खानपान मास् ट हेड अरुण कुमार ‘पानीबाबा’ लेखक संस्कार से राजनीितक व्यक्तत और पानी,भोजन और पोषाहार के िवशेषज््है्. हलवाई होने का दावा भी करते है्. e-mail.: akpanibaba@gmail.com
सर््ी से राहत रेते व्यंजन
हल्दी की सब्जी का फरवरी तक चार से आठ बार उपयोग सद््ी से राहत ददलाता है और ठंडी हवा का झो्का अच्छा लगने लगता है.
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तुचय्ाा के अनुसार शशशशर को हेमंत का शवस््ार माना गया है. ठेठ सद््ी के दो महीनो्मे्शरीर की वैसी ही कफकारक प्व् शृ ्ि बनी रहती है जैसी शक िदवाली के बाद नजला, खांसी होने लगती है. मध्य फरवरी यानी वसंत के आगमन तक यह ध्यान जर्री है शक जो कुछ खाएं वह कफनाशक हो, गरमाई देने वाला हो, भूख-प्यास यानी जठराक्नन को सुरश््ित बनाये रखने वाला हो वन्ाा वसंत और गम््ी के दौरान संशचत कफ नये-नये रोग शवकार गले लगा लेगा. इस मौसम मे् शाम की दावत मे् बहुत एहशतयात जर्री है. नवंबर से फरवरी अंत तक यशद शाम की दावत चार-पांच बजे से शुर् नही् है और स्वागत शाम आठ बजे ही शुर् होना है तो तमाम चटर-पटर व्यंजनो्, शजन्हे् आजकल ‘स्नैत्स’ वगैरह कहते है्, को शसरे से नकार दीशजए. मेहमान का आते ही गम्ाा-गरम सूप या रस पपड्म्ा् से स्वागत कीशजए और पहला स्टॉल ताजे हलवे का लगाइए. चाहे जो हलवा हो गाजर, मूंग दाल, शकरकंदी, बादाम या आटा बेसन का, ढाक के हरे पि््े पर ही परोशसये, ताशक पि््ा हथेली पर रखते ही हथेली से ह्दय तक गरमाई का अहसास हो जाये. गम्ाा गरम सूप/रसम और हलवे से पहले, एक जर्री बात- मेहमान के पंडाल मे्घुसते ही पहली व्यवस्स्था शनवाए पानी से हाथ ध्ाुलवाने और स्वच्छ नैपशकन से पो्छने की होनी चाशहए. यह कदाशप न भूशलए शक हलवे से चावल तक भारतीय भोजन का वाद अंगुशलयां चाट कर खाने मे् ही है्. िफर हमारी व्यंजन सूची मे् तो हाथ से खाने के अलावा दूसरा उपाय ही नही्. राश््ि मे्शुर्और अंत की शमठाई के अलावा शसफ्फचार स्टॉल लगवाइए. पहला स्टॉल दश््िण भारतीय आप्पम, इशडयाप्पम और डोसा साथ मे् सब्जी का कुम्ाा, अशवयल, सांभर, दो तीन तरह की चटशनयां और नाशरयल दूध. यह बात सही है शक तीनो् व्यंजनो् मे्े चावल की प््धानता है. पर बनाने की शवशध मे् शजतना नीरा-ताड् रस और दाना मेथी और उड्द के प््योग करते है्और सहज खमीर उठाते है्उससे चावल की प््वृश्ि सम हो जाती है. िफर कुम्ाा तो खसखस और गम्ामसालो् से ही सुवािसत होता है. शवशेषकर छोटी बड्ी लौ्ग. अशवयल का दही भी पानी शमला कर छाै्का जाता है आर्ा पय्ााप्त माि््ा मे्. नाशरयल कस पीस कर शमलाते है्. एक बात और स्पष््कर दे्शक देर रात इडली बड्ा परोसना बेतक ु ी बात है. दूसरा स्टाॅल परंपरागत पूड्ी, बेड्मी, खस््ाकचौरी का होना चाशहए. तयशुदा मीठा कद््, रसे के रपटवा आलू और मेथी की चटनी या मेथी-आंवले की सब्जी बस उससे अशतशरत्त अन्य कुछ नही्. परोसदारी के शलए ढाक के दोने और सादी सपाट पि््ल ही उपयुत्त है. प्म् ख ु आकष्ण ा और लगभग नया सुझाव तीसरा स्टॉल है- कच््ी हल्दी की शवशशष््सब्जी और सरल सादा मारवाड्ी फुल्का. इसमे्आधे फाल्गुन तक (होली से पंद्ह िदन पहले तक) पंद्ह िदन वसंत के भी जोड्लीशजए.
इन ढाई महीनो्मे्पौष से लेकर मध्य फाल्गनु तक शुद्गौघृत मे्बनी हल्दी लहसुन या हल्दी खसखस मे्बनी सब्जी से बेहतर न कोई व्यज ं न/ पकवान है, न सद््ी से बचने की औषशध, न शसद््वाजीकरण रसायन और न अन्य कोई शाही दावत. नुस्स्खे से पहले यह स्पष््कर दे्शक मारवाड्ी फुल्का, दोनो् परत इकसार, शबलकुल शबना काली शचि््ी, लेशकन तोड्ने चबाने मे् कुरकुरा हो. हल्दी की सब्जी बनाना जान लीशजए और फरवरी तक न्यूनतम चार बार अशधकतम आठ बार इसका प््योग कर लीिजए- बुजुग्ो् को सद््ी से राहत शमल जायेगी, बच््ो्और युवजन के अंगो्मे्तेल पानी लग जायेगा जोड्खुल जाये्गे, ठंडी हवा का झाे्का अच्छा लगने लगेगा. सामग््ी- सवा सेर गौघृत, सवा सेर पंच मेवा (पाव भर शकशशमश, बादाम, काजू, मखाना और छुआरा), ढाई सेर गाय के दूध का घर जमाया दही, पाव भर बीज झड्ी सुख्ा लाल शम च्ा, पाव भर सूखा साबूत धशनया, आधा पाव से्धा नमक, सेर पर कच््ी हल्दी, सेर भर लहसुन (जो लहसुन से परहेज करते हो्वह पाव खसखस, पाव मगज, पाव बादाम का मसाला बना ले्). तैयारी- बादाम िभगो कर छील ले्(उबाल कर नही्), हल्दी अच्छी तरह धोकर छीले्, लहसुन छील कर धो ले्, शमच्ाऔर धशनया धोकर िभगो दे्- यह पांचो्चीज शसल पर महीन पीसनी चाशहए या दश््िणी गाेल पत्थर मे्. नयी तरह के दो-तीन पत््थर वाले ग््ाइंडर मे् भी शपसाई ठीक हो जाती है. छुआरो् की धो िभगोकर कतरन कटे्गी. मखाने पोछ सुखाकर दो टुकड्ो् मे् काटने चाशहए. शकशशमश, काजू धोकर फरहरे कर ले्. एक सेर हल्दी की सब्जी के शलए दस -बारह सेर अंदाज की कड्ाही या भारी भगोना होना चाशहए. बत्ान या तो कच््ेया पके्लोहे के, या भरत के या पीतल के कलईदार यह जो आजकल प््ेशर कुकर वाला सफेद मेटल चल पड्ा है- इसके शबलकुल नही्. विवि- कड्ाही चढ्ाकर उसमे्आधा सेर घी चढ्ाएं- पहले लहसुन या खसखस-मगज की चटनी भूने. गुलाबी हो जाये तो उसमे् शमच्ा का घोल डाले,् शमच्ाघी छोड्दे्तब धशनया, वह भी भुन जाये तब दही डालकर भुनाई करे्. जाला पड्जायये तो हल्दी और बादाम की शपट््ी डाल दे्. बीच बीच मे् जर्रत के शहसाब से घी की माि््ा बढ्ाते रहे.् लेशकन पाव भर घी मेवा छौ्कने के शलए अवश्य बचा ले्. जब हल्दी और बादाम की शपट््ी भी शसंक जाये्तो अंदाज से सेर सवा सेर पानी लगाकर छुआरो्की कतरने्डाल कर ढंक दे्मंदी आंच पर कम से कम घंटा भर धीमा-धीमा खदबदाने दे्. सब्जी तैयार है- बस बचे पाव घी को छोटे भगोने मे्पकाएं उसमे्काजू और मखानो्को हल्का गुलाबी भूनकर शकशशमश भी फुला ले्. यह तड्का लगाते ही सब्जी परोसने के शलए तैयार है. तैयार माल लगभग आठ सेर बैठेगा जो अस्सी से n सौ खाने वालो्के शलए पय्ााप्त होगा. शुक्वार | 16 से 31 शदसंबर 2015 47