डॉ आंबेडकर का आगरा का एतहासिक भाषण

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डड. आआंब बेड कर कका आगरका कका ऐततिहकातसिक भकाषण (18 मकारर, 1956) (ननोट:- डड. आआंबबेडकर कका यह भकाषण ऐततिहकातसिक और अतति महत्वपपूणर हहै क्ययोंकक इसि भकाषण ममें उन्हयोंनबे अपनबे तिब तिक कबे अननुभव और भतवष्य ककी रणननीतति कबे सिआंकबेति कदिए हह. इसि ममें उन्हयोंनबे दितलिति सिमकाज कबे तवतभन्न वगर्गों कनो सिआंबनोतधिति ककयका हहै और उनकबे तलिए कदिशका तनदिर्देश कदिए हह. वकास्तिव ममें यह भकावनी दितलिति आन्दिनोलिन कबे तलिए कदिशका सिपूरक थबे परन्तिनु बहुति अफ़सिनोसि कबे सिकाथ कहनका पड़ रहका हहै कक दितलितियों नबे इन कनो नज़रआं दिकाज़ ककयका हहै तजसि कका सिबसिबे बड़का दिनुष्प्रभकाव 2011 ककी जनगणनका ममें बबौदयों ककी जन्सिआंसिख्यका ववृतद दिर ममें भकारनी तगरकावट कबे रूप ममें सिकामनबे आयका हहै . आज दितलिति सिमकाज बकाबकासिकाहबेब कबे जकातति उन्मपूलिन और बबौद धिम्म आन्दिनोलिन सिबे दिपूर रलिका गयका हहै . तसिदकान्तिहनीन और अवसिरवकादिनी दितलिति रकाजननीतति नबे बकाबकासिकाहबेब कबे सिकामकातजक और धिकारमरक आन्दिनोलिन कनो बहुति पनीछबे धिकबे लि कदियका हहै . आज दितलिति सिमकाज सिआंगठठिति हनोनबे ककी बजकायबे जकातति तबखरकाव कका तशककार हहै. लिगतिका हहै बकाबकासिकाहबेब कका ककारवकाआं आगबे बढ़नबे ककी बजकायबे पनीछबे ककी ओर रलिका गयका हहै. यह सिभनी आम्बबेडकरवकाकदिययों कबे तलिए गहन चरआंतिन कका तवषय हनोनका रकातहए.) जनसिमपूह सिबे तपछलिबे तिनीसि वषर्गों सिबे तिनुम लिनोगयों कनो रकाजनहैततिक अतधिककार कदिलिकानबे कबे तलिए मह सिआंघषर कर रहका हह . महनबे तिनुम्हमें सिआंसिदि और रकाज्य तवधिकान सिभकाययों ममें सिनीटयों कका आरक्षण कदिलिकायका हहै. महनबे तिनुम्हकारबे बचयों ककी तशक्षका कबे तलिए उतरति प्रकावधिकान करवकाए हह . आज हम प्रगतति कर सिकतिबे हह. अब यह तिनुम्हकारका कतिरव्य हहै कक शहैतक्षक, आरथरक और सिकामकातजक गहैर बरकाबरनी कनो दिपूर करनबे कबे तलिए एकजनुट हनोकर इसि सिआंघषर कनो जकारनी रखमें. इसिनी उदिबेश्य हबेतिनु तिनुम्हमें हर प्रककार ककी कनु बकारतनययों कबे तलिए तिहैयकार रहनका रकातहए जहकाह तिक कक खपून बहकानबे कबे तलिए भनी. नबेति काओं सिबे “यकदि कनोई तिनुम्हमें अपनबे महलि ममें बनुलिकातिका हहै तिनो स्वबेच्छका सिबे जकाओ.लिबेककन अपननी झयोंपड़नी ममें आग लिगका कर नहह. यकदि वह रकाजका ककसिनी कदिन आपसिबे झगड़तिका हहै और आप कनो अपनबे महलि सिबे बकाहर धिकबे लि दिबेतिका हहै , उसि सिमय तिनुम कहकाह जकायनोगबे? यकदि तिनुम अपनबे आपकनो बबेरनका रकाहतिबे हनो तिनो बबेरनो लिबेककन ककसिनी भनी तिरह अपनबे सिआंगठिन कनो बबकारदि करनबे ककी ककीमति पर नहह. मनुझबे दिपूसिरयों सिबे कनोई खतिरका नहह हहै , लिबेककन मह अपनबे लिनोगयों सिबे हनी खतिरका महसिपूसि कर रहका हह. “ भपूत महनीन मजदिपूर यों सिबे “मह गकाहव ममें रहनबे वकालिबे भपूतमहनीन मजदिपूरयों कबे तलिए ककाफकी चरआंततिति हह . मह उनकबे तलिए ज्यकादिका कनु छ नहह कर पकायका हह. मह उनकबे दिनुदुःख और तिकलिनीफमें सिहन नहह कर पका रहका हह.उनककी तिबकातहययों कका मनुख्य ककारण यह हहै कक उनकबे पकासि ज़मनीन नहह हहै. इसिनी तलिए वबे अत्यकारकार और अपमकान कका तशककार हनोतिबे हह. वबे अपनका उत्थकान नहह कर पकाएआंगबे. मह इनकबे तलिए सिआंघषर करूहगका.यकदि सिरककार इसि ककायर ममें कनोई बकाधिका उत्पन्न करतिनी हहै तिनो मह इन लिनोगयों कका नबेतिवृत्व करूहगका और इन ककी वहैधिकातनक लिड़काई लिडपू आंगका. लिबेककन ककसिनी भनी हकालिति ममें भपूतमहनीन लिनोगयों कनो ज़मनीन कदिलिवकानबे ककी प्रयकासि करूहगका.” अपनबे सिमथरक यों सिबे “ बहुति जल्दिनी हनी मह तिथकागति बनुद ककी शरण कनो अआंगनीककार कर लिपूहगका. यह प्रगततिवकादिनी धिमर हहै. यह सिमकानतिका, स्वतिआंत्रतिका और बआंधिनुत्व पर आधिकाठरति हहै. मह इसि धिमर कनो बहुति सिकालियों कबे प्रयकासि कबे बकादि खनोज पकायका हह . अब मह जल्दिनी हनी बनुतदस्ट बन जकायपूहगका. तिब एक अछपू ति कबे रूप ममें मह आप कबे बनीर नहह रह पकायपूहगका. लिबेककन एक सिचबे बनुतदस्ट कबे रूप ममें तिनुम लिनोगयों कबे कल्यकाण कबे तलिए सिआंघषर जकारनी रखपूहगका. मह तिनुम्हमें अपनबे सिकाथ बनुतदस्ट बननबे कबे तलिए नहह कहहगका क्ययोंकक मह अआंधिभक्त नहह रकाहतिका. कबे वलि वबे लिनोग हनी तजन्हमें इसि महकान धिमर ककी शरण ममें आनबे ककी तिमन्नका हहै , बबौद धिमर ग्रहण कर सिकतिबे हह तजसिसिबे वबे इसि धिमर ममें दिवृढ तवशवकासि कबे सिकाथ रहमें और इसिकबे आररण कका अननुसिरण करमें .”


बबौद तभक्षनुओं सिबे “बबौद धिमर एक महकान धिमर हहै. इसि धिमर कबे सिआंस्थकापक तिथकागति नबे इसि धिमर कका प्रसिकार ककयका और अपननी अच्छकाईययों कबे ककारण यह धिमर भकारति ममें दिपूर-दिपूर तिक एवआं गलिनीकपू रयों तिक पहुहर सिकका. लिबेककन महकान उत्कषर कबे बकादि यह वषर 1293 ई. ममें तवलिनुप्त हनो गयका. इसिकबे कई ककारण हह. एक ककारण यह भनी हहै कक बबौद तभक्षनु तवलिकातसितिकापपूणर जनीवन जनीनबे कबे आदिनी हनो गए. धिमर प्ररकार हबेतिनु स्थकान-स्थकान पर जकानबे ककी बजकायबे उन्हयोंनबे तवहकारयों ममें आरकाम करनका तिथका रजवकाड़यों ककी प्रशआंसिका ममें पनुस्तिकमें तलिखनका शनुरू कर कदियका. अब इसि धिमर ककी पनुनस्थकारपनका हबेतिनु उन्हमें कड़नी मबेहनति करननी पड़बेगनी. उन्हमें दिरवकाजबे- दिरवकाजबे जकानका पड़बेगका. मनुझबे सिमकाज ममें बहुति कम तभक्षनु कदिखकाई दिबेतिबे हह . इसिनी तलिए जन सिकाधिकारण ममें सिबे अच्छबे लिनोगयों कनो भनी इसि धिमर कबे प्ररकार हबेतिनु आगबे आनका रकातहए.” शकासिककीय कमरर काठरययों सिबे “हमकारबे सिमकाज ममें तशक्षका सिबे कनु छ प्रगतति हुयनी हहै . तशक्षका प्रकाप्त करकबे कनु छ लिनोग उच पदियों पर पहुहर गए हह . परन्तिनु इन पढ़बेतलिखबे लिनोगयों नबे मनुझबे धिनोखका कदियका हहै. मह आशका कर रहका थका कक उच तशक्षका प्रकाप्त करनबे कबे बकादि वबे सिमकाज ककी सिबेवका करमें गबे . ककन्तिनु मह क्यका दिबेख रहका हह कक छनोटबे और बड़बे क्लिकर्गों ककी एक भनीड़ एकतत्रति हनो गयनी हहै जनो अपनबे पबेट भरनबे ममें व्यवस्ति हह . यबे जनो शकासिककीय सिबेवकाओं ममें तनयनोतजति हह उनकका कतिरव्य हहै कक उन्हमें अपनबे वबेतिन कका बनीसिवकाआं भकाग (5 प्रततिशति) स्वबेच्छका सिबे सिमकाज सिबेवका कबे ककायर हबेतिनु दिबेनका रकातहए. तिब हनी सिमकाज प्रगतति करबे गका अन्यथका कबे वलि एक हनी पठरवकार कका सिनुधिकार हनोगका. एक वह बकालिक जनो गकाहव ममें तशक्षका प्रकाप्त करनबे जकातिका हहै सिम्पपूणर सिमकाज ककी आशकाएआं उसि पर ठटक जकातिनी हह . एक तशतक्षति सिकामकातजक ककायरकरकार उनकबे तलिए वरदिकान सिकातबति हनो सिकतिका हहै.” छकात्र-छत्रकाओं सिबे “मबेरनी छकात्र-छकात्रकाओं सिबे अपनीलि हहै कक तशक्षका प्रकाप्त करनबे कबे बकादि ककसिनी प्रककार ककी कलिकर्की करनबे ककी बजकायबे उन्हमें अपनबे गकाहव ककी अथवका उसिकबे आसि-पकासि कबे लिनोगयों ककी सिबेवका करननी रकातहए तजसिसिबे अजकानतिका सिबे उत्पन्न शनोषण एवआं अन्यकाय कनो रनोकका जका सिकबे . आपकका उत्थकान सिमकाज कबे उत्थकान ममें हनी तनतहति हहै.” भतवष्य ककी चरआंति का “आज मबेरनी तस्थतति एक बड़बे खम्भबे ककी तिरह हहै, जनो तवशकालि टमेंटयों कनो सिआंभकालि रहनी हहै. मह उसि सिमय कबे तलिए चरआंततिति हह कक जब यह खम्भका अपननी जगह पर नहह रहबेगका. मबेरका स्वकास्थ्य ठिनीक नहह रहतिका हहै. मह नहह जकानतिका मह कब आप लिनोगयों कबे बनीर सिबे रलिका जकायपूह. मह ककसिनी ऐसिबे नवयनुवक कनो नहह ढपू आंढ पका रहका हह जनो इन करनोड़यों असिहकाय और तनरकाश लिनोगयों कबे तहतियों ककी रक्षका करबे . यकदि कनोई नबौजवकान इसि तज़म्मबेदिकारनी कनो लिबेनबे कबे तलिए आगबे आतिका हहै तिनो मह रहैन सिबे मर सिकपूह गका.”


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