ANUSUCHIT JATI/JANJATI KE SANDARBH ME BALIKA SHIKSHA PRATI ADHYAPAKON KI ABHIVRUTI KA ADHYAYAN

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Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies, Online ISSN 2278-8808, SJIF 2021 = 7.380, www.srjis.com PEER REVIEWED & REFEREED JOURNAL, MAY-JUNE, 2022, VOL- 10/71

अनुसूचित जाचत/जनजाचत के सन्दर्भ में

बाचिका चिक्षा प्रचत अध्यापक ों की

अचर्वृचि का अध्ययन धमेन्द्र ना. िोंर्रकर1 & न मी2 1

सहायक प्र फेसर, म.गाों.अों.चहों .चव.चव., वधाभ (महाराष्ट्र)

2

एम.एड., म.गाों.अों.चहों .चव.चव., वधाभ (महाराष्ट्र)

Paper Received On: 22 JUNE 2022 Peer Reviewed On: 27 JUNE 2022 Published On: 28 JUNE 2022

Abstract वर्ग और जाति के साथ समाज में जाति आधाररि लैंतर्क असमानिा दे खने को आसानी से तमल जािी है ।यह व्यवस्था स्कूल िक भी पहुँ चिी है । इस शोध का महत्व इसतलए बढ़ जािा है कक क्या तशक्षा और उसको संचातलि करने वाले स्कूल जैसी संस्थाएं वंतचि वर्ग की बातलकाओं को स्थान दे िी है ? विगमान समय में अनसूतचि जाति/जनजाति बातलका तशक्षा पर जजिने भी शोध हए हैं उनकी वववेचना से स्पष्ट होिा है कक बातलका तशक्षा पर अभी भी शोध करने की आवश्यकिा है । यह शोध तशक्षक समदाय से जडा है जो बिािा है कक ‘अनसूतचि जाति/जनजाति की बातलका तशक्षा के सन्दभग में तशक्षकों की अतभवृवि कैसी है ? वे इस समदाय के प्रति ककिने जार्रूक हैं और ककस िरह से इस वर्ग की बातलकाओं को ववद्यालय में अपने होने को महसूस करािे हैं । इस शोध से यह पिा चलेर्ा कक अध्यापकों का बातलका तशक्षा के प्रति दृवष्टकोण कैसा है ? जो बातलकाओं की

तशक्षा के प्रति

जार्रूकिा को बढ़ाने में कारर्र तसद्ध होर्ा।

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वर्तमान समय में शिक्षा समाज के शवकास के शिए महत्वपुर्त कड़ी है । शिक्षा एक ओर जहा​ां व्यक्ति के व्यक्तित्व का शवकास करने में सहायक होर्ा है वहीां दू सरी ओर समाज राष्ट्र के शिए श्रेष्ठ नागररक एवां युवा िक्ति र्ैयार करर्ी है ,साथ ही मानवीय आवश्यकर्ाओां की पूशर्त करने में सहायक होर्ी है । यह एक सोद्दे श्य प्रशिया है शजसमें सीखना समाशहर् है और इस सीखने में शनरां र्रर्ा होर्ी है । यह सीखने की शनरां र्रर्ा अनुभव द्वारा, अध्ययन द्वारा और सृजन द्वारा प्राप्त की जार्ी है । सीखने की प्रशिया औपचाररक और अनौपचाररक माध्यमोां द्वारा सांपन्न Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies


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होर्ी रहर्ी है । औपचाररक सीखना एक शनशिर् समय के शिए होर्ा है शजसमें सीखने का समय, कौन शसखाएगा? क्या शसखाया जाये गा? कब र्क शसखाया जाये गा? कौन सीखेगा? का शनर्ात रर् पूवत शनयोशजर् होर्ा है एवां अनौपचाररक सीखने में शकसी शनशिर् समय की आवश्यकर्ा नहीां होर्ी है । औपचाररक सीखने में शजन सांस्थाओां का योगदान होर्ा है उन पर राज्य का अशर्कार होर्ा है और अनौपचाररक सीखने में शजन सांस्थाओां का योगदान होर्ा है , वह समाज द्वारा सांचाशिर् और अशर्कृर् होर्ी हैं ।शिक्षा मानव की एक ऐसी मूिभूर् आवश्यकर्ा है , जो उसके बौक्तिक स्तर को दिात र्ा है । शिक्षा का महत्त्व मानव जीवन के शिए वै सा ही है । शिक्षा केवि ज्ञान-प्रदान नहीां करर्ी, सां स्कार और सरूशच के अां कुरोां का पािन भी करर्ी है । इस पररपेक्ष्य में नारी शिक्षा और भी अशर्क महत्वपूर्त है , क्योांशक समाज रूपी रथ के दो पशहये होर्ें हैं - पु रुष व नारी। एक शिशक्षर् नारी दो कुिोां को शिशक्षर् करर्ी है र्था भावी सांर्ान को शिशक्षर् करने के साथ, समान रूप से पुरुषोां के कांर्े-से-कांर्ा शमिाकर अथोंपाजतन करर्ी है र्था प्रगशर्िीि रूप आर्ुशनक है , जो समाज, सभ्यर्ा र्था सां स्कृशर् र्था राष्ट्रोत्थान में अपनी महत्त्वपू र्त भूशमका शनभार्ी है । भारर् में सामाशजक एवां आशथतक कारर्ोां से आबादी का एक बड़ा शहस्सा शिक्षा से दू र रहा है । हािार् र्ो यह है शक दे ि की आर्ी आबादी याशन मशहिा शिक्षा का ग्राफ भी काफी कम है । शिक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार के न होने और जागरूकर्ा के अभाव में अनुसूशचर् जाशर् एवां जनजाशर्, स्वच्छकार, शवमुि एवां घुमांर्ु जाशर् के िोग शिक्षा के मामिे में काफी शपछड़े हुए हैं । इस वगत में बाशिकाओां की शिक्षा का ग्राफ र्ो अभी भी काफी पीछे है । इसका एक बड़ा कारर् इनकी बसावट भी है । अनुसूशचर् जाशर् एवां जनजाशर् के िोग सु दूर ग्रामीर् इिाके, नशदयोां के शकनारे और जांगिोां के बीच रहर्े हैं । इस वजह से भी ये स्कूिोां की पहुचां से दू र रहे हैं । जाशहरसी बार् है शक इस वगत के ज्यादार्र िोग अभी भी ग्रामीर् इिाकोां में रहर्े हैं । इनमे से ज्यादार्र शहस्सा ऐसा है जहा​ाँ आजादी के छह दिक बाद भी शवकास की शकरर्ें नहीां पहुचां पाई हैं । ऐसे में इनको शिक्षा से जोड़े शबना सांपूर्त साक्षरर्ा अशभयान पूरा नहीां हो सकर्ा है । इसी अवर्ारर्ा को िेकर केंद्र सरकार ने अनुसूशचर् जाशर् एवां जनजाशर् वगत की बाशिकाओां की शिक्षा के शिए कई महत्वपूर्त कायतिम चिाए। शवशभन्न कायतिमोां में इनकी सहभाशगर्ा बढानें की भी कोशि​ि की गई। बाशिकाओां में शिक्षा का प्रवाह अशर् आवश्यक है । हमारे दे ि में बाशिका शिक्षा का स्तर काफी शपछड़ा है शजसमें अनुसूशचर् जाशर्, अनुसूशचर् जनजाशर् बाशिकाओां में शिक्षा का खासा अभाव है । इसका कारर् यह है शक बच्चें स्कूि नहीां पहुां च पार्े हैं । दू सरा यह शक अशभभावकोां में शिक्षा के प्रशर् जागरुकर्ा की कमी है । वै से र्ो प्राथशमक स्तर पर बाशिका शिक्षा जरुरी है जो अपने पाररवाररक माहौि से शनकिकर शिक्षा ग्रहर् करने के शिए शवद्यािय जाए। शजससे बच्चोां में चररत्र का शनमार्त होगा। अनुसूशचर् वगत के व्यक्ति शिक्षा के क्षे त्र में दे ि की अन्य गैर अनुसूशचर् जाशर् की र्ुिना में काफी पीछे हैं । यह भारर् के शिक्षाशवदोां एवां िै शक्षक शवकास से सम्बि सभी व्यक्तियोां के सम्मुख एक गांभीर समस्या है । क्योांशक इस वगत की मशहिाओां के िैशक्षक शपछड़े पन के कई Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies


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कारर् है , शजनमें आशथत क कारर्ोां के साथ-साथ जार्ीय भेदभाव कथा अस्पृश्यर्ा जैसे अने क सामाशजक कारर् भी शवद्यमान है यद्यशप अनुसूशचर् वगत के िैशक्षक, आशथत क, सामाशजक एवां सा​ां स्कृशर्क शपछड़े पन को दू र करने के शिए अथक प्रयास शकए गये है शजनमें प्रमुख रूप से कबीरदास, रै दास, गुरुनानक, ज्योशर्बा राव फुिे, साशवत्रीबाई फुिे, रामा स्वामी पेररयार, छत्रपशर् िाहूजी महाराज, महात्मा गा​ां र्ी, डॉ.भीमराव अांबेडकर आशद के योगदान शविेष रूप से उल्ले खनीय है । केंद्रीय सरकार की य जनाएों क्र . 1.

मध्यान भोजन योजना (1955)

2.

मिक्षा सहयोग योजना (2001)

3.

कस्तू रबा गा​ाँ र्ी आिासीय बामलका मिद्यालय योजना (2004) एकल बामलका मन:िु ल्क मिक्षा योजना (2005) बामलका मिक्षा प्रोत्साहन रामि योजना (2006) माध्यममक मिक्षा हेिु प्रोत्साहन रामि योजना (2008)

4. 5. 6.

योजना

उद्दे श्य प्राथममक मिद्यालय में बच्ो​ों की उपस्थथमि बढ़ाना िथा उन्हें पोषक आहार उपलब्ध कराना। मनर्ध न पररिारो​ों के बच्ो​ों को कक्षा 9 से 12 िक की मिक्षा का खर्ध उठाने में मािा मपिा की आमथधक सहायिा करना। कस्तू रबा गा​ाँ र्ी आिासीय बामलका मिद्यालय योजना (2004) एकल बामलका िाले पररिार की लड़की को सी.बी.एस.ई स्कुल में कक्षा 12िी िक मन:िुल्क मिक्षा ममलना। बामलका मिक्षा प्रोत्साहन रामि योजना (2006) लड़मकयो​ों को माध्यममक मिद्यालयो​ों में दास्खले को प्रोत्साहन दे ने और 18 िषध की आयु िक मिक्षा सुमनमि​ि करना।

बाचिका चिक्षा हेतु राज्य सरकार ों की य जनायें योजना

उद्दे श्य

मन:िु ल्क स्कूली ड्रेस योजना (2005)

िासकीय स्कूलो​ों में अध्ययनरि 5िीों िक की सभी ग्रामीण ि नगरीय क्षेत्र की बामलकाओों को मन:िुल्क, यू मनफामध प्रदान करना।

मन:िु ल्क साईकल उपहार योजना (2004)

माध्यममक स्तर की पढ़ाई करने बामलकाओों को प्रोत्सामहि करना। अनुसूमर्ि जामि ि जनजामि िथा गरीबी रे खा से जीिन यापन करने िाली लड़मकयो​ों को दु सरे गािों या िहर की िालाओों में पढ़ने हेिु प्रोत्सामहि करना।

लाड़ली बे टी योजना (2005)

मकसी भी पररिार की दू सरी बे टी को सकाध र की लाड़ली बे टी घोमषि कर उसके समुमर्ि पोषण ि मिक्षा हे िु आमथधक सहायिा दे ना।

बामलका सोंरक्षण योजना (1996)

मनर्ध निम पररिार की बामलकाओों को माध्यममक स्तर िक की मिक्षा हे िु आमथधक सहयोग दे ना।

गणिेि िथा पाठ्यपुस्तक प्रदान योजना गा​ाँ ि की बे टी योजना (2005)

बामलका मिक्षा को प्रोत्सामहि करना।

प्रमिभा मकरण योजना

गरीबी रे खा से नीर्े जीिन यापन करने िाली नगरीय क्षेत्र की उत्कृष्ट परीक्षा पररणाम िाली छात्राओों को उच् मिक्षा हेिु प्रेररि करने के मलए सहयोग रामि उपलब्ध करना।

मिक्षा में उत्कृष्ट प्रदिध न करने िाली ग्रामीण बामलकाओों को उच् मिक्षा हे िु प्रोत्सामहि करने हेिु सहयोग रामि उपलब्ध करना।

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अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् की छात्र/छात्राओां की िैशक्षक उपिक्ति एवां समायोजन के सन्दभत में, इन्ोांने र्शमिनाडु में िोर् अध्ययन शकया और शनष्कषत स्वरुप में पाया शक अनुसूशचर् जाशर् के सन्दभत में प्राथशमक स्तर पर शिक्षा में अपव्यय बहुर् अशर्क था। अशर्काि (67.22) अनुसूशचर् जाशर् के शवद्याथी शनरक्षर पररवारोां से आर्े थे र्था उनकी आशथतक दिा अत्यां र् शनम्न स्तर की थी। वे शवद्यािय में चि रहे पाठ्यिम को समझने में कशिनाई का अनुभव करर्े थे (आशदिेषय्या एवां रामानाथन, 1979)। पूवी शसक्तिम की अनुसूशचर् जाशर्योां के मध्य शवद्यािय छोड़ने की प्रवृ शि का अध्ययन शकया। अध्ययन स्वरुप ज्ञार् हुआ शक अशभभावकोां की शनर्तनर्ा के कारर् बच्चोां ने शवद्यािय छोड़े व शनम्न स्वास्थ्यवर्त क र्त्व, शवद्यािय में वषत भर होने वािे नवीन प्रवे ि का अशनयांशत्रर् होना, भवन एवां मूिभूर् सुशवर्ाओां का अभाव होना एवां शिक्षकोां का अप्रशिशक्षर् होना आशद जैसें अन्य घटकोां ने शवद्याशथतयोां के शवद्यािय छोड़ने की प्रवृ शि को प्रोत्साशहर् शकया। अशभभावकोां ने अनु भव शकया शक वर्तमान शिक्षा प्रर्ािी उनके बच्चोां की स्थानीय आवश्यकर्ा के अनुरूप नहीां थी अर्: अनुपयोगी पाठ्य-पु स्तक एवां पाठ्यिम ने अनुसूशचर् जाशर् के शवद्यािय छोड़ने वािे शवद्याशथतयोां की सांख्या में वृ क्ति की (िोहर, 1988)। अनुसूशचर् जाशर् के प्राथशमक स्कूिोां के छात्रोां को सरकार द्वारा दी जाने वािी सुशवर्ाओां पर पड़ने वािे प्रभावोां का आिोचनात्मक अध्ययन शकया। यह अध्ययन महाराष्ट्र के दे वगढ़ र्ािु का के शविेष सांदभत में शकया गया है । दे वगढ़ र्ािु का के प्राथशमक शवद्याियोां के प्रर्ानाचायत र्था शिक्षकोां पर यह अध्ययन शकया। िोर्कर्ात ने पाया शक सरकार द्वारा दी जाने वािी सुशवर्ाओां से िाभाक्तिर् शपछड़ी जाशर् के शवद्याशथत योां की उपक्तस्थशर् र्था उिीर्त होने का प्रशर्िर् बढ़ा है , साथ ही साथ डरॉपआउट रे ट घटा है (कामब्ली, 1992)। अनुसूशचर् जाशर् एवां जनजाशर् की स्कूिी छात्राओ की मनोवै ज्ञाशनक एवां िैशक्षक समस्याओां के सन्दभत में इन्ोांने अपने िोर् में माध्यशमक एवां उच्चर्र माध्यशमक शिक्षा सांस्थानोां में अध्ययनरर् अनुसूशचर् जाशर् एवां जनजाशर् की छात्राओां के मनोवै ज्ञाशनक एवां िैशक्षक समस्याओां का अध्ययन शकया। िोर् अध्ययन का उद्दे श्य शदल्ली क्तस्थर् माध्यशमक एवां उच्चर्र माध्यशमक शिक्षा सांस्थानोां में अध्ययनरर् अनुसूशचर् जाशर् एवां जनजाशर् की छात्राओां के मनोवै ज्ञाशनक एवां िैशक्षक समस्याओां की प्रकृशर् एवां स्वरुप को ज्ञार् कर उनका सांभाशवर् शनराकरर् प्रस्तुर् करना है । इन्ोांने अपने िोर् में न्यादित शदल्ली राजर्ानी क्षेत्र के चुशनांदा माध्यशमक एवां उच्च माध्यशमक शवद्यािय की बाशिकाएां थी। कुि 500 न्यादित छात्राएां अशभभावकोां और शिक्षकोां को सम्मशिर् शकया गया। अध्ययन का अशभकल्प में सवे क्षर् शवशर् का प्रयोग शकया गया। छात्राओां से प्राप्त र्त्वोां का गुर्ात्मक एवां सां ख्यात्मक दोनोां शवशर्योां से शवश्लेषर् शकया गया। िोर् उपकरर् में उपि​ि मानकीकृर् प्रश्नाविी एवां स्वशनशमतर् प्रश्नाविी का उपयोग शकया गया। उन्ोांने अपने िोर् अध्ययन में पाया शक 90% छात्राओां ने बर्ाया पाररवाररक शविीय सां कट और पररवार का आकार बड़ा, उपयुि अध्ययन स्थि का अभाव 70% छात्राओां ने बर्ाया शक अशभभावकोां का शिशक्षर् ना होना र्था उशचर् मागतदितन ना शमिना 70% अशभभावकोां के अनुसार छात्राओां के पाररवाररक स्तर, अध्ययन की उशचर् व्यवस्था ना Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies


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होना, र्था आस पास के उपयुि वार्ावरर् की कमी को दिात या। उच्च शिशक्षर् अशभभावकोां की छात्राएां बच्चोां एवां अल्पशिशक्षर् अशभभावकोां की छात्राएां दोनोां में सामाशजक सामांजस्य में शभन्नर्ा है (यदु िाि, 2010)। ि ध का उद्दे श्य 1. अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् के सन्दभत में बाशिका शिक्षा के समक्ष आने वािे समस्याओां र्था अवरोर्कोां का अध्ययन करना। 2. अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् के सन्दभत में माध्यशमक स्कूि में बाशिका शिक्षा के नामाकांन और डरॉप आउट, दर का अध्ययन करना। 3. अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् के सन्दभत में अध्यापकोां की बाशिका शिक्षा के प्रशर् अशभवृ शि का अध्ययन करना। 4. शवद्यािय में अध्ययनरर् अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् की बाशिकाओां के शिए उपि​ि सुशवर्ाओां का अध्ययन करना। ि ध अध्ययन चवचध :- िोर् उद्दे श्य की प्राक्तप्त या पररकल्पना की पुशष्ट् िोर् की शवशभन्न शवशर्योां द्वारा होर्ी है । िोर् शवशर्, िोर् कायत को सांपाशदर् करने का वो ढां ग है जो समस्या के प्रकृशर् द्वारा शनर्ात ररर् होर्ी है । इस प्रकार स्पष्ट् है की िोर् शवशर्या​ाँ शवशभन्न प्रकार के िोर्ोां में स्पष्ट् व शवस्तृर् शवभेद करने वािी शविेषर्ाएाँ हैं । अर्: प्रस्तुर् िघु िोर् समस्या की शविेष वस्तु को ध्यान में रखर्े हुए शमशश्रर् िोर् शवशर् का चयन शकया गया हैं । जनसोंख्या:-प्रस्तुर् िघु िोर् कायत में िोर्ाथी द्वारा जनसांख्या के रूप में महाराष्ट्र राज्य के वर्ात शजिे के शवद्याियोां में पढ़ाने वािे समस्त शिक्षकोां को सक्तम्मशिर् शकया गया है । प्रचतदिभ:- प्रस्तुर् अध्ययन िोर् के शिए िोर्कर्ात द्वारा अपने उद्दे श्योां को ध्यान में रखर्े हुए सोद्दे श्यपरक शवशर् का उपयोग करर्े हुए प्रशर्दित के रूप में महाराष्ट्र के वर्ात शजिे के अांर्गतर् कुि 7 माध्यशमक स्तर के शवद्याियोां (न्यू इां क्ति​ि, सु िीि शहम्मर् शसां ग माध्यशमक शवद्यािय, स्वाविांबी माध्यशमक शवद्यािय, स्वाविां बी कन्या शवद्यािय, म्यू कमिा नेहरू शवद्यािय, जगजीवन माध्यशमक शवद्यािय, राष्ट्र भाषा माध्यशमक शवद्यािय, रत्नीबाई माध्यशमक शवद्यािय) के माध्यशमक एवां उच्च माध्यशमक स्तर के 50 शिक्षकोां को न्यादित के रूप में चयशनर् शकया। प्रयुक्त उपकरण उपकरण:- प्रस्तुर् िघु िोर् कायत हे र्ु िोर्ाथी द्वारा समस्या से सम्बां शर्र् उपकरर् उपि​ि न होने के पररर्ाम स्वरूप शनदे िक के शनदे िन में िोर्ाथी ने स्वयां समस्याओां र्था अवरोर्कोां के शिए साक्षात्कार अनुसूची, उपि​ि सुशवर्ाओां के शिए साक्षात्कार अनुसूची, अध्यापकोां का बाशिका शिक्षा के प्रशर् अशभवृ शि जानने हे र्ु अशभवृ शि मापनी (र्ीन शबांदु शिकटत शवशर् ) का शनमात र् शकया गया,शजसके अांर्गत र् कुि 21 कथन शदए गए।अशभवृ शि मापनी में प्रत्येक कथन को 3शवकल्प शदए गए, शजसमें सभी कथनोां के उिर को सकारात्मक (3,2,1) एवां नकारात्मक (1,2,3)अां क शदए गए।

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आों कड़ ों का चवश्लेषण एवों व्याख्या:- प्रस्तुर् अध्याय में उपयुि िोर् शवशर्योां के द्वारा आां कड़ोां का शवश्लेषर् एवां व्याख्या को सुव्यवक्तस्थर् एवां वै ज्ञाशनक ढां ग से की गया है और उसका शवस्तृर् शवश्लेषर्, सूचनाओां की व्याख्या एवां सा​ां मान्यीकरर् के शनरूपर् प्रस्तुर् शकया गया है । उद्दे श्य-1 : अनु सूचित जाचत/जनजाचत के सन्दर्भ में बाचिका चिक्षा के समक्ष आने वािे समस्याओों तथा अवर धक ों का अध्ययन करना- िोर् कायत के प्रथम उद्दे श्यअनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् के सन्दभत में बाशिका शिक्षा के समक्ष आने वािे समस्याओां र्था अवरोर्कोां का अध्ययन करने की पूशर्त प्रशर्भागी साक्षात्कार के द्वारा आां कड़ोां का सां ग्रहर् शकया गया।आां कड़ोां के सां ग्रहर् के पिार्​् उसका शवश्लेषर् एवां शववे चन शकया गया है । िोर्किात ने साक्षात्कार के दौरान प्रशर्भाशगयोां से अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् की बाशिकाओां की अशर्गम कशिनाइयोां पर बार्चीर् के दौरान यह सामने आया शक इस समुदाय से आने वािी बाशिका शवद्याशथतयोां में अशर्गम से जुडी कई प्रकार की कशिनाइया​ाँ होर्ी हैं । इन कशिनाईयोां में वे दो प्रकार के शविेषकोां को उजागर करर्े हैं । पहिा वे जो बाशिकाओां के स्व से जुडी हैं शजनमें डरा-सहमा रहना, खु द को कमजोर समझना, आत्मशवश्वास की कमी, पढाई में रूशच न होना आशद। साथ ही दू सरे प्रकार की कशिनाईया​ाँ सामाशजक सांस्थाओां जैसे पररवार और पररवार में प्रथम अशर्गमकर्ात के रूप में होना एवां िैक्षशर्क माहौि की कमी आशद आयाम सम्बांशर्र् शकये गए। सामाशजक सांस्था से जुडी कशिनाई जैसे- पाररवाररक शजम्मे दाररयोां से जूझना, घरे िु वार्ावरर्, िैशक्षक अनुकूि न होना आशद। स्पष्ट् है शक प्रशर्भागी मानर्े हैं शक वां शचर् वगत के शवद्याशथत योां में अशर्गम से जु डी कशिनाईया​ाँ होर्ी हैं पर वे यह भी स्वीकार करर्े हैं शक उपरोि कशिनाईयोां को दू र शकया जा सकर्ा है ।दू र करने का उपाय अशर्ररि कक्षाओां में व्यक्तिगर् शिक्षर् से सांभव है ।इन अशर्ररि कक्षाओां में केवि वां शचर् वगत के शिए सु र्ारात्मक कक्षाओां का आयोजन होर्ा है ।शिशक्षका बर्ार्ी है शक: “इस वगभ के बच्च में आत्मचवश्वास की कमी ह ती है और

इनका बे चसक बहुत कमज र ह ता है।साथ ही इनका घर जों गि में ह ने के साथ-साथ स्कूि ों से दू र ह ता है एवों इनके अचतररक्त मेहनत करनी पड़ती है ।” यह कथन स्पष्ट् करर्ा है शक प्रशर्भागी इस बार् को मानर्े है शक इन बच्चोां में आत्मशवश्वास कम होर्ा है शजसके कारर् वे पढ़ने में रूशच नहीां िेर्े हैं ।चूाँशक यह बच्चे ‘प्रथम पीढ़ी के अशर्गमकर्ात ’ होर्े हैं इसशिए इनका आर्ार कमजोर होर्ा है । शिशक्षका स्पष्ट् करर्ी है शक यह प्रकृशर् में रहने वािे िोग हैं इसशिए स्कूि दू र होर्ा है । इस शववे चना इस र्रह से भी की जा सकर्ी है शक जांगि ऐसी जगह है जहा​ाँ पर स्कूि नहीां होर्ा है ।इस वजह से इनके साथ अशर्ररि मेहनर् करनी पड़र्ी है । वे मानर्ी हैं शक वां शचर् वगत अशर्ररि मेहनर् मा​ां गर्ा है र्ब वे आगे बढ़र्े हैं । सामान्य शवद्याशथतयोां का वां शचर् वगत के साथ व्यवहार पर प्रशर्भागी बर्ार्े हैं शक “छात्राओों

का व्यवहार वोंचित बाचिकाओों के साथ चनम्न दजे का ह ता है और वे अपना द स्त बनाने में चहिचकिाती है। वे यह र्ी पहिानती हैं चक कौन चकस जाचत का है।” कथन से स्पष्ट् है शक अभी भी शवद्याियोां में समाज द्वारा आया सामांर्ी सोच का नजररया शवद्यािय जैसी दु शनया​ां में बना Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies


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हुआ है । यही कारर् है शक वां शचर् वगत के शवद्याशथत योां को दोस्त नहीां बनाया जार्ा है , उनकी जाशर् दे खी जार्ी है और उनकी पहचान उसकी जाशर् होर्ी है । शिक्षा इस र्रह की कुरीशर्योां को कमजोर र्ो कर रही है िे शकन अभी भी इस र्रह की क्तस्थशर् बनी हुई है । इसी र्रह शिक्षकोां का व्यवहार वां शचर् बाशिकाओां के प्रशर् अच्छा है । सभी एक ही जबाव दे र्े हैं शक अच्छा व्यवहार शकया जार्ा है िेशकन अच्छे की शववे चना करने से बचर्े हैं । प्रशर्भागी बर्ार्े हैं शक वां शचर् बाशिकाओां में एका​ां कीपन को दू र करने के शिए अपने द्वारा सृशजर् कुछ उपायोां को करर्े हैं शजनमें मुख्य रूप से ‘समूह सांवाद’। इस र्रह से हम एक दू सरे के शवचारोां से जु ड़र्े हैं साथ ही एक दू सरे के बारे में जानर्े हैं और उनके महत्त्व को समझर्े हैं । इस वगत शक बाशिका शवद्याशथतयोां को उनकी अच्छाइयोां पर उन्ें प्रेररर् करर्े हैं । यह प्रेरर्ा उनके शिए पुनबतिन का कायत करर्ी है । कक्षा के सामने उनका पररचय करवाया जार्ा है शजससे एक दू सरे को सभी जान सकें और उनके होने को स्वीकार सकें। उद्दे श्य-2 : अनुसूचित जाचत/जनजाचत के सन्दर्भ में माध्यचमक स्कूि में बाचिका चिक्षा के नामाकोंन और डर ॉप आउट, दर का अध्ययन करना- िोर् कायत के शद्वर्ीय उद्दे श्य अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् के सन्दभत में माध्यशमक स्कूि में बाशिका शिक्षा के नामाकांन और डरॉप आउट, दर का अध्ययन करने के शिए िोर्ाथी द्वारा शद्वर्ीय आकड़ो के एकशत्रर् करने के शिए शवद्यािय में उपक्तस्थर् दस्तावे ज़ की सहायर्ा से वषत 2018-19 की अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् बाशिकाओां के नामा​ां कन एवां डरॉप आउट की जानकारी िी गयी । ताचिका-1 अनुसूचित जाचत/जनजाचत के सन्दर्भ में बाचिका चिक्षा में नामाकोंन और डर ॉप आउट, दर का चवश्लेषण कक्षा

6

7

8

कल

वर्ग

2018-19

2018-19

2018-19

वर्ग

SC

ST

SC

ST

SC

ST

SC

ST

न्यू इं जललश

17

7

21

7

17

6

55

20

राष्ट्र भार्ा

7

2

4

1

3

4

14

7

स्वाबलंबी कन्या

2

1

1

5

2

8

4

स्वाबलंबी)सामान्य(

1

1

1

1

3

2

5

4

सशील कहम्मि तसंह

19

7

13

9

17

7

49

23

कमला नेहरु

3

1

7

3

4

1

14

5

जर्जीवन

1

1

3

1

4

2

8

4

153

67

आंकडे

ववद्यालय

1

कल

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र्ाशिका-1 में शवद्यािय ने शसफत एक वषत के आां कड़ोां को दे ना उशचर् समझा, अन्य शकसी और वषत के आां कड़े दे ने से मना कर शदया। साथ ही उन्ोांने एक वषत के आां कडे दे र्े हुए कहा शक मेरे यहा​ाँ डराप आउट दर िून्य है । िोर् में वर्ात शजिे के साथ शवद्यािय से प्रदत्योां का सां किन शकया गया है । सभी सार्ोां शवद्यािय के आां कडे उपरोि सारर्ी में प्रदशितर् हैं ।सभी शवद्याियोां में कुि अनुसूशचर् जाशर् की बाशिकाओां की सां ख्या 153 है और अनु सूशचर् जनजाशर् की बाशिकाओां की सांख्या 67 है । स्पष्ट् है शक यशद शवद्यािय इस बार् को सांबोशर्र् कर रहे हैं शक हमारे शवद्यािय में डराप आउट दर िून्य है र्ो इससे इस बार् की पुशष्ट् होर्ी है शक वां शचर् समुदाय की बाशिकाओां को शवद्यािय में बनाए रखने में सफि है । क्योांशक शवद्यािय उभयशनष्ठ सुशवर्ाएाँ मुहैया करा रहा है । इस वजह से इन शवद्याियोां में डराप आउट दर िू न्य है । उपरोि सभी आां कड़े अध्ययन वषत 2018-19 के हैं । उद्दे श्य-3 : अनु सूचित जाचत/जनजाचत के सन्दर्भ में चिक्षक ों की बाचिका चिक्षा के प्रचतअचर्वृचि का अध्ययन करना- प्रस्तु र् अध्याय में िोर् कायत के र्ीसरे उद्दे श्य की पूशर्त हे र्ु ' अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् के सन्दभत में शिक्षकोां की अशभवृ शि का अध्ययन करना' आकड़ो का सांग्रहर् शकया है । ताचिका- 2 चिक्षक ों की बाचिका चिक्षा के प्रचत अचर्वृचि का स्तर वर्ग अन्िराल

संख्या

प्रतिशि

अतभवृवि का स्िर

63-50

47

94

उच्च

49-36

3

6

औसि

35-21

0

0

तनम्न

उपुरोि र्ाशिका-2 के अविोकन के आर्ार पर यह प्रदशितर् होर्ा है शक 94% शिक्षकोां की अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् बाशिकाओां की शिक्षा के प्रशर् अशभवृ शि का स्तर उच्च और औसर् 98% का पाया गया। िेशकन सवात शर्क आवृ शि 50-63 के बीच पायी गयी है जो यह दिात र्ा है की बाशिका शिक्षा के प्रशर् शिक्षक उच्च अशभवृ शि रखे है । उपरोि र्ाशिका के अविोकन से यह भी स्पष्ट् होर्ा है शक शनम्न प्रकार की अशभवृ शि में कोई भी शिक्षक नहीां पाया गया । उद्दे श्य-4 : चवद्यािय में अध्ययनरत अनु सूचित जाचत/जनजाचत के बाचिकाओों के चिए उपिब्ध सुचवधाओों का अध्ययन करना- िोर् कायत के चर्ुथत उद्दे श्य की पूशर्त हे र्ु िोर्ाथी द्वारा साक्षात्कार उपकरर् की शववे चना कर उसे तनम्न आयामों में ववभाजजि कर उसका

ववश्लेर्ण ककया र्या जो इस प्रकार है –

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17246

(Pg. 17238-17249) प्र.सों.

आयाम

चविेषज् ों की राय

19 20 21

हा​ाँ नहीां शवद्यािय इसके शिए शनष्क्रीय है , हा​ाँ

22

िौचािय सैनेटरी और स्वास्थ्य िारीररक शिक्षा और गशर्शवशर्या​ाँ पुस्तकािय

प्रचतर्ाचगय ों की सोंख्या सभी सदस्य 30 सभी सदस्य 30 सभी सदस्य 30

हा​ाँ

सभी सदस्य 30

23

बै िने की सुशवर्ा

हा​ाँ

सभी सदस्य 30

प्रशर्भागी बर्ार्े हैं शक अध्ययनरर् अनुसूशचर् जाशर् और जनजाशर् के बाशिकाओां के शिए उपि​ि सुशवर्ाओां हे र्ु शवद्यािय पुस्तकािय, बै िने की व्यवस्था एवां िारीररक शिक्षा से जुडी गशर्शवशर्या​ाँ और िौचािय जैसी सुशवर्ाएाँ उपि​ि हैं । यह सुशवर्ाएाँ सभी के शिए न केवि वां शचर् वगत की बाशिकाओां के शिए। स्पष्ट् िब्ोां में कहें र्ो हम पाएां गे शक यह सुशवर्ाएाँ शवद्यािय में सभी शवद्याशथतयोां के शिए एक समान हैं िेशकन वांशचर् समुदाय के शिए कोई अिग से व्यवस्था नहीां है । यह एक अच्छा शवचार है शक समानर्ा के शिए सभी एक सां सार्न का उपयोग करें ।िेशकन बाशिकाओां के शिए सैनेटरी से जुडी सुशवर्ा पर सभी शवद्यािय उदासीन हैं । वे मानर्े हैं शक शवद्यािय प्रिासन की र्रफ से शकसी प्रकार की पहि नहीां की जार्ी। ि ध चनष्कषभ- प्रस्तु र् िोर् में प्रदि शवश्ले षर् के उपरा​ां र् िोर्कर्ात ने ‘अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् के सन्दभत में बाशिका शिक्षा के प्रशर् अध्यापकोां की अशभवृ शि का अध्ययन’ शवषय पर िोर्कायत करने के बाद पाया शक अध्यापक वां शचर् समुदाय की बाशिकाओां के प्रशर् जागरूक र्ो हैं परन्तु उनकी जागरूकर्ा में केवि सुचना सक्तम्मशिर् है । वे जानर्े हैं शक वां शचर् वगत की अपनी व्यक्तिगर् समस्याएां हैं और स्कूि उन समस्याओां से उभरने के शिए आां शिक रूप से नैशर्क उपाय अपनार्े है । नीशर्गर् मसिे उनके शिए जानकारी मात्र के शिए हैं बक्ति इसशिए नहीां शक अमुक नीशर्ओां से वां शचर् वगत का कैसे भिा होगा? वे मानर्े हैं शक वां शचर् समुदाय के शिए शन:िु ि और अशनवायत शिक्षा कायतिम, शवद्यािय में नामा​ां कन और सभी के साथ समान रूप से शिक्षा प्राप्त करने का अवसर दे र्ा है । प्रथम िोर् उद्दे श्य अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् के सन्दभत में बाशिका शिक्षा के समक्ष आने वािी समस्याओां र्था अवरोर्कोां पर िोर्ाथी इस शनष्कषत पर पहुाँ चर्ा है शक वां शचर् वगत की बाशिकाओां की अशर्गम समस्याएाँ होर्ी हैं परन्तु उसके शिए प्रशर्भागी वां शचर् समुदाय की िैशक्षक, आशथत क और सामशजक पृष्ठभूशम को शजम्मेदार मानर्े हैं । प्रशर्भागी इस बार् को मानर्े हैं शक यह शवद्याथी प्रथम अशर्गमकिात हैं इसशिए भी अवरोर्क है क्योांशक उन्ें घर पर कोई शनदे ि नहीां शमिर्ा है । शद्वर्ीय उद्दे श्य अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् के सन्दभत में बाशिका शिक्षा में नामा​ां कन और डरॉप आउट, दर का अध्ययन करने के शिए िोर्ाथी द्वारा शद्वर्ीय आकड़ोां के एकशत्रर् करने के शिए शवद्यािय में उपक्तस्थर् दस्तावे ज़ की सहायर्ा से वषत 2018-2019 की नामा​ां कन एवां डरॉप आउट दर की जानकारी िी गयी। िोर् अध्ययन से पर्ा चिर्ा है शक िोर् पररसीमा में िाशमि Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies


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सभी सार् शवद्याियोां में बाशिका शवद्याशथतयोां की डरॉप आउट दर िू न्य पाई गयी। िोर्कर्ात ने पाया की शवद्याियोां में डरॉप आउट न होने का कारर् यह है शक वां शचर् वगत के शिए अशर्ररि कक्षाओां का आयोजन शकया जार्ा है र्था बच्चोां की सुशवर्ानुसार परीक्षा प्रश्न पत्रोां का शनमात र् शकया जार्ा है । र्ृर्ीय िोर् उद्दे श्य अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् के सन्दभत में शिक्षकोां की बाशिका शिक्षा के प्रशर्अशभवृ शि का अध्ययन करने के पिार्​् पाया शक है शक 94% शिक्षकोां की अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् बाशिकाओां की शिक्षा के प्रशर् अशभवृ शि का स्तर उच्च और औसर् 98% का पाया गया। जो यह दिात र्ा है शक शिक्षक बाशिका शिक्षा के प्रशर् उच्च अशभवृ शि रखर्े है । चर्ुथत िोर् उद्दे श्य के अांर्गतर् शवद्यािय में अध्ययनरर् अनुसूशचर् जाशर्/जनजाशर् के बाशिकाओां के शिए उपि​ि सुशवर्ाओां का अध्ययन करने के बाद िोर्ाथी ने पाया शक शवद्यािय में िौचािय, िारीररक शिक्षा, पुस्तकािय, बै िक व्यवस्था, सभी को मुफ्त एवां अशनवायत शिक्षा आशद सुशवर्ाएाँ उपि​ि हैं और इन सुशवर्ाओां का उपयोग वां शचर् वगत के साथ शवद्यािय के सभी बच्चे करर्े हैं । इसी कड़ी में एक मर् सामने आया शक शवद्यािय वां शचर् वगत की बाशिकाओां के साथ शकसी भी वगत की बाशिकाओां के शिए सैनेटरी और स्वास्थ्य से सम्बांशर्र् शकसी भी प्रकार की सुशवर्ा उपि​ि नहीां करार्ा है बाबजू द इसके शक सभी अध्यापक इसके बारे में जानकारी रखर्े हैं । अर्: कहा जा सकर्ा है शक िैशक्षक सांस्थानोां एवां उनके शियाकिापोां जैसे-कक्षा में बै िने की व्यवस्था , शिक्षकोां की बार्चीर्,शवद्यािय के शवशभन्न कायतिमोां व खेि गशर्शवशर्योां आशद में भागीदारी, सहपाशियोां से सांबांर् व शवद्यािय में उपि​ि सुशवर्ाओां आशद में प्रचशिर् बशहष्करर् व भेदभाव के शवशभन्न रूपोां आशद पर भी चचात की गयी है । इस सन्दभत में कक्षा समर्ा, समानर्ा, भेदभाव रशहर् व समावे िी वार्ावरर् बनाने की शदिा में अध्यापकोां की भूशमका का उल्लेख शकया गया है , शजससे शक वे अनुसूशचर् जाशर् और जनजाशर् की बाशिका शवद्याशथतयोां के प्रशर् होने वािे व्यवहार में पररवर्तन िाने व भेदभाव रशहर् प्रशियायें अपनाने के शिए प्रेररर् होां। िेशकन िोर् सहभागी साक्षात्कार में मानर्े हैं शक वां शचर् वगत की बाशिकाएां पढ़ने में कमजोर होर्ी हैं यह उनका पूवात ग्रह बना हुआ है पर उसके सापे क्ष वह बर्ार्े हैं शक वां शचर् वगत की बाशिकाएां पाठ्यसहगामी शियाओां में एवां सा​ां स्कृशर्क गशर्शवशर्योां में अपनी सहभाशगर्ा दे र्ी हैं । िोर् कायत में एक बार् और सामने आई शक सहभागी अध्यापक वां शचर् वगत के पेिोां को हीनर्ा की दृष्ट्ी से दे खर्े हैं जैसे- सफाई करना, पोछा मारना, बर्तन र्ोना इत्याशद पर वे इस से उभरने का रास्ता भी दे र्े हैं । कहर्े हैं शक शिक्षा ही इन्ें हीन कामोां से मु ि कर सकर्ी है । िोर्कर्ात द्वारा यह स्पष्ट् हुआ है शक कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीां होर्ा है बक्ति हर काम की अपनी पहचान और सम्मान होर्ा है । सांवैर्ाशनक प्रावर्ान पर बार् करर्े हुए प्रशर्भागी कहर्े हैं शक मुझे वां शचर् वगत के अशर्कारोां के प्रशर् कोई जानकारी नहीां है । िोर्कर्ात द्वारा यह स्पष्ट् हुआ है शक शिक्षकोां की यह उदासीनर्ा बर्ार्ी है शक वे इस समुदाय के प्रशर् शकर्नी रूशच रखर्े हैं ? और इसके बारे में Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies


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शकर्ना जानने और समझने के शिए र्त्पर हैं । िोर्कर्ात को स्पष्ट् होर्ा है शक यशद एक शिक्षक को सांवैर्ाशनक अशर्कारोां की जानकारी नहीां होगी र्ो वह अपने शवद्याशथतयोां में सांशवर्ान और स्वांय के अशर्कारोां के प्रशर् कैसे जागरूक करे गा? शवद्याियोां में डरॉप आउट न होने का कारर् यह है शक वां शचर् वगत के शिए अशर्ररि कक्षाओां का आयोजन शकया जार्ा है र्था बच्चोां की सुशवर्ानुसार परीक्षा प्रश्न पत्रोां का शनमात र् शकया जार्ा है । िोर् में िाशमि शवद्यािय के अध्यापक 'सेनेटरी पै ड' के बारे में जागरूक र्ो हैं िेशकन इसकी उपि​िर्ा के शिए कोई भी पहि नहीां करर्े। बक्ति सरकार बाशिकाओां से जुडी इन सारी सुशवर्ाओां को मुहैया करार्ी है । शफर भी सांस्था िड़शकयोां को िे कर अपने मानस में रूशढ़वादी र्ारर्ाएां बनाए हुए हैं और उनके शिए इस प्रकार की पहि नहीां करर्े । सामान्य शवद्याशथतयोां का वां शचर् वगत की शवद्याशथत योां के साथ व्यवहार पर िोर्कर्ात द्वारा पाया गया शक अभी भी शवद्याियोां में समाज द्वारा आया सामांर्ी सोच का नजररया शवद्यािय जैसी दु शनया​ां में बना हुआ है । यही कारर् है शक वां शचर् वगत के शवद्याशथतयोां को दोस्त नहीां बनाया जार्ा है , उनकी जाशर् दे खी जार्ी है और उनकी पहचान उसकी जाशर् होर्ी है । शिक्षा इस र्रह की कुरीशर्योां को कमजोर र्ो कर रही है िेशकन अभी भी इस र्रह की क्तस्थशर् बनी हुई है । िैचक्षक चनचहताथभ- प्रस्तु र् िोर् से पर्ा चिर्ा है शक शिक्षा आज भी वां शचर् वगत और उस वगत की िड़शकयोां के शिए आसान रास्ता नहीां है । इन्ें स्कूशिां ग दे ने के शिए शवद्यािय, िैशक्षक नीशर्या​ाँ और शविेष प्रावर्ान महत्वपूर्त हो जार्े हैं । शिक्षक भी अपनी अशभवृ शि सकारात्मक उपायोां के साथ बदि रहे हैं । प्रस्ताशवर् िोर् शनम्नशिक्तखर् वगों के शिए सहायक शसि हो सकर्ा है : 5.3.1 र्ावी ि धाचथभय ों के चिए प्रस्ताशवर् िोर्कायत का पररर्ाम उन िोर्ाथी के शिए सहायक शसि हो सकर्ा है जो अनुसूशचर् जाशर् व जनजाशर् की बाशिका शिक्षा से सांबांशर्र् िोर् कायत करें गे। उनके शिए शद्वर्ीयक आां कड़ा उपि​ि होगा। बाशिका शिक्षा से जु ड़े िोर्कर्ात ओां को भी महत्वपू र्त जानकारी प्राप्त हो सकेगी र्था वे अपने िोर् के आर्ार पर आगे शनर्ात ररर् कर सकेंगी शक बाशिका शिक्षा में शकस प्रकार के सु र्ार शकये जा सकर्े हैं । िोर् के पररर्ाम यह बर्ार्े हैं शक शिक्षकोां को वां शचर् वगत की बाशिकाओां की शिक्षा, उनकी सामाशजक-आशथतक पृष्ट्भूशम और उनको अवसरोां के शिए कैसे आगे िाये शजससे शिक्षा की दु शनया​ां को वह भी महसूस कर सकें। नीशर् शनमात र्ाओां के द्वारा भशवष्य में बनने वािी योजनाओां में वां शचर् वगत की बाशिकाओां की शिक्षा के प्रशर् शविेष ध्यान दे कर अिग से शिक्षा की व्यवस्था का प्रावर्ान कर सकेंगे। बाशिका शिक्षा की गु र्विा बढ़ाने के शिए र्था उसे मु ख्यर्ारा से जोड़ने के शिए र्था शिक्षकोां के शिए समयसमय पर कायत िािा का आयोजन कर सकर्े हैं और अनुसूशचर् जनजाशर् की बाशिकाओां के शिए एक एकीकृर् पाठ्यिम का शनमात र् करें शजससे वहा​ाँ के शवद्याथी मार्ृ भाषा शिक्षा के साथ ही आर्ु शनक शिक्षा भी ग्रहर् करें और सभी के साथ समान रूप से शिक्षा ग्रहर् करें । साथ ही दे ि के शवकास में योगदान दें । Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies


धमे न्द्र ना. िोंर्रकर & न मी

17249

(Pg. 17238-17249)

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