ऩीऩर के 11 ऩत्तों का चभत्कायी उऩाम, आऩ फन सकते हैं भाराभार शास्त्रों के अनुसाय हनुभानजी शीघ्र प्रसन्न होने वारे दे वी-दे वताओॊ भें से एक हैं। गोस्त्वाभी
तुरसीदास द्वाया यचित श्रीयाभिरयत भानस के अनुसाय भाता सीता द्वाया ऩवनऩुर हनुभानजी को अभयता का वतयदान ददमा गमा है । इसी वयदान के प्रबाव से इन्हें बी अष्टचियॊ जीवी भें
शामभर ककमा जाता है । करमुग भें हनुभानजी बक्तों की सबी भनोकाभनाएॊ तुयॊत ही ऩूणण कयते हैं। ऐसी भान्मता है ।
फजयॊ गफरी को प्रसन्न कयने के मरए कई प्रकाय के उऩाम फताए गए हैं। श्रीयाभ के अनन्म बक्त हनभ ु ानजी की कृऩा प्राप्त होते ही बक्तों के सबी दख ु दयू हो जाते हैं। ऩैसों से जड ु ी
सभस्त्माएॊ सभाप्त हो जाती हैं। कोई योग हो तो वह बी नष्ट हो जाता है । इसके साथ ही मदद ककसी व्मक्क्त की कॊु डरी भें कोई ग्रह दोष हो तो ऩवनऩर ु की ऩज ू ा से वह बी दयू हो जाता है । मदद कोई व्मक्क्त ऩैसों की तॊगी का साभना कयना यहा है तो उसे प्रतत भॊगरवाय औय शतनवाय मह उऩाम अऩनाना िादहए। तनक्चित ही व्मक्क्त की सबी सभस्त्माएॊ धीये -धीये सभाप्त हो जाती हैं औय व्मक्क्त भाराभार हो सकता है । उऩाम इस प्रकाय है - सप्ताह के प्रतत भॊगरवाय औय शतनवाय को ब्रह्भ भुहूतण भें उठें । इसके फाद तनत्म कभों से तनवत्ृ त होकय ककसी ऩीऩर के ऩेड से 11 ऩत्ते तोड रें। ध्मान यखें ऩत्ते ऩूये होने िादहए, कहीॊ से टूटे मा खॊडडत नहीॊ होने िादहए। इन 11 ऩत्तों ऩय स्त्वच्छ जर भें कुभकुभ मा अष्टगॊध मा िॊदन मभराकय इससे श्रीयाभ का
नाभ मरखें। नाभ मरखते से हनुभान िामरसा का ऩाठ कयें । इसके फाद श्रीयाभ नाभ मरखे हुए इन ऩत्तों की एक भारा फनाएॊ। इस भारा को ककसी बी हनुभानजी के भॊददय जाकय वहाॊ फजयॊ गफरी को अर्ऩणत कयें । इस प्रकाय मह उऩाम कयते यहें । कुछ सभम भें सकायात्भक ऩरयणाभ प्राप्त होंगे।
ध्मान यखें उऩाम कयने वारा बक्त ककसी बी प्रकाय के अधामभणक कामण न कयें । अन्मथा इस उऩाम का प्रबाव तनष्रीम हो जाएगा। उचित राब प्राप्त नहीॊ हो सकेगा। साथ ही अऩने कामण औय कतणव्म के प्रतत ईभानदाय यहें । ======================================== धन प्राप्तत के सयर तथा अचक ू उऩाम प्रात् सोकय उठने के फाद तनममभत रूऩ से अऩनी हथेमरमों को ध्मानऩूवक ण दे खें औय तीन फाय िभ ू ें । ऐसा कयने से हय कामण भें सपरता मभरती है । मह करमा शतनवाय से शुरू कयें । घय भे धन की फयक्कत के मरमे टोटका
सफसे छोटे िरने वारे नोट का एक त्ररकोण र्ऩयामभड फनाकय घय के धन स्त्थान भें यख दीक्जमे,जफ धन की कभी होने रगे तो उस र्ऩयामभड को फामें हाथ भें यखकय दादहने हाथ से उसे ढककय कल्ऩना कीक्जमे कक मह र्ऩयामभड घय भें धन रा यहा है ,कहीॊ से बी धन का फन्दोफस्त्त हो जामेगा,रेककन मह प्रमोग फहुत ही जरूयत भें कीक्जमे। DHAN KE UPAY FIRST UPAY आऩ अऩने तनवास स्त्थान भें उत्तय-ऩव ू ण ददशा भें एक साफ़ जगह ऩय स्त्थान िन ु रीक्जमे,उस स्त्थान को गॊदगी आदद से भक् ु त कय रीक्जमे,कफ़य एक साफ़ रकडी का ऩाटा उस स्त्थान ऩय यख रीक्जमे,औय एक िभेरी के तेर की सीसी,ऩिास भोभफत्ती सफ़ेद औय ऩिास भोभफत्ती हयी औय एक भाचिस राकय
यख रीक्जमे। अऩना एक सभम िन ु रीक्जमे क्जस सभम आऩ जरूय फ़्री यहते हों,उस सभम भें आऩ घडी मभराकय ईचवय से धन प्राप्त कयने के उऩाम कयना शुरु कय दीक्जमे। ऩाटे को ऩानी औय ककसी साफ़
कऩडे से साफ़ करयमे,एक हयी भोभफत्ती औय एक सफ़ेद भोभफत्ती दोनो को िभेरी के तेर भें डुफोकय
नहरा रीक्जमे,दोनो को एक भाचिस की तीरी जराकय उनके ऩैंदे को गभण कयने के फाद एक दस ू ये से नौ इॊि की दयू ी ऩय फामीॊ (रेफ़्ट) तयफ़ हयी भोभफत्ती औय दादहनी (याइट) तयफ़ सफ़ेद भोभफत्ती ऩाटे ऩय चिऩका दीक्जमे। दफ ु ाया से भाचिस की तीरी जराकय ऩहरे हयी भोभफत्ती को औय कफ़य सफ़ेद
भोभफत्ती को जरा दीक्जमे,दोनो भोभफक्त्तओॊ को दे खकय भानमसक रूऩ से प्राथणना कीक्जमे "हे धन के दे वता कुफेय ! भुझे धन की अभुक (क्जस काभ के मरमे धन की जरूयत हो उसका नाभ) काभ के मरमे जरूयत है ,भुझे ईभानदायी से धन को प्राप्त कयने भें सहामता कीक्जमे",औय प्राथणना कयने के फाद
भोभफत्ती को जरता हुआ छोड कय अऩने काभ भें रग जाइमे। दस ू ये ददन अगय भोभफत्ती ऩूयी जर गमी है,तो उस जरे हुमे भोभ को वहीॊ ऩय रगा यहने दें ,औय नही जरी है तो वैसी ही यहने दें ,दस ू यी
भोभफक्त्तमों को ऩहरे ददन की तयह से रे रीक्जमे,औय ऩहरे जरी हुमी भोभफक्त्तमों से एक दस ू यी के
नजदीक रगाकय जराकय ऩहरे ददन की तयह से वही प्राथणना करयमे,इस तयह से धीये धीये भोभफक्त्तमा एक दस ू ये की ऩास आती िरीॊ जामेगी,क्जतनी ही भोभफक्त्तमाॊ ऩास आती जामेंगी,धन आने का साधन फनता िरा जामेगा,औय जैसे ही दोनो भोभफक्त्तमाॊ आऩस भें सटकय जरेंगी,धन प्राप्त हो जामेगा। जफ धन प्राप्त हो जामे तो ऩास के ककसी धामभणक स्त्थान ऩय मा ऩास की ककसी फहती नदी भें उस भोभफक्त्तमों के र्ऩघरे भोभ को रेजाकय श्रद्धा से यख आइमे मा फहा दीक्जमे,जो बी श्रद्धा फने गयीफों को दान कय दीक्जमे,ध्मान यखखमे इस प्रकाय से प्राप्त धन को ककसी प्रकाय के गरत काभ भें भत प्रमोग करयमे,अन्मथा दफ ु ाया से धन नही आमेगा। SECEND UPAY दस ू ये प्रकाय के उऩाम भें कुछ धन ऩहरे खिण कयना ऩडता है ,इस उऩाम के मरमे आऩको जो बी भुद्रा
आऩके महाॊ िरती है आऩ रे रीक्जमे जैसे रुऩमा िरता है तो दस दस के ऩाॊि नोट रे रीक्जमे डारय िरता है तो ऩाॊि डारय रे रीक्जमे आदद। फाजाय से ऩाॊि नगीने जैसे गोभेद एभेचथस्त्ट जेड सन ु हरा
गायनेट रे रीक्जमे,मह नगीने सस्त्ते ही आते है ,साथ ही फाजाय से सभुद्री नभक बी रेते आइमे। मह
उऩाम गुरुवाय से शुरु कयना है ,अऩने घय भे अन्दय एक ऐसी जगह को दे खखमे जहाॊ ऩय रगाताय सूमण की योशनी कभ से कभ तीन घॊटे यहती हो,एक ऩोरीचथन के ऊऩय ऩहरे ऩाॊि नोट यखखमे,उनके ऊऩय एक एक नगीना यख दीक्जमे,औय उन नगीनो तथा नोटों ऩय सभुद्री नभक ऩीस कय थोडा थोडा तछडक ======================================================================= नजय उतायने के प्राचीन उऩाम 1. नभक, याई, यार, रहसुन, प्माज के सूखे तछरके व सूखी मभिण अॊगाये ऩय डारकय उस आग को योगी के ऊऩय सात फाय घुभाने से फुयी नजय का दोष मभटता है ।
2. शतनवाय के ददन हनभ ण हनभ ु ान भॊददय भें जाकय प्रेभऩव ू क ु ान जी की आयाधना कय उनके कॊधे ऩय से मसॊदयू राकय नजय रगे हुए व्मक्क्त के भाथे ऩय रगाने से फयु ी नजय का प्रबाव कभ होता है ।
3. खाने के सभम बी ककसी व्मक्क्त को नजय रग जाती है । ऐसे सभम इभरी की तीन छोटी डामरमों को रेकय आग भें जराकय नजय रगे व्मक्क्त के भाथे ऩय से सात फाय घुभाकय ऩानी भें फुझा दे ते हैं औय उस ऩानी को योगी को र्ऩराने से नजय दोष दयू होता है ।
4. कई फाय हभ दे खते हैं, बोजन भें नजय रग जाती है । तफ तैमाय बोजन भें से थोडा-थोडा एक ऩत्ते ऩय रेकय उस ऩय गुराफ तछडककय यास्त्ते भें यख दे । कपय फाद भें सबी खाना खाएॉ। नजय उतय जाएगी।
5. नजय रगे व्मक्क्त को ऩान भें गुराफ की सात ऩॊखडु डमाॉ यखकय खखराए। नजय रगा हुआ व्मक्क्त इष्ट दे व का नाभ रेकय ऩान खाए। फुयी नजय का प्रबाव दयू हो जाएगा।
6. रार मभिण, अजवाइन औय ऩीरी सयसों को मभट्टी के एक छोटे फतणन भें आग रेकय जराएॉ। क् पय उसकी धऩ ू नजय रगे फच्िे को दें । ककसी प्रकाय की नजय हो ठीक हो जाएगी। नज़य फाधा 1. आऩ अऩने नए भकान को फुयी नजय से फिाना िाहते हैं तो भुख्म द्वाय की िौखट ऩय कारे धागे से ऩीरी कौडी फाॊधकय रटकाने से सभस्त्त ऊऩयी फाधाओॊ से भुक्क्त मभरती है ।
2. मदद आऩने कोई नमा वाहन खयीदा है औय आऩ इस फात से ऩये शान हैं कक कुछ न कुछ योज वाहन भें गडफडी हो जाती है । मदद गडफडी नहीॊ होती तो दघ ण ना भें िोट-िऩेट रग जाती है ु ट
औयफेकाय के खिण से सायी अथण-व्मवस्त्था िौऩट हो जाती है । अऩने वाहन ऩय कारे धागे से ऩीरी कौडी फाॊधने से आऩ इस फयु ी नजय से फि सकेंगे, कयके ऩये शानी से भक् ु त हो जाएॊ।
3. मदद आऩके घय ऩय योज कोई न कोई आऩदा आ यही है । आऩ इस फात को रेकय ऩये शान हैं कक कहीॊ ककसी ने कुछ कय तो नहीॊ ददमा। ऐसे भें आऩको िादहए कक एक नारयमर को कारे कऩडे भें मसरकय घय के फाहय रटका दें ।
4. मभिण, याई व नभक को ऩीडडत व्मक्क्त के मसय से वाय कय आग भें जरा दें । िॊद्रभा जफ याहु से ऩीडडत होता है तफ नजय रगती है । मभिण भॊगर का, याई शतन का औय नभक याहु का प्रतीक है ।
इन तीनों को आग (भॊगर का प्रतीक) भें डारने से नजय दोष दयू हो जाता है । मदद इन तीनों को जराने ऩय तीखी गॊध न आए तो नजय दोष सभझना िादहए। मदद आए तो अन्म उऩाम कयने िादहए। टोटका तीन-मदद आऩके फच्िे को नजय रग गई है औय हय वक्त ऩये शान व फीभाय यहता है तो रार साफुत मभिण को फच्िे के ऊऩय से तीन फाय वाय कय जरती आग भें डारने से नजय उतय जाएगी औय मभिण का धिका बी नहीॊ रगेगा।
5. मदद कोई व्मक्क्त फुयी नजय से ऩये शान है तो कक शतनवाय के ददन कच्िा दध ू उसके ऊऩय से सात फाय वायकय कुत्ते को र्ऩरा दे ने से फुयी नजय का प्रबाव दयू हो जाता है ।
6. मदद कोई व्मक्क्त फयु ी नजय से ऩये शान है तो कक भॊगरवाय के ददन हनभ ु ान भॊददय जाकय
उनके कन्धे से मसन्दयु रेकय नजय रगे व्मक्क्त के भाथे ऩय मह सोिकय ततरक कय दें कक मह नजय दोष से भक् ु त हो गमा है ।
मदद आऩके फच्चे को फाय-फाय नजय रग जाती है तो आऩको चादहए कक आऩ उसके गरे भें यीठे का एक पर कारे धागे भें उसके गरे भें ऩहना दें ।
. मदद आऩ नजय दोष से भुक्त होना चाहते हैं तो सूती कोये कऩड़े को सात फाय वायकय सीधी टाांग के
नीचे से ननकारकय आग भें झोंक दें । मदद नजय होगी तो कऩड़ा जर जाएगा व जरने की फदफू बी नहीां आएगी। मह प्रमोग फुधवाय एवां शननवाय को ही कय सकते हैं।
. टोटका नौ-मदद कोई फच्चा नजय दोष से फीभाय यहता है औय उसका सभस्त ववकास रुक गमा है तो कपटकयी एवां सयसों को फच्चे ऩय से सात फाय वायकय चल् ू हे ऩय झोंक दे ने से नजय उतय जाती है । मदद मह सफ ु ह, दोऩहय एवां सामां तीनों सभम कयें तो एक ही ददन भें नजय दोष दयू हो जाता है
चचन्ता हटाने का टोटका अचधकतय ऩारयवारयक कायणों से ददभाग फहुत ही उत्तेजना भें आजाता
है ,ऩरयवाय की ककसी सभस्त्मा से मा रेन दे न से,अथवा ककसी रयस्त्तेनाते को रेकय ददभाग एक दभ उद्वेमरत होने रगता है ,ऐसा रगने रगता है कक ददभाग फ़ट
ऩडेगा,इसका एक अनुबूत टोटका है कक जैसे ही टें सन हो एक रोटे भें मा जग भें ऩानी रेकय उसके अन्दय िाय रारमभिण के फीज डारकय अऩने ऊऩय सात फाय
उफाया (उसाया) कयने के फाद घय के फाहय सडक ऩय फ़ेंक दीक्जमे,फ़ौयन आयाभ मभर जामेगा।
भानससक ऩये शानी दयू कयने के सरए : योज़ हनभ ु ान जी का ऩज ू न कये व हनभ ु ान िारीसा का ऩाठ कयें ! प्रत्मेक
शतनवाय को शतन को तेर िढामें ! अऩनी ऩहनी हुई एक जोडी िप्ऩर ककसी गयीफ को एक फाय दान कयें !
ददभाग से चचन्ता हटाने का टोटका अचधकतय ऩारयवारयक कायणों से ददभाग फहुत ही उत्तेजना भें आजाता
है ,ऩरयवाय की ककसी सभस्त्मा से मा रेन दे न से,अथवा ककसी रयस्त्तेनाते को रेकय ददभाग एक दभ उद्वेमरत होने रगता है ,ऐसा रगने रगता है कक ददभाग फ़ट ऩडेगा,इसका एक अनब ु त ू टोटका है कक जैसे ही टें सन हो एक रोटे भें मा जग भें ऩानी रेकय उसके अन्दय िाय रारमभिण के फीज डारकय अऩने ऊऩय सात फाय
उफाया (उसाया) कयने के फाद घय के फाहय सडक ऩय फ़ेंक दीक्जमे,फ़ौयन आयाभ मभर जामेगा।
व्मप्क्तगत फाधा ननवायण के सरए व्मक्क्तगत फाधा के मरए एक भुट्ठी र्ऩसा हुआ नभक रेकय शाभ को अऩने मसय के ऊऩय से तीन फाय उताय रें औय उसे दयवाजे के फाहय पेंकें। ऐसा तीन ददन
रगाताय कयें । मदद आयाभ न मभरे तो नभक को मसय के ऊऩय वाय कय शौिारम भें डारकय फ्रश िरा दें । तनक्चित रूऩ से राब मभरेगा।
हभायी मा हभाये ऩरयवाय के ककसी बी सदस्त्म की ग्रह क्स्त्थतत थोडी सी बी अनुकूर होगी तो हभें तनचिम ही इन उऩामों से बयऩूय राब मभरेगा। फनता काभ त्रफगडता हो, राब न हो यहा हो मा कोई बी ऩये शानी हो तो : 1. हय भॊगरवाय को हनुभान जी के ियणों भें फदाना (भीठी फूॊदी) िढा कय उसी प्रशाद को भॊददय के फाहय गयीफों भें फाॊट दें !
2. व्माऩाय, र्ववाह मा ककसी बी कामण के कयने भें फाय-फाय असपरता मभर यही हो तो मह टोटका कयें - सयसों के तैर भें मसके गेहूॉ के आटे व ऩुयाने गुड से तैमाय सात ऩूमे, सात भदाय (आक) के ऩुष्ऩ, मसॊदयू , आटे से तैमाय सयसों के तैर का
रूई की फत्ती से जरता दीऩक, ऩत्तर मा अयण्डी के ऩत्ते ऩय यखकय शतनवाय की यात्रर भें ककसी िौयाहे ऩय यखें औय कहें -“हे भेये दब ु ाणग्म तुझे महीॊ छोडे जा यहा हूॉ कृऩा कयके भेया ऩीछा ना कयना। साभान यखकय ऩीछे भुडकय न दे खें।
वशीकयण ववद्मा जफ ककसी व्मक्क्त को ककसी से प्रेभ हो जाए मा वह आसक्त हो। र्ववादहत स्त्री मा ऩुरुष की
अऩने जीवनसाथी से सॊफॊधों भें कटुता हो गई हो मा कोई मुवक मा मुवती अऩने रुठे साथी को भनाना िाहते हो। ककॊतु तभाभ कोमशशों के फाद बी वह भन के अनुकूर ऩरयणाभ नहीॊ ऩाता। तफ उसके मरए तॊर करमा के अॊतगणत कुछ भॊर के जऩ प्रमोग फताए गए हैं। क्जससे कोई अऩने साथी को अऩनी बावनाओॊ के वशीबूत कय सकता है ।
धभणशास्त्र भें काभदे व को प्रेभ, सौंदमण औय काभ का दे व भाना गमा है । इसमरए ऩरयणम, प्रेभसॊफॊधों भें काभदे व की उऩासना औय आयाधना का भहत्व फतामा गमा है। इसी रभ भें तॊर र्वऻान भें काभदे व वशीकयण भॊर का जऩ कयने का भहत्व फतामा गमा है । इस भॊर का जऩ हातनयदहत होकय अिक ू बी भाना जाता है । मह भॊर है -
"ॐ नभ् काभ-दे वाम। सहकर सहद्रश सहभसह मरए वन्हे धन ु न जनभभदशणनॊ उत्कक्ण्ठतॊ कुरु कुरु, दऺ दऺु-धय कुसुभ-वाणेन हन हन स्त्वाहा"
काभदे व के इस भन्र को सुफह, दोऩहय औय यात्ररकार भें एक-एक भारा जऩ का कयें । भाना
जाता है कक मह जऩ एक भास तक कयने ऩय मसद्ध हो जाता है । भॊर मसर्द्ध के फाद जफ आऩ इस भॊर का भन भें जऩ कय क्जसकी तयप दे खते हैं, वह आऩके वशीबूत मा वश भें हो जाता है ।