कोरोना का दु:सह काल अभी बीता नहीं है। दुनिया अभी भी खौफ के बोगदे में है। कोरोना के कहर के दरम्यान नये स्ट्रेन ने डर और बढ़ा दिया है। उससे पार पाने में अभी वक्त लगेगा। इस बीच भारत में अभूतपूर्व आंदोलन उठ खड़ा हुआ है। यह आंदोलन है किसानों का। लाखों किसानों ने कृषि को कार्पोरेट घरानों को सौंपने की सरकार की मंशा को भांपते हुए प्रतिरोध मेंं दिल्ली को घेर लिया है। ऐसा लगता है कि सत्ता और अन्नदाताओं की यह जंग लंबी चलेगी। ‘दुनिया इन दिनों’ ने वर्ष 2021 के अपने पहले अंक में ‘दूसरा सत्याग्रह’ के अंतर्गत किसान आंदोलन का जायजा लिया है। संपादक सरिता ठाकुर सक्सेना ने इस कथा में किसान आंदोलन के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल की है। संलग्न पूरक कथा में डॉ. परिवेश मिश्रा ने पूसा की कहानी में सर्वथा अछूते संदर्भों की परतें खोल दी हैं।
पत्रिका के संपादक डॉ. सुधीर सक्सेना ने मध्य प्रदेश की शिखर-राजनीति पर बहुत दिनों बाद कलम चलाई है। ‘ज्योतिरादित्य की भूल-गलती’ के बहाने उन्होंने मध्यप्रदेश की राजनीति के वर्क पलटे हैं। राकेश अचल और डॉ. राकेश पाठक की कथाएं उनकी आगामी कल की आहट लेती कथा को दिलचस्प और मुकम्मल बनाती हैं।