Shukrawaar newspaper 2016 (15)

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बायोतपक की भेड्चाल पेज- 13

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वर्ष 1 अंक 22 n पृष्: 16 n 01 - 07 अप्​्ैल 2016 n नयी दिल्ली n ~ 5

रावत के बिकाऊ बवधायक बिम्मदे ार

lकर्ाटा क, मतिपुर और तिमाचल भी तरशारे पर lकांगस ्े -मुकत् भारत बरारे की मुतिम शरद गुपत् ा

25-30 करोड र्पये का भ्ि ् ्ाचार कर िे.् मै् अपनी आंखे्बंद कर िूगं ा. भिे ही यह एक स्सटंग ऑपरेशन था. िेलकन एक लजम्मदे ार मंत्ी नयी चिल्ली. घर का भेदी ही हमेशा के ऐसे बयान कही्भी उलचत नही्ठहराये जा िंका ढहाता है. उत्र् ाखंड मे् कांगस े् की सकते. यही रजह थी लक कोट्ा ने राष्प् लत सरकार लगरने के पीछे लकतनी ही सालजशो्के शासन िगाने के फैसिे पर केई आपल्​्त नही् आरोप िगे.् िेलकन हकीकत यही है लक अगर की. िेलकन राष्प् लत शासन िगाने का केद् ् उसके नौ लरिायको्ने बगारत नही्की होती, सरकार का फैसिा भिे ही कानूनी र्प से तो हरीश रारत की सरकार अभी भी चि रही उलचत ठहराया जाये. िेलकन क्या नैलतक र्प होती. यह बगारत बीते कई महीनो्से चि रही से सही था? लरिानसभा सत्​्शुर्होने से ठीक थी. साथ ही अगर रारत ने लरिायको् की बारह घंटे पहिे! जालहर है नौ बागी लरिायको् सौदेबाजी नही्की होती, तो राज्य मे्कांगस्े की को लरिानसभा अध्यक्​्गोलरंद लसंह कुज ं राि सरकार ही रहती. के अयोग् य ठहराये जाने से लरिानसभा मे् यही रजह है लक नैनीताि हाईकोट्ाके दो हरीश रारत खे म े को बहु म त लमि गया जजो्की लडरीजन बेच ् ने लसंगि जज के उस को जल्दबाजी मे्राष्प् लत शासन क्यो्िगाया कर रहे थे. उस रीलडयो टेप का लजसमे् था. हार सामने दे ख बीजे प ी ने पीछे दरराजे से आदेश पर रोक िगा लदया. लजसमे्30 माच्ा गया. रोहतगी ने कहा लक रहां लरिायको्की मुखय् मंत्ी एक टीरी चैनि के मालिक से सत् ा ् हलथया िी. को लरिानसभा मे्रारत को बहुमत लसद्​्करने सौदेबाजी हो रही थी. राष्प् लत शासन के लरिायको्की सौदेबाजी करते हुए लदख रहे है.् बीजेपी की मंशा का अंदाजा उसके को कहा गया था. कोट्ा ने अटॉन्​्ी जनरि दौरान लरिानसभा थी ही नही् तो शस्कत रे उससे बागी लरिायको् को करोडो् की बाकी पेज 2 पर मुकि ु रोहतगी से पूछा लक 29 माच्ाकी शाम परीक्ण ् हो कैसे सकता था? रे दरअसि लजक्​् िनरालश देने का रादा कर रहे है.् मंत्ी चाहे्तो

बाघों की कबं​ंगाह बनता 'टाइगर संटेट'

पूजा तसंि भोपाल. एक समय टाइगर स्टेट का दज्ा​ा रखने रािे मध्य प्​्देश मे्बाघो्की मौत का लसिलसिा थमने का नाम ही नही्िे रहा है. प्​्देश मे्स्सथत पे्च नेशनि पाक्कमे्बीते लदनो्एक बालघन और दो शारको्की मौत के साथ इस रष्ा प्​्देश मे्ं मरने रािे बाघो् की संख्या सात हो गयी है. इनमे् से छह बाघ केरि पे्च मे्ं ही मारे गये है्. एक शारक खबर लिखे जाने तक िापता है. सरकारी आंकड्ो् मे् हर बाघ की मौत की कोई न कोई ठोस रजह है. मसिन कोई

बाघ करे्ट िगने से मरा तो कोई कुंए मे् लगरकर, लकसी की मौत जहर देने से हुई. िेलकन पय्ा​ाररण काय्ाकत्ा​ा इन तमाम मौतो् को संदेहास्पद करार देते है्. िंबे समय से बाघो् पर काम करने रािे पय्ा​ाररण काय्ाकत्ा​ा अजय दुबे सरकार पर आरोप िगाते है्लक रन मालफया को संरक्ण ् देने की कोलशश मे्सरकार ने बाघो्के लहत को ताक पर रख लदया है. दुबे कहते है्, 'पे्च मे्बाघो् को जहर लदये जाने के जो मामिे सामने आ रहे है् उनके लिये सरकार दोषी है क्यो्लक उसने अब तक स्पेशि टाइगर प्​्ोटेक्शन फोस्ानही्बनायी है. जबलक इसे रष्ा2008 मे् बनाया जाना था और के्द् इसके लिये 100 प्​्लतशत आल्थाक सहायता देने के लिये तैयार था.' आलिकालरक कहानी यह है लक पे्च मे् बालघन और शारको् की मौत जहर से हुई. कहा जा रहा है लक बालघन और शारको्की मौत एक ऐसे चीति को खाने से हुई लजसके शरीर मे्कीटनाशक पदाथ्ाथे. रही्स्थानीय िोगो्का कहना है लक पाक्कमे्पीने के पानी के स्​्ोतो् मे् जहर लमिाये जाने के कारण बाघो्की मौत हुई. लपछिे कुछ लदनो्मे्पाक्क मे् 10 अन्य पशुओ् की मौत भी इस आरोप की पुल्ि करती है. अजय दुबे कहते है् लक बाघ अगर अप्​्ाकृलतक तौर पर मर रहे है्तो लफर सरकार चाहे लजतने बहाने बना िे रह अपनी जराबदेही से नही्भाग सकती.

रही् प्​्देश के अलतलरक्त प्​्िान मुख्य रन संरक्​्क आर पी लसंह का कहना है लक लरभाग कम्ाचालरयो्की कमी से जूझ रहा है. यहां करीब 40 प्​्लतशत लरस्कतयो् की पूल्ता अभी होनी है. इस रजह से भी कलठनाइयो्का सामना करना पड्रहा है. राष्​्ीय बाघ संरक्​्ण प्​्ालिकार (एनटीसीए) के आंकड्ो् के मुतालबक गत रष्ा देश मे् कुि 69 बाघो्ं की मौत हुई थी, उनमे्ं से 11 बाघो् की मौत के साथ मध्य प्​्देश देश मे् सबसे ऊपर था. रही् इस रष्ा अब तक मारे गये 16 बाघो्मे्से सात मध्य प्​्देश मे्ही मरे है्.

कोच्​्ि मे् बढ़ा जल-संकट कोच्​्ि. शहर के कई लहस्सो् मे् पीने योग्य पानी की लकल्ित बढ गयी है. यहां के िोग सप्ताह मे्कम से कम दो बार पीने का पानी खरीदने पर मजबूर है्. शहर मे्रोजाना हर घर के लिए 20 िीटर पानी की जर्रत है. हािांलक शहर मे् दो नलदयो् का जि जराहर िाि नेहर्राष्​्ीय शहरी नरीकरण लमशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत मरदू जि उपचार संयतं ्से पेयजि की आपूलत् ा की जाती है. लफर भी कुछ क्​्ेत्ो् मे् पानी नही् पहुंच पाता है. हािांलक केरि जि प्​्ालिकरण के रलरष्​् अलिकालरयो् ने शहर के अलिकांश भागो् मे् 24 घंटे जि आपूल्ता का दारा लकया है. साथ ही उनका कहना है लक चेरानाल्िूर और पल्​्िम कोल्​्ि मे्जि आपूल्ता प्​्भालरत हुई है. पल्​्िम कोल्​्ि मे्भी जि आपूल्ता मे् कमी आयी है. जहां फोट्ा कोल्​्ि, पल्िुर्थ्य, चेल्िानाम, कुम्बिंगी बाकी पेज 2 पर

आसान नहीं भाजपा की राह

रीता ततवारी

सत्​्ा मे्रहते कई ऐसी हत्याएं हुई थी्लजनके हत्यारो्का अब तक खुिासा नही्हो सका है. कोलकाता. पूरो्त्र् राज्य असम मे्सत्​्ा तब इनको गोपनीय हत्याएं कहा गया था. यह की सबसे प्म् ख ु दारेदार भाजपा के लिए मुद्ा राज्य के िोगो्के लिए बेहद भारनात्मक गोपनीय हत्याओ्का मुद्ा भारी पड्सकता है. रहा है. इसके जोर पकड्ने पर भाजपा के अस्सी के दशक के आलखर मे् असम गण मुखय् मंत्ी पद के उम्मीदरार सब्ाना दं पलरषद के सत्​्ा मे् रहते खासकर उग्र् ादी सोनोराि के लिए मुसीबत पैदा हो सकती है. संगठन अल्फा के कई नेताओ् और इन हत्याओ् के समय असम गण पलरषद राजनीलतक लररोलियो्की गोपनीय हत्याएं हुई सरकार मे् मंत्ी रहे सोनोराि की ओर भी थी्. अब मुखय् मंत्ी तर्ण गोगोई और अल्फा अंगलु ियां उठती रही है.् उन पर अल्फा के कुछ के परेश बर्आ गुट ने यह मुद्ा उछाि कर पूरा् काडरो् के जलरए रष्ा 1986 मे् लडब्ग्ू ढ् लरश्ल्रद्​्ािय के छात्​्सौरर बोरा समेत भाजपा खेमे मे्हिचि मचा दी है. बाकी पेज 2 पर अस्सी के दशक मे्असम गण पलरषद के

बनारस आइए, बाबा मिल जायेंगे

चंचल

िा

िमुलन चौबे नही्रहे, यह कटुसत्य कुछ देर के लिए हटा दीलजये और बनारस भ्म् ण पर आ जाइये. तो चौबे जी कही्न कही टकरा जायेग् .े कल्पनाथ लसंह से लसयासत पर बलतयाते हुए. िच्छू महराज

से संगीत पर ताि ठो्कते हुए. लकसी को डांटते हुए, लकसी को पुचकारते हुए. गरज

यह की बनारस ने कभी यह नही् देखा की यह शख्स जो बाबा के नाम से पुकारा जाता है और राजनीलत मे्अटि जी का भरोसेमदं है. कभी लकसी भी कोण से संघी रहा हो. सच बात तो यह है लक यह शख्स संघ लररोिी रहा है. यह हमने जेि यात्​्ा के दौरान जाना जहां हम एक साथ पौने दो साि गुजारे. काशी लरश्ल्रद्​्ािय की छात्​् राजनीलत मे् एक चौकडी हुआ करती थी. उसके चार पाये थे. देरब्त् मजूमदार, रामबचन पांड,े मारकंडे लसंह और िािमुनी चौबे. इनके मतभेद रहते बाकी पेज 2 पर


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