Maithili - The Book of Prophet Zephaniah

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सफनियाह

अध्याय 1

1 यहूदाकराजाअमोनकपुत्रयोशियाहकसमयमे परमेि् वरक वचन जे कुिीक पुत्र सफशनयाह, जे शहजशकयाहक पुत्रअमाररयाकपुत्रगेदशियाकपुत्रछिाह।

2 हम ओशहदेिकसभ वस्तु केेँ एकदम समाप्त कऽ देब, परमेि् वरकहैतछशि।

3 हम मनुष् यक आ जानवर केेँ नष्ट कऽ देब। हम आकािकशचडै-चुनमुनी, समुद्रक माछ आदुष्कममक संग ठोकरखायबिासभकेेँ भस्मकऽदेब।हममनुखकेेँ ओशह देिसेँ काशिदेब, परमेि्वरकहैतछशि।

4 हम यहूदा आ यरूििेमक सभ शनवासी परसेहो अपन हाि पसारब। हम एशह ठाम सेँ बािक िेष िोक आ पुरोशहतसभकसंगकेमारीसभकनामकेेँ काशिदेब।

5 जे सभ घरक चोिी पर स् वगमकसेनाक आराधना करैत अशछ। आ जे सभ परमेि् वरक आराधना करैत अशछ आ जे सभपरमेि्वरकिपिखाइतअशछ, आजेमल्कामक

िपिखाइतअशछ।

6 आ जे सभ परमेि् वर सेँ घुरर गेि अशछ। आ जे सभ परमेि् वरक खोज नशह केने छशि आ ने हुनका िेि पूछताछकेने छशि।

7 प्रभुपरमेि्वरकसमक्षचुपरहू, शकएकतेँपरमेि्वरक शदनआशबगेिअशछ।

8 परमेि् वरक बशिदानक शदन हम राजकुमार सभ, राजाकसन् तानसभआओशह सभिोक सभकेेँ दंडदेब जे परायावस्त्रपशहरने छशि।

9 ओही शदन हम ओशह सभ केेँ दंड देब जे दहिीज पर कूदैतअशछ, जेअपनमाशिककघरमेशहंसाआछि-प्रपंच सेँ भरैतअशछ।

10 परमेि् वरकहैतछशिजे ओशहशदनमाछकफािकसेँ शचशचयाहशि आ दोसर चीत्कार आ पहाडी सभ सेँ एकिा पैघचीत्कारहोयत।

11 हे मक्तेिक शनवासी सभ, कूदब, शकएक तेँ सभ बशनयाक िोक सभ किैत अशछ। चानी धारण करयविा सभकेेँ काशिदेिगेिअशछ।

12 ओशहसमयमेहममोमबत्तीसेँयरूििेममेजाेँचकरब

आ ओशह िोक सभ केेँ दंड देब जे अपन िीज पर बैसि अशछ।

13 तेेँ हुनका सभक सम् पशत्त िूि बशन जायत आ घर उजाड भऽ जायत। ओ सभ अंगूरक बाग िगाओत, मुदा ओकरमशदरानशहपीबशि।

14 परमेि् वरक महान शदन िग आशब गेि अशछ, ओ नजदीकआशब गेि अशछआबहुत जल्दीभऽरहि अशछ, परमेि् वरकशदनकआवाज।

15 ओ शदन क्रोधक शदन अशछ, शवपशत्त आ शवपशत्तक शदन अशछ, उजाड आ उजाडक शदन अशछ, अन्हार आ उदासीकशदनअशछ, मेघआघनघोरअन्हारकशदनअशछ।

16 बाडबिा नगर सभ आ ऊेँच-ऊेँच बुजम सभक शवरुद्ध तुरहीआघबराहिबजबाकशदन।

17हममनुष्यसभपरशवपशत्तआशनदेबजेओसभआन्हर जकाेँ चित, शकएक तेँ ओ सभ परमेि् वरक शवरुद्ध पाप कयिशन।

18 परमेि् वरकक्रोधकशदनमे हुनकासभकचानीआने सोना हुनका सभ केेँ उद्धार नशह दऽ सकैत अशछ। मुदा ओकरईर्ष्ामकआशगमेपूरादेिभस्मभ’ जायत, शकएक तेँ ओ ओशह देि मे रहशनहार सभ केेँ जल्दी सेँ मुक्त क’ देत।”

अध्याय 2

1 हे नशह वांशछतजाशत, अपना केेँ एक ठामजमाकरू, हेँ, एकठामजमाभ’ जाउ।

2फरमानआबयसेँपशहने, शदनभूसाजकाेँबीतबासेँपशहने, परमेि् वरक प्रचंड क्रोध अहाेँ सभ पर आबय सेँ पशहने, परमेि् वरकक्रोधकशदनअहाेँ सभपरअयबासेँ पशहने।

3 हे पृि् वीक सभ नम्र, जे हुनकर न् याय केने छी, प्रभुक खोजकरू।धाशममकताकखोजकरू, नम्रताकखोजकरू, प्रभुकक्रोधकशदनअहाेँ सभनुकायिरहब।

4 शकएक तेँ गाजा छोशड देि जायत आअश्किोनउजाड भऽ जायत, दुपहर मे अश्दोद केेँ भगा देत आ एक्रोन केेँ जशडसेँ उखाशडदेिजायत।

5 समुद्रक कात मे रहशनहार सभक शधक्कार अशछ, जे केरेतक जाशत अशछ! परमेि् वरक वचन अहाेँ सभक शवरुद्धअशछ।हे कनान, पशिस्तीकदेि, हमतोरानष्टकऽ देबौक, जाशहसेँ ओतऽकोनोशनवासीनशहरहत।”

6 समुद्रक कात चरबाह सभक िेि आवास आ कुिी आ झडकिेिझडहोयत।

7 समुद्र ति यहूदाक वंिक िेष िोकक िेि होयत। ओ सभ ओशह पर भोजन करत, अश्किोनक घर मे साेँझ मे सुतिरहत, शकएकतेँहुनकासभकपरमेि्वरपरमेि्वर हुनका सभक सामना करताह आ हुनका सभक बंदी केेँ मोशडदेताह।”

8 हम मोआबक शनन्दा आअम्मोनिोकक शनन्दा सुनिहुेँ, जाशह सेँ ओ सभ हमर िोक केेँ शनन्दा कयिशन आ अपन सीमाकशवरुद्धअपनाकेेँ बडाईकयिशन।

9 तेेँ जशहना हम जीशवत रहब, सेना सभक परमेि् वर, इस्राएिक परमेि् वर कहैत छशि, शनश्चय मोआब सदोम जकाेँ आ अम्मोनकसन् तानअमोरा जकाेँ होयत, शबछुआ आनूनकगड्ढाकप्रजननआसदा-सदाउजाडहोयतिोक ओकरा सभ केेँ िूशि िेत आ हमर िोकक िेष िोक ओकरासभकेेँ अपनामे समेशििेत।”

10 ईबात हुनका सभ केेँ घमंड करबाक कारणेेँहोयतशन, शकएकतेँ ओ सभ सेना-सैशनक परमेि् वरक िोकसभक शवरुद्धशनन्दाआपैघ-पैघकयिशन।

11 परमेि् वर हुनका सभक िेि भयावह भऽ जेताह, शकएकतेँ ओपृि् वीकसभदेवताकेेँ भूखसेँ माररदेताह।

आिोकसभअपन-अपनस्िानसेँ, सभगैर-जाशतकद्वीप सभसेँ, हुनकरआराधनाकरत।

12 अहाेँ सभइशियोशपया सभसेहो हमरतिवारसेँ मारि जायब।

13 ओ उत्तरशदस हाि बढा कऽ अश्शूरकेेँ नष्ट कऽ देत। ओनीनवे केेँ उजाडबनादेतआजंगिजकाेँ सुखायत।

14 जाशत-जाशतक सभ जानवर ओकर बीच मे झड पडि रहत। खखडकी मे हुनका िोकशनक आवाज गाशब जायत। उजाड दहिीज मे रहत, कारण ओ देवदारक काज केेँ उजागरकरत।

15 ईओ आनखन्दत नगरअशछ जे िापरवाही सेँ रहैत छि आ अपनमोनमे कहैतछिजे, “हम छी, आहमराछोशड

क’ केओ नशहअशछ।” जे शकयोओकरा िगसेँ गुजरैत अशछ, सेशससकीमारतआहािशहिाओत।

अध्याय 3

1 शधक्कारअशछजेगंदाआदूशषतअशछ,अत्याचारीनगरक िेि!

2 ओ आवाजनशहमानिीह। ओकरा सुधारनशहभेििैक; ओ प्रभु पर भरोसा नशह केिशन। ओ अपन भगवानक नजदीकनशहआशबगेिीह।

3 ओकर भीतर ओकर राजकुमार सभ गजैत शसंह अशछ। ओकर न्यायाधीि साेँझक भेशडया अशछ; काखि धरर हड्डी नशहचीरैतअशछ।

4 ओकरप्रवक् तासभहल्लुकआशवश्वासघातीिोकछशि, हुनकरपुरोशहत सभ पशवत्र स्िानकेेँ दूशषत कयिशन, धममशनयमकउल्लंघनकयिशन।

5 धमीप्रभुओकरबीचमेछशि।ओअधममनशहकरत।मुदा अधमीिोकिाजनशहजनैतअशछ।

6 हम जाशत सभ केेँ काशि देिहुेँ, ओकर बुजम सभ उजाड भ’ गेि अशछ। हम हुनका सभक गिी-गिी उजशड देशियैकजेशकयोओशहठामसेँनशहगुजरय, ओकरसभक नगरसभनष्टभऽगेिअशछ, जाशहसेँ केओनशहअशछआ शकयोशनवासीनशहअशछ।

7 हम कहशियशन, “अहाेँ हमरा सेँ डरब, अहाेँ केेँ शिक्षा भेित।तेेँहुनकासभकशनवासनशहकििजेबाकचाही, जे हमहुनकासभकेेँ कतहुसजादेशियशन।

8 तेेँपरमेि्वरकहैतछशि, जाबतधररहमशिकारकिेि उठब, ताबतधररअहाेँ सभहमराप्रतीक्षाकरू, शकएकतेँ हमर संकल्प अशछ जे जाशत सभ केेँ एकशत्रत कऽ सकब, जाशहसेँहमराज्यसभकेेँ एकशत्रतकऽसकब, जाशहसेँहम अपन क्रोध, हमर सभिा क्रोध ओकरा सभ पर उझशि

सकब : शकएकतेँ हमरईर्ष्ामकआशगसेँसमस्तपृथ्वीभस्म भऽजाएत।

9 तखन हम िोक सभक शदस एकिा िुद्ध भाषा घुमब, जाशह सेँ ओ सभ एकशह सहमशत सेँ परमेि् वरक सेवा करबाकिेिपरमेि् वरकनामपुकारत।

10 इशियोशपयाक नदी सभक ओशह पार सेँ हमर शवनती करयविा सभ, हमर शततर-शबतरि िोकक बेिी, हमर बशिदानआनत।

11 ओशहशदनअहाेँअपनसभकाजकिेििाजनशहकरब, जाशहमे अहाेँ हमराशवरुद्धउल्लंघनकेिहुेँ, शकएकतेँ हम अहाेँक बीच सेँ ओ सभ केेँ हिा देब जे अहाेँक घमंड मे आनखन्दत अशछ आ अहाेँ आब हमर कारणेेँ घमंडी नशह होयबपशवत्रपवमत।

12 हमअहाेँकबीचएकिापीशडतआगरीबिोककेेँ सेहो छोशड देब, आ ओ सभ परमेि् वरक नाम पर भरोसा करत।

13 इस्राएिक िेषिोक सभ अधमम नशह करत आ ने झूठ बाजत।आनेहुनकासभकमुेँहमेछि-प्रपंचकजीहभेित, शकएकतेँओसभभोजनकरतआिेित, आकेओओकरा सभकेेँ डराओत।

14 हे शसयोनक बेिी, गाउ। हे इस्राएि, शचशचयाउ; हे यरूििेमकबेिी, हशषमतरहूआपूरामोनसेँआनखन्दतरहू।

15 परमेि्वरतोहरन्यायसभकेेँ छीनिेिशन, तोहरित्रु केेँ भगादेिशन, इस्राएिकराजा, परमेि्वर, तोहरबीचमे छशि।

16 ओशह शदन यरूििेम केेँ कहि जायत जे, “तूेँ नशह डेराउ।”

17 तोहर परमेि् वर परमेि् वर अहाेँ सभक बीच मे पराक्रमीछशि।ओउद्धारकरत, अहाेँपरआनखन्दतभ' क' आनखन्दत होयत।ओ अपनप्रेम मे शवश्राम करत, अहाेँ पर गायनसेँ आनखन्दतहोयत।

18 हमओशहसभकेेँ ओशहसभकेेँ जमाकऽदेब, जेसभिा सभक िेि दुखी छशि, शजनका सभक िेि एशह सभाक शनन्दाभारछि।

19 देखू, ओशहसमयमेहमअहाेँकसभिादुुःखकेेँ दूरकऽ देब।आहमहुनकासभकेेँ ओशहदेिमेप्रिंसाआप्रशसखद्ध पाशबदेबशनजतयहुनकासभकेेँ िखितकयिगेिछशन। 20 हम अहाेँ सभ केेँ ओशह समय मे फेर सेँ आनब, जाशह समय मे हमअहाेँ सभकेेँ जमा करब, शकएकतेँ हम अहाेँ सभकेेँ पृि्वीकसभिोककबीचनामआस्तुशतबनादेब, जखनहमअहाेँकबंदीकेेँ अहाेँ सभकनजररमे घुमादेब।”

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