हेल्दी कॉम्पिटिशन | September 2014 | अक्रम एक्सप्रेस"बालमित्रों,
सभी के बीच हमारा बोलबाला हो यह किसे अच्छा नहीं लगता? लेकिन जब, “बस मेरा ही बोलबाला हो, किसी और का नहीं” जब मन में ऐसी संकुचितता आ जाए तो उसमें ईर्ष्या काविष घुल जाता है। और कोई हमसे आगे बढ़ जाए, यह भी हम देख नहीं सकते। फिर अनजाने में ही उसे नीचे गिराने के प्रयत्न करने में लग जाते हैं।
स्पर्धा तो “हेल्दी” होनी चाहिए। जिसमें “तुम भी आगे बढ़ो और मैं भी आगे बढ़ूँ” ऐसा रहना चाहिए। सामनेवाला आगे बढ़े उसमें मैं खुश ही हूँ, लेकिन ऐसी नोबिलिटी लाएँ कहाँ से?
इस अंक में परम पूज्य दादाश्री ने इस पर बहुत अच्छा समझाया है। तो आओ, इस अंक को पढ़कर ईर्ष्या के ज़हर को निकाल फैंके और “हेल्दी कॉम्पीटिशन” के रास्ते पर चलें।
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