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माहनामा अबक़री मैगज़ीन
अक्टूबर 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
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अक्टूबर 2016 के एहम मज़ामीन
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हहिंदी ज़बान में दफ़्तर माहनामा अबक़री
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मज़ंग चोंगी लाहौर पाककस्ट्तान
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महमद ू मज्ज़ूबी चग़ ु ताई دامت برکاتہم
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एडिटर: शैख़-उल-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मह ु म्मद ताररक़
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मरकज़ रूहाननयत व अम्न 78/3 अबक़री स्ट्रीट नज़्द क़ुततबा मस्स्ट्िद
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फ़ेहररस्त नन्हे मन् ु ने बच्चों को बड़ी परे शाननयों से बचाने के गरु ................................................................................ 3
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ग़स् ु सा किंट्रोल करने के चन्द उसल ू ! ज़रूर अपनाइए ..................................................................................... 7 अक्टूबर! चन्द ग़ग़ज़ाओिं से लाजवाब सेहत पाएिं .......................................................................................... 11
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मह ु रर मल् ु हराम! ररज़्क़ में ख़ैर व बरकत पाने का अजब अमल .................................................................... 14 वाश रूम की सफ़ाई आप के सघ ु ड़पन की ननशानी ..................................................................................... 27 मामल ू ी सी क़ुबारनी आप के घर को जन्नत बना सकती है ........................................................................ 31 ला इलाज प्रोस्टे ट ग्लैंड ससफ़र तीन हदन में ख़त्म ....................................................................................... 34
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सेहत के चन्द उसल ू .................................................................................................................................... 37
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बच्चो! ना मैं हसद करता ना मझ ु े ये सज़ा समलती!................................................................................... 41
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बा कमाल आसमल की जजन्न से लड़ाई ....................................................................................................... 44
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ख़ुदारा! ककसी मज़्लम ू , फ़क़ीर, यतीम की बद्द दआ ु से बचें वरना! ............................................................. 48
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आप का ख़्वाब और रोशन ताबीर ................................................................................................................ 52
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नन्हे मुन्ने बच्चों को बड़ी परे शाननयों से बचाने के गुर (बच्चे को शुरू ही से रोज़ाना नहलाने की आदत िालना चाहहए, चन ु ाचे मौसम समात में ककसी क़दर गमत पानी से और मौसम गमात में ताज़ह पानी से नहलाना चाहहए। नहलाने के फ़ौरन बाद बच्चे का बदन ख़श्ु क
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है ।)
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कर लेना चाहहए और उस को कपड़े पहना दे ने चाहहयें। गर्मतयों में दो तीन दफ़ा भी नहलाया िा सकता
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(कफ़स्ज़शन मुहम्मद अज्मल ख़ान)
नन्हे बच्चों की दे ख भाल वाल्दै न का ननहायत मुक़द्दस फ़ज़त है इस र्लए वाल्दै न को बच्चों की सेहत के
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र्लए बड़ी स्ज़म्मेदारी और होश्मन्दी से काम लेना चाहहए।
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बच्चे को दध ू पपलाना: ये बात ख़ब ू अच्छी तरह याद रखना चाहहए कक बच्चे की बेह्तरीन और उम्दा ग़ग़ज़ा मााँ का दध ू है । दध ू पपलाने के फ़ौरन बाद बच्चे को आराम से रखें , ज़्यादा हहलाने िुलाने से बच्चा क़ै कर
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दे ता है । ज़्यादा तक्लीफ़ होने पर घर या पड़ोस की बड़ी बूढ़ी से मश्वरा ना करें बस्ल्क हमेशा अपने
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मुआर्लि की राय हार्सल करें । कोई दवा बच्चे को ख़द ु ब ख़द ु इस्ट्तमाल ना कराएं। बच्चे का सलबास:
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हल्का सादह मसाम्दार और ढीला होना चाहहए। नन्हे बच्चों को पुर तकल्लुफ़ कपड़े स्िस पर ज़री या सल्मा वग़ैरा का काम होता है पहनाना ख़्वाह मख़्वाह उन को तक्लीफ़ दे ता है । र्लबास मौसम के
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मुताबबक़ सदत या गमत होना चाहहए। बच्चे मौसमी असरात को बड़ों की ननस्ट्बत िल्दी क़ुबूल करते हैं इस र्लए आप बच्चों की दे ख भाल बहुत एहत्यात से करें ।
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पेशाब व पाख़ाना जज़म्मेदारी से करवाइये: अगर आप बच्चे को ग़ग़ज़ा बाक़ाइदह् दें गे तो अज़ ् ख़द ु उस के पाख़ाना का वक़्त मुक़रत र हो िाएगा और वो कपड़ों और बबस्ट्तर को ख़राब कर के मााँ और दाया के र्लए
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तक्लीफ़ का बाइस नहीं बनेगा। पाबन्दी के आदी बच्चे बहुत छोटी उम्र में ही पेशाब और पाख़ाना के वक़्त
कर नया पहना दे ना चाहहए।
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ख़ास इशारों से मााँ को समझा लेते हैं। अगर कभी कपड़े गीले और ख़राब हो िाएं तो उन को फ़ौरन उतार
बच्चों के सलए वजज़रश इिंतहाई ज़रूरी: बच्चों की मन ु ार्सब नशो व नम ु ा के र्लए ज़रूरी है कक उन्हें वस्ज़तश का मौक़ा हदया िाए। चन ु ाचे उन को काफ़ी दे र तक बबस्ट्तर पर पड़े रहना चाहहए ता कक हाथ पाओं चलाते
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रहें , कभी कभी मामूली रोने से बच्चे की सेहत पर अच्छा असर पड़ता है क्यूंकक उस से फेफड़ों में पूरी तरह
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हवा पुहंच िाती है , इस र्लए इस से परे शान नहीं होना चाहहए।
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नन्हे बच्चे को भरपूर सोने का मौक़ा दीजजये: नन्हे बच्चे को नींद की बहुत ज़रूरत होती है , इस र्लए
अपनी उम्र के इब्तदाई हदनों में वो तक़रीबन २०-२२ घन्टे सोता रहता है । इस के बाद बतदरीि नींद थोड़ी
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थोड़ी कम होती िाती है , पाककस्ट्तान, हहंदस्ट् ु तान में आम तौर पर माएं बच्चों को साथ सल ु ाती हैं इस से मााँ
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और बच्चा दोनों बे आराम रहते हैं इस में बड़ी क़बाहत ये है कक बच्चा बे वक़्त दध ू पीने का आदी हो िाता है , बच्चे को हमेशा अलग सल ु ाना चाहहए एक ही करवट पर बच्चे का सोना ठीक नहीं। इस र्लए मााँ या
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दाया को चाहहए कक उसे पहले दाएं पहलू पर सुलाए और कफर ककसी ककसी वक़्त करवट बदलती रहे ।
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मासलश कीजजये बच्चे के एअज़ा ताक़तवर बनाइये: सरसों के उम्दह् तेल से बच्चे की मार्लश करते रहना
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मुफ़ीद है इस से एअज़ा ताक़तवर होते हैं और नशो व नुमा में मदद र्मलती है ।
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नहलाना: बच्चे को शुरू ही से रोज़ाना नहलाने की आदत िालना चाहहए, इस र्लए मौसम समात में ककसी क़दर गमत पानी से और मौसम गमात में ताज़ह पानी से नहलाना चाहहए। नहलाने के फ़ौरन बाद बच्चे का
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बदन ख़श्ु क कर लेना चाहहए और उस को कपड़े पहना दे ने चाहहयें। गर्मतयों में दो तीन दफ़ा भी नहलाया िा सकता है ।
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बच्चे की चस् ू नी: चस्ट् ू नी की आदत बच्चे की सेहत के र्लए र्मज़्र है इस से पाबन्दी वक़्त और ज़ब्त नफ़्स
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का वो सबक़ िो मक़ ु रत रह औक़ात ग़ग़ज़ा से बच्चे को र्मलता है नहीं र्मल सकता। अगर बच्चा बे वक़्त रोए तो बिाए दध ू के उस को थोड़ा सा अक़त सौंफ़ पपलाना चाहहए।
बच्चों की ग़ग़ज़ाएँ: बच्चे को छै सात माह के दौरान दध ू के इलावा दस ू री ज़ोद् हज़्म ग़ग़ज़ाएाँ भी क़लील
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र्मक़्दार में दे नी चाहहयें मस्ट्लन अच्छी तरह पकी हुई खखचड़ी, पत्ली खीर या दल्या और कफ़रनी वग़ैरा पके हुए ज़ोद् हज़्म फ़्रूट िूस, बकरे के गोश्त की यख़्नी, अच्छी कक़स्ट्म के बबस्स्ट्कट वग़ैरा दे ने चाहहयें। दे र
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सदत की हुई तमाम अश्या बच्चों को तीन साल तक इस्ट्तमाल ् नहीं करवाना चाहहयें।
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हज़्म,गोश्त, कच्ची सस्ब्ज़यां, टमाटर, प्याज़, तले हुए पकोड़े, आलू और बाज़ारी र्मठाईयां और बफ़त से
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दध ू ू पपलाने की बोतल: मााँ का दध ू ही बच्चे की बेह्तरीन ग़ग़ज़ा है , अगर ककसी विह से मााँ का दध
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मुयस्ट्सर ना हो और बच्चे को दध ू पपलाने की ज़रूरत दरपेश हो तो कफर बच्चे को दध ू बोतल से भी
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पपलाया िा सकता है । बच्चों को दध ू पपलाने की कई कक़स्ट्म की बोतलें बाज़ार में र्मलती हैं। सब ् से उम्दह् बोतल वो है िो अच्छी तरह साफ़ हो सके, ख़ाली बोतल को गमत पानी के साथ ब्रश से ख़ब ू अच्छी तरह
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धोना चाहहए। ननपल को भी उल्टा कर के धोना चाहहए, वरना दध ू में ख़राबी हो कर बच्चे के हज़्म को
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नुक़्सान पुहंचने का ख़त्रह है । मस्ट्नूई दध ू पर पवतररश पाने वाले बच्चों के र्लए बेह्तरीन तरीक़ा चम्मच से दध ू पपलाना है इस से बोतल की सफ़ाई ना होने के नुक़्सानात से छुटकारा हो िाता है बच्चों के दध ू पपलाने
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के बततन साफ़ होना ननहायत ज़रूरी हैं।
बच्चों का दध ू छुड़वाना: आम तौर पर एक या दो साल की उम्र में बच्चे का दध ू छुड़ा र्लया िाता है यानन मााँ के दध ू की बिाए गाये या भैंस का दध ू और दस ू री ग़ग़ज़ाएाँ शुरू कर दी िाती हैं पाककस्ट्तान में गर्मतयों
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का मौसम दध ू यकबारगी ू छुड़ाने के र्लए अच्छा नहीं बस्ल्क मौसम बहार इस के र्लए बेह्तरीन है । दध नहीं बस्ल्क बतदरीि छुड़ाना चाहहए। अगर बच्चे का दध ू आहहस्ट्ता आहहस्ट्ता छुड़ाया िाए तो अमूमन मां
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की छानतयों में कोई तक्लीफ़ नहीं होती और इस तरह से बच्चा भी सेहत मन्द रहता है ।
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डडप्रेशन का मरीज़ एक अमल से सेहत्याब
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं अब्क़री की छै या सात माह से क़ारी हूाँ, अब्क़री हर माह हमारे घर बाक़ाइदगी से आता है । दो अन्मोल ख़ज़ाने और अब्क़री लोगों को हद्या भी करती हूाँ और
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अब्क़री का और आप का बताती हूाँ। हर िुमेरात को हम सब ् बच्चे इंटरनेट पर आप का दसत सुनते हैं और ख़ब ू फ़ैज़ पाते हैं। हम बहुत से मसाइल का र्शकार् थे, मेरे शौहर, शौहर की छोटी बहन, मैं और हम बहनें
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सब ् डिप्रेशन में मुब्तला थे। हमारा अब्क़री से तआरुफ़ एक बुज़ुगत ने करवाया और उन्हों ने हमें डिप्रेशन से
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ननिात के र्लए एक अमल बताया। बाद नमाज़ इशा पांच सौ बार मअव्वज़तैन शौहर पढ़े और पांच सौ मततबा फ़ज्र के बाद मैं पढ़ाँू और ये वज़ीफ़ा चालीस हदन करना है । हम दोनों ने ये वज़ीफ़ा पंद्रह हदन ही
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ककया था कक मेरे शौहर बबल्कुल ठीक हो गए और उन की डिप्रेशन की गोर्लयां छूट गईं। अल्लाह ने मझ ु े
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भी सेहत दी और मैं अल्हम्दर्ु लल्लाह उम्मीद से हो गयी। (एहल्या मुहम्मद अहमद, रावलपपंिी) मदर व ख़वातीन के तमाम पोशीदह् अमराज़ का लाजवाब हल
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरे पास एक नुस्ट्ख़ा है िो र्लकोररया, ज़कावत
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हहस्ट्स, स्िरयां, एहतलाम ्, सरअत अंज़ाल के र्लए ख़ास तौर पर लािवाब है । हुवल्शाफ़ी: समुन्दर सूख
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एक तोला, इस्ट्पगोल साबुत एक तोला, काहू चार तोला, गुल सुख़त एक तोला, काफ़ूर तीन माशा, अज्वाइन
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ख़रासानी अढ़ाई तोला, गुल नार एक तोला, ख़श्ु क धन्या िेढ़ तोला, नीलोफ़र आधा तोला, गोंद कीकर अढ़ाई तोला। अज्वाइन ख़रासानी और काफ़ूर इकट्ठा पीस लें। बाक़ी अलैहहदह समन् ु दर सख ू और
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इस्ट्पगोल को बग़ैर कूटे िाल दें । बड़े साइज़ ् के कैप्सूल खाने के बाद खा लें। गमत, तली हुई, बाज़ारी और बेकरी की अश्या से मुकम्मल परहे ज़ करें । (प ्-ज़ ्)
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माहनामा अब्क़री अक्टूबर 2016 शुमारा नम्बर 124------------pg 6
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ग़स् ु सा किंट्रोल करने के चन्द उसूल! ज़रूर अपनाइए (दोस्ट्तो! ककसी ज़माने में ये मज़त बहुत दे खने को र्मलता था अमूमन कोई एहम काम वक़्त पर मुस्म्कन या मुकम्मल ना होने की सूरत में लोग ग़स्ट् ु से का इज़्हार कर हदया करते थे मगर अब तो प्याज़ और आलू
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इतने हदखाई नहीं दे ते स्ितना के लोगों के ग़स्ट् ु से)
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(मास्िद ज़हूर, लाहौर)
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क्या करूाँ यार? ग़स्ट् ु सा बहुत आता है ग़लत बात बदातश्त ही नहीं होती। लड़के हों या लड़ककयां सब ् ही ग़स्ट् ु से
के मज़त में मुब्तला नज़र् आते हैं। बस फ़क़त र्सफ़त इतना है कक कुछ लोगों की ये आदत होती है और कुछ
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लोग इसे फ़ैशन के तहत लेते हैं। आप है रान होंगे हम क्या कह रहे हैं ग़स्ट् ु सा एक िज़्बाती कैकफ़यत का
नाम है स्िस में इंसान हवास खो बैठता है इस का भला आदत या फ़ैशन से क्या तअल्लुक़? दोस्ट्तो! ककसी
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ज़माने में ये मज़त बहुत दे खने को र्मलता था अमूमन कोई एहम काम वक़्त पर मुस्म्कन या मुकम्मल ना होने की सूरत में लोग ग़स्ट् ु से का इज़्हार कर हदया करते थे मगर अब तो प्याज़ और आलू इतने हदखाई
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नहीं दे ते स्ितना के लोगों के ग़स्ट् ु से। ज़रा ग़ोर कीस्िये आठ घन्टे से बबिली बंद है , पानी भी नहीं आ रहा
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और गैस ने अलग ना आने की क़सम खाई हुई है ऐसे में ग़स्ट् ु सा आना लाज़्मी अम्र है । क्यंकू क बबिली के
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तवील ताअतुल ने हमारी रोज़ मरत ह स्ज़न्दगी का हुल्या बबगाड़ कर रख हदया है । मगर इस तमाम
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सरू तेहाल का स्ज़म्मेदार हम बड़ी आसानी से हुकूमत को क़रार दे कर ख़द ु आसानी से बरी हो िाते हैं कक बबिली का प्लांट लगाना, पानी फ़राहम करना ये सब ् हुकूमत की स्ज़म्मेदारी है और इन तमाम चीज़ों का बे दरीग़ इस्ट्तमाल हमारा फ़ज़त है । हम कभी इस बात पर ग़स्ट् ु सा नहीं करते कक िब एक पंखे से काम हो
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सकता है तो दो पंखों के चलाने की क्या ज़रूरत है यही वो मुक़ाम है िब ग़स्ट् ु से का मज़त आदत से ननकल कर फ़ैशन की सूरत अस्ख़्तयार कर लेता है । अरे भाई! अब दे खखए ना! रै कफ़क िैम तो ग़स्ट् ु सा आ गया इस
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ग़स्ट् ु से में आगे पीछे गाड़ी वालों से झगड़ा भी शरू ु कर हदया, आखख़र क्या करें ग़स्ट् ु से में आ कर अपनी शस्ख़्सयत के हुनर भी तो हदखाने हैं र्लहाज़ा ग़स्ट् ु सा करने पर मज्बूर हैं। अब ज़रा घर को लौट चल्ते हैं
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मगर अब यहां भी ग़स्ट् ु सा ककसी ने नसीहत के दो बोल कह हदए तो ग़स्ट् ु सा, कपड़े वक़्त पर इस्ट्तरी नहीं तो मूि ऑफ़, असाइनमें ट मुकम्मल नहीं तो मुसीबत ग़स्ट् ु सा ना हुआ बलाए िान हो गया। मिाल है िो कुछ सोचने समझने की मुह्लत दे छोटी छोटी बात पर ग़स्ट् ु सा आना। कुछ लोगों को ग़स्ट् ु सा इस हद्द तक आता
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है कक वो वक़्ती तौर पर अपने हदल की भड़ास ननकाल कर ख़ामोश हो िाते हैं। उन्हें ठं िे र्मज़ाि का
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मार्लक कहा िाता है कुछ लोग चीज़ें तोड़ कर अपना ग़स्ट् ु सा उतारते हैं। ग़स्ट् ु से का इज़्हार कई तरह से
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ककया िाता है बअज़ लोग बल ु ंद आवाज़ में बोल कर इज़्हार कर लेते हैं कुछ गाली गलौच और बअज़ हाथा
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पाई और तशद्दुद से अगचे ग़स्ट् ु से के इज़्हार से इंसान पुर सुकून हो िाता है ताहम ये नुक़्सान का बाइस
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बनता है । नफ़्स्ट्याती र्लहाज़ से ग़स्ट् ु से को दबाना मन ु ार्सब नहीं क्यंकू क इस से कई नफ़्स्ट्याती बीमाररयां
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पैदा होती हैं। मस्ट्लन कमर ददत , गदत न और सर ददत , मुख़्तर्लफ़ कक़स्ट्म के िोड़ों के ददत , मैदे का अल्सर,
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बड़ी आंत की सोस्ज़श और ब्लि प्रेशर वग़ैरा एक ररसचत से मालम ु सा हादसात का ू हुआ है कक ज़्यादा ग़स्ट् सबब भी बनता है । ग़स्ट् ु से में बहुत सी तब्दीर्लयां रोन्मा होती हैं, मस्ट्लन हदल की धड़कन, नब्ज़ की
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रफ़्तार तेज़ हो िाती है, आंखें अंगारे बन िाती हैं, स्िस्ट्म कांपता है , चेहरा सुख़त हो िाता है, इंसान अपने
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ज़ेहन पर कंरोल नहीं करता।
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ग़स् ु सा किंट्रोल करने के चन्द तरीक़े
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☆हमारे प्यारे आक़ा सवतरर कौनैन हुज़रू नबी करीम ﷺने इशातद फ़मातया: ग़स्ट् ु सा शैतानी असर का नतीिा है और शैतान आग से पैदा हुआ है और आग र्सफ़त पानी से बुझती है तो स्िस को ग़स्ट् ु सा आए उसे चाहहए कक वज़ू करे । ☆अपने ग़स्ट् ु से को कंरोल करें , ज़ब्त करें और रोकें। इशातद रब्बानी है : िो ख़श ु ी और Page 8 of 55 www.ubqari.org
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ग़म में ख़चत करते हैं िो ग़स्ट् ु से को पी िाते हैं, अल्लाह ऐसे नेक लोगों को पसंद करता है ।" ☆इशातद रब्बानी है : िो लोग बड़े गुनाहों और बे हयाई से बचते हैं और िब ग़स्ट् ु सा आए तो मुआफ़ कर दे ते हैं। ☆हदीस का
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मफ़हूम है कक अगर हम लोगों को मुआफ़ करें गे तो क़यामत के रोज़ अल्लाह हमें मुआफ़ कर दे गा।" इल्म नफ़्स्ट्यात कहता है कक ग़स्ट् ु से का बेह्तरीन इलाि लोगों को मआ ु फ़ करना है लोगों को उन के र्लए नहीं
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बस्ल्क अपने र्लए मुआफ़ कर दें । उन को मुआफ़ कर के आप को सुकून र्मलेगा, मुआफ़ ना कर के कुढ़ते रहें गे और हार्सल कुछ ना होगा। ☆
रसूलल्लाह ﷺने एक दफ़ा अपने अस्ट्हाब को ग़स्ट् ु सा कंरोल करने का एक काम्याब तरीक़ा बताया। َ
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َ ْ َ )ا ُع ْوذ اِبہلل ا اपढ़े । फ़मातया कक स्िसे ग़स्ट् ु सा आए वो "अऊज़ु बबल्लाहह र्मनश्शैताननरत िीम ्" (ِم الشی ٰط ان الر اج ْیم
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चन ु ाचे िब भी ककसी को ग़स्ट् ु सा आए तो वो हदल में एक या दस मततबा ग़गनती कर के तऊज़ पढ़े । ☆स्िन
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अफ़राद ने आप के िज़्बात को ठे स पुहंचाई उस की मग़कफ़रत के र्लए ख़द ु ा से दआ ु करें । ☆ ग़स्ट् ु सा आते ही ककसी दस ु ूसन ककसी पसंदीदह काम में मसरूफ़ हो िाएं कोई भी ू रे काम में मसरूफ़ हो िाएं, ख़स
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स्िस्ट्मानी काम मुफ़ीद रहे गा। ☆अगर आप ग़स्ट् ु से में हैं तो एक ग़गलास पानी पी लें और गहरे गहरे सांस
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लें। इस अमल से आप बेह्तर महसस ू करें गे। ☆अगर ककसी शख़्स के खख़लाफ़ ग़स्ट् ु सा हदल में भरा हुआ है
तो कंरोल करने का तरीक़ा ये है कक आराम से ककसी पुर सुकून िगह बैठ िाएं स्िस ने आप को ठे स
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पुहंचाई हो उसे एक ग़स्ट् ु से से भरा हुआ ख़त र्लखें। ख़त में हदल की सारी भड़ास ननकालें उसे िाक के सुपुदत नहीं करना याद रहे कफर ख़त को एक बार पढ़ें , कफर फाड़ कर फेंक दें । ☆हदीस में भी है और िदीद
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नफ़्स्ट्यात भी कहती है कक ग़स्ट् ु से में बैठ िाओ या कफर लेट िाएं लेटने की हालत में अमूमन ग़स्ट् ु से का
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आना और क़ाइम रहना तक़रीबन ना मुस्म्कन है । दोस्ट्तो! अगर ग़स्ट् ु से से ननिात चाहते हैं तो ये गुर
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आज़मा कर दे खें। यक़ीन करें ग़स्ट् ु सा आप के पास भटकेगा भी नहीं, बस आज़माइश शतत है । थकावट कैसे दरू की जाए
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आसान और मत ु तक़ल थकावट के मसले का स्िन लोगों को सामना करना पड़ता है , ु बादल इलाज: ☆मस्ट् उन के र्लए सब ् से एहम इस बात का तअय्युन है कक आया वो अपनी नींद पूरी करते हैं या नहीं। इस के
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र्लए िल्दी सोने और उठने के फ़ॉमल ूत ा पर अमल करना चाहहए। अगर नींद िल्दी ना आये तो सोने से पहले एक छोटे कप में तीन चम्मच शहद और र्सकात र्मलाएं और उसे अपने बेि रूम में रख लें। बबस्ट्तर में
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िाते वक़्त इस के दो चम्मच लें। अगर आधे घन्टे तक नींद ना आए तो इस के दो चम्मच और ले लें अगर एक घन्टे तक ना आए तो कफर दो चम्मच और ले लें। एक घन्टे बाद इन ् शा अल्लाह नींद आ िाएगी और आप मज़े की नींद सो कर ताज़ह दम हो कर उठें गे। ☆काम के दौरान ज़रा सा सुस्ट्ता लें। बैठ कर काम
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करने वाले हज़रात थोड़ी दे र लेट कर आराम कर लें। बैठ कर काम करते हुए कुछ दे र खड़े हो कर काम कर
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लें। ☆खाने में फल और सस्ब्ज़यां ज़्यादा इस्ट्तमाल करें । ☆सब ु ह उठते ही नमाज़ पढ़ कर थोड़ी सी सेर करें
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और थोड़ा सा आराम कर के पूरे स्िस्ट्म की सर समेत ज़ेतून के तेल से मार्लश करें और इस के बाद नीम
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गरम पानी से ग़स्ट् ु ल करें । ☆नाश्ते में फल या िूस इस्ट्तमाल करें । ☆खाने में सस्ब्ज़यां और सलाद का
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ज़्यादा इस्ट्तमाल करें । ☆पवटार्मन बी कम्प्लेक्स की कमी दायमी थकावट का बाइस बनती है ।
मत ु अस्ल्लक़ा पवटार्मन्ज़ कलेिी, चावल, दालों और गंदम ु में वाफ़र र्मक़्दार में मौिद ू होते हैं। ☆दो
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मअरूफ़ मादनी अनार्सर यानन कैस्ल्शयम और पोटै र्शयम की कमी भी शदीद थकावट का बाइस बनती
है । दालें , सब्ज़ पत्तों वाली सस्ब्ज़यां, आलू, संगत्रह् पोटै र्शयम से भरपूर हैं िस्ब्क बादाम, नतल, दध ू ,
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अख़रोट और सब्ज़ तरकाररयााँ कैस्ल्शयम का ख़ज़ाना हैं। उन का ज़्यादा इस्ट्तमाल करें ।
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माहनामा अब्क़री अक्टूबर 2016 शम ु ारा नम्बर 124-------------pg 8
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन
अक्टूबर 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
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अक्टूबर! चन्द ग़ग़ज़ाओिं से लाजवाब सेहत पाएिं (कक़ल्लत ख़न ू के दो बुन्यादी अस्ट्बाब हैं, एक सबब ख़न ू के सुख़त ज़रातत का कम तअदाद में बनना। टी बी और
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स्िरयां ख़न ू का मज़त, डिप्रेशन की उदय ू ात खाने से भी ख़न ू की पवतररश रुक िाती है । पेट के कीड़े ख़न ू पर
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पल्ते हैं। स्िन बच्चों के पेट के कीड़े हों उन्हें एनीर्मया हो िाता है ।) (माररया अली)
ख़न ू की ताज़गी और सेहत पवतरी क़ाबबल ए रश्क और सदा बहार िवानी की नवीद होती है । अगर एक इंसान
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कक़ल्लत ख़न ू का र्शकार हो िाए या सुख़त ज़रातत में तवाज़ुन ना रहे या उन की पवतररश में एअतदाल ना हो तो हर उज़्व की सेहत तबाह हो कर रह िाती है क्यंकू क ख़न ू परू े बदन में गहदत श कर के हर उज़्व की पवतररश,
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ननगहदाश्त और चाबुकदस्ट्ती क़ाइम करता है । हमारी श्रीयानों और वरीदों में रक़्सां ख़न ू दर हक़ीक़त स्ज़ंदा
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हटश्यज़ ू ् होते हैं, स्िन में से आधी तअदाद में ख़न ू को सख़ ु त रं ग दे ने वाला मादह हे मोग्लोबबन है । ये दर
हक़ीक़त एक प्रोटीन है िो आगेननक आयरन कम्पोउं ि पर मुश्तर्मल होता है िबकक ग्लोबबन ऐसी प्रोटीन है
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िो सल्फ़र की हार्मल है । हे मोग्लोबबन की सेहत और पवतररश का इन्हसार आयरन और प्रोटीन की मुनार्सब
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तअदाद की फ़राहमी पर है । उन की स्ज़न्दगी १२० हदन होती है , ये रोज़ाना र्शकस्ट्त व रीख़त का सामना करते और नए ज़रातत िन्म लेते रहते हैं। १०० सी सी ख़न ू में तक़रीबन १५ ग्राम हे मोग्लोबबन होता है ,
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सेहतमन्द इंसान के र्लए अगर इस में कमी वाकक़अ हो िाए तो कक़ल्लत ख़न ू यानन एनीर्मया का मज़त पैदा होता है , ख़न ू की कमी और इस के िवाहर में सुस्ट्ती वाकक़अ हो िाए तो इंसान थका थका, लाग़र, डिप्रेशन में
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मब्ु तला हो िाता है उस की सांस फूलने लगती है । कक़ल्लत ख़न ू के दो बन् ु यादी अस्ट्बाब हैं, एक सबब ख़न ू के
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सुख़त ज़रातत का कम तअदाद में बनना। टी बी और स्िरयां ख़न ू का मज़त, डिप्रेशन की उदय ू ात खाने से भी ख़न ू
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की पवतररश रुक िाती है । पेट के कीड़े ख़न ू पर पल्ते हैं। स्िन बच्चों के पेट के कीड़े हों उन्हें एनीर्मया हो िाता है । नतब्बी माहहरीन का कहना है २५ वमत २४ घन्टे में १५ ग्राम ख़न ू पी िाते हैं र्लहाज़ा पेट को कीड़ों से पाक करने के र्लए मुनार्सब उदय ू ात खानी चाहहयें। ख़न ू को तवाना रखने के र्लए और दवाई मुज़्मरात से बचने Page 11 of 55 www.ubqari.org
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के र्लए ऐसी ग़ग़ज़ाएाँ खानी चाहहयें स्िन में ननबाताती हे मोग्लोबबन पैदा करने की ख़ुसूर्सयात हों तो इंसान एनीर्मया के मज़त से ननिात हार्सल कर लेता है । वेसे तो ख़न ू के सुख़त ज़रातत हे मोग्लोबबन और एंज़ाइम्स
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पैदा करने के र्लए तमाम ग़ग़ज़ाएाँ लाज़्मी होती हैं ताहम बअज़ बाज़ारी ग़ग़ज़ाएाँ मस्ट्लन वाइट ब्रेि, पोर्लश कदत ह चावल, आइस क्रीम, पेस्स्ट्रयां र्मठाईयां वग़ैरा स्िस्ट्म को फ़ौलाद से महरूम कर दे ती हैं। मुहक़्क़क़ीन
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नतब्ब का कहना है कक आयरन हमेशा नाम्याती खाना चाहहए। यानन ऐसी ग़ग़ज़ाएाँ इस्ट्तमाल करना चाहहयें स्िन में आयरन की र्मक़्दार ज़्यादा मस्ट्लन कलेिी और अंिे वग़ैरा भी हो सकते हैं। ताहम ऐसे फल और सस्ब्ज़यां ज़्यादा मुफ़ीद हैं स्िन में फ़ौलाद पैदा करने की ख़स ु ूर्सयत नुमायां है । ग़ैर नाम्याती आयरन खाना
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ख़तरनाक होता है क्यूंकक इस से रोग़नी तेज़ाब और मुदाकफ़अती पवटार्मन्ज़ तबाह हो िाते हैं और इस से
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स्िगर भी ख़त्म हो िाता है । ज़ेल में चन्द मुफ़ीद और अज़ाां ग़ग़ज़ाओं का भी स्ज़क्र ककया िा रहा है । स्िन्हें
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रोज़ मरत ह इस्ट्तमाल में लाया िाए तो ताज़ह और तवाना ख़न ू पैदा होता है ।
ख़ब ू ानी: कक़ल्लत ख़न ू के मज़त से ननिात के र्लए ख़ब ू ानी बेह्तरीन फल है । इस में फ़ौलाद बकस्र्त पाया
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िाता है । ताज़ह ख़ब ू ानी के मादनी और हयातीनी अज्ज़ा में कैस्ल्शयम २० र्मली ग्राम फ़ॉस्ट्फ़ोरस २५ र्मली
ग्राम, आयरन २.२ र्मली ग्राम और पवटार्मन सी ६ ग्राम पाए िाते हैं। चीन में ख़ब ू ानी से एक मक़बल ू तरीन
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ग़ग़ज़ा "ख़ब ू ानी का सोना" ख़ूबानी के पेड़ के गूदे से तय्यार की िाती थी िो दराज़ उम्र और ख़वातीन की
बीमाररयों के र्लए एक र्शफ़ा बख़्श ग़ग़ज़ा समझी िाती है । ख़ब ू ानी के इस्ट्तमाल से हे मोग्लोबबन के सुख़त
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ज़रातत में इज़ाफ़ा होता है । सेब: सेब को एक मुकम्मल ग़ग़ज़ा समझा िाता है ये इंसानी बदन की सेहत
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मंदाना पवतररश करने वाली मुहाकफ़ज़ ग़ग़ज़ा तस्ट्लीम ककया िा चक ु ा है सेब स्िस्ट्म के अंदर कीम्याई
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तब्दीर्लयों के अमल को तस्क़्वय्यत दे कर स्िस्ट्म की नशो व नुमा और कारकदत गी को बढ़ाता है । अगचे एक
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सो ग्राम सेब में एक र्मली ग्राम आयरन मौिूद होता है ताहम इस में १४ र्मली ग्राम फ़ॉस्ट्फ़ोरस और औरर्सननक भी पाया िाता है िो ख़न ू में बीमाररयों के खख़लाफ़ क़ुव्वत मद ु ाकफ़अत बढ़ाते हैं। केला: केला सहदयों से ननज़ाम हज़्म को मज़बूत बनाने के र्लए बेह्तरीन ग़ग़ज़ा के तौर पर इस्ट्तमाल होता आ रहा है ।
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इस में शार्मल मादनी अज्ज़ा कैस्ल्शयम फ़ॉस्ट्फ़ोरस आयरन सेहत मन्द ख़र्लयों और बाफ़्तों कक तामीर करते हैं। केले में सदा बहार हुस्ट्न व सेहत के र्लए एक ऐसी शक्कर पाई िाती है िो िवानी को बरक़रार
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रखती है । ख़न ू में सख़ ु त ज़रातत कम हों तो केला ग़ग़ज़ा में शार्मल कर लेना चाहहए इस में ०.९ र्मली ग्राम आयरन होता है लेककन इस में शार्मल बाक़ी अज्ज़ा ख़ून की पवतररश भी करते हैं। मुनक़्क़ा: अपनी ग़ग़ज़ाई
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सलाहहयतों की बबना पर मन ु क़्क़ा पकवानों और र्मठाइयों के इलावा बतौर दवाई मआ ु र्लि के र्लए भी इस्ट्तमाल होता है । मुनक़्क़ा में शार्मल एहम तरीन शक्करी अज्ज़ा कम्ज़ोर बदन को फ़ौरी तवानाई और हरारत मुहय्या करते हैं। योरप में मुनक़्क़ा से इलाि, एक मुस्ट्तअमल ररवायत है । इस के बाक़ाइदह्
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इस्ट्तमाल से तशनि, एंठन, डिप्रेशन और कक़ल्लत ख़न ू व ख़न ू में तेज़ाबबयत के रुिहानात को ख़त्म ककया
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िा सकता है । बादाम: मग़स्ज़यात में बादाम शहं शाह ग़ग़ज़ा के नाम से मअरूफ़ है मग़ज़ बादाम में ४.५ र्मली
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ग्राम आयरन पाया िाता है बादाम में नाम्याती कॉपर भी पाया िाता है । एक सो ग्राम में इस कक र्मक़्दार
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१.१५ र्मली ग्राम होती है , कॉपर और आयरन दीगर पवटार्मन्ज़ के साथ र्मल कर सुख़त ज़रातत तश्कील दे ते
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और उन्हें सेहत बख़्शते हैं। एनीर्मया के मरीज़ों के इलावा बच्चों को बादाम की गररयााँ खखलाते हैं िो ख़न ू
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और हदमाग़ की पवतररश करते हैं। बादाम एअसाबी हदमाग़ी कम्ज़ोररयों के र्लए अफ़तअ ग़ग़ज़ा है ।
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नतल: नतल एक मअरूफ़ रोग़नी बीि है ये तीन कक़स्ट्म के होते हैं सफ़ेद, काले और सुख़।त उन में से काले नतल
ज़्यादा मुफ़ीद होते हैं और दवाई ख़बू बयों के मार्लक हैं। ताहम तीनों में िुदागाना ख़स ु ूर्सयात क़ाइम हैं िो
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उन की नतब्बी अफ़ाहदयत को बढ़ा दे ती हैं। दध ू : क़दीम और िदीद नतब्ब ने दध ू को सब ् ग़ग़ज़ाओं पर
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अफ़्ज़र्लयत दी है । ये एक मुकम्मल ग़ग़ज़ा है स्िस में तमाम कक़स्ट्म की मादनी ग़ग़ज़ाई अज्ज़ा शार्मल हैं।
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दध ू क़लील र्मक़्दार के बाविूद ख़न ू की कम्ज़ोरी के मज़त को दरू कर दे ता है स्िन अफ़राद में ख़न ू की गहदत श
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सुस्ट्त होती है उन्हें दध ू पीना चाहहए।
शहद: शहद उन ग़ग़ज़ाओं में शार्मल है स्िन्हें ज़मीन व आस्ट्मान की दन्ु याओं के र्लए बेह्तरीन मस्ट्लह् व मस ु फ़ा ग़ग़ज़ा कहा गया है । इस में र्शफ़ाए कार्मला की नवीद भी है , िदीद मेडिकल ररसचत ने शहद के Page 13 of 55 www.ubqari.org
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इस्ट्तमाल को ख़न ू की बेह्तरीन पवतररश करने वाली ग़ग़ज़ा क़रार दे ते हुए कहा है कक ये हरारत और तवानाई का ज़ार्मन है और तमाम एअसाब की कारकदत गी को मस्ट्बत अंदाज़ में बढ़ाता है एनीर्मया के मरीज़ों के
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र्लए शहद उम्दह् ग़ग़ज़ाई टॉननक है ख़न ू की पवतररश करता और सख़ ु त ज़रातत में तवाज़न ु बरक़रार रखता है ।
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बवासीर से ननजात का आज़मद ू ह रूहानी अमल
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मझ ु े अरसा आठ साल से बवासीर का मज़त लाहक़ था। मुझे ककसी ने दित ज़ेल रूहानी अमल बताया। मैं पपछले दो साल से मुसल्सल कर रहा हूाँ और
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अल्हम्दर्ु लल्लाह इस अमल की बरकत से मेरी इस ना मुराद मज़त से िान छूट चक ु ी है । अमल ये है : पवतरों की नमाज़ में मंदिात ज़ेल सूरतें इस तरतीब से पढ़ें । पहली रकअत में सूरह काकफ़रून, दस ू री में सूरह नसर
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और तीसरी में सूरह लहब, रोज़ाना ये अमल तरतीब से पहढ़ए, अल्लाह करम ् करे गा। इन ् शा अल्लाह।
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(शौकत ररयाज़, अटक)
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माहनामा अब्क़री अक्टूबर 2016 शम ु ारा नम्बर 124------------pg 9
मुहरर मुल्हराम! ररज़्क़ में ख़ैर व बरकत पाने का अजब अमल
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(मंदिात ज़ेल एअमाल बुज़ुगातन दीन और सार्लहीन के आज़मूदह और मंक़ौल शुदह हैं स्िन के शायअ करने का मक़्सद मख़लूक़ ए ख़द ु ा िो तस्ट्बीह और मुसल्ले के साथ ग़ैर शरई एअमाल के बिाए नवाकफ़ल व
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तस्ट्बीहात के ज़ररए िोड़ना है )
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हज़रत उस्ट्मान बबन अफ़्फ़ान رضي هللا عنهसे ररवायत है कक रसूलल्लाह ﷺने इशातद फ़मातया
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मह ु रत म के महीने का एअज़ाज़ व इक्राम करो स्िस शख़्स ने मह ु रत म के महीने का एअज़ाज़ व
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इक्राम ककया अल्लाह तआला उस को िन्नत इनायत फ़मातएंगे और उस को िहन्नम से ननिात दें गे। (इक्राम से कसरत इबादत की तरफ़ इशारा है ) एक और ररवायत में आप ﷺने फ़मातया स्िस ने अवल मुहरत म में दस रोज़े रखे, गोया उस ने दस हज़ार बरस की इबादत की कक रात को Page 14 of 55 www.ubqari.org
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क़्याम ककया और हदन को रोज़ा रखा और फ़मातया िो शख़्स दोज़ख़ की आग अपने ऊपर हराम करना चाहे वो मुहरत म के रोज़े रखे और फ़मातया अल्लाह ने इस महीने को सब ् महीनों में
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बगतज़ीदह है और फ़मातया मह ु रत म का एक रोज़ एक साल की इबादत से ज़्यादा है और फ़मातया मुहरत म के महीने में शबे िुम्मा को इबादत करने वाला ऐसा है गोया उस ने शबे क़दर पाई और
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हर रात के बदले इंसानों और पररयों की इबादत का सवाब पाता है और फ़मातया मह ु रत म की पहली रात में ८ रकअत नमाज़ चार सलाम से इस तरह कक हर रकअत में बाद फ़ानतहा सूरह इख़्लास पढ़ने वाले को अल्लाह बख़्श दे ता है और फ़मातया िो शख़्स ये नमाज़ हर महीने की
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पहली रात को पढ़े वो और उस का माल और औलाद मुसीबतों और शरूर से महफ़ूज़ रहे गा और
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हर रकअत के बदले एक साल की इबादत का सवाब पाएगा और फ़मातया िो शख़्स मुहरत म की
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पहली रात को चार रकअत इस तरह पढ़े कक हर रकअत में बाद फ़ानतहा तीन मततबा सरू ह
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इख़्लास पढ़े हर रकअत के बदले चालीस हज़ार साल की इबादत का सवाब पाएगा और फ़मातया
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िो शख़्स मह ु रत म की पहली रात में दो रकअत इस तरह पढ़े कक हर रकअत में बाद फ़ानतहा के
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सूरह इनआम पढ़े तो गुनाहों से यूं पाक होगा िैसे अभी पैदा हुआ है और हर हफ़त के बदले
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िन्नत में एक हूर पाएगा। पहली शब ्: िो कोई मह ु रत मल् ु हराम की पहली शब छै रकअत नस्फ़्फ़ल नमाज़ दो दो रकअत कर के इस तरह से पढ़े कक हर रकअत में सूरह फ़ानतहा के बाद एक
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मततबा आयत अल्कुसी और ग्यारह मततबा सूरह इख़्लास पढ़े । कफर सलाम के बाद तीन मततबा
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"सुब्हानल्मर्लककल ्-क़ुद्दूर्स सुब्बूहुन ् क़ुद्दूसुन ् रब्बुना व रब्बुल ्-मलाइकनत वरूतहह" ُُْ َ َ ْ ُ ْ َ َُْ ُ ٌ ُُ ٌ ُ ُ (ان ال َم ال اک القد ْو اس ُسب ْوح قد ْوس َرب َنا َو َرب ال َمَل ئاک اۃ َوالر ْو اح )بُسपढ़े तो इन ् शा अल्लाह तआला सवाब अज़ीम
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हार्सल होगा। िो कोई मुहरत मुल्हराम की पहली शब नमाज़ इशा के बाद दो रकअत नस्फ़्फ़ल
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नमाज़ इस तरह से पढ़े कक हर रकअत में सूरह फ़ानतहा के बाद तीन मततबा सूरह इख़्लास पढ़े तो अल्लाह तआला अपने फ़ज़्ल व करम से उस के नामा ए एअमाल में बेशुमार नेककयााँ र्लखता
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है । िो कोई यकुम मुहरत मुल्हराम को दो रकअत नस्फ़्फ़ल नमाज़ इस तरह से पढ़े कक हर् रकअत में सूरह फ़ानतहा के बाद तीन मततबा सूरह इख़्लास पढ़े और नमाज़ से फ़ाररग़ होने के बाद ये
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दआ ु मांगे: अल्लाहुम्म अंतल्लाहुल ्-अबदल ु ्-क़दीमु हास्ज़ही सनतंु िदीदतंु अस ्अलक ु फ़ीहल ्-इस्ट्मत र्मनश्शैतानन-रत िीर्म वल ्अमान र्मनस्ट्सुल्ताननल ्-िाबबरर व र्मन ् शररत कुस्ल्ल ज़ी शररां -व्व र्मनल ्-
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बलाइ वल ्आफ़ानत व अस ्अलक ु ल ्-ऑन वल ्अद्ल अला हास्ज़हह-न्नस्फ़्सल ्-अम्मारनत बबस्ट्सइ ू वल ्इस्श्तग़ार्ल बबमा युक़ररत बुनी इलैक या बरुत या रऊफ़ु या रहीमु या ज़ल्िलार्ल वल ्इक्रार्म" ٰ ُ َ ْ َ َْ َ َ ْٰ َ َ َ َ ْ ْ َ ْ َ ُ َ َ ٌ َ ْ َ ٌ َ َ َ ُ ْ َ ْ ُ ََ ْ ُ َ َْ َ ُ َ َْ ُ َ َ ََ ْ َ ْ َ ( ِل اذ ْ ِر و ِر ا اِر و اِم ا ان اَج ا ا اللھم انت ّٰللا اَابد الق ادمم ذ اہ س سۃۃ ج ادمد اسللک ایَھا ال اصممۃ اِم الشیط ان الر اجی ام و اَااان اِم الُلط ا
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َ ْ َ ُ ْٰ ََ ََْ ا َْ َ ْ ْ َْ ََ َ ُ ْ ا َ ِن ا َال ْی ٰ ٰ َ َ ْ َ ْ َ َ َ ْ َ ُ َ ْ َ َ اَا َی ْ ال اِبَا مُ َق ار ُب ا ک ََی َ ُِر ََی َرئُ ْوف ََی َر اح ْی ُم ََی ذااَجََل ال اِم البَلئ و ا ات واسللک الص ْون والصدل لَع ذ اہ ا النف اس اَااار ا اِبلُوئ و ا اَا ش اتغ ا ْ ْ َ ام اَاک َر ا و اo)
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तो बफ़ज़ल बारी तआला इस अमल की बरकत से पवतहदत गार आलम उस शख़्स को शैतान के शर्त
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से महफ़ूज़ रखेगा और उसे अपनी हहफ़्ज़ व अमान में रखेगा। उस के ररज़्क़ हलाल में ख़ैर व
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बरकत पैदा फ़मातएगा। नस्फ़्फ़ली रोज़े: हज़रत हफ़्सा رضي هللا عنهاफ़मातती हैं कक चार चीज़ें हैं
स्िन्हें हुज़ूर ﷺनहीं छोड़ते थे। आशूरह का रोज़ा, स्ज़ल्हज्िा के रोज़े (एक से नो तक ) हर
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महीने के तीन रोज़े, दो रकअतें फ़ज्र की फ़ज़त (नमाज़ ) से पहले। (ननसाई)। एक और हदीस पाक में है कक हज़रत इब्न अब्बास رضي هللا عنهसे मरवी है कक फ़मातते हैं कक मैं ने हुज़ूर नबी करीम
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ﷺको र्सवाए यौम आशूरह के रोज़े के ककसी का क़सद करते नहीं दे खा और र्सवाए रमज़ान
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के ककसी पूरे महीने के रोज़े रखते हुए नहीं दे खा। (बुख़ारी शरीफ़)
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माहाना रूहानी महकफ़ल
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(रूहानी महकफ़ल मकतज़ रूहाननयत व अम्न में इज्तमाई नहीं होती हर फ़दत अपने मक़ ु ाम पर रहते हुए करे )
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अक्टूबर 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
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इस माह की रूहानी महकफ़ल ९ अक्टूबर बरोज़ इतवार असर ता मग़ररब, १९ अक्टूबर बरोज़ बुध शाम ५ से ६ बि कर १२ र्मनट तक, ३१ अक्टूबर बरोज़ पीर दप ु हर २ बि कर १५ र्मनट से ३ बि कर २७ र्मनट तक
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َ َ ْ َ َ ٌ َْ ًا )سَلم قوَاपढ़ें । ये स्ज़क्र, र्भखारी बन कर, ख़ल "सलामन ु ् क़ौलस्म्म-रत स्ब्ब-रत हीर्मन ्" (ِم رب ر اح ْیم ु स ू हदल, ददत हदल, तवज्िह और इस यक़ीन के साथ कक मेरा रब मेरी फ़यातद सुन रहा है और सो फ़ीसद क़ुबूल कर् रहा है ।
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पानी का ग़गलास सामने रखें और इस तसव्वुर के साथ पढ़ें कक आस्ट्मान से हल्की पीली रोश्नी आप के हदल पर हल्की बाररश ् की तरह बरस रही है और हदल को सक ु ू न चैन नसीब हो रहा है और मस्ु श्कलात फ़ौरी हल हो रही हैं। वक़्त पूरा होने के बाद हदल व िान से पूरी उम्मत, आलम ् और ग़ैर मुस्स्ट्लमों के ईमान के र्लए पूरी
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दन्ु या में अम्न की दआ ु करें । परू े यक़ीन के साथ ु , अपने र्लए और अपने अज़ीज़ व अक़ाररब के र्लए दआ
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करें । हर िाइज़ दआ ु क़ुबूल करना अल्लाह तआला के स्ज़म्मे है । दआ ु के बाद पानी पर तीन बार दम कर के
हर महकफ़ल के बाद ११ रुपए सदक़ा ज़रूर करें
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होंगी।
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पानी ख़द ु पीएं। घरवालों को भी पपला सकते हैं। इन ् शा अल्लाह आप की तमाम िाइज़ मुरादें ज़रूर पूरी
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(नोट:) १- रूहानी महकफ़ल के दम्यातन अगर नमाज़ का वक़्त आ िाए तो पहले नमाज़ अदा की िाए और
बक़्या वक़्त नमाज़ के बाद पूरा ककया िाए। अगर उसी वक़्त ये वज़ीफ़ा रवाना कर लें तो इिाज़त है
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मस्ट् ू बना सकते हैं। हर महीने का पवदत मख़् ु तर्लफ़ होता है और ख़ास वक़्त के ु तक़ल भी करना चाहें तो मामल तअय्युन के साथ होता है । बेशुमार लोगों की मुरादें पूरी हुईं। ना मुस्म्कन, मुस्म्कन हुईं। कफर लोगों ने अपनी
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ताररक़ महमूद अफ़् अल्लाह अन्हु)
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मरु ादें परू ी होने पर ख़तत ू र्लखे आप भी मरु ाद परू ी होने पर ख़त ज़रूर र्लखें। (एडिटर:- हकीम मह ु म्मद
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रूहानी महकफ़ल से फ़ैज़ ् पाने वाले
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन
अक्टूबर 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं अब्क़री ररसाला गुज़श्ता चार साल से मुसल्सल पढ़ रहा हूाँ। मुझे बहुत से मसाइल थे मगर अब्क़री में दी गयी रूहानी महकफ़ल में हर माह घर पर करता हूाँ स्िस
rg
से बे इंतहा फ़ायदे हार्सल होते हैं। मोहतरम हकीम साहब! मैं एक लम्बा अरसा मन चाही और गन ु ाहों वाली स्ज़न्दगी गुज़ारने के बाद रूहानी महकफ़ल की विह से राह रास्ट्त पर आने की स्िद्द व िहद कर रहा हूाँ और
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अल्हम्दर्ु लल्लाह इस अमल की विह से अपनी बहुत सी ख़ार्मयों पर क़ाबू पा चक ु ा हूाँ अगर कहीं भल ू चक ू हो िाए तो हर माह अब्क़री में छपने वाली रूहानी महकफ़ल करने से मैं कफर राह रास्ट्त पर आ िाता हूाँ। इस अमल की विह से मुझे अपनी क़ुव्वत इरादी बहुत मज़बूत हदखाई दे ती है । रूहानी महकफ़ल का अमल
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र्मलने से पहले में स्ज़न्दगी से बेज़ार था, हालांकक मार्लक दो िहां ने मुझे बहुत सी सलाहहयतों से नवाज़ा है ,
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छोटी सी उम्र में कई र्सपारे हहफ़्ज़ कर चक ु ा था, इस के इलावा बहुत से हुनर मेरे हाथ में हैं। िब बड़ा हुआ तो
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बरु ी सोसाइटी और ग़लत दोस्ट्तों की विह से अं ग़गनत मसाइल में दब कर रह गया। साथ हदन बहदन सेहत
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भी िवाब दे ती िा रही थी इंतहाई कोर्शश के बाविूद सुबह नमाज़ के र्लए उठ नहीं पाता था। कफर मुझे एक
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बक ु े रूहानी महकफ़ल का अमल र्मला। इस अमल ने मझ ु े नई ु स्ट्टाल से अब्क़री र्मला, अब्क़री से मझ
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स्ज़न्दगी से नवाज़ हदया। मैं हर माह की रूहानी महकफ़ल अपने घर पर करता हूाँ। अल्हम्दर्ु लल्लाह! अल्लाह
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ने तमाम परे शाननयों से ननकाल हदया है , ररज़्क़ की परे शाननयां, घरे लू उल्झनें , सेहत के मसाइल सब ् ख़त्म
होते िा रहे हैं। अब रात को पुर सुकून सोता हूाँ और सुबह को पुर सुकून नमाज़ के र्लए उठता हूाँ। मेरी दीनी
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और दन्ु यावी मुस्श्कलात इस महकफ़ल से दरू हुईं। (मुतज़ त ा, चक्वाल)
w
हर कक़स्म के बुख़ार के सलए घरे लू इलाज
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं अब्क़री ररसाला बहुत शौक़ से पढ़ता हूाँ। मेरे पास
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बख़ ु ार का एक टोटका है िो मैं क़ाररईन अब्क़री की नज़र करता हूाँ:- हर कक़स्ट्म के बख़ ु ार के र्लए तख़् ु म बालंगो िो शबतत में िालते हैं एक चाय वाला चम्मच तुख़्म ् बालंगो का और एक कप नीम गमत दध ू लें और थोड़ी सी चीनी लें। रात को सोने से पहले अच्छी तरह र्मक्स कर के पी लें और कफर रात को पानी नहीं पीना। Page 18 of 55 www.ubqari.org
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तीन हदन करने से हर कक़स्ट्म का बुख़ार अल्लाह के हुक्म से ख़त्म हो िाएगा। ये टोटका बारहा का आज़मूदह और टायफ़ॉइि तक का इलाि है । (हकीम फ़ारूक़, कोट अद्दू)
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माहनामा अब्क़री अक्टूबर 2016 शुमारा नम्बर 124--------------pg 10
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क़ाररईन के नतब्बी और रूहानी सवाल, ससफ़र क़ाररईन के जवाब डर ख़ौफ़ का सशकार: मोहतरम क़ाररईन! मैं अब्क़री ररसाला का पुराना क़ारी हूाँ, हर महीने का माहनामा बहुत शौक़ से पढ़ता हूाँ। मेरी उम्र तक़रीबन ५० साल है लेककन अभी तक एक ख़ौफ़ और घबराहट मेरे हदल
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और हदमाग़ में बैठी हुई है , मैं बहुत हस्ट्सास हूाँ और मामूली सी मामूली बात मेरे र्लए पहाड़ बन िाती है ,
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ख़ौफ़ और घबराहट इतनी होती है कक पूरा स्िस्ट्म कााँपना शुरू हो िाता है और िोड़ों से दम ननकलता है ,
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तमाम दोस्ट्त मुझे बस्ज़्दल कहते हैं, अगर ख़ानदान में मामूली सा कोई वाकक़आ हो िाए तो सब ् से ज़्यादा
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ख़ौफ़ज़्दह मैं होता हूाँ। क़ाररईन! इस मसले के हल के र्लए मुझे कुछ बताएं। शुकक्रया! (अिब ख़ान, कोहाट) ٓ ٰ ( ٰح
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जवाब: अिब ख़ान! आप और आप के तमाम घरवाले हर वक़्त खल ु ा "हा-मीम ् ला यून्सरून"
َ ُ َ )َامُ ْن َص ْو َن पढ़ें । ये वज़ीफ़ा स्ितना ज़्यादा पढ़ें गे उतना ज़्यादा अल्लाह का करम ् होगा। इस के इलावा दफ़्तर
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माहनामा अब्क़री से सुकून अफ़्ज़ा र्सरप, ठं िी मुराद और िोहर र्शफ़ा मदीना मंगवा कर र्लखी गयी
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तरकीब के मुताबबक़ इस्ट्तमाल करें । लािवाब अमल है ज़रूर आज़माएाँ। (शाहहद अली, लाहौर)
नमाज़ में हदल नहीिं लगता: मोहतरम क़ाररईन! मेरे साथ मसला ये है कक मेरा नमाज़ में बबल्कुल भी हदल
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नहीं लगता, बड़ी मुस्श्कल से ख़द ु को घसीट कर मस्स्ट्िद तक ले िाता हूाँ, बअज़ औक़ात नमाज़ ही छूट िाती
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है , कभी कभी एक नमाज़ दो से तीन मततबा पढ़ता हूाँ। ना मालम ू नमाज़ में ध्यान ककधर से ककधर ननकल
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िाता है , मैं इस विह से बहुत परे शान हूाँ। बराह मेहरबानी मुझे इस का हल बताएं। (ख़ार्लद, पपशावर)
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जवाब: भाई! आप को चाहहए कक हर वक़्त उठते बैठते चलते कफरते "ला हॉल व ला क़ुव्वत इल्ला َ َ َُ ََ َ َْ َ ْ َْ बबल्लाहहल ्अर्लस्य्यल ्-अज़ीर्म" (ل ال َص اظ ْی ام )َاحول وَا قو ااَا اِبہلل االص ااपढ़ा करें , वज़ू की कोई क़ैद नहीं, पूरे यक़ीन
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के साथ पढ़ें । इन ् शा अल्लाह आप का हदल नमाज़ में लग िाएगा और बुरे ख़्यालात भी ना आएंगे। सुबह व
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َ َ)ا ْس َت ْغ اف ُرकी एक तस्ट्बीह कर र्लया करें । (र्सतारह्, गिरात कोटला) शाम "अस्ट्तस्फ़फ़रुल्लाह" (ّٰللا ु कोई अच्छी सी बीवी समल जाए: मोहतरम क़ाररईन अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरा मसला ये है कक मेरी शादी नहीं हो रही, मैं बहुत परे शान हूाँ, मुझे कोई पवदत , वज़ीफ़ा, स्ज़क्र बताएं कक मुझे अच्छी सी बीवी र्मल िाए, शादी तो
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जवाब: मसऊद भाई! अब्क़री में एक वज़ीफ़ा छोटा सा छपा था "या अहद ु या हफ़ीज़ु या वदद ू "ु
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हज़ारह)
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सुन्नत रसूल है , और मैं ये सुन्नत िल्द अज़ ् िल्द अदा करना चाहता हूाँ। शुकक्रया! (मसऊदरु त ह्मान, हरीपुर
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ُ ُ َ َ ُ ُ ()َیا َحد ََی َح اف ْیظ ََی َود ْود स्िस की शादी नहीं हो रही वो हज़ारों की तअदाद में पढ़ें , िुमे की नमाज़ की आख़री दो सुन्नतों के बाद िाए नमाज़ पर बैठ कर पढ़े , अवल व आखख़र दरूद शरीफ़ और कफर दो नस्फ़्फ़ल पढ़े और
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शा अल्लाह गारें टी से शादी होती है । (शाइस्ट्ता हफ़ीज़, रावलपपंिी)
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उठ िाए और ये वज़ीफ़ा र्सफ़त िम ु े के िम ु े करना है । दस र्मनट दआ ु करनी है । ये छोटा सा वज़ीफ़ा है । इन ्
टॉजन्सल्ज़ और एलजी: मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं गुज़श्ता दस माह से अब्क़री
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से फ़ैज़्याब हो रही हूाँ, हदन रात आप लोगों के र्लए और स्िस इंसान ने मझ ु े अब्क़री से मत ु आरुत फ़ करवाया
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दआ ु एं करती हूाँ, मैं इस क़दर अब्क़री की हदल्दादह् हूाँ कक बार बार मुतास्ल्लआ करने के बाविूद प्यास नहीं
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बुझती है । अल्लाह आप सब ् को अज्र अज़ीम अता फ़मातए। अब्क़री ने मुझे हौसला हदया कक आि मैं अपना मसला ले कर आप से इल्तिा कर रही हूाँ कक ख़द ु ारा मेरा ये मसला अब्क़री के तमाम पढ़ने वालों के सामने
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रखें और स्िस क़ारी के पास भी इस का इलाि हो वो मेरी मदद करे , अल्लाह पाक उसे अज्र अज़ीम अता फ़मातए। मेरी बड़ी बेटी स्िस की उम्र तक़रीबन पन्द्रह साल है , गुज़श्ता तीन सालों से सख़्त तक्लीफ़ का
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र्शकार है , मुख़्तर्लफ़ िॉक्टसत को हदखाया मगर र्सफ़त रुपए का ज़्याअ और वक़्ती आराम के इलावा कुछ अफ़ाक़ा ना हुआ, बच्ची को बार बार तेज़ बुख़ार, गले में शदीद ददत , शदीद मत्ली, सांस सही तरीक़े से नहीं ले
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सकती रात भर मंह ु खोल कर सोती है , सर के बाल िड़ चक ु े हैं, नज़र इंतहाई कम्ज़ोर हो चक ु ी है , िॉक्टर कहते हैं शदीद एलिी है , आपरे शन करवाना पड़ेगा, मैं एक ग़रीब औरत हूाँ, क़ाररईन से इल्तिा है कक वो
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टॉस्न्सल्ज़ और एलिी के र्लए अपने मफ़ ु ीद टोटका िात और नस्ट् ु ख़ा िात से नवाज़ें, स्िस तरह आप अब्क़री में र्लखते हैं उसी तरह मेरे र्लए वही नुस्ट्ख़ा िात र्लखें शुकक्रया! (एक मज्बूर परे शान मााँ) जवाब: ऐ मज्बूर मााँ! आप ये सादह सा और आसान सा टोटका इस्ट्तमाल करें इन ् शा अल्लाह आप की सारी
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मिबूररयां ख़त्म हो िाएंगी। आप र्सफ़त बाज़ार से ख़श्ु क पोदीना लें और पीस कर उस का चौथाई चम्मच दो
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कप पानी में उबालें िब एक कप रह िाएं तो इस्ट्तमाल करें । इसी तरह हदन में तीन मततबा इस्ट्तमाल करें ।
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इन ् शा अल्लाह बच्ची सेहत्याब होगी। (मुहम्मद शहरयार ख़ान, कोइटा)
अजब बीमारी: क़ाररईन! मेरी बीमारी तक़रीबन तीन सवा तीन साल पहले शुरू हुई, इस बीमारी में सब ् से
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पहले दाएं बाज़ू कफर बाएं बाज़ू, कफर टांगें और आहहस्ट्ता आहहस्ट्ता ज़बान पर असर पड़ा। इस बीमारी के
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दौरान मैं ने पूरे पाककस्ट्तान में िॉक्टसत, होम्योपैग़थक िॉक्टसत, हुक्मा और मुख़्तर्लफ़ उल्लमा कराम से इलाि करवाया लेककन बीमारी कम होने के बिाए बढ़ती ही चली िा रही है और अब मैं उठने बैठने, नहाने,
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धोने हत्ता कक बाथ रूम िाने से भी क़ार्सर हूाँ। मैं पांच बेहटयों की मााँ हूाँ, मैं ने दो साल पहले हज़रत हकीम साहब के दवाख़ाना से दवाई और वज़ीफ़ा र्लया, कुछ फ़क़त पड़ा मगर हमारी सब ् से बड़ी बद्द कक़स्ट्मती ये थी
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कक हम ने तस्ट्बीह ख़ाना में िाना छोड़ हदया। मेरे घरवाले मेरी इस बीमारी से बहुत ज़्यादा परे शान हैं, ख़द ु ा के
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र्लए क़ाररईन मुझे कुछ बताएं। (आर्सया परवीन)
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जवाब: बहन! आप दफ़्तर माहनामा अब्क़री से मािून र्शफ़ायाबी और करामाती तेल मंगवाएं और दी गई तरकीब के मत ु ाबबक़ मािन ू र्शफ़ायाबी इस्ट्तमाल करें और करामाती तेल की ख़ब ू घंटों मार्लश करवाएं। ये
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मेरी ख़ाला का आज़मूदह है । मेरी ख़ाला की टांगें काम छोड़ चक ु ी थीं हम ने उन्हें यही दोनों चीज़ें इस्ट्तमाल करवाएं अब अल्हम्दर्ु लल्लाह वो सत्तर फ़ीसद ठीक हो चक ु ी हैं। ये नुस्ट्ख़ा इस्ट्तमाल करते हुए हमें आठ माह
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हो चक ु े हैं। (मैमन ू ा सय्यद, हवेर्लयां)
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मैं बहुत परे शान हूँ!: क़ाररईन! मैं बहुत परे शान हूाँ, मेरी तीन बेहटयां हैं, बड़ी बेटी सात साल की है वो ना बोल सकती है और ना सुन सकती है, दस ू री बेटी अल्हम्दर्ु लल्लाह ठीक है अब तीसरी बेटी नो माह की है , वो भी मझ ु े लगता है बोल और सन ु नहीं सकती, हकीम साहब मैं बहुत परे शान हूाँ। क़ुरआन पाक में हर बीमारी का
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इलाि है , बराह मेहरबानी मुझे कोई रूहानी इलाि बताएं और मेरी बेहटयों के र्लए दआ ु भी करें । (दख ु ी बाप) जवाब: मोहतरम भाई! मुझे आप का मसला पढ़ कर बहुत दख ु हुआ, मेरी बेटी भी बच्पन में बबल्कुल नहीं
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सुन सकती थी हम ने हदन में तीन से सात मततबा उस के कान में सूरह मुअर्मनून की आख़री चार आयात
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सात मततबा और अज़ान सात मततबा पढ़ पढ़ कर दोनों कानों में दम ककया। अब अल्हम्दर्ु लल्लाह वो बबल्कुल ठीक है । आप भी यही दित बाला अमल आज़माएाँ इंतहाई ताक़त्वर् अमल है । इन ् शा अल्लाह मुझे सो फ़ीसद
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क़ाररईन के सवाल क़ाररईन के जवाब
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से भी ज़्यादा यक़ीन है कक आप को ये अमल मायस ू नहीं करे गा। (अली अक्रम, मल् ु तान)
"क़ाररईन के सवाल व िवाब" का र्सस्ल्सला बहुत पसंद ककया गया ख़तत ू का ढे र लग गया, मश्वरे से तय
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हुआ पपछला ररकॉित पहले क़ाररईन तक पोहं चाया िाए िब तक ये ख़त्म नहीं होता स ् वक़्त तक साबबक़ा
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तरतीब कफ़ल्हाल कुछ अरसे के र्लए मुअख़्ख़र कर दी िाए।
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माहनामा अब्क़री अक्टूबर 2016 शुमारा नम्बर 124------------pg 13
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खाना कम मेहमान ज़्यादा अब परे शान होने की ज़रूरत नहीिं!
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(इस दआ ु में इतना असर है कक ख़्वाह ककतना ही कम खाना हो और अचानक बबन बल ु ाए मेह्मान ऐन खाने
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के वक़्त आ धमके कक मज़ीद खाना बनाने की मुह्लत भी ना र्मले तो आप ये दआ ु पढ़ कर दम कर के मेहमानों के सामने पेश कर दें , तो अल्लाह के फ़ज़्ल से मेह्मान सेर हो कर् दस्ट्तरख़्वान से उठें गे और खाना कफर भी बचा रहे गा। )
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! आप का फ़रमूदह है कक "आप के र्लए
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क़ीमती मोती चन ु चन ु कर लाता हूाँ और छुपाता नहीं, आप भी सख़ी बनें और ज़रूर र्लखें " तो
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इसी फ़रमूदह के ज़ेर असर हम भी "सख़ी" बनते हुए कुछ अपने मुशाहहदात आप की नज़र कर
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रहे हैं। एक दआ है िो बेहद्द पुर असर और बा बरकत है िो हमें अपनी फूफी िान के वसीले से ु
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अता हुई उन्हें कहााँ से हार्सल हुई ये ख़द की बरकत से ु उन्हें भी याद नहीं। बहरहाल इस दआ ु
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में इतना असर हम बारहा मुस्ट्तफ़ीद् हुए और मुतवक़्क़ुअ शर्मांदगी से बाल बाल बचे। इस दआ ु
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है कक ख़्वाह ककतना ही कम खाना हो और अचानक बबन बल ु ाए मेह्मान ऐन खाने के वक़्त आ
पढ़ कर दम कर के धमकें कक मज़ीद खाना बनाने की मुह्लत भी ना र्मले तो आप ये दआ ु
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मेहमानों के सामने पेश कर दें तो अल्लाह के फ़ज़्ल से मेह्मान सेर हो कर दस्ट्तरख़्वान से उठें गे
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और खाना कफर भी बचा रहे गा। इसी तरह अक्सर तक़रीबात में धड़का लगा रहता है कक खाना कम ना हो िाए लेककन िब से ये दआ ु हमारे इल्म में आई है ऐसा कुछ नहीं होता। मेरी बेटी
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की तकमील हहफ़्ज़ पर हम ने आमीन की तक़रीब मुनअकक़द् करवाई तो मेह्मान अंदाज़े से
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ज़्यादा आए यानन मैं ने हर घर से दो अफ़राद बुलाए थे मगर हर घर से तक़रीबन पांच से छै अफ़राद आए हुए थे तो मैं बहुत ज़्यादा परे शान कक ऐसा ना हो खाना कम पड़ िाए और ख़्वाह
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मख़्वाह की शर्मतन्दी उठाना पड़े। बहरहाल खाना खखलाया गया तो अल्हम्दर्ु लल्लाह ख़दशे के बर अक्स खाने में ख़ब ू बरकत हुई और सब ् ने खाने की तारीफ़ की और बाद में मालूम हुआ कक
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मेरे बड़े बेटे ने हर दे ग में ये दआ ु पढ़ कर दम की थी। ये इंतहाई क़ीमती है इसे मामल ू ी हग़गतज़
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ना समखझयेगा। वो पुर तासीर दआ ये है : ु
"बबस्स्ट्मल्लाहह र्मनल्लाहह बरकतुहू ला इलाह इल्ला अंत हाहदयु" َٓ ٗ َُ ََ َ ا َ َا ا ٰال َہ ا َاَا َا ْن )با ُْ ام ّٰللاا ِم ّٰللاا ِرکتہ (ت َذا اد ُ ۔
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(ज़ाहहदह यूसफ़ी, लाहौर कैंट)दआ ु से हर कक़स्म की हहफ़ाज़त
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! आप की ज़ेर सरपरस्ट्ती अब्क़री ररसाला बहुत ही आला
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ररसाला है , इस में आप की मेहनत और ख़स ु स ू ी तवज्िह से बहुत चाश्नी है । अल्लाह करीम आप के अमला
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और आप को ख़स ु ूसी बरकात से माला माल फ़मातए। आमीन! ररसाला में एक अमल की बरकत ले कर हास्ज़र खख़दमत हुआ हूाँ। एक दआ ु िो कक नबी करीम ﷺका इशातद ग़गरामी है कक हर तरह की हहफ़ाज़त रहती है ।
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َ ٰ َ )ب ُْم ّٰللاا। ْ لَع اد ْم اِن َو نَ ْف اِس َو َول اد ْ َو َا ْذ ا "बबस्स्ट्मल्लाहह अला दीनी व नफ़्सी व वलदी व अह्ली व माली" (ال ل َو َا ا ا ا
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वाकक़आ कुछ यूं है कक एक मततबा बन्दा िेहलम से सरगोधा िा रहा था मेरी आदत है कक मैं िब भी घर से
ननकलाँ ू तीन दफ़ा दित बाला दआ ु पढ़ लेता हूाँ। िेहलम से वेगन में सवार हुआ तो मोबाइल मेरी दाएं िेब में
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था। रास्ट्ते में सफ़र करते आंख लग गयी। िब आंख खोली तो मोबाइल िेब से ग़ायब था। बहुत परे शान हुए,
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दाएं बाएं दे खा मगर नदारद। आखख़र काफ़ी दे र के बाद ख़्याल आया कक क्या करूाँ, पीछे मुड़ कर दे खा तो एक
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बच्चे के हाथ में मेरा मोबाइल था िो कक मााँ की गोद में बैठा था। मैं ने कहा कक बेटा ये मोबाइल मेरा है , मझ ु े दे दो, उस की मां ने मुझे मोबाइल पकड़ा हदया। िब भी सफ़र् में या घर से बाहर ननकलता हूाँ तो इस दआ ु की
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विह से अल्हम्दर्ु लल्लाह ख़ैर व हहफ़ाज़त रहती है ।
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दौलत कभी ख़त्म ना होगी: अल्लाह रब्बुल ्इज़्ज़त का इस्ट्म मुबारक "या बाक़ी (( ) ََی َِب ا ْقऐ हमेशा क़ाइम रहने वाले) बाद नमाज़ फ़ज्र िो शख़्स "या बाक़ी" हज़ार मततबा पढ़े हर नुक़्सान से महफ़ूज़ रहे गा। अगर ग्यारह
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सो मततबा पढ़ें तो दौलत कभी भी ख़त्म ना हो, अगर उम्दह् है तो इक़्तदार ता दम आखख़र रहे गा। (सय्यद
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ख़ार्लद हयात, सरगोधा)
जज़न्दगी की क़ुव्वत
(मौलाना वहीदद्द ु ीन ख़ान)
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घर के आंगन में एक बेल उगी हुई थी, मकान की मरम्मत हुई तो वो मल्बा के नीचे दब गई। आंगन की
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सफ़ाई कराते हुए मार्लक मकान ने बेल को कटवा हदया। दरू तक खोद कर उस की िड़ें भी ननकलवा दी गईं
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इस के बाद परू े सहन में ईंट बबछा कर उस को सीर्मन्ट से पख़् ु ता कर हदया गया। कुछ अरसा बाद बेल की
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साबबक़ िगह के पास एक नया वाकक़आ हुआ। पुख़्ता ईंटें एक मुक़ाम पर उभर आईं। ऐसा मालूम होता था
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िैसे ककसी ने धक्का दे कर उन्हें उठा हदया है ककसी ने कहा कक ये चह ू ों की कारत वाई है , ककसी ने कोई और
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क़्यास क़ाइम करने की कोर्शश की। आखख़रकार ईंटें हटाई गईं तो मालूम हुआ कक बेल का पोदा उस के नीचे
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मुड़ी हुई शकल में मौिूद है । बेल की कुछ िड़ें ज़मीन के नीचे रह गई थीं। वो बढ़ कर ईंट तक पुहंचीं और अब
ऊपर आने के र्लए ज़ोर कर रही थीं। "ये पस्त्तयां और अंखवे स्िन को हाथ से मस्ट्ला िाए तो वो आटे की
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तरह पपस उठें । उन के अंदर इतनी ताक़त है कक ईंट के फ़शत को तोड़ कर ऊपर आ िाएं" मार्लक मकान ने
w
कहा: मैं उन की राह में हाइल नहीं होना चाहता, अगर ये बेल मझ ु से दब ु ारह स्ज़न्दगी का हक़ मांग रही है तो मैं इस को स्ज़न्दगी का हक़ दं ग ू ा, चन ु ाचे उन्हों ने चन्द ईंटें ननकलवा कर उस के र्लए िगह बना दी। एक
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साल बाद ठीक उसी मक़ ु ाम पर तक़रीबन पंद्रह फ़ुट ऊंची बेल खड़ी हुई थी िहां उस को ख़त्म कर के उस के
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ऊपर पुख़्ता ईंटें िोड़ दी गयी थीं। पहाड़ अपनी सारी वुसअत और अज़्मत के बाविूद ये ताक़त नहीं रखता कक ककसी पत्थर के टुकड़े को इधर से उधर खखस्ट्का दे मगर दरख़्त के नन्हे पोदे में इतना ज़ोर है कक वो पत्थर
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के फ़शत को धकेल कर बाहर आ िाता है । ये ताक़त उस के अंदर कहां से आई। इस का सर चश्मा आलम कफ़त्रत का वो पुर इस्रार मज़्हर् है स्िस को स्ज़न्दगी कहा िाता है । स्ज़न्दगी इस कायनात का है रत अंगेज़
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वाकक़आ है । स्ज़न्दगी एक ऐसी ताक़त है स्िस को कोई दबा नहीं सकता। इस को कोई ख़त्म नहीं कर सकता। इस को फैलने और बढ़ने के हक़ से कोई महरूम नहीं कर सकता। स्ज़न्दगी एक ऐसी क़ुव्वत है िो
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इस दन्ु या में अपना हक़ वसल ू कर के रहती है । िब स्ज़न्दगी की िड़ें तक खोद दी िाती हैं उस वक़्त भी वो कहीं ना कहीं अपना विूद रखती है और मौक़ा पाते ही दब ु ारह ज़ाहहर हो िाती है िब ज़ाहहरी तौर पर दे खने वाले यक़ीन कर लेते हैं कक उस का ख़ात्मा ककया िा चक ु ा है उस वक़्त भी वो ऐन उस मुक़ाम से अपना सर
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समज़ाज की बात
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ननकाल लेती है िहां उसे तोड़ा और मस्ट्ला गया था।
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र्मज़ाि ऐसा रखखये कक हर आदमी छोटा, बड़ा, मुख़र्लस या ग़ैर मुख़र्लस आप को टोक सके। आप की
ग़लती बता सके, आप का इल्म बढ़ा सके, वरना उखड़ पन हुआ तो एक दफ़ा आप की कोताही बता कर दस ू री
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दफ़ा कोई आप से बात भी नहीं करे गा कक कैसे बताएं? वो मानेगा ही नहीं। इस तरह आप बहुत सी ग़लनतयों
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और बुराइयों में मुब्तला हो सकते हैं। इस र्लए आप सुन लें और ककसी की बात को बुरा ना मानें ना बहस करें अगर वो ख़राबी आप में नहीं होगी तो सन ु लेने में आप का बबगड़ेगा ही क्या? वरना तहक़ीक़ कर लें और कफर
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तहक़ीक़ पर अमल करें क्यूंकक आगाही की कोई एक र्सम्त मुक़रत र नहीं है । ये मुख़्तर्लफ़ इतराफ़ से हो सकती है और क़ुदरत मुख़्तर्लफ़ ज़ररए से हुज्ित ताम करती है और इस के बारे में क़ुरआन मिीद में इशातद
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है तिम ुत ा: "बुराई को अच्छाई से दरू कीस्िये।" (निीउल्लाह, अटक)
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माहनामा अब्क़री अक्टूबर 2016 शम ु ारा नम्बर 124-------------pg 16
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वाश रूम की सफ़ाई आप के सघ ु ड़पन की ननशानी (सब ् से पहले तो बाथ रूम रोज़मरत ह सफ़ाई पर तवज्िह ज़रूरी है । हर महीने में एक बार ब्लीच और
rg
फ़्नाइल से वाश बेसन और फ़्लश की सफ़ाई लास्ज़म है , हो सके तो तेज़ाब मंगवा कर् नार्लयों में भी
रखने में कोई बुराई नहीं) (फ़हतत, लाहौर)
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िार्लये। अगर बाथ रूम में थोड़ी बहुत गुंिाइश हो तो एक छोटी कूड़े की बाल्टी या बास्ट्केट (िस्ट्ट बबन)
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घर का हर हहस्ट्सा ख़वातीन की तवज्िह का तलब्गार है और अमूमन तमाम हहस्ट्सों का ख़्याल रखा भी िाता है र्सवाए वाश रूम (ग़स्ट् ु ल ख़ाने) के। िबकक ककसी भी औरत के सलीक़े का सबत ू उस का बाथ रूम
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ही दे ता है । अमूमन होता ये है कक तमाम घर तो आईने की तरह चमका कर रखा िाता है मगर बाथ रूम
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इलाक़ा घर का हहस्ट्सा ही नहीं है ये तज़त अमल क़तअन मुनार्सब नहीं।
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का िायज़ा र्लया िाए तो अक्सर व बेश्तर गन्दगी और बद्बू इस्ट्तक़बाल करती है । ऐसा लगता है कक ये
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आइए आि हम आप को बाथ रूम की सफ़ाई के चन्द तरीक़े बताते हैं। सब ् से पहले तो बाथ रूम की
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रोज़मरत ह सफ़ाई पर तवज्िह ज़रूरी है । हर महीने में एक बार ब्लीच और फ़्नाइल से वाश बेसन और फ़्लश की सफ़ाई लास्ज़म है , हो सके तो तेज़ाब मंगवा कर नार्लयों में भी िार्लये। अगर बाथ रूम में थोड़ी
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बहुत गुंिाइश हो तो एक छोटी कूड़े की बाल्टी ये बास्ट्केट (िस्ट्ट बबन) रखने में कोई बुराई नहीं मगर उस
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की रोज़ाना सफ़ाई ज़रूरी है , हो सके तो मंह ु पर प्लास्स्ट्टक की थैली चढ़ा कर रखें।
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वाश बेसन के ऊपर लगे हुए शीशे को भी हफ़्ते में एक मततबा ज़रूर साफ़ कीस्िये। टूथ पेस्ट्ट, टूथ ब्रश और
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शैम्पू वग़ैरा रखने के र्लए अगर कोई रै क नहीं तो ककसी ऐसे रै क का इंतख़ाब कर लीस्िए िो दीवार में कील की मदद से लटक सकता हो ऐसे रै क अमम ू न कम क़ीमत होते हैं और बआसानी दस्ट्त्याब भी होते, इस से आप का बाथ रूम र्सम्टा र्सम्टा नज़र् आएगा।
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साबुन दानी ऐसी नहीं होनी चाहहए स्िस में पानी िमा हो कर साबुन को घुला दे और आप की मेहनत पर भी पानी कफर दे बस्ल्क वो महज़ साबुन को महफ़ूज़ रखने के र्लए होनी चाहहए। इस र्लए इंतख़ाब सोच
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समझ कर कीस्िये बाज़ार में मक़्नातीस वाली साबन ु दाननयााँ मौिद ू हैं उन से साबन ु दीवार पर लगा रहता है ना तो ज़रूरत से ज़ायद घुलता है और ना बाथ रूम को ग़चकना करता है । बाल्टी और िोंगा भी हर
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ं पाउिर से लाज़्मन धोएं वरना काई िम कर उन्हें काफ़ी ग़चकना कर दे गी। िो दस ू रे तीसरे हदन वार्शग दे खने में और इस्ट्तमाल करने में बहुत बद्द नुमा मालूम होती है ।
अगर एयर फ़्रेशनज़ ्त ख़रीद सकती हैं तो उन्हें बाथ रूम से ख़त्म ना होने दें वरना परफ़्यूम और बॉिी स्ट्प्रे
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की ख़ाली बोतलें पानी भर कर बाथ रूम में रख दें । उन में मौिूद थोड़ी बहुत ख़श्ु बू भी बाथ रूम के र्लए
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काफ़ी फ़ायदा मन्द साबबत होती है । अगर ग़स्ट् ु ल ख़ाना थोड़ा बड़ा हो तो उस में एक छोटा सा फूलों का
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गुलदस्ट्ता भी ज़रूर रखें, चाहें तो ख़ाली बोतलों में पानी भर् कर मनी प्लांट की शाख़ लगा दें । नहीं तो
ककसी कोने में मस्ट्नई ू फूलों का बड़ा सा गल् ु दान रख दें , इस से बहुत ख़श्ु गवार तासरु उभरे गा। ग़स्ट् ु ल ख़ाना
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छोटा हो या बड़ा उस में खखड़की या रोशन्दान ज़रूरी है ता कक हवा का अख़राि हो सके। ग़स्ट् ु ल ख़ाने के दरवाज़े के बाहर एक छोटी रग या फ़ुट मैट लाज़्मन होना चाहहए। ता कक परू े घर में गीली चप्पलों से
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ननशान ना बनते रहें , और ग़स्ट् ु ल ख़ाने का पानी बाहर ना आने पाए।
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वेसे तो ग़स्ट् ु ल ख़ाने के इस्ट्तमाल के र्लए अलैहहदह िूता होना बेहद्द ज़रूरी है ये िूता फ़ुट मैट ही पर रखा है तो अच्छा है और उसे वक़्तन फ़वक़्तन धोते रहना चाहहए। याद रखें हद्द दिात आराइश व सिावट से कहीं
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ज़्यादा हुस्ट्न, सादगी और नफ़ासत में है आप के सुघड़पन या घर के ककचन और बाथ रूम से ही झलकता
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है तो कफर आि के बाद बाथ रूम तो नज़र अंदाज़ नहीं होगा ना!!!
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खरु दरी स्िल्द के र्लए: एक दो चाय के चम्मच िव और अक़त गुलाब के अंदर दस ग्राम मोटे पपसे हुए बादाम र्मक्स कर के आहहस्ट्ता आहहस्ट्ता चेहरे पर मलें , कुछ दे र बाद नीम गमत पानी से धो लें , स्िल्द
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नरम व मल ु ायम हो िाएगी।
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रं गत ननखारने के र्लए: र्लमों के रस में बराबर र्मक़्दार में अक़त गल ु ाब और स्ग्लसररन या शहद र्मला कर रख लें रात को सोते वक़्त मार्लश कर के सुबह मुंह धो लें रं गत ननखर िाएगी। ख़ाररश ज़्दह् बद्द सूरत पाओिं बबल्कुल ठीक
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं अब्क़री ररसाला गुज़श्ता पांच साल से मुसल्सल
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पढ़ रही हूाँ। क्या लािवाब मैगज़ीन है, इस में मौिूद तमाम टोटके और एअमाल वाक़ई लािवाब और तीर
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बहदफ़ होते हैं। हम ने काफ़ी आज़माए और लोगों को भी बताए स्िस से सब ् को बहुत फ़वाइद् हार्सल हुए
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हैं। मुझे कोई दे सी टोटके का तिुबात बबल्कुल नहीं है । असल में माह रमज़ान के तक़रीबन दम्यातन में मेरे
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पाओं के ऊपर वाले हहस्ट्से में शदीद कक़स्ट्म की एलिी हुई। मालम ू नहीं कक ककसी ित ू े के पहन्ने से हुई या
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कफर वेसे ही हुई। असल में अम्मी के पाओं में भी ऐसी एलिी थी िो कक ठीक हो चक ु ी थी। मगर मुझे तो
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महीने से भी ज़्यादा हो गया था कक ख़ाररश ना हुई, इतने बद्द नम ु ा पाओं लगने लगे कक कोई ित ू ा भी अच्छा ना लगता। यक़ीन करें इस दौरान में ने बहुत सी क्रीमें और उदय ू ात ऊपर लगाईं मगर फ़क़त ना
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पड़ा। कफर मैं ने एक िेल (एकिर्मतन) चेहरे पर लगाने वाली घर में रखी हुई थी वो पाओं पर लगाई तो उस
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से बहुत िल्द मेरा पाओं ठीक हो गया और आहहस्ट्ता आहहस्ट्ता ननशान भी ख़त्म हो रहे हैं। ये क्रीम यानन िेल िॉक्टर ने मेरे चेहरे के र्लए ररकमें ि की थी। आिंखों के सलए आसान वजज़रश: अब्क़री ररसाला में एक
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मततबा आंखों की वस्ज़तश र्लखी िो कक सहदत यों में ज़्यादा इक्सीर है । र्लहाज़ा मैं ने सहदत यों में िब कभी
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आंखें थक िातीं तो मैं एक या दो बार् ही करती तो मुझे सुकून र्मल िाता है और हदमाग़ को भी बहुत सक ु ू न र्मल िाता है और मैं फ़्रेश हो िाती हूाँ। अल्लाह तआला आप को कार्मल सेहत व तंदरु ु स्ट्ती अता
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फ़मातए। वस्ज़तश ये है: सर को सीधा रखें , कफर आंखों को ज़ोर से ऊपर उठाएं, थोड़ी दे र तक आंखों को इसी हालत में रखें कफर िहां तक मुस्म्कन हो नज़र नीचे कर लें कुछ दे र वक़्फ़े के बाद ठहरें और बाएं िाननब
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दरू तक दे खें थोड़ी दे र वहीं दे खती रहें , कफर दाएं िाननब दे खें। एक लम्हा यंू ठहरने के बाद चारों तरफ़ घुमाएं। इस वस्ज़तश से आंखें चन्द रोज़ के बाद रोशन और चम्कीली हो िाती हैं। दािंत का ददर लम्हों में
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ख़त्म: मेरी अम्मी के दांतों में अक्सर ददत शरू ु हो िाता था, र्लहाज़ा मैं ने उन के मंह ु के ऊपर स्िस तरफ़ दांत ददत हो रहा था लफ़्ज़ "मुहम्मद् " ( )حممدﷺर्लख हदया पहले अम्मी ददत से तड़प रही थीं मगर िैसे ही मैं ने र्लखा अम्मी का ददत ऐसे ठीक हुआ िैसे हुआ ही नहीं था। (ि-च)
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सर की ख़श्ु की दरू करने के सलए आसान तरीन टोटका
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! ख़ार्लस ताज़ह मक्खन ले कर हाथ की हथेली पर
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थोड़ा सा रख कर मलें। िब पपघल िाए तो सर में हल्की हल्की सी मार्लश करें । मार्लश ना करें तो बालों
की िड़ों में ही लगा लें। थोड़ी दे र के बाद ककसी अच्छे से शैम्पू या साबुन से सर धो लें। चन्द बार ऐसा
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करने से ही सर की ख़श्ु की बबल्कुल ख़त्म हो िाएगी। नज़्ला ज़ुकाम के सलए: हुवल्शाफ़ी: सूंठ (सुंढ) को
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बारीक पीस लें। अब दो या तीन चम्मच (या हस्ट्बे ज़रूरत) खाने के ले कर उस में थोड़ा सा पानी र्मला कर आग पर दो तीन र्मनट पकाएं िब बबल्कुल लई की शक्ल अस्ख़्तयार कर ले तो नाक और पेशानी पर
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लगाएं। नीम गमत को फ़ौरी आराम आ िाता है । रात को सोते वक़्त लगाएं। सब ु ह को धो लें। हदन में ज़रूरत महसूस करें तो लगा सकते हैं लेककन फ़ौरन बाहर हवा में ना ननकलें ता कक इस का असर ज़ाइल
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ना हो िाए। (अज़ ् तरफ़ कौसर, ख़ैरपरु मीसत)
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माहनामा अब्क़री अक्टूबर 2016 शुमारा नम्बर 124------------pg 18
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मामल ू ी सी क़ुबारनी आप के घर को जन्नत बना सकती है (तो (र्मयां या बीवी) उस ने मेरे साथ थोड़ी तल्ख़ी कर भी ली तो क्या हो गया? हो सकता है इसी के ज़ररए
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मेरा रब मझ ु े बस्ख़्शश दे । एक तरफ़ बीवी घर और इज़्ज़त की मह ु ाकफ़ज़, बच्चों की ननगरान, बावची,
मुस्श्कल क्यूं होता है)
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धोबन भी और सब ् से बढ़ कर आप को गुनाह कबीरह से रोकने का ज़रीया, तो उसे बदातश्त करना इतना
अब्क़री में एक बॉक्स पढ़ा कक र्मयां बीवी की मुहब्बत के र्लए कोई अमल बताया िाए और िो लड़ककयां अपने घरों में बैठी हैं, चाहे शादी से पहले या बाद में , उन के र्लए कोई अमल बताया िाए। सब ् से पहले मैं
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उन तमाम लड़ककयों की माओं से दरख़्वास्ट्त करूाँगी कक अपनी बस्च्चयों की ब्रेन वाश से पहले अपना
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हदमाग़ दरु ु स्ट्त र्सम्त में लगाएं क्यंकू क लड़ककयों के घर वापस आने में उन की माओं का बहुत एहम
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ककरदार होता है । माएं चकूं क अपनी औलाद के मुआम्ले में बहुत हस्ट्सास होती हैं इस र्लए वो उन की ज़रा सी तक्लीफ़ भी बदातश्त नहीं कर सकती हैं और फ़ौरन हुक्म सादर करती हैं कक "घर वापस आ िाओ"
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अल्लाह तुम्हारे बाप और भाइयों को सलामत रखे उन की कमाई में बरकत हो, हम तुम्हें पाल लेंगे, आग
दोनों तरफ़ से बराबर लगी होती है और तेल िालने वाले इदत ग़गदत भी मौिूद होते हैं कुछ ऐसे ररश्तेदार भी
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मौिूद होते हैं िो पेरोल िालना अपना फ़ज़त समझते हैं और उधर शैतान ताक लगाए बैठा होता है कक कब मौक़ा र्मले और वो अपना पसंदीदह काम करे यानन र्मयां बीवी में फूट िलवाए। उन दोनों के हदलों में
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ग़लत फ़हर्मयााँ िाले और आखख़रकार तलाक़ िैसा मकरूह और अल्लाह के ना पसंदीदह काम सर अंिाम
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हो। तलाक़ से र्सफ़त दो ख़ानदान नहीं बस्ल्क पूरा मुआश्रह मुतार्सर होता है और सब ् से ज़्यादा उन के
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मासम ू बच्चे बद्द हाल होते हैं इस र्लए कोई भी क़दम उठाने से पहले उन तमाम बातों को ज़रूर सोचें ।
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लड़के और लड़ककयां अगर कम उम्र हैं तो उन के बाप और मााँ ज़रूर उन्हें समझाएं अगर बड़ी बहन है तो वो समझाए िहां तक हो सके मस्ट्बत रवय्या अस्ख़्तयार करें । अपनी प्यारी बेहटयों को शरू ु हदन से बदातश्त का सबक़ दें । िब शादी हो कर िाए तो बार बार उन्हें फ़ोन कर के घर की "टोह" मत लें। बच्पन से उन्हें
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ग़ीबत और चग़ ु ली से बचाएं, यही वो आदत बद्द है िो आगे चल कर घरों में आग लगा दे ती है कुछ लड़ककयां अपने मााँ बाप के घर में बहुत काम करती हैं मगर शादी के बाद यही माएं उन को र्सखा कर
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कहती हैं कक ससरु ाल िा कर ज़्यादा काम मत करना, मेरी एक िानने वाली स्िन की शादी को बारह साल का तवील अरसा गुज़र चक ु ा है उन को रोटी पकानी नहीं आती बक़ौल उन के अगर सीख ली तो सब ् के
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र्लए पकानी पड़ेगी अभी तक रोटी मासी या कफर तंदरू से आती है और अगर ककसी हदन मासी ना आए और होटल भी बन्द हो तो काम िबल रोटी से चलाया िाता है । कुछ लड़ककयां र्सफ़त इस विह से काम नहीं करतीं कक उन के नाख़न ु ना टूट िाएं हत्ता कक साइंस भी अब कहती है सब ् से ज़्यादा ख़तरनाक
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िरासीम नाख़न ु ों के अंदर रहते हैं िो हमारी आंतों में िा कर पेट की बीमाररयां पैदा करते हैं। सब ् से पहले
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अपने नाख़न ु ों की क़ुबातनी दें आप की ये क़ुबातनी आप का घर बसा दे गी, इन ् शा अल्लाह। दस ू री क़ुबातनी
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अपने मोबाइल फ़ोन की दें , आि के दौर का एक बहुत बड़ा कफ़त्ना मोबाइल भी है हो सकता है कुछ लोग
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मेरी बात से रज़ामंद ना हों मगर ये बात दरु ु स्ट्त है कक हम मोबाइल को ज़रूरी काम के र्लए कम और ग़ैर
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ज़रूरी कामों के र्लए बहुत ज़्यादा इस्ट्तमाल करते हैं िब एक लोहार छुरी बनाता है तो वो क़त्ल के इरादे
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से नहीं बस्ल्क िानवरों को ज़बह करने, फलों और सस्ब्ज़यों के काटने के र्लए बनाता है इसी तरह
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मोबाइल ग़लत नहीं बस्ल्क उस का मौक़ा ब मौक़ा इस्ट्तमाल ग़लत है । ज़रा ज़रा सी बात पर सास, नंदों और शोहर की र्शकायत लगाने के र्लए मोबाइल का इस्ट्तेमाल मत करें अगर बोर हो रही हैं तो पुर कर्शश
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पैकेि की विह से मोबाइल पर घन्टा पैकेि मत लगाएं वरना आप ज़रूर अपने हदल का हाल अपनी मााँ
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से या अपनी बहनों से ज़रूर कहें गी क्यूंकक िहां दो बततन हों वो आवाज़ ज़रूर दे ते हैं और तीसरी क़ुबातनी अपनी ज़बान की दें इस को स्ितना क़ाबू में रखेंगी स्ज़न्दगी उतनी ही आसान होगी। ईंट का िवाब ईंट से
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नहीं बस्ल्क ख़ामोशी से दें गी अगर सामने वाला बड़ा है , क़ाबबल एहतराम है और आप िवाब दे ना ज़रूरी
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समझती हैं तो उस बात को मीठी ज़बान से िवाब दें ता कक उन को बुरा भी ना लगे। हुज़ूर नबी करीम ﷺ ने इशातद फ़मातया: मझ ु े अपनी ज़बान की ज़मानत दो मैं तम् ु हें िन्नत की ज़मानत दं ग ू ा। अगर ज़बान क़ाबू
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में रखने से िन्नत र्मल सकती है तो क्या आप का घर नहीं बस सकता? आप को अपने ख़्वाबों की िन्नत भी र्मल सकती है बस थोड़ा सा शहद अपनी बातों में शार्मल करें थोड़ी सी नमी अपने लफ़्ज़ों में
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ले आएं, थोड़ी सी गमत िोशी अपने िज़्बात में पैदा कर लें इन ् शा अल्लाह आप का घर ज़रूर बसेगा और शैतान को ज़रूर र्शकस्ट्त होगी। स्िन की बेहटयां अपने घरों में दख ु ी हैं या दब ु ारह अपने मााँ बाप के घरों में
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बैठी हैं उन के मााँ बाप वक़्त से पहले बढ़ ू े हो िाते हैं। मख़् ु तर्लफ़ बीमाररयां उन पर हम्ला कर दे ती हैं और मुआश्रह अलग से उन्हें ताअना ज़नी करता है । (फ़ौस्ज़या मुग़ल, बहावलपुर)
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समयािं बीवी में समसाली मुहब्बत के सलए
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! अल्हम्दर्ु लल्लाह मेरी शादी को तक़रीबन बाईस साल
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हो गए हैं, कभी कोई बड़ी लड़ाई या नाराज़गी नहीं हुई। एक दस ू रे पर मुकम्मल एतमाद करें , कोई कुछ भी
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कहे दस ू रे पर ग़स्ट् ु सा या बद्द एतमादी की बिाए आपस में बात कर के उस मसले को रफ़अ दफ़अ कर दें । कभी कभार ये भी सोचा करें मैं अपने रब का ककतना ज़्यादा गुनाहगार हूाँ कफर भी मेरा रब मुझे अपनी
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नेअमतों से नवाज़ता है । तो (र्मयां या बीवी) उस ने मेरे साथ थोड़ी तल्ख़ी कर भी ली तो क्या हो गया? हो
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सकता है इसी के ज़ररए मेरा रब मुझे बख़्श दे । एक तरफ़ बीवी घर और इज़्ज़त की मुहाकफ़ज़, बच्चों की ननगरान, बावची, धोबी भी और सब ् से बढ़ कर आप को गन ु ाह कबीरह से रोकने का ज़रीया, तो उसे
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बदातश्त करना इतना मुस्श्कल क्यूं होता है । दस ू री तरफ़ शोहर, आप के सर का ताि, आप ् का मुहाकफ़ज़, आप के ख़चे का स्ज़म्मेदार, ख़्वाहहश बद्द से रोकने वाला ये सब ् कुछ सोचने के बाद लड़ाई झगड़ा हो उस
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की विह समझ में नहीं आती। आि से पांच या छै साल पहले ककसी ने मेरी एहल्या पर स्ज़ना का इल्ज़ाम
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लगाया, मुझे पता चला तो मैं ने ककसी से कुछ नहीं कहा बस अपनी बीवी से पूछा कक ये बात क्यूं हुई और
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सच है या झट ू , उस ने मझ ु े बताया कक मेरी एक कस्ज़न से कुछ रं स्िश थी उस ने ये सब ् ककया है और क़सम खाई कक सब ् झूट है । मैं ने बीवी की बात मान ली, उस पर एतमाद ककया। कुछ अरसे बाद उस कस्ज़न ने ख़द ु मान र्लया कक सब ् कुछ झट ू था। अगर मैं उस वक़्त बद्द एतमादी करता तो आि शायद Page 33 of 55 www.ubqari.org
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अक्टूबर 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
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मेरा घर बबखर गया होता। मेरा तिुबात तो कहता है कक एक दस ू रे पर भरपूर एतमाद और बदातश्त सुकून की अज़्दवािी स्ज़न्दगी के र्लए बहुत बहुत ज़रूरी है । बराहे मेहरबानी मेरा नाम व पता राज़ में रखखयेगा।
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(ि,र्- िी आई ख़ान)
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शैम्पू और टूथ पेस्ट के नक़् ु सानात
परू ी साइंस कफ़त्रत की तरफ़ लौट रही है, आप के पास इंटरनेट, अपना मश ु ाहहदह्, तहरीर, कोई भी ऐसी चीज़ स्िस में शैम्पू और टूथ ब्रश के नुक़्सानात र्मले हों हमें ज़रूर भेिें। बारी आने पर आप के नाम से
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शायअ होंगे। लाखों को नफ़ा होगा। (इदारह)
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ला इलाज प्रोस्टे ट ग्लैंड ससफ़र तीन हदन में ख़त्म
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माहनामा अब्क़री अक्टूबर 2016 शुमारा नम्बर 124-------------pg 19
(अल्रा साउं ि हुआ तो मालूम हुआ कक मेरे दोनों गुदों में पांच एम एम की एक पथरी है । िॉक्टर से मश्वरा
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ककया कक इस का इलाि? उन्हों ने कहा फ़ौरी आपरे शन है । मैं ने दस ू रा इलाि पछ ू ा तो उन्हों ने कहा कक दवाई
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खाएं आहहस्ट्ता आहहस्ट्ता तक्लीफ़ ख़त्म हो िाएगी।)
मोहतरम हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मुझे फ़रवरी २०१४ में पेशाब की तक्लीफ़ हुई, स्िस में पेशाब
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रुक रुक कर आता, शदीद् िलन और ददत से आता कक अल ्अमान अल ्अमान। मरीज़ को ऐसे महसूस होता कक पेशाब आ रहा है लेककन आता नहीं। िूंही लेहरन से बाहर क़दम रखता, पेशाब खल ु कर आने लगता। इस
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बीमारी को मसाने की ग़दद ू का वरम या फूल िाना या अंग्रेज़ी में प्रोस्ट्टे ट ग्लैंड्स कहते हैं। ये बीमारी आम
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तौर पर पच्चास साल से ज़्यादा उम्र के लोगों को होती है । स्िन लोगों को इस बीमारी से वास्ट्ता पड़ा हो वो
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बेह्तर तरीक़े से िानते हैं िब िलन और ददत होती है और पेशाब भी नहीं आता तो इंसान बे अस्ख़्तयार दीवारों से सर टकराने पर मज्बरू हो िाता है मैं ने िॉक्टर से रुिअ ू ककया तो उन्हों ने फ़ौरन अल्रा साउं ि कराने का कहा। अल्रा साउं ि हुआ तो मालूम हुआ कक मेरे दोनों गुदों में पांच एम एम की एक पथरी है । Page 34 of 55 www.ubqari.org
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िॉक्टर से मश्वरा ककया कक इस का इलाि, उन्हों ने कहा फ़ौरी आपरे शन है । मैं ने दस ू रा इलाि पूछा तो उन्हों ने कहा कक दवाई खाएं आहहस्ट्ता आहहस्ट्ता तक्लीफ़ ख़त्म हो िाएगी। तक्लीफ़ से फ़ौरी बचने के र्लए आप
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पेशाब की नाली में रबड़ की नाली लगवा लें चन ु ाचे रबड़ की नाली लगवाई स्िस से पेशाब के अख़राि में तक्लीफ़ से छुटकारा र्मल गया लेककन रबड़ की नाली पन्द्रह हदन के बाद तब्दील कराना पड़ती है क्यूंकक इस
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से कोई और बीमारी लगने का ख़तरा होता है । मझ ु े चकंू क हहक्मत से रग़बत है और बेशम ु ार कुतब मेरे पास हैं स्िन में से एक ककताब "क़ानून र्शफ़ा" है अल्लाह तआला को मुझे इस में से र्शफ़ा दे नी थी। इस के र्सफ़हे नम्बर ९६ पर प्रोस्ट्टे ट ग्लैंड्स का स्ज़क्र है और दवाई इस्ट्तमाल की। पथरी की दवाई र्सफ़त तीन हदन। एक
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पुडड़या दवाई की सेवन अप की एक लीटर बोतल से रोज़ाना लेनी थी। दस ू री दवाई पूरा महीना इस्ट्तमाल
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करने के बाद अल्रा साउं ि करवाया तो मालूम हुआ कक प्रोस्ट्टे ट ग्लैंि बबल्कुल नामतल हालत में हैं ताहम
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हहफ़्ज़ मा तक़द्दम तीसरे माह भी इस्ट्तमाल की। अल्लाह तआला की मेहरबानी है कक दब ु ारह तक्लीफ़ नहीं
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हुई। मैं ये तो बताना भूल गया कक रबड़ की नाली मैं ने दस हदन के बाद ही ननकलवा दी ता कक मालूम हो कक
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दवाई का असर ककतना हुआ है । ताहम अल्लाह तआला की मेहरबानी से रात परु सक ु ू न गज़ ु री। िो नस्ट् ु ख़ा
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िात इस्ट्तमाल ककये वो हस्ट्बे ज़ेल हैं। ये नुस्ट्ख़ा िात एक एक माह की ख़ोराक हैं। नुस्ख़ा नम्बर १: सुंढ।
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काली र्मचत। नोशादर हर एक पन्द्रह ग्राम। सना मकी पैंतालीस ग्राम पीस कर सफ़ूफ़् बना कर चम्मच चाय
वाला एक चौथाई या एक माशा हदन में तीन मततबा हमराह ताज़ह पानी। नुस्ख़ा नम्बर २: हहज्र अल्यहूद।
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नोशादर। छोटी इलायची। कहर बाशमई हर एक दस ग्राम। चीनी चालीस ग्राम पीस कर सफ़ूफ़् बना कर
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चम्मच चाय वाला का एक चौथाई या एक माशा हदन में तीन बार हमराह ताज़ह पानी से। नुस्ख़ा नम्बर ३: क़ल्मी शोरह, कास्ट्नी, िोखार, सन्दल सफ़ेद हर एक पन्द्रह ग्राम। गुल सुख़त ४५ ग्राम पीस कर सफ़ूफ़् बना
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कर चम्मच चाय का एक चौथाई या एक माशा हदन में तीन बार हमराह ताज़ह पानी से। नस् ु ख़ा नम्बर ४:
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सरफूका, गुल मंिी, रे वन्द चीनी हर एक चार सौ ग्राम ले लें। घर ला कर हर एक छे , छे ग्राम ले कर उस की एक पडु ड़या बना लें। एक पडु ड़या सब ु ह एक ग़गलास पानी में िुबो दें । रात को सोते वक़्त उबाल कर ठं िा कर के
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छान कर पी लें। इसी तरह असर और मग़ररब के दम्यातन एक पुडड़या ग़गलास में िुबो दें और सुबह ननहार मुंह उबाल कर ठं िा कर के छान कर पी लें। (र्-श ्)
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छपाकी से सताए अफ़राद के सलए फ़ौरी असर सस्ता टोटका
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मोहतरम ् हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! आप फ़मातते हैं अपने आज़माए टोटके मरीज़ाना कैकफ़यात, लोगों से र्मले हुए हाल मझ ु े र्लख कर भेिें। सो मैं आि र्लख रहा हूाँ। मज़ीद आप इस्ट्लाह फ़मात दें । अब्क़री की साबबक़ा फ़ाइलें िो कक इस वक़्त मेरे पास मौिूद हैं। मैं उन्हें हदन में कई बार पढ़ता हूाँ।
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अब्क़री से मुहब्बत की विह से अपना एक छोटा सा मत्तब बन गया और पूरे क़स्ट्बे में हकीम मश्हूर हो गया हूाँ। अपनी स्ज़न्दगी का एक अिीब वाकक़आ िो मैं बयान कर रहा हूाँ वो ये है कक हम दे हात में रहते हैं, मेरा घर
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अल्हम्दर्ु लल्लाह सवा दो मले का है मगर मुझे िब से अब्क़री र्मला है इस सवा दो मले में इतनी आसूदगी
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र्मली है , इतना सुकून र्मला है स्िस की स्ितनी तारीफ़ और अल्लाह का शुक्र अदा ककया िाए कम है । मेरे घर में गर्मतयों के सीज़न में कमरे में मच्छरों की बुहतात होती है । अब्क़री मेरा उस्ट्ताद है । अब्क़री से हदल
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का सक ु ू न र्मलता है और रोज़गार भी अब्क़री में र्लखे कम ख़चत नस्ट् ु ख़े बना बना कर लोगों को दे ता हूाँ कक मैं
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सबब हूाँ, मैं ज़रूरत हूाँ। र्शफ़ा तो अल्लाह दे ता है । कुछ ऐसा ही हाल मेरे साथ हुआ कक मेरे विूद पर छपाक
ज़ाहहर हो गयी। हदन भर ख़ाररश रहती थी। िॉक्टरी इलाि कराने गया तो िॉक्टर ने तअने हदए कहा कक कैसे
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हकीम हो आप को ख़ाररश है ? आप मरीज़ों का इलाि कैसे करते हैं? तीन हदन की दवाई ली, मगर ख़ाररश वहीं की वहीं। एक हदन अब्क़री की फ़ाइल नम्बर एक शुमारा २००७ र्सफ़हा नम्बर ५ पढ़ा, मुकम्मल पढ़ने के
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बाद मेरे पास तक़रीबन एक सो बीस रुपए थे। मैं ने बाज़ार का रुख़ ककया, बाज़ार में करे ले का रे ट पूछा तो
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उस वक़्त अस्ट्सी रुपए ककलो था, ख़रीद र्लए। घर आ कर करे लों के नछल्के उतार कर हावन दस्ट्ते में कूट
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र्लए, कफर कपड़े की मदद से उस पानी को परू े स्िस्ट्म पर् मल्ता रहा। मझ ु े बेहद्द ठं िक महसस ू हुई िब मैं फ़ाररग़ हुआ तो स्िस्ट्म बहुत ज़्यादा नामतल हो चक ु ा था। मैं उस ् पानी से तीन हदन तक पूरे स्िस्ट्म की मार्लश करता रहा र्सफ़त तीन हदनों में परू े स्िस्ट्म से छपाकी विद ू से ख़त्म हो गयी। उस से अगले हदन िॉक्टर के Page 36 of 55 www.ubqari.org
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पास गया तो उस ने गप शप के अंदाज़ में कहा कक भाई बहुत बुरा मज़त है स्िस को लगता है उसे छोड़ता नहीं, उस ने हाकफ़ज़ गुल का नाम बताया कक इस आदमी को यही छपाकी है वो मुझ से हर दस ू रे हदन दवाई लेता
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है । िब मैं ने उसे बताया कक मझ ु े ये बीमारी करे लों के नछल्कों के पानी से ख़त्म हो गयी तो वो यक्दम चोंक उठा कक ये कैसे हो सकता है ? मैं ने उस से कहा कक मैं आि ही हाकफ़ज़ गुल मुहम्मद को बताता हूाँ। कफर मैं ने
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उसे यक़ीन हदलाने के र्लए अपनी क़मीस उतारी, उसे हदखाया वो बहुत ज़्यादा है रान हुआ। मैं ने हाकफ़ज़ गल ु मुहम्मद को बताया तो उस ने बाज़ार से दो ककलो करे ले ख़रीदे और घर की राह ली। उस ने पानी से स्िस्ट्म की मार्लश की और उसे बीस फ़ीसद फ़ायदा र्मला। पांच हदन के बाद र्मला। माथा चम ू ा और कहा कक
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िॉक्टर साहब तो मेरा ख़न ू चस ू लेता था हर दस ू रे रोज़ मेरे तीन सौ रुपए लगते थे, मैं तो करे ले लगा भी रहा
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और नछल्के उतरे करे ले पका कर खा भी रहा हूाँ स्िस के खाने से मेरी शुगर भी नामतल हो गयी है । (म ्-ब-य)
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माहनामा अब्क़री अक्टूबर 2016 शुमारा नम्बर 124-------------pg23
सेहत के चन्द उसूल
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(याद रखें गुड़ और ककस्श्मश और इंिीर स्ितना िाकत ब्राउन होंगे यानन स्ितने मेले होंगे उतना उन में
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सेहत तंदरुस्ट्ती और केर्मकल का र्मलाप नहीं होगा वरना ये गंधक के तेज़ाब से धल ु े हुए बज़ाहहर
ख़ब ू सूरत अंदर ज़हर ही ज़हर, बस इन तीनों चीज़ों को कूटना नहीं इक्क्ठा रखें।)
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(क़ाररईन! आप के र्लए क़ीमती मोती चन ु कर लाता हूाँ और छुपाता नहीं, आप भी सख़ी बनें और ज़रूर
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र्लखें (एडिटर हकीम मुहम्मद ताररक़ महमूद मज्ज़ूबी चग़ ु ताई)
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मेरे सामने एक सेहतमन्द ननहायत तंदरुस्ट्त आदमी, चेहरे पर सुख़ी, दााँत मज़बूत, हाथ ग़गरफ़्त और
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स्िस्ट्म का हर उज़्व ननहायत ख़ब ू सरू त तनोमन्द और तंदरुस्ट्त, मेरे हाथ को झटक कर बोले: आप बीमार नहीं होंगे, आप सदा सेहतमन्द रहें गे, उन की आवाज़ तो बाद में समझ आयी लेककन उन के हाथ की ताक़त क़ुव्वत और झटकने का अंदाज़ मेरे कंधे के एक एक िोड़ को हहला कर ददत मन्द कर गया और
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एह्सास हुआ कक ये चालीस साला शख़्स वाक़ई अपनी सेहत और तंदरुस्ट्ती को बचा कर चल रहा है । मैं ने सवार्लया अंदाज़ में पूछा आखख़र मुझे अपनी सेहत और तंदरुस्ट्ती को कैसे बचाना चाहहए? मुझे क़हक़हा
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लगा कर कहने लगे अंिान ना बनें , आप के पास सब ् मालम ू ात हैं लेककन आप के पास उन को अपनाने और करने का वक़्त नहीं, कफर उठे और मेरा गला दबाया और मेरी आाँखें बाहर आ गईं और बमुस्श्कल मैं
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ने अपने आप को छुड़ाया मेरी सांस बहाल हुई और कहने लगे कक अगर मेरे इन उसल ू ों पर अमल ना ककया तो में तेरा गला दबा दं ग ू ा? उन के लहिे की अपनाइयत, ख़ल ु ूस, ताक़त, स्िस्ट्मानी क़ुव्वत, हाथों की ग़गरफ़्त ये सारी चीज़ें मेरे एहसासात को खझंझोड़ रही थीं और एक तसव्वुर और ख़्याल दे रही थीं कक मुझे
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क्या करना है ? इन की बात को सुनना है , समझना है या इस बन्दे को परखना है ।
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मैं इन्ही ख़यालात में खोया हुआ था तो मुझ से पूछने लगे आप सोचते होंगे मैं चालीस पैंतालीस साल का
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हूाँ, मैं यका यक चोंक पड़ा मैं ने कहा बबल्कुल ऐसे ही। कहा इस वक़्त मैं पैंसठ साल से ननकल गया हूाँ,
छ्यासाथ में मेरा क़दम चल रहा है । वो मख़ ु र्लसाना और ननहायत खल ु े और सादह अंदाज़ से मझ ु से बातें
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कर रहे थे उन के हर हर बोल में ददत , ह्मददी, तिुबात, कूट कूट कर भरा हुआ था। आखख़र मैं ने अपने आप को उन से छुड़वाते हुए कह ही िाला अच्छा अच्छा आप बताइए कक आप मझ ु से क्या कराना चाहते हैं।
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कहने लगे दे खें! मैं बहुत दरू से आप से मुलाक़ात करने आया हूाँ। आप का मेरा याराना और र्शनासाई गुज़श्ता अठारह बीस साल से है लेककन आि मैं ख़ार्लस र्सफ़त यही िज़्बा ले कर आया हूाँ कक मैं हकीम
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साहब के पास िा कर उन की कफ़टनेस, तंदरुस्ट्ती, और राहत का मंशूर और तरतीब बनाऊंगा। तो सुनें:
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सब ् से पहला काम तो आप ने ये करना है कक बग़ैर हड्िी के गोश्त कभी नहीं खाना, हड्िी वाला गोश्त
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और बहुत तसल्ली से और हमेशा हड्िी को चबाना है और इस के रस चस ू ने हैं, और बाक़ी फैंक दें । लेककन
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गोश्त ज़्यादा भी ना खाएं, आप दर असल हड्िी फैंक कर और उस का रस ना ले कर अपने िोड़ों को खोखला कर रहे हैं िो कुछ हड्डियों में होता है वही हमें िोड़ों के र्लए मतलब ू है और हमारे स्िस्ट्म के एक एक अंग के र्लए ननहायत ज़रूरी है । िो लोग उठते बैठते िोड़ों के ददत , या उन की आवाज़ें, पट्ठों का
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खखचाव, पपंिर्लयों की टीसें और तनाव की र्शकायत करते हैं वो हमेशा हड्डियां चबाएं और तसल्ली से चबाएं। मेरी उं गली पकड़ कर खेंची तो मेरा पूरा हाथ खींचता चला गया और बोले कभी भी पंद्रह र्मनट से
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कम ना नहाएं स्िस्ट्म के एक एक हहस्ट्से को मलें तसल्ली से स्िस्ट्म के मसामों में पानी दाखख़ल करें इतना कक तबीअत पानी से लब्रेज़ हो िाए और आप का मन िी और तन ये कह उठे कक हााँ मेरी र्सफ़त खाल गीली
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नहीं हुई बस्ल्क स्िस्ट्म के अंदर तक पानी की नमी पह ु ं ची है और कफर अपनी बात पर ज़ोर दे ते हुए अगली नसीहत की कक इस के बाद नतलों का तेल या ज़ेतून या सरसों या बादाम रौग़न से अपने स्िस्ट्म के एक एक हहस्ट्से की मार्लश करें यानन दोनों हथेर्लयों पर हल्का सा तेल लगाएं कफर सर पर लगाएं, कानों और
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कंपहियों पर ख़ब ू मार्लश करें , कफर हथेर्लयों पर तेल लगाएं चेहरे , गालों पर, गदत न पर, दाढ़ी पर ख़ब ू घुमा
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घुमा कर मार्लश करें । इस तरह पूरे स्िस्ट्म और आखख़र पाओं के अंगूठे तक और हााँ एक बात भूल गया
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मझ ु े खझंझोड़ कर कहने लगे कक नहाते हुए हल्का सा साबन ु नाक के अंदर उं गली से ख़ब ू मलें यानन दोनों
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नथनों में और नाक को अच्छी तरह धोएं चौबीस घंटों की आलूदगी, स्िस ने आप की नाक के ज़ररए आप
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के तमाम स्िस्ट्म को मत ु िाएगी और पाकीज़ह सांस आप के स्िस्ट्म का हहस्ट्सा ु ार्सर करना था वो सब ् धल
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बनेगी और अगर आप चाहते हैं कक आप के पट्ठे और एअसाब मज़बूत रहें याद्दाश्त कभी कम्ज़ोर ना हो,
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नज़र् उक़ाब और शाहीन की तरह हो िो मीलों कफ़ज़ा से ज़मीन पर चलते सांप को दे ख कर वहीं से झपट
कर कफ़ज़ा से सांप को उठाता है और मज़े ले ले कर उस को नोचता और खाता है । अगर आप चाहते हैं कक
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आप के घुटने सो साल तक साथ दें , कमर कभी मुहरों और कभी ददत के नाम पर र्शकवा ना करे बला का
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हाफ़ज़ा, अनोखी याद्दाश्त, िबड़े और गदत न के पट्ठे मज़बूत, तबीअत में हर वक़्त चस्ट् ु ती ऐसी कक मायूसी क़रीब ना आए तो कफर दे र कैसी िल्दी करें एक पाओ बादाम की गररयााँ लेककन हााँ ब्रायलर बादाम नहीं
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लाना, मैं है रत से अपने मह ु र्सन और हदल्बर को दे खने लगा क्या मतलब? अपना मख़्सस ू क़हक़हा लगा
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कर कहने लगे मक़्सद ये है कक आि कल अमरीकन बादाम के नाम से िो ब्रायलर बादाम आए हुए हैं ये नहीं छोटे बादाम मीठे र्मल िाते हैं वो लें इस ब्रायलर में कुछ नहीं होता। तो हााँ! एक पाओ बादाम एक
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छटांक सौंफ़, आधा पाओ ज़ररष्क और आधा पाओ ककस्श्मश भी धल ु ी हुई कभी ना लें ये हमेशा तेज़ाब से धोते हैं याद रखें गुड़ और ककस्श्मश और इंिीर स्ितना िाकत ब्राउन होंगे यानन स्ितने मेले होंगे उतना उन
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में सेहत तंदरुस्ट्ती और केर्मकल का र्मलाप नहीं होगा वरना ये गंधक के तेज़ाब से धल ु े हुए बज़ाहहर ख़ब ू सूरत अंदर ज़हर ही ज़हर, बस इन तीनों चीज़ों को कूटना नहीं इक्क्ठा रखें। ये चीज़ें हर वक़्त आप की
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िेब में रहें हदन में वक़्फ़े वक़्फ़े से थोड़ी थोड़ी र्मक़्दार में ये चीज़ें खाते रहें अपने स्िस्ट्म को पहले इन मेवों का हल्का हल्का आदी बनाएं कफर आहहस्ट्ता आहहस्ट्ता इस कक र्मक़्दार बढ़ाएं। और अगर मज़ीद सेहत व तंदरुस्ट्ती चाहते हैं तो इस सारे मकतब में र्सफ़त दस ग्राम कलौंिी र्मला लें। आप इस को इस्ट्तमाल करना
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शुरू कर दें और चन्द हदनों और हफ़्तों में अपने स्िस्ट्म की सेहत और तंदरुस्ट्ती का कमाल दे खें चाहे वो
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शुगर के मरीज़ हों या हे पटाइहटस के, वो पट्ठों के हैं या एअसाबी और क़ुव्वत ख़ास की कम्ज़ोरी के स्िस्ट्म
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में कहीं भी कमी महसस ू हो रही हो, मेवों के इस मकतब को स्ज़न्दगी का साथी बनाएं बस एक नादानी ना
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कीस्िये कक लफ़्ज़ "िल्दी" क़रीब ना आने दीस्िये कक बस मैं ने खाया और हवाओं में उड़ना शुरू क्यूाँ नहीं
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ककया। ये सारी चीज़ें करते हुए बस इस चीज़ का ख़्याल रखें आप की भक ू बाक़ी रहे । बहुत ज़्यादा पेट भर
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कर ना खाएं और अगर खा भी लें एक या दो वक़्त का फ़ाक़ा करें र्सफ़त पानी पीते रहें । आप का स्िस्ट्म,
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आप की सेहत, आप की तंदरुस्ट्ती के र्लए आि की मल ु ाक़ात के र्लए आया था। इस दौरान कुछ मश्रब ू
और खाने की चीज़ें िब उन के सामने लाई गईं तो क़हक़हा लगाया और मेरे कंधे पर ज़ोर से थप्पड़ मार
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कर खड़े हुए और कहने लगे यही अगर खा और पी र्लया और मेरी फ़ीस तो कफर मुझे र्मल गयी मैं यही
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फ़ीस नहीं लेना चाहता बस आख़री चल्ते चल्ते एक बात कहना चाहता हूाँ ख़ार्लस अक़त गुलाब अगर आप सुबह ननहार मुंह एक या आधा कप पी लें तो कफर आप कभी शुगर, ब्लि प्रेशर और बड़ी बड़ी ला इलाि
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बीमाररयां अपने क़रीब नहीं दे खेंगे। सलाम ककया, और वो हमददत चला गया और मैं सोचों में िूब गया कक
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मैं ये क़ीमती मोती ख़द ु अपने पास संभाल कर रखूं या अपने लाखों प्यार करने वालों को दं ? ू माहनामा अब्क़री अक्टूबर 2016 शुमारा नम्बर 124-----------pg 24
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(बच्चों का ससफ़हा)
बच्चो! ना मैं हसद करता ना मुझे ये सज़ा समलती!
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(अचानक सामने से बोना दौड़ता हुआ आया और उस की गदत न पर सवार हो गया। बोने ने ज़ोर से चाबक ु
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मारी और बोला, चलो, मुझे चांद पर ले चलो। वहां मेरी नानी अम्मााँ रहती है । मैं अपनी नानी अम्मााँ से र्मलूंगा। मुल्ला नसरुद्दीन तो हक्का बक्का रह गया। सख़्त घबराया कक ये बला कहां से मेरे गले पड़ गयी।)
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मल् ु ला नसरुद्दीन अपनी हदल्चस्ट्प बातों की विह से बहुत मशहूर था। उस की इन्ही बातों की विह से बादशाह ने उसे अपना ख़ास वज़ीर बना र्लया। वो हर रोज़ मुल्ला नसरुद्दीन की हदल्चस्ट्प बातें सुनता और
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ख़श ु होता। बादशाह मल् ु ला नसरुद्दीन को बहुत पसंद करता था। ये दे ख कर् दरबारी मल् ु ला नसरुद्दीन से
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हसद करने लगे। वो हर वक़्त उसे बादशाह की नज़रों से ग़गराने की तरकीबें सोचते रहते। आखख़र उन्हें
एक मौक़ा हाथ आ ही गया। उन्हें मालम ू हुआ कक मल् ु ला नसरुद्दीन ने कई ग़रीबों को इस वादे पर रुपया
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क़ज़त दे रखा है कक िब बादशाह मर िाएगा तो क़ज़त वापस कर दे ना। एक दरबारी ने बादशाह के कान भरे
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और कहने लगा: हुज़ूर! मुल्ला नसरुद्दीन तो आपको मरता हुआ दे खना चाहता है । बादशाह को बहुत ग़स्ट् ु सा
आया कक स्िस शख़्स को मैं ने इतनी इज़्ज़त दे रखी है वो ही मेरी मौत का ख़्वाहहशमन्द है । उस ने उसी
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वक़्त मुल्ला नसरुद्दीन को बुलाया और उस से पूछा: क्या ये सच है कक तुम ने ख़ज़ाने का रुपया कई ग़रीबों को इस वादे पर क़ज़त दे रखा है कक िब बादशाह मर िाए तो वापस कर दे ना। मल् ु ला नसरुद्दीन ने
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िवाब हदया: बादशाह सलामत! आप ने बबल्कुल ठीक सुना है बादशाह ने नाराज़ हो कर कहा: नसरुद्दीन!
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क्या तू मेरी मौत चाहता है ? नसरुद्दीन ने कहा: हुज़रू ! मैं ने तो ये सब ् कुछ आप की सलामती के र्लए
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ककया है । बादशाह ने पूछा: वो कैसे? मुल्ला नसरुद्दीन कहने लगा: हुज़ूर स्िन ग़रीबों को मैं ने इस वादे पर क़ज़त हदया है कक बादशाह के मरने के बाद वापस कर दे ना, वो तो हदन रात आप की सलामती की दआ ु एं मांगते हैं ता कक आप स्ज़ंदा रहें और उन्हें क़ज़त वापस ही ना करना पड़े। बादशाह ये सुन कर हं स पड़ा और Page 41 of 55 www.ubqari.org
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दश्ु मन अपना सा मुंह ले कर रह गए। बादशाह ने इस अनोखे िवाब पर अपना क़ीमती हार मुल्ला नसरुद्दीन को इनआम में हदया और उस की बहुत तारीफ़ की। एक वज़ीर पहले ही मुल्ला नसरुद्दीन से
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दश्ु मनी रखता था। वो िल्ता था कक बादशाह उस को इतना पसंद क्यंू करता है । अब तो उस ने फ़ैसला कर र्लया कक वो नसरुद्दीन पर ऐसी मुसीबत िालेगा कक वो कफर कभी दबातर में ना आ सके। एक िादग ू र उस
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वज़ीर का दोस्ट्त था। वज़ीर उस के पास गया और कहने लगा, कोई ऐसी तरकीब करो कक मल् ु ला नसरुद्दीन कफर कभी शाही दबातर का रुख़ ना करे । िादग ू र बोला: कफ़क्र ना करो। मेरे पास एक बोना है िो मुल्ला को ऐसा मज़ा चखाएगा कक वो ये शहर ही छोड़ कर चला िाएगा। िादग ू र ने एक काग़ज़ पर मुल्ला नसरुद्दीन
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का नाम र्लखा, उस के आगे िाद ू के चन्द अल्फ़ाज़ र्लखे और वज़ीर से कहा: ये ककसी तरह मुल्ला की
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िेब में िाल दो, कफर तमाशा दे खो, वज़ीर िादग ू र से वो काग़ज़ ले कर वापस आया। उस ने अपने एक
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ख़ास आदमी को बल ु ाया और उस से कहने लगा मेरा एक काम करो, ये काग़ज़ लो और िब मल् ु ला
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नसरुद्दीन अपने कमरे में सो रहा हो, तो ये उस की िेब में िाल दे ना लेककन ज़रा एहत्यात से, कहीं कोई
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दे ख ना ले। वो शख़्स दबे पाओं मल् ु ला के कमरे में दाखख़ल हुआ। मल् ु ला नसरुद्दीन उस वक़्त ज़ोर ज़ोर से
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ख़रातटे ले रहा था। उस आदमी ने बहुत होश्यारी से वो काग़ज़ मुल्ला की िेब में िाल हदया। िादग ू र अपने
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िाद ू के शीशे के सामने बैठा ये सब ् कुछ दे ख रहा था। वो उसी वक़्त उस पपंिरे के पास गया, स्िस में उस ने एक बोना क़ैद कर रखा था। िादग ू र ने पपंिरे का दरवाज़ा खोल कर बोने को बाहर ननकाला और बोला
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िाओ स्िस शख़्स की िेब में तुम्हारे नाम की पची है , वो तुम्हें चांद पर ले िाएगा। ये सुन कर बोना बहुत
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ख़श ु हुआ और दौड़ता हुआ वहां से ननकल गया और सीधा मुल्ला नसरुद्दीन के घर के पास िा पुहंचा। मुल्ला नसरुद्दीन घर से ननकला ही था कक अचानक सामने से बोना दौड़ता हुआ आया और उस की गदत न
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पर सवार हो गया। बोने ने ज़ोर से चाबक ु मारी और बोला, चलो, मझ ु े चांद पर ले चलो। वहां मेरी नानी
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अम्मााँ रहती है । मैं अपनी नानी अम्मााँ से र्मलूंगा। मुल्ला नसरुद्दीन तो हक्का बक्का रह गया। सख़्त घबराया कक ये बला कहां से मेरे गले पड़ गयी। उस ने बोने से कहा: भाई मैं तम् ु हें चांद पर कैसे ले िाऊं।
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चांद पर तो कोई भी नहीं िा सकता। बोने ने ज़ोर से चाबुक मारी और कहा चल मुझे चांद पर ले िा, वरना मैं तुम्हें नहीं छोड़ूाँगा। बेचारे मुल्ला नसरुद्दीन की तो िान मुसीबत में आ गयी। उस ने बोने को नीचे
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उतारने की बहुत कोर्शश की मगर वो तो िाद ू का बोना था। नीचे उतरने का नाम ही नहीं लेता था। सोते िागते मुल्ला नसरुद्दीन की गदत न पर ही सवार रहता और चाबुक मार कर उसे भगाता रहता। शमत के मारे
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मल् ु ला नसरुद्दीन शहर से बाहर चला गया। वो भला अपनी गदत न पर बोने को सवार करवाए ककस मंह ु से शाही दबातर में िाता। वज़ीर बड़ा ख़श ु हुआ कक इस तरह से मुल्ला नसरुद्दीन बादशाह की नज़रों से दरू हो गया। बादशाह ने वज़ीर से पूछा कक मुल्ला नसरुद्दीन दबातर में क्यूं नहीं आता? वज़ीर ने कहा: बादशाह
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सलामत! मुल्ला नसरुद्दीन नतिारत करने मुल्क रूम चला गया है । शायद अब कभी वापस ना आये,
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बादशाह ख़ामोश हो गया। एक हदन परे शान हाल मुल्ला नसरुद्दीन िंगल में बैठा अपनी कक़स्ट्मत को रो
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रहा था कक एक दबातरी का उधर से गज़ ु र हुआ। उस ने मल् ु ला नसरुद्दीन की ये हालत दे खी तो कहने लगा मैं
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िानता हूाँ, तुम्हारी ये हालत वज़ीर ने बनाई है । वो तुम से हसद करता है , अब तो वो बहुत ख़श ु है कक तुम
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इस बला से कभी छुटकारा ना पा सकोगे। मगर मल् ु ला नसरुद्दीन हार मानने वाला आदमी नहीं था। उस ने
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सोचा कक अब इस बोने की तलाशी लेनी चाहहए हो सकता है कक ननिात की कोई तरकीब ही हाथ आ
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िाए। बोना उस वक़्त गहरी नींद सो रहा था। मल् ु ला नसरुद्दीन ने बोने की िेब में हाथ िाला तो काग़ज़ की एक पची ननकल आई। ये वही पची थी िो बोने ने आंख बचा कर मुल्ला की िेब से ननकाल ली थी। पची
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पर अपना नाम और िाद ू के अल्फ़ाज़ र्लखे हुए दे ख कर मुल्ला नसरुद्दीन सारी बात समझ गया। उस ने
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उसी वक़्त पची पर अपना नाम काट कर उस की िगह वज़ीर का नाम र्लख हदया और दबातरी से कहने लगा: भाई! ये मेरे घर िा कर मेरी वफ़ादार कनीज़ को पुहंचा दो और उसे कहो कक ये पची ककसी तरह उस
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वज़ीर की िेब में िाल दे । दबातरी ने वो पची शहर िा कर उस कनीज़ को दी और उसे सारी बात बता दी।
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रात के वक़्त कनीज़ एक ख़ुकफ़या रास्ट्ते से वज़ीर के महल में गयी और वो पची बड़ी एहत्यात से वज़ीर की िेब में िाल दी। बस कफर क्या था। बोना नसरुद्दीन को छोड़ कर वज़ीर की गदत न पर आ सवार हुआ। उसे
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ज़ोर से चाबुक मारी और बोला: चल मुझे चांद पर ले चल। वज़ीर परे शान हो कर भागता हुआ िादग ू र के पास पुहंचा मगर िादग ू र तो मर चक ु ा था। अब तो वज़ीर की िान पर बन गयी। वो िंगल िंगल भटकता
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कफरता और यही कहता "ना मैं हसद करता ना मझ ु े ये सज़ा र्मलती" मल् ु ला नसरुद्दीन वापस दबातर में आ गया। बादशाह को वज़ीर के अंिाम का पता चला तो बोला िो करोगे वही भरोगे। (इंतख़ाब: सांवल
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चग़ ु ताई, रााँझू चग़ ु ताई, अम्मााँ ज़ेबू चग़ ु ताई, भरू ल चग़ ु ताई, अहमद परु शरक़्या) माहनामा अब्क़री अक्टूबर 2016 शुमारा नम्बर 124------------pg 27
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बा कमाल आसमल की जजन्न से लड़ाई
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कम्ज़ोर हदल हग़गरज़ ना पढ़ें !
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(एक हफ़्ता बाद ह्मसाया भागता हुआ आया कक उस की बेटी को दौरा पड़ गया है । वार्लद साहब फ़ौरन मोटर
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साईकल पर शाह साहब को लेने के र्लए रवाना हो गए। थोड़ी दे र में शाह साहब आ गए। शाह साहब ने घर
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वालों को हुक्म हदया कक फ़ौरन चल् ू हा िलाएं)
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(वास्िद हुसैन बुख़ारी एिवोकेट, अहमद पुर शरक़्या)
अस्ट्ली आर्मल हज़रात को ककसी स्िन्न से मुक़ाबला करते हुए ककन ककन मुस्श्कलात से गुज़रना पड़ता है ये
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सुन कर हदल दहल िाता है । बअज़ औक़ात स्िन्न और आर्मल की लड़ाई में ककसी एक कक िान लाज़्मी चली िाती है । बहरहाल ये एक इंतहाई ख़तरनाक खेल है । एक आर्मल और स्िन्न की ख़ौफ़्नाक लड़ाई का
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आंखों दे खा हाल पहढ़ए। ये एक ऐसे नोिवान की कहानी है स्िसे बच्पन से आर्मल बनने का शौक़ था। मेरे
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वार्लद साहब को अस्म्लयात का बहुत शौक़ था, ख़द ु भी आर्मल थे और अक्सर वो अपने पीर व मर्ु शतद पीर
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अल्लाह बख़्श शाह मरहूम के साथ रहते थे िहां भी पीर साहब िाते थे मेरे वार्लद मोहतरम को साथ ले कर िाते थे। छोटे छोटे काम वार्लद साहब से कराते थे। मेरी उम्र १४/१५ साल थी, मैं अक्सर स्ज़द्द कर के वार्लद साहब के साथ अल्लाह बख़्श शाह साहब के पास चला िाता था। शाह साहब अिीब व ग़रीब बातें बताते थे Page 44 of 55 www.ubqari.org
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िो मेरी समझ में ना आती थीं। शाह साहब अक्सर बताते थे कक आि फ़लां िगह गया था, स्िन्न मुआफ़ी मांग रहा था, आि फ़लां िगह गया था स्िन्न दे खते ही भाग गया और लड़की ठीक हो गयी। मुझे भी
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अमर्लयात सीखने का शौक़ हुआ। मैं ने वार्लद साहब से तज़्करह ककया तो वो नाराज़ होने लगे कक ये बहुत मुस्श्कल काम है इस में िान को ख़तरा होता है मैं ने वार्लद साहब से अज़त की कक चलो मुझे अमर्लयात ना
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र्सखाएं मगर ककसी हदन शाह साहब और स्िन्न की लड़ाई ही हदखा दें । वार्लद साहब ने कहा अगर शाह साहब ने इिाज़त दी तो साथ ले चलूंगा। इसी दौरान हमारा ह्मसाया परे शान हाल वार्लद साहब के पास आया कक उस की िवान बेटी बहुत बीमार है उस ् पर ककसी स्िन्न ने क़ब्ज़ा ककया हुआ है और बेटी को िब
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दौरा पड़ता है तो वो सर ज़मीन पर हटका कर टांगें ऊपर कर लेती है और सर के बल घूमना शुरू कर दे ती है
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और घंटों घूमती रहती है और ग़गर कर बेहोश हो िाती है , पदे का कोई होश नहीं, घूम घूम कर सर पर "गूमड़"
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सा बन गया है । वार्लद साहब ने कहा कक ये काम र्सफ़त अल्लाह बख़्श शाह साहब ही कर सकते हैं और मैं
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शाह साहब से पूछ कर बताऊंगा। वार्लद साहब ने शाह साहब से पूछा तो उन्हों ने कहा कक िब दौरा पड़े तो
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लड़की को मेरा सलाम कहना है । स्िन्न होगा तो बोल पड़ेगा। वार्लद साहब ने ह्मसाए को कहा कक िब
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लड़की को दौरा पड़े तो मुझे बुला लेना। उस ् ने कहा कक ठीक है दस ू रे हदन लड़की को दौरा पड़ गया ह्मसाए ने
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भाग कर वार्लद साहब को बल ु ा र्लया। वार्लद साहब िल्दी िल्दी उस के घर पह ु ं च,े मैं भी साथ था। िैसे ही
वार्लद साहब ने लड़की को सलाम ककया तो फ़ौरन लड़की की आवाज़ बदल गयी, मदातना आवाज़ में कहा कक
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अल्लाह बख़्श को कहो कक इस मुआम्ले में ना आए। मैं ने बड़े बड़े आर्मल दे खे हैं, वार्लद साहब ख़ामोश हो
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गए और वापस आ गए उसी वक़्त अल्लाह बख़्श शाह साहब के पास रवाना हो गए सारा मािरा सुनाया। उन्हों ने कहा कक िब भी लड़की को दौरा पड़े फ़ौरन मेरे पास आ िाना। मैं साथ चलूंगा। मैं भी साथ था। मैं ने
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शाह साहब से अज़त ककया कक मैं भी ये लड़ाई दे खना चाहता हूाँ। उन्हों ने महरबानी फ़मातते हुए मझ ु े इिाज़त दे
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दी कक वार्लद साहब के साथ आ िाना। एक हफ़्ता बाद ह्मसाया भागता हुआ आया कक उस की बेटी को दौरा पड़ गया है । वार्लद साहब फ़ौरन मोटर साईकल पर शाह साहब को लेने के र्लए रवाना हो गए। थोड़ी दे र में
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शाह साहब आ गए। शाह साहब ने घरवालों को हुक्म हदया कक फ़ौरन चल् ू हा िलाएं और उस पर बड़ी दे गची पानी की गरम करने के र्लए रख दें । उन्हों ने ऐसा ही ककया। वार्लद साहब को हुक्म हदया कक काग़ज़, क़लम
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तय्यार रखना िब मैं कहूाँ कक अब काग़ज़ क़लम दो तो फ़ौरन मझ ु े काग़ज़ क़लम थमा दे ना। िैसे ही मैं, वार्लद साहब और शाह साहब कमरे में दाखख़ल हुए तो लड़की की आवाज़ बदल गयी और उस ने शाह साहब
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को कहा कक मैं ने मना ककया था कक मत आना कफर भी आ गए हो। मझ ु े शाह साहब ने कहा कक घबराना नहीं है और ख़ामोशी से एक मख़्सूस िगह की ननशांदही की कक उस िगह पर बैठे रहना। मैं ने दे खा कक कोई बला है स्िस का ननचला िबड़ा ज़मीन से ननकल रहा है , पूरे कमरे स्ितना िबड़ा था और ऊपर वाला होंट
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आस्ट्मान से छत फाड़ कर आ रहा है । आवाज़ ऐसी थी कक िैसे बहुत से स्ट्पीकर र्मल कर ऊंची आवाज़ में
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बात कर रहे हों। शाह साहब ने पढ़ाई शुरू की, उस के बाद बाक़ाइदा लड़ाई शुरू हो गयी ऐसे महसूस होता था
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कक शाह साहब स्िन्न के सीने पर सवार हैं, कफर शाह साहब को ककसी ने उठाया, शाह साहब छत तक उड़ते
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हुए गए और नीचे धड़ाम से ग़गरे , शाह साहब ने पढ़ाई तेज़ कर दी और ऐसे महसूस होता था कक शाह साहब
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तक्लीफ़ में हैं। शाह साहब ने कहा कक ऐसे नहीं मानेगा। शाह साहब को स्िन्न ने उठा कर चार पाई पर पटख़ ्
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हदया। शाह साहब के मुंह से ख़न ू िारी हो गया और चेहरे पर अस्ज़्ज़यत के आसार ज़ाहहर होने लगे। शाह
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साहब ने वार्लद साहब को हुक्म हदया कक "मझ ु े फ़ौरन काग़ज़ क़लम दो ये मझ ु े खाना चाहता है " शाह साहब
इंतहाई िलाल में थे। शाह साहब में हहलने िुलने की सकत नहीं थी। वार्लद साहब ने काग़ज़ क़लम हदया।
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शाह साहब ने काग़ज़ को सीने पर रखा और इंतहाई िल्दी में तावीज़ र्लखा। ऐसे महसूस होता था कक स्िन्न
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शाह साहब के स्िस्ट्म की खाल खींचना चाहता है क्यूंकक स्िस्ट्म के मुख़्तर्लफ़ हहस्ट्सों से ख़न ू रस्ट्ना शुरू हो चक ु ा था। शाह साहब ने वार्लद साहब को हुक्म हदया कक फ़ौरन इस तावीज़ को इस गरम पानी की दे गची में
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िाल दो और ढक्कन को आटे से बन्द कर दो और दे गची के नीचे ख़ब ू आग िलाओ। वार्लद साहब भाग कर
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गए और तावीज़ को गमत पानी की दे गची में िाला, आटे से बन्द कर हदया और ख़ब ू आग िला कर वापस आ गए और घर वालों से कहा कक ख़ब ू आग िलाओ। कुछ दे र बाद शाह साहब के चेहरे पर सक ु ू न के आसार
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हदखाई हदए तो सब ् की िान में िान आई और स्िन्न ने शाह साहब से मुआफ़ी मांगना शुरू कर दी। कफर स्िन्न की चीख़ें शुरू हो गईं कक मेरा सारा ख़ानदान िल गया है हर तरफ़ ख़न ू ही ख़ून बबखर गया है मुझे
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अंदाज़ा नहीं था कक आप इतने बा कमाल आर्मल हो, मझ ु े मआ ु फ़ कर दें । शाह साहब ने कहा नहीं तू झट ू ा है । तू ने बहुत लोगों को नुक़्सान पुहंचाया है । आि स्ज़ंदा नहीं छोड़ूाँगा। स्िन्न वास्ट्ते दे ने लगा और आखख़र में
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रोने लगा कक मेरा सारा ख़ानदान तबाह हो गया है । मेरा सारा ख़ानदान इस दे गची में िल रहा है । ख़द ु ा के र्लए मुआफ़ कर दें । शाह साहब ने कहा कक तू मुआफ़ी के क़ाबबल तो नहीं है अच्छा िा तुझे मुआफ़ ककया। मगर इस लड़की को आइंदा तंग मत करना और िाने की ननशानी भी दे िाओ। स्िन्न ने कहा ठीक है आइंदा
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इस तरफ़ कभी रुख़ भी नहीं करूंगा और घर के बाहर वाली दीवार धड़ाम से ग़गर गयी हालांकक दीवार
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बबल्कुल ठीक ठाक थी। शाह साहब ने कहा कक ये स्िन्न के िाने की ननशानी थी। शाह साहब ने कहा कक
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दे गची उठा लाओ। दे गची का िब ढक्कन उठाया तो उस में ख़न ू भरा हुआ था, िला हुआ ख़न ू था। शाह
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साहब ने हुक्म हदया कक इस दे गची को क़बब्रस्ट्तान में नीचे कर के दफ़न कर दें ता कक कोई कुत्ता वग़ैरा ख़न ू
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की बू पर दे गची ना ननकाल ले। लड़की की तरफ़ तवज्िह की तो वो बबल्कुल नामतल हालत में थी उस हदन के
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दन्ु या धोके का घर
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बाद दब ु ारह उस की तबीअत ख़राब नहीं हुई। शाह साहब से वाक़ई स्िन्न िरते थे।
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इमाम ग़ज़ाली رحمة هللا عليهर्लखते हैं कक एक बादशाह था। उस का एक बाग़ था, उस के कई हहस्ट्से थे, बादशाह ने एक आदमी को हुक्म हदया कक मेरे र्लए इस टोकरी में बेह्तरीन और उम्दह् कक़स्ट्म के फल ले
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आओ, मगर शतत ये है कक स्िस हहस्ट्से में िाओ और वहां तुम्हें कोई फल पसंद ना आए तो दब ु ारह उसी हहस्ट्से
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में ना आना। वो आदमी बाग़ के एक हहस्ट्से में दाखख़ल हुआ तो वहां उसे कोई फल पसंद ना आया। इसी तरह
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वो एक एक कर के तमाम हहस्ट्सों में गया लेककन कोई एक फल भी उस के हदल को ना भाया िब वो आख़री हहस्ट्से में पुहंचा तो है रतज़्दह् रह गया क्यूंकक वहां कुछ भी नहीं था और वो शतत के मुताबबक़ वापस उन हहस्ट्सों में िा भी नहीं सकता था, िहां फल थे। मज्बरू न वो ख़ाली टोकरी ले कर बादशाह के सामने हास्ज़र Page 47 of 55 www.ubqari.org
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हुआ। बादशाह ने पूछा मेरे र्लए क्या लाए हो? उस ने कहा कुछ भी नहीं लाया। इमाम ग़ज़ाली رحمة هللا عليه फ़मातते हैं कक बादशाह से मुराद अल्लाह रब्बुल ् इज़्ज़त की ज़ात है । उस बाग़ से मुराद इंसान की स्ज़न्दगी के
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अय्याम हैं, टोकरी से मरु ाद इंसान के नामा ए एअमाल है । इंसान कहता है मैं कल से नेक एअमाल शरू ु करूंगा और कल से नमाज़ पढ़ूंगा लेककन कल कल करते एक हदन मौत उसे अपनी आग़ोश में ले लेती है और
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िो हदन गज़ ु र िाते हैं वापस नहीं आते, तो ये अल्लाह के पास ख़ाली दामन चला िाता है इस से मालम ू हुआ कक दन्ु या धोके का घर है । (हम्शीरह अहमद शाह)
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खािंसी गले के अमराज़ और एलजी के सलए
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं रोज़गार के र्सस्ल्सले में सऊदी अरब में रहता हूाँ। हम
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सऊहदया में ररसाला अब्क़री इंतहाई शौक़ से पढ़ते हैं। हमारे साथ एक बुज़ुगत भाई इश्त्याक़ रहते हैं स्िन का
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तअल्लुक़ इंडिया से है , हहक्मत से उन्हें बहुत लगाव है । उन्हों ने एक आज़मूदह नुस्ट्ख़ा खांसी, गले के
अमराज़ और एलिी के र्लए बताया। हुवल्शाफ़ी: कलौंिी, सूंठ दोनों चाय वाला चौथाई चम्मच ले कर एक
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कप पानी में उबाल लें और पी लें। हदन में दो से तीन मततबा ऐसा करने से इन ् शा अल्लाह आराम आ िाएगा।
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गले के सलए एक और नुस्ख़ा: काकड़ संगी िड़ी बूटी ले कर पीस कर आधा चम्मच एक कप पानी में उबाल
लें, गले के अमराज़, नज़्ला ज़क ु ाम का फ़ौरी हल है । मंह ु की बद्बू से ननिात: कलौंिी के दाने चन्द अदद् मंह ु
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में रखने से मुंह की बद्बू ग़ायब हो िाती है । (श ्, ि)
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माहनामा अब्क़री अक्टूबर 2016 शुमारा नम्बर 124-------------pg 28
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ख़ुदारा! ककसी मज़्लूम, फ़क़ीर, यतीम की बद्द दआ से बचें वरना! ु
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(मेरी पड़ोसन िो कक एक पहाड़ी ख़ातन ू हैं उस ने रात के अंधेरे में आ कर आरी से दरख़्त को ७५ फ़ीसद तक काट के मामूली सा छोड़ हदया और सोचा कक अगर ज़ोर से आंधी आई तो ख़ुद ही ग़गर िाएगा। ख़ैर सुबह िब मैं ने दे खा तो दरख़्त कटा हुआ था)
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मोहतरम ् हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! रब्बुल ्आलमीन हम सब ् के र्लए और पूरी उम्मत मुस्स्ट्लमा के र्लए आसाननयााँ पैदा फ़मातए। आमीन! हम तीन भाई और एक बहन हैं। हम सब ् शादी शुदह
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हैं। अब मेरा मसला ये है कक मेरे दादा से एक ग़लती हुई स्िस का ख़मयाज़ा हम अब तक भग ु त रहे हैं। वेसे तो मेरे दादा ककरदार के बहुत अच्छे हैं मगर उन से ग़लती ये हुई कक हमारे दादा ने ककसी को ना
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िाइज़ तलाक़ हदलवाई थी इस वाकक़आ के बाद हमारे ख़ानदान के साथ बबातदी ये शरू ु हुई कक हमारे ख़ानदान की लड़ककयां ससुराल में वो िाइज़ मुक़ाम और इज़्ज़त नहीं हार्सल कर पातीं िो कक बहूओं या बीपवयों का हक़ होता है । मैं ने भी स्ज़न्दगी के सात साल अस्ज़्ज़यत में गुज़ारे , मेरी बहन का भी यही हाल
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है और ख़ानदान की बाक़ी सब ् लड़ककयां भी ऐसे ही स्ज़न्दगी गुज़ार रही हैं। अपने बड़ों की तरफ़ से मैं
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(पोशीदह्)
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अल्लाह से बस्ख़्शश की दआ ु करती रहती हूाँ ता कक हम और हमारी नस्ट्लें तरक़्क़ी कर सकें। आमीन।
सद ू का अिंजाम फ़ाक़े ही फ़ाक़े
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! अज़त है कक मेरा मसला ये है कक शोहर को उन के एक
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ररश्तेदार ने सोला लाख रुपए का उधार हदया था, इस के बाद वो ना दे सके तो उन्हों ने पच्चास हज़ार सूद लेना शरू ु कर हदया, इस वाकक़आ को छै साल हो गए हैं अब हालात ये हैं कक हमारे पल्ले कुछ भी नहीं रहा
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र्सफ़त फ़ाक़े ही फ़ाक़े बचे हैं। बाक़ी रक़्म तो बाद की बात है सूद भी अदा नहीं कर पा रहे हैं। हम इतनी सख़्त परे शानी से गुज़र रहे हैं कक मैं बयान भी नहीं कर सकती। मेरे पास तो दसत में आने तक का ककराया
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नहीं होता। एक वक़्त का खा लें तो दस ू रे वक़्त के र्लए परे शानी शुरू हो िाती है । तीन तीन हदन हमारा
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चल् ू हा नहीं िल्ता, बच्चे भूक से बबलक्ते दे खे नहीं िाते। सूद ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा। (ह्, स ्)
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चोरी दरख़्त काटा शोहर की टािंगें कट गईं
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! अल्लाह आप की सेहत, उम्र और इल्म में मज़ीद बरकत अता फ़मातए। आमीन! मैं अब्क़री का २०१० से मुसल्सल क़ारी हूाँ। २०१० में पपशावर बच्ची के
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गोल्ि मैिल लेने वज़ीर आला हाउस गया वापसी पर याँह ू ी एक कुतब ु फ़रोश के पास रुका और अब्क़री पर ननगाह पड़ी, वक़त ग़गरदानी की और साथ ही ख़रीद र्लया। अब मैं इस का अल्हम्दर्ु लल्लाह क़ारी बन चक ु ा
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हूाँ और हर माह इंतज़ार रहता है । ये वाकक़आ िो मैं तहरीर कर रहा हूाँ मेरे पड़ोस का है । वाकक़आ कुछ यंू है कक मैं ने घर के बाहर शहतत ू का दरख़्त लगाया हुआ है , मेरे पड़ोसी ने बकररयां पाल रखी हैं। उन के बच्चे अक्सर िंिों के साथ दरख़्त के पत्ते झाड़ने की कोर्शश करते रहते हैं, कभी पत्थर मारते हैं, कई दफ़ा
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पत्थर मेरे सहन में भी आ कर ग़गरे स्िस पर हम ने उन से ग़गला भी ककया मगर कफर वही हाल रहा। एक
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मततबा हमारी उन से तल्ख़ कलामी भी हुई। मेरी पड़ोसन िो कक एक पहाड़ी ख़ातून हैं उस ने रात के अंधेरे
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में आ कर आरी से दरख़्त को ७५ फ़ीसद तक काट कर मामल ू ी सा छोड़ हदया और सोचा कक अगर ज़ोर से
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आंधी आई तो ख़द ु ही ग़गर िाएगा। ख़ैर सुबह िब मैं ने दे खा तो दरख़्त कटा हुआ था। मैं ने र्मिी वग़ैरा
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िाल कर उसे सपोटत दे दी। कुछ अरसा बाद वो दरख़्त अल्हम्दर्ु लल्लाह ठीक हो गया और तना कफर से िड़ ु
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गया। अब वो दरख़्त बबल्कुल सही सलामत है मगर बाइस इब्रत िो बात है वो ये है कक पड़ोसन के ख़ावन्द
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को शग ु र हो गयी और थोड़े ही अरसे में उस के शोहर की दो मततबा टांगें कट चक ु ी हैं। ये बात हमारी दस ू री
पड़ोसन ने हमें बताई थी कक आप का दरख़्त उस औरत ने काटा था। दरख़्त काटने से पहले उस का शोहर
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बबल्कुल तंदरु ु स्ट्त था। मगर िब से दरख़्त काटा उस के बाद से उस का शोहर चार पाई पर पड़ गया है ।
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इलाही ज़गतर)
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हमें ककसी के साथ भी ज़्यादती नहीं करनी चाहहए वरना वो हमारे साथ भी पेश आ सकती है । (मक़्सूद
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ख़द ु ारा! बद्द दआ ु से बचो
एक घर में एक दफ़ा एक सवाली आया कक अल्लाह के नाम पर कुछ दे दो तो औरत ने कहा कुछ भी नहीं है , चले िाओ तो सवाली ने कहा मझ ु े बहुत भक ू लगी है, रोटी ही दे दो या कुछ खाने को दे दो, बहुत भक ू ा Page 50 of 55 www.ubqari.org
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हूाँ। औरत ने कहा दफ़ा हो िाओ, घर में कुछ भी नहीं है और मज़ीद ना मुनार्सब अल्फ़ाज़ बोले तो सवाली ने िाते हुए ये िुम्ला बोला कक अल्लाह करे तुम्हें भी खाने को कुछ ना र्मले और ना तुझे खाना नसीब हो।
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अल्लाह का करना ऐसा हुआ कक उस के मंह ु से ननकली बद्द दआ ु और आह परू ी हुई और सालन में कीड़े पड़ गए और कफर परे शान कक ये क्या हो गया, स्ितनी मततबा भी खाना बनाया और िो भी बनाया हर मततबा
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उस में कीड़े होते और कोई भी खाने के क़रीब ना गया। कफर ककसी के घर से मांग कर खाना खाया और फ़ौरन वो ककसी आर्लम के पास भागे कक ऐसा क्यूं हो रहा है ? तो उस आर्लम ने दरयाफ़्त ककया कक ऐसा आप ने क्या अमल ककया तो उस औरत ने सारी बात बताई कक फ़क़ीर आया उस के बार बार इस्रार पर भी
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मैं ने कुछ ना हदया और ग़धत्कार हदया िस्ब्क मेरे पास सब ् कुछ था तो उस ने बद्द दआ ु दी स्िस की विह
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से ऐसा हुआ कक खाना हमें भी नसीब ना हुआ िो बनाऊं उस में कीड़े पड़ िाते हैं। आर्लम ने फ़मातया कक
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अल्लाह से तौबा व अस्ट्तग़फ़ार करो और ऐसा करो मेरी मौिद ू गी में बेह्तरीन खाना बनाओ और लोगों को
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खखलाओ। औरत ने खाना बनाया और तमाम लोगों में बांट हदया आर्लम साहब ने ख़द ु भी खाना तनावल
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फ़मातया और दआ ु फ़रमाई और फ़मातया आइंदा ऐसा हग़गतज़ मत करना। अल्लाह तआला हम सब ् को बद्द
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दआ ु से बचाए। िो हो तो दे हदया िाए वरना ऐसा िुम्ला ना बोला िाए िो बद्द दआ ु का सबब बने। (म ्-म ्,
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भक्कर)
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होंट फटने और ख़श्ु क होने का इलाज
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! हम अब्क़री ररसाला बहुत शौक़ से पढ़ते हैं। मेरे पास
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कुछ टोटके हैं िो मैं मख़लूक़ ए ख़द ु ा के फ़ायदे के र्लए क़ाररईन अब्क़री को हद्या कर रहा हूाँ। सहदत यों की
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आमद आमद है और इस मौसम में होंट अक्सर फट िाते हैं और ख़न ू बहने लगता है । ऐसी कैकफ़यत में
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हल्दी के बीि, र्लमों के रस में र्मला लें, कफर दध ू में हल कर के होंटों पर लगाएं। हदन में दो या तीन मततबा ऐसा करने से अफ़ाक़ा होगा। ये हमारा आज़मूदह टोटका है ।
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खटमल दरू करने का तरीक़ा: गंधक िला कर उस की धन ू ी दे ने से खटमल चार पाइयों से ननकल कर भाग िाते हैं। सफ़ेदी में गंधक और नीला थोथा र्मला कर कफर मकान में सफ़ेदी कराएं हर कक़स्ट्म के कीड़े
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मकोड़ों और खटमलों से हमेशा के र्लए ननिात र्मल िाएगी। पान या कत्थे का दाग़ दरू करना: पान या
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कत्थे का दाग़ दरू करने के र्लए मुतास्रह् िगह को दध ू से अच्छी तरह धो लें। दाग़ दरू हो िाएंगे। सलाद बासी हो जाए तो उस को ताज़ह करने के सलए: सलाद बासी हो िाए तो उस को फैंकने की ज़रूरत नहीं बस्ल्क एक प्याले में ठं िा पानी ले कर उस में चाय का एक चम्मच र्लमों का रस िाल दें और आध घन्टे तक उस में िुबो कर रखें कफर पानी फैंक दें बेह्तरीन ताज़ह सलाद आप के सामने है खाने के साथ
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इस्ट्तमाल करें । (अब्दल् ु लाह, वाह कैंट)
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आप का ख़्वाब और रोशन ताबीर
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माहनामा अब्क़री अक्टूबर 2016 शुमारा नम्बर 124------------pg 29
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पत्थर पर मोबाइल: मैं अपने वार्लद के साथ मोटर साईकल पर िा रही हूाँ, रात का वक़्त है तो नवीद (स्िस
से मेरा ननकाह हुआ है ) का फ़ोन आता है कक आ कर अपना मोबाइल फ़ोन ले िाओ। मैं अकेली गाड़ी में
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माककतट िाती हूाँ, वहां पत्थर पर बहुत से मोबाइल फ़ोन पड़े हुए हैं, मैं र्सफ़त अपना और अपनी फूफो का
मोबाइल फ़ोन उठाती हूाँ और गाड़ी की तरफ़ आते हुए सोचती हूाँ कक स्िस ने बुलाया था वो तो आया ही नहीं।
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इतने में आवाज़ आती है मुझ से र्मले बग़ैर वापस िा रही हो। मैं मुड़ कर दे खती हूाँ तो पूछती हूाँ आप कौन हैं?
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मैं ने आप को पहचाना नहीं। वो कहता है मैं नवीद हूाँ। मैं बहुत ख़श ु होती हूाँ कक नवीद ककतना ख़ब ू सूरत और
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मॉिनत है वो मझ ु े अपने साथ एक ज़ेर तामीर बबस्ल्िंग के सामने ले िाता है और कहता है कक मैं यहां इंटरव्यू दे ने आया था और मैं सेलेक्ट भी हो गया हूाँ। वहां एक लड़की भी होती है िो मुझ से हं स हं स कर बातें करती
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है । कफर हम वापस आते हैं, पता नहीं गाड़ी कौन चला रहा है गाड़ी से मझ ु े एक और मोबाइल फ़ोन र्मलता है िो हक़ीक़त में गुम हो गया है । (क-श ्: लय्या)
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ताबीर: आप के ख़्वाब के मुताबबक़ िो इस्ट्तख़ारह आप चाहती हैं, वो बबल्कुल वाज़ेह है कक नवीद नामी लड़के के साथ आप की अज़्दवािी स्ज़न्दगी बहुत अच्छी गुज़रे गी और वो आप का बेह्तरीन शरीक स्ज़न्दगी
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साबबत होगा। इन ् शा अल्लाह बाद नमाज़ इशा "या लतीफ़ु" ( )یالطیف१२९ मततबा पढ़ कर दआ ु कर र्लया
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करें ।
अल्लाह का शुक्र अदा करें : मैं ने दे खा कक मैं और मेरे ख़ानदान वाले सब ् पपस्क्नक पर गए हैं मैं और मेरे दो कज़न और मेरे मामाँू साथ घरवालों से कुछ दरू बैठे हैं। हम चारों पानी के क़रीब बैठ कर बातें कर रहे हैं इतने में अपना हाथ रे त में िालता हूाँ और रे त को टटोलता हूाँ। रे त में से मुझे एक सोने की अंगूठी र्मलती है मेरे
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कज़न और मामाँू दे ख लेते हैं इस के बाद सब ् रे त में कुछ और ढूंिने के र्लए हाथ मारते हैं मुझे बहुत से कड़े
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और अंगूहठयां और र्मल िाती हैं, तो सब ् मुझ को बुरा भला कहना शुरू कर दे ते हैं मैं वो सब ् कुछ िेब में िाल
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कर वहां से भाग कर घर आ िाता हूाँ। कफर उस में से एक अंगूठी स्िस पर हफ़त "न" (नून) ( ) نवाज़ेह तौर पर र्लखा होता है । मझ ु े पसंद आती है । (मह ु म्मद इक़बाल, शाहद्रह)
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ताबीर: आप के ख़्वाब के मत ु ाबबक़ आप को ख़श्ु ख़बरी दी गयी है कक आप को ऐसी नेअमत अता की िाएगी
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स्िस से आप का पूरा ख़ानदान मुस्ट्तफ़ीद् होगा। यही मुराद हफ़त "नून" से है । आप हर वक़्त अल्लाह का शुक्र ककया करें , बबल्ख़स ु स ू बाद नमाज़ फ़ज्र एक तस्ट्बीह तीसरे कल्मा की ज़रूर पढ़ र्लया करें ।
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मरहूम वासलद को दे खा: मैं ने अपने मरहूम वार्लद को दे खा कक वो टे बल पर रखा हुआ पानी िो दम ककया
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हुआ है उठा कर नछड़क रहे हैं और कह रहे हैं कक मेरे बच्चों को अब ख़त्म ककया िा रहा है , पहले मेरे पीछे लगे हुए थे। थोड़ी दे र बाद वो मेरे बड़े भाई के बबस्ट्तर के पास आ कर पानी नछड़कते हैं। इतनी दे र में सब ् से छोटा
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भाई उठ कर अपने बबस्ट्तर पर ख़ब ू सूरत चादर बबछा कर उन्हें बबठा दे ता है , वो ख़श ु हो कर कहते हैं दे खा मेरे
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बेटे ने मुझे बादशाहों की तरह बबठा हदया है । कफर मेरी िाननब दे ख कर बताते हैं, मुझे भाई ने दौलत की ख़ानतर मार िाला, अब वो मेरे बच्चों को ख़त्म करना चाहता है । उन्हें दे खने के र्लए कुछ बक़ ु ात पॉश औरतें
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और छोटे बच्चे मौिूद होते हैं, िो कहते हैं उन के कपड़े ककतने चमकदार हैं, उन के चेहरे पर ककतना नूर है । ै ी दे ख कर कहते हैं, ठहरो! अभी फ़ज्र में कुछ वक़्त बाक़ी है , थोड़ी दे र बाद कहने लगे मेरे वार्लद मेरी बेचन
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अब िाओ अज़ान फ़ज्र शरू ु हो रही है , कफर मेरी आाँख खल ु गयी। (सवेरा, लाहौर)
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ताबीर: आप के ख़्वाब के मत ु ाबबक़ आप के वार्लद साहब इंतक़ाल के बाद अच्छी हालत में हैं और आप से अब इस बात की तवक़्क़ुअ रखते हैं कक उन्हें नस्फ़्फ़ली इबादात व सदक़ात कर के सवाब पोहं चाया िाए। अच्छा ररश्ता: मैं ने अपनी पसंद की शादी के र्लए इस्ट्तख़ारह ककया तो दे खा कक मैं अपने सोने के कमरे में
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बैठी बारीक बारीक प्याज़ ् काट रही हूाँ, मेरी ख़ाला मेरे पास सोफ़े पर बैठी हैं और मेरी बहन चार पाई पर बैठी हुई है कमरे में ज़ीरो का बल्ब रोशन है , मेरे ज़ेहन में है कक मेरे उसी कज़न ने अपनी पसंद से मेरा ररश्ता लेने
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भेिा है वरना उस की अम्मी को नहीं आना था। मैं कमरे में स्िस िगह बैठ कर प्याज़ काट रही हूाँ वहां से
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हमारे घर के बर आमदे और सहन का थोड़ा थोड़ा हहस्ट्सा नज़र आता है , वहां पर बहुत ज़्यादा अंधेरा है
लेककन उस में थोड़ी सी रोश्नी भी है , मेरी ख़ाला और मेरी बहन मेरे ही बारे में बात कर रही हैं, मैं उन को
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कहती हूाँ कक आहहस्ट्ता बोलो कोई सन ु लेगा। इस के बाद मैं दे खती हूाँ कक मैं अपने भाई की सफ़ेद रं ग की गाड़ी
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में बैठी हूाँ और अपनी पसंद की ककताब ढूंिती हूाँ। मुझे अपनी पसंद की ककताब र्मल िाती है कफर मंज़र बदलता है मैं ककग़चन में अपने र्लए रोटी पका रही हूाँ, रोटी पकी गोल थी कफर चौकोर हो गयी। ककग़चन में
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बहुत ज़्यादा उिाला है , साथ वाले चल् ू हे पर मेरी बहन रोहटयां पका रही है , मेरी बहन कहती है कक सालन
फ़ैसलआबाद)
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गरम कर लो। मेरा सालन गरम करने को हदल नहीं चाहता लेककन मैं कफर भी कर लेती हूाँ। (क़-न,
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ताबीर: आप ने िो इस्ट्तख़ारह ककया है उस में इस बात का इशरह है कक अगर मुनार्सब तरीक़े से ररश्ते की
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ُ َ बात आगे बढ़ाई िाए तो उस िगह ररश्ता बहुत बेह्तर साबबत होगा। आप "या लतीफ़ु या मुिीबु" ( ََیل اط ْیف َ बाद नमाज़ इशा १०० बार पढ़ कर दआ ُ )َی ُ اُم ْی ب ु कर र्लया करें ।
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रोशन सुबह: मैं ने दे खा कक हम सब ् अहल ख़ाना समुन्दर पर िा रहे हैं िब हम वहां पर पुहंचते हैं तो शाम हो चक ु ी होती है मैं कहती हूाँ कक ये शाम का वक़्त है िब हम वहां से िाते हैं आि हम इस वक़्त यहां आए हैं कफर
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हम एक हट में चले िाते हैं, हट के एक कमरे में समन् ु दर का पानी आ रहा होता है कफर मैं और मेरी छोटी बहन उस कमरे के पानी में खड़े हो िाते हैं। मुझे हट में एक सोराख़ बहुत बड़ा नज़र आता है , मैं उस में
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झांकती हूाँ तो उस में तरतीब से सफ़ें बबछी होती हैं और मझ ु े महसस ू होता है कक उन सफ़्फ़ों के पीछे एक बुज़ुगत की क़ब्र है , मैं दे खती भी हूाँ मगर क़ब्र मुझे नज़र नहीं आती। कफर र्सस्ल्सला ख़त्म हो गया। (ग़,श ्) ताबीर: आप के ख़्वाब के मुताबबक़ आप को इन ् शा अल्लाह गुनाहों से तौबा की तौफ़ीक़ नसीब होगी और
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नेक एअमाल में हदल्चस्ट्पी होगी, ताहम आप अपने औक़ात को ज़ायअ होने से बचाएं और अक्सर औक़ात में
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अस्ट्तग़फ़ार और दरूद शरीफ़ कसरत से पढ़ा करें ।
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माहनामा अब्क़री अक्टूबर 2016 शम ु ारा नम्बर 124------------pg 31
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