ‫ ﷺ‬के र्हाबा ‫ رضوان ہللا اجمعین‬इर् तरह करते थे, आप पहले हमारे मलए दआ ु कीस्िये मैं आमीन कहूँ, किर मैं दआ ु करूँगा आप आमीन कहें । मैं ने कहा बताओ क्या दआ ु करूँ? बोला ये दआ ु कीस्िये अल्लाह तआला मझ ु े ऐर्ा नरू ानी मर् ु ल्मान बना दे

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कक िो मझ ु की वो दाई बन िाए, द्रदल की गेहराई र्े आमीन कह ु े दे ि ले वो मर् ु ल्मान हो िाए। मैं ने दआ

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कर र्ब्ु हानल्लाह कहा, किर दे र तक अल्हा व ज़ारी के र्ाथ दआ ु करता रहा मेरे अल्लाह अपनी ऐर्ी मह ु ब्बत, ऐर्ा इकक़, ऐर्ी दीवानगी अता फ़मात दे कक बर् आप के इलावा कोई द्रदिाई ना दे । उन दोनों नो

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िवानों के र्ाथ कुछ वक़्त गज़ ु ार कर ऐर्ा लगा िैर्े ईमान पर आब आ गयी हो, परु ाना ख़न ू िब मद ु ात

और ख़राब हो िाए तो उर् को नई स्ज़न्दगी, नया ख़ून ही अता कर र्कता है । इस्ट्लाम के दस्ट्तरख़्वान के

इन नो वाररद मेहमानों में र्े हर एक का हाल एक र्े बढ़ कर एक द्रदिाई दे ता है , हम पुराने मर् ु ल्मान

दन्ु या को नबी रहमत-अल ्-मलल ्आलमीन ‫ﷺ‬

की र्न् ु नतों के र्ाये में लाने वाले रोज़ आते िा रहे हैं।

काश! हम ननगाह इब्रत िोल कर इर् र्े र्बक़ हामर्ल करें ।

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टोटकों की भरमार:

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िहाँ मकतज़ी र्न् ु नतों को अपनी ग़फ़्लत का ननशाना बनाते हैं वहां एक एक र्न् ु नत का िज़्बा रिने वाले

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(अगर हाथ या स्िस्ट्म का कोई द्रहस्ट्र्ा भाप र्े िल िाए तो कच्चा आलू पीर् कर लगा दीस्िये। चंद

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ममनटों में ही आप काफ़ी आराम महर्र् ू करें गे।)

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ِ ُ‫ ) َُھوہللا‬िो हर नमाज़ के बाद र्ात बार पढ़ मलया शैतान के शर र्े द्रहफ़ाज़त: हुवल्लाहु-र्-रहीमु (‫م ط‬ َ ُ ‫َالر نَح َْی‬

करे गा इन शा अल्लाह अज़्ज़ ् व िल ् शैतान के शर र्े बचा रहे गा और उर् का ईमान पर ख़ात्मा होगा।

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वो मेरी उम्मत में र्े नहीं: अल्लाह के नज़्दीक इर् र्े ज़्यादा कोई इबादत नहीं कक तू ककर्ी मर् ु ल्मान भाई का द्रदल ख़ुश कर दे । ☆स्िर् को मर् ु ल्मान का ग़म ना हो वो मेरी उम्मत में र्े नहीं। मशकत के बाद बद्द तरीन गन ु ाह ईज़ा रर्ाई ख़ल्क़ है ।

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ममगी का आज़ात हमेशा के मलए ख़त्म: ममचत स्ट्याह दो तोला और दर् तोला मंिी बट ू ी लें। इर्े गाये के दध ू

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में ममला लें। छे माशे मरीज़ को खिलाएं। ममगी का आज़ात ख़त्म हो िाएगा।

ग़रु बत र्े ननिात: "या मामलकु" (‫نک‬ َ ُ ‫ )ٰیَماَل‬९० बार रोज़ाना िो नादार पढ़ा करे इन शा अल्लाह अज़्ज़ ् व िल ् ग़रु बत र्े ननिात पा कर माल्दार होगा।

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र्लाम में र्बक़त: र्लाम में र्बक़त वाले को ३० (तीर्) और िवाब दे ने वाले को दर् नेककयाँ ममलती हैं

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☆ ईमान के बाद अफ़्ज़ल तरीन नेकी ख़ल्क़ को आराम दे ना है । हक़ हम्र्ाएगी दिात वार चालीर् घरों तक

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है यानन चारों तरफ़ र्े चालीर् घर।

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पथरी का इलाि: एक पोदा है स्िर् का नाम है "पत्थर चटा" इर् के पत्ते तोड़ लें और उन्हें िाते रहें ।

पथरी ख़त्म करने के मलए ये र्ब र्े अक्र्ीर इलाि है ।

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बीमार पर दम ककया और मशफ़ा ममली: "या र्लाम"ु (‫م‬ َ ُ ‫ ) ٰیَسَل‬१११ बार पढ़ कर बीमार पर दम करने र्े

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इन शा अल्लाह अज़्ज़ ् व िल ् मशफ़ा हामर्ल होगी।

ग़मज़्दह पढ़े ग़म दरू : "या मह ु ै ममन"ु ( َ​َُ ‫ ) ٰیَ ُمہَ َْی نم‬२९ बार रोज़ाना िो कोई ग़मज़्दह पढ़ ले, इन शा अल्लाह

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अज़्ज़ ् व िल ् उर् का ग़म दरू होगा।

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भाप के िले का इलाि: अगर हाथ या स्िस्ट्म का कोई द्रहस्ट्र्ा भाप र्े िल िाए तो कच्चा आलू पीर् कर

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लगा दीस्िये। चंद ममनटों में ही आप काफ़ी आराम महर्र् ू करें गे।

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यक़ातन के मलए मि ु रत ब अमल: मेहँदी की पस्त्तयां दो तोले रात को पानी में मभगो रिें । र्ब ु ह को छान कर वपलाएं, चंद रोज़ के इस्ट्तेमाल र्े यक़ातन दरू हो िाता है ।

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(मज़ीद रूहानी व स्िस्ट्मानी टोटके पाने के मलए आि ही दफ़्तर माहनामा अबक़री र्े ककताब "अबक़री

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लाया अनोिे और लािवाब टोटके" (स्िल्द अवल, दोइम) लाइए, आज़मद ू ह टोटके पाइए।)

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112___________pg43

या क़ह्हार पढ़ा अज़्दवाजी मसाइल बबल्कुल ख़त्म: (मेरा एक और दोस्ट्त स्िर् की बहन की अज़्दवािी स्ज़न्दगी में बहुत मर्ाइल थे, हर वक़्त घर में शौहर के

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र्ाथ लड़ाई झगड़ों ने उर् की स्ज़न्दगी अिीरन बना दी थी। मैं ने अपने दोस्ट्त को ये वज़ीफ़ा बताया कक

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अपनी बहन को कहो कक र्ारा द्रदन " ‫ار‬ َ ُ ‫ " َٰیق ِہ‬को िुला पढ़े ।)

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हज़ार साल उम्र की स्जन्ननी या क़ह्हार का वार ना सेह सकी:

मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! स्िर् तरह आप और अल्लामा लाहूती पुर इर्रारी र्ाहब दि ु ी इंर्ाननयत की खख़दमत कर रहे हैं अल्लाह तआला आप दोनों को अपनी शान के मत ु ाबबक़

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दीन और दन्ु या की बेह्तरीन नेअमतों र्े नवाज़े। आमीन! नयारह र्ाल पहले मेरी दोस्ट्त ने मझ ु े दो

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अन्मोल ख़ज़ाने का हदया द्रदया। उर् वक़्त र्े ये हर नमाज़ में मेरा पढ़ने का मामल ू है । इर् र्ाल रमज़ान

र्े एक द्रदन पहले ककर्ी की अयादत के मलए गयी तो वहां अबक़री पढ़ने को ममला। उर् वक़्त र्े आख़री

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छे र्रू तें भी र्न् ु नतों में पढ़ने का अल्हम्दमु लल्लाह मामल ू बन गया है । अबक़री की वपछली स्िल्दें मैं और मेरी बहन िो अमरीका में हैं पढ़ रहे हैं। आप की उदय ू ात, शहद और इत्तर इस्ट्तेमाल कर रहे हैं।

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अल्हम्दमु लल्लाह! मैं और मेरी बहन अल्लामा लाहूती र्ाहब का मज़्मन ू "स्िन्नात का पैदाइशी दोस्ट्त"

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बहुत शौक़ र्े पढ़ते हैं और हमारे द्रदल आप की एक एक बात की गवाही दे ते हैं कक ये र्ब हक़ है । आप

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अल्लाह तआला के चुने हुए बन्दे हैं, अल्लाह तआला हम दोनों बहनों को आप र्े फ़ैज़याब होने की तौफ़ीक़ अता फ़मातए। आमीन! अल्लामा र्ाहब की ककताब "स्िन्नात का पैदाइशी दोस्ट्त" स्िल्द अवल स्िल्द दोम (२) बार बार पढ़ी मगर प्यार् नहीं बुझती और इंतज़ार है कक कब अगली स्िल्द शायअ होगी। द्रदल चाहता

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है कक अल्लामा र्ाहब के बताए हुए र्ारे वज़ाइफ़् अपने मामल ू में ले आऊं। बहुत र्े वज़ाइफ़् हमारे मामल ू में आ भी चुके हैं। अल्लामा र्ाहब की दआ ु ओं के तामलब हैं कक अल्लाह तआला हमारे वक़्त में बरकत िाल दें और बड़ी हर्रत है कक मोती मस्स्ट्िद का अमल मोती मस्स्ट्िद में ही अल्लाह तआला करवा दें क्योंकक

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कोई महरम नहीं स्िन के र्ाथ लाहौर िाएं। "या क़ह्हारु" (‫ار‬ َ ُ ‫ )ٰیَق ِہ‬का अमल भी हम दोनों बहनें कर रही हैं और ममलने वालों को भी बता रही हैं। मेरी बहुत ही क़रीबी ममलने वाली िो तक़वा वाली दीन्दार औरत हैं।

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उन के घर में दीन की तालीम भी होती है । उन की बेटी पर काफ़ी र्ालों र्े एक स्िन्न औरत थी। उर् की उम्र हज़ार र्ाल थी। उर् स्िन्न औरत ने ख़ुद ये बात बच्ची की माँ को ख़्वाब में बताई। बच्ची की माँ को भी "या क़ह्हारु" ( ‫ار‬ َ ُ ‫ ) ٰیَق ِہ‬का अमल बताया, अभी उन्हें शरू ु ककये दर् ू रा ही द्रदन था कक बेटी ने माँ र्े कहा

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कक अम्मी आप ने कोई अमल शुरू ककया है , माँ के बताने पर बेटी बोली कक आप ये अमल छोड़ दें , ये

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अमल मझ ु े मार दे गा। माँ ने िवाब में कहा कक दे िना बेटी मैं मर्फ़त नयारह द्रदन ही ये अमल करूंगी और

इन शा अल्लाह तम ु ठ क हो िाओगी। उर् की माँ ने मर्फ़त तीन द्रदन ही ये अमल ककया कक इर् अमल की

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बरकत र्े वो हज़ार र्ाल की स्िन्न औरत "या क़ह्हारु" (‫ار‬ َ ُ ‫ ) ٰیَق ِہ‬का मक़ ु ाब्ला मर्फ़त तीन द्रदन कर र्की

और चोथे द्रदन हलाक हो गयी। (र्,अ,ह)

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ग्यारह सो बार या क़ह्हार पढ़ा और स्जन्न भाग गया:

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मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! ख़ुश रहें , लम्बी उम्र पाएं। आमीन! अज़त है कक मैं और मेरे घर वाले अबक़री के कम अज़ कम र्ात र्ाल र्े क़ारी हैं। हमें आप र्े मल ु ाक़ात का बहुत शौक़ था

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लेककन हमारा लाहौर में कोई नहीं रहता था, किर लाहौर में मेरी छोटी बहन की शादी हुई और हम लोग लाहौर आए, वहां मोती मस्स्ट्िद गए नवाकफ़ल अदा ककये, बेटी ने भी नवाकफ़ल अदा ककये। किर हम वापर्

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रावलवपंिी आ गए। कुछ द्रदन बाद मेरी बेटी छत पर थी कक उर् की तबीअत ख़राब हो गयी, उर् पर कोई

w

चीज़ आ गयी थी कक ये मझ ु े पर्ंद है । उर् की ख़ाला उर् को लाहौर ले आईं, आप र्े मल ु ाक़ात करनी चाही ना हो स्ट्की। आप के अमर्स्ट्टें ट र्ाहब र्े मल ु ाक़ात हुई, उन्हों ने बताया कक इर् बच्ची पर अर्र है , उन्हों ने

w

हमें दब ु ारह मोती मस्स्ट्िद में िा कर नवाकफ़ल अदा करने का कहा, वो हम ने ककया और बच्ची को िम َ ُ ‫ )ٰیَق ِہ‬र्ब ु ेरात को दर्त में ले कर आए। अमर्स्ट्टें ट र्ाहब ने बच्ची को "या क़ह्हारु" (‫ار‬ ु ह व शाम नयारह र्ो बार पढ़ने को बताया और अफ़हमर्ब्तुम का अमल यानन स्िर् में र्ात बार र्रू ह मोममनून की आख़री Page 58 of 68 www.ubqari.org

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चार आयात और र्ात बार अज़ान पढ़नी है और ये अमल द्रदन में कई बार करने को कहा। बच्ची कुछ द्रदन लाहौर में ही अपनी ख़ाला के घर रही और कुछ द्रदन ही "या क़ह्हारु" (‫ار‬ َ ُ ‫ ) ٰیَق ِہ‬और अफ़हमर्ब्तुम वाला

rg

अमल करने के बाद बबल्कुल ठ क हो कर रावलवपंिी वापर् आ गयी। (श,ग़) या क़ह्हार पढ़ा अज़्दवािी मर्ाइल बबल्कुल ख़त्म:

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मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! आप का ररर्ाला अबक़री काफ़ी अरर्ा र्े पढ़ रहा हूँ, आप दीन की खख़दमत और दि ु ी इंर्ाननयत की फ़लाह के मलए गराँ क़दर खख़दमात र्र अंिाम दे रहे हैं। अल्लाह पाक आप को और आप की तहरीक को द्रदन दनु नी रात चुननी तरक़्क़ी अता फ़मातए। "या क़ह्हारु" (‫ار‬ َ ُ ‫ ) ٰیَق ِہ‬का वज़ीफ़ा मझ ु े मेरे एक दोस्ट्त ने बताया स्िर् र्े मझ ु े बहुत अफ़ाक़ा हुआ, मेरा एक और दोस्ट्त

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स्िर् की बहन की अज़्दवािी स्ज़न्दगी में बहुत मर्ाइल थे, हर वक़्त घर में शौहर के र्ाथ लड़ाई झगड़ों ने

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उर् की स्ज़न्दगी अिीरन बना दी थी। मैं ने अपने दोस्ट्त को ये वज़ीफ़ा बताया कक अपनी बहन को कहो

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कक र्ारा द्रदन "या क़ह्हारु" को िल ु ा पढ़े । उर् की बहन ने चंद द्रदन ही या क़ह्हार र्ारा द्रदन िल ु ा पढ़ा तो इर् ववदत की बरकत र्े उर् के तमाम अज़्दवािी मर्ाइल, उल्झनें, झगड़े बबल्कुल ख़त्म हो गए। अब वो

अपने घर में शौहर के र्ाथ बहुत ख़श ु है , उर् के शौहर अब उर् का बहुत ख़्याल रिते हैं। (िहांज़ेब

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अब्बार्, िी एच ए, लाहौर)

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अगर पाऊँ में मोच आ जाए तो:

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हुवल ्-शाफ़ी: एक टे बल स्ट्पून आटा, हाफ़ टी स्ट्पून हल्दी, एक चुटकी चूना एक बततन में िालें अब इर् में थोड़ा र्ा पानी िाल कर घोल लें किर इर् को चूल्हे पर पकाएं िब गाढ़ा पेस्ट्ट बन िाए तो एक कपड़े पर

w

लगाएं स्िर् िगा पट्टी बांधना हो पहले उर् िगा थोड़ा र्ा र्रर्ों का तेल लगाएं अब स्िर् कपड़े पर पेस्ट्ट

w

लगाया है उर्े पाऊँ पर रिें और पट्टी बाँध लें। पेस्ट्ट नीम गरम हो तब पाऊँ पर वो कपड़ा रिना है और पट्टी बांधनी है , बहुत िल्द फ़ायदा होगा। ककर्ी िॉक्टर या िराह के पार् िाना नहीं पड़ेगा। पाऊँ घर में ही

w

ठ क हो िाएगा। अगर ददत ज़्यादा हो तो ये अमल तीन द्रदन मर् ु ल्र्ल करें , हमारा बारहा का आज़्माया हुआ है । हमें बहुत फ़ायदा ममला।

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अगर कोई चीज़ गम ु हो जाए तो: अगर आप की कोई चीज़ गम ु गयी है या आप रि कर भल ू गए हैं तो दीवार र्े थोड़ा फ़ास्ट्ले पर िड़े हो कर उं गली के इशारे र्े दीवार पर ७८६ मलि कर किर ( या रस्ब्ब मर् ू ा या रस्ब्ब कलीम ् बबस्स्ट्मल्लाद्रह-र्-

rg

रह्मानन-र्-रहीमम) (‫ّک ن َْیم‬ َ َ‫ ) ٰیَر نِبَ ُم ْو ٰسَٰیَر نِب‬मलिें । दीवार पर उं गली नहीं लगानी बर् इशारे र्े मलिें । किर िो

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चीज़ िोई है उर् को ढूंिना शुरू कर दें , फ़ौरन ममल िाएगी। आप यक़ीन करें , हमारी कोई भी चीज़ गम ु हुई है या रि कर भल ू िाते हैं तो हमें ऐर्ा करने र्े फ़ौरन ममल िाती है , चाहे पैर्े हों या र्ोने की कोई

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है दर आबाद मर्ंध)

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क़ाररईन लाए अनोखे और आज़मूदह टोटके:

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शम ु ारा निंबर 112____________pg44

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चीज़ हो, िब आप की चीज़ ममल िाए तो हाथ के इशारे र्े आप ने िो मलिा है वो ममटा दें । (शहनीला,

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(क़ाररईन ने बार बार आज़्माया किर अबक़री के मलए र्ीने के राज़ िोले और लािों लोगों की खख़दमत के मलए आप की नज़र में )

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नुस्ख़ा हदमाग़ और कमी ख़ून का इलाज:

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हुवल ्-शाफ़ी: ख़कख़ाश एक पाव, मग़ज़ वपस्ट्ता पचार् ग्राम, मग़ज़ अख़रोट र्ो ग्राम, ख़ुकक धन्या िेढ़ र्ो

w

ग्राम। तबाशीर अस्ट्ली र्ो ग्राम, इलाइची बीर् ग्राम, चार मग़ज़ पचार् ग्राम, मग़ज़ बादाम र्ो ग्राम, चीनी एक ककलो। िेढ़ ककलो का िब्बा लें और ये नुस्ट्ख़ा बनाएं। तरीक़ा: ख़कख़ाश को अच्छ तरह र्ाफ़ कर लें

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किर ख़कख़ाश में पानी िाल कर आग के ऊपर रिें िब पानी उबाले िाने लगे तो उर् के ऊपर मक्िन र्ा ननकलेगा मेल र्ी लगे गी लेककन इर् को ज़ायअ नहीं करना वो ननकाल लें और किर चीनी का शीरा बनाएं और तमाम चीज़ें पीर् कर ममक्र् करें और शीरा र्मेत अच्छ तरह ममला लें और वो मक्िन भी शाममल Page 60 of 68 www.ubqari.org

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कर लें। मािन ू तय्यार है । रोज़ाना मरीज़ को ननहार मह ुं एक चम्मच दें । ये नुस्ट्ख़ा मेरी वो बहन िो चार माह चार पाई पर रही। उर् को ख़ुद आममल हज़रात स्िन्हों ने उर् का इलाि ककया बना कर उर् को द्रदया िबकक बहन में बबल्कुल ख़न ू ना था, पाऊँ भी ज़मीन पर ना रि र्कती थी अब अल्लाह पाक के फ़ज़्ल व

ar i.o

चीज़ को दआ ु ओं में याद रिें । (ि,ि, र्क्िर)

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करम र्े र्ेहतमन्द है । नुस्ट्ख़ा के दौरान इस्ट्तेमाल चट पटी और िटी चीज़ें हगगतज़ ना िाएं और मझ ु ना

हर मज़स का आख़री इलाज:

हज़रत स्िब्राईल ‫ علیہ السالم‬का दम: ये दआ ु िाद,ू टोना, नज़र बद्द, कर्ल, काद्रहली वग़ैरा के मलए मि ु रत ब है । वज़ू कर के र्ात बार पढ़ कर मरीज़ पर र्ब ु ह व शाम िूंकें और पानी पर दम कर के चेहरे पर छ ंटे

स्िब्राईल ‫ علیہ السالم‬रर्ल ू ल्लाह ‫ﷺ‬

के पार् तश्रीफ़ लाए और कहा: या रर्ल ू ल्लाह ‫ﷺ‬ ‫ علیہ السالم‬ने (आप ‫ﷺ‬

की बीमारी

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‫ ﷺ‬बीमार हैं? आप ‫ ﷺ‬ने इशातद फ़मातया: हाँ! तो स्िब्राईल

क्या आप

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ٰ ‫ رضی ہللا‬र्े ररवायत है कक हज़रत मारें , अल्लाह बहुत िल्द मशफ़ा दे गा। हज़रत अबू र्ईद ख़द्रद्र ‫تعالی عنہ‬

र्े मशफ़ा के मलए) ये पढ़ा: "बबस्स्ट्मल्लाद्रह अक़ीक ममन ् कुस्ल्ल शैइं-य्यअ ु ज़ीक ममन ् शररत कुस्ल्ल नस्फ़्र्न ् ْ ِ ُ

ُ

ِ ُ

ْ َ ْ ِ َ‫َشَء‬ ْ ْ ِ ‫ّم‬ ْ ‫ب ْس نمَہللانَا ْر نَق َْیکَ ن‬ औ ऐननन ् हामर्द्रदन ्। अल्लाहु यकफ़ीक बबस्स्ट्मल्लाद्रह अक़ीक। (َ‫ْی‬ ‫َش ن‬ ٍ ْ ‫َک‬ ‫ّم ن‬ ‫وی نَذ َیکَ ن ْ ن‬ ٍ َ‫کَنف ٍسَاوَع‬ ‫ن‬

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ْ ُ َ‫َہللاَیَش نَف َْیکَ نب ْس نمَہللانَا ْر نَق َْیک‬ ‫اس ٍد۔‬ ‫( )ح ن‬मकक्वात) तिम ुत ा: अल्लाह के नाम र्े कलाम पढ़ता हूँ आप पर हर चीज़ र्े िो

bq

ईज़ा दे आप को, हर िान की बदी र्े या हर्द करने वाले की आँि र्े अल्लाह मशफ़ा दे आप को। अल्लाह के नाम र्े कलाम पढ़ता हूँ आप पर।" (शफ़्क़तुल्लाह, लाला मर् ू ा)

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आप के अपने फकचन में इलाज:

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मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! आप का अबक़री ररर्ाला हम हर माह पढ़ते हैं, इर् में

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बहुत अच्छ अच्छ बातें होती हैं। बड़े अच्छे टोटके, बीमाररयों के इलाि और भी बहुत कुछ। अमरुद िाने र्े क़ब्ज़ की मशकायत दरू होती है और पेट की चबी कम होती है । शुगर कंरोल होती है , कोलेस्ट्रोल कंरोल

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होता है , अगर दांतों में ख़ार् कर बच्चों के दांतों में कीड़ा लगा हो तो चंद पत्ते पानी में उबाल कर उर् पानी र्े र्ब ु ह व शाम कुमलयां करें तो कीड़ा भी ख़त्म, मर्ढ़ ू े भी र्ही और दांतों का ददत भी ख़त्म हो िाता है ।

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आप के अपने ककचन में इलाि: अगर ककर्ी की नज़र ख़राब हो, नींद ना आती हो, र्र में ददत रहता हो, हाफ़ज़ा कम्ज़ोर हो, द्रहफ़्ज़ करने वाले बच्चों के मलए भी बेह्तरीन है इर् के इलावा बाल गगरते हों, द्रदमाग़ में कीरा गगरता हो, एअर्ाब कम्ज़ोर हों और र्ब र्े बड़ी बात मेदा कम्ज़ोर हो, िाना हज़म ना होता हो तो

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ये स्ट्वीट डिश बनाएं ज़ाइक़ा के र्ाथ र्ब बीमाररयों र्े इलाि भी पाएं। हुवल ्-शाफ़ी: र्ौंफ़ आधा पाव, कूट कर िक उतार लें। ख़कख़ाश आधा पाव, धो कर र्ाफ़ कर लें। दध ू एक ककलो, उबाल कर ठं िा कर लें।

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र्ौंफ़, ख़कख़ाश को रात को दध ू में मभगो दें , किर र्ब ु ह इर् को हल्की आंच पर पकाएं िब र्ारा दध ू ख़ुकक हो िाए तो उर् में घी आधा पाव दे र्ी िाल कर ख़ूब अच्छ तरह भन ू लें िब अच्छ तरह र्ौंफ़ भन ू िाए तो हस्ट्बे ज़रूरत चीनी िाल कर चूल्हा बन्द कर दें , किर उर् में चारों मग़ज़ आधा पाव, बादाम आधा पाव

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मोटे मोटे कूट कर, िोपड़ा आधा पाव कदक ू श कर लें। इन तीनों चीज़ों को भी इर् पके हुए आमेज़े में िाल

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कर द्रहलाएं अब ये तीन चार चम्मच र्ब ू पत्ती के र्ाथ इस्ट्तेमाल करें । (ि, शाह आलम ु ह व शाम दध

छोटी सी दआ ु से कैं सर बबल्कुल ख़त्म:

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माककतट लाहौर)

मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! अज़त है कक हमारे बैंक के पार् एक लड़का बैठा है िो

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कक पेन्शन फ़ॉमत भरता है , तक़रीबन िेढ़ र्ाल र्े उर् को िैिड़ों का कैं र्र था, कैं र्र के मलए मैं ने उर् को

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अबक़री ररर्ाला में आया वज़ीफ़ा बताया और अबक़री ररर्ाला गगफ़्ट ककया, वो बच्चा पढ़ता है

अल्हम्दमु लल्लाह उर् को बहुत िल्द फ़ायदा हुआ है । यही दआ ु मैं ने अपनी एक दोस्ट्त को दी थी िो कक

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अरर्ा पांच र्ाल र्े कैं र्र में मब्ु तला थी और व्हील चेयर पर आई और किर बेि पर लग गयी थी। मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब! माशा अल्लाह उर् ने ये दआ ु ख़ूब पढ़ी और मर्फ़त तीन माह में वो अपने

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पैरों पर चल कर पाकत में र्ब ु ह की वॉक के मलए आई थी। उर् ने ये दआ ु "रस्ब्ब इन्नी मफ़लब ू ुन ् फ़न्तमर्र्

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ْ ٌ ُْ ْ ِْ ِ ْ ‫انت ن‬ ﴾۰۲‫ِصَ﴿القمر‬ ‫( )ر نبَا نننَمغلوبَف‬अल्क़मर १०) को बे द्रहर्ाब ख़ूब ख़ूब पढ़ा था वो अब बबल्कुल ठ क है और

र्ीद्रढ़यां भी उतर चढ़ रही है । वाक़ई अल्लाह के बाद अबक़री की दआ ु र्े वो तंदरु ु स्ट्त हो गयी है । स्िर् र्े

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िाया वपया नहीं िाता था और हर वक़्त उस्ल्टयाँ या मोशन करती और करवट उर् को द्रदलवाना पड़ती थी मगर अब तंदरु ु स्ट्त और र्ेहत भी अच्छ ख़ार्ी हो गयी है और बहुत दआ ु एं दे रही है । अबक़री वाक़ई लािवाब है स्िर् को भी अबक़री का वज़ीफ़ा या टोटका बताया काम्याब रहा और अब तो अबक़री के Page 62 of 68 www.ubqari.org

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वज़ीफ़े के बाद लोग पूछते हैं कक आप का आस्ट्ताना कहाँ है तो मैं उन्हें तस्ट्बीह ख़ाना का बता दे ती हूँ या अबक़री ररर्ाला उन के हाथ में थमा दे ती हूँ। मेरे पार् तो अबक़री के इतने तिुबातत िमा हो गए हैं कक िो मैं मलिने बैठूं तो एक मोटी ककताब बन िाए। अल्लाह का करम है ककर्ी को कोई बीमारी हो कोई

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परे शानी हो फ़ौरन मेरे द्रदमाग़ में कोई ना कोई अबक़री में छपा वज़ीफ़ा या टोटका आ िाता है । लोग कहते हैं कक द्रदमाग़ है या कंप्यट ू र! अरे आंटी! आप की आई र्ाईट भी ठ क और द्रदमाग़ भी ठ क किर भी अपने

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आप को बूढ़ी क्यूँ कहती हैं? मैं कहती हूँ कक ये दोनों चीज़ें ख़ुदा की तरफ़ र्े तोह्फ़ा हैं कक मैं चलते किरते हर वक़्त दरूद पाक पढ़ती हूँ तो क्या आमशक़ ए मस्ट् ु तफ़ा ‫ ﷺ‬की आँिें या द्रदमाग़ भी कभी कम्ज़ोर हो र्कता है ? (अनीर्ा,कराची)

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हर फक़स्म के जाद ू से हहफ़ाज़त:

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मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! ये अमल मझ ु े कहीं र्े ममला था, मैं ने एक दोस्ट्त को

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बताया उर् का मर्ला इर् को पढ़ने की बरकत र्े हल हो गया। अब मैं ये अमल अबक़री के लािों

ٰ क़ाररईन को हदया कर रहा हूँ। अमल ये है :- हज़रत कअब अल ्अहबार ‫تعالی ہللا رضی‬ ‫ عنہ‬फ़मातते हैं कक चंद कमलमात अगर मैं ना कहता तो यहूद मझ ु को गधा बना दे ते। ककर्ी ने पूछा वो कमलमात क्या हैं? उन्हों

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ने ये बताए "अऊज़ु बबवस्ज्हल्लाद्रह-ल ्-अज़ीमम-ल्लज़ी लैर् शैउन ् अअज़म ममन्हु व बबकमलमानत-ल्लाद्रह-

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त्ताम्मानत-ल्लती ला युिाववज़ु हुन्न बरुिं -व्व ला फ़ास्िरुं -व्व बबअस्ट्माइ-ल्लाद्रह-ल ्-हुस्ट्ना मा अमलम्तु ममन्हा व मा लम ् अअलम ् ममन ् शररत मा ख़लक़ व ज़रअ व बरअ। ْ

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ُ ْ ْ ْ َ‫ا ُع ْوذَِب ْج نہَہللانَالع َظ َْیمَال َذ ْیَلَ َْیس‬ ِ ‫اتَہللان‬ ُ ‫یاوھ َُھ َِ​َ ٌِِب َِوَلفاج ٌر َِوَِب ْ​ْسا نءَہللانَاْلُ ْس ٰنَماع نل ْم‬ ْ ‫تَم ْنْناَوم‬ ْ ‫اَلَا ْعل ْم ن‬ ْ ‫اتَال ن‬ (َ‫َّم‬ ‫َالتا ِم ن‬ ‫َکم ن‬ ‫شَ ٌءَاعظمَمننہَو نب ن‬ ‫ن ن ن‬ ‫ن‬ ‫ن ن‬ ‫تَ​َلَ َ ن‬

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ِ । َ‫ش‬ ‫ن‬

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इर् को इमाम मामलक ‫ رحمت ہللا علیہ‬ने ररवायत ककया है । (मकक्वात) (य, लाहौर)

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112________pg45 सरू ह इख़्लास ् की फ़ज़ीलत:

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स्िर् बन्दे ने र्रू ह इख़्लार् को तीन बार पढ़ा वो ऐर्े है कक उर् ने पूरा क़ुरआन शरीफ़ पढ़ मलया और स्िर् ٰ ने दो बार पढ़ा वो िन्नत अस्ल्फ़रदोर् में रहे गा। हज़रत कअब ٗ ‫تعالی عنہ‬ ‫ رضی ہللا‬फ़मातते हैं कक िो बन्दा र्रू ह इख़्लार् ् को पढ़ता है अल्लाह तआला उर् के गोकत को आग पर हराम कर दे ते हैं और िो

rg

बन्दा रोज़ाना रात और द्रदन में दर् बार र्रू ह इख़्लार् और आयत अल ्-कुर्ी पढ़ने पर म्वाज़्बत करे गा वो अल्लाह तआला की ख़कु नोद्रद को वास्िब करता है और क़यामत के द्रदन वो अंब्या ‫ علیہ السالم‬के र्ाथ

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होगा। (मकक्वात शरीफ़, र्४२३,४२४) एक ररवायत में है कक हुज़रू नबी करीम ‫ﷺ‬

ने इशातद फ़मातया: िो

बन्दा इर् र्रू ह को दो र्ो बार पढ़ता है उर्े पांच र्ो र्ाल इबादत का र्वाब ममलता है । (मज़ाद्रहर हक़ िदीद) आप ‫ﷺ‬

ने फ़मातया: स्िर् ने नमाज़ की तरह, काममल वज़ू तहारत के र्ाथ, र्रू ह फ़ानतहा र्े

bq

इब्तदा कर के र्ो बार र्रू ह इख़्लार् ् पढ़ी, अल्लाह तआला उर् के मलए हर हफ़त पर दर् नेककयाँ मलिें गे हर

rg

हफ़त पर दर् बरु ाइयां ममटाएंगे हर हफ़त पर दर् दिातत बल ु न्द फ़मातएँगे और उर् के मलए िन्नत में एक महल बनाएंगे और उर् द्रदन उर् के मलए र्ारे बनी आदम के आमाल के बराबर र्वाब मलिेंगे। (कन्ज़ल ु ्-

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आमाल हदीर् नंबर ६२३८)

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ُْ ُْ ْ र्ब्ु हानल्लाद्रह व बबहस्म्दही र्ब्ु हानल्लाद्रह-ल ्अज़ीम ् ( ‫َبُسانَہللانَالع ن َظ َْیم‬ ‫) بُسانَہللانَو نِبم ند ٖہ‬: अल्लाह तआला को ये

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कलाम पहाड़ों की ममक़्दार र्ोना ख़चत करने र्े भी ज़्यादा महबूब है । द्रहकायत: एक बुज़ग ु त फ़मातते हैं मैं

के पत्तों के बराबर, या अल्लाह दरूद भेि अपने नबी ‫ﷺ‬

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मौर्म बहार में बाहर ननकला और यूँ गोया हुआ या अल्लाह पाक! दरूद भेि अपने हबीब ‫ ﷺ‬पर दरख़्तों पर िूलों और िूलों की गगन्ती के बराबर, या

अल्लाह! दरूद भेि अपने नबी ‫ ﷺ‬पर र्मंदरों के क़तरों की तअदाद के बराबर, या अल्लाह! दरूद भेि

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आप ‫ ﷺ‬पर रे गगस्ट्तान की रे त के ज़रों के बराबर, या अल्लाह! दरूद भेि अपने हबीब ‫ ﷺ‬पर उन चीज़ों

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की गगन्ती के बराबर िो र्मंदरों और ख़ुककी में । तो हानतफ़ र्े आवाज़ आई, ऐ बन्दे ! तू ने नेककयाँ मलिने वाले फ़ररकतों को क़यामत तक के मलए थका द्रदया है और तू रब करीम की बारगाह र्े िन्नत अदन का

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हक़्दार हुआ और वो बहुत अच्छा घर है । (नुज़्हत-अल्मिामलर् स्िल्द दोम (२)) हम्द अज़ीम का र्वाब:

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रर्ल ू करीम ‫ ﷺ‬ने फ़मातया: िो कोई र्वाब की ननय्यत र्े कहे र्ारी हम्द उर् ख़ुदा के मलए है स्िर् की इज़्ज़त के र्ामने हर शै ज़लील है और र्ारी हम्द उर् ख़द ु ा के मलए है स्िर् के र्ामने हर शै अदना दिे की है और र्ारी हम्द उर् ख़ुदा की ज़ात के मलए है स्िर् की क़ुदरत की हर शै ताबबअ फ़मातन ् है तो ख़ुदा

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उर् के मलए हज़ार नेककयाँ मलिेगा उर् के हज़ार दिे बुलन्द करे गा और र्त्तर हज़ार फ़ररकते मक़ ु रत र करे गा िो उर् के मलए क़यामत तक मआ ु फ़ी मांगते रहें गे। (रवाह अस्ल्तब्रानी) "बबस्स्ट्मल्लाद्रह-र्-रह्माननर्-रहीमम ला हौल व ला क़ुव्वत इल्ला बबल्लाद्रह-ल ्अमलस्य्य-ल ्अज़ीमम।

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ْ ْ ِ ُ ْٰ ِ ْ ِ َْ ِ ‫لِل ن الع ن‬ َ‫یلَالع نظَ َْی نم‬ َ ‫َالر نَح َْی نمَ​َلح ْولَوَلَق ِ َوۃَانَل نَِب‬ ‫ن‬ ‫َ نبس نمَہللانَالر ن‬फ़ज्र की नमाज़ के बाद दर् बार पढ़ने वाला ऐर्ा हो िाता है

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िैर्े उर्े अभी उर् की माँ ने िना हो। (नुज़्हत-अल्मिामलर्) एह्तलाम, जरयािं और मलकोररया का आज़मद ू ह इलाज:

अगर मदातना स्ट्पमत कम्ज़ोर् हों और मत्लब ू ा ममक़्दार ना हो तो कुकता र्दफ़ दरर्मर बरगद एक र्े तीन

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रत्ती र्ब ू या शबतत र्े िाएं। दो माह मर् ु ल्र्ल िाएं। मदत के अंदर मादा मनोया में तोलीदी ु ह व शाम दध

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िरार्ीम मज़्बत ू हो कर औलाद का िल ममलेगा। परहे ज़: आल,ू िटाई, अचार, िूल गोभी, बेंगन, उबले

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हुए चावल, चाय, तली हुई र्स्ब्ज़याँ। इर् के इलावा बकरे का गोकत, कलेिी, मग़ज़, दे र्ी मग़ ु ी का गोकत,

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यख़नी वग़ैरा िाएं। दध ू ,मक्िन, दे र्ी घी का इस्ट्तेमाल ज़्यादा करें । मब ु ाश्रत र्े दो माह परहे ज़ लास्ज़म

है । इर् के इलावा यही नस्ट् ू ह इलाि है । मैदे का अल्र्र, ु ख़ा एह्तलाम, िरयां और मलकोररया का आज़मद

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वज़न में कमी: रोज़ाना ख़ाली पेट नाकता र्े आधा घन्टा पहले और रात र्ोने र्े पहले िब पेट ख़ाली हो िाना हज़म हो चुका हो, रात का िाना मग़ररब के बाद एक चम्मच बड़ा िाने वाला शहद िा लें ता कक

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र्ोते वक़्त ये नुस्ट्ख़ा इस्ट्तेमाल कर र्कें। ये दो वक़्त इस्ट्तेमाल करना है । शहद छोटा हो या बड़ा कोई हित

नहीं और दार चीनी का एक टुकड़ा एक इंच एक कप पानी में उबाल लें और चाय की तरह पीएं इर् में चीनी

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त गग़ज़ा िाने र्े पहले स्िस्ट्म पर हगगतज़ नहीं ममलानी। ये नुस्ट्ख़ा मस्ट् ु तक़ल इस्ट्तेमाल करते रहने र्े मग़ ु न

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चबी िमा नहीं होगी लेककन पहले दो माह गोकत मग़ त िाने र्े परहे ज़ करना बेह्तर है । मैदे में गैर् पैदा ु न

ममले। (ि,प)

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नहीं होगी और मैदे के अल्र्र को िड़ र्े ख़त्म कर दे गा। इर् र्े आर्ान नुस्ट्ख़ा शायद ही आप को कहीं

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मेरे ममयािं की शग ु र हुई बबल्कुल ख़त्म:

मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! र्ब र्े पहले अबक़री िैर्ा माहनामा ननकालने पर और उर् की काम्याबी पर मब ु ारकबाद दे ती हूँ, लािों लोगों को फ़ायदा पोहं च रहा है और आप को दआ ु एं Page 65 of 68 www.ubqari.org

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माहनामा अबक़री मैगज़ीन अक्टूबर 2015 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में

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दे ते हैं। अल्लाह तआला आप को िज़ा ए ख़ैर अता फ़मातए। मेरे शौहर को शुगर थी उन की शुगर इतनी हाई हुई कक कंरोल होना मस्ु ककल हो गयी। मैं ने अबक़री के एक गज़ ु कता शुमारे में शुगर के बारे में एक नस्ट् ु ख़ा पढ़ा, दो माह इस्ट्तेमाल ककया तो मेरे शौहर की शग ु र िो कक पंद्रह र्ाल परु ानी है और वो इन्र्ोमलन

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लगाते थे इर् नुस्ट्ख़ा की बरकत र्े कंरोल हो गयी है । शुगर का नुस्ट्ख़ा ये है :- हुवल ्-शाफ़ी: अन्द्राइन, तख़् ु म र्रर्, गोंद कीकर, कलौंिी हम्वज़न लेनी है । इन ् तमाम चीज़ों को बारीक पीर् कर र्ब ु ह व शाम

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आधा चाय का चम्मच पानी के र्ाथ इस्ट्तेमाल ककया िाए। (क़,प) ज़्यारत ए नबी करीम ‫ ﷺ‬और बे शुमार नेअमतें पाएं:

अल्लामा दमीरी ‫ رحمة ہللا علیه‬ने हयात-अल्है वान में मलिा है कक िो शख़्र् िम ु ा के द्रदन िम ु ा की नमाज़ के ُ

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ٌ ُ ْ बाद बा वज़ू एक पचात पर "मह ु म्मद-ु र्-रर्ल ू ल् ु लाद्रह अह्मद-ु र्-रर्ल ू ल् ु लाह (‫ ) ُم ِمد َِر ُس ْولَہللانَ​َاْد َِر ُس ْولَ​َہللا‬३५

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मततबा मलिे और इर् पचात को अपने र्ाथ रिे अल्लाह िल्ल शानह ु ू उर् को ताअत पर क़ुव्वत अता

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फ़मातता है और उर् की बरकत में मदद फ़मातता है और शयातीन के वर्ावर् र्े द्रहफ़ाज़त फ़मातता है और

अगर इर् पचात को रोज़ तल ु अ ू आफ़्ताब के वक़्त दरूद शरीफ़ पढ़ते हुए ग़ौर र्े दे िता रहे तो नबी करीम

‫ ﷺ‬की ज़्यारत ख़्वाब में कर्रत र्े हुआ करे गी। (बहवाला: फ़ज़ाइल दरूद शरीफ़, फ़स्ट्ल दोम (२) मर्फ़हा

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नंबर ५०)

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दरूद शरीफ़ की कसरत ने भाई की शादी करवा दी:

मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब अस्ट्र्लामु अलैकुम! इर् दआ ु के र्ाथ आग़ाज़ है कक अल्लाह आप को

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हमेशा ख़ुश व ख़ुरतम रिे िो इन्र्ाननयत की खख़दमत का बीड़ा आप ने उठा रिा है अल्लाह ख़ुद ही आप

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को िज़ा ए ख़ैर अता फ़मातए। आमीन र्म् ु म आमीन। मोहतरम हज़रत हकीम र्ाहब! मैं अपनी हर परे शानी के मलए दरूद शरीफ़ "र्ल्लल्लाहु अला मह ु म्मद्, र्ल्लल्लाहु अलैद्रह व आमलही व र्स्ल्लम" ٓ

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ٰ َ‫ہللا‬ ُ َ‫ )ص ِیل‬का वज़ीफ़ा कर्रत र्े पढ़ रही हँ स्िर् का एक ननर्ाब मैं परा कर चकी हँ (‫َصیلَہللاَعلیہَوالہَٖ​َوسلمک‬،‫َعَُم ِم ْد‬ ू ु ू ू

और दर् ू रा मुकम्मल होने वाला है अगर मैं यहाँ अपने बारे में कुछ मलिूँ तो शायद अल्फ़ाज़ ख़त्म हो िाएं, गन ु ाह्गारों में र्ब र्े आगे, अगर कोई मझ ु र्े अच्छे तरीक़े र्े या इज़्ज़त र्े पेश आए तो िर लगता Page 66 of 68 www.ubqari.org

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है कक मैं इर् क़ाबबल ही नहीं, िो मझ ु े ममल रहा है बर् ये उर्ी ग़फ़ूरु-रत हीम का करम है िो मेरी िैर्ी गन ु ह्गार पर नज़्र करम रिे हुए है , मेरी स्ज़न्दगी में बहुत हादर्े आए किर इर् दरूद पाक की बरकत र्े अल्लाह ने मझ ु े कैर्े ननकाला बर् हम ही ना शक्र ु े और ना फ़मातन बने किरते हैं, अल्लाह हम र्ब को

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द्रहदायत काममल नर्ीब फ़मातए। मझ ु े िब भी कोई परे शानी पड़ी है तो दरूद पाक पढ़ते या नमाज़ पढ़ने के बाद वज़ीफ़ा दरूद करते ही यक्दम कुछ पल के मलए मझ ु े र्मझ नहीं आती कक क्या होता है , ऐर्े लगता है

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ख़्वाब में होती हूँ और मेरे मर्ले का हल ममल िाता है , ये वज़ीफ़ा मैं ने अबक़री र्े पढ़ा था, मेरे भाई की शादी का दरू दरू तक कोई इम्कान नहीं था, अल्लाह ने दरूद की बरकत र्े करम ककया और द्रदनों के अंदर शादी हो गयी। (उज़्मा,हज़ारा)

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माहनामा अबक़री अक्टूबर 2015 शुमारा निंबर 112____________pg46

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